BSEB Bihar Board 12th Psychology Important Questions Short Answer Type Part 4 are the best resource for students which helps in revision.

Bihar Board 12th Psychology Important Questions Short Answer Type Part 4

प्रश्न 1.
अभिक्षमता के स्वरूप का वर्णन करें।
उत्तर:
किसी विशेष क्षेत्र की विशेष योग्यता को अभिक्षमता कहते हैं। अभिक्षमता विशेषताओं का एक ऐसा समायोजन है जो व्यक्ति द्वारा प्रशिक्षण के उपरांत किसी विशेष क्षेत्र का ज्ञान अथवा कौशल के अधीन की क्षमता को प्रदर्शित करता है जैसे यदि हमें गणित की किसी समस्या का समाधान ढूँढना होता है तो हम किसी गणित के जानकार व्यक्ति से सहायता लेते हैं लेकिन यदि किसी कविता (हिन्दी) में कोई कठिनाई होती है तो इसके लिए हम हिन्दी के जानकार व्यक्ति से सहायता लेते हैं। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की ये विशिष्ट योग्यता तथा कौशल ही अभिक्षमताएँ कहलाती हैं।

प्रश्न 2.
बुद्धि क्या है? इसके स्वरूप का वर्णन करें।
उत्तर:
बुद्धि व्यक्तियों के मानसिक शक्तियों या क्षमताओं का वह समुच्चय है जिससे वह उद्देश्यपूर्ण क्रिया, विवेकशील चिंतन तथा प्रभावकारी ढंग से समायोजन करता है। इससे स्पष्ट है कि बुद्धि में कोई एक तरह की क्षमता नहीं बल्कि कई तरह की क्षमताओं का समावेश होता है। इन क्षमताओं में तीन तरह की क्षमता अर्थात उद्देश्यपूर्ण क्रिया करने की क्षमता, विवेकशील चिंता करने की क्षमता तथा प्रभावकारी ढंग से समायोजित करने की क्षमता सम्मिलित होती है।

प्रश्न 3.
निरीक्षण विधि के प्रमुख अवस्थाओं को लिखें।
उत्तर:
निरीक्षण विधि के दो प्रमुख अवस्थाएँ हैं
(i) प्रकृतिवादी प्रेक्षण–यह प्राथमिक तरीका है जिससे हम देखते हैं कि लोग भिन्न स्थितियों में कैसे व्यवहार करते हैं।

(ii) सहभागी प्रेक्षण-इसमें प्रेक्षक की प्रक्रिया में सक्रिय सदस्य के रूप में संलग्न होता है। इसके लिए वह उस स्थिति में स्वयं भी सम्मिलित हो सकता है जहाँ प्रेक्षण करना है। इस तकनीक का मानवशास्त्री बहुतायत से उपयोग करते हैं जिनका उद्देश्य होता है कि उस सामाजिक व्यवस्था का प्रथमतया दृष्टि से एक प्ररिप्रेक्ष्य विकसित कर सके जो एक बाहरी व्यक्ति को सामान्यता उपलब्ध नहीं होता है।

प्रश्न 4.
कुले के समूह विभाजन का वर्णन करें।
उत्तर:
कूले द्वारा किया गया समूह विभाजन अधिक संतोषप्रद है। इन दोनों समूहों में निम्नलिखित अंतर पाया जाता है।

  • प्राथमिक समूह का आकार छोटा होता है जैसे परिवार, जबकि गौण समूह का आकार बड़ा होता है जैसे राजनीतिक दल।
  • प्राथमिक समूह को सदस्यों में औपचारिकता नहीं होती है। जबकि गौण समूह के सदस्यों में औपचारिकता अधिक होती है।
  • प्राथमिक समूह के सदस्यों के बीच घनिष्ठ पारस्परिक संबंध होता है जबकि गौण समूह के सदस्यों के बीच घनिष्ठ पारस्परिक संबंध नहीं होता है।

प्रश्न 5.
मानव व्यवहार पर पड़ने वाले प्रदूषण के प्रभाव लिखें।
उत्तर:
पर्यावरणीय प्रदूषण वायु, जल तथा भूमि प्रदूषण के रूप में हो सकता है जो मानव व्यवहार को प्रभावित करता है।
(i) मानव व्यवहार पर प्रदूषण का प्रभाव-वायुमण्डल में 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन, तथा 0.03% कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य वायु प्रदूषण के मुख्य कारण हैं। जिसका प्रभाव-मानव के स्वास्थ्य व व्यवहार पर पड़ता है।

(ii) मानव व्यवहार पर जल प्रदूषण का प्रभाव-जल प्रदूषण से तात्पर्य जल के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों में ऐसा परिवर्तन से है कि उसके रूप, गंध, स्वाद से मानव के स्वास्थ्य और कृषि, उद्योग एवं वाणिज्य को हानि पहुँचे जल प्रदूषण कहलाता है। जल जीवन के लिए एक बुनियादी जरूरत है। जल प्रदूषण से विभिन्न प्रकार के मानवीय रोग जैसे पीलिया, हैजा, टायफाइड आदि फैलते हैं।

प्रश्न 6.
अंतर समूह द्वंद्व के क्या कारण हैं?
उत्तर:
अंतर समूह द्वंद्व के निम्नलिखित कारण हैं-

  • किसी छोटे से छोटे विवाद को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करना।
  • दोनों पक्षों में संप्रेक्षण का अभाव एवं दोषपूर्ण संप्रेक्षण।
  • पूर्व में किए गए किसी नुकसान का बदला लेने की भावना।
  • पूर्वाग्रही प्रत्यक्षा
  • प्रत्यक्षित असमता आदि।

प्रश्न 7.
सेवार्थी केन्द्रित चिकित्सा को संक्षेप में बताएँ।
उत्तर:
कार्ल रोजर्स द्वारा प्रतिपादित इस चिकित्सा में स्व के सम्प्रत्यय की अहम भूमिका है। सेवार्थी के अनुभवों के समक्ष, उसके प्रति सहृदय होना उनमें सुरक्षा की भावना उत्पन्न करना आदि महत्त्वपूर्ण बातें हैं ताकि समाकलित होने में सहायक सिद्ध होती है। समायोजन बुद्धि के साथ ही व्यक्तिगत संबंधों में सुधार आता है। जो कि सेवार्थी को अपनी वास्तविकता का ‘स्व’ होने में सहायता प्रदान करती है जिसमें चिकित्सक की भूमिका एक सुगमकर्ता के रूप में जानी जाती है।

प्रश्न 8.
समाजोपकारी व्यवहार की विशेषता को उदाहरण द्वारा स्पष्ट करें।
उत्तर:
समाजोपकारी व्यवहार से तात्पर्य है कि किसी हित के भाव से दूसरों के लिए कुछ करना या उनके कल्याण के बारे में सोचना।
समाजोपकारी व्यवहार की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • इसमें व्यक्तियों को लाभ पहुँचाने या उनका भला करने का लक्ष्य होना चाहिए।
  • इस व्यवहार को नि:स्वार्थ करना चाहिए।
  • व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से करे न कि किसी प्रकार के दबाव के कारण।
  • इसमें व्यक्ति को सहायता करने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
    उदाहरणार्थ यदि कोई धनी व्यक्ति अवैध तरीके से प्राप्त किया हुआ बहुत सारा धन इस आशय से दान करता है। कि उसका चित्र एवं नाम समाचारपत्रों में छप जाएगा तो उसे समाजोपयोगी व्यवहार नहीं कहा जा सकता है।

प्रश्न 9.
वैयक्तिक तथा समूह बुद्धि परीक्षण में क्या अन्तर हैं?
उत्तर:
वैयक्तिक तथा समूह बुद्धि परीक्षण में निम्नलिखित अंतर है-

वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण समूह बुद्धि परीक्षण
1. इस परीक्षण के आयोजन में श्रम एवं साथ किया जाता है। 1. समूह परीक्षण में पूरे समूह का परीक्षण एक समय अधिक लगता है।
2. इस परीक्षण का परिणाम विश्वसनीय होने के साथ-साथ शुद्ध भी होता है। 2. इस परीक्षण का परिणाम कम विश्वसनीय होता है।

 

3. ये परीक्षण कम आयु के बच्चे के लिए सर्वश्रेष्ठ है | 3. ये परीक्षण कम आयु के बच्चे के लिए जटिल होते हैं।
4. इस पद्धति में परीक्षक का प्रशिक्षित होना अत्यधिक आवश्यक है। 4. इस परीक्षण में परीक्षक का प्रशिक्षण होना अनिवार्य नहीं है।
5. इनमें प्रयोगकर्ता तथा छात्र का सीधा संबंध होने के कारण उनमें घनिष्ठता अत्यधिक होती है। 5. इस परीक्षण में प्रयोगकर्ता तथा छात्र का संबंध न होकर पूरे समूह के साथ होने के कारण घनिष्ठता नहीं होती है।

प्रश्न 10.
प्रेक्षण के लाभ एवं हानि का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर:
प्रेक्षण के निम्नलिखित लाभ एवं हानि है-

  • प्रेक्षण के माध्यम से प्राकृतिक या स्वाभाविक स्थिति में व्यवहार को देखने तथा उसका अध्ययन करने का अवसर प्राप्त होता है।
  • अन्य लोगों को प्रेक्षण के लिए प्रशिक्षण दिया जा सकता है अथवा किसी स्थिति में निवास करनेवाले लोगों के लिए भी इस प्रयोग का प्रेक्षण उपयोगी है।
  • प्रेक्षण से संबंधित दैनिक क्रियाएँ नित्यकर्म की भाँति होती है जो प्रायः प्रेक्षणकर्ता की दृष्टि से चूक जाती है।
  • प्रेक्षणकर्ता अनेक बार भावनाओं के अधीन होकर पूर्वाग्रह की भावना का भी समायोजन कर लेता है जिसके कारण परिणाम उचित प्राप्त नहीं होते हैं।
  • वास्तविक अनुक्रियाएँ एवं व्यवहार प्रेक्षणकर्ता की अनुपस्थिति में प्रभावित हो सकता है जो कि प्रेक्षण की दृष्टि से अनुपयोगी सिद्ध होता है।

प्रश्न 11.
साक्षात्कार कौशल का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर:
मनोविज्ञान के क्षेत्र में साक्षात्कार की उपयोगिता में प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही है। साक्षात्कार दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच एक उद्देश्यपूर्ण वार्तालाप है। साक्षात्कार को अन्य प्रकार के वार्तालाप की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण संज्ञा दी जा सकती है। क्योंकि उसका एक पूर्व निर्धारित उद्देश्य होता है तथा उसकी संरचना केन्द्रित होती है। साक्षात्कार अनेक प्रकार के होते हैं जैसे-परामर्शी साक्षात्कार, रेडियो साक्षत्कार, कारक परीक्षक साक्षात्कार, उपचार साक्षात्कार, अनुसंधान साक्षात्कार आदि।

प्रश्न 12.
व्यक्ति समूह में क्यों शामिल होता है बताएँ?
उत्तर:
व्यक्ति निम्न कारणों से समूह में शामिल होते हैं

  • प्रतिष्ठा या हैसियत की दृष्टि से।
  • सुरक्षा की दृष्टि से।
  • व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक और सामाजिक आवश्यकताओं की संतुष्टि।
  • लक्ष्य की प्राप्ति।
  • ज्ञान और जानकारी या सूचना प्रदान करना।
  • आत्म सम्मान।

प्रश्न 13.
दबाव के प्रकार का वर्णन करें।
उत्तर:
दबाव के प्रकार निम्नलिखित हैं-

  • भौतिक एवं पर्यावरणीय दबाव- भौतिक दबाव वे कहलाते हैं जिनके कारण हमारी शारीरिक अवस्था में परिवर्तन पैदा होता है। पर्यावरणीय दबाव हमारे परिवेश की ऐसी अवस्थाएँ होती है जो मूलतः अपरिहार्य होती है। उदाहरणार्थ, शीतकाल की सर्दी, ग्रीष्मकाल की गर्मी आदि।
  • मनोवैज्ञानिक दबाव- मनोवैज्ञानिक दबाव वे कहलाते हैं जो हमारे मन में उत्पन्न होते हैं।
  • सामाजिक दबाव- इस प्रकार के दबाव बाह्य होते हैं और अन्य लोगों के साथ हमारी अन्तक्रियाओं के कारण पैदा होते हैं। उदाहरणार्थ, तनावपूर्ण संबंध, लड़ाई-झगड़ा आदि सामाजिक दबाव के उदाहरण हैं।

प्रश्न 14.
पर्यावरणीय चेतना को बढ़ाने की किन्हीं दो विधियों की विवेचना करें।
उत्तर:
पर्यावरणीय चेतना को बढ़ाने की दो विधियाँ निम्नलिखित हैं
(i) पर्यावरण संबंधी परिवर्तन के लिए राजी करना- प्रतिष्ठित व्यक्ति द्वारा भाषण एवं सभा के माध्यम से लोगों के आज के पर्यावरण के दुष्परिणाम को बताना और कैसे इसमें लाभदायक परिवर्तन किया जाए इसके लिए लोगों को न केवल जानकारी दें बल्कि राजी भी करें। यह काम जनसंपर्क के माध्यम जैसे समाचार पत्र, रेडियो, टेलीविजन से किया जा सकता है।

(ii) पारितोषिक देना- पर्यावरण में समुचित परिवर्तन लाने के लिए लोगों को प्रेरित करना जरूरी है। पर्यावरण परिवर्तन संबंधी अच्छे कार्यों के लिए उन्हें पारितोषिक देना जरूरी है यह इस तरह का हो सकता है। आर्थिक लाभ (नकद पुरस्कार) उपयोगी सामान देना, प्रशंसा एवं प्रशस्ति पत्र देकर उनको पर्यावरण संबंधी आवश्यक लाभदायक परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

प्रश्न 15.
मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के पुनर्वास की प्रविधियों का वर्णन करें।
उत्तर:
मनोवैज्ञानिक विकारों के उपचार के दो घटक होते हैं। पहला लक्षण में कमी आना तथा दूसरा जीवन की गुणवत्ता में सुधार आना। कम तीव्र विकारों जैसे सामान्यीकृत दुश्चिता प्रतिक्रियात्मक दुर्भीति के लक्षणों में कोई कमी आना जीवन की गुणवत्ता में सुधार से संबंधित होता है। जबकि मनोविद्लता जैसे गंभीर तथा खतरनाक मानसिक विकारों के लक्षणों में कमी आना रोगी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार से संबंधित नहीं हो सकता। क्योंकि कई रोगी नकारात्मकता के लक्षणों से ग्रसित होते हैं। इस प्रकार के रोगियों में आराम निर्भरता लाने के लिए पुनःस्थापना की आवश्यकता होती है।

पुनःस्थापना में मुख्यतः रोगियों को व्यावसायिक चिकित्सा, सामाजिक कौशल प्रशिक्षण दिया जाता है। पुनःस्थापना का उद्देश्य रोगी को सशक्त तथा समाज का एक उत्पादक सदस्य बनाना होता है। व्यावसायिक चिकित्सा में रोगियों को कागज की थैली बनाना, मोमबत्ती आदि बनाना सिखाया जाता है जिसे वे कार्य अनुशासन आसानी से बना सकें। सामाजिक प्रशिक्षण रोगियों को भूमिका निर्वाह, अनुकरण तथा अनुदेश के लिए दिया जाता है। जिसके आधार पर वह अंतर्वैयक्तिक कौशल विकसित कर सके।

प्रश्न 16.
भारत में मुख्य सामाजिक समस्याओं का वर्णन करें।
उत्तर:
वंचना, असुविधा या अहित और भेदभाव हमारे जीवन की महत्वपूर्ण समस्याएँ हैं जो व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन एवं सामाजिक जीवन को अधिक प्रभावित करते हैं।
भारत में मुख्य सामाजिक समस्याओं में निर्धनता, अशिक्षा, असमानता, बेरोजागारी बढ़ती हुए महंगाई, स्वास्थ्य, पेयजल आदि प्रमुख हैं।

प्रश्न 17.
समूह संघर्ष क्या है? इसके कारणों का वर्णन करें।
उत्तर:
समूह संघर्ष के अन्तर्गत एक व्यक्ति या समूह या प्रत्यक्षण करते हैं कि अन्य व्यक्ति उनके विरोधी हितों को रखते हैं तथा दोनों पक्ष एक दूसरे का खण्डन करने का प्रयत्न करते रहते हैं।
समूह संघर्ष के निम्नलिखित कारण है-

  • जब एक समूह के सदस्य स्वयं की अपेक्षा दूसरे समूहों के सदस्यों से करते हैं और यह महसूस करते हैं कि वे जो भी चाहते हैं वह उसके पास नहीं है। किंतु वह दूसरे समूह के पास है।
  • संघर्ष का दूसरा कारण किसी एक के पक्ष का यह विश्वास होता है कि एक पक्ष दूसरे से श्रेष्ठ हैं और वे जो कर रहे हैं उसे होना चाहिए। जब ऐसा नहीं होता है तो दोनों पक्ष एक-दूसरे पर दोष लगाते हैं।
  • दोनों ही पक्षों में संप्रेक्षण का अभाव एवं दोषपूर्ण सम्प्रेषण संघर्ष का एक मुख्य कारण है।
  • पूर्वाग्रही प्रत्यक्षण अधिकतर संघर्ष के कारण होते हैं।

प्रश्न 18.
संचार की बाधाओं को दूर करने के उपायों का वर्णन करें।
उत्तर:
संचार में प्रथम कठिनाई भाषा की जटिलता होती है। पारस्परिक समझ के लिए शब्दों का भेद एक बड़ी बाधा है। संचार की बाधाओं को दूर करने में निम्न तत्व सहायक होते हैं। संचार स्पष्ट, प्राप्तकर्ता के प्रत्याश के अनुरूप, समुचित, समयानुसार, एकसमान, लोचदार तथा स्वीकार्य होना चाहिए। अफसरशाही व लाल फीताशाही से संचार माध्यमों का पूर्णत: मुक्त होना चाहिए।

प्रश्न 19.
अभिक्षण क्या है?
उत्तर:
किसी विशेष क्षेत्र की विशेष योग्यता को अभिक्षमता कहते हैं। अभिक्षमता विशेषताओं का एक समायोजन है जो व्यक्ति द्वारा प्रशिक्षण के उपरांत किसी विशेष क्षेत्र के ज्ञान अथावा कौशल की क्षमता को प्रदर्शित करता है। जैसे-यदि हमें गणित की किसी समस्या का समाधान ढूँढना हो तो हम किसी गणित के जानकार व्यक्ति से सहायता लेते हैं लेकिन यदि किसी हिन्दी कविता कठिनाई होती है तो इसके लिए हम हिन्दी जानकार व्यक्ति से सहायता लेते हैं। इसी में कोई समस्या होती है तो स्कूटर मेकेनिक के पास जाते हैं। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की ये विशिष्ट तथा कौशल ही अभिक्षमताएँ कहलाती हैं।

रक्षा करने का प्रयास करता है। जैसे-कोई प्रबल कामेच्छा से ग्रस्त व्यक्ति यदि अपनी ऊर्जा को धार्मिक क्रियाकलापों में लगाता है तो ऐसा व्यवहार प्रतिक्रिया निर्माण का उदाहरण है।

प्रश्न 20.
चेतना के तीन स्तरों के बारे में लिखें।
उत्तर:
फ्रायड के व्यक्तित्व के सिद्धान्त में सांवेगिक द्वन्द्वों के स्रोतों एवं परिणामों पर तथा इनके द्वारा की जानेवाली प्रतिक्रिया पर विचार किया गया है। ऐसा विचार करते हुए चेतना के तीन स्तरों के रूप में देता है।

  1. चेतन- इसके अर्न्तगत वे चिंतन, भावनाएँ और क्रियाएँ आती हैं जिनके प्रति लोग जागरूक रहते हैं।
  2. अवचेतन- इसके अन्तर्गत वे मानसिक क्रियाएँ आती हैं जिसके प्रति लोग तभी जागरूक जब वे उनपर सावधानीपूर्वक ध्यान केन्द्रित करते हैं।
  3. अचेतन- यह चेतना का तीसरा स्तर है। इसके अन्तर्गत ऐसी मानसिक क्रियाएँ आती हैं जिसके प्रति लोग जागरूक नहीं होते हैं।

प्रश्न 21.
मन:चिकित्सा के प्रमुख प्रकारों के नाम लिखें।
उत्तर:
यद्यपि सभी मन: चिकित्साओं का उद्देश्य मानव कष्टों का निराकरण करना होता है तथापि वे संप्रत्ययों, विधियों और तकनीक में एक-दूसरे से बहुत भिन्न होते हैं। इस तरह मनः चिकित्सा को तीन व्यापक समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है

  1. मनोगतिक चिकित्सा
  2. व्यवहार चिकित्सा
  3. अस्तित्वपरक चिकित्सा।

इन तीनों चिकित्साओं के अनुसार मनोवैज्ञानिक समस्या के अलग-अलग कारण होते हैं। जैसे-मनोगतिक चिकित्सा व्यक्ति के मानस में विद्यमान द्वन्द्व को मनोवैज्ञानिक समस्याओं का स्रोत मानता है तो व्यवहार चिकित्सा, व्यवहार एवं संज्ञान के दोषपूर्ण अधिगम को इसकी उत्पति का कारण मानता है। इसी तरह अस्तित्वपरक चिकित्सा की अभिधारणा है कि अपने जीवन और अस्तित्व के अर्थ से सम्बन्धित प्रश्न ही मनोवैज्ञानिक समस्याओं का कारण होते हैं।

जिस तरह से ये तीनों विधियाँ मनोवैज्ञानिक समस्याओं की उत्पत्ति के सम्बन्ध में एक-दूसरे से भिन्न हैं उसी तरह मनोवैज्ञानिक समस्याओं का निराकरण भी ये अलग-अलग तरीकों से करती हैं।

प्रश्न 22.
वायु प्रदूषण क्या हैं? इसे कैसे नियंत्रित किया जा सकता है?
उत्तर:
आधुनिकीकरण तथा औद्योगीकरण के कारण हमारे पर्यावरण को हवा की गुणवत्ता अत्यधिक प्रभावित हुई है। हवा हमारे तथा सभी जीव-जंतुओं के जीवन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है। वाहनों तथा उद्योगों से निकलनेवाला धुआँ, धूम्रपान आदि से हवा में खतरनाक जहर घुल जाते हैं। इसे हम वायु-प्रदूषण के नाम से जानते हैं।

हम इस समस्या के प्रति अपनी सजगता बढ़ाकर इस पर नियंत्रण कर सकते हैं-वाहनों को अच्छी हालत में रखने से या ईंधन रहित वाहन का उपयोग कर तथा धूम्रपान की आदत छोड़कर हम वायु-प्रदूषण को कम कर सकते हैं।

प्रश्न 23.
किन्हीं तीन प्रकार के रक्षायुक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर:
फ्रायड ने विभिन्न प्रकार की रक्षायुक्तियों का वर्णन किया है। जिनमें तीन की चर्चा नीचे की जा रही है-
(a) दमन (Repression)-दमन रक्षा युक्तियों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। इसमें दुश्चिंता उत्पन्न करने वाले व्यवहार एवं विचार पूरी तरह चेतना के स्तर से विलुप्त कर दिए जाते हैं। जब लोग किसी भावना या इच्छा का दमन करते हैं तो वे उस भावना या इच्छा के प्रति बिल्कुल जागरूक नहीं होते हैं।

(b) को प्रक्षेपण (Projection)-प्रक्षेपण में व्यक्ति अपने विशेषकों को दूसरों पर आरोपित कर देता है। जैसे-किसी व्यक्ति में अगर प्रबल आक्रामक प्रवृत्तियाँ हैं तो वह दूसरे लोगों में अत्यधिक रूप से अपने प्रति होनेवाले व्यवहारों को आक्रामक देखता है।

(c) प्रतिक्रिया निर्माण (Reaction Formation)-प्रतिक्रिया निर्माण में व्यक्ति अपनी वास्तविक भावनाओं और इच्छाओं के ठीक विपरीत प्रकार का व्यवहार अपनाकर अपनी दुश्चिता से रक्षा करने का प्रयास करता है। जैसे-कोई प्रबल कामेच्छा से ग्रस्त व्यक्ति यदि अपनी ऊर्जा को धार्मिक क्रियाकलापों में लगाता है तो ऐसा व्यवहार प्रतिक्रिया निर्माण का उदाहरण है।

प्रश्न 24.
प्राथमिक समूह तथा गौण समूह में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
कूले द्वारा किया गया समूह विभाजन अधिक संतोषप्रद है। इन दोनों समूहों में निम्नांकित अंतर पाया जाता है-
प्राथमिक समूह का आकार छोटा होता है। जैसे-परिवार; जबकि गौण समूह का आकार बड़ा होता है। जैसे-राजनीतिक दल।
प्राथमिक समूह के सदस्यों में औपचारिकता नहीं होती है या कम होती है; जबकि गौण समूह के सदस्यों में औपचारिकता अधिक होती है।

प्राथमिक समूह के सदस्यों के बीच घनिष्ठ पारस्परिक सम्बन्ध होता है; जबकि गौण समूह सदस्यों के बीच घनिष्ठ पारस्परिक सम्बन्ध नहीं होता है।
प्राथमिक समूह छोटा होता है, अत: इसके सदस्यों में आमने-सामने का सम्बन्ध होता है; जबकि गौण समूह का बड़ा होता है, अतः इसके सदस्यों में आमने-सामने का सम्बन्ध नहीं होता है।

प्रश्न 25.
परामर्श का अर्थ लिखें।
उत्तर:
परामर्श एक प्राचीन शब्द है फलतः इसके अनेक अर्थ बताए गए हैं। वेबस्टर शब्दकोष के अनुसार, “परामर्श का अर्थ पूछताछ पारस्परिक तर्क-वितर्क या विचारों का पारस्परिक विनिमय है।” रॉबिन्सन ने परामर्श की अत्यन्त स्पष्ट परिभाषा देते हुए कहा है कि परामर्श में वे सभी परिस्थितियाँ सम्मिलित कर ली जाती हैं, जिससे परामर्शप्रार्थी अपने आपको पर्यावरण के अनुसार समायोजित करने में सहायता प्राप्त कर सकें। परामर्श दो व्यक्तियों से सम्बन्ध रखता है। परामर्शदाता तथा परामर्शप्रार्थी। परामर्शप्रार्थी की कुछ समस्याएँ तथा आवश्यकताएँ होती हैं जिनको वह अकेला बिना किसी की राय या सुझाव के पूरा नहीं कर सकता है। इन समस्याओं के समाधान तथा आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उसे वैज्ञानिक राय की आवश्यकता होती है और यह वैज्ञानिक राय या सुझाव कही परामर्श कहलाता है।

प्रश्न 26.
व्यक्तित्वशील गुण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
व्यक्तित्व का निर्माण अनेक प्रकार शीलगुणों से होता है। शीलगुण आपस में संयुक्त रूप से कार्य करते हैं, जिनसे व्यक्ति के जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में समायोजन को उचित दिशा एवं गति प्राप्त होती है। इसी कारण इसे सामान्य भाषा में व्यक्तित्व की विशेषताएँ भी कहा जाता है। अब प्रश्न है कि शीलगुण से क्या अभिप्राय है ? मनोवैज्ञानिकों ने इस प्रश्न के उत्तर में कहा है कि व्यक्तित्व की स्थायी विशेषताएँ जिनके कारण उनके व्यवहार में स्थिरता दिखाई पड़ती है, शीलगुण के नाम से जानी जाती है।

प्रश्न 27.
स्थापना संक्रिया का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
यदि एक बच्चा रात का भोजन करने में परेशान करता है तो स्थापन संक्रिया यह होगी कि चायकाल के समय खाने की मात्रा को घटा दिया जाए। उससे रात के भोजन के समय भूख बढ़ जाएगी तथा इस प्रकार रात के भोजन के समय खाने का प्रबलन मूल्य बढ़ जाएगा।

प्रश्न 28.
बुद्धि-लब्धि क्या है? किस प्रकार मनोवैज्ञानिक बुद्धि-लब्धि प्राप्तांकों के आधार पर लोगों को वर्गीकृत करते हैं?
उत्तर:
बुद्धि-लब्धि- किसी व्यक्ति की मानसिक आयु को उसकी कालानुक्रमिक आयु से भाग देने के बाद उसको 100 से गुणा करने से उसकी बुद्धि-लब्धि प्राप्त हो जाती है।
Bihar Board 12th Psychology Important Questions Short Answer Type Part 4 1
कालानुक्रमिक आयु मनोवैज्ञानिक बुद्धि-लब्धि प्राप्तांकों के आधार पर लोगों को वर्गीकृत करते हैं। इसे निम्नलिखित तालिका द्वारा समझा जा सकता है-
बुद्धि-लब्धि के आधार पर व्यक्तियों का वर्गीकरण

बुद्धि-लब्धि वर्णनात्मक वर्गनाम जनसंख्या प्रतिशत
130 से अधिक अतिश्रेष्ठ 2.2
120 – 130  श्रेष्ठ 6.7
110 – 119 उच्च औसत 16.1
90 – 109 औसत 50.0
80 – 89 निम्न औसत 16.1
70 – 79 सीमावर्ती 6.7
70 से कम मानसिक रूप से चुनौतीग्रस्त/मंदित 2.2

उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि जनसंख्या के लगभग 2 प्रतिशत व्यक्तियों की बुद्धि-लब्धि 130 से अधिक होती है और उतने ही प्रतिशत व्यक्तियों की बुद्धि-लब्धि 70 से कम होती है। पहले वर्ग के लोगों को बौद्धिक रूप से प्रतिभाशाली कहा जाता है जबकि दूसरे वर्ग के लोगों को मानसिक रूप से चुनौतीग्रस्त या मानसिक रूप से मंदित कहा जाता है। ये दोनों वर्ग अपनी संज्ञानात्मक, संवेगात्मक तथा अभिप्रेरणात्मक विशेषताओं में सामान्य लोगों की अपेक्षा पर्याप्त भिन्न होते हैं।

प्रश्न 29.
सामान्य कौशल क्या है? समझाएँ।
उत्तर:
ये कौशल मूलतः सामान्य स्वरूप के हैं और इनकी आवश्यकता सभी प्रकार के मनोवैज्ञानिक को होती है चाहे उनकी विशेषता का क्षेत्र कोई भी हो। ये कौशल सभी व्यावसायिक मनोवैज्ञानिक के लिए आवश्यक है चाहे वे नैदानिक एवं स्वास्थ्य मनोविज्ञान के क्षेत्र के हों, औद्योग़िक/संगठनात्मक, सामाजिक तथा बौद्धिक कौशल दोनों शामिल होते हैं। यह उपेक्षा की जाती है कि किसी भी प्रकार का व्यावसायिक प्रशिक्षण उन विद्यार्थियों को नहीं दिया जाना चाहिए जिनमें इन कौशलों का अभाव हो। एक बार इन कौशलों का प्रशिक्षण प्राप्त कर लेने के बाद ही किसी विशिष्ट प्रशिक्षण देकर उन कौशलों का अग्रिम विकास किया जा सकता है?

प्रश्न 30.
साक्षात्कार और प्रेक्षण में भेद स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
साक्षात्कार की विधि में परीक्षणकर्ता व्यक्ति से वार्तालाप करके सूचनाएँ एकत्र करता है। इसे प्रयुक्त होते हुए देखा जा सकता है जब कोई परामर्शदाता किसी सेवार्थी से अंत:क्रिया करता है, एक विक्रेता घर-घर जाकर किसी विशिष्ट उत्पाद की उपयोगिता के संबंध में सर्वेक्षण करता है, कोई नियोक्ता अपने संगठन के लिए कर्मचारियों का चयन करता है अथवा कोई पत्रकार राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के विषयों पर महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों का साक्षात्कार करता है।

प्रेक्षण में व्यक्ति को नैसर्गिक या स्वाभाविक दशा में घटित होने वाली तात्क्षणिक व्यवहारपरक घटनाओं का व्यवस्थित, संगठित तथा वस्तुनिष्ठ ढंग से अभिलेख तैयार किया जाता है। कुछ गोचर, जैसे-‘मातृ-शिशु अंत:क्रिया’ का अध्ययन प्रेक्षण-प्रणाली द्वारा सरलता से किया जा सकता है। प्रेक्षण-प्रणाली की एक बड़ी समस्या यह है कि इसमें स्थिति पर प्रेक्षक का बहुत कम नियंत्रण होता है और प्रेक्षण से प्राप्त विवरण की प्रेक्षण द्वारा व्यक्तिनिष्ठ व्याख्या की जा सकती है।

प्रश्न 31.
मनोमितिक उपागम और सूचना प्रक्रमण उपागम में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मनोमितिक उपागम में वृद्धि को अनेक प्रकार की योग्यताओं का एक समुच्चय माना जाता है। यह व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले निष्पादन को उसकी संज्ञानात्मक योग्यताओं के एक सूचकांक के रूप में व्यक्त करता है। दूसरी ओर, सूचना प्रक्रमण उपागम में बौद्धिक तर्कना तथा समस्या समाधान में व्यक्तियों द्वारा उपयोग की जाने वाली प्रक्रियाओं का वर्णन किया जाता है। इस उपागम का प्रमुख केंद्रबिंदु एक बुद्धिमान व्यक्ति द्वारा की जाने वाली विभिन्न क्रियाओं पर होता है। बुद्धि की संरचना तथा
उसमें अंतर्निहित विभिन्न विमाओं पर अधिक ध्यान न देकर सूचना प्रक्रमण उपागम बुद्धिमत्तापूर्ण व्यवहारों में अंतर्निहित संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं के अध्ययन पर अधिक बल देता है।

प्रश्न 32.
बुद्धि संरचना मॉडल की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जे० पी० गिलफोर्ड ने बुद्धि संरचना मॉडल (Structure of intellect model) प्रस्तुत किया जिसमें बौद्धिक विशेषताओं को तीन विमाओं में वर्गीकृत किया गया है-संक्रियाएँ, विष्यवस्तु तथा उत्पाद। संक्रियाओं को तीन तात्पर्य बुद्धि द्वारा की जाने वाली क्रियाओं से है। इसमें संज्ञान, स्मृति अभिलेखन, स्मृति प्रतिधारण, अपसारी उत्पादन, अभिसारी उत्पादन तथा मूल्यांकन की क्रियाएँ होती हैं। विषयवस्तु का संबंध उस सामग्री या सूचना के स्वरूप से होता है जिस पर व्यक्ति को बौद्धिक क्रियाएँ करनी होती हैं।

इसमें चाक्षुष श्रवणात्मक, प्रतीकात्मक (जैसे-अक्षर तथा संख्याएँ), अर्थविषयक (जैसे-शब्द) तथा व्यवहारात्मक (व्यक्तियों के व्यवहार, अभिवृत्तियों,, आवश्यकताओं आदि से संबंधित सूचनाएँ) रहती हैं। उत्पादन का अर्थ उस स्वरूप से होता है जिसमें व्यक्ति सूचनाओं का प्रक्रम करता है। उत्पादों को इकाई, वर्ग संबंध, व्यवस्था, रूपांतरण तथा निहितार्थ में वर्गीकृत किया जाता है। चूँकि इस वर्गीकरण में 6 × 5 × 6 वर्ग बनते हैं इसलिए इस मॉडल में 180 प्रकोष्ठ होते हैं। प्रत्येक प्रकोष्ठों में एक से अधिक कारक भी हो सकते हैं। प्रत्येक कारक का वर्णन तीनों विमाओं के द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 33.
वैयक्तिक तथा समूह बुद्धि परीक्षण में भेद स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण वह परीक्षण होता है जिसके द्वारा एक समय में एक ही व्यक्ति का बुद्धि परीक्षण किया जा सकता है। समूह बुद्धि परीक्षण को एक साथ बहुत-से व्यक्तियों को समूह में दिया जा सकता है। वैयक्तिक परीक्षण में आवश्यक होता है कि परीक्षणकर्ता परीक्षार्थी से सौहार्द्र स्थापित करे और परीक्षण सत्र के समय उसकी भावनाओं, भावदशाओं और अभिव्यक्तियों के प्रति संवेदनशील रहे।

समूह परीक्षण में परीक्षणकर्ता को परीक्षार्थियों की निजी भावनाओं से परिचित होने का अवसर नहीं मिलता। वैयक्तिक परीक्षणों में परीक्षार्थी पूछे गए प्रश्नों का मौखिक अथवा लिखित रूप में भी उत्तर दे सकता है अथवा परीक्षणकर्ता के आदेशानुसार वस्तुओं का प्रहस्तन भी कर सकता है। समूह परीक्षण में परीक्षार्थी सामान्यतः लिखित उत्तर देता है और प्रश्न भी प्रायः बहुविकल्पी स्वरूप के होते हैं।

प्रश्न 34.
व्यक्तित्व को आप किस प्रकार परिभाषित करते हैं? व्यक्तित्व के अध्ययन के प्रमुख उपागम कौन-से हैं?
उत्तर:
व्यक्तित्व का तात्पर्य सामान्यतया व्यक्ति के शारीरिक एवं बाह्य रूप से होता है। मनोवैज्ञानिक शब्दों में व्यक्तित्व से तात्पर्य उन विशिष्ट तरीकों से है जिनके द्वारा व्यक्तियों और स्थितियों के प्रति अनुक्रिया की जाती है। लोग सरलता से इस बात का वर्णन कर सकते हैं कि वे किस तरीके के विभिन्न स्थितियों के प्रति अनुक्रिया करते हैं। कुछ सूचक शब्दों (जैसे-शर्मीला, संवेदनशील, शांत, गंभीर, स्फूर्त आदि) का उपयोग प्राय: व्यक्तित्व का वर्णन करने के लिए किया जाता है। ये शब्द व्यक्तित्व के विभिन्न घटकों को इंगित करते हैं। इस अर्थ में व्यक्तित्व से तात्पर्य उन अनन्य एवं सापेक्ष रूप से स्थिर गुणों से है जो एक समयावधि में विभिन्न स्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार की विशिष्टता प्रदान करते हैं। व्यक्तित्व व्यक्तियों की उन विशेषताओं को भी कहते हैं जो अधिकांश परिस्थितियों में प्रकट होती हैं।
व्यक्तित्व के अध्ययन के प्रमुख उपागम निम्नलिखित हैं

  1. प्रारूप उपागम
  2. विशेषक उपागम
  3. अंतःक्रियात्मक उपागम।