Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 3 तुलसीदास के पद

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Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 3 तुलसीदास के पद

 

तुलसीदास के पद वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ

Tulsidas Ke Pad Class 12 Question Answer Bihar Board प्रश्न 1.
इनमें तुलसीदास की कौन–सी रचना है?
(क) उषा
(ख) पद
(ग) हार–जीत
(घ) अधिनायक
उत्तर-
(ख)

Tulsidas Ke Pad Class 12 Bihar Board प्रश्न 2.
तुलसीदास के शिक्षा गुरु कौन थे?
(क) शेष सनातन जी
(ख) विद्यापति जी
(ग) शेषनाथ जी
(घ) कलानाथ जी
उत्तर-
(क)

Chapter 3 Tulsidas Bihar Board Class 12th प्रश्न 3.
काशी में कितने वर्ष रहकर तुलसीदास विद्याध्ययन किए?
(क) 15 वर्षों तक
(ख) 10 वर्षों तक
(ग) 18 वर्षों तक
(घ) 20 वर्षों तक
उत्तर-
(क)

Class 12 Hindi Tulsidas Question Answer Bihar Board प्रश्न 4.
तुलसीदास का जन्म कब हुआ था?
(क) 1540 ई.
(ख) 1535 ई.
(ग) 1543 ई.
(घ) 1546 ई.
उत्तर-
(ग)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

Tulsidas Ke Pad Class 12 Isc Explanation Bihar Board प्रश्न 1.
कबहुँक………….. अवसर पाई।
मेटिओ सुधि द्याइबी कछु करून–कथा चलाई।।
उत्तर-
अंब

तुलसीदास पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 12th प्रश्न 2.
बूझि हैं ‘सो है कौन’ कहिबी नाम………. जनाइ। सुनत रामकृपालु के मेरी बिगारिऔ बनि जाइ।।
उत्तर-
दसा

Tulsidas Ke Pad Class 12 Summary Bihar Board प्रश्न 3.
जानकी जगजननि जन की किए…….. सहाइ।
तरै तुलसीदास भव तव–नाथ–गुन–गन गाइ।।
उत्तर-
बचन

Tulsidas 12th Class Bihar Board प्रश्न 4.
द्वार हौं भोर ही को आजु।।
रटत रिरिहा आरि और न कौर ही तें……….।।
उत्तर-
काजु

Tulsidas Class 12 Bihar Board प्रश्न 5.
कलि कराल दुकाल………… सब कुभाँति कुसाजु।
नीचजन, मन ऊँच, जैसी कोढ़ में की खाजु।।
उत्तर-
दरुन

तुलसीदास के पद अति लघु उत्तरीय प्रश्न

Tulsidas Ke Pad Question Answer Bihar Board Class 12th प्रश्न 1.
तुलसीदास किस शाखा के कवि हैं?
उत्तर-
राममार्गी।

तुलसीदास का जन्म कहां हुआ था Bihar Board Class 12th प्रश्न 2.
दूसरे पद में तुलसी ने अपना परिचय किस रूप में दिया है?
उत्तर-
भिखारी के रूप में।

प्रश्न 3.
रामचरितमानस किसकी कृति है?
उत्तर-
तुलसीदास।

प्रश्न 4.
तुलसी को किस वस्तु की भूख है?
उत्तर-
भक्ति की।

प्रश्न 5.
‘कबहुँक अंब अवसर पाई’ यह ‘अंब’ संबोधन किसके लिए है?
उत्तर-
सीता के लिए।

प्रश्न 6.
तुलसीदास के पठित पद किस भाषा में है?
उत्तर-
अवधी।

तुलसीदास के पद पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
“कबहुँक अंब अवसर पाई।” यहाँ ‘अम्ब” संबोधन किसके लिए है? इस संबोधन का मर्म स्पष्ट करें।
उत्तर-
उपर्युक्त पंक्ति में ‘अंब’ का संबोधन माँ सीता के लिए किया गया है। गोस्वामी तुलसीदास ने सीताजी को सम्मानसूचक शब्द ‘अंब’ के द्वारा उनके प्रति सम्मान की भावना प्रदर्शित
की है।

प्रश्न 2.
प्रथम पद में तुलसीदास ने अपना परिचय किस प्रकार दिया है? लिखिए।
उत्तर-
प्रथम पद में तुलसीदास ने अपने विषय में हीनभाव प्रकट किया है। अपनी भावना को व्यक्त करते हुए कहते हैं कि वह दीन, पानी, दुर्बल, मलिन तथा असहाय व्यक्ति हैं। वे अनेकों अवगुणों से युक्त हैं। ‘अंगहीन’ से उनका आशय संभवतः ‘असहाय’ होने से है।

प्रश्न 3.
अर्थ स्पष्ट करें
(क) नाम लै भरै उदर एक प्रभु–दासी–दास कहाई।
(ख) कलि कराल दुकाल दारुन, सब कुभाँति कुसाजु।
नीच जन, मन ऊँच, जैसी कोढ़ में की खाजु॥
(ग) पेट भरि तुलसिहि जेंवाइय भगति–सुधा सुनाजु।
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पद्यांश का अर्थ है–तुलसीदास भगवान राम का गुणगान करके, उनकी कथा कहकर जीवन–यापन कर रहे हैं, अर्थात् सीता माता का सेवक बनकर राम कथा द्वारा परिवार का भरण–पोषण हो रहा है।

(ख) कलियुग का भीषण बुरा समय असह्य है तथा पूर्णरूपेण बुरी तरह अव्यवस्थित और दुर्गतिग्रस्त है। निम्न कोटि का व्यक्ति होकर बड़ी–बड़ी (ऊँची) बातें सोचना कोढ़ में खाज के समान है अर्थात् ‘छोटे मुंह बड़ी बात’ कोढ़ में खुजली के समान है।

(ग) कवि को भक्ति–सुधा रूपी अच्छा भोजन करा कर उसका पेट भरें। इसमें गरीबों के मालिक श्रीराम से प्रार्थना की गयी है उन्हीं के भक्त तुलसीदास के द्वारा।

प्रश्न 4.
तुलसी सीता से कैसी सहायता मांगते हैं?
उत्तर-
तुलसीदास माँ सीता से भवसागर पार कराने वाले श्रीराम को गुणगान करते हुए मुक्ति–प्राप्ति की सहायता की याचना करते हैं। हे जगत की जननी अपने वचन द्वारा मेरी सहायता कीजिए।

प्रश्न 5.
तुलसी सीधे राम से न कहकर सीता से क्यों कहलवाना चाहते हैं?
उत्तर-
ऐसा संभवतः तुलसीदास इसलिए चाहते थे क्योंकि–

  1. उनको अपनी बातें स्वयं राम के समक्ष रखने का साहस नहीं हो रहा होगा, वे संकोच का अनुभव कर रहे होंगे।
  2. सीताजी सशक्त ढंग से (जोर देकर) उनकी बातों को भगवान श्रीराम के समक्ष रख सकेंगी। ऐसा प्रायः म देखा जाता है कि किसी व्यक्ति से उनकी पत्नी के माध्यम से कार्य करवाना अधिक आसान होता है।
  3. तुलसी ने सीताजी को माँ माना है तथा पूरे रामचरितमानस में अनेकों बार माँ कहकर ही संबोधित किया है। अत: माता सीता द्वारा अपनी बातें राम के समक्ष रखना ही उन्होंने श्रेयस्कर समझा।

प्रश्न 6.
राम के सुनते ही तुलसी की बिगड़ी बात बन जाएगी, तुलसी के इस भरोसे का क्या कारण है?
उत्तर-
गोस्वामी तुलसीदास राम की भक्ति में इतना अधिक निमग्न थे कि वह पूरे जगत को राममय पाते थे–”सिवा राममय सब जग जानि” यह उनका मूलमंत्र था। अतः उनका यह दृढ़ विश्वास था कि राम दरबार पहुँचते ही उनकी बिगड़ी बातें बन जाएँगे। अर्थात् राम ज्योंही उनकी बातों को जान जाएँगे, उनकी समस्याओं एवं कष्टों से परिचित होंगे, वे इसका समाधान कर देंगे। उनकी बिगड़ी हुई बातें बन जाएँगे।

प्रश्न 7.
दूसरे पद में तुलसी ने अपना परिचय किस तरह दिया है, लिखिए।
उत्तर-
दूसरे पद में तुलसीदास ने अपना परिचय बड़ी–बड़ी (ऊँची) बातें करनेवाला अधम (क्षुद जीव) कहा है। छोटा मुँह बड़ी बात (बड़बोला) करनेवाला व्यक्ति के रूप में स्वयं को प्रस्तुत किया है, जो कोढ़ में खाज (खुजली) की तरह है।

प्रश्न 8.
दोनों पदों में किस रस की व्यंजना हुई है।
उत्तर-
दोनों पदों में भक्ति–रस की व्यंजना हुई है। तुलसीदास ने मर्यादा पुरुषोत्तम राम तथा जगत जननी सीता की स्तुति द्वारा भक्तिभाव की अभिव्यक्ति इन पदों में की है।

प्रश्न 9.
तुलसी के हृदय में किसका डर है?
उत्तर-
तुलसी की दयनीय अवस्था में उनके सगे–सम्बन्धियों आदि किसी ने भी उनकी सहायता नहीं की। उनके हृदय में इसका संताप था। इससे मुक्ति पाने के लिए उन्हें संतों की शरण में जाना पड़ा और उन्हें वहाँ इसका आश्वासन भी मिला कि श्रीराम की शरण में जाने से सब संकट दूर हो जाते हैं।

प्रश्न 10.
राम स्वभाव से कैसे हैं? पंठित पदों के आधार पर बताइए।
उत्तर-
प्रस्तुत पदों में राम के लिए संत तुलसीदासजी ने कई शब्दों का प्रयोग किया है जिससे राम के चारित्रिक गुणों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। श्रीराम को कवि ने कृपालु कहा है। श्रीराम का व्यक्तित्व जन–जीवन के लिए अनुकरणीय और वंदनीय है। प्रस्तुत पदों में तुलसी ने राम की कल्पना मानव और मानवेतर दो रूपों में की है। राम के कुछ चरित्र प्रगट रूप में और कुछ चरित्र गुप्त रूप में दृष्टिगत होता है। उपर्युक्त पदों में परब्रह्म राम ओर दाशरथि राम के व्यक्तित्व की व्याख्या की गयी है। राम में सर्वश्रेष्ठ मानव गुण है। राम स्वभाव से ही उदार और भक्तवत्सल है। दासरथि राम को दानी के रूप में तुलसीदासजी ने चित्रण किया है। पहली कविता में प्रभु, बिगड़ा काम बनाने वाले, भवना आदि शब्द श्रीराम के लिए आए हैं। इन शब्दों द्वारा परब्रह्म अलौकिक प्रतिभा संपन्न श्रीराम की चर्चा है।

दूसरी कविता में कोसलराज, दाशरथि, राम, गरीब नियाजू आदि शब्द श्रीराम के लिए प्रयुक्त हुए हैं। अतः, उपर्युक्त पद्यांशों के आधार पर हम श्रीराम के दोनों रूपों का दर्शन पाते हैं। वे दीनबन्धु, कृपालु, गरीबों के त्राता के रूप में हमारे समक्ष उपस्थित होते हैं। दूसरी ओर कोसलराजा दशरथ राज आदि शब्द मानव राम के लिए प्रयुक्त हुआ है। इस प्रकार राम के व्यक्तित्व में भक्तवत्सलता, शरणागत वत्सलता, दयालुता अमित ऐश्वर्य वाला, अलौकिकशील और अलौकिक सौन्दर्यवाला के रूप में हुआ है।

प्रश्न 11.
तुलसी को किस वस्तु की भूख है?
उत्तर-
तुलसीजी गरीबों के त्राता भगवान श्रीराम से कहते हैं कि हे प्रभु मैं आपकी भक्ति का भूखा जनम–जनम से हूँ। मुझे भक्तिमयी अमृत का पान कराकर क्षुधा की तृप्ति कराइए।

प्रश्न 12.
पठित पदों के आधार पर तुलसी की भक्ति–भावना का परिचय दीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पद्यांशों में कवि तुलसीदास ने अपनी दीनता तथा दरिद्रता में मुक्ति पाने के लिए माँ सीता के माध्यम से प्रभु श्रीराम के चरणों में विनय से युक्त प्रार्थना प्रस्तुत करते हैं। वे स्वयं को प्रभु का दास कहते हैं। नाम ले भरै उदर द्वारा स्पष्ट हो जाता है कि श्रीराम के नाम–जप ही उनके लिए सब कुछ है। नाम–जप उनकी लौकिक भूख भी मिट जाती है। संत तुलसीदास में अपने को अनाथ कहते हुए कहते हैं कि मेरी व्यथा गरीबी की चिन्ता श्रीराम के सिवा दूसरा कौन बुझेगा? श्रीराम ही एकमात्र कृपालु हैं जो मेरी बिगड़ी बात बनाएँगे।

माँ सीता से तुलसीदासजी प्रार्थना करते हैं कि हे माँ आप मुझे अपने वचन द्वारा सहायता कीजिए यानि आशीर्वाद दीजिए कि मैं भवसागर पार करनेवाले श्रीराम का गुणगान सदैव करता रहूँ। दूसरे पद्यांश में कवि अत्यन्त ही भावुक होकर प्रभु से विनती करता है कि हे प्रभु आपके सिवा मेरा दूसरा कौन है जो मेरी सुध लेगा। मैं तो जनम–जनम का आपकी भक्ति का भूखा हूँ। मैं तो दीन–हीन दरिद्र हूँ। मेरी दयनीय अवस्था पर करुणा कीजिए ताकि आपकी भक्ति में सदैव तल्लीन रह सकूँ।

प्रश्न 13.
‘रटत रिरिहा आरि और न, कौर हीतें काजु।’–यहाँ ‘और’ का क्या अर्थ है?
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य पंक्ति तुलसी के दूसरे पद से ली गयी हैं। इसमें ‘और’ का प्रयोग दूसरा कुछ नहीं के अर्थ में हुआ है। लेकिन भाव राम भक्ति से है।

तुलसीदास स्वयं को कहते हैं कि हे श्रीरामचन्द्रजी। आज सबेरे से ही मैं आपके दरवाजे पर अड़ा बैठा हूँ। रें–रें करके रट रहा हूँ, गिड़गिड़ाकर भोग रहा हूँ, मुझे और कुछ नहीं चाहिए एक कौर टुकड़े से ही काम बन जाएगा। यानि आपकी जरा–सी कृपा दृष्टि से मेरा सारा काम पूर्ण हो जाएगा। यानि जीवन सार्थक हो जाएगा। यहाँ और का प्रयोग भक्ति के लिए प्रभु–कृपा जरूर है के संदर्भ में हुआ है।

प्रश्न 14.
दूसरे पद में तुलसी ने ‘दीनता’ और ‘दरिद्रता’ दोनों का प्रयोग क्यों किया है?
उत्तर-
तुलसी ने अपने दूसरे पद में दीनता और दरिद्रता दोनों शब्दों का प्रयोग किया है। शब्दकोश के अनुसार दोनों शब्दों के अर्थ एक–दूसरे से सामान्य तौर पर मिलते–जुलते हैं, किन्तु प्रयोग और कोशीय आधार पर दोनों में भिन्नता है।।

  1. दीनता का शाब्दिक अर्थ है–निर्धनता, पराधनीता, हीनता, दयनीयता आदि।
  2. दरिद्रता का शाब्दिक अर्थ है–भूपवित्रता, अरूचि, अशुद्धता, दरिद्रता और घोर गरीबी में जीनेवाला। निर्धनता के कारण समाज में उसे प्रतिष्ठा नहीं मिलती है इससे भी उसे अपवित्र माना जाता है।
  3. दरिद्र दुर्भिक्ष और अकाल के लिए भी प्रयुक्त होता है।

संभव है तुलसीदासजी अपने दीन–हीन दशा के कारण अपने को अशुद्ध/अशुचि के रूप में देखते हैं। एक का अर्थ गरीबी, बेकारी, बेबसी के लिए और दूसरे का प्रयोग अशुद्धि, अपवित्रता के लिए हुआ हो। तीसरी बात भी है–तुलसीदास जी जब इस कविता की रचना कर रहे थे तो उस समय भारत में भयंकर अकाल पड़ा था जिसके कारण पूरा देश घोर गरीबी, भूखमरी का शिकार हो गया था। हो सकता है कि अकाल के लिए भी प्रयोग किया हो। कवि अपने भावों के पुष्टीकरण के लिए शब्दों के प्रयोग में चतुराई तो दिखाते ही हैं।

प्रश्न 15.
प्रथम पद का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रथम पद में तुलसीदास सीता जी को माँ कहकर संबोधित करते हैं, वे कहते हैं कि माँ ! जब कभी आप उचित अवसर समझें तब कोई करुण प्रसंग चलाकर श्रीराम की दया मन:स्थिति में मेरी याद दिलाने की कृपा करना। तुलसीदास अपनी दयनीय स्थिति श्रीराम को बताकर अपनी बिगड़ी बात बनाा चाहते हैं। अर्थात् वे अपने दुर्दिनों का नाश करना चाहते हैं। वे माँ से अनुनय विनय करते हैं कि वे ही उन्हें इस भवसागर से पार करा सकती है। वे कहते हैं कि हे माँ.! मेरा उद्धार तभी होगा जब आप श्रीराम से मेरे लिए अनुनय विनय करके मेरा उद्धार करवाओगी। उन्हें श्रीराम पर अटूट श्रद्धा तथा विश्वास है।

तुलसीदास के पद भाषा की बात

प्रश्न 1.
दोनों पदों से सर्वनाम पद चुनें।
उत्तर-
सो, कौन, मेरी, तव, मोहूसे, तिन्ह, तू

प्रश्न 2.
दूसरे पद से अनुप्रास अलंकार के उदाहरण चुनें।
उत्तर-

  • रटत रिरिहा आकि और न कौर
  • कलि कराल दुकाल दारुन
  • कुभाँति कुसाजु
  • नीच जन मन
  • हहरि हिय
  • साधु–समाजु
  • कहुँ कतहुँ कोउ
  • कहयो कोसलराजु
  • दीनता–दारिद्र दलै
  • दानि दसरथरायके
  • भूखो भिखारी
  • सुधा सुनाजु

प्रश्न 3.
पठित अंशों से विदेशज शब्दों को चुनें।
उत्तर-
रिरिहा, आरि, तब, कहिबी, झाइबी

प्रश्न 4.
पठित पद किस भाषा में हैं?
उत्तर-
पठित पद अवधी भाषा में हैं।

प्रश्न 5.
‘कोढ़ में खाज होना’ का क्या अर्थ है?
उत्तर-
कोढ़ में खाज होना का अर्थ दुखी व्यक्ति को और अधिक दुःख देना।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों का खड़ी बोली रूप लिखें जनमको, हौं, तुलसिहि, भगति, मोहुसे, कहुँ, कतहुँ
उत्तर-

  • जनमको – जन्म से
  • तुलसिहि – तुलसी की।
  • भगति – भक्ति
  • मोहुसे – मुझसे
  • कहुँ – कहना
  • कतहुँ – कहीं

तुलसीदास पद कवि परिचय (1543–1623)

जीवन–परिचय–
तुलसीदास को हिन्दी साहित्य का जाज्वल्यमान सूर्य माना जाता है, इनका काव्य हिन्दी साहित्य का गौरव है। गोस्वामी तुलसीदास रामभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि हैं। वैसे तो वे समूचे भक्ति काव्य के ही प्रमुख आधार–स्तम्भ हैं। उन्होंने समस्त वेदों, शास्त्रों, साधनात्मक मत–वादों और देवी–देवताओं का समन्वय कर जो महान कार्य किया, वह बेजोड़ है।

विभिन्न विद्वानों के मतानुसार तुलसीदास का जन्म सन् 1543 ई. में बाँदा जिले (उ.प्र.) के राजापुर नामक गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम आत्माराम दुबे और माता का नाम हुलसी था। ये मूल नक्षत्र में पैदा हुए थे। इस नक्षत्र में बालक का जन्म अशुभ माना जाता है इसलिए उनके माता–पिता ने उन्हें जन्म से ही त्याग दिया था। इस कारण बालक तुलसीदास को भिक्षाटन का कष्ट उठाना पड़ा और कष्टों भरा बचपन व्यतीत करना पड़ा।

कुछ समय उपरान्त बाबा नरहरिदास ने बालक तुलसीदास का पालन–पोषण किया और उन्हें शिक्षा–दीक्षा प्रदान की। तुलसीदास का विवाह दीनबन्धु दास की पुत्री रत्नावली से हुआ। पत्नी के प्रति अत्यधिक आसक्ति होने के कारण एक बार वे पत्नी के मायके जाने पर उसके पीछे–पीछे अपने ससुराल जा पहुँचे थे। तब पत्नी ने उन्हें फटकारते हुए कहा था–

लाज न आवत आपको, दौरे आयह साथ।
धिक–धिक ऐसे प्रेम को, कहा कहौं मैं नाथ॥
अस्थि चर्ममय देह मम, तामैं ऐसी प्रीति।
ऐसी जौ श्रीराम में, होति न भवभीति।

पत्नी की इस फटकार ने पत्नी आसक्त विषयी तुलसी को महान रामभक्त एवं महाकवि बना दिया। उनका समस्त जीवन प्रवाह ही बदल गया। तुलसी ने साधना प्रारंभ कर दी। रामानन्द से रामभक्ति की दीक्षा ली और उन्हें अपना गुरु माना। उन्होंने काशी व चित्रकूट में रहकर अनेक काव्यों की रचना की। सन् 1623 ई. में (सम्वत् 1680) श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन तुलसीदास ने असीघाट पर प्राण त्यागे थे। उनकी मृत्यु के बारे में कहा जाता है–

संवत् सोलह सौ असी, असी गंग के तीर।
श्रावण शुक्ल सप्तमी, तुलसी तजै शरीर॥

रचनाएँ–’रामचरितमानस’ तुलसीदास द्वारा रचित विश्व प्रसिद्ध रचना है। उनके द्वारा रचित ग्रन्थों की संख्या 40 तक बताई जाती है। पर अब तक केवल 12 रचनाएँ ही प्रमाणिक सिद्ध हो सकी हैं।

तुलसीदास के पद कविता का सारांश

प्रस्तुत दोनों पदों में महाकवि तुलसीदास की अपने आराध्य भगवान श्रीराम के प्रति अटूट एवं अडिग आस्था प्रकट हुई है। इन पदों में कवि की काव्य और कला संबंधित विशिष्ट प्रतिभा की अद्भुत झलक मिलती है।

प्रथम पद कवि द्वारा रचित विनय पत्रिका के ‘सीता स्तुति खंड’ से उद्धृत है। कवि ने राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न आदि की विधिपूर्वक स्तुति करने के बाद सीताजी की स्तुति की है। उसने सीता को माँ कहकर संबोधित करते हुए अपनी भक्ति और श्रीराम के मध्य, माध्यम बनने का विनम्र अनुरोध किया है, जिससे उसके आराध्य श्रीराम उसकी भक्ति से प्रभावित होकर उसका इस भव सागर से उद्धार कर दें। उसने उचित समय पर ही अपने अनुरोध को श्रीराम के समक्ष प्रस्तुत करने की प्रार्थना की है जिससे वे दयार्द्र हो उसकी भी बिगड़ी बना दें।

द्वितीय पद में कवि ने श्रीराम के प्रति अटूट विश्वास एवं अडिग आस्था प्रकट करते हुए. उनसे अपनी दीन–हीन अवस्था का वर्णन किया है। वह अपने आराध्य देव से अत्यन्त विनम्रता पूर्वक उनकी अनुकम्पा का एक टुकड़ा पाने की आकांक्षा से भीख माँग रहा है। वह अपने प्रभु की भक्ति–सुधा से अपना पेट भर लेना चाहता है।

पदों का भावार्थ।

प्रथम पद :
कबहुँक अंब अवसर पाइ।
मरिओ सुधि द्याइबी कछु करुन–कथा चलाइ।।
दीन सब अंगहीन, छीन, मलीन, अघी अघाइ।
नाम लै भरै उदर एक प्रभु–दासी–दास कहाई॥
बूझिहैं ‘सो है कौन’, कहिबी नाम दसा जनाई।
सुनत रामकृपालु के मेरी बिगारिऔ बनी जाइ।।
जानकी जगजनीन जन की किए बचन–सहाइ।
तरै तुलसीदास भव तव–नाथ–गुन–गन गाइ।।

भावार्थ : प्रस्तुत पंक्तियाँ “विनय पत्रिका’ काव्य कृति से ली गयी है। विनय पत्रिका की रचना करने के पीछे कवि का उद्देश्य है कि कविता रूपी पत्र के माध्यम से अपनी दीनता पीड़ा–व्यथा को प्रभु श्रीराम के चरणों में पहुँचाना। इसमें सभी देवों की स्तुतियाँ की गयी हैं. और उन्हीं के माध्यम से प्रभु के प्रति भक्ति–भावना भी प्रदर्शित की गयी है। विनय के साथ भक्ति, निष्ठा, विश्वास के द्वारा अपनी निजी व्यथा को प्रभु श्रीराम के चरणों में पहुँचाने के पीछे कवि की निजी पीड़ा ही नहीं है, बल्कि इसमें उस काल की अनेक राष्ट्रीय समस्याओं का परोक्ष रूप से वर्णन है। उन विषम परिस्थितियों से मुक्ति दिलाने वाले एकमात्र कोई है तो वह श्रीराम ही हैं। अतः, संत तुलसीदासजी ने वृहत् मानवीय उद्देश्यों की पूर्ति और संकट समाधान के लिए विनय पत्रिका की रचना की जिसमें कवि की निजता भी समावेशित है।

उपर्युक्त पंक्तियों में माँ सीता की वंदना करते हुए कवि विनती करता है कि हे माँ कभी अवसर पाकर मेरी विनती प्रभु श्रीराम के चरणों में प्रस्तुत करना। मेरी करुण कथा की चर्चा करते. : हुए मेरे प्रति प्रभु–कृपा के लिए याद दिलाना। उन्हें याद दिलाना कि आपकी दास का एक भक्त।

आपका नाम–जप एवं भजन के द्वारा अपनी जीविका चला रहा है। मेरी दीन–हीन अवस्था की सुधि श्रीराम को छोड़कर कौन लेगा? श्रीराम की अगर कृपा हो जाएगी तो मेरी दीन–दशा सुधर जाएगी। है जगत की जननी, मेरी तुमसे विनती है कि अपनी कृपा कर मुझ असहाय की सहायता करें। तुलसीदास भवसागर पार करानेवाले प्रभु श्रीराम का गुणगान करते हुए दीनता से मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

दूसरा पद :
द्वार हौं भोर ही को आजु।
रटत रिरिहा आरि और न, कौर हो तें काजु ||
कलि कराल दुकाल, दारुन, सब कुभाँति कुसाजु।
नीच जन, मन, ऊँच, जैसी कोढ़ में की खाजु।।
हहरि हिय में सदय बूझयो जाइ साधु–समाजु।।
मोहुसे कहुँ कतहुँ कोउ, तिन्ह कहयो कोसलराजु।
दीनता–दारिद दलै को कृपाबारिधि बाजु।
दानि दसरथरायके, तू बानइत सिरताजु।।
जनमको भूखो भिखारी हौं गरीबनिवाजु।
पेट भरि तुलसिहि जेंवाइय भगति–सुधा सुनाजु।।

भावार्थ : प्रस्तुत पंक्तियों में तुलसीदासजी ने अपनी दीनता का वर्णन करते हुए उस समय के भीषण दुर्भिक्ष काल का भी यथार्थ चित्रण किया है। तुलसीदासजी को उनके सगे–सम्बन्धियों ने ऐसा छोड़ा दिया है कि फिर कभी उनकी ओर भूलकर भी देखा नहीं। उनके हृदय में इसका जो संताप था इसको दूर करने के लिए उनको संतों की शरण में जाना पड़ा और उनका आश्वासन भी मिला तब उनको विश्वास हो गया कि राम की शरण में जाने से सब संकट दूर हो जाता है। तुलसीदास ने इसका भी उल्लेख किया है।।

तुलसीदास अपने–आप सन्त समाज में गए और गए भी तो अपनी समझ से। उस समय उनकी अवस्था ऐसी थी कि वह अपने भविष्य की चिन्ता कर सकते थे और अपनी परिस्थिति को स्पष्ट कर सकते थे। साथ ही इतना और भी कहा जा सकता है कि तुलसीदास को यह दिन किसी कराल, दारुण, दुकाल के कारण देखना पड़ा था क्योंकि इसका भी निर्देश प्रथम पद में है ही। तो क्या यह कहना यथार्थ न होगा कि तुलसी की दीनता और तुलसी की दरिद्रता का मुख्य कारण दारुण अकाल ही था।

अकालों की कोई ऐसी सूची हमारे सामने प्रस्तुत नहीं है जिससे कि हम उस समय की वस्तुस्थिति को ठीक–ठीक समझ सकें। तो भी इतना तो कहा ही जा सकता है कि जो कराल दारुण, दुकाल संवत 1613 में पड़ा था और जिसमें मनुष्य मनुष्य को खाने तक लगा था, वहीं तुलसीदास की इस यातना का भी कारण रहा होगा, और इसी क्रूरता से दहलकर ही वे संत शरण में गए होंगे। इस संकट का इन पंक्तियों में संत कवि तुलसीदासजी ने माँ सीता को भगवान श्रीरामचन्द्र के सामने बड़ी चतुराई से उपस्थित करने को कहा है।

वे कहते हैं कि हे माँ आप कहिएगा कि आपकी दासी का दास (तुलसी का नाम वाला) व्यक्ति आपका ही नाम लेकर जी रहा है। यह अस्पष्ट बात सुनकर श्रीरामजी को स्वभावतया नाम जानने की उत्सुकता होगी। वंदना प्रकरण के अनन्तर भक्तिवर तुलसीदासजी ने अपने स्वामी से दैन्य–निवेदन आरंभ किया है। अपने प्रभु के महत्त्व, औदार्य, शील और जीव के असामर्थ्य को दिखाते हुए उसके उद्धार की याचना की है। उन्होंने बीच–बीच में अपने नैतिक उत्थान की अभिलाषा भी व्यक्त की है।

Bihar Board Class 6 Hindi Solutions Chapter 15 भूल गया क्यों इंसान

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प्रश्न-अभ्यास

पाठ से –

भूल गया है क्यों इंसान कविता के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 6 Hindi प्रश्न 1.
कविता का सारांश अपनी भाषा में लिखिए।
उत्तर:
कविवर हरिवंश राय बच्चन लिखित इस कविता में कवि, मानव को अपने कर्तव्यों की याद दिलाता है। कवि कहता है कि इंसान यह क्यों भूल जाता है कि सभी मनुष्यों का शरीर मिट्टी का बना है। यह शरीर नाशवान है। कोई जीव यहाँ अमर होकर नहीं आया। ईश्वर सभी मनुष्य को इस धरती पर जन्म देता है और सबके ऊपर आकाश की निर्मल छाया समान रूप से पड़ती है। यह नभ सबको एक ही प्रकार से अपनी छाया प्रदान करता है।

ईश्वर ने मनुष्यों को जन्म दिया और मनुष्यों ने ईश्वर की दी हुयी इस धरती को बाँट कर अलग-अलग देश बनाया। ध्यान से देखा जाय तो इन देशों में धरती की संतान का ही बसेरा है। कवि आगे कहता है कि माना,कि देश अलग-अलग है। उन देशों में रहने वालों की वेश-भूषा, बोली, खान-पान सब अलग हैं लेकिन सभी मानव के शरीर में तो एक ही प्राण का वास है। एक ही ईश्वर की ज्योति सभी मानव के हृदय को आलोकित करती है, प्रकाशित करती है। यह सच्चाई इन्सान क्यों भूल जाता है ?

Bhool Gaya Hai Kyun Insaan Question Answer In Hindi प्रश्न 2.
इस कविता से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर:
इस कविता से प्रेरणा मिलती है कि सम्पूर्ण पृथ्वी के मानव एक ही धरती के संतान हैं। भले हमारा निवास अलग-अलग देशों में क्यों न होम हम सबों का शरीर और प्राण भी एक ही जैसा है। मानव को परस्पर एक-दूसरे को समान समझे।

Bhul Gaya Hai Kyun Insaan Poem Meaning In Hindi प्रश्न 3.
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए –
(क) देश अलग है, देश अलग हों,
वेश अलग हैं, वेश अलग हों,
मानव का मानव से लेकिन, अलग न अंतर प्राण ।
उत्तर:
कवि मनुष्य और मनुष्य के बीच भेद को अस्वीकार करते हुये कहता है कि धरती एक है। उस धरती को बाँट कर अलग-अलग देश हमने बनाये। अब देश अलग है तो वहाँ की वेश-भूषा भी अलग-अलग हो सकती है क्योंकि इनका निर्माण भी मनुष्य ने अपनी सुविधा के अनुसार -स्थानीय प्रकृति और जलवायु के अनुसार किया।

पर सभी मनुष्यों के अंतर में एक ही प्राणवायु का संचरण होता है। एक ही ज्योति सभी मनुष्य के शरीर को आलोकित करती है। हम सभी एक ही ईश्वर की संतान हैं – फिर मनुष्य और मनुष्य के बीच भेद कैसा?

(ख) सबकी है मिट्टी की काया,
सब पर नभ की निर्मल छाया,
यहाँ नहीं है कोई आया ले विशेष वरदान।।
उत्तर:
कवि कहता है कि मनुष्य का यह शरीर एक ही प्रकार की मिट्टी से बना है। मृत्यु के बाद यह शरीर उसी मिट्टी में मिल जाता है। धरती की मिट्टी और आकाश की निर्मल छाया सभी मनुष्यों को समान रूप से प्राप्त है। इसे देने में निर्माता यानी ईश्वर कोई भेद नहीं करता। यहाँ यानी धरती पर आने वाला कोई भी मानव कोई विशेष वरदान लेकर नहीं आता। अतः इंसान और इंसान में भेद की कोई गुंजाइश नहीं दिखाई पड़ती। यह भेद-विभेद मानव अपने स्वार्थों की पूर्ति हेतु बनाता है और अपने दायित्वों को भुला देता है।

पाठ से आगे –

Bhool Gaya Hai Kyun Insaan Question Answer प्रश्न 1.
मनुष्य किस प्रकार दूसरों को अपने से भिन्न समझते हैं ?
उत्तर:
जाति, धर्म, भाषा और ऐश्वर्य मनुष्य को मनुष्य से अलग करता है। अपने को दूसरे से श्रेष्ठ समझने के कारण मन में एक अहंकार उत्पन्न होता है जो मनुष्य को मनुष्य से भिन्न बनाने में या समझने में सहायक होता है। इन सब पर अगर नियन्त्रण हो जाय तो मनुष्य, सच में मानव होकर जीवन-यापन कर सकता है।

भूल गया है क्यों इंसान कविता का अर्थ Bihar Board Class 6 Hindi प्रश्न 2.
अलग-अलग देश, अलग-अलग वेश के बावजूद हर मनुष्य एक जैसा है। कैसे?
उत्तर:
देश और वेश मनुष्य के बनाये हुये हैं – ये सब मानव निर्मित हैं। मनुष्य तो एक ही ईश्वर की सन्तान हैं। सभी मनुष्यों को एक ही प्रकार से प्रकाश, पानी, हवा और अन्य ईश्वर निर्मित सुविधायें उपलब्ध हैं। सभी के हृदय में एक ही ज्योति एक ही प्राण संचरित होता है अतः सभी मनुष्य धरती की एक संतान होने के कारण एक हैं। अनेक भाव मनुष्य ने स्वयं बनाये हैं। ईश्वर ने सबको इंसान बनाया है।

कुछ करने को –

Bhul Gaya Hai Kyon Insan Bihar Board Class 6 Hindi प्रश्न 1.
इस कविता को समवेत स्वर में अपनी कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

भूल गया क्यों इंसान Summary in Hindi

कविता का सार-संक्षेप

कविवर हरिवंश राय बच्चन लिखित इस कविता में कवि, मानव को अपने कर्तव्यों की याद दिलाता है। कवि कहता है कि इंसान यह क्यों भूल जाता है ‘कि सभी मनुष्यों का शरीर मिट्टी का बना है। यह शरीर नाशवान है। कोई जीव यहाँ अमर होकर नहीं आया। ईश्वर सभी मनुष्य को इस धरती पर जन्म देता है और सबके ऊपर आकाश की निर्मल छाया समान रूप से पड़ती है। यह नभ सबको एक ही प्रकार से अपनी छाया प्रदान करता है।

ईश्वर ने मनुष्यों को जन्म दिया और मनुष्यों ने ईश्वर की दी हुयी इस धरती को बाँट कर अलग-अलग देश बनाया। ध्यान से देखा जाय तो इन देशों में धरती की संतान का ही बसेरा है। कवि आगे कहता है कि माना कि देश अलग-अलग है। उन देशों में रहने वालों की वेश-भूषा, बोली, खान-पान सब अलग हैं लेकिन सभी मानव के शरीर में तो एक ही प्राण का वास है। एक ही ईश्वर की ज्योति सभी मानव के हृदय को आलोकित करती है, प्रकाशित करती है। यह सच्चाई इन्सान क्यों भूल जाता है ?

Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 6 The Artist

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Rainbow English Book Class 12 Solutions Chapter 6 The Artist

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Bihar Board Class 12 English The Artist Text Book Questions and Answers

Bihar Board Class 12 English Book Objective Type Questions and Answers

1. The Artist” is — [Sample Paper 2009 (A)]
(a) An essay
(b) a poetry
(c) a short story
(d) a drama
Answer:
(c) a short story

2. Seibei’s age was — [Sample Paper 2009 (A)]
(a) Ten years
(b) Fifteen years
(c) Eight years
(d) Twelve years
Answer:
(d) Twelve years

3. Which one of the following is a short story? [Sample Paper 2009 (A)]
(a) India Through a Traveller’s Eyes
(b) The Artist
(c) A marriage proposal
(d) Ideas that have helped Mankind
Answer:
(b) The Artist

4. Seibei had the hobby of……………[Sample Paper 2009 (A)]
(a) Playing cricket
(b) Morning walk
(c) Collecting guards
(d) Ridding motor-bike
Answer:
(c) Collecting guards

5. Seibei’s hobby of collecting gourd made his teacher [Sample Paper 2009 (A)]
(a) pleased
(b) displeased
(c) amused
(d) Laughed
Answer:
(b) displeased

6. Shiga Naoya has written the piece— [Sample Paper 2009 (A)]
(a) A child is Bom
(b) The Artist
(c) Bharat is my Home
(d) A marriage proposal
Answer:
b) The Artist

Bihar Board Class 12 English Book Textual Questions and Their Answer

A. Work in small groups and discuss the following
The Artist Question Answer Bihar Board Class 12 Questions 1.
Everyone has a hobby of one’s own. What is your hobby?
Answer:
Answer this question yourself.

Bihar Board English Book  Questions 2.
Several people are passionately attached to a particular thing or idea. Does it help to be passionate?
Answer:
Yes, it helps to be passionately attached to something or some idea. It helps to achieve something great.

Bihar Board Class 12 English Book Solution Questions 3.
Do you think that spending your time on things other than studies is a wastage of time?
Answer:
I don’t think so if the things are worth the while.

B. 1.1. Complete the following sentences on the basis of what you have studied
(i) Seibei was passionately interested in [Board Exam. 2009 (A)]
(ii) Seibei laughed all the way home because
(iii) Seibei was old and at school. [Sample Paper 2009 (A)]
(iv) Seibei did not appreciate Baked gourd because
(v) Seibei was now in his picture.
Answer:
(a) collecting gourds (b) he realized his mistake (c) twelve years, primary (d) it was not symmetrical (e) engrossed

B. 1.2. Answer the following questions briefly
Rainbow English Book For Class 12 Solutions Question 1.
Where did Seibei live?
Answer:
Seibei lived in a harbor town.

Bihar Board Rainbow English Book Class 12 Pdf Download Question 2.
Which type of gourd did Seibai like?
Answer:
Seibei liked round and symmetrical gourd.

Rainbow Part 2 English Book Class 12 In Hindi Question 3.
Why did the conversation of his father and his friends make Seibei laugh inwardly?
Answer:
The conversation of his father and his friend made Seibei laugh inwardly because his father commented on baking gourd that they had at the agricultural show last spring. The baking gourd had made quite a stir at the time, but when he (Seibei) had gone to see it he had found it rather a stupid¬looking object and had walked out of the show.

Class 12th English Book Bihar Board Question 4.
Why did Seibei’s father shout at him?
Answer:
Seibei’s father and his friend were taking about baken gourd, they had seen in the agricultural show held in the last spring, which according to him was most beautiful. But Seibei found it stupid-looking when he had gone in that show, as such he had walked out of it (the show). So he said that he didn’t think so much of it, because it was just an awkward thing. Seibei’s interruption made his father angry. So he shouted at him.

Rainbow Part 2 English Book Class 12 Bihar Board In Hindi Question 5.
Why did Seibei wander about the town?
Answer:
It was Seibei’s hobby to wander about the town almost daily looking for gourds. He was deeply interested in buying and collecting it from the market and arrange it on the walls of his house.

B. 2.1. Complete the following sentences of the basis of the story
(i) The old woman asked ………… for the gourd.
(ii) The teacher was particularly angry because…………
(iii) Seibei’s father worked at…………………
(iv) Seibei’s father fetched his hammer and……………
(v) The curio-dealer sold the confiscated gourd to………………
Answer:
(i) ten sen, (ii) it happened to take place in an ethics class, (iii) carpenter’s shop, (iv) systematically smashed them to pieces, (v) curio-dealer.

B. 2.2. Answer the following questions Briefly
Bihar Board Solution Class 12th English Question 1.
What made Seibei’s heart beat faster?
Answer:
When Seibei was examining the gourds, suddenly he caught sight of one which was about five inches long. Something about it made Seibei’s heart beat faster.

Bihar Board Class 12th English Book Solution Question 2.
Which is called effeminate pastime in the story?
Answer:
The teacher came from another part of Japan and found it most offensive that children should indulge in such womanish pastimes as collecting gourds. As such it is called effeminate pastime in the story.

Rainbow Snapshot Book Class 12 Question 3.
How did Seibei’s father react to the teacher’s complaint?
Answer:
Seibei’s father reacted to the teacher’s complaint when he knew. Seibei’s fault which was reported by Seibei’s teacher. He became angry at this matter. As soon as he heard., he grabbed his son by the collar and gave him a sound beating. He chided his son that he would never get anywhere in the world, the way he is carrying on.

Bihar Board English Book Class 12 Pdf Download Question 4.
How much did the curio-dealer pay for the confiscated gourd?
Answer:
The curio-dealer paid fifty yen for the confiscated gourd.

Bihar Board English Book Class 12 Question 5.
What did Seibei do after he was forced to give up collecting gourds?
Answer:
The father of Seibei fetched his hammer and systematically smashed the gourds to pieces, one after the other. It brought a change in his hobby. Seibei is now engrossed in his pictures.

C. 1. Bihar Board Class 12 English Book Long Answer Questions 

Rainbow Book Class 12 Questions And Answers Question 1.
Who was Seibei? What was his hobby?
Answer:
Seibei was a twelve years old talented Japanese boy studying in primary school. His hobby was to wander about the town looking for the gourds. Then in the evening he would sit crosslegged in the living-room working on his newly acquired fruit. When he had finished treating it, he poured it in a little sake, inserted a cock stopped which he had fashioned himself wrapped it in a towel then he, put this in a tin especially kept for the purpose and finally placed the whole thing in the charcoal foot warmer.

Bihar Board Class 12 English Solutions Question 2.
Pick out instances from the story to show that Seibei was passionate about gourd collection.
Answer:
Some instances from the story show that Seibei was passionate about gourd collection are as follow: Seibei was the student of a primary school. After class, instead of playing with the other children, he usually wandered about the town looking for gourds. Then in the evening, he would sit cross¬legged in the comer of the living room working on his newly acquired fruit. When he had finished treating it, he poured it in a little sake, put this in a tin especially kept for the purpose, and finally placed the whole thing in the charcoal footwarmer. Then he would go to bed. As soon as he woke the next morning, he would open the tin and examine the gourd. The skin would be thoroughly damp from the overnight treatment Seibei would gaze adoringly at his treasure before tying a string around the middle and hanging it in the sun to dry. Then he set out for school.

Question 3.
Explain the views of Seibei’s father about him and his hobby.
Answer:
Seibei’s father wanted to see his son become a learned person. He always wanted to see him studied well. His father didn’t like his son’s work whatever Seibei’s was doing. Seibei’s father didn’t want to listen to any complain of his son. His desires were to give up unwanted work and unwanted things by his son. For this view, he always guided his son and at last forcely he made him give up his hobbies for collecting gourd.

Question 4.
Seibei’s teacher becomes angry with him? Was his anger justified?
Answer:
Seibei’s passion for gourds was so strong that he took a gourd to school. It was a class of ethics. Seibei’s was expected to pay attention to what the teacher was telling them. But Seibei, instead, kept polishing the gourd under his seat. The teacher caught him. He was very angry. He believed the gourd collection was a girls’ hobby. He confiscated the gourd. To a great extent, Lie teacher’s reaction was justified. No teacher would telerate any of his students not paying attention to what he is teaching. The teacher, it appears, wa. zealous about his job. He even went to Seibei’s home to complain again tf him. But the teacher had no appreciation for Seibei’s art. He could have returned the gourd to him, ;and advised him never to bring it to class in future. That would have served the purpose better.

Question 5.
Seibei’s teacher neid his parents responsible for Seibei’s mistake. Do you agree with the teacher? Explain.
Answer:
I agree with Seibei’s teacher. If children do not study and waste their time on worthless pursuits, it is parents’ duty to keep them away from such pursuits. But many parents have hardly any time to see what their child is doing. Though Seibei was a real artist, but all children are not like him. So parents should see that their children do not spend too much time on playing games, watching TV, on hobbies and chatting whith others.

Question 6.
Describe in your own words the attitude and reaction of the teacher to Seibei’s passion.
Answer:
The attitude of the teacher to Seibei’s passion for collecting ground was most rude and anguish. He was highly shocked to see Seibei spoiling his future prospects by his wrong hobby. He also held his parents responsible for his such acts. It was unbearable for him to sea Seibei polishing his gourd under his desk in the class and was not taking interest in his study. The teacher went to Seibei’s house, Seibei’s father had gone to his duty. So the teacher directed his attack on Seibei’s mother. He further added that it had be_n the responsibility of the parents to see that such things do not happen. The agrieved teacher departed from immediately after expressing his annyance. Teacher’s attitude and reaction was quite justified. He felt his responsibility to be proticular relating to the future prospects of his students. It was but natural.

Question 7.
Why and how did Seibei-char.ge his hobby? Describe in your own words.
Answer:
Seibei had a strong passion for collection of gourds. He did not play games with other children. He spent all his time after school in preparing and polishing gourds. One day he bought a gourd that he liked most. He spent all his time in polishing it. He even took it to school, and kept polishing it there too. His teacher caught him and confiscated his gourd. He complained against Seibei to his mother. When Seibei’s father learned what had happened he too was angry. He smashed all the gourds Seibei had polished with great care. Now Seibei could not collect gourds. But he had his artistic urge in him. He diverted his talent to painting pictures.

Questions 8.
Do you have similar experiences? Describe in your own words.
Answer:
Such types of instances are not difficult to find out. We can easily find such types of children indudged in unhealthy hobby. In my locality also there is such a boy, Ramesh who was not taking proper care ever his studies. He was spending most of his time either to got to cinema hall or to sit before his T.V. sets. Several time his school teacher saw him with few of his friends near Cinema Hall. One day he caught Ramesh (the boy) personally in one cinema, Losing his temper he scolded Ramesh. He also visited his house and accused his parents for such wrong habbit of the boy, Ramesh. It brought a great change in the boy and he stopped risiting cinema. Now Ramesh has been taking all care in his studies.

Questions 9.
Sketch the character of Seibei as an artist.
Answer:
Collecting gourds was a craze with Seibei. He was always looking for a gourd of his liking. Once he got a gourd he liked, he would spend most of his time in making it a perfect piece of art. In the evening, after school, he would sit cross-legged in a comer of the living room working on his newly- acquired gourd. He would take out its seeds, and our a little sake into it. He would put a cork-stopper to close it. He wrapped it in a towel and put it in a tin. Then he placed the whole thing in the charcoal footwarmer.

Early in the morning he examined the gourd. Then he put it in the sun to ie it dry. Then he polished it carefully with sake. It would take him many days to polish it smooth and shining. But when his father had broken all his gourds, Seibei could not restrain his talent. He diverted it to painting pictures. He had no ill-will against anybody. He did not collect gourds hoping to make money. He was pure artist at heart and wanted to give expression* to his urge.

C. 3. Compositon

Questions 1.
Write a letter to your friend describing your favorite pastime.
Answer:

MayurVihar
New Delhi
25 September 2009

Dearyuvraj,
Hope you are in your best mood. I have come to know about you likes and dislikes. Like you even I am very fond of watching cricket. The game itself is very interesting. It is so enjoyable that I tend to forget my daily works. I often get scolding from my parents for watching cricket. My favorite crickete&is Sachin Tendulkar. His batting is extraordinary. He is one of the best players we have today. Besides watching cricket. I also like listening to music. I particularly like the gazals of Mehndi Hassan and Jagjit Singh. It really refreshes my mind and has a soothing effect. The rest is fine.

Yours loving.
Amiti

Questions 2.
Write a short essay in about 150 words on the ‘Role of teachers the life of the student’
Answer:
Teachers play a great role in the life of the students. Teachers are responsible for the overall development of students. A good teacher knows the strength and weaknesses of his students. It enhances the strength and helps in overcoming the weakness of his students A teacher should never beat or scare his students to learn. Corporal punishment again should be avoided. Students should keep in mind that teachers are not to be hated. They are there for. them to learn and achieve something in life.

A teacher who commands respect among the students is not the one who is friends with them but who teaches them sincerely. A good teacher is one who never stops studying reading in life. They are forever learning new things to deliver it to their students. The students are therefore benefitted by such teachers. A teacher with a firm mind and good health will always be motivated to do good work. They are fully concentrated on their goal to achieve. Therefore act as a pillar to those students who target their goal to achieve. Therefore we can say that teacher is responsible for the overall growth and development of his students. We salute all the great teachers of India.

D. Word Study
D. 1. Dictionary Use

Cx. 1. Correct the spelling of the following words :
embaras, glimpes, enterupt, symetrical, emidiatly, persinoms, favrite, intrest, confesner.
Answer:
embarr—embarass, glimpes—glimpses, enterupt—interrupt, symetrical—symmetrical, emidatly—immediately, persinoms—persimmons, favrite—favourite, intrest—interest, confesner—confectioners.

D. 2. Word-formation
Read the following sentence carefully:
In an agony of embarrasment Seibei’s mother muttered some apology. Mark how embarrasment, a noun, is formed by adding ‘-ment’ to ’embarass’, a verb.
Make nouns from the verbs given below by adding ‘-ment’ to them: amend, amuse, bewilder, improvel, invest, judge, rabble, punish, astonish, govern.
Answer:
amendment, amusement, bewilderment, improvement, investment, judgement, rabblement, punishment, astonishment, government.

D. 3. Word-meaning
E.1. Find from the lesson words the meanings of which have been given in Column A. The last part of each words is given in Column B
Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 6 The Artist 1Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 6 The Artist 2

Answer:
Yen symmetrical, persimmon, ethics, insconspious, engressed.

D. 4. Phrases

Ex. 1. Read the lesson carefully and And out the sentences in which the following phrases have been used. Then use these phrases in sentences of your own :
get rid of; at all; instead of; look for; set out; part with; a sigh of.

Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 6 The Artist

E. Grammar

Ex. 1. Read the following sentences, taken from the lesson, carefully :
(a) Seibei’s parents knew.
(b) He laughed all the way home.
These sentences can be made more emphatic by adding question tags to them :
(a) Seibei’s parents knew, didn’t they?
(b) He laughed all the way home, didn’t he?
Add question tags to the sentences given below :
1. I am right
2. Mamta is not wrong
3. You are sure
4. They were not well,
5. Rimjhim has broken the glass
6. They have played well,
7. Please do me a favour
8. Don’t go there,
9. Don’t make a noise
10. Please shut the door,
Answer:
1. am I not, 2. Is she? 3. aren’t you? 4. were they? 5. hasn’t she? 6. haver.” they? 7. won’t, 8. would you? 9. will you? 10. won’t you?

The main aim is to share the knowledge and help the students of Class 12 to secure the best score in their final exams. Use the concepts of Bihar Board Class 12 Chapter 6 The Artist English Solutions in Real time to enhance your skills. If you have any doubts you can post your comments in the comment section, We will clarify your doubts as soon as possible without any delay.

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions पद्य Chapter 6 जनतंत्र का जन्म

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 2 पद्य खण्ड Chapter 6 जनतंत्र का जन्म Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi Solutions पद्य Chapter 6 जनतंत्र का जन्म

Bihar Board Class 10 Hindi जनतंत्र का जन्म Text Book Questions and Answers

कविता के साथ

जनतंत्र का जन्म कविता का व्याख्या Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 1.
कवि की दृष्टि में समय के रथ को धर्म नाद क्या है ? स्पष्ट करें।
उत्तर-
कवि स्वाधीन भारत की पराकाष्ठता को मजबूत बनाना चाहता है। बदलते समय में भारत का स्वरूप भी बदल रहा है। आज राजा नहीं प्रजा सिंहासन पर आरूढ़ हो रही है। असीम वेदना सहनेवाली जनता आज जयघोष कर रही है। देश का बागडोर राजा के हाथ में नहीं जनता
के हाथ में हो रही है। आज उसका हुंकार सर्वत्र सुनाई पड़ती है। राजनेताओं के सिर पर राजमुकुट नहीं है।

जनतंत्र का जन्म Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 2.
कविता के आरंभ में कवि भारतीय जनता का वर्णन किस रूप में करता है ?
उत्तर-
वर्षों की पराधीनता की बेड़ी को तोड़कर आज जनता जयघोष करती है। वह हुँकार भरती हुई सिंहासन खाली करने को कहती है। मूर्तिमान रहने वाली जनता आज मुँह खोल चुकी है। पैरों के तले रौंदी जाने वाली, जाड़े-पाले की कसक सहनेवाली आज अपनी वेदना को सुना रही है। पराधीन भारत में जनता त्रस्त थीं। मुंह बंद रखने के लिए विवश थीं। किन्तु आज हुँकार कर रही है।

Jantantra Ka Janm Ka Question Answer Bihar Board प्रश्न 3.
कवि के अनुसार किन लोगों की दृष्टि में जनता फूल या दुधमुंही बच्ची की तरह है और क्यों ? कवि क्या कहकर उनका प्रतिवाद करता है?
उत्तर-
सिंहासन पर आरूढ रहनेवाले राजनेताओं की दृष्टि में जनता फूल या दुधमुंही बच्ची की तरह है। रोती हुई दुधमुंही बच्ची को शान्त रखने के लिए उसके सामने खिलौने कर दी जाती है। उसी प्रकार रोती हुई जनता को खुश करने के लिए कुछ प्रलोभन दिये जाते हैं। कवि यहाँ
कहना चाहता है कि जनता जब क्रोध से आकुल हो जाती है तब सिंहासन की बात कौन कहें धरती भी काँप उठती है। सिंहासन खाली कराकर एक नये प्रतिनिधि को बिठा देती है। देश का बागडोर प्रतिनिधि में नहीं जनता के हाथ में है।

जनतंत्र का जन्म’ कविता का भावार्थ Pdf Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 4.
कवि जनता के स्वज की किस तरह चित्र खींचता है ?
उत्तर-
स्वाधीन भारत की नींव जनता है। गणतंत्र जनतंत्र पर निर्भर है। जनता का स्वप्न अजेय है। सालों सदियों अंधकार युग में रहनेवाली जनता आज प्रकाश युग में जी रही है। वर्षों से स्वप्न को संजोये रखने वाली जनता निर्भय होकर एक नये युग का शुरू उक्त कर रही है। आज अंधकार ‘युग का अंत हो चुका है। विश्व का विशाल जनतंत्र उदय हुआ है। अभिषेक राजा का कहीं प्रजा का होने वाला है।

Jantantra Ka Janm Kavita Ka Saransh Bihar Board प्रश्न 5.
विराट जनतंत्र का स्वरूप क्या है ? कवि किनके सिर पर मुकुट धरने की बात करता है और क्यों?
उत्तर-
भारत विश्व का विशाल गणतंत्रात्मक देश है। यहाँ देश का बागडोर राजनेताओं को न देकर जनता को दिया गया है। जनता ही सर्वोपरि है। अपने मनपसंद प्रतिनिधि को ही सिंहासन पर आरूढ़ करती है। कवि जनता के सिर पर मुकुट धरने की बात करता है। कवि का मत है कि गणतंत्र भारत का स्वरूप जनता के अनुरूप हो। जनता को पक्ष में लेकर ही देश की रूपरेखा तैयार की जाये। मनमानी करने वाले राजनेताओं को सिंहासन से उतारकर नये राजनेता को जनता ही आरूढ करती है।

Jantantra Ka Janm Kavita Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 6.
कवि की दृष्टि में आज के देवता कौन हैं और वे कहाँ मिलेंगे?
उत्तर-
कवि की दृष्टि में आप के देवता कठोर परिश्रम करने वाले मजदूर और कृषक हैं। वे पत्थर तोड़ते हुए या खेत-खलिहानों में काम करते हुए मिलेंगे। भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। किसान ही भारत के मेरूदंड हैं। जेठं की दुपहरी हो गया ठंडा के सर्दी या फिर मुसलाधार वर्षा सभी में वे बिना थके हुए खेत-खलिहानों में डटे हुए मिलते हैं।

जनतंत्र का जन्म कविता का भावार्थ Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 7.
कविता का मूल भाव क्या है ? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में स्वाधीनता भारत का सजीवात्मक चित्रण किया है। सदियों बाद जनतंत्र का उदय हुआ है। पराधीन भारत की स्थितिः अत्यन्त दयनीय थीं। चारों तरफ शोषण, कुसरैकार, अत्याचार आदि का साम्राज्य क्या भारतवासी मुंह बंद कर सबकुछ सहने के लिए विवश थे। पराधीनता की बेड़ी से मुक्त होते ही भारतीय जनता सुख से अभिप्रेत हो गई। जनता सिंहासन पर आरूढ़ होने के लिए आतुर हो गई। मिट्टी की मूर्तिमान रहनेवाली जनता मुँह खोलने लगी है। कभी असीम वेदना को सहनेवाली जनता आज हुंकार भर रही है। गणतंत्र का बागडोर जनता के हाथ में है। मिट्टी तोड़ने वाले, खेत-खलिहानों में काम करने वाले जयघोष कर रहे हैं। आज फावड़ा और हल राजदंड बना हुआ है। आज परिस्थिति बंदल चुकी है। राजनेंता नहीं जनता सिंहासन पर आरूढ़ होनेवाली है।

जनतंत्र का जन्म कविता की व्याख्या Pdf Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 8.
व्याख्या करें
(क)सदियों की ठंडी-बुझी राख सुगबुगा उठीं,
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है
(ख)हुँकारों से महलों की नींव उखड़ जाती
साँसों के बल से ताप हवा में उड़ता है, जनता की रोके राह, समय में ताव कहाँ
वह जिधर चाहती काल उधर ही मुड़ता है।
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पंक्तियाँ रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित जनतंत्र का जन्म शीर्षक  कविता से संकलित है। इसमें कवि स्वाधीन भारत की रूपरेखा को सजीवात्मक रूप से प्रदर्शित किया है। कवि की अभिव्यक्ति है कि स्वाधीनता मिलते ही भारत में जनतंत्र का उदय हो गया है। बुझी हुई राख धीरे-धीरे सुलगने लगी है। सोने का ताज पहनकर भारत आज इठला रहा है। वर्षों से त्रस्त जनता हुँकार भर रही है।

(ख) प्रस्तुत पंक्तियाँ उत्तर छायावाद के प्रखर कवि रामधारी सिंह दिनकर ‘द्वारा रचित जनतंत्र का जन्म’ शीर्षक कविता से संकलित है। पराधीन भारत की दयनीय स्थिति को देखकर कवि हृदय विचलित हो उठा था। स्वाधीनता मिलते ही उसका मुखमंडल दीप्त हो उठा है। जनता की हुँकार प्रबल बेग से उठती है। सिंहासन की बात कौंन कहें धरती भी काँप उठती है। उसके साँसों से ताप हवा में उठने लगते हैं। जनता की रूख जिधर उठती है उधर ही समय भी अपना मुख कर देता है। वस्तुतः यहाँ कवि कहना चाहता है कि जनता ही सर्वोपरि है। वह जिसे चाहती है उसे राजसिंहासन पर आरूढ़ करती है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नांकित शब्दों के पर्यायवाची लिखें
सर्दी, राख, ताज, सिंहासन, कसक, दर्द, करूण, जनमत, फूल, भूडोल, भृकुटी, काल, तिमिर, नाद, राजप्रसाद, मंदिर।
उत्तर-
सर्दी – साल संवंत
भूडोल – भूकम्प
राख – बुझा हुआ आग
भृकुटी – भकटी – मोह
ताज – मुकुट
काल – समय
सिंहासन – गद्दी
तिमिर – अंधकार
कसक – क्षोभ
नाद – ध्वनि
दर्द – पीड़ा
राजप्रसाद – राजमहल
करूण – सौगन्ध
मंदिर – घर
जनमत – लोगों का मत
फूल – पुष्य

प्रश्न 2.
निम्नांकित के लिंग-निर्णय करें-
ताव, दर्द, वेदना, करूण, हुँकार, बवंडर, गवाक्ष, जगत, अभिषेक, शृंगार, प्रजा।
उत्तर-
ताव – पु०
वेदना – स्त्री०
हुंकार – पु०
गवाक्ष – पु०
अभिषेक – पु०
प्रजा – स्त्री०
दर्द – पु०
कसम – स्त्री०
बवंडर – पु०
जगत – पु०
शृंगार – स्त्री

प्रश्न 3.
कविता से सामासिक पद चुनें एवं उनके समास निर्दिष्ट करें।
उत्तर-
सिंहासन’ – सिंह चिह्नित आसन – मध्यमपदलोपी समास
अबोध – न बोध – नञ् समास
जनमत – जनों का मत – तत्पुरूष समास
भूडोल – भूमि का डोलना – तत्पुरुष समास
को पाकुल – कोप से आकुल – तत्पुरूष समास
शताब्दियों – शत आष्दियों का समूह – द्विगु समास
अजय – न जय – नञ् समास
राजप्रासादों – राजा का प्रसादों – तत्पुरूष समास

काव्यांशों पर आधारित अर्थ-ग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

1. सदियों की ठंढी-बुझी राख सुगबुगा उठी,
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है;
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।

जनता? हाँ, मिट्टी की अबोध मूरतें वही,
जाड़े-पाले की कसक सदा सहनेवाली,
जब अंग-अंग में लगे साँप हो चूस रहे,
तब भी न कभी मुंह खोल दर्द कहने वाली।

जनता ? हाँ, लम्बी-बड़ी जीभ की वही कसम,
“जनता, सचमुच ही, बड़ी वेदना सहती है।”
“सो ठीक, मगर, आखिर, इस पर जनमत क्या है?”
“है प्रश्न गूढ़; जनता इस पर क्या कहती है ?”

मानो, जनता हो फूल जिसे एहसास नहीं,
जब चाहो तभी उतार सजा लो दोनों में;
अथवा कोई दुधमुंही जिसे बहलाने के
जन्तर-मन्तर सीमित हों चार खिलौनों में।

लेकिन, होता भूडोल, बवंडर उठते हैं,
जनता जब कोपाकुल हो भृकुटि चढ़ाती है;
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।

प्रश्न
(क) कवि एवं कविता का नाम लिखें।
(ख) पद्यांश का प्रसंग लिखें।
(ग) पद्यांश का सरलार्थ लिखें।
(घ) पद्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) पद्यांश का काव्य सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क)कविता-जनतंत्र का जन्म।
कवि-रामधारी सिंह दिनकर।

(ख) प्रस्तुत पद्यांश में ‘जनतंत्र’ की स्थापना के लिए जंगी प्रेरणा को उजागर किया गया है। सदियों से देशी-विदेशी, सत्तालोलुप लोग भारत की राज सत्ता पर अपना वर्चस्व कायम रखकर भारत की जनता को गुमराह रखें। अब क्रांति की घड़ी आ गई है। जनता में जागृति आ गयी है।। यहाँ की सहनशील जनता अपने सामर्थ्य का आभास कर चुकी है। इन्हीं बातों को उजागर करते हुए कवि ने इस पद्यांश में जनतंत्र-स्थापना की बात कही है।

(ग) प्रस्तुत पद्यांश में कवि कहते हैं कि भारत में सदियों से राजतंत्र रहा है। राज सत्ताधारी भोली-भाली जनता पर राज किये हैं और सुख भोग किये हैं। जनता चुपचाप शासक का अनुगामी बनकर जीवन व्यतीत करती रही है। हमेशा जनता शांत रही है। सत्ताधारी मनमानी करते रहे हैं। लेकिन अब कालचक्र क्रांति का संदेश लेकर आ चुका है। समय बदल चुका है। सोयी हुई जनता जाग उठी है। वह अपनी शक्ति का आभास कर चुकी है। अब राजतंत्र चलनेवाला नहीं है। जनता स्वयं राजेगद्दी पर बैठेगी। अब ऐसी व्यवस्था कायम होने का समय आ गया है जिसमें भारत कीतैंतीस करोड़ जनता राज करेगी कोई एक व्यक्ति राजा नहीं होगा। जनतंत्र स्थापित हेतु समय रूपी रथ आ रहा है जिस पर जनता आरूढ़ होकर आ रही है। नवीन क्रांति का बिगुल बज चुका है।

जनता को सिंहासन पर आसीन करने के लिए सिंहासन को खाली करना होगा। यही समय की पुकार है। जनता अबोध मूरत होती है, सहनशील होती है, जब अंग-अंग को साँप चूसते रहते हैं तब भी मुँह नहीं खोलती है, जनता के मेहनत पर राज करता है। जनता को बहला-फुसलाकर कुछ छोटे-मोटे प्रलोभन देकर स्वयं सत्ता-सुख भोग में लिप्त रहता है। देश की संपत्ति का उपयोग जनता की भलाई में न करके अपनी इच्छाओं, कामनाओं की पूर्ति में लिप्त रहता है। फिर भी जनता चुपचाप सब कुछ सहती रहती है। लेकिन जनता में वह शक्ति है जब वह कोपाकुल होती है, जब जाग जाती है, तब आँधी-तूफान की तरह चल पड़ती है जिसे रोकना मुश्किल है। जनता की जागृति बवंडर लानेवाली होती है जिसका सामना सत्ताधारियों के लिए करना मुश्किल होता है। इसलिए कवि कहते हैं कि अब भारत में समय की पुकार जनतंत्र स्थापना के पक्ष में है। राजतंत्र व्यवस्था समाप्त हो रही है। इसलिए जनता का स्वागत करते हुए राजगद्दी उसे सौंपने की तैयारी किया जाय।

(घ) प्रस्तुत पद्यांश में जनतंत्र की स्थापना की बात कही गयी है। साथ ही जनता की शक्ति का बोध कराया गया है। कवि रामधारी सिंह दिनकर ने ओजस्वी भाव में जनता की महत्ता का बोध कराते हुए उसकी सहनशीलता, धैर्य की बात बड़े ही सहज रूप में कहा है। साथ ही भारत की जनता को अपना अधिकार प्राप्त करने जनतंत्र स्थापित करने, राज सिंहासन पर आरूढ़ होने की प्रेरणा का भाव कवि ने जागृत कर सफल प्रयास किया है। इस पद्यांश में जनता की शक्ति का व्यापक चित्रण किया गया है जो ओज का भाव जगाता है।

(ङ) (i) कविता में खड़ी बोली का प्रयोग है।
(ii) इसमें ओज गुण की प्रधानता है साथ ही रूपक की विधा का प्रयोग है।
(ii) कविता में संगीतमयता विद्यमान है।

2. हुंकारों से महलों की नींव उखड़ जाती
माँसों के बल से ताज हवा में उड़ता है; – जनता की रोक राह, समय में ताव कहाँ?
वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है।  अब्दों, शताब्दियों, सहस्रब्द का अन्धकार बीता; गवाक्ष अम्बर के दहके जाते हैं; यह और नहीं कोई, जनता के स्वप्न अजय  चीरते तिमिर का वक्ष उमड़ते आते हैं।
सबसे विराट जनतंत्र जगत का आ पहुंचा, तैंतीस कोटि-हित सिंहासन तैयार करो;
अभिषेक आज राजा का नहीं, प्रजा का है,
तैंतीस कोटि जनता के सिर पर मुकुट धरो। आरती लिए तू किसे ढूँढता है मूरख, मन्दिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में ? देवता कहीं सड़कों पर मिट्टी तोड़ रहे, देवता मिलेंगे खेतों में, खलिहानों में। फावड़े और हल राजदंड बनने का हैं,
धूसरता सोने से श्रृंगार सजाती है; दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।

प्रश्न
(क) कवि एवं कविता का नाम लिखें।
(ख) पद्यांश का प्रसंग लिखें।
(ग) पद्यांश का सरलार्थ लिखें।
(घ) पद्यांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) पद्यांश का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क)कविता-जनतंत्र का जन्म।
कवि- रामधारी सिंह दिनकर

(ख) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने जनता की शक्ति का आभास कराने का पूर्ण प्रयास किया है। कवि ने कहा है कि राजतंत्र की समाप्ति की बेला आ गई है। अब जनतंत्र का उदय होनेवाला है। समय बदल चुका है। अब राजा का नहीं बल्कि प्रजा का अभिषेक होगा। भारत की मेहनती, खेतों में काम करनेवाली जनता, मजदूरी करनेवाली प्रजा ही राजा बनेगी। यही समय की पुकार है। यह अटल सत्य है।

(ग) प्रस्तुत पद्यांश में कवि रामधारी सिंह दिनकर ने जनता में निहित व्यापक शक्ति को उजागर किया है। इसमें कहा गया है कि जनता जब जाग जाती है, अपने शक्ति बल का अभ्यास करकं जब चल पड़ती है तब समय भी उसकी राह नहीं रोक सकती बल्कि जनता ही जिधर चाहंगी कालचक्र को मोड़ सकती है। युगों-युगों से अंधकारमय वातावरण में जीवन व्यतीत कर रही जनता अब जागृत हो चुकी है।

युगों-युगों का स्वप्न साकार हेतु कदम बढ़ चुके हैं जिसे अब रोका नहीं जा सकता। भारत में सबसे विराट जनतंत्र स्थापित होना तय हो गया है। कवि कहते हैं कि अब इस नवोदित व्यवस्था में राजा नहीं बल्कि प्रजा स्वयं राजगद्दी पर आसीन होगी। भारत की तत्कालीन तैंतीस करोड़ जनता राजा होगी। कवि संकेत करते हैं कि राज्याभिषेक हेतु एक सिंहासन और एक मुकुट नहीं होगा बल्कि तैंतीस करोड़ राजसिंहासन और उतने ही राजमुकुट की तैयारी करनी होगी।

भारत की प्रजा की महत्ता को उजागर करते हुए कवि कहते हैं कि आरती लेकर मन्दिरों और राजमहलों में जाने की आवश्यकता नहीं है बल्कि भारत में मजदूरी करते लोग, खेतों में काम कर रही प्रजा, मजदूर, किसान ही यहाँ के देवता हैं उन्हीं को आरती करने की जरूरत है। अब फावड़े और हल राजदंड होंगे, धूसरता स्वर्ण-शृंगार का रूप लेगा। अर्थात् अब मेहनती, परिश्रमी प्रजा को उसका वास्तविक हक मिलेगा। जनतंत्र की जयघोष होगी। समय की इस पुकार को समझते हुए जनता को आरूढ़ होने के लिए सिंहासन खाली करना होगा।

(घ) प्रस्तुत पद्यांश में जनमत की शक्ति के स्वरूप का प्रदर्शन है। इसमें ओज गुण की प्रधानता है। इसके माध्यम से जनमत की शक्ति का बोध कराया गया है। देश के राज सिंहासन का वास्तविक अधिकारी मेहनती, परिश्रमी, खून पसीना बहानेवाली जनता है। इस पद्यांश में जनता की शक्ति, उसकी महत्ता का यथार्थ चित्रण है। आज वास्तविक देवता, किसान एवं मजदूर है, सिंहासन अधिकारी भी वही हैं। ऐसा भाव इस कवितांश में निहित है।

(ङ) (i) कविता में खड़ी बोली में सहज, सरल एवं सुबोध है।
(ii) इसमें ओज गुण की प्रधानता है।
(iii) कविता में संगीतमयता विद्यमान है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. सही विकल्प चनें

प्रश्न 1.
“ननांग का जन्म’ के कति कौन हैं ?
(क) कुँवर नारायण
(ख) रामधारी सिंह दिनकर
(ग) प्रेमधन
(घ) सुमित्रानंदन पंत
उत्तर-
(ख) रामधारी सिंह दिनकर

प्रश्न 2.
दिनकर के काव्य का मूल-स्वर क्या है?
(क) ओज एवं राष्ट्रीय चेतना ।
(ख) शृंगार
(ग) प्रकृति और सौंदर्य
(घ) रहस्यवाद
उत्तर-
(क) ओज एवं राष्ट्रीय चेतना ।

प्रश्न 3.
जनतंत्र में, कवि के अनुसार राजदण्ड क्या होंगे?
(क) ढाल और तलवार
(ख) फूल और भौरे ।
(ग) फाँवड़े और हल
(घ) बाघ और भालू
उत्तर-
(ग) फाँवड़े और हल

प्रश्न 4.
कवि के अनुसार जनतंत्र के देवता कौन हैं ?
(क) नेता
(ख) शिक्षक
(ग) किसान-मजदूर
(घ) मंत्री
उत्तर-
(ग) किसान-मजदूर

प्रश्न 5.
भारत सरकार ने दिनकर को कौन सा अलंकरण प्रदान किया ?
(क) पद्म श्री
(ख) भारतरत्न
(ग) अशोक चक्र
(घ) पद्म विभूषण।
उत्तर-
(घ) पद्म विभूषण।

प्रश्न 6.
भारत में जनतंत्र की स्थापना कब हुई?
(क) 1947 ई.
(ख) 1977 ई.
(ग) 1950 ई.
(घ) 1967 ई.
उत्तर-
(ग) 1950 ई.

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 1.
दिनकर का जन्म ………… गाँव में हुआ था।
उत्तर-
सिमरिया

प्रश्न 2.
दिनकर उत्तर ………… के प्रमुख कवि हैं।
उत्तर-
छायावाद

प्रश्न 3.
दिनकर को ………….. पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला।
उत्तर-
उर्वशी

प्रश्न 4.
‘संस्कृत के चार अध्याय’ पर दिनकर को ………. पुरस्कार प्राप्त हुआ।
उत्तर-
साहित्य अकादमी

प्रश्न 5.
हुँकारों से महलों की ………..उखड़ जाती है।
उत्तर-
नींव

प्रश्न 6.
जनता की ………रोकना कठिन है। ………….
उत्तर-
राह

प्रश्न 7.
जनता बड़ी …………सहती है।
उत्तर-
वेदना

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
दिनकर किस भावधारा के कवि हैं ?
उत्तर-
दिनकर प्रवाहमान राष्ट्रीय भावधारा के प्रमुख कवि हैं।

प्रश्न 2.
दिनकर ने काव्य के अतिरिक्त और क्या लिखा है ?
उत्तर-
दिनकर ने काव्य के अतिरिक्त गद्य रचनाएँ भी की हैं जिनमें निबंध, डायरी आदि शामिल हैं।

प्रश्न 3.
“जनतंत्र का जन्म’ कविता में किसका जयघोष है ?
उत्तर-
‘जनतंत्र का जन्म’ शीर्षक कविता में भारत में जनतंत्र की स्थापना का जयघोष है।

प्रश्न 4.
जनता की भृकुटि टेढ़ी होने पर क्या होता है ?
उत्तर-
जनता की भकुटि टेढ़ी होने पर क्रांति होती है, राजसत्ता बदल जाती है।

प्रश्न 5.
जनतंत्र में किसका राज्याभिषेक होता है ?
उत्तर-
जनतंत्र में जनता का राज्याभिषेक होता है। वही स्वामी होता है।

प्रश्न 6.
जनतंत्र के देवता कौन हैं ?
उत्तर-
जनतंत्र के देवता हैं, आम लोग, किसान और मजदूर।

प्रश्न 7.
दिनकर की काव्य-भाषा कैसी है ?
उत्तर-
दिनकर की काव्यभाषा ओजस्वी है।

व्याख्या खण्ड

प्रश्न 1.
सदियों की ठंठी-बुझी राख सुगबुगा उठी,
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है,
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के जनतंत्र का जन्म काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन काव्य पंक्तियों के द्वारा कवि दिनकर ने कहा है कि सदियों की ठंढी और बुझी हुई राख में सुगबुगाहट दिखायी पड़ रही है कहने का भाव यह है कि क्रांतिकारी की चिनगारी अब भी अपनी गरमी के साथ प्रज्ज्वलित रूप ले रही है। मिट्टी यानी जनता सोने का ताज पहनने के लिए आकुल-व्याकुल है। राह छोड़ो, समय साक्षी है -जनता के रथ के पहियों की घर्घर आवाज साफ सुनायी पड़ रही है। अरे शोषकों! अब भी चंतो और सिंहासन खाली करो—देखो, जनता आ रही है।

उन पंक्तियों के द्वारा आधुनिक भारतीय लोकतंत्र की व्याख्या करते हुए जनता के महत्व को कवि ने रेखांकित किया है। कवि जनता को ही लोकतंत्र के लिए सर्वोपरि मानता है। वह जन प्रतिनिधियों से चलनेवाले लोकतंत्र की विशेषताओं का वर्णन करता है। सदियों से पीड़ित, शोषित, दमित जनता के सुलगते-उभरते क्रांतिकारी विचारों तथा भावनाओं से सबको अवगत कराते हुए सचेत किया है। उसने उसे नमन करने और समय-चक्र को समझने के लिए विवश किया है।

प्रश्न 2.
जनता? हाँ, मिट्टी की अबोध मूरतें वही,
जाड़े-पाले की कसम सदा सहनेवाली,
जब अंग-अंग में लगे साँप हो चूस रहे,
तब भी न कभी मुँह खोल दर्द कहनेवाली।
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक जनतंत्र का जन्म काव्य पाठ से ली गयी हैं। इन काव्य पंक्तियों के द्वारा कवि दिनकर ने जनता की प्रशंसा में काव्य-रचना किया है। कवि कहता है कि जनता सचमुच में मिट्टी की अबोध मूरतें ही हैं। जनता की पीड़ा व्यक्त नहीं की जा सकती। वह जाड़े की रात में जाड़ा-पाला को सामान्य ढंग से जीते हुए जीती है उसकी कसक को वह हिम्मत के साथ सह लेती है।

तनिक भी आह नहीं करती। ठंढ से कंपकपाता शरीर, लगता है कि हजारों साँप डंस रहे हैं, कितनी पीड़ा व्यथा को सहकर वह जीती है, इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। इतनी पीड़ा, दुःख को सहकर भी वह अपनी व्यथा कभी व्यक्त नहीं करती। कवि ने जनता की हिम्मत और कष्ट सहने की आदत को कितनी मार्मिकता के साथ व्यक्त किया है।

इन पंक्तियों के द्वारा कवि ने भारतीय जनजीवन की आर्थिक विपन्नता और मानसिक पीड़ा को अभिव्यक्ति दी है। उसने भारत की गरीबी, बेकारी, अभावग्रस्तता का सटीक वर्णन किया है। उसकी यानी जनता की बेबसी, बेकारी, लाचारी और शारीरिक पीड़ा, भोजन-वस्त्र, आवास की कमी की ओर सबका ध्यान आकृष्ट किया है। कवि का कोमल हृदय भारतीय जन की दयनीय अवस्था से पीड़ित है। वह उसके लिए ममत्व रखता है और भविष्य में उसकी महत्ता की ओर इंगित भी करता है।

प्रश्न 3.
जनता? हाँ, लंबी-बड़ी जीभ की बही कसम,
“जनता, सचमुच ही, बड़ी वेदना सहती है।”
“सो ठीक, मगर, आखिर, इस पर जनमत क्या है ?”
“है प्रश्न गूढ़ जनता इस पर क्या कहती है ?”
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘जनतंत्र का जन्म’ काव्य पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों में कवि के कहने का भाव यह है कि जनता असह्य वेदना को सहकर जीती है। जीवन में वह उफ तक नहीं करती। कवि शपथ लेकर कहता है कि लंबी-चौड़ी जीभ की बातों पर विश्वास किया जाय। कसम के साथ यह कहना है कि कवि की पीड़ा को शब्दों द्वारा व्यक्त नहीं किया जा सकता है। जनमत का सही-सही अर्थ क्या है ? कवि राजनीतिज्ञों से पूछता है और जानना चाहता है। यह प्रश्न बड़ा गंभीर और प्रासंगिक है। ऐसी अपनी विषम स्थिति पर जनता की क्या सोच है ? राजनेताओं की डींग भरी बातों में कहीं उनकी पीड़ा या वेदना का जिक्र है क्या ?

इन पंक्तियों के द्वारा कवि जनता को पीड़ा, उसकी विपन्नता, कसक और उत्पीड़न भरी जिन्दगी की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करते हुए चेतावनी देता है और लोकतंत्र का मजाक उड़ाने से मना करता है।

प्रश्न 4.
“मानो, जनता हो फूल जिसे एहसास नहीं,
जब चाहो तभी उतार सजा लो दोनों में;
अथवा कोई दुधमुंही जिसे बहलाने के
जन्तर-मन्तर सीमित हों चार खिलौनों में।’
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘जनतंत्र का जन्म’ काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों के द्वारा कवि ने जनता को फूल के समान नहीं समझने और देखने को कहा है। कवि का भाव जनता के प्रति बड़ा ही पवित्र है। वह कहता है कि जनता फूल नहीं है कि जब चाहो दोनों में सजा लो और जहाँ चाहो वहाँ रख दो। जनता दुधमुंही बच्ची भी नहीं है कि उसे बरगला कर काम बना लोगे। वह झूठी-मूठी बातों से भरमाई नहीं जा सकती। तंत्र-मंत्र रूपी खिलौनों से भी वश में नहीं की जा सकती। जनता का हृदय सेवा और प्रेम से ही जीता जा सकता है। अतः, जनता को समादर के साथ उचित तरजीह और अधिकार मिलना चाहिए। उसके हक की रक्षा होनी चाहिए। सम्मान और सहभागिता भी सही होनी चाहिए।

प्रश्न 5.
लेकिन, होता भूडोल, बवंडर उठते हैं,
जनता जब कोपाकुल हो भृकुटि चढ़ाती है;
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘जनतंत्र का जन्म’ काव्य पाठ से ली गयी हैं। इस कविता में जनता की अजेय शक्ति का वर्णन किया गया है। जनता के पास अपार शक्ति है। जनता जब हुँकार भरती है तब भूकंप हो जाता है। बवंडर उठ खड़ा होता है। जनता के हुँकार : के समक्ष सभी नतशिरे हो जाते हैं।
जनता की राह को आज तक कौन रोक सका है ? सुनो, जनता रथ पर सवार होकर आ रही है, उसकी राह छोड़ दो और सिंहासन खाली करो कि जनता आ रही है।

इन पंक्तियों में जनता की शक्ति और उसके उचित सम्मान की रक्षा हो, इस पर कवि जोर देता है। कवि जनता का अधिक शक्ति के साथ उसके सम्मान और उसके लिए पथ-प्रशस्त करने की भी सलाह देता है। इस प्रकार जनता के प्रति कवि उदार भाव रखता है वह समय का साक्षी है। इसीलिए भविष्य के प्रति आगाह करते हुए जनता के उचित सम्मान की सिफारिश करता है।

प्रश्न 6.
हँकारों से महलों की नींव उखड़ जाती,
साँसों के बल से ताज हवा में उड़ता है;
जनता की रोके राह, समय में ताव कहाँ ?
वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है।
व्याख्या- प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘जनतंत्र का जन्म’ काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों में कवि के कहने का आशय है कि जनता की हुँकार से, जनता की ललकार से, राजमहलों की नींवें उखड़ जाती हैं। मूल भाव है कि जनता और जनतंत्र के आगे राजतंत्र का अर्थ कोई मोल नहीं?

जनता की साँसों के बल से राजमुकुट हवा में उड़ जाते हैं-गूढार्थ हुआ कि जनता ही राजा को मान्यता प्रदान करती है और वही राजा का बहिष्कार या समाप्त भी करती है।

जन-पथ को कौन अबतक रोक सका है ? समय में वह ताव या शक्ति कहाँ जो जनता की राह को रोक सके। महा कारवाँ के भय से समय भी दुबक जाता है। जनता जैसा चाहती है, समय भी वैसी ही करवट बदल लेता है। जनता के मनोनुकूल समय बन जाता है। यहाँ मूल भाव यह है कि किसी भी तंत्र की नियामक शक्ति जनता है। उसका महत्त्व सर्वोपरि है।

प्रश्न 7.
अब्दों, शताब्दियों, सहस्त्राब्द का अंधकार
बीता; गवाक्ष अम्बर के दहके जाते हैं;
यह और नहीं कोई, जनता के स्वप्न अजय
चीरते तिमिर का वक्ष उमड़ते आते हैं।
व्यख्यिा-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘जनतंत्र का जन्म’ नामक काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों में कवि के कहने का मूलभाव यह है कि वर्षों, सैकड़ों वर्षों, हजारों वर्षों बीता हुआ अंधकाररूपी समय बीत गया। अंबर चाँद-तारे प्रज्ज्वलित होकर धरती पर उतर रहे हैं। यह कोई दूसरा नहीं है। ये तो जनता के स्वप्न हैं जो अंधकार के वक्ष को चीरते हुए ध रा पर अवतरित हो रहे हैं। यहाँ प्रकृति के रूपों में भी कवि जनता के विजयारोहण का गान कर रहा है। जनता में अजेय शक्ति है। वह महाप्रलय और महाविकास की जननी है। उसके सामने सभी चीजें शक्तिहीन हैं, शून्य हैं। जनता का स्वतंत्रता में सर्वाधिक महत्त्व है।

प्रश्न 8.
सबसे विराट जनतंत्र जगत का आ पहुंचा,
तैंतीस कोटि-हित सिंहासन तैयार करो;
अभिषेक आज राजा का नहीं, प्रजा का है,
तैंतीस कोटि जनता के सिर पर मुकुट धरो।
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘जनतंत्र का जन्म’ नामक काव्य पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों में कवि के कहने का मुल भाव यह है कि भारत में लोकतंत्र का उदय हो रहा है। भारत स्वाधीन हो चुका है। यहाँ लोकतंत्र की स्थापना हो रही है। यहाँ की तैंतीस करोड़ जनता के हित की बात है। शीघ्र सिंहासन तैयार करो और जनता का अभिषेक कर सिंहासन पर बिठाओ ! आज राजा की अगवानी या अभ्यर्थना करने की जरूरत नहीं। आज प्रजा को पूजने और सिंहासनारूढ़ करने की जरूरत है।

आज का शुभ दिन तैंतीस करोड़ जनता के सिर पर राजमुकुट रखने का है। आशय कहने का है कि जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन ही लोकतंत्र है। अतः, लोकतंत्र की अगवानी, पूजा, अभ्यर्थना तथा उसे मान्यता मिलनी चाहिए।

प्रश्न 9.
आरती लिए तू किसे ढूंढता है मूरख,
मंदिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में ?
देवता कहीं सड़कों पर मिट्टी-तोड़ रहे,
देवता मिलेंगे खेतों में, खलिहानों में।
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के “जनतंत्र का जन्म” काव्य-पाठ से ली गयी हैं। कवि के कहने का मूल भाव यह है कि आज हम आरती उतारने के लिए इतना व्यग्र हैं, मूर्ख बनकर किसे हम ढूँढ रहे हैं ?

मंदिरों, राजमहलों, तहखानों में अब देवता या राजा नहीं बसते हैं। आज के देवता हैं जनता। जनता को पाने के लिए सड़कों पर, खेतों में, खलिहानों में जाना होगा क्योंकि वहीं वे श्रम करते हुए मिलेंगे।

कहने का अर्थ यह है कि लोकतंत्र में जनता ही सब कुछ होती है। सारी शक्तियाँ उसी में निहित हैं। वही देवता है, वही राजा है वही लोकतंत्र है। अतः, उसे पाने के लिए गाँवों में, खेतों में, खलिहानों में, सड़कों पर जाना होगा। उसका तो वही मंदिर है, राजमहल है, तहखाना है। जनता . लोकतंत्र की शक्ति-पुंज है।

प्रश्न 10.
फावड़े और हल राजदंड बनने को हैं,
धूसरता सोने से श्रृंगार सजाती है।
दो राह, समय के रथ का घर्धर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।
व्याख्या- प्रस्तुत काव्य पक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘जनतंत्र का जन्म’ नामक काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग जनता के साथ जुड़ा हुआ है लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि होती है। वही सत्ता को चलाती है। वही सत्ता की रक्षा करती है। वही सत्ता के लिए संघर्ष करती है।

लोकतंत्र का राजदंड कोई राजपत्र-कोई हथियार या भिन्न प्रकार का औजार नहीं है। लोकतंत्र का मूल राजदंड है-जनता का हल और कुदाला क्योंकि इसी के द्वारा वह धरती से सोना पैदाकर लोकतंत्र को सबल और सुसंपन्न बनाती है अब कुदाल और हल ही राजदंड के प्रतीक बनेंगे। ध रती की धूसरता का श्रृंगार आज सोना कर रहा है यानी धूल में ही स्वर्ण-कण छिपे हुए हैं
उनका रूप भले ही भिन्न-भिन्न हो। रास्ता शीघ्र दो, देखो, समय के रथ का पहिया घर्धर आवाज करते हुए आगे को बढ़ता जा रहा है। सिंहासन शीघ्रता से खाली करो, देखो जनता स्वयं आ रही है। इन पंक्तियों का गूढार्थ है कि जनता ही जनतंत्र की रक्षा, निर्माता और पोषक है।

जनतंत्र का जन्म कवि परिचय

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 ई० में सिमरिया, बेगूसराय (बिहार) में हुआ और निधन 24 अप्रैल 1974 ई० में । उनकी मां का नाम मनरूप देवी और पिता का नाम रवि सिंह था । दिनकर जी की प्रारंभिक शिक्षा गाँव और उसके आस-पास हुई । 1928 ई० में उन्होंने मोकामा घाट रेलवे हाई स्कूल से मैट्रिक और 1932 ई० में पटना कॉलेज से इतिहास में बी० ए० ऑनर्स किया । वे एच० ई० स्कूल, बरबीघा में प्रधानाध्यापक, जनसंपर्क विभाग में सब-रजिस्ट्रार और सब-डायरेक्टर, बिहार विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर एवं
भागलपुर विश्वविद्यालय में उपकुलपति के पद पर रहे।

दिनकर जी जितने बड़े कवि थे, उतने ही समर्थ गद्यकार भी । उनकी भाषा कुछ भी छिपाती – नहीं, सबकुछ उजागर कर देती है । उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं – ‘प्रणभंग’ ‘रेणका’ ‘हंकार’ ‘रसवंती’, ‘कुरुक्षेत्र’, रश्मिरथी’, ‘नीलकुसुम’, ‘उर्वशी’, ‘परशुराम की प्रतीक्षा’, ‘हारे को हरिनाम’ आदि । (काव्य-कृतियाँ) एवं ‘मिट्टी की ओर’, ‘अर्धनारीश्वर’, ‘संस्कृति के चार अध्याय’, ‘काव्य की भूमिका’, ‘वट पीपल’, ‘शुद्ध कविता की खोज’, ‘दिनकर की डायरी’ आदि (गद्य कृतियाँ) । दिनकर जी को ‘संस्कृति के चार अध्याय’ पर साहित्य अकादमी एवं ‘उर्वशी’ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुए। उन्हें भारत सरकार की ओर से ‘पद्मविभूषण’ से भी सम्मानित किया गया था। वे राज्यसभा के सांसद भी रहे।

दिनकर जी उत्तर छायावाद के प्रमुख कवि हैं । वें भारतेन्दु युग से प्रवहमान राष्ट्रीय भावध रा के एक महत्त्वपूर्ण आधुनिक कवि हैं। कविता लिखने की शुरुआत उन्होंने तीस के दशक में ही कर दी थी, किंतु अपनी संवेदना और भावबोध से वे चौथे दशक के प्रमुख कवि के रूप में ही पहचाने गये। उन्होंने प्रबंध, मुक्तक, गीत-प्रगीत, काव्यनाटक आदि अनेक काव्यशैलियों में सफलतापूर्वक उत्कृष्ट रचनायें प्रस्तुत की हैं। प्रबंधकाव्य के क्षेत्र में छायावाद के बाद के कवियों में उनकी उपलब्धियाँ सबसे अधिक और उत्कृष्ट हैं। भारतीय और पाश्चात्य साहित्य का उनका अध्ययन-अनुशीलन विस्तृत एवं गंभीर है । उनमें इतिहास और सांस्कृतिक परंपरा की गहरी चेतना है और समाज, राजनीति, दर्शन का वैश्विक परिप्रेक्ष्य-बोध है जो उनके साहित्य में अनेक स्तरों पर व्यक्त होता है।

राष्ट्रकवि दिनकर-की प्रस्तुत कविता आधुनिक भारत में जनतंत्र के उदय का जयघोष है। सदियों की देशी-विदेशी पराधीनताओं के बाद.स्वतंत्रता प्राप्ति हुई और भारत में जनतंत्र की प्राण-प्रतिष्ठा हुई । जनतंत्र के ऐतिहासिक और राजनीतिक अभिप्रायों को कविता में उजागर करते हुए कवि यहाँ एक नवीन भारत का शिलान्यास सा करता है जिसमें जनता ही स्वयं सिंहासन पर आरूढ़ होने को है । इस कविता का ऐतिहासिक महत्त्व है।

 जनतंत्र का जन्म Summary in Hindi

पाठ का अर्थ

उत्तर छायावाद के प्रखर कवि रामधारी सिंह दिनकर एक कवि ही नहीं समर्थ गद्यकार हैं। वे भारतेन्दु युग से प्रवहमान राष्ट्रीय भावधारा के एक महत्त्वपूर्ण आधुनिक कवि हैं। उन्होंने प्रबंध, मुक्तक, गीत-प्रगीत, काव्यनाटक आदि अनेक काव्य शैलियों में सफलतापूर्वक उत्कृष्ट रचनाएँ
प्रस्तुत की हैं। भारतीय और पाश्चात्य साहित्य का उनका अध्ययन-अनुशीलन विस्तृत एवं गंभीर है।

प्रस्तुत कविता में स्वाधीन भारत में जनतंत्र के उदय का जयघोष है। सदियों बाद भारत विदेशी पराधीनता से मुक्त होकर जनतंत्र का प्राण-प्रतिष्ठा किया है। आज भारत सोने का ताज पहनकर इठलाता है। मिट्टी की मूर्ति की तरह मूर्तिमान रहने वाला आज अपना मुँह खोल दिया है। वेदना को सहनेवाली जनता हुँकार भर रही है। जनता की रूख जिधर जाती है उधर बवंडर उठने लगते हैं। आज राजा का नहीं पुजा का अभिषेक होनेवाला है। आज का देवता मंदिरों प्रासादों में नहीं खेत-खलिहानों में हैं। वस्तुतः कवि जनतंत्र के ऐतिहासिक और राजनीतिक अभिप्रायों को उजागर करते हुए एक नवीन भारत का शिलान्यास सा करता है जिसमें जनता ही स्वयं सिंहासन पर आरूढ़ होने में है।

शब्दार्थ

नाद: स्वर, ध्वनि
गूढ़ : रहस्यपूर्ण
भूडोल : धरती का हिलना-डोलना, भूकंप
कोपाकुल : क्रोध से बेचैन ।
ताज : मुकुट
अब्द : वर्ष, साल
गवाक्ष : बड़ी खिड़की, दरीचा
तिमिर : अंधकार
राजदंड : राज्याधिकार, शासन करने का अधिकार
धूसरता : मटमैलापन

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 1 दहन और ज्वाला : चीजों का जलना

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 1 दहन और ज्वाला : चीजों का जलना Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 1 दहन और ज्वाला : चीजों का जलना

Bihar Board Class 8 Science दहन और ज्वाला : चीजों का जलना Text Book Questions and Answers

अभ्यास

Bihar Board Class 8 Science Chapter 1 प्रश्न 1.
आग लगने पर उसे कई बार पानी डालकर बुझाते हैं। पानी डालने से आग कैसे बुझ जाती है?
उत्तर-
आमतौर पर लगी आग को बुझाने के लिए हम पानी का प्रयोग करते हैं। जल ज्वलनशील पदार्थ को ठंडा करता है। ऐसा करने से आग का फैलाव बंद हो जाता है। इस प्रक्रिया में जो जलवाष्प बनती है। वह बाहरी वायु की आपूर्ति बंद कर देती है और आग बुझ जाती है।

दहन और ज्वाला चीजों का जलना Bihar Board प्रश्न 2.
मोमबत्ती की ज्वाला जब स्थिर हो तो काँच के प्लेट ले जाने पर काला वलय क्यों बनता है?
उत्तर-
मोम एक ईंधन है, यानि ऊर्जा का एक रूप है जो हाइड्रोजन तथा कार्बन से मिलकर बनी होती है। हाइड्रोजन सुनहली ज्वाला के साथ जलकर जलवाष्प बनाता है। यह कार्बन को भी जलाता है और दोनों ज्वाला के साथ जलते हैं । लौ के इस दूसरे हिस्से में मोम के जलने से बना कार्बन मौजूद होता है जिसके कारण काँच के प्लेट ले जाने पर काला वलय बनता है।

Bihar Board Class 8 Science Solution प्रश्न 3.
अगर किसी दुर्घटना में कोई व्यक्ति आग की चपेट में आ जाए तो उसे बचाने के लिए कम्बल में लपेट दिया जाता है। ऐसा क्यों?
उत्तर-
कोई व्यक्ति आग की चपेट में आ जाए तो उसे बचाने के लिए कम्बल में लपेट दिया जाता है क्योंकि, साधरणतया जलना एक रासायनिक प्रतिक्रिया है जिसमें तीन चीजों की आवश्यकता होती है।

  1. ज्वलनशील पदार्थ का होना ।
  2. ज्वलन ताप तक पहुँचने का उपाय ।
  3. हवा की जरूरत ।

वायु दहन के लिए आवश्यक होता है क्योंकि हवा में उपस्थित ऑक्सीजन दहनशील नहीं होते हैं परन्तु दहन के पोषक होते हैं। यानी जलने में मदद करता है। कम्बल में लपेट देने से शरीर का हवा से सम्पर्क खत्म हो जाता है। परिणामस्वरूप बिना हवा के आग बुझ जाती है।

Science बुक बिहार क्लास 8 Solution Bihar Board प्रश्न 4.
कभी-कभी जंगलों में अपने-आप आग लग जाती है। ऐसा कैसे होता होगा?
उत्तर
कभी-कभी जंगलों में अपने-आप आग लग जाती है। गर्मियों के मौसम में बहुत अधिक गर्मी पड़ने पर कुछ स्थानों में सूखी घास आग पकड़ लेती है जिससे .पूरा जंगल. ही आग की लपेट में आ जाता है जिसे दावानल कहते हैं। गर्मी या पेड़ और पेड़ के बीच घर्षण से उसका तापमान बढ़ जाता है और धीरे-धीरे वह तापमान पर पहुँच जाता है। जहाँ पदार्थ जलना शुरू कर देता है। इस प्रकार जंगलों में स्वतः आग लग जाती है।

दहन और ज्वाला कक्षा 8 Bihar Board प्रश्न 5.
गोलू ने आधा पेट्रोल तथा आधा पानी लेकर एक मिश्रण बनाया। उसने एक कपड़े को इस मिश्रपा में भिंगों दिया इसके बाद एक माचिस की तीली से इसे जलाया। आग लगी पर कपड़ा नहीं जला। ऐसा कैसे हुआ होगा?
उत्तर-
वह तापमान जिस पर पहुँचने के बाद कोई कोई पदार्थ जलना शुरू कर देता है, उस पदार्थ का ज्वलन ताप कहलाता है। पेट्रोल का ज्वलन ताप पानी के ज्वलन ताप से कम होता है जिसके कारण पेट्रोल पहले आग पकड़ लेता है और पानी से भींगी तौलिया ज्वलन ताप तक नहीं पहुँच पाते हैं जिसके कारण वह जलने से बच जाता है।

दहन और ज्वाला कक्षा 8 Notes Bihar Board प्रश्न 6.
माचिस को जलाने के लिए उसे माचिस की डिब्बी से रगड़ा जाता है। ऐसा क्यों?
उत्तर-
चूँकि लाल फॉस्फोरस अपने आप आग नहीं पकड़ता बल्कि रगड़ने पर ही जलता है। अपने घरों में जो माचिस की डिब्बी आप देखते हैं उसमें तीलियों पर लगा रसायन पोटैशियम क्लोरेट होता है। डिब्बी पर लाल फॉस्फोरस और सल्फर लगा होता है। माचिस की तीलियाँ डिब्बी पर रगडने से आसानी से जल उठती है।

Bihar Board Class 8 Science Solution In Hindi प्रश्न 7.
ज्चाला के तीनों क्षेत्र दिखाइए।
उत्तर-
मोमबत्ती की ज्वाला के तीन क्षेत्र होते हैं

  1. बाहरी भाग
  2. मध्य भाग
  3. आन्तरिक भाग।

बाहरी भाग नीला तथा अदीप्त होता है। यहाँ पूर्ण दहन होता है। क्योंकि यहाँ ऑक्सीजन ज्यादा उपलब्ध होते हैं। यह सबसे गर्म होता है।

मध्य भाग पीला, चमकीला और दीप्त क्षेत्र होते हैं। इस भाग में पूर्ण दहन नहीं होता है क्योंकि ऑक्सीजन यहाँ भी कम मिल पाता है।

आन्तरिक क्षेत्र बत्ती के एकदम नजदीक होता है। यह काला रंग का होता है क्योंकि कार्बन के कुछ कण बच जाते हैं। यह सबसे कम गर्म क्षेत्र होते

Dahan Aur Jwala Class 8 Question Answer Bihar Board

Dahan Aur Jwala Class 8 Bihar Board प्रश्न 8.
घर में आग से होने वाली असावधानियों से बचने के लिए आप, क्या-क्या करते हैं ? इसकी चर्चा आप अपने दोस्तों से कीजिए।
उत्तर-
घर में आग से होनेवाली असावधानियों से बचने के लिए उपाय

  1. अति ज्वलनशील पदार्थ को सुरक्षित या आग से दूर रखना।
  2. जहाँ-तहाँ आग को ले जाने से बचना।
  3. सिगरेट, बीड़ी आदि को सुरक्षित जगह पर सेवन करने के लिए प्रेरित करना।
  4. गर्मी के दिनों में बहुत सुबह तथा रात में खाना बनाने के लिए चुल्हा जलाने के लिए प्रेरित करना।
  5. आग को तेज हवाओं से दूर रखना।
  6. विस्फोटक पदार्थ को ठीक ढंग से चलाना ।
  7. पार्टी, विवाह आदि के अवसर पर विशेष सावधानी बरतना ।

Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 7 साइकिल की सवारी

Bihar Board Class 7 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 2 Chapter 7 साइकिल की सवारी Text Book Questions and Answers and Summary.

BSEB Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 7 साइकिल की सवारी

Bihar Board Class 7 Hindi साइकिल की सवारी Text Book Questions and Answers

पाठ से –

Cycle Ki Sawari Summary In Hindi Bihar Board Class 7 प्रश्न 1.
साइकिल चलाने के बारे में लेखक की क्या धारणा थी? – क्या यह धारणा सही थी? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
साइकिल चलाने के बारे में लेखक की धारणा थी कि हम सब कुछ कर सकते हैं, मगर साइकिल नहीं चला सकते हैं, क्योंकि ये विद्या हमारे प्रारब्ध में नहीं लिखी गई है।

यह लेखक की धारणा गलत थी क्योंकि साइकिल चलाना लेखक सीख सकते थे। हाँ, यह बात सत्य है कि उम्र पर विद्या सीखना आसान है लेकिन अधिक उम्र में कोई विद्या सीखना आसान नहीं तो मुश्किल भी नहीं। प्रयत्न और नियमित होकर अधिक उम्र में भी लेखक साइकिल सीख सकते थे। अगर दुर्घटना के बाद भी लेखक नियमित साइकिल की सवारी करते तो थोड़े ही दिनों में अच्छे चालक बन सकते थे।

साइकिल की सवारी के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 7 प्रश्न 2.
लेखक ने साइकिल सीखने के लिए कौन-कौन-सी तैयारियाँ की?
उत्तर:
लेखक ने साइकिल सीखने के लिए कपडे बनवाये । उस्ताद ठीक किए । साइकिल माँगकर लाया । जेबक के दो डब्बे खरीदकर लाये । इत्यादि ।

Saikil Ki Sawari Question Answer Bihar Board Class 7 प्रश्न 3.
लेखक के झूठ का पोल कैसे खुल गई?
उत्तर:
लेखक ने जब झूठ बोलकर दुर्घटना का दोष तिवारी जी पर मढ़ने – लगे तो पोल खुल गई क्योंकि जिस ताँगा से लेखक दुर्घटनाग्रस्त हुए थे उस ताँगा पर उनकी पत्नी ही बैठी थी।

Cycle Ki Sawari Question Answer Bihar Board Class 7 प्रश्न 4.
किसने किससे कहा –
(क) “कितने दिन में सिखा देगा।”
उत्तर:
लेखक ने तिवारी जी से कहा।

(ख) “नहीं सिखाया तो फीस लौटा देंगे।”
उत्तर:
उस्ताद ने लेखक से कहा।

(ग) “मुझे तो आशा नहीं कि आपसे यह बेल मत्थे चढ़ सके।”
उत्तर:
लेखक की पत्नी ने लेखक से कही।

(घ) “हम शहर के पास नहीं सीखेंगे। लारेंस बाग में जो मैदान है वहाँ सीखेंगे।”
उत्तर:
लेखक ने उस्ताद से कहा।

पाठ से आगे –

साइकिल की सवारी प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 7 प्रश्न 1.
बिल्ली के रास्ता काटने एवं बच्चे के छींकने पर लेखक का गुस्सा आया । क्या लेखक का गुस्सा करना उचित था। अपना विचार लिखिए।
उत्तर:
बिल्ली के रास्ता काटने एवं बच्चे के छींकने पर लेखक को गुस्सा आना उचित नहीं था। हमारे विचार से बिल्ली के रास्ता काटने या किसी के छींकने से यात्रा में विच आता है। यह धारणा गलत है। मनुष्य यदि इंढ संकल्प हो तो रास्ते के सारे विघ्न बाधाएँ स्वयं समाप्त हो जाते हैं। विघ्न तो उसे रोकता है जिसे अपनी सफलता पर संदेह हो। लेखक को तो पूर्व से ही यह धारणा थी कि-हम साइकिल नहीं चला सकते हैं।

Cycle Ki Sawari Question Answer Class 7 Bihar Board प्रश्न 2.
किसी काम को सम्पन्न करने में आपको किससे किस प्रकार की मदद की अपेक्षा रहती है?
उत्तर:
किसी काम को सम्पन्न करने में हमें अपने मित्रों से मदद की अपेक्षा रहती है। अपने भाइयों, बहनों और अन्य परिवार वालों के साथ-साथ समाज के हरेक व्यक्ति से मदद की अपेक्षा रहती है। माता-पिता बड़े-बुजुर्गों से निर्देशन की अपेक्षा । भाई-बहनों से श्रम बाँटने की अपेक्षा । मित्रों से सहयोग की अपेक्षा।

व्याकरण –

Cycle Ki Sawari Ke Question Answer Bihar Board Class 7 प्रश्न 1.
निम्नलिखित मुहावरों का वाक्य में प्रयोग कीजिए –

(क) मैदान में डटे रहना।
उत्तर:
लेखक मैदान में डटे रहने का निर्णय लिया।

(ख) मैदान मार लेना।
उत्तर:
किसी भी विद्या को सीखने में नियमित ढंग से कार्य करने वाले मैदान मार लेते हैं।

(ग) हाथ-पाँव फूलना।
उत्तर:
लेखक के झूठ का पोल खुलते ही, लेखक के हाँथ-पाँव फूल गये।

(घ) दाँत पीसना
उत्तर:
लड़के के छींक सुनकर लेखक दाँत पीसकर रह गये ।

Cycle Ki Sawari By Sudarshan Question Answer Bihar Board Class 7 प्रश्न 2.
उदाहरण के अनुसार दो वाक्यों को एक वाक्य में बदलिए-

(क) श्रीमती जी ने बच्चे को सुलाया। हमारी तरफ देखा।
उत्तर:
श्रीमती जी ने बच्चे को सुलाकर हमारी तरफ देखा।

(ख) उसी समय मशीन मँगवाया। उन कपड़ों की मरम्मत शुरू कर दी।
उत्तर:
उसी समय मशीन मँगाकर उन कपड़ों की मरम्मत शुरू कर दी।

(ग) उस्ताद ने हमें तसल्ली दी। चले गये।
उत्तर:
उस्ताद ने हमें तसल्ली देकर चले गये।

(घ) साइकिल का हैण्डल पकड़ा। चलने लगे।
उत्तर:
साइकिल का हैण्डल पकड़कर चलने लगे।

कुछ करने को –

Cycle Ki Sawari Question Answer In Hindi Bihar Board Class 7 प्रश्न 1.
साइकिल में अनेक पार्ट-पुर्जे होते हैं । इन पार्ट-पुों के नाम की सूची बनाइए।
उत्तर:
साइकिल के पार्ट पुर्जी के नाम हैं –
हैण्डल, घंटी, ब्रेक, सीट, पैडिल, चक्का, टायर, ट्यूब, गोली, धुरी, ब्रेक सुल, साइकिल बॉडी इत्यादि ।

Cycle Ki Sawari Question Answer Class 7 Bihar Board प्रश्न 2.
“हड़बड़ में गड़बड़” पर कोई किस्सा अपनी कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
“हड़बड़ में गड़बड़”।

“हड़बड़ में गड़बड़” हो जाता है। एक आदमी बड़ा ही सीधा-सादा भोला था। 50 वर्ष की उम्र में उसे साइकिल सीखने की धुन सवार हुई । भला क्यों न धुन सवार हो । उसके सभी मित्र साइकिल चलाना जानते थे। यहाँ तक उसके छोटे बच्चे जो मात्र 10 साल का था, साइकिल फरटि मार चलाता था। वह आदमी अपने मित्र से साइकिल सीखाने को कहता है। मित्र ने एक आदमी दिया जो 15 दिनों में साइकिल सीखाने की गारंटी देकर दो रुपये प्रतिदिन के हिसाब से अग्रिम फीस भी ले लिया।

दूसरे दिन उस्ताद के आत ही वह आदमी झटपट पैजामा और कमीज उल्टे पहनकर चल पड़ा। रास्ता में जो भी देखे उस आदमी को देखकर मुस्कुरा देता। आदमी को लगता था कि हमारे उमर को देखकर लोग हँस रहे हैं। वह गुस्सा में आ गया । दाँत पीसकर बेचारा रह गया । कर भी क्या सकता था। एक रहे तब तो डाँट दे । यहाँ तो जो नजर आये सब उस आदमी को देखकर हँस रहा था। अंततः वह आदमी साइकिल पटक उस्ताद से कहामैं साइकिल सीखने योग्य नहीं हूँ। यह कहकर घर लौट आया। पत्नी पूछीक्यों जी, शीघ्र साइकिल सीखकर आ गये ? वह आदमी कहा क्या सिखु लोग हमको देखकर हँस रहे थे कि इतने उम्र में साइकिल सीखने चला है। पत्नी को समझते देर नहीं लगी। वह बोल पड़ी-“हड़बड़ में गड़बड़” हुआ है। लोग आपको देख नहीं हँस रहे थे बल्कि आपने जो उल्टा पैजामा-कुर्ता पहन रखा है इसलिए मुस्कुरा रहे होंगे।

साइकिल की सवारी Summary in Hindi

सारांश – प्रस्तुत लेख हास्यपूर्ण संस्मरण लेख है। इस लेख के माध्यम से लेखक ने बताया है कि समय पर किया हुआ काम या ज्ञान ही अच्छा होता है। असमय पर काम करने या ज्ञान प्राप्त करने में बाधाएँ तो आती ही हैं, कार्य में सफलता मिलना भी मुश्किल हो जाता है।

लेखक साइकिल चलाना नहीं जानता है जबकि उसके पुत्र जानते हैं। छोटे-छोटे मूर्ख से मूर्ख लोगों को साइकिल चलाते देख लेखक को लगता है कि इस युग में हम ही एक ऐसे लोग हैं जिसको साइकिल चलाना नहीं आता । पुनः वह साइकिल की सवारी करना आसान मानकर साइकिल सीखने का निर्णय लेता है। तैयारी शुरू हुई फटे-पुराने कपड़े निकाले गये क्योंकि साइकिल सीखने के क्रम में एकाध बार लोग गिरते ही हैं। कपड़े फटेंगे, गंदे होंगे। पुराने कपड़े पहनकर ही काम चलाना ठीक है। पत्नी के द्वारा लेखक समझाये भी गये। लेकिन लेखक ने अपने सोच को पूरा करके दिखाने में ही अपनी सार्थकता समझी। बेचारी पति के जिद्द के सामने झुक गई और लेखक के फटे-पुराने कपड़े को ठीक कर दी।

पुनः इस विद्या को सीखाने के लिए उस्ताद खोजा गया। 20 रुपये अग्रिम लेकर उस्ताद साइकिल सिखाने को तैयार हुए। निर्णय हुआ कि लोगों की नजर से बचने के लिए शहर के बाहर लारेंस बाग के मैदान में सीखेंगे।

अब तो लेखक की नींद भी हराम हो गई यदि नींद में आवे तो स्वप्न के संसार में भ्रमण करने लगते ।

साइकिल मंगनी हुआ, चोट लगने पर लगाने के लिए जेबक भी खरीद लिए गये । इस प्रकार पूरी तैयारी के साथ जब लेखक घर से साइकिल सिखने के लिए उस्ताद के साथ निकलते हैं तो बिल्ली रास्ता काट दिया। एक लड़का छिंक भी दिया। लेखक दाँत पीस कर रह गये। गुस्सा तो आया लेकिन क्या करते । पुनः हरि का नाम लेकर आगे बढ़े तो लेखक को लगा कि सभी लोग मेरी तरफ देख-देख मुस्कुरा रहे हैं। गौर किया तो पता चला कि पाजामा और अचकन दोनों उन्होंने उल्टा पहन रखा है। इसी से लोग हंस रहे हैं। अब लेखक घर लौट जाना ही उचित समझकर उस्ताद से माफी मांगकर लौट गये। इस प्रकार पहला दिन मुफ्त में गया।

दूसरे दिन लेखक पुनः अपने उस्ताद के साथ निकल पड़े। रास्ते में उस्ताद ने कहा, जरा साइकिल पकड़े रहिए, हम थोड़ा लस्सी पी लेते हैं। जब उस्ताद लस्सी पी रहे थे तो लेखक पहले तो साइकिल को ऊपर-नीचे निहारा, पुनः थोड़ा आगे बढ़ाने का यत्न किया तो ऐसा लगा कि साइकिल लेखक के सीने पर चढ़ा जाता है अंतत: लेखक को साइकिल छोड़ना पड़ा। साइकिल लेखक के पाँव पर गिरा तथा पाँव साइकिल में फंस गया । उस्ताद दौड़े, अन्य लोगों की सहायता से लेखक उठे उनके पैर में अधिक चोट आ गई । लेखक लंगड़ाते हुए दूसरे दिन भी आधे रास्ते से लौट आये । साइकिल के कुछ पाट-पूर्जे भी टूट गये थे। पुन: साइकिल मिस्त्री के यहाँ भेजकर ठीक करवाया गया। आठ नौ दिनों में लेखक साइकिल चढ़ना सीख तो गये । लेकिन स्वयं नहीं चढ़ पाते । कोई पकड़ता तो चढ़कर चला पाते थे। इतने में ही लेखक पूरा आनंदित थे। थोड़े ही समय में साइकिल ट्रेनिंग सेंटर खोलकर तीन-चार सौ मासिक कमाने का स्वप्न देखने लगते हैं।

एक दिन उस्ताद ने लेखक को साइकिल पर चढ़ाकर कह दिया किअब तुम सीख गये। अब लेखक साइकिल चलाते हुए फूले नहीं समान रहे थे। लेकिन दशा यह थी कि सौ गज की दूरी पर ही आदमी को देख चिल्लाना शुरू कर देते, बगल-बगल । यदि कोई गाड़ी नजर आती तो दूर से ही देखकर प्राण छुटने लगते । गाड़ी निकल जाती थी तब लेखक को जान में जान आती। सहसा साइकिल पर सवार लेखक को तिवारी जी आते दिखाई पड़े। जोर से कहा, तिवारी जी ! बगल हो जाओ नहीं तो साइकिल चढ़ा दूंगा । तिवारी जी मुस्कुराते हुए कहा-जरा एक बात तो सुनते जाओ । लेखक ने एक बार हैण्डल देखा फिर तिवारी जी को फिर जवाब दिया, इस समय कोई बात सुन सकता है। देखते नहीं हो, साइकिल पर सवार हैं।

तिवारी जी लेखक से जरूरी बात सुन लेने के लिए उतरने के लिए कहते रह गये। लेकिन लेखक आगे बढ़ गये।

सामने तोता देख लेखक जोर से बाईं तरफ भाई, अभी नये चलाने वाले हैं, कहकर ताँगे वाले को तो बाएँ तरफ कर दिया। लेकिन घोड़ा एकाएक भड़क गया और लेखक की साइकिल ताँगे की बीचों-बीच घुस गयी । लेखक बेहोश हो जाते हैं। जब होश आया तो. अपने को घर में पाया। उनके शरीर पर कितनी ही पट्टियाँ बँधी थीं।

लेखक को होश में देखकर पत्नी बोली—क्यों ? अब क्या हाल है ? मैं कहती न थी, साइकिल चलाना न सीखो । उस समय किसी का सुनते ही न थे।

लेखक ने सोचकर तिवारी जी पर इलजाम लगाना चाहते हैं। पत्नी ने कहा, मुझे चकमा मत दो, उस ताँगे पर मैं ही बच्चों के साथ घूमने निकली थी कि सैर भी होगा और तुम्हें साइकिल चलाते भी देख लेंगे। लेखक उत्तर नहीं दे सके। बाद में उन्होंने कभी साइकिल को छुआ तक नहीं।

Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 2 नाचकेता

Bihar Board Class 7 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 2 Chapter 2 नाचकेता Text Book Questions and Answers and Summary.

BSEB Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 2 नाचकेता

Bihar Board Class 7 Hindi नाचकेता Text Book Questions and Answers

Bihar Board Class 7 Hindi Book Solution प्रश्न 1.
नचिकेता कौन था?
उत्तर:
नचिकेता महर्षि बाजश्रवा का एकलौता पुत्र था।

Bihar Board Class 7 Hindi प्रश्न 2.
नचिकेता क्यों दुःखी हुआ ? उसने अपने पिताजी से क्या कहा?
उत्तर:
नचिकेता पिताजी को लोभवश बूढ़ी गाय दान देते देखकर दुःखी हुआ। उसने पिताजी से कहा “पिताश्री आपने तो इस महायज्ञ में अपना सर्वस्व दान में देने का निश्चय किया था। लेकिन आपने अपने प्रियवस्तु को नहीं देकर बूढ़ी और दूध नहीं देने वाली गाय क्यों दान कर रहे हैं।

Bihar Board Class 7 Hindi Solution In Hindi प्रश्न 3.
नचिकेता यमपुरी किसलिए गया ?
उत्तर:
पिता की आज्ञा पालन करने हेतु नचिकेता यमपुरी गया। क्योंकि उसके पिता बाजश्रवा ने यज्ञ के दान में यमराज को नचिकेता का दान बोल दिया था।

Hindi Class 7 Bihar Board Solution प्रश्न 4.
नचिकेता को यमपुरी के मुख्य द्वार पर क्यों रूकना पड़ा?
उत्तर:
यमपुरी से यमराज बाहर गये थे। अत: उनके आने की प्रतीक्षा में नचिकेता को मुख्य द्वार पर ही रूकना पड़ा।

Bihar Board Class 7 Hindi Solutions प्रश्न 5.
नचिकेता ने पहला वरदान क्या माँगा?
उत्तर:
नचिकेता ने पहला वरदान में पिता के क्रोध को शांत होने का वरदान माँगा।

Bihar Board Solution Class 7 Hindi प्रश्न 6.
नचिकेता ने दूसरा और तीसरा वर क्या माँगा ?
उत्तर:
नचिकेता ने दूसरा वरदान में अभय देने वाली विद्या माँगा तथा तीसरा वरदान में आत्मा के रहस्य बताने को कहा।

Bihar Board Class 7 Hindi Book Pdf प्रश्न 7.
किसने , किससे कहा?
(क) “मृत्यु के मुख में पहुंचकर कोई नहीं लौटा वत्स !”
उत्तर:
बाजश्रवा ने नचिकेता से कहा।

(ख) “छोटा मुँह और बड़ी बात करता है। यज़ की मुझे चिन्ता होनी चाहिए, तुझे नहीं।”
उत्तर:
बाजश्रवा ने नचिकेता से कहा।

(ग) “आप तो यमपुरी जाने की आज्ञा पहले ही दे चुके हैं। अब कुछ भी कहना मेरे लिए निरर्थक है।”
उत्तर:
नचिकेता ने पिता बाजश्रवा से कहा।

पाठ से आगे –

Bihar Board 7th Class Hindi Book प्रश्न 1.
महर्षि बाजश्रवा अगर गायों को ब्राह्मण को दान में दे देते तो क्या होता?
उत्तर:
महर्षि बाजश्रवा अगर बूढ़ी दूध नहीं देने वाली गायों का दान ब्राह्मण को दे देते तो उनका यज्ञ सफल नहीं होता।

Class 7 Hindi Bihar Board प्रश्न 2.
यज्ञ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
यज्ञ का तात्पर्य होता है किसी कार्य के लिए विहित विधिवत् यज्ञ देवता का पूजन और हवन करना ।
जैसे – पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ ने ‘पत्रेष्टि यज्ञ’ करवाया।

किसलय हिंदी बुक बिहार क्लास 7 Bihar Board प्रश्न 3.
अगर आपको तीन वर माँगने के लिए कहा जाय तो आप क्या माँगेंगे?
उत्तर:
अगर हमें तीन वर माँगने के लिए कहा जाय तो मैं निम्नलिखित वरदान माँगूगा।
(क) सद् विद्या प्रदान करें
(स) सदैव नीरोग रहें ।
(ग) अपने कर्तव्य पथ पर बढ़ते रहें।

Class 7 Bihar Board Hindi Solution प्रश्न 4.
नचिकेता “साधु-प्रवृत्ति” का था। साधु-प्रवृत्ति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
“साधु-प्रवृत्ति” का अर्थ होता है-सरल-स्वभाव वाला।

व्याकरण –

Hindi Class 7 Bihar Board प्रश्न 1.
इनके पर्यायवाची शब्द बताइए-
उत्तर:
(क) पुत्र-वत्स, बेटा, तनय ।
(ख) पिता-बाप, जनक, तात्, जन्मदाता ।
(ग) यमराज–पितृपति, यमपति, दक्षिण दिगपति ।
(घ) गाय-गो, धेनु, कपिला ।
(ङ) साधु-सज्जन, सरल।।

प्रश्न 2.
इनके विपरीतार्थक शब्द बताइए
उत्तर:
(क) सत्य–असत्य ।
(ख) धर्म-अधर्म ।
(ग) सहिष्णुअसहिष्णु ।
(घ) इच्छा -अनिच्छ।।
(ङ) सम्पन्न-विपन्न ।

प्रश्न 3.
देखिये, समझिए और लिखिए
उत्तर:
पितृभक्त = पितृ + भक्त ।
सहनशक्ति = सहन + शक्ति ।
मुखमंडल = मुख + मंडल ।
गौशाला = गो + शाला ।
महायज्ञ = महा + यज्ञ ।
ब्रह्मवाक्य = ब्रह्म + वाक्य ।
कर्मनिष्ठ = कर्म + निष्ठ।
आत्मज्ञानी = आत्म. + ज्ञानी।

प्रश्न 4.
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए –
(क) जो पिता की भक्ति करता हो।
उत्तर:
पितृभक्त ।

(ख) जो सब कुछ जानता हो।
उत्तर:
सर्वज्ञ।

(ग) जिसने आत्मा का रहस्य जान लिया हो।
उत्तर:
आत्मज्ञानी।

(घ) जिसने दृढ़ निश्चय कर लिया हो।
उत्तर:
दृढनिश्चयी।

(ङ) जो सहनशील हो।
उत्तर:
सहिष्णु।

नाचकेता Summary in Hindi

कहानी का सारांश – हजारों वर्ष पूर्व महर्षि बाजश्रवा हुए। उनके एकमात्र पुत्र नचिकेता था। नचिकेता पितृभक्त, दृढनिश्चयी, आत्मज्ञानी, सत्यनिष्ठ धार्मिक और साधु (सज्जन) बालक था। एक बार पिता को सर्वमेघ यज्ञ की दक्षिणा में बूढ़ी गायों को दान में देते देखकर नचिकेता समझ जाता है कि-पिताश्री के मन में लालच आ गई है जबकि यज्ञ के पूर्व उन्होंने प्रिय सभी वस्तुओं को दान में देने की बात नचिकेता से बताई थी। अपने पिता को संकल्पहीन होते देख नचिकेता को अपने पिता के द्वारा किए गये सर्वमेघ यज्ञ की सफलता पर संदेह हो गया। उसने पहले अपने पिता को अपने संकल्प का ज्ञान कराते हुए कहा-पिता जी, आपने तो प्रिय वस्तु ही दान देने की बात बताई है। फिर बूढ़ी और दूध नहीं देने वाली गाएँ ही क्यों दान में दे रहे हैं। पहले बाजश्रवा मुस्कुराए लेकिन बार-बार नचिकेता के द्वारा कर्तव्यबोध की बात सुनकर गुस्सा में आ गये। पिता को क्रोधित देखकर भी नचिकेता निडरपूर्वक प्रश्न किया—पिताजी ! आपकी सबसे प्रिय वस्तु मैं हूँ, आप मुझे किसको दान में दे रहे हैं?

बाजश्रवा और भी अधिक क्रोध में आकर कह दिया, तुम्हें “यमराज को दूंगा।” नचिकेता पिता से आज्ञा माँगकर यमराज के पास जब जाने की बात कही तो अपनी भूल पर पछतावा होने लगा तथा नचिकेता को समझाने का प्रयास किया । नचिकेता जानता था कि जब तक प्रिय वस्तु के प्रति पिता की आसक्ति रहेगी तब तक सर्वमेघ यज्ञ पूरा नहीं होगा। दृढनिश्चयी नचिकेता पिता से आज्ञा माँग यमपुरी जाता है। द्वार पर उसे रोक दिया जाता है क्योंकियमराज अपने पुरी से बाहर गये हुए थे। तीन दिनों तक यमपुरी के द्वार पर नचिकेता भूखा-प्यासा बैठा रहा। यमराज आये तथा द्वार पर ऋषि पुत्र को पड़ा देख परिचय तथा आने का कारण पूछा ।

नचिकेता ने कहा कि मेरे पिताजी – ने सर्वमेप यज्ञ किया जिसके दक्षिणा में पिताजी ने मुझे आपको दान में दिया है। आपके सेवा में उन्होंने मुझे आपके पास भेजा है। नचिकेता के उत्तर सुनकर यमराज ने आश्चर्यपूर्ण शब्दों में कहा-नचिकेता यमपुरी आते तुझे डर .. नहीं लगा। नचिकेता ने सरल ढंग से उत्तर देते हुए कहा देव । भय कैसा? मेरी दृष्टि में मृत्यु ही सबसे बड़ा वरदान है, जब मनुष्य का शरीर साथ देना छोड़ देता है, तब मृत्यु ही उसे कष्टों से मुक्ति दिलाती है। इसलिए मुक्तिदात्री यमपुरी को मैं भय का कारण नहीं मानता । मैंने तो सदैव इसे वरदान रूप में स्वीकारा हूँ।

नचिकेता के उत्तर से यमराज प्रसन्न हो उसका अतिथि सत्कार किया तथा तीन वरदान मांगने को कहा।

नचिकेता ने कहा देव ! मैं तो दक्षिणास्वरूप आपके पास भेजा गया हूँ, आपसे वरदान कैसे माँग सकता हूँ।

यमराज ने कहा-बालक कोई बात नहीं, तुम्हारी पितृभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा से मैं प्रसन्न हूँ, नि:संकोच होकर वरदान माँगो ।

नचिकेता ने पहला वरदान में अपने पिता का क्रोध शांत होने की माँग की।

दूसरे वरदान में, ऐसी विद्या मुझे दें जिससे भय उत्पन्न नहीं हो। तीसरे वरदान में, आत्मा के रहस्य बताने को कहा।

यमराज ने दो वरदान तो आसानी से दे दिये लेकिन तीसरा वरदान आत्मा का रहस्य बताने में आनाकानी करना चाहे । लेकिन नचिकेता को दृढ़ निश्चयी देखकर आत्मा का रहस्य भी यमराज को बताना पड़ा।

इस प्रकार तीनों वरदान पाकर नचिकेता पृथ्वी पर आकर अपने पिता का क्रोध शांत पाया तथा बाजश्रवा को सर्वमेघ यज्ञ का सुफल भी प्राप्त हुआ।

बाजश्रवा पुत्र को पाकर बहुत प्रसन्न हुए। नचिकेता आत्मज्ञानी, पितृभक्त दृढ़निश्चयी और कर्त्तव्य-परायण बालक का उदाहरण बनकर सदैव अमर रहेगा।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 5 मै नीर भरी दुःख की बदली

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 पद्य खण्ड Chapter 5 मै नीर भरी दुःख की बदली Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 5 मै नीर भरी दुःख की बदली

Bihar Board Class 9 Hindi मै नीर भरी दुःख की बदली Text Book Questions and Answers

मैं नीर भरी दुख की बदली व्याख्या Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 1.
महादेवी अपने को ‘नीर भरी दुख की बदली’ क्यों कहती हैं?
उत्तर-
महादेवी वर्मा का जीवन सदैव वेदनामय रहा है। उनकी वेदना में ही विश्व की वेदना सन्निहित है। विश्व के जन जीवन की पीड़ा यातना, कष्ट, दुख आदि का संबंध महादेवी जी की व्यक्तिगत पीड़ा से है। कवयित्री ने अपने काव्य प्रतिभा द्वारा अपनी असहय वेदना और पीड़ा को मूर्त रूप दिया है। महादेवी जी की पीडा वेदना सार्वजनीन पीडा है वेदना है। इसी कारण वे अपने व्यक्तिगत जीवन की पीड़ा को नीर से भरी हुई बदली से तुलना करते हुए अन्तर्मन की भावना को व्यक्त किया है। ‘बदली’ यहाँ प्रतीक प्रयोग है। बदली जिस प्रकार जल कण के घनीभूत होने से अपने यथार्थ रूप को पाती है ठीक उसी प्रकार महादेवी जी का भी जीवन घनीभूत पीड़ाओं से व्यथित है। यह पीड़ा लौकिक भी है और अलौकिक भी। महादेवी रहस्यवादी कवियित्री हैं, इसी कारण उनपर भारतीय संतों एवं दार्शनिकों का भी प्रभाव है। इसी से प्रभावित होकर प्रकृति को माध्यम बनाकर महादेवी जी अपने हृदय के संवेदनशील उद्गारों को शब्द-बद्ध किया है।

उन्होंने प्रकृति के माध्यम से विभिन्न रूपों द्वारा अपने मन की घनीभूत वेदना को मूर्त रूप में चित्रण किया है। यह महादेवी जी की सांसारिक पीड़ा तो है ही, आध्यात्मिक पीड़ा भी है। महादेवी जी अंत:करण से ब्रह्म के प्रति भी समर्पित भाव से अपनी मुक्ति के लिए काव्य-सृजन द्वारा निवेदन प्रस्तुत करती हैं।

महादेवी जी ने अपनी प्रेम साधना की सफलता के लिए प्रकृति के व्यापक क्षेत्र को चुना। महादेवी जी के काव्य और जीवन में वेदनाधिक्य है। महादेवी जी अपने व्यथित हृदय की पीड़ा को सुनाने के लिए प्रकृति को ही सहृदय और उपयुक्त पात्र माना है।

मैं नीर भरी दुख की बदली कविता की व्याख्या Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 2.
निम्नांकित पंक्तियों का भाव स्पष्ट करें:
(क) मैं क्षितिज-भृकुटी पर घिर धूमिल,
चिंता का. भार बनी अविरल,
रज-कण पर जल-कण हो बरसी,
नव-जीवन अंकुर बन निकली।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ महादेवी वर्मा द्वारा रचित ‘यामा’ काव्य कृति से संकलित की गई हैं। ‘मैं नीर भरी दुख की बदली’ काव्य पाठ का शीर्षक है। उपरोक्त पंक्तियों में महादेवी जी ने प्रकृति के माध्यम से जीवन की वेदना, पीड़ा एवं नए जीवन के अंकुरण की कामना व्यक्त की है। कवयित्री का कहना है कि क्षितिज के भृकुटी पर जो धूमिल घिरा हुआ है वह अविरल चिंता रूपी भार से व्यथित है। यानि चिंता की रेखाएँ सदैव उभरी हुई दिखाई पड़ती हैं। इस क्षितिज-भृकुटी की चिंता की समानता महादेवी जी की मन-मस्तिष्क की चिंता से की गई है। इसमें चिंता के अविरल और व्यापक रूप का वर्णन किया गया है।

महादेवी जी के हृदय रूपी क्षितिज में अनेक विषाद घिरे हुए हैं और कवयित्री के मानस पटल पर चिंता की रेखाएँ उभर आई हैं। जिस प्रकार, धूल के कण पर जल की वारिश होते ही उसमें छिपा बीज (जीवन) नव अंकुर रूप लेकर प्रगट हो जाता है। यहाँ कवयित्री के कहने का भाव यह है कि विषाद युक्त इस संसार में जब प्रकृति की कृपा होती है तब रजकण में छिपे हुए बीज भी नवजीवन को प्राप्त होते हैं। ये पंक्तियाँ रहस्यवादी भाव को अपने में समेटे हुए है। इस नश्वर संसार में सुख-दुख के बीच सारा जन-जीवन पीड़ित है। चिंताओं के मार से व्यथित है। लेकिन कवयित्री की दृष्टि में प्रकृति ही संतुलन रखने में समर्थ है। उपरोक्त पंक्तियों में अविरल चिंता खुद महादेवी जी का है। महादेवी जी कहती हैं कि मैं इस संसार में सदैव भार बनी रहीं। लेकिन प्रकृति ने ही इस वेदना को नए जीवन के नवांकुर के रूप में परिवर्तित कर सुखद क्षण प्रदान किया।

यहाँ प्रकृति के गुणों का भी चर्चा हुई है। जड़-चेतन, विश्व-वेदना, व्यक्तिगत वेदना, विश्व की चिंता ये सारी बातें महादेवी की जीवन वेदना से संपृक्त हैं। इस प्रकार महादेवी ने नवांकुर की सुखद कामना की है। विषाद युक्त वेदना से पीड़ित इस नश्वर संसार में प्रकृति का ही सहारा है। उसी का संबल है। इस प्रकार ब्रह्म और जीव के अटूट संबंधों को व्याख्यायित करते हुए महादेवी जी ने अपनी व्यक्तिगत पीड़ा, वेदना, चिंता को सार्वजनीन स्वरूप प्रदान करते हुए कविता को विस्तृत भाव भूमि प्रदान की है।
नव सृजन की परिकलपना भी कवयित्री के मन में है।

(ख) सुधि मेरे आगम की जग में
सुख की सिरहन हो अंत खिली!
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘मैं नीर भरी दुख की बदली’ काव्य पाठ से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवयित्री ने अपने विषय में कहते हुए भावोद्गार को प्रकट किया कि इस जग में मेरे आने की याद में सुख की अनुभूति हुई है। लेकिन उस सुख में भी एक सिहरन थी क्योंकि महादेवी जी कन्या रूप में अवतरित हुई थीं। इन पंक्तियों में महादेवी जी ने अपने बारे में लिखा है कि उनके जन्म लेने पर जग में सुख की चर्चा तो हुई लेकिन उसमें भीतर ही भीतर एक विषाद भाव भी छिपा हुआ था।

इन पंक्तियों के द्वारा अपने होने के प्रति यानि स्वयं के अस्तित्व पर ध्यान आकृष्ट करते हुए कवयित्री ने जग के सुख-दुख की भी परिकल्पना की है। इन पंक्तियों में महादेवी जी की स्मृति तो जग खुशी-खुशी याद रखा किंतु अन्त:करण में यह सिहरन सुख का होते हुए कष्टप्रद था। रहस्यवादी भावनाओं के माध्यम से राग, सुख, सिहरन, जीवन, आगम और अंत पर महादेवी जी ने प्रकाश डाला है। इस भौतिक जगत में जीवन की गति यही है। सुख में भी दुख की छाया परिव्याप्त है। इस प्रकार आंतरिक मन में एक भय है, सिहरन है उसके अंत का कामना कवयित्री करती हैं। प्रकारान्तर से प्रकृति द्वारा जीवन और जगत के बीच हर्ष-विषाद का सूक्ष्म चित्रण करते हुए कवयित्री ने अपने व्यक्तिगत पीड़ा को भी व्यक्त किया है।

मैं नीर भरी दुःख की बदली कविता का सारांश Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 3.
‘क्रंदन में आहत विश्व हँसा’ से कवयित्री का क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में महादेवी जी ने विश्व वेदना की ओर सबका ध्यान आकृष्ट किया है। इस विश्व में सभी जन आहत हैं। वे रो रहे हैं, तड़प रहे हैं लेकिन इस तडपन या रुदन में भी हँसी छिपी हई है। कहने का अर्थ यह है कि यह विश्व जनजीवन के करुण क्रंदन से परिव्याप्त है। इससे निजात पाने के लिए प्रकृति ही संबल है। यहाँ कवयित्री ने स्वयं अपने हृदय में परिव्याप्त विकल वेदना को समग्र विश्व की वेदना का रूप देकर चित्रित किया है।

महादेवी जी का सारा जीवन वेदनाधिक्य से भरा हुआ है। जड़-चेतन की महत्ता की ओर भी कवयित्री ने हमारा ध्यान खींचा है। जिस प्रकार दीपक जलते हैं और विश्व को आलोकित करते हैं किन्त दीपक का स्वयं का जलना कितना चिंतनीय हैं इस पीड़ा को तो दीपक ही जान सकता है। इस प्रकार महादेवी जी की पीड़ा सर्वव्यापी है। विश्वजनीन है। उनकी व्यक्तिगत वेदना जन वेदना का रूप धारण करते हुए समग्र विश्व की वेदना का स्वरूप ले लेती है। क्रंदन में भी एक आनंद है, पीड़ा भी है लेकिन उस पीड़ा में जीनेवाले को जिस यथार्थ का दर्शन होता है वह दूसरा क्या जाने? इस प्रकार महादेवी की परिकल्पना विराट है। वह विराट सत्ता के साथ स्वयं को जोड़ते हुए अपनी पीड़ा को भी विराट स्वरूप प्रदान करती हैं। इस प्रकार महादेवी जी ने उक्त पंक्तियों में क्रंदन से आहत विश्व का चित्रण करते हुए उसमें छिपे हुए सूक्ष्म भाव तत्व की ओर हमारा ध्यान खींचा है।

मैं नीर भरी दुख की बदली कविता का सारांश Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 4.
कवयित्री किसे मलिन नहीं करने की बात करती है?
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ महाकवि महादेवी द्वारा रचित काव्य पाठ ‘मैं नीर भरी दुख की बदली’ से ली गई हैं।
इन पंक्तियों में कवयित्री ने अपने पवित्र मन के भाव को व्यक्त किया है। उन्होंने स्वयं के बारे में कहा है कि मैं जिस पथ पर चली, उसे मलिन नहीं होने दिया। यानि यहाँ कवयित्री की आंतरिक भावना से जुड़ा हुई ये पंक्तियाँ हैं। कवयित्री की यह इच्छा है, आकांक्षा है कि वह जिस राह पर चले वह स्वच्छ पर सुंदर हो। वह पथ भी चिन्ह रहित हो।

कहने का भाव यह है कि अपने को ब्रह्म से जोड़ने की लालसा ही कवयित्री की आंतरिक आकांक्षा है। वही एक पथ है जो मलिन नहीं है वह राग, द्वेष, रूप-रंग, गंधहीन है। ईश्वर की आराधना, पूजा में ही प्रकृति का जुड़ाव है। महादेवी जी प्रकृति प्रेमी कवयित्री हैं। इसी कारण उन्होंने अपनी इन पंक्तियों के माध्यम से इस भौतिक जगत को बुराइयों से स्वयं को मुक्त रखते हुए सत्कर्मों की ओर ध्यान खींचा है। इसमें महादेवी जी की निर्मल हृदय का भावोद्गार है जो अत्यंत ही सराहनीय और – वंदनीय है। कवयित्री को भौतिक आशा-आकांक्षा अपने पाश में बाँधने में असमर्थ है वह चिरंतन सत्य मार्ग का अनुसरण करना चाहती है।

इन पंक्तियों में लौकिक एवं अलौकिक दोनों जगत की चर्चा है। निर्मलता, स्वच्छता और राग-द्वेष रहित जीवन जीने की इच्छा व्यक्त की गई है। इस प्रकार महादेवी जी के चिंतन का धरातल ऊँचा और पवित्र है। उसमें सांसारिकता का लेशमात्र भी जगह नहीं है। इसमें निर्मल साधना एवं कर्मनिष्ठता पर चिंतन किया गया है।

मैं नीर भरी दुःख की बदली कविता का भावार्थ Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 5.
सप्रसंग व्याख्या करें:
“विस्तृत नभ का कोई कोना
मेरा न कभी अपना होना
परिचय इतना इतिहास यही।
उमड़ी कल थी मिट आज चली।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाट्य पुस्तक महादेवी वर्मा द्वारा रचित ‘मैं नीर भरी दुख की बदली’ काव्य पाठ से ली गई हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग स्वयं महादेवी जी के जीवन से जुड़ा हुआ है।

उपरोक्त पंक्तियों में महादेवी जी ने अपनी काव्य प्रतिभा का परिचय देते हुए लिखा है कि इस विस्तृत जग में मेरा कोई नहीं है। मेरा इतिहास यही है कि मैं कल थी और आज नहीं हूँ। इन पंक्तियों में कवयित्री ने भौतिक जगत की नश्वरता पर ध्यान आकृष्ट किया है। उनका कहना है कि इस नश्वर संसार के किसी भी कोने में मेरा अपना कोई नहीं है। मेरा अस्तित्व कल था लेकिन आज नहीं है। कहने का सूक्ष्म भाव यह है कि मानव इस धराधाम पर आकर अपनी यशस्वी कृर्तियों के बल पर ही अमर बन सकता है। इतिहास रच सकता है। इन पंक्तियों में भौतिक और आध्यात्मिक जगत का यथार्थता का चित्रण करते हुए महादेवी जी ने अपना मंतव्य प्रकट किया है। इस प्रकार कर्म की ही प्रधानता है। नाम की नहीं।

इन पंक्तियों में महादेवी जी ने जीवन के यथार्थ पर प्रकाश डाला है। इस नश्वर जगत में सुर्कीर्तियों का ही इतिहास रहा है। नाम का नहीं। यह जगत कर्म प्रधान है। नाम प्रधान नहीं। इतिहास भी उसी को याद करता है जो कर्मवीर होते हैं।

मैं नीर भरी दुःख की बदली की व्याख्या Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 6.
‘नयनों में दीपक से जलते में ‘दीपक’ का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक से महादेवी वर्मा द्वारा रचित ‘मैं नीर भरी दुख की बदली, काव्य-पाठ से ली गई हैं। इन पंक्तियों में ‘दीपक’ का प्रयोग स्वयं महादेवी जी के लिए हुआ है। जिस प्रकार दीपक सदैव जलता रहता है लेकिन दीपक के जलने की पीड़ा से वेदना से दुनिया वाकिफ नहीं होती और उसी तरह महादेवी जी की वेदना है, पीड़ा है। महादेवी जी जीवन भर दीपक की तरह जलती रही लेकिन उस भाव को दुनिया ने नहीं पकड़ा।

नयनों में दीपक से जलते यहाँ प्रतीक प्रयोग है महादेवी के नयनों में ही दीपक जल रहा है। कहने का भाव यह है कि अपने प्रियतम की प्रेम साधना में महादेवी जी की आँखों में अनवरत आशा का दीप जल रहा है। उसकी उन्हें प्रतीक्षा है उसके लिए तड़पन है, बेचैनी है पीड़ा है। इस प्रकार महादेवी जी की प्रेम-साधना को दीपक के सदृश चित्रित किया गया है। यहाँ दीपक का जलना, नयनों के दीपक से जलने के साथ तुलना की गई है। आँखों में भी मिलने की लालसा है। जलने की अनवरत क्रिया चल रही है। इस प्रकार तुलनात्मक चित्रण द्वारा कवियित्री अपने भावों को मूर्त रूप देने में सफल रही है। इसमें वेदना, आशा, मिलन की आकांक्षा का संकेत मिलता है। महादेवी जी की ये पंक्तियाँ रहस्यवादी है। इसमें प्रभु मिलन के लिए पीड़ा है, बेचैनी है। व्यग्रता है। यही कारण है कि नयनों में दीपक की भाँति ही दीपक जल रहा है। उसे प्रभु के आगमन एवं मिलन की उत्कट प्रतीक्षा है। इन पंक्तियों में सूक्ष्म भाव निहित है।

मैं नीर भरी दुःख की बदली का सारांश Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 7.
कविता के अनुसार कवियित्री अपना परिचय किस रूप में दे रही हैं?
उत्तर-
‘मैं नीर भरी दुख की बदली ‘काव्य में महादेवी जी ने अपने पूरे जीवन की वेदना, पीड़ा को अभिव्यक्ति देकर एक नयी भावभूमि की स्थापना की है। महादेवी जी का जीवन मेघ से भरी हुई बदली के समान है। जिस प्रकार जल-कण से संघन होकर बादल वेदना से जम गया है ठीक उसी प्रकार महादेवी जी का भी जीवन है। उसके सिहरन है तो कभी निष्क्रियता भी झलकता है। महादेवी ने अपने जीवन की तुलना बादल से प्रतीक रूप में की है। वह कहती है कि बादल को देखकर मन प्रसन्न हो उठता है। मिलकर रोने से मन हल्का हो जाता है। ठीक उसी प्रकार आँख में जलते दीपक के समान पलकों से आँसू भरने के बूंद के रूप में निकलता है।

मेरे पग ऐसे चल रहे हैं जैसे मन में संगीत की लहरें उठ रहीं हों और श्वास में मधुरता का अहसास हो।
आकाश की नवरंगी घटाओं में ऐसा लगता है जैसे छाया में मलय बयार की खुशबू आ रही है।

कवियित्री का मानना है कि कन्या के जन्म होते ही हमेशा से जग की मुख पर चिंता की रेखाएँ उभर आती हैं। अर्थात् कन्या का जन्म लेना ही चिंता का विषय रहता है।

धूल के कण पर जल की बारिश होते ही उसमें छिपा बीज (जीवन) नया रूप धारण कर धरा पर अवतरित हो जाता है। ठीक उसी प्रकार महादेवी जी का भी जीवन है।

कवियित्री की कल्पना या आकांक्षा यह है कि वह जिस पथ पर चल रही हैं वह सुंदर और स्वच्छ हो, मलिन नहीं हो। वह पथ चिन्ह रहित भी हो।
अंत में कवियित्री कहती है कि इस विस्तृत जग में मेरा कोई नहीं है। मेरा इतिहास यही है कि मैं कल थी और आज नहीं हूँ। इन पंक्तियों में कवियित्री ने जीवन को दार्शनिक स्वरूप देते हुए तुलनात्मक पक्षों पर चिंतन किया है। यह जगत नश्वर और विषाद से भरा हुआ है। इस संसार में अमर रहने के लिए यशकामी होना होगा। यानि सुकर्म ही इतिहास में स्थान सुरक्षित रखेगा।

यह कविता रहस्यवादी भावों से भरी हुई है जिसमें महादेवी के व्यक्तिगत वेदना, पीड़ा का चित्रण तो है ही साथ ही विश्व के विराट स्वरूप की नश्वरता, क्षणभंगुरता की ओर भी ध्यान खींचा गया है।

Mai Nir Bhari Dukh Ki Badli Summary In Hindi Bihar Board प्रश्न 8.
‘मेरा न कभी अपना होना’ से कवयित्री का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
उपरोक्त पंक्तियों में महादेवी जी ने इस लौकिक जगत की नश्वरता के बारे में ध्यान आकष्ट करते हए अपने व्यक्तिगत जीवन पर भी प्रकाश डाला है। महादेवी जी सरल एवं निष्कपट भाव से कहती हैं कि इस विस्तत संसार में मेरा अपना कोई नहीं है। इस विराट जगत के किसी भी कोना में मेरा कुछ नही है और न मेरा अपना कोई है। कहने का सूक्ष्म भाव यह है कि यह संसार नश्वर है। माया बंधन से यक्त है। कोई भी किसी का नहीं है। सबको एक न एक दिन मर जाना है। यह जीवन नश्वर है अतः इसके लिए सबसे सरल मार्ग है-सुकर्म और सुपथगामी बनना। इसमें रहस्यवादी भाव भरा हआ है। महादेवी जी ने अपने जीवन की नश्वरता और क्षणभंगरता की ओर सबका ध्यान आकष्ट किया है। महादेवी जी ने अपने व्यक्तिगत जीवन-कर्म को विश्व के जीवन-धर्म से जोड़कर अपनी कविताओं में वर्णन किया है।

Main Neer Bhari Dukh Ki Badli Summary In Hindi Bihar Board प्रश्न 9.
कवियित्री ने अपने जीवन में आँसू को अभिव्यक्ति का महत्वपूर्ण साधन माना है। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य पाठ में महादेवी जी ने अपनी भावनाओं को प्रबल रूप में प्रस्तुत करने के लिए आँसू को आधार बनाया है। आँसू महत्वपूर्ण साधन इसीलिए माना गया है क्योंकि आँसू जब बहता है तब यह साफ दृष्टिगत होता है कि भीतर कोई न कोई घनीभूत पीड़ा है वेदना है।

अपनी कविता में महादेवी जी ने क्रंदन में आहत विश्व हँमा, पलकों में निर्झरिणी मचली द्वारा आँस की महत्ता को प्रतिष्ठा दी है। जब व्यक्ति अत्यधिक । पीड़ित होता है। असह्य कप्ट से पीड़ित होता है तो उसकं आँखों सं बरबस आँसू बह चलते हैं आँसू व्यक्ति की आंतरिक पीड़ा को प्रकट करने में महत्वपूर्ण साधन है। इस प्रकार रज-कण पर जल-कणा हो बरसी में भी हृदय की वेदना को आँसू रूप में व्यक्त करते हुए कविता के सृजन में सफलता प्राप्त की है।

मैं नीर भरी दुख की बदली का भावार्थ Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 10.
इस कविता में ‘दख’ और ‘आँसू’ कहाँ-कहाँ, किन-किन रूपों में आते हैं? उनकी सार्थकता क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य-पाठ में कवयित्री ने दु:ख और ‘आँसू’ के लिए कई काव्य पंक्तियों की रचना की हैं। उन्होंन ‘आँसू’ को कई रूपों में व्याख्यायित किया है। ‘स्पंदन में चिर निस्पंद’ में दुख की व्याख्या की है। ‘क्रदन में आहत विश्व’ पंक्ति में अपनी मनोव्यथा के साथ चिर विश्व व्यथा को वर्णन करते हुए ‘आँसू’ एवं दुख के विश्वजनीन रूप को प्रकट किया है। कवियित्री की व्यक्तिगत पीड़ा साव की पीड़ा है, वेदना है। ठीक उसी प्रकार कवियित्री के आँसू सकल जगत के आँसू हैं, उनका रूप विश्वव्यापी है।।

नयनों में दीपक से जलते पंक्तियों में जलन एवं तड़पन के साथ पिघलते आँसू के ज्वालामय रूप का चित्र खींचा गया है। इसमें हृदय की जलन भी है, तड़पन भी है। उसी जलन की पीड़ा से पीड़ित मन जब विकल-व्यथित हो जाता है तब पलकों से आँसू की नदी बहने लगते है।
इस प्रकार कवयित्री ने अपनी कविता में स्पंदन में चिर निस्पंद जीवन की वेदना, विवशता, दुख की व्याख्या की है। क्रंदन में विश्व की विराटता का दर्शन कराया है। सारा विश्व चित्कार कर रहा है। आहत है, शोक संतप्त है। विरल व्यथित है। नयनों में दीपक जलने का अर्थ घनीभूत पीड़ा हृदय में अवस्थित है जो नयनों में जलन के रूप में दीपक की तरह चित्रित किया गया है। पलकों में उमड़े आँसू के सैलाव ने नदी का रूप धारण कर लिए है।

रज-कण पर जल-कण हो बरसी यानि बारिश के रूप में आँसू को चित्रित किया गया है। इस प्रकार कवयित्री का दुख विश्वव्यापी रूप को अख्तियार कर लिया है। कवयित्री का इस नश्वर संसार में आना भी सिहरन यानि चिंता का कारण बन गया है। परिचय इतना इतिहास यही उमड़ा कल था मिट आज चली यानि अस्तित्व के मिटने का गम भी दुख का चित्रित रूप है। इस संसार में अपना कोई नहीं होना यानि अकेलापन भी दुख का ही चित्रित रूप है। इस प्रकार आँसू और दुःख को कई रूपों में चित्रित करते हुए कवयित्री ने अपने हृदयोद्गार को प्रकट किया है।

नीचे लिख्ने पद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखें।

1. मेरा पग-पग संगीत भरा,
श्वासों से स्वप्न-पराग झरा,
नभ के नव रंग बुनते दुकूल,
छाया में मलय-बयार पली! :
मैं क्षितिज-भृकुटी पर घिर धूमिल,
चिंता का भार बनी अविरल,
रज-कण पर जल-कण हो बरसी,
नव जीवन-अंकुर बन निकली!
(क) कवि और कविता के नाम लिखें।
(ख) ‘मेरा पग-पग संगीत भरा’ से कवयित्री का क्या अर्थ है?
(ग) ‘श्वासों से स्वप्न-पराग झरा’ का अर्थ स्पष्ट करें।
(घ) “मैं क्षितिज-भृकुटि पर घिर धूमिल’ से कवयित्री क्या कहना चाहती है?
(ङ) ‘नवजीवन अंकुर बन निकली’का तात्पर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कवि-महादेवी वर्मा, कविमा-मैं नीर-भरी दुःख की बदली

(ख) इस कथन से कवयित्री के कहने का आशय यह है कि जिस प्रकार जल से भरी बदली रह-रहकर मंद स्वर में गरजकर अपने सजग संगीत का परिचय देती है उसी तरह कवयित्री के जीवन का क्षण-क्षण भी प्रियतम के रहस्मय प्रेम के संगीत से भरा हुआ है।

(ग) यहाँ महादेवी वर्मा यह कहना चाहती है कि उसकी हर साँस से सपनों का पराग झरता रहता है, अर्थात् उसकी साँसों में सुखद कल्पनाओं और प्रेम की सुगंध विद्यमान रहती है। इस सुखद कल्पना और प्रेम के कारण महादेवी वर्मा का संपूर्ण जीवन सुगंध से, अर्थात् प्रेममय मधुर अनुभूति से भरा हुआ है।

(घ) कवयित्री अपनी तुलना नीर-भरी बदली से करती है। नीर-भरी बदली का जन्म क्षितिज के तल पर धुंधली लकीर के रूप में सर्वप्रथम होता है। उसका भी जन्म इस संसार के एक कोने में एक लघु अस्तित्व के रूप में हुआ है। नीर-भरी बदली धूलकणों पर बरसकर वहाँ नवांकुरों के रूप में नवजीवन का संचार करती है। उसी तरह जब महादेवी वर्मा की वेदना आँसुओं के रूप में बरस पड़ती है तब फिर से उसके नए जीवन में नई चेतना का नव संसार बस जाता है।

(ङ) इस प्रश्न के उत्तर के लिए ऊपर लिखित प्रश्नोत्तर ‘घ’ के अंतिम खंड को पढ़ें।

2. पथ को न मलिन करता आना,
पद-चिन्ह दे जाता जाना,
सुधि मेरे आगम की जग में,
सुख की सिहरन को अंत खिली!
विस्तृत नभ को कोई कोना,
मेरा न कभी अपना होना,
परिचय इतना इतिहास यही,
उमड़ी कल थी मिट आज चली!
(क) कवि और कविता के नाम लिखें।
(ख) “पथ को न मलिन करता आना’, पद-चिन्ह दे जाता जाना’ पद्य-पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट करें।
(ग) कवयित्री ने इस पद्यांश में संसार से अपना कैसा संबंध बताया है? स्पष्ट करें।
(घ) कवयित्री के जीवन का परिचय और इतिहास क्या है?
(ङ) ‘उमड़ी कल थी मिट आज चली’ प्रध-पंक्ति में जीवन के किस
सत्य और दर्शन की व्याख्या की गई है? स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कवयित्री-महादेवी वर्मा कविता-मैं नीर भरी दुख की बदली ।

(ख) कवयित्री अपनी तुलना नीर-भरी बदली से करती है। बदली कुछ देर के लिए आकाश में छाती है और फिर बरसकर अस्तित्वविहीन हो जाती है। वहाँ आकाश में उसके आने और फिर उसके वहाँ से चले जाने के इस आवागमन का कोई चिन्ह नहीं रह जाता है जिससे कि आकाश का पथ मलिन या गंदा हो जाए। इसी तरह महादेवी वर्मा के इस जीवन-तल पर जन्म और मृत्यु के रूप में आवागमन से उनके जीवन-पथ पर कोई अस्तित्व चिन्ह उसे गंदा करने के लिए नहीं रह जाता है

(ग) कवयित्री के अनुसार उसका इस संसार से एकदम वैसा ही अस्थायी संबंध है जिस प्रकार नीर-भरी बदली का आकाश से अस्थायी संबंध रहता है।
कवयित्री केवल अपने जीवनकाल तक ही अस्थायी रूप से इस संसार से जुड़ी हुई है। जन्म के रूप में आना और फिर मौत के रूप में चला जाना-इसी जन्म और मरण के बीच की लघु अवधि कवयित्री के संसार से अस्थायी संबंध की अस्थायी अवधि है।

(घ) कवयित्री के जीवन का परिचय और जीवन का इतिहास यही है कि उसने इस संसार में जन्म लिया और कुछ वर्षों के बाद यहाँ समय बिताकर यहाँ ये उसे चला जाना है। उसके जन्म और मरण के बीच की अवधि ही उसके जीवन का परिचय और इतिहास है।

(ङ) इस कथन के माध्यम से कवयित्री जीवन के इस शाश्वत सत्य और दर्शन का उद्घाटन करती है कि मानव का इस धरती से अस्थायी संबंधी है। यहाँ जो जन्मा है, उसे अवश्य ही मौत का वरण करना है। हमारा जीवन स्थायी और शाश्वत नहीं है जैसे नीर-भरी बदली का आकाश से स्थायी संबंध नहीं है। जो घटा घिरी उसे फिर अस्तित्वविहीन हो ही जाना है।

Bihar Board Class 7 English Book Solutions Chapter 2 Krishna and Sudama

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BSEB Bihar Board Class 7 English Book Solutions Chapter 2 Krishna and Sudama

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Bihar Board Class 7 English Krishna and Sudama Text Book Questions and Answers

A. Warmer

Work in small groups and discuss the following:

Krishna And Sudama Class 7 Question 1.
Do you have a friend ? Why do you like him/her ? Discuss in group self.
Answer:
Yes, I have a friend. His name is Prakash. I like him for his good nature. He is kind. He always co-operates with me and others. In time of needs, he stands by me. He is friendly and kind to one and all.

B. Let’s Comprehened

B. 1. Think and Tell.

Bihar Board Class 7 English Book Solution Question 1.
What did Sudama give Krishna as a gift ?
Answer:
Sudama gave parched rice to Krishna as a gift.

Bihar Board Class 7 English Solution In Hindi Question 2.
How did Krishna feel: when he took the gift from Sudama?
Answer:
Krishna felt great delight when he took the gift from Sudama.

Bihar Board Solution Class 7 English Question 3.
Why was Sudama amazed to see a palace in place of his hut?
Answer:
Sudama didn’t ask help from Krishna so he was amazed to see a palace in place of his hut.

B. 2. Think and Write.

B. 2. 1. Tick out (✓) the right answer:

Bihar Board Class 7 English Solutions Question 1.
The story of Krishna and Sudama has been taken from:
(a) The Ramayana
(b) The Mahabharata
(c) The Vedas
(d) The Quran
Answer:
(b) The Mahabharata

Bihar Board Class 7 English Solution Question 2.
Krishna and Sudama were:
(a) enemies
(b) friends
(c) relatives
(d) none of these
Answer:
(b) friends

Class 7 Bihar Board English Solution Question 3.
What did Sudama’s wife send to Krishna as a gift?
(a) fried rice
(b) parched rice
(c) beaten-rice
(d) none of these
Answer:
(b) parched rice

Bihar Board Class 7 English Book Pdf Question 4.
Sudama did not want to present the parched rice to Krishna because of:
(a) shyness
(b) hesitation
(c) both of them
(d) none of these
Answer:
(b) hesitation

B. 2. 2. Answer the following questions in two or three sentence.

Krishna And Sudama Question Answer Question 1.
Why did Sudama’s wife send him to Krishna ?
Answer:
Sudama was very poor. His wife and children had to go to bed without meals very often. Unable to bear the pitiable condition, Sudama’s wife send him to Krishna to ask help from him so that their condition may improve.

Class 7 English Bihar Board Question 2.
How did the guards at Krishna’palace treat Sudama ?
Answer:
When Sudama reached at Krishna’s palace, he asked the royal guards to let him meet his friend Krishna. The royal guards paid no attention to him. They couldn’t believe that . the person in rags would be the friend of their king.

Krishna Sudama Question Answer Question 3.
What did Krishna do when he heart Sudama’s name?
Answer:
When the royal guards said to Krishna Sudama’s name he became very pleased. He rushed to the royal gate to great his childhood friend. He requested Sudama to come in the palace.

B. 2. 3. Answer the following questions in not mure than 50 words:

Krishna Sudama Question And Answer Question 1.
Why did Sudama not tell Krishna the purpose of his visit?
Answer:
SudamaTei ashamed and hesitant to tell Krishna the purpose of his visit. The fact was that he hadn’t come to ask help from his friend at his own will. His wife had put pressure on him to do so. But his self-respect didn’t allow him to tell Krishna the purpose of his visit.

Bihar Board 7th Class English Book Solution Question 2.
In what way did Krishna help his friend ?
Answer:
Krishna understood his friend’s purpose of coming with out being told to him. When Sudama was at his palace, he ordered his officers to build a palace in place of his old hut. He also let Sudama’s family have good clothes. This way, Krishna helped his friend without being told to him.

Bihar Board Class 7 English Book Question 3.
Why did Krishna understand Sudama’s need ?
Answer:
Sudama was hesitant to tell, Krishna about his needs. But, Krsihna understood about his needs without being told to him. The gift of the parched rice send by Sudama’s wife to Krishna explained all about Sudama’s pitiable condition. And also, the ragged clothes of Sudama were sufficient to describe the poor condition of his friend. Thus, Krsihna understood Sudama’s need without being told or unspoken.

C. Word Study

C. 1. Fill in the blanks with the suitable words from the box.

(requested, cared, brought, present, no, friend, welcome)

  1. Sudama ……… a little parched rice with him.
  2. Sometimes Sudama’s family had ………. food to eat.
  3. You always tell us that Krishna is your ……….?
  4. He ran to the gate to………. Sudama.
  5. Krishna himself ………. a lot for his friend’s needs.
  6. Krishna ………. Sudama to come in.
  7. He wanted to give it as a ……… to Krishna.

Answer:

  1. brought
  2. no
  3. friend
  4. welcome
  5. cared
  6. requested
  7. present.

C. 2. Match the following words given under Column’A’with Column’B’

Question 1.
Krishna And Sudama Class 7

Answer:

Bihar Board Class 7 English Book Solution

C. 3. Look at the word ‘friendship’. Can you make more words ending with ‘ship.’ Write at least five words.
Answer:
Worship, membership, companionship, relationship, warship.

D. Grammar

use of ‘had to

Look at the sentence given below:
His wife and children had to go to bed without meals very often.

In the sentence given above ‘had to shows compulsion caused by external forces. Note that ‘had to’ is always followed by verb in the first form. Now look at another sentence :

She had to cook her own food.
In this sentence, she is left with no option but cook for herself.

D. 1. Rewrite the following sentences, substituting ‘compelled to with ‘had to’. The first is done for you.

Question 1.
I was compelled to go.
Answer:
I had to go.

Question 2.
They were compelled to study medicine.
Answer:
She had to study medicine.

Question 3.
They were compelled to beg sorry.
Answer:
They had to beg sorry.

Question 4.
I was compelled to eat.
Answer:
I had to eat.

Question 5.
He was compelled to walk on foot.
Answer:
He had to walk on foot.

E. Let’s Talk

Question 1.
Discuss the following in groups or pairs :
Answer:
Discuss yourself.

F. Composition 

F. 1. Write a paragraph on the topic you have just discussed (E) in not more than 100 words.

Question 1.
Write a paragraph on the topic you have just discussed

Answer:
A Friend in need is a Friend indeed :
We make many friends in our life. But in real sense, all of them can’t be our friends. When a problem arises in our life or to say when we are in the times of need, then we see that many of those so-called friends turn their back to us and don’t help us. The one who stands still in times of need and gives his support and help is our real friend. Only such a person can be respected as our friend our true friend. So, a friend in need is a friend indeed.

F. 2. Arrange the following sentences in a proper order to make a meaningful passage.

  1. Listening to his wife’s words Sudama left for Dwarika.
  2. Sudama was treated well at Krishna’s palace.
  3. Krishna liked the gift of Sudama.
  4. He and his wife relished the parched rice.
  5. Sudama did not speak why he had gone to his friend’s palace.
  6. Sudama was very poor.
  7. He was a Brahmin.
  8. Krishna was his friend.
  9. Krishna showed his friendship by removing his friend’s poverty in the shape of building a palace in place of his hut.
  10. Later he became the king of Dwarika.

Answer:

  1. Listening to his wife’s words Sudama left for Dwarika.
  2. Sudama was treated well at Krishna’s palace.
  3. Krishna liked the gift of Sudama.
  4. He and his wife relished the parched rice.
  5. Sudama did not speak why he had gone to his friend’s palace.
  6. Sudama was very poor.
  7. He was a Brahmin.
  8. Krishna was his friend.
  9. Krishna showed his friendship by removing his friend’s poverty in the shape of building a palace in place of his hut.
  10. Later he became the king of Dwarika.

G. Translation ( अनुवाद) 

Question 1.
Translate the following sentences into your mother tongue :

  1. The story of friendship between Krishna and Sudama is very popular.
  2. Krishna was a rich man while Sidama was a poor Brahmin.
  3. Still both were great friends.
  4. They were always seen together.
  5. After some years Krishna became the king of Dwarika.
  6. But, Sudama remained as poor as ever.
  7. His wife and children had often to go without food.

Answer:

  1. कृष्ण और सुदामा को मित्रता की कहानी अत्यंत लोकप्रिय
  2. कृष्ण एक अमीर व्यक्ति था जबकि सुदामा एक गरीब ब्राह्मण था।
  3. फिर भी दोनों महान् मित्र थे।
  4. वे हमेशा साथ-साथ देखे जाते थे।
  5. कुछ वर्षों के बाद कृष्ण द्वारिका के राजा बन गये।
  6. लेकिन सुदामा हमेशा की तरह गरीब ही बना रहा।
  7. उसकी पत्नी और बच्चों को अक्सर भूखा ही रह जाना

H. Activity

Question 1.
Borrow some story books from the library of your
school. If you find a story based on friendship other than Krishna and Sudama, narrate it to your classmaies.
Answer:
Do yourself.

Krishna and Sudama Summary in English

The story of friendship between Krishna and Sudama is very popular. They were great friends. They studied together. Krishna was rich and Sudama was poor. Later, he became the king of Dwarika. Sudama remained poor and his family had to go to bed very often without meals. His wife told him to visit and ask help from his friend king Krishna.

Krishna welcomed his childhood friend very warmly. Krishna and his wife ate the parched rice pleasingly sent from Sudama’s wife as a gift to them. Hesitant Sudama didn’t ask help from his friend Krishna. He returned back to his home as poor he was. Sudama found a palace in place of his hut and his family in good clothes. He felt thankful to his friend Krishna for his kind help.

Krishna and Sudama Summary in Hindi

कृष्ण और सुदामा के बीच की दोस्ती की कहानी बहुत लोकप्रिय है। वे अत्यंत ही घनिष्ठ मित्र थे। वे साथ-साथ पढ़ते थे। कृष्ण अमीर थे जबकि सुदामा गरीब । बाद में कृष्ण द्वारिका के राजा बन गये पर सुदामा की गरीबी बरकरार रही। एक दिन अपनी पत्नी के काफी आग्रह करने पर सुदामा कृष्ण से मिलने उनके महल को चल दिये।

कृष्ण अपने बालसखा को देख अति प्रसन्न हुए। उन्होंने बड़ी गर्मजोशी से सुदामा का स्वागत किया। कृष्ण और उनकी पत्नी ने सुदामा की पत्नी द्वारा भेंटस्वरूप भेजे गये भुने हुए चावल को आनन्दपूर्वक खाया। सुदामा ने संकोचवश कृष्ण से मदद नहीं माँगी और गरीबी की ही को हालत में अपने घर लौट गये। जब उन्होंने अपनी झोंपड़ी की जगह एक महल देखा और अपनी पत्नी बच्चों को अच्छे कपड़ों में देखा तो उन्हें घोर आश्चर्य हुआ। वह अपने मित्र के प्रति कृतज्ञ हो गये। उन्हें पता था कि जब वे द्वारिका में थे तो कृष्ण ने उनकी मदद कर दी।

Hindi Translation of The Chapter

 कृष्ण और सुदामा की मित्रता की कहानी जनश्रुति में अत्यंत लोकप्रिय है। कृष्ण और सुदामा साथ-साथ पढ़ते थे कृष्ण जहाँ अमीर ये वहीं सुदामा गरीब था। फिर भी दोनों के बीच में दोस्ती का गहरा रिश्ता था। वे हमेशा साथ-साथ देखे जाते थे।

वक्त बीतता गया । कृष्ण द्वारिका का राजा बन बैठा लेकिन सुदामा गरीब ही बना रहा । सुदामा की पत्नी और बच्चों को अक्सर ही बिना खाये या आधा पेट खाकर ही सो जाना पड़ता था। उनके स्वर में दरिद्रता का साम्राज्य बना हुआ था। सुदामा की पत्नी से गरीबी सही नहीं जा रही थी। एक दिन सुदामा की पत्नी ने अपने पति से कहा-“तुम्हारे मुँह से हमेशा ही सुनती हूँ, द्वारिका का राजा कृष्ण तुम्हारा दोस्त है । क्यों नहीं तुम उसके पास चले जाते हो और अपने दोस्त से मदद करने को क्यों नहीं कहते हो?”

जैसे ही कृष्ण ने सुदामा का नाम युना, वह भागा-भागा महल के द्वार पर चला आया। उसने अपने बचपन के मित्र को गले से लगा लिया और महल के अंदर प्रेम से ले गया। शाही रक्षकों व अन्य लोगों को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो पा रहा था कि उनमा गजा एक फटे-पुराने कपड़ों वाले आदमी को गले से लगा रहा था।

कृष्ण की भेंट देने के लिए सुदामा -अपने पति को, एक पोटली में कुछ भुने हुए चावल दिये थे। लेकिन भेंट क्या एक राजा के लिए उचित होगा? यह सोचकर सुदामा वह भेंट कृष्ण को देने में सकुचा रहा था। इसलिए वह उन भुने हुए चावलों की पोटली को छुपाने लगा.। लेकिन कृष्ण ने सुदामा को वह पोटली छुपाते हुए देख लिया। उसने सुदामा से वह पोटली छीन लिया और उसे खोलकर अपनी रानी के साथ उसे बड़े आनन्दपूर्वक खाया।

महल में सुदामा को बढ़िया से स्वागत हुआ। उसके स्वागत-सत्कार में किसी प्रकार की भी कमी नहीं हुई। उसे खाने को उत्तम व स्वादिष्ट भोजन दिये गये और पहनने के लिए सुन्दर कपड़े । कृष्ण स्वर सुदामा की आवभगत ‘ में लगा रहा। सुदामा खुश हो गया। यह कृष्ण को अपनी गरीबी और घर की बुरी स्थिति के बारे में बताना चाहता था, किन्तु उसके स्वाभिमान ने उसे ऐसा नहीं करने दिया। आखिरकार सुदामा जैसी गरीबी की स्थिति में था, वैसी ही गरीबी में अपने घर को लौट चला । जब वह अपने घर के पास पहुँचा तो उसे अपनी झोपड़ी की जगह पर एक बड़ा महल खड़ा देख घोर आश्चर्य हुआ।

एक आदमी से सुदामा ने उस नये भवन के बारे में पूछताछ की। उस आदमी ने उसे बताया कि यह सुदामा का महल था तो सुनकर सुदामा को अचरज हुआ। सुदामा को अपने महल के सामने खड़ा देख उसकी पत्नी भागी हुई बाहर आयी और अपने पति को महल के अंदर ले गयी। अपनी पत्नी और बच्चों को नये और सन्दर वस्त्रों में देख सुदामा को अत्यंत हर्ष हुआ। शीघ्र ही, सुदामा ने यह समझ लिया कि जब वह द्वारिका में था,बीच कृष्ण ने उसकी यह मदद कर दी। अपने दोस्त कृष्ण के प्रति सुदामा.

Krishna and Sudama Glossary 

Palace [पैलेस] = राजमहल । Parched rice [पार्ल्ड राइस] = भुना हुआ चावल I Present [प्रजेन्ट] = उपहार | Amazed [अमेज्ड) = चकित । Hut [हट) = कुटिया, झोपड़ी । Cared [केयर्ड] = ध्यान रखते थे। Arrival [अराइवल]= आगमन । A lot [अ लॉट]= बहुत ज्यादा । In front of [इन फ्रेंन्ट ऑफ] = सामने । Realised [रिलाइज्ड] = महसूस किया। Bear [बीयर] = बर्दाश्त करना । Pitiable [पिटीअबल] = दयनीय । Moved [मूव्ड] = विवश किया। Royal guards [रॉयल गार्डस] = शाही रक्षक । As soon as [एज सून एज] = ज्योंहि Hugged [हण्ड] = गले लगाया। Ashamed of [अशेम्ड ऑफ] = शर्मिन्दा होना ।

Grabbed [ग्रैन्ड] = झपट लिया। Untied [अनटाइड] = खोला। Prevented [प्रिवेन्टेड] = रोका। Astonished[एशटॉनिश्ड] = चकित | While[वाइल] = जबकि । Friendship[फ्रेण्डशिप] = मित्रता | Very [वेरी] = बहुत | Popular [पॉप्यूलर] = लोकप्रिय । Studied [स्टडीड] = पढ़ते थे। Together [टुगेदर] = साथ-साथ । Still [स्टील] = फिर भी। Great [ग्रेट] = महान् | Always [ऑलवेज] = हमेशा | Seen [सीन] = देखा जाना । Passed [पास्ड्) = गुजरता गया। Became (बीकेम] = बन गया। Remained [रिमेन्ड] = बना रहा । Meals [मील्स] = भोजन | Very often [वेरी ऑफन] = अक्सर । Unable[अनअबल] = असमर्थ । Condition [कन्डीशन] = अवस्था । Meet [मीट]= मिलना  Help [हेल्प] = सहायता करना । Repeated [रीपीटेड] = दुहराई | Request [रिक्वेस्ट] = निवेदन, प्रार्थना । To be moved [टू बी मूव्ड] = दया से प्रेरित होना । Eventually [इवेन्चुअली] = अन्ततः, अन्त में

Decided [डिसाइडेड] = निश्चय किया । Visit [विजिट] = भेंट करना | Reached[रीच्ड] = पहुंचा। Told [टोल्ड] = कहा। Royal रॉयल] = राजसी, राजकीय। Wanted [वान्टेड] = चाहता था। Attention [अटैन्शन] = ध्यान । Rags [रैग्स] = चिथड़े, फटे-पुराने कपड़े। Allow [अलाऊ] = आज्ञा देना। At last [एट लास्ट] = अन्त में | Inform [इनफॉर्म] = सूचना देना । Rush [रश] = दौड़ना, भागना । Childhood [चाइल्डहुड] = बचपन | Hesitant [हेजिटेन्ट] = संकोची।

Wondered [वन्डर्ड) = आश्चर्य किया। Ate [एट] = खाया। Delight [डिलाइट] = प्रसन्नता, आनन्द । Warm [वाम] = गर्मजोशी-1 Self-respect [सेल्फ-रेस्पेक्ट] = स्वाभिमान | Finally [फाइनलि] = आखिरकार | All this [ऑल दिस] = यह सब । Thankful[बैंकफुल] 3 उपकारी, कृतज्ञ | Unspoken [अनस्पोकर = अकथित, जो न कहा गया हो। About [अबाउट] = के बारे में।

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Panorama English Book Class 10 Solutions Chapter 2 Me and The Ecology Bit

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B.1.1. Write ‘T’ or ‘F’. “T” for True and “F” for False 

1. People easily get convinced by Jim.
2. He uses a paper route to convince people.
3. He gives suggestions on ecology free of cost.
4. Mr. William was at his house.
5. People listened to Jim gladly, for he was an eco-friendly boy.
Answers:
1. F
2. T
3. T
4. T
5. T

B.2. Answer the following questions Very briefly 

Me And The Ecology Bit Question Answer Bihar Board Question 1.
What happens when the narrator calls Mr. Greene, “Mrs. Greene”?
Answer:
When the narrator calls her Mrs. Greene then she pretends that she . had no change to pay him.

Me And The Ecology Bit In Hindi Bihar Board Question 2.
What does the narrator do on Saturdays and Sundays?
Answer:
The narrator collects garbage and other dirty materials causing pollution from several houses on Saturdays and Sundays to save ecology.

Panorama Class 10 Solutions Bihar Board Question 3.
Which animal messes up with Ms. Greene’s yard?
Answer:
The dog digs up Ms. Greene’s garden and messes up her yard.

Me And The Ecology Bit Meaning In Hindi Bihar Board Question 4.
Why does the narrator ask Ms. Greene to save paper and aluminum cans?
Answer:
The narrator asks Ms. Greene to save paper and aluminum, can, So that they may be remade for their use in the future.

Me And The Ecology Bit Summary In Hindi Bihar Board Question 5.
Did the narrator succeed in getting Ms. Greene to do something about ecology?
Answer:
The narrator tried hard in getting Ms. Greene to do something about ecology and got tired. But he could not succeed in his efforts.

Panorama English Book Class 10 Solutions In Hindi Bihar Board Question 6.
What is a compost pit?
Answer:
The compost pit is the storage of leaves, garbage, and stuff together collected in a pit to prepare manure.

Panorama Part 2 Class 10 Solutions Bihar Board Question 7.
What does Mr. William mean by noise pollution?
Answer:
By nose pollution, Mr. William means to say that bad smelling of the compost or garbage creates it (nose pollution).

Class 10 English Book Bihar Board Question 8.
Why is burning of leaves bad to air?
Answer:
Burning of leaves is bad to air because it pollutes the air generating smoke.

B.3.1. Complete the following sentences on the basis of the unit you have just studied :

1. It very………………… works this ecology bit.
2. Women use too many…………………….things.
3. No body’s willing to do anything about …………………….
4. The narrator drives his………………………… round and round his
backyard all summer………………………………. and all winter.
Answer:
1. boring, 2. electric, 3. ecology, 4. motorbike, his snowmobile.

B. 3.2. Answer the following questions very briefly :

Bihar Board Class 10th English Solution Question 1.
How many blocks away was the post-office from Mr. Johnson’s house?
Ans. The post office was only two blocks away from Mr. Johnson’s house.

Bihar Board Class 10 English Book Solution Question 2.
What form of electricity did the narrator use?
Answer:
The narrator used T. V. in the form of electricity.

Ecology Bit Meaning In Hindi Bihar Board Question 3.
Why did Mr. Johnson think that the narrator did not follow the principles of walking?
Answer:
Mr. Johnson thought that the narrator did not follow the principle of walking because he (narrator) had jumped over grass and a little tree, resulting in its destruction.

Bihar Board 10th English Book Question 4.
Did the narrator enjoy talking about ecology?
Answer:
The narrator enjoyed talking about ecology, but nobody was ready to follow it.

C. 1. Long Answer Questions :

Class 10 English Chapter 2 Bihar Board Question 1.
“Nobody’s willing to do anything about ecology”. Do you agree with the statement
Answer:
Preaching about ecology is easy, but difficult to practice. Everybody is in favor of it but nobody is prepared to do anything about it This is a fact that people do not co-operate and show unwillingness in this direction. Many persons, like Jim, undertake the work of ecology but nobody comes forward to join hands in such a mission. One can start this job from his own house. He must keep his surroundings clean and free from pollution. But nobody does it. In my locality, there is a heap of garbage and filth scattered throughout the road. Street dogs are found loitering and playing with the wastes spreading it in the street. Polythene bags and packets are found everywhere. Nobody cares about that. There is a proverb, “Example is better than precept”. People talk a lot against it but do nothing to remove this evil. Thus, I agree that nobody is willing to do anything about ecology.

Class 10 English Chapter 2 Question Answers Bihar Board Question 2.
“But anyhow, on Saturday when I collect, I put in good work on ecology.” This is the narrator’s way of preserving ecology. How are you contributing to ecological preservation in your surroundings?
Answer:
In my locality, people are not conscious of preserving ecology. There is a bulk of garbage and waste scattered throughout the surrounding. Polythene bags and plastic packets are found floating on the road. I do not like such things because they generate pollution. I want to work for the preservation of ecology because I know its importance.
1 used to work hard for making the environment free from pollution. As such I have taken up the following steps

  • I go to the people of my locality to make them conscious to save ecology.
  • I also tell them not to pollute water and the environment by their dirty habits.
  • every Sunday 1 undertake the work of cleaning my surroundings.
  • To achieve my objective I make the drains clean and clear the water logging throughout my locality.
  • I ani working towards growing plants on both sides of the road.

Several other measures are also taken for the welfare of the people and the preservation of ecology.

Panorama English Book Answers Pdf Bihar Board Question 3.
“I get tired of trying to get Ms. Greene to do something about ecology”. Explain in detail the meeting between Jim and Ms. Greene and throw light on the outcome of the meeting.
Answer:
Jim, a young boy has undertaken the work of going around and telling people to save ecology. He visits the house of Ms. Greene in connection with the fulfillment of his mission. Seeing him she immediately questions, “Why does he throw- gum wrappers on her Lawn”. She further directs him to pick up those wrappers and put it in one of the plastic bags kept on the lawn for the very purpose. She accuses him also to get his dog untied, causing damage to her garden. Meanwhile, he sees that she is piling newspapers beside her garbage bags. He advises her to save those papers and also aluminum cans, so that new paper and aluminum. could be made. She does not seem to be satisfied with his suggestion. Jim gets tired of trying to get Ms. Greene to do something about ecology. So he immediately left her house. It shows the reluctancy of Ms. Greene in abiding by the rules of ecology preservation. Their conversations come to an end with no result. The outcome of the meeting is the example of how people do not attach importance to ecology preservation, as Ms. Greene does.

Panorama English Book Class 10 Pdf Bihar Board Question 4.
“Sure it is hard to get people to work for ecology”. Do you agree with this statement? What is ecology? What measures have you and your school taken to preserve it?
Answer:
Really, to get people ready to work for ecology is hard. Preaching about ecology is easy but difficult to abide by the rules of ecology preservation. Ecology means keeping the environment pollution-free. It is possible only. When the surrounding is free from darkness and pollution of land, water, and air. Ecology is a branch of biology that deals with the habits of living-being and relationship between the environment and the living things, I have taken up the work to save ecology in my neighborhood on Sundays or whenever I get time. I go to the people o make them conscious of preserving geology. The Headmaster of my school takes a keen interest in the preservation of ecology. There is an arrangement of environmental studies in school. The surroundings of the school are kept clean. The classrooms, the toilets, the garden and other places of the school building are kept free from dirt. The school peons and the gardener take much care towards cleanliness and do not allow garbages and -wastes in the school premises and its surroundings.

Bihar Board Solution Class 10 English  Question 5.
“Women use too many electric things”. What prompts the narrator to say so? How does the use of modern appliances affect ecology?
Answer:
Women have to discharge their responsibilities for their household affairs. Their role is just like the captain and the players of a team. They have varieties of work to perform. In course of discharging their duties, they have to take the help of several electrical tools and appliances, such as the electric mixer, the grinder, the washing machine, electric iron, the toaster, tailoring (sewing) machine, fruit juicer, electric heater, electric oven, refrigerator, etc. As the narrator observes his mother using the electric mixer, It prompts him to say so. Modem appliances affect ecology in many ways. Their function generates air, water, and soil pollution. The polluted water and the wastes come out from the washeries of factories and mills roll down to the river, forming water and soil pollution. The smoke and dust coming from the chimneys and other sources of the heavy plant, small factories and even from the residential houses pollute the environment.

Bihar Board Class 10 English Book Solution Pdf Download Question 6.
Do you think that Jim is a real ecology friendly boy ? Give your opinion.
Answer:
Jim is a real ecology friendly boy, but often he deviates from personally acting upon it. As an example, he advises Johnson not to go to the post office in his car, but as per Johnson’s remark, he drives his motorbike around and rounds his backyard in summer and snowmobile in winter. Again when he advises his mother to save electricity, his mother remarks, “so who watches T.V. twenty-seven hours a day?” These ironic remarks show his deviation. His young age is also a reason for his deviation. Still, it is a fact that he has undertaken the work of going around and telling people to preserve the environment and to save ecology. In spite of the fact that he can spare little time out of his homework even then, he has fixed Saturday and sometime Sunday even for visiting people to fulfill his mission. In my opinion, he is an ecology friendly boy in real sense. His ecology friendly behavior is admirable. Though he does not get co-operation and assistance from the people in his work he continues to go ahead to achieve his objective.

Question 7.
Does Jim understand why his advice is being questioned? Explain.
Answer:
Jim is well aware of the fact that his advice is being questioned, never he goes to meet people and narrates them the importance of serving ecology they do not respond properly. The reason behind their such an attitude is their negligence towards saving ecology. They do not like to work in this direction, because they do not attach any importance for preserving the environment. When he suggests something relating to it, they themselves immediately put some questions to him. It is but the human nature-that when they do not agree with other’s advice, they will find out some mistakes in it. So, they make prevention and create confusion. Therefore Jim very well understands why his advice is being questioned.

Question 8.
What happened to the tree referred to by Mr. Johnson?
Answer:
Mr. Johnson referred to the destruction of a tree by Jim. He accuses Jim of this. According to him jumping over the tree every day, making a short cut path through Ms. Greene’s house had resulted in its ruin. The tree does not exist now owing to its premature death.

Question 9.
Is Jim aware of all of the aspects, and does he always practice ecology measures ? Give arguments in favor of your answer.
Answer:
Jim is a real ecology friendly boy. He is quite aware of all the aspects of saving ecology. He has undertaken the work of preserving the environment. His ecology friendly attitude is admirable. He always practices all possible ecology measures. He talks about the importance of preserving the environment with the people, He does not get proper co-operation and assistance from the people in his work. But he is not disheartened and continues to go ahead on his mission. He also collects the dirty garbage and other wastes from certain places and carries them to the places specially made for the purpose. Though he finds it difficult to get people to work for ecology, it does not stop his work and fulfill his objective. Thus, really he is aware of all aspects and always practice ecology measures.

Question 10.
A hero or heroine does not always arrive on a galloping horse to save the day. Sometimes the hero or heroine merely demonstrates the potential for action, rather than a completed task. What potential does Jim have as the hero in this story?
Answer:
Jim as a hero of this story is mare a messenger. I think he is just like a hero of tragedy in conflict. His message is agreed by all but there is a conflict of feelings models of thoughts, desires, will, and purposes. There is a conflict of persons with one another or with circumstances or with themselves. Again, it may be taken for granted that a tragedy is a story of unhappiness or sufferings and excites such feelings as pity and fear. Thus the hero Jim does the work in these circumstances.

C.2. Group Discussion

Discuss the following in groups or pairs.
1. Environmental degradation leads to ecological imbalance.
Answer:
The problem of environmental pollution is related to an increase in industrial activity which is regarded as an inevitable and sure sign of economic progress. Along with such industrial advancement comes the pollution of water and air. There is a realisation on his part that what he considers progress is serious’ disturbing the ecological balance and leading to the breakdown of the ‘ supporting system on the earth.

2. Modern appliances adversely affect the environment.
Answer:
Modem appliances are used in abundance in every house of a town. People use house appliances such as electric mixer, washing machine, refrigerator, air cooler, heater, T. V. and computer. All these devices emit or charge water and air. They pollute air and Waterloo. Thus they have an adverse effect on the environment. So it is clear that pollution and environmental degradation are dangerous for human health.

C. 3. Composition

1. Prepare a speech in about 100 words to be delivered in the morning assembly of the school on ‘how students can become ecology friendly’.
Answer:

16th April 2011 9 a.m.
Morning assembly
Our revered principal and teachers and my colleagues.

I have the pleasure to inform you in this morning assembly that I have thought, we can become ecology friendly in our schoolhouse or a house away from our own house. The school must have a pleasant atmosphere. Gardens, trees, and flowers help the students to relax. In fact, some lessons on ecology’ Should be given in the open air. So that students must become ecology friends. I request our principal and teachers to turn us to become ecology friend

Sujit
Class-X

2. Write a letter to your friend, telling him the measures your school has taken to preserve ecology in the locality.

Station Road, Patna
10th April 2011

Dear Amresh

Hope this letter of mine finds you in the best of mood and spirit. Through this letter, I am going to inform you that our school has taken a task to go to the nearby locality to preach the people about ecology. By turn, students of; different classes take part and go door to door to work for ecology. We are doing something going around telling people what they should do. We tell them that support for ecology has also come from several religious leaders. We tell them that the economy and ecology stem from the same meaning house. The economy is the management of the house, ecology is the study of the house. The house is the earth. Many civilized men and women learn to understand their house. We are trying our best. Success must come at last.

Your loving friend
Shashi

D. Word Study 

D.1. Dictionary use
Ex. 1. Correct the spelling of the following words.
ekology, composte, garbedge, stufe, polusion, Imings.
Answer:
Ecology, compost, garbage, stuff, pollution, innings.

Ex. 2. Match the words in Column A with their meanings in Column B.
A                                            B
compost                           the science that deals with the relation between the living things and environment,
garbage                           an act of polluting
pollution                          to feign
pretend                            filth
ecology                            manure
Answer:
Compost………..manure.
garbage…………filth ‘
pollution………..an act of polluting
pretend………….to feign
ecology…………..the science that deals with the relation between living things and the environment.

Comprehensive Based Questions with Answers

Read the following extracts carefully and answer the questions that follow each

1. Sure it is hard to get people to work for ecology. Everybody is in favor of it but nobody wants to do anything about it. At least I’m doing something, going around telling people what they should do. But all I get is a lot of backtalk.
2. I have this paper route. My father had one when he was a kid, so he made me get one last year. Between it and my homework, I hardly have time for playing ball and stuff, some days I get. in Only a few innings.
3. But anyhow, on Saturdays when I collect, I put in good work for ecology. Like last Saturday morning. It was a good collecting day. It had just turned spring and a lot of people were outside.
4. I went to Mr. Williams’s house. As usual, he tried to pretend he’s not home. But I see him burning leaves in the backyard, so he’s stuck. He pays me, and I tell him. “You shouldn’t bum those leaves. It’s bad for air, bad ecology. You should make a compost pile as we do. Put in the leaves, garbage, and stuff. Good for the garden.”
5. He doesn’t agree or hang his head in shame. He say’s” That compost pile is your job at home, Jim, isn’t it”
6. “Yes,” I say proudly, which would shock the idea I hate working with compost. Which I do.
Questions:
(i) What is hard for the author?
(ii) Why has the author not time for playing when he was a kid?
(iii) What was Mr. William doing when the author went there?
(iv) What did the author advise Mr. William to do?
(v) Who is the writer of this extract?
(vi) What, according to the narrator, is hard?
(vii) What does he do on Saturdays?
(Viii) What does he do on Saturdays?
(ix) Which word in the passage means ‘the science that deals with the relationship between living things and the ‘environment’?
Answers:
(i) It is hard work to get people to work for ecology.
(ii) He had to do heavy homework. So he hardly had time for play¬ing ball.
(iii) The author saw him burning leaves in the backyard.
(iv) The author advised him to pile the leaves to get compost.
(v) Joan Lexau is the writer of this extract.
(vi) According to the narrator, it is hard to get people to work for ecology.
(vii) The narrator works for ecology by telling people what they should do.
(viii) On Saturdays, he collects garbage from the nearby houses.
(ix) The word ‘ecology’ means ‘the science that deals with the relationship between living things and the environment.

7. Mr. Williams says “Well don’t you take a little more trouble with it, but enough dirt on top of each layer? Then we wouldn’t have this noise pollution.”
8. “Huh?” I say “You mean noise pollution.” No,” he says. “I mean you. compost smells up the whole street.”
9. My feelings are hurt, but that doesn’t stop me from trying again. I go to collect it from Ms. Greene. I have to call her Ms. Greene because if I call her ‘Mrs’, she says she doesn’t have a chance to pay me.
10. She is putting her garbage out for the weekly pick up on Monday. She goes away on weekends; so on Saturdays and Sundays, we have to look at the big plastic garbage bags on her lawn. But I don’t say anything about it. I just look at the garbage.
11. She says to me, “Go pick up that gum wrapper you threw on my lawn. Put it in one of the plastic bags. Didn’t anybody teach you not to litter?
12.1 hold my temper and pick up my gum wrapper and put it in a bag. Then she says, And there’s a law in this town about keeping dogs on a leash. So why is yours always all over the place? That dog digs up my garden and messes up my yard, and last weekend Mr. Williams saw it tear open one of my garbage bags.
13. “Well,” I say, but I can’t think of anything to go with it. Then I see she is piling newspapers next to her garbage bags.
Questions:
(i) What is putting her?
(ii) What does she say to the author?
(Hi) What did the author do?
(iv) What does the dog do?
(v) Name the lesson from which this extract has been taken.
(vi) Who is the lady referred to here?
(vii) What is she doing?
(viii) What does she ask the narrator to do?
(ix) Which word in the passage means ‘fifth’?
Answers:
(i) She is putting the garbage out for the weekly pick up on Monday.
(ii) She told the author to go pick up that gum wrapper he had thrown in her lawn and put it one of the plastic bags. She further asked if anybody did not teach him not to litter them.
(iii) The author picked up his gum wrapper and put it in a bag.
(iv) The dog digs up and messes up her garden.
(v) This extract has been taken from the lesson and the Ecology Bit’.
(vi) The lady referred to here is Ms. Greene.
(vii) She is putting her garbage out for the weekly pick-up on Monday
(viii) She asks the narrator to pick up the gum wrapper he had thrown on her lawn and put it in one of the plastic bags.
(ix) The word ‘garbage’ means, Tilth

14. “Listen, Ms. Greene,” I say, “save those papers for the school pickup, and they can be made into new paper. Save aluminum cans, too.”
15. “Like the last school pick up?” she asks “When you said you’d come and pick them up, but you never showed up? It’s easier to throw them away a few at a time than have a big mess like that.”
16.1 get tired of trying to get Ms. Greene to do something about ecol¬ogy. I go to Mr Johnson’s house. He makes a run for his car, but I can run faster than he can.
17. “Just trying to get to the post office before it closes,” he says, huffing and puffing.
18. “You got time,” I say. “You even got time to walk. It’s only two blocks. You shouldn’t take your car when you don’t need to. The walk would be good exercise and save on gas. And not pollute. That’s ecology.”
19. “They sure are,” I say. “We had a lot about trees and ecology in school. They make the air better and stuff like that.”
20. “See that tree over there?” he says, pointing to where there isn’t any tree.
21. “1 don’t see any tree,” I tell him.
Questions:
(i) What did the author say to Mrs. Greene?
(ii) Why did the author get tired?
(iii) Was any tree there?
(iv) Pick out the word from the passage which means: ‘the material’.
(v) Dis the narrator succeeds in gel ting Ms. Greene do something about ecology? ‘
(vi) Where did he go after his visit to Ms. Greene’s house?
(vii) Who was going to the post office?
(viii) What did the narrator tell Mr. Johnson about ecology?
(ix) When does the phrase ‘huffing and puffing * mean?
Answers:
(i) The author told Mrs. Greene to save those papers for the school picks up so that they could be made into newspapers.
(ii) The author got tired of trying to get Mrs. Greene to do something about ecology.
(iii) No, there was not any tree.
(iv) The word is “stuff.”
(v) No, the narrator did not succeed in getting Ms. Greene do something about ecology.
(vi) He went to Mr. Johnson’s house after his visit to Ms. Greene’s house.
(vii) Mr. Johnson was going to the post office.
(viii) The narrator told Mr. Johnson that the post office was nearby and he should not use his car. he reminded him that the walk to the post office would be good exercise and help ecology.
(ix) The phrase ‘huffing and puffing’ means ‘breathing heavily because one is exhausted’.

22. “Of course not,” he says, “And no grass either. Because you made a path there taking a shortcut from Mrs. Greene’s. There was a little tree just starting to get bigger there until you killed it by trying to jump over it every day. Remember?”
23. “Oh,” I say.
24. “And talking about not driving when you can walk. You drive your motorbike round and round your backyard all summer. And your snowmobile all winter. Isn’t that wasting power and making noise pollution too?”
25. But it’s fun,” I say.
26. “Well, I enjoy taking the car to the post office,” he says, “But now you’ve made me too late.” He goes in the house looking very mad.
27. Then I remember he hasn’t paid me. But I decided to wait until next Saturday. At least I made him not pollute with his car for once.
28. 1 don’t talk to the rest of my route about ecology. It’s a very boring work, this ecology bit.
29. But when I get home, I see my mother using the electric mixer.
30. “You should do that with your old egg beater,” I point out to her. “Save on electricity. Women use too many electric things.”
31. She says in a very’ cold voice, “So who watches TV twenty-seven hours a day around here? Or is that some other kind of electricity?”
32. See what I mean? Nobody’s willing to do anything about ecology. Except me. And nobody listens to me.
Questions:
(i) Who says,” of course not?’
(ii) Who enjoys taking the car to the post office?
(Hi) What did the author find when he reached home?
(iv) What remarks did the author’s mother have?
(v) Who is the author of this extract?
(vi) Who is‘him’ in the first line here?
(vii) How did the narrator try to feed him?
(viii) What happened on the third day?
(ix) Which word in the passage means ‘very bright’?
Answers:
(i) Mr. Johnson said, “of course.”
(ii) Mr. Johnson enjoys taking the car to the post office.
(iii) When the author reached home he found his mother using the electric mixer.
(iv) The author’s mother told him ironically that he watched. T.V. twenty-seven hours a day.
(v) Mahadevi Verma is the author of this extract.
(vi) ‘Him’ in the first line here refers to a tiny baby squirrel.
(vii) The narrator tried to feed him by putting a thin cotton wool wick, dipped in milk to his mouth:
(viii) On the third day, he became so much better and assured that he would hold the narrator’s finger with his two tiny claws and gaze all around.
(ix) The word ‘refulgent’ means ‘very bright’.

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Bihar Board Class 11 History Solutions Chapter 4 इस्लाम का उदय और विस्तार लगभग 570 – 1200 ई

Bihar Board Class 11 History Solutions Chapter 4 इस्लाम का उदय और विस्तार लगभग 570 – 1200 ई Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 History Solutions Chapter 4 इस्लाम का उदय और विस्तार लगभग 570 – 1200 ई

Bihar Board Class 11 History इस्लाम का उदय और विस्तार लगभग 570 – 1200 ई Textbook Questions and Answers

 

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

इस्लाम का उदय और विस्तार प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 11 प्रश्न 1.
सातवीं शताब्दी के आरंभिक दशकों में बेदुहनों के जीवन की क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर:
सातवीं शताब्दी के आरंभिक दशकों में बेदुइने खजूर आदि खाद्य पदार्थों तथा अपने ऊँटों के लिए चारे की तलाश में घूमते रहते थे। ये प्रायः मरुस्थल के सूखे क्षेत्रों से हरे-भरे क्षेत्रों की ओर जाते रहते थे।

इस्लाम का उदय और विस्तार के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 11 प्रश्न 2.
‘अब्बासी क्रांति’ से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
उमय्यदों के विरुद्ध ‘दावा’ नामक एक सुसंगठित आंदोलन हुआ। फलस्वरूप उनका पतन हो गया। सन् 1750 में उनके स्थान पर मक्काई मूल के अन्य परिवार, अब्बसिदों को स्थापित कर दिया गया। वस्तुतः अब्बासिदों ने उमय्यद शासन की जमकर आलोचना की और पैगम्बर द्वारा स्थापित मूल इस्लाम को फिर से बहाल करने का वायदा किया। इस क्रांति से राजवंश में परिवर्तन के साथ राजनीतिक ढाँचे और इस्लाम की ढाँचे में भारी परिवर्तन हुए।

इस्लाम का उदय और विस्तार पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 11 प्रश्न 3.
अरबों, इरानियों व तुर्कों द्वारा स्थापित राज्यों की बहुसंस्कृतियों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  • अरब साम्राज्यों में मुस्लिम, ईसाई तथा यहूदी संस्कृतियों के लोग रहते थे।
  • ईरानी साम्राज्यों में मुस्लिम तथा एशियाई संस्कृतियों का विकास हुआ।
  • तुर्की साम्राज्य में मिस्री, ईरानी, सीरियाई तथा भारतीय संस्कृतियों का विकास हुआ।

इस्लाम का उदय और विस्तार लगभग 570 से 1200 ईसवी Bihar Board Class 11 प्रश्न 4.
यूरोप व एशिया पर धर्मयूद्धों का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
क्रूसेड या धर्मयुद्ध का यूरोप और एशिया पर गहरा प्रभाव पड़ा जो निम्नलिखित है –

  • मुस्लिम राज्यों ने अपने ईसाई प्रजाजनों के प्रति कठोर व्यवहार अपनाया। विशेष रूप से यह स्थिति लड़ाड़ियों में देखी गयी।
  • फलस्वरूप ईसाइयों ने अपने आबादी वाले क्षेत्रों की सुरक्षा का प्रबन्ध किया।
  • मुस्लिम सत्ता की बहाली के बाद भी पूर्व और पश्चिम के बीच व्यापार में इटली के व्यापारिक समुदायों (पीसा, जेनेवा और वीनस का अधिक प्रभाव था)।

Islam Ka Uday Aur Vistar In Hindi Class 11 Bihar Board प्रश्न 5.
रोमन साम्राज्य के वास्तुकलात्मक रूपों से इस्लामी वास्तुकलात्मक रूप कैसे भिन्न थे?
उत्तर:
रोमन वास्तुकला-रोम के निवासी कुशल निर्माता थे। उन्होंने वास्तुकला में डाट और गुंबद बनाकर दो महत्वपूर्ण सुधर किए। उनके भवन दो-तीन मंजिलों वाले होते थे। इनमें डाटों को एक के ऊपर बनाया जाता था। उनकी डार्ट गोल होती थीं। ये डाटें नगर के द्वारों, पुलों, बड़े भवनों तथा विजय स्मारक बनाने में प्रयोग की जाती थीं । डाटों का प्रयोग कोलेजियम बनाने में किया गया। यहाँ ग्लेडिएटरों की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती थीं। ये डाटें नहर बनाने में भी काम में लाई जाती थीं।

इस्लामी वास्तुकला-इस्लामी वास्तुकला पर ईरानी कला का प्रभाव था। परंतु अरब निवासियों ने अलंकरण के मौलिक नमूने निकाल लिए । उनके भवनों में गोल गुबंद, छोटी मीनारें, घोड़ों के खुर के आकार के महराब तथा मरोड़दार स्तंभ होते थे। इस्लामी वास्तुकला की विशेषताएँ अरबों की मस्जिदों, पुस्तकलयों, महलों, चिकित्सालयों और विद्यालयों में देखी जा सकती हैं।

इस्लाम का उदय और विस्तार के प्रश्न-उत्तर Bihar Board Class 11 प्रश्न 6.
रास्ते पर पड़ने वाले नगरों का उल्लेख करते हुए समरकंद से दमिश्क तक की यात्रा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
समरंकद इस्लामी राज्य के उत्तर:पूर्व में स्थित था, जबकि दमिश्क (सीरिया) मध्य में स्थित था। समरकंद से दमिश्क जोन के लिए यात्री को मर्व, निशापुर समारा आदि नगरों से गुजरना पड़ता था।

Bihar Board Class 11 History इस्लाम का उदय और विस्तार लगभग 570 – 1200 ई Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

इस्लाम का उदय और विस्तार प्रश्न-उत्तर Bihar Board Class 11 प्रश्न 1.
‘कुरान’ शब्द किससे बना है?
उत्तर:
‘कुरान’ शब्द ‘इकरा’ से बना है जिसका अर्थ हैं-पाठ करो। ‘इकरा’ शब्द सबसे पहले महादृव जिवरील ने पुकारा था। वह पैगम्बर मोहम्द के लिए संदेश लाया करते थे।

इस्लाम के उदय और विस्तार की विवेचना कीजिए Bihar Board Class 11 प्रश्न 2.
मक्का शहर क्यों विख्यात था?
उत्तर:

  • मक्का शहर अपनी पवित्र स्थान ‘काबा’ के लिए विख्यात था।
  • यह यमना और सोरिया के बीच व्यापार-मार्गी एक चौराहे पर स्थित था। इसलिए भी इसे महत्त्वपूर्ण माना जाता था।

Islam Ka Uday Aur Vistar Question Answer Bihar Board Class 11 प्रश्न 3.
पैगंबर मुहम्मद ने अपने आपको खुदा का संदेशवाहक कब घोषित किया? उन्होंने लोगों को कौन-सी दो बातें बनाई?
उत्तर:
पैगंबर मुहम्मद ने लगभग 612 ई० में अपने आपको खुदा का संदेशावाहक घोषित किया। उन्होंने लोगों को निम्नलिखित दो बातें बताई –

  • केवल अल्लाह की ही पूजा की जानी चाहिए।
  • उन्हें एक ऐसे समाज की स्थापना करनी है जिसमें अल्लाह के बंदे सामान्य धार्मिक विश्वासों द्वारा आपस में जुड़े हो।

इस्लाम का उदय और विस्तार लगभग 570 1200 Bihar Board Class 11 प्रश्न 4.
पैगंबर मुहम्मद के धर्म-सिद्धांत को स्वीकार करने वाले लोग क्या कहलाए? उन्हें किन दो बातों का आश्वासन दिया जाता था?
उत्तर:
पैगंबर मुहम्मद के धर्म-सिद्धांत को स्वीकार करने वाले लोग मुसलमान कहलाए। उन्हें कयामत के दिन मुक्ति और धरती पर रहते हुए समाज के संसाधनों में हिस्सा देने का आवश्वासन दिया जाता था।

प्रश्न 5.
मक्का में मुसलमानों को किन लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा और क्यों?
उत्तर:
मुसलकानों को समृद्ध लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। उन्हें अपने देवी-देवताओं का ठुकराया जाना बुरा लगा था। इसके अतिरिक्त वे नए धर्म को मक्का की प्रतिष्ठा और समृद्धि के लिए खतरा मानते थे।

प्रश्न 6.
‘हिजरा’ से क्या अभिप्राय है? इस्लाम के इतिहास में इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर:
मक्का में समृद्ध लोगों के विरोध के कारण 522 ई० में पैगंबर मुहम्मद की अपने अनुयायियों के साथ मक्का छोड़कर मदीना जाना पड़ा । मुहम्मद साहिब की इस यात्रा को हिजरा कहते है। वह जिस वर्ष मदीना पहुँचे उसी वर्ष से हिजरी सन् (मुस्लिम कैलेंडर) की शुरुआत हुई।

प्रश्न 7.
किसी धर्म के जीवित रहने के लिए क्या शर्ते होती हैं?
उत्तर:
किसी धर्म का जीवित रहना उस पर विश्वास करने वाले लोगों के जीवित रहने पर निर्भर करता है। इस लोगों को आंतरिक रूप से मजबूत बनाना था उन्हें बाहरी खतरों से बचाना भी आवश्यक होता हैं। इसके लिए राज्य और सरकार जैसी संस्थाओं की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 8.
खिलाफत की संस्था का का निर्माण कैसे हुआ?
उत्तर:
632 ई० में मुहम्मद साहिब के देहांत के बाद उनका कोई वैध उत्तराधिकारी नहीं रहा था। उत्तराधिकार का कोई निश्चित नियम भी नहीं था। इस्लामी राजसत्ता उम्मा को सौंप दी गई। इस प्रकार खिलाफत की संस्था का निर्माण हुआ ।

प्रश्न 9.
इस्लामी क्षेत्रों में 600-1200 ई० के इतिहास के कोई चार स्रोत बताइए।
उत्तर:

  • इतिवृत
  • पैगंबर के कथनों के अभिलेख
  • कुरान की टीकाएँ
  • जीवन चरित्र

प्रश्न 10.
पैगंबर मुहम्मद कौन थे?
उत्तर:
पैगंबर एक सौदागर थे जिनका संबंध मक्का (अरब) में रहने वाले कुरैशा कबीले से था। उन्होंने इस्लाम धर्म की स्थापना की थी।

प्रश्न 11.
अरब कबीले के संगठन की जानकारी दीजिए।
उत्तर:
अरब कबील वंशों से बना होता था अथवा बड़े परिवार का एक समूह होता था। प्रत्येक कबीले का नेतृत्व एक शेख द्वारा किया जाता था जिसका चुनाव मुख्यतः व्यक्तिगत साहस, बुद्धिमता तथा उदारता के आवास पर किया जाता था।

प्रश्न 12.
खलीफाओं ने नये शहरों की स्थापना किस उद्देश्य से की? उनके द्वारा स्थापित चार फौजी शहरों के नाम बताइए।
उत्तर:
खलीफाओं ने नये शहरों की स्थापना मुख्य रूप से उन अरब सैनिकों को बसाने के लिए की जो स्थानीय प्रशासन की रीढ़ थे। उनके द्वारा स्थापित चार फौजी शहर थे-(i) इराक में कुफा तथा बसरा और मिस्र में फुस्तात तथा काहिरा।

प्रश्न 13.
इस्लाम धर्म का मूल क्या है?
उत्तर:
एक ही ईश्वर अर्थात् अल्लाह की पूजा करना।

प्रश्न 14.
‘काबा’ क्या था।
उत्तर:
‘काबा’ मक्का में स्थित एक घनाकार ढाँचा था। यह मक्का का मुख्य पवित्र स्थल था। मक्का के बाहर के कबीले भी काबा का पवित्र मानते थे और हर वर्ष यहाँ की धार्मिक यात्रा (हज) करते थे।

प्रश्न 15.
उमर-खय्याम कौन था?
उत्तर:
उमर खय्याम एक कवि, गणितज्ञ तथा खगोलशास्त्री था। उसने रूबाई को लोकप्रिय बनाया।

प्रश्न 16.
अब्बासी कौन थे? उन्होंने अपने सत्ता प्राप्ति के प्रयास को किस प्रकार वैध ठहराया?
उत्तर:
अब्बासी मुहम्मद के चाचा अब्बास के वंशज थे। उन्होंने विभिन्न अरब समूहों को यह आवश्वासन दिया कि पैगंबर के परिवार का कोई मसीहा उन्हें उमय्यद वंश के दमनकारी शासन से मुक्ति दिलवाएगा। इसी आवश्वासन द्वारा ही उन्होंने अपने सत्ता प्राप्ति के प्रयास का वैध ठहराया।

प्रश्न 17.
अब्बासी ने उमय्यन वंश की किन दो परम्पराओं को बनाए रखा?
उत्तर:

  • उन्होंने सरकार और साम्राज्य के केंद्रीय स्वरूप को बनाए रखा।
  • उन्होंने उमय्यदों की शाही वास्तुकला तथा राजदरबार के व्यापक समारोहों की परंपरा को भी जारी रखा।

प्रश्न 18.
नौवीं शताब्दी में अब्बासी राज्य के कमजोर हो जाने के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:

  • दूर के प्रांतों पर बगदाद का नियंत्रण कम हो गया था।
  • सेना तथा नौकरशाही में अरब समर्थक तथा ईरान समर्थक गुटों के बीच झगड़ा हो गया था।

प्रश्न 19.
बगदाद के बुवाही शासकों के दो कार्य बताएँ।
उत्तर:

  • बुवाही शासकों ने विभिन्न उपाधियाँ धारण की इनमें से एक उपाधि ‘शहंशाह’ की थी।
  • उन्होंने शिया प्रशासकों, कवियों तथा विद्वानों को आश्रय प्रदान किया।

प्रश्न 20.
फातिमी कौन थे? वे स्वयं को इस्लाम का एकमात्र न्यायसंगत शासक क्यों मानते थे?
उत्तर:
फातिमी का संबंध शिया संप्रदाय के एक उपसंप्रदाय इस्लामी से था। उनका दावा था कि वे पैगंबर की बेटी फातिमा के वंशज है। इसलिए वे इस्लाम के एकमात्र न्याय-संगत शासक हैं।

प्रश्न 21.
उपय्यद वंश के अब्द-अल मलिक द्वारा अरब-इस्लामी पहचान के विकास के लिए किए गए कोई दो कार्य बताएँ।
उत्तर:

  • अब्द-अल-मलिक ने इस्लामिक सिक्के चलाए जिन पर अरबी भाषा में लिखा गया।
  • उसने जेरूसलम में ‘डीम ऑफ रॉक’ बनवाकर भी अरब-इस्लामी पहचान के विकास में योगदान दिया।

प्रश्न 22.
तुर्क कौन थे? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
तर्क लोग तुर्किस्तान के मध्य एशियाई घास के मैदानों के खानाबदेश कबाइली थे। वे कशल सवार तथा योद्धा थे। वे गुलामों तथा सैनिकों के रूप में अब्बासी ससानी तथा बवाही शासकों के अधीन कार्य करने लगे। अपनी सैनिक योग्यता तथा वफदारी के बल पर उन्नति करके वें उच्च पदों पर पहुंच गए।

प्रश्न 23.
खिलाफत संस्था के दो मुख्य उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
खिलाफत संस्था के दो मुख्य उद्देश्य थे –

  • उम्मा के कबीलों पर नियंत्रण बनाए रखना।
  • राज्य के लिए संसाधन जुटाना।

प्रश्न 24.
बाइजेंटाइन तथा ससानी साम्राज्यों के विरुद्ध अरबों की सफलता में योग देने वाले कारक कौन-कौन से थे ?
उत्तर:

  • अरबों की सामरिक नीति।
  • अरबों का धार्मिक जोश
  • विरोधियों की कमजोरियाँ।

प्रश्न 25.
तीसरे खलीफा उथमान की हत्या क्यों की गई?
उत्तर:
खलीफा उथमान एक कुरैश था। सत्ता पर अपना नियंत्रण बढ़ाने के लिए उसने प्रशासन में कुरैश कबीले के लोगों को ही भर दिया इसलिए अन्य कबीले उसके विरुद्ध हो गए। और उसकी हत्या कर दी गई।

प्रश्न 26.
चौथे खलीफा ने कौन-कौन से दो युद्ध लड़े और उनका क्या परिणाम निकला?
उत्तर:

  • अली ने पहला युद्ध मुहम्मद की पत्नी आयशा की सेना के विरुद्ध लड़ा। इसे ऊँट की लड़ाई’ कहा जाता है। इस युद्ध में आयशा पराजित हुई।
  • अली का दूसरा युद्ध उत्तरी मेसोपोटामिया में सिफ्फिन में हुआ था। यह संधि के रूप में समाप्त हुआ था।

प्रश्न 27.
इस्लाम का दो मुख्य संप्रदायों में विभाजन क्यों हुआ? ये संप्रदाय कौन-कौन से थे?
उत्तर:
खलीफा अली ने अपने शासनकाल में मक्का के अभिजात वर्ग का प्रतिनिधित्व करने पाले लोगों के विरुद्ध दो युद्ध लड़े। इससे मुसलमानों के बीच में दरार पड़ गई और इस्लाम दो संप्रदायों में विभाजित हो गया। ये संप्रदाय थे-सुन्नी और शिया।

प्रश्न 28.
खलीफा अली की हत्या कहाँ और किसने किया?
उत्तर:
खलीफा अली की हत्या एक खरजी ने कुफा की एक मस्जिद में की।

प्रश्न 29.
उमय्यद वंश की स्थापना कब और किसने की? यह वंश कब तक चलता रहा?
उत्तर:
उमय्यद वंश की स्थापना 661 ई. में मुआविया ने की। यह वंश 750 ई. तक चलता रहा।

प्रश्न 30.
जेरूसलम में डोम ऑफ रॉक किसने बनाया? इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर:
जेरूसलम में डोम ऑफ रॉक अब्द अल-मलिक ने बनवाया । यह इस्लामी वास्तुकला का पहला बड़ा नमूना है। इसका एक रहस्यमय महत्त्व भी है। वह यह कि यह स्मारक पैगंबर मुहम्मद की स्वर्ग की ओर रात्रि यात्रा से जुड़ा है।

प्रश्न 31.
चौथी शताब्दी में किन दो कारणों से लाल सागर मार्ग का महत्व बढ़ा?
उत्तर:

  • काहिरा का व्यापार शक्ति के रूप में उभरना।
  • इटली के व्यापारिक शहरों से पूर्वी वस्तुओं की बढ़ती हुई माँग।

प्रश्न 32.
समरकंद में कागज के निर्माण में किस घटना ने सहायता पहुँचाई?
उत्तर:
751 ई. में समरकंद के मुस्लिम प्रशासक ने 20,000 चीनी आक्रमणकारियों को बंदी बना लिया। इनमें से कुछ आक्रमणकारी कागज बनाने में बहुत निपुण थे और इसी घटना ने समरकंद में कागज के निर्माण में सहायता पहुँचाई।

प्रश्न 33.
वाणिज्यिक पत्रों के उपयोग से व्यापारियों को क्या लाभ पहुँचा?
उत्तर:

  • वाणिज्यिक पत्रों के उपयोग से व्यापारियों को हर स्थान पर नकद धन ले जाने से मुक्ति मिल गई।
  • इससे उनकी यात्राएँ अधिक सुरक्षित हो गई।

प्रश्न 34.
औपचारिक व्यापार प्रबंध ‘मुजार्बा’ क्या था?
उत्तर:
इस व्यापार प्रबंध में निष्क्रिय साझेदार कारोबार के लिए अपनी पूँजी देश-विदेश में जाने वाले सक्रिय साझेदारों को सौंप देते थे। वे लाभ या हानि को किए गए निर्णय के अनुसार आपस में बाँट लेते थे।

प्रश्न 35.
इस्लाम में धन कमाने से जुड़े ब्याज संबंधी निषेध नियम बताएँ। लोग इसका अनुचित लाभ कैसे उठाते थे?
उत्तर:
इस्लाम के अनुसार ब्याज की कमाई खाना मना है। परंतु लोग एक विशेष प्रकार के सिक्कों में उधार लेकर उधार को अन्य प्रकार के सिक्कों में चुकाते थे। वे मुद्रा विनिमय पर भी कमीशन खाते थे। ये बातें ब्याज का ही रूप थीं।

प्रश्न 36.
अरब जगत् में 8वीं तथा 9वीं शताब्दी में कानून की चार शाखाएँ कौन-सी थीं? इनमें से कौन-सी शाखा सबसे अधिक रूढ़िवादी थी?
उत्तर:
8वीं तथा 9वीं शताब्दी में अरब जगत् में कानून की चार शाखाएँ थीं-मलिकी, हनफी, शफीई और इनबली। इनमें से इनबली सबसे अधिक रूढ़िवादी थी।

प्रश्न 37.
सूफी मत के दो सिद्धांत लिखिए।
उत्तर:

  • संसार का त्याग करना।
  • केवल खुदा पर ही भरोसा।

प्रश्न 38.
सूफी मत के सर्वेश्वरवाद का क्या अर्थ हैं।
उत्तर:
सूफी मत का सर्वेश्वरवाद ईश्वर तथा उसकी सृष्टि से एक होने का विचार है। इससे अभिप्राय यह है कि मनुष्य की आत्मा को परमात्मा से मिलाना चाहिए।

प्रश्न 39.
इनसिना (980-1037) कौन था?
उत्तर:
इनसिना एक चिकित्सक तथा दार्शनिक था। वह इस बात पर विश्वास नहीं रखता था कि कयामत के दिन व्यक्ति फिर से जिंदा हो जाता है।

प्रश्न 40.
सलजुक तुर्कों की पहली राजधानी निशापुर का क्या महत्त्व था?
उत्तर:
निशापुर शिक्षा का एक महत्वपूर्ण फारसी-इस्लामी केंद्र था। इसके अतिरिक्त यह उमर खय्याम का जन्म स्थान था।

प्रश्न 41.
तुगरिल बेग कौन था?
उत्तर:
तुगरिल बेग एक सलजुक तुर्क था। अपने भाई के साथ 1037 ई. में खुरासान को जीत लिया और निशापुर को अपनी पहली राजधानी बनाया। 1055 ई. में उन्होंने बगदाद पर भी अधिकार कर लिया।

प्रश्न 42.
धर्म-युद्ध क्या थे?
उत्तर:
पश्चिमी यूरोप के ईसाइयों ने मुसलमानों से अपने धर्म स्थल मुक्त कराने के लिए उनके साथ अनेक युद्ध किए। इन युद्धों को धर्म-युद्ध का नाम दिया गया है।

प्रश्न 43.
प्रथम धर्म-युद्ध की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर:
प्रथम धर्म – युद्ध (1098-1099) में फ्रांस तथा इटली के सैनिकों ने एंटीओक तथा जेरूसलतम पर अधिकार कर लिया। इस विजय के लिए उन्होंने मुसलमानों तथा यहूदियों की निर्मम हत्या कौं।

प्रश्न 44.
मध्यकाल में इस्लामी समाज का ईसाइयों के प्रति क्या दृष्टिकोण था?
उत्तर:
मध्यकाल में इस्लामी समाज ईसाइयों को पुस्तक वाले लोग कहते थे, क्योंकि उनके पास अपना धर्म ग्रंथ ‘इंजील’ (न्यू टेस्टामेंट) होता था। वे मुस्लिम राज्यों में आने वाले ईसाइयों को रक्षा प्रदान करते थे।

प्रश्न 45.
धर्म-युद्धों ने ईसाई-मुस्लिम संबंध पर क्या प्रभाव डाला? अथवा, यूरोप व एशिया पर धर्म-युद्धों का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:

  • मुस्लिम राज्यों ने अपनी ईसाई प्रजा के प्रति कठोर नीति अपनानी आरंभ कर दी।
  • पूर्व तथा पश्चिम के बीच होने वाले व्यापार में इटली के व्यापारिक समुदायों का प्रभाव बढ़ गया।

प्रश्न 46.
फ्रैंक कौन थे? उनका अपने अधीन किए गए मुसलमानों के प्रति कैसा व्यवहार था?
उत्तर:
फ्रैंक धर्म-युद्धों में विजय पाने वाले पश्चिमी देशों के नागरिक थे। इनमें से कुछ सीरिया तथा फिलिस्तीन में बस गए थे। ये लोग मुसलमानों के प्रति सहनशील थे।

प्रश्न 47.
खलीफाओं ने धर्मांतरण के कारण राजस्व में आई कमी को पूरा करने के लिए क्या दो कदम उठाए?
उत्तर:

  • उन्होंने धर्म-परिवर्तन को निरुत्साहित किया।
  • बाद में उन्होंने कर लगाने की एक समान नीति अपनाई।

प्रश्न 48.
रूबाई क्या होती है?
उत्तर:
रूबाई चार पंक्तियों वाला छंद होता है। इसमें पहली दो पंक्तियाँ भूमिका बाँधती हैं। तीसरी पंक्ति बढ़िया तरीके से सधी होती है। चौथी पंक्ति मुख्य बात को प्रस्तुत करती है।

प्रश्न 49.
उमय्यद शासकों द्वारा बनवाए गए मरुस्थलीय महल किस काम आते थे?
उत्तर:
ये महल विलासपूर्ण निवास स्थानों के काम आते थे। इसके अतिरिक्त इनका प्रयोग शिकार तथा मनोरंजन के लिए विश्राम स्थलों के रूप में किया जाता था।

प्रश्न 50.
किसी मस्जिद के बड़े कमरे की दो महत्वपूर्ण विशेषताएं कौन-कौन सी होती हैं?
उत्तर:

  • दीवार में एक मेहराब जो मक्का की दिशा का संकेत देती है।
  • एक मंच जहाँ से शुक्रवार को दोपहर की नवाज के समय प्रवचन दिए जाते हैं।

प्रश्न 51.
महमूद गजनबी के दरबारी कवि फिरदौसी द्वारा रचित ‘शाहनामा’ की दो विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
फिरदौसी द्वारा रचित शाहनामा इस्लामी साहित्य की एक श्रेष्ठ कृति मानी जती है।

  • इस पुस्तक में 50,000 पद हैं।
  • यह पुस्तक परंपराओं तथा आख्यानों का संग्रह है। इनमें से सबसे लोकप्रिय आख्यान रूस्तम को है।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
950 से 1200 ई. के बीच इस्लामी समाज की एकजुटता में किन तत्वों का योगदान था?
उत्तर:
सन् 950 से 1200 के बीच इस्लामी समाज सामान्य आर्थिक और सांस्कृतिक प्रवृत्तियों के कारण एकजुट बना रहा।

  • इस एकता को बनाए रखने के लिए राज्य को समाज से अलग माना गया।
  • उच्च इस्लामी संस्कृति की भाषा के रूप में फारसी का विकास किया गया।
  • इस एकता के निर्माण में बौद्धिक परंपराओं के बीच संवाद की परपिक्वता का भी योगदान था।

विद्वान, कलाकार और व्यापारी इस्लामी दुनिया के भीतर स्वतंत्र रूप से आते जाते रहते थे। इस प्रकार इस्लामी समाज के बीच विचारों तथा तौर-तरीकों का आदान-प्रदान होता रहता था। परिणामस्वरूप मुसलमानों की जनसंख्या जो उमय्यद काल और प्रारंभिक अब्बासी काल में 10 प्रतिशत से भी कम थी, आगे चलकर बहुत अधिक बढ़ गई। इस्लाम ने एक अलग धर्म और सांस्कृतिक प्रणाली का रूप ले लिया।

प्रश्न 2.
सलजुक तुर्क कौन थे? उन्होंने तुर्की सत्ता की स्थापना तथा विस्तार किस प्रकार किया?
उत्तर:
सलजुक तुर्क सुदूर-पूर्व के गैर-मुस्लिम थे। ग्यारहवीं शताब्दी के पूर्वाद्ध में उन्होंने तूरान में समानियों तथा काराखानियों के सैनिकों के रूप में प्रवेश किया। बाद में उन्होंने दो भाइयों तुगरिल और छागरी बेग के नेतृत्व में एक शक्तिशाली समूह का रूप धारण कर लिया। गजनी के महमूद की मृत्यु के बाद फैली अव्यवस्था का लाभ उठा कर सलजुकों ने 1037 में खुरासान को जीत लिया। उन्होंने निशापुर को अपनी पहली राजधानी बनाया।

इसके बाद उन्होंने अपना ध्यान पश्चिमी फारस की ओर लगाया। 1055 में उन्होंने बगदाद को पुनः सुन्नी शासन के अधीन कर दिया । प्रसन्न होकर खलीफा अल-कायम ने तुगरिल बेग को सुलतान की उपाधि प्रदान की। सलजुक भाइयों ने परिवार द्वारा शासन चलाने की कबाइली धारणा के अनुसार मिल कर शासन चलाया। तुगरिल बेग के बाद उसका भतीजा अल्प अरसलन उसका उत्तराधिकारी बना। अल्प अरसलन’ के शासनकाल में सलजुक साम्राज्य का विस्तार अनातोलिया (आधुनिक तुर्की) तक हो गया।

प्रश्न 3.
चौथै खलीफा अली के शासनकाल पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
खलीफा अली ने (656-61) मक्का के अभिजात तंत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले लोगों के विरुद्ध दो युद्ध लड़े। फलस्वरूप मुसलमानों में दरार और अधिक गहरी हो गई। अली के समर्थकों और शत्रुओं ने बाद में इस्लाम के दो मुख्य संप्रदाय शिया और सुन्नी बना लिए। अली ने अपने आपकों गुफा में स्थापित कर लिया। उसने मुहम्मद की पत्नी, आयशा के नेतृत्व वाली सेना को ‘ऊँट की लड़ाई’ (657) में पराजित कर दिया।

परंतु, वह उथमान के नातेदार और सीरिया के गवर्नर मुआविया के गुट का दमन न कर सका। उसके साथ अली का युद्ध सिफिन (उत्तरी मेसोपोटामिया) में हुआ था। यह संधि के रूप में समाप्त हुआ। इस युद्ध ने उसके अनुयायियों को दो धड़ों में बाँट दिया, कुछ उसके वफादार बने रहे, जबकि अन्य लोगों ने उसका साथ छोड़ दिया, उसका साथ छोड़ने वाले लोग खरजी कहलाने लगे। इसके शीघ्र, बाद एक खरजी ने गुफा की एक मस्जिद में अली की हत्या कर दी।

प्रश्न 4.
उमय्यद वंश की स्थापना किन परिस्थितियों में हुई? पहले उमय्यद शासक मुआविया के शासनकाल पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
बड़े-बड़े क्षेत्रों पर विजय प्राप्त होने से मदीना में स्थापित खिलाफत नष्ट हो गई और उसका स्थान राजतंत्र ने ले लिया। 661 ई. में मुआविया ने स्वयं को अलग खलीफा घोषित कर दिया और उमय्यद वंश की स्थापना की। उमय्यदों ने ऐसे अनेक राजनीतिक कदम उठाए जिनसे उम्मा के भीतर उनका नेतृत्व सुदृढ़ हो गया।

पहले उमय्यद खलीफा मुआविया ने दमिश्क को अपनी राजधानी बना लिया। उसने बाइजेंटाइन साम्राज्य की राजदरबारी परंपराओं तथा प्रशासनिक संस्थाओं को अपनाया। उसने वंशगत उत्तराधिकार की परंपरा भी प्रारम्भ की और प्रमुख मुसलमानों को इस बात पर राजी कर लिया कि उसके बाद वे उसके पुत्र को उसका उत्तराधिकारी स्वीकार करें। उसके बाद आने वाले खलीफाओं ने भी ये नवीन परिवर्तन अपना लिए। फलस्वरूप उमय्यद 90 वर्ष तक सत्ता में बना रहा।

सिद्धांत नहीं था। अतः इस्लामी राजसत्ता उम्मा को सौंप दी गई। इससे नयी प्रक्रियाओं के लिए अवसर उत्पन्न हुए, परंतु इससे मुसलमानों में गहरे मतभदे भी पैदा हो गए। सबसे बड़ा नव-परिवर्तन यह हुआ कि खिलाफत की संस्था का निर्माण हुआ। इसमें समुदाय का नेता ‘अमीर अल-मोमिनिनि; पैगंबर का प्रतिनिधि बन गया। वह खलीफा कहलाया। पहले चार खलीफाओं (632-661) ने पैगबर के साथ अपने गहरे नजदीकी संबंधों के आधार पर अपनी शक्तियों का औचित्य स्थापित किया। उन्होंने पैगंबर द्वारा दिए दिशा-निर्देशों के अनुसार उनके कार्य को आगे बढ़ाया। खिलाफत के दो प्रमुख उद्देश्य थे

  • उम्मा का कबीलों पर नियंत्रण स्थापित करना।
  • राज्य के लिए संसाधन जुटाना।

प्रश्न 5.
आरंभिक खलीफाओं के अधीन अरब साम्राज्य के प्रशासनिक ढाँचे की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
खलीफाओं ने जीते गए सभी प्रांतों में नया प्रशासनिक ढाँचा लागू किया। इसके अंतर्गत प्रांतों के अध्यक्ष गवर्नर (अमीर) और कबीलों के मुखिया (अशरफ) थे। केंद्रीय सत्ता में राजस्व के दो मुख्य स्रोत थे-मुसलमानों द्वारा अदा किए जाने वाले कर तथा धावों से मिलने वाली लूट में से प्राप्त हिस्सा। खलीफा के सैनिक रेगिस्तान के किनारों पर बसे शहरों कुफा और बसरा में शिविरों में रहते थे ताकि वे अपने प्राकृतिक आवास स्थलों के निकट और खलीफा की ‘कमान के अंतर्गत बने रहें।

शासक वर्ग और सैनिकों को लूट में हिस्सा मिलता था और मासिक राशियाँ (अत्तता) प्राप्त होती थीं। गैर मुस्लिम लोग ‘स्वराज और जजिया’ नामक कर देते थे। इससे उनका संपत्ति का तथा धार्मिक कार्यों को संपन्न करने का अधिकार बना रहता था। यहूदी तथा ईसाई लोगों को राज्य के संरक्षित लोग घोषित किया गया था। उन्हें अपने सामुदायिक कार्य करने के लिए बहुत अधिक स्वायत्तता प्राप्त थी।

प्रश्न 6.
तीसरे खलीफा उथमान की हत्या के लिए कौन-सी परिस्थितियाँ उत्तरदायी थीं?
उत्तर:
अरब कबीलों ने अपना राजनीतिक विस्तार और एकीकरण का कार्य सरलता से कर लिया था। राजक्षेत्र के विस्तार से राज्य के संसाधनों और प्रशासनिक पदों के वितरण पर झगडे उत्पन्न हो गए। ये झगड़े उम्मा की एकता के लिए खतरा बन गए। वास्तव में प्रारंभिक इस्लामी राज्य के शासन में मक्का के कुरैश लोगों का ही बोलबाला था। तीसरा खलीफा उथमान (64456) भी एक कुरैश था।

उसने सत्ता पर अपना नियंत्रण बढ़ाने के लिए प्रशासन में अपने ही आदमी भर दिए। परिणामस्वरूप अन्य कबीलों में रोष फैल गया। इराक और मिस्र में पहले ही शासन का विरोध हो रहा था, अब मदीना में भी विरोध उत्पन्न हो जाने से उथमान की हत्या कर दी गई। उथमान की मृत्यु के बाद अली को चौथा खलीफा नियुक्त किया गया।

प्रश्न 7.
मध्यकालीन इस्लामी जगत में इस्लाम के धार्मिक विद्वानों ने कुरान की टीका लिखने तथा शरीआ तैयार करने की ओर ध्यान क्यों दिया।
उत्तर:
इस्लाम के धार्मिक विद्वानों (उलमा) के लिए करान से प्राप्त (इल्म) और पैगंबर का आदर्श व्यवहार (सुन्ना) ईश्वर की इच्छा को जानने तथा संसार का मार्गदर्शन करने का एकमात्र तरीका था। अत: मध्यकाल में उलेमा अपना समय कुरान पर टीका (तफसीर) लिखने और मुहम्मद की प्रामाणिक उक्तियों और कार्यों को लेखबद्ध (हदीथ) करने में लगाते थे। कुछ उलमा ने कर्मकांडों (इबादत) द्वारा ईश्वर के साथ और सामाजिक कार्यों (मुआमलात) द्वारा अन्य लोगों के साथ मुसलमानों के संबंधों को नियंत्रित करने के लिए कानून अथवा शरीआ तैयार करने का काम किया।

इस्लामी कानून तैयार करने के लिए विधिवेत्ताओं ने तर्क और अनुमान (कियास) का प्रयोग भी किया क्योंकि कुरान एवं हदीथ में प्रत्येक बात प्रत्यक्ष नहीं थी। स्रोतों के अर्थ-निर्णय और विधिशास्त्र के तरीकों के बारे में मतभेदों के कारण आठवीं और नौवीं शताब्दी में कानून की चार शाखाएँ (मजहब) बन गई। ये थीं-मलिकी, हनफी, शफीई और इनबली । शरीओ न सुन्नी समाज का सभी संभव कानूनी मुद्दों के बारे में मार्गदर्शन किया।

प्रश्न 8.
मध्यकालीन व्यापार-व्यवस्था में साख-पत्रों इंडियों (वाणिज्यिक पत्रों) का क्या महत्त्व था?
उत्तर:
मध्यकालीन आर्थिक जीवन में मुस्लिम जगत् का सबसे बड़ा योगदान यह था कि उन्होंने अदायगी और व्यापार व्यवस्था के बढ़िया तरीकों का विकास किया। व्यापारियों तथा साहूकारों द्वारा धन को एक जगह से दूसरी जगह और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँचाने के लिए साख-पत्रों और हुडियों (बिल ऑफ एक्सेंचज) धन का इस्तेमाल किया जाता था। वाणिज्यिक पत्रों के व्यापक उपयोग से व्यापारियों को हर स्थान पर अपने साथ ले जाने से मुक्ति मिल गई । इससे उनकी यात्राएँ भी अधिक सुरक्षित हो गई । खलीफा भी वेतन देने अथवा कवियों और चरणों को इनाम देने के लिए साख पत्रों
का प्रयोग करते थे।

प्रश्न 9.
अरब साम्राज्य में कृषि की समृद्धि के लिए क्या-क्या पग उठाए गए?
उत्तर:
अरब साम्राज्य में राजनीतिक स्थिरता के आने के साथ-साथ कृषि में समृद्धि आई। इसके लिए कई कदम उठाए गए।

  • नील घाटी सहित कई क्षेत्रों में सिंचाई प्रणाली का विकास किया गया। इसके लिए बाँध बनाए गए तथा नहरें एवं कुएँ खोदे गए।
  • अपनी भूमि पर पहली बार खेती करने वाले लोगों को कर में छूट दी गई । खेती योग्य भूमि का विस्तार किया गया। इन सब कार्यों के परिणामस्वरूप उत्पादकता में वृद्धि हुई।
  • कुछ नयी फसलें भी उगाई जाने लगी। इनमें कपास, संतरा, केला, तरबूज, पालक, बैगन आदि की फसलें शामिल थीं। इनमें से कुछ फसलों का यूरोप को निर्यात भी किया गया ।

प्रश्न 10.
तुर्क कौन थे? गजनी में तुर्की सत्ता किस प्रकार स्थापित हुई और मजबूत बनी?
उत्तर:
तुर्क लोग तुर्किस्तान के मध्य एशियाई घास के मैदानों के खानाबदोश कबाइली थे। उन्होंने इस्लाम धर्म अपना लिया था। वे कुशल घुड़सवार एवं योद्धा थे। वे गुलामों तथा सैनिका के रूप में अब्बासी, ससानी तथा बुवाही शासकों के अधीन कार्य करने लगे अपनी वफादारी तथा। सैनिक योग्यताओं के बल पर उन्नति करके उच्च पदों पर पहुंच गए।

961 ई. में अल्पकालीन नामक तुर्क ने गजनी सल्तनत की स्थापना की। इसे गजनी के महमूद (998-1030) ने मजबूत किया। बुवाहियों की तरह गजनवी भी एक सैनिक वंश था। उनके पास तुकों और भारतीयों जैसी पेशेवर सेना थी। परंतु उनकी सत्ता एवं शक्ति का केंद्र खुरासान और अफगानिस्तान में था।

अब्बासी खलीफे सत्ता वैधता के स्रोत थे। एक दास का पुत्र होने के कारण महमूद खलीफा से सुलतान की उपाधि प्राप्त करना चाहता था। दूसरी ओर खलीफा भी शिया सत्ता के मुकाबले गजनवी को सुन्नी सत्ता का समर्थन देने के लिए तैयार हो गया । अतः अब्बासी खलीफे गजनी में तुर्की सत्ता की वैधता के स्रोत बन गए।

प्रश्न 11.
अरबों द्वारा विजित क्षेत्रों में कृषि-भूमि का स्वामित्व की दृष्टि से वितरण कैसा था?
उत्तर:
अरबों द्वारा नए जीते हुए क्षेत्रों में लोगों का प्रमुख व्यवसाय कृषि था। इस्लामी राज्य ने इसमें कोई परिवर्तन नहीं किया। कृषि भूमि के स्वामी छोटे बड़े किसान थे। कहीं-कहीं भूमि पर राज्य का स्वामित्व था। ईरान में जमीन बड़ी-बड़ी इकाइयों में बंटी हुई थी जिस पर किसान खेती करते थे। ससानी और इस्लामी कालों में भूमि के स्वामी राज्य की ओर से कर एकत्र करते थे। उन प्रदेशों में पशुचारण की अवस्था से स्थिर कृषि की अवस्था तक पहुँच गए थे। भूमि गाँव की साझी संपत्ति थी। इस्लामी विजय के बाद मालिकों द्वारा छोड़ी गई भू-संपदाओं को राज्य ने अपने हाथ में ले लिया था। इसे साम्राज्य के विशिष्ट वर्ग के मुसलमानों को दे दिया गया था-विशेष रूप से खलीफा के परिवार के सदस्यों को।

प्रश्न 12.
अरब साम्राज्य में भू-राजस्व की क्या व्यवस्था थी?
उत्तर:
अरब साम्राज्य में कृषि भूमि का सर्वोपरि नियंत्रण राज्य के हाथों में था। वह अपनी अधिकांश आय भू-राजस्व से प्राप्त करता था। अरबों द्वारा जीती गई भमि पर. जो अब भी उन मालिकों के हाथों में थी, खराज नामक करा लगता था। यह कर खेती की स्थिति के अनुसार उत्पादन के आधे भाग से लेकर पांचवें हिस्से के बराबर होता था। उस भूमि पर जिसके स्वामी मुसलमान थे अथवा जिस पर उनके द्वारा खेती की जाती थी उपज के दसवें भाग के बराबर कर वसूल किया जाता था।

अत: कई गैर-मुसलमान कम कर देने के उद्देश्य से मुसलमान बनने लगे। इससे राज्य की आय कम हो गई। इस समस्या से निपटने के लिए खलीफाओं ने पहले तो धर्म-परिवर्तन को निरुत्साहित किया और बाद में कर वसूलने की एक समान, नीति अपनाई। 10वीं शताब्दी से प्रशासनिक अधिकारियों को उनका वेतन राजस्व में से दिया जाने लगा। इसे इक्ता कहा जाता था जिसका अर्थ है-भू-राजस्व का भाग।

प्रश्न 13.
गजनी साम्राज्य में फारसी साहित्य के विकास की जानकारी दीजिए। अथवा, फारसी साहित्य में फिरदौसी का क्या योगदान रहा?
उत्तर:
ग्यारहवीं शताब्दी के प्रारंभ में गजनी फारसी साहित्य का एक कॅन्द्र बन गया था। कवि स्वाभाविक रूप से शाही दरबार की चमक-दमक से आकर्षित होते थे। शासकों ने भी अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए कलाकारों और विद्वानों को संरक्षण देना आरंभ कर दिया था। महमूद गजनवी के काल में अनेक कवियों ने काव्य-संग्रहों (दीवानों) और महाकाव्यों (मथनवी) की रचना की। सबसे अधिक प्रसिद्ध कवि फिरदौ था। उसने ‘शाहनामा’ नामक काम, थ की रचना की थी।

इसे पूरा करने से उसे 30 वर्ष लगे थे। इस पुस्तक में 50,000 पद हैं और यह इस्लामी साहित्य की एक श्रेष्ठ कृति मानी जाती है। शाहनामा परंपराओं और आख्यानों का संग्रह है। इनमें सबसे लोकप्रिय आख्यान रूस्तम का है। पुस्तक में प्रारंभ से लेकर अरबों की विजय तक ईरान का चित्रण काव्यात्मक शैली में किया गया है।

प्रश्न 14.
इस्लामी जगत में नई फारसी का विकास कब हुआ? इस भाषा ने काव्य के विकास में क्या योगदान दिया?
उत्तर:
नई फारसी का विकास अरबों की ईरान विजय के पश्चात् ईरानी भाषा पहलवी का एक अन्य रूप था। इसमें अरबी भाषा के शब्दों की भरमार थी। खुरासान और तुरान सल्तनतों की स्थापना से नई फारसी सांस्कृतिक ऊंचाइयों पर पहुंच गई। ससानी राजदरबार में कवि रुदकी को नई फारसी कविता का जनक माना जाता है। इस कविता में गजल और रुबाई जैसे नए रूप शामिल थे।

रुबाई चार पंक्तियों वाला छंद होता है। इसमें पहली दो पंक्तियाँ भूमिका बाँधती हैं। तीसरी पंक्ति बढ़िया तरीके से सधी होती है और चौथी पंक्ति मुख्य बात को प्रस्तुत करती है। इसका प्रयोग प्रियतम अथवा प्रेयसी के सौंदर्य का बखान करने, संरक्षण की प्रशंसा करने अथवा दार्शनिक के विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए किया जा सकता है। रुबाई उमर खय्याम (1048-1131) के हाथों अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच गई।

प्रश्न 15.
मध्यकालीन इस्लामी समाज में भाषा के विकास की संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
उत्तर:
मध्यकालीन इस्लामी समाज में बढ़िया भाषा और रचनात्मक कल्पना को व्यक्ति का सराहनीय गुण माना जाता था। ये गुण किसी भी व्यक्ति की विचार-अभिव्यक्ति को ‘अदब’ के स्तर तक ऊँचा उठा देते थे। अदब रूपी अभिव्यक्तियों में पद्य (कविता) और गद्य (बिखरे हुए शब्द) शामिल थे। इस्लाम-पूर्व काल की सबसे अधिक लोकप्रिय पद्य रचना संबोधन गीत (कसीदा) थी। इस विधा का विकास अब्बासी काल के कवियों ने अपने आश्रयदाताओं की उपलब्धियों का गुणगान करने के लिए किया।

फारस मूल के कवियों ने अरबी कविता का पुनः आविष्कार किया और उसमें नई जान फूंकी। फारसी मूल के एक कवि अबुनवास ने इस्लाम में वर्जित होने के बावजूद आनंद मनाने के लिए शराब और पुरुष-प्रेम जैसे विषयों पर उत्कृष्ट कविताओं की रचना की। अबुनवास के बाद के कवियों ने अपने अनुराग के पात्र को पुरुष के रूप में संबोधित किया, भले ही वह स्त्री हो। इसी परंपरा का अनुसरण करते हुए सूफियों ने रहस्थवादी प्रेम की मदिरा द्वारा उत्पन्न मस्ती का गुणगान किया।

प्रश्न 16.
प्रारंभिक इस्लाम के इतिहास के स्रोतों के रूप में कुरान के उपयोग ने क्या समस्याएँ उत्पन्न की हैं?
उत्तर:
प्रारंभिक इस्लाम के इतिहास के लिए स्रोत के रूप में कुरान के उपयोग ने मुख्य रूप से दो समस्याएँ प्रस्तुत की हैं। पहली यह कि यह एक धर्मग्रंथ है और एक ऐसा मूल-पाठ है जिसमें धार्मिक सत्ता निहित है। मुसलमानों का मानना है कि खुदा की वाणी (कलाम अल्लाह) होने के कारण कुरान के एक-एक शब्द को समझा जाना चाहिए।

परंतु बुद्धिवादी धर्म विज्ञानी रूढ़िवादी नहीं थे। उन्होनें कुरान की व्याख्या अधिक उदारता से की। 833 ई. में अब्बासी खलीफा अल-मामून ने यह मत लागू किया कि कुरान खुदा की वाणी न होकर उसकी अपनी रचना है। दूसरी समस्या यह है कि कुरानं प्रायः रूपकों में बात करता है। ओल्ड टेस्टामेंट के विपरीत यह घटनाओं का कंवल उल्लेख करता है, उनका वर्णन नहीं करता। अतः कुरान को पढ़ने-समझने के लिए कई हदीथ लिखे गए।

प्रश्न 17.
सूफी कौन थे और उनके धार्मिक विश्वास क्या थे?
उत्तर:
मध्यकालीन इस्लाम के उदार धार्मिक विचारों वाले लोगों के एक समूह को सूफी कहा जाता है। –
धार्मिक विश्वास – सूफी लोग तपश्चर्या (रहबनिया) और रहस्यवाद द्वारा खुदा के बारे में गुढ ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे। समाज जितना अधिक पदार्थों और सुखों की ओर झकता था, सूफी लोग उतना ही अधिक संसार का त्याग (जुहद) करना चाहते थे। वे केवल खुदा पर भरोस (तवक्कुल) करना चाहते थे। आठवीं और नौवीं शताब्दी में तपश्चर्या एवं वैराग्य की इन प्रवृत्तियं ने सर्वेश्वरवाद एवं प्रेम के विचारों द्वारा रहस्यवाद (तसव्वुफ) का रूप धारण कर लिया।

सर्वेश्वरवाद ईश्वर और उसकी सृष्टि के एक हो जाने का विचार है। इससे अभिप्राय यह है कि मनुष्य की आत्मा को परमात्मा के साथ मिलना चाहिए। यह ईश्वर से मिलने के साथ गहरे प्रेम (इश्क) द्वारा हो सकता है। सूफी लोग आनंद की अवस्था में पहुँचने तथा प्रेम को उद्दीप्त करने के लिए संगीत (समा) का सहारा लेते थे। सूफीवाद का द्वार सभी के लिए खुला है, चाहे वह किसी भी धर्म, पद अथवा लिंग का हो। सूफीवाद ने अत्यधिक लोकप्रियता प्राप्त की और अपनी उदारता से रूढ़िवादी इस्लाम के सामने चुनौती पेश की।

प्रश्न 18.
विज्ञान संबंधी नये विषयों के अध्ययन का इस्लाम जगत् के बौद्धिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
अथवा
इनसिना कौन था? उसकी सबसे प्रभावशाली पुस्तक का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
नये विषयों के अध्ययन ने आलोचनात्मक दृष्टिकोणों को बढ़ावा दिया। इसका इस्लाम के बौद्धिक जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ा। वैज्ञानिक प्रवृत्ति वाले धार्मिक विद्वानों ने इस्लामी विश्वासों की रक्षा के लिए यूनानी तर्क एवं विवेचना (कलाम) का प्रयोग किया। दार्शनिक (फलसिका) ने व्यापक प्रश्न किए और उनके उत्तर प्रस्तुत किए। उदाहरण के लिए एक वैज्ञानिक एंव चिकित्सक इनसिना इस बात को नहीं मानता था कि कयामत के दिन व्यक्ति फिर से जिंदा हो जाता है।

उसके चिकित्सा संबंधी लेख व्यापक रूप से पढ़े जाते थे। उसकी सबसे प्रभावशाली पुस्तक ‘चिकित्सा के सिद्धांत’ (अल-कानून फिल तिब) है। यह दस लाख शब्दों वाली पांडुलिपि है। इनमें उस समय के औषधिशास्त्रियों द्वारा बेची जाने वाली 760 औषधियों का उल्लेख है। पुस्तक में इनसिना के किए गए प्रयोगों तथा अनुभवों की जानकारी भी दी गई है। इस पुस्तक में आहार-विज्ञान के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है। यह बताया गया है कि जलवायु और पर्यावरण का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त कुछ रोगों के संक्रामक स्वरूप की जानकारी दी गई है।

प्रश्न 19.
इस्लामी धार्मिक कला में प्राणियों के चित्रण की मनाही से कला के किन दो – रूपों को बढ़ावा मिला?
उत्तर:
इस्लाम धर्म में प्राणियों के चित्रण की मनाही थी। इससे कला के जिन दो रूपों को बढ़ावा मिला, वे थे-खुशनवीसी अर्थात् सुंदर लिखने की कला और अरबेस्क अर्थात् ज्यामितीय तथा वनस्पति कं डिजाइनों संबंधी कला। इमारतों को मनाने के लिए प्रायः धार्मिक उद्धरणों का छोटे-बड़े शिलालख में उपयोग किया जाता था। कुरान की आठवीं तथा नौवौं शताब्दियों की पांडुलिपियों में खुशनवीसी की कला को सुरक्षित रखा गया है।

‘किताब अल-अघानी’ (गीत पुस्तक) ‘कलिका व दिमना’ और ‘हरिरी की मकामात’ आदि साहित्यिक कृतियों को लघुचित्रों से सजाया गया था। इसके अतिरिक्त पुस्तक के सौंदर्य को बढ़ाने के लिए चित्रावली की अनेक किस्मे आरंभ की गई। इमारतों और पुस्तकों के चित्रण में पौधों तथा फूलों के नमूनों का उपयोग किया जाता था।

प्रश्न 20.
अब्बासी शासन की क्या विशेषताएँ रहीं? क्या अब्बासी शासक राजतंत्र को समाप्त कर सके?
उत्तर:
अब्बासी शासन की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं –

  • अब्बासी शासन के अंतर्गत अरबों के प्रभाव में गिरावट आई। इसके विपरीत ईरानी संस्कृति का महत्त्व बढ़ गया।
  • अब्बासियों ने अपनी राजधानी बगदाद में स्थापित की।
  • प्रशासन में इराक और खुरासान की धार्मिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सेना तथा नौकरशाही का गैर-कबीलाई आधार पर पुनर्गठन किया गया।
  • अब्बासी शासकों ने खिलाफत की धार्मिक स्थिति तथा कार्यों को मजबूत बनाया और इस्लामी संस्थाओं एवं विद्वानों को संरक्षण प्रदान किया।
  • अब्बासी शासक और राजतंत्र-अब्बासी शासकों के अधीन सरकार और साम्राज्य का केंद्रीय स्वरूप बना रहा, क्योंकि समय की यही माँग थी।
  • उन्होंने उमय्यदों की शाही वास्तुकला और राजदरबार के व्यापक समारोहों की परंपरा को भी बनाये रखा। इस प्रकार राजतंत्र को समाप्त करने वाले अब्बासी शासकों को फिर से राजतंत्र स्थापित करने लिए विवश होना पड़ा।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
खलीफाओं के अधीन इस्लामी सत्ता का विस्तार किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
पैगंबर मुहम्मद के देहांत के बाद बहुत-से कबीले इस्लामी राज्य से टूटकर अलग हो गए। कुछ कबीलों ने तो उम्मा की तरह अपने अलग समाजों की स्थापना करने के लिए स्वयं के पैगंबर बना लिए।

  • पहले खलीफा अबूबकर ने अनेक अभियानों द्वारा इन विद्रोहों का दमन किया।
  • दूसरे खलीफा उमर ने उम्मा की सत्ता के विस्तार की नीति अपनाई।

खलीफा जानता था कि उम्मा को व्यापार और करों से होने वाली थोड़ी-सी आय के बल पर नहीं चलाया जा सकता। इसके लिए बहुत बड़ी धनराशि की जरूरत होगी। इसलिए खलीफा और उसके सेनापतियों ने पश्चिम में बाइजेंटाइन साम्राज्य तथा पूर्व में ससानी साम्राज्य प्रदेशों को जीतने के लिए अपने कबीलों को सक्रिय किया। बाइजेंटाइन और ससानी दोनों साम्राज्यों के पास विशाल संसाधन थे। बाईजेंटाइन साम्राज्य ईसाई मत को बढ़ावा देता था और ससानी साम्राज्य ईरान के प्राचीन धर्म, जरतुश्त धर्म को संरक्षण प्रदान करता था।

अरबों के समय से साम्राज्य धार्मिक संघर्षों तथा अभिजात वर्गों के विद्रोहों के कारण कमजोर हो गए थे। परिणामस्वरूप युद्धों और संधियों द्वारा उन्हें अपने अधीन लाना आसान हो गया। अरबों के तीन सफल अभियानों (637-642) में सीरिया, इराक और मिन पर मदीना का नियंत्रण स्थापित हो गया। अरबों की सफलता में सामरिक नाति, धार्मिक जोश और विरोधियों में गंगदान दिया।

तीसरे खलीफा उथमान ने अपना नियंत्रण मध्य एशिया तक बढ़ाने के लिए और अभियान चलाए। इस प्रकार पैगंबर मुहम्मद को मृत्यु के केवल एक दशक के अंदर, अरब-इस्लामी राज्य ने नील और ऑक्सस के बीच के विशाल क्षेत्र को अपने नियंत्रण में ले लिया। ये प्रदेश आज तक मुस्लिम शासन के अंतर्गत हैं।

प्रश्न 2.
अरब साम्राज्य में खिलाफत का विघटन किस प्रकार हुआ? बुवाही शासकों ने खिलाफत के विघटन के बाद भी खलीफा के पद को प्रतीकात्मक रूप से क्यों बनाए रखा?
उत्तर:
नौवीं शताब्दी में अब्बासी राज्य कमजोर होता गया। इसके दो मुख्य कारण थे –

  • दूर क प्रांतों पर बगदाद का नियंत्रण कम हो गया था।
  • सेना और नौकरशाही में अरब-समर्थक और ईरान-समर्थक गुट के बीच झगड़ा हो गया था।

गृह युद्ध तथा नये राजवंश का उदय-810 में खलीफा हारून अल-रशीद के पुत्रों अमीन और मामुन के समर्थकों के बीच गृह युद्ध छिड़ गया। इससे प्रशासन में गुटबंदी और अधिक बढ़ गई तथा तुर्की गुलाम अधिकारियों (मामलुक) का एक नया शक्ति गुट बन गया। दूसरी ओर शियाओं ने एक बार फिर सुन्नी रूढ़िवादिता के साथ सत्ता के लिए संघर्ष आरंभ कर दिया। फलस्वरूप अनेक छोटे राजवंश उत्पन्न हो गए। इनमें खुरासान और ट्रांसोक्सियाना वाले प्रदेश के ताहिरी एवं ससानी वंश और मिन तथा सीरिया में तुलुनी वंश शामिल थे। शीघ्र ही अब्बासियों की सत्ता मध्य ईराक और पश्चिमी ईरान तक सीमित रह गई।

बुवाहियों द्वारा अब्बासी सत्ता का अंत-945 में ईरान के कैस्पियन क्षेत्र के बुवाही नामक शिया वंश ने बगदाद पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार अब्बासियों के शासन का पूरी तरह अंत हो गया। बुवाही शासकों ने विभिन्न उपाधियाँ धारण कीं। इनमें एक प्राचीन ईरानी उपाधि ‘शहंशाह’ अर्थात् राजाओं का राजा भी शामिल थी। उन्होंने स्वयं खलीफा की पदवी धारण नहीं की, बल्कि अब्बासी खलीफा को अपनी सुन्नी प्रजा का प्रतीकात्मक मुखिया का स्थान दिया। इस प्रकार खिलाफत का विघटन हो गया, भले ही खलीफा का पद प्रतीकात्मक रूप से बना रहा।

बुवाही शासकों की खलीफा के पद के प्रति नीति-बुवाही शासकों द्वारा खलीफा के पद को प्रतीकात्मक रूप को बनाए रखने का निर्णय बहुत से चतुराईपूर्ण था। इसका कारण यह था कि ‘फातिमी’ नामक एक अन्य शिया राजवंश इस्लामी जगत पर शासन करने की योजना बना रहा था। फातिमी का संबंध शिया संप्रदाय के एक उप-संप्रदाय इस्माइली से था। उनका दावा था कि वे पैगंबर की बेटी फातिमा के वंशज हैं। इसलिए वे इस्लाम के एकमात्र न्यायसंगत शासक हैं। 969 ई. में उन्होंने मिस्र को जीत लिया और फातिमी खिलाफत की स्थापना की। उन्होंने मिस्र की पुरानी राजधानी फुस्तात की बजाय काहिरा को अपनी राजधानी बनाया।

प्रश्न 3.
धर्म युद्ध किस-किस के बीच हुए? इनके लिए कौन-कौन सी परिस्थितियाँ उत्तरदायी थी?
उत्तर:
धर्म युद्ध यूरोप के ईसाइयों तथा अरबों के बीच हुए। इनके लिए निम्नलिखित परिस्थितियाँ उत्तरदायी थीं –
1. ईसाइयों के लिए फिलिस्तीन ‘पवित्र भूमि’ थी। इसका कारण था कि उनके अधिकतर धार्मिक स्थल यही स्थित थे। यहाँ स्थित जेरूसलतम को ईसा के क्रूसीकरण तथा पुनः जीवित होने का स्थान माना जाता थ। इस स्थान को 638 ई. में अरबों ने जीत लिया था। इसलिए यरोपीय ईसाइयों तथा मुस्लिम जगत के बीच शत्रुता थी।

2. ग्यारहवीं शताब्दी में पश्चिमी यूरोप के सामाजिक तथा आर्थिक संगठनों में भी परिवर्तन हो गया था। इससे ईसाई जगत् और इस्लामी जगत् के बीच शत्रुता और अधिक बढ़ गई।

3. पादरी और योद्धा वर्ग राजनीतिक स्थिरता के लिए प्रयत्नशील थे।

4. ईश्वरीय शांति आंदोलन ने सामंती राज्यों के बीच सैनिक मुठभेड़ की संभावनाओं को समाप्त कर दिया था। अब सामंती समाज की आक्रमणकारी प्रवृत्तियों का रुख ‘ईश्वर के शत्रुओं’ अर्थात् अरबों की ओर हो गया था। इससे एक ऐसा वातावरण तैयार हुआ जिसमें विधर्मियों के विरुद्ध लड़ाई न केवल उचित अपितु प्रशंसनीय मानी जाने लगी।

5. 1092 में बगदाद के सलजुक सुलतान मलिक शाह की मृत्यु के पश्चात् उसके साम्राज्य का विघटन हो गया। इससे बाइजेंटाइन सम्राट् एलेक्सियस प्रथम को एशिया माइनर और उत्तरी सीरिया को फिर से हथियाने का अवसर मिल गया। 1095 में पोप अर्बन द्वितीय ने बाइजेंटाइन सम्राट् के साथ मिलकर पवित्रभूमि (होली लैंड) को मुक्त कराने के लिए ईश्वर के नाम पर युद्ध का आह्वान किया।

अतः 1095 और 1291 के बीच पश्चिमी यूरोप के ईसाइयों ने पूर्वी भूमध्य सागर के तटवर्ती मैदानों में मुस्लिम शहरों के विरुद्ध युद्धों की योजना बनाई। परिणामस्वरूप लगातार अनेक युद्ध लड़े गए । इन युद्धों को बाद में ‘धर्मयुद्ध’ का नाम दिया गया।

प्रश्न 4.
प्रथम तीन धर्मयुद्धों की जानकारी दीजिए और उनके प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
धर्मयुद्ध 1095 से 1291 ई. में ईसाइयों तथा मुसलमानों के बीच हुए। इन युद्धों तथा उनके प्रभावों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –
1. प्रथम युद्ध – धर्मयुद्ध (1098-1099) में फ्रांस और इटली के सैनिकों ने सीरिया में एंटीओक तथा जेरूसलम पर अधिकार कर लिया। जेरूसलम में मुसलमानों और यहूदियों की निर्मम हत्याएँ की गई। शीघ्र ही उन्होंने सीरिया-फिलिस्तीन के क्षेत्र में धर्मयुद्ध द्वारा जीते गए चार राज्य स्थापित कर लिए। इन क्षेत्रों को सामूहिक रूप से ‘आउटरैमर’ कहा जाता था। बाद के धर्मयुद्ध इसकी रक्षा और विस्तार के लिए लड़े गए।

2. दूसरा धर्मयुद्ध – आउटरैमर प्रदेश कुछ समय तक सुरक्षित रहा। परंतु 1144 में तुर्को ने एडेस्सा पर अधिकार कर लिया। अत: पोप में ईसाई लाडों से एक अन्य धर्मयुद्ध (11451149) के लिए अपील की। एक जर्मन आर फ्रांसीसी सेना ने दमिश्क पर अधिकार करने का प्रयास किया। परंतु उसे पराजय का मुँह देखना पड़ा। इसके बाद ‘आउटरैमर’ की शक्ति धीरे-धीरे क्षीण होता गई और ईसाईयों में धर्मयुद्ध का जोश अब समाप्त हो गया। अब ईसाई शासकों ने विलासिता से जीना और नए-नए प्रदेशों के लिए लड़ाई करना शुरू कर दिया।

इस बीच सलाह अल-दीन ने एक मिनी-सीरियाई साम्राज्य स्थापित किया और ईसाइयों के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया। 1187 में ईसाई पराजित हुए। जेरूसलम पर फिर से मुसलमानों का अधिकार हो गया। परंतु ईसाई लोगों के साथ सलाह अल-दीन ने दयापूर्ण व्यवहार किया और द चर्च ऑफ दि होली सेपलकरे की अभिरक्षा का काम ईसाईयों को सौंप दिया । फिर भी बहुत-से गिरजाघरों को मस्जिदों में बदल दिया गया। इस प्रकार जेरुसलम एक बार फिर मुस्लिम शहर बन गया।

3. तीसरा धर्मयुद्ध – जेरूसलम के छिन जाने से 1189 ने तीसरे धर्मयुद्ध को जन्म दिया परंतु धर्मयुद्ध करने वाले फिलिस्तीन में कुछ तटवर्ती शहरों तथा ईसाई तीर्थ-यात्रियों के लिए जेरूसलम में स्वतंत्र प्रवेश के अतिरिक्त कुछ प्राप्त नहीं कर सके। अंतत: 1291 में मिस्र के मामलूक शासकों ने धर्मयुद्ध करने वाले सभी ईसाईयों को समूचे फिलिस्तीन से बाहर निकाल दिया।

प्रभाव – इन युद्धों ने ईसाई-मुस्लिम संबंधों के दो पहलुओं पर स्थायी प्रभाव छोड़ा।

  • प्रथम मुस्लिम राज्यों ने अपनी ईसाई प्रजा के प्रति कठोर नीति अपनानी आरंभ कर दी।
  • दूसरे, पूर्व और पश्चिम के बीच व्यापार में इटली के व्यापारिक समुदायों का प्रभाव बढ़ गया।

प्रश्न 5.
मध्यकालीन इस्लामी जगत् में शहरीकरण की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
मध्यकालीन इस्लामी जगत् में शहरों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई। परिणामस्वरूप इस्लामी सभ्यता फली फूली। अनेक नए शहरों की स्थापना की गई। इनका उद्देश्य मुख्य रूप से अरब सैनिकों (जुड) को बसाना था। इस श्रेणी के फौजी शहरों में इराक में कूफा और बसरा, मिस्र में फुस्तात तथा काहिरा थे। इन शहरों के अतिरिक्त बगदाद, दमिश्क, इस्फहान और समरकंद जैसे कुछ पुराने शहर थे। इन शहरों को भी नया जीवन मिला। बगदाद की जनसंख्या में तो बड़ी तेजी से वृद्धि हुई।

शहरों के विकास एवं विस्तार के लिए खाद्यान्नों और चीनी के उत्पादन में वृद्धि की गई। उद्योगों के लिए कच्चे माल का उत्पादन भी बढ़ाया गया। इससे शहरों के आकार और जनसंख्या में बढ़ोतरी हुई। फलस्वरूप संपूर्ण क्षेत्र में शहरों का एक विशाल जाल विकसित हो गया। एक शहर दूसरे शहर से जुड़ गया और उनमें परस्पर संपर्क एवं कारोबार बढ़ गया।

दो भवन – समूह-शहर के केंद्र में दो भवन-समूह होते थे, जहाँ से सांस्कृतिक और आर्थिक शक्ति का संचालन होता था।

मस्जिद – एक भवन-समूह मस्जिद (मस्जिद अल-जामी) होती थी। इसमें सामूहिक नमाज पढ़ी जाती थी। यह इतनी बड़ी होती थी कि दूर से दिखाई देती थी।

केंद्रीय मंडी – दूसरा भवन-समूह केंद्रीय मंडी (सुक्र) था। इसमें दुकानों की कतारें, व्यापारियों के आवास (फंदुक) और शर्राफ का कार्यालय होता था। इसके अतिरिक्त इस भाग में शहर के प्रशासकों और विद्वानों एवं व्यापारियों (तुज्जर) के घर होते थे जो केंद्र के निकट बने होत थे। सामान्य नागरिकों और सैनिकों के आवास शहर के बाहरी घेरे में होते थे। मंडी की प्रत्येक इकाई की अपनी मस्जिद, अथवा सिनेगोग (यहूदी प्रार्थनाघर), छोटी मंडी, सार्वजनिक स्नानघर (हमाम) तथा एक महत्वपूर्ण सभा-स्थल होता था।

शहर के बाहरी इलाकों में शहरी गरीबों के मकान, हरी सब्जियों और फलों के बाजार, काफिलों के ठिकानों, चमड़ा साफ करने या रंगने की दुकानें और कसाई की दुकानें होती थीं। शहर की चारदीवारी के बाहर कब्रिस्तान और सराय होते थे। सराय में लोग उस समय आराम कर सकते थे जब शहर के दरवाजे बंद कर दिये जाते थे। शहरों के नक्शे-परिदृश्य, राजनीतिक परंपराओं और ऐतिहासिक घटनाओं के आधार पर अलग-अलग होते थे।

प्रश्न 6.
मध्यकालीन इस्लामी जगत् में वास्तुकला के विकास का विवरण दीजिए।
उत्तर:
(a) दसवीं शताब्दी तक इस्लामी जगत् ने एक ऐगा रूप धारण कर लिया जिसने अपनी वास्तुकला द्वारा अपनी स्पष्ट पहचान बना ली थी। इस काल में अरब जगत् में अनेक मस्जिद, महल तथा मकबरे बनाए गए। इनकी विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार है –

1. मस्जिद – इस दुनिया की सबसे बड़ी बाहरी धार्मिक प्रतीक इमारत मस्जिद थी। स्पेन से लेकर मध्य एशिया तक फैली मस्जिदों, इबादतगाहों और मकबरे का मूल रूप एक जैसा ही था। इनकी मुख्य विशेषताएँ थीं-मेहराबें, गुबंद, मीनार और खुले सहन (प्रांगण)। ये इमारतें मुसलमानों की धार्मिक तथा व्यावहारिक आवश्यकताओं को पूरा करती थीं। इस्लाम की पहली शताब्दी में मस्जिद ने एक विशेष वास्तुशिल्प का रूप धारण कर लिया था।

2. मस्जिद में एक खुला प्रांगण होता था। इस प्रांगण में एक फव्वारा अथवा जलाशय बनाया जाता था। यह प्रांगण एक बड़े कमरे की ओर खुलता था जिसमें प्रार्थना करने वाले लोगों तथा प्रार्थना (नमाज) का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति (इमाम) के लिए पर्याप्त स्थान होता था।

3. बड़े कमरे की दो विशेषताएँ थीं – दीवार में एक मेहराब जो मक्का (काबा) की दिशा का संकेत देती थी तथा एक मंच जहाँ से शुक्रवार को दोपहर की नमाज के समय प्रवचन दिए जाते थे। इमारत में एक मीनार जुड़ी होती थी। इसका प्रयोग नियत समय पर नमाज के लिए लोगों को बुलाने के लिए किया जाता था। मीनार नए धर्म के अस्तित्व का प्रतीक थी। शहरों और गाँवों में लोग समय का अनुमान पाँच दैनिक नमाजों की सहायता से लगाते थे। मस्जिद की ये विशेषताएँ आज भी विद्यमान हैं।

4. मस्जिद के केंद्रीय प्रांगण के चारों ओर बनी इमारतों के निर्माण का स्वरूप न केवल मकबरों में बल्कि सरायों, अस्पतालों और महलों में भी पाया जाता था।

(b) महल –
1. उमय्यदों ने नखलिस्तानों में ‘मरुस्थली महल’ बनाए । इनमे फिलिस्तीन में खिरवत अलफजर और जोर्डन में कुसाईर अमरा शामिल थे। ये महल विलासपूर्ण निवास स्थान और शिकार एवं मनोरंजन के लिए विश्राम स्थल का काम देते थे। महलों को चित्रों, प्रतिमाओं और भव्य पच्चीकारी से सजाया जाता था।

2. अब्बासियों ने समरा में बागों और बहते हुए पानी के बीच एक नया शाही शहर बनाया। इसका उल्लेख खलीफा हारून-अल-रशीद से जुड़ी कहानियों और आख्यानों में मिलता है।

3. अब्बासियों ने बगदाद में तथा फातिमियों ने काहिरा में भी महल बनवाए। परंतु ये महल लुप्त हो गए हैं।

प्रश्न 7.
इस्लाम धर्म की स्थापना कब हुई? इसका अरब समाज पर क्या प्रभाव पड़ा? अथवा, इस्लाम धर्म के धार्मिक विश्वास क्या थे?
उत्तर:
इस्लाम धर्म की स्थापना लगभग 612 ई. में पैगंबर मुहम्मद ने की। इस वर्ष में उन्होंने स्वयं को खुदा का संदेशवाहक (रसूल) घोषित किया। उन्होंने एक नये धर्म सिद्धात का प्रचार किया। इस सिद्धांत को स्वीकार करने वाले लोग मुसलमान अथवा मुस्लिम कहलाए। ये सभी लोग एक ऐसे समाज का अंग थे जिसे उम्मा कहा जाता है।

इस्लाम धर्म के धार्मिक विश्वास-इस्लाम धर्म के धार्मिक विश्वास उनकी पवित्र पुस्तक ‘कुरान शरीफ’ में दिये गए हैं। इनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –

  1. केवल अल्लाह की ही पूजा की जानी चाहिए।
  2. मनुष्य को कयामत के दिन (मृत्यु के समय) अपने कर्मों का फल अवश्य मिलेगा।
  3. प्रत्येक मुसलमान को इन पाँच सिद्धांत का पालन करना चाहिए –
    (i) अल्लाह ही एकमात्र ईश्वर है और मुहम्मद उसका पैगंबर है।
    (ii) उसे प्रतिदिन पाँच बार नमाज पढ़नी चाहिए।
    (iii) उसे निर्धनों को दान देना चाहिए।
    (iv) उसे रमजान के महीने में रोजे रखने चाहिए।
    (v) उसे जीवन में एक बार मक्का की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।
  4. किसी मुसलमान को मूर्ति-पूजा नहीं करनी चाहिए।
  5. उसे ब्याज की कमाई नहीं खानी चाहिए और चोरी नहीं करनी चाहिए।
  6. उसे विवाह और तलाक के निर्धारित नियमों का पालन करना चाहिए।
  7. उसे मनुष्य मात्र की समानता में विश्वास रखना चाहिए।
  8. उसे उदार तथा सद्गुणों से परिपूर्ण होना चाहिए।
  9. उसे कुरान को पवित्र ग्रंथ मानना चाहिए।

प्रश्न 8.
पैगंबर मुहम्मद के अधीन इस्लामी राज्य तथा समाज के मुख्य पहलुओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पैगंबर मुहम्मद ने मदीना में एक राजनैतिक व्यवस्था की स्थापना की थी जिसने उनके अनुयायियों को सुरक्षा प्रदान की। उन्होंने शहर में चल रही कलह को भी सुलझाया। उम्मा को एक बड़े समुदायों के रूप में बदला गया, ताकि मदीना के बहुदेववादियों और यहदियों को पैगंबर मुहम्मद के राजनैतिक नेतृत्व के अधीन लाया जा सके। पैगंबर ने कर्मकांडों (उपवास आदि) तथा नैतिक सिद्धांत में वृद्धि की और उन्हें परिष्कृत किया। इस प्रकार उन्होंने धर्म को अपने अनुयायियों के लिए मजबूत बनाया।

इस्लामी राज्य का विस्तार-आरंभ में मुस्लिम कृषि एवं व्यापार से प्राप्त होने वाले राजस्व तथा खैरात-कर (जकात) पर जीवित रहा। इसके अतिरिक्त मुसलमान मक्का के काफिलों और निकट के नखलिस्तानों पर छापे भी मारते थे। कुछ समय बाद मक्का पर मुसलमानों का अधिकार हो गया। इसके फलस्वरूप एक धार्मिक प्रचारक तथा राजनैतिक नेता के रूप में पैगंबर मुहम्मद की प्रतिष्ठा दूर-दूर तक फैल गई। पैगंबर मुहम्मद की उपलब्धियों से प्रभावित होकर, बहुत-से कबीलों, मुख्य रूप से बहुओं ने अपना धर्म बदलकर इस्लाम को अपना लिया और मुस्लिम समाज में शामिल हो गए।

इस प्रकार पैगंबर मुहम्मद द्वारा बनाए गए गठजोड़ का प्रसार समूचे अरब देश में हो गया । मदीना उभरते हुए इस्लामी राज्य की प्रशासनिक राजधानी बना और मक्का उसका धार्मिक केंद्र बन गया । काबा से बुतों को हटा दिया गया था। मुस्लिमों के लिए यह जरूरी था कि वे काबा की ओर मुंह करके प्रार्थना करें। मुहम्मद साहिब थोड़े ही समय में अरब प्रदेश के बहुत बड़े भाग को एक नए धर्म, समुदाय एवं राज्य के अंतर्गत लाने में सफल रहे। उनके द्वारा स्थापित इस्लामी राज्य व्यवस्था काफी लंबे समय तक अरब कबीलों और कलों का राज्य संघ बनी रही।

प्रश्न 9.
‘अब्बासी क्रांति’ से क्या अभिप्राय है? उमय्यद वंश के पतन तथा अब्बसी वंश की स्थापना के संदर्भ में इसकी जानकारी दीजिए।
उत्तर:
उमय्यद वंश को मुस्लिम राजनैतिक व्यवस्था के केंद्रीयकरण के लिए भारी मूल्य चूकाना पड़ा। ‘दवा’ नामक एक सुनियोजित आंदोलन के उमय्यद वंश को उखाड़ फेंका। 750 में उमय्यद वंश का स्थान अब्बासी वंश ने ले लिया। इसे अब्बासी क्रांति का नाम दिया जाता है अब्बासियों ने उमय्यद शासन को दुष्ट बताया और यह दावा किया कि वे पैगबर मुहम्मद के मूल इस्लाम की फिर से स्थापना करेंगे।

अब्बासी विद्रोह तथा उमय्यद का पतन-अब्बासियों का विद्रोह पूर्वी ईरान में स्थित खुरासान में प्रारंभ हुआ। यहाँ पर अरब-ईरानियों की मिली-जुली संस्कृति थी। यहाँ पर अरब सैनिक मुख्यतः इराक से आए थे। उन्हें सीरियाई लोगों का प्रभुत्व पसंद नहीं था। खुरासान के अरब नागरिक भी उमय्यद शासन में घृणा करते थे। इसका कारण यह कि उमय्यदों ने करों में छूट देने और विशेषाधिकार देने के जो वायदे किए थे, वे पूरे नहीं किए थे।

दूसरी ओर वहाँ के ईरानी मुसलमानों को जातीय चेतना से ग्रस्त अरबों के तिरस्कार का शिकार होना पड़ा था। अत: उमय्यदों को बाहर निकालने के वे किसी भी अभियान में शामिल होने के लिए तैयार थे। अब्बासी क्रांति की सफलता-अब्बासी पैगंबर के चाचा अब्बास के वंशज थे।

उन्होंने विभिन्न अरब समूहों को यह आश्वासन दिया कि पैगंबर के परिवार का कोई मसीहा (महदी) उन्हें उमय्यदों के दमनकारी शासन से मुक्त कराएगा। इस प्रकार उन्होंने सत्ता प्राप्त करने के अपने प्रयास को वैध ठहराया। उसकी सेना का नेतृत्व एक ईरानी दास अबू मुस्लिम ने किया। उसने अंतिम उमय्यद खलीफा मारवान को ‘जब’ नदी पर हुई लड़ाई में हराया। इस प्रकार उमय्यद वंश का अंत हो गया और अब्बासी क्रांति सफल रही।

प्रश्न 10.
मध्यकालीन मुस्लिम साम्राज्य के व्यापार एवं वाणिज्य की जानकारी देते हुए यह बताइए कि इसका मुद्रा के प्रसार पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
मध्यकालीन मुस्लिम साम्राज्य का विस्तार हिंद महासागर और भूमध्यसागर के व्यापारियों क्षेत्रों के बीच था। पाँच शताब्दियों तक चीन, भारत और यूरोप के समुद्री व्यापार पर अरब तथा ईरानी व्यापारियों का एकाधिकार रहा। व्यापार मार्ग-व्यापार दो मुख्य मार्गों लाल सागर और फारस की खाड़ी से होता था। लंबी दूरी के व्यापार के लिए मसालों, कपड़े, चीनी मिट्टी की चीजों तथा बारूद को भारत और चीन से लाल सागर (अदन और ऐधाब तक) तथा फारस की खाड़ी के पत्तनों (सिराफ और बसरा) तक जहाजों द्वारा लाया जाता था।

यहाँ से माल को ऊँटों के काफिलों द्वारा बगदाद दमिश्क और लेप्पो के भंडारगृहों तक स्थानीय खपत अथवा आगे भेजने के लिए भेजा जाता था। हज की यात्रा के समय मक्का के रास्ते से गुजरने वाले काफिलों का आकार बड़ा हो जाता था। व्यापारिक मार्गों के भूमध्य सागर के सिरे पर सिकंदरिया के पत्तन से यूरोप को किए जाने वाला निर्यात यहूदी व्यापारियों के हाथ में था। उनमें से कुछ भारत के साथ सीधे व्यापार करते थे। चौथी शताब्दी में व्यापार एवं शक्ति के केंद्र के रूप में काहिरा के उभरने तथा इटली के व्यापारिक शहरों में पूर्वी सिरे पर माल की बढ़ती हुई माँग के कारण लाल सागर के मार्ग का महत्त्व बहुत अधिक बढ़ गया।

पूर्वी सिरे पर ईरानी व्यापारी मध्य एशियाई और चीनी वस्तुएँ लाने के लिए बगदाद से बुखारा तथा समरकंद (तूरान) होते हुए रेशम मार्ग से चीन जाते थे। तूरान भी वाणिज्यिक तंत्र में एक महत्त्वपूर्ण कड़ी था। यह तंत्र फर और स्लाब गुलामों के व्यापार के लिए उत्तर में रूस और स्केंडीनेविया तक फैला हुआ था। यहाँ के बाजारों में खलीफाओं और सुल्तानों के दरबार के लिए दास-दासियाँ खरीदी जाती थीं।

मुद्रा का प्रसार-राजकोषीय प्रणाली और बाजार के लेन-देन से इस्लामी देशों में धन के महत्त्व में वृद्धि के फलस्वरूप मुद्रा का प्रसार बढ़ गया। सोने, चाँदी और ताँबे (फुलस) के सिक्के बड़ी संख्या में बनाए जाने लगे। वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य चुकाने के लिए इन्हें प्राय: सर्राफों द्वारा सीलबंद थैलों में भेजा जाता था। सोना अफ्रीका (सूदान) से और चाँदी मध्य एशिया से आती थी।

बहुमूल्य धातुएँ और सिक्के पूर्वी व्यापार की वस्तुओं के बदले यूरोप से भी आते थे। धन की बढ़ती हुई माँग से लोगों के सचित भंडारों और बेकार संपत्ति का भी उपयोग होने लगा। उधार का कारोबार भी मुद्राओं के साथ जुड़ गया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
पैगम्बर मुहम्मद ने प्रथम सार्वजनिक उपदेश कब दिये?
(क) 610
(ख) 612
(ग) 622
(घ) 627
उत्तर:
(ख) 612

प्रश्न 2.
उम्मयद खिलाफत वंश की स्थापना किसने की?
(क) मुआविया
(ख) याजीद
(ग) उस्मान
(घ) वालीद
उत्तर:
(क) मुआविया

प्रश्न 3.
मुस्लिम कानून के किस शाखा को सर्वाधिक रूढ़िवादी माना गया है?
(क) मलिकी
(ख) हनफी
(ग) शफीई
(घ) हनबली
उत्तर:
(घ) हनबली

प्रश्न 4.
किस सूफी संत ने फना के सिद्धांत दिये?
(क) वयाजिद विस्तामी
(ख) रबिया
(ग) बहाउद्दीन जकारिया
(घ) सलीम चिश्ती
उत्तर:
(क) वयाजिद विस्तामी

प्रश्न 5.
मुरुज अल-धाहाब की रचना किसने की?
(क) मसूदी
(ख) ताबरी
(ग) अलबेरूनी
(घ) बालाधुरी
उत्तर:
(क) मसूदी

प्रश्न 6.
इरान में इल-खानी राज्य की स्थापना किसने की?
(क) कुबलई खाँ
(ख) हजनू खाँ
(ग) मौके खान
(घ) चगताई खाँ
उत्तर:
(ख) हजनू खाँ

प्रश्न 7.
1095 से 1291 तक के धर्मयुद्ध (क्रुसेड) किन दो संप्रदायों के मध्य हुए?
(क) ईसाई एवं यहूदी
(ख) यहूदी एवं अरब
(ग) ईसाई एवं मुसलमान
(घ) मुसलमान एवं मंगाले
उत्तर:
(ग) ईसाई एवं मुसलमान

प्रश्न 8.
समानी वंश का संबंध किस देश से था?
(क) इरान
(ख) तुर्की
(ग) रूस
(घ) इटली
उत्तर:
(क) इरान

प्रश्न 9.
‘डोम ऑफ द रॉक’ नामक मस्जिद कहाँ पर स्थित है?
(क) बसरा
(ख) दमिश्क
(ग) जेरूसलम
(घ) समरकंद
उत्तर:
(ग) जेरूसलम

प्रश्न 10.
अब्बासी क्रांति कब हुई?
(क) 712 ई.
(ख) 750 ई.
(ग) 786 ई.
(घ) 802 ई.
उत्तर:
(ख) 750 ई.

प्रश्न 11.
पैगम्बर का प्रतिनिधि क्या कहलाता था?
(क) ताजा
(ख) उम्मा
(ग) अमीर
(घ) खलीफा
उत्तर:
(घ) खलीफा

प्रश्न 12.
दास प्रजनन क्या है?
(क) गुलामों की संख्या बढ़ाने की प्रथा
(ख) वेतनभोगी दासों की श्रेणी
(ग) दासता से स्वतंत्र होने की प्रथा
(घ) अभिजात्य वर्ग द्वारा दासों की स्त्रियों
उत्तर:
(क) गुलामों की संख्या बढ़ाने की प्रथा

प्रश्न 13.
मुसलमानों का प्रथम खलीफा कौन था?
(क) उमर
(ख) अब्बासी
(ग) अबू बकर
(घ) अक्त-महदी
उत्तर:
(ग) अबू बकर

प्रश्न 14.
मामलूक किसे कहा जाता था?
(क) खलीफा
(ख) तुर्क शासक
(ग) तुर्की गुलाम अधिकारी
(घ) ईरानी मुसलमान
उत्तर:
(ग) तुर्की गुलाम अधिकारी

प्रश्न 15.
शर्लमेन कौन था?
(क) फ्रांस का शासक
(ख) इंगलैंड का शासक
(ग) इटली का शासक
(घ) स्पेन का शासक
उत्तर:
(क) फ्रांस का शासक

प्रश्न 16.
इस्लाम के संस्थापक पैगम्बर मुहम्मद साहब का जन्म कब हुआ था?
(क) 570 ई.
(ख) 622 ई.
(ग) 612 ई.
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) 570 ई.

प्रश्न 17.
पैगम्बर मुहम्मद साहब का जन्म किस स्थान पर हुआ था?
(क) मदीना
(ख) मक्का
(ग) बगदाद
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) मक्का

प्रश्न 18.
पैगम्बर मुहम्मद साहब को ‘सत्य के दिव्य दर्शन’ किस आयु में हुए थे?
(क) 30 वर्ष की आयु में
(ख) 35 वर्ष की आयु में
(ग) 40 वर्ष की आयु में
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) 40 वर्ष की आयु में

प्रश्न 19.
मक्का से मदीना को पैगम्बर साहब का प्रस्थान क्या कहलाता है?
(क) हिजरा
(ख) आवागमन
(ग) तीर्थयात्रा
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) हिजरा

प्रश्न 20.
मुस्लिम पंचांग का प्रथम वर्ष माना जाता है …………………..
(क) सन् 612 ई.
(ख) सन् 570 ई.
(ग) सन् 622 ई.
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) सन् 622 ई.

प्रश्न 21.
मुसलमानों का पवित्र धर्म ग्रंथ कहलाता है ………………….
(क) कुरान
(ख) उपदेश
(ग) (क) एवं (ख) दोनों
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) कुरान

प्रश्न 22.
पैमगम्बर मुहम्मद साहब की मृत्यु हुई ………………….
(क) 620 ई.
(ख) 632 ई.
(ग) 640 ई.
(घ) 650 ई.
उत्तर:
(ख) 632 ई.

प्रश्न 23.
इस्लामिक कॉलेज (अल-अजहर) कहाँ स्थित था?
(क) मक्का में
(ख) मदीना में
(ग) काहिरा में
(घ) बसरा में
उत्तर:
(ग) काहिरा में

प्रश्न 24.
पहले खलीफा कौन थे?
(क) अबू बकर
(ख) उथमान
(ग) अली
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) अबू बकर

प्रश्न 25.
द्वितीय खलीफा कौन थे?
(क) अली
(ख) उमर
(ग) खलीफा
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) उमर

प्रश्न 26.
तीसरे खलीफा कौन थे?
(क) उथमान
(ख) उम्मयद
(ग) अब्बसिद
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) उथमान

प्रश्न 27.
चौथे खलीफा कौन थे?
(क) अमीर
(ख) अली
(ग) अशरफ
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) अली

प्रश्न 28.
657 ई. की प्रसिद्ध ऊँट की लड़ाई में अली ने किसे परास्त किया?
(क) उस्मान
(ख) मुआविया
(ग) आयशा
(घ) याजीद
उत्तर:
(ग) आयशा

प्रश्न 29.
जजिया किनसे लिया जाता था?
(क) हिन्दू
(ख) गैरमुसलमान
(ग) मुसलमान
(घ) यहूदी
उत्तर:
(ख) गैरमुसलमान

प्रश्न 30.
प्रसिद्ध सूफी महिला संत रबिया कहाँ की रहने वाली थी?
(क) दमिश्क
(ख) मक्का
(ग) वसरा
(घ) इस्तांबुल
उत्तर:
(ग) वसरा

प्रश्न 31.
नई फारसी कविता का जनक किसे कहा जाता है?
(क) अबुनुनास
(ख) उमर खैय्याम
(ग) फिरदौसी
(घ) रूदकी
उत्तर:
(घ) रूदकी