Bihar Board Class 12th Hindi रचना निबंध लेखन

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions

Bihar Board Class 12th Hindi रचना निबंध लेखन

Bihar Board Class 12th निबंध लेखन

1. भारत के प्रथम राष्ट्रपति : देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद

अपनी सादगी, पवित्रता, सत्यनिष्ठा, योग्यता और विद्वान से भारतीय ऋषि परम्परा को पुनर्जीवित कर देने वाले, देशरत्न के उच्चतम पद से विभूषित राजेन्द्र बाबू का पूरा नाम डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सिंह है। अपनी सादगी और सरलता के कारण किसान जैसा व्यक्तित्व पाकर भी पहले राष्ट्रपति बनने का गौरव पाने वाले इस महान व्यक्ति का जन्म 3 दिसम्बर सन् 1884 ई. के दिन बिहार राज्य के सरना जिले के एक मान्य एवं संभ्रान्त कायस्थ परिवार में हुआ था। पूर्वज तत्कालीन हथुआ राज्य के दीवान रह चुके थे।

उर्दू भाषा में आरम्भिक शिक्षा पाने के बाद उच्च शिक्षा के लिए कोलकाता आ गए। आरम्भ से अन्त तक प्रथम श्रेणी में हर परीक्षा पास करने के बाद वकालत करने लगे। कुछ ही दिनों में इनकी गणना उच्च श्रेणी के श्रेष्ठतम वकीलों में होने लगी। लेकिन रौलेट एक्ट से आहत होकर इनका स्वाभिमानी मन देश की स्वतंत्रता के लिए तड़प उठा और गाँधी जी द्वारा चलाए गए असहयोग आन्दोलनों में भाग लेकर देशसेवा में जुट गए।

आरम्भ में राजेन्द्र बाबू राष्ट्रीय नेता गोपाल कृष्ण गोखले से, बाद में महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से सर्वाधिक प्रभावित रहे। इन दोनों का प्रभाव इनके जीवन में स्पष्ट दिखाई देता था। इन दोनों ने ही इन्हें महान बनाया। सन् 1905 ई. में पूना में स्थापित ‘सर्वेण्ट्स आफ इण्डिया’ सोसाइटी की तरफ आकर्षित होते हुए भी राजेन्द्र बाबू अपनी अन्त:प्रेरणा से गाँधी जी के चलाए कार्यक्रमों के प्रति सर्वात्मभाव से समर्पित हो गए और फिर आजीवन उन्हीं के बने भी रहे।

राजेन्द्र बाबू विद्वान और विनम्र तो थे ही, अपूर्व सूझ-बूझ वाले एवं संगठन शक्ति से सम्पन्न व्यक्ति भी थे। इस कारण इन्हें जीवनकाल में और स्वतंत्रता संघर्ष काल में भी अधिकतर इसी प्रकार के कार्य सौंपे जाते रहे। अपनी लगन एवं दृढ़ कार्यशक्ति से शीघ्र ही इन्होंने गाँधीजी के प्रिय पात्रों के साथ-साथ शीर्षस्थ राजनेताओं में भी परम विशिष्ट एवं महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर लिया था।

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आरम्भ में इनका कार्यक्षेत्र अधिकतर बिहार राज्य ही रहा। असहयोग आन्दोलन में सफलतापूर्वक भाग ले कर और शीर्षस्थ पद पाकर ये बिहार के किसानों को उनके उचित अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष करने लगे। बिहार राज्य में नव जागृति लाकर स्वतंत्रता संघर्ष के लिए खड़ा कर देना भी इन्हीं के कुशल एवं निःस्वार्थ नेतृत्व का कार्य था। सन् 1934 में बिहार राज्य में आने वाले भूकम्प के कारण उत्पन्न विनाशलीला के अवसरल पर राजेन्द्र बाबू ने जिस लगन और कुशलता से पीड़ित जनता को राहत पहुँचाने का कार्य किया, वह एक अमर घटना तो बन ही गया, उसने सारे बिहार राज्य को इनका अनुयायी भी बना दिया।

अपने व्यक्तित्व में पूर्ण, कई बातों में स्वतंत्र विचार रखते हुए भी राजेन्द्र बाबू गाँधीजी का विरोध कभी भूलकर भी नहीं किया करते थे। हर आदेश का पालन और योजना का समर्थन नतमस्तक होकर किया करते थे इसका प्रमाण उस समय भी मिला, जब हिन्दी भाषा का कट्टर अनुयायी एवं समर्थन होते हुए भी इन्होंने गाँधीजी के चलाए हिन्दोस्तानी भाषा के आन्दोलन को चुपचाप स्वीकार कर लिया।

राष्ट्रपति भवन के वैभवपूर्ण वातावरण में रहते हुए भी इन्होंने अपनी सादगी और पवित्रता को कभी भंग नहीं होने दिया। हिन्दी को राष्ट्रभाषा घोषित करने जैसे कुछ प्रश्नों पर इनका प्रधानमंत्री से मतभेद भी बना रहा, पर इन्होंने अपने पद की गरिमा को कभी भंग नहीं होने दिया। दूसरी बार का राष्ट्रपति पद का समय समाप्त होने के बाद ये बिहार के सदाकत आश्रम में जाकर निवास करने लगे। सन् 1962 में उत्तर-पूर्वी सीमांचल पर चीनी आक्रमण का सामना करने का उद्घोष करने के बाद शारीरिक एवं मानसिक अस्वस्थता में रहते हुए इनका स्वर्गवास हो गया। इन्हें मरणोपरान्त ‘भारत रत्न’ के पद से विभूषित किया गया। भारतीय आत्मा इनके सामने हमेशा नतमस्तक रहेगी।

2. यदि मैं प्रधानमंत्री होता

यदि मैं प्रधानमंत्री होता-अरे ! यह मैं क्या सोचने लगा। प्रधानमंत्री बनना कोई बच्चों का काम है क्या? प्रधानमंत्री कितना भारी शब्द है यह, जिसे सुनते ही एक ओर तो कई तरह के दायित्वों का अहसास होता है जबकि दूसरी ओर स्वयं ही एक अनजाने गर्व से उठ कर तनने भी लगता है। भारत जैसे महान लोकतंत्र का प्रधानमंत्री बनना वास्तव में बहुत बड़े गर्व और गौरव की बात है, इस तथ्य से भला कौन इन्कार कर सकता है। प्रधानमंत्री बनने के लिए लम्बे और व्यापक जीवन अनुभवों का, राजनीतिक कार्यों और गतिविधियों का प्रत्यक्ष अनुभव रहना बहुत ही आवश्यक हुआ करता है।

प्रधानमंत्री बनने के लिए जनकार्यों और सेवाओं की पृष्ठभूमि में रहना भी जरूरी है और इस प्रकार के व्यक्ति का अपना जीवन भी त्याग-तपस्या का आदर्श उदाहरण होना चाहिए। एक और महत्वपूर्ण बात भी जरूरी है। वह यह कि आज के युग में छोटे-बड़े प्रत्येक देश और उसके प्रधानमंत्री को कई तरह के राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय दबावों, कूटनीतियों के प्रहारों को झेलते हुए कार्य करना पड़ता है। अतः प्रधानमंत्री बनने के लिए व्यक्ति को चुस्त-चालाक, कूटनीति कुशल और दबाव एवं प्रहार कर सकने योग्य वाला होना भी बहुत। आवश्यक माना जाता है ! निश्चय ही मेरे पास ये सारी योग्यताएँ और कलायें नहीं हैं, फिर भी अक्सर मेरे मन-मस्तिष्क को यह बात मथती रहा करती है, रह-रहकर गंज-गूंज उठा करती है कि यदि मैं प्रधानमंत्री होता, तो?

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यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो,? सबसे पहले मेरा कर्तव्य स्वतंत्र भारत के नागरिकों के लिए विशेषकर युवा पीढ़ी के लिए, पूरी सख्ती और कर्मठता से काम लेकर एक राष्ट्रीय चरित्र निर्माण करने वाली शिक्षा एवं उपायों पर बल देता। छोटी-बड़ी विकास-योजनाएँ आरम्भ करने से पहले यदि हमारे अभी तक के प्रधानमंत्री राष्ट्रीय चरित्र-निर्माण की ओर ध्यान देते और उसके बाद विकास-योजनाएँ चालू करते, तो वास्तव में उनका लाभ आम आदमी तक भी पहुँच पाता। आज हमारी योजनायें एवं सभी सरकारी-अर्द्धसरकारी विभाग आकण्ठ निठल्लेपन और भ्रष्टाचार में डूब कर रह गई हैं, एक राष्ट्रीय चरित्र होने पर इस प्रकार की सम्भावनाएँ स्वतः ही समाप्त हो जाती। इस कारण यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो प्राथमिक आधार पर यही कार्य करता।

आज स्वतंत्र भारत में जो संविधान लागू है, उसमें बुनियादी कमी यह है कि वह देश का अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक, अनुसूचित जाति, जनजाति आदि के खानों में बाँटने वाला तो है, उसने। हरेक के लिए कानून विधान भी अलग-अलग बना रखे हैं जबकि नारा समता और समानता का लगाया जाता है। यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो संविधान में रह गई इस तरह की कमियों को दूर करवा कर सभी के लिए एक शब्द ‘भारतीय’ और संविधान कानून लागू करवाता ताकि विलगता की सूचक सारी बातें स्वतः ही खत्म हो जाती भारत केवल भारतीयों का रह जाए न कि अल्पसंख्याक, बहुसंख्यक आदि का।।

3. गंगा प्रदूषण गंगा, भारतीय जन-मानस, बल्कि स्वयं समूची भारतीयता की आस्था का जीवन्त प्रतीक है, मात्र एक नदी नहीं। हिमालय की गोद में पहाड़ी घाटियों से नीचे उतर कल्लोल करते हुए मैदानों की राहों पर प्रवाहित होने वाली गंगा पवित्र तो है ही, वह मोक्षदायिनी के रूप में भारतीय भावनाओं में समाई है। भारतीय सभ्यता-संस्कृति का विकास गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों विशेषकर गंगा तट के आस-पास ही हुआ है। गंगा जल वर्षों तक बोतलों, डिब्बों आदि में बन्द रहने पर भी कभी खराब नहीं होता और न ही उसमें कोई कीड़े लगते हैं। वही भारतीयता की मातृवत् पूज्या गंगा आज प्रदूषित होकर गन्दे नाले जैसी बनती जा रही है, यह भी एक वैज्ञानिक परीक्षणगत एवं अनुभवसिद्ध तथ्य है।

पतित पावनी गंगा के जल के प्रदूषित होने के बुनियादी कारण क्या हैं, उन पर कई बार विचार एवं दृष्टिपात किया जा चुका है। एक कारण तो यह है कि भारत के प्रायः सभी प्रमुख नगर गंगा तट पर और उसके आस-पास बसे हुए हैं। उन नगरों में आबादी का दबाव बहुत बढ़ गया है। वहाँ से मल-मूत्र और गन्दे पानी की निकासी की कोई सुचारू व्यवस्था न होने के कारण इधर-उधर बनाए गए छोटे-बड़े सभी गन्दे नालों के माध्यम से बहकर वह गंगा नदी में आ मिलता है। परिणामस्वरूप कभी खराब न होने वाला गंगाजल भी बाकी वातावरण के समान आज बुरी तरह से प्रदूषित होकर रह गया है।

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एक दूसरा प्रमुख कारण गंगा-प्रदूषण का यह है कि औद्योगीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति ने भी इसे बहुत प्रश्रय दिया है। हावड़ा, कोलकाता, बनारस, कानपुर आदि जाने कितने औद्योगिक नगर गंगा तट पर ही बसे हैं। यहाँ लगे छोटे-बड़े कारखानों से बहने वाला रासायनिक दृष्टि से प्रदूषित पानी, कचरा आदि भी गन्दे नालों तथा अन्य मार्गों से आकर गंगा में ही विसर्जित होता है। इस प्रकार के तत्त्वों ने जैसे बाकी वातावरण को प्रदूषित कर रखा है, वैसे गंगाजल को भी बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है।

वैज्ञानिकों, का यह भी मानना है कि सदियों से आध्यात्मिक भावनाओं से अनुप्रमाणित होकर गंगा की धारा में मृतकों की अस्थियाँ एवं अवशिष्ट राख तो बहाई ही जा रही है, अनेक लावारिस और बच्चों की लाशें भी बहा दी जाती हैं। बाढ़ आदि के समय मरे पशु भी धारा में आ मिलते हैं। इन सबने भी जल-प्रदूषण की स्थितियाँ पैदा कर दी हैं। गंगा के निकास स्थल और आस-पास के वनों-वृक्षों का निरन्तर कटाव, वनस्पतियों औषधीय तत्वों का विनाश भी प्रदूषण का एक बहुत बड़ा कारण है। इसमें सन्देह नहीं कि ऊपर जितने भी कारण बताए गए हैं, गंगा-जल को प्रदूषित करने में न्यूनाधिक उन सभी का हाथ अवश्य है।

4. बाल-मजदूर समस्या

बाल-मन सामान्यतया अपने घर-परिवार तथा आस-पास की स्थितियों से अपरिचित रहा करता है। स्वच्छन्द रूप से खाना-पीना और खेलना ही वह जानता एवं इन्हीं बातों का प्रायः अर्थ भी समझा करता है। कुछ और बड़ा होने पर तख्ती, स्लेट और प्रारम्भिक पाठमाला लेकर पढ़ना-लिखना सीखना शुरू कर देता है। लेकिन आज परिस्थितियाँ कुछ ऐसी बन गईं और बन रही हैं कि उपर्युक्त कार्यों का अधिकार रखने वाले बालकों के हाथ-पैर दिन-रात मेहनत मजदूरी के लिए विवश होकर धूल-धूसरित तो हो ही चुके हैं, अक्सर कठोर एवं छलनी भी हो चुके होते हैं।

चेहरों पर बालसुलभ मुस्कान के स्थान पर अवसाद की गहरी रेखाएँ स्थायी डेरा डाल चुकी होती हैं। फूल की तरह ताजा गन्ध से महकते रहने योग्य फेफड़ों में धूल, धुआँ, भरकर उसे अस्वस्थ एवं दुर्गन्धित कर चुके होते हैं। गरीबीजन्य बाल मजदूरी करने की विवश्ता ही इसका एकमात्र कारण मानी जाती हैं ऐसे बाल मजदूर कई बार तो डर, भय, बलात कार्य करने जैसी विवशता के बोझ तले दबे-घुटे प्रतीत होते हैं और कई बार बड़े बूढों की तरह दायित्वबोध से दबे हुए भी। कारण कुछ भी हो, बाल मजदूरी न केवल किसी एक स्वतंत्र राष्ट्र बल्कि समूची मानवता के माथे पर कलंक है।

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छोटे-छोटे बालक मजदूरी करते हुए घरों, ढाबों, चायघरों, छोटे होटलों आदि में तो अक्सर मिल ही जायेंगे, छोटी-बड़ी फैक्टरियों के अन्दर भी उन्हें मजदूरी का बोझ ढोते हुए देखा जा सकता है। काश्मीर का कालीन-उद्योग, दक्षिण भारत का माचिस एवं पटाखा उद्योग, महाराष्ट्र, गुजरात और बंगाल का बीड़ी उद्योग तो पूरी तरह से बाल-मजदूरों के श्रम पर ही टिका हुआ है। इन स्थानों पर सुकुमार बच्चों से बारह-चौदह घण्टे काम लिया जाता है, पर बदले में वेतन बहुत कम दिया जाता है, अन्य किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं दी जाती। यहाँ तक कि इनके स्वास्थ्य का भी ध्यान नहीं रखा जाता।

इतना ही नहीं, यदि ये बीमार पड़ जाये तब भी इन्हें छुट्टी नहीं दी जाती बल्कि काम करते रहना पड़ता है। यदि छुट्टी कर लेते हैं तो उस दिन का वेतन काट लिया जाता है। कई मालिक तो छुट्टी करने पर दुगुना वेतन काट लेते हैं। ढाबों, चायघरों आदि में या फिर हलवाइयों की दुकानों पर काम कर रहे बच्चों की दशा तो और भी दयनीय होती है। कई बार तो उन्हें बचा-खुचा जूठन ही खाने-पीने को बाध्य होना पड़ता है। बेचारे वहीं बैंचों पर या भट्टियों की बुझती आग के पास चौबीस घण्टों में दो-चार घण्टे सोकर गमी-सर्दी काट लेते हैं।

बात-बात पर गालियाँ तो सुननी ही पड़ा करती है, मालिकों के लात-घूसे भी सहने पड़ते हैं। यदि किसी से काँच का गिलास या कप-प्लेट टूट जाता है तो उस समय मार-पीट और गाली-गलौज के साथ जुर्माना तक सहन करना पड़ता है। यही मालिक अपनी गलती से कोई वस्तु इधर-उधर रख देता और न मिलने पर इन बाल मजदूरों पर चोरी करने का इल्जाम लगा दिया जाता है। इस प्रकार बाल मजदूरों का जीवन बड़ा ही दयनीय एवं यातनापूर्ण होता है।

5. शिक्षक दिवस : 5 सितम्बर

समाज को सही दिशा देने में शिक्षक की अहम् भूमिका होती है। वह देश के भावी नागरिकों अर्थात् बच्चों के व्यक्तित्व संवारने के साथ-साथ उन्हें शिक्षित भी करता है। इसलिए शिक्षकों द्वारा किये गये श्रेष्ठ कार्यों का मूल्यांकन कर उन्हें सम्मानित करने का दिन ही शिक्षक दिवस कहलाता है। हालांकि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् जो कि 1962 से 1967 तक भारत के राष्ट्रपति भी रहे। उनके जन्म दिवस के अवसर पर ही शिक्षक दिवस मनाया जाता है। वे संस्कृतज्ञ, दार्शनिक होने के साथ-साथ शिक्षा शास्त्री भी थे। राष्ट्रपति बनने से पूर्व उनका शिक्षा क्षेत्र ही सम्बद्ध था।

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1920 से 1921 तक वे विश्वविख्यात काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के उपकुलपति पद पर रहे। राष्ट्रपति बनने के बाद जब उनका जन्म दिवस सार्वजनिक रूप से आयोजित करना चाहा तो उन्होंने जीवन का अधिकतर समय शिक्षक रहने के नाते इस दिवस को शिक्षकों का सम्मान करने हेतु शिक्षक दिवस मनाने की बात कही। उस समय से प्रतिवर्ष यह दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

शिक्षकों द्वारा किये गये श्रेष्ठ कार्यों कर मूल्यांकन कर उन्हें सम्मानित करने का भी यही दिन है। इस दिन स्कूलों कालेजों में शिक्षक का कार्य छात्र खुद ही संभालते हैं। इस दिन राज्य सरकारों द्वारा अपने स्तर पर शिक्षण के प्रति समर्पित और छात्र-छात्राओं के प्रति अनुराग रखने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है। शिक्षक राष्ट्रनिर्माण में मददगार साबित होते हैं वहीं वे राष्ट्रीय संस्कृत के संरक्षक भी हैं।

वे बालकों में सुसंस्कार तो डालते ही हैं उनके अज़ानता रूपी अंधकार को दूर कर उन्हें देश का श्रेष्ठ नागरिक बनाने का दायित्व भी वहन करते हैं। शिक्षक राष्ट्र के बालकों को न केवल साक्षर ही बनाते हैं बल्कि अपने उपदेश द्वारा उनके ज्ञान का तीसरा चक्षु भी खोलते हैं। वे बालकों में हित-अहित, भला-बुरा सोचने की शक्ति उत्पन्न करते हैं। इस तरह वे राष्ट्र के समग्र विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

शिक्षक उस दीपक के समान हैं जो अपनी ज्ञान ज्योति से बालकों को प्रकाशमान करते हैं। महर्षि अरविन्द ने अपनी एक पुस्तक जिसका शीर्षक ‘महर्षि अरविन्द के विचार’ में शिक्षक के संबंध में लिखा है अध्यापक राष्ट्र की संस्कृति के माली होते हैं वे संस्कार की जड़ों में खाद देते हैं और अपने श्रम से उनहें सींच-सींच कर महाप्राण शक्तियाँ बनाते हैं। इटली के एक उपन्यासकार ने शिक्षक के बारे में कहा है कि शिक्षक उस मोमबत्ती के समान है जो स्वयं जलकर दूसरों को प्रकाश देती है। संत कबीर ने तो गुरु को ईश्वर से भी बड़ा माना है। उन्होंने गुरु को ईश्वर से बड़ा मानते हुए कहा है कि

गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागू पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो मिलाय॥

शिक्षक को आदर देना समाज और राष्ट्र में उनकी कीर्ति को फैलाना केन्द्र व राज्य सरकारों का कर्त्तव्य ही नहीं दायित्व भी है। इस दायित्व को पूरा करने का शिक्षक दिवस एक अच्छा दिन है।

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6. स्वतंत्रता दिवस : 15 अगस्त

स्वतंत्रता दिवस को देश की स्वतन्त्रता का जन्म दिवस भी कह सकते हैं। क्योंकि इसी दिन देश को गुलामी से मुक्ति मिली थी। 1947 से पूर्व लगभग दो सौ वर्षों तक अंग्रेजों ने भारत में . राज्य किया। जबकि भारत आदि काल से हिन्दू भूमि रहा है। अंग्रेजों से पूर्व करीब बारह सौ ‘वर्षों तक मुगलों ने भारत पर शासन किया। इसके बाद कूटनीति में माहिर अंग्रेजों ने विलासी, भोगी और सत्ता पाने के लिए पारिवारिक षड़यंत्रों में उलझे रहे। मुगलों को खदेड़ कर अपना शासन भारत में स्थापित किया। इनके काल में वैज्ञानिक उन्नति से देश प्रगति पर अग्रसर हुआ।

उन्होंने अपनी कूटनीति के चलते भारत से श्रीलंका और बर्मा को अलग उन्हें स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित किया। बंगाल को भी दो भागों में विभाजित करने के प्रयास में थे। पर जनमत विरोध के कारण इसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। इसी दिन दिल्ली के लालकिले पर पहली बार यूनियन जैक के स्थान पर सत्य और अहिंसा का प्रतीक तिरंगा झंडा लहराया गया था।

यह राष्ट्रीय पर्व प्रतिवर्ष प्रत्येक नगर में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। विद्यालयों में छात्र अपने इस ऐतिहासिक उत्सव को बड़े उल्लास और उत्साह के साथ आयोजित करते हैं। हमारे स्कूल में भी अन्य वर्षों की भाँति इस वर्ष यह उत्सव बहुत ही उत्साह के साथ मनाया गया। स्कूल के सभी छात्र स्कूल के प्रांगण में एकत्रित हुए। यहाँ अध्यापकों ने उपस्थिति ली, जिससे यह मालूम हो गया कि कौन-कौन नहीं आया है। हालांकि कार्यक्रम शुरू होने के बाद भी विद्यार्थियों का आना जारी था ! उपस्थिति पूर्ण होने के बाद मंच का संचालन कर रहे शिक्षक ने उन छात्रों से आगे आने को कहा जिन्हें कार्यक्रम के लिए चुना गया था। शिक्षक की इस उद्घोषणा के बाद कार्यक्रम के लिए चयनित छात्र अन्य छात्रों से अलग हो चुके थे।

इसके बाद प्रधानाचार्य ने प्रभात फेरी में चलने के लिए विद्यार्थियों को संकेत दिया। स्कूल के छात्र तीन-तीन की पंक्ति बनाकर सड़क पर चलने लगे। सबसे आगे चल रहे विद्यार्थी के हाथ में तिरंगा झण्डा था, उसके पीछे विद्यार्थी तीन-तीन की पंक्तियों में चल रहे थे। सभी छात्र देशभक्ति से ओत-प्रोत गीत गाते हुए जा रहे थे। बीच-बीच में अचानक वे ‘भारत माता की जय’, हिन्दुस्तान जिन्दाबाद-जिन्दाबाद के नारे बुलन्द आवाज में लगा रहे थे। इस प्रकार प्रभात फेरी नगर के प्रमुख चौराहों से होते हुए जिलाधीश के नारे बुलन्द आवाज में लगा रहे थे। इस प्रकार प्रभात फेरी नगर के प्रमुख चौराहों से होते हुए जिलाधीश के आवास के सामने से निकली। अन्त में प्रभात फेरी स्कूल परिसर में आकर रुकी। जहाँ ध्वजारोहण की तैयारियां पूरी हो चुकी थी।

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ठीक आठ बजे स्कूल के प्रधानाचार्य के ध्वजारोहण किया और उपस्थित सभी छात्रों ने तिरंगे को सलामी दी। इस अवसर पर राज्य के शिक्षामन्त्री तथा शिक्षा अधिकारी द्वारा भेजे गये संदेश पढ़कर सुनाए गए। इसके बाद शुरू हुए खेल व सांस्कृतिक कार्यक्रम। सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत जलियाँवाला बाग पर आधारित एक नाटक का मंचन किया गया। इसके अलावा कुछ छात्रों ने देश भक्ति से ओत-प्रोत अपनी रचनाएँ सुनाई। कार्यक्रम के अंत में विभिन्न क्षेत्रों में अव्वल रहे छात्रों को क्षेत्र के प्रमुख समाजसेवी व स्वतंत्रता सेनानी श्री जसवंत सिंह ने पुरस्कार देकर सम्मानित किया, और छात्रों के मध्य मिष्ठान वितरण हुआ।

राष्ट्रीय स्तर पर इस पर्व का मुख्य आयोजन दिल्ली के लाल किले में होता है। इस समारोह को देखने के लिए भारी जनसमूह उमड़ पड़ता है। लाल किला मैदान व सड़कें जनता से खचाखच भरी होती हैं। यहाँ प्रधानमंत्री के आगमन के साथ ही समारोह का शुभारम्भ हो जाता है। सेना के तीनों अंगों जल, थल और नौसेना की टुकड़ियाँ तथा एन.सी.सी. के कैडिट सलामी देकर प्रधानमंत्री का स्वागत करते हैं। प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर पर बने मंच पर पहुँच कर जनता का अभिनन्दन स्वीकार करते हैं और राष्ट्रीय ध्वज लहराते हैं।

ध्वजारोहण के समय राष्ट्र ध्वज को सेना द्वारा इक्कत्तीस तोपों की सलामी दी जाती है। इसके बाद प्रधानमंत्री राष्ट्र की जनता को बधाई देने के बाद देश की भावी योजनाओं पर प्रकाश डालते हैं। साथ ही पिछले वर्ष पन्द्रह अगस्त से इस वर्ष तक की काल में घटित प्रमुख घटनाओं पर चर्चा करते हैं। भाषण के अंत में तीन बार वे जय हिन्द का घोष करते हैं। जिसे वहाँ उपस्थित जनसमूह बुलन्द आवाज में दोहराता है। लाल किले पर इस अवसर पर रोशनी की जाती है।

7. भारतीय किसान

त्याग और तपस्या का दूसरा नाम है किसान। वह जीवन भर मिट्टी से सोना उत्पन्न करने की तपस्या करता रहता है। तपती धूप, कड़ाके की ठंड तथा मूसलाधार बारिश भी उसकी इस साधना को तोड़ नहीं पाते। हमारे देश की लगभग सत्तर प्रतिशत आबादी आज भी गांवों में निवास करती है। जिनका मुख्य व्यवसाय कृषि है। एक कहावत है कि भारत की आत्मा किसान है जो गाँवों में निवास करते हैं। किसान हमें खाद्यान्न देने के अलावा भारतीय संस्कृति और सभ्यता को भी सहेज कर रखे हुए हैं। यही कारण है कि शहरों की अपेक्षा गाँवों में भारतीय संस्कृति और सभ्यता अधिक देखने को मिलती है। किसान की कृषि ही शक्ति है और यही उसकी भक्ति है।

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वर्तमान संदर्भ में हमारे देश में किसान आधुनिक विष्णु है वह देशभर को अन्न, फल, साग, सब्जी आदि दे रहा है लेकिन बदले में उसे उसका पारिश्रमिक तक नहीं मिल पा रहा है। प्राचीन काल से लेकर अब तक किसान का जीवन अभावों में ही गुजरा है। किसान मेहनती होने के साथ-साथ सादा जीवन व्यतीत करने वाला होता है। समय अभाव के कारण उसकी आवश्यकतायें भी बहुत सीमित होती हैं। उसकी सबसे बड़ी आवश्यकता पानी है। यदि समय पर वर्षा नहीं होती है तो किसान उदास हो जाता है। इनकी दिनचर्या रोजना लगभग एक सी ही रहती है। किसान ब्रह्ममुहूर्त में सजग प्रहरी की भाँति जाग उठता है। वह घर में नहीं सोकर वहाँ सोता है जहाँ उसका पशुधन होता है। उठते ही पशुधन की सेवा, इसके पश्चात् अपनी कर्मभूमि खेत की ओर उसके पैर खुद-ब-खुद उठ जाता है। उसका स्नान, भोजन तथा विश्राम आदि जो कुछ भी होता है वह एकान्त वनस्थली में होता है।

वह दिनभर कठोर परिश्रम करता है। स्नान भोजन आदि अक्सर वह खेतों पर ही करता है। साँझ ढलते समय वह कंधे पर हल रख बैलों को हाँकता हुआ घर लौटता है। कर्मभूमि में काम करने के दौरान किसान चिलचिलाती धूप में तनिक भी विचलित नहीं होता। इसी तरह मूसलाधार बारिश या फिर कड़ाके की ठंड की परवाह किये बगैर किसान अपने कृषि कार्य में जुटा रहता है।

किसान के जीवन में विश्राम के लिए कोई जगह नहीं है। निरंतर अपने कार्य में लगा रहता है। कैसी भी बाधा उसे अपने कर्तव्यों से डिगा नहीं सकती। अभाव का जीवन व्यतीत करने के बावजूद वह संतोषी प्रवृत्ति का होता है। इतना सब कुछ करने के बाद भी वह अपने जीवन की आवश्यकतायें पूरी नहीं कर पाता। अभाव में उत्पन्न होने वाला किसान अभाव में जीता है और अभाव में इस संसार से विदा ले लेता है। अशिक्षा, अंधविश्वास तथा समाज में व्याप्त कुरीतियाँ उसके साथी हैं। सरकारी कर्मचारी, बड़े जमींदार, बिचौलिया तथा व्यापारी उसके दुश्मन हैं। जो जीवन भर उसका शोषण करते रहते हैं।

आज से पैंतीस वर्ष पहले के किसान और आज के किसान में बहुत अंतर आया है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात किसान के चेहरे पर कुछ खुशी देखने को मिली है। अब कभी-कभी उसके मलिन-मुख पर भी ताजगी दिखाई देने लगती है। जमीदारों के शोषण से तो उसे मुक्ति मिल ही चुकी है परन्तु फिर भी वह आज भी पूर्ण रूप से सुखी नहीं है। आज भी 20 या 25 प्रतिशत किसान ऐसे हैं जिनके पास दो समय का भोजन नहीं है। शरीर ढकने के लिए कपड़े नहीं हैं। टूटे-फूटे मकान और टूटी हुई झोपड़ियाँ आज भी उनके महल बने हुए हैं।

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हालांकि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से किसान के जीवन में कुछ खुशियाँ लौटी हैं। सरकार ने ही किसानों की ओर ध्यान देना शुरू किया है। उनके अभावों को कम करने के प्रयास में कई योजनाएँ सरकार द्वारा चलाई जा रही हैं। किसानों को समय-समय पर गाँवों में ही कार्यशाला आयोजित कर कृषि विशेषज्ञों द्वारा कृषि क्षेत्र में हुए नये अनुसंधानों की जानकारी दी जा रही है। इसके अलावा उन्हें रियायती दर पर उच्च स्तर के बीज, आधुनिक कृषि यंत्र, खाद आदि उपलब्ध कराये जा रहे हैं। उनकी आर्थिक स्थिति सुधारने व व्यवसायिक खेती करने के लिए सरकार की ओर से बहुत कम ब्याज दर पर ऋण मुहैया कराया जा रहा है। खेतों में सिंचाई के लिए नहरों व नलकूपों का निर्माण कराया जा रहा है। उन्हें शिक्षित करने के लिए गाँवों में रात्रिकालीन स्कूल खोले जा रहे हैं। इन सब कारणों के चलते किसान के जीवन स्तर में काफी सुधार आया है। उसकी आर्थिक स्थिति भी काफी हद तक सुदृढ़ हुई है।

8. होली-रंग और उमंग का त्योहार

त्योहार जीवन की एकरसता को तोड़ने और उत्सव के द्वारा नई रचनात्मक स्फूर्ति हासिल करने के निमित्त हुआ करते हैं। संयोग से मेल-मिलाप का अनूठा त्योहार होने के कारण होली में यह स्फूर्ति हासिल करने और साझेपन की भावना को विस्तार देने के अवसर ज्यादा हैं। देश में मनाये जाने वाले धार्मिक व सामाजिक त्योहारों के पीछे कोई न कोई घटना अवश्य जुड़ी हुई है। शायद ही कोई ऐसी महत्वपूर्ण तिथि हो, जो किसी न किसी त्योहार या पर्व से संबंधित न हो।

दशहरा, रक्षाबन्धन, दीपावली, रामनवमी, वैशाखी, बसंत पंचमी, मकर संक्रांति, बुद्ध पूर्णिमा आदि बड़े धार्मिक त्योहार हैं। इनके अलावा कई क्षेत्रीय त्योहार भी हैं। भारतीय तीज त्योहार साझा संस्कृति के सबसे बड़े प्रतीक रहे हैं। रंगों का त्योहार होली धार्मिक त्योहार होने के साथ-साथ मनोरंजन का उत्सव भी है। यह त्योहार अपने आप में उल्लास, उमंग तथा उत्साह लिए होता है। इसे मेल व एकता का पर्व भी कहा जाता है।

Bihar Board Class 12th निबंध लेखन

हंसी ठिठोली के प्रतीक होली का त्योहार रंगों का त्योहार कहलाता है। इस त्योहार में लोग पुराने बैरभाव त्याग एक दूसरे को गुलाल लगा बधाई देते हैं और गले मिलते हैं। इसके पहले दिन पूर्णिमा को होलिका दहन और दूसरे दिन के पर्व को धुलेंडी कहा जाता है। होलिका दहन के दिन गली-मौहल्लों में लकड़ी के ढेर लगा होलिका बनाई जाती है। शाम के समय महिलायें-युवतियाँ उसका पूजन करती हैं। इस अवसर पर महिलाएँ शृंगार आदि कर सजधज कर आती हैं। बृज क्षेत्र में इस त्योहार का रंग करीब एक पखवाड़े पूर्व चढ़ना शुरू हो जाता है।

होली भारत का एक ऐसा पर्व है जिसे देश के सभी निवासी सहर्ष मनाते हैं। हमारे तीज त्योहार हमेशा साझा संस्कृति के सबसे बड़े प्रतीक रहे है।। यह साझापन होली में हमेशा दिखता आया है। मुगल बादशाहों की होली की महफिलें इतिहास में दर्ज होने के साथ यह हकीकत भी बयाँ करती हैं कि रंगों के इस अनूठे जश्न में हिन्दुओं के साथ मुसलमान भी बढ़-चढ़कर शामिल होते हैं। मीर, जफर और नजीर की शायरी में होली की जिस धूम का वर्णन है, वह दरअसल लोक परंपरा और सामाजिक बहुलता का ही रंग है। होली के पीछे एक पौराणिक कथा प्रसिद्ध है।

इस संबंध में कहा जाता है कि दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने अपनी प्रजा को भगवान का नाम न लेने का आदेश दे रखा था। किन्तु उसके पुत्र प्रहलाद ने अपने पिता के इस आदेश को मानने से इंकार कर दिया। उसके पिता द्वारा बार-बार समझाने पर भी जब वह नहीं माना तो दैत्यराज हिरण्यकश्यप ने उसे मारने के अनेक प्रयास किए किन्तु उसका वह बाल भी बांका न कर सका।

प्रहलाद जनता में काफी लोकप्रिय भी था। इसलिए दैत्यराज हिरण्यकश्यप को यह डर था कि अगर उसने स्वयं प्रत्यक्ष रूप से प्रहलाद का वध किया तो जनता उससे नाराज हो जाएगी। इसलिए वह प्रह्लाद को इस तरह मारना चाहता था कि उसकी मृत्यु एक दुर्घटना जैसी लगे। ‘ दैत्यराज हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में जलेगी नहीं। मान्यता है कि होलिका नित्य प्रति कुछ समय के लिए अग्नि पर बैठती थी और अग्नि का पान करती थी। हिरण्यकश्यप ने होलिका की मदद से प्रहलाद को मारने की ठानी।

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उसने योजना बनाई कि होलिका प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ जाए तो प्रह्लाद मारा जाएगा और होलिका वरदान के कारण बच जाएगी। उसने अपनी उस योजना से होलिका को अवगत कराया। पहले तो होलिका ने इसका विरोध किया लेकिन बाद में दबाव के कारण उसे हिरण्यकश्यप की बात माननी पड़ी।

योजना के अनुसार होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर लकड़ियों के ढेर पर बैठ गई और लकड़ियों में आग लगा दी गई। प्रभु की कृपा से वरदान अभिशाप बन गया। होलिका जल गई, मगर प्रहलाद को आँच तक न पहुँची। तब से लेकर हिन्दू होली के एक दिन पहले होलिका जलाते हैं। इस त्यौहार को ऋतुओं से संबंधित भी बताया जाता है। इस अवसर पर किसानों द्वारा अपने खेतों में उगाई फसलें पककर तैयार हो जाती हैं। जिसे देखकर वे झूम उठते हैं। खेतों में खड़ी पकी फसल की बालियों को भूनकर उनके दाने मित्रों व सगे-संबंधियों में बाँटते हैं।

होलिका दहन के अगले दिन धुलेंडी होती है। इस दिन सुबह आठ बजे के बाद से गली-गली में बच्चे एक-दूसरे पर रंग व पानी डाल होली की शुरूआत करते हैं। इसके बाद तो धीरे-धीरे बड़ों में भी होली का रंग चढ़ाना शुष्क हो जाता है और शुरू हो जाता है होली का हुड़दंग। अधेड़ भी इस अवसर पर उत्साहित हो उठते हैं। दस बजते-बजते युवक-युवतियों की टोलियाँ गली-मौहल्लों से निकल पड़ती हैं। घर-घर जाकर वे एक दूसरे को गुलाल लगा व गले मिल होली की बधाई देते हैं। गलियों व सड़कों से गुजर रही टोलियों पर मकानों की छतों पर खड़े लोगों द्वारा रंग मिले पानी की बाल्टियाँ उड़ेल दी जाती है। बच्चे पिचकारी से रंगीन पानी फेंककर गुब्बारे मारकर होली का आनन्द लेते हैं ! चारों ओर चहल-पहल दिखाई देती है।

जगह-जगह लोग टोलियों में एकत्र हो ढोल की थाप पर होली है भई होली है की तर्ज पर गाने गाते हैं। वृद्ध लोग भी इस त्योहार पर जवान हो उठते हैं। उनके मन में भी उमंग व उत्सव का रंग चढ़ जाता है। वे आपस में बैठ गप-शप व ठिठोली में मस्त हो जाते हैं और ठहाके लगाकर हंसते हैं। अपराहन दो बजे तक रंगों का खेल समाप्त हो जाता है। घर से होली खेलने बाहर निकले लोग घर लौट आते हैं। नहा-धोकर शाम को फिर बाजार में लगे मेला देखने चल पड़ते हैं।

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9. विजयादशमी : दशहरा (दुर्गापूजा)

हिन्दुओं द्वारा मनाये जाने वाले त्यौहारों का किसी न किसी रूप में कोई विशेष महत्व जरूर है। इन पर्वो से हमें जीवन में उत्साह के साथ-साथ विशेष आनन्द की प्राप्ति होती है। हम इनसे परस्पर प्रेम औरी भाईचारे की भावना ग्रहण कर अपने जीवन-रथ को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाते हैं। साथ ही इन त्यौहारों से हमें सच्चाई, आदर्श और नैतिकता की शिक्षा भी मिलती है। हिन्दुओं के प्रमुख धार्मिक त्यौहारों में होली, रक्षा-बन्धन, दीपावली तथा जन्माष्टमी की तरह दशहरा (विजयादशमी) भी है।

दशहरा मनाने का कारण यह है कि इस दिन महान पराक्रमी और मर्यादा-पुरुषोत्तम भगवान राम ने महाप्रतापी व अभिमानी लंका नरेश रावण को पराजित ही नहीं किया अपितु उसका अन्त करके उसके राज्य पर भी विजय प्राप्त की थी। इस खुशी और उल्लास में यह त्यौहार प्रति वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। शक्ति की अधिष्ठात्री देवी दुर्गा के नव स्वरूपों की नवरात्र पूजन के पश्चात् अश्विन शुक्ल दशमी को इसका समापन कर यह त्यौहार मनाया जाता है। एक अन्य कथा के अनुसार महिषासुर नामक एक राक्षस था। राज्य की जनता उसके अत्याचार से भयभीत थी। दुर्गा माँ ने उसके साथ युद्ध किया। युद्ध के दसवों दिन आखिरकार महिषासुर का माँ दुर्गा ने वध कर डाला। इस खुशी में यह पर्व विजय के रूप में मनाया जाता है। बंगाल के लोग इसीलिए इस पर्व को दुर्गा पूजा के रूप में मनाते हैं।

हिन्दी भाषी क्षेत्रों में नवरात्रों के दौरान भगवान राम पर आधारित लीला के मंचन की प्रथा प्रचलित है। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से रामलीला मंचन का आरम्भ होकर दशमी के दिन रावण वध की लीला मंचित कर विजय पर्व विजयादशमी मनाया जाता है। रावण वध से पहले भगवान राम से संबंधित झांकियाँ निकाली जाती हैं।

बंगाल में यह पर्व दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। वहाँ के लोगों में यह धारणा है कि इस दिन ही महाशक्ति दुर्गा ने कैलाश पर्वत को प्रस्थान किया था। इसके लिए दुर्गा की याद में लोग दुर्गा पूजा उत्सव मनाते हैं। इसके तहत अश्विन शुक्ल सप्तमी से दशमी (विजयादशमी) तक यह उत्सव मनाया जाता है। इसके लिए एक माह पूर्व से ही तैयारियाँ शुरू कर दी जाती हैं। बंगाल में इन दिनों विवाहित पुत्रियों को माता-पिता द्वारा अपने घर बुलाने की भी प्रथा है। रात भर पूजा, उपासना और अखण्ड पाठ एवं जाप करते है।।

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दुर्गा माता की मूर्तियाँ सजा-धजा कर बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ उनकी झांकियां निकाली जाती है। बाद में माँ दुर्गा की मूर्तियों को पवित्र जलाशयों, नदी तथा तालाबों में विसर्जित कर दिया जाता है। दशहरा का त्यौहार मुख्य रूप से राम-रावण युद्ध प्रसंग से ही जुड़ा है। इसको प्रदर्शित करने के लिए प्रतिपदा से दशमी तक रामलीलाएं मंचित की जाती हैं। दशमी के दिन राम रावण के परस्पर युद्ध के प्रसंगों को दिखाया जाता है। इन लीलाओं को देखकर भक्तजनों के अन्दर जहाँ भक्ति भावना उत्पन्न होती है, वहीं दुष्ट रावण के प्रति क्रोध भी उत्पन्न होता है।

इस दिन बाजारों में मेला सा लगा रहता है। शहर ही नहीं छोटे-छोटे गाँवों में इस दिन मेले लगते हैं। किसानों के लिए इस त्यौहार का विशेष महत्व है। वे इस समय खरीफ की फसल काटते हैं। इस दिन सत्य के प्रतीक शस्त्रों का शास्त्रीय विधि से पूजन भी किया जाता है। प्राचीन काल में वर्षाकाल के दौरान युद्ध करना प्रतिबंधित था। विजयादशमी पर शस्त्रागारों से शस्त्र निकालकर उनका शास्त्रीय विधि से पूजन किया जाता था। शस्त्र पूजन के पश्चात् ही शत्रु पर आक्रमण और युद्ध किया जाता था।

10. विज्ञान अभिशाप या वरदान

अंधविश्वास के अंधकार से निकलकर मानव बुद्धि और तर्क की शरण ली। इस तरह विज्ञान का विस्तार होने लगा। विज्ञान धर्म ग्रन्थों या उपदेशकों में कही बातों को तब तक सत्य नहीं मानता जबतक कि वह तर्क द्वारा या आँखों के प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा तर्क सिद्ध न हो जाय। इस प्रकार धर्म और विज्ञान दो विरोधी धाराएँ हो गयी। धर्म की आड़ में जो लोग अपनी स्वार्थ सिद्धि कर रहे थे उनके हितों को विज्ञान से काफी धक्का पहुँचाया।

विज्ञान ने मनुष्य को असीमित शक्तियाँ प्रदान की हैं। विज्ञान के कारण ही समय व स्थान की दूरी बाधायें खत्म हो गयी है और कई गम्भीर रोगों पर विजय प्राप्त करने में सफलता मिली है। आज विश्व विज्ञान रूपी स्तम्भ पर टिका हुआ है। यही कारण है कि वर्तमान युग विज्ञान युग कहलाता है। विज्ञान इस आशा की सफलता व उन्नति का श्रेय विश्व के कुछ देशों को जाता है। इनमें जापान, अमेरिका, जर्मनी, रूस, इंग्लैंड आदि देश शामिल हैं। इन देशों में एक से बढ़कर एक आविष्कार कर विज्ञान को चरम सीमा तक पहुंचा दिया है। विज्ञान से अभिप्राय प्राकृतिक शक्तियों के विशेष ज्ञान से है। विज्ञान से हम किसी भी चीज का ऊपरी अध्ययन न करके उसकी तह तक पहुंचने का प्रयत्न करते हैं।

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विज्ञान भौतिक जगत की घटनाओं जैसे सूर्य, चन्द्र, ग्रह नक्षत्र आदि, चिकित्सा जीव, वनस्पति, पशु-पक्षी तथा मनुष्य जगत का सब प्रकार से गंभीर अध्ययन करता है। पृथ्वी के गर्भ में स्थित तरह-तरह की धातुओं, मिट्टी के विभिन्न प्रकार, वातावरण, समुद्र की गहराई व पर्यावरण का अध्ययन भी करता है। विज्ञान में चिन्तन, तर्क, प्रयोग तथा परीक्षण के बिना किसी बात को ठीक नहीं माना जाता। विज्ञान प्रत्यक्ष में विश्वास रखता है परोक्ष में नहीं। आज ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जिसमें विज्ञान की पहुँच न हो। हमारे जीवन को सुख-सुविधा सम्पन्न बनाने में भी विज्ञान का ही हाथ है। आज विज्ञान द्वारा रेलवे, मोटर, ट्राम, मेट्रो रेल, जलयान, वायुयान, राकेट आदि बनाये जा चुके हैं। जिनके द्वारा स्थान की दूरी में भारी कमी आयी है। यातायात के इन साधनों से मानव को पहुँचने में जहाँ वर्षों या महीनों लग जाते थे, अब उन स्थानों पर विज्ञान के कारण वह कुछ ही दिनों में या घंटों में पहुँच जाता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण चाँद की यात्रा है।

विज्ञान के साधन द्वारा हम केवल दूर से दूर स्थान पर ही नहीं पहुँच सकते अपितु सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पर रखी वस्तुओं को देखने में भी हम समर्थ हो गये हैं। आज टेलीविजन द्वारा न केवल हजारों किलोमीटर दूर स्थित किसी नगर में घटी घटना को देख सकते हैं बल्कि उसका आँखों देखा हाल भी सुन सकते हैं। विज्ञान ने सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में कम आश्चर्यजनक चमत्कार नहीं किया है। तार, टेलीफोन, सेलुलर फोन, इंटरनेट, कम्प्यूटर आदि यंत्रों द्वारा समाचारों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर संचार किया जा रहा है। एक समय था जब किसी को संदेश भेजने में हफ्ते से माह भर तक का समय लग जाता था लेकिन आज स्थिति कुछ और है।

विज्ञान द्वारा की गई नई-नई खोजों से जहाँ हमें लाभ हुआ है वहीं कई हानियाँ भी हुई हैं। स्वचालित हथियारों, पनडुब्बी, विमान भेदी तोपें, विषैली गैस, परमाणु बम आदि भी विज्ञान की ही देन है। नवीनतम उपकरणों व यंत्रों का प्रयोग करते समय जरा सी भी भूल मानव जीवन को नष्ट कर सकती है। आकाश में उड़ता विमान थोड़ी सी खराबी आने पर उसमें सवार सैकड़ों यात्रियों को परलोक पहुँचा सकता है। जिनका प्रयोग मानव हित में नहीं है। इसलिए यह कहना बड़ा मुश्किल है कि विज्ञान मानव का शत्रु है या मित्र। हालांकि इन सब चीजों का उपयोग और दुरुपयोग करना मानव के हाथ में ही है। वैज्ञानिक अनुसंधानों तथा यंत्रों का प्रयोग मानव हित में ही किया जाना चाहिए।

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11. दूरदर्शन से लाभ व हानियाँ दूरदर्शन मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान प्रसार एवं सामान्य प्रचार का महत्वपूर्ण, सशक्त तथा प्रभावशाली साधन है। इसका मुख्य कारण है कि दूरदर्शन में श्रव्य एवं दृश्य दोनों ही साधनों की विशेषताओं का समावेश है। विज्ञान के सर्वश्रेष्ठतम अविष्कारों में से दूरदर्शन एक है। विश्व के सभी विकसित या विकासशील देशों में दूरदर्शन ने अपनी लोकप्रियता में वृद्धि की है। महाभारत काल में संजय ने दिव्यदृष्टि द्वारा धृतराष्ट्र को युद्ध का आँखों देखा हाल बताया था पर आज के इस युग में जे. आर. बेयर्ड द्वारा अविष्कृत दूरदर्शन का अविष्कार समस्त विश्व के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। सारे विश्व में घटित होने वाली घटनाएँ चाहे वे जल में हो या फिर भूमि या आकाश में अपने घर बैठ कर आज का मनुष्य सरलता से देख सकता है और उसका आनन्द प्राप्त कर सकता है।

दूरदर्शन का अविष्कार उन्नीसवीं शताब्दी के आस-पास होना माना जा सकता है। उसके बाद से अब तक इस क्षेत्र में काफी प्रगति हो चुकी है। दूरदर्शन को अंग्रेजी में टेलीविजन कहा जाता है। इसका आविष्कार महान् वैज्ञानिक बेयर्ड ने किया था। टेलीविजन सर्वप्रथम लंदन में 1925 में देखा गया। इसके बाद से इसका प्रचार-प्रसार इतना बढ़ गया कि आज यह विश्व के हर कोने में लोकप्रिय हो गया है। हमारे देश भारत में टेलीविजन का आरम्भ 15 सितम्बर 1959 को हुआ।

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दूरदर्शन का शाब्दिक अर्थ है दूर की वस्तुओं या घटनाओं को उसी रूप में देखना जैसा कि वे हैं। एक समय था जब रेडियो घर-घर में देखने को मिल जाता था। उसी तरह अब टेलीविजन का प्रवेश घर-घर हो चुका है। इसकी लोकप्रियता के कई कारणों में से एक कारण यह भी है कि इसे बड़ी आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। आजकल मनोरंजन के साधनों में दूरदर्शन सबसे सक्षम साधन है। इतना अच्छा साधन जो कि घर बैठे ही सभी प्रकार के कार्यक्रम दिखा दे। सारे विश्व की झांकी प्रस्तुत कर दे और क्या हो सकता है।

यही कारण है कि यह जन-जन में लोकप्रिय हो गया है। दूरदर्शन पर हिन्दी, अंग्रेजी सहित कई अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में समाचार, लोक संगीत, फिल्म आदि कार्यक्रम देखे जा सकते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के बाद से तो दूरदर्शन का और विस्तार हो गया। पहले इस पर सिर्फ सरकार का ही नियंत्रण था। अब निजी क्षेत्र के भी इसमें उतर जाने से अधिक लोकप्रिय होने के साथ-साथ इसके क्षेत्र का विस्तार भी हो गया है। निजी चैनलों के आ जाने से अब इसके द्वारा बच्चे से लेकर वृद्ध व्यक्ति तक अपना मनोरंजन कर सकता है।

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वर्तमान दूरदर्शन मात्र मनोरंजन का ही साधन नहीं है। इसके द्वारा विश्व के किसी कोने में क्या अनुसंधान हो रहा है, किसी बड़े हादसे का घटना स्थल से सीधा प्रसारण आदि को भी देखा जा सकता है। पहले दूरदर्शन पर हर एक घंटे बाद ही समाचार आते थे लेकिन अब निजी चैनलों के 24 घंटे के समाचार चैनल आ गये हैं। इनमें समाचार तो प्राप्त होते ही हैं साथ ही घटना स्थल को भी देखा जा सकता है।

दूरदर्शन के दुष्प्रभाव भी हैं। एक ओर दूरदर्शन जहाँ हमें देश-विदेश के इतिहास व उनकी संस्कृति, नृत्य, कला-संगीत संबंधी ज्ञान व खेल क्षेत्र की उपलब्धियाँ, उद्योग धंधों से सम्बन्धि त जानकारी आदि प्रदान कर समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहा है। वहीं उसके द्वारा कुछ कार्यक्रमों के प्रसारण द्वारा समाज के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। निजी चैनलों द्वारा दिखाये जा रहे धारावाहिकों में हिंसा, दुराचार, भ्रष्टाचार, नशाखोरी आदि दिखाकर वह बच्चों व युवा वर्ग पर बुरा असर डाल रहा है। समाचार पत्रों में कई बार पढ़ने को मिलता है कि फलां किशोर ने अपराध फलां धारावाहिक को देख कर किया। तस्करी, डकैती, चोरी की अभिनव गतिविधियों की जानकारी भी प्रदान करता है। अतः प्रत्यक्ष रूप से अवांछनीय कार्यों के प्रति उन्हें प्रोत्साहित भी करता है। सिनेमा की फिल्में दिखाने में काफी समय दिया जाता है। इस कारण बच्चे अपनी पढ़ाई तथा गृहणियाँ गृह कार्य की उपेक्षा करने लगी हैं।

12. कम्यूटर : आज की आवश्यकता

20वीं सदी में कम्यूटर क्षेत्र में आयी क्रान्ति के कारण सूचनाओं की प्राप्ति और इनके संसाधन में काफी तेजी आयी है। इस क्रांति के कारण ही हर किसी क्षेत्र का कम्यूटरीकरण संभव हो पाया है। स्थिति यह है कि माइक्रो प्रोसेसर के बिना अब किसी मशीन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। पिछले चार दशकों में कम्प्यूटर की पहली चार पीढ़ियाँ क्रमश: वैक्यूम ट्यूब तकनीकी, ट्रांजिस्टर और प्रिंटेड सर्किट तकनीकी, इंटिग्रेटेड सर्किट तकनीकी और वैरी लार्ज स्केल इंटिग्रेटेड तकनीकी पर आधारित थी। चौथी पीढ़ी की तकनीकी में माइक्रो प्रोसेसरों का वजन केवल कुछ ग्राम तक ही रह गया।

आज पाँचवीं पीढ़ी के कम्प्यूटर तो कृत्रिम बुद्धि वाले बन गये हैं। वास्तव में कम्प्यूटर एनालॉग या डिजिटल मशीनें ही हैं। अंकों को एक सीमा में परस्पर भिन्न भैतिक मात्राओं में परिवर्तित करने वाले कम्प्यूटर एनालॉग कहलाते हैं। जबकि अंकों का इस्तेमाल करने वाले ‘कम्प्यूटर डिजिटल कहलाते हैं। एक तीसरी तरह के कम्प्यूटर भी हैं जो हाइब्रिड कहलाते हैं। इनमें अंकों का संचय और परिवर्तन डिजिटल रूप में होता है लेकिन गणना एनालांग रूप में होती है।

विज्ञान क्षेत्र में सूचना प्रौद्योगिकी का आयाम जुड़ने से हुई प्रगति ने हमें अनेक प्रकार की सुविधाएँ प्रदान की हैं। इनमें मोबाइल फोन, कम्प्यूटर तथा इंटरनेट का विशिष्ट स्थान है। कम्प्यूटर का विकास गणना करने के लिए विकसित किये यंत्र केलकुलेटर से जुड़ा है। इससे जहाँ कार्य करने में समय कम लगता है वहीं मानव श्रम में भी कमी आई है। यही कारण है कि दिन-प्रतिदिन इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। पहले ये कुछ सरकारी संस्थानों तक ही सीमित थे लेकिन आज इनका प्रसार घर-घर में होने लगा है।

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जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ समस्यायें भी तीव्र गति से बढ़ती जा रही है। इन समस्याओं से जूझना व उनका समुचित हल निकालना मानव के लिए चुनौती रहा है। इन समस्याओं में एक समस्या थी गणित की। इस विषय की जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आवश्यकता पड़ती है। प्रारंभ में आदि मानव उंगलियों की सहायता से गणना करता था। विकास के अनुक्रम में फिर उसने कंकड़; रस्सी में गाँठ बाँधकर तथा छड़ी पर निशान लगाकर गणना करना आरम्भ किया। करीब दस हजार वर्ष पहले अबेकस नामक मशीन का आविष्कार हुआ। इसका प्रयोग गिनती करने तथा संक्रियायें हल करने के लिए किया जाता था।

वर्तमान में कम्प्यूटर संचार का भी एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है। कम्प्यूटर नेटवर्क के माध्यम से देश के प्रमुख नगरों को एक दूसरे के साथ जोड़े जाने की प्रक्रिया जारी है। भवनों, मोटर-गाड़ियों, हवाई जहाजों आदि के डिजाइन तैयार करने में कम्प्यूटर का व्यापक प्रयोग हो रहा है। अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में तो कम्प्यूटर ने अद्भुत कमाल कर दिखाया है। इसके माध्यम से करोड़ों मील दूर अंतरिक्ष के चित्र लिए जा रहे हैं। मजे की बात यह है कि इन चित्रों का विश्लेषण भी कम्प्यूटर द्वारा ही किया जा रहा है।

कम्प्यूटर नेटवर्क द्वारा देश विदेश को जोड़ने को ही इंटरनेट कहा जाता है। नेटवर्क केवल एक ही कम्प्यूटर से नहीं जुड़ा होता अपितु कई सारे कम्प्यूटर जो देश-विदेश में हैं को इंटरनेट नेटवर्क द्वारा आपस में जोड़ता है। इंटरनरेट की शुरूआत 1969 में अमेरिका के रक्षा विभाग ने शुरू की थी। 1990 में इसका व्यक्तिगत व व्यापारिक सेवाओं में भी प्रयोग किया जाने लगा। वर्तमान में इसके प्रयोगकर्ता पच्चीस प्रतिशत की दर से प्रति माह बढ़ रहे हैं। इंटरनेट द्वारा हम एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर पर उपस्थित व्यक्ति को संदेश भेज सकते हैं।

13. विद्यार्थी और अनुशासन : अनुशासन का महत्त्व

अनुशासन की दृष्टि से प्रथम चरण हमारा नौनिहाल विद्यार्थी हो सकता है। प्रारंभ से ही .. यदि हमारा जीवन अनुशासित होगा तो हम तमाम समस्याओं का समाधान एक स्वस्थ और निरपेक्ष तथ्यों पर हम भविष्य में कर सकते हैं। अन्यथा समस्याएँ ज्यों की त्यों बनी रहेंगी चाहे कितनी सरकारें क्यों न बदल जाएँ, चाहे कितनी पीढ़ियों क्यों न गुजर जाएँ। यदि देश की विभिन्न समस्याओं की गहराई में जाकर देखें तो उसमें से कुछ ऐसी बातें मिलती हैं जो देश की विभिन्न समस्याओं को जन्म देती हैं।

जिनमें आर्थिक और राजनीतिक महत्त्व के साथ ही साथ देश की राष्ट्र भाषा, धर्म, संस्कृति और खानपान के आधार पर ही लोगों में अनुशासन तोड़ने अथवा समस्याएँ खड़ी करने के लिए प्रेरित होने के प्रसंग मिलते हैं। देश में व्याप्त इन समस्याओं के निराकरण के लिए देश के प्रत्येक नागरिक को अनुशासन प्रिय होना चाहिए। अनुशासन प्रिय होने के लिए हमें स्वप्रेरणा के आधार पर कार्य करना होगा। वैलेंटाइन के अनुसार-अनुशासन बालक की चेतना का परिष्करण है। बालक की उत्तम प्रवृत्तियों और इच्छाओं को सुसत्कृत करके हम अनुशासन के उद्देश्य को पूरा कर सकते हैं।

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अनुशासन से अभिप्राय नियम, सिद्धान्त तथा आदेशों का पालन करना है। जीवन को आदर्श तरीके से जीने के लिए अनुशासन में रहना आवश्यक है। अनुशासन का अर्थ है खुद को वश में रखना। अनुशासन के बिना व्यक्ति पशु समान है। विद्यार्थी का जीवन अनुशासित व्यक्ति का जीवन कहलाता है। इसे विद्यालयों के नियमों पर चलना होता है। शिक्षक का आदेश मानना पड़ता है। ऐसा करने पर वह बाद में योग्य, चरित्रवान व आदर्श नागरिक कहलाता है। विद्यार्थी जीवन में ही बच्चे में शारीरिक व मानसिक आदि गुणों का विकास होता है।

उसे अपना भविष्य सुखमय बनाने के लिए अनुशासन में रहना जरूरी है। यदि हम किसी काम को व्यवस्था के साथ-साथ अनुशासित होकर करते हैं तो हमें उस कार्य को करने में कोई परेशानी नहीं होती। इसके अलावा हमें कार्य करते समय भय, शंका अथवा गलती होने का कोई डर नहीं होता। यदि हम अनुशासनहीनता, बिना नियम तथा उचित विचार किए किसी कार्य को करते हैं तो हमें उस कार्य में गलती होने का डर लगा रहता है। इससे जहाँ व्यवस्था भंग होती वहीं कार्य भी बिगड़ जाता है परेशानी बढ़ने के साथ-साथ उन्नति का मार्ग भी बंद हो जाता है। इसलिए सफलता प्राप्त करने के लिए अनुशासन में रहना आवश्यक है।

जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन की आवश्यकता होती है। अनुशासित व्यक्ति निरन्तर प्रगति पथ पर अग्रसर होता जाता है। यह प्रगति चाहे व्यक्तिगत हो या फिर मानसिक दोनों के लिए अनुशासन जरूरी है। वर्तमान में विद्यार्थी अनुशासन हीनता का पर्याय हो गया है। विद्यालय से लेकर घर तक ऐसी कोई जगह नहीं बची है जहाँ विद्यार्थी की उदंडता न देखने को मिलती हो। प्राचीन काल से चली आ रही गुरुकुल प्रणाली के समाप्त होने को आधुनिक शिक्षा पद्धति से ऐसा हुआ माना जाता है। हालांकि इसके लिए हमारा सामाजिक वातावरण भी कम दोषी नहीं है। आज हर विद्यार्थी स्वतंत्र रहना चाहता है। विद्यालय या कालेज उसे जेल नजर आते हैं। वह एक तरह से स्वतंत्र रहना चाहता है।

14. पुस्तकालय

मानव शरीर को स्वस्थ बनाये रखने के लिए जिस प्रकार हमें पौष्टिक तथा संतुलित भोजन की आवश्यकता होती है। उसी प्रकार मानसिक स्वास्थ्य के लिए ज्ञान की प्राप्ति आवश्यक है।

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मस्तिष्क को बिना गतिशील बनाये ज्ञान प्राप्त नहीं किया जा सकता। ज्ञान प्राप्ति के लिए विद्यालय जाकर गुरु की शरण लेनी पड़ती है। इसी तरह ज्ञान अर्जित करने के लिए पुस्तकालय की सहायता लेनी पड़ती है। लोगों को शिक्षित करने तथा ज्ञान देने के लिए एक बड़ी राशि व्यय करनी पड़ती है। इसलिए स्कूल कालेज खोले जाते हैं और उनमें पुस्तकालय स्थापित किये जाते हैं। जिससे कि ज्ञान चाहने वाला व्यक्ति सरलता से ज्ञान प्राप्त कर सके।

पुस्तकालय के दो भाग होते हैं। वाचनालय तथा पुस्तकालय। वाचनालय में देशभर से प्रकाशित दैनिक अखबार के अलावा साप्ताहिक, पाक्षिक तथा मासिक पत्र-पत्रिकाओं का पठन केन्द्र है। यहाँ से हमें दिन प्रतिदिन की घटनाओं की जानकारी मिलती है। पुस्तकालय विविध विषयों और इनकी विविध पुस्तकों का भण्डारगृह होता है। पुस्तकालय में दुर्लभ से दुर्लभ पुस्तक भी मिल जाती है।

भारत में पुस्तकालयों की परम्परा प्राचीनकाल से ही रही है। नालन्दा, तक्षशिला के पुस्तकालय विश्वभर में प्रसिद्ध थे। मुद्रणकला के साथ ही भारत में पुस्तकालयों की लोकप्रियता बढ़ती चली गई। दिल्ली में दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की सैकड़ों शाखाएँ हैं। इसके अलावा दिल्ली में एक नेशनल लाइब्रेरी भी है।

पुस्तकें मनुष्य की मित्र होती हैं। एक ओर जहाँ वे हमारा मनोरंजन करती हैं वहीं वह हमारा ज्ञान भी बढ़ाती हैं। हमें सभ्यता की जानकारी भी पुस्तकों से ही प्राप्त होती है। पुस्तकें ही हमें प्राचीनकाल से लेकर वर्तमानकाल के विचारों से अवगत कराती है। इसके अलावा पुस्तकें संसार के कई रहस्यों से परिचित कराती हैं। कोई भी व्यक्ति एक सीमा तक ही पुस्तक खरीद सकता हैं। सभी प्रकाशित पुस्तकें खरीदना सबके बस की बात नहीं है। इसलिए पुस्तकालयों की स्थापना की गई। पुस्तकालय का अर्थ है पुस्तकों का घर। यहाँ हर विषय की पुस्तकें उपलब्ध होती हैं इनमें विदेशी पुस्तकें भी शामिल होती हैं। विद्यालय की तरह पुस्तकालय भी ज्ञान का मंदिर है। पुस्तकालय कई प्रकार के होते हैं।

इनमें पहले पुस्तकालय वे हैं जो स्कूल, कालेज तथा विश्वविद्यालय के होते हैं। दूसरी प्रकार के पुस्तकालय निजि होतें हैं। ज्ञान प्राप्ति के शौकीन व्यक्ति अपने-अपने कार्यालयों या घरों में पुस्तकालय बनाकर अपना तथा अपने परिचितों का ज्ञान अर्जन करते हैं। तीसरे प्रकार के पुस्तकालय राजकीय पुस्तकालय होते हैं। इनका संचालन सरकार द्वारा किया जाता है। इन पुस्तकों का लाभ सभी लोग उठा सकते हैं। चौथी प्रकार के पुस्तकालय . सार्वजनिक होते हैं। इनसे भी सरकारी पुस्तकालयों की तरह लाभ उठा सकते हैं। इनके अतिरिक्त स्वयंसेवी संगठनों व सरकार द्वारा चल पुस्तकालय चलाये जा रहे हैं। यह पुस्तकालय एक वाहन पर होते हैं। हमारा युग ज्ञान का युग है। वर्तमान मे ज्ञान ही ईश्वर है व शक्ति है। पुस्तकालय से ज्ञान वृद्धि में जो सहायता मिलती है वह और कहीं से सम्भव नहीं है। विद्यालय में विद्यार्थी केवल विषय से संबंधित ज्ञान प्राप्त कर सकता है लेकिन पुस्तकालय ज्ञान का खजाना है।

Bihar Board Class 12th निबंध लेखन

15. आतंकवाद

आतंकवाद विश्व के लिए एक गम्भीर समस्या है। इस समस्या का वास्तविक. व अंतिम समाधान अहिंसा द्वारा ही संभव है। आतंकवाद को परिभाषित करना सरल नहीं है। क्योंकि यदि कोई पराजित देश स्वतंत्रता के लिए शस्त्र उठाता है तो वह विजेता के लिए आतंकवाद होता है। स्वतंत्रता के लिए भारतीय क्रांतिकारी प्रयास अंग्रेजों की दृष्टि में आतंकवाद था। देश के अंदर आतंकवाद. व्यवस्था के प्रति असंतोष से उपजता है। यह अति शोषण और अति पोषण से पनपता है। यदि असंतोष का समाधान नहीं किया जाए तो वह विस्फोटक होकर अनेक रूपों में विध्वंस करता है और निरपराधियों के प्राणों से उनकी प्यास नहीं बुझती। आतंकवाद को निष्प्रभावी बनाने के लिए उनको जीवित रखने वाली परिस्थितियों को नष्ट करना आवश्यक है। असहिष्णुता, अवांछित अनियंत्रित लिप्सा, अत्याधुनिक शस्त्रों की सुलभता आतंकवाद को जीवित रखे हुए हैं। पूर्वांचल का आतंकवाद व कश्मीर का आतंकवाद धर्मों के नाम पर विदेशों से धन व शस्त्र पाकर पुष्ट होता है।

वर्तमान में आतंकवाद हमारे देश के लिए ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक समस्या बन गया है। आतंकवाद से अभिप्राय अपने प्रभुत्व व शक्ति से जनता में भय की भावना का निर्माण कर अपना उद्देश्य सिद्ध करने की नीति ही आतंकवाद कहलाती है। हमारा देश भारत सबसे अधिक आतंकवाद की चपेट में है। पिछले दस-बारह वर्षों में हजारों निर्दोष लोग इसके शिकार हो चुके हैं। अब तो जनता के साथ-साथ सरकार को भी आतंकवाद का सामना करना पड़ रहा है। वर्तमान शासन प्रणाली तथा शासकों को हिंसात्मक हथकंडे अपनाकर समाप्त करना या उनसे अपनी बातें मनवाना ही आतंकवाद का मुख्य उद्देश्य है।।

भारत में आतंकवाद की शुरुआत बंगाल के उत्तरी छोर पर नक्सलवादियों ने की थी। 1967 में शुरू हुआ यह आतंकवाद तेलंगाना, श्री काकूलम में नक्सलियों ने तेजी से फैलाया। 1975 में लगे आपातकाल के बाद नक्सलवाद खत्म हो गया।

आतंकवाद के मूल में सामान्यतः असंतोष एवं विद्रोह की भावनायें केन्द्रित रहती हैं। धीरे-धीरे अपनी बात मनवाने के लिए आतंकवाद का प्रयोग एक हथियार के रूप में किया जाना सामान्य सी बात हो गयी। तोड़-फोड़, अपहरण, लूट-खसोट, बलात्कार, हत्या आदि करके अपनी बात मनवाना इसी में शामिल है। असंतुष्ट वर्ग चाहे वह राजनीतिक क्षेत्र में हो या व्यक्तिगत क्षेत्र में अपनी अस्मिता प्रमाणित करने के लिए यही मार्ग अपनाता है। आज देश के कुछ स्वार्थी तत्वों ने क्षेत्रवाद को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है इससे सांस्कृतिक टकराव, आर्थिक विषमता, भ्रष्टाचार तथा भाषायी मतभेद को बढ़ावा मिल रहा है। ये सभी तत्व आतंकवाद को पोषण करते हैं। भाषायी राज्यों के गठन में भारत में आतंकवाद को पनाह दी। इन प्रदेशों के नाम पर जमकर खून-खराबा हुआ। मिजोरम समस्या, गोरखालैण्ड आन्दोलन, कथक उत्तराखंड, खालिस्तान की मांग जैसे कई आन्दोलन थे जिन्होंने क्षेत्रवाद को बढ़ावा दिया।

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वर्तमान में कश्मीर समस्या आतंकवाद का कारण बनी हुई है। हालांकि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही कश्मीर में घुसपैठिये हथियारों की समस्या उत्पन्न हो गयी थी। भारत पाक सीमा परं आतंकवादियों से सेना की मुठभेड़ आम बात हो गयी थी। अंतत: यह समस्या कारगिर युद्ध के रूप में सामने आई। आज वर्तमान में भी पाकिस्तारन की सीमा पार से आतंकवादी गतिविधियाँ जारी हैं। कथित पाक प्रशिक्षित आतंकवादियों द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में बम विस्फोटों की घटनाएँ देखने को मिल रही हैं। भारतीय संसद पर हमला, गुजरात का अक्षरदाम मंदिर हमला, कश्मीर के रघुनाथ मंदिर पर हमले की कार्यवाही आतंकवाद का ही हिस्सा है।

इसी तरह 13 दिसम्बर 2001 को 11 बजकर 40 मिनट पर भारत के संसद भवन पर भी आतंकवादियों ने हमला किया। इसमें हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिल पायी और संसद भवन के सुरक्षाकर्मियों के साथ हुई मुठभेड़ में हमले को अंजाम देने आये आतंकवादियों को मार गिराया आतंकवादी ए. के. 47 राइफलों और ग्रेनेडों से लैस थे। ये उग्रवादी एक सफेद एम्बेसडर कार से संसद परिसर में घुसे थे। कार में भारी मात्रा में आर. डी. एक्स था। संसद भवन में घुसते समय इन्होंने उपराष्ट्रपति के काफिले में शामिल एक कार को भी टक्कर मारी थी। सुरक्षाकर्मियों तथा आतंकवादियों के बीच करीब आधे घंटे तक गोलीबारी जारी रही। इस दौरान संसद भवन परिसर में दहशत और अफरातफरी का माहौल था। यदि आतंकवादी अपने मकसद में सफल हो जाते तो कई केन्द्रीय मंत्रियों सहित सैकड़ों सांसदों को जान से हाथ धोना पड़ता।

कुल मिलाकर यदि इस पर जल्दी ही काबू न पाया गया तो यह समूचे विश्व के लिए घातक सिद्ध हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि आतंकवाद पर विजय प्राप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक, सामाजिक आदि सभी स्तरों से प्रयास किये जाएँ।

16. रेल दुर्घटना का दृश्य

सोमवार का दिन था और सुबह का समय। फरीदाबाद से दिल्ली जाने वाली पहली गाड़ी छूट चुकी थी। रात जोरों से हुई बारिश के कारण रिक्शा न मिलने की वजह से मुझे स्टेशन चार किलोमीटर पैदल चलकर आना पड़ा था। यही कारण था कि मेरी पहली ट्रेन छूट चुकी थी। खैर आधा घंटा प्लेटफार्म पर अखबार पढ़कर बिताया। तभी पलवल-दिल्ली के बीच चलने वाली शटल ट्रेन आ गई। यह ट्रेन नई दिल्ली होते हुए पुरानी दिल्ली स्टेशन जाती है। ट्रेन के प्लेटफार्म पर रुकते ही मैं उस पर सवार हो गया। उसमें सवार कुछ लोग ताजा राजनीतिक हालातों पर चर्चा कर रहे थे। तो कुछ लोग इन सबसे बेखबर हो ताश खेलने में व्यस्त थे। कुछ ऐसे भी लोग थे जो अन्य तरह से अपना मनोरंजन कर रहे थे।

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गाड़ी फरीदाबाद से चलकर तुगलकाबाद पहुँची। यहाँ ट्रेन में सवार काफी यात्री उतरे। यहाँ से ट्रेन पर चढ़ने वाले लोगों की संख्या बमुश्किल आठ-दस ही रही होगी। यहाँ से ट्रेन रवाना हुए अभी पाँच-सात मिनट ही हुए होंगे कि अचानक एक झटके के साथ गाड़ी रुक गई। ट्रेन में सवार लोगों ने सोचा हो सकता है आगे कोई दिक्कत होगी इसलिए सिगनल न मिलने के कारण गाड़ी रुकी होगी। गाड़ी रुकते ही कुछ लोग जो हमसे आगे वाले डिब्बों में सवार थे गाड़ी से उतरकर शोर मचाने लगे। आग लग गयी, जिस डिब्बे में मैं सवार था उसमें भी भगदड़ मची इस दौरान मची भगदड़ में कुछ लोगों को चोट आ गयी। मैने ट्रेन से नीचे उतरकर देखा तो इंजन के बाद पाँचवें डिब्बे में से धुआँ उठ रहा था।

ट्रेन से उतरने के बाद मैं भी उस डिब्बे की ओर दौड़ा जिसमें आग लगी हुई थी। आग की चपट में आया डिब्बा वातानुकूलित था। उसमें एक ही परिवार के करीब पच्चीस सदस्य थे। उनके साथ कुछ छोटे बच्चे भी थे। बच्चों को बचाने के क्रम में परिवार के बड़े सदस्य जिसे जैसे मौका मिला वे बच्चों को ले डिब्बों से बाहर कूदे। जैसे ही मैं वहाँ पहुँचा तो पता लगा कि डिब्बे में उनका जरूरी सामान के साथ-साथ एक वृद्ध महिला भी डिब्बे में ही है। यह सुन मेरे से रहा नहीं गया और मैंने किसी तरह डिब्बे में घुसने का प्रयास किया। कुछ देर के संघर्ष के बाद किसी तरह मुझे डिब्बे के अन्दर पहुँचने में सफलता मिल गयी। डिब्बे की एक कोने वाली सीट पर वृद्ध महिला अपने मुँह और नाक को बंद किये बैठी थी।

यदि मैं उसे दो चार मिनट और वहाँ से बाहर न निकालता तो उसका बचना मुश्किल था। मैंने उसे किसी तरह अपने कंधे पर लादा और वहाँ जो सामान पड़ा था उसमें से एक अदद ब्रीफकेस लेकर मैं किसी तरह गेट तक पहुँचा। तभी बाहर खड़ी भीड़ में से एक व्यक्ति चिल्लाया कि रुको-रुको हम तुम्हारी मदद के लिए आ रहे हैं। मेरे समक्ष दिक्कत यह थी कि मैं वृद्धा को कंधे पर लेकर कूदता तो मुझे तो चोट आती ही वृद्धा भी इस क्रम में घायल हो जाती।।

खैर बाहर खड़े लोगों की मदद से मैंने वृद्धा को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। मेरे डिब्बे से उतरते ही अचानक डिब्बे में एक हल्का सा विस्फोट हुआ और आग तेजी से बढ़ गयी। शायद विस्फोट उस डिब्बे में लगे एयर कम्प्रेशन में हुआ होगा। तब तक वहाँ पर अग्नि शमन विभाग व पुलिस कर्मचारी भी पहुँच चुके थे। उन लोगों ने चुटैल लोगों को अस्पताल पहुंचाया। मैं किसी तरह बस पकड़ कर अपने कालेज पहुँचा। कालेज पहुँचने पर कुछ लोग मेरे कपड़े देखकर दंग थे। जब मैंने उन्हें रेल हादसे की जानकारी दी तो उन्हें पता लगा कि मेरी यह दशा ऐसी क्यों हुई।

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कालेज से घर लौटने पर पता चला कि घर के सदस्यों को रेल हादसे की जानकारी मिल चुकी थी और लोग मेरे को लेकर चिंतित थे। मुझे सकुशल घर लौटा देख मेरी माता जी ने मुझे आलिंगनबद्ध कर लिया। मुझे माता जी को यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही थी कि आप द्वारा दी गई शिक्षा से आज मैं एक जीवन बचाने में सफल रहा।

17. निरक्षरता

हमारे देश में छः करोड़ तीस लाख बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने स्कूल का मुंह नहीं देखा। जाहिर है इसकी वजह भारत जैसे विकासशील देश की सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि है। ऐसे में गरीब ग्रामीण परिवारों की ज्यादातर लड़कियों के लिए स्कूल जाना एक स्वप्न है। गाँवों में यह देखकर दुःख होता है कि पाँच सात वर्ष की आयु की लड़कियाँ दस-दस घंटे काम करती हैं। ऐसे परिवारों के बच्चे बहुत छोटी उम्र से ही अपने परिवार या अपने माता-पिता के काम में हाथ बँटाने लगते हैं। इस प्रकार जैसे-जैसे वे बड़े होते जाते हैं लड़कों के मुकाबले लड़कियों पर काम का बोझ बढ़ता जाता है।

वर्ष 1998-99 के आंकड़ों के अनुसार केरल और हिमाचल प्रदेश ही ऐसे राज्य हैं जहाँ छः से चौदह वर्ष की स्कूल न जाने वाली लड़कियों की संख्या पाँच प्रतिशत से कम है। स्त्री शिक्षा का स्तर शेष देश में चिन्ताजनक है। इसकी एक अहम् वजह यह भी है कि दूरदराज के कई ग्रामीण इलाकों में स्कूल प्राय: इतने दूर होते हैं कि परिवार वालों की राय में लड़कियों को वहाँ भेजना जोखिम भरा होता है। ग्रामीण इलाकों में महिला अध्यापकों के न होने के कारण भी लड़कियाँ स्कूल जाने से हिचकती हैं। या फिर वे बीच में ही पढ़ाई छोड़ देती हैं। गाँव ही नहीं शहरों में भी ऐसे बहुत से स्कूल हैं जहाँ अध्यापक हैं तो पढ़ने के लिए कमरे नहीं, यदि कमरे हैं तो अध्यापक नहीं हैं। यदि सब सुविधा है तो अध्यापक स्कूल से नदारत मिलेंगे।

विभिन्न राज्यों में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में स्कूल के शिक्षकों के हजारों पद खाली पड़े हैं। उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुड़ी स्थायी। संसद समिति भी अपनी 93वीं रिपोर्ट में इस तथ्य पर चिंता जता चुकी है। दूरदराज के गाँव तथा आदिवासी इलाकों में अव्वल तो स्कूलों की संख्या बहुत कम हैं जो हैं भी उनमें अध्यापक जाने में रुचि नहीं दिखाते। ग्रामीण बच्चों की सुविधा के लिए स्कूल एक किलोमीटर के दायरे में खोले गये हैं। इनका सर्वेक्षण करने पर पता चला कि इन स्कूलों में पर्याप्त सुविधाएँ नहीं हैं।

स्कूलों की इमारत खस्ताहाल है। सर्वेक्षण के अनुसार 84 प्रतिशत स्कूलों में शौचालय नहीं पाये गये तथा 54 प्रतिशत स्कूलों में पाने का पानी नहीं था। पुस्तकालय, खेल के मैदान किताबों की बात तो दूर 12 प्रतिशत स्कूलों में केवल एक ही अध्यापक थे। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को सार्थक शिक्षा देने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। आज से 90 वर्ष पूर्व ‘सभी को शिक्षा नीति की परिकल्पना गोपाल कृष्णधा गोखले ने की थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जब भारत का संविधान बना तो उसमें भी चौदह साल तक के सभी बच्चों के लिए निःशुल्क शिक्षा और अनिवार्य शिक्षा देने की बात कही गयी साथ ही यह भी कहा गया कि इस लक्ष्य को हमें 1960 तक हासिल कर लेना है।

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लेकिन यह लक्ष्य बीसवीं सदी तक तो पूरा हो नहीं सका अब इसे वर्ष 2010 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। .. मनुष्य के विकास में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है। शिक्षा से मनुष्य का जहाँ सर्वांगीण विकास होता है वहीं वह उसका आर्थिक और सामाजिक उत्थान करने की सामर्थ्य भी देती है। इस प्रकार बौद्धिक स्तर के साथ-साथ मनुष्य का जीवन स्तर भी ऊँचा उठता है, विशेषकर स्त्रियों में। महिला शक्तिकरण में भी शिक्षा का प्रमुख योगदान है। लड़कियों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा समय-समय पर कई कायक्रम बनाये गये लेकिन उनमें साक्षरता की गति विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियों में उतनी नहीं बढ़ी है जितनी बढ़नी चाहिए थी।

शिक्षा भले ही हमारे मूलभूत आवश्यकताओं में से एक हो पर सरकार शिक्षा पर कुल घरेलू सकल उत्पाद का मात्र छः प्रतिशत व्यय करती है। इसमें प्राथमिक शिक्षा का हिस्सा आज भी नाम मात्र को है। बेहतर होगा कि निरक्षरता उन्मूलन के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में वहीं के पढ़े-लिखे युवाओं को जिम्मेदारी सौंपी जाए।

18. मानवाधिकार

मानव के रूप में क्या अधिकार हों और किस सीमा तक किसी रूप में उनकी प्रत्याभूति शासन की ओर से हो इस संबंध में मानव सभ्यता के प्रारंभ से ही विवाद चला आ रहा है। सामान्यतः मानव के मौलिक अधिकारों में जीवन का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, जीविका का अधिकार, वैचारिक स्वतंत्रता का अधिकार, समानता का अधिकार, संगठन बनाने का अधिकार तथा स्वतंत्र रूप से धार्मिक विश्वास का अधिकार आदि पर चर्चा की जाती है।

सैनिक एवं प्रतिक्रियावादी शासकों द्वारा मानवीय अधिकारों के भद्दे दुरुपयोग ने ही जनसाधारण में एक नवीन जागृति उत्पन्न की है। जहाँ कहीं भी मानव अधिकारों को नकारा गया है वहीं अन्याय, क्रूरता तथा अत्याचार का नग्न ताण्डव देखा गया। इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि मानवता बुरी तरह से अपमानित हुई और जनमानस की अवस्था निरंतर बिगड़ती चली गयी। यद्यपि मानव अधिकारों की जानकारी तथा इन्हें प्राप्त करने के लिए स्त्री, बच्चों तथा पुरुषों ने मानव अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए नियमित संघर्ष द्वितीय विश्व युद्ध के उपरांत ही प्रारंभ हुआ।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानव अधिकारों की मान्यता व एकता का विचार विश्व के समक्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के साथ आया ताकि संयुक्त राष्ट्र संघ के विधान के अनुच्छेद 3 में कहा गया है कि उसका एक उद्देश्य आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा मानवीय रूप ही अंतर्राष्ट्रीय समस्या के समाधान तथा जाति, लिंग, भाषा या धर्म के सब प्रकार के भेदभाव के बिना मानव अधिकारों, मौलिक अधिकारों तथा स्वतंत्रताओं के संवर्धन व प्रोत्साहन के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की प्राप्ति करना होगा।

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इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की आर्थिक सामाजिक परिषद ने 1946 में मानव अधिकार आयोग की स्थापना की। इस आयोग को मानव अधिकारों का अंतर्राष्ट्रीय घोषणा पत्र तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया। आयोग की सिफारिशों के आधार पर 10 दिसम्बर 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक घोषणा पत्र जारी किया। इसे अब मानव अधिकारों के घोषणा-पत्र के नाम से जाना जाता है। 1950 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने 10 दिसम्बर को प्रति वर्ष मानव अधिकार दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।

भारत हमेशा से मानव अधिकारों के प्रति सजग रहा है और विश्व मंच पर मानव अधिकारों का समर्थन करता रहा है। श्रीलंका, फिजी तथा फिलीस्तीन तथा दक्षिझा अफ्रीका आदि देशों के संबंध में भारतीय नीति इसका ज्वलंत उदाहरण है। मानव अधिकारों का हनन तथा उनका उल्लंघन विश्व के समक्ष एक गंभीर समस्या बनी हुई है। यह आधुनिक सभ्यता पर लगा हुआ एक काला धब्बा साबित हो रहा है। यदि मानव अधिकारों के उल्लंघन के क्रम को रोका नहीं गया तो एक ऐसी आँधी का रूप धारण कर लेगा जो संपूर्ण मानवता को तिनके की भाँति उड़ा ले जाएगा।

19. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर

भारतीय क्रिकेट की शान व विश्व के नंबर एक बल्लेबाज का रुतबा रखने वाले मास्टर बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने बहुत ही कम समय व उम्र में क्रिकेट में ऐसे रिकार्ड बना डाले हैं जिन्हें तोड़ना इतना आसान नहीं। रन बनाने व नये कीर्तिमान बनाने की भूख अभी उनकी मिटी नहीं है। क्रिकेट इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर वे अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। 1989 में अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में सचिन का कदम रखना तमाम भारतीयों के जेहन में आज भी कैद है।

बीते वक्त में हमेशा भारतीयों की उम्मीदों की पतवार सचिन का बल्ला ही बना है। यही वजह है कि आज भी सचिन की बल्लेबाजी में वही ताजगी नजर आती है। अपने एक साक्षात्कार में सचिन ने कहा था कि-मैं आगे खेलना और सिर्फ खेलना चाहता हूँ। मैं अब तक जो चाहता रहा वह मुझे मिलता रहा। क्रिकेट के बिना मैं जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता।।

भारतीय क्रिकेट की शमां रोशन करने वाले तेंदुलकर महज एक बेमिसाल क्रिकेटर ही नहीं बल्कि देश के क्रिकेट प्रेमियों के होंठों की मुस्कान भी हैं। उनका बल्ला चलने पर देश में दीवाली सी मनायी जाने लगती है और नहीं चलने पर शमशान-सी मुर्दनी छा जाती है। परंपरागत प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ 1989 में पहला मैच खेलने वाले सोलह बरस के सचिन ने महान लेग स्पिनर अब्दुल कादिर की जमकर धुनाई करते हुए एक ही ओवर में चार चौक्के लगाते हुए 27 रन बनाकर सनसनी फैला दी थी। विश्व कप 2003 में पाकिस्तान के रावलपिंडी एक्सप्रेस के नाम से पहचाने जाने वाले शोएब अख्तर के पहले ही ओवर में 18 रन बनाये थे। अपने ही रिकार्ड तोड़ने और नये रिकार्ड बनाने की कहानी तो वह कई सालों से लिखते आ रहे हैं।

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कई बार भारत की जीत और हार के बीच खड़े होने वाले तेंदुलकर ने जिस कौशल से दबावों का सामना किया है उसने उन्हें कुंदन बना दिया। उन्होंने साबित कर दिखाया कि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी प्रतिभा के प्रसून प्रस्फुटित होते हैं। सचिन का बनाया रिकार्ड ही उनकी प्रतिभा की बानगी देने के लिए काफी है।

सचिन के तीसवें जन्म दिवस पर फिल्म अभिनेता व महानायक अमिताभ बच्चन ने सचिन को जन्म दिन की बधाई देते हुए कहा हम उम्मीद करते हैं कि आपके जीवन के आने वाले सत्तर वर्ष और भी ज्यादा चमत्कारी होंगे। आप अपने खेल प्रदर्शन से यूँ ही हमेशा देशवासियों के दिलों पर राज करते रहोगे। स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने सचिन के बारे में टिप्पणी करते हए कहा कि मैं सचिन को धरती पर भेजा गया ईश्वर का चमत्कार मानती हूँ सचिन भी एक अभिनवकृति है और एक चमत्कार है और मैं उसको नमस्कार करती हूँ। रिकार्ड दर रिकार्ड कायम करके क्रिकेट जगत की जीवित किंवदन्ति बन चुके सचिन तेन्दुलकर को खेल में वही मुकाम हासिल है जो संगीत में लता मंगेशकर को और अदाकारी में अमिताभ बच्चन को प्राप्त है। मजे की बात यह है कि तीनों-लता मंगेशकर को और अदाकारी में अमिताभ बच्चन को प्राप्त है। मजे की बात यह है कि तीनों-लता मंगेशकर, अमिताभ बच्चन और सचिन तेन्दुलकर एक दूसरे के जबरदस्त फैन हैं।

लता मंगेशकर व अमिताभ बच्चन की बधाई स्वीकारते हुए तेन्दुलकर ने कहा कि मेरे पास कहने के लिए शब्द नहीं हैं मैं क्या कहूँ। सचिन ने कहा कि मुझे जब तेज खेलना होता है तो मैं लता मंगेशकर जी का तेज गीत गुनगुनाने लगता हूँ और धीमे खेलने के लिए कोई दर्द भरा नग्मा याद कर लेता हूँ। इस पर लता ने कहा कि मुझे रियाज के समय जब कोई लम्बी तान छेड़नी होती है तो मैं सचिन का छक्का याद कर लेती हूँ अमिताभ के शो कौन बनेगा करोड़पति के दौरान सचिन ने फिल्मों और अमिमताभ की अदाकारी के प्रति अपनी दीवानगी का इजहार करते हुए कहा कि मैंने अमिताभ बच्चन की फिल्म अमर अकबर एन्थेनी करीब दस बार देखी। आज भी जब कभी मौका मिलता है तो मैं उस फिल्म को देखना पसंद करता हूँ।

20. लोकपाल बिल/लोकपाल विधेयक

लोकपाल उच्च सरकारी पदों पर आसीन व्यक्तियों द्वारा किये जा रहे भ्रष्टाचार की शिकायतें सुनने एवं उस पर कार्यवाही करने के निमित्त पद है। संयुक्त राष्ट्र संघ के एक सेमिनार में राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों के आचरण तथा कर्तव्य पालन की विश्वसनीयता तथा पारदर्शिता को लेकर दुनिया की विभिन्न प्रणालियों में उपलब्ध संस्थाओं की जाँच कर गई। स्टॉकहोम में हुए इस सम्मेलन में वर्षों पूर्व आम आदमी की प्रशासन के प्रति विश्वसनीयता तथा प्रशासन के माध्यम से आम आदमी के प्रति सत्तासीन व्यक्तियों की जवाबदेही बनाए रखने के सम्बन्ध में विचार-विमर्श हुआ। लोक सेवकों के आचरण की जाँच और प्रशासन के स्वस्थ मानदंडों को प्रासंगिक बनाए रखने के संदर्भो की पड़ताल भी की गई।

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वर्तमान में समाजसेवी अन्ना हजारे लोकपाल बिल लाने के लिए देशवासियों को प्रेरित कर रहे हैं एवं राजनीतिज्ञों से मिल रहे हैं लेकिन अन्ना हजारे व भारत सरकार के बीच आम सहमति न बन पाने के कारण यह विधेयक चर्चा के घेरे में है। प्रश्न यह है कि भारत में लोकपाल विधेयक के दायरे में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय मंत्रियों, शीर्ष न्यायपालिका व लोकसभा अध्यक्ष आदि को रखा जाए। इसके लिए हमें विभिन्न देशों में विद्यमान लोकपाल के दायरे में आने वाले मंत्रियों, लोकसेवकों व न्यायपालिका के सन्दर्भ की परिस्थितियों का अध्ययन करके भारतीय संविधान का आदर करते हुए, भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल लोकपाल के दायरे में लोकसेवकों व मंत्रियों आदि को रखा जाए।

देश में गहरी जड़ें जमा चुके भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जन लोकपाल बिल लाने की माँग करते हुए अन्ना हजारे आमरण अनशन पर बैठ गए। जतर-मंतर पर सामाजिक कार्यकर्ता हजारे का समर्थन करने हजारों लोग जुटे। आइए जानते हैं जन लोकपाल बिल के बारे में इस कानून के तहत केन्द्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त का गठन होगा।

यह संस्था इलेक्शन कमीशन और सुप्रीम कोर्ट की तरह सरकार में स्वतंत्र होगी। किसी भी मुकदमें की जाँच एक साल के भीतर पूरी होगी। ट्रायल अगले एक साल में पूरा होगा। भ्रष्ट नेता, अधिकारी या जज को 2 साल के भीतर जेल भेजा जाएगा।

भ्रष्टाचार की वजह से सरकार को जो नुकसान हुआ है अपराध साबित होने पर उसे दोषी से वसूला जाएगा। अगर किसी नागरिक का काम समय में नहीं होता तो लोकपाल दोषी अफसर पर जुर्माना लगाएगा जो शिकायतकर्ता को मुआवजे के तौर पर मिलेगा।

लोकपाल के सदस्यों का चयन जज, नागरिक और संवैधानिक संस्थाएँ मिलकर करेंगी। नेताओं का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।

लोकपाल/लोक आयुक्तों का काम पूरी तरह पारदर्शी होगा। लोकपाल के किसी भी कर्मचारी के खिलाफ शिकायत आने पर उसकी जाँच दो महीने में पूरी कर उसे बर्खास्त कर दिया जाएगा। सीवीसी, विजिलेंस विभाग और सीबीआई के ऐंटी-करप्शन विभाग का लोकपाल में विलय हो जाएगा।

लोकपाल को व्यापक शक्तियाँ देने वाले भ्रष्टाचार निरोधक कानून लागू करने की माँग पर आमरण अनशन पर बैठे अन्ना हजारे को चहुंओर से समर्थन मिल रहा है। अन्ना हजारे का विरोध सरकारी बिल और जनलोकपाल बिल में व्याप्त असमानताओं पर है। जानिए आखिर क्या है सरकार द्वारा प्रस्तावित और जनलोकपाल विधेयक में मुख्य अंतर-
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21. वर्षा ऋतु

भास्कर की क्रोधाग्नि से प्राण पाकर धरा शांत और शीतल हुई। उसको झुलसे हुए गाल पर रोमावली सी खड़ी हो गई। वसुधा हरी-भरी हो उटा। पीली पड़ी, पत्तियों और मुरझाए पेड़ों पर हरियाली छा गईं। उपवन में पुष्प खिल उठे। कुंजों में लताएँ एक-दूसरे से आलिंगनबद्ध होने लगीं। सरिता-सरोवर जल से भर गए। उनमें कमल मुकुलित बदन खड़े हुए। नदियाँ इतरातीं, इठलाती अठखेलियाँ करती, तट-बंधन तोड़ती बिछुड़े हुए पति सागर से मिलने निकल पड़ी।

सम्पूर्ण वायुमंडल शीतल और सुखद हुआ। भवन, मार्ग, लता-पादप धुले से नजर आने लगे। वातावरण मधुर और सुगंधित हुआ। जनजीवन में उल्लास छा गया। पिकनिक और सैर-सपाटे का मौसम आ गया। पेड़ों पर झूले पड़ गए। किशोर-किशोरियाँ पेंगे भरने लगीं। उनके कोकिल कंठी से मल्हार फूट निकला। पावस में बरती वारिधारा को देखकर प्रकृति के चतुर चितरे सुमित्रानन्दन पंत का हृदय गा उठा ‘पकड़ वारि की धार झूलता है रे मेरा मन।’ कविवर सेनापति को तो वर्षा में नववधू के आगमन का दृश्य दिखाई देता है-

इस ऋतु में आकाश में बादलों के झंड नई-नई क्रीड़ा करते हुए अनेक रूप धारण करते हैं। मेघमलाच्छादित गगन-मंडल इन्द्र को वज्रपात से चिंगारी दिखाने क समान विघुलता की बार-बार चमक और चपलता देखकर वर्षा में बन्द भी भीगी बिल्ली बन जाते हैं। मेघों में बिजली की चमक में प्रकृति सुन्दरी के कंकण मनोहारिणी छवि देते हैं। घनघोर गर्जन से ये मेघ कभी प्रलय मचाते तो कभी इन्द्रधनुषी सतरंगी छटा से मन मोह लत वन-उपवन तथा बाग-बगीचों में यौवन चमका। पेड़-पौधे स्व न्द गते हुए मस्ती में झूम उठे। हरे पत्ते की हरी डालियाँ रूपी का कर गगन को स्पर्श क क मचल उठे पवन वेग से गुजित तथा कपित वृक्षावली सिर हिलाकर चित्त को अपनी ओर ले ल वर्षा का रस रसाल के रूप में टिप-टिप गिरता हुआ टपका बन जाता है तो मंद-मंद गिरता जाम मानो भादों के नामकरण संस्कार को सूचित कर रही हो। ‘बाबा जी के बाग में दुशाला आढ़े खड़ी हुई’ मोतियों से जड़ी कूकड़ी की तो बात ही निराली है।

वर्षा का वीभत्सव रूप है अतिवृष्टि। अतिवृष्टि से जल-प्रलय का दृश्य उपस्थित होता है। दूर-दूर तक जल ही जल। मकान, सड़क, वाहन, पेड़-पौधे, सब जल मग्न। जीवनभर के संचित सम्पत्ति, पदार्थ जल देवता को अर्पित तथा जल प्रवाह के प्रबल वेग में नर-नारी, बालक-वृद्ध तथा पशु बह रहे है। अनचाहे काल का ग्रास बन रहे हैं ! गाँव के गाँव अपनी प्रिय स्थली को छोड़कर शरणार्थी बन सुरक्षित स्थान पर शरण लेने को विवश हैं। प्रकृति प्रकोप के सम्मुख निरीह मानव का चित्रण करते हुए प्रसाद जी लिखते हैं हिमगिरि के उत्तुंग शिखर पर, बैठ शिला की शीतल छाँह एक पुरुष भीगे नयनों से, देख रहा था प्रलय प्रवाह।

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वर्षा से अनेक हानियाँ भी हैं। सड़कों पर और झोपड़ियों में जीवन व्यतीत करने वाले लो. भीगे वस्त्रों में अपना समय गुजारते हैं। उनका उठना-बैठना, सोना-जागना, खाना-पीना दुश्वार हो जाता है। वर्षा से मच्छरों का प्रकोप होता है, जो अपने वंश से मानव को बिना माँग मलेरिया दान कर जाते हैं। वायरल फीवर, टायफॉइ बुखार, गैस्ट्रो एंटराइटिस, डायरिया, डीसेन्ट्री, कोलेरा आदि रोग इस ऋतु के अभिशाप हैं।

22. दहेज प्रथा/दहेज-दानव

आज दहेज की प्रथा को देश भर में बुरा माना जाता है। इसके कारण कई दुर्घटनाएं हो जाती हैं, कितने घर बर्बाद हो जाते हैं। आत्महत्याएँ भी होती देखी गई हैं। नित्य-प्रत्ति तेल डालकर बहुओं द्वारा अपने आपको आग लगाने की घटनाएँ भी समाचार-पत्रों में पढ़ी जाती हैं। पति एवं सास-ससुर भी बहुओं को जला देते या हत्याएँ कर देते हैं। इसलिए दहेज प्रथा को आज कुरीति माना जाने लगा है। भारतीय सामाजिक जीवन में अनेक अच्छे गुण हैं, परन्तु कतिपय बुरी रीतियाँ भी उसमें घुन की भाँति लगी हुई हैं। इनमें एक रीति दहेज प्रथा की भी है।

विवाह के साथ ही पुत्री को दिए जाने वाले सामान को दहेज कहते हैं। इस दहेज में बर्तन, वस्त्र, पलंग, सोफा, रेडियो, मशीन, टेलीविजन आदि की बात ही क्या है, हजारों रुपया नकद भी दिया जाता है। इस दहेज को पुत्री के स्वस्थ शरीर, सौन्दर्य और सुशीलता के साथ ही जीवन को सुविधा देने वाला माना जाता है। दहेज प्रथा का इतिहास देखा जाए तब इसका प्रारम्भ किसी बुरे उद्देश्य से नहीं हुआ था। दहेज प्रथा का उल्लेख मनु स्मृति में ही प्राप्त हो जाता है, जबकि वस्त्राभूषण युक्त कन्या के विवाह की चर्चा की गई है। गौएँ तथा अन्य वाहन आदि देने का उल्लेख मनुस्मृति में किया गया है। समाज में जीवनोपयोगी सामग्री देने का वर्णन भी मनुस्मृति में किया गया है, परन्तु कन्या को दहेज देने के दो प्रमुख कारण थे।

पहला तो यह कि माता पिता अपनी कन्या को दान देते समय यह सोचते थे कि वस्त्रादि सहित कन्या को कुछ सामान दे देने उसका जीवन सुविधापूर्वक चलता रहेगा और कन्या को प्रारम्भिक जीवन में कोई कष्ट न होगा। दूसरा कारण यह था कि कन्या भी घर में अपने भाईयों के समान भागीदार है, चाहे वह अचल सम्पत्ति नहीं लेती थी, परन्तु विवाह के काल में उसे यथाशक्ति धन, पदार्थ आदि दिया जाता था, ताकि वह सुविधा से जीवन व्यतीत करके और इसके पश्चात भी उसे जीवन भर सामान मिलता रहता था। घर भर में उसका सम्मान हमेशा बना रहता था। पुत्री जब भी पिता के घर आती थी, उसे अवश्य ही धन-वस्त्रादि दिया जाता था। इस प्रथा के दुष्परिणामों से भारत के मध्ययुगीन इतिहास में अनेक घटनाएँ भरी पड़ी हैं।

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धनी और निर्धन व्यक्तियों को दहेज देने और न देने की स्थिति में दोनों में कष्ट सहने पड़ते रहे। धनियों से दहेज न दे सकने से दुःख भोगना पड़ता रहा है। समय के चक्र में इस सामाजिक उपयोगिता की प्रथा ने धीरे-धीरे अपना बुरा रूप धारण करना आरम्भ कर दिया और लोगों ने अपनी कन्यओं का विवाह करने के लिए भरपूर धन देने की प्रथा चला दी। इस प्रथा को खराब करने का आरम्भ धनी वर्ग से ही हुआ है क्योंकि धनियों को धन की चिंता नहीं होती। वे अपनी लड़कियों के लिए लड़का खरीदने की शक्ति रखते हैं।

इसलिए दहेज-प्रथा ने जघन्य बुरा रूप धारण कर लिया और समाज में यह कुरीति-सी बन गई है। अब इसका निवारण दुष्कर हो रहा है। नौकरी-पेशा या निर्धनों को इस प्रथा से अधिक कष्ट पहुँचता है। अब तो बहुधा लड़के को बैंक का एक चैक मान लिया जाता है कि जब लड़की वाले आयें तो उनकी खाल खींचकर पैसा इकट्ठा कर लिया जाये ताकि लड़की का विवाह कर देने के साथ ही उसका पिता बेचारा कर्ज से भी दब जाये।

दहेज प्रथा को सर्वथा बंद नहीं किया जाना चाहिए परन्तु कानून बनाकर एक निश्चित मात्रा तक दहेज देना चाहिए। अब तो पुत्री और पुत्र का पिता की सम्पत्ति में समान भाग स्वीकार किया गया है। इसलिए भी दहेज को कानूनी रूप दिया जाना चाहिए और लड़कों को माता-पिता द्वारा मनमानी धन दहेज लेने पर प्रतिबंध लग जाना चाहिए। जो लोग दहेज में मनमानी करें उन्हें दण्ड देकर इस दिशा में सुधार करना चाहिए। दहेज प्रथा को भारतीय समाज के माथे पर कलंक के रूप में नहीं रहने देना चाहिए।

23. बाढ़ का दृश्य

बाढ़ भूकंप जैसी ही एक प्राकृतिक आपदा है। ऐसी स्थिति में पानी अपना विनाशकारी रूप धारण कर लेता है। ज्यादा बारिश के कारण जब भूमि की जल संचूषण की शक्ति समाप्त हो जाती है तो उसकी परिणति बाढ़ के रूप में होती है। पहाड़ों से वर्षा जल के साथ हजारों टन मिट्टी बहकर नदियों में आ जाती है। इस कारण नदियों, सरोवरों तथा जलाशयों का तल ऊपर उठने के कारण पानी उसके तटों को लांघता हुआ खेत-खलिहानों, गाँवों में फैलना शुरू हो जाता है। पानी की यही स्थिति बाढ़ कहलाती है। बाढ़ का सीधा संबंध जल या भूमि से है। आज उपभोक्तावादी संस्कृति के कारण सड़कों व इमारतों का जाल सा बिछ गया है। इस कारण मैदान नाममात्र का रह गये हैं और हरित क्षेत्रों में कमी आती जा रही है। वर्षा जल सोखने के लिए जमीन खाली नहीं रह गयी है।

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एक बार मुझे भी बाढ़ की समस्या से दो चार होने का अवसर मिला मैं उन दिनों लगातार चार दिनों की विद्यालय में पड़े अवकाश के कारण गाँव गया हुआ था। गाँव पहुँचने पर माताजी ने बताया पिछले कई दिनों से मूसलाधार बारिश हो रही है। अभी मुझे गाँव में रहते दो दिन ही हुए थे कि एक रात को गाँव में शोर होता सुनाई पड़ा। लोग चिल्ला रहे थे कि गाँव में रामपुर की ओर से तेजी से पानी बढ़ता चला आ रहा है। पहले तो मुझे कुछ समझ नहीं आया जब मैंने शोर का कारण माताजी को बताया तो वे बोली बेटा जल्द से जल्द हमें अपना जरूरी सामान संभाल लेना चाहिए क्योंकि दस साल पहले भी गाँव मे जब बाढ़ आयी थी तो रामपुर की ओर से ही गाँव में बाढ़ का पानी घुसा था। उस साल आयी बाढ़ ने गाँव के करीब-करीब सभी लोगों को बेघर कर दिया था। आज तो गाँव में फिर भी काफी पक्के मकान हो गये हैं।

हम लोग अभी बात कर ही रहे थे कि जोरों की बरसात फिर शुरू हो गयी। ऐसे में सामान को सुरक्षित जगह पर ले जाना भी जरूरी था। पिताजी अस्वस्थ थे सो मुझे ही सारा सामान किसी सुरक्षित जगह पर रखना था। हमारा मकान तिमजिला था। मैंने सोचा क्यों न सामान जो ज्यादा जरूरी है उसे तीसरी मंजिल पर रख दूँ। माताजी ने भी मेरी हाँ में हाँ मिला दी। फिर क्या था थोड़ी ही देर में मैंने जरूरी सामान ऊपर ले जाकर रख दिया। सारा सामान को बचाना भी मुश्किल था। वैसे भी बाहर बारिश हो रही थी। कुछ ही देर बाद गाँव में मुनादी करवा दी गयी कि लोग अपने घरों की छतों पर चले जाएँ कुछ ही देर में गाँव मे बाढ़ का पानी घुसने वाला है।

हमारे आस-पड़ोस के वे लोग जिनके मकान या तो कच्चे थे या फिर एक मंजिला था। मैंने उन्हें भी अपनी छत पर बुला लिया। हालांकि उनका सभी सामान तो सुरक्षित जगहों पर नहीं रखवाया जा सका क्योंकि गाँव में पानी भरना शुरू हो गया था। जो थोड़ा सामान सुरक्षित रखा जा सका वह रखवा दिया गया। हमारे पड़ोस में रहने वाली एक बुढ़िया बाहर की दुनिया से बेखबर अपनी झोपड़ी में थी। उसकी याद सहसा मेरी माताजी को आ गयी। गली में पानी भरने लगा था। मैं किसी प्रकार उस बुढ़िया को उसकी झोपड़ी से बाहर लाया। गली में पानी भरता देख वह मेरे साथ आने को तैयार नहीं थी। ऊपर छत से देख रही मेरी माताजी ने जब उनसे मेरे साथ चले आने को कहा तो वह किसी तरह तैयार हुई। खैर किसी तरह मैं उसे अपनी छत पर ले आया। जब तक मैं वापस फिर उसकी झोपड़ी में पहुँचता उसमें पानी भर चुका था। पूरे गाँव में बाढ़ को लेकर हाहाकार मचा हुआ था। थोड़ी ही देर में बारिश ने लोगों पर रहम खाते हुए अपनी तेजी कुछ कम कर दी।

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बारिश थमते ही कुछ लोग जो अपना सामान सुरक्षित जगहों पर नहीं रख पाये थे अपनी छतों से उतर कर नीचे आ गये। गलियों में पानी तो आ गया था लेकिन इतना नहीं आया था कि लोग को आवाजाही में परेशानी हो। कुछ लोगों को मैंने देखा कि अनाज की बोरियों को ट्रैक्टर ट्राली में रख पास ही स्थित एक टीले पर बसे गाँव की ओर चल दिए। शायद पहले वहाँ पहाड़ रहा होगा। वे लोग अपने साथ बच्चे भी ले जा रहे थे। मेरे ख्याल से वे लोग टीले वाले गाँव पहुँचे भी नहीं होंगे फिर से बारिश शुरू हो गयी। इस पर गाँव में एक बार फिर शोर होने लगा। क्योंकि कुछ लोग बारिश कम होने व पानी का बहाव कम होने के कारण छतों से नीचे उतर आये थे। लोगों का भरपूर प्रयास था कि किसी तरह जितना हो सके सामान बर्बाद होने से बच जाए तो अच्छा ही है।

कुछ ही देर में गाँव की गलियों तक सड़कों पर करीब दो से ढाई फुट पानी भर चुका था। गलियों व सड़कों के किनारे बने मकानों से पानी की लहरें टकरा रही थी। ऐसे में जो मकान कच्चे थे उनकी दीवार आदि ढह गयी थी। कुछ झोपड़ियों के छप्पर पानी में बह रहे थे। मकान गिरने पर छपाक की आवाज सुनाई देती। पुराने पड़ गये पेड़ भी धीरे-धीरे गिरने लगे। गाँव वालों का सारा सामान भी बह गया। बाढ़ के कारण गाँव के वे लोग बेघर हो गये जिनके मकान ‘कच्चे थे। लोगों का घरों में रखा अनाज पानी के कारण सड़ गया था। कुछ लोगों के पशु भी बह गये थे।

बाढ़ से मुक्ति तो मिल गयी लेकिन अगले दिन धूप निकलने पर जब सड़ांध उठी तो लोगों का जीना दूभर हो गया। गाँव में कई बीमारियाँ अपने पैर पसारने लगी। सरकार की ओर से सफाई आदि करवायी गयी। बेघर हो चुके लोगों की तंबुओं में रहने की अस्थायी व्यवस्था की गयी। सरकार की ओर से उन्हें घर बनाने के लिए आसान किस्तों में ऋण दिया गया। गाँव. में शिविर लगाकर लोगों को गाँव में रोगों के उपचार की सुविधा उपलब्ध करायी गयी। इनके अलावा कई स्वयंसेवी संगठनों ने भी बाढ़ पीड़ितो की जो मदद हो सकती थी की।

24. पर्यावरण प्रदूषण : प्रदूषण का स्वरूप व परिणाम

पर्यावरण प्रदूषण के कारण ही पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। इस ताप का प्रभाव ध्वनि की गति पर भी पड़ता है। तापमान में एक डिग्री सेल्सियस ताप बढने पर ध्वनि की गति लगभग साठ सेंटीमीटर प्रति सेकेण्ड बढ़ जाती है। आज हर ध्वनि की गति तीव्र है और श्रवण शक्ति का ह्रास हो रहा है। यही कारण है कि आज बहुत दूर से घोड़ों के टापों की आवाज जमीन पर कान लगाकर नहीं सुनी जा सकती। जबकि प्राचीन काल में राजाओं की सेना इस तकनीक का प्रयोग करती थी।

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बढ़ते उद्योगों, महानगरों के विस्तार तथा सड़कों पर बढ़ते वाहनों के बोझ ने हमारे समक्ष कई तरह की समस्या खड़ी कर दी हैं। इनमें सबसे भयंकर समस्या है प्रदूषण। इससे हमारा पर्यावरण संतुलन तो बिगड़ ही रहा है साथ ही यह प्रकृति प्रदत्त वायु व जल को भी दूषित कर रहा है। पर्यावरण में प्रदूषण कई प्रकार के हैं। इनमें मुख्य रूप से ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण शामिल हैं। इनसे हमारा सामाजिक जीवन प्रभावित होने लगा है। तरह-तरह के रोग उत्पन्न होने लगे हैं।

औद्योगिक संस्थाओं का कूड़ा-करकट रासायनिक द्रव्य व इनसे निकलने वाला अवजल नाली-नालों से होते हुए नदियों में गिर रहे हैं। इसके अतिरिक्त अंत्येष्टि के अवशेष तथा छोटे बच्चों के शवों को नदी में बहाने की प्रथा है। इनके परिणामस्वरूप नदी का पानी दूषित हो जाता है। हालांकि नदी के इस जल को वैज्ञानिक तरीके से शोधित कर पेय जल बनाया जाता है। लेकिन इस कथित शुद्ध जल के उपयोग से कई प्रकार के विकार उत्पन्न हो रहे हैं। इनमें खाद्य विषाक्तता तथा चर्म रोग प्रमुख हैं। प्रदूषित जल मानव जीवन को ही नहीं कई अन्य क्षेत्रों को भी प्रभावित करता है। इससे कृषि क्षेत्र भी अछूता नहीं है। प्रदूषित जल से खेतों में सिंचाई करने के कारण उनमें उत्पन्न होने वाले खाद्य पदार्थों की शुद्धता व उसके अन्य पक्षों पर भी उसका दुष्प्रभाव पड़ता है।

प्रातः से ही हम ध्वनि प्रदूषण का शिकार होने लगते हैं। इस समय मन्दिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों में कीर्तन मण्डलियों द्वारा लाउडस्पीकर चलाकर भजन गाये जाते हैं। यह भी ध्वनि प्रदूषण का एक बहुत बड़ा हानिप्रद कारण है। इन पर अंकुश लगाने में हमारा धर्म आड़े आ जाता है। यही कारण है कि इस पर कानूनी अंकुश लगाने में सफलता नहीं मिल पा रही है। इसके अतिरिक्त मोटरों, कारों, ट्रकों, बसों, स्कूटरों आदि के तेज आवाज वाले हार्न, तेज गति व आवाज से दौड़ती रेलें, कल-कारखानों के बजते भोंपू व मशीनों की आवाज भी ध्वनि प्रदूषण फैलाती है। संगीत की कोकिल ध्वनि चित्त को जहाँ शांति व खुशी प्रदान करती है वहीं दूसरी ओर वाहनों का शोर हमें कान की व्याधि का शिकार बना रहा है। ध्वनि व शोर में कोई अधिक अंतर नहीं है। शोर वह ध्वनि है जिसे हम नहीं चाहते। अधिक तीव्रता एवं प्रबलता की ध्वनि ही शोर कहलाती है।

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बड़े शहरों के खुले वातावरण में तीस डेसीबल का शोर हर समय रहता है। कभी-कभी यह पचास से डेढ़ सौ डेसीबल तक बढ़ जाता है। उल्लेखनीय है कि किसी सोये हुए व्यक्ति की निद्रा चालीस डेसीबल के शोर से खुल जाती है। पहले प्रातः चिड़ियों की चहचहाट से नींद खुलती थी लेकिन अब मोटर वाहनों की शोरगुल से नींद खुलती है। अकेले दिल्ली में सड़कों पर दौड़ते वाहनों एवं कर्कश कोलाहल से करीब सवा करोड़ की आबादी में से अधिकतर लोग शोर जनित बहरेपन के शिकार हैं। ऐसे लोगों की फुस्फुटाहट सुनाई देती। पचास डेसीबल का शोर हमारे श्रवण शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। दीवाली पर चलाये जाने वाले पटाखों का शोर दौ सौ डेसीबल से भी अधिक होता है।

ध्वनि प्रदूषण कानों की श्रवण शक्ति के लिए तो हानिकारक है ही, साथ ही यह तन मन की शक्ति को भी प्रभावित करता है। ध्वनि प्रदूषण के कारण मानव चिड़चिड़ा और असहिष्णु को जाता है। इसके अलावा अन्य कई विकार पैदा होने लगते हैं।

हमें प्रदूषण से बचने के लिए हरित क्षेत्र विकसित करना होगा। इसके अतिरिक्त आवासीय क्षेत्रों में चल रही औद्योगिक इकाइयों को वहाँ से स्थानांतरित कर इन इकाइयों से निकलने वाले कचरे को जलाकर नष्ट करने जैसे कुछ उपाय अपनाकर प्रदूषण पर कुछ हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।

25. समाचार पत्र और उसकी उपयोगिता

समाचार पत्र ही एक ऐसा साधन है जिससे लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली फली-फूली। समाचार पत्र शासन और जनता के बीच माध्यम का काम करते हैं। समाचार पत्रों की आवाज जनता की आवाज कही जाती है। विभिन्न राष्ट्रों के उत्थान एवं पतन में समाचार पत्रों का बड़ा हाथ होता है। एक समय था जब देश के निवासी दूसरे देशों के समाचार के लिए भटकते थे। अपने ही देश की घटनाओं के बारे में लोगों को काफी दिनों बाद जानकारी मिल पाती थी। समाचार पत्रों के आने से आज मानव के समक्ष दूरी रूपी कोई दीवार या बाधा नहीं है।

किसी भी घटना की जानकारी उन्हें समाचार पत्रों से प्राप्त हो जाती है। विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के बीच की दूरी इन समाचार पत्रों ने समाप्त कर दी है। मुद्रण कला के विकास के साथ-साथ समाचार पत्रों के विकास की कहानी भी जुड़ी है। वर्तमान में समाचार पत्रों का क्षेत्र अपने पूरे यौवन पर है। देश का कोई नगर ऐसा नहीं है जहाँ से दो-चार समाचार पत्रा प्रकाशित न होते हों। समाचार पत्र से अभिप्राय समान आचरण करने वाले से है। इसमें क्योंकि सामाजिक दृष्टिकोण अपनाया जाता है इसलिए इसे समाचार पत्र कहा जाता है। उल्लेखनीय है कि भारतीय लोकतंत्र का चौथा स्थान समाचार पत्र है। समाचार पत्र निकालने के लिए कई लोगों की आवश्यकता होती है। इसलिए यह व्यवसाय पैसे वाले लोगों तक ही सीमित है।

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किसी भी समाचार पत्र की सफलता उसके समाचारों पर निर्भर करती है। समाचारों का दायित्व व सफलता संवाददाता पर निर्भर करती है। समाचार पत्र एक ऐसी चीज है जो राष्ट्रपति भवन से लेकर एक खोमचे तक में देखने को मिल जाएगा। समाचार पत्रों के माध्यम से हम घर बैठे विश्व के किसी भी कोने का समाचार पा लेते हैं।

समाचार पत्रों से लाभ यह है कि इनमें एक तरफ समाचार जहाँ विस्तृत रूप से प्रकाशित होते हैं वहीं इनमें छपी सामग्री को हम काफी दिनों तक संभाल कर रख सकते हैं। दूरदर्शन या टीवी. चैनलों द्वारा प्राप्त समाचारों से संबंधित जानकारी हम भविष्य के लिए संभाल कर नहीं रख सकते हैं। इसके अलावा यह क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित होने के कारण जो हिन्दी या अंग्रेजी नहीं जानते उन तक को समाचार उपलब्ध करवाते हैं।

26. भारत में हरित क्रान्ति

हरियाली का वास्तव में मानव-जीवन में यों ही बड़ा महत्त्व माना जाता है। हरा होना यानी सुखी और समृद्ध होना माना जाता है। इसी प्रकार जब किसी स्त्री को ‘गोद हरी’ होने का आशीर्वाद दिया जाता है, तो उसका अर्थ होता है गोद भरना यानी पुत्रवती होना। सो कहने का तात्पर्य है कि भारत में हरियाली या हरेपन को खिलाव, विकास एवं सब तरह से सुख-समृद्धि का प्रतीक माना गया है। हरित क्रान्ति का अर्थ भी देश का अनाजों या खाद्य पदार्थों की दृष्टि से सम्पन्न या आत्मनिर्भर होने का जो अर्थ लिया जाता है, वह सर्वथा उचित ही है।

ऐसा माना जाता है कि इस भारत भूमि पर ही फल-फूलों या वृक्षों पौधों के बीजों आदि को अपने आप पुनः उगते देखकर कृषि कार्य करके अपने खाने-पीने की समस्या का समाधान करने यानि खेती उगाने की प्रेरणा जागी थी। यहीं से यह चेतना और क्रिया धरती के अन्य देशों में भी गई। यह तथ्य इस बात से भी स्वतः उजागर है कि इस धरती पर मात्र भारत ही ऐसा देश है, जिसे आज भी कृषि प्रधान या खेतीबाड़ी प्रधान देश कहा और माना जाता है। लेकिन यही देश जब विदेशी आक्रमणों का शिकार होना आरम्भ हुआ, दूसरे इसकी जनसंख्या बढ़ने लगी, तीसरे समय के परिवर्तन के साथ सिंचाई आदि की व्यवस्था और नवीन उपयोगी औजारों-साधनों का प्रयोग न हो सका, चौथे विदेशी शासकों की सोची-समझी राजनीति और कुचालों का शिकार होकर इसे कई बार अकाल का शिकार होकर भूखों मरना पड़ा। अपना घर-बार त्यागना और अपनों तक को, अपने खेत तक को बेच खाने के लिए बाध्य होते रहना पड़ा है।

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उपर्युक्त तथ्यों को दिन के प्रकाश की तरह सामने उजागर रहने पर भी स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे तथाकथित भारतीय पर वस्तुतः पश्चिम के अन्धानुयायी बाँध और कल-कारखाने लगाने की होड़ में तो जुट गए पर जिन लोगों को यह सब करना है, उनका पेट भरने की दिशा में कतई विचार न कर पाए। खेतीबाड़ी को आधुनिक बनाकर हर तरह से उसे बढ़ावा देने के स्थान पर अमेरिका से .पी.एल. 480 जैसा समझौता करके उसके बचे-खुचे घटिया अनाज पर निर्भर करने लगे। इसका दुष्परिणाम सन् 1965 के भारत-पाक युद्ध के अवसर पर उस समय सामने आया, जब अमेरिका ने अनाज लेकर भारत आ रहे जहाज रास्ते में ही रुकवा दिए।

पाकिस्तान के नाज-नखरे उठाकर उसका कटोरा हमेशा हर प्रकार से भरा रखने की चिन्ता करने वाले अमेरिका ने सोचा कि इस तरह भूखों मरने की नौबत पाकर भारत हथियार डाल देगा। लेकिन उस समय के भारतीय धरती से सीधे जुड़े भारतीय प्रधानमन्त्री श्री लालबहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा भी ईजाद किया। फलस्वरूप भारत में अनाजों के बारे में आत्मनिर्भर बनने के एक नए युग का सूत्रपात हुआ-हरित क्रान्ति लाने का युग। कहा जा सकता है कि भारत में युद्ध की आग से हरित क्रानित लाने का युग आरम्भ हुआ और आज की तरह शीघ्रता से चारों ओर फैलकर उसने देश को हरा-भरा बना भी दिया अर्थात खाद्य अनाजों के बारे में देश को पूर्णतया आत्मनिर्भर कर दिया।

हरित क्रान्ति ने भारत की खाद्य समस्या का समाधान तो किया ही, उसे उगाने वालों के जीवन को भी पूरी तरह से बदलकर रख दिया अर्थात् उनकी गरीबी भी दूर कर दी। छोटे-बड़े सभी किसान को समृद्धि और सुख का द्वार देख पाने में सफलता पा सकने वाला बनाया। खेती तथा अनाजों के काम-धंधों से जुड़े अन्य लोगों को भी काफी लाभ पहुँचा। सुख के साधन पाकर किसानों का उत्साह बढ़ा, तो उन्होंने दालें, तिलहन, ईख और हरे चारे आदि को अधिक मात्रा में उगाना आरम्भ किया। इससे इन सब चीजों के अभावों की भी कमी हुई।

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हरित क्रान्ति लाने में खेोतेहर किसानों का हाथ तो है, इसके लिए नए-नए अनुसन्धान और प्रयोग में लगी सरकारी गैर-सरकारी संस्थाओं का भी निश्चय ही बहुत बड़ा हाथ है। उन्होंने उन्नत किस्म के बीजों का विकास तो किया ही है, खेतों की मिट्टी का निरीक्षण-परीक्षण कर यह भी बताया कि कहाँ की खेती और मिट्टी में कौन-सा बीज बोने से ज्यादा फल तथा लाभ मिल सकता है। नये-नये कीटनाशकों, खादों का उचित प्रयोग करना भी बताया। फलस्वरूप हरित क्रान्ति सम्भव हो सकी।

27. लोकप्रिय नेता-पूर्व प्रधानमंत्री : अटल बिहारी बाजपेयी

सफल वक्ता के रूप में ख्यातिलब्ध अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को हुआ। आपके पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी स्कूल शिक्षक थे। आपके दादा पंडित श्यामलाल वाजपेयी संस्कृत के जाने माने विद्वान थे। अटल जी के नाम से प्रसिद्ध श्री वाजपेयी जी की शिक्षा विक्टोरिया कालेज में हुई। वर्तमान में इस कालेज का नाम बदलकर लक्ष्मीबाई कालेज कर दिया गया है। राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त करने के लिए श्री वाजपेयी कानपुर चले गये। जहाँ उन्होंने डी.ए.वी. कालेज से राजनीतिशास्त्र में एम.ए. पास किया।

इसके बाद उन्होंने कानून की शिक्षा पायी। उल्लेखनीय है कि श्री वाजपेयी के पिता श्री कृष्ण बिहारी वाजपेयी भी नौकरी से अवकाश लेने के बाद अटल जी के साथ ही कानून की शिक्षा लेने उनके कालेज आ गये। बाप-बेटे दोनों कालेज के एक ही कमरे में रहते थे। अटल जी कानून की शिक्षा पूरी नहीं कर पाये।

श्री वाजपेयी अपने प्रारम्भिक जीवन में ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गये। इसके अलावा वह आर्य कुमार सभा के भी सक्रिय सदस्य रहे। 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के तहत उन्हें जेल जाना पड़ा। 1946 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने उन्हें अपना प्रचारक बनाकर लड्डुओं की नगरी संडीला भेजा। उनकी प्रतिभा को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने लखनऊ से प्रकाशित राष्ट्रधर्म पत्रिका का संपादक बना दिया। इसके बाद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपना मुखपत्र पात्रचजन्य शुरू किया जिसका पहले संपादक श्री वाजपेयी जी को बनाया गया। वाजपेयी जी ने पत्रकारिता क्षेत्र में कुछ ही वर्षों में अपने को स्थापित कर ख्याति अर्जित कर ली बाद में वे वाराणसी से प्रकाशित चेतना, लखनऊ से प्रकाशित दैनिक स्वदेश और दिल्ली से प्रकाशित वीर अर्जुन के संपादक रहे।

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श्री वाजपेयी जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। अपनी क्षमता, बौद्धिक कुशलता व सफल वक्ता की छवि के कारण श्री वाजपेयी श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के निजी सचिव बन गये। श्री वाजपेयी ने 1955 में पहली बार लोक सभा चुनाव लड़ा। उस समय वह विजयालक्ष्मी पंडित द्वारा खाली की गयी लखनऊ लोकसभा सीट से उप चुनाव हार गये। आज भी श्री वाजपेयी का चुनाव क्षेत्र लखनऊ ही है।

1957 में बलरामपुर सीट से चुनाव जीतकर श्री वाजपेयी लोकसभा में गये लेकिन 1962 में वे कांग्रेस की सुभद्र जोशी से चुनाव हार गये। 1967 में उन्होंने फिर इस सीट पर कब्जा कर लिया। 1971 में ग्वालियर, 1977 और 1980 में नई दिल्ली, 1991, 1996 तथा 1998 में लखनऊ सीट से विजय प्राप्त की। आप दो बार राज्य सभा के सदस्य भी रहे। 1968 से 1973 तक आप जनसंघ के अध्यक्ष रहे। 1977 में जनता दल के विभाजन के बाद भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई। जिसके आप संस्थापक सदस्यों में शामिल थे।

1962 में आपको पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। 1994 में आप श्रेष्ठ सांसद के रूप में गोविन्द बल्लभ पन्त और लोकमान्य तिलक पुरस्कारों से नवाजे गये। आपातकाल के बाद मोरार जी देसाई जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने आपको अपने मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री बनाया। विदेश मंत्री पद पर रहते हुए आपने पड़ोसी देशों खासकर पाकिस्तान के साथ मधुर संबंध बनाने की पहल कर सबको चौंका दिया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में आपने अपनी मातृ भाषा हिन्दी में भाषण देकर एक नया इतिहास रचा।

श्री वाजपेयी एक प्रखर नेता होने के साथ-साथ कवि व लेखक भी हैं। आपने अनेक पुस्तकें लिखीं हैं जिनमें उनके लोकसभा में भाषणों का संग्रह, लोकसभा में अटल जी’, ‘मृत्यु या हत्या ‘ए ‘अमर बलिदान’, ‘कैदी कविराय की कुण्डलियाँ, ‘न्यू डाइमेन्शन ऑफ इण्डियन फॉरेन पालिसी’, फोर डिकेट्स इन पार्लियामेन्ट आदि प्रमुख हैं। आपका काव्य संग्रह ‘मेरी इक्यावन कविताएँ प्रमुख है।

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विनम्र, कुशाग्र बुद्धि एवं अद्वितीय प्रतिभा सम्पन्न श्री वाजपेयी 19 मार्च, 1998 को संसदीय लोकतन्त्र के सर्वोच्च पद पर प्रधानमन्त्री के रूप में दुबारा आसीन हुए। लगभग 22 माह पहले भी वे इस पद को सुशोभित कर चुके थे लेकिन अल्प मत में होने के कारण उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा था। विशाल जनादेश ने श्री वाजपेयी से स्थायी और सुदृढ़ सरकार देने का आग्रह किया था।

2004 के लोकसभा चुनाव में राजग की हार के बाद श्री वाजपेयी जी को प्रधानमन्त्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा। तत्पश्चात् वे भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष बनाये तथा राजग के चेयरमैन पद पर आसीन किये गये।

28. डॉ. हरिवंशराय बच्चन : हिन्दी कविता का एक और सूर्यास्त

प्रखर छायावाद और आधुनिक प्रगतिवाद के मुख्य स्तम्भ माने जाने वाले डॉ. हरिवंशराय बच्चन का जन्म 27 नवम्बर 1907 को प्रयाग के पास स्थित अमोढ़ गाँव में हुआ था। उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा कायस्थ पाठशाला, सरकारी पाठशाला से प्राप्त की। इसके बाद की पढ़ाई उन्होंने इलाहाबाद के राजकीय कालेज और विश्व विख्यात काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से की। पढ़ाई खत्म करने के बाद वे शिक्षक पेशे से जुड़ गये और 1941 से 1952 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के प्रवक्ता रहे।

इसके बाद वे पी.एच.डी. करने इंग्लैंड चले गये जहाँ 1952 से 1954 तक उन्होंने अध्ययन किया। हिन्दी के इस विद्वान ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की डिग्री डब्ल्यू. बी. येट्स के कार्यों पर शोध कर प्राप्त की। यह उपलब्धि प्राप्त करने वाले वे पहले भारतीय बने। अंग्रेजी साहित्य में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से डॉ. की उपाधि लेने के बाद उनहोंने हिन्दी को भारतीय जन की आत्म भाषा मानते हुए इसी क्षेत्र में साहित्य सृजन का महत्वपूर्ण फैसला लिया। वे आजीवन हिन्दी साहित्य को समृद्ध करने में लगे रहे। कैम्ब्रिज से लौटने के बाद उन्होंने एक वर्ष पूर्व पद पर कार्य किया।

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इसके बाद उन्होंने आकाशवाणी के इलाहाबाद केन्द्र में भी काम किया। वह सोलह वर्षों तक दिल्ली में रहे और उसके बाद विदेश मंत्रालय में दस वर्षों तक हिन्दी विशेषज्ञ जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहे। इन्हें राज्य सभी में छः वर्ष तक के लिए विशेष सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया। और 1972 से 1982 तक वह अपने पुत्रों अमिताभ व अजिताभ के साथ कभी दिल्ली कभी मुम्बई में रहे। बाद में उन्होंने दिल्ली में ही रहने का फैसला किया। यहाँ वह गुलमोहर पार्क में सौपान में रहने लगे। तीस के दशक से 1983 तक हिन्दी काव्य और साहित्यस की सेवा में वे लगे रहे।

डॉ. हरिवंशराय बच्चन द्वारा लिखी गयी ‘मधुशाला’ हिन्दी काव्य की कालजयी रचना मानी जाती है। इसमें उन्होंने शराब व मयखाना के माध्यम से प्रेम सौन्दर्य, पीडा, दु:ख, मृत्यु और जीवन के सभी पहलुओं को अपने शब्दों में जिस तरह से पेश किया ऐसे शब्दों का मिश्रण और कहीं देखने को नहीं मिलता। आम लोगों के समझ में आसानी से समझ में आ जाने वाली इस रचना को आज भी गुनगुनाया जाता है। डॉ. बच्चन जब खुद इसे गाकर सुनाते थे तो वे क्षण बहुत कृपा थी। भारतेन्दु ने अपनी जीवन काल में अनेक-पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन किया। इसके अलावा उन्होंने सभाओं साहित्यिक गोष्ठियों तक कुछ साहित्यकारों को भी जन्म दिया। जीवन के अन्तिम पड़ाव में भारतेन्दु की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय हो गयी थी। उन्हें क्षय रोग हो गया था। सम्वत् 1949 में हिन्दी साहित्य का यह प्रकाश पुंज सदैव के लिए लुप्त हो गया।

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने अपनी देश प्रेम प्रधान रचनाओं द्वारा राष्ट्रीय जागरण का प्रथम उद्घोष किया। भारतेन्दु देश की दुर्दशा पर भगवान से प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि-

गयो राज, धन, तेज, रोष, शान नसाई।
बुद्धि, वीरता, श्री, उछाह, सूरत बिलाई।
आलस, कायरपना निरुद्यमता अब छाई,
रही मूढ़ता, बैर, परस्पर, कलह, लड़ाई।

सामाजिक समस्याओं का चित्रण उन्होंने अपनी कई कविताओं में किया है। देश में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों व सामाजिक, धार्मिक आदि विषयों पर उन्होंने अपनी लेखनी चलाई।

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29. एड्स

एड्स रोग आज पूरे विश्व में एक महामारी का रूप धारण कर चुका है। आये दिन अखबारों में इसके प्रकोप के कारण हुई मृत्यु के आँकडे से पता चलता है। इसकी जानकारी या अज्ञानता से आँकड़ों में किसी प्रकार की गिरावट नहीं आ रही। सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं के बावजूद इस रोग के रोगियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। लोगों में इस रोग को लेकर कई तरह की भ्रांतियाँ हैं व उनमें भय व्याप्त है। देश की सांस्कृतिक सभ्यता व सामाजिक परिवेश में इसके रोगी पाना असंभव सा लग रहा था लेकिन देश में पश्चिमी सभ्यता की काली छाया पड़ने से बड़े-बड़े शहरों में इसके रोगी पाये जा रहे हैं। आज की युवा पीढ़ी पश्चिमी संस्कृति से ओत-प्रोत हो विलासिता पूर्ण जीवन बिताने में विश्वास रखती है।

भारत में एड्स का मामला 1986 में प्रकाश में आया था। वर्ष 1987 में सरकार द्वारा एड्स नियंत्रण कार्यक्रम शुरू किया गया। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के हिसाब से भारत में एच. आई. वी. संक्रमित रोगियों की संख्या 1998 में तैंतीस लाख थी। वर्ष 2000 में यह संख्या बढ़कर 38 लाख 70 हजार हो गई थी।

वर्तमान में विश्व वैज्ञानिक प्रगति के कारण जहाँ मानव ने कई रोगों पर विजय प्राप्त करने में सफलता पाई है वहीं उसे कुछ नये रोगों से दो-चार होना पड़ रहा है। एक समय था जब क्षय रोग, काली खाँसी, हैजा, प्लेग, मलेरिया आदि रोग मौत के कारण माने जाते थे। इनमें से किसी रोग का नाम सुनते ही लोगों में भय उत्पन्न हो जाता था। धीरे-धीरे चिकित्सा क्षेत्र में किये जा रहे अनुसंधानों व खोजों द्वारा चिकित्सा विशेषज्ञों ने इन रोगों का उपचार ढूंढ निकाला है। बावजूद इसके कई नये रोगों के नाम समाचार पत्रों में पढ़ने व देखने को मिल रहे हैं। इनमें से कुछ रोग ऐसे हैं जिन पर अभी शोध व अनुसंधान चल रहे हैं।

एड्स रोग को लेकर समाज में तरह-तरह की भ्रांतियाँ हैं। दरअसल एड्स के बारे में ज्यादातर लोगों को सही जानकारी न होने के कारण इस रोग का लोगों में भय व्याप्त है। वैज्ञानिक सिद्धान्तों के अनुसार जब किसी व्यक्ति के शरीर में एड्स का विषाणु (एच. आई. वी.) प्रवेश करता है तो वह व्यक्ति एच. आई. वी. से संक्रमित कहलाता है। उस व्यक्ति के संक्रमित होने के दस से पन्द्रह साल बाद उसके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे खत्म होनी शुरू हो जाती है। दरअसल एच.आई. वी. के संक्रमण से रक्त में प्रतिरोधक क्षमता को कायम रखने का काम करने वाली CD नामक कोशिकाएँ धीरे-धीरे कम होने लगती हैं।

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चिकित्सकों के अनुसार एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में इन कोशिकाओं की संख्या प्रति एक क्यूबिक मिलीलीटर रक्त में कम से कम एक हजार होनी चाहिए। लेकिन एच. आई. वी. संक्रमित व्यक्ति के शरीर में संक्रमण के दस पन्द्रह साल बाद इनकी संख्या घटकर महज दो सौ या इससे नीचे चली जाती है तो वह व्यक्ति एड्स रोगी कहलाता है। एड्स अपने आप में कोई रोग नहीं है। एड्स से ही अभी तक किसी की मौत नहीं हुई है। लेकिन समाज में अधिकांश लोगों का मानना है कि एड्स एक जानलेवा बीमारी है। दरअसल एड्स पीड़ित व्यक्ति में प्रतिरोधक क्षमता कम होने से उसे यदि कोई और बीमारी जैसे-टी. बी., मलेरिया, उल्टी, दस्त या अन्य कोई बीमारी हो जाती है तो उसके लिए उपचार कारगर नहीं रह जाता क्योंकि उसके शरीर का प्रतिरोधक तंत्र करीब-करीब नष्ट हो चुका होता है। इसलिए एड्स रोगी के शरीर पर दवाओं का असर नहीं पड़ता और वह मौत के मुँह में चला जाता है।

अब तक एड्स का न तो कोई टीका उपलब्ध है और न ही कोई प्रभावी दवा ही। हालांकि एटिरेट्रोवायरल दवाएँ बाजार में मौजूद हैं जिनसे एड्स रोगी की आयु थोड़ी बढ़ जाती है। यह दवा रक्त में मौजूद एच.आई.वी. विषाणुओं की संख्या को बढ़ाने से रोकती है। एड्स का विषाणु दो से चार, चार से आठ के क्रम में अपनी वृद्धि करता है। यदि कोई महिला एच. आइ. वी. संक्रमित है तो उससे उत्पन्न होने वाली संतान के एच. आई. वी. संक्रमित होने की आशंका चालीस से पचास फीसदी तक रहती है। लेकिन संक्रमित माँ का स्तन पान करने वाले बच्चों के एच. आई. वी. संक्रमित होने की वैज्ञानिकों द्वारा अभी तक पुष्टि नहीं की गई है। सावधानी बरतने के लिए चिकित्सक एच. आई. वी. संक्रमित माँ को यह सलाह अवश्य देते हैं कि वह अपने बच्चे को स्तन पान न कराये।।

एड्स के ज्यादा मामले असुरक्षित यौन संबंधों के कारण फैलते हैं। एड्स पर नियंत्रण पाने के लिए सरकार को यौन शिक्षा लागू करनी चाहिए। लेकिन इस शिक्षा के लागू करने के बावजूद भी ग्रामीणों अशिक्षितों को इस रोग के बारे में जागृत करने और इससे बचाव के उपाय बताने के लिए सरकार को ऐसा सूचना तंत्र विकसित करना होगा जो किसी भी भाषा जानने वाले को आसानी से समझ आ सके। इसके लिए धर्म गुरुओं और नेताओं को आगे आना होगा।

30. चाँदनी रात में नौका-विहार

नौका-विहार करना एक अच्छा शौक, एक स्वस्थ खेल, एक प्रकार का श्रेष्ठ व्यायाम तो है ही सही, मनोरंजन का भी एक अच्छा साधन है। सुबह-शाम या दिन में तो लोग नौकायन या नौका-विहार किया ही करते हैं, पर चाँदनी रात में ऐसा करने का सुयोग कभी कभार ही प्राप्त हो पाता है। गत वर्ष शरद पूर्णिमा की चाँदनी में नौका विहार का कार्यक्रम बनाकर हम कुछ मित्र (पिकनिक) मनाने के मूड में सुबह सवेरे ही खान-पान एवं मनोरंजन का कुछ समान लेकर नगर से कोई तीन किलोमीटर दूर बहने वाली नदी तट पर पहुँच गए।

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वर्षा बीत जाने के कारण नदी तो यौवन पर थी ही, शरद ऋतु का आगमन हो जाने के कारण प्राकृतिक वातावरण भी बड़ा सुन्दर सुखद, सजीव और निखार पर था। लगता था कि वर्षा ऋतु के जल ने प्रकृति का कण-कण, पत्ता-पत्ता धो-पोंछ कर चारों ओर सजा संवार दिया है। मन्द-मन्द पवन के झोंके चारों ओर सुगन्धी को विखेर वायुमण्डल और वातावरण को सभी तरह से निर्मल और पावन बना रहे थे। उस सबका आनन्द भेगते हुए आते ही घाट पर जाकर हमने नाविकों से मिलकर रात में नौका विहार के लिए दो नौकायें तै कर ली और फिर खाने-पीने, खेलने, नाचने गाने, गप्पे और चुटकलेबाजी में पता ही नहीं चल पाया कि सारा दिन कब बीत गया। शाम का साया फैलते ही हम लोग चाय के साथ कुछ नाश्ता कर, बाकी खाने-पीने का सामान हाथ में लेकर नदी तट पर पहुँच गए। वहाँ तै की गई दोनों नौकाओं के नाविक पहले से ही हमारी प्रतीक्षा कर रहे थे। सो हम लोगों के सवार होते ही उन्होंने चप्पू सम्हाल कलछल बहती निर्मल जलधारा पर हंसिनी-सी तैरने वाली नौकायें छोड़ दी।

तब तक शरद पूर्णिमा का चाँद आकाश पर पूरे निखार पर आकर अपनी उजली किरणों से अमृत वर्षा करने लगा था। हमने सुन रखा था कि शरद पूर्णिमा की रात चाँद की किरणें अमृत बरसाया करती हैं, सो उनकी तरफ देखना एक प्रकार की मस्ती और पागलपन का संचार करने वाला हुआ करता है। इसे गप्प समझने वाले हम लोग आज सचमुच उस सबका वास्तविक अनुभव कर रहे थे। चप्पू चलने से कलछल करती नदी की शान्त धारा पर हंसिनी-सी नाव धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी। किनारे क्रमशः हमसे दूर छिटकते जा रहे थे। दूर हटते किनारों और उन पर उगे वृक्षों के झाड़ों की परछाइयाँ धारा में बड़ा ही सम्मोहक सा दृश्य चित्र प्रस्तुत करने लगी थीं। कभी-कभी टिटीहरी या किसी अन्य पक्षी के एकाएक चहक उठने, किसी अनजाने पक्षी के पंख फड़फड़ा कर हमारे ऊपर से फुर्र करके निकल जाने पर वातावरण जैसे कुछ सनसनी सी उत्पन्न कर फिर एकाएक रहस्यमय हो जाता। फटी और विमुग्ध आँखों से सब देखते सुनते हम लोग लगता कि जैसे अदृश्यर्श्व परीलोक में आ पहुँचे हों।

31. नक्सलवाद

1960 में नक्सलवाद बंगाल के दार्जिलिंग जिले में किसान आन्दोलन के रूप में प्रारम्भ हुआ। 1967 में इसे नक्सली आन्दोलन कहा गया। 1969 में पी.सी.आई. की स्थापना हुई।

नक्सलवादी आन्दोलन के तीन घोपित उद्देश्य थे

  • खेत जोतने वाले को खेत का हक मिले।
  • विदेशी पूँजी की ताकत समाप्त की जाये।
  • वर्ग और जाति के विरूद्ध संघर्ष प्रारम्भ किया।

1960-70 के दशक में मूल नक्सली आन्दोलन को कुचलने के बाद इसमें बिखराव हुआ और नई-नई शाखाओं-

प्रमुख नक्सली संगठन तथा उनके संस्थापक

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प्रभावित राज्य-आन्ध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार।

कुल मौतें-नक्सली हिंसा से 2005 में 669 मौतें।

नक्सली हिंसा से निपटने के लिए सरकार की रणनीति

  1. नक्सलियों और आधारभूत ढाँचे व सहायक प्रणाली के विरूद्ध एक समन्वित प्रभावी पुलिस कार्यवाही को प्रभावी बनाने के लिए सम्मुन्नत सूचना संग्रहण और साझा तन्त्र का निर्माण करना।
  2. नक्सली हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि करने सहित त्वरित सामाजिक, आर्थिक विकास के उद्देश्य से जन शिकायतों के प्रभावी निराकरण व समुन्नत वितरण सम्ममा तन्त्र सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक मशीनरी का सुदृढीकरण करना तथा उसे अधिक पारदर्शी उत्तरदायी व संवेदनशील बनाना और स्थानीय समूहों को प्रोत्साहित करना जैसे-छत्तीसगढ़ का सल्वा जुड़म अभियान।
  3. प्रभावित राज्यों द्वारा नक्सली गुटों के साथ शांति वार्ता करना यदि हिंसा का रास्ता छोड़ने और हथियार त्यागने के लिए तैयार हों।

32. भारत-पाक सम्बन्ध

महात्मा गाँधी और पं. नेहरू जैसे देश के कर्णधारों ने सन् 1947 के भयानक साम्प्रदायिक रक्तपात के फलस्वरूप अंग्रेजों का देश के विभाजन का प्रस्ताव इसलिए स्वीकार कर लिया था कि यह झगड़ा हमेशा के लिए शान्त एवं समाप्त हो जायेगा और दोनों देश अच्छे पड़ोसी के नाते एक-दूसरे उन्नति में सहयोग देते रहेंगे। उस समय राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन जैसे कुछ महान विचारक इसके विपरीत थे और पाकिस्तान को विष वृक्ष की संख्या देते थे, परन्तु बहुमत के आगे उन लोगों की आवाज धीमी पड़ गई और पाकिस्तान बन गया।

तब से आज तक 50 वर्ष हो चुके हैं, पाकिस्तान ने भारत के विरोध को अपनी विदेश नीति का प्रमुख लक्ष्य बनाया हुआ है। अब तक जितने भी शासक पाकिस्तान में आये, उन्होंने एक स्वर से भारत का विरोध किया और वहाँ की जनता को भड़काया। परिणामस्वरूप आज तक पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के ऊपर अत्याचार और बलात्कार होते रहे हैं। जनवरी सन् 1964 में पूर्वी पाकिस्तान में हुए बड़े पैमाने पर साम्प्रदायिक दंगे और हिन्दुओं का महाभिनिष्क्रमण तथा 1971 के गृह युद्ध के परिणामस्वरूप नवोदित बंगला देश में क्रूर नरसंहार, असंख्य शरणार्थियों के रूप में भारत में आ जाना, पाकिस्तान की बर्बरता पूर्ण नीति का ज्वलन्त उदाहरण है। जनवरी 1964 में हुए पूर्वी पाकिस्तान के साम्प्रदायिक दंगों पर अपने विचार प्रकट करते हुए लोकनायक श्री जयप्रकाश नारायण ने कहा था कि “देश का बँटवारा समस्याओं का युक्तिसंगत समाधान सिद्ध नहीं हुआ।”

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भारत के प्रति घृणा, कटुता और वैमनस्यपूर्ण नीतियों के कारण ही पाकिस्तान ने 9 अप्रैल, 1965 को कच्छ की सीमाओं पर आक्रमण कर दिया। इससे पूर्व पश्चिमी बंगाल की सीमा पर स्थित कूच बिहार, भकावाड़ी, तीसे बीघा, रटर-खरिया आदि स्थानों पर उसके आक्रमण हो ही रहे थे। 7 अप्रैल 1965 को स्वराष्ट्र मन्त्री ने लोकसभा को यह सूचना दी कि कच्छ-सिन्ध सीमा के दक्षिण में कंजर कोट कच्छ इलाके में पाकिस्तानी भारतीय सीमा में घुस आये हैं। इसके बाद 9 अप्रैल, 1965 से 1 मई, 1965 तक दोनों ओर से युद्ध चलता रहा। अन्त में 2 मई, 1965 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री श्री विल्सन के हस्तक्षेप से युद्ध विराम हुआ।

लेकिन दोनों देशों के प्रधानमन्त्रियों के समझौते के हस्ताक्षरों की स्याही भी अभी सूख न पाई थी कि पाकिस्तान ने 9 अगस्त, 1965 को कश्मीर पर पुनः भयानक आक्रमण कर दिया। यद्यपि भारत-पाक संघर्ष, द्वन्द्व और युद्ध की कहानी पाकिस्तान के जन्म के साथ-साथ प्रारम्भ हो गयी थी। तब से किसी न किसी रूप में इस कहानी की पुनरावृत्ति होती रही, परन्तु जिसे घोषित युद्ध कहते हैं वह यही था। वह यही युद्ध था जिसमें भारतीयों ने पाकिस्तानियों के दाँत खट्टे किये थे और उन्हें रूला दिया था। अगस्त 1965 में पाकिस्तान ने अपने मजाहिद आक्रमणकारियों को कश्मीर में भेजकर अक्टूबर 1947 को आक्रमण की पुनरावृत्ति की थी।

माओ-त्से-तुंग की नीति अपना कर पाकिस्तान ने आजाद कश्मीर तथा अपनी नियमित सेना को गुरिल्ला युद्ध का प्रशिक्षण दिया। इसके लिए मरी में कैम्प, खोला गया था। अप्रैल 1965 से ये तैयारियाँ खूब जोर-शोर से चल रही थीं। इन्हें 5-6 हजार घुसपैठियों को बाकायदा टुकड़ियों और कम्पनियों में बांटकर तथा आधुनिक हथियारों से लैस करके 5 अगस्त, 1965 और उसके आस-पास के दिनों में पाकिस्तान ने कश्मीर में भेजना प्रारम्भ कर दिया। यही इस युद्ध का प्रारम्भ था।

इतने बड़े संघर्ष के बाद भी भारत ने अपनी अद्वितीय सहनशीलता और सहअस्तित्व की भावना का परिचय देते हुए ताशकंद घोषणा को स्वीकार किया और उस पर बराबर अमल किया। इतना होने पर भी पाकिस्तान ने सदैव भारत की मैत्री का प्रस्ताव ठुकराया है और भारत को खा जाने की सदैव धमकियाँ देता रहा है ऐसा क्यों? इसका केवल एक ही उत्तर है कि पाकिस्तान की नींव ही घृणा, द्वेष, कटुता, संकीर्णता, स्वार्थ और वैमनस्य पर रखी गई है। इस नीति को वहाँ का प्रत्येक शासक बढ़ावा देता रहा है। इससे उनको लाभ भी हुआ है कि वे वहाँ की जनता को भारत के विरोध के अलावा कुछ और सोचने का मौका ही नहीं देना चाहते अन्यथा उनका तख्ता पलट जायेगा। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात जहाँ भारत अपनी आर्थिक विकास की योजनाओं में लग गया वहाँ पाकिस्तानी जनता को उनके मूल अधिकारों तथा देश की वास्तविकता से दूर रखा जा सके।

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33. नारी का महत्त्व

छायावादी कवि पन्त ने तो नारी को देवी माँ सहचरि, सखी प्राण कहकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए हैं और उन्होंने अपने शब्दों में लिखा है-

यत्र नार्याऽस्तु पूजयन्ते
समन्ते तत्र देवता।

जैसे आदर्श उद्घोष से नारी का सम्मान किया है। नारी सृष्टि का प्रमुख उद्गम स्रोत है। नारी के अभाव में समाज की कल्पना ही नहीं की जा सकती। सृष्टि सृजन से ही नारी का अस्तित्व रहा है। देव से लेकर मानव तक नारी ही जन्मदात्री रही है। बिना नारी के पुरुष अधूरा है। नारी के अभाव में घर-घर नहीं होता। चारदीवारी से घिरा घर घर नहीं कहा जाता। नारी का प्रमुख आधार है। विश्व में नारी का महत्व क्या रहा है यह तो एक विचारणीय विषय है। इस पर एक ग्रन्थ लिखा जा सकता है। मानव सृष्टि में पुरुष और नारी के रूप में आदि शक्ति ने दो अपूर्ण शरीरों का सृजन किया है।

एक के बिना दूसरा अपंग है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं अथवा समाज रूपी गाड़ी के दो पहिये हैं। पुरुष को सदैव से शक्तिशाली माना जाता रहा है और स्त्री को अबला नारी। यही कारण है कि नारी को बेचारी अबला आदि कहकर पीछे छोड़ दिया जाता है। नारी को तो अर्धांगिनी कहा जाता है, किन्तु पुरुष रूपी समाज का ठेकेदार . अपने को अर्धांग कहकर परिचय नहीं कराया गया है जो कि नारी के महत्व को कम करता है। एक प्रश्न विचारणीय है “यदि नारी अर्धांगिनी है तो उसका अद्धरंग कहाँ? उत्तर में पुरुष ही समझ में आता है। जो बहाव नारी का समाज में होना चाहिए वह महत्व पुरुष समाज में नारीको नहीं मिल पाता।

आँचल में दूध आँखों में पानी,
ओ अबला नारी तेरी यही कहानी॥

आज के युग में नारी वर्ग को कोई सम्मान नहीं दिया गया है। आज नारी के साथ द्रोपदी की तरह व्यवहार हो रहा है। नारी को इस संसार रूपी जगत में कौरवों रूपी दानवों ने कुचल दिया है। उसका घोर अपमान किया है और उसको नारी का महत्व नहीं दिया। नारी द्वापर काल से ही पीड़ित चली आ रही है। मत्य और नवीन युग में आकर स्थिति और बिगड़ गई। समाज में उसकी पीड़ा का कोई उपचार नहीं। नारी ने पुरुष की तुलना में जो अन्तर पाया, उसी को अपनी दयनीय स्थिति का कारण मान लिया। उसके मन में भावुकता अधिक समय तक न टिक सकी।

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उसने अपने को मार्ध मानने के अतिरिक्त शेष हुतलिया मानने का निश्चय कर लिया। उसने अपने शील का परित्याग नहीं किया, किन्तु बाह्य जगत से कठोर संघर्ष करने का निश्चय कर लिया। नारी ने कभी शील परित्याग नहीं किया, किन्तु सर्वत्र कठोर संघर्ष करने का निश्चय कर प्राचीन काल से ही आन्दोलन करती चली आ रही है। रवना, लीलावती, अमयार तथा गार्गी की कथायें किसी से छिपी नहीं हैं। स्व. श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने सिद्ध कर दिया कि आज भी नारी सब प्रकार से पूर्ण शक्तिशाली है, किसी पुरुष से कम नहीं।

34. भारत व धर्मनिरपेक्षता

धर्मनिरपेक्षता हमारी संवैधानिक व्यवस्था की सामाजिक चेतना और मानवता का सार तत्व है। हमारा स्वराज आंदोलन, छोटे-मोटे भटकावों के बावजूद मूलतः धर्मनिरपेक्ष था। हमारे राष्ट्रीय नेताओं और जनता ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध धर्मनिरपेक्षता की तलवार से लड़ाई लड़ी। 1895 से लेकर संविधान निर्माण में किये गये अनेक प्रयोगों में धर्म, लिंग या अन्य बातों के भेदभाव से मुक्त समाज में मानव अधिकारों के मूल्य पर जोर दिया जाता रहा। पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा 15 सितम्बर 1946 को संविधान सभा में रखे गये उद्देश्यों के प्रस्ताव में धर्मनिरपेक्ष समाज में अंतर्भूत समाज के मूल्य तथा मानव अधिकारों पर जोर दिया गया।

अंत में संविधान की प्रस्तावना, मूलभूत अधिकारों तथा नीति निदेशक सिद्धान्तों के अध्यायों में भारत की कानून व्यवस्था के सर्वोपरि तत्वों के रूप में धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद और सामाजिक न्याय को रेखांकित किया गया। एक व्यक्ति एक मूल्य चाहे वह धार्मिक हो या अधार्मिक। फिर इस संबंध में सारे संदेह दूर करने के लिए संविधान के 42वें संशोधन के अंतर्गत जीवन का तानाबाद है। क्योंकि यह मात्र एक अभूत सिद्धांत, दार्शनिक मत अथवा सांस्कृतिक विलास नहीं है बल्कि यह हमारी मिली जुली विरासत के सूक्ष्म तंतुओं का प्राण है।

धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य या सरकार को कोई धर्म नहीं है। उसके राज्य में सभी निवासी अपना धर्म मानने के लिए स्वतंत्र हैं। राज्य या शासन किसी को कोई धर्म मानने को विवश नहीं कर सकता। इसके लिए हर व्यक्ति स्वतंत्र है। सरकार या राज्य किसी धर्म में कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। भारतीय संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया था। उसमें धर्मनिरपेक्ष के सिद्धान्त को स्वीकार किया गया था। संविधान की इस धारा या नियम के अनुसार भारत का प्रत्येक नागरिक धार्मिक विश्वास के संबंध में स्वतंत्र है। सभी नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक तथा राजनैतिक अधिकार प्राप्त हैं। भारत एक प्रजातांत्रिक देश है। प्रजातंत्र में प्रजा या जनता को सर्वोपरि स्वीकार किया जाता है। व्यक्ति की श्रेष्ठता तथा सम्मान को महत्व दिया जाता है। उसके व्यक्तिगत विचारों को आदर की दृष्टि से देखा जाता है। राज्य की दृष्टि में सभी नागरिक समान हैं।

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मनुष्य जाति के प्रारम्भिक इतिहास में ऐसा नहीं था। पहले धर्म को श्रेष्ठ समझा जाता था तथा मनुष्य को राज्य के धर्म का पालन करना अनिवार्य था। राजा ईश्वर का प्रतिनिधि समझा जाता था। उसे दैवी अधिकार प्राप्त थे। धार्मिक गुरु की सलाह ही सब कुछ थी। कोई भी नागरिक राज्य या धर्म का विरोधी करने पर दंड का भागी होता था। धर्म के नाम पर सारे संसार का इतिहास रक्त से सना हुआ है। अपना धर्म श्रेष्ठ मानते हुए राजाओं तथा उनके समर्थकों ने दूसरे धर्म के लोगों पर भयानक अत्याचार किए। लोग धार्मिक अंधविश्वासों का पालन करते थे। हर जगह धर्म का हस्तक्षेप था। भारत में भी मनुष्यता के व्यक्तिगत जीवन के अतिरिक्त उसके राजनैतिक जीवन.पर धर्म का पूर्ण प्रभुत्व था। समय-समय पर हमारे दोष में कभी हिन्दू धर्म, कभी बौद्ध धर्म, कभी इस्लाम धर्म तथा कभी ईसाई धर्म का बोलबाला रहा।

स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद प्रजातंत्र की लहरों ने धर्म को उसके स्थान से गिरा दिया है। परिवर्तन ने व्यक्ति तथा इसकी स्वतंत्रता को सबसे ऊँचा स्थान दिया है। अब धर्म एक व्यक्तिगत वस्तु समझी जाती है। हमारे विचारकों ने स्वीकार किया है कि धर्म का राज्य से कोई संबंध नहीं है। धर्म तो मनुष्य की अपनी विचारधारा या संपत्ति है। वह इस मामले में स्वतंत्र है। वह चाहे धर्म का पालन करे, न करे अथवा किसी धर्म को बदलकर नया धर्म ग्रहण करे यह उसकी इच्छा पर निर्भर करता है। राज्य को धर्म या धार्मिक बातों से दूर रहना चाहिए।

धर्मनिरपेक्ष भारत में सभी धर्म तथा उनके मानने वाले एक समान हैं। हमारे संविधान निर्माताओं ने धार्मिक पाखंड को हटा दिया है। धर्मनिरपेक्ष भारत संसार का एक महान राष्ट्र है। इस सिद्धान्त ने पुरानी सड़ी-गली मान्यताओं को समाप्त कर दिया है। इससे सभी देशों में हमारा सम्मान बढ़ा है। आज का भारत अनेकता में एकता का श्रेष्ठ उदाहरण है। इस देश में सभी धर्मों तथा उनके मानने वालों का एक समान सम्मान है। यह हमारे प्रजातंत्र की सफलता है।

35. परिश्रम का महत्व

सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम आवश्यक है। बिना परिश्रम के कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता। मेहनत कर विशेष रूप से मन लगाकर किया जाने वाला मानसिक या शारीरिक श्रम परिश्रम कहलाता है। सृष्टि की रचना से लेकर आज की विकसित सभ्यता मानव परिश्रम का ही परिणाम है। जीवन रूपी दौड़ में परिश्रम करने वाला ही विजयी रहता है। इसी तरह शिक्षा क्षेत्र में परिश्रम करने वाला ही पास होता है। उद्यमी तथा व्यापारी की उन्नति भी परिश्रम में ही निहित है।

Bihar Board Class 12th निबंध लेखन

मानव जीवन में समस्याओं का अम्बार है। जिन्हें वह अपने परिश्रम रूपी हथियार से दिन-प्रतिदिन दूर करता रहता है। कोई भी समस्या आने पर जो लोग परिश्रमी होते हैं वे उसे अपने परिश्रम से सुलझा लेते हैं और जो लोग परिश्रमी नहीं होते वह यह सोचकर हाथ पर हाथ रखे बैठे रहते हैं कि समस्या अपने आप सुलझ जायेगी। ऐसी सोच रखने वाले लोग जीवन में कभी सफल नहीं हो पाते। परिश्रमी व्यक्ति को सफलता मिलने में हो सकता है देर अवश्य लगे लेकिन सफलता उसे जरूर मिलती है। यही कारण है कि परिश्रमी व्यक्ति निरन्तर परिश्रम करता रहता है।

सृष्टि के आदि से अद्यतन काल तक विकसित सभ्यता मानव के परिश्रम का ही फल है। पाषण युग से मनुष्य वर्तमान वैज्ञानिक काल में परिश्रम के कारण ही पहुँचा। इस दौरान उसे कई बार असफलता भी हाथ लगी लेकिन उसने अपना परिश्रम लगातार जारी रखा। परिश्रम से ही लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। आजकल के समय में जिसके पास लक्ष्मी है वह क्या नहीं पा सकता। परिश्रम से शारीरिक तथा मानसिक शक्तियों का विकास होता है। कार्य में दक्षता आती है। साथ ही साथ मानव में आत्मविश्वास जागृत होता है।

परिश्रम का महत्व जीवन विकास के अर्थ में निश्चय ही सत्य और यथार्थ है। आज विज्ञान प्रदत्त जितनी भी सुविधाएँ मानव भोग रहा है वे परिश्रम का ही फल है। विज्ञान की विभिन्न सुविधाओं के द्वारा मनुष्य जहाँ चाँद पर पहुँचा है वहीं वह मंगल ग्रह पर जाने का प्रयास किये हुए हैं। यदि परिश्रम किया जाय तो किसी भी इच्छा को अवश्य पूरा किया जा सकता है। यह बात अलग है कि सफलता मिलने में कुछ समय लग जाए।

जीवन में सुख और शान्ति पाने का एक मात्र उपाय परिश्रम है। परिश्रम रूपी पथ पर चलने वाले मनुष्य को जीवन में सफलता संतुष्टि ओर प्रसन्नता प्राप्ति होती है। वह हमेशा उन्नति की ओर अग्रसर रहता है। आलसी व्यक्ति जीवन भर कुण्ठित और दु:खी रहता है। क्योंकि वह सब कुछ भाग्य के भरोसे पाना चाहता है। वह परिश्रम न कर व्यर्थ की बातें सोचता रहता है। ठीक इसके विपरीत परिश्रम करने वाला व्यक्ति अपना जीवन स्वावलंबी तो बनाता ही है श्रेष्ठता भी प्राप्त करता है।

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36. क्रिकेट मैच का आँखों देखा हाल

सर्दियाँ शुरू होते ही भारत भर में क्रिकेट का बुखार सिर चढ़कर बोलने लगता है। हालांकि गली मोहल्लों में बच्चों को बारह महीने क्रिकेट खेलते देखा जा सकता है लेकिन सर्दियों के दौरान देश का ऐसा कोई हिस्सा नहीं होगा जहाँ गली-मोहल्लों में बच्चों को क्रिकेट खेलते न देखा जाए। बड़े खेल के मैदानों में तो इन दिनों और कोई दूसरा खेल खेलते मुश्किल से ही कोई नजर आए। क्रिकेट की शुरूआत इंग्लैंड से हुई थी लेकिन इसके प्रति वहाँ के लोगों में अब रुचि दिनों-दिन कम होती जा रही है। इसके अलावा अन्य देशों में भी अब इस खेल को अवकाश के दिन का खेल माना जाने लगा है।

हमारे देश में इस खेल का बुखार अभी जारी है। एक बार मुझे भी अंतर्राष्ट्रीय तो नहीं लेकिन हाँ राज्य स्तरीय क्रिकेट मैच देखने का शुभ अवसर मिल गया। हमारे घर के पास ही एक बड़ा खेल का मैदान है। यहाँ अक्सर छोटे-बड़े टूर्नामेंट चलते रहते हैं। इस मैदान में दिन में क्रिकेट आदि के मैच खेले जाते हैं तो रात में वॉलीबाल, हैंडबाल आदि के मैच खेले जाते हैं। एक दिन रविवार को मेरा मन हुआ कि चलो कहीं कोई खेल प्रतियोगिता देखी जाए। घर से निकलते ही मुझे मेरा एक मित्र मिल गया। उसने मुझसे कहा अरे भई सुबह-सुबह कहाँ तैयार होकर निकल रहे हो। तुम्हें पता है कि आज बड़े वाले खेल के मैदान में जो क्रिकेट टूर्नामेंट चल रहा है उसका फाइनल मैच है। टूर्नामेंट का आयोजन एक निजी संस्था द्वारा कराया जा रहा था।

टूर्नामेंट में दिल्ली की सर्वश्रेष्ठ छ: टीमों ने भाग लिया था। उनमें से आज सेमीफाइनल में पहुँची टीमों का फाइनल मैच था। फाइनल मैच होने के कारण बच्चों सहित बड़ों की भी वहाँ संख्या काफी थी। मैच के आयोजकों द्वारा मैच देखने आये लोगों के लिए बैठने की अच्छी व्यवस्था की गई थी। भीड़ के कारण सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस की भी सहायता ली गई थी। मैच देखने आये लोगों के बैठने की व्यवस्था काफी अच्छी की गयी थी।

टूर्नामेंट का फाइनल मैच शक्तिनगर क्रिकेट क्लब तथा न्यूलाइट क्रिकेट क्लब के मध्य खेला गया। मैच सुबह नौ बजकर तीस मिनट पर शुरू हुआ। टॉस शक्तिनगर क्रिकेट क्लब की टीम ने जीता और क्षेत्र रक्षण का जिम्मा संभाल न्यूलाइट क्रिकेट क्लब को बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया। मैच चालीस ओवरों का था। न्यूलाइट क्रिकेट क्लब के प्रारम्भिक बल्लेबाज बहुत सस्ते में ही आउट हो गये। मध्य क्रम में खेलने आये क्लब के बल्लेबाजों ने विरोधी टीम के गेंदबाजों की धुनाई करनी शुरू कर दी। अपने तेज गेंदबाजों को पिटते देख शक्तिनगर क्रिकेट क्लब की टीम ने अपने स्पिनरों को गेंदबाजी का जिम्मा सौंपा। ये गेंदबाज एक हद तक न्यूलाइट क्रिकेट क्लब के बल्लेबाजों द्वारा की जा रही धुंवाधार बल्लेबाजी पर अंकुश लगाने में सफल रहे। बावजूद इसके न्यूलाइट क्रिकेट क्लब ने चालीस ओवर में सात विकेट खोकर 250 रन का स्कोर खड़ा किया।

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करीब 30 मिनट के विश्राम के बाद मैदान पर शक्तिनगर क्रिकेट क्लब के शुरुआती बल्लेबाज मैदान पर उतरे। इसके बाद न्यूलाइट क्रिकेट क्लब के कप्तान ने अपने खिलाड़ियों को अपनी रणनीति के तहत क्षेत्र रक्षण के लिए मैदान में खड़ा कर दिया। न्यूलाइट क्रिकेट क्लब को पहले ही ओवर मे विकेट पाने में सफलता मिल गयी। पहले ओवर में विकेट खो देने के कारण शक्तिनगर क्रिकेट क्लब के बल्लेबाजों ने बिना किसी जोखिम के धीरे-धीरे रन बटोरे। 12 ओवर समाप्त होने पर शक्तिनगर क्रिकेट क्लब की टीम अपने चार विकेट केवल 60 रनों पर ही गवाँ चुकी थी।

न्यूलाइट क्रिकेट क्लब द्वारा तेज गेंदबाजों को हटा स्पिनर लगा देने से कोई खास फायदा नहीं हुआ बल्कि विरोधी टीम अपने खाते में आसानी से रन बटोरती चली जा रही थी। खेल धीमा हो चुका था। क्योंकि 35 ओवर की समाप्ति पर शक्तिनगर क्रिकेट क्लब की टीम केवल 140 रन ही बटोर सकी थी। उसके सात बल्लेबाज आउट हो चुके थे। अपनी जीत को आश्वस्त मान न्यूलाइट क्रिकेट क्लब के खिलाड़ियों ने मैच में अपनी पूरी जान लगा दी थी।

अंतिम तीन ओवरों में विरोधी टीम के बल्लेबाजों ने गेंदबाजों की जमकर धुनाई की लेकिन वह मैच नहीं जीत सके। शक्तिनगर क्रिकेट क्लब की टीम के नौ खिलाड़ी 212 रन पर आउट हो गये थे अंतिम जोड़ी मैदान में थी। इसी दौरान चालीस ओवर की समाप्ति पर अम्पायर ने सीटी बजाते हुए मैच खत्म होने का संकेत दिया। मैच खत्म होने के बाद मैन ऑफ दि मैच विजयी टीम के आक्रामक बल्लेबाज जिसने 10 गेंदों पर 22 रन बनाये थे को दिया गया। इस प्रकार न्यूलाइट क्रिकेट क्लब टूर्नामेंट की ट्रॉफी जीत गया। मैच के अंत में टूर्नामेंट की आयोजक कंपनी के चेयरमैन ने विजेता टीम को ट्रॉफी प्रदान की और उन्हें जीत कर बधाई दी। टूर्नामेंट की रनर्सअप रही शक्तिनगर क्रिकेट क्लब की टीम को उन्होंने पुरस्कार स्वरूप 20 हजार रुपये का चैक दिया।

37. मादक द्रव्य व्यसन-युवा पीढ़ी का भटकाव

पश्चिमी संस्कृति वाले देशों का अनुकरण करते हुए आज भारतीय युवा पीढ़ी में बढ़ती मादक पदार्थों का सेवन एक गंभीर समस्या का रूप धारण करती जा रही है। प्रकृति प्रदत्त मादक पदार्थों के सेवन की संस्कृति बहुत प्राचीन रही है। प्राचीन समय में लोग इन पदार्थों का इसलिए सेवन करते थे कि उन्हें आध्यात्मिक चिंतन तथा मनन के लिए उत्प्रेरक माना जाता था। साधु-संत अथवा योगियों का पेय पदार्थ का सेवन प्रगतिशील, आधुनिकता तथा बौद्धिकता का पर्याय मानकर तथा मूड परिवर्तन करने के लिए किया जा रहा है।

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साधारणतया नशीली या मादक वस्तुएँ वे होती हैं जिनका सेवन से उसकी आदत पड़ जाती है जैसे तंबाकू, काफी, शराब आदि। इनके लगातार सेवन से आदत तो पड़ सकती है परंतु उन्हें छोड़ने में उतनी शारीरिक या मानसिक पीड़ा नहीं पहुँचती है कि उन वस्तुओं, द्रव्यों से जिनका प्रयोग शुरू की आदत की लत या व्यसन में परिवर्तित कर देता है। दूसरा यह कि नशीले पदार्थ जिनके सेवन से लोग इनके ऊपर पूरी तरह से आश्रित हो जाते हैं और जिन्हें इन पदार्थों का दास कहा जा सकता है। इसमें अफीम, कोकिन तथा स्मैक का नाम सरलता से लिए जा सकते हैं।

युवा पीढ़ी में इन दोनों पदार्थों का सेवन करने के मामले बहुत तेजी से प्रकाश में आ रहे हैं। इनकी मुख्य वजह माता-पिता में कटुता, झगड़े, बच्चों पर ध्यान न देना आदि है। माता-पिता में कटुता और झगड़ों का असर बच्चों पर भी पड़ता है। घर में स्नेह और सम्मान न मिलने पर वह बाहर की ओर देखता है। घर के वातावरण से मुक्ति के लिए वह दोस्तों के साथ रहना ज्यादा अच्छा मानता है। यदि ऐसे में नशेबाज मित्रों की संगत हो जाए तो नशे की लत पड़ना स्वाभाविक है।

इसके अलावा आज के युवा वर्ग द्वारा इन नशीले पदार्थों का सेवन अधिक करने के कारण हैं-पाठ्यक्रमों की नीरसता, मशीनी अध्ययन शैली, मौजूदा सामाजिक परिवेश, सिनेमा का प्रभाव, अच्छी आमदनी, गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा आदि युवा वर्ग में नशीले पदार्थों का अधिक सेवन करने का कारण हैं। शिक्षित कहा जाने वाला वर्ग इसे बौद्धिक व्यक्तित्व में निखार, आंतरिक शक्यिों में वृद्धि, स्मरण शक्ति बढाने तथा अधिक परिश्रम करने के नाम पर अंगीकार कर रहा है। इन नशीली दवाओं के चपेट में युवक ही नहीं युवतियाँ भी तेजी से आती जा रही हैं।

38. पर्यावरण प्रदूषण : प्रदूषण का स्वरूप व परिणाम

पर्यावरण प्रदूषण के कारण ही पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है। इस ताप का प्रभाव ध्वनि को गति पर भी पड़ता है। तापमान में एक डिग्री सेल्सियस ताप बढने पर ध्वनि की गति लगभग सात सेंटीमीटर प्रति सेकेण्ड बढ़ जाती है। आज हर ध्वनि की गति तीव्र है और श्रवण शक्ति का ह्रास हो रहा है। यही कारण है कि आज बहुत दूर से घोड़ों के टापों की आवाज जमीन पर कान लगाकर नहीं सुनी जा सकती। जबकि प्राचीन काल में राजाओं की सेना इस तकनीक का प्रयोग करती थी।

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बढ़ते उद्योगों, महानगरों के विस्तार तथा सड़कों पर बढ़ते वाहनों के बोझ ने हमारे समक्ष कई तरह की समस्या खड़ी कर दी हैं। इनमें सबसे भयंकर समस्या है प्रदूषण। इससे हमारा पर्यावरण संतुलन तो बिगड़ ही रहा है साथ ही यह प्रकृति प्रदत्त वायु व जल को भी दूषित कर रहा है। पर्यावरण में प्रदूषण कई प्रकार के हैं। इनमें मुख्य रूप से ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण शामिल हैं। इनसे हमारा सामाजिक जीवन प्रभावित होने लगा है। तरह-तरह के रोग उत्पन्न होने लगे हैं।

औद्योगिक संस्थाओं को कूड़ा-करकट रासायनिक द्रव्य व इनसे निकलने वाला अवजल नाली-नालों से होते हुए नदियों में गिर रहे हैं। इसके अतिरिक्त अंत्येष्टि के अवशेष तथा छोटे बच्चों के शवों को नदी में बहाने की प्रथा है। इनके परिणामस्वरूप नदी का पानी दूषित हो जाता है। हालांकि नदी के इस जल को वैज्ञानिक तरीके से शोधित कर पेय जल बनाया जाता है। लेकिन इस कथित शुद्ध जल के उपयोग से कई प्रकार के विकार उत्पन्न हो रहे हैं। इनमें खाद्य विषाक्तता तथा चर्म रोग प्रमुख हैं। प्रदूषित जल मानव जीवन को ही नहीं कई अन्य क्षेत्रों को भी प्रभावित करता है। इससे कृषि क्षेत्र भी अछूता नहीं है। प्रदूषित जल से खेतों में सिंचाई करने के कारण उनमें उत्पन्न होने वाले खाद्य पदार्थों की शुद्धता व उसके अन्य पक्षों पर भी उसका दुष्प्रभाव पड़ता है।

शुद्ध वायु जीवित रहने के साथ-साथ हमारे जीवन के लिए आवश्यक हैं। शुद्ध वायु का स्रोत वन, हरे-भरे बाग व लहलहाते पेड़-पौधे हैं। क्योंकि यह जहाँ प्रदूषण के भक्षक हैं वहीं यह हमें आक्सीजन प्रदान करते हैं। बढ़ती जनसंख्या के कारण आवास की समस्या उत्पन्न होने लग रही है। मानव ने अपनी आवासीय पूर्ति के लिए वन क्षेत्रों और वृक्षों का भारी मात्रा में दोहन किया। इसके अलावा हरित पट्टियों पर कंकरीट के जाल रूपी सड़कें बिछा दी हैं। इस कारण हमें शुद्ध वायु नहीं मिल पा रही। इसके अतिरिक्त कारखानों से निकलने वाली विषैली गैसें, धुंआ, कूड़े-कचरों से उत्पन्न गैस वायु को प्रदूषित कर रही है। रही सही कसर पेट्रोलियम पदार्थ से चलने वाले वाहनों ने पूरी कर दी है।

स्कूटर, मोटरसाइकिल, कार, बस, ट्रक आदि वाहन दिन रात सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इनसे जो धुंआ निकलता है उसमें कार्बनडाय ऑक्साइड, सल्फ्यूरिक ऐसिड और शीशे के तत्व शामिल होते हैं। जो हमारे वायुमंडल में घुसकर उसे प्रदूषित करते हैं। दिल्ली जैसे महानगर में वायु को प्रदूषित करने में वाहनों की अहम् भूमिका है। वायु को प्रदूषित करने में इनका हिस्सा साठ प्रतिशत तथा शेष कारखानों व अन्य स्रोतों के जरिये होता है। वायु प्रदूषण से श्वास सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं। इसके अलावा यह हमारे नेत्रों व त्वचा को भी प्रभावित करती है।

Bihar Board Class 12th निबंध लेखन

ध्वनि प्रदूषण कानों की श्रवण शक्ति के लिए तो हानिकारक है ही, साथ ही यह तन मन की शक्ति को भी प्रभावित करता है। ध्वनि प्रदूषण के कारण मानव चिड़चिड़ा और असहिष्णु को जाता है। इसके अलावा अन्य कई विकार पैदा होने लगते हैं।

हमें प्रदूषण से बचने के लिए हरित क्षेत्र विकसित करना होगा। इसके अतिरिक्त आवासीय क्षेत्रों में चल रही औद्योगिक इकाइयों को वहाँ से स्थानांतरित कर इन इकाइयों से निकलने वाले कचरे को जलाकर नष्ट करने जैसे कुछ उपाय अपनाकर प्रदूषण पर कुछ हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।

39. समाचार पत्र और उसकी उपयोगिता

समाचार पत्र ही एक ऐसा साधन है जिससे लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली फली-फूली। समाचार पत्र शासन और जनता के बीच माध्यम का काम करते हैं। समाचार पत्रों की आवाज जनताकी आवाज कही जाती है। विभिन्न राष्ट्रों के उत्थान एवं पतन में समाचार पत्रों का बड़ा हाथ होता है। एक समय था जब देश के निवासी दूसरे देशों के समाचार के लिए भटकते थे। अपने ही देश की घटनाओं के बारे में लोगों को काफी दिनों बाद जानकारी मिल पाती थी। समाचार पत्रों के आने से आज मानव के समक्ष दूरी रूपी कोई दीवार या बाधा नहीं है।

किसी भी घटना की जानकारी उन्हें समाचार पत्रों से प्राप्त हो जाती है। विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के बीच की दूरी इन समाचार पत्रों ने समाप्त कर दी है। मुद्रण कला के विकास के साथ-साथ समाचार पत्रों के विकास की कहानी भी जुड़ी है। वर्तमान में समाचार पत्रों का क्षेत्र अपने पूरे यौवन पर है। देश का केई नगर ऐसा नहीं है जहाँ से दो-चार समाचार पत्र प्रकाशित न होते हों। समाचार पत्र से अभिप्राय समान आचरण करने वाले से है। इसमें क्योंकि सामाजिक दृष्टिकोण अपनाया जाता है इसलिए इसे समाचार पत्र कहा जाता है। उल्लेखनीय है कि भारतीय लोकतंत्र का चौथा स्थान समाचार पत्र है। समाचार पत्र निकालने के लिए कई लोगों की आवश्यकता होती है। इसलिए यह व्यवसाय पैसे वाले लोगों तक ही सीमित है।

Bihar Board Class 12th निबंध लेखन

किसी भी समाचार पत्र की सफलता उसके समाचारों पर निर्भर करती है। समाचारों का दायित्व व सफलता संवाददाता पर निर्भर करती है समाचार पत्र एक ऐसी चीज है जो राष्ट्रपति भवन से लेकर एक खोमचे तक में देखने को मिल जाएगा। समाचार पत्रों के माध्यम से हम घर बैठे विश्व के किसी भी कोने का समाचार पा लेते हैं।

समाचार पत्रों के लाभ यह है कि इनमें एक तरफ समाचार जहाँ विस्तृत रूप से प्रकाशित होते हैं वहीं इनमें छपी सामग्री को हम काफी दिनों तक संभाल कर रख सकते हैं। दूरदर्शन या टीवी. चैनलों द्वारा प्राप्त समाचारों से संबंधित जानकारी हम भविष्य के लिए संभाल कर नहीं रख सकते हैं। इसके अलावा यह क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित होने के कारण जो हिन्दी या अंग्रेजी नहीं जानते उन तक को समाचार उपलब्ध करवाते हैं।

Bihar Board Class 12th हिन्दी भाषा और साहित्य की कथा

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions

Bihar Board Class 12th हिन्दी भाषा और साहित्य की कथा

Bihar Board Class 12th हिन्दी भाषा और साहित्य की कथा

प्रश्न 1.

हिन्दी साहित्य के इतिहास का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर-
हिन्दी साहित्य का प्रारंभ सन् 1050 से माना जाता है। यद्यपि इस विषय में अनेक विद्वानों ने भिन्न मत भी दिए हैं तो भी साधारणतः आज इसी मत को मान्यता दी जा रही है। हिन्दी साहित्य को चार भागों में विभाजित किया जाता है-आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल और आधुनिक काल।

आदिकाल-सन् 1050 से सन् 1350 तक के कालखंड को आदिकाल की संज्ञा दी जाती है। आचार्य शुकल ने इसे ‘वीरगाथाकाल’ की संज्ञा दो। इस काल में रचा गया साहित्य संदेह और अप्रामाणिकता के कुहरे से ढका रहा। इस काल की कोई साहित्यिक प्रवृत्ति मुख्य रूप से उद्घाटित नहीं हुई, इसीलिए इसे निर्विशेष नामकरण ‘आदिकाल’ से ही जाना जाता रहा।

भक्तिकाल-सन् 1350 से सन् 1700 तक के काल को निर्विवाद रूप से सभी विद्वान् ‘भक्तिकाल’ की संज्ञा देते हैं। इस काल को हिन्दी साहित्य का स्वर्ण युग कहा जाता है। इस समय में कबीर, सूर, तुलसी, जायसी, मीरा, नानक आदि एक से एक बढ़कर रत्न हुए। इस काल में जो साहित्य रचा गया, उसे जन-मन की वाणी को किस प्रकार प्रभावित किया, इसके लिए यही पर्याप्त प्रमाण है कि आज भी तुलसी की चौपाइयाँ और सूर के छंद गायकों को कंठहार बने हुए हैं।

रीतिकाल-सन् 1700 से सन् 1900 तक के कालखण्ड को “रीतिकाल” की संज्ञा दी जाती है। इस काल के अधिकांश कवि राजाश्रय प्राप्त थे। अतः आश्रयदाताओं की श्रृंगारिकता को सन्तुष्ट करना उनका व्यवसाय बन चुका था। इस काव्य में ‘तंत्री नाद, कवित्तर रस, सरस राग, रति-रंग’ का प्राधान्य था। कवियों में आचार्य बनने की होड़ थी। इस काल में काव्य-लेखन की परिपाटी पर विपुल साहित्य रचा गया।

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आधुनिक काल-सन् 1900 से आज तक का साहित्य “आधुनिक काल” के नाम से जाना जाता है। इसके प्रवर्तक भारतेन्दु हरिश्चन्द्र माने जाते हैं। आधुनिक काल में पहली बार जन-चेतना से जुड़ा। इस काल में काव्य के साथ-साथ विपुल गद्य-साहित्य की भी रचना हुई। नाटक, एकांकी, कहानी, निबन्ध, उपन्यास आदि क्षेत्रों में क्रान्ति उपस्थित हो गई। राष्ट्रीयता, समसामयिकता, सामाजिकता आदि इस काल की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

इस प्रकार हिन्दी साहित्य अपने प्रारंभ से लेकर अब तक विभिन्न काव्य-धाराओं में से गुजरता हुआ आज भी गतिशील है।

प्रश्न 2.
आदिकाल की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
आदिकाल की सर्जना अनेक आंतरिक भाव, संकल्पों एवं बाह्य प्रतिक्रियाओं के माध्यम से हुई है। आदिकाल के वास्तविक रूप को जान लेना सहज नहीं है। यह काल भारतीय चिन्ताधारा का वह स्थल है जहाँ एक साथ विरोधी तत्व साहित्य के क्षेत्र में नजर आते हैं। इस काल का साहित्य समस्त साहित्य के लिए पूर्व पाठिका का कार्य करता है। इस युग की प्रमुख प्रवृत्तियाँ इस प्रकार हैं

1. धार्मिक साहित्य-इसके अन्तर्गत कतिपय बौद्ध सिद्धों, नाथयोगियों और जैन मुनियों की रचनाएँ आती हैं। इनमें धार्मिक अनुचेतना के साथ-साथ साहित्यिक संदर्भ भी है।
(क) सिद्ध साहित्य-“बौद्ध धर्म से विकसित महायान सम्पद्राय की विभिन्न अनुचेतनाओं पर जनभाषा में रचित साहित्य को ‘सिद्ध साहित्य’ की संज्ञा मिली है।” राहुल सांकृत्यायन ने 84 सिद्धों के नामों का उल्लेख किया है जिनमें सिद्ध सरहपा से यह साहित्य आरम्भ होता है। शब्द-साधना इनके सम्प्रदाय का महत्वपूर्ण अंग थी। इन्होंने ‘महाराग’ की कल्पना की है।

(ख) नाथ साहित्य-सिद्धों की वाममार्गी भोग-प्रधान साधना की प्रतिक्रिया के रूप में आदिकाल में नाच-पंथियों की हठायोग साधना प्रारम्भ हुई। नाथ साहित्य में गुरु महिमा, इन्द्रियनिग्रह, प्राणसाधना, नीति, आचार, संयम, कुंडलिनी-जागरण, शून्य समाधि आदि प्रधान विषय रहे। गुरु गोरखनाथ नाथसाहित्य के आरम्भकर्ता माने जाते हैं।

(ग) जैन साहित्य-जिस प्रकार हिन्दी के पूर्वी क्षेत्र में सिखों ने बौद्ध धर्म के वज्रयान मत का प्रचार हिन्दी कविता के माध्यम से किया उसी प्रकार पश्चिमी क्षेत्र में जैन साधुओं ने भी अपने मत का प्रचार हिन्दी कविता के माध्यम से किया। इनकी रचनाएँ आधार रास, फागु, चरित आदि विभिन्न शैलियों में मिलती है। पद्मचरित्र, जयकुमार चरित्र, जसहार चरित्र, बाहुबली रास, संदेश रासक आदि जैन साहित्य के प्रसिद्ध ग्रन्थ हैं।

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2. शृंगारिक काव्य-आदिकाल में जहाँ धार्मिक व वीरगाथात्मक साहित्य का प्रणयन हो रहा था वहीं शृंगारिक काव्य भी लिखा जा रहा था। ये कवि जीवन के सामान्य विषयों को लेकर भी उद्गार व्यक्त करते थे जिनसे उनकी मधुरता व्यक्त होती थी। ‘बीसलदेव रासो’ ऐसा ग्रन्थ है जिसमें श्रृंगार के संयोग और वियोग दोनों रूपों की प्रधानता है। ‘ढोला मारूरा दूहा’ एक लोकसभा काव्य है। यह दोहों में रचित है। इन शृंगारिक रचनाओं में संदेश प्रेषण की परम्परा भी मिलती है। इसके अतिरिक्त नखशिख वर्णन भी किया गया है।

3. मनोरंजक साहित्य-इस कोटि के कवियों के साहित्य के लिए एक नवीन मार्ग का अन्वेषण किया और वह था जीवन को संग्राम और आत्मशासन की सुदृढ़ तथा कठोर श्रृंखला से मुक्त करके आनन्द और विनोद के स्वच्छन्द वायुमंडल में विहार की स्वतन्त्रता देना। इस प्रकार के रचनाकारों में अमीर खुसरो का नाम प्रमुख है। इन्होंने ‘खालिकबारी’, ‘किस्सा चहार दरवेश, पहेलियों’, ‘मुकरियों’ आदि की रचना की।

4. गद्य साहित्य-आदिकाल में इस दिशा में कुछ प्रयास हुआ। राजस्थानी में रचित ‘राउरवेल’, दामोदरन शर्मा द्वारा रचित ‘वर्ण रत्नाकार’ आदि है। इस युग के साहित्य की कुछ
अन्य विशेषताएं भी हैं।

5. संदिग्य रचनाएँ-इस काल में उपलब्ध होनेवाली प्रायः रचनाओं की प्रमाणिकता संदेह की दृष्टि से देखी जाती है। इन काव्यों में प्रक्षिप्त अंश बहुत है। अतिशयोक्तिपूर्ण चित्रण से इतिहास दब-सा गया है। फिर भी इनका साहित्यिक और ऐतिहासिक महत्व है।

6.ऐतिहासिकता का अभाव-आदिकाल की रचनाओं में इतिहास प्रसिद्ध नायकों को लिया गया है, पर उनका वर्णन इतिहास की कसौटी पर खरा नहीं उतरता। संवत्, तिथियाँ इतिहास में मेल नहीं खाती। इतिहास की अपेक्षा इन रचनाओं में कल्पना का बाहुल्य है।

7. भाषा-वीर कवियों ने राजस्थान की साहित्यिक भाषा डिंगल भाषा में रचना की। इन पर संस्कृत, फारसी, अरबी का भी पर्याप्त प्रभाव पड़ा है।

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8. छन्दवैविध्य-छन्दों का जितना वैविध्य इस साहित्य में है उतना परवर्ती साहित्य में नहीं। दोहा, तोरक, तोमर, गाथा, पद्धति, आर्या, रोला, छप्पय आदि छन्दों की भरमार है। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी कहते हैं-रासो के छन्द जब बदलते हैं तो श्रोता की चित्त में प्रसंगानुकूल नवीन कम्पन उत्पन्न करते हैं।

प्रश्न 3.
आदिकाल अथवा वीरगाथा काल के काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों का परिचय दीजिए।
उत्तर-
वीरगाथाकाल की परिस्थितियों के अध्ययन से यह स्पष्ट हो जाता है कि यह काल राजनीतिक दृष्टि से उथल-पुथल का युग था। सबल केन्द्रीय सत्ता के अभाव में समस्त छोटे-छोटे रजवाड़ों में बँट गया था। देशी नरेश आपस में ही लड़-लड़कर अपनी शक्ति को क्षीण कर रहे थे। जर, जोरू और जमीन को प्रायः लड़ाई-झगड़ों का कारण जाना जाता था। वीरगाथा काल में यह बात पूरी घटित हो रही थी। सत्ता के विस्तार के लिए तथा किसी सुन्दरी की प्राप्ति के लिए आए दिन युद्धों का नगाड़ा बजता रहता था।

इस काल के अधिकांश कवि चारा या भाट थे, जो राज्याश्रय में रहकर अतिशयोक्ति पूर्ण रचनाओं के माध्यम से या तो आश्रयदाता का यशगान करते थे अथवा जनता में युद्ध का उन्माद जगाते थे। इन परिस्थितियों में उत्पन्न वीरगाथा काव्य में जो प्रवृत्तियाँ उभरकर आयी वे इस प्रकार हैं वीरगाथा की प्रधानता-वीरगाथा काव्य में वीरगाथाओं की प्रधानता है। जैसा कि ऊपर कहा गया है कि इस युग का कवि राज्याश्रित था। अतः वह अपने आश्रयदाता का वर्णन अतिशयोक्तिपूर्ण ढंग से एक अप्रतिम वीर नायक के रूप में करता था। खमाणरासो, पृथ्वीराज रासो, विजयपाल रासो, परमाल रासो आदि ग्रन्थों में यही प्रवृत्ति स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। किसी भी वीरगाथा परक रचना का नायक कोई साधारण पात्र नहीं है।

वीर रस की प्रधानता-‘बीसलदेव रासो’ के अतिरिक्त प्रायः सभी वीरगाथा काव्यों में वीर रस की प्रधानता है। रासो ग्रन्थ के अतिरिक्त इस काल में जो अन्य रचनाएँ लिखी गई, वे भी इस प्रवृत्ति से अछूती नहीं है। अनेक जैन प्रबन्ध काव्यों में तथा विद्यापति जैसे शृंगारी और भक्त कवि की रचनाओं में वीर रस की प्रधानता उपलब्ध होती है। विद्यापतिकृत ‘कीर्तिलता’ इसका मुख्य उदाहरण है। इस ग्रन्थ में विद्यापति ने राजा कीर्तिसिंह के यश और पराक्रम का वर्णन किया है।

युद्ध-वर्णन-युद्धों का वर्णन वीरगाथा काव्य की एक प्रमुख प्रवृत्ति है। राज्याश्रित कवि प्रायः अपने राजा के साथ युद्धों में जाते थे, जहाँ वे लड़ने वाले सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के साथ ही साथ स्वयं भी युद्ध में सक्रिय भूमिका निभाते थे। युद्धों के प्रत्यक्ष द्रष्टा होने के कारण इस काल के कवियों ने अपनी रचनाओं में युद्धों के सजीव चित्र उतारे हैं।

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श्रृंगार रस-वीरगाथा काव्य में शृंगार रस की प्रवृत्ति भी है, लेकिन श्रृंगार रस का चित्रण जहाँ कहीं भी हुआ है वह वीर रस के सहायक रस के रूप में हुआ है। दरबारी कवि अपने आश्रयदाता के हृदय में युद्ध का उन्माद बनाये रखने के लिए प्रायः किसी अन्य राज्य की सुन्दरी (राज कन्या) के नख-शिख सौन्दर्य का ऐसा मादक चित्र उपस्थित करते थे कि राजा उस सुन्दरी को पाने के लिए आतुर हो उठता था। यह आतुरता अनिवार्य रूप से युद्ध का एक महत्वपूर्ण कारण बनकर उपस्थित होती थी। इस प्रकार हम देखते हैं कि इस काल के ग्रन्थों में श्रृंगार रस का स्वतन्त्र रूप से चित्रण नहीं हुआ, अपितु वीर रस के सहयोगी रस के रूप में चित्रण हुआ है।

संकुचित राष्ट्रीयता-वीरगाथा काल में संपूर्ण देश छोटे-छोटे राज्यों में विभक्त थे। अतएव इस काल के कवियों में भी राष्ट्रीयता का कोई व्यापक भाव दिखाई नहीं देता। इस काल में कवियों की राष्ट्रीयता अपने आश्रयदाताओं की सीमाओं तक ही सीमित थी। उनकी दृष्टि में बाहरी आक्रमणकारी और अपने सीमावर्ती राज्यों में कोई भेद नहीं था। अपने पड़ोसी राज्य से बदला लेने के लिए उस समय राजा बाहरी शक्तियों से सहायता लेने में नहीं सकुचाते थे। अजमेर पर आक्रमण होने की स्थिति में जयपुर वाले चैन की नींद सोते थे तथा दिल्ली पर आक्रमण होने की स्थिति में अन्य सीमावर्ती राज्यों के राजा निश्चिन्त बने रहते थे। यह संकुचित राष्ट्रीयता की प्रवृत्ति वीरगाथा काव्य में प्रतिफलित होती देखी जा सकती है।

अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन-वीरगाथा काल के कवि दरबारों में रहकर जीवन व्यतीत करते थे। अतः वे अपने आश्रयदाताओं के वंश, वीरता तथा वैभव आदि का वर्णन अत्यन्त बढ़ा-चढ़ा कर करते थे। इस युग के कवियों का उद्देश्य धनोपार्जन था, यशोपार्जन नहीं। अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए वे अपने आश्रयदाताओं को दैवी गुणों से मण्डित करने में भी संकोच नहीं करते थे। यही कारण है कि वीरगाथाओं के अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन में वास्तविकता की खोज निकालना भी कठिन हो जाता था।

ऐतिहासिकता का अभाव-वीरगाथा काल के काव्यों में ऐतिहासिकता का अभाव पर्याप्त मात्रा में देखा जाता है। सम्पूर्ण वीरगाथा साहित्य किसी-न-किसी प्रख्यात ऐतिहासिक पुरुष से सम्बद्ध है, लेकिन इन इतिहास पुरुषों के जीवन की घटनाएँ इतनी अधिक काल्पनिकता लिये हुए है कि वास्तविकता का पता नहीं लगता। उदाहरण के लिए ‘पृथ्वीराज रासो’ में पृथ्वीराज का ऐसे-ऐसे राजाओं के साथ युद्ध वर्णित किया गया है जो पृथ्वीराज के जन्म से पूर्व के हैं अथवा मृत्यु के बाद के। सभी वीरगाथा काव्यों में ये ऐतिहासिक विसंगतियाँ उपलब्ध होती हैं।

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रासो ग्रन्थों का बाहुल्य-वीरगाथा काल में रचित काव्य में रासो ग्रन्थों की अधिकता है। इस काल की प्रमुख काव्यकृतियाँ, ‘खुमाण रासो’, ‘पृथ्वीराज रासो’, ‘परमाल रासो’, ‘विजयपाल रासो’, ‘हम्मीर रासो’, इसी प्रवृत्ति की साक्षी हैं।

भाषा के विविध रूप-वीरगाथा काल के काव्य में भाषा के विविध रूपों के दर्शन होते हैं। इस युग में रचित काव्यों में अपभ्रंश, डिंगल, पिंगल, मैथिली तथा खड़ी बोली के प्रारंभिक रूप के दर्शन होते हैं।

विविध अलंकारों एवं शब्दों का प्रयोग-वीरगाथा काव्य में अपने समय में प्रचलित प्रायः सभी अलंकारों एवं छन्दों का प्रयोग मिलता है। वीररगाथा-काव्य में उत्प्रेक्षा, उपमा, रूपक, अतिशयोक्ति, अनुप्रास, पुनरुक्तिप्रकाश, वीप्सा आदि अर्थालंकारों तथा शब्दालंकारों का प्रयोग हुआ है। दोहा, त्रोटक, छप्पय, तोमर, गाहा, अरिल्ल, पद्धरिका आदि वीरगाथा काल के प्रमुख छंद है।

प्रश्न 4.
भक्तिकालीन काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए। अथवा, निर्गुण भक्ति काव्य की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
1350 से संवत् 1700 तक के कालखंड की हिन्दी साहित्य में ‘भक्तिकाल’ नाम से पुकारा जाता है। इस काल में राजनैतिक दृष्टि से परास्त भारतीय जनमानस धर्म और ईश्वर-साधना की ओर उन्मुख हो रहा था। तत्वयुगीन भक्ति-आन्दोलन ने उनके इस झुकाव को तरंगित किया। अतः साहित्य में जहाँ सुरा, सुन्दरी और असि की झंकार झंकृत हो रही थी, वहाँ कृष्ण की वंशी और राम के तूणीर प्रवेश पाने लगे।।

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1. भक्ति-भावना-भक्तिकालीन काव्य की सबसे प्रमुख प्रवृत्ति है-भक्तिभावना। यह भक्ति-भावना चारा, काव्यधाराओं में समान तीव्रता से व्याप्त है। इन कविया का उद्देश्य था-भक्ति के माध्यम से परमात्मा को प्राप्त करना। निर्गुणवादी कविया ने आपने ब्रह्म को निराकार माना। अतः उन्होंने निर्गुण ईश्वर की उपासना की तथा सगुणवादी कविया ने राम, कृष्ण, विष्णु आदि आराध्य देवताओं की भक्ति में रचनाएँ की। सभी कवि अपनी-अपनी आस्थाओं के प्रति गहराई से जुड़े हुए थे। कबीर की प्रबल मान्यता थी-“साथ संगति, हरि भक्ति बिन, कुछ न आवहिं हाथ।

“इसी प्रकार जायसी आदि सूफी कविया ने अपनी लौकिक गाथाओं में प्रेम और भक्ति को व्यक्त किया। इधर सूर, तुलसी, रसखान आदि तो अपने आराध्य पर न्योछावर ही हैं। सूर अपने कृष्ण के बिना ‘अनत कहाँ सुख पावै’ वाली स्थिति में हैं. तो रसखान अपने गोपाल पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार है। इस प्रकार भक्ति के माध्यम से ईश्वर-आराधना करना इस काल का मूत्र मंत्र था।

2. नाम-स्मरण की महत्ता-सभी कविया. ने अपने आराध्य के नाम-स्मरण पर बल दिया है। नाम-स्मरण म. जप, भजन, प्रभु-कीर्तन आ जाते हैं। कबीर ने स्पष्ट कहा है-

‘हरि को भजे सो हरि का होई।’

जायसी भी लिखते हैं-सुमिरौं आदि एक करतारन। जेहि जिउ दीन्ह कीन्ह संसारू।’ तुलसी ने नाम-स्मरण पर बल देते हुए लिखा है-

तुलसी अलखहि का लखे, राम नाम जपु नीच।’

3. गुरु-महिमा का ज्ञान-सगुण-निर्गुण-सभी भक्त कविया. ने गुरु को अपनी ईश्वर साधना में, महत्वपूर्ण स्थान दिया है। कबीर ने तो गुरु की ईश्वर से भी अधिक महत्व दिया है। उसके लिए तर्कपूर्ण कारण बतलाते हुए उन्होंने कहा है

‘हरि रूठै तो ठौर है, गुरु रूढ़ नहीं ठौर।’

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इसी प्रकार जायसी और तुलसी ने भी गुरु के अंधकार-विनाशक एवं ईश्वर का दर्शन कराने वाला प्रकाशपुंज माना है।

4. अहंकार-विसर्जन पर बल-सभी कविया. ने प्रभु-प्राप्ति के लिए अहं-त्याग पर बल दिया है। भक्ति में. अंहकार सबसे बड़ा बाधक है। भक्ति की म्यान में. या मैं रह सकता हूँ, या ‘तू’। इसलिए कबीर लिखते हैं

‘जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है “मैं” नाहिं।
सब अंधियारा मिटि गया, जब दीपक देख्या माहिं॥

इसी प्रकार सूरदास स्वयं को ‘पतितन की टीकौ’ कहते हुए इसी अहंकार-विसर्जन पर बल देते हैं। तुलसीदास भी भक्ति के आवेग में स्वयं को ‘दीन मलीन अघी अघाई’ कहते हैं। सभी कविया की मान्यता है कि ईश्वर की प्राप्ति अहंकार को छोड़ने पर ही संभव है।

5. संसार की असारता पर विश्वास-भक्तिकालीन कविया. ने संसार को क्षणभंगुर असार तथा नश्वर माना है। इसी तर्क के आधार पर उन्होंने भक्ता, को संसार का त्याग करने तथा प्रभु-शरण में आने की सलाह दी है। कबीर कहते हैं

‘पानी केरा बुदबुदा अस मानस की जात।
देखत ही छिप जाएगा, ज्यों तारा परभात।’

6. भाषा-शैली-भक्तिकाल की प्रमुख भाषाएँ हैं-अवधी और ब्रज। तुलसी ने अवधी और ब्रज दोनों भाषाओं में श्रेष्ठ काव्य लिखा। जायसी ने अवधी को अपनाया जबकि सूर और रसखान ने ब्रज को उत्कर्ष प्रदान किया। कबीर की काव्य-भाषा सधुक्कड़ी थी। इस काल में प्रबंध काव्या की प्रधानता रही। संत काव्य को छोड़कर शेष सभी काव्या में प्रबंध-काव्या की प्रमुखता रही। दोहा, चौपाई, कवित्त, सवैया आदि इस काल के प्रसिद्ध छंद थे। रस की दृष्टि से इस युग का अधिकांश साहित्य भक्ति रस की कोटि में आता है। शांत रस तथा वात्सल्य की भी मार्मिक अभिव्यक्ति इस काल में हुई है।

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प्रश्न 5.
भक्तिकालीन सगुण भक्ति धारा की सामान्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
भक्तिकाल को हिन्दी साहित्य का ‘स्वर्ण युग’ कहा जाता है। जिस साहित्य की श्री-समृद्धि के कारण भक्तिकाल को स्वर्ण युग कहा जाता है वह है सगुण भक्ति साहित्य। भक्तिकालीन सगुण साहित्य अत्यन्त श्रेष्ठ कोटि का काव्य है। अपनी श्रेष्ठता के कारण ही यह साहित्य आज भी साहित्य प्रेमियों का कंठहार बना हुआ है।

परिचय-सगुण साहित्य के अन्तर्गत राम भक्तिधारा तथा कृष्ण भक्तिधारा के भक्तिकालीन कवि आ जाते हैं। इन कवियों ने ईश्वर के साकार रूप-राम या कृष्ण की लीलाओं का गान किया। राम-कृष्ण की लीलाओं के कुछ अमर गायक हैं-महाकवि तुलसीदास, सूरदास, रसखान, मीराबाई आदि। “रामचरितमानस” और “सूरसागर” इस साहित्य के यशस्वी ग्रन्थ हैं जो आज भी बहुत रुचिपूर्वक पढ़े और सुने जाते हैं। इस साहित्य की सामान्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं ईश्वर के साकार रूप की उपासना-सगुण भक्ति के कवि ईश्वर के साकार रूप की आराधना करते थे।

ये कवि विष्णु के भक्त थे। इन वैष्णव कवियों ने विष्णु भगवान के ही अवतारों-राम और कृष्ण की उपासना की। ये कवि अपने देवों की ब्रह्म से भी ऊपर मानते थे। इन्होंने निराकार ब्रह्म की जगह उसके साकार रूप की प्रतिष्ठा की। सूरदास का भ्रमरगीत हो या नन्ददास का भ्रमरगीत दोनों निर्गुण पर सगुण की विजय घोषित करते हैं।

लीलागान-सगुण भक्त कवियों ने अपने इष्टदेवों की लीलाओं का गुणगान किया। लीला-वर्णन के माध्यम से उन्होंने इष्टदेवताओं की आराधना की। उनके ये लीलावर्णन अत्यन्त मार्मिक बन पड़े हैं। तुलसीदास ने मर्यादा पुरुषोत्तम राम का अत्यन्त भव्य, शालीन ओर मर्यादित वर्णन किया है। वे शील, शक्ति और सौन्दर्य के अवतार हैं। सूरदास ने अपने इष्टदेव कृष्ण को नटखट बालक, रसिक युवक और प्रेमी ब्रजेश के रूप में प्रकट किया है। उनका यह वर्णन अत्यन्त मनोरम, सुन्दर तथा आकर्षक बन पड़ा है। वात्सल्य, भक्ति और शृंगार रस के वर्णन में ये कवि अद्भुत सिद्ध हुए हैं। आज भी इनकी रचनाएँ हिन्दुस्तान के घर-घर में गाई जाती है।

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अवतारवाद-सगुण कवियों ने अवतारवाद को माना। उनके अनुसार ईश्वर निर्गुण होते हुए भी धरती को कष्टों से मुक्त करने के लिए यदा-कदा अवतार धारण करता है-

जब-जब होहिं धर्म की हानि। बाढ़ असुर महा अभिमानी।
तब तब प्रभु धरि विविध शरीरा। हरहिं कृपानिधि सज्जन पीरा ॥

काव्य प्रयोजन-इन भक्त कवियों ने न तो रीतिकाल की भाँति अपने राजाओं को खुश करने के लिए कविता लिखी, न आदिकाल की भाँति युद्धोन्माद को बढ़ाने के लिए अपितु इन्होंने अपने आंतरिक सुख के लिए कविता लिखी। कविता लिखना इनका लक्ष्य नहीं था। इनका लक्ष्य था-अपने प्रभु की लीलाओं का गुणगान करना। कविता इनके लिए स्वांतः सुखाय थी। . आत्मनिवेदन-इन कवियों ने अपने काव्य में प्रभु को महत्व दिया है तथा स्वयं को उनके चरणों में झुकाया है। सूरदास का यह भाव देखिए

प्रभु जी सब पतितन को टीकौ।

समन्वयवाद-इन कवियों में खंडन की प्रवृत्ति न के बराबर है। इन्होंने किसी अन्य पक्ष को काटने की बजाय अपने पक्ष की मनोरम ओर भावमय रूप में प्रस्तुत किया है। तुलसीदास ने राम के भक्त होते हुए भी शिव या अन्य देवताओं के प्रति सम्मान प्रकट किया है। इनमें कट्टरता न होकर तालमेल की प्रवृत्ति अधिक प्रबल दिखाई देती है।

कलागत विशेषताएँ-सगुण कवि सुशिक्षित थे। इसलिए इनके काव्य का कला-पक्ष भी अत्यन्त समृद्ध है। वे कला के भंडार हैं। तुलसी और सूर के काव्य की कला का स्थान सर्वोपरि है। भाव और कला का ऐसा सुन्दर संयोग हिन्दी साहित्य में अन्यत्र दुर्लभ है।

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प्रबंध-मुक्तक-इन कवियों ने प्रबंध और मुक्तक दोनों शैलियों में अपना काव्य लिखा। तुलसी का रामचरितमानस हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य है। सूरदास के पद, तुलसी के सवैये, कवित्त, रसखान के सवैये मीरा के पद सब मुक्तक हैं। इनमें भावना के साथ-साथ संगीत की बहार भी दिखलाई पड़ती है।

भाषा-इन कवियों ने ब्रज और अवधी भाषा में काव्य रचा। ब्रज इन कवियों की प्रिय भाषा थी। ब्रज की समस्त कोमलता और मधुरता इस काव्य में देखी जा सकती है। तुलसी ने अपना रामचरितमानस अवधी भाषा में लिखा।

गुण-अलंकार-इन कवियों की भाषा में अलंकारों का सहज प्रयोग हुआ है। ऐसा लगता है कि ‘भाव’ की सरिता में अलंकार खुद-व-खुद बहते चले आए हैं। एक उदाहरण देखिए-

लट लटकनि मनु मत्त मधुप गन मादक मदहिं पिए।

सूरदास की इस पंक्ति में अलंकारों और काव्य-गुणों का मेला सा लग गया है। इस प्रकार यह काव्य हिन्दी साहित्य का सर्वश्रेष्ठ काव्य ठहराता है।।

प्रश्न 6.
भक्ति के उदय की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
भक्ति आन्दोलन का प्रारंभ आदिकाल के पश्चात् हुआ। कई विज्ञान भक्ति के विकास को राजनीतिक घटनाओं का परिणाम मानते हैं तथा कुछ विद्वान इसे दक्षिण भारत की भक्ति परंपरा का स्वाभाविक विकास मानते हैं। इस आन्दोलन के विकास में जिन-जिन परिस्थितियों ने योगदान दिया वे निम्नलिखित हैं-

राजनीतिक विवशता-जॉर्ज ग्रियर्सन का मत है कि सन् 1300 तक आते-आते हिन्दू राजा मुस्लिम आक्रमणकारियों से लड़ते-लड़ते सब कुछ गँवा बैठे थे। मुसलमानों का शासन सुदृढ़ हो चला था। हिन्दू दरबार समाप्त हो चुके थे। इसलिए कवियों को राजदरबार छोड़कर ईश्वर के दरबार में जाना पड़ा। परन्तु एकाएक कवि लोग ईश्वर-दरबार की ओर क्या, उन्मुख हो गए इसका कारण बताते हुए ग्रियर्सन लिखते हैं कि यह भक्ति धारा ईसाई धर्म के प्रभाव से आई। परन्तु इस तर्क का अब खंडन हो चुका है। हाँ, यह बात सही है कि हिन्दू राजदरबार तब खंडित हो चुके थे। अतः हिन्द कवियों को वहाँ से जाना पड़ा।

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राजनीतिक निराशा का परिणाम-कुछ विद्वानों का विचार है. कि हिन्दू जाति मुसलमान शासकों के सामने लड़-लड़कर थक-हार गई थी। अतः पराजित कवि आत्मरक्षा के लिए प्रभु के दरबार की ओर प्रवृत्त हुआ। हारे हुए व्यक्ति के मन को कुछ तसल्ली प्रभु के दरबार से ही मिलनी संभव थी। अतः भक्ति का उदय भारतीयों की निराशा का परिणाम था।

संस्कृति की सुरक्षा का कवच-कई विद्वान यह भी मानते हैं कि उस समय मुसलमान शासकों द्वारा हिन्दू धर्म को मिटाने का प्रयास किया जा रहा था। हिन्दू मन्दिरों को तोड़ा जा रहा था उनके विश्वासों पर प्रहार किया जा रहा था। अतः देश को राजनीतिक मोर्चा छोड़कर धार्मिक मोर्चा सुदृढ़ करना पड़ा। अत: उन्होंने धर्म के प्रति अपनी आस्था बढ़ाकर अपनी संस्कृति की रक्षा की। इसीलिए राम का मर्यादा पुरुषोत्तम रूप सामने आया, जिसने भारतीय जनमानस को कुछ उत्साह प्रदान किया। उन्हें राजनीतिक हर्ष तो न हुआ, किन्तु आध्यात्मिक संतोष की अनुभूति हुई। इसी प्रकार धार्मिक समन्वय की शुरूआत संत काव्य के रूप में हुई।

दक्षिण की भक्ति-परंपरा-आज जिस मत को सर्वाधिक मान्यता मिल रही है, वह यह है कि हिन्दी भक्ति आन्दोलन निराशा या पराजय या ईसाईयत का परिणाम नहीं है, अपितु यह भारत की निरंतर चली आ रही भक्ति परंपरा का ही सहज विकास है। यह ध्यान देने योग्य है कि जिस समय उत्तर भारत में मुसलमानों के अत्याचार चल रहे थे उस समय दक्षिण भारत में शान्तिपूर्वक भक्ति-आन्दोलन भी चल रहा था। अतः भक्ति आन्दोलन को केवल राजनीतिक निराशा का परिणाम नहीं कहा जा सकता।

सातवीं शताब्दी से ही दक्षिण में आलवार संतों का बोलवाला था। उन संतों ने अपनी-अपनी मान्यताओं द्वारा ईश्वर-भक्ति का मार्ग ढूँढ़ा था। यही संत अपने-अपने मार्ग का प्रचार करने के लिए उत्तर भारत में आए। शंकराचार्य, माधवाचार्य, वल्लभाचार्य, रामानुजाचार्य आदि धर्मप्रचारका ने दक्षिण में चल रही भक्ति की लहर को उत्तर भारत में भी लहराया। यदि उत्तर भारत में आक्रमण की लहर न होती।

राजनीतिक निराशा न होती तो भी भक्ति की लहर से उसे कोई बचा नहीं सकता था। इस भक्ति की लहर का प्रवाहित होना स्वाभाविक ही था। हाँ, इतना जरूर हो सकता है कि राजनीतिक निराशा और मजबूरी ने सारे उत्तर भारत को भक्ति की लहरों में एकदम झोंक दिया, जिससे यह काव्य-आन्दोलन के रूप में उभरा। सारा कवि समुदाय जो अभी कुछ समय पहले तलवार और श्रृंगार में मस्त था एकाएक प्रभु की मुरली के स्वर में राग अलापने लगा।

रामानुजाचार्य उत्तर भारत में आए। वे राम-भक्त थे। चैतन्य महाप्रभु बंगाल में प्रचारार्थ आए। वल्लभाचार्य ने ब्रज प्रदेश में कृष्ण भक्ति का प्रचार किया। तुलसी, सूर, मीरा, रसखान ने इन्हीं की भक्तिधाराओं को वाणी दी। इस प्रकार दक्षिण के आलवार संतों द्वारा बहाई गई भक्ति की धारा उत्तर भारत में फैली। इसे ईसाई पादरियों का प्रभाव नहीं कहा जा सकता।

निर्गुण-भक्ति-भारत में जिस निर्गुण भक्ति की शुरूआत हुई उसके बीज प्राचीन धार्मिक साहित्य में देखे जा सकते हैं। अत: कबीर, दादू आदि संत कवियों का साहित्य भी परंपरा का स्वाभाविक विकास है।

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समन्वय का वातावरण-तत्कालीन हिन्दू समाज मुस्लिम संस्कृति के साथ तालमेल चाहता था। यह प्रयास हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों के द्वारा हुआ। सूफी कवि अधिकतर मुसलमान थे। उन्होंने अपने साहित्य द्वारा हिन्दू-मुसलमान के भेद को मिटाने का प्रयास भक्ति के माध्यम से किया।

निष्कर्ष-निष्कर्ष में कह सकते हैं कि हिन्दी काव्य की भक्तिधारा दक्षिण की भक्ति धारा का स्वाभाविक विकास है, जिसे तत्कालीन राजनीतिक निराशा से बल मिला।

प्रश्न 7.
संत काव्य अथवा ज्ञानमार्गी साहित्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश ‘डालिए।
अथवा,
भक्तिकाल की ज्ञानाश्रयी शाखा की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
भक्तिकाल की चार काव्यधाराओं में संत काव्य का महत्वपूर्ण स्थान है। ज्ञान के आधार पर ईश्वर-आराधना करने के कारण इस काव्य को ज्ञानमार्गी काव्य भी कहते हैं। इस काव्य पर आदिकालीन सिद्ध, नाथ साहित्य का व्यापक प्रभाव था। संत कवि निर्गुण ईश्वर के उपासक थे। कबीर इस काव्यधारा के सर्वश्रेष्ठ कवि हुए। इस काव्य की सामान्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं

1. निर्गुण ईश्वर पर विश्वास-संत कवि निराकार ईश्वर को मानते थे। कहीं-कहीं उन्होंने ‘राम’ अन्य किसी देवी-देवता का भी नाम लिया है, किन्तु उन्होंने उसे निराकार ब्रह्म का प्रतीक ही माना है। कबीर के ‘राम’ दशरथ पुत्र न होकर ब्रह्मरूप है। उनका कहना है

“निर्गुण राम जपहु रे भाई, अविगत की गति लखी न जाई”।।

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2. एकेश्वरवाद पर आस्था-संत कवि अवतारवाद या बहुदेववाद के प्रबल विरोधी थे। उनके अनुसार राम और रहीम में, हिन्दू और मुसलमान में, जड़ और चेतन में, प्रकृति के कण-कण में एक ही ब्रह्म की ज्योति विद्यमान है। वह ब्रह्म आजन्म है सर्वव्यापक हैं तथा हमारे हृदय में स्थित है। अतः मन की साधना से ही उसे प्राप्त किया जा सकता है।

3. नाम-स्मरण पर बल-संत कवियों ने प्रभु के नाम-स्मरण पर बल दिया है। यह नाम-स्मरण मात्र अंधविश्वास नहीं अपितु मनोविज्ञान पर आधारित है। उनके अनुसार नाम-स्मरण से भक्त की चित्रवृतियाँ प्रभु की ओर केन्द्रित होती है जिससे उसे सायना में बल मिलता है।

4. गुरु की महिमा-संत कवियों ने गुरु को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। उनकी मान्यता है कि गुरु ही साधक को मायामुक्त कर ईश्वर के पथ पर अग्रसर करता है। वह साधक के बंधनों को काटता है। अत: उसका स्थान तो ईश्वर से भी अधिक है क्योंकि-‘हरि रूठे तो ठौर है गुरु रूठे नहीं ठौर।’

5.ज्ञान और प्रेम-संत कवियों को ज्ञानमार्गी माना जाता है। उनका ज्ञान पुस्तकीय ज्ञान से भिन्न है। पुस्तकीय ज्ञान के तो वे घोर विरोधी है। कबीर लिखते हैं-

“पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय ॥”

उनका ज्ञान ‘अनुभूति’ से भिन्न नहीं है। वे प्रेमानुभूति को ही ईश्वर का ज्ञान, बोध या अनुभव मानते हैं। वही उनके लिए ईश्वर-प्राप्ति का संबल है। सतगुरु द्वारा साधक के हाथ में, दिया हुआ दीपक ‘प्रभु ज्ञान’ का ही दीपक है।।

6. रहस्यानुभूतियों की अभिव्यक्ति-संत कवियों के काव्य में ईश्वर-प्रेम की मार्मिक अनुभूतियाँ व्यक्त हुई हैं। सर्वाधिक मार्मिकता उन काव्यांशों में है जहाँ आत्मा रूपी प्रेमिका परमात्मा रूपी प्रियतम के विरह में तड़पती हुई प्राण देने को तैयार हो जाती हैं। एक उदाहरण देखिए

“के विरहनि कू मीच दै, के आपा दिखलाइ।
आठ पहर का दांझणा मो पै सह्या न जाइ॥”

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इसी प्रकार जिज्ञासा, प्रभु-मिलन, विरह, मिलन-आनन्द आदि की मार्मिक अनुभूतियाँ इस काव्य में उपलब्ध है।

7. अहं-विसर्जन पर बल-संत कवियों ने साधक को अहंकार छोड़ने के लिए प्रेरित किया है। उनके अनुसार-अपने ‘स्व’ का अपने ‘मैं, या ‘अपने’ का त्याग किए बिना प्रभु की प्राप्ति नहीं हो सकती।

8. माया तथा नारी का विरोध-संत कवियों ने माया को महाठगिनी माना है, तो साधक को ईश्वर-साधना के मार्ग से भटका देती है इसलिए उन्होंने माया का कडे शब्दों में विरोध किया है। उन्होंने नारी को भी माया जगाने वाली, सांसारिक भोग में लिप्त करने वाली मान कर उसका बहिष्कार किया है। परन्तु स्मरण रहे, उन्होंने मायावी जाल से मुक्त पतिव्रता नारी को समुचित सम्मान दिया है।

संत कवियों ने प्रायः गेय मुक्तक शैली को अपनाया है। दोहा, साखी, चौपाई उनके प्रमुख छंद हैं। इस प्रकार संत काव्य शिल्प की दृष्टि से चाहे श्रेष्ठ न हो, भावसंपदा की दृष्टि से इसकी श्रेष्ठता से इनकार नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 8.
प्रेममार्गी अथवा सूफी काव्य की सामान्य प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए। अथवा, भक्तिकालीन प्रेमाश्रयी शाखा की प्रमुख विशेषताओं का परिचय दीजिए।
उत्तर-
भक्ति काल में सूफी काव्य का महत्वपूर्ण स्थान है। इसे प्रेममार्गी काव्यधारा भी कहा जाता है। इस काव्यधारा का मूल तत्व है-‘प्रेम’। सूफी कवि संत कवियों के समान निर्गुण ईश्वर पर विश्वास रखते थे। इनमें से अधिकांश कवि मुसलमान थे। इनमें धार्मिक कट्टरता नहीं थी। ये लोग संत स्वभाव के थे उदार और उदात्त थे। उनका उद्देश्य धार्मिक समन्वय करते हुए ‘प्रेम’ तत्त्व का निरूपण करना था। इन्होंने हिन्दू लोक-गाथाओं के आधार पर अपना काव्य रचा। इस काव्य की सामान्य प्रवृत्तियाँ इस प्रकार है-

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1. मसनवी काव्य-परंपरा का प्रभाव-सूफी कवियों के काव्य पर मसनवी काव्य-शैली का प्रभाव दृष्टिगोचर होता है। उन्होंने मसनबी पद्धति के अनुसार काव्य के आरम्भ में ईश्वर-वंदना, मुहम्मद साहब की स्तुति, तत्कालीन बादशाह की प्रशंसा तथा आत्म-परिचय आदि दिया है। इसके अतिरिक्त उन्होंने भारतीय गाथाओं में वर्णित काव्य-रूढ़ियों का भी वर्णन किया है। उनके प्रबंध-काव्य मसनवी तथा भारतीय शैली के मिले-जुले रूप है।

2. प्रबंध काव्य की परंपरा-प्रायः सूफी कवियों ने प्रबंध-काव्य की रचना की है। उन्होंने हिन्दू लोक-गाथाओं को आधार बनाया है। ‘पद्मावत’ में रत्नसेन और पद्मावती की लौकिक प्रेम-गाथा व्यक्त हुई है। प्रायः सभी कवियों ने परंपरा के कारण प्रबंध-रचना को अपनाया है। उनकी प्रबंध-रचनाएँ यांत्रिकता लिए हुए हैं। प्रायः सभी में एक-सी घटनाएँ, एक-से वर्णन एक-सी बाधाएँ दृष्टिगोचर होती हैं। उनमें मौलिकता का अभाव है। कथानक में गति और प्रवाह का अभाव है।

3. धार्मिक समन्वय की प्रवृत्ति-प्रायः सभी सूफी कवि मुसलमान थे। फिर भी उन्होंने हिन्दू लोक-गाथाओं को आधार बनाया। इसका कारण था उनका धार्मिक समन्वय। वे हिन्दू-मुस्लिम के भेद को समाप्त करना चाहते थे। उन्होंने अपने काव्य में व्यापक रूप से हिन्दू संस्कृति, हिन्दू आचार-विचार और हिन्दू आदर्शों को व्यक्त किया।

4. अलौकिक ‘प्रेम’ की व्यंजना-इन कवियों ने लौकिक गाथाओं के माध्यम से अलौकिक प्रेम की व्यंजना की। उनके नायक-नायिका आत्मा परमात्मा के रूप में अवतरित हुए हैं। पद्मावत में पद्मावती परमात्मा की रत्नसेन आत्मा का तथा सुआ गुरु’ का प्रतीक है। इन कवियों ने नारी को परमात्मा तथा पुरुष को आत्मा मानकर प्रबंध-रचना की है। इन्होंने प्रेम के वियोग पक्ष को अधिक महत्व दिया है।

संयोग के चित्रण में कहीं-कहीं अश्लीलता आ गई है। वियोग-चित्रण में सूफी कवि अधिक सफल हैं। उसमें भी जहाँ अतिशयोक्तिपूर्ण उक्तियाँ आ गई हैं, वहाँ वर्णन हास्यास्पद बन गया है।

5.हिन्दू-संस्कृति और लोक-संग्रह-इन कवियों ने अपनी काव्य-रचनाओं में हिन्दू संस्कृति, आचार-विचार, मत-रूढ़ियों का विस्तृत वर्णन किया है। ऐसा करके उन्होंने युग-युग से चले आते हिन्दू-मुस्लिम वैमनस्य को समाप्त कर उन्हें नजदीक लाने का प्रयास किए।

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6. गुरु की महत्ता-सूफी काव्य में संत काव्य की तरह सद्गुरु को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। गुरु आपत्ति-विपत्ति के समय साधक को मुक्ति का मंत्र बताता है तथा परमात्मा का मार्ग प्रशस्त करता है।

7. शैतान-सूफी कवियों ने शैतान को माया का प्रतीक मानते हुए उसे अपनी हर लोकगाथा में उपस्थिति किया है। वह कबीर की माया की भाँति साधक को साधना से पथभ्रष्ट करता है। गुरु की सहायता से साधक शैतान के पंजे से मुक्त हो सकता है।

8. नारी की प्रतिष्ठा-प्रेममार्गी कवियों ने नारी को परमात्मा का प्रतीक मानकर पुरुष से अधिक महत्व प्रदान किया। उनके अनुसार नारी वह नूर है जिसके बिना विश्व सूना है। .

9. रस-वर्णन-मूल तत्व ‘प्रेम’ होने के कारण सूफी कवियों का प्रमुख वर्ण रस श्रृंगार’ है। उन्होंने श्रृंगार के वियोग पक्ष का मार्मिक एवं अनुभूतिपूर्ण चित्रण किया है। पदमावली-नागमती वियोग वर्णन में कवि के अंतर्मन की पीड़ा को सरस अभिव्यक्ति मिली है। संयोग पक्ष के वर्णन में भी इन कवियों ने गहरी रुचि ली है। इसके अतिरिक्त करुण वीर तथा शांत रस की अभिव्यक्ति सुन्दर बन पड़ी है।

10. भाषा-शैली-इन कवियों ने मुख्यतः अवधी भाषा में काव्य-रचना की। कुछ कवियों ने ब्रज का प्रयोग किया। उनकी भाषा सरल, स्वाभाविक, अनुभूतिपूर्ण लोक भाषा है। मुहावरे-लोकोक्तियों तथा सहज अलंकार के प्रयोग से उत्तम, साहित्यिकता तथा अर्धगौरव आ गया है। जायसी इस काल के सर्वश्रेष्ठ कवि हैं। अतः उनके ‘पद्मावत’ में इन सभी गुणों को देखा जा सकता है। दोहा-चौपाई इस काव्य के प्रिय छंद हैं। इस प्रकार सूफी काव्य हिन्दी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान का अधिकारी है।

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प्रश्न 9.
रामभक्ति काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। अथवा, भक्तिकाल की राम काव्य-धारा की सामान्य विशेषताओं का परिचय दीजिए।
उत्तर-
हिन्दी साहित्य के इतिहास में रामभक्ति काव्य का स्थान सर्वोपरि है। यदि हिन्दी साहित्य के किसी एक उत्कृष्टतम महाकाव्य का नाम लेना हो तो निर्विवाद रूप से ‘रामचरितमानस’ का नाम लिया जाएगा। यह ग्रन्थ हिन्दी साहित्य की ही नहीं, सम्पूर्ण भारतवर्ष की अमूल्य निधि है। इसे लिखने का श्रेय रामभक्ति शाखा के प्रवर्तक गोस्वामी तुलसीदास को जाता है। रामभक्ति काव्य की सामान्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1. राम के प्रति भक्ति-भावना-रामभक्त कवियों ने विष्णु के अवतार तथा दशरथ के पुत्र राम की आराधना में काव्य-रचना की है। उनके राम ब्रह्मस्वरूप है। पापों का विनाश तथा धर्म का उद्धार करने के लिए उन्होंने अवतार धारण किया है। वे शील, शक्ति और सौन्दर्य के पूँज हैं। अपने शील से वे त्रिभुवन को लोक-व्यवहार की शिक्षा देने वाले हैं। वे मर्यादा-पुरुषोत्तम हैं आदर्शों के प्रतिस्थापक हैं। उनका लोकरक्षक रूप रामभक्ति काव्य में उजागर हुआ है।

2. समन्वय की भावना-रामभक्त कवियों का दृष्टिकोण समन्वयवादी है। उन्होंने राम के अतिरिक्त कृष्ण, शिव, गणेश आदि देवताओं की भी समान श्रद्धा से आराधना की है। रामचरितमानस में राम स्वयं शिव की भक्ति करते दिखाई देते हैं। उन्होंने सगुण-निर्गुण का भी. वबंडर खड़ा नहीं किया बल्कि वे सूक्ष्म रूप से राम को निर्गुण ही मानते हैं। यह अलग बात है कि भक्ति के लिए वे संगुण रूप की उपासना करते हैं। उन्होंने ज्ञान, भक्ति और कर्म का भी समन्वय किया है।।

3. लोक-संग्रह की भावना-इन कवियों ने लोक संस्कार के लिए राम तथा अन्य पात्रों को उच्च भावभूमियों पर प्रतिष्ठित किया। राम आदर्श पुत्र और राजा हैं लक्ष्मण और भरत आदर्श भाई हैं। सीता आदर्श पत्नी हैं, हनुमान आदर्श सेवक हैं। इसी प्रकार रामभक्त कवियों ने अपने पात्रों के माध्यम से लोक व्यवहार का आदर्श स्थापित किया है।

4. भक्ति का स्वरूप-इन कवियों ने दास्य-भक्ति को अपनाया है। उन्होंने राम को अपना स्वामी तथा स्वयं को उनका दास माना है।

सेवक सेव्य भाव बिन भव न तरिव उरगारि। -तुलसीदास

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राम के आदर्श और उदात्त चरित्र के कारण इन कवियों को मधुर अथवा सख्य भाव की भक्ति का अवसर नहीं मिला, जो कृष्णभक्ति में संभव हो पाया।भक्ति में संभवयों को मधुर अथवा

5. पात्र तथा चरित्र-चित्रण-रामभक्त कवियों ने अपने काव्य में महान चरित्रों की प्रतिष्ठा को। उन्होंने छोटे से छोटे पात्र को अपनी महत्ता से अनुपम बना दिया। इन कवियों की विशेषतः तुलसीदास की लेखनी में ऐसा आकर्षक जादू था कि जो भी पात्र उनकी लेखनी का स्पर्श पाकर निकला, वह जन-जन का हृदयाहार बन गया। शवरी, जटायु, केवट आदि पात्रों को महिमामय बनाने में तुलसीदास की चरित्र-चित्रण शैली को श्रेय जाता है। उनके पात्रों में सत्वगुणी भी है रजोगुणी भी है, तथा तमोगुणी भी; किन्तु कवि का प्रयास तमोगुण पर सत्त्वगुण की विजय दिखलाने का रहा है। असत्य पर सत्य की विजय दिखाकर रामभक्ति काव्य ने पाठक को कर्म की प्रेरणा दी है।

6. रस-राम-कथा अत्यन्त व्यापक है। उस कथा में सभी रसों का समावेश हो सकने की जगह है। रामभक्त कवियों ने मार्मिक स्थलों की पहचान करके रस-सृष्टि की है। दास्य भक्ति के कारण मुख्यतः शांत रस को अभिव्यक्ति मिली है। प्रारम्भ में श्रृंगार रस को स्थान नहीं मिला। तुलसी ने भी श्रृंगार का निषेध किया क्योंकि वह राम के उदार चरित्र के अनुकूल नहीं बैठता था। परवर्ती रामभक्त कवियों ने अवश्य शृंगार-भक्ति की प्रस्तावना की। लक्ष्मण-मूर्छा दशरथ-मरण आदि प्रसंगों पर करुण रस को तथा लंका-दहन और युद्ध-प्रसंगों पर वीर तथा रौद्र रस को अभिव्यक्ति मिली है। हास्य को अपेक्षाकृत कम अवसर मिला है।।

7. अलंकार और छन्द-इस काल के कवि काव्य-मर्मज्ञ थे। उन्हें अलंकार और छंद विद्या का ज्ञान था। इसलिए अलंकार और छंद की दृष्टि से यह काव्य समृद्ध है। उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों का कुशलतापूर्वक प्रयोग किया गया है। तुलसी ने अनुप्रास के प्रयोग में अद्भुत कुशलता दिखलाई है। इस काल के कवियों ने दोहा, चौपाई, सोरठा, छप्पय, सवैया, धनाक्षरी, कवित्त आदि छंदों का सफलतापूर्वक प्रयोग किया है।

8. भाषा-इन कवियों ने प्रमुखत: अवधी का प्रयोग किया। केशव ने ब्रज में रचना की। इनकी भाषा रसपूर्ण, सरस तथा साहित्यिक है। वह लोकजीवन के निकट होते हुए भी साहित्यिकता के रस से ओत-प्रोत है। उनका शब्द-चयन पांडित्यपूर्ण एवं भावपूर्ण हैं। इस प्रकार रामभक्ति काव्य सम्पूर्ण हिन्दी साहित्य में गरिमापूर्ण स्थान रखता है।

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प्रश्न 10.
कृष्णभक्ति काव्य की विशेषताएँ बतलाइए।
अथवा,
भक्तिकालीन कृष्णभक्ति काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर-
भक्तिकालीन साहित्य में कृष्ण-भक्ति धारा का महत्वपूर्ण स्थान है। सूर, मीरा, नन्ददास, रसखान आदि कवि इस काव्यधारा के प्रमुख आधार स्तम्भ है। इन कवियों ने ऐसी रसपूर्ण काव्य सृष्टि की जो भाषा के अवरोध के बावजूद आज भी भक्तों और पाठकों की रसमग्न करती चली आ रही है। इस काव्य की सामान्य प्रवृत्तियाँ इस प्रकार हैं

1. कृष्ण-लीला वर्णन-कृष्णभक्त कवियों ने अपने काव्य में कृष्ण की लीलाओं का गान किया है। उन्होंने दार्शनिक आधार पर चाहे कृष्ण को परम ब्रह्म माना है, किन्तु उनकी रुचि कृष्ण के लोकरंजक एवं लीलामय स्वरूप में रही है। उन्होंने कृष्ण के शिशु-बाल स्वरूप से लेकर किशोर और तरुण स्वरूप का क्रीड़ामय चित्रण किया है। उनकी रुचि कृष्ण के नीति-विशारद या चक्रधारी रूप में नहीं रमी है। ऐसी प्रसंगों को वे चलता कर गए हैं। कृष्ण के नटखट, . माखनचोर और नटवर नरेश रूप में उन्होंने अधिक रुचि ली है।

2. वात्सल्य और श्रृंगार चित्रण-कृष्ण-भक्ति काव्य अपने वात्सल्य रस और श्रृंगार भक्ति के लिए सदा स्मरण किया जाता रहेगा। सूर ने कृष्ण की बाल-लीलाओं का ऐसा मनोरम चित्रण किया कि वात्सल्य को अलग से रस की श्रेणी में रखना पड़ा। इसी प्रकार शृंगार-भक्ति का वर्णन अधिकांशतः प्रेमाभक्ति का समावेश है। शृंगार के संयोग और वियोग दोनों पक्षों का चित्रण मार्मिकता से हुआ है। एक उदाहरण देखिए

निसि दिन बरसत नैन हमारे
सदा रहति पावस ऋतु हम पै जब तै स्याम सियारे।

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3. भक्ति की अनन्यता-इन कवियों की अपने आराध्य कृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति है। मीरा-कृष्ण के प्रेम में दीवानी हो गई है। रसखान कृष्ण की एक-एक वस्तु पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार हैं। सूर का मन ‘अनत नहीं सुख पावै’ की स्थिति में है। अन्य कवियों ने भी कृष्ण के प्रति अनन्य समर्पण का भाव प्रकट किया है। रसखान या सूर. आदि कवियों ने गोपियों के माध्यम से अपनी अनन्य भक्ति प्रकट की है। भ्रमरगीत-सार गोपियों की अगाध आस्था के लिए प्रमाण है।

4. भक्ति का स्वरूप-कृष्ण-भक्त कवियों ने दैन्य भक्ति, मथुरा भक्ति, वात्सल्य भक्ति तथा सख्य भक्ति का आश्रय लिया है। सूरदास के प्रारंभिक छंद दैन्य भक्ति से युक्त है। ‘प्रभु, ही पतितनि की टीकौ’ दैन्य भक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण है। शैन्य भक्ति को इस काव्य में प्रमुखता नहीं मिली। कृष्ण का नटखट व्यक्तित्व और सख्य भक्ति में सूरदास को ही सफलता मिली है।

5. प्रकृति चित्रण-कृष्णभक्ति काव्य में प्रकृति के उद्दीपन रूप में चित्रण देखने को मिलता है। यह चित्रण अद्भुत कौशल से पूर्ण है। डॉ. ब्रजेश्वर के शब्दों में दृश्यमान जगत का कोई भी सौन्दर्य उनही आँखों से छुट नहीं सका।’

6. अनुभूति की मार्मिकता-यह काव्य अनुभूति के मार्मिकता की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ ठहराता है। रसखान के सवैये अपनी अनुभूति की तीव्रता से पाठक को रसमग्न कर देते हैं। मीरा के पद पढ़कर हृदय संवेदनशील हो उठता है। सूर की भाव-विह्वल गोपियाँ ज्ञानमार्गी ऊधो को ज्ञानमार्ग से डिगा कर प्रेम-मार्ग पर ले आती है। यह अब अनुभूति की मार्मिकता के कारण है। ‘भ्रमरगीत’ की गोपियाँ उपहास, खीझ, करुणा, प्रार्थना, क्रोध, खिल्ली या कटाक्ष के स्वर में जब बोलती है तो उनका अंतहृदय ही चीत्कार कर रोता दिखाई पड़ता है। अनुभूति की गहनता का एक उदाहरण देखिए

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“विहनी बावरी सी भई।।
ऊँची चढ़ि अपने भवन में टेरत हाय दई।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर बिछुरत कछु न कहीं”।।

7. भाषा-शैली-ब्रजराज की आराधना में लिखे काव्य की भाषा ब्रज को छोड़कर और कौन-सी हो सकती है? कृष्णभक्त कवियों की भाषा में ब्रज की मधुरता, रसमयता और भावुकता का उत्कर्ष देखने को मिलता है। उनकी भाषा में कहीं प्रयास नहीं, अपितु सहज स्वाभाविकता विद्यमान है। इन कवियों ने लोक-भाषा को ही साहित्यिक गरिमा प्रदान की है।

यह काव्य गीत शैली में लिखा गया है। अतः गीत काव्य के सभी. गुण-अनुभूति की मार्मिकता, संगीतात्मकता, संक्षिप्तता, वैयक्तिकता, कोमलता आदि इसमें मिल जाते हैं। वचन-वक्रता, उक्ति वैचित्र्य और भाव-विदग्धकता, में इस काव्य का कोई सानी नहीं है। संगीत, लय और अर्थगौरव का ऐसा मंजुल समन्वय अन्यत्र दुर्लभ है। इस प्रकार कृष्णभक्ति काव्य में विषय, भाव, रस, विचार और शिल्प की दृष्टि से ऐसा उत्कर्ष पाया जाता है कि इसी के आधार पर हम हिन्दी साहित्य पर गर्व कर सकते हैं।

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Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 15 Polymers

Bihar Board 12th Chemistry Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 15 Polymers

Question 1.
Glycogen, a naturally occuring polymert stored in animals is a
(a) monosaccharide
(b) disaccharide
(c) trisaccharide
(d) polysaccharide
Answer:
(d) polysaccharide

Question 2.
Which of the following is a homopolymer ?
(a) Bakelite
(b) Nylon 6,6
(c) Neoprene
(d) Buna-S
Answer:
(c) Neoprene

Question 3.
Which of the following sets contain only addition homopolymers ?
(a) Polythene natual rubber, cellulose
(b) Nylon polyester, melamine resin
(c) Teflon, bakelite, orlon
(d) Neoprene, PVC, polythene
Answer:
(d) Neoprene, PVC, polythene

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 15 Polymers

Question 4.
Teflon and neoprene are the examples of
(a) copolymers
(b) monomers
(c) homopolymers
(d) condensation polymers
Answer:
(c) homopolymers

Question 5.
The correct structure of monomers of buna-S is
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 15 Polymers 1
Answer:
(c)

Question 6.
The S in buna-S refers to
(a) sulphur
(b) styrene
(c) sodium
(d) salicylate
Answer:
(b) styrene

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Question 7.
Arrange the following polymes in an increasing order of intermolecular forces; fibre, plastic, elastomer.
(a) Elastomer < Fibre < Plastic
(b) Elastomer < Plastic < Fibre
(c) Plastic < Elastomer < Fibre
(d) Fibre < Elastomer < Plastic
Answer:
(b) Elastomer < Plastic < Fibre

Question 8.
Which of the following are thermoplastic polymers ?
(a) Polythene, urea-formaldehyde, polyvinyls
(b) Bakelite, polythene, polystyrene
(c) Polythene, polystyrene, polyvinyls
(d) Urea-f ormaldehydc, polystyrene, bakelite
Answer:
(c) Polythene, polystyrene, polyvinyls

Question 9.
Bakelite is an example of
(a) elastomer
(b) fibre
(c) thermoplastic
(d) thermosetting
Answer:
(d) thermosetting

Question 10.
Which of the following is not an example of addition polymer ?
(a) Polythene
(b) Polystyrene
(c) Neoprene
(d) Nylon 6,6
Answer:
(d) Nylon 6,6

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Question 11.
Which of the following sets contains only addition polymers ?
(a) Polythelene, polypropylene, terylene
(b) Polyethylene, PVC, acrilan
(c) Buna-S, nylon, polybutadiene
(d) Bakelite, PVC, polyethylene.
Answer:
(b) Polyethylene, PVC, acrilan

Question 12.
Which of the following polymers does not have vinylic monomer units ?
(a) Acrilan
(b) Nylon
(c) Polystyrene
(d) Neoprene
Answer:
(b) Nylon

Question 13.
Which of the following is not true about high density polythene ?
(a) Tough
(b) Hard
(c) Inert
(d) Highly branched
Answer:
(d) Highly branched

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Question 14.
Composition of Ziegler-Natta catalyst is
(a) (Et3)3Al-TiCl2
(b) (Me)3AI TiCl2
(c) (Et)3Al-TiCl4
(d) (Et)3Al-PtCl4
Answer:
(c) (Et)3Al-TiCl4

Question 15.
Nylon 6,6 is obtained by condensation polymerisation of
(a) adipic acid and ethlene glycol
(b) adipic acid and hexamethylenediamine
(c) terephthalic acid and ethlene glycol
(d) adipic acid and phenol
Answer:
(b) adipic acid and hexamethylenediamine

Question 16.
Synthetic polymer prepared by using caprolactam is known as
(a) terylene
(b) teflon
(c) nylon 6
(d) neoprene
Answer:
(c) nylon 6

Question 17.
Which of the following is a condensation polymer ?
(a) Teflon
(b) PVC
(c) Polyester
(d) Neoprene
Answer:
(c) Polyester

Question 18.
Polymer which has amide linkage is
(a) nylon-6,6
(b) terylene
(c) teflon
(d) bakelite
Answer:
(a) nylon-6,6

Question 19.
Dacron is an example of
(a) polyamides
(b) polypropenes
(c) polyacrylonitrile
(d) polyesters
Answer:
(d) polyesters

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Question 20.
Which of the following polymes does not involve cross­linkages ?
(a) Vulcanised rubber
(b) Bakelite
(c) Melamine
(d) Teflon
Answer:
(d) Teflon

Question 21.
Which among the following is a cross-linked polymer ?
(a) Polyesters
(b) Glycogens
(c) Melamine-formaldehde
(d) Polyvinyl chloride
Answer:
(c) Melamine-formaldehde

Question 22.
Natural rubber is a polymer of
(a) 1,1-dimethylbutadiene
(b) 2-methyl-1 3-butadiene
(c) 2-chlorobuta-1,3-diene
(d) 2-chiorobut-2-ene
Answer:
(b) 2-methyl-1 3-butadiene

Question 23.
Which of the following is not an example of rubber?
(a) Polychloroprene
(b) Buna-N
(c) Butadiene-styrene copolymer
(d) Polyacrylonitrile
Answer:
(d) Polyacrylonitrile

Question 24.
Heating rubber with sulphur is known as
(a) galvanisation
(b) bessemerisation
(c) vulcanisation
(d) sulphonation
Answer:
(c) vulcanisation

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Question 25.
In vulcanization of rubber
(a) sulphur reacts to form a new compound
(b) sulphur cross-links are introduced
(c) sulphur forms a very thin protective layer over rubber
(d) all statements are correct.
Answer:
(b) sulphur cross-links are introduced

Question 26.
Which of the following represents chloroprene, the monomer of neoprene ?
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 15 Polymers 2
Answer:
(c)

Question 27.
Buna-N is used in making oil seals and tank linings, etc. because
(a) it is resistant to the action of lubricating oil and organic solvents
(b) it is more elastic than natural rubber
(c) it can be stretched twice its length
(d) it does not melt at high temperatures.
Answer:
(a) it is resistant to the action of lubricating oil and organic solvents

Question 28.
Synthetic biopolymer, PHB V is made up of the following monomers,
(a) 3-hydroxybutanoic acid +3-hydroxypentanoic acid
(b) 2-hydroxybutanoic acid + 2-hydroxypropanoic acid
(c) 3-chlorobutanoic acid + 3-chloropentanoic acid
(d) 2-chlorobutanoic acid + 3-methlpentanoic acid.
Answer:
(a) 3-hydroxybutanoic acid +3-hydroxypentanoic acid

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Question 29.
Which of the following is a biodegradable synthetic polymer ?
(a) Aliphatic polyesters
(b) PHBV
(c) Nylon-2-nylon-2
(d) All of these
Answer:
(a) Aliphatic polyesters

Question 30.
The monomers of biodegradable polymer, nylon 2-nylon 6 are
(a) glycine + adipic acid
(b) glycol + phthalic acid
(c) phenol + urea
(d) glycine + amino caproic acid.
Answer:
(d) glycine + amino caproic acid.

Question 31.
Few polymers are matched with their uses. Point out the wrong match.
(a) Polyesters – Fabric, tyre cords, safety belts
(b) Nylon 6 – Ropes, tyree cords, fabrics
(c) Bakelite – Packaging industry, lubricant
(d) Teflon – Oil seals, gaskets, non-stick utensils
Answer:
(c) Bakelite – Packaging industry, lubricant

Question 32.
Glyptal polymer is obtained by the following monomers,
(a) malonic acid + ethylene glycol
(b) phthalic acid + ethylene glycol
(c) maleic acid + formaldehyde
(d) acetic acid + phenol.
Answer:
(b) phthalic acid + ethylene glycol

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Question 33.
Mark the incorrect use of the polymer.
(a) High density – Buckets, pipes, polythene
(b) Nylon 6,6 – Ropes, bristles for brushes
(c) Orion – Synthetic wool, carpets
(d) Glyptal – Electrical swithches, combs
Answer:
(d) Glyptal – Electrical swithches, combs

Question 34.
Which of the following polymers of glucose is stored by animals ?
(a) Cellulose
(b) Amylose
(c) Amylopectin
(d) Glycogen
Answer:
(d) Glycogen

Question 35.
Which of the following is not a semi-synthetic polymer ?
(a) Cis-Polyisoprene
(b) Cellulose nitrate
(c) Cellulose acetate
(d) Vulcanised rubber
Answer:
(a) Cis-Polyisoprene

Question 36.
The commercial name of polyacrylonitrile is
(a) dacron
(b) orlon (acrilan)
(c) PVC
(d) bakelite
Answer:
(c) PVC

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Question 37.
Which of the following statements is not true about low density polythene ?
(a) Tough
(b) Hard
(c) Poor conductor of electricity
(d) Highly branched structure
Answer:
(b) Hard

Question 38.
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 15 Polymers 3
is a polymer having monomer units________
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 15 Polymers 4
Answer:
(a)

Question 39.
Which of the following polymers can be formed by using the following monomer unit ?
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 15 Polymers 5
(a) Nylon-6,6
(b) Nylon-2-nylon-6
(c) Melamine polymer
(d) Nylon-6
Answer:
(d) Nylon-6

Question 40.
Which of the following polymers, need atleast one diene monomer for their preparation ?
(a) Dacron
(b) Novolac
(c) Neoprene
(d) Teflon
Answer:
(c) Neoprene

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Question 41.
Which of the following polymers are used as fibre ?
(a) Nylon
(b) Polytetrafluoroethane
(c) Terylene
(d) Buna – S
Answer:
(a) Nylon

Bihar Board 12th Hindi 50 Marks Model Question Paper 1

Bihar Board 12th Hindi Model Papers

Bihar Board 12th Hindi 50 Marks Model Question Paper 1

समय 1 घंटे 37.5 मिनट
पूर्णांक 50

परीक्षार्थियों के लिए निर्देश

  1. परीक्षार्थी यथा संभव अपने शब्दों में उत्तर दें।
  2. दाहिनी ओर हाशिये पर दिये हुए अंक पूर्णांक निर्दिष्ट करते हैं।
  3. उत्तर देते समय परीक्षार्थी यथासंभव शब्द-सीमा का ध्यान रखें ।
  4. इस प्रश्न-पत्र को पढ़ने के लिए 7.5 मिनट का अतिरिक्त समय दिया गया है।
  5. यह प्रश्न-पत्र दो खण्डों में है-खण्ड-अ एवं खण्ड-ब ।
  6. खण्ड-अ में 25 वस्तुनिष्ठ प्रश्न हैं, सभी प्रश्न अनिवार्य हैं । (प्रत्येक के लिए 1 अंक निर्धारित है), इनका उत्तर उपलब्ध कराये गये OMR शीट में दिये गये वृत्त को काले/नीले बॉल पेन से भरें। किसी भी प्रकार के व्हाइटनर/तरल पदार्थ/ब्लेड/नाखून आदि का उत्तर पत्रिका में प्रयोग करना मना है, अथवा परीक्षा परिणाम अमान्य होगा। 6. खण्ड-ब में कुल 5 विषयनिष्ठ प्रश्न है। प्रत्येक प्रश्न के लिए 5 अंक निर्धारित है।
  7. किसी तरह के इलेक्ट्रॉनिक यंत्र का उपयोग वर्जित है।

खण्ड-अ

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न-संख्या 1 से 25 तक वसतुनिष्ठ प्रश्न हैं जिनके साथ चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें से एक सही है। अपने द्वारा चुने गये सही विकल्प को OMR शीट पर चिन्हित करें। (1 x 25 = 25)

निम्नलिखित वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के उत्तर दें:

प्रश्न 1.
महादेवी वर्मा का जन्म किस वर्ष में हुआ था ?
(a) 1950ई
(b) 1940ई.
(c) 1907ई
(d) 1951ई
उत्तर:
(c) 1907ई

प्रश्न 2.
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म किस वर्ष में हुआ था ?
(a) 1907ई
(b) 1917ई.
(c) 1940ई
(d) 1950ई.
उत्तर:
(a) 1907ई

Bihar Board 12th Hindi 50 Marks Model Question Paper 1

प्रश्न 3.
कविवर रवीन्द्रनाथ ठाकुर का जन्म किस वर्ष में हुआ था ?
(a) 1861ई
(b) 1761ई.
(c) 1661ई
(d) 1561ई.
उत्तर:
(a) 1861ई

प्रश्न 4.
रामधारी सिंह दिनकर का जन्म किस राज्य में हुआ था ?
(a) उत्तर प्रदेश
(b) बिहार
(c) उड़ीसा
(d) केरल
उत्तर:
(b) बिहार

प्रश्न 5.
सुमित्रानंदन पंत का जन्म किस राज्य में हुआ था?
(a) दिल्ली
(b) मध्य प्रदेश
(c) उत्तरांचल
(d) प. बंगाल
उत्तर:
(b) मध्य प्रदेश

प्रश्न 6.
इनमें से कौन-सी रचना प्रेमचंद की है?
(a) मंगर
(b) पूस की रात
(d) ठेस
(c) गौरा
उत्तर:
(b) पूस की रात

प्रश्न 7.
‘रहीम’ हिन्दी साहित्य के किस काल के कवि हैं ?
(a) आधुनिककाल
(b) आदिकाल
(c) भक्तिकाल
(d) रीतिकाल
उत्तर:
(d) रीतिकाल

प्रश्न 8.
हिन्दी साहित्य में कथा सम्राट इनमें से किसे कहा गया है?
(a) नागार्जुन
(b) रामवृक्ष बेनीपुरी
(c) प्रेमचंद
(d) फणीश्वर नाथ रेणु
उत्तर:
(c) प्रेमचंद

प्रश्न 9.
इनमें से आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी की कौन-सी रचना है :
(a) अशोक के फूल
(b) मंगर
(c) गौरा
(d) ठिठुरता हुआ गणतंत्र
उत्तर:
(a) अशोक के फूल

प्रश्न 10.
इनमें से ‘प्रकृति के सुकुमार कवि’ किस कवि को कहा जाता है?
(a) दिनकर
(b) नागार्जुन
(c) सुमित्रापंत
(d) रेणु
उत्तर:
(c) सुमित्रापंत

प्रश्न 11.
आँखों का तारा’ मुहावरे का अर्थ होता है
(a) अत्यंत प्रिय होना
(b) अत्यंत अप्रिय होना
(c) प्रियजन होना
(d) प्रियजन न होना
उत्तर:
(a) अत्यंत प्रिय होना

प्रश्न 12.
“दाँत काटी रोटी होना” मुहावरे का अर्थ होता है
(a) बहुत शत्रुता होना
(b) बहुत मित्रता होना
(c) प्रियजन होना
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) बहुत मित्रता होना

प्रश्न 13.
“पवित्र” शब्द का संधि-विच्छेद है
(a) पौ + इत्र
(b) प + इत्र
(c) पो + इत्र
(d) पा + इत्र
उत्तर:
(c) पो + इत्र

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प्रश्न 14.
“धर्मात्मा” शब्द का संधि-विच्छेद है-
(a) धर्म + आत्मा
(b) धर्म + दुरात्मा
(c) धरम + आत्मा
(d) धर्मा + आत्मा
उत्तर:
(a) धर्म + आत्मा

प्रश्न 15.
“राजा” शब्द का विलोम है
(a) प्रजा
(b) गुलाम
(c) रानी
(d) राजतंत्र
उत्तर:
(a) प्रजा

प्रश्न 16.
“अमृत” शब्द का विलोम है
(a) मीठा
(b) विष
(c) शहद
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) विष

प्रश्न 17.
“आँख” शब्द का पर्यायवाची शब्द है
(a) नेत्र
(b) नेत्रहीन
(c) अंजन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) नेत्र

प्रश्न 18.
“पृथ्वी” शब्द का पर्यायवाची शब्द है
(a) दिशा
(b) पाताल
(c) आसमान
(d) वसुन्धरा
उत्तर:
(d) वसुन्धरा

प्रश्न 19.
“जो व्याकरण जानता हो” इसके लिए एक शब्द है
(a) कवि
(b) वैयाकरण
(c) आचार्य
(d) विद्वान
उत्तर:
(b) वैयाकरण

प्रश्न 20.
“जो ईश्वर में विश्वास रखता है” इसके लिए एक शब्द है
(a) श्रद्धालु
(b) आस्तिक
(c) नास्तिक
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) आस्तिक

प्रश्न 21.
“लोक” शब्द का विशेषण है
(a) लौकिक
(b) अलौकिक
(c) पारलौकिक
(d) परलोक
उत्तर:
(a) लौकिक

प्रश्न 22.
“राज” शब्द का विशेषण है
(a) राजनीति
(b) राजकीय
(c) राजनीतिज्ञ
(d) अराजनीतिज्ञ
उत्तर:
(b) राजकीय

प्रश्न 23.
“काल” के कितने भेद होते हैं ?
(a) सोना-चाँदी
(b) दस
(c) बारह
(d) बीस
उत्तर:
(a) सोना-चाँदी

प्रश्न 24.
इनमें से द्रव्यवाचक संज्ञा कौन है ?
(a) तीन
(b) गंगा-यमुना
(c) सभा
(d) बुढ़ापा
उत्तर:
(a) तीन

प्रश्न 25.
इनमें से समूहवाचक संज्ञा कौन हैं ?
(a) कामधेनु गाय
(b) फर्नीचर
(c)सभा
(d) चतुराई
उत्तर:
(b) फर्नीचर

खण्ड-ब :

विषयनिष्ठ प्रश्न

विषयनिष्ठ प्रश्न कुल 25 अंकों का होगा।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से किसी एक का भवार्थ लिखिए :

(i) जो रहीम ओछी बढ़े, तो अति ही इतराई ।
प्यादा सों फरजी भयो टेढ़ो टेढ़ो जाइ ॥
उत्तर:
इस दोहे में कवि रहीम कहते हैं कि क्षुद्र लोग अपनी जरा-सी समृद्धि या विकास पर इठलाने लगता है । वे लोग शतरंज के प्यादों के समान हैं, जो मात्र फर्जी बनने पर ही टेढ़ी चाल चलने लगते हैं ।

अथवा,

(ii) जब गरजे मेघ, पपीहा बोले, बोले-डोले
गुलजारों में लेकिन काँटों की झाड़ी में,
बुलबुल का गान कहीं सुन्दर
तेरी मुस्कान कहीं सुन्दर ॥
उत्तर:
कवि श्रीमान गोपाल सिंह नेपाली जी कहते हैं कि प्रकृति का सौन्दर्य, मेघों के गरजने में, पपीहा की बोली में तथा बुलबुल के गानों में मिलते हैं । लेकिन मानव द्वारा लिखी गई कविताओं, गीतों और भजनों में जो कल्पनाएँ, स्वर, शब्द, संगीतमय मधूर आवाज और स्वाद मिलता है वह बहुत ही सुन्दर और महत्वपूर्ण होता है ।

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प्रश्न  2.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर अपने शब्दों में लिखिए  (5 x 1 = 5)

(i) प्रेमचन्द रचित कहानी ‘पंचपरमेश्वर’ के शीर्षक का सारांश लिखें।
उत्तर:
“पंच परमेश्वर” प्रेमचंद की प्रारंभिक कहानी है जिसमें जीवन सत्य का मार्मिक स्तर पर उद्घाटन हुआ है कि पंच के पद पर प्रतिष्ठित व्यक्ति जाति, धर्म, और सम्बन्धों से सर्वथा मुक्त न्याय के प्रति ही उत्तरदायी होता है।

इस कहानी में दो न्याय का दृश्य प्रस्तुत किया गया है । पहले दृश्य में जुम्मन शेख और उनकी बूढ़ी खाला सामने आती है । खाला जान ने अपनी मिलकियत जुम्मन शेख के नाम लिख दी थी । जब तक पत्र की रजिस्ट्री न हुई थी, तब तक खालाजान का खूब आदर-सत्यकार किया गया । उन्हें खूब सवादिष्ट पदार्थ खिलाए गए । लेकिन रजिस्ट्री की मोहर लगने पर इन खतिदारियों पर भी मुहर लग गई । अब जुम्मन शेख की पली करीमन रोटियों के साथ कड़वी बातों के कुछ तेज, तीखे सालन भी देने लगी और जुम्मन शेख भी निठुर हो गए।

खाला बिगड़ गई, उन्होंने पंचायत करने की धमकी दी जुम्मन मन-ही-मन हँसते हुए बोले, जरूर पंचायत करो फैसला हो जाए तो अच्छा है । मुझे भी रात-दिन को खटखट पसन्द नहीं ।

जुम्मन शेख को अपनी जीत की पूरी आशा थी क्योंकि वह जानते थे कि गाँव में उनके सभी ऋणी हैं कोई उनका शत्रु बनने की साहस नहीं करेगा । जुम्मन शेख की बूढी खाला ने गाँव के पंचायत में प्रत्येक व्यक्ति के सामने दु:ख के आँसू बहाकर अपनी पंचायत में आने की दावत दे दी थी।

संध्या समय एक पेड़ के नीचे पंचायत बैठी । शेख जम्मन ने फर्श बिछा रखा था, पान, इलायची, हुक्के, तम्बाकू आदि का प्रबन्ध भी किया था । पर अधिकांश दर्शक और निमंत्रित महाशयों में से केवल वे ही लोग थे जिन्हें जुम्मन शेख से अपनी कुछ कसर निकालनी थी।

पंच के सभी लोग आ गए थे, बूढ़ी खाला ने उनसे विनती कि-“पंचों, आज तीन साल हुए, मैंने अपनी जायदाद अपनी भांजे जुम्मन के नाम लिख दी । जुम्मन ने मुझे ता-हयात रोटी-कपड़ा देना कबूल किया था । साल भर तो मैने इसके साथ रो-धोकर काटा अब रात दिन का रोना नहीं सहा जाता । मुझे न पेट की रोटी मिलती है और न तन का कपड़ा” पंचों, तुम लोग ने मेरा दुःख सुन लिया है अब कोई राह निकाल दो ।

पंचों ने गंभीरता से खाला की बात सुनकर अलगू चौधरी को सरपंच चुन लिया और पंचायत की कार्रवाई आरंभ हो गई।

अलगू चौधरी, शेख जुम्मन के मित्र थे लेकिन सरपंच बनने के बाद सत्य का साथ दिया और यह फैसला सुनाया कि : “जुम्मन शेख । पंचों ने इस मामले पर विचार किया । उन्हें यह नीति-संगत मालूम होता है कि खाला जान को महावार खर्च दिया जाय । हमारा विचार है कि खाला कि जायदाद से इतना मुनाफा अवश्य होता है कि महाबार खर्च दिया जा सके। अगर जुम्मन को खर्च देना मंजूर न हो तो हिब्बानामा रद्द समझा जाए ।” यह फैसला सुनते ही जुम्मन सन्नाटे में आ गए । लेकिन सभी पंचों

यह फैसला सुनते ही जुम्मन सन्नाटे में आ गए । लेकिन सभी पंचों ने अलगू चौधरी की इस नीति परायणता की प्रशंसा जी खोल कर रहे थे। जुम्मन शेख, अब अलगू चौधरी का दुश्मन बन गया । इस अपमान का बदला लेने का अवसर पाने की प्रतीक्षा करने लगे थे।

कुछ ही महीने बाद पंचायत में अलगू चौधरी और समझू सेठ का झगड़ा सामने आ गया । अलगू चौधरी ने एक बैल समझ सेठ से बेचा था और दाम बाकी रह गया था । समझू सेठ बैल से कठिन परिश्रम लिया करता और दाने-चारे का अच्छा प्रबन्ध न किया था । बैल निर्बल होकर मर गया था । समझू सेठ बैल को अभागा कह रहा था जिसके कारण उसे बहुत हानि उठानी पड़ी थी इसलिए वह दाम चुकाने में सहमत न था ।

समझू उसे फेर लेने का आग्रह न करते । बैल की मृत्यु केवल इस कारण हुई कि उससे बड़ा कठिन परिश्रम लिया और दाने-चारे का अच्छा प्रबन्ध न किया गया ।”

यह फैसला सुनकर चारों ओर से “पंच-मरमेश्वर की जाय ।” की प्रतिध्वनी सुनी गई । अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति यह कह रहा था कि न्याय सही है। यह मनुष्य का काम नहीं, पंच में परमेश्वर वास करते हैं । यह उसी की महिमा है कि पंच के सामने स्पष्ट हो जाता है कि कौन खरा है और कौन खोटा है :

जुम्मन शेख ने अलगू चौधरी को गले लिपटा कर यह स्वीकार किया कि “भैया, जब से तुम ने मेरी पंचायत कि तब से मैं तुम्हारा प्राण-घातक शत्रु बन गया था । पर आज मुझे ज्ञात हुआ कि पंच के पद पर बैठ कर न कोई किसी का दोस्त होता और न दुश्मन । न्याय के सिवा उसे और कुछ नहीं सूझता है । वास्तव में पंच की जुबान से खुदा बोलता है ।

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(ii) रामधारी सिंह दिनकर का कवि-परिचय लिखिए ।
उत्तर:
श्री रामधारी सिंह दिनकर का जन्म सन् 1908 में बिहार के मुंगेर (वर्तमान बेगूसराय) जिले के सिमरिया गाँव में हुआ था । स्नातक स्तर की शिक्षा के बाद में उन्होंने पहले अध्यापन को अपनी आजीविका का साधन चुना और एक उच्च माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत रहे । देश के स्वतंत्र होने के बाद उन्होंने प्रचार विभाग में अवर-निबंधक तथा उपनिदेशक के पदों पर कार्य किया व कुछ समय तक बिहार विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष भी रहे । भागलपुर विश्वविद्यालय में कुलपति का पदभार भी उन्होंने कुछ समय तक संभाला। वे राज्यसभा के सदस्य भी मनोनीत किए गएं । उन्होंने भारत सरकार के हिन्दी सलाहकार के रूप में भी कार्य किया ।

रचनाए-दिनकर जी मूलतः कवि थे और मैथिलीशरण के बाद जनता उन्हें ही राष्ट्रकवि के रूप में जानती रही है । गद्य के क्षेत्र में भी हिन्दी साहित्य में उनका योगदान महत्त्वपूर्ण है । उन्होंने सांस्कृतिक व साहित्यिक विषयों के अतिरिक्त समसामयिक सामाजिक विषयों पर भी अपने विचारों को लेखनी के माध्यम से अभिव्यक्ति दी है । संस्कृति के चार अध्याय नामक पुस्तक पर उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ और उर्वशी नामक खंडकाव्य पर उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ । सन् 1974 में दिनकर जी का स्वर्गवास हो गया।

दिनकर जी के गद्य में कथ्य भले ही गंभीर हो परन्तु उनका कविरूप उनकी भाषा में अपना परिचय दे ही देता है । यही कारण है कि सारगर्भित विचारोत्तेजक निबंधों में भी भाषा की जीवंतता और प्रवाह कहीं खंडित नहीं होता । उनकी प्रमुख गद्य रचनाएँ हैं संस्कृति के चार अध्याय, मिट्टी की

ओर, शुद्ध कविता की खोज, साहित्य मुखी, काव्य की भूमिका, अध नारीश्वर आदि । उनकी प्रमुख काव्यकृतियों में रेणुका, हुंकार, रसवंती, कुरूक्षेत्र, रश्मिरथी, सामधेनी, उर्वशी, परशुराम की प्रतीक्षा, हारे को हरिनाम आदि सम्मिलित हैं।

साहित्यिक विशेषताएँ – ‘दिनकर’ ओजस्वी कवि के रूप में अधि क जाने जाते हैं । उनका गद्य राष्ट्रीयता और समाज प्रेम के भावों से

ओत-प्रोत है, उनका चिन्तन एकदम स्पष्ट है । इतिहास के अध्येता होने के कारण वे अपनी बात भारतीय इतिहास और भूगोल के माध्यम से व्यक्त करते हैं।

भाषा शैली – दिनकर की भाषा प्रखरता और ओज के लिए विख्यात है। उनके भावनात्मक निबंधों में उत्साह का सागर उमड़ता जान पड़ता है।

उनके गद्य में विषयवस्तु, शैली, विद्या और गद्य रूप की दृष्टि से पर्याप्त बैविध्य है । सामान्यतः उनका साहित्य, विशेषकर गद्य साहित्य, संबोधित साहित्य है । लेखक जानता है कि वह किसके लिए लिख रहा · है । उसकी रचनाएँ उस तक मनचाहे रूप में संप्रेषित हो जाती है । स्वभावतः दिनकर के साहित्य में एक प्रत्यक्षता और गरमाहट है।

प्रश्न  3.
निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर लिखिए (1 x 5 = 5)

(i) ‘गौरा’ रेखाचित्र की लेखिका का नाम लिखें।
उत्तर:
महादेवी वर्मा ।

(ii) संस्कृति के चार अध्याय’ के लेखक का नाम लिखें।
उत्तर:
रामधारी सिंह दिनकर ।

(iii) चलना है केवल चलना है, जीवन चलता ही रहता है-किस पाठ से उद्धत है ?
उत्तर:
जीवन का झरना ।

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(iv) ‘गोदान’ उपन्यास के लेखक का नाम लिखें।
उत्तर:
प्रेमचंद ।

(v) ‘गेंहू और गुलाब’ के रचयिता कौन हैं ?
उत्तर:
रामवृक्ष बेनीपुरी

(vi) गाय के नेत्रों में हिरन के क्षेत्रों जैसा पंक्ति विस्मय न होकर एक आत्मीय विश्वास ही रहता है । किस पाठ से उद्धत है ?
उत्तर:
गौरा ।

प्रश्न  4.
संक्षेपण करें : 5
शिक्षण कर्ण-वेध-संस्कार जैसा होता है । कर्ण-वेध के समय पीड़ा के भय से बालक सिर इधर-उधर न घुमाए, इसलिए मीठी बातों से उसका चित्त आकृष्ट करके सुई तरह चुभाते हैं कि उसे पीड़ा न मालूम हो, ठीक स्थान पर छेद ही जिससे कर्णाभरण ठीक से बैठ जाए और मुख्य की शोभा बढ़े । इसी तरह गुरुजन सत्यवचन से विद्या प्रदान करें, जिससे शिष्य को कष्ट न हो, ऐसा प्रतीत हो, माने उसे अमृत प्रदान करते हों । शिष्य भी विद्या-दाता को माता-पिता समझें, कभी उन्हें दुःख न पहुँचाएँ । इस प्रकार शिक्षण पाया हुआ मानव, जीवन में प्रकाश पाएगा और विकास कर सकेगा।
उत्तर:
शीर्षक-शिक्षक और छात्र । कर्णवेध संस्कार के समय बच्चे को पीड़ा का अनुभव नहीं हो इसके लिए मीठी-मीठी बातों में लगा उसका ध्यान आकृष्ट करके कान में सूई चुभाया जाता है । इसी तरह गुरुजन सत्यवचन से अमृतरूपी विद्या शिष्य को प्रदान करे ताकि उसे किसी प्रकार की उकुलाहट न हो । शिष्य भी गुरु को पितृवत् समझ कर उनका सम्मान करें ।

प्रश्न  5.
निम्नलिखित में से किसी एक पर निबंध लिखें :
(i) आपका प्रिय कवि
(ii) राष्ट्रीय एकता
(iii) पर्यावरण प्रदूषण
(iv) नारी सशक्तिकरण
(v) नशा-उन्मूलन
उत्तर:
(i) आपका प्रिय कवि आधुनिक हिन्दी काव्य में लोकप्रियता की दृष्टि से गुप्तजी का स्थान सर्वोपरि है । भारतीय जनता का जितना स्नेह, जितनी श्रद्धा गुप्तजी को मिली है वह अन्य किसी कवि को नहीं । इसका स्पष्ट कारण यही है कि गुप्तजी जनता के कवि हैं । जन-जीवन की भावनाओं को उन्होंने अपने काव्य में वाणी प्रदान की है । जनमानस की चेतना को उन्होंने अपनी रचनाओं द्वारा हमारे युग की समस्त समस्याओं और मान्यताओं का सच्चाई के साथ प्रतिनिधित्व किया है, उनके काव्यों में राष्ट्रीय जागरण का महान उद्घोष है, हमारे सामाजिक जीवन के आदर्शों का निरूपण है, देश-प्रेम के सौन्दर्य की झलक है । परिवर्तन की पुकार और राष्ट्र जीवन को ऊँचा उठाने की प्रेरणा है । प्राचीन आदर्शों की पृष्ठभूमि में गुप्तजी ने नवीन आदर्शों के महल में खड़े किए हैं। उनकी रचनाओं में प्राचीन आर्य सभ्यता और सांस्कृति की मधुर झंकार है । मानवता के संगीत का पुंज है । उनका साहित्य, जीवन का साहित्य है, उनकी कला, कला के लिए न होकर जीवन के लिए है, देश के लिए है । इसलिए तो गुप्तजी हमारे प्रिय कवि हैं।

हिन्दी के इस युग-प्रवर्तक कवि का जन्म सन् 1943 को चिरगाँव, जिला झाँसी में हुआ था। बचपन से ही मैथिलीशरण जी की प्रकृति काव्य की ओर उन्मुख हुई । टूटी-फूटी रचनाएँ बनाने लगे । आगे चलकर पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी के सम्पर्क में आए और उनकी कविताएँ सरस्वती पत्रिका में छपने लगी। द्विवेदीजी की छत्रछाया में उनकी काव्य प्रतिभा निरन्तर विकसित होती गई । तब से लेकर अन्त तक गुप्तजी साहित्य-साध ना के साथ-साथ आन्दोलनों में भी सक्रिय भाग लिया था । अनेक बार उन्हें जेल की यात्रा करनी पड़ी थी । महात्मा गाँधी गुप्तजी का बड़ा आदर करते थे।

गुप्तजी आचार-विचार, व्यवहार, वेशभूषा सभी से पूर्णतः स्वदेशी थे। अपने देश से, देश की संस्कृति से, उसकी गौरवमयी परम्पराओं और आदर्शों से गुप्तजी को बड़ा प्रेम था । भारतीय आर्य संस्कृति में गुप्तजी की बड़ी निष्ठा थी । गुप्तजी का स्वभाव बड़ा मधुर, सरल और शांत था । विनय और श्रद्धा तो अनेक व्यक्तित्व में जैसे साकार हो उठी । उनका यही व्यक्तित्व उनके काव्य में दिप्तीमान हुआ है। उनके निश्छल निरीह, स्वच्छ व्यक्तित्व की ही भाँति उनका काव्य किसी भी रहस्य से शून्य, बड़ा स्पष्ट और स्वच्छ है।

गुप्तजी का काव्य-क्षेत्र बहुत व्यापक है राष्ट्र-प्रेम, समाज-सेवा, राम-कृष्णा, बुद्ध सम्बन्धी पौराणिक आख्यानों एवं राजपूत, सिक्ख और मुस्लिम प्रधान ऐतिहासिक कथाओं को लेकर गुप्तजी ने लगभग चालीस काव्य ग्रन्थों की रचना की हैं। इनमें से साकेत, पंचवटी, द्वापर, जयद्रथ वध, यशोधरा, सिद्धराज आदि उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं । साकेत द्विवेदी युग का सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य है । मंगला प्रसाद पारितोषिक द्वारा यह महाकाव्य सम्मानित हो चका है।

काव्य कृतियों की भाँति गुप्तजी के काव्य का भाव क्षेत्र बड़ा विराट है। विधवाओं की करुण दशा, ग्राम सुधार, जाति बहिष्कार, अछूतोद्धार, हिन्दू-मुस्लिम ऐक्य, जनतंत्रवाद, सत्य-अहिंसा की गाँधीवादी नीति आदि सभी विषयों पर गुप्तजी ने सुव्यवस्थित और गम्भीर विचार प्रकट किए हैं। सत्य तो यह है कि गुप्तजी से युग की कोई प्रवृति अछूती नहीं रही । राष्ट्रीयता की दृष्टि से गुप्तजी ने सभी संस्कृतियों के प्रतीक काव्य लिखे हैं । इसी रूप में गुप्तजी हमारे राष्ट्रीय कवि हैं।

गुप्तजी का प्रबन्ध सौष्ठव श्लाघनीय है । उनके सभी पात्र मानव जीवन की किसी न किसी समस्या का प्रतिनिधित्व अवश्य करते हैं। उनके आदर्श पात्रों पर राष्ट्रीयता, समाज-सेवा, विश्व-बन्धुत्व और लोक-कल्याण की भावना का स्पष्ट प्रभाव है । अपनी पैनी दृष्टि से गुप्तजी ने पात्रों के हृदय का सूक्ष्म निरीक्षण किया है । उन्होंने मानव हृदय की उन अनुभूतियों को अपनी रचनाओं में स्थान दिया है जो मानव कल्याण के लिए प्रेरणादायक है।

गुप्तजी की रचनाओं में शृंगार, करुण, शान्त, वात्सल्य तथा वीर रस का अच्छा परिपाक हुआ है । गुप्तजी का शृंगार रस सरस होते हुए भी मार्यादित है। वियोग वर्णन में तो गुप्तजी ने अपनी सारी कोमलता, भावुकता और सरस कल्पनाएँ उड़ेल कर रख दीं । अलंकारों के सहज सौन्दर्य से तो गुप्तजी की कविता कामिनी का सौन्दर्य द्विगुणित हो गया है। छन्द योजना पर भी गुप्तजी का व्यापक प्रभाव है । भाषा की दृष्टि से गुप्तजी के काव्य का अनन्य महत्त्व है। इनका काव्य खड़ी बोली भाषा का रूप इतिवृतात्मक और कलाशून्य है। परन्तु ज्यों-ज्यों गुप्तजी की काव्य साधना विकास को प्राप्त होती गई है, त्यों-त्यों उनकी भाषा भी मँजती गई है । सब कुछ मिलाकर गुप्तजी का साहित्य निश्चय ही महान है। उन्होंने अबतक जो कुछ लिखा है, वह भारत का अभिनव शृंगार है, उनकी शेष साहित्य-सृजन का मूल्यांकन भविष्य करेगा।

अतः हमारे इस प्रिय कवि ने अपनी साहित्य-साधना द्वारा राष्ट्र के नव-निर्माण की सांस्कृतिक चेतना को उज्ज्वल बनाया है।

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(ii) राष्ट्रीय एकता – राष्ट्रीय एकता और अखण्डता की नींव पर ही किसी राष्ट्र का भवन निर्मित हो सकता है। भारत जैसे राज्य के लिए जिसने अथक और निरन्तर प्रयत्नों के फलस्वरूप आजादी हासिल की है, यह प्रश्न और भी अधिक महत्त्वपूर्ण है । भावात्मक एकता राष्ट्रीय एकता की जड़ है और भावात्मक एकता की जड़ों का सिंचन सांस्कृतिक एकता के द्वारा होता है। सांस्कृतिक एकता के लिए अनिवार्य है भाषागत एकता । सच तो यह है कि भाषा केवल शब्दों का समूह नहीं है, बल्कि पारस्परिक सहयोग को पैदा करनेवाले विचारों का जादू है । इसमें वह रस मिलता है जो सुरापान के समान है और जो मनुष्य में एकता का नशा ला देता है । भाषा मानवीय एकता का एक प्रमुख माध्यम है और फलतः राष्ट्रीयता के विकास में एक प्रमुख तत्व । भारत में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं-असमिया, बंगला, उड़िया, तमिल, तेलगु, कन्नड़, और मलयालम, गुजराती, मराठी, उर्दू, पंजाबी, सिन्धी और कश्मीरी । स्वतन्त्रता के पूर्व-इन सभी भाषाओं ने

योगदान किया था । स्वतन्त्रता के बाद आज देश के सामने सबसे बड़ा सवाल है-उसकी रक्षा करना-जिसकी सबसे पहली शर्त है-राष्ट्रीय एकता । – आज भारत संक्रान्ति काल में गुजर रहा है । क्षेत्रवाद का दानव अपना विकराल रूप दिखा रहा है । सर्वधर्मसमभाव का अभाव और प्रादेशिक पूर्वाग्रह सुरसा-मुख बनाने जा रहा है । ठीक है कि ऐतिहासिक रूप से भारत में प्राचीन काल से ही क्षेत्रीय समुदायों का वैविध्य रहा है, परन्तु इस विविधता के बावजूद भारत सदैव एक सांस्कृतिक कुल के रूप में प्रतिष्ठित रहा है।

भारतीय विचारकों ने इस तथ्य पर विशेष बल दिया है कि अपनी व्यापक संरचना के अन्तर्गत क्षेत्रीय विविधता को स्वीकार करने की क्षमता ही भारतीय संस्कृति की अखण्डता के नैरन्तर्य का मूल कारण है । ब्रिटिश साम्राज्यवाद ने भारतीय जन-जीवन की सर्वनिष्ठता की आधारशिला को क्षत-विक्षत कर दिया था, साथ ही, विभाजन और शासन करो की नीति के अन्तर्गत भारत के पूरे भूगोल को उन लोगों ने घृणित कर दिया । भारत से पाकिस्तान का जो विभाजन हुआ उसका दर्द अनुभव कर पाना सहज नहीं है । भारतरूपी सचेतन और सप्राणवान शरीर से एक जीवन्त अंग काट कर पाकिस्तान बनाया गया ।

आवश्यकता है कि राष्ट्रीय एकता को टूटने से बचाने के लिए क्षेत्रवाद की भावनाओं को सीमित किया जाए। इसके लिए सरकार को चाहिए कि अखिल भारतीय स्तर पर योजनाएँ बनाकर गरीबी और बेरोजगारी जैसे प्रश्नों का समाधान ढूँढे । भाषा और संस्कृति के प्रश्नों पर भी समुचित ध्यान दें। राज्य सरकारों को राष्ट्रीय विकास के संदर्भ में अपने प्रान्त के भीतर विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए समुचित प्रोत्साहन एवं साधन दिए जाएँ । भारतीय संघवाद को कठोरता के साथ-साथ नमनीयता के सिद्धान्त का भी समादर करना चाहिए ।

सम्प्रदायवाद किसी भी राष्ट्र के विभाजन का मूल कारण है । सम्प्रदायवाद की पेंदी में धर्म का लेप लगा होता है । सम्प्रदायवाद विभिन्न समुदायों के मध्य कटुता और विरोध को जन्म देता है तथा धर्म का शोषण करता है और सत्ता राजनीति का कुचक्र तैयार करता है । परिणाम यह होता है कि एक ही राज्य और राजनीतिक व्यवस्था के अधीन बसे हुए लोग छितराए से प्रतीत होते हैं। इसके बाद आती है सांस्कृतिक गिरावट-जो एक अलग अस्तित्व की पहचान ढूँढ़ती है। भारत का संविधान धर्म-निरपेक्ष है। भारत का अपना कोई सरकारी अथवा राष्ट्रीय धर्म नहीं है किन्तु देश के भीतर विभिन्न सम्प्रदाय राष्ट्रीय एकता के लिए विघटन का कार्य कर रहे हैं। सभी सम्प्रदायों द्वारा अपने-अपने धर्मों को एक दूसरे पर थोपने की कोशिश जारी है । क्षुद्र राजनीतिक स्वार्थी लोग के नाम पर साम्प्रदायिकता को उकसाते रहते हैं।

आजादी के पश्चात हम जिस मानसिकता से ग्रस्त रहे हैं, उसका वास्तविक व्यंग्य रहा है कि हम अन्तर्राष्ट्रीय होकर राष्ट्रीय समस्याओं से विमुख होते गए । राष्ट्रीय चेतना के तत्व-धर्म-दंश से हम मुक्त नहीं करा सके हैं। भारत को आजाद कराने के लिए जाति, धर्म और क्षेत्र से हट कर अंग्रेजों को भारत से भगाने का संकल्प था, किन्तु आज लगता है कि राष्ट्र की समस्याओं के प्रति हमारा कोई संकल्प ही नहीं है और धर्म, जाति

तथा क्षेत्र की संकीर्ण मानसिकता से हमारी व्यवस्था भोथरा गयी है-जिसे एक नए संदर्भ की तलाश है । सांस्कृतिक चेतना राष्ट्रीय न होकर क्षेत्रीय रूप में विकसित हो रही है। .
राष्ट्रीय एकता और अखण्डता के सम्बन्ध में एक विचारणीय तत्त्व – है-भाषा । भावात्मक एकता हो या राष्ट्रीय एकता, उसका माध्यम भाषा

ही होगी । भाषा का सीधा सम्बन्ध सम्प्रेषीयता से है । भारत एक बहुभाषी राज्य है । आजादी के बाद भाषा की समस्या उभर कर सामने आयी । भाषायी सामंजस्य स्थापित करने के लिए हिन्दी को राजभाषा घोषित किया गया है । अंग्रेजी को सम्पर्क भाषा का दर्जा दिया गया है किन्तु पूरे देश में अंग्रेजी के जाननेवाले कितने हैं-लगभग तीन प्रतिशत । हिन्दी के जाननेवालों की संख्या सर्वाधिक अर्थात 42% से अधिक है । अतः आवश्यकता है एक सर्वज्ञेय भाषा की, जो पूरे राष्ट्र की अभिव्यक्ति को अपने गर्भ में रख सके । भारत की सामूहिक चेतना ही राष्ट्रीय एकता की – आधारभूमि है।

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(iii) पर्यावरण प्रदूषण – मानव के बौद्धिक विकास और सुव्यवस्थित जीवन के लिए संतुलित वातावरण का होना नितान्त आवश्यक माना गया है। संतुलित वातावरण में प्रत्येक घटक एक निश्चित अनुपालन में कार्य करता है । वातावरण में किसी घटक की अधिकता या अल्पता प्राणियों के लिए हानिकारक है । इसे ही प्रदूषण कहा गया है । प्रदूषण हवा, जल एवं स्थल की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक विशेषताओं का वह अवांछनीय परिवर्तन है, जो मनुष्य एवं उसके लिए लाभदायक अन्य, जन्तुओं, पौधे,

औद्योगिक संस्थानों आदि को विशेष रूप से क्षति पहुँचाता है। – जहाँ भी मानव ने प्राकृतिक नियमों का उल्लंघन कर वातावरण में किसी तरह का परिवर्तन जाने या अनजाने लाने का प्रयास किया है, वहाँ पर्यावरण दूषित हुआ है । विस्तृत अर्थ में दूषित हो रही हवा, पानी, मिट्टी, मरुभूमि, दलदल, नदियों, का उफनकर बहना और गर्मी में सुख जाना, जंगलों को काटने से लेकर पेयजल का संकट, गन्दे पानी का उचित रूप

से निकास न होना आदि पर्यावरण के अन्तर्गत आते हैं। – ज्ञान-विज्ञान का विकास और जनसंख्या की वृद्धि के साथ-साथ स्वच्छता की समस्या प्रादूर्भूत हुई है । बड़े-बड़े नगरों में नालियों के गन्दे पानी, मल-मूत्र, कारखानों की राख, रासायनिक गैसें अधिक मात्रा में निकलती हैं, फलतः हवा-जल और पृथ्वी स्थित सभी जीव-जन्तु प्रदूषण से प्रभावित होते हैं । संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि विश्व के सभी देश अपने कोयला भंडारों का दोहन करेंगे तो जलवायु में एक अद्भुत नाटकीय परिवर्तन होगा । वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में अत्यधिक वृद्धि हो जाएगी जिसका खाद्य उत्पादन और प्राणी-सृष्टि पर प्रातिकूल प्रभाव पड़ेगा। जलवायु अधिक नमीयुक्त, उष्ण और मेघाच्छन्न हो जाएगी । कार्बन डाइऑक्साइड के कारण अधिक-से-अधिक तापमान में दो सेन्टीग्रेड की वृद्धि होगी, जो भूमि को कृषि के लिए अनुपयुक्त बना देगी अर्थात् सारी भूमि ऊसर बन जाएगी ।

प्रदूषण के निम्नलिखित प्रकार हैं-
(क) पर्यावरण प्रदूषण
(ख) जल प्रदूषण
(ग) स्थलीय प्रदूषण
(घ) रेडियोधर्मी प्रदूषण
(ड) ध्वनि प्रदूषण ।

पर्यावरण प्रदूषण – पर्यावरण को प्रदूषण करने में मोटर वाहनों की भूमिका सर्वाधिक है । ये नगरों के वातावरण को दूषित कर रहे हैं । मोटर वाहनों से निकलनेवाला धुआँ विषैला होता है यह विषैला धुआँ पर्यावरण को प्रदूषित करता है । एक सामान्य व्यक्ति को दिनभर साँस लेने के लिए 14000 लीटर शुद्ध ऑक्सीजन की जरूरत है और 1000 किमी. चलने के | लिए मोटरकार को भी उतनी ही ऑक्सीजन की जरूरत होती है । अत:

वैज्ञानिक ने चेतावनी दी है कि प्रदूषण के कारण पृथ्वी का वायुमण्डल गर्म | होता जा रहा है और यदि गर्मी 3.5 सेन्टीग्रेड तक पहुँच गयी तो उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुवों की बर्फ पिघलने लगेगी और सारी पृथ्वी जलमग्न हो जाएगी।

इसके अलावा बड़े-बड़े नगरों में कारखानों की बड़ी-बड़ी चिमनियाँ काले एवं भयंकर धुआँ उगलती रहती हैं जो प्राणियों के लिए एक भयानक संकट उत्पन्न कर रही हैं।

जल प्रदूषण – औद्योगिक नगरों में बड़े पैमाने पर दूषित पदार्थ नदियों में प्रवाहित किए जा रहे हैं, जिससे उसका पानी इस योग्य नहीं रह गया है कि उसका उपयोग किया जा सके । इससे तलीय जन्तुओं पर भी खतरा उत्पन्न हो रहा है। पानी को कीटाणुरहित बनाने के लिए रसायनों का प्रयोग किया जाता है, जिसमें डी. डी. टी. प्रमुख है, लेकिन डी. डी. टी. का प्रयोग कितना हानिप्रद प्रमाणित हुआ है कि इसके उत्पादन पर भी अब रोक लगाने की बात की जाने लगी है।

स्थलीय प्रदूषण-जनसंख्या की लगातार वृद्धि के फलस्वरूप खाद्य पदार्थ की माँग में अत्यधिक वृद्धि हुई है । पौधों को चूहों, कीटाणुओं तथा परजीवी कीड़ों से रक्षा के लिए रासायनिक पदार्थ का उपयोग किया जाता है। इनमें से अधिकांश पदार्थ मिट्टी में मिलकर भूमि को दूषित करते हैं

और भूमि की उत्पादन क्षमता में कमी लाते हवा में विसर्जित प्रदूषण तत्त्व सोखने वाले और अवांछनीय ध्वनि का शोषण करके शोर की तीव्रता को कम करनेवाले वृक्षों के उन्मूलन किए जाने से हमारे स्वास्थ्य पर घातक प्रभाव पड़ रहा है। इस प्रकार, वायुमण्डल में व्याप्त दोहरा प्रदूषण मानव पर हावी होता जा रहा है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण – वर्तमान वैज्ञानिक युग में परमाणु बम बिस्फोट परीक्षणों से वायुमंडल में जो विस्फोट के द्वारा इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रॉन, अल्फा, बीटा किरणें आदि प्रवाहित होती हैं, जिनके कारण कभी-कभी जीन्स तक में परिवर्तन आ जाता है । द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् इसका प्रत्यक्ष प्रभाव देखा गया है।

ध्वनि प्रदूषण-विभिन्न प्रकार के परिवहन, कारखानों के सायरन, मशीन चलने से उत्पन्न शोर आदि के द्वारा ध्वनि प्रदूषण होता है । ध्वनि की तरंगें जीवधारियों की पाचनशक्ति को प्रभावित करते हैं । अधिक तीव्र ध्वनि सुनने से रात में नींद नहीं आती है और कभी-कभी पागलपन का रोग पैदा कर देती है।

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या आज विश्व के सामने एक भयंकर समस्या बनकर उपस्थित है । यदि पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोका नहीं गया तो शीघ्र ही वर्तमान सृष्टि समाप्त हो जायेगी । इसके लिए आवश्यक है कि पेड़-पौधे हानिकारक गैसों को ही नहीं, अपितु स्थलीय एवं ध्वनि-प्रदूषण को भी रोकते हैं और यह हमें साँस लेने के लिए पर्याप्त मात्रा में शुद्ध ऑक्सीजन प्रदान करते हैं । अतः, बड़े पैमाने पर नए वन लगाने, भू-संरक्षण के उपाय करने और समुद्र के तटवर्ती क्षेत्रों में ‘रक्षा कवच’ लगाने की आवश्यकता है।

विश्व के कुछ विकसित देशों, जैसे-अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस आदि में प्रदूषण रोकने के लिए महत्त्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं । कारखानों से निकलनेवाले धुएँ को रोकने के लिए चिमनियों में ऐसे यंत्र लगाए गए हैं जिनसे घातक गैसों और धुएँ को वहीं कार्बन के रूप में रोक लिया जाता है। बेकार रासायनिक पदार्थों को नदियों में बहाने के बदले अन्य तरीकों से नष्ट किया जाता है । वाहनों से निकलनेवाली गैसों पर नियंत्रण करने के लिए उनमें फिल्टर का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है । आणविक विस्फोट पर भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध लगाने पर विचार विमर्श जारी है और साथ ही वैकल्पिक ऊर्जा की उपयोगिता की ओर अत्यधिक ध्यान दिया जा रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण आज मानव अस्तित्व के लिए जटिलतर चुनौती बन गया है। यदि इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो 20-30 वर्षों में यह ध रती तपती रेत के सागर में विलीन हो जाएगी। इसलिए विश्व के प्रत्येक नागरिक का यह परम कर्तव्य हो गया है कि प्रदूषण के बचाव कार्य में सहयोग दे और इस सृष्टि की रक्षा करें ।

Bihar Board 12th Hindi 50 Marks Model Question Paper 1

(iv) नारी संशक्तिकरण – हमारे देश भारत में नारी को देवी, श्रद्धा, अबला जैसे संबोधनों से संबोधित करने की परंपरा बहुत पुराने समय से चली आ रही है । इस तरह के संबोधन अथवा विशेषण जोड़कर हमने उसे एक ओर पूजा की वस्तु बना दिया तो दूसरी ओर अबला के रूप में उसे भोग्या एवं चल सम्पति बना दिया । नारी का रूप शक्ति का भी है। हम यह भूल जाते हैं कि नारी मातृ-सत्ता का नाम है, जो हमें जन्म देती है, पालती है तथा इस योग्य बनाती है कि हम अपने जीवन में कुछ महत्त्वपूर्ण कार्य कर सकें। – व्यक्ति को

है । यही तो उसका राष्ट्रनिर्माण में योगदान है। भारत के निर्माण में नारी-शक्ति की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। गार्गी, गौतमी, काल्यानी आदि नारियों के नाम क्या भुलाए जा सकते हैं ? आर्यावर्त जैसे वृहद् राष्ट्र के निर्माण में निश्चित रूप से इन नारियों का विशिष्ट योगदान रहा । यही कारण है कि आज भी ऐसी नारियों को आदरणीया एवं प्रात:स्मरणीया समझा जाता है।

वैदिक काल के पश्चात् पौराणिक काल में भी कई ऐसे नाम मिलते हैं, जिन्होंने राष्ट्रनिर्माण में अपना योगदान किया । महाराज दशरथ के युद्ध के अवसर पर उनके सारथि के रूप में कार्य करने वाली कैकेयी को हम कभी नहीं भूला सकते, जिसके रथ के पहिए की कील निकल जाने पर अपनी अंगुली को कील की जगह पर ठोक दिया था । क्या यह राष्ट्र-रक्षा हेतु राष्ट्रनिर्माण का कार्य नहीं है ? ऐसा करके कैकेयी ने अपने पति को रण से विमुख नहीं होने दिया ।

मध्य काल में भी ऐसी नारियों की कमी नहीं रही, जिन्होंने अपना सर्वस्व राष्ट्रहित के लिए अर्पित कर दिया । रजिया बेगम, चाँद बीबी, जीजाबाई, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, अहिल्याबाई आदि कई नाम गिनाए जा सकते हैं। – आधुनिक काल में स्वतंत्रता-संघर्ष के दिनों में भी राजकुमारी अमृताकौर, सरोजिनी नायडू, अरुणा आसफ अली, विजयलक्ष्मी पंडित, आजाद हिन्दफौज की नारी-पल्टन की कैप्टन लक्ष्मी एवं क्रांतिकारियों को सहयोग देने वाली अनेक नारियाँ भारत में अवतरित हुई; जिन्होंने राष्ट्रनिर्माण के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया ।

“आज हमारा देश जिस दौर से गुजर रहा है, उसमें भारतीय नारी अपना महत्त्वपूर्ण योगदान कर रही हैं । कभी वह समय था, जब नारी का क्षेत्र शिक्षिका या नर्स बन जाने तक ही सीमित था, किन्तु आज वह हर क्षेत्र में सक्रिय है । वह अपने घर-परिवार के साथ-साथ समाज एवं राष्ट्र के प्रति अपने दायित्व को निभाने में भी पूर्णतया सजग हैं । इतना सब होने पर भी यह खेद का विषय है कि देश का तथाकथित प्रगतिशील पुरुष वर्ग अभी तक भी नारी के प्रति अपने परंपरागत दृष्टिकोण को पूरी तरह से बदल नहीं पाया। वह आज भी उसे भोग्या समझता है । वह उसकी कोमलता से अनुचित लाभ उठाने का प्रयास करता रहता है । आज इस बात की आवश्यकता है कि पुरुष समाज नारी को मुक्तभाव से निर्भय होकर कार्य करने का अवसर प्रदान करें।

यह एक प्राकृतिक तथ्य है कि नारी कोमल-कांत होने के साथ-साथ अपने स्वभाव में अधिक कर्मठ एवं सहनशील हुआ करती है । उसमें धैर्यभावना अधिक रहती है । इसलिए राष्ट्र-निर्माण के कार्यों में वह पुरुषों की अपेक्षा अधिक सहायक सिद्ध होने में समर्थ है।

आज आवश्यकता इस बात की है कि नारी-शिक्षा का अधिकाधिक विकास करके उसकी क्षमताओं को विकसित किया जाए । ऐसा होने पर राष्ट्रनिर्माण में वह पुरुषों से भी अधिक सहायक सिद्ध हो सकती है। –

(v) नशा – उन्मूलन-भगवान बुद्ध ने अपने शिष्यों को कहा था-‘जिस राज्य में मदिरा आदर प्राप्त करेगी, वहाँ दुर्भिक्ष पड़ेंगे, औषधियाँ निष्फल होंगी और विपत्तियों के बादल मँडराएँगे।’ अंग्रेजी के प्रसिद्ध साहित्यकार मिल्टन का कथन है-‘संसार की सारी सेनाएँ मिलकर इतने मानवों और इतनी संपत्ति को नष्ट नहीं करतीं, जितनी शराब पीने की आदत ।’ – मंदिरापान की बुराइयाँ अनंत हैं । विज्ञान कहता है, बड़े-बूढ़े कहते हैं, वेदशास्त्र कहते हैं, ग्रंथ-कुरान सभी कहते हैं कि मद्यपान करना बुरा है । हमारी प्रयोगशालाएँ भी प्रयोग के आधार पर कहती हैं कि शराब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।

विचारकों और महात्माओं का कहना है कि शराब हमारे चरित्र को भ्रष्ट करती है, हमें व्यसनी बनाकर बेकार कर डालती है, हमारी आध्यात्मिक चेतना को रुद्ध कर देती है । साहित्यकारों ने अपने ढंग से यह उक्ति कही है कि हम शराब नहीं पीते, शराब हमें पी डालती है । स्वास्थ्य-विभाग भी बढ़-चढ़ कर प्रचारित करता है-‘शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।’ फिर भी सरकार मदिरा को बंद नहीं करती । बल्कि हर गाँव में, हर बस अड्डे पर, हर सार्वजनिक स्थल पर शराबघर मिल जाएंगे और मोटे अक्षरों में लिखा होगा-‘एक आदमी दो बोतलें ले जा सकता।’ इससे बढ़कर अधिक चरित्र का दिवालियापन और क्या हो सकता है।

शराब सबसे पहले मनुष्य के चरित्र पर हमला करती है । शराबी व्यक्ति नकारा हो जाता है । शराब पीते ही वह ऊल-जलूल बकने लगता है । कभी-कभी तो वह नशे की अवस्था में घोर अपमानजनक, अश्लील, तथा अभद्र हरकतें भी करने लगता है । बदले में उसे मिलता है अपमान, घृणा, उपहास और तिरस्कार । शराबी का पारिवारिक जीवन भी अशांत तथा क्लेशपूर्ण हो जाता है । घर के सभी सदस्य उससे घृणा करने लगते हैं । बदले में वह उन्हें पीड़ा देता है । रोज झगड़े होते हैं ।

सामाजिक दृष्टि से शराब नपुंसकता पैदा करती है । जब लोग दुराचारी और काहिल होते हैं, तो समाज कोई नई करवंट नहीं ले पाता । अधिकांश वाहन-दुर्घटनाओं, बलात्कारों आदि का कारण नशा होता है । इसीलिए महात्मा गाँधी ने कहा था-‘यदि मैं एक घंटे के लिए भी भारत का सर्वशक्तिमान शासक बना दिया जाऊँ तो पहला काम जो मैं करूँगा, वह यह होगा कि तुरन्त तमाम मदिरालयों को बिना कोई मुआवजा दिए बंद कर दूंगा ।’

शराब अन्य व्यसनों की भी जननी है । जुआ, वेश्यागमन आदि दुराचार शराब की बूंट पीने के बाद प्रारम्भ होते हैं। – प्रश्न उपस्थित होता है कि पराब के इन सारे अभिशापों के बाद भी भारत में नशाबंदी लागू क्यों नहीं हो पाई । इसका मूल कारण है-हमारे नेतृत्व में पंगुता, दिशाहीनता और चरित्रहीनता । जो नेता स्वयं मंदिरा की बोतल के लालच में अपनी कुर्सी पक्की करता हो, वह कैसे मद्यपान-निषेध कर सकता है ? हमारे देश की समस्त अफसरशाही आज भ्रष्टाचार के टीले पर बैठी है और दुर्भाग्य से हर भ्रष्टाचार का रास्ता इसी शराब की बोतल में से खुलता है । अफसरशाही को प्रसन्न करने के लिए मनाए गए हर जश्न में यही मंदिरा उनकी आँखों में मद भरती है । यही कारण है कि स्वार्थ-लिप्सा में अंधी राजनीति उस घोषित बुराई को अब तक पाले हुई है।

नशाबंदी के विरोध में यह तर्क दिया जाता है कि इससे सरकारी आय में वृद्धि होती है । यह तर्क कितना भ्रष्ट है । लोगों को पतन के गड्ढे

में गिराकर धन कमाना दिननीय पाप है । फिर, शराब पीने के कारण जो झगड़े, दंगे और दुर्घटनाएं होती हैं, उन पर करोड़ों रुपयों का खर्च होता है । सामाजिक वातावरण में जो प्रदूषण होता है, उसकी बात ही अलग है । मद्यपान के पक्ष में एक तर्क यह दिया जाता है कि शराब पीकर क्षर-भर के लिए दुःख दर्द भुलाए जा सकते हैं । संभव है, इसमें कुछ सच्चाई हो । किन्तु नशे की हालत में शराबी जो दुःख दर्द औरों को देता है, उसका क्या होगा ? एक दुःख से बचने के लिए और दुःखों में डूबना कहाँ की समझदारी है ?

नशे के पक्ष में एक तर्क यह दिया जाता है कि इससे मनुष्य की ऊर्जा दुगुनी हो जाती है । परन्तु यह क्षणिक सत्य है । प्रयोगशालाओं ने सिद्ध किया है कि शराब पीने से मनुष्य की ऊर्जा के सभी स्रोत मंद पड़ने लगते हैं । शराब के पक्ष में चौथा तर्क यह है कि सर्दी से बचने के लिए यह अचूक औषधि है । हाँ, ठंडे प्रदेशों में यह बात सच है । परन्तु हमारे गर्म देश में तो यह केवल व्यसन है, औषधि नहीं । यहाँ के लोग शराब का सेवन नशे या फैशन के लिए करते हैं । इसलिए भारत में मद्यपान हर दृष्टि से पाप है।

मद्यनिषेध-तभी संभव है, जबकि देश की सरकार इसके लिए पूरी तरह तैयार हो । अभी तो राजनीति के द्वार मदिरा की बोतल से खुलते हैं। अतः राजनेताओं से इसकी अपेक्षा करना असंभव है । यदि भविष्य में कोई गाँधी जैसा सबल राष्ट्रनेता या विवेकानंद-दयानंद जैसा सशक्त समाज-सुध रक जन्मा तो कुछ सुधार होना संभव है । वास्तव में शराब पीना सामाजिक बुराई है । इसे सामाजिक जनजागरण और हृदय-परिवर्तन से दूर किया जा सकता है । इसके लिए कलाकारों और साहित्यकारों को महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी पड़ेगी । यदि कवि-लेखक और निर्माता शराब की बुराइयों पर आधारित कविताओं, लेखों और फिल्मों का निर्माण करें तो यह बुराई काफी हद तक दूर हो सकता है ।

Bihar Board 12th Hindi 50 Marks Model Question Paper 1

अथवा,अपने महाविद्यालय के प्रधानाचार्य के पास एक आवेदन पत्र लिखें जिसमें महाविद्यालय में लिए जाने वाले अतिरिक्त क्रीड़ा-शुल्क को माफ करने के लिए अनुरोध करें।
उत्तर:
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदया,
इंदिरा गांधी बालिका उच्च विद्यालय, पटना ।

विषय-अतिरिक्त क्रीड़ा शुक्ल माफ करने के लिए प्रार्थना पत्र ।सविनय निवेदन है कि विद्यालय में क्रीड़ा के सभी आवश्यक उपकरण उपलब्ध है । कक्षा प्रवेश के समय ही छात्रों से क्रीड़ा शुल्क ले लिया जाता है। पुनः अतिरिक्त क्रीड़ा-शुल्क का भार डाला गया है ।

अत: आपसे सविनय अनुरोध है कि इस अतिरिक्त क्रीड़ा-शुल्क को माफ कर हमें अनुगृहीत करने की कृपा करें ।

आपकी शिष्या निशु
कक्षा-12वीं
क्रमांक-11

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves

Bihar Board 12th Physics Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves

Question 1.
Maxwell in his famous equations of electromagnetism introduced the concept of
(a) ac current
(b) displacement current
(c) impedance
(d) reactance
Answer:
(b) displacement current

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves

Question 2.
Displacement current goes through the gap between the plates of a capacitor when the charge on the capacitor
(a) is changing with time
(b) decrease
(c) does not change
(d) decreases to zero
Answer:
(a) is changing with time

Question 3.
The conduction current is same as displacement current when source is
(a) ac only
(b) dc only
(c) either ac or dc
(d) neither dc nor ac
Answer:
(c) either ac or dc

Question 4.
Which among the following does not represent Maxwell’s equation ?
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves - 1
Answer:
(c) \(\oint \vec{E} \cdot \overrightarrow{d l}=\frac{-d B}{d t}\)
Solution:
Maxwell’s equation are as follows
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves - 4

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves

Question 5.
An electromagnetic wave can be produced, when charge is
(a) moving with a constant velocity
(b) moving in a circular orbit
(c) falling in an electric field
(d) both (b) and (c)
Answer:
(d) both (b) and (c)

Question 6.
If µ0 be the permeability and ε0 be the permittivity of a medium, then its refractive index is given by
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves - 2
Answer:
(c) \(\sqrt{\mu_{0} \varepsilon_{0}}\)

Question 7.
A plane electromagnetic wave travels in vacuum along z-direction. If the frequency of the wave is 40 MHz then its wavelength is
(a) 5 m
(b) 7.5 m
(c) 8.5 m
(d) 10 m
Answer:
(b) 7.5 m

Question 8.
A radio can tune to any station in 7.5 MHz to 12 MHz band. The corresponding wavelength band is
(a) 40 m to 25 m
(b) 30 m to 25 m
(c) 25 m to 10 m
(d) 10 m to 5 m
Answer:
(a) 40 m to 25 m
Solution:
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves - 5

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves

Question 9.
Which of the following has/have zero average value in a plane electromagnetic wave ?
(a) Both magnetic & electric fields
(b) Electric field only
(c) Magnetic field only
(d) None of these
Answer:
(a) Both magnetic & electric fields

Question 10.
A plane elecgtromagnetic wave propagating along x direction can be have the following pairs of \(\vec{E}\) and \(\vec{E}\)
(a) Ey Bz
(b) Ez By
(c) Ex, By
(d) both (a) & (b)
Answer:
(d) both (a) & (b)

Question 11.
The refractive index and permeability of a medium are 1.5 and 5 x 10-7 H m-1 respectively. The relative permittivity of the medium is nearly
(a) 25
(b) 15
(c) 10
(d) 6
Answer:
(d) 6
Solution:
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves - 6

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves

Question 12.
If E and B denote electric and magnetic fields respectively, which of the following is dimensionless ?
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves - 3
Answer:
(a) \(\sqrt{\mu_{0} \varepsilon_{0}} \frac{E}{B}\)

Question 13.
An electromagnetic wave propagating along north has its electric field vector upwards. Its magnetic field vector point towards
(a) north
(b) east
(c) west
(d) downwards
Answer:
(b) east

Question 14.
The amplitude of the magnetic field of a harmonic
electromagnetic wave in vacuum is B0 = 510 nT. The amplitude of the electric field part of the wave is
(a) 120 NC-1
(b) 134 NC-1
(c) 510 NC-1
(d) 153NC-1
Answer:
(d) 153NC-1

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves

Question 15.
The photon energy in units of eV for electromagtnetic waves of wavelength 2 cm is
(a) 2.5 x 10-19
(b) 5.2 x 1016
(c) 3.2 x 10-16
(d) 6.2 x 10-5
Answer:
(d) 6.2 x 10-5
Solution:
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves - 7

Question 16.
The frequency of electromagnetic wave which is best suitable to observe a particle of radius 3 x 10″4 cm is of
the order of
(a) 1015 Hz
(b) 1014 Hz
(c) 1013 Hz
(d) 1012 Hz
Answer:
(a) 1015 Hz
Answer:
(a) Let λ be the radius of the particle then
λ = 3 x 10-4 x 10-2 m = 3 x 10-6 m
Frequency of electromagnetic wave,
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves - 8
Thus to observe the particle, the frequency of wave should be more than 1014 i.e. 1015 Hz or smaller value of wavelength.

Question 17.
A plane electromagnetic wave is incident on a material surface. The wave delivers momentum P and energy E. Then
(a) p ≠ 0, E ≠ 0
(b) p = 0,E = 0
(c) p = 0,E ≠ 0
(d) p ≠ 0,E = 0
Answer:
(a) p ≠ 0, E ≠ 0

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves

Question 18.
Radiations of intensity 0.5 W m-2 are striking a metal plate. The pressure on the plate is
(a) 0.166 x 10-8 N m-2
(b) 0.332 x 10-8 N m-2
(c) 0.111 x 10-8 N m-2
(d) 0.083 x 10-8 N m-2
Answer:
(a) 0.166 x 10-8 N m-2

Question 19.
Which of the following rays is not an electromagnetic wave ?
(a) X-rays
(b) γ-rays
(c) β-rays
(d) Heat rays
Answer:
(c) β-rays

Question 20.
Radio waves diffract around buildings, although light waves do not. The reason is that radio waves
(a) travel with speed larger than c
(b) have much larger wavelength than light
(c) are not electromagnetic waves
(d) none of these
Answer:
(b) have much larger wavelength than light

Question 21.
The ultra high frequency band of radiowaves in electromagnetic wave is used as in
(a) television waves
(b) cellular phone communication
(c) commercial FM radio
(d) both (a) and (c)
Answer:
(b) cellular phone communication

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves

Question 22.
The part of the spectrum of the electromagnetic radiation used to cook food is
(a) ultraviolet rays
(b) cosmic rays
(c) Xrays
(d) microwaves
Answer:
(d) microwaves

Question 23.
A microwave and an ultrasonic sound wave have the same wavelength. Their frequencies are in the ratio (approximately)
(a) 102
(b) 104
(c) 106
(d) 108
Answer:
(c) 106

Question 24.
The waves used by artificial satellites for communication is
(a) microwaves
(b) infrared waves
(c) radio waves
(d) X-rays
Answer:
(a) microwaves

Question 25.
Which waves are used in sonography ?
(a) Microwaves
(b) Infraredrays
(c) Radio waves
(d) Ultrasonic waves
Answer:
(d) Ultrasonic waves

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves

Question 26.
Which of the following electromagnetic wave is used in high precision application like LASIK eye surgery ?
(a) Microwave
(b) Ultraviolet rays
(c) Gamma rays
(d) X-rays
Answer:
(b) Ultraviolet rays

Question 27.
The crystal structure can be studied by using
(a) UVrays
(b) X-rays
(c) IR radiation
(d) Microwaves
Answer:
(b) X-rays

Question 28.
An electromagnetic radiation has an energy of 13.2 keV. Then the radiation belongs to the region of
(a) visible light
(b) ultraviolet
(c) infrared
(d) X-ray
Answer:
(d) X-ray

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves

Question 29.
Which of the following electromagnetic waves has smallest wavelength ?
(a) X-rays
(b) Microwaves
(c) y-rays
(d) Radiowaves
Answer:
(c) y-rays

Question 30.
Which of the following electromagnetic waves is used in medicine to destroy cancer cells ?
(a) IR-rays
(b) Visible rays
(c) Gamma rays
(d) Ultraviolet rays
Answer:
(c) Gamma rays

Question 31.
The decreasing order of wavelength of infrared, microwave, ultraviolet and gamma rays is
(a) microwave, infrared, ultraviolet, gamma rays
(b) infrared, microwave, ultraviolet, gamma rays
(c) gamma rays, ultraviolet, infrared, microwaves
(d) microwaves, gamma rays, infrared, ultraviolet
Answer:
(a) microwave, infrared, ultraviolet, gamma rays

Question 32.
X-rays and y-rays of same energies are distinguished by their
(a) frequency
(b) charges
(c) ionising power
(d) method of production
Answer:
(d) method of production

Question 33.
If vg, vx and vm are speeds of gamma rays, X-rays and microwaves respectively in vacuum, then
(a) vg < vx < vm
(b) vg > vx > vm
(c) vg > vx < vm
(d) vg = vx = vm
Answer:
(d) vg = vx = vm

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves

Question 34.
X-rays, gamma rays and microwaves travelling in vacuum have
(a) same wavelength but different velocities
(b) same frequency but different velocities
(c) same velocity but different wavelengths
(d) same velocity and same frequency
Answer:
(c) same velocity but different wavelengths

Question 35.
If \(\vec{E}\) and \(\vec{B}\) represent electric and magnetic field vectors of the electromagnetic wave, the direction of propagation of electromagnetic wave is along
(a) \(\vec{E}\)
(b) \(\vec{B}\)
(c) \(\vec{B} \times \vec{E}\)
(d) \(\vec{E} \times \vec{B}\)
Answer:
(d) \(\vec{E} \times \vec{B}\)

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves

Question 36.
The ratio of contributions made by the electric field and magnetic field components to the intensity of an electromagnetic wave is
(a) c : 1
(b) c2 : 1
(c) 1 : 1
(d) √c : 1
Answer:
(c) 1 : 1
Solution:
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 8 Electromagnetic Waves - 9
Therefore, the ratio of contributions by the electric field and magnetic field components to the intensity of electromagnetic wave is 1 : 1.

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current

Bihar Board 12th Physics Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current

Question 1.
Alternating voltage (V) is represented by the equation
(a) V(t)=Vmewt
(b) V(t) = Vm sinωt
(c) V(t) = Vm cosωt
(d) V(t) = Vm tanωt
where Vm is the peak voltage
Answer:
(b) V(t) = Vm sinωt

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current

Question 2.
A 100 Ω resistor is connected to a 220 V, 50 Hz ac supply. The rms value of current in the circuit is
(a) 1.56 A
(b) 1.56 mA
(c) 2.2 A
(d) 2.2 mA
Answer:
(c) 2.2 A

Question 3.
The peak voltage of an ac supply is 440 V, then its rms voltage is
(a) 31.11 V
(b) 311.1 V
(c) 41.11V
(d) 411.1V
Answer:
(b) 311.1 V

Question 4.
The rms value of current in an ac circuit is 25 A, then peak current is
(a) 35.36 mA
(b) 35.36 A
(c) 3.536 A
(d) 49.38 A
Answer:
(b) 35.36 A

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current

Question 5.
A light bulb is rated at 100 W for a 220 V ac supply. The resistance of the bulb is
(a) 284 Ω
(b) 384 Ω
(c) 484 Ω
(d) 584 Ω
Answer:
(c) 484 Ω
Solution:
(c) Here, P = 100 W, = 220 V
Resistance of the bulb is
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current - 7

Question 6.
An ac source is of \(\frac{200}{\sqrt{2}} \mathbf{v}\), 50 Hz. The value of voltage
after \(\frac{1}{600}\) from the start is
(a) 200V
(b) \(\frac{200}{\sqrt{2}} \mathbf{v}\)
(c) 100V
(d) 50V
Answer:
(c) 100V
Solution:
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current - 8

Question 7.
An ac source of voltage V = Vm sincot is connected across the resistance R as shown in figure. The phase relation between current and voltage for this circuit is
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current - 1
(a) both are in phase
(b) both are out of phase by 90°
(c) both are out of phase by 120°
(d) both are out of phase by 180°
Answer:
(a) both are in phase

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current

Question 8.
In the case of an inductor
(a) voltage lags the current by \(\frac{\pi}{2}\)
(b) voltage leads the current by \(\frac{\pi}{2}\)
(c) voltage lags the current by \(\frac{\pi}{3}\)
(d) voltage leads the current by \(\frac{\pi}{4}\)
Answer:
(b) voltage leads the current by \(\frac{\pi}{2}\)

Question 9.
An ideal inductor is in turn put across 220 V, 50 Hz and 220 V, 100 Hz supplies. The current flowing through it in the two cases will be
(a) equal
(b) different
(c) zero
(d) infinite
Answer:
(b) different

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current

Question 10.
An inductor of 30 mH is connected to a 220 V, 100 Hz ac source. The inductive reactance is
(a) 1058 Ω
(b) 12.64 Ω
(c) 18.85 Ω
(d) 22.67 Ω
Answer:
(c) 18.85 Ω
Solution:
(c) Here, L = 30 mH = 30 × 10-3 H; Vrms = 220 V,
υ = 100 Hz
Inductive reactance XL = 2πυL
= 2 × 3.14 × 100 × 30 × 10-3
= 18.85 Ω

Question 11.
A 44 mH inductor is connected to 220 V, 50 Hz ac supply. The rms value of the current in the circuit is
(a) 12.8 A
(b) 13.6 A
(c) 15.9 A
(d) 19.5 A
Answer:
(c) 15.9 A
Solution:
(c) Here, L = 44 mH = 44 × 10-3 H; Vrms= 220V,
υ = 50 Hz
The inductive reactance is XL = ωL
= 2πυL = 2 × 3.14 × 50 × 44 × 10-3
= 13.82 Ω
∴ \(\quad I_{\mathrm{rms}}=\frac{V_{\mathrm{rms}}}{X_{L}}=\frac{220}{13.82}=15.9 \mathrm{A}\)

Question 12.
A 5 μF capacitor is connected to a 200 V, 100 Hz ac source. The capacitive reactance is
(a) 212 Ω
(b) 312 Ω
(c) 318 Ω
(d) 412 Ω
Answer:
(c) 318 Ω

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current

Question 13.
If a capacitor of 8 ΩF is connected to a 220 V, 100 Hz ac source and the current passing trough it is 65 mA, then the rms voltages across it is
(a) 129.4 V
(b) 12.94 V
(c) 1.294 V
(d) 15 V
Answer:
(b) 12.94 V
Solution:
(b) Here, Vrms = 220 V,Irms = 65 mA = 0.065 A
C = 8 μF = 8 × 10-6 F, υ = 100 Hz
Capacitive reactance,
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current - 9
Then rms voltage across the capacitor is
VCrms = 7rmsXC = 0.065 × 199= 12.94 V

Question 14.
Phase difference between voltage and current in a capacitor in an ac circuit is
(a) π
(b) π/2
(c) 0
(d) π/3
Answer:
(b) π/2

Question 15.
A 30 μF capacitor is connected to a 150 V, 60 Hz ac supply. The rms value of current in the circuit is
(a) 17 A
(b) 1.7 A
(c) 1.7 mA
(d) 2.7 A
Answer:
(b) 1.7 A
Solution:
(b) Here, C = 30 × 10-6 F, Vrms = 150 V, υ = 60 Hz
Capacitive reactance
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current - 10

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current

Question 16.
A 60 μF capacitor is connected to a 110 V (rms), 60 Hz ac supply. The rms value of current in the circuit is
(a) 1.49 A
(b) 14.9 A
(c) 2.49 A
(d) 24.9 A
Answer:
(c) 2.49 A

Question 17.
In which of the following circuits the maximum power dissipation is observed ?
(a) Pure capacitive circuit
(b) Pure inductive circuit
(c) Pure resistive circuit
(d) None of these
Answer:
(c) Pure resistive circuit

Question 18.
When an ac voltage of 220 V is applied to the capacitor C, then
(a) the maximum voltage between plates is 220 V.
(b) the current is in phase with the applied voltage.
(c) the charge on the plate is not in phase with the applied voltage.
(d) power delivered to the capacitor per cycle is zero.
Answer:
(b) the current is in phase with the applied voltage.

Question 19.
In the series LCR circuit shown the impedance is
(a) 200 Ω
(b) 100 Ω
(c) 300 Ω
(d) 500 Ω
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current - 2
Answer:
(d) 500 Ω
Solution:
(d) Here, L = 1 H, C = 20 μF = 20 × 10-6F; R = 300 Ω, υ = 50/π Hz
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current - 11

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current

Question 20.
A 100 μF capacitor in series with a 40 Ω resistor is connected to a 100 V, 60 Hz supply. The maximum current in the circuit is
(a) 2.65 A
(b) 2.75 A
(c) 2.85 A
(d) 2.95 A
Answer:
(d) 2.95 A
Solution:
(d) Here, C = 100 μ.F = 100 × 10-6 F = 10-4– F,
R = 40 Ω, Vrms = 100 V,υ = 60 Hz
V0 = √2Vrms = 100√2V
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current - 12

Question 21.
In series LCR circuit, the phase angle between supply voltage & current is
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current - 3
Answer:
\(\tan \phi=\frac{X_{L}-X_{C}}{R}\)

Question 22.
In a circuit L, C and R are connected in series with an alternating voltage source of frequency υ . The current leads the voltage by 45°. The value of C is
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current - 4
Answer:
(d) \(\frac{1}{2 \pi v(2 \pi v L+R)}\)

Question 23.
At resonance frequency the impedance in series LCR cirucit is
(a) maximum
(b) minimum
(c) zero
(d) infinity
Answer:
(b) minimum

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current

Question 24.
At resonant frequency the current amplitude in series LCR circuit is
(a) maximum
(b) minimum
(c) zero
(d) infinity
Answer:
(a) maximum

Question 25.
The resonant frequency of a series LCR circuit with L = 2.0 H, C = 32 μF and R = 10 Ω is
(a) 20 Hz
(b) 30 Hz
(c) 40 Hz
(d) 50 Hz
Answer:
(a) 20 Hz

Question 26.
The Q factor of a series LCR circuit with L = 2 H, C=32 μF and R = 10 Ω is
(a) 15
(b) 20
(c) 25
(d) 30
Answer:
(c) 25

Question 27.
A series LCR circuit has R = 5 Ω, L = 40 mH and C = 1 μF, the bandwidth of the cirucit is
(a) 10 Hz
(b) 20 Hz
(c) 30 Hz
(d) 40 Hz
Answer:
(b) 20 Hz

Question 28.
In LCR-circuit if resistance increases, quality factor
(a) increases finitely
(b) decreases finitely
(c) remains constant
(d) none of these
Answer:
(b) decreases finitely

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current

Question 29.
A series resonant LCR circuit has a quality factor (Q- factor) = 0.4. If R = 2k Ω , C=0.1 μF, then the value of inductance is
(a) 0.1 H
(b) 0.064 H
(c) 2H
(d) 5 H
Answer:
(b) 0.064 H
Solution:
(b) Quality factor \(Q=\frac{1}{R} \sqrt{\frac{L}{C}} \text { or } \frac{L}{C}=(\mathrm{QR})^{2}\)
Here, Q = 0.4, R = 2k Ω = 2 × 103 Ω;
C = 0.1 μ.F = 0.1 × 10-6
∴ L = (QR)2  C
∴ L = (0.4 × 2 × 103)2 × 0.1 × 10-6 = 0.064 H

Question 30.
An alternating supply of 220 V is applied across a circuit with resistance 22 Ω and impedance 44 Ω. The power dissipated in the cirucit is
(a) 1100 W
(b) 550 W
(c) 2200 W
(d) (2200/3) W
Answer:
(b) 550 W
Solution:
(b) Here, V = 220 V, Resistance, R = 22 Ω
Impedance, Z = 44 Ω
Current in cirucit, \(I=\frac{V}{Z}=\frac{220 \mathrm{V}}{44 \Omega}=5 \mathrm{A}\)
Power dissipated in the circuit,
p = I2R = (5)2 × 22 = 550 W

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current

Question 31.
In a series LCR circuit, the phase difference between the voltage and the current is 45°. Then the power factor will be
(a) 0.607
(b) 0.707
(c) 0.808
(d) 1
Answer:
(b) 0.707
Solution:
(b) Here, Φ = 45° In series LCR circuit,
power factor = cosΦ
cos Φ = cos 45° = \(\frac{1}{\sqrt{2}}\) = 0.707.

Question 32.
The natural frequency (ω0) of oscillations in LC circuit is given by
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current - 5
Answer:
(c) \(\frac{1}{\sqrt{L C}}\)

Question 33.
An LC circuit contains a 20 mH inductor and a 25 pF capacitor with an initial charge of 5 mC. The total energy stored in the circuit initially is
(a) 5 J
(b) 0.5 J
(c) 50 J
(d) 500 J
Answer:
(b) 0.5 J
Solution:
(b) Here, C = 25 µF = 25 × 10-6 F,
L = 20mH = 20 × 10-3H, q0
= 5 mC = 5 × 10-3 C
∴ Total energy stored in the circuit initially is
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current - 13

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current

Question 34.
What is the mechanical equivalent of spring constant k in LC oscillating circuit ?
(a) \(\frac{1}{L}\)
(b) \(\frac{1}{C}\)
(c) \(\frac{L}{C}\)
(d) \(\frac{1}{LC}\)
Answer:
(b) \(\frac{1}{C}\)

Question 35.
A transformer works on the principle of
(a) self induction
(b) electrical inertia
(c) mutual induction
(d) magnetic effect of the electrical current
Answer:
(c) mutual induction

Question 36.
Transformer is used to
(a) convert ac to dc voltage
(b) convert dc to ac voltage
(c) obtain desired dc power
(d) obtain desired ac voltage and current
Answer:
(d) obtain desired ac voltage and current

Question 37.
Quantity that remains unchanged in a transformer is
(a) voltage
(b) current
(c) frequency
(d) none of these
Answer:
(c) frequency

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current

Question 38.
The core of a transformer is laminated to reduce
(a) flux leakage
(b) hysteresis
(c) copper loss
(d) eddy current
Answer:
(d) eddy current

Question 39.
The loss of energy in the form of heat in the iron core of a transformer is
(a) iron loss
(b) copper loss
(c) mechanical loss
(d) none of these
Answer:
(a) iron loss

Question 40.
A transformer &used to light 140 W, 24 V lamp from a 240 V at mains. If the main current is 0.7 A, the efficiency of the transformer is
(a) 63,0%
(b) 74%
(c) 83.3%
(d) 48%
Answer:
(c) 83.3%
Answer:
(c) Output power = 140 W,
Inpute power = 240 × 0.7 = 168 W
Efficiency
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current - 14

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current

Question 41.
If the rms current in a 50 Hz ac circuit is 5 A, the value of the current 1/300 seconds after its value becomes zero is
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current - 6
Answer:
(b) \(5 \sqrt{\frac{3}{2}} \mathrm{A}\)
Answer:
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current - 15

Question 42.
An inductor of reactance 1Ω and a resistor of 2Ω are connected in series to the terminals of a 6 V (rms) ac source. The power dissipated in the circuit is
(a) 8 W
(b) 12 W
(c) 14.4 W
(d) 18 W
Answer:
(c) 14.4 W

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current

Question 43.
The output of a step-down transformer is measured to be 24 V when connected to a 12 watt light bulb. The value of the peak current is
(a) \(\frac{1}{\sqrt{2}} \mathrm{A}\)
(b) √2A
(c) 2 A
(d) 2√2 A
Answer:
(a) \(\frac{1}{\sqrt{2}} \mathrm{A}\)
Solution:
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 7 Alternating Current - 16

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 8 The d-and f-Block Elements

Bihar Board 12th Chemistry Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 8 The d-and f-Block Elements

Question 1.
General electronic configuration of transition metals is
(a) (n – 1)d 110 ns2
(b) nd10 ns2
(c) (n-1)d10 ns2
(d) (n- 1) d1-5 ns2
Answer:
(a) (n – 1)d 110 ns2

Question 2.
Which one of the following is a ‘d-block element’?
(a) Gd
(b) Hs
(c) Es
(d) Cs
Answer:
(b) Hs

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 8 The d-and f-Block Elements

Question 3.
Which of the following pairs of ions have the same electronic configuration ?
(a) Cu2+,Cr2+
(b) Fe3+ , Mn2+
(c) CO3+,Ni3+
(d) Sc3+,Cr3+
Answer:
(b) Fe3+ , Mn2+

Question 4.
The melting points of Cu, Ag and Au follow the order
(a) Cu > Ag > Au
(b) Cu > Au > Ag
(c) Au>Ag>Cu
(d) Ag>Au>Cu
Answer:
(b) Cu > Au > Ag

Question 5.
Zr and Hf have almost equal atomic and ionic radii because of …………….
(a) diagonal relationship
(b) lanthanoid contraction
(c) actinoid contraction
(d) belonging to the same group
Answer:
(b) lanthanoid contraction

Question 6.
Reactivity of transition elements decreases almost regularly from Sc to Cu because of
(a) lanthanoid contraction
(b) regular increase in ionisation enthalpy
(c) regular decrease in ionisation enthalpy
(d) increase in number of oxidation states.
Answer:
(b) regular increase in ionisation enthalpy

Question 7.
Identify the species in which the metal atom is in +6 oxidation state
(a) MnC>4
(b) [Cr(CN)6]3-
(c) [NiF6]2-
(d) CrO2Cl2
Answer:
(d) CrO2Cl2

Question 8.
In which of the following compounds manganese has oxidation number equal to that of iodine in KIO4 ?
(a) Potassium manganate
(b) Potassium permanganate
(c) Manganous chloride
(d) Manganese chloride
Answer:
(b) Potassium permanganate

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 8 The d-and f-Block Elements

Question 9.
The correct order of E°m2+/m values with negative sign for the four successive elements Cr, Mn, Fe and Co is
(a) Fe > Mn > Cr > Co
(b) Cr > Mn > Fe > Co
(c) Mn>Cr>Fe>Co
(d) Cr>Fe>Mn>Co
Answer:
(c) Mn>Cr>Fe>Co

Question 10.
Which of the following d-block element has half-filled penultimate as well as valence subshell ?
(a) Cu
(b) Au
(c) Ag
(d) Cr
Answer:
(d) Cr

Question 11.
Fe3+ compounds are more stable than Fe2+ compounds because
(a) Fe3+ has smaller size than Fe2+
(b) Fe3+ has 3d5 configuration (half-filled)
(c) Fe3+ has higher oxidation state
(d) Fe3+ is paramagnetic in nature
Answer:
(b) Fe3+ has 3d5 configuration (half-filled)

Question 12.
The salts of Cu in +1 oxidation state are unstable because
(a) Cu+ has 3d10 configuration
(b) Cu+ disproportiontates easily to Cu(O) and Cu2+
(c) Cu+ disproportionates easily to Cu2+ and Cu3+
(d) Cu+ is easily reduced to Cu3+
Answer:
(b) Fe3+ has 3d5 configuration (half-filled)

Question 13.
Which of the following transition metal ions has highest magnetic moment ?
(a) Cu2+
(b) Ni2+
(c)CO2+
(d) Fe2+
Answer:
(d) Fe2+

Question 14.
The correct order of number of unpaired electrons is
(a) Cu2+ > Ni2+ > Cr3+ > Fe3+
(b) Ni2+ > Cu2+ > Fe3+ > Cr3+
(c) Fe3+ > Cr3+ > Ni2+ > Cu2+
(d) Cr3+ > Fe3+>Ni2+ > Cu2+
Answer:
(c) Fe3+ > Cr3+ > Ni2+ > Cu2+

Question 15.
The magnetic moment of a divalent ion in aqueous solution with atomic number 25 is ………….
(a) 9 B.M
(b) 2.9 B.M
(c) 6.9 B.M
(d) 9.9 B.M
Answer:
(a) 9 B.M

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 8 The d-and f-Block Elements

Question 16.
Which of the following transition metal ions is colourless ?
(a) V2+
(b) Cr3+
(c) Zn2+
(d) Ti3+
Answer:
(c) Zn2+

Question 17.
Which of the following compounds is not coloured ?
(a) Na2 [CuCl4 ]
(b) Na2 [CdCl4 ]
(c) K4[Fe(CN)6]
(d)  K3[Fe(CN)6]
Answer:
(b) Na2 [CdCl4 ]

Question 18.
Compound that is both paramagnetic and coloured is
(a) K2Cr2O7
(b)  (NH4)2[TiCl6]
(c) VOSO4
(d) K3[Cu(CN)4]
Answer:
(c) VOSO4

Question 19.
Most of the transition metals exhibit
(i) paramagnetic behaviour
(ii) diamagnetic behaviour
(iii) variable oxidation states
(iv) formation of coloured ions
(a) (ii), (iii) and (iv)
(b) (i), (iii) and (iv)
(c) (i), (ii) and (iii)
(d) (i), (ii) and (iv)
Answer:
(b) (i), (iii) and (iv)

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 8 The d-and f-Block Elements

Question 20.
For Zn2+, Ni2+, Cu2+ and Cr2+ which of the following statement is correct ?
(a) Only Zn2+ is colourless and Ni2+, Cu2+ and Cr2+ are coloured
(b) All the ions are coloured
(c) All the ions are colourless
(d) Zn2+ and Cu2+ are colourless while Ni2+ and Cr2+ are coloured
Answer:
(a) Only Zn2+ is colourless and Ni2+, Cu2+ and Cr2+ are coloured

Question 21.
Colour of transition metal ions are due to absorption of some wavelength. This results in
(a) d-s transition
(b) s-s transition
(c) s-d transition
(d) d-d transition
Answer:
(d) d-d transition

Question 22.
Transition elements form binary compounds with halogens. Which of the following elements will form MF3 type compounds ?
(a) Cr
(b) Cu
(c) Ni
(d) All of these
Answer:
(a) Cr

Question 23.
Which of the following is not an amphoteric ion
(a) AI3+
(b)Cr3+
(c) Fe2+
(d) Zn2+
Answer:
(c) Fe2+

Question 24.
Which of the following are basic oxides ? Mn2O7, V2O3, V2Os, CrO, Cr2O3
(a) Mn2O7 and V2O3
(b) V2O3 and CrO
(c) CrO and Cr2O3
(d) V2O5 and V2O3
Answer:
(b) V2O3 and CrO

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 8 The d-and f-Block Elements

Question 25.
V2Os reacts with alkalies as well as acids to give
(a) \(\mathrm{VO}_{4}^{3-} \text { and } \mathrm{V} \mathrm{O}^{2+}\)
(b) \( \mathrm{V} \mathrm{O}^{2+} \text { and } \mathrm{VO}_{4}^{+}\)
(c) \(\mathrm{VO}_{2}^{+} \text {and } \mathrm{V} \mathrm{O}^{2+}\)
(d) \(\mathrm{VO}_{4}^{3-} \text { and } \mathrm{VO}_{4}^{+}\)
Answer:
(d) \(\mathrm{VO}_{4}^{3-} \text { and } \mathrm{VO}_{4}^{+}\)

Question 26.
Which of the following compounds is used as the starting material for the preparation of potassium dichromate ?
(a) K2SO4.Cr2.(SO4)324H2O (Chromealum)
(b) PbCrO4 (Chromite yellow)
(c) FeCr2O4 (Chromite)
(d) PbCrO4.PbO (Chrome red)
Answer:
(c) FeCr2O4 (Chromite)

Question 27.
What happens when potassium iodide reacts with acidic solution of potassium dichromate ?
(a) It liberates iodine
(b) Potassium sulphate is formed
(c) Chromium sulphate is formed
(d) All the above products are formed
Answer:
(d) All the above products are formed

Question 28.
One mole of acidified K2Cr2O7 on reaction with excess KI will liberate_____ mole(s) of I2
(a) 3
(b) 1
(c)7
(d) 2
Answer:
(a) 3

Question 29.
What would happen when a solution of potassium chromate is treated with an excess of dilute nitric acids ?
(a) Cr3+ and Cr2O2- are formed
(b) Cr2O2- and H2O and formed
(c) CrO4 is reduced to +3 state of Cr
(d) CrO2- is oxidised to +7 state of Cr
Answer:
(b) Cr2O2- and H2O and formed

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 8 The d-and f-Block Elements

Question 30.
In the dichromate anion (Cr2O2-),
(a) all Cr-0 bonds are equivalent
(b) 6 Cr – O bonds are equivalent
(c) 3 Cr – O bonds are equivalent
(d) no bonds in Cr2O2- are equivalent
Answer:
(b) 6 Cr – O bonds are equivalent

Question 31.
When MnO2 is fused with KOH and O2, what is the product formed and it colour ?
MnO2 + KOH + O2 → ? + H2O
(a) MnO – colourless
(b) KMnO4 – purple
(c) K2MnO4 – dark green
(d) MnO3 – black
Answer:
(c) K2MnO4 – dark green

Question 32.
The equation
\(3 \mathrm{MnO}_{4}^{2-}+4 \mathrm{H}^{+} \rightarrow 2 \mathrm{MnO}_{4}^{-}+\mathrm{MnO}_{2}+2 \mathrm{H}_{2} \mathrm{O} \) represents
(a) reduction
(b) disproportionation
(c) oxidation in acidic medium
(d) reduction in acidic medium
Answer:
(b) disproportionation

Question 33.
The number of moles of KMnO4 that are needed to react completely with one mole of ferrous oxalate in acidic solution is
(a) 3/5
(b) 2/5
(c) 4/5
(d) 1
Answer:
(a) 3/5
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 8 The d-and f-Block Elements 1
1 mole of KMnO4 accepts 5 electrons
1 mole of ferrous oxalate loses 3 electrons
5e+ = 1mole of KMnO4 3ewill be equivalent to 3/5 mole of KMnO4

Question 34.
Which of the following is correct representation of reaction of acidified permanganate solution with sulphurous acid
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 8 The d-and f-Block Elements 2
Answer:
(a)

Question 35.
The most common lanthanoid is
(a) lanthanum
(b) cerium
(c) samarium
(d) plutonium
Answer:
(a) lanthanum

Question 36.
Which is the non-lanthanide element ?
(a) La
(b) Lu
(c) Pr
(d) Pm
Answer:
(a) La

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 8 The d-and f-Block Elements

Question 37.
The correct configuration of f-block elements is
(a) (n – 2)f 1-14 (n-1)d 0-1 ns2
(b) (n – 1) f 1-14(n-1)d 0-1 ns2
(c) (n – 3) f 1-14(n-2)d 0-1 (n-1)s2
(d) (n – 2)f 0-1 (n-1)d 0-1 ns2
Answer:
(a) (n – 2)f 1-14 (n-1)d 0-1 ns2

Question 38.
Lanthanoid contraction is due to increase in
(a) atomic number
(b) effective nuclear charge
(c) atomic radius
(d) valence electrons
Answer:
(b) effective nuclear charge

Question 39.
The correct order of ionic radii of Ce, La, Pm and Yb in +3 oxidation state is
(a) La3+< Pm3+< Ce3+< Yb3+
(b) Yb3+<Pm3+< Ce3+< La3+
(c) La3+< Ce3+< Pm3+< Yb3+
(d) Yb3+< Ce3+< Pm3+< La3+
Answer:
(b) Yb3+<Pm3+< Ce3+< La3+

Question 40.
The trend of basicity of lanthanoid hydroxides
(a) increases across the lanthanoid series
(b) decreases across the lanthanoid series
(c) first increases and then decreases
(d) first decreases and then increases
Answer:
(b) decreases across the lanthanoid series

Question 41.
The common oxidation state shown by Europium in their compounds is
(a)+1
(b) +3
(c) +5
(d) +6
Answer:
(b) +3

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 8 The d-and f-Block Elements

Question 42.
Which of the following lanthanide ion is paramagnetic ?
(a) Ce4+
(b) Yb2+
(c) Lu3+
(d) Eu2+
Answer:
(d) Eu2+

Question 43.
Magnetic moment of Ce3+ ion on the basis of ‘spinonly ’ formula will be………. B.M.
(a) 1.232
(b) 1.332
(c) 1.532
(d) 1.732
Answer:
(d) 1.732
(d) The electronic configuration of Ce3+ is 4f1.
\(\mu=\sqrt{n(n+2)}=\sqrt{1(1+2)}=1.732 \mathrm{B} . \mathrm{M}\)

Question 44.
Which of the following lanthanide is commonly used ?
(a) Lanthanum
(b) Nobelium
(c) Thorium
(d) Cerium
Answer:
(d) Cerium

Question 45.
What is the total number of inner transition elements in the periodic table ?
(a) 10
(b) 14
(c) 30
(d) 28
Answer:
(d) 28

Question 46.
The actinoids showing +7 oxidation state are
(a) U, Np
(b) Pu, Am
(c) Np, Pu
(d) Am, Cm
Answer:
(c) Np, Pu

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 8 The d-and f-Block Elements

Question 47.
Lanthandies and actinides resemble in
(a) Electronic configuration
(b) Oxidation state
(c) Ionization energy
(d) Formation of complexes
Answer:
(a) Electronic configuration

Question 48.
Electronic configuration of a transition element X in +3 oxidation state is [Ar]3d5. What is its atomic number ?
(a) 25
(b) 26
(c) 27
(d) 24
Answer:
(b) 26
(b) The electronic configuration of X3+ is [Ar] 3d5
∴ Atomic no. Of X = 18 + 5 + 3 = 26

Question 49.
Generally transition elements form coloured salts due to the presence of unpaired electrons. Which of the following compounds will be coloured in solid state ?
(a) Ag2SO4
(b) CuF2
(c) ZnF2
(d) Cu2CI2
Answer:
(b) CuF2
(b) Ag2SO4 → Ag+(4d10) – colourless
CuF2 → Cu2+(3d9) – coloured
ZnF2 → Zn2+(3d10) – colourless
CU2CI2 → 4Cu+(3d10) – colourless

Question 50.
Which of the following oxidation state is common for all lanthanoids ?
(a) +2
(b) +3
(c) +4
(d) +5
Answer:
(b) +3

Question 51.
There are 14 elements in actinoid series. Which of the following elements does not belong to this series ?
(a) U
(b) Np
(c)Tm
(d) Fm
Answer:
(c)Tm

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 8 The d-and f-Block Elements

Question 52.
KMnO4 acts as an oxidising agent in alkaline medium. When alkaline KMnO4 is treated with KI, iodide ion is oxidised to …………..
(a) I2
(b) IO
(c) IO3
(d) IO4
Answer:
(c) IO3

Question 53.
When acidified K2Cr2O7 solution is added to Sn2+ salts, then Sn2+ changes to
(a) Sn
(b)Sn3+
(c) Sn4+
(d) Sn+
Answer:
(c) Sn4+

Question 54.
Why is HCI not used to make the medium acidic in oxidation reactions of KMnO4 in acidic medium ?
(a) Both HCI and KMnO4 act as oxidising agents
(b) KMnO4 oxidises HCI into Cl2 which is also an oxidising agent
(c) KMnO4 is a weaker oxiding agent than HCI
(d) KMnO4 acts as a reducing agent in the presence of HCI.
Answer:
(d) KMnO4 acts as a reducing agent in the presence of HCI.

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction

Bihar Board 12th Physics Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction

Question 1.
In the figure, galvanometer G gives maximum deflection when
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction - 1
(a) magnet is pushed into the coil
(b) magnet is rotated into the coil
(c) magnet is stationary at the centre of the coil
(d) number of turns in the coil is reduced
Answer:
(a) magnet is pushed into the coil

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction

Question 2.
The magnetic flux linked with a coil of N turns of area of cross section A held with its plane parallel to the field B is
(a) \(\frac{\mathrm{N} \mathrm{A} B}{2}\)
(b) NAB
(c) \(\frac{\mathrm{N} \mathrm{A} B}{4}\)
(d) zero
Answer:
(d) zero

Question 3.
Faraday’s laws are consequence of the conservation of
(a) charge
(b) energy
(c) magnetic field
(d) both (b) and (c)
Answer:
(b) energy

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction

Question 4.
Two identical coaxial coils P and Q carrying equal amount of current in the same direction are brought nearer. The current in
(a) P increases while in Q decreases
(b) Q increases while in P decreases
(c) both P and Q increase
(d) both P and Q decreases
Answer:
(d) both P and Q decreases

Question 5.
A closed iron ring is held horizontally and a bar magnet is dropped through the ring with its length along the axis of the ring. The acceleration of the falling magnet is
(a) equalt to g
(b) less than g
(c) more than g
(d) depends on the diameter of the ring and length of magnet
Answer:
(b) less than g

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction

Question 6.
Direction of current induced in a wire moving in a magnetic field is found using
(a) Fleming’s left hand rule
(b) Fleming’s right hand rule
(c) Ampere’s rule
(d) Right hand clasp rule
Answer:
(b) Fleming’s right hand rule

Question 7.
Lenz’s law is a consequence of the law of conservation of
(a) charge
(b) energy
(c) induced emf
(d) induced current
Answer:
(b) energy

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction

Question 8.
The direction of induced current in the right loop in the situation shown by the given figure is
(a) along the common axis
(b) along xzy
(c) along xyz
(d) none of these
Answer:
(c) along xyz

Question 9.
A solenoid is connected to a battery so that a steady current flows through it. If an iron core is inserted into the solenoid, the current will
(a) increase
(b) decrease
(c) remains same
(d) first increase then decrease
Answer:
(b) decrease

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction

Question 10.
A conducting loop is placed in a uniform magnetic field with its plane perpendicular to the field. An emf is induced in the loop if
(a) it is rotated about its axis.
(b) it is rotated about a diameter.
(c) it is not moved.
(d) it is given translational motion in the field.
Answer:
(b) it is rotated about a diameter.

Question 11.
When a wire loop is rotated in a magnetic field, the direction of induced emf changes in every
(a) one revolution
(b) 1/2 revolution
(c) 1/2 revolution
(d) 2 revolution
Answer:
(b) 1/2 revolution

Question 12.
A metal plate can be heated by
(a) passing either a direct or alternating current thought the plate.
(b) placing in a time varying magnetic field.
(c) placing in a space varying magnetic field, but does not vary with time.
(d) both (a) and (b) are correct.
Answer:
(d) both (a) and (b) are correct.

Question 13.
Which of the following does not use the application of eddy current ?
(a) Electric power meters
(b) Induction furnace
(c) LED lights
(d) Magnetic brakes in trains
Answer:
(c) LED lights

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction

Question 14.
Induction furnace make use of
(a) self induction
(b) mutual induction
(c) eddy current
(d) none of these
Answer:
(c) eddy current

Question 15.
The mutual inductance M12 of a coil I with respect to coil 2
(a) increases when they are brought nearer.
(b) depends on the current passing through the coils.
(c) increases when one of then is rotated about an axis.
(d) both (a) and (b) are correct.
Answer:
(a) increases when they are brought nearer.

Question 16.
The coefficient of mutual inductance of two coils . depends on
(a) medium between the coils
(b) distance between the two coils
(c) orientation of the two coils
(d) all of these
Answer:
(d) all of these

Question 17.
Mutual inductance of two coils can be increased by
(a) decreasing the number of turns in the coils
(b) increasing the number of turns in the coils.
(c) winding the coils on wooden cores
(d) none of these
Answer:
(b) increasing the number of turns in the coils.

Question 18.
If number of turns in primary and secondary coils is increased to two times each, the mutual inductance
(a) becomes 4 times
(b) becomes 2 times
(c) becomes 1/4 times
(d) remain unchanged
Answer:
(a) becomes 4 times

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction

Question 19.
Two conducting circular loops of radii Rx and R2 are placed in the same plane with their centres coinciding. If R1 > R2 the mutual inductance M between them will be directly proportional to

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction - 2
Answer:
(d) \(\frac{R_{2}^{2}}{R_{1}}\)

Question 20.
The physical quantity which is measured in the unit of Wb A”1 is
(a) self inductance
(b) mutual inductance
(c) magnetic flux .
(d) both (a) and (b)
Answer:
(d) both (a) and (b)

Question 21.
In a coil current falls from 5 A to 0 A in 0.2 s. If an average emf of 150 V is induced, then the self inductance of the coil is
(a) 4H
(b) 2H
(c) 3H
(d) 6H
Answer:
(d) 6H
Solution:
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction - 5

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction

Question 22.
The self inductance of a long solenoid cannot be increased by
(a) increasing its area of cross section
(b) increasing its length
(c) increasing the current through it
(d) increasing the number of turns in it
Answer:
(c) increasing the current through it

Question 23.
When the rate of change of current is unity, the induced emf is euqal to
(a) thickness of coil
(b) number of turns in coil
(c) coefficient of self inductance
(d) total flux linked with coil
Answer:
(c) coefficient of self inductance

Question 24.
The self inductance of an inductor coil having 100 turns is 20 mH. The magnetic flux through the cross-section of the coil corresponding to a current of 4 mA is
(a) 2 x 10-5 Wb
(b) 4 x 10-7 Wb
(c) 8 x 10-7 Wb
(d) 8 x 10-5 Wb
Answer:
(c) 8 x 10-7 Wb

Question 25.
The equivalent quantity of mass in electricity is
(a) current
(b) self inductance
(c) potential
(d) charge
Answer:
(b) self inductance

Question 26.
If the self inductance of 500 turns coil is 125 mH, then the self inductance of the similar coil of 800 turns is
(a) 48.8 mH
(b) 200 mH
(c) 290 mH
(d) 320 mH
Answer:
(d) 320 mH
Solution:
(d) As \(\frac{L_{1}}{L_{2}}=\frac{N_{1}^{2}}{N_{2}^{2}}\)
Here self inductance of 500 turns coil = 125 mH
∴ L for the coil of 800 turns
= \(\frac{125}{-500)^{2}}\) x (800)2 = 320mH

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction

Question 27.
The unit of inductance is equivalent to
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction - 3
Answer:
(d) \(\frac{\text { volt } \times \text { second }}{\text { ampere }}\)

Question 28.
If the number of turns per unit length of a coil of solenoid is doubled, the self-inductance of the solenoid will
(a) remain unchanged
(b) be halved
(c) be doubled
(d) become four times
Answer:
(d) become four times

Question 29.
Two solenoids of equal number of turns have their lengths and the radii in the same ratio 1:2. The ratio of their self inductances will be
(a) 1 : 2
(b) 2 : 1
(c) 1 : 1
(d) 1 : 4
Answer:
(a) 1 : 2
Solution:
(a) Self inductance of a solenoid,
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction - 6
where 1 is the length of the solenoid, N is the total number of turns of the solenoid and A is the area of cross-section of the solenoid.
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction - 7

Question 30.
The equivalent inductance between A and B is
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction - 4
(a) 1H
(b) 4H
(c) 0.8 H
(d) 16 H
Answer:
(a) 1H

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction

Question 31.
Two inductors of inductance L each are connected in series with opposite magnetic fluxes. The resultant inductance is (ingore mutual inductance)
(a) zero
(b) L
(c) 2L
(d) 3L
Answer:
(c) 2L

Question 32.
The energy stored in an inductor of self inductance L henry carrying a current of I ampere is
(a) \(\)\frac{1}{2}\(\)L2I
(b) \(\)\frac{1}{2}\(\)LI2
(c) LI2
(d) L2I
Answer:
(b) \(\)\frac{1}{2}\(\)LI2

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction

Question 33.
A 100 mH coil carries a current of 1 A. Energy stored in its magnetic field is
(a) 0.5 J
(b) 0.05 J
(c) 1 J
(d) 0.1 J
Answer:
(b) 0.05 J

Question 34.
The working of a generator is based upon
(a) magnetic effect of current
(b) heating effect of current
(c) chemical effect of current
(d) electromagnetic induction
Answer:
(d) electromagnetic induction

Question 35.
The self inductance L of a solenoid of length / and areas of cross-section A, with a fixed number of turns N increases as
(a) l and A increase.
(b) l decreases and A increases.
(c) l increases and A decreases.
(d) both l and A decrease.
Answer:
(b) l decreases and A increases.

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 6 Electromagnetic Induction

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments

Bihar Board 12th Physics Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments

Question 1.
What can be the largest distance of an image of a real object from a convex mirror of radius of curvature is 20 cm ?
(a) 10 cm
(b) 20cm
(c) Infinity
(d) Zero
Answer:
(a) 10 cm

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments

Question 2.
A boy of height 1 m stands in front of a convex mirror. His distance from the mirror is equal to its focal length. The height of his image is
(a) 0.25 m
(b) 0.33 m
(c) 0.5m
(d) 0.67 m
Answer:
(c) 0.5m
Solution:
(c) Let/be focal length of the convex mirror. According to new cartesian sign convention Object distance, u = -f focal length = +f
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments - 4

Question 3.
An object 2 cm high is placed at a distance of 16 cm from a concave mirror, which produces a real image 3 cm high. What is the focal length of the mirror ?
(a) -9.6 cm
(b) -3.6 cm
(c) -6.3 cm
(d) -8.3 cm
Answer:
(a) -9.6 cm

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments

Question 4.
(a) Travel as a cylindrical beam
(b) Diverge
(c) Converge
(d) Diverge near the axis and converge near the periphery
Answer:
(c) Converge

Question 5.
A ray of light strikes a transparent rectangular slab of refractive index √2 at an angle of incidence of 45“. The angle between the reflected and refracted rays is
(a) 75°
(b) 90°
(c) 105°
(d) 120°
Answer:
(c) 105°
Solution:
(c) Applying Snell’s law at air-glass surface, we get
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments - 5
From figure, i + θ + 30° = 180°
(∵ i = r = 45°)
45° + 0 + 30° = 180° or 0 = 180° – 75° = 105°
Hence, the angle between reflected and refracted rays is 105°.

Question 6.
A vessel of depth x is half filled with oil of refractive index μ1 and the other half is filled with water of refractive index μ2. The apparent depth of the vessel when viewed from above is
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments - 1
Answer:
(a) \(\frac{x\left(\mu_{1}+\mu_{2}\right)}{2 \mu_{1} \mu_{2}}\)
Solution:
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments - 6

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments

Question 7.
For a total internal reflection, which of the following is corrects ?
(a) Light travel from rarer to denser medium
(b) Light travel from denser to rarer medium
(c) Light travels in air only
(d) Light travels in water only
Answer:
(b) Light travel from denser to rarer medium

Question 8.
Light travels in two media A and B with speeds 1.8 x 108 m s-1 and 2.4 x 108 m s-1respectively. Then the critical angle between them is
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments - 2
Answer:
(d) \(\sin ^{-1}\left(\frac{3}{4}\right)\)

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments

Question 9.
Critical angle of glass is 0j and that of water is 02. The critical angle for water and glass surface would be (μg = 3/2, μw = 4/3).
(a) less than θ2
(b) between θ1 and θ2
(c) greater than θ2
(d) less than θ1
Answer:
(c) greater than θ2

Question 10.
Critical angle for light going from medium (i) to (ii) is θ. The speed of light in medium (i) is r, then the speed of light in medium (ii) is
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments - 3
Answer:
(b) \(\frac{v}{\sin \theta}\)

Question 11.
Mirage is a phenomenon due to
(a) refraction of light
(b) reflection of light
(c) total internal reflection of light
(d) diffraction of light
Answer:
(c) total internal reflection of light

Question 12.
A biconvex lens has a focal length 2/3 times the radius of curvature of either surface. The refractive index of the lens material is-
(a) 1.75
(b) 1.33
(c) 1.5
(d) 1.0
Answer:
(a) 1.75
Solution:
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments - 7

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments

Question 13.
A convex lens of focal length 0.2 m and made of glass (aμg = 1.5) is immersed in water (aμw = 1.33). Find the change in the focal length of the lens.
(a) 5.8 m
(b) 0.58 cm
(c) 0.58 m
(d) 5.8 cm
Answer:
(c) 0.58 m
Solution:
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments - 8
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments - 9

Question 14.
A convex lens is dipped in a liquid whose refractive index is equal to the refractive index of the lens. Then its focal length will
(a) become zero
(b) become infinite
(c) become small, but non-zero
(d) remain unchanged
Answer:
(b) become infinite

Question 15.
Radii of curvature of a converging lens are in the ratio 1 : 2. Its focal length is 6 cm and refrctive index is 1.5.
Then its radii of curvature are
(a) 9 cm and 18 cm
(b) 6 cm and 12 cm
(c) 3 cm and 6 cm
(d) 4.5 cm and 9 cm
Answer:
(d) 4.5 cm and 9 cm
Solution:
(d) Here, f = 6 cm, µ = 1.5, R1 = R, R2 =- 2R According to lens maker’s formula
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments - 10

Question 16.
A converging lens is used to form an image on a screen. When the upper half of the lens is covered by an opaque screen,
(a) half the image will disappear
(b) complete image will disappear
(c) intensity of image will decrease
(d) intensity of image will increase
Answer:
(c) intensity of image will decrease

Question 17.
Which of the following forms a virtual and erect image for all positions of the object ?
(a) Concave lens
(b) Concave mirror
(c) Convex mirror
(d) Both (a) and (c)
Answer:
(d) Both (a) and (c)

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments

Question 18.
A real image of a distant object is formed by a plano-convex lens on its principal axis. Spherical aberration is
(a) absent.
(b) Smaller, if the curved surfaces of the lens face the object.
(c) smaller, if the plane surface of the lens faces the object.
(d) same, whichever side of the lens faces the object.
Answer:
(b) Smaller, if the curved surfaces of the lens face the object.

Question 19.
A tree is 18.0 m away and 2.0 m high from a concave lens. How high is the image formed by the given lens of focal length 6m?
(a) 1.0 m
(b) 1.5 m
(c) 0.75 m
(d) 0.50 m
Answer:
(d) 0.50 m
Solution:
(d) Focal length of the lens is f= -6.0 m, w = – 18 m and h = 2m
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments - 11

Question 20.
The power of a biconvex lens is 10 dioptre and the radius of curvature of each surface is 10 cm. Then the refractive index of the material of the lens is
(a) \(\frac{3}{2}\)
(b) \(\frac{4}{3}\)
(c) \(\frac{9}{8}\)
(d) \(\frac{5}{3}\)
Answer:
(a) \(\frac{3}{2}\)
Solution:
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Question 21.
A thin glass (refractive index 1.5) lens has optical power of-8 D in air. Its optical power in a liquid medium with refractive index 1.6 will be
(a) 1D
(b) -1D
(c) 25 D
(d) -25D
Answer:
(a) 1D
Solution:
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Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments - 14

Question 22.
The radius of curvature of each surface of a convex lens of refractive index 1.5 is 40 cm. It power is
(a) 2.5 D
(b) 2 D
(c) 1.5D
(d) 1 D
Answer:
(a) 2.5 D
Answer:
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments - 15

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments

Question 23.
Two identical glass ( μg = 3/2 ) equiconvex lenses of focal length/ are kept in contact. The space between the two lenses is filled with water μw = 4/3 ) The focal length of the combination is
(a) f
(b) \(\frac{f}{2}\)
(c) \(\frac{4 f}{3}\)
(d) \(\frac{3 f}{4}\)
Answer:
(d) \(\frac{3 f}{4}\)
Answer:
(d) Let R be the radius of curvature of each surface.
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments - 16

Question 24.
A convex lens of focal length 15 cm is placed on a plane mirror. An object is placed at 30 cm from the lens. The image is
(a) real, at 30 cm in front of the mirror
(b) real, at 30 cm behind the mirror
(c) real, at 10 cm in front of the mirror
(d) virtual, at 10 cm behind the mirror
Answer:
(a) real, at 30 cm in front of the mirror

Question 25.
A plano-convex lens (f = 20 cm) is silvered at plane surface. The focal length will be
(a) 20 cm
(b) 40cm
(c) 30cm
(d) 10cm
Answer:
(d) 10cm

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Question 26.
A ray of light is incident at 60° on one face of a prism of angle 30° and the emergent ray makes 30° with the incident ray. The refractive index of the prism is
(a) 1.732
(b) 1.414
(c) 1.5
(d) 1.33
Answer:
(a) 1.732
Answer:
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments - 17
Here, i = 60°, A = 30°, δ = 30°
As i + e = A + δ; e = A + δ – i = 30°+ 30°- 60°= 0°
Hence emergent ray in normal to the surface e = 0° ⇒ r2 = 0°
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Question 27.
A small angle prism (p = 1.62) gives a deviation of 4.8°. The angle of prism is
(a) 5°
(b) 6.36°
(c) 3°
(d) 7.74°
Answer:
(d)7.74°
Answer:
(d) Here, n= 1.62, 5 = 4.8°; μ = (μ – 1)A
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments - 19

Question 28.
Which of the following colours of white light deviated most when passes through a prism ?
(a) Red light
(b) Violet light
(c) Yellow light
(d) Both (a) and (b)
Answer:
(b) Violet light

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Question 29.
White light is incident normally on a glass slab. Inside the glass slab,
(a) red light travels faster than other colours
(b) violet light travels faster than other colours
(c) yellow light travels faster than other colours
(d) all colours travel with the same speed
Answer:
(a) red light travels faster than other colours

Question 30.
When light rays undergoes two internal reflection inside a raindrop, which of the rainbow is formed ?
(a) Primary rainbow
(b) Secondary rainbow
(c) Both (a) and (b)
(d) Can’t say
Answer:
(b) Secondary rainbow

Question 31.
An under-water swimmer cannot see very clearly even in absolutely clear water because of
(a) absorption of light in water
(b) scattering of light in water
(c) reduction of speed of light in water
(d) change in the focal length of eye lens
Answer:
(d) change in the focal length of eye lens

Question 32.
The nearer point of hypermetropic eye is 40 cm. The lens to be used for its correction should have the power
(a) + 1.5 D
(b) – 1.5 D
(c) + 2.5D
(d) + 0.5D
Answer:
(c) + 2.5D
Answer:
(c) Hypermetropia is corrected by using convex lens.
Focal length of lens used/= + (defected near point) f = + d = + 40 cm
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments - 20

Question 33.
A compound microscope consists of an objective lens with focal length 1.0 cm and eye piece of focal length 2.0 cm and a tube length 20 cm the magnification will be
(a) 100
(b) 200
(c) 250
(d) 300
Answer:
(c) 250
Solution:
(c) Magnification, of compound microscope
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments - 21
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments

Question 34.
The final image in an astronomical telescope with respect to object is
(a) virtual and erect
(b) real and erect
(c) real and inverted
(d) virtual and inverted
Answer:
(d) virtual and inverted

Question 35.
An astronomical refractive telescope has an objective of focal length 20 m and an eyepiece of focal length 2 cm. Then
(a) the magnification is 1000
(b) the length of the telescope tube is 20.02 m
(c) the image formed is inverted
(d) all of these
Answer:
(d) all of these

Question 36.
A giant refracting telescope at an observatory has an objective lens of focal length 15 m. If an eye piece of focal length 1.0 cm is used, what is the angular magnification of the telescope ?
(a) 1000
(b) 1500
(c) 2000
(d) 3000
Answer:
(b) 1500

Question 37.
The number of capital letters such as A, B, C, D …..which are not laterally inverted by a plane mirror ?
(a) 6
(b) 7
(c) 11
(d) 13
Answer:
(c) 11

Question 38.
Two mirrors at an angle 0° produce 5 images of a point. The number of images produced when 0 is decreased to 0°- 30° is
(a) 9
(b) 10
(c) 11
(d) 12
Answer:
(c) 11
Solution:
(c) Here, the walls, will act as two plane mirrors inclined to each other at 90° (i.e 0 = 90°).
The number of images formed is
\(n=\frac{360^{\circ}}{90^{\circ}}-1=4-1=3\)

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Question 39.
A man stands symmetrically between two large plane mirrors fixed to two adjacent walls of a rectangular room. The number of images formed are
(a) 4
(b) 3
(c) 2
(d) 6
Answer:
(b) 3
Solution:
(b) Different angles are as shown in figure.
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments - 22
In triangle ABC, θ + θ + θ = 180°, θ = 60°

Question 40.
A short pulse of white light is incident from air to a glass slab at normal iiicidence. After travelling through the slab, the first colour to emerge is
(a) blue
(b) green
(c) violet
(d) red
Answer:
(d) red

Question 41.
A passenger in an aeroplane shall
(a) never see a rainbow.
(b) may see a primary and a secondary rainbow as concentric cricles.
(c) may see a primary and a secondary rainbow as concentric arcs.
(d) shall never see a secondary rainbow.
Answer:
(b) may see a primary and a secondary rainbow as concentric cricles.

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 9 Ray Optics and Optical Instruments

Question 42.
The phenomena involved in the reflection of radiowaves by ionosphere is similar to
(a) reflection of light by a plane mirror.
(b) total internal reflection of light in air during a mirage.
(c) dispersion of light by water molecules during the formation of a rainbow.
(d) scattering of light by the particles of air.
Answer:
(d) scattering of light by the particles of air.

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 5 Magnetism and Matter

Bihar Board 12th Physics Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 5 Magnetism and Matter

Question 1.
The primary origin of magnetism lies in
(a) atomic current and intrinsic spin of electrons.
(b) polar and non polar nature of molecules.
(e) pauli exclusion principle.
(d) electronegative nature of materials.
Answer:
(a) atomic current and intrinsic spin of electrons.

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 5 Magnetism and Matter

Question 2.
Magnetic moment for a solenoid and corresponding bar magnet is
(a) equal for both
(b) more for solenoid
(c) more for bar magnet
(d) none of these
Answer:
(a) equal for both

Question 3.
Which of the following is correct about magnetic
monopole?
(a) Magnetic monopole exist.
(b) Magnetic monopole does not exist.
(c) Magnetic monopole have constant value of monopole momentum.
(d) The monopole momentum increase due to increase at its distance from the field.
Answer:
(b) Magnetic monopole does not exist.

Question 4.
The pole strength of 12 cm ¡ong bar magnet is 20 A m. The magentic induction at a point 10 cm away from
tue centre of the magnet on its axial line is \(\left[\frac{\mu_{0}}{4 \pi}=10^{-7} \cdot \mathrm{H} \mathrm{m}^{-1}\right]\)
(a) 1.17 ×  10-3T
(b) 2.20 × 10-3 T
(c) 1.17 × 10-2T
(d) 2.20 × 10-2T
Answer:
(a) 1.17 × 10-3T
Solution:
(a) On axial line , \(B=\frac{\mu_{0}}{4 \pi} \frac{2 m d}{\left(d^{2}-l^{2}\right)^{2}}\)
Given, 21 = 12 cm = 0.12 m
Pole strength = 20 A m, d- 10 cm = 0.1 m
Magnetic moment m – 20 x 0.12 Am2
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 5 Magnetism and Matter - 2

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 5 Magnetism and Matter

Question 5.
What is the magnitude of axiai field due to a bar magnet of length 3 cm at a distance of 75 cm from its mid-point if its magnetic moment is 0.6 Am2?
(a) 0.013 µT
(b) 0.113 µT
(c) 0.213 µT
(d) 0.313 µT
Answer:
(c) 0.213 µT
Solution:
(c) Here, m = 0.6 A m2, r- 75 cm = 0.75 m Mo
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 5 Magnetism and Matter - 3
∴ Baxial = 2.13 x 10-7 T = 0.213µT

Question 6.
A solenoid of cross-sectional area 2 × 10-4 m2 and 900 turns has 0.6 A m2 magnetic moment. Then the current flowing through it is
(a) 2.24 A
(b) 2.34 mA
(c) 3.33 A
(d) 3.33 mA
Answer:
(c) 3.33 A
Solution:
(c) Here, N = 900 turns, A = 2 x 10-4 m2, ms = 0.6 A m2
The magnetic moment of solenoid ms = NIA
The current flowing through the solenoid is
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 5 Magnetism and Matter - 4

Question 7.
A circular coil of 300 turns and diameter 14 cm carries a current of 15 A. The magnitude of magnetic moment
associated with the loop is
(a) 51.7JT-1
(b) 69.2 J T-1
(c) 38.6 J T-1
(d) 19.5 J T-1
Answer:
(b) 69.2 J T-1

Question 8.
The torque and magnetic potential energy of a
magnetic dipole in most stable position in a uniform
magnetic field (\(\vec{B}\)) having magnetic moment (\(\vec{m}\)) will be
(a) -mB, zero
(b) mB. zero
(c) zero, mb
(d) zero, -mb
Answer:
(d) zero, -mb

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 5 Magnetism and Matter

Question 9.
The work done in moving a dipole from its most stable to most unstable position in a 0.09 T uniform magnetic field is (dipole moment of this dipole = 0.5 A m2)
(a) 0.07 J
(b) 0.08 J
(c) 0.09 J
(d) 0.01 J
Answer:
(c) 0.09 J

Question 10.
The magnetic moment of a short bar magnet placed with its magnetic axis at 30° to an external field of 900 G and experience a torque of 0.02 N m is
(a) 0.35 A m2
(b) 0.44 A m2
(c) 2.45 Am2
(d) 1.5 Am2
Answer:
(b) 0.44 A m2
Solution:
(b) Here, B = 900 Gauss = 900 x 10-4 T.
= 9 x 10-2 T
τ = 0.02 N m and θ = 30°
∴ τ = mB sin θ
⇒ 0.02 = m x 9 x 10-2 x sin 30°
0.02 = 9 x 10-2 x \(\frac{1}{2}\) x m
m = \(\frac{0.02 \times 2}{9 \times 10^{-2}}\) = 0.44Am2

Question 11.
The net magnetic flux through any closed surface, kept in a magnetic field is
(a) zero
(b) \(\frac{\mu_{0}}{4 \pi}\)
(c) 4πμ0
(d) \(\frac{4 \mu_{0}}{\pi}\)
Answer:
(a) zero

Question 12.
The earth behaves as a magnet with magnetic field pointing approximately from the geographic
(a) North to South
(b) South to North
(c) East to West
(d) West to East
Answer:
(b) South to North

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Question 13.
The strength of the earth’s magnetic field is
(a) constant everywhere
(b) zero everywhere
(c) having very high value
(d) vary from place to place on the earths surface
Answer:
(d) vary from place to place on the earths surface

Question 14.
Which of the following is responsible for the earth’s magnetic field ?
(a) Convective currents in earth’s core.
(b) Diversive current in earth’s core.
(c) Rotational motion of earth.
(d) Translational motion of earth.
Answer:
(a) Convective currents in earth’s core.

Question 15.
Which of the following independent quantities is not used to specify the earth’s magnetic field ?
(a) Magnetic declination (θ).
(b) Magnetic dip (δ).
(c) Horizontal component of earth’s field (BH).
(d) Vertical component of earth’s field (Bv).
Answer:
(d) Vertical component of earth’s field (Bv).

Question 16.
The dip angle at a location in southern India is about 18°. Then the dip angle in Britain will be
(a) greater than 18°
(b) lesser than 18°
(c) equal to 18°
(d) zero
Answer:
(a) greater than 18°

Question 17.
The angle of dip at a certain place where the horizontal and vertical components of the earth’s magnetic field are equal is
(a) 30°
(b) 75°
(c) 60°
(d) 45°
Answer:
(d) 45°

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Question 18.
The vertical component of earth’s magnetic field at a place is √3 times the horizontal component the value of angle of dip at this place is
(a) 30°
(b) 45°
(c) 60°
(d) 90°
Answer:
(c) 60°

Question 19.
The angles of dip at the poles and the equator respectively are
(a) 30°, 60°
(b) 0°, 90°
(c) 45°, 90°
(d) 90°, 0°
Answer:
(d) 90°, 0°

Question 20.
The equatorial magnetic field of earth is 0.4 G. Then its dipole moment on equator is
(a) 1.05 x 1023 A m2
(b) 2.05 × 1023 A m2
(c) 1.05 × 1021 A m2
(d) 2.05 × 1021 A m2
Answer:
(a) 1.05 × 1023 A m2
Solution:
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Question 21.
A magnetising fieid of 1500 A m-1 produces flux of 2.4 × 10-5 weber in a iron bar of the cross-sectional area of 0.5 cm2. The permeability of the iron bar is
(a) 245
(b) 250
(c) 252
(d) 255
Answer:
(d) 255
Solution:
(d) Here, H = 1500 A m-1 , Φ = 2.4 x 10-5
weber A = 0.5 cm2 = 0.5 x 10-4 m2
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Question 22.
A solenoid has a core of a substance with relative permeability 600. What is the magnetic permeability of the given substance ?
(a) 20π × 10-5 N A2
(b) 2lπ × 10-5 N A2
(c) 22π × 10-5 N A2
(d) 24π × 10-5 N A2
Answer:
(d) 24π × 10-5 N A2
Solution:

(d) As μ = μr μ0
Here, μr = 600 and μ0 = 4π x 10-7 N A-2 Magnetic permeability, μ = 600 x 4π x 10-7 = 24π x 10-5 N A-2

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Solution:Question 23.
A permanent magnet in the shape of a thin cylinder of length 50 cm has intensity of magnetisation 106 A m-1. The magnetisation current is
(a) 5 × 105 A
(b) 6 × 105 A
(c) 5 × 104 A
(d) 6 × 104 A
Answer:
(a) 5 × 105 A

Question 24.
A magnetising field of 2 × 103 A m-1 produces a magnetic flux density of 8 π T in an iron rod. The relative permeability of the rod will be
(a) 102
(b) 1
(c) 104
(d) 103
Answer:
(c) 104
Solution:
(c) Here, H= 2 x 103 Am-1,
B = 8πT = μ0 = 4π x 10-7
Since
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Question 25.
The relation connecting magnetic susceptibility χm and relative permeability pr is
(a) χm = μr + 1
(b) μr = μr – 1
(c) \(\chi_{m}=\frac{1}{\mu_{r}}\)
(d) χm = 3(1 + μr)
Answer:
(b) μr = μr – 1

Question 26.
The relative permeability of iron is 6000. Itsmagnetic susceptibility is
(a) 5999
(b) 6001
(c) 6000 × 10-7
(d) 6000 × 107
Answer:
(a) 5999

Question 27.
Which of the following is universal magnetic property ?
(a) Ferromagnetism
(b) Diamagnetism
(c) Paramagnetism
(d) Anti-ferromagnetism
Answer:
(b) Diamagnetism

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Question 28.
Magnetic susceptibility of a diamagnetic substances
(a) increase with increase in temperature
(b) increases with decrease in temperature
(c) remains constant with change in temperature
(d) none of these
Answer:
(c) remains constant with change in temperature

Question 29.
A ball of superconducting material is dipped in liquid nitrogen and placed near a bar magnet. In which direction will it move ?
(a) Away from bar magnet
(b) Towards the bar magnet
(c) Around the bar magnet
(d) Remain constant
Answer:
(a) Away from bar magnet

Question 30.
Out of given paramagnetic substance (Calcium, Chromium, Oxygen and Tungsten) which substance has maximum susceptibility ?
(a) Calcium
(b) Chromium
(c) Oxygen
(d) Tungsten
Answer:
(b) Chromium

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Question 31.
The correct M-H curve for a paramagnetic material at a constant temperature (T) is represented by
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Answer:
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Question 32.
The magnetic susceptibility of a paramagnetic material at -73“ C is 0.0075, its value at -173″C will be
(a) 0.0045
(b) 0.0030
(c) 0.015
(d) 0.00754
Answer:
(c) 0.015
Solution:
(c) Here, χm = 0.0075,
T1 =-73 °C = (-73 + 273 ) K = 200 K
T2 = – 173 °C = (-173 + 273) K = 100 K, χm2 = ?
As for paramagnetic material magnetic susceptibility
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Question 33.
The magnetic susceptibility of a paramagnetic sustance at -173° C is 1.5 × 10-2 then its value at -73 “C will be
(a) 7.5 × 10-1
(b) 7.5 × 10-2
(c) 7.5 × 10-3
(d) 7.5 × 10-4
Answer:
(c) 7.5 × 10-3

Question 34.
A paramagnetic liquid is taken in a U-tube and arranged so that one of its limbs is kept between pole pieces of the magnet. The liquid level in the limb
(a) goes down
(b) rises up
(c) remains same
(d) first goes down and then rise
Answer:
(b) rises up

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Question 35.
Mark the correct set of ferromagnetic substance
(a) iron, cobalt and nickel
(b) iron, copper and lead
(c) silicon, bismuth and nickel
(d) aluminium, sodium and copper.
Answer:
(a) iron, cobalt and nickel

Question 36.
In an experiment it is found that the magnetic susceptibility of given sustance is much more greater than one. The possible substance is
(a) diamagnetic
(b) paramagnetic
(c) ferromagnetic
(d) nonmagnetic
Answer:
(c) ferromagnetic

Question 37.
Magnetic permeability is maximum for
(a) ferromagnetic substances
(b) diamagnetic substances
(c) paramagnetic substances
(d) all of these
Answer:
(a) ferromagnetic substances
Solution:
(c) In paramagnetic substance the magnetic susceptibility
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Here, χ1= 15 x 10-2,
T1 = 273 – 173 = 100 K, T2 = 273 – 73 = 200 K
χ2 =1.5 x 10-2 x \(\frac{100}{200}\) = 7.5 x 10-3

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Question 38.
Nickel shows ferromagnetic property at room temperature. If the temperature is increased beyond Curie temperature, then it will show
(a) anti ferromagnetism
(b) no magnetic property
(c) diamagnetism
(d) paramagnetism
Answer:
(d) paramagnetism

Question 39.
The temperature of transition from ferromagnetic property to paramagnetic property is called
(a) Transition temperature
(b) Critical temperature
(c) Curie temperature
(d) Triplet temperature.
Answer:
(c) Curie temperature

Question 40.
The hysteresis cycle for the material of a transformer core is
(a) short and wide
(b) tall and narrow
(c) tall and wide
(d) short and narrow
Answer:
(b) tall and narrow

Question 41.
The magnetising field required to be applied in opposite direction to reduce residual magnetism to zero is called
(a) retentivity
(b) coercivity
(c) hysteresis
(d) flux
Answer:
(b) coercivity

Question 42.
Which of the following material is used in making the core of a moving coil galvanometer ?
(a) Copper
(b) Nickel
(c) Iron
(d) Both (a) & (b)
Answer:
(c) Iron

Question 43.
Identify the mismatched pair.
(a) Hard magnet – Alnico
(b) soft magnet – Soft iron
(c) Bar magnet – Equivalent solenoid
(d) Electromagnet – Loud speaker
Answer:
(d) Electromagnet – Loud speaker

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 7 The p-Block Elements

Bihar Board 12th Chemistry Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 7 The p-Block Elements

Question 1.
Nitrogen shows different oxidation states ranging from
(a) -3 to +5
(b) -5 to + 5
(c) 0 to -5
(d) -3 to +3
Answer:
(a) -3 to +5

Question 2.
The oxidation state of nitrogen is highest in
(a) N3H
(b) NH3
(c) NH2OH
(d) N2H4
Answer:
(a) N3H

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 7 The p-Block Elements

Question 3.
Nitrogen forms stable N2 molecule but phosphorus is converted to P4 from P2 because
(a) pπ – pπ bonding is strong in phosphorus
(b) pπ – pπ bonding is weak in phosphorus
(c) triple bond is present in phosphorus
(d) single P – P bond is weaker than N – N bond
Answer:
(b) pπ – pπ bonding is weak in phosphorus

Question 4.
The decreasing order of boiling points of the following hydrides is …………..
(a) H2O > SbH3 > AsH3 > PH3 > NH3
(b) H2O > NH3 > SbH3 > AsH3 > PH3
(c) H2O > SbH3 > NH3 > AsH3 > PH3
(d) H2O > PH3 > AsH3 > SbH3 > NH3
Answer:
(c) H2O>SbH3>NH3>AsH3>PH3

Question 5.
Nitrogen can form only one chloride with chlorine which is NCl3 where as P can form PCl3 and PCl5. This is
(a) due to absence of d – orbitals in nitrogen
(b) due to difference in size of N and P
(c) due to higher reactivity of P towards Cl than N
(d) due to presence of multiple bonding in nitrogen
Answer:
(a) due to absence of d – orbitals in nitrogen

Question 6.
On heating a mixture of NH4Cl and KNO2, we get
(a) NH4NO3
(b) KNH4(NO3)2
(c) N2
(d) NO
Answer:
(c) N2

Question 7.
Nitrogen is relatively inactive element because
(a) its atoms has a stable electronic configuration
(b) it has low atomic radius
(c) its electronegativity is fairly high
(d) dissociation energy of its molecule is fairly high
Answer:
(d) dissociation energy of its molecule is fairly high

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 7 The p-Block Elements

Question 8.
Nitrogen combines with metals to form
(a) nitrites
(b) nitrates
(c) nitrosyl chloride
(d) nitrides
Answer:
(d) nitrides

Question 9.
Nitrogen is used to fill electric bulbs because
(a) it is lighter than air
(b) it makes the bulb to glow
(c) it does not support combustion
(d) it is non-toxic
Answer:
(c) it does not support combustion

Question 10.
Which of the following compounds will not give ammount on heathing ?
(a) (NH4)2SO4
(b) (NH4)2CO3
(c) NH4NO2
(d) NH4Cl
Answer:
(c) NH4NO2

Question 11.
Which of the following factors would favour the formation of ammonia ?
(a) High pressure
(b) Low temperatue
(c) High volume
(d) Low pressure
Answer:
(a) High pressure

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Question 12.
Ammonia is a Lewis base. It forms complexes with cations. Which one of the following cations does not form complex with ammonia ?
(a) Ag+
(b) Cu2+
(c) Cd2+
(d) Pb2+
Answer:
(d) Pb2+

Question 13.
Which oxide of nitrogen is obtained on heating ammonium nitrate at 250°C ?
(a) Nitric oxide
(b) Nitrous oxide
(c) Nitrogen dioxide
(d) Dinitrogen  tetraoxide
Answer:
(b) Nitrous oxide

Question 14.
Which of the following oxides is anhydride of nitrous acid ?
(a) N2O3
(b) NO2
(c) NO
(d) N2O4
Answer:
(a) N2O3

Question 15.
Atomicity of phosphorus is
(a) one
(b) two
(c) three
(d) four
Answer:
(d) four

Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 7 The p-Block Elements

Question 16.
The structure of white phosphorus is ‘
(a) square planar
(b) pyramidal
(c) tetrahedral
(d) trigonal planar
Answer:
(c) tetrahedral

Question 17.
Each of the following is true for white and red phosphorus except that they
(a) are both soluble in CS2
(b) can be oxidized by heating in air
(c) consist of the same kind of atoms
(d) can be converted into one another
Answer:
(a) are both soluble in CS2

Question 18.
Phosphine is prepared by the action of
(a) P and H2SO4
(b) P and NaOH
(c) P and H2S
(d) P and HNO3
Answer:
(b) P and NaOH

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Question 19.
Holme’s signal uses chemical compound
(a) calcium carbide
(b) calcium phosphide
(c) calcium carbide and calcium phosphide
(d) calcium carbide and aluminium carbide
Answer:
(c) calcium carbide and calcium phosphide

Question 20.
Which of the following is not correctly matched ?
(a) PCl5 – sp3d hybridisation
(b) PCl3 – sp3 hybridisation
(c) PCl5 – (solid) – [PtCl4]+ [PtCl6]
(d) PCl5 –  brownish powder
Answer:
(d) PCl5 –  brownish powder

Question 21.
How many P-O-P bonds appear in cyclic metaphosphoric acid ?
(a) Four
(b) Three
(c) Two
(d) One
Answer:
(b) Three

Question 22.
Which of the following is a tetrabasic acid ?
(a) Hypophosphorous acid
(b) Metaphosphoric acid
(c) Pyrophosphoric acid
(d) Orthophosphoric acid
Answer:
(c) Pyrophosphoric acid

Question 23.
Phosphorous acid on heating gives the following products:
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 7 The p-Block Elements 1
The above reaction is an example of
(a) oxidation
(b) thermal decomposition
(c) disproportionation
(d) reduction
Answer:
(c) disproportionation

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Question 24.
Arrange the following hydrides of group 16 elements in order of increasing stability.
(a) H2S < H2O < H2Te > H2Se
(b) H2O < H2Te < H2Se < H2S
(c) H2O < H2S < H2Se < H2Te
(d) H2Te < H2Se < H2S < H2O
Answer:
(d) H2Te < H2Se < H2S < H2O

Question 25.
The hybridisation of sulphur in sulphur tetrafluoride is
(a) sp3d
(b) sp3d2
(c) sp3d3
(d) sp3
Answer:
(a) sp3d

Question 26.
On heating KCIO3, we get
(a) KCl O2 + O2
(b) KCl + O2
(c) KCl + O3
(d) KCl + O2 + O3
Answer:
(b) KCl + O2

Question 27.
Which of the following is not correctly matched ?
(a) Acidic oxides – P2O5, NO2, Cl2O7
(b) Basic oxides : Na2O, CaO, MgO
(c) Neutral oxides – CO2, CO, BeO
(d) Amphoteric oxides – ZnO, SnO, Al2O3
Answer:
(c) Neutral oxides – CO2, CO, BeO

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Question 28.
The correct order of acidic strength is
(a) K2O > CaO > MgO
(b) CO2 > N2O5 > SO3
(c) Na2O > MgO > Al2O3
(d) Cl2O7 > SO2 > P4O10
Answer:
(d) Cl2O7 > SO2 > P4O10

Question 29.
Which one is not a property of ozone ?
(a) it acts as an oxidising agent in dry state
(b) oxidation of Kl into KlO2
(c) PbS is oxidised to PbSO4
(d) Hg is oxidised to Hg2O
Answer:
(b) oxidation of Kl into KlO2

Question 30.
Sulphur molecule is …………
(a) diatomic
(b) triatomic
(c) tetratomic
(d) octa-atomic
Answer:
(d) octa-atomic

Question 31.
Which of the following statements is not correct for SO2 gas?
(a) It acts as bleaching agent in moist conditions
(b) Its dilute solution is used as disinfectant
(c) Its molecules have linear geometry
(d) Acidified KMnO4 is decolourised when SO2 is passed through it
Answer:
(c) Its molecules have linear geometry

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Question 32.
The oxyacid of sulphur that contains a lone pair of electrons on sulphur is
(a) sulphurous acid
(b) sulphuric acid
(c) peroxodisulphuric acid
(d) pyrosulphuric acid
Answer:
(a) sulphurous acid

Question 33.
In which of the following sulphur is present in +5 oxidation state ?
(a) Dithionic acid
(b) Sulphurous acid
(c) Sulphuric acid
(d) Disulphuric acid
Answer:
(a) Dithionic acid

Question 34.
The correct order of increasing electron affinity of halogens is
(a) I < Br < Cl
(b) Br < I < Cl
(c) Cl < Br < I
(d) I < Cl < Br
Answer:
(a) I < Br < Cl

Question 35.
Which is the correct arrangement of the compounds based on their bond strength ?
(a) HF < HCl > HBr > HI
(b) Hl > HBr > HCl > HF
(c) HCl > HF > HBr > Hl
(d) HF > HBr > HCl > HI
Answer:
(a) HF < HCl > HBr > HI

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Question 36.
The comparatively high boiling point of hydrogen fluoride is due to
(a) high reactivity of fluroine
(b) small size of hydrogen atom
(c) formation of hydrogen bonds
(d) small size of florine
Answer:
(c) formation of hydrogen bonds

Question 37.
The halogen that is most easily reduced is
(a) F2
(b) Cl2
(c) Br2
(d) I2
Answer:
(a) F2

Question 38.
Fluorine is the best oxidising agent because it has
(a) highest electron affinity
(b) highest reduction potential
(c) highest oxidation potential
(d) lowest electron affinity
Answer:
(b) highest reduction potential

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Question 39.
Which of the following is used to prepara Cl2 gas at room temperature from concentrated HCl ?
(a) MnO2
(b) H2S
(c) KMnO4
(d) Cr2O3
Answer:
(c) KMnO4

Question 40.
If chlorine is passed through a solution of hydrogen sulphide in water, the solution turns turbid due to the formation of ………………
(a) free chlorine
(b) free sulphur
(c) nascent oxygen
(d) nascent hydrogen
Answer:
(b) free sulphur

Question 41.
HCl can be prepared by ………….
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 7 The p-Block Elements 2
(c) NaNO3 + H2SO4
(d) both (a) and (b)
Answer:
(d) both (a) and (b)

Question 42.
When three parts of cone. HCl and one part of cone. HNO3 is mixed, a compound ‘X’ is formed. The correct option related to ‘X’ is
(a) ‘X’ is known as aqua-regia
(b) ‘X’ is used for dissolving gold
(c) ‘X’ is used for decomposition of salts of weaker acids
(d) both (a) and (b)
Answer:
(d) both (a) and (b)

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Question 43.
The correct order of acidity of oxoacids of halogens is
(a) HClO < HClO2 < HClO3 < HClO4
(b) HClO4 < HClO3 < HClO2 < HClO
(c) HClO < HClO4 < HClO3 < HClO2
(d) HClO4 < HClO2 < HClO3 < HClO
Answer:
(a) HClO < HClO2 < HClO3 < HClO4

Question 44.
Which compound is prepared by the following reaction :
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 7 The p-Block Elements 3
(a) XeF4
(b) XeF2
(c) XeF6
(d) None of these
Answer:
(b) XeF2

Question 45.
In the clathrates of xenon with water the nature of bonding in Xe and H2O molecule is ………..
(a) covalent
(b) hydrogen bonding
(c) coordinate
(d) dipole-induced dipole
Answer:
(d) dipole-induced dipole

Question 46.
Among the following molecules
(a) XeO3
(ii) XeOF4
(iii) XeF6
those having same number of lone pairs on Xe are
(a) (i) and (ii) only
(b) (i) and (iii) only
(c) (ii) and (iii) only
(d) (i), (ii) and (iii)
Answer:
(d) (i), (ii) and (iii)

Question 47.
In XeF2, XeF4 and XeF6 the number of lone pairs on Xe is respectively
(a) 2, 3,1
(b) 1,2,3
(c) 4,1,2
(d) 3,2,1
Answer:
(d) 3,2,1

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Question 48.
Compound with the geometry square pyramidal and sp3 d2 hybridisation is
(a) XeOF2
(b) XeOF4
(c) XeO4
(d) XeO2F2
Answer:
(b) XeOF4

Question 49.
Which of the following elements can be involved in pn – dn bonding ?
(a) Carbon
(b) Nitrogen
(c) Phosphorus
(d) Boron
Answer:
(c) Phosphorus

Question 50.
Which of the following paris of ions are isoelectronic and isostructural ?
Bihar Board 12th Chemistry Objective Answers Chapter 7 The p-Block Elements 4
Answer:
(a)

Question 51.
Which of the following acids forms three series of salts ?
(a) H3PO2
(b) H3BO3
(c) H3PO4
(d) H3PO3
Answer:
(c) H3PO4

Question 52.
Strong reducing behaviour of H3PO2 is due to
(a) low oxidation state of phosphorus
(b) presence of two – OH groups and one P-H bond
(c) presence of one – OH group and two P-H bonds
(d) high electron gain enthalpy of phosphorus
Answer:
(c) presence of one – OH group and two P-H bonds

Question 53.
On heating, lead nitrate forms oxides of nitrogen and lead. The oxides formed are…………….
(a) N2O, PbO
(b) NO2, PbO
(c) NO, PbO
(d) NO, PbO2
Answer:
(b) NO2, PbO

Question 54.
Which of the following elements does not show allotropy ?
(a) Nitrogen
(b) Bismuth
(c) Antimony
(d) Arsenic
Answer:
(b) Bismuth

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Question 55.
Maximum covalency of nitrogenis …………………………………….
(a) 3
(b) 5
(c) 4
(d) 6
Answer:
(c) 4

Question 56.
Elements of group-15 form compounds in +5 oxidation state. However, bismuth forms only one well characterised compound in +5 oxidation state. The compound is
(a) Bi2Os
(b) BiF5
(c) BiCl5
(d) Bi2S5
Answer:
(b) BiF5

Question 57.
The oxidation state of central atom in the anion of compound NaH2PO2 will be
(a)+3
(b) +5
(c) + 1
(d) -3
Answer:
(c) + 1

Question 58.
Which of the following is not tetrahedral in shape ?
(a) NH+4
(b) SiCl4
(c) SF4
(d) SO24
Answer:
(c) SF4

Question 59.
Which of the following is an isoelectronic pair ?
(a) ICI2, CIO2
(b) BrO2, BrF>+2
(c) CIO2,BrF
(d) CN,O3
Answer:
(b) BrO2, BrF+2