Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.4

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.4 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 2 बहुपद Ex 2.4

Bihar Board Class 9 Math Solution In Hindi प्रश्न 1.
बताइए कि निम्नलिखित बहुपदों में से किस बहुपद का एक गुणनखण्ड x + 1 है।?
(i) x³ + x² + x + 1
(ii) x4 + x³ + x² + x + 1
(iii) x4 + 3x³ + 3x² + x + 1
(iv) x³ – x² -(2 + √2)x + √2
उत्तर:
यदि x + 1 गुणनखण्ड है तो शून्यक – 1 होगा।
(i) माना,
p(x)= x³ + x² + x + 1
तब, p(-1) = (-1)³ + (-1)² + (-1) + 1
= -1 + 1 – 1 + 1
= 0
अत: शेषफल प्रमेय से (x + 1) बहुपद x³ + x² + x + 1 का एक गुणनखण्ड है।

(ii) माना, p(x) = x4 + x³ + x² + x + 1
तब, p(-1) = (-1)4 + (-1)³ + (-1)² + (-1) + 1
= 1 – 1 + 1 – 1 + 1
= 1
अत: शेषफल प्रमेय से. (x + 1) बहुपद x4 + x³ + x² + x + 1 का एक गुणनखण्ड नहीं है।

(iii) माना, p(x) = x4 + 3x³ + 3x² + x + 1
तब, p(-1) = (-1)4 + 3(-1)³ + 3(-1)² + (-1) + 1
= 1 – 3 + 3 – 1 + 1
= 1
अत: शेषफल प्रमेय से, (x + 1) बहुपद x4 + 3x³ + 3x² + x + 1 का एक गुणनखण्ड नहीं है।

(iv) माना, p(x) = x³ – x² -(2 + √2)x + √2
तब, p(-1) = (-1)³ – (-1)² – (2 + √2) (-1) + √2
= -1 – 1 + 2 + √2 + √2
= 2√2.
अत: शेषफल प्रमेव से. (x + 1) बहुपद x³ – x² -(2 + √2)x + √2 का एक गुणनखण्ड नहीं है।

Bihar Board Class 9 Math Solution प्रश्न 2.
गुणनखण्ड प्रमेव लागू करके बताइए कि निम्नलिखित स्थितियों में से प्रत्येक स्थिति में g(x), p(x) का एक गुणनखड है या नहीं-
(i) p(x) = 2x³ + x² – 2x – 1, g(x) = x + 1
(ii) p(x) = x³ + 3x² + 3x + 1, g(x) = x + 2
(iii) p(x) = x³ – 4x² + x + 6, g(x) = x + 3.
उत्तर:
(i) g(x) = x + 1 का शून्यक x = -1 होगा।
तब, p(-1) = 2(-1)³ + (-1)² – 2(-1) – 1
= -2 + 1 + 2 – 1 = 0
अत: गुणनखण्ड प्रमेय से, g(x), p(x) का गुणनखण्ड है।

(ii) g(x) = x + 2 का शून्यकर x = -2 होगा।
तब, p(-2) = (-2)³ + 3(-2)² + 3 (-2) + 1
= -8 + 12 – 6 + 1
= -1
अत: गुणनखण्ड प्रमेय से, g(x). P(x) का गुणनखण्ड नहीं है।

(iii) g(x) = x – 3 का शून्यक x = 3 होगा।
तब, p(3) = (3)³ – 4(3)² – 3 + 6
= 27 – 36 + 3 + 6
= 0
अत: गुणनखण्ड प्रमेय से, g(x). p(x) का गुणनखण्ड है।

Bihar Board Class 9th Math Solution प्रश्न 3.
k का मान ज्ञात कीजिए जबकि निम्नलिखित स्थितियों में से प्रत्येक स्थिति में (x – 1), p(x) का एक गुणनखण्ड हो
(i) p(x) = x² + x + k
(ii) p(x) = 2x² + kx + √2
(iii) p(x) = kx² – √2x + 1
(iv) p(x) = kx² – 3x + k.
उत्तर:
यदि x – 1 गुणनखण्ड है तो शून्यक 1 होगा।
(i) माना. P(x) = x² + x + k
तब, p(1) = 0
(1)² + (1) + k = 0
⇒ 1 + 1 + k = 0
k = -2.

(ii) p(x) = 2x² + kx + √2
तब, p(1) = 0
2(1)² – k(1) + √2 = 0 तन,
⇒ 2 + k + √2 = 0
∴ k = (-2 – √2)

(iii) माना, p(x) = kx² – √2x + 1
तब, p(1) = 0
k(1)² – √2(1) + 1 = 0
⇒ k – √2 + 1 = 0
k = (√2 – 1)

(iv) माना, p(x) = kx² – 3x + k
तब, p(1) = 0
k(1)² – 3(1) + k = 0
⇒ k – 3 + k = 0
⇒ 2k = 3
k = 3/2.

Bihar Board Class 9 Math Solution Pdf प्रश्न 4.
गुणनखण्ड ज्ञात कीजिए
(i) 12x² – 7x + 1
(ii) 2x² + 7x + 3
(iii) 6x² + 5x – 6
(iv) 3x² – x – 4.
उत्तर:
(i) 12x² – 7x + 1 = 12x² – 4x – 3x + 1
(मध्य पद को विभक्त करने पर)
=4x (3x – 1) -1(3x – 1)
= (4x – 1) (3x -1)

(ii) 2x² + 7x + 3 = 2x² + 6x + x + 3
(मध्य पद को विभक्त करने पर)
= 2x(x + 3) + 1(6 + 3)
= (2x + 1) (x+3)

(iii) 6x² + 5x – 6 = 6x² + 9x – 4 – 6
(मध्य पद को विभका करने पर)
= 3x (2x + 3) -2(2x + 3)
= (3x – 2)(2x + 3)

(iv) 3x² – x – 4 = 3x² – 4x + 3x – 4
(मध्य पद को विभका करने पर)
= x(3x – 4) + 1 (3x – 4)
= (x + 1) (3x – 4)

Bihar Board 9th Class Book Math प्रश्न 5.
गुणनखण ज्ञात कीजिए
(i) x³ – 2x² + 2
(ii) x³ – 3x² – 9x – 5
(iii) x³ + 13x² + 32x + 20
(iv) 2y³ + y² – 2y – 1.
उत्तर:
(i) माना, p(x) = x³ – 2x² – x + 2
p(x) का अचर 2 है तथा इसके गुणनखण्ड ± 1 तथा ± 2 है।
अब, p(1) = (1)³ – 2(1)² – (1) + 2
= 1 – 2 – 1 + 2
= 0
जाँच करने पर. p(1) = 0
अत: (x – 1).p(x) का एक गुणनखण्ड है।
⇒ x³ – 2x² – x + 2= x³ – x² – x² + x – 2x + 2
= x²(x – 1) -x(x – 1) -2(x – 1)
= (x – 1) (x² – x – 2)
अब, x² – x – 2 = x² – 2x + x – 2
(मध्य पद को विभका करने पर)
⇒ x² – x – 2 = x(x – 2) +1 (1 – 2)
= (x – 2)(x + 1)
अतः x³ – 2x² – x + 2 = (x – 1)(x – 2) (x + 1).

(ii) माना, p(x) = x³ – 3x² – 9x – 5
p(x) का अचर 5 है तथा इसके गुणनखाडा ± 1 तथा ± 5 है।
अब, p(5) = (5)³ – 3(5)² – 9(5) – 5
= 125 – 75 – 45 – 5
= 0
जाँच करने पर, p(5) = 0
अत: (x -5), p(x) का एक गुणनखण्ड है।
⇒ x³ – 3x² – 9x – 5 = x³ – 5x² + 2x² – 10x + x – 5
= x² (x – 5) + 2x (x – 5) + 1 (x – 5)
= (x – 5) (x² + 2x + 1)
अब, x² + 2x + 1 = x² + x + x + 1
(मध्य पद को विभक्त करने पर)
= x (x + 1) +1(x + 1)
= (x + 1) (x + 1)
अतः x³ – 3x² – 9x – 5 = (x – 5) (x + 1) (x + 1)
(x – 5)(x + 1)².

(iii) माना, p(x) = x³ + 13x² + 32x + 20
p(x) का अपर 20 है तथा इसके गुणनखण्ड ± 1, ± 2, ± 4, ± 5, ± 10, ± 20 है।
अब, p(-1) = (-1)³ + 13(-1)² + 32(-1) + 20
= -1 + 13 – 32 + 20
= 0
जाँच करने पर p(-1) = 0
अत: (x + 1), p(x) का एक गुणनखण्ड है।
⇒ x³ + 13x² + 32x + 20
= x³ + x² + 12x² + 12x + 20x + 20
= x²(x + 1) + 12x(x + 1) +20(x + 1)
= (x + 1) (x² + 12x + 20)
अब, x² + 12x + 20 = x² + 10x + 2x + 20
(मध्य पद को विभका करने पर)
= x(x + 10) + 2(x + 10)
= (x + 10)(x + 2)
अत: x³ + 13x² + 32x + 20 = (x +1)(x + 2)(x + 10)

(iv) माना, 2y³ + y² – 2y – 1 p(y) का अचर 1 है तथा इसके गुणनखण्ड हैं।
अब, P(1) = 2(1)³ + (1)² – 2(1) – 1
= 2 + 1 – 2 – 1
= 0
जाँच करने पर, p(1) = 0
अत: (y – 1) p(y) का एक गुणनखण्ड है।
⇒ 2y³ + y² – 2y – 1
= 2y³ – 2y² + 3y² – 3y +y + 1
= 2y²(y – 1) + 3y(y – 1) + 1(y – 1)
= (y – 1) (2y² – 3y + 1)
अय, 2y² + 3y + 1 = 2y² + 2y + y + 1
(मध्य पद को विभक्त करने पर)
= 2y (y + 1) -1(y + 1)
= (2y + 1) (y + 1)
अत: 2y³ + y² – 2y – 1 = (y – 1) (y+ 1) (2y + 1).

Bihar Board Class 9 Political Science Solutions Chapter 2 लोकतन्त्र क्या और क्यों?

Bihar Board Class 9 Social Science Solutions Political Science राजनीति विज्ञान : लोकतांत्रिक राजनीति भाग 1 Chapter 2 लोकतन्त्र क्या और क्यों? Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Social Science Political Science Solutions Chapter 2 लोकतन्त्र क्या और क्यों?

Bihar Board Class 9 Political Science लोकतन्त्र क्या और क्यों? Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न :

लोकतांत्रिक राजनीति कक्षा 9 Chapter 2 Question Answer Bihar Board प्रश्न 1.
किस प्रकार के शासन प्रणाली में सरकार के अधिकारी अपने हित में शासन करते हैं ?
(क) लोकतंत्र में
(ख) गैर-लोकतांत्रिक
(ग) दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) गैर-लोकतांत्रिक

Loktantrik Rajniti Class 9 In Hindi Solutions Chapter 2 Bihar Board प्रश्न 2.
पाकिस्तान में परवेज मुशर्रफ ने किस वर्ष सैनिक तख्त पलट की अगुवाई की?
(क) 1990 ई. में
(ख) 1999 ई. में
(ग) 2000 ई. में
(घ) 2002 ई. में
उत्तर-
(ख) 1999 ई. में

Bihar Board Class 9 Civics Solution प्रश्न 3.
किस वर्ष परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान का संविधान बदल डाला?
(क) 1999 ई. में
(ख) 2000 ई. में .
(ग) 2001 ई. में.
(घ) 2002 ई. में
उत्तर-
(घ) 2002 ई. में

Bihar Board Class 9 Political Science प्रश्न 4.
चीन की संसद के लिए कितने वर्षों बाद नियमित रूप से चुनाव होती है ?
(क) 5 वर्ष
(ख) 6 वर्ष
(ग) 8 वर्ष
(घ) 10 वर्ष
उत्तर-
(क) 5 वर्ष

लोकतांत्रिक राजनीति कक्षा 9 Chapter 2 Bihar Board प्रश्न 5.
चीन में चुनाव लड़ने से पहले किससे मंजूरी लेनी पड़ती है ?
(क) सरकार से.
(ख) संयुक्त राष्ट्र संघ से
(ग) चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से
(घ) किसी से भी नहीं
उत्तर-
(ग) चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से

Bihar Board Class 9 Geography Solutions प्रश्न 6.
“लोकतंत्र ऐसा शासन है जिसमें लोगों का, लोगों के लिए और लोगों द्वारा शासन किया जाता है-” निम्नलिखित में से किसका कथन
(क) जॉर्ज वाशिंगटन का
(ख) महात्मा गाँधी का
(ग) रूजवेल्ट का
(घ) अब्राहम लिंकन का
उत्तर-
(क) जॉर्ज वाशिंगटन का

लोकतंत्र क्या लोकतंत्र क्यों पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 7.
किस शासन व्यवस्था में राज परिवार में जन्म लेने वाला व्यक्ति शासक बन जाता है ?
(क) लोकतंत्र में
(ख) सैनिक शासन में
(ग) राजशाही में
(घ) गणतात्रिक शासन में
उत्तर-
(ग) राजशाही में

अध्याय 1 लोकतंत्र क्या लोकतंत्र क्यों Bihar Board प्रश्न 8.
किस देश में प्रत्यक्ष लोकतंत्र है ?
(क) चीन में
(ख) म्यांमार में
(ग) जापान में
(घ) स्विट्जरलैंड में
उत्तर-
(घ) स्विट्जरलैंड में

Bihar Board Solution Class 9 Social Science प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से कौन-सा तथ्य लोकतंत्र के लिए जरूरी है ?
(क) सैनिक अधिकारी ही शासन चलाते हैं
(ख) जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि ही शासन चलाते हैं
(ग) लोग स्वयं शासन करते हैं
(घ) राजपरिवार को कोई संतान
उत्तर-
(ख) जनता द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि ही शासन चलाते हैं

Bihar Board Class 9 Social Science Solution प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से किस देश में महिलाओं को अभी भी वोट देने का अधिकार नहीं है ?
(क) पाकिस्तान में
(ख) चीन में
(ग) जापान में
(घ) सऊदी अरब में
उत्तर-
(घ) सऊदी अरब में

Bihar Board Class 9 History Book Solution प्रश्न 11.
लोकतंत्र के लिए क्या आवश्यक है ?
(क) सरकार संवैधानिक कानूनों के भीतर ही काम करती है।
(ख) सरकार मनमाने ढंग से काम करती है।
(ग) सरकार कोई भी फैसला अपने मन से करती है।
(घ) सरकार के लिए संविधान जानना आवश्यक नहीं।
उत्तर-
(क) सरकार संवैधानिक कानूनों के भीतर ही काम करती है।

Bihar Board 9th Class Social Science Book Pdf प्रश्न 12.
लोकतंत्र शासन का ऐसा रूप है जिसमें- .
(क) चुनाव स्वतंत्र नहीं होते हैं
(ख) चुनाव में एक ही दल भाग लेता है
(ग) चुनाव पक्षपातपूर्ण होता है
(घ) जनता के पास शासकों को बदलने का विकल्प और अवसर उपलब्ध होते हैं
उत्तर-
(घ) जनता के पास शासकों को बदलने का विकल्प और अवसर उपलब्ध होते हैं

Bihar Board Class 9 History Solution प्रश्न 13.
लोकतंत्र का मुख्य दोष है
(क) गैर जिम्मेदार लोगों का
(ख) विद्वानों का
(ग) देशभक्तों का
(घ) सच्चे सेवकों का
उत्तर-
(क) गैर जिम्मेदार लोगों का

Bihar Board Class 9 History प्रश्न 14.
चीन में भयंकर अकाल कब पड़ा था ?
(क) 1958-61 ई. के दौरान
(ख) 1965 ई. में
(ग) 1965-70 ई. के दौरान
(घ) 1980 ई० में
उत्तर-
(क) 1958-61 ई. के दौरान

Bihar Board Class 9th Social Science Solution प्रश्न 15.
किसके शासन काल में भारत में 1975 ई० में आपातकाल लागू किया गया?
(क) श्री लालबहादुर शास्त्री
(ख) श्रीमती इंदिरा गाँधी
(ग) डॉ. मनमोहन सिंह
(घ) श्री देवगोड़ा
उत्तर-
(ख) श्रीमती इंदिरा गाँधी

लोकतंत्र के प्रश्न उत्तर Class 9 Bihar Board प्रश्न 16.
लोकतंत्र में अकाल भुखमरी की संभावना कम रहती है । यह तर्क देने में कौन-सा कारण सही है ?
(क) सरकार की आलोचना कर सकने वाला स्वतंत्र मीडिया होता
(ख) विपक्षी दल कमजोर होते हैं
(ग) एक दलीय चुनावी व्यवस्था होती है
(घ) अधिकारी मनमानी करते हैं
उत्तर-
(क) सरकार की आलोचना कर सकने वाला स्वतंत्र मीडिया होता

लोकतंत्र क्या लोकतंत्र क्यों प्रश्न उत्तर Class 9 Bihar Board प्रश्न 17.
निम्नलिखित में से कहाँ का शासन लोकतांत्रिक होता है ?
(क) जहाँ सैनिक पदाधिकारी शासक हो
(ख) जहाँ का शासक राजा का पुत्र हो
(ग) जहाँ का शासक एक तानाशाह हो
(घ) जहाँ लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही शासन करते हैं।
उत्तर-
(घ) जहाँ लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही शासन करते हैं।

Bihar Board Class 9th History Solution प्रश्न 18.
‘मूरों का शासन’-किस शासन का अवगुण है।
(क) राजतंत्र का
(ख) सैनिक शासन में
(ग) लोकतंत्र में
(घ) इनमें से कोई नही
उत्तर-
(ग) लोकतंत्र में

Bihar Board 9th Class History Book प्रश्न 19.
किस शासन प्रणाली में चुनाव में अनेक दलों की भागीदारी होती
(क) सैनिक शासन में
(ख) राजतंत्र में ।
(ग) लोकतंत्र में
(घ) तानाशाही में
उत्तर-
(ग) लोकतंत्र में

लोकतांत्रिक राजनीति कक्षा 9 Chapter 2 Notes Bihar Board प्रश्न 20.
लोकतंत्र शासन का प्रमुख दोष है।
(क) संविधान के अनुसार काम करना
(ख) जनता की बातों पर ध्यान देना
(ग) भ्रष्ट नेताओं के हाथ का खिलौना बन जाना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) भ्रष्ट नेताओं के हाथ का खिलौना बन जाना

रिक्त स्थान की पूर्ति करें :

Bihar Board Class 9 Economics Solution प्रश्न 1.
परवेज मुशर्रफ ने पाकिस्तान में सैनिक तख्तापलट कर खुद देश का …… घोषित कर दिया।
उत्तर-
मुख्य कार्यकारी

प्रश्न 2.
फरवरी …………… में पाकिस्तान में आम चुनाव हुए।
उत्तर-
2008 ई.

प्रश्न 3.
पाकिस्तान के राष्ट्रपति …. हैं।
उत्तर-
अशिफ अली जरदारी

प्रश्न 4.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ………….. हैं।
उत्तर-
युसूफ

प्रश्न 5.
संसदीय प्रणाली में मतदान द्वारा चुनाव में जीते हुए प्रत्याशी कहलाते हैं।
उत्तर-
प्रतिनिधि

प्रश्न 6.
लोकतंत्र में बिना किसी डर, भय एवं …………… के इच्छानुसार वोट डाला जाता है।
उत्तर-
प्रलोभन

प्रश्न 7.
फिजी देश के मूलवासियों के वोट का महत्व भारतीय मूल के ……………… के. वोट से ज्यादा है।
उत्तर-
फिजी नागरिक

प्रश्न 8.
लोकतंत्र में सरकार ………….. नहीं कर सकती।
उत्तर-
मनमानी

प्रश्न 9.
लोकतंत्र में सरकार उसी की बनती है जिसका विधानसभा या लोकसभा में ………………. प्राप्त हो।
उत्तर-
बहुमत

प्रश्न 10.
लोकतंत्र में सरकार लोगों के अधिकारों को ……………. रखती है।
उत्तर-
सुरक्षित

प्रश्न 11.
लोकतंत्र में नेता सिर्फ ………. के प्रयास में रहते हैं।
उत्तर-
सत्ता हथियाने

प्रश्न 12.
अर्थशास्त्रियों के अनुसार लोकतांत्रिक देश में कही भी बड़ी …………. नहीं हुई।
उत्तर-
त्रासदी

प्रश्न 13.
लोकतंत्र में …………… चुनावी व्यवस्था होती है।
उत्तर-
बहुदलीय

प्रश्न 14.
लोकतांत्रिक सरकार ……………… के लिए सबसे उत्तम शासन है।
उत्तर-
लोककल्याण

प्रश्न 15.
लोकतंत्र में …………….. निरंतर व्यवस्थापिका एवं कार्यपालिका पर नजर रखे रहती है।
उत्तर-
न्यायपालिका

प्रश्न 16.
लोकतंत्र में लोगों की गरिमा एवं इच्छाओं का ………. किए जाने की ज्यादा संभावना है
उत्तर-
सम्मान

प्रश्न 17.
लोकतंत्र में केवल प्रतिनिधि ही ………… में भाग लेते हैं।
उत्तर-
शासन-संचालन

प्रश्न 18.
लोकतंत्र केवल सरकार तक ही सीमित नहीं है बल्कि उसकी पहुँच संगठन, गाँव एवं …………. तक है।
उत्तर-
परिवार

प्रश्न 19.
लोकतंत्र शासन व्यवस्था एक ……. है।
उत्तर-
आदर्श

प्रश्न 20.
लोकतंत्र सामान्य मनुष्य में …… पैदा करती है।
उत्तर-
निष्ठा

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लोकतंत्र में किस प्रकार की सरकार होती है ?
उत्तर-
लोकतंत्र में ऐसी सरकार होती है जहाँ जनता अपने शासक का स्वयं चुनाव करती है।

प्रश्न 2.
जनरल परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान में किस प्रकार के शासक थे ?
उत्तर-
सैनिक शासक ।

प्रश्न 3.
जनरल परवेज मुशर्रफ ने धोखाधड़ी का सहारा लेकर क्या किया?
उत्तर-
अपना कार्यकाल पांच वर्षों के लिए बढ़वा लिया।

प्रश्न 4.
2002 ई० में परवेज मुशर्रफ ने क्या किया?
उत्तर-
उन्होंने संविधान को बदल डाला। ।

प्रश्न 5.
पाकिस्तान में 2008 के आम चुनाव में राष्ट्रपति कौन बने ?
उत्तर-
आसिफ अली जरदारी।

प्रश्न 6.
राजशाही शासन व्यवस्था में शासन कौन चलाता है?
उत्तर-
राजा।

प्रश्न 7.
चीन में सदस्यों का चुनाव कौन करता है ?
उत्तर-सेना करती है।

प्रश्न 8.
अब्राहम लिंकन कहाँ के राष्ट्रपति थे?
उत्तर-
संयुक्त राज्य अमेरिका के।

प्रश्न 9.
लोकतंत्र में अन्तिम शक्ति कहां निवास करती है?
उत्तर-
जनता में।

प्रश्न 10.
लोकतांत्रिक शासन प्रणाली का एकण लिखें।
उत्तर-
नागरिकों को मताधिकार एवं स्वतंत्रता प्राप्त है

प्रश्न 11.
लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण विशेषता लिखें।.
उत्तर-
लोकतंत्र स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव पर आधारित होता है।

प्रश्न 12.
वर्ष 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री कान बने ।
उत्तर-
श्री नीतिश कुमार ।

प्रश्न 13.
भारतीय जनता पार्टी का चुनाव चिह्न क्या है ?
उत्तर-
कमल छाप।

प्रश्न 14.
लोकतंत्र का पहला गुण क्या है ?
उत्तर-
लोकतंत्र में शासक को जनता के प्रति अधिक जवाबदेही होती है।

प्रश्न 15.
लोकतंत्र शासन कैसी व्यवस्था है ?
उत्तर-
लोकतंत्र शासन एक ऐसी व्यवस्था है जिसका प्रयोग जीवन के किसी भी क्षेत्र में हो सकता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लोकतंत्र क्या है?
उत्तर-
एक ऐसी शासन-व्यवस्था जो लोगों द्वारा चुनी जाती है और लोगों के हित में शासन करती है। लोकतंत्र कहलाती है। इसमें समानता, स्वतंत्रता जैसे लोकतांत्रिक सिद्धान्तों पर विशेष बल दिया जाता है। वर्तमान समय में यह शासन व्यवस्था सबसे लोकप्रिय है।

प्रश्न 2.
लोकतंत्र की एक प्रसिद्ध परिभाषा दें।
उत्तर-
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने लोकतंत्र की जो व्याख्या दी वह सबसे प्रसिद्ध परिभाषा सिद्ध हुई । उनके अनुसार ‘लोकतंत्र ऐसा शासन है जिसमें लोगों का, लोगों के लिए और लोगों द्वारा शासन किया जाता है।’

(“Democracy is a government of the people, by the people and for the people.”)
-Abraham Lincoln.

प्रश्न 3.
गैर-लोकतांत्रिक शासन क्या है ?
उत्तर-
कुछ सरकारें ऐसी होती हैं जो लोगों द्वारा निर्वाचित न होकर अन्य माध्यमों जैसे तख्तापलट, पारिवारिक परम्परा आदि से स्थापित होती हैं ऐसी सरकारों के अधिकारी अपने हित में शासन करते हैं। ऐसी शासन-व्यवस्था को गैर-लोकतांत्रिक शासन कहा जाता है। जैसे6 अक्टूबर 1999 ई. से लगभग.दिसम्बर 2007 ई. तक पाकिस्तान का
शासन सैनिक तख्तापलट के कारण जनरल मुशर्रफ के हाथ में रहा । .

प्रश्न 4.
प्रत्यक्ष लोकतंत्र और अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में क्या अन्तर है ?
उत्तर-
प्रत्यक्ष लोकतंत्र- प्रत्यक्ष लोकतंत्र शासन व्यवस्था का वह रूप है जिसमें जनता प्रत्यक्ष रूप से शासन संचालन में भाग लेती है, एवं कानून का निर्माण भी स्वयं करती है। प्राचीन काल में भारत में लिच्छवी, विदेह आदि जनपदों में प्रत्यक्ष लोकतंत्र था। आज स्विट्जरलैंड में यह शासन प्रणाली वर्तमान है।

अप्रत्यक्ष लोकतंत्र-अप्रत्यक्ष लोकतंत्र शासन-व्यवस्था का वह रूप है जहाँ लोग अपने प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं और चुने हुए प्रतिनिधि – के द्वारा शासन में स्वयं भाग लेते हैं । भारत, अमेरिका, वर्तमान पाकिस्तान में इस प्रकार का लोकतंत्र कायम हैं।

प्रश्न 5.
लोकतांत्रिक और गैर-लोकतांत्रिक सरकार का एक-एक लक्षण लिखें।
उत्तर-
लोकतांत्रिक सरकार-लोकतंत्र में लोग अपने-अपने वोट के माध्यम से अपने प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं। ये चुने हुए प्रतिनिधि ही शासन का संचालन करते हैं, सरकार के लिए फैसले लेते हैं और कानूनों का निर्माण करते हैं।

गैर-लोकतांत्रिक सरकार-वैसी सरकारें जो लोगों द्वारा निर्वाचित न । होकर अन्य माध्यमों जैसे तख्तापलट, पारिवारिक परम्परा आदि से स्थापित होती हैं के अधिकारी अपने हित में शासन करते हैं। ऐसी शासन-व्यवस्था को गैर-लोकतांत्रिक शासन कहा जाता है। जैसेम्यांमार में अभी भी सैनिक शासन है जो कि गैर-लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है।

प्रश्न 6.
लोकतंत्र, राजतंत्र और सैनिक शासन से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर-
लोकतंत्र-लोकतंत्र वह शासन प्रणाली है जिसमें राज्य की ‘सना जनता के हाथ में होती है और सरकार जनता द्वारा चुने गए – प्रतिनिधियों द्वारा चलाई जाती है।

राजतक राजतंत्र में शासन का कार्य राजा द्वारा चलाया जाता है। राजा निर्वाचित नहीं होता बल्कि पैतृक आधार पर राज्य का अधिकारी बन जाता है।

सैनिक शासन-सैनिक शासन में सेना का शासन होता है। सेना तानाशाही या मनमाने ढंग से अपनी भलाई के लिए शासन करती है। यह शासन किसी के प्रति उत्तरदायी नहीं होती । इस प्रकार के शासन में चुनावों का कोई स्थान नहीं होता है। विरोध करने वाले को जेल में डाल दिया जाता है या फिर मौत के घाट उतार दिया जाता है।

इस प्रकार राजतंत्र और सैनिक शासन दोनों ही गैर-लोकतांत्रिक शासन हैं।

प्रश्न 7.
लोकतांत्रिक सरकार की किन्हीं चार आवश्यक तथ्यों का वर्णन
करें।
उत्तर-

  • शासकों का चुनाव जनता के द्वारा होता है ।
  • चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र होते हैं ।
  • चुनाव में अनेक दलों की भागीदारी होती है, जिसके कारण लोगों के पास शासकों को बदलने का विकल्प और अवसर उपलब्ध होते हैं।
  • चुनाव में बनी सरकार संविधान द्वारा निर्धारित तौर-तरीकों एवं नियमों के अन्दर ही कार्य करत. है और सरकार लोगों के अधिकारों को सुरक्षित रखती है।

प्रश्न 8.
लोकतांत्रिक शासन में नागरिकों को प्राप्त (पाठ के आधार पर) किन्हीं चार अधिकारों का वर्णन करें।
उत्तर-

  • जनता को मताधिकार प्राप्त होता है, जिससे वह बिना किसी डर, भय एवं प्रलोभन के अपनी इच्छानुसार वोट डालता है।
  • लोगों को मत प्रयोग के लिए अपना विचार रखने व विचारों की अभिव्यक्ति का अधिकार होता है।
  • लोग राजनीतिक संस्थाओं के लिए चुनावों में भाग ले सकते हैं तथा स्वयं चुनाव में भाग भी ले सकते हैं।
  • हर नागरिक को चुनाव लड़ने का अधिकार होता है।

प्रश्न 9.
क्या सेना के हाथों में शासन देना उचित होगा? तर्कपूर्ण उत्तर दें।
उत्तर-
यद्यपि सेना देश का सबसे अनुशासित और भ्रष्टाचार मुक्त संगठन है तथापि देश का शासन सेना को सौंपना लोकतंत्र के विरुद्ध है। सेना के अधिकार निर्वाचित नहीं होते। अत: वे जो कार्य करेंगे अपने हितों के लिए ही करेंगे। जनता के हितों पर उचित ध्यान नहीं देंगे । उनका शासन अधिकतर निरंकुश होता है। सैन्य विरोधियों को आसानी से कुचल डालते हैं।

प्रश्न 10.
मानवाधिकार क्या है ? संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
व्यक्ति एवं समाज को राज्य द्वारा विभिन्न प्रकार के अधिकार प्रदान किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त प्रकृति ने भी हमें कुछ अधिकार प्रदान किए हैं। इन अधिकारों का उपयोग कर व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास कर सकता है। जैसे—स्वतंत्रता का अधिकार, समानता का अधिकार, जीवन जीने का अधिकार आदि । ये सब अधिकार मानवाधिकार कहलाते हैं। इन अधिकारों की प्राप्ति केवल लोकतंत्र में ही नागरिकों को प्रदान किए जाते हैं।

प्रश्न 11.
लोकतांत्रिक चुनाव किस तरह के होते हैं ?
उत्तर-
लोकसभा और विधानसभा चुनाव विभिन्न तरह के झंडे एवं बैनर लेकर लोग चुनाव प्रचार करते हैं। ये विभिन्न तरह के झंडे विभिन्न दलों के होते हैं। जैसे-पंजा छाप काँग्रेस पार्टी का, कमल छाप भारतीय जनता पार्टी का, लालटेन छाप राष्ट्रीय जनता दल का, तीर छाप जनता दल यूनाइटेड का आदि । ये सभी दल मतदाता को अपनी ओर लामबंद करने और अपने पक्ष में मतदान करने के लिए लोगों को आकर्षित करते हैं । विभिन्न दलों के नेता अपने-अपने चुनावी कार्यक्रमों एवं भाषणों के माध्यम से अपनी-अपनी नीतियों को लोगों के सामने रखते हैं। देश के लोग उनके भाषण एवं विचारों को सुनकर अपनी इच्छानुसार मतदान करते हैं। उस समय मतदाता के समक्ष विभिन्न दलों का विकल्प होता है । जहाँ कहीं भी बहुदलीय व्यवस्था नहीं है वहाँ लोकतंत्र नहीं हो सकता। इस प्रकार लोकतंत्र सरकार का ऐसा रूप है जिसमें शासकों का चुनाव लोग करते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लोकतंत्र का शासक कौन होता है, शासकों का चुनाव कैसे होता है? शासकों के चुनाव में कौन लोग भाग लेते हैं ? किस तरह की सरकार को हम लोकतांत्रिक सरकार कहेंगे? या, लोकतंत्र की विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर-

(i) शासक कौन-लोकतंत्रीय व्यवस्थायें जो वयस्क हैं वोट डालने जाते हैं। ये लोग अपने-अपने वोट के माध्यम से अपने प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं । ये चुने हुए प्रतिनिधि शासन का संचालन करते हैं। इस प्रकार अन्तिम शक्ति जनता के हाथों में निवास करती है। अतः लोकतंत्र में जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि देश का शासक होता है। निर्वाचित सरकार जनता के लिए फैसले लेती है और कानून का निर्माण करती है।
इस प्रकार लोकतंत्र में अन्तिम शक्ति जनता में निवास करती है जो लोकतंत्र की एक विशेषता है।

(ii) शासकों का चुनाव कैसे होता है ?-लोकतंत्र में बिना किसी डर, भय एवं प्रलोभन के अपनी इच्छानुसार वोट डाला जाता है। अतः हम कह सकते हैं कि लोकतंत्र में चुनाव निष्पक्ष एवं स्वतंत्र होता है जो इसकी प्रमुख विशेषता है।

(iii) शासकों के चुनाव में कौन लोग भाग लेते हैं- शासकों के चुनाव में सभी वयस्क लोग अपना-अपना वोट डालने जाते हैं । लोकतंत्र का सीधा संबंध मताधिकार से जुड़ा हुआ है। लोकतंत्र के लिए आवश्यक है कि सभी वयस्क लोगों को समान रूप से वोट देने का अधिकार मिले तथा सभी लोगों के वोट का महत्व बराबर हो । यह भी लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण विशेषता है।

(iv) किस तरह की सरकार को हम लोकतांत्रिक सरकार कहेंगे?लोकतंत्र में संविधान के अनुसार देश का शासन चलता है न कि किसी खास व्यक्ति या संस्था के अनुसार ।
लोकतंत्र में लोगों की बुनियादी अधिकारों की गारंटी होती है। लोगों को सोचने का, अपना विचार देने का, संगठन बनाने का, विरोध करने का, राजनैतिक गतिविधियों में स्वतंत्र रूप से भाग लेने आदि की स्वतंत्रता होती है। कानून की नजर में सभी समान होते हैं। लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका होती है।

इस प्रकार लोकतंत्र की एक विशेषता यह भी है कि लोकतंत्र में शासन कानून के अनुसार चलता है।
लोकतंत्र की मुख्य विशेषताओं का संक्षिप्त रूप इस प्रकार है –

  • लोकतंत्र की अन्तिम शक्ति जनता में निवास करती है।
  • लोकतंत्र में चुनाव निष्पक्ष एवं स्वतंत्र होते हैं ।
  • सभी वयस्क लाग को समान रूप से वोट देने का अधिकार प्राप्त है।
  • लोकतंत्र में शासन “कानून के अनुसार चलता है।
  • लोगों के अधिकारों की गारंटी होती है।

प्रश्न 2.
लोकतंत्र के पक्ष में तर्क प्रस्तुत करें।
अथवा, लोकतंत्र शासन अन्य शासनों से बेहतर क्यों है ?
अथवा, लोकतंत्र के कौन-कौन से गुण हैं ?
अथवा, लोकतंत्र शासन सर्वोत्तम शासन प्रणाली है। कैसे?
उत्तर-
(i) शासन के प्रति जवाबदेही-लोकतंत्र का पहला गुण है कि लोकतंत्र में शासन अधिक जवाबदेही वाला होता है। ऐसा देखा जाता है कि लोकतांत्रिक देशों में सरकार लोगों की जरूरत के अनुसार अपना आचरण करती है। चीन में 1958-61 ई. के दौरान भयंकर अकाल पड़ा। इसमें करोड़ों लोग भूख से मर गए । ठीक ऐसी ही तरह की भयावह स्थिति वर्ष 2008 ई. के अगस्त-सितम्बर महीने में उत्तरी बिहार में बाढ़ से उत्पन्ना प्रलय की थी जिसमें करोड़ों-अरबों की संपत्ति का नुकसान हुआ लाखों लोग बेघर एवं तबाह हो गए। भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था होने के कारण बिहार ने उससे जल्द ही निजात पा लिया; जबकि चीन को उस अकाल से निजात पाने में काफी समय लगा। इस संबंध में अर्थशास्त्रियों का कहना है कि किसी भी स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश में कभी भी बड़ी त्रासदी नहीं हुई क्योंकि लोकतांत्रिक देशों में बहुदलीय चुनावी व्यवस्था है वहाँ मजबूत विपक्षी दल होते हैं और सरकार की आलोचना के लिए स्वतंत्र मीडिया होती है।

(ii) लोकतंत्र में सरकार लोक कल्याण के लिए कार्य करती हैगैर-लोकतांत्रिक सरकारों की तुलना में लोकतांत्रिक सरकार लोककल्याण के लिए सबसे उत्तम शासन-व्यवस्था है। लोकतंत्र में जनता अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करती है। प्रतिनिधि जनता की इच्छाओं, भावनाओं और आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर शासन करते हैं। जैसे- चीन में गैर-लोकतांत्रिक शासन के कारण शासन व्यवस्था में लोक कल्याण की भावना की कमी थी फलस्वरूप भयानक त्रासदी हो गयी।

(iii) लोकतंत्र में न्यायपालिका निरंतर व्यवस्थापिका एवं कार्यपालिका पर नजर रखे रहती है-मानव को प्रकृति प्रदत्त कुछ अधिकार प्राप्त हैं, जैसे-स्वतंत्रता का अधिकार, समानता का अधिकार, जीवन जीने का अधिकार आदि। जिसे मानवाधिकार भी कहा जाता है। इन अधिकारों का उपयोग कर व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास कर सकता है। इस तरह के अधिकार केवल लोकतंत्र में ही नागरिकों को प्रदान किए जाते हैं। गैर-लोकतांत्रिक प्रशासन में नहीं। मानवाधिकारों की रक्षा हेतु ही न्यायपालिका की व्यवस्था होती है।

(iv) लोकतंत्र में सरकार को अपनी गलती सुधारने का मौका मिलता है-यदि सरकार जल्दीबाजी में कोई फैसला कर लेती है तो जनता भी उसे गलत कहकर पद से हटा देती है । जैसे- वर्ष 1975 ई. में श्रीमती इंदिरा गाँधी ने भारत में आपातकाल लागू की थी, जो लोगों के विचार में गलत फैसला था। इस फैसले के कारण श्रीमती इंदिरा गाँधी को 1977 ई० के चुनाव में लोगों ने मतदान नहीं किया और श्रीमती गाँधी को सत्ता से हटना पड़ा । इस तरह की व्यवस्था गैर-लोकतांत्रिक सरकारों में संभव नहीं है। अत: लोकतंत्र में सरकार को अपनी गलती सुधारने का मौका रहता है।

(v) लोकतंत्र में लोगों की गरिमा एवं इच्छाओं को सम्मान मिलता है-लोकतंत्र न ही सभी समस्याओं का समाधान कर सकता है और न ही सभी चीजों को उपलब्ध कर सकता है जो जीवन के लिए आवश्यक है। फिर भी यह कहा जा सकता है कि लोकतंत्र उन सभी दूसरी शासन व्यवस्था से बेहतर है जिन्हें हम जानते हैं और दुनिया के लोगों को जिनका अनुभव है। यह अच्छे फैसलों के लिए बेहतर सेवा उपलब्ध कराता है। इससे लोगों की गरिमा बनी रहती है। इसी कारण से लोकतंत्र को सबसे अच्छा शासन व्यवस्था मानी जाती है।

प्रश्न 3.
लोकतंत्र के विपक्ष में तर्क प्रस्तुत करें।
अथवा, लोकतंत्र के अवगुणों की चर्चा करें।
अथवा, लोकतंत्र को मूरों का शासन कहा जाता है । क्यों ?
उत्तर-
यद्यपि लोकतंत्र शासन की सर्वाधिक सर्वोत्तम प्रणाली है तथापि इस प्रणाली में कई दोष हैं। इनके दोष निम्नलिखित हैं-

  • मूल् का शासन-लोकतंत्र के विरोधी यह तर्क देते हैं कि लोकतांत्रिक देशों में अनपढ़ एवं गैर जिम्मेदार लोगों की संख्या ज्यादा होती है । अत: चुने हुए प्रतिनिधि अनपढ़ और मूर्ख होते हैं । इसलिए इसे मूरों का शासन कहा जाता है।
  • नैतिकता की कोई जगह नहीं लोकतंत्र में सत्ता की लड़ाई और सत्ता का खेल चलता है। इसमें नैतिकता की कोई जगह नहीं रह जाती है और इसके अन्तर्गत सिर्फ सत्ता हथियाने का प्रयास किया जाता है। इससे लोगों के साथ-साथ देश को काफी क्षति पहुँचती है।
  • फैसला की प्रक्रिया में विलंब-लोकतंत्र में फैसला लेने की प्रक्रिया बड़ी कठिन होती है । फैसला लेने के पहले काफी वाद-विवाद, बहस एवं चर्चा होती है जिससे किसी भी निर्णय पर पहुँचने में दिक्कत होती है। .
  • यह काफी खर्चीला शासन है-क्योंकि इसमें होने वाले चुनावों – में काफी खर्च आता है। देश की बहुत बड़ी राशि चुनावों में पानी की तरह बहता है।
  • लोकतंत्र भ्रष्ट नेताओं के हाथ का खिलौना है ऐसा भी कहा जाता है कि लोकतंत्र घोटालों की सरकार होती है। जैसे बिहार में चारा घोटाला 600 करोड़ का तथा झारखंड में 400 करोड़ का घोटाला हुआ । ये सभी भ्रष्ट नेताओं के ही करतूत हैं।
  • लोकतंत्र न तो आशंका समाप्त कर पाया और न गरीबी मिटाई है-लोकतंत्र अभी तक समस्याओं को समाप्त करने संबंधी कोई तौर-तरीका विकसित नहीं कर पाया है। लोकतंत्र में लोगों की भागीदारी होती है पर फैसला लेने में काफी देर होती है। इसलिए जनता में असंतोष की भावना बढ़ती जाती है।

प्रश्न 4.
लोकतांत्रिक और गैर-लोकतांत्रिक सरकार में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर-
शासन व्यवस्था के स्वरूप कई तरह के हो सकते हैंलोकतांत्रिक और गैर-लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था । इन दोनों में निम्नलिखित अन्तर है

(क) लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था-(i) एक ऐसी शासन व्यवस्था होती है जो लोगों द्वारा चुनी जाती है और लोगों के हित में शासन करती है। (ii) इसमें लोगों की भागीदारी होती है। (iii) चुनाव के द्वारा प्रतिनिधि चुने जाते हैं । चुनाव में देश के वयस्क लोग अर्थात् जिनकी उम्र 18 वर्ष से अधिक है, वोट डालते हैं और योग्य व्यक्ति को अपना प्रतिनिधि चुनकर शासन का संचालन करते हैं । (iv) इस शासन में संप्रभुता जनता के हाथों में रहती है । (v) लोकतंत्र में चुनाव निष्पक्ष एवं स्वतंत्र होते हैं । (vi) यहाँ हर व्यक्ति के वोट का एक समान महत्व होता है। (vii) लोकतंत्र में लोगों के बुनियादी अधिकारों की गारंटी होती है। (viii) कानून की नजर में सभी लोगों की समानता होनी चाहिए । (ix) लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायपालिका होती है। (x) लोकतंत्र में बहुमत प्राप्त दल का ही शासन होता है। (xi) सरकार संविधान द्वारा निर्धारित तौर-तरीकों व नियमों के अंदर ही कार्य करती है। (xii) चुनाव में अनेक दलों की भागीदारी होती है जिसके कारण लोगों के पास शासकों को बदलने का विकल्प और अवसर उपलब्ध होते हैं । चुनाव एक नियत समय पर होती है। (xiii) इस प्रकार के शासन की कुछ बुराइयाँ हैं जैसे—मूखों का शासन, काफी खर्चीला शासन, नैतिकता का अभाव आदि । बावजूद इसके आज दुनियाँ भर के देशों में लोकतंत्रीय शासन अपनाने की होड़ मची हुई है। यह विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ शासन प्रतीत होता है।

(ख) गैर-लोकतांत्रिक शासन-(i) कुछ ऐसी सरकारें भी हैं जो लोगों द्वारा निर्वाचित न होकर अन्य माध्यमों जैसे तख्तापलट, पारिवारिक . परम्परा आदि द्वारा स्थापित होती हैं। ऐसी सरकारों के अधिकारी अपने हित में शासन करते हैं। ऐसी शासन-व्यवस्था को गैर-लोकतांत्रिक शासन कहा जाता है । (ii) गैर-लोकतांत्रिक सरकार में अधिकारी अपनी भलाई के अनसार काम करते हैं। (ii) चनाव होने पर भी व्यापक पैमाने पर धोखाधड़ी व गड़बड़ियाँ की जाती हैं । (iv) सरकार जनता द्वारा वैधानिक ढंग से चनी हई नहीं होती । (v) चनाव नियत समय पर नहीं होते । (vi) स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका का अभाव होता है । (vii) अंतिम निर्णय लेने की शक्ति जनता के पास नहीं होती है। (viii) शासन संचालन में आम लोगों की भागीदारी नहीं होती। (ix) लोगों के अधिकारों की गारंटी नहीं होती है। (x) सरकार किसी संवैधानिक कानन के अन्दर काम नहीं करती। सच माने में उनका कोई संविधान ही नहीं होता। (xi) गैर-लोकतांत्रिक शासन प्रणाली एक आलोचित शासन प्रणाली है, जिससे जनता दूर भागती है।

प्रश्न 5.
सामान्य लोकतंत्र और एक बेहतर लोकतंत्र कौन है ? क्या सरकार
की परिधि से बाहर भी लोकतंत्र है ?
उत्तर-
लोकतंत्र सबसे अच्छी शासन व्यवस्था है। सामान्य और बेहतर लोकतंत्र कौन है ? क्या सरकार की परिधि से बाहर भी लोकतंत्र है ? आदि कई ऐसे प्रश्न हैं, जिनका ज्ञान हमें होना चाहिए।

किसी समस्या के समाधान के लिए घर के सभी सदस्य एक जगह पर मिल-जुल कर विचार-विमर्श के द्वारा फैसला करते हैं। अन्त में . फैसला सभी लोगों के विचार के अनुसार होता है।

मिल-जुल कर किया गया फैसला बुनियादी तौर-तरीके को उजागर करता है । इससे स्पष्ट होता है कि लोकतंत्र केवल सरकार तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसकी पहुँच संगठन, गाँव एवं परिवार तक है । इस प्रकार लोकतंत्र एक ऐसी व्यवस्था है जिसका प्रयोम जीवन के किसी भी क्षेत्र में हो सकता है।

एक बेहतर लोकतंत्र तभी होगा जब वहाँ का लोकतंत्र आदर्श लोकतंत्र के रूप में जाना जाए। जिसे पाने के लिए सभी देश प्रयासरत हैं। एक आदर्श के रूप में लोकतंत्र तभी आयेगा जब देश का कोई भी व्यक्ति भूखे पेट नहीं सोयेगा, सभी को वोट का समान अधिकार मिलेगा, सभी को समान रूप से सूचनाएँ उपलब्ध होगी, बुनियादी शिक्षा सभी को समान रूप से मिलेगा। अगर हम इस आदर्श पर लोकतंत्र को परखेंगे तो लगेगा कि दुनिया में कहीं भी लोकतंत्र नहीं आ पायेगा । लोकतंत्र में इन्हीं बुनियादी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया जाता है, जो लोकतंत्र का आदर्श है । अतः जहाँ निष्ठा से इन बुनियादी समस्याओं के समाधान का प्रयास किया जाता है वहाँ अच्छा लोकतंत्र है।

अतः लोकतंत्र मात्र राजनीतिक व्यवस्था है जो सामान्य रूप से जनहित में लगा है तथा काम चलाऊ है पर व्यापक अर्थ में लोकतंत्र एक राजनीतिक व्यवस्था ही नहीं वरन एक नैतिक धारणा तथा सामाजिक परिस्थिति भी है । लोकतंत्र एक सामान्य मनुष्य में निष्ठा पैदा करती है। यह जीवन जीने का एक ढंग प्रस्तुत करती है।

Bihar Board Class 9 Economics Solutions Chapter 4 बेकारी

Bihar Board Class 9 Social Science Solutions Economics अर्थशास्त्र : हमारी अर्थव्यवस्था भाग 1 Chapter 4 बेकारी Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Social Science Economics Solutions Chapter 3 गरीबी

Bihar Board Class 9 Economics बेकारी Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न :

अर्थशास्त्र कक्षा 9 Chapter 4 Question Answer Bihar Board प्रश्न 1.
देश की प्रमुख आर्थिक समस्या है ?
(क) उच्चशिक्षा
(ख) खाद्यान्न की प्रचुरता
(ग) क्षेत्रीय समानता
(घ) गरीबी तथा बेकारी
उत्तर-
(घ) गरीबी तथा बेकारी

अर्थशास्त्र कक्षा 9 Chapter 4 Bihar Board प्रश्न 2.
भारत में ग्रामीण क्षेत्र में पायी जाती है ?
(क) शिक्षित बेकारी
(ख) औद्योगिक बेकारी
(ग) अदृश्य बेकारी
(घ) चक्रीय बेकारी
उत्तर-
(ग) अदृश्य बेकारी

Bihar Board Class 9th Economics Solution प्रश्न 3.
बेकारी वह स्थिति है जब ?
(क) पूर्णतः इच्छा से काम नहीं करते ।
(ख) हम आलस्य से काम नहीं करते ।
(ग) हमें इच्छा एवं योग्यता होते हुए भी काम नहीं मिलता।
(घ) हम अशिक्षित एवं अपंग होते हैं।
उत्तर-
(ग) हमें इच्छा एवं योग्यता होते हुए भी काम नहीं मिलता।

Bihar Board Class 9 Economics Solution प्रश्न 4.
बिहार में पाई जानेवाली बेरोजगारी है ?
(क) घर्षणात्मक
(ख) चक्रीय
(ग) अदृश्य
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) अदृश्य

Bihar Board Solution Class 9 Social Science प्रश्न 5.
बिहार के ग्रामीण क्षेत्र में पाई जाती है ?
(क) औद्योगिक बेकारी
(ख) चक्रीय बेकारी
(ग) अदृश्य एवं मौसमी बेकारी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) अदृश्य एवं मौसमी बेकारी

Bihar Board Class 9 History Book Solution प्रश्न 6.
बिहार में अशिक्षितों की संख्या करीब निम्न में कितना प्रतिशत है ?
(क) 53 प्रतिशत
(ख) 40 प्रतिशत
(ग) 65 प्रतिशत
(घ) 47 प्रतिशत
उत्तर-
(क) 53 प्रतिशत

रिक्त स्थान की पूर्ति करें :

1. बेकारी वह स्थिति है जब काम चाहनेवाले तथा योग्य व्यक्ति को रोजगार ………………….नहीं होता ।
2. गरीबी तथा ………………….. भारत की प्रमुख समस्याएँ हैं।
3. ऐच्छिक बेकारी उस स्थिति को कहते हैं जब कोई व्यक्ति प्रचलित मजदूरी पर काम ………………… चाहता है।
4. छिपी हुई बेकारी की स्थिति में श्रमिक की सीमांत उत्पादकता नगण्य या ……………………..होती है।
5. भारत में शिक्षित बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण दोषपूर्ण ……………………….है।
6. बिहार में छुपी हुई एवं ……………….. बेकारी पाई जाती है।
7. बिहार में बेरोजगारी का एक कारण ………………… शिक्षा का अभाव है।
उत्तर-
1. उपलब्ध,
2. बेकारी,
3. नहीं,
4. शून्य,
5. शिक्षा प्रणाली
6. मौसमी,
7. पेशेवर।

लघु उत्तरीय प्रश्न

Bihar Board 9th Class Social Science Book Pdf प्रश्न 1.
आप बेरोजगारी से क्या समझते हैं ?
उत्तर-
काम करने वाले व्यक्तियों की इच्छा और योग्यता के अनुसार, प्रचलित मजदूरी पर काम नहीं मिल पाए तो ऐसी स्थिति को बेरोजगारी कहते हैं।

Bihar Board Class 9 Geography Solutions प्रश्न 2.
छिपी हुई बेकारी से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
जिसमें उत्पादन क्रिया में आवश्यकता से अधिक व्यक्ति का लगा रहना, जहाँ उसकी उत्पादकता लगभग शून्य के बराबर होती है।

Economics Class 9 Chapter 4 Bihar Board प्रश्न 3.
न्यून रोजगार की समस्या का वर्णन करें।
उत्तर-
श्रम-शक्ति जनसंख्या का ही फल है। श्रम-शक्ति में वृद्धि होने से भारत में बेरोजगारी बढ़ रही है और न्यून रोजगार की समस्या जटिल हो गई है। संसाधन की कमी है सो अलग।

प्रश्न 4.
भारत में रोजगार प्राप्ति की समस्या का वर्णन करें।
उत्तर-
अशिक्षा और प्रशिक्षण के अभाव में भारतीय मजदूर आधुनिक मशीनों से रु-ब-रु नहीं हो पाते हैं। रोजगार नहीं मिल पाता।

प्रश्न 5.
शिक्षित लोगों में बढ़ती हुई बेकारी के मुख्य कारण क्या हैं ? ।
उत्तर-
शिक्षित लोगों में बढ़ती हुई बेकारी का मुख्य कारण है हमारी दोषपूर्ण शिक्षा-प्रणाली।

प्रश्न 6.
शिक्षा को पेशेवर बनाने से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
भारत में शिक्षा को पेशवर बनाने की आवश्यकता है जिससे लोगों में कार्यकुशलता और क्षमता में वृद्धि होती है, स्वरोजगार से बेकारी की समस्या का बहुत कुछ हल संभव हो सकेगा।

प्रश्न 7.
बेरोजगारी के चार कारणों का वर्णन करें।
उत्तर-
देंखे दीर्घ उत्तरीय प्रश्न संख्या 1 के दूसरे भाग में।

प्रश्न 8.
बिहार में ग्रामीण बेकारी के समाधान के लिए कुछ उपाय बताएँ।
उत्तर-
दूर करने के उपाय-

(i) कृषि का विकास-बिहार की कृषि व्यवस्था बहुत उन्नतशील हो सकती है । पर अविकसित होने के कारण यहाँ मौसमी और छिपी हुई बेरोजगारी मिलती हैं । अतः कृषि का उचित एवं समुचित विकास होना जरूरी है। वहीं सिंचाई का साधन एवं वैज्ञानिक कृषि को प्रोत्साहन देना चाहिए।

(ii) ग्राम उद्योगों के विकास जैसे कुटीर एवं लघु उद्योगों की स्थापना । सब्जी एवं फल उत्पादन में बिहार एक अग्रणी राज्य है। इस पर पूर्ण ध्यान देना अनिवार्य है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बेकारी की परिभाषा दें। भारत में बेकारी के प्रमुख कारण क्या हैं ? समाधान के सुझाव दें।
उत्तर-
बेकारी की परिभाषा-जब काम चाहने वाले व्यक्तियों को उसकी इच्छा एवं योग्यता के अनुसार प्रचलित मजदूरी पर काम या रोजगार नहीं मिलता तब हम उसे बेरोजगारी की स्थिति कहते हैं। यही बेकारी है।

भारत में बेकारी के कारण-

  • जनसंख्या में तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण विभिन्न प्रकार की बेकारी को जन्म दे रही है। शहरों तथा गाँवों में बेकारी बढ़ रही है।
  • अशिक्षा- भारत में अशिक्षितों की संख्या 53.0 है। अत: इसके कारण भी बेकारी की दर में वृद्धि देखी जाती है।
  • कृषि का पिछड़ा होना- भारत की कृपि मानसून पर आधारित है, जो एक जुए के खेल के समान है। और इससे कहीं सुखाड़ तो कहीं बाढ़ का प्रकोप बना रहता है।
  • औद्योगीकरण का अभाव-भारत में आर्थिक विकास एवं औद्योगीकरण की गति बहुत मंद रही है इसलिए रोजगार का अवसर कम प्राप्त होता है।

पूँजी का अभाव-भारत में कृषि तथा अन्य उद्योगों में वांछित पूँजी का निवेश नहीं किया जा रहा है जिसके कारण प्रत्येक स्तर पर बेकारी देश एवं राज्य में फैल रही है । समाधान के सुझाव-

(क) सरकारी स्तर पर चलाई जा रही योजनाओं पर उचित ध्यान देकर उससे सहयोग प्राप्त करना चाहिए । 2006 से तीन योजनाओं को मिलाकर ‘सम्पूर्ण राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना 2006 संचालित है ।

(ख) गैर-सरकारी उपाय के अंतर्गत ‘कुटीर उद्योगों एवं लघु उद्योगों पर ध्यान देना चाहिए तथा व्यक्तिगत स्तर पर संसाधन जुटा कर स्वरोजगार का निर्माण करना चाहिए।

प्रश्न 2.
भारत में बेकारी की समस्या पर एक लेख लिखें। बेकारी की समस्या को कैसे दूर किया जा सकता है ?
उत्तर-
भारत में बेरोजगारी एक विकराल समस्या है। देश में बेकारी का यह स्वरूप है कि बेकारी बढ़ती ही जा रही है। भारत में बेकारी की समस्या का आकार निम्नलिखित हैनमूने का सर्वेक्षण और जनगणना रिपोर्ट I.N.S.S.O. (55 वे राउंड) के अनुसार भारत में 1999-2000 ई० में बेरोजगार लोगों की संख्या लगभग 26.6 मिलियन थी। बेरोजगार लोगों की इस कुल संख्या में लगभग 19.5 मिलियन ग्रामीण क्षेत्र में थे और 7.1 मिलियन शहरी क्षेत्र में। 19992000 ई० में बेरोजगारी दर 7.3% थी। 1987-88से 1999-2000 ई० के बीच बेरोजगारी दर में आए परिवर्तन इस प्रकार है
Bihar Board Class 9 Economics Solutions Chapter 4 बेकारी - 1
तालिका से स्पष्ट है 1987-88 से 1999-2000 के बीच ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी बहुत तेजी से बढ़ी है। पर शहरी क्षेत्र में गिरावट आई।

समस्या को दूर करने के उपाय-समस्या को दूर करने क निम्नलिखित उपाय हैं-

(i) रोजगार केन्द्रित एवं उत्पादन कार्यक्रम-उत्पादन तथा रोजगार दोनों को ही बढ़ावा मिलना चाहिए। साथ ही कुटीर उद्योगों, कृषि पर आधारित ग्रामीण उद्योगों, सिंचाई, डेयरी, मछली पालन आदि कार्यक्रम किए जा सकते हैं।

(ii) शिक्षा में सुधार-रोजगारों को प्रोत्साहन, पूँजी निर्माण की : में वृद्धि, विशिष्ट रोजगार सृजन कार्यक्रम आदि व्यवस्था होनी ताकि रोजगार मिल सके।

प्रश्न 3.
भारत में पाई जानेवाली विभिन्न प्रकार की बेकारी का विवरण : इसके समाधान के लिए आप क्या सुझाव देंगे।
उत्तर-
भारत में पाई जानेवाली विभिन्न प्रकार की बेकारी अग्रलिखित है-

(i) ग्रामीण बेरोजगारी-वैसी वेरोजगारी जो गाँवों में है। इसके भी दो प्रकार हैं
(क) मौसमी बेरोजगारी-मौसम में परिवर्तन द्वारा उत्पन्न बेकारी जैसे खेती के मौसम में काम मिलना और खेती का मौसम न होने पर बेकार हो जाना । गाँवों में रोपनी, पटौनी तथा कटनी के बाद कृषक मजदूर बैठ जाते हैं।

(ख) छिपी हुई बेरोजगारी-किसी काम में पाँच लोगों की आवश्यकता है लेकिन उनमें आठ लोग काम पर लगे होते हैं। इनमें तीन लोग अतिरिक्त हैं, इन तीनों द्वारा किया गया अंशदान पाँच लोगों द्वारा किए गये योगदान में वृद्धि नहीं करता, यानि कुल उत्पादकता में वृद्धि नहीं करता । इसे ही छिपी हुई बेरोजगारी कहते हैं।

(ii) शहरी बेरोजगारी-शहरों में पाई जानेवाली बेरोजगारी है । यह तीन तरह की होती हैं।

(क) शिक्षित बेरोजगारी-पढ़े-लिखे लोगों को जब रोजगार नहीं मिलता तब वह शिक्षित बेरोजगारी है ।

(ख) औद्योगिक बेरोजगारी-आधुनिक मशीनों के प्रयोग से बड़े-बड़े कारखानों से मजदूरों को हटाया जाना औद्योगिक बेरोजगारी है। कपड़ा मिलों से बड़ी संख्या में हैण्डलूम-बुनकर बेकार हो गए।

(ग) तकनीकी बेरोजगारी-अत्यधिक तकनीक के मशीनों के लगने से भी मजदूरों का हटाया जाना तकनीकी बेरोजगारी है। समाधान के उपाय-देंखे दीर्घ उत्तरीय प्रश्न 1 का तीसरा भाग।

प्रश्न 4.
‘समेकित ग्रामीण विकास कार्यक्रम’ के विशेष संदर्भ में विभिन्न रोजगार-सृजन कार्यक्रमों का परीक्षण करें। इसके क्रियान्वयन में सुधार के उपाय बताएँ।
उत्तर-
समेकित ग्रामीण विकास कार्यक्रम (IRDP-Integrated Rural Development Programme) गरीबी निवारण के लिए समन्वित ग्रामीण विकास का कार्यक्रम 1980 ई० से देश के सभी प्रखंडों में लागू किया गया । छठी पंचवर्षीय योजना का एक प्रमुख उद्देश्य गरीब वर्ग के व्यक्तियों के साधन तथा आय में वृद्धि कराना था। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के उद्देश्य से समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम लागू किया गया । इस कार्यक्रम में देश के लगभग 5000 प्रखंड शामिल किए गए थे । इसका उद्देश्य 1.5 करोड़ ऐसे गरीब परिवारों को लाभ पहुँचाना था जो गरीबी रेखा के नीचे थे। इस कार्यक्रम का 50 . प्रतिशत खर्च सरकार वहन करती है। छठी पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम को पर्याप्त सफलता मिली। इस योजना में 1,500 करोड़ रु० व्यय का आयोजन था, जबकि वास्तविक व्यय 1,787 करोड़ रु० हुआ। सातवीं पंचवर्षीय योजना तक इसका विस्तार 2 करोड ग्रामीण परिवारों को लाभ पहुँचाने का था। ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे अधिक संख्या गरीब भूमिहीन किसान, मजदूरों, छोटे किसानों, ग्रामीण शिल्पकारों, अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जन जाति के लोगों का है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य इसी वर्ग के लोगों को लाभ पहुँचाने का है। इसमें सुधार की कोई गुंजाइश नहीं।

प्रश्न 5.
भारत में शिक्षित बेरोजगारी के कारणों का वर्णन करें। इस समस्या का निराकरण कैसे किया जा सकता है।
उत्तर-
शिक्षा प्राप्त व्यक्ति को रोजगार नहीं मिलता तब उसे शिक्षित बेरोजगार कहते हैं । इस प्रकार की बेरोजगारी मुख्यतः शहरों में पाई जाती है तथा युवा वर्ग के व्यक्ति इसके शिकार हैं। इसका मुख्य कारण है

  • शिक्षा प्रणाली रोजगारोन्मुख नहीं
  • जनसंख्या में तेजी से वृद्धि के कारण मैट्रिक, स्नातक और स्नातकोत्तरों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है
  • रोजगार की समुचित व्यवस्था का न होना ।

निराकरण-

  • शिक्षा प्रणाली में सुधार-वर्तमान शिक्षा प्रणाली को रोजगारोन्मुख बनाने की आवश्यकता है ताकि लोग अपने पैरों पर खड़ा हो सके।
  • श्रम शक्ति का नियोजन-शिक्षित व्यक्ति एक श्रम है जिसका नियोजन आवश्यक हैं । व्यक्तियों के नियोजन के लिए उपयुक्त बाजार की व्यवस्था भी होनी चाहिए।
  • दृष्टिकोण में बदलाव-शिक्षित वर्ग की दृष्टि में बदलाव लाना आवश्यक है। उन्हें आवश्यकता पड़ने पर शारीरिक श्रम भी करना पड़ सकता है, अतः इसे करने में नहीं हिचकना चाहिए।

प्रश्न 6.
आप अदृश्य बेकारी से क्या समझते हैं ? समाधान के लिए उपाय बताएँ।
उत्तर-
कृषि के क्षेत्र में आवश्यकता से अधिक व्यक्ति लगे होने के कारण छिपी हुई या अदृश्य बेरोजगारी भी पाई जाती है । इसमें लोग प्रकट रूप से काम पर लगे हुए दिखाई पड़ते हैं पर उनकी उत्पादकता नगण्य या शून्य होती है । यदि उन्हें काम से हटा भी दिया जाए तो कृषि उत्पादन में कोई कमी नहीं होगी।

अदृश्य बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए कृषि पर से जनसंख्या के भार को कम करना आवश्यक होगा। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अन्य साधनों का विस्तार करना होगा। आज विश्व के अनेक अर्द्धविकसित देशों में कृषि-आधारित छोटे एवं घरेलू उद्योगों का शीघ्रता से विकास हो रहा है। ये उद्योग श्रम प्रधान होते हैं तथा इनमें ग्रामीण जनशक्ति का विस्तारपूर्वक प्रयोग किया जा सकता है ।

प्रश्न 7.
बिहार में ग्रामीण बेरोजगारी की समस्या के प्रमुख कारण क्या हैं ? आप इसे कैसे दूर करेंगे? .
उत्तर-
बिहार में ग्रामीण बेरोजगारी की समस्या जटिल है। इसके निम्नलिखित कारण हैं-
(i) कृषि का पिछड़ापन-समुचित जल प्रबंधन तथा शक्ति, परिवहन और विपणन से चारण के आभाव में कृषि का आधुनिकीकरण एवं वयवसायीकरण संभव नहीं हो सका । अतः राज्य अर्थव्यवस्था के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में रोजगार के अवसरों का विस्तार नहीं हो सका है।

(ii) कृषि की प्रधानता-कृषि बिहार की अर्थ व्यवस्था का आधार है। गैर कृषि क्षेत्र विशेषकर उद्योग-धंधों के अविकसित होने के कारण रोजगार के बहुत कम अवसर उपलब्ध हैं। राज्य की लगभग 80% जनसंख्या कृषि एवं उससे संबंधित क्रियाकलाप में लगी हुई है। कृषि पर जनसंख्या के इस बोझ के कारण ही गाँवों में बेरोजगारी की समस्या है।

(iii) कृषि आधारित उद्योगों का अविकसित होना-बिहार में कृषि उत्पादन पर आधारित उद्योग विकसित नहीं हैं। जिसके कारण बिहार की चीनी, जूट और कागज की मिलें बंद हो चुकी हैं। इससे बेरोजगारों की संख्या में वृद्धि हुई है।

दूर करने के उपाय-

(i) कृषि का विकास-बिहार की कृषि व्यवस्था बहुत उन्नतशील हो सकती है । पर अविकसित होने के कारण यहाँ मौसमी और छिपी हुई बेरोजगारी मिलती हैं । अतः कृषि का उचित एवं समुचित विकास होना जरूरी है। वहीं सिंचाई का साधन एवं वैज्ञानिक कृषि को प्रोत्साहन देना चाहिए।

(ii) ग्राम उद्योगों के विकास जैसे कुटीर एवं लघु उद्योगों की स्थापना । सब्जी एवं फल उत्पादन में बिहार एक अग्रणी राज्य है। इस पर पूर्ण ध्यान देना अनिवार्य है।

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions गद्य Chapter 7 परंपरा का मूल्यांकन

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 2 गद्य खण्ड Chapter 7 परंपरा का मूल्यांकन Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi Solutions गद्य Chapter 7 परंपरा का मूल्यांकन

Bihar Board Class 10 Hindi बहादुर Text Book Questions and Answers

बोध और अभ्यास

पाठ के साथ

Parampara Ka Mulyankan Bihar Board Class 10 प्रश्न 1.
परंपरा का ज्ञान किनके लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है और क्यों ?
उत्तर-
जो लोग साहित्य में युग-परिवर्तन करना चाहते हैं, क्रांतिकारी साहित्य रचना चाहते हैं, उनके लिए साहित्य की परंपरा का ज्ञान आवश्यक है। क्योंकि साहित्य की परंपरा से प्रगतिशील आलोचना का ज्ञान होता है जिससे साहित्य की धारा को मोड़कर नए प्रगतिशील साहित्य का निर्माण किया जा सकता है।

परंपरा का मूल्यांकन Bihar Board Class 10 प्रश्न 2.
परंपरा के मूल्यांकन में साहित्य के वर्गीय आधार का विवेक लेखक क्यों महत्त्वपूर्ण मानता है ?
उत्तर-
साहित्य की परम्परा का मूल्यांकन करते हुए सबसे पहले हम उस साहित्य का मूल्य निर्धारित करते हैं जो शोषक वर्गों के विरूद्ध श्रमिक जनता के हितों को प्रतिबिम्बित करता है। इसके साथ हम उस साहित्य पर ध्यान देते हैं जिसकी रचना का आधार शोषित जनता श्रम है। और यह देखने का प्रयत्न करते हैं कि वह वर्तमान काल में जनता के लिए कहाँ तक उपयोगी है और उसका उपयोग किस तरह हो सकता है।

Parampara Ka Mulyankan Question Answer Bihar Board Class 10 प्रश्न 3.
साहित्य का कौन-सा पक्ष अपेक्षाकृत स्थायी होना है ? इस संबंध में लेखक की राय स्पष्ट करें।
उत्तर-
साहित्य मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन से संबद्ध है। आर्थिक जीवन के अलावा मनुष्य एक प्राणी के रूप में भी अपना जीवन बिताता है। साहित्य में उसकी बहुत-सी आदिम भावनाएँ प्रतिफलित होती हैं जो उसे प्राणी मात्र से जोड़ती हैं। इस बात को बार-बार कहने में कोई हानि नहीं है कि साहित्य विचारधारा मात्र नहीं है। उसमें मनुष्य का इन्द्रिय बोध, उसकी भावनाएँ भी व्यजित होती हैं। साहित्य का यह पक्ष अपेक्षाकृत स्थायी होता है।

परम्परा का मूल्यांकन Bihar Board Class 10 प्रश्न 4.
“साहित्य में विकास प्रक्रिया उसी तरह सम्पन्न नहीं होती जैसे समाज में ‘लेखक का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
लेखक कहते हैं कि साहित्य में विकास प्रक्रिया सामाजिक विकास-क्रम की तरह नहीं होती है। सामाजिक विकास-क्रम में पूँजीवादी सभ्यता और समाजवादी सभ्यता में तुलना किया जा सकता है और एक-दूसरे को श्रेष्ठ एवं अधिक प्रगतिशील कहा जा सकता है। लेकिन साहित्य के विकास में इस तरह की बात नहीं है। यह आवश्यक नहीं है कि सामन्ती समाज के कवि की अपेक्षा पूँजीवादी समाज का कवि श्रेष्ठ है।

कवि अपने-अपने पूर्ववर्ती कवियों की रचनाओं का मनन करते हैं लेकिन अनुकरण नहीं करके स्वयं नई परम्पराओं को जन्म देते हैं। औद्योगिक उत्पादन और कलात्मक सौंदर्य ज्यों-का-त्यों नहीं बना रहता। अमेरिका ने एटम बम बनाया, रूस ने भी बनाया पर शेक्सपीयर के नाटकों जैसे चीज का उत्पादन दुबारा इंग्लैंड में भी नहीं हुआ। अतः साहित्य और समाज के विकास-क्रम में समानता नहीं हो सकती है।

परम्परा का मूल्यांकन Pdf Bihar Board Class 10 प्रश्न 5.
लेखक मानव चेतना को आर्थिक संबंधों से प्रभावित मानते हुए भी उसकी स्वाधीनता किन दृष्टांतों द्वारा प्रमाणित करता है ?
उत्तर-
लेखक के अनुसार आर्थिक सम्बन्धों से प्रभावित होना एक बात है, उनके द्वारा चेतना का निर्धारित होना और बात है। परिस्थिति और मनुष्य दोनों का संबंध द्वन्द्वात्मक है। यही कारण है कि साहित्य सापेक्ष रूप में स्वाधीन होता है। अमरीका और एथेन्स दोनों में गुलामी थी किन्तु एथेन्स की सभ्यता से यूरोप प्रभावित हुआ और गुलामों के अमरीकी मालिकों ने मानव संस्कृति को कुछ भी नहीं दिया। सामन्तवाद दुनिया भर में कायम रहा पर इस सामन्ती दुनिया में महान कविता के दो ही केन्द्र थे-भारत और ईराना पूँजीवादी विकास यूरोप के तमाम देशों में हुआ पर रैफेल, लेओनार्दो दा विंची और माइकेल एंजेलो इटली की देन हैं। इन दृष्टांतों के माध्यम से कहा गया है कि सामाजिक परिस्थितियों में कला का विकास सम्भव होता है। साथ ही यह भी देखा जाता है कि समान सामाजिक परिस्थितियाँ होने पर भी कला का समान विकास नहीं होता।

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solution प्रश्न 6.
साहित्य के निर्माण प्रतिभा की भूमिका स्वीकार करते हुए लेखक किन खतरों से अगाह करता है?
उत्तर-
लेखक साहित्य के निर्माण में प्रतिभाशाली मनुष्यों की भूमिका निर्णायक मानते हैं। लेकिन उन्होंने इस संबंध में सावधान किया है कि मनुष्य जो करते हैं वह सब अच्छा ही होता है, ये आवश्यक नहीं। उनके श्रेष्ठ रचना में दोष नहीं हो सकते ऐसी कोई बात नहीं। इनके कृतित्व को दोषमुक्त मान लेना साहित्य के विकास में खतरनाक सिद्ध हो सकता है। प्रतिभाशाली मनुष्य की अद्वितीय उपलब्धियों के बाद कुछ नया और उल्लेखनीय करने की गुंजाइश बनी रहती है।

Bihar Board Solution Class 10 Hindi प्रश्न 7.
राजनीतिक मूल्यों से साहित्य के मूल्य अधिक स्थायी कैसे होते हैं?
उत्तर-
लेखक कहते हैं कि साहित्य के मूल्य राजनीतिक मूल्यों की अपेक्षा अधिक स्थायी हैं। इसकी पुष्टि में अंग्रेज कवि टेनिसन द्वारा लैटिन कवि वर्जिल पर रचित उस कविता की चर्चा करते हैं जिसमें कहा गया है कि रोमन साम्राज्य का वैभव समाप्त हो गया। पर वर्जिल के काव्य सागर की ध्वनि तरंगें हमें आज भी सुनाई देती हैं और हृदय को आनन्द-विह्वल कर देती है। कह सकते हैं कि ब्रिटिश साम्राज्य के पतन के बाद जब उसका नाम लेने वाला नहीं रह जाएगा तब भी शेक्सपियर, मिल्टन और शेली विश्व संस्कृति के आकाश में पूर्व की भाँति जगमगाते नजर आएंगे और उनका प्रकाश पहले की अपेक्षा करोड़ों नई आँखें देखेंगी। इस प्रकार राजनीतिक मूल्य कालान्तर में नष्ट हो जाते हैं। पर साहित्य के मूल्य उत्तरोत्तर विकासोन्मुख रहते हैं।

Bihar Board Hindi Book Class 10 Pdf Download प्रश्न 8.
जातीय अस्मिता का लेखक किस प्रसंग में उल्लेख करता है और उसका क्या महत्त्व बताता है ?
उत्तर-
साहित्य के विकास में जातियों की भूमिका विशेष होती है। जन समुदाय जब एक व्यवस्था से दूसरी व्यवस्था में प्रवेश करते हैं, तब उनकी अस्मिता नष्ट नहीं हो जाती। मानव समाज बदलता है और अपनी पुरानी अस्मिता कायम रखता है जो तत्व मानव समुदाय को एक जाति के रूप में संगठित करते हैं, उनमें इतिहास और सांस्कृतिक परम्परा के आधार पर निर्मित यह अस्मिता का ज्ञान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। जातीय अस्मिता साहित्यिक परम्परा के ज्ञान का वाहक है।

Class 10th Hindi Bihar Board प्रश्न 9.
जातीय और राष्ट्रीय अस्मिताओं के स्वरूप का अंतर करते हुए लेखक दोनों में क्या समानता बताता है ?
उत्तर-
लेखक ने जातीय अस्मिता एवं राष्ट्रीय अस्मिता के स्वरूप का अन्तर करते हुए दोनों में कुछ समानता की चर्चा की है। जिस समय राष्ट्र के सभी तत्वों पर मुसीबत आती है, तब राष्ट्रीय अस्मिता का ज्ञान अच्छा हो जाता है। उस समय साहित्य परम्परा का ज्ञान भी राष्ट्रीय भाव जागृत करता है। जिस समय हिटलर ने सोवियत संघ पर आक्रमण किया, उस समय यह राष्ट्रीय अस्मिता जनता के स्वाधीनता संग्राम की समर्थ प्रेरक शक्ति बनी। इस युद्ध के दौरान खासतौर से रूसी जाति ने बार-बार अपनी साहित्य परम्परा का स्मरण किया। समाजवादी व्यवस्था कायम होने पर जातीय अस्मिता खण्डित नहीं होती वरन् और पुष्ट होती है।

गोधूलि भाग 1 Class 10 Pdf Bihar Board प्रश्न 10.
बहुजातीय राष्ट्र की हैसियत से कोई भी देश भारत का मुकाबला क्यों नहीं कर सकता?
उत्तर-
संसार का कोई भी देश बहुजातीय राष्ट्र की हैसियत से, इतिहास को ध्यान में रखे, तो भारत का मुकाबला नहीं कर सकता। यहाँ राष्ट्रीयता एक जाति द्वारा दूसरी जातियों पर राजनीतिक प्रभुत्व कायम करके स्थापित नहीं हुई। वह मुख्यतः संस्कृति और इतिहास की देन है। इस देश की तरह अन्यत्र साहित्य परंपरा का मूल्यांकन महत्वपूर्ण नहीं है। अन्य देश की तुलना में इस राष्ट्र के सामाजिक विकास में कवियों की विशिष्ट भूमिका है।

Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 11.
भारत की बहुजातीयता मुख्यत: संस्कृति और इतिहास की देन है। कैसे?
उत्तर-
भारतीय सामाजिक विकास में व्यास और वाल्मीकि जैसे कवियों की विशेष भूमिका रही है। महाभारत और रामायण भारतीय साहित्य की एकता स्थापित करती है। इस देश के कवियों ने अनेक जाति की अस्मिता के सहारे यहाँ की संस्कृति का निर्माण किया है। भारत में विभिन्न जातियों का मिला-जुला इतिहास रहा है। अर्थात् भारत के कवियों द्वारा निर्मित संस्कृति बहुजातीयता स्थापित करती है। साथ ही इतिहास भी बताता है कि यहाँ कभी एक जाति दूसरी जातियों पर प्रभुत्व स्थापित नहीं किया। यहाँ की संस्कृति ने एकता का पाठ पढ़ाया है। समरसता स्थापित करना सिखाया है। यही भाव राष्ट्रीयता की जड़ को मजबूत किया है।

प्रश्न 12.
किस तरह समाजवाद हमारी राष्ट्रीय आवश्यकता है ? इस प्रसंग में लेखक के विचारों पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
लेखक के अनुसार पूँजीवादी व्यवस्था में शक्ति का अपव्यय होता है। देश के साधनों का सबसे अच्छा उपयोग समाजवादी व्यवस्था में ही सम्भव है। समाजवादी व्यवस्था कायम होने पर जारशाही रूस नवीन राष्ट्र के रूप में पुनर्गठित हो गया। अनेक छोटे-बड़े राष्ट्र समाजवादी व्यवस्था कायम करने के बाद पहले की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली हो गए। समाजवादी व्यवस्था जिस राष्ट्र में कायम है वहाँ की प्रगति की रफ्तार पूँजीवादी देश की अपेक्षा तेज है। भारत की राष्ट्रीय क्षमता का पूर्ण विकास समाजवादी व्यवस्था में ही संभव है। वास्तव में समाजवाद हमारी राष्ट्रीय आवश्यकता है।

प्रश्न 13.
निबंध का समापन करते हुए लेखक कैसा स्वप्न देखता है ? उसके साकार करने में परंपरा की क्या भूमिका हो सकती है ? विचार करें।
उत्तर-
लेखक भारत में अधिक-से-अधिक लोगों के साक्षर होने का स्वप्न देखता है। जब हमारे देश की जनता साक्षर होगी, साहित्य पढ़ने का उसे अवकाश होगा, सुविधा होगी तब रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथ के करोड़ों नए पाठक होंगे। इस देश में बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान होगा। भाषा की सीमा में लोग नहीं बँधेगे बल्कि एक भाषा-भाषी दूसरे भाषा-भाषी की रचना को भी अभिरुचि लेकर पढ़ेंगे। यहाँ की विभिन्न भाषाओं में लिखा हुआ साहित्य जातीय सीमाएँ लाँधकर सारे देश की सम्पत्ति बनेगा। मानव संस्कृति की विशद् धारा में भारतीय साहित्य की गौरवशाली परम्परा का नवीन योगदान होगा। साहित्य की परम्परा के योगदान से एशिया की भाषाओं के साहित्य से गहरा परिचय होगा।

प्रश्न 14.
साहित्य सापेक्ष रूप में स्वाधीन होता है। इस मत को प्रमाणित करने के लिए लेखक ने कौन-से तर्क और प्रमाण उपस्थित किए हैं?
उत्तर-द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद मनुष्य की चेतना को आर्थिक सम्बन्धों से प्रभावित मानते हुए उएसको सापेक्ष स्वाधीनता स्वीकार करता है। भौतिकवाद का अर्थ भाग्यवाद नहीं है। सब कुछ परिस्थितियों द्वारा अनिवार्यतः निर्धारित नहीं हो जाता। मनुष्य और परिस्थितियों का सम्बन्ध द्वन्द्वात्मक है। यही कारण है कि साहित्य सापेक्ष रूप में स्वाधीन होता है। इसे प्रमाणित करने हेतु लेखक ने कहा है कि गुलामी अमरीका और एथेन्स दोनों में भी किन्तु एथेन्स की सभ्यता ने सारे यूरोप को प्रभावित किया और गुलामों के अमरीकी मालिकों ने मानव संस्कृति को कुछ भी नहीं दिया। पूँजीवादी विकास यूरोप के तमाम देशों में हुआ पर रैफेल, लेओनार्दो दा विंची और माइकेल एंजेलो इटली की देन हैं।

अंततः यहाँ प्रतिभाशाली मनुष्यों की भूमिका देखी जा सकती है। जब हम विचार करें तो पाते हैं कि साहित्य के निर्माण में प्रतिभाशाली मनुष्यों की भूमिका होते हुए भी साहित्य वहीं तक सीमित नहीं है। साहित्य के क्षेत्र में हमेशा कुछ नया करने की गुंजाइश बनी रहती है। अतः साहित्य सापेक्ष रूप में स्वाधीन होता है।

15. व्याख्या करें।
विभाजित बंगाल से विभाजित पंजाब की तुलना कीजिए, तो ज्ञात हो जाएगा कि साहित्य की परंपरा का ज्ञान कहाँ ज्यादा है, कहाँ कम है और इस न्यूनाधिक ज्ञान के सामाजिक परिणाम क्या होते हैं।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘परंपरा का मूल्यांकन’ नामक पाठ से ली गयी हैं। इन पक्तियों का संदर्भ इतिहास और संस्कृतिक परंपरा से जुड़ा हुआ है।

लेखक का कहना है कि जब मानव समाज बदलता है और वह अपनी पुरानी अस्मिता कायम रखता है तो जो तत्त्व मानव समुदाय को एक जाति के रूप में संगठित करते हैं, उनमें इतिहास और संस्कृति का अद्भुत योगदान है। इतिहास और संस्कृति परंपरा के आधार पर निर्मित यह अस्मिता का ज्ञान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

बंगाल विभाजित हुआ है, किन्तु पूर्वी और पश्चिमी बंगाल के लोगों को जबतक अपनी साहित्यिक परंपरा का ज्ञान रहेगा तब तक बंगाली जाति सांस्कृतिक रूप से अविभाजित रहेगी।

विभाजित बंगाल से विभाजित पंजाब की तुलना कीजिए, तो ज्ञात हो जाएगा कि साहित्य की परंपरा का ज्ञान कहाँ ज्यादा है, कहाँ कम है और इस न्यूनाधिक ज्ञान के सामाजिक परिणाम क्या होते हैं।

उपर्युक्त पंक्तियों का मूल आशय यह है कि इतिहास और संस्कृति किसी भी जाति को संगठित तथा प्रगतिशील बनने में सहायक होती है। सांस्कृतिक परंपरा से जुड़कर ही अस्मिता की रक्षा की जा सकती है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
पाठ से दस अविकारी शब्द चुनिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर-
इसका = इसका अर्थ बड़ा है।
यह = यह सुन्दर है।
ये = ये मनुष्य अच्छे हैं।
ऐसी = ऐसी कला श्रेष्ठ है।
इसीलिए = इसीलिए मोहन खेलता है।
कुछ = कुछ पुस्तक लाओ।
आजकल = आजकल व्यक्ति की पूजा होती है।
काफी = काफी निन्दा की जाती है।
किन्तु = किन्तु मदन व्यक्तिपूज्य का प्रचार करते हैं।
इसमें = इसमें अच्छी कविता का संग्रह है।

प्रश्न 2.
निम्नांकित पदों में विशेष्य का परिवर्तन कीजिए
उत्तर-
बुनियादी परिवर्तन = बुनियादी सुधार
मूर्त ज्ञान = मूर्तरूप
अभ्युदयशीलवर्ग = अभ्युदयशील समाज
समाजवादी व्यवस्था = समाजवादी लोग
श्रमिक जनता = श्रमिक शिक्षक
प्रगतिशील आलोचना = प्रगतिशील लेखक
अद्वितीय भूमिका = अद्वितीय उदाहरण
राजनीतिक मूल्य = राजनीतिक ज्ञाना

प्रश्न 3.
पाठ से संज्ञा के भेदों के चार-चार उदाहरण चुनें।
उत्तर-
जातिवाचक संज्ञा = मनुष्य, साहित्य, इन्द्रिय, भाषा।
व्यक्तिवाचक संज्ञा = शेक्सपियर, अमरीका, रूस, इंग्लैंड
समूहवाचक संज्ञा = समाज, वर्ग, कारखाना, जनसमुदाय।
भाववाचक संज्ञा = भावनाएँ, स्वाधीनता, कलात्मक, सर्वोच्चय।
द्रव्यवाचक संज्ञा = लकड़ी, चावल, पानी, दूध।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित सर्वनामों के प्रकार बताते हुए उनका वाक्य में प्रयोग करें-
उत्तर-
im

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

1. जो लोग साहित्य में युग-परिवर्तन करना चाहते हैं, जो लकीर के फकीर नहीं हैं, जो रूढ़ियाँ तोड़कर क्रांतिकारी साहित्य रचना चाहते हैं, उनके लिए साहित्य की परम्परा का ज्ञान सबसे ज्यादा आवश्यक है। जो लोग समाज में बुनियादी परिवर्तन करके वर्गहीन शोषणमुक्त समाज की रचना करना चाहते हैं; वे अपने सिद्धान्तों को ऐतिहासिक भौतिकवाद के नाम से पुकारते हैं। जो महत्त्व ऐतिहासिक भौतिकवाद के लिए इतिहास का है, वही आलोचना के लिए साहित्य की परम्परा का है। साहित्य की परम्परा के ज्ञान से ही प्रगतिशील आलोचना का विकास होता है।

प्रगतिशील आलोचना के ज्ञान से साहित्य की धारा मोड़ी जा सकती है और नए प्रगतिशील साहित्य का निर्माण किया जा सकता है। प्रगतिशील आलोचना किन्हीं अमूर्त सिद्धान्तों का संकलन नहीं है, वह साहित्य की परम्परा का मूर्त ज्ञान है और यह ज्ञान उतना ही विकासमान है जितना साहित्य की परम्परा।

प्रश्न
(क) प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है? और इसके रचनाकार कौन हैं?
(ख) साहित्य-परंपरा का ज्ञान किनके लिए अत्यन्त आवश्यक है? (ग) नये प्रगतिशील साहित्य का निर्माण कैसे किया जा सकता है ?
(घ) प्रगतिशील आलोचना क्या है ?
उत्तर-
(क) प्रस्तुत गद्यांश ‘परम्परा का मूल्यांकन’ शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसके लेखक रामविलास शर्मा हैं।
(ख) जो लोग साहित्यिक युग परिवर्तन करना चाहते हैं, रूढ़ियों को तोड़कर क्रांतिकारी साहित्य का सृजन करना चाहते है, उनके लिए साहित्य की परम्परा का ज्ञान अत्यन्त आवश्यक है।
(ग) नये प्रगतिशील साहित्य का निर्माण आलोचना के माध्यम से किया जा सकता है। जिस तरह ऐतिहासिक भौतिकवाद के लिए इतिहास का महत्त्व है उसी तरह आलोचना के लिए साहित्य की परम्परा का है।
(घ) साहित्य की परम्परा के ज्ञान से ही प्रगतिशील आलोचना का विकास होता है प्रगतिशील आलोचना साहित्य की परंपरा का मूर्त ज्ञान है।

प्रश्न 2.
साहित्य मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन से संबद्ध है। आर्थिक जीवन के अलावा मनुष्य एक प्राणी के रूप में भी अपना जीवन बिताता है। साहित्य में उसकी बहुत-सी आदिम भावनाएँ प्रतिफलित होती हैं जो उसे प्राणिमात्र से जोड़ती हैं। इस बात को बार-बार कहने में कोई हानि नहीं है कि साहित्य विचारधारा मात्र नहीं है। उसमें मनुष्य का इन्द्रिय-बोध, उसकी भावनाएँ भी व्यजित होती हैं। साहित्य का यह पक्ष अपेक्षाकृत स्थायी होता है।
प्रश्न-
(क) साहित्य का कौन-सा पक्ष स्थायी होता है ?
(ख) साहित्य मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन से संबद्ध है। कैसे?
(ग) साहित्य में कौन-कौन-से भाव व्यंजित होते हैं ?
(घ) साहित्य विचारधारा मात्र ही नहीं है। इसे स्पष्ट करें।’
उत्तर-
(क) साहित्य समाज का दर्पण है। साहित्य की वैसी विचारधाराएँ जिसमें इन्द्रिय बोध, भावनाएँ आदि सन्निहित रहती हैं वह साहित्य का स्थायी पक्ष होता है।
(ख) साहित्य का महल समाज की पृष्ठभूमि पर ही प्रतिष्ठित होता है। जिस काल में जिस प्रकार की सामाजिक परिस्थितियाँ थीं। उसी के अनुरूप ही साहित्य का सृजन हुआ। प्रत्येक युग के उत्तम और श्रेष्ठ साहित्य ने अपने प्रगतिशील विचारों-संस्कारों एवं भावात्मक संवेदनाओं का स्वरूप प्रदान किया है।
(ग) साहित्य में इन्द्रिय बोध एवं भावनाओं का स्वरूप व्यजित होता है।
(घ) साहित्यकार मस्तिष्क और हृदय संपन्न प्राणी है। जब कभी वह भावों और विचारों को प्रकट करना चाहता है, तब उसकी अभिव्यक्ति साहित्य के रूप में होती है। साहित्य युग एवं समाज का होकर भी युगांतकारी जीवन मूल्यों को प्रतिष्ठित कर, सुंदरतम समाज का रेखाचित्र प्रस्तुत करता है। इसमें रंग भरकर जीवंतता प्रदान कर देना पाठकों का कार्य होता है।

3. साहित्य में विकास-प्रक्रिया उसी तरह सम्पन्न नहीं होती जैसे समाज में। सामाजिक विकास-क्रम में सामन्ती सभ्यता की अपेक्षा पूँजीवादी सभ्यता को अधिक प्रगतिशील कहा जा सकता है और पूँजीवादी सभ्यता के मुकाबले समाजवादी सभ्यता को। पुराने चरखे और करघे के मुकाबले मशीनों के व्यवहार से श्रम की उत्पादकता बहुत बढ़ गई है।

पर यह आवश्यक नहीं है कि सामन्ती समाज के कवि की अपेक्षा पूँजीवादी समाज का कवि श्रेष्ठ हो। यह भी सम्भव है कि आधुनिक सभ्यता का विकास कविता के विकास का विरोधी हो और कवि स्वयं बिकाऊ माल बन रहा हो। व्यवहार में यही देखा जाता है कि 19वीं और 20वीं सदी के कवि-क्या भारत में क्या यूरोप में पुराने कवियों को घोटे जा रहे हैं और कहीं उनके आस-पास पहुँच जाते हैं तो अपने को धन्य मानते हैं। ये जो तमाम कवि अपने पूर्ववर्ती कवियों की रचनाओं का मनन करते हैं, वे उनका अनुकरण नहीं करते, उनसे सीखते हैं, और स्वयं नई परम्पराओं को जन्म देते हैं।

जो साहित्य दूसरों की नकल करके लिखा जाए, वह अधम कोटि का होता है और सांस्कृतिक असमर्थता का सूचक होता है। जो महान साहित्यकार है, उनकी कला की आवृत्ति नहीं हो सकती, यहाँ तक कि एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद करने पर उनका कलात्मक सौन्दर्य ज्यों-का-त्यों नहीं बना रहता। औद्योगिक उत्पादन और कलात्मक उत्पादन में यह बहुत बड़ा अन्तर है। अमेरिका ने एटमबम बनाया, रूस ने भी बनाया, पर शेक्सपियर के नाटकों जैसी चीज का उत्पादन दुबारा इंग्लैंड में भी नहीं हुआ।

प्रश्न
(क) औद्योगिक उत्पादन तथा कलात्मक उत्पादन में क्या अन्तर है?
(ख) किस तरह का साहित्य अधमकोटि की श्रेणी में रखा गया है ?
(ग) अनुदित भाषा का सौन्दर्य घट जाता है क्यों?
(घ) लेखक आज के कवियों को बिकाऊ क्यों मानता है?
उत्तर-
(क) औद्योगिक उत्पादन एवं कलात्मक उत्पादन दोनों एक-दूसरे से सौन्दर्यबोध में भिन्न है। औद्योगिक उत्पादन में सौन्दर्य की प्रधानता नहीं रहती है जबकि कलात्मक उत्पादन में सौन्दर्य ही उसका सब कुछ है। औद्योगिक उत्पादन अपनी उत्पादन क्षमता को प्रकट करता है तो कलात्मक उत्पादन सौन्दर्य एवं विस्तार को प्रकट करता है।
(ख) नकल का लिखा गया साहित्य अधम कोटि का होता है। वह सांस्कृतिक असमर्थता का सूचक होता है।
(ग) भाषा की लावण्यता ही उसका सौन्दर्यबोध है। अनुदित भाषा में लावण्यता क्षीण हो जाती है। बार-बार पढ़ने पर कोई-न-कोई एक नया रूप दिखाई देता है। उस साहित्य की लावण्यता अक्षुण्ण होती है। अनुदित भाषा में ये गुण नहीं दिखाई पड़ते हैं। यही कारण है कि अनुदित भाषा का सौंदर्य घट जाता है।
(घ) पुराने चरखे और करघे की अपेक्षा मशीनों के व्यवहार में उत्पादन क्षमता बढ़ गई है। ठीक इसी प्रकार आज के कवि सामाजिक परिस्थितियों के अनुरूप अपनी रचनाओं का सृजन नहीं करते हैं बल्कि पूँजीपतियों को आधार बनाकर या किसी रचना की नकल करते हैं। इसी कारण लेखक आज के कवियों को बिकाऊ मानता है।

4. द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद मनुष्य की चेतना को आर्थिक संबंधों को प्रभावित मानते हुए उसकी सापेक्ष स्वाधीनता स्वीकार करता है। आर्थिक संबंधों से प्रभावित होना एक बात है, उनके द्वारा चेतना का निर्धारित होना और बात है। भौतिकवाद का अर्थ भाग्यवाद नहीं है। सब कुछ परिस्थितियों – द्वारा अनिवार्यतः निर्धारित नहीं हो जाता। यदि मनुष्य परिस्थितियों का नियामक नहीं है तो परिस्थितियाँ भी मनुष्य की नियामक नहीं है। दोनों का संबंध द्वन्द्वात्मक है। यही कारण है कि साहित्य सापेक्ष रूप से स्वाधीन होता है।

प्रश्न
(क) पाठ और लेखक का नामोल्लेख करें।
(ख) द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद में मनुष्य की क्या स्थिति है ?
(ग) क्या मनुष्य की चेतना आर्थिक संबंधों से निर्धारित होती है ?
(घ) मनुष्य और परिस्थितियों का संबंध कैसा है ? इसका प्रभाव साहित्य पर क्या पड़ता है ?
उत्तर-
(क) पाठ-परम्परा का मूल्यांकन। लेखक-रामविलास शर्मा।
(ख) द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद मनुष्य की चेतना को आर्थिक संबंधों से प्रभावित मानते हुए उसकी सापेक्ष स्वाधीनता स्वीकार करता है।
(ग) मनुष्य की चेतना केवल आर्थिक संबंधों से निर्धारित नहीं होती।
(घ) मनुष्य परिस्थितियों का नियामक है, न परिस्थितियाँ मनुष्य का। दोनों का संबंध द्वन्द्वात्मक है। इस कारण ही साहित्य सापेक्ष रूप से स्वाधीन होता है।

5. साहित्य के निर्माण में प्रतिभाशाली मनुष्यों की भूमिका निर्णायक है। इसका यह अर्थ नहीं कि ये मनुष्य जो करते हैं, वह सब अच्छा ही अच्छा होता है, या उनके श्रेष्ठ कृतित्व में दोष नहीं होते। कला का पूर्णतः निर्दोष होना भी एक दोष है। ऐसा कला निर्जीव होती है। इसीलिए प्रतिभाशाली मनुष्यों की अद्वितीय उपलब्धियों के बाद कुछ नया और उल्लेखनीय करने की गुंजाइश बनी रहती है। आजकल व्यक्ति पूजा की काफी निन्दा की जाती है। किन्तु जो लोग सबसे ज्यादा व्यक्ति पूजा की निन्दा करते हैं, वे सबसे ज्यादा व्यक्ति पूजा का प्रचार भी करते हैं।

प्रश्न-
(क) साहित्य के निर्माण में किनकी भूमिका महत्त्वपूर्ण है ?
(ख) कैसी कला निर्जीव होती है ?
(ग) साहित्य का मूल्य राजनीतिक मूल्यों की अपेक्षा अधिक स्थायी क्यों है?
(घ) व्यक्ति पूजा का प्रचार कौन लोग करते हैं?
उत्तर-
(क) साहित्य निर्माण में प्रतिभाशाली मनुष्यों की भूमिका महत्त्वपर्ण है।
(ख) जिस कला में कोई दोष नहीं होता है वह निर्जीव होती है। दोषरहित कला में लावण्यता नहीं रहती है।
(ग) राजनीतिक मूल्य जीवन के सम-विषम परिस्थितियों से अवगत नहीं होते हैं। इनमें आलोचना सकारात्मक नहीं होती है। वे परस्पर एक-दूसरे का विरोध करते हैं किन्तु धरातल स्तर पर एक है। साहित्यिक मूल्य जीवन से जुड़ा हुआ रहता है। जीवन से इसका गहरा संबंध होता है। इसकी आलोचना न हो तो जीवन की सार्थकता ही समाप्त हो जायेगी। यही कारण हैं कि साहित्य का मूल्य राजनीतिक मूल्यों की अपेक्षा अधिक स्थायी है।
(घ) व्यक्ति पूजा की निन्दा करनेवाले लोग ही व्यक्ति पूजा का अधिक प्रचार-प्रसार करते हैं। वर्तमान परिस्थिति में यदि कोई महान बनना चाहे तो वह और कुछ नहीं किसी महान व्यक्ति की आलोचना करना शुरू दे। उसका आलोचनात्मक रूप ही महानता की सीढ़ी साबित होगा।

6. यदि कोई साहित्यकार आलोचना से परे नहीं है, तो राजनीतिज्ञ यह दावा और भी नहीं कर सकते, इसलिए कि साहित्य के मूल्य, राजनीतिक मूल्यों की अपेक्षा अधिक स्थायी है। अंग्रेज कवि टेनीसन ने लैटिन कवि वर्जिल पर एक बडी अच्छी कविता लिखी थी। इसमें उन्होंने कहा है कि रोमन साम्राज्य का वैभव समाप्त हो गया पर वर्जिल के काव्य-सागर की ध्वनि-तरंगें हमें आज भी सुनाई देती हैं और हृदय को आनन्द विह्वल कर देती है। कह सकते हैं कि जब ब्रिटिश साम्राज्य का कोई नामलेवा और पानीदेवा न रह जाएगा, तब शेक्सपियर, मिल्टन और शेली विश्व संस्कृति के आकाश में वैसे ही जगमगाते नजर आएंगे जैसे पहले और उनका प्रकाश पहले की अपेक्षा करोड़ों नई आँखें देख सकेंगी।

प्रश्न
(क) पाठ और लेखक का नाम लिखें।
(ख) राजनीतिज्ञ आलोचना से परे होने का दावा क्यों नहीं कर सकते?
(ग) टेनीसन कौन थे? उन्होंने क्या लिखा है ?
(घ) गद्यांश का आशय लिखिए।
उत्तर-
(क) पाठ-परम्परा का मूल्यांकन। लेखक-रामविलास शर्मा।
(ख) राजनीतिज्ञ आलोचना से परे होने का दावा नहीं कर सकते।
(ग) टेनीसन अंग्रेज कवि थे। उन्होंने लिखा है कि रोमन साम्राज्य का वैभव समाप्त हो गया पर लैटिन कवि वर्जिल के काव्य-सागर की ध्वनि की तरंगें आज भी सुनाई देती हैं और आनन्द प्रदान करती हैं।
(घ) राजनीति की अपेक्षा साहित्य के मूल्य अधिक स्थायी होते हैं। आज रोमन साम्राज्य नहीं है किन्तु लैटिन कवि वर्जिल की कविताएँ आज भी लोगों को आनंदित करती हैं। इसी प्रकार, अंग्रेजों का राज्य संसार से मिट गया किन्तु शेक्सपियर और मिल्टन तथा शेली विश्व-संस्कृति , के आकाश में जगमगा रहे हैं।

7. संसार का कोई भी देश, बहुजातीय राष्ट्र की हैसियत से, इतिहास को ध्यान में रखे तो, भारत का मुकाबला नहीं कर सकता। यहाँ राष्ट्रीयता एक जाति द्वारा दूसरी जातियों पर राजनीतिक प्रभुत्व कायम करके स्थापित नहीं हुई। वह मुख्यतः संस्कृति और इतिहास की देन है। इस संस्कृति के निर्माण में इस देश के कवियों का सर्वोच्च स्थान है। इस देश की संस्कृति से रामायण और महाभारत को अलग कर दें, तो भारतीय साहित्य की आन्तरिक एकता टूट जाएगी। किसी भी बहुजातीय राष्ट्र के सामाजिक विकास में कवियों की ऐसी निर्णायक भूमिका नहीं रही, जैसी इस देश में व्यास और वाल्मीकि की है। इसलिए किसी भी देश के लिए साहित्य की परम्परा का मूल्यांकन उतना महत्त्वपूर्ण नहीं है जितना इस देश के लिए है।

प्रश्न
(क) पाठ और लेखक का नाम लिखें।
(ख) संसार का कोई भी देश बहुजातीय राष्ट्र की हैसियत से भारत का मुकाबला क्यों नहीं कर सकता?
(ग) भारत की संस्कृति के निर्माण में किनका योगदान है ?
(घ) गद्यांश का आशय लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-परम्परा का मल्यांकन। लेखक-रामविलास शर्मा।
(ख) बहुजातीय राष्ट्र की हैसियत से संसार का कोई देश भारत का मुकाबला नहीं कर सकता क्योंकि इसकी राष्ट्रीयता किसी दूसरी जाति पर राजनीतिक प्रमुख कायम करके नहीं, इतिहास और सांस्कृतिक सामंजस्य पर स्थापित हुई हैं।
(ग) भारत की संस्कृति के निर्माण में यहाँ के कवियों-संतों का महत्त्वपूर्ण योगदान है। वस्तुतः भारतीय साहित्य की आन्तरिक एकता के आधार रामायण और महाभारत हैं। बहुजातीय राष्ट्र के सामाजिक विकास में वाल्मीकि और वेद व्यास की अनन्य भूमिका हैं। इसलिए यहाँ की साहित्यिक परम्परा का मूल्यांकन सबसे ज्यादा है।
(घ) संसार का कोई भी बहुजातीय देश भारत का मुकाबला नहीं कर सकता क्योंकि यहाँ की राष्ट्रीयता का आधार राजनीतिक प्रभुत्व नहीं रहा है। यहाँ की राष्ट्रीय एकता इतिहास और संस्कृति की देन है। इसके निर्माण में रामायण और महाभारत का तथा इनके रचयितों का महत्त्वपूर्ण योगदान है। इसलिए, यहाँ की साहित्यिक परम्परा का मूल्यांकन बहुत महत्त्वपूर्ण है।

8. और साहित्य की परम्परा का पूर्ण ज्ञान समाजवादी व्यवस्था में ही सम्भव है। समाजवादी संस्कृति पुरानी संस्कृति से नाता नहीं तोड़ती, वह उसे आत्मसात करके आगे बढ़ती है। अभी हमारे देश की निरक्षर, निर्धन जनता नए और पुराने साहित्य की महान उपलब्धियों के ज्ञान से वंचित है। जब वह साक्षर होगी, साहित्य पढ़ने का उसे अवकाश होगा, सुविधा होगी, तब व्यास और वाल्मीकि के करोड़ों नए पाठक होंगे। वे अनुवाद में ही नहीं, उन्हें संस्कृत में भी पढ़ेंगे।

और तब इस देश में इतने बड़े पैमाने पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान होगा कि सुब्रह्मण्यम भारती की कविताएँ मूलभाषा में उत्तर भारत के लोग पढ़ेंगे और रवीन्द्रनाथ की रचनाएँ मूलभाषा में तमिलनाडु के लोग पढ़ेंगे। यहाँ की विभिन्न भाषाओं में लिखा हुआ साहित्य जातीय सीमाएँ लाँघकर सारे देश की सम्पत्ति बनेगा। जिस भाषा के बोलनेवाले अधिकतर निरक्षर हैं और अपने साहित्यकारों का बहुत-से-बहुत नाम सुनते हैं, वे तो इनकी रचनाएँ पढ़ेंगे ही। और तब अंग्रेजी भाषाप्रभुत्व जमाने की भाषा न होकर वास्तव में ज्ञान-अर्जन की भाषा होगी। और हम केवल अंग्रेजी नहीं, यूरोप की अनेक भाषाओं के साहित्य का अध्ययन करेंगे, और एशिया की भाषाओं के साहित्य से हमारा परिचय गहरा होगा। तब मानव संस्कृति की विशद धारा में भारतीय साहित्य की गौरवशाली परम्परा का नवीन योगदान होगा।

प्रश्न-
(क) समाजवादी संस्कृति की क्या विशेषता है ?
(ख) साहित्य परम्परा का पूर्ण ज्ञान कहाँ संभव है ?
(ग) लेखक आशान्वित क्यों है ?
(घ) एशिया की भाषाओं से हमारा गहरा संबंध कब होगा?
उत्तर-
(क) समाजवादी संस्कृति पुरानी संस्कृति से अपना नाता नहीं तोड़ती है बल्कि उसे आत्मसात करके आगे बढ़ाती है।
(ख) साहित्य परम्परा का पूर्ण ज्ञान समाजवादी व्यवस्था में संभव है। ‘
(ग) लेखक भलीभांति जानता है कि भारत के अधिकांश लोग निरक्षर हैं। महान रचनाकारों  के नाम जानते हैं किन्तु उनकी रचना को पढ़ नहीं पाते हैं। जिस दिन ये साक्षर हो जायेंगे उस दिन ही ब्यास, कालिदास आदि जैसे रचनाकारों को जानेंगे ही नहीं बल्कि समृद्ध भारत की परिकल्पना करेंगे। किसी एक भाषा का नहीं प्रत्युत सभी भाषाओं का अवलोकन कर भारतीय साहित्य की गौरवशाली परम्परा का यथेष्ट सम्मान देंगे।
(घ) जब हम साक्षर होकर देश के सभी हिस्सों में साहित्य का प्रचार करेंगे, अंग्रेजी प्रभुत्व की भाषा न रहकर ज्ञान-अर्जन की भाषा होगी, यूरोप आदि की भाषाओं का अध्ययन करेंगे तब एशिया की भाषाओं से हमारा गहरा संबंध स्थापित होगा।

9. यदि समाजवादी व्यवस्था कायम होने पर जारशाही रूस नवीन राष्ट्र के रूप में पुनर्गठित हो सकता है, तो भारत में समाजवादी व्यवस्था कायम होने पर यहाँ की राष्ट्रीय अस्मिता पहले से कितना पुष्ट होगी, इसकी कल्पना की जा सकती है। वास्तव में समाजवाद हमारी राष्ट्रीय आवश्यकता है। पूँजीवादी व्यवस्था में शक्ति का इतना अपव्यय होता है कि उसका कोई हिसाब नहीं है। देश के साधनों का सबसे अच्छा उपभोग समाजवादी व्यवस्था में ही सम्भव है। अनेक छोटे-बड़े राष्ट्र, जो भारत से ज्यादा पिछड़े हुए थे, समाजवादी व्यवस्था कायम करने के बाद पहले की अपेक्षा कहीं ज्यादा शक्तिशाली हो गए हैं, और उनकी प्रगति की रफ्तार किसी भी पूँजीवादी देश की अपेक्षा तेज है। भारत की राष्ट्रीय क्षमता का पूर्ण विकास समाजवादी व्यवस्था में ही सम्भव है।

प्रश्न
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखें।
(ख) किस व्यवस्था में शक्ति का अपव्यय होता है ?
(ग) देश के साधनों का सबसे अच्छा उपभोग किस व्यवस्था में संभव हैं?
(घ) किस व्यवस्था में भारत की राष्ट्रीय क्षमता का पूर्ण विकास सम्भव है ?
(ङ) समाजवादी व्यवस्था से अनेक पिछड़े हुए राष्ट्र को क्या लाभ हुआ?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम- परम्परा का मूल्यांकना ।
लेखक का नाम-रामविलास शर्मा।
(ख) पूँजीवादी व्यवस्था में शक्ति का अत्यधिक अपव्यय होता है।
(ग) देश के साधनों का सबसे अच्छा उपभोग समाजवादी व्यवस्था में ही संभव है।
(घ) समाजवादी व्यवस्था में ही भारत की राष्ट्रीय क्षमता का पूर्ण विकास संभव है।
(ङ) समाजवादी व्यवस्था से अनेक छोटे-बड़े राष्ट्र शक्तिशाली हो गए। उनका पिछड़ापन दूर हो गया और उनकी प्रगति की रफ्तार तेज हो गयी।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. सही विकल्प चुनें-

प्रश्न 1.
रामविलास शर्मा निम्नांकित में क्या हैं?
(क) आलोचक
(ख) कवि
(ग) नाटककार
(घ) साहित्यकार
उत्तर-
(क) आलोचक

प्रश्न 2.
‘परम्परा का मूल्यांकन’ के लेखक कौन हैं ?
(क) नलिन विलोचन शर्मा
(ख) अशोक वाजपेयी
(ग) रामविलास शर्मा
(घ) भीमराव अम्बेदकर
उत्तर-
(ग) रामविलास शर्मा

प्रश्न 3.
‘परम्परा का मूल्यांकन’ निबंध किस पुस्तक से संकलित है ?
(क) भाषा और समाज
(ख) परम्परा का मूल्यांकन
(ग) भारत की भाषा समस्या
(घ) प्रेमचन्द और उन का युग
उत्तर-
(ख) परम्परा का मूल्यांकन

प्रश्न 4.
दूसरों की नकल कर लिखा गया साहित्य कैसा होता है?
(क) उत्तम
(ख) मध्यम
(ग) अधम
(घ) व्यग्य
उत्तर-
(ग) अधम

प्रश्न 5.
रैफल, लेअनार्दो दा विंची और ऐंजलो किसकी देन हैं ?
(क) इंग्लैंड की
(ख) फ्रांस की
(ग) इटली की
(घ) यूनान की
उत्तर-
(ग) इटली की

प्रश्न 6.
शेक्सपीयर कौन थे?
(क) नाटककार
(ख) कहानीकार
(ग) उपन्यासकार
(घ) निबन्धकार
उत्तर-
(क) नाटककार

II. रिक्त स्थानों की पर्ति

प्रश्न 1.
साहित्य का मनुष्य के ………… जीवन से संबंध है।
उत्तर-
सम्पूर्ण

प्रश्न 2.
गुलामों के…………..मालिकों ने मानव संस्कृति को कुछ नहीं दिया।
उत्तर-
अमरीकी

प्रश्न 3.
कला का पूर्णतः ……. होना भी एक दोष है।
उत्तर-
निर्दोष

प्रश्न 4.
मानव-समाज बदलता है और अपनी पुरानी…………….कायम रखता है।
उत्तर-
अस्मिता

प्रश्न 5.
टॉलस्टाय………..समाज के लोकप्रिय है।
उत्तर-
रूसी, साहित्यकार

प्रश्न 6.
…………हमारी राष्ट्रीय आवश्यकता है।
उत्तर-
समाजवाद

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
साहित्य में युग-परिवर्तन चाहनेवालों के लिए क्या जरूरी है ?
उत्तर-
साहित्य में युग-परिवर्तन चाहनेवालों के लिए साहित्य की परम्परा का ज्ञान आवश्यक है।

प्रश्न 2.
प्रगतिशील आलोचना का विकास कैसे होता है ?
उत्तर-
साहित्य की परम्परा के ज्ञान से प्रगतिशील आलोचना का विकास होता है।

प्रश्न 3.
साहित्य का कौन-सा पक्ष अपेक्षाकृत स्थायी होता है?
उत्तर
साहित्य जिसमें मनुष्य का इन्द्रिय-बोध, उसकी भावनाएँ व्यजित होती हैं, वह पक्ष अपेक्षाकृत स्थायी होता है।

प्रश्न 4.
मनुष्य और परिस्थितियों का संबंध कैसा है ?
उत्तर-
मनुष्य और परिस्थितियों का संबंध द्वन्द्वात्मक है।

प्रश्न 5.
शेली और बायरन की देन क्या है ?
उत्तर-
शेली और बायरन ने 19वीं सदी में स्वाधीनता के लिए लड़नेवाले यूनानियों की एकात्मकता की पहचान करने में बहुत परिश्रम किया।

प्रश्न 6.
इतिहास का प्रवाह कैसा होता है ? ,
उत्तर-
इतिहास का प्रवाह विच्छिन्न होता है और अविच्छिन्न भी।

प्रश्न 7.
भारतीय संस्कृति के निर्माण में किसका सर्वाधिक योगदान है?
उत्तर-
भारतीय संस्कृति के निर्माण में भारत के कवियों का सर्वाधिक योगदान है।

प्रश्न 8.
रामविलास शर्मा की दृष्टि से देश के साधनों का सबसे अच्छा उपयोग किस व्यवस्था में होता है ?
उत्तर-
रामविलास शर्मा की दृष्टि से देश के साधनों का सबसे अच्छा उपयोग समाजवादी व्यवस्था में ही हो सकता है।

परंपरा का मूल्यांकन लेखक का परिचय

हिन्दी आलोचना के महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर डॉ० रामविलास शर्मा का जन्म उन्नाव (उ० प्र०) के एक छोटे-से गाँव ऊँचगाँव सानी में 10 अक्टूबर 1912 ई० में हुआ था । उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से 1932 ई० में बी० ए० तथा 1934 ई० में अंग्रेजी साहित्य में एम० ए० किया। एम० ए० करने के बाद 1938 ई० तक शोधकार्य में व्यस्त रहे । 1938 से 1943 ई० तक उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में अध्यापन कार्य किया । उसके बाद वे आगरा के बलवंत राजपूत कॉलेज चले आए और 1971 ई० तक यहाँ अध्यापन कार्य करते रहे । बाद में आगरा विश्वविद्यालय के कुलपति के अनुरोध पर वे के० एम० हिंदी संस्थान के निदेशक बने और यहीं से 1974 ई० में सेवानिवृत्त हुए । 1949 से 1953 ई० तक रामविलास जी भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ के महामंत्री भी रहे । उनका निधन 30 मई 2000 ई० को दिल्ली में हुआ।

हिंदी गद्य को रामविलास शर्मा का योगदान ऐतिहासिक है । तर्क और तथ्यों से भरी हुई साफ पारदर्शी भाषा रामविलास जी के गद्य की विशेषता है। उन्हें भाषाविज्ञान विषयक परंपरागत दृष्टि को मार्क्सवाद की वैज्ञानिक दृष्टि से विश्लेषित करने तथा हिंदी आलोचना को वैज्ञानिक दृष्टि प्रदान करने का श्रेय प्राप्त है, । देशभक्ति और मार्क्सवादी चेतना रामविलास जी का केंद्र-बिंदु है। उनकी लेखनी से वाल्मीकि और कालिदास से लेकर मुक्तिबोध तक की रचनाओं का मूल्यांकन प्रगतिवादी चेतना के आधार पर हुआ है । उन्हें न केवल प्रगति विरोधी हिंदी आलोचना की कला एवं साहित्य विषयक भ्रांतियों के निवारण का श्रेय है, बल्कि स्वयं प्रगतिवादी आलोचना द्वारा उत्पन्न अंतर्विरोधों के उन्मूलन का गौरव भी प्राप्त है।

रामविलास जी ने हिंदी में जीवनी साहित्य को एक नया आयाम दिया । उन्हें ‘निराला की साहित्य साधना’ पुस्तक पर साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हो चुका है । उनकी अन्य प्रमुख रचनाओं के नाम हैं – ‘आचार्य रामचंद्र शुक्ल और हिंदी आलोचना’, ‘भारतेन्दु हरिश्चंद्र’, ‘प्रेमचंद और उनका युग’, ‘भाषा और समाज’, ‘महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिंदी नवजागरण’ ‘भारत की भाषा समस्या’, ‘नयी कविता और अस्तित्ववाद’, ‘भारत में अंग्रेजी राज और मार्क्सवाद’, ‘भारत के प्राचीन भाषा परिवार और हिंदी’, ‘विराम चिह्न’, ‘बड़े भाई’ आदि ।

पाठ के रूप में यहाँ रामविलास जी का निबंध प्रस्तुत है – ‘परंपरा का मूल्यांकन’ । यह निबंध इसी नाम की पुस्तक से किंचित संपादन के साथ संकलित है । यह निबंध समाज, साहित्य और परंपरा के पारस्परिक संबंधों की सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक मीमांसा एकसाथ करते हुए रूपाकार ग्रहण करता है । परंपरा के ज्ञान, समझ और मूल्यांकन का विवेक जगाता यह निबंध साहित्य की सामाजिक विकास में क्रांतिकारी भूमिका को भी स्पष्ट करता चलता है । नई पीढ़ी में यह निबंध परंपरा और आधुनिकता की युगानुकूल नई समझ विकसित करने में एक सार्थक हस्तक्षेप करता है।

परंपरा का मूल्यांकन Summary in Hindi

पाठ का सारांश

जो लोग साहित्य में युग-परिवर्तन करना चाहते हैं, जो लकीर के फकीर नहीं है, जो रूढ़ियाँ तोड़कर क्रांतिकारी साहित्य रचना चाहते हैं, उनके लिए साहित्य परम्परा का ज्ञान सबसे ज्यादा आवश्यक है। जो लोग समाज में बुनियादी परिवर्तन करके वर्गहीन शोषणमुक्त समाज की रचना करना चाहते हैं; वे अपने सिद्धान्तों को ऐतिहासिक भौतिकवाद के नाम से पुकारते हैं।

प्रगतिशील आलोचना किन्हीं अमूर्त सिद्धान्तों का संकलन, नहीं है, वह साहित्य की परम्परा का मूर्त ज्ञान है। और यह ज्ञान उतना ही विकासमान है जितना साहित्य की परम्परा।

साहित्य की परंपरा का मूल्यांकन करते हुए सबसे पहले हम उस साहित्य का मूल्य निर्धारित करते हैं जो शोषक वर्गों के विरुद्ध श्रमिक जनता के हितों को प्रतिबिम्बित करता है।
साहित्य में मनुष्य की बहुत-सी आदिम भावनाएँ प्रतिफलित होती हैं जो उसे प्रतिमात्र से जोड़ती हैं। उसमें मनुष्य का इन्द्रिय-बोध, उसकी भावनाएँ भी व्यजित होती है। साहित्य का यह पक्ष अपेक्षाकृत स्थायी होता है।

साहित्य के निर्माण में प्रतिभाशाली मनुष्यों की भूमिका निर्णायक है। इसका यह अर्थ नहीं कि ये मनुष्य जो करते हैं, वह सब अच्छा ही अच्छा होता है, या उनके श्रेष्ठ कृतित्व में दोष नहीं होते। कला का पूर्णतः निर्दोष होना भी एक दोष है। साहित्य के मूल्य, राजनीतिक मूल्यों की अपेक्षा अधिक स्थायी है। अंग्रेज कवि टेनीसन ने लैटिन कवि वर्जिल पर एक बड़ी अच्छी कविता लिखी थी। इसमें उन्होंने कहा कि रोमन साम्राज्य का वैभव समाप्त हो गया पर वर्जिल के काव्य सागर की ध्वनि-तरंगें हमें आज भी सुनाई देती हैं और हृदय को आनन्द-विह्वल कर देती है। कह सकते हैं कि जब ब्रिटिश साम्राज्य का कोई नामलेवा और पानी देने वाला न रह जाएगा, तब शेक्सपियर, मिल्टन और शैली विश्व संस्कृति के आकाश में वैसे ही जगमगाते नजर आएँगे जैसे पहले, और उनके प्रकाश पहले की अपेक्षा करोड़ों नई आँखें देखेंगी।

संसार का कोई भी देश, बहुजातीय राष्ट्र की हैसियत से, इतिहास को ध्यान में रखें तो भारत का मुकाबला नहीं कर सकता। यहाँ राष्ट्रीयता एक जाति द्वारा दूसरी जातियों पर राजनीतिक प्रभुत्व कायम करके स्थापित नहीं हुई। वह मुख्यत: संस्कृति और इतिहास की देन है। इस संस्कृति के निर्माण में इस देश के कवियों का सर्वोच्च स्थान है। इस देश की संस्कृति से रामायण और महाभारत को अलग कर दें, तो भारतीय साहित्य की आन्तरिक एकता टूट जाएगी। किसी भी बहुजातीय राष्ट्र की सामाजिक विकास में कवियों की ऐसी निर्णायक भूमिका नहीं रही, जैसी इस देश में व्यास और वाल्मीकि की है।

समाजवाद हमारी राष्ट्रीय आवश्यकत्ता है। पूँजीवादी व्यवस्था में शक्ति का इतना अपव्यय होता है कि उसका कोई हिसाब नहीं है। देश की साधनों का सबसे अच्छा उपीोग समाजवादी व्यवस्था कायम करने के बाद पहले की अपेक्षा कहीं ज्यादा शक्तिशाली हो गए हैं और उनकी प्रगति की रफ्तार किसी भी पूँजीवादी देश की अपेक्षा तेज है। साहित्य की परम्परा का पूर्ण ज्ञान समाजवादी व्यवस्था में ही सम्भव है। समाजवादी संस्कृति पुरानी संस्कृति से नाता नहीं तोड़ती, वह उसे आत्मसात करके आगे बढ़ती है।

अभी हमारे निरक्षर निर्धन जनता नए और पुराने साहित्य की महान उपलब्धियों के ज्ञान से वंचित है। जब वह साक्षर होगी, साहित्य पढ़ने का उसे अवकाश होगा, सुविधा होगी, तब व्यास और वाल्मीकि के करोड़ों नए पाठक होंगे। तब मानव संस्कृति की विशद धारा में भारतीय साहित्य की गौरवशाली परम्परा का नवीन योगदान होगा।

शब्दार्थ

प्रगतिशील आलोचना : जो आलोचना सामाजिक विकास को महत्त्व देती हो
भौतिकवाद : वह विचारधारा जो चेतना या भाव का मूल पदार्थ को मानती हो
अमूर्त : जो मूर्त न हो, जो दिखाई न पड़े, भावमय
विकासमान : विकास करता हुआ
प्रतिबिंबित : झलकता हुआ, जिसकी छाया दिखलाई पड़े
अभ्युदयशील : तरक्की करता हुआ, उन्नतिशील
ह्रासमान : नष्ट होता हुआ, छीजता हुआ, मरता हुआ
यथष्ट : पर्याप्त
आत्मि : अतिप्राचीन, सबसे पहला
व्यजित : प्रकट, ध्वनित, अभिव्यक्त
पूर्ववर्ती : जो पहले से विद्यमान हो, पहले से मौजूद रहनेवाला, पूर्वज
नियामक : निर्मित और नियमबद्ध करनेवाला
द्वंद्वात्मक : जिसमें दो परस्पर विरोधी स्थितियों या पक्षों का संघर्ष हो
नामलेवा : नाम लेने वाला, उत्तराधिकारी
अस्मिता : अस्तित्व, पहचान
एकात्मकता : एकता, आत्मा की एकता
अविच्छिन्न : लगातार, निरंतर, अटूट
न्यूनाधिक : कमोबेश
समर्थ : सक्षम, सुयोग्य
वंचित : अभावग्रस्त
प्रभुत्व : अधिकार, स्वामित्व
विशद : व्यापक, विस्तृत
पुनर्गठित : फिर से व्यवस्थित
अपव्यय : फिजूलखर्ची
आत्मसात् : अपना हिस्सा बनाना, अपने में समाहित कर लेना

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 1C वन एवं वन्य प्राणी संसाधन

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions Geography भूगोल : भारत : संसाधन एवं उपयोग Chapter 1C वन एवं वन्य प्राणी संसाधन Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science Geography Solutions Chapter 1C वन एवं वन्य प्राणी संसाधन

Bihar Board Class 10 Geography वन एवं वन्य प्राणी संसाधन Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

वन एवं वन्य प्राणी संसाधन Bihar Board Class 10 प्रश्न 1.
भारत में 2001 में कितने प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र में वन का विस्तार है?
(क) 25
(ख) 19.27
(ग).20
(घ) 20.60
उत्तर-
(ख) 19.27

वन एवं वन्य जीव संसाधन Class 10 Important Questions प्रश्न 2.
वन स्थिति रिपोर्ट के अनुसार भारत में वन का विस्तार है।
(क) 20.60% भौगोलिक क्षेत्र में
(ख) 20.55% भौगोलिक क्षेत्र में
(ग) 20% भौगोलिक क्षेत्र में
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) 20.55% भौगोलिक क्षेत्र में

वन एवं वन्य जीवों का महत्व Bihar Board Class 10 प्रश्न 3.
बिहार में कितने प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र में वन का फैलाव है ?
(क) 15
(ख) 20
(ग) 10
(घ) 5
उत्तर-
(घ) 5

वन एवं वन्य जीव संसाधन के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 प्रश्न 4.
पूर्वोत्तर राज्यों के 188 आदिवासी जिलों में देश के कुल क्षेत्र का कितना प्रतिशत वन
(क) 75
(ख) 80.05
(ग) 90.03
(घ) 60.11
उत्तर-
(घ) 60.11

वन एवं वन्य जीव संसाधन Class 10 Bihar Board प्रश्न 5.
किस राज्य में वन का सबसे अधिक विस्तार है ?
(क) केरल
(ख) कर्नाटक
(ग) मध्य प्रदेश
(घ) उत्तर प्रदेश
उत्तर-
(ग) मध्य प्रदेश

वन एवं वन्य जीव संसाधन Bihar Board Class 10 प्रश्न 6.
वन संरक्षण एवं प्रबंधन की दृष्टि से वनों को वर्गीकृत किया गया है
(क) 4 वर्गों में
(ख) 5 वर्गों में
(ग) 5 वर्गों में
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) 5 वर्गों में

वन्य जीव संरक्षण प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 प्रश्न 7.
1951 से 1980 तक लगभग कितना वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र कृषि-भूमि में परिवर्तित हुआ?
(क) 30,000
(ख) 26,200
(ग) 25,200
(घ) 35,500
उत्तर-
(ख) 26,200

वन्य प्राणियों के नष्ट होने के तीन कारण Bihar Board Class 10 प्रश्न 8.
संविधान की धारा 21 का संबंध है
(क) वन्य जीवों तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण
(ख) मृदा संरक्षण
(ग) जल संसाधन संरक्षण
(घ) खनिज सम्पदा संरक्षण
उत्तर-
(क) वन्य जीवों तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण

वन एवं वन्य जीव Bihar Board Class 10 प्रश्न 9.
एक ए ओ की वानिकी रिपोर्ट के अनुसार 1948 में विश्व में कितने हेक्टेयर भूमि पर वन का विस्तार था।
(क) 6 अरब हेक्टेयर
(ख) 4 अरब हेक्टेयर
(ग) 8 अरब हेक्टेयर में
(घ) 5 अरब हेक्टेयर में
उत्तर-
(ख) 4 अरब हेक्टेयर

प्रश्न 10.
प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण 1968 में कौन-सा कनवेंशन हुआ था?
(क) अफ्रीकी कनवेंशन
(ख) वेटलैंड्स कनवेंशन
(ग) विश्व आपदा कनवेंशन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क) अफ्रीकी कनवेंशन

प्रश्न 11.
इनमें कौन-सा जीव है जो केवल भारत ही में पाया जाता है ?
(क) घड़ियाल
(ख) डॉलफिन
(ग) ह्वेल
(घ) कछुआ
उत्तर-
(ख) डॉलफिन

प्रश्न 12.
भारत का राष्ट्रीय पक्षी है।
(क) कबूतर
(ख) हंस
(ग) मयूर
(घ) तोता
उत्तर-
(ग) मयूर

प्रश्न 13.
मैंग्रोव्स का सबसे अधिक विस्तार है
(क) अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह के तटीय भाग में
(ख) सुन्दरवन में
(ग) पश्चिमी तटीय प्रदेश में
(घ) पूर्वोत्तर राज्य में
उत्तर-
(ख) सुन्दरवन में

प्रश्न 14.
टेक्सोल का उपयोग होता है
(क) मलेरिया में
(ख) एड्स में
(ग) कैंसर में
(घ) टी.बी. के लिए
उत्तर-
(ग) कैंसर में

प्रश्न 15.
‘चरक’ का संबंध किस देश से था?
(क) म्यनमार से
(ख) श्रीलंका से
(ग) भारत से
(घ) नेपाल से
उत्तर-
(ग) भारत से

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बिहार में वन सम्पदा की वर्तमान स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
बिहार विभाजन के बाद वन विस्तार में बिहार राज्य दयनीय हो गयी है, क्योंकि वर्तमान बिहार में अधिकतर भूमि कृषि योग्य है। मात्र 6764.14 हेक्टेयर में वन क्षेत्र बच गया है। यह भोगोलिक क्षेत्र का मात्र 7.1 प्रतिशत है। बिहार के 38 जिलों में से 17 जिलों से वन क्षेत्र समाप्त हो गया है। पश्चिमी चम्पारण, मुंगेर, बांका, जमुई, नवादा, नालन्दा, गया, रोहतास, कैमूर और औरंगाबाद जिलों के वनों की स्थिति कुछ बेहतर है, जिसका कुल क्षेत्रफल 3700 वर्ग किमी है। शेष में अवक्रमित वनक्षेत्र है, वन के नाम पर केवल झाड़-झरमूट बच गए हैं।

प्रश्न 2.
वन विनाश के मुख्य कारकों को लिखें।
उत्तर-
वन विनाश के मुख्य कारक निम्न हैं-

  • कृषिगत भूमि का फैलाव
  • नदी घाटी परियोजनाओं के विकास के कारण
  • पशुचारण एवं ईंधन के लिए लकड़ियों का उपयोग
  • पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार भारत के कई क्षेत्रों में वाणिज्य की दृष्टि से एकल वृक्षारोपण करने से पेड़ों की दूसरी जातियाँ नष्ट हो गयीं, जैसे सागवान के एकल रोपण से दक्षिण भारत में अन्य प्राकृतिक वन बर्बाद हो गए।
  • भोजन, सुरक्षा एवं आनन्द के लिए वन्य जीवों का शिकार भी वन विनाश का एक मुख्य कारक है।

प्रश्न 3.
वन के पर्यावरणीय महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
वन एवं वन्य प्राणी मानव जीवन के प्रमुख हमसफर हैं। वन पृथ्वी के लिए सुरक्षा कवच जैसा है। यह केवल एक संसाधन ही नहीं, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में महत्वपूर्ण घटक है। यह जीवमंडल में सभी जीवों को संतुलित स्थिति में जीने के लिए अथवा संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में सर्वाधिक योगदान देता है क्योंकि सभी जीवों के लिए खाद्य ऊर्जा का प्रारंभिक स्रोत वनस्पति ही है।

प्रश्न 4.
वन्य-जीवों के ह्रास के चार प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
वन्य जीवों के हास के चार प्रमुख कारक निम्न हैं

  • प्राकृतिक आवासों का अतिक्रमण यातायात की सुविधाओं में वृद्धि आदि कारणों से – जीवों के प्राकृतिक आवासों का अतिक्रमण हो रहा है जिससे वन्य जीवों की सामान्य वृद्धि प्रजनन क्षमता में कमी आ गई।
  • प्रदूषण जनित समस्या प्रदूषण के कारण वन्य जीवों का जीवन-चक्र प्रभावित हो रहा है।
  • आर्थिक लाभ- अनेक वन्य जीवों एवं उसके उत्पाद का उपयोग आर्थिक लाभ के लिए हो रहा है जिससे उनका दोहन हो रहा है।
  • सह विलुप्तता-जब एक जाति विलुप्त होती है तब उसपर आधारित दूसरी जातियाँ भी विलुप्त होने लगती हैं।

प्रश्न 5.
वन और वन्य जीवों के संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
सहयोगी रीति-रिवाजों का वन और वन्य जीवों के संरक्षण में काफी महत्वपूर्ण योगदान है। ग्रामीण लोग कई धार्मिक अनुष्ठानों में 100 से अधिक पादप प्रजातियों का प्रयोग करते हैं और इन पौधों को अपने खेतों में भी उगाते हैं।
आदिवासियों को अपने क्षेत्र में पाये जाने वाले पेड़-पौधों तथा वन्य जीवों से भावनात्मक एवं आत्मीय लगाव होता है। वे प्रजननकाल में मादा वन पशुओं का शिकार नहीं करते हैं। वन संसाधनों का उपयोग चक्रीय पद्धति से करते हैं। वन के खास क्षेत्रों को सुरक्षित रख उसमें प्रवेश नहीं करते हैं।

प्रश्न 6.
चिपको आन्दोलन.क्या है ?
उत्तर-
उत्तर प्रदेश टेहरी-गढ़वाल पर्वतीय जिले में सुन्दरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में अनपढ़ जनजातियों द्वारा 1972 में एक आन्दोलन शुरू हुआ, जिसे चिपको आन्दोलन कहा जाता है। इस आन्दोलन में स्थानीय लोग ठेकेदारों को हरे-भरे पौधों को काटते देख, उसे बचाने के लिए अपने आगोश में पौधों को घेर कर उसकी रक्षा करते हैं। इसे कई देशों में स्वीकारा गया।

प्रश्न 7.
कैंसर रोग के उपचार में वन का क्या योगदान है ?
उत्तर-
हिमालय यव (चीड़ के प्रकार का सदाबहार वृक्ष टेक्सस बेनकेटा एवं टी. ब्रव्ही फोलिया) एक औषधीय पौधा है जो हिमालय और अरुणाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों में पाया जाता .. है। चीड़ की छाल, पत्तियों, टहनियों और जड़ों से टैक्सोल नामक रसायन निकाला जाता है। इससे कैंसर रोधी औषधि बनायी जाती है। यह विश्व में सबसे अधिक बिकने वाली कैंसर औषधि है।

प्रश्न 8.
दस लुप्त होने वाली पशु-पक्षियों का नाम लिखिए।
उत्तर-
एशियाई चीता, गुलाबी सिर वाला बत्तख, डोडो, गिद्ध (भारत), थाईलैंसीन (आस्ट्रेलिया), ‘स्टीलर्स सीकाउ (रूस), शेर की तीन प्रजातियाँ (बाली, जावन एवं कास्पियन) (अफ्रिका), कस्तुरी मृग, चीतल इत्यादि।

प्रश्न 9.
वन्य जीवों के हास में प्रदूषण जनित समस्या पर अपना विचार स्पष्ट करें।
उत्तर-
पराबैंगनी किरणें, अम्ल वर्षा और हरितगृह प्रभाव प्रमुख प्रदूषक हैं जिन्होंने वन्य जीवों को काफी प्रभावित किया है। इसके अलावे वायु, जल एवं मृदा प्रदूषण के कारण वन एवं वन्य जीवों का जीवनचक्र गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है। इससे इनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है। फलस्वरूप धीरे-धीरे वन्य जीवन संकटग्रस्त होते जाता है।

प्रश्न 10.
भारत के दो प्रमुख जैवमंडल क्षेत्र का नाम क्षेत्रफल एवं प्रान्तों का नाम बतावें।
उत्तर-

  • नीलगिरि -5520
  • वर्ग किमी – तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक।
  • मानस-2,837 वर्ग किमी – असम।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वन एवं वन्य जीवों के महत्व का विस्तार से वर्णन करें।
उत्तर-
वन एवं वन्य जीव हमारी धरा पर अमूल्य धरोहर हैं। ये मानव जीवन के प्रमुख हमसफर हैं। वन पृथ्वी के लिए सुरक्षा कवच हैं।
वन एवं वन्य जीवों के महत्व निम्नलिखित हैं

(i) प्राकृतिक संतुलन-वन एवं वन्य जीव प्राकृतिक संतुलन कायम रखने में मदद करते हैं। जैसे-आवास एवं अन्य कार्यों के लिए जंगल काटे जाने से अनेक पारिस्थितिक समस्याएँ उत्पन्न हुईं जैसे मृदा अपरदन, अनावृष्टि, अतिवृष्टि इत्यादि का सामना करना पड़ा।

(ii) आर्थिक महत्व-वन एवं वन्य जीवों से अनेक ऐसे उत्पाद प्राप्त होते हैं जिनका आर्थिक महत्व बहुत अधिक होता है। जैसे—कीमती लकड़ियाँ, जड़ी-बूटियाँ, हाथी दाँत, चमड़ा इत्यादि।

(iii) वैज्ञानिक उपयोगिता-वन्य प्राणी पर किये गए प्रयोगों के जरिए शरीर रचना, कार्यिकीय तथा पारिस्थितिक तथ्यों का अपार ज्ञान प्राप्त हुआ है। नयी औषधियों के गुण अथवा नयी शल्य चिकित्सा प्रणाली की महत्ता की जाँच पहले मेढक खरमोश, बंदर भेड़ा इत्यादि वन्य प्राणियों पर ही किये जाते हैं।

(iv) सांस्कृतिक महत्व और धार्मिक लगाव-अनादिकाल से ही मनुष्य का वन्य जीवों से सांस्कृतिक एवं धार्मिक लगाव रहा है। मनुष्य पीपल, बरगद, तुलसी, आँवला इत्यादि की पूजा करता रहा है। हिन्दू धर्म में मत्स्य, नरसिंह, हनुमान इत्यादि को देवताओं का अवतार समझा जाता है। बाघ, गरुड़, चूहा, बैल इत्यादि को दुर्गा, विष्णु, गणेश, शिव इत्यादि देवताओं का वाहन समझा जाता है। पौराणिक कथाएँ एवं साहित्य वन्य जंतुओं के विवरण से भरे हुए हैं।

(v) क्रीड़ा तथा आनन्द अनुभव हमारे देश में वन्य जीवों की बहुलता है और वे क्रीडा तथा आनन्द अनुभूति के अपार स्रोत हैं। भिन्न-भिन्न पशुओं तथा पक्षियों की क्रीड़ाएं मनमोहक दृश्य उत्पन्न करती हैं।

प्रश्न 2.
वृक्षों के घनत्व के आधार पर वनों का वर्गीकरण कीजिए और सभी वर्गों का वर्णन विस्तार से कीजिए।
उत्तर-
वृक्षों के घनत्व के आधार पर वनों को पांच वर्गों में बाँटा गया है
1. अत्यंत सघन वन-भारत में इस प्रकार के वन विस्तार 54.6 लाख हेक्टेयर भूमि पर है जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 1.66 प्रतिशत है, असाम और सिक्किम को छोड़कर समूचा पूर्वोत्तर – राज्य इस वर्ग में आते हैं। इन क्षेत्रों में वनों का घनत्व 75% से अधिक है।

2.सघन वन-इसके अन्तर्गत 73.60 लाख हेक्टेयर भूमि आती है जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 3% है। हिमालय, सिक्किम, मध्यप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र एवं उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र । में इस प्रकार के वनों का विस्तार है। यहाँ वनों का घनत्व 621.99 प्रतिशत है।

3. खुले वन-2.59 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर इस प्रकार के वनों का विस्तार है। यह कुल भौगोलिक क्षेत्र का 7.12% है, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा के कुछ जिले एवं असम के 16 आदिवासी जिलों में इस प्रकार के वनों का विस्तार है, असाम आदिवासी जिलों में वृक्षों का घनत्व 23.89% है।।

4. झाड़ियाँ एवं अन्य वन-रराजस्थान का मरुस्थलीय क्षेत्र एवं अर्द्धशुष्क क्षेत्र में इस प्रकार के वन पाये जाते हैं। पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, बिहार एवं प. बंगाल के मैदानी भागों में वृक्षों का घनत्व 10% से भी कम है इसलिए यह क्षेत्र इसी वर्ग में सम्मिलित है। इसके अन्तर्गत 2.459 करोड़ हेक्टेयर भूमि आती है, जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 8.66% है।

5. मैंग्रोव्स (तटीय वन)-विश्व के तटीय वन क्षेत्र (मैंग्रोव्स) का मात्र 5% 4,500 किमी. क्षेत्र ही भारत में है, जो समुद्र तटीय राज्यों में फैला है, जिसमें आधा क्षेत्र पश्चिम बंगाल का सुंदरवन है, इसके बाद गुजरात के अंडमान निकोबार द्वीप समूह आते हैं, कुल मिलाकर 12 राज्यों तथा केन्द्र प्रशासित प्रदेशों में मैंग्रोव्स वन है जिनमें आंध्रप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, , तमिलनाडु, प. बंगाल, अंडमान-निकोबार, पाण्डेिचरी, केरल एवं दमन-दीप शामिल हैं।

प्रश्न 3.
जैव विविधता क्या है ? यह मानव के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं ? विस्तार से लिखिए।
उत्तर-
जैव विविधता से तात्पर्य, विभिन्न जीव रूपों में पाई जानेवाली विविधता से है। यह शब्द किसी विशेष क्षेत्र में पाये जाने वाले विभिन्न जीव रूपों की ओर इंगित करता है। एक मोटे अनुमान के मुताबिक पृथ्वी पर जीवों की करीब एक करोड़ प्रजातियां पाई जाती हैं।

ये हमारी धरा पर अमूल्य धरोहर हैं। वन्य जीव सदियों से हमारे सांस्कृतिक एवं आर्थिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। इनसे हमें भोजन, वस्त्र के लिए रेशे, खालें, आवास आदि सामग्री एवं अन्य उत्पाद प्राप्त होते हैं। इनकी चहक और महक हमारे जीवन में स्फूर्ति प्रदान करते हैं। पारिस्थितिकी के लिए ये श्रृंगार के समान हैं। भारत में इन्हें सदैव आदरभाव एवं पूज्य समझा गया। मनीषियों के लिए प्रेरणा का स्रोत तो सैलानियों के लिए आकर्षण का विषय रहा है।

ये पर्यावरण संतुलन के लिए भी अति आवश्यक हैं तथा हमारी भावी पीढ़ियों के लिए भी ये अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

प्रश्न 4.
विस्तारपूर्वक बताएं कि मानव क्रियाएँ किस प्रकार प्राकृतिक वनस्पति और प्राणीजगत के हास के कारक हैं।
उत्तर-
मानव जीवमण्डल का सबसे महत्वपूर्ण सदस्य है जो न सिर्फ अन्य जैविक सदस्यों को प्रभावित करता है बल्कि पर्यावरण के अजैविक घटकों में भी अत्यधिक परिवर्तन लाता है। मानव अपनी बुद्धि और विवेक के कारण प्रकृति के दूसरे जीवों और अजैविक घटकों का प्रयोग. कर अपने जीवन को सुखमय और आरामदायक बनाता है। किन्तु जब मानव के क्रियाकलाप अनियंत्रित हो जाते हैं तो पर्यावरण के घटकों जैसे-वायु, जल तथा मृदा एवं दूसरे जीवों में अनावश्यक परिवर्तन आ जाता है जो वनस्पतियों एवं प्राणियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

मानव खेती के लिए कारखाने स्थापित करने के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों को काटता रहा है और अभी भी काट रहा है। शाकाहारी एवं मांसाहारी जानवरों का अंधाधुंध शिकार कर जीवों में असंतुलन पैदा कर दिया है और बहुत-से जन्तु लुप्त होने के कगार पर हैं जैसे—सिंह, बाघ, चीता, गैंडा, बारहसिंगा, कस्तुरी मृग आदि।

मानव के निम्नलिखित क्रियाकलाप वनस्पतियों एवं प्राणीजगत के हास के कारक हैं-

  • औद्योगिकीकरण में अनियोजित वृद्धि
  • जंगली जंतुओं का शिकार
  • आवासीय एवं कृषि योग्य भूमि का विस्तार
  • हानिकारक रसायनों का अनियोजित प्रयोग
  • आर्थिक लाभ प्राप्त करने हेतु जैव विविधताओं का अति दोहन
  • जनसंख्या में वृद्धि, इत्यादि।

प्रश्न 5.
भारतीय जैव मंडल क्षेत्र की चर्चा विस्तार से कीजिए।
उत्तर-
हमारा देश जैव विविधता के संदर्भ में विश्व के सर्वाधिक समृद्ध देशों में से एक है। इसकी गणना विश्व के 12 विशाल जैविक-विविधता वाले देशों में की जाती है। यहाँ विश्व की सारी जैव उपजातियों का आठ प्रतिशत संख्या (लगभग 16 लाख) पाई जाती है। इन्हीं जैव विविधताओं के संरक्षण हेतु यूनेस्को के सहयोग से भारत में 14 जैव मण्डल आरक्षित क्षेत्र की स्थापना की गई है जिनका विवरण निम्न है-
Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 1C वन एवं वन्य प्राणी संसाधन - 1
Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 1C वन एवं वन्य प्राणी संसाधन - 2

Bihar Board Class 10 Geography वन एवं वन्य प्राणी संसाधन Additional Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नांकित में कौन भारत को छोड़ अन्य देश में दुर्लभ हैं
(क) भालू और गीदड़
(ख) बाघ और सिंह
(ग) गधे और हाथी
(घ) हनुमान और हिरण
उत्तर-
(ख) बाघ और सिंह

प्रश्न 2.
इनमें कौन हमारे देश में प्रायः लुप्त हो चुका है ?
(क) चीता
(ख) हनुमान
(ग) गेंडा
(घ) तेंदुआ
उत्तर-
(क) चीता

प्रश्न 3.
इनमें कौन शाकाहारी नहीं है ?
(क) गेंडा
(ख) बारहसींगा
(ग) हिरण
(घ) भेड़िया
उत्तर-
(घ) भेड़िया

प्रश्न 4.
इनमें किस पेड़ की लकड़ी बहुत कड़ी होती है ?
(क) देवगार
(ख) हेमलॉक
(ग) सागवान
(घ) बलूत
उत्तर-
(क) देवगार

प्रश्न 5.
इनमें कौन वन और वन्य प्राणियों के विनाश का कारण नहीं बनता?
(क) कृषि-क्षेत्रों में अत्यधिक वृद्धि
(ख) बड़े पैमाने पर निकास कार्यों का होना।
(ग) व्यापार की वृद्धि
(घ) पशुचारण और लकड़ी कटाई
उत्तर-
(ग) व्यापार की वृद्धि

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में सर्वप्रथम किस वर्ष वन-नीति बनायी गयी थी?
उत्तर-
भारत में सर्वप्रथम 1894 ई. में वन-नीति बनायी गयी थी। .

प्रश्न 2.
पर्यावरण की दृष्टि से लगभग कितना प्रतिशत भू-भाग वनाच्छादित रहना चाहिए?
उत्तर-
पर्यावरण की दृष्टि से लगभग 33.3% भू-भाग वनाच्छादित रहना चाहिए।

प्रश्न 3.
बाघों को बचाने के लिए लागू की गयी परियोजना का नाम क्या है ?
उत्तर-
बाघों को बचाने के लिए लागू की गयी परियोजना का नाम बाघ परियोजना है।

प्रश्न 4.
भारत के किस राज्य में सर्वाधिक वन क्षेत्र हैं?
उत्तर-
भारत का मध्य प्रदेश 11.22% के साथ प्रथम स्थान पर है। यानी यहाँ सर्वाधिक वन क्षेत्र पाया जाता है।

प्रश्न 5.
राजस्थान और पंजाब प्रदेशों में किस प्रकार के वन पाये जाते हैं ?. .
उत्तर-
राजस्थान और पंजाब प्रदेशों में कंटीले वन मिलते हैं क्योंकि इन प्रदेशों में 70 सेमी. से भी कम वर्षा होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वन को अनुपम संसाधन क्यों कहा गया है ?
उत्तर-
वन एक नवीकरणीय राष्ट्रीय संपदा है। इस संसाधन की उपस्थिति से कई जीव-जन्तुओं को आश्रय मिलता है। वन के कारण तापमान में कमी एवं वर्षा की मात्रा बढ़ती है। भूमि कटाव को यह रोकता है, पशुओं के लिए इससे चारा मिल जाता है। मानव को ईंधन एवं अन्य कार्यों के लिए लकड़ियाँ, फल-फूल तथा कई कच्चे माल भी मिलते हैं। मानव जीवन के आर्थिक विकास एवं पर्यावरण की अनिवार्यता के कारण वन निश्चित रूप से अनुपम संसाधन है।

प्रश्न 2.
बड़े पैमाने पर वनों का ह्रास कब हुआ? इसके परिणामों का उल्लेख करें।
उत्तर-
औद्योगिक क्रांति के बाद बड़े पैमाने पर वनों का ह्रास हुआ। इसके निम्नलिखित दुष्परिणाम हुए हैं-

  • कई जीव-जन्तुओं की प्रजातियों का हास।
  • वन उत्पादों की कमी।
  • चारा एवं लकड़ी की कमी।
  • पारिस्थितिकी संकट।
  • कई वनस्पतियों का विलुप्तीकरण।
  • सूखा एवं दुर्भिक्ष में बढ़ोतरी।
  • कई जीव-जन्तुओं के आवासों में कमी।
  • कई जड़ी-बूटियों का खात्मा।

प्रश्न 3.
भारत में विभिन्न प्रकार के वन क्यों पाये जाते हैं ? उनके नाम लिखें।
उत्तर
विशाल अक्षांशीय-देशांतरीय विस्तार, उच्चावच की विभिन्नता, जलवायु की आंतरिक विषमताओं के सम्मिलित प्रभाव तथा. समुद्र की निकटता के कारण भारत में विभिन्न प्रकार के वन पाये जाते हैं। इनके नाम निम्न हैं –

  • सदाबहार वन
  • पतझड़ वन
  • शुष्क एवं कंटीले वन
  • पर्वतीय वन और
  • डेल्टा वन।

प्रश्न 4.
भारत में कौन वन कोणधारी पेटी के रूप में उगे हुए हैं ? उनके पाँच प्रमुख पेड़ों के नाम लिखें।
उत्तर-
भारत में पर्वतीय वन कोणधारी पेटी के रूप में उगे हुए हैं। जो 1,500-3,000 मी. की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मिलते हैं। अधिक ऊंचाई पर (हिमपातवाले क्षेत्रों में) कोणधारी वन उगते । हैं। इनकी नुकीली पत्तियों से बर्फ फिसलकर गिर जाती है। कठोर शीत, पाला और बर्फ का मुकाबला करने में पेड़ समर्थ होते हैं। इनके प्रमुख पेड़ों के नाम ये हैं

  • देवदार
  • पाइन
  • चीड़
  • बलूत
  • हेमलॉक
  • ओक
  • चिनार
  • चेस्टनर
  • वालनट
  • मेंपुल
  • मैग्नोलिया
  • स्यूस।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
विभिन्न प्रकार के भारतीय वनों का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत करें। इनमें किसे सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है और क्यों ?
उत्तर-
धरातलीय स्वरूप, मिट्टी और जलवायु की दशाओं में विविधता के कारण भारत में विभिन्न प्रकार के वन पाये जाते हैं जो निम्न प्रकार के हैं

  1. चिरहरित वन या सदाबहार वन
  2. पर्णपाती वन या पतझड़ वन
  3. पर्वतीय वन या कोणधारी वन
  4. डेल्टाई वन. या ज्वारीय वन
  5. कंटीले वन या मरुस्थलीय वन

1. सदाबहार वन- भारत में सदाबहार वन सघन होते हैं। इन्हें काटना, वनों से बाहर निकालना और उपयोग में लाना कठिन होता है। इनकी लकड़ी कड़ी होती है। इनमें कई जाति के वृक्ष एक साथ मिलते हैं। अधिक वर्षा और दलदली भूमि के कारण यातायात में कठिनाई होती है। इसलिए लकड़ियों का सही उपयोग नहीं हो पाता है। इनमें एबॉनी और महोगनी मुख्य वृक्ष पाये जाते हैं।

2. पतझड़ वन-ये आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इनमें सागवान और साल मुख्य वृक्ष पाये जाते हैं। अन्य वृक्षों में अंजन, चंदन, चिरौंजी, हरे-वहेड़ा, आँवला, शहतूत, बरगद, पीपल, कटहल, आम, जामुन, नीम, नारियल, बाँस मानसूनी वन के रूप में पाये जाते हैं। ये न तो अधिक घने होते हैं और न इनकी लकड़ी अधिक कठोर ही। इनकी लकड़ियाँ उपयोगी होती हैं।

3. कोणधारी वन-यह वन पर्वत के अधिक ऊंचाई पर पाए जाते हैं। इनमें देवदार, चीड़, हेमलॉक स्फुस जाति के पेड़ पाए जाते हैं। इनकी लकड़ियाँ मुलायम होती हैं। इन्हें काटना और उपयोग में लाना आसान होता है।

4. ज्वारीय वन तटीय भागों में इस प्रकार के वन पाए जाते हैं। इनमें वृक्षों की बहुतायत रहती है। लकड़ियाँ जलावन और छोटी नाव बनाने के काम आती हैं। इनमें सुन्दरी वृक्ष, केवड़ा, मैंग्रोव, हिरिटिरा गरोन आदि मुख्य वृक्ष हैं, ताड़ और नारियल के पेड़ भी मिलते हैं।

5. मरुस्थलीय वन-यह कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पाये जाते हैं। इनमें बबूल एवं खजूर के पेड़ पाए जाते हैं। नागफनी और कैकटस जाति की झाड़ियाँ भी पायी जाती हैं।

प्रश्न 2.
भारत में वन संपदा की वृद्धि के उपायों पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
भारत में वन संपदा की वृद्धि वनों के संरक्षण से हो सकती है। वन संपदा की वृद्धि के लिए विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं जो निम्नलिखित हैं

  • काटे गये वृक्ष या क्षेत्र पर पुनः वृक्षारोपण करना चाहिए।
  • वनों से केवल परिपक्व वृक्षों को काटना चाहिए।
  • वनों में अग्निरक्षा पथ और अग्निरोधक पथ की व्यवस्था करनी चाहिए।
  • वृक्षों को बीमारियों एवं कीटाणुओं से बचाव हेतु वायुयान द्वारा दवा छिड़काव की व्यवस्था करनी चाहिए।
  • सामाजिक वानिकी, क्षतिपूर्ति वानिकी कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार करना चाहिए।
  • अपार्टमेंट संस्कृति के लिए निश्चित क्षेत्र पर वृक्षारोपण की व्यवस्था करनी चाहिए।
  • अवैध कटाई पर अंकुश लगाना चाहिए।
  • समाज में वृक्ष की महत्ता के प्रति लोगों को जागरूक करना चाहिए।
  • जंगल क्षेत्र को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय-स्तर पर प्रयत्न करना चाहिए जिसके तहत पेड़ लगाओ अभियान को तेजी से लागू करना चाहिए।
  • वनों की वृद्धि के लिए लोगों में अधिक-से-अधिक पेड़ लगाने की प्रेरणा उत्पन्न करनी चाहिए। विशेष रूप से परती और बेकार पड़ी हुयी भूमि पर अधिक-से-अधिक पेड़ लगाना चाहिए।

प्रश्न 3.
वन्य प्राणियों के संरक्षण की आवश्यकता बताते हुए इनके संरक्षण के उपाय बताएँ।
उत्तर-
वन्य प्राणियों का संरक्षण करना बहुत आवश्यक है। क्योंकि इससे जानवरों और पक्षियों की रक्षा होती है। साथ ही पारितंत्र का संतुलन बना रहता है। वन्य प्राणियों से समाज को अनेक लाभ हैं। इसलिए इनका संरक्षण करना आवश्यक है। वन्य प्राणी देखने में सुन्दर होते हैं, जो मनोरंजन के साधन भी हैं, पर्यटक लोग इसे देखते हैं। वन्य प्राणी शिकार के लिए भी उपयुक्त हैं। साथ ही कृषि के लिए भी लाभदायक सिद्ध होते हैं। बहुत से छोटे जानवर जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं उसे मांसाहारी वन्य पक्षी खा जाते हैं जिससे समाज को लाभ मिलता है। वन्य ‘प्राणियों से बहुमूल्य पदार्थ भी प्राप्त होते हैं। इसलिए इनका संरक्षण करना आवश्यक है।

संकटापन्न प्राणियों के संरक्षण के विशेष उपाय किये जा रहे हैं। इस विषय में सामयिक गणना की जाती है जिससे उनकी नवीन स्थिति का पता किया जा सके। बाघ परियोजना एक सफल कार्यक्रम है। देश के विभिन्न भागों में 16 बाघ परियोजनाएं चल रही हैं। इसी प्रकार गैण्डा परियोजना आसाम में विकसित की गई है। भारतीय मैना राजस्थान और मालवा की दूसरी संकटापन्न प्रजाति की परियोजना है। यद्यपि शेर की भी संख्या घट रही है।

देश में जैव विभिन्नता के संरक्षण के लिए कदम उठाये जा रहे हैं। इस योजना के अन्तर्गत पहला जैव आरक्षित क्षेत्र नीलगिरि में स्थापित किया गया। इसके अन्तर्गत 5500 वर्ग किमी. क्षेत्र फैला है जो केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु की सीमा पर है। इस प्रकार के 13 क्षेत्र हैं। देश में 63 राष्ट्रीय उद्यान, 358 वन्य जीव अभ्यारण्य, 35 चिड़ियाघर हैं जो 130000 वर्ग किमी. क्षेत्र को घेरे हैं। वन्य जीव संरक्षण आवश्यक है, क्योंकि-

  • पक्षी और जानवरों की रक्षा होती है।
  • पारितंत्र संतुलन बना रहता है।

वन्य प्राणियों के संरक्षण क लिए विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं जो निम्नलिखित हैं-

  •  शिकार पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
  • पशुओं के झुण्ड के प्रवेश पर रोक लगाना चाहिए।
  • अधिक राष्ट्रीय उद्यान और वन्य जीव अभ्यारय स्थापित किए जाने चाहिए।
  • वन्य जीव और बंदी प्रजनन किया जाना चाहिए।
  • सेमिनार, कार्यशाला आदि का आयोजन किया जाना चाहिए।
  • पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान किये जाने चाहिए।
  • प्रजनन के लिए उचित दशाएं प्रदान किये जाने चाहिए।

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 1A प्राकृतिक संसाधन

Bihar Board Class 10 Geography वन एवं वन्य प्राणी संसाधन Notes

  • वन उस बड भूभाग को कहते हैं जो पेड़ पौधों एवं झाड़ियों द्वारा आच्छादित होते हैं।
  • F.A.O. (Food and Agriculture Organisation) की वानिकी रिपोर्ट के अनुसार 1948 में विश्व में 4 अरब हेक्टेयर वन क्षेत्र था जो 1963 में घटकर 3.8 अरब हेक्टेयर हो गया और 1990 में 3.4 अरब हेक्टेयर वनक्षेत्र बच गया। किन्तु 2005 में यह पुनः 3.952 अरब हेक्टेयर हो गया है।
  • 2005 तक F.S.I. के रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुल 67.71 करोड़ हेक्टेयर वन क्षेत्र है जो कि देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 20.60 प्रतिशत है।
  • देश के कुल वनाच्छादित क्षेत्र का 25.11 प्रतिशत वन क्षेत्र पूर्वोत्तर के सात राज्यों में है।
  • देश में वनाच्छादित क्षेत्र के मामले में मध्यप्रदेश का स्थान प्रथम है जहाँ देश के कुल वनाच्छादित क्षेत्र का 11.22% वन है।
  • वन्य जीवों के संरक्षण के लिए यहाँ 58 राष्ट्रीय उद्यान, 448 अभ्यारण्य एवं 14 सुरक्षित जैव मंडल रिजर्व क्षेत्र हैं।
  • विश्व के 65 देशों में करीब 243 सुरक्षित जैव-मंडल क्षेत्र हैं।
  • वन को बचाने के लिए उत्तरांचल के टेहरी-गढ़वाल जिले में सुंदरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में 1972 ई. से चिपको आन्दोलन चलाया जा रहा है।
  • वन एक प्राकृतिक नवीकरणीय संसाधन है, क्योंकि नष्ट होने पर इसे पुनः उगाया जा सकता है और इसकी पूर्ति की जा सकती है।
  • वन हमारी राष्ट्रीय सम्पत्ति है और आर्थिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • वन उस बड़े भू-भाग को कहते हैं जो पेड़ एवं झाड़ियों द्वारा आच्छादित होते हैं।
  • FA.O.(Food and Agriculture Organisation) की वानिकी रिपोर्ट के अनुसार 1948 में विश्व में 4 अरब हेक्टेयर वन क्षेत्र था जो 1963 में घटकर 3.6 अरब हेक्टेयर हो गया और 1990 में 3.4 अरब हेक्टेयर वन क्षेत्र बच गया। किन्तु 2005 में यह पुन: 3.952 अरब हेक्टेयर हो गया है।
  • वन से मानव को कई लाभ हैं।
  • औद्योगिक क्रांति के बाद वनों का बड़े पैमाने पर ह्रास हुआ है।
  • वन से प्राप्त उत्पादों के दो वर्ग हैं-(क) मुख्य उत्पाद और (ख) गौण उत्पाद।
  • प्लाईवुड का निर्माण जर्मनी में शुरू हुआ।
  • भारत में वनस्पतियों की लगभग 47,000 उपजातियाँ पायी जाती हैं जिनमें 15,000 भारतीय मूल की हैं।
  • भारत में लगभग 6,77,088 वर्ग किलोमीटर भूमि पर वन का विस्तार है।
  • राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार देश की 33.3% भूमि पर वन का विस्तार होना आवश्यक है।
  • वन नीति के छह प्रमुख उद्देश्य हैं -(i) वन संपत्ति की सुरक्षा (ii) पर्यावरण को संतुलित बनाना (iii) भूमि-कटाव को रोकना (iv) बाढ़-नियंत्रण (v) मरुस्थल विस्तार को रोकना (vi) लकड़ियों की आपूर्ति बनाए रखना।
    प्रमुख उत्पाद वाले वनों में देवदार, शीशम, साल तथा चीड़ इत्यादि के पेड़ पाये जाते हैं।

Bihar Board Class 7 Sanskrit व्याकरण कारक

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions व्याकरण कारक

Bihar Board Class 7 Sanskrit व्याकरण कारक

किसी क्रिया के साथ जिसका प्रत्यक्ष संबंध होता है, उसे ‘कारक’ कहते हैं । ‘कारक’ के छह भेद होते हैं- कर्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान एवं अधिकरण । ‘क्रिया’ के साथ प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं रहने के कारण संस्कृत भाषा में ‘सम्बन्ध’ और ‘सम्बोधन’ कारक नहीं कहलाते हैं । इन्हें मात्र ‘विभक्ति’ माना जाता है, जबकि उपर्युक्त छह को कारक-विभक्ति । हिन्दी भाषा में इन आठों को ही ‘कारक’ माना जाता है ।

आगे की पंक्तियों में इन सभी कारकों पर अलग-अलग संक्षेप में सोदाहरण विचार किया जाता है ।

कर्ता कारक

किसी ‘क्रिया’ को करने वाले को ‘कर्ता कारक’ कहा जाता है। कर्तवाच्य और कर्मवाच्य, दोनों में ही कर्ता-पद प्रधान होता है । कर्तवाच्य में कर्ता-पद प्रधान होता है और कर्म-पद गौण । कर्मवाच्य में कर्ता-पद गौण होता है और कर्मपद प्रधान । उदाहरण के लिए नीचे के वाक्यों को देखा जा सकता है

  • कर्तवाच्य – रामः फलम् खादति । (राम फल खाता है ।)
  • कर्तृवाच्य- रामेण फलम् खाद्यते । (राम द्वारा फल खाया जाता है ।)

कर्तृवाच्य के कर्ताकारक में प्रथमा विभक्ति होती है । यथा-बालक: खादति । (बालक खाता है ।) यहाँ ‘खादति’ क्रिया का सम्पादक ‘बालक’ है, इसलिए ‘बालक’ कर्ता हुआ और उसमें प्रथमा विभक्ति हुई। ऐसे ही-सीता पठति, रमा गच्छति आदि में समझना चाहिए । सम्बोधन में भी प्रथमा विभक्ति होती है । यथा- हे बालक । (हे बालक) अयि सीते (हे सीते) । अरे बालकाः (ओ लड़के) इत्यादि ।

Bihar Board Class 7 Sanskrit व्याकरण कारक

‘कर्ता कारक’ के वाक्यों के अन्य उदाहरण हैं –

  1. बालकः क्रीडति । (लड़का खेलता है।)
  2. मयूरः नृत्यति । (मोर नाचता है ।)
  3. नदी प्रवहति । (नदी बहता है ।)
  4. धेनुः रचति । (गाय चरती है।)
  5. फलम् पतति । (फल गिरता है ।)
  6. पत्रम् तरति । (पत्ता तैरता है।)

करण कारक

कोई क्रिया करने में जो अत्यन्त सहायक हो, उसे ‘करण कारक’ कहते हैं। ‘करण-कारक’ में तृतीया विभक्ति होती है । यथा- रामः लगडेन ताडयति । (राम पैने से मारता है ।) यहाँ ‘ताडयति’ क्रिया का अत्यन्त सहायक . ‘लगुड’ (पैना) है, इसीलिए यह करण कारक हुआ और इसमें तृतीया विभक्ति

‘सह’, ‘साकम्’, ‘सार्द्धम्’ (साथ) जैसे शब्दों में योग में भी तृतीया विभक्ति होती है । यथा- भ्रात्रा सह सोहनः आगच्छति (भाई के साथ सोहन आता है ।) त्वया साकं गीता गमिष्यति’। (तुम्हारे साथ गीता जायेगी ।) यहाँ ‘सह’ का योग रहने के कारण ‘भ्राता’ और ‘त्वया’ में तृतीया विभक्ति हुई है।

‘करण कारक’ के अन्य उदाहरण:लेखक:

  1. लेखन्या पत्रं लिखति । (लेखक कलम से चिट्ठी लिखता है।)
  2. रवीन्द्रः नयनाभ्यां चन्द्रं पश्यति । (रवीन्द्र आँखों से चन्द्रमा को देखता है।)
  3. अश्वः पादैः चलति । (घोड़ा पैरों से चलता है ।)
  4. त्वं कर्णाभ्यां शृणोषि । (तुम कानों से सुनते हैं ।)
  5. भवान् कराभ्यां गृह्णाति । (आप हाथों से ग्रहण करते हैं ।)
  6. सः शस्त्रेण छिन्दति । (वह शस्त्र से काटता है।)

सम्प्रदान कारक

जिस व्यक्ति को कुछ दिया जाय, उसे ‘सम्प्रदान’ कहते हैं । सम्प्रदान में चतुर्थी विभक्ति होती है। यथा- विप्राय गां देहि (ब्राह्मण को गाय दो ।) यहाँ ‘ब्राह्मण’ (व्यक्ति) को कुछ (गाय) दिया रहा है।

अत: इसमें चतुर्थी विभक्ति हुई है।

नमः स्वस्ति, स्वाहा, स्वधा आदि के योग में चतुर्थी विभक्ति होती है; जैसे

  • श्री महादेवाय नमः । (महादेव जी को प्रणाम है ।)
  • अग्नये स्वाहा । (अग्निदेव को समिधा स्वीकार हो ।)

सम्प्रदान कारक के अन्य उदाहरण:-

  1. बालकाय मोदकं देहि । – (लडके को लड्डू दो ।)
  2. भिक्षुकाय अन्नं देहि । (भिक्षुक को अन्न दो ।)
  3. दरिद्राय धनं देहि । (दरिद्र को धन दो.)
  4. श्रीहरये नमः (श्रीहरि को नमस्कार है।)
  5. सोमाय स्वाहा । (सोम देवता को समिधा स्वीकार हो ।)
  6. विवादाय अलम् । (विवाद करना बेकार है ।)

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अपादान कारक

जहाँ व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि को किसी व्यक्ति, वस्तु आदि का अलग होना या उत्पन्न होना सूचित हो, उसे ‘आपादान कारक’ कहते हैं । अपादान कारक में पंचमी विभक्ति होती है । यथा- वृक्षात् फलं पतति । (पेड़ से फल गिरता है।) यहाँ वृक्ष से फल गिरकर अलग होता है, इसीलिए ‘वृक्ष’ में पंचमी विभक्ति हुई है । ऐसे ही-ज्ञानात् सुखं भवति । (ज्ञान से सुख होता है।) दुग्धात् दधि जायते । (दूध से दही तैयार होता है।) आदि वाक्यों में समझना चाहिए।’

‘आपादान कारक’ के अन्य उदाहरण:-

  1. वृक्षात् पत्राणि पतन्ति । (पेड़ से पत्ते गिरते हैं ।)
  2. सः पाटलिपुत्रात् आगच्छति । (वह पटने से आता है ।)
  3. गंगा हिमालयात प्रभवति । (गंगा हिमालय से निकलती है।)
  4. ते काशीत: गच्छन्ति । (वे काशी से जाते हैं ।)

सम्बन्ध (विभक्ति)

संस्कृत भाषा में ‘सम्बन्ध’ को कारक नहीं माना जाता । कारण कर्ता कारक से इसका सीधा सम्बन्ध नहीं होता । इससे किसी व्यक्ति, वस्तु, भाव आदि का दूसरे व्यक्ति, वस्तु, भाव आदि से संबंध ही सूचित होता है । अतः

‘सम्बन्ध’ में षष्ठी विभक्ति होती है । यथा- गोपालस्य भ्राता अस्ति । (गोपाल का भाई है।) यहाँ गोपाल के साथ ‘भाई’ का सम्बन्ध है, अतः ‘गोपाल’ में षष्ठी विभक्ति हुई है । ऐसे ही ‘तव पुस्तिका’ (तुम्हारी पुस्तिका), ‘मम उद्यानम्’, (मेरा बगीचा), तस्य गृहम् (उसका घर), ‘राधाया आभूषणम्’ (राधा का आभूषण) आदि उदाहरणों को देखा जा सकता है।

सम्बन्ध-विभक्ति के अन्य उदाहरण-

  1. अस्मांक देशः भारतवर्षम् (हमलोगों का देश भारतवर्ष है।)
  2. गायत्री शिवशंकरस्य भगिनी । (गायत्री शिवशंकर की बहन है ।)
  3. सुग्रीवस्य मित्रं गच्छति । (सुग्रीव का मित्र जाता है ।)
  4. उद्यानस्य पुष्पाणि विकसन्ति । (उद्यान के फूल खिलते हैं।)
  5. गोपेशस्य पुस्तकानि सन्ति । (गोपेश की पुस्तकें हैं ।)

अधिकरण कारक

किसी भी क्रिया, वस्तु, भाव आदि के आधार को ‘अधिकरण’ कहते हैं। अधिकरण कारक में सप्तमी विभक्ति होती है । यथा ‘शिक्षक’ विद्यालये अस्ति ।’ (विद्यालय में शिक्षक है ।) यहाँ ‘शिक्षक’ का आधार या पढ़ाने का अधिष्ठान विद्यालय है। इसीलिए यह अधिकरण कारक हुआ तथा इसमें सप्तमी विभक्ति हुई है । ऐसे ही ‘स्वर्णपात्रे दुग्धम् अस्ति ।’ (स्वर्णपात्र में दुध है।) ‘कृषक: गृहे तिष्ठति ।’ (किसान घर में रहता है ।) आदि उदाहरणों को देखा जा सकता है।

अधिकरण कारके के कुछ आदर्श उदाहरण:-

  1. जनाः गृहे वसन्ति । (लोग घर में रहते हैं ।)
  2. छात्राः कक्षायां पठति । (छात्र वर्ग में पढ़ते हैं )
  3. मत्स्याः नद्यां तरन्ति । (मछलियाँ नदी में तैरती हैं
  4. अश्वाः पथि धावन्ति । (घोड़े सड़क पर दौड़ते हैं ।)
  5. रथाः मार्गे चलन्ति । (रथ रास्ते पर चलते हैं ।)

सूत्रों का सोदाहरण अर्थ-लेखन

1. कर्तरि प्रथमा-कर्तृवाच्य में जहाँ कर्ता उक्त अर्थात् कर्ता के अनुसार क्रिया के लिंग, वचन और पुरुष हों, तो ऐसे कर्ता में प्रथमा विभक्ति होती है। यथा-बालकः विद्यालयं गच्छति ।

2. कर्मणि द्वितीया-कर्मकारक को द्वितीया विभक्ति होती है। यथा-रामः महाभारतं पठति

3. क्रियाविशेषणे द्वितीया-क्रिया-विशेषण में द्वितीय विभक्ति होती है। क्रियाविशेषण शब्द सदा द्वितीया विभक्ति में एकवचनान्त और नपुंसकलिंग वाला होता है। यथा-सा, मन्द-मन्दं धावति ।

4. करणे तृतीया-क्रिया की सिद्धि में कर्ता के साधक को ‘करण’ कहते हैं और करण कारक में तृतीया विभक्ति होती है। यथा-बालकः लेखन्या लिखिति।

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5. योनगाङ्गविकारः-जिस अंग के विकार में वर्णित अंगों का विकार प्रकट हो, उस विकृतं अंगवाचक शब्द में तृतीया विभक्ति होती है। यथा-सः पादेन खञ्जः अस्ति ।

6. ‘ध्रुवमपायेऽपादानम्’-‘अपाय’ में अर्थात् पृथक् या अलग होने में जिस निश्चित (ध्रुव) वस्तु से कोई पृथक् होती है, वह अपादान कारक होती है। जैसे-बालकः ग्रामात् आयाति । (बालक गाँव से आता है।) यहाँ ‘ग्रामात्’ में पंचमी कारक-विभक्ति है।

7. प्रकृत्यादिभ्यः उपसंख्यानम्-प्रकृति, जाति, आकृति, गोत्र, नाम आदि के वाचक शब्दों के योग में तृतीया विभक्ति होती है। यथा-गोत्रेण वत्सः

8. हेतौ तृतीया-किसी कार्य के हेतु अर्थात् कारण में तृतीया विभक्ति होती है। यथा-दण्डेन घटः भवति ।

9. सहयुक्तेऽप्रधाने-‘सह’ अथवा ‘सह’ (साथ) के अर्थवाले शब्दों के योग में जो ‘अप्रधान’ (गौण) व्यक्ति होता है, उसके बोधक पद के साथ तृतीया विभक्ति होती है। जैसे-पुत्रेण सह पिता गच्छति ।

10. सम्प्रदाने चतुर्थी-सम्प्रदान कारक में चतुर्थी वभिक्ति होती है। यथा-सः विप्राय भोजनं पचति ।।

11. स्पृहेरीप्सिततः-‘स्पृह्’ धातु के योग में जिस वस्तु की इच्छा की जाए, उसमें चतुर्थी विभक्ति होती है। यथा-योगिनः ज्ञानाय स्पृह्यति।

12. यतश्च निर्धारणम्-किसी व्यक्ति या व्यक्ति-समूह समुदायवाचक शब्द में षष्ठी अथवा सप्तमी विभक्ति होती है। यथा-नदीषु नदीनां वा गंगा पवित्रतमा । अथवा कविषु कविनां वा कालिदासः श्रेष्ठः।

13. दानार्थे चतुर्थी-(यस्मै दानं सम्प्रदानम्)-जिसे कोई वस्तु दानस्वरूप दी जाए, उसमें चतुर्थी विभक्ति होती है। यथा-नृपः विप्राय धनं ददाति ।

14. इत्थं भूतलक्षणे-किसी विशेष चिह्न से यदि किसी की पहचान की जाती है तो उसके लिए प्रयुक्त शब्द के साथ तृतीया विभक्ति होती है। यथा-जहाभिः तापसः।

15. अपवर्गे तृतीया-क्रिया की समाप्ति और फल की प्राप्ति के होने पर ‘काल’ वाचक और ‘मार्ग’ वाचक शब्दों के साथ तृतीया विभक्ति होती है। यथा-सोहनः मासेन व्याकरणं पठितवान् । क्रोशेन कथा समाप्ता जाता।

16. रुच्यर्थानां प्रीयमाण:-‘रुच्’ धातु और उसके समानार्थक धातुओं के योग में चतुर्थी विभक्ति होती है। यथा बालकाय मोदकं रोचते । हरयं भक्तिः रोचते।

17. भीत्रार्थानां भयहेतुः-भयार्थक और सार्थक धातुओं के योग में जो ‘भय’ ‘ का कारण हो, उसमें पचमी विभक्ति होती है। यथा-मनुष्यः व्याघ्रात् बिभेति ।

18. अपादाने पञ्चमी-अपादान कारक में पज्ञमी विभक्ति हुआ करती है। यथा-‘वृक्षात्’ फलानि पतन्ति ।

19. सप्तम्यधिकरणे च (आधारोऽधिकरणम्)-कर्ता और कर्म के आश्रय को अधिकरण’ कहते हैं। जिस स्थान पर क्रिया होती है, उसे ‘आधार’ कहते हैं। आधार के साथ सप्तमी विभक्ति होती है। यथा-छात्राः विद्यालये पठन्ति ।।

20. ‘धारि’ धातु के साथ उत्तमर्ण (साहुकार या ऋण देनेवाल) सम्प्रदान कारक होता है। जैसे-रामः श्यामाय शतं धारयति (राम श्याम के सौ रुपये कर्ज धारता है।) यहाँ कर्ज देनेवाला श्याम सम्प्रदाय कारक (श्यामाय) है। किया.

21. भावे सप्तमी ( यस्य च भावेन भावलक्षणम्)-यदि किसी पूर्वकालिक क्रिया के काल से दूसरी क्रिया और उसके कर्ता में सप्तमी विभक्ति लगती है। यथा-‘अस्तं गते सूर्ये बालकाः स्वगृहान् अगच्छन्।

कारक-संबंधी प्रश्न एवं उनके उत्तर-

प्रश्न 1.
‘कोशं दुटिला नदी-इस वाक्य में ‘क्रोशं’ पद में कौन-सी विभक्ति है और किस सूत्र के आधार पर यह विभक्ति है और किस सूत्र के आधार यह विभक्ति हुई है ? विभक्ति एवं सूत्र लिखें।
उत्तर-
‘क्रोश’ कुटिला नदी के ‘क्रोशं’ पद में द्वितीया विभक्ति है और वह ‘कालाध्वनोरत्यन्तसंयोगे’ सूत्र के अनुसार हुई है। अत्यन्त संयोग होने पर ‘मार्ग”के वाचक को द्वितीया विभक्ति होती है।

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प्रश्न 2.
पुत्रेण सह पिता विपणिम् अगच्छत् ।’-इस वाक्य में ‘पुत्रेण’ पद में कौन-सी विभक्ति है?
(क) प्रथमा विभक्ति
(ख) तृतीया विभक्ति
(ग) पञ्चमी विभक्ति
(घ) षष्ठी विभक्ति
उत्तर-
(ख) तृतीया विभक्ति

प्रश्न 3.
(क) रामः पित्रा सह विद्यालयं गच्छति’-इस वाक्य में ‘पित्रा’ पद में कौन-विभक्ति है ? यह विभक्ति किस सूत्र के आधार पर हुई है। उस सूत्र को लिखें।
उत्तर-
‘पित्रा’ में तृतीया विभक्ति हुई है। यहाँ ‘सहार्थे तृतीया’ इस सूत्र के आधार पर ‘पित्रा’ में तृतीया विभक्ति हुई है।

(ख) ‘राभ: सीतया लक्ष्मणेन सह वनम् अगच्छत् ।-इस वाक्य के
‘सीतया’ शब्द में कौन-सी विभक्ति है और यह विभक्ति किस कारक-सूत्र के अनुसार हुई है?
उत्तर –
तृतीया विभक्ति है और ‘सहार्थे तृतीया’ इस सूत्र के अनुसार

प्रश्न 4.
कविना कालिदासः श्रेष्ठः।’-इस वाक्य में ‘कवीनां’ पद में कौन-सी विभक्ति है ?
(क) पञ्चमी
(ख) तृतीया
(ग) षष्ठी
(घ) द्वितीया
उत्तर-
(ग) षष्ठी

प्रश्न 5.
‘बालिका मन्द-मन्दं गायति ।-इस वाक्य में ‘मन्द-मन्दं’ पद में कौन-सी विभक्ति है ?
(क) प्रथमा विभक्ति
(ख) सप्तमी विभक्ति
(ग) तृतीया विभक्ति
(घ) द्वितीया विभक्ति
उत्तर-
(क) प्रथमा विभक्ति

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प्रश्न 6.
‘बालकाय फलं रोचते।’-इस वाक्य में ‘बालकाय’ पद में कौन-सी विभक्ति लगी है और ऐसा किस कारक-सूत्र के अनुसार हुआ है।
उत्तर-
चतुर्थी विभक्ति,-‘रुच्याणां प्रीयमाणः’ इस सूत्र के आधार पर ।

प्रश्न 7.
गोपालः सर्पात् विभेति ।’-इस वाक्य में ‘सत्’ पद में कौन-सी विभदित लगी है और ऐसा किस कारक-सूत्र के आधार पर हुआ है?
उत्तर-
पचमी विभक्ति – ‘भीत्राणां भयहेतुः’ इस सूत्र के आधार पर ।

प्रश्न 8.
‘श्रमेण विना विद्या न भवति।’-इस वाक्य में ‘श्रमेण’ पद में कौन-सी विभक्ति है और किस सूत्र के आधार पर हुई है ?
उत्तर-
‘श्रमेण’ में तृतीया विभक्ति लगी हुई है, जो ‘पृथकविनानानाभ-स्तृतीयान्यतरस्याम’ सूत्र के आधार पर हुई है।

प्रश्न 9.
‘ल्यब्लोपे कर्मण्यधिकरणे।’ सत्र की सोदाहरण व्याख्या करें।
उत्तर-
ल्यप्-प्रत्ययान्त शब्दों के लोप होने पर कर्म और अधिकरण कारक में पंचमी विभक्ति होती है। जैसे-गणेशः प्रासादात् पश्यति ।

प्रश्न 10.
‘ईश्वरः पापात् त्रायते -इस वाक्य में ‘पापात्’ में कौन-सी विभक्ति है?
उत्तर-
‘पपात्’ में पंचमी विभक्ति है, जो ‘भीत्राणां भयहेतुः’ से

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प्रश्न 11.
‘ग्रामम् अभितः वृक्षाः सन्ति’-इस वाक्य में ‘ग्रामम्’ शब्द में कौन-सी विभक्ति है ?
उत्तर-
‘ग्रामम्’ में द्वितीया विभक्ति है।

प्रश्न 12.
‘सः मोहनाय शतं धारयति’-इस वाक्य में ‘मोहनाय’ में कौन-सी विभक्ति हैं तथा किस सूत्र से हुई है ?
उत्तर-
‘मोहनाय’ में चतुर्थ विभक्ति है तथा यह धारेत्तमर्णः’ सूत्र के आधार पर हुई है।

प्रश्न 13.
‘यस्य भावेन भावलक्षणम्’ सत्र की सोदाहरण व्याख्या करें।
उत्तर-
जब एक कार्य के पूर्ण होने के बाद दूसरा कार्य होता हो तो जो कार्य हो चुका है उसमें षष्ठी या सप्तमी विभक्ति होती है। जैसे-उदिते उदितस्य वा सूर्ये सूर्यस्य वा सः गृहात् प्रस्थितः।

प्रश्न 14.
‘अस्तं गते सूर्ये सः आगतः’-इस वाक्य में ‘अस्तं गते’ में कौन-सी विभक्ति लगी हुई है?
उत्तर-
सप्तमी विभक्ति । ‘यस्य भावेन भावलक्षणम्’ के आधार पर।

प्रश्न 15.
‘उपाध्यायादधीते’ इस वाक्य में ‘उपाध्यायात’ पद में कौन-सी विभक्ति है और यह विभक्ति किस सूत्र के आधार पर हुई है?
उत्तर-
‘उपाध्यायात् अधीते’ में ‘उपाध्यायात्’ में पज्ञमी विभक्ति है और यह ‘आख्यातोपयोगे’ सूत्र के आधार पर हुई है। उपाध्याय’ आख्यात है और । उससे पञ्चमी विभक्ति हुई है।

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प्रश्न 16.
(क) ‘पितृभ्यः स्वधा’-इस वाक्य के पितृभ्यः पद में कौन-सी
विभक्ति है और यह विभक्ति किस सूत्र के आधार पर हुई है? (उस सूत्र को लिखें।)
उत्तर-
पितृभ्यः स्वधा’ इस वाक्य में चतुर्थी विभक्ति है और वह ‘नमः स्वस्तिस्वाहा – स्वधालंवषट् योगाच्च’ इस सत्र के कारण हुई है।

(ख) ‘हनुमते नमः’ इस वाक्य के ‘हनुमते’ पद में कौन-सी विभक्ति है ? यह विभक्ति किस सूत्र के आधार पर हुई है ?
उत्तर-
हनुमते’ में चतुर्थी विभक्ति होती है और ‘नमः स्वस्ति-स्वाहास्वधा’, सूत्र के अनुसार होती है।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 14 बोधगया

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Amrita Bhag 2 Chapter 14 बोधगया Text Book Questions and Answers, Summary.

BSEB Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 14 बोधगया

Bihar Board Class 7 Sanskrit बोधगया Text Book Questions and Answers

अभ्यासः

मौखिकः

प्रश्न 1.
अधोलिखितानां पदानाम् उच्चारणं कुरुत

  1. प्रसिद्धिम्
  2. श्रद्धाम्
  3. अश्वत्थवृक्षः
  4. सहस्राधिकाः
  5. निरञ्जना
  6. शुष्यति
  7. भ्रमणम् ।

नोट : उच्चारण छात्र स्वयं करें ।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 14 बोधगया

प्रश्न 2.
निम्नलिखितानां पदानाम् अर्थ वदत –

  1. अवस्थितः
  2. अद्य
  3. ततः परम्
  4. उपविष्टस्य
  5. सम्पति
  6. अधुना

उत्तराणि –

  1. अवस्थितः – स्थित विद्यमान
  2. अद्य – आज
  3. ततः परम्- इसके बाद
  4. उपविष्टस्य-बैठे हुए का
  5. सम्प्रति-वर्तमान में
  6. अधुना-इस समय

लिखितः

प्रश्न 3.
निम्नलिखिताना प्रश्नानाम् उत्तरम् एकेन पदेन लिखत

  1. बोधगया कस्मिन् मण्डले अस्ति ?
  2. सिद्धार्थः कदा बोधि प्राप्तवान् ?
  3. कस्य छायायां बुद्धं तपस्यां कृतवान् ?
  4. मन्दिरे बुद्धस्य पाषाणमूर्तिः कस्मिन् आसने वर्तते ?
  5. बोधगयापार्वे का नदी प्रवहति ?

उत्तराणि

  1. गया मण्डले
  2. वैशाख-पूर्णिमायां
  3. अश्वत्थवृक्षस्य
  4. पद्मासने
  5. निरञ्जना

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 14 बोधगया

प्रश्न 4.
कोष्ठात् उचितरूपं चित्वा रिक्तस्थानं पूरयत

  1. विहारराज्यस्य …………………….. मण्डले बोधगया अस्ति । (गया, नवादा)
  2. सिद्धार्थः …………. पूर्णिमायां बोधि प्राप्तवान् । (आषाढ, वैशाख)
  3. बोधगयायां प्राचीनः ……………. वृक्षः वर्तते । (वट, अश्वत्थ)
  4. बुद्धस्य पाषाणमूर्तिः ………….. आसने वर्तते । (पद्म, सिंह)
  5. मगधविश्वविद्यालयस्य मुख्यपरिसरः …………. वर्तते । (गयायाम्, बोधगयायाम्)

उत्तराणि-

  1. गया
  2. वैशाख
  3. अश्वत्थ
  4. पद्म
  5. बोध गयायाम् ।

प्रश्न 5.
निम्नलिखिताना शब्दानां प्रयोगेण संस्कृते वाक्यानि रचयत। ।

  1. बोधगया
  2. अद्य
  3. पाषाणमूर्तिः
  4. भक्तः
  5. प्रशासनम् ।

उत्तराणि

  1. बोधगया-बोधगया बिहार राज्ये अस्ति ।।
  2. अद्य – अद्य अहं विद्यालयं गमिष्यामि ।
  3. पाषाणमूर्ति: – मन्दिरे पाषाणमूर्ति वर्तते ।
  4. भक्तः – भक्तः भजनं करोति ।
  5. प्रशासनम् – प्रशासनं राज्यस्य विकासाय प्रयासं करोति ।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 14 बोधगया

प्रश्न 6.
अर्थानुसारेण पदानि सुमेलयत

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 14 बोधगया 1

उत्तराणि-
(क) – (ii)
(ख) – (i)
(ग) – (iv)
(घ) – (iii)
(ङ) – (vi)
(च) – (v)

प्रश्न 7.
रिक्तस्थानानि पूरयत –

एकवचनम् – द्विवचन – बहुवचन

(क) ग्रामः – ………………. – ……………..
(ख) उपासकः – उपासको – ……………….
(ग) धारयति – धारयत: – ……………….
(घ) करोति – ………………. – ……………….
उत्तराणि –
एकवचनम् – द्विवचन – बहुवचन

(क) ग्रामः – ग्रामौ – ग्रामाः
(ख) उपासकः – उपासको – उपासका:
(ग) धारयति – धारयत: – धारयन्ति
(घ) करोति – कुरुतः – कुर्वन्ति

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 14 बोधगया

प्रश्न 8.
अधोलिखितानां पदानां सन्धि सन्धिविच्छेदं वा कुरुत –

  1. तस्य + एव । = ……………………
  2. पद्म + आसने = ……………………
  3. सहस्राधिका: = ……………………
  4. करुणायुक्तश्च = ……………………
  5. तत्रैव = ……………………

उत्तराणि –

  1. तस्य + एव = तस्यैव
  2. पद्म + आसने = पद्मासने
  3. सहस्राधिकाः = सहस्र + अधिका:
  4. करुणायुक्तश्च = करुणायुक्तः + च
  5. तत्रैव = तंत्र + एव

प्रश्न 9.
सत्यम् अथ्रवा असत्यम् लिखत –

  1. बोधगया बिहारस्य गयामण्डले अस्ति ।
  2. राजकुमारः सिद्धार्थः आषाढपूर्णिमायां बोधि प्राप्तवान् ।
  3. अश्वत्थवृक्षस्य समीपमेव बुद्धस्य प्राचीनं महाबोधिमन्दिरं वर्तते ।
  4. बुद्धः वटवृक्षस्य छायायां तपस्यां कृतवान् ।
  5. बोधगयायां जलभन्दिरम् अस्ति ।

उत्तराणि –

  1. बोधगया बिहारस्य गयामण्डले अस्ति । (सत्यम)
  2. राजकुमारः सिद्धार्थः आषाढ़पूर्णिमायां बोधि प्राप्तवान् । (असत्यम्)
  3. अश्वत्थवृक्षस्य ममीपमेव बुद्धस्य प्राचीनं महाबोधिमन्दिरं वर्तते। (सत्यम्)
  4. बुद्धः वटवृक्षस्य छायायां तपस्यां कृतवान् ।। (असत्यम।)
  5. बोधगयायां जलमन्दिरम् अस्ति । (अस्म)

Bihar Board Class 7 Sanskrit बोधगया Summary

[बौद्धधर्म अन्तरराष्ट्रीय स्थिति के कारण महत्त्वपूर्ण है । इस धर्म के अनुयायी बोधगया को भगवान् बुद्ध को ज्ञानस्थली के कारण बहुत आदर की दृष्टि से देखते हैं तथा यहाँ की यात्रा को अपने जीवन का परम लक्ष्य मानते हैं । बोधगया में भगवान बुद्ध का प्राय: चौदह सौ वर्ष पुराना मन्दिर तथा बोधि वृक्ष वर्तमान है । प्रस्तुत पाठ में बोधगया के धार्मिक महत्त्व तथा वर्तमान परिवेश का संक्षिप्त परिचय है ।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 14 बोधगया

बिहारराज्यस्य गयामण्डले …………………. तस्य दर्शनाय आयान्ति ।

शब्दार्थ-बिहारराज्यस्य = बिहार राज्य के । गयामण्डले = गया जिले में । अवस्थितः – स्थित । महतीम् = बड़ी (को) । बोधिम् – ज्ञान को । प्राप्तवान् – प्राप्त किया । ततः परम् = उसके बाद । धारयन्ति – धारण करते हैं/करती हैं । अश्वत्थवृक्षः – पीपल का पेड़ । तस्यैव (तस्य + एव) – उसका ही/उसी का । छायायाम् = छाया में । कृतवान् – किया । तस्मिन् – उसमें । पद्मासने = कमलासन / पद्मासन की अवस्था में । उपविष्टस्य – बैठे हुए का / की । पाषाणमूर्तिः – पत्थर की मूर्ति । सहस्राधिकाः – हजार से अधिक । दर्शनाय – दर्शन के, लिए । आयान्ति = आते हैं।

सरलार्थ-बिहार राज्य के गया जिला में स्थित बोधगया नामक गाँव आज बड़ी प्रसिद्धि प्राप्त कर रहा है । यहीं राजकुमार सिद्धार्थ ने वैशाख पूर्णिमा को ज्ञान प्राप्त किया । इसके पश्चात् वे भगवान् बुद्ध के नाम से प्रसिद्ध हो गए। बौद्धधर्म के सभी उपासक बोधगया के प्रति श्रद्धा धारण करते हैं। आज वहाँ पुराना पीपल का पेड़ है । उसी की छाया में बुद्ध ने तप किया । उस वृक्ष के समीप में ही बुद्ध का प्राचीन महाबोधि मंदिर है । मन्दिर में पद्मासन की अवस्था में बैठे हुए बुद्ध का पत्थर की मूर्ति है । प्रतिदिन हजारों से अधिक भक्तगण उनके दर्शन के लिए आते हैं।

तस्य मन्दिरस्य परिसरः ………………. परिसरस्य भ्रमणं कुर्याम ।

शब्दार्थ-परिसरः – आहाता, स्थान । करुणा – दया । सम्प्रति – इस – समय । निवासिभिः = निवासियों के द्वारा । कृतानि – बनाये गये । शोभन्ने = शोभते हैं । तत्रैव (तत्र + एव) वहीं । अधुना – आजकल । रमणीयम् .. – सुन्दर, मनमोहक । दर्शनीयम् – दर्शन योग्य । स्थलम् – जगह । स्वच्छता । – सफाई। वर्ष यावत् = सालों भर / पूरे साल । पर्यटकाः – यात्री । आत्मानम् = अपने आप को । मन्यन्ते – मानते हैं। समझते हैं । पार्वे – बगल में । प्रवहति – बहती है । शुष्यति = सूख जाती/ जाता है । विकासाय – विकास के लिए । विकास को। भ्रमणम् – घूमना / घूमने का कार्य । परिसरस्य – आहाते का । कुर्याम = (हम) करें ।

सरलार्थ – उस मन्दिर के आहाता शान्तिमय और दया युक्त है । बोधगया में इस समय विभिन्न देशों को निवासियों द्वारा बनाए गए बुद्ध मन्दिर शोभायमान है । जैसे म्यांमार (बर्मा) मन्दिर, थाईमन्दिर, तिब्बत मन्दिर, जापान मन्दिर आदि । वहीं ही मगध विश्वविद्यालय का मुख्य आहाता है । आजकल बोधगया मनमोहक और दर्शनीय स्थान है ।

पूरे आहाता की सफाई और परिवहन की व्यवस्था सुन्दर है । वर्ष भर पर्यटक बोधगया जाकर अपने को धन्य मानते हैं । यहाँ समीप में ही निरंजना नामक नदी बहती है । गर्मी में वह सूख जाती है । प्रशासन बोध गया के विकास के लिए निरन्तर प्रयत्न कर रहा है । हमलोग भी वहाँ जाकर आहाता का दर्शन करें ।

व्याकरणम्

सन्धि-विच्छेदः

  1. तस्यैव = तस्य + एव (वृद्धि सन्धि, स्वर सन्धि)
  2. पद्मासने = पद्म + आसने (दीर्घ सन्धि, स्वर सन्धि)
  3. करुणायुक्तश्च = करुणायुक्तः + च (विसर्ग सन्धि)
  4. सहस्राधिकाः = सहस्र + अधिकाः (दीर्घ सन्धि, स्वर सन्धि)

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 14 बोधगया

प्रकृति – प्रत्यय-विभागः

Bihar Board Class 7 Sanskrit Solutions Chapter 14 बोधगया 2

Bihar Board Class 6 Sanskrit Solutions Chapter 11 गंगा नदी

Bihar Board Class 6 Sanskrit Solutions Amrita Bhag 1 Chapter 11 गंगा नदी Text Book Questions and Answers, Summary.

BSEB Bihar Board Class 6 Sanskrit Solutions Chapter 11 गंगा नदी

Bihar Board Class 6 Sanskrit गंगा नदी Text Book Questions and Answers

अभ्यासः

मौखिक:

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण करें –

  1. गङ्गायाः – गङ्गायाम् – गङ्गया
  2. लतायाः – लतायाम् – लतया
  3. सीतायाः – सीतायाम् – सीतया
  4. अयोध्यायाः – अयोध्यायाम् – अयोध्यया
  5. गीतायाः – गीतायाम् – गीतया

Bihar Board Class 6 Sanskrit Solutions Chapter 11 गंगा नदी

(ख ) शब्द – द्वितीया – तृतीया – पंचमी

Bihar Board Class 6 Sanskrit Solutions Chapter 11 गंगा नदी 1

लिखितः

प्रश्न 2.
कोष्ठ में दिये गये शब्दों से तृतीया विभक्ति का रूप देकर रिक्त स्थानों को भरें

जैसे -सीता रामेण सह वनम् अगच्छत् (राम)

  1. मोहनः ……………… मह विद्यालय गच्छाति। (सोहन)
  2. लता …………….. सह वाटिकां गच्छति। (सीता)
  3. सीता …………. सह पुस्तक पठति। (गीता)
  4. रमेशः ………….. लिखांता कलम)
  5. मुकेशः …………….. सह खादति। (मित्र)

उत्तर-

  1. मोहनः सोहनेन सह विद्यालयं गच्छाति।
  2. लता सीतया सह वाटिका गच्छति।
  3. सीता गीतया सह पुस्तक पठति।
  4. रमेशः कलमेन लिखति।
  5. मुकेशः मिण सह खादति।

प्रश्न 3.
सुमेलित करें-

  1. कृषकः – (क) प्रवहति।
  2. छात्र – (ख) उपचारं करोति।
  3. चिकित्सकः – (ग) कृषिकार्य करोति।
  4. गङ्गा – (घ) भवनम्।
  5. विद्यालयस्य – (ङ) पठति।

उत्तर-

  1. कृषक: – (ग) कृषिकार्य करोति।
  2. छात्रः – (ङ) पठति।
  3. चिकित्सक – (ख) उपचारं करोति।
  4. गंगा – (क) प्रवहति ।
  5. विद्यालयस्य – (घ) भवनम्।

Bihar Board Class 6 Sanskrit Solutions Chapter 11 गंगा नदी

प्रश्न 4.
मंजूषा में से सही शब्द चुनकर रिक्त स्थानों को भरें –

(सन्ति, बहूनि, पवित्रतमा, पातयन्ति गंगाजलम्, प्रभवति, गंगाजलेन)

  1. गंगा हिमालयात् ………. ।
  2. नदीषु गंगा …….. अस्ति।
  3. गंगातटे ………. नगराणि …….
  4. ……… जनाः पिबन्ति । ।
  5. ………. कृषि-भूमेः सेचनं भवति।
  6. जनाः मलजलानि गंगायां ………. ।

उत्तर-

  1. गंगा हिमालयात् प्रभवति ।
  2. नदीषु गंगा पवित्रतमा अस्ति।
  3. गंगातटे बहूनि नगराणि सन्ति।
  4. गंगाजलम् जनाः पिबन्ति ।
  5. गंगाजलेन कृषिभूमेः संचन भवति।
  6. जनाः मलजलानि गंगायां पातयन्ति।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों का वर्ण-विच्छेद करें –
जैस – रामः – र् + आ + म् + अः

(गंगा हिमालयः, गोमुखम, नगरम्, भवति)
उत्तर-

  • गंगा- ग् + अं+ ग + आ।
  • हिमालयः-ह + इ + म् + आ + ल् + अ + य् + अः।
  • गोमुखम् – ग् + आ + म् + उ + ख् + अ + म्।
  • नगरम् – न् + अ + ग् + अ + र् + अ + म्। ।
  • भवति – भ् + अ + व् + अ + त् + इ।

Bihar Board Class 6 Sanskrit Solutions Chapter 11 गंगा नदी

प्रश्न 6.
निम्नलिखित विषयों पर संस्कृत में पाँच-पाँच वाक्य लिखें –
हिमालयः, विद्यालयः, दीपावली
उत्तर-
हिमालयः –

हिमालयः पर्वतेषु उन्नततमः अस्ति। अयं भारतस्य उत्तरदिशायां अस्ति। हिमालयात् गंगा निःसरति। हिमालयः भारतस्य रक्षकः अस्ति। हिमालयस्य रक्षणे भारतस्य रक्षणम्।

विद्यालयः –

विद्यायाः आलयः विद्यालयः कथ्यते। विद्यालये छात्राः पठन्ति। विद्यालये शिक्षकाः पाठयन्ति। विद्यालये छात्रान् अनुशासनस्य पाठं पाठयति। विद्यालयः ज्ञानकेन्द्रः भवति।

दीपावली –

दीपावली हिन्दुनां प्रमुख पर्व भवति। अस्मिन् अवसरे जनाः स्व-स्व गृहं दीपैः सुसज्जितं कुर्वन्ति। जनाः लक्ष्मी-गणेशयोः पूजयन्ति। जनाः मिष्टानं वितरन्ति खादन्ति च। महिलाजनाः अल्पनां कुर्वन्ति।

प्रश्न 7.
उत्तराणि लिखतप्रश्न –

प्रश्न (क)
भारतस्य पवित्रमा नदी का ?
उत्तर-
भारतस्य पवित्रमा नदी गंगा ।

प्रश्न (ख)
गंगा कुतः प्रभवति ?
उत्तर-
गंगा हिमालयात् प्रभवति ।

Bihar Board Class 6 Sanskrit Solutions Chapter 11 गंगा नदी

प्रश्न (ग)
अस्याः जलं कीदृशं भवति?
उत्तर-
अस्याः जलं पवित्रं भवति।

प्रश्न (घ)
शुभकार्येषु कस्याः जलस्य आवश्यकता भवति?
उत्तर-
शुभकार्येषु गंगायाः जलस्य आवश्यकता भवति ।

प्रश्न (ङ)
अधुना जनाः गंगाजलं किं कुर्वन्ति ?
उत्तर-
अधुना जनाः गंगाजलं प्रदूषितं कुर्वन्ति ।

Bihar Board Class 6 Sanskrit गंगा नदी Summary

पाठ – गङ्गा भारतवर्षस्य पवित्रतमा नदी वर्तते। इयं हिमालयस्य गोमुख स्थानात् प्रभवति। बंगोपसागरे गंगासागरनामिके स्थाने इयं सागरजले मिलति।

अर्थ – गंगा भारतवर्ष की अत्यन्त पवित्र नदी है। यह हिमालय के गोमुख स्थान से निकलती है। बंगाल की खाडी में गंगा सागर नामक स्थान पर यह समुद्र जल में मिलती है।

Bihar Board Class 6 Sanskrit Solutions Chapter 11 गंगा नदी

पाठ – गङ्गातटे बहूनि नगराणि सन्ति। अस्माकं बिहारस्य राजधानी पाटलिपुत्रमपि गङ्गायाः तटे स्थितम् अस्ति। गङ्गाजलम् अति पवित्रं भवति। अस्याः जलेन धार्मिक कार्यम् भवति । हिन्दूध विलम्बिनां सर्वेषु शुभकार्येषु गङ्गाजलस्य आवश्यकता

भवति। – गंगा तट पर बहुत नगर हैं। हमारे बिहार की राजधानी पटना भी गंगा के तट पर स्थित है। गंगा का जल बहुत पवित्र होता है। इसके जल से धार्मिक कार्य होता है। हिन्दू धर्म को मानने वालों के सभी शुभ कार्यों में गंगा जल की आवश्यकता होती

पाठ – गङ्गायाम् अनेकाः नद्यः मिलन्ति। तासु यमुना-सरयू गंडकी-कौशिकी प्रभृतयः सन्ति। गङ्गायाः तटे हरिद्वार-प्रयाग-काशी-प्रभृतीनि प्रसिद्ध तीर्थस्थानानि सन्ति। गङ्गाजलेन कृषिभूमेः सेचनं भवति।

अर्थ – गंगा में अनेक नदियाँ मिलती हैं। उनमें यमुना-सरयू-गंडकी, कौशिकी (कोसी) इत्यादि हैं। गंगा के तट पर हरिद्वार-प्रयाग-काशी इत्यादि प्रसिद्ध तीर्थ-स्थल हैं। गंगा जल से कृषि भूमि की सिंचाई होती है।

पाठ – अधुना जनाः गङ्गाजलं प्रदूषितं कुर्वन्ति। गङ्गातटे स्थितानां नगराणां सर्वाणि मलजलानि गङ्गायां पातयन्ति। केचन मनुष्याणां पशूनाञ्च मृतशरीराणि नद्यां प्रवाहयन्ति। इदं न साधु कार्यम् अस्ति। नदीजले मलानां क्षेपणं वैज्ञानिकविचारेण धार्मिकविचारेण च न शोभनम्।

Bihar Board Class 6 Sanskrit Solutions Chapter 11 गंगा नदी

अर्थ – आजकल लोग गंगाजल को गन्दा कर रहे हैं। गंगा किनारे स्थित शहरों के सभी गन्दे जल गंगा में गिराये जाते हैं। कुछ मनुष्यों के और पशुओं के मृत शरीरों को नदी में प्रवाहित किये (बहाये)जाते हैं। यह अच्छा काम नहीं है। नदी के जल में गन्दे वस्तुओं को फेंकना वैज्ञानिक-विचार और धार्मिक-विचार से अच्छा काम नहीं है।

शब्दार्थाः-भारतवर्षस्य – भारतवर्ष के। पवित्रतमा – अत्यन्त पवित्र। वर्त्तते – है। हिमालयस्य – हिमालय के। गोमुखस्थानात् – गोमुख स्थान से। प्रभवति – निकलती है/निकलता है। बंगोपसागरे – बंगाल की खाड़ी में। गंगासागरनामके – गंगासागर नामक (स्थान) में। स्थाने – स्थान में। गंगातटे – गंगा के किनारे पर। बहूनि – बहुत(अनेक)। नगराणि – नगरे। सन्ति – हैं। अस्माकम – हमारे। बिहारस्य – बिहार के। पाटलिपुत्रम् – पटना। अपि — भी। गङ्गायाः – गंगा के । तटे – तीर पर। स्थितम् – स्थित। अस्ति -. है। अति – बहुत। पवित्रम् – पवित्र/स्वच्छ। भवति – होता है। अस्याः – इसकी । जलेन – जल से। शास्त्रानुसारेण – शास्त्र के अनुसार।

हिन्दूध र्मावलम्बिना – हिन्दू धर्म के मानने वाले। धर्मावलम्बिनाम् – धर्म को मानने वाले । शुभकार्येषु – शुभ कामों में । सर्वेषु – सभी में। गंगायाम् – गंगा में। अनेकाः – अनेक। नद्यः – नदियाँ। मिलन्ति – मिलते हैं। तासु – उनमें। कौशिकी – कोशी। प्रभृतयः – इत्यादि। प्रभृतीनि – इत्यादि(नपु0 में)। कृषि भूमेः – कृषि भूमि का। सेचनम् – सिंचाई। अधुना – आजकल। प्रदूषितं – गन्दा। कुर्वन्ति – करते हैं। मलजलानि – गन्दे पानी को। पातयन्ति – गिराते हैं। मनुष्याणाम् – मनुष्यों के । पशूनाज्य – और पशुओं के। मृत शरीराणि – मरे शरीर को । प्रवाहयन्ति – प्रवाहित करते हैं/बहाते हैं। साधु -उत्तम। क्षेपणम् – फेंकना । वैज्ञानिक विचारेण – वैज्ञानिक विचार से । शोभनम् – अच्छा। न – नहीं।

व्याकरणम्

पवित्रतमा (स्त्री.), पवित्रतमः (पु.), पवित्रतमम् (नपु०) प्रभवति – प्र + भू + लट् लकार

व्याख्या : ‘भू’ धातु के लट् लकार में “भवति” रूप होता है जिसका अर्थ है- “होता है।” परंतु ‘प्र’ उपसर्ग लगने पर ‘प्रभवति’ शब्द का निर्माण होता है जिसका अर्थ है उत्पन्न होना। इसी प्रकार उपसर्ग लगने पर धातु का अर्थ बदल जाता है। बंग + उपसागरे -बंगोपसागरे । गंगाजलस्य + आवश्यकता – गंगाजलस्यावश्यकता। मिल् + लट् लकार – मिलति। अस् + लट् लकार – अस्ति। अस् + लट् लकार बहुवचन -सन्ति। कृ + लट् लकार, बहुवचन – कुर्वन्ति।

Bihar Board Class 6 Sanskrit Solutions Chapter 11 गंगा नदी

प्रेरणार्थक क्रिया का प्रयोग 

सामान्य क्रिया और अर्थ – प्रेरणार्थक क्रिया एवं अर्थ एकवचन में बहुवचन में पतति (गिरता है)-पातयति (गिराता है)-पातयन्ति (गिराते हैं) पठति (पढ़ता है)-पाठयति (पढ़ाता है)-पाठयन्ति (पढ़ाते हैं) लिखति (लिखता है) लेखयति (लिखाता है)-लेखयन्ति (लिखवाते हैं) चलति (चलता है)चालयति (चलाता है)-चालयन्ति (चलाते हैं)

वाक्य प्रयोग –

  1. पत्ता गिरता है – पत्रम् पतति।
  2. बालक जल गिराता है – बालकः जलं पातयति।
  3. छात्र पढ़ता है – छात्रः पठति।
  4. शिक्षक पढ़ाते हैं – शिक्षकः पाठयति।
  5. वह लिखता है – सः लिखति।
  6. सीता पत्र लिखवाती है – सीता पत्रं लेखयति।
  7. हाथी चलता है – गजः चलति।
  8. वह साइकिल चलाता है – सः द्विचक्रीम चालयति।

Bihar Board Class 9 Political Science Solutions Chapter 3 संविधान निर्माण

Bihar Board Class 9 Social Science Solutions Political Science राजनीति विज्ञान : लोकतांत्रिक राजनीति भाग 1 Chapter 3 संविधान निर्माण Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Social Science Political Science Solutions Chapter 3 संविधान निर्माण

Bihar Board Class 9 Political Science संविधान निर्माण Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न :

प्रश्न 1.
संविधान सभा की पहली बैठक कब हुई ?
(क) दिसम्बर 1940
(ख) दिसम्बर 1942
(ग) दिसम्बर 1945
(घ) दिसम्बर 1946
उत्तर-
(ग) दिसम्बर 1945

Bihar Board Class 9 Political Science Solutions Chapter 3 संविधान निर्माण

प्रश्न 2.
भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष कौन थे?
(क) डा० भीमराव अंबेदकर
(ख) डा. राजेन्द्र प्रसाद
(ग) सरदार पटेल
(घ) पं. जवाहरलाल नेहरू
उत्तर-
(ग) सरदार पटेल

प्रश्न 3.
भारतीय संविधान सभा के लिए चुनाव कब हुआ था ?
(क) जुलाई 1950
(ख) जुलाई 1946
(ग) जुलाई 1935
(घ) जुलाई 1940
उत्तर-
(ग) जुलाई 1935

Bihar Board Class 9 Political Science Solutions Chapter 3 संविधान निर्माण

प्रश्न 4.
भारतीय संविधान लिखने वाली सभा में कितने सदस्य थे?
(क) 299
(ख) 290
(ग) 295
(घ) 292
उत्तर-
(ग) 295

प्रश्न 5.
भारतीय संविधान कब तैयार हुआ?
(क) 26 नवंबर 1950 को
(ख) 26 नवंबर 1947 को
(ग) 26 नवंबर 1948 को
(घ) 26 नवंबर 1949 को
उत्तर-
(ग) 26 नवंबर 1948 को

प्रश्न 6.
भारतीय संविधान कब लागू हुआ?
(क) 26 जनवरी 1948 को
(ख) 26 जनवरी 1949 को
(ग) 26 जनवरी 1950 को
(घ) 26 जनवरी 1951 को
उत्तर-
(ग) 26 जनवरी 1950 को

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प्रश्न 7.
भारत ब्रिटिश शासन से कब मुक्त हुआ?
(क) 10 जनवरी 1947 को
(ख) 15 अगस्त 1947 को
(ग) 15 फरवरी 1947 को
(घ) 15 दिसम्बर 1947 को
उत्तर-
(ग) 15 फरवरी 1947 को

प्रश्न 8.
सन् 1931 में कांग्रेस का अधिवेशन कहाँ हुआ था ?
(क) इलाहाबाद में
(ख) बम्बई में
(ग) इस्लामाबाद में
(घ) कराची में
उत्तर-
(ग) इस्लामाबाद में

प्रश्न 9.
कांग्रेस के किस अधिवेशन में भारत के संविधान की रूपरेखा रखी गयी थी?
(क) सन् 1919
(ख) सन् 1931
(ग) सन् 1940
(घ) सन् 1950
उत्तर-
(ग) सन् 1940

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प्रश्न 10.
दक्षिण अफ्रीका का प्रधान नेता कौन था ?
(क) महात्मा गाँधी
(ख) नेल्सन मंडेला
(ग) अबुल कलाम आजाद
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) अबुल कलाम आजाद

प्रश्न 11.
भारतीय संविधान के संशोधनों पर कितनी बार चर्चा हुई ?
(क) 100 बार
(ख) 2000 से ज्यादा
(ग) 50 बार
(घ) 1000 से ज्यादा
उत्तर-
(ग) 50 बार

प्रश्न 12.
इनमें कौन-सा तत्व है, जो भारतीय संविधान की प्रस्तावना में नहीं
(क) स्वतंत्रता
(ख) लोकतंत्रात्मकता
(ग) एकता और अखंडता
(घ) सांप्रदायिकता
उत्तर-
(ग) एकता और अखंडता

Bihar Board Class 9 Political Science Solutions Chapter 3 संविधान निर्माण

प्रश्न 13.
दक्षिण अफ्रीका में अश्वेत, रंगीन, चमड़ीवाले और भारतीय मूल के लोगों ने रंगभेद प्रणाली के खिलाफ कब संघर्ष किया ?
(क) 1940 से
(ख) 1945 से
(ग) 1947 से
(घ) 1950 से
उत्तर-
(ग) 1947 से

प्रश्न 14.
नेल्सन मंडेला को कितने वर्षों तक जेल में रखा गया था?
(क). 20 वर्षों तक
(ख) 25 वर्षों तक
(ग) 28 वर्षों तक
(घ) 15 वर्षों तक
उत्तर-
(ग) 28 वर्षों तक

प्रश्न 15.
दक्षिण अफ्रीका को किस वर्ष स्वतंत्रता मिली?
(क) 1964 में
(ख) 1965 में
(ग) 1970 में
(घ) 1975 में
उत्तर-
(ग) 1970 में

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प्रश्न 16.
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति कौन बने ?
(क) जैक्शन मंडेला
(ख) जे. बी. मंडेला
(ग) मि. एक्स
(घ) नेल्सन मंडेला
उत्तर-
(ग) मि. एक्स

प्रश्न 17.
भारतीय संविधान निर्माण करते समय कितने दिनों तक गंभीर चर्चा
(क) 100 दिनों तक
(ख) 114 दिनों तक
(ग) 115 दिनों तक
(घ) 200 दिनों तक
उत्तर-
(ग) 115 दिनों तक

प्रश्न 18.
भारतीय संविधान को कितने खंडों में प्रकाशित किया गया ?
(क) 10
(ख) 15
(ग) 12
(घ) 20
उत्तर-
(ग) 12

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प्रश्न 19.
किस संशोधन के द्वारा वयस्कता की उम्र को 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई?
(क) 55 वें
(ख) 60 वें
(ग) 65 वें
(घ) 66 वें
उत्तर-
(ग) 65 वें

प्रश्न 20.
किसी कानूनी दस्तावेज का प्रारंभिक रूप क्या कहलाता है ?
(क) धारा
(ख) प्रारूप
(ग) संविधान
(घ) प्रस्तावना
उत्तर-
(ग) संविधान

रिक्त स्थान की पूर्ति करें :

प्रश्न 1.
राज्य की कल्पना करना बेमानी है।
उत्तर-
संविधानहीन

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प्रश्न 2.
नियमों के संग्रह को ……………………. कहा जाता है।
उत्तर-
संविधान

प्रश्न 3.
……………………….वर्षों की चर्चा और बहस के बाद दक्षिण अफ्रीका एक बेमिसाल संविधान बनाने में सफल हुआ।
उत्तर-
दो

प्रश्न 4.
दक्षिण अफ्रीका के स्थानीय लोगों की चमड़ी का रंग …………………. होता है।
उत्तर-
काला

प्रश्न 5.
दक्षिण अफ्रीकी संविधान से दुनिया भर के लोकतांत्रिक लोग ………….. लेते हैं।
उत्तर-
प्रेरणा

प्रश्न 6.
संविधान स्पष्ट करती है कि ……………………… कैसे होगा। उत्तर-सरकार का गठन

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प्रश्न 7.
………………….. ई. में महात्मा गाँधी ने यह उद्गार व्यक्त किया कि ‘भारतीय संविधान भारतीयों की इच्छानुसार ही होगा।’
उत्तर-
1922

प्रश्न 8.
1924 ई. में …………………. द्वारा ब्रिटिश सरकार से यह मांग की गयी कि भारतीय संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा का गठन किया जाए।
उत्तर-
मोतीलाल नेहरू

प्रश्न 9.
……………………. ई. में मोतीलाल नेहरू और आठ कांग्रेस नेताओं ने भारत का एक संविधान लिखा था ।
उत्तर-
1928

प्रश्न 10.
संविधान सभा के सदस्यों की विचारधारा भी …………. थी।
उत्तर-
अलग-अलग.

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प्रश्न 11.
महात्मा गाँधी के पत्रिका का नाम ……………………… था।
उत्तर-
यंग इंडिया

प्रश्न 12.
हमारे संविधान में …………. वें संविधान संशोधन द्वारा प्रस्तावना में भारत को समाजवादी राज्य घोषित किया गया है।
उत्तर-
42

प्रश्न 13.
42वें संवैधानिक संशोधन द्वारा प्रस्तावना में भारत को एक ………………. राज्य घोषित किया गया है।
उत्तर-
समाजवादी

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प्रश्न 14.
स्वतंत्र न्यायपालिका प्रजातंत्र की ……………. है।
उत्तर-
आधारशिला

प्रश्न 15.
अब सम्पत्ति का अधिकार एक ………….. अधिकार नहीं है ।
उत्तर-
मौलिक

प्रश्न 16.
शिक्षा के अधिकार को ………….. के रूप में मान्यता प्राप्त है।
उत्तर-
मौलिक अधिकार

प्रश्न 17.
जन-प्रतिनिधियों की वह सभा जो संविधान लिखने का काम करती है उसे ……….. कहते हैं ।
उत्तर-
संविधान सभा

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प्रश्न 18.
किसी सोच और काम को दिशा देने वाले सबसे बुनियादी विचार को ……………… कहते हैं।
उत्तर-
दर्शन

प्रश्न 19.
देश की सरकार को उखाड़ फेंकने की कोशिश करने के अपराध को …………………. कहते हैं।
उत्तर-
देशद्रोह

प्रश्न 20.
संविधान का वह पहला कथन जिसमें कोई अपने संविधान के …………….. बुनियादी मूल्यों और अवधारणाओं को स्पष्ट ढंग से कहता
उत्तर-
प्रस्तावना

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
संविधान क्या है?
उत्तर-
किसी देश का शासन जिन नियमों एवं सिद्धान्तों के आधार पर चलता है, उन सिद्धान्तों या नियमों को संविधान कहते हैं।

प्रश्न 2.
अफ्रीकी रंगभेद नीति का विरोध किस संगठन ने किया ?
उत्तर-
अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस पार्टी ने।

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प्रश्न 3.
भारत का संविधान किसने बनाया ?
उत्तर-
संविधान सभा ने।।

प्रश्न 4.
भारतीय संविधान प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष कौन थे? ।
उत्तर-
डा. अम्बेदकर।।

प्रश्न 5.
संविधान सभा ने भारत का संविधान बनाने में कितना समय लगाया?
उत्तर-
2 वर्ष, 11 महीने एवं.18 दिन ।

प्रश्न 6.
भारत में संसदीय प्रणाली किस देश से प्रभावित होकर ली गई है ?
उत्तर-
इंग्लैंड से।

प्रश्न 7.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में किस वर्ष ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द जोड़ा गया ?
उत्तर-
1976 में।

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प्रश्न 8.
भारतीय संविधान में कितने अनुच्छेद एवं अनुसूचियाँ हैं?
उत्तर-
कुल 395 अनुच्छेद, 22 भाग एवं 12 अनुसूचियाँ हैं।

प्रश्न 9.
संविधान की आवश्यकता क्यों है ?
उत्तर-
संविधान के बिना लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली की कल्पना बेमानी है।

प्रश्न 10.
संविधान निर्माण में निर्माता फ्रांस के संविधान से किस तरह प्रभावित थे ?
उत्तर-
फ्रांसीसी क्रान्ति के आदर्शों से।

प्रश्न 11.
संविधान निर्माता किसके संसदीय कार्य से प्रभावित थे ?
उत्तर-
ब्रिटेन के संसदीय लोकतंत्र के कामकाज से ।

प्रश्न 12.
संविधान निर्माता अमेरिका के संविधान से किस तरह प्रभावित थे ?
उत्तर-
अमेरिका के अधिकारों की सूची से काफी प्रभावित थे।

प्रश्न 13.
संविधान निर्माता रूस के संविधान से किस तरह प्रभावित थे ?
उत्तर-
रूस की समाजवादी क्रान्ति से प्रभावित थे।

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प्रश्न 14.
स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री कौन थे?
उत्तर-
पं. जवाहरलाल नेहरू ।

प्रश्न 15.
संविधान सभा के लिए कब चुनाव कराए गए ?
उत्तर-
जुलाई 1946 में।

प्रश्न 16.
हम भारतवासी हर वर्ष गणतंत्र दिवस कब मनाते हैं ?
उत्तर-
प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को ।

प्रश्न 17.
संविधान के अनुसार भारत किस प्रकार का राज्य है ?
उत्तर-
भारत एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य है।

प्रश्न 18.
गणराज्य का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
गणराज्य का अर्थ है, शक्ति का संपूर्ण स्रोत ‘गण’ अर्थात् जनता में है।

प्रश्न 19.
भारतीय संविधान के अनुसार संप्रभुता कहाँ निहित है ?
उत्तर-
भारत की जनता में।

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प्रश्न 20.
पता लगाएं, स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे ?
उत्तर-
डा. राजेन्द्र प्रसाद ।।

प्रश्न 21.
पता लगाएँ, ब्रिटिश भारत के अंतिम गवर्नर जनरल कौन थे ?
उत्तर-
लार्ड माउंटबेटन ।

प्रश्न 22.
लार्ड माउंटबेटन के बाद स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल
कौन थे?
उत्तर-
श्री सी. राजगोपालाचारी।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दक्षिण अफ्रीका में रंगीन चमड़ीवाला किसे कहा गया है ?
उत्तर-
दक्षिण अफ्रीका में मुख्य रूप से काले चमड़ी वाले लोग रहते हैं। आबादी में उनका हिस्सा तीन चौथाई है और उन्हें अश्वेत कहा जाता है। श्वेत गोरे लोग कहलाते हैं। श्वेत और अश्वेत के अलावा वहाँ मिश्रित नस्लों के लोग रहते हैं जिन्हें ‘रंगीन चमड़ी’ वाला कहा जाता है। , इनकी त्वचा का रंग लाल होता है।

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प्रश्न 2.
रंगभेद नीति क्या थी?
उत्तर-
रंगभेद की नीति अश्वेतों के लिए खासतौर से दमनकारी थी। उन्हें गोरों की बस्तियों में रहने-बसने की इजाजत नहीं थी। परमिट होने पर ही वे वहाँ जाकर काम कर सकते थे। रेलगाड़ी, किसी भी सवारी, होटल, अस्पताल, स्कूल और कॉलेज, पुस्तकालय, सिनेमाघर, समुद्रतट, तरणताल तथा अन्य सार्वजनिक शौचालयों तक में गोरों और कालों के लिए एकदम अलग-अलग व्यवस्था थी । इसे पृथककरण या अलग-अलग करने का इंतजाम कहा जाता था । अश्वेतों को संगठन बनाने और इस भेदभावपूर्ण व्यवहार का विरोध करने का अधिकार नहीं था । इस तरह रंगभेद नीति अत्यन्त ही दमनकारी थी।

प्रश्न 3.
रंगभेद नीति के खिलाफ किन लोगों ने संघर्ष किया?
उत्तर-
1950 ई. से ही अश्वेत, रंगीन चमड़ी वाले और भारतीय मूल के लोगों ने रंगभेद प्रणाली के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने विरोध प्रदर्शन किए और हड़ताल आयोजित किया अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के झंडे तले एक जुट हुए इनमें कई मजदूर संगठन और कम्युनिस्ट पार्टी भी शामिल थी। अनेक समझदार और संवेदनशील गोरे नेशनल कांग्रेस के साथ आए और संघर्ष में साथ दिया । लेकिन गोरे सरकार ने रंगभेद में हजारों अश्वेतों और रंगीन चमड़ी वाले लोगों की हत्या और दमन कर डाला

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प्रश्न 4.
नेल्सन मंडेला के विषय में संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के महान नेता थे । गोरों की सरकार ने मंडेला पर देशद्रोह का मुकदमा चलाकर जेल में बंद कर दिया ।
मंडेला गोरों की सरकार का विरोध करते थे । नेल्सन को 28 वर्षों तक – जेल में बंद रहने के बाद आजाद कर दिया गया और दक्षिण अफ्रीका
स्वतंत्र हो गया । नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के प्रथम राष्ट्रपति 1994 ई. में बने।

प्रश्न 5.
दक्षिण अफ्रीका के उदय के साथ अश्वेत नेताओं ने अश्वेत समाज से क्या आग्रह किया?
उत्तर-
नए लोकतांत्रिक दक्षिण अफ्रीका के उदय के साथ ही अश्वेत नेताओं ने अश्वेत समाज से आग्रह किया कि सत्ता में रहते हुए गोरे लोगों ने जो जुल्म किये थे उन्हें भूल जाएँ और गोरों को माफ कर दें। यह भी आग्रह किया कि अब सभी नस्लों तथा स्त्री-पुरुष की समानता, लोकतांत्रिक मूल्यों, सामाजिक न्याय और “मानवाधिकार पर आधारित नए दक्षिण अफ्रीका का निर्माण करें।

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प्रश्न 6.
दक्षिण अफ्रीका का संविधान बेमिसाल संविधान है। कैसे?
उत्तर-
नए संविधान के निर्माण के लिए सभी साथ-साथ मिलकर बैठें। दो वर्षों की चर्चा और बहस के बाद एक बेमिसाल संविधान बनाने में वे सफल रहे । उनका संविधान अपने इतिहास अर्थात् भूतकाल एवं भविष्यतकाल के सुनहरे दिनों की बात करता है। इस संविधान में नागरिकों
को व्यापक अधिकार दिये गये। अतीत के दुःस्वप्न से बाहर निकलकर – इस बात पर सहमति बनी कि अब से हर समस्या के समाधान में पूर्वाग्रह से मुक्त होकर सबकी भागीदारी होगी।
दक्षिण अफ्रीकी संविधान ऐसा तैयार हुआ कि दुनिया भर के लोकतांत्रिक देश इससे प्रेरणा लेते हैं।

प्रश्न 7.
संविधान की आवश्यकता क्यों है ? व्याख्या करें।
उत्तर-
लोकतंत्र की सफलता के लिए संविधान जरूरी है। किसी देश का शासन जिन नियमों एवं सिद्धान्तों के आधार पर चलता है, उन सिद्धान्तों या नियमों का संग्रह ही संविधान है। संविधानहीन राज्य की कल्पना करना बेमानी है। संविधान के अभाव में राज्य, राज्य न होकर एक प्रकार की अराजकता होगी। इसके अतिरिक्त संविधान नागरिकों को कुछ मौलिक अधिकार प्रदान करते हैं जिससे उनका सर्वांगीण विकास हो सके।

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प्रश्न 8.
संविधान के कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर-
संविधान के निम्नलिखित कार्य हैं-(i) यह स्पष्ट करता है कि सरकार का गठन कैसे होगा और किसे फैसले लेने का अधिकार होगा । (ii) संविधान सरकार के अधिकारों की सीमा तय करता है और हमें बताता है कि नागरिकों के क्या अधिकार हैं । (iii) यह अच्छे समाज के गठन के लिए लोगों की आवश्यकताओं को व्यक्त करता है। (iv) संविधान एक ऐसा दस्तावेज है जिसे किसी देश के नागरिक स्वाभाविक रूप से मानते हैं । संविधान सर्वोच्च कानून है जिससे किसी क्षेत्र विशेष में रहने वाले लोगों के बीच आपसी संबंध तय होने के साथ-साथ लोगों और सरकार के बीच संबंध तय होते हैं।

प्रश्न 9.
‘यंग इंडिया’ में गाँधीजी ने भारत के संविधान के विषय में क्या लिखा था?
उत्तर-
1931 ई. में अपनी पत्रिका ‘यंग इंडिया’ में गाँधीजी ने संविधान में अपनी अपेक्षा के बारे में लिखा था, “मैं भारत के लिए ऐसा संविधान चाहता हूँ जो उसे गुलामी और अधीनता से मुक्त करें। मैं ऐसे भारत के लिए प्रयास करूंगा जिसे सबसे गरीब व्यक्ति भी अपना माने और उसे लगे कि देश को बनाने में उसकी भी भागीदारी है, ऐसा भारत जिसमें लोगों का उच्च वर्ग और निम्न वर्ग न रहे, सभी समुदाय के लोग पूरे मेल-जोल से रहें। जिसमें छुआछूत, शराब और नशीली चीजों के लिए कोई जगह न हो। औरतों को मदों जैसे अधिकार मिले । मैं इससे कम पर संतुष्ट नहीं होऊँगा ।”

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प्रश्न 10.
डॉ. अम्बेडकर ने संविधान के विषय में क्या भाषण दिया था ?
उत्तर-
संविधान सभा में दिए गए अपने अंतिम भाषण में डॉ. अम्बेडकर ने स्पष्ट ढंग से कहा था-“26 जनवरी, 1950 को हम विशेषाधिकारों से भरे जीवन में प्रवेश करने जा रहे हैं । राजनीति के मामले में यहाँ समानता होगी पर आर्थिक और सामाजिक जीवन असमानताओं से भरा होगा । राजनीति में हम ‘एक व्यक्ति एक वोट’ और ‘हर वोट का समान महत्व’ के सिद्धान्त को मानेंगे।”

प्रश्न 11.
संविधान की प्रस्तावना क्या है ? स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्रस्तावना किसी देश के संविधान की कुंजी है। संविधान अपने बुनियादी मूल्यों की एक छोटी-सी उद्देशिका के साथ आरम्भ करता है। इसे ही संविधान की प्रस्तावना या उद्देशिका कहते हैं। अमेरिकी संविधान की प्रस्तावना से प्रेरणा लेकर समकालीन दुनिया के अधिकांश देश अपने संविधान की शुरूआत एक प्रस्तावना से करते हैं। वास्तव में प्रस्तावना में संविधान के स्रोतों, लक्ष्यों, आदर्शों और सरकार के बुनियादी राजनीतिक ढाँचों का संक्षिप्त विवरण होता है।

प्रश्न 12.
संयुक्त राज्य के संविधान की प्रस्तावना के विषय में लिखें।
उत्तर-
संयुक्त राज्य के संविधान की प्रस्तावना कुछ इस प्रकार है’संयुक्त राज्य के हम सभी लोग अधिक अच्छा संघ बनाने, न्याय की स्थापना करने, घरेलू शांति बनाने, साझा सुरक्षा व्यवस्था बनाने, जन कल्याण को बढ़ावा देने, अपने और अपनी समृद्धि में स्वतंत्रता साथ लेने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के इस संविधान को स्थापित करते हैं और इसका अभिषेक करते हैं।

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प्रश्न 13.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर-
भारतीय संविधान की प्रस्तावना लोकतंत्र पर लिखित रूप में खूबसूरत कविता-सी लगती है। इसमें वह दर्शन शामिल है जिस पर पूरे संविधान का निर्माण हुआ है। यह दर्शन सरकार के किसी भी कानून और फैसले के मूल्यांकन और परीक्षण का मानक तय करता है । इसके सहारे परखा जा सकता है कि कौन कानून, कौन फैसला अच्छा या बुरा है। प्रस्तावना में ही भारतीय संविधान की आत्मा बसती है।

प्रश्न 14.
क्या भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है ?
उत्तर-
धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान की एक प्रमुख विशेषता है। 42वें संवैधानिक संशोधन द्वारा प्रस्तावना में भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है। धर्मनिरपेक्ष राज्य का तात्पर्य यह है कि राज्य की दृष्टि में सभी धर्म समान हैं और राज्य के द्वारा विभिन्न धर्मावलम्बियों में कोई भेद-भाव नहीं किया जायगा। सभी नागरिक स्वेच्छा से कोई धर्म अपनाने और उपासना करने में स्वतंत्र हैं।

प्रश्न 15.
संविधान किसे कहते हैं ?
उत्तर-
संविधान किसी भी देश के उन आधारभूत सिद्धान्तों का समूह होता है । संविधान वहाँ की सरकार के निर्माण, संचालन तथा कार्यपद्धति का ब्यौरा प्रस्तुत करता है । संविधान एक ऐसा लिखित दस्तावेज है जिसे किसी देश के नागरिक स्वाभाविक रूप से मानते हैं । संविधान सर्वोच्च कानून है जिससे किसी क्षेत्र विशेष में रहने वाले लोगों के बीच के आपसी संबंध तय होने के साथ-साथ लोगों और सरकार के बीच संबंध भी तय होते हैं।

प्रश्न 16.
भारतीय संविधान जनता का संविधान क्यों माना जाता है ?
उत्तर-
भारतीय संविधान जनता का संविधान है । यह बात सत्य है कि संविधान सभा के सदस्य वयस्क मताधिकार के आधार पर ही चुने जाते हैं। संविधान सभा के सदस्य प्रांतीय विधानमंडल द्वारा चुने जाते हैं। वास्तव में देश के सभी महत्वपूर्ण नेता संविधान सभा के सदस्य होते हैं। सभी वर्गों (हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, महिलाएँ) के प्रतिनिधि संविधान सभा में होते हैं । यदि वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनाव होता तो यही व्यक्ति चुनाव जीतकर आते । अतः हमारा संविधान जनता का संविधान है।

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प्रश्न 17.
संविधान के आधार पर गणतंत्र का अर्थ क्या है ?
अथवा, भारत एक लोकतंत्रात्मक गणराज्य है ! कैसे ?
उत्तर-
सरकार की स्थापना जनता के प्रतिनिधियों द्वारा होती है और प्रतिनिधियों का चुनाव जनता संविधान द्वारा प्रदत्त वयस्क मताधिकार द्वारा करती है । गणराज्य से तात्पर्य ऐसे राज्य से है, जहाँ शासनाध्यक्ष चंशानुगत न होकर जनता द्वारा निश्चित अवधि के लिए चुना जाता है । गणराज्य का अर्थ ही यही है कि यहाँ शक्ति का संपूर्ण स्रोत ‘गण’ अर्थात् जनता में है। ‘लोकतंत्रात्मक’ शब्द इस बात का परिचायक है कि सरकार का स्रोत जनता में ही निहित है, लोकतंत्रात्मक सरकार जनता का, जनता के लिए तथा जनता द्वारा स्थापित होती है।

प्रश्न 18.
संसदात्मक शासन प्रणाली क्या है ? भारत में किस प्रकार संसदीय शासन प्रणाली है ?
उत्तर-
संसदात्मक शासन प्रणाली वह शासन प्रणाली है जहाँ कार्यपालिका व विधानपालिका के बीच अटूट संबंध होता है। कार्यपालिका, विधानपालिका के प्रति उत्तरदायी होता है। कार्यपालिका अर्थात् मंत्रिपरिषद् के सदस्य संसद् के प्रति उत्तरदायी होते हैं। सभी मंत्री प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कार्य करते हैं तथा उनका प्रधानमंत्री के प्रति निजी उत्तरदायित्व होता है। भारत में संसदात्मक प्रणाली अपनाई गई है। सभी मंत्रियों का लोकसभा के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व होता है।

प्रश्न 19.
भारत में संघीय प्रणाली होते हुए भी एकल नागरिकता की व्यवस्था है, कैसे?
उत्तर-
हमारे देश में संघीय प्रणाली होते हुए भी एकल नागरिकता की ही व्यवस्था है। भारत का कोई भी निवासी चाहे वह किसी भी राज्य का हो, किसी भी धर्म या संप्रदाय को मानने वाला हो, किसी भी भाषा अथवा क्षेत्र से संबंध रखता है, भारत का नागरिक है। भारत में अखंडता के साथ-साथ मौलिक एकता पर जोर दिया गया है। इसलिए एकल नागरिकता की ही व्यवस्था की गई है।

प्रश्न 20.
संविधान संशोधन प्रक्रिया क्या है, इसे क्यों आवश्यक बनाया गया?
उत्तर-
संविधान सिर्फ मूल्यों और दर्शन का बयान भर नहीं है। यह .एक बहुत ही लम्बा और विस्तृत दस्तावेज है। इसलिए समय-समय पर इसे नया रूप देने के लिए इसमें बदलाव की जरूरत पड़ती है। निर्माताओं को लगा कि इसे भावनाओं के अनुरूप चलना चाहिए और समाज में हो रहे बदलावों से दूर रहना चाहिए। उन्होंने इसे पवित्र स्थायी और न बदले जा सकने वाले कानून के रूप में नहीं देखा था। इसलिए उन्होंने बदलाओं को समय-समय पर शामिल करने का प्रावधान भी रखा । इन बदलावों को ‘संविधान संशोधन’ कहते हैं।

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प्रश्न 21.
संविधान में वर्णित समाजवादी सिद्धान्त क्या है ? स्पष्ट करें।
उत्तर-
भारतीय संविधान में प्रशासन के समाजवादी सिद्धान्त पर बल दिया गया है । जिस राजनीतिक प्रशासनिक सिद्धान्त के अन्तर्गत व्यक्ति की अपेक्षा सम्पूर्ण समाज को विकास का समान अवसर प्रदान किया जाता है, उसे ‘समाजवाद’ कहते हैं। इसका उद्देश्य संपूर्ण समाज में आर्थिक, राजनीतिक और आधिकारिक दृष्टि से समानता स्थापित करना होता है । वास्तव में समाजवाद का तात्पर्य ऐसे सामाजिक नीति या सिद्धान्त से है, जो उत्पादन के साधनों, पूँजी, जमीन, सम्पत्ति आदि का सम्पूर्ण समुदाय द्वारा नियंत्रण तथा स्वामित्व का समर्थन करता है तथा सभी के हित में वितरण और प्रशासन की व्यवस्था करता है।

प्रश्न 22.
संविधान सभा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जनता द्वारा चुने गए वैसे प्रतिनिधियों की सभा जो संविधान निर्माण का कार्य करती है संविधान सभा कहलाती है । भारतीय संविधान सभा ने 9 दिसम्बर, 1946 से अपना कार्य करना प्रारम्भ कर दिया था । भारत का संविधान 26 नवम्बर,च 1949 ई. को अपना काम पूरा कर . लिया । संविधान 26 जनवरी, 1950 ई. को लागू हुआ ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत का संविधान किस प्रकार बना?
उत्तर-
भारत का संविधान एक संविधान सभा ने निर्माण किया है। इसव निर्माण के तत्व इस प्रकार हैं
(i) संविधान सभा का गठन-भारतीय नेता काफी समय से यह मांग करते आ रहे थे कि भारत का संविधान बनाने के लिए संविधान सभा बनाई गई। 1946 में हुई संविधान सभा में 299 सदस्य थे। इसमें बड़े-बड़े नेता थे। जैसे- पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी श्रीमती सरोजनी नायडू । डॉ. राजेन्द्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे।
(ii) प्रारुप समिति की नियक्ति तथा संविधान का निर्माण२ प्रधान का प्रारुप तैयार करने के लिए एक समिति की नियुक्ति की गई। – 7 समिति के प्रधान डॉ. भीमराव अंबेदकर थे।

इस समिति ने विभिन्न देशों के संविधानों का अध्ययन करके बड़े परिश्रम से संविधान की रूप-रेखा बनाई। इसी रूप रेखा के आधार पर ही देश के लिए विशाल संविधान तैयार किया गया । संविधान तैयार करने में 2 वर्ष, 11 मास और 18 दिन का समय लगा। इस दौरान संविधान. सभा की 114 दिनों तक गंभीर चर्चा हुई। सभा में पेश हर प्रस्ताव, हर शब्द ओर वहाँ कही गई हर बात का रिकार्ड किया गया । इन्हें “कांस्टीट्यूट असेम्बली डिबेट्स’ नाम से 12 मोटे खंडों में प्रकाशित किया गया । 26 नवंबर, 1949 ई० को संविधान पूरा हुआ और पारित किया गया । इसे 26 जनवरी 1950 ई. को लागू किया गया। इस प्रकार संविधान का गठन हुआ।

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प्रश्न 2.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना के महत्व की चर्चा करें।
उत्तर-
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारतीय संविधान की आत्मा बसती है । इसलिए इसके बहुत महत्व हैं । वे निम्नलिखित हैं

  • जनता का संविधान-प्रस्तावना का आरंभ ‘हम भारत के लोग’ से किया गया है। इससे स्पष्ट है यह लोगों अर्थात् जनता का संविधान है, जिसका निर्माण जनता ने अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से किया है।
  • आदर्श मूल्यों की चर्चा-प्रस्तावना के अध्ययन से पता चलता है कि भारतीय संविधान में राष्ट्रीय एकता, अखंडता, समानता, स्वतंत्रता, विश्वशांति आदि भारतीय संविधान के मूल आदर्श हैं।
  • धर्मनिरपेक्ष राज्य-संविधान के 42वें संशोधन द्वारा 1976 में भारतीय संविधान की प्रस्तावना में धर्म-निरपेक्ष शब्द को जोड़ा गया है। अतः धर्म के आधार पर भारत के किसी भी नागरिक के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता है। कोई भी नागरिक किसी भी धर्म को मान सकता है।
  • सरकार की अभिव्यक्ति-प्रस्तावना में सरकार के स्वरूप की स्पष्ट झलक मिलती है, कि भारत एक संप्रभुता संपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य है।

प्रश्न 3.
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर-
भारतीय संविधान की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं

  • लोकतांत्रिक गणराज्य-भारतीय संविधान की पहली विशेषता है कि यह लोकतांत्रिक गणराज्य है। यह बताता है कि सरकार की वास्तविक शक्ति का संपूर्ण स्रोत ‘गण’ अर्थात् जनता में है।
  • विशाल एवं लिखित संविधान भारतीय संविधान विश्व का सर्वाधिक विशाल संविधान है। इसमें 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 12 अनुसूचियाँ हैं । इसमें संघ और राज्यों की व्यापकता से वर्णन है।
  • समाजवादी राज्य-42वें संविधान संशोधन द्वारा प्रस्तावना में । भारत को समाजवादी राज्य घोषित किया गया । जो सामाजिक नीति पर आधारित है, जो उत्पादन के साधनों पूँजी, जमीन, सम्पत्ति आदि का सम्पूर्ण द्वारा नियंत्रण तथा स्वामित्व का समर्थन करता है।
  • सम्प्रभुता-भारत को सम्प्रभुत्व गणराज्य बनाया गया है। इस पर अब किसी बाहरी शक्ति का नियंत्रण नहीं रहा । यहाँ शासन की शक्ति जनता के हाथ में है; जिसका प्रयोग वह अपने प्रतिनिधियों के द्वारा करता है।
  • धर्मनिरपेक्षता यहाँ राज्य की दृष्टि में सभी धर्म समान हैं और राज्य के द्वारा विभिन्न धर्मावलम्बियों में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
  • संसदीय शासन प्रणाली—इस शासन व्यवस्था के अन्तर्गत शासन की वास्तविक सत्ता मंत्रिपरिषद् में निहित होती है और मंत्रिपरिषद् का नियंत्रण व्यवस्थापिका द्वारा होता है। राष्ट्रपति और राज्यपाल संवैधानिक प्रमुख होते हैं।
  • संघीय शासन प्रणाली-भारत राज्यों का एक संघ है । संविधान ने शासन शक्ति एक स्थान पर केन्द्रित न करके केन्द्र और राज्य सरकारों में विभाजित कर दी है। यहाँ भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है, तथापि व्यावहारिक रूप में उसकी आत्मा एकात्मक है।
  • स्वतंत्र न्यायपालिका-भारतीय संविधान सारे देश के लिए न्याय प्रशासन की एक व्यवस्था करता है जिसके शिखर पर उच्चतम न्यायालय है। न्यायपालिका को कार्यकारिणी के दबाव और नियंत्रण से स्वतंत्र होना आवश्यक है। स्वतंत्र न्यायपालिका प्रजातंत्र की आधारशिला है ।
  • मौलिक अधिकार एवं मूल कर्त्तव्य-संविधान द्वारा नागरिकों को, मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं, जैसे–समानता, स्वतंत्रता, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता, शिक्षा के अधिकार आदि 42वें संशोधन, 1976 में 10 मूल कर्त्तव्यों की चर्चा है जिनमें वैधानिक व्यवस्थाओं का पालन, राष्ट्रध्वज का सम्मान करना, राष्ट्रगान का सम्मान करना आदि कर्त्तव्य हैं।
  • राज्य के नीति निदेशक तत्व-इसका मुख्य लक्ष्य है लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना ।
  • वयस्क मताधिकार-हर 18 वर्ष से ऊपर पुरुष एवं स्त्री को मत देने का अधिकार प्राप्त है। इसमें किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं
  • एकल नागरिकता-सभी नागरिकों को एक ही नागरिकता प्राप्त है, वह है भारत की नागरिकता।
  • एक राष्ट्रभाषा की व्यवस्था भारतीय संविधान में कई भाषाओं को मान्यता प्राप्त है पर हिन्दी को राष्ट्रभाषा माना गया है।

प्रश्न 4.
15 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि के समय संविधान सभा में दिए पं. जवाहर लाल नेहरू के प्रसिद्ध भाषण का संक्षिप्त रूप प्रस्तुत करें।
उत्तर-
15 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि के समय संविधान में पं. जवाहर लाल नेहरू के भाषण कुछ इस प्रकार थे “वर्षों पहले हमने अपनी नियति के साथ साक्षात्कार किया था, और अब वक्त आ गया है कि हम अपने वायदों पर अमल करें-पूरी तरह, या हर तरह से नहीं तो काफी हद तक। 12 बजते ही भारत आजाद होगा। ऐसे पवित्र क्षण में हम अपने आपको भारत और उसके लोगों तथा उससे भी अधिक मानवता की सेवा में समर्पित करें, यही हमारे लिए उचित है। आजादी और सत्ता जिम्मेवारियाँ लाती हैं। भारत के संप्रभु लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाली इस संप्रभुता सम्पन्न सभा के ऊपर अब जिम्मेवारी है। आजादी के जन्म से पूर्व हमने पूरी प्रसव पीडा झेली है और इस क्रम में हुए दुखों से हमारा दिल भारी है। इसमें कुछ दर्द अभी भी बने हुए हैं। फिर भी इतिहास अब बीत चुका है और भविष्य हमें सुनहरे संकेत दे रहा है।

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Bihar Board Class 11 Home Science Solutions Chapter 14 साधन Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

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Bihar Board Class 11 Home Science साधन Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
खमीर में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवाणु होते हैं।
(क) एककोशीय
(ख) बहुकोशीय
(ग) द्विकोशीय
(घ) तृ-कोशीय
उत्तर:
(क) एककोशीय

प्रश्न 2.
फफूंदी के जीवाणु तापमान में पनपते हैं।
(क) 20°C – 25°C
(ख) 25°C – 30°C
(ग) 30°C – 35°C
(घ) 35°C – 40°C
उत्तर:
(ख) 25°C – 30°C

प्रश्न 3.
एककोशीय सूक्ष्म जीवाणु के लिए उचित तापमान की आवश्यकता होती है।
(क) 25°C-30°C
(ख) 30°C – 35°C
(ग) 35°C-40°C
(घ) 40°C – 45°C
उत्तर:
(क) 25°C-30°C

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प्रश्न 4.
एकलोटॉक्सिन Aflofoxin कहलाता है।
(क) विषैला पदार्थ
(ख) स्टार्चयुक्त पदार्थ
(ग) क्षारीय पदार्थ
(घ) अम्लीय पदार्थ
उत्तर:
(क) विषैला पदार्थ

प्रश्न 5.
बैक्टीरिया एक प्रकार का जीवाणु है
(क) एककोशीय
(ख) बहुकोशीय
(ग) द्वि-कोशीय
(घ) ती-कोशीय
उत्तर:
(क) एककोशीय

प्रश्न 6.
मानवीय साधन के अंतर्गत आते हैं। [IB.M.2009A]
(क) ज्ञान
(ख) धन
(ग) संपत्ति
(घ) आभूषण
उत्तर:
(क) ज्ञान

प्रश्न 7.
साधनों की व्याख्या करने से -[B.M.2009AL ]
(क) उपलब्ध साधनों को प्रयोग कर लक्ष्य प्राप्त हो सकता हैं
(ख) खर्च कम होता है
(ग) आवश्यकताओं की पूर्ति होती है
(घ) शक्ति का दूर उपयोग नहीं होता
उत्तर:
(क) उपलब्ध साधनों को प्रयोग कर लक्ष्य प्राप्त हो सकता हैं

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
साधन (Resources) शब्द की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
जो वस्तुएँ और क्षमताएँ हमारी आवश्यकता की पूर्ति में सहायता करती हैं व हमारे · लक्ष्यों तक पहुँचाने में सहायक हैं, उन्हें साधन या संसाधन कहते हैं।

प्रश्न 2.
साधन और संतोष (Resources & Satisfaction) में अन्तःसंबंध बताइए।
उत्तर:
साधन और संतोष में गहरा सम्बन्ध है। यदि एक कार्य को करने के लिए कई साधन चाहिए और यदि वे सन्तुलित मात्रा में उपलब्ध हों तो सन्तोष शीघ्र और अवश्य प्राप्त होता है।

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प्रश्न 3.
मानवीय साधन (Human Resources) क्या हैं, उदाहरण दें।
उत्तर:
जो क्षमताएँ व साधन मानव द्वारा प्राप्त होते हैं उन्हें मानवीय साधन कहते हैं।
ये चार हैं-

  • ज्ञान
  • योग्यताएँ एवं कुशलताएँ,
  • शक्ति
  • अभिवृत्तियाँ व अभिरुचियाँ।

प्रश्न 4.
संसाधन कितने प्रकार के होते हैं ? नाम लिखें।
उत्तर:
संसाधन दो प्रकार के होते हैं-
(i) मानवीय संसाधन
(ii) भौतिक संसाधन

प्रश्न 5.
सभी संसाधनों की कोई दो विशेषताएँ (Characteristics) बताएँ।
उत्तर:
सभी संसाधनों की दो विशेषताएँ निम्न हैं-
1. सभी साधन उपयोगी होते हैं।
2. सभी साधन सीमित होते हैं।

प्रश्न 6.
भौतिक साधन (Non Human Resources) किन्हें कहते हैं ? उदाहरण दें।
उत्तर:
जो साधन भौतिक रूप में प्राप्त होते हैं, उन्हें भौतिक साधन या अमानवीय साधन कहा जाता है।
ये निम्न हैं-
1. धन,
2. वस्तुएँ,
3. सम्पत्ति,
समय व सामुदायिक सुविधाएँ।

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प्रश्न 7.
“निर्णय लेना’ (Decision making) से क्या तापलं है?
उत्तर:
अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए विभिन्न विकल्पों में से सर्वोत्तम विकल्प का चुनाव ही निर्णय है।

प्रश्न 8.
सार्वजनिक या जन सुविधाएँ क्या हैं ?
उत्तर:
जो सुविधाएं सार्वजनिक उपयोग के लिए होती हैं और सब इसका प्रयोग करते हैं, उन्हें सार्वजनिक या जन सुविधाएँ (Public Conveniences)
कहते हैं।
ये निम्न हैं-

  1. पार्क
  2. सार्वजनिक परिवहन
  3. पुस्तकालय
  4. अस्पताल व डिस्पेन्सरी
  5. स्कूल तथा कॉलेज
  6. सार्वजनिक शौचालय
  7. सार्वजनिक नल
  8. सड़कें तथा गलियाँ
  9. सार्बजनिक इमारतें
  10. बिजली पानी
  11. पेड़ आदि

प्रश्न 9.
“साधन सीमित हैं” (Resources are limited) स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सभी साधन चाहे वे मानवीय हों या अमानवीय एक निश्चित सीमा तक ही प्रयोग में लाये जा सकते हैं। एक परिवार के पास निश्चित आय होती जिसमें उसे अपनी आवश्यकताओं को पूरा करना पड़ता है। एक विद्यार्थी के पास एक निश्चित कार्य करने के लिए सीमित ही समय होता है जिसमें उसे पढ़ाई सम्बन्धी कार्य करने होते हैं। अतः सभी साधन सीमित होते हैं।

प्रश्न 10.
साधनों को व्यवस्थित (Organisation of Resources) करने से क्या लाभ हैं? अथवा, लक्ष्य प्राप्ति के लिए साधनों को व्यवस्थित करना आवश्यक है या नहीं? यदि हाँ, तो क्यों?
उत्तर:
साधनों को व्यवस्थित करने से यह लाभ है कि हम सीमित साधनों से अधिकाधिक आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं। अधिकतम लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल हो सकते हैं। यदि हम इनका व्यवस्थित प्रयोग नहीं करेंगे तो ये साधन बेकार जा सकते हैं। व्यवस्थित करने से हम अपने समस्त साधनों से अवगत हो सकते हैं, और अपने दृष्टिकोण एवं अभिवृत्तियों में परिवर्तन लाकर अपने उपलब्ध साधनों में वृद्धि भी कर सकते हैं।

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प्रश्न 11.
साधनों का प्रबन्ध करना (Arrangement of Resources) क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
सभी साधन सीमित होते हैं और उनकी उपलब्धि भी सीमित होती है। हमारी आवश्यकताएँ व लक्ष्य असीमित होते हैं। इन्हीं सीमित साधनों द्वारा हमें असीमित आवश्यकताओं और लक्ष्यों की प्राप्ति करनी होती है। यह तभी सम्भव है जब हम नियोजित ढंग से सोच-विचार कर इनका उपयोग करें ताकि अधिकाधिक आवश्यकताएं पूरी हो सकें व अधिकाधिक लक्ष्यों की प्राप्ति हो सके। इसीलिए साधनों का प्रबंध अति आवश्यक है।

प्रश्न 12.
निर्णय की प्रक्रिया के विभिन्न चरण (Process of decision making) कौन-कौन-से हैं ?
उत्तर:
अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए विभिन्न विकल्पों में से सर्वोत्तम विकल्प का चुनाव ही निर्णय लेना कहलाता है। निर्णय लेने की प्रक्रिया के पाँच मुख्य सोपान हैं जो निम्नलिखित हैं समस्या को परिभाषित करना। समस्या के समाधान के लिए विभिन्न विकल्पों की खोज करना। विभिन्न विकल्पों पर विचार-विनिमय। सर्वोत्तम विकल्प का चयन करना । अन्तिम निर्णय लेना या निर्णय की स्वीकृति।

प्रश्न 13.
यदि निर्णय प्रक्रिया में एक चरण रह गया है, तो क्या होगा?
उत्तर:
यदि निर्णय प्रक्रिया में एक चरण रह गया है तो सही निर्णय लेने में हम गलत साबित होंगे।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
साधन किसे कहते हैं ? किन दो वर्गों में इन्हें वर्गीकृत किया जाता है ?
उत्तर:
उत्तम गृह व्यवस्था के लिए पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु तथा उच्च जीवन स्तर बनाने हेतु साधनों की आवश्यकता होती है। इन्हीं साधनों को गृह व्यवस्था का आधार माना जाता है। पारिवारिक साधनों को मुख्यत: दो वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है –
(क) मानवीय साधन (Human Resources)
(ख) भौतिक साधन (Material Resources)
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प्रश्न 2.
सामुदायिक सुविधाएँ किन्हें कहते हैं ?
उत्तर:
सामुदायिक सुविधाएं (Community Resources): सड़क, पार्क, शैक्षणिक संस्थाएँ, पानी, बिजली की सुविधाएँ, ईंधन, पुलिस संरक्षण, अग्नि शमन सहायता, पुस्तकालय, बाजार, यातायात सेवाएँ आदि सामुदायिक सुविधाएँ हैं जिनकी व्यवस्था सामाजिक समूह के लिए की जाती है। अलग-अलग लक्ष्यों के लिए इनमें से अलग-अलग साधन की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 3.
“मूल्यांकन (Evaluation) भविष्य की योजनाओं का आधार है” इस कथन की विवेचना करें।
उत्तर:
मूल्यांकन व्यवस्था की प्रक्रिया का अन्तिम चरण है जो भविष्य की योजनाओं के लिए अति महत्त्वपूर्ण है। मूल्यांकन अर्थात् प्राप्त मूल्यों का अंकन करना, यह आंकना कि निर्धारित उद्देश्य कितनी सीमा तक पूरे हुए। लक्ष्य प्राप्ति की सफलता को आंकने के लिए मूल्यांकन अति आवश्यक है। यह आवश्यक नहीं कि मूल्यांकन केवल लक्ष्य प्राप्ति के बाद ही किया जाए।

यह व्यवस्थापन के प्रत्येक चरण पर निर्णय लेने के लिए किया जाता है। इसमें हमें लक्ष्यों की पूर्ति अथवा आपूर्ति के उत्तरदायी कारणों का ज्ञान होता है जिससे भविष्य में बनाई जाने वाली योजनाओं में सहायता मिलती है। पिछली योजनाओं की त्रुटियों में आवश्यक सुधार लाकर सूझ-बूझ से नई योजनाएं बनाई जा सकती हैं। अतः स्पष्ट है कि मूल्यांकन भविष्य की योजनाओं का आधार है।

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प्रश्न 4.
सामुदायिक सुविधाओं का दुरुपयोग क्यों नहीं करना चाहिए?
उत्तर:
सामुदायिक सुविधाओं का दुरुपयोग (Misuse of Community Resources)सामुदायिक सुविधाएँ सीमित हैं और इसीलिए उन पर अंकुश लगाना आवश्यक है। उनका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए । चूँकि हम सब उनको मिलकर बाँटकर प्रयोग करते हैं यह हम सबका कर्तव्य हो जाता है कि उनके संरक्षण के लिए उचित उपाय करें। हमें केवल अपने अधिकारों का ही ज्ञान नहीं होना चाहिए अपितु अपने दायित्वों के प्रति भी सजग होना चाहिए।

उदाहरण के लिए, सरकारी जमादार सफाई करने के लिए होता है, परन्तु यह हम सबका कर्त्तव्य है कि किसी को भी सड़कों पर गंदगी फैलाते देखें तो उसे रोकें। सामान्यतः विद्यार्थियों को जेब खर्च के रूप में सीमित धन मिलता है। अगर अपने पैसे को योजनाबद्ध तरीके से खर्च नहीं करेंगे तो क्या होगा? आपके राशन कार्ड पर मिट्टी के तेल की सीमित मात्रा मिलती है।

अगर आप ईंधन को सावधानी से प्रयोग नहीं करेंगे तो आपका खाना नहीं पकेगा। उपजाऊ धरती कम है और उगने वाला चारा भी सीमित है। एक किसान को चारे का प्रबंध सावधानी से करना होगा ताकि उसके पशु स्वस्थ रहें। आपको साधनों का प्रबंध करना आवश्यक है ताकि अपने लक्ष्य तक पहुँचने की खुशी प्राप्त हो।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
साधन क्या हैं ? साधनों को किस प्रकार वर्गीकृत किया जाता है ? विस्तार से समझाइए। [B.M.2009A]
उत्तर:
प्रत्येक परिवार के समक्ष कुछ लक्ष्य रहते हैं। इन लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु साधनों का उपयोग करना होता है। ग्रीन व कैंडल के अनुसार “अच्छे गृह-प्रबन्ध का उद्देश्य परिवार को अधिकतम संतुष्टि के लिए पारिवारिक साधनों का उपयोग करना है।”आयरिन ओपनहाइन के मत से “पारिवारिक साधनों का प्रबन्ध गृह-व्यवस्था के सबसे चुनौतीपूर्ण कार्यों में से एक है।” गृह-व्यवस्था में पारिवारिक साधनों का प्रयोग ऐसी सफलता के साथ किया जाता है ताकि निर्धारित मूल्यों एवं लक्ष्यों की प्राप्ति हो। पारिवारिक साधनों को कई प्रकार से वर्गीकृत किया गया है।

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गृह विज्ञान की एक परिचर्चा में साधनों को इस प्रकार वर्गीकृत किया गया था –

  1. तकनीकी साधन (Technological resources): इसके अन्तर्गत परिवार के लिए उपयोगी वस्तुएँ व उपकरण आते हैं। ये साधन प्राकृतिक भी हो सकते हैं व मानव निर्मित भी।
  2. सामाजिक साधन (Social resources): इसमें विभिन्न सामाजिक संस्थाएँ आती हैं जो परिवार के लिए उपयोगी हैं, जैसे-क्लब, बैंक, पुस्तकालय आदि।
  3. मानवीय साधन (Human resources): जैसे भावनाएँ, विचार, अभिरुचि आदि।

आयरिन ओपनहाइन के अनुसार साधनों के निम्नलिखित तीन प्रकार हैं –

  • मानवीय साधन (Human resources)
  • आर्थिक साधन (Economic resources)
  • पर्यावरण सम्बन्धी साधन (Environmental resources)

ग्रीन व कैंडल ने साधनों को दो प्रमुख भागों में वर्गीकृत किया है –
(क) मानवीय साधन (Human resources)
(ख) भौतिक साधन (Material or Non-human resources)।
यदि हम तालिका बनाएँ तो इन साधनों का उपविभाजन इस प्रकार से कर सकते हैं-

(क) मानवीय साधन-

  • समय
  • शक्ति
  • अभिरुचियाँ
  • क्षमताएँ व दक्षता
  • ज्ञान
  • अभिवृत्तियाँ

(ख) भौतिक साधन:

  • भौतिक वस्तुएँ
  • धन
  • सामुदायिक सुविधाएँ

(क) मानवीय साधन (Human Resources):
1. समय-समय एक महत्त्वपूर्ण साधन है। इसके अन्तर्गत मिनट, घण्टे, दिन आदि आते . हैं। समय का सही उपयोग निश्चित ही वांछित लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होता है। घरेलू कार्यों के करने में व्यय होने वाली समयावधि इसके अन्तर्गत आती है, जैसे एक घंटा, एक दिन, एक सप्ताह, अल्प समयावधि, दीर्घ समयावधि आदि। समय का उचित व्यवस्थापन बहुत जरूरी है। यह तो परिवार के सदस्यों पर निर्भर करता है कि वह समय का किस प्रकार सदुपयोग करें।

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2. शक्ति-किसी भी कार्य को सम्पन्न करने में शक्ति का उपयोग करना होता है जैसे वस्त्र धोने, बर्तन व घर की सफाई आदि । काम करने की क्षमता प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग होती है। यदि परिवार के सदस्यों में शक्ति अधिक होगी तो वह उसका उचित व्यवस्थापन करके अन्य साधनों को प्राप्त करने में सहायता करेगी।

3. अभिरुचियाँ-कार्य प्रायः थकान वाला होता है परन्तु अभिरुचि उस कार्य को रोचक बना देती है तथा उसे शीघ्र पूरा करने में सहायक होती है।

4. क्षमताएँ-इसके अन्तर्गत प्रकृति प्रदत्त तथा अर्जित दोनों ही प्रकार की योग्यताएँ सम्मिलित होती हैं। कुशलता से अभिप्राय गृह-सम्बन्धी विभिन्न कार्य करने की कुशलता, जैसे-सीने, काढ़ने, बुनने आदि की कुशलता है। परिवार के सदस्यों के कार्य निपुण होने पर पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति और भी सहज हो जाती है। यदि गृहिणी या परिवार का कोई अन्य सदस्य कपड़े सिलने में निपुण हो तो परिवार को दर्जी की सिलाई पर व्यय नहीं करना पड़ता है।

5. ज्ञान-समुचित ज्ञान परिवार के कुशल संचालन में सहायक होता है। उदाहरणार्थ संतुलित आहार का ज्ञान पारिवारिक स्वास्थ्य बनाए रखने में सहायक होगा। बाजार का ज्ञान होने पर गृहिण उत्तम वस्तुएँ सस्ते मूल्य पर क्रय कर सकेगी। बाल विकास का ज्ञान बच्चों के उचित लालन-पालन में सहायक हो सकता है।

6. अभिवृत्तियाँ-वे इच्छाएँ तथा भावनाएँ अभिवृत्ति कहलाती हैं जो किसी कार्य को करने के लिए व्यक्ति को उत्प्रेरित अथवा निरुत्साहित करती हैं। परिवार का दृष्टिकोण सकारात्मक . (Positive) अथवा नकारात्मक (Negative) हो सकता है। सकारात्मक अथवा आशावादी दृष्टिकोण उद्देश्य की प्राप्ति में सहायक होता है। यह विषम परिस्थितियों से जूझने में भी सहायक होता है।

(ख) भौतिक साधन (Material or Non-human Resources):

1. भौतिक वस्तुएँ-परिवार के लिए उपयोगी सभी वस्तुएँ इस श्रेणी में आती हैं, जैसे-खाद्य पदार्थ, वस्त्र, मकान, पुस्तकें, फर्नीचर आदि । ये वस्तुएँ स्थाई (Permanent) अथवा अस्थाई (Perishable) हो सकती हैं। विभिन्न कार्यों के सम्पादन में ये वस्तुएँ सहायक होती हैं, जैसे-आवास के लिए मकान आवश्यक है। यह साधन मानवीय साधनों की भाँति काफी महत्त्वपूर्ण है। इनका प्रयोग अन्य साधनों के क्रय के लिए किया जा सकता है, किन्तु इन साधनों की सहायता से केवल भौतिक वस्तुओं का ही क्रय किया जा सकता है तथा इनके द्वारा मानवीय साधनों को पाना कठिन होता है।

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2. धन-यह साधन भी मानवीय साधनों की भाँति काफी महत्त्वपूर्ण है । धन के बदले वस्तुएँ, सेवाएँ हैं, जिनसे यांत्रिक शक्ति प्राप्त होती है। बचत, विभिन्न प्रकार के विनियोजित आय धन के अन्तर्गत आते हैं। धन के अभाव में परिवार का संचालन असम्भव है।

3. सामुदायिक सुविधाएँ-पुलिस संरक्षण, शैक्षिक सुविधाएँ, सड़क, पार्क, पुस्तकालय, बाजार, यातायात सेवाएँ जिनकी व्यवस्था सामाजिक समूह द्वारा की जाती है, वे इस वर्ग के साधन हैं। समाज द्वारा व्यक्ति अथवा परिवार के लिए प्राप्त सुविधाएँ इस वर्ग में आती हैं।

प्रश्न 2.
साधनों के सामान्य गुणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
साधनों में निम्नलिखित विशेषताएँ समान रूप से पायी जाती हैं।
1.सभी साधन सीमित हैं (Resources are limited)-साधन सदा सीमित रहते हैं अन्यथा उनके व्यवस्थापन की आवश्यकता ही नहीं रहती। साधन जितने सीमित होते हैं, उसी अनुपात में उनका महत्त्व बढ़ जाता है। गृहिणी को उनके उपयोग करने में उतनी ही दक्षता की आवश्यकता होती है। साधनों की दो प्रकार की सीमाएँ होती हैं-
(अ) संख्यात्मक सीमाएँ
(ब) गुणात्मक सीमाएँ

(अ) संख्यात्मक सीमाएँ (Quantitative): विभिन्न साधनों की सीमा भिन्न-भिन्न होती हैं। समय सर्वाधिक सीमित साधन है। एक दिन में चौबीस घण्टे से अधिक समय नहीं हो सकता। व्यक्ति भी एक सीमित साधन है। हालांकि इसकी सीमाएँ भिन्न व्यक्तियों में भिन्न हो सकती. हैं। प्रत्येक व्यक्ति को दिन में कछ घण्टे आराम की भी आवश्यकता होती है। यदि वह आराम न करे तो उसमें अगले दिन कार्य करने की शक्ति नहीं रहती है। धन भी सीमित है।

इस साधन की मात्रा भिन्न-भिन्न व्यक्तियों के पास भिन्न-भिन्न होती है तथा एक ही व्यक्ति के पास जीवन के विभिन्न अवसरों पर भिन्न-भिन्न होती है परन्तु धन दूसरे साधनों से इस रूप में भिन्न है कि उसे बचाकर भविष्य के लिए रखा जा सकता है। आवश्यकता पड़ने पर धन उधार भी ले सकते हैं। परिवार के सदस्यों की क्षमताएँ भी सीमित हैं। भिन्न व्यक्तियों में जन्मजात क्षमताएँ भिन्न होती हैं। शिक्षा व वातावरण भी सीमाएँ निर्धारित करते हैं। उचित शिक्षा व स्वस्थ वातावरण की क्षमताएँ और भी सीमित हो जाती हैं।

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(ब) गुणात्मक सीमाएँ (Qualitative): गुणात्मक सीमाएँ भी निश्चित हैं। दो परिवारों को एक जैसे आर्थिक साधन उपलब्ध हैं परन्तु यह सम्भव है कि एक की गृह-सज्जा उच्च स्तर की हो, दूसरे की निम्न स्तर की। कार्य निपुणता, ज्ञान आदि कुछ ऐसे मानवीय साधन हैं जिनकी . गुणात्मक सीमाएँ होती हैं। गुणात्मक स्तर हर साधन के उपयोग में देखा जा सकता है।

2. साधनों में घनिष्ठ सम्बन्ध (Resources have close relation): प्रायः एक कार्य को करने में एक से अधिक साधन की आवश्यकता होती है। अध्ययन के लिए समय व शक्ति दोनों ही चाहिए। अधिकांश गृह कार्यों को करने के लिए इन दोनों साधनों की आवश्यकता होती है। एक साधन के अभाव में कई बार वाछित सफलता नहीं मिल पाती।

3. साधन एक बार में एक ही स्थान पर प्रयुक्त होते हैं-एक साधन यदि हम एक स्थान पर प्रयुक्त कर लेते हैं तो अन्यत्र उसका उपयोग सम्भव नहीं ना | गृहिणी यदि एक धनराशि का उपयोग बच्चों की सालाना फीस देने के लिए कर लेती है उसी से उनके लिए वस्त्र नहीं खरीद सकती।

4. सभी साधन उपयोगी होते हैं-उचित गृह-व्यवस्था के लिए सभी साधन उपयोगी होते हैं। यदि साधनों का उचित उपयोग नहीं किया जाएगा तो वे निरर्थक हो जाते हैं क्योंकि किसी चीज की उपयोगिता ज्ञात होने के पश्चात् ही उसे साधन में सम्मिलित किया जाता है। टेलीविजन, शिक्षा व मनोरंजन दोनों के लिए उपयोगी है।

5. कुछ साधन एक-दूसरे के स्थान पर प्रयुक्त हो सकते हैं-साधनों को एक-दूसरे के स्थान पर प्रयुक्त किया जा सकता है। उदाहरण-घर में रहने वाली गृहिणी समय का उपयोग बच्चों के कपड़े घर पर सिलने में कर सकती है, परन्तु यदि वही गृहिणी बाहर काम करने लगे तो समयाभाव में वही कपड़े धन देकर सिलवा लेती है।।

6. सभी साधनों के प्रयोग से लक्ष्य की प्राप्ति-सभी साधनों का प्रयोग लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यदि साधन लक्ष्यों की प्राप्ति न करें तो वह अर्थहीन एवं निरर्थक हो जाते हैं।

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प्रश्न 3.
साधनों में क्या समानताएँ (Similarities) पायी जाती हैं ?
उत्तर:
समस्त साधनों में प्रायः निम्नलिखित समानताएँ पाई जाती हैं-
1. समस्त साधन लाभप्रद हैं।
2. सभी साधन सीमित हैं।
3. व्यवस्थापन सम्बन्धी प्रक्रिया समस्त साधनों पर लागू होती है।
4. साधनों का प्रयोग करने के परिणामस्वरूप जीवन का जो गु णात्मक स्तर प्राप्त होता है, वह व्यक्ति के इन साधनों के प्रयोग करने के ढंग पर निर्भर करता है।
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प्रश्न 4.
सामुदायिक सुविधाओं का संरक्षण और प्रबन्ध क्यों आवश्यक है? अथवा, चार सामुदायिक सुविधाओं के नाम लिखें तथा विस्तार से बताएं कि इनका प्रबन्ध क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
सामुदायिक सुविधाओं का संरक्षण और प्रबन्ध: सभी साधनों की विशेषताएँ जानने के बाद यह ज्ञात होता है कि साधन सीमित हैं, अत: उनके प्रबंध की आवश्यकता है। साधनों के सर्वोत्तम उपयोग के लिए उनकी व्यवस्था अत्यंत आवश्यक है।

कुछ साधन निम्नलिखित हैं –
1. ईंधन (Fuel): कोई भी वस्तु जिसमें गर्मी अर्थात् शक्ति पैदा करने की सामर्थ्य है, ईंधन कहलाती है। ईंधन कई प्रकार के होते हैं।

कुछ सामान्य प्रयोग में आने वाले ईंधन निम्नलिखित हैं –
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भोजन पकाने के लिए ईंधन का संरक्षण निम्नलिखित रूप से किया जा सकता है :

  • सारे संघटक एकत्रित करने के बाद ही आग जलाएँ।
  • प्रयोग के तुरत बाद आग बुझा दें।
  • उबलने के बाद आग की लपट धीमी कर दें।
  • कम गहरे व चौड़े बर्तनों से ईंधन की बचत होती है।
  • खाद्य पदार्थों को उबालने के लिए कम से कम पानी का प्रयोग करें।
  • पकाने से पहले खाद्यान्न व दालों को भिंगोकर रखें। इससे पकाने का समय कम हो जाता है।
  • प्रेशर कूकर के प्रयोग से समय और ईंधन की बचत होती है।
  • अच्छी तरह बंद होने वाले ढक्कनों से ताप नष्ट नहीं होता और इस प्रकार पकाते हुए समय तथा ईंधन की बचत होती है।
  • यह सुनिश्चित करें कि आग की लौ तेज और नीली हो। पीले रंग की लौ का अर्थ है कि ईंधन व्यर्थ जा रहा है तथा लौ ठीक तरह नहीं जल रही है।
  • भोजन को बार-बार गर्म न करें। सारे परिवार को एक ही बार गर्म खाना परोसें न कि हर एक को अलग-अलग भोजन दें।
  • फ्रिज में रखे खाने को पकाने से पहले कमरे के ताप पर ले आएँ। इस प्रकार ईंधन की बचत होती है।
  • गंदे बर्तन व बर्नर अधिक ईंधन खर्च करते हैं।

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2. विद्युत (Electricity): यह एक महँगा ईंधन है। यह खाना पकाने, पानी गर्म करने, रोशनी करने, कमरे का ताप बढ़ाने और बिजली के उपकरण चलाने में प्रयोग की जाती है। आपको इस महँगे और सीमित साधन को बहुत सावधानी से प्रयोग करना चाहिए। यह निम्नलिखित ढंग से किया जा सकता है :

  • कमरा छोड़ने पर सारी बत्तियाँ बुझा दें।
  • जब आवश्यकता न हो तो टी.वी., रेडियो बंद कर दें।
  • बिजली के उपकरणों को आपस में मिल-जुल कर प्रयोग करें तथा बिजली की बचत करें।
  • बल्ब के स्थान पर टयब लाइट का प्रयोग करें जिससे रोशनी भी अधिक होती है तथा बिजली भी कम प्रयोग होती है।
  • काम करते समय प्राकृतिक रोशनी का अधिक से अधिक प्रयोग करें। दिन की रोशनी में पढ़ने से बिजली की काफी बचत होती है।
  • जब धीमी रोशनी चाहिए तो छोटे बल्ब प्रयोग करें।
  • बिजली के उचित उपकरणों के प्रयोग से बिजली की बचत होती है।

3. पानी (Water): क्या आप पानीरहित जीवन का विचार कर सकती हैं ? नहीं। पानी मनुष्य की एक मूल आवश्यकता है जो धीरे-धीरे कम हो रहा है।
दिल्ली में 1960 से अब तक पानी का स्तर (मीटर में) कम होता जा रहा है-
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निम्नलिखित सिद्धांतों के पालन से पानी का संरक्षण सुनिश्चित हो सकता है:

  •  पानी का नल अथवा कोई स्रोत प्रयोग के बाद बंद कर दें।
  • पानी को व्यर्थ बहने से रोकें।
  • आवश्यकता के अनुसार पानी का उपयोग करें। अगर आपको आधा गिलास पानी चाहिए तो उसे पूरा मत भरिए।
  • प्रत्येक व्यक्ति के कपड़े अलग धौने की बजाय परिवार के सभी कपड़े एक साथ धोने से पानी की मात्रा में बचत हो सकती है।
  • पृथ्वी की सतह के नीचे अर्थात् भूमिगत पानी का संरक्षण भी आवश्यक है। जहाँ पानी का स्तर ऊँचा हो वहाँ जमीन के नीचे वाला पाखाना नहीं बनाना चाहिए।
  • अगर जल का कोई सामुदायिक स्रोत हो तो उसका प्रबन्ध सुनिश्चित करना चाहिए। पानी लेने के लिए पंक्ति में लगना चाहिए।
  • रसोईघर के व्यर्थ पानी को नाली द्वारा पिछवाड़े की बागवानी में प्रयोग करें। पानी को एक स्थान पर एकत्रित न होने दें।
  • वर्षा के जल को छत पर संग्रह करने का प्रबंध करना चाहिए।

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1. वर्षा के जल का संग्रह (Storage of Rain Water): वर्षा का जो जल छत पर गिरता है उसे छोटे व्यास की पाइपों द्वारा ट्यूबवेल, गड्ढों, पुराने या नए अनुपयोगी कुओं की तरफ मोड़कर सतह के नीचे के जल के संग्रह की प्रक्रिया प्रारंभ की जाती है ताकि यह बाद में आवश्यकतानुसार प्रयोग में लाया जा सके। यह प्रक्रिया एकजिली तथा कई मंजिली इमारतों में उत्तम परिणामों के साथ प्रयोग की जा रही है।

2. दिल्ली के लिए सर्वोत्तम: 100 वर्ग मी. की छत पर लगभग 65000 लीटर बारिश का पानी पाइपों द्वारा एकत्र किया जा सकता है, जिससे चार व्यक्तियों के परिवार की 160 दिन तक पानी की आपूर्ति की जा सकती है।

3. विशेष सहायता: दिल्ली जल बोर्ड ने इस संदर्भ में सहायता शिविर का गठन किया है जो इस मितव्ययी तथा पर्यावरण सुरक्षित तथ्य को कार्यान्वत करने में सहायता करता है। संकर्प करें-वरिष्ठ अभियंता (योजना जल), कमरा नं. 207, वरुणालय, दूरभाष-3675434, 3678380-82

4. राज्य परिवहन (Public Transport): बसें, गाड़ियाँ, ट्राम और हवाई जहाज परिवहन के कुछ साधन हैं। ये एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में सहायक होते हैं। परिवहन व्यवस्था एक महँगा साधन है। उचित सेवा न होने पर कई बार विद्यार्थी बसों को तोड़-फोड़ देते हैं। परिणामतः पुनः व्यवस्था बनाने के लिए अधिक व्यय करना पड़ता है जिसके कारण किराये में वृद्धि व करों में वृद्धि होती है। आप सोचें कि क्या यह उचित हैं ? असामाजिक तत्त्व कभी-कभी बसों को बमों से उड़ा देते हैं, जिससे सामाजिक सम्पत्ति को नुकसान पहुँचता है। मनुष्य भी मर जाते हैं। इन असामाजिक कार्यों का परिणाम, समाज पर आर्थिक दबाव पड़ता है।

5. चारा (Fodder): ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को चारे की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है। यह जानवरों को खिलाने के काम आता है। बचा हुआ या फालतू चारा फेंक दिया जाता है जिससे सफाई की समस्या बढ़ जाती है। अधिक चारे को अमूल्य साधनों की तरह प्रयोग में लाया जा सकता है। इससे खाद व गोबर गैस निर्मित की जा सकती है। परिवार की दूसरी आवश्यकताएँ जैसे चटाइयाँ, छप्पर आदि भी चारे से बनाई जा सकती हैं। जब ये टूट जाएँ तो इन्हें गोबर के साथ मिलाकर अच्छे उपले व खाद बनाई जा सकती है। इस प्रकार ग्रामीण क्षेत्र में किसान चारे का उपयुक्त प्रयोग कर सकते हैं।

6. पार्क (Parks): शालिनी जिस क्षेत्र में रहती है वहाँ पाँच पार्क हैं। पहले ये पार्क बंजर भूमि लगते थे। इन पार्कों में कोई गतिविधि न थी। पिछले दिनों वहाँ के लोगों ने एक सभा बनाकर चार लोगों को पार्कों के प्रबंध का उत्तरदायित्व सौंप दिया। उन्होंने माली लगाकर सारे पार्क ठीक करवा दिये। अब चहुँ ओर हरियाली है तथा फूल भी खिले हैं। इससे क्षेत्र में रौनकता बढ़ गई है।

Bihar Board Class 11 Home Science Solutions Chapter 14 साधन

बड़े बच्चे पार्क में पानी देने का काम करते हैं। सभी पार्क एक प्रयोगशाला का काम करते हैं जहाँ बच्चे फूल, पत्तों व पौधे के बारे में ज्ञान प्राप्त करते हैं। आस-पड़ोस के लोग सुबह-शाम वहाँ व्यायाम करने भी जाते हैं। इस सुविधा से क्षेत्र में नया जीवन आ गया है। आप भी कुछ ऐसा कर सकती हैं तथा कुछ अन्य सुझाव भी दे सकती हैं।

7.विद्यालय और चिकित्सालय (Schools and Hospitals): विद्यालय और चिकित्सालय वे सामुदायिक सुविधाए हैं जिनके द्वारा बच्चों को शिक्षा दी जाती है और आपके स्वास्थ्य के बारे में ध्यान रखा जाता है। इन दोनों स्थानों पर सफाई का बहुत ध्यान रखना चाहिए। सावधानी रखनी चाहिए कि इन दोनों सुविधाओं को किसी प्रकार की हानि न पहुंचाई जाए। आप सबको विद्यालय के बारे में पता है। उदंडी विद्यार्थियों द्वारा विद्यालय की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है। आप ऐसी हानियों की एक सूची बनाएँ । चिकित्सालय में उचित और बढ़िया ढंग से काम होना चाहिए ताकि सबको अच्छी सुविधाएँ मिलें तथा रोगियों को उनके दुखों से मुक्ति मिले।

8. सड़कें (Roads): घर से विभिन्न स्थानों तक आपकों व आपके परिवार को कौन जोड़ता है। ये सड़कें हैं । यह आपका उत्तरदायित्व है कि आप इस साधन का उचित रूप से प्रयोग करें। सड़कें संचार के माध्यम हैं, यह एक सामुदायिक सुविधा है। आप निजी समारोह के लिए इसे प्रयोग न करें। इससे समाज के दूसरे सदस्यों को परेशानी होती है। सड़कों को साफ तथा सुरक्षित रखें।

प्रश्न 5.
सभी साधनों की व्यवस्था करना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
सभी साधनों की व्यवस्था करना (Need to manage the resources): सभी साधनों की चाहे वह भौतिक हों अथवा मानवीय, की व्यवस्था की जा सकती है। इनकी उचित व्यवस्था करके ही हम उत्तम गृह व्यवस्था की कल्पना कर सकते हैं। इन साधनों के प्रयोग के लिए सर्वप्रथम इन्हें आयोजित करने की आवश्यकता होती है, जैसे कौन-सा साधन किस आवश्यकता पूर्ति के लिए प्रयोग किया जाए।

मौद्रिक आय की व्यवस्था करके हम ज्ञात कर सकते हैं कि कोई परिवार भोजन पर, कपड़ों पर तथा अन्य आवश्यकताओं पर कितना व्यय करे। आयोजन के पश्चात् साधनों का प्रयोग करते समय नियन्त्रण रखना भी अति आवश्यक है जिससे साधनों का दुरुपयोग न हो। सभी साधनों के प्रयोग के पश्चात् हमें मूल्यांकन करना चाहिए जिससे हमें ज्ञान हो जाए कि साधनों के प्रयोग से हमारी आवश्यकता की पूर्ति हुई है या नहीं।

जैसे धन की व्यवस्था करके जब हम आहार पर व्यय करते हैं और इस व्यय को नियन्त्रित भी रखते हैं तो अन्त में हमें देखना होगा कि मुद्रा के उपयोग से हमारी संतुलित आहार पाने की आवश्यकता पूर्ण हुई है अथवा नहीं। यदि हमारी आवश्यकता पूर्ण नहीं हुई है तो उसका क्या कारण है जिससे आगामी मास की व्यवस्था करते समय उन कारणों को दूर किया जा सके।

Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 3 प्रारंभिक समाज

Bihar Board Class 6 Social Science Solutions History Aatit Se Vartman Bhag 1 Chapter 3 प्रारंभिक समाज Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 3 प्रारंभिक समाज

Bihar Board Class 6 Social Science प्रारंभिक समाज Text Book Questions and Answers

अभ्यास

आइए याद करें –

प्रश्न 1.
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

प्रश्न (क)
आरंभिक मानव बस्तियों से जुड़ा पैसरा नामक स्थल बिहार के किस जिले में अवस्थित है?
(i) गया
(ii) गोपालगंज
(iii) मुंगेर
(iv) दरभंगा
उत्तर-
(iii) मुंगेर

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प्रश्न (ख)
पुरापाषाण काल को कितने भागों में बाँटा जाता है?
(i) तीन
(ii) पाँच
(ii) दो
(iv) सात
उत्तर-
(i) तीन

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें –

प्रश्न (i)
आरंभिक मानव इधर-उधर क्यों घूमते रहते थे?
उत्तर-
आरंभिक मानव के इधर-उधर घूमने के मुख्यतः चार कारण हो सकते हैं जो इस प्रकार हैं

  1. किसी भी क्षेत्र में फल, कंदमूल और जानवरों की संख्या सीमित रहती थी जब ये खत्म हो जाते तो भोजन की खोज के लिए लोग स्थान । परिवर्तन करते।
  2. मौसम के परिवर्तन के कारण भी स्थान का परिवर्तन करते थे।
  3. कभी-कभी शिकारं को पकड़ने के लिए दूर-दूर तक चले जाते थे।
  4. पानी की खोज के लिए भी इधर-उधर भटकते रहते थे।

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प्रश्न (ii)
मध्यपाषाण काल में क्या बदलाव आए?
उत्तर-
मध्यपाषाण काल में पर्यावरणीय बदलाव आया और वातावरण में गर्मी बढ़ने लगी जिसके कारण गेहूँ, जौ, महुआ जैसे अनाज स्वयं उग आए तथा कई क्षेत्रों में घास वाले मैदान बनने लगे । घास पर आश्रित जानवरों की संख्या इस वजह से बढ़ने लगी । इस समय लोगों द्वारा पत्थरों के और अच्छे औजार बनाये जाने लगे, जिसे लकड़ी पर लगातार इस्तेमाल किया जाने लगा । मध्यपाषाण काल में यही सब बदलाव आये ।

आइए चर्चा करें –

प्रश्न (i)
आरंभिक मानव पत्थर के औजारों से जो काम लेते थे,उनकी एक सूची बनायें। क्या आपके घर में पत्थर के औजार का इस्तेमाल होता है? यदि होता है तो इससे क्या काम किया जाता है ?
उत्तर-
पत्थर के औजार जो नुकीले थे उससे खुरचने, कंदमूल खोदकर निकालने और पेबुल पत्थर के बने औजार से मांस काटने का काम करते थे। हमारे घरों में इस प्रकार के औजार नहीं हैं।

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प्रश्न (ii)
आरंभिक मानव के भोजन में जो खाद्य-पदार्थ शामिल थे, उनकी एक सूची बनायें।
उत्तर-
आरंभिक मानव, कंदमूल, फल, जानवरों के मांस. मछली ही मुख्य आहार थे।

प्रश्न (iii)
आज के जीवन में इस्तेमाल किए जाने वाले औजरों की तुलना आरंभिक मानव के औजारों से करें और दोनों में क्या अन्तर और समानता है बताएँ ।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें ।

Bihar Board Class 6 Social Science प्रारंभिक समाज Notes

पाठ का सारांश

  • कोर पत्थर और पेंबुल पत्थर से बने औजार बड़े होते थे और इनका उपयोग भूमि खोदने या मांस काटने में किया जाता था
  • आरंभिक मानव ने आग की खोज की।
  • मांस को पकाकर या भून कर खाया जाता था ।
  • ये प्राय: 30-35 लोगों के एक समूह में रहते थे तथा एक समूह में रहने वाले मानवों के बीच सामाजिक सम्बन्ध मजबूत होते थे ।
  • ये भोजन और पानी की खोज में सदा इधर-उधर घूमते रहते थे।
  • ये प्रतीकों, होखाओं या सांकेतिक तरीके से एक-दूसरे से बातचीत करते थे।
  • होमोडुरेक्टस, नियंडरथल और होतोसेपियन्स या ज्ञानी मानव को आरंभिक मानव या आदिम मान कहते है ।
  • आरंभिक मानव भारतीय उपमहाद्वीप में 20 लाख वर्ष पहले रहा करते. थे ।
  • आरंभिक मानव कन्दमूल इकट्ठा कर और शिकार कर अपना जीवन यापन करते थे।
  • आदिम मानव पहाड़ियों में स्थित गुफाओं, कन्दराओं, नदियों और झील के किनारे रहते थे।
  • इनके औजार पत्थरों के बने होते थे ।