Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 12 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग

Bihar Board 12th Biology Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 12 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-से कथन GM फसलों से होने वाली हानियों के संबंध में गलत हैं?
(a) GM फसलें मानव स्वास्थ्य को एलर्जिक क्रिया द्वारा प्रभावित करती हैं।
(b) व्यावसायिक फसलों में पारजीन देशी जातियों को संकटग्रस्त कर सकते हैं, उदाहरण-Bt जीव विष जीन पराग में अभिव्यक्त होकर पॉलोनेटर्स, जैसे-मधुमक्खियों के लिए संकट उत्पन्न कर सकता
(c) GM फसलों का उत्पादन प्राकृतिक वातावरण को हानि पहुंचाता है और यह हमेशा महंगा होता है।
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 2.
ट्रान्सजीन विधि द्वारा विकसित ‘स्वर्ण चावल’ निग्न से परिपूर्ण होता है
(a) लाइसीन को उच्च मात्रा से
(b) मेथियोनीन को उच्च मात्रा से
(c) ग्लूटेनिन को उच्च मात्रा से
(d) विटामिन A की उच्च मात्रा से ।
उत्तर:
(d) विटामिन A की उच्च मात्रा से ।

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प्रश्न 3.
जैव प्रौद्योगिकी के निम्न सभी उपयोग भोज्य उत्पादन को बढ़ाने के
लिये हैं, केवल इसे छोड़कर
(a) एपीकल्चर
(b) कृषि रसायन पर आधारित कृषि ।
(c) कार्बनिक खेती
(d) अनुवांशिकता : अभियांत्रिकीय फसलों पर आधारित कृषि ।
उत्तर:
(a) एपीकल्चर

प्रश्न 4.
कृषि रसायन पर आधारित कृषि में शामिल हैं
(a) उर्वरक और कीटनाशक
(b) अनुवांशिकत: रूपान्तरित फसलें
(c) RNA अंतरक्षेप
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(a) उर्वरक और कीटनाशक

प्रश्न 5.
स्वर्ण धान इसकी उपस्थिति के कारण पीले रंग का होता है
(a) राइबोफ्लेविन
(b) B – कैरोटीन
(c) विटामिन BI
(d) जटिल अनुवांशिक पदार्थ
उत्तर:
(b) B – कैरोटीन

प्रश्न 6.
अनुवांशिकतः रूपान्तरित फसलों से संबंधित निम्न में से कौन-सा कथन सही नहीं है?
(a) इससे फसलों की अजैविक प्रतिबलों (Stress) को सहने की शक्ति बढ़ती है।
(b) इससे पौधों द्वारा खनिजों के उपयोग की दक्षता कम होती है।
(c) यह फसल कटने के बाद होने वाले नुकसान को कम करने में मदद करता है।
(d) वह भोज्य पदार्थों के पोषण मान को बढ़ाता है।
उत्तर:
(b) इससे पौधों द्वारा खनिजों के उपयोग की दक्षता कम होती है।

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प्रश्न 7.
RNA अंतरक्षेप प्रक्रिया का उपयोग तम्बाकू के पौधों को निम्न के लिए प्रतिरोधक बनाने हेतु होता है
(a) बेसिलस थूरीनजिएसिस
(b) मेलोइडोगाइन इनकॉग्नीटा
(c) मक्खियों और मच्छर
(d) (a) और (b) दोनों।
उत्तर:
(d) (a) और (b) दोनों।

प्रश्न 8.
एक कीट के शरीर में Bt जीव विष के अक्रियाशील रूप अर्थात् प्राक्-जीव विष को निम्न में से क्या क्रियाशील रूप में परिवर्तित करता है?
(a) आहारनाल का ताप
(b) लार में उपस्थित एन्जाइम्स
(c) आहारनाल का क्षारीय pH
(d) कोई विशेष कारण नहीं है।
उत्तर:
(c) आहारनाल का क्षारीय pH

प्रश्न 9.
Bt – मक्का को मक्का छेदक रोग से निम्न जीन के प्रवेश द्वारा प्रतिरोधी बनाया जाता है
(a) क्राई I Ab
(b) क्राई II Ab
(c) ampR
(d) Trp
उत्तर:
(a) क्राई I Ab

प्रश्न 10.
Bt – जीव विष कीटों को निम्न द्वारा मारता है
(a) प्रोटीन संश्लेषण को बाधित करके
(b) अधिक मात्रा में ताप उत्पन्न करके
(c) मध्य आहारनाल की एपीथिलियल कोशिकाओं को छिद्रित करके, कोशाओं को फूलाकर नष्ट करता है।
(d) जैव संश्लेषिक मार्ग को बाधित करके।
उत्तर:
(c) मध्य आहारनाल की एपीथिलियल कोशिकाओं को छिद्रित करके, कोशाओं को फूलाकर नष्ट करता है।

प्रश्न 11.
नाइट्रोजन स्थिरीकरण हेतु ‘निफ (Nif)’ जीन को अनाज वाले पौधों जैसे गेहूँ, ज्वार आदि में किसकी क्लोनिंग द्वारा प्रवेश कराया जाता है?
(a) राइजोबियम मैलीलोटी
(b) बेसिलस थूरोनजिसिस
(c) राइजोपस स्टोलोनीफर
(d) एग्रोबैक्टीरियम ट्यूमोफेशिएन्स
उत्तर:
(a) राइजोबियम मैलीलोटी

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प्रश्न 12.
ट्रान्सजेनिक पौधा ‘फ्लेवर सेवर’, किस हेतु एक कृत्रिम जीन को निहित रखता है?
(a) फल परिवहन में विलम्ब हेतु
(b) लंबे जीवन काल के लिए
(c) स्वाद को बढ़ाने के लिए
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(b) लंबे जीवन काल के लिए

प्रश्न 13.
RNA अंतरक्षेप में होता है
(a) रिवर्स ट्रान्सक्रिप्टेंस के उपयोग द्वारा CDNA S RNA का संश्लेषण
(b) सम्पूरक RNA द्वारा विशिष्ट mRNA की साइलेन्सिंग
(c) DNA संश्लेषण में RNA का अंतरक्षेप
(d) DNA से mRNA का संश्लेषण ।
उत्तर:
(b) सम्पूरक RNA द्वारा विशिष्ट mRNA की साइलेन्सिंग

प्रश्न 14.
हिरूडिन है
(a) होरडेयम वल्गेयर द्वारा उत्पादित एक प्रोटीन जो लाइसौन से भरपूर होती है।
(b) गाँसीपियम हिरसूटम से पृथक किया गया एक विषाक्त अणु जो मनुष्य की उर्वरता को कम करता है।
(c) ट्रान्सजेनिक बेसिका नेपस से उत्पादित एक ऐसी प्रोटीन जो रक्त का थक्का नहीं जमने देती है।
(d) अभियांत्रिकी द्वारा प्राप्त पारजीनी इश्चेरिचिया कोलाई बैक्टीरियम से उत्पन्न एक प्रतिजैविक ।
उत्तर:
(c) ट्रान्सजेनिक बेसिका नेपस से उत्पादित एक ऐसी प्रोटीन जो रक्त का थक्का नहीं जमने देती है।

प्रश्न 15.
एक ट्रान्सजेनिक फसल जो विकसित देशों में रतौंधी की समस्या का समाधान करने में मदद कर सकती है
(a) B कपास
(b) बासमती चावल
(c) फ्ले वर सेवर
(d) B मक्का
उत्तर:
(b) बासमती चावल

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प्रश्न 16.
क्राई II Ab और क्राई IAb ऐसे जीव विष उत्पन्न करते हैं जो नियंत्रित करते हैं
(a) क्रमशः कपास के गोलक शलभ कृमि और मक्का छेदक को
(b) क्रमशः मक्का छेदक और कपास गोलक शलभ कृमि को
(c) तम्बाकू कलिका कृमि और सूत्रकृमि को।
(d) क्रमशः सूत्रकृमि और तम्बाकू कलिका कृमि को।
उत्तर:
(a) क्रमशः कपास के गोलक शलभ कृमि और मक्का छेदक को

प्रश्न 17.
भारत में प्रथम अनुवांशिकत: रूपान्तरित पौधा जो व्यावसायिक रूप से प्रस्तुत किया गया
(a) बासमती चाल
(b) फ्लेवर सेवर
(c) Bt बैंगन
(d) Bt कपास
उत्तर:
(d) Bt कपास

प्रश्न 18.
Bt कपास के कुछ लक्षण हैं
(a) लम्बे तंतु और एफिड्स के प्रति प्रतिरोधी
(b) मध्यम उत्पादन, लम्बे रेशे और भंग-पीड़कों (Beetle pests) के प्रति प्रतिरोधी
(c) अधिक उत्पादन तथा जीव विष प्रोटीन के रवों का उत्पादन जो डिप्टॉन पीड़कों को भारतें है।
(d) अधिक उत्पादन और गोलक शलभ कृमि के प्रति प्रतिरोधी ।
उत्तर:
(d) अधिक उत्पादन और गोलक शलभ कृमि के प्रति प्रतिरोधी ।

प्रश्न 19.
DNA अंगुलिछापी संबंधित है
(a) DNA प्रतिदर्शी की प्रोफाइल का आण्विक विश्लेषण
(b) इम्प्रिटिंग डिवाइस का उपयोग कर DNA प्रतिदशी का विश्लेषण
(c) DNA के विभिन्न प्रतिदर्शों के रासायनिक विश्लेषण के लिए प्रयुक्त तकनीक
(d) लोगों के अंगुलिछापों की पहचान में प्रयुक्त तकनीक ।
उत्तर:
(a) DNA प्रतिदर्शी की प्रोफाइल का आण्विक विश्लेषण

प्रश्न 20.
एक रोग का आरंभिक अवस्था में निम्न द्वारा पता लगाया जा सकता है
(a) PCR
(b) जीन चिकित्सा
(c) पुनर्योग्ज DNA तकनीक और ELISA
(d) (a) व (c) दोनों
उत्तर:
(d) (a) व (c) दोनों

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प्रश्न 21.
निम्न में से किस विधि द्वारा एडीनोसीन डीएमीनेस न्यूनता को स्थाई रूप से उपचारित किया जा सकता है?
(a) अस्थि मजा प्रत्यारोपण
(b) एन्जाइम प्रतिस्थापन चिकित्सा
(c) आरंभिक धणीय अवस्थाओं में जीन चिकित्सा
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(c) आरंभिक धणीय अवस्थाओं में जीन चिकित्सा

प्रश्न 22.
एक क्लोन में DNA का पता लगाने की तकनीक है
(a) पॉलीमरेस शृंखला अभिक्रिया
(b) जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस
(c) क्रोमेटोग्राफी
(d) ऑटोरेडियोग्राफी।
उत्तर:
(d) ऑटोरेडियोग्राफी।

प्रश्न 23.
एक एकल सूत्रीय DNA या RNA को एक विकिरण सक्रिय अणु से नामांकित करते हैं और इसका उपयोग निम्न उत्परिवर्तित जीन का पता लगाने में होता है
(a) RNAi
(b) प्रोब
(c) प्लाज्मिंड
(d) प्राइमर
उत्तर:
(b) प्रोब

प्रश्न 24.
निम्न में से किस कंपनी ने सन् 1983 में ह्यूमुलिन का विक्रय आरंभ कर दिया था?
(a) एली लिली
(b) जेनटेक
(c) GEAC
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) एली लिली

प्रश्न 25.
जीनोम द्वारा कृटित सभी प्रोटीन्स के अध्ययन को कहते हैं
(a) प्रोटियोमिक्स
(b) जीनोमिक्स
(c) जीन लाईब्रेरी
(d) प्रांटियोलॉजी
उत्तर:
(a) प्रोटियोमिक्स

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प्रश्न 26.
जीन चिकित्सा का एक उदाहरण है
(a) सुई से प्रवेश कराने योग्य हिपेटाइटिस B – टीके का उत्पादन
(b) आलू जैसी खाद्य फसलों में टीके का उत्पादन जिनें खाया जा सके।
(c) एडीनोसीन डीएमोनेस के लिये जीन का उन रोगियों में प्रविष्टीकरण जो SCID से पीड़ित हैं।
(d) कृत्रिम इनसेमोशेन व निषेचित अण्डाणुओं के अध्यारोपण द्वारा टेस्ट-ट्यूब बेबीज का उत्पादन ।
उत्तर:
(c) एडीनोसीन डीएमोनेस के लिये जीन का उन रोगियों में प्रविष्टीकरण जो SCID से पीड़ित हैं।

प्रश्न 27.
मानव इन्सुलिन का व्यावसायिक उत्पादन किसकी पारजीनी जाति से किया जा रहा है?
(a) माइकोबैक्टीरियम
(b) राइजोबियम
(c) सैकरोमाइसौज
(d) इश्चेरिचिया
उत्तर:
(d) इश्चेरिचिया

प्रश्न 28.
द्वितीय पीढ़ी की वैक्सीन पुनर्योगज DNA तकनीक द्वारा बनायी जाती हैं। निम्न में से कौन ऐसी वैक्सीन का उदाहरण है?
(a) हिपेटाइटिस B वायरस वैक्सीन
(b) हपीस वाइरस वैक्सीन
(c) साल्क का पोलियो वैक्सीन
(d) (a) और (b) दोनों।
उत्तर:
(d) (a) और (b) दोनों।

प्रश्न 29.
वे जन्तु जिनके DNA मेनीपुलेटेड होते हैं और जो बाहरी जीन की अभिव्यक्ति करते हैं, वे कहलाते हैं
(a) पारजीनी जन्तु
(b) काधिक संकरित
(c) सोमाक्लोन्स
(d) उत्कृष्ट (Super) जन्तु ।
उत्तर:
(a) पारजीनी जन्तु

प्रश्न 30.
वह मानव प्रोटीन जो ट्रांसजेनिक जन्तुओं से प्राप्त होती है और जिसका उपयोग एम्फीसीमा के उपचार में होता है
(a) अल्फा-लैक्टेल्बुमिन
(b) थाइरोक्सीन
(c) α – 1 – एन्टीट्रिप्सिन
(d) इन्सुलिन
उत्तर:
(c) α – 1 – एन्टीट्रिप्सिन

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प्रश्न 31.
निम्न में से कौन-सा ट्रांसजेनिक जन्तुओं का लाभ नहीं है ?
(a) बीमारियों के लिये नए उपचार का परीक्षण
(b) बीमारी की आरंभिक अवस्था में पहचान
(c) टीकों की सुरक्षा का परीक्षण
(d) उपयोगी जैविक उत्पादों का उत्पादन
उत्तर:
(b) बीमारी की आरंभिक अवस्था में पहचान

प्रश्न 32.
डॉली भेड़ अनुवांशिक रूप से समान थी
(a) उस माता के जिससे केन्द्रकहीन अण्ड कोशिका को लिया गया था।
(b) उस माता से जिससे केन्द्रक युक्त (Nucleated) धन (Udder) कोशिका को लिया गया था।
(c) सेरोगेट माता के।
(d) सेरोगेट माता और डोनर माता दोनों के।
उत्तर:
(b) उस माता से जिससे केन्द्रक युक्त (Nucleated) धन (Udder) कोशिका को लिया गया था।

प्रश्न 33.
वह संगठन जो GM शोध की वैधानिकता तथा जन सेवाओं के लिये GM जीवों के प्रयोग के बारे में सुरक्षा से संबंधित निर्णय लेता
(a) जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी
(b) जीनोम एन्वायरमेन्ट एक्शन कमेटी
(c) जेनेटिक एन्वायरमेन्ट अप्रूवल कमेटी
(d) जेनेटिक्स एण्ड एथिकल इश्यू एक्शन कमेटी।
उत्तर:
(a) जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी

प्रश्न 34.
जैविक संसार में हमारी क्रियाओं को नियमित करने के लिए बनाये गये नियम कहलाते हैं
(a) बायोएथिक्स
(b) जैवयुद्ध
(c) जैव एकस्व
(d) बायोपाइरेसी।
उत्तर:
(a) बायोएथिक्स

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प्रश्न 35.
कौन-सा भारतीय पौधा पश्चिमी राष्ट्रों द्वारा व्यावसायिक उपयोग के लिये पेटेन्ट किया गया था उसका पेटेन्ट करने की कोशिश की गई।
(a) बासमती चावल
(b) हल्दी
(c) नीम
(d) उपरोक्त सभी को लक्ष्य बनाया गया
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी को लक्ष्य बनाया गया

प्रश्न 36.
बायोपाइरेसी का अर्थ है
(a) बायोपेटेन्ट का उपयोग
(b) पौधों और जन्तुओं की चोरी
(c) जैव संसाधनों की चोरी
(d) आज्ञा के बिना जैव संसाधनों का दुरूपयोग
उत्तर:
(d) आज्ञा के बिना जैव संसाधनों का दुरूपयोग

प्रश्न 37.
निम्न में से किसे बृहद एकस्व श्रेणी के अन्तर्गत रखा गया है?
(a) ट्रिटीकम
(b) ओराइजा
(c) पाइसम सेटाइवम
(d) बेसिका
उत्तर:
(a) ट्रिटीकम

प्रश्न 38.
यू.एस, कम्पनी द्वारा चावल की किस किस्म का पेटेन्ट कराया गया, यद्यपि इसकी भारत में अनेक किस्में पाई जाती हैं?
(a) शरबती सोनोरा
(b) Co – 667
(c) वासमती
(d) लरमा रोजो
उत्तर:
(c) वासमती

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प्रश्न 39.
निम्न में से किस चरण को भारत सरकार ने पेटेन्ट की शर्तों की आवश्यकता और दूसरे आपातकालीन प्रावधानों के लिए शामिल किया है?
(a) बायोपायरेसी एक्ट
(b) इण्डियन पेटेन्ट बिल
(c) ETI एक्ट
(d) निगोशिएबल इन्स्टूमेन्ट्स एक्ट
उत्तर:
(b) इण्डियन पेटेन्ट बिल

प्रश्न 40.
Bt कपास नहीं है
(a) एक GM पौधा
(b) कौट प्रतिरोधी
(c) एक बैक्टीरियल जीन अभिव्यक्ति तंत्र
(d) सभी पीड़कनाशियों के लिये प्रतिरोधी ।
उत्तर:
(d) सभी पीड़कनाशियों के लिये प्रतिरोधी ।

प्रश्न 41.
GEAC का पूर्ण रूप है
(a) जीनोम इन्जीनियरिंग एक्शन कमेटी
(b) ग्राउन्ड एन्वायरमेन्ट एक्शन कमेटी
(c) जेनेटिक इन्जीनियरिंग अप्रवल कमेटी
(d) जेनेटिक एण्ड एन्वायरमेन्ट अप्रूवल कमेटी
उत्तर:
(c) जेनेटिक इन्जीनियरिंग अप्रवल कमेटी

प्रश्न 42.
α – 1 एन्टीट्रिप्सिन है
(a) एक एटीएसिड
(b) एक एन्जाइम
(c) अर्थराइटिस के उपचार में प्रयोग होता है
(d) एम्फोसीमा के उपचार में प्रयोग होता है।
उत्तर:
(d) एम्फोसीमा के उपचार में प्रयोग होता है।

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प्रश्न 43.
प्रोब एक अणु होता है जिसका उपयोग DNA या RNA अणु के मिश्रण में विशिष्ट अनुक्रम की स्थिति का पता लगाने में होता है, वह हो सकता है
(a) एकल रज्जुक RNA
(b) एकल रज्जुक DNA
(c) RNA UT DNA
(d) ssDNA तो हो सकता है परंतु SSRNA नहीं।
उत्तर:
(a) एकल रज्जुक RNA
(b) एकल रज्जुक DNA

प्रश्न 44.
रिट्रोवाइरस से संबंधित सही विकल्प चुनें
(a) संक्रमण के दौरान DNA का संश्लेषण करने वाला RNA वाइरस
(b) संक्रमण के दौरान RNA का संश्लेषण करने वाला DNA वाइरस
(c) एक SSDNA वाइरस
(d) एक dsDNA वाइरस ।
उत्तर:
(a) संक्रमण के दौरान DNA का संश्लेषण करने वाला RNA वाइरस

प्रश्न 45.
शरीर में ADA के उत्पादन का स्थल है
(a) इरिथ्रोसाइट्स
(b) लिम्फोसाइट्स
(c) रक्त प्लाज्मा
(d) ओस्टियोसाइट्स ।
उत्तर:
(b) लिम्फोसाइट्स

प्रश्न 46.
पैथोफिजियोलाजी है
(a) रोगजनक की फिजियोलॉजी का अध्ययन
(b) होस्ट की साधारण फिजियोलॉजी का अध्ययन
(c) होस्ट की परिवर्तित फिजियोलॉजी का अध्ययन
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) होस्ट की परिवर्तित फिजियोलॉजी का अध्ययन

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प्रश्न 47.
बेसिलस थूरिनजिएन्सिस के जीव विष की क्रियाशीलता का प्ररेक है
(a) आमाशय का अम्लीय pH
(b) उच्च ताप
(c) आहार नाल का क्षारीय pH
(d) कीट के आहार नाल की क्रियाविधि ।
उत्तर:
(c) आहार नाल का क्षारीय pH

प्रश्न 48.
RNAI में, निम्न का उपयोग कर जीन साइलेन्सिंग होती हैं
(a) ssDNA
(b) dsDNA
(c) dsRNA
(d) ssRNA
उत्तर:
(c) dsRNA

प्रश्न 49.
ADA एक एन्जाइम है जिसकी कमी से एक अनुवांशिक विकार SCID होता है | ADA का पूरा नाम है
(a) एडीनोसिन डिऑक्सी एमीनेस
(b) एडीनोसिन डीएमीनेस
(c) एस्पारटेट डौएमीनेंस
(d) आरजिनीन डीएमीनेस
उत्तर:
(b) एडीनोसिन डीएमीनेस

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Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 13 जीव और समष्टियाँ

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Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 13 जीव और समष्टियाँ

प्रश्न 1.
दिए गए प्रवाह आलेख (Flowchart) का संदर्भ लें।
Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 13 जीव और समष्टियाँ 1
जीव – समष्टि – x को पहचानिए एवं सही विकल्प चुनिए ।
(a) समुदाय
(b) जीवमण्डल
(c) जीवोम
(d) जातियाँ
उत्तर:
(a) समुदाय

प्रश्न 2.
किसी स्थान पर उपस्थित अनेक पादप एवं जंतु जातियाँ निर्माण
करती हैं
(a) वंश
(b) समष्टि
(c) जीवोम
(d) समुदाय।
उत्तर:
(d) समुदाय।

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प्रश्न 3.
पारिस्थितिकीय पदानुक्रम (Ecological hierarchy) की आधारभूत इकाई है
(a) समाधि
(b) समुदाय
(c) पारिस्थितिक तंत्र
(d) जीव ।
उत्तर:
(d) जीव ।

प्रश्न 4.
पृथ्वी की सतह पर विभिन्न जीवोम का निर्माण……में वार्षिक परिवर्तन होने के कारण होता है।
(a) तापमान
(b) अवक्षेपण
(c) आपतित सौर विरिकण
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 5.
रेगिस्तान, वर्षावन, टुण्डा आदि निम्न में से किसके उदाहरण हैं?
(a) समुदाय
(b) जीवोम
(c) पारिस्थितिक तंत्र
(d) जनसंख्या
उत्तर:
(b) जीवोम

प्रश्न 6.
तापमान को सर्वाधिक प्रासंगिक पारिस्थितिकीय वातावरणीय कारक माना जाता है क्योंकि यह जीवों के……..पर प्रभाव डालता है।
(a) शरीर विज्ञान
(b) आकारिको
(c) भौगोलिक वितरण
(d) उपरोक्त सभी ।
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी ।

प्रश्न 7.
समशीतोष्ण क्षेत्रों में आम की पैदावार नहीं होती है और वहाँ हो भी नहीं सकती है। इसके लिए उत्तरदायी मुख्य महत्वपूर्ण वातावरणीय कारक है
(a) मृदा
(b) तापमान
(c) जल
(d) प्रकाश।
उत्तर:
(b) तापमान

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प्रश्न 8.
ऐसी जगह/क्षेत्र (Place) जहाँ बहुत ही अल्प मात्रा में वर्षा होती है, वहाँ प्रभावी पादप हो सकते हैं
(a) ओपशिया
(b) निम्फिया
(c) एस्पेगम
(d) (a) एवं (c) दोनों
उत्तर:
(d) (a) एवं (c) दोनों

प्रश्न 9.
निम्न में से कौन जीवों के भौतिक वातावरण का हिस्सा नहीं है?
(a) तापमान
(b) प्रकाश
(c) अन्य जीव
(d) आर्द्रता
उत्तर:
(c) अन्य जीव

प्रश्न 10.
वे जीव जो लवण सांद्रता की विस्तृत सीमा को सहन करने की क्षमता रखते हैं, कहलाते हैं
(a) स्टेनोसैलाइन
(b) स्टेनोहैलाइन
(c) यूरीडलाइन
(d) यूरीसैलाइन
उत्तर:
(c) यूरीडलाइन

प्रश्न 11.
निम्न में से कौन-सा शैवाल (Algae) सबसे गहरे समुद्री जल में पाया जाता है?
(a) लाल शैवाला
(b) पीला शैवाल
(c) हरा शैवाल
(d) भूरा शैवाल
उत्तर:
(a) लाल शैवाला

प्रश्न 12.
स्थलीय बायोम (Terrestrial biome) के लक्षण इससे बहुत अधिक प्रभावित होते हैं
(a) बनस्पति
(b) मौसम
(c) प्राणी समूह
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

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प्रश्न 13.
मृदा की जल धारण क्षमता निर्भर करती है
(a) मृदा के रासायनिक संघटन पर
(b) मृदा कणों के आकार पर
(c) मृदा कणों के एकीकरण पर
(d) उपरोक्त सभी ।
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी ।

प्रश्न 14.
पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन इनके कारण होता है
(a) झुकी हुई धुरी
(b) अपनी धुरी के आस-पास परिभ्रमण (Rotation)
(c) सूर्य के चारों ओर परिक्रमा
(d) (a) एवं (c) दोनों
उत्तर:
(d) (a) एवं (c) दोनों

प्रश्न 15.
वे जीवधारी जो आंतरिक तापमान को स्थिर बनाए रख सकते हैं, कहलाते हैं
(a) समतापी
(b) असमतापी
(c) अल्पतापी
(d) विषमतापी
उत्तर:
(a) समतापी

प्रश्न 16.
एक प्राणी जो 10°C एवं 40°C दोनों ही तापमान पर जीवित रह सकता है, को इस वर्ग में रखा जा सकता है
(a) संरूपी
(b) नियंत्रक/नियामक
(c) प्रवासीय
(d) परिवर्तन करने वाले।
उत्तर:
(b) नियंत्रक/नियामक

प्रश्न 17.
बहुत से प्राणियों द्वारा प्रकाश की तीव्रता तथा प्रकाश अवधि (Photoperiod) में दैनिक एवं मौसम की भिन्नताओं का उपयोग उनके……….के समय निर्धारण के लिए किया जाता है।
(a) प्रवासन
(b) प्रजनन क्रिया
(c) निलंबन
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

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प्रश्न 18.
कठोर (Harsh) वातावरण में बचने के लिए जब जीवधारी अपना स्थान बदलते हैं, तब इसे कहते हैं
(a) शीत निष्क्रियता/शीत निद्रा
(b) वर्नेलाइजेशन
(c) निलंबन
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(c) निलंबन

प्रश्न 19.
जब हम गर्म कमरे में होते हैं, तो बहुत अधिक पसीना आता है। यह होमियोस्टेसिस (Homeostasis) बनाए रखने का………एक साधन है।
(a) आकारिकीय
(b) शारीरिकीय
(c) व्यवहारिक
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) शारीरिकीय

प्रश्न 20.
जीवधारियों द्वारा प्रवासन इन प्रतिकूल अवस्थाओं को टालने के लिए किया जाता है
(a) तापमान
(b) भोजन की उपलब्धता
(c) अवक्षेपण
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 21.
प्राणियों का ठंडे मौसम के प्रति निम्न में से कौन-सा एक महत्वपूर्ण अनुकूलन है?
(a) शारीरिक वसा की पतली परत (Thin layer of body fat)
(b) एस्टीवेशन (Aestivation)
(c) कंपकपी के प्रति बढ़ी हुई प्रवृत्ति
(d) आयतन की तुलना में घटा हुआ सतही क्षेत्र
उत्तर:
(d) आयतन की तुलना में घटा हुआ सतही क्षेत्र

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प्रश्न 22.
……….प्राणियों (आकारिकीय, शारीरिकीय, व्यवहारिकीय) की उत्तरजीविता तथा सन्तानोत्पत्ति हेतु एक विशेषता है।
(a) प्रवासन
(b) हाइबरनेशन (शीत निद्रा)
(c) अनुकूलन
(d) होमियोस्टेसिस
उत्तर:
(c) अनुकूलन

प्रश्न 23.
निम्न में से कौन-सा जोड़ा बेमेल है?
(a) बैक्टीरिया – सुप्तावस्था में मोटी भित्ति बाले बीजाणु
(b) भालू – हाइबरनेशन
(c) जंतुप्लवक (Zooplanktons)- उपरति
(d) छिपकली – एस्टीवेशन
उत्तर:
(d) छिपकली – एस्टीवेशन

प्रश्न 24.
गहरे समुद्र में बारंबार गोताखोरी करने वाले जीवधारियों, जैसे व्हेल्स को निम्न में से कौन-सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है?
(a) वायु गुहिकाओं के आसपास के ऊतकों में संपीडन
(b) खून में नाइट्रोजन का उच्च स्तर
(c) ऑक्सीजन की कमी
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

प्रश्न 25.
ओपंशिया (Opuntia) में कांटे के समान पत्तियाँ होती हैं, जो इसमें सहायता करती हैं
(a) वाष्मोत्सर्जन (Transpiration) की दर को कम करने में
(b) बाष्पोत्सर्जन की दर में वृद्धि करने में ।
(c) प्रकाश संश्लेषण क्रिया की दर में वृद्धि करने में
(d) प्रकाश संश्लेषण क्रिया की दर में कमी करने में।
उत्तर:
(a) वाष्मोत्सर्जन (Transpiration) की दर को कम करने में

प्रश्न 26.
………..नियम यह बताता है कि ऊष्मीय हानि को कम करने हेतु ठंडी जलवायु वाले स्तनपाइयों में कान एवं पैर सामान्यतः छोटे होते
(a) एलेन्स (Allen’s)
(b) वर्गर्स (Berger’s)
(c) बोरगेस (Borge’s)
(d) पॉवेल्स (Powell’s)
उत्तर:
(a) एलेन्स (Allen’s)

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प्रश्न 27.
अनुकूलन हो सकता है
(a) व्यवहारिकीय
(b) आकारिकीय
(c) शारीरिकीय
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 28.
अनुकूलन की व्यवहारिकीय रणनीति, इको लोकेशन (Echolocation) कहलाती है, जो इनमें पायी जाती है
(a) चमगादड़
(b) तितली
(c) प्रेइंग मेन्टिस
(d) आर्कटिक टर्न ।
उत्तर:
(a) चमगादड़

प्रश्न 29.
यदि किसी जीवधारी के शरीर की आकृति उसक वातावरण के सदृश्य इस प्रकार होती है, जिससे उसे दंदना कठिन हो जाता है, तब यह कहलाता है
(a) छद्मावरण
(b) मिमिक्रो
(c) वार्निंग कलरेशन
(d) (a) एवं (b) दोनों।
उत्तर:
(a) छद्मावरण

प्रश्न 30.
जनसंख्या के विकास को सामान्यत: निम्न सभीकरण द्वारा वर्णित किया जाता है। \(\frac{\mathrm{dN}}{\mathrm{dt}}=\mathrm{rN}\left(\frac{\mathrm{K}-\mathrm{N}}{\mathrm{K}}\right)\)
दिए गए समीकरण में ‘r’ क्या दर्शाता है?
(a) जनसंख्या घनत्व समय पर
(b) स्वाभाविक वृद्धि की मूलभूत दर
(c) वहन क्षमता
(d) प्राकृतिक लघुगणक का आधार
उत्तर:
(b) स्वाभाविक वृद्धि की मूलभूत दर

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प्रश्न 31.
दिय गये चित्र में किस प्रकार की अन्तरक्रिया दर्शायी गई है?
Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 13 जीव और समष्टियाँ 2
(a) पारस्परिकता/सहोपकारिता
(b) परजीविता
(c) हेलोटिज्म
(d) एमेनसलिज्म
उत्तर:
(a) पारस्परिकता/सहोपकारिता

प्रश्न 32.
प्रजातियों द्वारा एक-दूसरे पर नकारात्मक प्रभाव के साथ अन्तरक्रिया कहलाती है
(a) एमेनसलिज्म
(b) पारस्परिकता
(c) सहभाजिता
(d) प्रतियोगिता/स्पर्धा
उत्तर:
(d) प्रतियोगिता/स्पर्धा

प्रश्न 33.
निम्न में से कौन-सा विकल्प पारस्परिकता को दर्शाता है?
(a) उच्च पादपों की जड़ों में रहने वाले माइकोराइजा
(b) अंजौर के पुष्पक्रम को परागित करने वाली बर्ग/ततैया
(c) प्रायः हर्मिट क्रेब के कवच पर पाया जाने वाला समुद्री एनीमोन
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 34.
प्रति इकाई क्षेत्रफल एवं प्रति इकाई समय में किसी जाति के कुल जीवों की संख्या कहलाती है
(a) समष्टि आकार
(b) समष्टि घनत्व
(c) जनसांख्यिकी (Demography)
(d) समष्टि गतिकी (Population dynamics)
उत्तर:
(b) समष्टि घनत्व

प्रश्न 35.
किसी दी गई समष्टि में किसी दिए गए आयु समूह के जीवों का प्रतिशत कहलाता है
(a) आयु वितरण
(b) आयु घनत्व
(c) आयु ग्राफ
(d) आयु वक्र
उत्तर:
(a) आयु वितरण

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प्रश्न 36.
यदि किसी समष्टि के लिए आयु वितरण को आरेखित किया गया है, तो परिणामी संरचना कहलाती है
(a) आयु ग्राफ
(b) आयु वक्र
(c) आयु पिरामिड
(d) आयु डायग्राम
उत्तर:
(c) आयु पिरामिड

प्रश्न 37.
आयु संरचना से संबंधित पैमानों (Parameters) में शामिल हैं
(a) अण्डजनन शक्ति (जन्म दर)
(b) जनन समय
(c) मृत्यु दर
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 38.
समष्टि की आयु संरचना (Age structure) दर्शाती है
(a) प्रत्येक आयु पर जीवों की आपेक्षिक संख्या
(b) प्रति वर्ष जन्म लेने वाले नवजातों की संख्या
(c) प्रतिवर्ष तरुणावस्था (Puberty) प्राप्त करने वाले जीवों की संख्या
(d) प्रत्येक आयु पर मृत्युओं की आपेक्षिक संख्या।
उत्तर:
(a) प्रत्येक आयु पर जीवों की आपेक्षिक संख्या

प्रश्न 39.
निम्न में से कौन-से कारक का समष्टि की वृद्धि दर पर नकारात्मक प्रभाव होता है?
(a) उत्प्रवासन
(b) आप्रवासन
(c) जन्म दर
(d) जनन शक्ति (Fecundity)
उत्तर:
(a) उत्प्रवासन

प्रश्न 40.
निम्न में से किस प्रकरण के लिए, समष्टि घनत्व को अजैविक पैरामीटर का उपयोग करते हुए आसानी से निर्धारित किया जा सकता है?
(a) मछलियों का घनत्व
(b) संवर्धन प्लेट में जीवाणु का घनत्व
(c) भरतपुर वेटलैंड्स (Wetlands) में साइबेरियाई सारस
(d) टाइगर जनगणना
उत्तर:
(d) टाइगर जनगणना

प्रश्न 41.
किसी समष्टि में चरघातांकी वृद्धि तब होती है जब
(a) आवास में संसाधन असीमित होते हैं।
(b) प्रत्येक प्रजाति में अपनी पूर्ण स्वाभाविक क्षमता को अनुभूत करने की योग्यता होती है।
(c) (a) एवं (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(c) (a) एवं (b) दोनों

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प्रश्न 42.
जीवों की वह अधिकतम सम्भव संख्या जिसे एक आवास सहारा प्रदान कर सकता है, कहलाती है
(a) उर्वरता
(b) उत्तरजीवी योग्यता
(c) वहन क्षमता
(d) जैवीय क्षमता
उत्तर:
(c) वहन क्षमता

प्रश्न 43.
निम्न में से कौन-सा समीकरण सही रूप से चरघातांकी समष्टि वृद्धि वन को दर्शाता है?
(a) dN/dt = N
(b) dN / dt = rN \(\frac{(\mathrm{K}-\mathrm{N})}{\mathrm{K}}\)
(c) Nt = N0ert
(d) (a) एवं (c) दोनों
उत्तर:
(d) (a) एवं (c) दोनों

प्रश्न 44.
कम उम्र वाले जीवों की तुलना में अधिक उम्र वाले जीवों की बृहद् संख्या वाली किसी समष्टि में इसकी सम्भावना होगी
(a) अत्यधिक वृद्धि करने तथा फिर गिरावट करने की
(b) अत्यधिक रूप से लगातार वृद्धि करने की
(c) कम वृद्धि करने की तथा लघुतर समष्टि आकार पर स्थिर हो जा सकने की
(d) समष्टि आकार में परिवर्तन अनुभव न करने की।
उत्तर:
(c) कम वृद्धि करने की तथा लघुतर समष्टि आकार पर स्थिर हो जा सकने की

प्रश्न 45.
कलश के आकार वाला समष्टि आयु पिरामिड दर्शाता है
(a) बढ़ती हुई समष्टि
(b) स्थिर समष्टि
(c) गिरती हुई समष्टि
(d) विलुप्त समष्टि।
उत्तर:
(c) गिरती हुई समष्टि

प्रश्न 46.
निम्न में से कौन-सा कथन सही है?
(a) ज्यामितीय वृद्धि J-आकार वाले समष्टि वृद्धि वक्र को उत्पन्न करती है।
(b) लॉजिस्टिक वृद्धि तब प्राप्त होती है जब संसाधन सीमित होते हैं।
(c) चरघातांकी वृद्धि के लिए समीकरण N = Npen होता है।
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 47.
दिये गये चित्र में किस प्रकार की अन्तरक्रिया को दर्शाया गया है?
Bihar Board 12th Biology Objective Answers Chapter 13 जीव और समष्टियाँ 3
(a) परजीविता
(b) सहभोजिता
(c) परभक्षिता
(d) अमेन्सेलिज्म
उत्तर:
(c) परभक्षिता

प्रश्न 48.
अविकपी (Obligate) परजीवी ऐसे प्राणी हैं जो
(a) केवल मृत, क्षय होने वाले कार्बनिक पदार्थ से पोषण प्राप्त करते हैं।
(b) केवल जीवित प्राणियों से पोषण प्राप्त करते हैं।
(c) अवश्यक रूप से मृतोपजीवी होते हैं लेकिन परजीवी भी बन सकते हैं।
(d) आवश्यक रूप से परजीवी होते हैं लेकिन मृतोपजीवी भी हो सकते हैं।
उत्तर:
(b) केवल जीवित प्राणियों से पोषण प्राप्त करते हैं।

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प्रश्न 49.
पुष्पीय पौधों एवं परागण करने वाले कीटों के अंतरआश्रित विकास/उद्विकास को एक-साथ जाना जाता है
(a) पारस्परिकता
(b) सह विकास
(c) सहभोजिता
(d) सहयोग
उत्तर:
(b) सह विकास

प्रश्न 50.
प्रिकली पीयर कैक्टस ऑस्ट्रेलिया में अपने प्रवेश के पश्चात् असामान्य रूप से प्रचुर हो गया क्योंकि
(a) इनमें कोई भी सह-उद्विकसित शाकाहारी (Herbivorces) नहीं
(b) इसने नये माइकोराइजल साहचर्य को निर्मित किया।
(c) इसके काँटे लुप्त हो गये।
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(a) इनमें कोई भी सह-उद्विकसित शाकाहारी (Herbivorces) नहीं

प्रश्न 51.
निम्न में से कौन-सा कथन सही है?
(a) दो प्रजातियाँ समान आवास में नहीं रह सकती हैं।
(b) दो प्रजातियों के आवास (Niches) जितने अधिक असमान होते हैं, उनके मध्य प्रतिस्पर्धा उतनी ही प्रबल होती हैं।
(c) कोई भी दो प्रजातियाँ समान भौगोलिक क्षेत्र में ठीक समान आवास ग्रहण नहीं कर सकती हैं।
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(c) कोई भी दो प्रजातियाँ समान भौगोलिक क्षेत्र में ठीक समान आवास ग्रहण नहीं कर सकती हैं।

प्रश्न 52.
निम्न में से कौन-सा भक्ष्य-परभक्षी (Prey-predator) सम्बन्ध का एक उदाहरण नहीं है?
(a) हिरण को खाता हुआ टाइगर
(b) कीट को पकड़ता हुआ नेपेन्धीस पौधा
(c) कार्बनिक पदार्थ को अपघटित करता हुआ जीवाणु
(d) किसी व्यक्ति को मारता हुआ मगरमच्छ
उत्तर:
(c) कार्बनिक पदार्थ को अपघटित करता हुआ जीवाणु

प्रश्न 53.
निम्न में से कौन परभक्षण के लाभ हैं?
(a) इससे ट्रॉफिक स्तरों से ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है।
(b) इससे निम्न ट्रॉफिक स्तर के प्राणियों को समष्टि नियंत्रण में रहती
(c) प्रतिस्पर्धा भक्ष्य प्रजातियों के मध्य प्रतिस्पर्धा की तीव्रता को कम करके परभक्षी किसी समुदाय में प्रजाति विविधता को बनाए रखते
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी।

प्रश्न 54.
दो जीवों के मध्य एक ऐसी अन्तरक्रिया जहाँ एक तो लाभान्वित होता है तथा दूसरा न तो लाभान्वित होता है और न ही उसे कोई – हानि पहुँचती है, कहलाती है
(a) परभक्षिता
(b) सहजीविता
(c) अमेन्सेलिज्म
(d) सहभोजिता
उत्तर:
(d) सहभोजिता

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प्रश्न 55.
दो विभिन्न प्रजातियाँ एक ही समान स्थान या आवास में लम्बी अवधि के लिए नहीं रह सकती। इस नियम को कहा जाता है
(a) एलन का नियम
(b) ग्लॉगर का नियम
(c) प्रतिस्पर्धात्मक निषेध सिद्धांत
(d) वीजमेन सिद्धांत
उत्तर:
(c) प्रतिस्पर्धात्मक निषेध सिद्धांत

प्रश्न 56.
कर्मस्थिति अतिव्यापन (Niche overlap) इंगित करता है
(a) दो प्रजातियों के मध्य पारस्परिकता
(b) दो प्रजातियों के मध्य सक्रिय सहयोग
(c) समान होस्ट पर दो भिन्न परजीवी
(d) दो प्रजातियों के मध्य एक या अधिक संसाधनों का साझा किया जाना।
उत्तर:
(d) दो प्रजातियों के मध्य एक या अधिक संसाधनों का साझा किया जाना।

प्रश्न 57.
ऑटकोलॉजी है
(a) विषम समष्टि (Heterogeneous population) का अपने वातावरण के साथ संबंध
(b) किसी एक जीव का अपने वातावरण के साथ संबंध
(c) किसी समुदाय का अपने वातावरण के साथ संबंध
(d) किसी बायोम का अपने वातावरण के साथ संबंध ।
उत्तर:
(a) विषम समष्टि (Heterogeneous population) का अपने वातावरण के साथ संबंध
(b) किसी एक जीव का अपने वातावरण के साथ संबंध

प्रश्न 58.
ईकोटोन है
(a) एक प्रदूषित क्षेत्र
(b) किसी झील की तलहटी
(c) दो समुदायों के मध्य का संक्रमण क्षेत्र
(d) विकासशील समुदाय का क्षेत्र ।
उत्तर:
(c) दो समुदायों के मध्य का संक्रमण क्षेत्र

प्रश्न 59.
जैवमण्डल है
(a) ईकोसिस्टम का एक घटक
(b) मिट्टी में उपस्थित पौधों से निर्मित
(c) बाह्य आकाश में जीवन
(d) पृथ्वी पर उपस्थित सभी जीवित प्राणियों से निर्मित जो भौतिक | वातावरण के साथ अंतरक्रिया करते है।
उत्तर:
(d) पृथ्वी पर उपस्थित सभी जीवित प्राणियों से निर्मित जो भौतिक | वातावरण के साथ अंतरक्रिया करते है।

प्रश्न 60.
पारिस्थितिक कर्मस्थिति (Ecological niche) है
(a) समुद्र का पृष्ठीय क्षेत्र
(b) पारिस्थितिकीय रूप से अपनाया गया क्षेत्र
(c) समुदाय के अंतर किसी प्रजाति की भौतिक स्थिति एवं क्रियात्मक भूमिका
(d) किसी झील की तलहटी पर रहने वाले सभी पादपों एवं जन्तुओं से निर्मित।
उत्तर:
(c) समुदाय के अंतर किसी प्रजाति की भौतिक स्थिति एवं क्रियात्मक भूमिका

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प्रश्न 61.
ऐलन के नियमानुसार, ठण्डे मौसम वाले स्तनपायियों के होते हैं
(a) छोटे कान एवं लम्बे पाद
(b) लम्बे कान एवं छोटे पाद
(c) लम्बे कान एवं लम्बे पाद
(d) छोटे कान एवं छोटे पाद
उत्तर:
(d) छोटे कान एवं छोटे पाद

प्रश्न 62.
अंश प्रति हजार में मापी गई समुद्र की लवण सान्द्रता (Salinity)
(a) 10 – 5
(b) 30 – 70
(c) 0 – 5
(d) 30 – 35
उत्तर:
(d) 30 – 35

प्रश्न 63.
यदि किसी पूल में उपस्थित 50 पैरामीसियस की समष्टि एक घंटे में बढ़कर 150 हो जाती है, तो समष्टि की वृद्धि दर क्या होगी?
(a) 50 प्रतिघंटा
(b) 200 प्रतिघंटा
(c) 5 प्रतिघंटा
(d) 200 प्रतिघंटा
उत्तर:
(d) 200 प्रतिघंटा

प्रश्न 64.
निम्न में से कौन-सी स्थिति किसी दिए गए आवास में समष्टि के घनत्व को आवश्यक रूप से कम करेगी?
(a) जन्म दर > मृत्यु दर
(b) आप्रवासन > उत्प्रवासन
(c) मृत्यु दर एवं उत्प्रवासन
(d) जन्म दर एवं आप्रवासन
उत्तर:
(c) मृत्यु दर एवं उत्प्रवासन

प्रश्न 65.
एक प्रोटोजोआ प्राणी द्विखण्डन द्वारा प्रजनन करता है। छः पीढ़ियों के पश्चात् प्रोटोजोआ प्राणियों की समष्टि की क्या संख्या होगी?
(a) 128
(b) 24
(c) 64
(d) 32
उत्तर:
(c) 64

प्रश्न 66.
लाइकेन्स निम्न के मध्य संबंध है
(a) जीवाणु एवं कवक
(b) शैवाल एवं जीवाणू
(c) कवक एवं शैवाल
(d) कवक एवं वायरस
उत्तर:
(c) कवक एवं शैवाल

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प्रश्न 67.
निम्न में से कौन-सा आंशिक मूल परजीवी है?
(a) चंदन की लकड़ी
(b) मिस्टलेटो
(c) ऑरोबैन्की
(d) गैनोडर्मा
उत्तर:
(a) चंदन की लकड़ी

प्रश्न 68.
निम्न में से कौन-सा सजीव अपने जीवन काल में केवल एक ही बार लैंगिक प्रजनन करता है ?
(a) केले का पौधा
(b) आम
(c) टमाटर
(d) यूकेलिप्टस
उत्तर:
(c) टमाटर

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Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 8 उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति

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Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 8 उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति (फणीश्वरनाथ रेणु)

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 8 उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति (फणीश्वरनाथ रेणु)

उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति कठिन शब्दों का अर्थ

पुण्य सलिला-जिसकी जल पवित्र हो। छिन्नमस्ता-तांत्रिकों का एक देवी जिसका सिर कटा हुआ हो। भीमा-भयानक (स्त्री)। भयानका-भयानक (स्त्री)। प्रभावती-प्रकाशमयी, है। वह निराशा के घोर लक्षण गुण हैं जो अन्य जावा सूर्य की पत्नी। विधाता-ब्रह्मा, निर्माण या रचना करने वाला। अंचल-क्षेत्र। अप्रतिम-अद्वितीय। बालूचर-रेतीली-भूमि का विस्तार, बालू ही बालू। उन्मूलन-जड़ों से समाप्त करना। बंध्या-बाँझ, बंजर।

बेल-लता। सिल्ट-बाढ़ में जमने वाला। गाद-मिट्टी। मर्माहत-दुःखी, व्यथित। कंदाराओं-गुफाओं। धूसर-धूल के रंग का, खाकी। हमजोली-साथी, सहचर। काल-कवलित-समय द्वारा निगला हुआ, (कवलकौर, निवाला)। शस्य श्यामला-फसलों से हरी-भरी। आसन्न प्रसवा-वह जिसके प्रसव का समय नजदीक हो (आसन्न निकट)। अन्नपूर्णा-अन्न की आपूर्ति करने वाली, देवी। पुलकित-हर्षित, रोमांचित।

महत्त्वपूर्ण पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या

1. कोसी या उसके किसी अंचल के सम्बन्ध में………….कोसी मैया।
व्याख्या-
‘उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति’ शीर्षक रिपोर्ताज की इन पंक्तियों में रेणु जी यह बताना चाहते हैं कि वे कोशी अथवा उसके किसी अंचल के विषय में कुछ लिखना चाहते हैं तो बात व्यक्तिंगत हो जाती है। कुछ कहने या लिखने’ से उनका तात्पर्य है कहानी, उपन्यास, रिपोर्ताज या कविता अर्थात् साहित्य की किसी भी विधा में लेखन।

व्यक्तिगत से उनका तात्पर्य है कि साहित्य जगत या पाठक जगत उस लेखन को रेणु की अपनी बात या अपनी समस्या मान लेता है। इसके दो कारण हैं प्रथम यह कि रेणु उसी अंचल के निवासी हैं। उन्हें अपने क्षेत्र के लोगों से जिन्दगी से प्यार है। अतः जब वे लिखते हैं तो उसे क्षेत्र न मानकर अपना मानकर अर्थात् वे तटस्थ नहीं रह पाते हैं।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 8 उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति (फणीश्वरनाथ रेणु)

द्वितीय कारण वे स्वयं बताते हैं कि कोशी उनके लिए मात्र नदी नहीं है। वह है, ऐसी माँ जो पुण्य सलिला भी है और प्रलयकारणी भी है। जिस तरह गंगा नदी के क्षेत्र के लिए गंगा को गंगा मैया कहते हैं उसी तरह कोशी अंचल के लोग उसे ‘कोसी मैया’ कहते हैं। इसी अपनत्व और भूमि प्रेम के चलते रेणु क्षेत्र की समस्या पर लिखते हैं तो उसमें अपनापन का पुट आ जाता है।

2. इस परती के उदास और मनहूस…………..धूसर और वीरान।
व्याख्या-
‘उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति’ शीर्षक रिपोर्ताज के इन पंक्तियों में रेणु ने कोशी क्षेत्र की वीरान धरती का वर्णन किया है। लेखक बचपन से ही उसे देखता आया है। वह परती जमीन है, उसका रंग बादामी का है। उसे देखकर उदास और मनहूसियत का प्रभाव मन पर छा जाता है। लेखक के शब्दों में वह भूमि नहीं साकार उदासी है।

इस उदास मनहूस भूमि पर केवल बालू ही बालू है। बरसात के मौसम में कुछ निरर्थक किस्म के पौधे उगते हैं और हरियाली छा जाती है। कुछ दिन के बाद वह हरियाली नष्ट हो जाती है और यह धरती पुनः धूसर वर्ण की हो जाती और वातावरण में वीरानी छा जाती है। यहाँ कुछ नहीं उपजता। अत: यह बंध्या धरती है।

3. और इस भरी हुई मिट्टी पर बसे हुए……………सपने कैसे पल सकते हैं?
व्याख्या-
इन पंक्तियों में रेणु जी ने कोशी क्षेत्र की उस भरी हुई धरती के उदास वीरान परिवेश में जीने वाले इंसानों का वर्णन किया है। जिस समय का यह वर्णन है उस समय कोशी डैम नहीं बना था। अतः वहाँ गड्ढों-नालों में कोशी नदी का पानी ठहर जाता था जिसके चलते वहाँ मलेरिया और कालाजार का साम्राज्य था। इन रोगों से जर्जर लोगों का शरीर रक्त-माँसहीन चलते-फिरते नर कंकालों जैसा लगता था।

इन दोनों रोगों के कारण कब मौत किसको दबोच लेती यह कहना कठिन था अतः लोग मृत्यु के आंतक के बीच जीने को विवश थे। वे रोग से कराहने और किसी सज्जन के मरने पर रोने के सिवा उनके जीवन में कुछ नहीं था। उनका जीवन रस-उल्लास से रहित था अतः उनके जीवन में सपने भी नहीं थे। रेणु जी ठीक कहते हैं जिनके चेहरों पर सदा रोग और मौत के आतंक की छाया हो, उनकी आँखों में सुनहले सपने कैसे पल सकते हैं?

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 8 उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति (फणीश्वरनाथ रेणु)

4. किन्तु विधाता की सृष्टि में…………….अंधकार से लड़ता रहा है।
व्याख्या-
फणीश्वर नाथ रेणु ने कोशी अंचल में कोशी डैम बन जाने के उपरान्त उस क्षेत्र में हुए परिवर्तन का उल्लेख अपने रिपोर्ताज ‘उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति’ में किया है। उसी रिपोर्ताज से ये पंक्तियाँ ली गयी हैं। इन पंक्तियों में रेणु जी ने यह बताया है मनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ सृष्टि है। उसके पास पुरुषार्थ है, पुरुषार्थ को पूरा करने वाला संकल्प है और है विषम से विषम परिस्थितियों से जूझते रहने की असीम शक्ति। इसलिए वह हारना नहीं जानता। निराशा के घोर अन्धकार में भी वह आशा का नन्हा दीप जलाए आगे बढता रहा है, अन्धकार से लड़ता रहा है और अन्ततः अन्धकार पर विजयी होता है। इस रिपोर्ताज का निष्कर्ष भी इसी तत्त्व को सम्पुष्ट करता है।

5. भाई साहब ! कागज पर रंग की लहरें………..हरियाली ही हरियाली सूझती है।
व्याख्या-
फणीश्वर नाथ रेणु रचित “उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति” रिपोर्ताज टिप्पणी के रूप में है। बात मित्रों की है भाषा रेणु की। कोशी योजना के विषय में जाँच-पड़ताल होने के साथ ही रेणु जी ने उत्साहित होकर अपना दूसरा उपन्यास परती परिकथा लिख कर पूजा कर लिया वह छप भी गया। उसमें कोशी योजना में काम कर रहे लोगों की बातचीत और योजना से उत्साहित रेणु जी ने विश्वास किया कि कोशी अंचल वह धरती का रूप डैम बन जाने के बाद निश्चय ही बदल जायेगा और वह बंजर वीरान उदास धरती शस्य-श्यामला हो जायेगी।

मगर परिणाम के प्रति शंकालु लोगों को उनका आशावाद पच नहीं रहा था अतः उन लोगों ने व्यंग्यपूर्ण लहजे में कहा कि भाई साहब, कागज पर रंग लहराना अर्थात् कहानी उपन्यास में अच्छी चीजों का वर्णन करना आसान है, अमृत के समान मधुर प्रसन्नता की बात करना सहज है। लेकिन उसको धरती पर फलित करना आसान नहीं। अभी कोशी योजना पर काम शुरू भी नहीं हुआ और आप लगे हरे-भरे खेतों का सपना देखने। उन लोगों ने सावन के अंधों को हरियाली ही हरियाली सूझती है कहकर लेखक को सावन का अंधा तक कह दिया। यहाँ लेखक यह बताना चाहता है कि नकारात्मक सोच वाले केवल आलोचना कर सकते हैं।

उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश: 1.
लेखक ने कोसी अंचल का परिचय किस तरह दिया है?
उत्तर-
लेखक फणीश्वरनाथ रेणु ने अपने संस्मरण एवं रिपोर्ताज “उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति” में कोसी अंचल का परिचय प्रस्तुत किया है। लेखक के अनुसार कोसी अंचल कोसी नदी का क्षेत्र है। कोसी नदी “बिहार का शोक” कही जाती रही है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 8 उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति (फणीश्वरनाथ रेणु)

लेखक के अनुसार, कोसी नदी जिधर से गुजरती थी, धरती बाँझ हो जाती थी। सोना उपजाने वाली मिट्टी सफेद बालू के मैदान में बदल जाती थी। लाखों एकड़ बंजर भूमि उत्तर नेपाल की तराई से शुरू होकर दक्षिण गंगा के किनारे तक फैली दिखाई देती है।

लेखक उस वीरान एवं बंजर भूमि को बचपन से ही देखते आये हैं। दूर-दूर तक कहीं हरियाली का नामोनिशान भी नहीं था। लोगों के मुख पर उदासी एवं निर.शा की लकीर स्पष्ट दिखाई देती थी। यह वीरान. दृश्य दिन-रात, सुबह-शाम सबके मुख पर परिलक्षित होता था।

लेखक ने कोशी अंचल की भूमि को मरी हुई मिट्टी की संज्ञा दी है। लेखक ने कोसी क्षेत्र में बसने वाले लोगों को भी सजीव चित्र उपस्थित किया है। कोसी क्षेत्र के लोग बीमार, दुर्बल एवं जर्जर शरीर लिए क्षेत्र की दशा को दर्शाते हैं। लोगों के दिल में कोसी का आतंक और चेहरे ‘ पर उदासी हमेशा देखने को मिलती है।

लेखक स्वयं उसे क्षेत्र के निवासी हैं। उन्हें अपना बचपन याद आता है। हर साल उनके दर्जनों साथी कोसी के प्रकोप से काल के गाल में समा जाते थे। जो लोग दिखाई भी देते थे, तो लगता था; अगले वर्ष वे दिखाई देगे या नहीं।

प्रश्न 2.
जब लेखक कोसी या उसके किसी अंचल के संबंध में कुछ कहने या लिखने बैठता है तो बात बहुत हद तक व्यक्तिगत हो जाती है। ऐसा क्यों?
उत्तर-
उतरी स्वप्न परी : हरित क्रांति में लेखक ने स्पष्ट स्वीकार किया है कि वह जब कोसी या उसके किसी अंचल के संबंध में कुछ भी कहने या लिखने बैठता है तो वह वर्णन तटस्थ नहीं रह पाता, उसमें लेखक की वैयक्तिकता का सन्निवेश हो ही जाता है। ऐसा संभवतः इसीलिए होता है कि कोसी के साथ लेखक का भावात्मक एवं रागात्मक संबंध है। उसके स्वभाव-संस्कार में कोसी पूरी तरह रची-बसी है। अत: उसके वर्णन-चित्रण में उनकी वैयक्तिकता घुल-मिल जाती है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 8 उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति (फणीश्वरनाथ रेणु)

प्रश्न 3.
पाठ में लेखक ने कोसी को ‘माई’ भी कहा है और “डायन कोसी’ शीर्षेक से रिपोर्ताज लिखने की चर्चा भी की है। लेखक का कोसी से कौन रिश्ता है?
उत्तर-
लेखक फणीश्वरनाथ रेणु का कोसी से अटूट रिश्ता था। कोसी को उन्होंने माता (माई) कहकर भी पुकारा है। उनकी दृष्टि में कोसी माई भी है। उनकी नजर में कोसी का जल पवित्र है। इसलिए उन्होंने कोसी को पुण्यसलिला भी कहा है। कोसी को उन्होंने तांत्रिकों की देवी भी माना है। इसलिए वे उसे छिन्नमाता कहकर पुकारते हैं। कोसी के भयानकता एवं भयावहता को देखकर वे उसे ‘भीमा’ और ‘भयानक’ भी कहते हैं। “कोसी की परियोजना” से क्षेत्र के लोगों को बहुत लाभ मिला। लोगों की भी खुशहाली आयी। इसलिए उसे वे प्रभावती भी कहते हैं।

साथ ही कोसी की भयानक छवि से भयभीत होकर लेखक ने बीस-बाईस वर्ष पूर्व ‘डायन कोसी’ शीर्षक से एक रिपोर्ताज भी ‘जनता’ पत्रिका में प्रकाशित किया था। रिपोर्ताज गद्य लेखक की आधुनिक विधा है। आँखों देखी या कानों सुनी जीवन की किसी सच्ची घटना पर आधारित जानकारी ही रिपोर्ताज है। इसमें कल्पना का कोई स्थान नहीं होता। यह तथ्यों पर आधारित रिपोर्ट होती है।

कोसी नदी ने क्षेत्र के वासियों को तबाह किया था। सम्पूर्ण उपजाऊ भूमि वीरान हो गई थी। दूर-दूर तक कहीं हरियाली नहीं दिखाई पड़ती थी। लेखक भी कोसी की निर्दयता से त्रस्त थे। इसीलिए उन्होंने कोसी को डायन कहकर पुकारा। इतना ही नहीं, उन्होंने ‘डायन कोसी’ नामक एक रिपोर्ताज भी जनता पत्रिका में प्रकाशित किया था।

अत: लेखक ने ‘कोसी एक वरदान’ एवं ‘कोसी एक अभिशाप’-दोनों रूप में कोसी से अपना रिश्ता जोड़ा है।

प्रश्न 4.
‘मानव ही सर्वश्रेष्ठ प्राणी है।’ पाठ के संदर्भ में स्पष्ट करें।
उत्तर-
लेखक फणीश्वरनाथ रेणु ने अपने संस्मरण एवं रिपोर्ताज “स्वप्न परी : हरी क्रांति” में मानव जीवन के मार्मिम पहलू को स्पर्श किया है। यह एक सर्वविदित्त और सर्वज्ञात तथ्य है कि विधाता की इस सृष्टि में मनुष्य ही सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, उससे ऊपर, अच्छा या उत्तम अन्य कोई प्राणी नहीं। इसी बात को बंगला के सुप्रसिद्ध कवि चंडीदास ने इस प्रकार व्यक्त किया है-‘सुन रे मानसि भाय। सबारि ऊपर मानुस सत्य तार ऊपर किछु नाय।” कवि सुमित्रानंदन पंत की भी पक्ति है-

“सुन्दर है बिहरा सुमन सुंदर मानव तुम सबसे सुंदरतर”।

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विवेच्य पाठ में रेणुजी ने भी इसी तथ्य की संपुष्टि की है। उन्होंने बताया है कि यह मनुष्य ही है, जो घोर निराशा . में आशा की लौ जलाए चलता है और अपने उद्योग से प्रकृति को भी अपने अनुकूल बना लेता है। कोसी नदी जो उत्तर बिहार की अभिशाप मानी जाती है, जिसके कारण हजारों-हजार जिंदगियाँ , पल भर में काल कवलित हो जाती हैं, वहाँ भी आजादी के बाद हरी क्रांति के फलस्वरूप खुशहाली आ गई है।

कृषि संभव हो गई है और अमन-चैन कायम है। इस प्रकार प्रस्तुत पाठ में यह पूरी तरह सत्यापित और प्रमाणित हो जाता है कि मनुष्य ही सर्वश्रेष्ठ प्राणी है, वह चाहे तो कुछ भी संभव हो सकता है।

प्रश्न 5.
सुदामाजी की किस कथा का उल्लेख ने पाठ में किया है?
उत्तर-
लेखक फणीश्वरनाथ रेणु ने अपने पाठ ‘उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति’ में सुदामाजी की कथा का उल्लेख किया है। कोसी परियोजना की सफलता के बाद कोसी अंचल की धरती हरी-भरी हो गई। मक्का, धान, गेहूं की फसलें बंजर भूमि में उगने लगीं।

कोसी के प्रकोप के कारण उस क्षेत्र के बहुत लोग घर-द्वार छोड़कर कहीं बाहर जाकर बस गये थे। उन्हीं लोगों में एक हैं सुदामाजी।

तीस साल पहले की बात है। लेखक को अपने गाँव जाने पर नई एवं रोचक कहानी मिली। लेखक के गाँव का एक व्यक्ति गाँव छोड़कर बंगाल चला गया था। कभी-कभार वह गाँव आ जाता था। एक बार वह आठ वर्षों तक गाँव नहीं आया। बंगाल में ही बस गया था। गाँव में एक-डेढ़ बीघा जमीन थी। उसी को बेचने के लिए वह गाँव आया था।

स्टेशन से उतरकर उसने अपने गाँव की पगडंडी पकड़ी। कुछ दूर जाने के बाद उसने अपने गाँव की ओर निगाह दौड़ाई। लेकिन उसे अपना वीरान गाँव नजर नहीं आया। उसकी परती जमीन नजर नहीं आई। उसे लगा वह रास्ता भूलकर दूसरी जगह आ गया है। जहाँ तक उसकी नजर जाती, लहलहाते धान के खेत नजर आते। चारों ओर हरियाली थी। नहर-आहर, पैन-पुलिया और बाँध दिखाई दे रहे थे।

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वह व्यक्ति समझ बैठा कि वह नींद में किसी दूसरे स्टेशन पर उतर गया। वह स्टेशन लौट आया। चिंतित होकर पूछने लगा कि क्या यह वही स्टेशन है? तो उसका गाँव कहाँ चला गया? बाद में पता चला कि वह वही स्टेशन है और वह वही गाँव है जहाँ वह रहता था। गाँव के लड़कों ने उस आदमी का नया नाम दिया-सुदामाजी। जिस प्रकार सुदामाजी जब कृष्ण के दरबार से लौटकर अपने घर आये थे और विशाल महल देखकर आश्चर्यचकित हो गये थे। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि वह महल उनका ही घर है।

लेखक के गाँव के सुदामाजी भी अपना गाँव और अपनी जमीन देखकर घबड़ा गये थे। जब वास्तविकता का पता चला तो वे गाँव में फिर से बस गये। अपना परिवार उठाकर फिर गाँव आए। अब वे अपने डेढ़ बीघा जमीन में तीन-तीन फसलें उगाने लगे। लोग उन्हें सुदामाजी कहकर पुकारने लगे।

प्रश्न 6.
लेखक अपने दूसरे उपन्यास में दूने उत्साह से क्यों लग गया? पहले उपन्यास से इसका क्या संबंध है?
उत्तर-
लेखक फणीश्वरनाथ रेणु ने अपने पहले उपन्यास में कोसी क्षेत्र के लिए एक सुनहरे दिन की कल्पना की थी। उन्होंने कल्पना की थी कि हिमालय की कंदराओं में एक विशाल ‘डैम’ बनाया जा रहा है। पर्वत तोड़े जा रहे हैं। हजारों लोग इस कार्य में लगे हैं। लाखों एकड़ जमीन जो बंजर है, वहाँ की मिट्टी शस्य-श्यामला हो उठेगी। जमीन फसलों से हरी-भरी हो जाएगी। मकई के खेत में बालायें हँसती हुई नजर आयेंगी।

लेखक के इस उपन्यास पर उनके मित्र फिर व्यंग्य करना शुरू किये। लेकिन लेखक की कल्पना साकार होने लगी। सरकार द्वारा ‘कोसी योजना’ का आयोजन होने लगा। इंजीनियर कोसी अंचल में घूमने लगे। लेखक ने यह सब देखकर दूने उत्साह से अपना दूसरा उपन्यास “परती : परिकथा” में हाथ लगा दिया। . पहले उपन्यास में लेखक ने कल्पना की थी कि लोगों का दिन लौटेगा।

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लोगों में खुशी आएगी। दूसरे उपन्यास में लेखक का सपना साकार होता नजर आया। उपन्यास लिखने के दौरान लेखक पहाड़ों की कंदराओं में जाकर ‘देवगणों’ को तपस्या करते देख आते। बराह क्षेत्र उनका नया तीर्थस्थल बन गया। वहाँ आदमी चट्टानों से लड़ रहे थे। लेखक बड़े-बड़े टनेल में पहाड़ काटने वाले पहाड़ी जवानों से बातें करके धन्य हो जाते थे। अरुण, तिमुर और सुणकोसी के संगम पर बैठकर पानी मापने वाले, सिल्ट की परीक्षा करने वाले विशेषज्ञ को श्रद्धा तथा भक्ति से प्रणाम करके लौट आते। हर बार नई आशा की रंगीन किरण लेकर लौट आते।

लेखक के नये उपन्यास से एक नयी बहस का दौर शुरू हुआ। लेखक का उपन्यास पूरा हुआ। फिर प्रकाशित हुआ। उस समय कोसी प्रोजेक्ट ‘परीक्षा-निरीक्षा’ के दौर से गुजर रहा था। लेखक के कृपालु मित्रों को इस बार मज़ाक का ही नहीं, बहस का भी विषय मिला।

प्रश्न 7.
‘जिन्हें विश्वास न हो, वे स्वयं आकर देख जाएँ-प्राणों में घुले हुए रंग धरती पर किस तरह फैल रहे हैं-फैलते ही जा रहे हैं।”-इस उद्धरण की सप्रसंग व्याख्या करें।
उत्तर-
सप्रसंग व्याख्या-प्रस्तुत सारगर्भित पंक्तियाँ हमारे पाठ्य पुस्तक ‘दिगंत, भाग-I’ में संकलित ‘उतरी स्वप्न परी हरी क्रांति’ शीर्षक संस्मरणात्मक रिपोर्ताज से उद्धृत है। इसके लेखक फणीश्वरनाथ रेणु हैं। पाठ के अंत में कोसी क्षेत्र में आये सुंदर बदलावों के मद्देनजर यह लेखक के प्रसन्न मन का सहजा उद्गार है।

प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कोसी क्षेत्र, जो कभी धूसर, वीरान और बंजर क्षेत्र रहा करता था कि खुशहाली पर प्रसन्नता व्यक्त की गई है। कोसी जहाँ जिंदगियाँ उदास रहती थीं, कब किसकी मौत हो जाए-इसका ठिकाना नहीं रहता था, के दिन बदल गये हैं। कोसी योजना के फलस्वरूप आयी हरी क्रांति ने वहाँ के लोगों के जीवन में खुशहाली जा दी है। लेखक पहले जैसा सोचा करते थे और उस आशा भरी सोच के कारण दूसरों की नजर में उपहास के पात्र होते थे, अब वहाँ वैसी ही सुंदर स्थितियाँ उत्पन्न हो गई हैं।

अतः लेखक ने वैसे लोगों को लक्ष्य कर, जो कभी उसकी बातों पर विश्वास नहीं करते थे, स्पष्टत: कहा है कि जिन्हें कोसी-क्षेत्र जाये इन विषमयकारी बदलावों पर विश्वास न हो, वे अपनी आँखों से इसें देख जाएँ। तब उन्हें पता चल जाएगा कि मेरे सपने आज कैसे सच साबित हो रहे हैं, वहाँ के जीवन में हरियाली आ गई है, सुख-समृद्धि बरस रहा है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 8 उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति (फणीश्वरनाथ रेणु)

प्रस्तुत गद्यांश में हरी क्रांति के फलस्वरूप कोसी-क्षेत्र की आबाद जिंदगी को यथार्थतः उजागर करती है।

प्रश्न 8.
रेणु के इस रिपोर्ताज की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर-
“उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति” शीर्षक रिपोर्ताज रेणुजी की एक अनुपम रचना है किसी घटना का ज्यों का त्यों वर्णन करना रिपोर्ताज कहलाता है। ‘रितोर्ताज’ एक विदेशी शब्द है, जिसे फ्रेंच भाषा से हिन्दी में लिया गया है। किसी घटना को अपनी मानसिक छवि में ढालते हुए उसे प्रस्तुत कर देना या मूर्त रूप देना ही रितोर्ताज की प्रमुख विशेषता है। इस प्रकार किसी रिपोर्ट का कलात्मक और साहित्यिक रूप ही रिपोर्ताज है। अचानक घटित होने वाली घटनाओं के साथ अर्थात् यूरोप के युद्ध क्षेत्र में इसका जन्म हुआ। हिन्दी में रितोर्ताज-लेखक की शुरूआत 1940 ई० के आस-पास से हुई। इसकी प्रमुख विशेषताएँ हैं-कथात्मक प्रस्तुति, ऐतिहासिक, चित्रात्मकता, विश्वसनीयता, भावावेश प्रधान शैली इत्यादि।

हिन्दी में यूँ तो रेणु के पहले भी रिपोर्ताज लिखने वाले मौजूद थे, तथापि इनमें कोई शक नहीं कि शक ही इस विधा को सर्वाधिक समृद्ध किया। ‘उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति’ उन्हीं का एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं सारगर्भित रिपोर्ताज है। इसमें कोसी क्षेत्र की सुदीर्ध नीरसता, भयावहता के बीच हरी क्रांति के कारण आयी तब्दीली और खुशहाली का बड़ा सुंदर वर्णन-चित्रण हुआ है। रिपोर्ताज के रूप में इस पाठ की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं-विवेच्य रिपोर्ताज में कोसी का इतिहास, वर्तमान और भूगोल सब कथात्मक रूप में प्रस्तुत है। लेखक ने वहाँ से जुड़ी सभी बातों को एक कथा सूत्र से जोड़ दिया है।

विवेच्य रिपोर्ताज का परिवेश पूर्णरूपेण ऐतिहासिक है, जिसमें लेखक की हार्दिकता का रंग भी भरा-पूरा है। चित्रात्मकता रिपोर्ताज विधा की एक उल्लेखनीय विशेषता है। यह रिपोर्ताज इस गुण से संवलित है। रेणुजी ने कोसी-क्षेत्र के जीवन को चित्रात्मक रूप से उपस्थित कर सजीव एवं साकार कर दिया है। पुनः प्रस्तुत रिपोर्ताज में वर्णित-चित्रित सारे तथ्य अतिशय विश्वसनीय एवं प्रमाणिक हैं।

लेखक ने सिर्फ कपोल कल्पना नहीं, वरन् वास्तविकता के ठोस धरातल पर वहाँ की जीवनगत हलचल का अंकन किया है। अतः इसकी विश्वसनीयता पर कोई आँच नहीं आ सकती है।

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रिपोर्ताज-लेखक की शैली बहुधा भावावेश-प्रधान होती है। कहना न होगा कि इस दृष्टि से भी यह रिपोर्ताज खरा उतरता है। लेखक का वस्तु-वर्णन में प्रायः सर्वत्र भावावेश उमड़ा पड़ा है। निष्कर्षक: ‘उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति’ निस्संदेह न केवल रेणु का एक उत्तम रिपोर्ताज। है, बल्कि यह संपूर्ण हिन्दी रिपोर्ताज के मध्य विशिष्ट एवं विलक्षण है।

उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय निर्दिष्ट करें- स्वाभाविक, क्षणिक, प्रकाशित, पुलकित, कवलित
उत्तर-

  • शब्द – प्रत्यय
  • स्वाभाविक – इक
  • क्षणिक – इक
  • प्रकाशित – इक
  • पुलकित – इक
  • कवलित – इत

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के समास निर्धारित करें होली-दिवाली, आसन्नप्रसवा, धीरे-धीरे, हरे-भरे, रोम-रोम, बाल-भरे
उत्तर-

  • होली-दिवाली – द्वंद्व समास
  • आसन्नप्रसवा – कर्मधारय समास
  • धीरे-धीरे – अव्ययीभाव समास
  • हरे-भरे – द्वन्द्व समास
  • रोम-रोम – अव्ययी भाव समास
  • बालू-भरे – करण तत्पुरुष समास

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखें हमजोली, धरती, इंसान, विधाता, पहाड़
उत्तर-

  • हमजोली – मित्र, सहचर
  • धरती – पृथ्वी, धरा
  • इंसान – मनुष्य, सज्जन
  • विधाता – ब्रह्मा, प्रजाति,
  • पहाड़ – पर्वत, गिरि।

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प्रश्न 4.
‘महिला’ शब्द ‘महा’ से बना हुआ है। इसी तरह के शब्द निम्नांकित रूपों से बनाएँ
लघु, अरुण, गुरू, हरित, लाल, मधुर, श्वेत
उत्तर-

  • लघु – लघिमा
  • अरुण – अरुणिमा
  • गुरु – गरिमा
  • हरित – हरीतिमा
  • लाल – लालिमा
  • मधुर – मधुरिया
  • श्वेत – श्वेतिमा

प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों का संधि विच्छेद करें उन्मूलन, हिमालय, मर्माहत, आयोजन, उन्नत
उत्तर-

  • उन्मूलन – उत् + मूलन
  • हिमालय – हिम + आलय
  • मर्माहत – मर्म + आहत
  • आयोजन – आ + योजन
  • उन्नत – उत् + नत

प्रश्न 6.

पाठ से तत्सम, तद्भव, देशज और विदेशज शब्दों के कम-से-कम पाँच-पाँच उदाहरण चुनें।
उत्तर-

  • तत्सम-स्वप्न, सर्वविदित, दक्षिण, बंध्या, आशा इत्यादि।
  • तद्भव-हरी, धरती, सोना, बरसात, आग इत्यादि
  • देशज-पगड़ी, खिचड़ी, तेंदुआ, खिड़की, लोटा इत्यादि
  • विदेशज-नक्शा, उदास, मनहूस, सिवा, मसाला इत्यादि।

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्यों से संज्ञा पदबंध, विशेषण पदबंध, सर्वनाम पदबंध, क्रिया पदबंध और क्रिया विशेषण छाँटें

(क) इस ‘परती’ के उदास और मनहूस बादामी रंग को बचपन से ही देखता आया हूँ
उत्तर-
इस परती के-संज्ञा पदबंध
उदास और मनहूस बादामी रंग को-संज्ञा पदबंध
बचपन से ही-क्रिया विशेषण पदबंध
देखता आया हूँ-क्रिया पदबंध

(ख) मकई के खेतों में घास गढ़ती औरतें सचमुच बेवजह हँस पड़ती हैं।
उत्तर-
घास गढ़ती औरतें – संज्ञा पदबंध
मकई के खेतों में – क्रिया विशेषण पदबंध
हँस पड़ती हैं – क्रिया पदबंध

(ग) सारी धरती मानो इंद्रधनुषी हो गई है।
उत्तर-
सारी धरती – संज्ञा परबंध
हो गई है – क्रिया पदबंध

(घ) उसको विश्वास हो गया है कि वह नींद में ऊँघता हुआ किसी दूसरे स्टेशन पर उतर आया है।
उत्तर-
नींद में ऊँघता हुआ – विशेषण पदबंध
उतर आया है – क्रिया पदबंध
किसी दूसरे स्टेशन पर – क्रिया विशेषण पदबंध

(ङ) कफन जैसे सफेद बालू-भरे मैदान में धानी रंग की जिंदगी के बेल लग गए हैं।
उत्तर-
कफन जैसे सफेद – विशेषण पदबंध
बालू-भरे मैदान में – क्रिया विशेषण पदबंध
धानी रंग की जिंदगी – क्रिया पदबंध

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अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कोशी अंचल की धरती का संक्षेप में विवेचन करें।
उत्तर-
कोशी अंचल कोशी नदी के अभिशाप से ग्रस्त है। कोशी जिधर से गुजरती है उधार की धरती को बाँध बना देती है। सोना उगलने वाली भूमि बालू की रेत में बदल जाती है। अतः कोशी अंचल की लाखों एकड़ धरती मनहूस बादामी रंग की है। यह धरती धूसर वीरान और उदासी का साकार रूप है। इसमें बरसात में कुछ पौधे उगकर हरियाली ला देते हैं लेकिन बरसात समाप्त होते बंध्यापन छा जाता है।

प्रश्न 2.
कोशी अंचल का जीवन कैसा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
कोशी अंचल के लोगों का जीवन मलेरिया और कालाजार के कारण मृत्यु के आतंक के बीच बीतता था। रोग से जर्जर शरीर रक्त और माँस से हीन नरकंकालों के समूह की तरह लगते थे। उनकी जिन्दगी में न रस था, न रंग, न हँसी, न खुशी। मृत्यु कब किसको लील लेगी . कहना कठिन था। ऐसे लोगों की आँखों में रंगीन और सुनहले सपने नहीं होते।

प्रश्न 3.
रेणु का आशावाद पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
रेणु ने डायन कोशी शीर्षक अपने रिपोर्ताज से लेकर परती परिकथा तक सदैव एक स्वप्न देखा। उस स्वप्न के अनुसार एक दिन ऐसा आयेगा जब कोशी नदी पर एक सही स्थान पर डैम बनेगा। यह डैम इस धरती का कायाकल्प कर देगा। वीरदान, उदास, बंध्या धरती शस्य श्यामला हो उठेगी। बालू वाली जमीन सोना उगलेगी, धानी रंग की जिन्दगी के बल लग जायेंगे, प्राणों में घुले हुए रंग धरती पर फैल जायेंगे। धरती पर अमृत हास्य अंकित हो उठेगा।

उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उतरी स्वप्न परी का तात्पर्य क्या है?
उत्तर-
रेणु ने कोशी अंचल की दुर्दशा से मुक्ति का सपना देखा और अपनी रचनाओं में अंकित किया। कोशी-योजना के पूरा होने पर यह स्वप्न यथार्थ में बदल गया। अतः बाँह्य धरती को शस्य-श्यामला देखने का जो लेखक का स्वप्न था वह साकार हुआ। यही स्वप्न परी के उतरने का तात्पर्य है।

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प्रश्न 2.
डैम बनने के पूर्व कोणी अंचल की धरती कैसी थी?
उत्तर-
डैम बनने के पूर्व कोशी अंच की लाखों एकड़ धरती धूसर, वीरान, उदास और बालू से भरी थी। रेणु की दृष्टि में बंध्या धरती थी। .

प्रश्न 3.
डैम बनने के पहले कोशी अंचल के लोगों की क्या दशा थी?
उत्तर-
डैम बनने के पहले कोशी अंचल में कालाजार और मलेरिया के रूप में मृत्यु का तांडव चल रहा था। लोगों का शरीर रोग जर्जर नर कंकाल जैसा था। वे दिन-रात मृत्यु की छाया में जीते थे। जीवन में न रस था न रंग।।

प्रश्न 4.
मनुष्य विधाता की सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी क्यों है?
उत्तर-
मनुष्य के पास संकल्प शक्ति और पुरुषार्थ है। विषमपरिस्थितियों से लगातार संघर्ष कर उस पर विजय प्राप्त करता है। वह निराशा के अंधकार से आशा के बल पर लड़ता है और जीतने के लिए लड़ता है। अतः सर्वश्रेष्ठ प्राणी है।

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प्रश्न 5.
रेणु के आशावाद का लोग क्यों मजाक उड़ाते थे?
उत्तर-
रेणु की बातों को लोग लेखकीय कल्पना मानते थे जिनके यथार्थ में परिणत होने की संभावना नहीं थी।

प्रश्न 6.
किन कारणों से रेणु का आशावाद सफल हुआ?
उत्तर-
केन्द्र सरकार ने आजादी के बाद विशेषज्ञों से सर्वेक्षण कराया तो लगा कि सही जगह पर डैम बना देने और कोशी को तटबंधों के सहारे बाँध देने पर उसका प्रलयकारी रूप समाप्त हो जायेगा। ऐसा ही किया गया और उसका एकदम अनुकूल परिणाम निकला बंध्या धरती शस्य श्यामला हो गयी।

प्रश्न 7.
रेणु का नया वराह क्षेत्र तीर्थ कहाँ है?
उत्तर-
रेणु ने उस क्षेत्र को नया वराह तीर्थ क्षेत्र कहा है जहाँ विशेषज्ञों ने मापकर, पहाड़ काटकर डैम बनाने का कार्य किया था। वह स्थान जहाँ बंध्या धरती को शस्य-श्यामला बनाने का यज्ञ पूरा हुआ रेणु की दृष्टि में नया तीर्थ है।

प्रश्न 8.
उतरी स्वप्न परी : हरि क्रांति नामक पाठ किसके द्वारा लिखी गयी है?
उत्तर-
उतरी स्वप्न परी : हरि क्रांति नामक पाठ फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा लिखी गयी है।

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प्रश्न 9.
उतरी स्वप्न परी : हरि क्रांति में लेखक ने किस क्रांति का वर्णन किया है?
उत्तर-
उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति में लेखक ने देश में खेती के संदर्भ में हरित क्रांति का वर्णन किया है। उन्होंने यह बतलाया है कि हरित क्रांति होने से भारत खाद्यान्न के मामले में लगभग आत्म-निर्भर बन चुका है।

प्रश्न 10.
उतरी स्वज परी : हरि क्रांति किस प्रकार की रचना है?
उत्तर-
फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा लिखित उतरी स्वप्न परी : हरि क्रांति नामक पाठ रिपोर्ताज है।

प्रश्न 11.
फणीश्वर नाथ रेणु कस प्रकार के कहानीकार हैं?
उत्तर-
फणीश्वरनाथ रेणु एक आंचलिक कहानीकार हैं।

प्रश्न 12.
किन कहानियों में फणीश्वरनाथ रेणु की फिल्में बनी?
उत्तर-
मैला आँचल और तीसरी कसम पर फिल्में बनी जो बहुत लोकप्रिय हुयीं।

उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

सही उत्तर का सांकेतिक चिह्न (क, ख, ग या घ) लिखें।

प्रश्न 1.
‘उतरी स्वज परी : हरी क्रांति’ के लेखक कौन हैं?
(क) रामचन्द्र शुक्ल
(ख) प्रेमचन्द
(ग) फणीश्वरनाथ रेणु
(घ) कृष्ण सोबती
उत्तर-
(ग)

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प्रश्न 2.
‘उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति’ किस पुस्तक से संकलित है?
(क) कितने चौराहे
(ख) मैला आँचल
(ग) श्रुत-अश्रुत
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग)

प्रश्न 3.
‘मैला आँचल’ उपन्यास है-
(क) आंचलिक
(ख) जासूसी
(ग) ऐतिहासिक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क)

प्रश्न 4.
उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति क्या है?
(क) संस्मरण
(ख) रिपोर्ताज
(ग) कहानी
(घ) निबंध
उत्तर-
(ख)

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 8 उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति (फणीश्वरनाथ रेणु)

प्रश्न 5.
लेखक ने शोक का पर्याय किसे कहा है?
(क) कोशी नदी को
(ख) कमला नदी को
(ग) गंगा नदी को
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क)

प्रश्न 6.
लेखक ने किसे ‘माई’ भी कहा है ‘डायन’ भी
(क) कोशी
(ख) कमला
(ग) बलान
(घ) बागमती
उत्तर-
(क)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।

प्रश्न 1.
विधाता की सृष्टि में ही…………..है।
उत्तर-
सर्वश्रेष्ठ

प्रश्न 2.
वहाँ धान और गेहूँ की…………..झूम रही हैं।
उत्तर-
बालियाँ।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 8 उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति (फणीश्वरनाथ रेणु)

उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति लेखक परिचय फणीश्वरनाथ रेणु (1921-1977)

फणीश्वरनाथ रेणु हिन्दी के अप्रतिम कथाशिल्पी तथा लेखक थे। वे आंचलिक कहानी और आंचलिक उपन्यास के जनक माने जाते हैं। इनकी कहानियों और उपन्यासों में क्षेत्र-विशेष की सोंधी मिट्टी की महक है। समय के सच को बड़ी तल्लीनता के साथ उन्होंने अपने साहित्य में स्थान दिया है।

‘रेणुजी’ का जन्म 4 मार्च, 1921 ई० को बिहार के पूर्णिया वर्तमान अररिया जिले के औराही हिंगना गाँव में हुआ था और देहावसान 11 अप्रैल, 1977 ई० में। शोषण और दमन के विरुद्ध संघर्षरत रेणु ने 1942 ई० के स्वतंत्रता-संग्राम में अग्रणी भूमिका का निर्वाह किया तो 1950 ई० में राणाशाही के दमन और अत्याचार से नेपाल की जनता को मुक्ति दिलाने के लिए वहाँ की सशक्त क्रांति में भाग लिया।

जीवन की संध्या बेला में फिर से ‘सामाजिक कार्यकर्ता’ के रूप में सक्रिय हुए और सत्ता के दमनचक्र के विरोध में ‘पद्यश्री’ की उपाधि लौटा दी तथा जेल गए। उन्होंने इस सत्य को चरित्रार्थ किया कि सच्चा लेखक जो लिखता है, उसे जीवन में साकार करने के लिए संघर्ष भी करता है।

‘रेणुजी’ की सबसे पहली कहानी थी-‘बटबाबा’। यह कहानी 1954 ई० में विश्वामित्र में प्रकाशित हुई थी। कोशी डायन’, ‘जै गंगा’, ‘नया सबेरा’, ‘हड्डियों का फल’ इनकी प्रारंभिक रचनाएँ हैं। ‘ठुमरी’ नाम से इनकी कहानियों का एक संग्रह प्रकाशित हुआ है। ‘तीसरी कसम’ और ‘रसप्रिया’ इनकी सुप्रसिद्ध कहानियाँ हैं। ‘तीसरी कसम’ पर फिल्म भी बन चुकी है।

‘रेणुजी’ ने ‘मैला आँचल’ उपन्यास लिखकर पूरे हिन्दी-जगत में एक तूफान खड़ा कर दिया। यहा उनका आँचलिक उपन्यास है। ‘परती परिकथा’, ‘जूलूस’ और ‘कितने चौराहे’ इनके सुप्रसिद्ध उपन्यास हैं। इन्होंने अंचल विशेष के जीवन को उसके समय भूमिगत स्वरूपा के अंकित किया है। ऐसे में लोग जीवन के सभी तत्त्व अभिव्यक्ति के उपकरण बन जाते हैं। अपनी स्वाभाविकता के कारण इन्होंने आरंभ से ही पाठकों को आकर्षित किया।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 8 उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति (फणीश्वरनाथ रेणु)

रेणु एक ग्राम विशेष के साथ बँधकर तथ्य-विस्तार को कलात्मक चित्रों की रेखाओं के रूप में ग्रहण करते हैं। उस ग्राम के माध्यम स्वातंत्रोत्तर भारत की समस्या का मूर्तिमान कर देना ही रेणु की उपलब्धि है। इन उपन्यासों में ‘मैला आँचल’ और ‘परती परिकथा’ का जीवन दर्शन स्पष्ट तथा अनुपम है। रेणु आंचलिकता की सीमा में बँध कर नहीं रह गये हैं। बल्कि उनका दृष्टिकोण जीवन के यथार्थ को पूरी तन्मयता के साथ जीवन्त बनाने का है। ‘तीसरी कसम’ कहानी में उन्होंने संवेदना के जिस अंग का स्पर्श किया है, उसे किसी अंचल या क्षेत्र विशेष में कैद नहीं किया जा सकता है।

रेणुजी के कृतित्व और व्यक्तित्व पर विचार करने पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि इन्होंने जीवन में केवल संघर्ष के रास्ते को चुना है और साहित्य में नये आयामों को जन्म देकर उसे पाल-पोसकर बड़ा किया है। उनका जीवन एक सतत् क्रांतिकारी का जीवन रहा है। इनकी कहानियों में राजनीतिक पक्ष उस ढंग से उजागर नहीं हुए हैं जबकि उपन्यासों में अपने आपको व्यावहारिक जीवन की राजनीतिक चेतना से बचा नहीं सके हैं। इनकी कहानियाँ संवेदना के स्तर से शुरू होती है और संवेदना के तल पर समाप्त हो जाती हैं।

वास्तव में रेणु अपने समय के दुर्लभ कथाकारों में हैं। जिनके कथा गद्य में संगीत के अंताप्त गुण हैं।

उत्तरी स्वप्न परी : हरी क्रांति पाठ का सारांश

“उतरी स्वप्न परी : हरी क्रांति” फणीश्वर नाथ रेणु लिखित एक रिपोर्ताज है। फणीश्वरनाथ रेणु एक राष्ट्रीय एवं अंततराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आंचलिक कथाकार हैं। उन्होंने पूर्णिया के अपने ग्रामीण अंचल तथा वहाँ के जीते-जागते चरित्रों को अपने पाठकों के मानस पर अमिट छाप छोड़ा है। रेणु जी अपने समय के दुर्लभ कथाकारों में से एक हैं। कथा साहित्य के अतिरिक्त संस्मरण और रिपोर्ताज विधाओं में भी रेणुजी अनुपम दिखलाई पड़ते हैं।

प्रस्तुत पाठ उनकी पुस्तक “श्रुत-अश्रुत पूर्व” से संकलित है। कोसी को बिहार का शोक कहा जाता है। कोसी का तांडव भयानक है। कोसी अपने क्षेत्र में भयानक तबाही मचाती है। ‘कोसी परियोजना’ के द्वारा कैसे कोसी के शोक विषय को उल्लास एवं खुशियों में बदल दिया गया तथा मनुष्य के प्रयत्न और पुरुषार्थ के द्वारा यह चकित कर देने वाला परिवर्तन हो सका, यही इस रचना का मुख्य विषय है।

फणीश्वरनाथ रेणु ने इस संस्करण में कोसी अंचल का सजीव चित्र प्रस्तुत किया है। कोसी अंचल का वर्णन उनका व्यक्तिगत विषय भी है क्योंकि उनका जन्म स्थान भी कोसी अंचल ही है। यही कारण है कि कोसी अंचल का यथार्थ चित्रण उन्होंने इस रिपोर्ताज (संस्मरण) में किया है।

कोसी अंचल में कोसी का तांडव कैसा होता आ रहा है, इसका सजीव एवं व्यावहारिक चित्र लेखक ने इस पाठ में प्रस्तुत किया है।

कोसी अंचल में रहने वाले कोसी के तांडव से हमेशा भयभीत रहते हैं। लाखों एकड़ जमीन बंजर हो गई है। मलेरिया एवं कालाजार से प्रतिवर्ष हजारों व्यक्ति मरते हैं। अंचल में गरीबी का साम्राज्य है। कोसी के इस आतंक से लेखक भी प्रभावित हैं। इसीलिए जब भी वे इस आतंक के बारे में कुछ लिखते हैं तो यह अंचल उनका व्यक्तिगत हो जाता है। यह स्वाभाविक भी है।

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लेखक आशावादी हैं। वे अपने लेखों द्वारा कल्पना करते रहते हैं कि एक दिन समय लौटेगा। कोसी अंचल के लोग खुशहाल होंगे। परती जमीन के दिन भी फिरेंगे, प्राणों में घुल हुए रंग धरती पर फैल जाएंगे। चारों ओर हरियाली छा जाएगी।

लेखक की कल्पना साकार भी होती है ‘कोसी परियोजना’ शुरू होती है। बड़े-बड़े बाँधे जाते हैं। नहरें निकाली जाती हैं। खेतों में हरियाली आ जाती है। धान, गेहूँ, मक्का की फसलें होन लगी। लोगों के चेहरे पर खुशियाँ लौट आयीं। तो लोग कोसी अंचल छोड़कर दूसरे प्रान्तों में जाकर बस गये थे, वे भी घर लौटने लगे। एक का उदाहरण लेखक ने दिया भी है। बच्चे उन्हें ‘सुदामाजी’ कहते थे।

कोसी अंचल के दिन लौटने पर लेखक मनुष्य के धैर्य, पराक्रम एवं क्षमता की प्रशंसा करते हैं। वे कहते भी हैं कि विधाता की सृष्टि में मानव ही सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। मनुष्य चिंतनशील प्राणी है। वह निराशा के घोर अंधकार में आशा के दीप लेकर आगे बढ़ता है। उसमें धैर्य, त्याग, तपस्या, लगन जैसे अनेक विलक्षण गुण हैं जो अन्य जीवों में नहीं पाये जाते। मनुष्य के पराक्रम पर लेखक को इतना भरोसा है कि वे लोगों से कहते भी हैं कि जिन्हें नहीं हो, वे कोसी अंचल में आकर देख लें। लोगों में प्राणों का संचार होने लगा है। खुशियाँ ने धरती पर अपनी छटा बिखरे दी हैं। लोगों की खुशियाँ दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं।

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Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व

Bihar Board 12th Chemistry Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व

Question 1.
निम्न में से कौन-सा एक ‘d-ब्लॉक का तत्त्व’ है ?
(a) Gd
(b) Hs
(c) Es
(d) Cs
Answer:
(b) Hs

Question 2.
Fe3+ यौगिक Fe2+ यौगिकों से अधिक स्थायी होते हैं क्योंकि
(a) Fe3+ का आकार Fe2+ से छोटा होता है।
(b) Fe3+ में 3d5 विन्यास होता है (अर्द्ध-पूर्ण)।
(c) Fe3+ में ऑक्सीकरण अवस्था उच्च होती है।
(d) Fe3+ की प्रकृति अनुचुम्बकीय होती है।
Answer:
(b) Fe3+ में 3d5 विन्यास होता है (अर्द्ध-पूर्ण)।

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व

Question 3.
संक्रमण धातुओं का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है
(a) (n-1)d1-10s
(b) nd10 ns2
(c) (n-1)d10 ns2
(d) (n-1)d1-5ns2
Answer:
(a) (n-1)d1-10s

Question 4.
निम्न में से कौन-सा संक्रमण धातु आयन रंगहीन है ?
(a) V2+
(b) Cr3+
(c) Zn2+
(d) Ti3+
Answer:
(d) Ti3+

Question 5.
निम्न में से कौन किस संक्रमण धातु आयन का चुम्बकीय आघूर्ण अधिकतम होता है?
(a) Cu2+
(b) Ni2+
(c) Co2+
(d) Fe2+
Answer:
(d) Fe2+

Question 6.
निम्न में से कौन-सा यौगिक रंगयुक्त नहीं होता है ?
(a) Na2[CuCl4]
(b) Na2[CdCl4]
(c) K4[Fe(CN)]
(d) K3[Fe(CN6)
Answer:
(b) Na2[CdCl4]

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Question 7.
अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या का सही क्रम है
(a) Cu2+ > Ni2+ > cr3++ > Fe3+
(b) Ni2+ > Cu2+ > Fe3++ > cr3+
(c) Fe3+ > Cr3+ > Ni2++ > Cu2+
(d) Crs3+ > Fe3+ >> Ni2+ > Cu2+
Answer:
(c) Fe3+ > Cr3+ > Ni2++ > Cu2+

Question 8.
परमाणु संख्या 25 के साथ जलीय विलयन में द्विसंयोजी का चुम्बकीय आघूर्ण है
(a) 5.9 B.M.
(b) 2.9 B.M.
(c) 6.9 B.M.
(d) 9.9 B.M
Answer:
(a) 5.9 B.M.

Question 9.
निम्न में से कौन से d-ब्लॉक तत्त्व में अर्द्ध-भरे हुए कक्षा के साथ-साथ संयोजक उपकोश होता है?
(a) Cu
(b) Au
(c) Ag
(d) Cr
Answer:
(d) Cr

Question 10.
वह स्पीशीज पहचानिए जिसमें धातु के परमाणु +6 ऑक्सीकरण अवस्था में हो?
(a) MnO4
(b) Cr(CN)3-6
(c) NiF2-6
(d) CrO2 Cl2
Answer:
(d)

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Question 11.
वह यौगिक जो अनुचुम्बकीय एवं रंगीन दोनों है, वह है
(a) K2Cr2O2
(b) (NH4)2[TiCl6]
(c) VOSO4
(d) K3[Cu(CN)4]
Answer:
(c) VOSO4

Question 12.
निम्न में से किस यौगिक में मैंगनीज की ऑक्सीकरण संख्या KIO. में आयोडीन की संख्या के बराबर है ?
(a) पोटैशियम मैग्नेट
(b) पोटैशियम परमैंग्नेट
(c) मैंगनस क्लोराइड
(d) मैंगनीज क्लोराइड
Answer:
(b) पोटैशियम परमैंग्नेट

Question 13.
संक्रमण तत्त्वों की क्रियात्मकता प्रायः Sc से Cu तक लगातार किसके कारण घटती है ?
(a) लेन्थेनॉइड संकुचन
(b) आयनन एन्थैल्पी में निरंतर वृद्धि
(c) आयनन एन्थैल्पी में निरन्तर कमी
(d) ऑक्सीकरण अवस्था की संख्या में वृद्धि
Answer:
(b) आयनन एन्थैल्पी में निरंतर वृद्धि

Question 14.
चार उत्तरोत्तर तत्त्वों Cr, Mn, Fe एवं Co के लिए ऋणात्मक चिह्न के साथ E°M2+/M मानों का सही क्रम है
(a) Fe> Mn>Cr>Co
(b) Cr> Mn > Fe>Co
(c) Mn > Cr >Fe>Co
(d) Cr > Fe<Mn < Co
Answer:
(c) Mn > Cr >Fe>Co

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Question 15.
संक्रमण धातु आयनों का रंग कुछ तरंगदैर्घ्य के अवशोषण के कारण होता है । इसका परिणाम है
(a) d – s संक्रमण
(b) s – s संक्रमण
(c) s – d संक्रमण
(d) d – d संक्रमण
Answer:
(d) d – d संक्रमण

Question 16.
निम्न में से किस समूह में रंगीन आयन होते हैं ?
1.Cu+
2. Ti4+
3. Co2+
4. Fe2+
(a) 1,2,3,4
(b) 3,4
(c) 2,3
(d) 1,2
Answer:
(b) 3,4

Question 17.
Cu,Ag एवं Au का गलनांक इस क्रम का अनुसरण करता है
(a) Cu> Ag > Au
(b) Cu > Au > Ag
(c) Au > Ag >Cu
(d) Ag > Au > Cu
Answer:
(b) Cu > Au > Ag

Question 18.
निम्न में से आयनों के किस युग्म में, जलीय विलयन में न्यूनतम ऑक्सीकरण अवस्था अन्य से अधिक स्थायी होती है?
(a) TI+, TI3+
(b) Cu+, Cu2+
(c) Cr2+, Cr3+
(d) V2++, VO2++ (V4+)
Answer:
(a) TI+, TI3+

Question 19.
निम्न में से आयनों के किस युग्म में इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होता है ?
(a) Cu2+, Cr2+
(b) Fe3+,Mn2+
(c) Co3+,Ni3+
(d) Sc3+,Cr3+
Answer:
(b) Fe3+,Mn2+

Question 20.
संक्रमण तत्त्व हैलोजनों के साथ द्विअंगी (Binary) यौगिक बनाते हैं । निम्न में से कौन-सा तत्त्व MF3, प्रकार का यौगिक बनाएगा?
(a) Cr
(b) Cu
(c) Ni
(d) इनमें से सभी
Answer:
(a) Cr

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Question 21.
लैन्थेनॉइड संकुचन के कारण निम्न में से किस गुणधर्म से दूसरे व तीसरे पंक्ति संक्रमण तत्त्वों (Row transition elements) के समान ऊर्ध्वाधर स्तंभों की तरह होने की अपेक्षा नहीं रखी जाती है ?
(a) परमाणुक त्रिज्याएँ
(b) आयनन ऊर्जाएँ
(c) चुम्बकीय आघूर्ण
(d) जालक ऊर्जाएँ
Answer:
(c) चुम्बकीय आघूर्ण

Question 22.
Zr एवं Hf में प्रायः परमाण्विक एवं आयनिक त्रिज्याएँ किसके कारण समान होती हैं ?
(a) विकर्ण सम्बन्ध
(b) लैन्थेनॉइड संकुचन
(c) एक्टिनॉइड संकुचन
(d) समान समूह से संबंधित
Answer:
(b) लैन्थेनॉइड संकुचन

Question 23.
निम्न में से कौन-सा एक उभयधर्मी आयन नहीं होता है ?
(a) Al3+
(b) Cr3+
(c) Fe2+
(d) Zn2+
Answer:
(c) Fe2+

Question 24.
बढ़ती हुई अम्लीय शक्ति के अनुसार मैंगनीज के ऑक्साइडों को सजाए।
(a) MnO < Mn3O4 < Mn2O3 < MnO2 < Mn2O7
(b) Mn2O7 < MnO2 < Mn2O3 < Mn3O4 < MnO
(c) MnO2 < Mn2O7 < Mn3O4 < Mn2O3 < MnO
(d) Mn3O4 < Mn2O3 < Mn2O7 < MnO2 < MnO
Answer:
(a) MnO < Mn3O4 < Mn2O3 < MnO2 < Mn2O7

Question 25.
क्या होता है जब पोटैशियम आयोडाइड पोटैशियम डाइक्रोमेट के अम्लीय विलयन से क्रिया करता है?
(a) यह आयोडीन मुक्त करता है।
(b) पोटैशियम सल्फेट बनता है।
(c) क्रोमियम सल्फेट बनता है ।
(d) उपरोक्त सभी उत्पाद बनते हैं।
Answer:
(d) उपरोक्त सभी उत्पाद बनते हैं।

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Question 26.
डाइक्रोमेट आयन की सही संरचना को पहचानिए
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व 1
Answer:
(a)

Question 27.
निम्न में से कौन-सा क्षारीय ऑक्साइड है ?
Mn2O7,V2O3,V2O5,CrO,Cr2O3
(a) Mn2O7 एवं V2O3
(b) V2O3 एवं CrO
(c) CrO एवं Cr2O3
(d) V2O5  एवं V2O3
Answer:
(b) V2O3 एवं CrO

Question 28.
समीकरण 3MnO72-+4H+ → 2MnO7 +MnO7 + 2H2O प्रदर्शित करता है
(a) अपचयन
(b) असमानुपातन
(c) अम्लीय माध्यम में ऑक्सीकरण
(d) अम्लीय माध्यम में अपचयन
Answer:
(b) असमानुपातन

Question 29.
डाइक्रोमेट ऋणायन (CryO2-7) में,
(a) सभी Cr-O आबन्ध समतुल्य होते हैं।
(b) 6 Cr-O आबन्ध समतुल्य होते हैं।
(c) 3 Cr – O आबन्ध समतुल्य होते हैं।
(d) CrO में कोई आबन्ध समतुल्य नहीं होते हैं।
Answer:
(b) 6 Cr-O आबन्ध समतुल्य होते हैं।

Question 30.
निम्न में से कौन-सा अयुग्मित इलेक्ट्रॉन नहीं होता है किन्तु रंगीन है ?
(a) K2Cr2O7
(b) K2MnO4
(c) CuSO4.5H2O
(d) MnCl2
Answer:
(a) K2Cr2O7

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Question 31.
V2O5 क्षारों के साथ-साथ अम्लों से क्रिया करके देता है
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व 2
Answer:
(d)

Question 32.
निम्न में से कौन-सा लैन्थेनॉइड आयन अनुचुम्बकीय होता है ?
(a) Ce4+
(b) Yb2+
(c) Lus3+
(d) Eu2+
Answer:
(d) Eu2+

Question 33.
किसमें वृद्धि के कारण लैन्थेनॉइड संकुचन होता है ?
(a) परमाणु क्रमांक
(b) प्रभावी नाभिकीय आवेश
(c) परमाणु त्रिज्या
(d) संयोजकता इलेक्ट्रॉन
Answer:
(b) प्रभावी नाभिकीय आवेश

Question 34.
सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था लैन्थेनॉइडों द्वारा उनके यौगिकों में दर्शायी जाती है
(a) +1
(b) +3
(c) +5
(d) +6
Answer:
(b) +3

Question 35.
कौन-सा लैन्थेनॉइड तत्त्व नहीं है ?
(a) La
(b) Lu
(c) Pr
(d) Pm
Answer:
(a) La

Question 36.
सर्वाधिक सामान्य लैन्थेनॉइड है
(a) लैन्थेनम
(b) सीरियम
(c) सैमेरियम
(d) प्लूटोनियम
Answer:
(c) सैमेरियम

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Question 37.
f-ब्लॉक तत्त्वों का सही विन्यास है
(a) (n-2)f1-14 (n – 1)d0 -1 ns2
(b) (n-1)f1-14 (n – 1)d0 -1 ns2
(c) (n-3)f1-14 (n – 2)d0 -1 (n-1)s2
(d) (n-2)f0-1 (n – 1)d0 -1 ns2
Answer:
(a) (n-2)f1-14 (n – 1)d0 -1 ns2

Question 38.
निम्न में से कौन-सा लैन्थेनॉइड सामान्यतः प्रयुक्त किया जाता है ?
(a) लैन्थेनम
(b) नोबेलियम
(c) थोरियम
(d) सीरियम
Answer:
(d) सीरियम

Question 39.
लैन्थेनॉइड हाइड्रॉक्साइडों की क्षारयीता की प्रवृत्ति
(a) लैन्थेनॉइड श्रेणी में बाएँ से दाएँ बढ़ती है।
(b) लैन्थेनॉइड श्रेणी में बाएँ से दाएँ घटती है।
(c) पहले बढ़ती है फिर घटती है।
(d) पहले घटती है फिर बढ़ती है।
Answer:
(b) लैन्थेनॉइड श्रेणी में बाएँ से दाएँ घटती है।

Question 40.
आवर्त सारणी में आंतरिक संक्रमण तत्त्वों की कल संख्या क्या होती है?
(a) 10
(b) 14
(c) 30
(d) 28
Answer:
(d) 28

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Question 41.
+3 ऑक्सीकरण अवस्था में संक्रमण तत्त्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar] 3d होता है । इसका परमाणु क्रमांक क्या है ?
(a) 25
(b) 26
(c) 27
(d) 24
Answer:
(b) 26

Question 42.
निम्न में से कौन-सी ऑक्सीकरण अवस्था सभी लैन्थेनॉइडों के लिए सामान्य होती है ?
(a) +2
(b) +3
(c) +4
(d) +5
Answer:
(b) +3

Question 43.
एक्टिनॉइड श्रेणी में 14 तत्त्व होते हैं। निम्न में से कौन-सा तत्त्व इस श्रेणी से सम्बन्धित नहीं है ?
(a) U
(b) Np
(c) Tm
(d) Fm
Answer:
(c) Tm

Question 44.
चुम्बकीय आघूर्ण अपने चक्रण कोणीय संवेग एवं कक्षक कोणीय संवेग के साथ संबंधित होते हैं। Cr3+ आयन का केवल चक्रण चुम्बकीय आघूर्ण मान है.
(a) 2.87 B.M.
(b) 3.87 B.M
(c) 3.47 B.M
(d) 3.57 B.M
Answer:
(b) 3.87 B.M

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Question 45.
जब अम्लीकृत K2Cr2O7 विलयन को Sn2+ लवणों में मिलाया जाता है, तो Sn2+ किसमें परिवर्तित होता है ?
(a) Sn
(b) Sn3+
(c) Sn4+
(d) Sn+
Answer:
(c) Sn4+

Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 6 मेरी वियतनाम यात्रा

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Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 6 मेरी वियतनाम यात्रा (भोला पासवान शास्त्री)

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 6 मेरी वियतनाम यात्रा (भोला पासवान शास्त्री)

मेरी वियतनाम यात्रा पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
हो-ची-मीन्ह की तस्वीर अंतःसलिला फल्गू नदी की तरह लेखक के हृदय को . सींचती रही। लेखक हो-ची-मीन्ह से इतना प्रभावित क्यों है?
उत्तर-
लेखक श्री भोला पासवान शास्त्री ने जब हिन्दी के मासिक पत्रिका में पेंसिल स्केच से बनी हो-ची-मीन्ह की तस्वीर देखी, तो देखते ही रह गये। दुबली-पतली काया सादगी का नमूना प्रदर्शित कर रही थी। व्यक्तित्व बड़ा ही प्रेरक, ओजस्वी, तेजस्वी एवं जादुई प्रभाव से युक्त। चेहरे पर लहसुननुमा दाढ़ी बड़ी फब रही थी। बाह्य आकृति से आंतरिक प्रतिकृति परिलक्षित हो रही थी। उसे देखकर लेखक अभिभूत ही नहीं वशीभूत भी हो गये।

बहुत देर तक उस तस्वीर को देखते रह गये। उस तस्वीर का जादुई प्रभाव लेखक के मानस-पटल पर हमेशा अंकित रहा और उनके हृदय-प्रदेश को अंत:सलिला फल्गू नदी की भाँति सींचती रही। अभिप्राय यह कि लेखक के मन को उस महामानव की तस्वीर हमेशा प्रेरित-अनुप्राणित करती रहती है।

प्रश्न 2.
‘अंतर्राष्ट्रीयता पनप नहीं सकती, जब तक राष्ट्रीयता का पूर्ण विकास न हो।’ इस कथन पर विचार करें और अपना मत दें।
उत्तर-
हमारी पाठ्य-पुस्तक दिगंत भाग-I में संकलित ‘मेरी वियतनाम यात्रा’ शीर्षक पाठ में लेखक भोला पासवान शास्त्री ने वियतनाम के महान नेता हो-ची-मीन्ह के प्रति बड़े सम्मान और श्रद्धा का भाव प्रदर्शित किया है। उन्होंने उनके महान व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हें न केवल एक अप्रतिम देशभक्त कहा है, अपितु विश्वद्रष्टा भी बताया है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 6 मेरी वियतनाम यात्रा (भोला पासवान शास्त्री)

इस संदर्भ में ही लेखक ने अपना यह सारगर्भित और सत्यपूर्ण विचार व्यक्त किया है कि जब तक राष्ट्रीयता का पूर्ण विकास न हो, तब तक अंतर्राष्ट्रीयता भी नहीं पनप सकती। लेखक का यह अभिमत अनुभव सिद्ध व्यावहारिक एवं युक्ति-युक्त है। अंतर्राष्ट्रीयता यह भी वस्तुतः राष्ट्रीयता की भावना का ही परिधि-विस्तार है। अतः जब तक हमारे अंदर राष्ट्रीयता की भावना बलवती न होगी, हम अंतर्राष्ट्रीयता की भावना को भी आत्मसात न कर सकेंगे।

यद्यपि कुछ लोगों के अनुसार राष्ट्रीयता अंतर्राष्ट्रीयता की बाधिका है, पर हमें ऐसा एकदम नहीं लगता। वास्तव में जो व्यक्ति अपने राष्ट्र को अपना नहीं समझ सकता, वह व्यापक विश्व समाज को अपना कदापि नहीं समझ सकता। अतः हम लेखक की उपर्युक्त कथन से पूरी तरह सहमत हैं।

प्रश्न 3.
हो-ची-मीन्ह केवल वितयनाम के नेता बनकर नहीं रहे। वे विश्वद्रष्टा और विश्वविश्रुत हुए। पाठ के आधार पर उनके व्यक्तित्व की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
हो-ची-मीन्ह को यदि वितयनाम का गाँधी कहा जाए तो यह अतिशयोक्ति न होगी। हो-ची-मीन्ह एक महान् वियतनामी नेता थे। उन्होंने विदेशी साम्राज्यवाद के शिकंजे में जकड़े वितयनाम को मुक्त कराने में अमूल्य योगदान किया, वितयनाम की जनता को गुलामी से छुटकारा दिला कर निरंतर उन्नति की दिशा में अग्रसर होने के लिए मार्गदर्शन किया। उन्होंने एक प्रकाश से संपूर्ण विश्व को क्रांति, त्याग और बलिदान का पाठ पढ़ाया। फलतः उनकी लोकप्रियता वियतनाम तक ही सीमित न रहकर विश्व भर में फैली और वे विश्वविख्यात हुए।

वस्तुतः हो-ची-मीन्ह एक महापुरुष थे, महामानव। उनके व्यक्तित्व में अनेक उच्च मानवीय गुणों का वास था। उनका व्यक्तित्व बड़ा ही प्रभावशाली था। वे ‘सादा जीवन उच्च विचार’ की साक्षात् प्रतिमूर्ति थे तथा ‘अपना काम स्वयं करो’ की नीति पर चलते थे। अपने कठिन एवं अनथक संघर्षों के परिणामस्वरूप जब वे स्वतंत्र वियतनाम के राष्ट्रपति बने, तब भी शाही महल को छोड़ एक साधारण मकान में जीवन-स्तर किये। वे अपनी जरूरत के चीजें स्वयं टाइप कर लेते थे तथा कम-से-कम साधनों से अपना जीवन-निर्वाह करते थे। व्यक्तित्व के ये सभी गुण सचमुच सबके लिए आदर्श और अनुकरणीय हैं।

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प्रश्न 4.
‘जिन्दगी का हर कदम मंजिल है। इस मंजिल तक पहुँचने से पहले साँस रुक सकती है।’ इस कथन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
हमारी पाठ्य-पुस्तक के दिगंत भाग-1 में संकलित ‘मेरी वियतनाम यात्रा’ शीर्षक यात्रावृत्तांत के लेखक भोला पासवान शास्त्री ने वियतनाम यात्रा के आरंभ की अपनी मन:स्थिति के संदर्भ में विवेच्य कथन कहा है। इसका अभिप्राय यह है कि जिन्दगी का हर कदम अपने-आप में एक मंजिल के समान है। मंजिल पर पहुँचने के पश्चात् व्यक्ति क्षण भर विश्राम करता है। परंतु किस कदम पर व्यक्ति के जीवन में विराम लग जाए, नहीं कहा जा सकता। अर्थात् जीवन कब, कहां और कैसे रुक जाएगा-यह सर्वथा अज्ञात रहता है। अतः लेखक को व्यक्ति का हर कदम एक मंजिल जैसा प्रतीत होता है।।

प्रश्न 5.
वियतनामी भाषा में ‘हांग खोंग’ और ‘हुअ सेन’ का क्या आदर्श है?
उत्तर-
वियतनामी भाषा हांग खोंग में ‘हांग’ का अर्थ मार्ग और ‘खोंग’ का अर्थ हवा होता है। इस प्रकार हांग खोंग का अर्थ हुआ-हवाई मार्ग।

हुआ सेन-वितयनामाी भाषा में ‘हुअ सेन’ का अर्थ है-कमल का फूल।

प्रश्न 6.
लेखक को ऐसा क्यों लगता है कि मैकांग नदी के साथ उसका पहरा भावनात्मक संबंध है?
उत्तर-
हमारी पाठ्य-पुस्तक के विंगत भाग-1 में संकलित ‘मेरी वियतनाम यात्रा’ के लेखक भोला पासवान शास्त्री जब बैंकाक, अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से वितयनाम की राजधानी हानोई विमान द्वारा जा रहे थे, तो रास्ते में उन्हें अचानक एक बड़ी नदी दिखाई पड़ी। तत्पश्चात् पार्थ सारथी से उन्हें यह मालूम हुआ कि मैकांग नदी है। यह सुनकर लेखक उस नदी के प्रति भाव-विभोर हो गये। उन्हें लगने लगा कि उसके साथ उनका बहुत पुराना नाता-रिश्ता है। ऐसा इसलिए अनुभूल हुआ, क्योंकि लेखक उस नदी का नाम पहले से सुन चुके थे।

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अमेरिका बनाम वियतनाम के युद्ध में उस नदी का जिक्र दुनिया भर के समाचार पत्रों में हो चुका था। इस प्रकार, उसका साक्षात् दर्शन कर लेखक उसके साथ गहरे भावनात्मक स्तर पर जुड़ जाते हैं। इसके अतिरिक्त एक यह भी विचित्र संयोग है कि उस नदी को वहाँ के लोग ‘महागंगा’ के नाम से जानते-पहचानते हैं। गंगा अपने देश की पवित्रतम नदी है। इन्हीं सब बातों के कारण लेखक मैकांग नदी के साथ अपना प्रगाढ़ भावनात्मक संबंध महसूस करता है।

प्रश्न 7.
हानोई साइकिलों का शहर है। हम इस बात से क्या सीख सकते हैं?
उत्तर-
हानोई वियतनाम जैसे देश की राजधानी है। उसकी अन्य अनेक विशेषताओं में एक प्रमुख विशेषता है साइकिल की सवारी। वहाँ के सभी लोग साइकिलों पर ही सवार होकर यत्र-तत्र-सर्वत्र आते-जाते, घूमते-फिरते हैं। वहाँ ट्रक, बस और मोटरगाड़ियों का राष्ट्रीयकरण हो चुका है, अतएव कोई इन चीजों को निजी संपत्ति के तौर पर नहीं रख सकता। इस प्रकार हानोई साइकिलों का शहर है। इससे हमें यह सीख लेनी चाहिए कि हमें भी अपनी सवारी के लिए प्रदूषण फैलाने वाली मोटरगाड़ियों को छोड़कर साइकिल का ही अधिक-से-अधिक प्रयोग करना चाहिए।

इससे हमारा स्वास्थ्य भी बनेगा, बचत भी होगी और प्रदूषण भी नहीं होगा।

प्रश्न 8.
लेखक ने हो-ची-मीन्ह के घर का वर्णन किस प्रकार किया है? इससे हमें क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर-
लेखक भोला पासवान शास्त्री ने विश्वद्रष्टा एवं विश्वविश्रुत नेता हो-ची-मीन्ह के घर का वर्णन बड़ी अंतरंगता के साथ किया है। उन्होंने आत्मीयतापूर्वक वर्णन-क्रम में बताया है कि वह साधारण-सा छोटा मकान है। उसमें कुल दो कमरे हैं और चारों ओर बरामदें हैं। एक कमरे में उनकी खाट रखी है, जिस पर वे सोते थे। खाट पर बिछावन और ओढ़ने के कपड़े भी समेट कर रखे हुए हैं। एक तकिया और एक छड़ी भी है। ऐसी ही छोटी-मोटी कुछ और चीजें भी रखी हैं। दूसरे कमरे में उन्हीं द्वारा रचित कुछ पुस्तकें हैं। बरामदे में लकड़ी की बनी बेंच रखी हुई थी, जिस पर मुलाकाती लोग आकर बैठते थे।

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इस प्रकार, उस महान् नेता का मकान सब तरह से साधारण था। इससे यह प्रेरणा मिलती है कि हमें भी अपना जीवन सादगीपूर्ण ढंग से बिताना चाहिए। हमें कम-से-कम साधनों से अपना काम चलाना चाहिए तथा व्यर्थ के ताम-झाम या तड़क-भड़क में नहीं पड़ना चाहिए। इसी में हमारी भलाई और महत्ता निहित होती है।

मेरी वियतनाम यात्रा भाषा की बात।

प्रश्न 1.
लेखक ने हो-ची-मीन्ह के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया है? पाठ से उन विशेषणों को चुनें।
उत्तर-
‘मेरी वियतनाम यात्रा’ शीर्षक पाठ में लेखक ने हो-ची-मीन्ह के लिए निम्नलिखित विशेषणों का प्रयोग किया है-महामानव, मसीहा, प्रेरणाप्रद, चमत्कारी, तेजस्वी, सव्यसाची, महापुरुष, विश्वद्रष्टा, विश्वविश्रुत, सर्वप्रिय नेता इत्यादि।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का वाक्य-प्रयोग द्वारा लिंग-निर्णय करें:
उत्तर-

  • नीधि (पुलिंग)-यह मेरी एकमात्र निधि है।
  • स्केच (पुलिंग)-उग्रवादियों का स्केच जारी किया गया।
  • प्रण (स्त्रीलिंग)-उसके प्राण निकल गये।
  • सुधि (पुलिंग)-उसने मेरी सुधि न ली।
  • तस्वीर (स्त्रीलिंग)–यह तस्वीर पुरानी है।
  • विभूति (स्त्रीलिंग)-यह दुर्लभ विभूति कहाँ थी?
  • संपत्ति (स्त्रीलिंग)-यह किसकी संपत्ति है?
  • संरक्षण (स्त्रीलिंग)-हमें राष्ट्रीय धरोहरों का संरक्षण करना चाहिए।
  • दाढ़ी (स्त्रीलिंग)-उनकी दाढ़ी पक गई।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय निर्दिष्ट करें:
उत्तर-
Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 6 मेरी वियतनाम यात्रा 1

प्रश्न 4.
इन शब्दों के उपसर्ग निर्दिष्ट करें:
उत्तर-
Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 6 मेरी वियतनाम यात्रा 2

प्रश्न 5.
अर्थ की दृष्टि से निम्नलिखित वाक्यों की प्रकृति बताएँ:
उत्तर-
(क) दिन बीतते गए। – विधानवाचक वाक्य।।
(ख) हो सकता है दो-चार वर्ष और पहले ही हो। – संदेहवाचक वाक्य।
(ग) इसमें संदेह नहीं कि उनका जीवन कभी नहीं सूखने वाले प्ररेणा-स्रोत के समान बना रहेगा। – विधानवाचक वाक्य।
(घ) वे कौन हैं, कहाँ के हैं और क्या हैं, जानने की सुधि भी नहीं रही। – उद्गारवाचक वाक्य।

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प्रश्न 6.
पाठक से प्रत्येक कारक के कुछ उदाहरण चुनकर लिखें।
उत्तर-
[ज्ञातव्य-संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से वाक्य के अन्य शब्दों के साथ उनका संबंध सूचित होता है, उसके कारक कहते हैं। हिंदी में कारक के आठ भेद माने जाते हैं- कर्ता, कर्म, करण, संप्रदान, अपादान, संबंध, अधिकरण और संबोधन कारक।]

प्रस्तुत पाठ में प्रयुक्त कारकों के उदाहरण निम्नवत हैं :

  • कर्ता कारक-मित्रों ने ‘यात्रा शुभ हो’ कहकर विदा किया।
  • कर्मकारक-बिछावन पर आज का ‘बैंकाक पोस्ट’ रखा था।
  • करण कारक-हमलोग एयर इंडिया के विमान से वियतनाम के लिए रवाना हुए।
  • संप्रदान कारक-अधिकांश यात्री पहले ही एयरपोर्ट से शहर के लिए प्रस्थान कर चुके थे।
  • अपादान कारक-जब बिहार से दिल्ली आया तो सबसे पहले मुझे मॉरीशस जाने का मौका मिला।
  • संबंध कारक-हमलोगों की घड़ी में डेढ़ बज रहे थे।
  • अधिकरण कारक-हम एयर इंडिया के बोइंग विमान 707 में आ गए।
  • संबोधन कारक-यात्रा शुभ हो, भारत और वियतनाम की मित्रता दृढ़ हो।

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

मेरी वियतनाम यात्रा लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
होचीमीन्ह कौन थे? वियतनाम में उनके योगदान का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर-
होचीमीन्ह वियतनाम के महान नेता और राजनीतिज्ञ थे। वियतनाम की राजनीति में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। आज से लगभग 90 वर्ष पहले जब वियतनाम विदेशी साम्राज्यवाद के शिकंजे में जकड़ा हुआ था तं. इस महान राजनेता ने उनसे वियतनाम के लोगों को स्वतंत्र कराया। उन्होंने वियतनाम की जनता को गुलामी से मुक्ति दिलाकर देश की उन्नति कराने में मार्ग-दर्शन किया। वियतनाम की आजादी और उसकी प्रगति में होचीमीन्ह ने प्रमुख भूमिका निभाया। इसीलिए वियतनाम में लोग इन्हें आदर की दृष्टि से देखते हैं।

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प्रश्न 2.
लेखक भोला पासवान शास्त्री का बिहार में कैसा स्थान है?
उत्तर-
भोला पासवान शास्त्री का बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है। ये बिहार के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, प्रबुद्ध पत्रकार और राजनेता थे। वे सिद्धांतों और मूल्यों की राजनीति करने वाले राजनेता थे। बिहार के प्रबुद्ध नागरिकों, राजनीतिकर्मियों और बुजुर्ग पत्रकारों के बीच अपनी सादगी, लोकनिष्ठा, देशभक्ति, पारदर्शी ईमानदारी और विचारशीलता के लिए वे बहुत महान राजनेता माने जाते हैं। बिहार की राजनीति में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

मेरी वियतनाम यात्रा अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मेरी वियतनाम यात्रा नामक पाठ की रचना किस लेखक ने की है:
उत्तर-
मेरी वियतनाम यात्रा नामक पाठ की रचना भोला पासवान शास्त्री ने की है। .

प्रश्न 2.
भोला पासवान शास्त्री कौन थे?
उत्तर-
भोला पासवान शास्त्री बिहार के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, प्रबुद्ध पत्रकार एवं राजनेता थे।

प्रश्न 3.
मेरी वियतनाम यात्रा किस प्रकार की रचना है?
उत्तर-
मेरो वियतनाम यात्रा एक संस्मरण है।

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प्रश्न 4.
भोला पासवान शास्त्री कितनी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने?
उत्तर-
भोला पासवान शास्त्री मार्च 1968 से जनवरी 1972 तक की अवधि में तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री बने।

प्रश्न 5.
होचीमीन्ह कौन थे?
उत्तर-
होचीमीन्ह वियतनाम के एक प्रमुख राजनेता थे।

प्रश्न 6.
होचीमीन्ह का क्या योगदान था?
उत्तर-
होचीमीन्ह ने वियतनाम को विदेशी साम्राज्यवाद के शिकंजे से मुक्ति दिलायी। उन्होंने वियतनाम की जनता को गुलामी से मुक्ति दिला कर विकास की दिशा के आगे बढ़ने के लिए मार्ग-दर्शन किया।

मेरी वियतनाम यात्रा वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

I. सही उत्तर का सांकेतिक चिह्न (क, ख, ग, या घ) लिखें।

प्रश्न 1.
‘मेरी वियतनाम यात्रा’ के लेखक कौन हैं?
(क) राम विलास पासवान
(ख) भोला पासवान शास्त्री
(ग) हरिशंकर परसाई
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ख)

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प्रश्न 2.
‘मेरी वियतनाम यात्रा’ क्या है?
(क) संस्मरण
(ख) निबंध
(ग) यात्रावृत्तांत
(घ) रेखा चित्र
उत्तर-
(ग)

प्रश्न 3.
हो-ची-मीन्ह कहाँ के नेता थे?
(क) वियतनाम
(ख) चीन
(ग) जापान
(घ) मलेशिया
उत्तर-
(क)

प्रश्न 4.
हुअ-सेन का क्या अर्थ है?
(क) नदी
(ख) कमल का फूल
(ग) झरना
(घ) समुद्र
उत्तर-
(ख)

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प्रश्न 5.
‘मेरी वियतनाम यात्रा’ का प्रकाशन कब हुआ?
(क) 1973 ई० में
(ख) 1983 ई० में.
(ग) 1993 ई० में
(घ) 1995 ई० में
उत्तर-
(ख)

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।

प्रश्न 1.
अन्तर्राष्ट्रीय पनप नहीं सकती जब तक…………..का पूर्ण विकास न हो।
उत्तर-
राष्ट्रीयता

प्रश्न 2.
मित्रों ने……………….कहकर विदा किया।
उत्तर-
‘यात्र शुभ हो’

प्रश्न 3.
वियतनामी भाषा में ‘हाँग का अर्थ……..और खोंग का अर्थ……..होता है।
उत्तर-
मार्ग, हवा

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प्रश्न 4.
अब भी वह एक युग का……………करता दीखता है।
उत्तर-
प्रतिनिधित्व

प्रश्न 5.
श्री हो-ची-मीन्ह…………..के सर्वप्रिय नेता रहे।
उत्तर-
वियतनाम

मेरी वियतनाम यात्रा भोला पासवान शास्त्री (1914-1984)

एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी, प्रबुद्ध पत्रकार एवं लोकप्रिय राजनेता भोला पासवान शास्त्री का जन्म सन् 1914 ई० में बिहार राज्य के पूर्णिया जिलान्तर्गत ‘बैरगाछी’ नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री धूसर पासवान था। भोला पासवान शास्त्री की शिक्षा बिहार विद्यापीठ, पटना एवं तदनंतर काशी विद्यापीठ, वाराणसी से हुई। बिहार के एक पिछड़े हुए सुदूर अंचल के वंचित वर्ग का होते हुए भी शास्त्रीजी अपने नैतिक योग्यता, बौद्धिक क्षमता और व्यक्तिगत गुणों के बल पर देश के राजनीतिक एवं सार्वजनिक जीवन में काफी आगे बढ़े और अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बनाया।

शास्त्रीजी में बचपन से ही देशभक्ति, समाज-सेवा, ईमानदारी, सच्चरित्रता, विचारशीलता जैसी उदान्त भावनाएँ कूट-कूट कर भरी हुई थीं। वे छात्र-जीवन से ही स्वाधीनता आंदोलन और राजनीति में सक्रिय रहे। 1942 ई० के राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के कारण उन्हें 21 माह का कठोर कारावास का दंड मिला। अपनी कर्मठता एवं जन-सेवा के बल पर वे 1946 ई० में बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के सदस्य बने।

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जनता में पर्याप्त प्रसिद्ध शास्त्रीजी 1952 ई० के पहले आम चुनाव में धमदाहा-कोढ़ा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गये और डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के मंत्रिमंडल में शामिल हुए। इसी प्रकार, 1957, 1962 एवं 1967 के आम चुनावों में वे विधायक चुने जाते रहे और मार्च, 1968 से जनवरी, 1972 तक की अवधि में तीन बार बिहार क मुख्यमंत्री चुने गये और फरवरी, 1973 के केन्द्र सरकार के मंत्री बने और 1982 ई० तक संसद सदस्य के रूप में राष्ट्र एवं समाज की सेवा करते रहे। उनका निधन 10 सितंबर, 1984 ई० को हुआ।

शास्त्रीजी सच्चे अर्थों में बिहार के एक श्रेष्ठ राजनेता एवं समाजसेवी थे। वे ‘सादा जीवन उच्च विचार’ के कायल थे। राजनीतिक हलकों में उन्हें आज भी बड़े आदर और सम्मान के साथ याद किया जाता है। वे सिद्धांतों और मूल्यों की राजनीतिक करने वाले तपे-तपाए नेता थे, स्वार्थसिद्धि हेतु गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले अवसरवादी नेता नहीं। उनकी सादगी, लोकनिष्ठा, देशभक्ति, सेवापरायणता आदि की आज भी दाद दी जाती है। कोई भी प्रलोभन उन्हें कर्तव्यपथ से विचलित नहीं कर सकता था।

उनकी दृष्टि से सभी देशवासी समान थे। उनके लिए जाति अथवा वर्ग-विशेष प्रधान न था, बल्कि वे संपूर्ण समाज एवं उनकी मुख्य धारा को साथ ले चलने वाले थे। भारतीय परंपरा के प्रति उनके मन में गहरा अनुराग था तथा वे अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की भी गहरी समझ रखते थे। उनका आदर्श सामाजिक समानता और सद्भाव के स्वप्न को साकार करना था। इसके लिए जीवन भर सजग एवं सचेष्ट रहे। विशेषकर आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए किया गया उनका संघर्ष सदैव स्मरणीय रहेगा।

शास्त्रीजी अपने जीवन में न केवल राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय रहे, अपितु रचनात्मक सृजन में भी संलग्न रहें। उन्होंने पूर्णिया से प्रकाशित हिंदी साप्ताहिक पत्रिका ‘राष्ट्र-संदेश’ का संपादन किया था तथा पटना के दैनिक ‘राष्ट्रवाणी’ एवं कोलकाता के दैनिक पत्र ‘लोकमान्य’ के संपादक-मंडल में भी सदस्य के रूप में रहे। उनकी प्रमुख कृति ‘वियतनाम की यात्रा’ 1983 ई० में वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित हुई। उनके अन्य लेख, टिप्पणियाँ अब तक अप्रकाशित रूप में यत्र-तत्र बिखरे हैं, जिन्हें प्रकाशित किया जाना चाहिए।

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मेरी वियतनाम यात्रा पाठ का सारांश

हमारी पाठ्य-पुस्तक में संकलित ‘मेरी वियतनाम यात्रा’ शीर्षक यात्रावृत्त के लेखक बिहार के एक प्रमुख राजनेता स्व० भोला पासवान शास्त्री हैं। यह पाठ उनकी पुस्तक ‘वियतनाम की यात्रा’ का एक अंश है, जिसमें यात्रा-लेखक के रूप में शास्त्रीजी ने अपनी वियतनाम यात्रा का अत्यंत रोचक एवं प्रभावकारी अंकन किया है।

पाठारंभ बड़ा ही रोचक, कुतूहलजनक एवं जिज्ञासावर्द्धक है। लेखक बताता है कि लगभग 40-42 वर्ष पहले एक दिन जब वह हिंदी की किसी मासिक पत्रिका के पन्ने उलट-पुलट रहा था कि अचानक पेंसिल स्केच की एक अनोखी तस्वीर देख ठिठक गया। वह तस्वीर वियतनाम के विश्वद्रष्टा एवं विश्वविश्रुत व्यक्ति हो-ची-मीन्ह की थी। लेखक उनके व्यक्तित्व से अभिभूत हो उठता है।

वह व्यक्तित्व अपनी सादगी और सरलता में अत्यंत तेजस्वी और प्रभावशाली था। आज भी वर्षों पूर्व देखी गई वह तस्वीर अक्षुण्ण है तथा अंतः सलिला फल्गू नदी की भाँति उनके. हृदय-प्रदेश को सींचती रहती है। तत्पश्चात् हो-ची-मीन्ह के प्रेरणादायी व्यक्तित्व एवं कृतित्व की संक्षिप्त चर्चा कर वर्णन को आगे बढ़ा देता है।

लेखक ने बताया है कि जब वे बिहार से दिल्ली आये तो सबसे पहले उन्हें मॉरीशस जाने का मौका मिला और मौका पाते ही वहाँ चले जाते हैं। वियतनाम यात्रा के साथ भी यही बात है। उनकी जीवनयात्रा के करीब दस दिन वियतनाम में व्यतीत हुए हैं। लेखक एयर इंडिया के बोइंग विमान-707 में वियतनाम की यात्रा के लिए सवार हुए। विमान तेज गति से बैंकाक की ओर चल पड़ा। बैंकाक तक की उनकी विमान यात्रा सुखद रही।

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वहाँ होटल ओरिएंट में उन्हें ठाहराया गया। होटल में रात्रि विश्राम के पश्चात् वे लोग बैंकाक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा पहुँचे। वहीं से उन लोगों को वियतनाम की राजधानी हानोई पहुंचना था। बैंकाक से हानोई के लंबे सफर में मैकांग नदी (जो वहाँ महागंगा के नाम से मशहूर है) को देख लेखक बड़ी आत्मीयता महसूस करते हैं, क्योंकि वे उसका नाम सुन चुके थे। देखते-देखते विमान वेंचियन हवाई अड्डा पहुंचा।

वहाँ सभी यात्री विमान से उतरकर कैंटिन में चावल की बनी पावरोटी और चाय लेते हैं और पुनः विमान में अपना-अपना स्थान ग्रहण कर लेते हैं। कुल डेढ़ घंटे में विमान जियालाम हवाई अड्डा जा पहुंचा। यही हवाई अड्डा हानोई से नजदीक है। वहाँ इन लोगों के स्वागत की अच्छी-खासी तैयारी थी। वितयनामी ‘कमिटी ऑफ सोलिडिरेटी एंड फ्रेंडशिप विद दी पीपुल्स ऑफ ऑल कंट्रीज’ के पदाधिकारियों और उनके सहयोगियों ने बड़े प्रसन्न भाव से गुलदस्ता भेंट कर इनका स्वागत-सत्कार किया।

जियालाम अंतर्देशीय हवाई अड्डे से निकलकर लेखक शास्त्रीजी वहाँ की सरकार द्वारा भेजी गई मोटरगाड़ी पर सवार होकर हानोई के लिए रवाना होते हैं। उनके साथ उक्त कमिटी के एक वरीय सदस्य और दुभाषिए के रहने का भी प्रबंध था। सड़क-मार्ग से गुजरते हुए रास्ते के अनेक स्थलों को निहारते हुए वे अतिथिशाला के पास आये। यह अतिथिशाला औपनिवेशक काल में ही बनी थी। वहाँ इनके स्वागत में भव्य तैयारी थी।

सड़क के दोनों ओर रंग-बिरंग वेश में बालक-बालिकाएँ जवान और वृद्ध हाथों में गुलदस्ता लिखे खड़े थे और अपनी मातृभाषा में गाना गाकर स्वागत करते हुए ‘भारत और वियतनाम की मित्रता दृढ़ हो’ के नारे भी लगा रहे थे। शास्त्रीजी वहाँ बड़े प्रेम-भाव से सबसे मिले और थोड़ी देर बाद फिर जुलूस के रूप में नयी बनी राजकीय अतिथिशाला में पहुंचे। वहीं उनलोगों के रहने की व्यवस्था थी। वहाँ उन्हें बिना दूध की चाय दी गई, जो अच्छी न लगी। भोजनोपरांत थोड़ी देर के विश्राम के बाद शाम को ठीक पाँच बजे वे लोग शहर की ओर निकले।

वहाँ उनके साथ वियतनाम पीपुल्स पार्टी के एक वरीय सदस्य और दुभाषिया बराबर रहते थे। वे लोग शहर के सामान्य दृश्यों को देखते हुए वेस्ट लेक पहुँचे। वहाँ के सन्दर्भ में दो बातें विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं-पहली, चूँकि हानोई शहर में चार-पाँच झीलें हैं, इसलिए वह झीलों का नगर कहलाता है तथा दूसरे, वहाँ की निजी सवारी है साइकिल। अत: वह साइकिलों का शहर लंगता है।।

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दूसरे दिन शास्त्रीजी खूब तड़के जगे और साढ़े छह बजे घूमने के लिए पूरी तरह तैयार हो गये। इस दिन का उनका कार्यक्रम अतिशय प्रेरक और महत्त्वपूर्ण रहा। इसी दिन उन्होंने हो-ची-मीन्ह मसालियम जाकर उस महान नेता के पार्थिक शरीर के दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उस समय लेखक की मनःस्थिति अवर्णनीय थी। वहाँ से वे लोग उस शाही महल को देखने गये, जिसमें, फ्रांसीसी गवर्नर जनरल रहते थे।

तत्पश्चात् वे लोग राष्ट्रपति हो-ची-मीन्ह जहाँ रहते थे, उस साधारण मकान को देखने गये। वहाँ पर उन्हें जो-जो चीजें देखने को मिलीं, उनसे राष्ट्रपति हो-ची-मीन्ह के महान व्यक्तित्व की झांकी सहज ही मिलती है। इसके बाद उन लोगों ने उस महान को भी देखा, जिसमें हो-ची-मीन्ह राष्ट्रपति बनने से पूर्व रहा करते थे। फिलहाल वहाँ कोई नहीं रहता है और उसे राष्ट्र का संरक्षण प्राप्त है। वह स्थान लेखक के अंतर्मन को छू जाता है। वहा वियतनाम की जनता की धरोहर और प्रेरणास्रोत है। वहाँ जाकर सुप्त आत्मा भी जाग्रत हो जाता है। वास्तव में हो-ची-मीन्ह वियतनाम के सर्वप्रिय नेता थे।

उनका महत्त्व वहाँ जाने पर ही जाना जा सकता है और इन्हीं हार्दिक उद्गारों के साथ पइित यात्रा-वृत्तान्त समाप्त हो जाता है। इस प्रकार, लेखक ने इस यात्रा-वृत्त में अपनी वियतनाम यात्रा के सारे अनुभवों, व्यक्तियों, वस्तुओं, घटनाओं एवं स्थानों का वर्णन बड़ी अंतरंगता से प्रस्तुत किया है।

मेरी वियतनाम यात्रा कठिन शब्दों का अर्थ

स्मृति-याद। अन्यमनस्क भाव-अनमने भाव से। सव्यसाची-बायाँ-दायाँ दोनों हाथ से निशाना साधने वाला, अर्जुन के लिए रूढ़। फबना-शोभित होना। परिलक्षित-प्रकट दिखाई पड़ना। निधि-खजाना। गुलदस्ता-पुष्पगुच्छ, फूलों का गुच्छा। औपनिवेशिक काल-जब वियतनाम पर दूसरे देश का शासन था। तेजस्वी-तेजपूर्ण। मैजेस्टिक-जादुई। सद्यःस्नात-तुरंत स्नान किया हुआ। सुधि-स्मृति, ध्यान। हरफों-अक्षरों। अंत:सलिला-अन्दर-ही अन्दर प्रवाहित होने वाली नदी। विभूति-ऐश्वर्यमय व्यक्ति। विश्व-विश्रुत-विश्वविख्यात। पार्थिव-लौकिक। दुभाषिया-ऐसा व्यक्ति जो दो भिन्न भाषा-भाषियों के बीच बातचीत करता है। शिकंजा-कैद, पकड़। पैगाम-संदेश।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 6 मेरी वियतनाम यात्रा (भोला पासवान शास्त्री)

महत्त्वपूर्ण पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या

1. अन्तर्राष्ट्रीयता पनप नहीं सकती, जब तक राष्ट्रीयता का पूर्ण विकास न हो। इसके लिए उन्होंने क्रांति, बलिदान और त्याग का पैगाम किया। इसीलिए वे विश्वद्रष्टा कहलाए और विश्व-विश्रुत हुए।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ भोला पासवान शास्त्री द्वारा लिखित मेरी वियतनाम यात्रा नामक संस्मरण से ली गयी है। इन पंक्तियों में लेखक ने वियतनाम के महान नेता होचीमीन्ह के व्यक्तित्व के बारे में वर्णन किया है। होचीमीन्ह एक महान क्रांतिकारी नेता थे और उन्होंने विदेशी साम्राज्यवाद से वियतनाम को स्वतंत्र कराया। उन्होंने अपने जीवन-काल में क्रांति, बलिदान और त्याग का पैगाम दिया। इसीलिए लेखक के अनुसार होचीमीन्ह विश्वद्रष्टा और विश्व प्रसिद्ध हुए। जब वियतनाम स्वतंत्र हुआ तो वे यहाँ के राष्ट्रपति बने। वास्तव में, वे वियतनाम के निर्माता थे।

2. होचीमीन्ह मसोलियम राष्ट्र को समर्पित है, उसे राष्ट्र का संरक्षण प्राप्त है, वह वियतनाम की जनता की धरोहर है, प्रेरणा-स्त्रोत है।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ भोला पासवान शास्त्री द्वारा लिखित मेरी वियतनाम यात्रा नामक संस्मरण से ली गयी हैं। इन पंक्तियों में लेखक ने होचीमीन्ह मसोलियम को आधार बनाकर होचीमीन्ह के व्यक्तित्व को उजागर किया है। इस महान राजनेता ने वियतनाम की जनता को गुलामी से मुक्ति दिलाकर प्रगति की दिशा में अग्रसर करने के लिए मार्ग-दर्शन किया। वे वियतनाम के निर्माता और राष्ट्रपति बने। उनके मसोलियम को देखकर होचीमीन्ह की स्मृति हो आती है। यह मसोलियम राष्ट्र को समर्पित है, जिसे राष्ट्र का संरक्षण भी प्राप्त है। वास्तव में, वह वियतनाम की जनता की धरोहर और प्रेरणा स्त्रोत है। इस मसोलियम से होचीमीन्ह के महान योगदान का ज्ञान होता है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 6 मेरी वियतनाम यात्रा (भोला पासवान शास्त्री)

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण

Bihar Board 12th Physics Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण

प्रश्न 1.
चित्र में, धारामापी G अधिकतम विक्षेप देता है जब
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण - 11
(a) चुम्बक को कुंडली में धकेला जाता है।
(b) चुम्बक कंडुली में घूर्णन करती है।
(c) चुम्बक कुंडली के केन्द्र पर स्थायी होती है ।
(d) कुंडली में फेरों की संख्या कम हो जाती है।
उत्तर-
(a) चुम्बक को कुंडली में धकेला जाता है।

प्रश्न 2.
क्षेत्र B के समानान्तर इसके तल के साथ रखे गये अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल A के N फेरों की कुंडली के साथ जुड़ा चुम्बकीय फ्लक्स होता है –
(a) \(\frac{N A B}{2}\)
(b) NAB
(c) \(\frac{N A B}{4}\)
(d) शून्य
उत्तर-
(d) शून्य

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण

प्रश्न 3.
दो समान वृत्तीय समाक्षीय लूपों में समान दिशा में एक ही धारा बहती है। यदि लूपों को समीप लाया जाता है, तो लूपों में धाराएं,
(a) कम हो जाती हैं।
(b) बढ़ती हैं।
(c) समान रहती हैं।
(d) प्रत्येक लूप में भिन्न होती हैं।
उत्तर-
(a) कम हो जाती हैं।

प्रश्न 4.
0.4m क्षेत्रफल की किसी कुंडली में 100 फेरे हैं। 0.04 Wbm-2 की चुम्बकीय क्षेत्र कुंडली के पृष्ठ के लम्बवत् कार्यरत है । यदि इस चुम्बकीय क्षेत्र को 0.01s में शून्य तक कम किया जाता है, तो कुंडली में प्रेरित वि.वा. बल होगा –
(a) 160 V
(b) 250 V
(c) 270 V
(d) 320 V
उत्तर-
(a) 160 V
(a) यहाँ, A = 0.4 m2, N = 100, dB = 0.04 Wb m-2,
dt = 0.01 s
चकि \(\varepsilon=\frac{d \phi}{d t}=N A \frac{d B}{d t}=100 \times 0.4 \times \frac{0.04}{0.01}=160 \mathrm{V}\)

प्रश्न 5.
R प्रतिरोध वाले स्थायी लूप में से चुम्बकीय फ्लक्स Φ = at (τ-t) के रूप में समय अन्तराल τ के दौरान परिवर्तित होता है । उस समय के दौरान लूप में उत्पन्न ऊष्मा की मात्रा क्या है ?
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण - 1
उत्तर-
(b)

प्रश्न 6.
किसी धातु की प्लेट को किसके द्वारा गर्म किया जा सकता है ?
(a) प्लेट में दिष्ट या प्रत्यावर्ती धारा गुजारकर
(b) उसे समय परिवर्ती चुम्बकीय क्षेत्र में रखकर
(c) स्थान परिवर्ती चुम्बकीय क्षेत्र में रखकर लेकिन समय के साथ परिवर्तित नहीं करके
(d) (a) एवं (b) दोनों सही हैं।
उत्तर-
(d) (a) एवं (b) दोनों सही हैं।

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण

प्रश्न 7.
r त्रिज्या की एक चालक वलय को वलय के तल के लम्बवत् परिवर्तनीय चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है, x है। तो वलय के किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता क्या होगी?
(a) rx
(b) \(\frac{r x}{2}\)
(c) 2rx.
(d) \(\frac{4 r}{x}\)
उत्तर-
(b) \(\frac{r x}{2}\)
(b) माना \(\vec{E}\) वलय की परिधि पर किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की |
तीव्रता है, तो प्रेरित वि.वा.बल
\(\varepsilon=\oint \vec{E} \cdot \overrightarrow{d l}\) जहाँ \(\overrightarrow{d l}\) वलय की लम्बाई का तत्व है।
चूँकि \(\vec{E}\) नियतांक है तथा
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण - 5
(i) एवं (ii) को बराबर करने पर, E = \(\frac{r x}{2}\)

प्रश्न 8.
अपने तल के लम्बवत् एवं पेपर में निर्दिष्ट किसी कुंडली में
चुम्बकीय फ्लक्स सम्बन्ध Φ = (2t2 +4t +6) mWb के अनुसार परिवर्तित होता है। t = 4 सेकण्ड पर लूप में प्रेरित वि.वा.बल होगा
(a) 0.12V
(b) 2.4V
(c) 0.02 V
(d) 1.2V
उत्तर-
(c) 0.02 V
(c) दिया है, Φ = (2t2 +4t + 6) mWb
चकि, = \(\frac{d \phi}{d t}=\frac{d}{d t}\) (2t2 +4t +6) x 10-3 Wbs-1
= (4t+4) x 10-3 V
t = 4s पर.
६= (4×4+4)x 10-3 V=20 x 10-3V= 0.02 V

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प्रश्न 9.
दो समरूप समाक्षीय कुंडलियों में एक ही दिशा में धारा की समान मात्रा बह रही है, दोनों कुंडलियों को निकट लाया जाये, तो धारा
(a) P में बढ़ेगी जबकि Q में घटेगी
(b) Q में बढ़ेगी जबकि P में घटेगी
(c) P एवं Q दोनों में बढ़ेगी
(d) P एवं ए दोनों में घटेगी।
उत्तर-
(d) P एवं ए दोनों में घटेगी।

प्रश्न 10.
एक विद्युत चुम्बक में 648Jचुम्बकीय ऊर्जा संचित होती है जब 9A की धारा इसकी कुंडली में स्थित होती है। यदि धारा 0.45 सेकण्ड में शून्य तक कम होती है, तो औसत वि.वा.बल कितना प्रेरित होगा?
(a) 320 V
(b) 620 V
(c) 260 V
(d) 230 V
उत्तर-
(a) 320 V
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण - 6

प्रश्न 11.
फैराडे के नियम किसके संरक्षण का परिणाम है ?
(a) आवेश
(b) ऊर्जा
(c) चुम्बकीय क्षेत्र
(d) (b) एवं (c) दोनों
उत्तर-
(b) ऊर्जा

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प्रश्न 12.
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान तार में प्रेरित धारा की दिशा किसका प्रयोग करके प्राप्त की जाती है ?
(a) फ्लेमिंग के बायें हाथ का नियम
(b) फ्लेमिंग के दायें हाथ का नियम
(c) ऐम्पियर का नियम
(d) लेंज का नियम
उत्तर-
(b) फ्लेमिंग के दायें हाथ का नियम

प्रश्न 13.
लेंज का नियम किसके संक्षरण के नियम का परिणाम है ?
(a) आवेश
(b) ऊर्जा
(c) प्रेरित वि.वा.बल
(d) प्रेरित धारा |
उत्तर-
(b) ऊर्जा

प्रश्न 14.
दिये गये चित्र द्वारा दर्शाए गई स्थिति में दायें लूप में प्रेरित धारा की दिशा है-
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण - 3
(a) उभय अक्ष के अनुदिश
(b) ryz के अनुदिश
(c) xyz के अनुदिश
(d) इनमें से काई नहीं
उत्तर-
(c) xyz के अनुदिश

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प्रश्न 15.
परिनालिका को एक बैटरी से जोड़ा जाता है जिससे इसमें स्थायी धारा प्रवाहित होती है। यदि एक लोहे की क्रोड को परिनालिका में प्रवेश कराया जाता है, तो धारा ।
(a) बढ़ेगी
(b) घटेगी
(c) समान रहेगी
(d) पहले बढ़ेगी है फिर घटेगी।
उत्तर-
(b) घटेगी

प्रश्न 16.
एक अनन्त रूप से लम्बे बेलन को धनात्मक –अक्ष के अनुदिश दिशा की एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र B के समानान्तर रखा गया है। z-अक्ष से देखने पर बेलन की सतह पर प्रेरित धारा की दिशा होगी –
(a) धनात्मक -अक्ष के दक्षिणावर्त
(b) धनात्मक z-अक्ष के वामावर्त
(c) शून्य
(d) चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश
उत्तर-
(c) शून्य

प्रश्न 17.
जब किसी तार का लूप चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णन करता है, तो प्रेरित
वि.वा.बल की दिशा परिवर्तित होगी प्रत्येक
(a) एक परिक्रमण में
(b) 1/2 परिक्रमण में
(c) 1/4 परिक्रमण में
(d) 2 परिक्रमण में
उत्तर-
(b) 1/2 परिक्रमण में

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प्रश्न 18.
1m लम्बाई का एक धातु का चालक कोणीय वेग 5 rads-1 से
अपने एक सिरे के परितः ऊर्ध्वाधर रूप से घूमता है। यदि भू-चुम्बकीय क्षेत्र का क्षैतिज घटक 0.2x 104T है, तो चालक के सिरों के बीच उत्पन्न वि.वा.बल होगा
(a) 5µV
(b) 5 mV
(c) 50µv
(d) 50 m V
उत्तर-
(c) 50µv
(c) 50µv
(c) चालक के सिरों के मध्य उत्पन्न वि.वा.बल,
ε = \(\frac{1}{2} \omega B l^{2}\) = \(\frac{1}{2}\) x 5 x 0.2 x 10-4 x (1)2
= 5 x 10-5 V= 50 x 10-6 V= 50 µv

प्रश्न 19.
l लम्बाई की ताँबे की छड़ एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र B में कोणीय
वेग से उसके सिरे के परितः घूमती है। यदि क्षेत्र घूर्णन के तल के लम्बवत् है तो छड़ के सिरों के बीच उत्पन्न वि.बा.बल क्या होगा?
(a) Bωl2
(b) \(\frac{1}{2}\)Bωl2
(c) 2Bωl2
(d) \(\frac{1}{4}\)Bωl2
उत्तर-
(b) \(\frac{1}{2}\)Bωl2

प्रश्न 20.
एक चालक चुम्बकीय क्षेत्र में वेग से गति कर रहा है तथा I धारा
प्रेरित होती है यदि चालक का वेग दुगुना हो जाये, तो प्रेरित धारा होगी –
(a) 0.51
(b) 1.51
(c) 21
(d) 2.51
उत्तर-
(c) 21

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण

प्रश्न 21.
प्रेरण भट्टी का किसमें उपयोग होता है ?
(a) स्व-प्रेरण
(b) अन्योन्य प्रेरण
(c) भँवर धारा
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(c) भँवर धारा

प्रश्न 22.
किसी छड़ चुम्बक का उत्तरी ध्रुव कुंडली के तल के लम्बवत् तथा कुंडली के केन्द्र से गुजरने वाले अक्ष के अनुदिश कुंडली की ओर घूमता है। चुम्बक की गति की दिशा के दृष्टिकोण से तो कुंडली में प्रेरित धारा की दिशा होगी –
(a) दक्षिणावर्ती
(b) वामावर्ती
(c) कुंडली में कोई धारा नहीं होती है
(d) या तो दक्षिणावर्ती या वामावर्ती ।
उत्तर-
(b) वामावर्ती

प्रश्न 23.
B एवं B के बीच तुल्य प्रेरकत्व है –
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण - 2
(a) 1H
(b) 4H
(c) 0.8H
(d) 16H
उत्तर-
(a) 1H

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प्रश्न 24.
100 फेरों की चालक तार को 1000 फेरों वाली 100 cm लम्बाई एवं 2 cm त्रिज्या की एक परिनालिका के केन्द्र के निकट 1 cm तक लपेटा जाता है। दोनों कुंडलियों का अन्योन्य प्रेरकत्व होगा
(a) 1.58 x 10-4V
(b) 1.58 x 10-3V
(c) 2.11 x 10-4V
(d) 2.11 x 10-3 V
उत्तर-
(a) 1.58 x 10-4V
(a) यहाँ, N1 = 1000, l = 100 cm = 1 m,
A = πr² = π x (2 x 10-2)2 m2
N2 = 100

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प्रश्न 25.
यदि किसी कुंडली में फेरों की संख्या N हो, तो स्व-प्रेरकत्व का मान परिवर्तित होता है
(a) N0
(b) N
(c) N2
(d) N-2
उत्तर-
(c) N2

प्रश्न 26.
समान फेरों की संख्या वाली दो कुंडलियों में उनकी लम्बाइयाँ एवं त्रिज्याएं समान अनुपात 1:2 में है । उनके स्व-प्रेरकत्व का अनुपात होगा- .
(a) 1:2
(b) 2 :1
(c) 1 :1
(d) 1:4
उत्तर-
(a) 1:2
(a) किसी परिनालिका का स्व-प्रेरकत्व,
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण - 8
जहाँ । परिनालिका की लम्बाई है, N परिनालिका के फेरों की कुल संख्या है तथा A परिनालिका के अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल है ।
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण - 9

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प्रश्न 27.
यदि परिनलिका की कुंडली में प्रति एकांक लम्बाई फेरों की संख्या दुगुनी हो, तो परिनालिका का स्व-प्रेरकत्व –
(a) अपरिवर्तित रहेगा
(b) आधा होगा
(c) दुगुना होगा
(d) चार गुना होगा ।
उत्तर-
(d) चार गुना होगा ।

प्रश्न 28.
किसी कुंडली में धारा 0.2 सेकण्ड में 5A से 0A तक गिरती है यदि औसत विद्युत वि.वा.बल 150 V प्रेरित होता है, तो कुंडली का स्व-प्रेरकत्व होगा –
(a) 4 हेनरी
(b) 2 हेनरी
(c) 3 हेनरी
(d) 6 हेनरी
उत्तर-
(d) 6 हेनरी
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण - 10

प्रश्न 29.
वह भौतिक राशि जिसे WbA-1 के मात्रक में मापा जाता है, है
(a) स्व-प्रेरकत्व
(b) अन्योन्य प्रेरकत्व
(c) चुम्बकीय फ्लक्स
(d) (a) एवं (b) दोनों
उत्तर-
(d) (a) एवं (b) दोनों

प्रश्न 30.
किसी लम्बी परिनालिका के स्व-प्रेरकत्व को किसके द्वारा नहीं बढ़ाया जा सकता है ?
(a) इसके अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल बढ़ाकर ।
(b) इसकी लम्बाई को बढ़ाकर ।
(c) इसमें धारा बढ़ाकर।
(d) इसमें फेरों की संख्या बढ़ाकर ।
उत्तर-
(c) इसमें धारा बढ़ाकर।

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प्रश्न 31.
यदि 500 फेरों की कुंडली का स्व-प्रेरकत्व 125 mH है, तो 800 फेरों की समरूप कुंडली का स्व-प्रेरकत्व क्या होगा?
(a) 48.8 mH
(b) 200 mH
(c) 290 mH
(d) 320 mH
उत्तर-
(d) 320 mH
(d) चूंकि
\(\frac{L_{1}}{L_{2}}=\frac{N_{1}^{2}}{N_{2}^{2}}\) जहाँ 500 फेरों की कुंडली का स्व-प्रेरकत्व = 125mH
∴ 800 फेरों की कुंडली के लिए \(L=\frac{125}{(500)^{2}} \times(800)^{2}\)
= 320 mH

प्रश्न 32.
प्रेरकत्व का मात्रक समतुल्य होता है –
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण - 4
उत्तर-
(d)

प्रश्न 33.
दो कुंडलियों के अन्योन्य प्रेरकत्व को किसके द्वारा बढ़ाया जा सकता है?
(a) कुंडलियों में फेरों की संख्या को घटाकर ।
(b) कुंडलियों में फेरों की संख्या को बढ़ाकर ।
(c) लकड़ी की क्रोड पर कुंडलियों को लपेटकर।
(d) इनमें से कोई नहीं ।
उत्तर-
(b) कुंडलियों में फेरों की संख्या को बढ़ाकर ।

प्रश्न 34.
यदि प्राथमिक एवं द्वितीयक कुंडलियों में फेरों की संख्या प्रत्येक में दो गुना बढ़ जाती है, तो अन्योन्य प्रेरकत्व
(a) 4 गुना हो जाता है।
(b) 2 गुना हो जाता है।
(c) 1/4 गुना हो जाता है।
(d) अपरिवर्तित रहता है।
उत्तर-
(a) 4 गुना हो जाता है।

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प्रश्न 35.
समान प्रेरकत्व L के दो प्रेरकों को विपरीत चुम्बकीय फ्लक्सों के साथ श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है। परिणामी प्रेरकत्व होगा ? (अन्योन्य प्रेरकत्व को अपेक्षित करके)
(a) शून्य
(b) L
(c) 2L
(d) 3 L
उत्तर-
(c) 2L

प्रश्न 36.
200 mH के प्रेरकत्व की एक कुंडली में 1A की धारा 0.5 AS-1 की दर से वृद्धि कर रही है। प्रति सेकण्ड प्रेरक में संचित ऊर्जा क्या होगी?
(a) 0.5 Js-1
(b) 5.0Js-1
(c) 0.1 Js-1
(d) 2.0 Js-1
उत्तर-
(c) 0.1 Js-1
(c) प्रेरकत्व में संचित ऊर्जा, U = \(\frac{1}{2} L l^{2}\)
प्रति सेकण्ड प्रेरकत्व में संचित ऊर्जा,
\(\frac{d U}{d t}=L I \frac{d I}{d t}\)
= 200 x 10-3 Hx 1 Ax 0.5 As-1 = 0.1 Js-1

प्रश्न 37.
I ऐम्पियर की धारा वाले L हेनरी स्वप्रेरकत्व के एक प्रेरक में संचित ऊर्जा होगी –
(a) \(\frac{1}{2} L^{2} I\)
(b) \(\frac{1}{2} L I^{2}\)
(c) LI2
(d) L2I
उत्तर-
(b) \(\frac{1}{2} L I^{2}\)

प्रश्न 38.
स्व-प्रेरकत्व L = 2 mH के एक प्रेरक में, समय के साथ सम्बन्ध ।
= t2e-t के अनुसार धारा परिवर्तित होती है। कितने समय पर वि. वा.बल शून्य होता है ?
(a) 4s
(b) 3s
(c) 2s
(d) 1s
उत्तर-
(c) 2s
(c) L = 2 mH = 2 x 10-3 H, I = t2e-t
\(\frac{d l}{d t}\) = t2e-t (-1) + e-t (2t) = te-t (-t+2)
वि.वा.बल = \(L \frac{d l}{d t}\) = 2 x 10-3te-t+ (-t+ 2)
अब, वि.वा. बल = 0, जब (-t + 2) = 0 या t=2s

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प्रश्न 39.
विद्युत में द्रव्यमान के समतुल्य राशि होती है –
(a) धारा
(b) स्व-प्रेरकत्व
(c) विभव
(d) आवेश
उत्तर-
(b) स्व-प्रेरकत्व

प्रश्न 40.
लम्बाई 1 तथा अनुप्रस्थ परिच्छेद क्षेत्रफल A की एक परिनालिका का स्व-प्रेरकत्व L, जिसमें फेरों की निश्चित संख्या N है, तब बढ़ता है जब
(a) l एवं A बढ़ते हैं
(b) l कम होता है तथा A बढ़ते हैं
(c) l बढ़ता है तथा A कम होता है
(d) l एवं A दोनों घटते हैं।
उत्तर-
(b) l कम होता है तथा A बढ़ते हैं

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Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 11 भोगे हुए दिन

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Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 11 भोगे हुए दिन (मेहरुन्निसा परवेज)

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 11 भोगे हुए दिन (मेहरुन्निसा परवेज)

भोगे हुए दिन पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर।

प्रश्न 1.
जावेद और सोफिया इस कहानी के प्रमुख पात्र हैं, इनका परिचय आप अपने शब्दों में दें। .
उत्तर-
जावेद और सोफिया शांदा साहब की विधवा बेटी की संतान है। शांदा साहब अपने समय के एक लोकप्रिय शायर थे। अब अपनी वृद्धावस्था में अपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। अपर्याप्त आय से गृहस्थी का खर्च कठिनाई से चलता है। बेटी एक उर्दू प्राइमरी विद्यालय में अध्यापन कार्य करती है। शांदा साहब का सौ रुपए सकरार से पेंशन मिलती है। घर के सामने की जमीन पर एक पेड़ के नीचे जलावन की लकड़ी की एक दूकान है। इस सीमित आय से ही वे अपनी पारिवारिक समस्याओं का समाधान कर रहे हैं। अर्थाभाव से बच्चों की पढ़ाई की समुचित व्यवस्था नहीं है। जावेद (नाती) एक स्कूल में तीसरे वर्ग में पढ़ रहा है, वह बहुत सुशील एवं अनुशासित. लड़का है। पढ़ाई के अतिरिक्त गृहकार्यों में सहयोग करता है।

पिता के प्यार से वंचित वह अपनी नाना-नानी के संरक्षण में अपने भविष्य का निर्माण करने में व्यस्त है। सोफिया सात साल की उसकी बहन है। अर्थाभाव से उसका नामांकन विद्यालय में नहीं हुआ है। घर पर ही कुछ पढ़ लेती है। जलावन की लकड़ी की दुकान में बैठकर लकड़ी भी बेचती है। घर के अन्य कार्य भी करती है। भोली-भाली वह लड़की अपनी वर्तमान स्थिति से ही सन्तुष्ट है। दोनों ही बच्चे इस दयनीय स्थिति में भी विचलित नहीं हैं। पारिवारिक कार्यों को, दोनों बच्चे अपनी सामर्थ्य के अनुसार कर रहे हैं।

शांदा साहब से मिलने आए शमीम इन बच्चों की कर्तव्यनिष्ठा एवं लगन से प्रभावित हैं। वे इस बात से चकित भी हैं कि इस परिवार का हर व्यक्ति अपने समय का सदुपयोग कर रहा है, जिसे उन्होंने यह कहते हुए व्यक्त किया है-“इस घर का हरेक प्राणी एक-एक क्षण को जीना जानता है।”

वस्तुत: जावेद तथा सोफिया, दोनों ही प्रशंसा एवं सहानुभूति के पात्र हैं। “भोगे हुए दिन” शीर्षक कहानी के वस्तुतः यह दोनों ही प्रमुख पात्र हैं, क्योंकि कहानी इनके इर्द गिर्द ही घूमती रहती है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 11 भोगे हुए दिन (मेहरुन्निसा परवेज)

प्रश्न 2.
पुरानी बातें शांदा साहब को क्यों पीड़ा दे रही थी?
उत्तर-
शांदा साहब का अतीत स्वर्णिम रहा है। वे अपने समय के एक प्रसिद्ध शायर रहे हैं जिन्हें सुनने के लिए अपार जनसमूह एकत्र होता था। कवि सम्मेलनों में उन्हें समम्मान आमंत्रित किया जाता था तथा श्रोतागण मंत्र मुग्ध हो उनकी शायरी का आनन्द लेते थे। महाकवि इकबाल उनके घनिष्ठ मित्रों में थे तथा अनेक मुशायरों (कवि सम्मेलनों) में दोनों एक साथ कार्यक्रम में उपस्थित हुए थे। दोनों में बराबर पत्राचार भी होता रहता था। शांदा साहब को उस दौर में, देखने तथा उनकी शायरी का आनन्द लेने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। एक ही शेर (कविता) को अनेकों बार पढ़वाया जाता था, ऐसी दीवानगी थी श्रोताओं में। समय बदला, अब ढलती हुई उम्र में वे अप्रासंगिक हो गए हैं, महत्वहीन हो गए हैं।

ठीक ही कहा गया है कि उगते हुए सूरज की सभी पूजा करते हैं, अस्ताचल में जाते सूर्य की नहीं। यही शांदा साहब की पीड़ा का मुख्य कारण है। उनकी विषादपूर्ण प्रतिक्रिया-उनके द्वारा यह कहा जाना-,”बेटा, मैंने अपनी इन आँखों से दो दौरे देखे हैं, एक वह वक्त जब मेरे नाम से दूर-दूर से लोग आते हैं, एक-एक शेर को हजारों बार पढ़वाया जाता था। दूसरा वक्त अब देख रहा हूँ, वही लोग जो मेरे दीवाने थे, अब मुझे भूल गए हैं।

“कितनी मार्मिक है उनकी यह उक्ति। उनकी मान्यता है,-“शायर को उस वक्त मर जाना चाहिए, जब लोग उसे पसंद करते हों, दीवाने हों।” शांदा साहब लोगों की इस मनोवृत्ति से अत्यन्त विक्षुब्ध थे। अत: उनका कहना था कि व्यक्ति को तभी तक जीवित रहना चाहिए जब तक उसकी उपयोगिता है। मेहरुन्निसा परवेज लिखित “भोगे दिन” शीर्षक कहानी में शांदा साहब द्वारा इस वास्तविकता से उपजी पीड़ा का सफल चित्रण किया गया है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 11 भोगे हुए दिन (मेहरुन्निसा परवेज)

प्रश्न 3.
कहपानी में शमीम की भूमिका का वर्णन अपने शब्दों में करें।
उत्तर-
मेहरुन्निसा परवेज द्वारा लिखित “भोगे हुए दिन” शीर्षक कहानी के शमीम एक पात्र है जो अपने गृह नगर से एक वयोद्धद शायर (कवि) शांदा साहब से मिलने के लिए काफी फासला तय करके आए है। शांदा साहब एक जमाने के अद्वितीय शायर थे। उनको सुनने के लिए सुदूर क्षेत्रों से श्रोतागण कवि सम्मेलनों में उपस्थित होते थे। शमीम उनके प्रशंसकों में थे। अत: उनसे मिलने की तीव्र उत्कंठा लिए शमीश उनके यहाँ पहुँचते हैं। शांदा साहब के महन व्यक्तित्व के ही अनुरूप उनके घर का वातावरण होगा, ऐसी शमीम की धारण थी। किन्तु वहाँ अनुमान के विपरीत सब कुछ था। एक जीर्ण-शीर्ण मकान, उसके अन्दर के फर्नीचर तथा अन्य सामान शांदा साहब की आर्थिक स्थिति का सजीव चित्र प्रस्तुत कर रहे थे। परिवार में उनकी पत्नी, विधवा लड़की, एक नाती तथा एक नातिनी। वहाँ रहने के क्रम में शमीम को वहाँ की स्थिति का पर्याप्त ज्ञान हो गया।

उनलोगों से उसे सहज सहानुभूति हो गई और एक गहरा लगाव सा अनुभव हुआ। मात्र दो दिन में ही उसका मन उस घर में लग गया है वहाँ से जाने का मन नहीं कर रहा है। शमीम एक संवेदनशील, भावुक व्यक्ति है। वह शांदा साहब को अत्यन्त आदर की दृष्टि से देखता है। जावेद और सोफिया इन दोनों बच्चों के प्रति उसके हृदय में प्रगाढ़ स्नेह एवं सहानुभूति उत्पन्न हो गई है। परिवार के सभी सदस्यों को निरंतर अपनी दिनचर्या में लगे देखकर उसे आश्चर्यचकित प्रसन्नता होती है। उसे यह बात अजीब लग रही थी कि ‘उस घर का हरेक प्राणी एक-एक क्षण को जीना जानता है।” उक्त तथ्य वस्तुतः सराहनीय एवं अनुकरणीय प्रतीत हुआ।

इस प्रकार शमीम की समस्त संवेदनाएँ उस परिवार की विपन्नावस्था से जुड़ गई हैं।

प्रश्न 4.
‘शायर को उस वक्त मर जाना चाहिए, जब लोग उसे पसंद करते हों, दीवान हों।’ इस कथन के मर्म को अपने शब्दों में उद्घाटित करें।
उत्तर-
मेहरुन्निसा परवेज द्वारा लिखित “भोगे हुए दिन” शीर्षक कहानी से उधृत उपरोक्त वाक्य कटु सत्य पर आधारित है। प्रसंग है-शांदा साहब एक लब्धप्रतिष्ठ शायर हैं। एक समय था जब उनके लाखों प्रशंसक थे। श्रोतागण मंत्र मुग्ध होकर उनकी कविता पाठ को सुनते थे। एक-एक कविता को पुनः सुनाने के लिए आग्रः किया जाता था। श्रोताओं की तालियों से पूरा सम्मेलन स्थल गूंज उठता था। महाकवि इकबाल उनके समकालीन थे तथा शांदा साहब के घनिष्ठ मित्र थे। अनेकों कवि-सम्मेलनों एवं अन्य आयोजनों में दोनों व्यक्ति एक साथ सम्मिलित हुए थे।

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अनेकों प्रशस्ति पत्र एवं कवि इकबाल के साथ पत्राचार की एक लम्बी श्रृंखला थी तथा उन पत्रों से उनका बक्सा भरा हुआ था। उक्त पत्रों को बक्सा से निकाल कर वह शमीम को पढ़ने को देते हैं। कितने गौरवशाली रहे होंगे वे दिन। अब स्थिति यह है कि समय के थपेड़ों ने उन्हें अशक्त बना दिया है। वृद्धावस्था में अब वह ऊर्जा एवं सामर्थ्य नहीं है। योग्यता है, किन्तु ओजपूर्ण भाषा में सशक्त अभिव्यक्ति की क्षमता का ह्रास हो गया है। अतः अब न वह श्रोताओं और प्रशंसकों की भीड़ है और नहीं उक्त सम्मेलनों के लिए निमंत्रण।

इसी संदर्भ में शांदा साहब को लगता है कि शायर को अपने उत्कर्ष काल में ही मर जाना चाहिए। यदि वह दीर्घ काल तक जीवित रहता है, शारीरिक तथा मानसिक रूप से अशक्त हो जाता है तो गुमनामी के गहन अंधकार में लुप्त हो जायेगा। जीवित रहते भी वह मृतवत् हो जाता है। उसका मर जाना ही श्रेयस्कर है। अतः अपनी शोहरत के स्वर्णिम काल में ही उसे इस संसार से विदा ले लेनी चाहिए।

प्रश्न 5.
“हमलोग तो और नंगे हो गए हैं। बेटा मैंने अपनी इन आँखों से दो दौर देखे हैं।” इस कथन का आशय स्पष्ट करते हुए बताएं कि यहाँ किन दो दौरों की चर्चा है।
उत्तर-
मेहरुन्निसा परवेज लिखित “भोगे हुए दिन” शीर्षक कहानी एक शायर के जीवन का सजीव चित्रण है।

शायद जब तक सफलता के सोपान पर निरंतर चढ़ता हुआ प्रसिद्धि के शिखर पर अग्रसर होता जाता है तब तक वह अपने प्रशंसकों तथा श्रोताओं का चहेता बना रहता है। उस समय वह स्वप्न में भी नहीं सोचता कि कभी ऐसे भी दिन देखने पड़ेंगे जब वह ढेला के समान उस गौरवशाली स्थान से पृष्ठभूमि में जा पहुँचेगा। उपेक्षा तथा अनादर का दंश उसे झेलना पड़ेगा।

उपरोक्त परिस्थितियों को याद कर प्रतिक्रिया स्वरूप शायर शांदा साहब उद्विग्न होकर शमीम से अपने विगत जीवन के अनुभव का वर्णन कर रहे हैं। उनके जीवन में दो दौर आए हैं, दोनों में काफी विरोधाभास है। वस्तुतः दोनों में छत्तीस का सम्बन्ध है। एक दौर था उत्कर्ष का जब उन्हें बड़े-बड़े कवि सम्मेलनों में सादर आमंत्रित किया जाता था। उनके श्रोताओं और प्रशंसकों की संख्या लाखों में थी। उनकी शेरों (कविताओं) को सुनने के लिए लोग लालायित रहते थे। उस स्वर्णिम काल में शायर ने कभी स्वप्न में भी यह आशा नहीं की थी कि दुर्दिन की वह घड़ी उसका इन्तजार कर रही है जब वह अप्रासंगिक हो जाएगा तथा लोग उसे दूध की मक्खी की तरह निकाल कर गुमनामी के अंधकारपूर्ण धरातल पर ला देंगे।

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यही वह दूसरा दौर है जो बेहद दु:खद तथ दुर्भाग्यपूर्ण है। शोहरत की बुलंदियों पर सवार महान शायद शांदा साहब आज एक निरीह एवं निर्बल इंसान हो गए हैं, अब वह महफिलें नहीं सजर्ती, कवि सम्मेलन आयोजित होते हैं किन्तु शांदा उसमें शायरी पेश करने के लिए आमंत्रित नहीं किए जाते क्योंकि वह अब महत्त्वहीन हो चुके हैं। वे इन दोनों दौरों के प्रत्यक्ष गवाह बन गए हैं। .. अतः कवि की अन्तर्वेदना मुखरित हो जाती है तथा शांदा साहब जैसे महान कलाकार (शायर) को यह करने पर विवश करती है, ‘हमलोग तो और नंगे हो गए हैं। बेटा मैंने अपनी इन आँखों से दो दौर देखे हैं।” इस कटु-अनुभव के भुक्तभोगी केवल शांदा साहब की नहीं, वरन् उनके जैसी असंख्य प्रतिभाएँ और साधक हैं।।

प्रश्न 6.
“और मैं सोच रहा था-अगर आज इकबाल होते तो।” इस कथन का क्या अभिप्राय है? अगर आज इकबाल होते तो क्या होता? अपनी कल्पना से उत्तर दें।
उत्तर-
मेहरुन्निसा परवेज लिखित “भोगे हुए दिन” शीर्षक कहानी के एक पात्र शमीम अपने शहर से चलकर वयोवृद्ध, लब्ध प्रतिष्ठ शायर शांदा साहब से मिलने उनके शहर जाते हैं। शादा साहब के प्रति उनके मन में अगाध श्रद्धा है। वह शांदा साहब के मुशायरों में शरीक होता रहा है तथा स्वयं भी अपने शहर में उनके कार्यक्रम का उसने आयोजन किया है। इसलिए उनसे मिलने की तीव्र उत्कण्ठा लिए जब उनके घर पर पहुँचता है तो शांदा साहब काफी प्रसन्न होते हैं। शांदा साहब की प्रसिद्धि के प्रतिकूल उनके घर की दयनीय स्थिति देखकर वह चकित हो जाता है।

शायर साहब की धर्मपत्नी एक विधवा बेटी, एक नाती जावेद तथा नातिन सोफिया, यही उनका छोटा-सा परिवार है। अपने दो दिन वहाँ ठहरने के क्रम में शमीम को उनकी कष्टपूर्ण स्थिति का पूरा परिचय मिल गया। शांदा साहब के आय के श्रोत अपर्याप्त हैं। सौ रुपए सरकारी पेंशन, बेटी का उर्दू प्रामइरी स्कूल में अध्यापन द्वारा वेतन तथा घर के सामने की जमीन पर एक वृक्ष के नीचे जलावन की लकड़ी की छोटी-सी दूकान, जिसका तराजू पेड़ के नीचे टंगा है।

शांदा साहब वृद्ध एवं दुर्बल हो गए हैं। अब उनको कवि सम्मेलन में नहीं बुलाया जाता। वह गुमनामी के दौर से गुजर रहे हैं। जर्जर मकान, में किसी प्रकार गुजर-बसर कर रहे हैं। महाकवि इकबाल उनके विभिन्न मित्र थे। अक्सर साथ-साथ कवि गोष्ठियों में जाया करते थे। उनके बीच पत्राकार भी होता रहता था।

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अर्थाभाव से बच्चों की शिक्षा-दीक्षा समुचित ढंग से नहीं हो पा रही थी। जावेद एक विद्यालय में तीसरे वर्ग में पढ़ रहा है। सात वर्ष की सोफिया घर पर लकड़ी बेचती तथा घर के काम करती है। जावेद भी उसकी सहायता करता है। परिवार का प्रत्येक सदस्य गृहस्थी के काम में दिन-रात लगा हुआ है। कोई व्यक्ति एक क्षण भी नहीं बर्बाद करना चाहता।

शमीम साहब वहाँ दो दिन ठहरने के बाद, जब ताँगा पर सवार होकर वापिस लौट रहे थे तो उन्हें लकड़ी तथा तराजू के पास सोफिया बैठी दीख पड़ी। उस समय उनके हृदय में यह विचार आया कि अगर आज इकबाल होते तो……। शमीम इसी उधेड़बुन में थे कि यदि महाकवि इकबाल होते तथा इस पर घर की ऐसी परिस्थिति से अवगत होते तो उनपर इसकी क्या प्रतिक्रिया होती तथा वे क्या कदम उठाते।

मैं समझता हूँ कि यदि इकबाल जीवित होते तो शांदा की इस दयनीय स्थिति से निश्चित रूप से द्रवित हो जाते। वे शांदा के लिए सरकार तथा अन्य साहित्यिक संस्थाओं से आर्थिक सहायता के लिए प्रयत्न करते। साथ ही स्वयं भी उन्हें अपने स्तर पर समुचित सहयोग करते। जिससे बच्चों के पठन-पाठन सहित घर की अन्य समस्याओं का काफी हद तक समाधान हो सके।

एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि शमीम के मस्तिष्क में यह विचार तब उठा वह तांगा पर सवार स्टेशन की ओर जा रहा था। सोफिया को लकड़ी एवं तराजू के पास बैठे देखकर ही उनकी उक्त प्रतिक्रिया थी। इससे यह भी विचार बनता है कि जावेद तथा सोफिया के भविष्य निर्माण तथा उत्तम शिक्षा का प्रबंध महाकवि इकबाल द्वारा किया जाता। वे उनलोगों के भविष्य से खिलवाड़ होते देखना संभवतः पसंद नहीं करते।

प्रश्न 7.
कहानी के शीर्षक “भोगे हुए दिन” की सार्थकता पर विचार करें। [Board Model 2009(A)]
उत्तर-
किसी भी रचना का शीर्षक उसका द्वार है जिसे देखकर ही अन्दर जाने की इच्छा-अनिच्छा होती है। अगर द्वार आकर्षक है तो अन्दर झाँकने या अन्दर की बात जानने का लोभ स्वाभाविक रूप से उत्पन्न होता है। अतः रचना का शीर्षक आकर्षक होना अत्यावयक है। दूसरी बात है, उसकी संक्षिप्ततां और रचना के मूल भाव का संवहन करना।

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इस दृष्टि से हम पाते हैं कि कहानी का “भोगे हुए दिन” शीर्षक अत्यन्त उपयुक्त है। कहानी की कथावस्तु अपने उद्देश्य को परस्पर एक दूसरे में पिरोने में पूर्णतया सफल हुई। “भोगे हुए दिन” का आखिर तात्पर्य क्या है? कौन लोग हैं, जिनसे यह सम्बंधित है तथा उन लोगों का जीवन किन ऊबड़-खाबड़ पगडंडियों से होकर गुजरा, यह उत्सुकता अन्तस्तल में बनी रहती है। कहानी एक वयोवृद्ध शायर के अपने स्वर्णित अतीत एवं वर्तमान के अभाव और प्रतिकूल परिस्थितियों से संघर्ष एवं पराभव की गाथा। शायर की विधवा बेटी के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर भी दृष्टिपात करती है-यह कहानी।

अपने वैभवपूर्ण अतीत को भुलाकर वह अपने समक्ष उपस्थित विकराल समस्याओं का सामना धैर्य एवं साहस के साथ कर रही है। एक उर्दू प्राइमरी विद्यालय में वह अध्यापिका के पद पर है तथा परिवार की समस्याओं के समाधान में सक्रिय योगदान कर रही है। उसके दोनों बच्चे-जावेद एवं सोफिया भी प्रतिकूल परिस्थितियों में परिवार की समस्याओं के समाधान, अतीव सहनशीलता एवं लगन से कर रहे हैं।

इस प्रकार कहानी एक लब्धप्रतिष्ठा शायर के जीवन की गहराइयों में जाकर उनके जीवन के दोनों पहलुओं को उजागर करती है। अतः यह शीर्षक सभी दृष्टिकोणों से सार्थक तथा उपयुक्त है।

प्रश्न 8.
जावेद विद्यालय जाता है। पर सोफिया नहीं क्यों? क्या यह सही है? कहानी के संदर्भ में अपना पक्ष रखें।
उत्तर-
मेहरुन्निसा परवेज लिखित कहानी “भोगे हुए दिन” में कहानीकार ने सफल ढंग से एक मध्यवर्गीय मुस्लिम परिवार एवं परिवार के मुखिया एक शायर के जीवन का चित्रण किया कभी शान-शौकत और शोहरत की जिन्दगी जी रहे शायर शांदा साहब के जीवन में एक समय ऐसा भी आता है। जब वे अभाव का जीवन जीने को अभिशप्त (विवश) हैं। बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होना स्वाभाविक है। ऐसी स्थिति में शांदा साहब के नाती जावेद तथा नतिनी सोफिया की समुचित शिक्षा नहीं हो पा रही है।

जावेद पढ़ने के लिए विद्यालय जाता है, किन्तु सोफिया नहीं जाती है। इसका मूल कारण घर की दयनीय आर्थिक स्थिति है।

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जावेद तथा सोफिया इन दोनों के साथ भेदभाव के एकाधिक कारण हो सकते हैं। पहला कारण यह है कि जावेद लड़का है और सोफिया लड़की। पुरुष प्रधान समाज में लड़कों को लड़कियों से अधिक महत्व दिया जाता है, विशेषकर मुस्लिम समाज में।

दूसरा कारण परिवार भी आर्थिक स्थिति भी हो सकती है। दोनों की शिक्षा पर व्यय करने ‘ की अक्षमता, विवशता का कारण प्रतीत होती है। तीसरा कारण जलावन लकड़ी की एक दूकान, जिसको चलाने के लिए अधिकांश समय तक सोफिया ही रहती है जिससे उनका जीवकोपार्जन होता है। साथ ही घर के अन्य कार्यों-बर्तन की सफाई आदि का गृहकार्य भी उस सात वर्षीय बालिका को करना पड़ता है।

उपरोक्त कारणों से ही संभवत: जावेद विद्यालय जाता है, किन्तु सोफिया नहीं जाती है।

प्रश्न 9.
‘भोगे हुए दिन’ कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर-
संकेत-कहानी का सारांश के लिए पाठ का सारांश देखें।

प्रश्न 10.
“सात साल की लड़की को भी समय ने कितना निपुण बना दिया था।” इस पंक्ति की प्रसंगत व्याख्या करें।
सप्रसंग व्याख्या-
प्रस्तुत सारगर्भित पंक्ति हमारे पाठ्य-पुस्तक “दिगन्त’ भाग-1 में संकलित ‘भोगे हुए दिन’ शीर्षक कहानी से उद्धृत हैं। विदुषी लेखिका मेहरुन्निसा परवेज द्वारा लिखित उपर्युक्त गद्यांश में एक सात वर्षीय बालिका सोफिया की लगन तथा गृह कार्यों में तन्मतया का वर्णन है।

सोफिया शायर शादा साहब की नतिनी (बेटी की बेटी) है। शांदा साहब पहले एक प्रतिष्ठित शायर थे, लेकिन अब उनकी आर्थिक स्थिति संतोषप्रद नहीं है। गृहस्थी के लिए अपर्याप्त आय के कारण घर के समस्त कार्य परिवार के सदस्यों को ही निपटाना होता है, सोफिया को विद्यालय पढ़ने के लिए नहीं भेजा जाता है। वह घर के सारे कार्य करती है। इतना ही नहीं, घर के आगे एक पेड़ के नीचे जलावन की लकड़ी की एक दुकान, आय के साधन के रूप में, शांदा साहब ने खोला है। सोफिया उस दुकान को भी चलती है।

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इस प्रकार सात वर्षीय वह लड़की इतनी निपुण हो गई, जितना एक वयस्क व्यक्ति हो सकता है। उसकी यह निपुणता वस्तुतः प्रशंसनीय तो है ही, विस्मित करने वाला भी है। इस प्रकार कहानीकार ने प्रस्तुत पंक्ति द्वारा यह बताने का प्रयास किया है कि समय के थपेड़े तथा सतत् अभ्यास, अल्पवयस्क को भी प्रवीण बना देता है।

प्रश्न 11.
“इस घर का हरेक प्राणी एक-एक क्षण को जीना जानता है।” इस कथन का क्या अर्थ है, स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्ति मेहरुन्निसा परवेज द्वारा लिखित कहानी “भोगे हुए दिन” शीर्षक कहानी में एक प्रतिष्ठित शायर शांदा साहब के पारिवारिक जीवन का वर्णन है।

लब्ध-प्रतिष्ठित वयोवृद्ध शायर शांदा साहब की आर्थिक स्थिति संतोषप्रद नहीं है। गृहस्थी की व्यवस्था “येन-केन-प्रकारेण’ चल रही है। परिवार का हर सदस्य अपना उत्तरदायित्व बखूबी निभा रहा है।

शायर साहब से मिलने के लिए एक यहाँ नावागंतुक शमीम आए हैं। वे शायर साहब के बहुत बड़े प्रशंसक रहे हैं। वे शायर की शोहरत एवं लोकप्रियता से काफी प्रभावित थे। वे समझते थे कि प्रसिद्धि के अनुकूल शांदा साहब की हैसियत भी होगी, लेकिन यहाँ आने पर उनकी विपन्नता देखकर उन्हें काफी आश्चर्य एवं निराशा हुई। उन्होंने यह भी पाया कि परिवार का हर सदस्य एक-एक क्षण का सदुपयोग कर रहा है, समय नष्ट नहीं करना चाहता।

शायर की पत्नी दिनभर गृहस्थी के काम में व्यस्त रहती है। उनकी विधवा पुत्री एक उर्दू प्राइमरी स्कूल में अध्यापिका है तथा प्राइवेट ट्यूशन भी कर लेती है। उसका लड़का जावेद विद्यालय में तीसरा वर्ग का छात्र है, सात वर्षीय पुत्री सोफिया घर के सामने की खुली जगह पर पेड़ के नीचे जलावन की लकड़ी रखकर बेचती है। दोनों बच्चे इसके अतिरिक्त घर के अन्य-कार्यों में भी सहयोग करते हैं।

यह देखकर शमीम को आश्चर्य तथा प्रसन्नता दोनों प्रकार के भाव आते हैं तथा वे सोचने लगते हैं कि इस परिवार का हरेक सदस्य अपने कार्य में व्यस्त है और एक क्षण भी खोना नहीं चाहता है।

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प्रश्न 12.
“तराजू के एक पल्ले पर धूप थी, दूसरे में आम की परछाई पड़ी थी। आम की परछाई वाला पल्ला नीचे था, मानो धूप और परछाई दोनों से तौला जा रहा हो।” यह एक बिंब है। इसका अर्थ शिक्षक की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ मेहरुन्निसा परवेज लिखित “भोगे हुए दिन” शीर्षक कहानी से उद्धत इन पक्तियों में विद्वान कहानीकार मेहरुन्निसा परवेज ने सफलतापूर्वक जीवन के दोनों पहलुओं-सम्पन्नता एवं विपन्नता सुख-दुख को बड़े मनोवैज्ञानिक ढंग से चित्रित किया है। जीवन में सुख और दुःख, धूप-छाँव की भाँति आते-जाते हैं।

उपर्युक्त पंक्तियों के द्वारा कहानीकार यह कहना चाहते हैं कि सुप्रसिद्ध शायर शांदा साहब के जीवन में सुख और दुख दोनों प्रकार के दिन आए हैं, अपनी युवावस्था उन्होंने प्रसिद्धि एवं समृद्धि के सुख में व्यतीत किए हैं। वर्तमान में वृद्ध एवं दुर्बल शायर-आर्थिक विपन्नता एवं अभाव के दौर से गुजर रहे हैं। इस प्रकार प्रतीकात्मक ढंग से कहानीकार ने कहानी में अपने भाव व्यक्त किए हैं। शमीम शायर साहब ने मिलने आता है। दरवाजे के सामने के पेड़ पर तराजू टंगा है, उसका एक पलड़ा धूप में है और ऊपर की ओर उठा हुआ है। दूसरा पलड़ा छाँव में झुका हुआ है छाँव में झुका हुआ पलड़ा शायर साहब के समृद्धिशाली दिनों का प्रतिनिधित्व करता है तथा धूप मे ऊपर की ओर उठा हुआ पलड़ा उनके अभावों के वर्तमान दौर को प्रतिबिम्बित करता है।

इस प्रकार यह एक बिम्ब है जिसका प्रयोग कहानीकार ने बड़े ढंग से किया है।

भोगे हुए दिन भाषा की बात प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित वाक्यों में मिश्र वाक्य और संयुक्त वाक्य चुनें तथा उन्हें सरल वाक्य में बदलें
(क) जावेद मेरे सामने से निकला और लड़की के पास गया।
(ख) मैंने देखा, पीछे की दालान सूनी है।
(ग) मेरा एक शागिर्द है, जम्मू में, बेचारा वही भेजता रहता है।
(घ) जावेद अंदर चला गया, लौटा तो गेहूँ का पीपा उठाए आया।
उत्तर-
(क) जावेद मेरे सामने से निकला और लड़की के पास गया। संयुक्त वाक्य सरल वाक्य-जावेद मेरे सामने से निकलकर लड़की के पास गया।
(ख) मैंने देखा, पीछे की दालान सूनी है।-मिश्र वाक्य सरल वाक्य-मैंने पीछे की सूनी दालान को देखा।
(ग) मेरा एक शागिर्द है, जम्मू में, बेचारा वही भेजता रहता है।-मिश्र वाक्य सरल वाक्य-जम्मू में रहने वाला मेरा एक शागिर्द भेजता रहता है।
(घ) जावेद अंदर चला गया, लौटा तो गेहूँ का पीपा उठाए आया।-मिश्र वाक्य सरल वाक्य-जावेद अंदर से गेहूँ का पीपा उठाए लौट आया।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्य-प्रयोग द्वारा अर्थ स्पष्ट करें गहरी साँस लेना, नंगा होना, गला भर आना, करवटें बदलना।
उत्तर-
नंगा होना (बेआबरू होना)-आज सबके सामने कर्ज के पैसे मांग कर तूने मुझे नंगा कर दिया।

गला भर आना (भाव विहल होना)-बेटे के दूर जाने के समय माँ का गला भर आया। करवटें बदलना (बैचेनी होना)-भय और चिन्ता के मारे वे सारी रात करवटें बदलते रहे।

आँखें मूंदना (ध्यान न देना, मर जाना)-उसे सिगरेट पीता देख मैंने आँखें मूंद ली। बचपन में ही उसके पिता ने आँखें मूंद ली थीं।

हाथ मिलाना (दोस्ती करना)-आज-कल मोहन और सोहन ने हाथ मिला लिया है।

प्रश्न 3.
इस पाठ से मुहावरों का सावधानी से चयन करें और उनका स्वतंत्र वाक्यों में प्रयोग करें।
उत्तर-
प्रश्न संख्या 2 के उत्तर देखें।

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प्रश्न 4.
पाठ से अव्यय शब्दों का चुनाव करें और उनका स्वतंत्र वाक्यों में प्रयोग करें।
उत्तर-
‘भोगे हुए दिन’ पाठ में प्रस्तुत कुछ अव्यय शब्दों के उदाहरण और उनका वाक्यगत प्रयोग निम्नलिखित हैं अब-शांदा साहब का समय अब ठीक नहीं रहा। नीचे-चौकी के नीचे बिल्ली बैठी है।

और-राम और श्याम पढ़ने गये। अरे-अरे ! यह क्या हो गया। पास-मेरे पास कुछ नहीं है।

अक्सर-अक्सर राम और श्याम में झगड़ा होता रहता है। ऊपर-रहीम छत के ऊपर गया है। कि-उसने देखा कि वहाँ कोई नहीं है। फिर-मोहन के जाने के बाद फिर क्या हुआ? बाहर-वह घर से बाहर निकला। अंदर-इस मकान के अंदर चोर घुसा है। सामने-सिपाही के सामने चोर को बोलने की हिम्मत नहीं हुई। लेकिन-वह चाहता तो बोलता, लेकिन उसे मौका ही न मिला। वहीं-वहीं पर लाठी पड़ा था।

अन्य महत्त्वपर्ण प्रश्नोत्तर

भोगे हुए दिन लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
“भोगे हुए दिन” का वातावरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर-
“भोगे हुए दिन” वातावरण प्रधान कहानी है। इसमें शांदा साहब के विपन्न परिवेश का मार्मिक चित्रण है। मरम्मत के बिना शांदा साहब की ही भाँति बूढ़ा और निस्तेज होता बड़ा सा घर आय के लिए नाती और नतनी सहित शांदा साहब द्वारा लकड़ी बेचना, विधवा पुत्री द्वारा स्कूल में पढ़ाने के बाद बचे समय में देर रात तक ट्यूशन पढ़ाकर कुछ अधिक आय करना, बच्चों के मैले कपड़े, साधारण रसोई घर तथा गुसलखाना ये सब पुकार-पुकार कर घर के आर्थिक अभाव की कहानी कह रहे हैं। स्वयं शांदा साहब की बातों से उनकी गरीबी और बुढ़ापा से उत्पन्न उदासी भरी जिन्दगी का बोध होता है।

प्रश्न 2.
शांदा साहब के दुःख पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
शांदा साहब के तीन दुःखों का वर्णन लेखिका ने किया है। प्रथम यह कि वे बूढ़े हो गये हैं। उनको सहारा देने वाला कोई युवा हाथ नहीं है। मात्र एक विधवा पुत्री है। वह भी मास्टरी और ट्यूशन के सहारे अपने दो बच्चों को लेकर संघर्ष कर रही है। दूसरा दुःख है कि गरीबी से लड़ने का पुख्ता प्रबंध उनके पास नहीं है जिसके बल पर वे बेसहारा बुढ़ापे मुकाबला करते। इन दोनों से बड़ा तीसरा दुःख है न पूछे जाने का। एक जमाने में अपनी शायरी का जलवा दिखाने वाले, अच्छे-अच्छे शायरों की गलतियाँ ठीक करने वाले और और इकबाल जैसे बड़े शायर के घनिष्ठ शांदा साहब आज जीते जी इतने अप्रासंगिक हो गये हैं कि नयी पीढ़ी के शायर उनका नाम तक नहीं जानते। तभी तो वे कामना करते हैं कि शायर को तभी मर जाना चाहिए जब लोग उसे पसंद करते हों, दीवाने हों।

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भोगे हुए दिन अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
शांदा साहब से शमीम का क्या रिश्ता है?
उत्तर-
एक मुशायरे में शांदा साहब को शमीम ने अपने यहाँ टिकाया बुजुर्ग समझकर। इसी अवसर के कारण परिचय हुआ जो आत्मीयता पूर्ण सम्बन्ध में बदल गया।

प्रश्न 2.
शांदा साहब के मकान की दशा कैसी है?
उत्तर-
शांदा साहब का मकान पुराना है, बेमरम्मत है। उसे देखने पर लगता है कि अजीव तरह की उदासी ने उसे घेरे रखा है।

प्रश्न 3.
शमीम कौन है?
उत्तर-
शमीम जंगदलपुर का रहने वाला है। वह भी संभवत, शायर है, युवा शायर। वह शांदा साहब से परिचित है और आदर करता है।

प्रश्न 4.
शांदा साहब कैसे शायर हैं?
उत्तर-
शांदा साहब हिन्दुस्तान के पुराने शायरों में से हैं। मुशायरे में उनके नाम से लोग जमा हो जाते थे। वे और इकबाल एक-दूसरे के घनिष्ठ थे। वे उच्च कोटि के शायर हैं।

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प्रश्न 5.
फातिमा कौन है?
उत्तर-
फातमा शांदा साहब की विधवा पुत्री है जो पति के मरने के बाद अपने बच्चों के साथ पिता के पास रहती है, वह एक स्कूल शिक्षिका है।

प्रश्न 6.
शांदा साहब सन्दूक में से क्या निकाल कर शमीम को दिखाते हैं।
उत्तर-
उसमें इकबाल साहब द्वारा शांदा साहब को लिखे गये पत्र थे जो दोनों की घनिष्ठता और आत्मीयता को व्यक्त करते हैं।

प्रश्न 7.
शांदा साहब क्यों मर जाना चाहते हैं?
उत्तर-
शांदा साहब जीवित हैं मगर उनकी पूछ समाप्त हो गयी है, नयी पीढ़ी उनका नाम। तक नहीं जानती। अपने शहर नागपुर के मुशायरे में भी लोग उन्हें नहीं बुलाते हैं। इसलिए वे मर जाना चाहते हैं। वस्तुत शांदा साहब अपने जीवन से बहुत निराश हैं।

प्रश्न 8.
भोगे हुए दिन नामक कहानी की लेखिका कौन हैं?।
उत्तर-
भोगे हुए दिन नामक कहानी की लेखिका मेहरून्निसा परवेज हैं।

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प्रश्न 9.
जावेद और सोफिया कौन हैं?
उत्तर-
जावेद और सोफिया शांदा साहब की विधवा पुत्री फातिमा के पुत्र और पुत्री हैं।

प्रश्न 10.
सोफिया स्कूल क्यों नहीं जाती है?
उत्तर-
सोफिया एक मुस्लिम परिवार की लड़की है। इसमें परदा-प्रथा लागू है। साथ ही उसके परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं जिससे कि पढ़ाई का खर्च पूरा हो सके। इसीलिए सोफिया स्कूल नहीं जाती है।

प्रश्न 11.
फातिमा कौन थी?
उत्तर-
फातिमा शांदा साहब की विधवा पुत्री थी, जो एक शिक्षिका भी थी।

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प्रश्न 12.
2005 ई. में भारत के राष्ट्रपति द्वारा लेखिका मेहरून्निसा परवेज को कौन-सा पुरस्कार दिया गया था?
उत्तर-
2005 ई. में भारत के राष्ट्रपति द्वारा लेखिका मेहरून्निसा परवेज को पद्मश्री का पुरस्कार दिया गया था।

भोगे हुए दिन वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

I. निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ

प्रश्न 1.
‘भोगे हुए दिन’ के लेखिका हैं
(क) मेहरुन्निसा परवेज
(ख) कृष्णा सोवती
(ग) महादेवी वर्मा
(घ) सुभद्रा कुमारी ‘चौहान’
उत्तर-
(क)

प्रश्न 2.
मेहरुन्निसा परवेज का जन्म हुआ था।
(क) 10 सितम्बर, 1944
(ख) 9 अगस्त, 1942
(ग) 15 जुलाई, 1931
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क)

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प्रश्न 3.
मेहरुन्निसा जन्मस्थान था
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) बिहार
(ग) झारखंड
(घ) मध्यप्रदेश
उत्तर-
(घ)

प्रश्न 4.
चरारे शरीफ में हिंसा के समय मिशन की सांप्रदायिक सद्भाव यात्रा में कहाँ गईं?
(क) पूर्वी पाकिस्तान
(ख) कश्मीर
(ग) नोआ खाली
(घ) लाहौर
उत्तर-
(ख)

प्रश्न 5.
2005 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा कौन सम्मान प्राप्त हुआ?
(क) पद्मश्री
(ख) साहित्य सम्मान
(ग) विशिष्ट सम्मान
(घ) इनमें से सभी
उत्तर-
(क)

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प्रश्न 6.
मेहरुन्निसा कौन-सी त्रैमासिक पत्रिका का संपादन किया?
(क) समर लोक
(ख) कारेजा
(ग) सोने का बेसर
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क)

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 1.
इनके पिता का नाम…………था।’
उत्तर-
ए० एच० खान।

प्रश्न 2.
कोरजा उपन्यास पर उ०प्र० हिन्दी संस्थान का……….सम्मान प्राप्त हुआ?
उत्तर-
साहित्य भूषण।

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प्रश्न 3.
उनकी दृष्टि…………और मानवीय होती है।
उत्तर-
समाजशास्त्रीय।

प्रश्न 4.
प्रस्तुत कहानी………..से ली गई है।
उत्तर-
मेरी बस्तर की कहानियाँ।

प्रश्न 5.
मेहरुन्निसा परवेज लिखित ‘भोगे हुए दिन’ शीर्षक कहानी में एक शायर के जीवन का………….चित्रण है।
उत्तर-
मार्मिक।

प्रश्न 6.
वस्तुतः जावेद तथा सोफिया, दोनों ही…………..के पात्र हैं।
उत्तर-
प्रशंसा एवं सहानुभूति।

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प्रश्न 7.
भोगे हुए दिन कहानी में शांदा. साहब द्वारा……………का सफल चित्रण किया गया है।
उत्तर-
वास्तविकता से उपजी पीड़ा।

प्रश्न 8.
शमीम की समस्त संवेदनाएँ उस परिवार की………..से जुड़ गई है।
उत्तर-
विपन्नावस्था।

प्रश्न 9.
समय के थपेड़े तथा सतत अभ्यास, अल्प वयस्क को भी…………..बना देता है।
उत्तर-
प्रवीण।

प्रश्न 10.
जीवन में सुख और दुःख…………की भाँति आते हैं।
उत्तर-
धूप और छाँव।

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प्रश्न 11.
सोफिया का स्कूल नहीं जाना उसकी…………का परिचायक है।
उत्तर-
आर्थिक दशा।

भोगे हुए दिन लेखक परिचय – मेहरुन्निसा परवेज (1944)

हिन्दी की आधुनिक लेखिकाओं में मेहरुन्निसा परवेज एक महत्त्वपूर्ण नाम है। इसका जन्म मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के ‘बहला’ में 10 दिसम्बर, 1944 ई. को हुआ था। इनके पिता का नाम ए. एच. खान है। मेहरुन्निसा परवेज को हिन्दी-उर्दू के अतिरिक्त मध्यप्रदेश की विवध बोलियों-हलबी, बुंदेलखंडी, छत्तीसगढ़ी, मालवी आदि की भी अच्छी-खासी जानाकरी है। सामाजिक कार्यों के प्रति इनकी आरम्भ हो ही अभिरुचि रही है और इन्होंने बस्तर के आदिवासियों और शोषित दलित जातियों-समुदायों की तेहतरी के लिए लेखन तथा अन्य गतिविधियों में विशेष सक्रियता दिखायी है। ये 1995 ई. में चरारे शरीफ में हिंसा के समय गाँधी शांति मिशन की सांप्रदायिक सद्भावना यात्रा में कश्मीर गईं। लंदन, फ्रांस, रूस आदि की साहित्यिक-सामाजिक यात्राओं और सम्मेलनों में भी इनकी उल्लेखनीय एवं सराहनीय सहभागिता रही है।

समसामयकि महिला कथाकारों के बीच मेहरुन्निसा की विशिष्ट पहचान है। वे सामाजिक-साहित्यिक गतिविधियों के साथ-साथ लेखन में भी निरंतर ……….. रहती हैं। उनके कथा साहित्य में यूँ तो मुस्लिम मध्यवर्ग के जीवन के विश्वसनीय अंतरंग चित्र मिलते ही हैं, परन्तु जैसे-जैसे उनके अनुभवों का दायरा बढ़ता गया और पर्यवेक्षण का विस्तार होता गया है, वैसे-वैसे उसमें मध्यवर्ग और नारी समस्या के अतिरिक्त अन्य विषयों से जुड़ी विविधाएँ भी आती गईं हैं। वे अपने विषय पात्र और परिवंश पर खोजी निगाह रखती हैं। उनकी रचनाओं में यद्यपि उच्छल भावुकता नहीं होती. पर भावना की ताकत यथार्थबोधे से उपजी समझ के कठोर संयम के कारण रचना के दायरे में ही रूपांतरित होकर एक ऐसी ऊर्जा में बदल जाती है कि पाठक को गहरी तृप्ति अथवा अतृप्ति की अनुभूति होने लगती है और इसी अर्थ में उनका साहित्य समय के निहायत जरूरी संवाद और संप्रेषण का साहित्य हो जाता है।

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मेहरुन्निसा अब भी निरन्तर लिख रही हैं और अभी उनसे हिन्दी संसार को एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट रचनाओं की आशा और अपेक्षा है। उनकी अब तक की प्रकाशित कृतियों में प्रमुख हैं-आँखों की दहलीज, उसका धार, कोरजा, अकेला पलाश, समरांगण, पासंग (उपन्यास), आदम और हव्वा, टहनियों पर धूप, गलत पुरुष, फाल्गुनी, अंतिम चढ़ाई, सोने का बेसर, अयोध्या से वापसी, ढहता कुतुबमीनार, रिश्ते, कोई नहीं, समर, लाल गुलाब, मेरी बस्तर की कहानियाँ (कहानी-संग्रह) आदि। मेहरुन्निसा ने लेखन के अतिरिक्त ‘समरलोक’ त्रैमासिक पत्रिका का संपादन भी किया है तथा ‘लाजो बिटिया’ जैसी टेलीफोन एवं ‘वीरांगना रानी अवंतीबाई’ नामक धारावाहिक का निर्माण एवं निर्देशन भी किया है। अपनी उल्लेखनीय साहित्यिक उपलब्धियों के लिए वे 1995 ई. में लंदन में आयोजित विश्व हिन्दी सम्मेलन में विशिष्ट सम्मान, 2003 ई. में ‘भारत भाषा भूषण’ सम्मान तथा 2005 ई. में भारत के राष्ट्रपति द्वारा ‘पदमश्री’ अलंकरण से . सम्मानित-पुरस्कृत हो चुकी हैं।

भोगे हुए दिन पाठ का सारांश

मेहरुन्निसा परवेज लिखित “भोगे हुए दिन” शीर्षक कहानी में एक शावर के जीवन का ‘मार्मिक चित्रण है। उसमें मानव-जीवन के अनेक पहलुओं को अत्यन्त कुशल ढंग से प्रस्तुत किया गया है। जीवन के उतार चढ़ाव को इस कहानी में सफलतर पूर्वक उकेरा गया है। लेखिका ने ‘समाज की विसंगतियों एवं लोगों की मानसिकता का सशक्त एवं सजीव मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है। इस कहानी द्वारा लेखिका की विद्धता तथा समाज के अनछुए पहलुओं को उद्घाटित करने की क्षमता का अपूर्व परिचय मिलता है।

कहानी शांदा साहब नामक एक जाने जाने (प्रसिद्ध वयोवृद्ध शायर के मकान से प्रारम्भ होती है। शायर साहब समय की मार के साक्षी हैं। कभी वह महाकवि इकबाल के मित्रों में थे तथा उनके साथ बड़े-बड़े मुशायरों में सादर आमंत्रित किए जाते थे। किन्तु अब वे पूर्णतः उपेक्षित जीवन बिता रहे हैं। उनकी धर्म पत्नी, एक विधवा बेटी तथा एक नाती एवं एक नतनी का छोटा परिवार है। जीर्णशीर्ण मकान में एकान्तवास का जीवन, जीविकोपार्जन के लिए अपर्याप्त आमदनी तथा दयनीय स्थिति उनकी नियति बन गई है।

शांदा साहब के प्रशंसक शमीम जब दूसरे शहर से उनसे मिलने आते हैं तो उनकी प्रसिद्धि के विपरीत घर की स्थिति देखकर स्तब्ध रह जाते हैं। उनके घर के सामने एक पेड़ के नीचे उनकी जलावन की लकड़ी की दुकान है, उनकी बेटी एक उर्दू प्राइमरी स्कूल में अध्यापिका है, उन्हें सरकार की ओर से सौ रुपये पेंशन मिलती है। इन्हीं पैसों से घर का खर्च चलता है। वर्तमान समाज की स्वार्थपरता तथा अपनी उपेक्षा का विषाद उनके उद्गारों में स्पष्ट प्रतिबिम्बित होता है। उनकी व्यथा की झलक निम्नोक्त पंक्तियों में मिलती है, “हमलोग तो और नंगे हो गए हैं, बेटा मैंने अपनी आँखों से दो दौर देखे हैं।” अपने स्वर्णिम अतीत को याद कर वे उद्धिग्न हो जाते हैं क्योंकि अब वे अप्रासंगिक हो गए हैं।

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शमीम साहब की उनकी नतिनी सोफिया के प्रति असीम सहानुभूति है। उन्हें इस बात का दुःख है कि सात बरस की वह लड़की विद्यालय पढ़ने नहीं जाती, लकड़ी की दुकान पर बैठती है तथा घर का काम करती है।

इस प्रकार शांदा साहब की पीड़ा शमीम को उद्विग्न कर देती है जो उसके वहाँ से लौटते समय स्पष्ट झलकती है।

इस कहानी द्वारा विदुषी कहानीकार ने मनुष्य की स्वार्थपरता का भी सफल चित्रण किया है, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण शांदा साहब स्वयं हैं। किसी व्यक्ति का मान सम्मान एवं यशः गान, आज के युग में उसकी उपयोगिता के आधार पर ही दिया जाता है। कहानीकार अपने इस प्रयास में पूर्ण सफल हुई है।

भोगे हुए दिन कठिन शब्दों का अर्थ

बासी-जो ताजा न हो। बरखुरदार-खुशनसीब, बेटा। दालान-बरामदा। ‘ बावर्चीखाना-रसोईघर। जाफरी-बाँस या लकड़ी से बनी हुई टट्टी। मुशायरा-कवि सम्मेलन। तखत-चौकी। खाला-मौसी। गुसलखाना-स्नान घर। निपुण-दक्ष। उस्ताद-गुरु। शागिर्द-शिष्य, चेला। पेबंद-वह टुकड़ा जिससे कपड़े के छेद को ढंका जाए। अफसोस-दुःख। स्तब्ध-भौंचक्का। सूराख-छेद। चट्टी-सस्ती चप्पल। वजीफा-पेंशन। गुलदान-वह पात्र जिसमें तरह-तरह के फूल सजाए जाते हैं।

भोगे हुए दिन महत्त्वपूर्ण पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या

1. “सात साल की लड़की को भी समय ने निपुण बना दिया था” इस पंक्ति की संप्रसंग व्याख्या करें।
उत्तर-
व्याख्या-प्रस्तुत पंक्तियाँ पाठ्य पुस्तक ‘दिगन्त’ के ‘भोगें हुए दिन’ शीर्षक कहानी से उद्धृत हैं। विदुषी लेखिका (कहानीकार) मेहरुन्निसा परवेज द्वारा लिखित उपरोक्त गद्यांश में एक सात वर्ष की बालिका सोफिया की लगन तथा गृहकार्यों में तन्मयता का वर्णन है।

सोफिया शायर शांदा साहब की नतिनी है। शांदा साहब एक प्रतिष्ठित शायर हैं, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति संतोषप्रद नहीं है। गृहस्थी के लिए अपर्याप्त आय के कारण घर के समस्त कार्य परिवार के सदस्यों को ही निपटाना होता है, सोफिया को स्कूल पढ़ने के लिए नहीं भेजा जाता है। वह घर के सारे कार्य करती है। इतना ही नहीं घर के आगे एक पेड़ के नीचे जलावन-लकड़ी की एक दूकान, आय के साधन के रूप में; शांदा साहब ने खोला है। सोफिया उस दूकान को भी चलाती है।

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इस प्रकार सात वर्षीय वह लड़की इतनी निपुण हो गई है, जितना एक व्यस्क व्यक्ति हो सकता है। उसकी यह निपुणता वस्तुतः प्रशंसनीय तो है ही, विस्मित करने वाला भी है। इस प्रकार कहानीकार ने उक्त पक्ति द्वारा यह बताने का प्रयास किया है। समय के थपेड़े तथा सतत् अभ्यास, अल्पवयस्क को भी प्रवीण बना देता है।

2. “इस घर का हरेक प्राणी एक-एक क्षण को जीना जानता है, “इस कथन का क्या अर्थ है, स्पष्ट करें।
उत्तर-
मेहरुन्निसा परवेज लिखित कहानी “भोगे हुए दिन” शीर्षक कहानी में एक प्रतिष्ठित शायर शांदा साहब के पारिवारिक जीवन का वर्णन है।

वयोवृद्ध शायर की आर्थिक स्थिति संतोषप्रद नहीं है। गृहस्थी की व्यवस्था “येन केन-प्रकारेण” चल रही है। परिवार का हर सदस्य अपना उत्तरदायित्व बखूबी निभा रहा है। . शायर के यहाँ नवागंतुक शमीम उनसे मिलने आए हैं। वे शायर के प्रशांसक रहे हैं। वे शायर की शोहरत एवं लोकप्रियता से काफी प्रभावित थे। वे समझते थे कि पर उनकी विपन्नता देखकर उन्हें काफी आश्चर्य एवं निराशा हुई। उन्होंने यह भी पाया कि परिवार का हर सदस्य एक-एक क्षण का सदुपयोग कर रहा है, समय नष्ट नहीं करना चाहता। शायर की पत्नी दिनभर गृहस्थी के काम में व्यस्त रहती हैं। उनकी विधवा पुत्री एक उर्दू प्राइमरी स्कूल में अध्यापिका हैं तथा प्राइवेट ट्यूशन भी कर लेती हैं। उसका लड़का जावेद विद्यालय में तीसरा वर्ग का छात्र है, सात वर्षीय पुत्री सोफिया घर के सामने की खुली जगह पेड़ के नीचे जलावन की लकड़ी रखकर बेंचती है। दोनों बच्चे इसके अतिरिक्त घर के अन्य-कार्यों में भी सहयोग करते हैं।

यह देखकर शमीम को आश्चर्य तथा प्रसन्नता दोनों प्रकार के भाव आते हैं तथा वे सोचने लगते हैं कि उस परिवार का हरेक सदस्य अपने कार्य में व्यस्त है और एक क्षण भी खोना नहीं चाहता है।

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3. “तराजू के एक पल्ले पर धूप थी, दूसरे में आम की परछाई पड़ी थी। आम की परछाई वाला पल्ला नीचे था, मानो धूप और परछाई दोनों से तौला जा रहा हो।” वह एक बिंब है। इसका अर्थ शिक्षक की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
मेहरुन्निसा परवेज लिखित “भोगे हुए दिन” शीर्षक कहानी से उद्धृत इन पंक्तियों में कहानीकार ने सफलतापूर्वक जीवन के दोनों पहलुओं-सम्पन्नता एवं विपन्नता को बड़े मनोवैज्ञानिक ढंग से चित्रित किया है। जीवन में सुख और दु:ख धूप और छाँव की भाँति आते हैं।

उपरोक्त पंक्तियों में कहानीकार का आशय यह है कि सुप्रसिद्ध शायर शांदा साहब के जीवन में दोनों प्रकार के दिन आए हैं, अपनी युवावस्था उन्होंने प्रसिद्धि एवं समृद्धि के सुखद दिनों में व्यतीत किए हैं। वर्तमान में वृद्ध एवं दुर्बल शायर-आर्थिक विपन्नता एवं अभाव के दौर से गुजर रहे हैं। इस प्रकार प्रतीकात्मक ढंग से कहानीकार ने कहानी में अपने भाव व्यक्त किए हैं। शमीम शायर साहब से मिलने आता है। दरवाजे के सामने के पेड़ पर तराजू टंगा है, उसका एक पलड़ा पर आम के पेड़ की छाया पड़ रही है तथा वह नीचे की ओर झुका हुआ है जबकि दूसरा पलड़ा धूप में है और ऊपर की ओर उठा हुआ है। छाँव में झुका हुआ पलड़ा शायर के समृद्धिशाली दिनों का प्रतिनिधित्व करता है तथा धूप में ऊपर की ओर उठा हुआ पलड़ा उनके अभावों के वर्तमान दौर को प्रतिबिम्बित करता है।

इस प्रकार यह एक बिम्ब है जिसका प्रयोग कहानीकार ने बड़े कुशल ढंग से किया है।

4. जावेद पढ़ने के लिए स्कूल जाता है, किन्तु सोफिया नहीं जाती है। इसके लिए लेखक ने किन-किन कारणों का उल्लेख किया है स्पष्ट करें। [B.M. 2009(A)]
उत्तर-
लेखक ने पहला कारण शांदा साहब की आर्थिक स्थिति को माना है और जावेद लड़का है और सोफिया लड़की। पुरुष प्रधान समाज में लड़कों को लड़कियों से अधिक महत्व दिया जाता है, विशेषकर मुस्लिम समाज में। दूसरा कारण परिवार की आर्थिक स्थिति है दोनों की शिक्षा पर व्यय करने की अक्षमता, विवशता का कारण प्रतीत होती है।

तीसरा कारण जलावन लकड़ी की दूकान, जिसको चलाने के लिए अधिकांश समय तक सोफिया ही रहती है जिससे उनका जीविकोपार्जन होता है। साथ ही घर के अन्य कार्यों-बर्तन की सफाई आदि का गृह कार्य भी उस सात वर्षीय बालिका को करना पड़ता है।

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Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 10 सूर्य

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Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 10 सूर्य (ओदोलेन स्मेकल)

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 10 सूर्य (ओदोलेन स्मेकल)

सूर्य पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
वेदों में सूर्य के सम्बंध में क्या कहा गया है?
उत्तर-
वेदों में सूर्य को एक पहिए वाले रथ, जो सात शक्तिशाली घोड़ों से युक्त है; पर सवार देवता कहा गया है। पलक झपकते ही 364 लीग की द्रुत गति से प्रकाशमंडल में वह घूमता रहता है। ऋग्वेद में सूर्य को ईश्वर का सबसे सुन्दर दुनिया कहा गया है। साथ ही दैविक सूर्य” की संप्रभुता का आदर करने की सलाह दी गई है। वेदों में सूर्य को ऊर्जा तथा प्रकाश का अक्षय भंडार माना गया है। उसे धरती का संचालक भी बताया गया है।

इस प्रकार सूर्य समस्त संसार का संचालन करने वाले सर्वशक्तिमान देवता हैं जो ऊर्जा तथा प्रकाश का अपरिमित भंडार ब्रह्माण्ड को प्रदान कर रहे हैं।

प्रश्न 2.
भारतीय पौराणिक गाथाओं के अनुसार सूर्य के माता-पिता कौन थे? पाठ में सूर्य के जन्म के संबंध में दो कथाओं का उल्लेख हैं, उन्हें संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
भारतीय पौराणिक गाथाओं में वर्णित है कि सूर्य के माता-पिता अदिति और कश्यप थे। अदिति को आठ सन्ताने थीं। उनकी आठवीं संतान अंडे की आकृति की थी। अतः उसका नाम मार्तंड रखा गया। मार्तंड का अर्थ मृत अंडे का पुत्र होता है। उसका परित्याग कर दिया गया। वह आसमान में चला गया। उसने अपने को वहाँ महिमामंडित कर लिया।

दूसरी कथा के अनुसार अदिति ने एक अवसर पर अपने पहले सात पुत्रों से कहा कि वे बह्माण्ड की सृष्टि करें। माता का आदेश कोई सन्तान पूरी नहीं कर सका। इसका कारण यह था कि उन्हें केवल जन्म के विषय में जानकारी थी। वे मृत्यु से पूर्णतया अनभिज्ञ थे। जीवनचक्र की स्थापना हेतु अमरत्व की आवश्यकता नहीं थी। इस कारण वे लोग माँ की इच्छा का पालन नहीं कर सके। निराश होकर अन्त में अदिति ने मंर्तंड से यह प्रस्ताव रखा। उन्होंने तत्काल दिन और रात का सृजन कर दिया जो दिन जीवन एवं मृत्यु के प्रतीक थे। उक्त दोनों कथाएँ हमारे पौराणिक ग्रंथों में उल्लेखित हैं। यह घटनाएँ प्रतीकात्मक हैं।

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प्रश्न 3.
दिन और रात किसके प्रतीक हैं?
उत्तर-
दिन तथा रात हमारे दैनिक जीवन की गतिविधियों से संबंधित हैं। दिन में हम अपने समस्त कार्यों का निष्पादन करते हैं, जबकि रात्रि में पूर्ण विश्राम करते हैं। – हमारे ‘जीवन चक्र’ के दो अंग हैं-‘दिन और रात’ यह दोनों जीवन और मृत्यु के प्रतीक हैं। दिन हम जागृत अवस्था में अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त रहते हैं, किन्तु रात्रि में हम शयन कक्ष में बिस्तर पर निन्द्रा में निमग्न होकर निष्क्रिय तथा निश्चेष्ट हो जाते हैं। यह एक प्रकार से जीवन और मृत्यु का प्रतीक है।

प्रश्न 4.
संज्ञा कौन थी? छाया से उसका क्या संबंध है? दोनों की संतानों का नाम लिखें।
उत्तर-
‘संज्ञा’ विश्वकर्मा की पुत्री थी। संज्ञा को सरन्यु के नाम से भी पुकारा जाता था। संज्ञा की तीन सन्तानें थीं, मनु वैवश्यत (सूर्यवंश के संस्थापक), यम (मृत्यु का देवता), और यमुना (नदी)। संज्ञा सूर्य के प्रचंड तेज को सहन नहीं कर पाई। अतः उसने अपनी छाया को सूर्य के निकट छोड़ दिया तथा स्वयं अश्विनी अर्थात् घोड़ी का रूप धारण कर तप करने के लिए प्रस्थान किया। दीर्घकाल तक छाया ने संज्ञा के छद्म रूप का अभिनय किया, किन्तु अन्ततः यह रहस्य खुल गया। सूर्य से छाया को तीन पुत्र उत्पन्न हुए-शनि, सावर्षि मनु और तपत्ति।

संज्ञा के प्रेम में दीवाना सूर्य ने उसे सारे ब्रह्मांड में दूढ़ना प्रारंभ किया। अश्व का रूप धारण कर वे संज्ञा के पास पहुंच गए। संज्ञा को सूर्य से दो संतानें हुई। जो अश्विनी कुमार कहलाते हैं, इनमें एक का नाम वासत्य तथा दूसरे का दक्ष है।

प्रश्न 5.
विश्वकर्मा ने सूर्य की आभा के अंश को काटकर किन वस्तुओं का निर्माण किया?
उत्तर-
पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि विश्वकर्मा ने सूर्य की आभा के अंश को काट डाला। उसे उन्होंने विभाजित कर दिया। उससे उनके द्वारा विष्णु का सुदर्शनचक्र, शिव का त्रिशूल, यम का दण्ड, स्कंद की माला तथा कुबेर की गदा का निर्माण किया गया।

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प्रश्न 6.
वर्ष के बारहों महीनों के आधार पर सूर्य के अलग-अलग नाम हैं। महीनों के नाम के साथ उस नामों को लिखें। साथ ही बारहों महीनों के तद्भव-देसी नाम भी लिखें।
उत्तर-
वर्ष के बारहों महीनों में सूर्य के अलग-अलग नाम हैं। उन नामों का विवरण इस प्रकार है
तत्सम्/तद्भव/देसी – सूर्य के नाम

  • चैत्र/चैत – धावा
  • वैशाख-बैसाख – अर्थमा
  • ज्येष्ठ-जेठ – मित्र
  • आषाढ़-आसाढ़ – वरुण
  • श्रावण-सावन – इन्द्र
  • भाद्रपद-भादो – विवस्वान
  • आश्विन-आसिन/क्वाँर – पूष
  • कार्तिक-कातिक – व्रतू
  • मार्गशीर्ष-अगहन – अशु
  • पौष-पूस – भग
  • माध-माघ – त्वष्टा
  • फाल्गुन-फागुन – विष्णु

प्रश्न 7.
पाठ में सूर्य के कई कार्यों की जानकारी दी गई है। उन कार्यों के आधार पर सूर्य के अलग-अलग नाम हैं, इनकी सूची बनाएँ।
उत्तर-
सूर्य सम्पूर्ण ब्रह्मांड का संचालन करता है। संसार का अस्तित्व ही उसकी उपस्थिति पर निर्भर है। रात एवं दिन का निर्माण भी सूर्य के कारण ही होता है। इस प्रकार सूर्य संसार को अपनी ऊर्जा से शक्ति एवं सामर्थ्य प्रदान करता है एवं प्रकाश से प्रकाशित करता है।

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सूर्य के कई काम हैं तथा प्रत्येक काम के लिए वे सविता कहलाते हैं। विश्व का कल्याण करने के लिए, उनके अलग नाम हैं। उनका एक काम हर वस्तु को उत्प्रेरित करना है, इस कार्य के लिए उन्हें पूषण नाम से संबोधित करते हैं। उगते सूरज को वैवस्वत कहा जाता है। उनका एक दुष्ट रूप भग है।

इस प्रकार सूर्य के विभिन्न कार्यों के लिए अलग-अलग नाम हैं।

सूर्य के विभिन्न कार्यों हेतु ‘अलग-अलग नामों की सूची इस प्रकार है सूर्य के कार्य कार्य के आधार पर सूर्य के नाम

  • (i) हर वस्तु को उत्प्रेरित करने का काम – (i) सविता
  • (ii) विश्व-कल्याण का कार्य – (ii) पूषण
  • (iii) संसार को प्रकाश एवं ऊर्जा प्रदान करना – (iii) वैवस्तव
  • (iv) उसका दुष्ट रूप प्रदान करते, उगता सूरज – (iv) भग

प्रश्न 8.
विभिन्न देशों और समाजों में सूर्य के अलग-अलग नाम प्रचलित हैं नीचे एक सूची दी जा रही है, उसमें रिक्त स्थानों की पूति करें।
उत्तर-
विभिन्न देशों और समाजों में सूर्य को अलग-अलग नाम से संबोधित किया जाता है। उस की विस्तृत तालिका निम्नांकित है

  • देश/समाज – सूर्य के नाम
  • प्राचीन मिस्र – हमीकुस या होरूस
  • फारस – मिथरा
  • आसीरिया – मीरोदाक
  • फिनिशिया – अपोलो

प्रश्न 9.
रोम सम्राट् ऑरीलिया ने सूर्य मन्दिर को क्यों नष्ट नहीं किया?
उत्तर-
रोम सम्राट ऑरीलिया ने पूर्व की विद्रोही रानी जीनोविया के विद्रोह का दमन करने के लिए सेना द्वारा हमला किया। उसे परास्त कर बंदी बना लिया गया। उसकी दर्शनीय राजधानी पामीरा को ध्वस्त कर दिया गया। किन्तु सम्राट ने वहाँ भव्य मंदिर बनवा दिया। इसका कारण सूर्यदेव का अजेय होना था। सम्पूर्ण ब्रह्मांड में उनकी उपासना की जाती है तथा वे संसार को ऊर्जा एवं प्रकाश से समृद्ध किए हुए हैं।

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प्रश्न 10.
मिथराइयों के अनुसार सूर्य का जन्म दिवस कब है?
उत्तर-
मिथराइयों के अनुसार सूर्य का जन्मदिन 25 दिसम्बर माना जाता था। उस दिन को वे धूमधाम से मनाया करते थे।

प्रश्न 11.
प्राचीन मिस्र के चित्रों मे शरद के सूर्य के सिर पर सिर्फ एक केश दिखाया जाता है, क्यों?
उत्तर-
मिस्र के प्राचीन काल के चित्रों में शरद ऋतु के सूर्य के सिर पर केवल एक केश दिखाया जाता है। इसका कारण उनकी यह मान्यता रही है कि इस ऋतु में सूर्य कमजोर पड़ जाते हैं।

प्रश्न 12.
सूर्य मन्दिर के अवशेष भारत पाकिस्तान में कहाँ-कहाँ मिले हैं?
उत्तर-
सूर्य मंदिर के भग्नावशेष भारत के श्रीनगर के निकट मार्तंड नामक स्थान पर मिले हैं। पाकिस्तान के मुलतान में सूर्य मंदिर के अवशेष हैं।

प्रश्न 13.
मैक्समूलर ने सूर्य के संबंध में क्या लिखा है?
उत्तर-
मैक्समूलर ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि वैदिक ऋचाओं में सूर्य का धीरे-धीरे प्रकाशवान तारा से बदल जाने के क्रमिक विकास को देखा जा सकता है। सूर्य द्वारा सब कुछ देखा और जाना जाता है। इसलिए उससे इस बात का आग्रह किया जाता है कि उसके द्वारा जो देखा या जाना जाता है, उसे वह क्षमा करके भूल जाए. इन्द्र, वरुण, सावित्री या द्यौ में जो भी है।

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प्रश्न 14.
राम ने शक्ति प्राप्त करने के लिए किस स्रोत का पाठ किया था?
उत्तर-
अगस्त्य मुनि द्वारा कहने पर राम ने शक्ति प्राप्त करने के लिए “आदित्य हृदय” स्त्रोत का पाठ किया था।

प्रश्न 15.
अद्वय और सदावृध शब्दों के क्या अर्थ हैं?
उत्तर-
ऋग्वेद में अदिति के लिए अद्वय हुआ तथा सदावृध शब्दों का प्रयोग किया गया है। अद्वय का अर्थ होता है,-“जो दो न हो” और सदावृध का अर्थ है,-“जो सदा बढ़ता रहे।”

प्रश्न 16.
मयूर कवि कौन थे? उनकी रचना का क्या नाम है?
उत्तर-
‘मयूर’ कवि सम्राट हर्षवर्द्धन के दरबारी कवि थे। वे सूर्यापासक थे। सूर्य की प्रशंसा में उन्होंने ‘सूर्य-शतकम्’ की रचना की है।

सूर्य भाषा की बात।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखें सूर्य, घोड़ा, धरती, रात, तालाब
उत्तर-

  • सूर्य – सोम, दिनकर, रवि, भास्कर, सविता. पतंग।
  • घोड़ा – अश्व, घोटक, बाजि, सैन्धव।
  • धरती – पृथ्वी, अवनि, घरित्री, घटा, रावरी।
  • तालाब – सर, सरोवर, तड़ाग, पुष्कर, जन्नाशय।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय निर्दिष्ट करें प्रतिनिधित्व, पौराणिक, प्रसन्नता, वैज्ञानिक, स्वस्तिक, दैविक।
उत्तर-

  • शब्द – प्रत्यय
  • प्रतिनिधित्व – त्व
  • पौराणिक – इक
  • प्रसन्नता – ता
  • वैज्ञानिक – इक
  • दैनिक – इक

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के समास विग्रह करें। महिमामण्डित, जीवन-चक्र, त्रिदेव, सूर्यपूजा, सूर्यवंश।
उत्तर-

  • महिमामण्डित – महिमा से मंडित।
  • जीवन – चक्र – जीवन का चक्र।
  • त्रिदेव – तीन देवताओं का समूह।
  • सूर्यपूजा – सूर्य की पूजा।
  • सूर्यवंश – सूर्य का वंश।

प्रश्न 4.
इस पाठ में बहुत सारे संज्ञा पद हैं। संज्ञा के विभिन्न भेदों को ध्यान में रखकर प्रत्येक भेद के तीन-तीन उदाहरण चुनकर लिखें।
उत्तर-
ज्ञातव्य है कि संज्ञा के पाँच प्रमुख भेद होते हैं-जातिवाचक संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, भाववाचक संज्ञा, द्रव्यवाचक संज्ञा और समूहवाचक संज्ञा।
प्रस्तुत पाठ में प्रयुक्त संज्ञा के विभिन्न भेदों के तीन-तीन उदाहरण निम्नलिखित हैं-

  • जातिवाचक संज्ञा – घोड़ा, बच्चा, मनुष्य
  • व्यक्तिवाचक संज्ञा – सूर्य, ब्रह्मा, विष्णु
  • भाववाचक संज्ञा – अमरत्व, आभा, पुजा
  • द्रव्यवाचक संज्ञा – अंडा, पानी, मिट्टी
  • समूहवाचक संज्ञा – सभा, गुच्छा, मेला।

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अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

सूर्य लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक ओदोलेन स्मेकल का संक्षेप में जीवनी लिखें।
उत्तर-
ओदोलेन स्मेकल का जन्म 18 अगस्त, 1928 में चेकोस्लोवाकिया में हुआ था। उन्होंने चेकोस्लोवाक्रिया की राजधानी प्राहा के चार्ल्स के विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम. ए. तथा पी-एच. डी. किया। इसके बाद वे इसी विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के प्राध्यापक बन गए। आगे चलकर इन्होंने हिन्दी में रचनाएँ की। इन्हें भारत सरकार द्वारा विश्व हिन्दी पुरस्कार 1979 में सम्मानित किया गया। ये भारत में चेकोस्लोवाकिया के राजदूत भी रहे। प्रथम तथा द्वितीय हिन्दी सम्मेलनों में इन्होंने सक्रिय सहयोग किया।

प्रश्न 2.
सूर्य के नामों को लिखों।
उत्तर-
सूर्य के बारह नाम हैं जो बारह महीने पर आधारित है। ये नाम इस प्रकार हैं-

  • धावा
  • अर्थमा
  • मित्र
  • वरुण
  • इन्द्र
  • विवस्वान
  • पूष
  • ऋतु
  • अंशु
  • भग
  • त्वष्टा
  • विष्णु।

सूर्य अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सूर्य नामक निबंध किसकी रचना है?
उत्तर-
सूर्य नामक पाठ ओदोलेन स्मेकल द्वारा लिखी गयी है।

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प्रश्न 2.
‘प्रेमचंद का गोदान’ नामक निबंध किसके द्वारा लिखी गयी है?
उत्तर-
‘प्रेमचंद का गोदान’ ओदोलेन स्मेकल द्वारा लिखी गयी है।

प्रश्न 3.
विश्वकर्मा की पुत्री कौन थी?
उत्तर-
विश्वकर्मा की पुत्री संज्ञा थी।

प्रश्न 4.
हमारे जीवन चक्र के दो अंग कौन हैं?
उत्तर-
हमारे जीवन चक्र के दो अंग दिन और रात हैं। लेखक के अनुसार ये दोनों जीवन के प्रतीक हैं।

प्रश्न 5.
सूर्य किसका संचालन करता है?
उत्तर-
सूर्य सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का संचालन करता है। संसार का अस्तित्व सूर्य पर निर्भर है।

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प्रश्न 6.
कार्य के आधार पर सूर्य के नाम लिखें।
उत्तर-
कार्य के आधार पर सूर्य के नाम इस प्रकार हैं-

  • सविता
  • पूषण
  • वैवस्वत
  • भग।

प्रश्न 7.
भारत में सूर्य की पूजा क्यों की जाती है?
उत्तर-
भारत में हिन्दू धर्म के लोग सूर्य की पूजा करते हैं, क्योंकि यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को संचालित करता है। साथ ही, पूजा करने से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं।

सूर्य वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

I. निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ

प्रश्न 1.
‘सूर्य के रचनाकार हैं
(क) ओदोलेन स्मेकल
(ख) हरिशंकर परसाई
(ग) कृष्णा सोवती
(घ) कुमार गंधर्व
उत्तर-
(क)

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प्रश्न 2.
ओदोलेन स्मेकल की रचना है?
(क) सूर्य
(ख) पृथ्वी
(ग) स्त्री
(घ) महिमा
उत्तर-
(क)

प्रश्न 3.
ओदोलेन स्मेकल का जन्म हुआ था?
(क) 14 अगस्त, 1928
(ख) 15 अगस्त, 1926
(ग) 14 सितम्बर, 1926
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क)

प्रश्न 4.
‘ओदोलेन स्मेकान’ भारत द्वारा किस वर्ष विश्व हिन्दी पुरस्कार से सम्मानित हुए?
(क) 1924
(ख) 1935
(ग) 1979
(घ) 1975
उत्तर-
(ग)

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प्रश्न 5.
‘ओदोलेन स्मेकान’ किस विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए. तथा पी.एच.डी. किए?
(क) पटना विश्वविद्यालय से
(ख) कोलकाता विश्वविद्यालय से
(ग) काशी विश्वविद्यालय से
(घ) ग्राहा के चार्ल्स विश्वविद्यालय
उत्तर-
(घ)

प्रश्न 6.
‘ओदोलेन स्मेकान’ अभिरुचि किस विषय में थी?
(क) अमेरीकी स्वतंत्रता
(ख) रूस का साम्यवाद
(ग) आधुनिक भारत
(घ) चीन का साम्यवाद
उत्तर-
(ग)

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 1.
ओदोलेन स्मेकल भारत विद्याविद् यूरोपीय विद्वानों की परंपरा की एक………..थे।
उत्तर-
आधुनिक कड़ी।

प्रश्न 2.
हिन्दी भाषा और साहित्य से वे………..धरातल पर जुड़े हुए थे?
उत्तर-
शैक्षणिक तथा रुचिगत।

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प्रश्न 3.
संज्ञा…………की पुत्री थी।
उत्तर-
विश्वकर्मा।

प्रश्न 4.
संज्ञा को………….के नाम से भी पुकारा जाता है।
उत्तर-
सरन्यु।

प्रश्न 5.
ऋग्वेद में सूर्य को ईश्वर का सबसे…………कहा गया है।
उत्तर-
सुन्दर दुनिया।

प्रश्न 6.
अदिति को………..सन्तानें थीं।
उत्तर-
आठ।

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प्रश्न 7.
उनकी आठवीं संतान………….की थी।
उत्तर-
अंडे की आकृति।

प्रश्न 8.
मार्तण्ड का अर्थ…………..का पुत्र होता है।
उत्तर-
मृत अंडे।

प्रश्न 9.
अदिति के सभी पुत्री………….पूर्णतया अनभिज्ञ थे।
उत्तर-
मृत्यु से।

प्रश्न 10.
सूर्य से छाया को तीन पुत्र……………उत्पन्न हुए।
उत्तर-
शनि, सावर्षि, मनु और तपत्ति।

प्रश्न 11.
संज्ञा को सूर्य से दो…………संतानें हुईं।
उत्तर-
वासत्य औश्र दक्ष।

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प्रश्न 12.
विश्वकर्म ने सूर्य की आभा से अंश को काटकर…………..निर्माण किया।
उत्तर-
विष्णु का सुदर्शन चक्र शिव का त्रिशूल तथा कुवेर की गदा का।

सूर्य लेखक परिचय – ओदोलेन स्मेकल (1928)

भारतीय विद्याविद् यूरोपीय विद्वान ओदोलेन स्मेकन का जन्म 18 अगस्त, 1928 ई० में यूरोप के चेकोस्लोवाकिया देश के ओलोमोउत्स नगर से सटे गाँव ‘लोशोव’ में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा चेकोस्लोवाकिया की राजधानी में हुई। तदनंतर प्राहा के चार्ल्स विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम. ए. तथा पी. एच. डी. की। पुनः वहीं से उन्होंने लोक साहित्य, ग्राम उपन्यास तथा अनुकरणात्मक शब्दों पर शोध कार्य भी संपन्न किया।

स्मेकल कई वर्षों तक प्राहा विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में प्राध्यापक रहे तथा दस से अधिक वर्षों तक भारत विद्या विभागाध्यक्ष के पद पर भी सुशोभित रहे। उन्होंने संसार के अनेक देशों एवं भारत की कई बार सांस्कृतिक यात्राएँ की, जिससे भारत के अनेक विशिष्ट व्यक्तियों, हिन्दी लेखकों, कवियों तथा राजनेताओं से उनका प्रत्यक्ष संपर्क हुआ। उन्होंने प्रथम तथा द्वितीय विश्व हिन्दी सम्मेलनों में सक्रिय सहयोग किया था।

बहुभाषाविद् स्मेकल की विशेष अभिरुचि का विषय आधुनिक भारत था। चूंकि आधुनिक भारत प्राचीन भारत का ही विकसित रूप है, अतः इसे समझने के लिए इसके स्वर्णिम अतीत की जानकारी अपेक्षित है। विद्वान् स्मेकल इस बात को समझते थे। हिन्दी भाषा से और वे शैक्षणिक तथा रुचिगत धरातल पर संबंध थे। उनके लिए हिन्दी ही भारत को जानने-समझने का प्रधान माध्यम थी, फिर भी वे इस बहुभाषी और बहुजातीय राष्ट्र की दूसरी भाषाओं तथा क्षेत्रीय सांस्कृतिक विविधताओं की ओर से भी उदासीन नहीं रहे।

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वस्तुत: उनके अंदर इस देश को गहराई से और समग्रता से जानने-समझने की उत्कट इच्छा थी। इसकी पुष्टि उनकी कविताओं और निबंधों से होती है। इसी प्रक्रिया में उन्होंने भारतीय धर्म-संस्कृति से संबंधित प्रमुख प्रतीकों का अध्ययन किया था। उनका यह अध्ययन सूचनात्मक और सतही मात्र नहीं, प्रत्युत् उसमें ज्ञेय तत्त्वों को अनुभव प्रत्यक्ष करने की अभिलाषा थी। इस प्रकार वास्तव में ओदोलेन स्मेकल भारत विद्याविद् यूरोपीय विद्वानों की परंपरा की एक महत्त्वपूर्ण आधुनिक कड़ी थे।

उनकी प्रमुख रचनाओं में प्रेमचन्द का गोदान, आधुनिक हिन्दी कविता का संकलन, भारतीय लोककथाएँ, भारत के नवरूप, ये देवता कहाँ से आए (निबंध), तेरे दान किए गीत, नमो नमो भारतमाता (कविता-संकलन) आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने चेक से हिन्दी एवं हिन्दी से चेक भाषाओं में अनेक अनुवाद भी किये। ये सारे कृतित्व भारत और हिन्दी के . ति उनके गहरे अनुराग को पुष्ट-प्रमाणित करते हैं। आखिर तभी तो वे भारत सरकार द्वारा विश्व हिन्दी पुरस्कार (1979 ई०) से सम्मानित-पुरस्कृत किये गये थे।

सूर्य पाठ का सारांश

ओदोलेन स्केवेल लिखित ‘सूर्य’ शीर्षक निबंध में सूर्य की महत्ता का वर्णन है। चेकोस्लोवाकिया यूरोप) के गाँव लोशोव में जन्मे स्कवेल ने भारत के गौरवशाली इतिहास का गहन अध्ययन किया। हिन्दी के प्रकाण्ड विद्वान भी स्मेकल द्वारा हमारे पौराणिक ग्रंथों का गहन अध्ययन किया गया तथ उससे संबंधित अनेक ग्रंथ उनके द्वारा लिखे गए। भारतीय धर्म-संस्कृति एवं सांस्कृतिक विविधताओं सहित क्षेत्रीय भाषाओं को जानने-समझने की उनकी उत्कृष्ट लालसा थी। उनके द्वारा लिखी पुस्तक “कहाँ से आए देवता” में सूर्य के विषय में विश्व के विभिन्न देशों में प्रचलित मिथकों तथा भारत के पौराणिक ग्रंथों में वर्णित महत्वपूर्ण तथ्यों का विवरण है।

‘ओदोनेल स्मेकल’ लिखित ‘सूर्य’ शीर्षक निबंध में ‘सूर्य’ से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों का विवेचन है। निःसन्देह सूर्य सम्पूर्ण ब्राह्माण्ड की गतिविधियों को संचालित करता है। सूर्य की न केवल भारत में ही पूजा-उपासना की जाती रही है, वरन् विश्व के अन्य प्राचीन धर्मों तथा समाजिक-संस्कृतियों में भी सूर्य पूजित होते रहे हैं। भारतीय पूजा-उपासना की प्राचीन-परम्परा तथा सार्वभौमिकता पर भी सम्यक् प्रकाश डाला गया है।

वेदों में एक पहिए सात शक्तिशाली घोड़ों के रथ पर सवार सूर्य का वर्णन है। रथ पर. सवार होकर घूमते हुए वह समस्त संसार की गतिविधियों पर नजर रखता है। वह वेदों की साकार आत्मा और “त्रिदेव” का प्रतिनिधि है। अदिति एवं कश्यप की संतान सूर्य आकाशमंडल में विराजकर संसार में नवजीवन का संचार कर रहा है। सूर्य के विषय में हमारे पौराणिक ग्रंथों में अनेक गाथाएँ हैं। सूर्य की पूजा बारहों महीने होती है। उनकी आराधना की अनेक पद्धतियां हैं।

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आसीरीयाई, आकेदी, फिनिशियाई, ग्रीक, रोमन आदि सभ्यता एवं संस्कृति के भी मुख्य देवता सूर्य ही थे। विभिन्न देशों के धर्मग्रंथों में सूर्य के भिन्न नाम हैं। बेंद-अवस्ता में सूर्य को ‘हवर’ तथा ग्रीक भाषा में ‘हीलीऔस” कहा जाता है। ईसाईयों ने इन धार्मिक अवधारणाओं में से कुछ को अंगीकृत किया तथा उस आधार पर 25 दिसम्बर को ‘क्रिसमस डे’ मानने ले, जबकि इसके पूर्व वे 6 जनवरी को मनाते थे। निथराइयों की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य का जन्म 25 दिसम्बर को हुआ था। वैसे हर मिथक में सूर्य को योद्धाओं का देवता माना गया है।

प्राचीन भारत में सूर्य मंदिरों को आदित्य गृह कहा जाता था। श्रीनगर के पास मार्तड तथा पाकिस्तान के मुलतान में सूर्य के भग्नावशेष हैं। सूर्य की विधिवत् पूजा अब केवल बिहार में ही बड़े पैमाने पर होती है जो दीपावली के छठे दिन ‘षष्ठी’ व्रत के रूप में मनायी जाती है।

वैसे अफगानिस्तान में आर्य नामक जाति के नाम से अभी भी कुछ लोग रहते हैं, जो सूर्य, अग्नि, इन्द्र आदि देवताओं की उपासना वैदिक रीति से करते हैं।

सूर्य कठिन शब्दों का अर्थ।

लीग-स्थल पर तीन मील और समुद्र पर लगभग साढ़े तीन मील का नाम। परित्याग-छोड़ देना। बखूबी-विशेषताओं के साथ। सृजन-निर्माण। सारथि-रथ हाँकने वाला। अंश-हिस्सा। स्कंद-कंद। उत्प्रेरित-बढ़ावा देना। स्वस्तिक-एक प्रकार का प्रतीक। सम्प्रदाय-किसी मत के अनुयायिों की मण्डली। पुष्करिणी-छोटा तालाब। अर्ध्य-समर्पण। अक्षुण्ण-सुरक्षित। जेंद अवेस्ता-प्राचीन फारसी धर्म ग्रंथ जिसकी भाषा वेदों से मिलती-जुलती है।

सूर्य महत्त्वपूर्ण पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या

1. रोम सम्राट ऑरीलिया ने पूर्व की विद्रोही रानी जीनोंबिओ को परास्त करके बंदी बना लिया तो उसकी खूबसूरत राजधानी पामीरा को ध्वस्त कर दिया गया लेकिन वहाँ के सूर्य मंदिर को आलीशान बनवा दिया। क्योंकि सूर्यादेव अजेय हैं।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ सांदोलेन स्मेकल द्वारा लिखित सूर्य नामक पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों में लेखक ने सूर्य की महत्ता का विवेचन किया है और एक दृष्टांत प्रस्तुत किया है। उन्होंने यह कहा है कि जब रोमन सम्राट ऑरीलिया ने पूर्व की विद्रोही रानी जीनोंबिया को परासा कर दिया तो उन्हें बंदी बना लिया और उनकी राजधानी पानी को भी नष्ट कर दिया गया।

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इसके बावजूद वहाँ के सूर्य मंदिर को भव्य बनाया गया। क्योंकि वे यह मानते थे कि सूर्यदेव अजेय हैं जिनपर मनुष्य विजय नहीं प्राप्त कर सकता।

2. वेदों में सूर्य को ऊर्जा और प्रकाश का अक्षय भण्डार और धरती पर जीवन का संचालक बताया गाय है। रामायण में भी सूर्य की उपासन करने का विधान है।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ ओदोलेन स्मेकल द्वारा लिखित सूर्य नामक पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों में वेदों में सूर्य की महत्ता का जो वर्णन हुआ है उसको उजागर किया गया है और यह बतलाया गया है कि वेदों में सूर्य को ऊर्जा और प्रकाश का अक्षय भण्डार तथा धरती पर जीवन का संचालक माना गया है। वेदों के अनुसार सूर्य की सम्प्रभुता का आदर करना चाहिए। इसी प्रकार का विचार रामायण में भी व्यक्त किया गया है। रामायण में अगस्तमुनि ने राम से यह कहा था कि उन्हें आदित्य हृदय स्त्रोत के द्वारा सूर्य की उपासना करना चाहिए। वास्तव में, वेद और रामायण दोनों में ही सूर्य की सम्प्रभुता और उसकी महत्ता को स्वीकार किया गया है।

Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 9 एक दीक्षांत भाषण

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Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 9 एक दीक्षांत भाषण (हरिशंकर परसाई)

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 9 एक दीक्षांत भाषण (हरिशंकर परसाई)

एक दीक्षांत भाषण पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
दीक्षांत समारोह में नेताजी का मन क्या देखकर आनंदित हो उठा?
उत्तर-
विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में नेताजी (मंत्री महोदय) दीक्षांत भाषण देने को पहुँचते हैं। समारोह स्थल पर छात्रों, पुलिस के सिपाहियों, प्राध्यापकों एवं अन्य श्रोताओं का विशाल जन-समूह उपस्थित था। मंत्री महोदय (नेताजी) यह देखकर गदगद हो गए कि छात्रों की संख्या से अधिक पुलिस सभा स्थल पर मौजूद है। वे इस बात से गर्वित थे कि इस विश्वविद्यालय में यह अत्यन्त सुखद बात है कि छात्रों से पुलिस की संख्या अधिक है।

नेताजी की मान्यता थी कि ऐसी प्रगति तो विश्व के अन्य विश्वविद्यालयों में भी नहीं होगी कि समारोह स्थल पर विद्यार्थियों की अपेक्षा पुलिस के जवान उक्त कार्यक्रम की शोभा बढ़ा रहे हों। नेताजी इसका श्रेय शासन के साथ-साथ छात्रों को भी दे रहे थे। उनके लिए यह एक सुखद अनुभव था कि दीक्षांत समारोह में वर्दीधारी पुलिस कर्मियों की संख्या छात्रों की अपेक्षा कहीं अधिक है। यह दृश्य देखकर वे आनन्दित हो गए।

प्रश्न 2.
विश्वविद्यालय में हूटिंग होने पर भी नेताजी खुश क्यों हैं?
उत्तर-
विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह आयोजित है। नेताजी का धाराप्रवाह भाषण जारी है। बीच-बीच में लड़के शोरगुल अथवा आवाजकशी करके उनकी हूटिंग कर रहे हैं, पर नेताजी को कोई गम नहीं। उल्टे वे खुश हैं कि अनपढ़ जनता के बजाय वे शिक्षित नवयुवकों से हूट हो रहे हैं।

प्रश्न 3.
‘ज्ञानी कायर होता है। अविद्या साहस की जननी है। आत्मविश्वास कई तरह का होता है-धन का, बल का, ज्ञान का। मगर मूर्खता का आत्मविश्वास सर्वोपरि होता है।’ इस कथन का व्यंग्यार्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
उपर्युक्त कथन हमारे पाठ्य पुस्तक दिगंत भाग-1 के हरिशंकर परसाई लिखित हास्य निबंध ‘एक दीक्षांत भाषण’ का है। हिन्दी के सर्वाधिक सशक्त एवं समर्थ व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई का है। इसके माध्यम से उन्होंने मूखों की हठधर्मिता पर व्यंग्य किया है। उक्त कथन में ज्ञानी को कायर कहने से यह अभिप्राय है कि ज्ञानीजन बहुधा किसी बात को लेकर आवश्यकता से अधिक सोच-विचार करने लगते हैं। फलतः निर्णय लिये जाने में देर होती है और उनका जोश ठंडा पड़ जाता है, अतएव वे कोई वीरोचित कदम नहीं उठा पाते हैं।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 9 एक दीक्षांत भाषण (हरिशंकर परसाई)

अविद्या अर्थात् अज्ञान से साहस पैदा होता है। व्यावहारिक जगत् में बहुत बार ऐसा देखा जाता है कि ज्ञान के कारण व्यक्ति काम करने से डर जाता है, जबकि अज्ञानी उस क्षेत्र में साहसपूर्वक आगे बढ़ जाता है। पुनः व्यंग्यकार ने आत्मविश्वास को कई प्रकार का बताते हुए मूखों के आत्मविश्वास पर करारा प्रहार किया है। मूर्ख या नासमझ लोग किसी की बात नहीं मानते उनका हठ दृढ़ नहीं होता है प्रबुद्ध जन समझाने पर समझ जाते हैं, पर मूर्ख लोग तो अपनी ही बात पर अड़े रहते हैं। अत: उनके आत्मविश्वास को व्यंग्य में सर्वोपरि कहा गया है।

प्रश्न 4.
नेताजी के अनुसार वे वर्तमान को बिगाड़ रहे हैं, ताकि छात्र भविष्य का निर्माण कर सकें। इस कथन का व्यंग्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
हरिशंकर परसाई ने अपने व्यंगात्मक निबंध “एक दीक्षांत भाषण” में अत्यन्त सरस ढंग से यह बताने का प्रयास किया है कि आज के राजनीतिक नेता राष्ट्र के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं तथा उसे क्षति पहुंचाने में व्यस्त हैं, वे इसे खोखला बना रहे हैं।

नेताजी (मंत्री महोदय) दीक्षांत भाषण के क्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए कह रहे हैं कि देश के वर्तमान को वे इस उद्देश्य से बर्बाद कर रहे हैं ताकि भविष्य में छात्र उसका पुनर्निर्माण कर सकें। इस प्रकार वे अपने द्वारा किए जाने वाले गलत कार्य को उचित ठहरा रहे हैं। अपने कुकृत्य पर पर्दा डालने के लिए नेताजी इस ढंग की बयानबाजी कर रहे हैं।

नेताजी के उक्त कथन द्वारा वर्तमान समय में व्याप्त भ्रष्टचार उजागर होता है। अपने निजी हित के लिए देश तथा छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने में प्रसन्नता तथा गर्व का अनुभव करते हैं।

प्रश्न 5.
नेताजी ने सच्चे क्रांतिकारियों के क्या लक्षण बताए हैं? .
उत्तर-
विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह के अपने भाषण-क्रम में नेताजी ने सच्चे क्रांतिकारियों के लक्षण बताते हुए कहा है कि जो सच्चे क्रांतिकारी होते हैं, वे बुनियादी परिवर्तन के लिए आंदोलन कभी नहीं करते, बल्कि कंडक्टर, गेटकीपर, चपरासी वगैरह से ही संघर्ष करते हैं। इस प्रकार, नेताजी द्वारा बताये गये क्रांतिकारियों के लक्षण से वर्तमान परिप्रेक्ष्य में होने वाले आंदोलनों और उनके पीछे पड़े रहने वाले तथाकथित आंदोलनकारियों का असली चेहरा उजागर हो जाता है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 9 एक दीक्षांत भाषण (हरिशंकर परसाई)

प्रश्न 6.
‘सत्य को इसी तरह दांतों से पकड़ा जाता है।” इस कथन से नेताजी का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
‘एक दीक्षांत भाषण’ शीर्षक निबंध में हरिशंकर परसाई ने समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार के वर्तमान स्वरूप का युक्तियुक्त विवेचन किया है। लेखक ने आज के नेतागण के कपटपूर्ण व्यवहार को कुशलता से निरूपित किया है।

नेताजी के शब्दकोष में ‘सत्य’ शब्द का अर्थ अवसरवादिता है। उनका सत्य है-ईमान, धर्म इत्यादि सात्विक गुणों का परित्याग करना। प्रत्येक अनैतिक कार्य करने के लिए वे सत्य शब्द का प्रयोग करते हैं। उनके जीवन का सत्य मंत्री बनना था। ईमान तथा धर्म का परित्याग कर अनुचित तरीका का उन्होंने सहारा लिया। सरकार किसी भी दल की रही हो, वे उसमें मंत्री पद पर आसीन हुए। पार्टी बदलने में उन्होंने तनिक भी विलम्ब नहीं किया, क्योंकि वे इस सत्य को पकड़े हुए थे कि उन्हें मंत्री बनना है। उन्होंने छात्रों को परामर्श दिया कि यदि उनको (छात्रों) को सत्य डिग्री लेना है तो वे इसके लिए प्रश्न आउट करके तथा नकल करके डिग्री प्राप्त करें। यदि उनको इस सत्य की रक्षा के लिए अध्यापकों से मारपीट करनी पड़े तो वह भी करें।

इस प्रकार लेखक ने नेताजी के द्वारा आज के इस कथित सत्य का यथार्थ उद्घाटित किया है।

प्रश्न 7.
“मैं जानता हूँ कि यदि मैं मंत्री न होता, तो कानूनी डॉक्टर क्या कंपाउंडर भी मुझे कोई न बनाता।’ इस पंक्ति की सप्रसंग व्याख्या करें।
सप्रसंग व्याख्या-
प्रस्तुत व्यंग्यात्मक पंक्ति हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘दिगंत, भाग-1’ में संकलित ‘एक दीक्षांत भाषण’ शीर्षक व्यंग्य लेख से उद्धृत है। इसके लेखक सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई हैं। इस पाठ में लेखक ने मंत्री महोदय के भाषण के माध्यम से आज की राजनीति और शैक्षणिक हकीकत को उजागर करने की भरपूर कोशिश है। प्रस्तुत कथन भाषणांत में नेताजी द्वारा कथित है।

प्रस्तुत पंक्ति में नेताजी दीक्षांत समारोह में भाषण कर रहे हैं। इसी क्रम में अंत में वे यह बताते हैं कि आज इस समारोह में मुझे विश्वविद्यालय की ओर से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिलने वाली है। हालाँकि मैं इसके काबिल कदापि नहीं। वास्तव में यह मेरे मंत्री बनने का लाभ है। यदि मैं मंत्री न बनता तो मुझे डॉक्टर क्या, कंपाउंडर भी कोई न बनाता। इस प्रकार यह कथन जहाँ नेतावर्ग की योग्यता-क्षमता पर ऊँगली उठाता है, वहीं वर्तमान शैक्षिक जगत् की सिद्धांतविहीनता और पथभ्रष्टता पर भी बड़ा कड़ा प्रहार करता है। इस प्रकार लेखक कहना चाहते हैं कि आज सर्वत्र शक्ति की पूजा होती है निर्बल व्यक्ति को हमेशा उपेक्षा का दंश झेलना पड़ता है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 9 एक दीक्षांत भाषण (हरिशंकर परसाई)

आज के जीवन पर सरकार तथा सत्ता से जुड़े लोगों की अनावश्यक एवं अतिरिक्त रौब-दाब की झलक भी मिलती है।

प्रश्न 8.
पाठ का अंत ‘ओम शांति ! शांति ! शांति!’ से हुआ है। आपके विचार से लेखक ने ऐसा प्रयोग क्यों किया है? इसका कोई व्यंग्यार्थ भी है? लिखिए।
उत्तर-
हरिशंकर परसाई लिखित ‘एक दीक्षांत भाषण’ शीर्षक व्यंग्य-निबंध का अंत ‘ओऽम शांति ! शांति ! शांति ! के साथ हुआ है। लेखक ने ऐसा प्रयोग जान-बूझकर वर्तमान जीवन में व्याप्त विसंगतियों की हद को पूरी तरह उभरने के प्रयोजन से किया है। हमारे वर्तमान राजनीतिक शैक्षणिक एवं सामाजिक जीवन में अनैतिकता एवं स्वार्थपरता परवान पर है। ये स्थितियाँ अत्यंत चिंताजनक एवं भयावह है। इनसे तमाम आदर्श एवं मूल्य नि:शेष होने को हैं। अत: इन स्थितियों के उत्तरदायी विधायक, स्वार्थपरता, अनैतिकता, सिद्धांतहीनता, कर्त्तव्यविमुखता, सत्तालोलुपता, चाटुकारिता आदि विसंगतियों के शमन एवं समाप्ति के लिए उक्त प्रयोग किया है। इस प्रयोग से वर्तमान जीवन की विसंगतियाँ पूर्णरूपेण स्पष्ट हुई हैं।

प्रश्न 9.
देश की आर्थिक अवस्था पर व्यंग्य करने के लिए लेखक ने क्या कहा है?
उत्तर-
हरिशंकर परसाई लिखित “एक दीक्षांत भाषण’ शीर्षक व्यंग्यात्मक निबंध में देश की आर्थिक अवस्था पर कटाक्ष किया गया है। निबंधकार ने मंत्री के माध्यम से समाज में व्याप्त घोर अव्यवस्था तथा आर्थिक स्थिति की ओर इशारा किया है।

मंत्री महोदय द्वारा छात्रों को संबोधित करते हुए देश के विकास करने का दावा किया जाता है। जब छात्र मंच पर कंकड़-पत्थर फेंकने लगते हैं तो मंत्री जी उन्हें कहते हैं कि पश्चिम के देशों में तो ऐसे समय पर मंच पर अंडे फेंके जाते हैं। मंत्री जी यह भी मानते हैं कि देश की आर्थिक दुर्दशा के कारण यहाँ के छात्रों के पास अंडे खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। इसलिए वे ऐसा नहीं कर सकते। साथ ही वह छात्रों को निराश नहीं होने की सलाह देते हैं। साथ ही उन्हें आश्वासन देते हैं कि वह देश का विकास करने में दृढ़-संकल्पित हैं।

इस प्रकार लेखक ने देश की आर्थिक स्थिति पर चुटकीला व्यंग्य किया है। उन्होंने सरकार के कार्यकलाप पर रोचक कटाक्ष किया है।

एक दीक्षांत भाषण भाषा की बात

प्रश्न 1.
इस पाठ में अंग्रेजी के कई शब्द आए हैं। उन्हें चुनकर लिखें और शब्दकोश की सहायता से उनका हिंदी अर्थ लिखें।
उत्तर-

  • बाथरूम – स्नानगृह
  • पुलिसमैन – आरक्षी
  • हूटिंग – शोरगुल करते हुए बहिष्कार करना
  • ग्रांट – अनुदान
  • रिफ्रेशिंग – तरोताजा
  • स्टेज – मंच
  • सिनेमा – चलचित्र

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों का समास विग्रह करें शोरगुल, हल्ला-गुल्ला, बस-कंडक्टर, नवयुवक
उत्तर-

  • शोरगुल – शोर-गुल (तत्पुरुष)
  • हल्ला-गुल्ला – हल्ला-गुल्ला (द्वंद्व समास)
  • बस-कंडक्टर – बस का कंडक्टर (संबंध तत्पुरुष समास)
  • नवयुवक – नया है जो युवक (कर्मधारय समास)

प्रश्न 3.
‘अहा! छात्र जीवन भी क्या है, क्यों न इसे सबका मन चाहे !’ यह एक विस्मयवाचक वाक्य है। विस्मयवाचक वाक्य के पांच अन्य उदाहरण दें।
उत्तर-
विस्मयवाचक वाक्य के पाँच उदाहरण
(a) अहा ! कितना सुन्दर दृश्य है।
(b) वाह ! तुम्हारी हाजिरजवाबी का क्या कहना !
(c) ओह ! मैं कहाँ फंस गया।
(d) हाय ! मैं मर गया।
(e) उफ् ! कितनी गर्मी है?

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

एक दीक्षांत भाषण लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नेताओं पर व्यंग्य पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
परसाई जी ने मंत्री जी के माध्यम से नेताओं के हूटिंग प्रूफ व्यक्तित्व पर व्यंग्य किया है। दूसरे व्यंग्य में उन्हें मूर्खता से उत्पन्न आत्मविश्वास का धनी बताया है। इसी के बल पर वे समाज के सभी वर्गों की हूटिंग झेलते हैं। तीसरे नेताओं को बेईमान, चरित्रहीन, कपूत और देश को पतन के गर्त में ले जाने वाला बताया गया है।

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प्रश्न 2.
शासन-पुलिस-छात्र सम्बन्ध का संक्षेप में विवेचन कीजिए।
उत्तर-
परसाई जी ने शिक्षा संस्थाओं को पुलिस छावनी बनाने का श्रेय छात्रों को दिया है। बात-बेबात पर उपद्रव और आन्दोलन छात्रों का स्वभाव बन गया है। इसलिए प्रशासन के सामने बराबर विधि-व्यवस्था का प्रश्न उठता है प्रशासन के पास एक ही हथियार-पुलिस की सहायता से नियंत्रण पाना। यह एक स्वाभाविक प्राकृतिक घटनाक्रम का रूप धारण कर चुका है। मंत्री की व्यंग्यपूर्ण उक्ति है कि अगर शासन और छात्रगण परस्पर सहयोग करते रहेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब कुलपति के पद पर कोई थानेदार विराजमान होगा। मंत्री की यह कल्पना छात्रों के चरित्र पर करारा व्यंग्य है कि मैं उस दिन की कल्पना कर रहा हूँ जब आप में से हर एक के बाथरूम में एक सिपाही होगा।

एक दीक्षांत भाषण अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दीक्षान्त समारोह में छात्र से ज्यादा सिपाही की उपस्थिति में निहित व्यंग्य क्या है?
उत्तर-
छात्र से अधिक की उपस्थिति बतलाता है कि छात्र अराजक हो ये हैं और उनसे जुड़े किसी भी कार्यक्रम को शान्तिपूर्वक सम्पन्न करने के लिए पुलिस बल का प्रयोग अनिवार्य हो गया है।

्रश्न 2.
शासन और छात्रों के रवैये से भविष्य में क्या परिणाम निकलने की संभावना है?
उत्तर-
छात्र अगर उपद्रवी बनते गये तो शासन विधि-व्यवस्था के लिए बल प्रयोग करता रहेगा और अन्ततः किसी पुलिस अधिकारी को पुलिस बल की सहायता से विश्वविद्यालय चलाने के लिए कुलपति बना दिया जायेगा।

प्रश्न 3.
मंत्री को दीक्षान्त भाषण के लिए क्यों बुलाया गया है?
उत्तर-
अगर मंत्री को नहीं बुलाया जाता तो वह विश्वविद्यालय को मिलनेवाला ग्रान्ट रुकवा देता और तब विश्वविद्यालय का अस्तित्व ही संकटग्रस्त हो जाता।

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प्रश्न 4.
ज्ञानी को कायर और मूर्ख को साहसी क्यों कहा गया है?
उत्तर-
ज्ञानी अपनी बुद्धि और तर्क के सहारे किसी क्रिया के परिणाम का अनुमान कर निर्णय लेता है जबकि मूर्ख पूरे आत्मविश्वास के साथ परिणाम की परवाह किये बिना खतरों से खेलता है।

प्रश्न 5.
मंत्री के अनुसार नेता लोग क्या कर रहे हैं?
उत्तर-
नेता लोग देश बिगाड़ रहे हैं, उसे गर्त में ले जा रहे हैं। क्योंकि वे अयोग्य और बेईमान हैं। आज के नेता अपने कर्तव्यों का पालन सही रूप से नहीं कर पाते हैं। वे केवल स्वयं लाभ पर ध्यान देते हैं।

प्रश्न 6.
एक दीक्षांत भाषण नामक पाठ किसकी रचना है?
उत्तर-
एक दीक्षांत भाषण नामक पाठ हरिशंकर परसाई की रचना है।

प्रश्न 7.
एक दीक्षांत भाषण किस विधा की रचना है?
उत्तर-
एक दीक्षांत भाषण व्यंग्य-निबंध है।

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प्रश्न 8.
लेखक हरिशंकर परसाई के अनुसार नेता देश का क्या बिगाड़ रहे हैं?
उत्तर-
लेखक हरिशंकर परसाई के अनुसार नेता देश का वर्तमान हालत बिगाड़ रहे हैं।

प्रश्न 9.
मंत्री विश्वविद्यालय के किस समारोह में भाषण देने आए हैं?
उत्तर-
मंत्री विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाषण देने आए हैं।

प्रश्न 10.
मंत्री की दृष्टि से युवक क्या है?
उत्तर-
मंत्री की दृष्टि में युवक क्रांतिकारी है।

प्रश्न 11.
मंत्री जी अपने संदेश में छात्रों को किस काम में भाग लेने से मना करते हैं?
उत्तर-
मंत्री जी अपने संदेश में छात्रों को राजनीति में भाग लेने से मना करते हैं।

एक दीक्षांत भाषण वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

I. सही उत्तर का सांकेतिक चिह्न (क, ख, ग या घ) लिखें।

प्रश्न 1.
‘एक दीक्षांत भाषण’ किनकी रचना है?
(क) रामचन्द्र शुक्ल
(ख) हरिशंकर परसाई
(ग) कृष्ण कुमार
(घ) कृष्ण सोबती
उत्तर-
(ख)

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प्रश्न 2.
‘एक दीक्षांत भाषण’ कैसी रचना है?
(क) व्यंग्यात्मक
(ख) हास्यात्मक
(ग) निबंधात्मक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क)

प्रश्न 3.
‘ठिठुरता हुआ गणतंत्र’ किसकी रचना है?
(क) मेहरून्निसा परवेज
(ख) कृष्ण सोबती
(ग) हरिशंकर परसाई
(घ) प्रेमचंद
उत्तर-
(ग)

प्रश्न 4.
‘एक दीक्षांत भाषण’ कहाँ से ली गई है?
(क) पाखंड का आध्यात्म
(ख) वैष्णव की फिसलन
(ग) परसाई रचनावली भाग-4
(घ) हँसते हैं-रोते हैं
उत्तर-
(ग)

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प्रश्न 5.
नेताजी ने ‘हूटिंग’ को कैसे लिया?
(क) रिफ्रेशिंग माना
(ख) अपमान समझा
(ग) हँसकर टाल दिया
(घ) दुष्टवा के रूप लिया
उत्तर-
(क)

प्रश्न 6.
एक दीक्षांत भाषण में लेखक ने आज के नेताओं और मंत्रियों पर
(क) व्यंग्य किया है
(ख) प्रशंसात्मक वक्तव्य दिया है
(ग) चरित्र हीन होने का आरोप लगाया है
(घ) इनमें से कुछ नहीं
उत्तर-
(क)

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।

प्रश्न 1.
इस समारोह में छात्रों से ज्यादा पुलिस के सिपाही देखकर मेरा मन…………..हो उठा।
उत्तर-
आनंदित

प्रश्न 2.
अविद्या…………..की जननी है।
उत्तर-
साहस

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प्रश्न 3.
मूर्खता का…………….सर्वोपरि होता है।
उत्तर-
आत्मविश्वास

एक दीक्षांत भाषण लेखक परिचय हरिशंकर परसाई (1924-1995)

हिन्दी व्यंग्य साहित्य की दुनिया में हरिशंकर परसाई एक विलक्षण नाम है। सच पूछिये तो इन्होंने ही अपनी उत्कृष्ट रचनाओं के माध्यम से व्यंग्य साहित्य को श्रेष्ठ साहित्य का सम्मान दिलाया, अन्यथा इनसे पूर्व वह बहुत हल्दी-फुल्की चीज समझा जाता था, श्रेष्ठ साहित्य के अंतर्गत उसकी गिनती न होती थी। ऐसे अनुपम एवं अप्रतिम व्यंग्यकार श्री हरिशंकर परसाई का जन्म मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिलान्तर्गत ‘जमानी’ गाँव में 22 अगस्त, 1924 ई० में हुआ था। उन्होंने हिन्दी में एम० ए० तक की शिक्षा प्राप्त की थी। तत्पश्चात् स्पेस ट्रेनिंग कॉलेज, जबलपुर से शिक्षक के रूप में दो वर्षों का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया था। परसाईजी ने सर्वप्रथम खंडवा में अध्यापन किया।

फिर मॉडल हाई स्कूल, जबलपुर में 1943 से 1952 तक अध्यापन कार्य करते हुए सन् 1953 से’ 1957 तक प्राइवेट स्कूलों में अध्यापन करते रहे। सन् 1957 से वे सर्वतोभावेन स्वतंत्र लेखन में संलग्न हो गये। उनके साहित्यिक अवदानों के लिए जबलपुर विश्वविद्यालय ने उन्हें डी० लि. की मानद उपाधि से विभूषित किया था तथा साहित्य अकादमी एवं अन्य पुरस्कारों से भी वे अलंकृत- पुरस्कृत किये गये। उन्होंने सन् 1956 से 1959 तक जबलपुर में ‘वसुधा’ नामक पत्रिका का संपादन किया था तथा विश्वशांति सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में 1962 ई० में सोवियत रूस की यात्रा भी की थी। उनका निधन 10 अगस्त, 1995 ई० में हुआ।

हरिशंकर परसाई का कृतित्व जितना विपुल और बहुमुखी है, उतना ही मर्मबोधक और प्रभावशाली भी। उनकी प्रमुख कृतियों में हँसते हैं, भूत के पाँव पीछे, तब की बात और थी, जैसे उनके दिन फिरे, सदाचार का ताबीज, पगडंडियों का जमाना, वैष्णव की फिसलन, पाखंड का अध्यात्मक, सुनो भाई साधो, विकलांग श्रद्धा का दौर, ठिठुरता हुआ, गणतंत्र, निठल्ले की डायरी आदि उल्लेखनीय हैं। उनकी समस्त रचनाएँ ‘परसाई रचनावली’ के नाम से राजमहल प्रकाशन द्वारा छह खंडों में प्रकाशित हैं। उनकी अनेक रचनाओं का अंग्रेजी, उर्दू, मलयालम, मराठी, बंगला आदि में भाषांतरण भी हुआ है। इससे उनकी लोकप्रियता एवं लेखकीय क्षमता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

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वस्तुतः अपनी विलक्षण व्यंग्य-प्रतिभा, गहरी और व्यापक प्रतिबद्ध रचना दृष्टि, सजग-सोद्देश्य, रचनाधार्मिता आदि लेखकीय गुणों के कारण परसाईजी स्वतंत्र्योत्तर भारत के एक समर्थ एक ‘सशक्त लेखक हैं। यद्यपि उन्होंने निबंधों के अतिरिक्त कथा साहित्य का भी सृजन किया है, तथापि उनकी व्यंग्य दृष्टि प्रायः सर्वत्र ही प्रधान रही है। उनकी पैनी नजर आधुनिक जीवन के सभी पक्षों और दिशाओं पर पड़ी है। धर्म, संस्कृति, राजनीति, व्यापार, वाणिज्य आदि विविध क्षेत्रों के साथ ही अंधविश्वास, कुरीति, जाति-व्यवस्था, अशिक्षा, अकर्मण्यता आदि कुसंस्कारों पर भी अत्यंत तीव्र व्यंग्य प्रहार किये हैं। कहना न होगा कि युग-जीवन की तमाम विसंगतियों का उन्होंने बड़ी बेबाकी से पर्दाफश किया है। उनकी तुलना कभी कबीर से तो कभी प्रेमचंद से की जाती है।

पर, सच तो यह है कि व्यंग्य जगत् में परसाईजी अपने-आप में अनूठे और विलक्षण हैं। उनके संबंध में कवि नागार्जुन ने ठीक ही कहा है

“रवि की प्रतिभा को नमस्कार शनि की प्रतिभा को नमस्कार वक्रोक्ति विशारद् महासिद्ध हरि की प्रतिभा को नमस्कार।”

एक दीक्षांत भाषण पाठ का सारांश

हरिशंकर परसाई हिन्दी के विलक्षण एवं विशिष्ट व्यंग्यकार हैं। ‘एक दीक्षांत भाषण’ उन्हीं का एक महत्त्वपूर्ण व्यंग्य लेख है, जो राजमहल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित ‘परसाई रचनावली’ (खंड 4) में संपादित-संकलित है। इसमें मुख्य रूप से एक मंत्री महोदय के दीक्षांत भाषण के माध्यम से आज की भारतीय राजनीति के उस कलुषित चरित्र पर चौतरफा व्यंग्य-प्रहार है, जो शिक्षा-संस्कृति के साथ ही जीवन-जगत् के सभी व्यवहार क्षेत्रों को अपना चारागाह समझता है।

एक विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह का आयोजन है। अतः दीक्षांत भाषण के लिए मंत्री महोदय बुलाये गये हैं। उनके बुलाये जाने के पीछे उनकी योग्यता नहीं, बल्कि अनुदान रुकवाये जाने का डर रहा है। मंत्री महोदय के भाषण से आज के सफेदपोश नेताओं की असलियत उजागर होती है। सर्वप्रथम उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित कर इस बात पर हर्ष जताया कि इस समारोह में छात्रों से ज्यादा सिपाहियों की उपस्थिति है। इस बात को लेकर सरकार और समाज की जो तारीफ की गई है, भला वह कौन होगा, जो सोचने पर मजबूर न होगा। भाषण निरंतर जारी है, अल्पविराम या अर्द्धविराम की कोई जरूरत नहीं, वह एक ही बार पूर्ण विराम लेगा।

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बीच-बीच में यद्यपि श्रोता-दीर्घा से अवरोध भी उत्पन्न होता है, पर भाषण के भूखे मंत्री को कोई परवाह नहीं। वे तो फूले नहीं समा रहे हैं कि उन्हें शिक्षित नवयुवक हूंट कर रहे हैं। इसी संदर्भ में यह कितना कटु व्यंग्य प्रकट है कि आजकल बृहस्पति जैसे गुरु तो ऐसे समाराहों में आने से इंकार करेंगे, जबकि मंत्री जैसे धन-मद और मूर्खता के आत्मविश्वासी सहर्ष तैयार होते हैं। भाषण-क्रम में मंच पर कंकड़ फेंके जाने और मंत्री द्वारा अंडे फेंके जाने की बात से देश की आर्थिक स्थिति पर प्रकाश डाला गया है। पुनः जानवरों की बोली बोलने के उदाहरण द्वारा वर्तमान समय के तरुण छात्र-छात्राओं का चारित्रिक छिछलापन उजागर हो जाता है।

अंत में, मंत्री महोदय प्रबोधन की मुद्रा में आते हैं और युवकों को देश की आशाएं बताते हैं और उन्हें भविष्य-निर्माता कहते हैं। क्योंकि अभी तो उनके जैसे लोग बिगाड़ने का काम कर ही रहे हैं। इसी संदर्भ में युवक द्वारा समय-असमय चलाये जाने वाले आंदोलनों का जिक्र है, जिसके पीछे क्षुद्र स्वार्थों का प्राबल्य होता है कोई बड़ा उद्देश्य या विचार नहीं। मंत्री संदेश स्वरूप सत्य की अनूठी व्याख्या पेश करते हुए यहाँ तक कहते हैं कि यदि आपको सत्य डिग्री लेना है तो उसके लिए आप नकल, पेपर आउट से अध्यापक से मार-पीट तक बखूबी करें। वर्तमान शिक्षा-पद्धति की कैसी सीधी-सच्ची तस्वीर है यह ! बाद में मंत्री छात्रों से राजनीति में भाग न लेने की अपील करते हैं, ताकि उनकी गंदी राजनीति खूब चलती रहे। साथ ही, यहाँ पर ऐसे समारोहों में डॉक्टरेट जैसे उपाधियों को खुशामदस्वरूप प्रदान किये जाने की बात कितनी बड़ी बिडंबना को किस तल्खी से उजागर करती है, वह सहज ही अनुभवगम्य है।

संपेक्षतः ‘एक दीक्षांत भाषण’ परसाई जी का एक ऐसे व्यंग्य लेख है, जो हमारे वर्तमान समय की राजनीति के साथ ही शैक्षिक एवं सामाजिक क्षेत्र की ढेर सारी विसंगतियों को बड़ी तल्खी से उभारकर सामने ला देता है। प्रस्तुत लेख की भाषा बड़ी धारदार है, जसके मारक प्रभाव से पाठक अछूता नहीं रह पाता।

कठिन शब्दों का अर्थ
दीक्षांत-दीक्षा का अन्त, पढ़ाई का सम्पन्न होना। आवाजकशी-तरह-तरह की आवाजें . और फिकरे कसना। अविद्या-अज्ञान। सर्वोपरि-सबके ऊपर। गर्त-खाई, गड्ढा। क्लेश-कष्ट, दु:ख। हूटिंग-शोर-गुल करते हुए बहिष्कार करना। रिफ्रेशिंग-नया-तरोताजा।

एक दीक्षांत भाषण महत्त्वपूर्ण पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या

1. मेरे साहस का कारण यह है कि मैं बृहस्पति की तरह ज्ञानी हूँ। ज्ञानी कायर होता है अविद्या साहस की जननी है। आत्मविश्वास कई तरह का होता है-धन का, बल का, ज्ञान का। मगर मूर्खता का आत्मविश्वास सर्वोपरि होता है।
व्याख्या-
‘एक दीक्षांत भाषण’ व्यंग्य से ली गयी इन पंक्तियों में हरिशंकर परसाई जी ने यह बताया है कि आत्मविश्वास सबसे बड़ी शक्ति होती है। यह विश्वास कई वस्तुओं पर आधारित होता है। जैसे धन पर, बल पर और ज्ञान पर। मगर इन सबसे बड़ी चीज है मूर्खता। जो मूर्ख होते हैं वे अति आत्मविश्वासी होते हैं। अतः वे कोई भी मूर्खता निर्द्वन्द्व होकर कर सकते हैं। इसके विपरीत ज्ञानी के पास बुद्धि होती है अत: कोई कार्य करने के पहले परिणाम के विषय में सोचता है और जहाँ परिणाम विपरीत ज्ञात होता है, हानि की संभावना होती है वहाँ वह कोई खतरा नहीं लेता।

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इसीलिए ज्ञानी को कायर कहा जाता है। अपने विषय में मंत्री बतलाता है कि वह मूर्ख है। अतः वह छात्रों द्वारा हूट किये जाने के परिणाम को जानते हुए भी भाषण करने चला आया है। प्रकारान्तर से वह कहना चाहता है कि नेता मूर्ख होते हैं। अतः उनमें आत्मविश्वास अधिक होता है। इसी आत्मविश्वास के सहारे वे किसी भी खतरे में कूद पड़ते हैं। कोई सोच विचार नहीं करते हैं।

2. “वर्तमान की चिन्ता आप न करें। वर्तमान को तो हम बिगाड़ रहे हैं। यदि हम वर्तमान को नहीं बिगाड़ेंगे तो आप भविष्य को कैसे बनायेंगे? आपको भविष्य बनाने का मौका देने के लिए हम वर्तमान को बिगाड़ रहे हैं। यह आपके प्रति हमारा दायित्व है।”
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ व्यंग्य रचना एक दीक्षांत भाषण से ली गयी हैं। यह रचना एक नेता द्वारा किये गये भाषण के रूप में है। इन पंक्तियों में नेता के माध्यमों से लेखक छात्रों को यह बताना चाहता है कि छात्रों को देश का भविष्य निर्माता कहा जाता है। खासकर नेता इस जुमले का बहुत प्रयोग करते हैं। लेखक का पक्ष है, जब वर्तमान बिगड़ा रहेगा तभी न भविष्य में बनाने की जरूरत पड़ेगी। इसी जरूरत की पूर्ति के लिए नेता देश का वर्तमान बिगाड़ रहे हैं।

इस तरह लेखक सीधे शब्दों में मंत्री के बहाने कहना चाहता है कि देश के सारे नेता मूर्ख और अयोग्य हैं। वे देश को बिगाड़ रहे हैं।

3. जिस दिन आप बुनियादी परिवर्तन के लिए संघर्ष करने लगेंगे, उस दिन हम उखड़ जायेंगे। इसलिए आप सच्चे क्रांतिकारी बनें। सच्चा क्रांतिकारी कंडक्टर, गेटकीपर, चपरासी वगैरह से ही संघर्ष करता है।
व्याख्या-
‘एक दीक्षांत भाषण’ शीर्षक व्यंग्य से गृहीत इन पंक्तियों में परसाई जी ने मंत्री के माध्यम से छात्रों को हूट किया है। प्रायः देखा जाता है कि छात्र सिनेमा टिकट को लेकर गेटकीपर से। छूट को लेकर बस कंडक्टर से झंझट करते हैं और बात बिगड़ने पर उसे आन्दोलन का रूप दे देते हैं। मंत्री छात्रों की इस प्रवृत्ति को क्रांति कहता है। उसका सुझाव है कि आप इन्हीं मुद्दों पर क्रांति कीजिए। इससे हम नेताओं की सत्ता सुरक्षित रहेगी।

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जिस दिन आप वास्तविक समस्याओं को लेकर आन्दोलन करेंगे हम नेताओं का तम्बू उखड़ जायेगा अतः आप सच्चे क्रांतिकारी बनकर इन्हीं आन्दोलनों में लगे रहिए। लेखक तीखी चुटकी लेते हुए कहता है कि आप सच्चे क्रांतिकारी हैं और सच्चा क्रांतिकारी कंडक्टर चपरासी आदि के विरुद्ध आन्दोलन करता है। स्पष्टतः लेखक छात्रों की आन्दोलनात्मक प्रवृत्ति का मजाक उड़ाता है और बतलाता है कि छात्रों के आन्दोलन मूर्खता के नमूने होते हैं और इनसे राजनीतिबाज स्वार्थी नेताओं को पोषण प्राप्त होता है।

4. मेरी इच्छा है कि आप देश के सच्चे सपूत बनें। अगर आप नहीं बनेंगे, तो हमें बनना पड़ेगा और हमारी सच्चे सपूत बनने की उम्र नहीं रही। तरुण मित्रों, देश को आप की ही भरोसा है तो फिर उसे हम पर भरोसा करना पड़ेगा और यह उसके लिए अच्छा नहीं होगा।
व्याख्या-
एक दीक्षांत भाषण की इन पंक्तियों में परसाई जी ने नेताओं को कपूत और अविश्वसनीय माना है। मंत्री के माध्यम से लेखक देश के युवाओं को बताना चाहता है कि यदि आप देश के सच्चे सपूत नहीं बनेंगे तो इन कपूत नेताओं को पुत्र की भूमिका निभानी पड़ेगी और ये कभी सपूत बनी बन सकते। इसी तरह यदि देश आप पर भरोसा नहीं करेगा तो इन नालायक नेताओं पर भरोसा करना पड़ेगा और यह देश के लिए हितकर नहीं होगा, क्योंकि आज ये देश को गर्त की ओर ले जा रहे हैं और कल ये देश को गर्त में पहुँचा कर ही दम लेंगे। अतः आपलोगों को अपनी मूर्खताओं का त्याग कर देश को इन कपूत नेताओं से बचाने की चेष्टा करनी चाहिए।

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Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

Bihar Board 12th Physics Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 1.
एक प्रकाश बल्ब को 220 V ए.सी. सप्लाई के लिए 100 W पर नियत किया गया है। बल्ब का प्रतिरोध होगा –
(a) 284Ω
(b) 384Ω
(c) 484Ω
(d) 584Ω
उत्तर-
(c) 484Ω

प्रश्न 2.
प्रत्यावर्ती वोल्टता (V) को निम्न समीकरण द्वारा व्यक्त किया जाता है –
(a) V(t) = Vme ωt
(b) V(t) = Vm sin ωt
(c) V(t) =Vm cotωt
(d) V(t) =Vm tanωt
उत्तर-
(b) V(t) = Vm sin ωt

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 3.
निम्न में से किस परिपथ में व्यय की गई अधिकतम शक्ति को प्रेक्षित किया गया है ?
(a) शुद्ध धारिता परिपथ
(b) शुद्ध प्रेरकीय परिपथ
(c) शुद्ध प्रतिरोधी परिपथ
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(c) शुद्ध प्रतिरोधी परिपथ

प्रश्न 4.
एक 100Ω के प्रतिरोधक को 220 V, 50 Hz की ए.सी. सप्लाई से जोड़ा जाता है। परिपथ में धारा का वर्गमाध्य मूल मान क्या होगा?
(a) 1.56 A
(b) 1.56 mA
(c) 2.2A
(d) 2.2 mA
उत्तर-
(c) 2.2A

प्रश्न 5.
किसी ए.सी. सप्लाई का शिखर मान 440V है, तो इसकी वर्ग माध्य मूल वोल्टता होगी –
(a) 31.11V
(b) 311.1 V
(c) 41.11 V
(d) 411.1 V
उत्तर-
(b) 311.1 V

प्रश्न 6.
किसी ए.सी. परिपथ में धारा का वर्ग माध्य मूल मान 25 A है, तो शिखर पर धारा होगी –
(a) 35.36 mA
(b) 35.36A
(c) 3.535 A
(d) 49.38 A
उत्तर-
(b) 35.36A

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 7.
यदि V= 100 sin (100t) Vएवं \(I=100 \sin \left(100 t+\frac{\pi}{3}\right) \mathrm{m} \mathrm{A}\) वोल्टता एवं धारा के तात्क्षणिक मान हैं, तो वोल्टता एवं धारा के क्रमशः वर्ग माध्य मूल मान हैं-
(a) 70.7 V,70.7 mA
(b)70.7 V, 70.7A
(c) 141.4V, 141.4 mA
(d) 100 V, 100 mA
उत्तर-
(a) 70.7 V,70.7 mA

प्रश्न 8.
स्विच s को t= 0 पर बंद किया जाता है। पर्याप्त रूप से लम्बे समय के पश्चात् एक लोहे की छड़ को प्रेरक L में प्रवेश कराया जाता है, तो प्रकाश बल्ब –
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा - 1
(a) अधिक चमक के साथ दीप्त होता है।
(b) मन्द हो जाता है।
(c) समान चमक के साथ दीप्त होता है।
(d) क्षणिक रूप से धीमा हो जाता है और फिर अधिक चमक के साथ दीप्त होता है।
उत्तर-
(b) मन्द हो जाता है।

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 9.
एक 44 mH के प्रेरक को 220 V, 50 Hz की ए.सी. सप्लाई से जोड़ा जाता है । परिपथ में धारा का वर्ग माध्य मूल मान क्या होगा?
(a) 12.8A
(b) 13.6A
(c) 15.9A
(d) 19.5 A
उत्तर-
(c) 15.9A
(c) यहाँ , L = 44 mH = 44 x 10-3 H;
Vrms = 220 V, υ = 100Hz
प्रेरकीया प्रतिघात, XL = WL
= 2πυL = 2 x 3.14 x 50 x 44 x 10-3 = 13.82Ω
∴ \(\mathrm{I}_{\mathrm{rms}}=\frac{\mathrm{V}_{\mathrm{rms}}}{X_{L}}=\frac{220}{13.82}=15.9 \mathrm{A}\)

प्रश्न 10.
एक आदर्श प्रेरक को बारी-बारी से 220 V,50 HZ एवं 220 V, 100 Hz सप्लाइयों में रखा जाता है। दोनों प्रकरणों में इसमें से प्रवाहित धारा होगी –
(a) बराबर
(b) भिन्न
(c) शून्य
(d) अनन्त
उत्तर-
(b) भिन्न

प्रश्न 11.
एक परिपथ 1Ω प्रतिरोध एवं 0.01 H प्रेरकत्व का बना है। एक प्रत्यावर्ती वोल्टता 50 HZ पर 200V को जोड़ा जाता है, तो परिपथ में धारा एवं वोल्टता के मध्य कलान्तर होगा –
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा - 2
उत्तर-
(a)
(a) tan Φ = \(\left(\frac{X_{L}}{R}\right)\)
XL =WL = (2πυL) = (2π) (50) (0.01) = πΩ
R = 1Ω ∴ Φ = tan-1(π)

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 12.
एक 5µF के संधारित्र को 200 V,100 Hz के ए.सी. स्रोत से जोड़ा जाता है। धारिता प्रतिघात क्या होगा?
(a) 212Ω
(b) 312Ω
(c) 318Ω
(d) 412Ω
उत्तर-
(c) 318Ω
(c) यहाँ , C = 5μF = 5 x 10-6F, Vrms = 200 V, υ = 100 Hz
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा - 7

प्रश्न 13.
शुद्ध धारिता परिपथ में, यदि ए.सी. स्रोत की आवृत्ति दुगुनी हो, तो . उसका धारिता प्रतिघांत –
(a) समान रहेगा
(b) दुगुना होगा
(c) आधा होगा
(d) शून्यं होगा
उत्तर-
(c) आधा होगा

प्रश्न 14.
एक 60µF के संधारित्र को 110V (ms), 60 Hz की ए.सी. सप्लाई से जोड़ा जाता है। परिपथ में धारा का वर्ग माध्य मूल मान होगा
(a) 1.49 A
(b) 14.9.A
(c) 2.49 A
(d) 24.9A
उत्तर-
(c) 2.49 A
(c) यहाँ, C = 60 μF = 60 x 10-6 F
Vrms = 110V, υ= 66Hz
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा - 8
= 2 x 3.14 x 60 x 60 x 10-6 x 110 = 2.49A

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 15.
अनुनादी आवृत्ति पर, श्रेणी LCR परिपथ में धारा का आयाम होगा –
(a) अधिकतम
(b) न्यूनतम
(c) शून्य
(d) अनंत
उत्तर-
(a) अधिकतम

प्रश्न 16.
एक 0.2kΩ प्रतिरोधक एवं 15μF के संधारित्र को 220V,50 Hz ए.सी. स्रोत से श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है। परिपथ की प्रतिबाधा होगी
(a) 250Ω
(b) 268Ω
(c) 29.15Ω
(d) 291.5Ω
उत्तर-
(d) 291.5Ω
(d) यहाँ, R = 0.2 kΩ = 200Ω, C = 15µF = 15 x 10-6F
Vrms = 220V, υ = 50Hz
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा - 9

प्रश्न 17.
एक श्रेणी LCR परिपथ में L = 30 mH, R=8Ω तथा अनुनादी आवृत्ति 50 Hz है। परिपथ का गुणांक गुणवत्ता (Q) क्या है ?
(a) 0.118
(b) 11.8
(c) 118
(d) 1.18
उत्तर-
(d) 1.18
(d) यहाँ, L= 30mH = 30 x 10-3H, R = 8Ω, υ = 50Hz
चूँकि wr = 2πυr = 2 x 3.14 x 50= 314Hz
गुणवत्ता गुणांक \(Q=\frac{\omega_{r} L}{R}=\frac{314 \times 30 \times 10^{-3}}{8}=1.18\)

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 18.
श्रेणीक्रम में 20Ω प्रतिरोधक एवं.0.1μF संधारित्र वाले परिपथ को 100 rad s-1 कोणीय आवृत्ति के 230 V की ए.सी. सप्लाई से जोड़ा जाता है। परिपथ की प्रतिबाधा होगी –
(a) 105
(b) 104
(c) 106
(d) 1010
उत्तर-
(a) 105
(a) यहाँ, R = 20Ω,C = 0.1µF= 0.1 x 10-6 F= 10-7F
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा - 10

प्रश्न 19.
LCR परिपथ में, यदि प्रतिरोध बढ़ता है, तो गणवत्ता गुणांक (Q)
(a) नियमित रूप से बढ़ता है
(b) नियमित रूप से घटता है
(c) नियत रहता है
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(b) नियमित रूप से घटता है

प्रश्न 20.
श्रेणी LCR परिपथ में, सप्लाई वोल्टता एवं धारा के मध्य कला कोण होगा –
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा - 3
उत्तर-
(a)

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 21.
एक 40Ω प्रतिरोधक के साथ 100 uF के संधारित्र को 100 V,60 Hz सप्लाई से जोड़ा जाता है। परिपथ में अधिकतम धारा होगी
(a) 2.65 A
(b) 2.75A
(c) 2.85 A
(d) 2.95 A
उत्तर-
(d) 2.95 A
(d) यहाँ, C = 100 µF = 100 x 10-6 F = 10-4F,
R = 40Ω, Vrms = 100V, υ = 60 Hz
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा - 11
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा - 12

प्रश्न 22.
एक LCR श्रेणी ए.सी. परिपथ L,C एवं R में प्रत्येक 10 V वाले अनुनाद में है। यदि प्रतिरोध आधा हो जाये, तो L, C एवं R में क्रमशः वोल्टताएँ होंगी –
(a) 10 V, 10 V एवं 5 V
(b) 10 V, 10 V एवं 10 V
(c) 20V, 20 V एवं 5 V
(d) 20 V, 20 V एवं 10 V
उत्तर-
(d) 20 V, 20 V एवं 10 V

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 23.
दर्शाये गये श्रेणी LCR परिपथ में प्रतिबाधा है –
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा - 4
(a) 200Ω
(b) 100Ω
(c) 300Ω
(d) 500 Ω
उत्तर-
(d) 500 Ω

प्रश्न 24.
श्रेणी अनुनादी LCR परिपथ में Q गुणांक = 0.4 है। यदि R= 2kΩ , C= 0.1 μF हो, तो प्रेरकत्व का मान होगा
(a) 0.1 H
(b) 0.064H
(c) 2H
(d) 5 H
उत्तर-
(b) 0.064H
(b) गुणवत्ता गुणांक \(Q=\frac{1}{R} \sqrt{\frac{1}{C}}\) या \(\frac{L}{C}=(Q R)^{2}\)
यहाँ,, Q = 0.4, R = 2 kΩ = 2 x 103 12, C = 0.1 µF
= 0.1 x 10-6 F
∴ L=(QR)2C
∴ L = (0.4 x 2 x 103)2 x 0.1 x 10-6 = 0.064 H.

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 25.
किसी परिपथ में, L, C एवं R, आवृत्ति । के एक प्रत्यावर्ती वोल्टता स्रोत से श्रेणीक्रम में जुड़े हैं। धारा, वोल्टता से 45° अग्रगामी है। C का मान होगा –
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा - 5
उत्तर-
(d)

प्रश्न 26.
220 V की एक प्रत्यावर्ती सप्लाई को प्रतिरोध 222 एवं प्रतिबाधा 44 Ω के साथ किसी परिपथ में आरोपित किया जाता है। परिपथ में व्ययं हुई शक्ति क्या होगी?
(a) 1100 W
(b) 550 W
(c) 2200 W
(d) (2200/3)w
उत्तर-
(b) 550 W

प्रश्न 27.
क्वालिटी गुणांक एवं शक्ति गुणांक दोनों की विमाएँ निम्न में से किसके समान होंगी?
(a) समय
(b) आवृत्ति
(c) कार्य
(d) कोण
उत्तर-
(d) कोण

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 28.
एक श्रेणी LCR परिपथ में, वोल्टता एवं धारा के मध्य कलान्तर 45° है, तो शक्ति गुणांक होगा
(a) 0.607
(b) 0.707
(c) 0.808
(d) 1
उत्तर-
(b) 0.707

प्रश्न 29.
एक आवेशित 30 µF के संधारित्र को 27 mH के प्रेरक से जोड़ा जाता है । परिपथ के मुक्त दोलनों की कोणीय आवृत्ति क्या होगी?
(a) 1.1 x 103 rad s-1
(b) 2.1 x 103 rads-1
(c) 3.1 x 103 rds-1
(d) 4.1 x 103 rads-1
उत्तर-
(a) 1.1 x 103 rad s-1
(a) यहाँ, C = 30 µF = 30 x 10-6F,
L= 27 mH = 27 × 10-3H
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा - 13

प्रश्न 30.
ट्रांसफॉर्मर में, परिणमन अनुपात 0.3 है। यदि 220 V ए.सी. प्राथमिक कुंडली में संचित होती है, तो द्वितीयक कुंडली में वोल्टता होगी
(a) 44V
(b) 55 V
(c) 60V
(d) 66 V
उत्तर-
(d) 66 V

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 31.
वह राशि जो ट्रांसफॉर्मर में अपरिवर्तित रहती है, होती है
(a) वोल्टता
(b) धारा
(c) आवृत्ति
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(c) आवृत्ति

प्रश्न 32.
एक ट्रांसफॉर्मर की क्रोड किसे कम करने के लिए स्तरित (Laminated) बनायी जाती है ?
(a) फ्लक्स रिसाव
(b) शैथिल्य
(c) ताम्र हास
(d) भँवर धारा
उत्तर-
(d) भँवर धारा

प्रश्न 33.
एक ट्रांसफॉर्मर का उपयोग 240V ए.सी. मुख्य प्रणाल के 140W, 24V बल्ब को जलाने में किया जाता है। यदि मुख्य धारा 0.7A हो, तो ट्रांसफॉर्मर की दक्षता होगी –
(a) 63.8%
(b)74%
(c) 83.3%
(d) 48%
उत्तर-
(c) 83.3%

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 34.
यदि किसी 50 Hz के ए.सी. परिपथ में वर्ग माध्य मूल धारा 5A हो, तो इसका मान शून्य होने के 1/300 सेकण्ड के पश्चात् धारा का मान होगा –
(a) \(5 \sqrt{2} \mathrm{A}\)
(b) \(5 \sqrt{\frac{3}{2}} \mathrm{A}\)
(c) \(\frac{5}{6} A\)
(d) \(\frac{5}{\sqrt{2}} \mathbf{A}\)
उत्तर-
(b) \(5 \sqrt{\frac{3}{2}} \mathrm{A}\)
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा - 14

प्रश्न 35.
एक जनित्र से किसी LCR श्रेणी में अनुनादी आवृत्ति को कम करने के लिए –
(a) जनित्र की आवृत्ति कम होनी चाहिए।
(b) अन्य संधारित्र को पहले में समानान्तर क्रम में जोड़ना चाहिए।
(c) प्रेरक के लोहे की क्रोड को हटाना चाहिए।
(d) संधारित्र में परावैद्युत को हटाना चाहिए।
उत्तर-
(b) अन्य संधारित्र को पहले में समानान्तर क्रम में जोड़ना चाहिए।

प्रश्न 36.
प्रतिघात 1 Ω के एक प्रेरक एवं प्रतिरोधक 22 को एक 6 V(rms) ए.सी. स्रोत के टर्मिनलों से श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है। परिपथ में अपव्यय हुई शक्ति होगी
(a) 8W
(b) 12w
(c) 14.4W
(d) 18w
उत्तर-
(c) 14.4W
(c) यहाँ, XL = 1Ω, R = 2 Ω, Vrms = 6V ufager at forate,
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा - 15

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 प्रत्यावर्ती धारा

प्रश्न 37.
अपचायी ट्रांसफॉर्मर के निर्गत को तब 24V मापा जाता है जब उसे 12 वाट के प्रकाश बल्ब से जोड़ा जाता है। शिखर धारा का मान होगा –
\((a) \frac{1}{\sqrt{2}} \mathrm{A}
(b) \sqrt{2}^{\mathrm{A}}
(c) 2 \mathrm{A}
(d) 2 \sqrt{2} \mathrm{A}\)
उत्तर-
(a) \(\frac{1}{\sqrt{2}} \mathrm{A}\)
(a) यहाँ,, Vs = 24 V, Ps= 12 W \(I_{s}=\frac{P_{s}}{V_{s}}=\frac{12}{24}=0.5 \mathrm{A}\)
\(I_{m}=\sqrt{2} I_{s}=\sqrt{2} \times 0.5=\frac{1}{\sqrt{2}} \mathrm{A}\)

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

Bihar Board 12th Chemistry Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

Question 1.
निम्न में से कौन-सा एक ऐलिलिक हैलाइड नहीं है ?
(a) 4-ब्रोमोपेन्ट-2-ईन
(b) 3-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूट-1-ईन
(c) 1-ब्रोमोब्यूट-2-ईन
(d) 4-ब्रोमोब्यूट-1-ईन
Answer:
(d) 4-ब्रोमोब्यूट-1-ईन

Question 2.
निम्न में से कौन-सा प्राथमिक हैलाइड है ?
(a) आइसो-प्रॉपिलियोडाइड
(b) सेक (sec.) 3°-ब्यूटीलियोडाइड
(c) टर (ter.) 3°-ब्यूटिलब्रोमाइड
(d) नियो-हेक्सिलक्रोइड
Answer:
(d) नियो-हेक्सिलक्रोइड

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

Question 3.
यौगिक
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 1
का IUPAC नाम है CHZ
(a) 1-फ्लुओरो-4-मेथिल-2-नाइट्रोबेंजीन
(b) 4-फ्लुओरो-1-मेथिल-3-नाइट्रोबेंजीन
(c) 4-मेथिल-1-फ्लु ओरो-2-नाइट्रोबेंजीन
(d) 2-फ्लु ओरो-5-मेथिल-1-नाइट्रोबेंजीन
Answer:
(d) 2-फ्लु ओरो-5-मेथिल-1-नाइट्रोबेंजीन

Question 4.
तृतीयक ब्यूटिल क्लोराइड का IUPAC नाम है
(a) 2-क्लोरो-2-मेथिलप्रोपेन
(b) 3-क्लोरोब्यूटेन
(c) 4-क्लोरोब्यूटेन
(d) 1.2-क्लोरो-3-मेथिलप्रोपेन
Answer:
(a) 2-क्लोरो-2-मेथिलप्रोपेन

Question 5.
(CH3)2 CH – CH2 – CH2 Br का IUPAC नाम है
(a) 1-ब्रोमोपेन्टेन
(b) 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन
(c) 2-मेथिल-4-ब्रोमोब्यूटेन
(d) 3-मेथिल-3-ब्रोमोब्यूटेन
Answer:
(b) 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

Question 6.
निम्न में से कौन-सा यौगिक, मुक्त मूलक क्लोरोनीकरण पर केवल एक मोनोक्लोरीनीकृत उत्पादन दे सकता है ?
(a) 2, 2-डाइमेथिलप्रोपेन
(b) 2-मेथिलप्रोपेन
(c) 2-मेथिलब्यूटेन
(d) n-ब्यूटेन
Answer:
(a) 2, 2-डाइमेथिलप्रोपेन

Question 7.
सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में मीथेन का ब्रोमीनीकरण है
(a) नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन
(b) मुक्त मूलक प्रतिस्थापन
(c) विद्युतस्नेही प्रतिस्थापन
(d) नाभिकस्नेही योग
Answer:
(b) मुक्त मूलक प्रतिस्थापन

Question 8.
निम्न में से कौन-सी अभिक्रिया मार्कोनीकॉफ नियम का पालन करती है ?
(a) C2H4 + HBr
(b) C3H6 + Cl3
(c) C3H6 + BHr
(d) C3H6 + Br2
Answer:
(c) C3H6 + BHr

Question 9.
अणुसूत्र C7H8 के साथ एक यौगिक x को FeCl3, की उपस्थिति में CI2, के साथ उपचारित किया जाता है। निम्न में से कौन-से यौगिक अभिक्रिया के दौरान बनते हैं ?
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 2
Answer:
(a)

Question 10.
FeCl3, की उपस्थिति में क्लोरीन के साथ टॉलूईन की अभिक्रिया प्रमुख रूप से होती है
(a) o-एवं p-क्लोरोटॉलूईन का मिश्रण
(b) बेंलित क्लोराइड
(c) m-क्लोरोटॉलूईन
(d) बेंजॉल क्लोराइड
Answer:
(a) o-एवं p-क्लोरोटॉलूईन का मिश्रण

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

Question 11.
निम्न में से किस यौगिक का क्वथनांक सर्वाधिक होता है?
(a) CH3CH2CH2Cl
(b) CH3 CH2 CH2 CH2 CI
(c) CH3CH (CH3) CH2Cl
(d) (CH3)3 CCl
Answer:
(b) CH3 CH2 CH2 CH2 CI

Question 12.
निम्न में से कौन-से अणुओं का द्विध्रुव आघूर्ण उच्चतम होता है ?
(a) CH2CI
(b) CH2Cl2
(c) CHCl3
(d) CCl4
Answer:
(a) CH2CI

Question 13.
निम्न में से किस यौगिक का गलनांक उच्चतम होगा ?
(a) क्लोरोबेंजीन
(b) ० – डाइक्लोरोबेंजीन
(c) m – डाइक्लोरोबेन्जीन
(d) p – डाइक्लोरोबेंजीन
Answer:
(d) p – डाइक्लोरोबेंजीन

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

Question 14.
निम्न में से कौन-सा ऐल्किल हैलाइड तीव्र दर पर जलीय KOH के साथ जल-अपघटन करने पर प्राप्त होता है ?
(a) CH3CH2 CH3Cl
(b) CH3CH2Cl
(c) CH3CH2CH2CH2Cl
(d) CH3CH2CH(Br)CH3
Answer:
(d) CH3CH2CH(Br)CH3

Question 15.
निम्न अभिक्रिया में निर्मित मुख्य उत्पाद है
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 3
Answer:
(d)

Question 16.
ब्यूटेन नाइट्राइल को किसके साथ गर्म करके बनाया जा सकता है ?
(a) KCN के साथ प्रोपिल ऐल्कोहॉल
(b) KCN के साथ ब्यूटिल क्लोराइड
(c) KCN के साथ ब्यूटिल ऐल्कोहॉल
(d) KCN के साथ प्रोपिल क्लोराइड
Answer:
(d) KCN के साथ प्रोपिल क्लोराइड

Question 17.
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 4
अभिक्रिया में अंतिम उत्पाद है
(a) CH3OH
(b) HCOOH
(c) CH3CHO
(d) CH3COOH
Answer:
(d) CH3COOH

Question 18.
अभिक्रिया के निम्न क्रम में अंतिम उत्पाद (Q) है
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 5
Answer:
(c)

Question 19.
निम्न में से कौन-सा क्लोरोहाइड्रोकार्बन तीव्रता से सोल्वोलाइसिस करता है ?
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 6
Answer:
(c)

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

Question 20.
मेथिलब्रोमाइड, AgF से क्रिया करने मेथिल फ्लोराइड एवं सिल्वर ब्रोमाइड बनाता है। यह अभिक्रिया बनाता है। यह अभिक्रिया कहलाती है
(a) फिटिग अभिक्रिया
(b) स्वार्ट्ज अभिक्रिया
(c) वु अभिक्रिया
(d) फिंकेल्स्टाइल अभिक्रिया
Answer:
(b) स्वार्ट्ज अभिक्रिया

Question 21.
ऐल्किल हैलाइड किसके द्वारा ऐल्कोहॉल में परिवर्तित हो जाता है?
(a) विलोपन
(b) डीहाइड्रोजनीकरण
(c) योग
(d) प्रतिस्थापन
Answer:
(d) प्रतिस्थापन

Question 22.
1-क्लोरोप्रोपेन एवं 2-क्लोरोप्रोपन के मिश्रण को जब ऐल्कोहॉलिक KOH के साथ उपचारित किया जाता है, तो प्राप्त होता है
(a) प्रॉप-1-ईन
(b) प्रॉप-2-ईन
(c) प्रॉप-1-ईन एवं प्रॉप-2-ईन का मिश्रण
(d) प्रोपेनॉल
Answer:
(a) प्रॉप-1-ईन

Question 23.
एक ऐल्किल हैलाइड, Rx, KCN के साथ क्रिया करके प्रोपेन नाइट्राइल देता है। RX है
(a) C3H7Br
(b) C4H9Br
(c) C2H5Br
(d) C5H11Br
Answer:
(c) C2H5Br

Question 24.
SN1 अभिक्रिया किसमें तीव्रतम होती है ?
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 7
Answer:
(c)

Question 25.
तृतीयक ऐल्किल हैलाइड SN2 क्रियाविधि के द्वारा प्रतिस्थापन के लिए व्यवहारिक रूप से अक्रिय होते हैं क्योंकि
(a) निर्मित कार्बोधनायन अस्थायी होता है।
(b) त्रिविम (Steric) हिंडरेंस होता है।
(c) प्रेरणिक प्रभाव होता है।
(d) अभिक्रिया की दर SN2 क्रियाविधि में तीव्र होती है।
Answer:
(b) त्रिविम (Steric) हिंडरेंस होता है।

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Question 26.
निम्न ऐल्किल हैलाइडों में से कौन-सा SN1 क्रियाविधि द्वारा जल-अपघटित नहीं होता है ?
(a) CH3CI
(b) CH3CH2 Cl
(c) CH2CH2CH2Cl
(d) (CH3)3CCI
Answer:
(d) (CH3)3CCI

Question 27.
ऐल्किल ब्रोमाइड के विकल्पों में, SN2 अभिक्रिया में सबसे कम क्रियाशील ब्रोमाइड है
(a) 1-ब्रोमोपेन्टेन
(b) 2-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन
(c) 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन
(d) 1-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन
Answer:
(b) 2-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन

Question 28.
निम्न में से कौन-सा जलीय NaOH की ओर अधिक क्रियाशील
(a) C6H5Cl
(b) C6H5CH2.Cl
(c) C6H5Br
(d) BrC6H4Br
Answer:
(b) C6H5CH2.Cl

Question 29.
ऐल्कोहॉलिक KOH के साथ अभिक्रिया पर 2-क्लोरो-2-मेथिलप्रोपेन उत्पाद के रूप में x देता है। x है
(a) ब्यूट -2-ईन
(b) 2-मेथिलब्यूट-1-ईन
(c) 2-मेथिलप्रॉप-1-ईन
(d) 2-मेथिलब्यूटेन-2-ऑल
Answer:
(c) 2-मेथिलप्रॉप-1-ईन

Question 30.
जलीय KOH के साथ अभिक्रिया पर 2-ब्रोमो-3;3-डाइमेथिलब्यूटेन मुख्य उत्पाद के रूप में X प्रदान करता है। x है
(a) 2, 3, 3-ट्राइमेथिलप्रोपेन-1-ऑल
(b) 2, 2-डाइमेथिलब्यूटेन-3-ऑल
(c) 2, 3-डाइमेथिलब्यूटेन-2-ऑल
(d) 2,2-डाइमेथिलप्रोपेन-2-ऑल
Answer:
(c) 2, 3-डाइमेथिलब्यूटेन-2-ऑल

Question 31.
एथिलीन डाइक्लोराइड एवं एथिलिडीन क्लोराइड समावयवी यौगिक हैं । इन समावयवियों के बारे में गलत कथन है कि ये
(a) दोनों समान उत्पाद में जल-अपघटित होते हैं।
(b) क्लोरीन के समान प्रतिशत से युक्त होते हैं।
(c) स्थान समावयवी हैं।
(d) ऐल्कोहली पोटाश से क्रिया करके समान उत्पाद देते हैं।
Answer:
(a) दोनों समान उत्पाद में जल-अपघटित होते हैं।

Question 32.
निम्न हैलोऐल्केनों में से कौन-सा अधिक आसानी से जलीय KOH से क्रिया करता है ?
(a) 1-ब्रोमोब्यूटन
(b) 2-ब्रोमोब्यूटेन
(c) 2-ब्रोमो-2-मेथिलप्रोपेन
(d) 2-क्लोरोब्यूटेन
Answer:
(c) 2-ब्रोमो-2-मेथिलप्रोपेन

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Question 33.
ऐल्कोहॉलिक KOH के साथ अभिक्रिया पर ट्रांस-2-फिनाइल-1. ब्रोमोसाइक्लोपेन्टेन की अभिक्रिया से उत्पन्न होता है
(a) 4-फिनाइल साइक्लोपेन्टीन
(b) 2-फिनाइल साइक्लोपेन्टीन
(c) 1-फिनाइलसाइक्लोपेन्टीन
(d) 3-फिनाइल साइक्लोपेन्टीन
Answer:
(d) 3-फिनाइल साइक्लोपेन्टीन

Question 34.
निम्न अभिक्रिया श्रेणी में (Z) को पहचानिए
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 8
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Answer:
(b)

Question 35.
ऐल्कोहॉली KOH के साथ ऐल्किल हैलाइड का आसान डीहाइड्रोजनीकरण है
(a) 3°<2 <1°
(b) 3°>2°>10
(c) 3°<2°>10
(d) 3°>2°<1°
Answer:
(b) 3°>2°>10

Question 36.
2-ब्रोमोब्यूटेन से ब्रोमीन का विलोपन किसके निर्माण में परिणामित होता है?
(a) 1 एवं 2-ब्यूटीन का समअणु मिश्रण
(b) मुख्य रूप से 2-ब्यूटीन
(c) मुख्य रूप से 1-ब्यूटीन
(d) मुख्य रूप से 2-ब्यूटाइन
Answer:
(b) मुख्य रूप से 2-ब्यूटीन

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Question 37.
निम्न हैलोऐल्केनों में कौन-सा अधिक क्रियाशील है?
(a) 1-क्लोरोप्रोपेन
(b) 1-ब्रोमोप्रोपेन
(c) 2-क्लोरोप्रोपेन
(d) 2-ब्रोमोप्रोपेन
Answer:
(d) 2-ब्रोमोप्रोपेन

Question 38.
कौन-सा ऐल्किल हैलाइड S1 क्रियाविधि द्वारा प्राथमिक रूप से (Preferentially) जल-अपघटित होता है ?
(a) (CH3)3CCl
(b) CH3CH2 CH2.CI
(c) CH3 CH2 Cl
(d) CH3CI
Answer:
(a) (CH3)3CCl

Question 39.
एक कार्बनिक हैलोजन यौगिक जो फ्रिज एवं वातानुकूलन में प्रशीतक के रूप में प्रयुक्त होता है
(a) BHC
(b) CCI6
(c) फ्रिऑन
(d) CHCI3
Answer:
(c) फ्रिऑन

Question 40.
टॉलईन आयरन (III) क्लोराइड की उपस्थिति में हैलोजन के साथ क्रिया करने ऑर्थों एवं पैरा यौगिक देता है । यह अभिक्रिया है
(a) विद्युतस्नेही विलोपन अभिक्रिया
(b) विद्युतस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया
(c) मुक्त मूलक योगात्मक अभिक्रिया।
(d) नाभिकस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया
Answer:
(b) विद्युतस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रिया

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Question 41.
निम्न में से कौन-सा vic-डाइहैलाइड का एक उदाहरण है ?
(a) डाइक्लोरोमेथेन
(b) 1, 2-डाइक्लोरोईथेन
(c) एथिलिडीन क्लोराइड
(d) ऐलिल क्लोराइड
Answer:
(b) 1, 2-डाइक्लोरोईथेन

Question 42.
CH3CH = CHC (Br) (CH3)2 में यौगिक में -Br की स्थिति को किस रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है ?
(a) ऐलिल
(b) ऐरिल
(c) विनाइल
(d) द्वितीयक
Answer:
(a) ऐलिल

Question 43.
प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड निम्न में से किसे प्राथमिकता से करते
(a) SN1 अभिक्रिया
(b) SN2 अभिक्रिया
(c) α – विलोपन
(d) रेसिमीकरण
Answer:
(b) SN2 अभिक्रिया

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Question 44.
डाइएथिलब्रोमोमेथेन के लिए सही IUPAC नाम क्या होना चाहिए?
(a) 1-ब्रोमो-1-1-डाइएथिलमेथेन
(b) 3-ब्रोमोपेन्टेन
(c) 1-ब्रोमो-1-एथिलप्रोपेन
(d) 1-ब्रोमोपेन्टेन
Answer:
(b) 3-ब्रोमोपेन्टेन

Question 45.
वे अणु जिनकी मिरर इमेज उनके ऊपर गैर-सुपरइम्पोजेबल होती है, काइरल कहलाते हैं । निम्न में से किस अणु की प्रकृति काइरल होती है ?
(a) 2-ब्रोमोब्यूटेन
(b) 1-ब्रोमोब्यूटेन
(c) 2-ब्रोमोप्रोपेन
(d) 2-ब्रोमोप्रोपेन-2-ऑल
Answer:
(a) 2-ब्रोमोब्यूटेन