Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 3 कर्मवीर

Bihar Board Class 8 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 3 Chapter 3 कर्मवीर Text Book Questions and Answers, summary.

BSEB Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 3 कर्मवीर

Bihar Board Class 8 Hindi कर्मवीर Text Book Questions and Answers

प्रश्न – अभ्यास

पाठ से

कर्मवीर कविता का प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 8 प्रश्न 1.
कर्मवीर की पहचान क्या है ?
उत्तर:
कर्मवीर विघ्न-बाधाओं से घबड़ाते नहीं। वे भाग्य-भरोसे नहीं रहते । कर्मवीर आज के कार्य को आज ही कर लेते हैं। जैसा सोचते हैं वैसा ही बोलते हैं तथा जैसा बोलते हैं, वैसा ही करते हैं । कर्मवीर अपने समय को व्यर्थ नहीं जाने देते । वे अलसाते भी नहीं। कर्मवीर समय का महत्व सदैव देते हैं। वे परिश्रम करने से जी नहीं चुराते हैं । कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी कठिन कार्य कर दिखाते हैं। कर्मवीर कार्य करने में थकतें नहीं हैं। जिस कार्य को आरम्भ करते उसे पूरा करके ही छोड़ते हैं। उलझनों के बीच भी वे उत्साहित दिखते हैं।

कर्मवीर की पहचान क्या है उत्तर Bihar Board Class 8 प्रश्न 2.
अपने देश की उन्नति के लिए आप क्या-क्या कीजिएगा?
उत्तर:
अपने दंश की उन्नति के लिए हम कर्मनिष्ठ बनेंगे। समय का महत्व देंगे । मन-वचन कर्म तीनों से एक रहेंगे । कठिन-से-कठिन परिस्थितियों में भी नहीं घबराएँगे। जिस कार्य में हाथ डालेंगे उसे करके ही दम लेंगे। आलस्य कभी नहीं करेंगे और कभी भी अपने कार्य को कल के भरोसे नहीं टालेंगे।

Karmveer Poem Question Answer In Hindi प्रश्न 3.
आप अपने को कर्मवीर कैसे साबित कर सकते हैं ?
उत्तर:
हमें अपने को कर्मवीर साबित करने के लिए कर्तव्यनिष्ठ बनना होगा । समय का महत्व हमें देना होगा। परिश्रमी बनना पड़ेगा तथा आलस्य को त्यागना होगा। मन-वचन और कर्म से एक रहना होगा । उपरोक्त कर्मवीर , के गुणों को अपने में उतारकर हम अपने को कर्मवीर साबित कर सकते हैं। उपरोक्त कर्मवीर के गुणों को अपने में उतारकर हम अपने को कर्मवीर साबित कर सकते हैं।

पाठ से आगे

कर्मवीर कविता के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 8 प्रश्न 1.
परिश्रमी के द्वारा मनोवांछित लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है। कैसे?
उत्तर:
जो परिश्रमी है उसे मनोवांछित लक्ष्य की प्राप्ति अवश्य होती है। । परिश्रमी व्यक्ति कभी आलस्य नहीं दिखाते । अगर परिश्रमी व्यक्ति मन-वचन और कर्म से एक, बना रहे तो कार्य में सफलता अवश्य मिलती है। परिश्रमी व्यक्ति को समय का महत्व समझना चाहिए । इस प्रकार कहा जा सकता है कि कर्मवीर के सारे गुणों को अपना कर परिश्रमी व्यक्ति को कर्मनिष्ठ होना चाहिए जिससे मनोवांछित लक्ष्य की प्राप्ति किया जा सकता है।

Bihar Board Class 8 Hindi Book Solution प्रश्न 2.
कल करें से आज ………………. बहुरि करेगा कब।” से संबंधित अर्थ वाले पंक्तियों को लिखिए।
उत्तर:
उपरोक्त अर्थ वाले पंक्तियाँ हैंआज करना है जिसे करते उसे है आज ही। काम करने की जगह बातें बनाते नहीं।

Karmveer Poem Question Answer Bihar Board प्रश्न 3.
आप किसे अपना आदर्श मानते हैं और क्यों?
उत्तर:
हम अपना आदर्श महात्मा गाँधी को मानते हैं क्योंकि हम सादगी,… सच्चाई और अहिंसा पर विश्वास करते हैं तथा सतत् प्रयत्नशील रहने का प्रयास करते हैं। ये सब आदर्श महात्मा गाँधीजी में मौजूद थे।

व्याकरण

Karamveer Kavita Ka Question Answer Bihar Board प्रश्न 1.
दिये गये शब्दों से विपरीतार्थक शब्द-युग्म बनाइए जैसे-अमीर-गरीब।
उत्तर:

  1. दुःख – सुख
  2. कठिन – आसान
  3. भलाई – बुराई
  4. सुख – दुःख
  5. जनम – मरणं
  6. बुराई – भलाई
  7. सपूत – कपूत
  8. मरन – जनम
  9. कपूत – सपूत
  10. समर्थक – विरोधी
  11. विरोधी – समर्थक
  12. असंभव – संभव
  13. नभ – तल
  14. फूल – शूल
  15. आरंभ – अन्त
  16. बुरा – भला
  17. वीर – कायर
  18. संभव – असंभव
  19. तल – नभ
  20. शुल – फूल
  21. अंत – आदि
  22. भला – बुरा
  23. कायर – वीर।

कर्मवीर कविता का अर्थ Bihar Board Class 8 प्रश्न 2.
सामान्य वाक्य-रेगिस्तान में जल ढूँढ़ना बहुत कठिन है। – मुहावरेदार वाक्य-रेगिस्तान में जल ढूँढना लोहे के चने चबाने की तरह है।
उक्त उदाहरण की तरह निम्नलिखित सामान्य वाक्यों को भी

मुहावरेदार वाक्यों में बदलिए

(क) सामान्य वाक्य-रमेश अपनी माँ का प्यारा लड़का है।
उत्तर:
मुहावरेदार वाक्य-रमेश अपनी माँ का आँखों का तारा है।

(ख) सामान्य वाक्य-पुलिस को देखते ही चोर भाग गए।
उत्तर:
मुहावरेदार वाक्य पुलिस को देखते ही चोर नौ दो ग्यारह हो गये।

कर्मवीर Summary in Hindi

(कर्म के प्रति निष्ठा ही व्यक्ति की सफलता का निर्धारण ………….. निर्माण करते हैं।)

देखकर बाधा …………………….. मिले फूले-फले।

अर्थ – कर्मवीर अनेक बाधाओं और विघ्नों को देखकर भी घबराते नहीं हैं। वे भाग्य के भरोसे रहकर दुःख नहीं भोगते और पछताते भी नहीं। काम कितना ही कठिन हो लेकिन वे उकताते नहीं । भीड़ में चंचल बनकर अपनी वीरता नहीं दिखलाते हैं। उनके एक आन (प्रतिज्ञा) से बुरे दिन भी अच्छे में बदल जाते हैं।

आज करना है जिसे ……………………… वे कर जिसे सकते नहीं॥

अर्थ – कर्मवीर आज का काम आज ही कर लेते हैं। वे जो सोचते हैंवही कहते हैं तथा सोचे-कहे को ही करते भी हैं। ऐसे लोग वही करते हैं जो उनका मन कहता है लेकिन सदैव सबकी बात सुनते हैं ।
वो अपनी मदद स्वयं करते हैं भूलकर भी वे दूसरे से मदद के लिए मुँह नहीं ताकते।

जो कभी अपने समय ……………………. औरों के लिए॥

अर्थ – कर्मवीर अपने समय को व्यर्थ नहीं बिताते काम करने की जगह बातें नहीं बनाते हैं। किसी भी काम को कल के लिए नहीं टालते । वे परिश्रम करने से कभी नहीं जी चुराते हैं। ऐसे कोई काम नहीं जो उनके करने से नहीं होता । वे समाज में उदाहरण स्वयं बन जाते हैं।

चिलचिलाती धूप को …………………………. खोल वे सकते नहीं।

अर्थ – चिलाचलाती धूप भी उनके लिए चाँदनी बन जाती है। काम पड़ने पर वे शेर का भी सामना कर लेते हैं । वे हँस-हँसकर कठिन से कठिन काम – को कर लेते हैं। जो ठान लेते उनके लिए वह कठिन काम नहीं रह जाता ।
लम्बी दूरी तय करने के बाद भी वे थकते नहीं। कौन ऐसी समस्या है जिसे कर्मवीर सुलझा नहीं लेते।

काम को आरम्भ ……………….. उज्जवल रतन ॥

अर्थ – कर्मवीर जिस काम को आरम्भ करते हैं उसे बिना किये हुए नहीं , छोड़ते । जिस काम को करने लगते उससे भूलकर भी मुख नहीं मोड़ते । वे आकाश-सुमन तोड़ने जैसी वृथा बातें नहीं करते । करोड़ों की संपत्ति हो जाये लेकिन वे मन में कभी भी अहंकार नहीं लाते हैं। कर्मवीर के हाथ में कोयला भी हीरा बन जाता है। शीशा को भी चमकीला (शुद्ध) रत्न बना देते हैं।

पर्वतों को काटकर सड़कें …………………….. तार की सारी क्रिया ॥

अर्थ-कर्मवीर पर्वतों को भी काटकर सड़क बना देते हैं। मरुभूमि में भी सैकड़ों नदियाँ बहा देते हैं। समुद्र के गर्भ में भी वे जलयान (जहाज) चला देते हैं। जंगल में भी वे मंगल रचा देते हैं। अकाश-पताल का रहस्य भी उन्होंने बताया। सूक्ष्म से सूक्ष्म क्रिया के बारे में भी उन्होंने ही बतलाया।

स्थल को वे कभी ………………… अपना ठीक करके ही टलें।

अर्थ – कर्मवीर कार्य-स्थल के बारे में नहीं पूछते । किसी भी स्थल पर असम्भव कार्य को सम्भव कर दिखाते हैं। जहाँ उन्हें अधिक उलझनें दिखती वहाँ वे अपने कार्य को और भी अधिक उत्साह से करते हैं। विरोधी उनके कर्म मार्ग में भले ही सैंकड़ों अड़चने डाल दें लेकिन वे अपना कार्य पूरा करके ही निकलते हैं।

सब तरह से आज ……………….. भलाई भी तभी॥

अर्थ – आज सम्पन्न जितने देश हैं जो बुद्धि-विद्या, धन-सम्पदा से परिपूर्ण देश है। उन देशों को सम्पन्न बनाने में कर्मवीरों का ही हाथ है। जिस देश की जितनी उन्नति हुई है उन देशों में उतने ही कर्मवीर हैं। जिस देश में जितने कर्मवीर पैदा लेंगे उतना ही उस देश और समाज की भलाई होगी।

Bihar Board Class 7 English Book Solutions Chapter 1 Sympathy

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BSEB Bihar Board Class 7 English Book Solutions Chapter 1 Sympathy

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Bihar Board Class 7 English Sympathy Text Book Questions and Answers

A. Warmer

The teacher will read out the following text to the learners and discuss the questions that follow:

A thirsty old man is sitting beside the road. He says, ‘water ! water ! water !. Suraj and Ravi are friends. They hear the old man’s cry. Suraj ignores it but Ravi stops near the old man. He takes out his water bottle. He gives the bottle to the thirsty man. The man takes the. bottle and drinks water. He thanks Ravi.

  1. Why does Ravi and top near the thirsty man ?
  2. Why does the man thank Ravi ?
  3. Do you ever feel sorry for a person in grief ?

Answer:

  1. Ravi feels pity for the thirsty old man. He stops near him to give him his own water to drink.
  2. The man thanks Ravi for parting with his own water to quench his thirst.
  3. Yes, I do feel sorry for a person in grief.

B. Let’s Comprehend

B. 1. Think and Tell.

Answer the following questions in word/phrasea/sentence.

Sympathy Poem Questions And Answers Class 7 Bihar Board Question 1.
Who was in sorrow ?
Answer:
The poet was in sorrow.

Sympathy Poem Class 7 Bihar Board Question 2.
What did the proud man give to the poet’?
Answer:
Gold.

Bihar Board Class 7 English Book Solution Question 3.
Who bound the head of the poet in hour of sorrow ?
Answer:
A poor man bound the head of the poet in hour of grief.

Bihar Board Class 7 English Solution In Hindi Question 4.
Which is greater – gold or sympathy ?
Answer:
Sympathy is greater.

B. 2. Think and Write

B. 2. 1. Write ‘T’ for true and ‘F’ for false statements

  1. The proud man watched the poet day and night. [ ]
  2. The proud man’s looks were cold. [ ]
  3. The poet did not return money to the proud man. [ ]
  4. The poor man went away by ignoring the poet. [ ]
  5. The poet was unable to pay back the deeds of a poor man. [ ]
  6. Sympathy cannot be paid back. [ ]

Answer:

  1. False
  2. True
  3. False
  4. False
  5. True
  6. True

B. 2. 2. Answer the following questions in one sentence

Class 7th English Sympathy Question Answer Bihar Board Question 1.
Who did not tell a kind word ?
Answer:
The proud man did not tell a kind word to the poet.

Sympathy Poem In Hindi Class 7 Bihar Board Question 2.
What did the poor man give to the poet to eat ?
Answer:
The poor man gave bread to the poet to eat.

Sympathy Chapter Class 7 Bihar Board Question 3.
What did the poor man do for the poet when he (the poet) lay in want and grief ?
Answer:
The poor man watched night and day and gave bread to eat. He also bound the poet’s head.

B. 2. 3. Answer the following questions in not more than 50 words.

Bihar Board Solution Class 7 English Question 1.
How did the proud man help the poet when he was in deep sorrow you like this way of helping a person in need ?
Answer:
The proud man saw that the poet was in sorrow and deep distressed. He laid in pain and wanted help. The proud man gave him gold but his looks were cold. He didn’t even say a kind word. No, I don’t like this way of helping a person in need.

Bihar Board Class 7 English Solutions Question 2.
Sympathy can not be compared with gold. Explain.
Answer:
Sympathy can never be compared with gold. No doubt, gold is precious but it is less precious than sympathy. Sympathy is a heaven’s gift. Gold can be purchased, it can be sold. It can be paid back. But heavenly sympathy can’t be paid back. It is-greater than gold.

Sympathy Poem Questions And Answers Bihar Board Question 3.
Have you ever shown sympathy to any one ? If yes,
give details.
Answer:
Yes, Whenever I see anyone in sorrow I feel pity. Then, I try to show my sympathy for him by helping him or her. Once, a friend of mine was crying alone. He was unable to pay his school fees. I asked him to take the money of mine which I had saved as my pocket money. When he paid his fees from my money,! really felt very happy.

C. Word Study

C. 1. Match the words in Column ‘ A’ with their meanings given in Column ‘B’.

Bihar Board Class 7 English Solution

Answer:

Sympathy Class 7th English Bihar Board

C. 2. Look at the rhyming words given below:

  1. gold – cold
  2. heard. – word

Now think of more rhyming words to fill in the blanks given below:

  1. way – clay
  2. gray – pray
  3. pain – lane
  4. air – care
  5. look – nook
  6. slow – flow
  7. bed – led
  8. man – pan
  9. sun – bun

D. Let’s Talk

Talk in pairs about the value of Sympathy.
Do yourself.

E. Composition

Question 1.
Write five sentences on’Sympathy’.
Answer:
Feeling pity and tenderness for others is sympathy. It is a heavenly feeling. Nothing can be compared to it. The heart that possess sympathy is praised by all and loved by God. Sympathy is the most precious and beautiful feeling on the earth.

F. Translation (अनुवाद) 

Translate the following stanza into Hindi

Question 1.
“How shall I pay him back ,
For ail he did to me ?
Oh, gold is great,
but greater far Is heavenly sympathy.”
Answer:
“कैसे मैं उसे वापस कर पाऊंगा ।
वह सब जो उसने किया मेरे लिये ?
आह, सोना कीमती है, किन्तु
अनमोल है सुखद सहानुभूति ।

G. Activity (गतिविधि)

Question 1.
With the help of the teacher, have a discussion in you class on the significance of providing help to . those who need it. Make a list of the learners who are willing to help. Make a team of such learners and also elect a leader of the team.
Do yourself.

Question 2.
Look at the picture carefully and describe the situation in your own words.
Answer:
Ravi and Suraj saw an old man sitting by the road side. Ravi feels sympathy for the old man who was thirsty and cried for water. Ravi gave the old man his own water to drink. So. looked at this scene surprisingly.

Sympathy Summary in English

‘Sympathy’ is a heart touching nice piece of poetry. The poem is written by the great poet Charles Mackay. The poet wants to underline in this poem that all the wealths and riches of the world are far mean to sympathy. Sympathy is the best. It is a gift from the Almighty which is the most precious.

Once, the poet was in sorrow. He was helped by gold by a proud rich man who didn’t speak even a nice word to him. The poet’s sorrow passed away and he returned him back the gold he had given to him, with thanks. Then, again the poet once lay in sorrow. This time a poor man served him day and night. He gave him bread and his loving care. The poet felt helpless to pay him back for his heavenly sympathy.

Sympathy Summary in Hindi

‘सिम्पैथी’ दिल को छू लेने वाली एक बेहतरीन कविता है। प्रस्तुत कविता महान कवि चार्ल्स मके द्वारा लिखित है। कवि प्रस्तुत कविता के माध्यम से यह रेखांकित करना चाहता है कि दुनिया की तमाम धन-सम्पदा और ऐश्वर्य भी सहानुभूति के समक्ष तुच्छ है । सहानुभूति श्रेष्ठ है। यह मानव को परमेश्वर द्वारा प्रदत्त सबसे कीमती उपहार है। एक बार कवि दुख में था। उसकी मदद एक अमीर घमंडी व्यक्ति ने स्वर्ण देकर की पर उसके एक भी मीठा वचन न कहा। कवि का दुख बीता

और उसने उसे उसका स्वर्ण सधन्यवाद वापस कर दिया । पुन: एक बार कवि कष्ट में पड़ा था। इस बार एक गरीब व्यक्ति ने उसकी रात-दिन सेवा की, खाने को रोटी दी, उसका सिर प्रेमपूर्वक दबाया। कवि स्वस्थ होने पर उस गरीब व्यक्ति की सेवा और सहानुभूति को वापस चुका पाने में स्वयं को बेहद – असमर्थ महसूस कर रहा था।

Sympathy Hindi Translation of The Chapter

मैं कष्ट में पड़ा था, अत्यंत दुखित हो;
मेरे दु:खी कराहों को एक घमंडी व्यक्ति ने सुना
वह निर्भाव था, उदासीन, उसने मुझे स्वर्ण दिया,
पर, एक भी मीठी बोली नहीं।

मेरा दुख गुजर गया; मैंने लौटा दिया उसे
वह स्वर्ण को दिया था उसने मुझे,
फिर तन के खड़ा हो अपना धन्यवाद दिया उसे,
और उसके दान को धन्यवाद दिया।

मैं मदद को पड़ा था, कष्ट और पीड़ा में;
एक गरीब व्यक्ति मेरी राह से गुजरा,
मेरा सिर दबाकर सेवा किया, खाने को रोटी दी,
रात-दिन उसने मेरी सेवा की,

कैसा चुका पाऊँगा. उसे वापस
जो सब किया उसने मेरे लिये?
आह, स्वर्ण कीमती है, पर उससे भी
कहीं कीमती है स्वर्गिक सहानुभूति ।

Sympathy Glossary

Spake [स्पेक] = बोला | Sorrow [सॉरो] = कष्ट | Pain [पेन] = दर्द, कष्ट | Distressed [डिस्ट्रेस्ड] = दुखी । Heard [हर्ड) = सुना। Erect [इरेक्ट] = सीधा, तनकर । Deep [डीप] = गहरे I Charity [चैरिटी] = दान । Watched [वाच्ड] = देखभाल किया Passed [पास्ड) = गुजारा । Pay back [पे बैक] = लौटाना । Want [वान्ट] = आवश्यकता । Heavenly [हेवेनली] = सुखद | Looks [लुक्स] = भाव, रूप | Sympathy [सिम्पैथी) = सहानुभूति । Way [वे] = रास्ता | Beside the road [बिसाइड द रोड] = सड़क के किनारे । Ignore [इगनोर] = उपेक्षा करना । Grief [ग्रीफ] = दु:ख, क्लेश । Proud [प्राउड] = घमंड | Cold [कोल्ड) =’ उदासीन । Blessed [ब्लेस्ड] = आशीर्वाद दिया । Bound [बाउन्ड] = शरीर की मालिश करना, शरीर दबाना । Thirsty [थस्र्टी] = प्यासा । Back again [बैक अगेन] = वापस चुकाना ।

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Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 1 कड़बक

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 1 कड़बक

 

कड़बक वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ

Kadbak Ka Saransh Bihar Board Class 12th  प्रश्न 1.
जायसी के पिता का नाम था।
(क) शेख ममरेज
(ख) शेख परवेज
(ग) शेख मुहम्मद
(घ) इकबाल
उत्तर-
(क)

Karbak Class 12 Bihar Board प्रश्न 2.
मल्लिक मुहम्मद जायसी का जन्म हुआ था।
(क) 1453 ई. में
(ख) 1445 ई. में
(ग) 1492 ई. में .
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग)

Kadbak Ka Question Answer Bihar Board Class 12th प्रश्न 3.
इनमें से जायसी की कौन-सी रचना है?
(क) छप्पय
(ख) कड़बक
(ग) कवित्त
(घ) पद
उत्तर-
(ख)

कड़बक कविता का अर्थ Bihar Board Class 12th प्रश्न 4.
जायसी का जन्म स्थान था।
(क) बनारस
(ख) दिल्ली
(ग) अजमेरी
(घ) अमेठी
उत्तर-
(घ)

कड़बक शब्द का अर्थ Bihar Board Class 12th प्रश्न 5.
जायसी थे।
(क) धनवान
(ख) बलवान
(ग) फकीर
(घ) विद्वान
उत्तर-
(ग)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

Karbak Kavita Ka Arth Bihar Board Class 12th प्रश्न 1.
कवि बचपन से ही ……….. और स्वभावतः संत थे।
उत्तर-
मृदुभाषी, मनस्वी

Kadbak Class 12 Bihar Board प्रश्न 2.
मल्लिक मुहम्मद जायसी ………. कवि हैं।
उत्तर-
प्रेम की पीर के

कड़बक का अर्थ Bihar Board Class 12th प्रश्न 3.
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, डॉ. माता प्रसाद गुप्त आदि विद्वानों द्वारा ……… नाम से ग्रंथ प्रकाशित हुआ।
उत्तर-
जायसी ग्रंथावली

कड़बक का सारांश Bihar Board Class 12th प्रश्न 4.
किसान होते हुए भी ये सदा ………. का जीवन गुजारे।
उत्तर-
फकीरी

Karbak Kavita Ka Saransh Bihar Board Class 12th प्रश्न 5.
जायसी के उज्जवल अमर कीर्ति का आधार ……. है।
उत्तर-
पद्मावत

कड़बक अति लघु उत्तरीय प्रश्न

Kadbak Ka Saransh In Hindi Bihar Board Class 12th प्रश्न 1.
‘पद्मावत’ के कवि का क्या नाम हैं?
उत्तर-
मलिक मुहम्मद जायसी।

Karbak Poem In Hindi Bihar Board Class 12th प्रश्न 2.
मलिक मुहम्मद जायसी किस शाखा के कवि हैं?
उत्तर-
ज्ञानमार्गी।

Hindi Book Class 12 Bihar Board 100 Marks प्रश्न 3.
‘फूल मरै पै मरै न वासु’ का क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
मनुष्य मर जाता है पर उसका कर्म रहता ही है।

प्रश्न 4.
‘कड़बक’ के कवि हैं :
उत्तर-
जायसी।

कड़बक पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
कवि ने अपनी एक आँख की तुलना दर्पण से क्यों की है?
उत्तर-
कवि ने अपनी एक आँख की तुलना दर्पण से इसलिए की है क्योंकि दर्पण स्वच्छ व निर्मल होता है, उसमें मनुष्य की वैसी ही प्रतिछाया दिखती है जैसा वह वास्तव में होता है। कवि स्वयं को दर्पण के समान स्वच्छ व निर्मल भावों से ओत-प्रोत मानता है। उसके हृदय में जरा-सा भी कृत्रिमता नहीं है। उसके इन निर्मल भावों के कारण ही बड़े-बड़े रूपवान लोग उसके चरण पकड़कर लालसा के साथ उसके मुख की ओर निहारते हैं।

प्रश्न 2.
पहले कड़बक में कलंक, काँच और कंचन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
अपनी कविताओं में कवि जायसी ने कलंक, काँच और कंचन आदि शब्दों का प्रयोग किया है। इन शब्दों की कविता में अपनी अलग-अलग विशेषताएँ हैं। कवि ने इन शब्दों के माध्यम से अपने विचारों को अभिव्यक्ति देने का कार्य किया है।

जिस प्रकार काले धब्बे के कारण चन्द्रमा कलंकित हो गया फिर भी अपनी प्रभा से जग को आलोकित करने का काम करता है। उसकी प्रभा के आगे चन्द्रमा का काला धब्बा ओझल हो जाता है, ठीक उसी प्रकार गुणीजन की कीर्त्तियों के सामने उनके एकाध-दोष लोगों की नजरों से ओझल हो जाते हैं। कंचन शब्द के प्रयोग करने के पीछे कवि की धारणा है कि जिस प्रकार शिव-त्रिशूल द्वारा नष्ट किये जाने पर सुमेरु पर्वत सोने का हो गया ठीक उसी प्रकार सज्जनों की संगति से दुर्जन भी श्रेष्ठ मानव बन जाता है। संपर्क और संसर्ग में ही वह गुण निहित है लेकिन पात्रता भी अनिवार्य है।

यहाँ भी कवि ने गुण-कर्म की विशेषता का वर्णन किया है। ‘काँच’ शब्द की अर्थक्ता भी कवि ने अपनी कविताओं में स्पष्ट करने की चेष्टा की है। बिना घरिया में (सोना गलाने के पात्र को घरिया कहते हैं) गलाए काँच असली स्वर्ण रूप को नहीं प्राप्त कर सकता है ठीक उसी प्रकार इस संसार में किसी मानव को बिना संघर्ष, तपस्या और त्याग के श्रेष्ठमा नहीं प्राप्त हो सकती।

उपरोक्त शब्दों की चर्चा करते हुए कवि ने लोक जगत को यह बताने की चेष्टा की है कि किसी भी जन का अपने लक्ष्य शिखर पर चढ़ने के लिए जीवन रूपी घरिया में स्वयं को तपाना पड़ता है। निखारना पड़ता है। उक्त शब्दों के माध्यम से कवि के कहने का तात्पर्य यह है कि गुणी होने के लिए सतत संघर्ष और साधना की जरूरत है। यही एक माध्यम है जिसके कारण जीवन रूपी सुमेरू, चाँद या कच्चे सोने को असली रूप दिया जा सकता है। गुणवान व्यक्ति सर्वत्र और सर्वकाल में पूजनीय हैं वंदनीय हैं।

कहने का तात्पर्य है कि एक आँख से अंधे होने पर भी जायसी अपनी काव्य प्रतिभा और कृतित्व के बल पर लोक जगत में सदैव आदर पाते रहेंगे।

प्रश्न 3.
पहले कड़बक में व्यंजित जायसी के आत्मविश्वास का परिचय अपने शब्दों में दें।
उत्तर-
महाकवि मलिक मुहम्मद जायसी अपनी कुरूपता और एक आँख से अंधे होने पर शोक प्रकट नहीं करते हैं बल्कि आत्मविश्वास के साथ अपनी काव्य प्रतिभा के बल पर लोकहित की बातें करते हैं। प्राकृतिक प्रतीकों द्वारा जीवन में गुण की महत्ता की विशेषताओं का वर्णन करते हैं।

जिस प्रकार चन्द्रमा काले धब्बे के कारण कलंकित तो हो गया किन्तु अपनी प्रभायुक्त आभा से सारे जग को आलोकित करता है। अत: उसका दोष गुण के आगे ओझल हो जाता है।

जिस प्रकार बिना आम्र में मंजरियों या डाभ के नहीं आने पर सुबास नहीं पैदा होता है, चाहे सागर का खारापन उसके गुणहीनता का द्योतक है। सुमेरू-पर्वत की यश गाथा भी शिव-त्रिशूल के स्पर्श बिना निरर्थक है। घरिया में तपाए बिना सोना में निखार नहीं आता है ठीक उसी प्रकार कवि का जीवन भी नेत्रहीनता के कारण दोष-भाव उत्पन्न तो करता है किन्तु उसकी काव्य-प्रतिभा के आगे सबकुछ गौण पड़ जाता है।

कहने का तात्पर्य यह है कि कवि का नेत्र नक्षत्रों के बीच चमकते शुक्र तारा की तरह है। जिसके काव्य का श्रवण कर सभी जन मोहित हो जाते हैं। जिस प्रकार अथाह गहराई और असीम आकार के कारण समुद्र की महत्ता है। चन्द्रमा अपनी प्रभायुक्त आभा के लिए सुखदायी है। सुमेरू पर्वत शिव-त्रिशूल द्वारा आहत होकर स्वर्णमयी रूप को ग्रहण कर लिया है। आम भी डाभ का रूप पाकर सुवासित और समधुर हो गया है। घरिया में तपकर कच्चा सोना भी चमकते सोने का रूप पा लिया है।

जिस प्रकार दर्पण निर्मल और स्वच्छ होता है-जैसी जिसकी छवि होती है-वैसा ही प्रतिबिम्ब दृष्टिगत होता है। ठीक उसी प्रकार कवि का व्यक्तित्व है। कवि का हृदय स्वच्छ और निर्मल है। उसकी कुरूपता और एक आँख के अंधेपन से कोई प्रभाव नहीं पड़नेवाला। वह अपने लोक मंगलकारी काव्य-सृजनकार सारे जग को मंगलमय बना दिया है। इसी कारण रूपवान भी उसकी प्रशंसा करते हैं और शीश नवाते हैं। उपरोक्त प्रतीकों के माध्यम से कवि ने अपने आत्मविश्वास का सटीकर चित्रण अपनी कविताओं के द्वारा किया है।

प्रश्न 4.
कवि ने किस रूप में स्वयं को याद रखे जाने की इच्छा व्यक्त की है? उनकी इस इच्छा का मर्म बताएँ।
उत्तर-
कवि मलिक मुहम्मद जायसी ने अपनी स्मृति के रक्षार्थ जो इच्छा प्रकट की है, उसका वर्णन अपनी कविताओं में किया है।

कवि का कहना है कि मैंने जान-बूझकर संगीतमय काव्य की रचना की है ताकि इस प्रबंध के रूप में संसार में मेरी स्मृति बरकरार रहे। इस काव्य-कृति में वर्णित प्रगाढ़ प्रेम सर्वथा नयनों की अश्रुधारा से सिंचित है यानि कठिन विरह प्रधान काव्य है।

दूसरे शब्दों में जायसी ने उस कारण का उल्लेख किया है जिससे प्रेरित होकर उन्होंने लौकिक कथा का आध्यात्मिक विरह और कठोर सूफी साधना के सिद्धान्तों से परिपुष्ट किया है। इसका , कारण उनकी लोकैषणा है। उनकी हार्दिक इच्छा है कि संसार में उनकी मृत्यु के बाद उनकी कीत्ती नष्ट न हो। अगर वह केवल लौकिक कथा-मात्र लिखते तो उससे उनकी कार्ति चिर स्थायी नहीं होती। अपनी कीर्ति चिर स्थायी करने के लिए ही उन्होंने पद्मावती की लौकिक कथा को सूफी साधना का आध्यात्मिक पृष्ठभूमि पर प्रतिष्ठित किया है। लोकैषणा भी मनुष्य की सबसे प्रमुख वृत्ति है।

प्रश्न 5.
भाव स्पष्ट करें-जौं लहि अंबहि डांभ न होई। तौ लहि सुगंध बसाई न सोई॥
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ कड़बक (1) से उद्धृत की गयी है। इस कविता के रचयिता मलिक मुहम्मद जायसी हैं। इन पंक्तियों के द्वारा कवि ने अपने विचारों को प्रकट करने का काम किया है। जिस प्रकार आम में नुकीली डाभे (कोयली) नहीं निकलती तबतक उसमें सुगंध नहीं आता यानि आम में सुगन्ध आने के लिए डाभ युक्त मंजरियों का निकलना जरूरी है। डाभ के कारण आम की खुशबू बढ़ जाती है, ठीक उसी प्रकार गुण के बल पर व्यक्ति समाज में आदर पाने का हकदार बन जाता है। उसकी गुणवत्ता उसके व्यक्तित्व में निखार ला देती है।

काव्य शास्त्रीय प्रयोग की दृष्टि से यहाँ पर अत्यन्त तिरस्कृत वाक्यगत वाच्य ध्वनि है। यह ध्वनि प्रयोजनवती लक्षण का आधार लेकर खड़ी होती है। इसमें वाच्यार्थ का सर्वथा त्याग रहता है और एक दूसरा ही अर्थ निकलता है।।

इन पंक्तियों का दूसरा विशेष अर्थ है कि जबतक पुरुष में दोष नहीं होता तबतक उसमें गरिमा नहीं आती है। डाभ-मंजरी आने से पहले आम के वृक्ष में नुकीले टोंसे निकल आते हैं।

प्रश्न 6.
‘रकत कै लेई’ का क्या अर्थ है?
उत्तर-
कविवर जायसी कहते हैं कि कवि मुहम्मद ने अर्थात् मैंने यह काव्य रचकर सुनाया है। इस काव्य को जिसने भी सुना है उसी को प्रेम की पीड़ा का अनुभव हुआ है। मैंने इस कथा को रक्त रूपी लेई के द्वारा जोड़ा है और इसकी गाढ़ी प्रीति को आँसुओं से भिगोया है। यही सोचकर मैंने इस ग्रन्थ का निर्माण किया है कि जगत में कदाचित, मेरी यही निशानी शेष बची रह जाएगी।

प्रश्न 7.
महम्मद यहि कबि जोरि सनावा’-यहाँ कवि ने ‘जोरि’ शब्द का प्रयोग किस अर्थ में किया है?
उत्तर-
‘मुहम्मद यहि कबि जोरि सुनावा’ में ‘जोरि’ शब्द का प्रयोग कवि ने ‘रचकर’ अर्थ में किया है अर्थात् मैंने यह काव्य रचकर सुनाया है। कवि यह कहकर इस तथ्य को उजागर करना चाहता है कि मैंने रत्नसेन, पद्मावती आदि जिन पात्रों को लेकर अपने ग्रन्थ की रचना की है, उनका वास्तव में कोई अस्तित्व नहीं था, अपितु उनकी कहानी मात्र प्रचलित रही है।

प्रश्न 8.
दूसरे कड़बक का भाव-सौन्दर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
दूसरे कड़बक में कवि ने इस तथ्य को उजागर किया है कि उसने रत्नसेन, पद्मावती आदि जिन पात्रों को लेकर अपने ग्रन्थ की रचना की है उनका वास्तव में कोई अस्तित्व नहीं था, अपितु उनकी कहानी मात्र प्रचलित रही है। परन्तु इस काव्य को जिसने भी सुना है उसी को प्रेम की पीड़ा का अनुभव हुआ है। कवि ने इस कथा को रक्त-रूपी लेई के द्वारा जोड़ा है और इसकी गाढ़ी प्रीति को आँसुओं से भिगोया है। कवि ने इस काव्य की रचना इसलिए की क्योंकि जगत में उसकी यही निशानी शेष बची रह जाएगी। कवि यह चाहता है कि इस कथा को पढ़कर उसे भी याद कर लिया जाए।

प्रश्न 9.
व्याख्या करें
“धनि सो पुरुख जस कीरति जासू।
फूल मरै पै मरै न बासू ॥”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ जायसी लिखित कड़बक के द्वितीय भाग से उद्धत की गयी है। उपरोक्त पंक्तियों में कवि का कहना है कि जिस प्रकार पुष्प अपने नश्वर शरीर का त्याग कर देता है किन्तु उसकी सुगन्धित धरती पर परिव्याप्त रहती है, ठीक उसी प्रकार महान व्यक्ति भी इस धाम पर अवतरित होकर अपनी कीर्ति पताका सदा के लिए इस भवन में फहरा जाते हैं। पुष्प सुगन्ध सदृश्य यशस्वी लोगों की भी कीर्तियाँ विनष्ट नहीं होती। बल्कि युग-युगान्तर उनकी लोक हितकारी भावनाएँ जन-जन के कंठ में विराजमान रहती है।

दूसरे अर्थ में पद्मावती की लौकिक कथा को आध्यात्मिक धरातल पर स्थापित करते हुए कवि ने सूफी साधना के मूल-मंत्रां को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य किया है। इस संसार की नश्वरता की चर्चा लौकिक कथा काव्यों द्वारा प्रस्तुत कर कवि ने अलौकिक जगत से सबको रू-ब-रू कराने का काम किया है। यह जगत तो नश्वर है केवल कीर्तियाँ ही अमर रह जाती हैं। लौकिक जीवन में अमरता प्राप्ति के लिए अलौकिक कर्म द्वारा ही मानव उस सत्ता को प्राप्त कर सकता है।

कड़बक भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द लिखें
शब्द – पर्यायवाची शब्द
उत्तर-

  • नैन आँख, नेत्र, चक्षु, दृष्टि, लोचन, खिया, अक्षि।
  • आम रसाल, अंब, आंब, आम्र।
  • न्द्रमा शशि, चाँद, अंशुमान, चन्दा, चंदर, चंद।।
  • रक्त खून, रूधिर, लहू, लोहित, शोषित।
  • राजा नरेश, नृप, नृपति, प्रजापति, बादशाह, भूपति, भूप।
  • फूल सुगम, सुकुम, पुष्प, गुल।

प्रश्न 2.
पहले कड़बक में कवि ने अपने लिए किन उपमानों की चर्चा की है, उन्हें लिखें।
उत्तर-
पहले कड़बक में कवि ने चाँद, सूक, अम्ब, समुद्र, सुमेरू, घरी, दर्पण आदि उपमानों का प्रयोग अपने लिए किए हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों के मानक रूप लिखें
उत्तर-

  • शब्द – मानक रूप
  • त्रिरसूल – त्रिशूल
  • दरपन – दर्पण
  • निरमल – निर्मल
  • पानि – पानी
  • नखत – नख
  • प्रेम – पेम
  • रकत – रक्त
  • कीरति – कीर्ति

प्रश्न 4.
दोनों कड़बक के रस और काव्य गुण क्या हैं?
उत्तर-
जायसी के दोनों कड़बकों में शांत रस का प्रयोग हुआ है। दोनों कड़बकों में माधुर्य गुण है।

प्रश्न 5.
पहले कड़बकों से संज्ञा पदों को चुनें।
उत्तर-
संज्ञा पद-नयन, कवि, मुहम्मद, चाँद, जंग, विधि, अवतार, सूक, नख, अम्ब, डाभ, . सुगंध, समुद्र, पानी, सुमेरु, तिरसूल, कंचन, गिरि, आकाश, धरी, काँच, कंचन, दरपन, पाउ, मुख।

प्रश्न 6.
दूसरे कड़बक से सर्वनाम पदों को चुनें।
उत्तर-
यह, सो, अस, यह, मकु, सो, कहाँ, अब, अस, कँह, जेई, कोई, जस, कई, जरा, जो।

कड़बक कवि परिचय मलिक मुहम्मद जायसी (1492-1548)

कवि-परिचय-
मलिक मुहम्मद जायसी निर्गुण धारा की प्रेममार्गी शाखा के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। जायसी जाति के मुसलमान होते हुए भी साहित्य में सुर और तुलसी के समान ही महत्व रखते हैं। इसका कारण जायसी की भारतीय संस्कृति में निष्ठा, धर्म के प्रति आस्था एवं हिन्दू-मुस्लिम संस्कृति के समन्वय पर बल देना है। उनका जन्म रायबरेली जिले के जायस नामक ग्राम में सन् 1492 ई. में हुआ था। इसलिए वे जायसी नाम से प्रसिद्ध हुए। चेचक के प्रकोप ने जायसी को कुरूप बना दिया था। उनकी कुरूपता को देखकर दिल्ली का पठान बादशाह हँस पड़ा था। तब जायसी ने उसको संबोधित करते हुए कहा-

मोहि का हँसित कि हँसित कोहारहिं।

अर्थात् मुझ पर क्या हँसते हो, मेरे उस बनाने वाले कुम्हार पर हँसो। जायसी उच्च कोटि के विद्वान थे। इस विद्वता का कारण उनका बहुश्रुत होना था। वे ज्योतिष विद्या, वेदांत एवं हठयोग में निपुण थे। उनकी रचनाओं को देखने से विदित होता है कि जायसी के ऊपर तत्कालीन मत-मतांतरों का भी प्रभाव था। अमेठी के राजा के दरबार में उनका बड़ा सम्मान था। उनकी मृत्यु सन् 1542 ई. में हुई।

रचनाएँ-जायसी की तीन प्रमुख रचनाएँ उपलब्ध हैं-

  • पद्मावत,
  • अखरावट,
  • आखिरी कलाम।

काव्यगत विशेषताएँ-जायसी के काव्य में भावपक्ष एवं कलापक्ष दोनों का सफल निर्वाह है। उनके काव्य का मुख्य रस शृंगार है। उन्होंने शृंगार रस के दोनों पक्षों का अद्भुत चित्रण किया है।

जायसी संयोग श्रृंगार के चित्रण की अपेक्षा वियोग श्रृंगार के चित्रण में अधिक सफल रहे हैं। नागमती का विरह वर्णन बड़ा ही अद्भुत है। उनके विरह में व्यापकता, मार्मिकता तथा गंभीरता का उत्कृष्ट वर्णन है। प्रेममार्गी शाखा में प्रेम की पीड़ा को अधिक महत्व दिया जाता है। जायसी ने उसी पीड़ा का वर्णन नागमती के विरह वर्णन के माध्यम से किया है। शृंगार रस के साथ-साथ करुण रस, वात्सल्य रस, भयानक रस एवं अद्भुत रस आदि का प्रसंगानुकूल चित्रण है।

कड़बक कविता का सारांश

यहाँ प्रस्तुत दोनों ‘कड़बक’ मलिक मुहम्मद जायसी के महाकाव्य ‘पद्मावत’ के क्रमशः प्रारम्भिक और अन्तिम छंदों से लिए गए हैं। – प्रारंभिक स्तुति खंड से उद्धृत प्रथम कड़बक में कवि और काव्य की विशेषताएँ निरूपित करते हुए दोनों के बीच एक अद्वैत की व्यंजना की गई है। इसमें कवि एक विनम्र स्वाभिमान से अपनी रूपहीनता और एक आँख के अंधेपन को प्राकृतिक दृष्टांतों द्वारा महिमामंडित करते हुए रूप को गौण तथा गुणों को महत्वपूर्ण बताते हुए हमारा ध्यान आकर्षित किया है। कवि ने इस तथ्य को प्रस्तुत किया है कि उसके इन्हीं गुणों के कारण ही ‘पद्मावत’ जैसे मोहक काव्य की रचना संभव हो सकी।।

द्वितीय कड़बक उपसंहार खंड से उद्धृत है, जिसमें कवि द्वारा अपने काव्य और उसकी कथा सृष्टि का वर्णन है। वे बताते हैं कि उन्होंने इसे गाढ़ी प्रीति के नयन जल में भिगोई हुई रक्त की लेई लगाकर जोड़ा है इसी क्रम में वे आगे कहते हैं कि अब न वह राजा रत्नसेन है और न वह रूपवती रानी पद्मावती है, न वह बुद्धिमान सुआ है और न राघवचेतन या अलाउद्दीन है ! इनमें से किसी के न होने पर भी उनके यश के रूप में कहानी शेष रह गई है। फूल झड़कर नष्ट हो जाता है, पर उसकी खुशबू रह जाती है। कवि के कहने का अभिप्राय यह है कि एक दिन उसके न रहने पर उसकी कीर्ति सुगन्ध की तरह पीछे रह जाएगी। इस कहानी का पाठक उसे दो शब्दों में याद करेगा। कवि का अपने कलेजे के खून से रचे इस काव्य के प्रति यह आत्मविश्वास अत्यन्त सार्थक और बहुमूल्य है।

कविता का भावार्थ

कड़बक-1
एक नैन कबि मुहमद गुनी। सोई बिमोहा जेईं कवि सुनी।
चाँद जइस जग विधि औतारा। दीन्ह कलंक कीन्ह उजिआरा।
जग सूझा एकई नैनाहाँ। उवा सूक अस नखतन्ह माहाँ।
जौं लहि अंबहि डाभ न होई। तौ लहि सुगंध बसाई न सोई।
कीन्ह समुद्र पानि जौं खारा। तौ अति भएउ असूझ अपारा।
जौं सुमेरु तिरसूल बिनासा। भा कंचनगिरि लाग अकासा।
जौं लहि घरी कलंक न पर। काँच होई नहिं कंचन करा।
एक नैन जस दरपन औ तेहि निरमल भाउ।
सब रूपवंत गहि मुख जोवहिं कइ चाउ।।

भावार्थ-गुणवान मुहम्मद कवि का एक ही नेत्र था। किन्तु फिर भी उनकी कवि-वाणी में वह प्रभाव था कि जिसने भी सुनी वही विभुग्ध हो गया। जिस प्रकार विधाता ने संसार में सदोष, किन्तु प्रभायुक्त चन्द्रमा को बनाया है, उसी प्रकार जायसी जी की कीर्ति उज्जवल थी किन्तु उनमें अंग-भंग दोष था। जायसी जी समदर्शी थे क्योंकि उन्होंने संसार को सदैव एक ही आँख से देखा। उनका वह नेत्र अन्य मनुष्यों के नेत्रों से उसी प्रकार अपेक्षाकृत तेज युक्त था। जिस प्रकार कि तारागण के बीच में उदित हुआ शुक्रतारा। जब तक आम्र फल में डाभ काला धब्बा (कोइलिया) नहीं होता तबतक वह मधुर सौरभ से सुवासित नहीं होता। समुद्र का पानी खारयुक्त होने के कारण ही वह अगाध और अपार है।

सारे सुमेरु पर्वत के स्वर्णमय होने का एकमात्र यही कारण है कि वह शिव-त्रिशूल द्वारा नष्ट किया गया, जिसके स्पर्श से वह सोने का हो गया। जब तक घरिया अर्थात् सोना गलाने के पात्र में कच्चा सोना गलाया नहीं जाता तबतक वह स्वर्ण कला से युक्त अर्थात् चमकदार नहीं होता। जायसी अपने संबंध में गर्व से लिखते हुए कहते हैं कि वे एक नेत्र के रहते हुए भी दर्पण के समान निर्मल और उज्जवल भाव वाले हैं। समस्त रूपवान व्यक्ति उनका पैर पकड़कर अधिक उत्साह से उनके मुख की ओर देखा करते हैं। यानि उन्हें नमन करते हैं।

नोट-कहते हैं कि जायसी बायीं आँख के अन्धे थे। यह एक अंग-दोष था, किन्तु जायसी जी ऐसा मानने से इनकार करते हैं।” जग सूझा एनै कई नाहाँ। उआ सूक जस नखतन्ह माहा’। आदि अनेक उक्तियों से वह अपने पक्ष की पुष्टि करते हैं। आशय है-अंगहीन होने पर भी गुणी व्यक्ति पूजनीय होता है।

कड़बक-2
मुहमद यहि कबि जोरि सुनावा। सुना जो पेम पीर गा पावा।
जोरी लाइ रकत कै लेई। गाढ़ी प्रीति नैन जल भेई।
औ मन जानि कबित उस कीन्हा। मकु यह रहै जगत महँ चीन्हा।
कहाँ सो रतन सेनि अस राजा। कहाँ सुवा असि बुधि उपराजा।
कहाँ अलाउद्दीन सुलतानू। कहँ राघौ जेई कीन्ह बखानू।
कहँ सुरूप मदुमावति रानी। कोइ न रहा जग रही कहानी।
धनि सो पुरुख जस कीरति जासू। फूल मरै पै मरै न बासू।
केइँ न जगत बेंचा केई न लीन्ह जस मोल।
जो यह पढे कहानी हम सँवरै दुइ बोल॥

भावार्थ-‘मुहम्मद जायसी कहते हैं कि मैंने इस कथा को जोड़कर सुनाया है और जिसने भी इसे सुना उसे प्रेम की पीड़ा प्राप्त हो गयी। इस कविता को मैंने रक्त की लेई लगाकर जोड़ा है और गाढ़ी प्रीति को आँसुओं से भिगो-भिगोकर गीली किया है। मैंने यह विचार करके निर्माण किया है कि यह शायद मेरे मरने के बाद संसार में मेरी यादगार के रूप में रहे। वह राजा रत्नसेन अब कहाँ? कहाँ है वह सुआ जिसने राजा रत्नसेन के मन में ऐसी बुद्धि उत्पन्न की? कहाँ है सुलतान आलाउद्दीन और कहाँ है वह राघव चेतन जिसने अलाउद्दीन के सामने पद्मावती का रूप वर्णन किया।

कहाँ है वह लावण्यवती ललना रानी पद्मावती। कोई भी इस संसार में नहीं रहा, केवल उनकी कहानी बाकी बची है। धन्य वही है जिसकी कीर्ति और प्रतिष्ठा स्थिर है। पुष्प के रूप में उसका शरीर भले ही नष्ट हो जाए परन्तु, उसकी कीर्ति रूपी सुगन्ध नष्ट नहीं होती। संसार में ऐसे कितने हैं जिन्होंने अपनी कीर्ति बेची न हो और ऐसे कितने हैं जिन्होंने कीर्ति मोल न ली हो? जो इस कहानी को पढ़ेगा दो शब्दों में हमें याद करेगा।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 3 ग्रीम-गीत का मर्म

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 गद्य खण्ड Chapter 3 ग्रीम-गीत का मर्म Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 3 ग्रीम-गीत का मर्म

Bihar Board Class 9 Hindi ग्रीम-गीत का मर्म Text Book Questions and Answers

 

ग्राम गीत का मर्म Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 1.
‘ग्राम-गीत का मर्म’ निबंध में व्यक्त सुधांशुजी के विचारों को सार रूप में प्रस्तुत करें।
उत्तर-
पाठ का सारांश देखें।

Gram Geet Ka Marm Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 2.
जीवन का आरंभ जैसे शैशव है, वैसे ही कला-गीत का ग्राम-गीत है। लेखक के इस कथन का क्या आशय है।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ लक्ष्मी नारायण सुधांशु द्वारा लिखित ‘ग्राम-गीत का मर्म’ – पाठ से उद्धृत हैं। इसमें लेखक ने कला-गीत .और ग्राम-गीत का संबंध जीवन से उद्घाटित किया है।

सुधांशु जी ने बताया है कि ग्राम-गीत संभवतः वह जातीय आशु कवित्व है, जो कर्म या क्रीड़ा के तल पर रचा गया है। गीत का उपयोग जीवन के महत्वपूर्ण समाधान के अतिरिक्त साधारण मनोरंजन भी है। इस तथ्य के माध्यम से सुधांशुजी ने दार्शनिक विचारों को हमारे सामने रखकर सत्य को उजागर किया है।

Gram Geet Ka Marm Question Answer प्रश्न 3.
गार्हस्थ्य कर्म विधान में स्त्रियाँ किस तरह के गीत गाती हैं?
उत्तर-
चक्की पीसते समय, धान कूटते समय, चर्खा काटते समय, अपने शरीरी श्रम को हल्का करने के लिए स्त्रियाँ गीत गाती हैं।

Gram Git Ka Marm Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 4.
मानव जीवन में ग्राम-गीतों का क्या महत्व है?
उत्तर-
मानव जीवन में ग्राम-गीतों का महत्व मुख्य रूप से पारिवारिक जीवन से है। ग्राम-गीतों का महत्व मानव जीवन में पुरुष और स्त्रियों में अलग-अलग है। पुरुष और स्त्रियों के गीतों के तुलनात्मक अध्ययन में ग्राम-गीतों की प्रकृति स्त्रैण ही रही. परुषत्व का आक्रमण उन पर नहीं किया जा सका। स्त्रियों ने जहाँ कोमल भावों की अभिव्यक्ति की वहाँ पुरुषों ने अवश्य ही अपने संस्कारवश प्रेम को प्राप्त करने के लिए युद्ध-घोषणा की। इस प्रकार मनुष्य की दो सनातन प्रवृत्तियों-प्रेम और युद्ध का वर्णन भी ग्राम-गीतों में मिलता है। तत्वतः ग्राम-गीत हृदय की वाणी है, मस्तिष्क की ध्वनि है। इसलिए मानव जीवन में ग्राम-गीतों का बहुत ही व्यापक महत्व है।

ग्राम गीत का मर्म निबंध Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 5.
“ग्राम-गीत हृदय की वाणी है, मस्तिष्क की ध्वनि नहीं।” आशय । स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ लक्ष्मी नारायण सुधांशु लिखित “ग्राम-गीत का मर्म” पाठ से उद्धृत है। इसमें लेखक ने ग्रामगीत के उद्गम स्थान की खोज बड़े ही मनोवैज्ञानिक और दार्शनिक ढंग से की है।

लेखक का कहना है कि ग्राम-गीत हृदय की वाणी है। जैसी परिस्थिति आई इसकी उद्भावना व्यक्तिगत जीवन के उल्लास-विषाद को लेकर हुई। मानव जातीयता में उसकी सारी वैयक्तिक विशेषता अंतर्निहित हो गई। वह व्यक्ति को साथ लेकर भी उसको, प्रधान न रख, उपलक्ष्य बनाकर भावों की स्वाभाविक मार्मिकता के साथ अग्रसर हुए।

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solution प्रश्न 6.
ग्राम-गीत की प्रकृति क्या है?
उत्तर-
ग्राम-गीत में रचना की जो प्रकृति स्त्रैण थी भी वह कला-गीत में आकर पौरुषपूर्ण हो गई। लेकिन मुख्य रूप से ग्राम-गीत की पद्धति स्त्रैण ही रही।

Gram Geet Ki Prakriti Kya Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 7.
कला-गीत और ग्राम-गीत में क्या अंतर है?
उत्तर-
ग्राम-गीत की रचना में जिस पद्धति और संकल्प का विधान था, कला-गीत में उसकी उपेक्षा करना समुचित न माना गया। अत्यधिक संस्कृत तथा परिष्कत होने के बाद भी कला-गीत अपने मल ग्राम-गीत से कला-गीत के परि
परिवर्तन में एक बात उल्लेखनीय है कि ग्राम-गीत में रचना की जो प्रकृति स्त्रैण थी, वह कला-गीत में आकर पौरुषपूर्ण हो गई। स्त्री और पुरुष रचयिता के दृष्टिकोण में जो सूक्ष्म और स्वाभाविक भेद हो सकता है, वह ग्राम-गीत और कला-गीत की अंतप्रकृति में बना रहा ग्राम-गीत में स्त्री की ओर से पुरुष के प्रति प्रेम की जो आसन्नता थी, वह कला-गीत में बहुधा पुरुष के उपक्रम के रूप में परिवर्तित होने लगी।

Bihar Board 9th Class Hindi Book Solution प्रश्न 8.
‘ग्राम-गीत का ही विकास कला-गीत में हुआ है।’ पठित निबंध को ध्यान में रखते हुए उसकी विकास-प्रक्रिया पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
कला-गीत के अंतर्गत मुक्तक और प्रबंध काव्य दोनों का समावेश है। इनके इतिहास का अनुसंधान करने पर ग्राम-गीतों पर ही आकर ठहरना पड़ता है। इसमें संन्देह नहीं कि ग्राम-गीतों से ही काल्पनिक तथा वैचित्र्यपूर्ण कविताओं का विकास हुआ है। यही ग्राम-गीत क्रमशः सभ्य जीवन के अनुक्रम से कला-गीत के रूप में विकसित हो गया है, जिसका संस्कार अब तक वर्तमान है। ग्राम-गीत भी प्रथमतः व्यक्तिगत उच्छवास और वेदना को लेकर उद्गीत किया गया; किन्तु इन भावनाओं ने समष्टि का इतना प्रतिनिधित्व किया कि उनकी सारी वैयक्तिक सत्ता समाविष्ट में ही तिरोहित हो गई और इस प्रकार उसे लोक-गीत की संज्ञा प्राप्त हुई। ग्राम-गीत को कला-गीत के रूप में आते-आते कुछ समय तो लगा ही, पर उसमें सबसे मुख्य बात यह रही कि कला-गीत अपनी रूढ़ियाँ बनाकर चले।।

Godhuli Bhag 1 Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 9.
ग्राम-गीतों में प्रेम-दशा की क्या स्थिति है? पठित निबंध के आधार पर उदाहरण देते हुए समझाइए।
उत्तर-
प्रेम-दशा जितनी व्यापकत्व विधायनी होती है, जीवन में उतनी और कोई स्थिति नहीं। प्रेम या विरह में समस्त प्रकृति के साथ जीवन की जो समरूपता देखी जाती है वह क्रोध, शोक, उत्साह, विस्मय, जुगप्सा में नहीं।

गोधूलि भाग 1 Class 9 Bihar Board Hindi प्रश्न 10.
‘प्रेम या विरह में समस्त प्रकृति के साथ जीवन की जो समरूपता देखी जाती है, वह क्रोध, शोक, विस्मय, उत्साह, जुगुप्सा आदि में नहीं।” आशय स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ लक्ष्मी नारायण सुधांशु द्वारा लिखित ‘ग्राम-गीत का मर्म’ शीर्षक से उद्धृत की गई हैं। इसमें लेखक ने प्रेम की क्या-क्या दशा होती है उसका मनोवैज्ञानिक विश्लेषण बड़े ही मार्मिक ढंग से किया है।

लेखक का कहना है कि विरहाकुल पुरुष पशु, पक्षी, लता-द्रुम सबसे अपनी वियुक्त प्रिय का पता पूछ सकता है, किन्तु क्रुद्ध, मनुष्य अपनी शत्रु का पता प्रकृति से नहीं पूछता पाया जाता। यही कारण है कि प्रेमिका या प्रेमी प्रकृति के साथ अपने जीवन का जैसा साहचर्य मानते हैं, वैसा और कोई नहीं। मनोविज्ञान का यह तथ्य काव्य में एक प्रणाली के रूप में समाविष्ट कर लिया गया है। प्रिय के अस्तित्व की सृष्टि-व्यापिनी भावना से जीवन और जगत की कोई वस्तु अलग नहीं कर सकती। यही लेखक का आशय है जो दार्शनिक आधार पर सत्य साबित होता है।

प्रश्न 11.
ग्राम-गीतों में मानव-जीवन के किन प्राथमिक चित्रों के दर्शन होते हैं?
उत्तर-
ग्राम-गीतों में मानव जीवन के उन प्राथमिक चित्रों के दर्शन होते हैं जिनमें मनुष्य साधारणतः अपनी लालसा, वासना, प्रेम, घृणा, उल्लास, विषाद को समाज की मान्य धारणाओं से ऊपर नहीं उठा-सका है और अपनी हृदयगत भावनाओं को प्रकट करने में उसने कृत्रिम शिष्टाचार का प्रतिबंध भी नहीं माना है।

प्रश्न 12.
गीत का उपयोग जीवन के महत्वपूर्ण समाधान के अतिरिक्त साधारण मनोरंजन भी है। निबंधकार ने ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर-
मनोरंजन के विविध रूप और विधियाँ हैं। स्त्री प्रकृति में गार्हस्थ्य कर्म-विधान की जो स्वाभाविक प्रेरणा है, उससे गीतों की रचना का अटूट संबंध है। चक्की पिसते, समय, धान कूटते समय, चर्खा कातते समय अपने शरीरश्रम को हल्का करने के लिए स्त्रियाँ गीत गाती हैं जिसमें उसका अभिप्रायः यह रहता है कि परिश्रम के कारण जो थकावट आई है उससे ध्यान हटाकर अन्यथा मनोरंजन में चित्त संलग्न किया जा सके।

प्रश्न 14.
किसी विशिष्ट वर्ग के नायक को लेकर जो काव्य रचना की जाती थी। किन स्वाभाविक गुणों के कारण साधारण जनता के हृदय पर उनके महत्व की प्रतिष्ठा बनती थी?
उत्तर-
राजा-रानी, राजकुमार या राजकुमारी या ऐसे ही समाज के किसी विशिष्ट वर्ग के नायक को लेकर काव्य रचना की जो प्रणाली बहुत प्राचीन काल से चली आ रही थी और जिसका संस्कृत साहित्य में विशेष महत्व था। उसका प्रधान कारण यह था कि वैसे विशिष्ट व्यक्तियों के लिए साधारण जनता के हृदय पर उनके महत्व की प्रतिष्ठा बनी हुई थी। उनमें धीरोदात्त, दक्षता, तेजस्विता, रूढ़वंशता, वाग्मिता आदि गुण स्वभाविक माने जाते थे।

प्रश्न 15.
ग्राम-गीत की कौन-सी प्रवृत्ति अब काव्य गीत में चलने लगी है?
उत्तर-
बच्चे अब भी राजा, रानी, राक्षस, भूत, जानवर आदि की कहानियाँ सुनने को ज्यादा उत्कठित रहते हैं। साधारण तथा प्रत्यक्ष जीवन में जो घटनाएँ होती रहती हैं, उनके अतिरिक्त जो जीवन से दूर तथा अप्रत्यक्ष है, उनके संबंध में कुछ जानने की लालसा तथा उत्कंठा अधिक बनी रहती है। मानव जीवन का पारस्परिक संबंध सूत्र कुछ ऐसा विचित्र है कि जिस बात को हम एक काल और एक देश में बुरा समझते हैं उसी बात को दूसरे काल और दूसरे देश अच्छा मान लेते हैं। यही बात ग्राम-गीत की प्रकृति से काव्यगीत की है।

प्रश्न 16.
ग्राम-गीत के मेरूदण्ड क्या हैं?
उत्तर-
हमारी दरिद्रता के बीच में भी संपत्तिशालीनता का यह रूप हमारे भाव को उद्दीप्त करने के लिए ही उपस्थित किया गया है। ऐसे वर्णन कला-गीत में चाहे विशेष महत्व प्राप्त न करें, किन्तु ग्राम-गीत के वे मेरुदण्ड समझे जाते हैं।

प्रश्न 17.
‘प्रेम दशा जितनी व्यापक विधायिनी होती है, जीवन में उतनी और कोई स्थिति नहीं।’ प्रेम के इस स्वरूप पर विचार करें तथा आशय स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ लक्ष्मी नारायण सुधांशु द्वारा लिखित ‘ग्राम-गीत का मर्म’ शीर्षक से उद्धृत की गई हैं। इसमें लेखक ने प्रेम-दशा का जो रूप होता है उसका बड़ा ही सुन्दर रूप प्रस्तुत किया है।
लेखक ने बताया है कि प्रेम या विरह में समस्त प्रकृति के साथ जीवन की जो समरूपता देखी जाती है वह क्रोध, शोक, उत्साह, विस्मय, जुगुप्सा आदि में नहीं। विरहाकुल. पुरुष पशु, पक्षी, लता, द्रुम सबसे अपनी वियुक्त प्रिया का पता पूछ सकता है किन्तु क्रुध मनुष्य अपने शत्रु का पता प्रकृति से नहीं पूछ सकता। प्रेम के इस स्वरूप पर लेखक ने दार्शनिकता की छाप छोड़ी है।

प्रश्न 18.
‘कला-गीतों में पशु-पक्षी, लता-दुम आदि से जो प्रश्न पूछे गए हैं, उनके उत्तर में, वे प्राय मौन रहे हैं। विरही यक्ष मेघदूत भी मौन ही रहा है। लेखक के इस कथन से क्या आप सहमत हैं? यदि हैं तो अपने विचार दें।
उत्तर-
हाँ. मैं लेखक के मत से सहमत हूँ क्योंकि कला-गीतों में कलात्मकता की भावना ऐसी है कि बहुत से प्रश्न अनुत्तरित ही रह जाते हैं लेकिन ग्राम-गीत मौन नहीं रहता। क्योंकि ग्राम-गीतों में ऐसे वर्णन बहुत हैं जहाँ नायिका अपने प्रेमी की खोज में बाघ, भालू, साँप आदि से उसका पता पूछती चलती है। आदिकवि वाल्मीकि ने विरह-विह्वल राम के मुख से सीता की खोज के लिए न जाने कितने पशु-पक्षी, लता-द्रुम आदि से पता पुछवाया है। इसके अतिरिक्त सीता के अनुसंधान तथा उनके पास राम का प्रणय संदेश पहुँचाने के लिए, जो हनुमान को दूत बनाकर तैयार किया, वह काव्य में इस परिपाटी का मार्ग-दर्शक ही हो गया।

प्रश्न 19.
‘ग्राम-गीत का मर्म’ निबंध के इस शीर्षक में लेखक ने ‘मर्म’ ‘ शब्द का प्रयोग क्यों किया है? विचार कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत निबंध में लेखक ने ग्राम-गीत के मर्म का उद्घाटन करते हुए। काव्य और जीवन में उसके महत्व का निरूपण किया है। ग्राम-गीत का उद्भव और उसकी प्रवृत्ति का अनुसंधान करते हुए उन्होंने प्रतिपादित किया है कि जीवन की शुद्धता और गांवों की सरलता का जितना मार्मिक वर्णन ग्राम-गीतों में मिलता है उनका परवर्ती कला-गीतों में नहीं।

निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

1. ग्राम-गीतों में मानव-जीवन के उन प्राथमिक चित्रों के दर्शन होते हैं, जिनमें मनुष्य साधारणतः अपनी लालसा, वासना, प्रेम, घृणा, उल्लास, विषाद को समाज की मान्य धारणाओं से ऊपर नहीं उठा सका है और अपनी हृदयगत भावनाओं को प्रकट करने में उसने कृत्रिम शिष्टाचार का प्रतिबंध भी नहीं माना है। उनमें सर्वत्र रूढ़िगत जीवन ही नहीं है, प्रत्युत्त कहीं-कहीं प्रेम, वीरता, क्रोध, कर्तव्य का भी बहुत रमणीय वाह्म तथा अंतर्विरोध दिखाया गया है। जीवन की शुद्धता और भावों की सरलता का जितना मार्मिक वर्णन ग्राम-गीतों में मिलता है, उतना परवर्ती कलागीतों में नहीं।
(क) इसके पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) ग्राम-गीतों में किन चित्रों के दर्शन होते हैं?
(ग) ग्राम-गीतों में आए चित्रों की क्या विशेषताएँ हैं?
(घ) “कृत्रिम शिष्टाचार के प्रतिबंध” और ‘रूढ़िगत जीवन’ का क्या अभिप्राय है?
(ङ) ग्राम-गीतों की मूल विशेषता का परिचय दें।
उत्तर-
(क) पाठ-ग्राम-गीत का मर्म, लेखक-लक्ष्मी नारायण सुधांशु।

(ख) ग्राम-गीत हमारे प्रारंभिक जीवन से जुड़े होते हैं। उन गीतों में मानव जीवन के विभिन्न प्रकार के वैसे प्राथमिक चित्रों का अंकन मिलता है जिनमें सामान्य और साधारण रूप से आम आदमी की सामाजिक मान्य धारणाओं में बँधी लालसाओं, वासनाओं, प्रेम-घृणा, उल्लास तथा विषाद की भावनाएँ प्रतिबिंबित रहती

(ग) ग्राम-गीतों में आए चित्र हमारे प्राथमिक जीवन से जुड़े होते हैं। उन चित्रों में आम आदमी की सामान्य दुःख-सुख, हर्ष-विषाद, क्रोध, घृणा आदि की वैसी सामान्य भावनाएँ अंकित रहती हैं जो सामान्य रूप से सामाजिक मान्य धारणाओं से नियंत्रित रहती हैं। ऐसी भावनाओं को प्रकट करने में ग्राम-गीतकार बनावटी शिष्टाचार के प्रतिबंध से अपने-आपको मुक्त रखते हैं। फलत: वे भावनाएँ स्वाभाविक रूप से अभिव्यंजित होती है।

(घ) ‘कृत्रिम शिष्टाचार के प्रति-ध’ का यहाँ यह मतलब है कि ग्राम-गीतों में आम आदमी की सामान्य भावनाओं को प्रकट करने का जो रूप है वह बिल्कुल स्वाभाविक और मनुष्य की सामान्य कृति के अनुरूप है। उसमें किसी प्रकार की शिष्टाचारगत अस्वाभाविकता और कृत्रिमता, अर्थात बनावटीपन नहीं मिलता। इसी तरह रूढ़िगत जीवन का यहाँ अर्थ है-परंपरागत जीवन की मान्यताओं, जीवन-शैलियों और जीवन-पद्धतियों से जुड़ा जीवन।

(ङ) ग्राम-गीतों की मूल विशेषता यह होती है कि उन गीतों में मानव-जीवन की सरलता और शुद्धता का बड़ा ही मार्मिक चित्रण मिलता है। ये गीत कृत्रिम जीवन-शैली की कलुषित छाया से बिल्कुल. मुक्त होते हैं। इसीलिए इन गीतों में सामान्य जीवन के स्वाभाविक और निष्कलुष सौंदर्य के अंकन अपने मौलिक रूप में मिलते हैं। ग्राम-गीतों की यह मौलिक और दुर्लभ विशेषता कलागीतों में भी नहीं मिलती, क्योंकि वहाँ किसी-न-किसी रूप में कृत्रिमता के प्रभाव की छाया विद्यमान रहती ही है।

2. जीवन का आरंभ जैसे शैशव है, वैसे ही कला-गीत का ग्राम-गीत है। ग्राम-गीत संभवतः वह जातीय आशु कवित्व है, जो कर्म या क्रीड़ा के ताल पर रचा गया है। गीत का उपयोग जीवन के महत्त्वपूर्ण समाधान के अतिरिक्त साधारण मनोरंजन भी है, ऐसा कहना अनुपयुक्त न होगा। मनोरंजन के विविध रूप और विधियाँ हैं। स्त्री प्रकृति में गार्हस्थ्य कर्म-विधान की जो स्वाभाविक प्रेरणा है, उससे गीतों की रचना का अटूट संबंध है। चक्की पीसते समय, धान कूटते समय, चर्खा कातते समय, अपने शरीर-श्रम को हल्का करने के लिए स्त्रियाँ गीत गाती हैं। उस समय उनका अभिप्राय साधारणतः यही रहता है कि परिश्रम के कारण जो थकावट आई रहती है, उससे ध्यान हटाकर अन्यथा मनोरंजन – में चित्त संलग्न किया जा मैके। इनके, अतिरिक्त कुछ ऐसे गीत भी हैं, जो भाव के उमंग में गाए जाते हैं। जन्म, मुंडन, यज्ञोपवीत, विवाह, पर्व-त्योहार आदि के अवसर पर जो गीत गाए जाते हैं, उनमें उल्लास और उमंग की ही प्रधानता रहती है।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) कला-गीत और ग्राम-सीत में क्या संबंध है?
(ग) गीत का उपयोग किस रूप में और किस क्षेत्र में किया जाता
(घ) ग्राम-गीत गायन में स्त्रियों का साधारणतः अभिप्राय क्या रहता है?
(ङ) भाव की उमंग में किस प्रकार के गीत गाए जाते हैं?
उत्तर-
(क) पाठ-ग्राम-गीत का मर्म, लेखक-लक्ष्मी नारायण सुधांशु।

(ख) कला-गीत और ग्राम-गीत में वही संबंध है जो जीवन और शैशव के बीच का संबंध है। ग्राम-गीत, कला-गीत के प्रारंभिक स्वरूप होते हैं। ग्राम-गीत वस्तुतः काल क्रमशः सभ्य जीवन के अनुक्रम से कला-गीत के रूप में विकसित हो जाते हैं।

(ग) गीत का उपयोग एक ओर जीवन के महत्वपूर्ण समाधान के रूप में किया जाता है तो दसरी ओर साधारण मनोरंजन के क्षेत्र में भी वे उपयोगी प्रमाणित होते हैं। मनोरंजन के कई रूप और विधियाँ हैं। गार्हस्थ जीवन में स्त्रियाँ जो कर्म विधान करती हैं उससे गीतों की रचना का बड़ा निकट का संबंध है।

(घ) ग्राम-गीत गायन के ये कई अवसर होते हैं, जैसे-चक्की पीसते समय, धान. कूटते समय, चरखा काटते समय, स्त्रियाँ ग्राम-गीत गाती है। उस समय गीत गायन का उनका साधारणतः अभिप्राय यही रहता है कि उन कार्यों से उत्पन्न थकावट से आये ध्यान को हटाकर मन को मनोरंजन में लगा सके।

(ङ) कुछ ऐसे ग्राम-गीत होते हैं जो विशुद्ध रूप से भाव की उमंग के क्रम में गाए जाते हैं। इन गीतों के गायन में परिश्रम और थकावट की कोई बात ही नहीं उठती है। भाव की उमंग में गाए जानेवाले वे गीत हैं जो जन्म, मुंडन. यज्ञोपवीत, विवाह, पर्व-त्योहार आदि के अवसर पर गाए जाते हैं। इन गीतों में उल्लास और उमंग की ही प्रधानता होती है।

3. किंतु सब मिलाकर ग्राम-गीतों की प्रकृति स्त्रैणं ही रही, पुरुषत्व का ‘आक्रमण उनपर नहीं किया जा सका। स्त्रियों ने जहाँ कोमल भावों की ही अभिव्यक्ति की, वहाँ पुरुषों ने अवश्य ही अपने संस्कारवश प्रेम को प्राप्त करने के लिए युद्ध घोषणा की। इस प्रकार मनुष्य की दो सनातन प्रवृत्तियों-प्रेम और युद्ध-का वर्णन भी ग्राम-गीतों में मिलता है। तत्त्वतः ग्राम-गीत हृदय की वाणी है, मस्तिष्क की ध्वनि नहीं। इनकी उद्भावना व्यक्तिगत जीवन के उल्लास-विषाद को लेकर भले ही हुई हो, किंतु मानव-जातीयता में उसकी सारी वैयक्तिक विशेषता अंतर्निहित. हो गई है। उनकी अपूर्वता इसी बात में है कि वे व्यक्ति को साथ लेकर भी उसको, प्रधान न रख, उपलक्ष्य बनाकर भावों की स्वाभाविक मार्मिकता के साथ अग्रसर हुए हैं।
(क) इस गद्यांश के पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) सब मिलाकर ग्राम-गीतों की प्रकृति “स्त्रैण” ही रही। इस कथन का क्या मतलब है?
(ग) ग्राम-गीतों से पुरुषों का कैसा संबंध रहा है?
(घ) ग्राम-गीतों की क्या विशेषताएँ हैं और उनकी उद्भावना कैसे
(ङ) ग्राम-गीतों की अपूर्वता किस बात में है?
उत्तर-
(क) पाठ-ग्राम-गीत का मर्म, लेखक का नाम-लक्ष्मी नारायण सुधांशु।

(ख) इस कथन से लेखक का मतलब यह है कि ग्राम-गीतों से प्रायः स्त्रियों का स्वर ही जुड़ा रहता है और उन गीतों में स्त्री-प्रकृति की ही कार्यशीलता का प्राधान्य मिलता है। लेखक के अनुसार ग्राम-गीतों का मुख्य विषय पारिवारिक जीवन होता है और उसमें स्त्रियों की भूमिका अधिक होती है। दूसरी बात यह है कि ग्राम-गीतों में जो भी कोमल भावों की अभिव्यक्ति मिलती है वह स्त्रियों की ही देन है।

(ग) ग्राम-गीतों से कुछ हद तक पुरुषों का भी संबंध रहा है। यह बात सर्वविदित है कि ग्राम-गीतों में प्रेम ऐसे कोमल भाव के साथ-साथ न्यूनाधिक्य मात्रा में क्रोध और युद्ध के भी वर्णन मिलत हैं। ये कठोर भाव और दृश्य संस्कारवश पुरुषों से जुड़े होते हैं, क्योंकि प्रेम को पाने के लिए युद्ध की घोषणा पुरुष ही करता है।

(घ) ग्राम-गीतों की यह विशेषता है कि वे भाव-प्रधान होते हैं। भाव का प्रत्यक्ष संबंध हृदय से होता है। इसलिए ग्राम-गीतों को हृदय की वाणी कहा जाता है। वहाँ बुद्धि की प्रखरता, अर्थात् मस्तिष्क की ध्वनि के लिए कोई स्थान नहीं है। इन गीतों की उद्भावना जीवन के उल्लास, विषाद से प्रेरित होने के साथ-साथ मानव जातीयता में अंतर्निहित वैयक्तिक विशेषता के कारण होती है।

(ङ) इन गीतों की अपूर्वता इस बात में है कि ये गीत वैयक्तिक भावना को साथ लेकर भी उसको प्रधान स्थान नहीं देते। उनकी खासियत, भावों की स्वाभाविक मार्मिकता की अभिव्यंजना के साथ जुड़ी हुई है।

4. इसमें संदेह नहीं कि ग्राम-गीतों से ही काल्पनिक तथा वैचित्र्यपूर्ण
कविताओं का विकास हुआ है। यही ग्राम-गीत क्रमशः सभ्य जीवन के अनुक्रम से कला-गीत के रूप में विकसित हो गया है, जिसका संस्कार अब तक वर्तमान है। ग्राम-गीत भी प्रथमतः व्यक्तिगत उच्छ्वास और वेदना को लेकर उद्गीत किया गया, किंतु इन भावनाओं ने समष्टि का इतना प्रतिनिधित्व किया कि उनकी सारी वैयक्तिक सत्ता समष्टि में ही तिरोहित हो गई और इस प्रकार उसे लोक-गीत की संज्ञा प्राप्त हुई। ग्राम गीत को कला-गीत के रूप में आते-आते कुछ समय तो लगा ही, पर उसमें सबसे मुख्य बात यह रही कि कला-गीत अपनी रूढ़ियाँ बनकर चले।
(क) लेखक और पाठ के नाम लिखिए।
(ख) ग्राम-गीत कला-गीत के रूप में कैसे विकसित हो गए हैं?
(ग) ग्राम-गीत को लोकगीत की संज्ञा कैसे प्राप्त हुई?
(घ) कला-गीत की क्या विशेषताएँ होती हैं?
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का आशय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
(क) पाठ-ग्राम-गीत का मर्म, लेखक का नाम-लक्ष्मी नारायण सुधांशु।

(ख) लेखक के अनुसार ग्राम. गीतों के द्वारा ही काल्पनिक एवं विचित्र कविताओं को विकास का आधार मिला है। ये ग्राम-गीत जब क्रमशः सभ्य जीवन का अनुक्रमन करते हैं तब उस अनुक्रम की प्रक्रिया से वे कला-गीत के रूप में विकसित होते हैं।

(ग) सामान्य रूप से ग्राम-गीतों में व्यक्तिगत उच्छ्वास और वेदनाओं का प्राधान्य होता है, लेकिन उन व्यक्त भावनाओं में समष्टि का बड़ा सबल प्रतिनिधित्व हो जाता है। जब इस प्रक्रिया में वैयक्तिक सत्ता की चेतना समष्टि में ही विलीन हो जाती है तब अपने इस नये स्वरूप में उन गीतों को लोक-गीतों की संज्ञा मिलती है।

(घ) ग्राम-गीतों को कला-गीतों के स्वरूप धारण में कुछ समय तो लग ही जाता है, लेकिन वहाँ प्रधान बात यह परिलक्षित होती है। कि कला-गीत अपनी रूढ़ियों, दूसरे शब्दों में परम्पराओं से मुक्त होकर नहीं चलते। रूढ़ियाँ उनके साथ जुड़ी ही रहती है।

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक के कथन का आशय यह है कि ग्राम-गीतों द्वारा ही काल्पनिकता तथा विचित्र कथाओं का जन्म और विकास संभव है। आज के ये ग्राम-गीत ही जीवन के अनुक्रम को माध्यम के रूप में पाकर कल जाकर कला-गीत के रूप में विकिसित होते हैं। ग्राम-गीतों में व्यक्त वैयक्तिक चेतना या भावना ही समष्टि का प्रतिनिधित्व पाकर लोक-गीत की संज्ञा-प्राप्त करती है।

5. ग्राम-गीत की रचना में जिस प्रकृति और संकल्प का विधान था, कला-गीत में उसकी उपेक्षा करना समुचित न माना गया। अत्यधिक । संस्कृत तथा परिष्कृत होने के बाद भी कला-गीत अपने मूल ग्राम-गीत के संस्कार से कुछ बातों में मुक्ति पा सका और यह उस समय तक संभव नहीं; जब तक मानव-प्रकृति को ही विषय मानकर काव्य रचनाएँ की जाती रहेंगी। ग्राम गीत से कला-गीत के परिवर्तन में एक बात । उल्लेखनीय रही कि ग्राम-गीत में रचना की जो प्रकृति स्त्रैण थी, वह कला-गीत में आकर कुछ पौरुषपूर्ण हो गई। स्त्री और पुरुष-रचयिता के दृष्टिकोण में जो सूक्ष्म और स्वाभाविक भेद हो सकता है, वह ग्राम-गीत और कला-गीत की अंतः प्रकृति में बना रहा। ग्राम-गीत में स्त्री की ओर से पुरुष के प्रति प्रेम की जो आसन्नता थी, वह कला-गीत में बहुधा पुरुष के उपक्रम के रूप में परिवर्तित होने लगी।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) कला-गीत में किसकी उपेक्षा करना समुचित नहीं माना गया और क्यों?
(ग) ग्राम-गीत से कला-गीत के परिवर्तन में कौन-सी बात उल्लेखनीय
(घ) ग्राम-गीत तथा कला-गीत की अंतः प्रकृति में कौन-सी बात बनी रही?
(ङ) ग्राम-गीत और कला-गीत में व्यंजित प्रेम के स्वरूप का अंतर बतलाएँ।
उत्तर-
(क) पाठ-ग्राम-गीत का मर्म, लेखक-लक्ष्मी नारायण सुधांशु।

(ख) ग्राम-गीत की रचना की जो अपनी खास प्रकृति थी और संकल्प का जो विधान था, कला-गीत में उसकी उपेक्षा करना या उसे छोड़कर चलना समुचित नहीं माना गया। इसका कारण यह था कि वे कला-गीत के अपरिहार्य अंग थे।

(ग) ग्राम-गीत से कला-गीत के परिवर्तन में यह एक बात उल्लेखनीय रही कि ग्राम-गीत में रचना की जो प्रकृति स्त्रैण थी वहाँ कला-गीत में कुछ हद तक बदलकर पौरुषपूर्ण हो गई।

(घ) ग्राम-गीत और कला-गीत के रचयिता क्रमशः स्त्री और पुरुष थे। इन दोनों प्रकार के रचयिताओं के दृष्टिकोण में जो कुछ सूक्ष्म और स्वाभाविक भेद थे, वे कला-गीत और ग्राम-गीत की अंतः प्रकृति में बने रहे।

(ङ) ग्राम-गीत और कला-गीत के व्यंजित प्रेम में अंतर यह था कि ग्राम-गीतों में पुरुषोन्मुख स्त्री-प्रेम की निकटता की व्यंजना अधिक थी, और कला-गीतों में प्रेम की वह निकटता पुरुष के उपक्रम, अर्थात् प्रारंभिक प्रेमावस्था के रूप में बदलती चली गईं।

6. राजा-रांनी, राजकुमार या राजकुमारी या ऐसे समाज के किसी विशिष्ट वर्ग के नायक को लेकर काव्य रचना की जो प्रणाली बहुत प्राचीन काल से चली आ रही थी और जिसका संस्कृत-साहित्य में विशेष महत्त्व था, उसका प्रधान कारण यह था कि वैसे विशिष्ट व्यक्तियों के लिए साधारण जनता के हृदय पर उसके महत्त्व की प्रतिष्ठा बनी हुई थी। उनमें धीरोदात्तता, दक्षता, तेजस्विता, रूढ़वंशता, वाग्मिता आदि गुण स्वाभाविक माने जाते थे। मानव होते हुए भी उनकी महत्ता, विशिष्टता, प्रतिष्ठा आदि का प्रभावनोत्पादक संस्कार जनता के चित्त पर पड़ा था। ऐसे चरित्र को लेकर काव्य-रचना करने में रसोत्कर्ष का काम, बहुत-कुछ सामाजिक धारणा के बल पर ही चल जाता था, किंतु साधारण जीवन के चित्रण में कवि की प्रतिभा का बहुत-सा अंश, अपने चरित्र नायक में विशिष्टता प्राप्त कराने की चेष्टा में ही खर्च हो जाता है।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) काव्य-रचना की कौन-सी प्रणाली बहुत दिनों से चली आ रही
थी और कहाँ उसकी महत्ता बहुत ज्यादा थी?
(ग) उस महत्त्व के विशिष्ट कारण क्या थे?
(घ) विशिष्ट व्यक्तियों में कौन-से चारित्रिक गुण स्वाभाविक माने जाते थे?
(ङ) साधारण जीवन के चित्रण में कवि का क्या प्रयास रहता है?
उत्तर-
(क) पाठ-ग्राम-गीत का मर्म, लेखक-लक्ष्मी नारायण सुधांशु

(ख) हमारे समाज में बहुत दिनों से ऐसी काव्य-प्रणाली चली आ रही थी जिसमें राजा, रानी, राजकुमार ऐसे समाज के विशिष्ट वर्ग के लोगों को केंद्र में रखकर काव्य की रचना की जाती थी। संस्कृत साहित्य में इसी काव्य-प्रणाली का विशेष महत्त्व था।

(ग) उस काव्य-प्रणाली की महत्ता का कारण यह था कि वैसे तथाकथित विशिष्ट व्यक्तियों के लिए समाज के सभी वर्गों के लोगों के दिल-दिमाग में उनके महत्व की प्रतिष्ठा बनी हुई थी।

(घ) उन विशिष्ट व्यक्तियों के चरित्र में इन चारित्रिक गुणों को स्वाभाविक माना जाता था-उनकी धीरोदात्तता, दक्षता, तेजस्विता, रूढ़वंशता, वाग्मिता आदि। सामान्य लोगों के दिलों पर उन विशिष्ट व्यक्तियों की प्रतिष्ठा, महत्ता तथा विशिष्टता आदि का प्रभावपूर्ण संस्कार जमा हुआ था।

(ङ) साधारण जीवन के चित्रण में कवि का प्रयास यही रहता था कि वे अपनी प्रतिभा का ज्यादा उपयोग अपने चरित्र नायक को विशिष्टता प्रदान करने में ही करते थे। वे यही चाहते थे कि उनके चरित्र नायक की सामान्य लोगों के बीच विशेष स्थिति बनी रहे और वे विशेष सम्मान के पात्र बने रहें।

7. बच्चे अब भी राजा-रानी, राक्षस, भूत, जानवर आदि की कहानियाँ सुनने को ज्यादा उत्कंठित रहते हैं। नानी की कहानियाँ ऐसी ही हुआ करती हैं। साधारण तथा प्रत्यक्ष जीवन में जो घटनाएं होती रहती हैं, उनके अतिरिक्त जो जीवन से दूर तथा अप्रत्यक्ष हैं, उनके संबंध में कुछ जानने की लालसा तथा उत्कंठा अधिक बनी रहती हैं। बच्चों की भाँति उन मनुष्यों को भी, जिनका मानसिक विकास नहीं हुआ रहता, वैसी कहानियाँ ज्यादा रुचिकर मालूम होती हैं। ग्राम-गीतों की रचना में ऐसी प्रवृत्ति प्रायः सर्वत्र पाई जाती है। मानव-जीवन का पारस्परिक संबंध-सूत्र कुछ ऐसा विचित्र है कि जिस बात को हम एक काल और एक देश में बुरा समझते हैं, उसी बात को हम दूसरे काल और दूसरे देश में अच्छा मान लेते हैं।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) बच्चे अब भी क्या सुनने के लिए ज्यादा उत्कंठित रहते हैं?
(ग) ग्राम-गीतों में कैसी प्रवृत्ति प्रायः सर्वत्र पाई जाती है?
(घ) मानव-जीवन के संबंध-सूत्र की क्या विचित्रता होती है?
(ङ) इस गद्यांश का आशय लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-ग्राम-गीत का मर्म, लेखक-लक्ष्मी नारायण सुधांशु।

(ख) बच्चे अब भी राजा-रानी, राक्षस, भूत, जानवर आदि की कहानियाँ सुनने को ज्यादा उत्कठित रहते हैं। नानी की कहानियाँ इसीलिए उनके लिए ज्यादा प्रिय होती हैं क्योंकि इनमें ऐसे ही पात्रों की कहानियाँ ज्यादा होती हैं। वे पात्र जीवन से दूर के और अप्रत्यक्ष होते हैं।

(ग) ग्राम-गीतों में साधारण और प्रत्यक्ष जीवन की घटित घटनाओं तथा जीवन से दूर की और अप्रत्यक्ष बातों को जानने की प्रवृत्ति ज्यादा होती है।

(घ) मानव-जीवन के पारस्परिक संबंध-सूत्र की कुछ ऐसी विचित्रता होती है कि आज जो बात किसी देश और कालविशेष में ग्राह्य या अच्छी लगती है, कल वही बात दूसरे देश और समयांतर में अग्राह्य और बुरी लगने लग जाती है। मनुष्य की इस मानसिक वृत्ति की विचित्रता का परिचय ग्राम-गीतों में वर्णित देवी-देवताओं, भूत-प्रेतों तथा राजा-रानियों की कहानियों के संदर्भ में ज्यादा मिलता है।

(ङ) इस गद्यांश में लेखक ने ग्राम-गीतों की रचना की प्रवृत्ति पर प्रकाश डाला है। इस क्रम में लेखक का यह कथन है कि बच्चे ग्राम-गीतों में आई राजा-रानी भत-प्रेत राजकमार-राजकमारी की कहानियों को सनने के लिए ज्यादा व्यग्र और उत्कठित रहते हैं। इसी कारण नानी की या दूर की कहानियाँ उनके लिए विशेष प्रिय होती हैं। मानसिक दृष्टि से अविकसित लोगों की भी यही बच्चों वाली मानसिकता होती है। हाँ, कालक्रम में समय और स्थान में परिवर्तन के साथ लोगों की यह प्रवृत्ति बदल भी जाती है।

8. उच्च वर्ग के लोगों के प्रति समाज में विशिष्टता की धारणा ज्यों-ज्यों कम होने लगी, त्यों-त्यों निम्न वर्ग के प्रति हमारे हृदय में आदर का भाव जमने लगा और इस प्रकार काव्य में ऐसे पात्रों को सामान्य स्थान प्राप्त होने लगा। हृदय की उच्चता-विशालता किसी में हो, चाहे वह राजा हो या भिखारी, उसका वर्णन करना ही कवि-कर्म है। ग्राम-गीत में दशरथ, राम, कौशल्या, सीता, लक्ष्मण, कृष्ण, यशोदा के नाम बहुत आए हैं और उनसे जन-समाज के बीच संबंध का प्रतिनिधित्व कराया गया है। श्वसुर के लिए दशरथ, पति के लिए राम या कृष्ण, सास के लिए कौशल्या या यशोदा, देवर के लिए लक्ष्मण आदि सर्वमान्य हैं। इसका कारण हमारा वह पिछला संस्कार भी है, जो धार्मिक महाकाव्यों ने हमारे चित्त पर डाला है।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) काव्य में कब और कैसे निम्न वर्ग के पात्रों को सामान्य स्थान प्राप्त होने लगा?
(ग) कवि-कर्म क्या है?
(घ) ग्राम-गीतों में दशरथ, राम, कौशल्या, कृष्ण और लक्ष्मण को समाज के बीच किन संबंधों का प्रतिनिधित्व कराया गया है?
(ङ) धार्मिक महाकाव्यों ने हमारे चित्त पर क्या प्रभाव डाला है?
उत्तर-
(क) पाठ-ग्राम-गीत का मर्म, लेखक-लक्ष्मी नारायण सुधांशु।

(ख) उच्च वर्ग के तथाकथित सम्मानित लोगों के प्रति समाज में जैसे-जैसे विशिष्टता की धारणा कमने लगी, वैसे-वैसे हमारे हृदय में निम्न वर्ग के लोगों के प्रति आदर और सम्मान का भाव पुष्ट होने लगा और इस रूप में काव्य में निम्न वर्ग के पात्रों को सामान्य स्थान प्राप्त होने लगा।

(ग) लेखक के अनुसार कवि-कर्म यह है कि वह (कवि) अपनी कविता में ऐसे लोगों के वर्णन को स्थान दे जिनका चरित्र उदात्त हो तथा जो हृदय की उदारता, उच्चता और विशालता के गुणों से भूषित हों। कवि इस कर्म के अनुष्ठान में यह नहीं देखता है कि उसके काव्य में वर्णित व्यक्ति उच्च वर्ग का है या निम्न वर्ग का दीन-हीन भिखारी। आर्थिक स्थिति और स्तर की बात का कवि-कर्म में कोई स्थान नहीं है।

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A. Work in small groups and discuss these questions :

Animals In Prison Question Answer Bihar Board Class 11 Question 1.
Make a list of the birds whose songs are sweet. Do you hear them often ? When and where do you hear them ?
Answer:
Bulbul and Koel are some of the singing birds. I don’t hear them often. But sometimes I hear one of the birds singing when I go out for a walk in the afternoon.

Animal In Prison Question Answer Bihar Board Class 11 Question 2.
What is the relation between birds and trees ? Can you imagine birds without trees ?
Answer:
There is an intimate relation between birds and trees. Most birds make their nests in trees to lay eggs. They eat fruit of trees and find shelter from heat and cold in their leaves. They protect themselves from their predators by flying from tree to tree. Indeed I can hardly think of birds without trees.

Animals In Prison Class 11 Question Answer Bihar Board  Question 3.
Do you love animals How do you show your love to them ?
Answer:
Yes, I love animals. I never harm them. I feed animals and try to protect them whenever I can. I believe God has made them, and so they have a purpose to serve.

B. 1.1 Read the following sentences and write T for true and F for false statement :

  1. Nehru disliked the little cell.
  2. Nehru lived with other prisoners in his cell.
  3. Nehru was allowed to go out and walk up and down in front of the gate.
  4. Nehru was imprisoned in the European Lock-up.
  5. Nehru loved the sight of the Himalayas.
  6. Spring in Dehra Dun is longer than that in the plains.
  7. The change from bud to leaf is sudden.

Answer:

  1. F
  2. F
  3. F
  4. F
  5. T
  6. T
  7. T

B. 1. 2. Answer the following questions briefly :

Animals In Prison Ka Question Answer Bihar Board Class 11 Question 1.
How long did Nehru live in his little cell in Dehra Dun Jail ?
Answer:
Nehru lived for fourteen and a half months in his little cell in Dehra Dun jail.

Animals In Prison Class 11 In Hindi Bihar Board  Question 2.
Whom did Nehru treat as his old friends ? Can you make friends with them ?
Answer:
Nehru treated tufts of grass and bits of stones in the little yard outside his cell as his old friends.

I cannot make friends with them.

Animals In Prison In Hindi Bihar Board Class 11 Question 3.
Who were the other occupants of the little cell ? Did Nehru like them ?
Answer:
Lizards, wasps and hornets were the other occupants of the cell. Nehru liked them.

Animals In Prison Pdf Bihar Board Class 11  Question 4.
‘………. but in Dehra Dun I had one privilege. ‘What is the privilege Nehru is referring to ? Was it Nehru’s special privilege ?
Answer:
Nehru had the privilege to walk every morning and evening up and down in front of the gate (but not outside the gate).

It was not Nehru’s special privilege. All A and B class prisoners had this privilege.

Animal In Prison Summary Bihar Board Class 11 Question 5.
What was European Lock-up meant for ? How was it different from the other jail ?
Answer:
The European Lock-up was meant for European convicts. It was different from the jail because it had no enclosing wall. A person inside his cell could have a fine view of the mountains and life outside.

Animals In Prison Class 11 Bihar Board Question 6.
‘Only a prisoner who has been confined for long behind high walls can appreciate the extraordinary psychological value of these outside walks and open views.’ What does Nehru mean by this ? Explain.
Answer:
In prison, Nehru greatly admired the mountains and enjoyed the traffic on the public highways outside the prison gate. But the people outside would not find much to admire them. We appreciate the value of a thing when we aie deprived of it. We value freedom when we are confined. Only a thirsty man in a desert knows the value of a drop of water.

Animals In Prison By Jawaharlal Nehru Bihar Board Class 11 Question 7.
How did the sight of the towering Himalaya move his heart ? What lesson did he derive from the mountains ?
Ans.
Nehru found a great comfort being in the proximity of the mountains. There was secret intimacy between Nehru and the mountains.

Nehru learned to be calm when he was depressed, sad or lonely.

Animal In Prison In Hindi Bihar Board Class 11 Question 8.
Which sight does Nehru call ‘gay’ and ‘cheering’ ? How does he describe it ?
Answer:
Nehru calls the budding of bare peepal trees ‘gay’ and ‘cheerful’. He describes it a wonderful sight to see green buds all over the naked tree. Then suddenly the buds turned into leaves. It is a mystery. It appears that some secret operations’ had been going on behind the scenes.

He says,”……….. very rapidly the leaves would come out in their millions and glisten in the sunlight about the breeze.”

B. 2.1. Complete the following sentences on the basis of the lesson :

  1. The monsoon rains were always welcome because
  2. One longed for decent habitation, because of
  3. The prisoners became more observant of nature’s way because
  4. Nehru wanted to exterminates wasps because

Answer:

  1. The monsoon rains were always welcome because they ended the summer heat.
  2. One longed for decent habitation, because of a hail
  3. The prisoners became more observant of nature’s way because the watched the various animals and insects that came their way.
  4. Nehru wanted to exterminates wasps because they had stung him.

B. 2. 2. Answer the following questions briefly :

Animal In Prison Pdf Bihar Board Class 11 Question 1.
What is the colour of fresh mango leaves ? When do they become green ?
Answer:
The colour of the fresh mango leaves are of reddish-brown & chocolate (coffee) colour. But they soon change their colour and become green.

Question 2.
What made Nehru cooped up ?
Answer:
Within the first five or six weeks of the monsoon-break, there had been heavy rain, about fifty to sixty inches and so it was not pleasant for Nehru to sit in a small place.

Question 3.
What made noise like an artillery bombardment ?
Answer:
In Autumn or in winter some times it rained with thunder. Occassionally there would be hailstorm with hailstones bigger than marble coming down on the corrugated iron roofs and making a tremendous noise, something like an artillery bombardment.

Question 4.
Why does Nehru remember 24th of December 1932 ? How does it throw light on Nehru’s Love for Nature ?
Answer:
There was a thunder storm and rain all day, on 24th December, 1932 and it was bitterly cold : Nehru realised it as one of the most miserable days from the bodily point of view that he had spent in the prison. It was shivering cold that day. But in the evening there came a sudden change and his misery ended as the weather cleared up shortly. The next day—Christmas day was lovely and clear with a beautiful view of snow-covered mountains. As such Nehru remembers that day very much.

Question 5.
“I realized that while I complained of loneliness, that yard, which seemed empty and deserted, was teeming with life”. Which life is being referred to here ?
Answer:
During his confinement Nehru was prevented from indulging in normal activities, he felt loneliness. But soon he observed that he is not alone there. All sorts of insects were living in his cell and the open outer spaces. Those small creatures (insects) had removed the monotony. There presence had brought life in the cell. Nehru had referred the presence of creeping, cranling or flying insects there. It had brought life in the cell and the yard.

Question 6.
How was the problem of feeding the lost baby squirrels solved ? What was ingenious about it ?
Answer:
Nehru solved the problem of feeding the lost baby squirrels, with the help of a fountainpen filler. A little cotton wool had attached to it and made it an efficient feeding bottle.

Question 7.
What behaviour of the parrots does Nehru describe here ? Does it have any resemblance to human behaviour ?
Answer:
While Nehru was in Naini Jail, thousands of parrots were there and many of them lived in the cracked portion of the barrack walls. Sometimes there was fierce quarrels between the two male parrots over a lady parrot, to show their superiority and than sit calmly to see the reaction of the female parrot, as to whom she agreed to marry with.

Such type of tendency is also found in human behaviour. They also have the same Psychological activities and reaction to this effect.

B. 3.1. Complete the following sentences on the basis of the lesson :

  1. Nehru could not see most of the birds, he could only hear them because …………………
  2. In Alipore Jail Nehru woke in the middle of night because …………………
  3. Long term convicts often keep animal pets because …………………
  4. The bitch used to come to Nehru for food because …………………
  5. The puppy survived because …………………
  6. Nehru could not look after his pet dogs properly because …………………

Answer:

  1. Nehru could not see most of the birds, he could only hear the because of the fact that there were no trees in his little yard in the prison.
  2. In Alipore Jail Nehru woke in the middle of night because he f T something crawling over his feet.
  3. Long term convicts often keep animal pets because they often seek some emotional satisfaction by keeping them.
  4. The bitch used to come to Nehru for food because he began to feed her regularly.
  5. The puppy survived because Nehru nursed her with care, even to get up a dozen times during the night to look after her.
  6. Nehru could not look after his pet dogs properly because other matters claimed his attention.

B. 3.2. Answer the following questions briefly :

Question 1.
‘Dehra Dun had a variety of birds’. Make a list of the birds that make this variety.
Answer:
Dehra Dun had a variety of birds and there was a regular jumble of singing and lively chattering and twittering. They include the Koel’s plaintive call.

Various kinds of birds in Dehra Dun Jail whom Nehru happened to see or hear were

  1. Koels
  2. Brain fever birds
  3. Eagles
  4. Kites and
  5. Wild ducks.

Question 2.
Why was “Bird-Fever” named so ?
Answer:
The brain fever bird was so named because it wonderfully went on repeatin the same notes continuously, in day time and at night, in sunshine days and in pouring rain.

Question 3.
How did the little monkey rescued ?
Answer:
The parent (presumably) of the little monkey saw from the top of the high wall that a bit of string was tied round the neck of him (the baby monkey). A huge monkey suddenly jumped down into the crowd which surrounded the baby monkey. The crowd fled terrified and thus the little monkey was rescued.

Question 4.
We often had animal visitors that were not welcome. Name the animals Nehru is referring to.
Answer:
Neliru is his reference is talking of those animals who were frequently found in his cells. After thunder storms scorpions were often visible there. Snakes were also found. Once a centiped had also visited his cell and was found on his bed in the middle of night. These were the animals frequently visling his cells, who were disliked by Nehru.

Question 5.
“As as matter of fact I welcomed the diversion.” Which diversion is Nehru talking about ?
Answer:
Actually prison life is dull enough, and everything that breaks through the montony is appreciated. Sometimes the most unimportant and undesireous creatures remove monotony and brings happy change. Nehru was leading a dull and isolated life in the prison. In support of his views he described his meeting with snakes, scorpions and centipades. He was neither horrified nor disliked them, rather he found them his best companion during his rough and monotonous prison life.

Question 6.
What made Nehru vault clear out of the bed ?
Answer:
In Alipore Jail in Calcutta one night Nehru felt something moving slowly over his feet. With the help of a torch he saw a centipede on his bed. He jumped out of his bed immediately with wonderful swiftness and almost touched the cell wall.

Question 7.
How did Nehru get tied to some dogs ?
Answer:
At Dehra Dun Jail dogs were not allowed. But Nehru got tied up with some dogs incidentally there. A jail official had brought a bitch. He left her at Dehra Dun Jail, when he was transferred to some other jail. She became homeless living in a covered drain and picked up bit of uneaten foods from the warders. She used to come to Nehru also for the needful. He (Nehru) began to feed her regularly.

Question 8.
What did Nehru do when the puppy fell ill ? Do you have a similar experience of your own ?
Answer:
One of the puppies, given birth by a bitch, in a covered drain of Dehra-Dun Jail fell ill with a violent distemper (a disease of dogs). She gave a shock of Nehru. He nursed her with great care and sometimes he would get up a dozen times in the night to look after her. She became all right and Nehru was happy to see his efforts become fruitful. It was the greatest pleasure for him.

I remember, similar incident had happened in my life few years back. There was a street dog in my neighbourhood. He was regularly visiting my house. I used to wait his coming at my residence and provide him with some bread or other cooked meal. One day he did not turn up. The day following I inquired about him and came to know of his illness. He was lying in an open space under a tree. I arranged to bring him at my residence and nursed him. He became cured within a couple of days. It was the matter of great pleasure for me.

C. 1. Long Answer Questions :

Question 1.
Pick out instances that show Nehru’s love for small animals.
Answer:
While in prison Nehru derives pleasure from watching different animals and gives respect even to the tiniest animals. His love for small animals comes true with his expression and action. He spent his lonely time in association with wasps, hornets, and Lizards. According to Nehru, Creeping, crawling and flying insects living there were removing his monotony of life. A pair of ‘Mainas’ had got great intimacy with him.

He developed intimacy with a bitch and her puppies. At Lucknow Jail, squirrels were his best friends. Alrnora jail witnessed his intimacy with a pair of ‘mainas’. In Naini jil there were thousands of parrots. In Bareilly Jail Nehru met with a large number of monkeys. In Alipore jail he saw a centipede on his bed at night. It was crawling his feet which compelled him to come out of the bed immediately. Some uncalled for visitors like snakes and scorpions were also frequently found in his cell or outside the yard.

The above noted instances shows Nehru’s intimacy and love for small animals.

Question 2.
How did the parent monkey rescue its baby ? Why does Nehru call its courage “reckless” ?
Answer:
Nehru narrates his experience relating to the efforts of parent monkey to the rescue of its baby. There was a large colony of monkeys in Bareilly jail. Nehru had referred to a particular incident. A baby monkey managed to come down into the barrack of the jail compound but he could not climb up the wall again.

The warder and some convict overseers with some other prisoners caught hold of him and tied a bit sting round his neck. The parent, as presumed, of the monkey baby saw it with anger from the top of the wall. Thenafter a huge monkey jumped down into the crowd surrounded the monkey baby. His reckless and abrupt act terrified the crowd and the little monkey was rescued.

Nehru was highly impressed to see this extra ordinary brave act of the monkey.

Question 3.
Does the parent monkey’s behaviour in saving its baby tell anything about the human nature ?
Answer:
The incident which took place in Bareilly jail shows that we are not kind to the animals. It very well throw light on human nature. At Bareilly jail, there was a large colony of monkeys. Monkeys used to jump and climb hither and thither, creating an interesting scene. In one occassion a baby monkey came down into the barrack enclosure but he could not mount up the high wall. The warder and other prisoners caught hold of him and tied a bit of sting round the neck. The parents monkeys watched it with angers. Suddenly a huge monkey jumped down fearlessly and get the baby monkey freed as the terriffied crowd of men fled. Thus the baby monkey was rescued.

Therefore it shows the inhuman behaviour and nature of human beings and their merciless deeds. Had the parent monkey did not freed him the warder and other prisoners might have penalised him.

Question 4.
What are the advantages and the disadvantages of the monsoon ? How did it effect Nehru’s life in jail ?
Answer:
Monsoon rains are most pleasant. When after the scorching heat of the summer season we get the comfortable showers we become happy. Trees, plants, bushes and creepers, they all become green and gives a nice look. But there is another aspect. The torrential rain creates a number of discomforts and trouble. Heavy rainfall creates inconvenience and disrupt the days work.

Nehru had an immense love for nature. He used to feel pleasure in watching the nature. Monsoon was highly soothing and pleasant for him. The rain drops of the monsoon was the gift of pleasant atmosphere for Nehru. The earth covered with green grassy sheets. But the heavy rainfall was disliked by Nehru. Torrential rain compelled him to confine in the jail’s cell. It had caused much discomfort to him as the rain water was dripping from the ceiling.

Question 5.
Why does Nehru say that worship and kindness do not always go together ? How does he show it ?
Answer:
Nehru says that Indians believe in non-violence and look upon all life as sacred. But they are indifferent to them. He shows this by the example of cows. Many Hindus worship cows. But they are indifferent and unkind to them. We can see hundreds of stray cows. But no one cares to look after them. Indeed worship and kindness do not always go together.

Question 6.
What does Nehru say about people and their patron animals ?
Answer:
Nehru says that different countries have adopted different animals as their patrons. Those animals are the symbols of their ambition or character. Eagle is the patron animal of the United States and that of Germany. Bull dog is the symbol of and Germany have adopted the eagle as the symbol of their countries. The lions and bull dog are of England, the fighting cock is of France.

The bear is of old Russia. These patron animals mould national character. Most of them are aggressive, fighting animals, beasts of prey. It is not surprising that the people who grow up with these examples before them should mould themselves consciously after them and strike up aggressive attitudes, and roar, and prey on others. Nor it is surprising that the Hindu should be mild and non-violent for his patron animal, the cow.

Question 7.
‘We would not see most of these birds; we could only hear them as a rule, as there were no trees in our little yards.’ What light does it throw on the relation between the birds and plants ?
Answer:
Nehru wants to point out the close relationship between birds and trees. He could hear the chirp of birds in the jail of Dehra Dun but he could not see them as there were no trees in the yard. He used to watch the flying eagles and kites gliding gracefully high up in the air. Sometimes they were swooping down and then carried up themselves by a current of air.

A hord of wild duck used to frequently fly over his head. There was variety of birds in Dehra Dun. Nehru could only hear their singing, chattering and twittering. He could hear the koel’s plantive call. During the monsoon the Brain-fever bird used to visit the jail. But he could not see most of the birds because there was no tree. They build up their nests on the tree. They rest in the night in their nests so they could be seen at least in the morning and in the evening. The birds are also attracted towards the fruits which the trees bear.

They make their abode to the trees in rains and storms. They lay eggs in the nests which they build on the trees. So there is a close relationship between birds and trees. This is what Nehru wants to say through his statement.

Question 8.
All animals, howsoever small they might be, deserve respect. Pick out instances from the lesson in favour of this statement
Answer:
The following instances in different jails tell us that Nehru’s point of view was in favour of the animals, however small they may be.

In the jail of Dehra Dun there were wasps, hornets and lizards in his cell. In the campus he could see mainas, koels and brain fever birds. He considered them the source of entertainment and to break the monotony in the jail life. He took special care of puppies and their mother bitch when she was left wamderer by a jail official. He looked after her puppies day and night when they fell ill. At Lucknow jail there were a number of squirrels which were 4 friendly to him. In Naini Jail there were thousands of parrots. In Bareilly jail he enjoyed the funny actions of monkeys. At Alipore jail he met with scoipions and snakes and did not have disliking for these uncalled visitors. He had similar sympathy and affection for all these animals.

Question 9.
A good autobiography is honest In what ways do you think Pandit Nehru is honest in writing about his life in jail ? Use specific references from the lesson as examples.
Answer:
Nehru has given a true account of his life in jail. He has neither exaggerated nor has tried to win undue sympathy of his readers. He has honestly expressed his feelings and emotions, his joys and his actions.

He has described how lonely and depressed he was when there were no interviews. He would sit quitely and look at the distant mountains. He describes how he watched plants, trees and animals. He has even faithfully described a few events like the rescue of the baby monkey by its parent in the face of danger to his life.

Nehru has very honestly described his feelings about animals. He tells us how he got angry when a wasp stung him, and he tried to destroy their nest. He also honestly tells us about his feeling of repulsion about centipedes. One night he jumped out of his bed because he found a centipede there. He was panicked. He does not’try to hide the fact that he was not very brave. He has given a true account of his strength and weakness.

Question 10.
A good autobiography is also very self aware. How self aware do you think the author has been in the personal statements contained in the work ? Use examples from the work to support your opinion.
Answer:
As autobiography is the description of true incidents drawn from one’s life in his own language. It is also self-awarded. The person expresses about all that he thought and felt in his life. It is important that what he writes should be based on self-awareness. Nehru has also maintained all these in his autobiography. He has described the true facts of his life in his autobiography. He is very much particular in describing the real facts and circumstances of his life.

In this piece he has described his activities and reactions while he was in different jails. He broke his monotony enjoying the natural sights from the jail campus especially in Dehra Dun Jail. Different birds and small animals were his friends and companions to break up his monotony. It is also a point to be noted how he expressed his pity and sympathy for them. How he was judicious to them. He developed intimacy and love for mainas, parrots, pigeons, squirrels, puppies etc.

He was even judicious for wasps, hornets, lizards and other creeping, crawling and flying insects. He had also love for nature. He was impressed with the beauty of the spring and explained, “It was a gay and beautiful sight. How wonderful is the sudden change from bud to leaf.” Further he adds’, “The monsoon rains were always welcome.” His compassion for small creatures reflects from these line, “One of the puppies fell ill with a violent distemper and gave me a great deal of trouble. I nursed her with care. She survived her normal.” Thus Nehru’s autobiography is the best example of his self awareness.

C. 2. Group Discussion :

Discuss the following in groups or pairs.

Question a.
The company of nature is most soothing.
Answer:
Nature is our mother. As a child finds comfort in the lap of his mother, so does man find peace in natural surroundings. Green trees, flowing rivers, flowers, floating clouds, towering mountain peaks, multi-coloured birds, and animals and insects all are wonderful, objects of nature. Whenever man is sick of noise and pollution, haste and tension, he goes for a holiday on a hill station or a coastal place on the sea. There he forgets his worries and finds comfort and peace. Our rishis and saints liked to live in the lap of nature because they felt close to God there. Great poets and philosophers loved nature and expressed the joy they felt there.

Question b.
Life would be dull if there was no variety of life on the earth.
Answer:
They say that variety is the spice of life. If there is no variety, there is monotony. A person gets sick of seeing the same thing, however beautiful, all the time. Nehru was a great admirer of mountains. But he confesses that he got wearied of it too. Monsoon is welcome after a long spell of summer. But we soon get tired of it also. One may love sweets, but one cannot eat too much of it. One craves for salt. We find abundance of variety in nature-animals, plants, insects and birds. Each has its own beauty, and its own ways. This variety brings us joy.

Question c.
Live and let live.
Answer:
Nehru’s foreign policy was based on the principle ‘Live and let live’. He called it peaceful co-existence. There are a number of philosophies and several religions. Every man is peculiar. No two humans are alike. We cannot change everyone to our point of view. Shall we kill all those who do not agree with us ? No. If a man like Hitler wanted it, he too could not do it. The best way is to live and let others live. Only then there can be peace, and peace leads to progress and happiness.

C. 3. Composition :

Write a paragraph of about 100 words on the following :

Question a.
Ecological balance
Answer:
Ecology includes all living things, men, animals, plants, and non¬* living things like water, soil and air, and their inter-relationship. Our earth is not a lifeless rock. It is a living thing with a variety of animals and plant life. When air, water and soil are not polluted, when all living things live the way they have lived for centuries there is ecological balance. But when there is pollution, when things are over-used, and misused, the balance is disturbed. Today we are worried about global warming, pollution, ozone hole, extinction | of species, contamination of water and air. Man is blamed for creating this mess. We must know that we are part of this ecology. If it goes out of balance, I we may not live.

Question b.
The need and importance of plantation drives.
Answer:
Only a hundred years ago, we had vast forests in our country. Those forests provided us with medicines, wood, timber, fruit and cosmetics. They were full of wild animals. Now most of them have been driving. Besides other I things, it has resulted in greenhouse effect because trees take up carbon dioxide and give us oxygen. It has resulted in less rain and erosion of the soil. We are deprived of natural beauty too.

Now we must plant more trees to restore the balance between oxygen and carbon dioxide. Trees will cool the atmosphere and check erosion of the soil. But planting trees is not enough. We must protect them also, so that they grow up into tall and sturdy trees.

D. Word-Study :
D. 1. Dictionary Use :

Ex. 1. Correct the spelling of the following words :

Bihar Board Class 11 English Book Solutions Chapter 1 Animals in Prison 1

Ex. 2. Look up a dictionary and write two meaning of each of the following words – the one in which it is used in the lesson and the other which is more common:
Bihar Board Class 11 English Book Solutions Chapter 1 Animals in Prison 2
Answer:
Cell:
(i) a room for one or more prisoners in prison.
(ii) the smallest unit of living matter that can exist on its own

Prey:
(i) a bird that is hunted and eaten by officials (in the jail).
(ii) a person who is harmed or tricked by somebody.

Privillege:
(i) a special advantage that prisoner of classes A and B had
(ii) something that you are proud and lucky to have the opportunity to do

Convict:
(i) prisoners
(ii) to decide and state officially in court that somebody is guilty of a crime

Tint:
(i) hue, colour
(ii) an artificial colour used to change the colour of hair

Gaunt:
(i) thin
(ii) not attractive and without any decoration

Intimacy:
(i) closeness
(ii) the state of having a close personal relationship with somebody.

D. 2. Word-formation :

Look at the following example:

I knew every mark and dent on the whitewashed walls and on the uneven floor and the ceiling with its moth-eaten rafters.

You see that in the above sentence ‘whitewashed’ is made of two words ‘while’ (adj) and ‘washed’ (verb) and ‘moth-eaten’ of’moth’ (n) and ‘eaten’ (verb). You also see that ‘uneven’ is derived from ‘even’ by adding prefix ‘un’ to it.

Ex. 1. Pick out from the lesson the compound words and tell, as illustrated above, which words have been combined together to make a compound word.
Ex. 2. Pick out from the lesson the words which have been derived by adding a ‘prefix’ or ‘suffix’ to it.
Answer:
Ex. 1.
‘Ankle-deep’ – It is made of two words – ‘Ankle’ (n) and ‘deep’ (adj).
‘Sunlight’ – It is made of two words – ‘Sun’ (n) and ‘light’ (adj)
‘Snow covered’ – It is made of two words – ‘Snow’ (n) and ‘covered’ (v)
‘Love-making’ – It is made of two words – ‘Love’ (n) and ‘making’ (v)
‘Brain-fever’ – It is made of two words – ‘Brain’ (n) and ‘fever’ (n)
‘Long-term’ – It is made of two words – ‘Long’ (v) and ‘term’ (n)
‘Bed-bugs’ – It is made of two words – ‘Bed’ (adj) and ‘bug’ (n)

Ex. 2. Uneven, enclosing, denuded, remarkably, lovely, inadvertently, impatient, distemper, outside.

D. 3. Word-meaning :

Ex. 1. Match the words given in Column-A with their meanings given in Column-B:
Bihar Board Class 11 English Book Solutions Chapter 1 Animals in Prison 3
(b) Occasionally there would be a hailstorm
(c) In Lucknow gaol I used to sit reading almost without moving

You see that used to /would in the above sentences are followed by an infinitive and they suggest habitual action in past.

Ex. 1. Pick out from the lesson sentences with ‘used to’ and ‘would’.
Answer:
I would have welcomed the outing in my place, …. (Para-3) and I would be startled to find little bits of green peeping out all over them. (Para-5)
Occasionally there would be a hailstorm …. (Para-8)
I used to watch the ants and the white ants ….. (Para-12)
They would become very venturesome ….. (Para-13)
In Lucknow Gaol I used to sit reading almost without moving ….. (Para-13)
And then it would look into my eyes and realize… (Para-13)
………… and then it would scamper away. (Para-13)
A pair of them nested over over my cell-door in Dehra Dun, and I used to feed them. (Para-14)
But, I used to watch the eagles and the kites ……. (Para-16)
for I would come across them in the most unlikely places on my bed ….. (Para-14)
But there would be no feeling of repulsion ……. (Para-19)
………. and sometimes I would get up a dozen times in the course of the night to look after her. (Para-21)

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Bihar Board Class 9 Geography Solutions Chapter 1 स्थिति एवं विस्तार

Bihar Board Class 9 Social Science Solutions Geography भूगोल : भारत : भूमि एवं लोग Chapter 1  स्थिति एवं विस्तार Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Social Science Geography Solutions Chapter 1 स्थिति एवं विस्तार

Bihar Board Class 9 Geography स्थिति एवं विस्तार Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न :

निर्देश : नीचे दिये गये प्रश्न में चार संकेत चिह्न हैं जिनमें एक सही या सबसे उपयुक्त हैं। प्रश्नों का उत्तर देने के लिए प्रश्न संख्या के सामने वह संकेत चिह्न (क, ख, ग, घ) लिखें जो सही अथवा सबसे उपयुक्त हों।

Bihar Board Solution Class 9 Social Science प्रश्न 1.
क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का विश्व में कौन-सा स्थान है ?
(क) 7 वाँ
(ख) 9 वाँ
(ग) 5 वाँ
(घ) 8 वाँ
उत्तर-
(क) 7 वाँ

Bihar Board Class 9 Geography Solutions प्रश्न 2.
भारत के अक्षांशीय एवं देशान्तरीय विस्तार में लगभग कितने डिग्री ‘का अंतर है ?
(क) 45°
(ख) 40°
(ग) 30°
(घ) 35°
उत्तर-
(ग) 30°

Bihar Board Class 9 Social Science Solution प्रश्न 3.
भारत की मानक मध्याह्न रेखा का मान है
(क) 83930′
(ख) 81°53′
(ग) 82°30′
(घ) 80°30′
उत्तर-
(ग) 82°30′

Bihar Board Class 9 Geography Solution प्रश्न 4.
भारत की स्थलीय सीमा रेखा तटीय सीमा रेखा से लगभग कितनी बड़ी है ?
(क) आधी
(ख) दुगुनी
(ग) तिगुनी
(घ) चौगुनी
उत्तर-
(ख) दुगुनी

Bihar Board Class 9 Geography Chapter 1 प्रश्न 5.
भारत एवं चीन के बीच की सीमा रेखा का नाम है
(क) रेडक्लिफ लाइन
(ख) मैकमोहन लाइन
(ग) ग्रीनवीच लाइन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) मैकमोहन लाइन

रिक्त स्थान की पूर्ति करें :

1. भारत का क्षेत्रफल ………………… वर्ग कि०मी० है जो विश्व के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का ………………….. % है।
2. भारत का मुख्य भू-भाग …………………… उत्तर से …………….. उत्तर – अक्षांश तथा ……………. पूर्व देशांतर से ……. .. पूर्व
देशांतर तक है।
3. भारत में कुल ….. …. राज्य एवं ………. केन्द्र शासित प्रदेश हैं।
4. श्रीलंका भारत से ……….. एवं ……. द्वारा अलग हुआ है।
5. कोसी नदी को बिहार का ……….. कहते हैं जो हिमालय के ।
……………..: पर्वत से निकलती है।
उत्तर-
1. 23.8 लाख,
2.4 2. 894′, 37°6′, 68°7′, 97225′
3. 28.7,
4. मन्नार की खाड़ी, पाक जल संधि
5. शोक, कैलाश।

कारण बताएँ

Bihar Board 9th Class Social Science Book Pdf प्रश्न 1.
भारत का अक्षांशीय एवं देशांतरीय विस्तार लगभग समान है किन्तु भूमि पर दोनों की वास्तविक दूरी समान नहीं है, क्यों ?
उत्तर-
इसका कारण यह है कि पृथ्वी पर अंतरअक्षांशीय दूरी समान रहती है किन्तु अंतरदेशीय दूरी जैसे-जैसे ध्रुव की ओर जाती हैं कम होती जाती है।

Bihar Board Class 9th History Solution प्रश्न 2.
भारत के अरुणाचल प्रदेश के निवासी सौराष्ट्र के निवासियों की तुलना में सूर्योदय होने से 2 घंटा पहले ही उठ जाते हैं, क्यों?
उत्तर-
इसका कारण है

  • अरूणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग की अंतिम देशान्तर रेखा 97225′ पूर्व है जबकि सौराष्ट्र के पश्चिमी भाग की अंतिम देशान्तर रेखा 6827′ पूर्व है। इनमें लगभग 30 देशान्तर रेखाओं का अन्तर है।
  • सूर्य पूरब में निकलता है। अतः पूरब में समय आगे होगा, पश्चिम की अपेक्षा।
  • हर देशान्तर रेखा पर सूर्य निकलने के समय में 4 मिनट
    \(\left(\frac{24 \times 60}{360}\right)\) का अंतर आता है
  • इस प्रकार सौराष्ट्र के पश्चिमी भाग में अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग की अपेक्षा समय 2 घंटे पीछे है, (4 × 30 = 120 मिनट अर्थात् 2 घंटे। .
  • देश की घड़ियाँ 80°30′ पूरब हैं। यह इलाहाबाद से होकर गुजरती है, तो जब इलाहाबाद में दिन का 12 बजता है तो सम्पूर्ण देश की घड़ियों में 12 बजता है।

Bihar Board Class 9 History Book Solution प्रश्न 3.
भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में जाड़े की ऋतु में जहाँ लोग गर्म कपड़े में लिपटे रहते हैं वहीं दक्षिण राज्य केरल के निवासी खुले बदन एवं लुंगी में रहते हैं, क्यों?
उत्तर-
इसका कारण यह है कि भारत का उत्तरी किनारा जम्मू-कश्मीर राज्य 37°6′ अक्षांश रेखा इसके उत्तरी किनारे से गुजरती है । अतः विषुवत रेखा से यह काफी दूरी पर है तथा सूर्य की किरणें यहाँ अत्यन्त तिरछी पड़ती हैं। फलतः यहाँ सूर्य ताप कम मिलता है और जाड़े की ऋतु में अत्यधिक ठंढक पड़ती है। इसके विपरीत भारत का दक्षिणी भाग-केरल विषुवत रेखा के काफी निकट है । अतः यहाँ सूर्य की किरणें अपेक्षाकृत सीधी पड़ती है और सूर्य ताप अधिक मिलता है। इस तरह जाड़े में जम्मू-कश्मीर में पुरुष गर्म कपड़े और चादरों में लिपटे रहते हैं वहीं केरल का किसान लुंगी पहने नंगे वदन खेती करता है।

Bihar Board Class 9 Geography Book Solution प्रश्न 4.
भारत की तटीय सीमा रेखा काफी लंबी है, क्यों?
उत्तर-
कारण यह है कि भारत के दक्षिण में हिन्द महासागर, पूरब में बंगाल की खाड़ी तथा पश्चिम में अरब सागर है । यह तीनों और समुद्र से घिरा है। इसी प्रायद्वीपीय आकार के कारण भारत की तटीय सीमा काफी लंबी है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

Bihar Board 9th Class Geography Book प्रश्न 1.
भौगोलिक क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से भारत से बड़े सभी देशों का नाम क्रमवार लिखें। उत्तर-भौगोलिक क्षेत्रफल से भारत से बड़े सभी देशों के नाम क्रमवार इस प्रकार हैं
उत्तर-
(i) रूस – 170 लाख वर्ग किमी० ।
(ii) कनाडा – 99.7 लाख वर्ग किमी० ।
(iii) संयुक्त राज्य अमेरिका – 98 लाख वर्ग किमी० ।
(iv) चीन – 95.9 लाख वर्ग किमी०
(v) ब्राजील – 85.4 लाख वर्ग किमी० ।
(vi) आस्ट्रेलिया – 76.8 लाख वर्ग किमी० ।

Bharti Bhawan Book Class 9 Geography प्रश्न 2.
बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में स्थित भारत के द्वीप समूहों के नाम लिखें।
उत्तर-
बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीप समूह है–अंडमान और निकोबार द्वीप समूह । अरब सागर में स्थित द्वीप समूह हैं-लक्षद्वीप तथा मालदीव द्वीप समूह ।

Bharati Bhawan Class 9 Geography Solutions प्रश्न 3.
भारत की स्थलीय सीमा रेखा को छूने वाले सभी पड़ोसी देशों के नाम लिखें।
उत्तर-
भारत की स्थलीय सीमा रेखा को छूने वाले देश हैं-पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान, बंगलादेश तथा म्यांमार हैं।

Bihar Board Class 9 Geography Chapter 1 Solution प्रश्न 4.
भारत के कौन से राज्य अंतरराष्ट्रीय सीमा तथा समुद्र तट को स्पर्श नहीं करते हैं।
उत्तर-
भास्त के राज्यों में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, हरियाणा, दिल्ली तथा असम है जो अंतर्राष्ट्रीय सीमा तथा समुद्र तट को स्पर्श नहीं करते हैं।

प्रश्न 5.
जलसंधि किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जलसंधि जल का वह संकीर्ण हिस्सा है जो दो सागरों को विभाजित करता है। जैसे पाक जलसंधि द्वारा भारत और श्रीलंका अलग होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के अक्षांशीय एवं देशान्तरीय विस्तार का इसके समय पर क्या प्रभाव पड़ता है ? स्पष्ट करें।
उत्तर-
भारत के अक्षांशीय विस्तार से समय पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है । इसके विस्तार से सर्दी गर्मी का प्रभाव पड़ता है। समय पर प्रभाव देशान्तरीय विस्तार के कारण होता है। भारत में अरुणाचल प्रदेश और कच्छ के बीच स्थानीय समय में 2 घंटों का अन्तर है। इन दोनों में 30° देशान्तरीय बिस्तार है। भारत की मानक देशान्तर रेखा 82°30′ पूवी देशान्तर है, जो इलाहाबाद के नैनी से होकर गुजरती
पृथ्वी 24 घंटे में 360° देशान्तर घूम जाती है । अतः 1° देशान्तर पार करने में पृथ्वी को 4 मिनट का समय लगता है और अरुणाचल प्रदेश के बीच 30° देशानतर का अंतर है। अतः 30°x 4 मिनट = 120 मिनट अर्थात् 2 घंटे हुए। यानी दोनों स्थानों के समय में दो घंटों का अंतर है।

यह अंतर स्थानीय समय का है । पर पूरे देश में एक समय निर्धारित रहता है। भारत में मानक समय है 829-30′ अर्थात् नैनी का समय । यहाँ जब सूर्य ठीक सिर पर आता है तो दिन का 12 बजता है और वही समय पूरे देश में लागू होता है, ताकि समय की एकरूपता बनी रहे ।

मानचित्र कौशल

मानचित्र की सहायता से निम्नलिखित की पहचान करें-
(i) भारत के सभी राज्यों की राजधानियाँ ।
(ii) केन्द्र शासित प्रदेशों की राजधानियाँ।
(iii) सबसे लंबी तटरेखा वाला राज्य ।
(iv) भारत का दक्षिणतम बिन्दु ।
(v) भारत की मुख्य भूमि का दक्षिण शीर्ष बिन्दु ।
(vi) भारत और श्रीलंका को अलग करने वाली जलसंधि ।
(vii) भारतीय उपमहाद्वीप किन देशों से मिल कर बनता है।
(viii) सार्क सदस्यों को चिह्नित करें।
उत्तर-
(i) भारत के सभी राज्यों की राजधानियाँ-
Bihar Board Class 9 Geography Solutions Chapter 1 स्थिति एवं विस्तार - 1
नोट : राजधानियों को उत्तर के क्रम में दर्शाया गया है।
Bihar Board Class 9 Geography Solutions Chapter 1 स्थिति एवं विस्तार - 2

(ii) केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्यालय :
Bihar Board Class 9 Geography Solutions Chapter 1 स्थिति एवं विस्तार - 3

(iii) सबसे लंबी तटरेखा वाला राज्य है–गुजरात।
(iv) भारत का दक्षिणतम बिन्दु-इंदिरा प्वाइंट ।
(v) भारत की मुख्य भूमि का दक्षिण शीर्ष बिन्दु-कन्याकुमारी ।
(vi) भारत और श्रीलंका को अलग करने वाली जलसंधि-पाक जलसंधि।
(vii) भारतीय उपमहाद्वीप निम्नांकित देशों से मिलकर बनता हैउत्तर-पश्चिम में पाकिस्तान, मध्य में भारत, उत्तर में नेपाल, उत्तर-पूर्व में भूटान और पूर्व में बंगलादेश ।.
(viii) सार्क सदस्य देश हैं-भारत, नेपाल, बंगलादेश, श्रीलंका,. भूटान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, मालदीव ।

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 1 भारत : संसाधन एवं उपयोग

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions Geography भूगोल : भारत : संसाधन एवं उपयोग Chapter 1 भारत : संसाधन एवं उपयोग Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science Geography Solutions Chapter 1 भारत : संसाधन एवं उपयोग

Bihar Board Class 10 Geography भारत : संसाधन एवं उपयोग Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

भारत संसाधन एवं उपयोग प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 प्रश्न 1.
कोयला किस प्रकार का संसाधन है ?
(क) अनवीकरणीय
(ख) नवीकरणीय
(ग) जैव
(घ) अजैव
उत्तर-
(क) अनवीकरणीय

भारत संसाधन एवं उपयोग Bihar Board Class 10 प्रश्न 2.
सौर ऊर्जा निम्नलिखित में से कौन-सा संसाधन है
(क) मानवकृत
(ख) पुनः पूर्तियोग्य
(ग) अजैव
(घ) अचक्रीय
उत्तर-
(ख) पुनः पूर्तियोग्य

Bharat Sansadhan Evam Upyog Bihar Board प्रश्न 3.
तट रेखा से कितने किमी. क्षेत्र सीमा अपवर्तक आर्थिक क्षेत्र कहलाते हैं ?
(क) 100 NM
(ख) 200 NM
(ग) 150 NM
(घ) 250 NM
उत्तर-
(ख) 200 NM

Geography Class 10 Chapter 1 Notes Bihar Board प्रश्न 4.
डाकू की अर्थव्यवस्था का संबंध है
(क) संसाधन संग्रहण से
(ख) संसाधन के विदोहण से
(ग) संसाधन के नियोजित दोहन से
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) संसाधन के विदोहण से

Bihar Board Class 10 Geography Solutions प्रश्न 5.
समुद्री क्षेत्र में राजनैतिक सीमा के कितने किमी. तक राष्ट्रीय सम्पदा निहित है
(क) 10.2 किमी.
(ख) 15.5 किमी.
(ग) 12.2 किमी.
(घ) 19.2 किमी.
उत्तर-
(ग) 12.2 किमी.

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Bihar Board Class 10th Geography Solution प्रश्न 1.
संसाधन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
सामान्य तौर मानवीय उपयोग में आनेवाली सभी वस्तुएँ संसाधन कहलाती हैं। जैसे भूमि, मृदा, जल, वायु, खनिज, जीव, प्रकाश इत्यादि। वर्तमान परिवेश में सेवाओं को भी संसाधन माना गया है। जैसे-गायक, कवि, चित्रकार इत्यादि की सेवा।।
वस्तुतः संसाधन का अर्थ बहुत ही व्यापक है। प्रसिद्ध भूगोलविद ‘जिम्मरमैन’ के अनुसा -“संसाधन होते नहीं, बनते हैं।

भारत संसाधन एवं उपयोग क्लास 10th Bihar Board प्रश्न 2.
संभावी एवं संचित कोष संसाधन में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
संभावी संसाधन-ऐसे संसाधन जो किसी क्षेत्र विशेष में मौजूद होते हैं, जिसे उपयोग में लाये जाने की संभावना रहती है। जिसका उपयोग अभी तक नहीं किया गया हो। जैसे-हिमालयी क्षेत्र का खनिज, अधिक गहराई में होने के कारण दुर्गम है।

संचित कोष संसाधन वास्तव में ऐसे संसाधन भंडार के ही अंश हैं जिसे उपलब्ध तकनीक के आधार पर प्रयोग में लाया जा सकता है। किन्तु इनका उपयोग प्रारंभ नहीं हुआ है। जैसे नदी का जलं भविष्य में जल विद्युत के रूप में उपयोग हो सकता है।

Bihar Board Geography Solution Class 10 प्रश्न 3.
संसाधन संरक्षण की उपयोगिता को लिखिए।
उत्तर-
सभ्यता एवं संस्कृति के विकास में संसाधन की अहम भूमिका होती है। किन्तु संसाधनों का अविवेकपूर्ण या अतिशय उपयोग; विविध सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म देता है। इन समस्याओं के समाधान हेतु विभिन्न स्तरों पर संरक्षण की आवश्यकता होती है।

Bihar Board Solution Class 10 Social Science प्रश्न 4.
संसाधन-निर्माण में तकनीक की क्या भूमिका है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
संसाधन-निर्माण में तकनीक की भूमिका अत्यंत ही महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि अनेक प्रकृति-प्रदत्त वस्तुएँ तब तक संसाधन का रूप नहीं लेती जबतक कि किसी विशेष तकनीक द्वारा उन्हें उपयोगी नहीं बनाया जाता। जैसे-नदियों के बहते जल से पनबिजली उत्पन्न करना, बहती हुई वायु से पवन ऊर्जा उत्पन्न करना, भूगर्भ में उपस्थित खनिज अयस्कों का शोधन कर उपयोगी बनाना, इन सभी में अलग-अलग तकनीकों की आवश्यकता होती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोतर

Geography Class 10 Bihar Board प्रश्न 1.
संसाधन के विकास में ‘सतत-विकास की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
संसाधन मनुष्य के जीविका का आधार है। जीवन की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए संसाधनों के सतत् विकास की अवधारणा अत्यावश्यक है। ‘संसाधन प्रकृति-प्रदत्त उपहार है।’ की अवधारणा के कारण मानव ने इनका अंधाधुंध दोहन किया जिसके कारण पर्यावरणीय समस्याएँ भी उत्पन्न हो गयी हैं।

व्यक्ति का लालच लिप्सा ने संसाधनों का तीव्रतम दोहन कर संसाधनों के भण्डार में चिंतनीय हास ला दिया है। संसाधनों का केन्द्रीकरण खास लोगों के हाथों में आने से समाज दो स्पष्ट भागों में (सम्पन्न और विपन्न) बँट गया है।

संपन्न लोगों द्वारा स्वार्थ के वशीभूत होकर संसाधनों का विवेकहीन दोहन किया गया जिससे विश्व पारिस्थितिकी में घोर संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी। जैसे भूमंडलीय तापन, ओजोन अवक्षय, पर्यावरण प्रदूषण, अम्ल वर्षा इत्यादि।

उपर्युक्त परिस्थितियों से निजात पाने, विश्व-शांति के साथ जैव जगत् को गुणवत्तापूर्ण जीवन लौटाने के लिए सर्वप्रथम समाज में संसाधनों का न्याय-संगत बँटवारा अपरिहार्य है अर्थात् संसाधनों का नियोजित उपयोग हो। इससे पर्यावरण को बिना क्षति पहुँचाये, भविष्य की आवश्यकताओं के मद्देनजर, वर्तमान विकास को कायम रखा जा सकता है। ऐसी अवधारणा सतत विकास कही जाती है जिसमें वर्तमान के विकास के साथ भविष्य सुरक्षित रह सकता है।

Bihar Board Solution Class 10 प्रश्न 2.
स्वामित्व के आधार पर संसाधन के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
स्वामित्व के आधार पर संसाधन चार प्रकार के होते हैं
(a) व्यक्तिगत संसाधन-ऐसे संसाधन किसी खास व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र में होते हैं जिसके बदले में वे सरकार को लगान भी चुकाते हैं। जैसे- भूखंड, घर व अन्य जायदाद; ही संसाधन है, जिसपर लोगों का निजी स्वामित्व है। बाग-बगीचा, तालाब, कुआँ इत्यादि भी ऐसे ही संसाधन हैं जिनपर व्यक्ति निजी स्वामित्व रखता है।

(b) सामुदायिक संसाधन ऐसे संसाधन किसी खास समुदाय के आधिपत्य में होती हैं जिनका उपयोग समूह के लिए सुलभ होता है। गाँवों में चारण-भूमि, श्मशान, मंदिर या मस्जिद परिसर, सामुदायिक भवन, तालाब आदि। नगरीय क्षेत्र में इस प्रकार के संसाधन सार्वजनिक पार्क, पिकनिक स्थल, खेल मैदान, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा एवं गिरजाघर के रूप में ये संसाधन सम्बन्धित समुदाय के लोगों के लिए सर्वसुलभ होते हैं।

(c) राष्ट्रीय संसाधन कानूनी तौर पर देश या राष्ट्र के अन्तर्गत सभी उपलब्ध संसाधन राष्ट्रीय हैं। देश की सरकार को वैधानिक हक है कि वे व्यक्तिगत संसाधनों का अधिग्रहणं आम जनता के हित में कर सकती है।

(d) अंतर्राष्ट्रीय संसाधन-ऐसे संसाधनों का नियंत्रण अंतर्राष्ट्रीय संस्था करती है। तट-रेखा से 200N.M. दूरी छोड़कर खुले महासागरीय संसाधनों पर किसी देश का आधिपत्य नहीं होता, है। ऐसे संसाधन का उपयोग अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की सहमति से किसी राष्ट्र द्वारा किया जा सकता है।

परियोजना कार्य

Bihar Board Class 10 Geography Solution प्रश्न 1.
विद्यालय में विषय शिक्षक से मिलकर एक संगोष्ठी का आयोजन करें, जिसमें उपयोग में आनेवाले संसाधनों के संरक्षण के उपाय पर चर्चा हो।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

भारत के संसाधन प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 प्रश्न 2.
अपने प्रखंड में उपलब्ध संभाव्य संसाधन का सर्वेक्षण कर उसके विकास पर आधारित एक प्रतिवेदन प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

Bihar Board Class 10 Geography भारत : संसाधन एवं उपयोग Additional Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

Bihar Board Class 10 Social Science Solution प्रश्न 1.
संसार का सबसे कीमती संसाधन कौन है? ।
(क) पशु
(ख) वन
(ग) खनिज
(घ) नदियाँ
उत्तर-
(ग) खनिज

प्रश्न 2.
निम्नांकित में कौन प्राकृतिक संसाधन नहीं है ?
(क) वन
(ख) नदियाँ
(ग) नगर
(घ) खनिज
उत्तर-
(ग) नगर

प्रश्न 3.
इनमें किस प्राकृतिक संसाधन का भण्डार सीमित है ?
(क) खनिज तेल का
(ख) सौर ऊर्जा का
(ग) हवा का
(घ) पानी का
उत्तर-
(क) खनिज तेल का

प्रश्न 4.
इनमें कौन मछलियों के अस्तित्व को खतरे में डाल सकता है।
(क) वर्षा जल
(ख) सागर जल
(ग) दूषित जल
(घ) मानव-निर्मित बांध
उत्तर-
(ग) दूषित जल

प्रश्न 5.
ज्वारी ऊर्जा (tidal energy) किस प्रकार का संसाधन है ?
(क) नवीकरणीय
(ख) अजैव
(ग) मानवकृत
(घ) जैव ।
उत्तर-
(क) नवीकरणीय

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
संसाधन कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर-
संसाधन दो प्रकार के होते हैं-
(क) भौतिक
(ख) जैविका

प्रश्न 2.
मानव निर्मित संसाधन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
मानव द्वारा विकसित किए गए संसाधन जैसे-भवन, सड़क, गाँव, मशीन, उद्योग आदि मानव निर्मित संसाधन कहलाते हैं। .

प्रश्न 3.
संभावी संसाधन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
किसी प्रदेश में वे विद्यमान संसाधन जिनका अब तक उपयोग नहीं किया गया है संभावी संसाधन कहलाते हैं।

प्रश्न 4.
जैव संसाधन क्या है ?
उत्तर-
वे सभी संसाधन, जिनकी प्राप्ति जीवमंडल से होती है और जिनमें जीवन व्याप्त है, जीव संसाधन कहलाते हैं।।

प्रश्न 5.
अजैव संसाधन क्या है ?
उत्तर-
वे सभी संसाधन जो निर्जीव वस्तुओं से बने हैं, अजैव संसाधन कहलाते हैं।

प्रश्न 6.
समाप्यता के आधार पर संसाधन कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर-

  • नवीकरण योग्य तथा
  • अनवीकरण योग्य संसाधना

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय संसाधन किसे कहते हैं ? ।
उत्तर-
कानूनी रूप से देश के भीतर मौजूद सभी उपलब्ध संसाधन राष्ट्रीय संसाधन हैं।

प्रश्न 8.
व्यक्तिगत संसाधन किसे कहते हैं ?
उत्तर-
ऐसे संसाधन, जो किसी खास व्यक्ति के अधिकार क्षेत्र में होता है, व्यक्तिगत संसाधन कहे जाते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सतत पोषणीय विकास क्या है ? रियो एजेंडा 21 और सतत पोषणीय विकास के बीच क्या संबंध है ?
उत्तर-
भावी पीढ़ियों के पोषण को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में पर्यावरण को क्षति पहुँचाए बिना विकास करना ही सतत पोषणीय विकास है। जून 1992 में ब्राजील के रियो-डी-जेनेरो शहर में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण एवं विकास सम्मेलन के तत्वावधान में राष्ट्राध्यक्षों द्वारा जिस घोषणा-पत्र को स्वीकार किया गया, उसे एजेंडा 21 कहा गया है। एजेंडा 21 एक कार्यसूची है जिसका उद्देश्य समान हितों, पारस्परिक आवश्यकताओं एवं सम्मिलित जिम्मेदारियों के अनुसार विश्व सहयोग द्वारा पर्यावरणीय क्षति से निपटना है। यह अंततः सतत पोषणीय विकास पर बल देता है।

प्रश्न 2.
नवीकरणीय एवं अनवीकरणीय संसाधनों में अंतर करें। नवीकरणीय संसाधनों का वर्गीकरण भी प्रस्तुत करें।
उत्तर-
वातावरण के वे सभी पदार्थ जो प्राकृतिक रूप में स्वतः उपलब्ध होते रहते हैं, नवीकरणीय संसाधन के रूप में जाने जाते हैं, जैसे—सूर्यप्रकाश, हवा, पानी, पेड़-पौधे, पक्षी, जीव-जंतु इत्यादि। दूसरी ओर, वैसे सभी पदार्थ जो एक बार समाप्त होने के बाद पुनः प्राप्त नहीं किए जा सकते हैं; अनवीकरणीय संसाधनों की श्रेणी में आते हैं, जैसे कोयला, पेट्रोलियम आदि।
नवीकरणीय संसाधन दो प्रकार के होते हैं-(i) वैसे नवीकरणीय संसाधन जो प्राकृतिक, भौतिक, रासायनिक अथवा जैविक प्रक्रियाओं द्वारा उत्पन्न होते हैं, उन्हें सतत उपलब्ध संसाधन कहा जाता है, जैसे-पानी, जीव-जंतु, वन इत्यादि।
(ii) वैसे नवीकरणीय संसाधन जिसकी उपलब्धता सदैव एकसमान नहीं होता है, प्रवहनीय संसाधन कहलाते हैं, जैसे नदियों में जल आदि।

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय संसाधन क्या है ? किस परिस्थिति में निजी या सामुदायिक संसाधन राष्ट्रीय संसाधन बन जाते हैं ? उल्लेख करें।
उत्तर-
वैधानिक रूप से किसी राज्य अथवा देश की सीमा के अंदर पाए जानेवाले समस्त संसाधनों को राष्ट्रीय संसाधन कहा जाता है। प्राचीनकाल में राजाओं को राज्य की संपत्ति का स्वामी माना जाता था। वर्तमान समय में यह अधिकार सरकार के पास है। आवश्यकता पड़ने पर सड़क या रेल लाइन बिछाने, नहरों और कारखानों अथवा सरकारी कार्यालयों के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण करना अनिवार्य हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में यानी राष्ट्रीय महत्त्व के निर्माण कार्य या विकासात्मक कार्य के लिए सरकार द्वारा जब निजी अथवा सामुदायिक संसाधन का अधिग्रहण किया जाता है तब वह राष्ट्रीय संसाधन बन जाता है। इसी तरह, सागरतट से 19.2 किलोमीटर दूर तक का भाग भी राष्ट्रीय संसाधन में शामिल है।

प्रश्न 4.
“संसाधन नियोजन वर्तमान समय की आवश्यकता है।” स्पष्ट करें। अथवा, संसाधन नियोजन की प्रक्रिया में शामिल कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर-
भारत में संसाधनों का वितरण काफी असमान है। किसी भी प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए कई प्रकार के संसाधनों की आवश्यकता होती है। किसी प्रदेश में संसाधन विशेष की अधिकता होती है तो दूसरे प्रदेश में इसकी कमी होती है। अतः, देश के संपूर्ण एवं एकसमान सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए संसाधनों का नियोजन आवश्यक होता है।
संसाधन नियोजन की प्रक्रिया में शामिल कार्य है

  • विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान कर उनकी तालिका बनाना।
  • आवश्यकतानुसार क्षेत्रीय सर्वेक्षण करना, मानचित्र बनाना तथा संसाधनों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक मापन करना।
  • उपयुक्त तकनीक एवं संस्थागत ढाँचा तैयार करना।
  • संसाधन विकास योजनाओं एवं राष्ट्रीय विकास योजनाओं के बीच समन्वय स्थापित करना।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोतर

प्रश्न 1.
प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपभोग कैसे हुआ है?
उत्तर-
इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रौद्योगिक तथा आर्थिक विकास ने संसाधनों की माँग में अत्यधिक तेजी ला दी है। यह बात आगे दिए गए विवरण से स्पष्ट हो जाएगी.
1. प्रौद्योगिक विकास– मानव ने आज हर क्षेत्र में नई-नई तकनीके खोज निकाली हैं। इनके फलस्वरूप उत्पादन की गति बढ़ गई है। आज उपभोग की प्रत्येक वस्तु का उत्पादन व्यापक स्तर पर होने लगा है। जनसंख्या में वृद्धि के साथ-साथ वस्तुओं की मांग भी बढ़ गई है। इसके अतिरिक्त उपभोग की प्रकृति भी बदल गई है। आज प्रत्येक उपभोक्ता पहली वस्तु को त्याग करके उसके स्थान पर उच्च कोटि की वस्तु का उपयोग करना चाहता है। इन सबके लिए अधिक-से-अधिक कच्चे माल की आवश्यकता पड़ती है। अत: कच्चे माल की प्राप्ति के लिए हमारे संसाधनों पर बोझ बढ़ गया है।

2. आर्थिक विकास आज संसार में आर्थिक विकास की होड़ लगी हुई है। विकासशील राष्ट्र अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में जुटे हैं। इसके लिए वे अपने उद्योगों का विस्तार कर रहे हैं तथा परिवहन को बढ़ावा दे रहे हैं। इसका सीधा संबंध संसाधनों के उपभोग से ही है। दूसरी ओर विकसित राष्ट्र अपने आर्थिक विकास से प्राप्त धन-दौलत में और अधिक वृद्धि करना चाहते हैं। यह वृद्धि संसाधनों के उपभोग से ही संभव है। उदाहरण के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका संसार के औसत से पाँच गुणा अधिक पेट्रोलियम का उपयोग करता है। अन्य विकसित देश भी पीछे नहीं हैं।
सच तो यह है कि प्रौद्योगिक तथा आर्थिक विकास अधिक-से-अधिक संसाधनों के उपभोग की जननी है।

प्रश्न 2.
स्वामित्व के आधार पर संसाधन के प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर-
स्वामित्व के आधार पर संसाधनों का वर्गीकरण निम्नांकित है

  • व्यक्तिगत संसाधन-व्यक्तिगत स्वामित्व के अन्तर्गत भूमि, मकान, बाग-बगीचे।
  • सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन जैसे गाँव की सम्मिलित भूमि (चारण, भूमि, श्मशान भूमि, तालाब आदि), सार्वजनिक पार्क, खेल का मैदान आदि।
  • राष्ट्रीय संसाधन-राष्ट्रीय सीमाओं के अन्तर्गत आनेवाली सड़कें, नहरें, रेलवे लाइन, सारे खनिज पदार्थ, जल संसाधन, सरकारी भूमि तथा सरकारी भवन आदि।
  • अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन-जैसे अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा अधिकृत 200 कि.मी. की दूरी से खुले महासागरीय संसाधन।

प्रश्न 3.
भारत में संसाधन-नियोजन की प्रक्रिया को लिखें।
उत्तर-
संसाधन-नियोजन एक जटिल प्रक्रिया है, इसके लिए आवश्यक क्रिया-कलाप की आवश्यकता होती है। ये क्रिया-कलाप संसाधन-नियोजन के सोपान होते हैं।
संसाधन-नियोजन के सोपानों को निम्न भागों में बाँटा जा सकता है-

  • देश के विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान कराने के लिए सर्वेक्षण कराना।
  • सर्वेक्षणोपरान्त, मानचित्र तैयार कराना एवं संसाधनों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक आधार पर आकलन करना।
  • संसाधन विकास योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी, कौशल एवं संस्थागत नियोजन की रूपरेखा तैयार करना।
  • राष्ट्रीय विकास योजना एवं संसाधन विकास योजनाओं के मध्य समन्वय स्थापित करना। हमारे देश में स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद से ही संसाधन-नियोजन के लक्षित उद्देश्यों को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है, इस संदर्भ में भारत सरकार प्रथम पंचवर्षीय योजना से ही प्रयासरत है।

Bihar Board Class 10 Geography भारत : संसाधन एवं उपयोग Notes

  • प्रकृति के द्वारा प्रदान किए गये सभी पदार्थ या वस्तएँ जो मनुष्य के जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति तथा सुख-सुविधा प्रदान करने के लिए उपयोगी होते हैं, उन्हें संसाधन कहा जाता है।
  • प्रकृति द्वारा प्रदान किए गये संसाधन विभिन्न प्रकार के होते हैं। इन संसाधनों का बहुत अधिक महत्व है।
  • मनुष्य भी एक संसाधन के रूप में है, मनुष्य का शरीर स्वयं सबसे बड़ा संसाधन है, क्योंकि इससे जीवन के विभिन्न कार्य किए जाते हैं।।
  • मनुष्य सभी प्रकार के संसाधनों के निर्माता के रूप में माना जाता है।
  • मानव की परिसंपत्ति बनने वाली सभी वस्तुएँ तथा मानव स्वयं भी संसाधन के अन्तर्गत आते हैं।
  • मनुष्य की इच्छाओं और आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाले सभी पदार्थ संसाधन कहलाते हैं, मनुष्य अपने जीवन को सुखी बनाने तथा अपने आर्थिक विकास के लिए जिन वस्तुओं का उपयोग करता है, उनका निर्माण कुछ मूलभूत पदार्थों से होता है। इन मूलभूत पदार्थों को ही संसाधन कहा जाता है।
  • संसाधन के दो वर्ग हैं—प्राकृतिक संसाधन और मानव संसाधन।
  • भूमि, जल, वायु, वन, पशु तथा खनिज पदार्थ इत्यादि प्राकृतिक संसाधन हैं। साथ ही मनुष्य स्वयं अपनी कार्य-क्षमता, कुशलता तथा तकनीकी जानकारी इत्यादि के कारण संसाधन है।
  • जीव-मण्डल में मौजूद और इससे प्राप्त होने वाले विभिन्न प्रकार के जीव जैसे पेड़-पौधे, पक्षी तथा मछलियाँ इत्यादि जैविक संसाधन हैं। वातावरण में उपस्थित सभी प्रकार के निर्जीव पदार्थ जैसे-खनिज, चट्टानें, पर्वत, नदियाँ तथा मिट्टी इत्यादि अजैविक संसाधन कहलाते हैं।
  • वातावरण में उपलब्ध सूर्य का प्रकाश, वायु, तालाब, झीलें, नदियाँ, समुद्र, पेड़-पौधे तथा मछलियाँ इत्यादि नवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं।
  • ऐसे संसाधन जिनका संचित भण्डार सीमित है तथा इन्हें अल्पकाल में कृत्रिम रूप से पुनः बनाना असंभव है, तो ऐसे संसाधनों को अनवीकरणीय संसाधन कहा जाता है, ऐसे संसाधनों के एक बार समाप्त हो जाने के बाद पुनः इन्हें प्राप्त करना संभव नहीं है। धात्विक पदार्थ अनवीकरणीय संसाधन हैं, जैसे-कोयला, लोहा, ताँबा तथा पेट्रोलियम इत्यादि।
  • कृषि भूमि, मकान, मोटरकार, मोटर साइकिल तथा मोबाइल इत्यादि निजी संसाधन हैं।
  • सामुदायिक संसाधन वे संसाधन हैं जिनका उपयोग समुदाय, गाँव तथा नगर के सभी लोगों के लिए उपलब्ध रहता है, जैसे—चारागाह, खेल का मैदान, विद्यालय, पर्यटन स्थल तथा पंचायत भवन इत्यादि सामुदायिक संसाधन हैं।
  • ऐसे सभी संसाधन जिनका उपयोग किया जा सके, भले ही उचित तकनीक, अर्थाभाव या . अन्य किसी कारण से उनका उपयोग नहीं होता हो, संभाव्य संसाधन कहे जाते हैं।
  • जिन संसाधनों को ढूंढकर उनका उपयोग किया जाता है, उन्हें ज्ञात संसाधन कहते हैं।
  • जिन संसाधनों का भण्डार पृथ्वी के अन्दर रहता है जिन्हें आधुनिक तकनीक के आधार पर खोदकर निकाला जाता है उन्हें भण्डारित संसाधन कहते हैं।
  • कुछ संसाधन जिनके उपयोग करने की तकनीक ज्ञात हो परन्तु और सस्ती तकनीक के अभाव अथवा अन्य कारणों से उनका उपयोग वर्तमान में न होता हो तथा भविष्य में उपयोग करना संभव हों उन्हें संचित संसाधन कहते हैं।
  • संसाधन का महत्व तभी तक है जबतक इसका समुचित और व्यापक रूप से उपयोग संभव होता है।
  • संसाधनों के उपयोग के सिलसिले में समय-समय पर विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय प्रयास किए गये हैं। इन प्रयासों के चलते विश्व में संसाधनों के समुचित उपयोग करने की नयी जागृति उत्पन्न हुयी है।
  • संसाधन सीमित हैं और उनका वितरण असमान है। अतः उनके समुचित उपयोग के लिए नियोजन आवश्यक है। नियोजन एक तकनीक है, बुद्धि-विवेक का काम है।
  • संसाधन नियोजन की तीन अवस्थाएँ हैं-प्रारंभिक तैयारी, मूल्यांकन और अधिकाधिक उपयोग में लाने की योजना।
  • मनुष्य प्राकृतिक संसाधनों की सृष्टि नहीं कर सकता है इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि उनका उपयोग नियोजित रूप में होना चाहिए जिससे भविष्य में भी सतत उपयोग के लिए मिलती रहे है।
  • संसाधनों का उपयोग इस तरह होना चाहिए कि पूरे क्षेत्र का संतुलित विकास हो सके।
  • संसाधनों के संरक्षण का अर्थ संसाधनों का अधिक-से-अधिक मनुष्यों की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अधिक-से-अधिक उपयोग करना है।
  • प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की आवश्यकता समझते हुये हम लोगों को इनके नियोजन पर ध्यान देना चाहिए।
  • भारत के विकास के लिए संसाधनों का नियोजन समुचित रूप से करना चाहिए। तभी देश का आर्थिक विकास हो सकता है।
  • संसाधनों का योजनाबद्ध, समुचित और विवेकपूर्ण उपयोग ही उनका संरक्षण कहलाता है।
  • प्राकृतिक संसाधनों का योजनाबद्ध और विवेकपूर्ण उपयोग करने से उनसे अधिक दिनों तक लाभ उठाया जा सकता है और वे भविष्य के लिए संरक्षित रह.सकते हैं।
  • प्रकृति की वस्तुओं का अधिक-से-अधिक उपयोग करने के लिए नियोजन की आवश्यकता है। संसाधनों का मूल्यांकन उपयोग और संरक्षण योजनाबद्ध तरीके से करना आवश्यक है। सतत पोषणीय विकास एक ऐसा विकास है जिसमें भविष्य में आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकता की पूर्ति को बिना प्रभावित किए हुए वर्तमान पीढ़ी अपनी आवश्यकता की पूर्ति करते हैं।
  • भारत और विशेष रूप से बिहार में सतत पोषणीय विकास की अवधारणा को अवश्य अपनाना चाहिए तभी अर्थव्यवस्था का समुचित विकास हो सकता है।

Bihar Board Class 10 English Book Solutions Chapter 1 The Pace for Living

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B. Answer the following questions briefly 

The Pace For Living Question Answer Bihar Board Question 1.
Where did the writer watch the play?
Answer:
The writer watched the play in Dublin.

The Pace For Living Question Answer Pdf Bihar Board Question 2.
Who was the chief character in the play?
Answer:
Hie chief-character in the play was an ageing corn-merchant of a. small Irish country town.

The Pace For Living Class 10th Bihar Board Question 3.
Does the writer dislike rapid movement in every field?
Answer:
No, die writer does not dislike rapid movement in every field.

The Pace For Living In Hindi Bihar Board Question 4.
In which situation, the writer finds himself in the cinema?
Answer:
When he goes to the cinema, he finds himself in a hopeless thick mist

The Pace For Living Is Written By Answer Bihar Board Question 5.
How does the writer classify himself as a thinker?
Answer:
The writer classifies himself as, belonging to the tribe of slow- thinkers. He realises that he is among those who are guaranteed to get the lowest marks in any intelligence test It seems that he was cursed with “I esprit de T’ espaliers”.

C. 1. Long Answer Questions 

Bihar Board Class 10 English Book Solution Question 1.
Write a few sentences about the elderly corn-merchant
Answer:
The corn-merchant was a man of many anxieties. His heart was weak. He had certain grievances. Such as:
(i) His nephew was cheating him
(ii) his wife had the strange idea of spending 10 pounds on a holiday,
(iii) Altogether the pace of life was getting too much for him still in a moment of despair he uttered a great cry from the heart. “They tell me there’s aeroplane now that goes at 1000 miles an hour. Now that’s too fast.” It seems as if he is, not satisfied with his own affairs. The complaint of the corn-merchant seems to be absolutely irrelevant.

The Pace For Living Ka Question Answer Bihar Board Question 2.
“They tell me there’s an aeroplane now that goes at 1000 miles an hour. Now that’s fast!” What light does this remark of the corn-merchant throw on the fast life today?
Answer:
The aforesaid statement signifies the pacy life of today. The world is running fast. Science has made a life full of action and fast movement. The sentiments of the corn-merchant throw the light on the tremendous change in the life of mankind. There is a comparison in the pacy life with the fast speed of an aeroplane which goes even 1000 miles an hour. The com Marchant feels it (such speed) too fast. He seems to be somewhat desperate. Thus, it glorifies the pacy life of the people in the modem time.

Bihar Board Solution Class 10 English Question 3.
What sort of excitement do we have today which our ancestors lakes? Is it an advantage or a disadvantage?
Answer:
The aeroplane flies at a very fast speed, even at 1000 miles an hour. The bus also runs fast at ninety miles an hour or even more than that. Whereas bus-journey provides pleasure and a sort of fun, the aeroplane gives us a sort of excitement. To dine in London and lunch in New-York next morning is really most enthusiastic and pleasant. Our ancestors did not enjoy such sort of excitement, because there were no fast-moving means of communication like bus and aeroplane at that time. They had the slow-running vehicles like cart and horse-carriage.

There are advantages and disadvantages both from such sort of excitement. The fast running vehicles either plying on the road and track or flying in the sky covering a long distance comparatively in much less time any other means of communication. It saves us so much time. But sometimes it becomes unfriendly, when the mental activities are directed in a particular direction, to follow the pace of machines.

The Pace For Living Story In Hindi Bihar Board Question 4.
Who are taken to be slow thinkers? How are the slow thinkers, handicapped today?
Answer:
Slow thinkers mean, persons possessing slow-mind fee, They lack in the presence of mind. Such persons do not give the proper answer to the question put before them due to inadequate commonsense and smartness. Sometimes they fail to even answer it. They lag’ behind in the pace for living. Slow thinkers are awfully handicapped, so far the act of getting a living is concerned. Time is moving fast. There has been a tremendous change in the lifestyle of men. Science has changed the mentality and activity of mankind. As such we must think and act much faster than people in the past did to fulfil our commitment. Slow thinkers are bound to remain handicapped in the business of getting a living.

Panorama English Book Class 10 Solutions Bihar Board Question 5.
What enlightenment does the writer seek from his wife? What does it suggest about the plight of the modern man?
Answer:
The writer seeks his wife’s assistance in finding out the difference between the female artists of a film. He has gone to see the cinema. The writer is a slow’ thinker. As such he thinks that all the three female artists are the same and one. His wife narrates the differences among them telling him about their complexion, and appearance.
It very well suggests the plight of the modem man. First, it throws light on the mental ability of men who cannot make difference between right or wrong, who are unable to experience the reality of life. Secondly, it throws light on the plight of the modem society. Many people fail to understand the main objective of life and as such they deeds indulge in the wrong. Thirdly, it suggests that an intelligent person possesses fast thinking. The pace for living will enable to achieve business to earn a living. But it will not provide the practical use of one’s mind to be utilized for enjoyment.

Question 6.
Summarise the central idea of the essay.
Answer:
The essay “The Pace For Living”, illustrates the characteristics of modem life. There are certain sarcastic remarks on the lifestyle of modem times.
R. C. Hutchinson in this essay nicely demonstrates the plight of the modem man. He has thrown light on the pacy life of the present time.
The writer has very well explained the advantages and disadvantages of slow and fast lives. Those who are fast thinkers will achieve the opportunity of getting a living but not the practical use for enjoyment For more details see a summary.

C. 2. Group Discussion – Discuss the following in groups or pairs

Question 1.
Life has become too fast today. ‘
Answer:
There was a time when life was an art of living and was an art of mind too, but now life is speed, and speed is life.. Living is all marked by speed, which has taken out much of the joy of life. The rash and the haste keep people always on the run, frantic and verging on the ridiculous (हास्यास्पद) condition. A businessman, a senior executive rush to office in the forenoon, and rush back home in the evening by the fastest and quickest means of transport all because of the gripping conviction that everything must be done with great speed. Thus life has become too pacy today no doubt.

Question 2.
The fast life of western society is compelling the westerners to turn to India.
Answer:
In western society, fast life to have become an obsession in the modem age in real sense. Everything must be done quickly and expeditiously as if the test of man’s progress is the speed at which one travels and the pace at which one works or gets work done in one’s house, office or factory. The hectic life at breakfast speed that people lead in today’s world symbolises pace and progress no wheras in the olden time’s people used to have plenty of leisure and apparently endless time to do things, to rest and relax, to stand and stare they chose to undertake. At that time hurry and fustle were almost unknown. Consequently, life was calm, unruffled and peaceful which seems to have gone for good. In such a situation, western society is compelling the westerners to turn to India. For this very cause, yoga has now become very’ popular in the west. There is an institution known as the wheel of yoga in Europe. Almost in every college in the west, there is a yoga society.

C. 3. Composition

1. Write a letter to your mother about a hectic day that you spent.

Frazer Road.
Patna
5th April. 2012

My dear Mamma,

in this letter, I am giving you a short description of a hectic day that I have spent recently. The school in which I read starts from 8 a.m. I have to wake up early. But one winter’s day I was rather late in getting out of my bed. So I reached school late. I was not allowed to enter in the school as the gate was closed. I rode on my cycle to go to a park with a view for studying there. When I got up to leave for my home, my cycle was gone. Perhaps somebody has stolen it when I was deeply engaged in my study. With a heavy heart. I left for home. But I remembered that I should inform the police. So, I went to the concerning police station and registered a case of theft against an unknown person. Thus I spent the whole day in frantic activity.

With best wishes,
Your loving son
Ajay.

2. As the secretary of the Drama Society of your school write a notice to invite the students to watch a play in Hindi. Mention the title of the play, its writer, the venue and the time.

Patna Collegiate School, Patna.

Notice

2nd April 2012
Open House Play

The Drama Society of our school is organising a drama in Hindi on 10th April at 6 p.m. in the school hall. The play is ‘Satya Harish Chandra’ by Bhartendu Haris Chandra. All the students of our school are cordially invited to watch the play.

Secretary
Bipin, Class X.

D. Word Study

D.1. Dictionary Use
1. Correct the spelling of the following words:
fantastic, ansestors, complent, greatfully, ninty. garantid
Answer:
fantastic, ancestors, complaint, gratefully, ninety, granted

D. 2. Word-Formation
Look at the words of Latin or Greek origin and the way new words are derived from them without adding any prefix or suffix:
Example:
mind — mental
long — lengthy
king — royal
ears — aural
eyes — ocular
moon — lunar
sun — solar.

Use these words in your own sentences.

Answer:
mirid:— Please mind your duty.
long:— The new road is twenty miles long.
king:— There was a king.
ears:— Man has two ears.
eyes:— Man has two eyes.
moon:— The moon moves around the earth.
sun:— The sun gives us light
mental:— He has been suffering from mental disease.
lengthy:— This sum is very lengthy.
royal:— He comes from a royal family.
aural:— Dr Pathak is an oral surgeon.
ocular:— The patient has an ocular problem.
lunar:— A lunar month is of about 29 1/2 days.
solar:— Word-Meaning The sun and the planets which revolve around the solar system.

D. 3. Word-Meaning

Match the words in column A with their meanings in column B
                                         B
notion         —      a group, of people of the same race
despair        —      a preconceived idea
illustration   —      state of hopelessness.
gratefully     —      example
tribe             —     with a feeling of gratitude
prejudice      —       an idea
Answer:
Notion …………… an idea
Despair ……… state of hopelessness
Illustration ………. example
Gratefully ……… with a feeling of gratitude
Tribe ………. group of people of the same race.
Prejudice ………… a preconceived idea.

Comprehensive Based Questions with Answers

Read the following extracts carefully and answer the questions that follow each:-

1.a saw a play in Dublin not long ago in which the chief character was an elderly corn-merchant in a small Irish country town. He was a man of many anxieties-his h^art was dicky, his nephew was cheating him, his wife had had the fantastic notion of spending £10 on a holiday. Altogether the pace of life was getting too much for him, and in a moment of despair, he uttered a great cry from the heart: “They tell me there’s an aeroplane now that goes at 1,000 miles an hour. How that’s too fast!”
b. For me that was the most enchanting line in l le play-the man’s com¬plaint was so gloriously irrelevant to his own situation. And besides oemg comic, it struck me as a perfect illustration of the way the Irish get at subtle truths by the most unlikely approaches. You saw what the old fool meant.
Questions:
(i) To whom does the word T stand for?
(ii) How were the merchant’s nephew and wife?
(iii) What was the enchanting line in the play?
(vi) Find the word from the passage which means: State of hopeless-ness.
Answers:
(i) Here f stands for the author.
(ii) The merchant’s nephew was a cheater who was cheating the merchant. Merchant’s wife was a fantastic woman who was spending 10 pounds on a holiday.
(iii} The most enchanting line in the play is “the man’s complaint was so.gloriously irrelevant to his own situation.”
(vi) The word is despair.

2. Not that I have any dislike of rapid movement myself. I enjoy going to a car at ninety miles an hour- So long as I am driving and so long as it is not my car. I adore the machines that hurl you about at Battersea. To dine in London and lunch in New York next day seems to be a most satisfactory experience: I admit it excludes all the real pleasures of travel the sort of fun you get from a country bus in Somerset or Spain but it gives you a superficial sense of drama; it was a sort of excitement our ancestors had to do without, and we might just as well accept it gratefully. No, where speed becomes something unfriendly to me is where the mental activities of our time tend as they naturally do to follow the pace of the machines.

I speak with prejudice because I belong to the tribe of slow thinkers, those who are cursed with 1’esprit Det espaliers: People who light on the most devastating repartee about four hours after the party’s over. I am one of those who are guaranteed to get the lowest marks in any intelligence test because those tests or ail the ones I have come across seem to be designed to measure the speed of your mind more than anything else. Obviously we slow thinkers are terribly handicapped in the business of getting a living. But what I am thinking about just now is not so much the practical use of one’s mind as its use for enjoyment.
Questions:
(i) What does the author enjoy?
(ii) Which tribe does the author belong to?
(iii) Who are handicapped and why?
(iv) Explain’I’esprit de I’escaliert’.
Answers:
(i) The author enjoys going in a car at ninety miles an hour.
(ii) The author belongs to the tribes of slow thinkers.
(iii) Slow thinkers are terribly handicapped because they are slow at getting a living.
(iv) ‘I’ esprit de I’ espaliers means a man of slow mind.

3. As an example, when I go to the cinema I find myself in a hopeless fog, and after two or three minutes I have to turn to my wife for enlightenment. I whisper. “Is this the same girl as the one we saw at the beginning?” And she whr.iers back” “No, there are three girls in this film- a tall blonde a short onion, and a medium-sized brunette. Call them A, B, and C. The hero is that m ’ whc akes his hat off when he comes indoors. He is going to fall in love Wiui girls 3. C, A in that order.” And so it proves to be. There you have a mind which has trained itself to work in high gear-though as a matter of fact it can work in other gears just as, well. But my point is that most of my fellow- patients in the cinema do think fast enough to keep up comfortably with rapid changes of scene and action. They think much faster than people did thirty years ago: possibly because those who do not think fast in the High Street nowadays may not get another chance in this world to think at world to think at all.
Questions:
(i) What does the author find when he sees a cinema?
(ii) To whom do the letters A B and C stand for?
(iii) What does the author prove?
(iv) Make nouns from :
(a) think (b) begin.
Answers:
(i) The author finds himself in a hopeless fog when he sees a cinema.
(ii) ‘A’ stands for a tall blonde, ‘B’ stands for a short blonde and ‘C’ stands for a medium-sized brunette.
(iii) The author proves that there is a mind which has trained itself to work in high gear.
(iv) (a) thought (b) beginning.

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Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

Bihar Board Class 8 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 3 Chapter 2 ईदगाह Text Book Questions and Answers, summary.

BSEB Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 2 ईदगाह

Bihar Board Class 8 Hindi ईदगाह Text Book Questions and Answers

प्रश्न अभयास

पाठ से

ईदगाह प्रश्न उत्तर Class 8 Bihar Board प्रश्न 1.
ईद के दिन अमीना क्यों उदास थी?
उत्तर:
ईद के दिन भी आपला इसलिए उदास थी क्योंकि उसके घर में एक दाना भी नहीं था। फिर हामीद अकेले कैसे तीन कोश तक पैदल चलकर ईदगाह तक जायेगा।

Idgah Chapter Questions And Answers Class 8 Bihar Board प्रश्न 2.
हामीद मिठाई या खिलौने के बदले चिमटा पसन्द करता है। क्यों ?
उत्तर:
बचपन में यदि बच्चा अभावग्रस्त हो तो वह वयस्क की तरह सोचने लगता है । हामीद ने सोचा मिठाईयाँ से केवल जिह्वा में स्वाद आता है जो क्षण-भर के लिए होता । खिलौने भी मिट्टी के बने हैं जिसपर पानी पड़ते ही रंग उड़ जाएँगे । ठोकर लगते ही टुट-फूट जाएँगे । लेकिन चिमटा न कभी टुटेगा न फूटेगा । यह दादी को काम आयेगा। दादी को रोटी सेकने के समय अंगुलियाँ नहीं जलेंगी। यह बहुत उपयोगी है । यह सब बातें सोचकर हामीद चिमटा ही पसन्द करता है।

Bihar Board Class 8 Hindi Book Solution प्रश्न 3.
मेला जाने से पहले हामीद दादी से क्या कहता है ?
उत्तर:
मेला जाने से पहले हामीद दादी से कहता है.-“तुम डरना नहीं अम्मा, मैं सबसे पहले आऊँगा । बिल्कुल न डरना।”

ईदगाह’ कहानी का प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 4.
मेले में चिमटा खरीदने से पहले हामीद के मन में कौन-कौन से विचार आए? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेले में चिमटा खरीदने से पहले हामीद के मन में एक वयस्क की तरह विचार करने लगा। खिलौने सभी अच्छे हैं किसे लें। हरेक का दाम दो पैसे हैं, सभी खिलौने भी नहीं होंगे । फिर मिट्टी के बने ये खिलौने यदि हाथ से छूट गये तो चूर-चूर हो जायेंगे, पानी पड़ा तो सारा रंग घुल जाएगा।

ऐसे खिलौने लेकर वह क्या करेगा। जब वह लोहे की दुकान पर जाता है तो चिमटा देखते ही वह विचारने लगता है। दादी के पास चिमटे नहीं हैं तवे से रोटियाँ उतारते समय उसके हाथ की अंगुलियाँ जल जाती हैं। अगर चिमटा लंकर दादी के पास जायेगा तो दादी बहुत खुश होगी। उनकी अँगुलियाँ अब कभी नहीं जलेंगी। खिलौने लेने से व्यर्थ में पैसे खराब हो जाएंगे।

ईदगाह प्रश्न उत्तर कक्षा 8 Bihar Board प्रश्न 5.
हामीद ने चिमटे को किन-किन रूपों में उपयोग करने की बात कही है?
उत्तर:
हामीद चिमटे को बंदूक, फकीरों के चिमटे, मंजीरे तथा खिलौने को जान निकालने वाला हथियार के रूप में उपयोग की बात कही है।

Idgah Question Answers In Hindi Bihar Board प्रश्न 6.
ईदगाह कहानी आपको कैसी लगती है ? इसकी मुख्य विशेषता बताइए।
उत्तर:
‘ईदगाह’ कहानी हमें अत्यन्त रोचक लगी। इसकी मुख्य विशेषताएँ हैं

  1. कहानी बाल-मनोविज्ञान पर आधारित है।
  2. अभावग्रस्त बच्चे, वयस्क की तरह सोचते हैं।
  3. चुनौतियाँ बच्चे को परिपक्व बनाती हैं।
  4. कहानी मुहावरों के द्वारा रोचक बनाया गया है।
  5. कहानी में जटिल शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया है।
  6. कहानी सुखान्त है इत्यादि ।

Class 8 Hindi Chapter 2 Idgah Question Answer Bihar Board प्रश्न 7.
चिमटा देखकर अमीना के मन में कैसा भाव जगा?
उत्तर:
चिमटा देखकर अमीना के मन में दो प्रकार के भाव जगे

  1. लड़का कितना वेसमझ है, न कुछ खाया न पिया और न कोई खेलने का खिलौने लाया । यह चिमटा क्यों ले आया । लेकिन जब हामीद ने कहा “तुम्हारी अंगुलियाँ तबे से जल जाती थीं इसलिए मैंने इसे ले लिया तो दादी के भाव बदल गये।
  2. दूसरे भाव में दादी सोची हामीद में कितना त्याग, सद्भाव और विवेक है। बच्चे को मिठाई खाते देख अवश्य ललचाया होगा । लेकिन बुढ़िया दादी का ख्याल बना रहा।

Idgah Question Answers In Hindi Class 8 Bihar Board  प्रश्न 8.
ईदगाह कहानी की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
“ईदगाह” कहानी विशेषताओं से भरी हैं

  1. कहानी बाल-मनोविज्ञन पर आधारित है।
  2. कहानी में अभावग्रस्त बच्चा को वयस्क की तरह सोच पैदा किया । गया है।
  3. कहानी में बताया गया है कि चुनौतियाँ बच्चे को परिपक्व मतिबाला बना देता है।
  4. कहानी रोचक एवं सुखान्त है।
  5. कहानी को सरल मुहावरों के द्वारा मार्मिक बनाया गया है।
  6. तथा जटिल शब्दों का प्रयोग नहीं किया गया है।

किसलय हिंदी बुक बिहार क्लास 8 Solution Bihar Board प्रश्न 9.
निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़िए और उसके आधार पर दिए गए।
प्रश्नों के उत्तर दीजिए। नमाज खत्म हुई। लोग आपस में ……….. खिलौने लेकर वह क्या करेगा?
प्रश्नोत्तर:

(क) नमाज खत्म होने के बाद लोग क्या कर रहे थे ?
उत्तर:
परस्पर एक-दूसरे से गले मिल रहे थे।

(ख) दुकानों में किस-किस तरह के खिलौने थे?
उत्तर:
दुकानों में तरह-तरह के खिलौने थे खाकी वर्दी और लाल पगड़ी वाला सिपाही जो बंदूक कन्धे पर लिए गुजरिया, राजा, वकील काला चोंगा और सफेद अंकन पहने हैं। एक हाथ में कानून की किताब रखे हुए .. हैं। धोबिन, साधु, कमर में मशक लटकाये हुए भिश्ती इत्यादि अनेक रंग-बिरंग के खिलौने थे।

(ग) वे खिलौने किस चीज के बने थे?
उत्तर:
वे खिलौने मिट्टी के बने थे।

(घ) महमूद, मोहसिन और नूर ने कौन-कौन से खिलौने खरीदे ?
उत्तर:
महमूद ने सिपाही खरीदा। मोहसिन ने भिश्ती खरीदा। नूर ने वकील को खरीदा।

(ङ) परिच्छेद में सिपाही, भिश्ती और वकील के हुलिए का वर्णन किया गया है। इसी प्रकार आप राजा और साधु के हुलिये का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राजा–अनेक रंग के पोशाक पहने, सिर पर मुकुट धारण किए हुए । कमर में तलवार युक्त म्यान लटका हुआ। साधु-बड़ी-बड़ी दाढ़ी-मूंछे, जनेऊ पहने, हाथ में कमण्डल और ललाट पर चन्दन की रेखाएँ।

(च) अनुच्छेद में आए विशेषण शब्दों को छाँटकर लिखिए।
उत्तर:
पाठ में आए कुछ विशेषण शब्द निम्नलिखित हैं-ज्यादा, अनगिनत, गरीब, दुबला-पतला, गत, बूढ़ी, अभागिन, पक्का , ललचाई, नया, हजारों, पड़ोस, अच्छा, शान, बहादुर, खुबसूरत, रूस्तमे हिन्द, अपराधी, भूक, खूब, कितना, बुढ़िया, बड़ी-बड़ी इत्यादि ।

(छ) वर्दी और पोथा के समानार्थी लिखिए।
उत्तर:
वर्दी-पोशाक । पोथा-किताब।

पाठ से आगे

ईदगाह पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 1.
महमूद, मोहसिन, नूर और हामिद में किसका चरित्र अच्छा लगा? कारण बताइए।
उत्तर:
हमें हामिद का चरित्र अच्छा लगा क्योंकि हामिद बच्चा होते हुए भी वयस्क की तरह सोच-विचार कर समान खरीदता है।

ईदगाह’ कहानी के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 2.
क्या हामिद बच्चों की सामान्य छवि से अलग हटकर एक नयी छवि प्रस्तुत करता है ? कैसे?
उत्तर:
हाँ, हामीद बच्चों के सामान्य छवि से अलग हटकर एक नई छवि प्रस्तुत करता है क्योंकि बच्चे खिलौने और मिठाइयाँ पर ज्यादा आकर्षित होते हैं जो बाल-सुलभ है । इसलिए तो महमूद मोहसिन और नूर ने अलग-अलग पसंद के खिलौने ही खरीदे । लेकिन हामीद बच्चा होते हुए भी एक वयस्क की तरह सोच-विचार कर अधिक उपयोगी चिमटा खरीदकर नयी छवि प्रस्तुत करता है।

Bihar Board Class 8 Hindi Solution In Hindi प्रश्न 3.
“चुनौती बच्चे को परिपक्व बना देती है” इस उक्ति की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हामिद के पास अन्य बच्चों की अपेक्षा कम पैसे हैं। सामान भी खरीदना है। कम पैसे में सभी बच्चों से अच्छा सामान खरीदना उसके लिए एक चुनौती है। यह चुनौती हामीद को वयस्क की तरह परिपक्वं मति वाला बना देता है जिसके कारण वह अधिक मजबूत, अधिक उपयोगी चिमटा ही खरीदता है।

Bihar Board Class 8 Hindi Solutions प्रश्न 4.
“त्योहार हमारे जीवन के अभिन्न अंग हैं।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
त्योहार हमारे जीवन के अभिन्न अंग हैं क्योंकि त्योहार हमारे जीवन में उत्साह, नई उमंग और आनन्द को प्रदान करता है। त्योहार के बिना हमारा जीवन नीरस जैसा हो जायेगा।

व्याकरण

वाक्य में प्रयोग कीजिए

  1. रंग जमाना – हामीद ने चिमटा खरीदकर सबों पर रंग जमा लिया।
  2. गद्गद् होना – चिमटा खरीदने का कारण सुनकर अमीना का हृदय गद्गद् हो गया।
  3. भेंट चढ़ना – हामीद के पिता हैजे की भेंट चढ़ गये।”
  4. बाल-बाँका न होना – सभी खिलौने मिलकर भी हामीद के चिमटे का बाल-बाँका नहीं कर सकते।
  5. पैरों में पर लगना – त्योहार के दिन बच्चे के पैरों में पंख लग जाते हैं।
  6. कुबेर का धन मिल जाना – बच्चे थोड़े पैसे पाकर उसे बार-बार गिनते हैं मानो वह कुबेर का धन पा लिया हो।

गतिविधि

Eidgah Lesson Questions And Answers In Hindi Bihar Board प्रश्न 1.
मेले में आपने क्या-क्या देखा, उसका चित्र बनाइए।
उत्तर:
मेले में रंग-बिरंग की मिठाईयाँ, मूर्तियाँ तथा अनेक उपयोगी
सामानों को देखा । कहीं झूले लगे हैं, कहीं बंदर नचाया जा रहा है इत्यादि चित्रों को बच्चे स्वयं बना ले।

प्रश्न 2.
अपने शिक्षक से रमजान के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
रमजान का महीना होता है जो मुसलमानों के लिए अत्यन्त पवित्र मास माना जाता है । इस महीने में सभी उम्र के लोग रोजा रखते हैं दिनभर उपवास कर सूर्यास्त के समय रोजा को खोलते हैं अर्थात् व्रत का अंत करते हैं। यह व्रत-सूर्योदय से सूर्यास्त तक का होता है। रमजान के मास का शुक्रवार (जुम्मा) के दिन प्रायः सभी रोजा अवश्य रखते हैं। रमजान के मास व्रत-दान और भाईचारे का संदेश लेकर आता है। महीना के अंत में दूज के चाँद देखकर दूसरे दिन ईद का त्योहार मनाया जाता है। यह दिन ईदगाह का पहला दिन होता है।

प्रश्न 3.
ईद और मुहर्रम में क्या अन्तर है ? अपने शिक्षक से समझिए।
उत्तर:
ईद खुशी का त्योहार है तो मुहर्रम गम का।

प्रश्न 4.
आप किसके साथ मेला जाना पसंद कीजिएगा?
उत्तर:
हमारे घर में माता-पिता, दादा-दादी, चाचा-चाची सभी हैं लेकिन मेरे दादाजी हमें पसंद की सारी चीजें हमें खरीद देते हैं अतः मैं दादाजी के साथ जाना पसंद करूँगा।

ईदगाह Summary in Hindi

प्रेमचन्द रचित यह ………………………….. को मिलता है।
कहानीकार-रमजान के तीस दिनों के बाद ईद आई है। गाँव में खुशी का माहौल है। सभी ईदगाह जाने के लिए तैयारियाँ कर रहे हैं। बच्चे ज्यादा प्रसन्न हैं। सभी के जेबों में पैसे हैं। लेकिन हामीद जो एक गरीब है। उसके माता-पिता मर चुके हैं। एक बुढ़िया दादी अमीना उसे पाल रही है। हामीद के पास दादी ने मात्र तीन पैसे दिये हैं।। – ईदगाह पर नवाज पढ़े गये । इसके बाद बच्चों ने मिठाई की दुकान पर

आकर रंग-बिरंग की मिठाईयाँ खाने लगे लेकिन हामीद ललचाता रहा । क्या करे, क्या खरीदे उसके समझ में नहीं आ रहा था । बच्चे आगे बढ़े रंग-बिरंग के खिलौने देख बच्चे अपने-अपने पसंद के खिलौने खरीदे । लेकिन हामीद को रंग-बिरंगे खिलौने आकर्षित नहीं कर सके । हामीद आगे बढ़ा, लोहे के बने । विविध प्रकार के चीज बिक रहे थे । जहाँ बच्चों की जरूरत की कोई चीज नहीं। लेकिन हामीद तीन पैसे में एक चिमटा खरीद लेता है । यह चिमटा दादी को काम आयेगा । रोटी सेकने में दादी का हाथ नहीं जलेगा।

हामीद चिमटा लेकर बच्चों के बीच आता है। जहाँ बच्चे उसके चिमटे का उपहास करते हैं। लेकिन हामीद अपने चिमटा को कंधे पर रख बंदूक ..

कहता है । हाथ में लेकर फकीरों का चिमटा बताता है । हामीद ने चिमटा को बजाते हुए मंजीरा भी साबित कर दिया । चिमटा को घुमाते हुए कहा, अगर – एक चिमटा जमा हूँ तो तुम्हारे खिलौने के जान निकल जाएँगे । मेरे चिमटे को

कोई बाल-बाँका नहीं कर सकता। फिर बच्चे चिमटे के कायल हो गये। सबों ने हामीद के चिमटे हाथ से छुए । हामीद ने भी सबों के खिलौने को बारी-बारी से स्पर्श किया।
बच्चे गाँव आकर अपने-अपने खिलौने से खेलने लगते हैं। सभी के खिलौने कुछ ही देर में टूट-फूट गये। हामीद को देखते ही दादी अमीना गोद में उठाकर गले लगा लेती है। सहसा हामीद के हाथ से चिमटा गिर जाता है। वह चौक जाती है चिमटा कहाँ

से आया । वह गुस्सा में आ जाता है । हामीद ने कहा दादी तुम्हारा हाथ अब नहीं जलेगा। दादी का क्रोध स्नेह में बदल जाता है। वह सोचने लगती है। हामीद में कितना त्याग, सद्भाव और विवेक है जो बच्चों को मिठाई खाते, खिलौने से खेलते देख ललचाया होगा। लेकिन सभी इच्छाओं को दबाकर वह दादी का ख्याल रखा।

अमीना की आँखों में स्नेह के आँसू बहने लगे। वह दामन फैलकर हामीद को दुआएँ दे रही थी।

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 5 रोज

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 5 रोज

 

रोज वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ

रोज कहानी का सारांश Bihar Board Class 12th प्रश्न 1.
रोज शीर्षक निबंध के लेखक कौन है?
(क) नामवर सिंह
(ख) अज्ञेय
(ग) मोहन राकेश
(घ) उदय प्रकाश
उत्तर-
(ख)

Gangrene Kya Hai Class 12 Hindi प्रश्न 2.
अज्ञेय का जन्म कब हुआ था?
(क) 7 मार्च, 1911 ई.
(ख) 8 जनवरी 1910 ई.
(ग) 9 मार्च, 1909 ई.
(घ) 7 मार्च, 1908 ई.
उत्तर-
(क)

Roj Kahani Ka Saransh Bihar Board Class 12th प्रश्न 3.
अज्ञेय हिन्दी के अलावा किस भाषा के जानकार थे?
(क) हिन्दी
(ख) उर्दू
(ग) संस्कृत
(घ) सिंहली
उत्तर-
(ग)

Roj Summary In Hindi Bihar Board Class 12th प्रश्न 4.
अज्ञेय की अभिरूचि किसमें-किसमें थी?
(क) बागवानी में
(ख) पर्यटन में
(ग) अध्ययन में
(घ) बागवानी, पर्यटन, अध्ययन आदि
उत्तर-
(घ)

रोज की कहानी Bihar Board Class 12th प्रश्न 5.
भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा अज्ञेय को कौन पुरस्कार मिला था?
(क) राजेन्द्र पुरस्कार
(ख) पद्मश्री
(ग) भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार
(घ) अर्जुन पुरस्कार
उत्तर-
(ग)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

Bihar Board Class 12 Hindi Book Solution प्रश्न 1.
मालती के पति का नाम ……… है।
उत्तर-
महेश्वर

रोज कहानी का सारांश लेखन Bihar Board Class 12th प्रश्न 2.
अज्ञेय का जन्म स्थान कसेया ……….. उत्तर प्रदेश में है।
उत्तर-
कुशीनगर

Bihar Board 12th Hindi Book Pdf Bihar Board Class 12th प्रश्न 3.
अज्ञेय के पिताजी………….. शास्त्री जी थे।
उत्तर-
पं. हीरानंद

रोज कहानी में मालती को देखकर लेखक ने क्या सोचा Bihar Board Class 12th प्रश्न 4.
अज्ञेय ने …….. में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की।
उत्तर-
1925 ई.

रोज कहानी का सारांश लिखिए Bihar Board Class 12th प्रश्न 5.
अज्ञेय जी एकांतप्रिय …………… स्वभाव के थे।
उत्तर-
अंतर्मुखी

प्रश्न 6.
उनका व्यक्तित्व सुंदर, लंबा, ………. शरीर वाला था।
उत्तर-
गठीला

रोज अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अज्ञेय की कौन-सी कहानी ‘गैंग्रीन’ शीर्षक नाम से प्रसिद्ध है?
उत्तर-
रोज।

प्रश्न 2.
‘रोज’ शीर्षक निबन्ध के लेखक कौन हैं?
उत्तर-
अज्ञेय।

प्रश्न 3.
अज्ञेय मूलतः क्या हैं?
उत्तर-
कवि।

प्रश्न 4.
‘छोड़ा हुआ रास्ता’ कहानी के लेखक हैं :
उत्तर-
अज्ञेय।

प्रश्न 5.
अज्ञेय जी ने इंटर कहाँ से किया?
उत्तर-
मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज।

प्रश्न 6.
अज्ञेय जी ने रवीन्द्रनाथ ठाकुर की किस कृति का हिन्दी में अनुवाद किया है?
उत्तर-
कुलवधू।

प्रश्न 7.
लेखक कितने वर्ष बाद मालती से मिलने आया था?
उत्तर-
दस।

रोज पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
मालती के घर का वातावरण आपको कैसा लगा? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
कहानी के प्रथम भाग में ही मालती के यन्त्रवत् जीवन की झलक मिल जाती है जब वह अतिथि का स्वागत केवल औपचारिक ढंग से करती है। अतिथि उसके दूर के रिश्ते का भाई है। जिसके साथ वह बचपन में खूब खेलती थी पर वर्षों बाद आए भाई का स्वागत उत्साहपूर्वक नहीं कर पाती बल्कि जीवन की अन्य औपचारिकताओं की तरह एक और औपचारिकता निभा रही है। हम देखते हैं कि मालती अतिथि से कुछ नहीं पूछती बल्कि उसके प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर ही देती है। उसमें अतिथि की कुशलता या उसके वहाँ आने का उद्देश्य या अन्य समाचारों के बारे में जानने की कोई उत्सुकता नहीं दिखती। यदि पहले कोई उत्सुकता, उत्साह जिज्ञासा या किसी बात के लिए उत्कंठा भी थी तो वह दो वर्षों के वैवाहिक जीवन के बाद शेष नहीं रही।

विगत दो वर्षों में उसका व्यक्तित्व बुझ-सा गया है जिसे उसका रिश्ते का भाई भाँप लेता है। अत: मालती का मौन उसके दम्भ का या अवहेलना का सूचक नहीं बल्कि उसके वैवाहिक जीवन की उत्साहहीनता, नीरसता और यान्त्रिकता का ही सूचक है। यह एक विवाहित नारी के अभावों में घुटते हुए पंगु बने व्यक्तित्व की त्रासदी का चित्रण है। यह एक नारी के सीमित घरेलू परिवेश में बीतते ऊबाऊ जीवन का चित्रण है।

प्रश्न 2.
‘दोपहर में उस सूने आँगन में पैर रखते ही मुझे ऐसा जान पड़ा, मानो उस पर किसी शाप की छाया मँडरा रही हो’, यह कैसी शाप की छाया है? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
जब लेखक दोपहर के समय मालती के घर पहुँचा तो उसे ऐसा प्रतीत हुआ कि मानो वहाँ किसी शाप की छाया मँडरा रही हो। यह शाप की छाया उस घर में रहने वाले लोगों के बीच अपनेपन तथा प्रेमभाव का न होना थी। वहाँ रहने वाला परिवार एक ऊब भरी, नीरस और निर्जीव जिन्दगी जी रहा था। माँ को अपने इकलौते बेटे के चोट लगने या उसके गिरने से कोई पीडा नहीं होती है। इसी प्रकार एक पति को अपने काम-काज से इतनी भी फुर्सत नहीं है कि वह अपनी पत्नी के साथ कुछ समय बिता सके। इस कारण उसे एकाकी जीवन जीना पड़ता है। इस प्रकार यह शाप पति-पत्नी और बच्चे तीनों को ही भुगतना पड़ता है।

प्रश्न 3.
लेखक और मालती के संबंध का परिचय पाठ के आधार पर दें।
उत्तर-
लेखक और मालती के बीच एक घनिष्इ संबंध है। मालती लेखक की दूर के रिश्ते की बहन है, लेकिन दोनों के बीच मित्र जैस संबंध है। दोनों बचपन में इकट्ठे खेले लड़े और पिटे हैं। दोनों की पढ़ाई भी साथ ही हुई थी। उनका रिश्ता सदा मित्रतापूर्ण रहा था, वह कभी भाई-बहन या बड़े-छोटे के बंधन में नहीं बंधे थे।

प्रश्न 4.
मालती के पति महेश्वर की कैसी छवि आपके मन में बनती है? कहानी में . महेश्वर की उपस्थिति क्या अर्थ रखती है? अपने विचार दें।
उत्तर-
कहानीकार अज्ञेय ने महेश्वर के नित्य कर्म का जो संक्षिप्त चित्र प्रस्तुत किया है पता चलता है कि वह रोज सबेरे डिस्पेन्सरी चला जाता है दोपहर को भोजन करने और कुछ आराम करने के लिए आता है, शाम को फिर डिस्पेन्सरी जाकर रोगियों को देखता है। उसका जीवन भी रोज एक ही ढर्रे पर चलता है। एक यांत्रिक जीवन की यन्त्रणा पहाड़ के एक छोटे स्थान पर मालती का पति भी भोग रहा है। यांत्रिक जीवन के संत्रास के शिकार सिर्फ बड़े शहरों के ही लोग नहीं हैं पहाड़ों के एकान्त में उसके शिकार मालती और महेश्वर भी है। महेश्वर भी इस एक एक ढर्रे पर चलती हुई खूटे पशु की तरह उसी के इर्द-गिर्द चक्कर लगाने वाली जिन्दगी से उकताए हुआ है।

कहानी के महेश्वर एक कटा हुआ पात्र है, परन्तु जब कहीं भी कहानी में उपस्थित होता है तो उसकी उपस्थिति माहौल को तनावपूर्ण और अवसादग्रस्त बनाती है। उसकी बदलती मन:स्थिति वातावरण को और अधिक नीरस और ऊबाउ बनाती है।

प्रश्न 5.
गैंग्रीन क्या है?
उत्तर-
पैंग्रीन एक खतरनाक रोग है। पहाड़ियों पर रहने वाले व्यक्तियों पैरों में काँटा चुभना आम बात है। परन्तु काँटा चुभने के बाद बहुत दिनों तक छोड़ देने के बाद व्यक्ति का पाँव जख्म का शक्ल अख्तियार कर लेता है जिसका इलाज मात्र पाँव का काटना ही है। कभी-कभी तो इस रोग से पीड़ित रोगी की मृत्यु तक हो जाती है।

प्रश्न 6.
कहानी से उन वाक्यों को चुनें जिनमें ‘रोज’ शब्द का प्रयोग हुआ है?
उत्तर-
सर्वप्रथम कहानी का शीर्षक ही रोज है। इसके अलावे कई स्थानों पर रोज शब्द का प्रयोग हुआ है।

  • मालती टोककर बोली, ऊँहूँ मेरे लिए तो यह नई बात नहीं है रोज ही ऐसा होता है..।
  • क्यों पानी को क्या हुआ? रोज ही होता है, कभी वक्त पर आता नहीं।
  • मैं तो रोज ऐसी बातें सुनती हूँ।
  • मालती का जीवन अपनी रोज की नियत गति से बहा जा रहा था और एक चन्द्रमा की चन्द्रिका के लिए एक संसार के लिए रूकने को तैयार नहीं था।
  • मालती ने रोते हुए शिशु को मुझसे लेने के लिए हाथ बढ़ाते हुए कहा, “इसको चोटें लगती ही रहती है, रोज ही गिर पड़ता है।

प्रश्न 7.
आशय स्पष्ट करें-मुझे ऐसा लग रहा था कि इस घर पर जो छाया घिरी हुई है, वह अज्ञात रहकर भी मानो मुझे वश में कर रही है, मैं भी वैसा ही नीरस निर्जीव-सा हो रहा हूँ जैसे हाँ जैसे…..यह घर जैसे मालती।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से लेखक वातावरण, परिस्थिति और उसके प्रभाव में ढलते हुए एक गृहिणी के चरित्र का चित्रण अत्यन्त कलात्मकता रीति से किया है। अतिथि तो मालती के घर में कई वर्षों बाद कुछ समय के लिए आया है पर अतिथि को लगता है कि उस घर पर कोई काली छाया मँडरा रही है। उसे अनुभव होता है कि इस घर पर जो छाया घिरी हुई है वह अज्ञात रह कर मानों मुझे भी वश में कर रही है मैं भी वैसा ही नीरस निर्जीव सा हो रहा हूँ जैसे हाँ-जैसे यह घर जैसे मालती। लगता है कि अतिथि भी उस काली छाया का शिकार हो गया है, जो उस घर पर मँडरा रही है। यहाँ मालती के अन्तर्द्वन्द्व के साथ अतिथि का अन्तर्द्वन्द्व भी चित्रित हुआ है। उस घर की जड़ता, नीरसता, ऊबाहट ने जैसे अनाम अतिथि को भी आच्छादित कर लिया है। अतिथि भी घर की जड़ता का शिकार हो जाता है।

प्रश्न 8.
‘तीन बज गए’, ‘चार बज गए’, ‘ग्यारह बज गए’, कहानी में घंटे की इन खड़कों के साथ-साथ मालती की उपस्थिति है। घंटा बजने का मालती से क्या संबंध है?
उत्तर-
‘तीन बज गए’ ‘चार बज गए’, ‘ग्यारह बज गए’ से लगता है कि मालती प्रत्येक घंटा मिनती रहती है। समय उसके लिए पहाड़ जैसा है। एक घंटा बीतने पर उसे लगता हे चलो एक मनहूस घंटा तो बीता। घर में नौकर नहीं है तो बर्तन माँजने के लिए पानी चाहिए जो रोज ही वक्त पर नहीं आता है। मालती के इस कथन में कितनी विवशता है” रोज ही होता है आज शाम को सात बजे आएगा। “उस घर में बच्चे का रोना, उसके द्वारा प्रत्येक घंटा की गिनती करना, महेश्वर का सुबह, शाम डिस्पेन्सरी जाना सब कुछ एक जैसा है। यह सब कुछ एक जैसा उसके एक ढर्रे पर चल रही नीरस, ऊबाउ जिन्दगी का परिणाम है कि वह घंटे गिनने को मजबूर है। जैसे ही उसका घंटा पार होता है थोड़ी वह राहत महसूस करती है।

प्रश्न 9.
अभिप्राय स्पष्ट करें :
(क) मैंने देखा, पवन में चीड़ के वृक्ष….गर्मी में सूखकर मटमैले हुए चीड़ के वृक्ष धीरे-धीरे गा रहे हों…….कोई राग जो कोमल है, किन्तु करुण नहीं अशांतिमय है, उद्वेगमय नहीं।
(ख) इस समय मैं यही सोच रहा था कि बड़ी उद्धत और चंचल मालती आज कितनी सीधी हो गई है, कितनी शांत और एक अखबार के टुकड़े को तरसती है…..यह क्या…यह.
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पंक्तियाँ रोज शीर्षक कहानी से उद्धत है। इसमें विद्वान लेखक अज्ञेय जी ने प्रकृति के माध्यम से जीवन के उन पक्षों का रहस्योद्घाटन करने की कोशिश की गई जिससे मानव जीवन प्रभावित है। इन पंक्तियों में लेखक द्वारा चाँदनी का आनन्द लेना, सोते हुए बच्चे का पलंग से नीचे गिर जाना, ऐसे प्रसंग हैं जो नारी के जीवन को विषम स्थिति के सूचक हैं। लेखक द्वारा प्रकृति से जुड़कर नारी की अन्तर्दशाओं को देखना एक सूक्ष्म निरीक्षण है। चीड़ के वृक्ष का गर्मी से सूखकर मटमैला होना मालती के नीरस जीवन का प्रतीक है।

चीड़ के वृक्ष जो धीरे-धीरे गा रहे हैं कोई राग जो कोमल है यह नारी के कोमल भावनाओं के प्रतीक है। किन्तु करुण नहीं अशान्तिमय है किन्तु उद्वेगमय नहीं। यह मालती के नीरस जीवन का वातावरण से समझौता का प्रतीक है। हमें यह जानना चाहिए कि जहाँ उद्वेग होगी, वहीं सरसता होगी। परन्तु मालती के जीवन में सरसता नहीं है। वह जीवन के एक ढर्रे पर रोज-रोज एक तरह का काम करने, एकरस जीवन, उसकी सहनशीलता आदि उसके जीवन को ऊबाऊ बनाते हैं। मालती के लिए यह एक त्रासदी है। जहाँ नारी की आशा-आकांक्षा सब एक घुटनभरी जिन्दगी में कैद हो जाती है।

नारी के जीवन में जो राग-रंग होने चाहिए यहाँ कुछ नहीं है। यहाँ दुख की स्थिति यह है कि घुटनभरी जिन्दगी को सरल बनाने के बजाए उससे समझौता कर लेती है। यही उसके अशान्ति का कारण है। मालती को अपना जीवन मात्र घंटों में दिखाई देता है। वह घंटों से छूटने का प्रयास करने के बजाय उसके निकलने पर थोड़ी राहत महसूस तो करती है। परन्तु घंटे के फिर आगे आ जाने पर नीरस हो जाती है। यही राग है जो कोमल है, किन्तु करुण नहीं, अशान्तिमय है।

मालती की जिजीविषा यदा-कदा प्रकट होती है जो समझौते और परिस्थितियों के प्रति सहनशीलता का है। इसके मूल में उसकी पति के प्रति निष्ठा और कर्तव्यपरायणता को अभिव्यक्त करती है। वह भी परंपरागत सोच की शिकार है जो इसमें विश्वास करती है कि यही उसके

जीवन का सच है, इससे इतर वह सोच भी नहीं सकती। यही कारण है उसके दाम्पत्य जीवन में रोग की कमी व्यजित होती है।

(ख) प्रस्तुत पंक्तियाँ प्रतिष्ठित साहित्यकार अज्ञेय द्वारा रचित रोज शीर्षक पाठ से उद्धृत है। प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से लेखक मालती के बचपन के दिनों को याद करता है कि मालती कितनी चंचल लड़की थी। जब हम स्कूल में भरती हुए थे तो हम हाजिरी हो चुकने के बाद चोरी से क्लास से भाग जाते थे और दूर के बगीचों के पेड़ों पर चढ़कर कच्ची अमियाँ तोड़-तोड़ खाते थे।।

मालती पढ़ती भी नहीं थी, उसके माता-पिता तंग थे। लेखक इसी प्रसंग से जुड़ा एक वाक्य सुनाता है कि मालती के पिता ने एक किताब लाकर पढ़ने को दी। जिसे प्रतिदिन 20-20 पेज. पढ़ना था। मालती रोज उतना पन्ना फाड़ते जाती थी। इस प्रकार पूरी किताब फाड़कर फेंक डाली।

लेखक उपर्युक्त बातों के आलोक में आज की मालती जिसकी शादी हो गई। और उसके बच्चे भी हैं, उसमें आये बदलाव को लेकर चिंतित है। आज मालती कितनी सीधी हो गई है। जिंदगी एक दर्रे में होने के कारण मालती यंत्रवत कर्त्तव्यपालन को मजबूत है। लेखक ने देखा कि पति महेश्वर ने मालती को आम लाने के लिए कहा। आम अखबार के एक टुकड़े में लिपटे थे। अखबार का टुकड़ा सामने आते ही मालती उसे पढ़ने में ऐसी तत्लीन हो गयी है, मानो उसे अखबार पहली बार मिला हो। इससे पता चलता है कि वह अपनी सीमित दुनिया से बाहर निकलकर दुनिया के समाचार जानने को उत्सुक है। वह अखबार के लिए भी तरस गई थी। उसके जीवन के अनेक अभावों में अखबार का अभाव भी एक तीखी चुभन दे गया। यह जीवन की जड़ता के बीच उसकी जिज्ञासा और जीवनेच्छा का प्रतीक है। इस तरह लेखक एक मध्यवर्गीय नारी को अभावों में भी जीने की इच्छा का संकेत देखता है और जीवन संघर्ष की प्रेरणा देता है।

प्रश्न 10.
कहानी के आधार पर मालती के चरित्र के बारे में अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत काहनी ‘रोज’ की मालती मुख्य पात्र तथा नायिका है। बचपन में वह बंधनों से पड़े उन्मुक्त और स्वच्छंद रहकर चंचल हिरणी के समान फुदकती रहती है। उसका रूप-लावण्य बरबस ही लोगों को आकर्षित करता है। महज चार-पाँच वर्षों के अन्तराल में ही विवाहिता है, एक बच्चे का माँ भी है। उसके जीवन में मूलभूत परिवर्तन सहज ही दृष्टिगोचर होता है। वह वक्त के साथ समझौता करनेवाली कुशल गृहिणी तथा वात्सल्य की वाटिका है। चार साल पहले मालती उद्धात और चंचल था। विवाहोपरान्त उसने अपने जीवन को यंत्रवत् बना लिया है। उसका शरीर जीर्ण-शीर्ण होकर कान्तिविहीन हो गया है। वह शांत और सीधी बन गई है। वह अपने जीवन को परिवार की धुरी पर नाचने के लिए छोड़ देती है। मालती भारतीय मध्यवर्गीय समाज के घरेलू स्त्री के जीवन और मनोदशा का सजीव प्रतीक केन्द्रित करने के लिए बाध्य करती है।

प्रश्न 11.
बच्चे से जुड़े प्रसंगों पर ध्यान देते हुए उसके बारे में अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
रोज’ शीर्ष कहानी की नायिका मालती का पुत्र टिटी बाल-सुलभ रस से परिपूरित है। यद्यपि वह दुर्बल, बीमार तथा चिड़िचिड़ा है तथापि वह ममता को एकांकी जीवन का आधार से रात ग्यारह बजे तक घर के कार्यों में अपने को व्यस्त रखती है। अपरिचितों को देखकर बच्चों . की प्रतिक्रिया का सजीव जिक्र इन पंक्तियों से स्पष्ट होता है ___मैंने पंक्तियों के अध्ययन लेखक का मनोविज्ञान पकड़ को भी दर्शाता है। वास्तव में बच्चा एकांत समय का बड़ा ही सारगर्भित समय बिताने में सोपान का कार्य करता है। बच्चे के साथ अपने को मिलाकर एक अनन्य आनन्द की प्राप्ति होती है। बच्चे की देखभाल करने के लिए माता-पिता को ध्यान देना पड़ता है और इससे इनमें सजगता आती है। ____वास्तव में बच्चा मानव-जीवन की अमूल्य निधि है। बच्चे में घुल-मिलकर मनुष्य अपने दुष्कर समय को समाप्त कर सकता है।

रोज भाषा की बात

प्रश्न 1.
उद्वेगम, शान्तिमय शब्दों में ‘मय’ प्रत्यय लगा हुआ है। ‘मय’ प्रत्यय से पाँच अन्य शब्द बनाएँ।
उत्तर-
‘मय’ प्रत्यय से बने अन्य शब्द-जलमय, दयामय, ध्यानमय, ज्ञानमय, भक्तिमय।

प्रश्न 2.
दिए गए वाक्यों में कारक चिह्न को रेखांकित करें और वह किस कारक का चिह्न है, यह भी बताएँ।
(क) थोड़ी देर में आ जाएँगें।
(ख) मैं कमरे के चारों तरफ देखने लगा।
(ग) हम बचपन से इकट्ठे खेले हैं।
(घ) तभी किसी ने किवाड़ खटखटाए।
(ङ) शाम को एक-दो घंटे फिर चक्कर लगाने के लिए जाते हैं।
(च) एक छोटे क्षण भर के लिए मैं स्तब्ध हो गया।
उत्तर-
(क) में-अधिकरण कारक।
(ख) के-संबंध कारक।
(ग) से-करण कारक।
(घ) ने-कर्ता कारक।
(ङ) को, के लिए-सम्प्रदान कारक।
(च) के लिए-सम्प्रदान कारक।

प्रश्न 3.
उसने कहा, “आ जाओ।” यहाँ “आ जाओ” संयुक्त क्रिया है, पाठ से ऐसे पाँच वाक्य चुनें जिनमें संयुक्त क्रिया का प्रयोग हुआ हो।
उत्तर-
उसने कहा “आ जाओ” में संयुक्त क्रिया है। पाठ से ऐसे पाँच वाक्य निम्नलिखित हैं जिनमें संयुक्त क्रिया है

  • कोई आता-जाता है तो नीचे से मँगा लेते हैं।
  • तुम कुछ पढ़ती-लिखती नहीं?
  • एक काँटा चुभा था, उसी से हो गया।
  • हर दूसरे-चौथे दिन एक केस आ जाता है।
  • वह मचलने लगा और चिल्लाने लगा।

प्रश्न 4.
आपने दिगंत (भाग-1) में प्रेमचन्द की कहानी ‘पूस की रात’ पढ़ी थी, ‘पूस की रात’ की भाषा और शिल्प को ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत कहानी की भाषा और शिल्प पर विचार कीजिए। दोनों कहानीकारों में इस आधार पर भिन्नता के कुछ बिन्दुओं को पहचानिए और उसे कक्षा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी की भाषा और शिल्प ‘पूस की रात’ के समान ही सरल, सहज तथा प्रसंगानुकूल है। भाषा में कहीं भी ठहराव की स्थिति नहीं है और वह कथ्य को प्रवाह के साथ आगे बढ़ाती है। भाषा में विभिन्न प्रकार के शब्दों का प्रयोग है। मुहावरों के प्रयोग से भावों को सरलतापूर्वक अभिव्यक्त किया है। संवाद शैली के कारण वाक्य छोटे-छोटे हैं जिससे भाषा का प्रवाह दुगुना हो गया है। चित्रात्मकता, भावानुकूलता तथा काव्यात्मकता जैसे गुण भी भाषा में विद्यमान हैं। वर्णनात्मक शैली के प्रयोग से कथ्य को बिलकुल सरल बना दिया गया है।

दोनों कहानीकारों की भाषा में भिन्नता के कुछ बिन्दु शब्द प्रयोग- रोज’ आधुनिक परिवेश पर आधारित कहानी है। इसलिए इसमें देशज शब्दों का प्रयोग कम है जबकि ‘पूस की रात’ में देशज शब्दों का भरपूर प्रयोग है।

संवादात्मक शैली-‘रोज’ कहानी में संवादात्मक शैली का प्रयोग प्रमुखता से किया गया है जबकि ‘पूस की रात’ में सीमित संवाद है।

आम बोलचाल की भाषा-दोनों ही कहानियों में आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया गया है। लेकिन जहाँ ‘रोज’ कहानी में भाषा शहरी परिवेश की है तो वहीं ‘पूस की रात’ में भाषा ग्रामीण परिवेश पर आधारित है।

छात्र अन्य बिन्दु खोजकर कक्षा में प्रस्तुत करें।

प्रश्न 5.
नीचे दिए गए वाक्यों में अव्यय चुनें
(क) अब के नीचे जाएँगे तो चारपाइयाँ ले आएँगे।
(ख) एक बार तो उठकर बैठ भी गया था, पर तुरंत ही लेट गया।
(ग) टिटी मालती के लेटे हुए शरीर से चिपट कर चुप हो गया था, यद्यपि कभी एक-आध सिसकी उसके छोटे से शरीर को हिला देती थी।
उत्तर-
(क) तो
(ख) तो, पर
(ग) यद्यपि।

रोज लेखक परिचय सच्चिदानन्द हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय (1911-1987)

जीवन-परिचय :
हिन्दी के आधुनिक साहित्य में प्रमुख स्थान रखने वाले साहित्यकार सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन अज्ञेय का जन्म 7 मार्च, सन् 1911 के दिन कुशीनगर, उत्तर प्रदेश के कसेया नामक स्थान पर हुआ। वैसे इनका मूल निवास कर्तारपुर, पंजाब था। इनकी माता का नाम व्यंती देवी और पिता का नाम हीरानंद शास्त्री था जो कि प्रख्यात पुरातत्ववेत्ता थे। अज्ञेय . जी की प्रारम्भिक शिक्षा लखनऊ में घर पर ही हुई। सन् 1925 में इन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से मैट्रिक की तथा सन् 1927 में मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से इंटर किया। इसके उपरांत सन् 1929 में फोरमन कॉलेज, लाहौर, पंजाब से बी.एससी. किया और फिर लाहौर से एम.ए. (अंग्रेजी, पूवार्द्ध) किया। क्रान्तिकारी आन्दोलनों में भाग लेने तथा गिरफ्तार हो जाने के कारण इनकी पढ़ाई बीच में ही रूक गई।

इनका व्यक्तित्व बड़ा ही प्रभावशाली था तथा ये सुन्दर व गठीले शरीर के स्वामी थे। इनका स्वभाव एकांतप्रिय अंतर्मुखी था तथा ये एक अनुशासन प्रिय व्यक्ति थे। गंभीर, चिन्तनशील एवं मितभाषी व्यक्तित्व के स्वामी अज्ञेय जी अपने मौन तथा मितभाषण के लिए प्रसिद्ध थे। पिताजी का तबादला बार-बार होते रहने के कारण इन्हें परिभ्रमण का संस्कार बचपन में ही मिला था। इन्हें संस्कृत, अंग्रेजी, फारसी, तमिल आदि कई भाषाओं का अच्छा ज्ञान था। ये बागवानी, पर्यटन आदि के अलावा कई प्रकार के पेशेवर कार्यों में दक्ष थे। इन्होंने यूरोप, एशिया, अमेरिका सहित कई देशों की साहित्यिक यात्राएँ भी की थी।

अज्ञेय जी को साहित्य अकादमी, भारतीय ज्ञानपीठ, मुगा (युगास्लाविया) का अंतर्राष्ट्रीय स्वर्णमाल आदि पुरस्कार प्रदान किए गए। देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों में इन्हें ‘विजिटिंग प्रोफेसर’ के रूप में आमंत्रित किया गया। इन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में कई महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं आदि में कार्य किया। जैसे-सैनिक (आगरा), विशाल भारत (कोलकाता), प्रतीक, (प्रयाग), दिनमान (दिल्ली), नया प्रतीक (दिल्ली), नवभारत टाइम्स (नई दिल्ली), थॉट, वाक एवरीमैंस (अंगेजी में सम्पादन)। साहित्य के इस महान साधक का निधन 4 अप्रैल, सन् 1987 के दिन हुआ।

रचनाएँ :
अज्ञेय जी अद्भुत प्रतिभा के स्वामी थे। इन्होंने दस वर्ष की अवस्था से ही कविता लिखना आरम्भ कर दिया था। वहीं बचपन में ही खेलने के उद्देश्य से ‘इन्द्रसभा’ नामक नाटक लिखा। ये घर में एक हस्तलिखित पत्रिका ‘आनन्दबन्धु’ निकालते थे। इन्होंने सन् 1924-25 में अंग्रेजी में एक उपन्यास लिखा। सन् 1924 में ही इनकी पहली कहानी इलाहाबाद की स्काउट पत्रिका ‘सेवा’ में प्रकाशित हुई और इसके बाद इन्होंने नियमित रूप से लेखन कार्य प्रारम्भ कर दिया। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं

कहानी संकलन-विपथगा, जयदोल, ये तेरे प्रतिरूप, छोड़ा हुआ रास्ता, लौटती पगडंडियाँ आदि।

उपन्यास-शेखर : एक जीवनी (प्रथम भाग 1941), द्वितीय भाग 1944), नदी के द्वीप (1952), अपने-अपने अजनबी (1961)।

नाटक-उत्तर प्रियदर्शी (1967)।

कविता संकलन-भग्नदूत, चिन्ता, इत्यलम्, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, आँगन के पार द्वार; कितनी नावों में कितनी बार, सदानीरा, ऐसा कोई घर आपने देखा है आदि।

यात्रा साहित्य-अरे यायावर रहेगा याद (1953), एक बूंद सहसा उछली (1961)। निबन्ध-त्रिशंकु, आत्मनेपद, आलवाल, अद्यतन, भवंती, अंतरा, शाश्वती, संवत्सर आदि।

रोज पाठ के सारांश।

कहानी के पहले भाग में मालती द्वारा अपने भाई के औपचारिक स्वागत का उल्लेख है जिसमें कोई उत्साह नहीं है, बल्कि कर्तव्यपालन की औपचारिकता अधिक है। वह अतिथि का कुशलक्षेम तक नहीं पूछती, पर पंखा अवश्य झलती है। उसके प्रश्नों का संक्षिप्त उत्तर देती है। बचपन की बातूनी चंचल लड़की शादी के दो वर्षों बाद इतनी बदल जाती है कि वह चुप रहने लगती है। उसका व्यक्तित्व बुझ-सा गया है। अतिथि का आना उस घर के ऊपर कोई काली छाया मँडराती हुई लगती है।

मालती और अतिथि के बीच के मौन को मालती का बच्चा सोते-सोते रोने से तोड़ता है। वह बच्चे को संभालने के कर्तव्य का पालन करने के लिए दूसरे कमरे में चली जाती है। अतिथि एक तीखा प्रश्न पूछता है तो उसका उत्तर वह एक प्रश्नवाचक हूँ से देती है। मानो उसके पास कहने के लिए कुछ नहीं है। यह आचरण उसकी उदासी, ऊबाहट और यांत्रिक जीवन की यंत्रणा को प्रकट करता है। दो वर्षों के वैवाहिक जीवन के बाद नारी कितनी बदल जाती है वह कहानी के इस भाग में प्रकट हो जाती है। कहानी के इस भाग में मालती कर्त्तव्यपालन की औपचारिकता पूरी करती प्रतीत होती है पर से कर्त्तव्यपालन में कोई उत्साह नहीं है जिसमें उसके नीरस, उदास, यांत्रिक जीवन की ओर संकेत करता है। अतिथि से हुए उसके संवादों में भी एक उत्साहहीनता और ठंढापन है। उसका व्यवहार उसकी द्वन्दग्रस्त मनोदशा का सूचक है। इस प्रकार कहानीकार बाह्य स्थिति और मन:स्थिति के संश्लिष्ट अंकन में सफल हुआ है।

रोज कहानी के दूसरे भाग में मालती का अंतर्द्वन्द्वग्रस्त मानसिक स्थिति, बीते बचपन की स्मृतियों में खोने से एक असंज्ञा की स्थिति, शारीरिक जड़ता और थकान का कुशल अंकन हुआ है। साथ ही उसके पति के यांत्रिक जीवन, पानी, सब्जी, नौकर आदि के अभावों का भी उल्लेख हुआ है। मालती पति के खाने के बाद दोपहर को तीन बजे और रात को दस बजे ही भोजन करेगी और यह रोज का क्रम है। बच्चे का रोना मालती का देर से भोजन करना, पानी का नियमित रूप से वक्त पर न आना, पति का सबेरे डिस्पेन्सरी जाकर दोपहर को लौटना और शाम को फिर डिस्पेन्सरी में रोगियों को देखना यह सब कुछ मालती के जीवन की सूचना देता है अथवा यह बताता है कि समय काटना उसके लिए कठिन हो रहा है।

इस भाग में मालती, महेश्वर, अतिथि के बहुत कम क्रियाकलापों और अत्यन्त संक्षिप्त संवादों के अंकन से पात्रों की बदलती मानसिक स्थितियों को प्रस्तुत किया गया है जिससे यही लगता है कि लेखक का ध्यान बाह्य दृश्य के बजाए अंतर्दृश्य पर अधिक है। कहानी के तीसरे भाग में महेश्वर की यांत्रिक दिनचर्या, अस्पताल के एक जैसे ढर्रे रोगियों की टांग काटने या उसके मरने के नित्य चिकित्सा कर्म का पता चलता है, पर अज्ञेय का ध्यान मालती के जीवन संघर्ष को चित्रित करने पर केन्द्रित है।

महेश्वर और अतिथि बाहर पलंग पर बैठकर गपशप करते रहे और चाँदनी रात का आनन्द लेते रहे पर मालती घर के अन्दर बर्तन मांजती रही, क्योंकि यही उसकी नियति थी।

बच्चे का बार-बार पलंग से नीचे गिर पड़ना और उस पर मालती की चिड़चिड़ी प्रतिक्रिया मानो पूछती है वह बच्चे को संभाले या बर्तन मले? यह काम-नारी को ही क्यों करना पड़ता है? क्या यही उसकी नियति है? इस अचानक प्रकट होने वाली जीवनेच्छा के बावजूद कहानी का मुख्य स्वर चुनौती के बजाए समझौते का और मालती की सहनशीलता का है। इसमें नारी जीवन की विषम स्थितियों का कुशल अंकन हुआ है। बच्चे की चोटें भी मामूली बात है, क्योंकि वह रोज इन चोटों को सहती रहती है। ‘रोज’ की ध्वनि कहानी में निरन्तर गूंजती रहती है।

कहानी ‘का अंत ‘ग्यारह’ बजने की घंटा-ध्वनि से होता है और तब मालती करुण स्वर में कहती है “ग्यारह बज गए” उसका घंटा गिनना उसके जीवन की निराशा और करुण स्थिति कान्द्रत ह। को प्रकट करता है। कहानी एक रोचक मोड़ पर वहाँ पहुँचती है, जहाँ महेश्वर अपनी पत्नी को आम धोकर लाने का आदेश देता है। आम एक अखबार के टुकड़े में लिपटे हैं। जब वह अखबार का टुकड़ा देखती है, तो उसे पढ़ने में तल्लीन हो जाती है। उसके घर में अखबार का भी अभाव है। वह अखबार के लिए भी तरसती है। इसलिए अखबार क टुकड़ा हाथ में आने पर वह उसे पढ़ने में तल्लीन हो जाती है।

यह इस बात का सूचक है कि अपनी सीमित दुनिया से बाहर निकल कर वह उसके आस-पास की व्यापक दुनिया से जुड़ना चाहती है। जीवन की जड़ता के बीच भी उसमें कुछ जिज्ञासा बनी है जो उसकी जिजीविषा की सूचक है। मालती की जिजीविषा के लक्षण कहानी में यदा-कदा प्रकट होते हैं, पर कहानी का मुख्य स्वर चुनौती का नहीं है, बल्कि समझौते और परिस्थितियों के प्रति सहनशीलता का है जो उसके मूल में उसकी पति के प्रतिनिष्ठा और कर्त्तव्यपरायणता को अभिव्यक्त करता है। वह भी परंपरागत सोच की शिकार है जो इसमें विश्वास करती है कि यह उसके जीवन का सच है।

इससे इतर वह सोच भी नहीं सकती। जिस प्रकार से समाज के सरोकारों से वह कटी हुई है उसे रोज का अखबार तक सीमित नहीं है। जिससे अपने ऊबाउपन जीवन से दो क्षण निकालकर बाहर की दुनिया में क्या कुछ घटित हो रहा है उससे जुड़ने का मौका मिल सके। ऐसी स्थिति में एक आम महिला से अपने अस्तित्व के प्रति चिन्तित होकर सोचते उसके लिए संघर्ष करने अथवा ऊबाऊ जीवन से उबरने हेतु जीवन में कुछ परिवर्तन लाने की उम्मीद ही नहीं बचती।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 1 कहानी का प्लाँट

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 गद्य खण्ड Chapter 1 कहानी का प्लाँट Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 1 कहानी का प्लाँट

Bihar Board Class 9 Hindi कहानी का प्लाँट Text Book Questions and Answers

Kahani Ka Plot Ka Question Answer Bihar Board प्रश्न 1.
लेखक ने ऐसा क्यों कहा है कि कहानी लिखने योग्य प्रतिभा भी मुझमें नहीं है जबकि यह कहानी श्रेष्ठ कहानियों में एक है?
उत्तर-
लेखक को अपनी बड़ाई खुद करने में विश्वास नहीं है क्योंकि लेखक को कला-मर्मज्ञ होना चाहिए और यहाँ लेखक कलाविद् भी अपने को नहीं मानते हैं।

कहानी का प्लॉट का प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 2.
लेखक ने भगजोगनी नाम ही क्यों रखा? ।
उत्तर-
यह कहानी ग्रामीण परिवेश की कहानी है और उसमें लेखक को देहाती नाम अच्छा लग

कहानी का प्लॉट का प्रश्न उत्तर Pdf Bihar Board प्रश्न 3.
मुंशीजी के बड़े भाई क्या थे? उत्तर-पलिस दारोगा।

कहानी का प्लॉट शिवपूजन सहाय प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 4.
दारोगाजी की तरक्की रुकने की क्या वजह थी?
उत्तर-
दारोगा जी को एक घोड़ी थी। बहुत कम कीमत की मगर वह तुर्की घोड़े का कान काटती थी। उसको लेने के लिए बड़े-बड़े अंगरेज अफसर दाँत गड़ाए , हुए थे लेकिन दारोगा जी ने नहीं दिया। इसीलिए उनकी तरक्की रुक गई।

Kahani Ka Plot Question Answer Bihar Board प्रश्न 5.
मुंशीजी अपने बड़े भाई से कैसे उऋण हुए?
उत्तर-
एक गोरे अफसर के हाथ खासी रकम पर घोड़ी को बेचकर मुंशीजी अपने बड़े भाई से उऋण हुए।

Kahani Ka Plot Ka Question Answer In Hindi Bihar Board प्रश्न 6.
‘थानेदार की कमाई और फूस का तापना दोनों बराबर हैं, लेखक ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर-
दारोगाजी के रहते जितनी मौज मस्ती थी उनके मरने के बाद सारी बातें गायब हो गयी थी। इसी संदर्भ में उपर्युक्त बातें कही गई हैं।

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solution प्रश्न 7.
‘मेरी लेखनी में इतना जोर नहीं’-लेखक ऐसा क्यों कहता है?
उत्तर-
भगजोगनी के रूप-लावण्य का वर्णन करने में लेखक सारी उपमाओं के बाद भी अपने को असमर्थ पाता है तभी उसने कहा है कि मेरी लेखनी में इतना जोर नहीं है कि मैं इसका सटीक वर्णन कर सकूँ।

Bihar Board Solution Class 9 Hindi प्रश्न 8.
भगजोगनी का सौंदर्य क्यों नहीं खिल सका?
उत्तर-
भगजोगनी, अनाथ बच्ची, गरीबी की चक्की में इतनी पिस गई थी कि उसे और बातों के अलावा दो जून खाना भी नसीब न था। फिर उसका सौंदर्य कैसे खिल सकता था।

Bihar Board 9th Class Hindi Book Solution प्रश्न 9.
मुंशीजी गल-फाँसी लगाकर क्यों करना मरना चाहते हैं?
उत्तर-
भगजोगनी की दशा देखकर अपनी गरीबी पर तरस खाकर बदहाली की जिंदगी जीने से मजबूर होकर गला-फाँसी लगा लेना चाहते हैं मुंशीजी।

प्रश्न 10.
भगजोगनी का दूसरा वर्तमान नवयुवक पति उसका ही सौतेला बेटा है। यह घटना समाज की किस बुराई की ओर संकेत करती है और क्यों?
उत्तर-
भगजोगनी की शादी वृद्ध से हुई थी जो उसके तरूणाई आते मर गया। आज वह युवती है, पूर्ण युवती। उसका सौंदर्य उसके वर्तमान पति का स्वर्गीय धन है। दूसरा पति उसका सौतेला बेटा। यही समाज की नियति है कि वह इस वातावरण में जीने को मजबूर है।

व्याख्याएँ

12. आशय स्पष्ट करें

(क) ‘जो जीभ एक दिन बटेरों का शोरबा सुड़कती थी, अब वह सराह-सराहकर मटर का सत्तू सरपोटने लगी। चुपड़ी चपातियाँ चबानेवाले दाँत अब चंद चबाकर दिन गुजरने लगे।’
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ शिवपूजन सहाय द्वारा लिखित ‘कहानी का प्लॉट’ शीर्षक से उद्धृत हैं। इसमें लेखक ने बड़े ही सहज ढंग से अमीरी से गरीबी में आने पर होनेवाले बदलाव का चित्रण किया है।

कहानी में लेखक को मुंशीजी ने जब रो-रोकर अपना दुखड़ा सुनाते हैं उसका बड़ा ही रोचक वर्णन लेखक ने किया है। मुंशीजी कहते हैं कि “क्या कहूँ बीते दिनों की, जब याद करता हूँ तो गश आ जाता है।” दारोगाजी के जीते-जी ऐश-मौज का बखान मुंशजी जी करते हैं और दारोगा जी मृत्यु के बाद आई गरीबी का इजहार करते हैं। उसका लेखक ने बड़े ही रोचक और सत्यता के साथ उजागर करता है। लोग अमीरी में कुछ भी नहीं सोचते। अनाप-शनाप, फिजूलखर्ची उनकी आदत बन जाती है। वही जब गरीबी आती है तो याद किस तरह सताती है इसका दिग्दर्शन लेखक ने ग्रामीण परिवेश में बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है।

(ख) “सचमुच अमीरी की कब्र पर पनपी हुई गरीबी बड़ी ही जहरीली होती है।’
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ शिवपूजन सहाय द्वारा लिखित ‘कहानी का प्लॉट’ शीर्षक से उदधत है। लेखक ने समाज में होनेवाले उतार-चढाव का. फिर बीते दिनों की याद को वर्तमान में पश्चाताप का इतना सुंदर विवेचन किया है कि वह ही सत्य हो गया है।
मुंशीजी कहते हैं कि एक दिन वह था कि भाई साहब के पेशाब से चिराग जलता था, और एक दिन यह भी है कि मेरी हड्डियों मुफसिसी की आँच से मोमबत्तियों की तरह घुल घुलकर जल रही है। बड़ा अफसोस होता है लेकिन सच ही कहा गया है कि अमीरी के कब्र पर पनपी हुई गरीबी बड़ी ही जहरीली होती है। लेखक ने इतनी मार्मिकता से इसका वर्णन किया है जो अत्यंत ही संवेदनायुक्त है।

निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

1. किंतु जब बहिया बह गई, तब चारों ओर उजाड़ नजर आने लगा।
दारोगाजी के मरते ही सारी अमीरी घुस गईं, चिलम के साथ-साथ चूल्हा-चक्की भी ठंढी हो गई। जो जीभ एक दिन बटेरों का शोखा सुड़कती थी, वह अब सराह-सराह कर मटर का सत्तू सरपोटने लगी। चुपड़ी चपातियाँ चबानेवाले दाँत अब चंद चने चबाकर दिन गुजारने लगे। लोग साफ कहने लग गए कि थानेदार की कमाई और फूस का तापना दोनों बराबर हैं।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखिए।
(ख) इस गद्यांश में किसके संबंध में क्या कहा गया है?
(ग) ‘बटेरों का शोरवा सुड़कना’ तथा ‘मटर का सत्तू सरपोटना’ के क्या प्रतीकार्थ हैं?
(घ) इस गद्यांश का आशय लिखिए।
(ङ) “थानेदार की कमाई और फूस का तापना दोनों बराबर हैं।”
इस कथन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(क) पाठ-कहानी का प्लॉट, लेखक-शिवपूजन सहाय।

(ख) इस गद्यांश में दारोगाजी की मृत्यु के बाद उनके भाई मुंशीजी की आर्थिक-बदहाली और बेबसी का विवरण प्रस्तुत किया गया है। उनकी कल की खुशियाली के बाद आई वर्तमान की विपन्नता बड़ी कारुणिक है।

(ग) ‘बटेरी का शोरवा सुड़कना’ प्रतीक है-सुख-समृद्धि में शानदार सुस्वादु भोजन के आनंद का। ‘मटर का सत्तू सरपोटना’ प्रतीक है-गरीबी की लाचारी में निम्नकोटि के भोजन से किसी तरह पेट भरने की क्रिया का।

(घ) इस गद्यांश में कल के अमीर और आज के फकीर बने मुंशीजी की आर्थिक तंगी और दयनीय दशा का अंकन उनकी खाद्य सामग्री के वर्णन के माध्यम से किया गया है। कल तक बटेर के शोरबे और घी में चुपड़ी चपातियों के भोजन का आनंद लेनेवाले मुंशीजी आज मटर के सत्तू और चने के चंद दाने पर ही जीने को मजबूर हैं।

(ङ) थानेदार की कमाई घूस की रकम की अप्रत्याशित आमदनी की कमाई होती है जो देखते-ही-देखते तुरंत लहलहा उठती है, लेकिन वह फूस की आग की तरह तुरत लहककर उतनी ही शीघ्रता से मिट या बुझ भी जाती है।

2. लेकिन जरा किस्मत की दोहरी मार तो देखिए। दारोगाजी के जमाने में मुंशीजी के चार-पाँच लड़के हुए। पर सब-के-सब सुबह के चिराग हो गए। जब बेचारे की पाँचों उँगलियाँ घी में थी, तब तो कोई खानेवाला न रहा और जब दोनों टाँगें दरिद्रता के दलदल में आ फँसी और ऊपर से बुढ़ापा भी कँधे दबाने लगा, तब कोढ़ में खाज की तरह एक लड़की पैदा हो गई और तारीफ यह कि मुंशीजी की बदकिस्मती भी दारोगाजी की घोड़ी से कुछ कम स्थावर नहीं थी।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखिए।
(ख) मुंशीजी की किस्मत की दोहरी मार क्या थी?
(ग) “तब कोढ़ में खाज की तरह एक लड़की पैदा हो गई।” इसका अर्थ या आशय स्पष्ट कीजिए।
(घ) इस गद्यांश का आशय लिखिए।
(ङ). लेखक ने यहाँ मुंशीजी की बदकिस्मती की तुलना किससे, क्यों तथा क्या कहकर की है?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम-कहानी का प्लॉट, लेखक का नाम-शिवपूजन सहाय।

(ख) मुंशीजी की किस्मत की दोहरी मार में पहली मार यह थी कि जब मुंशीजी खशियाली की जिंदगी के सकल साधनों से मंडित थे. तब उस स्थिति में उनके चारों-पाँचों लड़के असामयिक मृत्यु के शिकार हो गए और इस रूप में उनकी संपत्ति को कोई भोगनेवाला नहीं बचा। उनकी किस्मत की दूसरी मार यह थी कि जब बाद के दिनों में वे गरीबी और तंगी के शिकार हुए तो बुढ़ापे में जी का जंजाल बनकर एक लड़की पैदा हो गई।

(ग) इस कथन का अर्थ या आशय यह है कि जिस प्रकार कोढ़ की संकटमयी बीमारी के कष्ट में खाज का होना विशेष परेशानी और पीड़ा का कारण बन जाता है, उसी तरह गरीबी और अभाव की कष्टदायी स्थिति में बुढ़ापे में मुंशीजी के लिए लड़की पैदा होना विशेष पीड़ा एवं कष्टदायी हो गया।

(घ) इस गद्यांश में लेखक ने कहानी के मुख्य पात्र मुंशीजी की दोहरी बदकिस्मती का अंकन किया है। उनकी इस दोहरी बदकिस्मती का पहला मंजर तो यह था कि खुशियाली के दिनों में उनके चारों-पाँचो बेटे असमय में ही मौत के शिकार हो गए और उनकी संपत्ति का कोई वारिस नहीं बचा। दूसरी ओर बदकिस्मती इस रूप में आ धमकी कि उनकी बुढ़ापे और गरीबी की किल्लत-भरी और अवसादमयी जिंदगी के बीच एक लड़की पैदा हो गई।

(ड) लेखक ने यहाँ मुंशीजी की बदकिस्मती की तुलना उनके घर में पल रही दारोगाजी द्वारा खरीदी गई घोड़ी की अवसादग्रस्त किस्मत से की है। यह तुलना लेखक ने इसलिए की है कि दोनों-मुंशीजी और घोड़ी समान बदकिस्मती की स्थिति में रहकर जीने को मजबूर थे।

3. सच पूछिए तो इस तिलक-दहेज के जमाने में लड़की पैदा करना ही बड़ी मूर्खता है, लेकिन युगधर्म की क्या दवा है? इस युग में अबला ही प्रबला हो रही है। पुरुष-दल को स्त्रीत्व खदेड़े जा रहा है। बेचारे मुंशीजी का क्या दोष? जब घी और गरम मसाले उड़ाते थे, तब हमेशा लड़का ही पैदा करते थे, मगर अब मटर के सत्तू पर बेचारे कहाँ से लड़का निकाल लाएँ। संचमुच अमीरी की कब्र पर पनपी हुई गरीबी बड़ी ही जहरीली होती है।
(क) इस गद्यांश के लेखक और पाठ के नाम लिखिए।
(ख) इस गद्यांश का आशय लिखिए।
(ग) लेखक के अनुसार, तिलक-दहेज के जमाने में लड़की पैदा
करना मुर्खता है, क्यों और कैसे?
(घ) “सचमुच अमीरी की कब्र पर पनपी गरीबी बड़ी ही जहरीली
होती है।”-इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(क) पाठ का शीर्षक (नाम) है-कहानी का प्लॉट, लेखक का नाम , है-शिवपूजन सहाय।

(ख) इस गद्यांश में लेखक ने मुंशीजी की गरीबी और बेबसी का चित्रण ‘करने के क्रम में युगधर्म बनी तिलक-दहेज की प्रथा की बुराई की चर्चा की है। लेखक के अनुसार तिलक-दहेज की प्रथा की बुराई की युगीन स्थिति में लड़की पैदा करना मूर्खता है। लेकिन, मुंशीजी ऐसे गरीब और अतिसामान्य भोजन करनेवाले सहज कमजोर पिता के लिए तो पुत्र पैदा करना संभव ही नहीं है। अत: कल की अमीरी के बाद आज की आई गरीबी की पीड़ा की घड़ी में पैदा हुई बेटी कष्टदायक होती है।

(ग) लेखक के अनुसार तिलक-दहेज के जमाने में लड़की के पैदा होने पर उसके विवाह के आयोजन में अनावश्यक रूप से बहुत ज्यादा राशि अपेक्षित हो जाती है जिसे जुटाना लड़की के अभिभावक के लिए बड़ा कष्टकर हो जाता है। इस स्थिति में लड़की पैदा करना कष्टकर और मूर्खतापूर्ण हो जाता है।

(घ) लेखक के इस कथन का मंतव्य है कि अमीरी की सुख-सुविधा और ‘ खुशियाली के बाद गरीबी का आना बड़ा कष्टदायी और भयावह पीड़ाजनक होता है। इसका दुष्प्रभाव जहर के प्रभाव के रूप में बड़ा जहरीला है और विशेष कष्टदायी होता है। पहले से चली आ रही गरीबी में ऐसी बात नहीं होती।

4. कहते हैं प्रकृत-सुंदरता के लिए कृत्रिम श्रृंगार की जरूरत नहीं होती, क्योंकि जंगल में पेड़ की छाल और फूल-पत्तियों से सजकर शकुंतला जैसी सुंदरी मालूम होती थी, वैसी दुष्यंत के राजमहल में सोलहों सिंगार करके भी वह कभी न फबी। किंतु, शकुंतला तो चिंता-कष्ट के वायुमंडल में नहीं पत्ली थी। उसके कानों में उदर दैत्य का कर्कश हाहाकार कभी न गूंजा था। वह शांति और संतोष की गोद में पल कर सयानी हुई थी और तभी उसके लिए महाकवि की शैवाल-जाल-लिप्त कमलिनी वाली उपमा उपयुक्त हो सकी।
(क) गद्यांश के पाठ और लेखक के नाम लिखिए।
(ख) प्रकृत सुंदरता के लिए कृत्रिम श्रृंगार की जरूरत नहीं पड़ती। इसे एक उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
(ग) इस. गद्यांश का आशय लिखिए।
(घ) किंस महाकवि ने शकुंतला के सौंदर्य की उपमा किसके साथ क्या कहकर दी थी?
उत्तर-
(क) पाठ-कहानी का प्लॉट, लेखक-शिवपूजन सहाय।

(ख) प्रकृत, अर्थात् स्वाभाविक सौंदर्य में जो आकर्षण और मनोहरता होती है; वह कृत्रिम, अर्थात् बनावटी सौंदर्य में नहीं। बाग में खिले फूलों की सुंदरता के सामने कागज के रंग-बिरंगे फूलों की सुंदरता तो तुच्छ ही होती है। शकुंतला के – सौंदर्य की मनोरमता पेड़-पौधों और वन्य फूलों के बीच जितनी मोहक थी, उतनी राजा दुष्यंत के राजमहल के कृत्रिम सौंदर्य साधन मंडित परिवेश में कहाँ।

(ग) लेखक के अनुसार प्रकृत सौंदर्य कृत्रिम सौंदर्य की अपेक्षा ज्यादा मनोरम, मोहक और मनोहर होता है। इसीलिए शकुंतला वन-प्रदेश के प्राकृतिक सौंदर्यमंडित प्रसाधनों के बीच जितना अधिक सुंदर लगती थी, उतना राजमहल के कृत्रिम सौंदर्य प्रसाधनों से भूषित परिवेश के बीच नहीं। लेकिन लेखक के मतानुसार प्रकृत सुंदरता के लिए एक हद तक अच्छे खान-पान तथा रहन-सहन के भौतिक साधन भी जरूरी होते हैं अन्यथा उनके अभाव में प्रकृत सुंदरता कुम्हला जाती है। गरीबी की आँच में कुम्हलाई भगजोगनी की सुंदरता का यही हाल था।

(घ) महाकवि कालिदास ने शकुंतला के निष्कलुष सौंदर्य की उपमा शैवाल घास-मंडित जल में खिले सहज मनोरम कमल के फूल से दी है।

5. गाँव के लड़के अपने-अपने घर भरपेट खाकर जो झोलियों में चबेना लेकर खाते हुए घर से निकलते हैं, तो वह उनकी वाट जोहती रहती हैं-उनके पीछे-पीछे लगी फिरती है, तो भी मुश्किल से दिन में एक-दो मुट्ठी चबेना मिल पाता है। खाने-पीने के समय किसी के घर पहुँच जाती है तो इसकी डीढ लग जाने के भय से घरवालियाँ दुरदुराने लगती हैं। कहाँ तक अपनी मुसीबतों का बयान करूँ, भाई साहब! किसी की दी हुई मुट्ठी भर भीख लेने के लिए इसके तन पर फटा हुआ आँचल भी नहीं है। इसकी छोटी अँजुलियों में ही जो कुछ अँट जाता है, उसी से किसी तरह पेट की जलन बुझा लेती है। कभी-कभी एकाध फंका चना-चबेना मेरे लिए भी लेती आती है। उस समय हृदय दो टूक हो जाता है।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखिए।
(ख) इस गद्यांश का आशय लिखिए।
(ग) यहाँ किसकी गरीबी की दुर्दशा का क्या वर्णन किया गया है?
(घ) उस समय हृदय दो टूक हो जाता है-किसका और क्यों? इसे स्पष्ट कीजिए।
(ङ) कहाँ तक उसकी मुसीबतों का बयान करूँ, भाई साहब!-इस कथन में कौन, किसकी और किन मुसीबतों का बयान कर रहा है?
उत्तर-
(क) पाठ-कहानी का प्लॉट, लेखक-शिवपूजन सहाय।

(ख) इस गद्यांश में लेखक ने मुंशीजी और उनकी पुत्री भगजोगनी की आर्थिक बेहाली और दुर्दशा का बड़ा कारुणिक अंकन किया है। मुंशीजी की आर्थिक विपन्नता की यह स्थिति है कि उनकी एकमात्र पुत्री भगजोगनी पेट पालने के लिए भिक्षाटन की मुद्रा में डगर-डगर डोलती फिरती है। उसे घोर अपमान-उपेक्षा और तिरस्कार की स्थिति से गुजरकर किसी तरह अपने और अपने बाप के लिए भोजन के चंद दानों को जुटाने के प्रयास में पीड़ा की आग में तिल-तिलकर जलना पड़ता

(ग) यहाँ मुंशीजी और उनकी पुत्री की गरीबी की दुर्दशा का अंकन किया गया है। भाई दारोगाजी की मृत्यु के बाद मुंशीजी की गरीबी की दुर्दशा बर्णनातीत है। उनकी बेटी भिक्षाटन कर भोजन के चंद टुकड़ों को किसी तरह जुटा पाती है। इसके लिए कभी उसे झोलियों से चबाते खाते बच्चों के पीछे-पीछे भागते, तो कभी किसी के दरवाजे पर जाकर दुत्कार सहते, अपमान के विष यूंट पीकर प्रयासरत रहना पड़ता है। उसे भिक्षाटन से मिले चंद दानों को जुगाकर जमा करने के लिए आँचल के कपड़े भी मयस्सर नहीं हैं।

(घ) जिस समय भगजोगनी अपने भूखे-बाप के लिए बड़ी कठिनाई से प्राप्त भिक्षाटन के चंद दानें बचाकर लाती है उस समय उसके अभागे और दुर्भाग्यग्रस्त पिता की आँखों में करुणा, पीड़ा और ममता के आँसू उमड़ आते हैं।

(ङ) इस कथन में भगजोगनी के विपन्न पिता अपनी और अपनी पुत्री की आर्थिक दुर्दशा का बयान करते हैं। गरीबी की पीड़ा की आग में तिल-तिलकर कर जलती भगजोगनी भिक्षाटन करती है। उसके भिक्षाटन के क्रम में आई ये दो मुसीबतें बयान के काबिल नहीं हैं। इनमें मुसीबत यह है कि उसके पास भिक्षाटन में मिले चंद दानों को लपेटकर रखने के लिए फटे आँचल भी नहीं हैं और लाचारी की स्थिति में उसे अपनी अँजुली ही पसारनी पड़ती है।

6. सारे हिंदू-समाज के कायदे भी अजीब ढंग के हैं। जो लोग मोल-भाव करके लड़के की बिक्री करते हैं, वे भले आदमी समझे जाते हैं, और कोई गरीब बेचारा उसी तरह मोलभाव करके लड़की को बेचता है, तो वह कमीना समझा जाता है। मैं अगर आज इसे बेचना चाहता तो इतनी काफी रकम ऐंठ सकता था कि कम-से-कम मेरी जिंदगी तो जरूर ही आराम से कट जाती। लेकिन, जीते-जी हरगिज एक मक्खी भी न लूँगा। चाहे वह क्वाँरी रहे या सयानी होकर मेरा नाम न हँसाए।
(क) हिंदू-समाज के किन अजीब ढंग के कायदे की यहाँ चर्चा की गई है?
(ख) क्या ये कायदे आपकी दृष्टि में भी अजीब ढंग के हैं? टिप्पणी कीजिए।
(ग) समाज में लड़का बेचनेवाला भला और लड़की बेचनेवाला कमीना क्यों समझा जाता है?
(घ) इस गद्यांश का आशय लिखिए।
(ङ) पाठ और लेखक के नाम लिखिए।
उत्तर-
(क) यहाँ हिंदू-समाज के इन अजीब ढंग के कायदे की चर्चा की गई है कि मोल-जोल करके लड़के की बिक्री करनेवाला भला और गरीबी के कारण लड़की बेचनेवाला कमीना आदमी समझा जाता है।

(ख) मेरी दृष्टि में भी ये दोनों कायदे अजीब ढंग के हैं। यदि तिलक-दहेज लेकर लड़के बेचना भलापन है तो शादी-ब्याह के लिए लड़की बेचना कमीनापन क्यों है? तर्क की दृष्टि से लड़का और लड़की दोनों तो एक ही माँ-बाप की संतान होने के कारण समान स्तर के ही तो हैं। सबसे अजीब बात तो यह है कि . शादी-विवाह ऐसे पवित्र कार्य की संपन्नता में रुपये-पैसे को इतनी अहमियत देना ही नहीं चाहिए कि उसके लिए लड़की या लड़के बेचने की जरूरत आ जाए।

(ग) हिंदू-समाज की यह अजीब मान्यता है कि जो आदमी लड़के की शादी में तिलक-दहेज के रूप में जितनी मोटी रकम लड़की वाले से ले पाता है, वह आदमी उतना ही ज्यादा भला और गौरवशाली समझा जाता है। ऐसा इसलिए कि लड़के के तिलक-दहेज के रूप में मिले रुपये उस समाज में उसके आर्थिक, सामाजिक, पारिवारिक स्तर तथा मान-मर्यादा के सूचक माने जाते हैं। इसके विपरीत लड़की की शादी में लड़के वाले से रुपये लेकर लड़की की शादी करनेवाले को गरीब, निम्न, आर्थिक कोटि का और लड़की बेचवा’ कहा जाता है।

(घ) इस गद्यांश में लेखक ने हिंदू-समाज में व्याप्त तिलक-दहेज तथा लड़की बेचनेवाली दोनों प्रथाओं की आलोचना की है। लेखक की दृष्टि से ये दोनों प्रथाएँ त्याज्य है। शादी जैसे पवित्र संस्कार के आयोजन में लड़के या लड़की को बेचकर पैसे जुटाना घोर अमानवीय और घृणित कार्य है।

(ङ) पाठ-कहानी का प्लॉट. लेखक-शिवपूजन सहाय।

7. एक दिन वह था कि भाई साहब के पेशाब से चिराग जलता था और एक दिन यह भी है कि मेरी हड्डियाँ मुफलिसी की आँच से मोमबत्तियों की तरह घुल-घुलकर जल रही है।
(क) पाठ और इसके लेखक का नाम लिखिए।
(ख) ‘पेशाब से चिराग जलता था’-का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(ग) इस गद्यांश का आशय लिखिए।
उत्तर-
(क) पाठ-कहानी का प्लॉट, लेखक-शिवपूजन सहाय।

(ख) ‘पेशाब से चिराग जलता था।’ कथन का अर्थ है कि दारोगाजी का उस क्षेत्र में काफी रोब-रुतबा था और सब जगह उनकी ऐसी धाक जमी हुई थी कि उनकी इच्छा के अनुकूल ही वहाँ के सारे कार्य संपन्न होते थे।

(ग) इस गद्यांश में लेखक के कथन का आशय यह है कि एक समय ऐसा था जबकि मुंशीजी के भाई दारोगा काफी संपन्न स्थिति में थे। उस क्षेत्र में लोग उनके रोब-रुतबे एवं शान-शौकत के कायल थे और वहाँ उनकी इच्छा के अनुकूल ही कार्यों का निष्पादन होता था। लेकिन, समय बदला और दारोगाजी की मृत्यु के बाद उनका परिवार आसमान से जमीन पर आ गया। उनके भाई मुंशीजी आर्थिक बेहाली और दुर्दशा के इस तरह शिकार हो गए कि उन्हें लोगों की दया और करुणा पर जीने के लिए मजबूर होना पड़ा।

8. आह! बेचारी उस उम्र में भी कमर में सिर्फ एक पतला-सा चिथड़ा लपेटे हुई थी, जो मुश्किल से उसकी लज्जा ढंकने में समर्थ था। उसके सिर के बाल तेल बिना बुरी तरह बिखरकर बड़े डरावने हो गए थे। उसकी बड़ी-बड़ी आँखों में एक अजीब ढंग की करुणा-कातर चितवन थी। दरिद्रता राक्षसी ने सुंदरता-सुकुमारी का गला टीप दिया था।
(क) इस गद्यांश का आशय लिखिए।
(ख) यहाँ किस बेचारी की, किस स्थिति का, क्या वर्णन किया गया
(ग) “दरिद्रता-राक्षसी ने सुंदरता सुकुमारी का गला टीप दिया था।”- इस कथन का आशय या अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(क) इस गद्यांश में लेखक शिवपूजन सहाय ने मुंशीजी की आर्थिक-विपत्रता के वर्णन के क्रम में गरीबी की पीड़ा की मार से बेहाल उनकी पुत्री भगजोगनी. की दुर्दशा का वर्णन किया है। सहज सुंदरी किशोरी भगजोगनी की दुर्दशा यह थी कि वस्त्र के नाम पर उसके तन पर लाज ढंकने के लिए एक फटा चिथड़ा ही था।

(ख) यहाँ मुंशीजी की पुत्री और स्वर्गीय दारोगाजी की फूल-सी कोमल सहज सुंदरी किशोरी भतीजी भगजोगनी की आर्थिक विपन्नता और बेहाली का बड़ा कारुणिक चित्रण किया गया है। उसके पिता मुंशीजी इतने असहाय, साधनहीन और विपन्न स्थिति में थे.कि वे अपनी इकलौती किशोरी पुत्री को तन ढकने के लिए पर्याप्त कपड़े और बालों में डालने के लिए तेल की व्यवस्था करने की स्थिति में भी नहीं

(ग) इस कथन का मतलब यह है कि गरीबी की मार और पीड़ा का भगजोगनी इस कदर शिकार हो गई थी कि साधनों की कमी के कारण उसकी सारी स्वाभाविक कायिक कोमलता और सुंदरता विनष्ट हो चुकी थी। मानो गरीबी की राक्षसी ने उस सुकुमार किशोरी की कोमलता और सुदंरता का वध कर दिया हो। उसके तन पर कपड़े के नाम पर चिथड़े ही लिपटे रहते थे और तेल के बिना उसके. सिर के सुखे बाल बड़े डरावने लगते थे।