Bihar Board Class 8 Social Science History Solutions Chapter 5 शिल्प एवं उद्योग

Bihar Board Class 8 Social Science Solutions History Aatit Se Vartman Bhag 3 Chapter 5 शिल्प एवं उद्योग Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 8 Social Science History Solutions Chapter 5 शिल्प एवं उद्योग

Bihar Board Class 8 Social Science शिल्प एवं उद्योग Text Book Questions and Answers

पाठगत प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जामदानी बनाई वाले कपड़े महंगे क्यों होते थे ? इसका उपयोग सिर्फ रजवाड़े परिवार के लोग ही क्यों करते थे?
उत्तर-
बारीक मलमल पर जामदानी बुनाई की जाती थी, जिस पर करघे से सजावटी डिजाइनें बनायी जाती थीं। आमतौर पर इसमें सूती और सोने के धागे का इस्तेमाल किया जाता था। ढाका तथा लखनऊ इस तरह के बुनाई के केन्द्र थे । मलमल का कपड़ा महंगा तो था ही उस पर जामदानी बुनाई में सोने के धागों के प्रयुक्त होने से ये कपड़े अत्यन्त मूल्यवान या महंगे हो जाते थे। उनको खरीदना भारत के रजवाड़े परिवार के लोगों द्वारा ही संभव था। इसलिए, जामदानी बुनाई वाले महंगे कपड़ों का उपयोग सिर्फ रजवाड़े परिवार के लोग ही करते थे।

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प्रश्न 2.
मुक्त व्यापार की नीति क्या थी?
उत्तर-
मुक्त व्यापार की नीति के द्वारा भारतीय व्यापार पर कंपनी का एकाधिकार समाप्त हो गया था। अब इंग्लैंड का कोई भी व्यक्ति भारत के साथ स्वतंत्र रूप से व्यापार कर सकता था।

प्रश्न 3.
उद्योग में लगे हुए भारतीय कारीगर उद्योग को छोड़ कृषि की तरफ क्यों लौट गए?
उत्तर-
अंग्रेजों ने भारतीय वस्त्र उद्योग को आघात पहुँचाने के लिए मुक्त व्यापार की एकतरफा नीति अपनायी । ‘मुक्त व्यापार की नीति के तहत अब कंपनी के अलावे अन्य अंग्रेज उद्यमी भी भारत से व्यापार कर सकते थे । भारत से जो सामान इंग्लैंड जाता था, उस पर वहाँ आपात कर लगता था, लेकिन जो सामान भारत में आता था, उस पर कोई कर नहीं लगता था । इसलिए भारत में इंग्लैंड के सामान सस्ते दामों पर उपलब्ध होते थे जबकि भारत के सामान इंग्लैंड में महंगे बिकने से उनकी बिक्री बहुत कम हो गयी। परिणामस्वरूप भारतीय बुनकरों एवं सूत कातने वालों की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी।

रेलवे के विकास से भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में भी इंगलैंड की वस्तुओं का पहुँचना शुरू हो गया । अब हस्तशिल्प की वस्तुओं की कीमतें बढ़ गयीं और मशीन निर्मित चीजें बाजार में सस्ती मिलने लगीं। शिल्प एवं उद्योग में लगे हुए कारीगर बेकार होने लगे और वे बाध्य होकर कृषि की तरफ लौटने लगे।

प्रश्न 4.
नि: औद्योगिकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
नि:औद्योगिकरण का अर्थ होता है जब देश के लोग शिल्प एवं उद्योग को छोड़कर खेती को अपनी जीविका का आधार बना लें।

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प्रश्न 5.
अंग्रेजी सरकार ने इग्लैंड के कपड़ा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए क्या किया? भारतीय उद्योगपतियों को यह सुविधा क्यों नहीं मिली? भारत में स्टील के उत्पादन से भारतीयों को क्या लाभ मिला?
उत्तर-
अंग्रेजी सरकार ने इंग्लैंड के कपड़ा उद्योग को बढ़ावा देने के – लिए ‘मुक्त व्यापार की नीति’ अपनायी । इसके तहत अब कंपनी के अतिरिक्त इंग्लैंड के अन्य व्यवसायी भी भारत से खुलकर व्यापार कर सकते थे। यह नीति एकतरफा थी। अंग्रेजों ने इंग्लैंड से भारत आने वाले सामानों पर तो कोई कर नहीं लगाया पर भारत के सामानों को इंग्लैंड में बिक्री पर आयात कर लगा

दिया ताकि भारतीय सामान इंग्लैंड में महंगी हो जाए और उनका खरीदार न मिल पाए। भारतीय उद्योगपतियों ने यही सुविधा जब मांगी कि इंग्लैंड से आ रहे कपड़ों पर सरकार विशेष कर लगाए ताकि वे भारत में यहां के बने हुए कपड़ों से महंगा बिके । पर अंग्रेजों ने ऐसी नीति नहीं अपनायी ताकि भारत का औद्योगिक विकास धीमा रहे।

भारत में स्टील के उत्पादन से भारतीय उद्योगपतियों को मुनाफा तो हुआ ही यहां की भारतीय जनता को भी सस्ते में देश की बनी स्टील मिलने का लाभ प्राप्त हुआ।

प्रश्न 6.
मशीन उद्योग के शुरू होने से पूर्व भारत में किस तरह का उद्योग था ? मशीनी उद्योग की आवश्यकता भारतीयों को क्यों पड़ी?
उत्तर-
मशीन उद्योग के शुरू होने से पूर्व भारत में कुटीर उद्योग एंव हस्तशिल्प उद्योग थे। अंग्रेजों ने रेलवे का विकास कर मशीनीकरण एवं उद्योगों के विकास की राह खोल दी थी। अब विकास की डगर पर आगे चलने के लिए भारतीयों को मशीनी उद्योग की आवश्यकता पड़ गयी । यह काम वे नहीं करते तो अंग्रेज लोग यहाँ भी छा जाते ।

अभ्यास-प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प को चुनें।

प्रश्न (i)
अठारहवीं शताब्दी में भारत का प्रमुख उद्योग निम्नलिखित में से कौन था?
(क) वस्त्र उद्योग
(ख) कोयला उद्योग
(ग) लौह उद्योग
(घ) जूट उद्योग
उत्तर-
(क) वस्त्र उद्योग

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प्रश्न (ii)
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री (FICCI) की स्थापना कब हुई?
(क) सन् 1920 में
(ख) सन् 1927 में
(ग) सन् 1938 में
(घ) सन् 1948 में
उत्तर-
(ख) सन् 1927 में

प्रश्न (iii)
जूट उद्योग का प्रमुख केन्द्र कहाँ था ?
(क) गुजरात
(ख) आंध्र प्रदेश
(ग) बंगाल
(घ) महाराष्ट्र
उत्तर-
(ग) बंगाल

प्रश्न (iv)
सन् 1818 में अंग्रेजी सरकार ने किस उद्देश्य से मजदूरों के लिए नियम बनाए?
(क) मजदूरों की स्थिति में सुधार के लिए
(ख) अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए..
(ग) प्रशासनिक सुविधा के लिए ।
(घ) अपने आर्थिक लाभ के लिए
उत्तर-
(घ) अपने आर्थिक लाभ के लिए

प्रश्न (v)
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की स्थापना कब
(क) 1818 में
(ख) 1920 में
(ग) 1938 में
(घ) 1947 में
उत्तर-
(ख) 1920 में

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ।

  1. जूट उद्योग – (क) लखनऊ
  2. ऊनी वस्त्र उद्योग – (ख) बंगाल
  3. जामदानी बुनाई – (ग) चम्पारण
  4. लौह उद्योग – (घ) कश्मीर
  5. नील बगान उद्योग – (ङ) जमशेदपुर ।

उत्तर-

  1. जूट उद्योग – (ख) बंगाल
  2. ऊनी वस्त्र उद्योग – (घ) कश्मीर
  3. जामदानी बुनाई – (क) लखनऊ
  4. लौह उद्योग – (ङ) जमशेदपुर
  5. नील बगान उद्योग – (ग) चम्पारण

आइए विचार करें-

प्रश्न (i)
कैलिको अधिनियम के क्या उद्देश्य थे?
उत्तर-
अपने उद्योग को बढ़ावा देने के लिए इंगलैंड ने सन् 1720 ई. में ‘कैलिको अधिनियम’ बनाया। इसके अनुसार इंग्लैंड में भारत के बने छापेदार सूती कपड़े और छींट के इस्तेमाल पर पाबंदी (रोक) लगा दी गई और उनके आयात को इंग्लैंड में रोक दिया गया। कैलिको अधिनियम बनाने के पीछे अंग्रेजों के उद्देश्य थे – एके तो अपने उद्योग को बढ़ावा देना, दूसरे भारतीय उद्योग को हानि पहुँचाना, जिसमें उनको सफलता भी मिली।

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प्रश्न (ii)
मुक्त व्यापार की नीति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
भारतीय उत्पादों की इंगलैंड में बढ़ती हुई मांगों को देखकर सन् 1813 ई. में इंगलैंड की सरकार ने ‘मुक्त व्यापार की नीति’ अपनायी। पहले केवल ‘ईस्ट इंडिया कम्पनी’ को ही भारत के साथ व्यापार करने का एकाधिकार था । अब, मुक्त व्यापार की नीति द्वारा अन्य अंग्रेजी उद्योगपतियों के लिए भारत में व्यापार करने की स्वतंत्रता प्रदान कर दी गई । इस.नीति के तहत आयात-निर्यात में भेदभाव भी इंग्लैंड के द्वारा किया गया। भारत में इंगलैंड के माल आने पर कोई कर नहीं लगता था पर भारतीय माल की इंगलैंड में बिक्री पर आयात कर लगाया जाता था जिससे भारतीय माल महंगा बिके और इस प्रकार ना के बराबर बिके।

प्रश्न (iii)
भारतीय उद्योगपतियों को भारत में उद्योग की स्थापना के मार्ग . में क्या-क्या बाधाएं थीं?
उत्तर-
सन् 1854 में बम्बई पहला सती वस्त्र का कारखना कावस जी नानाजी दाभार नामक एक पारसी ने स्थापित किया। सन् 1880 ई. तक पूरे भारत में 56 सूती कपड़ा मिलें स्थापित हो चुकी थीं । इन कारखनों के लिए के लिए मशीनें विदेशों से मंगाई जाती थीं। भारतीय कपड़ा उद्योग की प्रगति – ने विदेशों को चिंता में डाल दिया था। भारतीय उद्योगपतियों के सामने समस्या यह थी कि यदि किसी तरह अंग्रेजी सरकार भारतीय उद्योगों को बढ़ावा देने का कार्य करती, तो उत्पादन क्षमता में वृद्धि की जा सकती थी।

अतः उन्होंने मांग की, कि इंग्लैंड से आ रहे कपड़ों पर सरकार विशेष कर लगाए ताकि वे भारत में यहाँ के बने हुए कपड़ों से महंगा बिके लेकिन अंग्रेजों ने ऐसा नहीं किया बल्कि ऐसी नीति अपनायी कि भारत का औद्योगिक विकास धीमा रहे। साथ ही अंग्रेजों के निर्देश पर बैंक ऊँचे ब्याज दर पर भारतीय उद्योगपतियों . को कर्ज देते थे जिससे उन्हें काफी परेशानी होती थी।

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प्रश्न (iv)
मजदूरों के हित में पहली बार कब नियम बनाया गया ? उन नियमों का मजदूरों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
भारतीय उद्योगपति, भारतीय मजदूरों से 15-16 घंटे से लेकर 18 घंटे तक काम कराते थे। उन्हें कोई सुविधा भी नहीं देते थे और बेहद कम मजदूरी देते थे। अतः मजदूरों ने हंगामा व हड़ताल कर दिया । भारतीय उद्योगपतियों ने उनकी मांगों को नहीं माना । उनकी मांगों को मानने का मतलब होता मालिकों का खर्च बढ़ जाता और कारखानों में बनी वस्तुओं का दाम बढ़ जाता । ऐसी स्थिति में इंगलैंड की बनी वस्तुएँ सस्ती और भारत में बनी वस्तुएँ महंगी हो जाती और भारतीय उद्योग का विकास धीमा पड़ जाता। अपने स्वार्थ के लिए इंगलैंड के उद्योगपतियों ने भातीय मजदूरों का साथ दिया । अंग्रेजी सरकार ने सन् 1881 में मजदूरों के हित में पहली बार नियम बनाए जिससे राजदूरों की स्थिति में सुधार हुआ।

प्रश्न (v)
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार ने मजदूरों की स्थिति में सुधार के लिए कौन-कौन से कदम उठाए ?
उत्तर-
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार ने मजदूरों की स्थिति में सुधार के लिए ‘न्यूनतम मजदूरी कानून बनाकर मजदूरी दरों को निश्चित किया, जिससे उनकी स्थिति में और सुधार आने लगा। उनके काम के घंटों में कमी की गयी, साप्ताहिक अवकाश दिया गया, काम के दौरान घायल हुए श्रमिकों को मुआवजा देने का नियम भी बनाया गया जिससे मजदूरों की स्थिति पहले से सुधरी।

आइए करके देखें-

प्रश्न (i)
अठारहवीं शताब्दी के भारत के मानचित्र को देखकर यह बताएँ कि कौन-सा राज्य सूती कपड़ा उद्योग का सबसे बड़ा केन्द्र था?
उत्तर-
महाराष्ट्र।

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प्रश्न (ii)
इस पाठ के आधार पर यह बताएं कि मजदूरों को अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर-
मजदूरों को अपने अधिकारों की प्राप्ति के लिए संघर्ष करना चाहिए, आन्दोलन हड़ताल, धरना-प्रदर्शन करना चाहिए।

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 19 वायु एवं जल-प्रदूषण की समस्या

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 19 वायु एवं जल-प्रदूषण की समस्या Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 19 वायु एवं जल-प्रदूषण की समस्या

Bihar Board Class 8 Science वायु एवं जल-प्रदूषण की समस्या Text Book Questions and Answers

अभ्यास

प्रश्न 1.
प्रदूषण क्या है?
उत्तर-
प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ गंदगी होता है। प्रारंभ में जनसंख्या सीमित थी तथा प्राकृतिक संसाधन असीमित थे। परन्तु जैसे-जैसे जनसंख्या में वृद्धि होती गई हम औद्योगिक विकास की ओर तेजी से बढ़ने लगे। -औद्योगिक तकनीक के आने से मानव की भौतिक आवश्यकताओं तथा । सुविधाओं की मांग बढ़ी और प्राकृतिक स्रोतों का मानव द्वारा निर्ममता से शोषण किया जाने लगा और इस प्रकार प्रकृति में पारिस्थितिक असंतुलन का खतरा पैदा हो गया। यानि मानवीय क्रिया-कलापों से पर्यावरणीय घटकों में अवांछित तत्वों की वृद्धि होते जा रही है जो किसी संसाधन जैसे वायु, जल, मिट्टी इत्यादि के मुख्य वाछित तत्वों के अनुपात को असंतुलित कर देता है जिसे प्रदूषण कहा जाता है।

ऑक्सीजन मानव जीवन के लिए प्रकृति की एक महत्वपूर्ण उपहार है परन्तु आधुनिक यांत्रिक युग में कल-कारखानों की चिमनियों से निकलनेवाली गैसों,

स्वचालित वाहनों में पेट्रोल एवं डीजल के दहन तथा मनुष्य के अन्य क्रियाकलापों के कारण वायु में धूलकण, धुआँ और अनेक प्रकार की हानिकारक गैसें पर्याप्त मात्रा में उपस्थित होकर उसे गंदा कर देती है। यह वाय-प्रदूषण कहलाता है। ठीक उसी प्रकार स्वच्छ जल के स्रोतों में ऐसे बाहरी पदार्थ मिल जाते हैं जो इसके गुणों में परिवर्तन लाकर इसे इस्तेमाल करनेवालों के लिए हानिकारक बना देते हैं तो वह जल प्रदूषण कहलाता है।

इस प्रकार जब वायु, जल, मिट्टी इत्यादि में अवांछित तत्वों की वृद्धि जिसके कारण वांछित तत्वों के अनुपात में असंतुलन पैदा हो जाते हैं तो उसे प्रदूषण कहा जाता है।

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प्रश्न 2.
क्या स्वच्छ पारदर्शी जल सदैव पीने लायक है ? इस पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-
जल में आवश्यकता से अधिक खनिज पदार्थ, लवण, कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ, कल-कारखाने से निकले कचरे, मलमूत्र, कूड़ा-करकट इत्यादि के मिल जाने से जल के लाभदायक गुण नष्ट हो जाते हैं और वह पीने योग्य नहीं रह जाता है। ऐसा जल प्रदुषित जल कहलाता है। जल स्रोतों में मल-मूत्र बहाने, कचरे बहाने, पशुओं के स्नान करने, लाशें बहाने या अस्थि-विसर्जन करने से जल प्रदूषित हो जाते हैं। जल एक अच्छा घोलक है जिसके कारण धात्विक पदार्थ भी इसमें मिले रहते हैं

जैसे सीसा, मरकरी, कैडमियम, आर्सेनिक इत्यादि जल को प्रदूषित कर देते हैं। इस प्रकार कुछ ऐसे प्रदूषक हैं जो जल में घुले होते हैं। फिर भी जल स्वच्छ तथा पारदर्शी दिखता है। लेकिन उस जल के पीने से अनेक बीमारियाँ हो जाती हैं। कल ऐसे सक्ष्म जीवाणु इस्सेरेचिया कोलाई, कोलीफार्म, मल स्ट्रेण्टोकोकाई इत्यादि जल में घुले होते हैं जो दिखते नहीं हैं तथा जल स्वच्छ पादर्शी दिखता है। पन्तु ये पीने लायक नहीं होते हैं।

प्रश्न 3.
क्या आपके आस-पास स्वच्छ जल की आपूर्ति हो रही है ? इस पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
नहीं, हमारे आस-पास स्वच्छ जल की आपूर्ति नहीं हो रही है। क्योंकि हमारे आस-पास कुछ कुएँ, कुछ चापाकल तो जानवरों के लिए नदी इत्यादि जल के स्रोत हैं। इन स्रोतों में से कुछ कएँ तथा चापाकलों के पानी सम्भवतः ठीक है परन्तु कुछ चापाकलों का पानी आमतौर पर खराब है यानि इसमें आयरन तथा आर्सेमिक की मात्रा अत्यधिक है। क्योंकि जब इसके पानी से सफेद कपड़ा धोते हैं तो वह पीला हो जाता है। उस पानी को बाल्टी या लोटा या किसी बर्तन में रखने पर बर्तन पीला हो जाता है।

इतना ही नहीं इस पानी को लगातार सेवन करने से दाँत तथा जीभ काला पड़ने लगता है। ये चापाकलों में कुछ सरकार द्वारा लगाया है तो कुछ लोग अपने लगा रखें हैं, कुछ कुएँ से पीते हैं। लेकिन सभी चापाकल को लगाने से पहले या बाद पानी की जाँच नहीं किया गया है। 2-4 महीने पहले सभी जल स्रोतों के जल की जाँच कर खराब पानी देने वाले को चिह्नित किया गया है। परन्तु इसे बंद करके दूसरी व्यवस्था नहीं की गई है।

प्रश्न 4.
शुद्ध वायु और प्रदूषित वायु में क्या अंतर है?
उत्तर-
Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 19 वायु एवं जल-प्रदूषण की समस्या 1

प्रश्न 5.
अम्ल वर्षा कैसे होती है ? टिप्पणी कीजिए इसके प्रभाव की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
मानवीय क्रिया-कलापों के कारण वायु में जब सल्फर डाइऑक्साइड के साथ-साथ नाइट्रोजन के ऑक्साइड बनते हैं। वायु में ये जलवाष्प से अभिक्रिया कर सल्फ्यूरिक अम्ल तथा नाइट्रिक अम्ल बनाती है। ये वर्षा को अम्लीय बनाकर पृथ्वी पर बरस जाती है जिसे हम अम्ल वर्षा कहते हैं।

अम्ल वर्षा से फसलों की पत्तियाँ जल जाती हैं तथा मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर काफी प्रभाव पड़ता है। ताजमहल के आस-पास मथुरा में तेलशोधक कारखाना है। जिससे प्रतिदिन 25-30 टन सल्फर डाइऑक्साइड वायुमंडल को प्राप्त होता है। ताजमहल संगमरमर तथा चूना-पत्थर का बना हुआ है। वहाँ के वायुमंडल में SO, की अत्यधिक मात्रा उपस्थित होने के कारण वर्षा जल के रूप में ताजमहल पर गिरती है और ताजमहल की दीवार एवं गुम्बज का क्षरण कर रहा है। इसकी सफेदी फीकी पड़ रही है। अम्ल वर्षा से सबसे अधिक क्षति स्वीडन की 20 हजार झीलों को हुई जिनकी सारी मछलियाँ मर गई । इसी तरह जर्मनी के जंगलों को अम्ल वर्षा से अपार क्षति पहुँची है। इस अम्ल वर्षा के प्रभाव होते हैं जो सजीव तथा निर्जीव जगत के लिए हानिकारक साबित हो रहे

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से कौन-सी पौध घर गैस है।
(क) कार्बन डाइऑक्साइड
(ख) सल्फर डाइऑक्साइड
(ग) मिथेन
(घ) नाइट्रोजन
उत्तर-
(क) कार्बन डाइऑक्साइड

प्रश्न 7.
ताजमहल की सुन्दरता को ग्रहण लग रहा है। इस पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
मुमताज की याद (प्यार का प्रतीक) में ताजमहल का निर्माण आगरा में मुगल शासक ने किया । ताजमहल की ख्याति दुनिया में विख्यात है। इसकी सुन्दरता का वर्णन दो-चार दस पंक्तियों में नहीं किया जा सकता है। इसकी सुन्दरता को आप इस बात से समझ सकते हैं कि इसे दुनिया का 7वाँ आश्चर्यजनक महल माना जा रहा है।

इसकी सुन्दरता पर खरोच लगाने या ग्रहण लगाने के लिए 1973 में बढ़ती मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मथुरा में तेल-शोधक कारखाना लगवाया गया जिससे प्रतिदिन 20-25 टन सल्फर डाइऑक्साइड वायुमंडल को प्राप्त होता है जो अम्लीय वर्षा का मुख्य घटक होता है। अम्लीय वर्षा इसके दीवार तथा गुम्बज का क्षरण कर रही है तथा इसकी सफेदी को धीरे-धीरे खत्म कर रही है जिसे वैज्ञानिकों ने संगमरमर कैंसर नाम दिया है । इस प्रकार वर्तमान में हम कह सकते हैं कि ताजमहल की सुन्दरता पर ग्रहण लग रहा है।

प्रश्न 8.
जल की उपयोगिता बताइए इसका शुद्धीकरण कैसे किया जाता है ?
उत्तर-
“पंच तत्व मिल बना शरीरा।”
क्षिति, जल, पावक, गगन समीरा।”
यानि यह शरीर पाँच तत्वों से मिलकर बना है जिसमें

जल भी एक है। “जल ही जीवन है।” इससे यह साबित होता है कि सजीव जगत के जीवन का हर क्रियकलाप जल पर निर्भर करता है । जल की उपयोगिता को इस प्रकार प्रकट किया जा सकता है।

  1. शौच तथा हाथ-मुँह धोने में।
  2. स्नान करने में।
  3. खाना बनाने में।
  4. पीने के लिए।
  5. पेड़-पौधे के विकास के लिए।
  6. जीव-जन्तु को जीवन जीने के लिए।
  7. सिंचाई के लिए इत्यादि ।

जल का शुद्धिकरण करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जाते हैं।

  1. उबालकर
  2. छानकर
  3. ब्लीचिंग पाउडर मिलाकर
  4. फिटकिरी से इत्यादि।

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प्रश्न 9.
यदि हम प्रदूषित जल पीयें तो क्या होगा?
उत्तर-
प्रदूषित जल पीने से पेट की बीमारी जैसे हैजा, पेचिस आदि होती है। जल एक अच्छा घोलक होता है। प्रदूषित जल में कई प्रकार के धात्विक पदार्थों जैसे सीसा, मरकरी, कैडमियम, आर्सेनिक उपस्थित होते हैं। जल में उपस्थित सीसा तथा मरकरी एन्जाइम से अभिक्रिया कर एन्जाइम की कार्यक्षमता को कम करते हैं जिससे कई बीमारियाँ होती हैं। सीसा तंत्रिका तंत्र, कैडमियम से इटाई-इटाई रोग उत्पन्न होता है, मरकरी से मिनिमाटा रोग होता है। इस प्रकार प्रदूषित जल पीने से अनेकों बीमारियाँ प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हो.सकते हैं।

प्रश्न 10.
सही कथन पर (T) तथा गलत कथन पर (F) लगाइए।

  1. संसार की 25% जनसंख्या को निरापद पेयजल नहीं मिला।
  2. गर्म जल भी एक प्रदूषक होता है।
  3. जुलाई माह में प्रतिवर्ष वन महोत्सव मनाया जाता है।
  4. अम्लीय वर्षा खेतों की मिट्टी को प्रभावित करता है।

उत्तर-

  1. T
  2. F
  3. T
  4. T

प्रश्न 11.
वायु प्रदूषण रोकने के उपाय बताइए।
उत्तर-
वायु-प्रदूषण को रोकने के उपाय

  1. वाहनों को अच्छी हालात में रखने से।
  2. ईंधन रहित वाहन चलाने से।
  3. घरों में धुआँ रहित चूल्हा प्रयोग करने से ।
  4. सौर ऊर्जा के प्रयोग से ।
  5. पवन ऊर्जा के प्रयोग से।
  6. ज्वारीय ऊर्जा के प्रयोग से।
  7. इंजन में ऐसी व्यवस्था ताकि ईंधन का पूर्णतः दहन हो सके।
  8. गाड़ियों में उत्प्रेरक परिवर्त्त लगाने से ।
  9. अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाकर इत्यादि ।

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प्रश्न 12.
रेखाचित्र द्वारा पौध घर प्रभाव को दर्शाइए।
उत्तर-

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 19 वायु एवं जल-प्रदूषण की समस्या 2

प्रश्न 13.
कणिकाओं द्वारा होने वाले प्रदूषण की चर्चा कीजिए।
उत्तर-
वायुमंडल में अनेकों गैसों के अलावे भी कुल ऐसे ठोस पदार्थ भी होते हैं जो इन गैसों में मिलकर तैरते रहते हैं। ये कणिकाएँ कहलाती हैं। इन कणिकाओं का व्यास 0.02 से 100 माइक्रोमीटर तक रहता है। इनका अत्यधिक समय तक वायु में निलम्बित रहने से दृश्यता को हटाते हैं। धुंध पैदा करते हैं। ये

इस्पात निर्माण, खनन, ताप विद्युत संयंत्रों से, सीमेन्ट उद्योग से निकले प्रदूषक है।

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प्रश्न 14.
भोपाल गैस काण्ड क्या है?
उत्तर-
कीटनाशक दवा बनानेवाली यूनियन कार्बाइड फैक्टरी मध्य प्रदेश के भोपाल में स्थित है। 2 और 3 दिसम्बर, 1984 की मध्यरात्रि में एक ऐसी घटना घटी जो औद्योगिक विकास के चेहरे पर गहरी कालिख पोत गया । इस फैक्टरी से मिथाइल आइसो साइनेट (MIC) नामक द्रव ताप बढ़ जाने से गैस में परिणत हो गया और इसका रिसाव शुरू हुआ। यह जहरीली गैस साँस के साथ फेफड़ों में गई । फेफड़ों में पानी भर गया । साँस फूली और फिर छूट गई। हजारों लोग सदा के लिए सो गए। हजारों अपंग होकर आज भी कष्टदायक जीवन व्यतीत कर रहे हैं जिसे सारी दुनिया “भोपाल गैस काण्ड” के नाम से जानते हैं।

प्रश्न 15.
पृथ्वी को बचाने के लिए पर्यावरण संरक्षण आवश्यक है। इस पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
पर्यावरण संरक्षण, पृथ्वी को बचाने के लिए अति आवश्यक है। प्रारंभ में जनसंख्या सीमित थी तथा प्राकृतिक संसाधन असीमित थे परन्तु जैसे-जैसे जनसख्या में वृद्धि होती गई। हम औद्योगिक विकास की ओर तेजी से बढ़ने लगे । औद्योगिक तकनीक के आने से मानव की भौतिक आवश्यकताओं तथा सुविधाओं की मांग बढ़ी और प्राकृतिक स्रोतों का मानव द्वारा निर्ममता से शोषण किया जाने लगा। इस प्रकार प्रकृति में असंतुलन की स्थिति पैदा हो गयी। यानि मानवीय क्रिया-कलापों से पर्यावरणीय घटकों में अवांछित तत्वों की वृद्धि ही जारी है जो किसी न किसी संसाधन जैसे वायु, जल, मिट्टी इत्यादि के मुख्य वांछित तत्वों के अनुपात को असंतुलित कर देती है जिसे प्रदूषण कहा जाता है। जब-जब पर्यावरण असंतुलित हुआ है तब-तब

कोई-न-कोई प्राकृतिक आपदाएँ आई हैं। जैसे बहुत ज्यादा गर्मी पड़ना, बहुत अधिक ठंड पड़ना, बहुत कम वर्षा होना या बहुत अधिक वर्षा होना । बाढ़

आना, सूखा पड़ना सुनामी आना इत्यादि घटनाएँ मानव तथा सजीव-निर्जीव जगत को भारी क्षति पहुँचाते आया है। इतना ही नहीं पर्यावरण असंतुलन के कारण ही मानव में इतनी सारी भयानक बीमारी हो रही है।

इस प्रकार पर्यावरण संरक्षण पृथ्वी को बचाने के लिए आवश्यक है। समय रहते हम मानव यदि सचेत नहीं हुए तो प्राकृतिक आपदाएँ एक दिन मानव जीवन की लीला को समाप्त कर सकती है।

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 18 ध्वनियाँ तरह-तरह की

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Bihar Board Class 8 Science ध्वनियाँ तरह-तरह की Text Book Questions and Answers

अभ्यास

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनिए

(अ) ध्वनि एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाती है
(i) ठोस माध्यम तथा निर्वात्
(ii) द्रव माध्यम तथा गैस माध्यम
(iii) गैस माध्यम तथा द्रव माध्यम
(iv) ठोस, द्रव तथा गैस माध्यम तीनों में से कोई या तीनों
उत्तर-
(iv) ठोस, द्रव तथा गैस माध्यम तीनों में से कोई या तीनों

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 18 ध्वनियाँ तरह-तरह की

(ब) अश्रव्य ध्वनि कहलाते हैं
(i) 20 Hz से कम आवृति
(ii) 20000 Hz से अधिक आवृत्ति
(iii) 20 Hz से 20,000 Hz के बीच की आवृत्ति
उत्तर-
(i) 20 Hz से कम आवृति

(स) किसी कपित वस्तु का अपनी माध्य स्थिति से दोनों ओर अधिकतम दूरी तक का विस्थापन कहलाता है
(i) आवृत्ति
(ii) आयाम
(iii) आवर्तकाल
(iv) तारत्व
उत्तर-
(ii) आयाम

प्रश्न 2.
उचित शब्दों द्वारा रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. ध्वनि किसी वस्तु के ……….. द्वारा उत्पन्न होती है।
  2. प्रति सेकेण्ड होने वाले दोलनों की संख्या को ……….. कहते हैं। ।
  3. कपित वस्तु एक निश्चित समय अंतराल में अपना एक दोलन पूराकर ता है जिसे …………. कहते हैं।
  4. अवांछित ध्वनि को ………… कहते हैं जिसे …………. करने का उपाय करना चाहिए।

उत्तर-

  1. कंपन
  2. आवृत्ति
  3. आवर्तकाल
  4. शोर, कम।

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 18 ध्वनियाँ तरह-तरह की

प्रश्न 3.
निम्न वाद्य यंत्रों में उस भाग को पहचानकर लिखिए जो ध्वनि उत्पन्न करने के लिए कंपित है।
उत्तर-

  1. ढोलक – चमड़े की सतह
  2.  झाल – किनारा
  3. बाँसुरी – जीभी
  4. एकतारा – तार
  5. सितार – तार

प्रश्न 4.
आपके माता-पिता एक आवासीय मकान खरीदना चाहते हैं जिसमें आपको भी रहना है। एक मकान मुख्य सड़क के किनारे तथा दूसरा मकान सड़क से दूर एक बगीचे के पास है । जहाँ इसी सड़क से एक रास्ता जाती है। आप किस मकान को खरीदने का सुझाव देंगे । उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
हम अपने माता-पिता को दूसरे मकान जो बगीचे के पास है, उसे खरीदने का सुझाव देंगे। क्योंकि मुख्य सड़क पर हमेशा अवांछित ध्वनि सुनने को मिलती रहती है। इतना ही नहीं कुछ ध्वनि तो कभी-कभी इतनी तेज बजती है कि उसे बर्दास्त करना मुश्किल हो जाता है जो हमारे दिनचर्या को काफी प्रभावित करता है जिसका प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से हमारे मस्तिष्क तथा कान पर पड़ता है और अप्रत्यक्ष रूप से हमें अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, बहरेपन इत्यादि का शिकार बना देता है। दूसरी तरफ बगीचा होने के कारण स्वच्छ हवा तथा वायु प्रदूषण से बने रहने में मददगार होगा। इतना ही नहीं बगीचा होने के कारण गर्मी से भी बचाव होगा। इस प्रकार बगीचा के पास वाला मकान खरीदना श्रेष्ठकर होगा।

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 18 ध्वनियाँ तरह-तरह की

प्रश्न 5.
आपका मित्र मोबाइल से हमेशा संगीत सुनता रहता है । क्या वह सही – कार्य कर रहा है। व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
मेरा मित्र यदि हमेशा मोबाइल से संगीत सुनता रहता है। वह सही कार्य नहीं कर रहा है। क्योंकि किसी भी यंत्र को आराम की जरूरत होती है और लगातार काम करने से उसकी क्षमता घटती चली जाती है। हमलोगों का कान तथा दिमाग भी एक यंत्र है। अवांछित ध्वनि से तथा लगातार ध्वनि

सुनने से तथा मोबाइल फोन से रेडियो तरंगें भी आते-जाते रहता है। परिणामस्वरूप हमारे शारीरिक यंत्र पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। किसी ने ठीक ही कहा है-“अति विनाश का कारण है।”

प्रश्न 6.
मानव कान का नामांकित चित्र बनाएँ तथा उनके कार्यों को लिखिए।
उत्तर-
ध्वनि को हम जिस ज्ञानेन्द्रिय द्वारा सुनते हैं उसे कान कहते हैं। जिसके मुख्यतया तीन भाग होते हैं। बाहरी भाग, मध्य भाग तथा आन्तरिक भाग । कान का बाहरी भाग जो कीप की भाँति होता है। उसे कर्ण पल्लव कहते हैं। यह कपित हवा को ग्रहण करती है। कपित ध्वनि नालिका के द्वारा पतली झिल्ली (कर्ण पटह) से जा टकराती है। तब कर्ण पटह भी कपित होने लगता है।

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 18 ध्वनियाँ तरह-तरह की 1

यह कंपन भी तीन हड्डियों द्वारा और कई गुना बढ़ा दिए जाते हैं। ये बढ़े हुए कंपन मध्य भाग से आन्तरिक भाग में स्थानान्तरित होकर विद्युतीय संकत में बदल जाते हैं। जिसे श्रवण-तंतु द्वारा मस्तिष्क को पहुंचा दिया जाता है। अंत में मस्तिष्क इसे ध्वनि के रूप में ग्रहण करता है । इस प्रकार कान के विभिन्न अंगों के संचालन के माध्यम से हम ध्वनि सुन पाते हैं।

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 17 किशोरावस्था की ओर

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Bihar Board Class 8 Science किशोरावस्था की ओर Text Book Questions and Answers

अभ्यास

1. सही विकल्प पर (✓) का चिह्न लगाइए

(क) किशोरावस्था की अवधि है-
(i) 6 वर्ष से 11 वर्ष
(ii) 11 वर्ष से 19 वर्ष
(iii) 19 वर्ष से 45 वर्ष
(iv) 15 वर्ष से 50 वर्ष
उत्तर-
(ii) 11 वर्ष से 19 वर्ष

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(ख) सीखने की सबसे अधिक क्षमता होती है.
(i) शैशवावस्था
(ii) प्रौढावस्था
(iii) बाल्यावस्था
(iv) किशोरावस्था
उत्तर-
(iii) बाल्यावस्था

(ग) टेस्टेस्टोरान है-
(i) अन्त:स्रावी ग्रंथि
(ii) स्त्री हारमोन
(iii) पुरुष हारमोन
(iv) (i) तथा (iii) दोनों
उत्तर-
(iii) पुरुष हारमोन

(घ) सामान्यतः ऋतुस्राव प्रारंभ होता है
(i) 20-25 वर्ष में
(ii) 11-13 वर्ष में
(iii) 45-50 वर्ष में
(iv) कभी नहीं
उत्तर-
(ii) 11-13 वर्ष में

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(ङ) बेहतर सेहत के लिए आवश्यक है
(i) खुब खाना, खुब नहाना
(ii) कम खाना, कम सोना
(iii) दिन में सोना रात में जगना
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(iv) इनमें से कोई नहीं

2. सही कथन के सामने (✓) गलत कथन के सामने (✗) चिह्न लगाइए

  1. द्वितीयक लैंगिक लक्षण शैशवावस्था में दिखाई देते हैं। – (✗)
  2. शुक्राणुओं का उत्पादन अण्डाशय से होता है। – (✗)
  3. पहले ऋतुस्राव को रजोदर्शन कहते हैं। – (✓)
  4. युग्मनज का. पोषण गर्भाशय में होता है। – (✓)
  5. इन्सुलिन की कमी से घंघा रोग होता है। – (✗)

3. कॉलम A से शब्दों को कॉलम B के उचित शब्दों से मिलाएँ-

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उत्तर-

  1.  – (iv)
  2. – (i)
  3. – (ii)
  4. – (iii)

प्रश्न 4.
किशोरावस्था से क्या समझते हैं?
उत्तर-
मानव जीवन को चार अवस्थाओं में बाँटा गया है। विकास एवं वृद्धि की पहली अवस्था शैशवावस्था कहलाता है। जिसकी अवधि जन्म से लेकर 5 वर्ष तक होती है। 6 वर्ष से 11 वर्ष की अवस्था को बाल्यावस्था कहा जाता है। 11-12 वर्ष से लेकर 18-19 वर्ष तक की अवस्था को किशोरावस्था कहा जाता है। किशोरावस्था के बाद की अवस्था को प्रौढ़ावस्था कहा जाता है।

किशोरावस्था के किशोर एवं किशोरियों को टीनएजर्स कहा जाता है। किशोरावस्था प्रारंभ होते ही अनेकों परिवर्तन देखने को मिलती है जो इस प्रकार हैं

  1. लम्बाई में वृद्धि
  2. शारीरिक बनावट में परिवर्तन
  3. स्वर में परिवर्तन
  4. स्वेद एवं तैल ग्रंथियों की सक्रियता में वृद्धि
  5. जननांगों में वृद्धि तथा सक्रियता में वृद्धि
  6. मानसिक तथा संवेदनात्मक विकास इत्यादि ।

इस प्रकार के परिवर्तनों के आधार पर किशोरावस्था की पहचान हम और आप कर पाते हैं।

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 17 किशोरावस्था की ओर

प्रश्न 5.
किशोरावस्था, बाल्यावस्था से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर-
मानव जीवन की दूसरी अवस्था को बाल्यावस्था कहा जाता है जिसकी अवधि 6 वर्ष से 11 वर्ष होती है । इस अवस्था में सीखने की सबसे अधिक क्षमता होती है। इस अवस्था में बच्चे काफी क्रियाशील होते हैं जो कि उनके नटखट तथा जिज्ञासा को प्रदर्शित करता है। इस अवस्था में बालक लगभग सभी सामाजिक क्रियाकलापों को समझने तथा सीखने में आगे रहते हैं।

दूसरी तरफ मानव जीवन की तीसरी अवस्था किशोरावस्था होती है जो कि सभी अवस्थाओं में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस अवस्था में बालक तथा बालिकाओं की शारीरिक बनावट में परिवर्तन, वृद्धि एवं विकास साफ-साफ दिखाई पड़ता है। इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप जनन परिपक्वता आती है। इसी अवस्था में मानव प्रजनन की योग्यता को प्राप्त कर लेते हैं। यौनारम्भ किशोरावस्था में ही होता है और जनन अंगों में वृद्धि होती है। लड़कों में मूंछ, दाढी निकलती है और लड़कियों का स्तन विकसित होता है। जनन परिपक्वता के साथ ही किशोरावस्था समाप्त हो जाती है।

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प्रश्न 6.
बेहतर सेहत के लिए आप क्या करते हैं?
उत्तर-
व्यक्ति का शारीरिक एवं मानसिक रूप से विसंगत मुक्त होना उस व्यक्ति का स्वास्थ्य कहलाता है। इस विसंगति से बचने के लिए शरीर के प्रत्येक अंग को ऊर्जा की आवश्यकता होती है और यह ऊर्जा हमें भोजन

से प्राप्त होती है। परन्तु यह ध्यान रहे कि किसी भोज्य पदार्थ की अधिकता यानि किसी भाज्य पदार्थ को अधिक सेवन नहीं करना चाहिए और न ही किसी भोज्य पदार्थ (पौष्टिक पदार्थ) का कम-से-कम सेवन करना चाहिए इस प्रकार बेहतर

सेहत के लिए हमें संतुलित आहार लेना चाहिए। जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन, वसा एवं खनिजों की पर्याप्त मात्रा हो । इसके अलावे साफ-सफाई एवं नियमित व्यायाम आवश्यक है। समय के अनुसार सोना, जगना, पढ़ना-खेलना, खाना इत्यादि होना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण है पानी की साफ-सफाई यानि. प्रत्येक व्यक्ति को स्वच्छ पानी तथा अधिक से अधिक पानी ग्रहण करना चाहिए।

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 15 जन्तुओं में प्रजनन

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अभ्यास

1. सही विकल्प पर (✓) निशान लगाइए

(क) जीवों में निरन्तरता के लिए आवश्यकता है
(i) पाचन
(ii) श्वसन
(iii) प्रजनन
(iv) संचरण
उत्तर-
(iii) प्रजनन

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(ख) अलैंगिक प्रजनन में भाग लेते हैं
(i) दो जीव
(ii) तीन जीव
(iii) कोई जीव नहीं
(iv) एक जीव
उत्तर-
(iv) एक जीव

(ग) लैंगिक प्रजनन में भाग लेते हैं
(i) दो नर जीव
(ii) एक नर एवं एक मादा अथवा एक उभयलिंगी
(iii) दो मादा जीव
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ii) एक नर एवं एक मादा अथवा एक उभयलिंगी

(घ) आंतरिक निषेचन होता है
(i) मादा शरीर के बाहर
(ii) नर शरीर के बाहर
(iii) मादा शरीर के अन्दर
(iv) नर शरीर के अन्दर
उत्तर-
(iii) मादा शरीर के अन्दर

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(ङ) मादा जननांग है
(i) वृषण
(ii) गर्भाश्य
(iii) शिश्न
(iv) शुक्रवाहिनी
उत्तर-
(ii) गर्भाश्य

2. सत्य कथन के सामने (✓) तथा असत्य कथन के सामने (✗) का चिह्न लगाइए-
उत्तर-

  1. अमीबा मुकुलन द्वारा प्रजनन करता है। – (✗)
  2. मेढ़क में बाह्य निषेचन होता है। – (✓)
  3. अलैंगिक प्रजनन की क्रिया में निषेचन होता है। – (✗)
  4. शुक्राणु नर युग्मक है। – (✓)
  5. अण्डाशय से शुक्राणु निकलते हैं। – (✗)

प्रश्न 3.
प्रजनन से क्या समझते हैं ?
उत्तर-
सजीवों में अपनी जैसी संतति उत्पन्न करने के लक्षण पाए जाते हैं अपने वंशवृद्धि एवं जाति की निरंतरता बनाए रखने के लिए सभी जीव एक विशेष क्रिया करते हैं जिसे ‘प्रजनन’ कहते हैं।

यानि अपनी जाति या वंश की निरंतरता को बनाए रखने के लिए प्रत्येक जीवधारी अपने ही समान जीवों को पैदा करता है। जीवों में होने वाली इस क्रिया को जनन या प्रजनन कहते हैं। जीवों के प्रजनन में भाग लेने वाले अंगों को प्रजनन अंग तथा एक जीव के सभी प्रजनन अंगों को सम्मिलित रूप से प्रजनन तंत्र कहते हैं। प्रजनन की दो विधियाँ हैं….

  1. अलैंगिक प्रजनन
  2. लैंगिक प्रजनन

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 15 जन्तुओं में प्रजनन

प्रश्न 4.
अलैंगिक प्रजनन तथा लैंगिक प्रजनन में विभेद समझाइए।
उत्तर-
प्रजनन की दो विधियाँ हाती हैं-

  1. अलैंगिक प्रजनन
  2. लैंगिक प्रजनन ।

अपनी जाति या वंश की निरंतरता बनाए रखने के लिए एक ही जनक द्वारा प्रजनन की क्रिया सम्पन्न होती है। इस क्रिया में प्रजनन अंग की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

परिपक्व हाइड्रा के शरीर में एक या अधिक उभार दिखाई देती है यह मुकुल होता हे मुकुल विकसित होता हुआ संतति हे। यह परिपक्व होकर जनक हाइड्रा से विलग हो जाता है। अलैंगिक प्रजनन की यह विधि मुकुलन कहलाता है। अलैंगिक प्रजनन में कोई एक जीव विभाजित होकर दो संतति उत्पन्न करता है। “द्विखंडन” कहलाता है। यह प्रक्रम अमीबा में होता है।

प्रजनन की वह विधि जिसमें नर एवं मादा दोनों के जननांग भाग लेते हैं। उसे लैंगिक प्रजनन कहते हैं। मानव प्रजनन लैंगिक प्रजनन का उदाहरण है। इस प्रजनन में पुरुष के जननांग तथा मादा के जननांग भाग लेते हैं। लैंगिक प्रजनन में नरयुग्मक तथा मादा युग्मक संलयित होते हैं।

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प्रश्न 5.
आंतरिक निषेचन तथा बाह्य निषेचन में अन्तर बताइए।
उत्तर-
शुक्राणु और अण्डाणु लैंगिक प्रजनन के द्वारा निषेचित होकर या संलयित होकर मादा गर्भाशय में रोपित हो जाता है। यानि निषेचन की क्रिया जब मादा शरीर के अन्दर होती है, तब निषेचन, आंतरिक निषेचन कहलाता है।

मछली, मेढ़क इत्यादि जलीय जीव जल में एक बार में सैकड़ों अण्डे देती है। ये अण्डे जेली जैसी परत से बंधे रहते हैं। मादा जैसे ही अण्डे देती है। उसी समय नर मेढ़क शुक्राणुओं को जल में छिड़क देता है। शुक्राणु तैरते हुए अण्डों से जा मिलते हैं। इस तरह अण्डे निषेचित हो जाते हैं। जल में सभी अण्डे निषेचित नहीं हो पाते हैं। यानि अण्डाण एवं शुक्राण का निषेचन जब मादा के शरीर के अन्दर नहीं होता है तो ऐसे निषेचन को बाह्य निषेचन कहते हैं।

प्रश्न 6.
शिशु के लिंग निर्धारण का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
मानव कं प्रत्येक कोशिकाओं में 23 जोड़ा अर्थत् 46 गुणसूत्र होते हैं। जिनमें से 22 जोड़े अर्थात् 44 गुणसूत्र पुरुष तथा स्त्रियों में समान प्रकृति के होते हैं और संतति में रंग, लम्बाई एवं शारीरिक बनावट के लिए उत्तरदायी होते हैं। 23वाँ जोड़ा अर्थात् दो गुणसूत्र इससे भिन्न प्रकृति के होते हैं। ये गुणसूत्र पुरुष में XY तथा स्त्री में XX के रूप में पहचाने जाते हैं और यही गुणसूत्र लिंग निर्धारण के लिए उत्तरदायी होते हैं। शुक्राणु में X तथा Y दो प्रकार के लिंग गुणसूत्र होते हैं जबकि अण्डाणुओं में केवल X प्रकार – के ही गुणसूत्र पाए जाते हैं। यदि Y गुणसूत्र वाले शुक्राणु तथा अण्डाणु (X गुणसूत्र) के साथ निषेचित होते हैं तो युग्मनज XY प्रकृति की होगी और नवजात शिशु लड़का होगा। जबकि X गुणसूत्र वाले शुक्राणु के साथ निषेचन होने पर युग्मनज Xx प्रकृति की होगी और नवजात शिशु लड़की होगी।

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प्रश्न 7.
क्या होगा यदि शुक्राणु के अंडाणु से नहीं मिलने दिया जाए।
उत्तर-
सजीवों में अपनी जैसी संतति । शिशु उत्पन्न करने के लक्षण पाए जाते हैं। अपने वंश वृद्धि एवं जाति की निरंतरता बनाए रखने के लिए प्रत्येक जीवधारी एक विशेष क्रिया करते हैं जिसे प्रजनन कहते हैं। प्रजनन की प्रक्रिया में अण्डाणु तथा शुक्राणु आपस में निषेचित होकर शिशु के जन्म देता है। यदि शक्राणु को अंडाणु से मिलने नहीं दिया जाए तो इस सजीव जगत का धीरे-धीरे समाप्ति हो जाएगा। सभी जीव विलुप्त हो जाएँगे। सृष्टि का नामोनिशान मिट जाएगा।

प्रश्न 8.
क्या शिशु के लिंग निर्धारण के लिए स्त्री उत्तरदायी है। यदि नहीं, तो समाज एवं परिवार में लोगों को आप कैसे समझाएँगे?
उत्तर-
पुरुष में XY प्रकृति के गुणसूत्र पाए जाते हैं। जबकि स्त्री में xx प्रकृति के गुणसूत्र पाए जाते हैं। यही गुणसूत्र लिंग निर्धारण के लिए उत्तरदायी होते हैं। शुक्राणु में X तथा Y दो प्रकार के लिंग गुणसूत्र होते हैं। जबकि अण्डाणु में केवल X प्रकार के ही गुणसूत्र होते हैं। यदि Y गुणसूत्र वाले शुक्राणु तथा अण्डाणु (X गुणसूत्र) के साथ निषेचित होते हैं तो युग्मनज XY प्रकृति की होगी और नवजात शिशु लड़का होगा जबकि X गुणसूत्र वाले शुक्राणु के साथ निपचन होने पर युग्मनज XX प्रकृति की होगी और नवजात शिशु लड़की होगी। इस प्रकार, लिंग निर्धारण में स्त्री उत्तरदायी नहीं होती है। समाज और परिवार में लोगों को इसी प्रकार समझाएँगे।

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 13 तारे और सूर्य का परिवार

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 13 तारे और सूर्य का परिवार Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 13 तारे और सूर्य का परिवार

Bihar Board Class 8 Science तारे और सूर्य का परिवार Text Book Questions and Answers

अभ्यास

1. रिक्त स्थानों को भरें

  1. शूटिंग स्टार वास्तव में ………… नहीं है।
  2. तारों क ऐसे समूहों को जो कोई पैटर्न बनाता है ………. कहते हैं।
  3. सूर्य से सबसे अधिक दूरी वाला ग्रह …………… है।
  4. वर्ण में हल्का लाल प्रतीत होने वाला ग्रह ……….. है।
  5. क्षुद्र ग्रह …..तथा …….. की कक्षाओं के बीच पाए जाते हैं।

उत्तर-

  1. तारा
  2. तारामण्डल
  3. यूरेनस
  4. मंगल
  5. मंगल, वृहस्पति ।

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2. स्तम्भ A के शब्दों का स्तम्भ-B के एक या अधिक पिंड या पिंडों के समूह से उपयुक्त मिलान कीजिए-

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 13 तारे और सूर्य का परिवार 1

उत्तर-
(a) – (c)
(b) – (d)
(c) – (f)
(d) – (b)
(e) – (f)

प्रश्न 3.
सौर परिवार के सबसे बड़े तथा सबसे छोटे ग्रह का नाम लिखिए।
उत्तर-
सौर परिवार के सबसे बड़े ग्रह वृहस्पति एवं सबसे छोटा ग्रह बुध है।

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प्रश्न 4.
क्या आकाश में सारे तारे गति करते हैं ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
नहीं, आकाश में सारे तारे गति नहीं करते हैं। क्योंकि आकाश में रात में लगभग दो घंटे तक प्रेक्षण करने से पता चलता है कि कुछ तारे का स्थान तथा दिशा लगभग एक ही होता है तो कुछ तारे पूर्व से पश्चिम की ओर गति करते प्रतीत होते हैं। कोई तारा जो सूर्यास्त होते ही पूर्व में उदय होता है। सामान्यतः सूर्योदय से पहले ही पश्चिम में अस्त हो जाता है।
इस प्रकार स्पष्ट होता है कि कुछ तारे का स्थान आकाश में निश्चित होता है यानि वे गति नहीं करते हैं तो कुछ तारे पूर्व से पश्चिम की ओर गति करते हैं।

प्रश्न 5.
तारों के बीच की दूरियों के प्रकाश वर्ष में व्यक्त किया जाता है। कोई तारा पृथ्वी से 8 प्रकाश वर्ष दर है । इस कथन का क्या तात्पर्य
उत्तर-
तारों के बीच की दूरियाँ इतनी अधिक होती हैं कि इसे पढ़ना या लिखना या बोलना आसान नहीं होता है। सूर्य पृथ्वी से लगभग 15 करोड़ किलोमीटर दूर है। कुछ तारे इससे भी अधिक दूर है। अतः अपनी सुविधा के लिए दूरी मापन के लिए एक बड़े पैमाना का प्रयोग किया गया जो प्रकाश वर्ष कहलाया। एक प्रकाश द्वारा एक वर्ष में तय की गई दूरी को एक प्रकाश वर्ष कहते हैं। जबकि प्रकाश की चाल 300,000 किमी./सेकेण्ड है। कोई तारा पृथ्वी से 8 प्रकाश वर्ष दूर है। इसका मतलब प्रकाश एक वर्ष में जितनी दूरी तय करती है उसके 8 गुना के बराबर दूरी है ।

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प्रश्न 6.
ग्रहों के परिक्रमा का आरेख खींचिए जिसमें सूर्य के चारों ओर
परिक्रमा करते ग्रहों को दर्शाया गया हो।
उत्तर-
Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 13 तारे और सूर्य का परिवार 2

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 10 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

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BSEB Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 10 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

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अभ्यास

प्रश्न 1.
रित्न स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. किसी विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित होने पर ………….. प्रभाव उत्पन्न होता है।
  2. वांछित धातु को किसी पदार्थ पर निक्षेपित करना ………….. कहलाता है।
  3. नमक मिल जल में विद्युत धारा प्रवाहित होने पर ऑक्सीजन ………….. टर्मिनल पर और हाइड्रोजन ………….. टर्मिनल पर मिलता है।
  4. विद्युत चालन करने वाला अधिकांश द्रव ………….. ,………….  और ………… के विलयन होते हैं।

उत्तर-

  1. रासायनिक प्रभाव
  2. विद्युत लेपन
  3. धन, ऋण
  4. अम्ल, क्षार, लवण ।

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 10 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

प्रश्न 2.
चिल में दिए गए द्रव में टेस्टर परीक्षित का तार डालने पर बल्ब नहीं जलता पर चुम्बकीय सुई विच्छेदित होती है । इसका क्या कारण है। व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
दिए गए द्रव में टेस्टर परीक्षित का तार डालने पर बल्ब नहीं जलता है क्योंकि द्रव विद्युत का हीन चालक है। जब टेस्टर के खुले तार एक-दूसरे को न छूते हों परन्तु नजदीक हों तो चुम्बकीय सूई विच्छेदित हो सकती है। हमलोगों को मालूम कि इन दोनों सिरों के बीच हवा है जो विद्युत का होना चालक है पर नमी बढ़ जाने या विभव बढ़ जाने पर यह सुचालक की तरह कार्य करने लगता है।

प्रश्न 3.
क्या शुद्ध जल विद्युत का चालन करता है। यदि नहीं तो इसे – चालक बनाने के लिए क्या करना होगा?
उत्तर-
शुद्ध जल. विद्युत का चालन नहीं करता है। क्योंकि शुद्ध जल में किसी भी तरह का लवण नहीं पाए जाते हैं। यही कारण है कि यह विद्युत का चालन नहीं करता है। शुद्ध जल में नमक मिला देने से यह विद्युत का चालन बन जाता है।

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 10 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव

प्रश्न 4.
अपने आसपास दिखने वाले विद्युतलेपित वस्तुओं की सूची निम्न प्रकार बनाइए।
उत्तर-
Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 10 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव 1

प्रश्न 5.
क्या तेज वर्षा के समय लाइनमैन के लिए बाहरी मुख्य लाइन की तारों की मरम्मत कला सुरक्षित होगा?
उत्तर-
तेन वर्ग के समय लाइनमैन के लिए बाहरी मुख्य लाइन के तारों, की मरम्मत करना सुरक्षित नहीं होगा। क्योंकि वर्षा में तड़ित भी एक अनावेशित पिण्ड होता है और यह तार, घोल सब ओर आकर्षित होता है।

इतना ही नहीं भींगी वायु भी विद्युत का सुचालक होता है। वर्षा की धार भी विद्युत् का सुचालक होता है । सीढ़ी भी भीग जाने पर विद्युत का सुचालक हो जाता है। परिणामस्वरूप किसी दुर्घटना घटने की संभावना बनी रहती है।

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् संस्कृत-सम्भाषणम्

Bihar Board Class 8 Sanskrit Book Solutions Amrita Bhag 3 व्याकरणम् संस्कृत-सम्भाषणम्

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् संस्कृत-सम्भाषणम्

BSEB Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् संस्कृत-सम्भाषणम्

  1. सुप्रभातम् = सुप्रभात (Good Morning)
  2. प्रणमामि नमस्ते/नमस्कारः = नमस्ते, प्रणाम
  3. शुभरात्रिः = शुभरात्रि (Good-night)
  4. धन्यवादाः = धन्यवाद
  5. अस्तु/आम् = जो हाँ / ठीक है
  6. स्वागतम् = स्वागत
  7. चिन्तामास्तु = कोई बात नहीं
  8. क्षम्यताम् = क्षमा करें
  9. अथ किम् ? = और क्या ?
  10. भवतु = जी!
  11. आगच्छतु = आइए
  12. उपविशतु = बैठिए
  13. किम् अन्यत् ? = और क्या?
  14. तथैव अस्तु = जी हाँ । ऐसा ही हो
  15. भवत: नाम किम् ? = आपका (पुं.) नाम क्या है?
  16. मम नाम रोहितः अस्ति = मेरा नाम रोहित है।
  17. भवत्याः नाम किम् ? = आपका (स्त्री.) नाम क्या है ?
  18. मम नाम शाम्भवी = मेरा नाम शाम्भवी है।
  19. आगच्छानि महोदय ? = श्रीमान्, क्या मैं आऊँ?
  20. स्वैरम् आगच्छ = सहर्ष आ जाओ
  21. जलं पातुं गच्छानि किम् = क्या मैं जल पीन जाऊँ?
  22. त्वं कस्मिन् विद्यालये पठसि ? = तुम किस विद्यालय में पढ़ते हो?
  23. अहं मध्यविद्यालय पठामि = मैं मध्यविद्यालय में पढ़ता हूँ।
  24. त्वं कस्यां कक्षायां पठसि? = तुम किस कक्षा में पढते हो?
  25. अहं अष्टमकक्षायां पठामि = मैं आठवीं कक्षा में पढ़ता हूँ।
  26. तव विद्यालये कति शिक्षकाः सन्ति ? = तुम्हारे विद्यालय में कितने.. शिक्षक हैं?
  27. मम विद्यालये दश शिक्षकाः सन्ति= मेरे विद्यालय में दस शिक्षक हैं।
  28. तव पितुः नाम किम् ? = तुम्हारे पिता का क्या नाम है ?
  29. मम पितुः नाम श्रीरविदासः अस्ति = मेरे पिता का नाम श्री रविदास है।
  30. इदानीं कः समयः ? = इस समय क्या बजा है?
  31. इदानीं त्रिवादनम् अस्ति = अभी तीन बजे हैं।
  32. अहं सपादत्रिवादने गमिष्यामि = मैं सवा तीन बजे जाऊँगा।
  33. पादोन-षड्वादने जलपानं करिष्यामि = पौने छह बजे जलपान करूँगा।
  34. सार्ध-नववादने विद्यालयं गमिष्यामि = साढ़े नव बजे विद्यालय जाऊँगा।
  35. सोमवासरे कः दिनाङ्कः भविष्यति ? = सोमवार को कौन-सी तिथि (तारीख) होगी?
  36. सोमवासरे पञ्चदश दिनाङ्कः अस्ति = सोमवार को पन्द्रह तारीख है।
  37. एकविंशतिदिनाङ्के कः वासरः ? = इक्कीस तारीख को कौन सा वार (दिन) होगा?
  38. एकविंशतिदिनाङ्के रविवासरः भविष्यति इक्कीस तारीख को रविवार होगा।

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् संस्कृत-सम्भाषणम्

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूपाणि

Bihar Board Class 8 Sanskrit Book Solutions Amrita Bhag 3 व्याकरणम् धातुरूपाणि

BSEB Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूपाणि

दृश् – देखना (परस्मैपदी)
लट्लकारः (वर्तमानकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – पश्यति – पश्यतः – पश्यन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – पश्यसि – पश्यथः – पश्यथ
  3. उत्तमपुरुष: – पश्यामि – पश्यावः – पश्यामः ।

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूपाणि

लुट्लकारः (सामान्य भविष्यत्काल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – द्रक्ष्यति – द्रक्ष्यतः – द्रक्ष्यन्ति
  2. मध्यमपुरुष: – द्रक्ष्यसि – द्रक्ष्यथः – द्रक्ष्यथ
  3. उत्तमपुरुष: – द्रक्ष्यामि – द्रक्ष्यावः – द्रक्ष्यामः

ललकारः (अनद्यतन भूतकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – अपश्यत् – अपश्यताम् – अपश्यन्
  2. मध्यमपुरुष: – अपश्यः – अपश्यतम् – अपश्यत
  3. उत्तमपुरुषः – अपश्यम् – अपश्याव – अपश्याम

लोट्लकारः (आदेशवाचक)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – पश्यतु – पश्यताम् – पश्यन्तु
  2. मध्यमपुरुषः – पश्य – पश्यतम् – पश्यत
  3. उत्तमपुरुषः – पश्यानि – पश्याव – पश्याम

विधिलिङ्लकारः (चाहिए अर्थ में)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – पश्येत् – पश्येताम् – पश्येयुः
  2. मध्यमपुरुषः – पश्ये: – पश्येतम् – पश्येत
  3. उत्तमपुरुषः पश्ययम् पश्येव पश्येम

याच् – माँगना (परस्मैपदी)
लट्लकारः (वर्तमानकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – याचति – याचतः – याचन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – याचथः – याचथ – उनमपुरुषः
  3. उत्तमपुरुषः – याचामि – याचावः – याचाम:

लुट्लकारः (सामान्य भविष्यत्काल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – याचिष्यति – याचिष्यतः – याचिष्यन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – याचिष्यसि – याचिष्यथः – याचिष्यथ
  3. उत्तमपुरुषः – याचिष्यासि – याचिष्याव: – याचिष्यामः

लङ्लकारः (अनद्यतन भूतकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. अयाचताम् – अयाचन् – अयाचतम् – अयाचन्
  2. मध्यमपुरुष: – अयाचः – अयाचतम् – अयाचत
  3. उत्तमपुरुष: – अयाचम् – अयाचाव – अयाचाम

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूपाणि

लोट्लकारः (आदेशवाचक)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – याचतु – याचताम् – याचन्तु
  2. मध्यमपुरुषः – याच – याचतम् – याचत
  3. उत्तमपुरुषः – याचानि – याचाव – याचाम्

विधिलिङ्लकारः (चाहिए अर्थ में)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – याचेत् – याचेताम् – याचेयुः
  2. मध्यमपुरुष: – याचेः – याचेतम् – याचेत
  3. उत्तमपुरुषः – याचेयम् – याचेव – याचम

या – गाना (परस्मैपदी)
लट्लकारः (वर्तमानकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – याति – यातः – यान्ति
  2. मध्यमपुरुषः – यासि – याथ: – याथ
  3. उत्तमपुरुषः – यामि – याव: – यामः

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूपाणि

लट्लकारः (भविष्यत्काल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – यास्यति – यास्यतः – यास्यन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – यास्यसि – यास्यथः – यास्यथ
  3. उत्तमपुरुषः – यास्यामि – यास्यावः – यास्यामः

ललकारः (भूतकाल)

पुरुषः – एकवचनम्। – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – अयात् – अयाताम् – अयान्, – अयुः
  2. मध्यमपुरुषः – अया: – अयातम् – अयात
  3. उत्तमपुरुषः – अयाम् – अयाव – अयाम

लोट्लकारः (आदेशवाचक)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – यातु – याताम् – यान्तु
  2. मध्यमपुरुषः – याहि – यातम् – यात
  3. उत्तमपुरुषः – यानि – याव – याम

विधिलिङ्लकारः (चाहिए अर्थ में)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – यायात् – यायाताम् – यायुः
  2. मध्यमपुरुषः – यायाः – यायातम् – यायात
  3. उत्तमपुरुषः – यायाम् – यायाव – यायाम

दिव् – चमकना, जुआ खेलना (परस्मैपदी)
लट्लकारः (वर्तमानकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – दीव्यति – दीव्यतः – दीव्यन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – दीव्यसि – दीव्यथः – दीव्यथ
  3. उत्तमपुरुष: – दीव्यामि – दीव्यावः – दीव्यामः

लुट्लकारः (भविष्यत्काल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – देविष्यति – देविष्यतः – देविष्यन्ति
  2. मध्यमपुरुष: – देविष्यसि – देविष्यथः – देविष्यथ
  3. उत्तमपुरुष: – देविष्यामि – देविष्याव: – देविष्यामः

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूपाणि

लङ्लकारः (भूतकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुष: – अदीव्यत् – अदीव्यताम् – अदीव्यन्
  2. मध्यमपुरुष: – अदीव्यः – अदीव्यतम् – अदीव्यत
  3. उत्तमपुरुष: – अदीव्यम् – अदीव्याव – अदीव्याम

लोट्लकारः (आदेशवाचक)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – दीव्यतु – ‘दीव्यताम् – दीव्यन्तु
  2. मध्यमपुरुषः – दीव्य – दीव्यतम् – दीव्यत
  3. उत्तमपुरुषः – दीव्यानि – दीव्याव – दीव्याम

विधिलिङ्लकारः (चाहिए अर्थ में)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – दीव्येत् – दीव्येताम् – दीव्येयुः
  2. मध्यमपुरुषः – दीव्ये – दीव्यतम् – दीव्येत
  3. उत्तमपुरुष: – दीव्येयम् दीव्येव – दीव्येम

आप – प्राप्त करना (परस्मैपदी)
लट्लकारः (वर्तमानकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुष: – आप्नोति – आप्नुतः – आप्नुवन्ति
  2. मध्यमपरुषः – आप्नोषि – आप्नुथः – आप्नुथ
  3. उत्तमपुरुषः – आप्नोमि – आप्नुवः – आप्नुमः

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूपाणि

लुट्लकारः (भविष्यत्काल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – आप्स्यति – आप्स्यतः – आप्स्यन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – आप्स्यसि – आप्स्यथः – आप्स्यथ
  3. उत्तमपुरुषः – आप्स्यामि – आप्स्यावः – आप्स्यामः

लङ्लकारः (भूतकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – आप्नोत् – आप्नुताम् – आप्नुवन्
  2. मध्यमपुरुषः – आप्नाः – आप्नुतम् – आप्नुत
  3. उत्तमपुरुषः – आप्नुवम् – आप्नुव – आप्नुम

लोट्लकार:

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – आप्नोतु – आप्नुताम् – आप्नुवन्तु
  2. मध्यमपुरुषः – आप्नुहि – आप्नुतम् – आप्नुत.
  3. उत्तमपुरुषः – आप्नवानि – आप्नवाव – आप्नवाम

विधिलिङ्लकारः (चाहिए अर्थ में)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – आप्नुयात् – आप्नुयाताम् – आप्नुयुः
  2. मध्यमपुरुषः – आप्नुयाः – आप्नुयातम् – आप्नुयात
  3. उत्तमपुरुषः – आप्नुयाम् – आप्नुयाव – आप्नुयाम

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूपाणि

इष् – इच्छा करना (परस्मैपदी)
लट्लकारः (वर्तमानकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – इच्छति इच्छतः – इच्छन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – इच्छसि – इच्छथः – इच्छथ
  3. उत्तमपुरुषः – इच्छामि – इच्छावः – इच्छामः

लट्लकारः (भविष्यत्काल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – एषिष्यति – एषिष्यतः – एषिष्यन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – एषिष्यसि – एषिष्यथः – एषिष्यथ
  3. उत्तमपुरुषः – एषिष्यामि – एषिष्याव: – एषिष्याम:

लङ्लकारः (भूतकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – ऐच्छत् – ऐच्छताम् – ऐच्छन्
  2. मध्यमपुरुषः – ऐच्छः – ऐच्छतम् – ऐच्छत
  3. उत्तमपुरुषः – ऐच्छम् – ऐच्छाव – ऐच्छाम

लोट्लकारः (आदेशवाचक)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – इच्छतु – इच्छताम् – इच्छन्तु
  2. मध्यमपुरुष: – इच्छ – इच्छतम् – इच्छत –
  3. उत्तमपुरुषः – इच्छानि – इच्छाव – इच्छाम ।

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूपाणि

विधिलिङ्लकारः (चाहिए अर्थ में)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – इच्छेत् – इच्छेताम् – इच्छेयुः
  2. मध्यमपुरुषः – इच्छेः – इच्छेतम् – इच्छेत
  3. उत्तमपुरुषः – इच्छेयम् – इच्छेव – इच्छेम

प्रच्छ्-पूछना (परस्मैपदी)
लट्लकारः (वर्तमानकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – पृच्छति – पृच्छतः – पृच्छन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – पृच्छसि – पृच्छथः – पृच्छथ
  3. उत्तमपुरुषः – पृच्छामि – पृच्छावः – पृच्छामः

लुट्लकारः (भविष्यत्काल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – प्रक्ष्यति – प्रक्ष्यथः – प्रक्ष्यति
  2. मध्यमपुरुषः – प्रक्ष्यसि – प्रक्ष्यथः – प्रक्ष्यथ –
  3. उत्तमपुरुषः – प्रक्ष्यामि – प्रक्ष्याव: प्रक्ष्यामः

लङ्लकारः (भूतकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – अपृच्छत् – अपृच्छताम् – अपृच्छन्
  2. मध्यमपुरुषः – अपृच्छः – अपृच्छतम् – अपृच्छत
  3. उत्तमपुरुषः – अपृच्छम् – अपृच्छाव – अपृच्छाम

लोट्लकारः (आदेशवाचक)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – पृच्छतु – पृच्छताम् – पृच्छन्तु
  2. मध्यमपुरुषः – पृच्छ – पृच्छतम् – पृच्छत
  3. उत्तमपुरुषः – पृच्छानि – पृच्छाव – पृच्छाम

विधिलिङ्लकारः (चाहिए अर्थ में)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – पृच्छेत् – पृच्छेताम् – पृच्छेयुः
  2. मध्यमपुरुषः – पृच्छेः – पृच्छेतम् – पृच्छेत.
  3. उत्तमपुरुषः – पृच्छेयम् – पृच्छेव – पृच्छेम

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूपाणि

क्री-खरीदना (परस्मैपदी)
लट्लकार

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – क्रीणाति – क्रीणीतः – क्रीणन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – क्रीणासि – क्रीणीथः – क्रीणीथ.
  3. उत्तमपुरुषः – क्रीणामि – क्रीणीवः – क्रीणीमः

लट्लकारः (भविष्यत्काल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – ऋष्यति – क्रेष्यतः – क्रष्यन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – ऋष्यसि – क्रेष्यथः – क्रष्यथ
  3. उत्तमपुरुषः – ऋष्यामि – ऋष्यावः – ऋष्यामः

लङ्लकारः (भूतकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – अक्रीणात् – अक्रीणीताम् – अक्रीणन्
  2. मध्यमपुरुष: – अक्रीणाः – अक्रीणीतम् – अक्रीणीत
  3. उत्तमपुरुषः – अक्रीणाम् – अक्रीणीव – अक्रीणीम

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूपाणि

लोट्लकारः (आदेशवाचक)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – क्रीणातु – क्रीणीताम् – क्रीणन्तु
  2. मध्यमपुरुषः – क्रीणीहि – क्रीणीतम् – क्रीणीत
  3. उत्तमपुरुषः – क्रीणानि – क्रीणाव – क्रीणाम

विधिलिङ्लकारः (चाहिए अर्थ में)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – क्रीणीयात् – क्रीणीयाताम् – क्रीणीयुः
  2. मध्यमपुरुषः – क्रीणीयाः – क्रीणीयातम् – क्रीणीयात
  3. उत्तमपुरुषः – क्रीणीयाम् – क्रीणीयाव – क्रीणीयाम

चुर् – चोरी करना (परस्मैपदी)
लट्लकारः (वर्तमानकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – चोरयति – चोरयतः – चोरयन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – चोरयसि – चोरयथः – चोरयथ
  3. उत्तमपुरुषः – चोरयामि – चोरयावः – चोरयामः

लट्लकारः (सामान्य भविष्यत्काल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – चोरयिष्यति – चोरयिष्यतः – चोरयिष्यन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – चोरयिष्यसि – चोरयिष्यथः – चोरयिष्यथ
  3. उत्तमपुरुषः – चोरयिष्यामि – चोरयिष्याव: – चोरयिष्यामः

लङ्लकारः (अनद्यतन भूतकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – अचोरयत् – अचोरयताम् – अचोरयन्
  2. मध्यमपुरुषः – अचोरयः – अचोरयतम्. – अचोरयत
  3. उत्तमपुरुषः – अचोरयम् – अचोख्याव – अचोरयाम

लोट्लकारः (आदेशवाचक)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – चोरयतु – चोरयताम् – चोरयन्तु
  2. मध्यमपुरुषः – चोरय – चोरयतम् – चोरयत
  3. उत्तमपुरुषः – चोरयाणि – चोरयाव – चोरयाम

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूपाणि

विधिलिङ्लकारः (चाहिए अर्थ में)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – चोरयेत् – चोरयेताम् – चोरयेयुः
  2. मध्यमपुरुषः – चोरयः – चोरयेतम् – चोरयेत
  3. उत्तमपुरुषः – चोरयेयम् – चोरयेव – चोरयेम

चिन्त् – सोचना (परस्मैपदी)
लट्लकारः (वर्तमानकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – चिन्तयति -चिन्तयतः -चिन्तयन्ति
  2. मध्यमपुरुषः -चिन्तयसि – चिन्तयथः – चिन्तयथ
  3. उत्तमपुरुषः – चिन्तयामि – चिन्तयावः – चिन्तयामः

लट्लकारः (सामान्य भविष्यत्काल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – चिन्तयिष्यति – चिन्तयिष्यतः – चिन्तयिष्यन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – चिन्तयिष्यसि – चिन्तयिष्यथः – चिन्तयिष्यथ
  3. उत्तमपुरुषः – चिन्तयिष्यामि – चिन्तयिष्याव: – चिन्तयिष्यामः

लङ्लकारः (भूतकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – अचिन्तयत् – अचिन्तयताम् – अचिन्तयन्
  2. मध्यमपुरुषः – अचिन्तयः – अचिन्तयतम् – अचिन्तयत
  3. उत्तमपुरुष: – अचिन्तयम् – अचिन्तयाव – अचिन्तयाम

लोट्लकारः (आदेशवाचक)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – चिन्तयतु – चिन्तयताम् – चिन्तयन्तु
  2. मध्यमपुरुषः – चिन्तय – चिन्तयतम् – चिन्तयत
  3. उत्तमपुरुषः – चिन्तयानि – चिन्तयाव – चिन्तयाम

विधिलिङ्लकारः (चाहिए अर्थ में)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – चिन्तयेत् – चिन्तयेताम् – चिन्तयेयुः
  2. मध्यमपुरुषः – चिन्तयः – चिन्तयेतम् – चिन्तयेत
  3. उत्तमपुरुषः – चिन्तयेयम् – चिन्तयेव – चिन्तयेम

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूपाणि

पूज् – पूजा करना
लट्लकारः (वर्तमानकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – पूजयति – पूजयतः – पूजयन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – पूजयसि – पूजयथः – पूजयथ
  3. उत्तमपुरुषः – पूजयामि – पूजयावः – पूजयामः

लुट्लकारः (सामान्य भविष्यत्काल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – पूजयिष्यति – पूजयिष्यतः – पूजयिष्यन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – पूजयिष्यसि – पूजयिष्यथः – पूजयिष्यथ
  3. उत्तमपुरुषः – पूजयिष्यामि – पूजयिष्यावः – पूजयिष्यामः

लङ्लकारः (अनद्यतन भूतकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुष: – अपूजयत् – अपूजयताम् – अपूजयन्
  2. मध्यमपुरुषः – अपूजयः – अपूजयतम् – अपूजयत
  3. उत्तमपुरुष: -अपूजयम् अपूजयाव अपूजयाम

लोट्लकारः (आदेशवाचक)

पुरुषः – एकवचनम्। – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – पूजयतु – पूजयताम् – पूजयन्तु
  2. मध्यमपुरुषः – पूजय – पूजयतम् – पूजयत
  3. उत्तमपुरुषः – पूजयानि पूजयाव – पूजयाम

विधिलिङ्लकारः (चाहिए अर्थ में)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – पूजयेत् – पूजयेताम् – पूजयेयुः
  2. मध्यमपुरुषः – पूजये: – पूजयेतम् – पूजयेत
  3. उत्तमपुरुषः – पूजयेयम् – पूजयेव – पूजयेम

नम् – नमस्कार करना, झुकना (परस्मैपदी)
लट्लकारः (वर्तमानकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – नमति – नमतः – नमन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – नमसि – नमथः – नमथ
  3. उत्तमपुरुषः – नमामि – नमावः – नमामः

लुट्लकारः (सामान्य भविष्यत्काल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुष: – नस्यति – नस्यतः – नंस्यन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – नस्यसि – नंस्यथः – नस्यथ
  3. उत्तमपुरुषः – नस्यामि – नंस्यावः – नस्यामः

लङ्लकारः (अनद्यतन भूतकाल)

पुरुषः – एकवचनम्। – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – अनमत् – अनमताम् – अनमन्
  2. मध्यमपुरुष: – अनमः – अनमतम् – अनमत
  3. उत्तमपुरुषः – अनमम् – अनमाव – अनमाम

लोट्लकारः (आदेशवाचक)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुष: – नमतु – नमताम् – नमन्तु
  2. मध्यमपुरुषः – नम – नमतम् – नमत
  3. उत्तापुरुष – नमानि – नमाव – नमाम

विधिलिङ्लकारः (चाहिए अर्थ में)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – नमेत् – नमेताम् – नमेयुः
  2. मध्यमपुरुषः – नमः – नर्मतम् – नमेत
  3. उत्तमपुरुषः – नमेयम् – नमेव – नर्मम

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूपाणि

घ्रा (जिघ्र ) – सूंघना
लट्लकारः (वर्तमानकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – जिघ्रति – जिघ्रतः – जिघ्रन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – जिघ्रसि – जिघ्रथः – जिघ्रथ
  3. उत्तमपुरुषः – जिघ्रामि – जिघ्राव: – जिघ्राम:

लट्लकारः (सामान्य भविष्यत्काल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – घ्रास्यति – घ्रास्यतः – घ्रास्यन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – घ्रास्यसि – घ्रास्यथः – घ्रास्यथ
  3. उत्तमपुरुषः – घ्रास्यामि – घ्रास्यावः – घ्रास्यामः

लङ्लकारः (अनद्यतन भूतकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – अजिघ्रत् – अजिघ्रताम् – अजिघ्रन्
  2. मध्यमपुरुष: – अजिघ्रः – अजिघ्रतम् – अजिघ्रत
  3. उत्तमपुरुष: – अजिघ्रम् – अजिघ्राव – अजिघ्राम

लोट्लकारः (आदेशवाचक)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – जिघ्रतु – जिघ्रताम् – जिघ्रन्तु
  2. मध्यमपुरुषः – जिघ्र – जिघ्रतम् – जिघ्रत
  3. उत्तमपुरुषः – जिघ्राणि – जिघ्राव – जिघ्राम

विधिलिङ्लकारः (चाहिए अर्थ में)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – जिभ्रेत् – जिघ्रताम् – जिभ्रेयुः
  2. मध्यमपुरुषः – जिघ्रः – जिघ्रतम् – जिनेत
  3. उत्तमपुरुषः – जिघ्रयम् – जिव – जिभ्रेम

पा (पिब्) – पीना (परस्मैपदी)
लट्लकारः (वर्तमानकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – पिबति – पिबतः – पिबन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – पिबसि – पिबथः – पिबथ
  3. उत्तमपुरुषः – पिबामि – पिबावः – पिबामः

लुट्लकारः (सामान्य भविष्यत्काल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – पास्यति – पास्यतः – पास्यन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – पास्यसि – पास्यथः – पास्यथ
  3. उत्तमपुरुषः – पास्यामि – पास्याव: – पास्यामः

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूपाणि

लङ्लकारः (अनद्यतन भूतकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – अपिबत् – अपितबताम् – अपिबन्
  2. मध्यमपुरुषः – अपिबः – अपिबतम् – अपिबत
  3. उत्तमपुरुषः – अपिबम् – अपिबाव – अपिबाम

लोट्लकारः (आदेशवाचक)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – पिबतु – पिबताम् – पिबन्तु
  2. मध्यमपुरुषः – पिब – पिबतम् – पिबत
  3. उत्तमपुरुषः – पिबानि – पिबाव – पिबाम

विधिलिङ्लकारः (चाहिए अर्थ में)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – पिबेत् – पिबेताम् – पिबेयुः
  2. मध्यमपुरुषः – पिबेः – पिबेतम् – पिबेत
  3. उत्तमपुरुषः – पिबेयम् – पिबेव – पिबेम

नृत् (नृत्य) – नाचना (परस्मैपदी)
लट्लकारः (वर्तमानकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – नृत्यति – नृत्यतः – नृत्यनित
  2. मध्यमपुरुषः – नृत्यसि – नृत्यथ: – नृत्यथ
  3. उत्तमपुरुषः – नृत्यामि – नृत्यावः – नुत्यामः

लुट्लकारः (सामान्य भविष्यत्काल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – नर्तिष्यति – नर्तिष्यतः – नर्तिष्यन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – नर्तिष्यसि – नर्तिष्यथ: – नर्तिष्यथ
  3. उत्तमपुरुषः – नतिष्यामि – नर्तिष्याव: – नर्तिष्यामः

लङ्लकारः (अनद्यतन भूतकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – अनृत्यत् – अनृत्यताम् – अनृत्यन्
  2. मध्यमपुरुष: – अनृत्यः – अनृत्यतम् – अनृत्यत
  3. उत्तमपुरुष: – अनृत्यम् – अनृत्याव – अनृत्याम

लोट्लकारः (आदेशवाचक)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – नृत्यतु – नृत्यताम् – नृत्यन्तु
  2. मध्यमपुरुषः – नृत्य – नृत्यतम् – नृत्यत
  3. उत्तमपुरुषः – नृत्यानि – नृत्याव – नृत्याम

विधिलिङ्लकारः (चाहिए अर्थ में)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – नृत्येत् – नृत्येताम् – नृत्येयुः
  2. मध्यमपुरुषः – नृत्येः – नृत्येतम् – नृत्येत
  3. उत्तमपुरुषः – नृत्येयम् – नृत्येव – नृत्येम

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् धातुरूपाणि

हस् – हँसना (परस्मैपदी)
लट्लकारः (वर्तमानकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – हसति – हसतः – हसन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – हससि – असथः – हसथ
  3. उत्तमपुरुषः – हसामि – हसाव: हसामः

लुट्लकारः (सामान्य भविष्यत्काल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – हसिष्यति – हसिष्यतः – हसिष्यन्ति
  2. मध्यमपुरुषः – हसिष्यसि – हसिष्यथः – हसिष्यथ
  3. उत्तमपुरुषः – हसिष्यामि – हसिष्यावः – हसिष्यामः

लङ्लकारः (अनद्यतन भूतकाल)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – अहसत् – अहसताम् – अहसन्
  2. मध्यमपुरुषः – अहसः – अहसतम् – अहसत
  3. उत्तमपुरुषः – अहसम् – अहसाव – अहसाम

लोट्लकारः (आदेशवाचक)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – हसतु – हसताम् – हसन्तु
  2. मध्यमपुरुषः – हस – हसतम् – हसत
  3. उत्तमपुरुषः – हसानि – हसाव – हसाम

विधिलिङ्लकारः ( चाहिए अर्थ में)

पुरुषः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमपुरुषः – हसेत् – हसेताम् – हसेयुः
  2. मध्यमपुरुषः – हसेः – हसेतम् – हसेत
  3. उत्तभपुरुषः – हसेयम् – हसेव – हसेम

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूपाणि

Bihar Board Class 8 Sanskrit Book Solutions Amrita Bhag 3 व्याकरणम् शब्दरूपाणि

BSEB Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूपाणि

सखि (मित्र)

इकारान्त (पुंल्लिग)

विभक्तिः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमा – सखा – सखायौ – सखायः
  2. द्वितीया – सखायम् – सखायौ – सखीन्
  3. तृतीया – सखिभ् – याम् – सखिभिः
  4. चतुर्थी – सख्ये – सखिभ्याम् – सखिभ्यः
  5. पंचमी – सख्युः – सखिभ्याम् – सखिभ्यः
  6. षष्ठी – सख्युः – सख्योः – सखीनाम्
  7. सप्तमी – सख्यौ – सख्योः – सखिषु
  8. सम्बोधनम् – हे सखे! – हे सखायौ ! – हे सखायः

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूपाणि

मुनि  (भाई)

इकारान्त (पुंल्लिग)

विभक्तिः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमा – मुनिः – मुनी – मुनीन्
  2. द्वितीया – मुनिम् – मुनी – मुनीन्
  3. तृतीया – मुनिना – मुनिभ्याम् – मुनिभिः
  4. चतुर्थी – मुनये – मुनिभ्याम् – मुनिभ्यः
  5. पंचमी – मुनेः – मुनिभ्याम् – मुनिभ्यः
  6. षष्ठी – मुनेः – मुन्योः – मुनीनाम्
  7. सप्तमी – मुनौ – मुन्योः – मुनिषु
  8. सम्बोधनम् – हे मुने! – हे मुनी! – हे मुनयः

नोट : कवि, हरि, ऋषि, रवि, अग्नि, कपि (बन्दर), अरि (शत्रु) भूपति/नृपति (राजा) जलधि/उदधि (समुद्र), व्याधि (रोग) इत्यादि शब्दों के रूप मुनि के समान होते हैं।

पति (स्वामी, भर्ता)

इकारान्त (पुंल्लिग)

विभक्तिः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमा – पतिः – पति – पतयः
  2. द्वितीया – पतिम् – पती – पतीन्
  3. तृतीया – पतयः – पतिभ्याम् – पतिभिः
  4. चतुर्थी – पत्या – पतिभिः – पतिभ्यः
  5. पंचमी – पत्युः – पतिभ्याम् – पतिभ्यः
  6. षष्ठी – पत्युः – पत्यौः – पतीनाम्
  7. सप्तमी – पत्यौः – पत्योः – पतिषु
  8. सम्बोधनम् – हे पते ! – हे पती! – हे पतयः

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूपाणि

साधु
उकारान्त (पुंल्लिग)

विभक्तिः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमा – साधूः – साधू – साधवः
  2. द्वितीया – साधुम् – साधू – साधून्
  3. तृतीया – साधुना – साधुभ्याम् – साधुभिः
  4. चतुर्थी – साधवे – साधुभ्याम् – साधुभ्यः
  5. पंचमी – साधोः – साधुभ्याम् – साधुभ्यः
  6. षष्ठी – साधोः – साध्वोः – साधूनाम्
  7. सप्तमी – साधौ – साध्वोः – साधुषु
  8. सम्बोधनम् – हे साधो! – हे साधू ! – साधवः

नोट : गुरु, वायु, शम्भु, मृत्यु, भानु (सूर्य), बन्धु, तरु, ऋतु, शिशु, बहु (बहुत), विधु (चन्द्रमा) पशु आदि शब्दों के रूप साधु के समान होते हैं।

भ्रातृ (भाई)

ऋकारान्त (पुंल्लिग)

विभक्तिः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमा – भ्राता – भ्रातरौ – भ्रातरः
  2. द्वितीया – भ्रातरम् – भ्रातरौ – भ्रातृन्
  3. तृतीया – भ्रात्रा – भ्रातृभ्याम् – भ्रातृभिः
  4. चतुर्थी – भ्रात्रे – भ्रातृभ्याम् – भ्रातृभिः
  5. पंचमी – भ्रातुः – भ्रातृभ्याम् – भ्रातृभ्यः
  6. षष्ठी – भ्रातुः – भ्रात्रोः – भ्रातृणाम्
  7. सप्तमी – भ्रातरि। – भ्रात्रोः – भ्रातृषु
  8. सम्बोधनम् – हे भ्रातः! – हे भ्रातरौ ! – हे भ्रातरः !

नोट-पितृ (पिता), जामातृ (दामाद), देव (देवर), नृ (नर) आदि शब्दों के रूप भ्रातृ के समान होते हैं।

लता

आकारान्त (स्त्रीलिङ्ग)

विभक्तिः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमा – लता – लते – लताः
  2. द्वितीया – लताम् – लते – लताः
  3. तृतीया – लतया – लताभ्याम् – लताभिः
  4. चतुर्थी – लतायै – लताभ्याम् – लताभ्यः
  5. पंचमी – लतायाः – लताभ्याम् – लताभ्यः
  6. षष्ठी – लतायाः – लतयोः – लतानाम्
  7. सप्तमी – लतायाम् – लतयोः – लतासु
  8. सम्बोधनम् – हे लते! – हे लते! – हे लताः

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूपाणि

नोट : कन्या/सुता (बेटी), भार्या (पत्नी), कृपा, दया, सन्ध्या, निशा/क्षपा. (रात) नासिका (नाक), अजा (बकरी), पूजा, शय्या, महिला, सुधा (अमृत), कथा, कविता, रोटिका आदि शब्दों के रूप लता के समान होते हैं।

धेनु (दूध देनेवाली गाय)

उकारान्त (स्त्रीलिङ्ग)

विभक्तिः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमा – धेनुः – धेनू – धेनवः
  2. ‘द्वितीया – धेनुम् – धेनू – धेनूः
  3. तृतीया – धेन्वा – धेनुभ्याम् – धेनुभिः
  4. चतुर्थी – धेन्वै/धेनवे – धेनुभ्याम् – धेनुभ्यः
  5. पंचमी – धेन्वाः/धेनोः – धेनुभ्याम् – ‘धेनुभ्यः
  6. षष्ठी – धेन्वाः/धेनोः – धेन्वोः – धेनूनाम्
  7. सप्तमी – धेन्वाम्/धेनौ – धेन्वोः – धेनुषु.
  8. सम्बोधनम् – हे धेनो! – हे धेनू! – हे धेनवः!

नोट – तनु (शरीर), रेणु (धूल) इत्यादि शब्दों के रूप धेनु की तरह होते हैं।

मातृ (माता)

ऋकारान्त (स्त्रीलिङ्ग)

विभक्तिः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमा – माता – मातरौ – मातरः
  2. द्वितीया – मातरम् । – मातरौ – मातृः
  3. तृतीया – मात्रा – मातृभ्याम् – मातृभिः
  4. चतुर्थी – मात्रे – मातृभ्याम् – मातृभ्यः
  5. पंचमी – मातुः – मातृभ्याम् – मातृभ्यः
  6. षष्ठी – मातुः। – मात्रोः – मातृणाम्
  7. सप्तमी – मातरि – मात्रोः – मातृषु
  8. सम्बोधनम् – हे मातः! – हे मातरौ! – हे मातरः!

महत् (बड़ा)

पुँल्लिग

विभक्तिः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमा – महान् – महान्तौ – महान्तः
  2. द्वितीया – महान्तम् – महान्तौ – महतेः
  3. तृतीया – महतोः – महद्भ्याम् – महद्भिः
  4. चतुर्थी – महते – महद्भ्याम् – महद्भ्यः
  5. पंचमी – महतः – महद्भ्याम् – महद्भ्यः
  6. षष्ठी – महतः – महतोः – महताम्
  7. सप्तमी – महति – महतोः – महत्सु
  8. सम्बोधनम् – हे महान् ! – हे महान्तौ ! – हे महान्तः

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूपाणि

नोट : महत् का स्त्रीलिंङ्ग महती (बड़ी) के रूप नदी की तरह होता है।

नामन् (नाम)

क्लीवलिंग

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूपाणि 1

पयस् (जल)

क्लीवलिंग

विभक्तिः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमा – पयः – पयसी – पयासि
  2. द्वितीया – पयः – पयसी – पयासि
  3. तृतीया – पयसा – पयोभ्याम् – पयोभिः
  4. चतुर्थी – पयसे – पयोभ्याम् – पयोभ्यः
  5. पंचमी – पयसः – पयोभ्याम् – पयोभ्यः
  6. षष्ठी – पयसः – पयसोः – पयसाम्
  7. सप्तमी – पयसि – पयसोः – पयःसु पयस्सु
  8. सम्बोधनम् – हे पयः! – हे पयसी! हे – पयांसि

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूपाणि

नोट : दचस् (वाणी), नभस् (आकाश), सरस् (तालाब), वयस् (उम्र), मनस् आदि शब्दों के रूप पयस् के समान होते हैं।

कर्मन्

क्लीवलिंग

विभक्तिः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमा – कर्म – कर्मणी – कर्माणि
  2. द्वितीया – कर्म – कर्मणी – कर्माणि
  3. तृतीया – कर्मणा – कर्मभ्याम् – कर्मभिः
  4. चतुर्थी – कर्मणे – कर्मभ्याम् – कर्मभ्यः
  5. पंचमी – कर्मण: – कर्मभ्याम् – कर्मभ्यः
  6. षष्ठी – कर्मणः – कर्मणोः – कर्मणाम्
  7. सप्तमी – कर्मणि – कर्मणोः – कर्मसु
  8. सम्बोधनम् – हे कर्म! हे – कर्मणी ! – हे कर्माणि !

नोट : जन्मन्, सद्मन् (घर) आदि शब्दों के रूप कर्मन् की तरह होते हैं।

भवत् (आप)

पुंल्लिग

विभक्तिः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम्

  1. प्रथमा – भवान् – भवन्तौ – भवन्तः
  2. द्वितीया – भवन्तम् – भवन्तौ – भवतः
  3. तृतीया – भवता – भवद्भ्याम् – भवद्भिः
  4. चतुर्थी – भवते – भवद्भ्याम् – भवद्भ्यः
  5. षष्ठी – भवतः – भवतोः – भवताम्
  6. सप्तमी – भवति – भवतोः – भवत्सु
  7. सम्बोधनम् – हे भवन् ! – हे भवन्तौ ! – हे भवन्तः

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूपाणि

नोट : भवत् का स्त्रीलिङ्ग भवती (आप) है जिसका रूप नदी की तरह होता है।

एक (एक)

विभक्तिः – एकवचनम् – द्विवचनम् – बहुवचनम् ।

  1. प्रथमा – एक: – एका – एकम्
  2. द्वितीया – एकम् – एकाम् – एकम्
  3. तृतीया – एकया – एकेन – एकेन
  4. चतुर्थी – एकस्मै – एकस्यै – एकस्मै
  5. पंचमी – एकस्मात् – एकस्याः – एकस्मात्
  6. षष्ठी – एकस्य – एकस्याः – एकस्य
  7. सप्तमी – एकस्मिन् – एकस्याम् – एकस्मिन्

द्वि (दो)

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूपाणि 2

नोट : (‘द्वि’ शब्द के रूप केवल द्विवचन में होते हैं)

त्रि (तीन)

विभक्तिः – पुंल्लिंग – स्त्रीलिंग – नपुंसकलिंग

  1. प्रथमा – त्रयः – तिम्रः – त्रीणि
  2. द्वितीया – त्रीन् – तिम्रः – त्रीणि
  3. तृतीया – त्रीणि – त्रिभिः तिसृभिः – त्रिभिः
  4. चतुर्थी – त्रिभ्यः – तिसृभ्यः – त्रिभ्यः
  5. पंचमी । – त्रिभ्यः – तिसृभ्यः – त्रिभ्यः
  6. षष्ठी – त्रयाणाम् – तिसृणाम् – त्रयाणाम्
  7. सप्तमी – त्रिषु – तिसृषु – त्रिषु

नोट : ‘त्रि’ से लेकर आगे की संख्याओं के रूप केवल बहुवचन में होते हैं।

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूपाणि

चतुर (चार)

विभक्तिः – पुंल्लिंग – स्त्रीलिंग – नपुंसकलिंग

  1. प्रथमा – चत्वारः – चतस्रः – चत्वारि
  2. द्वितीया – चतुरः – चतस्रः। – चत्वारि
  3. तृतीया – चतुर्भिः – चतसृभिः – चतुर्भिः
  4. चतुर्थी चतुर्थ्यः चतसृभ्यः चतुर्थ्य:
  5. पंचमी – चतुर्थ्यः – चतसृभ्यः – चतुर्थ्य:
  6. षष्ठी – चतुर्णाम् – चतसृणाम् – चतुर्णाम्

नोट – पञ्चन्, षष्, सप्तन्, आदि संख्यावाची शब्दों के रूप तीनों लिंगों में समान होते हैं और कवेल ‘बहुवचन’ में होते हैं।

पञ्चन् – पाँच

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् शब्दरूपाणि 3

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् पत्रलेखनम (आवश्यक निर्देश)

Bihar Board Class 8 Sanskrit Book Solutions Amrita Bhag 3 व्याकरणम् पत्रलेखनम (आवश्यक निर्देश)

BSEB Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् पत्रलेखनम (आवश्यक निर्देश)

पत्रलेखन द्वारा व्यक्तियों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान दूर रह कर भी होता है। प्राचीनकाल से ही इसका महत्त्व रहा है। जिस व्यक्ति को पत्र लिखा जाता है उसकी स्थिति के अनुसार आरम्भ में सम्बोधन किया जाता है। पुनः शिष्टाचार के अनुसार प्रणाम, आशीर्वाद, विनम्रता-प्रदर्शन इत्यादि औपचारिक रूप से आवश्यक हैं। पत्र का मुख्य भाग वर्णनात्मक, सूचनात्मक अथवा निबन्धात्मक भी हो सकता है । पत्र के अन्त में पत्र लिखने वाला अपना नाम देने के पूर्व अपने सम्बन्ध के अनुसार शब्दों का प्रयोग करता है। पत्र के तीन मुख्य औपचारिक अंग होते हैं जो इसके मूल भाग के अतिरिक्त हैं

  1. सम्बोधन
  2. भिवादन तथा
  3. समापन ।

जहाँ तक सम्बोधन का प्रश्न है बड़े लोगों के लिए मान्यवराः, आदरणीयाः, पूज्याः, मान्याः इत्यादि लिखे जाते हैं । मित्रों के लिए प्रिय, प्रियमित्र, बन्धुवर अथवा प्रिय के बाद नाम का प्रयोग भी होता है । छोटों के लिए भी प्रिय, चिरंजीवी, आयुष्मान्, इत्यादि लिखे जाते हैं। औपचारिक पत्र या आवेदन में मान्यवर, महोदय, इत्यादि लिखना समीचीन है। अभिवादन के लिए प्रणामाः, चरणस्पर्शः इत्यादि लिखा जाता है । मित्रों को नमस्ते, नमामि, प्रणमामि इत्यादि लिखना उचित है। पत्र का समापन करते हुए भवदीयः, स्नेहभाजन, आज्ञाकारी, शुभचिन्तकः, कृपाकांक्षी इत्यादि शब्द आवश्यकता के अनुसार आते हैं। उदाहरण-पिता को पत्र ।

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् पत्रलेखनम (आवश्यक निर्देश)

पाटलिपुत्रम्
दिनाङ्का………….

पूज्याः पितृचरणाः

सादरं प्रणामाः सन्तु
अहम् अत्र कुशलपूर्वकं पठामि । प्रतिदिनं विद्यालयं गच्छामि । छात्रावासे निवासस्य भोजनस्य च व्यवस्था उचिता वर्तते । अतः भवान् चिन्तां न करोतु । सर्वे सहवासिनः सहयोगं कुर्वन्ति । सायंकाले उद्याने क्रीडा भवति । तया शरीरस्य व्यायामः जायते । विद्यालये शिक्षकाः सर्वे योग्या सन्ति । छात्रान् पुत्रवत् ते मन्यन्ते । ग्रीष्मावकाशे आगमिष्यामि। .

भवदीय: स्नेहभाजनः
आत्मजः…………….

आवेदन पत्र (प्रधानाचार्य के पास)

सेवायाम्
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
मध्य विद्यालय, कृष्णपुरम्
विषयः – अवकाशार्थम् आवेदनम् ।

मान्यवरा.!
सविनयं निवेदयामि यत् मम अग्रजायाः विवाहसमारोह: 26-02-2012.. दिनांके आयोजितः भविष्यति । अतः अहं स्वकक्षायां पञ्चदिवसान् अनुपस्थितः भविष्यामि । मम प्रार्थना वर्तते यत् 23-2-2012 दिनांकात् 27-2-2012 दिनांक यावत् मह्यम् अवकाशप्रदानस्य कृपां कुर्वन्तु भवन्तः । तदर्थम् अहं सर्वदा कृतज्ञः भविष्यामि ।

भवदीयः आज्ञाकारी छात्रा

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् पत्रलेखनम (आवश्यक निर्देश)

अनुच्छेदलेखनम्

अनुच्छेद किसी बड़े निबन्ध का एक खण्ड होता है जिसमें एक विषय से सम्बद्ध कई वाक्य रहते हैं । निबन्ध में लेखक विषयान्तर में भी जा सकता है किन्तु अनुच्छेद में यह सम्भव नहीं । विषयवस्तु का अनुशासन यहाँ बहुत प्रभावशाली होता है। इसलिए एक वाक्य भी तारतम्य से रहित नहीं हो सकता । आकार में लघु होने के कारण अनुच्छेद लिखने वाले के बौद्धिक संयम तथा अनुशासन का परिचायक होता है । व्यक्तियों की जीवनी, ऋतुओं का वर्णन, पर्वत-नदी का वर्णन, छात्रजीवन से सम्बद्ध विषय, मानवीय गुण, उत्सव आदि के विषय में प्रायः अनुच्छेद-लेखन की आवश्यकता है। यहाँ कुछ अनुच्छेद दिये जाते हैं।

1. गंगा नदी

गंगा अस्माकं देशस्य श्रेष्ठा पूजनीया च नदी वर्तते । हिमालयपर्वतात् इयं निःसरति । उत्तराखण्डे गंगोत्तरीनामके स्थाने अस्याः उद्गमः वर्तते । तत्र हिमशिलायाः इयं निर्गता । उत्तरप्रदेशे बिहारे बंगप्रदेशे च भूमिं सा सिञ्चति । इयं बहुलाभप्रदा वर्तते ।

Bihar Board Class 8 Sanskrit व्याकरणम् पत्रलेखनम (आवश्यक निर्देश)

2. विद्यालयः

छात्राणां हिताय विद्यालयस्य महत्त्वपूर्ण स्थानम् अस्ति । विद्यालये अनेकाः कक्षाः भवन्ति । तासु शिक्षका: छात्रान् विविधान् विषयान् पाठयन्ति । प्रधानाध्यापक: विद्यालयस्य नियंत्रणं करोति । विद्यालये छात्राणां सदाचारस्य शिक्षणमपि भवति ।

3. छात्रजीवनम्

जीवनस्य प्रथमः चरणः छात्रजीवनम् एव । प्राचीनभारते ब्रह्मचर्याश्रमः भवति स्म । स एव सम्प्रति छात्रजीवने दृश्यते । अस्मिन् जीवने एव शारीरिकः, मानसिकः च परिश्रमः भवति । तस्य जीवनपर्यन्तं फलं जायते । अनुशासनं विद्याध्ययनं च छात्राणां परमं कर्तव्यं भवति ।