Bihar Board 10th Hindi Objective Answers Godhuli Padya Chapter 9 हमारी नींद

Bihar Board 10th Hindi Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 10th Hindi Objective Answers Godhuli Padya Chapter 9 हमारी नींद

Hangries Saharanpur Menu Bihar Board 10th Hindi प्रश्न 1.
वीरेन डंगवाल को किस कृति के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है?
(A) इसी दुनिया में
(B) दुष्चक्र में सृष्टा
(C) पहल पुस्तिका
(D) कवि ने कहा
उत्तर :
(B) दुष्चक्र में सृष्टा

Sleep Symbol Bihar Board 10th Hindi प्रश्न 2.
गरीब बस्तियों में क्या हुआ?
(A) कई शिशु पैदा हुए
(B) दंगे, आगजनी और बमबारी
(C) धमाके से देवी जागरण
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(C) धमाके से देवी जागरण

Sleeping Symbol Bihar Board 10th Hindi प्रश्न 3.
‘हमारी नींद’ के रचयिता कौन हैं?
(A) सुमित्रानंदन पंत
(B) वीरेन डंगवाल
(C) रामधारी सिंह दिनकर
(D) कुँवर नारायण
उत्तर :
(B) वीरेन डंगवाल

प्रश्न 4.
‘हमारी नींद में ‘नींद’ किसका प्रतीक है?
(A) गफलत
(B) बेहोशी
(C) पागलपन
(D) मदहोशी
उत्तर :
(A) गफलत

प्रश्न 5.
वीरेन डंगवाल का जन्म कहाँ हुआ था?
(A) 1947
(B) 1943
(C) 1942
(D) 1847
उत्तर :
(A) 1947

प्रश्न 6.
वीरेन डंगवाल का जन्म किस राज्य में हुआ?
(A) उत्तर प्रदेश
(B) उतरांचल
(C) हिमाचल प्रदेश
(D) मध्य प्रदेश
उत्तर :
(B) उतरांचल

प्रश्न 7.
वीरेन डंगवाल ने किस विद्यालय से एम०ए० किया?
(A) काशी
(B) लखनऊ
(C) इलाहाबाद
(D) कानपुर
उत्तर :
(C) इलाहाबाद

प्रश्न 8.
“वीरेन डंगवाल” किस अखबार के संपादकीय सलाहकार थे?
(A) जनएकता
(B) अमर उजाला
(C) नवभारत टाईम
(D) हिन्दुस्तान
उत्तर :
(B) अमर उजाला

प्रश्न 9.
वीरेन डंगवाल की पहली कविता संग्रह ‘इसी दुनिया में किस वर्ष प्रकाशित हुई?
(A) 1992
(B) 1891
(C) 1991
(D) 1892
उत्तर :
(C) 1991

प्रश्न 10.
वीरेन डंगवाल को कौन-सा पुरस्कार प्राप्त है?
(A) स्मृत्ति पुरस्कार
(B) रघुवर सहाय स्मृति पुरस्कार
(C) ज्ञान पीठ पुरस्कार
(D) श्रीकांत वर्मा पुरस्कार
उत्तर :
(A) स्मृत्ति पुरस्कार

प्रश्न 11.
‘हमारी नींद’ कविता किस कविता संग्रह से ली गई है?
(A) दुष्चक्र में स्रष्टा
(B) पहल पुस्तिका
(C) इसी दुनिया में
(D) सदानीरा
उत्तर :
(A) दुष्चक्र में स्रष्टा

प्रश्न 12.
नींद के दरम्यान कुछ इंच कौन बढ़ गए?
(A) लघु जीव
(B) पुष्प वृन्द
(C) पेड़
(D) लता जुल्म
उत्तर :
(C) पेड़

प्रश्न 13.
हमारी नींद के दरम्यान पौधे कितने वृद्धि कर गए?
(A) कुछ इंच
(B) कुछ सेमी
(C).कुछ सूत
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(C).कुछ सूत

प्रश्न 14.
किसने अपने कोमल सींगों से ढकेलना शुरू किया?
(A) बैल ने
(B) हिरण ने
(C) अंकुर ने
(D) बछड़े ने
उत्तर :
(C) अंकुर ने

प्रश्न 15.
‘हमारी नींद’ कविता के अनुसार किसका जीवन-क्रम पूरा हुआ?
(A) एक मच्छर का
(B) मछली का
(C) एक मक्खी का
(D) तोते का
उत्तर :
(C) एक मक्खी का

प्रश्न 16.
‘देवी जागरण कहाँ हुआ?
(A) गरीब बस्तियों में
(B) मंदिरों में
(C) शहरों में
(D) गाँवों में
उत्तर :
(A) गरीब बस्तियों में

प्रश्न 17.
हमारी नींद कविता में हठीला किसे कहा गया है?
(A) बालक को
(B) श्रमिक को
(C) प्रकृति को
(D) जीवन को
उत्तर :
(D) जीवन को

प्रश्न 18.
कवि के अनुसार कई लोग ऐसे जो नहीं भूले हैं
(A) पढ़ाई करना
(B) परिश्रम करना
(C) आदर करना
(D) इनकार करना
उत्तर :
(D) इनकार करना

प्रश्न 19.
वीरेन डंगवाल किस दैनिक पत्र के सम्पादकीय सलाहकार हैं?
(A) दैनिक जागरण
(B) जनसत्ता
(C) अमर उजाला
(D) दैनिक भास्कर
उत्तर :
(C) अमर उजाला

प्रश्न 20.
‘इसी दुनिया में किसकी कृति है?
(A) रघुवीर सहाय
(B) मुक्तिबोध
(C) केदारनाथ अग्रवाल
(D) वीरेन डंगवाल
उत्तर :
(D) वीरेन डंगवाल

प्रश्न 21.
हम जब नींद में होते हैं, तब किसका जीवन-चक्र पूरा हो जाता है?
(A) मकड़ी का
(B) मछली का
(C) मक्खी का
(D) मच्छड़ का
उत्तर :
(C) मक्खी का

प्रश्न 22.
‘टिहरी-गढ़वाल’ कहाँ अवस्थित है?
(A) असम में
(B) पश्चिम बंगाल में
(C) बिहार में
(D) उत्तराखण्ड में
उत्तर :
(D) उत्तराखण्ड में

प्रश्न 23.
वीरेन डंगवाल को उपाधि दी गई
(A) डी. लिट्
(B) पद्मभूषण
(C) भारत रत्न
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(A) डी. लिट्

प्रश्न 24.
‘अत्याचारी’ का शाब्दिक अर्थ है
(A) अन्यायी
(B) जिद्दी
(C) अस्वीकार
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(A) अन्यायी

प्रश्न 25.
वीरेन डंगवाल किस विचारधारा के कवि हैं?
(A) जनवादी
(B) रहस्यवादी
(C) रीतिवादी
(D) सूफी
उत्तर :
(A) जनवादी

प्रश्न 26.
‘दुष्चक्र में सुष्टा’ पुस्तक पर वीरेन डंगवाल को कौन-सा पुरस्कार प्राप्त हुआ?
(A) ज्ञानपीठ
(B) सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार
(C) साहित्य अकादमी
(D) नोबेल पुरस्कार
उत्तर :
(C) साहित्य अकादमी

प्रश्न 27.
‘हमारी नींद’ कैसी कविता है?
(A) समकालीन
(B) नकेनवादी
(C) हालावादी
(D) छायावादी
उत्तर :
(A) समकालीन

प्रश्न 28.
‘हमारी नींद’ शीर्षक कविता किस काव्य-संग्रह से ली गई है ?
(A) दृष्चक्र में स्रष्टा
(B) इसी दुनिया में
(C) गलत पते की चिट्ठी
(D) मन विहंगम
उत्तर :
(A) दृष्चक्र में स्रष्टा

प्रश्न 29.
वीरेन डंगवाल किस दैनिक-पत्र के सम्पादकीय सलाहकार हैं ?
(A) दैनिक जागरण
(B) जनसत्ता
(C) अमर उजाला
(D) भास्कर
उत्तर :
(C) अमर उजाला

प्रश्न 30.
‘इसी दुनिया में’ किसकी कृति है ?
(A) रघुवीर सहाय
(B) मुक्तिबोध
(C) केदारनाथ अग्रवाल
(D) वीरेन डंगवाल
उत्तर :
(D) वीरेन डंगवाल

प्रश्न 31.
कविता में देवी जागरण कहाँ हुआ?
(A) बाजार में
(B) गरीब बस्तियों में
(C) शहर में
(D) कस्बे में |
उत्तर :
(B) गरीब बस्तियों में

प्रश्न 32.
कविता में किसका जीवन-क्रम पूरा हुआ उल्लिखित है ?
(A) मधुमक्खी का
(B) पतंग का
(C) मच्छड़ का
(D) मक्खी का
उत्तर :
(D) मक्खी का

प्रश्न 33.
वीरेन डंगवाल का जन्म कब हुआ?
(A) 5 अगस्त, 1947 को
(B) 15 अगस्त, 1948 को
(C) 5 अगस्त, 1949 को
(D) 15 अगस्त, 1950 को
उत्तर :
(A) 5 अगस्त, 1947 को

प्रश्न 34.
इसका जन्म कहाँ हुआ?
(A) राँची, झारखण्ड
(B) बिहटा, बिहार
(C) आसनसोल, प० बंगाल
(D) उत्तराखण्ड
उत्तर :
(D) उत्तराखण्ड

प्रश्न 35.
वीरेन डंगवाल की काव्य-संग्रह है
(A) दुष्चक्र में स्रष्टा
(B) इसी दुनिया में
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर :
(B) इसी दुनिया में

प्रश्न 36.
हम जब नींद में होते हैं, तब किसका जीवन-चक्र पूरा हो जाता है ?
(A) मकड़ी का
(B) मछली का
(C) मक्खी का
(D) मच्छड़ का |
उत्तर :
(C) मक्खी का

प्रश्न 37.
वीरने डंगवाल की प्रारंभिक शिक्षा कहाँ से हुई ?
(A) मुजफ्फरनगर
(B) सहारनपुर
(C) कानपुर
(D) इनमें सभी |
उत्तर :
(D) इनमें सभी |

प्रश्न 38.
इन्होंने किस विश्वविद्यालय से एम0 ए0 की डिग्री प्राप्त की?
(A) पटना विश्वविद्यालय
(B) इलाहाबाद विश्वविद्यालय
(C) बरेली विश्वविद्यालय
(D) लाहौर विश्वविद्यालय
उत्तर :
(B) इलाहाबाद विश्वविद्यालय

प्रश्न 39.
‘दंगे, आगजनी और बमबारी’ से किसका चित्रण हुआ है ?
(A) सामाजिक यथार्थ का
(B) सामाजिक गंदगी का
(C) असामाजिक तत्त्वों का
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर :
(A) सामाजिक यथार्थ का

प्रश्न 40.
कविता के नये प्रतिमान
(A) वीरेन डंगवाल
(B) श्रीकांत वर्मा
(C) प्रेमधन
(D) घनानन्द
उत्तर :
(B) श्रीकांत वर्मा

प्रश्न 41.
“टिहरी-गढ़वाल’ कहाँ अवस्थित है ?
(A) असम में
(B) पश्चिम बंगाल में
(C) बिहार में
(D) उत्तराखण्ड में
उत्तर :
(D) उत्तराखण्ड में

प्रश्न 42.
वीरेन डंगवाल को उपाधि दी गई
(A) डी० लिट्
(B) पद्मभूषण
(C) भारत रत्न
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर :
(A) डी० लिट्

प्रश्न 43.
‘हमारी नींद’ कविता में कवि ने किसका उल्लेख किया है ?
(A) गरीब किसानों का
(B) शहर में चैन से सोने वालों का
(C) गरीब बस्तियों का
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर :
(C) गरीब बस्तियों का

प्रश्न 44.
कवि हमें क्या सलाह देता है ?
(A) नींद से सोने की
(B) नींद से जगने की
(C) पैर पसारकर सोने की
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर :
(B) नींद से जगने की

प्रश्न 45.
‘अत्याचारी’ का शाब्दिक अर्थ है
(A) अन्यायी
(B) जिद्दी
(C) अस्वीकार
(D) इनमें कोई नहं
उत्तर :
(A) अन्यायी

प्रश्न 46.
‘देवी जागरण’ कौन-सा कारक है ?
(A) कर्म
(B) कर्ता
(C) सपादान
(D) अपादान
उत्तर :
(B) कर्ता

प्रश्न 47.
‘झगड़ा-फसाद’ कौन-सा समास है ?
(A) दिगु
(B) अव्ययीभाव
(C) द्वन्द्व
(D) तत्पुरुष
उत्तर :
(C) द्वन्द्व

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 16 धातु एवं अधातु

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 16 धातु एवं अधातु Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 16 धातु एवं अधातु

Bihar Board Class 8 Science धातु एवं अधातु Text Book Questions and Answers

अभ्यास

1. सही विकल्प पर (✓) सही का निशान लगाइए-

(i) निम्नलिखित में से किसको पिघलाकर नया रूप दिया जा सकता
(क) लोहा
(ख) फॉस्फोरस
(ग) सल्फर
(घ) हाइड्रोजन
उत्तर-
(क) लोहा

(ii) निम्नलिखित में से किसको पीटकर चादरों में परिवर्तित किया जा सकता है ?
(क) जिंक
(ख) फॉस्फोरस
(ग) ऑक्सीजन
(घ) सल्फर
उत्तर-
(क) जिंक

(iii) निम्नलिखित में किसको पतले तार में परिवर्तित कर सकते हैं ?
(क) सल्फर
(ख) सोना
(ग) फॉस्फोरस
(घ) कार्बन
उत्तर-
(ख) सोना

(iv) निम्नलिखित में कौन-सी धातु मानव रक्त में पायी जाती है-
(क) लोहा
(ख) सोना
(ग) ताँबा
(घ) चाँदी
उत्तर-
(क) लोहा

(v) निम्नलिखित में से किसको पिघलाकर नया रूप दिया जा सकता
(क) लोहा
(ख) फॉस्फोरस
(ग) सल्फर
(घ) हाइड्रोजन
उत्तर-
(क) लोहा

Dhatu Adhatu Class 8 Bihar Board प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-

  1. सबसे पुराना धातु ……….. है।।
  2. ………. की पतली पर्णिकाओं का उपयोग चॉकलेट के लपेटने में । होता है।
  3. सभी ………. तन्य होती है।
  4. ……….. एक द्रव धातु है।
  5. ……….. एक अधातु है परन्तु विद्युत का सुचालक है।

उत्तर-

  1. ताँबा
  2. चाँदी एल्युमिनियम
  3. धातु
  4. पारा
  5. ग्रेफाइट।

धातु और अधातु कक्षा 8 Bihar Board प्रश्न 3.
यदि कथन सही है तो ‘T’ और यदि गलत है तो कोष्ठक में ‘F’ लिखिए।
उत्तर-

  1. सामान्यतया अधातु अम्लों से अभिक्रिया करते हैं। – (F)
  2. सोडियम बहुत अभिक्रियाशील धातु है। – (T)
  3. कॉपर, जिंक सल्फेट के विलयन से जिंक विस्थामित करता है । – (F)
  4. लकड़ी ऊष्मा का सुचालक है। – (F)
  5. कोयले को खींचकर तार प्राप्त किया जा सकता है। – (F)

धातु और अधातु कक्षा 8 Question Answer Bihar Board प्रश्न 4.
नीचे दी गई तालिका में गुणों की सूची दी गई है। इन गुणों के आधार पर धातुओं और अधातुओं में अन्तर कीजिए।
उत्तर-
Bihar Board Class 8 Science Book Solution

5. निम्नलिखित के लिए कारण दीजिए

धातु एवं अधातु के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न (क)
कॉपर, जिंक के उसके लवण के विलयन से विस्थापित नहीं कर सकता।
उत्तर-
कॉपर, जिंक को उसके लवण यानि जिंक सल्फेट के विलयन से विस्थापित नहीं कर सकता क्योंकि जिंक, कॉपर से अधिक अभिक्रियाशील है। एक अधिक अभिक्रियाशील धातु, कम अभिक्रियाशील धातु को विस्थापित कर सकता है। परन्तु कम अभिक्रियाशील धातु, अधिक अभिक्रियाशील धातु को प्रतिस्थापित नहीं कर सकता है।

Bihar Board Class 8 Science Solution प्रश्न (ख)
फॉस्फोरस को पानी में रखते हैं, जबकि सोडियम और पोटैशियम को मिट्टी के तेल में रखा जाता है।
उत्तर-
फॉस्फोरस को पानी में रखते हैं जिससे यह हवा से अभिक्रिया नहीं कर पाए क्योंकि यह हवा से अभिक्रिया करता है और आग पकड़ लेता है। जबकि सोडियम और पोटैशियम जल के साथ आसानी से अभिक्रिया करते 6। यही कारण है कि इसे मिट्टी के तेल में रखा जाता है। यह मिटटी के तेल से अभिक्रिया नहीं कर पाते हैं।

Bihar Board Class 8 Science Solution In Hindi प्रश्न (ग)
नींबू के आचार को एल्युमिनियम पात्रों में नहीं रखते हैं।
उत्तर-
नींबू के आचार में अम्ल होता है उसको धातु के बने पात्र यानि एल्युमिनियम पात्र में नहीं रखा जाता है क्योंकि ये धातु उन अम्लों से अभिक्रिया कर हानिकारक पदार्थ लवण और हाइड्रोजन गैस बनाते हैं। इस प्रकार खाद्य पदार्थ खाने लायक नहीं रह जाते हैं।

Class 8 Science Bihar Board प्रश्न 6.
नीचे दिए गए कॉलमों का मिलान कीजिए-

Class 8 Bihar Board Science Solution

उत्तर-

Bihar Board 10th Class Science Solution

7. क्या होता है जब ………….

Science बुक बिहार क्लास 8 Solution Bihar Board प्रश्न (क)
मैग्नेशियम रिबन के दहन के फलस्वरूप प्राप्त राख को जल में घोला जाता है और इसमें लाल लिटमस पत्र काला हो जाता है।
उत्तर-
मैग्नीशियम रिबन के दहन के फलस्वरूप प्राप्त राख को जल में घोला जाता है और इसमें लाल लिटमस पत्र काला-नीला हो जाता है जो कि क्षारीय होने का सूचक है। यानि उसके राख को पानी में मिलाने के बाद घोल क्षारीय गुण के हो जाते हैं। क्षार का गुण है कि लाल लिटमस पत्र को काला या नीला कर देता है।

  • मैग्नेशियम + ऑक्सीजन – मैग्नेशियम ऑक्साइड (उजला पाउडर)
  • मैग्नीशियम ऑक्साइड + जल – मैग्नेशियम हाइड्रोक्साइड (विलयन)

Bihar Board Class 8 Science प्रश्न (ख)
बंद शीशी में जलते चारकोल को डालकर पानी डाला जाए और नीला लिटमस पत्र डाला जाता है । (शब्द समीकरण लिखिए)।
उत्तर-

  • चारकोल + ऑक्सीजन ⇒ कार्बन डाइऑक्साइड (हवा से)
  • कार्बन डाइऑक्साइड + जल – कार्बोनिक अम्ल ।

नीला लिटमस को लाल कर हो जाता है। क्योंकि अधात् के ऑक्साइड अम्लीय होते हैं।

Bihar Board Class 8 Science Book Solutions प्रश्न 8.
गोलू ने एक बोतल में सोडियम हाइड्रॉक्साइड का विलयन बनाया और इसमें लोहे की कुछ पीन डाली। एक जलती हई माचिस की तीली शीशी के मुंह पर रखा तो पॉप ध्वनि के साथ माचिस की तीली … भभककर जलने लगी। बताइए, कौन सी गैस निकली?
उत्तर-
सोडियम हाइड्रॉक्साइड के विलयन में लोहे का पिन डाला गया । फिर माचिस की तीली शीशी के मुँह पर रखा तो पॉप ध्वनि के साथ माचिस की तीली भभककर जलने लगी। पॉप ध्वनि हाइड्रोजन गैस की उपस्थिति को दर्शाता है।

Bihar Board 12th English 100 Marks Objective Answers Chapter 8 How Free is the Press

Bihar Board 12th English Objective Questions and Answers 

Bihar Board 12th English 100 Marks Objective Answers Chapter 8 How Free is the Press

How Free Is The Press Objective Question Bihar Board Question 1.
Who is the master of the state ?
(A) Government
(B) Press
(C) Court
(D) People
Answer:
(D) People

How Free Is The Press Question Answer Bihar Board Question 2.
The Press can make or break-
(A) Colony
(B) People
(C) Reputation
(D) Garbling
Answer:
(C) Reputation

How Free Is The Press Objective Questions Bihar Board Question 3.
A free and fair press is the true watchdog of-
(A) Colony
(B) Persons
(C) Court
(D) Democracy
Answer:
(D) Democracy

How Free Is The Press Bihar Board Question 4.
Every newspaper is shakled to its own set of-
(A) Landlords
(B) Overloads
(C) Overlords
(D) Nightmare
Answer:
(C) Overlords

How Free Is The Press In Hindi Bihar Board Question 5.
What policy widely circulated newspapers dare not support, however much in national interest, that might conflict, vested interests of its advertisers ?
(A) New policy
(B) State policy
(C) Public policy
(D) Personal policy
Answer:
(C) Public policy

How Free Is The Press Written By Bihar Board Question 6.
A big circulation spells bankruptoy if the paper has to depend on its sales for its-
(A) Advertisement
(B) Policy
(C) Ethics
(D) Revenue
Answer:
(D) Revenue

How Free Is The Press Hindi Bihar Board Question 7.
This is the special accomplishment of the Press interviewer-
(A) Marbling
(B) Garbling
(C) Titilating
(D) Allusion
Answer:
(B) Garbling

How Free Is The Press Is Written By Bihar Board Question 8.
What do free people take for granted ?
(A) Free home
(B) Free schools
(C) Free press
(D) Free pass
Answer:
(C) Free press

Question 9.
The essay ‘How Free Is The Press’ is written by-
(A) Martin Luther king. Jr.
(B) Pearl S. Buck
(C) Aurobindo Ghosh
(D) Dorothy L. Sayers
Answer:
(D) Dorothy L. Sayers

Question 10.
Dorothy was born in-
(A) 1883
(B) 1893
(C) 1873
(D) 1863
Answer:
(B) 1893

Question 11.
Dorothy died in-
(A) 1967
(B) 1958
(C) 1956
(D) 1957
Answer:
(D) 1957

Question 12.
When Dorothy Sayers became one of the first women to graduate from Oxford University ?
(A) 1950
(B) 1915
(C) 1918
(D) 1919
Answer:
(B) 1915

Question 13.
In the following essay ‘How Free Is The Press’, the author makes a strong case against-
(A) Chained press
(B) Slavery
(C) Misuse of the freedom of the press
(D) Rude editors
Answer:
(C) Misuse of the freedom of the press

Question 14.
Without a free press there can be no-
(A) Society
(B) Free people
(C) Humanity
(D) Peace
Answer:
(B) Free people

Question 15.
Restrictions are normally placed upon the press in time of-
(A) Flood
(B) Bloodshed
(C) War
(D) Famne
Answer:
(C) War

Question 16.
Full freedom is restored when it comes-
(A) War
(B) Famine
(C) Peace
(D) flood
Answer:
(C) Peace

Question 17.
The word used in the essay for the uncontrolled freedom of one man, or one gang, to impose its will on the world is-
(A) Brutality
(B) Tyranny
(C) Dictatorship
(D) Coerce
Answer:
(B) Tyranny

Question 18.
For the freedom of the press, we usually mean freedom from direction or-
(A) Scandal
(B) Pressure
(C) Censorship
(D) Distraction
Answer:
(C) Censorship

Question 19.
Under ordinary conditions, which press is singularly free, asjrnentionedin thieessay-
(A) Indian press
(B) American press
(C) British press
(D) European press
Answer:
(C) British press

Question 20.
Freedom of Press works to secure and sustain the Central doctrine of –
(A) State
(B) Democracy
(C) Public
(D) Personal interests
Answer:
(B) Democracy

Question 21.
The news in the newspapers is generally—
(A) to the point
(B) somewhat changed
(C) completely changed
(D) None of these
Answer:
(B) somewhat changed

Question 22.
Decent journalists and responsible editors are not pleased with present affairs—
(A) true
(B) not true
(C) cannot be said
(D) None of these
Answer:
(A) true

Question 23.
The press enjoys the—
(A) boldness of public
(B) the helpnessness of the public
(C) idleness of the public
(D) None of these
Answer:
(B) the helpnessness of the public

Question 24.
The editorial policy of a popular daily is controlled by—
(A) two chief Factors
(B) three chief factors
(C) four cheif factors
(D) None of these
Answer:
(A) two chief Factors

Question 25.
No widely circulated newspaper dares support a public policy due to vested interest of—
(A) the government
(B) editor
(C) reporter
(D) advertisers
Answer:
(D) advertisers

Question 26.
A big circulation spells bankruptcy if the paper has to depend on—
(A) the sales
(B) advertisers
(C) salers
(D) None of these
Answer:
(A) the sales

Question 27.
The policy of a newspaper is largely determined by—
(A) the government
(D) the public
(C) the proprietor
(D) None of these
Answer:
(C) the proprietor

Question 28.
The auther has given the forms of misrepresentation, they are—
(A) rive
(B) four
(C) seven
(D) six
Answer:
(D) six

Question 29.
Dorothy L.Sayers was born in –
(A) 1863
(B) 1873
(C) 1883
(D) 1893
Answer:
(D) 1893

Question 30.
She died in
(A) 1967
(B) 1957
(C) 1977
(D) 1987
Answer:
(B) 1957

Question 31.
She was educated at
(A) Cambridge
(B) Oxford
(C) both
(D) None of these
Answer:
(B) Oxford

Question 32.
In democracy, the freedom of press is.
(A) not necessary
(B) necessary
(C) dangerous
(D) None of these
Answer:
(B) necessary

Question 33.
Freedom of press is restricted during
(A) peace
(B) war
(C) epidemic
(D) None of these
Answer:
(B) war

Question 34.
The state is the
(A) master of the people
(B) servant of the people
(C) exploiter of the people
(D) None of these
Answer:
(B) servant of the people

Question 35.
The heaviest restriction upon the freedom of public opinion is
(A) official
(B) unofficial
(C) both
(D) None of these
Answer:
(B) unofficial

Question 36.
‘How free is the Press’ is written by –
(A) Mahatma Gandhi
(B) H.E. Bates
(C) Dorothy L. Sayers
(D) Dr. Zakir Hussain
Answer:
(C) Dorothy L. Sayers

Question 37.
Dorathy L. Sayers has written the lesson –
(A) I Have a Dream
(B) How free is the Press
(C) The Earth
(D) A child is Born
Answer:
(B) How free is the Press

Question 38.
Censorship is imposed during
(A) election
(B) peaceful time
(C) emergency
(D) None of these
Answer:
(C) emergency

Question 39.
………..are careful not to antagonize the press.
(A) Doctors
(B) Traders
(C) Teachers
(D) Politicians
Answer:
(D) Politicians

Question 40.
The ……….. is not the master but the servant of the people.
(A) State
(B) Government
(C) Village
(D) District
Answer:
(A) State

Question 41.
A free and fair press is the true watch …….. of democracy.
(A) cat
(B) bird
(C) dog
(D) None of these
Answer:
(C) dog

Question 42.
The first chief source of a newspaper’s revenue is ……….
(A) donation
(B) debt
(C) grant by the government
(D) advertisement
Answer:
(D) advertisement

Question 43.
The ………… Press is, under ordinary conditions, singularly free.
(A) European
(B) British
(C) Indian
(D) Chinese
Answer:
(B) British

Question 44.
The second chief source of a newspaper’s revenue is
(A) debt
(B) donation
(C) the wealth of owner
(D) grant by the government
Answer:
(C) the wealth of owner

Question 45.
The ……. can make or break reputation.
(A) teacher
(B) press
(C) man
(D) None of these
Answer:
(B) press

Question 46.
The editorial policy of a popular daily is controlled by …… chief factors.
(A) one
(B) two
(C) three
(D) four
Answer:
(B) two

Question 47.
The essay ‘How Free Is the Press’ is written by
(A) Martin Luther King, Jr.
(B) Pearl S. Buck
(C) Aurobindo Ghosh
(D) Dorothy L. Sayers
Answer:
(D) Dorothy L. Sayers

Question 48.
Dorothy died in
(A) 1967
(B) 1978
(C) 1956
(D) 1957
Answer:
(D) 1957

Question 49.
Without a free press there can be no
(A) peace
(B) free people
(C) humanity
(D) society
Answer:
(B) free people

Question 50.
When did Dorothy Sayers become one of the first women to graduate from Oxford University ?
(A) 1951
(B) 1915
(C) 1918
(D) 1919
Answer:
(B) 1915

Question 51.
Dorothy was born in
(A) 1883
(B) 1863
(C) 1873
(D) 1893
Answer:
(D) 1893

Question 52.
Full freedom is restored when it comes-
(A) war
(B) famine
(C) peace
(D) blood
Answer:
(C) peace

Question 53.
The press can make or break
(A) statue
(B) people
(C) reputation
(D) garbling
Answer:
(C) reputation

Question 54.
This is the special accomplishment of the press interviewer-
(A) Marbling
(B) Garbling
(C) Titillating
(D) Allusion
Answer:
(B) Garbling

Question 55.
A free and fair press is the true watchdog of
(A) state
(B) family
(C) court
(D) democracy
Answer:
(D) democracy

Question 56.
Who is the master of the state ?
(A) government
(B) pressed-
(C) courteous
(D) people
Answer:
(D) people

Question 57.
What do free people take for granted ?
(A) free home
(B) free schools
(C) free press
(D) free office
Answer:
(C) free press

Question 58.
The common has a ………… in parliament.
(A) seat
(B) place
(C) vote
(D) standard
Answer:
(C) vote

Question 59.
In the following essay ‘How Free Is The Press’, the author makes a strong case against
(A) press
(B) misuse freedom of the press
(C) slavery of press
(D) editors
Answer:
(B) misuse freedom of the press

Question 60.
Restrictions are normally placed upon the press in time of
(A) flood
(B) peace
(C) war
(D) famine
Answer:
(C) war

Question 61.
A big circulation spells bankruptcy if the paper has to depend on its sales for its
(A) advertisement
(B) honesty
(C) ethics
(D) revenue
Answer:
(D) revenue

Question 62.
Every newspaper is shackled to its own set of
(A) landlords
(B) overloads
(C) overlords
(D) editors
Answer:
(C) overlords

Question 63.
Under ordinary conditions, which press is singularly , free, as mentioned in the essay-
(A) European Press
(B) American Press
(C) British Press
(D) Indian Press
Answer:
(C) British Press

Question 64.
The word used in the essay for the uncontrolled freedom of one man, or one gang, to impose its will on the world is
(A) fertility
(B) coerce
(C) dictatorship
(D) tyranny
Answer:
(B) coerce

Question 65.
Freedom of Press works to secure and sustain the central doctrine of
(A) State
(B) Democracy
(C) Public
(D) personells
Answer:
(B) Democracy

Question 66.
What policy, widely circulated newspapers dare not support, however much in national interest, that might conflict, vested interests of its advertises ?
(A) man policy
(B) woman policy
(C) public policy
(D) personal policy
Answer:
(C) public policy

Question 67.
For the freedom of the press, we usually mean freedom from direction or
(A) scandal
(B) foment
(C) censorship
(D) discard
Answer:
(C) censorship

Bihar Board Class 6 English Book Solutions Chapter 4 Do Animals Share Ideas ?

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Bihar Board Class 6 English Do Animals Share Ideas ? Text Book Questions and Answers

A. Warmer

Do Animals Share Ideas Bihar Board Class 6 Question 1.
Have you ever thought of how animals communicate with each other ? Think and discuss with your friends.
Answer:
Yes, Animals also can communicate with each other through their body posture, smell, scent and with their special sound.

B. Comprehension

B. 1. Think and Tell

Bihar Board Class 6 English Solution In Hindi Question 1.
What do we express ?
Answer:
We express our thoughts.

Bihar Board Class 6 English Book Solution Question 2.
What do animals do with their sense of smell ?
Answer:
They use it to send messages.

Class 6 English Chapter 4 Bihar Board Question 3.
Tell any three ways the animals send messages.
Answer:

  1. They leave a scent so that enemies can be frightened.
  2. They also use their sense of smell to find partners.
  3. Animals use special sounds to share their emotions including fear. Some of them also serve as warning to others.

B. 2. Think and Write

B. 2. 1. True or False

Class 6 English Chapter 4 Questions And Answers Bihar Board Question 1.
Based on the story write true or false next to each sentence given below.
(a) Animals show their feelings and share information.
(b) No animal can smell their partner from a distance.
(c) Body posture is one of the ways by which animals send messages.
(d) The way animals show their feelings and share information is more complex than human language.
Answer:
(a) True
(b) False
(c) True
(d) False

B. 2. 2. Tick the answers to each of the questions given below

Bihar Board Class 6 English Solution Question 1.
What do animals not use to send message ?
(a) words
(b) sounds
(c) smells
(d) body movements
Answer:
(a) words

Bihar Board Class 6 English Book Question 2.
If an animal raises its hair what do we know ?
(a) It’s angry
(b) It’s sad
(c) It’s happy
(d) It’s afraid
Answer:
(a) It’s angry

Bihar Board Class 6 English Book Pdf Download Question 3.
What do animals do to show friendship ?
(a) They raise their hair
(b) They bare their teeth,
(c) They come close to each other.
Answer:
(c) They come close to each other.

B. 2. 3. Answer the following questions

Class 6 English Bihar Board Question 1.
How do animals use their sense of smell to send message ?
Answer:
Animals have 3 strong sense of smell. They use it to send message. They leave a scent so that their enemies can be frightened. They also use their sense of smell to find their partners even from kilometers away.

Bihar Board Solution Class 6 English Question 2.
Why is human language complex compared to the way animals communicate?
Answer:
Human language can produce infinite sentences. It can construct and communicate new ideas. Whereas animals communicate through only smell and sounds. So, human language is more complex compared to the way animals communicate.

Word Power

C. 1. Think of words related to communicate. Now fill in the web chart with those words

Class 6 Bihar Board English Solution

Answer:

Class 6 English Chapter 4 Question Answers Bihar Board

C. 2. Find the odd one out in each list. Explain why it is out of place.

  1. feeling, idea, thought, table, emotion
  2. teeth, mouth, mobile, nose, ear
  3. dance, sing, talk, book, laugh
  4. smell, hear, friend, see, taste.

Answer:

  1. ‘table’ – is the odd one as the other words – feeling, idea, thought and emotion are related to one category – ‘communication’.
  2. ‘mobile’ – is the odd one as the other words – ‘teeth’, mouth, nose’ and ‘ear’ are related to ‘parts of body’.
  3. ‘book’ – is the odd one as the other words – ‘dance’, ‘sing’, ‘talk’ and ‘laugh’ are action words, the verbs while the word ‘book’ is an object, which is a noun. So, odd one in this series is ‘book’.
  4. ‘friend’ – is the odd one in this series. The other words ‘smell’ ‘hear’, ‘see’ and ‘taste’ are again the action words or the verbs whereas ‘friend’ is not an action word but a noun. So, here ‘friend’ is the odd word.

D. Grammar

D. 1. Prepositions Example

They also use their sense of smell to find partners.
The words of and to are prepositions.
The word ‘preposition’ means that which is placed before.
Prepositions are also known as ‘Position words’. Some, commonly used prepositions are given below:

Class 6 English Chapter 4 Solution Bihar Board

Example 1:
Tick the correct prepositions:

  1. Rita is going to/for school.
  2. I bought this pen of/for Rs. 10.
  3. My mother is not at/in home
  4. The frog jumped in/into the ponds.
  5. India became independent on/in 15th August, 1947.
  6. The school bus will come on/at 7.30 am.
  7. A fat man was sitting among/between my friend and me in the train.
  8. The police man ran after/before the thief..

Answer:

  1. to
  2. for
  3. at
  4. into
  5. on
  6. at
  7. between
  8. after

Example 2:
Fill in the blanks with suitable prepositions:

  1. Rounak is throwing the ball _______ the playground to his sister.
  2. Rounak jumped _______ the water.
  3. Rounak went _______ the uncel.
  4. Rounak is sitting _______ his parents.
  5. Rounak has an umbrella _______ his head.
  6. Rounak walked _______ the river to come out of the jungle.

Answer:

  1. in
  2. into
  3. in
  4. with
  5. on
  6. across

E. Think and Write

Question 1.
Think what do you do to show that you are angry, happy, sad or afraid ? What kind of messages do you send with your hands?
Answer:
I slop talking or shout in a loud voice to show that I am angry. I make my face pleasant with a smile to show that I am happy. I make of my face dull and sit aloof or in a corner to show that I am sad. My eyes go broad and body shiver when 1 feel all aid. I can send many messages through my hands. 1 shake my hands with fingers open to say no. 1 can call a person or an animal by my hand with’fingers coming towards my palm. To show anger towards a person I point only one finger towards the person with other fingers closed towards inwards the palm; etc.

Question 2.
Describe some of important similarities and differences between the ways people talk to each other and the ways in which animals send messages to each other.
Answer:
Similarities: Animals show anger through their red going face bursting into anger. People too do the same. Animals and people both come closer to someone to whom they want to show friendship. Animals use special sound to share their emotions including fear and also to serve as warning to other animals. People to shriek or make special sound to show fear and to warn others.

Differences : Animals can raise their hair which people can not do. Animals bare their teeth to frighten their enemies that people don’t do. Animals have a strong sense of smell that people don’t have. Animals leave a scent so that their enemies can be frightened. This people can’t do.

F. Translation 

Translate the paragraph beginning with ‘Many Animals ………. into Hindi.
Answer:
Many animals have a strong sense of smell ……. some of them also serve as warning to others.
हिन्दी अनुवाद – ‘Hindi Translation of the Chapter’ में दिये गये अनुवाद का तीसरा अनुच्छेद (पैराग्राफ) देखें । वहाँ पर इस पैराग्राफ का हिन्दी अनुवाद दे दिया गया हैं।

Do Animals Share Ideas ? Summary In English

Animals also share feelings and ideas among themselves like humans do. They can not use words and sentences the way human beings do, still they show their feelings and share informations. For this they use their strong sense of smell, scent and special sounds. They also send messages through their body posture. But none of these is as complex as the human language. The human language can produce infinite sentences. It can construct and communicate new ideas. But animals can share their feelings and ideas within their limited capabilities.

Do Animals Share Ideas ? Summary In Hindi

जानवर भी मानवों की तरह अपनी भावनाओं और विचारों को व्यक्त कर सकते हैं, मानवों की तरह । वे मानवों की तरह शब्दों और वाक्यों का प्रयोग तो नहीं कर सकते हैं फिर भी वे अपने मनोभावों और विचारों को व्यक्त कर सकते हैं। इसके लिए कुदरत ने उन्हें एक विशेष प्रकार की शक्तिशाली सँघने की शक्ति प्रदान की है, वे विशेष प्रकार की महक छोड़ते हैं और विशिष्ट ध्वनियाँ निकालकर अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं। वे अपने शरीर की भाव-भंगिमाओं का भी इस कार्य के लिए प्रयोग किया करते हैं। किन्तु, इनमें से कोई भी मानव-भाषा की तरह जटिल नहीं है। मानव-भाषा अपरिमित वाक्यों की रचना कर सकता है। यह नये-नये विचारों का निर्माण और उनकी अभिव्यक्ति कर सकता है। फिर भी, जानवर अपनी सीमित क्षमताओं के तहत अपनी भावनाओं और विचारों को व्यक्त कर सकते हैं।

Do Animals Share Ideas ? Hindi Translation Of The Chapter

We know that …………………..Animals talk? Word Meanings : Know (v) [नो] = जानना । Human beings (n) [ह्यूमन बीईंग्स] = मानव, आदमी । Share (v) [शेयर) = बाँटना Feelings (n) [फीलिंग्स] = भावनाएँ । Ideas (n) [आइडियाज] = विचार | Express (v) (एक्सप्रेस] = व्यक्त करना । Thoughts (n) [थॉट्स] = विचार | Talk (v) [टॉक] = बात करना ।

हिन्दी अनुवाद – हम यह बात जानते हैं कि मानव जाति के लोग अपनी भावनाओं और विचार को एक-दूसरे से बाँट सकते हैं। हमलोग बातें कर सकते हैं और हमलोग अपने विचारों को एक-दूसरे से बाँट सकते हैं। पर क्या जानवर भी आपस में एक-दूसरे से इसी प्रकार से विचारों और भावनाओं को बाँट सकते हैं? Animals cannot use ………. share information. Word Meanings : Way (n) [वे] = तरीका, प्रकार | Still

Many animals have …………………………. warning toothers.
Word Meanings : Many (adj) [मेनी] = बहुत । Strong (adj) [स्ट्राँग] = शक्तिशाली । Sense (n) [सेन्स] % समझ, सूझ | Smell (n) [स्मेल] = गंध | Use (v) [यूज] = इस्तेमाल, व्यवहार करना Message (n) मेसेज] = संदेश | Leave (v) [लीव] = छोड़ना । Scent (n) [सेन्ट] = खुशबू, महक | So that (phr)[सो दैट) = ताकि । Enemies (n) [एनेमीज] = शत्रु, दुश्मन I Can (v) [कन] = सकना । Frightened (adj) [फ्राइटेन्ड] = डरा हुआ, भयभीत । Also (adv) [ऑलसो] = भी । Partner (n) [पार्टनर] = साथी । Some (adj) [सम] = कुछ । Smell (v) (स्मेल] = सूंघना | Away (adv) [अवे] = दूर । Sounds (n) [साउन्ड्स ] = ध्वनियाँ । Special (adj) [स्पेशल) = खास, विशिष्ट । Emotions (n) [इमोशन्स] = भावनाएँ। Including (v) [इनक्लूडिंग] = शामिल करना | Fear (n) [फीयर = भय, डर । Serve (v) [सर्व] = सेवा करना, कार्य करना । Warning (n)/वार्निंग] = चेतावनी | Others (pron) [अदर्स) = अन्य, दूसरे।

हिन्दी अनुवाद – कई जानवरों के पास सूंघने की बहुत ही शक्तिशाली समझ होती है। वे अपनी इस शक्तिशाली समझ का इस्तेमाल अपने संदेशों और सूचनाओं को एक-दूसरे तक प्रसारित करने के लिए करते हैं। वे एक ऐसी प्रकार की महक फैलाते हैं ताकि उनके शत्रु उनसे डर सकें । वे अपनी इस महक का इस्तेमाल अपने दोस्तों को ढूंढने के लिए भी करते हैं। कुछ जानवर तो ऐसे भी होते हैं जो कि अपने दोस्तों को कई मील दूर से भी संघ लेते हैं। जानवर अपनी ध्वनियों का इस्तेमाल अपनी बातों को एक-दूसरे तक पहुँचाने के लिए भी किया करते हैं। वे विशेष प्रकार की ध्वनियों का इस्तेमाल अपनी भय की भावनाओं को व्यक्त करने के लिए भी करते हैं। कुछ जानवर इसका इस्तेमाल दूसरों को चेतावनी देने या सजग-सावधान करने के लिए भी करते हैं।

Another way of ………………..new ideas.
Word Meanings : Another (pron) [अनअदर] = अन्य पदार्थ या व्यक्ति, दूसरा, दूसरा कोई । Way (n) [वे] = तरीका | Sending (v)[सेन्डिंग] = भेजना । Through (prep) [थू] = द्वारा । Posture (n) (पोस्चर] = हाव-भाव, मुद्रा । Raise (v)[रेज] = उठाना, खड़ा करना । Bare (v)[बेयर] = दिखाना, प्रकट करना । Frighten (v) [फ्राइटेन] = डराना | Prey (v) [] = शिकार करना । Friendship (n) [फ्रेन्डशिप] = मित्रता | Complex (adj) [कम्प्लेक्स] = जटिल | Human language (n) [यूमन लैंग्वेज] = मानवी भाषा । Produce (v) (प्रोड्यूस] = पैदा करना | Infinite (adj) [इनफिनिट] = अपरिमित, अनन्त, नि:सीम । Construct (v) [कन्स्ट्रक्ट] = रचना करना, निर्माण करना । Communicate (v) [कम्यूनिकेट] = व्यक्त करना । Ideas (n) [आइडियाज] = विचार ।

हिन्दी अनुवाद – अपने संदेशों को जानवर अपने शरीर की भाव-भंगिमा अथवा हाव-भाव या मुद्रा द्वारा भी भेजते हैं अथवा व्यक्त करते हैं। जानवर अपने बालों को खड़ा कर सकते हैं और अपने दाँत भी दिखाकर अपना संदेश व्यक्त करते हैं। ऐसा वे अपने शत्रुओं को भयभीत करने के लिए करते हैं और अपना शिकार करने के लिए भी किया करते हैं। वे मित्रता के भावों को प्रदर्शित करने के लिए एक-दूसरे के निकट भी आते हैं। किन्तु ये सब मानव की भाषा जितना जटिल नहीं हुआ करता । मानव-भाषा अपरिमित वाक्यों की रचना कर सकता है। यह नये विचारों की रचना कर सकता है। मानवी भाषा कई नये विचारों को व्यक्त कर सकता है। सारांश यह कि जानवरों की भाषा मानव की भाषा जितनी पेचीदा अथवा जटिल न होकर अत्यंत सरल हुला करती है और इसके द्वारा वे अपने मनोभावों को सरलता से व्यक्त कर सकते

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Bihar Board Class 10 Hindi रचना पत्र लेखन

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Bihar Board Class 10 Hindi रचना पत्र लेखन Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi रचना पत्र लेखन

Bihar Board Class 10 Hindi रचना पत्र लेखन Questions and Answers

औपचारिक पत्र

Patra Lekhan Class 10 Bihar Board प्रश्न 1.
आप निवंद्र गुप्ता, नवम् बी के विद्यार्थी हैं। आपकी माता जी का ऑपरेशन होना है। अस्पताल में उनकी देखभाल के लिए आपको 15 दिन का अवकाश चाहिए। अपने विद्यालय के प्राचार्य को अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर-
सेवा में
प्रधानाचार्य महोदय
क, क, ग, विद्यालय
प. फ. पटना

विषय-15 दिन के अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र

श्रीमान् जी

सविनय निवेदन है कि कल शाम मेरी माता जी सड़क पार करते समय एक टैंपो से टकराकर गिर पड़ीं। डॉक्टर ने बताया है कि उनके पैर की हड्डी में फ्रैक्चर है और आज ही ऑपरेशन करना पड़ेगा। माता जी की देखभाल के लिए मुझे अस्पताल में रहना पड़ेगा। इसलिए मैं विद्यालय आने में असमर्थ हूँ।

कृपया मुझे 16 अगस्त से 30 अगस्त तक का अवकाश प्रदान कर अनुगृहीत करें।

आपका आज्ञाकारी शिष्य
रविंद्र गुप्ता
कक्षा-नवम्-बी.
अनुक्रमांक-27
दिनांक : अगस्त 16, 2018

औपचारिक पत्र लेखन हिंदी Class 10 Bihar Board प्रश्न 2.
अपने प्रधानाचार्य को आवेदन-पत्र लिखकर अपना मासिक शल्क कम कराने की प्रार्थना कीजिए।
अथवा, शुल्क क्षमा (फीस माफी) के लिए प्रधानाध्यापक के पास आवेदन-पत्र लिखें।
उत्तर-
सेवा में
प्रधानाचार्य महोदय
नवोदय विद्यालय
पटना
विषय-मासिक शुल्क कम कराने के लिए प्रार्थना-पत्र

श्रीमान् जी

सविनय निवेदन है कि मैं नवीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। मैं एक निर्धन परिवार से संबंध रखता हूँ। मेरे पिताजी की कपड़े की एक छोटी-सी दुकान है जिससे इतनी आमदनी नहीं हो पाती कि परिवार का भरण-पोषण सुचारू रूप से हो सके। मेरे पिताजी मेरी पढ़ाई-लिखाई के बोझ को उठाने में असमर्थ हैं।

मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ कि आप मेरा मासिक शुल्क कम करने की कृपा करें जिससे मैं अपनी पढ़ाई जारी रख सकूँ। मैं आपको पूर्ण विश्वास दिलाता हूँ कि अपने आचरण और पठन-पाठन में आपको किसी शिकायत का मौका न दूंगा।

धन्यवाद!

आपका आज्ञाकारी शिष्य
कुलभूषण
नवीं कक्षा
दिनांक : 15-6-2018

Patra Lekhan In Hindi Class 10 Bihar Board प्रश्न 3.
जुर्माना माफ कराने के लिए प्रधानाचार्य को प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर-
सेवा में
प्रधानाचार्य महोदय
डी. ए. वी. उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
पटना

विषय—जुर्माना माफ कराने के लिए प्रार्थना-पत्र

श्रीमान् जी

सविनय निवेदन है कि मैं दिसंबर परीक्षा में नकल करते पकड़ा गया था। अंग्रेजी के अध्यापक श्री वत्सराज ने मुझे नकल करते पकड़ लिया। उन्होंने मुझे नकल का दोषी पाकर 10 रुपए जुर्माना कर दिया।

मैं अपने निंदनीय कार्य के लिए बड़ी लज्जा का अनुभव कर रहा हूँ। मान्यवर, मेरी इस भूल के लिए मेरे पिताजी को दंडित न कीजिए। मैं विनम्रतापूर्वक और सच्चे हृदय से अपनी भूल स्वीकार करता हूँ और इसके लिए शत-शत बार क्षमा-याचना करता हूँ। साथ ही आपको यह विश्वास दिलाता हूँ कि भविष्य में ऐसी भूल नहीं करूंगा।

मेरी आपसे सविनय प्रार्थना है कि आप कृपा करके मेरा जुर्माना माफ कर दें। इसके लिए मैं आपका कृतज्ञ रहूँगा।

आपका आज्ञाकी शिष्य
नरश जेन
कक्षा दशम ‘डी’
अनुक्रमांक …………..
दिनांक : 4 जनवरी, 2019

Class 10 Hindi Patra Lekhan Bihar Board प्रश्न 4.
सरदार पटेल विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर अनुरोध कीजिए कि विद्यालय के पुस्तकालय के लिए हिंदी की कुछ नई पुस्तकें खरीदी जाएँ।
उत्तर-
सेवा में
प्रधानाचार्य
सरदार पटेल विद्यालय
चंडीगढ़

विषय-हिंदी की पुस्तकों के संदर्भ में

श्रीमान् जी

सविनय निवेदन है कि हमारे पुस्तकालय में हिंदी साहित्य की नई पुस्तकों का अभाव है। पिछले तीन वर्षों से एक भी नई पुस्तक नहीं खरीदी गई है। हम विद्यार्थी शिव खेड़ा की ‘जीत आपकी’ पढ़ना चाहते हैं। भूतपूर्व राष्ट्रपति कलाम द्वारा रचित ‘अग्नि की उड़ान’ पढ़ना चाहते हैं। कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स, मुकेश अंबानी तथा अन्य सफल लोगों की जीवनियाँ पढ़ना चाहते हैं। कृपया इन्हें तथा इन जैसी अन्य प्रेरणास्पद पुस्तकें पुस्तकालय में खरीदने की व्यवस्था करें।

हम आपके आभारी होंगे।
सधन्यवाद !

भवदीय
सुमेधा सहगलं
कक्षा दशम ‘ए’
अनुक्रमांक 115
दिनांक : 14.3.2018

Letter In Hindi For Class 10 Bihar Board प्रश्न 5.
बैंकिंग सेवा भर्ती बोर्ड, दिल्ली के सचिव को लिपिक पद के लिए आवेदन-पत्र लिखिए। .
उत्तर-
सेवा में
सचिव
बैंकिंग सेवा भर्ती बोर्ड
दिल्ली

विषय-लिपिक-पद हेतु आवेदन महोदय

23 फरवरी, 2018 के ‘दैनिक जागरण’ में प्रकाशित विज्ञापन क्र. 373-ए के अनुसार लिपिक-पद की रिक्तियों के लिए मैं स्वयं को प्रस्तुत करता हूँ। मेरा परिचय तथा योग्यताएँ इस प्रकार हैं-

नाम : क. ख. ग.
पिता का नाम : अ. ब. स.
जन्म-तिथि : 13-7-1983
पत्र-व्यवहार का पता . : 733, कृष्णानगर, पटना।

Patra Lekhan For Class 10th Bihar Board प्रश्न 6.
अपने पिताजी की ओर से भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंधक को पत्र लिखकर ट्रैक्टर खरीदने के लिए ऋण स्वीकृत करने का अनुरोध कीजिए।
उत्तर-
सेवा में
प्रबंधक
भारतीय स्टेट बैंक
पटना
विषय-ट्रैक्टर के लिए ऋण

महोदय

निवेदन है कि मैं किसान हूँ। मेरे पास 20 बीघे जमीन है। मुझे खेती करने के लिए ट्रैक्टर . की आवश्यकता है। इसके लिए मुझे आपके बैंक से ऋण चाहिए। कृपा करके इस बारे में जरूरी कार्यवाही करें तथा ऋण उपलब्ध करवाएँ।

धन्यवाद!

प्रार्थी
विपिन कुमार
135, अशोक नगर
पटना
दिनांक : 13 मार्च, 2018

Patra Class 10 Bihar Board प्रश्न 7.
अपने मित्र को जन्म-दिवस पर निमंत्रण-पत्र लिखिए।
उत्तर-
राकेश कुमार
673, टाइप-3
सैक्टर-12.
इस्पात नगर, बोकारो
दिनांक : मार्च 15, 2018
प्रिय पंकज

स्नेह !

आशा है स्वस्थ होगे। मैं भी यहाँ कुशल हूँ। मित्र! इस बार मेरा जन्म-दिन धूमधाम से मनाने की तैयारियाँ हैं। अतः तुम 3. मार्च की तिथि मेरे लिए सुरक्षित कर लो। तुम 29 मार्च की रात तक यहाँ पहुँच जाओ, ताकि सभी कार्यक्रमों में शामिल हो सको। कार्यक्रम इस प्रकार हैं . प्रातः 7 बजे हवन-यज्ञ होगा। हवन के बाद धार्मिक प्रवचन होंगे। इसके बाद मित्र-मंडली रंगारंग कार्यक्रम पेश करेगी। इसके बाद सहभोज होगा।
माता जी व पिता जी को चरण-स्पर्श। 29 मार्च को आना न भूलना।

तुम्हारा
राकेश।

Class 10 Hindi Patra Lekhan 2021 Bihar Board प्रश्न 8.
आप विद्यालय की हिंदी परिषद् के मंत्री हैं। परिषद् ने तुलसी जयंती मनाने का निर्णय किया है। उसकी अध्यक्षता के लिए मगध विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के अध्यक्ष को आमंत्रित करते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर-
हिमेश चौधरी
मंत्री, हिंदी परिषद्
बाल भारती स्कूल, बिहार शरीफ
दिनांक : 14.9.2018
सेवा में

डॉ. रमेश गौतम
अध्यक्ष, हिंदी विभाग
मगध विश्वविद्यालय, गया।
आदरणीय महोदय,

‘मुझे आपको यह सूचित करते हुए वर्ष का अनुभव हो रहा है कि हमारा विद्यालय तुलसी जयंती मनाने जा रहा है। हमने यह कार्यक्रम अपने विद्यालय की सुविधानुसार 24 अक्तूबर, 2010, रविवाद को प्रातः 10.00 बजे विद्यालय के विशाल भवन में मनाने का निश्चय किया है। हम चाहते हैं कि आप इस पावन अवसर पर अध्यक्ष के रूप में सुशोभित हों। कृपया अपनी स्वीकृति प्रदान कर हमें अनुगृहीत करें।

धन्यवाद!

भवदीय
हिमेश चौधरी

Prarthna Patra In Hindi Class 10 Bihar Board प्रश्न 9.
अपने क्षेत्र की समस्याओं और असुविधाओं की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए क्षेत्र के संसद-सदस्य को पत्र लिखकर उन्हें दूर करने का अनुरोध कीजिए।
उत्तर-
सेवा में
कौशलेन्द्र कुमार
सांसद, नालन्दा क्षेत्र

विषय-नालन्दा की मूलभूत समस्याएँ

महोदय

विनम्र निवेदन है कि नालन्दा नगर के निवासी निम्नलिखित समस्याओं से बुरी तरह परेशान हैं –

1. गाड़ियों में जबरदस्त भीड़ की समस्या।
2. महिला कॉलेज के पास मुर्गा फार्म की समस्या।
3. सड़कों के निरंतर टूटते रहने की समस्या।
4. गाँव लौटते समय गाड़ियों और बसों की समस्या।

महोदय, ये बड़ी-बड़ी समस्याएँ हैं जिनके लिए आपके सक्रिय सहयोग की आवश्यकता है। कृपया यहाँ से तीन-चार और गाड़ियाँ चलवाने की व्यवस्था करें। मुर्गा फार्म को महाविद्यालय . . गेट के पास से दूर करवाएँ। सड़कें अच्छे स्तर की बनवाएँ, जो बार-बार न टूटे। शाम 5.00 बजे के बाद बिहार शरीफ से दूर इलाकों के लिए बसें चलवाने की व्यवस्था करें।

आशा है, आप पहले की तरह जनता की इन समस्याओं को शीघ्रता से दूर करवाने में सहयोग करेंगे।

प्रार्थी
विनय प्रकाश
म.नं. 334
राजगीर
दिनांक : मार्च 12, 2018

प्रश्न 10.
सार्वजनिक पार्कों की समुचित सफाई न होने पर सफाई-कर्मचारियों की शिकायत करते हुए नगर-निगम के स्वास्थ्य अधिकारी को एक पत्र लिखिए।
उत्तर-
सेवा में
स्वास्थ्य अधिकारी
पटना नगर निगम
पटना

विषय-पार्कों की सफाई-व्यवस्था

महोदय

मैं पटना विकास परिषद् का सचिव हूँ। पटना के विकास और सौंदर्य के प्रति सचेत होने “के कारण मैं आपका ध्यान यहाँ के पार्कों की ओर दिलाना चाहता हूँ। पिछले अनेक वर्षों से इन पार्कों की ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया गया है। लगता है, इनमें नियुक्त सफाई कर्मचारी हटा. लिए गए हैं। सभी पार्कों के मुख्य द्वारों पर ही गंदगी के ढेर जमा हैं। आस-पड़ोस के लोगों ने पार्कों को कचराघर बना रखा है। पार्कों के अंदर भी पत्ते, टहनियाँ, खान-पान की सामग्री, थैलियाँ उड़ती रहती हैं। लगता है, इनमें आवारा पशु भी घुस आते हैं। इसलिए रास्तों में गोबर पड़ा रहता है।

महोदय, पार्कों की गंदगी के कारण अब लोग यहाँ घूमने से भी बचने लगे हैं। यदि कोई मेहमान यहाँ आ जाए तो हमें शर्म आती है। कृपया इन पार्कों की सफाई-व्यवस्था को ठीक करने का प्रबंध करें। इस काम में पटना विकास परिषद् आपके साथ है।

भवदीय
अशोक श्रीवास्तव
सचिव, पटना विकास परिषद्
17-3-2018

प्रश्न 11.
स्वास्थ्य-विभाग के लापरवाह रवैये के कारण खाद्य-पदार्थों में मिलावट की समस्या गंभीर होती जा रही है। विभाग के निदेशक के नाम पत्र लिखकर इस समस्या की ओर उनका ध्यान आकर्षित कीजिए।
उत्तर-
सेवा में
निदेशक
स्वास्थ्य विभाग
पटना

विषय-खाद्य-सामग्री में मिलावट की समस्या

महोदय,

मैं पटना का नागरिक हूँ। मुझे बहुत खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि आजकल इस शहर में मिलावट का धंधा पूरे जोरों पर है। दूध और घी में मिलावट की समस्या पहले की तरह चली आ रही है। अब तो बड़ी-बड़ी कंपनियों पर भी विश्वास नहीं रहा। पीछे एक नामी कंपनी के दूध में मिलावट पाई गई। अब यहाँ न तो पनीर सही मिलता है, न खाद्य-तेल। यहाँ तक कि पैट्रोल में भी मिट्टी के तेल की मिलावट की जाती है। रसोई घर के सारे मसाले मिलावटी मिलते हैं। महोदय, आपसे निवेदन है कि आप इस बारे में सख्ती बरतें। आपके विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण यह काला धंधा पनप रहा है। कृपया उन पर सख्त कार्यवाही करें ताकि हम नागरिक शुद्ध भोजन जुटा सकें।

धन्यवाद!

भवदीय
ब्रजेश कुमार
13.3.2012

प्रश्न 12.
परीक्षा के दिनों में अनियमित विद्युत आपूर्ति की समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए प्रबंधक, राज्य विद्युत-आपूर्ति निगम को पत्र लिखिए।
उत्तर-

सेवा में
विद्युत अधिकारी
विद्युत प्रदाय संस्थान
रोहिणी सैक्टर-7
दिल्ली
13 मार्च, 2018

विषय—बिजली गुल होने की समस्या

महोदय

निवेदन है कि हम रोहिणी सैक्टर-7 के निवासी बिजली की अनियमितता से बहुत परेशान हैं। आजकल बच्चों की परीक्षाएँ चल रही हैं। उनकी वर्ष-भर की मेहनत इन्हीं दिनों की पढ़ाई पर निर्भर है। इन दिनों बिजली बहुत बार आती-जाती है। इस कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। कृपया बिजली की आपूर्ति नियमित करें।

धन्यवाद !

भवदीय
(हस्ताक्षर)
चंद्रमोहन गुप्ता
अध्यक्ष
सुधार सभा
सैक्टर-7, रोहिणी (दिल्ली)

प्रश्न 13.
अपने क्षेत्र में पार्क विकसित कराने के लिए नगर-निगम अधिकारी को पत्र लिखिए।
उत्तर-
सेवा में
उपवन अधिकारी
कोचीन नगर निगम
कोचीन

विषय-मोहन नगर में पार्क-विकास कराने हेतु

महोदय,

निवेदन है कि हम मोहन नगर के निवासी हैं। हमारे क्षेत्र में पार्क के लिए एक मैदान छोड़ा ” गया है। आजकल इसमें गंदगी के ढेर पड़े हैं। लोग अपने घरों का कूड़ा यहाँ डालते हैं। आपसे प्रार्थना है कि यहाँ पार्क विकसित कराने का प्रबंध करें। हम नगर-निवासी इसमें हर प्रकार का सहयोग करेंगे।

हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि एक बार पार्क विकसित हो जाने के बाद इसकी देखभाल भी हम स्वयं करें। शीघ्र कार्यवाही करने की कृपा करें।

धन्यवाद !

भवदीय
मनोहर, रूपक, रूपेश
मोहन नगर निवासी
मार्च 15, 2018

प्रश्न 14.
राज्य परिवहन निगम के मुख्य प्रबंधक को पत्र लिखकर एक बस-चालक के प्रशंसनीय व्यवहार की प्रशंसा करते हुए उसे विभाग की ओर से सम्मानित करने का आग्रह
कीजिए।
अथवा,बस-कंडक्टर के सहानुभूतिपूर्ण और विनम्र व्यवहार की प्रशंसा करते हुए परिवहन निगम के प्रबंधक को पत्र लिखिए।
उत्तर-
सेवा में
मुख्य प्रबंधक
बिहार राज्य परिवहन
पटना

महोदय

निवेदन है कि मैं जयपुर का निवासी हूँ। मैं बिहार राज्य की बस सेवा का कायल हूँ। आपकी बस-व्यवस्था बहुत कुशल, चुस्त-दुरुस्त और गतिशील है। पिछले दिनों मैंने आपके एक बस-चालक का ऐसा संवेदनशील और उदार व्यवहार देखा कि मैं उसका प्रशंसक हो गया हूँ।

पटना से राँची जाने वाली बस का चालक रणधीर सिंह बस चला रहा था। रास्ते में हमारे सामने एक स्कूटर और ट्रक की टक्कर हो गई। स्कूटर-सवार लहूलुहान सड़क पर पड़ा था। सभी वाहन उसे तड़पता छोड़कर अपने-अपने रास्ते पर जा रहे थे। तब रणधीर सिंह ने बस रोकी। उसने अपने कंडक्टर तथा कुछ यात्रियों की सहायता से घायल यात्री को बस में बैठाया तथा रास्ते में पड़ने वाले ट्रामा सेंटर में छोड़ दिया। मुझे नहीं पता कि वह यात्री जीवित बचा या नहीं, परंतु आपके ड्राइवर ने उसकी प्राण-रक्षा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मैं उसके ऐसे मानवीय और उदार व्यवहार की प्रशंसा करता हूँ। आपके विभाग से निवेदन करता हूँ कि उसे सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया जाए ताकि औरों को भी प्रेरणा मिले।

भवदीय
बजरंग लाल
335, गाँधी नगर
जयपुर
मार्च 20, 2018

प्रश्न 15.
अपने क्षेत्र में मच्छरों के प्रकोप का वर्णन करते हुए उचित कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखें।
उत्तर-
सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी
………नगरपालिका
…………………नगर

विषय-मच्छरों का बढ़ता हुआ प्रकोप

महोदय

मैं आपका ध्यान बढ़ते हुए मच्छरों के प्रकोप की ओर आकर्षित करता चाहता हूँ। मैं गोपाल नगर क्षेत्र का निवासी हूँ। पूरे गोपाल नगर क्षेत्र में आजकल मच्छरों का भयंकर उत्पात छाया हुआ है। दिन हो या रात, मच्छरों के झुंड सदा घूमते नजर आ जाते हैं। रात को तो वे सोना दूभर कर देते हैं। जब सुबह उठते हैं तो बच्चों के मुँह लाल-लाल दानों से भरे होते हैं। मच्छरों के कारण घर-घर में मलेरिया फैला हुआ है। प्रायः सभी घरों में कोई-न-कोई मलेरिया का रोगी मिल जाएगा। इन मच्छरों के कारण स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर पा है।

हमारे क्षेत्र में मच्छरों की अधिकता का बड़ा कारण है.-पानी के जमे हुए तालाब और गली-मुहल्लों में फैली चौड़ी-चौड़ी नंगी नालियाँ। उन कच्ची नालियों को व्यवस्थित करने की कोई व्यवस्था नहीं हुई है। मुहल्ले के जमादार सफाई की ओर ध्यान नहीं देते, इसलिए नालियों में सदा मल जमा पड़ा रहता है। लोग अपने घरों के गंदे जल को बाहर यूँ ही बिखरा देते हैं, जिससे मार्गों के गड़े भर जाते हैं। नगरपालिका निकम्मी है। हमने कई बार निवेदन किया है कि हमारे क्षेत्र के तालाब को भरवा दिया जाए, जिससे मच्छरों का मुख्य अडा समाप्त हो जाए, किंतु इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया गया।

इस बार अत्यधिक वर्षा के कारण जगह-जगह जल का जमाव हो गया है। सब जगह कीचड़, मल और बदबूदार जल का प्रकोप हो गया है। अतः मैं पुनः गोपाल नगर के निवासियों की ओर से आप से साग्रह प्रार्थना करता हूँ कि मच्छरों को समाप्त करने के लिए घरों में मच्छरनाशक दवाई छिड़कने की व्यवस्था की जाए। मलेरिया से बचने के लिए कुनैन बाँटने की व्यवस्था की जाए तथा पूरे क्षेत्र की सफाई के व्यापक प्रबंध किए जाएँ। आशा है आप शीघ्र कार्यवाही करेंगे।

धन्यवाद सहित !

भवदीय
क. ख. ग.
मंत्री, मुहल्ला सुधार समिति
गोपाल नगर।
दिनांक : 19 जून, 2018

प्रश्न 16.
गत कुछ दिनों से आपके क्षेत्र में अपराध बढ़ने लगे हैं। उनकी रोक-थाम के लिए थानाध्यक्ष को राजनारायण सिंह की ओर से पत्र लिखिए।
उत्तर-
राजनारायण सिंह
परीक्षा भवन
राजकीय विद्यालय
कंकड़बाग
पटना
15 सितंबर, 2012
सेवा में
थानाध्यक्ष
कंकड़बाग
पटना

विषय-बढ़ते हुए अपराध

मैं आपका ध्यान आपके थाना-क्षेत्र में बढ़ते हुए अपराधों की ओर दिलाना चाहता हूँ। पिछले एक मास से इस क्षेत्र के निवासी स्वयं को असुरक्षित अनुभव करने लगे हैं। कृष्ण गली में दिन दहाड़े चोरी की तीन वारदातें हो चुकी हैं। पिछले सप्ताह एक कार तथा दो मोटर-साइकिलें चुराई जा चुकी हैं। चेन झपटने की घटनाएँ आम हो चुकी हैं। लोग डर के मारे रात को घर से बाहर नहीं निकलते। कुछ तो यहाँ बंगलादेशी नागरिक घुस आए हैं। कुछ नशाखोर युवक आवारा घूमते रहते हैं। उनके डर से लड़कियाँ घर से बाहर नहीं निकलतीं।

महोदय, इस क्षेत्र में पुलिस की सख्त कार्यवाही की जरूरत है। कृपया आप अपने सिपाहियों को गश्त लगाने का आदेश दें और अपराधी लोगों को पकड़कर दंडित करें।

भवदीय
पीयूष

प्रश्न 17.
आपके निकट के हस्पताल में आवश्यक उपकरणों एवं औषधियों के अभाव के कारण रोगियों को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या की ओर अधिकारियों का ध्यान आकर्षित कराने के लिए किसी समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखिए।
उत्तर-
सेवा में
मुख्य संपादक
दैनिक भास्कर
नई दिल्ली
महोदय

मैं आपके समाचार-पत्र के माध्यम से निम्नलिखित जन-समस्या पाठकों तक पहुँचाना चाहता हूँ। कृपया इसे छापकर कृतार्थ करें। .
आजकल दिल्ली रोहिणी सैक्टर-7 के सरकारी हस्पताल की दशा बहुत दयनीय है। यहाँ न तो कोई उपकरण काम करता है, न रोगियों को दवाइयाँ मिलती हैं। कहने को यह हस्पताल जनता के स्वास्थ्य की देखभाल करता है। परंतु वास्तविकता यह है कि इसकी एक्स-रे मशीन सदा खराब रहती है। खून, पेशाब आदि टैस्ट करने के रसायन नदारद रहते हैं। इसलिए रोगी हस्पताल के बाहर स्थित निजी प्रयोगशालाओं से मुँहमाँगे दामों पर परीक्षण कराते हैं। दवाइयों का स्टॉक हमेशा खत्म मिलता है। लगता है कि हस्पताल के अधिकारियों और निजी प्रयोगशालों तथा दवा-विक्रेताओं के बीच कोई साँठ-गाँठ है। ये तीनों मिलकर देश की लुटी-पिटी गरीब जनता को और लूट रहे हैं। मैं जनता और सरकार दोनों से निवेदन करता हूँ कि उनके समर्थ प्रतिनिधि हस्पताल की व्यवस्थाओं को सँभालें। इससे जरूरत मंदों को स्वास्थ्य-लाभ मिलेगा और उन्हें पुण्य मिलेगा।

धन्यवाद !

भवदीय
आशीष भटनागर
पाकेट E-27, सैक्टर-7
रोहिणी दिल्ली।
12.3.2018

प्रश्न 18.
सांप्रदायिकता और जातिवाद के विरोध में जन-जागृति पैदा करने के लिए समाचार-पत्र के प्रधान संपादक को एक पत्र लिखिए।
उत्तर-
सेवा में
प्रधान संपादक
हिंदू
चेन्नई
12-3-2018
महोदय

सांप्रदायिकता और जातिवाद के जहर के संबंध में मेरे ये विचा अपने पत्र में छापने की कृपा करें।

आज देश में सारे नेता और राजनीतिक दल इस होड़ में लगे हैं कि कौन अधिक-से-अधिक जातियों को अपनी थाली में सजा सकता है। सभी दलों की नजर वोटों पर है। वोटों पर ही नहीं, वोटों के गट्ठरों पर है। कौन एक-एक मतदाता को लुभाए। सभी दल चाहते हैं कि अगर अधिक संख्या वाली जातियों के मत उन्हें एकमुश्त मिल जाएँ तो वे देश की गद्दी पर बने रह सकते हैं। इसलिए वे देश को छोटी-छोटी जातियों और संप्रदायों में बाँटने में लगे हुए हैं।

किसी पार्टी को मुसलमानों के वोट चाहिए। इसलिए वह दल उन्हें लुभाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए है। कभी प्रधानमंत्री कहते हैं कि देश की सारी संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है। कभी कोई प्रांत सर्वोच्च न्यायालय के बार-बार रोकने पर भी मुसलमानों को आरक्षण बाँटे जा रहा है। कभी गूजर, कभी जाट तो कभी जैन और बौद्ध अपने-आपको अल्पसंख्यक सिद्ध करके हलवे की परात पर कब्जा करना चाहते हैं। उधर एक दल हिंदू राजनीति के बल पर सत्तासीन होना चाहता है। यह सब अंधदौड़ दुर्भाग्यपूर्ण है। संविधान के संरक्षकों को चाहिए कि वे देश को खंड-खंड करने वाली ताकतों पर अंकुश लगाएँ। इस देश में जाति और संप्रदाय की बात करने वालों को सजा दिलवाएँ। सब नागरिकों में भारतीय होने की भावना जगाएँ। तभी यह बुराई समाप्त होगी।

भवदीय

सुमित सिंहल
157, आवडी
चेन्नई।

प्रश्न 19.
नगर में जगह-जगह घूमने वाले आवारा पशुओं की समस्याओं की ओर जनता तथा अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट करते हुए अमर उजाला के मुख्य-संपादक को पत्र लिखिए।
उत्तर-
सेवा में
मुख्य संपादक
अमर उजाला
मथुरा

विषय आवारा पशुओं की समस्या

महोदय

मैं आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से अपने विचार जनता व अधिकारियों तक . पहुँचाना चाहता हूँ। आशा है आप अपने समाचार-पत्र में मेरे विचारों को स्थान देंगे।
आजकल हमारे नगर में जगह-जगह आवारा पशुओं का आतंक छाया हुआ है। इन पशुओं .. में साँड, गधे और सुअरों की बहुतायत है। ये पशु झुंड बनाकर आने-जाने वाले यात्रियों तथा वाहनों को क्षति पहुंचाते हैं। इनके कारण नगर में अनेक दुर्घटनाएं घट चुकी हैं। अभी कल ही की बात है, श्याम नगर में एक साँड ने एक 7 वर्षीय बालक को उठाकर पटक दिया। उस बच्चे की स्थिति गंभीर बनी हुई है।

शहर की साफ-सुथरी सड़कों का हाल खराब है। हर तरफ इन आवारा पशुओं की गोबर व विष्ठा बिखरी रहती है, जिसके कारण वातावरण प्रदूषित हो गया है। दुकानदारों का अपनी दुकानों पर बैठना मुश्किल हो गया है। आने-जाने वाले अपने मुँह पर कपड़ा रखकर बाजार से निकलते हैं।

इतना सब कुछ होने पर भी प्रशासन चुपचाप बैठा हुआ है। अधिकारियों का ध्यान न तो गंदगी पर जाता है, न ही दुर्घटनाओं पर। नगरपालिका के अधिकारियों से मेरा निवेदन है कि इस समस्या की ओर तुरंत ध्यान दें।

धन्यवाद !

भवदीय
प्रदीप कुमार शमा
16, लक्ष्मी नगर
मथुरा

दिनांक : मार्च 15, 2018

प्रश्न 20.
बैंक में खाता खोलने के लिए बैंक-मैनेजर के नाम पत्र लिखिए।
उत्तर-
सेवा में
प्रबंधक
पंजाब नेशनल बैंक
पटेल नगर शाखा, अहमदाबाद

विषय-बैंक में नया बचत खाता खोलना

महोदय

निवेदन है कि मैं आपके बैंक में अपने नाम से एक बचत खाता खोलना चाहता हूँ। कृपया अनुमति प्रदान करते हुए इस विषय में उचित जानकारी दें।

सधन्यवाद !
भवदीय
………………… नाम
…………………. पता
दिनांक : 6 अप्रैल, 2018

प्रश्न 21.
कुछ नव-प्रकाशित पुस्तकें मंगाने के लिए किरण पब्लिकेशन, चक मुसल्लहपुर, पटना के व्यापार-प्रबंधक को एक पत्र लिखिए।
उत्तर-
किरण पब्लिकेशन
पटना-6
6 अप्रैल, 2018
सेवा में
व्यापार-प्रबंधक
किरण पब्लिकेशन
पटना-6

विषय-पुस्तकों की खरीद संबंधी।

महोदय

कृपया निम्नलिखित पुस्तकें उचित कमीशन काटकर वी.पी.पी. द्वारा शीघ्रातिशीघ्र भेजने का कष्ट करें। पाँच सौ रुपये मनीआर्डर द्वारा अग्रिम भेज रहा हूँ। पुस्तकें नवीन संस्करण की होनी चाहिए। कटी-फटी तथा सजिल्द न होने पर पुस्तकें लौटा दी जाएँगी, जिनके व्यय-भार का उत्तरदायित्व आपका होगा
Bihar Board Class 10 Hindi रचना पत्र लेखन - 1

भवदीय
राजीव रंजन सिन्हा
बिहार शरीफ (नालन्दा)

प्रश्न 22.
आपके विद्यालय के छात्र 14-15 मार्च, 2018 को मसूरी-भ्रमण पर जाना चाहते हैं। वहाँ स्थित यूथ होस्टल के प्रबंधक को पत्र लिखकर जानकारी लें कि क्या इन दिनों – ठहरने का प्रबंध हो सकता है और किराया कितना होगा?
उत्तर-
क.ख.ग. (नाम)
च.छ.ज. विद्यालय
……………… नगर
17-2-2018
प्रबंधक
यूथ होस्टल
मसूरी

विषय-14-15 मार्च को बुकिंग ।

महोदय
हमारे विद्यालय के 30 छात्र और 8 शेष सदस्य 14-15 मार्च, 2018 को मसूरी-यात्रा पर आना चाहते हैं। कृपया सूचना दें कि क्या आपका भवन हमें उपलब्ध हो सकता है ? छात्रों के लिए कितना किराया होगा? भोजन और भ्रमण की व्यवस्था के बारे में भी विस्तृत सूचना दिए गए पते पर देने की कृपा करें।

धन्यवाद !

भवदीय
क.ख.ग.

अनौपचारिक पत्र

प्रश्न 1.
ग्रीष्मावकाश में आपके पर्वतीय मित्र ने आपको आमंत्रित कर अनेक दर्शनीय स्थलों .. की सैर कराई। इसके लिए उसका आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद-पत्र लिखिए।
उत्तर-
मधुर जेतली
7/7, न्यू कॉलोनी
गुड़गाँव
मार्च 13, 2018
प्रिय चेतन

मधुर स्मृति !

कैसे हो? आशा है, हिमाचल की बर्फीली वादियों जैसे सुहाने होगे। प्रिय चेतन! जब से तुमने मुझे मनाली और रोहतांग दर्रे की सैर कराई है, मेरे मन में सदा उन बर्फीली पहाड़ियों की मूर्ति बनी रहती है। मुझे रह-रहकर चाँदी से भी सुंदर बर्फीली चोटियों की याद आती है। कभी वशिष्ठ आश्रम के पास से बहते हुए जल की याद आती है, हिडिंबा का मंदिर याद आता है। तुम्हारे संग देखे गए मनाली से रोहतांग तक के खूबसूरत रास्ते मुझे कभी भुलाए नहीं भूल सकते। वो मढ़ी, वो स्नोप्वाइंट! वो बर्फ की घाटी में स्लेज पर फिसलना। वो फोटोग्राफी! वो बर्फ के बीचोंबीच बैठकर चाय पीना। बर्फ के खेल खेलना। मेरे जीवन के सबसे सुंदर और सुहाने पल यही हैं। इसके हर पल में तुम हो! तुम्हारी यादें हैं। तुम्हारा प्रेम है और प्रेम-भरा निमंत्रण है।

प्रिय चेतन! तुम्हारे निमंत्रण पर मैं इन खूबसूरत दर्शनीय स्थलों का आनंद उठा सका। इसके लिए मेरे पास धन्यवाद के योग्य शब्द नहीं हैं। बस इतना कहूँगा—आभार! धन्यवाद!

तुम्हारा
मधुर जेतली

प्रश्न 2.
अनुराधा के मामाजी ने उनके जन्मदिन पर एक पुस्तक उपहार में भेजी है। धन्यवाद व्यक्त करते हुए उन्हें पत्र लिखिए।
उत्तर-
अनुराधा
परीक्षा भवन
क.ख.ग. केंद्र
16 मार्च, 2018
आदरणीय मामाजी

सादर नमस्कार !

आशा है, आप सानंद होंगे। मामीजी तथा सुरम्या भी प्रसन्न होंगी।
मामाजी, आपने मेरे जन्मदिन पर मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित उपन्यास ‘निर्मला’ भेजा है। यह उपन्यास मैंने पढ़ा है। यह मुझे बहुत पसंद आया है। इससे पहले मैंने कभी कहानियों की किताबें नहीं पढ़ी थीं। या तो कोर्स में लगी हुई कहानियाँ पढ़ी थीं या अखबारों में छपी कहानियाँ। इन्हें पढ़कर मेरे मन में विशेष रूचि नहीं जागी थी। परंतु निर्मला ने तो मेरे मन को झकझोर कर रख दिया। उसे पढ़कर लगा कि मैं निर्मला की बहुत ही गहरी सहेली और प्रशंसक हो गई हूँ। मुझे उसकी मृत्यु पर गहरा दुख है। यह उपन्यास जीती-जागती दुनिया से भी अधिक प्रभावशाली और मार्मिक है।

आपके प्रति बहुत-बहुत धन्यवाद! आपने मुझे अच्छा साहित्य पढ़ने का अवसर दिया। मेरा मन कर रहा है कि ऐसे अन्य उपन्यास भी पहूँ। आपने मेरे जन्मदिन पर मुझे याद रखा। इसके लिए धन्यवाद!

आपकी प्रिय भानजी
अनुराधा

प्रश्न 3.
वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम आने पर अपनी छोटी बहन को बधाई देते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर-
सुस्मिता
13.3.2018
प्रिय नेहा
स्नेह!

बहुत बधाई हो नेहा! मुझे पता चला है कि तुमने अपने नगर में आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता जीत ली है। नेहा! तुमने सचमुच कमाल कर दिया है। वैसे तो तुम इस जीत के योग्य हो। तुममें इतनी प्रतिभा और योग्यता है कि तुम कोई भी भाषण प्रतियोगिता जीत सकती हो। तुम पर माँ सरस्वती की कृपा है। मेरी ओर से बहुत-बहुत बधाई! तुम्हारे लिए मैंने और ज्ञानवर्द्धक पुस्तकें खरीद रखी हैं। आने पर भेंट करूँगी। ईश्वर करे, तुम आगे भी इसी प्रकार की सफलता पाती रहो।

तुम्हारी बहन
सुस्मिता

प्रश्न 4.
वसुंधरा (गाजियाबाद) निवासी निखिल गुप्ता की ओर से पत्र लिखकर अभिनव शर्मा को लिखिए जिसमें दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में प्रवेश पाने में मिली सफलता पर बधाई दी गई हो।
उत्तर-
निखिल गुप्ता
3/23, वसुंधरा
गाजियाबाद
14 मार्च, 2018
प्रिय अभिनव शर्मा!

नमस्कार!

आशा है, तुम बहुत प्रसन्न होगे। तुम्हें दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में प्रवेश मिल गया । है। यह तुम्हारे जीवन की बहुत बड़ी सफलता है। मेरी ओर से बहुत-बहुत बधाई!
प्रिय अभिनव! मुझे तुम्हारी योग्यता पर, प्रतिभा पर, दृढ़ इरादे पर और कठोर साधना पर गर्व है। भवान तुम्हें और भी उन्नति दे और मनचाही सफलता प्रदान करे। एक बार फिर से बधाई!
परंतु यार, मिठाई रह गई। तुम्हारे साथ इस खुशी को मनाने का अवसर रह गया। यह तुम्हें देखना है कि कब बुलाते हो!

तुम्हारा ही
निखिल गुप्ता

प्रश्न 5.
विद्यालय में प्रथम स्थान पर उत्तीर्ण होने पर अपने मित्र को एक बधाई-पत्र लिखिए।
उत्तर-
……….. म.नं.
……….. मोहल्ला
……………. नगर।
दिनांक-27 अप्रैल, 2018

प्रिय शिखा
मधुर स्मृति!

बहुत-बहुत बधाई हो शिखा! मुझे अभी-अभी तुम्हारी सखी नीलम का टेलीफोन संदेश मिला है। पता चला कि तुमने इस वर्ष नवम कक्षा में अपने विद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। अगले वर्ष तुम्हारी बोर्ड की परीक्षा होनी है। आशा है, उसमें भी तुम अपने माता-पिता का नाम उज्ज्वल करोगी।

शिखा! मुझे इस समाचार से बहुत प्रसन्नता हुई है। मन में इतनी खुशी हुई कि सारे जरूरी काम छोड़कर तुम्हें बधाई-पत्र लिख रही हूँ। मेरी ओर से हार्दिक बधाई। ईश्वर करे तुम दिन दुगुनी रात चौगुनी तरक्की करो। मम्मी-पापा भी तुम्हें आशीर्वाद भेज रहे हैं।

पुनः बधाई के साथ।
तुम्हारी सखी
दीपा

प्रश्न 6.
तुम नवीन शर्मा, 184, जनकपुरी, नई दिल्ली के निवासी हो। अपने छोटे भाई को परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए शुभकामना-पत्र लिखो।
उत्तर-
नवीन शर्मा
184, जनकपुरी
नई दिल्ली
दिनांक-फरवरी 12, 2018
प्रिय प्रवीण

स्नेह!

आशा है सकुशल होंगे। अगले मास तुम्हारी वार्षिक परीक्षाएँ हैं मन लगार पढ़ाई करो। परिश्रम का फल अवश्य मिलता है। हमारी बहुत सी आशाएँ तुम्हारे अच्छे परिणाम से जुड़ी हुई हैं। अच्छी सफलता के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ।

तुम्हारा
नवीन शर्मा

प्रश्न 7.
बालभवन, उदयपुर के विवेक व्यास की ओर से उसके मित्र के पिता की असामयिक मृत्यु पर एक संवेदना-पत्र लिखिए।
उत्तर-
विवेक व्यास
बालभवन
उदयपुर
मार्च 25, 2012

प्रिय बंधु श्याम लाल

तुम्हारे पूज्य पिताजी की मृत्यु का दुखद समाचार सुनकर बहुत दुख हुआ। पिछले महीने ही उनसे मुलाकात हुई थी। वे स्वस्थ दिखाई दे रहे थे। मैं उनसे काफी देर तक बातचीत करता रहा। उनकी मृत्यु संभवतः अचानक ही हुई है। मन शांत होने पर लिखना कि उनका निधन किस प्रकार हुआ। हम सभी बहुत दुखी हैं।

पिता के चल जाने पर परिवार का सारा भार तुम्हारे ऊपर आ गया है। भगवान तुम्हें इस दुख को सहने की शक्ति दे। माता जी का विशेष ध्यान रखना। उनका सहारा अब तुम्हीं हो।
भगवान से प्रार्थना है कि वह दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे।

तुम्हारे दुख में दुखी-
विवेक व्यास

प्रश्न 8.
विमान दुर्घटना में आपके मित्र के भाई की मृत्यु हो गई। आप अपने मित्र को एक संवेदना-पत्र लिखिए।
उत्तर-
3/169, मालवीय नगर
वाराणसी।
27 मार्च, 2018

प्रिय मित्र रोहित

आज प्रातः ‘नवभारत टाइम्स’ में यह दुखदायी समाचार पढ़ा कि मिग विमान दुर्घटना में अक्षय की मृत्यु हो गई। समाचार में लिखा था कि वायुसेना का कोई समारोह था जिसमें अक्षय हवाई-प्रदर्शन कर रहा था। मित्र! इस संकट की घड़ी में धीरज रखना। भाभी जी को सांत्वना देना, बच्चों को सँभालना। माता-पिता भी इस हादसे से व्यथित होंगे। तुम्हारा कर्तव्य है कि परिवार को सँभालो।

भाई के चले जाने पर परिवार की सारी जिम्मेदारियाँ अब तुम्हारे ऊपर हैं। भगवान से प्रार्थना है कि तुम्हें इस भारी दुख को सहन करने की शक्ति दें। मित्र! अपने आपको अकेला मत समझना। हम सभी तुम्हारे साथ हैं।

तुम्हारा मित्र
श्री निवासना

प्रश्न 9.
विद्यालय में नियमित उपस्थित रहने और परीक्षा की तैयारी भली-भांति करते रहने की सलाह देते हुए छोटे भाई को पत्र लिखिए।
उत्तर-
समीर रखान
202, हौज काजी
दिल्ली
15.3.2018

प्रिय असलम
कैसे हो?

आशा है, तुम खुश होगे। तुम्हारी पढ़ाई भली-भाँति चल रही होगी। तुमने पीछे बताया था कि तुम रात देर तक पढ़ते हो। तुम अपनी यह आदत बदल नहीं सके हो। इसलिए मैं समझता हूँ कि कभी-कभी तुम स्कूल नहीं जा पाते होगे। अगर जाते होगे तो वहाँ नींद आती होगी। तुमने मान लिया है कि सफलता स्वयं पढ़ने से होती है। जब से तुमने कोचिंग लेना शुरू की है, तुमने स्कूल में होने वाली पढ़ाई की ओर ध्यान देना छोड़ दिया है।

प्रिय असलम! स्कूल की नियमित पढ़ाई छोड़ना ठीक नहीं है। यह तुम्हारी पढ़ाई का मूल आधार है। इससे तुम्हारे अध्यापक तुम्हारी ओर ध्यान देना छोड़ देंगे। तब तुम्हें अपनी कमजोरियों का पता नहीं चल सकेगा। तुम्हारा मार्गदर्शन भी नहीं हो पाएगा। मेरा तुमसे आग्रह है कि अपनी दिनचर्या इस प्रकार बनाओ कि स्कूल की नियमित पढ़ाई पर आँच न आए।
आशा है, तुम मेरी सलाह की ओर ध्यान दोगे।

तुम्हारा भाई
समीरखान

प्रश्न 10.
परीक्षा में कम अंक आने पर असंता और दुखी मित्र को सांत्वना-पत्र लिखिए।
उत्तर-
नीलिमा
34/7, टी.टी. नगर
भोपाल
14 मार्च, 2018
प्रिय स्नेहा

स्नेह!

मुझे पता चला है कि इस बार तुम्हारा परीक्षा-परिणाम बहुत खराब रहा। तुमने मेहनत भी खूब की थी। ट्यूशन भी रखी थी। तुम बता रही थीं कि तुम्हारे पेपर भी अच्छे हुए हैं। तब भी परीक्षा-परिणाम अच्छा नहीं रहा। यह सुनकर मेरा मन भी परेशान है। मैं समझ नहीं पा रही कि गलती कहाँ हुई है ? क्या तुमसे लिखने में कोई गलती हुई है ? या परीक्षक ने सावधानी से पेपर चैक नहीं किए ? या तुम्हारी कापी किसी नालायक बच्चे से बदल दी गई है?

प्रिय स्नेहा! पहले तो तुम अपने कम अंक आने का ठीक कारण जानो। मैं तुम्हारे पास नहीं हूँ। वरना मैं ही इसमें सहयोग करती। यदि पता चले कि कहीं गलती तुम्हारी पढ़ाई में है तो अपने अध्यापकों के पास व्यक्तिगत रूप से जाओ। उन्हें अपनी पीड़ा बताओ। तुम्हारी सफलता का रास्ता जरूर निकलेगा क्योंकि तुम सचमुच मेहनती लड़की हो। आशा है, तुम ठीक दिशा में प्रयल करोगी।

तुम्हारी ही
नीलिमा

प्रश्न 11.
आपको विद्यालय की ओर से लंदन-विद्यालय खेलकूद समारोह में भाग लेने के लिए भेजा गया। इस यात्रा व समारोह के अनुभव बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखें।
उत्तर-
परीक्षा भवन
क.ख.ग. केंद्र
नई दिल्ली
15 मार्च, 2018

प्रिय मित्र कपिल
नमस्कार!

आशा है, तुम हमेशा की तरह स्वस्थ और प्रसन्न होगे। मैं भी प्रसन्न और कुशल हूँ। मैं तुम्हें खुशी का यह समाचार देना चाहता हूँ कि मैं अभी-अभी लंदन-विद्यालय लंदन से लौटा हूँ। तुम जानते हो, मैंने पिछले मास लॉन टेनिस में पूरी दिल्ली में स्वर्णपदक प्राप्त किया था। उसी सिलसिले में मुझे उत्तर भारत का नेतृत्व करने के लिए लंदन-विद्यालय, लंदन में भेजा गया। मुझे वहाँ स्कूली बच्चों की एक अंतर्राष्ट्रीय टेनिस प्रतियोगिता में भाग लेना था। मेरे साथ मेरे कोच भी थे।

प्रिय कपिल! मैं 26 जनवरी, 2018 को दिल्ली से रवाना हुआ। एअर इंडिया के हवाई जहाज .. से मैं लंदन पहुँचा। पहली बार विदेश जाने के कारण मैं बहुत गद्गद था। लंदन का हवाई अड्डा देखकर मैं चकाचौंध रह गया। उससे भी अधिक आश्चर्य हुआ लंदन-विद्यालय के खेल-परिसर को देखकर। वहाँ के लोगों की व्यवस्था, सफाई, सुंदरता और समय की पाबंदी ने मुझ पर गहरा असर डाला। मुझे तीन चक्र खेलने थे। पहले मैच में मैंने स्विटजरलैंड के खिलाड़ी को आसानी से हराया। दूसरा मैच संघर्षपूर्ण था। यह इंग्लैंड के खिलाड़ी के साथ था। यह मैच मैंने 6-4, 4-6, 7-6 से जीता। अंतिम मैच रूस के खिलाड़ी के साथ था। तुम्हें यह जानकर प्रसन्नता होगी कि तुम्हारे मित्र ने यह मैच भी जीत लिया तथा स्वर्णपदक प्राप्त किया। मैं इस जीत से बहुत उत्साहित हूँ। काश! तुम भी साथ होते!

तुम्हारा मित्र
सचिन

प्रश्न 12.
आपने अपने विद्यालय में वृक्षारोपण समारोह का आयोजन करवाया और आपकी इसमें सक्रिय भागीदारी रही। इस समारोह का अनुभव बताते हुए अपने छोटे भाई को पत्र लिखें।
उत्तर-
समर दलाल
565,
प्रिय संचित

स्नेह!

आशा है, तुम स्वस्थ और प्रसन्न होगे।

संचित! कल हमारे विद्यालय में वृक्षारोपण समारोह मनाया गया था। उस आयोजन के लिए छात्रों की एक प्रबंध समिति बनाई गई थी। सौभाग्य से मुझे उस समिति का निदेशक बनाया गया था। अतः वृक्षारोपण समारोह की सारी कार्यवाही मैंने चलाई। मेरे साथ सचिव, सह-सचिव तथा . छः अन्य सदस्य थे। हमें प्राचार्य, शारीरिक शिक्षा के अध्यापक तथा अपने क्लास-टीचर का मार्गदर्शन मिला।

वृक्षारोपण समारोह में हमने 200 पौधे लगाने का लक्ष्य रखा था। इसके लिए हमने 100 बच्चों का दल तैयार किया। इसके लिए हमने हर कक्षा से चार-चार छात्र-छात्राओं की एक बैठक रखी। उसमें सबके सुझाव मांगे तथा पूरी योजना तैयार की। स्कूल के पूरे परिसर तथा खेल के मैदान में 200 स्थान चुने जहाँ पौधे लगाए जाने थे। एक-एक छात्र-दल को 10-10 पौधे लगाने का जिम्मा सौंपा गया। पहले प्राचार्य की सहायता से पौधे मंगाए गए। गड़े खोदने के लिए औजार मँगाए गए। पानी, खुरपी के साथ-साथ माली की देखरेख में सुबह 8.00 बजे काम शुरू हुआ। 12 बजे तक सभी पौधे लगकर तैयार हो गए। बाद में उन पर चूने से गोल दायरे लगाए गए। . . 12 बजे विद्यालय के मंच पर एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। उसमें छात्राओं ने . नृत्य प्रस्तुत किया। मैंने एक भाषण दिया। सभी सहयोगी विद्यार्थियों की प्रशंसा की। एक महीने तक उनकी देखभाल करने का जिम्मा भी सौंपा गया। मेरे लिए यह दिन बहुत उत्साहपूर्ण और प्रसन्नतादायक रहा।

शेष शुभ!
तुम्हारा भाई
समर दलाल

Bihar Board Class 11 Political Science Solutions Chapter 7 राष्ट्रवाद

Bihar Board Class 11 Political Science Solutions Chapter 7 राष्ट्रवाद Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Political Science Solutions Chapter 7 राष्ट्रवाद

Bihar Board Class 11 Political Science राष्ट्रवाद Textbook Questions and Answers

राष्ट्रवाद के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 1.
राष्ट्र किस प्रकार से बाकी सामूहिक सम्बद्धताओं से अलग है?
उत्तर:
मानव एक सामाजिक प्राणी है। ऐसा प्रकृति के कारण है। व्यक्ति अपना जीवन समूह में व्यतीत करता है। उसका ऐसा पहला समूह परिवार था, जब उसने अपना जीवन व्यतीत किया। परिवार से वह विभिन्न संघों और समाज के सम्पर्क में आया। संघ के पश्चात् राज्य और बाद में देश बना। राज्य सर्वाधिक अनुशासित और संगठित संस्था है। राज्य संगठित एवं अनुशासित है, क्योंकि इसके पास प्रभुसत्ता होती है, अर्थात् नागरिकों एवं विषयों के ऊपर राज्य एक उच्च शक्ति है। इन सभी समूहों में राष्ट्र का सामूहिक संगठन का आधार अन्य की तुलना में भिन्न होता है।

परिवार का आधार रक्त सम्बन्ध होता है। समाज का आधार लोगों का एक दूसरे पर आश्रित होना है और संघ का आधार निश्चित उद्देश्यों को प्राप्त करना है। ये सभी सामाजिक समूह लोगों के समूह हैं। राष्ट्र के संगठन का आधार राष्ट्रीयता होती है, जो समान जाति, समान इतिहास, समान संस्कृति, समान नैतिकता, समान विश्वास और समान भूगोल के लोगों का समूह होता है। राष्ट्रीयता देशभक्ति की भावना को जागृत करती है। विभिन्न तत्वों के समान राष्ट्रीयता के कारण उनके भावी स्वप्न भी समान होते हैं। इस प्रकार राष्ट्र अन्य सामाजिक समूहों से भिन्न होता है।

राष्ट्रवाद पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 2.
राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार से आप क्या समझते हैं? किस प्रकार यह: विचार राष्ट्र-राज्यों के निर्माण और उनको मिल रही चुनौती में परिणत होता है?
उत्तर:
आत्म-निर्णय का सिद्धान्त समाज की लोकतान्त्रिक और धर्मनिरपेक्षता पर आधारित है। आत्म-निर्णय के सिद्धान्त को प्रथम विश्व युद्ध के समय संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने प्रस्तुत किया था। आत्म-निर्णय के सिद्धान्त का तात्पर्य है कि प्रत्येक सामाजिक और सांस्कृतिक समूह या समान संस्कृति और भूगोल के लोगों.की पसन्द के कानून को चुनने का अधिकार होना चाहिए।

इसका यह भी मतलब है एक सामाजिक समूह को नियन्त्रण करने वाले कानून को सामाजिक समूहों के सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषा सम्बन्धी क्षेत्रीय और भौगोलिक आकांक्षाओं को प्रकट करना चाहिए, जिसके लिए कानून बनाया जाता है। अधिकार के द्वारा राष्ट्र अपने आपको नियन्त्रित रखते हैं और अपने भावी विकास का निर्धारण करते हैं। इस प्रकार के आवश्यकताओं के निर्माण में राष्ट्र एक स्पष्ट राजनीतिक पहचान के रूप में अपने स्तर के अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के द्वारा अपनी पहचान और स्वीकृति चाहते हैं।

इस प्रकार की अधिकांश माँगें. लोगों द्वारा हुई हैं, जो एक विशिष्ट स्थान पर लम्बे समय से एक साथ रहते हैं और जिन्होंने समान पहचान का दृष्टिकोण विकसित किया है। इस अधिकार ने एक ओर लोगों के आत्मविश्वास को राज्य के कार्यों में बढ़ाया है और उनके विकास को सुनिश्चित किया था। परन्तु इसी समय इस अधिकार ने राज्य व्यवस्था के लिए चुनौतियों को पेश की है और उससे अलगाव की प्रवृत्तियाँ उत्पन्न हो रही हैं। इस प्रकार इस अधिकार ने जन-विरोधी स्थिति को उत्पन्न किया है। विशेष रूप से एकीकरण की स्थिति में मुश्किलें बढ़ जाती हैं।

संयुक्त सोवियत रूस का पतन 15 राष्ट्र राज्यों में आत्म निर्णय के अधिकार की स्वीकृति के कारण हुआ। चूँकि अधिकांश समाज बहुदलीय और विरोधी हैं। प्रत्येक राज्य अल्प राष्ट्रीयता की समस्या का समाना कर रहे हैं। उदाहरण के लिए इस सन्दर्भ में श्रीलंका का नाम लिया जा सकता है, जहाँ एल.टी.टी.ई. अलग राज्य की माँग कर रहा है। इसी प्रकार भारत में भी आतंकवादी गुटों की यही माँग है। यह राष्ट्र राज्य के रूप में जम्मू कश्मीर की है। इसका समाधान राष्ट्रीय हितों और स्थानीय, क्षेत्रीय और सामाजिक हितों के बीच समझौता और समर्थन है।

राष्ट्रवाद के प्रश्न उत्तर कक्षा 11 Bihar Board प्रश्न 3.
हम देख चुके हैं कि राष्ट्रवाद लोगों को जोड़ भी सकता है और तोड़ भी सकता है। उन्हें मुक्त कर सकता है और उनमें कटुता और संघर्ष भी पैदा कर सकता है। उदाहरणों के साथ उत्तर दीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीयता व्यक्ति की वहं भावना है, जो राष्ट्रीय हित, राष्ट्रीय महत्त्व, राष्ट्रीय सम्मान और त्याग की भावना से सम्बद्ध है। राष्ट्रीय भावना से एक व्यक्ति अपने निजी, क्षेत्रीय, भाविक और अन्य हित के कार्य राष्ट्र के लिए और उसके सम्मान में करता है। राष्ट्रवाद समान राष्ट्रीयता के लोगों में उत्पन्न किया जाता है अर्थात् यह समान संस्कृति, जाति, इतिहास, रहन-सहन और भूगोल के लोगों का समूह है। यह एक व्यक्ति के राष्ट्र के प्रति महत्त्व की जागरुकता का परिणाम है। वह राष्ट्रीय इतिहास और गौरव के प्रति भी चैतन्य रहता है। आज राष्ट्रवाद देशभक्ति से जुड़ा हुआ है अर्थात् इससे देश के लिए त्याग और प्रेम की भावना उत्पन्न होती है।

राष्ट्रवाद एक संवेगात्मक और मनोवैज्ञानिक अवधारणा है, जो भूमि, झंडा और गाने को गौरवान्वित अवधारणा है, राष्ट्रभूमि को ‘माँ’ के रूप में जाना जाता है अर्थात् यह मातृभूमि है और यह माना जाता है कि माँ द्वारा प्रदत्त यहाँ सब कुछ है। इस प्रकार मातृभूमि ही देश है। इतिहास ऐसे अनेक उदाहरणों से भरा पड़ा है, जिनसे पता चलता है कि एक राष्ट्र और उनके लोग औपनिवेशिक और साम्राज्यवादी ताकतों के शोषण से किस प्रकार मुक्त हुए।

19 वीं और 20 वीं शताब्दी में अनेक एशियाई और अफ्रीकी देश राष्ट्रवाद के फलस्वरूप ही आजाद हुए। सकारात्मक दृष्टिकोण से राष्ट्रवाद एक धर्म है। परन्तु जब यह चरमोत्कर्ष पर होता है, तो यह मानवता के लिए हानिकारक होता है। इसका चरमोत्कर्ष और नकारात्मक रूप को अति राष्ट्रवाद (challanism) कहा जाता है। अनेक दर्शन हैं, जिनका विकास चरमोत्कर्ष राष्ट्रवाद के आधार पर हुआ है। जर्मनी में नाजीवादी और इटली में फांसीवादी दर्शन का जन्म हुआ, जिनसे निम्नता और सर्वोच्चता की भावना का जन्म हुआ। फलस्वरूप कटुता, आतंकवाद और युद्धों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी।

राजनीतिक सिद्धांत पाठ 7 के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 4.
वंश, भाषा, धर्म या नस्ल में से कोई भी पूरे विश्व में राष्ट्रवाद के लिए सांझा कारण होने का दावा नहीं कर सकता। टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीयता की भावना के विकास में निम्नलिखित कारक उत्तरदायी हैं –
1. समान विश्वास:
राष्ट्रवाद की भावना उस समय उत्पन्न होती है, जब लोगों में एक होकर रहने की भावना हो और वे एकसाथ तभी रह सकते हैं, जब उनमें आपस में विश्वास हो। जब टीम में सामूहिकता की भावना होती है, तब उनके उद्देश्य और आकांक्षाएँ समान होती हैं।

2. समान इतिहास:
जब लोगों के सुख-दुःख, विजय-पराजय, लाभ-हानि, युद्ध-शान्ति, अहिंसा-हिंसा का इतिहास समान होता है, तब एकता की भावना का विकास होता है, जो राष्ट्रवाद के लिए आवश्यक है। जब लोग अपने स्वयं का इतिहास का निर्माण करते हैं, तो उनमें राष्ट्रवादी भावना बढ़ने लगती है।

वे ऐतिहासिक साक्ष्यों का प्रयोग राष्ट्रीयता के भावना को बढ़ाने के लिए करते हैं। भारत का एक सभ्यता के रूप में लम्बा और गौरवपूर्ण इतिहास है, जो भारत का देश के रूप में आधार है और भारत में राष्ट्रीयता को बढ़ाने का साधन है। पं. जवाहर लाल नेहरू ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘भारत एक खोज’ (Discovery of India) में भारतीय सभ्यता का गौरवपूर्ण इतिहास प्रस्तुत किया है।

3. समान भू-भाग:
समान भू-भाग एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारक है, जो राष्ट्रवाद को बढ़ावा देता है। भू-भाग किसी देश की भूमि का हिस्सा होता है, जो संवेगी और आध्यात्मिक होता है, जो लोगों को एक साथ जोड़े रखता है और उनमें राष्ट्रीय भावना और राष्ट्रवाद का विकास करता है।

4. समान भावी आकांक्षाएँ:
समान भावी आकांक्षाएँ लोगों में एकता स्थापित करती हैं और राष्ट्रवाद की भावना उत्पन्न करती हैं। भविष्य के समान स्वप्न और सामूहिक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आकांक्षाएँ भविष्य में लोगों को एक रखती हैं। समान भावी आकांक्षाएँ देश के कार्य और राष्ट्रवाद के कार्य में सहयोग करती हैं। ये नागरिक के गुणों में वृद्धि करती हैं और इच्छा शक्ति को मजबूत करती हैं। उदाहरण के लिए पी.एल.ओ.।

5. समान संस्कृति:
राष्ट्रवाद लाने और बढ़ाने के लिए एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारक समान संस्कृति है। समान संस्कृति में समान परम्पराओं, त्योहारों, इतिहास, भूगोल, भाषा आदि शामिल हैं, जो सामान्य हितों और उद्देश्यों को बढ़ावा देती हैं, जिससे राष्ट्रीयता की भावना का विकास होता है।

राष्ट्रवाद कक्षा 11 Bihar Board प्रश्न 5.
राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित करने वाले कारकों पर सोदाहरण रोशनी डालिए।
उत्तर:
लोकतन्त्र एक सरकारी व्यवस्था है, जो समानता, बहुलवाद, उदारवाद और धर्मनिरपेक्षता पर आधारित है। राष्ट्रवाद निश्चित रूप से एक सकारात्मक भावना है। परन्तु जब राष्ट्रवाद पराकाष्ठा पर पहुँच जाता है, तो यह नकारात्मक हो जाता है, तब यह समाज के लिए खतरनाक और हानिकारक हो जाता है।

चरमोत्कर्ष राष्ट्रवाद अनैच्छिक है, क्योंकि चरमोत्कर्ष राष्ट्रवादी व्यक्ति दूसरे लोगों के धर्म क्षेत्र, संस्कृति, भाषा आदि को हानि पहुँचाता है और इससे असहिष्णुता की भावना बढ़ती है। पराकाष्ठा की देशभक्ति एक नकारात्मक भावना है और किसी भी समाज के लिए अनैच्छिक और हानिकारक है। इससे दूसरे क्षेत्र, धर्म, संस्कृति और राष्ट्रीयता के लोगों में असहिष्णुता की भावना बढ़ती है। इसलिए ऐसे राष्ट्रवाद जो चरमोत्कर्ष पर और जो नकारात्मक हो, रोकने का उपाय होना चाहिए। निम्नलिखित मुख्य कारक हैं, जो अति राष्ट्रवाद को सीमित करते हैं –

1. लोकतन्त्रता:
लोकतन्त्र, समानता, न्याय, सहनशीलता और मानव मूल्यों पर आधारित होता है, जो किसी भी प्रकार के उग्रवाद पर रोक लगाता है। प्रजातन्त्र में उग्रवाद का कोई स्थान नहीं है। इस प्रकार लोकतन्त्र एक बड़ा कारक है, जो राष्ट्रवाद को सीमित करता है।

2. धर्मनिरपेक्षता:
धर्म निरपेक्षता एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारक है, जो अनैच्छिक राष्ट्रवाद पर रोक लगाता है। धर्म निरपेक्षता विभिन्न धर्म, विश्वास और संस्कृति के लोगों को शान्ति का पाठ सिखाता है। यह सह-अस्तित्व पर भी जोर देता है।

3. बहुलवाद:
बहुलवाद वह विचारधारा है, जो विरोधी समाज को जोड़ता है। यह इस दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है कि यह राष्ट्रवाद को सीमित करता है।

4. अन्तर्राष्ट्रीयवाद:
यह विचारधारा भी अति राष्ट्रवाद को रोकता है।

कक्षा 11 राष्ट्रवाद पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 6.
आपकी राय में राष्ट्रवाद की सीमाएँ क्या हैं?
उत्तर:
प्रशासकीय व विकास की दृष्टि का होना आवश्यक है। इसमें विभिन्न संस्कृतियाँ और समुदाय हों, जिसमें सभी अल्पसंख्यक अपने आपको सुरक्षित व गौरवान्वित महसूस करें। एक राष्ट्र की सीमाएँ प्रशासन व विकास की दृष्टि से तय होनी चाहिए। राष्ट्रवाद को मानवता पर हावी नहीं होने देना चाहिए। समूहों की पहचान देने में काफी सतर्कता बरती जाती है। लेकिन इन समूहों को राष्ट्र के रूप में स्वीकार करने से पहले यह देख लें कि वे समूह असहिष्णु तो नहीं हैं।

वे अमानवीय नहीं हैं और वे समूह दूसरे समूहों के साथ सहयोग करते हैं। एक राष्ट्र का अपना एक अतीत होता है, जो भविष्य को समेटे होता है। एक राष्ट्र की पहचान उसके भौगोलिक क्षेत्र, राजनीतिक आदर्श, राजनीतिक पहचान से जुड़ी हुई है। समूहों से अलग राष्ट्र अपना शासन अपने आप करने और भविष्य को तय करने का अधिकार चाहता है। लेकिन राष्ट्रीय आत्म-निर्णय का अधिकार ऐसे राज्यों के निर्माण की ओर ले जा सकता है, जो आर्थिक व राजनीतिक क्षमता में काफी छोटे हों और इससे उनकी समस्याएँ और बढ़ सकती हैं। इस प्रकार से हमें सहिष्णुता और विभिन्न रूपों के साथ सहानुभूति होनी चाहिए।

Bihar Board Class 11 Political Science राष्ट्रवाद Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

राजनीतिक सिद्धांत राष्ट्रवाद के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 1.
राष्ट्रीयता के दो तत्त्वों का उल्लेख कीजिए। (Explain the two elements of nationality)
उत्तर:
राष्ट्रीयता के दो महत्त्वपूर्ण तत्त्व निम्नलिखित हैं –

1. भौगोलिक एकता:
प्रत्येक व्यक्ति अपनी मातृभूमि के प्रति जुड़ा रहता है, जहाँ वह जन्म लेता है। जिस भूखण्ड पर अन्य व्यक्तियों के साथ-साथ वह रहता है उसको अपनी मातृभूमि से लगाव हो जाता है। इजरायल बनने से पूर्व यहूदी पूरी दुनिया में बिखरे हुए थे किन्तु उनके मन में इजराइल के प्रति लगाव था।

2. प्रजातीय शुद्धता:
एक ही प्रजाति के लोग एक राष्ट्रीयता को उत्पन्न करते हैं। परन्तु आजकल प्रवास एवं अन्तर्जातीय विवाह के कारण विशुद्ध प्रजाति का मिलना आसान नहीं है।

राष्ट्रवाद पाठ के प्रश्न उत्तर क्लास 11 Bihar Board प्रश्न 2.
आर्थिक पारस्परिक निर्भरता से क्या अभिप्राय है? (What do you mean by economic inter-dependent?)
उत्तर:
आर्थिक क्षेत्र में आज राष्ट्र-राज्यों की पारस्परिक निर्भरता बढ़ रही है। अर्थव्यवस्थाओं की बढ़ती हुई पारस्परिक निर्भरता ने अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के सम्मुख गम्भीर चुनौतियाँ पैदा की हैं। विश्व के अधिक भागों में बढ़ती गरीबी, अप्रयुक्त मानव संसाधन, पर्यावरण के खतरों के प्रति बढ़ती जागरुकता तथा मानव जाति के अस्तित्व की समस्या जैसे मामले इसमें प्रमुख हैं। आज विश्व आर्थिक रूप में एकजुट हो गया है। सुदृढ़ भूमण्डलीय मंच स्थापित करने का अब समय आ गया है।

Rashtravad Class 11 Question Answer Bihar Board प्रश्न 3.
भारत के आर्थिक एकीकरण ने किस प्रकार राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित किया? (How did the economic integration influenced the nationalism)
उत्तर:
आर्थिक एकीकरण के कारण गाँवों का एकान्त जीवन समाप्त हो गया तथा ग्रामीण लोग शहरों में आने लगे। शहरों में कच्चा माल आने लगा। गाँव के शिल्पकार तथा अन्य लोर मजदूरी एवं रोजगार की तलाश में शहरों में आने लगे। शहरों की राष्ट्रीय चेतना गाँवों में पहुंचने लगी। इससे राष्ट्रवाद को प्रोत्साहन मिला।

Rashtravad Question Answer Class 11 Bihar Board प्रश्न 4.
निम्नलिखित के बारे में बताइए कि क्या वे राज्य हैं? यदि हाँ तो कैसे और नहीं तो कैसे? (Are the following state? Why?)
(क) भारत
(ख) संयुक्त राष्ट्र
(ग) बिहार
(घ) संयुक्त राज्य अमेरिका
उत्तर:
(क) हाँ, भारत एक राज्य है, क्योंकि यह सम्प्रभु है।
(ख) नहीं, संयुक्त राष्ट्र एक राज्य नहीं है, क्योंकि यह तो सम्प्रभु राज्यों का संघ है।
(ग) बिहार भी राज्य नहीं है। यह भारतीय संघ की एक इकाई है।
(घ) संयुक्त राज्य अमेरिका राज्य है, क्योंकि यह सम्प्रभु है।

राष्ट्रवाद पाठ के प्रश्न उत्तर कक्षा 11 Bihar Board प्रश्न 5.
राज्य के कोई दो तत्त्व लिखिए। (Describe any two elements of a State) अथवा, राज्य के चार आवश्यक तत्त्व कौन से हैं? (What are the 4 elements of a state?)
उत्तर:
राज्य के निम्नलिखित तत्त्व होते हैं –

  1. जनसंख्या
  2. निश्चित प्रदेश
  3. सरकार
  4. सम्प्रभुता

प्रश्न 6.
राज्य और समाज के अन्तर के किन्हीं दो बिन्दुओं को बताइए। (Give two points of the difference between state and society)
उत्तर:
राज्य और समाज के बीच अन्तर –

  1. राज्य व्यक्ति के केवल बाह्य आचरण को नियन्त्रित करता है। परन्तु समाज व्यक्ति के सभी प्रकार के सामाजिक सम्बन्धों को नियन्त्रित करता है।
  2. राज्य एक अनिवार्य संगठन है, जबकि समाज ऐच्छिक है। राज्य की सदस्यता अनिवार्य है। व्यक्ति किसी न किसी राज्य का सदस्य जीवनपर्यन्त रहता है। परन्तु समाज का सदस्य बनना व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर है।

प्रश्न 7.
राष्ट्र राज्य का अर्थ बताइए। (Give the meaning of the nation-state)
उत्तर:
राष्ट्र राज्य एक ऐसा राज्य होता है, जो राष्ट्रीयता से बना है। जब व्यक्ति सामान्य धर्म सामान्य भाषा अथवा सामान्य विरासत में बँधा होता है, तो वह एक राष्ट्र होता है। यदि वे एक स्वतन्त्र राज्य का स्वरूप धारण कर लेते हैं, तो वे एक राष्ट्र-राज्य का निर्माण करते हैं। एशिया, अफ्रीका व लैटिन अमरीका में साम्राज्यवादी शक्तियों के विरुद्ध जारी राष्ट्रीय मुक्ति आन्दोलन के परिणामस्वरूप राष्ट्र-राज्य अस्तित्व में आए।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
राष्ट्र-राज्य से क्या अभिप्राय है? इनके विकास में सहायक तत्त्वों का विवेचन कीजिए। (What do you mean by Nation-State? Discuss the helping elements of its development)
उत्तर:
राष्ट्र-राज्य:
राष्ट्र का स्वरूप शताब्दियों तक विकसित हुआ। राष्ट्र-राज्यों ने क्षेत्र राज्यों का स्थान ले लिया है। राष्ट्र-राज्य आपस में संघर्ष तथा सहयोग के द्वारा बँधे रहते हैं। राष्ट्र-राज्य प्रणाली राजनीतिक जीवन का एक ऐसा नमूना है, जिसमें जनता अलग-अलग सम्प्रभु राज्यों के रूप में संगठित होती है। राष्ट्र-राज्य का क्षेत्र उसमें निवास करने वाली जनसंख्या का है, किसी अन्य का नहीं। उस राज्य को राष्ट्र-राज्य नहीं कहा जा सकता, जो किसी अन्य राज्य की परिसीमा का उल्लंघन करके राष्ट्र-राज्य बनने का प्रयत्न करे।

राष्ट्र राज्य का विकास-आधुनिक राष्ट्र:
राज्य जिन्होंने इंग्लैण्ड, फ्रांस व अमरीका आदि में हुई औद्योगिक क्रान्तियों की विजय के पश्चात् सामंतशाही का स्थान लिया, नए पूँजीवादी वर्ग के राजनैतिक संगठन हैं। बीसवीं शताब्दी में एशिया, अफ्रीका व लैटिन अमरीका में साम्राज्यवादी शक्तियों के विरुद्ध जारी राष्ट्रीय मुक्ति आन्दोलनों के परिणामस्वरूप राष्ट्र-राज्य अस्तित्व में आए।

राष्ट्र-राज्य प्रणाली को प्रोत्साहित करने वाले सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तत्त्व इस प्रकार हैं –

  1. रोमन साम्राज्य व पवित्र रोमन साम्राज्य का विखण्डन तथा सामंतवाद का अन्त।
  2. भूक्षेत्र, जनसंख्या, प्रभुसत्ता व कानून पर आधारित राष्ट्र-राज्यों का उदय।
  3. मेकियावेली, वोदां, ग्रोशियश, हाब्स, अल्यूशियस तथा अन्य विचारकों का सैद्धान्तिक व बौद्धिक योगदान।

प्रश्न 2.
ऐसे किन्हीं पाँच कारकों की व्याख्या कीजिए, जिन्होंने भारत में राष्ट्रवाद को विदेशी आधिपत्य के विरुद्ध चुनौती के रूप में प्रोत्साहित किया? (Explain any five factors which influenced the challenges against foreign rule)
उत्तर:
भारत में राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने वाले पाँच कारक –
1. विदेशी प्रभुत्व के परिणाम:
भारत में राष्ट्रवाद के उदय में सर्वप्रथम विदेशी पभुत्व ने योगदान दिया। स्वयं ब्रिटिश शासन की परिस्थितयों ने भारतीय जनता में राष्ट्रीय भावना विकसित करने में सहायता दी।

2. देश का प्रशासकीय और आर्थिक एकीकरण:
19 वीं और 20 वीं शताब्दी में भारत का एकीकरण हो चुका था और वह एक राष्ट्र के रूप में उभर चुका था। इसलिए भारतीय जनता में राष्ट्रीय भावनाओं का विकास आसानी से हुआ।

3. पश्चिमी विचार और शिक्षा:
उन्नीसवीं सदी में आधुनिक पाश्चात्य शिक्षा और विचारधाराओं के प्रसाद के फलस्वरूप बड़ी संख्या में भारतीयों ने एक आधुनिक बुद्धिसंगत, धर्मनिरपेक्ष, जनतान्त्रिक तथा राष्ट्रवादी राजनीतिक दृष्टिकोण अपनाया।

4. प्रेस तथा साहित्य की भूमिका:
वह प्रमुख साधन प्रेस था, जिसके द्वारा राष्ट्रवादी भारतीयों ने देश-भक्ती की भावनाओं का, आधुनिक, आर्थिक-सामाजिक, राजनीतिक विचारों का प्रचार किया तथा एक अखिल भारतीय चेतना जगाई।

5. सामाजिक व धार्मिक सुधार आन्दोलन:
19 वीं शताब्दी में भारत में सामाजिक व धार्मिक कुरीतियों के विरुद्ध जो अनेक सुधार आन्दोलन चलाये थे, उन्होंने भारतीय जनता में राष्ट्रीयता की भावना उत्पन्न करने में बड़ा योगदान दिया। इन आन्दोलनों ने लोगों को विदेशी शासन के कुप्रभावों और अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे आर्थिक शोषण से भी अवगत कराया।

प्रश्न 3.
राज्य तथा संघ में कोई तीन अन्तर बताइए। (Explain any three points of difference between state and association)
उत्तर:
संघ वह संगठन होता है, जिसका निर्माण मनुष्यों के द्वारा किसी विशेष लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। राज्य और संघ में निम्नलिखित अन्तर पाये जाते हैं –

1. सदस्यता का भेद (Membership):
राज्य की सदस्यता प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनिवार्य होती है। जन्म से लेकर मृत्यु तक व्यक्ति किसी न किसी राज्य का सदस्य होता है किन्तु संघ की सदस्यता ऐच्छिक होती है। एक व्यक्ति एक समय में केवल एक ही राज्य का सदस्य हो सकता है। परन्तु वह एक समय पर अनेक संघों का सदस्य हो सकता है।

2. प्रदेश का भेद (Territory):
राज्य प्रादेशिक रूप में संगठित संघ होता है और इसका. क्षेत्र पूर्णतया निश्चित होता है। परन्तु संघ का कोई निश्चित क्षेत्र नहीं होता। रेड-क्रास सोसायटी एक ऐसा संघ है, जिसका क्षेत्र अन्तर्राष्ट्रीय है। दूसरी ओर अत्यन्त सीमित क्षेत्र वाले छोटे-छोटे संघ भी होते हैं।

3. अवधि का भेद (Tenure):
राज्य एक स्थायी संघ होता है। परन्तु संघ अधिकांशतः अल्पकालीन होते हैं।

प्रश्न 4.
राज्य और समाज में अन्तर समझाइए। (Explain the difference between state and society)
उत्तर:

  1. राज्य समाज का एक भाग है। समाज व्यक्तियों के सामाजिक सम्बन्धों का जाल होता है, जबकि राज्य व्यक्तियों का एक राजनीतिक संगठन है।
  2. समाज व्यक्ति के सभी प्रकार के सामाजिक आचरण को नियन्त्रित करता है। परन्तु राज्य व्यक्ति के केवल बाहरी सम्बन्धों को ही नियन्त्रित करता है।
  3. राज्य एक अनिवार्य संगठन है, जबकि समाज ऐच्छिक है।
  4. राज्य एक प्रादेशिक संगठन है, जबकि समाज किसी प्रकार की भौगोलिक सीमाओं में बँधा हुआ नहीं होता। वह स्थानीय, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय हो सकता है।
  5. राज्य एक कृत्रिम संगठन है। परन्तु समाज की प्रकृति स्वाभाविक होती है।
  6. राज्य के निर्धारित विधान होते हैं, जिन्हें कानून कहा जाता है। कानून के उल्लंघन पर राज्य दण्ड देता है। समाज के अपने कायदे कानून होते हैं, जिनके उल्लंघन पर सामाजिक निर्वासन का प्रावधान होता है। इसका अर्थ है कि तब व्यक्ति को समाज से बाहर कर दिया जाता है।

प्रश्न 5.
राष्ट्रवाद के प्रमुख तत्त्वों की संक्षेप में विवेचना कीजिए। (Write short note on the main elements of Nationalism)
उत्तर:
राष्ट्रवाद के तीन मुख्य तत्त्व हैं –

  1. सम्प्रभुता
  2. क्षेत्रीय अखण्डता
  3. राज्यों की वैधानिक समानता

1. सम्प्रभुता (Sovereignty):
सम्प्रभुता का अर्थ है कि आधुनिक राष्ट्र राज्य पूर्ण रूप से स्वतन्त्र हैं। सम्प्रभु राज्य ही परस्पर दूसरे राज्यों के साथ सन्धि बनाने का अधिकार रखते हैं। सम्प्रभुता विहीन राजनीतिक इकाई को इस प्रकार संधि करने का अधिकार नहीं होता। वे अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों का सदस्य भी नहीं बन सकते।

2. क्षेत्रीय अखण्डता (Territorial Integrity):
सम्प्रभु राज्यों को अपने भू-क्षेत्र के अन्तर्गत सर्वोच्च असीमित सत्ता प्राप्त होती है। इस पर कोई बाहरी नियन्त्रण नहीं होता। सम्प्रभुता विहीन राजनैतिक इकाई का अन्य राज्यों में कोई स्थान नहीं है। राष्ट्र-राज्य प्रणाली की यह विशेषता प्रथम विशेषता का तार्किक परिणाम है। राज्यों की सीमाओं की रक्षा हर दशा में होनी ही चाहिए।

3. राज्यों की वैधानिक समानता (Legal Equality):
सभी राष्ट्र-राज्य अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी के समान सदस्य हैं चाहे उनके आकार, जनसंख्या, आर्थिक संसाधन, दैनिक क्षमता आदि कितने भी असमान हों। यहाँ यह बात स्मरणीय है कि सभी स्वतन्त्र राज्यों की समानता का यह सिद्धान्त लगभग उसी समय अपनाया गया जब राष्ट्र-गान अस्तित्व में आया। 18 वीं शताब्दी के अनेक लेखकों ने भी राज्यों के समानता के सिद्धान्त का समर्थन किया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
राज्य तथा समाज में क्या अन्तर है? दोनों किन बिन्दुओं पर परस्पर निर्भर करते हैं?
उत्तर:
राज्य और समाज के विषय में कभी-कभी कुछ लोग भ्रमित हो जाते हैं और दोनों को एक समझने लगते हैं। वास्तव में दोनों में अन्तर है। अरस्तु ने राज्य तथा समाज के बीच भेद किया था, किन्तु एक तानाशाह के लिए दोनों में से कोई भेद नहीं होता। भौगोलिक दृष्टि में दोनों (राज्य तथा समाज) प्रायः एक ही भू-भाग में स्थित होते हैं, किन्तु दोनों की उत्पत्ति, उद्देश्यों और कार्य प्रणाली में अन्तर होता है। राज्य समाज में निम्नलिखित अन्तर होता है –

1. उत्पत्ति का भेद (Origin):
व्यक्तियों के बीच पाये जाने वाले सम्बन्धों को सामूहिक रूप से समाज कहा जाता है। ये सम्बन्ध संगठित अथवा असंगठित होते हैं। परन्तु राज्य का निर्माण राजनीतिक रूप से संगठित सम्बन्धों के आधार पर ही होता है। समाज राज्य से प्राचीन है। राज्य का अस्तित्व एक समाज में ही सम्भव है।

2. प्रदेश का अन्तर (Territory):
समाज के लिए निश्चित प्रदेश आवश्यक नहीं होता। परन्तु राज्य के लिए आवश्यक है। इसके बिना राज्य की कल्पना नहीं की जा सकती। परन्तु समाज के लिए निश्चित क्षेत्र या प्रदेश होना आवश्यक नहीं है। यह स्थानीय भी हो सकता है और अन्तर्राष्ट्रीय भी।

3. लक्ष्य का भेद (Aims):
लक्ष्य की दृष्टि से समाज व्यापक लक्ष्यों वाला तथा राज्य अपेक्षाकृत संकुचित लक्ष्यों वाला संगठन है। राज्य का अस्तित्व एक महान किन्तु एक ही लक्ष्य के लिए संगठित है। समाज का अस्तित्व अनेक लक्ष्यों के लिए है, जिसमें कुछ महान तथा कुछ साधारण होते हैं।

4. सम्प्रभुता का भेद (Sovereignty):
राज्य एक प्रभुत्व सम्पन्न संस्था है, जबकि समाज केवल नैतिक बल के आधार पर ही अपने आदेशों का पालन करा सकता है।

5. कार्यक्षेत्र का भेद (Scope):
कार्य क्षेत्र की दृष्टि से भी राज्य समाज की तुलना में बहुत सीमित है। सामाजिक जीवन के अनेक ऐसे पहलू हैं, जिनका न तो राज्य से कोई सम्बन्ध है और न ही जिनमें राज्य सफलतापूर्वक हस्तक्षेप कर सकता है। राज्य व्यक्तियों के केवल बाहरी कार्यों से ही सम्बन्ध रखता है और मानव जीवन के सहयोग, सहानुभूति, सेवा और प्रेम जैसे गुणों से उसका कोई सम्बन्ध नहीं होता किन्तु समाज मानव जीवन के प्रत्येक पहलू (आन्तरिक एवं बाहरी सभी प्रकार) से सम्बन्ध रखता है।

राज्य और समाज की परस्पर निर्भरता (Inter dependence of State and Society):
राज्य और समाज में उपरोक्त भेद होते हुए भी परस्पर आन्तरिक आत्मनिर्भता होती है। सामाजिक संरचना को ध्यान में रखकर ही राज्य द्वारा कानूनों का निर्माण किया जाता है। सामाजिक एवं राजकीय नियमों के आधार पर ही सामाजिक आचरण को नियमित रखना सम्भव होता है। समाज और राज्य एक दूसरे पर निर्भर है। बार्कर का कहना है कि यदि ऐसा न होता तो राज्य की स्थापना ही नहीं हो सकती थी।

प्रश्न 2.
राष्ट्र की परिभाषा दीजिए। इसके मुख्य तत्त्वों का वर्णन कीजिए। (Define Nation What are its main elements)
उत्तर:
राष्ट्र (Nation) शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के ‘नेट्स’ (Natus) शब्द से हुई जिसका अर्थ होता है ‘पैदा हुआ’। इसका तात्पर्य यह है कि राष्ट्र उन व्यक्तियों से बना है, जो किसी एक विशेष प्रजाति में पैदा हुए लोगों से बना है। परन्तु आज के युग में प्रजातियों के प्रवासीकरण तथा अन्तर्जातीय विवाहों के कारण कोई विशुद्ध प्रजाति नहीं बची है। रामजे मूर के अनुसार, “राष्ट्र व्यक्ति के शरीर की भाँति होता है, जिसमें हर अंग सौहार्द्रपूर्ण, ढंग से एक दूसरे के साथ जुड़े होते हैं तथा शरीर को मजबूत बनाते हैं। इसी प्रकार राष्ट्र में रहने वाले व्यक्ति भी यदि आपसी सौहार्द्र तथा सहभागिता का त्याग कर दें, तो राष्ट्र का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।”

राष्ट्र का निर्माण राज्य और राष्ट्रीयता से होता है। बर्गेस के अनुसार, “राष्ट्र जातीय एकता के सूत्र में बंधी हुई वह जनता है, जो किसी अखण्ड भौतिक प्रदेश पर निवास करती हो।” जातीय एकता से उनका अभिप्राय ऐसी आबादी से है, जिसकी एक सामान्य भाषा और साहित्य, सामान्य परम्परा और इतिहास, सामान्य रीति-रिवाज तथा उचित और अनुचित की सामान्य चेतना हो। वास्तव में राष्ट्र ऐसे लोगों का समूह है, जो घनिष्ठता, अभिन्नता और प्रतिष्ठा की दृष्टि से संगठित है और एक मातृभूमि से सम्बन्धित है। हेज (Hayes) ने कहा है, “राष्ट्रीयता राजनीतिक एकता तथा सत्ताधारी स्वतन्त्रता को प्राप्त करके राष्ट्र बन जाती है।”

राष्ट्र के मुख्य तत्त्व:

1. प्रजातीय शुद्धता (Racial Purity):
प्रजातीय शुद्धता का अर्थ है कि एक ही समुदाय के सदस्यों की शुद्धता हो। आजकल प्रवास एवं अन्तर्जातीय विवाहों के कारण कहीं भी प्रजातीय शुद्धता प्राप्त करना आसान नहीं है।

2. भाषा समुदाय (Linguistic Association):
सामान्यतः किसी भी राष्ट्र के नागरिकों की एक आम भाषा होती है, क्योंकि इसी के माध्यम से वे अपने विचार तथा संस्कृति का परस्पर आदान-प्रदान करते हैं।

3. भौगोलिक संलग्नता (Geographical Attachment):
प्रत्येक व्यक्ति अपनी मातृभूमि से जुड़ा रहता है। इजराइल बनने से पूर्व यहूदी पूरी दुनिया में बिखरे हुए थे, किन्तु उनके मन में इजराइल के प्रति ही लगाव था।

4. धार्मिक समुदाय (Religious Association):
पहले राष्ट्र के निर्माण में धार्मिक भावनाओं की मुख्य भूमिका हुआ करती थी। उदाहरण के लिए प्रोटेस्टेंट का विरोध करने पर ब्रिटेन तथा स्पेन के बीच युद्ध छिड़ गया था। परन्तु आजकल धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रों के निर्माण का बोलबाला है अर्थात् एक ही राष्ट्र में कई-कई धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। वे एक सशक्त राष्ट्रीयता से बंधे रहते हैं। भारत में धर्मों के विषय में विविधता में एकता पायी जाती है।

5. सामान्य राजनीतिक आकांक्षाएँ (Political Ambitious):
सामान्य राजनीतिक आकांक्षाएँ भी इसका एक तत्त्व माना जाता है। 1971 ई. के पेरिस शान्ति सम्मेलन में इसी आधार पर Self Determination के सिद्धान्त को स्वीकार किया गया।

6. आर्थिक हितों की समरूपता (Economic Interest):
राष्ट्र निर्माण में अन्य महत्त्वपूर्ण तत्त्व होता है आर्थिक हितों की समरूपता। मिल के अनुसार, “किसी भी राष्ट्र की पहचान उसकी राजनीतिक पूर्वापरता, अपना राष्ट्रीय इतिहास तथा किसी प्राचीन ऐतिहासिक घटना पर एक सामूहिक प्रतिक्रिया तथा इससे जुड़ी स्मृतियों के आधार पर निर्मित होती है।”

प्रश्न 3.
तीसरी दुनिया के देशों में राष्ट्रवाद का उदय किस प्रकार हुआ? (How did the Nationalism rise in third world countries?)
उत्तर:
बीसवीं शताब्दी में एशिया व अफ्रीका में साम्राज्यवाद के पतन के बाद भारत, चीन, बर्मा, मिस्र, नाइजीरिया, घाना, फिजी, वियतनाम, इण्डोनेशिया, लीबिया,, सीरिया तथा अन्य राज्य अस्तित्व में आए। कई मामलों में इन राज्यों की रचना राष्ट्रीय मुक्ति संघर्षों के परिणामस्वरूप हुई। इन राष्ट्रों को सम्पूर्ण प्रभूता लम्बे संघर्षों के बाद स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद मिली।

साम्राज्वादी देशों ने इन राज्यों का खूब शोषण कर अपने को अमीर बना लिया। 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध व बीसवीं शताब्दी के दौरान इन उपनिवेशों में शिक्षित शहरी वर्ग के नेतृत्व में राष्ट्रीय मुक्ति आन्दोलन का सूत्रपात हुआ तथा ये स्वतंत्र हुए और राष्ट्रीय सम्प्रभु राज्यों के रूप में उभरे। इस प्रकार द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् संसार के मानचित्र में अनेक नए राज्य दिखाई पड़े। वर्तमान में इन नवस्वतन्त्र राज्यों को तीसरी दुनिया के देशों के रूप में जाना जाता है क्योंकि ये अमरीकी अथवा सोवियत गुट में से किसी में शामिल नहीं हुए। उन्होनें स्वतंत्र विदेश नीति का अनुसरण किया। इन देशों को अविकसित अथवा विकासशील देश कहा जाता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए –
(Write short note on)
(क) राष्ट्र
(ख) राज्य
(ग) संघ
(घ) सरकार

  1. Nations
  2. State
  3. Association
  4. Government

उत्तर:
(क) राष्ट्र (Nation):
राष्ट्र तथा राष्ट्रीयता जिनको अंग्रेजीी में Nation तथा Nationality कहते हैं लैटिन भाषा के एक ही सामान्य शब्द ‘नेट्स’ (Natus) से निकले हैं, जिसका अर्थ ‘जन्म’ अथवा ‘जाति’ है। गार्नर के अनुसार, “राष्ट्रीयता का विकास सजातीय सामाजिक समुदाय के लोगों के सांस्कृतिक तथा मनोवैज्ञानिक रूप से आपसी विचारों के आदान-प्रदान हेतु संगठित होने के कारण हुआ है।”

रामजे मूर (Ramsey Muir) के अनुसार, “राष्ट्र व्यक्ति के शरीर की भाँति होता है, जिसमें हर अंग सौहार्द्रपूर्ण ढंग से एक दूसरे के साथ जुड़े होते हैं तथा शरीर को मजबूत बनाते हैं। इसी प्रकार राष्ट्र में रहने वाले व्यक्ति भी यदि आपसी सौहार्द तथा सहभागिता का त्याग कर दें, तो उसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।” बर्गेस के अनुसार, “राष्ट्र जातीय एकता के सूत्र में बंधी हुई वह जनता है, जो किसी अखण्ड भौतिक प्रदेश पर निवास करती हो।” जिमन ने लिखा है, “राष्ट्र ऐसे लोगों का समूह है, जो घनिष्ठता, अभिन्नता और प्रतिष्ठा की दृष्टि से संगठित है और एक मातृभूमि से सम्बन्धित है।”

(ख) राज्य (State):
डॉ. गार्नर के अनुसार, “राज्य एक थोड़े या अधिक संख्या वाले संगठन का नाम है, जो कि स्थायी रूप से पृथ्वी के निश्चित भाग में रहता हो। वह बाहरी नियन्त्रण से सम्पूर्ण स्वतन्त्र या लगभग स्वतन्त्र हो और उसकी एक संगठित सरकार हो, जिसकी आज्ञा का पालन अधिकतर जनता स्वभाव से करती हो।”

गिलक्राइस्ट ने लिखा है, “राज्य उसे कहते हैं, जहाँ कुछ लोग एक निश्चित प्रदेश में एक सरकार के अधीन संगठित होते हैं। यह सरकार आन्तरिक मामलों में अपनी जनता की प्रभुसत्ता को प्रकट करती है और बाहरी मामलों में अन्य सरकारों से स्वतन्त्र होती है।” मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज में ही रहना चाहता है। एक निश्चित सीमा में बिना किसी नियन्त्रण के गठित सरकार के अधीन संगठित लोगों के समुदाय को राज्य कहा जाता है।

(ग) संघ (Association):
मेकाइवर के अनुसार संघ व्यक्तियों या सदस्यों के ऐसे समूह को कहा जाता है, जो एक सामान्य लक्ष्य के लिए संगठित है। एक प्रकार के विशेष उद्देश्य रखने वाले व्यक्ति एक दूसरे के समीप आते हैं और समूह बनाकर अर्थात् संगठित होकर इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कार्य करते हैं। यद्यपि राज्य भी मानव आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए गठित एक संगठन होता है। परन्तु राज्य में चार तत्त्व होते हैं-जनसंख्या, भू-भाग, सरकार और सम्प्रभुता जबकि संघ को निश्चित भू-भाग की आवश्यकता नहीं होती। इसकी सदस्यता ऐच्छिक होती है। राज्य की तरह संघ सम्प्रभु नहीं होते।

(घ) सरकार (Government):
बहुत से लोग राज्य तथा सरकार को एक ही अर्थ में प्रयुक्त करते हैं। लुई चौदहवाँ (फ्रांस का सम्राट) कहा करता था, “मैं ही राज्य हूँ।” परन्तु सरकार तो राजा का एक तत्त्व है। सरकार सार्वजनिक नीतियों को निर्धारित करने वाली तथा सार्वजनिक हितों को लागू करने वाली एक एजेन्सी अथवा तन्त्र है। सरकार वास्तव में राज्य सत्ता की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति है। राज्य में सरकारें बदलती रहती है। परन्तु राज्य स्थायी तौर पर बना रहता है। सरकार के तीन अंग होते हैं –

  1. कार्यपालिका
  2. विधायिका
  3. न्यायपालिका

प्रश्न 5.
राज्य किसे कहते हैं? राज्य के प्रमुख तत्त्वों की संक्षेप में व्याख्या कीजिए। (What is state Explain the main elements of a state)
उत्तर:
एक निश्चित सीमा में बिना किसी बाहरी नियन्त्रण के गठित सरकार के अधीन संगठित लोगों के समुदाय को राज्य कहा जाता है। मानव स्वभाव से एक सामाजिक प्राणी है। लास्की ने कहा है कि राज्य एक भूमिगत समाज है, जो शासक और शासितों में बँटा रहता है।

अरस्तू ने कहा था कि राज्य का जन्म जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हुआ है और आज भी आदर्श जीवन की प्राप्ति के लिए इसका अस्तित्व बना हुआ है। गार्नर के अनुसार, “राज्य बहुसंख्यक व्यक्तियों का ऐसा समुदाय है, जो किसी प्रदेश के निश्चित भाग में स्थायी रूप से रहता हो, बाहरी शक्ति के नियन्त्रण से पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से ही स्वतन्त्र हो और जिसमें ऐसी सरकार विद्यमान हो, जिसके आदेश का पालन नागरिकों के विशाल समुदाय द्वारा स्वभावतः किया जाता है।” राज्य के तत्त्व-राज्य के निम्नलिखित चार अनिवार्य तत्व होते हैं –

1. जनसंख्या (Population):
राज्य को बनाने के लिए जनसंख्या आवश्यक है। हम किसी निर्जन प्रदेश को राज्य नहीं कह सकते। किसी राज्य की जनसंख्या कितनी हो यह नहीं कहा जा सकता है। प्लूटो ने राज्य की जनसंख्या 5000 तथा रूसो ने 10,000 निश्चित की थी। परन्तु आजकल विशाल राज्य है, जिनकी जनसंख्या करोड़ों में है। भारत और चीन की जनसंख्या एक अरब से भी अधिक है। अरस्तु का यह कथन था कि राज्य की जनसंख्या इतनी हो, जिससे कि वह आत्मनिर्भर रह सके। आज भारत की अनेक समस्याओं का कारण उसकी अधिक जनसंख्या है।

2. भू-भाग (Territory):
प्रत्येक राज्य का अपना एक निश्चित भू-भाग होता है। इस निश्चित भू-भाग से प्रेम करने के कारण देशभक्ति का उदय होता है। राष्ट्रीय आन्दोलन के समय अनेक वीरों ने अपनी मातृभूमि के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है। निश्चित भू-भाग राज्य के लिए इस कारण अनिवार्य है कि राज्य की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए दूसरे राज्यों द्वारा किए जाने वाले हस्तक्षेपों को रोका जा सके। निश्चित भू-भाग के अन्तर्गत भूमि, जल तथा वायु तीनों ही क्षेत्र आते हैं। राज्य का अधिकार अपने भू-क्षेत्र, समुद्री क्षेत्र तथा आकाश आदि सभी पर होता है। राज्य का भू-भाग रूस के समान विशाल तथा सेन्ट मरीना जितना छोटा भी हो सकता है।

3. सरकार (Government):
राज्य का एक प्रमुख तत्त्व सरकार भी है। जनता जब तक समुचित ढंग से संगठित नहीं होती, तो राज्य नहीं बन सकता। सरकार एक निर्धारित भू-भाग में रहने वाले लोगों के सामूहिक उद्देश्यों की तरफ भी ध्यान देती है। सरकारें नीति निर्धारण और उनको क्रियान्वित करने का कार्य करती है। सरकार की अनुपस्थिति में गृह युद्ध होने की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। सरकार के विभिन्न रूप होते हैं। लोकतन्त्र, कुलीन तन्त्र तथा अधिनायक तन्त्र की सरकारें हो सकती है। इसके आलावा संसदात्मक तथा अध्यक्षात्मक सरकारें हो सकती हैं।

4. सम्प्रभुता (Sovereignty):
सम्प्रभुता भी राज्य का एक अनिवार्य तथा महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। किसी निश्चित भू-भाग में रहने वाली जनसंख्या को एक सरकार के अधीन नियन्त्रित हो जाने मात्र से ही उसे राज्य का दर्जा प्राप्त नहीं हो जाता, क्योंकि इसके लिए सम्प्रभुता का होना भी आवश्यक है। सम्प्रभुता दो प्रकार की होती है –

  • एक आन्तरिक सम्प्रभुता और
  • बाह्य सम्प्रभुता।

आन्तरिक सम्प्रभुता का अर्थ है राज्य का अपनी सीमा के भीतर एकाधिकार। इसमें किसी दूसरे राज्य का हस्तक्षेप नहीं होता। उसकी इस स्वतन्त्रता में किसी बाहरी सत्ता का हस्तक्षेप नहीं होता। 1947 ई. से पूर्व भारत में अन्य सभी तत्त्व मौजूद थे, किन्तु उसे राज्य का दर्जा प्राप्त नहीं था, क्योंकि तब तक भारत सम्प्रभुता सम्पन्न नहीं था।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
उग्र राष्ट्रवाद किसका समर्थन करता है?
(क) सैनिकवाद
(ख) विश्वशान्ति
(ग) अहिंसा
(घ) आतंकवाद
उत्तर:
(ग) अहिंसा

प्रश्न 2.
अनुच्छेद 19 द्वारा प्रदत्त अधिकार –
(क) भारत में निवास करने वाले सभी व्यक्तियों में उपलब्ध है।
(ख) भारत में नागरिकों को ही उपलब्ध है।
(ग) विदेशियों को भी उपलब्ध है।
(घ) इनमें से किसी को भी उपलब्ध नहीं है।
उत्तर:
(ख) भारत में नागरिकों को ही उपलब्ध है।

Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 12 विक्रमशिला

Bihar Board Class 8 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 3 Chapter 12 विक्रमशिला Text Book Questions and Answers, Summary.

BSEB Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 12 विक्रमशिला

Bihar Board Class 8 Hindi विक्रमशिला Text Book Questions and Answers

प्रश्न – अभ्यास

पाठ से

Class 8th Hindi Bihar Board प्रश्न 1.
विक्रमशिला नामकरण के संदर्भ में जनश्रुति क्या है ?
उत्तर:
विक्रमशिला नामकरण के संदर्भ में जनश्रुति है कि विक्रम नामक यक्ष का दमन कर यहाँ बिहार (भ्रमण योग भूमि) बनाया गया। जिसके कारण इस भू-भाग का नाम विक्रमशीला रखा गया ।

Bihar Board Solution Class 8 Hindi प्रश्न 2.
विक्रमशीला कहाँ अवस्थित है ?
उत्तर:
विक्रमशीला बिहार राज्य के भागलपुर जिला में कहलगाँव के पास अंतिचक गाँव में अवस्थित है।

Bihar Board Class 8 Hindi Solutions प्रश्न 3.
यहाँ के पाठ्यक्रम में क्या-क्या शामिल था?
उत्तर:
यहाँ के पाठ्यक्रम में तंत्र शास्त्र, व्याकरण न्याय, सृष्टि-विज्ञान, शब्द-विद्या, शिल्प-विद्या, चिकित्सा-विद्या, सांख्य, वैशेषिक, अध्यात्म विद्या विज्ञान, जादू एवं चमत्कार विद्या शामिल थे।

पाठ से आगे

Bihar Board Class 8 Hindi प्रश्न 1.
परिभ्रमण के दौरान आप इस स्थल का चयन करना क्यों पसंद करेंगे?
उत्तर:
परिभ्रमण के दौरान इस स्थल का चयन हम इसलिए करेंगे क्योंकि यह स्थान ऐतिहासिक है। यहाँ कभी आर्यभट्ट जैसे विश्वविख्यात खगोलशास्त्री ने अध्ययन कर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाया था । अतः शिक्षार्थियों के लिए यह स्थल नमन करने योग्य है।

Bihar Board Class 8 Hindi Solution प्रश्न 2.
इस विश्वविद्यालय को आधुनिक बनाने के लिए आप क्या-क्या सुझाव देंगे?
उत्तर:
इस विश्वविद्यालय को आधुनिक बनाने के लिए हमारा सुझाव है कि इस विश्वविद्यालय को समृद्ध करें । ज्ञान-विज्ञान का अध्यापन आधुनिक ढंग से करवाया जाये । समृद्ध पुस्तकालय समृद्ध प्रयोगशाला का होना अनिवार्य

बिहार बोर्ड क्लास 8 हिंदी सलूशन प्रश्न 3.
तंत्र विद्या के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
तंत्र-विद्या को जानने वाले तांत्रिक कहलाते हैं। इस विद्या से आसानीपूर्वक कोई कार्य शीघ्र कर लिया जाता है।

Bihar Board 8th Class Hindi Book प्रश्न 4.
निम्नलिखित संस्थाओं को उनकी श्रेणी के अनुसार बढ़ते क्रम में सजाइए।
उत्तर:

  1. प्रारम्भिक विद्यालय,
  2. प्राथमिक विद्यालय,
  3. माध्यमिक विद्यालय,
  4. महाविद्यालय,
  5. विश्वविद्यालय।

व्याकरण

संधि : दो वर्गों के मेल से होनेवाले परिवर्तन को संधि कहते हैं। जैसे-पुस्तक + आलय = पुस्तकालय अ + आ = आ,

संधि के तीन भेद होते हैं-

  1. स्वर संधि,
  2. व्यंजन संधि,
  3. विसर्ग संधि ।

स्वर संधि : दो स्वर वर्णों के मेल से होने वाले परिवर्तन को ‘स्वर संधि’ कहते हैं।

जैसे-विद्या + अर्थी = विद्यार्थी, आ + अ = आ।

व्यंजन संधि : व्यंजन वर्ण के साथ स्वर अथवा व्यंजन वर्ण के मेल से होने वाले परिवर्तन को ‘व्यंजन संधि’ कहते हैं। जैसे दिक् + गज = दिग्गज।

विसर्ग संधि : विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से जो परिवर्तन होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं। जैसे-मनः + रथ =, मनोरथ

Bihar Board Class 8 Hindi Book Solution प्रश्न 1.
ऊपर दी गई जानकारी के आधार पर संधि-विच्छेद कर संधि का नाम लिखिए।

प्रश्नोत्तर :

  1. अतिशयोक्ति = अतिशय + उक्ति = स्वर संधि
  2. सर्वाधिक = सर्व + अधिक = स्वर संधि
  3. परीक्षा = परि + इच्छा = व्यञ्जन संधि
  4. उल्लेखनीय = उत् + लेख + अनीय = स्वर संधि
  5. पुस्तकालय = पुस्तक + आलय = स्वर संधि
  6. शोधार्थी = शोध + अर्थी = स्वर संधि
  7. विद्यार्थी = विद्या + अर्थी = स्वर संधि
  8. प्रत्येक = प्रति + एक = स्वर संधि
  9. नवागत = नव + आगत = स्वर संधि
  10. उच्चादर्श = उच्च + आदर्श = स्वर संधि
  11. नामांकित = नाम + अंकित = स्वर संधि
  12. अवलोकितेश्वर = अवलोकित + ईश्वर = स्वर संधि

Class 8 Hindi Bihar Board प्रश्न 2.
ऊपर बॉक्स में दी गई जानकारी के आधार पर निम्नलिखित शब्दों का समास बताइए
प्रश्नोत्तर:

  1. अभेद्य = नज समास ।
  2. अखण्ड = नत्र समास. ।
  3. पथरघट्टा = तत्पुरुष समास ।
  4. द्वारपंडित = तत्पुरुष समास ।
  5. कुलपति = तत्पुरुष समास ।
  6. शिक्षा केन्द्र = तत्पुरुष समास ।
  7. देश-विदेश = द्वन्द्व समास ।
  8. अलौकिक = नब समास ।

Class 8 Hindi Bihar Board Solution प्रश्न 3.
संधि और समास में अंतर बताइए।
उत्तर:
संधि और समास में निम्नलिखित अंतर है

  1. संधि में दो वर्णों का मेल होता है । जैसे देव + आलय = देवालय समास में दो पदों का मेल होता है। गंगाजल ।
  2. संधि में वर्ण मेल से वर्ण परिवर्तन होते हैं। समास में दो पदों (शब्दों) के बीच का कारक के चिह्न (विभक्ति) का लोप हो जाता है। जैसे-गंगा का जल = गंगाजल ।

गतिविधि

Class 8 Hindi Chapter 12 प्रश्न 1.
विक्रमशिला विश्वविद्यालय के भाँति प्राचीन काल में भारत में ‘नालंदा, तक्षशिला आदि विश्वविद्यालय शिक्षा के केन्द्र से उसके सम्बन्ध में शिक्षक से जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

Bihar Board Class 8th Hindi Solution प्रश्न 2.
सहपाठियों एवं अध्यापकों के साथ विक्रमशिला का परिभ्रमण कीजिए एवं वहाँ प्राप्त पुरातात्त्विक सामग्रियों की एक सूची तैयार कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

विक्रमशिला Summary in Hindi

संक्षेप–विश्वविद्यालय महान खगोल शास्त्री “आर्यभट्ट” एवं तिब्बत ‘ में बौद्ध धर्म तथा लामा सम्प्रदाय के संस्थापक ‘अतिश दीपंकर’ की विद्यास्थली विक्रमशीला प्राचीन भारत को ज्ञान-विद्या के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठता प्रदान करने वाली विश्वविद्यालय में एक था।

बिहार राज्य के भागलपुर जिला में कहलगांव के पास अंतीचक गाँव में इसकी स्थापना आठवीं शदी के मध्य पालवंश के प्रतापी राजा धर्मपाल ने किया था जो बौद्धिक शक्ति प्रधान स्थली होने के कारण अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज पर

चमकने लगा। अपने आचार्यों के विक्रमपूर्ण आचरण के कारण तथा अखंडशील सम्पन्नता के कारण ही इस विश्वबिद्यालय का नाम विक्रमशीला पड़ा। यह भी किंवदंति है कि विक्रम नामक यक्ष को दमन कर इस स्थान को विहार (भ्रमण) के लायक बनाया गया।

इस प्रांगण में ‘छ: महाविद्यालय प्रत्येक महाविद्यालय के गेट पर “द्वार पण्डित” नियुक्त थे। जो तंत्र, योग, न्याय, काव्य और व्याकरण में पारंगत थे। वे महाविद्यालय में दाखिला पाने के पूर्व महाविद्यालय के द्वार पर ही मौखिक परीक्षा लेते थे। जो छात्र द्वार पण्डितों के प्रश्नों का उत्तर दे देते । वही विक्रमशीला विश्वविद्यालय के छात्र के रूप में दाखिला पाते थे।

इस विश्वविद्यालय में समृद्ध पुस्तकालय जहाँ तत्र, तर्क, दर्शन और बौद्ध दर्शन से संबंधित ग्रंथों का विशाल संग्रह मौजूद था। अधिकृत आचार्य और शोधार्थी द्वारा पाण्डुलिपियों को तैयार किया जाता था। राजा गोपाल के समय अष्टशाहस्रिका प्राज्ञ पारमिता नामक प्रसिद्ध ग्रंथ यही तैयार किया गया था जो आज भी ब्रिटिश म्युजियम, लंदन में धरोहर रूप में रखा हुआ है।

यहाँ धन-शील, धैर्य, वीर्य, ध्यान, पाज्ञा, कौशल्य प्राणिधान बल एवं ज्ञान -10 परिमिताओं में पारंगत करवाकर छात्र को महामानव बना दिया जाता था। . दसवीं-ग्यारहवीं सदी तक यह पूर्वी एशिया महादेश का ज्ञान-दान का सबसे बड़ा केन्द्र बन चुका था।

छात्रों के लिए प्रथम वर्ग ‘भिक्षु वर्ग’ था । यहाँ का छात्र बन जाना ही गौरव की बात मानी जाती थी। देश-विदेश में राजा-महाराजाओं से यहाँ के ही छात्र सम्मान पुरस्कार का हकदार बन जाते थे।

यहाँ तंत्र, व्याकरण, न्याय, सृष्टि-विज्ञान, शब्द-विद्या, शिल्प-विद्या, ” चिकित्सा-विद्या, सांख्य, वैशेषिक, आत्मविद्या, विज्ञान, जादू एवं चमत्कार विद्या इस विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में सम्मलित थे। अध्यापन का मध्यम संस्कृत भाषा थी।

तेरहवीं सदी के आरम्भ में तुर्कों के आक्रमण के कारण इस विश्वविद्यालय का विनाश हो गया। तुर्कों ने इसे भ्रमवश किसी का किला मानकर इसे तहस-नहस कर दिया था। यह बात “तबाकत-ए-नासीरी” नामक ग्रंथ में सम्यक् रूप से वर्णित है।

वर्तमान सरकार की सकारात्मक सोच और पुरातात्विक विभाग के प्रयास से गुमनाम यह विश्वविद्यालय पुनः सुर्खियों में आ रहा है। खुदाई के बाद 50 फीट ऊँची एवं 73 फीट चौड़ी इमारत के रूप में चैत्य प्राप्त हुए हैं। भूमि स्पर्श की मुद्रा में साढ़े चार फीट की भगवान बुद्ध

की मूर्ति, पदमासन पर बैठे अवलोकितेश्वर की कांस्य प्रतिमा, पद्मपाणि, मैत्रेय की प्रतिमा तथा क्षतिग्रस्त कुछ सीलें उपलब्ध हुए हैं। शैक्षणिक परिभ्रमण के दृष्टिकोण से यह स्थान दर्शनीय एवं ज्ञानवर्धक

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 7 जीवन का आधार : पर्यावरण

Bihar Board Class 7 Social Science Solutions Geography Hamari Duniya Bhag 2 Chapter 7 जीवन का आधार : पर्यावरण Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 7 जीवन का आधार : पर्यावरण

Bihar Board Class 7 Social Science जीवन का आधार : पर्यावरण Text Book Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्नोत्तर

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए 

Bihar Board Class 7 Geography Book Solution प्रश्न 1.
वृक्षों की संख्या-वृद्धि के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं ?
उत्तर-
वृक्षों की संख्या-वृद्धि के लिए हमें संकल्पबद्ध होना पड़ेगा । हमें । संकल्प लेना होगा कि प्रत्येक वर्ष हम कुछ-न-कुछ वृक्ष अवश्य रोपेंगे और उसकी देखभाल करेंगे, बहुत नहीं तो कम-से-कम वर्ष में 5 वृक्ष । फलदार वृक्ष हो तो बहुत अच्छा, पत्तेदार वृक्ष तो पर्यावरण के लिए प्राण माने जाते हैं। हम न तो वृक्ष काटेंगे और न किसी को काटने देंगे । पशओं से रक्षा के लिए हम वृक्षों की घेराबन्दी कर देंगे।

Bihar Board Class 7 Social Science Solution In Hindi प्रश्न 2.
नदियों के जल को स्वच्छ बनाने के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं ?
उत्तर-
नदियों के जल को स्वच्छ रखने के लिए हम गाँव-नगर के नाले ‘नलियों को नदियों तक पहुँचने के पहले ही रोक कर गन्दे जल की सफाई करके नदियों में छोड़ेंगे । नदी तट पर अवस्थित कारखानों पर दबाव डालेंगे कि कारखानों के कचरा की सफाई कर ही उसके जल को नदी में छोड़ें । मृत पशुओं के शव को नदी में नहीं बहाने देंगे । इस काम के लिए एक संगठन खड़ा करना होगा और नदी तट के सभी गांवों में उसकी शाखाएँ संगठित करनी होंगी।

Class 7 Geography Bihar Board प्रश्न 3.
उन क्रियाकलापों की सूची बनाइए जिनसे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है?
उत्तर-
वे क्रियाकलाप निम्नांकित हैं जिनसे पर्यावरण को नकसान पहँचता है:

  1. खनिज ईंधनों से चलने वाली सवारियों के साधनों से निकलने वाले धुएँ से।
  2. खनिज कोयला जलाने वाले कल-कारखानों से निकले धुएँ से ।
  3. आवाज करनेवाले कारखानों तथा मोटर-वाहनों के कर्कश हॉर्न की आवाज से ।
  4. पेड़-पौधों की अंधा-धुंध कटाई से ।।
  5. नदी, तालाब, कुआँ आदि के जल को गंदा करने से ।
  6. पॉलीथीन के उपयोग से ।

Bihar Board Class 7 Hamari Duniya Solution प्रश्न 4.
पॉलीथीन के विकल्प क्या-क्या हो सकते हैं ?
उत्तर-
रद्दी कागज के ठोंगा के साथ जूट के थैला, कपड़े का थैला या इसी प्रकार किसी प्रकार के थैला पॉलीथीन के विकल्प हो सकते हैं।

Bihar Board Class 7 Hamari Duniya प्रश्न 5.
पता कीजिए कि कितने घरों का बेकार पानी बाहर गली या सड़क पर गिरता है । कितने घरों का पानी सोख्ता गड्ढे में गिरता है ?
उत्तर-
मेरे गाँव के किसी भी घर का पानी गली या सड़क पर नहीं गिरता । सभी ने कोई-न-कोई व्यवस्था कर रखी है । गली में जो घर हैं उनका पानी नाली में गिरता है । नाली का पानी मुख्य सड़क के बड़े नाले में गिरता है, जो गाँव के बाहर दक्षिण में अवस्थित एक गड्ढे में एकत्र होता है जो कुछ घर लाने से सम्बद्ध नहीं हैं, उन्होंने सोख्ता गड्ढा बना रखा है और घर का पानी उसी में गिराते हैं ।

Bihar Board 7th Class Social Science Solution प्रश्न 6.
शहरी एवं ग्रामीण पर्यावरण में क्या-क्या अंतर दिखाई पड़ते हैं?
उत्तर-
शहरी पर्यावरण दमघोंटू रहता है, जबकि गाँव का पर्यावरण खुला-खुला होता है । शहरों में पेड़-पौधों की कमी होती है जबकि गाँवों में अपेक्षाकृत अधिकता है। शहरों में छोटे-बड़े वाहनों की रेलमपेल है वहीं गाँवों में खनिज तेल चालित वाहन एक-दुकं ही दिख पड़ते हैं । गाँवों में सायकिल, बैलगाड़ा, टमटम ही अधिक दिखते हैं ।

Bihar Board Class 7 History Solution In Hindi प्रश्न 7.
प्रदूषण के क्या कारण हैं ? इनका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
अधिक भीड़-भाड़ में पेट्रोल-डीजल चालित वाहन चलाने से उनके द्वारा निकले धुएँ से वायु प्रदूषण होता है । मशीनों, वाहनों, हॉर्न, लाउडस्पीकरों द्वारा निकले कर्कश आवाज से ध्वनि प्रदूषण होता है । नदियों में गन्दगी मिलाने, तालाबों में कपड़ा साफ करने और पशुओं को नहलाने, कुएं के निकट कचड़ा एकत्र करने से जल प्रदूषण होता है ।

प्रदूषण का हमारे जीवन पर प्रभाव-वाय प्रदुषण से श्वास रोग होता है, जबकि ध्वनि प्रदूषण से कान की बीमारी होती है और कभी-कभी बहरेपन का शिकार भी होना पड़ता है । जल प्रदूषण से पेट की बीमारियाँ होती हैं । खास कर डायरिया का प्रकण बढ़ता है।।

Bihar Board Class 7 Social Science Solution प्रश्न 8.
हम ग्लोबल वार्मिग को कैसे कम कर सकते हैं ?
उत्तर-
ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए हमें अपनी सुविधाओं में । कटौती करनी होगी। फ्रीज, एसी, खनिज तेल चालित वाहनों का उपयोग कम करना पड़ेगा । हमें वे सब उपाय अपनाने पड़ेंगे, जिनसे ओजन परत की क्षति नहीं होने पाये और सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुँच पाएँ ।

II. क्रियाकलाप

Bihar Board Solution Class 7 Social Science प्रश्न 1.
सीमा को शहर जाने के क्रम में पर्यावरण की जो चीजें नजर आई उन्हें निम्नलिखित स्तंभ में सचीबद्ध कीजिए:
उत्तर-

मानव निर्मित पर्यावरण- प्राकृतिक पर्यावरण-
हरे-भरे खेत, बाग-बगीचे उड़ती चिड़ियाँ
खिले फूल ठंडी हवा
बस, ऑटो रिक्शा धूप
सजी दुकानें गंगा नदी का किनारा
गाड़ियों का धुआँ सोंस (डॉल्फिन)
गाड़ियों का हॉर्न गर्मी
बड़े मकान कार्बन डाइऑक्साइड
कूड़ा-कचरा वायुमंडल
नाली-नाला सूर्य की किरणें

Class 7 Social Science Bihar Board प्रश्न 2.
आपके आस-पास पर्यावरण में जो चीजें पाई जाती हैं उन्हें उचित स्तंभों में लिखिए :
उत्तर-

मानव निर्मित- प्राकृतिक-सांस्कृतिक-
घर नदी
स्कूल पहाड़
टेबुल, कुर्सी सूर्य
सायकिल चन्द्रमा
बैलगाड़ी गर्मी, जाड़ा, बरसात
फसल जंगल
खलिहान मैदान
सड़क पर्व-त्योहार
रेल शादी-विवाह
पुल तीर्थ-यात्रा और मंदिर

III. सही विकल्प पर सही (✓) का निशान लगाएँ।

Bihar Board Class 7 Civics Book Solution प्रश्न 1.
जल प्रदूषण हो रहा है :
(क) पौधो के कटाव से
(ख) वाहन चलाने से
(ग) पानी पीने से
(घ) पानी में दूषित पदार्थ मिलने से
उत्तर-
(घ) पानी में दूषित पदार्थ मिलने से

Bihar Board Class 7 Geography प्रश्न 2.
पानी की शुद्धता हो सकती है:
(क) मच्छर पालने से
(ख) तोता पालने से
(ग) बत्तख पालने से
(घ) मछली पालने से
उत्तर-
(घ) मछली पालने से

Bihar Board Class 7 History Book Solution प्रश्न 3.
बढ़ती जनसंख्या के कारण हो रहा है
(क) वृक्षों का तेजी से कटाव
(ख) भवनों का निर्माण
(ग) आधारभूत संरचना का निर्माण
(घ) इनमें सभी
उत्तर-
(घ) इनमें सभी

Bihar Board Class 7th Social Science Solution प्रश्न 4.
पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जाना चाहिए :
(क) खूब पौधे लगाना
(ख) गंदे जल की उचित निकासी का प्रबंध
(ग) गाड़ियों का कम उपयोग
(घ) इनमें सभी
उत्तर-
(घ) इनमें सभी

Bihar Board Class 7 Social Science जीवन का आधार : पर्यावरण Notes

पाठ का सार संक्षेप

शहरों, नगरों और महानगरों में भीड़-भाड बढ़ती जा रही है। यातायात के साधनों में ऑटोमोबाइल की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। एक तो मोटर कार और मोटर साइकिलों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होती जा रही है और दूसरे सड़कों की चौड़ाई पहले जैसी ही है । इस कारण ये खनिज तेल चालित सवारियाँ सड़कों पर चलती नहीं, बल्कि रेंगती है ।

इसका फल होता है सड़कों पर धुआँ-ही-धुआँ दिखाई देता है । इससे पैदल चलने वालों तक की परेशानी बढ़ती है । आँखों में जलन होने लगती है। साँस लेने में कठिनाई होने लगती है ‘ तात्पर्य कि वायु बुरी तरह प्रदूषित हो जाती है । गाड़ियों से निकले ईंधन की आवाज और हॉनों की कर्कश आवाज से ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है । नदियाँ लागों के गलत उपयोग के कारण प्रदूषित होने लगी

हैं । गंगा नदी जैसी पवित्र नदी का जल भी प्रदूषित हो चला है । पॉलिथीन मिश्रित कूड़ा-कचरा से भूमि भी प्रदूषित होने लगी है । इस प्रकार हम देखते हैं कि हमारा पर्यावरण कई तरह से प्रदूषित हो रहा है, जैसे

  1. वायु प्रदूषण
  2. ध्वनि प्रदूषण
  3. जल प्रदूषण तथा
  4. भूमि प्रदूषण ।

देश में उद्योग-धंधों की वृद्धि से कारखानों की वृद्धि होने लगी है । उनकी चिमनियों से रात-दिन धुआँ निकलते रहता है। पहले जहाँ पेड़-पौधों के कारण हरियाली रहती थी वहीं आज कंकड़-ईंट-सीमेंट का जगल दिखाई देता है । एक तो पेड़-पौधों की कमी और दूसरे यातायात के साधन, फ्रिज, एसी, जेनरेटर के अबाध उपयोग से ताप में वृद्धि होती जा रही है । यह किसी एक शहर, राज्य या देश की बात नहीं है । यह बात सम्पूर्ण विश्व की समस्या बन गई है। इसी कारण इसे भूमंडलीय तापन (ग्लोबल वार्मिंग) कहा जा रहा है। यदि सही कहा जाय तो इसका जिम्मेदार स्वयं मानव ही है।

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions गद्य Chapter 11 नौबतखाने में इबादत

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Bihar Board Class 10 Hindi नौबतखाने में इबादत Text Book Questions and Answers

बाध और अभ्यास

पाठ के साथ

प्रश्न 1.
डुमरॉव की महत्ता किस कारण से है ?
उत्तर-
डुमराँव की महत्ता शहनाई के कारण है। प्रसिद्ध शहनाईवादक बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव में हुआ था। शहनाई बजाने के लिए जिस ‘रीड’ का प्रयोग होता है, जो एक विशेष प्रकार ‘ की घास ‘नरकट’ से बनाई जाती है, वह डुमराँव में सोन नदी के किनारे पाई जाती है।

प्रश्न 2.
सुषिर वाद्य किन्हें कहते हैं। ‘शहनाई’ शब्द की व्युत्पति किस प्रकार हुई है ?
उत्तर-
सुषिर वाद्य ऐसे वाद्य हैं, जिनमें नाड़ी (नरकट या रीड) होती है, जिन्हें फूंककर बजाया जाता है। ऐसे वाद्यों में शहनाई को शाह की उपाधि दी गई है, क्योंकि यह वाद्य मुरली, शृंगी जैसे अनेक वाद्यों से अधिक मोहक है। शहनाई की ध्वनि हमारे हृदय को स्पर्श करती है।

प्रश्न 3.
बिस्मिला खाँ सजदे में किस चीज के लिए गिड़गिड़ाते थे ? इससे उनके व्यक्तित्व का कौन-सा पक्ष उद्घाटित होता है ?
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ जब इबादत में खुदा के सामने झुकते तो सजदे में गिड़गिड़ाकर खुदा से सच्चे सुर का वरदान माँगते। इससे पता चलता है कि खाँ साहब धार्मिक, संवेदनशील एवं निरभिमानी थे। संगीत-साधना हेतु समर्पित थे। अत्यन्त विनम्र थे।

प्रश्न 4.
मुहर्रम पर्व से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव का परिचय पाठ के आधार पर दें।
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ सच्चे और धार्मिक मुसलमान हैं। मुहर्रम में उनका जो रीति-रिवाज था उसे वे मानते हैं और व्यवहार में लाते हैं। बड़े कलाकार का सहज मानवीय रूप एस अब आसानी से दिख जाता है। मुहर्रम का महीना वह होता है जिसमें शिया मुसलमान हजरत इमाम हुसैन एवं उनके कुछ वंशजों के प्रति अजादारी मनाते हैं। पूरे दस दिनों का शोक आठवीं तारीख उनके लिए खास महत्त्व की है। इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते हैं व दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए, नौहा बजाते जाते हैं। इस दिन कोई राग नहीं बजता। राग-रागनियों की अदायगी का निषेध है इस दिन।

प्रश्न 5.
‘संगीतमय कचौड़ी’ का आप क्या अर्थ समझते हैं ?
उत्तर-
संगीतमय कचौड़ी इस तरह क्योंकि जुलसुम जब कलकलाते घी में कचौड़ी डालती थी, उस समय छन्न से उठने वाली खाली आवाज में इन्हें सारे आरोह-अवरोह दिख जाते थे। कहने का तात्पर्य यह है कि कचौड़ी खाते वक्त भी खाँ साहब का मान संगीत के राग में ही रमा रहता था। इसीलिए उन्हें कचौड़ी भी संगीत मय लग रहा था।

प्रश्न 6.
बिस्मिला खाँ जब काशी से बाहर प्रदर्शन करते थे तो क्या करते थे? इससे हमें क्या सीख मिलती है ?
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ जब कभी काशी से बाहर होते तब भी काशी विश्वनाथ को नहीं भूलते। काशी से बाहर रहने पर वे उस दिशा में मुंह करके थोड़ी देर तक शहनाई अवश्य बजाते थे। वे विश्वनाथ मंदिर की दिशा में मुंह करके बैठते और विश्वनाथ के प्रति उनकी श्रद्धा एवं आस्था .. शहनाई के सुरों में अभिव्यक्त होती थी। एक मुसलमान होते हुए भी बिस्मिल्ला खाँ काशी… विश्वनाथ के प्रति अपार श्रद्धा रखते थे। इससे हमें धार्मिक दृष्टि से उदारता एवं समन्वयता की सीख मिलती है। हमें धर्म को लेकर किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं रखना चाहिए।

प्रश्न 7.
‘बिस्मिल्ला खाँ का मतलब-बिस्मिल्ला खां की शहनाई।’ एक कलाकार के रूप में बिस्मिल्ला खाँ का परिचय पाठ के आधार पर दें।
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ एक उत्कृष्ट कलाकार थे। शहनाई के माध्यम से उन्होंने संगीत-साधना को ही अपना जीवन मान लिये थे। शहनाईवादक के रूप में वे अद्वितीय पहचान बना लिये थे। बिस्मिल्ला खाँ का मतलब है-बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई। शहनाई का तात्पर्य बिस्मिल्ला खाँ का हाथा हाथ से आशय इतना भर कि बिस्मिल्ला खाँ की फूंक और शहनाई की जादुई आवाज का असर हमारे सिर चढ़कर बोलने लगता है। शेर खाँ साहब की शहनाई से सात सुर ताल के साथ निकल पड़ते थे। इनका संसार सुरीला था। इनके शहनाई में परवरदिगार, गंगा मइया, उस्ताद की नसीहत उतर पड़ती थी। खाँ साहब और शहनाई एक-दूसरे के पर्याय बनकर संसार के सामने उभरे।

प्रश्न 8.
आशय स्पष्ट करें
(क) फटा सुर न बखगे। लुंगिया का क्या है,
आज फटी है, तो कल सिल जाएगी।
व्याख्या-
जब एक शिष्या ने डरते-डरते बिस्मिल्ला खाँ से पूछा कि बाबा, आप फटी तहमद क्यों पहनते हैं ? आपको तो भारतरत्न मिल चुका है। अब आप ऐसा न करें। यह अच्छा नहीं लगता है जब भी कोई आपसे मिलने आता है तो आप इसी दशा में सहज, सरल भाव से मिलते हैं।

इस प्रश्न को सुनकर सहज भाव से खाँ साहब ने शिष्या को कहा-अरे पगली भारतरत्न तो शहनाईवादन पर मिला है न। इस लुंगी पर नहीं न मिला है। अगर तुमलोगों की तरह बनावट श्रृंगार में मैं लग जाता तो मेरी उमर ही बीत जाती और मैं यहाँ तक नहीं पहुँचता। तब मैं रियाज खाक करता। मैं तुम्हारी बात से सहमत हूँ अब आगे से फटी हुई तहमद नहीं पहनूँगा लेकिन इतना बता देता हूँ कि मालिक यही दुआ दे यानी भगवान यही कृपा रखें कि फटा हुआ सूर नहीं दें। सूर में लय दें और कोमलता दें। फटी लुगी तो मैं सिलवा लूंगा लेकिन फटा हुआ राग या सूर लेकर क्या करूँगा। अतः, ईश्वर रहम करे और सूर की कोमलता बचाये रखे।

(ख) काशी संस्कृति की पाठशाला है।
व्याख्या-
काशी संस्कृति की पाठशाला है शास्त्रों में इसकी महत्ता का वर्णन है। इसे आनंद कानन से जाना जाता है। काशी में कलाधर हनुमान व नृत्व विश्वनाथ हैं। काशी में बिस्मिल्ला खाँ हैं। काशी में हजारों साल का इतिहास है। यहाँ कई महाराज हैं। विद्याधारी हैं। बड़े रामदास जी हैं। मौजुद्दीन खाँ हैं। इन रसिकों से उत्कृष्ट होनेवाला अपार-जन समूह है। यह एक अलग काशी है जिसकी अलग तहजीब है, अपनी बोली और अपने विशिष्ट लोग हैं। इनके अपने उत्सव हैं। अपना गम है। अपना सेहरा-बन्ना और अपना नौहा है। यहाँ संगीत को भक्ति से, भक्ति को धर्म से किसी धर्म के कलाकार से, कजरी को चैती से विश्वनाथ को विशालक्षी से, बिस्मिल्ला खाँ को गंगा द्वार से अलग करके नहीं देखा जा सकता।
इस प्रकार काशी सांस्कृतिक महानगरी है। इसकी अपनी महत्ता है।

प्रश्न 9.
बिस्मिला खाँ के बचपन का वर्णन पाठ के आधार पर दें ।
उत्तर-
अमीरुद्दीन यानी उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव, बिहार के एक संगीत-प्रेमी परिवार में हुआ था। पाँच-छ: वर्ष की उम्र में ही वह अपने ननिहाल काशी चले गए। डुमराँव की इतमी ही महत्ता है कि शहनाई की रीड बनाने में काम आने वाली नरकट वहाँ सोन नदी के किनारे पाई जाती हैं। बिस्मिल्ला खाँ के परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ डुमराँव निवासी थे। बिस्मिल्ला खाँ उस्ताद पैगंबर बख्श खाँ और मिट्ठन के छोटे साहबजादे हैं। चार साल की उम्र में ही नाना की शहनाई को सुनते और शहनाई को ढूंढते थे। उन्हें अपने मामा का सान्निध्य भी बचपन में शहनाईवादन की कौशल विकास में लाभान्वित किया। 14 साल की उम्र में वे बालाजी के मंदिर में रियाज करने के क्रम में संगीत साधनारत हुए और आगे चलकर महान कलाकार हुए।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
रचना के आधार पर निम्नलिखित वाक्यों की प्रकृति बताएँ
(क) काशी संस्कृति की पाठशाला है।
(ख) शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं।
(ग) एक बड़े कलाकार का सहज मानवीय रूप ऐसे अवसरों पर आसानी से दिख जाता है।
(घ) उनको यकीन है, कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा।
(ङ) धत्। पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं।
उत्तर-
सरल वाक्य – (क)
संयुक्त वाक्य – (ख)
मिश्रवाक्य – (ग), (घ), (ङ)

प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों से विशेषण छाँटिए.
(क) इसी बालसुलभ हँसी में कई यादें बंद है।
उत्तर-
कई, बालसुलभ।

(ख) अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें।
उत्तर-
फटी, भारतरत्न।

(ग) शहनाई और काशी से बढ़कर कोई जन्नत नहीं इस धरती पर। . .
उत्तर-
कोई।

(घ) कैसे सुलोचना उनकी पसंदीदा हीरोइन रही थीं, बड़ी रहस्यमय मुस्कराहट के साथ गालों पर चमक आ जाती है।
उत्तर-
पसंदीदा, रहस्यमय, चमक।

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

1. अमीरुद्दीन का जन्म डुमराँव, बिहार के एक संगीतप्रेमी परिवार में हुआ था। 5-6 वर्ष डुमराँव में बिताकर वह नाना के घर, ननिहाल काशी में आ गया। शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं। शहनाई बजाने के लिए रीड का प्रयोग होता है। रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फूंका जाता है। रीड, नरकट (एक प्रकार की घास) से बनाई जाती है जो डुमराँव के आसपास की नदियों के कछारों में पाई जाती है। फिर अमीरुद्दीन जो हम सबके प्रिय हैं, अपने उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ साहब हैं। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ डुमराँव निवासी थे। बिस्मिल्ला खाँ उस्ताद पैगंबरख्श खाँ और मिट्ठन के छोटे साहबजादे हैं।

प्रश्न
(क) प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है और इसके लेखक कौन हैं ?
(ख) बिस्मिल्ला खाँ का जन्म कहाँ हुआ था। उनके बचपन का क्या नाम था ?
(ग) रीड किससे बनता है ? इसका प्रयोग कहाँ होता है ?
(घ) शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी क्यों हैं ?
उत्तर-
(क) प्रस्तुत गद्यांश नौबतखाने में इबादत शीर्षक जीवन-वृत्त से लिया गया है। इसके लेखक यतीन्द्र मिश्र हैं।
(ख) बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव में हुआ था। उनके बचपन का नाम अमीरुद्दीन था।
(ग) रीड, नरकट (एक प्रकार की घास) से बनता है। इसका प्रयोग शहनाई में होता है। इसी के सहारे शहनाई को फूंका जाता है।
(घ) शहनाईवादक भारतरत्न सम्मानित बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव में हुआ था। शहनाई बजाने के लिए रीड की आवश्यकता होती है। रीड नरकट से बनता है जो डुमराँव के आसपास की नदियों के कछारों में पाया जाता है।

2. शहनाई की इसी मंगलध्वनि के नायक बिस्मिल्ला खाँ साहब अस्सी बरस से सुर माँग रहे हैं। सच्चे सुर की नेमत। अस्सी बरस की पाँचों वक्त वाली नमाज इसी सुर को पाने की प्रार्थना में खर्च हो जाती है। लाखों सजदे, इसी एक सच्चे सुर की इबादत में खुदा के आगे झुकते हैं। वे नमाज के बाद सजदे में गिड़गिड़ाते हैं – -‘मेरे मालिक एक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर दे कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ। उनको यकीन है, कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा और अपनी झोली से सुर का फल निकालकर उनकी ओर उछालेगा, फिर कहेगा, ले जा अमीरुद्दीन इसको खा ले और कर ले अपनी मुराद पूरी।’
प्रश्न
(क) शहनाई किसका सम्पूरक है?
(ख) बिस्मिल्ला खाँ नमाज अदा करते समय अल्लाह से क्या इबादत करते हैं ?
(ग) बिस्मिल्ला खाँ किस बात को लेकर आशावान हैं ?
(घ) बिस्मिल्ला खाँ का सिर किसलिए झुकता है ?
उत्तर-
(क) शहनाई मंगलध्वनि का सम्पूरक है।
(ख) अस्सी वर्ष की अवस्था में भी बिस्मिल्ला खाँ ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हे मेरे मालिक एक सुर बख्श दें। सुर में वह तासीर पैदा कर दे कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।
(ग) ईश्वर के प्रति अपने समर्पण को लेकर बिस्मिल्ला खाँ आशावान है कि एक दिन समय आएगा जब उनकी कृपा से स्वर में वह तासीर पैदा होगी जिससे हमारी जीवन धन्य हो जायेगा। ईश्वर अपनी झोली से सुर का फल निकालकर मेरी तरफ उछालते हुए कहेगा ले इसे खाकर अपनी मुराद पूरी कर ले।
(घ) बिस्मिल्ला खाँ का सिर सुर को इबादत में झकता है।

3. काशी संस्कृति की पाठशाला है। शास्त्रों में आनंदकानन के नाम से प्रतिष्ठिता काशी में कलाधर हनुमान व नृत्य-विश्वनाथ है। काशी में बिस्मिल्ला खाँ हैं। काशी में हजारों सालों का इतिहास है जिसमें पंडित कंठे महाराज हैं, विद्याधरी हैं, बड़े रामदासजी हैं, मौजुद्दीन खाँ हैं व इन रसिकों से उपकृत होनेवाला अपार जन-समूह है। यह एक अलग काशी है जिसकी अलग तहजीब है, अपनी बोली और अपने विशिष्ट लोग हैं। इनके अपने उत्सव हैं, अपना गम। अपना सेहरा-बन्ना और अपना नौहा। आप यहाँ संगीत को भक्ति से, भक्ति को किसी भी धर्म के कलाकार से, कजरी को चैती से, विश्वनाथ को विशालाक्षी से, बिस्मिल्ला खाँ को गंगाद्वार से अलग करके नहीं देख सकते।

प्रश्न
(क) काशी किसकी पाठशाला है ?
(ख) काशी से बिस्मिल्ला खाँ का कैसा संबंध है ?
(ग) काशी में किन-किन लोगों का इतिहास है?
(घ) लेखक ने काशी को एक अलग नगरी क्यों माना है ?
उत्तर-
(क) काशी संस्कृति की पाठशाला है।
(ख) काशी से बिस्मिल्ला खाँ का गहरा संबंध है। काशी ही इनकी इबादत-भूमि है। बालाजी का मंदिर, संकटमोचन मंदिर, बाबा विश्वनाथ मंदिर आदि कई ऐसे स्थान हैं जो इनकी कर्मस्थली और ज्ञानस्थली है। जिस तरह संगीत को भक्ति से, भक्ति को किसी भी धर्म के कलाकार से, कजरी को चैती से, विश्वनाथ को विशालाक्षी से अलग नहीं कर सकते हैं ठीक उसी तरह बिस्मिल्ला खाँ को गंगाद्वार से अलग नहीं कर सकते हैं।.
(ग) काशी में पंडित कंठे महाराज, विधाधरी, रामदास, मौजुद्दीन आदि जैसे महापुरुषों का इतिहास है।
(घ) काशी संस्कृति की पाठशाला है। शास्त्रों में यह आनंदकानन के नाम से प्रतिष्ठित है। इसकी अलग तहजीब है, अपनी बोली और अपने विशिष्ट लोग हैं। यहाँ संगीत, भक्ति, धर्म आदि को अलग रूप में नहीं देख सकते हैं।

4. काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है। यह आयोजन पिछले कई बरसों से संकटमोचन मंदिर में होता आया है। यह मंदिर शहर के दक्षिण में लंका पर स्थित है व हनुमान-जयंती के अवसर पर यहाँ पाँच दिनों तक शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय गायनवादन की उत्कृष्ट सभा होती है। इसमें बिस्मिल्ला खाँ अवश्य रहते हैं। अपने मजहब के प्रति अत्यधिक समर्पित उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ की श्रद्धा काशी विश्वनाथजी के प्रति भी अपार है।

प्रश्न-
(क) पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ख) काशी में संगीत आयोजन की परंपरा क्या है ?
(ग) हनुमान-जयंती के अवसर पर आयोजित संगीत सभा का परिचय दीजिए।
(घ) बिस्मिल्ला खाँ की काशी विश्वनाथ के प्रति भावनाएँ कैसी थीं?
(ङ) काशी में संकटमोचन मंदिर कहाँ स्थित है और उसका क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
(क) पाठ नौबतखाने में इबादत, लेखक-यतींद्र मिश्रा
(ख) काशी में संगीत आयोजन की बहुत प्राचीन और विचित्र परंपरा है। यह आयोजन काशी में विगत कई वर्षों से हो रहा है। यह संकटमोचन मंदिर में होता है। इस आयोजन में शास्त्रीय । एवं उपशास्त्रीय गायन-वादन होता है।
(ग) हनुमान जयंती के अवसर पर काशी के संकटमोचन मंदिर में पाँच दिनों तक शास्त्रीय और उपशास्त्रीय संगीत की श्रेष्ठ सभा का आयोजन होता है। इस सभा में बिस्मिल्ला खाँ का शहनाईवादन अवश्य ही होता है।.
(घ) बिस्मिल्ला खाँ अपने धर्म के प्रति पूर्णरूप से समर्पित हैं। वे पाँचों समय नमाज पढ़ते हैं। इसके साथ ही वे बालाजी मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर में भी शहनाई बजाते हैं। उनकी काशी विश्वनाथजी के प्रति अपार श्रद्धा है।
(ङ) काशी का संकटमोचन मंदिर शहर के दक्षिण में लंका पर स्थित है। यहाँ हनुमान जयंती अवसर पर पाँच दिनों का संगीत सम्मेलन होता है। इस अवसर पर बिस्मिल्ला खाँ का शहनाई वादन होता है।

5. अक्सर कहते हैं क्या करें मियाँ, ई काशी छोड़कर कहाँ जाएँ, गंगा मइया यहाँ, बाबा विश्वनाथ यहाँ, बालाजी का मंदिर यहाँ, यहाँ हमारे खानदान की कई पुश्तों ने शहनाई बजाई है, हमारे नाना तो वहीं बालाजी मंदिर में बड़े प्रतिष्ठा शहनाईवाज रह चुके हैं। अब हम क्या करें, मरते दम तक न वह शहनाई छूटेगी न काशी। जिस जमीन ने हमें तालीम दी, जहाँ से अदब पाई, तो कहाँ और मिलेगी? शहनाई और काशी से बढ़ कर कोई जन्नत नहीं इस धरती पर हमारे लिए।’
प्रश्न
(क) पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ख) बिस्मिल्ला खाँ काशी छोड़कर क्यों नहीं जाना चाहते थे?
(ग) बिस्मिल्ला खाँ के परिवार में और कौन-कौन शहनाई बजाते थे ?
(घ) बिस्मिल्ला खाँ के लिए शहनाई और काशी क्या हैं ?
उत्तर-
(क) पाठ-नौबतखानों में इबादत।
लेखक यतींद्र मिश्रा
(ख) बिस्मिल्ला खाँ काशी छोड़कर इसलिए नहीं जाना चाहते थे क्योंकि यहाँ गंगा है, बाबा विश्वनाथ हैं, बालाजी का मंदिर है और उनके परिवार की कई पीढ़ियों ने यहाँ शहनाई बजाई है। उन्हें इन सबसे. बहुत लगाव है।
(ग) बिस्मिल्ला खाँ के नाना काशी के बालाजी के मंदिर में शहनाई बजाते थे। उनके मामा सादिम हुसैन और अलीबख्श देश के जाने-माने शहनाई वादक थे। इनके दादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ और पिता उस्ताद पैगंबर बख्श खो भी प्रसिद्ध शहनाईवादक थे (घ) बिस्मिल्ला खाँ मरते दम तक काशी में रहना और शहनाई बजाना नहीं छोड़ना चाहते, क्योंकि इसी काशी नगरी में उन्हें शहनाई बजाने की शिक्षा मिली और यहां से सब कुछ मिला।

6. काशी आज भी संगत के स्वर पर जगती और उसी की थापों पर सोती है। काशी में मरण भी मंगल माना गया है। काशी आनंदकानन है। सबसे बड़ी बात है कि काशी के पास उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ जैसा लय और सुर- की तमीज सिखानेवाला नायाब हीरा रहा है जो हमेशा से दो कौमों को एक होने व आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

प्रश्न
(क) पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ख) आज की काशी कैसी है ?
(ग) काशी में मरण मंगलमय क्यों माना गया है ?
(घ) काशी के पास कौन-सा नायाब हीरा रहा है ?
(ङ) काशी आनंदकानन कैसे है ?
उत्तर-
(क)18-नौबतखाने में इबादता
लेखक-यतींद्र मिश्रा
(ख) आज की काशी भी संगीत के स्वरों से जागती है और संगीत की थपकियाँ उसे सुलाती हैं। बिस्मिल्ला खाँ के शहनाईवादन की प्रभाती, काशी को जगाती है।
(ग) काशी में मरना इसलिए मंगलमय माना गया है, क्योंकि यह शिव की नगरी है। यहाँ मरने से मनुष्य को शिवलोक प्राप्त हो जाता है और वह जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर लेता है।
(घ) काशी के पास बिस्मिल्ला खों जैसा लय और सुर का नायाब हीरा रहा है जो अपने सुरों से काशी में प्रेम रस बरसाता रहा है। इसने सदा काशी-वासियों को मिलजुल कर रहने की प्रेरणा दी है।
(ङ) काशी को आनंदकानन इसलिए कहते हैं, क्योंकि यहाँ विश्वनाथ विराजमान हैं। उनकी  कृपा से यहाँ सदा आनंद-मंगल की वर्षा होती रहती है। विभिन्न संगीत सभाओं के आयोजनों से सदा उत्सवों का वातावरण बना रहता है। इसलिए यहाँ आनंद ही आनंद छाया रहता है।

7. इस दिन खाँ साहब बड़े होकर शहनाई बजाते हैं वे दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी पर पैदल रोते हुए, नौहा बजाते जाते हैं। इस दिन कोई राग नहीं बजता। राग-रागिनियों की अदायगी का निषेध है इस दिन। उनकी आँखें इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोगों की शहादत में नम रहती हैं। आजादारी होती है। हजारों आँखें नम हजार वर्ष की परंपरा पुनर्जीवित। मुहर्रम सम्पन्न होता है। एक बड़े कलाकार का सहज मानवीय रूप ऐसे अवसर पर आसानी से दिख जाता है।

प्रश्न
(क) पाठ तथा लेखक का नाम बताइए।
(ख) प्रस्तुत अवतरण में किस दिन की बात की जा रही है।
(ग) अवतरण में उल्लेख किए गए दिन को खां साहब क्या करते हैं ? और क्यों ?
(घ) इस विशेष दिन कोई राग क्यों नहीं बजाया जाता?
(ङ) अवतरण के आधार पर खां साहब के चरित्र की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
(क) पाठ का नाम- नौबतखाने में इबादत।
लेखक का नाम- यतीन्द्र मिश्रा
(ख) प्रस्तुत अवतरण में मुहर्रम की आठवीं तारीख की बात की जा रही है।
(ग) इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते हैं व दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक नौहा बजाते हुए जाते हैं, क्योंकि वे शोक मना रहे होते हैं।
(घ) मुहर्रम की आठवीं तारीख को कोई राम नहीं बजाया जाता। इस दिन इमाम हुसैन और उनके परिवार की शहादत के शोक में राग-रागिनियों की अदायगी का निषेध है।
(ङ) खाँ साहब संवेदनशील, धार्मिक तथा एक बड़े कलाकार थे।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनें-

प्रश्न 1.
‘नौबतखाने में इबादत पाठ के लेखक कौन है ?
(क) विनोद कुमार शुक्ल
(ख) यतीन्द्र मिश्र
(ग) अशोक वाजपेयी
(घ) अमर कांत
उत्तर-
(ख) यतीन्द्र मिश्र

प्रश्न 2.
बिस्मिल्ला खाँ का असली नाम क्या था?
(क) शम्सुद्दीन
(ख) सादिक हुसैन
(ग) पीरबख्श
(घ) अमीरुद्दीन
उत्तर-
(घ) अमीरुद्दीन

प्रश्न 3.
बिस्मिल्ला खाँ का जन्म कहाँ हुआ था?
(क) काशी में
(ख) दिल्ली में
(ग) डुमराँव में
(घ) पटना में
उत्तर-
(ग) डुमराँव में

प्रश्न 4.
बिस्मिल्ला खाँ रियाज के लिए कहाँ जाते थे?
(क) बालाजी मंदिर
(ख) संकटमोचन
(ग) विश्वनाथ मंदिर
(घ) दादा के पास
उत्तर-
(क) बालाजी मंदिर

प्रश्न 5.
‘नरकट’ का प्रयोग किस वाद्य-यंत्र में होता है?
(क) शहनाई
(ख) मृदंग
(ग) ढोल
(घ) बिगुल
उत्तर-
(क) शहनाई

प्रश्न 6.
भारत सरकार ने बिस्मिल्ला खाँ को किस सम्मान से अलंकृत किया?
(क) बिहार रत्न
(ख) भारत रत्न
(ग) वाद्य रत्न
(घ) शहनाई रत्न
उत्तर-
(ख) भारत रत्न

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

प्रश्न 1.
……….. और डुमराँव एक-दूसरे के पूरक हैं।
उत्तर-
शहनाई

प्रश्न 2.
शहनाई बजाने के लिए ……… का प्रयोग होता है।
उत्तर-
रीड

प्रश्न 3.
……….. संस्कृति की पाठशाला है।
उत्तर-
काशी

प्रश्न 4.
……… वर्ष की उम्र में बिस्मिल्ला खाँ संसार से विदा हो गए।
उत्तर-
नब्बे

प्रश्न 5.
बिस्मिल्ला खाँ उस्ताद …….. और मिट्ठन के छोटे साहबजादे थे।
उत्तर-
पैगंबर बखश खाँ

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बिस्मिल्ला खाँ का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ का जन्म 1916 ई० में डुमराँव में हुआ था।

प्रश्न 2.
बिस्मिल्ला खाँ को संगीत के प्रति रुचि कैसे हुई ?
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ को संगीत के प्रति रुचि रसूलनबाई और बतूलनबाई के टप्पे, ठुमरी और दादरा को सुनकर हुई।

प्रश्न 3.
शहनाई की शिक्षा बिस्मिल्ला खाँ को कहाँ मिली?
उत्तर-
शहनाई की शिक्षा बिस्मिल्ला खाँ को अपने ननिहाल काशी में अपने ममाद्वय सादिक और अलीबख्श से मिली।

प्रश्न 4.
बिस्मिल्ला खां बचपन में किनकी फिल्में देखते थे। था, विस्मिल्ला खाँ बचपन में किरकी फिल्मों के दीवाने थे?
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ बचपन में गीताबाली और सुलोचना की फिल्मों के दीवाने थे।

प्रश्न 5.
अपने मजहब के अलावा बिस्मिल्ला खाँ को किसमें अत्यधिक प्रद्धा थी ?
उत्तर-
अपने मजहब के अलावा बिस्मिल्ला खाँ को काशी, विश्वनाथ और बालाजी में अगाध श्रद्धा थी।

प्रश्न 6.
बिस्मिल्ला खाँ किसको जन्नत मानते थे ?
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ शहनाई और काशी को जन्नत मानते थे।

प्रश्न 7.
बिस्मिल्ला खाँ किसके पर्याय थे?
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ शहनाई के पर्याय थे और शहनाई उनका।

प्रश्न 8.
बिस्मिल्ला खाँ को जिन्दगी के आखिरी पड़ाव पर किसका अफसोस रहा?
उत्तर-
बिस्मिल्ला.खाँ को जिन्दगी के आखिरी पड़ाव पर संगतियों के लिए गायकों के मन में आदर न होने, चैता कजरी के गायब होने और मलाई, शुद्ध घी की कचौड़ी न मिलने का अफ़सोस रहा।

नौबतखाने में इबादत लेखक परिचय

यतींद्र मिश्र का जन्म सन् 1977 में अयोध्या, उत्तरप्रदेश में हुआ । उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ से हिंदी भाषा और साहित्य में एम० ए० किया । वे साहित्य, संगीत, सिनेमा, नृत्य और चित्रकला के जिज्ञासु अध्येता हैं । वे रचनाकार के रूप में मूलतः एक कवि हैं । उनके अबतक तीन काव्य-संग्रह : ‘यदा-कदा’, ‘अयोध्या तथा अन्य कविताएँ’, और ‘ड्योढ़ी पर आलाप’ प्रकाशित हो चुके हैं । कलाओं में उनकी गहरी अभिरुचि है । इसका ही परिणाम है कि उन्होंने प्रख्यात शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी के जीवन और संगीत साधना पर एक पुस्तक ‘गिरिजा’ लिखी । भारतीय नृत्यकलाओं पर विमर्श की पुस्तक है ‘देवप्रिया’, जिसमें भरतनाट्यम और ओडिसी की प्रख्यात नृत्यांगना सोनल मान सिंह से यतींद्र मिश्र का संवाद संकलित है। यतींद्र मिश्र ने स्पिक मैके के लिए ‘विरासत 2001’ के कार्यक्रम के लिए. रूपंकर कलाओं पर केंद्रित पत्रिका ‘थाती’ का संपादन किया है। संप्रति, वे अर्द्धवार्षिक पत्रिका ‘सहित’ का संपादन कर रहे हैं । वे साहित्य और कलाओं के संवर्धन एवं अनुशीलन के लिए एक सांस्कृतिक न्यास ‘विमला देवी फाउंडेशन’ का संचालन 1999 ई० से कर रहे हैं।

यतींद्र मिश्र ने रीतिकाल के अंतिम प्रतिनिधि कवि द्विजदेव की ग्रंथावली का सह-संपादन भी किया है। उन्होंने हिंदी के प्रसिद्ध कवि कुँवरनारायण पर केंद्रित दो पुस्तकों के अलावा हिंदी सिनेमा के जाने-माने गीतकार गुलजार की कविताओं का संपादन ‘यार जुलाहे’ नाम से किया है। यतींद्र मिश्र को अबतक भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद् युवा पुरस्कार, राजीव गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार, रजा पुरस्कार, हेमंत स्मृति कविता पुरस्कार, ऋतुराज सम्मान आदि कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। उन्हें केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी, नयी दिल्ली और सराय, नई दिल्ली की फेलोशिप भी मिली है।

‘नौबतखाने में इबादत’ प्रसिद्ध शहनाईवादक भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ पर रोचक शैली में लिखा गया व्यक्तिचित्र है । इस पाठ में बिस्मिल्ला खाँ का जीवन – उनकी रुचियाँ, अंतर्मन की बुनावट, संगीत की साधना आदि गहरे जीवनानुराग और संवेदना के साथ प्रकट हुए हैं ।

नौबतखाने में इबादत Summary in Hindi

पाठ का सारांश

सन् 1916 से 1922 के आसपास की काशी। पंचगंगा घाट स्थित बालाजी विश्वनाथ मंदिर . की ड्योढ़ी। ड्योढ़ी का नौबतखाना और नौबतखाने से निकलनेवाली मंगलध्वनि।।

अमीरूद्दीन अभी सिर्फ छह साल का है और बड़ा भाई शम्सुद्दीन नौ साल का। अमीरूद्दीन को पता नहीं है कि राग किस चिड़िया को कहते हैं। और ये लोग हैं मामूंजान वगैरह जो बात-बात पर भीमपलासी और मुलतानी कहते रहते हैं। क्या बाजिब मतलब हो सकता है इन शब्दों का इस” लिहाज से अभी उम्र नहीं है अमीरूद्दीन की; जान सके इन भारी शब्दों का बजन कितना होगा।

अमीरूद्दीन का जन्म डुमराँव, बिहार के एक संगीत प्रेमी परिवार में हुआ है। 5-6 वर्ष डुमराँव में बिताकर वह नाना के घर, ननिहाल काशी में आ गया है। शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं। उनकी अबोध उम्र में अनुभव की स्लेट पर संगीत प्रेरणा की वर्णमाला रसूलनवाई और बजूलनवाई ने उकेरी है। इसे संगीत शास्त्रांतर्गत ‘सुषिर-वाद्यों’ में गिना जाता है। अरब देश में फूंककर बजाए जाने वाले वाद्य जिसमें नाड़ी नरकट या रीड) होती है को ‘नय’ बोलते हैं। शहनाई को ‘शाहनय अर्थात् ‘ सुषिर वाद्यों में शाह की उपाधि दी गई है।

शहनाई की इसी मंगलध्वनि के नायक बिस्मिल्ला खाँ साहब अस्सी बरस से सुर माँग रहे हैं। सच्चे सुर की नेमत। अस्सी बरस की पाँचों वक्त वाली नमाज इसी सुर को पाने की प्रार्थना में खर्च हो जाती है। लाखों सजदे इसी एक सच्चे सुर की इबादत में खुदा के आगे झुकते हैं। बिस्मिला खाँ और शहनाई के साथ जिस मुस्लिम पर्व का नाम जुड़ा है, वह मुहर्रम है। आठवीं तारीख उनके लिए खास महत्त्व की है। इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते हैं व दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए, नौटा बजाते जाते हैं।

बचपन की दिनों की याद में वे पक्का महाल की कुलसुम हलवाइन की कचौड़ी वाली दुकान व गीताबाली और सुलोचना को ज्यादा याद करते हैं। सुलोचना उनकी पसंदीदा हीरोइन रही थीं।

अपने मजहब के प्रति अत्यधिक समर्पित उस्ताद बिस्मिला खाँ की श्रद्धा काशी विश्वनाथ जी के प्रति भी अपार है। वे जब भी काशी से बाहर रहते हैं तब विश्वनाथ व बालाजी मंदिर की दिशा की ओर मुँह करके बैठते हैं, थोड़ी देर ही सही, मगर उसी ओर शहनाई का प्याला घुमा दिया जाता है और भीतर की आस्था रीड के माध्यम से बजती है।

काशी संस्कृति की पाठशाला है। शास्त्रों में आनंदकानन के नाम से प्रतिष्ठित है। काशी में कलाधर हनुमान व नृत्य-विश्वनाथ हैं। काशी में विस्मिल्ला खाँ है। काशी में हजारों सालों का इतिहास है जिसमें पंडित कंठे महाराज हैं, बड़े रामदास जी है, मौजुद्दीन खाँ हैं व इन रसिकों से उपकृत होने वाला अपार जन-समूह है।

आपकी। अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें। अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी तहमद में सबसे मिलते हैं।” खाँ साहब मुस्काराए। लाड़ से भरकर बोले “धत। पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया’ पे मिला है, लगिया पे नाहीं।

नब्बे वर्ष की भरी-पूरी आयु में 21 अगस्त 2006 को संगीत रसिकों की हार्दिक सभा से हमेशा के लिए विदा हुए खाँ साहब।

शब्दार्थ

ड्योढ़ी : दहलीज
नौबतखाना : प्रवेश द्वार के ऊपर मंगल ध्वनि बजाने का स्थान
रियाज : अभ्यास
मार्फत : द्वारा
शृंगी : सींग का बना वाद्ययंत्र
मुरछंग : एक प्रकार का लोक वाद्ययंत्र
नेमत : ईश्वर की देन, वरदान, कृपा
सज़दा : माथा टेकना
इबादत : उपासना
तासीर : गुण, प्रभाव, असर
श्रुति : शब्द-ध्वनि
ऊहापोह : उलझन, अनिश्चितता
तिलिस्म : जादू
गमक : खुशबू, सुगंध
अजादारी : मातम करना, दुख मनाना
बदस्तूर : कायदे से, तरीके से
नैसर्गिक : स्वाभाविक, प्राकृतिक
दाद : शाबाशी, प्रशंसा, वाहवाही
तालीम : शिक्षा
अदब : कायदा, साहित्य
अलहमदुलिल्लाह : तमाम तारीफ ईश्वर के लिए
जिजीविषा : जीने की इच्छा
शिरकत : शामिल होना
वाजिब : सही, उपयुक्त
मतलब : अर्थ
लिहाज : शिष्टाचार, छोटे-बड़े के प्रति उचित भाव
गोया : जैसे कि, मानो कि
रोजनामचा : दैनंदिन, दिनचर्या
विग्रह : मूर्ति
कछार : नदी का किनारा
उकेरी : चित्रित करना, उभारना
संपूरक : पूरा करने वाला, पूर्ण करने वाला
मुराद : आकांक्षा, अभिलाषा
दुश्चिंता : बुरी चिंता
बरतना : बर्ताव करना, व्यवहार करना
सलीका : शिष्ट तरीका
गमजदा : गम में डूबा
सुकून : शांति, आराम
जुनून : उन्माद, सनक
खारिज : अस्वीकार करना
आरोह : चढ़ाव
अवरोह : उतार
आनंदकानन : ऐसा बागीचा जिसमें आठों पहर आनन्द रहे
उपकृत : उपकार करना, कृतार्थ करना
तहजीब : संस्कृति, सभ्यता
सेहरा-बन्ना : सेहरा बांधना, श्रेय देना
नौहा : शहनाई
सरगम : संगीत के सात स्वर (सा रे ग म प ध नी)
नसीहत : शिक्षा, उपदेश, सीख
तहमद : लुंगी, अधोवस्त्र
शिद्दत : असरदार तरीके से, जोर के साथ
सामाजिक : सुसंस्कृत
नायाब. : अद्भुत, अनुपम
जिजीविषा : जीने की लालसा

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 3 आंतरिक बल एवं उससे बनने वाली भू-आकृतियाँ

Bihar Board Class 7 Social Science Solutions Geography Hamari Duniya Bhag 2 Chapter 3 आंतरिक बल एवं उससे बनने वाली भू-आकृतियाँ Text Book Questions and Answers, Notes.

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अभ्यास के प्रश्नोत्तर

अतीत से वर्तमान कक्षा 7 Bihar Board प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

Bihar Board Class 7 Geography Book Solution प्रश्न (क)
भूकंप के झटके क्यों आते हैं ?
उत्तर-
पृथ्वी के अन्दर गतिमान प्लेटों के टकराने से भूकंप के झटके आते

Hamari Duniya Class 7 Bihar Board प्रश्न (ख)
भूकम्प का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर-
भूकम्प का मानव जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है । छोटे-बड़े मकान ध्वस्त हो जाते हैं। बहुत-से आदमी उसके मलवे में दब जाते हैं । इस प्रकार भारी जानमाल की हानि होती है।

हमारी दुनिया कक्षा 7 Bihar Board प्रश्न (ग)
ज्वालामुखी किसे कहते हैं ?
उत्तर-
कभी-कभी और कहीं-कहीं पृथ्वी के अन्दर से तरल अग्नि की । ज्वाला निकलने लगती है, उसी को ज्वालामखी कहते हैं।

Bihar Board Class 7 Hamari Duniya Solution प्रश्न (घ)
ज्वालामुखी ने मानव जीवन को प्रभावित किया है, कैसे?
उत्तर-
पहले तो ज्वालामुखी ने अपने लपेटे में मनुष्य को तो लिया ही, उसके खेत-खलिहान और बाग-बगीचों को जला डाला । जहाँ ज्वालामुखी मृत हो गई और निकला लावा ठंडा हो गया वहाँ मनुष्य को उपजाऊ जमीन मिल गई । इस प्रकार मानव जीवन कुप्रभावित हुआ तो लाभावित भी हुआ

Class 7 Hamari Duniya Bihar Board प्रश्न (ङ)
पृथ्वी की आंतरिक शक्तियों के परिणाम स्वरूप निर्मित होनेवाली स्थलाकृतियाँ कौन-कौन सी हैं ? वर्णन कीजिए।’
उत्तर-
पृथ्वी की आंतरिक शक्तियों के परिणामस्वरूप निर्मित होने वाली स्थलाकृतियाँ अनेक हैं । ज्वालामुखी पर्वत पृथ्वी की आंतरिक शक्ति का परिणाम है । वैसे ही पृथ्वी की आंतरिक शक्ति से पहाड़ बनते हैं, पहाड़ियाँ बनती हैं और पठार बनते हैं। पठारों पर भी पहाड़ियाँ दिख जाती हैं।

Atit Se Vartman Class 7 Solutions Bihar Board प्रश्न (च)
मोड़दार एवं संचयन पर्वतों में क्या भिन्नता है एवं क्या समानता है ?
उत्तर-
धरातलीय भाग पर उत्पन्न दबाव के कारण जब मोड़ पड़ता है तो वह भाग ऊपर उठ जाता है और मोड़दार पर्वत का रूप धारण कर लेता है । इसके विपरीत ज्वालामुखी से निकले मैग्मा और लावा जब काफी मात्रा

में एकत्र हो जाते हैं तब कालक्रम में ठंडा होकर संचयित पर्वत बन जाते हैं । दोनों पर्वत ऊंचे होते हैं। लेकिन मोडदार पर्वत काफी ऊंचे होते हैं, जिससे उनपर बर्फ जम जाती है, लेकिन संचयन पर्वत उतने ऊँचे नहीं होते जिससे उनपर बर्फ नहीं जमती । समानता यह है कि दोनों को पर्वत ही कहा जाता है।

Bihar Board Class 7 Hamari Duniya प्रश्न (छ)
पर्वत और पठार में क्या अंतर है?
उत्तर-
पर्वत और पठार में यह अंतर है कि पर्वत की ऊँचाई धीरे-धीरे बढ़ती है और ऊपर बहुत कम बराबर स्थान होता है जबकि पठार की ऊँचाई अकस्मात बढ़ती है और ऊपर काफी बराबर स्थान रहता है । पहाड़ों पर बर्फ जमती है, लेकिन पठारों यर खनिज मिलते हैं।

Bihar Board Class 7 Social Science Solution प्रश्न (ज)
पर्वत के प्रकारों का उदाहरण के साथ वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पर्वत चार प्रकार के होते हैं :

  1. वलित पर्वत
  2. भ्रंशोत्थ पर्वत
  3. संचयन पर्वत तथा
  4. अवशिष्ट पर्वत

1. वलित पर्वत-धरातलीय भाग पर उत्पन्न दाब के कारण चट्टानों में बल पड़ने लगते हैं । इससे वहाँ की धरातल ऊपर उठ जाता है और वलित पर्वत बनता है । उदाहरण में एशिया का हिमालय, यूरोप का रॉकी ।

2. भ्रंशत्य पर्वत-धरातल पर कहीं और कभी समांतर भ्रंश के बाद बीच का भाग ऊपर उठा रह जाता है और पर्वत-सा दिखने लगता है। ऐसे ही पर्वत को भ्रंशोत्थ पर्वत कहते हैं । जैसे यूरोप का ब्लैक फॉरेस्ट और भारत का विन्ध्याचल ।

3. संचयन पर्वत-ज्वालामुखी द्वारा निकले लावा ठंडा होकर संचित होते जाते हैं । कालक्रम में इस संचित लावा का ढेर लग जाता है और पर्वत बन जाता है । इसी को संचयन पर्वत कहते हैं । जैसे जापान का फ्यूजियामा तथा अफ्रिका का किलोमंजारो।

4. अवशिष्ट पर्वत-हवा, वर्षा, बर्फबारी आदि अपरदन की शक्तियों द्वारा पर्वत की चोटी कटती-छंटती तथा घिसती रहती है। इससे इसकी ऊंचाई बहुत कम हो जाती है । उदाहरण है अरावली, पूर्वी और पश्चिमी घाट पर्वत ।

Bihar Board Class 7 Science Solution In Hindi प्रश्न (झ)
पृथ्वी की आंतरिक शक्तियों के क्या-क्या प्रभाव नजर आते हैं?
उत्तर-
पृथ्वी की आंतरिक शक्तियों के निम्नलिखित प्रभाव नजर आते हैं :

  1. भूकम्प,
  2. ज्वालामुखी तथा
  3. विभिन्न प्रकार के पर्वतों का बनना ।

Bihar Board Class 7 Science Solution प्रश्न (ज)
भूकम्प से सर्वाधिक नुकसान कब एवं कहाँ होता है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
भूकम्प से सर्वाधिक नुकसान तब होता है जब वहाँ के बासिन्दे लापरवाह रहते हैं। पुनः भूकम्प का अधिक नुकसान वहाँ होता है जहाँ के मकान भूकम्परोधी नहीं बने होते ।

Class 7 Bihar Board Science Solution प्रश्न (ट)
भूकम्प से होनेवाली क्षति से हम कैसे बच सकते हैं?
उत्तर-
भूकम्प से होनेवाली क्षति से हम तभी बच सकते हैं जब नागरिकों को इससे बचने के उपायों से अवगत करायें । जो भी भवन बनें, उनको ” वैज्ञानिक ढंग से भूकम्परोधी बनाया जाय । इससे भूकम्प से होनेवाली क्षति को कम किया जा सकता है या क्षति से बचा जा सकता है।

Bihar Board Class 7 Civics Book Solution प्रश्न (ठ)
पठार कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर-
पठार निम्नलिखित छः प्रकार के होते हैं :

  1. महाद्वीपीय पठार
  2. वायूढ़ निक्षेप पठार
  3. हिमनदीय निक्षेपण पठार
  4. लावा निर्मित पठार
  5. अंतरपर्वतीय पठार तथा
  6. गिरिपद पठार

Bihar Board Class 7 Social Science Solution In Hindi प्रश्न 2.
निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए :

  1. अधिकेन्द्र
  2. उद्गम केन्द्र
  3. सिस्मोग्राफ तथा
  4. रिक्टर स्केल ।

उत्तर-
1. अधिकेन्द्र-पृथ्वी के ऊपर उद्गम क्षेत्र के ठीक सामने का भाग अधिकेन्द्र’ कहलाता है । भूकम्प का अधिक कुप्रभाव अधिकेन्द्र के पास ही होता है और उसके चारों ओर क्रमशः कम होते जाता है।

2. उद्गम केन्द्र-पृथ्वी के अन्दर का वह भाग, जहाँ से भूकम्प प्रारम्भ होता है उस भाग को ‘उद्गम केन्द्र’ कहते हैं । तात्पर्य कि उद्गम केन्द्र तथा अधिकेन्द्र ठीक आमने-सामने होते हैं।

3. सिस्मोग्राफ-भूकम्प की तीव्रता मापने वाले यंत्र को ‘सिस्मोग्राफ’ कहते हैं । अस्मोग्राफ रिक्टर पैमाने का बना होता है।

4. रिक्टर पैमाना-जिस पैमाने में भूकम्प की तीव्रता को मापते हैं उस पैमाने को ‘रिक्टर पैमाना’ कहते हैं । सिस्मोग्राफ का पमान ‘रिक्टर’ ही होता है।

Geography Class 7 Chapter 3 Bihar Board प्रश्न 3.
निम्नलिखित को कीजिए:

(क) भूकम्प एवं ज्वालामुखी से सम्बंधित खबरों एवं चित्रों का संकलन कीजिए और मानव जीवन पर इनके प्रभाव से सम्बंधि त एक रिपोर्ट तैयार कीजिए।

(ख) अपने आस-पास के पर्वतों का अवलोकन कर उनका नाम पता कीजिए तथा लिखिये कि ये किस प्रकार के पर्वत हैं ।

(ग) भारत के मानचित्र पर भूकम्प के विभिन्न क्षेत्रों को अलग-अलग रंगों में दर्शाइए एवं कक्षा में प्रदर्शित कीजिए । भूकम्प के क्षेत्रों को घेर दिया गया है ।
संकेत :
ये सभी प्रश्न छात्रों को स्वयं करने हैं । (ग) का उत्तर तैयार करने लिए नीचे दिए गए मानचित्र का सहारा लें ।

Class 7 Geography Chapter 3 Bihar Board

Bihar Board Class 7 Social Science आंतरिक बल एवं उससे बनने वाली भू-आकृतियाँ Notes

पाठ का सार संक्षेप

आये दिन हम भूकंप की बातें रेडियो-टेलिविजन पर सुनते-देखते रहते हैं। अखबारों में भी पढ़ते हैं । भूकंप में भूमि काँपने लगती है और कभी-कभी भारी जान-माल का नुकसान होता है। छोटे-बड़े घर और भवन धराशायी हो जाते हैं । कभी-कभी भूकंप के अफवाह से भी लोग डर के मारे काँप उठते

पृथ्वी की ऊपरी परत सियाल के नीचे और मेंटल के ऊपर प्लेट बने होते हैं। ये प्लेट गतिमान अवस्था में रहते हैं । कभी-कभी दो प्लेट आपस में टकरा जाते हैं, जिससे भारी कंपन होता है। जहाँ पर ये प्लेट टकराते हैं उसे भूकंप का उद्गम केन्द्र कहते हैं । कंपन की तरंगें ऊपर पृथ्वी तल (धरातल) तक पहुँच कर उसे हिलाने लगती हैं । इसी को भूकंप कहते हैं ।

भूकंप के प्रभाव से पृथ्वी पर कहीं-कहीं भारी बदलाव आ जाता है । पृथ्वी फट जाती है और अन्दर से बालू और पानी निकलता है । कहीं की भूमि धंस जाती है और कहीं की भूमि ऊपर उठ जाती है। मानव बसाव वाले क्षेत्र में तो भारी बरबादी होती है। भूकंप जितना तीव्र होता है, बर्बादी उतनी ही अधिक होती है। भूकंप की तीव्रता मापने वाले यंत्र को ‘जिस्मोग्राफ’ कहते हैं और मापन की इकाई रिक्टर है।

न तो भूकंप आने की सही भविष्यवाणी की जा सकती है और न ही इसके आने को रोका जा सकता है। हाँ, भूकंप से बचने के लिए सावधानी बरती जा सकती है । बचाव के उपाय किये जा सकते हैं और जनता में जागरुकता पैदा की जा सकती है, जिससे होने वाला नुकसान कम-से-कम हो सके । सबसे आवश्यक है कि भूकंपरोधी मकान का निर्माण हो । भूकंप के समय घर के अन्दर चौकी या टेबुल के नीचे छिपें या बाहर मैदान में भागें । दीवार और बिजली के खंभे से दूर रहें ।

भूकंप से भी भयावह एक घटना है, जिसे ज्वालामुखी कहते हैं । ज्वालामुखी उन स्थानों पर फूटते हैं जहाँ की प्लेटें कमजोर होती हैं । प्लेटों के आने-जाने के अलावा ताप के कारण कहीं के प्लेट पिघल जाते हैं और ऐसे कमजोर परत की खोज करते हैं, जिनको फोड़कर वे ऊपर आ जायें ।

इन पिघले तत्व को ‘मैग्मा’ कहते हैं। जहाँ पर ज्वालामुखी फूटता है, वहाँ भारी मात्रा में पिघली हुई चट्टानें, गर्म गैस, जलवाष्प, राख और धुआं निकलता है और पृथ्वी पर त्रिकोनाकार ऊँची एक आकृति बन जाती है, जिसे ज्वालामुखी पहाड़ कहते हैं । सक्रिय ज्वालामुखी से समय-समय पर गर्म आग जैसा लावा निकलते रहता है ।

ज्वालामुखी के मृत हो जाने पर यह लावा कालान्तर में ठंडा होकर उपजाऊ मिट्टी बन जाता है । दक्षिण भारत की काली मिट्टी इसी प्रकार बनी है। सक्रिय ज्वालामुखी के ऊपरी सिरे पर चिलम जैसी एक आकृति बन

जाती है, जिसे क्रेटर कहते हैं । इस क्रेटर से कभी-कभी गर्म लावा निकलता – है और भारी तबाही मचाता है । – पृथ्वी के आंतरिक बल के कारण ही पहाड़ों का निर्माण होता है ।

जब दो प्लेटें आपस में टकराते हैं तो वे पृथ्वी के ऊपर उठ जाते हैं । जिस बल से ये ऊपर उठते हैं उन्हें पर्वत निर्माणकारी बल कहते हैं। भारत का हिमालय तथा दक्षिण अमेरिका का एण्डीज पर्वतों का निर्माण इसी प्रकार हुआ है । जहाँ चट्टानों में संकुचन या तनाव उत्पन्न होता है, वहाँ पृथ्वी नीचे धंस जाती है और धंसान घाटी.का निर्माण होता है । पर्वत निम्नलिखित प्रकार के होते हैं :

  1. वलित पर्वत
  2. भ्रंशोत्थ पर्वत
  3. संचयन पर्वत तथा
  4. अवशिष्ट पर्वत

1. वलित पर्वत-धरातलीय भाग में उत्पन्न तनाव और दबाव के कारण मोड़ या बल पड़ते हैं, जिससे वलित या मोडदार पर्वत बनते हैं । जैसे-हिमालय और रॉकी पर्वत ।

2. भंशोत्थ पर्वत-जब पृथ्वी के अन्दर के किसी क्षेत्र में समांतर भ्रंश के बाद बीच का भाग ऊपर उठा रह जाता है। इन्हें भ्रंशोत्थ या ब्लाक पर्वत कहते हैं। जैसे ब्लैक फॉरेस्ट पर्वत और भारत का विंध्याचल ।

3. संचयन पर्वत-ज्वालामुखी द्वारा निकले लावा संचित होकर ठंडा होने पर पर्वत का रूप ग्रहण कर लेते हैं। इन्हें ही संचयित पर्वत या ज्वालामुखी पर्वत कहते हैं । जैसे-जापान का फ्यूज़ियामा, अफ्रिका का किलीमंजारो ।

4. अवशिष्ट पर्वत-ऊँचे-ऊँचे पर्वतों पर अपरदन होते रहता है । इस कारण ये घिसते-टूटते रहते हैं । बचे भाग को अवशिष्ट पर्वत कहते हैं । अरावली पर्वत अवशिष्ट पर्वत ही है।

पठार भी पृथ्वी पर का एक प्रसिद्ध आंकृति है । इसकी ढाल लगभग खड़ी होती है और ऊपर काफी फैलाव होता है । यद्यपि पठार का ऊपरी भाग बराबर होता है किन्तु कहीं-कहीं पहाड़ियाँ भी पाई जाती हैं । पठार अनेक प्रकार के होते हैं । जैसे-महाद्वीपीय पठार, वायूढ निक्षेप पठार, हिमनदीय निक्षेपण पठार, लावा निर्मित पठार, अंतरपर्वतीय पठार, गिरिपद पठार । झारखंड के छोटानागपुर का पठार एक प्रसिद्ध पठार है।

मैदान समतल होते हैं । यह नदियों द्वारा लाई बाढ़ की मिट्टी द्वारा बने होते हैं । ये काफी उपजाऊ भी होते हैं जहाँ अनेक फसलें उपजाई जाती हैं

मैदानों में ही घनी जनसंख्या पायी जाती है। हमारा बिहार राज्य गंगा नदी के मैदान में ही है। मैदान समुद्र तल से ऊँचे तो होते हैं, लेकिन बहुत कम, लगभग 100 से 150 मीटर तक ऊँचे।

Bihar Board Class 12 Psychology Solutions Chapter 2 आत्म एवं व्यक्तित्व

Bihar Board Class 12 Psychology Solutions Chapter 2 आत्म एवं व्यक्तित्व Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Psychology Solutions Chapter 2 आत्म एवं व्यक्तित्व

Bihar Board Class 12 Psychology आत्म एवं व्यक्तित्व Textbook Questions and Answers

आत्म को प्रभावित करने वाले कारक Bihar Board Class 12 प्रश्न 1.
आत्म क्या है? आत्म की भारतीय अवधारणा पाश्चात्य अवधारणा से किर प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
आत्म का तात्पर्य अपने संदर्भ में व्यक्ति के सचेतन अनुभवों, विचारों, चिंतन एवं भावनाओं की समग्रता से है। भारतीय सांस्कृतिक संदर्भ में आत्म का विश्लेषण अनेक महत्त्वपूर्ण पक्षों को स्पष्ट करत है जो पाश्चात्य सांस्कृतिक संदर्भ में पाए जाने वाले पक्षों से भिन्न होते हैं। भारतीय और पाश्चात्य अवधारणाओं के मध्य एक महत्त्वपूर्ण अंतर इस तथ्य को लेकर है कि आत्म और दूसरे अन्य के बीच किस प्रकार सीमारेखा निर्धारित की गई है।

पाश्चात्य अवधारणा में यह सीमारेखा अपेक्षाकृत स्थिर और दृढ़ प्रतीत होती है। दूसरी तरफ, भारतीय अवधारणा में आत्म और अन्य के मध्य सीमा रेखा स्थिर न होकर परिवर्तनीय प्रकृति की बताई गई है। इस प्रकार एक समय में व्यक्ति का आत्म अन्य सब कुछ को अपने में अंतर्निहित करता हुआ समूचे ब्रह्मांड में विलीन होता हुआ प्रतीत होता है किन्तु दूसरे समय में आत्म अन्य सबसे पूर्णतया विनिवर्तित होकर व्यक्तिगत आत्म (उदाहरणार्थ, हमारी व्यक्तिगत आवश्यकताएँ एवं लक्ष्य) पर केन्द्रित होता हुआ प्रतीत होता है। पाश्चात्य अवधारणा आत्म और अन्य मनुष्य और प्रकृति तथा आत्मनिष्ठ और वस्तुनिष्ठ के मध्य स्पष्ट द्विभाजन करती हुई प्रतीत होती है। भारतीय अवधारणा इस प्रकार का कोई स्पष्ट द्विभाजन नहीं करती है।

पाश्चात्य संस्कृति में आत्म और समूह को स्पष्ट रूप से परिभाषित सीमा रेखाओं के साथ दो भिन्न इकाइयों के रूप में स्वीकार किया गया है। व्यक्ति समूह का सदस्य होते हुए भी अपनी वैयक्तिकता बनाए रखता है। भारतीय संस्कृति में आत्म को व्यक्ति के अपने समूह से पृथक् नहीं किया जाता है। बल्कि दोनों सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व के साथ बने रहते हैं। दूसरी तरफ, पाश्चात्य संस्कृति में दोनों के बीच एक दूरी बनी रहती है। यही कारण है कि अनेक पाश्चात्य संस्कृतियों का व्यक्तिवादी और अनेक एशियाई संस्कृतियों का सामूहिकतावादी संस्कृति के रूप में विशेषीकरण किया जाता है।

Class 12 Psychology Notes In Hindi Bihar Board प्रश्न 2.
परितोषण के विलंब से क्या तात्पर्य है? इसे क्यों वयस्कों के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण समझा जाता है? अथवा, आत्म-नियमन पर संक्षेप में एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
आत्म:
नियमन का तात्पर्य हमारे अपने व्यवहार को संगठित और परिवीक्षण या मॉनीटर करने की योग्यता से है। जिन लोगों में बाह्य पर्यावरण की माँगों के अनुसार अपने व्यवहार को परिवर्तित करने की क्षमता होती है, वे आत्म-परिवीक्षण में उच्च होते हैं। जीवन की कई स्थितियों में स्थितिपरक दबावों के प्रति प्रतिरोध और स्वयं पर नियंत्रण की आवश्यकता होती है। यह संभव होता है उस चीज के द्वारा जिसे हम सामान्यतया ‘संकल्प शक्ति’ के रूप में जानते हैं।

मनुष्य रूप में हम जिस तरह भी चाहें अपने व्यवहार को नियंत्रित कर सकते हैं। हम प्रायः अपनी कुछ आवश्यकताओं की संतुष्टि को विलंबित अथवा आस्थगित कर देते हैं। आवश्यकताओं के परितोषण की विलंबित अथवा आस्थगित करने के व्यवहार को सीखना ही आत्म-नियंत्रण कहा जाता है। दीर्घावधि लक्ष्यों की संप्राप्ति में आत्म-नियंत्रण एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारतीय सांस्कृतिक परंपराएँ हमें कुछ ऐसे प्रभावी उपाय प्रदान करती हैं जिससे आत्म-नियंत्रण का विकास होता है। (उदाहरणार्थ, व्रत अथवा रोजा में उपवास करना और सांसारिक वस्तुओं के प्रति अनासक्ति का भाव रखना)।

आत्म-नियंत्रण के लिए अनेक मनोवैज्ञानिक तकनीकें सुझाई गई हैं। अपने व्यवहार का प्रेक्षण एक तकनीक है जिसके द्वारा आत्म के विभिन्न पक्षों को परिवर्तित, परिमार्जित अथवा सशक्त करने के लिए आवश्यक सूचनाएँ प्राप्त होती हैं। आत्म-अनुदेश एक अन्य महत्त्वपूर्ण तकनीक है। हम। प्रायः अपने आपको कुछ करने तथा मनोवांछित तरीक से व्यवहार करने के लिए अनुदेश देते हैं। ऐसे अनुदेश आत्म-नियमन में प्रभावी होते हैं। आत्म-प्रबलन एक तीसरी तकनीक है। इसके अंतर्गत ऐसे व्यवहार पुरस्कृत होते हैं जिनके परिणाम सुखद होते हैं। उदाहरणार्थ, यदि हमने अपनी परीक्षा में अच्छा निष्पादन किया है तो हम अपने मित्रों के साथ फिल्म देखने जा सकते हैं। ये तकनीकें लोगों द्वारा उपयोग में लाई जाती हैं और आत्म-नियमन और आत्म-नियंत्रण के संदर्भ में अत्यन्त प्रभावी मानी गई हैं।

Psychology Class 12 Chapter 1 Notes In Hindi Bihar Board प्रश्न 3.
व्यक्तित्व को आप किस प्रकार परिभाषित करते हैं? व्यक्तित्व के अध्ययन के प्रमुख उपागम कौन-से हैं?
उत्तर:
व्यक्तित्व का तात्पर्य सामान्यतया व्यक्ति के शारीरिक एवं बाह्य रूप से होता है। मनोवैज्ञानिक शब्दों में व्यक्तित्व से तात्पर्य उन विशिष्ट तरीकों से है जिनके द्वारा व्यक्तियों और स्थितियों के प्रति अनुक्रिया की जाती है। लोग सरलता से इस बात का वर्णन कर सकते हैं कि वे किस तरीके के विभिन्न स्थितियों के प्रति अनुक्रिया करते हैं। कुछ सूचक शब्दों (जैसे-शर्मीला, संवेदनशील, शांत, गंभीर, स्फूर्त आदि) का उपयोग प्रायः व्यक्तित्व का वर्णन करने के लिए किया जाता है। ये शब्द व्यक्तित्व के विभिन्न घटकों को इंगित करते हैं। इस अर्थ में व्यक्तित्व से तात्पर्य उन अनन्य एवं सापेक्ष रूप से स्थिर गुणों से है जो एक समयावधि में विभिन्न स्थितियों में व्यक्ति के व्यवहार की विशिष्टता प्रदान करते हैं। व्यक्तित्व व्यक्तियों की उन विशेषताओं को भी कहते हैं जो अधिकांश परिस्थितियों में प्रकट होती हैं। व्यक्तित्व के अध्ययन के
प्रमुख उपागम निम्नलिखित हैं –

  1. प्रारूप उपागम
  2. विशेषक उपागम
  3. अंत:क्रियात्मक उपागम

व्यक्तित्व का आत्म सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया Bihar Board प्रश्न 4.
व्यक्तित्व का विशेषक उपासक क्या है? यह कैसे प्रारूप उपागम से भिन्न है?
उत्तर:
ये सिद्धांत मुख्यतः व्यक्तित्व के आधारभूत घटकों के वर्णन अथवा विशेषीकरण से संबंधित होते हैं। ये सिद्धांत व्यक्तित्व का निर्माण करने वाले मूल तत्त्वों की खोज करते हैं। मनुष्य व्यापक रूप से मनोवैज्ञानिक गुणों में भिन्नताओं का प्रदर्शन करते हैं, फिर भी उनको व्यक्तित्व विशेषकों के लघु समूह में सम्मिलित किया जा सकता है। विशेषक उपागम हमारे दैनिक जीवन के सामान्य अनुभव के बहुत समान है।

उदाहरण के लिए जब हम यह जान लेते हैं कि कोई व्यक्ति सामाजिक है तो वह व्यक्ति न केवल सहयोग, मित्रता और सहायता करने वाला होगा बल्कि वह अन्य सामाजिक घटकों से युक्त व्यवहार प्रदर्शित करने में भी प्रवृत्त होगा। इस प्रकार, विशेषक उपागम लोगों की प्राथमिक विशेषताओं की पहचान करने का प्रयास करता है। एक विशेषक अपेक्षाकृत एक स्थिर और स्थायी गुण माना जाता है जिस पर एक व्यक्ति दूसरों से भिन्न होता है। इसमें संभव व्यवहारों की एक श्रृंखला अंतर्निहित होती है जिसको स्थिति की माँगों के द्वारा सक्रियता प्राप्त होती है।

विशेषक उपागम प्रारूप उपागम से भिन्न है। व्यक्तिगत के प्रारूप समानताओं पर आधारित प्रत्याशित व्यवहारों के एक समुच्चय का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्राचीन काल से ही लोगों को व्यक्तित्व के प्रारूपों में वर्गीकृत करने का प्रयास किया गया है। हिप्पोक्रेटस ने एक व्यक्तित्व का प्रारूप विज्ञान प्रस्तावित किया जो फ्लूइड अथवा ह्यूमस पर आधारित है। उन्होंने लोगों को चार प्रारूपों में वर्गीकृत किया है। जैसे-उत्साही, श्लैष्मिक, विवादी और कोपशील। प्रत्येक प्रारूप विशिष्ट व्यवहारपरक विशेषताओं वाला होता है।

Psychology 12th Bihar Board प्रश्न 5.
फ्रायड ने व्यक्तित्व की संरचना की व्याख्या कैसे की है?
उत्तर:
फ्रायड के सिद्धांत के अनुसार व्यक्तित्व के प्राथमिक संरचनात्मक तत्व तीन हैं – इदम या इड, अहं और पराहम्। ये तत्व अचेतन में ऊर्जा के रूप में होते हैं और इनके बारे में लोगों द्वारा किए गए व्यवहार के तरीकों से अनुमान लगाया जा सकता है। इड, अहं और पराहम् संप्रत्यय है न कि वास्तविक भौतिक संरचनाएँ।

इड:
यह व्यक्ति की मूल प्रवृत्तिक ऊर्जा का स्रोत होता है। इसका संबंध व्यक्ति की आदिम आवश्यकताओं, कामेच्छाओं और आक्रामक आवेगों की तात्कालिक तुष्टि से होता है। यह सुखेप्सा-सिद्धांत पर कार्य करता है जिसका यह अभिग्रह होता है कि लोग सुख की तलाश करते हैं और कष्ट का परिहार करते हैं। फ्रायड के अनुसार मनुष्य की अधिकांश मूलप्रवृतिक ऊर्जा कामुक होती है और शेष ऊर्जा आक्रामक होती है। इड को नैतिक मूल्यों, समाज और दूसरे लोगों की कोई परवाह नहीं होती है।

अहं:
इसका विकास इड से होता है और यह व्यक्ति की मूलप्रवृत्तिक आवश्यकताओं की संतुष्टि वास्तविकता के धरातल पर करता है। व्यक्तित्व की यह संरचना वास्तविकता सिद्धांत संचारित होती है और प्रायः इड को व्यवहार करने के उपयुक्त तरीकों की तरह निर्दिष्ट करता है। उदाहरण के लिए एक बालक का इड जो आइसक्रीम खाना चाहता है उससे कहता है कि आइसक्रीम झटक कर खा ले। उसका अहं उससे कहता है कि दुकानदार से पूछे बिना यदि आइसक्रीम लेकर वह खा लेता है तो वह दंड का भागी हो सकता है वास्तविकता सिद्धांत पर कार्य करते हुए बालक जानता है कि अनुमति लेने के बाद ही आइसक्रीम खाने की इच्छा को संतुष्ट करना सर्वाधिक उपयुक्त होगा। इस प्रकार इड की माँग अवास्तविक और सुखेप्सा-सिद्धांत से संचालित होती है, अहं धैर्यवान, तर्कसंगत तथा वास्तविकता सिद्धांत से संचालित होता है।

पराहम:
पराहम् को समझने का और इसकी विशेषता बताने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि इसको मानसिक प्रकार्यों की नैतिक शाखा के रूप में जाना जाए। पराहम् इड और अहं बताता है कि किसी विशिष्ट अवसर पर इच्छा विशेष की संतुष्टि नैतिक है अथवा नहीं। समाजीकरण की प्रक्रिया में पैतृक प्राधिकार के आंतरिकीकरण द्वारा पराहम् इड को नियंत्रित करने में सहायता प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई बालक आइसक्रीम देखकर उसे खाना चाहता है, तो वह इसके लिए अपनी माँ से पूछता है। उसका पराहम् संकेत देता है कि उसका यह व्यवहार नैतिक दृष्टि से सही है। इस तरह के व्यवहार के माध्यम से आइसक्रीम को प्राप्त करने पर बालक में कोई अपराध-बोध, भय अथवा दुश्चिता नहीं होगी।

आत्म को प्रभावित करने वाले कारक Bihar Board Class 12

चित्र: फ्रायड के सिद्धांत में व्यक्ति की संरचना

इस प्रकार व्यक्ति के प्रकार्यों के रूप में फ्रायड का विचार था कि मनुष्य का अचेतन तीन प्रतिस्पर्धी शक्तियों अथवा ऊर्जाओं से निर्मित हुआ है। कुछ लोगों में इड पराहम् से अधिक प्रबल होता है तो कुछ अन्य लोगों में पराहम् इड से अधिक प्रबल होता है। इड, अहं और पराहम् की सापेक्ष शक्ति प्रत्येक व्यक्ति को स्थिरता का निर्धारण करती है। फ्रायड के अनुसार इड की दो प्रकार की मूलप्रवृत्तिक शक्तियों से ऊर्जा प्राप्त होती है जिन्हें जीवन-प्रवृत्ति एवं मुमूर्षा या मृत्यु-प्रवृत्ति के नाम से जाना जाता है। उन्होंने मृत्यु-प्रवृत्ति (अथवा काम) को केन्द्र में रखते हुए अधिक महत्त्व दिया है। मूल प्रवृत्तिक जीवन-शक्ति जो इड को ऊर्जा प्रदान करती है कामशक्ति लिबिडो कहलाती है। लिबिडो सुखेप्सा-सिद्धांत के आधार पर कार्य करता है और तात्कालिक संतुष्टि चाहता है।

Psychology Class 12 Chapter 1 Question Answers In Hindi Bihar Board प्रश्न 6.
हार्नी की अवसाद की व्याख्या अल्फ्रेड एडलर की व्याख्या से किस प्रकार भिन्न है? अथवा, कैरेन हानी के आशावाद और एडलर के व्यष्टि मनोविज्ञान सिद्धांत की तुलना कीजिए।
उत्तर:
हार्नी की अवसाद की व्याख्या अल्फ्रेड एडलर की व्याख्या से भिन्न है। एडलर के सिद्धांत को व्यष्टि या वैयक्तिक मनोविज्ञान के रूप में जाना जाता है। उनका आधारभूत अभिग्रह यह है कि व्यक्ति का व्यवहार उद्देश्यपूर्ण एवं लक्ष्योन्मुख होता है। इसमें से प्रत्येक में चयन करने एवं सर्जन करने की क्षमता होती है। हमारे व्यक्तिगत लक्ष्य ही हमारी अभिप्रेरणा के स्रोत होते हैं। जो लक्ष्य हमें सुरक्षा प्रदान करते हैं और हमारी अपर्याप्तता की भावना पर विजय प्राप्त करने में हमारी सहायता करते हैं, वे हमारे व्यक्तित्व के विकास में महत्त्वपूर्ण ‘मिका निभाते हैं। एंडलर के विचार से प्रत्येक व्यक्ति अपर्याप्तता और अपराध की भावनाओं सित होता है। इसे हम हीनता मनोग्रंथि के नाम से जानते हैं जो बाल्यावस्था में उत्पन्न होती इस मनोग्रंथि पर विजय प्राप्त करना इष्टतम व्यक्तित्व विकास के लिए आवश्यक है।

हार्नी ने मानव संवृद्धि और आत्मसिद्धि पर बल देते हुए मानव जीवन के एक आशावादी दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया। हार्नी ने फ्रायड के इस विचार को कि महिलाएँ हीन होती हैं, चुनौती दी है। उनके अनुसार, प्रत्येक लिंग के व्यक्तियों में गुण होते हैं जिसकी प्रशंसा विपरीत लिंग के व्यक्तियों को करनी चाहिए तथा किसी भी लिंग के व्यक्तियों को श्रेष्ठ अथवा हीन नहीं समझा जाना चाहिए। प्रतिरोधस्वरूप उनका यह विचार था कि महिलाएँ जैविक कारकों की तुलना में सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारकों से अधिक प्रभावित होती हैं।

उन्होंने यह तर्क प्रस्तुत किया कि मनोवैज्ञानिक विकार बाल्यावस्था की अवधि में विक्षुब्ध अंतर्वैयक्तिक संबंधों के कारण उत्पन्न होते हैं। यदि माता-पिता का अपने बच्चे के प्रति व्यवहार उदासीन, हतोत्साहित करने वाला और अनियमित होता है तो बच्चा असुरक्षित महसूस करता है जिसके परिणामस्वरूप एक ऐसी भावना जिसे मूल दुश्चिता कहते हैं, उत्पन्न होती है। इस दुश्चिता के कारण माता-पिता के प्रति बच्चे में एक गहन अमर्ष और मूल आक्रामकता घटित होती है। अत्यधिक प्रभुत्व अथवा उदासीनता का प्रदर्शन कर एवं अत्यधिक अथवा अत्यंत कम अनुमोदन प्रदान कर माता-पिता बच्चों में एकाकीपन और असहायता की भावनाएँ उत्पन्न करते हैं जो उनके स्वास्थ्य विकास में बाधक होते हैं।

Psychology 12th Notes In Hindi Bihar Board प्रश्न 7.
व्यक्तित्व के मानवतावादी उपागम की प्रमुख प्रतिज्ञप्ति क्या है? आत्मसिद्धि से मैस्लो का क्या तात्पर्य था?
उत्तर:
मानवतावादी सिद्धांत मुख्यतः फ्रायड के सिद्धांत के प्रत्युत्तर में विकसित हुए। व्यक्तित्व के संदर्भ में मानवतावादी परिप्रेक्ष्य के विकास में कार्ल रोजर्स और अब्राहम मैस्लो ने विशेष रूप से योगदान किया है। रोजर्स द्वारा प्रस्तावित सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विचार एक पूर्णतः प्रकार्यशील व्यक्ति का है। उनका विश्वास है कि व्यक्तित्व के विकास के लिए संतुष्टि अभिप्रेरक शक्ति है। लोग अपनी क्षमताओं, संभाव्यताओं और प्रतिभाओं को संभव सर्वोत्कृष्ट तरीके से अभिव्यक्त करने का प्रयास करते हैं। व्यक्तियों में एक सहज प्रवृत्ति होती है जो उन्हें अपने वंशागत प्रकृति की सिद्धि या प्राप्ति के लिए निर्दिष्ट करती है।

मानव व्यवहार के बारे में रोजर्स ने दो आधारभूत अभिग्रह निर्मित किए हैं। एक यह कि व्यवहार लक्ष्योन्मुख और सार्थक होता है और दूसरा यह कि लोग (जो सहज रूप से अच्छे होते हैं) सदैव अनुकूली तथा आत्मसिद्धि वाले व्यवहार का चयन करेंगे। रोजर्स का सिद्धांत उनके निदानशाला में रोगियों को सुनते हुए प्राप्त अनुभवों से विकसित हुआ है। उन्होंने यह ध्यान दिया कि उनके सेवार्थियों के अनुभव में आत्म एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व था। इस प्रकार, उनका सिद्धांत आत्म के संप्रत्यय के चतुर्दिक संरचित है। उनके सिद्धांत का अभिग्रह है कि लोग सतत अपने वास्तविक आत्म की सिद्धि या प्राप्ति की प्रक्रिया में लगे रहते हैं।

रोजर्स ने सुझाव दिया कि प्रत्येक व्यक्ति के पास आदर्श अहं या आत्म का एक संप्रत्यय होता है। एक आदर्श आत्म वह होता है जो कि एक व्यक्ति बनना अथवा होना चाहता है। जब वास्तविक आत्म और आदर्श के बीच समरूपता होती है तो व्यक्ति सामान्यतया प्रसन्न रहता है। किन्तु दोनों प्रकार के आत्म के बीच विसंगति के कारण प्रायः अप्रसन्नता और असंतोष की भावनाएँ उत्पन्न होती हैं। रोजर्स का एक आधारभूत सिद्धांत है कि लोगों में आत्मसिद्धि के माध्यम से आत्म-संप्रत्यय को अधिकतम सीमा तक विकसित करने की प्रवृत्ति होती है। इस प्रक्रिया में आत्म विकसित, विस्तारित और अधिक सामाजिक हो जाता है।

रोजर्स व्यक्तित्व-विकास को एक सतत प्रक्रिया के रूप में देखते हैं। इसमें अपने आपका मूल्यांकन करने का अधिगम और आत्मसिद्धि की प्रक्रिया में प्रवीणता सन्निहित होती है। आत्म-संप्रत्यय के विकास में सामाजिक प्रभावों की भूमिका को उन्होंने स्वीकार किया है। जब सामाजिक दशाएँ अनुकूल होती हैं, तब आत्म-संप्रत्यय और आत्म-सम्मान उच्च होता है। इसके विपरीत, जब सामाजिक दशाएँ प्रतिकूल होती हैं, तब आत्म-संप्रत्यय और आत्म-सम्मान निम्न होता है। उच्च आत्म-संप्रत्यय और आत्म-सम्मान रखने वाले लोग सामान्यतया नम्य एवं नए अनुभवों के प्रति मुक्त भाव से ग्रहणशील होते हैं ताकि वे अपने सतत् विकास और आत्मसिद्धि में लगे रह सकें।

मैस्लो ने आत्मसिद्धि की लब्धि या प्राप्ति के रूप में मनोवैज्ञानिक रूप से स्वस्थ लोगों की एक विस्तृत व्याख्या दी है। आत्मसिद्धि वह अवस्था होती है जिसमें लोग अपनी संपूर्ण संभाव्यताओं को विकसित कर चुके होते हैं। मैस्लो ने मनुष्यों का एक आशावादी और सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित किया है जिसके अंतर्गत मानव में प्रेम, हर्ष और सर्जनात्मक कार्यों को करने की आत्मसिद्धि को प्राप्त करने में स्वतंत्र माने गए हैं। अभिप्रेरणाओं, जो हमारे जीवन को नियमित करती हैं, के विश्लेषण के द्वारा आत्मसिद्धि को संभव बनाया जा सकता है। हम जानते हैं कि जैविक सुरक्षा और आत्मीयता की आवश्यकताएँ (उत्तरजीविता आवश्यकताएँ) पशुओं और मनुष्यों दोनों में पाई जाती हैं। अतएव किसी व्यक्ति का मात्र इन आवश्यकताओं को संतुष्टि में संलग्न होना उसे पशुओं के स्तर पर ले आता है। मानव जीवन की वास्तविक यात्रा आत्म-सम्मान और आत्मसिद्धि जैसी आवश्यकताओं के अनुसरण से आरंभ होती है। मानवतावादी उपागम जीवन के सकारात्मक पक्षों के महत्त्व पर बल देता है।

आत्म-अवधारणा को प्रभावित करने वाले कारक Bihar Board प्रश्न 8.
व्यक्तित्व मूल्यांकन में प्रयुक्त की जाने वाली प्रमुख प्रेक्षण विधियों का विवेचन करें। इन विधियों के उपयोग में हमें किस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है? अथवा, व्यवहारपरक प्रेक्षण से आपका क्या तात्पर्य है? प्रेक्षण और साक्षात्कार विधियों में पाई जाने वाली सीमाओं को भी लिखिए।
उत्तर:
व्यवहारपरक प्रेक्षण एक अन्य विधि है जिसका व्यक्तित्व के मूल्यांकन के लिए बहुत अधिक उपयोग किया जाता है। यद्यपि हम लोगों को ध्यानपूर्वक देखते हैं और उनके व्यक्तित्व के प्रति छवि निर्माण करते हैं तथापि व्यक्तित्व मूल्यांकन के लिए प्रेक्षण विधि का उपयोग एक अत्यंत परिष्कृत प्रक्रिया है जिसको अप्रशिक्षित लोगों के द्वारा उपयोग में नहीं लाया जा सकता है। इसमें प्रेक्षक का विशिष्ट प्रशिक्षण और किसी व्यक्ति विशेष के व्यक्तित्व के मूल्यांकन के लिए, एक नैतिक मनोवैज्ञानिक अपने सेवार्थी की उसके परिवार के सदस्यों और गृहवीक्षकों या अतिथियों के साथ होने वाली अंत:क्रियाओं का प्रेक्षण कर सकता है। सावधानी से अभिकल्पित प्रेक्षण के साथ एक नैदानिक मनोवैज्ञानिक अपने सेवार्थी के व्यक्तित्व के बारे में पर्याप्त अंतर्दृष्टि विकसित कर सकता है।

बारंबार और व्यापक उपयोग के बावजूद भी प्रेक्षण और साक्षात्कार विधियों में निम्नलिखित सीमाएँ पाई जाती हैं –

  1. इन विधियों द्वारा उपयोगी प्रदत्त के संग्रह के लिए अपेक्षित व्यावसायिक प्रशिक्षण कठिन और समयसाध्य होता है।
  2. इन तकनीकों द्वारा वैध प्रदत्त प्राप्त करने के लिए मनोवैज्ञानिक में भी परिपक्वता आवश्यक होती है।
  3. प्रेक्षक की उपस्थिति मात्र परिणामों को दूषित कर सकती है। एक अपरिचित के रूप मैं प्रेक्षक प्रेक्षण किए जाने वाले व्यक्ति के व्यवहार को प्रभावित कर सकता है जिसके कारण प्रा प्रदत्त अनुपयोगी हो सकते हैं।

प्रश्न 9.
व्याख्या कीजिए कि प्रक्षेपी तकनीक किस प्रकार व्यक्तित्व का मूल्यांकन करती है? कौन-से व्यक्तित्व के प्रक्षेपी परीक्षण मनोवैज्ञानिकों द्वारा व्यापक रूप से उपयोग में लाए गए हैं?
उत्तर:
प्रक्षेपी तकनीकों का विकास अचेतन अभिप्रेरणाओं और भावनाओं का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है। ये तकनीकें इस अभिग्रह पर आधारित है कि कम संरचित अथवा असंरचित उद्दीपक अथवा स्थिति व्यक्तियों को अपनी भावनाओं इच्छाओं और आवश्यकताओं को उस स्थिति पर प्रक्षेपण करने का अवसर प्रदान करना है। विभिन्न प्रकार की प्रक्षेपी तकनीकें विकसित की गई हैं जिनमें व्यक्तित्व के मूल्यांकन के लिए विभिन्न प्रकार की उद्दीपक सामग्रियों और स्थितियों का उपयोग किया जाता है। इनमें कुछ तकनीकों में उद्दीपकों के साथ प्रयोज्य को अपने साहचर्यों को बताने की आवश्यकताआ होती है, कुछ में वाक्यों को पूरा करने की आवश्यकता होती है, कुछ में आरेखों द्वारा अभिव्यक्ति अपेक्षित होती है और कुछ में उद्दीपकों के एक वृहत् समुच्चय में से उद्दीपकों का वरण करने के लिए कहा जाता है।

Class 12 Psychology Notes In Hindi Bihar Board

चित्र: रोर्शा मसिलक्ष्म का एक उदाहरण रोर्शा मसिलक्ष्म परीक्षण को मनोवैज्ञानिकों द्वारा व्यापक रूप से उपयोग में लाया गया है। रोर्शा परीक्षण में 10 मसिलक्ष्म या स्याही-धब्बे होते हैं। उनमें पाँच काले और सफेद रंगों के हैं, दो कुछ लाल स्याही के साथ हैं और बाकी तीन पेस्टल रंगों के हैं। धब्बे एक विशिष्ट आकृति या आकार के साथ सममितीय रूप में दिए गए हैं। प्रत्येक धब्बा 7″ × 10″ के आकार के एक सफेद कार्ड बोर्ड के केन्द्र में मुद्रित (छापा हुआ) है। ये धब्बे मूलतः एक कागज के पन्ने पर स्याही गिराकर फिर उसे आधे पर से मोड़कर बनाए गए थे (इसलिए इन्हें मसिलक्ष्म परीक्षण कहा जाता है)।

इस कार्डों को व्यक्तिगत रूप से प्रयोज्यों को दो चरणों में दिखाया जाता है। पहले चरण को निष्पादन मुख्य अथवा उपयुक्त कहते हैं जिसमें प्रयोज्यों को कार्ड दिखाए जाते हैं और उनसे पूछा जाता है कि प्रत्येक कार्ड में वे क्या देख रहे हैं। दूसरे चरण को पूछताछ कहा जाता है जिसमें प्रयोज्य से यह पूछकर कि कहाँ, कैसे और किस आधार पर कोई विशिष्ट अनुक्रिया उनके द्वारा की गई है, इस आधार पर उनकी अनुक्रियाओं का एक विस्तृत विवरण तैयार किया जाता है प्रयोज्य की अनुक्रियाओं को एक सार्थक संदर्भ में रखने के लिए बिल्कुल ठीक या सटीक निर्णय आवश्यक है। इस परीक्षण के उपयोग और व्याख्या के लिए विस्तृत प्रशिक्षण आवश्यक होता है। प्रदत्तों की व्याख्या के लिए कम्प्यूटर तकनीकों को भी विकसित किया गया है।

प्रश्न 10.
अरिहनत एक गायक बनना चाहता है, इसके बावजूद कि वह चिकित्सकों के एक परिवार से संबंध रखता है। यद्यपि उसके परिवार के सदस्य दावा करते हैं कि वे उसको प्रेम करते हैं किन्तु वे उसकी जीवनवृत्ति को दृढ़ता से अस्वीकार कर देते हैं। कार्ल रोजर्स की शब्दावली का उपयोग करते हुए अरिहन्त के परिवार द्वारा प्रदर्शित अभिवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अरिहन्त के परिवार द्वारा प्रदर्शित अभिवृत्तियाँ अरिहन्त के लिए उचित नहीं है। अरिहन्त की इच्छा के खिलाफ उसके परिवार वाले उसे डॉक्टर बनाना चाहते हैं जो कि मनोवैज्ञानिक दृष्टि से उसके लिए ठीक नहीं है। यहाँ कार्ल रोजर्स द्वारा प्रस्तावित मानवतावादी सिद्धांत को समझना आवश्यक है। रोजर्स द्वारा प्रस्तावित सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विचार एक पूर्णतः प्रकार्यशील व्यक्ति का है। उनका विश्वास है कि व्यक्तित्व के विकास के लिए संतुष्टि अभिप्रेरक शक्ति है।

लोग अपनी क्षमताओं, संभाव्यताओं और प्रतिभावों को संभव सर्वोत्कृष्ट तरीके से अभिव्यक्त करने का प्रयास करते हैं। व्यक्तियों में सहज प्रवृत्ति होती है जो उन्हें अपनी वंशगत प्रकृति की सिद्धि या प्राप्ति के लिए निर्दिष्ट करती है। मानव व्यवहार के बारे में रोजर्स ने दो आधारभूत अभिग्रह निर्मित किए हैं। एक यह है कि व्यवहार लक्ष्योन्मुख और सार्थक होता है और दूसरा यह है कि लोग सदैव अनुकूली तथा आत्मसिद्धि वाले व्यवहार का चयन करेंगे। रोजर्स ने सुझाव दिया है कि प्रत्येक व्यक्ति के पास आदर्श अहं या आत्म का एक संप्रत्यय होता है। एक, आदर्श आत्म वह होता है कि जो कि एक व्यक्ति बनना अथवा होना चाहता है।

जब वास्तविक आत्म और आदर्श आत्म के बीच विसंगति होती है तो व्यक्ति सामान्यतया प्रसन्न रहता है। किन्तु दोनों प्रकार के आत्म के बीच विसंगति के कारण प्रायः अप्रसन्नता और असंतोष की भावनाएँ उत्पन्न होती हैं। रोजर्स का आधारभूत सिद्धांत है कि लोगों में आत्मसिद्धि के माध्यम से आत्म-संप्रत्यय को अधिकतम सीमा तक विकसित करने की प्रवृत्ति होती है। इस प्रक्रिया में आत्म विकसित, विस्तारित और अधिक सामाजिक हो जाता है। रोजर्स व्यक्तित्व विकास को एक सतत् प्रक्रिया के रूप में देखते हैं। इसमें अपने आपका मूल्यांकन करने का अधिगम और आत्मसिद्धि की प्रक्रिया में प्रवीणता सन्निहित होती है। आत्म-संप्रत्यय के विकास में सामाजिक प्रभावों की भूमिका को उन्होंने स्वीकार किया है। जबकि सामाजिक दशाएँ अनुकूल होती हैं, तब आत्म-संप्रत्यय और उच्च आत्म-सम्मान रखने वाले लोग सामान्यतया नम्य एवं नए अनुभवों के प्रति मुक्त भाव से ग्रहणशील होते हैं। ताकि वे अपने सतत विकास और आत्मसिद्धि में लगे रह सकें।

Bihar Board Class 12 Psychology आत्म एवं व्यक्तित्व Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
आत्म का आधार क्या है?
उत्तर:
दूसरे लोगों से हमारी अंत:क्रिया, हमारा अनुभव और इन्हें जो हम अर्थ प्रदान करते हैं, हमारे आत्म का आधार बनते हैं।

प्रश्न 2.
सामाजिक अनन्यता को परिभाषित करें।
उत्तर:
सामाजिक अनन्यता का तात्पर्य व्यक्ति के उन पक्षों से है जो उसे किसी सामाजिक अथवा सांस्कृतिक समूह से संबद्ध करते हैं अथवा जो ऐसे समूह से व्युत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 3.
आत्म से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
आत्म का तात्पर्य अपने संदर्भ में व्यक्ति के सचेतन अनुभवों, विचारों, चिंतन एवं भावनाओं की समग्रता से है।

प्रश्न 4.
आत्म को किन दो रूपों में समझा जा सकता है?
उत्तर:
आत्म को आत्मगत एवं वस्तुगत दोनों रूपों में समझा जा सकता है।

प्रश्न 5.
आत्मगत रूप में आत्म का क्या अर्थ है?
उत्तर:
आत्मगत रूप में आत्म स्वयं को जानने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से संलग्न रहता है।

प्रश्न 6.
आत्म का वस्तुगत रूप क्या है?
उत्तर:
आत्मगत रूप में आत्म स्वयं को जानने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से संलग्न रहता है।

प्रश्न 7.
‘व्यक्तिगत आत्म’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
व्यक्तिगत आत्म में एक ऐसा अभिविन्यास होता है जिसमें व्यक्ति अपने बारे में ही संबंध होने का अनुभव करता है।

प्रश्न 8.
सामाजिक आत्म में किन पक्षों पर बल दिया जाता है?
उत्तर:
सामाजिक आत्म में सहयोग, एकता, संबंधन, त्याग, समर्थन अथवा भागीदारी जैसे जीवन के पक्षों पर बल दिया जाता है।

प्रश्न 9.
सामाजिक आत्म को और किस रूप में जाना जाता है?
उत्तर:
सामाजिक आत्म को पारिवारिक अथवा संबंधात्मक आत्म के रूप में भी जाना जाता है।

प्रश्न 10.
आत्म-संप्रत्यय या आत्म-धारणा क्या है?
उत्तर:
व्यक्ति का अपनी क्षमताओं और गुणों के बारे में जो विचार होता है उसे ही आत्म संप्रत्यय या आत्म-धारणा कहते हैं।

प्रश्न 11.
आत्म के दो महत्त्वपूर्ण पक्ष कौन-से हैं? जिनका हमारे जीवन में व्यापक महत्व हैं?
उत्तर:
आत्म-सम्मान और आत्म-सक्षमता आत्म के दो महत्त्वपूर्ण पक्ष हैं जिनका हमारे जीवन में व्यापक महत्त्व होता है।

प्रश्न 12.
आत्म-नियंत्रण की मनोवैज्ञानिक तकनीकें कौन-कौन सी हैं?
उत्तर:
आत्म-नियंत्रण की मनोवैज्ञानिक तकनीकें हैं-अपने व्यवहार का प्रेक्षण, आत्म अनुदेश एवं आत्म प्रबलता।

प्रश्न 13.
व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
व्यक्तित्व व्यक्ति की मनोदैहिक विशेषताएँ हैं जो विभिन्न स्थितियों और समयों में सापेक्ष रूप से स्थिर होते हैं और उसे अनन्य बनाते हैं।

प्रश्न 14.
आत्म की धारणा को स्वरूप देने में किनकी प्रमुख भूमिका होती है?
उत्तर:
आत्म के बारे में बच्चे की धारणा को स्वरूप देने में माता-पिता, मित्रों, शिक्षकों एवं अन्य महत्त्वपूर्ण लोगों जिनसे उसकी अंत:क्रिया होती है, की अहं भूमिका होती है।

प्रश्न 15.
व्यक्तिगत अनन्यता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
व्यक्तिगत अनन्यता से तात्पर्य व्यक्ति के उन गुणों से है जो उसे अन्य दूसरों से भिन्न करते हैं।

प्रश्न 16.
आत्म-नियंत्रण किसे कहते हैं?
उत्तर:
आवश्यकताओं के परितोषण को विलंबित आस्थगित करने के व्यवहार को सीखना ही आत्म-नियंत्रण कहा जाता है।

प्रश्न 17.
आत्म-प्रबलन क्या है? एक उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
आत्म-प्रबलन आत्म-नियंत्रण का एक मनोवैज्ञानिक तकनीक है जिसके अंतर्गत ऐसे व्यवहार पुरस्कृत होते हैं जिनके परिणाम सुखद होते हैं। उदाहरणार्थ, यदि किसी ने अपनी परीक्षा में अच्छा निष्पादन किया है तो वह अपने मित्रों के साथ फिल्म देखने जा सकता है।

प्रश्न 18.
किस प्रकार के व्यक्तियों में आत्म-परिवीक्षण उच्च होता है?
उत्तर:
जिन लोगों में बाह्य पर्यावरण की माँगों के अनुसार अपने व्यवहार को परिवर्तित करने की क्षमता होती है, वे आत्म-परिवीक्षण में उच्च होते हैं।

प्रश्न 19.
आत्म-नियमन से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
आत्म-नियमन का तात्पर्य हमारे अपने व्यवहार को संगठित और परिवीक्षण या मॉनीटर करने की योग्यता से है।

प्रश्न 20.
आत्म-सक्षमता को किस प्रकार विकसित किया जा सकता है?
उत्तर:
बच्चों के आरंभिक वर्षों में सकारात्मक प्रतिरूपों का मॉडलों को प्रस्तुत कर हमारा समाज, हमारे माता-पिता और हमारे अपने सकारात्मक अनुभव आत्म-सक्षमता की प्रबल भावना के विकास में सहायक हो सकते हैं।

प्रश्न 21.
व्यक्तित्व के अध्ययन के प्रमुख उपागमों के नाम लिखिए।
उत्तर:
व्यक्तित्व के अध्ययन के प्रमुख उपागम हैं-प्रारूपिक, मनोगतिक, व्यवहारवादी, सांस्कृतिक, मानवतावादी एवं विशेषक उपागम।

प्रश्न 22.
मनोगतिक उपागम को किसने विकसित किया?
उत्तर:
सिगमंड फ्रायड ने मनोगतिक उपागम को विकसित किया।

प्रश्न 23.
चेतना के तीन स्वर कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
चेतना के तीन स्वर हैं –

  1. चेतन
  2. पूर्वचेतन तथा
  3. अचेतन

प्रश्न 24.
मानवतावादी उपागम किस पर बल देता है?
उत्तर:
मानवतावादी उपागम व्यक्तियों के आत्मनिष्ठ अनुभवों और उनके वरणों पर बल देता है।

प्रश्न 25.
आत्म के विभिन्न रूपों का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर:
आत्म के विभिन्न रूपों का निर्माण भौतिक एवं समाज, सांस्कृतिक पर्यावरणों से होने वाली हमारी अंतःक्रियाओं के परिणामस्वरूप होता है।

प्रश्न 26.
आत्म-सम्मान किसे कहते हैं?
उत्तर:
आत्म-सम्मान हमारे आत्म का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष है। व्यक्ति के रूप में हम सदैव अपने मूल्य या मान और अपनी योग्यता के बारे में निर्णय या आकलन करते रहते हैं। व्यक्ति का अपने बारे में यह मूल्य निर्णय ही आत्म-सम्मान कहा जाता है।

प्रश्न 27.
छः से सात वर्ष तक के बच्चों में आत्म-सम्मान कितने क्षेत्रों में निर्मित हो जाता है?
उत्तर:
छः से सात वर्ष तक के बच्चों में आत्म-सम्मान चार क्षेत्रों में निर्मित हो जाता है-शैक्षिक क्षमता, सामाजिक क्षमता, शारीरिक/खेलकूद संबंधित क्षमता और शारीरिक रूप जो आयु के बढ़ने के साथ-साथ और अधिक परिष्कृत होता जाता है।

प्रश्न 28.
आत्म-सम्मान की समग्र भावना से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
अपनी स्थिर प्रवृत्तियों के रूप में अपने प्रति धारणा बनाने की क्षमता हमें भिन्न-भिन्न आत्म-मूल्यांकनों को जोड़कर अपने बारे में एक सामान्य मनोवैज्ञानिक प्रतिया निर्मित करने का अवसर प्रदान करती है। इसी को हम आत्म-सम्मान की समग्र भावना के रूप में जानते हैं।

प्रश्न 29.
तमस गुण क्या है?
उत्तर:
तमस गुण के अंतर्गत क्रोध, घमंड, अवसाद, आलस्य, असहायता की भावना आदि गुण आते हैं।

प्रश्न 30.
रजस गुण क्या है?
उत्तर:
रजस गुण के अंतर्गत तीव्र क्रिया, इंद्रिय तुष्टि की इच्छा, असंतोष, दूसरों के प्रति असूया (ईर्ष्या) और भौतिकवादी मानसिकता आदि गुण आते हैं।

प्रश्न 31.
सत्व गुण क्या है?
उत्तर:
सत्व गुण के अंतर्गत स्वच्छता, सत्यवादिता, कर्तव्यनिष्ठा, अनासक्ति या विलग्नता, अनुशासन आदि गुण आते हैं।

प्रश्न 32.
त्रिगुण क्या है?
उत्तर:
त्रिगुण तीन गुण हैं-सत्व, रजस और तमस, जिनके आधार पर भी एक व्यक्तित्व प्रारूप विज्ञान प्रतिपादित किया गया है।

प्रश्न 33.
मनोवैज्ञानिक शब्दों में व्यक्तित्व का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
मनोवैज्ञानिक शब्दों में व्यक्तित्व से तात्पर्य उन विशिष्ट तरीकों से है जिनके द्वारा व्यक्तियों और स्थितियों के प्रति अनुक्रिया की जाती है।

प्रश्न 34.
स्वभाव को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
स्वभाव जैविक रूप में आधारित प्रतिक्रिया करने का एक विशिष्ट तरीका है।

प्रश्न 35.
स्ववृत्ति क्या है?
उत्तर:
किसी व्यक्ति विशेष में विशिष्ट तरीके से प्रतिक्रिया करने की व्यक्ति की प्रवृत्ति को स्ववृत्ति कहा जाता है।

प्रश्न 36.
प्रारूप उपागम क्या है?
उत्तर:
प्रारूप उपागम व्यक्ति के प्रक्षित व्यवहारपरक विशेषताओं के कुछ व्यापक स्वरूपों का परीक्षण कर मानव व्यक्तित्व को समझने का प्रयास करता है।

प्रश्न 37.
विशेषक उपागम क्या है?
उत्तर:
विशेषक उपागम विशिष्ट मनोवैज्ञानिक गुणों पर बल देता है जिसके आधार पर व्यक्ति संगत और स्थिर रूपों में भिन्न होते हैं।

प्रश्न 38.
अंत:क्रियात्मक उपागम किसे कहते हैं?
उत्तर:
अंत:क्रियात्मक उपागम के अनुसार स्थितिपरक विशेषताएँ हमारे व्यवहारों को निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। लोग स्वतंत्र अथवा आश्रित प्रकार का व्यवहार करेंगे। यह उनके आंतरिक व्यक्तित्व विशेषक पर निर्भर नहीं करता है बल्कि इस पर निर्भर करता है किसी विशिष्ट स्थिति में बाह्य पुरस्कार अथवा खतरा उपलब्ध है कि नहीं।

प्रश्न 39.
हिप्पोक्रेटस ने लोगों को कितने प्रारूपों में वर्गीकृत किया है?
उत्तर:
हिप्पोक्रेटस ने लोगों को चार प्रारूपों में वर्गीकृत किया है-उत्साही, श्लैष्मिक, विवादी और कोपशील।

प्रश्न 40.
चरक संहिता ने लोगों को किस आधार पर वर्गीकृत किया है?
उत्तर:
चरक संहिता ने लोगों को वात, पित्त एवं कफ इन तीन वर्गों में तीन ह्यूमरल तत्वों, जिन्हें त्रिदोष कहते हैं, के आधार पर वर्गीकृत किया है।

प्रश्न 41.
शेल्डन के द्वारा प्रतिपादित व्यक्तित्व के प्रारूप को लिखिए।
उत्तर:
शेल्डन ने शारीरिक बनावट और स्वभाव को आधार बनाते हुए गोलाकृतिक, आयताकृतिक और लंबाकृतिक जैसे व्यक्तित्व के प्रारूप को प्रस्तावित किया है।

प्रश्न 42.
किस मनोवैज्ञानिक को विशेषक उपागम का अग्रणी माना जाता है?
उत्तर:
गार्डन ऑलपोर्ट को विशेषक उपागम का अग्रणी माना जाता है।

प्रश्न 43.
ऑलपोर्ट के अनुसार विशेषक कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
ऑलपोर्ट ने विशेषकों को तीन वर्गों में वर्गीकरण किया-प्रमुख विशेषक, केन्द्रीय विशेषक और गौण विशेषक।

प्रश्न 44.
प्रमुख विशेषक वाले व्यक्ति किस प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
प्रमुख विशेषक अत्यंत सामान्यीकृत प्रवृत्तियाँ होती हैं। ये उस लक्ष्य को इंगित करती हैं जिससे चतुर्दिक व्यक्ति का पूरा जीवन व्यतीत होता है।

प्रश्न 45.
प्रमुख विशेषक के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
महात्मा गाँधी की अहिंसा और हिटलर का नाजीवाद प्रमुख विशेषक के उदाहरण हैं।

प्रश्न 46.
केन्द्रीय विशेषक के रूप में कौन होते हैं?
उत्तर:
प्रभाव में कम व्यापक किन्तु फिर भी सामान्यीकृत प्रवृत्तियाँ केन्द्रीय विशेषक के रूप में मानी जाती हैं। ये विशेषक प्रायः लोगों के प्रशंसापत्रों में अथवा नौकरी की संस्तुतियों में किसी व्यक्ति के लिए रखे जाते हैं।

प्रश्न 47.
कारक विश्लेषण नाम सांख्यिकीय तकनीक को किसने विकसित किया?
उत्तर:
रेमंड कैटेल ने।

प्रश्न 48.
मूल विशेषक कौन होते हैं?
उत्तर:
मूल विशेषक स्थिर होते हैं और व्यक्तित्व का निर्माण करने वाले मूल तत्वों के रूप में जाने जाते हैं।

प्रश्न 49.
‘चेतन’ से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
चेतन के अंतर्गत के चिंतन, भावनाएँ और क्रियाएँ आती हैं जिनके प्रति लोग जागरूक रहते हैं।

प्रश्न 50.
‘पूर्वचेतना’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
पूर्वचेतना मानव मन चेतना का एक स्तर है जिसके अंतर्गत वे मानसिक क्रियाएँ आती हैं जिनके प्रति लोग तभी जागरूक होते हैं जब वे उन पर सावधानीपूर्वक ध्यान केन्द्रित करते हैं।

प्रश्न 51.
गोलाकृतिक प्रारूप वाले व्यक्ति की विशेषता को लिखिए।
उत्तर:
गोलाकृतिक प्रारूप वाले व्यक्ति मोटे मृदुल और गोल होते हैं। स्वभाव से वे लोग शिथिल और सामाजिक या मिलनसार होते हैं।

प्रश्न 52.
आयताकृतिक प्रारूप वाले व्यक्तियों की विशेषता को लिखिए।
उत्तर:
आयताकृतिक प्रारूप वाले व्यक्ति मजबूत पेशी समूह एवं सुगठित शरीरवाले होते हैं जो देखने में आयताकार होते हैं, ऐसे व्यक्ति ऊर्जस्वी एवं साहसी होते हैं।

प्रश्न 53.
लंबाकृतिक प्रारूप वाले व्यक्तियों की विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर:
लंबाकृतिक प्रारूप वाले पतले, लंबे और सुकुमार होते हैं। ऐसे व्यक्ति कुशाग्रबुद्धि वाले, कलात्मक और अंतर्मुखी होते हैं।

प्रश्न 54.
अंर्तमुखी वाले व्यक्ति किस प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
अंतर्मुखी वे लोग होते हैं जो अकेले रहना पसंद करते हैं, दूसरों से बचते हैं, सांवेगिक द्वंद्वों से पलायन करते हैं और शर्मीले होते हैं।

प्रश्न 55.
बर्हिमुखी वाले व्यक्ति किस प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
बर्हिमुखी वाले व्यक्ति सामाजिक तथा बर्हिगामी होते हैं और ऐसे व्यवसायों का चयन करते हैं जिसमें लोगों से वे प्रत्यक्ष रूप से संपर्क बनाए रख सकें। लोगों के बीच में रहते हुए तथा सामाजिक कार्यों को करते हुए वे दबावों के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं।

प्रश्न 56.
दमन रक्षा युक्ति क्या है?
उत्तर:
दमन रक्षा युक्ति में दुश्चिंता उत्पन्न करने वाले व्यवहार और विचार पूरी तरह चेतना के स्तर से विलुप्त कर दिए जाते हैं।

प्रश्न 57.
किन्हीं चार रक्षा युक्तियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
चार रक्षा युक्तियाँ निम्नलिखित हैं –

  1. दमन
  2. प्रक्षेपण
  3. अस्वीकरण
  4. प्रतिक्रिया निर्माण

प्रश्न 58.
‘पराहम्’ क्या है?
उत्तर:
‘पराहम्’ इड और अहं को बताता है कि किसी विशिष्ट अवसर पर इच्छा विशेष की संतुष्टि नैतिक है अथवा नहीं। समाजीकरण की प्रक्रिया में पैतृक प्राधिकार के आंतरिकीकरण द्वारा पराहम् इड को नियंत्रित करने में सहायता प्रदान करता है।

प्रश्न 59.
अचेतन से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
अचेतन मानव मन चेतना का एक स्तर है जिसके अंतर्गत ऐसी मानसिक क्रियाएँ आती हैं जिनके प्रति लोग जागरूक नहीं होते हैं।

प्रश्न 60.
मनोविश्लेषण-चिकित्सा का आधारभूत लक्ष्य क्या है?
उत्तर:
मनोविश्लेषण-चिकित्सा का आधारभूत लक्ष्य दमित अचेतन सामग्रियों को चेतना के स्तर पर ले आना है जिससे कि लोग और अधिक आत्म-जागरूक होकर समाकलित तरीके से अपना जीवन व्यतीत कर सकें।

प्रश्न 61.
‘इड’ क्या है?
उत्तर:
‘इड’ व्यक्ति की मूल प्रवृत्तिक ऊर्जा का स्रोत होता है। इसका संबंध व्यक्ति की आदिम आवश्यकताओं, कामेच्छाओं और आक्रामक आवेगों की तात्कालिक तुष्टि से होता है। इड को नैतिक मूल्यों, समाज और दूसरे लोगों की कोई परवाह नहीं होती है।

प्रश्न 62.
‘अहं’ क्या है?
उत्तर:
अहं का विकास इड से होता है और यह व्यक्ति की मूल प्रवृत्तिक आवश्यकताओं की संतुष्टि वास्तविकता के धरातल पर करता है। यह प्रायः इड को व्यवहार करने के उपयुक्त तरीकों की तरफ निर्दिष्ट करता है।

प्रश्न 63.
सांवेगिक बुद्धि क्या है?
उत्तर:
सांवेगिक बुद्धि में अपनी तथा दूसरे की भावनाओं और संवेगों को जानने तथा नियंत्रित करने, स्वयं को अभिप्रेरित करने तथा अपने आवेगों को नियंत्रित रखने तथा अंतर्वैयक्तिक संबंधों को प्रभावी ढंग से प्रबंध करने की योग्यताएँ सम्मिलित होती हैं।

प्रश्न 64.
‘संस्कृति’ शब्द से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
संस्कृति रीति-रिवाजों, विश्वासों, अभिवृत्तियों तथा कला और साहित्य में उपलब्धियों की एक सामूहिक व्यवस्था को कहते हैं।

प्रश्न 65.
प्रतिक्रिया निर्माण क्या है?
उत्तर:
प्रतिक्रिया निर्माण में व्यक्ति अपनी वास्तविक भावनाओं और इच्छाओं के ठीक विपरीत प्रकार का व्यवहार अपनाकर अपनी दुश्चिंता से रक्षा करने का प्रयास करता है।

प्रश्न 66.
अस्वीकरण क्या है?
उत्तर:
अस्वीकरण एक रक्षा युक्ति है जिसमें एक व्यक्ति पूरी तरह से वास्तविकता को स्वीकार करना नकार देता है।

प्रश्न 67.
प्रक्षेपण क्या है?
उत्तर:
प्रक्षेपण एक रक्षा युक्ति है जिसमें लोग अपने विशेषकों को दूसरों पर आरोपित करते हैं।

प्रश्न 68.
आत्म-सिद्धि क्या है?
उत्तर:
आत्म-सिद्धि वह अवस्था होती है जिसमें लोग अपनी सम्पूर्ण संभाव्यताओं को विकसित कर चुके होते हैं।

प्रश्न 69.
अनुक्रिया क्या है?
उत्तर:
प्रत्येक अनुक्रिया एक व्यवहार है जो किसी विशिष्ट आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए प्रकट की जाती है।

प्रश्न 70.
एडलर के सिद्धांत का आधारभूत अभिग्रह क्या है?
उत्तर:
एडलर के सिद्धांत ‘व्यष्टि मनोविज्ञान’ का आधारभूत अभिग्रह यह है कि व्यक्ति का व्यवहार उद्देश्यपूर्ण एवं लक्ष्योन्मुख होता है। इसमें से प्रत्येक में चयन करने एवं सर्जन करने की क्षमता होती है।

प्रश्न 71.
प्रतिक्रिया निर्माण का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
प्रबल कामेच्छा से ग्रस्त कोई व्यक्ति यदि अपनी ऊर्जा को धार्मिक क्रियाकलापों में लगाते हुए ब्रह्मचर्य का पालन करता है तो ऐसा व्यवहार प्रतिक्रिया निर्माण का उदाहरण होगा।

प्रश्न 72.
युक्तिकरण क्या है?
उत्तर:
युक्तिकरण एक रक्षा युक्ति है जिसमें एक व्यक्ति अपनी तर्कहीन भावनाओं और व्यवहारों को तर्कयुक्त और स्वीकार्य बनाने का प्रयास करता है।

प्रश्न 73.
युक्तिकरण का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
यदि कोई विद्यार्थी परीक्षा में निम्नस्तरीय निष्पादन के बाद कुछ नए कलम खरीदता है तो उसे युक्तिकरण का उपयोग करता है कि ‘वह आगे की परीक्षा में नए कलम के साथ उच्च स्तर का निष्पादन प्रदर्शित करेगा।’

प्रश्न 74.
मनोलैंगिक विकास को किसने प्रतिपादित किया?
उत्तर:
फ्रायड ने व्यक्तित्व विकास का एक पंच अवस्था सिद्धांत प्रस्तावित किया जिसे मनोलैंगिक विकास के नाम से भी जाना जाता है।

प्रश्न 75.
विश्लेषणात्मक मनोविज्ञान सिद्धांतों का आधारभूत अभिग्रह क्या है?
उत्तर:
विश्लेषणात्मक मनोविज्ञान सिद्धांतों का आधारभूत अभिग्रह यह है कि व्यक्ति के व्यक्तित्व में प्रतिस्पर्धा शक्तियाँ एवं संरचनाएँ कार्य करती हैं; न कि व्यक्ति और समाज की मांगों अथवा वास्तविकता के बीच कोई द्वंद्व होता है।

प्रश्न 76.
संरचित व्यक्तित्व परीक्षणों से क्या तात्पर्य है? व्यापक रूप से उपयोग किए गए दो संरचित व्यक्तित्व परीक्षण कौन-से हैं?
उत्तर:
संरचित व्यक्तित्व परीक्षणों से तात्पर्य आत्म-प्रतिवेदन मापों से है। ये माप उचित रूप से संरचित होते हैं और प्रायः ऐसे सिद्धांतों पर आधारित होते हैं जिनमें प्रयोज्यों को किसी प्रकार की निर्धारण मापनी पर शाब्दिक अनुक्रियाएँ देनी होती हैं। व्यापक रूप से उपयोग दिए गए दो संरचित व्यक्तित्व परीक्षण हैं:

  1. मिनेसोटा बहुपक्षीय व्यक्तित्व सूची (एम० एम० पी० आई०)।
  2. सोलह-व्यक्तित्व कारक प्रश्नावली (16 पी० एफ०)।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
व्यक्तिगत आत्म और सामाजिक आत्म के बीच भेद स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘व्यक्तिगत’ आत्म एवं ‘सामाजिक’ आत्म के बीच भेद किया गया है। व्यक्तिगत आत्म में एक ऐसा अभिविन्यास होता है जिसमें व्यक्ति मुख्य रूप से अपने बारे में ही संबद्ध होने का अनुभव करता है। जैविक आवश्यकताएँ ‘जैविक आत्म’ को विकसित करती हैं किन्तु शीघ्र ही बच्चे को उसके पर्यावरण में मनोवैज्ञानिक और सामाजिक आवश्यकताएँ उसके व्यक्तिगत आत्म के अन्य अवयवों को उत्पन्न करने लगती हैं किन्तु इस विस्तार में जीवन के उन पक्षों पर ही बल होता है, जो संबंधित व्यक्ति से जुड़ी हुई होती हैं। जैसे-व्यक्तिगत स्वतंत्रता, व्यक्तिगत उत्तरदायित्व, व्यक्तिगत उपलब्धि, व्यक्तिगत सुख-सुविधाएँ इत्यादि। सामाजिक समर्थन अथवा भागीदारी जैसे जीवन के पक्षों पर बल दिया जाता है। इस प्रकार का आत्म परिवार और सामाजिक संबंधों को महत्त्व देता है। इसलिए इस आत्म को पारिवारिक अथवा संबंधात्मक आत्म के रूप में भी जाना जाता है।

प्रश्न 2.
व्यक्तित्व किस प्रकार स्पष्ट किया जाता है?
उत्तर:
व्यक्तित्व को अग्रलिखित विशेषताओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है –

  1. इसके अंतर्गत शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक दोनों ही घटक होते हैं।
  2. किसी व्यक्ति विशेष में व्यवहार के रूप में इसकी अभिव्यक्ति पर्याप्त रूप से अनन्य होती है।
  3. इसकी प्रमुख विशेषताएँ साधारणतया समय के साथ परिवर्तित नहीं होती हैं।
  4. यह इस अर्थ में गत्यात्मक होता है कि इसकी कुछ विशेषताएँ आंतरिक अथवा बाह्य स्थितिपरक माँगों के कारण परिवर्तित हो सकती हैं। इस प्रकार व्यक्तित्व स्थितियों के प्रति अनुकूलनशील होता है।

प्रश्न 3.
फ्रीडमैन एवं रोजेनमेन द्वारा व्यक्तित्व का वर्गीकरण किस प्रकार किया गया है? संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
फ्रीडमैन एवं रोजेनमैन ने टाइप ‘ए’ तथा टाइप ‘बी’ इन दो प्रकार के व्यक्तियों में लोगों का वर्गीकरण किया है।
1. टाइप ‘ए’ व्यक्तित्व वाले लोगों में उच्चस्तरीय अभिप्रेरणा, धैर्य की कमी, समय की कमी का अनुभव करना, उतावलापन और कार्य के बोझ से हमेशा लदे रहने का अनुभव करना पाया जाता है। ऐसे लोग निश्चित होकर मंदगति से कार्य करने में कठिनाई का अनुभव करते हैं। टाइप ‘ए’ व्यक्तित्व वाले लोग अति रक्तदान और कॉरोनारी हृदय रोग के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं। इस प्रकार के लोगों में कभी-कभी सी० एच० डी० के विकसित होने का खसरा, उच्च रक्तदाब, उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर और धूम्रपान से उत्पन्न होने वाले खतरों की अपेक्षा अधिक होता है।

2. टाइप ‘बी’ व्यक्तित्व को टाइप ‘ए’ व्यक्तित्व की विशेषताओं के अभाव के रूप में समझा जा सकता है।

प्रश्न 4.
केटेल के व्यक्तित्व कारक सिद्धांत को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
रेमंड केटेल का यह विश्वास था कि एक सामान्य संरचना होती है जिसे लेकर व्यक्ति एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। यह संरचना इंद्रियानुभविक रीति से निर्धारित की जा सकती है। उन्होंने भाषा में उपलब्ध वर्णनात्मक विशेषणों के विशाल समुच्चय में से प्राथमिक विशेषकों की पहचान करने का प्रयास किया है। सामान्य संरचनाओं का पता लगाने के लिए उन्होंने कारण विश्लेषण नामक सांख्यिकीय तकनीक का उपयोग किया है। इसके आधार पर उन्होंने 16 प्राथमिक अथवा मूल विशेषकों की जानकारी प्राप्त की है। मूल विशेषक स्थिर होते हैं और व्यक्तित्व का निर्माण करने वाले मूल तत्वों के रूप में जाने जाते हैं। इसके अतिरिक्त अनेक सतही या पृष्ठ विशेषक भी होते हैं जो मूल विशेषकों की अंतःक्रिया के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं। केटेल ने मूल विशेषकों का वर्णन विपरीतार्थी या विलोमी प्रवृत्तियों के रूप में किया है। उन्होंने व्यक्तित्व के मूल्यांकन के लिए एक परीक्षण विकसित किया जिसे सोलह व्यक्तित्व कारक प्रश्नावली के नाम से जाना जाता है। इस परीक्षण का मनोवैज्ञानिकों द्वारा व्यापक रूप से उपयोग किया गया है।

प्रश्न 5.
आइजेक ने व्यक्तित्व को दो व्यापक आयामों के रूप में प्रस्तावित किया है। इन आयामों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आइजेक ने व्यक्तित्व को दो व्यापक आयामों के रूप में प्रस्तावित किया है। इन आयामों का आधार जैविक एवं आनुवंशिक है। प्रत्येक आयाम में अनेक विशिष्ट विशेषकों को सम्मिलित किया गया है। ये आयाम निम्न प्रकार के हैं:
1. तंत्रिकातापिता बनाम सांवेगिक स्थिरता इससे तात्पर्य है कि लोगों में किस मात्रा तक अपनी भावनाओं पर नियंत्रण होता है। इस आयाम के एक छोर पर तंत्रिकाताप से ग्रस्त लोग होते हैं। ऐसे लोगों में दुश्चिता, चिड़चिड़ापन, अतिसंवेदनशीलता, बेचैनी और नियंत्रण का अभाव पाया जाता है। दूसरे छोर पर वे लोग होते हैं जो शांत, संयत स्वभाव वाले विश्वसनीय और स्वयं पर नियंत्रण रखने वाले होते हैं।

2. बर्हिमुखता बनाम अंतर्मुखता-इससे तात्पर्य है कि किस मात्रा के लोगों में सामाजिक उन्मुखता अथवा सामाजिक विमुखता पाई जाती है। इस आयाम के एक छोर पर वे लोग होते हैं जिसमें सक्रियता, यूथचारिता, आवेग और रोमांच के प्रति पसंदगी पाई जाती है। दूसरे छोर पर वे लोग होते हैं जो निष्क्रिय, शांत, सतर्क और आत्म-केन्द्रित होते हैं।

प्रश्न 6.
मानव मन चेतना के तीन स्तर कौन-कौन से हैं? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव मन चेतना के तीन स्तर निम्नलिखित हैं –

  1. चेतन-यह चेतना का प्रथम स्तर है जिसके अंतर्गत चिंतन, भावनाएँ और क्रियाएँ आती हैं जिनके प्रति लोग जागरूक रहते हैं।
  2. पूर्व चेतना-यह चेतना का दूसरा स्तर है जिसके अंतर्गत ऐसी मानसिक क्रियाएँ आती हैं जिनके प्रति लोग तभी जागरूक होते हैं जब वे उन पर सावधानीपूर्वक ध्यान केन्द्रित करते हैं।
  3. अचेतन-यह चेतना का तीसरा स्तर है जिसके अंतर्गत ऐसी मानसिक क्रियाएँ आती हैं जिनके प्रति लोग जागरूक नहीं होते हैं।

फ्रायड के अनुसार अचेतन मूल प्रवृत्तिक और पाशविक अंतर्नादों का भंडार होता है। इसके अंतर्गत वे सभी इच्छाएँ और विचार भी होते हैं जो चेतन रूप में जागरूक स्थिति में छिपे हुए होते हैं क्योंकि वे मनोवैज्ञानिक द्वंद्वों को उत्पन्न करते हैं। इनमें अधिकांश कामेच्छओं से उत्पन्न होते हैं जिनको प्रकट रूप से अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता और इसीलिए उनका दमन कर दिया जाता है अचेतन आवेगों की अभिव्यक्ति के कुछ सामाजिक रूप से स्वीकार्य तरीकों को खोजने के लिए हैं अथवा उन आवेगों को अभिव्यक्त होने से बचाने के लिए निरंतर संघर्ष करते रहते हैं।

द्वंद्वों के संदर्भ में असफल निर्णय लेने के परिणामस्वरूप अपसामान्य व्यवहार उत्पन्न होते हैं। विस्मरण, अशुद्ध उच्चारण, माजक एवं स्वप्नों के विश्लेषण हमें अचेतन तक पहुँचने के लिए साधन प्रदान करते हैं। फ्रायड ने एक चिकित्सा प्रक्रिया विकसित की जिसे मनोविश्लेषण के रूप में जाना जाता है। मनोविश्लेषण-चिकित्सा का आधारभूत लक्ष्य दमित अचेतन सामग्रियों को चेतन के स्तर पर ले आना है जिससे कि लोग और अधिक आत्म-जागरूक होकर समाकलित तरीके से अपना जीवन व्यतीत कर सकें।

प्रश्न 7.
प्रक्षेपी तकनीकों की विशेषताएं क्या-क्या हैं?
उत्तर:
प्रक्षेपी तकनीकों की विशेषताएं निम्नलिखित हैं –

  1. उद्दीपक सापेक्ष रूप से अथवा पूर्णतः असंरचित और अनुपयुक्त ढंग से परिभाषित होते हैं।
  2. जिस व्यक्ति का मूल्यांकन किया जाता है उसे साधारणतया मूल्यांकन के उद्देश्य, अंक प्रदान करने की विधि और व्याख्या के बारे में नहीं बताया जाता है।
  3. व्यक्ति को यह सूचना दे दी जाती है कि कोई भी अनुक्रिया सही या गलत नहीं होती है।
  4. प्रत्येक अनुक्रिया व्यक्तित्व के एक महत्त्वपूर्ण पक्ष को प्रकट करने वाली समझी जाती है।
  5. अंक प्रदान करना और व्याख्या करना (अधिक समय लेने वाला) लंबा और कभी-कभी आत्मनिष्ठ होता है।

प्रश्न 8.
रोजेनज्विग का चित्रगत कुंठा अध्ययन पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
रोजेनज्विग का चित्रगत कुंठा अध्ययन (पी० एफ० अध्ययन) यह परीक्षण रोजेनज्विग द्वारा यह जानकारी प्राप्त करने के लिए विकसित किया गया कि कुंठा उत्पन्न करने वाली स्थिति में लोग कैसे आक्रामक व्यवहार अभिव्यक्त करते हैं। यह परीक्षण व्यंग्य चित्रों की सहायता से विभिन्न स्थितियों को प्रदर्शित करता है जिसमें एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को कुठित करते हुए अथवा किसी कुंठात्मक दशा के प्रति दूसरे व्यक्ति का ध्यान आकर्षित करते हुए दिखाया जाता है।

प्रयोज्य से यह पूछा जाता ह कि दूसरा व्यक्ति (कुठित) क्या कहेगा अथवा क्या करेगा। अनुक्रियाओं का विश्लेषण आक्रामकता के प्रकार एवं दिशा के आधार पर किया जाता है। इस बात की जाँच करने का प्रयास किया जाता है कि क्या बल कुंठा उत्पन्न करने वाली वस्तु अथवा कुंठित व्यक्ति के संरक्षण अथवा समस्या के रचनात्मक समाधान पर दिया गया है। आक्रामकता की दिशा पर्यावरण के प्रति अथवा स्वयं के प्रति हो सकती है। यह भी संभव है कि स्थिति को टाल देने अथवा उसके महत्त्व को घटा देने के प्रयास में आक्रामकता की स्थिति समाप्त भी हो सकती है। पारीक ने भारतीय जनसंख्या पर उपयोग के लिए इस परीक्षण को रूपांतरित किया है।

प्रश्न 9.
व्यक्तंकन परीक्षण पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
व्यक्तंकन परीक्षण-यह एक सरल परीक्षण है जिसमें प्रयोज्य को एक कागज के पन्ने पर किसी व्यक्ति का चित्रांकन करने के लिए कहा जाता है। चित्रण को सुकन बनाने के लिए प्रयोज्य को एक पेन्सिल और रबड़ (मिटाने का) प्रदान किया जाता है। चित्रांकन के समापन के बाद प्रयोज्य से एक विपरीत लिंग के व्यक्ति का चित्रांकन करने के लिए कहा जाता है। अंततः प्रयोज्य से उस व्यक्ति के बारे में एक कहानी लिखने को कहा जाता है जैसे वह किसी उपन्यास या नाटक का एक पात्र हो। व्याख्याओं के कुछ उदाहरण अग्रलिखित प्रकार के होते हैं –

  1. मुखाकृति का लोप यह संकेत करता है कि व्यक्ति किसी उच्चस्तरीय द्वंद्व से अभिभूत अंतर्वैयक्तिक संबंध को टालने का प्रयास कर रहा है।
  2. गर्दन पर आलेखीय बल देना आवेगों के नियंत्रण के अभाव का संकेत करता है।
  3. अनानुपातिक रूप से बड़ा सिर आंगिक रूप से मस्तिष्क रोग और सिरदर्द के प्रति दुश्चिता को सूचित करता है।

प्रक्षेपी तकनीकों की सहायता से व्यक्तित्व का विश्लेषण अत्यंतचेचक प्रतीत होता है। यह हमें किसी व्यक्ति की अचेतन अभिप्रेरणाओं, गहन द्वंद्वों और संवेगात्मक मनोग्रंथियों को समझने में सहायता करता है। यद्यपि इन तकनीकों में अनुक्रियाओं की व्याख्या के लिए परिष्कृत कौशलों और विशिष्ट प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त अंक प्रदान करने की विश्वसनीयता और व्याख्याओं की वैधता से संबंधित कुछ समस्याएं भी होती हैं किन्तु व्यावसायिक मनोवैज्ञानिकों ने इन तकनीकों को नितांत उपयोगी पाया है।

प्रश्न 10.
व्यक्तिगत अनन्यता और सामाजिक अनन्यता में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
व्यक्तिगत अनन्यता-इससे तात्पर्य व्यक्ति के गुणों से है जो उसे अन्य दूसरों से भिन्न करते हैं। जब कोई व्यक्ति अपने नाम अथवा अपनी विशेषताओं अथवा अपनी विभवताओं अथवा क्षमताओं अथवा अपने विश्वासों का वर्णन करता/करती है। सामाजिक अनन्यता से तात्पर्य व्यक्ति – के उन पक्षों से है जो उसे किसी सामाजिक अथवा सांस्कृतिक समूह से संबद्ध करते हैं अथवा जो ऐसे समूह से व्युत्पन्न होते हैं। जब कोई यह कहता/कहती है कि वह एक हिन्दू है अथवा मुस्लिम है, ब्राह्मण है अथवा आदिवासी है, उत्तर भारतीय है अथवा दक्षिण भारतीय है, अथवा इसी तरह का कोई अन्य वक्तव्य तो वह अपनी सामाजिक अनन्यता के बारे में जानकारी देता/देती है। इस प्रकार के वर्णन उन तरीकों का विशेषीकरण करते हैं जिनके आधार पर लोग एक व्यक्ति के रूप में स्वयं का मानसिक स्तर पर प्रतिरूपण करते हैं।

प्रश्न 11.
आत्म-सक्षमता से आपका क्या तात्पर्य है? क्या आत्म-सक्षमता को विकसित किया जा सकता है?
उत्तर:
आत्म-सक्षमता हमारे आत्मा का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष है। लोग एक-दूसरे से इस बात में भी भिन्न होते हैं कि उनका विश्वास इसमें है कि वे अपने जीवन के परिणामों को स्वयं नियंत्रित कर सकते हैं अथवा इसमें कि उनके जीवन के परिणाम भाग्य, नियति अथवा अन्य स्थितिपरक कारकों द्वारा नियंत्रित होता है। उदाहरण के लिए, परीक्षा में उत्तीर्ण होना। एक व्यक्ति यदि ऐसा विश्वास रखता है कि किसी स्थिति विशेष की मांगों के अनुसार उसमें योग्यता है या व्यवहार करने की क्षमता है तो उसमें उच्च आत्म-सक्षमता होती है।

आत्म-सक्षमता की अवधारणा बंदूरा के सामाजिक अधिगम सिद्धांत पर आधारित है। बंदूरा के आरंभिक अध्ययन इस बात को प्रदर्शित करते हैं कि बच्चे और वयस्क दूसरों का प्रेक्षण एवं अनुकरण कर व्यवहारों को सीखते हैं। लोगों की अपनी प्रवीणता और उपलब्धिता की प्रत्याशाओं एवं स्वयं अपनी प्रभाविता के प्रति दृढ़ विश्वास से भी यह निर्धारित होता है कि वे किस तरह व्यवहारों में प्रवृत्त होंगे और व्यवहार विशेष को संपादित करने में कितना जोखिम उठाएँगें।

आत्म-सक्षमता की प्रबल भावना लोगों को अपने जीवन की परिस्थितियों का चयन करने, उनको प्रभावित करने एवं यहाँ तक कि उनका निर्माण करने को भी प्रेरित करती है। आत्म-सक्षमता की प्रबल भावना रखने वाले लोगों में भय का अनुभव भी कम होता है। आत्म-सक्षमता को विकसित किया जा सकता है। उच्च आत्म-सक्षमता रखने वाले लोग धूम्रपान न करने का निर्णय लेने के बाद तत्काल इस पर अमल कर लेते हैं। बच्चों के आरंभिक वर्षों में सकारात्मक प्रतिरूपों या मॉडलों को प्रस्तुत कर हमारा समाज हमारे माता-पिता और हमारे अपने सकारात्मक अनुभव आत्म-सक्षमता की प्रबल भावना के विकास में सहायक हो सकते हैं।

प्रश्न 12.
शेल्डन और युंग के द्वारा प्रतिपादित व्यक्तित्व के प्ररूप का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मनोविज्ञान में शेल्डन द्वारा प्रतिपादित व्यक्तित्व के प्ररूप सर्वविदित हैं। शारीरिक बनावट और स्वभाव को आधार बनाते हुए शेल्डन ने गोलाकृतिक, आयताकृतिक और लंबाकृतिक जैसे व्यक्तित्व के प्ररूप को प्रस्तावित किया है। गोलाकृतिक प्ररूप वाले व्यक्ति मोटे, मृदुल और गोल होते हैं। स्वभाव से वे लोग शिथिल और सामाजिक या मिलनसार होते हैं। आयताकृतिक प्रारूप वाले लोग मजबूत पेशीसमूह एवं सुगठित शरीर वाले होते हैं जो देखने में आयताकार होते हैं, ऐसे व्यक्ति ऊर्जस्वी एवं साहसी होते हैं। लंबाकृतिक प्ररूप वाले पतले, लंबे और सुकुमार होते हैं। ऐसे व्यक्ति कुशाग्रबुद्धि वाले, कलात्मक और अंतर्मुखी होते हैं। यहाँ ध्यातव्य है कि व्यक्ति के ये शारीरिक प्ररूप सरल किन्तु व्यक्तियों के व्यवहारों की भविष्यवाणी करने में सीमित उपयोगिता वाले हैं। वस्तुत: व्यक्तित्व के ये प्ररूप रूढ़ धारणाओं की तरह हैं जो लोग उपयोग करते हैं।

युंग ने व्यक्तित्व का एक अन्य प्ररूपविज्ञान प्रस्तावित किया है जिसमें लोगों को उन्होंने अंतर्मुखी एवं बर्हिमुखी दो वर्गों में वर्गीकृत किया है। यह प्ररूप व्यापक रूप से स्वीकार किए गए हैं। इसके अनुसार अंतर्मुखी वह लोग होते हैं जो अकेला रहना पसंद करते हैं, दूसरों से बचते हैं, सांवेगिक द्वंद्वों से पलायन करते हैं और शर्मीले होते हैं। दूसरी ओर, बर्हिमुखी वह लोग होते हैं जो सामाजिक तथा बर्हिगामी होते हैं और ऐसे व्यवसायों का चयन करते हैं जिसमें लोगों से वे प्रत्यक्ष रूप से संपर्क बनाए रख सकें। लोगों के बीच में रहते हुए तथा सामाजिक कार्यों को करते हुए वे दबावों के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं।

प्रश्न 13.
एरिक एरिक्सन का सिद्धान्त अनन्यता की खोज को संक्षेप में समझाइए। मनोगतिक सिद्धांतों की आलोचनाओं को भी लिखिए।
उत्तर:
एरिक्सन का सिद्धांत व्यक्तित्व विकास में तर्कयुक्त, सचेतन अहं की प्रक्रियाओं पर बल देता है। उनके सिद्धांत में विकास को एक जीवनपर्यंत चलने वाली प्रक्रिया और अहं अनन्यता का इस प्रक्रिया में केन्द्रीय स्थान माना गया है। किशोरावस्था के अनन्यता संकट के उनके संप्रत्यय ने व्यापक रूप से ध्यान आकृष्ट किया है। एरिक्सन का मत है कि युवकों को अपने लिए एक केन्द्रीय परिप्रेक्ष्य और एक दिशा निर्धारित करनी चाहिए जो उन्हें एकत्व और उद्देश्य का सार्थक अनुभव करा सके।

मनोगतिक सिद्धांतों की अनेक दृष्टिकोणों से आलोचना की गई है। प्रमुख आलोचनाएँ निम्नलिखित प्रकार की हैं –

  1. ये सिद्धांत अधिकांशतः व्यक्ति अध्ययनों पर आधारित है जिसमें परिशुद्ध, वैज्ञानिक आधार का अभाव है।
  2. इनमें कम संख्या में विशिष्ट व्यक्तियों का सामान्यीकरण के लिए प्रतिदर्श के रूप में उपयोग किया गया है।
  3. संप्रत्यय उचित ढंग से परिभाषित नहीं किए गए हैं और वैज्ञानिक परीक्षण के लिए उनको प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है।
  4. फ्रायड ने मात्र पुरुषों का मानव व्यक्तित्व के विकास के आदि प्रारूप के रूप में उपयोग किया है। उन्होंने महिलाओं के अनुभवों एवं परिप्रेक्ष्यों पर ध्यान नहीं दिया है।

प्रश्न 14.
स्वस्थ व्यक्ति कौन होते हैं? स्वस्थ लोगों की क्या विशेषताएँ होती हैं?
उत्तर:
मानवतावादी सिद्धांतकारों का मत है कि स्वस्थ व्यक्ति मात्र समाज के प्रति समायोजन में ही निहित होता है। यह अपने को गहराई से जानने की जिज्ञासा, बिना छद्मवेश के अपनी भावनाओं के प्रति ईमानदार होने और जहाँ-तहाँ तक जैसा बने रहने की प्रवृत्ति को भी सन्निहित विशेषताएँ होती हैं –

  1. वे अपने, अपनी भावनाओं और अपनी सीमाओं के प्रति जागरूक होते हैं; अपने को स्वीकार करते हैं और अपने जीवन को जैसा बनाते हैं, उसके प्रति उत्तरदायी होते हैं। साथ ही कुछ बन जाने का साहस भी होता है।
  2. वे वर्तमान में रहते हैं; वे किसी बंधन में नहीं फँसते हैं।
  3. वे अतीत में नहीं जीते हैं और दुश्चिताजनक अपेक्षाओं और विकृत रक्षा के माध्यम से भविष्य को लेकर परेशान नहीं होते हैं।

प्रश्न 15.
मिनेसोटा बहुपक्षीय व्यक्तित्व -सूची पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
मिनेसोटा बहुपक्षीय व्यक्तित्व सूची (एम० एम० पी० आई०) यह सूची एक परीक्षण के रूप में व्यक्तित्व मूल्यांकन में व्यापक रूप से उपयोग की गई है। हाथवे एवं कैकिन्लेने मनोरोग-निदान के लिए इस परीक्षण का एक सहायक उपकरण के रूप में विकास किया था किन्तु यह परीक्षण विभिन्न मनोविकारों की पहचान करने के लिए अत्यंत प्रभावी पाया गया है।

इसका परिशोधित एम० एम० पी० आई० 2 के रूप में उपलब्ध है। इसमें 567 कथन हैं। प्रयोज्य को अपने लिए प्रत्येक कथन के ‘सही’ अथवा ‘गलत’ होने के बारे में निर्णय लेना होता है। यह परीक्षण 10 उपमापनियों में विभाजित है जो स्वकायदुश्चिता रोग, अवसाद, हिस्टीरिया, मनोविकृत विसामान्य, पुरुषत्व-स्त्रीत्व, व्यामोह, मनोदौर्बल्य, मनोविदलता, उन्माद और सामाजिक अंतर्मुखता के निदान करने का प्रयत्न करता है। भारत में मल्लिक एवं जोशी ने जोधपुर बहुपक्षीय व्यक्तित्व सूची (जे० एम० पी० आई०) एम० एम० पी० आई० की तरह ही विकसित की है।

प्रश्न 16.
व्यवहारपरक निर्धारण क्या है? समझाइए निर्धारण विधि की प्रमुख सीमाएँ क्या होती हैं?
उत्तर:
शैक्षिक एवं औद्योगिक वातावरण में व्यक्तित्व के मूल्यांकन के लिए प्रायः व्यवहारपरक निर्धारण का उपयोग किया जाता है। व्यवहारपरक निर्धारण सामान्यतया उन लोगों से लिए जाते हैं जो निर्धारण किए जाने वाले व्यक्ति को घनिष्ठ रूप से जानते हैं और उनके साथ लंबी समयावधि तक अंतःक्रिया कर चुके होते हैं अथवा जिनको प्रेक्षण करने का अवसर उन्हें प्राप्त हो चुका होता है। इस विधि में योग्यता निर्धारक व्यक्तियों को उनके व्यवहारपरक गुणों के आधार पर कुछ संवर्गों में रखने का प्रयास करते हैं। इन संवर्गों को विभिन्न संख्याएँ या वर्णनात्मक शब्द हो सकते हैं। यह पाया गया है कि संख्याओं अथवा सामान्य वर्णनात्मक विशेषणों का निर्धारण मापनियों में उपयोग प्रायः योग्यता निर्धारक लिए भ्रम उत्पन्न करता है। प्रभावी ढंग से निर्धारणों का उपयोग करने के लिए आवश्यक है कि विशेषकों को सावधानीपूर्वक लिखे गए व्यवहारपरक स्थिरकों के आधार पर स्पष्ट रूप से परिभाषित होना चाहिए।

निर्धारण विधि की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित हैं –

1. योग्यता निर्धारक प्राय: कुछ अभिनतियों को प्रदर्शित करते हैं जो विभिन्न विशेषकों के बारे में उनके निर्णय को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, हममें अधिकांश लोग किसी एक अनुकूल अथवा प्रतिकूल विशेषक से अत्यधिक प्रभावित हो जाते हैं। इसी के आधार पर प्रायः योग्यता निर्धारक किसी व्यक्ति के बारे में अपना समग्र निर्णय दे देता है। इस प्रवृत्ति को परिवेश प्रभाव कहते हैं।

2. योग्यता निर्धारक में एक यह प्रवृत्ति भी पाई जाती है कि वह व्यक्तियों को या तो छोर की स्थितियों का परिहार कर मापनी के मध्य में रखता है (मध्य संवर्ग अभिनति) या फिर मापनी के मध्य संवर्गों का परिहार कर (आत्यंतिक अनुक्रिया अभिनति) छोर की स्थितियों में रखता है।

प्रश्न 17.
स्थितिपरक परीक्षण और नाम निर्देशन पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
स्थितिपरक परीक्षण-व्यक्तित्व का मूल्यांकन करने के लिए विभिन्न प्रकार के स्थितिपरक परीक्षण निर्मित किए गए हैं। सबसे अधिक प्रयुक्त किया जाने वाला इस प्रकार का एक परीक्षण स्थितिपरक दबाव परीक्षण है। कोई व्यक्ति दबावमय स्थितियों में किस प्रकार व्यवहार करता है, इसके बारे में हमें सूचनाएँ प्रदान करता है। इस परीक्षण में एक व्यक्ति को एक दिए गए कृत्य पर निष्पादन कुछ ऐसे दूसरे लोगों के साथ करना होता है, जिनको उस व्यक्ति के साथ असहयोग करने और उसको निष्पादन में हस्तक्षेप करने का अनुदेश दिया गया होता है।

इस परीक्षण में एक प्रकार की भूमिका-निर्वाह सम्मिलित होता है। जो उस व्यक्ति को करने के लिए कहा जाता है, उसके बारे में एक शाब्दिक प्रतिवेदन भी प्राप्त किया जाता है। स्थिति वास्तविक भी हो सकती है, अन्यथा इसे एक वीडियो खेल के द्वारा उत्पन्न भी किया जा सकता है। नाम निर्देशन-इस विधि का उपयोग प्रायः समकक्षी मूल्यांकन प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग उन व्यक्तियों के साथ किया जा सकता है जिनमें दीर्घकालिक अंतःक्रिया होती रही हो और जो एक-दूसरे को अच्छी तरह से जानते हों।

नाम निर्देशन विधि के उपयोग में प्रत्येक व्यक्ति से समूह के एक अथवा एक से अधिक व्यक्तियों का वरण या चयन करने के लिए कहा जाता है जिसके अथवा जिनके साथ वह कार्य करना, पढ़ना, खेलना अथवा किसी अन्य क्रिया में सहभागी होना पसंद करेगा/करेगी। व्यक्ति के चुने गए व्यक्तियों के वरण के व्यक्तित्व और व्यवहारपरक गुणों को समझने के लिए प्राप्त नाम निर्देशनों का विश्लेषण किया जा सकता है। यह तकनीक अत्यंत विश्वसनीय पाई गई है, यद्यपि यह व्यक्तिगत अभिनतियों से प्रभावित हो सकती है।

प्रश्न 18.
व्यक्तित्व मूल्यांकन विधि के रूप में आत्म-प्रतिवेदन का वर्णन करें।
उत्तर:
आत्म-प्रतिवेदन (Self-report) व्यक्तित्व के मापन का एक लोकप्रिय विधि है जिसमें व्यक्ति दिए गये प्रश्नों या कथनों को पढ़कर वस्तुनिष्ठ रूप से उसका उत्तर देता है। यहाँ व्यक्ति प्रश्नों या कथनों को पढ़कर यह समझने की कोशिश करता है कि वे स्वयं उनके लिए कितने सही या गलत हैं शायद यही कारण है कि इसे आत्म-प्रतिवेदन मापक (Self-report measure) कहा जाता है।

प्रश्न 19.
प्रसामाजिक व्यवहार की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
प्रसामाजिक व्यवहार से तात्पर्य दूसरों को मदद करने तथा उनके साथ सहभागिता एवं सहयोग दिखलाने से होता है। इस व्यवहार की कुछ विशेषताएँ इस प्रकार हैं –

  1. प्रसामाजिक व्यवहार अपनी स्वेच्छा से न कि किसी के दबाव में आकर व्यक्त करता है।
  2. प्रसामाजिक व्यवहार का उद्देश्य दूसरों को लाभ पहुँचाकर उनका कल्याण करना होता है।
  3. ऐसा व्यवहार को करते समय व्यक्ति अपना लाभ या हानि के विचारों को महत्त्व नहीं देता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
आत्म-सम्मान से आपका क्या तात्पर्य है? आत्म-सम्मान का हमारे दैनिक जीवन के व्यवहारों से किस प्रकार संबंधित है? वर्णन करें।
उत्तर:
आत्म-सम्मान हमारे आत्म का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष है। व्यक्ति के रूप में हम सदैव अपने मूल्य या मान और अपनी योग्यता के बारे में निर्णय या आकलन करते रहते हैं। व्यक्ति का अपने बारे में यह मूल्य-निर्णय ही आत्म-सम्मान कहा जाता है। कुछ लोगों में आत्म-सम्मान उच्च स्तर का जबकि कुछ अन्य लोगों में आत्म-सम्मान निम्न स्तर का पाया जाता है। किसी व्यक्ति के आत्म-सम्मान का मूल्यांकन करने के लिए व्यक्ति के समक्ष विविध प्रकार के कथन प्रस्तुत किये जाते हैं और उसके संदर्भ में सही है, यह बताइए।

उदाहरण के लिए, किसी बालक/बालिका से ये पूछा जा सकता है कि “मैं गृहकार्य करने में अच्छा हूँ” अथवा “मुझे अक्सर विभिन्न खेलों में भाग लेने के लिए चुना जाता है” अथवा “मेरे सहपाठियों द्वारा मुझे बहुत पसंद किया जाता है” जैसे कथन उसके संदर्भ में किस सीमा तक सही हैं। यदि बालक/बालिका यह बताता/बताती है कि ये कथन उसके संदर्भ में सही है तो उसका आत्म-सम्मान उस दूसरे बालक/बालिका की तुलना में अधिक होगा जो यह बताता/बताती है कि यह कथन उसके बारे में सही नहीं हैं।

छः से सात वर्ष तक के बच्चों में आत्म-सम्मान चार क्षेत्रों में निर्मित हो जाता है-शैक्षिक क्षमता, सामाजिक क्षमता, शारीरिक/खेलकूद संबंधित क्षमता और शारीरिक रूप जो आयु के बढ़ने के साथ-साथ और अधिक परिष्कृत होता जाता है। अपनी स्थिर प्रवृत्तियों के रूप में अपने प्रति धारणा बनाने की क्षमता हमें भिन्न-भिन्न आत्म-मूल्यांकनों को छोड़कर अपने बारे में एक सामान्य मनोवैज्ञानिक प्रतिमा निर्मित करने का अवसर प्रदान करती है। इसी को हम आत्म-सम्मान की समग्र भावना के रूप में जानते हैं।

आत्म-सम्मान हमारे दैनिक जीवन के व्यवहारों से अपना घनिष्ठ संबंध प्रदर्शित करता है। उदाहरण के लिए जिन बच्चों में उच्च शैक्षिक आत्म-सम्मान होता है उनका निष्पादन विद्यालयों में निम्न आत्म-सम्मान रखने वाले बच्चों की तुलना में अधिक होता है और जिन बच्चों में उच्च सामाजिक आत्म-सम्मान होता है उनको निम्न सामाजिक आत्म-सम्मान रखने वाले बच्चों की तुलना में सहपाठियों द्वारा अधिक पसंद किया जाता है।

दूसरी तरफ, जिन बच्चों में सभी क्षेत्रों में निम्न आत्म-सम्मान होता है उनमें दुश्चिता, अवसाद और समाजविरोधी व्यवहार पाया जाता है। अध्ययनों द्वारा प्रदर्शित किया गया है कि जिन माता-पिता द्वारा स्नेह के साथ सकारात्मक ढंग से बच्चों का पालन-पोषण किया जाता है ऐसे बालकों में उच्च आत्म-सम्मान विकसित होता है। क्योंकि ऐसा होने पर बच्चे अपने आपको सक्षम और योग्य व्यक्ति के रूप में स्वीकार करते हैं। जो माता-पिता बच्चों द्वारा सहायता न माँगने पर भी यदि उनके निर्णय स्वयं लेते हैं तो ऐसे बच्चों में निम्न आत्म-सम्मान पाया जाता है।

प्रश्न 2.
व्यक्तित्व के अध्ययन के प्रमुख उपागमों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
व्यक्तित्व के अध्ययन के प्रमुख उपागम निम्न हैं –
1. प्रारूप उपागम:
व्यक्ति के प्रेक्षित व्यवहारपरक विशेषताओं के कुछ व्यापक स्वरूपों का परीक्षण कर मानव व्यक्तित्व को समझने का प्रयास करता है। प्रत्येक व्यवहारपरक स्वरूप व्यक्तित्व के किसी एक प्रकार को इंगित करता है जिसके अंतर्गत उस स्वरूप की व्यवहारपरक विशेषता की समानता के आधार पर व्यक्तियों को रखा जाता है।

2. विशेषक उपागम:
विशिष्ट मनोवैज्ञानिक गुणों पर बल देता है जिसके आधार पर व्यक्ति संगत और स्थिर रूपों में भिन्न होते हैं। उदाहरणार्थ, एक व्यक्ति कम शर्मीला हो सकता है जबकि दूसरा अधिक; एक व्यक्ति अधिक मैत्रीपूर्ण व्यवहार कर सकता है और दूसरा कम। यहाँ ‘शर्मीलापन’ और ‘मैत्रीपूर्ण व्यवहार’ विशेषकों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिसके आधार पर व्यक्तियों में संबंधित व्यवहारपरक गुणों या विशेषकों की उपस्थिति या अनुपस्थिति की मात्रा का मूल्यांकन किया जा सकता है।

3. अंतःक्रियात्मक उपागम:
इसके अनुसार स्थितिपरक विशेषताएँ हमारे व्यवहारों को निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। लोग स्वतंत्र अथवा आश्रित प्रकार का व्यवहार करेंगे यह उनके आंतरिक व्यक्तित्व विशेषक पर निर्भर नहीं करता है बल्कि इस पर निर्भर करता है कि किसी विशिष्ट स्थिति में बाह्य पुरस्कार अथवा खतरा उपलब्ध है कि नहीं। भिन्न-भिन्न स्थितियों में विशेषकों को लेकर संगति अत्यंत निम्न पाई जाती है। बाजार में न्यायालय में अथवा पूजास्थलों पर लोगों के व्यवहारों का प्रेक्षण कर स्थितियों के अप्रतिरोध्य प्रभाव को देखा जा सकता है।

प्रश्न 3.
ऑलपोर्ट के विशेषक सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
गॉर्डन ऑलपोर्ट को विशेषक उपागम का अग्रणी माना जाता है। उन्होंने प्रस्तावित किया है कि व्यक्ति में अनेक विशेषक होते हैं जिनकी प्रकृति गत्यात्मक होती है। ये विशेषक व्यवहारों का निर्धारण इस रूप में करते हैं कि व्यक्ति विभिन्न स्थितियों में समान योजनाओं के साथ क्रियाशील होता है। विशेषक उद्दीपकों और अनुक्रियाओं को समाकलित करते हैं अन्यथा वे असमान दिखाई देते हैं। ऑलपोर्ट ने यह तर्क प्रस्तुत किया है कि लोग स्वयं का तथा दूसरों का वर्णन करने के लिए जिन शब्दों का उपयोग करते हैं वे शब्द मानव व्यक्तित्व को समझने का आधार प्रदान करते हैं।

उन्होंने अंग्रेजी भाषा के शब्दों का विश्लेषण विशेषकों का पता लगाने के लिए किया है जो किसी व्यक्ति का वर्णन है। इसके आधार पर ऑलपोर्ट ने विशेषकों का तीन वर्गों में वर्गीकरण किया-प्रमुख विशेषक, केन्द्रीय विशेषक तथा गौण विशेषक। प्रमुख विशेषक अत्यंत सामान्यीकृत प्रवृत्तियाँ होती हैं। ये उस लक्ष्य को इंगित करती हैं जिससे चतुर्दिक व्यक्ति का पूरा जीवन व्यतीत होता है। महात्मा गाँधी की अहिंसा और हिटलर का नाजीवाद प्रमुख विशेषक के उदाहरण हैं ये विशेषक व्यक्ति के नाम के साथ इस तरह घनिष्ठ रूप से जुड़े होते हैं कि उनकी पहचान ही व्यक्ति के नाम के साथ हो जाती है, जैसे-‘गाँधीवादी’ अथवा ‘हिटलरवादी’ विशेषक।

प्रभाव में कम व्यापक किन्तु फिर भी सामान्यीकृत प्रवृत्तियाँ ही केन्द्रीय विशेषक के रूप में जानी जाती हैं। ये विशेषक (उदाहरणार्थ, स्फूर्त, निष्कपट, मेहनती आदि) प्रायः लोगों के शंसापत्रों में अथवा नौकरी की संस्तुतियों में किसी व्यक्ति के लिए लिखे जाते हैं। व्यक्ति की सबसे कम सामान्यीकृत विशिष्टताओं के रूप में गौण विशेषक जाने जाते हैं। ऐसे विशेषकों के उदाहरण इन वाक्यों में, जैसे ‘मुझे आम पसंद है’ अथवा ‘मुझे संजातीय वस्त्र पहनना पसंद है’ देखे जा सकते हैं।

यद्यपि ऑलपोर्ट ने व्यवहार पर स्थितियों के प्रभाव को स्वीकार किया है फिर भी उनका मानना है कि स्थिति विशेष में व्यक्ति जिस प्रकार प्रतिक्रिया करता है वह उसके विशेषकों पर निर्भर करता है। लोग समान विशेषकों को देखते हुए भी उनको भिन्न तरीकों से व्यक्त कर सकते हैं। ऑलपोर्ट ने विशेषकों को मध्यवर्ती परिवयों की तरह अधिक माना है जो उद्दीपक स्थिति एवं व्यक्ति की अनुक्रिया के मध्य घटित होते हैं। इसका तात्पर्य यह हुआ कि विशेषकों में किसी भी प्रकार की भिन्नता के कारण समान स्थिति में अथवा समान परिस्थिति के प्रति भिन्न प्रकार की अनुक्रिया उत्पन्न होती है।

प्रश्न 4.
व्यक्तित्व के पंच-कारक मॉडल का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पॉल कॉस्टा तथा रॉबर्ट मैक्रे ने सभी संभावित व्यक्तित्व विशेषकों की जाँच कर पाँच कारकों के एक समुच्चय के बारे में जानकारी दी है। इनको वृहत् पाँच कारकों के नाम से जाना जाता है। ये पाँच कारक निम्न हैं –

  1. अनुभवों के लिए खुलापन-जो लोग इस कारक पर उच्च अंक प्राप्त करते हैं वे कल्पनाशील, उत्सुक, नए विचारों के प्रति उदारता एवं सांस्कृतिक क्रिया-कलापों में अभिरुचि लेने वाले व्यक्ति होते हैं। इसके विपरीत, कम अंक प्राप्त करने वाले व्यक्तियों में अनम्यता पाई जाती है।
  2. बर्हिमुखता यह विशेषता उन लोगों में पाई जाती है जिनमें सामाजिक सक्रियता, आग्रहिता, बर्हिगमन, बातूनापन और आमोद-प्रमोद के प्रति पसंदगी पाई जाती है। इसके विपरीत ऐसे लोग होते हैं जो शर्मीले और संकोची होते हैं।
  3. सहमतिशीलता-यह कारक लोगों की उन विशेषताओं को बताता है जिनमें सहायता करने, सहयोग करने, मैत्रीपूर्ण व्यवहार करने, देखभाल करने एवं पोषण करने जैसे व्यवहार सम्मिलित होते हैं। इसके विपरीत वे लोग होते हैं जो आक्रामक और आत्म-केन्द्रित होते हैं।
  4. तंत्रिकाताप-इस कारक पर उच्च अंक प्राप्त करने वाले लोग सांवेगिक रूप से अस्थिर, परेशान, भयभीत, दु:खी, चिड़चिड़े और तनावग्रस्त होते हैं। इसके विपरीत प्रकार के लोग सुसमायोजित होते हैं।
  5. अंतर्विवेकशीलता-इस कारक पर उच्च अंक प्राप्त करने वाले लोगों में उपलब्धि उन्मुखता, निर्भरता, उत्तरदायित्व, दूरदर्शिता, कर्मठता और आत्म-नियंत्रण पाया जाता है। इसके विपरीत, कम अंक प्राप्त करने वाले लोगों में आवेग पाया जाता है।

व्यक्तित्व के क्षेत्र में यह पंच-कारक मॉडल एक महत्त्वपूर्ण सैद्धांतिक विकास का प्रतिनिधित्व करते हैं। विभिन्न संस्कृतियों में लोगों के व्यक्तित्व को समझने के लिए यह मॉडल अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ है। विभिन्न संस्कृतियों भाषाओं में उपलब्ध व्यक्तित्व विशेषकों के विश्लेषण से यह मॉडल संगत है और विभिन्न विधियों से किए गए व्यक्तित्व के अध्ययन भी मॉडल का समर्थन करते हैं। अतएव, आज व्यक्तित्व के अध्ययन के लिए यह मॉडल सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण आनुभविक उपागम माना जाता है।

प्रश्न 5.
फ्रायड द्वारा प्रस्तावित व्यक्तित्व-विकास की पंच अवस्था सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
फ्रायड ने व्यक्तित्व-विकास का एक पंच अवस्था सिद्धान्त प्रस्तावित किया जिसे मनोलैंगिक विकास के नाम से भी जाना जाता है। विकास की उन पाँच अवस्थाओं में से किसी भी अवस्था पर समस्याओं के आने से विकास बाधित हो जाता है और जिसका मनुष्य के जीवन पर दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है। फ्रायड द्वारा प्रस्तावित पंच अवस्था सिद्धान्त निम्नलिखित हैं –

1. मौखिक अवस्था:
एक नवजात शिशु की मूल प्रवृत्तियाँ मुख पर केन्द्रित होती हैं। यह शिशु का प्राथमिक सुख प्राप्ति का केन्द्र होता है। यह मुख ही होता है जिसके माध्यम से शिशु भोजन ग्रहण करता है और अपनी भूख को शांत करता है। शिशु मौखिक संतुष्टि भोजन ग्रहण, अंगूठा चूसने, काटने और बलबलाने के माध्यम से प्राप्त करता है। जन्म के बाद आरम्भिक कुछ महीनों की अवधि में शिशुओं में अपने चतुर्दिक जगत के बारे में आधारभूत अनुभव और भावनाएँ विकसित हो जाती हैं। फ्रायड के अनुसार एक व्यस्क जिसके लिए यह संसार कटु अनुभवों से परिपूर्ण हैं, संभवतः मौखिक अवस्था का उसका विकास कठिनाई से हुआ करता है।

2. गुदीय अवस्था:
ऐसा पाया गया है कि दो-तीन वर्ष की आयु में बच्चा समाज की कुछ माँगों के प्रति अनुक्रिया सीखता है। इनमें से एक प्रमुख माँग माता-पिता की यह होती है कि बालक मूत्रत्याग एवं मलत्याग जैसे शारीरिक प्रकार्यों को सीखे। अधिकांश बच्चे एक आयु में इन क्रियाओं को करने में आनंद का अनुभव करते हैं। शरीर का गुदीय क्षेत्र कुछ सुखदायक भावनाओं का केन्द्र हो जाता है। इस अवस्था में इड और अहं के बीच द्वंद्व का आधार स्थापित हो जाता है। साथ ही शैशवास्था की सुख की इच्छा एवं वयस्क रूप में नियत्रित व्यवहार की माँग के बीच भी द्वंद्व का आधार स्थापित हो जाता है।

3. लैंगिक अवस्था यह अवस्था जननांगों पर बल देती है। चार-पांच वर्ष की आयु में बच्चे पुरुषों एवं महिलाओं के बीच का भेद अनुभव करने लगते हैं। बच्चे कामुकता के प्रति एवं अपने माता-पिता के बीच काम संबंधों के प्रति जागरूक हो जाते हैं। इसी अवस्था में बालक इडिपस मनोग्रंथि का अनुभव करता है जिसमें अपनी माता के प्रति प्रेम और पिता के प्रति आक्रामकता सन्निहित होती है तथा इसके परिणामस्वरूप पिता द्वारा दंडित या शिश्नलोप किए जाने का भय भी बालक में कार्य करता है। इस अवस्था में एक प्रमुख विकासात्मक उपलब्धि यह है कि बालक अपनी इस मनोग्रंथि का समाधान कर लेता है। वह ऐसा अपनी माता के प्रति पिता के संबंधों को स्वीकार करके उसी तरह का व्यवहार करता है।

बालिकाओं में यह इडिपस ग्रंथि थोड़े भिन्न रूप में घटित होती है। बालिकाओं में इसे इलेक्ट्रा मनोग्रंथि कहते हैं। इसे मनोग्रंथि में बालिका अपने पिता को प्रेम करती है और प्रतीकात्मक रूप से उससे विवाह करना चाहती है। जब उसको यह अनुभव होता है कि संभव नहीं है तो वह अपनी माता का अनुकरण कर उसके व्यवहारों को अपनाती है। ऐसा वह अपने पिता का स्नेह प्राप्त करने के लिए करती है। उपर्युक्त दोनों मनोग्रंथियों के समाधान में क्रांतिक घटक समान लिंग के माता-पिता के साथ तदात्मीकरण स्थापित करना है। दूसरे शब्दों में, बालक अपनी माता के प्रतिद्वंद्वी की बजाय भूमिका-प्रतिरूप मानने लगते हैं। बालिकाएँ अपने पिता के प्रति लैंगिक इच्छाओं का त्याग कर देती हैं और अपनी माता से तादात्म्य स्थापित करती है।

4. कामप्रसुप्ति अवस्था यह अवस्था सात वर्ष की आयु से आरंभ होकर यौवनारंभ तक बनी रहती है। इस अवधि में बालक का विकास शारीरिक दृष्टि से होता रहता है। किन्तु उसी कामेच्छाएँ सापेक्ष रूप से निष्क्रिय होती है। बालक की अधिकांश ऊर्जा सामाजिक अथवा उपलब्धि-संबंधी क्रियाओं में व्यय होती है।

5. जननांगीय अवस्था इस अवस्था में व्यक्ति मनोलैंगिक विकास में परिपक्वता प्राप्त करता है। पूर्व की अवस्थाओं में कामेच्छाएँ, भय और दमित भावनाएँ पुनः अभिव्यक्त होने लगती हैं। लोग इस अवस्था में विपरीत लिंग के सदस्यों से परिपक्व तरीके से सामाजिक और काम संबंधी आचरण करना सीख लेते हैं। यदि इस अवस्था की विकास यात्रा में व्यक्ति को अत्यधिक दबाव अथवा. अत्यासक्ति का अनुभव होता है तो इसका कारण विकास की किसी आरम्भिक अवस्था पर उसका स्थिरण हो सकता है।

प्रश्न 6.
अहं रक्षा युक्तियों के साथ अन्य रक्षा युक्तियों की भी व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
फ्रायड के अनुसार मनुष्य के अधिकांश व्यवहार दुश्चिता के प्रति उपयुक्त समायोजन अथवा पलायन को प्रतिबिम्बित करते हैं। अतः, किसी दुश्चिताजनक स्थिति का अहं किस ढंग से सामना करता है, यही व्यापक रूप से निर्धारित करता है कि लोग किस प्रकार से व्यवहार करेंगे। फ्रायड का विश्वास था कि लोग दुश्चिता का परिहार रक्षा युक्तियाँ विकसित करके करते हैं।

ये रक्षा युक्तियाँ अहं को मूल प्रवृत्तिक आवश्यकताओं के प्रति जागरुकता से रक्षा करती हैं। इस प्रकार रक्षा युक्तियाँ वास्तविक को विकृत कर दुश्चिता को कम करने का एक तरीका है। यद्यपि दुश्चिता के प्रति जाने वाली कुछ रक्षा युक्तियाँ सामान्य एवं अनुकूल होती हैं तथापित ऐसे लोग जो इन युक्तियों का उपयोग इस सीमा तक करते हैं कि वास्तविकता वास्तव में विकृत हो जाती है तो वे विभिन्न प्रकार के कुसमायोजक व्यवहार विकसित कर लेते हैं।

विभिन्न प्रकार की रक्षा युक्तियाँ निम्नलिखित हैं –

1. दमन-यह रक्षा युक्ति सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। इसमें दुश्चिता उत्पन्न करने वाले व्यवहार और विचार पूरी तरह चेतना के स्तर से विलुप्त कर दिए जाते हैं। जब लोग किसी भावना अथवा इच्छा का दमन करते हैं तो वे उस भावना अथवा इच्छा के प्रति बिल्कुल ही जागरूक नहीं होते हैं। इस प्रकार जब कोई व्यक्ति कहता है कि “मैं नहीं जानता हूँ कि मैंने यह क्यों नहीं किया है”, तो उसका यह कथन किसी दमित भावना अथवा इच्छा को अभिव्यक्त करता है।

2. प्रक्षेपण-प्रक्षेपण में लोग अपने विशेषकों को दूसरों पर आरोपित करते हैं। एक व्यक्ति जिसमें प्रबल आक्रामक प्रवृत्तियाँ हैं वह दूसरे लोगों में अत्यधिक रूप से अपने प्रति होने वाले व्यवहारों को आक्रामक देखता है। अस्वीकरण में एक व्यक्ति पूरी तरह से वास्तविकता को स्वीकार करना नकार देता है। उदाहरण के लिए एच. आई. वी./एड्स से ग्रस्त रोगी पूरी तरह से अपने रोग को नकार सकता है।

3. प्रतिक्रिया निर्माण-इसमें व्यक्ति अपनी वास्तविक भावनाओं और इच्छाओं के ठीक विपरीत प्रकार का व्यवहार अपनाकर दुश्चिता से रक्षा करने का प्रयास करता है। उदाहरण के लिए, प्रबल कामेच्छा से ग्रस्त कोई व्यक्ति यदि अपनी ऊर्जा का धार्मिक क्रिया-कलापों में लगाते हुए ब्रह्मचर्य का पालन करता है तो ऐसा व्यवहार प्रतिक्रिया निर्माण का: दाहरण होगा।

4. युक्तिकरण-इसमें एक व्यक्ति अपनी तर्कहीन भावनाओं और व्यवहारों को तर्कयुक्त और स्वीकार्य बनाने का प्रयास करता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई विद्यार्थी परीक्षा में निम्नस्तरीय निष्पादन के बाद कुछ नए कलम खरीदता है तो इस युक्तिकरण का उपयोग करता है कि “वह आगे की परीक्षा में नए कलम के साथ उच्च स्तर का निष्पादन प्रदर्शित करेगा।”

जो लोग रक्षा युक्तियों का उपयोग करते हैं वे प्रायः इसके प्रति जागरूक नहीं होते हैं अथवा इससे अनभिज्ञ होते हैं। प्रत्येक रक्षा युक्ति दुश्चिता द्वारा उत्पन्न असुविधाजनक भावनाओं से अहं के बर्ताव करने का एक तरीका है। रक्षा युक्तियों की भूमिका के बारे में फ्रायड के विचारों के समक्ष अनेक प्रश्न उत्पन्न किए गए हैं। उदाहरण के लिए, फ्रायड का यह दावा कि प्रक्षेपण के उपयोग से दुश्चिता और दबाव कम होता है, अनेक अध्ययनों के परिणामों द्वारा समर्थित नहीं है।

प्रश्न 7.
बहुबुद्धि सिद्धांत का वर्णन करें।
उत्तर:
बहुबुद्धि सिद्धांत का प्रतिपादन होवार्ड गार्डनर (Howard Gardner, 1993, 1999) द्वारा किया गया। इस सिद्धांत के अनुसार बुद्धि कोई एकाकी क्षमता नहीं होती है बल्कि इसमें विभिन्न प्रकार की सामान्य क्षमताएँ सम्मिलित होती हैं। इन क्षमताओं को गार्डनर ने अलग-अलग बुद्धि प्रकार कहा है। ऐसे नौ प्रकार के बुद्धि की चर्चा उन्होंने अपने सिद्धांत में किया है और कहा है कि ये सभी प्रकार एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं। परंतु ये बुद्धि के सभी प्रकार आपस में अंतःक्रिया (Intractions) करते हैं और किसी समस्या के सामाधान में एक साथ मिलकर कार्य करते हैं।

1. भाषाई बुद्धि (Linguistic intelligence):
इससे तात्पर्य भाषा के उत्तम उपयोग एवं उत्पादन की क्षमता से होता है। इस क्षमता के पर्याप्त होने पर व्यक्ति भाषा का उपयोग प्रवाही (fluently) एवं लचीली (flexible) ढंग से कर पाता है। जिन व्यक्तियों में यह बुद्धि अधिक होती है, वे शब्दों के विभिन्न अर्थ एवं उसका उपयोग के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं और अपने मन में एक उत्तम भाषाई प्रतिमा (linguistic image) उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं।

2. तार्किक-गणितीय बुद्धि (Logical-Mathematical intelligence):
इससे तात्पर्य समस्या समाधान (problem solving) एवं वैज्ञानिक चिंतन करने की क्षमता से होता है। जिन व्यक्तियों में ऐसी बुद्धि की अधिकता होती है, वे किसी समस्या पर तार्किक रूप से तथा आलोचनात्मक ढंग से चिंतन करने में सक्षम होते हैं। ऐसे लोगों में अमूर्त चिन्तन करने की क्षमता अधिक होती है तथा गणितीय समस्याओं के समाधान में काफी उत्तम ढंग से विभिन्न तरह के गणितीय संकेतों एवं चिन्हों (signs) का उपयोग करते हैं।

3. संगीतिय बुद्धि (Musical intelligence):
इससे तात्पर्य संगीतिय लय (thythms) तथा पैटर्न्स (patterms) के बोध एवं उसके प्रति संवेदनशीलता से होती है। इस तरह की बुद्धि पर व्यक्ति उत्तम ढंग से संगीतिय पैटर्न को निर्मित कर पाता है। वैसे लोग जिनमें इस तरह की बुद्धि की अधिकता होती है, वे आवाजों के पैटर्न, कंपन, उतार-चढ़ाव आदि के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं और नए-नए पैटर्न उत्पन्न करने में भी सक्षम होते हैं।

4. स्थानिक बुद्धि (Spatial intelligence):
इससे तात्पर्य विशेष दृष्टि प्रतिमा तथा पैटर्न को सार्थक ढंग से निर्माण करने की क्षमता से होता है। इसमें व्यक्ति को अपनी मानसिक प्रतिमाओं को उत्तम ढंग से उपयोग करने तथा परिस्थिति की माँग के अनुरूप उपयोग करने की पर्याप्त क्षमता होती है। जिन व्यक्तियों में इस तरह की बुद्धि अधिक होती है, वे आसानी से अपने मन में स्थानिक वातावरण उपस्थित कर सकने में सक्षम हो पाते हैं। सर्जन, पेंटर, हवाईजहाज चालक, आंतरिक . सजावट कर्ता (interior decorators) आदि में इस तरह की बुद्धि अधिक होती है।

5. शारीरिक गतिबोधक बुद्धि (Bodily kinesthetic intelligence):
इस तरह की बुद्धि में व्यक्ति अपने पूरे शरीर या किसी अंग विशेष में आवश्यकतानुसार सर्जनात्मक (Creative) एवं लचीले (flexible) ढंग से उपयोग कर पाता है। नर्तकी, अभिनेता, खिलाड़ी, सर्जन तथा व्यायामी (gymanst) आदि में इस तरह की बुद्धि अधिक होती है।

6. अंतर्वैयक्तिक बुद्धि (Interpersonal intelligence):
इस तरह की बुद्धि होने पर दूसरों के व्यवहार एवं अभिप्रेरक के सूक्ष्म पहलूओं को समझने की क्षमता व्यक्ति में अधिक होती है। ऐसे व्यक्ति दूसरों के व्यवहारों, अभिप्रेरणाओं एवं भावों को उत्तम ढंग से समझकर उनके साथ एक घनिष्ठ संबंध बनाने में सक्षम हो पाते हैं। ऐसी बुद्धि मनोवैज्ञानिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं धार्मिक नेताओं में अधिक होती है।

7. अंतरावैयक्तिक बुद्धि (Intrapersonal intelligence):
इस तरह की बुद्धि में व्यक्ति अपने भावों, अभिप्रेरकों तथा इच्छाओं को समझता है। इसमें व्यक्ति अपनी आंतरिक शक्तियों एवं सीमाओं का उचित मूल्यांकन की क्षमता विकसित कर लेता है और इसका उपयोग वह अन्य लोगों के साथ उत्तम संबंध बनाने में सफलतापूर्वक उपयोग करता है। दार्शनिकों (philosophers) तथा धार्मिक साधु-संतों में इस तरह की बुद्धि अधिक होती है।

8. स्वाभाविक बुद्धि (Naturalistic intelligence):
इससे तात्पर्य स्वाभाविक या प्राकृतिक वातावरण की विशेषताओं या प्राकृतिक वातावरण की विशेषताओं के प्रति संवेदनशीलता दिखाने की क्षमता से होती है। इस तरह की बुद्धि की अधिकता होने पर व्यक्ति के विभिन्न प्राणियों, वनस्पतियों एवं अन्य संबद्ध चीजों के बीच सूक्ष्म विभेदन कर पाता है तथा उनकी विशेषताओं की प्रशंसा कर पाता है। इस तरह की बुद्धि किसानों, भिखारियों, पर्यटकों (tourist) तथा वनस्पतियों (botanists) में अधिक पायी जाती है।

9. अस्तित्ववादी बुद्धि (Naturalist intelligence):
इससे तात्पर्य मानव अस्तित्व, जिंदगी, मौत आदि से संबंधित वास्तविक तथ्यों की खोज की क्षमता से होता है। इस तरह की बुद्धि दार्शनिक चिंतकों (philosopher thinkers) में काफी होता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि गार्डनर के बहुबुद्धि सिद्धान्त में कुल नौ तरह की बुद्धि की व्याख्या की गयी है, जिस पर मनोवैज्ञानिक का शोध अभी जारी है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
पी. एफ. अध्ययन को किसने विकसित किया?
(A) रोजेनज्विग
(B) हार्पर
(C) फ्राम
(D) ओइजर
उत्तर:
(A) रोजेनज्विग

प्रश्न 2.
एक प्रेक्षक की रिपोर्ट में जो प्रदत्त होते हैं, वे कैसे प्राप्त होते हैं?
(A) साक्षात्कार से
(B) प्रेक्षण और निर्धारण से
(C) नाम-निर्देशन से
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 3.
संरचित साक्षात्कारों में किस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं?
(A) सामान्य प्रश्न
(B) अत्यंत विशिष्ट प्रकार के प्रश्न
(C) अनेक सामान्य प्रश्न
(D) उपर्युक्त में कोई नहीं
उत्तर:
(B) अत्यंत विशिष्ट प्रकार के प्रश्न

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में किसका व्यक्तित्व के मूल्यांकन के लिए बहुत अधिक उपयोग किया जाता है?
(A) प्रेक्षण
(B) मूल्यांकन
(C) नाम निर्देशन
(D) स्थितिपरक परीक्षण
उत्तर:
(A) प्रेक्षण

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में किस विधि का उपयोग प्रायः समकक्षी मूल्यांकन प्राप्त करने के लिए किया जाता है?
(A) प्रेक्षण
(B) मित्रों
(C) नाम निर्देशन
(D) उपर्युक्त में कोई नहीं
उत्तर:
(C) नाम निर्देशन

प्रश्न 6.
आत्म के बारे में बच्चे की धारणा को स्वरूप देने में किनकी भूमिका अहं होती है?
(A) माता-पिता
(B) मित्रों
(C) शिक्षकों
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में कौन-सा कथन सत्य है?
(A) व्यक्तिगत अनन्यता से तात्पर्य व्यक्ति के उन गुणों से है जो उसे अन्य दूसरों से भिन्न करते हैं।
(B) जब कोई व्यक्ति अपने नाम का वर्णन करता है तो वह अपनी व्यक्तिगत अनन्यता को उद्घाटित करता है।
(C) जब कोई व्यक्ति अपनी विशेषताओं का वर्णन करता है तो वह अपनी व्यक्तिगत अनन्यता को उद्घाटित करता है।
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही नहीं है?
(A) किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व की समझ के लिए सोद्देश्य औपचारिक प्रयास को व्यक्तित्व मूल्यांकन कहा जाता है।
(B) मूल्यांकन का उपयोग कुछ विशेषताओं के आधार पर लोगों के मूल्यांकन या उनके मध्य विभेदन के लिए किया जाता है।
(C) फ्रायड ने सुझाव दिया कि किसी व्यक्ति के बारे में मूल्यांकन करने की सर्वोत्तम विधि है उसके बारे में पूछना।
(D) मूल्यांकन का लक्ष्य लोगों के व्यवहारों को न्यूनतम त्रुटि और अधिकतम परिशुद्धता के साथ समझना और उनकी भविष्यवाणी करना होता है।
उत्तर:
(C) फ्रायड ने सुझाव दिया कि किसी व्यक्ति के बारे में मूल्यांकन करने की सर्वोत्तम विधि है उसके बारे में पूछना।

प्रश्न 9.
जोधपुर बहुपक्षीय व्यक्तित्व सूची को किसने विकसित किया?
(A) मल्लिक एवं जोशी
(B) जोशी एवं सिंह
(C) एम० पी० शर्मा
(D) ए० के० गुप्ता
उत्तर:
(A) मल्लिक एवं जोशी

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में किसके द्वारा हम अपने व्यवहार संगठित और परिवीक्षण या मॉनीटर करते हैं?
(A) आत्म-नियमन
(B) आत्म-सक्षमता
(C) आत्म-विश्वास
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(A) आत्म-नियमन

प्रश्न 11.
निम्नलिखित में कौन आत्म-नियंत्रण के लिए मनोवैज्ञानिक तकनीक है?
(A) अपने व्यवहार का प्रेक्षण
(B) आत्म-अनुदेश
(C) आत्म प्रबलन
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 12.
व्यक्तित्व को अन्तर्मुखी तथा बर्हिमुखी प्रकारों में किसने बांटा है?
(A) क्रेश्मर
(B) युंग
(C) शेल्डन
(D) एडलर
उत्तर:
(B) युंग

प्रश्न 13.
संवेगात्मक बुद्धि (E.Q.) पद का प्रतिपादन किसने किया है?
(A) गाल्टन
(B) वुड तथा वुड
(C) सैलोवे तथा मेयर
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(C) सैलोवे तथा मेयर

प्रश्न 14.
मानवतावादी उपागम के प्रतिपादक हैं –
(A) बी० एफ० स्कीनर
(B) वुड तथा वुड
(C) जार्ज केली
(D) एब्राह्म मैस्लो
उत्तर:
(D) एब्राह्म मैस्लो

प्रश्न 15.
निम्नलिखित में मनोवृत्ति के विकास पर किसका प्रभाव अधिक पड़ता है?
(A) परिवार का
(B) बुद्धि का
(C) आयु का
(D) जाति का
उत्तर:
(A) परिवार का

प्रश्न 16.
आत्म का तात्पर्य अपने संदर्भ में व्यक्ति के –
(A) सचेतन अनुभवों की समग्रता से है
(B) चिंतन की समग्रता से है
(C) भावनाओं की समग्रता है
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 17.
आत्म को किस रूप से समझा जा सकता है?
(A) आत्मगत
(B) वस्तुगत
(C) आत्मगत और वस्तुगत
(D) इनमें कोई नही
उत्तर:
(C) आत्मगत और वस्तुगत

प्रश्न 18.
निम्नलिखित में किसमें व्यक्ति मुख्य रूप से अपने बारे में ही संबद्ध का अनुभव करता है?
(A) व्यक्तिगत आत्म
(B) सामाजिक आत्म
(C) पारिवारिक आत्म
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(A) व्यक्तिगत आत्म

प्रश्न 19.
निम्नलिखित में किसमें सहयोग, संबंधन, त्याग, एकता जैसे जीवन के पक्षों पर बल दिया जाता है?
(A) व्यक्तिगत आत्म
(B) सामाजिक आत्म
(C) संबंधात्मक आत्म
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) सामाजिक आत्म

प्रश्न 20.
जिस प्रकार से हम अपने आपका प्रत्यक्षण करते हैं और अपनी क्षमताओं और गुणों के बारे में जो विचार रखते हैं उसी को कहा जाता है –
(A) व्यक्तिगत संप्रत्यय
(B) आत्म-धारणा
(C) पारिवारिक संप्रत्यय
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(B) आत्म-धारणा

प्रश्न 21.
टी. ए. टी. को किसने विकसित किया?
(A) फ्रायड और गार्डनर
(B) मरे और स्पैरा
(C) मॉर्गन, फ्रायड और मरे
(D) मॉर्गन और मरे
उत्तर:
(D) मॉर्गन और मरे

प्रश्न 22.
रोझ मसिलक्ष्म परीक्षण में कितने मसिलक्ष्म होते हैं?
(A) 5
(B) 10
(C) 15
(D) 20
उत्तर:
(B) 10

प्रश्न 23.
16 पी० एफ० को किसने विकसित किया?
(A) फ्रायड
(B) केटेल
(C) सिगमंड
(D) गार्डनर
उत्तर:
(B) केटेल

प्रश्न 24.
एम. एम. पी. आई. में कितने कथन हैं?
(A) 314
(B) 418
(C) 567
(D) 816
उत्तर:
(C) 567

प्रश्न 25.
वैयक्तिक विभिन्नताओं के महत्त्व का सर्वप्रथम वैज्ञानिक अध्ययन किया?
(A) कैटेल
(B) गाल्टन
(C) हल
(D) जेम्स ड्रेवर
उत्तर:
(B) गाल्टन

प्रश्न 26.
व्यक्तित्व का ‘विशेषक सिद्धांत’ द्वारा दिया गया है –
(A) फ्रायड
(B) ऑलपोर्ट
(C) सुल्लीभान
(D) कैटल
उत्तर:
(B) ऑलपोर्ट

प्रश्न 27.
‘सोलह व्यक्तित्व कारक प्रश्नवाली’ परीक्षण द्वारा विकसित किया गया?
(A) मरे
(B) आलपोर्ट
(C) युग
(D) कैटल
उत्तर:
(D) कैटल

प्रश्न 28.
सामाजिक प्रभाव का कौन एक प्रक्रिया निम्नांकित में नहीं है?
(A) अनुरूपता
(B) अनुपालन
(C) आज्ञापालन
(D) सामाजिक श्रमावनयन
उत्तर:
(D) सामाजिक श्रमावनयन

प्रश्न 29.
नीचे दिए गए सुमेलित एकांकों पर ध्यान दें और दिये गये कूट संकेतों के आधार पर सही उत्तर दें।

  1. रोर्शाक-स्याही धब्बा परीक्षण
  2. कैटल-तस्वीर-कुंठा परीक्षण
  3. पारीख-एम० एम० पी० आई०

कूट संकेत:
(A) केवल 3 सही है
(B) 1 और 3 सही है
(C) केवल 1 सही है
(D) 1 और 2 सही है
उत्तर:
(C) केवल 1 सही है

प्रश्न 30.
मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत में व्यक्तित्व का कार्यपालक किसे कहा गया है?
(A) पराहं
(B) अहं
(C) उपाहं
(D) इनमें सभी का
उत्तर:
(B) अहं

प्रश्न 31.
रोजर्स ने अपने व्यक्तित्व सिद्धांत में केन्द्रीय स्थान दिया है –
(A) स्व को
(B) अचेतन को
(C) अधिगम को
(D) आवश्यकता को
उत्तर:
(A) स्व को

प्रश्न 32.
किस मनोवैज्ञानिक ने व्यक्तित्व को ‘अन्तर्मुखी’ एवं ‘बर्हिमुखी’ दो वर्गों में वर्गीकृत किया है?
(A) शेल्डन
(B) वाट्सन
(C) युग
(D) रोजेनमैन
उत्तर:
(C) युग

प्रश्न 33.
इड आधारित है –
(A) वास्तविकता के सिद्धांत पर
(B) नैतिकता के सिद्धांत पर
(C) सुखेप्सा के सिद्धांत पर
(D) सामाजिक सिद्धांत पर
उत्तर:
(C) सुखेप्सा के सिद्धांत पर

प्रश्न 34.
कैटेल ने व्यक्तित्व के शीलगुण गुच्छों संख्या बताया है?
(A) 12
(B) 16
(C) 18
उत्तर:
(B) 16

प्रश्न 35.
बुद्धि लब्धि के संप्रत्यय का उल्लेख सर्वप्रथम किसने किया?
(A) बिने
(B) साइमन
(C) टर्मन
(D) कैटेल
उत्तर:
(C) टर्मन

प्रश्न 36.
मानव जीवन को आँधी और तूफान की अवस्था कहा जाता है –
(A) शैशवावस्था
(B) बाल्यावस्था
(C) किशोरावस्था
(D) प्रौढ़ावस्था
उत्तर:
(C) किशोरावस्था

प्रश्न 37.
टी० ए० टी० व्यक्तित्व मापन का एक परीक्षण है –
(A) प्रश्नावली
(B) आत्म-विवरण आविष्कारिका
(C) कागज पेंसिल जाँच
(D) प्रक्षेपी
उत्तर:
(C) कागज पेंसिल जाँच

प्रश्न 38.
व्यक्ति के अचेतन प्रक्रियाओं को बाहर लाने की विधि कहलाती है –
(A) जीवन-वृत्त विधि
(B) साक्षात्कार विधि
(C) प्रक्षेपण विधि
(D) प्रश्नावलियाँ
उत्तर:
(A) जीवन-वृत्त विधि

प्रश्न 39.
निम्नांकित में कौन ‘आनन्द के नियम’ से संचालित होता है?
(A) इदं
(B) अहम
(C) पराहम
(D) अचेतन
उत्तर:
(A) इदं

प्रश्न 40.
सामूहिक अचेतन की अंतर्वस्तुओं के लिए युंग द्वारा प्रयुक्त पद, अनुभव के संगठन के लिए वंशागत प्रतिरूपों को अभिव्यक्ति करने वाली प्रतिमाएँ या प्रतीक निम्नलिखित में क्या कहलाते हैं?
(A) अभिवृत्तियाँ
(B) स्वलीनता
(C) आद्यप्ररूप
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(C) आद्यप्ररूप

प्रश्न 41.
मैस्लो के आवश्यकता पदानुक्रम सिद्धांत में आत्म-सम्मान का स्थान नीचे से किस स्तर पर आता हैं?
(A) दूसरा
(B) तीसरा
(C) चौथा
(D) पाँचवाँ
उत्तर:
(C) चौथा

प्रश्न 42.
मानसिक आयु के संप्रत्यय को प्रस्तावित किया है –
(A) टरमन
(B) बिने
(C) स्टर्न
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) इनमें से कोई नहीं

प्रश्न 43.
अन्ना फ्रायड के योगदानों को निम्नांकित में किस श्रेणी में रखेंगे?
(A) मनोविश्लेषणात्मक
(B) नव मनोविश्लेषणात्मक
(C) संज्ञानात्मक
(D) मानवतावादी
उत्तर:
(B) नव मनोविश्लेषणात्मक

प्रश्न 44.
‘बड़े पंच’ में निम्नलिखित में किसे शामिल नहीं किया गया है?
(A) बर्हिमुखता
(B) मनस्ताप
(C) कर्तव्यनिष्ठता
(D) प्रभुत्व
उत्तर:
(D) प्रभुत्व