BSEB Bihar Board 12th Geography Important Questions Short Answer Type Part 3 are the best resource for students which helps in revision.
Bihar Board 12th Geography Important Questions Short Answer Type Part 3
प्रश्न 1.
“कृषि प्रक्षेत्र में भारतीय मजदूरों की सबसे बड़ी भागीदारी है।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत मानसूनी जलवायु का प्रदेश है। यहाँ वर्ष भर सघन कृषि का कार्य किया जाता है। हमारे देश की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, जो अपने जीविकोपार्जन हेतु प्राथमिक क्रिया के अंतर्गत कृषि का कार्य करते हैं।
यही कारण है कि भारतीय मजदूरों की भागीदारी कृषि क्षेत्रों में सर्वाधिक है।
प्रश्न 2.
भारत में अभ्रक वितरण का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अभ्रक का उपयोग विद्युत एवं इलेक्ट्रॉनिक उद्योग में किया जाता है। भारत में अभ्रक की प्राप्ति झारखंड, आन्ध्रप्रदेश व राजस्थान में होता है। सबसे अधिक अभ्रक का उत्पादन झारखंड राज्य के कोडरमा जिला में होता है।
प्रश्न 3.
पूरे पृष्ठ पर भारत का मानचित्र बनाएँ और निम्नलिखित को दर्शाएँ।
(क) कॉफी उत्पादन क्षेत्र
(ख) जय प्रकाश अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा
उत्तर:
प्रश्न 4.
नगरीकरण और औद्योगिकीकरण से जनसंख्या घनत्व बढ़ता है व्याख्या करें।
उत्तर:
जनसंख्या घनत्व को बढ़ाने में नगरीकरण तथा औद्योगीकरण की भूमिका प्रमुख है। नगरीकरण के फलस्वरूप लोगों को नये रोजगार के बेहतर अवसर, शैक्षणिक व चिकित्सा संबंधी सुविधाएँ तथा परिवहन और संचार के बेहतर साधन उपलब्ध हो पाते हैं वहीं औद्योगीकरण के फलस्वरूप भी लोगों को रोजगार, परिवहन, परिचालन, दुकानदार, बैंककर्मी, डॉक्टर एवं अध्यापक जैसे साधनों का उपयोग करने का अवसर प्राप्त होता है। यही कारण है कि जनसंख्या घनत्व में वृद्धि देखी जाती है।
प्रश्न 5.
मानवीय क्रियाकलाप क्या है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
वैसे विभिन्न प्रकार के कार्य को मानव समूहों के द्वारा किया जाता है, मानवीय क्रिया-कलाप कहलाता है। मानवीय क्रियाकलाप को चार वर्गों में वर्गीकृत करते हैं
- प्राथमिक क्रियाकलाप : कृषि, खनन, मछली पकड़ना, पशुचारण।
- द्वितीय क्रियाकलाप : विनिर्माण उद्योग, प्रसंस्करण उद्योग।
- तृतीय क्रियाकलाप : व्यापार, परिवहन, संचार संवाएँ।
- चतुर्थ क्रियाकलाप : सूचना संग्रहण, उत्पादन, अनुसंधान।
प्रश्न 6.
प्रवास के आर्थिक परिणाम कौन-से है ?
उत्तर:
प्रवास के फलस्वरूप आर्थिक परिणाम देखे जाते हैं। उद्गम क्षेत्र के लिए जहाँ से लोग प्रवास करते हैं, उस क्षेत्र के लिए अपने द्वारा अर्जित धन को भेजते हैं। भारत ने सन् 2002 में अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों द्वारा 110 अरब अमेरिकी डॉलर प्राप्त किये। पंजाब, करल और तमिलनाडु राज्यों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय प्रवासियों से महत्वपूर्ण राशि प्राप्त किये हैं। भारत के आंतरिक प्रवासियों द्वारा भी आर्थिक वृद्धि की गई है, जिसमें आर्थिक धन का प्रयोग भोजन, ऋण की अदायगी, उपचार, विवाह एवं बच्चों की शिक्षा इत्यादि पर खर्च किये जाते हैं। बिहार, उत्तरप्रदेश, उड़ीसा जैसे राज्यों के लोग महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे राज्यों से आर्थिक धन की प्राप्ति करते हैं।
प्रश्न 7.
जनसंख्या का पर्यावरण पर प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या का पर्यावरण पर निम्न प्रभाव पड़ते हैं
- जनसंख्या वृद्धि के फलस्वरूप आवासों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे कृषि भूमि में कमी आ रही है।
- वनस्पतियों की कटाई अधिक मात्रा में किया जा रहा है।
- वायु प्रदूषण की पात्रा में वृद्धि हो रही है।
- नगरीय क्षेत्रों में अपशिष्ट कचरों की मात्रा बढ़ने से वायु प्रदूषण में वृद्धि हो रही है।
- जल प्रदूषण बढ़ रहा है।
- मृदा अपरदन की क्रिया तीव्र हो गई है।
प्रश्न 8.
भारत के राष्ट्रीय जलमार्ग का विवरण दें।
उत्तर:
भारत में 14500 किमी. लंबा जलमार्ग उपलब्ध है, जिसका देश के परिवहन में 1% योगदान है। भारत में तीन अंत: स्थलीय जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित किया गया है। ये हैं
- हल्दिया से इलाहाबाद तक 1620 कि० मी० लंबा जलमार्ग संख्या-1
- सादिया से धुबरी तक 891 कि० मी० लंबा जलमार्ग संख्या-2
- कोट्टापुरम से कोलम तक 168 कि० मी० लंबा जलमार्ग संख्या-3
राष्ट्रीय जलमार्ग सं०-2 का भारत एवं बंग्लादेश साझेदारी में प्रयोग करते हैं।
प्रश्न 9.
उपभोक्ता वस्तु उद्योग तथा उत्पादन वस्तु उद्योग में अंतर बताएँ।
उत्तर:
उपभोक्ता वस्तु उद्योग तथा उत्पादक वस्तु उद्योग में अंतर :
उपभोक्ता वस्तु उद्योग :
- हम अपने दैनिक जीवन में अनेक प्रकार की वस्तुओं का उपभोग करते हैं।
- उद्योग जो वस्तुओं का उत्पादन प्राय: लोगों के दैनिक उपयोग के लिए करते हैं, उन्हें उपभोक्ता वस्तु उद्योग कहते हैं, जैसे-खाने के तेल, चाय, कॉफी, रेडियो, टी० वी० वस्त्र, चीनी, वनस्पति घी उद्योग आदि।
- इनके उत्पादों का प्रयोग सीधा उपभोग के काम आता है। उपभोक्ता वस्तु उद्योग प्रायः छोटे पैमाने तथा हल्के वर्ग के होते हैं।
उत्पादक वस्तु उद्योग :
- इन उद्योगों के उत्पादों का प्रयोग अन्य प्रकार के उत्पादन प्राप्त करने के लिए किया जाता है, जैसे-लोहा-इस्पात उद्योग, भारी मशीनरी उद्योग।
- इन उद्योगों से प्राप्त मशीनें अन्य उत्पादों को बनाने के लिए प्रयोग की जाती है। इसलिए इन्हें आधारभूत उद्योग भी कहते हैं।
- इन उद्योगों के उत्पादों का प्रयोग उसी समय नहीं होता, बल्कि वह भविष्य में उत्पादन प्रक्रम में योगदान देता है।
प्रश्न 10.
अमेरिका की अर्थव्यवस्था में पनामा नहर की भूमिका पर संक्षेप में प्रकाश डालें।
उत्तर:
72 किलोमीटर लंबे पनामा नहर के निर्माण से न्यूयार्क एवं सेन-फ्रांसिस्को के बीच की समुद्री दूरी लगभग 13000 किमी. हो गई है। संयुक्त राज्य अमेरिका के पश्चिमी तटीय क्षेत्र का पश्चिमी यूरोप एवं दक्षिण एशियाई देशों के बीच की दूरी कम हो जाने से समय एवं लागत दोनों की बचत हुई है।
प्रश्न 11.
आकृति के आधार पर ग्रामीण बस्तियों को वर्गीकृत करें।
उत्तर:
आकृति के आधार पर ग्रामीण बस्तियों के प्रमुख प्रकार हैं-
- रैखिक प्रतिरूप – सड़क रेलमार्ग, नदी, नहर इत्यादि के किनारे अथवा तटबंधों के सहारे विकसित प्रतिरूप।
- आयताकार प्रतिरूप – मैदानी भागों में सड़कों के चौराहे एवं पर्वतीय घाटियों में विकसित बस्तियाँ।
- वृत्ताकार प्रतिरूप – झीलों एवं तालाबों के चारों ओर विकसित बस्ती।
- ‘टी’ आकार – सड़क किनारे तिराहे पर विकसित बस्तियाँ।
प्रश्न 12.
कृषि सेक्टर में भारतीय श्रमिकों का सर्वाधिक अंश संलग्न है स्पष्ट करें।
उत्तर:
पिछले कुछ दशकों के दौरान भारत में कृषि सेक्टर के श्रमिकों के अनुपात में कमी आयी है। इसके बावजूद 2001 की जनगणना आँकड़ों के अनुसार श्रमिकों का 58.2% प्राथमिक, 4.2% द्वितीय एवं 37.6% तृतीयक क्रियाकलापों में संलग्न हैं। इससे स्पष्ट है कि आज भी भारतीय श्रमिकों का सर्वाधिक हिस्सा कृषि सेक्टर में संलग्न है।
प्रश्न 13.
किसी देश की जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ने पर वहाँ के आर्थिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
जनसंख्या की तीव्र वृद्धि कारण अनेक प्रकार की आर्थिक और सामाजिक समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं-
- भोजन की समस्या (Food Problems) – तीव्र गति से जनसंख्या की वृद्धि के कारण भोज्य पदार्थों की आवश्यकता की पूर्ति कठिन हो जाती है।
- आवास की समस्या ( Housing Problems) – बढ़ती जनसंख्या के कारण निवास स्थानों की कमी होती जा रही है। लाखों लोग झुग्गी तथा झोपड़ी में निवास करते हैं।
- बेरोजगारी (Unemployment) – जनसंख्या वृद्धि के कारण बेकारी एक गम्भीर समस्या के रूप में उभर कर सामने आयी है। आर्थिक विकास कम हो जाने से रोजगार के अवसर कम हो जाते हैं और बेरोजगारों की संख्या बढ़ जाती है।
- निम्न जीवन-स्तर (Low Standardof Living) – अधिक जनसंख्या के कारण प्रति व्यक्ति आय कम हो जाती है, इसलिए जीवन स्तर गिर जाता है।
- जनसंख्या का कृषि पर अधिक दबाव (Pressure of Population on Land) – बढ़ती जनसंख्या को खाद्यान्नों की पूर्ति करने के लिए कृषि योग्य भूमि पर दबाव बढ़ जाता है।
- बचत में कमी (Less Savings) – जनसंख्या वृद्धि के कारण कीमतें बढ़ जाती हैं तथा बचत कम होती है। लोगों को शिक्षा व चिकित्सा सुविधाएँ बहुत कम प्राप्त होती हैं।
- स्वास्थ्य (Health) – नगरों में गंदगी बढ़ जाती है। स्वास्थ्य और सफाई का स्तर नीचे गिर जाता है।
प्रश्न 14.
नाभिकीय ऊर्जा क्या है ? भारत के प्रमुख नाभिकीय ऊर्जा केन्द्रों के नाम लिखें।
उत्तर:
रेडियोधर्मी तत्वों के नाभिकीय विखंडन से प्राप्त ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा कहा जाता है।
भारत के प्रमुख नाभिकीय ऊर्जा केंद्रों के नाम हैं-
- तारापुर
- रावतभाटा
- कलपक्कम्
- नरोरा
- काकरापाड़
- कैगा।
प्रश्न 15.
भारत में एक्सप्रेस वे क्या है ?
उत्तर:
दिल्ली जयपुर तथा मुंबई से पुणे तक चार लेनवाली आधुनिक सड़कों को एक्सप्रेस-वे कहा जाता है। इस पर चलनेवाली गाड़ियों की अतिरिक्त टोल-टैक्स देना पड़ता है। इस सड़क पर किसी अन्य सड़क से कोई गाड़ी नहीं आ सकती है।
प्रश्न 16.
1991 ई० की नई औद्योगिक नीति के तीन मुख्य उद्देश्यों को लिखिए।
उत्तर:
1991 ई० की औद्योगिक-नीति के तीन मुख्य उद्देश्य हैं-
- उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण पर आधारित इस नीति में सतत विकास पर ध्यान दिया गया है।
- उत्पादकता एवं लाभप्रद रोजगार को बढ़ाने का लक्ष्य है।
- लाभदायक पदार्थों के निर्माण को बढ़ाकर तथा गुणवत्ता और बाजार को आकर्षक बनाकर लाभ में वृद्धि करना।
प्रश्न 17.
नियतिवाद और संभावनावाद में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
नियतिवाद और संभावनावाद में निम्नलिखित अंतर है-
नियतिवाद (Determinism):
- इस विचारधारा के अनुसार मनुष्य के प्रत्येक क्रियाकलाप को पर्यावरण से नियंत्रित माना जाता है।
- नियतिवादी सामान्यतः मानव को एक निष्क्रिय कारक समझते हैं, जो पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित होता है।
- हिपोक्रेट्स, अरस्तू, हेरोडोटस, स्ट्रैबो आदि रोमन और यूनानी विद्वानों ने नियतिवाद का समर्थन किया। रैटजैल, रिटर, हम्बोल्ट, कांट आदि ने भी इस विचारधारा का समर्थन किया।
- इस विचारधारा के मानने वाले मानव के आचरण, निर्णय क्षमता, कार्य- कुशलता तथा जीवन पद्धति आदि को भी पर्यावरण के भौतिक कारकों द्वारा प्रभावित मानते हैं।
- इस विचारधारा के अनुसार प्राकृतिक पर्यावरण सर्वप्रमुख है जो मानव के सारे क्रिया-कलापों को नियंत्रित करता है।
संभावनावाद (Possibilism):
- इस विचारधारा के अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में समर्थ है तथा वह प्रकृतिदत्त अनेक संभावनाओं का इच्छानुसार अपने लाभ के लिए उपयोग कर सकता है।
- संभावनावाद प्रकृति की तुलना में मनुष्य को महत्त्वपूर्ण स्थान देता है और उसे सक्रिय शक्ति के रूप में देखता है।
- लूसियन फैबने, वाइडल डी० ला ब्लाश ने व्यवस्थित तरीके से इस विचारधारा का प्रचार-प्रसार किया।
- इस विचारधारा के अनुसार नियतिवाद का यह सिद्धांत कि मनुष्य प्रकृति का दास है, अस्वीकृत कर दिया गया।
- कुछ भूगोलवेत्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि मनुष्य प्रकृति के तत्त्वों को अपने लाभ के लिए चुनने के लिए स्वतंत्र होता है और इस दृष्टि से मनुष्य को उसके भौतिक पर्यावरण की अपेक्षा महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है।
प्रश्न 18.
मानव भूगोल के अध्ययन में वाइडल डी ला ब्लॉश का क्या योगदान है ?
उत्तर:
वाइडल डी-ला ब्लॉश के अनुसार मानव भूगोल की परिभाषा इस प्रकार है-मानव भूगोल प्रकृति एवं मनुष्य के बीच पारस्परिक सम्बन्धों को एक नई समझ देता है। उन्होंने मानव भूगोल में संभावनावाद की नींव रखी। जब प्रकृति की तुलना में मनुष्य को महत्त्वपूर्ण स्थान प्रदान किया जाए और जब मानव को निष्क्रिय शक्ति के रूप में देखा जाए तो यह धारणा संभावनावाद कहलाती है। यद्यपि संभावनावाद की संकल्पना प्रथम विश्व युद्ध से पहले की गई लेकिन वाइडल डी. ब्लॉश ने व्यवस्थित तरीके से इस विचारधारा का प्रचार-प्रसार किया।
उनके अनुसार मनुष्य की जीवन शैली मनुष्य और उसके निवास स्थान के सम्बन्धों को नियंत्रित करने वाले भौतिक ऐतिहासिक और सामाजिक प्रभावों का समन्वित परिणाम है। उन्होंने समान पर्यावरण के भीतर मानव समूह के अन्तर को स्पष्ट करने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि विभिन्नतायें भौतिक, पर्यावरण के दबाव के प्रतिफल नहीं अपितु दूसरे कारकों जैसे मानव मूल्य एवं आदतों में परिवर्तन का परिणाम हैं। यही संकल्पना सम्भावनावादियों के लिये आधारभूत दर्शन बनी।
प्रश्न 19.
मानव भूगोल के अध्ययन के संदर्भ में फ्रेडरिक रेटजैल के योगदान का वर्णन करें।
उत्तर:
फ्रेडरिक रेटजैल मानव भूगोल के जन्मदाता माने जाते हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘एन्थ्रोयोलाजी’ (1899) में भूगोल के अध्ययन को मानव केन्द्रित विचारधारा में परिवर्तित किया। मानव भूगोल के विकास की यह एक युगान्तकारी घटना है। मानव भूगोल को मानव केन्द्रित अध्ययन में स्थापित करने के कारण रेटजैल को आधुनिक मानव भूगोल का जनक कहा जाता है। उसके अनुसार मानव भूगोल मानव समाज एवं भूपृष्ठ के मध्य पारस्परिक सम्बन्धों का संश्लिष्ट सम्बन्ध है. तथा मानव भूगोल के विषय सर्वत्र वातावरण से संबंधित होते हैं जो स्वयं भौतिक दशाओं का एक योग होता है।
प्रश्न 20.
चलवासी पशुचारण की प्रमुख विशेषतायें तथा इससे संबंधित क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विशेषताएँ :
- चलवासी पशु चारक विभिन्न समुदायों में विभाजित होते हैं। प्रत्येक समुदाय एक सुस्पष्ट सीमा में विचरण करता है।
- इन्हें अपने क्षेत्र के मौसम के अनुसार चारे तथा जल आपूर्ति की जानकारी होती है।
- इस प्रक्रिया में पशु पूर्णतः प्राकृतिक वनस्पति पर ही निर्भर करते हैं।
- चलवासी पशुचारक गाय, भैंस, घोड़े, भेड़-बकरी पालते हैं।
- इन लोगों का जीवन पूर्णतः पशुओं पर ही निर्भर करता है।
- हिमालय क्षेत्र के चलवासी गुज्जर-बकरवाल, गद्दी व भोटिया भेड़, बकरी व याक पालते हैं।
चलवासी पशुचारण के तीन प्रमुख क्षेत्र निम्न हैं-
- यह क्षेत्र 5° प० अक्षांश के मध्य उत्तरी अफ्रीका के सहारा मरुस्थल से पूर्वी अफ्रीका के तटीय भाग, सऊदी अरब, इराक, ईरान, अफगानिस्तान होता हुआ मंगोलिया तक फैला है।
- यूरेशिया में टुण्ड्रा ।
- दक्षिण-पश्चिम अफ्रीका तथा मालागासी के पश्चिमी भाग
प्रश्न 21.
जनसंख्या की व्यावसायिक संरचना का क्या अर्थ है ? संसार में पाए जाने वाले व्यावसायिक संरचना के चार प्रमुख वर्गों की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक संरचना का अर्थ है किसी देश की विशिष्ट आर्थिक क्रियाओं में जनसंख्या का आनुपातिक वितरण। संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व की जनसंख्या को निम्नलिखित आर्थिक क्रियाओं में विभाजित किया है-
1. कृषि, 2. आखेट, 3. वानिकी, 4. मत्स्य, 5. खनन, 6. विनिर्माण, 7. वाणिज्य आदि। इनको चार समूहों में विभक्त किया जा सकता है-
- प्राथमिक व्यवसाय (Primary Occupation) – इसके अन्तर्गत कृषि, वानिकी, मत्स्य आदि सम्मिलित हैं।
- द्वितीयक अथवा गौण व्यवसाय (Secondary Occupation) – इसके अन्तर्गत विनिर्माण उद्योग आदि आते हैं।
- तृतीयक उद्योग (Terriary Occupation) – इसके अन्तर्गत यातायात, संचार आदि सेवाएँ आती हैं।
- चतुर्थक व्यवसाय (Quarternary Occupation) – इसके अन्तर्गत बौद्धिक व्यवसाय, अनुसंधान, शिक्षा, सूचना आदि आते हैं।
विकसित देशों में द्वितीयक, तृतीयक और चतुर्थक व्यवसाय अधिक पाए जाते हैं जबकि विकासशील देशों में प्राथमिक व्यवसाय अधिक पाये जाते हैं।
प्रश्न 22.
व्यापारिक पशुपालन किसे कहते हैं ? उसकी चार विशेषतायें लिखें।
उत्तर:
बड़े-बड़े फार्मों पर धन कमाने के लिए वैज्ञानिक ढंग से पशुओं का पालनपोषण करना व्यापारिक पशुपालन कहलाता है। इसकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- यह एक बड़े पैमाने पर चारे की फसलों की सहायता से घास के मैदानों में स्थायी रूप से पशुपालन है।
- यह पशुपालन कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों में बड़े-बड़े फार्मों पर किया जाता है।
- यह पशुपालन शीतोष्ण घास के मैदानों में प्रचलित है जहाँ सम जलवायु पाई जाती है।
- यह प्रायः विकसित देशों जैसे आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि देशों में प्रचलित है।
प्रश्न 23.
संसार में उद्योगों की अवस्थिति के लिए कच्चा माल, श्रम तथा ऊर्जा के स्रोतों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
- कच्चा माल (Raw Material) – उद्योगों की स्थापना के लिए कच्चा माल उनका आधार है। भारी कच्चे माल के समीप ही उद्योग लगाए जाते हैं। जैसे–चीनी उद्योग, इस्पात उद्योग आदि।
- श्रम (Labour) – उद्योगों के लिए श्रमिक अनिवार्य हैं। कुछ उद्योग श्रम प्रधान होते हैं तथा कुशल श्रम की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, मुरादाबाद का बर्तन उद्योग, एम्सटरडम का हीरा उद्योग, स्वीडन का मशीन-उपकरण उद्योग आदि।
- ऊर्जा (Energy) – मशीनों को चलाने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा की नियमित आपूर्ति आवश्यक है। उद्योगों को ऊर्जा के स्रोतों के निकट ही लगाया जाता है।
प्रश्न 24.
भारी रसायन उद्योगों तथा पेट्रो रसायन उद्योगों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारी रसायन उद्योग (Heavy Chemical Industries) – रासायनिक पदार्थ जो कि खनिज अथवा औद्योगिक गौण पंदार्थों पर निर्भर रहते हैं, भारी रसायन कहलाते हैं। उदाहरण-सल्फ्यूरिक, हाइड्रोक्लोरिक।
पेट्रो रासायनिक उद्योग (Petro Chemical Industries) – जो रसायन कोयला, प्राकृतिक गैस या पेट्रोलियम पर निर्भर रहते हैं, वे पेट्रो-कैमिकल कहलाते हैं। उदाहरण-रासायनिक खाद, प्लास्टिक सामग्री आदि।
प्रश्न 25.
संसार में रेलमार्गों के विकास में सहायक तीन प्रमुख कारक बताइए।
उत्तर:
संसार में रेलमार्गों के विकास में निम्न कारक सहायक हैं
- समतल भूमि (Plains) – समतल मैदानों में रेलमार्गों का विकास अधिक संभव है। यूरोप और उत्तरी अमेरिका के मैदानों में रेलमार्गों का जाल बिछा हुआ है।
- सघन जनसंख्या (Dense Population) – सघन जनसंख्या के कारण भी अधिक रेलमार्ग बिछाए जाते हैं। उदाहरणस्वरूप भारत का उत्तरी मैदान।
- औद्योगीकरण तथा समृद्ध कृषि (Industrialisation and Developed Agriculture) – उद्योगों के विकास तथा समृद्ध कृषि क्षेत्रों में भी रेलों का अधिक विकास होता है। उदाहरण-यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका।
प्रश्न 26.
संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रसिद्ध पाइप लाइन कौन-सी है ? पाइप लाइन परिवहन के चार लाभों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रसिद्ध पाइप लाइन का नाम बिग इंच है। पाइप लाइन परिवहन के लाभ निम्नलिखित हैं-
- पाइपलाइन से तरल तथा गैसीय पदार्थों को दूर स्थानों तक ले जाया जाता है। इनसे पानी, पेट्रोल, गैस आदि ले जाए जाते हैं।
- पाइपलाइन निर्माण में एक बार ही पूँजी निवेश करना पड़ता है। फिर खर्च में कमी आ जाती है और परिवहन सुगम हो जाता है।
- पाइपलाइनों से तरल पदार्थों की आपूर्ति निरंतर बनी रहती है।
- पाइपलाइन को सभी प्रकार के धरातल-ऊबड़-खाबड़, पठारी, पर्वतीय व कठिन भू-भागों यहाँ तक कि पानी के नीचे भी बिछाया जा सकता है।
- इनसे समय की बचत होती है।
- पाइपलाइन द्वारा परिवहन पर्यावरण-हितैषी तीव्र एवं सस्ता है।
प्रश्न 27.
सड़क परिवहन सुविधाजनक क्यों होता है ?
उत्तर:
- सड़क परिवहन अपेक्षाकृत सस्ता है। इसकी लागत, मरम्मत और देखभाल तुलनात्मक दृष्टि से कम है।
- सड़कें उपभोक्ता के घर तक पहुँचती हैं। उत्पादक और व्यापारी सड़क परिवहन को अधिक पसंद करते हैं क्योंकि माल को बार-बार उतारना या चढ़ाना नहीं पड़ता।
- यह कम दूरी के लिए बहुत उत्तम है।
- शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुयें, जैसे सब्जियाँ, फल, दूध उत्पाद आदि के लिए उपयोगी हैं।
- कहीं भी कभी भी अर्थात् समय और स्थान की पाबन्दी नहीं है। यात्री और सामान को कहीं से कहीं भी ढोया जा सकता है।
- पैकिंग आदि की आवश्यकता नहीं। फल, सब्जियाँ आदि सीधे ट्रकों से ढोई जा सकती हैं।
प्रश्न 28.
पत्तनों को अंतर्राष्टीय व्यापार का प्रवेश द्वार क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
समुद्र तट का वह स्थान जहाँ से भारी मात्रा में माल समुद्री मार्गों से स्थलमार्गों द्वारा और स्थलमार्गों से समुद्री मार्ग द्वारा भेजा जाता है, पत्तन कहलाता है। पत्तन अपने पृष्ठ प्रदेश (Hinter land) के लिए विदेशों से माल आयात करता है तथा अपने पृष्ठ प्रदेश में उत्पादित माल दूसरे देशों को भेजता है।
पत्तन सागरीय व्यापार के द्वार होते हैं जहाँ जहाजों के ठहरने का उचित प्रबन्ध होता है। जहाजों से सामान उतारने तथा उन पर सामान लादने की भी उचित व्यवस्था होती है। पत्तन का मुख्य कार्य आयात एवं निर्यात की जाने वाली वस्तुओं को कम समय में सक्षम ढंग से भेजना है। इसकी क्षमता माल के भार तथा जलयानों की संख्या से आंकी जाती है। पत्तनों पर अनेक प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं। जैसे-माल रखने के लिए गोदाम की सुविधा, यात्रियों के ठहरने के लिए विश्रामगृह, नौगम्य चैनल के रख-रखाव की सुविधा। ये देश के आंतरिक भागों से रेल तथा सड़कों द्वारा जुड़े हुए होते हैं। इस प्रकार पत्तन व्यापार के लिए स्थल से समुद्र तक तथा समुद्र से स्थल तक द्वार का काम करते हैं। अतः इन्हें अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रवेश द्वार कहा जाता है।
प्रश्न 29.
आयात और निर्यात में अंतर बताइए।
उत्तर:
आयात और निर्यात में अंतरआयात (Import)-
- एक देश जो माल दूसरे देशों से मँगवाता है, उसे आयात कहते हैं।
- आयात व्यापार के लिए देशों को अपनी बहुमूल्य विदेशी मुद्रा को खर्च करना होता है।
- आयात द्वारा देश अपने उद्योगों के विकास के लिए मशीनें, कच्चा माल आदि प्राप्त करता है।
- जनता के उपभोग के लिये आवश्यक सामग्री आयात करता है।
निर्याता (Export)-
- किसी देश से जो माल अन्य देशों को भेजा जाता है, उसे निर्यात कहते हैं।
- निर्यात तभी होता है जब किसी देश में वस्तुओं का उत्पादन अधिशेष हो और दूसरे देश इसकी माँग करते हों।
- वे देश जो वस्तुओं का उत्पादन अधिक मात्रा में करते हैं और उनको वे बाहर भेजना चाहते हैं, निर्यात कहलाता है।
- निर्यात द्वारा देश विदेशी मुद्रा अर्जित करता है।
प्रश्न 30.
सतलुज-गंगा के मैदान में सघन जनसंख्या के संकेन्द्रण के कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों में भौतिक कारकों के साथ सामाजिक तथा आर्थिक कारक भी सम्मिलित हैं। सतलुज-गंगा के मैदान में सघन जनसंख्या संकेन्द्रण के कारण निम्नलिखित हैं
- समतल मैदान (Levelled Plain) – सतलुज-गंगा का मैदान समतल है। मैदान के उपजाऊ होने के साथ-साथ अन्य सभी सुविधायें उपलब्ध हैं।
- निरन्तर जल आपूर्ति (Continuous Water Supply) – इस मैदान में अनेक सदावाही नदियाँ हैं। अतः कृषि के लिए जल की आपूर्ति निरन्तर बनी रहती है।
- जलवायु (Climate) – इस मैदान में मृदुल जलवायु के कारण वर्ष भर वर्धनकाल लम्बा रहता है। इसलिए कृषि कार्य संभव है।
प्रश्न 31.
आयु के आधार पर भारत की जनसंख्या के तीन प्रमुख वर्ग कौन-से हैं ? कार्यरत आयु वर्ग कौन-सा है ? इस आयु वर्ग की तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आयु के आधार पर जनसंख्या को तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है : युवक, प्रौढ़ तथा वृद्धा।
युवक 0-14 वर्ष, प्रौढ़ 15-59 वर्ष तथा वृद्ध 60 वर्ष से अधिक।
कार्यरत वर्ग 15-59 वर्ष के वर्ग समूह को कहा जाता है। इसकी तीन विशेषताएँ निम्न हैं-
- कार्यरत वर्ग का अनुपात 56.7% है।
- इस वर्ग में स्त्रियों के अनुपात को प्रजनन वर्ग कहा जाता है।
- इस वर्ग पर देश की सहभागिता निर्भर है।
प्रश्न 32.
भारत में जनसंख्या प्रवास के मुख्य कारण कौन-से हैं ?
उत्तर:
भारत में जनसंख्या प्रवास के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
- आजीविका अथवा रोजगार (Employment) – ग्रामीण इलाकों में अधिकांश लोग कृषि पर निर्भर करते हैं। बहुत बड़े भाग को गाँवों में आजीविका उपलब्ध नहीं होती इसलिए वे नगर की ओर रोजगार के लिए जाते हैं।
- विवाह (Marriage) – विवाह प्रवास का एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक कारक है। प्रत्येक लड़की को विवाह के पश्चात् अपनी ससुराल के घर जाकर रहना पड़ता है।
- शिक्षा (Education) – ग्रामीण इलाकों से शिक्षा विशेषकर उच्च शिक्षा के लिए बड़े नगरों में आकर रहना पड़ता है।
- सरक्षा की कमी (Lack of Security) – राजनीतिक तथा जातीय दंगों के कारण लोग अपने घरों को छोडकर सरक्षित स्थानों की ओर प्रवास करते हैं। जैसे कश्मीर घाटी के पंडित सुरक्षित स्थानों में रहने चले गए हैं।
- कृषि पर दबाव (Pressure on Agriculture) – कृषि पर जनसंख्या के अधिक दबाव के कारण बहुत से ग्रामीण बेरोजगार होने लगते हैं। इसलिए ये लोग नगरों की ओर प्रवास करते हैं।
प्रश्न 33.
उत्तरी भारत के अधिकांश राज्यों में मानव विकास के निम्न स्तरों के दो कारण बताइए।
उत्तर:
उत्तरी भारत में मानव विकास के निम्न स्तर के कारण निम्नलिखित हैं-
- गरीबी (Poverty) – पंजाब, हरियाणा को छोड़कर अन्य जैसे-उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, असम आदि राज्यों में गरीबी के कारण मानव विकास नहीं हो पाया है।
- पिछडा (Backwardness) – ये प्रदेश कृषि प्रधान होने के कारण अन्य क्षेत्रों में पिछडे हुए हैं जैसे-औद्योगिकीकरण आदि। शिक्षा का स्तर भी नीचा है। पिछड़ेपन के कारण इन राज्यों का मानव विकास नहीं हो पाया है।
प्रश्न 34.
देश में अपेक्षाकृत निम्न साक्षरता दर के कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
स्वतंत्रता के पश्चात् भारत में पहली बार 90 के दशक में 3.19 करोड़ निरक्षरों की कमी हुई। 1951 में साक्षरता दर केवल 18.33% थी। 2001 में यह बढ़कर 65.38 हो गई । पुरुष साक्षरता दर की तुलना में अभी भी स्त्री साक्षरता दर कम है।
भारत में साक्षरता दर के निम्न होने के कारण निम्नलिखित है-
- गरीबी (Poverty) – भारत में अभी भी बड़ी संख्या में लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं।
- समाज में स्त्रियों की स्थिति (Position of Women in the Society) – भारत में स्त्रियों को समाज में समान दर्जा प्राप्त नहीं है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्त्री शिक्षा पर बल नहीं दिया जाता। इसलिए स्त्री शिक्षा अभी भी बहुत कम है।
- शिक्षा सविधाओं का अभाव (Lack of Education Facilities) – भारत में प्राथमिक विद्यालयों का अभाव है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का व्यापक प्रचार नहीं हुआ है।
- अजानता (Ignorance) – अनेक जनजातीय क्षेत्रों में अज्ञानता के कारण शिक्षा पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता इसलिए साक्षरता दर में कमी रहती है।
- नगरीकरण की स्थिति (Urbanisation) – भारत में अधिकतर जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है इसलिए साक्षरता दर नीची है। नगरों में साक्षरता दर ऊँची होती है।
प्रश्न 35.
देश में कुल उपयोग किए गए जल में कृषि क्षेत्र का हिस्सा कम होने की संभावना क्यों है ?
उत्तर:
कृषि क्षेत्र में सतह जल का 89% और भूमिगत जल का 92% उपयोग होता है। इसके विपरीत औद्योगिक क्षेत्र में सतह जल केवल 2% और भूमिगत जल का 5% ही उपयोग होता है। कुल जल उपयोग में कृषि क्षेत्र का भाग अन्य क्षेत्र से अधिक है। अन्य क्षेत्रों का भाग बढ़ाने के लिये कृषि क्षेत्र का उपयोग कम करना आवश्यक है।
प्रश्न 36.
लोगों पर संदूषित जल/गंदे पानी के उपयोग के क्या संभव प्रभाव हो सकते हैं ?
उत्तर:
दुषित जल के उपयोग से गरीबों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। दूषित जल से जलजनित बीमारियाँ हो जाती हैं। इनमें हैजा, डायरिया, पीलिया आदि प्रमुख हैं।
प्रश्न 37.
पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु राज्यों में सबसे अधिक भौम जल विकास के लिए कौन-से कारक उत्तरदायी हैं ?
उत्तर:
पंजाब, हरियाणा और तमिलनाडु में नदी बेसिनों में भूमिगत जल का स्तर अपेक्षाकृत ऊँचा है क्योंकि इन नदियों में पुनः पूर्ति योग्य भूमिगत जल की मात्रा अधिक है।
प्रश्न 38.
देशों में सिंचाई के विभिन्न साधनों के सापेक्षिक महत्त्व में परिवर्तन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में सिंचाई के तीन प्रमुख साधन हैं-नहरें, कुएँ और तालाब। समय के अनुसार प्रत्येक साधन का सापेक्ष महत्त्व बदलता रहा है।
1950 तक नहरें सिंचाई का महत्त्वपूर्ण साधन थीं। नहरों की भागीदारी लगभग 40% थी। 1950 के बाद नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्र का प्रतिशत अनुपात कुओं तथा नलकूपों द्वारा सिंचित क्षेत्र की तुलना में घटता गया और 1999-2000 में घटकर 31.3% रह गया।
इसी प्रकार तालाब द्वारा सिंचित क्षेत्र का अनुपात 1950 में 17.3% था जो घटते हुए 1999-2000 में केवल 4.7% रह गया। तालाबों द्वारा सिंचाई का महत्त्व समय के साथ-साथ कम हो गया जबकि कुएँ और नलकूप से सिंचाई के महत्त्व में लगातार वृद्धि होती गई। 1950-51 में कुएँ और नलकूप द्वारा सिंचाई का प्रतिशत अनुपात 28.7% था जो बढ़कर 1990-91 में 51.5% तथा 2000 तक 58.8% हो गया। कुओं तथा नलकूपों द्वारा सिंचाई का महत्त्व बढ़ने के कारण नलकूपों में डीजल तथा विद्युत पंखों का आरम्भ होना था।
प्रश्न 39.
वर्षा जल संग्रहण क्या है ? आजकल यह भारत में क्यों आवश्यक है ? चार कारण दीजिए।
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण भौम जल में पुन:भरण की एक तकनीक है। इसमें स्थानीय रूप से वर्षा जल को एकत्र करके भूमि जल भंडारों को भरना है जिससे भौम जल के जल पटल में जल की कमी न रहे और इस जल से लोगों की स्थानीय माँग की पूर्ति होती रहे। वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता के निम्न कारण हैं-
- जल की निरन्तर माँग को पूरा करते रहना।
- नालियों को रोकने वाले सतही प्रवाह को कम करना।
- सड़कों के जल भराव को रोकना।
- भौम जल प्रदूषण को रोककर प्रदूषण को घटाना।
- भौम जल की गुणवत्ता को सुधार कर उसे बढ़ाना।
- मृदा अपरदन को रोकना।
- ग्रीष्म काल में जल की घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करना।
प्रश्न 40.
ऊर्जा के अपारंपरिक स्रोत कौन-से हैं ?
उत्तर:
अपारंपरिक ऊर्जा में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, भू तापीय ऊर्जा, जैव ऊर्जा आदि सम्मिलित हैं।
ये उपर्युक्त संसाधन समान रूप से वितरित तथा पर्यावरणीय हितैषी हैं। इन संसाधनों से सतत पोषणीय पर्यावरणीय हितैषी तथा सस्ती. ऊर्जा मिलती है।
प्रश्न 41.
अन्तर स्पष्ट करें – (i) धात्विक खनिज और अधात्विक खनिज (ii) ताप विद्युत और जल विद्युत
उत्तर:
(i) धात्विक खनिज (Metalic Minerals)-
- जिन खनिजों को पिघलाने से धातुएँ बनती हैं उन्हें धात्विक खनिज कहते हैं। जैसे-लोहा, ताँबा आदि।
- इनकी अपनी चमक होती है।
- ये आग्नेय और कायान्तरित शैलों में पाये जाते हैं।
- इनका औद्योगिक महत्त्व बहत अधिक है।
- इनकी तार व छड़ें नहीं बनाई जा सकती हैं।
अधात्विक खनिज (Non-metalic Minerals)-
- जिन खनिजों में धातुएँ नहीं होती उन्हें अधात्विक खनिज कहते हैं। जैसे-नमक, कोयला आदि।
- ये ठोस, तरल अथवा गैस के रूप में होते हैं।
- ये अवसादी शैलों में मिलते हैं।
- चूना पत्थर, कोयला आदि अधात्विक खनिज हैं।
- इनकी तार व चादरें बनाई जा सकती हैं।
(ii) ताप विद्युत (Thermal Electricity)-
- यह कोयला, डीजल अथवा परमाणु ऊर्जा से तैयार की जाती है।
- ये साधन समाप्य साधन हैं। इसलिए अधिक खर्चीले साधन हैं।
- ये पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। कोयले से धुआँ निकलता है जो पर्यावरण को प्रदूषित करता है।
- ताप विद्युत संयंत्र कोयला अथवा परमाणु ऊर्जा के संसाधनों के समीप ही बनाये जाते हैं।
जल विद्युत (Hydro Electricity)-
- यह नदियों पर बाँध बनाकर तैयार की जाती है।
- जल एक असमाप्य साधन है। इसलिए जल विद्युत भी असमाप्य संसाधन है।
- यह प्रदूषित रहित है।
- यह कम खर्चीला साधन है।
प्रश्न 42.
भारत में पेट्रोलियम के किन्हीं तीन व्यापारिक उत्पादन क्षेत्रों का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत में पेट्रोलियम का व्यापारिक उत्पादन निम्न क्षेत्रों में किया जाता है-
- उत्तर-पूर्वी प्रदेश (North-east Regions) – इस प्रदेश में तेल क्षेत्र हैं-डिग्बोई, नहर कटिया, मोरान, रुद्रसागर आदि।
- गुजरात प्रदेश (Gujarat Region) – अंकलेश्वर, कलोल, नवगाव, कोसावा, महसाना, आलियावेंट आदि।
- मुम्बई हाई (Mumbai High) – यह क्षेत्र मुम्बई से 176 किमी अरब सागर में अपतट क्षेत्र है। यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण तेल क्षेत्र है। यहाँ से देश के उत्पादन का दो-तिहाई तेल निकाला जाता है।
प्रश्न 43.
चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग क्यों है ?
उत्तर:
चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग है। इसके निम्न कारण हैं-
- यह उद्योग गन्ने के उत्पादन समय पर निर्भर करता है।
- गन्ने का भंडारण लम्बे समय तक नहीं हो सकता इसलिये गन्ने की कटाई के समय ही यह उद्योग चलाया जाता है। गन्ना एक निश्चित समय में काटा जाता है।
- इस उद्योग पर वर्ष भर कच्चे माल की आपूर्ति नहीं हो सकती। इसलिये गन्ना की कटाई के समय ही यह उद्योग चालू रहता है।