Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण वाक्य प्रयोग द्वारा लिंग निर्णय Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण वाक्य प्रयोग द्वारा लिंग निर्णय

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण वाक्य प्रयोग द्वारा लिंग निर्णय Questions and Answers

वाक्य प्रयोग द्वारा निम्नलिखित शब्दों का लिंग निर्णय करें।

अर्थ (पुं०) – इस वाक्य का अर्थ निकालो।
अनल (पु०) अनल जल रहा है।
अर्थी (स्त्री०) – मृत व्यक्ति की अर्थी उठ गई।
अर्चना (स्त्री०) प्रभु की अर्चना करो।
अग्नि (स्त्री०) – अग्नि जल रही है।
अनबन (स्त्री०) – राम से मेरी अनबन हो गई है।
अरहर (स्त्री०) – बाजार में अरहर बहुत महंगी है।
अभिलाषा (स्त्री०) – तेरी अभिलाषा पूरी हो।
अवस्था (स्त्री०) – मेरे स्वास्थ्य की अवस्था ठीक नहीं है।

आह (स्त्री०) – मन में आह उठ रही है।
आवाज (स्त्री०) आवाज आ रही है।
आरती (स्त्री०) – पूजा के बाद आरती होती है।
आय (स्त्री०) उसकी मासिक आय बहुत ही कम
आयु (स्त्री०) – उसकी आयु पन्द्रह वर्ष है।
आकाश (पुं०) – आकाश नीला है।
आहट (स्त्री०)- चोर के आने की आहट पाकर मैं उठ गया।
आन (स्त्री०) – अपनी आन पर अड़े रहो।
आचरण (पुं०) – अपना आचरण पवित्र रखो।
आंदोलन (पुं०) – देश में आंदोलन हो गया है।
आत्मा (स्त्री०) – मेरी आत्मा की आवाज सुनो।
आशा (स्त्री०) – भगवान करे, तुम्हारी आशा पूरी हो।
आलोचना (स्त्री०) – किसी की आलोचना मत करो
आज्ञा (स्त्री०) – माँ-बाप की आज्ञा मानो।

इत्र (पुं०)- बाजार में इत्र मिलता है।
इज्जत (पुं०) – इज्जतसबको प्यारी होती है।
इनाम (पुं०) – खेल में राम को इनाम मिला।
इस्पात (पुं०) – इस्पात महँगा होता है।
इतिहास (पुं०) – भारतवर्ष का इतिहास बहुत पुराना है।
इरादा (पुं०) – अपना इरादा पक्का रखो।

ईख (स्त्री०) – ईख मीठा है।
ईंट (स्त्री०) – ईंट से ईंट बज गई।
ईद (स्त्री०) – ईद खूब उत्साह से मनाई गई।
ईर्ष्या (स्त्री०) – किसी से भी ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए।
ईमान (पुं०) – अपना ईमान मत खोना।

उधार (पुं०) – उस दुकान से मेरा उधार चलता है।
उच्चारण (पुं०) – भाषा का शुद्ध उच्चारण करना चाहिए।
उबटन (पुं०) – देह में उबटन लगाया गया है।
उत्सव (पुं०) – होली हिन्दुओं का महान उत्सव है।
उत्साह. (पुं०) – उसका उत्साह कहा नहीं जा सकता।
उड़ान (स्त्री०) – वायुयान की उड़ान तो देखो।
उथल-पुथल (स्त्री०) – देश में उथल-पुथल मची है।
उम्र (स्त्री०) – हमारी उम्र कम है।
उत्तर (पुं०) – इस प्रश्न का उत्तर दो।
उत्थान (पुं०) – हर तरह से देश का उत्थान करो।
उड़द (पुं०) – बाजार में उड़द (उरद) नहीं मिलता है।

ऊन (पुं०) – ऊन बाजार में महँगा मिलता है।
ऊंचाई (स्त्री०) – हिमालय की ऊंचाई बताइए।

एकता (स्त्री०) – एकांत ऐश्वर्य
ऐनक (स्त्री०) – ऐंठ या ऐंठन (स्त्री०)-
एकता (स्त्री०) – देश की एकता कायम रखनी है।
एकांत (पुं०) – मुझे एकांत अच्छा लगता है।
ऐश्वर्य (पुं०) – देश का ऐश्वर्य देखिए।
ऐनक(स्त्री०) – ऐनक टूट गयी।
ऐंठ या ऐंठन (स्त्री०) – रस्सी जल गई, पर ऐंठन न गई।

ओस (स्त्री०) – ओस दूब पर ओस गिर रही है।
ओट (स्त्री०) – आँख की ओट में गली छिप गई।
ओंकार (पुं०) – ओंकार सदा एकरस सत्य रहेगा।
ओल (पुं०) – ओल महँगा बिकता है।
ओले (पुं०) – ओले गिर रहे हैं।

औरत (स्त्री०) – एक औरत आ रही है।
औकात (स्त्री०) – अपनी औकात से बाहर नहीं जाना चाहिए।
औलाद – सभी माँ-बाप अपनी औलाद को प्यार करते हैं।

कर्म (पुं०) – अच्छा कर्म कीजिए।
कमल (पुं०) – तालाब में कमल खिले हैं।
केंचुल (स्त्री०) – सांप ने अपनी केंचुल छोड़ी।
कान(पुं०) – कान लम्बे हैं।
कील (स्त्री०) – यह लोहे की कील है।
कपूर (स्त्री०) – कपूर उड़ गया। कमर
कमर (स्त्री०) – राम की कमर टूट गई।
कुशल (स्त्री०) – आपकी कुशल चाहता हूँ।
करवट (स्त्री०) – खाकर बाई करवट सोना चाहिए।
कोयल (स्त्री०) – कोयल कूक रही है।
किताब (स्त्री०) – मेरी किताब खो गई।
कलम (स्त्री०) – मेरी कलम टूट गई।
करतूत (स्त्री०) – काली करतूत पर पछताना पड़ता है।
कपास (स्त्री०) – बिहार में कपास कम उपजती है।

ख.

खत (पुं०) – खत लिख गया
खरीद (स्त्री०) – धान की खरीद चल रही है।
खटिया (स्त्री०) – खटिया चौड़ी है।
खेत (पुं०) – यह मेरा खेत है।
ख्याति (स्त्री०) – दिनकरजी की ख्याति सर्वत्र फैली है।
खबर (स्त्री०) – आपके आने की खबर मिली।
खीर (स्त्री०) – खीर मीठी है।
खिलौना (पुं०) – मिट्टी का खिलौना टूट गया।
खाल (स्त्री०) – मैंस की खाल मोटी है।

गन्ध (स्त्री०) – फूल की गन्ध अच्छी है।
गान (पुं०) – उसका गान सुना गया। ..
गाना (पुं०) – मेरा गाना सुनिए।
गन्ना (पुं०) – इस साल गन्ना बहुत कम हुआ
गजलें (स्त्री०) – अच्छी गजलें पसन्द की गई। .
गरीबी (स्त्री०) – देश में गरीबी बढ़ रही है।
गेहूं (पुं०) – गेहूं महंगा मिल रहा है।
गला (पुं०) – मेरा गला सूख रहा है।
गुड (पुं०) – गुड मीठा होता है।

घर (पुं०) – घर पुराना है।
घूस (स्त्री०) – नौकरी में घूस चल रही है।
घी (पुं०) – घी महंगा मिलता है।
घटा (स्त्री०) – आकाश में घटा घिरी है।
घास (स्त्री०) – हरी घास पर बैठिए।
घाव (पुं०) – मेरा घाव भर गया।
घोंसला (पुं०) – चिड़िया का घोंसला गिर गया।
घूघट (पुं०) – हमारे यहाँ घूघट नहीं चलता है।

चना (पुं०) – बाजार में चना मिलता है।
चमक (स्त्री०) – बिजली की चमक मत देखो।
चील (स्त्री०) – चील उड़ रही है।
चाँद (पुं०) – चाँद चमक आकाश में चमक रहा है।
चाँद (स्त्री०) – उसके सिर की चाँद मंजी है।
चाकू (पुं०) – मेरा चाकू तेज है।
चौकी (स्त्री०) – मेरी चौकी टूट गई।
चावल (पुं०) – चावल महंगा है।
चिडिया (स्त्री०) – चिडिया उड़ गई।
चाँदी (स्त्री०) – चाँदी सस्ती है।
चरण (पुं०) – प्रभु के चरण ही शरण है।
चरित्र (पुं०) – अच्छे चरित्र का व्यक्ति पूजा जाता है।
चेहरा (पुं०) – उसका चेहरा काला पड़ गया।
चादर (स्त्री०) – यह मेरी चादर है।

छत (स्त्री०) – घर की छत गिर गई।
छाता (पुं०) – मेरा छाता खो गया।
छप्पर (पुं०) – झोपड़ी का छप्पर चू रहा है।
छाप (स्त्री०) – अंगूठे की छाप दो।

जाति (स्त्री०) – किसकी जाति समाप्त हो रही है?
जूं (स्त्री०) – सिर में जूं रेंग रही है।
जी (पुं०) – मेरा जी घबरा रहा है।
जमानत (स्त्री०) – अदालत से राम को जमानत मिल गई।
जीवन (पुं०) – मनुष्य का जीवन दुखमय होता है।
जुलूस (पुं०) – जुलूस जा रहा है।
जूता (पुं०) – मेरा जूता टूट गया।
जहाज (पुं०) – जहाज पानी में डूब गया।
जोंक (स्त्री०) – पत्थर में जोंक नहीं लगती है।

झरना (पुं०) – झरना झर रहा है।
झूठ (पुं०) – झूठ पकड़ा गया।
झाड़ (पुं०) – झाड़ अच्छा है।
झंझट (स्त्री०) – आपस में झंझट चल रही है।

टमटम (पुं०) – स्टेशन के पास टमटम मिलता है।
टोपी (स्त्री०) – टोपी पुरानी है।
टॉग (स्त्री०) – टॉग टूट गई।
टिकट (पुं०) – मेरा टिकट कट गया।
टीका (स्त्री०) – मैंने रामायण की टीका लिखी।
टीका (पुं०) – माथे पर राम लंबा टीका लगाता है।
टीस (स्त्री०) – कलेजे से टीस उठ रही है।
टेक (स्त्री०) – प्रभु ने मेरी टेक रख ली।

ठंढक (स्त्री०) – जोरों की ठंढक पड़ रही है।
ठोकर (स्त्री०) – पत्थर से पाँव में ठोकर लगी।
ठेस (स्त्री०) – ठेस लगेगी, आँख खुलेगी।
ठठरी (स्त्री०) – शरीर में केवल ठठरी बची है।
ठिकाना (पुं०) – इस जीवन का क्या ठिकाना ?

डर (पुं०) – मुझे किसी का डर नहीं है।
डाँट (स्त्री०) – आज डाँट पड़ेगी।
डाक (स्त्री०) – आज की डाक आई।
डाल (स्त्री०) – वृक्ष की डाल टूट गई।
डंक (पुं०) – बिच्छू का डंक सहना आसान नहीं।
डिब्बा (पुं०) – डिब्बा भरा है।

ढाल (स्त्री०) – पहाड़ की ढाल तीव्र है।
ढोलक (पुं०) – ढोलक बज रहा है।
देखो (पुं०) – जहाँ देखो अनाज का ढेर लगा है।

तलवार (स्त्री०) – सन् सत्तावन में थी जो चमकी, वह तलवार पुरानी थी।
ताश (पुं०) – ताश फट गया।
तरकश (पुं०) – तरकश खाली था।
तकदीर (स्त्री०) – मेरी तकदीर ही चमक गई।
तस्वीर (स्त्री०) – तस्वीर टूट गई है।
तारे (पुं०) – तारे चमक रहे हैं।
तीसी (स्त्री०) – तीसी सस्ती है।
तरंग (स्त्री०) – नदी में तरंग उठ रही है।
ताप (स्त्री०) – ताप गरज रही है।
तीतर (पुं०) – तीतर बोल रहा है।
तालाब (पुं०) – तालाब सूख गया।

थकान (स्त्री०) – यात्रा की थकान तुरंत नहीं मिटती।
थूक (पुं०) – थूक जमीन पर गिरा।
थाली (स्त्री०) – थाली फूट गई।
थप्पड़ (पुं०) – उसे एक थप्पड़ लगा।
थैला (पुं०) – थैला खुला है।
थकावट (स्त्री०) – यात्रा से थकावट आती ही है।

दर्द (पुं०) – घाव में दर्द हो रहा है।
दही (पुं०) – दही खट्टा है।
दशा (स्त्री०) – मोहन रवि की दशा देखकर चिंतित हो गया।
दोष (पुं०) – इसमें मेरा कोई दोष नहीं है।
दर्शन (पुं०) – आपके दर्शन कब होंगे?
दरार (स्त्री०) – दीवार में दरार पड़ गई है।
दीपक (पुं०) – दीपक बुझ गया।
देश (पुं०) – देश तरक्की कर रहा है।
दाल (स्त्री०) – अरहर की दाल अच्छी बनती है।
दाँत (पुं०) – मेरा एक दाँत टूट गया।

धन (पुं०) – धन आता-जाता रहता है।
धातु (स्त्री०) – व्याकरण के धातु कठिन हैं।
धातु (स्त्री०) – ताँबा अच्छी धातु है।
धनिया (पुं०) – धनिया अच्छी है।
धड़कन (स्त्री०) – हृदय की धड़कन बढ़ गई।
धूप (स्त्री०) – धूप निकल आई।
धारा (स्त्री०) – धारा बहुत तेज थी।
धूल (स्त्री०) – धूल उड़ रही है।

नख (पुं०) – मैंने अपना नख काट लिया।
नदी (स्त्री०) – नदी लम्बी है।
नाक (स्त्री०) – राम की नाक टेढ़ी है।
नासपाती (स्त्री०) -बाजार में नासपाती मिल रही है।

पत्र (पुं०) – मेरा पत्र मिला होगा।
पाँव (पुं०) – मेरा एक पाँव फूल गया है।
पहिया (पुं०) – पहिया टूट गया।
पैर (पुं०) – मेरा पैर टूट गया है।
पूँछ (स्त्री०) – कुत्ते की पूँछ टेढ़ी होती है।
पाठशाला (स्त्री०) – पाठशाला बंद हो गई है।
पक्षी (पुं०) – पक्षी उड़ रहे हैं।
पेड़ (पुं०) – पेड़ सूख गया।
प्यास (स्त्री०) – मुझे प्यास लगी है।
पंखा (पुं०) – पंखा टूट गया।
पलंग (पुं०) – मेरा पलंग टूट गया।
पोशाक (स्त्री०) – उसकी पोशाक काली है।
प्राण (पुं०) – राम के प्राण उड़ गए।
प्रतिज्ञा (स्त्री०) – अपनी प्रतिज्ञा पूरी कीजिए।
पताका (स्त्री०) – पताका फहरा रही है।

फूल (पुं०) – बाग में फूल खिले हैं।
फूट (स्त्री०) – आपस में फट पड़ गई है।
फरियाद (स्त्री०) – कोर्ट ने उसकी एक भी फरियाद नहीं सुनी।
फल (पुं०) – यह फल मीठा है।
फसल (स्त्री०) – धान की फसल अच्छी है।

बरसात (स्त्री०) – बरसात आ गई।
बनावट (स्त्री०) – घर की बनावट अच्छी है।
बुढ़ापा (फु) – बुढापा कष्टदायक होता है।
बात (स्त्री०) – बात बिगड़ गई।
बहू (स्त्री०) – बहू मायके जा रही है।
बारात (स्त्री०) – बारात. आ गई।
बाजार (पुं०) – बाजार लगा है।
बिन्दु (पुं०) – छोटे बिन्दु पर यह बिन्दु पड़ा है।
बर्फ (स्त्री०) – बर्फ पिघल गई।
बाँह (स्त्री०)- सकी बाँह टूट गई।

भात (पुं०) – भात बन गया।
भेंट (स्त्री०) – राम से मेरी भेंट हो गई।
भूख. (स्त्री०) – भूख लगी है।
भूत (पुं०) – मार के डर से भूत भागता है।
भेड़ (स्त्री०)- भेड़ें खेत में चर रही हैं।
भीड़ (स्त्री०)- मेले में भीड़ थी।
भक्ति (स्त्री०)- प्रभु की भक्ति सत्य हा
भिक्षा (स्त्री०)- भिखारी को भिक्षा मिली।
भीख (स्त्री०) – माँगे भीख भी नहीं मिलती है।
भूल (स्त्री०)- मुझसे भूल हो गई।

मौत (स्त्री०) – मेरी माँ की मौत हो गई।
मरण (पुं०) – मेरा तो समझो, मरण हो गया।
मूंछ (स्त्री०) – उसकी मूंछ टेढ़ी है।
मृत्यु (स्त्री०) – बूढ़े की मृत्यु हो गई।
माला (स्त्री०) – फूल की माला बनाओ।
मगर (पुं०) – मगर बड़ा भयानक होता है।
मोती (पुं०) – मोती चमकता है।

राज्य (पुं०) – बिहार राज्य बहुत बड़ा है।
रकम (स्त्री०) – पाँच रुपये की रकम बहुत छोटी है।
रूई (स्त्री०) – रूई उजली है।
रात (स्त्री०) – रात काली है।
रोशनाई(स्त्री०) – रोशनाई काली है।
रेत (स्त्री०) – रेत धूप में गर्म हो गई।
रेखा (स्त्री०) – एक छोटी रेखा है।
रास्ता (पुं०) – रास्ता चौड़ा है।
राह (स्त्री०) – राह लंबी है।
राख (स्त्री०) – राख बुझ गई।

लोभ (पुं०) – दूसरे की वस्तु लेने का लोभ उचित नहीं।
लू (स्त्री०) – लू चल रही है।
लकीर (स्त्री०) – छोटी लकीर मिट गई।
लगाम (स्त्री०) – घोड़े की लगाम है।
लपट (स्त्री०) – आग की लपट बढ़ रही है।
ललकार (स्त्री०) – सेनापति की ललकार थी।
लाचारी(स्त्री०) – मेरी लाचारी पर ध्यान दीजिए।
लिखावट (स्त्री०) – रमेश की लिखावट अच्छी है।
लत (स्त्री०) – बुरी लत को छोड़ देना चाहिए।
लाश (स्त्री०) – लाश दफना दी गई।
लालच (पुं०) – उसका लालच खत्म हो गया।

वर्षा (स्त्री०) – वर्षा हो रही है।
विपत्ति (स्त्री०) – विपत्ति आती है तो जाती भी है।
विद्यालय (पुं०) – यह विद्यालय पुराना है।

शरण (स्त्री०) – प्रभु की शरण सत्य है।
शांति (स्त्री०) – मेरे मन की शांति समाप्त हो गई।
शिकायत (स्त्री०) – किसी की भी शिकायत उचित नहीं।
शरबत (पुं०) – शरबत मीठा है।
शराब (स्त्री०) – शराब अच्छी नहीं है।
शाखा (स्त्री०) – वृक्ष की शाखा गिर गई। …
शान (स्त्री०) – हिमालय भारत की शान है।
शक्ति (स्त्री०) – अपनी शक्ति से काम करना चाहिए।

समझ (स्त्री०) – मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा है।
सतह (स्त्री०) – पानी की सतह ऊंची है।
सम्मान (पुं०) – प्रधानमंत्री का सम्मान किया गया।
सुविधा (स्त्री०) – मुझे घर जाने की सुविधा प्राप्त है।
सेना (स्त्री०) – भारतवर्ष की सेना विशाल है।
सूरत (स्त्री०) – इसकी सूरत काली है।
सिर (पुं०) – मेरा सिर चकरा रहा है।
सहारा (पुं०) – इस काम में मेरा सहारा काफी है।।
सैर(स्त्री०) – उसने सैर की।
सेवा (स्त्री०) – गरीबों की सेवा कीजिए।
सभ्यता (स्त्री०) – देश की पुसनी सभ्यता का ख्याल कीजिए।

हद (स्त्री०) – उसने तो हद कर दी।
हींग (स्त्री०) – हींग महँगी है।
हलचल (स्त्री०) – देश में क्रांति की हलचल है।
हड्डी (स्त्री०) – हाथ की हड्डी टूट गई।
हाथी (पुं०) – हाथी आ रहा है।
हरियाली (स्त्री०) – हरियाली छाई है।
हँसो (स्त्री०) – किसी की हँसी मत उडाओ।
होली (स्त्री०) – होली आ गई।
हिफाजत (स्त्री०) – अपनी हिफाजत कीजिए।
हथियार (पुं०) – यह हथियार पुराना है।