Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 3 व्यावसायिक पर्यावरण

Bihar Board 12th Business Studies Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 3 व्यावसायिक पर्यावरण

प्रश्न 1.
नवीन आर्थिक नीति घोषित हुई थी :
(A) जुलाई 1990
(B) जुलाई 1991
(C) जुलाई 1992
(D) जुलाई 2001
उत्तर:
(B) जुलाई 1991

प्रश्न 2.
नई आर्थिक नीति के प्रमुख अंग हैं :
(A) उदारीकरण
(B) वैश्वीकरण
(C) निजीकरण
(D) ये सभी
उत्तर:
(D) ये सभी

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन-सा व्यावसायिक वातावरण का लक्षण नहीं है :
(A) अनिश्चितता
(B) कर्मचारी
(C) सम्बन्धता
(D) झंझट
उत्तर:
(B) कर्मचारी

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 3 व्यावसायिक पर्यावरण

प्रश्न 4.
सामाजिक वातावरण का निम्नलिखित में से कौन-सा उदाहरण है ?
(A) मुद्रा की आपूर्ति
(B) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम
(C) भारतीय संविधान
(D) परिवार की संरचना
उत्तर:
(D) परिवार की संरचना

प्रश्न 5.
वैश्वीकरण का अर्थ है…….
(A) विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं का एकीकरण
(B) सार्वजनिक क्षेत्र में विनियोग
(C) निजी क्षेत्र में निवेश
(D) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(A) विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं का एकीकरण

प्रश्न 6.
उदारीकरण का अर्थ है…………
(A) विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं का एकीकरण
(B) लाइसेंस की आवश्यकताओं एवं अनियंत्रणों को आसान करना
(C) सार्वजनिक क्षेत्र में विनिवेश
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) लाइसेंस की आवश्यकताओं एवं अनियंत्रणों को आसान करना

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 3 व्यावसायिक पर्यावरण

प्रश्न 7.
व्यवसाय के आर्थिक वातावरण को………….प्रभावित करती है।
(A) आर्थिक प्रणाली
(B) उदारीकरण
(C) वैश्वीकरण
(D) निजीकरण
उत्तर:
(A) आर्थिक प्रणाली

प्रश्न 8.
व्यावसायिक वातावरण……….को मदद नहीं करता है।
(A) बाधा
(B) अवसर
(C) संसाधन
(D) निश्चितता
उत्तर:
(D) निश्चितता

प्रश्न 9.
भारत की उदारीकरण की नीति रही है:
(A) सफल
(B) असफल
(C) अंशत: सफल
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) सफल

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 3 व्यावसायिक पर्यावरण

प्रश्न 10.
निम्न में से कौन-सी व्यावहारिक पर्यावरण की विशेषता नहीं है?
(A) शहरीकरण
(B) कर्मचारी
(C) तुलनात्मक
(D) अनिवार्यता ।
उत्तर:
(B) कर्मचारी

प्रश्न 11.
निम्न में से कौन-सा व्यावसायिक पर्यावरण का सर्वश्रेष्ठ द्योतक है।
(A) पहचान करना
(B) निष्पादन करना
(C) हो रहे परिवर्तनों का सामना करना
(D) यह सभी
उत्तर:
(D) यह सभी

प्रश्न 12.
निम्न में से कौन-सा सरकारी नीतियों में परिवर्तन का व्यवसाय एवं उद्योग पर प्रभाव का वर्णन नहीं करता?
(A) ग्राहकों की बढ़ती माँग
(B) प्रतियोगिता में वृद्धि
(C) कृषि में परिवर्तन
(D) बाजार मूलकता
उत्तर:
(C) कृषि में परिवर्तन

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 3 व्यावसायिक पर्यावरण

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 2 प्रबंध के सिद्धांत

Bihar Board 12th Business Studies Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 2 प्रबंध के सिद्धांत

प्रश्न 1.
वैज्ञानिक प्रबंध के जनक थे:
(A) गिलग्रंथ
(B) टेलर
(C) रॉबर्टसन
(D) वाटसन
उत्तर:
(B) टेलर

प्रश्न 2.
वैज्ञानिक प्रबंध में उत्पादन होता है :
(A) अधिकतम
(B) न्यूनतम
(C) सामान्य
(D) औसत
उत्तर:
(A) अधिकतम

प्रश्न 3.
वैज्ञानिक प्रबंध से श्रमिकों के कार्य के घंटों में होती है :
(A) वृद्धि
(B) कमी
(C) कोई प्रभाव नहीं
(D) औसत
उत्तर:
(B) कमी

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 2 प्रबंध के सिद्धांत

प्रश्न 4.
वैज्ञानिक प्रबंध के जन्मदाता कौन थे:
(A) एच.एस. पर्सन
(B) डाइमर
(C) एफ. डब्ल्यू. टेलर
(D) चार्ल्स बैबेज
उत्तर:
(C) एफ. डब्ल्यू. टेलर

प्रश्न 5.
हेनरी फेयोल के प्रबंध के सिद्धांत हैं:
(A) 10
(B) 3
(C) 14
(D) 15
उत्तर:
(C) 14

प्रश्न 6.
हेनरी फेयोल का जन्म हुआ था :
(A) जापान
(B) फ्रांस
(C) जर्मनी
(D) अमरीका
उत्तर:
(B) फ्रांस

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 2 प्रबंध के सिद्धांत

प्रश्न 7.
प्रशासनिक प्रबंध के प्रस्तुतकर्ता थे :
(A) फयोल
(B) टेलर
(c) टैरी
(D) वाटसन
उत्तर:
(A) फयोल

प्रश्न 8.
प्रबंध के सिद्धांत हैं :
(A) सार्वभौम
(B) लचीले
(C) सम्पूर्ण
(D) व्यावहारिक
उत्तर:
(C) सम्पूर्ण

प्रश्न 9.
एक कार्य के निष्पादन के लिये प्रबंध को ‘सर्वोत्तम रास्ता ढूँढना” चाहिए। वैज्ञानिक प्रबंध का कौन-सा सिद्धांत इस पंक्ति की व्याख्या करता है:
(A) सार्वभौम
(B) लचीले
(C) सम्पूर्ण
(D) व्यावहारिक
उत्तर:
(D) व्यावहारिक

प्रश्न 10.
वैज्ञानिक प्रबंध का मूलाधार………:
(A) मानसिक क्रांति
(B) पारिश्रमिक
(C) मानसिक क्रांति नहीं
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(A) मानसिक क्रांति

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 2 प्रबंध के सिद्धांत

प्रश्न 11.
वैज्ञानिक प्रबंध से अमिकों के पारिश्रमिक में……….होती है:
(A) वृद्धि
(B) कमी
(C) दोनों
(D) न वृद्धि न कमी
उत्तर:
(A) वृद्धि

प्रश्न 12.
वैज्ञानिक प्रबंध स्वामियों के…………….है :
(A) पक्ष में
(B) विपक्ष में
(C) दोनों
(D) सहायक
उत्तर:
(A) पक्ष में

प्रश्न 13.
शुरू में श्रमिकों द्वारा वैज्ञानिक प्रबंध का…………..किया जाता है :
(A) पक्ष
(B) विरोध
(C) दोनों
(D) सहायक
उत्तर:
(B) विरोध

प्रश्न 14.
मानसिक कार्य से ………है :
(A) उत्पादन
(B) प्रबंध
(C) विपणन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) उत्पादन

प्रश्न 15.
निम्न में से कौन-सा कथन असंगत है?
(A) प्रबंध उद्देश्यपूर्ण
(B) विशिष्ट प्रक्रिया
(C) सार्वभौमिक
(D) प्रबंध स्वामित्व से अलग नहीं
उत्तर:
(D) प्रबंध स्वामित्व से अलग नहीं

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 2 प्रबंध के सिद्धांत

प्रश्न 16.
बैज्ञानिक प्रबंध कब प्रारम्भ हुआ?
(A) 1913
(B) 1832
(C) 1903
(D) 1920
उत्तर:
(A) 1913

प्रश्न 17.
वैज्ञानिक प्रबंध से श्रमिकों को होता है :
(A) लाभ
(B) हानि
(C) कुछ भी नहीं
(D) लाभ और हानि दोनों
उत्तर:
(A) लाभ

प्रश्न 18.
परम्परागत प्रबंध में श्रमिकों को मजदूरी दी जाती थी।
(A) कम
(B) अधिक
(C) अधिकतम
(D) सामान्य
उत्तर:
(A) कम

प्रश्न 19.
बैज्ञानिक प्रबंध में टेलर ने प्रयोग किये:
(A) गति अध्ययन
(B) थकान अध्ययन
(C) समय अध्ययन
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 2 प्रबंध के सिद्धांत

प्रश्न 20.
मानसिक क्रांति मूलाधार है।
(A) वैज्ञानिक प्रबंध
(B) संयोजन
(C) विवेकीकरण
(D) पेशा
उत्तर:
(A) वैज्ञानिक प्रबंध

प्रश्न 21.
प्रबंध के सिद्धांतों की रचना किस प्रकार से की जाती है?
(A) प्रयोगशाला में
(B) प्रबंधकों के अनुभव द्वारा
(C) ग्राहकों के अनुभव द्वारा
(D) समाज वैज्ञानिकों के द्वारा
उत्तर:
(B) प्रबंधकों के अनुभव द्वारा

प्रश्न 22.
निम्न में से कौन-सा प्रबंध के सिद्धांत का महत्व नहीं है?
(A) कार्य-कुशलता में वृद्धि
(B) पहल-क्षमता
(C) संसाधनों का अधिकतम उपयोग
(D) परिवर्तित तकनीकी को अपनाना
उत्तर:
(A) कार्य-कुशलता में वृद्धि

प्रश्न 23.
हेनरी फेयॉल था एक
(A) समाज वैज्ञानिक
(B) खनन इंजीनियर
(C) लेखाकार
(D) उत्पादन इंजीनियर
उत्तर:
(B) खनन इंजीनियर

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 2 प्रबंध के सिद्धांत

प्रश्न 24.
निम्न में से कौन-सा टेलर का प्रबंध का सिद्धांत नहीं है?
(A) विज्ञान न कि व्यवहाराधीन
(B) कार्यात्मक फोरमैनशिप
(C) अधिकतम न कि सीमित उत्पादन
(D) सहयोग न कि विरोध
उत्तर:
(B) कार्यात्मक फोरमैनशिप

प्रश्न 25.
वैज्ञानिक प्रबंध में विश्लेषण है:
(A) 25%
(B) 50%
(C) 75%
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) 75%

प्रश्न 26.
वैज्ञानिक प्रबंध से उपभोक्ताओं को:
(A) कोई प्रभाव नहीं
(B) शोषण होता है
(C) लाभ होता है
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) लाभ होता है

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 2 प्रबंध के सिद्धांत

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 1 प्रबंध की प्रकृति एवं महत्त्व

Bihar Board 12th Business Studies Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 1 प्रबंध की प्रकृति एवं महत्त्व

प्रश्न 1.
प्रबंध है:
(A) कला
(B) विज्ञान
(C) कला और विज्ञान दोनों
(D) पेशा
उत्तर:
(C) कला और विज्ञान दोनों

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 1 प्रबंध की प्रकृति एवं महत्त्व

प्रश्न 2.
“प्रबंध एक पेशा है।” यह कथन है:
(A) जार्ज आर. टैरी
(B) अमेरिकन प्रबंध एसोसिएशन
(C) हेनरी फेयोल
(D) लॉरेन्स ए, एप्पल
उत्तर:
(B) अमेरिकन प्रबंध एसोसिएशन

प्रश्न 3.
प्रबंध की प्रकृति है:
(A) जन्मजात प्रतिभा के रूप में
(B) अर्जित प्रतिभा के रूप में
(C) जन्मजात प्रतिभा तथा अर्जित प्रतिभा दोनों के रूप में
(D) कोई नहीं
उत्तर:
(C) जन्मजात प्रतिभा तथा अर्जित प्रतिभा दोनों के रूप में

प्रश्न 4.
प्रबंध का सार है।
(A) समन्वय
(B) संगठन
(C) स्टाफिंग
(D) नियंत्रण
उत्तर:
(A) समन्वय

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 1 प्रबंध की प्रकृति एवं महत्त्व

प्रश्न 5.
प्रबंध का कर्मचारियों को सर्वाधिक प्रेरणा देने वाला कार्य है:
(A) स्टाफिंग
(B) अभिप्रेरण
(C) संगठन
(D) नियंत्रण
उत्तर:
(B) अभिप्रेरण

प्रश्न 6.
जार्ज आर. टैरी के अनुसार प्रबंध के कार्य हैं :
(A) 2
(B) 4
(C) 6
(D) 7
उत्तर:
(B) 4

प्रश्न 7.
समन्वय स्थापित किया जाता है:
(A) उच्चतम स्तर के प्रबंध द्वारा
(B) मध्यम स्तरीय प्रबंध के द्वारा
(C) निम्न स्तर के प्रबंध द्वारा
(D) इनमें से किसी के द्वारा नहीं
उत्तर:
(A) उच्चतम स्तर के प्रबंध द्वारा

प्रश्न 8.
समन्वय है:
(A) ऐच्छिक
(B) आवश्यक
(C) अनावश्यक
(D) समय की बर्बादी
उत्तर:
(B) आवश्यक

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 1 प्रबंध की प्रकृति एवं महत्त्व

प्रश्न 9.
भारत में प्रबंध……………..।
(A) आवश्यक
(B) अनावश्यक
(C) विलासिता
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) आवश्यक

प्रश्न 10.
…………. के अनुसार, “प्रबंध व्यक्तियों का विकास है, न कि वस्तुओं का निर्देशन।”
(A) हेनरी फेयोल
(B) लॉरेन्स एप्पले
(C) एफ. डब्ल्यू. टेलर
(D) आर. सी. डेविस
उत्तर:
(B) लॉरेन्स एप्पले

प्रश्न 11.
भारत की प्रगति की धीमी गति का प्रमुख कारण……….का अभाव है।
(A) कुशल प्रबंध
(B) मानव शक्ति
(C) संसाधन
(D) ये सभी
उत्तर:
(A) कुशल प्रबंध

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 1 प्रबंध की प्रकृति एवं महत्त्व

प्रश्न 12.
प्रबंध की सफलता का प्राथमिक तत्व है:
(A) सन्तुष्ट कर्मचारी
(B) अत्यधिक पूँजी
(C) बड़ा बाजार
(D) अधिकतम उत्पादन
उत्तर:
(B) अत्यधिक पूँजी

प्रश्न 13.
प्रबंध………।
(A) कला
(B) कला और विज्ञान दोनों
(C) विज्ञान
(D) इनमें से कोई नहीं |
उत्तर:
(B) कला और विज्ञान दोनों

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 1 प्रबंध की प्रकृति एवं महत्त्व

प्रश्न 14.
प्रबंध के कितने स्तर हैं?
(A) 3
(B) 4
(C) 5
(D) 6
उत्तर:
(A) 3

प्रश्न 15.
प्रबंध का सामाजिक उत्तरदायित्व है।
(A) सभी के प्रति
(B) कर्मचारियों के प्रति
(C) सरकार के प्रति
(D) समाज के प्रति
उत्तर:
(A) सभी के प्रति

प्रश्न 16.
प्रबंध व्यक्तियों का विकास है, न कि वस्तुओं का निर्देशन……. । यह कथन है
(A) एल. पी. एप्पल
(B) आर. सी. डेविस
(C) कीथ एण्ड गुबेलौन
(D) हेनरी फेयोल
उत्तर:
(A) एल. पी. एप्पल

प्रश्न 17.
किसी भी देश के विकास में सबसे अधिक आवश्यकता है:
(A) भौतिक संसाधन
(B) आर्थिक संसाधन
(C) मानवीय संसाधन
(D) कुशल प्रबंध
उत्तर:
(D) कुशल प्रबंध

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 1 प्रबंध की प्रकृति एवं महत्त्व

प्रश्न 18.
उच्चस्तरीय प्रबंध नियोजन पर अपने समय का भाग व्यय करता है:
(A) 35%
(B) 50%
(C) 75%
(D) 100%
उत्तर:
(A) 35%

प्रश्न 19.
कून्टज ओ डोनेल के अनुसार प्रबंध के कार्य हैं:
(A) 2
(B) 4
(C) 6
(D) 8
उत्तर:
(A) 2

प्रश्न 20.
प्रबंध कला है:
(A) स्वयं काम करने की
(B) दुसरों से काम लेने की
(C) स्वयं काम करने एवं दूसरों से काम लेने दोनों की
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(C) स्वयं काम करने एवं दूसरों से काम लेने दोनों की

प्रश्न 21.
प्रबंध की सामाजिक उत्तरदायित्व की प्रकृति में लागू होता है :
(A) क्रेता की सावधानी का नियम
(B) विक्रेता को सावधानी का नियमन
(C) इन दोनों में से कोई भी नहीं
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) विक्रेता को सावधानी का नियमन

प्रश्न 22.
नियोजन प्रबंध का कार्य है :
(A) सहायक
(B) प्राथमिक
(C) अनावश्यक
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) प्राथमिक

Bihar Board 12th Business Studies Objective Answers Chapter 1 प्रबंध की प्रकृति एवं महत्त्व

Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 5 भारत-दुर्दशा

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Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 5 भारत-दुर्दशा (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र)

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 5 भारत-दुर्दशा (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र)

भारत-दुर्दशा पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
कवि सभी भारतीयों को किसलिए आमंत्रित करता है और क्यों?
उत्तर-
राष्ट्र-प्रेम का शंखनाद करने वाले, हिन्दी साहित्य में नवजागरण के अग्रयूत. भातेन्दु हरिश्चन्द्र का परतंत्र भारत की दारुण-दशा से व्यथित है। भारत पौराणिक काल से ही सभ्यता और संस्कृति का केन्द्र रहा है जहाँ शाक्य, हरिश्चन्द्र, नहुष, येयाति, राम, युधिष्ठिर, वासुदेव और सारी जैसे युग-पुरुष मनीषि पैदा हुए थे, उसी भारत के निवासी अज्ञानता और अन्तर्कलह का शिकार होकर पतन के गर्त में समा गए हैं। भारत की ऐसी दारुण-दशा से कवि का हृदय हाहाकार मचा रहा है। गुलामी की उत्कट वेदना में भारतवासियों पर व्यंग-वाण चलाते हुए कहता है कि आओ सभी साथ मिलकर भारत की दुर्दशा पर रोते हैं।

प्रश्न 2.
कवि के अनुसार भारत कई क्षेत्रों में आगे था पर आज पिछड़ चुका है। पिछड़ने के किन कारणों पर कविता के संकेत किया गया है?
उत्तर-
भारतीय संस्कृति के मर्मज्ञ साहित्यकार भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के अनुसार भारत जो अनेक क्षेत्रों का अधिपति था, अब पिछलग्गू बन गया है। कवि ने अपनी भाषा और साहित्य के द्वारा पौराणिक भारतीय सभ्यता और संस्कृति का गहरा आत्मबोध कराया है। मूढ़ता, अन्तर्कलह और वैमनस्य, आलस्य और कुमति ने भारतीयों को पतन के गर्त में धकेल दिया है। कवि ने इस दुर्दशा से मुक्ति के लिए समाज में गहरे आत्ममंथन और बदलाव की आधारशिला रखकर पराधीनता के खिालाफ शंखनाद करने की उद्देश्य-चेतना के लिए प्रेरित किया है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 5 भारत-दुर्दशा (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र)

प्रश्न 3.
अब जहँ देखहु तह दुःखहिं दुःख दिखाई। [Board Model 2009(A)]
हा हा ! भारत-दुर्दशा न देखि जाई॥
-इन पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ आधुनिक हिन्दी साहित्य के सृजनकर्ता, युग प्रवर्तक महान साहित्यकार भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा विरचित ‘भारत-दुर्दशा’ से उद्धत है। बहुमुखी प्रतिभा के कालजयी साहित्यकार भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने उत्कृष्ट अंतर्दृष्टि एवं सहज बोध के के द्वारा देश के निवासियों में राष्ट्रीयता का भाव जगाया है।

कवि के अनुसार जगतगुरु भारत, परतंत्रता की बेडियों में जकड़कर मूढता, कहल और अज्ञानता की काली रजनी के गोद में समा गया है। अपनी ऐतिहासिक गरिमा को विस्मृत कर भारतीय, सामाजिक कुप्रथाओं और कुरीतियों के अंधकूप में डूबकर राष्ट्रीयता और देशोन्नति के आत्मगौरव से विमुख हो गए हैं। भारतीय समाज को चारों आरे से दुर्दिन के काले बादल ने घेर लिया है।

ऐतिहासिक आत्मबोध को आत्मसात नहीं करने के कारण भारतवासी चहुँ ओर से दुःखों के दलदल में फंस गये हैं। भारत की इस अन्तर्व्यथा के लिए जिम्मेवार भारतीयों से इसकी दुर्दशा पर रोने के लिए कवि कहता है।

प्रश्न 4.
भारतीय स्वयं अपनी इस दुर्दशा के कारण हैं। कविता के आधार पर उत्तर दीजिए। [Board Model 2009(A)]
उत्तर-
युगांतकारी व्यक्तित्व लेकर साहित्याकाश में उदित ध्रुवतारा भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने भारत की दुर्दशा के लिए भारतीयों को ही जिम्मेदार माना है। भारतीय अपने ऐतिहासिक यथार्थ को विस्मृत कर अशिक्षा, अज्ञानता, अंधविश्वास, दरिद्रता, कुरीति, कलह और वैमनस्य के गर्त में समा गए हैं। अपने स्वर्णिम अतीत का आत्मगौरव विस्मृत कर पराधीनता के बेड़ी में जकड़ गए हैं जिसके कारण भारतीय अतीव दारूण-दशा से व्यथित हैं।

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प्रश्न 5.
‘लरि वैदिक जैन डूबाई पुस्तक सारी।
करि कलह बुलाई जवनसैन पुनि भारी॥
उत्तर-
प्रस्तुत व्याख्येय पंक्तियाँ हिन्दी साहित्य के युगप्रवर्तक साहित्यकार भारन्तेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा विरचित ‘भारत-दुर्दशा’ शीर्षक कविता से उद्धत है। धर्म-सम्प्रदाय-भाषा-जाति की संवाद रहित विविधताओं में डूबा तथा सामाजिक कुप्रथाओं और कुरीतियों में जकड़ा हुआ अशिक्षित भारतीय समाज ऐतिहासिक आत्मबोध को विस्मृत कर आपसी अन्तर्कलह का शिकार हो गया है।

स्वाधीनता के संकल्पकर्ता कविवर भारतेन्दु ने अपने अन्तर्दृष्टि और सहज बोधात्मक दृष्टि से भारतीयों को आपसी अनर्तद्वन्द्व और अन्तर्कलह को परख लिया है। कवि ने ‘अहिंसा परमों धर्मः की गोद में बैठे जैन धर्मावलम्बियों पर तीखा शब्द-वाण चलाया है। भारतेन्दु ने क्रान्तिकारी शाब्दिक हथौड़े से जैन और वैदिक धर्मावलम्बियों पर तल्ख प्रहार किया है। जैन और वैदिक धर्मावलम्बियों के आपसी अन्तर्कलह ने भारत को पराधीन बनाने के लिए यवनों की सेना को भारत पर कब्जा करने का मार्ग प्रशस्त किया। अन्तर्कलह में जकड़ा हुआ अशिक्षित भारतीय समाज भला स्वाधीनता के लिए कैसे संघर्ष कर सकता है। अन्तर्कलह का शिकार भारतीय गुलामी के दंश को झेलने के लिए अभिशप्त है जो इनके दुर्दशा का केन्द्र-बिन्दु है।

प्रश्न 6.
‘सबके ऊपर टिक्कस की आफत’-जो कवि ने क्या कहना चाहा है?
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्ति राष्ट्रीय चेतना के पुरोधा, धरती और नभ के धूमकेतू कविवर भारतेन्दु रचित ‘भारत-दुर्दशा’ से उद्धत है। कवि ने गुलाम भारत की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक व्यवस्था का अतीव दारुण और व्यथित चित्र अंकित किया है। अंग्रेजी आक्रान्ताओं के शासन में भारत का धन विदेश चला जाता है, यह कवि के लिए असह्य और कष्टकारी है। महँगाई रूपी रोग काल के गाल समान निगलने को तैयार खड़ा है जो गरीब और बेसहारा लोगों पर हथौड़ा-सा प्रहार कर रहा है। गुलामी के दंश से आहत भारतीय दरिद्रता और दैयनीयता के शिकार हैं। ऊपर से उनपर ‘टिक्कस का आफत आर्थिक ‘कर’ का बोझ ने उसके मस्तक को दीनता के भार से दबा दिया है। भारतीय कष्ट और दुखों से दब-से गये हैं।

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प्रश्न 7.
अंग्रेजी शासन सारी सुविधाओं से युक्त है, फिर भी यह कष्टकर है, क्यों?
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ कालजयी साहित्यकार, आधुनिक हिन्दी साहित्य में नवचेतना के अग्रदूत और हिन्दी साहित्य के दुर्लभ पुरुष भारतेन्दु हरिश्चन्द्र द्वारा विरचित ‘भारत-दुर्दशा’ से ली गई है। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने पराधीन भारत के दारुण-दशा को अपनी अंतर्दृष्टि एवम् सहज बोध से गहराई तक समझा। भारतीय ऐतिहासिक मूल्यों को आत्मसात कर उन्होंने स्वाधीनता संकल्प के लिए भारतवासियों को यथार्थबोध, परिवर्तन-कामना के साथ ही उद्देश्य चेतना जगाकर नवजीवन के संचार का प्रयास किया है।

कविवर भारतेन्दु अंग्रेजों के दमन और लूट-खसोट की नीति पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहते हैं कि अंग्रेजों के राज्य में सुख और साज तो बढ़ गये हैं परन्तु भारत का धन विदेश चला जाता है, यह उनके लिए ही नहीं सारे भारतवासियों को कष्ट प्रदान करने वाला कृत्य है। कवि ने भारतीयों के अतमन में झंझावत पैदा करने के लिए क्रान्तिकारी हथौड़े से काम नहीं लिया उन्होंने मृदु संशोधक, निपुण वैद्य की भाँति रोगी की नाजुक स्थिति की ठीक-ठीक जानकारी प्राप्त कर उसकी रूचि के अनुसार पथ्य की व्यवस्था की, जिसका वर्णन मुर्तिमान प्राणधारा का उच्छल वेग के समान ‘भारत-दुर्दशा’ में वर्णित इन पंक्तियों में परिलक्षित होता है।

प्रश्न 8.
कविता का सरलार्थ अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर-
देखें कविता का सारांश।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित उद्धरणों की सप्रसंग व्याख्या करें
(क) रोबहु सब मिलि के आबहु भारत भाई।
हा हा ! भारत दुर्दशा न देखी जाई।

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(ख) अंगरेज राज सुख साज सजे सब भारी।
पै धन विदेश चलि जात इहै अति खारी॥
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पंक्तियाँ आधुनिक हिन्दी साहित्य के जन्मदाता और हिन्दी साहित्य के नवोत्थान के प्रतीक कवि शिरोमणि हरिश्चन्द्र द्वारा विरचित बहुचर्चित और सुविख्यात कविता ‘भारत-दुर्दशा से उद्धत है। इस कविता में कवि की राष्ट्रीयता, देशोन्नति व जातीय उत्थान के लिए अन्तर्व्यथा ऐतिहासिक यथार्थ के बिडंबनापूर्ण बोध के भीतर से जन्म लेती दिखाई पड़ती है।

कवि के अनुसार भारतीय अपनी स्वर्णिम अतीत का आत्मगौरव को विस्मृत कर दिया है। अशिक्षा, अज्ञनता, अंधविश्वास, कुरीति, कलह और वैभवनस्य में डूबे भारतीयों पर उन्होनें तीखा व्यंग-वाण चलाया है। उनकी अकर्मण्यता और आलस्य से भारत पतन के गर्त में डूब गया है। भारत की इस दारुण-दशा को देखकर कवि के हृदय में हाहाकार मचा हुआ है। भारत में इस दुर्दशा से आहत कवि सभी भारतीयों को जिम्मेवार मानते हुए एक साथ मिलकर रोने के लिए आमंत्रित करता है। कवि ने भारतीयों को अतीत और वर्तमान, स्वाधीनता और पराधीनता के वैषम्य की एक दशमय अनुभूति जगाने का सार्थक और यर्थाथ प्रयास किया है।

(ख) प्रस्तुत पंक्तियाँ कालजयी साहित्यकार, आधुनिक हिन्दी साहित्य में नवचेतना के अग्रदूत और हिन्दी साहित्य रूपी वाटिका के दुर्लभ पुष्प भारतेन्दु हरिशचन्द्र द्वारा विरचित ‘भारत-दुर्दशा’ से ली गई है। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने पराधीन भारत के दारुण-दशा को अपनी अंतर्दृष्टि एवम् सहजबोध से गहराई तक समझा। भारतीय ऐतिहासिक मूल्यों को आत्मसात कर उन्होंने स्वाधीनता संकल्प के लिए भारतवासियों को यथार्थबोध, परिवर्तन-कामना के साथ ही उद्देश्य चेतना जगाकर नवजीवन के संचार का प्रयास किया है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 5 भारत-दुर्दशा (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र)

कविवर भारतेन्दु का हृदय अंग्रेजों के दमन और लूट-खसोट की नीति पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए कहते हैं कि अंग्रेजों के राज्य में सुख और साज तो बढ़ गये हैं परन्तु भारत का धन विदेश चला जाता है, यह उनके लिए नहीं सारे भारतवासियों को कष्ट प्रदान करने वाला कृत्य है। कवि ने भारतीयों के अर्न्तमन में झंझावत पैदा करने के लिए क्रान्तिकारी हथौड़े से काम नहीं लिया बल्कि उन्होंने मृदु संशोधक, निपुण वैद्य कि भाँति रोगी की नाजुक स्थिति की ठीक-ठीक जानकारी प्राप्त कर उसकी रुचि के अनुसार पथ्य की व्यवस्था की जिसका वर्णन मूर्तिमान प्राणधारा का उच्छल वेग के समान ‘भारत-दुर्दशा’ में वर्णित इन पंक्तियों से परिलक्षित होता है।

प्रश्न 10.
स्वाधीनता आन्दोलन के परिप्रेक्ष्य में इस कविता की सार्थकता पर विचार कीजिए।
उत्तर-
आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रवर्तक महान साहित्यकार भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पराधीन भारत के दारुण-दशा को मूर्तिमान करने का एक बानगी है-भारत-दुर्दशा। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने पराधीन भारत का अकल्पनीय दारुण-दशा को गहराई से देखा।

पराधीन भारतवासियों में स्वतंत्रता संकल्प के लिए ‘भारत-दुर्दशा कविता के माध्यम से उनके भीतर जातीय अस्मिता, यथार्थबोध, परिवर्तन-कामना के साथ ही उद्देश्य-चेतना का संचार कर दिया। ‘भारत-दुर्दशा’ की यथार्थता और व्यंगता ने अशिक्षा, अज्ञानता, अंधविश्वास, दरिद्रता, कुरीति, कलह और वैमनस्य में डूबे भारतीय समाज को गहराई से समझने की अंतर्दृष्टि दी। इस कविता का सजीव और यथार्थ चित्रण ने धर्म-सम्प्रदाय, भाषा-जाति की संवाद रहित विविधताओं में डूबा तथा सामाजिक कुप्रथाओं और कुरीतियों में जकड़ा हुआ अशिक्षित समाज को ऐतिहासिक आत्मबोध को जगाकर स्वाधीनता के लिए संघर्ष करने को प्रेरित किया है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 5 भारत-दुर्दशा (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र)

अतीत और वर्तमान, स्वाधीनता और पराधीनता के वैषम्य एक दंशमय अनुभूति जागृत करने वाली इस कविता ने भारतीय समाज को आन्दोलित कर स्वतंत्रता को पुण्य-पथ पर निरंतर अग्रसित हाने की प्रेरणा दी है। भारतेन्दु की कविता ‘भारत-दुर्दशा’ में कवि ने भारतीयों के स्वर्णिम ऐतिहासिक अतीत का आत्मगौरव से परिचय कराते हुए लिखा है

“जहँ भए शाक्य हरिचंदरू ययाती।
जहँ राम युधिष्ठर वासुदेव संती।।
जहँ भीम करण अर्जुन की छटा दिखाती।
तहँ रही मूढता कलह अविद्या राती।।

भारतेन्दु ने पराधीन भारत की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक व्यवस्था पर व्यंग्य-बाण चलाकर भारत के निवासियों में स्वतंत्रता संकल्प का ऐतिहासिक आत्मबोध जागृत कराया। इस कविता के ऐतिहासिक आत्मबोध कटाक्ष-व्यंग्य ताजगी तथा मौलिकता के गुणों ने अपनी सार्थकता का परिचय देते हुए स्वतंत्रता का बिगुल फूंकने के भारतीय समाज को उत्साहित तथा जागृत किया है। सदियों तक पराधीन भारतीय समाज ने स्वतंत्रता-संघर्ष के लिए अपने उत्तरदायित्वहीनता के प्रमाद से मुक्त होकर स्वतंत्रता के लिए जागृत हो गए। स्वतंत्रता संग्रान के लिए प्रेरित करनेवाली इस कविता और इसके युगपुरुष और कालजयी साहित्यकार का यशोगान भारतीय समाज जबतक प्रकृति का अस्तित्व कायम है, गाता रहेगा।

भारत-दुर्दशा भाषा की बात।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखें ईश्वर, रोग, दिन, राज, कलह, अविधा, कुमति, छटा
उत्तर-

  • ईश्वर – भगवान
  • रोग – व्याधि
  • दिन – दिवस
  • दीन – गरीब
  • राज – साम्राज्य
  • कलह – झगड़ा
  • अविद्या – कुविद्या
  • कुमति – दुर्गति
  • छटा – शोभा।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्य प्रयोग द्वारा निर्णय करें दुर्दशा, विद्या, दुःख, पुस्तक,धन सुख, बल, मूढ़ता, विद्याफल, महँगी, आलस।
उत्तर-
दुर्दशा (स्त्री.) – तुम्हारी यह दुर्दशा किसने की है? हमें अच्छी विद्या सीखनी चाहिए।
दुःख (पु.) – तुम्हारी दशा देखकर मुझे दुख होता है।
पुस्तक (स्त्री) – यह मेरी पुस्तक है।
धन (पुं.) – आपका धन परोपकारर्थ ही तो है।
सुख (पुं.) – यहाँ तो सुख-ही-सुख है।
बल ((.) – उसका बल अतुलनीय है।
मूढ़ता (स्त्री.) – मेरी मूढ़ता ही तो है जो तुम पर विश्वास किया।
विद्याफय (पुं.) – विद्याफल मीठा होता है।
महँगी (स्त्री.) – चाँदी महँगी है।
आलस (पु.) – आलस करना बुरा है।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के विपरीतार्थक शब्द लिखें दुर्दशा, रूप, विद्या, कलह, कुमति, विदेश।
उत्तर-

  • दुर्दशा – सुदशा
  • रूप – कुरूप
  • विद्या – अविद्या
  • कलह – मेल
  • कुमति – सुमति।
  • विदेश – स्वदेश।

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प्रश्न 4.
संज्ञा के विविध भेदों के उदाहरण कविता से चुनें।
उत्तर-
किसी भी वस्तु, स्थान व्यक्ति अथवा भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं। इसके निम्नलिखित भेद हैं-
(क) व्यक्तिवाचक,
(ख) जातिवाचक,
(ग) समूहवाचक,
(घ) द्रव्यवाचक तथा
(ङ) भाववाचक।।

भारत दुर्दशा कविता में आगत संज्ञाएँ और उनकी कोटि निम्नोद्धन हैं-
व्यक्तिवाचक संज्ञा शब्द-भारत, ईश्वर, विधाता, शाक्य, हरिश्चन्द्र, नहुष, ययाति, राम, युधिष्ठिर, वासुदेव, सर्याति, भीम, करन, अर्जुन, वैदिक, जैन, जवनसैन।
जातिवाचक संज्ञा शब्द-भाई सब जेहि, रोग।
समूहवाचक सज्ञा शब्द-सैन, सब, जिन।
द्रव्यवाचक संज्ञा शब्द-धन, टिक्कस।
भाववाचक संज्ञा शब्द-बल, सभ्य, रूप, रंग, रस, विद्याफल, छटा, मूढ़ता, कलह, अविद्या, राती, आफत, सुख, भारी, ख्वारी, महंगी, रोग, दुर्दशा, कुमति, अन्ध, पंगु, बुद्धि।

प्रश्न 5.
इन शब्दों को सन्धि विच्छेद करें युधिष्ठिर, हरिश्चन्द्र, यद्यपि, युगोद्देश्य, प्रोत्साहन।
उत्तर-

  • युधिष्ठिर = युधिः + ठिर
  • हरिश्चन्द्र = हरिः + चन्द्र
  • यद्यपि = यदि + अपि
  • युगोद्देश्य = युग + उद्देश्य
  • प्रोत्साहन = प्र + उत्साहन

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अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

भारत-दुर्दशा लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतेन्दु के अनुसार भारत का अतीत कैसा था? स्पष्ट करें।
उत्तर-
भारतेन्दु के अनुसार हमारा अतीत गौरवशाली था। ईश्वर की कृपा से हम सबसे पहले सभ्यं हुए। सबसे पहले कला-कौशल का विकास किया। सबसे पहले ज्ञान-विज्ञान की गोल्डेन सीरिज पासपोर्ट अनेक अपलब्धियाँ प्राप्त की। अतीत में हमारे यहाँ रामकृष्ण, हरिश्चन्द्र, बुद्ध, भीम, अर्जुन आदि महान पुरुष पैदा हुए जिनको याद कर हम गौरवान्वित होते हैं।

प्रश्न 2.
भारतेन्दु के अनुसार भारत की वर्तमान स्थिति कैसी है? बतायें।
उत्तर-
भारतेन्दु के अनुसार वर्तमान काल से हमारी स्थिति बहुत बुरी थी। उनके समय देश पराधीन था, अंग्रेजों का शासन था। हमारा समाज अशिक्षित मूर्ख और कलहप्रिय था। आपसी कलह के कारण हमने यवनों को बुलाया था उन्होंने हमें पराजित कर हमें लूटा, हमारे ग्रंथ नष्ट कर दिये और हमे पंगु तथा आलसी बना दिया।

प्रश्न 3.
अंग्रेजी राज के प्रति भारतेन्दु के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
अंग्रेजी राज के विषय में भारतेन्दु का दृष्टिकोण विरोधी है। वे देशभक्त थे। अत: गुलामी के विरोधी थे। वे मानते थे कि अंग्रेजी देश में सुख के जो सामान रेल-तार-डाक आदि ले आये है वे अपने लाभ के लिए यो उसका लाभ हमें भी मिल रहा है। इसके विपरीत वे हमारे देश के श्रम और कच्चे माल का उपयोग कर जो सामान बनाते हैं वह हमी को बेचकर उसके मुनाफे से अपने को सम्पन्न बना रहे हैं। हम निरन्तर गरीब होते जा रहे हैं। ऊपर से वे रोज नये टैक्स लगा रहे हैं। रोज महँगाई बढ़ रही है, अकाल पड़ा है। यदि हम स्वाधीन रहते तो हमारा धन यहीं रहता और हम इस तरह निरन्तर दीन-हीन नहीं होते।

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प्रश्न 4.
भारतेन्द्र के अनुसार भारत दुर्दशा के कारणों को संक्षेप में बतायें।
उत्तर-
भारतेन्दु के अनुसार भारत की दुर्दशा का प्रधान कारण है-गुलामी। यह गुलामी चाहे यवनों की हो या अंग्रेजी की हमारे लिए अहितकारी रही। इन लोगों ने हमें विद्या, बल तथा धन तीनों से वंचित रखा ताकि हम दुर्बल बने रहें।

दूसरा कारण उनकी दृष्टि में स्वयं भारतीय लोगों का आचरण है। उनके आचरण में स्वार्थ तथा कलहप्रियता की प्रधानता है। इसके अतिरिक्त ये आलसी स्वभाव के हैं। थोड़े में संतुष्ट होकर प्रयत्न नहीं करते, अपनी बुरी दशा से विद्रोह नहीं करते तथा बेहतर जीवन के लिए संघर्ष नहीं करते। इन्हीं कारणों से ये बार-बार पदाक्रान्त हुए, पराजित हुए और गुलाम बने।

भारत-दुर्दशा अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतेन्दु किस कोटि के कवि हैं?
उत्तर-
भारतन्दु प्राचीन और नवीन की संधि-भूमि पर स्थित देशभक्त कवि हैं।

प्रश्न 2.
अंग्रेज राज सुख साज सजे सब भारी का क्या अर्थ है?
उत्तर-
अंग्रेजों के शासन काल में भारत विज्ञान से प्राप्त सुविधाओं का वंचित हुआ।

प्रश्न 3.
विश्व में सबसे पहले सभरता का विकास कहाँ हुआ?
उत्तर-
भारतेन्दु के अनुसार विश्व में सबसे पहले सभयता का विकास भारत में हुआ।

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प्रश्न 4.
भारत के समय भारत में किन चीजों के कारण अंधेरा छाया था?
उत्तर-
भारतेन्दु के समय आलस्य, कुमति और कलह का अंधेरा छाया था।

प्रश्न 5.
भारत भाई से भारतेन्दु का तात्पर्य क्या है?
उत्तर-
भारत भाई से तात्पर्य भारत के लोगों से है। भारतेनदु ने उन्हें भाई कहकर संबोधित किया है।

प्रश्न 6.
भारत-दुर्दशा शीर्षक कविता भारतेंदु हरिश्चन्द्र के किस नाटक के अंतर्गत है?
उत्तर-
भारत-दुर्दशा शीर्षक कविता भारतेंदु हरिश्चंद्र के भारत-दुर्दशा नामक नाटक के अन्तर्गत है।

प्रश्न 7.
भारत-दुर्दशा शीर्षक कविता में किस भावना की अभिव्यक्ति हुयी है?
उत्तर-
भारत-दुर्दशा शीर्षक कविता में देश-प्रेम की भावना की अभिव्यक्ति हुयी है।

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प्रश्न 8.
भारत-दुर्दशा नामक कविता में किस बात की व्यंजना हुयी है?
उत्तर-
भारत-दुर्दशा नामक कविता में अतीत गौरव और देश प्रेम की व्यंजना हुयी है।

भारत-दुर्दशा वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

I. सही उत्तर का सांकेतिक चिह्न (क, ख, ग या घ) लिखें।

प्रश्न 1.
हिन्दी साहित्य के इतिहास में आधुनिक काल के प्रवर्तक साहित्यकार के रूप में किस माना जाता है?
(क) भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
(ख) महावीर प्रसाद द्विवेदी
(ग) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(घ) रामचन्द्र शुक्ल
उत्तर-
(क)

प्रश्न 2.
‘भारत दुर्दशा’ साहित्य की किस विधा में है?
(क) एकांकी
(ख) नाटक
(ग) गद्य-काव्य
(घ) पद्य-काव्य
उत्तर-
(ख)

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प्रश्न 3.
हिन्दी भाषा और साहित्य में नवजागरण के अग्रदूत किसे माना जाता है?
(क) प्रेमचन्द्र
(ख) जयशंकर प्रसाद
(ग) भारतेन्दु हरिशचन्द्र
(घ) महावीर प्रसाद द्विवेदी
उत्तर-
(ग)

प्रश्न 4.
भारत की धार्मिक मर्यादा को किसने नष्ट किया है?
(क) जैन धर्मावलम्वी ने
(ख) वैदिक धर्मावलम्बी ने
(ग) बौद्ध धर्मावलम्बी ने
(घ) वैदिक एवं जैन धर्मावलम्बियों ने
उत्तर-
(घ)

प्रश्न 5.
भारतेन्दु हरिशचन्द्र के पद किस भावे जुड़े पद हैं?
(क) राष्ट्रीय भाव
(ख) प्रेम भाव
(ग) करुण भाव
(घ) भक्ति भाव
उत्तर-
(क)

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II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।

प्रश्न:
1. हिन्दी साहित्य में आधुनिक युग के संस्थापक
2. ‘भारत-दुर्दशा’ पाठ के रचयिता ………………. हैं।
3. रोबड सब मिलिकै आवहु ……………… भाई।।
4. सबके ऊपर ………………. की आफत आई।
उत्तर-
1. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
2. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
3. भारत
4. टिक्कस।

भारत-दुर्दशा कवि परिचय भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (1850-1885)

आधुनिकता नवोत्थान के प्रतीक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र 18-19वीं सदी के जगत-सेठों के एक प्रसिद्ध परिवार के वंशज थे। उनके पूर्वज सेठ अमीचन्द का उत्कर्ष भारत में अंग्रेजी राज की स्थापना के समय हुआ था। नवाब सिराजुद्दौला के दरबार में उनका बड़ा मान था। निष्ठावान अमीचन्द के साथ अंग्रेजी ने अत्यन्त नीचतापूर्ण व्यवहार किया था। उन्हीं के प्रपौत्र गोलापचन्द्र, उपनाम गिरिधरदास के ज्येष्ठ पुत्र थे भारतेन्दु। भारतेन्दु का जन्म 1850 में उनके ननिहाल में हुआ था 5 वर्ष की अवस्था में ही माता पार्वती देवी का तथा 10 वर्ष की अवस्था में पिता का देहान्त हो गया।

विमाता मोहिनी देवी का उनके प्रति कोई खास स्नेह-भाव नहीं था। फलतः उनके लालन-पालन का भार काली कदमा दाई तथा तिलकधारी नौकर पर रहा। पिता की असामयिक मृत्यु से शिक्षा-दीक्षा की समूचित व्यवस्था नहीं हो पायी। बचपन से ही चपल स्वभाव के भारतेन्दु की बुद्धि कुशाग्र तथा स्मरणशक्ति तीव्र थी। उस जमाने के रइसों में राजा शिवप्रसाद ‘सितारे हिन्द’ का नाम बड़ा ऊँचा था। भारतेन्दु शिक्षा हेतु उन्हीं के पास जाया करते थे। स्वाध्याय के बल पर उन्होंने अनके भाषाएँ सीखीं तथा स्वाभाविक संस्कारवश काव्य-सृजन करने लगे।

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तेरह वर्ष की आयु में ही इनका विवाह हो गया। इनकी जीवन-संगिनी बनी काशी के रईस लाला गुलाब राय की सुपुत्री मन्ना देवी। घर की स्त्रियों के आग्रह पर पन्द्रह वर्ष की अवस्था में उन्हें कुटुम्बसहित जगन्नाथ-यात्रा करनी पड़ी। देशाटन का उन्हें खूब लाभ मिला। वे हर जगह मातृभूमि तथा मातृभाषा एवं राष्ट्र की स्वाधीनता पर भाषण देते। 1884 की उनकी बलिया-यात्रा उनकी अंतिम यात्रा प्रमाणित हुई। उनके जर्जर शरीर ने उनकी तेजस्वी आत्मा को बाँधे रखने में असमर्थता जतायी और मात्र 34 वर्ष 6 माह की अल्पवय में वे 6 जनवरी, 1885 को इस संसार से चल बसे।

किन्तु इस छोटे जीवन-काल में भी उन्होंने हिन्दी, समाज तथा भारत राष्ट्र की जो अविस्मरणीय सेवा की उसकी जितनी भी प्रशंसा की जाय, कम होगी। उनकी संताने थीं-एक पुत्री, दो पुत्र। पुत्र असमय ही चल बसे। पुत्री विद्यापति सुविख्यात विदुषी बनी। धर्मपरायण मन्ना देवी ने 42 वर्षों तक वैधव्य भोगने के बाद 1926 ई. में प्राण विसर्जित किये। वे परम गुणवन्ती थी तथा आजीवन जन-जन की प्रशंसा पाती रही।

निस्देह भारतेन्दु के आविर्भाव के पूर्व हम राष्ट्रीयता को ठीक-ठीक समझने में असमर्थ थे। भारतेन्दु ने राष्ट्रभक्ति का ज्वार उमड़ाकर अंग्रेजों की दमनात्मक नीतियों तथा भारत की दुर्दशा के कारणों का पर्दाफाश किया। वे युगान्तकारी कलाकार थे। परिवर्तन का काल था वह जब भारतेन्दु को ब्रजभाषा की गद्य-क्षमता तथा खड़ी बोली की पद्य-क्षमता पर अविश्वास रहा।

लेकिन उन्होंने अपने समकालीन को एक सूत्र में पिरोकर जिस तरह काव्य-साधना तथा साहित्य-सेवा में लगाया, वह अतुलनीय बन गया। उनकी उपलब्धियाँ तथा ख्याति अद्वितीय रही। काव्य के क्षेत्र में उन्होंने ब्रजभाषा का कंटकहीन पथ अपनाया। उनकी काव्याभिव्यक्ति की शैली कृष्ण-काव्य परंपरा वाली है। ब्रजभाषा के वे अंतिम गीतकार थे। . वस्तुतः भारतेन्दु ने अपनी साहित्यिक रचनाओं द्वारा स्वाधीनता संग्राम को आगे बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

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भारत-दुर्दशा कविता का सारांश

आधुनिक हिन्दी साहित्य के युग प्रवर्तक महान साहित्यकार भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने ‘भारत-दुर्दशा’ शीर्षक कविता के माध्यम से देश के निवासियों में राष्ट्रीयता का भाव जगाया है। अशिक्षा, अज्ञानता, अंधविश्वास, दरिद्रता, कुरीति, कलह और वैमनस्य की जंजीरों में जकड़े भारतीय समाज को अतीत और वर्तमान, स्वाधीनता और पराधीनता तथा वैषम्य की दंशमय गहराई को समझने की अन्तर्दृष्टि दी है।

भारत की दुर्दशा देखकर कवि की आत्मा चीत्कार उठी है। भारत की दुर्दशा से व्यथित कवि भारत के निवासियों को इसकी दुर्दशा पर मिलकर रोने के लिए आमंत्रित करता है।

भारत की राजनीति, सामाजिक, आर्थिक व्यवस्था पर अपना व्यंग्य-वाण चलाते हुए भारतेन्दु कहते है कि जिस भारत देश को ईश्वर ने सबसे पहले धन और बल देकर सभ्य बनाया। सबसे पहले विद्वता के भूषण से विभूषित कर रूप, रंग और रस के सागर में गोता लगवाया, वही भारत वर्ष अब सभी देशों से पीछे पड़ रहा है। कवि को भारत की दुर्दशा देखकर हृदय में हाहाकार मच रहा है।

भारत में त्याग, और बलिदान के प्रतीक शाक्य, हरिश्चन्द्र, नऊष और ययाति ने जन्म लिया। यहीं राम, युष्ठिर, वासुदेव और सर्याति जैसे सत्यनिष्ठ और धर्मनिष्ठ अवतरित हुए थे। भारत में ‘ ही भीम, करण और अर्जुन जैसे वीर, दानवीर तथा धनुर्धर पैदा हुए परन्त आज उसी भारत के निवासी अशिक्षा, अज्ञानता, कलह और वैमनस्य के जंजीरों में जकड़कर दुख के सागर में डूब चुके हैं। भारत की ऐसी दारूण-दशा के लिए कवि का हृदय आन्दोलित है।

राष्ट्र चिंतन से दूर ‘अहिंसा परमो धर्मः, के आलम्बन के केन्द्र में बैठा जैन धर्मावलम्बियों ने वैदिक धर्म का विरोध कर यवनों (इस्लाम आदि) की सेना की भारत पर कब्जा करने का मार्ग प्रशस्त किया। मूढ़ता के कारण आपसी कलह ने बुद्धि, बल, विद्या और धन को नाशकर आलस्य, कुमति और कलह की काली छटा से भारतीय जन-जीवन घिर गया। भारतीय अन्धे, लँगड़े और दीन-हीन होकर जीने के लिए अभिशप्त हो गये हैं, भारत की दुर्दशा अवर्णनीय हो गई है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 5 भारत-दुर्दशा (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र)

अंग्रेजो के राज्य अर्थात पराधीन भारत में वैभव और सुख बढ़ गये हैं परन्तु भारतीय धन विदेश चला जाता है। यह स्थिति अतीव कष्टकारी है। उसपर महँगाई सुरसा की भाँति मुँह फैलाये जा रही है। दिनों-दिन दुखों की तीव्रता बढ़ रही है और ऊपर से ‘कर’ का बोझ तो ‘कोढ़ में खाज’ सा कष्टकारक है। भारत की ऐसी दुर्दशा कवि के लिए असह्य हो गया। उसके हृदय में हाहाकार मचा हुआ है।

भारत-दुर्दशा कठिन शब्दों का अर्थ

आवहु-आओ। मीनो-सिक्त, भीगा हुआ। लखाई-दिखाई। मूढ़ता-मूर्खता। अविद्या-अज्ञान। राती-अंधकार। जवनसैन-यवनों की सेवा। पुनि-फिर। नासी-नष्ट। विखलाई-बिलखना, विलाप करना। ख्यारी-कष्टकारी। टिक्कस-टैक्स, कर। पंगु-लंगड़ा। आफत-आपदा, विपदा।

भारत-दुर्दशा काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. रोबहु सब ……………………. भारत दुर्दशां न देखी जाई।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ भारतेन्दु रचित ‘भारत-दुर्दशा’ कविता से ली गयी हैं। यहाँ भारतेन्दु ने देश की दुर्दशा का कारुणिक चित्रण करते हुए लोगों के मन में सुप्त देश-प्रेम को जागने का प्रयास किया है। कवि कहता है कि हे भारत के भाइयों ! आओ, सब मिलकर रोओ ! अब अपने प्यारे देश की दुर्दशा नहीं देखी जाती।

इस देश को ईश्वर ने दुनिया के सभी देशों से पहले बलवान-धनवान बनाया और सबसे पहले सभ्यता का वरदान दिया। यही देश सबसे पहले रूप-रस-रंग में भींगा अर्थात् कला-सम्पन्न विधाओं को प्राप्त कर अपने को ज्ञान-सम्पन्न बनाया लेकिन दुख है कि वही देश आज इतना पिछड़ गया कि पिछलग्गू बनकर भी चलने लायक नहीं है।

सब मिलाकर भारतेन्दु, प्रस्तुत पंक्तियों में कहना चाहते है कि जो देश सभ्यता, कला-कौशल तथा वैभव में अग्रणी और सम्पन्न रहा वही आज गुलामी के कारण पिछड़कर दीन-हीन बन गया है। आज इसकी दुर्दशा नहीं देखी जाती। देखते ही मन पीड़ा और ग्लानि से भर जाता है।

2. जहँ राम युधिष्ठिर ……………. भारत-दुर्दशा न देखी जाई।।
व्याख्या-
‘भारत दुर्दशा’ कविता से ली गयी प्रस्तुत पंक्तियों में भारतेन्दु देश के लोगों को गौरवशाली अतीत की याद दिलाकर प्रेरणा भरना चाहते हैं। वे कहते है कि इस इस देश में राम, युधिष्ठिर, वासुदेवं कृष्ण, सर्याति, शाक्य, बुद्ध, दानी हरिश्चन्द्र, नहुष तथा ययाति जैसे प्रसिद्ध सम्राट हुए। यहाँ, भीम, कर्ण, अर्जुन जैसे पराक्रमी योद्ध हुए। इन लोगों के कारण देश में सुशासन, सुख और वैभव का प्रकाश फैला रहा। उसी देश में (पराधीनता के कारण) आज सर्वत्र दुःख ही दुःख छाया है। . उपर्युक्त पंक्तियों के माध्यम से भारतेन्दु यह बताना चाहते है कि अतीत में हम सुख और समृद्धि के शिखर पर विराजमान थे, जबकि आज हम दुःख और पतन के गर्त में गिरकर निस्तेज हो गये है। इस पतन का कारण गुलामी ही समझना चाहिए।

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3. लरि बैदिक जैन डुबाई ……………. भारत दुर्दशा न देखी जाई।
व्याख्या-
भारत दुर्दशा की इन पंक्तियों में भारतेन्दु जी ने यह बनाना चाहा है कि प्राचीन काल में भारत के लोगों ने धर्म के नाम पर लड़ाई की और द्वेषवश विदेशियों को आमंत्रण देकर बुलाया उसी के परिणामस्वरूप हम अन्ततः गुलाम हा गये।

कवि का मत है कि वैदिक मत को माननेवालों और जैनमत को मानने वालों ने आपस में लड़कर सारे ग्रंथों को नष्ट किया। फिर आपसी कलह के कारण यवनों की सेना को बुला लिया। उन यवनों ने इस देश को सब तरह से तहस नहस कर दिया। मारकाट और ग्रंथों को जलाने के कारण सारी विद्या नष्ट हो गयी तथा धन लूट लिया। इस तरह आपसी कलह के कारण यवनों द्वारा पदाक्रान्त होने से बुद्धि, विद्या, धन, बल आदि सब नष्ट हो गये। आज उसी का कुपरिणाम हम आलस्य, कुमति और कलह के अंधेरे के रूप में पा रहे हैं। कवि इस दशा से विचलित होकर कहता है-हा ! हा ! भारत दुर्दशा, न देखी जाई।”

4. अंगरेजराज सुख साज ………………. दुर्दशा न देखी जाई।
व्याख्या-
भारत दुर्दशा की प्रस्तुत पंक्तियों में भारतेन्दु जी ने अंग्रेजी राज की प्रशसा करने वालों को मुँहतोड़ उत्तर दिया है। उनके समय में देश गुलाम था और अनेक लोग गोजी पढ़-लिखकर तथा अंग्रेजियत को अपनाकर अपने देश को हेय दृष्टि से देख रहे थे। भय अथवा गुलाम स्वभाव अथवा “निज से द्रोह अपर से नाता” की मनोवृत्ति के कारण लोग अंग्रेजों के खुशामदी हो गये थे। अंग्रेजों ने देश का शासन की पकड़ मजबूत रखने और अपने तथा शासन-व्यापार की सुविधा के लिए रेल, डाक आदि की व्यवस्था की।

दोयम दरजे के नागरिक के रूप में इन सुविधाओं का लाभ भारतीयों को ही मिल रहा था। अत: वे अंगेजी राज के प्रशंसक थे। भारतेन्दु सच्चाई उजागर करते हुए कहते है कि यह सच है कि अंग्रेजी राज में सुख-सामानों में भारी वृद्धि हुई है। लेकिन इससे क्या, अंग्रेज हमारा शोषण कर धन एकत्र करते हैं और अपने घर इंगलैंड भेज देते हैं। इस तरह वे मुनाफा से अपना घर भर रहे हैं और हम शोषित हैं। ऊपर से महँगाई रोज बढ़ रही है। नित नए टैक्स लगाये जा रहे हैं जिसके फलस्वरूप हमारा दुख दिन-प्रतिदिन दूना होता जा रहा है। अतः यह शासन के नाम पर हमारा शोषण कर रहा है और हमारी स्थिति खराब होती जा रही है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 5 भारत-दुर्दशा (भारतेन्दु हरिश्चन्द्र)

Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 4 सहजोबाई के पद

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Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 4 सहजोबाई के पद

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 4 सहजोबाई के पद

सहजोबाई के पद पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर।

कविता के साथ

प्रश्न 1.
सहजोबाई के मन में उनके आराध्य की कैसी छवि बसी हुई है।
उत्तर-
हिन्दी के ज्ञानश्रयी की शाखा की संत कवियित्री सहजोबाई के प्रस्तुत काव्य में श्रीकृष्ण उनके आराध्य प्रतीत होते हैं। सहजोबाई के मन में कृष्ण की शैशवावस्था का अलौकिक सौन्दर्य प्रतिबिम्बित है। लीलाधारी श्रीकृष्ण के माथे पर मुकुट, कान में मोतियों के कुण्डल, बिखड़े हुए बाल, होठ का मटकाना, भौंह चलाते हुए ठुमक ठुमुक कर धरती पर चलते हुए उनका सौन्दर्य अनुपम और अद्वितीय है।

श्रीकृष्ण के घुघरूं की कर्णप्रिय ध्वनि मन के तारों को सहज ही झंकृत करती है। सहजोबाई ने अपने आराध्य नटवर नागर, लीलाधर कृष्ण का सगुण स्वरूप की छवि अपने मन में बसायी हुई है जो दिव्यातिदिव्य और अनुपमेय है। उनकी इस सुन्दरता की बराबर करोड़ो कामदेव की सम्मिलित शोभा भी नहीं कर सकती।

प्रश्न 2.
सहजोबाई ने किससे सदा सहायक बने रहने की प्रार्थना की है?
उत्तर-
ज्ञानाश्रयी संत कवयित्री सहजोबाई ने बाल श्रीकृष्ण से सदा सहायक बने रहने की प्रार्थना की है।

प्रश्न 3.
“झुनक-झुनक नूपूर झनकारत, तता थेई रीझ रिझाई।
चरणदास हिजो हिय अन्तर, भवन कारी जित रहौ सदाई।
इन पंक्तियों को सौन्दर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
निर्गुण ब्रह्म उपासिका कवयित्री सहजोबाई की सगुण भक्ति शिरमौर श्रीकृष्ण के प्रति भाव-विहलता, भाव-प्रवणता इन पंक्तियों में उपस्थित है।

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बालक कृष्ण अपने पैरों को बलात् इस तरह पटक रहे हैं कि उनके पैरों में बंधी पायल के र (घुघरू) एक लय विशेष में झंकृत हो रहे हैं और यह लय है तो ता थैया जिसके इंगित १: कृष्ण न सिर्फ रीझ गये हैं बल्कि अपने चतुर्दिक उपस्थित लोगों को भी मंत्रमुग्ध किये हुए है। कृष्ण की यह विश्वमोहिनी छवि के स्वामी को सहजोबाई अपने हृदय में भवन बनाकर सदा के लिए रखना चाहती हैं। कबीरात्मा भी अपने राम को कुछ इसी तरह अपनी आँखों में बसाना

“नैनन की करि कोठरी पुतरी पलंग बिछाय,
पलकनि कै चिक डारि कै पिय को लिया रिझाय।”

सम्ममा भक्त अपने भगवान से शाश्वत सायुज्यता का आकांक्षी होता है। उसे वह अपने व्यक्तित्व के कोमलतम, पवित्रतम स्थान में रखना चाहता है। भक्त भगवान पर एकाधिकार चाहता है। यही सौन्दर्य यहाँ जित है।

प्रश्न 4.
सहजोबाई ने हरि से उच्च स्थान गुरु को दिया है। इसके लिए वे क्या-क्या तर्क देती हैं?
उत्तर-
कवयित्री सहजोबाई ने अपने गुरु चरणदास के प्रति सहज और पावन भक्तिभावना का परिचय दिया है। कवियित्री ने सच्ची गुरु भक्ति के रूप में अपने गुरु की महिमा की अद्वितीयता का विवेचन एवं विश्लेषण किया है। गुरु के प्रति पूर्णरूप से समर्पित कवयित्री के निश्छल हृदय के पवित्र उद्गार मिलते हैं। सहजोबाई ने गुरु के दिव्यातिव्य मार्गदर्शन के प्रति समर्पिता का भाव सहज ही दृष्टिगोचार होता है। गुरु ने अपने दिव्य ज्ञान से अज्ञानता के तिमिर को हटाकर ज्ञान से प्रकाशित किया, जिससे सांसरिक आवागमन (जन्म-मृत्यु) के बन्धन से मुक्त कराया।

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ईश्वर ने पाँच चोर मद, लोभ, मोह, काम और क्रोध को शरीर रूपी मन्दिर में बिठाया, गुरु ने उससे छुटकारा पाने की युक्ति सिखाई। ईश्वर ने सांसारिक राग-रंग, अपना-पराया का भ्रम में उलझाया, गुरु ने ज्ञान रूपी दीपक के प्रकाश से अलोकित कर तमाम बन्धनों से मुक्ति दिलाने के लिए आत्म ज्ञान से साक्षात्कार कराया है। गुरु ने सांसारिक भवसागर से निकलने का मार्ग प्रशस्त कराया। सहजोबाई की गुरुभक्ति उत्कट और अपूर्व है। गुरु के प्रति परमात्मा से भी बढ़कर प्रेम भक्ति तथा कृतज्ञता का उत्कट और अपूर्व भाव प्रदर्शित कवयित्री ने किया है। गुरु ही ज्ञान का सागर तथा सच्चा पथ-प्रदर्शक है। गुरु का स्थान हरि से भी ऊँचा है।

प्रश्न 5.
“हरि ने पाँच चोर दिये साथा,
गुरु ने लई छुटाय अनाथा।”
यहाँ किन पाँच चोरों की ओर संकेत है? गुरु उससे कैसे बचाते हैं।
उत्तर-
संत साहित्य में अवगुणों को चोर से संज्ञायित किया गया है। पाँच चोर निम्नलिखित हैं-काम, क्रोध, मोह, मद और लोभ। शरीर तक सीमित होना, इन्द्रित सुख की पूर्ति की इच्छा काम है। अपनी इच्छा के विरुद्ध कुछ होते देख गुस्सा होना क्रोध है। अनाधिकृत वस्तु के प्रति आसक्ति मोह अथवा लोभ है।

किसी भी प्रकार की प्रभुता प्राप्त कर लेने का भाव मद से प्रदर्शित होता है। दूसरे को किसी भी रूप में सम्पन्न देखकर ईर्ष्या का भाव डाह का भाव मत्सर है।

सद्गुरु संसार की नश्वरता, असारता, क्षणभंगुरता का निदर्शन करारकर अपने शिष्य को प्रबोध देता है। ध्यान, समाधि जीवमात्र की निष्काम सेवा आदि के द्वारा गुरु इन पाँच चोरों से शिष्य को बचाते हैं।

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प्रश्न 6.
“हरि ने कर्म भर्म भरमायौ। गुरु ने आतम रूप लखायौ ॥
हरि ने मोरूँ आप छिपायौ। गुरु दीपक दै ताहि दिखायो॥”
इन पंक्तियों की व्याख्या करें।
उत्तर-
प्रस्तुत पद्यांश ज्ञानाश्रयी कवयित्री सहजोबाई द्वारा विरचित है। कवियित्री ने गुरु महिमा और गरिमा की श्रेष्ठता का बेबाक चित्रण किया है। वह कहती है कि हरि ने उन्हें सांसारिक . कर्म के भर्म में उलझा कर रख दिया है और गुरु ने आत्मज्ञान के प्रकाश से प्रकाशित कर उसके ‘स्व’ के अस्तित्व का ज्ञान कराया है : गुरु ने ‘स्वयं’ से साक्षात्कार कराकर सांसारिक अज्ञानता से छुट्टी दिलाई है, गुरु अपने ज्ञान के दीपक से प्रकाशित करते हैं।

प्रश्न 7.
पठित पद में सहजोबाई ने गुरु पर स्वयं को न्योछावर किया है। वह पंक्ति लिखें।
उत्तर-
प्रस्तुत पद में सहजोबाई गुरु की महानता और महिमा के आगे सर्वोत्तम समर्पण किया है जो उसकी उत्कृष्ठ गुरु भक्ति की पराकाष्ट है। वह कहती है

“चरणदास पर तन मन वारूँ। गुरु न तनँ हरि  तजि डारूँ।।”

प्रश्न 8.
पठित पद के आधार पर सहजोबाई की गुरुभक्ति का मूल्यांकन करें।
उत्तर-
संत कवयित्री सहजोबाई का पाठ्यपुस्तक में संकलित पद ‘गुरु भक्ति’ का उत्कृष्ट और दुर्लभ उदारिण है। सहजो द्वारा गुरु भक्ति की उत्कट और अपूर्व अभिव्यक्ति हुई है। गुरु के प्रति परमात्मा से भी बढ़कर प्रेम-भक्ति तथा कृतज्ञता की आत्मिक अनुभूति इस पद में विशेष रूप से दृष्टिगोचर होता है।

सहजोबाई ने अपना सम्पूर्ण जीवन गुरु के चरणों में समर्पित कर दिया। ज्ञान आधारित गुरु भक्ति सहजो में अविचल संकल्प और समर्पण की स्पृहणीय शक्ति बनकर प्रकट होती है।

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वह हरि को त्याज्य समझती है परन्तु गुरु को त्यागने की वह कल्पना भी नहीं करना चाहती है

“राम तर्जे पर गुरु न बिसारूँ।
गुरु के सम हरि न निहारूँ॥

सहजोबाई ने गुरु की महिमा और ज्ञान के अस्तित्व को स्वीकारते हुए उसे उच्छल आनंदानुभूति होती है। वह गुरु को ही सांसरिक आवागमन, मर्म तथा आत्म ज्ञानसे साक्षात्कार कराने के लिए अपनी सारी सत्ता को हृदय, प्राण, बुद्धि कल्पना, संकल्प इत्यादि सारी वृत्तियों को समाहित और घनीभूत करके बड़े वेग के साथ स्वयं को गुरुभक्ति में समाहित कर दिया है। अपनी केवल व्यक्तिगत सत्ता की भावना को पूर्ण विसर्जन कर केवल गुरु को ही ध्येय स्वरूप आत्मसात करती है। गुरु के प्रति परमात्मा से भी बढ़कर प्रेम-भक्ति तथा कृतज्ञता को प्रकट करते हुए कहती है

“चरणदास पर तन मन वारूँ।
गुरु न तनूं हरिः जि डारूँ॥

कवयित्री सहजोबाई एक सच्ची गुरुभक्त के रूप में गुरू की प्रार्थना करती हैं ताकि उसे मोह-माया के बन्धन से मुक्त होकर अपने आराध्य की पूर्ण चरणगति और शरणगति प्राप्ति हो। गुरु के वरदहस्त की छाया में दिव्य ज्ञान प्राप्त कर सकल संताप को दूर करने की क्षमता सम्पन्न होती है।

सहजोबाई के पद भाषा की बात

प्रश्न 1.
पठित पदों में अनुप्रास अलंकार है। ऐस उदाहरण को छांट कर लिखें।
उत्तर-
सहजोबाई रचित पदों की निम्नांकित पंक्तियां में अनुप्रास अलंकार हैं-
“मुकुट लटक अटकी मन माहीं ‘म’ वर्ण की आवृति
नृत तन नटवर मदन मनोहर ‘न’ और ‘म’ वर्ण की आवृति
ठुमक ठुमुक पग धरत धरनि पर ‘प’ और ‘ध’ वर्ण की आवृति
झुनुक झुनक नुपुर झनकारत
तथा थेई थेई रीझा रिझाई में ‘झ’ त, थ और ‘र’ वर्ण आवृति
हरि ने जन्म दियो जग माहीं ‘ज’ वर्ण की आवृति
हरि ने कर्म भर्म भरमायौ में ‘भ’ वर्ण की आवृति।

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प्रश्न 2.
“भौंह चलाना” का क्या अर्थ है?
उत्तर-
आँखों के ऊपर की रोमावली भौंह कहलाती है। व्यक्ति जब कुछ देने से कतराना चाहता है, उसके भीतर चुहल करने की इच्छा होती है, तब भौंहों को ऊपर नीचे करता है। आनन्ददायी आश्र्चचकित करने वाली घटना से साक्षात्कार करने के समय तथ्यों गोपन में भौंह चलाया जाता है। बिहारी ने तो कृष्ण की मुरली चोरी प्रसंग में गोपियों को “भौहनि हँसौ” की स्थिति में प्रस्तुत किया

“बतरस लालच ताल की मुरली धरि लुकाय”
सौं करै भौहनि हंसे दैन कहै नटि जाय।
भौंक चलना का अर्थ सौहार्द्रपूर्ण कुटिलता का अवाक् ज्ञापन करना है।

प्रश्न 3.
चतुराई, रिझाइ जैसे शब्दों में ‘आई’ प्रत्यय लगा है। पठित पदों से अलग ‘आई’ प्रत्यय से पाँच शब्द बनाएँ।।
उत्तर-
लखाई, बिलगाई, मचिलाई, बिलखाई और मुस्काई।

प्रश्न 4.
कर्म-भर्म रोग-भोग मं कौन-सा सम्बन्ध है?
उत्तर-
कर्म-धर्म तथा रोग-भाग दोनों ही द्वन्द्व समास है।

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प्रश्न 5.
इनका शुद्ध रूप लिखें नृत, गुर, हरिपू, बेरी, मर्म, आतम
उत्तर-

  • अशुद्ध – शुद्ध
  • नृत्य – नृत
  • गुरु – गुरु
  • हरिकूं – हरि को
  • बेरी – बेड़ी
  • भ्रम – भर्म
  • आतम – आत्म, आत्मा

प्रश्न 6.
पठित पदों से क्रिया पद चुनएि।
उत्तर-
सहजोबाई रचित पदां में निम्नलिखत क्रियापद आये हैं
अटकी, बिथुराई, हलत, मटक, चलाई, धरत, करत, झनकारत रहौ, बिसारू, तनँ बिसारू, निहारूँ दियो छुटाहीं, दिये, छटाय, गेरी, काटी, उरझायी, भरमायौ, लखायौ, छिपायो, लाये, मिटायै, वारूँ और डारूँ।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

सहजोबाई के पद लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सहजोबाई द्वारा वर्णित सगुण रूप या कृष्ण के रूप पर प्रकाश डालें
उत्तर-
सहजोबाई ने ‘नटवर’ शब्द का प्रयोग किया है जिससे स्पष्ट होता है कि सगुण ईश्वर से उनका तात्पर्य कृष्ण से है। द्वितीय, ठुमक ठुमुक चलने और पैरों में झुमुक झुमुक कर नृपुर बजने से स्पष्ट है कि कृष्ण के बाल रूप का वर्णन है। कवयित्री ने सुन्दर मुकुट, नृत्यशील शरीर, कान के कुंडल तथा बिखर केश का वर्णन किया है। क्रिया सौन्दर्य के अन्तर्गत ठुमुक ठुमुक चलने नूपूर झनकारने, होठ फड़काने, भौहे चलाने, नाचने और भुजाएँ उठाकर भाव-मुद्रा प्रदर्शित करने का वर्णन है।

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प्रश्न 2.
सहजोबाई की गुरु-भक्ति भावना का वर्णन संक्षेप में करें।
उत्तर-
सहजोबाई की गुरु-भक्ति अनन्य है। वह गुरु को सदैव हृदय में बसाये रखना चाहती हैं। उसके गुरु संत चरणदास जी आत्मज्ञानी है, उनके पास ज्ञान का दीपक है। ईश्वर ने मानव-तन देकर अपनी प्राप्ति में जितनी बाधाएँ खड़ी की हैं उन सबका निदान गुरु ने किया है, इसलिए सहजोबाई अपने गुरु को गोविन्द से श्रेष्ठ मानती है। उसका दृढ़ विश्वास है कि गुरु की कृपा से ईश्वर मिल सकता है मगर ईश्वर की कृपा से गुरु नहीं। अत: वह अपने गुरु के प्रति समर्पण पूर्ण भक्ति-भावना व्यक्त करती है।

सहजोबाई के पद अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सहजोबाई गुरु को हरि से श्रेष्ठ क्यों मानती हैं?
उत्तर-
उनकी दृष्टि से ईश्वर ने अपने को छिपाने के लिए प्रपंचों का सृजन किया है जबकि गुरु उन प्रपंचों को ज्ञान के प्रकाश से काटकर भक्त को ईश्वर से मिला देता है, अत: गुरु ईश्वर से श्रेष्ठ है।

प्रश्न 2.
ईश्वर ने जीव को अपने से अलग रखने और छिपाने के लिए क्या-क्या किया है?
उत्तर-
ईश्वर ने पंचेन्द्रिय रूपी पाँच चोर साथ लगा दिया है रोग और भोग में उलझाया है, कुटुम्ब्यिों के रूप में ममता का जाल देकर उलझाया है तथा कर्म-फल का भ्रम पैदा किया है।

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प्रश्न 3.
गुरु ने क्या किया है?
उत्तर-
गुरु ने जन्म-मरण के आवागमन से मुक्ति दिलाई है। ममता का बन्धन काटा है। योग और आत्मज्ञान दिया है तथा ज्ञान-रूपी दीपक के प्रकाश में ईश्वर के दर्शन कराये हैं।

प्रश्न 4.
पाँच चोर से कवयित्री का क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
पाँच चोर से तात्पर्य पंच ज्ञानेन्द्रियों-आँख, कान, नाक, मुँह और मन से है जो व्यक्ति को संसार के प्रति आसक्त बनाते हैं। इन इन्द्रियों के कारण मनुष्य संसार के प्रति लगाव रखता है।

प्रश्न 5.
सहजोबाई किस प्रकार की कवयित्री है?
उत्तर-
सहजोबाई निर्गुण और सन्त विचार की दोनों विचारधारा की कवयित्री है।

प्रश्न 6.
सहजोबाई के प्रथम पद में किसकी व्यंजना की गयी है?
उत्तर-
सहजोबाई ने अपने प्रथम पद में कृष्ण की सगुण लीलानुभूति की व्यंजना की है।

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प्रश्न 7.
सहजोबाई ने द्वितीय पद में किस पर प्रकाश डाला है?
उत्तर-
सहजोबाई ने अपने द्वितीय पद में गुरु की महत्ता और उसके व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला है।

सहजोबाई के पद वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

I. सही उत्तर का सांकेतिक चिह्न (क, ख, ग, या घ) लिखें।

प्रश्न 1.
सहजोबाई का जन्म कहाँ हुआ था?
(क) मध्यप्रदेश
(ख) राजस्थान
(ग) पंजाब
(घ) हरियाणा
उत्तर-
(ख)

प्रश्न 2.
सहजोबाई के गुरु कौन थे।
(क) चरनदास
(ख) हरिप्रसाद भार्गव
(ग) तुकाराम
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क)

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प्रश्न 3.
सहजोबाई ने अपना सम्पूर्ण जीवन किसको समर्मित किया है?
(क) गुरु चरणदास को
(ख) ईश्वर को
(ग) गुरु और उनके माध्यम से ईश्वर को
(घ) किसी को नहीं
उत्तर-
(ग)

प्रश्न 4.
सहजोबाई किसको नहीं छोड़ सकती है।
(क) भगवान को
(ख) गुरु चरनदास को
(ग) अपने पिता को
(घ) अपनी माता को।
उत्तर-
(ख)

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II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।

प्रश्न:
1. सहजोबाई निर्गुण …………….. भक्ति के अन्तर्गत आती है।
2. राम तर्जे पै …………. न बिसारूँ।
3. गुरु ने काटा …………….. बेरी।
4. मुकुट लटक ……………. मन माहीं।
उत्तर-
1. ज्ञानाश्रयी
2. गुरु
3. माया
4. अटकी।

सहजोबाई पद कवि परिचय – (1725)

कवि परिचय-साहित्य में कोई भी प्रवृत्ति किसी भी काल में किसी न किसी अंश में जीवित रहती है। जैसे रीति काल के घोर विकास-वैभवपूर्ण वातावरण में भी भूषण वीरस के पुनः प्रस्तोता कवि हुए उसी तरह सहजोबाई भी निर्गुण संतमत की अलग जगाती दीखती हैं।

“हरिप्रसाद की सुता नाम है सहजोबाई।
दूसर कुल में सदा गुरु चरन सहाई।”

की एक मात्र स्वीकारोक्ति के अनसार इनके पिता का नाम हरिप्रसाद भार्गव था। प्रसिद्ध संत कवि चरणदास की ये शिष्या बन आजीवन ब्रह्मचारिणी बन इन्हीं की सेवा में रहीं।

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इनके चिन्तन में कुछ चीजें ऐसी हैं जो अन्य संत कवियों से इन्हें अलग करती हैं। निर्गुण ज्ञानाश्रयी भक्तिधारा की होकर भी कृष्ण के प्रति जो इनका रागानुरक्ति है वह इन्हें मीरा की तरह प्रस्तुत करती है और गुरु के प्रति जो इनका उद्गार है वह इन्हें कबीर की कोटि में पहुंचा देता प्रस्तुत करती है और ना होकर भी कृष्ण के प्रति जात कवियों से इन्हें अलग सहजों के व्यक्तित्व और काव्य में अटूट गुरुभक्ति सहज ध्यानाकृष्ट करती है। वे ईश्वर से कहीं अधिक महत्त्व अपने गुरु को देती हुई कहती हैं-

राम तजूं पै गुरु न बिसारूं। गुरु के सम हर कूँ न निहारूँ।।
चरणदास पर तन मन वारूं। गुरु न तजूं हरिः तजि डारूँ।।

सहजोबाई ने अपना सम्पूर्ण जीवन गुरुचरण दास और उनसे प्राप्त ईश्वरी अनुराग को समर्पित कर दिया। जैसा कि आचार्य शुक्ल का कथन है- ब्रह्म के स्वरूप में भावुक भक्त ध्यान या भाव-मग्नता के समय अपनी सारी सत्ता को हृदय प्राण, बुद्धि, कल्पना, संकल्प इत्यादि सारी वुत्तियों को समाहित और घनीभूत करके बड़े वेग के साथ लीन कर देता है। भावुक भक्त की एकांत अनुभूति प्रत्यक्ष दर्शन के ही तुल्य होती है। सहजोबाई ने कृष्ण के स्वरूप को निर्गुण ज्ञानमार्गी का चोल उतार कर जिस सहज और प्रकृत रूप में प्रस्तुत किया है, उसे विस्मृत करना कठिन है

“मुकुट लटक अटकी मन माहीं।
नृत तन नटवर मदन मनोहर कुडल झलक अलक बिथुराई।”

सहजोबाई की रचनाओं में इनकी प्रगाढ़ गृरुभक्ति, संसार की ओर से पूर्ण विरक्ति तथा साधु, मानव-जीवन, प्रेम, निर्गुण सगुण भेद, नाम स्मरण जैसे परंपरित विषय ही हैं। विषय पुराने हैं उद्भावनाएं ये बहुत मार्मिक नहीं हैं कहीं-कहीं, भाव विह्वलता के निदर्शन अवश्य हो जाते हैं

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“बबा काया नगर बसावौ।
ज्ञान दृष्टि से सैं घट में देखौं, सूरति निरति लौ लौवौ।
पाँच मारि मन बस करि अपने तीनों ताप नसावौ।
सत संतोष गहौ दृढ़ सेती दुर्जन मारि भजावौ।
सील, छिमा धीरज धारौ, अनहद बंब बजावौ।
पाप बनिया रहन न दीजै, धरम बजार लगावौ।।
सुबस बास होवै तब नगरी, बैरी रहै न कोई।
चम्न दास गह अमल बतायो, सहजो संभान्न सोई।।

सहजोबाई ने अपनी रचनाओं में सांसारिकता से विराग, नामजप तथा निर्गुण-सगुण ब्रह्म अभेद भाव की अभिव्यंजना की है। सहजोबाई में जो भक्ति है वह ज्ञान आधारित है लेकिन उसका प्रकटीकरण अविचल संकल्प और समर्पण की स्पृहणीय शक्ति के रूप में हुआ है।

मीरा के बाद सहजोबाई ही हमारे सामने आती हैं जो नारी होकर भी अपने अस्तित्व और सतीत्व दोनों बिन्दुओं पर मुखर हैं। उस जमाने में कुँवारी और ब्रह्मचारिणी बनकर गुरु की सेवा में समर्पित हो जाना एक कठोर कार्य था!

इन्होंने दोहे, चौपाई और कुंडलियाँ छंद में अपनी रचनाएँ की हैं। इनकी एकमात्र उपलब्ध रचना “सहज प्रकाश” है।

पदों का भावार्थ।

सहजोबाई के प्रथम पद

रीतिकाल के घोर शृंगारिक वातावरण में निर्गुण ज्ञानमार्गी भक्ति की अलख जगानेवाली सहजोबाई, कृष्ण के स्वरूप पर इस तरह से मुग्ध हुई कि निर्गुण का पद-पाठ भूल कर कृष्ण सौन्दर्य का वर्णन कर बैठी। इनके अनुसार शिशु कृष्ण के माथे पर जो मुकुट है उसमें झालर हैं, फुदने के उनके हिलने-डुलने से गजब का सौन्दर्य वर्द्धन होता है। सहजो का मन चित्त उसी लटकन में अटक कर रह गया है। छोटे कृष्ण अपने छोटे पैरों के बल नाचने में व्यस्त हैं और इस क्रम में उनके कानों के कुण्डल श्यामल धुंघराले बालों को तितर-बितर करते हुए बार-बार झलक मारते हैं और श्रीकृष्ण के सौन्दर्य को और वर्धित करते हैं।

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उनकी नाक में मुक्ता जड़ित बुलाक है जो होठों के हिलने पर हिलता है। कृष्ण की भौंहे भी कमान सी हैं जिनके गतिशील होने से इनका स्वरूप और प्रभविष्णु हो उठता है। धरती पर तो थाह-थाह कर ठुमक-ठुमक कर चलते हैं किन्तु अपनी बांहें उठाकर पलक झपकते कोई-न-कोई बाल सुलभ चपलता कर बैठते हैं। इनकी चतुराई भी बड़ी मोहक है। जब इन्हें ताता-थैया की लय पर नाचने के लिए कहा जाता है तो इनके पैरों में बंधी पायल के नुपूर झंकृत हो उठते हैं। पहले ये दुलार, मनुहार पर रीझते हैं और फिर आनन्द में डूबकर हम सबको रिझाते हैं।

सहजोबाई अपने गुरु चरणदास की कृपा से यह लीला देखने में सफल हुई है। कृष्ण का यह स्वरूप हृदय को भवन बनाकर सदा सर्वदा के लिए बसाने योग्य है। वह कृष्ण से प्रार्थना करती है कि इसी विश्व मोहन स्वरूप में वे उसके हृदयरूपी भवन में सदा के लिए बस जाएँ।

प्रस्तुत घद में वात्सल्य रस का वर्णन हुआ है। अनुप्रास, वीप्सा, उपमा आदि अलंकारों का सुन्दर विनियोग प्राप्त होता है।

इस पद के वर्णन से सहजोबाई के भीतर सगुण-निर्गुण भक्ति का जो अन्तर्विरोध है उसका एक तरह से निरसन हुआ है। यह उनकी निर्गुण भक्ति की उच्छल आनन्दानुभूति का ही प्रकट रूप है।

सहजोबाई के द्वितीय पद

ज्ञानी, संत, निर्गुणपंथी सहजोबाई अपने गुरु (श्रीचरणदास) और परमब्रह्म राम के बीच प्राथमिकता के प्रश्न पर गुरु के साथ हैं। उनके मत से ब्रह्म राम की उपलब्धि हो जाने के बाद भी गुरु का महत्त्व अक्षुण्ण है। यदि कोई अब उनसे गुरु को छोड़ने, विस्मृत करने को कहेगा तो मै उपलब्ध राम (ब्रह्म) को ही तजना, त्यागना श्रेयष्कर समझूगी। गुरु यदि मेरे सामने हैं तो उनके रहते मैं राम को देखन भी नहीं चाहूँगी।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 4 सहजोबाई के पद

यह सही है कि हरि की कृपा से मेरा संसार में जन्म हुआ है। लेकिन ईश्वर तो चौरासी। लाख योनियों में असंख्या जीवों को प्रतिदिन जन्म देते हैं और मृत्यु के द्वारा उसे अपने पास बुला लेते हैं। लेकिन यह कृपा गुरु की ही है जिससे आवागमन से, जेन्म-मरण के चक्र से मुझे (जीव को) मुक्ति मिल गयी है। ईश्वर ने न सिर्फ हमें पैदा किया बल्कि चलते समय पाँचा चोर भी मेरे साथ लगा दिये। ये हैं-काम, क्रोध, मोह, मद और मत्सर।

जो कुछ भी कमायी होती, पुण्यार्जन होता, ये चोर चुरा लेते थे। मै इनके रहते अनाथ थी। गुरु ने इन चोरों (दुर्गुणों) से मुक्त कराया। हरि ने पैदा होने के लिए एक परिवार रूपी कारा में भेज दिया। जहाँ माया-ममता की बहुस्तरीय बेड़ियों ने मुझे जकड़ लिया। गुरु ने इन बेड़ियों को काटकर मुझे मुक्त किया। यही नहीं, ईश्वर ने जन्म देकर रोग और भोग में, सुख और दुःख में उलझा दिया। सांसारिक आकर्षण भोग के लिए प्रवृत्त करते और भोगोपरान्त अनेक रोग झेलने पड़ते थे। योगी गुरु ने योग के द्वारा रोग और भोग दोनों से मुक्त कराया। ईश्वर ने अनेक तरह के कर्म के मकड़जाल में उलझा दिया।

मै वास्तव में क्या हूँ, इसका स्मरण ही भूल गया। गुरु ने मुझे आत्म रूप का दर्शन कराया। ईश्वर ने मेरे साथ धोखा किया। मेरा निजत्व उसने मुझसे ही छिपा लिया, जिसे गुरु ने अपने ज्ञान के दीपक की लौ में मुझे दिख दिया। ईश्वर ने मुझे फिर भरमाने की चेष्टा की कि बंधन में ही, पारिवारिक दायित्वों के निर्वहन में ही जीव की मुक्ति है। किन्तु मेरे गुरु ने ईश्वर के इस तिलस्म को भी मिटा डाला। अत: जिन गुरु चरणदास ने मेरा कायाकल्प किया उन पर मै स्वयं को तन-मन से न्योछावर करती हूँ। गुरु को किसी भी परिस्स्थिति में नहीं तज सकती भले ही हरि को तजना पड़ जाए तो उसे छोड़ने के लिए मै सर्वदा तैयार हूँ। मेरी गति राम में ही, गुरु में लीन होने में ही है।

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प्रस्तुत पद में सहजोबाई ने परमपिता जगत् नियामक के अवगुणों का वर्णन किया है। ऐसा दुः साहस आज तक शायद ही किसी कवि ने किया हो। ईश्वर ने जन्म देकर भटकने के लिए बाध्य कर दिया, अपने इंगित पर नाचने के लिए बाध्य कर दिया किन्तु गुरु ने ईश्वर के विधान को ही मेरे लिए उलट-पुलट कर रख दिया।

स्वाभाविक रूप से अनुप्रास अलंकार यत्र-तत्र उपलब्ध है। शांत रस का यह पद अपूर्व प्रभाव क्षमता से सम्पन्न है।

सहजोबाई के पद कठिन शब्दों का अर्थ

नृत-नृत्य। भवनकारी-हृदय की भवन बनाकर रहने वाले। नटवर-लीलाधारी कृष्ण। सदाई-सदा ही, सर्वदा, हमेशा। अलक-केश, लट। बिसाऊँ-भूलूँ। बिथुराई-बिखरा हुआ। माही-में। बुलाक-नाक का आभूषण जाल में डोरी-जाल में डालना। हलत-हिलना। बेरी-बेड़ी, जंजीर। मुक्ताहल-मोती। लखादौ-दिखाया। नूपूर-धुंघरू। आप छिपायौ-आत्मरूप। छिया-दिया। रीझ-मोहित। तजि डारूँ-छोड़ दूं। धनरि (धरणी)-धरती। मोरूँ-मुझसे। हिय-हृदय।

सहजोबाई के पद काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. मुकुट लटक अटकी …………..बिथुराई।
व्याख्या-
सहजोबाई ने प्रस्तुत पंक्तियों में सगुण रूप ईश्वर श्री कृष्ण के सौंदर्य का वर्णन किया है। उनके अनुसार कृष्ण के माथे का शोभाशाली मुकुट और उसमें लगे लटकन मेरे मन में अटक गये हैं। अर्थात् मेरा मन कृष्ण के सौंदर्य पर रीझ गया है। उनका शरीर नृत्य कर रहा है। चंचल स्वभाव के कारण हर समय गतिशील लगता है जो अपनी लयात्मकता के कारण नृत्य करता हुआ प्रतीत होता है। ऐसे नटवर श्री कृष्ण का मर्दन अर्थात् कामदेव के समान मनोहर रूप मन को मुग्ध कर लेता है। उनके कानों में पड़ा कुंडल डोलने पर कौधता है और छितरायी, हुई केश-राशि की शोभा मन को मुग्ध कर देती है।

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2. नाक बुलाक हलत ………… करत चतुराई।।
व्याख्या-
सहजोबाई ने प्रस्तुत पंक्तियों में नटवर श्री कृष्ण की आंगिक शोभा का वर्णन किया है। इसमें नाक में धारण किये गये बुलाक का वर्णन है जिसमें मुक्ताहल अर्थात् मोती जड़े हुए हैं। उनके मनोरम ओठ विशिष्ट सुन्दर ढंग से मटकते हैं और भौंहो की भौगमा सौन्दर्य की छवि बिखेरती है। वे ठुमुक-ठुमक कर धरती पर पैर रखते है अर्थात् चलते हैं और हाथों को उठा-उठाकर विभिन्न मुद्राओं के द्वारा भाव-चातुर्य व्यक्त करते हैं। अर्थात् उनके हस्त-परिचालन के माध्यम से विविध भावों की भी अभिव्यक्ति होती है वह कोरा हस्तपरिचालन नहीं होता है। यहाँ कवयित्री ने कृष्ण के आभूषण तथा उनके औठ, भौंह, पग, हाथ आदि की गति मुद्रा का सजीव चित्र खींचा है।

3. झुनुक झुनुक नूपूर झनकारत ……………. रहौ सदाई।
व्याख्या-
श्री कृष्ण चलते हैं तो पैरों के नूपुर बजते हैं। इससे उनके बाल-मन को आनन्द आता है, अतः वे जान-बूझकर नूपूर को झनकारते चलते हैं। इससे वातावरण में लयबद्ध झनकार उत्पन्न होती है। यह सुनने वालों का मन मोह लेता है। इतना ही नहीं कृष्ण ताता थेई की मुद्रा में नाचते भी हैं और उनका नृत्य मन को मोह लेता है। इतना ही नहीं कृष्ण ताता थेई की मुद्रा में नाचते भी है और उनका नृत्य मन को मोह लेता है। सहजोबाई कहती हैं कि मै तुम्हारे चरणों की दासी हूँ, तुम मेरे हृदय में निवास करो और सदा मुझ पर कृपा रखो। इन पंक्तियों में ‘चरणदास’ शब्द का दो अर्थो में प्रयोग हुआ है। प्रथम चरणों का दास और द्वितीय सहजोबाई के गुरु चरणदास। अतः यहाँ श्लेष अलंकार है।

4. राम तनँ पै गुरु न बिसारूँ ……………… आवागमन छुटाहीं।
व्याख्या-
सहजोबाई ने प्रस्तुत पंक्तियों में अपनी यह प्रतिज्ञा व्यक्त की है कि वह राम को छोड़ सकती हैं मगर गुरु को नहीं। इसका कारण बतलाती हुई कहती है कि हरि ने जन्म देकर संसार में भेज दिया। मै यहाँ जीवन-धारण करने की सारी व्यथा, सारा प्रपंच और सारा विकार झेल रही हूँ। मगर गुरु ने ज्ञान देकर इस आवागमन अर्थात् जन्म लेने और मरने के क्रम से छुटकारा दिला दिया है। इसीलिए मैं गुरु के समान हरि को नहीं मानती हूँ। अर्थात् गुरु हरि से श्रेष्ठ हैं। हाँ ‘राम’ शब्द का प्रयोग ईश्वर के लिए हुआ है दशरथसुत के अर्थ में नहीं।

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5. हरि ने पाँच चोर दिये साथा …………….. काटी ममता बेरी।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियों में सहजोबाई कहती है कि हरि ने हमारे साथ कोई उपकारा नहीं किया है। उलटे कई समस्याएँ साथ लगा दी हैं। इन पंक्तियों के अनुसार गुरु ने पाँच चोरो से मुक्ति दिलाने का कार्य किया है। अर्थात् उनके उपेदश में इन्द्रियों के प्रति आसक्ति घटाने में सहायता मिली है। इसी तरह हरि ने ‘सूत-वि:-नारी भवन परिवारा’ के कुटुम्ब-जाल में फंसा दिया है, उलझा दिया है ताकि ईश्वर की ओर उन्मुख होने का अवसर ही न मिले। यहाँ गुरु ने ममता की डोर काटकर इस कुटुम्ब जाल से मुक्त होने में मदद की है। अत: ईश्वर सांसारिकता और आसवित में फैलाकर अपने से दूर करता है जबकि गुरु मोहपाश काटकर ईश्वर के समीप पहुँचाता है। अतः गुरु ईश्वर से श्रेष्ठ है।

6. ‘हरि ने रोग भोग उरझायौ ……………. आंतम रूप लखायौ।’
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियों में सहजोबाई हरि और गुरु का अन्तर स्पष्ट करती हुई कहती है कि हरि ने जीवन तो दिया लेकिन रोग और भोग में उलझा दिया। इससे जीवन कठिन और जटिल हो गया। इसके विपरीत गुरु ने योग की शिक्षा देकर मुक्ति दिलाई। योग के विषय में कहा गया है कि कर्म-कौशल और चित्तवृत्ति के निरोध के उपाय नाम योग है। इन दोनों अर्थात् कौशल और चित्त निरोध से जीवन संयमशील बनता है और तब स्वभावतः रोगमुक्त हो जाता है। इसी तरह हरि ने कर्म मार्ग पर डालकर कर्मफल की अनिवार्यता बतलाई जिससे कर्म का दुनिया में भटक गया। गुरु ने आत्मरूप का ज्ञान देकर बताया है कि अपने भीतर देखने पर आत्मज्ञान पाने से ही कर्म फल और कर्म-बन्धन से मुक्ति मिलती है। इस गुरु योग और आत्मज्ञान देता है जबकि ईश्वर कर्म भोग और रोग। अत: गुरु ही श्रेष्ठ हैं।

7. हरि ने मोसं आप छिपायौ …………….. हरि . तजि डारूँ।
व्याख्या-
चौपाई छन्द में रचित प्रस्तुत पंक्तियों में सहजोबाई कहती हैं कि पंच ज्ञानेन्द्रिया, भोग, रोग, कर्म परिवार, धन आदि सांसारिक आकर्षण के अनेक प्रपंचो के द्वारा ईश्वर ने एक परदा जैसा हमारे और अपने बीच डाल दिया और अपने को छिपया, ताकि हम उसे प्राप्त नहीं कर सकें। सहजो की दृष्टि में उपयुक्त तत्त्व अंधकार के परदे की तरह थे जिसके कारण हम ईश्वर को देखने में असमर्थ रहे। तब गुरु ने ज्ञान का दीपक जलाकर इस अन्धकार को दुर कर दिया और ईश्वर के दर्शन करा दिया फिर हरि से जोड़कर हमारे लिए मुक्ति रूपी गति ले आये।

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इस प्रकार गुरु ने ईश्वर द्वारा फैलाए सारे प्रपचों को मिटा दिया जिससे हमारा अज्ञानजनित भ्रम दूर हो गया। मै अपने गुरु. चरणदास पर तन-मन न्योछावर करती हूँ। मै ऐसा ज्ञान देने वाले गुरु को नहीं तनँगी, अकर ईश्वर और गुरु में से किसी एक को छोड़ना होगा तो ईश्वर को ही छोडूंगी। सहजोबाई के इस कथन का अभिप्राय यह है कि गुरु की कृपा से ईश्वर मिल जाता है लेकिन ईश्वर की कृपा से गुरु नहीं। यदि ईश्वर को छोड़ भी दूंगी तो उनकी कृपा से पुनः प्राप्त कर लूँगी, कवयित्री ने चरण की दासी और गुरु चरणदास-इन दो अर्थो में ‘चरणदास’ शब्द का प्रयोग किया है अतः इसमें श्लेष अलंकार है।

Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 3 मीराबाई के पद

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Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 3 मीराबाई के पद

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 3 मीराबाई के पद

मीराबाई के पद पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
मीरा अपने सच्चे प्रीतम के साथ किस तरह रहने को तैयार हैं?
उत्तर-
मीरा अपने सच्चे प्रीतम के साथ हर परिस्थिति में रहने के लिए तैयार हैं। उसके प्रीतम कृष्ण उसे जो पहनने के लिए देंगे वही पहनने के लिए तैयार है। जो खाने के लिए उसके प्रीतम के द्वारा दिया जाएगा उसी से मीरा अपनी क्षुधा की तृप्ति करेगी, जो स्थान रहने के लिए कृष्ण देंगे वह वहीं निवास करेगी और यदि वे बेच भी दें तब भी वह कृष्ण प्रदत्त नयी स्थिति में रह लेगी।

प्रश्न 2.
“मेरी उण की प्रीत पुराणी, उण बिन पल न रहाऊँ।”-का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्रस्तुत पद सगुण भक्ति धारा की कृष्णोपासक कवयित्री मीराबाई द्वारा रचित है। कृष्ण के प्रति मीरा का एकनिष्ठ अटूट सर्मपण उत्तरोत्तर अतीव वेग से उमड़ते भावों से परिपूर्ण है। मधुर भाव की उत्कट प्रेमानुभूति से वशीभूत मीरा श्रीकृष्ण मीरा श्रीकृष्ण के प्रति सर्वात्म समर्पण करती है। वह श्रीकृष्ण पर लुट चुकी, मिट चुकी है। श्रीकृष्ण के रंग में रंग में रंगी मीरा उनसे पुरानी प्रीति को स्वीकार करते हुए एक पल भी अकेले नहीं रहना चाहती है। मीरा का अपने प्रियतम श्रीकृष्ण के प्रति सर्वात्म समर्पित प्रेम व्यजित है। मीरा के प्रेम में उमड़ते हुए ऐसे प्रेम-वेग सहज ही दृष्टिगोचर होता है।

प्रश्न 3.
कृष्ण के प्रति तोड़ने पर भी मीरा प्रीत तोड़ने को तैयार नहीं है। क्यों?
उत्तर-
मीराबाई रूढ़ियों से ग्रसित मध्यकालीन समाज की सामाजिक बंधनों को तोड़कर नटवर नागर (श्रीकृष्ण) की प्रेम दीवानी बनकर उन्हें सच्चा प्रियतम के रूप में अपनाया है। वह तो श्रीकृष्ण के जादुई पाश में इस तरह बँधी है कि उसका अपना अस्तित्व ही उनमें विलीन हो गया है। विधवा मीरा तत्कालीन सामाजिक नियमों के अनुसार सती न होकर श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति की उन्मत घोषणा करती है। उन्होंने श्रीकृष्ण को ही अपना वास्तविक पति और प्रियतम स्वीकार करती है।

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पति को वह कैसे छोड़ सकती है जिसके प्रेम में वह अस्तित्वविहीन हो गई है। कृष्ण के द्वारा प्रीत तोड़ देने पर भी वह उनसे प्रीत जोड़ने को मजबूर है। वह श्रीकृष्ण के संग तरुवर और पक्षी, सरवर और मछली, गिरिवर और चारा, चंदा और चकोरा, मोती और धागा तथा सोना और सुहागा के समान रहना चाहती है। वस्तुतः मीरा का किसी भी परिस्थिति में प्रीत नहीं तोड़ने की जादुई पाश में बंध चुकी है।

प्रश्न 4.
मीरा ने कृष्ण के लिए कौन-कौन-सी उपमाएँ दी हैं? वे कृष्ण की तुलना में स्वयं को किस रूप में प्रस्तुत करती हैं?
उत्तर-
मीरा ने कृष्ण के लिए निम्नलिखित उपमानों का प्रयोग किया है-तरुवर (पेड़), सरवर (सरोवर), गिरिवर (हिमालय पर्वत), चन्दा (चन्द्रमा), मोती और सोना।

मीरा ने कृष्ण की तुलना में स्वयं को क्रमशः पंखिया (पारवी, पक्षी), मछिया (मछली), चारा (घास), चकोरा (चकोर, चक्रवाक पक्षी), धागा और सोहागा के रूप में प्रस्तुत किया है।

प्रश्न 5.
“तुम मेरे ठाकुर मैं तेरी दासी” में ठाकुर का क्या अर्थ है?
उत्तर-
उपर्युक्त पक्ति में आगत ठाकुर शब्द का अर्थ स्वामी, मालिक, सर्वस्व, सर्वेश, भर्तार आदि है।

प्रश्न 6.
पठित पद के आधार पर मीरा की भक्ति-भावना का परिचय अपने शब्दों में
उत्तर-
कृष्ण भक्त कवियों में मीराबाई का नाम स्वर्णाक्षरों में भक्ति-शिखर पर अकित है। मीरा की भक्ति माधुर्य भाव की कृष्ण भक्ति है। इस भक्ति में विनय भावना, समर्पण भावना, वैष्णवी प्रीत, अवधा भक्ति के सभी रंग शामिल हैं। कृष्ण प्रेम में अस्तित्व-विहीन मीरा तरुवर पर पक्षी, सरोवर में मछली, गिरिवर पर चारा, चंदा के साथ चकोर, मोती के साथ धागा और सोना के लिए सोहागा के रूप में रहना चाहती है। तमाम तरह की लोक-मर्यादा को छोड़कर श्रीकृष्ण को पति मानकर कहती है-“तुम मेरे ठाकुर मैं तेरी दासी”

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मीरा ने आँसुओं के जल से जो प्रेम-बेल बोई थी, अब वह फैल गई है और उसमें आनन्द-फल लग गए हैं। वह सौन्दर्य और प्रेम के जादुई पाश में पूर्णतः बंध चुकी है। वह हर . पल अब श्रीकृष्ण को येन-केन प्रकारेण रिझाना चाहती है। वह कहती है

रेणु दिन वा के संग खेलूँ
ज्यूँ-त्यूँ ताही रिझाऊँ।

मीरा के पदों की कड़ियाँ समर्पण भाव से ओत-प्रोत है। इस समर्पण में प्रेमोन्माद के रूप में वह प्रकट होती है। उनका उन्माद और तल्लीनता, आत्मसमर्पण की स्थिति में पहुँच गया है

‘मीरा के प्रभु गिरधर नागर
बार-बार बलि जाऊँ।’.

मीरा की भक्ति में उद्दामता है, पर अंधता नहीं। उनकी भक्ति के पद आंतरिक गूढ़ भावों के स्पष्ट चित्र हैं। मीरा के पदों में श्रृंगार रस के संयोग और वियोग दोनों पक्ष पाए जाते हैं, पर उनमें विप्रलंभ शृंगार की प्रधानता है। उन्होंने ‘शांत रस’ के पद भी रचे हैं।

मीरा की भक्ति के सरस-सागर की कोई थाह नहीं है, जहाँ जब चाहो, गोते लगाओ। इसमें रहस्य साधना भी समाई हुई है। संतों के सहज योग को मीरा ने अपनी भक्ति का सहयोगी बना लिया था।

प्रश्न 7.
“गिरिधर म्हारो साँचो प्रीतम” यहाँ साँचो विशेषण का प्रयोग मीरा ने क्यों किया है?
उत्तर-
कृष्ण भक्त कवयित्री मीराबाई उनकी उपासना प्रियतम (पति) के रूप में करती है। यह रूप अत्यन्त मनोहारी है। उन्होंने श्रीकृष्ण को ही अपना वास्तविक पति और सच्चा प्रियतम बताया-‘गिरिधर म्हारो साँचो प्रीतम’। युवावस्था में विधवा मीरा ने वैधव्यता को, जो उनकी नजर में सांसारिक और झूठा था, को धता बताकर स्वयं को अजर-अमर स्वामी श्रीकृष्ण के चरणों में समर्पित कर दिया। अर्थात् ‘साँचो’ विशेषण मीरा की कृष्ण के प्रति एकनिष्ठ अटूट समर्पण की पराकाष्ठा है।

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प्रश्न 8.
मीरा की भक्ति लौकिक प्रेम का ही विकसित रूप प्रतीत होती है। कैसे? यह दोनों पदों के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्रेम के दो स्वरूप हैं-
(i) जगतिक या सांसारिक प्रेम और (2) ईश्वरीय या आध्यात्मिक प्रेम। किसी शायर ने कहा है-“हकीकी इश्क से पहले मिजाजी इश्क होता है।” अर्थात् ईश्वर से प्रेम करने या होने के पूर्व सांसारिक प्रेम होता है। जो अपने रक्त सम्बन्धियों से, अपने परिवेश से प्रेम नहीं कर पाएगा वह ईश्वर से क्या खाक प्रेम करेगा।

मीरा कृष्ण को ‘पिया’ संबोधन देती है। पिया अर्थात् पति। भारतीय समाज में पति-पत्नी ‘के सम्बन्ध को अत्यन्त आदरणीय, सम्मानित स्थान प्राप्त है। विशेषकर हिन्दू समाज में जहाँ हर विषम परिस्थिति में यह दाम्पत्य बंधन अटूट बना रहता है। पति-पत्नी एक-दूसरे के व्यक्तित्व के परिपूरक होते हैं। एक-दूसरे पर आश्रित होते हैं। मीरा का कृष्ण के प्रति प्रेम निवेदन एक पत्नी के प्रणय निवेदन की तरह ही है। अन्तर सिर्फ इतना भर है कि कृष्ण यहाँ अलौकिक, परमपुरुष ब्रह्म स्वरूप हैं। जैसे एक पतिव्रता हर परिस्थिति में, सुख-दुख में पति के प्रति एकनिष्ठ बनी रहती हैं संतुष्ट होती हैं। मीरा भी कृष्ण के प्रति ऐसी ही भावना व्यक्त करती हैं। अत: यह – कहना ठीक ही है कि मीरा की भक्ति लौकिक प्रेम का विकसित रूप है।

मीराबाई के पद भाषा की बात।

प्रश्न 1.
मैं, म्हारो, उण आदि सर्वनाम हैं। दिये गये पदों से सर्वनामों को चुनकर लिखें।
उत्तर-
मीराबाई राजस्थान की थी। उनकी रचनाओं में राजस्थानी बोली के शब्द आये हैं। सर्वनाम भी राजस्थानी बोली के ही प्रयोग में लाये गये हैं।

  • म्हारो – मेरा
  • उण – वह, उसका, उसके
  • तोसों – तुमसे तितही – वहीं
  • वा – उसके
  • ताही – उसको
  • सोई – वहीं।

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प्रश्न 2.
प्रथम पद में मीरा ने कृष्ण और अपने लिए कुछ उपमान या अप्रस्तुत दिये हैं। उन्हें अलग-अलग लिखें।
उत्तर-
कृष्ण के लिए प्रयुक्त उपमान मीरा के लिए प्रयुक्त उपमान

  • तरुवर – पंखिया
  • सरवर – मछिया
  • गिरिवर – चारा
  • चंदा – चकोरा
  • सोना – सोहागा
  • ठाकर – दासी

प्रश्न 3.
मीरा के इन पदों में भक्ति रस है। भक्ति रस का स्थायी भाव ईश्वर विषयक रति है। अन्य रसों की सूची उनके स्थायी भावों के साथ बनाएँ।
उत्तर-
रसो वै सः अर्थात् रस ब्रह्म ही है। रसो की संख्या भिन्न आचार्यों ने आत नौ और ग्यारह निर्धारित की है। स्थायी भावों से साथ इन रसों की सूची निम्नवत है–

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखें रात, दिन, प्रभु, तरु, तालाब, चन्द्रमा, सोना।
उत्तर-

  • रात – निशा, रजनी, रात्रि।
  • दिन – दिवा, दिवस।
  • प्रभु – स्वामी, ठाकुर
  • तरु – वृक्ष, पेड़, तड़ाग
  • तालाब – सर, सरोवर, तडाग।
  • चन्द्रमा – चन्द्र निशापति, रजनीपति, निशाकर, चाँद।
  • सोन – कनक, स्वर्ण, सुवर्ण, हेम, हिरण्य।।

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प्रश्न 5.
मीरा की भाषा ब्रज मिश्रित राजस्थानी है। ये दोनों हिन्दी क्षेत्र की उपभाषाएँ हैं। बिहार प्रदेश में कितनी उपभाषाएँ बोली जाती हैं? उनकी सूची क्षेत्रवार बनाएँ।
उत्तर-
बिहार प्रांत में निम्नलिखित उपभाषाएँ बोली जाती हैं जिनके नाम के आगे उनका क्षेत्र उल्लिखित हैं

  • भोजपुरी-छपरा, सीवान, गोपालगंज, पश्चिमी चम्पारण, आरा, भोजपुर, रोहतास, कैमूर।
  • मैथिली-पूर्वी चम्पारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, मधुबनी, पूर्णिया, अररिया, कटिहार, सहरसा, मधेपुरा सुपौल।
  • मगही-पटना, गया, चतरा, औरंगाबाद।
  • अंगिका-भागलपुर, पूर्णिया का कुछ भाग नौगछिया।
  • वञ्जिका-वैशाली और पूर्वी चम्पारण का कुछ भाग।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

मीराबाई के पद लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मीरा के कृष्ण के प्रति समर्पण भाव का विवेचन करें।
उत्तर-
मारा कृष्ण के प्रति अनन्य भाव से समर्पित है। वह दिन-रात कृष्ण के चरणों में पड़ी रहकर उनकी रूप माधुरी निहारना चाहती है। यह हर तरह से कृष्ण को रिझाना चाहती है। वह ऐसी समर्पिता है कि कृष्ण जो पहचानें, जो खिलावें अर्थात् जैसे रखना चाहें उन्हीं की दासी बनकर रहना चाहती है। यह समर्पण-भाव अपने उत्कर्ष पर वहाँ पहुँच जाता है जहाँ वह कृष्ण द्वारा बेचे जाने पर बिक जाने के लिए तैयार हो जाती है। सारांशत: वह एक पूर्ण समर्पिता और दासी भाव की प्रेमिका है।

प्रश्न 2.
मीरा की दृष्टि में कृष्ण का क्या स्थान है?
उत्तर-
मीरा ने कृष्ण के लिए कुछ विशेष शब्दों का प्रयोग अपने प्रसंग में किये हैं। इन शब्दों से कृष्ण के विषय में मीरा की दृष्टि ज्ञात होती है। प्रथमतः मीरा की दृष्टि से गिरिधर रूप है वह जिसमें उन्होंने पर्वत धारण कर जन-समूह की घोर वृष्टि से रक्षा की। अतः मीरा की दृष्टि में कृष्ण सबके रक्षक हैं। तृतीय, मीरा के कृष्ण नागर हैं। सागर वह व्यक्ति होता है .. जो सभ्य, शिष्ट, संस्कारवान और मृदु वचन एवं आचरण का धनी होता है। अंतः मीरा के कृष्ण श्रेष्ठ पुरुष हैं।

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प्रश्न 3.
कृष्ण के प्रति मीरा किस भाव से समर्पिता है?
उत्तर-
मीरा ने कृष्ण को अपना प्रेमी और पति माना है। स्वभावत: उसने अपने को प्रेमिका के रूप में रखा है। लेकिन उसके प्रेमिका रूप में पत्नी जैसा समर्पण और दासी जैसा सेवा-भाव मिला हुआ है। एक वाक्य में वह पूर्णतः समर्पिता और सेविका प्रेमिका है जो कृष्ण को खुले शब्दों में पति मानती है।

मीराबाई के पद अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मीरा कृष्ण से प्रीति क्यों तोड़ना नहीं चाहती है?
उत्तर-
मीरा की दृष्टि में कृष्ण के समान सर्व रूप-गुण सम्पन्न कोई दूसरा पुरुष है ही नहीं लिससे वह प्रीति कर सके। इसलिए कृष्ण उसके लिए विकल्पहीन पुरुष हैं।

प्रश्न 2.
मीरा ने किन उपमानों के सहारे अपने और कृष्ण के सम्बन्ध को व्यक्त किया है?
उत्तर-
मीरा ने सरोवर और मछली, पेड़ और पक्षी, पर्वत और घास, चन्द्रमा और चकोर, मोती और धागा तथा सोना और सुहागा जैसे उपमानों द्वारा अपने और कृष्ण के सम्बन्ध को व्यक्त किया है?

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प्रश्न 3.
मीरा के कृष्ण कैसे व्यक्ति हैं?
उत्तर-
मीरा के कृष्ण नागर हैं, रक्षक हैं और सच्चे प्रियतम हैं। यही कारण है कि मारा की भक्ति कृष्ण में लीन है।

प्रश्न 4.
मीराबाई किस प्रकार की कवयित्री हैं?
उत्तर-
मीराबाई कृष्णभक्ति वाली कवयित्री है।

प्रश्न 5.
मीराबाई के प्रथम पद में किसकी व्यंजना हुई है?
उत्तर-
मीराबाई के प्रथम पद में एकांतिक प्रेम और समपर्ण भाव दोनों की व्यंजना हुई है।

प्रश्न 6.
श्रीकृष्ण के प्रति मीरा की समर्पण-भावना उनके किस पद में दिखाई देती है?
उत्तर-
श्रीकृष्ण के प्रति मीराबाई की समर्पण-भावना द्वितीय पद में दिखाई देती है।

मीराबाई के पद वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

I. सही उत्तर का सांकेतिक चिह्न (क, ख, ग या घ) लिखें।

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प्रश्न 1.
मीरावाई किस काल के कवयित्री हैं?
(क) रीतिकाल
(ख) भक्तिकाल
(ग) वीरगाथाकाल
(घ) आधुनिक काल
उत्तर-
(ख)

प्रश्न 2.
मीरवाई के उपास्य थे
(क) कृष्ण
(ख) राम
(ग) शिव
(घ) ब्रह्मा
उत्तर-
(क)

प्रश्न 3.
मीरा के पद का संकलन किस ग्रंथ में है?
(क) प्रेमाश्रु
(ख) प्रेमवाणी
(ग) प्रेम सुधा
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर-
(ख)

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प्रश्न 4.
मीरा के प्रथम पद मे किसका वर्णन है?
(क) एकान्तिक प्रेम का
(ख) आत्म समर्पण का
(ग) अनन्य भक्ति का
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क)

प्रश्न 5.
दूसरे पद में मीरा के किस रूप की व्यंजन हुई है?
(क) एकान्तिक प्रेम की
(ख) कृष्ण के प्रति समर्पण की
(ग) एकांगिक प्रेम की
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ख)

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।

प्रश्न 1.
मीरा…………..भक्तिधारा की प्रतिनिधि कवयित्री के रूप में जानी जाती है।
उत्तर-
सगुण

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प्रश्न 2.
मीरा की तुलना भारतीय साहित्य में तमिल की वैष्णव भक्त कवयित्री………………से की जाती
उत्तर-
गोदा (अंडाल)

प्रश्न 3.
पहले पद में मीरा का प्रियतम श्रीकृष्ण के प्रति वेपरवाह…………व्यंजित हैं।
उत्तर-
ऐकान्तिक प्रेम

प्रश्न 4.
तुम भये…………मैं तेरी मछिया।
उत्तर-
सरवर

प्रश्न 5.
तुम मेरे ठाकुर मैं तेरी…………..।
उत्तर-
दासी।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 3 मीराबाई के पद

मीराबाई पद कवि परिचय (1504-1563)

हिन्दी साहित्य की भक्ति रस शाखा में सबसे महत्त्वपूर्ण के रूप में प्रेम दीवानी “दरद दिवाणी” मीराबाई का नाम आदर के साथ लिया जाता है। इनके जीवन-वृत्त में अनेक किम्वदतियाँ समाहित हैं, जिससे इनकी जीवनी अलौकिक घटनाओं से युक्त हो जाती है। कुछ घटनाएँ सत्य भी है जिनका वर्णन मीरा की कई रचनाओं में हुआ है। अनेक रचनाओं का उल्लेख होते हुए भी मीराबाई की पदावली ही सबसे प्रमाणिक मानी गयी है। तत्कालीन वातावरण की दृष्टि से संतों की ये शिष्या दिखती हैं किन्तु धार्मिक दृष्टि से सगुण भक्ति के समीप पड़ती है।

यही कारण है कि मीरा के भाव संतों के भाव जैसे ही अनुभूतिमय है और उनकी शैली में अधिक कोमल, तरल और प्रांजलं है। मीरा का आलंबन अलौकिक है और भक्तिभाव की दृष्टि से मीरा का प्रेम व्यापार रहस्यवाद के अन्तर्गत आता है। मीरा के आराध्य सगुण कृष्ण हैं जबकि रहस्यवाद निर्गुण ब्रह्म और जीव के मधुर रागात्मक सम्बन्ध पर आधारित है। यही कारण है कि मीरा न तो पूर्णतः संतों की श्रेणी में आती है और न भक्तों की श्रेणी में। मीरा की भक्ति माधुर्य भाव की है। सगुण ईश्वर के साथ भक्त कवि अपना भावपूर्ण व्यापार चलाते हैं। मीरा अपने आराध्य देव को प्रेमी ही नहीं पति भी मानती हैं–

“मेरो तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोई
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।”
“मैं तो गिरिधर के घर जाऊँ
गिरिधर म्हारों सांचों प्रीतम देखत रूप लुभाऊँ।”

कृष्ण के बिना मीरा का जीवन कठिन हो गया है-

“पिया बिन रहयो न जाई।”
“पिया बिन मेरी सेज अलूनी, जागत रैन बहावे।”

फागुन आया हुआ है और कृष्ण पास नहीं हैं-
“होरी पिया बिन खारी”

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 3 मीराबाई के पद

मीरा के समक्ष को लेकर कोई औपचारिक बंधन नहीं है। उनका स्पष्ट कथन है-
“मेरी उनकी प्रीत पुराणी उण बिन पल न रहाऊँ
पूरब जनम की प्रीत पुराणी, सो कस छोड़ी जाय।”

मीरा के काव्य में रूपासक्तिजन्य माधुर्य भाव का वर्णन हुआ है जो कृष्ण के सौन्दर्याकर्षण पर आधारित है-
“मोहन के मैं रूप लुभाणी
सुन्दर वदन कमल दल लोचन
बाँकी चितवन मद मुस्कानी”
आली रे मेरे नैना वान पड़ी

चित चढ़ी मोरे माधुरी मूरत, उरबीच आन पड़ी।”

मीरा तो कृष्ण के हाथों पहले ही दर्शन में बिक गयी और उनके साथ हो गयी-

“मैं ठाढ़ी गृह आपणो री, मोहन निकसे आई
वदन चन्द्र प्रकाशत हिली मंद-मंद मुस्काई
लोग कुटुम्बी गरजे ही बरजे ही, बतिया कहत बनायी
चंचन निपट अकट नहीं मानत, परहित गये बिकाई।”

मीरा की माधुर्य भक्ति में प्रगाढ़ता के साथ अनुभूति की गंभीरता भी है-
“रमईया बिन नींद न आवे
नींद न आवै विरह सतावै प्रेम की आँच डुवाब
होरी पिया बिन लागै खारी
सूनो गाँव देस सब सूना सूनी सेज अटारी।”

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कला पक्ष की दृष्टि से भी मीराबाई का काव्य अत्यन्त समृद्ध है। इनके काव्य में संयोग और वियोग श्रृंगार के साथ शांत रस का सुन्दर परिपाक हुआ है। संयोग शृंगार का वर्णन देखें
“आवत मोरी गलियन में गिरधारी
मैं तो छुनि गई लाज की मारी।”

वियोग शृंगार का एक उदाहरण
‘हे री ! मैं तो दरद दीवाणी म्हारा दरद न जाणै कोई
प्रीतम बिन तम जाइ न सजनी दीपक भवन न भावै हो
फूलन सेल सूल हुई लागी जागत रैनि बिहावै हों।”

शांत रस का वर्णन देखें-
“स्याम बिन दुःख पावा सजनी
कुण महाँ धीर वंधावा
राम नाम बिनु मुकति न पावा फिर चौरासी जावां
साध संगत मा भूलणां जावा मूरख जनम गमावां
मीरा के प्रभु थारी सरणे जोत धरत पद पावां।”

मीरा ने काव्य में प्रकृति चित्रण अपने प्रकृत रूप में उपस्थित है-
“मतवारे बादल आये रे, हरि को सनेसो कबहु न लाये
गाजै पवन मधुरिमा मेहा अति झड़ लाये रे
कारो नाग विरह अति जारी मीरा मन हरि भायो रे।”

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 3 मीराबाई के पद

मीरा की भाषा में गुजरती, राजस्थानी और ब्रजभाष में तीनों की त्रिधारा दीखती है। वस्तुतः इन तीनों भाषा-क्षेत्रों से इनका सम्बन्ध रहा है।

मीरा की शैली पद है जिसके साथ ‘सरसी’, विष्णुपद, दोहा, सवैया, शोभन, तांटक और .. कुण्डल छन्दों का भी प्रयोग किया है।

मीरा के काव्य में सादृश्यमूलक अलंकार जैसे उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अत्युक्ति, उदाहरण, . विभावना, समासोक्ति अर्थान्तर न्यास, श्लेष, वीप्सा और अनुप्रास की प्रधानता है। कहा जा सकता है कि मीरा के काव्य का भाव और कला दोनों पक्ष समृद्ध हैं। किन्तु सबके बावजूद मीरा में कवि कर्म प्रधान नहीं है। कृष्ण के लिए उनकी दिवानगी ही प्रधान और प्रसिद्ध है।

मीराबाई के पद कविता का भावार्थ

मीराबाई के प्रथम पद
प्रस्तुत पद में कृष्ण को समर्पित भक्त कवयित्री मीराबाई कृष्ण को ही सम्बोधित करते हुए कहती है हमारे बीच एक रागात्मक सम्बन्ध बना है। यदि इस सम्बन्ध को तुम अपनी तरफ से तोड़ भी देते तो तब भी मेरा एकनिष्ठ प्रेम जारी रहेगा। मैं यह सम्बन्ध कभी नहीं तोडूंगी। इसका एक कारण है कि तुम्हारे जैसा गुण सम्पन्न इस संसार में और कोई नहीं जिससे तुमसे बिछुड़ने के बाद सम्बन्ध बना सकूँ, जोड़ सकूँ।

वैसे हमारा सम्बन्ध अस्तित्व-सा अन्योन्याश्रित हैं। प्रभु मेरे यदि तुम तरुवर हो तो मैं उस पर निवास करने वाली पक्षी हूँ, चिड़िया हूँ। तुम्ही इस “पाखी” के सहायक हो। यदि तुम सरोवर हो तो उसमें जीवन धारण करने वाली मैं मछली हूँ। जल ही जिसका जीवन है। यदि तुम पर्वत राज हो तो मैं उसकी गोद में वाली हरियाली हूँ। यदि तुम चन्द्रमा हो तो मैं तुमको एक टक निहारने वाला चकोर हूँ। यदि तुम मोती हो तो मैं क्षुद्र धागा हूँ जिसमें गूंथ कर माला तैयार होती है। यदि तुम स्वर्ण, कंचन हो तो मैं सोहागा (एक रासायनिक पदार्थ) हूँ। यदि तुम ब्रज के स्वामी ठाकुर हो तो मैं तेरी सेविका हूँ, चरणों की दासी हूँ।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 3 मीराबाई के पद

मीरा रचित इस पद में केवल यही नहीं कथित है कि जीव हर रूप और स्थिति में ईश्वर पर निर्भर है बल्कि यह भी व्यजित तथ्य है कि जीव से ही ईश्वर को सार्थक्य प्राप्त होता है। जिस पेड़ पर पक्षी निवास नहीं करते वह मनहूस माना जाता है। वह सरोवर ही क्या जहाँ जीवन का अस्तित्व ही नहीं हो। मोती कीमती और चमकदार होकर भी किसी की ग्रीवा तक पहुंचने के लिए तुच्छ धागे पर ही निर्भर है। सोने को अपनी स्वाभाविक आभा पाने के लिए सोहागा की संगती चाहिए ही। वह स्वामी क्या जिसके सेवक अनुचर नहीं हो।

मीरा प्रकारान्तर से यह तथ्य कृष्ण को समझा देना चाहती है कि तुम चाहकर भी सम्बन्ध-विच्छेद कर सकते। जीव और ब्रह्म का सम्बन्ध, भक्त और भगवान का सम्बन्ध शाश्वत होता है, काल निरपेक्ष होता है।

प्रस्तुत पद में मीरा ने कृष्ण के लिए पिया, प्रभु, ठाकुर जैसी सम्बोधन संज्ञाओं का और अपने लिए ठाकुर की दासी का प्रयोग कर रागात्मक सम्बन्ध को एक महनीयता प्रदान की है। . रूपक, उदाहरण जैसे अलंकार से सज्जित यह पद, अद्वितीय मारक क्षमता से भी युक्त है।

मीराबाई के द्वतीय पद

कृष्ण की कर्षण शक्ति से प्रभावित मध्यकालीन भक्तिधारा की मधुराभक्ति की साधिका राधिका के समतुल्य दीवानी मीरा रचित इस पद में उनका हृदयोद्गार व्यक्त है। मीरा श्रीकृष्ण के सौन्दर्य और प्रेम के जादुई पाश में इस तरह बंधी हुई है कि उनके निजत्व का निरसन हो चुका है। उनका कहना है कि मेरा गन्तव्य कृष्ण हैं। मैं उसी के घर जाऊंगी। वे ही मेरे सच्चे प्रियतम हैं। जिसके रूप से देखकर लुब्ध हो चुकी हूँ। मैं कृष्ण के साथ अभिसार करने हेतु सन्नद्ध हूँ। जैसे ही रात हागी मैं कृष्ण के पास जाऊँगी और रात पर रास में सहभागी बन सुबह होने के साथ ही इस पर घर को वापस आ जाऊंगी।

कृष्ण भी मुझ पर रीझ जाएँ, मोहित हो जाएँ, इसके लिए सत-दिन उनके रंग संग तरह-तरह के खेलती रहूँगी। अब यह सब इच्छा पर होगा कि मुझे खाने-पीने और पहनने के लिए क्या देते हैं। मेरी ऐसी जातर्तिक कोई इच्छा शेष नहीं है। मेरा और कृष्ण का प्रेम बहुत पुराना और गहरा है। उनके बिना अब एक पल का जीना भी असंभव है। वे अपने आश्रय में जहाँ स्थान देंगे वही मेरा निवास होगा और यदि वे मुझे दूसरे के हाथों बेचना भी चाहें तो मुझे कोई मलाल नहीं होगा। क्योंकि मेरा “मैं’ अब बाकी बचा ही नहीं है। मीरा कहती है कि मेरे स्वामी तो गिरधर नगर है। जिन पर मैं बार-बार बलि जाती हूँ कृष्ण पर अपने को न्योछावर करती हूँ।”

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 3 मीराबाई के पद

प्रस्तुत पद में सम्पर्ण के भावना की सर्वोत्तम अभिव्यक्ति हुई है। जैसे कबीर ने सवयं को राम का कुत्ता घोषित किया। शांत रस की इस रचना में अनुप्रास की छटा देखते बनती है। एकनिष्ठ प्रेम और आत्मोत्सर्ग की यह सर्वोत्तम प्रस्तुति है।

मीराबाई के पद कठिन शब्दों का अर्थ

गिरधर-गोवर्धन गिरि को धारण करने वाले, कृष्ण। तोसों-तुमसे। तरुवर-श्रेष्ठ वृक्ष। पॅखिया-पक्षी। सरवर-तालाब। मछिया-मछली। गिरिवर-पर्वतराज। सोहागा-सोना का शुद्ध करने के लिए प्रयुक्त क्षार। ठाकुर-स्वामी। म्हारो-मेरा। साँचो-सच्चा। रैण-रातः। दिना-दिन। रिझाऊँ-प्रसन्न करूँ। तितही-वहीं। नागर-विदग्ध, चतुर, रसिक। बलि जाऊ-छिवर हो जाऊँ। वा-उसको। ताही-उसको। सोई-वही।

मीराबाई के पद काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. जो तुम तोड़ो, पिया……………कौन संग जोड़ें।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ राजस्थान कोकिला मीरा द्वारा रचित हैं। इन पंक्तियों में मीरा कहती हैं कि हे कृष्ण, तुम मेरे प्रियतम हो, मैं तुमसे प्रेम करती हूँ। तुम पर मेरा अधिकार नहीं है अत: तुम चाहो तो मुझसे अपनी प्रीति तोड़ ले सकते हो। लेकिन मैं तुमसे प्रीत नहीं तोडूंगी। अगर तुमसे प्रीत तोड़ लूँ तो जोडूंगी किससे? अर्थात् तुम्हारे सिवा मेरा कोई नहीं है। अतः तुम करो या न करो मगर मैं तो तुमसे ही प्रीति करूँगी, क्योंकि तुम्हारे सिवा दूसरा कोई ऐसा नहीं है जिससे मैं प्रेम कर सकूँ। मीरा ने अलग भी कहा है-मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोई। अतः ये पंक्तियाँ कृष्ण के प्रति मीरा के अनन्य प्रेम को व्यक्त करती हैं।।

2. तुम भये तरुवर………..हम भये सोहागा।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियों में मीरा कृष्ण से अपनी अनन्य प्रीति का निवेदन करती कहती हैं कि कृष्ण तुम तरुवर हो और मैं उस पर आश्रय पाने वाली चिड़िया। तुम सरोवर हो तो मैं उसमें रहने वाली मछली जो तुमसे अलग होते ही तड़प-तड़प कर मर जायेगी। तुम पर्वत हो तो मैं उस पर उगने वाली घास। तुम चन्द्रमा हो तो मैं चकोर। तुम मोती तो मैं धागा। तुम सोना हो तो मैं सोहागा।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 3 मीराबाई के पद

अभिप्राय यह है कि उक्त अनेक उदाहरणों के सहारे मीरा ने कृष्ण के साथ अपनी उस भक्ति का परिचय दिया है जो निर्भरा भक्ति कहलाती है। इसमें भक्त भगवान को अपना आधार मानता है जिसके बिना उसका अस्तित्व ही नहीं होता।

3. मीरा कहे प्रभु……………मेरी दासी:
व्याख्या-
इन पंक्तियों में मीरा कहती है कि हे व्रज में निवास करने वाले मेरै प्रभु ! तुम मेरे . ठाकुर हो और मैं तुम्हारी दासी अर्थात् मुझमें-तुममें स्वामी-सेविका वाला प्रेम है। इन पंक्तियों
मे मीरा का अभिप्राय सामान्य दासी कहने से नहीं है वह बताना चाहती है कि वह कृष्ण की ऐसी प्रिय पत्नी है जो दासी की तरह पूर्ण समर्पण भाव से अपने स्वामी की सेवा करती है और उसी. में सुख मानती है।

4. मैं गिरिधर के घर जाऊँ………….लुभाऊँ।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ मीरा द्वारा रचित पद से ली गयी हैं। यहाँ मीरा द्वारा अपने प्रियतम कृष्ण के पास जाने का उल्लेख किया गया है। मीरा कहती हैं कि कृष्ण मेरे सच्चे प्रियतम हैं। वे अत्यन्त सुन्दर हैं। उनकी रूप माधुरी मोहक है। अत: मैं देखते ही उन पर लुब्ध हो जाती हूँ। जिस तरह भ्रमर फूल पर सतत् मँडराता रहता है। उसी तरह मैं उनकी रूप माधुरी के सम्मोहन में सतत् उन्हीं के समीप रहना और उनकी रूप माधुरी निहारते रहना चाहती हूँ।

5. रैण पडै तब ही उठ जाऊँ…………….ताही रिझाऊँ।
व्याख्या-
मीरा द्वारा रचित “मैं गिरिधर के घर जाऊँ” पद से गृहीत इन पंक्तियों में यह बताने की चेष्टा की गई है कि वह कृष्ण के सौन्दर्य और प्रेम की दीवानी है। अतः एक पल भी अलग रहना उसे स्वीकार नहीं। यही कारण है कि जैसे ही रात होती है उनकी सेवा में चली जाती और भोर होने पर ही उनसे अलग होती है। दिन में भी उनके साथ खेलती रहती हूँ। इस तरह चाहे दिन हो या रात मैं आठों पहर उन्हीं के साथ खेलती या सेवा में रहती हूँ। वे जैसे रीझते है उसी तरह उन्हें रिझाती हूँ। उन्हें जो पसंद है वही आचरण करती हूँ और इस तरह एक आज्ञाकारिणी प्रेमिका या पत्नी के रूप में मैं सेविका धर्म का तन्मयता से पालन करते हुए उनकी प्रसन्नता पाने के लिए प्रयल करती रहती हूँ।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 3 मीराबाई के पद

6. जो पहिरावै सोई पहिरूँ…………….पल न रहाऊँ।
व्याख्या-
मीरा ने अपने पद की प्रस्तुत पंक्तियों में अपने पूर्ण समर्पण भाव को व्यक्त किया है। वह पूरी तरह अनुगता और सेवापरायण दासी है। वह पति रूप श्री कृष्ण से कोई अपेक्षा नहीं करती। उसमें पाने की नहीं देने की लालसा है। अत: आदर्श सेविका की तरह वह कहती है कि वे जो पहनाते हैं वही पहनती हूँ जो देते हैं वही खाती हूँ। मेरी उनसे प्रीत पुरानी है। मैं उनसे अलग एक पल भी नहीं रह सकती हूँ। मीरा के इस कथन से यह बात स्पष्ट है कि मीरा ने भक्त होने के बाद अपने समस्त राजकीय संस्कारों का त्याग कर दिया था। खाने-पहनने की रुचि भूल कर जो मिलता था वही प्रभु प्रसाद समझकर खा लेती थी और जो भी वस्त्र मिल जाता था उससे तन ढंक लेती थी।

7. जहाँ बैठावें तितही बैढूँ………………बार-बार बलि जाऊँ।
व्याख्या-
अपने पद की प्रस्तुत पंक्तियों में मीरा ने कृष्ण के प्रति अपना समर्पण भाव व्यक्त किया है। वह कृष्ण के प्रेम में दीवानी है। अत: जीवन के सारे क्रियाकलाप, सुख-दुःख को कृष्ण इच्छा का प्रसाद मानकर सादर स्वीकार करती है। वह कृष्ण को अपना नियामक और प्रेरक मानती है और कहती है कि वे जहाँ बैठाते हैं वहीं बैठी रहती हूँ। यदि वे मुझे बेच दें तो उनकी खुशी के लिए मैं सहर्ष बिक जाऊंगी। मेरे प्रभु गिरिधर हैं अर्थात् पर्वत भी उठाकर संकट से रक्षा करने में समर्थ हैं। वे नागर हैं अर्थात् शिष्ट, सभ्य, संस्कारवान और चतुर हैं। अतः मैं बार-बार उन पर अपने को न्योछावर करती हूँ।

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Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

Bihar Board 12th Chemistry Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

Question 1.
निम्न में से कौन-सा कार्बोनिल यौगिक सर्वाधिक ध्रुवीय है ?
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 1
Answer:
(d)

Question 2.
कीटोन
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 2 को किसके द्वारा एक पद में व्यक्त किया जा सकता है (जहाँ R एवं R’ ऐल्किल समूह हैं )?
(a) एस्टरों का जल-अपघटन
(b) प्राथमिक ऐल्कोहॉलों का ऑक्सीकरण
(c) द्वितीयक ऐल्कोहॉलों का ऑक्सीकरण
(d) ऐल्कोहॉलों के साथ ऐल्किल हैलाइडों की क्रिया
Answer:
(c) द्वितीयक ऐल्कोहॉलों का ऑक्सीकरण

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

Question 3.
कार्बनिक यौगिक के ओजोनीकरण से प्राप्त उत्पादों में से एक के रूप में फॉर्मेल्डिहाइड है। यह इसकी उपस्थिति को पुष्ट करता है
(a) दो एथिलेनिक द्विआबन्ध
(b) विनाइल समूह
(c) आइसोप्रोपिल समूह
(d) ऐसीटिलेनिक ट्रिपल आबन्ध
Answer:
(b) विनाइल समूह

Question 4.
निम्न में से कौन-सी अभिक्रियाएँ बेंजोफीनॉन देगी ?
(a) बेंजॉइल क्लोराइड + बेंजीन + AlCl3
(b) बेंजॉइल क्लोराइड + फेनिलमैग्नीशियम ब्रोमाइड
(c) बेंजॉइल क्लोराइड + डाइफेनिल कैडमियम
(a) (i) एवं (ii)
(b) (ii) एवं (iii)
(c) (i) एवं (iii)
(d) (i), (ii) एवं (iii)
Answer:
(c) (i) एवं (iii)

Question 5.
क्रोमिल क्लोराइड द्वारा टॉलूईन का बेंजेल्डिहाइड में ऑक्सीकरण कहलाता है
(a) इटार्ड अभिक्रिया
(b) राइमर-टीमन अभिक्रिया
(c) वु अभिक्रिया
(d) कैनिजारो अभिक्रिया
Answer:
(a) इटार्ड अभिक्रिया

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

Question 6.
कार्बोनिल यौगिक से HCN का योग उदाहरण है
(a) नाभिकस्नेही योग
(b) विद्युतस्नेही योग
(c) मुक्त मूलक योग
(d) इलेक्ट्रोमेरिक योग
Answer:
(a) नाभिकस्नेही योग

Question 7.
अणुसूत्र C3H6O का एक कार्बनिक यौगिक टॉलेन अभिकर्मक के साथ रजत दर्पण नहीं देता है किन्तु हाइड्रॉक्सिलऐमीन के साथ ऑक्सिम देता है । यह हो सकता है
(a) CH2 = CH – CH2 – OH
(b) CH3 COCH3
(c) CH3 – CH2 – CHO
(d) CH2 = CH – OCH3
Answer:
(b) CH3 COCH3

Question 8.
फॉर्मेल्डिहाइड के अलावा अन्य ऐल्डिहाइड ग्रिगनार्ड अभिकर्मक क्रिया करके योग उत्पाद देते हैं जो जल-अपघटन पर देता है
(a) तृतीयक ऐल्कोहॉल
(b) द्वितीयक ऐल्कोहॉल
(c) प्राथमिक ऐल्कोहॉल
(d) कार्बोक्सिलिक अम्ल
Answer:
(b) द्वितीयक ऐल्कोहॉल

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Question 9.
निम्न में से कौन-सा ऐल्डॉल संघनन नहीं देगा?
(a) फिनाइल ऐसीटल्डिहाइड
(b) 2-मेथिलपेन्टेनल
(c) बेंजेल्डिहाइड
(d) 1-फेनिल प्रोपेनॉन
Answer:
(c) बेंजेल्डिहाइड

Question 10.
निम्न में से कौन-सा यौगिक NaHSO3 के साथ क्रिया नहीं करता है ?
(a) HCHO
(b) C6H5 COCH3
(c) CH3 COCH3
(d) CH3 CHO
Answer:
(b) C6H5 COCH3

Question 11.
निम्न में से कौन-सा यौगिक
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 3
के साथ रंगीन क्रिस्टलाइन यौगिक देगा?
(a) CH3COCl
(b) CH3COOC2H5
(c) CH3COCH3
(d) CH3CONH2
Answer:
(c) CH3COCH3

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Question 12.
1-ब्यूटीन के ओजोनाइड के जलअपघटन के उत्पाद हैं
(a) एथेनल केवल
(b) एथेनल एवं मेथेनल
(c) प्रोपेनल एवं मेथेनल
(d) मेथेनल केवल
Answer:
(c) प्रोपेनल एवं मेथेनल

Question 13.
निम्न में से कौन-सा यौगिक कैनिजारो अभिक्रिया में प्राप्त होगा?
(a) CH3 CHO
(b) CH3 COCH3
(c) C6H5 CHO
(d) C6H5 CH2 CHO
Answer:
(c) C6H5 CHO

Question 14.
पेन्टेन-2-वन एवं पेन्टेन-3-वन के बीच अन्तर करने के लिए कौन-सा परीक्षण होता है ?
(a) आयोडोफॉर्म परीक्षण
(b) बेनेडिक्ट परीक्षण
(c) फेहलिंग परीक्षण
(d) ऐल्डॉल संघनन परीक्षण
Answer:
(a) आयोडोफॉर्म परीक्षण

Question 15.
निम्न में से कौन-सा कैनिजारो अभिक्रिया में प्राप्त नहीं होता है ?
(a) बेंजेल्डिहाइड
(b) 2-मेथिलप्रोपेनल
(c) p-मेथॉक्सीबेंजेल्डिहाइड
(d) 2, 2-डाइमेथिलप्रोपेनल
Answer:
(b) 2-मेथिलप्रोपेनल

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Question 16.
CH3 – CH = CH – CHO से CH – CH = CH – CHOOH ऑक्सीकरण के लिए सबसे अच्छा ऑक्सीकारक है
(a) बेयर अभिकर्मक
(b) टॉलेन अभिकर्मक
(c) शिफ अभिकर्मक
(d) अम्लीकृत डाइक्रोमेट
Answer:
(b) टॉलेन अभिकर्मक

Question 17.
जब ऐल्डिहाइड एवं कीटोन अमलगमित जिंक एवं सान्द्र HCl के साथ क्रिया करते है, तो हाइड्रोकार्बन बनते हैं। यह अभिक्रिया कहलाती है-
(a) कैनिजारो अभिक्रिया
(b) क्लेमेन्सन अपचयन
(c) रोजेनमुण्डा अपचयन
(d) वोल्फ-किश्नर अपचयन
Answer:
(b) क्लेमेन्सन अपचयन

Question 18.
अभिक्रिया के निम्न क्रम में, अंतिम उत्पाद (Z) है
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 4
(a) ऐथेनल
(b) प्रोपेन-2-ऑल
(c) प्रोपेनोन
(d) प्रोपेन-1-ऑल
Answer:
(c) प्रोपेनोन

Question 19.
रासायनिक अभिक्रिया के निम्न क्रम में अंतिम उत्पाद (Y) है
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 5
(a) एक ऐल्कीन
(b) एक कार्बोक्सिलिक अम्ल
(c) एक ऐल्डिहाइड
(d) कार्बोक्सिलिक अम्ल का सोडियम लवण
Answer:
(d) कार्बोक्सिलिक अम्ल का सोडियम लवण

Question 20.
निम्नलिखित में से कौन-सा सर्वाधिक क्रियाशील है जो नाभिकस्नेही योग देता है?
(a) FCH2,CHO
(b) ClCH2 CHO
(c) BrCH2CHO
(d) ICH2CHO
Answer:
(a) FCH2,CHO

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Question 21.
निम्न में से कौन-सा ऐल्डिहाइड कैनिजारो अभिक्रिया को दर्शाएगा?
(a) HCHO
(b) C6H5 CHO
(c) (CH3)3. CCHO
(d) इनमें से सभी
Answer:
(d) इनमें से सभी

Question 22.
निम्न में से कौन-सा सर्वाधिक क्रियाशील समावयवी है ?
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 6
Answer:
(a)

Question 23.
निम्न में से कौन-सा आयोडोफॉर्म परीक्षण का उत्तर नहीं देता है
(a) n-ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
(b) द्वितीयक-ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
(c) ऐसीटोफिनॉन
(d) ऐसिटल्डीहाइड
Answer:
(a) n-ब्यूटिल ऐल्कोहॉल

Question 24.
जब प्रोपेनल NaOH की उपस्थिति में 2-मेथिलप्रोपेनल के साथ क्रिया करता है, तो चार विभिन्न उत्पाद बनते हैं। अभिक्रिया कहलाती है
(a) ऐल्डॉल संघनन
(b) क्रॉस ऐल्डॉल संघनन
(c) कैनिजारो अभिक्रिया
(d) HVZ संघनन
Answer:
(b) क्रॉस ऐल्डॉल संघनन

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Question 25.
पेन्टेन-2-वन एवं पेन्टेन-3-वन के मध्य अन्तर के लिए परीक्षण सम्पन्न किया जाता है। निम्न में से कौन-सा उत्तर सही है ?
(a) पेन्टेन-2-वन रजत दर्पण परीक्षण देगा
(b) पेन्टेन-2-वन आयोडोफॉर्म परीक्षण देगा
(c) पेन्टेन-3-वन आयोडोफॉर्म परीक्षण देगा
(d) इनमें से कोई नहीं।
Answer:
(b) पेन्टेन-2-वन आयोडोफॉर्म परीक्षण देगा

Question 26.
जब ऐसिटल्डिहाइड को कॉस्टिक सोडा के तनु विलयन के साथ | उपचारित किया जाता है तो कौन-सा यौगिक प्राप्त होता है ?
(a) सोडियम ऐसीटेट
(b) रेजिन्स द्रव्यमान
(c) ऐल्डॉल
(d) एथिल ऐसीटेट
Answer:
(c) ऐल्डॉल

Question 27.
निम्न में से कौन-सा यौगिक ठण्डे तनु क्षार की उपस्थिति में स्वयं | ऐल्डॉल संघनन को सम्पन्न करेगा?
(a) CH ≡ C – CHO
(b) CH2=CHCHO
(c) C6H5 CHO
(d) CH2 CH2 CHO
Answer:
(d) CH2 CH2 CHO

Question 28.
कार्बोक्सिलेट आयन का सही संरचना प्रदर्शन है
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 7
Answer:
(b)

Question 29.
निम्न में से कौन-सी प्रबल ऑक्सीकरण पर ऐसीटिक अम्ल की लब्धि (Yield) होगी?
(a) ब्यूटेनॉन
(b) प्रोपेनॉन
(c) एथिल ऐथेनॉऐट
(d) ऐथेनॉल
Answer:
(c) एथिल ऐथेनॉऐट

Question 30.
कार्बोक्सिलिक अम्ल के कारण डाइमराइज होते हैं
(a) उच्च अणुभार
(b) उपसहसंयोजी आबन्धन
(c) अन्तराणुक हाइड्रोजन आबन्धन
(d) सहसंयोजी आबन्धन
Answer:
(c) अन्तराणुक हाइड्रोजन आबन्धन

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

Question 31.
निम्न में कौन-सा HVZ अभिक्रिया में नहीं होगा?
(a) प्रोपेनॉइक अम्ल
(b) एबेनॉइक अम्ल
(c) 2-मेथिलप्रोपेनॉइक अम्ल
(d) 2, 2-डाइमेथिलप्रोपेनॉइक अम्ल
Answer:
(d) 2, 2-डाइमेथिलप्रोपेनॉइक अम्ल

Question 32.
निम्न में से कौन-सा कथन फॉर्मिक अम्ल के बारे में सही है?
(a) यह एक अपचायक है।
(b) यह ऐसीटिक अम्ल की अपेक्षा दुर्बल अम्ल होता है।
(c) यह एक ऑक्सीकारक है।
(d) जब इसके कैल्शियम लवण को गर्म किया जात है, तो यह ऐसीटोन बनाता है।
Answer:
(a) यह एक अपचायक है।

Question 33.
निम्न में से कौन-सा यौगिक नाभिकस्नेही योग. अभिक्रियाओं की ओर सर्वाधिक क्रियाशील होता है ?
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 8
Answer:
(b)

Question 34.
वह अभिकर्मक जो ऐसीटोन एवं बेंजेल्डिहाइड, दोनों से क्रिया नहीं करता है। वह है
(a) सोडियम हाइड्रोजनसल्फाइट
(b) फेनिल हाइड्रेजाइन
(c) फेहलिंग विलयन
(d) ग्रिगनार्ड अभिकर्मक
Answer:
(c) फेहलिंग विलयन

Question 35.
कैनिजारो अभिक्रिया किसके द्वारा नहीं दी गई है ?
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल 9
Answer:
(d)

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

Question 36.
निम्न में से कौन-सा यौगिक क्षारीय KMnO4 विलयन के साथ ऑक्सीकरण पर ब्यूटेनॉन देगा?
(a) ब्यूटेन-1-ऑल
(b) ब्यूटेन-2-ऑल
(c) इनमें से दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer:
(b) ब्यूटेन-2-ऑल

Question 37.
क्लेमेंशन अपचयन में कार्बोनिल यौगिक को किसके साथ उपचारित किया जाता है?
(a) जिंक अमलगम + HCl
(b) सोडियम अमलगम + HCl
(c) जिंक अमलगम + नाइट्रिक अम्ल
(d) सोडियम अमलगम + HNO3
Answer:
(a) जिंक अमलगम + HCl

Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 2 कबीर के पद

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Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 2 कबीर के पद

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 2 कबीर के पद

कबीर के पद पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
कबीर ने संसार को बौराया क्यों कहा है?
उत्तर-
कबीर ने संसार को ‘बौराया हुआ’ इसलिए कहा है क्योंकि संसार के लोग सच सहन नहीं कर पाते और न उसपर विश्वास करते हैं। उन्हें झूठ पर विश्वास हो जाता है। कबीर संसार के लोगों को ईश्वर और धर्म के बारे में सत्य बातें बताता है, ये सब बातें परम्परागत ढंग से भिन्न है, अत: लोगों को अच्छी नहीं लगती। इसलिए कबीर ने ऐसा कहा है कि यह संसार बौरा गया है, अर्थात पागल-सा हो गया है।

प्रश्न 2.
“साँच कहाँ तो मारन धावै, झूठे जग पतियाना” कबीर ने यहाँ किस सच और झूठ की बात कही है?
उत्तर-
कबीर ने बाह्याडंबरों से दूर रहकर स्वयं को पहचानने की सलाह दी है। आत्मा का ज्ञान ही सच्चा ज्ञान है। कबीर संसार के लोगों को ईश्वर और धर्म के बारे में सत्य बातें बताता है, ये सब परंपरागत ढंग से भिन्न है, अत: लोगों को यह पसंद नहीं है। संसार के लोग सच को सहन न करके झूठ पर विश्वास करते हैं। इस प्रकार कबीर ने हिन्दू और मुसलमान दोनों के बाह्यडंबरों पर तीखा कटाक्ष किया है।

प्रश्न 3.
कबीर के अनुसार कैसे गुरु-शिष्य अन्तकाल में पछताते हैं? ऐसा क्यों होता है?
उत्तर-
कबीर के अनुसार इस संसार में दो तरह के गुरु और शिष्य मिलते हैं। एक कोटि है सदगुरु और सद् शिष्य की जिन्हें तत्त्व ज्ञान होता है, जो विवेकी होते हैं, जिन्हें जीव-ब्रह्म के सम्बन्ध का ज्ञान होता है, ऐसे सदगुरु और शिष्यों में सद् आचार भरते हैं। इनका अन्तर-बाह्य एक समान होता है। ये अहंकार शून्य होते हैं। गुरु-शिष्य की दूसरी कोटि है असद गुरु-और असद शिष्य की। इस सम्बन्ध में कबीर ने एक साखी में कहा है-

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 2 कबीर के पद

जाके गुरु अंधरा, चेला खरा निरंध,
अंधा-अधे ठेलिय, दोनों कूप पड़प।

असद् अविवेकी बनावटी गुरु सद्ग्रन्थों का केवल उच्चारण करते हैं, वाचन करते-कराते हैं, ग्रन्थों में विहित, निहित तथ्यों को अपने आचरण में उतारते और उतरवाते नहीं हैं। अपरिपक्व ज्ञान और उससे उत्पन्न अभिमान को अपनी आजीविका बना लेते हैं। समय रहते ये चेत नहीं पाते और अन्त में जब आत्मोद्धार के लिए समय नहीं बच पाता, तब ये बेचैन हो जाते हैं। किन्तु अब इनके पास पछतावे के अलावा कुछ बचता ही नहीं है।

प्रश्न 4.
“हिन्दू कहै मोहि राम पियारा, तुर्क कहै रहिमाना
आपस में दोउ लरि-लरि मुए, मर्म न काहू जाना।
इन पंक्तियों का भावार्थ लिखें।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ अपने समय के और अपनी तरह के अनूठे समाज-सुधारक चिंतक कबीर रचित पद से उद्धृत है। इन पंक्तियों में परम सत्ता के एक रूप का कथन हुआ है। यही मर्म है, यही अन्तिम सत्य है कि परम ब्रह्म, अल्लाह, गॉड सभी एक ही हैं। किन्तु अज्ञानतावश अलग-अलग धर्म सम्प्रदायों में बता मानव समाज अपने-अपने भगवान से प्यार करता है, दूसरे के भगवान को हेय समझता है। अपने भगवान के लिए अन्ध-भक्ति दर्शाता है। उनकी यह कट्टरता, बद्धमूलता, इतनी प्यारी होती है कि जरा-जरा सी बात पर धार्मिक भावनाएं आहत होने लगती हैं।

दो सम्प्रदायों के बीच का सौहार्द्र वैमनस्य में बदल जाता है। हिन्दू-मुसलमान एक-दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं और लड़कर कट मर जाते हैं। यदि उन्हें परम तत्त्व का, परम सत्य का, मूल-मर्म का ज्ञान होता तो पूरब-पश्चिम, मंदिर-मस्जिद, पूजा-रोजा, राम-रहीम में भेद नहीं करते। एक-दूसरे के लिए प्राणोत्सर्ग करते न कि एक-दूसरे के खून के प्यासे होते।

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प्रश्न 5.
‘बहुत दिनन के बिछुरै माधौ, मन नहिं बांधै धीर’ यहाँ माधौ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
उत्तर-
कबीर निर्गुण-भक्ति के अनन्य उपासक थे। उन्होंने परमात्मा को कण-कण में देखा है, ज्योति रूप में स्वीकारा है तथा उसकी व्याप्ति चराचर संसार में दिखाई है। इसी व्याप्ति को अद्वैत सत्ता में देखते हुए उसकी रचनात्मक अभिव्यक्ति दी है। कबीर ने ईश्वर को “माधौ” कहकर पुकारा है।

प्रश्न 6.
कबीर ने शरीर में प्राण रहते ही मिलने की बात क्यों कही है?
उत्तर-
प्रेम में यों तो सम्पूर्ण शरीर मन, प्राण सभी सहभागी होते हैं किन्तु आँखों की भूमिका अधिक होती है। विरह की दशा में आँखें लगातार प्रेमास्पद की राह देखती रहती हैं। विरही प्रेमी की आंकुलता-व्याकुलता का अतृप्ति का ज्ञापन आँखों से ही होता है फिर इसका क्या भरोसा कि मृत्यु के बाद यही शरीर पुनः प्राप्त हो। प्रेम यदि इसी जन्म और मनुष्य योनि में हुआ है, विरह की ज्वाला में यदि यही शरीर, मन, प्राण दग्ध हो रहे हैं तो फिर प्रेम को सार्थक्य भी तभी प्राप्त होगा जब शरीर में प्राण रहते इसी जन्म में प्रभु से मिलन हो जाए। विरह मिलन में बदल जाए। यही कारण है कि कबीर ने शरीर में प्राण रहते ही मिलते ही बात कही है।

प्रश्न 7.
कबीर ईश्वर की मिलने के लिए बहुत आतुर हैं। क्यों?
उत्तर-
हिन्दी साहित्य के स्वर्ण युग भक्तिकाल के निर्गुण भक्ति की ज्ञानमार्गी शाखा के प्रतिनिधि कवि कबीरदास ने ‘काचै भांडै नीर’ स्वयं को तथा ‘धीरज’ अर्थात् धैर्य की प्रतिमूर्ति ईश्वर को कहा है। अपनी व्याकुलता तथा प्रियतम से मिलकर एकाकार होने की उनकी उत्कंट लालसा उन्हें आतुर बना देती है। तादात्म्य की उस दशा में कवि अपने जीवन को कच्ची मिट्टी का घड़ा में भरा पानी माना है। यह शरीर नश्वर है। मृत्यु शाश्वत सत्य है कवि इन लौकिक दुखों (जीवन-मृत्यु) से छुटकारा पाकर ईश्वर की असीम सत्ता में विलीन होना चाहता है। अतः कबीर की ईश्वर से मिलने की आतुरता अतीव तीव्र हो गई है।

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प्रश्न 8.
दूसरे पद के आधार पर कबीर की भक्ति-भावना का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर-
हमारे पाठ्य पुस्तक दिगंत भाग-1 में संकलित कबीर रचित द्वितीय पद कबीर की भक्ति भावना का प्रक्षेपक है। वस्तुत: कबीर की भक्ति- भावना को एक विशिष्ट नाम दिया है-“रहस्यवाद”। यह रहस्यवाद साहित्य की एक स्पष्ट भाव धारा है, जिसका किसी रहस्य से कोई लेना-देना नहीं है। आत्मा-परमात्मा को प्रणय-व्यापार, मिलन-विरह आदि रहस्यवाद का उपजीव्य है।

इस रहस्यवाद में कवि स्वयं को स्त्री या पुरुष मानकर ईश्वर, आराध्य या परम ब्रह्म के साथ अपने विभिन्न क्रिया व्यापारों, क्षणों और उपलब्धियों का अत्यंत प्रांजल, भाव प्रवण वर्णन करती है।

सूफी संत की जहाँ आत्मा पुरुष और परमात्मा को नारी रूप में चित्रित करते हैं, वहाँ कबीर आदि संत कवियों ने स्वयं को नारी, प्रिया, प्रेयसी आदि के रूप में प्रस्तुत करते हुए परमब्रह्म, ईश्वर, . साईं, सद्गुरु, कर्त्तार आदि के साथ अपने रभस प्रसंग का स्नेहिल, क्षणों का निष्कलुष और प्रांजल वर्णन किया है।

कबीर की भक्ति भाव रहस्यवाद, प्रगल्भ इन्द्रिक बिम्बों प्रतीकों से पूर्ण है किन्तु शृंगारिक रचनाओं की तरह कामोद्दीपक नहीं है, जुगुप्सक नहीं है। “मेरी चुनरी में लग गये दाग” लिखकर भी कबीर का रहस्यवाद पुरइन के पत्र पर पानी की बून्द की तरह निर्लिप्त है, शीलगुण सम्पन्न है।

प्रश्न 9.
बलिया का प्रयोग सम्बोधन में हुआ है। इसका अर्थ क्या है?
उत्तर-
कबीर रचित पद में बलिया सम्बोधन शब्द आया है जिसका कोशगत अर्थ ‘बलवान’ है। किन्तु हमें स्मरण रखना चाहिए कि कबीर भाषा के डिक्टेटर हैं। “बाल्हा” शब्द ‘बलिया’ का विकृत रूप है जिसका प्रयोग कबीर ने एक अन्य पद में किया है बाल्हा आओ हमारे गेह रे। कबीर के मत से बलिया का अर्थ सर्वशक्ति सम्पन्न परमपुरुष, भर्तार और पति ही है।

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प्रश्न 10.
प्रथम पद में कबीर ने बाह्याचार के किन रूपों का जिक्र किया है? उन्हें अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर-
परम्परा-भंजक; रूढ़ि-भंजक, समाज-सुधारक कबीर रचित प्रथम पद में हिन्दू-मुस्लिम दोनों ही सम्प्रदायों में व्याप्त आडम्बर पूर्ण बाह्याचारों का उल्लेख हुआ है।

तथाकथित नेमी द्वारा (नियमों का कठोरता से अनुपालन करने वाले) प्रात:काल प्रत्येक ऋतु और अवस्था में स्नान करना, पाहन (पत्थर) की पूजा करना, आसन मारकर बैठना और समाधि लगाना पितरों (पितृ) की पूजा, तीर्थाटन करना, विशेष प्रकार की टोपी, पगड़ी को धारण करना, तरह-तरह के पदार्थों की माला (तुलसी, चन्दन, रुद्राक्ष और पत्थरों की मालाएँ) माथे पर विभिन्न रंगों और रूपों में, गले में कानों के आस-पास बाहुओं पर तिलक-छापा लगाना ये सभी बाह्याडम्बर है। इनका विरोध मुखर स्वर में कबीर ने किया है।

प्रश्न 11.
कबीर धर्म उपासना के आडंबर का विरोध करते हुए किसके ध्यान पर जोर देते हैं?
उत्तर-
संत कबीर ने हिन्दू और मुसलमानों के ढोंग-आडंबरों पर करारी चोट की है। उन्होंने धर्म के बाहरी विधि विधानों, कर्मकांडों-जप, माला, मूर्तिपूजा, रोजा, नमाज आदि का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि हिन्दू और मुसलमान आत्म-तत्त्व और ईश्वर के वास्तविक रहस्य से अपरिचित हैं, क्योंकि मानवता के विरुद्ध धार्मिक कट्टर और आडम्बरपूर्ण कोई भी व्यक्ति अथवा : .. धर्म ईश्वर की परमसत्ता का अनुभव नहीं कर सकता।

कबीर ने स्वयं (आत्मा) को पहचानने पर बल देते हुए कहा है कि यही ईश्वर का स्वरूप है। आत्मा का ज्ञान ही सच्चा ज्ञान है।

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प्रश्न 12.
आपस में लड़ते-मरते हिन्दू और तर्क को किस मर्म पर ध्यान देने की सलाह कवि देता है?
उत्तर-
मुगल बादशाह बाबर के जमाने से हिन्दू-मुसलमान अपने पूर्वाग्रहों और दुराग्रहों के कारण लड़ते-मरते चले आ रहे हैं। साम्प्रदायिक सौहार्द्र की जगह साम्प्रदायिकता का जहर पूरे समाज में घुला हुआ है। दोनों ही सम्प्रदायों का तथाकथित पढ़ा-लिखा और अनपढ़ तबका ‘ईश्वर’ की सत्ता, अवस्थिति की वस्तु स्थिति से अनवगत है। मूल चेतना, मर्म का ज्ञान किसी को नहीं है।

वेद-पुराण, कुरान, हदीश लगभग सभी धार्मिक ग्रंथों पर ईश्वर के स्वरूप, उसके प्रभाव और सर्वव्यापी सर्वज्ञ सर्वशक्तिमान होने की बात कही गयी है। जीव और ब्रह्म में द्वैत नहीं अद्वैत का सम्बन्ध है यह भी कथित है। किन्तु द्विधा और द्वैत भाव की प्रबलता के कारण हम हिन्दू-मुसलमान लड़ते आ रहे हैं। कबीर ने स्पष्ट कहा “एकै चाम एकै मल मूदा-काको कहिए ब्राह्मण शूद्रा।”

हमें इस मर्म पर ध्यान देना है कि हम सभी एक ही ईश्वर की संतान हैं। हमारी उत्पत्ति समान रूप से हुई है। पालन समान हवा, पानी, अन्नादि से होता है और मृत्यु की प्रक्रिया भी परम सत्ता द्वारा नियत और नियंत्रित है। परोपकार करके हम ईश्वर के सन्निकट होते हैं। पाप करके बाह्योपचार के पचड़े में पड़कर हम ईश्वर से दूर होकर अपना इहलोक के साथ परलोक भी कष्टमय कर लेते हैं। सदाचरण निष्काम सेवा ही ईश्वरोपासना का मूल मर्म है। मानवता की निष्काम सेवा से बढ़कर इस अनित्य संसार में कुछ भी नहीं है।

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प्रश्न 13.
“सहजै सहज समाना” में सहज शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है। इस प्रयोग की सार्थकता स्पष्ट करें।
उत्तर-
मध्यकालीन भारत में भक्ति की क्रांतिकारी भाव धारा को जन-जन तक पहुँचाने वाले भक्त कबीर ने ईश्वर प्राप्ति के मार्ग को ‘सहजै सहज समाना’ शब्द का दो बार प्रयोग किया है। प्रस्तुत शब्द में कबीर द्वारा बाह्याडंबरों की अपेक्षा स्वयं (आत्मा) को पहचानने की बात कही गई है। अपने शब्दों में कबीर ने ये बाह्याडंबर बताए हैं-पत्थर पूजा, कुरान पढ़ाना, शिष्य बनाना, तीर्थ-व्रत, टोपी-माला पहनना, छापा-तिल, लगाना, पीर औलिया की बातें मानना आदि।

कबीर कहते हैं ईश्वर का निवास न तो मंदिर में है, न मस्जिद में, न किसी क्रिया-कर्म में है और न योग-साधना में। उन्होंने कहा है कि बाह्याडंबरों से दूर रहकर स्वयं (आत्मा) को पहचानना चाहिए। यही ईश्वर है। आत्म-तत्व के ज्ञानी व्यक्ति ईश्वर को सहज से भी सहज रूप में प्राप्त कर सकता है। कबीर का तात्पर्य है कि ईश्वर हर साँस में समाया हुआ है। उन्हें पल भर की तालाश में ही पाया जा सकता है।

प्रश्न 14.
कबीर ने भर्म किसे कहा है?
उत्तर-
कबीर के अनुसार अज्ञानी गुरुओं की शरण में जाने पर शिष्य अज्ञानता के अंधकार में डूब जाते हैं। इनके गुरु भी अज्ञानी होते हैं; वे घर-घर जाकर मंत्र देते फिरते हैं। मिथ्याभिमान के परिणामस्वरूप लोग विषय-वासनाओं की आग से झुलस रहे हैं। कवि का कहना है कि धार्मिक आडम्बरों में हिन्दू और मुसलमान दोनों ही ईश्वर की परम सत्ता से अपरिचित हैं। इनमें कोई भी प्रभु के प्रेम का सच्चा दीवाना नहीं है।

कबीर ने इन बाह्याडम्बरों के ‘भर्म’ को भुलाकर स्वयं (आत्मा) को पहचानने की सलाह देते हुए कहा है कि आत्मा का ज्ञान की सच्चा ज्ञान है। ईश्वर हर साँस में समाया हुआ है अर्थात् सच्ची अनुभूति और आत्म-साक्षात्कार के बल पर ईश्वर को पल भर की तलाश में ही पाया जा सकता है।

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कबीर के पद भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों का रूप लिखें
आतम, परवान, तीरथ, पियारा, सिख्य, असनान, डिंभ, पाथर, मंतर, नर्म, अहनिस, तुमकूँ।
उत्तर-

  • आतम-आत्मा
  • परवान-पत्थर
  • तीरथ-तीर्थ
  • पियारा-प्यारा
  • सिख्य-शिष्य
  • असनान-स्नान
  • डिभ-दंभ
  • पाथर-पत्थर
  • मंतर-मंत्र
  • मर्म-भ्रम
  • अहनिश-अहर्निश
  • तुमकूँ-तुमको

प्रश्न 2.
दोनों पदों में जो विदेशज शब्द आये हैं उनकी सूची बनाएँ एवं उनका अर्थ लिखें।
उत्तर-
कबीर रचित पद द्वय में निम्नलिखित विदेशज (विदेशी) शब्द आये हैं, जिनका अर्थ अग्रोद्धत है

पीर-धर्मगुरु; औलिया-संत; कितेब-किताब, पुस्तक; कुरान-इस्लाम धर्म का पवित्र ग्रंथ; मुरीद-शिष्य, चेला, अनुयायी; तदबीर-उपाय, उद्योग, कर्मवीरता; खवरि-सूचना, ज्ञान; तुर्क-इस्लाम धर्म के अनुयायी, तुर्की देश के निवासी; रहिमाना-रहमान-रहम दया करने वाला अल्ला।

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प्रश्न 3.
पठित पदों से उन शब्दों को चुनें निम्नलिखित शब्दों के लिए आये हैं
उत्तर-
आँख-नैन; पागल-वौराना (बौराया); धार्मिक-धरमी; बर्तन-भांडे, वियोग-विरह, आग-अगिनि, रात-निस।

प्रश्न 4.
नीचे प्रथम पद से एक पंक्ति दी जा रही है, आप अपनी कल्पना से तुक मिलते हुए अन्य पंक्तियाँ जोड़ें- “साँच कहो तो मारन धावै, झूठे जग पतियाना।”
उत्तर-
साँच कहो तो मारन धावै झूठे जग पतियाना,
मर्म समझ कर चेत ले जल्दी घूटे आना-जाना,
जीवन क्या इतना भर ही है रोना हँसना खाना,
हिय को साफ तू कर ले पहले, बसे वहीं रहिमान।
छोड़ सके तो गर्व छोड़ दे राम बड़ा सुलिताना,
भाया मोह की नगरी से जाने कब पड़ जाय जाना”
चेत चेत से मूरख प्राणी पाछे क्या पछि ताना।

प्रश्न 5.
कबीर की भाषा को पंचमेल भाषा कहा गया है। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने उन्हें वाणी का डिक्टेटर कहा है। कबीर की भाषा पर अपने शिक्षक से चर्चा करें अथवा कबीर की भाषा-शैली पर एक सार्थक टिप्पणी दें।
उत्तर-
“लिखा-लिखि की है नहीं देखा देखी बात’ “की उद्घोषणा करने वाले भाषा के डिक्टेटर और वाणी के नटराज कबीर की भाषा-शैली कबीर की ही प्रतिमूर्ति है। कबीर बहु-श्रुत और परिव्राजक संत कवि थे। हिमालय से हिन्द महासागर और गुजरात से मेघालय तक फैले उनके अनुयायियों द्वारा किये गये कबीर की रचनाओं के संग्रह में प्रक्षिप्त क्षेत्रियता का निदर्शन इस बात का सबल प्रमाण है कि कबीर “जैसा देश वैसी वाणी, शैली’ के प्रयोक्ता थे।

हालांकि उन्होंने स्पष्ट कहा है “मेरी बोली पूरबी” लेकिन भोजपुरी राजस्थानी, पंजाबी, अवधी, ब्रजभाषा आदिनेक तत्कालीन प्रचलित बोलियों और भाषाओं के शब्द ही नहीं नवागत इस्लाम की भाषा अरबी, उर्दू, फारसी के शब्दों की शैलियों का उपयोग किया है। रहस्यवादी संध्याभाषा उलटबाँसी, योग की पारिभाषिक शब्दावली के साथ ही सरल वोधगम्य शब्दों के कुशल प्रयोक्ता हैं।

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“जल में रहत कुमुदनी चन्दा बसै आकास, जो जाहि को भावता सो ताहि के पास” कहने वाले कबीर “आँषि डिया झाँई पड्या जीभड्या छाल्या पाड्या” भी कहते हैं। ये आँखियाँ अलसानि पिया हो सेज चलो “कहने वाले कबीर” कुत्ते को ले गयी बिलाई ठाढ़ा सिंह चरावै गाई”। भी कहते हैं। कबीर के सामने भाषा सचमुच निरीह हो जाती है।

प्रश्न 6.
प्रथम पद में अनुप्रास अलंकार के पाँच उदाहरण चुनें।
उत्तर-
नेमि देखा धरमी देखा-पंक्त में ‘मि’ वर्ण और देखा शब्द की आवृत्ति से अनुप्रास अलंकार। जै पखानहि पूजै में प वर्ण की आवृत्ति से अनुप्रास अलंकार पीर पढ़े कितेब कुराना में क्रमशः प और क वर्ण की आवृत्ति से अनुप्रास अलंकार। उनमें उहै में उ वर्ण की आवृत्ति से अनुप्रास अलंकार। पीतर पाथर पूजन में प वर्ण की आवृत्ति से अनुप्रास अलंकार उपस्थित है।

प्रश्न 7.
दूसरे पद में ‘विरह अगिनि’ में रूपक अलंकार है। रूपक अलंकार के चार अन्य उदाहरण दें।
उत्तर-
रूपक अलंकार के चार अन्य उदाहरण निम्नलिखित हैं ताराघाट, रघुवर-बाल-पतंग, चन्द्रमुखी, चन्द्रबदनी, मृगलोचनी।

प्रश्न 8.
कारक रूप स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
झठे-झूठ को-द्वितीय तत्पुरुष, पखानहि-पत्थर को द्वितीया तत्पुरुष; सब्दहि-शब्द को-द्वितीय-तत्पुरुष, खबरि-सूचना ही में-सम्प्रदान तत्पुरुष; कारनि-कारण से-अपादान, तत्पुरुष, भांडै-भांड में-अधिकरण तत्पुरुष।

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प्रश्न 9.
पाठ्य-पुस्तक में संकलित कबीर रचित पद “संतौ देखो जग बौराना’ का भावार्थ लिखें।
उत्तर-
प्रथम पद का भावार्थ देखें। प्रश्न 10. पाठ्य-पुस्तक में संकलित कबीर रचित द्वितीय पद का भावार्थ प्रस्तुत करें। उत्तर-द्वितीय पद का भावार्थ देखें।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर।

कबीर के पद लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कबीर की विरह-भावना पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
कबीर परमात्मा से प्रेम करने वाले भक्त हैं। उनकी प्रीति पति-पत्नी भाव की है। परमात्मा रूपी पति से मिलन नहीं होने के कारण वे विरहिणी स्त्री की भाँति विरहाकुल रहते हैं। ये प्रियतम के दर्शन हेतु दिन-रात आतुर रहते हैं। उनके नेत्र उन्हें देखने के लिए सदैव आकुल रहते हैं। वे विरह की आग में सदैव जलते रहते हैं। एक वाक्य में उनकी दशा यही है कि “तलफै बिनु बालम मोर जिया। दिन नहिं चैन, रात नहिं, निंदिया तरप तरप कर भोर किया।”

कबीर के पद अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कबीर विरह की दशा में क्या अनुभव करते हैं?
उत्तर-
कबीर को विरह की अग्नि जलाती है, आतुरता और उद्वेग पैदा करती है तथा मन धैर्य से रहित हो जाता है।

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प्रश्न 2.
कबीर परमात्मा से क्या चाहते हैं?
उत्तर-
कबीर परमात्मा का दर्शन चाहते हैं, विरह-दशा की समाप्ति और मिलन का सुख चाहते हैं।

प्रश्न 3.
कबीर के अनुसार हिन्दू-मुस्लिम किस मुद्दे पर लड़ते हैं? उत्तर-हिन्दू-मुसलमान नाम की भिन्नता और उपासना की भिन्नता को लेकर लड़ते हैं। प्रश्न 4. कबीर की दृष्टि में नकली उपासक क्या करते हैं?
उत्तर-
नकली उपासक नियम-धरम का विधिवत पालन करते हैं, माला-टोपी धारण करते हैं, आसन लगाकर उपासना करते हैं, पीपल-पत्थर पूजते हैं, तीर्थव्रत करते हैं तथा भजन-कीर्तन गाते हैं।

प्रश्न 5.
कबीर की दृष्टि में नकली गुरु लोग क्या करते हैं?
उत्तर-
नकली गुरु लोग किताबों में पढ़ें मन्त्र देकर लोगों को शिष्य बनाते हैं और ठगते हैं।

इन्हें अपने ज्ञान, महिमा तथा गुरुत्व का अभिमान रहता है लेकिन वास्तव में ये आत्मज्ञान से रहित मूर्ख, ठग और अभिमानी होते हैं।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 2 कबीर के पद

प्रश्न 6.
कबीर के अनुसार ईश्वर-प्राप्ति का असली मार्ग क्या है?
उत्तर-
ईश्वर-प्राप्ति का असली मार्ग है आत्मज्ञान अर्थात् अपने को पहचानता और अपनी सत्ता को ईश्वर से अभिन्न मानना तथा ईश्वर से सच्चा प्रेम करना।

प्रश्न 7.
कबीरदास ने प्रथम पद में किसकी व्यर्थता सिद्ध की है?
उत्तर-
कबीरदास ने अपने प्रथम पद में पत्थर पूजा, तीर्थाटन और छाप तिलक को व्यर्थ बताया है।

प्रश्न 8.
कबीर ने दूसरे पद में बलिध का प्रयोग किसके लिए किया है?
उत्तर-
कबीरदास ने अपने दूसरे पद में बलिध का प्रयोग परमात्मा और सर्वशक्तिमान के लिए किया है।

प्रश्न 9.
कबीर के दृष्टिकोण में सारणी या सबद गाने वाले को किसकी खबर नहीं है?
उत्तर-
कबीरदास ने दृष्टिकोण में सारणी या सबद गाने वाले को स्वयं अपनी खबर नहीं है।

कबीर के पद वस्तनिष्ठ प्रश्नोत्तर

सही उत्तर सांकेतिक चिह्न (क, ख, ग या घ) लिखें।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 2 कबीर के पद

प्रश्न 1.
कबीरदास किस काल के कवि हैं?
(क) आदिकाल
(ख) भक्तिकाल
(ग) रीतिकाल
(घ) वीरगाथा काल
उत्तर-
(ख)

प्रश्न 2.
कबीर किसके उपासक थे?
(क) निर्गुण ब्रह्म के
(ख) सगुण ब्रह्म के
(ग) निराकार ब्रह्म के
(घ) साकार ब्रह्म के
उत्तर-
(ग)

प्रश्न 3.
कबीर ने इस संसार को क्या कहा है?
(क) बौराया हुआ
(ख) साश्वत
(ग) क्षणभंगुर
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क)

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 2 कबीर के पद

प्रश्न 4.
लोग किस पर विश्वास करते हैं?
(क) सत्य पर
(ख) झूठ पर
(ग) बाह्याडम्बर पर
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ख)

प्रश्न 5.
कबीर ने मर्म किसे कहा है?
(क) घाव को
(ख) वेदना को
(ग) रहस्य को
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग)

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।

प्रश्न 1.
कबीर ने ‘साखी’, संबंद और……………की रचना की।
उत्तर-
रमैनी

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 2 कबीर के पद

प्रश्न 2.
कबीर, कागद की लेखी’ की जगह………..को तरजीह देते थे।
उत्तर-
आँखन-देखी

प्रश्न 3.
साँच कहाँ तो मारन धावै,………….जग पतियाना।
उत्तर-
झूठे

प्रश्न 4.
साखी सब्दहि गावत भूले…………खबरि, नहि जाना।
उत्तर-
आतम।

कबीर के पद कवि परिचय – (1399-1518)

कबीर का जन्मकाल भी निश्चित प्रमाण के अभाव में विवादास्पद रहा है। फिर भी, बहुत से विद्वानों द्वारा सन् 1399 ई० को उनका जन्म और सन् 1518 ई० को उनका शरीर त्याग मा लिया गया है। इस तरह कुल एक सौ बीस वर्षों की लम्बी आयु तक जीवित रहने का सौभाग्य संत कवि कबीर को मिला था। जीवन रूपी लम्बी चादर को इन्होंने इतने लम्बे काल तक ओढा, जीया और अंत में गर्व के साथ कहा भी कि “सो चादर सुन नर मुनि ओढ़ी-ओढ़ी के मैली कीन्हीं चदरिया।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 2 कबीर के पद

दास कबीर जतन से ओढ़ी ज्यों की त्यों धरि दीनि चदरिया।” हिन्दी साहित्य के स्वर्णयुग भक्तिकाल के पहले भक्त कवि कबीरदास थे। भक्ति को जन-जन तक काव्य रूप में पहुँचा कर उससे सामाजिक चेतना को जोड़ने का काम भक्तिकालीन भक्त कवियों ने किया। ऐसा भक्त कवियों में पहला ही नहीं सबसे महत्वपूर्ण नाम भी कबीर का ही माना जाता है।

कहा जाता है कि एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से जन्म लेने के बाद लोक-लाज के भय से माता द्वारा परित्यक्त नवजात शिशु कबीर बनारस के लहरतारा तालाब के किनारे नीरू और नीमा नामक जुलाहा दम्पति द्वारा पाये और पुत्रवत पाले गये।

कबीर रामानन्दाचार्य के ही शिष्य माने जाते हैं पर गुरु मंत्र के रूप में प्राप्त राम नाम को उन्होंने सर्वथा निर्गुण रूप में स्वीकार और अंगीकार किया। अनजाने सिद्ध और नाथ-साहित्य से भी गहरे तक प्रभावित रहे। विशेष पंथ या मठ-मंदिर के आजन्म विरोधी रहे। कहा जाता है कि उनको कमाल नामक पुत्र और कमाली नामक एक पुत्री भी थी।

सिकंदर लोदी जैसे कट्टर मुसलमान शासक के काल में भी ऐसी धर्म निरपेक्ष ही नहीं कट्टरता-विरोधी उक्तियाँ कबीर से ही संभव थीं। शायद उसके अत्याचार का वे शिकार हुए भी थे। मृत्युकाल में उन्होंने मगहर की यात्रा की थी।

कबीर के पद कविता का भावार्थ

प्रथम पद महान् निर्गुण संत, परम्परा, भंजक, एकेश्वरवादी चिंतक कवि, कबीर संतों को सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि हे संतो ! देखो यह संसार बौरा गया है, पागल हो गया है। इसकी विवेक . बुद्धि नष्ट हो गयी है। जब भी मैं इन सांसारिक जीवों को सत्य के बारे में बताना चाहता हूँ।

ये मुझे उल्टा-सीधा कहते हैं, मुझे मारने दौड़ते हैं और जो कुछ इनके इर्द-गिर्द माया प्रपंच है उसे ये सत्य मान बैठे हैं।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 2 कबीर के पद

मुझे ऐसे अनेक नियम-धर्म के कठोर पालक दिखे जो हर मौसम में शरीर को कष्ट देकर स्नान करते हैं, आत्म ज्ञान से शून्य होकर पत्थर के देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। अनेक पीर (धर्म गुरु) और औलिया (संत) मिले जो कुरान जैसे ग्रंथ की गलत तथ्यहीन व्याख्या अपने शिष्यों को समझा कर उनको भटका चुके हैं। उन्हें अपने पीर औलिया होने का घमंड हो गया है।

पितृ (मरे हुए पूर्वज) की सेवा पत्थरों की मूर्ति पूजा और तीर्थटन करने वाले धार्मिक अहंकारी हो चले हैं। स्वयं को संत, महात्मा धार्मिक दर्शन के लिए टोपी, माला, तिलक-छाप धारण किये हुए हैं और अपनी स्वाभाविक स्थिति भूल चुके हैं। सचमुच के महान् वीतरागी संतों द्वारा रचित साखी सबद आदि गाते घुमते चलते हैं। इस संसार के प्राणी अपने को हिन्दू-मुस्लिम में बाँट चुके हैं।

एक को राम प्यारा है तो दूसरे को रहमान प्यारे हैं। छोटी-छोटी बातों पर ये एक-दूसरे के रक्त के प्यासे हो लड़-मर पड़ते हैं? लेकिन अभिमान अहंकार के वशीभूत हो ये घर-घर बाह्याचरण का आडम्बर युक्त पूजा, कर्मकाण्ड का मंत्र देते चलते हैं। मुझे तो लगता है कि ये तथाकथित गुरु अपने शिष्यों सहित माया के सागर में डूब चुके हैं। अन्त में इन्हें पछताना ही पड़ेगा।

ये हिन्दू-मुसलमान, पीर औलिया सभी ईश्वर-धर्म के मूल तत्त्व और मर्म को भूल चुके हैं। कई बार इनकी मैंने समझाकर कहा कि ईश्वर को कर्मकाण्ड बाह्यचार से नहीं बल्कि सहज जीवन-यापन की पद्धति से ही प्राप्त किया जा सकता है। क्योंकि परमब्रह्म ईश्वर अल्ला अत्यंत सहज और सरल हैं।

प्रस्तुत पद में कबीर ने अपने समय के साम्प्रदायिक तनावग्रस्त माहौल का भी वर्णन किया है। पद में अनायास रूप से अनुप्रास, वीप्सा. आदि अलंकार आये हैं। पद शांत रस का अनूठा उदाहरण है।

द्वितीय पद साधना के क्षेत्र के सहज सिद्ध हठयोगी, भावना के क्षेत्र में आकर कितना कोमल प्राण, भावुक, भाव विह्वल, विदग्ध हृदय हो सकता है, यह विरोधाभास कबीर में उपलब्ध हो सकता है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 2 कबीर के पद

चिर विरहिणी कबीर आत्मा विरह विदग्ध अवस्था की चरम स्थिति में चीत्कार करती हुई कहती है कि हे बलिया (बाल्हा) प्रियतम तुझे कब देवूगी तेरा प्रेम मेरे भीतर इस तरह से व्याप्त हो गया है कि दिन-रात तुम्हारे दर्शन की आतूरता आकुलता बनी रहती है। मेरी आँखें केवल तुमको देखना चाहती हैं, ये लगातार खुली रहती हैं कि तुम्हारे दीदार से वंचित न हो जाएँ।

हे मेरे भर्तार (स्वामी) तुम भी इतना सोच विचार लो कि तुम्हारे बिना शरीर में जो विरहाग्नि उत्पन्न हुई है वह शरीर को कैसे जलाती होगी। मेरी गुहार सुनो, बहरा मत बन जाओ मैं जानती हूँ कि तुम धीरता की प्रतिमूर्ति हो, शाश्वत हो लेकिन मेरी शरीर कच्चा कुम्भ है और उसने प्राण रूपी नीर है। घड़ा कभी भी फूट सकता है, मृत्यु कभी भी हो सकती है। तुमसे बिछड़े हुए भी बहुत दिन हो गये, अब मन को किसी भी प्रकार से धीरता प्राप्त नहीं हो पाती।

जब तक यह शरीर है, मेरे दु:ख का नाश करने वाले तुम एक बार मुझे अपना “दरस-परस” करा दो। मैं अतृप्ति को साथ लिये मरना नहीं चाहती। तुमसे मैंने प्रेम किया है, विरह भी भोंग रही हूँ किन्तु यदि हमारा मिलन नहीं हुआ, प्रेम का सुखान्त नहीं हुआ तो यह तुम्हारे जैसे सर्वशक्तिमान आर्तिनाशक के विरुद्ध के विरुद्ध बात होगी।

प्रस्तुत पद में कबीर ने भारतीय रहस्यवाद का सुन्दर वर्णन किया है। जहाँ जीवात्मा और परमात्मा का सम्बन्ध प्रेमी और प्रेमास्पद के रूप में चित्रित है।

रूपक और अनुप्रास अलंकार के उदाहरण यत्र-तत्र उपलब्ध है। सम्पूर्ण पद में शांत रस का पूर्ण परिपाक हुआ है।

कबीर के पद कठिन शब्दों का अर्थ

पतियाना-विश्वास करना। धावै-दौड़ना। व्यापै-अनुभव। रती-तनिक (रत्ती, रती)। नेमी-नियम का पालन करने वाला। बधीर-बहरा, जो कम सुने या न सुने। आतम-आत्मा। अगिनी-अग्नि। पखानहि-पत्थर को। दादि-विनती, स्तुति। पीर-धर्म गुरु। गुसांई-गोस्वामी, मालिक। औलिया-सन्त। जिन-मत, नहीं (निषेध सूचक)। कितेब-किताब, पुस्तक। भांडै-बर्तन। मुरीद-शिष्य, चेला, अनुयायी। छता-अक्षत, रहते हुए। तदवीर-उपाय। आरतिवंत-दुःखी। डिंभ-दंभ। रहिमाना-दयालु। पीतर-पीतल, पितर, पुरखा। महिमा-महत्त्व। मूए-मरे। बलिया-प्रियतम। अहनिस-दिन-रात।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 2 कबीर के पद

कबीर के पद काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. संतो देखत जग बौराना…………नमें कछु नहिं ज्ञाना।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियों में कबीरदास जी ने धार्मिक क्षेत्र में उलटी रीति और संसार के लोगों के बावलेपन का उल्लेख किया है। वे संतों अर्थात् सज्जन तथा ज्ञान-सम्पन्न लोगों को सम्बोधित करते हुए कहते हैं कि संतो! देखो, यह संसार बावला या पागल हो गया है? इसने उल्टी राह पकड़ ली है। जो सच्ची बात कहता है उसे लोग मारने दौड़ते हैं। इसके विपरीत जो लोग गलत और झूठी बातें बताते हैं उन पर वे विश्वास करते हैं। मैंने धार्मिक नियमों और विधि-विधानों का पालन करने वाले अनेक लोगों को देखा है। वे प्रातः उठकर स्नान करते हैं, तथा मंदिरों में जाकर पत्थर की मूर्ति को पूजते हैं। मगर उनके पास तनिक भी ज्ञान नहीं है। वे अपनी आत्मा को नहीं जानते हैं और उसकी आवाज को मारते हैं, अर्थात् अनसुनी करते हैं, अर्थात् अनसुनी करते हैं, सारांशतः कबीर कहना चाहते हैं कि ऐसे लोग केवल बाहरी धर्म-कर्म और नियम-आचार जानते हैं जबकि अन्त: ज्ञान से पूर्णतः शून्य हैं।

2. बहुतक देखा पीर औलिया…………..उनमें उहै जो ज्ञाना।
व्याख्या-
कबीरदास जी ने अपने पद की प्रस्तुत पंक्तियों में मुसलमानों के तथाकथित पीर और औलिया के आचरणों का परिहास किया है। वे कहते हैं कि मैंने अनेक पीर-औलिये को देखा है जो नित्य कुरान पढ़ते रहते हैं। उनके पास न तो सही ज्ञान होता है और न कोई सिद्धि होती है फिर भी वे लोगों को अपना मुरीद यानी अनुगामी या शिष्य बनाते और उन्हें उनकी समस्याओं के निदान के उपाय बताते चलते हैं। यही उनके ज्ञान की सीमा है। निष्कर्षतः कबीर कहना चाहते हैं कि ये पीर-औलिया स्वतः अयोग्य होते हैं लेकिन दूसरों को ज्ञान सिखाते फिरते हैं। इस तरह ये लोग ठगी करते हैं।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 2 कबीर के पद

3. आसन मारि डिंभ धरि…………….आतम खबरि न जाना।
व्याख्या-
कबीरदास जी का स्पष्ट मत है कि जिस तरह मुसलमानों के पीर औलिया ठग हैं उसी तरह हिन्दुओं के पंडित ज्ञान-शूल। वे कहते हैं कि ये नकली साधक मन में बहुत अभिमान रखते हैं और कहते हैं कि मैं ज्ञानी हूँ लेकिन होते हैं ज्ञान-शूल। ये पीपल पूजा के रूप में वृक्ष पूजते हैं, मूर्ति पूजा के रूप में पत्थर पूजते हैं। तीर्थ कर आते हैं तो गर्व से भरकर अपनी वास्तविकता भूल जाते हैं। ये अपनी अलग पहचान बताने के लिए माला, टोपी, तिलक, पहचान चिह्न आदि धारण करते हैं और कीर्तन-भजन के रूप में साखी, पद आदि गाते-गाते भावावेश में बेसुध हो जाते हैं। इन आडम्बरों से लोग इन्हें महाज्ञानी और भक्त समझते हैं। लेकिन विडम्बना यह है कि इन्हें अपनी आत्मा की कोई खबर नहीं होती है। कबीर के अनुसार वस्तुतः ये ज्ञानशून्य और ढोंगी महात्मा हैं।

4. हिन्दु कहै मोहि राम पियारा………….मरम न काहू जाना।
व्याख्या-
कबीर कहते हैं कि हिन्दू कहते हैं कि हमें राम प्यारा है। मुसलमान कहते हैं कि हमें रहमान प्यारा है। दोनों इन दोनों को अलग-अलग अपना ईश्वर मानते हैं और आपस में लड़ते तथा मार काट करते हैं। मगर, कबीर के अनुसार दोनों गलत हैं। राम और रहमान दोनों एक सत्ता के दो नाम हैं। इस तात्त्विक एकता को भूलकर नाम-भेद के कारण दोनों को भिन्न मानकर आपस में लड़ना मूर्खता है। अत: दोनों ही मूर्ख हैं जो राम-रहीम की एकता से अनभिज्ञ हैं।

5. घर घर मंत्र देत…………….सहजै सहज समाना।
व्याख्या-
कबीरदास जी इन पंक्तियों में कहते हैं कि कुछ लोग गुरु बन जाते हैं मगर मूलतः वे अज्ञानी होते हैं। गुरु बनकर वे अपने को महिमावान समझने लगते हैं। महिमा के इस अभिमान से युक्त होकर वे घर-घर घूम-घूम कर लोगों को गुरुमंत्र देकर शिष्य बनाते चलते हैं। कबीर के मतानुसार ऐसे सारे शिष्य गुरु बूड़ जाते हैं; अर्थात् पतन को प्राप्त करते हैं और अन्त समय में पछताते हैं। इसलिए कबीर संतों को सम्बोधित करने के बहाने लोगों को समझाते हैं कि ये सभी लोग भ्रमित हैं, गलत रास्ते अपनाये हुए हैं।

मैंने कितनी बार लोगों को कहा है कि आत्मज्ञान ही सही ज्ञान है लेकिन ये लोग नहीं मानते हैं। ये अपने आप में समाये हुए हैं, अर्थात् स्वयं को सही तथा दूसरों को गलत माननेवाले मूर्ख हैं। यदि आप ही आप समाज का अर्थ यह करें कि कबीर ने लोगों को कहा कि अपने आप में प्रवेश करना ही सही ज्ञान है। तब यहाँ ‘आपहि आप समान’ का अर्थ होगा-‘आत्मज्ञान प्राप्त करना’ जो कबीर का प्रतिपाद्य है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 2 कबीर के पद

6. हो बलिया कब देखेंगी…………..न मानें हारि।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियों में कबीरदास जी ने ईश्वर के दर्शन पाने की अकुलाहट भरी इच्छा व्यक्त की है। वे कहते हैं कि प्रभु मैं तुम्हें कब देखूगा? अर्थात् तुम्हें देखने की मेरी इच्छा कब पूरी होगी, तुम कब दर्शन दोगे? मैं दिन-रात तुम्हारे दर्शन के लिए आतुर रहता हूँ। यह इच्छा मुझे इस तरह व्याप्त किये हुई है कि एक पल के लिए भी इस इच्छा से मुक्त नहीं हो पाता हूँ।

मेरे नेत्र तुम्हें चाहते हैं और दिन-रात प्रतीक्षा में ताकते रहते हैं। नेत्रों की चाह इतनी प्रबल है कि ये न थकते हैं और न हार मानते हैं। अर्थात् ये नेत्र जिद्दी हैं और तुम्हारे दर्शन किये बिना हार मानकर बैठने वाले नहीं हैं। अभिप्राय यह कि जब ये नेत्र इतने जिद्दी हैं, और मन दिन-रात आतुर होते हैं तो तुम द्रवित होकर दर्शन दो और इनकी जिद पूरी कर दो।

7. “बिरह अगिनि तन……………..जिन करहू बधीर।”
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियों में कबीरदास जी अपनी दशा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि हे स्वामी ! तुम्हारे वियोग की अग्नि में यह शरीर जल रहा है, तुम्हें पाने की लालसा आग की तरह मुझे दग्ध कर रही है। ऐसा मानकर तुम विचार कर लो कि मैं दर्शन पाने का पात्र हूँ या उपेक्षा का?

कबीरदास जी अपनी विरह-दशा को बतला कर चुप नहीं रह जाते हैं? वे एक वादी अर्थात् फरियादी करने वाले व्यक्ति के रूप में अपना वाद या पक्ष या पीड़ा निवेदित करते हैं और प्रार्थना. करते हैं कि तुम मेरी पुकार सुनो, बहरे की तरह अनसुनी मत करो। पंक्तियों की कथन-भगिमा की गहराई में जाने पर स्पष्ट ज्ञात होता है कि कबीर याचक की तरह दयनीय मुद्रा में विरह-निवेदन नहीं कर रहे हैं। उनके स्वर में विश्वास का बल है और प्रेम की वह शक्ति है जो प्रेमी पर अधिकार-बोध व्यक्त करती है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 2 कबीर के पद

8. तुम्हे धीरज मैं आतुर…………….आरतिवंत कबीर।
व्याख्या-
अपने आध्यात्मिक विरह-सम्बन्धी पद की प्रस्तुत पंक्तियों में कबीर अपनी तुलना आतुरता और ईश्वर की तुलना धैर्य से करते हुए कहते हैं कि हे स्वामी ! तुम धैर्य हो और मैं आतुर। मेरी स्थिति कच्चे घड़े की तरह है। कच्चे घड़े में रखा जल शीघ्र घड़े को गला कर बाहर निकलने लगता है। उसी तरह मेरे भीतर का धैर्य शीघ्र समाप्त हो रहा है अर्थात् मेरा मन अधीर हो रहा है। आप से बहुत दिनों से बिछुड़ चुका हूँ।

मन अधीर हो रहा है तथा शरीर क्षीण हो रहा है। अपने भक्त कबीर पर कृपाकर अपने दर्शन दीजिए। आपके दर्शन से ही मेरा जीवन सफल हो सकता है। कबीरदास का मन ईश्वर से मिलने के लिए व्याकुल है। उनकी अन्तरात्मा ईश्वर के लिए आतुर है। वास्तव में, ईश्वर के दर्शन से ही कबीर का जीवन सफल हो सकता है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 2 कबीर के पद

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर

Bihar Board 12th Chemistry Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर

Question 1.
यौगिक C6H14O2, में दो तृतीयक ऐल्कोहॉलिक समूह होते हैं। इस यौगिक का IUPAC नाम है
(a) 2, 3-डाइमेथिल-1, 2-ब्यूटेनडाइऑल
(b) 3, 3-डाइमेथिल-1, 2-ब्यूटेनडाइऑल
(c) 2, 3-डाइमेथिल-2, 3-ब्यूटेनडाइऑल
(d) 2-मेथिल-2, 3-पेन्टेनडाइऑल
Answer:
(c) 2, 3-डाइमेथिल-2, 3-ब्यूटेनडाइऑल

Question 2.
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर 1
का IUPAC नाम है
(a) 3-प्रोपिलब्यूटेन-1-ऑल
(b) 2-प्रोपिलब्यूटेन-1-ऑल
(c) 3-मेथिल हाइड्रॉक्सीहेक्जेन
(d) 2-एथिल-2-प्रोपिल एथेनॉल
Answer:
(b) 2-प्रोपिलब्यूटेन-1-ऑल

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर

Question 3.
अभिक्रियाओं के निम्न क्रम में, ऑलियम
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर 2
निर्मित यौगिक Q होगा
(a) ऐनिलीन
(b) फीनॉल
(c) बेंजेल्डीहाइड
(d) बेंजीन सल्फोनिक अम्ल
Answer:
(b) फीनॉल

Question 4.
कौन-सा अपचायक निम्न परिवर्तन के लिए प्रयुक्त किया जाता है ?
RCOOH → RCH2OH
(a) LiAlH4
(b) NaBH4
(c) K2Cr2O7
(d) KMnO4
Answer:
(a) LiAlH4

Question 5.
3-मेथिलब्यूट-1-ईन से 3-मेथिलब्यूटेन-2-ऑल बनाने की सबसे अच्छी विधि है
(a) तनु H2SO4 की उपस्थिति में जल का योग
(b) तनु H2SO4 की अभिक्रिया के साथ HCL का योग
(c) हाइड्रोबोरेशन-आक्सीकरण अभिक्रिया
(d) राइमर-टीमर अभिक्रिया। अभिक्रिया
Answer:
(a) तनु H2SO4 की उपस्थिति में जल का योग

Question 6.
अभिक्रिया C2H5OH + Hx → C2H5 X+ H2O के लिए; क्रियाशीलता का क्रम है
(a) HCl>HBr>HI
(b) HI>HBr>HCI
(c) HBr>HCI>SHI
(d) HI>HCI>HBr
Answer:
(b) HI>HBr>HCI

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर

Question 7.
निम्न में से कौन-सा अभिकर्मक प्राथमिक ऐल्काहॉलों से ऐल्डिहाइड्रों में ऑक्सीकृत करने के लिए प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है ?
(a) निर्जल (Anhydrous) माध्यम से CrO3
(b) अम्लीय माध्यम में KMnO4
(c) पायरिडिनियम क्लोरोक्रोमेट
(d) 573 K पर Cu की उपस्थिति में ऊष्मा
Answer:
(b) अम्लीय माध्यम में KMnO4

Question 8.
1-फीनाएलइथेनॉल को किसके साथ बेन्जेल्डीहाइड की अभिक्रिया द्वारा बनाया जा सकता है ?
(a) मेथिल ब्रोमाइड
(b) एथिल आयोडाइड एवं मैग्नीशियम
(c) मेथिल आयोडाइड एवं मैग्नीशियम
(d) मेथिल ब्रोमाइड एवं ऐलुमिनियम ब्रोमाइड
Answer:
(c) मेथिल आयोडाइड एवं मैग्नीशियम

Question 9.
निम्न में से कौन-सा ऐल्कोहॉल निर्जलीकरण (Dehydration) के दौरान सर्वाधिक स्थायी कार्बोधनायन देगा?
(a) 2-मेथिल-1-प्रोपेनॉल
(b) 2-मेथिल-2-प्रोपेनॉल
(c) 1-ब्यूटेनॉल
(d) 2-ब्यूटेनॉल
Answer:
(b) 2-मेथिल-2-प्रोपेनॉल

Question 10.
अणु सूत्र C3H8O के साथ यौगिक x को अन्य यौगिक Y में ऑक्सीकृत किया जा सकता है जिसका अणु सूत्र C3H6O2 है।
(a) CH3CH2OCH3
(b) CH3CH3CHO
(c) CH3CH2CH3OH
(d) CH3CHOHCH3
Answer:
(c) CH3CH2CH3OH

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर

Question 11.
निम्न में से कौन-सा यौगिक किसी विद्युतस्नेही पर सर्वाधिक आसानी से आक्रमित (Attacked) होगा?
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर 3
Answer:
(c)

Question 12.
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर 4
इस अभिक्रिया में, x है
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर 5
Answer:
(a)

Question 13.
ऐल्कोहॉलों के एस्टरीकरण (Esterification) का क्रम है
(a) 3°>1°>2°
(b) 2°>3°>1°
(c) 1°>2°>3°
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer:
(c) 1°>2°>3°

Question 14.
क्या होता है जब तृतीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल को 300°C पर गर्म कॉपर से गुजारा जाता है?
(a) द्वितीयक ब्यूटिल ऐल्कोहॉल बनता है।
(b) 2-मेथिलप्रोपीन बनता है।
(c) 1-ब्यूटीन बनता है।
(d) ब्यूटेनल बनता है।
Answer:
(b) 2-मेथिलप्रोपीन बनता है।

Question 15.
फीनॉल को जब ब्रोमीन जल की अधिकता के साथ उपचारित किया जाता है तो किसका सफेद अवक्षेप प्राप्त होता है ?
(a) 2, 4, 6-ट्राइब्रोमोफोनॉल
(b) 0-ब्रोमोफोनॉल
(c) p-ब्रोमोफीनॉल
(d) ब्रोमोबेन्जीन
Answer:
(a) 2, 4, 6-ट्राइब्रोमोफोनॉल

Question 16.
पिक्रिक अम्ल एक पीले रंग का यौगिक है । इसका रासायनिक नाम
(a) m-नाइट्रोबेंजोइक अम्ल
(b) 2, 4, 6-ट्राइनाइट्रोफीनॉल
(c) 2,4, 6-ट्राइब्रोमोफीनॉल
(d) p-नाइट्रोफीनॉल
Answer:
(b) 2, 4, 6-ट्राइनाइट्रोफीनॉल

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर

Question 17.
जलीय NaOH की उपस्थिति में फीनॉल एवं क्लोरोफार्म के मध्य क्रिया है
(a) नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया
(b) विद्युतस्नेही योगात्मक अभिक्रिया
(c) विद्युतस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया
(d) नाभिकस्नेही योगात्मक अभिक्रिया
Answer:
(c) विद्युतस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया

Question 18.
RCH2OH → RCHO के परिवर्तन के लिए सर्वाधिक उचित अभिकर्मक ह
(a) K2Cr3O77
(b) CrO3
(c) KMnO4
(d) PCC
Answer:
(d) PCC

Question 19.
निम्न में से कौन-सा फीनॉल है?
(a) क्रिसॉल
(b) केटेकॉल (Catechol)
(c) बेंजेनॉल
(d) इनमें से सभी
Answer:
(d) इनमें से सभी

Question 20.
बेंजीक्विनोन को किसके साथ फीनॉल की अभिक्रिया द्वारा बनाया जाता है ?
(a) Na2Cr2O7, H2SO4
(b) KMnO4, H2SO4
(c) Na2CrO4, HCl
(d) K2MnO4, H2SO
Answer:
(a) Na2Cr2O7, H2SO4

Question 21.
सोडियम हाइड्रॉक्साइड एवं कार्बन डाइऑक्साइड के साथ फीनॉल की अन्योन्य क्रिया पर से प्राप्त प्रमुख उत्पाद है
(a) बेजॉइक अम्ल
(b) सेलिसिलऐल्हीहाइड
(c) सेलिसिलिक अम्ल
(d) पथेलिक अम्ल
Answer:
(c) सेलिसिलिक अम्ल

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर

Question 22.
निम्न में से कौन-सा यौगिक NaOH से क्रिया नहीं करता है?
(a) CH3COOH
(b) CH3CONH2
(c) C6H5OH
(d) CH3CH2OH
Answer:
(d) CH3CH2OH

Question 23.
निम्न में से कौन-सा 300°C पर गर्म कॉपर के साथ अभिक्रिया के प्रकरण में सही नहीं है ?
(a) फीनॉल → बेंजिल ऐल्कोहॉल
(b) द्वितीयक ऐल्कोहॉल → कीटोन
(c) प्राथमिक ऐल्कोहॉल → ऐल्हीहाइड
(d) तृतीयक ऐल्कोहॉल → ओलीफीन
Answer:
(a) फीनॉल → बेंजिल ऐल्कोहॉल

Question 24.
एथिल ऐल्कोहॉल का ऐसिटल्डीहाइड में परिवर्तन किसका उदाहरण है ?
(a) जल-अपघटन
(b) ऑक्सीकरण
(c) अपचयन
(d) अणु व्यवस्थापन
Answer:
(b) ऑक्सीकरण

Question 25.
क्यूमीन (Cumene) जलअपघटन द्वारा अनुसरित ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करने पर प्राप्त होता है
(a) CH3OH एवं C6H5COCH3
(b) C6H5OH एवं (CH3)3O
(c) C6H5OCH3 gà CH3OH
(d) C6H5OH एवं CH3COCH3
Answer:
(d) C6H5OH एवं CH3COCH3

Question 26.
वह एन्जाइम जो ग्लूकोज से एथेनॉल के परिवर्तन को उत्प्रेरित कर सकता है
(a) इन्वर्टेस
(b) जाइमेज
(c) माल्टेस
(d) डाइऐस्टेस
Answer:
(b) जाइमेज

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर

Question 27.
मेथिल ऐल्कोहॉल को औद्योगिक रूप से किसकी क्रिया द्वारा बनाया जाता है ?
(a) CH3COCH3
(b) CO+ H2
(c) CH3COOH.
(d) C2H5OH
Answer:
(b) CO+ H2

Question 28.
वह ईथर जो विद्युतस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया से प्राप्त होता है
(a) CH3OC2H5
(b) C6H5OCH3
(c) CH3OCH3
(d) C2H5OC2H5
Answer:
(b) C6H5OCH3

Question 29.
निम्न में से कौन-से HI के साथ मेथॉक्सीईथेन की अभिक्रिया द्वारा दर्शाये गये उत्पाद है?
(a) C2H5I + CH3OH
(b) CH3I + H3O
(c) C2H5OH+ H2O
(d) C2H5OH + CH3I
Answer:
(d) C2H5OH + CH3I

Question 30.
निम्न में से कौन-सा ऐल्कोहॉल सल्फ्यूरिक अम्ल के ट्रेस के साथ गर्म होने के कारण डाइऐल्किल ईथर की सबसे अच्छी लब्धि (Yield) देता है ?
(a) 2-पेन्टेनॉल
(b) 2-मेथिल-2-ब्यूटेनॉल
(c) 1-पेन्टेनॉल
(d) 2-प्रोपेनॉल
Answer:
(c) 1-पेन्टेनॉल

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर

Question 31.
ईथर किस ताप पर H2SO4 की उपस्थिति में ऐथिल ऐल्कोहॉल से प्राप्त किया जाता है ?
(a) 113K
(b) 443K
(c) 413 K
(d) 213K
Answer:
(c) 413 K

Question 32.
अणु सूत्र C4H10O के साथ कितने ऐल्कोहॉलों की प्रकृति में काइरल (Chiral) होती है?
(a) 1
(b)2
(c) 3
(d) 4
Answer:
(a) 1

Question 33.
CH3 CH3 OH को किसके द्वारा CH3CHO में परिवर्तित किया जा सकता है?
(a) उत्प्रेरकीय हाइड्रोजनीकरण
(b) LiAIH4 के साथ उपचार
(c) पिरिडीनियम क्लोरोक्रोमेट के साथ उपचार
(d) KMnO4 के साथ उपचार
Answer:
(c) पिरिडीनियम क्लोरोक्रोमेट के साथ उपचार

Question 34.
ऐल्किल हैलाइडों से ऐल्कोहॉलों में परिवर्तन करने की विधि शामिल है
(a) योगात्मक अभिक्रिया
(b) प्रतिस्थापन अभिक्रिया
(c) डिहाइड्रोहैलोजनीकरण अभिक्रिया
(d) पुनर्व्यवस्थापन अभिक्रिया
Answer:
(b) प्रतिस्थापन अभिक्रिया

Question 35.
नीचे दिये गये यौगिक का IUPAC का नाम दीजिए :
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर 6
(a) 2-क्लोरो-5-हाइड्रॉक्सीहेक्सेन
(b) 2-हाइड्रॉक्सी-5-क्लोरोहेक्सेन
(c) 5-क्लोरोहेक्सेन-2-ऑल
(d) 2-क्लोरोहेक्सेन-5-ऑल
Answer:
(c) 5-क्लोरोहेक्सेन-2-ऑल

Question 36.
m-क्रिसॉल का IUPAC नाम है
(a) 3-मेथिलफीनॉल
(b) 3-क्लोरोफीनॉल
(c) 3-मेथॉक्सीफीनॉल
(d) बेन्जीन-1, 3-डाइऑल
Answer:
(a) 3-मेथिलफीनॉल

Question 37.
यौगिक
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर 7
का IUPAC नाम है CH3
(a) 1-मेथॉक्सी-1-मेथिलईथेन
(b) 2-मेथॉक्सी-2-मेथिलईथेन
(c) 2-मेथॉक्सीप्रोपेन
(d) आइसोप्रोपिलमेथिल ईथर
Answer:
(c) 2-मेथॉक्सीप्रोपेन

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर

Question 38.
निम्न में से कौन-सी स्पीशीज प्रबल क्षार के रूप में कार्य कर सकती
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर 8
Answer:
(b)

Question 39.
निम्न में से कौन-सा यौगिक जल में सोडियम हाइड्रॉक्सी विलयन से क्रिया करेगा?
(a) C6H5OH
(b) C6H5CH2OH
(c) (CH3)3COH
(d) C2H5OH
Answer:
(a) C6H5OH

Question 40.
फीनॉल किसकी अपेक्षा कम अम्लीय होता है ?
(a) ईथेनॉल
(b) 0-नाइट्रोफीनॉल
(c) 0-मेथिलफोनॉल
(d) o-मेथॉक्सीफीनॉल
Answer:
(b) 0-नाइट्रोफीनॉल

Question 41.
निम्न में से कौन-सा सर्वाधिक अम्लीय होता है ?
(a) बैंजिल ऐल्कोहॉल
(b) साइक्लोहेक्सेनॉल
(c) फीनॉल
(d) m-क्लोरोफीनॉल
Answer:
(d) m-क्लोरोफीनॉल

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

Bihar Board 12th Physics Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

प्रश्न 1.
प्रकाश की तरंगदैर्ध्य वर्णक्रम के……….भाग से संबंधित होती है।
(a) दृश्य
(b) पराबैंगनी
(c) अवरक्त
(d) (b) एवं
(c) दोनों
उत्तर-
(a) दृश्य

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

प्रश्न 2.
1m ऊँचाई का एक लड़का उत्तल दर्पण के सामने खड़ा है । दर्पण से उसकी दूरी फोकस दूरी के बराबर है। उसके प्रतिबिम्ब की ऊँचाई होगी-
(a) 0.25 m
(b) 0.33 m
(c) 0.5 m
(d) 0.67 m
उत्तर-
(c) 0.5 m

प्रश्न 3.
दाढ़ी बनाने वाले अवत्तल दर्पण की वक्रता त्रिज्या 35.0 cm है। यह इस प्रकार से स्थित है जिससे व्यक्ति के चेहरे का (सीधा) ..प्रतिबिम्ब चेहरे के आकार का 2.50 गुना हो जाता है। चेहरा से
दर्पण कितनी दूरी पर होगा ?
(a) 5.25 cm
(b) 21.0 cm
(c) 10.5 cm
(d) 42 cm
उत्तर-
(c) 10.5 cm

प्रश्न 4.
वक्रता त्रिज्या 20 cm के उत्तल दर्पण से किसी वास्तविक वस्तु के प्रतिबिम्ब की अधिकतम दूरी क्या हो सकती है?
(a) 10 cm
(b) 20 cm
(c) अनन्त
(d) शून्य
उत्तर-
(a) 10 cm

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

प्रश्न 5.
2 cm ऊँची एक वस्तु को अवतल दर्पण से 16 cm की दूरी पर रखा जाता है, तो 3 cm ऊँचा वास्तविक प्रतिबिम्ब बनाती है । दर्पण की फोकस दूरी क्या है ?
(a) -9.6 cm
(b) -3.6 cm
(c) -6.3 cm
(d) -8.3 cm
उत्तर-
(a) -9.6 cm

प्रश्न 6.
निम्न में से कौन-सा उस पुंज के लिए सही है जो माध्यम में प्रवेश करता है?
(a) बेलनाकार पुंज के रूप में गति करता है
(b) अपसरित
(c) अभिसरित
(d) अक्ष के निकट अपसरित तथा परिधि के निकट अभिसरित
उत्तर-
(c) अभिसरित

प्रश्न 7.
वायु से काँच में तथा वायु से जल में प्रकाश के अपवर्तन को चित्र
(i) तथा चित्र
(ii) में दर्शाया गया है। चित्र
(iii) में अपवर्तन के प्रकरण में कोण e का मान होगा –
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र - 1
(a) 30°
(b) 35°
(c) 60°
(d) 41°
उत्तर-
(b) 35°

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

प्रश्न 8.
आपतन कोण 60° पर एक बिन्दु पर आपतित किरण अपवर्तनांक √3 के काँच के गोले में प्रवेश करती है तथा यह गोले के आगे की सतह पर परावर्तित एवं अपवर्तित होती है। इस सतह पर परावर्तित एवं अपवर्तित किरणों के मध्य कोण होगा-
(a) 50°
(b) 60°
(c) 90°
(d) 40°
उत्तर-
(c) 90°
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र - 4
बिन्दु Q पर, r’2 = r2 = 30°
∴ α = 180°-(r’2 + r2) = 180°-(30°+60°) = 90°

प्रश्न 9.
मरीचिका किसके कारण होती है ?
(a) प्रकाश के अपवर्तन
(b) प्रकाश के परावर्तन
(c) प्रकाश के पूर्ण आन्तरिक परावर्तन
(d) प्रकाश के विवर्तन
उत्तर-
(c) प्रकाश के पूर्ण आन्तरिक परावर्तन

प्रश्न 10.
काँच का क्रांतिक कोण θ1 है तथा जल का क्रांतिक कोण θ2 जल एवं काँच के पृष्ठ के लिए क्रांतिक कोण होगा(µg = 3/2, µw = 4/3)
(a) θ2 से कम
(b) θ1 एवं θ2 के बीच
(c) θ2 से अधिक
(d) θ1 से कम
उत्तर-
(c) θ2 से अधिक

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

प्रश्न 11.
काँच के गोले में एक वायु का बुलबुला (µ = 1.5) 10 cm व्यास के उत्तल पृष्ठ से 3 cm की दूरी पर स्थित है । पृष्ठ से कितनी दूरी पर बुलबुला दिखाई देगा?
(a) 2.5cm
(b) -2.5 cm
(c) 5 cm .
(d) -5 cm
उत्तर-
(b) -2.5 cm
(b) चूंकि अपवर्तन सघन से विरल माध्यम में होता है,
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र - 5

प्रश्न 12.
प्रकाश का एक अभिसारी पुंज फोकस दूरी 0.2 m के अपसारी लेंस
से गुजरता है तथा लेंस के पीछे से 0.3 m फोकस पर आता है। उस बिन्दु की स्थिति जिस पर पुंज लेंस की अनुपस्थिति में अभिसरित होगा है
(a) 0.12 m
(b) 0.6m
(c)0.3 m
(d) 0.15 m
उत्तर-
(a) 0.12 m

प्रश्न 13.
दिये गये चित्र में, उभयोत्तल लेंस एवं उभयावतल लेंस दोनों के लिए वक्रीय पृष्ठ की वक्रता त्रिज्याएं 10 cm है तथा दोनों के लिए अपवर्तनांक 1.5 है।
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र - 2
लेंसों द्वारा सभी अपवर्तनों के पश्चात् अंतिम प्रतिबिम्ब की स्थिति होगी –
(a) 15 cm
(b) 20 cm
(c) 25 cm
(d) 40 cm
उत्तर-
(b) 20 cm
(b) समतलोत्तल लेंस की फोकस दूरी,
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र - 6
समतलोत्तल लेंस की फोकस दूरी,
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र - 7
– चूँकि समानान्तर पुंज लेंस पर आपतित होता है, समतलोत्तल लेंस से इसका प्रतिबिम्ब इससे (फोकस पर) + 20 cm पर बनेगा तथा यह समतलोत्तल लेंस के लिए वस्तु के रूप में कार्य करेगा । चूँकि दो लेंस एक-दूसरे से 10 cm की दूरी पर हैं, इसलिए, अगले लेंस के लिए u = + 10 cm .
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प्रश्न 14.
एक द्विउत्तल लेंस की फोकस दूरी, अन्य किसी भी एक पृष्ठ की वक्रता त्रिज्या की 2/3 गुनी है। लेंस के पदार्थ का अपवर्तनांक होगा-
(a) 1.75
(b) 1.33
(c) 1.5
(d) 1.0
उत्तर-
(a) 1.75
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र - 9

प्रश्न 15.
एक व्यक्ति की स्पष्ट दृष्टि की दूरी 50 cm है। वह 25 cm पर रखी पुस्तक को पढ़ना चाहता है । चश्मे की फोकस दूरी क्या होनी चाहिए?
(a) 25 cm
(b) 50 cm
(c) 75cm
(d) 100 cm
उत्तर-
(b) 50 cm
(b) यहाँ, u = -25 cm,v = -50 cm
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{-50}+\frac{1}{25}=\frac{1}{50}\)
∴ f = +50 cm

प्रश्न 16.
द्विउत्तल लेंस की क्षमता 10 डाइऑप्टर है तथा प्रत्येक पृष्ठ की वक्रता त्रिज्या 10 cm है, तो लेंस के पदार्थ का अपवर्तनांक होगा
(a) 3/2
(b) 4/3
(c) 9/8
(d) 5/3
उत्तर-
(a) 3/2
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र - 10
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र - 11

प्रश्न 17.
उभयोत्तल लेंस दोनों फलकों पर समान वक्रता त्रिज्या के साथ तथा 1.55 अपवर्तनांक के काँच से निर्मित हैं । यदि फोकस दूरी 20 cm है तो आवश्यक वक्रता त्रिज्या क्या होगी?
(a) 11 cm
(b) 22 cm
(c) 7 cm
(d) 6 cm
उत्तर-
(b) 22 cm
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प्रश्न 18.
एक पतला काँच (अपवर्तनांक 1.5) के लेंस की वायु में -8D प्रकाशीय क्षमता है। अपवर्तनांक 1.6 वाले द्रव माध्यम में इसकी प्रकाशीय क्षमता होगी –
(a) 1D
(b) -1D
(c) 25 D
(d) -25 D
उत्तर-
(a) 1D

प्रश्न 19.
यदि उत्तल पृष्ठ की वक्रता त्रिज्या 10 cm है तथा लेंस की फोकस दूरी 30 cm है, तो समतलोत्तल लेंस के पदार्थ का अपवर्तनांक क्या होगा?
(a) 6/5
(b) 7/4
(c) 2/3
(d) 4/3
उत्तर-
(d) 4/3

प्रश्न 20.
एक अभिसारी लेंस को पर्दे पर एक प्रतिबिम्ब बनाने में प्रयुक्त किया जाता है । जब लेंस का ऊपरी भाग किसी अपारदर्शी पर्दे से . ढक दिया जाये तो
(a) प्रतिबिम्ब का आधा भाग अदृश्य हो जायेगा ।
(b) पूरा प्रतिबिम्ब अदृश्य हो जायेगा।
(c) प्रतिबिम्ब की तीव्रता घटेगी ।
(d) प्रतिबिम्ब की तीव्रता बढ़ेगी।
उत्तर-
(c) प्रतिबिम्ब की तीव्रता घटेगी ।

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प्रश्न 21.
निम्न में से कौन-सा वस्तु की सभी स्थितियों के लिए आभासी एवं | सीधा प्रतिबिम्ब बनाता है ?
(a) अवतल लेंस
(b) अवतल दर्पण
(c) उत्तल दर्पण
(d) (b) एवं (c) दोनों
उत्तर-
(d) (b) एवं (c) दोनों

प्रश्न 22.
किसी गोले के पृष्ठ पर स्थित एक निशान विपरीत स्थिति से काँच में से दिखाई देता है। यदि गोले का व्यास 10 cm है तथा काँच का अपवर्तनांक 1.5 है। प्रतिबिम्ब की स्थिति होगी- .
(a) -20 cm
(b) 30 cm
(c) 40 cm
(d) – 10 cm
उत्तर-
(a) -20 cm

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प्रश्न 23.
एक उत्तल लेंस को एक ऐसे द्रव में डुबाया जाता है जिसका अपवर्तनांक लेंस के अपवर्तनांक के बराबर है। इसकी फोकस दूरी होगी –
(a) शून्य
(b) अनन्त
(c) छोटी किन्तु अशून्य
(d) अपरिवर्तित रहेगी
उत्तर-
(b) अनन्त

प्रश्न 24.
प्रिज्म के कोण π/3 के लिए न्यूनतम विचलन कोण 7/6 है। यदि निर्वात में प्रकाश का वेग 3 × 108 ms-1 है, तो प्रिज्म के पदार्थ में प्रकाश का वेग होगा
(a) 2.12 × 108 ms-1
(b) 1.12 × 108 ms-1
(c) 4.12 × 108 ms-1
(d) 5.12 × 108 ms-1
उत्तर-
(a) 2.12 × 108 ms-1
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प्रश्न 25.
लाल एवं बैंगनी रंग के दो पुंजों को प्रिज्म (प्रिज्म का कोण 60° है) में से पृथक रूप से गुजारा जाता है। न्यूनतम विचलन की स्थिति में, अपवर्तन कोण होगा –
(a) दोनों रंगों के लिए 30°
(b) बैंगनी रंग के लिए अधिक
(c) लाल रंग के लिए अधिक
(d) बराबर किन्तु दोनों रंगों के लिए 30° नहीं
उत्तर-
(a) दोनों रंगों के लिए 30°

प्रश्न 26.
एक छोटे कोण का प्रिज्म (µ = 1.62)4.8° का विचलन देता है। प्रिज्म का कोण होगा-.
(a) 5°
(b) 6.36°
(c) 3°
(d) 7.74°
उत्तर-
(d) 7.74°
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प्रश्न 27.
एक काँच के प्रिज्म (µ = √3) के लिए न्यूनतम विचलन का कोण प्रिज्म के कोण के बराबर है। प्रिज्म का कोण होगा –
(a) 45°
(b) 30°
(c) 90°
(d) 60°
उत्तर-
(d) 60°
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र - 15
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प्रश्न 28.
प्रकाश की एक किरण 30° कोण के प्रिज्म के एक पृष्ठ पर 60° के कोण पर आपतित होती है तथा निर्गत किरण, आपतित किरण के साथ 30° का कोण बनाती है। प्रिज्म का अपवर्तनांक होगा –
(a) 1.732
(b) 1.414
(c) 1.5
(d) 1.33
उत्तर-
(a) 1.732
(a)
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र - 17
यहाँ, i = 60°, A = 30°,δ = 30°
चूँकि i=e = A+δ
e = A + δ – 1 = 30° + 30° – 60°, e=0°
अतः निर्गत किरण पृष्ठ के लम्बवत् है।
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र - 18
e= 0° = r2= 0° चूँकि r1 + 2 = A
r1 = A-r2 = 30° -0° = 30°
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प्रश्न 29.
निम्न में से कौन-सा श्वेत प्रकाश का रंग जब प्रिज्म में से गुजरता है तो अधिक विचलित होता है ?
(a) लाल प्रकाश
(b) बैंगनी प्रकाश
(c) पीला प्रकाश
(d) (a) एवं (b) दोनों
उत्तर-
(b) बैंगनी प्रकाश

प्रश्न 30.
जब प्रकाश की किरणें वर्षा की बूंदों के अंदर दो आंतरिक परावर्तन का अनुभव करती है, तो निम्न में से कौन-सा इन्द्रधनुष बनता है ?
(a) प्राथमिक इन्द्रधनुष
(b) द्वितीयक इन्द्रधनुष
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) कह नहीं सकते ।
उत्तर-
(b) द्वितीयक इन्द्रधनुष

प्रश्न 31.
एक संयुक्त सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक लेंस की फोकस दूरी 1.0 cm तथा नेत्रिका की फोकस दूरी 2.0 cm एवं नली की लम्बाई 20 cm है, तो आवर्धन होगा –
(a) 100
(b) 200
(c) 250
(d) 300
उत्तर-
(c) 250

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प्रश्न 32.
एक छोटे दूरदर्शी के अभिदृश्यक लेंस की फोकस दूरी 144 cm एवं नेत्रिका की फोकस दूरी 6.0 cm है । अभिदृश्यक एवं नेत्रिका के बीच की दूरी क्या होगी?
(a) 0.75 m
(b) 1.38 m
(c) 1.0m
(d) 1.5 m
उत्तर-
(d) 1.5 m
(d) अभिदृश्यक एवं नेत्रिका के बीच की दूरी = दूरदर्शी नली की लम्बाई
f = f0 + fe
यहाँ f0 = 144 cm = 1.44 cm
fe = 6.0 cm = 0.06 m ∴ f = 1.44 + 0.06 = 1.5

प्रश्न 33.
एक खगोलीय अपवर्तक दूरदर्शी के अभिदृश्यक की फोकस दूरी 20 m तथा नेत्रिका की फोकस दूरी 2 cm है, तो। \
(a) आवर्धन 1000 है।
(b) दूरदर्शी की नली की लम्बाई 20.02 m है।
(c) बना प्रतिबिम्ब उल्टा होता है।
(d) इनमें से सभी।
उत्तर-
(d) इनमें से सभी।
(d) सामान्य समायोजन में, दूरदर्शी नली की लम्बाई, L = f0 + fe
यहाँ, f0 = 20 m एवं fe = 2 cm = 0.02 m
∴ L = 20 + 0.02 = 20.02 m एवं आवर्धन,
\(m=\frac{f_{o}}{f_{e}}=\frac{20}{0.02}=1000\)
बना प्रतिबिम्ब वस्तु के सापेक्ष उल्टा है ।

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प्रश्न 34.
एक प्रयोगशाला में बड़े अपवर्तक दूरदर्शी के अभिदृश्यक लेंस की फोकस दूरी 15 m है । यदि नेत्रिका की फोकस दूरी 1.0 cm प्रयुक्त होती है, तो दूरदर्शी का कोणीय आवर्धन क्या होगा?
(a) 1000
(b) 1500
(c) 2000
(d) 3000
उत्तर-
(b) 1500
(b) यहाँ, f0 = 15 m = 15 × 102 cm, fe = 1.0 cm
∴ आवर्धन, \(n=\frac{f_{o}}{f_{e}}=\frac{15 \times 10^{2}}{1}, m=1500\)

प्रश्न 35.
पानी के अंदर गोताखोरी करने वाला एकदम स्पष्ट पानी में भी स्पष्ट रूप से नहीं देख सकता है
(a) पानी में प्रकाश के अवशोषण के कारण
(b) पानी में प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण
(c) पानी में प्रकाश की चाल के कम होने के कारण
(d) आँख के लेंस की फोकस दूरी में परिवर्तन के कारण
उत्तर-
(d) आँख के लेंस की फोकस दूरी में परिवर्तन के कारण

प्रश्न 36.
विभिन्न दूरियों पर विभिन्न वस्तुओं को आँख के द्वारा देखा जाता है। वह पैरामीटर जो नियत रहता है, है –
(a) आँख के लेंस की फोकस दूरी
(b) आँख के लेंस से वस्तु की दूरी
(c) आँख के लेंस की वक्रता त्रिज्याएँ .
(d) आँख के लेंस से प्रतिबिम्ब की दूरी
उत्तर-
(d) आँख के लेंस से प्रतिबिम्ब की दूरी

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

प्रश्न 37.
वस्तु के सापेक्ष खगोलीय दूरदर्शी में अंतिम प्रतिबिम्ब होगा
(a) आभासी एवं सीधा
(b) वास्तविक एवं सीधा
(c) वास्तविक एवं उल्टा
(d) आभासी एवं उल्टा
उत्तर-
(d) आभासी एवं उल्टा

प्रश्न 38.
पृथ्वी अपनी अक्ष के परितः एक.बार घूर्णन करने के लिए 24 h लेती है। धरती से देखे जाने पर 1° के विस्थापन में सूर्य के द्वारा लिया गया समय सेकण्ड में है
(a) 120s
(b) 240s
(c) 480s
(d) 60s
उत्तर-
(b) 240s

प्रश्न 39.
एक कोण θ पर दो दर्पण किसी बिन्दु के 5 प्रतिबिम्ब बनाते हैं। जब θ को θ – 30° कम किया जाता है, तो बने हुए प्रतिबिम्बों की संख्या होगी-
(a) 9
(b) 10
(c) 11
(d) 12
उत्तर-
(c) 11
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र - 20

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

प्रश्न 40.
एक प्रिज्म के अपवर्तक पृष्ठ पर कोण e पर आपतित प्रकाश की किरण सामान्यतः दूसरे पृष्ठ से निर्गत होती है। यदि प्रिज्म का कोण 5° है तथा प्रिज्म अपवर्तनांक 1.5 के पदार्थ का बना है, तो आपतन कोण (Angle of incidence) होगा –
(a) 7.5°
(b) 5°
(c) 150
(d) 2.5°
उत्तर-
(a) 7.5°
(a) प्रश्नानुसार, सामान्य रूप से प्रिज्म के अन्य पृष्ठ से किरण निर्गत होती है,
∴ द्वितीयक पृष्ठ पर आपतन कोण, r’ = 0°
अब, r + r’ = A ⇒ r = A – r’ = 5°- 0°= 5°
स्नेल के नियम से, \(\mu=\frac{\sin i}{\sin r}\)
या, sini = μsinr = 1.5 × sin5° = 0.131
⇒ θ = i = sin-1 (0.131) = 7.5
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र - 21

प्रश्न 41.
श्वेत प्रकाश की एक छोटी सी स्पंद हवा से काँच के गुटके पर लंबवत् आपतित होती है । गुटके में से गुजरने के पश्चात् निर्गत होने वाला पहला रंग होगा –
(a) नीला
(b) हरा
(c) बैंगनी
(d) लाल
उत्तर-
(d) लाल

प्रश्न 42.
एक अवतल दर्पण पर आपतित प्रकाश की किरण की दिशा को PQ द्वारा दर्शाया गया है जबकि वे दिशाएँ जिनमें किरण परावर्तन के पश्चात् गति करेगी, उन्हें 1,2,3 एवं 4 चिह्नित चार किरणों के द्वारा दर्शाया गया है। चार किरणों में से कौन-सी परावर्तित किरण की दिशा को सही रूप से दर्शाती है ?
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र - 3
(a) 1
(b) 2
(c) 3
(d) 4
उत्तर-
(b) 2
(b) गोलीय दर्पणों में, दर्पण के फोकस में से गुजरने वाली आपतित किरण परावर्तन के पश्चात् मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती है, जिसे किरण 2 द्वारा दर्शाया गया है।

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग

Bihar Board 12th Biology Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सी जोड़ी में क्रमशः एक संक्रामक और एक असंक्रामक रोग है?
(a) टाइफॉइड और एड्स
(b) एड्स और कैंसर
(c) न्युमोनिया और मलेरिया
(d) कैंसर और मलेरिया
उत्तर:
(b) एड्स और कैंसर

Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग

प्रश्न 2.
मनुष्य में टायफॉइड ज्वर निम्न द्वारा होता है
(a) प्लाज्मोडियम वाइवेक्स
(b) ट्राइकोफाइटोन
(c) साल्मोनेला टाइफी
(d) राइनो वायरस ।
उत्तर:
(c) साल्मोनेला टाइफी

प्रश्न 3.
सामान्य जुकाम निम्न के द्वारा होता है
(a) राइनो बायरस
(b) स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनी
(c) साल्मोनेला रायफौम्यूरियम
(d) प्लाज्मोडियम वाइवेक्स ।
उत्तर:
(a) राइनो बायरस

प्रश्न 4.
मलेरिया के ज्वर में प्रत्येक 3 से 4 दिन में आने वाले उच्च ज्वर और ठिठुरन के लिये उत्तरदायी टॉक्सिक पदार्थ है
(a) इन्टरफेरॉन
(b) हीमोजाइन
(c) हिरूडिन
(d) कोलोस्ट्रम
उत्तर:
(b) हीमोजाइन

प्रश्न 5.
प्लाज्मोडियम के जीवन चक्र के दौरान निम्न में से कौन-से परपोषी में लैंगिक प्रजनन होता है?
(a) मानव
(b) मादा एनोफिलीज मच्छर
(c) नर एनोफिलीज मच्छर
(d) (a) व (b) दोनों
उत्तर:
(b) मादा एनोफिलीज मच्छर

Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग

प्रश्न 6.
अमीबिक डिसेन्दरी (अतिसार या अमीबिएसीस) निम्न के द्वारा होती है
(a) एरअमीबा हिस्टोलिका
(b) ई. कोलाई
(c) स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनी
(d) ट्राइकोफाइटॉन
उत्तर:
(a) एरअमीबा हिस्टोलिका

प्रश्न 7.
शरीर के विभिन्न भागों में खुजली के साथ सूखी व शरनकी विक्षतियाँ (Lesions) दिखाई देना……….रोग के लक्षण हैं।
(a) एलीफेन्टिएसिस (हाथी पांव)
(b) रिंगवर्म
(c) एसकरिएसिस
(d) एमोविएसिस
उत्तर:
(b) रिंगवर्म

प्रश्न 8.
एलीफेन्टिएसिस (हाथी पांव) एक गंभीर शोथ है, जिसमें संपूर्ण अंग विकृति हो जाती है, यह इसके द्वारा होता है
(a) एस्करिस
(b) ई. कोलाई
(c) बुचेरेरिया
(d) ट्राइकोफायटोंन ।
उत्तर:
(c) बुचेरेरिया

प्रश्न 9.
गेम्यूसिया एक मछली है जिसे तालाबों में वाहक जनित रोगों को रोकने के लिये डाला जाता है, जैसे
(a) डेंगू
(b) मलेरिया
(c) चिकनगुनिया
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी।

Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग

प्रश्न 10.
निम्न में से कौन-सा रोग एन्टीबायोटिक लेने पर भी ठीक नहीं होता है ?
(a) प्ले ग
(b) अमीविएसिस
(c) लोपोसी
(d) कुकुर खांसी
उत्तर:
(b) अमीविएसिस

प्रश्न 11.
निम्न में से कौन-सा रोग मादा मच्छर वाहक के काटने से होता है?
(a) फाइलेरिएसिस
(b) अमीबिएसिस
(c) टाइफाइड
(d) न्युमोनिया
उत्तर:
(a) फाइलेरिएसिस

प्रश्न 12.
निम्न में से कौन-सा जोड़ा सुमेलित नहीं है?
(a) डेंगू ज्वर फ्लेवी-राइबो वायरस
(b) सिफलिस – ट्राइक्यूरिस द्राइक्यूरा
(c) प्लेग – यरसीनिया पेस्टिस
(d) फाइलेरिएसिस – बुचेरेरिया बैंक्रोपटाई
उत्तर:
(b) सिफलिस – ट्राइक्यूरिस द्राइक्यूरा

प्रश्न 13.
बुचेरेरिया बैन्क्रोफ्टाई के संक्रमण द्वारा निम्न में से क्या प्रभावित होता है?
(a) लासीका बाहिनियाँ
(b) श्वसन तंत्र
(c) तंत्रिका तंत्र
(d) रक्त परिसंचरण
उत्तर:
(a) लासीका बाहिनियाँ

प्रश्न 14.
हिपेटाइटिस B निम्न के द्वारा संचारित होता है
(a) छौंक
(b) मादा एनोफिलीज
(c) खाँसना
(d) रक्त आधान
उत्तर:
(d) रक्त आधान

प्रश्न 15.
मनुष्यों में दाद रोग के लिये उत्तरदायी माइक्रोस्पोरम रोगजनक उसी जगत का है जिससे ये संबंधित है
(a) टीनिया – एक फीताकृमि
(b) एस्केरिस – एक गोलकृमि
(c) राइजोपस – एक मोल्ड
(d) बुचेरेरिया – एक फाइलेरियल कृमि
उत्तर:
(c) राइजोपस – एक मोल्ड

Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग

प्रश्न 16.
मलेरिया परजीवी के स्पोरोजॉइट्स को हम कहाँ देख सकते हैं?
(a) संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर की लार में
(b) ताजा निमोचित मादा एनोफिलीज मच्छर की लार ग्रन्थियों में
(c) संक्रमित मनुष्यों के प्लीहा में
(d) मलेरिया से पीड़ित मनुष्यों की RBCs में
उत्तर:
(a) संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर की लार में

प्रश्न 17.
निम्न में से रोग की कौन सी जोड़ियाँ वायरल होने के साथ ही मच्छरों द्वारा संचारित होती हैं?
(a) एनसिफेलाइटिस और निद्रा रोग
(b) पीला ज्वर और निद्रा रोग।
(c) एलीफेन्टिएसिस एवं डेंगू
(d) पौला ज्वर और डेंगू
उत्तर:
(d) पौला ज्वर और डेंगू

प्रश्न 18.
निम्न में से कौन मनुष्यों का एक बैक्टीरियल रोग है?
(a) अतिसार
(b) मलेरिया
(c) प्लेग
(d) (a) व (c) दोनों
उत्तर:
(d) (a) व (c) दोनों

प्रश्न 19.
निम्न में से कौन-से रोगजनक से कुकर खांसी होती है ?
(a) लगिओनेला स्पीशीज
(b) बोर्डटेला परट्यूसिस
(c) ब्रियो कोलेरी
(d) ब्रुसेला मेलिटेन्सिम
उत्तर:
(b) बोर्डटेला परट्यूसिस

प्रश्न 20.
निम्न में से कौन-से समूह में बैक्टीरियल रोग दिए गए हैं?
(a) टिटनेस, ट्युबरक्युलोसिस, मीसल्स
(b) डिप्थीरिया, लेप्रोसी, प्लेग
(c) कोलेरा, टाइफॉइड, मम्स
(d) मलेरिया, मम्स, पोलियोमायलिटिस
उत्तर:
(b) डिप्थीरिया, लेप्रोसी, प्लेग

Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग

प्रश्न 21.
निम्न में से कौन-से अवयव सहज प्रतिरक्षा में भाग नहीं लेते हैं?
(a) न्यूट्रोफिल्स
(b) माइक्रोफेजेस
(c) B – लिम्फोसाइट्स
(d) प्राकृतिक मारक कोशिकाएँ
उत्तर:
(c) B – लिम्फोसाइट्स

प्रश्न 22.
टीकाकरण और प्रतिरक्षीकरण कार्यक्रम द्वारा निम्न में से कौन-से संक्रामक रोगों को नियंत्रित किया गया है ?
(a) पोलियो व टिटनेस
(b) डिप्थीरिया और न्युमोनिया
(c) कैंसर और एड्स
(d) (a) व (b) दोनों
उत्तर:
(d) (a) व (b) दोनों

प्रश्न 23.
प्रतिरक्षा शब्द से तात्पर्य है
(a) परपोषी और परजीवी के बीच सहोपकारिता
(b) परपोषी की रोग उत्पन्न करने वाले जीवों के विरुद्ध लड़ने की क्षमता
(c) परजीवी की एक परपोषी के अंदर जीवित रहने की क्षमता
(d) एक घातक रोग।
उत्तर:
(b) परपोषी की रोग उत्पन्न करने वाले जीवों के विरुद्ध लड़ने की क्षमता

प्रश्न 24.
प्रतिरक्षा तंत्र में सुरक्षा का प्रथम स्तर निम्न द्वारा प्रदान किया जाता
(a) त्वचा और श्लेष्मा झिल्ली
(b) शोथ प्रतिक्रिया
(c) पूरक तंत्र
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) त्वचा और श्लेष्मा झिल्ली

प्रश्न 25.
एन्टीबॉडी में होती है
(a) दो हल्की पैप्टाइड श्रृंखलाएँ और दो भारी पैप्टाइड श्रृंखलाएँ
(b) दो हल्की पैप्टाइड श्रृंखलाएँ और एक भारी पैप्टाइड श्रृंखला
(c) एक हल्की पैप्टाइड श्रृंखला और एक भारी पैप्टाइड श्रृंखला
(d) एक हल्की पैप्टाइड श्रृंखला और दो भारी पैप्टाइड श्रृंखलाएँ।
उत्तर:
(a) दो हल्की पैप्टाइड श्रृंखलाएँ और दो भारी पैप्टाइड श्रृंखलाएँ

Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग

प्रश्न 26.
हिपेटाइटिस B – वैक्सीन निम्न से उत्पादित होती है
(a) निष्क्रिय वायरस
(b) यीस्ट
(c) हीमोफिलस इन्फ्लुयन्जा
(d) साल्मोनेला टाइफीम्यूरियम
उत्तर:
(b) यीस्ट

प्रश्न 27.
एलर्जन के विरुद्ध सबसे अधिक मात्रा में उत्पादित एन्टीबॉडी है
(a) IgE
(b) IgA
(c) IgG
(d) IgM
उत्तर:
(a) IgE

प्रश्न 28.
एन्टीबॉडीज नावित होती हैं
(a) T – लिम्फोसाइट्स द्वारा
(b) B – लिम्फोसाइट्स द्वारा
(c) (a) व (b) दोनों द्वारा
(d) प्राकृतिक मारक कोशिकाओं द्वारा ।
उत्तर:
(b) B – लिम्फोसाइट्स द्वारा

प्रश्न 29.
एक रोगजनक के प्रथम बार आक्रमण से उत्पन्न अनुक्रिया होती है
(a) उच्च तीव्रता की
(b) निम्न तीव्रता की
(c) मध्यम तीव्रता को
(d) कोई तीव्रता नहीं।
उत्तर:
(b) निम्न तीव्रता की

प्रश्न 30.
तरल प्रतिरक्षा संबंधित है
(a) T – कोशिकाओं से
(b) B – कोशिकाओं से
(c) मैक्रोफेजेस से
(d) (a) य (b) दोनों से।
उत्तर:
(b) B – कोशिकाओं से

प्रश्न 31.
एक स्वप्रतिरक्षी रोग है
(a) SCID
(b) रुमेटाइह थिराइटिस
(c) मायस्थेनिया ग्रेविस
(d) (b) व (c) दोनों।
उत्तर:
(d) (b) व (c) दोनों।

प्रश्न 32.
निम्न में से कौन-सा समूह प्रतिरक्षा के विकारों को दर्शाता है
(a) SCID व डिप्थीरिया
(b) SCID व एड्स
(c) एड्स व कोलेरा
(d) हिपेटाइटिस और ल्यूकीमिया।
उत्तर:
(b) SCID व एड्स

Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग

प्रश्न 33.
निष्क्रिय प्रतिरक्षा इसके द्वारा प्रदान की जा सकती है
(a) वैक्सीन
(b) एन्टीटॉक्सिन्स
(c) कोलोस्ट्रम
(d) (b) व (c) दोनों।
उत्तर:
(d) (b) व (c) दोनों।

प्रश्न 34.
टीकाकरण में रोगजनक के कौन-से प्रकार का उपयोग किया है?
(a) सक्रिय और शक्तिशाली पैथोजनिक एन्टीजन्स
(b) निष्क्रिय और दुर्बलीकृत पैथोजनिक एन्टीजन्स
(c) हायपरएक्टिव और शक्तिशाली पैथोजन
(d) पूर्व निर्मित एन्टीबॉडीज
उत्तर:
(b) निष्क्रिय और दुर्बलीकृत पैथोजनिक एन्टीजन्स

प्रश्न 35.
प्लेसेन्टल रोध को पार करने में सक्षम एन्टीबॉडी है
(a) IgA
(b) IgE
(c) IgM
(d) IgG
उत्तर:
(d) IgG

प्रश्न 36.
‘एन्टीटॉक्सिन’ शब्द से तात्पर्य एक ऐसे निर्मित पदार्थ से है जिसमें होते हैं
(a) B-लिम्फोसाइट्स और T लिम्फोसाइट्स
(b) टॉक्सिन के लिये एन्टीबोंडीज
(c) दुर्बलीकृत पैथोजन
(d) निष्क्रिय T लिम्फोसाइट्स ।
उत्तर:
(b) टॉक्सिन के लिये एन्टीबोंडीज

प्रश्न 37.
एलर्जी के दौरान निम्न में से कौन-सी कोशिकाएँ सक्रिय रूप से भाग लेती हैं?
(a) B – लिम्फोसाइट्स
(b) यकृत कोशिकाएँ
(c) मास्ट कोशिकाएँ
(d) लाल रक्त कणिकाएँ
उत्तर:
(c) मास्ट कोशिकाएँ

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प्रश्न 38.
प्राथमिक लसीकाभ अंग हैं
(a) प्लीहा व थाइमस
(b) अस्थि मज्जा व थाइमस
(c) अस्थि मज्जा और लिम्फ नोड
(d) थाइमस और MALTI
उत्तर:
(b) अस्थि मज्जा व थाइमस

प्रश्न 39.
निम्न में से कौन-सी ग्रन्धि जन्म के समय आकार में बड़ी होती है परंतु बयस्कों में आकार में काफी छोटी हो जाती है।
(a) थाइरॉइड
(b) एडौनल
(c) थाइमस
(d) प्लीहा
उत्तर:
(c) थाइमस

प्रश्न 40.
MALT है
(a) मसल एसोसिएटेड लिम्फॉइड टिश्यूस
(b) म्यूकोसल एसोसिएटेड लिम्फॉइड टिश्यूस
(c) म्यूकोसल और लिम्फॉइड टिश्यूस
(d) मैमोरी एसोसिएटेड लिम्फॉइड टिश्यूस
उत्तर:
(b) म्यूकोसल एसोसिएटेड लिम्फॉइड टिश्यूस

प्रश्न 41.
साँप के जहर (Venom) के विरुद्ध दिये जाने वाले इंजेक्शन में होता है
(a) एन्टोजेनिक प्रोटीन्स
(b) पूर्वनिर्मित एन्टीबॉडीज
(c) दुर्बलीकृत रोगजनक
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(b) पूर्वनिर्मित एन्टीबॉडीज

प्रश्न 42.
शरीर में सबसे अधिक पायी जाने वाली इम्युनोग्लोब्युलिन्स (Igs) का वर्ग है
(a) IgA
(b) IgG
(c) IgE
(d) IgM
उत्तर:
(b) IgG

प्रश्न 43.
टिटनेस में एन्टीटॉक्सिन का इन्जेक्शन किस प्रकार का प्रतिरक्षीकरण प्रदान करता है?
(a) सक्रिय प्रतिरक्षीकरण
(b) निष्क्रिय प्रतिरक्षीकरण
(c) स्वप्रतिरक्षीकरण
(d) तरल प्रतिरक्षीकरण
उत्तर:
(b) निष्क्रिय प्रतिरक्षीकरण

Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग

प्रश्न 44.
पोलियो वायरस के विरुद्ध दी जाने वाली वैक्सीन निम्न का एक उदाहरण है
(a) स्वप्रतिरक्षीकरण
(b) निष्क्रिय प्रतिरक्षीकरण
(c) सक्रिय प्रतिरक्षीकरण
(d) सरल प्रतिरक्षीकरण
उत्तर:
(c) सक्रिय प्रतिरक्षीकरण

प्रश्न 45.
एक एन्टीबॉडी का एन्टीजन बंधक स्थल यहाँ पर पाया जाता है
(a) स्थिर क्षेत्र
(b) C – टर्मिनल
(c) परिवर्तित क्षेत्र
(d) स्थिर और अस्थिर क्षेत्र के बीच ।
उत्तर:
(c) परिवर्तित क्षेत्र

प्रश्न 46.
एलर्जी के लक्षणों को शीघ्रतापूर्वक कम करने के लिये उपयोग की जाने वाली औषधियाँ हैं
(a) एन्टीहिस्टामीन और एडीनेलिन
(b) हिस्टामीन और थायरॉक्सिन
(c) एड्रीनेलिन और 4 – इन्टरफेरॉन
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(a) एन्टीहिस्टामीन और एडीनेलिन

प्रश्न 47.
AIDS का पूर्णरूप है
(a) एक्वायर्ड इम्युनो डिसीज सिन्ड्रोम
(b) एक्वायर्ड इम्युनो डिफीशियन्सी सिन्ड्रोम
(c) एक्वायर्ड इम्युनिटी डिटरमाइनिंग सिड्रोम
(d) एक्वायर्ड इम्युनिटी डिटरमाइनिंग सिन्ड्रोम ।
उत्तर:
(b) एक्वायर्ड इम्युनो डिफीशियन्सी सिन्ड्रोम

प्रश्न 48.
HIV का अनुवांशिक पदार्थ है
(a) dsDNA
(b) dsRNA
(c) ssDNA
(d) SSRNA
उत्तर:
(d) SSRNA

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प्रश्न 49.
एड्स लाक्षणिक होता है
(a) मारक T कोशिकाओं की संख्या में कमी से
(b) सप्रेसर T कोशिकाओं की संख्या में कमी से
(c) सहायक T कोशिकाओं की संख्या में कमी से
(d) सहायक T कोशिकाओं की संख्याओं में वृद्धि से।
उत्तर:
(c) सहायक T कोशिकाओं की संख्या में कमी से

प्रश्न 50.
HIV एक रिट्रोवायरस है, जो आक्रमण करता है
(a) सहायक T कोशिकाओं पर
(b) साइटोटॉक्सिन T कोशिकाओं पर
(c) B – कोशिकाओं पर
(d) न्यूट्रोफिल्स पर ।
उत्तर:
(a) सहायक T कोशिकाओं पर

प्रश्न 51.
HIV फैक्टरी’ कहलाने वाली कोशिकाएँ हैं
(a) सहायक T कोशिकाएँ
(b) मैक्रोफेजेस
(c) डेन्ड्रीटिक कोशिकाएँ
(d) WBCs
उत्तर:
(b) मैक्रोफेजेस

प्रश्न 52.
वायरल DNA वायरल RNA से X द्वारा परिवर्तित होकर गुणन हेतु परपोषी जीनोम में समाविष्ट हो जाता है। ‘X’ क्या है ?
(a) DNA पॉलीमरेस
(b) रिस्ट्रिक्शन एण्डोन्यूक्लिएस
(c)RNA पॉलीमरेस
(d) रिवर्स ट्रान्सक्रिप्टस
उत्तर:
(d) रिवर्स ट्रान्सक्रिप्टस

प्रश्न 53.
निम्न में से कौन-सा दिन ‘विश्व एड्स दिवस’ के रूप में मनाया जाता है?
(a) 3154 मार्च
(b) 15 मार्च
(c) दिसम्बर
(d) 31 दिसम्बर
उत्तर:
(c) दिसम्बर

प्रश्न 54.
स्यूमन इम्यूनो-डिफिशियन्सी वायरस है
(a) एक अनावरित, RNA जीनोमयुक्त रिट्रोवाइरस
(b) एक आवरित, RNA जीनोमयुक्त रिट्रोवायरस
(c) एक आवरित, DNA जीनोमयुक्त रिट्रोवायरस
(d) एक आवरित, RNA जीनोमयुक्त रिट्रोवायरस ।
उत्तर:
(b) एक आवरित, RNA जीनोमयुक्त रिट्रोवायरस

प्रश्न 55.
कैन्सर कोशिकाएँ यह गुण नहीं दर्शाती हैं
(a) ट्यूमर उत्पन्न करना
(b) मेटास्टेसिस
(c) संस्पर्श संदमन
(d) माइटोकॉन्डियल क्रिस्टी की कम संख्या ।
उत्तर:
(c) संस्पर्श संदमन

प्रश्न 56.
ल्यूकीमिया से पीड़ित व्यक्ति में होता है
(a) वसीय ऊतकों में ट्यूमर
(b) प्लाज्मा कोशिकाओं की उच्च संख्या
(c) मेलिनोसाइट्स को अधिक संख्या
(d) WBCs की अधिक संख्या।
उत्तर:
(d) WBCs की अधिक संख्या।

Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग

प्रश्न 57.
कैंसर रोगी के प्रतिरक्षी तंत्र को सक्रिय करने और दयूमर को नष्ट
करने के लिये दिया जाने वाला पदार्थ है
(a) हिस्टामीन्स
(b) इन्टरल्यूकिन्स
(c) इन्टरफेरान्स
(d) मार्फीन्स ।
उत्तर:
(c) इन्टरफेरान्स

प्रश्न 58.
कैंसर के उपचार के लिये निम्न में से कौन-सी विधि उपयोग की जाती है?
(a) जीन थैरेपी और इम्यूनोथैरेपी
(b) सर्जरी
(c) रेडियोथैरेपी और कीमोथैरेपी
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 59.
एक मेटास्टेटिक कैन्सरजन ट्युमर को ‘सारकोमा’ कहते है, यदि इसमें विकार होता है
(a) फाइब्रोब्लास्ट
(b) परिसंचरण तंत्र
(c) प्रतिरक्षा तंत्र
(d) उपकला कोशिका ।
उत्तर:
(a) फाइब्रोब्लास्ट

प्रश्न 60.
कैंसर उत्पन्न करने वाले मुख्य कारक हैं
(a) ओन्कोजीन्स और पॉलीमॉरफोन्युक्लियर ल्यूकोसाइट्स
(b) ओन्कोजीन्स और ट्यूमर सप्रेसर जीन्स
(c) MHC जीन्स
(d) सेल्यूलर ओन्कोजीन्स और व-इन्टरफेरॉन्स
उत्तर:
(b) ओन्कोजीन्स और ट्यूमर सप्रेसर जीन्स

प्रश्न 61.
तम्बाकू धूम में उपस्थित एक कैंसरजन रसायन निम्न के लिये उत्तरदायी होता है-
(a) त्वचा कैंसर
(b) अग्नाशयी कैंसर
(c) आमाशय कैंसर
(d) फेफड़ों का कैंसर
उत्तर:
(d) फेफड़ों का कैंसर

प्रश्न 62.
निम्न में से कौन रसायनों के उस समूह का एक सदस्य है जिसकी रासायनिक संरचना नीचे दी गई है?

Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग 1
(a) मारिजुआना
(b) हशीश
(c) गाँजा
(d) उपरोक्त सभी ।
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी ।

प्रश्न 63.
निम्न में से कौन-सा यौगिक मार्फीन के एसीटायलेशन से बनता है?
(a) हेरोइन
(b) कोकीन
(c) तम्बाकू
(d) मारिजुआना
उत्तर:
(a) हेरोइन

प्रश्न 64.
मनुष्यों में ओपिऑइड्स के लिए ग्राही निम्न पर उपस्थित होते हैं
(a) केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र
(b) जठरात्रीय पथ
(c) श्वसन नली
(d) (a) व (b) दोनों।
उत्तर:
(d) (a) व (b) दोनों।

Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग

प्रश्न 65.
हेरोइन को सामान्यतः कहते हैं
(a) कोक
(b) क्रेक
(c) स्मैक
(d) चरस ।
उत्तर:
(c) स्मैक

प्रश्न 66.
चरस व गाँजा इग्स प्रभावित करती हैं
(a) श्वसन तंत्र को
(b) कार्डियोवस्कुलर तंत्र को
(c) पाचन तंत्र को
(d) तंत्रिका तंत्र को।
उत्तर:
(b) कार्डियोवस्कुलर तंत्र को

प्रश्न 67.
कोकीन प्राप्त होती है
(a) इरिभोजायलॉन कोका
(b) पेपेवर सोमनीफरम
(c) एट्रोपा बेलाडोना
(d) धतूरा स्ट्रामोनियम ।
उत्तर:
(a) इरिभोजायलॉन कोका

प्रश्न 68.
आजकल खिलाड़ियों द्वारा कौन-सी इग अधिक मात्रा में ली जा रही
(a) ओपिऑइड्स
(b) बर्बिट्यूरेट्स
(c) कैनाबिनॉइड्स
(d) लाइसर्जिक अम्ल डायएथाइल एमाइड (LSD)
उत्तर:
(c) कैनाबिनॉइड्स

प्रश्न 69.
निम्न में से कौन-से पौधे में विभ्रम का गुण होता है?
(a) इरिधोजायलॉन कोका
(b) एट्रोपा बेलाडोना
(c) धतूरा स्ट्रामोनियम
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 70.
निकोटीन के लेने से कौन-से हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है?
(a) FSH, LH
(b) थाइरोक्सिन, प्रोजेस्ट्रॉन
(c) ऑक्सीटोसिन, प्रोलेक्टिन
(d) एडीनेलिन, नॉर एडीनेलिन ।
उत्तर:
(d) एडीनेलिन, नॉर एडीनेलिन ।

प्रश्न 71.
तम्बाकू में उपस्थित अतिरिक्त रसायन है
(a) कैफीन
(b) निकोटीन
(c) कैथोकाल
(d) कार्बन मोनोऑक्साइड।
उत्तर:
(b) निकोटीन

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प्रश्न 72.
कोकीन को सामान्यतः कहते हैं-
(a) स्मैक
(b) कोक
(d) (b) व (c) दोनों।
उत्तर:
(d) (b) व (c) दोनों।

प्रश्न 73.
कौन-सी इग का उपयोग रोगी के अवसाद और अनिद्रा के उपचार में औषधि के रूप में किया जाता है?
(a) माौन
(b) एम्फेटामीन
(c) बर्विट्यूरेट
(d) (b) व (c) दोनों।
उत्तर:
(d) (b) व (c) दोनों।

प्रश्न 74.
इन्ट्रावेनस ड्रग लगाने वालों में यह विकसित होने की अधिकतम संभावना होती है
(a) कैंसर
(b) एड्स
(c) मलेरिया
(d) टायफॉइड।
उत्तर:
(b) एड्स

प्रश्न 75.
मारिजुआना का निष्कर्षण किया जाता है
(a) हेम्प पौधे की सूखी पत्तियों और फूलों से
(b) इरगोट कवक से
(c) हेम्प पौधे की जड़ों से
(d) कोका पौधे से ।
उत्तर:
(a) हेम्प पौधे की सूखी पत्तियों और फूलों से

प्रश्न 76.
वे जीव जो पौधों और जन्तुओं में रोग उत्पन्न करते हैं, कहलाते हैं
(a) रोगजनक
(b) वाहक
(c) कीट
(d) कृमि ।
उत्तर:
(a) रोगजनक

प्रश्न 77.
टायफॉइड की पुष्टि के लिये उपयोग किया जाने वाला रासायनिक परीक्षण है
(a) ELISA टेस्ट
(b) ESR-टेस्ट
(C) PCR टेस्ट
(d) विडाल टेस्ट
उत्तर:
(d) विडाल टेस्ट

प्रश्न 78.
जब एक मादा एनोफिलीज मच्छर एक व्यक्ति को काटता है तो संक्रमण करने वाले स्पोरोजॉइट्स बनते हैं
(a) व्यक्ति के यकृत में
(b) मच्छर की RECS में
(c) मच्छर की लार ग्रन्थि में
(d) मच्छर की आंत में।
उत्तर:
(d) मच्छर की आंत में।

प्रश्न 79.
चिकनगुनिया रोग संचारित होता है
(a) मक्खियों द्वारा
(b) एडीज मच्छरों द्वारा
(c) कॉकरोच द्वारा
(d) मादा एनोफिलीज द्वारा ।
उत्तर:
(b) एडीज मच्छरों द्वारा

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प्रश्न 80.
कैंसर उत्पन्न करने वाले जीन्स हैं
(a) संरचनात्मक जीन्स
(b) अभिव्यक्ति जीन्स
(c) ओन्कोजीन्स
(d) नियामक जीन्स।
उत्तर:
(c) ओन्कोजीन्स

प्रश्न 81.
एक मनोवैज्ञानिक द्वारा एक स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति को अस्वस्थ बताया जाता है। इसका कारण यह हो सकता है
(a) रोगी अपने कार्यों में दक्ष नहीं था।
(b) रोगी आर्थिक रूप से सम्पन्न नहीं था ।
(c) रोगी व्यवहारात्मक और सामाजिक अपसमायोजन को दर्शाता है।
(d) वह खेलों में रूचि नहीं लेता है।
उत्तर:
(c) रोगी व्यवहारात्मक और सामाजिक अपसमायोजन को दर्शाता है।

प्रश्न 82.
एड्स HIV से होता है । निम्न में से कौन-सी एक HIV के संचारण की विधि नहीं है?
(a) संदूषित रक्त का आधान ।
(b) संक्रमित सुइयों का साझा उपयोग ।
(c) संक्रमित व्यक्तियों से हाथ मिलाना ।
(d) संक्रमित व्यक्तियों से यौन सम्पर्क ।
उत्तर:
(c) संक्रमित व्यक्तियों से हाथ मिलाना ।

प्रश्न 83.
‘स्मैक” एक इग है जो प्राप्त होती है
(a) पेपेवर सोमनीफरम के लेटेक्स से
(b) केनाबिस सेटाइवा की पत्तियों से
(c) धतूरा के फूलों से
(d) इरिश्रोक्सिल कोका के फलों से।
उत्तर:
(a) पेपेवर सोमनीफरम के लेटेक्स से

प्रश्न 84.
कोलोस्ट्रम में उपस्थित एन्टीबॉडीज जो नवजात को कुछ बीमारियों से बचाती है, होती हैं
(a) IgG प्रकार
(b) IgA प्रकार
(c) ID प्रकार
(d) IgE प्रकार।
उत्तर:
(b) IgA प्रकार

प्रश्न 85.
तम्बाकू का उपयोग एडिनेलिन और नारएडिनेलिन के सावण को प्रेरित करने के लिये ज्ञात है। इसे उत्पन्न करने वाले अवयव हो सकते हैं
(a) निकोटीन ।
(b) टेनिक अम्ल
(c) क्यूरिमौन
(d) कैथेसीन ।
उत्तर:
(a) निकोटीन ।

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प्रश्न 86.
साँप के जहर के विरुद्ध एन्टीवेनम में होते हैं
(a) एन्टीजन्स
(b) एन्टीजन-एन्टीबॉडी काम्प्लेक्स
(c) एन्टीबॉडीज
(d) एन्जाइम्स।
उत्तर:
(c) एन्टीबॉडीज

प्रश्न 87.
निम्न में से कौन-सा एक लसीकाभ तक नहीं है?
(a) प्लीहा
(b) टान्सिल्स
(c) आनाशय
(d) थाइमस
उत्तर:
(c) आनाशय

प्रश्न 88.
निम्न में से कौन-सी प्रन्थि जन्म के समय बड़े आकार ही होती है परंतु उन बढ़ने पर आकार में कम होने लगती है?
(a) पीनियल
(b) पीयूष
(c) थाइमस
(d) थाइराइड
उत्तर:
(c) थाइमस

प्रश्न 89.
हिमोजाइन है एक
(a) हीमोग्लोबिन का प्रीकर्सर
(b) स्ट्रेप्टोकोकस संक्रमित कोशिकाओं से मुक्त टॉक्सिन
(c) प्लाज्मोडियम संक्रमित कोशिकाओं से मुक्त टॉक्सिन
(d) हिमोफिलस संक्रमित कोशिकाओं से मुक्त टॉक्सिन ।
उत्तर:
(c) प्लाज्मोडियम संक्रमित कोशिकाओं से मुक्त टॉक्सिन

प्रश्न 90.
निम्न में से कौन-सा एक दाद को उत्पन्न करने वाला जीव नहीं है?
(a) माइक्रोस्पोरम
(b) ट्रायकोफाययन
(c) एपीडोफायटान
(d) मैक्रोस्पोरम
उत्तर:
(d) मैक्रोस्पोरम

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