Bihar Board Class 11 History Solutions Chapter 9 औद्योगिक क्रांति

Bihar Board Class 11 History Solutions Chapter 9 औद्योगिक क्रांति Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 History Solutions Chapter 9 औद्योगिक क्रांति

Bihar Board Class 11 History औद्योगिक क्रांति Textbook Questions and Answers

 

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

औद्योगिक क्रांति के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 11 History प्रश्न 1.
ब्रिटेन (इग्लैंड)1793 से 1815 तक कई युद्धों में लिप्त रहा। इसका ब्रिटेन के उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
1793 से 1815 तक ब्रिटेन का फाँस के साथ लंबे समय तक युद्ध चलता रहा। इसके परिणामस्वरूप इंग्लैंड और यूरोप के बीच चलने वाला व्यापार छिन्न-भिन्न हो गया। विवश होकर इंग्लैंड को अपनी फैक्ट्रियों को बंद करना पड़ा। इससे बेरोजगारी बढ़ गई और रोटी, मांस जैसे आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतें आकाश को छूने लगीं।

औधोगिक क्रांति के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 11 History प्रश्न 2.
नहर और रेलवे परिवहन के सापेक्षिक लाभ क्या-क्या हैं?
उत्तर:
नहरों द्वारा भारी परिमाण वाले भार को ढोना सरल तथा सस्ता होता है। परंतु इसमें समय अधिक लगता है। माल को देश के भीतरी भागों में भी नहीं ले जाया जा सकता। इसके विपरीत रेल परिवहन द्वारा माल ढोने में कम समय लगता है। माल को देश के भीतरी भागों तक भी पहुँचाया जा सकता है।

औद्योगिक क्रांति प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 11 History प्रश्न 3.
इस अवधि में किए गए आविष्कारों की दिलचस्प विशेषताएँ क्या थी?
उत्तर:
इस अवधि के अधिकतर आविष्कार वैज्ञानिक ज्ञान के अनुप्रयोग की बजाय दृढ़ता, रूचि, जिज्ञासा तथा भाग्य के बल पर हुए।

  • कपास उद्योग क्षेत्र में जान के तथा जेम्स हारग्रीब्ज जैसे कुछ आविष्कारक बुनाई और बढ़ईगिरी से परिचित थे। परंतु रिचर्ड आर्कराइट एक नाई था और बालों की विग बनता था।
  • सैम्युअल क्रांपटन तकनीकी दृष्टि से कुशल नहीं था।
  • एडमंड कार्टराइट ने साहित्य; आयुर्विज्ञान और कृषि का अध्ययन किया था। प्रारंभ में उसकी इच्छा पादरी बनने की थी। वह यांत्रिकी के बारे में बहुत कम जानता था।
  • दूसरी ओर भाप के इंजनों के क्षेत्र में थॉमस सेवरी एक सैन्य अधिकारी था। इन सबमें अपने-अपने आविष्कार के प्रति कुछ संगत ज्ञान अवश्य था।

परंतु सड़क निर्माता जान मैकऐडम; जिसने व्यक्तिगत रूप से सड़कों की सतों का सर्वेक्षण किया था और उनके बारे में योजना बनाई थी; अंधा था। नहर-निर्माता जेम्स विंडले लगभग निरक्षर था। शब्दों की वर्तनी के बारे में उनका ज्ञान इतना कमजोर था कि वह ‘नौ चालन’ (Navigation) शब्द की सही वर्तनी कभी न बता सका। परन्तु उसमें गजब की स्मरण शक्ति और एकाग्रता थी।

औद्योगिक क्रांति के प्रश्न उत्तर Class 11 Bihar Board History प्रश्न 4.
बताइए कि ब्रिटेन के औद्योगीकरण पर कच्चे माल की आपूर्ति का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
आरंभ में ब्रिटेन के लोग ऊन और लिनन बनाने के लिए सन से कपड़ा बुना करते थे। सत्रहवीं शताब्दी से इंग्लैंड भारत से भारी मात्रा में सूती कपड़े का आयात करने लगा परंतु जब भारत के अधिकतर भागों पर ईस्ट इंडिया कंपनी का राजनीतिक नियंत्रण स्थापित हो गया.तब इंग्लैंड ने कपड़े के साथ-साथ कच्चे माल के रूप में कपास का आयात करना भी आरंभ कर दिया। इंग्लैंड पहुँचने पर इसकी कताई की जाती थी और उससे कपड़ा बुना जाता था।

अठारहवीं सदी के प्रारंभिक वर्षों में कताई का काम बहुत ही धीमी था। इसलिए कातने वाले दिन भर कताई के काम में लगे रहते थे, क्षेत्र में अनेक आविष्कार हो जाने के बाद कपास से धागा कातने और उससे कपड़ा बनाने की गति एकाएक बढ़ गई इस कार्य में और अधिक कुशतला लाने के लिए उत्पादन का काम घरों से हटकर फैक्ट्रियों अर्थात् कारखानों में चला गया।

Audyogik Kranti Ke Question Answer Bihar Board Class 11 History प्रश्न 5.
ब्रिटेन में स्त्रियों के भिन्न-भिन्न वर्गों के जीवन पर औद्योगिक क्रांति का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति से स्त्रियों के जीवन पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े –
1. निर्धन वर्ग की स्त्रियाँ कारखानों में काम करने लगीं। उनसे 15-15 घंटे तक काम लिया रंत उन्हें मजदरी बहत ही कम दी जाती थी। कारखानों का वातावरण बहत ही दुषित तथा जोखिम भरा था। इसका स्त्रियों के स्वास्थय पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। उनकी मृत्यु बहुत ही कम आयु में हो जाती थी। अधिकांश बच्चे बीमार पैदा होते थे और पैदा होते ही मर जाते थे या फिर पाँच वर्ष की आयु तक ही पहुँच पाते थे।

2. मध्यम तथा धनी वर्ग की स्त्रियों को औद्योगिक क्रांति से लाभ पहुँच। उन्हें नई-नई उपभोक्ता वस्तुएँ तथा भोजन सामग्री मिलने लगी। परिवहन तथा संचार के साधनों में हुए आविष्कारों ने उनकी जीवन-शैली को ही बदल दिया। जीवन-स्तर दिन-प्रतिदिन ऊँचा होने लगा।

Audyogik Kranti Class 11 Question Answer Bihar Board History प्रश्न 6.
विश्व के भिन्न-भिन्न देशों में रेलवे आ जाने से वहाँ के जनजीवन पर क्या प्रभाव पड़ा? तुलनात्मक विवेचना कीजिए।
उत्तर:
रेलवे के आ जाने से औद्योगिक तथा साम्राज्यवादी देशों को लाभ पहुँच। अब वे अपने उपनिवेशों के भीतरी भगों तक जा कर वहाँ के संसाधनों का शोषण कर सकते थे और अपने उद्योगों का विस्तार कर सकते थे। इसके विपरीत उपनिवेशों के उद्योग धंधे नष्ट हो गए और उन्हें घोर निर्धनता का सामना करना पड़ा। आफ्रीका तथा दक्षिणी अमेरिका के देश दास व्यापार का शिकार भी हुए।

Bihar Board Class 11 History औद्योगिक क्रांति Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

औद्योगिक क्रांति के कारणों की विवेचना कीजिए Bihar Board Class 11 History प्रश्न 1.
कृषि क्रांति की परिभाषा लिखों?
उत्तर:
18वीं शताब्दी में कृषि क्षेत्र में वैज्ञानिक तरीकों तथा नई-नई मशीनों के प्रयोग से अत्यधिक उन्नति हुई और उत्पादन बहुत अधिक बढ़ गया। इस प्रक्रिया को कृषि क्रांति का नाम दिया जाता है।

औद्योगिक क्रांति पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 11 History प्रश्न 2.
18वीं शताब्दी में कृषि क्रांति के दो कारण लिखो।
उत्तर:

  • कृषि के क्षेत्र में नई वैज्ञानिक खोजें हुई।
  • नई-नई मशीनों के प्रयोग से खेत जोतने तथा फसल काटने में कम समय लगने लगा। इससे कृषि उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि हुई।

प्रश्न 3.
दो प्रमुख वैज्ञानिकों के नाम बताओं जिन्होंने कृषि क्रांति लाने में अपना योगदान दिया।
उत्तर:

  • जीथरो – टुल की वीट ड्रिल-इसने एक मशीन बनाई जिससे एक ही समय में बीज बोने तथा मिट्टी ढंकने का काम होता था।
  • राबर्ट वैस्टनर के कट क्राप सिस्टम से पशुओं के लिए चारा तथा खेतों के लिए खाद अधिक मात्रा में उपलब्ध होने लगी।

प्रश्न 4.
कृषि क्रांति के दो अच्छे प्रभाव बताओ।
उत्तर:

  • कृषि क्रांति के परिणामस्वरूप लोग बहुत धनी हो गये और उनका जीवन स्तर ऊंचा हो गया।
  • अब छोटे-छोटे किसानों का अंत हो गया और उनका स्थान बड़े-बडे किसानों ने ले लिया।

प्रश्न 5.
कृषि क्रांति के दो बुरे परिणाम बताओ।
उत्तर:

  • बड़े-बड़े जमींदार भूमिहीन किसानों का शोषण करने लगे। अतः खेतों में काम करने वाले मजदूरों की दशा बिगड़ गई।
  • घरेलू उद्योग धंधे नष्ट हो गये।

प्रश्न 6.
औद्योगिक क्रांति के दो सामाजिक प्रभाव बताएँ।
उत्तर:

  • औद्योगिक क्रांति के कारण समाज में दो वर्गों का उदय हुआ-पूंजीपति तथा मजदूर वर्ग।
  • अपने स्वार्थ के कारण पूंजीपति मजदूरों का शोषण करने लगे।

प्रश्न 7.
औद्योगिक क्रांति के दो आर्थिक प्रभाव बताएँ।
उत्तर:

  • औद्योगिक क्रांति के कारण बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गई क्योंकि मनुष्य का काम अब मशीनें करने लगीं।
  • मजदूर वर्ग की आर्थिक दशा बिगड़ गई।

प्रश्न 8.
औद्योगिक क्रांति के पश्चात् मजदूरों की दशा सुधारने के लिये क्या पग उठाये गये? किन्ही दों का वर्णन करें।
उत्तर:

  • फैक्टरी कानून पास किये गये तथा मजदूरों के काम करने का समय निश्चित किया गया।
  • निश्चित आयु से कम आयु के बच्चों को कारखानों में काम से रोक दिया गया।

प्रश्न 9.
किन्हीं दो महत्वपूर्ण कारणों का विवेचन कीजिए जिनके फलस्वरूप इंगलैंड में औद्योगिक क्रांति हुई।
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति निम्नलिखित दो कारणों से सर्वप्रथम इंग्लैंड में ही हुई –
1. पूंजी की अधिकता – इंगलैंड में उद्योगपति तथा व्यापारी स्वतंत्र थे। वहाँ व्यापार-व्यवसाय पर कोई प्रतिबंध नहीं था। अत: उद्योगपति तथा व्यापारी काफी धनी थे और उनके पास नये कल-कारखाने लगाने के लिए काफी पुंजी थी।

2. प्राकृतिक संसाधन – इंग्लैंड प्राकृतिक संसाधनों में धनी था। कोयला तथा लोहा पर्याप्ता मात्रा में उपलब्ध थे और उनकी खाने पास-पास थीं।

प्रश्न 10.
भाप के इंजन ने उद्योग तथा यातायात के क्षेत्र में किस प्रकार क्रांतिकारी परिवर्तन किए?
उत्तर:
भाप के इंजन का आविष्कार 1769 ई. में जेम्स वाट ने किये। इसकी सहायता से वस्तुओं का उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा और मशीनों की मांग बढ़ गई। भाप की शक्ति से चलने वाली मशीनें कई आदमियों का काम एक साथ करने लगीं। भाप के इंजन के कारण ही लोहा-इस्पात उद्योग का विकास हो सका।

1814 ई. में रेल द्वारा खानों से कोयला लाने के लिए भाप के इंजन का प्रयोग किया गया। तत्पश्चात् बड़े पैमाने पर रेल लाइनें बिछाइ जाने लगीं। ये लाइनें उद्योग के विकास में सहायक बनीं। अत: स्पष्ट है कि भाप इंजन से उद्योग तथा यातायात के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुए।

प्रश्न 11.
औद्योगिक क्रांति का इंग्लैंड के श्रमिकों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति का इंग्लैंड के श्रमिकों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। स्त्रियों तथा बच्चों से भी काम लिया जाने लगा और उन्हें बहुत कम मजदूरी मिलती थी। श्रमिकों को 15 से 18 घंटे तक काम करना पड़ता था। थकावट होने पर भी उन्हें आराम करने की अनुमति नहीं थी। उनके काम करने का स्थान भी बहुत गंदा होता था और उनकी सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं था। मजदूरों के रहने के मकान बहुत खराब थे। दुर्घटनाएँ, गेग महामारियाँ उनके दैनिक जीवन का अंग बन गयीं थी।

प्रश्न 12.
कारखाना पद्धति से आपका क्या अभिप्राय है? इस पद्धति के कारण जिस आर्थिक व्यवस्था का विकास हुआ, उसकी किन्ही दो विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर:
‘कारखाना पद्धति’ से हमारा अभिप्राय उस पद्धति से है जिसके अंतर्गत साधारण औजारों, पशुओं तथा हाथ की शक्ति के स्थान पर नई मशीनों तथा भाप की शक्ति का अधिक – से – अधिक प्रयोग किया जाने लगा। उतपादन कार्य घरों की बजाए कारखानों में होने लगा। इस पद्धति से एक नवीन आर्थिक व्यवस्था का जन्म हुआ जिसकी दो विशेषताएँ निम्नलिखित थी –

1. करखानों के स्वामी (पूंजीपति) के पास काफी पूंजी होती थी और वह उन सब वस्तुओं का प्रबंध करता था जिनकी आवश्यकता मजदूरों को उत्पादन के लिए पड़ती थी। कारखाने की प्रत्येक वस्तु तथा निर्मित माल पर उसका पूर्ण अधिकार होता था।

2. मजदूर काम के बदले मजदूरी लेते थे। ये वे भूमिहीन किसान थे जो काम करने के लिए नगरों में आकर बस गए थे।

प्रश्न 13.
समाजवाद की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
समाजवाद का नारा पूंजीवाद के विरुद्ध मजदूरों ने लगाया था। समाजवाद का उद्देश्य यह है कि समाज में धन का बँटवारा न्यायपूर्ण हो तथा निर्धनों और पूंजीपतियों में कोई भेदभाव न हो। कोई भी भूखा न रहे तथा प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकताएँ पूरी हा सकें। समाजवाद का जन्म भी औद्योगिक क्रांति के कारण हुआ था।

प्रश्न 14.
औद्योगिक क्रांति ने साम्राज्यवाद को किस प्रकार जन्म दिया?
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति के कारण इंग्लैंड तथा अन्य यूरोपीय देशों को अपने उद्योग के लिए कच्चे माल तथा मॉडयों की आवश्कता थी। अतः इन देशों ने तैयार माल की खपत के लिए एशिया तथा अफौका में मंडियों की खोज आरंभ कर दी। वे कम उन्नत देशों में व्यापारियों के रूप में गए और समय पाकर वहाँ के शासक बन बैठे। उन्होंने खाली स्थनों पर बस्तियां बसाई और दूसरे क्षेत्रों में अपने अधिकार-क्षेत्र को बढ़ाया। शक्तिशाली देशों के ऐसे प्रयत्नों को ही साम्राज्यवाद कहते हैं।

प्रश्न 15.
मजदूर आंदोलन पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति के कारण समाज दो श्रेणियों में बँट गया। एक वर्ग पूंजीपतियों का था तथा दूसरा वर्ग निर्धन मजदूरों का। सरकार पर पूंजीपतियों का प्रभाव था। उन्होने मजदूर वर्ग की भलाई के लिए कोई विशेष सुविधाएँ न देने दौं। परंतु मजदूरों में चेतना आने लगी और वे काम करने की दशा में सुधार की माँग करने लगे। अपने संघर्ष को शक्तिशाली बनाने के लिए उन्होंने अपनी-अपनी यूनियनें (Unions) बनाई। इंग्लैंड में 1893 ई. में लेबर पार्टी की स्थापना की गई। धीरे-धीरे अन्य देशों में भी लेबर पार्टियों की स्थापना हो गई।

प्रश्न 16.
इंग्लैंड में होने वाली औद्योगिक क्रांति का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
इंग्लैंड में बड़े-बड़े कारखानों की स्थापना से उत्पादन में वृद्धि हुई। शीघ्र ही इंग्लैंड समृद्धि देश बन गया। परंतु इंग्लैंड की यह समद्धि भारत के लिए एक बहुत बड़ा अभिशाप सिद्ध हुई। ज्यों-ज्यों इंग्लैण्ड के कारखानों में उत्पादन बढ़ने लगा त्यों-त्यों अंग्रेजों ने भारत का बुरी तरह आर्थिक शोषण करना आरंभ कर दिया। भारत के उद्योग नष्ट होते गए और बेकारी की समस्या बढ़ती गई। अंग्रजों ने भारत में नये उद्योगों की ओर कोई ध्यान न दिया। इसके अतिरीक्त उन्होंने भारत में तैयार होने वाले माल पर भारी कर लगा दिए। परिणामस्वरूप भारतीय योग पिछड़ गए।

प्रश्न 17.
अंग्रेजों की भारत पर विजय ने इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति की प्रगति में किस प्रकार सहायता प्रदान की?
उत्तर:
अंग्रेजों की भारत विजय ने इंग्लैंड की औद्योगिक क्रांति की प्रगति को महत्व पूर्ण सहायता पहुँचाई। निम्नलिखित तथ्य से यह बात स्पष्ट हो जाएगी

  1. भारतीय मंडियां अंग्रेजों द्वारा तैयार माल की सबसे बड़ी उपभोक्ता थीं।
  2. भारतीय धन निरंतर इंग्लैंड जाने लगा जिससे इंग्लैंड में और अधिक करखाने लगाए जाने लगे।
  3. भारत के माल की माँग कम हो गई, इसका लाभ भी अंग्रेजों को पहुंचा।
  4. भारत कच्चे माल की पूर्ति की दृष्टि से अंग्रेजी उद्योगों के लिए बड़ा साधन बन गया।
  5. आयत की अधिकता तथा निर्यात की कमी से भारतीयों के हितों को बहुत हानि पहुँची।

प्रश्न 18.
औद्योगिक क्रांति से उत्पन्न उन बुराइयों का वर्णन कीजिए। जिन्होंने आजकल की भांति नये तनाव और समस्याओ को जन्म दिया।
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति से निम्नलिखित बुराईयाँ उत्पन्न हुई –

  1. इससे उपनिवेशीकरण को बढ़ावा मिला और लोगों का शोषण हुआ।
  2. एशिया और अफ्रीका के लिए साम्राज्यवादी प्रतिद्वंद्विता उत्पन्न हो गई। फलस्वरूप सामाज्यवादी शक्तियों में तनाव उत्पन्न हो गया।
  3. शहरों में जनसंख्या वृद्धि से स्वास्थ्य, सफाई और आवास संबंधी समस्याएँ जटिल होने लगी।

प्रश्न 19.
पूर्व औद्योगिक और औद्योगिक क्रांति के बाद उत्पादन के तरीकों की तुलना करें।
उत्तर:
पूर्व औद्योगिक क्रांति के काल में वस्तुओं का उत्पादन घरों में किया जाता था। इन वस्तुओं के निमार्ण के लिए पुराने ढंग के औजारों का प्रयोग किया जाता था। इनमें पंप, चरखा, कुदाल आदि प्रमुख थे। वस्तुओं का उत्पादन केवल घेरलू तथा स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ही किया जाता था। औद्योगिक क्रांति के बाद वस्तुओं का निर्माण कारखानों में होने लगा। इसके अतिरिक्त वस्तुओं का निर्माण बड़े पैमाने पर किया जाने लगा। वस्तुओं का निर्माण करने के लिए मशीनों का प्रयोग किया जाने लगा।

प्रश्न 20.
18वीं शताब्दी में हुए मुख्य आविष्कारों को उनके आविष्कारकों के नाम सहित लिखों।
उत्तर:
18वीं शताब्दी में बहुत-से महत्वपूर्ण आविष्कार हुए। इनके आविष्कारों तथा तिथियों का वर्णन इस प्रकार है –
Bihar Board Class 11 History Solutions Chapter 9 औद्योगिक क्रांति

प्रश्न 21.
प्रथम औद्योगिक क्रांति से क्या अभिप्राय है।
उत्तर:
1780 के दशक और 1850 के दशक के बीच ब्रिटेन में उद्योगों और अर्थव्यवस्था – का जो रूपातंरण हुआ उसे ‘प्रथम औद्योगिक क्रांति के नाम से पुकारा जाता है । इस क्रान्ति के ब्रिटेन पर दूरगामी प्रभाव पड़े।

प्रश्न 22.
‘औद्योगिक क्रांति’ शब्द का प्रचलन कैसे हआ?
उत्तर:
‘औद्योगिक क्रांति’ शब्द का प्रयोग यूरोपीय विद्वानों द्वारा किया। गया। इनमें फ्रांस के जर्जिस मिशले और जर्मनी के फ्रॉइड्रिक एंजेल्स शामिल थे। अंग्रेजी में इस शब्द का प्रयोग। सर्वप्रथम दर्शनिक एवं अर्थशास्त्री ऑरनॉल्ड टॉयनबी द्वारा उन परिवर्तनों के लिए किया गया जो ब्रिटेन के औद्योगिक विकास में 1760 और 1820 के बीच हुए थे।

प्रश्न 23.
दूसरी औद्योगिक क्रांति क्या थी?
उत्तर:
दूसरी औद्योगिक क्रांति लगभग 1850 के बाद आई। इस क्रांति द्वारा रसायन तथा बिजली जैसे नए औद्योगिक क्षेत्रों का विस्तार हुआ। इस दौरान, ब्रिटेन जो पहले विश्व में औद्योगिक शक्ति के क्षेत्र में अग्रणी था, पिछड़ गया। अब जर्मनी तथा संयुक्त राज्य अमेरिका उससे आगे निकल गए।

प्रश्न 24.
1750 से 1800 ई. के बीच यूरोप की जनसंख्या का मुख्य पहलू क्या था?
उत्तर:
1750 से 1800 के बीच यूरोप के उन्नीस शहरों की जनसंख्या दोगुनी हो गई थी। इसमें से ग्यारह शहर ब्रिटेन में थे। इन ग्यारह शहरों में लंदन सबसे बड़ा था। शेष बड़े-बड़े शहर भी लंदन के आस-पास ही स्थित थे।

प्रश्न 25.
इंग्लैंड में मशीनीकरण तथा उद्योग के काम आने वाले कौन कौन से खनिज उपलब्ध थे?
उत्तर:
इंग्लैंड में मशीनीकरण के लिए आवश्यक कोयला और लौह-अयस्क पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध थे। इसके अतिक्ति वहाँ उद्योग में काम आने वाले अन्य खनिज जैसे-सीसा, ताँबा और. राँगा (टिन) भी खूब मिलते थे।

प्रश्न 26.
लोहा-प्रगलन के लिए काठकोयले के प्रयोग की क्या समस्याएँ थीं?
उत्तर:
लोहा-प्रगलन के लिए काठकोयले के प्रयोग की निम्नलिखित समस्याएँ थीं –

  1. काठकोयला लंबी दूरी तक ले जाते समय टूट जाता था।
  2. इसकी अशुद्धियों के कारण घटिया किस्म के लोहे का ही उत्पादन होता था।
  3. यह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं था क्योंकि लकड़ी के लिए वन काट लिए गए थे।
  4. यह उच्च तापमान भी उत्पन्न नहीं कर सकता था।

प्रश्न 27.
जॉन विल्किसन ने लोहे का उपयोग किस-किस काम के लिए किया?
उत्तर:

  1. उसने सर्वप्रथम लोहे की कुर्सियाँ तथा शराब की भट्टियों के लिए टकियों बनाई।
  2. उसने भिन्न-भिन्न आकार की पाइपें भी बनाई। उसके द्वारा ढलवां लोहे से बनाई गई एक पाइप 40 मील लंबी थी जिसके द्वारा पेरिस को पानी की आपूर्ति की जाती थी।

प्रश्न 28.
ब्रिटेन के औद्योगीकरण में भाप की शक्ति का क्या महत्व था?
उत्तर:

  1. भाप की शक्ति उच्च तापमान पर दबाव उत्पन्न करती है जिससे अनेक प्रकार की मशीनें चलाई जा सकती थी।
  2. भाप की शक्ति ऊर्जा का ऐसा स्रोत थी जो भरोसे मंद और कम खर्चीली थी।

प्रश्न 29.
थॉमस न्यूकॉमेन ने भाप का इंजन कब बनाया? इसमें क्या कमी थी?
उत्तर:
थॉमस न्यूकॉमेन ने भाप का इंजन 1712 में बनाया। इसमें सबसे बड़ी कमी यह थी कि संघनन बेलन (कंडेसिंग सिलिंडर) के लगातार ठंडा होते रहने से इसकी ऊर्जा समाप्त होती रहती थी।

प्रश्न 30.
कपड़े के उद्योग में आधुनिक युग के आरंभ में किस तरह से क्रांति आई? किन्ही दो मशीनों के नाम लिखो।
उत्तर:
आधुनिक युग के आरंभ में कई आविष्कार हुए जिन्होंने कपड़े की कताई तथा बुनाई के काम को सरल बना दिया। इससे कपड़ा उद्योग में क्रांति आई।

मशीनें – कपड़ा उद्योग में क्रांति लाने वाली दो मशीनें थीं।

  • उड़न शटल (Flying Shuttle)
  • पावर लूम।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
ब्रिटेन के लिए कपास उद्योग का क्या महत्व था?
उत्तर:
ब्रिटेन में कपास का उत्पादन नही होता था। फिर भी 1780 के दशक से कपास उद्योग ब्रिटिश औद्योगिकरण का प्रतिक बन गया। इस उद्योग की दो प्रमुख विशेषताएँ थीं जो अन्य उद्योग में भी दिखाई देती थीं

  • कच्चे माल के रूप में आवश्यक समस्त कपास का आयात करना पड़ता था।
  • तैयार कपड़े का अधिकांश भाग निर्यात किया जाता था।

इस संपूर्ण प्रक्रिया के लिए इंग्लैंड के पास अपने उपनिवेश का होना आवश्यक था ताकि इन उपनिवेशों से भरपर मात्रा में कपास मंगाई जा सके और फिर इंग्लैंड में उससे कपड़ा बनाकर उन्हीं उपनिवेशों के बाजारों में बेचा जा सके। इस प्रक्रिया ने सम्राज्यवाद को बढ़ावा दिया। यह उद्योग मुख्य रूप से कारखानों में काम करने वाली स्त्रियों तथा बच्चों पर निर्भर था।

प्रश्न 2.
18वीं शताब्दी तक ब्रिटेन में प्रयोग में लाने योग्य लोह की क्या समस्या थी? धमनभट्टी के आविष्कार ने इस समस्या का समाधान कैसे किया?
उत्तर:
18वीं शताब्दी तक ब्रिटेन में प्रयोग में लाने योग्य लोहे की कमी थी। लोहा-प्रगलन (smelting) की प्रक्रिया द्वारा किया जाता था। इस प्रक्रिया के लिए काठ कोयले (चारकोल) का प्रयोग किया जाता था। इसके कारण अच्छा लोहा प्राप्त नहीं था क्योंकि काठकोयला उच्च तापमान उत्पन्न नहीं कर पाता था।

धमनभट्टी के आविष्कार ने धातुकर्म उद्योग में क्रांति ला दी। इसका आविष्कार 1709 में प्रथम अब्राह डवी ने किया। इसमें सर्वप्रथम ‘कोक का इस्तेमाल किया गया। कोक में ताप उत्पन्न करने की शक्ति थी। इसे पत्थर के कोयले से गंध तथा अपद्रव्य निकालकर तैयार किया जाता था। इस आविष्कार के बाद भट्ठियों को काठकोयले पर निर्भर नहीं रहना पड़ा। इन भट्ठियों से निकालने वाले पिघले लोहे से पहले की अपेक्षा अधिक बढिया और लंबी ढलाई की जा सकती थी।

प्रश्न 3.
1830 ई. तक ब्रिटेन में नहरों के विकास का विवरण दीजिए।
उत्तर:
प्रारंभ में नहरें कोयले को शहरों तक ले जाने के लिए बनाई गईं। इसका कारण यह था कि कोयले को उसके परिमाण और भार के कारण सड़क मार्ग से ले जाने में बहुत अधि क समय लगता था और उस पर खर्च भी अधिक आता था। इसके विपरीत उसे बजारों में भरकर नहरों के द्वारा ले जाने में समय ओर खर्च दोनों की बचत होती थी। औद्योगिक ऊर्जा और घरेलू रूपयोग के लिए कोयले की माँग निरंतर बढ़ती जा रही थी।

इंग्लैंड में पहली नहर ‘वर्सली कैनाल’ 1761 में जेम्स, ब्रिडली द्वारा बनाई गई। इसका उद्देश्य वर्सले (मैनचेस्टर के पास) के कोयला भंडारों से शहरों तक कोयले ले जाना था। इस नहर के बन जाने के बाद कोयले का मूल्य घटकर आधा रह गया क्योंकि उसकी ढुलाई का खर्च बहुत कम हा गया था।

नहरें प्राय: बड़े-बड़े जमींदारों द्वारा अपनी जमीनों पर स्थित खानों, खदानों या जंगलों का मूल्य बढ़ाने के लिए बनाई जाती थीं। नहरों के आपस में जुड़ जाने से नए-नए शहरों में बजार-केंद्र स्थापित हो गए। उदाहरण के लिए बर्मिघम शहर का विकास केवल इसीलिए तेजी से हुआ क्योंकि वह लंदन, ब्रिस्टल चैनल और मरसी तथा हंबर नदियों के साथ जुड़ी नहर प्रणाली के मध्य में स्थित था।

प्रश्न 4.
1842 के सर्वेक्षण से ब्रिटेन में लोगों की जीवन-अवधि तथा मौतों के बारे में क्या नए तथ्य सामने आये?
उत्तर:
1842 में किए गए एक सिर्वेक्षण से पता चला कि कारखानों में काम करने वाले वेतन भोगी मजदूरों के जीवन की औसतन अवधि शहरों में रहने वाले सामाजिक समूहों के जीवनकाल से कम है। बर्मिघम में यह केवल 15 वर्ष, मैनचेस्टर में 17 वर्ष तथा डी में 21 वर्ष थी। नए औद्योगिक नगरों में गाँव से आकर रहने वाले लोग ग्रामीण लोगों की तुलना में काफी छोटी आयु में मर जाते थे। वहाँ पैदा होने वाले बच्चों में से आधे बच्चे पाँच साल की आयु प्राप्त करने से पहले ही चल बसते थे। शहरों की जनसंख्या में वृद्धि नए पैदा हुए बच्चों से नहीं, बल्कि बाहर से आकर बसने वाले नए लोगों से ही होती थी।

मौतें प्रायः जल प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण से पैदा होने वाली महामारियों के कारण होती थीं। उदाहरण के लिए 1832 में हैजे का भीषण प्रकोप हुआ। इसमें 31,000 से भी अधिक लोग मौत का शिकार हो गए। उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम दशकों तक स्थिति यह थी कि नगर-प्राधिकारी जीवन की इन भंयकर परिस्थितियों की ओर कोई ध्यान नहीं देते थे। चिकित्सकों या अधिकारियों को इन बीमारीयों के निदान और उपचार के बारे में भी कोई जानकारी नहीं थी।

प्रश्न 5.
क्या औद्योगिक क्रांति को ‘क्रांति’ कहना उचित है? तर्क दीजिए।
उत्तर:
औद्योगीकरण की क्रिया इनती धीमी गति से होती रही कि इसे ‘क्रांति’ कहना ठीक नहीं होगा। इसके द्वारा पहले से ही विद्यमान प्रक्रियाओं को ही आगे बढ़ाया गया। इस प्रकार फैक्ट्रियों में श्रमिकों का जमावड़ा पहले की अपेक्षा अधिक हो गया और धन का प्रयोग भी पहले से अधिक व्यापक रूप से होने।

उन्नीसवीं शताब्दी के आरंभ होने के काफी समय बाद तक भी इंग्लैंड के बड़े-बड़े क्षेत्रों में कोई फैक्टरी या खान नहीं थी। इंग्लैंड में परिवर्तन भी क्षेत्रीय तरीके से हुआ। यह मुख्य रूप से लंदन, मैनचेस्टर, बर्मिघम या न्यूकासल नगरों के चारों ओर ही था, न कि संपूर्ण देश में। इसलिए ‘क्रांति’ शब्दों को अनुपयुक्त माना गया।

प्रश्न 6.
औद्योगिक क्रांति से क्या अर्थ है? इसके मुख्य लक्षणों की चर्चा करें।
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति का अर्थ उन परिवर्तनों से है, जिनके कारण इंग्लैंड की उत्पादन प्रणाली का रूप बिल्कुल बदल गया। इस क्रांति के मुख्य लक्ष्य निम्नलिखित थे – 1760 तथा 1820 ई. के बीच इंग्लैंड की प्रत्येक औद्योगिक शाखा में महत्वपूर्ण परिवर्तन आए। बड़े-बड़े कारखानों में मशीनों की शक्ति के साथ बहुत अधिक संख्या में वस्तुएँ तैयार होने लगीं। इससे पहले घरेलू उद्योग धंधो के ढंग से ही घरों में हाथों से बहुत थोड़ी संख्या में सामान तैयार किया जाता था। .

प्रश्न 7.
औद्योगिक क्रांति ने मजदूरों पर क्या प्रभाव डाला? कोई चार-बातें बताएँ।
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति का मजदूरों की दशा पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा।

  1. उन्हें प्रतिदिन 15 से 18 घंटे काम करना पड़ता था। थकावट होने पर भी उन्हें आराम करने की आज्ञा नहीं थी।
  2. उनके काम करने का स्थान भी बहुत गंदा होता था और उनकी सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं था।
  3. मजदूरों के रहने के मकान बहुत खराब थे। दुर्घटनाएं, रोग और महामारियाँ उनके दैनिक जीवन का अंग बन गई थीं।
  4. स्त्रियों तथा बच्चों से भी काम लिया जाता था और उन्हें बहुत कम मजदूरी मिलती थी।

प्रश्न 8.
औद्योगिक क्रांति के सामाजिक परिणाम बताएँ। इस क्रांति ने किन-किन सामाजिक समस्याओं को जन्म दिया?
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति से इंग्लैंड विश्व का सबसे धनी देश बन गया। उसकी राष्ट्रीय आय में विदेशी व्यापार से काफी वृद्धि हुई। बड़े-बड़े नगर मानचैस्टर, लंकाशायर, शैफील्ड इसी क्रांति की देन हैं। कृषि प्रणाली में नवीन वैज्ञानिक औजार, प्रयोग किए जाने लगे। इस क्रांति के बुरे प्रभाव पड़े, और कुटीर उद्योग नष्ट हो गए और देश में बेकारी बढ़ गई। इसके अतिरिक्त मजदूर और पूंजीपति वर्ग में संघर्ष आरंभ हुआ।

क्रांति के कारण छोटे-छोटे किसान गाँवों को छोड़ कर नगरों में मजदूरी के लिए जाने लगे। फलस्वरूप आवास, स्वास्थ और सफाई की जटिल समस्याएँ सामने आई। करखानों में स्त्रियों तथ बच्चों से काम लिया जाने लगा जिसके फलस्वरूप मनुष्य में नैतिक पतन और शारीरिक एवं मानसिक विकास में बाधा पड़ी।

प्रश्न 9.
आवागमन के साधनों में हुए नये आविष्कारों की जानकारी दें।
उत्तर:
1750 से 1903 ई. तक आवागमन के क्षेत्र में आश्चर्यजनक परिवर्तन हुए। इन परिवर्तनों का श्रेय नये अविष्कारों तथा उनके आविष्कारकों को जाता है। इन आविष्कारों का संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है –

  1. सड़के – स्काटलैंड के इंजीनियर जान मैकऐडम ने छोटे पत्थरों की सहायता से मजबूत सड़के बनाई। इंग्लैंड में ऐसी : नेक सड़कों का निमार्ण हुआ।
  2. लहरें – ‘जेम्स ब्रिडले’ (james Brindley) ने बहुत सी नहीरों का निमार्ण करवाया। अब बर्मिघम, लंदन, लिवरपूल ओर मानचैस्टर के नगर नहरों द्वारा एक दूसरे से जुड़ गए।
  3. रेल इंजन – 1802 ई. ‘ट्रेवीथिक’ (Trevithick) ने प्रथम लोकोमोटिव इंजन की खोज की। 1814 ई. में जॉर्ज स्टीफैन्सन ने राकेट नाम के स्टीम इंजन का आविष्कार किया। 1825 – ई. में पहली रेलगाड़ी चली।
  4. स्टीम शिप्स – अमेरिका वैज्ञानिक ‘राबर्ट फुलटोन’ (Robert Fulton) ने 1807 ई. में एक ‘भाप वाली बोट’ की खोज की। 1825 ई. में प्रथम स्टीमशिप ‘ग्लोसगो’ से ‘लिवरपूल’ तक गया। 1833 ई. ग्रेट वैस्टर्न नामक जहाज ने 15 दिन में अटलांटिक सागर को पार किया।
  5. मोटर – कार-19वीं शताब्दी के अंत में एक जर्मन इंजीनियर ने पेट्रॉल से चलने वाली मोटर-कार का आविष्कार किया।

प्रश्न 10.
उन पाँच महत्वपूर्ण कारणों का वर्णन करें जिनके कारण इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति आरंभ हुई।
उत्तर:
इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के आरंभ होने के पाँच मुख्य कारण इस प्रकार हैं –

  1. पूंजी की अधिकता – इंग्लैंड ने विदेशी व्यापार द्वारा भारी मात्रा में पूंजी जमा कर ली थी। इंग्लैंड के व्यापारी काफी धनी थे और अपनी पुंजी अद्योगों में लगा सकते थे।
  2. कच्चे माल की सुलभता – इंग्लैंड को अपने उपनिवेशों से कारखानों के लिए कच्चा माल आसानी से मिल जाता था।
  3. भूमिहीन बेरोजगारी – कृषि क्रांति के फलस्वरूप इंग्लैंड में भूमिहीन बेरोजगार लोगों की संख्या काफी बढ़ गई थी। ये लोग कम मजदूरी पर कारखानों में काम करने को तैयार थे।
  4. लोहे तथा कोयले के भंडार – इंग्लैंड में पर्याप्त मात्रा में लोहे और कोयले के भंडार उपलब्ध थे। ये भंडार पास-पास मिलते थे जिससे उद्योग स्थापित करने में आसानी हो गई।
  5. नवीन आविष्कार – इसी समय इंग्लैंड में अनेक तकनीकि आविष्कार हुए। भाप से चलने वाली रेलें, भाप के इंजन तथा भाप के जहाजों का निर्माण होने से उद्योगों में तीव्र परिवर्तन होने लगे।

प्रश्न 11.
इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर:
18वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में इंग्लैंड में औद्योगिक क्षेत्र में तीव्र परिवर्तन हुए। इसे इतिहास में औद्योगिक क्रांति का नाम दिया गया है। इस क्रांति की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं –

  1. औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैंड में आई। इंग्लैंड के पास कच्चा माल भी था और तैयार माल को बेचने के लिए मंडियाँ भी थीं। ये सभी तत्व यूरोप के किसी अन्य देश में एक साथ विद्यमान नहीं थे।
  2. घरेलू व्यवस्था का स्थान कारखाना प्रणाली ने ले लिया। बड़े-बड़े नगर बस गए और करखाने स्थापित हुए। नगरो में काम मशीनों से होने लगा।
  3. क्रांति का आधार वे मशीनें थीं जिनके कारण कपड़ा उद्योग के उत्पाद में आश्चर्यजनक उन्नति हुई। हारग्रीब्ज और आकराइट की मशीनों ने क्रांति पैदा कर दी। यातायात के साधनों का विकास हुआ और खानों के काम में सुधार किया गया।
  4. इंग्लैंड की अर्थ-व्यवस्था कृषि पर आधारित न रहकर उद्योगों पर निर्भर हो गई। कृषक कारखाना मजदूर बन गए।
  5. आगागिक क्रांति के परिणामस्वरूप मजदूरो की दशा बड़ी शोचनीय हो गई। उन 15 से 18 घंटे तक काम लिया जाने लगा।
  6. उनकी बस्तियाँ प्रायः रोगों और महामारियों का शिकार बनी रहती थीं।

प्रश्न 12.
औद्योगिक क्रांति के मुख्य परिणामों का उल्लेख करो।
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति के बड़े महत्वपूर्ण परिणाम निकले जिनका वर्णन इस प्रकार है –

  1. औद्योगिक क्रांति के कारण उद्योग, घरों के स्थान पर, करखानों में चलने लगे। फलस्वरूप वे लोग जो घरों में छोटे-छोटे उद्योग चलाते थे, उन्हें अपने उद्योग बंद कर करखानों में मजदूरी करनी पड़ी।
  2. औद्योगिक क्रांति से पूर्व गाँवों की अधिकांश जनता कृषि पर निर्भर थीं। लोगों की प्रायः सभी आवश्यकताएँ गाँवों में ही पूरी हो जाती थी। परंतु अब नगर आर्थिक जीवन के केन्द्र बन गए और गाँवों के किसान गाँव छोड़कर नगरों में जा बसे। इस प्रकार अधिकांश जनता का भूमि से कोई संबंध न रहा।
  3. नगरों में जनसंख्या की वृद्धि हो जाने से आवास, स्वास्थ और सफाई की समस्याएँ उत्पन्न हो गई।
  4. औद्योगिक क्रांति से उत्पादन में बहुत अधिक वृद्धि हुई। फलस्वरूप वस्तुएँ सस्ती हो गई।
  5. कारखानों में श्रमिकों को दूषित वातावरण में रहकर कई-कई घंटो तक लगातार काम करना पड़ता था। परंतु उनके वेतन बहुत ही कम थे। परिणामस्वरूप श्रमिकों की दशा अत्यंत शोचनीय हो गई।
  6. औद्योगिक क्रांति के कारण लगभग सारा लाभ पूंजीपतियों अथवा उद्योगपतियों की जेब में जाने लगा। फलस्वरूप पूंजीवाद की भावना को बल मिला।
  7. औद्योगिक क्रांति के कारण ही बाद में उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद और सामजवाद का उदय हुआ।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित का अर्थ समझाएँ औद्योगिक क्रांति, पूंजीवाद, सम्राजवाद, संरक्षी आयात कर, अहस्तक्षेप का सिद्धांत।
उत्तर:
1. औद्योगिक क्रांति – विषय-परिचय में पढ़े।

2. पंजी – पूंजी से हमारा अभिप्राय उस धनराशि से है जिसकी सहायता से कारखाने स्थापित किये जाते हैं तथा मशीनें, औजार और कच्चा माल खरीदा जाता है और तैयार माल को बेचने का प्रबंध किया जाता है।

3. पूंजीवाद – अर्थ-व्यवस्था में कारखानों, मशीनों तथा उत्पादन के साधनों पर पुंजीपतियों का अधिकार होता है, उसे पूंजीवाद कहते हैं। इसमें उत्पादन मुनाफा कमाने के लिए होक्त है।

4. समाजवाद – जिस व्यवस्था में मशीनों, कारखानों तथा उत्पादन के साधनों पर पूंजीपतियों का अधिकार होने की बजाय समाज या सरकार का अधिकार होता है उसे समाजवाद कहा जाता है। समाजवाद में वस्तुओं का उत्पादन पूरे समाज की भलाई के लिए किया जाता है।

5. संरक्षी आयात कर – जो कर विदेश से आने वाली वस्तुओं पर लगाया जाता है, उसे संरक्षी आयात कर कहते हैं। इस कर का उद्देश्य देश के उद्योगों को संरक्षण प्रदान करना होता है।

6. हस्तक्षेप का सिद्धांत – देश की सरक’ द्वारा व्यापार तथा उद्योगों में हस्तक्षेप। करने की निति का अहस्तक्षेप का सिद्धांत कहते हैं। इसी सिद्धांत का प्रतिपादन 1762 ई. में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एडम स्मिथ (Adam Smith) ने किया था।

प्रश्न 14.
औद्योगिकीकरण के लिए कौन सी परिस्थितियाँ बहुत अनुकूल हैं?
उत्तर:
औद्योगिकीकरण के लिए प्रायः ‘म’ अथवा M का होना आवश्यक है। ये हैं – मुद्रा (Money), माल (Material), मशीन (Machine), मंडी (Market), मनुष्य (Man)| कारखाने लगाने के लिए धन की आवश्यकता पड़ती है। मशीनें पैसे से ही खरीदी जा सकती हैं। कच्चे माल की समीपता भी औद्योगिकरण के लिए बड़ी सहायक सिद्ध होती है। यदि माल दूर से लाना पड़ेगा, तो निर्मित वस्तुएँ महंगी पड़ेगी। तैयार माल की खपत के लिए मंडियों का होना बड़ा आवश्यक है और इन सबसे आवश्यक है-मनुष्य, जो माल तैयार करने और उसे खपाने में बड़ा सहायक सिद्ध होता है।

प्रश्न 15.
औद्योगिक क्रांति के कारण कच्चे मालों और बाजार की आवश्यकता हुई। इस प्रकार राष्ट्र एक दूसरे पर काफी निर्भर हो गये।” इस कथन के पुष्टी मे उदाहरण दो।
उत्तर:
कारखानों में मशीनों को चलाने के लिए कच्चे माल की आवश्यकता होती है। इसके साथ-साथ तैयार माल को बेचने के लिए मंडिया भी होनी चाहिए। अत: कच्चे माल खरीदने तथा तैयार माल बेचने के लिए राष्ट्र को एक दूसरे पर निर्भर रहना पड़ता है। उदाहरण के लिए इंग्लैंड अपने कारखाने चलाने के लिए भारत से रूई मंगवाता था और फिर तैयार माल दूसरे देशों के बाजारों में भेजता था। इसी प्रकार भारत पटसन के कारखानों के लिए आज बंग्ला देश से पटसन मंगवाता है और तैयार माल अन्य देशों में भेजता है।

प्रश्न 16.
जब औद्योगिक क्रांति फैली तब औद्योगिक नगरों और कारखानों की जो दशा थी, उसका वर्णन करें।
उत्तर:
औद्योगिक नगरों की दशा-इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति आने के कारण नगरों की दशा बड़ी शोचनीय हो गई। इन नगरों में कारखानों में काम करने वाले मजदूरों की एक बहुत बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गई जिसके परिणामस्वरूप वहाँ पर आवास, स्वास्थ्य आदि की समस्याएँ जटिल हो गई। नगरों में मजदूर गंदी बस्तियों में रहते थे। इन बस्तियों में गंदे पानी को निकालने की कोई व्यवस्था नहीं थी। अत: इनमें प्रायः मलेरिया तथा हैजा फूट पड़ता था जसके कारण कितने ही मजदूरों की मृत्यु हो जाती थी।

कारखानों की दशा-कारखानों में काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं था। वहाँ पर मशीनों के चारों ओर जंगले न होने के कारण कई मजदूर दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते थे। कारखानों में ताजी हवा तथा रोशनी का भी कोई विशेष प्रबंध नहीं था जिसके कारण मजदूरों का स्वास्थ्य प्रायः बिगड़ जाता था। इसके अतिरिक्त मजदूरों को लगभग 16 घंटे प्रतिदिन काम करना पड़ता था। बच्चों तथा स्त्रियों को सस्ती मजदूरी पर रख लिया जाता था और उनसे बहुत कठोर व्यवहार किया जाता था।

प्रश्न 17.
मजदूर संघों का विकास अहस्तक्षेप की नीति को समाप्त करने में किस प्रकार सहायक सिद्ध हुआ।?
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति के साथ-साथ यह धारणा भी जोर पकड़ने लगी कि सरकार को व्यापार तथा उद्योगों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। इस सिद्धांत का प्रतिपादन ‘वैल्थ आफ नेशंस’ नामक पुस्तक में किया गया था। इस पुस्तक के लेखक एडम स्मिथ की सरकार ने इस सिद्धांत को स्वीकार करके व्यापार तथा उद्योगों में हस्तक्षेप करना बंद कर दिया।

सरकार की अहस्तक्षेप की इस नीति का मजदूरों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। उद्योगपति मजदूरों को वेतन तो कम देते थे, परंतु उनसे काम अधिक लेते थे। मजदूर सरकार से किसी प्रकार की सहायता प्राप्त नहीं कर सकते थे। विवश होकर उन्होंने अपनी दशा स्वयं सुधारने का निश्चय किया। उन्होंने अपने संघों का निर्माण किया और उचित वेतन तथा काम के उचित घंटों के लिए संघर्ष आरम्भ कर दिया। परंतु जब उद्योगपतियों ने मजदूरों की माँग की ओर ध्यान न दिया तो अनेक स्थनों पर खून-खराबा हुआ। विवश होकर सरकार को उद्योगपतियों और मजदूरों के झगड़ों में हस्तक्षेप करना पड़ा। सरकार ने मजदूरों के भलाई के लिए कानून पास किये। इस प्रकार मजदूर संघों के कारण सरकार को अहस्तक्षेप की नीति को छोड़ना पड़ा।

भूमध्यसागरीय पत्तनों (बंदरगाह) से हटकर हालैंड और ब्रिटेन के अटलांटिक पत्तनों पर पहुँच गया। इसके बाद तो लंदन अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए ऋण प्राप्ति का प्रावधान स्रोत बन गया। साथ ही यह इंग्लैंड, अफ्रीका और वेस्टइंडीज के बीच स्थापित त्रिकोणीय व्यापार का केन्द्र भी बन गया। अमेरिका और एशिया में व्यापार करने वाली कंपनियों के कार्यालय लंदन में ही थे। इंग्लैंड में विभिन्न बाजारों के बीच माल की आवाजाही मुख्य रूप से नदी मार्गों तथा सुरक्षित खाड़ियों द्वारा होती थी।

इंग्लैंड की वित्तीय प्रणाली का केन्द्र बैंक ऑफ इंग्लैंड (1694 में स्थापित) था। 1820 के दशक तक प्रांतों में 600 से अधिक बैंक थे। इनमें से 100 से भी अधिक बैंक अकेले लंदन में ही थे। बड़े-बड़े औद्योगिक उद्यम स्थापित करने और चलाने के लिए आवश्यक वित्तीय साध न इन्हीं बैंकों द्वारा उपलब्ध कराए जाते थे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
ब्रिटेन में 1850 ई. तक रेलवे के विकास की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
1814 में भाप से चलने वाला पहला रेल का इंजन (स्टीफेनसन का रॉकेट) बना । अब रेलगाड़ियाँ परिवहन का महत्त्वपूर्ण साधन बन गई। ये वर्षभर उपलब्ध रहती थीं, सस्ती और तेज थीं और माल तथा यात्री दोनों को ढो सकती थीं। इस साधन में एक साथ दो आविष्कार सम्मिलित थे-लोहे की पटरी जिसने 1760 के दशक में लकड़ी की पटरी का स्थान ले लिया और भाप इंजन द्वारा लोहे की पटरी पर रेल के डिब्बों को खींचना।

पकिंग डेविल-रेलवे के आविष्कार के साथ औद्योगीकरण की प्रक्रिया ने दूसरे चरण में प्रवेश किया। 1801 में रिचर्ड ट्रेविथिक ने एक इंजन बनाया जिसे ‘पकिंग डेविल’ अर्थात् … “फुफकारने वाला दानव” कहते थे। यह इंजन ट्रकों को कॉर्नवाल में उस खान के चारों ओर खींचकर ले जाता था जहाँ रिचर्ड काम करता था।

ब्लचर-1814 में एक रेलवे इंजीनियर जॉर्ज स्टीफेनसन ने एक और रेल इंजन बनाया जिसे ‘बलचर’ (The Blutcher) कहा जाता था। यह इंजन 30 टन भार 4 मील प्रति घंटे की गति से एक पहाड़ी पर ले जा सकता था। रेलवे का विस्तार-सर्वप्रथम 1825 में स्टॉकटन और डार्लिंगटन शहरों के बीच रेल द्वारा 9 मील की दूरी 15 मील प्रति घंटा की गति से तय की गयी। इसके बाद 1830 में लिवरपूल और मैनचेस्टर को आपस में रेलमार्ग से जोड़ दिया गया। 20 वर्षों के भीतर ही रेल की गति 30 से 50 मील प्रति घंटा तक पहुंच गई ।

1830 के दशक में नहरी परिवहन में अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई –

  • नहरों के कुछ हिस्सों में जलपोतों की भीड़भाड़ के कारण परिवहन की गति धीमी पड़ गई।
  • पाले, बाद, या सूखे के कारण नहरों के प्रयोग का समय भी सीमित हो गया।

अतः अब रेलमार्ग की परिवहन का सुविधाजनक विकल्प दिखाई देने लगा। 1830 से 1850 के बीच ब्रिटेन में रेल मार्ग 6000 मील लंबा हो गया। 1833-37 के ‘छोटे रेलोन्माद’ के दौरान 1400 मील लंबी रेल लाइन बनाने की मंजूरी दी गई। इस कार्य में कोयले और लोहे का भारी मात्रा में उपयोग किया गया और बड़ी संख्या में लोगों को काम पर लगाया गया। 1850 तक अधिकांश इंग्लैंड रेलमार्ग से जुड़ गया।

प्रश्न 2.
ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति के कारण औरतों तथा बच्चों के काम करने के तरीकों में क्या परिवर्तन आए?
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति के कारण औरतों और बच्चों के काम करने के तरीकों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आए । ग्रामीण गरीबों के बच्चे सदा घर या खेत में अपने माता-पिता या संबंधियों की निगरानी में तरह-तरह के काम करते थे। उनके काम समय, दिन या मौसम के अनुसार बदलते रहते थे। इसी प्रकार गाँवों की औरतों भी खेती के काम में सक्रिय रूप से हिस्सा लेती थीं। वे पशुओं की देख-रेख करती थी, लकड़ियों इकट्ठी करती थीं और अपने घरों में चरखे चलाकर सूत काटती थीं।

कारखानों में काम-औद्योगिक क्रांति के बाद औरतें तथा बच्चे कारखानों में काम करने लगे । कारखानों में काम करना घरेलु कामों से बिल्कुल अलग था। वहाँ लगातार कई घंटों तक कठोर एवं खतरनाक परिस्थितियों में एक ही तरह का काम कराया जाता था।

पुरुषों की मजदूरी मामूली होती थी। इससे घर का खर्च नहीं चल सकता था। इसे पूरा करने के लिए औरतों और बच्चों को भी कुछ कमाना पड़ता था। ज्यों-ज्यों मशीनों का प्रयोग बढ़ता गया, काम, पूरा करने के लिए मजदूरों की जरूरत कम होती गई। उद्योगपति पुरुषों की बजाय औरतों ओर बच्चों को अपने यहाँ काम पर लगाना अधिक पसंद करते थे। इसके दो कारण थे-एक तो इन्हें कम मजदूरी देनी पड़ती थी। दुसरे वे अपने काम की घटिया परिस्थितियों के बारे में कम ही शिकायत करते थे।

स्त्रियों और बच्चों को लंकाशायर यॉर्कशायर नगरों के सूती कपड़ा उद्योग में बड़ी संख्या में लगाया जाता था। रेशम, फौते बनाने और बुनने के उद्योग-धंधों में और बर्मिघम के धात उद्योग मे अधिकतर बच्चों तथा औरतों को ही नौकरी दी जाती थी। कपास काटने की जेनी जैसे अनेक मशीने तो कुछ इस तरह की बनाई गई थी कि उनमें बच्चे ही अपनी फुर्तीली उंगलियों और छोटी सी कद-काठी के कारण आसानी से काम कर सकते थे। बच्चों को कपड़ा मिलों में इसलिए भी रख जाता था क्योंकि वहाँ पास-पास रखी गई मशीनों के बीच से छोटे बच्चे आसानी से आ-जा सकते थे। बच्चों से कई घंटों तक काम लिया जाता था।

यहाँ तक कि उन्हें रविवार को भी मशीनें साफ करने के लिए काम पर आना पडता था। परिणामस्वरूप उन्हें ताजी हर खाने या व्यायाम करने का समय नहीं मिलता था। कई बार तो बच्चों के बाल, मशीनों में फंस जाते थे या उनके हाथ कुचल जाते थे। बच्चे काम करते-करते इतने थक जाते थे कि उन्हें नींद की झपकी आ जाती था और वे मशीनों में गिरकर मौत के शिकार हो जाते थे। कोयला खानों में काम-कोयले की खाने भी काम की दृष्टि से बहुत खतरनाक होती थीं।

कई बार खानों की छते फँस जाती थी अथवा उनमें विस्फोट हो जाता था। चोटें लगाना तो वहाँ आम बात थी। कोयला खानों के गहरे अंतिम छोरों को देखने के लिए रास्ता, वयस्कों के लिए बहुत संकरा होता था। इसलिए वहाँ बच्चों को ही भेजा जाता था। छोटे बच्चों को कोयला खानों में ‘ट्रैपर’ का काम भी करना पड़ता था। कोयला खानों में जब कोयले से भरे डिब्बे इधर-उधर ले जाये जाते थे, तो बच्चे आवश्यकतानुसार दरवाजों को खोलते और बंद करते थे। यहाँ तक कि वे ‘कोल बियरर्स’ के रूप में अपनी पीठ पर कोयले का भारी वजन भी ढोते थे।

प्रश्न 3.
इंग्लैंड के श्रमिकों में बढ़ते हुए विरोध के प्रति सरकार से क्या नीति अपनाई?
उत्तर:
इंग्लैंड की फैक्ट्रियों में काम करने की कठोर परिस्थितियों के विरुद्ध राजनीतिक विरोधता बढ़ता जा रहा था। श्रमिक मताधिकार प्राप्त करने के लिए भी आंदोलन कर रहे थे। इसके प्रति सरकार ने दमनकारी नीति अपनायी और कानून बनाकर, लोगों से विरोध-प्रदर्शन का अधिकार छीन लिया।

जुड़वाँ अधिनियम – 1795 में ब्रिटेन की संसद ने दो जुड़वाँ अधिनियम पारित किए। इनके अनुसार भाषण अथवा लेखन द्वारा सम्राट् संविधान या सरकार के विरुद्ध घृणा फैलाना अवैध घोषित कर दिया गया। 50 से अधिक लोगों द्वारा अनाधिकृत रूप से सार्वजनिक बैठक करने पर रोक लगा दी गई। परंतु पुराने भ्रष्टाचार (Old Corruption) के विरुद्ध आंदोलन चलता रहा।

‘पुराना भ्रष्टाचार’ शब्द का प्रयोग राजतंत्र और संसद् के संबंध में किया जाता था। संसद् के सदस्य जिनमें भू-स्वामी, उत्पादक तथा व्यवसायी लोग शामिल थे, श्रमिकों को वोट का अधिकार दिए जाने के विरुद्ध थे। उन्होंने कार्न लॉज (अनाज के कानून) का समर्थन किया। इस कानून के अंतर्गत विदेश से ससं अनाज के आयात पर तब तक रो लगा दी गई थी जब तक कि ब्रिटेन में इन अनाजों की कीमत में निश्चित स्तर पर तक वृद्धि न हो जाए।

ग्रैड के लिए दंगे – जैसे-जैसे शहरों और कारखानों में श्रमिक की संख्या बढ़ी, वे अपने क्रोध को हर तरह के विरोध में प्रकट करने लगा। 1790 के दशक से पूरे देश में ब्रैड अथवा भोजन के लिए दंगे होने लगे। गरीबों का मुख्य आहार ब्रैड ही था और इसके मूल्य पर ही उनके रहन-सहन का स्तर निर्भर करता था। उन्होंने ब्रैड के भंडारों पर कब्जा कर लिया और उसे मुनाफाखोरों द्वारा लगाई गई कीमतों से काफी कम मूल्य पर बेचा जाने लगा। इस बात का ध्यान रखा गया कि कीमतें नैतिक दृष्टि से सही हों। ऐसे दंगे 1795 ई. में युद्ध के दौरान बार-बार हुए और ये 1840 के दशक तक चलते रहे।

चकबंदी का मजदूर परिवारों पर प्रभाव – चकबंदी अथवा बाड़ा पद्धति भी परेशानी का कारण थी। इसके द्वारा 1770 के दशक से छोटे-छोटे सैकड़ों खेत धनी जमींदारों के बड़े फार्मों में मिला दिए गए थे। इस पद्धति से कई गरीब परिवार बुरी तरह प्रभावित हुए। उन्होंने औद्योगिक काम देने की मांग की।

न्यनतम वैध मजदूरी की माँग – कपड़ा उद्योग में मशीनों के प्रचलन से भी हजारों की संख्या में हथकरघा बुनकर बेरोजगार हो गए थे। वे गरीबी की मार झेलने को विवश थे, क्योंकि वे मशीनों का मुकाबला नहीं कर सकते थे। 1790 के दशक से ये बुनकर अपने अपने लिए न्यूनतम वैध मजदूरी की मांग करने लगे। परंतु संसद् ने इस मांग को ठकरा दिया। हडताल करने पर उन्हें तितर-बितर कर दिया गया।

हताशा होकर सूती कपड़े के बुनकरों ने लंकाशायर में पावरलूमों को नष्ट कर दिया, क्योंकि वे समझते थे कि बिजल. के इन्हीं करधों ने ही उनकी रोजी-रोट छीनी है। नॉटिंघम में ऊनी कपड़ा उद्योग में भी मशीनों के चलन का विरोध किया गया। इस तरह लैस्टरशायर (Leicesterhire) और डर्बीशायर (Derbvshire) में भी विरोध प्रदर्शन हुए। यार्कशायर (Yorkshire) में ऊन काटने वालों ने ऊन काटने के ढाँचों (शीयरिंग फ्रेम) को नष्ट कर दिया।

ये लोग अपने हाथों से भेड़ों के बालों की कटाई करते थे। 1830 के दंगों में फर्मों में काम करने वाले श्रमिकों को भी अपना धंधा चौपट होता दिखाई दिया, क्योंकि भूसी से दाना अलग करने के लिए नयी श्रेशिंग मशीन का प्रयोग शुरू हो गया था। दंगाइयों ने इन मशीनों तोड डाला। परिणामस्वरूप नौ दंगाइयों को फांसी का दंड दिया गया और 450 लोगों को कैदियों के रूप में ऑस्ट्रेलिया भेज दिया गया।

लुडिज्य आंदोलन – जनरल नेद्र वुड के नेतृत्व में लुडिज्म (1811-17) नामक एक आंदोलन चलाया गया। लुडिज्म के अनुयायी केवल मशीनों में ही विश्वास नहीं रखते थे, बल्कि उनकी कई अन्य माँगे भी थीं। ये माँगें थीं-न्यूनतम मजदूरी नारी एवं बाल श्रम पर नियंत्रण मशीनों के प्रयोग से बेरोजगार हुए लोगों के काम और कानूनी तौर पर अपनी माँगें पेश करने के लिए मजदूर संघ बनाने का अधिकार।

सेंट पीटर्स के मैदान में प्रदर्शन – औद्योगिक के प्रारंभिक चरण में श्रमिकों के पास अपना क्रोध व्यक्त करने के लिए न तो वोट देने का अधिकार था और न ही कोई कानूनी ढंग। अगस्त, 1819 में 80,000 श्रमिक अपने लिए लोकतांत्रिक अधिकारों अर्थात् राजनीतिक संगठन बनाने, सार्वजनिक सभाएं करने और प्रेस की स्वतंत्रता के अधिकार की माँग करने के लिए मैनचेस्टर के सेंट पीटर्स (St Peter’s Field) मैदान में शांतिपूर्ण एकत्रित हुए।

परंतु उनका बर्बरतापूर्वक दमन कर दिया गया। इसे पीटर लू नरसंहार कहा जाता था। इससे कुछ लाभ भी हुए। पीटर लू के बाद उदारवादी राजनीतिक दलों द्वारा ब्रिटिश संसद् के निचले सदन ‘हाउस ऑफ कॉमन्स’ में प्रतिनिधित्व बढ़ाए जाने की आवश्यकता अनुभव की गई। 1824-25 में जुड़वां अधिनियमों को भी रद्द कर दिया गया।

प्रश्न 4.
ब्रिटेन की सरकार द्वारा श्रमिकों की दशा सुधारने के लिए कौन-कौन से कानूनी पग उठाये गये?
उत्तर:
19वीं शताब्दी के आरंभ में इंग्लैंड में श्रमिकों की दशा सुधारने के लिए कुछ कानून बनाए गए।
1. 1819 का कानून – 1819 के कानून के अनुसार नौ वर्ष से कम आयु वाले बच्चों से फैक्ट्रियों में काम करवाने पर रोक लगा दी गई। नौ से सोहल वर्ष की आयु वाले बच्चों से काम कराने का समय 12 घंटे तक सीमित कर दिया गया। परंतु इस कानून में इसका पालन कराने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था नहीं की गई थी। अतः संपूर्ण उत्तरी इंग्लैंड में श्रमिकों द्वारा इस का भारी विरोध किया गया।

2. 1833 का अधिनियम – 1833 में एक अन्य अधिनियम पारित किया गया। इसके अंतर्गत नौ वर्ष से कम आयु वाले बच्चों को केवल रेशम की फैक्ट्रियों में काम पर लगाने की अनुमति दी गई। बड़े बच्चों के लिए काम के घंटे सीमित कर दिए, गए। कुछ फैक्टरी निरीक्षकों की भी व्यवस्था की गई, ताकि अधिनियम के पालन को सुनिश्चित किया जा सके

3. ‘दस घंटा विधेयक’ – 1817 ई. में ‘दस घंटा विधेयक पारित किया गया। इस कानून ने स्त्रियों और युवकों के लिए काम के घंटे सीमित कर दिए। पुरुष श्रमिकों के लिए 10 घंटे का दिन निश्चित कर दिया। ये अधिनियम कपड़ा उद्योगों पर ही लागू होते थे, खनन उद्योग पर नहीं। सरकार द्वारा स्थापित 1842 के खान आयोग ने यह बताया कि 1833 का अधिनियम लागू होने से खानों में
काम करने की परिस्थितियाँ और अधिक खराब हो गई हैं। इससे बच्चों को पहले से कहीं अधिक . संख्या में कोयला खानों में काम पर लगाया जाने लगा था। अत: इस दिशा में भी कुछ पग उठाये
गए।

4. खान और कोयला खान अधिनियम – यह अधिनियम 1842 में पारित हुआ। इसके अनुसार दर वर्ष से कम आयु के बच्चों और स्त्रियों से खानों में काम लेने पर रोक लगा दी गई।

5. फील्डर्स फैक्टूरी अधिनियम – यह अधिनियम 1847 में पारित हुआ। इसमें कहा गया कि अठारह साल से कम आयु के बच्चों और स्त्रियों से खानों में काम लेने पर रोक लगा दी गई।

इन कानूनों का पालन फैक्ट्री निरीक्षकों द्वारा करवाया जाना था। परंतु यह एक कठिन काम था। निरीक्षकों का वेतन बहुत कम था। प्रायः प्रबंधक उन्हें रिश्वत देकर आसानी से उनका मुँह बंद कर देते थे। दूसरी ओर माता-पिता भी अपने बच्चों की आयु के बारे में झूठ बोलकर उन्हें काम पर लगवा देते थे, ताकि उनकी मजदूरी से घर का खर्च चलाया जा सके।

प्रश्न 5.
क्या कपास या लोहा उद्योगों में अथवा विदेशी व्यापार में 1780 के दशक से 1820 के दशक तक हुए विकास को ‘क्रांतिकारी’ कहा जा सकता है?
उत्तर:
नयी मशीनों के प्रयोग से सूती कपड़ा उद्योग में जो संवृद्धि हुई वह ऐसे कच्चे माल (कपास) पर आधारित थी जो ब्रिटेन में बाहर से मंगवाया जाता था। इसका कारण यह था कि इंग्लैंड में कपास नहीं उगाई जाती थी। तैयार माल भी दूसरे देशों में (विशेषतः भारत में) बेचा जाता था। धातु से बनी मशीनें और भाप की शक्ति तो उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक दुर्लभ रही। ब्रिटेन के आयात और निर्यात में 1780 के दशक से होने वाली तीव्र वृद्धि का कारण यह था कि अमेरिका स्वतंत्रता संग्राम के परिणामस्वरूप उत्तरी अमेरिका के साथ रुका व्यापार फिर से शुरू हो गया था। इस वृद्धि को इसलिए तीव्र कहा गया क्योंकि जिस बिंदु से इसका प्रारंभ हुआ था वह काफी नीचे था।

आर्थिक परिवर्तन के सूचकांक से पता चलता है कि सतत् औद्योगीकरण 1815-20 से पहले की बजाय बाद में हुआ था। 1793 के बाद के दशकों में फ्रांसीसी क्रांति और नेपोलियन के युद्धों के विघटनकारी प्रभावों को अनुभव किया गया था। वास्तव में औद्योगिकरण का अर्थ निर्माण करने, आधारभूत ढाँचा तैयार करने अथवा नयी-नयी मशीनें लगाने के उद्देश्य से निवेश करने से है। इन सुविधाओं के कुशलतापूर्वक उपयोग का स्तर बढ़ाना और उत्पादकता में वृद्धि करना भी औद्योगीकरण की प्रक्रिया में शामिल है। ये बातें 1820 के बाद ही धीरे-धीरे दिखाई दी। 1840 के दशक तक कपास, लोहा और इंजीनियरिंग उद्योगों का औद्योगिक उत्पादन कुल उत्पादन के आधे से भी कम था।

तकनीकी प्रगति इन्हीं शाखाओं तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि वह कृषि संसाधन तथा मिट्टी के बर्तन बनाने (पौटरी) जैसे अन्य उद्योग धंधे में भी देखी जा सकती थी। अतः कपास, लोहा उद्योग विदेश व्यापार में 1780 से 1820 के दशकों तक हुए विकास (सम्वृद्धि) को हम क्रान्तिकारी नहीं कह सकते।

प्रश्न 6.
ब्रिटेन में औद्योगिक विकास 1815 से पहले की अपेक्षा उसके बाद अधिक तेजी से क्यों हुआ?
उत्तर:
1760 के दशक से IN15 तक ब्रिटेन ने एक साथ दो कम करने का प्रयास किया-पहला औद्योगीकरण और दूसरा यूरोप, उत्तरी अमेरिका और भारत में युद्ध लड़ना । इतिहासकारों के अनुसार वह इनमें से एक काम करने में असफल रहा। ब्रिटेन 1760 के बाद से 1820 तक की अवधि में 36 वर्ष तक लड़ाई में व्यस्त रहा। उद्योगों में निवेश के लिए उधार ली गई सारी पूंजी युद्ध लड़ने में खर्च कर दी गई। यहाँ तक कि युद्ध का 35 प्रतिशत तक खर्च लोगों पर कर लगाकर पूरा किया जाता था।

कामगारों और श्रमिकों को कारखानों तथा खेतों में से निकालकर सेना में भर्ती कर दिया जाता था। खाद्य पदार्थों की कीमतें तो इतनी तेजी से बढ़ी कि गरीबों के पास दैनिक उपयोग की सामग्री खरीदने के लिए भी बहुत कम पैसा बचता था। नेपोलियन की नाकेबन्दी की नीति, और ब्रिटेन द्वारा उसे असफल बनाने के प्रयासों ने यूरोप महाद्वीप को व्यापारिक दृष्टि से अवरुद्ध कर दिया। इससे ब्रिटेन से निर्यात होने वाले अधिकांश निर्यात स्थल ब्रिटेन के व्यापारियों की पहुंच से बाहर हो गए।

क्रिस्टल पैलेस की प्रदर्शनी – 1851 में लन्दन में विशेष रूप से निर्मित स्फटिक महल (क्रिस्टल पैलेस) में ब्रिटिश उद्योगों की उपलब्धियों को दर्शाने के लिए एक विशाल प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसे देखने के लिए दर्शकों का तांता लग गया। उस समय देश की आधी जनसंख्या शहरों में रहती थी। परन्तु शहरों में रहने वाले कामगारों में जितने लोग हस्तशिल्प की इकाइयों में काम करते थे, लगभग उतने ही फैक्ट्रियों या कारखानों में कार्यरत थे।

1850 के दशक से शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों का अनुपात अचानक बढ़ गया। इनमें से अधिकांश लोग उद्योगों में काम करते थे अर्थात् वे श्रमजीवी वर्ग के थे। अब ब्रिटेन के समूचे श्रमिक बल का केवल 20 प्रतिशत भाग ही ग्रामीण क्षेत्रों में रहता था। औद्योगीककरण की यह गति अन्य यूरोपीय देशों में हो रहे औद्योगीकरण की अपेक्षा बहुत अधिक तेज थी। इतिहासकार ए.ई. मस्सन ने ठीक ही कहा है, “1850 से 1914 तक की अवधि की एक ऐसा काल मानने के लिए पर्याप्त आधार है, जिसमें औद्योगिक क्रान्ति वास्तव में अत्यन्त व्यापक पैमाने पर हुई। इसने सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था और समाज की कायापलट कर दी।”

प्रश्न 7.
औद्योगिक क्रांति के अंतर्गत हुए आविष्कारों की विस्तृत जानकारी दें।
उत्तर:
17वीं, 18वीं तथा 19वीं शताब्दी के आरंभ में यूरोप में विज्ञान एंव तकनीकि के क्षेत्र में बड़ा, विकास हुआ जसके फलस्वरूप इन देशों में नए-नए आविष्कार हुए। इन आविष्कारों का विस्तृत वर्णन इस प्रकार है –
1. फ्लाइंग शटल – फ्लाइंग शटल का आविष्कार “जॉन के’ (John kay) ने 1733 ई. में किया। इसकी सहायता से कपड़ा शीघ्रता से बुना जाने लगा। इस कपड़े की चौड़ाई पहले से दुगनी थी।

2. स्पिनिंग जैनी – स्पिनिंग जैनी नामक मशीन का आविष्कार हारग्रीब्ज (Hargreaves) ने 1765 ई. किया। इस मशीन में आठ तकुओं की व्यवस्था थी। इस प्रकार आठ मजदूरों का काम एक मशीन करने लगी। इसकी सहायता से काता गया सूत बारीक होता था, परंतु वह मजबूत नहीं होता था।

3. वाटर फ्रेम – वाटर फ्रेम का आविष्कार आर्कराइट नामक एक नाई ने 1769 ई. में किया। यह मशीन भी पनशक्ति से चलती थी। इसकी सहायता से मजबूत कपड़ा बुना जा सकता था। इस प्रकार वाटर फ्रेम के आविष्कार ने कपड़ा उद्योग में एक क्रांति पैदा कर दी। एक विशेष बात यह थी कि इस मशीन को घर में नहीं लगाया जा सकता था। अतः इंग्लैंड में कारखानों का जन्म हुआ।

4. मूल्य – मूल्य का आविष्कार सैमुअल क्रांपटन (Sammuel Crompton) ने 1779 ई. में किया। इस मशीन में हारग्रीब्ज को स्पिनिंग जैनी तथा आर्कराइट के वाटर फ्रेम के सभी गुण विद्यमान थे। यह मशीन भी शक्ति से चलाई जाती थी। इसकी सहायता से काटा गया धागा बारीक तथा पक्का होता था। इसके अतिरिक्त इसमें कई धागे एक साथ काते जा सकते थे।

5. पावरलूम – पावलूम का आविष्कार कार्टराइट ने सन् 1787 ई. में किया। यह मशीन भाप की शक्ति से चलती थी। इसके आविष्कार से उद्योगों में एक क्रांति आ गई। अब कपड़ा बहुत तेजी से बुना जाने लगा।

6. काटन जिन – काटन जिन नामक मशीन का आविष्कार 1793 ई. में एलीविने ने किया। इसकी सहायता से कपास से बिनौले बड़ी शीघ्रता से अगल किए जाने लगे। इस महत्वपूर्ण आविष्कार ने सूति कपड़े के उद्योग में आश्चर्यजनक क्रांति ला दी। अब कपड़ा और भी शीघ्रता से बुना जाने लगा।

7. सिलिंडर प्रिंटिंग – सिलिंडर प्रिंटिंग मशीन का आविष्कार 18 वीं शताब्दी के अंत में हुआ। इस आविष्कार से कपड़े की धुलाई व रंगाई में महान परिवर्तन आए। इससे सूती कपड़ा उद्योग बहुत उन्नत हो गया।

8. भाप का इंजन – सबसे पहले भाप इंजन का आविष्कार न्यूकोमन ने किया था। तत्पश्चात् जेम्स वॉट (James watt) ने इसमें कई सुधार किए। इसके बाद इसकी उपयोगिता ओर भी बढ़ गई। वास्तव में यदि देखा जाए तो औद्योगिक क्रांति का आरंभ ही जेम्स वॉट के भाप इंजन से हुआ।

9. लोहा तथा कोयला उद्योग में क्रांति – औद्योगिक क्रांति की प्रगति के लिए लोहे की माँग अब निरंतर बढ़ने लगी। फलतः लोहा तथा कोयला उद्योग मे बहुत-से क्रांतिकारी परिवर्तन आए। लोहे को पिघलाने के लिए अब लकड़ी के बजाए पत्थर के कोयले का प्रयोग हाने लगा। इससे लोहे का पिघलाने का काम बहुत आसान हो गया। पहले मशीनें भी लकड़ी की बनाई जाती थीं।

अब लकड़ी का स्थान लोहे ने ले लिया और लोहे की असंख्य मशीनें बनाई जाने लगी। खानों. में काम करने वाले मजदूरों के जीवन को सुरक्षा प्रदान करने के लिए 1815 में सर हफ्री डैवी (Sir Humphry Davy) ने सुरक्षा लैंप (Safety Lamp) का आविष्कार किया। इस प्रकार अब खानों में काम करना भी सरल हो गया।

10. सड़कें बनाने में क्रांति – औद्योगिक प्रगति के लिए यातयात के साधनों का होना नितांत आवश्यक था। औद्योगिक क्रांति से पूर्व सड़कों की दशा अच्छी न थीं। माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता था। 18वीं शताब्दी के अंत में स्कॉटलैंड के एक अभियंता (Engineer) मैकऐडम ने सड़क बनाने के लिए छोटे-छोटे पत्थरों का प्रयोग किया। तत्पश्चात् टैलीफोर्ड तथा मैटकॉक ने अच्छी सड़कों के निर्माण में काफी योगदान दिया। पक्की सड़कों के बन जाने के कारण औद्योगिक क्रांति को प्रोत्साहित मिला।

11. नहर बनाने में क्रांति – लोहे तथा कोयले जैस भारी माल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए नहरों का निर्माण आरंभ हुआ। इंग्लैंड में सबसे पहली नहर 1761 ई. में ब्रिडल नामक एक इंजीनियर की देख-रेख में बनाई गई। यह नहर बर्सेलसे मानचैस्टर तक बनाई गई। इसके बाद तो बहुत-सी नहरों का निर्माण हुआ और लंकाशायर तथा मानचेस्टर के व्यापारिक क्षेत्र आपस में मिला दिए गए।

12. रेलवे इंजन – 1884 ई. में जार्ज स्टीफेन्सन ने पहला लोको-मोटिव इंजन बनाया जो भाप की शक्ति से चलता था। 1830 में मानचेस्टर और लिवरपूल के बीच पहली रेल-लाइन बनाई गई । इस प्रकार परिवहन के साधनों के विकास में एक नया परिवर्तन आया।

प्रश्न 8.
कृषि-क्रांति के बारे में विस्तार से वर्णन करें।
उत्तर:
18वीं शताब्दी में कृषि के क्षेत्र में वैज्ञानिक तरीकों के प्रयोग से कृषि के साधनों में परिवर्तन आया। नई-नई मशीनों की खोज भी हुई जिनके कारण भूमि को जोतने तथा फसल काटने के ढंग पूर्णतया बदल गए। इस प्रकार कृषि के क्षेत्र में आश्चर्यजनक उन्नति हुई। तीव्र गति से कृषि का रूप बदलने वाले इन तरीकों को कृषि क्रांति के नाम से पुकारा जाता है।

कारण – प्राचीन कृषि के ढंग परंपरागत तथा रूढ़िवादी थे। किसानों के खेत छोटे-छोटे तथा दूर-दूर स्थित थे। किसानों को अपना ध्यान उनकी ओर लगाना पड़ता था जिससे उनका बहुत सः

प्रश्न 9.
औद्योगिक क्रांति के सामाजिक तथा आर्थिक प्रभाव क्या थे? (V.Imp)
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति का इंग्लैंड के लोगों के जीवन के हर पहलू पर गहरा प्रभाव पड़ा। इसने इंग्लैंड को कृषि प्रधान देश से औद्योगिक देश बना दिया औद्योगिक क्रांति के प्रमुख सामाजिक तथा आर्थिक प्रभाव निम्नलिखत थे –
1. राष्ट्रीय आय में वृद्धि – इस क्रांति के फलस्वरूप इंग्लैंड विश्व का सबसे बड़ा औद्योगिक देश बन गया। उसके व्यापारिक संबंध विदेशों से स्थापित हुए। विदेशों में उनका माल बिकने लगा। इस प्रकार इंग्लैंड की राष्ट्रीय आय में काफी वृद्धि हो गई।

2. कुटीर उद्योग का अंत – औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप ऐसी मशीनों का आविष्कार हुआ जिन्हें घर में नहीं लगाया जा सकता था। इसलिए देश में असंख्य कारखानों की स्थापना हुई। इस प्रकार इंग्लैंड में कुटीर उद्योग लगभग समाप्त हो गए।

3. नवीन औद्योगिक नगरों की स्थापना – औद्योगिक क्रांति से पूर्व इंग्लैंड में नगरों की संख्या बहुत कम थी। परंतु औद्योगि क्रांति के फलस्वरूप बड़े-बड़े कारखाने स्थापित हुए। अत: इंग्लैंड में मानचैस्टर, लंकाशायर, बर्मिघम, शैफील्ड आदि अनेक बड़े-बड़े औद्योगिक नगर बस गए।

4. अधिक तथा सस्ता माल – मशीनों का आविष्कार हो जाने से वस्तुएँ अधिक मात्रा में तैयार की जाने लगीं। इनका मूल्य भी कम होता था। अतः लोगों को आसानी से सस्ता माल मिलने लगा।

5. बेकारी में वृद्धि – औद्योगिक क्रांति का सबसे बुरा प्रभाव यह हुआ कि इसने घरेलू दस्तकारियों (Home Industries) का अंत कर दिया। एक मशीन अब कई आदमियों का काम अकेली करने लगी। परिणामस्वरूप हाथ से काम करने वाले कारीगर बेकार हो गए।

6. नवीन वर्गों का जन्म – औद्योगिक क्रांति से मजूदर तथा पूंजीपति नामक दो नवीन वर्गों का जन्म हुआ। पूंजीपतियों ने मजदूरों से बहुत कम वेतन पर काम लेना शुरू कर दिया। परिणामस्वरूप निर्धन लोग और निर्धन हो गए तथा देश की समस्त पूंजी कुछ एक पूंजीपतियों की तिजोरियों में भरी जाने लगी। इस विषय में किसी ने ठीक ही कहा है, “औद्योगिक क्रांति ने घनियों को और अधिक धनी तथा निर्धनों को और भी निर्धन कर दिया।

7. भूमिहीन मजदूरों की संख्या में वृद्धि – औद्योगिक क्रांति ने छोटे-छोटे कृषकों को अपनी भूमि बेचकर कारखानों में काम करने पर बाध्य कर दिया। अतः भूमिहीन मजदूरों की संख्या में वृद्धि होने लगी।

8. छोटे कारीगरों का मजदूर बनाना – औद्योगिक क्रांति के कारण अब मशीनों द्वारा मजबूत तथा पक्का माल शीघ्रता से बनाया जाने लगा। इस प्रकार हाथ से. बुने हुए अथवा करते हुए कपड़े की मांग कम होती चली गई। अतः छोटे कारीगरों ने अपना काम छोड़कर कारखानों में मजदूरों के रूप में काम करना आरंभ कर दिया।

9. स्त्रियों तथा छोटे बच्चों का शोषण – कारखानों में स्त्रियों तथा कम आयु वाले बच्चों से भी काम लिया जाने लगा। उनसे बेगार भी ली जाने लगी। इससे उनके स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। ..

10. मजदूरों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव – मजदूरों के स्वास्थ्य पर भी खुले वातावरण के अभाव के कारण बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। अब वे स्वच्छ की अपेक्षा कारखानों की दूषित वायु में काम करते थे।

प्रश्न 10.
औद्योगिक क्रांति इंग्लैंड में पहले क्यों आई? अथवा, औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम किस देश में आई और क्यों?
उत्तर:
औद्योगिक क्रांति से हमारा अभिप्राय उन परिवर्तनों से है जिनके कारण 18वीं शताब्दी में कारखाना पद्धति का जन्म हुआ। यह क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैंड में आई। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित थे –
1. जनसंख्या में वृद्धि – इंग्लैंड की जनसंख्या में काफी वृद्धि हो गई थी जिसके साथ-साथ वस्तुओं की माँग बहुत बढ़ गई थी। इसलिए इंग्लैंड के लोगों का ध्यान औद्योगिक उत्पादन को बढ़ाने की ओर गया।

2. अंग्रेजों की बस्तियाँ – अंग्रेजों द्वारा स्थापित उपनिवेशों में वस्तुओं की माँग बढ़ चुकी “थी। अंग्रेज इन बस्तियों में अपना अतिरिक्त माल आसानी से खपा सकते थे।

3. कच्चे माल की प्राप्ति – अंग्रेजी साम्राज्य काफी विस्तृत हो चुका था। अतः अंग्रेज अपना माल अपने अधीन देशों में न केवल खपा सकते थे, अपितु उन्हें वहाँ सस्ते दामों पर कच्चा माल भी प्राप्त हो जाता था। यही कारण था कि औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैंड में ही आई।

4. समृद्धि – वालपोल की सफल आंतरिक तथा विदेश नीति के कारण इंग्लैंड के लोग धनी हो गए थे। ये लोग बड़ी सुगमता से उद्योगों में अपनी पूँजी लगा सकते थे।

5. बैंकों की अधिकता – धन के लेन-देन में सहायता करने के लिए देश में बहुत-से बैंक थे। अत: बैंकों की अधिकता के कारण भी औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैंड में शुरू हुई।

6. देश का शांत वातावरण – वालपोल ने अपनी विदेशी नीति द्वारा इंग्लैंड को 18वीं शताब्दी में यूरोप के युद्धों से अलग रखा। देश में शांति का वातावरण होने के कारण लोगों का ध्यान उद्योग तथा व्यापार की प्रगति की ओर आकृष्ट हुआ।

7. अनुकूल जलवायु – इंग्लैंड का लगभग प्रत्येक भाग समुद्र के निकट है। इसलिए वहाँ की जलवायु आई है जो कपड़े के उद्योग के लिए बड़ी लाभदायक होती है। यही कारण था कि सूती कपड़े का उद्योग सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में ही चमका।

8. कोयले तथा लोहे की खाने – इंग्लैंडे में लोहे तथा कोयले की खानें काफी मात्रा में थीं। ये खानें एक-दूसरे के बिल्कुल समीप थीं। इन खानों की समीपता भी इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के सर्वप्रथम आने का कारण बनी।

9. विदेशी व्यापार का विस्तार – अंग्रेज लोग अच्छे नाविक थे। उन्होंने समुद्री यात्राएँ की और नए-नए देश खोजकर उनसे व्यापारिक संबंध स्थापित हुए। इस प्रकार बढ़ते हुए व्यापार ने भी औद्योगिक क्रांति को जन्म दिया।

10. समुद्री बेड़ा – अंग्रेजों के पास बहुत अच्छा समुद्री बेड़ा था। इसमें उन्हें माल को लाने और ले जाने में काफी सुविधा रहती थी। अच्छे समुद्री बेड़ें के होने से भी औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम इंग्लैंड में ही आई।

11. विचारों की स्वतंत्रता – इंग्लैंड के लोगों को विचारों की पूर्ण स्वतंत्रता थी। उन पर सरकार की ओर से कोई प्रतिबंध न थे। अत: लोगों ने नई खोजें की जो औद्योगिक क्रांति का मुख्य कारण बनीं।

प्रश्न 11.
यूरोप तथा अमेरिका के औद्योगिक क्रांति के प्रसार का वर्णन करें। एशिया में सर्वप्रथम किस देश में यह क्रांति आई?
उत्तर:
1. इंग्लैंड (England) – मशीनी युग आरंभ होने के बाद 50 वर्षों के अंदर ही इंग्लैंड विश्व का सबसे बड़ा औद्योगिक राष्ट्र बन गया। उदाहरण के लिए 1813 ई. में इंग्लैंड भारत को केवल 50 हजार किलोग्राम सुती कपडा भेजता था, परंतु 1815ई. में यह मात्रा बढ़कर 25 लाख किलोग्राम हो गई। इंग्लैंड के खनिज उत्पादन में भी अत्यधिक वृद्धि हुई। यहाँ तक कि इंग्लैंड कोयले का निर्यात भी करने लगा। इस प्रकार इंग्लैंड एक महान् औद्योगिक राष्ट्र बन गया। परंतु यूरोप के अन्य औद्योगिक देशों में प्रगति नेपोलियन के पतनके पश्चात् ही आरंभ हुई।

2. फ्रांस, जर्मनी आदि (France,Germany etc.) – नेपोलियन के पतन के पश्चात् फ्राँस, बेल्ज्यिम, स्विट्जरलैंड तथा जर्मनी में मशीनों का प्रयोग आरंभ हुआ। परंतु इन देशों में उद्योगों का पूर्ण विकास काफी लंबे समय के बाद हुआ। इसका कारण यह था कि इनमें से कुछ देशों में राजनीतिक अस्थिरता फैली हुई थी। फ्रांस में सर्वप्रथम 1850 ई. में लोहा उद्योग स्थापित किया गया। 1865 ई. में जर्मनी का इस्पात उत्पादन काफी बढ़ गया फिर भी वह इंग्लैंड से पीर रहा। 1870 ई. में जर्मनी एकीकरण के पश्चात् इस राष्ट्र में आश्चर्यजनक औद्योगिक प्रगति हुई कुछ ही वर्षों में जर्मनी इंग्लैंड का ओद्योगिक प्रतिद्वंद्वी बन गया।

3. संयुक्त राज्य अमेरिका (The United States) – संयुक्त राज्य अमेरिका में या मशीनों का प्रयोग इंग्लैंड से स्वतंत्रता मिलने के पश्चात ही आरंभ हो गया तथापि वहाँ भी उद्योग का विकास 1870 ई. के पश्चात् ही हो पाया। 1860 ई. में इस देश में सूती कपड़ा इस्पात तः जूता उद्योग अवश्य स्थापित हो चुके थे, परंतु इनके उत्पादन में वृद्धि 1870 ई. के पश्चात् ही हुई

4. रूस (Russia) – रूस यूरोप का ऐसा देश है जहाँ सबसे बाद में औद्योगिक क्रांति आ. वहाँ खनिज पदार्थों को तो कोई कमी नहीं थी, परंतु पूंजी तथा स्वतंत्र श्रमिकों के अभाव के का वहाँ काफी समय तक औद्योगिक विकास संभव न हो सका। रूस ने 1861 ई. में कृषि दा को स्वतंत्र कर दिया। उसे विदेशों से पूंजी भी मिल गई। फलस्वरूप रूप ने अपने औद्योगि विकास की ओर ध्यान दिया। वहाँ उद्योगों का आरंभ हो गया, परंतु इनका पूर्ण विकस 19. ई. की क्रांति के पश्चात् ही संभव हो सका। एशियाई देशों में सर्वप्रथम जापान में औद्यागिक विकास हुआ। 19वीं शताब्दी के ऑ वर्षों में जापान में इस्पात, मशीनों रासायनिक पदार्थों तथा धातु की वस्तुओं का बहुत अपि उत्पादन होने लगा। यहाँ तक कि जापान इन वस्तुओं को निर्यात भी करने लगा।

प्रश्न 12.
ब्रिटेन में सूती वस्त्र उद्योग के विकास की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
आरंभ में ब्रिटेन के लोग उन और लिनन बनाने के लिए सन से कपड़ा बुना क थे। सत्रहवीं शताब्दी में इग्लैंड भारत से भारी मात्रा मे सूती कपड़े का आयात करने लगा। प जब भारत के अधिकतर भागों में पर ईस्ट इंडिया कंपनी का राजनीतिक नियंत्रण स्थापित हो ग तब इंग्लैंड ने कपड़ के साथ-साथ कच्चे माल के रूप में कपास का आयात करना भी आरं कर दिया। इंग्लैंड पहुँचने पर इसकी कताई की जाती थी और उससे कपड़ा बुना जाता था।

अठारहवीं सदी के प्रारंभिक वर्षों में कताई का काम बहुत ही धीमा था। इसलिए कातने वाले दिनभर कताई के काम में लगे रहते थे, जबकि बुनकर बुनाई के लिए धागे के इंतजार में समय नष्ट करते रहते थे। परंतु प्रौद्यागिकी के क्षेत्र में अनेक आविष्कार हो जाने के बाद कपास से घागा कातने और उससे कपड़ा बनाने की गति एकाएक बढ़ गई। इस कार्य में और अधिक कुशलता लाने के लिए उत्पादन का काम घरों से हटकर फैक्ट्रियों अर्थात् कारखानों में चला गया।

एक के बाद एक नई मशीनों के आविष्कार हुए जिन्होंने कपड़ा उद्योग में क्रांति ला दी इनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण मशीनें निम्नलिखित –
1. फ्लाईंग शट्ल – फ्लाईंग शटल का आविष्कार जॉन के (John kay) ने 1773 ई. में किया। इसकी सहायता से अब कपड़ा शीघ्रता से बुना जाने लगा। इस कपड़े की चौड़ाई भी पहले से दुगुनी होती थी।

2. स्पिनिंग – स्पिनिंग जैनी नामक मशीन का आविष्कार हारग्रीब्ज (Hargreaves) ने 1785 ई. में किया। इस मशीन में आठ तकलों की व्यवस्था थी। इस प्रकार आठ मजदूरों का काम एक मशीन करने लगी। इसकी सहायता से काता गया सूत बारीक होता था परंतु यह मजबूत नहीं होता था।

3. वाटर फ्रेम – वाटर फ्रेम का आविष्कार रिचर्ड आर्कराइट नामक एक नाई ने 1769 ई. में किया। यह मशीन पन-शक्ति से चलती थी। इसकी सहायता से मजबूत कपड़ा बुना जा सकता. था। इस प्रकार वाटर फ्रेम के आविष्कार ने उद्योगों में एक क्रांति पैदा कर दी। इसकी एक विशेष। बात यह थी कि इस मशीन को घर में नहीं लगाया जा सकता था। अतः कारखानों का जन्म हुआ।

4. म्यूल – म्यूल का आविष्कार सेम्यूअल क्रॉम्पट ने 1779 ई. में किया। इस मशीन में हारग्रीब्ज की स्पिनिंग जैनी तथा आहाइट के वाटर फ्रेम के सभी गुण विद्यमान थे। यह मशीन भी पन-शक्ति से चलाई जाती थी। इसकी सहायता से काता हुआ धागा बारीक तथा पक्का होता था। इसके अतिरिक्त कई धागे एक साथ काते जा सकते थे।

5. पावरलूम – पावरलूम का आविष्कार 1787 में एडमंड कार्टराइट ने किया। पावरलूम को चलाना बहुत आसान था। जब भी धागा टूटता मशीन अपने आप काम करना बंद कर देती थी। इससे किसी तरह के धागे से बुनाई की जा सकती थी। 1830 के दशक से कपड़ा उद्योग में नयी-नयी मशीनें बनाने की बजाय श्रमिकों की। उत्पादकता बढ़ाने पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा।

प्रश्न 13.
ब्रिटेन में धातुकर्म उद्योग का विकास कैसे हुआ? (V.Imp.)
उत्तर:
ब्रिटेन में धमनभट्टी के आविष्कार ने धातुकर्म उद्योग में क्रांति ला दी। इसका आविष्कार 1709 में प्रथम अब्राहम डबी ने किया। इसमें सर्वप्रथम ‘कोक’ का प्रयोग किया गया । कोक में उच्चताप उत्पादन करने की शक्ति थी। इसे पत्थर के कोयले से गंध तथा अपद्रव्य निकालकर तैयार किया जाता था। इस आविष्कार के बाद भट्ठियों को काठकोयले पर निर्भर नहीं रहना पड़ा। इन भट्ठियों से निकलने वाले पिघले लोहे से पहले की अपेक्षा अधिक बढ़िया ओर लंबी ढलाई की जा सकती थी।

हलवा लोहे (pig-iron) से पटिवा लोहे (wrought-iron) का विकास किया गया जो कम भंगुर था। हेनरी कोर्ट ने आलोड़न भट्ठी (puddling furmance) और बेलन मिल (रोलिंग मिल) का आविष्कार किया। बेलन मिल में परिशोधित लोहे से छड़ें तैयार करने के लिए भाप की शक्ति का प्रयोग किया जाता था। अब लोहे से अनेक उत्पादन बनाना संभव हो गया क्योंकि लोहे में टिकाऊपन अधिक था, इसलिए इसे मशीनें और रोजमर्रा की चीजें बनाने के लिए लकड़ी

से बेहतर सामग्री माना जाने लगा। लकड़ी तो जल या कट-फट सकती थी, परंतु लोहे के भौतिक तथा रसायनिक गुणों को नियंत्रित किया जा सकता था। 1770 के दशक में जोन विल्किनसन ने सर्वप्रथम लोहे से कुर्सियाँ, शराब डर्बी ने कोलबूकडेल में सेवन नदी पर विश्व में पहला लोहे का पुल बनाया। विल्किनसन ने पहली बार ढलवाँ लोहे से पानी की पाइपें बनाई।

इसके बाद लोहा उद्योग कुछ विशेष क्षेत्रों में कोयला खनन तथा लोहा प्रगलन की सामूहिक इकाइयों के रूप में केन्द्रित हो गया । यह ब्रिटेन का सौभाग्य था कि वहाँ उत्तम कोटि का कोकिंग कोयला और उच्च-स्तर का लौह खनिज साथ-साथ पाया जाता था। इसके प्राप्ति क्षेत्र पत्तनों के पास ही थे।

वहाँ ऐसे पाँच तटीय कोयला-क्षेत्र थे जो अपने उत्पादों को लगभग सीधे ही जहाजों – में लदवा सकते थे। कोयला क्षेत्र समुद्र तट के पास ही स्थित होने के कारण जहाज निर्माण का उद्योग और नौपरिवहन के व्यापार का बहुत अधिक विस्तार हुआ। 1800 से 1830 के दौरान ब्रिटेन के लौह उद्योग का उत्पादन लगभग चौगुना हो गया। उसका उत्पादन पूरे यूरोप में सबसे संस्ता भी था।

प्रश्न 14.
भाप की शक्ति ने ब्रिटेन के औद्योगिक में किस प्रकार सहायता पहुँचाई?
उत्तर:
भाप अत्यधिक शक्ति उत्पन्न कर सकती है। अतः यह बड़े पैमाने पर औद्योगिक के लिए सहायक सिद्ध हई। द्रवचालित शक्ति के रूप में जल सदियों से ऊर्जा का प्रमुख स्रोत बना रहा था। परंतु इसका उपयोग भाप के रूप में किया जाने लगा। भाप की शक्ति उच्च तापमान पर दबाव उत्पन्न करती है जिससे अनेक प्रकार की मशीनें चलाई जा सकती हैं। पाप की शक्ति ऊर्जा का ऐसा स्रोत था जो भरोसेमंद और कम खर्चीला था।

खनन उद्योग तथा भाप, की शक्ति-भाप की शक्ति का प्रयोग सर्वप्रथम खान उद्योग में किया गया। इसके प्रयोग से कोयले तथा अन्य धातुओं की माँग बढ़ने पर उन्हें और अधिक गहरी खानों में से निकालने के काम में तेजी आई। खानों में अचानक पानी भर जाना भी एक गंभीर समस्या थी।

1698 में थॉमस सेवरी ने खानों से पानी बाहर निकालने के लिए माइनर्स फ्रेंड (खनन-मित्र) नामक एक भाप इंजन का मॉडल बनाया। परंतु ये इंजन छिछली गहराइयों में धीरे-धीरे काम करते थे और दबाव बढ़ जाने पर उनका बॉयलर फट जाता था।

भाप का एक और इंजन 1712 में थॉमस न्यूकॉमेन ने बनाया। इसमें सबसे बड़ी कमी यह थी कि संघनन बेलन (कंडेंसिंग सिलिंडर) के लगातार ठंडा होते रहने से इसकी ऊर्जा समाप्त होती रही थी। कारखानों में भाप की शक्ति का प्रयोग-1769 तक भाप के इंजन का प्रयोग केवल कोयले की खानों में होता रहा। तभी जेम्सवाट ने इसका एक अन्य प्रयोग खोज निकाला।

बाट ने एक ऐसी मशीन विकसित को जिससे भाप का इंजन केवल एक साधारण पंप की बजाय एक ‘प्राइस मूवर’ के रूप में काम देने लगा। इससे कारखानों में शक्ति चलित मशीनों को कर्जा मिलने लगी। एक धनी निर्माता मैथ्य बॉल्टन की सहायता से वॉट ने 1775 में बर्मिघम में ‘साहो फाउंडरी’ स्थापित की। इस फाउंडरी में वॉट के स्टीम इंजन बड़ी संख्या में बनने लगे।

1800 के बाद भाप इंजन की प्रोद्योगिकी और अधिक विकसित हो गई। इसमें तीन बातों ने सहायता पहुँचाई –

  • अधिक हल्की मजबूत धातुओं का प्रयोग
  • अधिक सटीक मशीनी औजारों का निर्माण तथा
  • वैज्ञानिक जानकारी का व्यापक प्रसार

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
औद्योगिक क्रांति के परिणामों में कौन-सा सही है?
(a) औद्योगिक नगरों का विकास
(b) मजदूरों की समृद्धि
(c) देशी कारीगरों का विनाश
(d) वर्ग भेद का उदय
उत्तर:
(a) औद्योगिक नगरों का विकास

प्रश्न 2.
औद्योगिक क्रांति ने समाज में निम्न में से कौन से एक नये वर्ग को जन्म दिया?
(a) वेतनभोगी श्रमिक वर्ग
(b) बेगार करने वाले श्रमिक
(c) संगठित श्रमिक वर्ग
(d) सुस्त श्रमिक वर्ग
उत्तर:
(a) वेतनभोगी श्रमिक वर्ग

प्रश्न 3.
निम्न में से कौन इंगलैंड में औद्योगिक शहर नहीं है?
(a) डबलिन
(b) न्यूकासल
(c) लंदन
(d) मैनचेस्टर
उत्तर:
(a) डबलिन

प्रश्न 4.
यूरोपीय लोग मुद्रण प्रणाली के ज्ञान हेतु किसके ऋणी रहे?
(a) चीनी
(b) मंगोल
(c) चीनियों तथा मंगोल शासक
(d) चीन एवं भारत
उत्तर:
(c) चीनियों तथा मंगोल शासक

प्रश्न 5.
औद्योगिक क्रांति किस सदी में हुई थी?
(a) 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध
(b) 19वीं सदी में
(c) 17वीं सदी में
(d) 21वीं सदी में
उत्तर:
(a) 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध

प्रश्न 6.
स्पिनिंग जैनी का आविष्कार किया ………………..
(a) हारग्रीब्ज ने
(b) जेम्सवाट
(c) कार्टराइट ने
(d) एडमंड ने
उत्तर:
(a) हारग्रीब्ज ने

प्रश्न 7.
तार का आविष्कार किस वर्ष हुआ?
(a) 1835
(b) 1836
(c) 1837
(d) 1839
उत्तर:
(a) 1835

प्रश्न 8.
टेलिफोन का आविष्कार किस वर्ष हुआ?
(a) 1876
(b) 1877
(c) 1878
(d) 1979
उत्तर:
(a) 1876

प्रश्न 9.
‘दास कैपिटल’ के रचनाकार हैं ……………..
(a) मार्क्स
(b) गैटेक
(c) अरस्तू
(d) कार्ल एईस
उत्तर:
(a) मार्क्स

प्रश्न 10.
दूसरी औद्योगिक क्रांति कब आई?
(a) 1850 के बाद
(b) 1950
(c) 1833
(d) 1834
उत्तर:
(a) 1850 के बाद

प्रश्न 11.
भाप के इंजन का आविष्कार किया ……………….
(a) जेम्स वाट ने
(b) काईट ने
(c) रोस्टर ने
(d) जैनी ने
उत्तर:
(a) जेम्स वाट ने

प्रश्न 12.
म्यूल का आविष्कार किसने किया?
(a) डॉम्पटन ने
(b) कार्टराइट ने
(c) सैम्युअल क्रॉम्टन ने
(d) जैनी ने
उत्तर:
(c) सैम्युअल क्रॉम्टन ने

Bihar Board Class 6 English Book Solutions Chapter 2 The Boy Who Lost His Appetite

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Bihar Board Class 6 English The Boy Who Lost His Appetite Text Book Questions and Answers

A. Warmer

The Boy Who Lost His Appetite Bihar Board Question 1.
What food do you find tasty ? If you are told to sit at home and enjoy yourself tasty food without any activity would you enjoy it? Give reasons.
Answer:
I like many food tasty such as pulav, puri, manchoorian, pua etc. If I were told to sit at home and enjoy the tasty food without any activity I would not enjoy it as activities or labour arise appetite. When one doesn’t do labour or don’t go with activities in his life, he or she becomes lazy and loses his or her appetite.

B. Comprehension

B. 1. Think and Tell

Bihar Board Class 6 English Book Solution Chapter 2 Question 1.
Why did Sham lag behind other friends ?
Answer:
Sham was a rich young man. He ate rich folk in bed all day. As a result, he had become very lazy. So, A a he went to hunt in woods with his friends, he lagged behind his other friends as he was not used to ride fast ought of his laziness

The Boy Who Lost His Appetite Ka Hindi Bihar Board  Question 2.
What kind of life did he live after his father’s death ?
Answer:
Sham’s father passed away early. Then, he became the owner of all his father’s property. He had become rich without any labour. Now, he started living a luxurious life. He used to eat rich food and lay in bed all day. For this, he became very lazy and did not find any food tasty. He had lost his appetite.

B. 2. Think and Write

B. 2. 1. True or False

The Boy Who Lost His Appetite In Hindi Bihar Board Question 1.
Based on the story write ‘true’ or ‘false’ next to each . sentence given below.
(a) Sham was a young boy.
(b) Sham lay in bed all day because he became sick.
(c) Sham rode very slowly.
(d) The peasant offered Sham roti and vegetables.
(e) Sham was lost in the woods when he was returning home from the peasant’s house.
Answer:
(a) False
(b) False
(c) True
(d) False
(e) False

B. 2. 2. Tick the answers to each of the questions given below

Class 6 English Chapter 2 Summary In Hindi Bihar Board Question 1.
Why did Sham find the food tasteless?
(a) The food was prepared badly.
(b) He felt sad for his father.
(c) He did not feel much hungry because he passed his day without any activity.
(d) He was sleeping.
Answer:
(c) He did not feel much hungry because he passed his day without any activity.

Class 6 English Chapter 2 Question Answer Bihar Board Question 2.
Why did Sham like the dal and roti ?
(a) It was cooked in a special way.
(b) Sham had not eaten roti and dal for many days.
(c) Sham was tired and hungry.
(d) Sham liked the huts.
Answer:
(c) Sham was tired and hungry.

B. 2. 3. Answer the following questions in not more than 50 words

Class 6 English Chapter 2 Bihar Board Question 1.
How did Sham spend his life after his father died ?
Answer:
Sham’s father had died early. After his father’s death, Sham became the owner of all his father’s property. Then on wards, he started living a luxurious life. He used to eat rich food and lay in bed all the day. As a result he soon became quite lazy. Not doing any labour, he lost the taste of food and so lost his appetite.

Class 6 English Chapter 2 Question And Answer Bihar Board Question 2.
What made Sham lose his way in the woods ?
Answer:
Sham had agreed to go to hunt in woods with his friends, in spite of his laziness. He was not used to riding fast so he found himself lagging behind other friends. He got lost and wandered away in the woods.

Class 6 English Chapter 2 Solution Bihar Board Question 3.
Who helped Sham when he lost his way ? How ?
Answer:
Sham had lost his way in the woods and wandered for long. Then, he saw a peasant’s hut. He rode up to the hut and reached to the peasant. The peasant gave his dal, roti to eat. Then, he helped Sham guiding him the right path towards his home.

Class 6 Chapter 2 English Bihar Board Question 4.
What made the food tasty or tasteless for Sham. Give reasons for your answers
Answer:
Labour had made the food tasty, for Sham. He had been wandering for long riding on his horse. For a long time, he hadn’t eat anything, so he felt hungry. Due to labour’he got hungry and so he felt the simple food dal, roti tasty to eat. But, back to home, he again got involved in his daily routine to only sleep in bed and eat rich food. Due to no labour, he lost his appetite and this made the rich food tasteless for Sham.

C. Vocabulary

Think of words related to luxurious and food. Now fill in the web chart with those words.
Bihar Board Class 6 English Book Solution

D. Grammar

D.1. Conjunctions

Example:
He ate rich food and lay in bed all day.
We can break this sentence into two sentences.
1. He ate rich food.
2 He lay in bed all day.

We use ‘and’ to join two or more words or group of words. We also use ‘but’, ‘when’, ‘because’ and ‘Or’ to join two or more words or group of words.

Now break the following sentences into two sentences as shown in the example above.

Question 1.
He rode up to it and asked for a little food.
Answer:
(i) He rode up to it.
(ii) He asked for a little food.

Question 2.
I have only roti and dal, sir.
Answer:
(i) I have only roti.
(ii) I have only dal, sir.

Question 3.
He went back to his rich food and lazy ways.
Answer:
(i) He went back to his rich food.
(ii) He went back to his lazy ways.

Fill in the blanks with the words given in the box

(But, when, because, and, so, on)

  1. The boy opened his umbrella _________ it started raining.
  2. Mukul _________ Arti will bring the book to school.
  3. Rahim had high fever _________ he could not come to school.
  4. Munna ran very fast _________ could not win the race.
  5. Ram _________ Pawan went to see a film yesterday.
  6. Lalit had high fever _________ he got wet in the rain.

Answer:

  1. when
  2. and
  3. so
  4. but
  5. and
  6. because

E. Let’s Talk and Write

Question 1.
Discuss your daily routine in groups. Also, share your food habits with your friends.

Answer:
I get up early morning at six a.m. Then, I prepare to go to school. I reach to my school at eight a.m. After school break at three p.m. I move to my home. In evening, from five to six p.m. I play with my friends in the nearby field. I sit to study at seven p.m. to eight thirty p.m. Then, I watch T.V. programmes for an hour, take my dinner and go to bed. I eat all kind of food but I prefer to fresh green vegetables, fruits and simple food. Oily, spicy and junk food are not good for health so I keep a distance with them. Its not so that I never eat them, but I eat them very casually, only to have a change.

Question 2.
Write 6 sentences about the food you like to eat and why you like that food.
Answer:

  1. I like to eat rod.
  2. It is made of wheat.
  3. It is easy to digest.
  4. It keeps me healthy.
  5. It is not a rich diet.
  6. It is easy to make.

F .Translation

Translate the first paragraph into your mother tongue/ Hindi.

Question 1.
First paragraph of the chapter:
Sham was a rich young man. His father had passed away very early. After his father’s death, he became the owner of all his father had. Now, he started living a luxurious life. He ate rich food and lay in bed all day. As a result, he  became very lazy and lost his appetite and didn’t find any foo tasty
Answer:
हिन्दी अनुवाद – शैम एक अमीर युवा आदमी था। उसके पिता जब जल्द ही गुजर गये तब शैम उनकी सारी जायदाद का मालिक बन बैठा । अब उसका जीवन बिल्कुल ही शानो-शौकत वाला हो गया था। वह खब बढ़िया-बढ़िया खाना खाता था और सारा का सारा दिन बिस्तर पर लेटा रहता था। परिणाम के तौर पर, उसे अब कोई भी खाना स्वादिष्ट नहीं लगता था।

Question 2.
A little Bit of Nonsense.
There was an old man with a beard Who said.’It is just as I feared’
Two owls and a hen.
Four larks and a wren.
Have all built their nests in my beard
Answer:
अ लिटिल बिट ऑफ नौनसेन्स .
देयर वाज एन ओल्ड मैन विथ अ बीयर्ड हू सेड, ‘इट इज जस्ट एज आई फीयर्ड’
टू आउल्स एण्ड अ हेन।
फोर, लार्क्स एण्ड अ रेन ।
हैव ऑल बिल्ट देयर नेस्ट्स इन माई बीयर्ड।

The Boy Who Lost His Appetite Summary In English

Sham was a rich young man. His father had passed away very early. After his father’s death, he became the owner of all his father had. Now, he started living a luxurious life. He ate rich food and lay in bed all day. As a result, he  became very lazy and lost his appetite and didn’t find any foo tasty

Once, he went to hunt in woods. He was not used to ride fast so he lagged behind his friends and got lost. After six to seven hours of roaming he felt tired and hungry. He reached to a peasant’s hut and asked for some food. The poor peasant gave him dal, rod which he found very tasty to eat. The peasant guided him the right way. Back to home he got back to his rich food and lazy ways. Again he found his rich food tasteless. He wondered why the simple dal-roti tasted so nice.

The Boy Who Lost His Appetite Summary In Hindi

शैम एक अमीर युवा व्यक्ति था। उसके पिता जल्द ही गुजर गये । अपने पिता की मृत्यु के बाद वह अपने पिता की जायदाद का स्वामी बन गया । अब, वह एक शान-शौकत भरा जीवन व्यतीत करने लगा। वह खूब बढ़िया और कीमती खाना खाता था और सारा दिन बिस्तर पर पड़ा रहता था । परिणामस्वरूप, वह बहुत आलसी बन गया। उसकी भूख मिट गयी और उसे कोई भी खाना स्वादिष्ट नहीं लगता था। एक बार, वह जंगल में शिकार खेलने गया । वह तेज घुड़सवारी करने का आदी नहीं था, ‘ अपने दोस्तों से पीछे छूट गया और रास्ता भटक गया।

छह-सात घंटे इधर-उधर भटकते रहने के बाद वह बेहद थका हुआ और भूख महसूस कर रहा था। वह एक किसान की झोंपड़ी के पास पहुँचा और उससे कुछ खाने को माँगा । गरीब किसान ने उसे खाने को दाल-रोटी दिया जो उसे बहुत स्वादिष्ट लगा। उस किसान ने उसे सही रास्ता बता दिया । घर वापस आकर वह फिर से अपने पुराने जीवन के ढर्रे पर लौट आया । बढिया-बढिया खाना खाना और सारा दिन बिस्तर पर पड़े रहना । फिर से उसे अपने बढ़िया खाना में स्वाद नहीं लगने लगा। वह आश्चर्य से सोचता कि वह साधारण दाल-रोटी उसे इतना स्वादिष्ट क्यों कर लगी थी।

The Boy Who Lost His Appetite Hindi Translation Of The Chapter

Sham wasa……………………………..any food tasty.
Word Meanings: Rich (adj) [रिच] = अमीर | Young (adj) [यंग] = युवा, जवान | Passed away (phr) [पास्ड अवे] = गुजर गये, मृत्यु को प्राप्त हो गये। Early (adj) [अर्ली] = जल्दी । Became (v) [बीकेम] = बन गया । Owner (n) [ओनर] = मालिक | Luxurious (adj)[लक्जरिअस] = शान-शौकत वाला । Life (n) [लाइफ] = जीवन | Ate (v) [एट) = खाया । Rich (adj) [रिच] = (यहाँ) गरिष्ठ, बढ़िया । Food (n) [फुड] = भोजन । Lay (v)[ले] = पड़ा होना | Allday (phr)[ऑल डे] = सारा दिन | Result (n)[रिजल्ट] = परिणाम | Tasty (adj)[टेस्टी] = स्वादिष्ट ।

हिन्दी अनुवाद – शैम एक अमीर युवा आदमी था। जब उसके पिता जल्द ही गुजर गये तो वह उनकी सारी जायदाद का मालिक बन बैठा । अब उसका जीवन बिल्कुल ही शानो-शौकत वाला हो गया था। वह खब बढ़िया-बढ़िया खाना खाता था और सारा का सारा दिन बिछावन पर लेटा रहता था। आराम फरमाता रहता था। इसका यह अंजाम हुआ कि धीरे-धीरे उसे कोई भी खाना स्वादिष्ट नहीं लगता था । खाने में उसकी रुचि ही खत्म होने लगी थी।

Months passed ……………………………………..tired and hungry.
Word Meanings : Passed (v) [पास्ड] = बीता। Inspite of (prep) [इनस्पाइट ऑफ] = के बावजूद | Laziness (n)[लेजीनेस] = आलसपन । Agreed (v) [एग्रीड] = सहमत अथवा राजी होना । Take part (phr) [टेक पार्ट] = हिस्सा लेना । Hunt (v) [हन्ट] = शिकार करना । Riding (v) [राइडिंग] = घुड़सवारी करना । Lagging (v) [लैगिंग] = पीछे छूट जाना । Got lost (phr) |गौट लॉस्ट] = खो गया । Wandered (v) [वान्डर्ड] = इधर-उधर भटका । Woods (n) [वुड्स] = जंगल | Roaming (v) [रोमिंग] = इधर-उधर घूमना, निरुद्देश्य भटकना । Tired (adj) [टायर्ड] = थका हुआ। Hungry (adj) [हंग्री] = भूखा । ।

हिन्दी आवाद – पहीनों गुजर गये । एक दिन जबकि वह बेहद सुस्ती का अनुभव कर रहा था, उसने एक शिकार के अभियान में भाग लेना स्वीकार कर लिया था। लेकिन तेज चलने या फिर तेज घुड़सवारी करने की उसकी आदत तो थी नहीं। इसी कारण उस शिकार-अभियान में जब वह घुडसवारी कर रहा था तो वह अपने अन्य शिकारी मित्रों से काफी पीछे छूट गया और इस कारण वह रास्ता भटक गया। फिर तो वह जंगल में इधर-उधर, काफी । देर तक भटकता रहा । इस प्रकार से, चारों ओर भटकते-भटकते छह से सात-घंटे बीत गये । तब वह बेहद थका हुआ महसूस कर रहा था और उसे जमकर भूख लग गयी थी।

Suddenly hesaw……………… tasted so nice.
Word Meanings : Suddenly (adv)[सडनलि] = एकाएक, शीघ्रता से । Peasant (n)[पीजेन्ट] = किसान | Hut (n) हट] = झोंपड़ी) Rodeup (phr) [रोड अप] = सवारी करना, घोड़े का। Asked (v) [आस्ड] = पूछा, माँगा | Welcome (v)[वेलकम] = स्वागत करना । Really (adv) रीयली] = वास्तव में । Like (v)[लाइक) = पसन्द करना | Earlier (adj)[अर्लियर = इसके पहले । Directions (n) [डाइरेक्शन्स] = दिशा-निर्देश । Rested (v)(रेस्टेड] = आराम किया । Tasteless (adj) [टेस्टलेस = स्वादहीन, बिना स्वाद का या बेमजा वाला (भोजन) । Wondered (v) [बॅन्डर्ड) = गंभीरता से सोचा।

हिन्दी अनुवाद – तभी उसे एक किसान की कुटिया दिखाई दी। वह घुड़सवारी करते हुए उस कुटिया तक पहुँच गया और वहाँ उसने कुछ भोजन की मांग की। “वहाँ, उस कुटिया में मौजूद किसान ने उसकी माँग को सुनकर कहा”मैं तो एक गरीब आदमी हूँ। मेरे पास तो सर, केवल रोटी और दाल ही है लेकिन अगर आप इसे खाना चाहें तो आपका बहुत-बहुत स्वागत है।” वह युवा आदमी वास्तव में बहुत ही भूखा था और इस कारण उसे वह खाना बहुत स्वादिष्ट लगा। उसे ऐसा महसूस हुआ कि अपने जीवन में उसने जो भी कुछ खाया है, उससे यह खाना लाख गुना बेहतर है और सबसे ज्यादा स्वादिष्ट है।

तब उस किसान से उसने जंगल के बाहर निकलने का रास्ता पूछा । किसान से सही रास्ता का पता चलने पर उसने किसान को धन्यवाद दिया और अपने घर की ओर घुड़सवारी करते हुए लौटने लगा। वह अपने घर को वापस लौट आया और आराम फरमाने लगा। फिर से वह अपने पुराने जीवन जीने के ढर्रे में ढल गया । फिर से उसे आलस ने घेर लिया। वह सारा का सारा दिन फिर से आलसी-सा पड़ा रहने लगा और कीमती से कीमती खाना खाने लगा और फिर से कुछ ही समय बाद उसे अपना कीमती खाना बेमजा लगने लगा। बिना स्वाद का जब लगने लगा उसे अपना कीमती भोजन तो वह गंभीरता से सोचने लगा कि जो साधारण-सा भोजन, रोटी-दाल उसने उस किसान के यहाँ खाया था, वह क्यूँ कर उसे उतना स्वादिष्ट लगा था।

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Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 1 तू जिन्दा है तो

Bihar Board Class 8 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 3 Chapter 1 तू जिन्दा है तो Text Book Questions and Answers, Summary.

BSEB Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 1 तू जिन्दा है तो

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यह कविता गहरे जीवन राग और उत्साह को प्रकट करती है तथा अतीत के दु:खद पलों को भूलाकर आशा और जीत की नई दुनियाँ को स्वागत करने के लिए प्रेरणा दिया गया है।

तू जिन्दा है तो जिन्दगी को ………………….. उतार ला जमीन पर ।
अर्थ हे मनुष्य ! यदि तू जिन्दा है तो जिन्दगी में जीत होगी, यह विश्वास रखो । यदि कहीं स्वर्ग है तो तुम अपने कर्म से उसे जमीन पर उतार ले।

ये गम के और चार ………………. तू जिन्दा है तो ……………. अर्थ-गम और अत्याचार के कुछ दिन बीत गये। आज के दिन भी यदि तुम दुःख में है तो वे भी गुजर जाएँगे क्योंकि दु:ख के हजारों दिन बीत चुके हैं। इस जिन्दगी में कभी-न-कभी तो बहार आएँगी ही। तुम अपने सुकर्म से स्वर्ग को पृथ्वी पर ला सकते हैं। यदि त जिन्दा है तो जिन्दगी के जीत पर विश्वास रखो।

सुबह और शाम के ……………. तू जिन्दा है तो ………………..।
अर्थ-सुबह और शाम लाल रंग से रंगे गगन को चुमकर जमीन झूम-झूमकर गाती है। अर्थात् सुख-दुख दोनों में एक समान रहने वाले आकाश को देखकर पृथ्वी आनन्दित हो जाती है। उसी प्रकार, हे मानव ! तभी मुझे आनन्दित कर दे। अगर कहीं स्वर्ग है तो उसे उतारकर जमीन पर ला दे। यदि तू जिन्दा है जिन्दगी की सफलता पर विश्वास करो।

हजार भेष घर के आई मौत ………… तू जिन्दा है तो ……………।
अर्थ-दु:ख हजारों रूप धारण कर तेरे द्वार पर आये लेकिन सभी हारकर चले गये । नई सुबह प्रतिदिन आकर तूझे नई उमर प्रदान करती आ रही है। वस्तुत: यदि स्वर्ग कहीं है तो उसे उतारकर तू जमीन पर ला दो । तू जिन्दा है तो जिन्दगी में सफलताएँ अवश्य मिलेंगी, ऐसा विश्वास करो।

हमारे कारवां को मंजिलों ………… तू जिन्दा है तो ……………..।
अर्थ-हमारे काफिला (मानव-समुदाय) को मंजिलों (लक्ष्य) का इंतजार है जो आँधियों और बिजलियों (दुःख ही दु:ख) के पीठ पर सवार होकर आगे बढ़ रहे हैं। तू भी बढ़ो और कदम-से-कदम मिलाकर अपने मंजिलों को हम-सब एक साथ प्राप्त करेंगे। अगर स्वर्ग कहीं है तो उसे उतारकर जमीन पर ला दो । यदि तू जिन्दा है तो जिन्दगी में सफलता अवश्य मिलेगी ऐसा विश्वास रखो।

कपट म पला अगन, …………. तू जिन्दा ह ता …………….।
अर्थ-जमीन के गर्भ में आग और भूकम्प दोनों पलते हैं लेकिन धरती
माँ कभी घबराती नहीं है। उसी प्रकार भूख (बेकारी-बेरोजगारी) रूपी रोग का अपना राज्य (स्वराज) भी नहीं टिक सकेंगे । विपत्तियों के सर कुचलकर हम सब एकता के सूत्र में बँधकर सदैव एक साथ चलते रहेंगे। अगर कहीं स्वर्ग है तो उसे उतारकर जमीन पर ले आओ। त जिन्दा है तो जिन्दगी में सफलता पर विश्वास करो।

बुरी है आग पेट …………….. तू जिन्दा है तो …………………।
अर्थ—-भूख और अपराध दोनों बुरे हैं। यदि ये दोनों समाप्त नहीं हुए तो एक दिन इंकलाब (विरोध की आवाज) बनेंगे । जिससे जुल्म के महल ढह जाएँगे। नये घर बनेंगे । अर्थात् शांति का माहौल बनेगा।

अगर स्वर्ग कहीं है तो अपने परिश्रम और सत्कर्म से स्वर्ग को पृथ्वी पर ला सकते हैं। हे मानव ! तू यदि जिन्दा है तो जिन्दगी में सफलता मिलेगी। इस बात पर विश्वास रखो।

गतिविधि
1. अपनी कक्षा में समूह के साथ सस्वर गायन कीजिए।

Bihar Board Class 7 English Book Solutions Chapter 6 Ivan

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BSEB Bihar Board Class 7 English Book Solutions Chapter 6 Ivan

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Bihar Board Class 7 English Ivan Text Book Questions and Answers

A. Warmer

Several people live in your neighborhood. Sometimes the situation gets tense. People quarrel on petty issues. It leads to dispute.

Bihar Board Class 7 English Book Solution Question 1.
How does it affect people in the locality ?
How is it resolved ?
Discuss these questions with you classmates.
Answer:
Quarrel leads to quarrel. It destroys the peace of the locality and the surroundings. It is resolved only by the inter. ference of some other wise people or some dominant persons.

B. Let’s Comprehend.

B. 1. Think and Tell.

Bihar Board Solution Class 7 English Question 1.
Who was Ivan ?
Answer:
Ivan was a rich farmer.

Class 7 English Bihar Board Question 2.
Where did he live ?
Answer:
He lived in a village of Russia.

Bihar Board Class 7 English Book Pdf Question 3.
Who was his neighbour ?
Answer:
Gabriel was his neighbour.

Bihar Board Class 7 English Solutions Question 4.
Who began to quarrel ?
Answer:
Gabriel, Ivan and their wives started to quarrel.

Bihar Board Class 7 English Solution Question 5.
Who reconciled them ?
Answer:
Ivan’s old father, who was wise, reconciled them.

B. 2. Think and Write.

B. 2. 1. Write’T’ for true and ‘F’ for false statements:

Bihar Board 7th Class English Book Solution Question 1.

  1. Ivan was a rich farmer. [ ]
  2. The hen laid eggs in the street. [ ]
  3. Gabriel uprooted Ivan’s beard. [ ]
  4. Anger leads to destruction. [ ]
  5. Ivan and Gabriel did not become reconciled. [ ]

Answer:

  1. True
  2. False
  3. False
  4. True
  5. False

B. 2. 2. Fill in the blanks

  1. Ivan and Gabriel were _______
  2. Ivan’s father was old and _______
  3. Ivan’s hen flew over the _______
  4. _______ went to inquires into the matter
  5. _______ started quarrelling
  6. At last, Ivan and Gabriel became _______

Answer:

  1. neighbors
  2. wise
  3. fence
  4. Ivan’s daughter-in-law
  5. Gabriel, Ivan
  6. reconciled.

B. 2. 3. Arrange the following sentences in proper order so that they make a complete story

  1. Ivan was a rich farmer from Russia.
  2. She laid an egg in Gabriel’s house.
  3. Ivan uprooted Garbriel’s beard.
  4. Gabriel was his neighbour.
  5. One day Ivan’s hen flew across the fence.
  6. Ivan, Gabriel and their wives began to quarrel.
  7. Ivan and Gabriel became reconciled.
  8. Ivan’s father pacified Ivan and his neighbour.
  9. Gabriel went to court.

Answer:

  1. Ivan was a rich farmer from Russia.
  2. She laid an egg in Gabriel’s house.
  3. Ivan uprooted Gabriel’s beard.
  4. Gabriel was his neighbour.
  5. One day Ivan’s hen flew across the fence.
  6. Ivan. Gabriel and their wives began to quarrel.
  7. Ivan and Gabriel became reconciled.
  8. Ivan’s father pacified Ivan and his neighbour.
  9. Gabriel went to court.

B. 2. 4. Answer the following questions in not more than 50 words.

Bihar Board Class 7 English Solution In Hindi Question 1.
“In anger you don’t know what you are saying and . doing”. Do you agree with the statement ? How does anger lead to destruction ?
Answer:
Yes, I agree with the statement. In anger, people don’t know what they are saying and doing. In the following chapter, we saw that the good-lived peaceful neighbors Ivan and Gabriel fought badly along with their family members over an egg which costed very little. But they had to pay huge amount in the court’s prolonged bearing. Anger leads to destruction and leads to nowhere. So, we should leave anger aside.

Class 7 Bihar Board English Solution Question 2.
What type of man, in your opinion, was Ivan’s father ? What did he do to pacify Ivan and his neighbor?
Answer:
In my opinion, Ivan’s father was a wise person. He was cool headed. He pacified Ivan and his neighbor Gabriel by making them understand that hatred leads to hatred. They had paid a lot for an. egg and now they should leave their quarrel aside. His advice worked and both neighbors lived happily since then.

Bihar Board Class 7th English Solution Question 3.
If you were Ivan’s neighbor, what would you do to solve this quarrel ?
Answer:
Being Ivan’s neighbor I would let them understand that hatred leads to hatred. They had paid a lot for a mean thing, an egg. So, they should leave their quarrel aside and live in peace once again.

C. Word study

C. 1. Correct the following words to make them meaningful.

Bihar Board Class 7 English Question 1.
(peice, forgate, uprated, fance, distraction.)
Answer:

  1. peice = piece
  2. forgate = forget.
  3. uprated = uprooted
  4. fance = fence
  5. distraction = destruction.

C. 2. Match the words in ‘A’ with their meaning in ‘B’.

Bihar Board Class 7 English Book Question 1.

AB
farmerhard working
laboriouspeasant
rudelydispute
quarrelpardon
forgiveharshly

Answer:

AB
farmerpeasant
laborioushard working
rudelyharshly
quarreldispute
forgivepardon

C .3. Find the sentences in which the following words have been used in the lesson. Then use these words in you own sentences.

Farmer And His Four Sons Story In Hindi Question 1.
(neighbour, comfortable, hatred, wisdom, advice.
Answer:

  1. neighbour = we should love our neighbours.
  2. comfortable = Ivan and Gabriel lived a comfort-able life. .
  3. hatred = Hatred leads to hatred.
  4. wisdom = His wisdom was praised by one and all.
  5. advice = one should follow good advice.

D. Grammar

Clauses:
Look at the following sentences:

(a) Ivan was a farmer who lived in a village in Russia.
(b) He had three sons who were laborious.
(c) You lose your patience and wisdom.

All the three sentences given above have two separate sentence structures. Sentence (a) consists of ‘Ivan was a farmer’ and ‘who lived in a village in Russia’. The second part is dependent on the first. Similarly, sentence (b) consists of’He had three sons’ and ‘who were laborious’. The second is again dependent on the first, Sentence (c) also has two separate sen-tence structures : ‘You lose your patience’ and (you lose your) wisdom’.

Both these structures are independent. Sentences (a) and (b), therefore, consists of a principal clause and a subordi-nate clause. A principal clause is that which has independent identity whereas a subordinate clause depends on the principal clause. Sentence ‘C’ consists of two independent clauses- one of them is principal clause and another is co-ordinate clause. Here, ‘You lose your patience’ is the principal clause. Now, read the sentences given below and identify principal clause, subordinate clause and co-ordinate clauses.

  1. I don’t know where, she lives.
  2. An old man had four sons who were lazy.
  3. Ramu was poor but honest.
  4. I can’t forget you as long as I live.
  5. He is handsome and laborious.

Answer:

  1. don’t know – principal clause.Where – Co-ordinate clause. Where she lives – subordinate clause,
  2. An old man had four sons – principal clause who – co-ordinate clause.’who were lazy – subordinate clause.
  3. Ramu was poor – principal clause but-co-ordinate clause but (Ramu was) honest – subordinate clause.
  4. I can’t forget you – principal clause as long as – co-ordinate clause.
  5. He is handsome – principal clause and-co-ordinate clause and (He is) laborious – subordinate clause.

E. Let’s Talk

E. 1. Discuss the following in small groups and then with the whole class.

Class 7 English Book Bihar Board Question 1.
(a) Hatred breeds hatred.
(b) Anger leads to destruction.
Answer:
(a) Hatred breeds hatred: Hatred is a very bad thing. It leads to hatred, anger and destruction. We have seen in our history that many countries fought with other countries only due to hatred of race and colour. And the war took none anywhere but it lead to all over destruction, killing lakhs of people and injuring crores Of people. So, hatred breeds only hatred and it should be aban-doned.

(b) Anger leads to destruction: Anger is too bad. An angry person loses his head. He has no control over self. He can’t judge between good and bad. Anger destroys his peace of mind. In anger, he can even commit Crime which can destroy his further life. Many quarrels and wars have been started due to anger and it leaded to major destruction. So, people should think over a dispute cool headed and leave anger aside. Anger is our worst enemy and we should control it

F. Composition

Class 7 English Book  Question 1.
Write a paragraph on any one of the topics listed in E.1 . for discussion in 60-80 words.
Answer:
Anger leads to destruction:
Anger is too bad. An angry person loses his head. He has no control over self. He can’t judge between good and bad. Anger destroys his peace of mind. In anger, he can even commit Crime which can destroy his further life. Many quarrels and wars have been started due to anger and it leaded to major destruction. So, people should think over a dispute cool headed and leave anger aside. Anger is our worst enemy and we should control it

G. Translation

Translate the following paragraph in Hindi your mother tongue:

Question 1.
Ivan had some hens. One day a hen flew across the fence. She laid an egg in Gabriel’s house. Ivan’s daughter-in-law went to his house to inquire into the matter. Gabriel’s mother replied rudely. It led to a quarrel. Soon, Ivan, GabrieFand their wives started quarrelling. Their neighbours had to intervene to pacify them.
Answer:
इवान के पास कुछ मुर्गियाँ थीं । एक दिन एक मुर्गी बाड़े के उस पार उड़ गयी । उसने गैब्रियल के घर में एक अंडा दिया। इवान की बहू उसके घर मामले की पूछताछ करने गयी। गैब्रियल की माँ ने रूखा जवाब दिया । इससे झगड़ा बढ़ गया । शीघ्र ही, इवान, गैब्रियल और उनकी पत्नियाँ आपस में लड़ने लगीं। उनके पड़ोसियों को झगड़ा शांत कराने के लिए बीच में आना पड़ा।

H. Activity

Language Game

Write a word in are notebook. Write another word with the last letter of that word. Write as many words as you can.
Ex. work → kite → eat → toy →

Complete this activity by writing at least twenty words.
Answer:
Man → Nose → Egg → Gun → Near → Run → Nun → Naughty → Year → Road → Done → Elephant → Tiger → Ransom → Mother → Ride → Era → Angry → Yellow → Water → Right → Tight.

Ivan Summary in English

Ivan was a rich farmer. He lived in Russia. Gabriel was his neighbour. One day Ivan’s one of the hens flew across the fence and laid an egg in Gabriel’s house. Ivan’s daughter-in- law went to inquire to the Gabriel’s house for the egg. Gabriel’s mother replied her rudely. A strong quarrel started on this issue between both the neighbours. Both of the neighbours went to the court. The hearing prolonged which made both of. them financially mined. Ivan’s old father was a wise person.

He convinced both Ivan and Gabriel to forget their quarrel. He told them that haired leads to destruction. So, they should leave their hatred. His advice worked. Then both the neighbors left their hatred and began to live in peace. Since, then, they lived happily and without any quarrel.

Ivan Summary in Hindi

 इवान एक अमीर किसान था। वह रूस देश में रहता था। गैब्रियल : उसका पड़ोसी था। एक दिन इवान की एक मुर्गी उसके बाड़े के उस पार उड़ गई। उसने गैब्रियल के घर में जाकर एक अंडा दे दिया। इवान की बहू उस अंडे के बारे में पूछताछ करने के लिए गैब्रियल के घर में गयी । गैब्रियल की माँ ने उसे बड़े कठोर शब्दों में रूखा उत्तर दे दिया। इसी बात पर दोनों पड़ोसियों के बीच झगड़ा बढ़ गया। वे दोनों ही अदालत पहुँच गये। अदालत में बहस लम्बी चली। दोनों पड़ोसी आर्थिक रूप से तबाह हो गये ।

इवान के पिता बूढ़े और बुद्धिमान थे। उन्होंने इवान और गैब्रियल दोनों को अपने पास बुलाकर समझाया कि नफरत लोगों को तबाह कर देता है। उन्होंने दोनों को प्यार से समझाया कि नफरत तो नफरत को ही बढ़ावा देती है और इसका अंत विनाश छोडकर और कुछ नहीं होता। अत: नफरत को छोड़ देना ही उचित है। “एक अंडे की कीमत ही क्या होती है ? और देखो झगड़े ने तुम दोनों को कितना बड़ा नुकसान दे दिया।” बात दोनों को समझ में आ गयी। अब वे फिर से शांतिपूर्वक और प्रेम से रहने लगे।

Ivan Glossary

Sick [सिक = बीमार | Fence [फेन्स) = घेरा, चहारदीवारी । Inquire [एन्क्वायर] = पूछना, Pacify [पैसिफाई] = शांत करना । Uproot [अपरूट] = उखाड़ना । Hatred हैट्रेड] = घृणा, नफरत । Rudely [यूडली) = रूखाई से। Forgive [फॉरगिव] = क्षमा करना । Tense |टेन्स] = , तनाव-भरा । Quarrel [क्वैरेल] = झगड़ा, लड़ाई। Neighbourhood

[नेवरहुड] = पड़ोस । Situation [सिचुएशन] = स्थिति । Issues [इश्यूज] = मुद्दे, बातें । Leads [लीड्स] = बढ़ाता है। Arrect [अफेक्ट] = असर/प्रभाव – डालता है। Locality [लोकलिटि] = क्षेत्र । Resolved [रिजॉल्वड) = सुलझ

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Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 1 Electric Charges and Fields

Bihar Board 12th Physics Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 1 Electric Charges and Fields

Physics 12th Chapter 1 Objective Bihar Board Question 1.
Object may acquire an excess or deficiency of charge by
(a) electric force
(b) heating
(c) shaking
(d) by rubbing
Answer:
(d) by rubbing

Class 12 Physics Chapter 1 Objective Questions Bihar Board Question 2.
The charge on an electron was calculated by
(a) Faraday
(b) J.J. Thomson
(c) Millikan
(d) Einstein
Answer:
(c) Millikan

Electrostatics Class 12 Notes Bihar Board Question 3.
A method for charging a conductor without bringing a charged body in contact with it is called
(a) Magnetization
(b) Electrification
(c) Electrostatic induction
(d) Electromagnetic induction
Answer:
(c) Electrostatic induction

Physics Class 12 Chapter 1 Objective Questions Bihar Board Question 4.
The number of electrons present in -1 C of charge is
(a) 6 × 1018
(b) 1.6 × 1019
(c) 6 × 1019
(d) 1.6 × 1018
Answer:
(a) 6 × 1018

Electric Charge And Field Objective Question Bihar Board Question 5.
A cup contains 250 g of water. Find the total positive charges present in the cup of water.
(a) 1.34 × 1019 C
(b) 1.34 × 107 C
(c) 2.43 × 1019 C
(d) 2.43 × 107 C
Answer:
(d) 2.43 × 107 C
Solution:
Mass of water = 250 g,
Molecular mass of water = 18 g
Number of molecules in 18 g of water = 6.02 × 1023
Number of molecules in one cup of water
= \(\frac{250}{18} \times 6.02 \times 10^{23}\)
Each molecule of water contains two hydrogen atoms and one oxygen atom, i.e., 10 electrons and 10 protons.
∴ Total positive charge present in one cup of water
= \(\frac{250}{18}\) x 6.02 x 1023 × 10 × 1.6 × 10-19C
= 1.34 × 107C

Electric Charges And Fields Class 12 Objective Questions Bihar Board Question 6.
The constant k in Coulomb’s law depends on
(a) nature of medium
(b) system of units
(c) intensity of charge
(d) both (a) and (b)
Answer:
(a) nature of medium

12th Physics Objective Bihar Board Question 7.
Which of the following statement is not a similarity between electrostatic and gravitational forces ?
(a) Both forces obey inverse square law.
(b) Both forces operate over very large distances.
(c) Both forces are conservative in nature.
(d) Both forces are attractive in nature always.
Answer:
(d) Both forces are attractive in nature always.

Questions On Electric Charges And Fields Bihar Board Question 8.
SI unit of permittivity of free space is
(a) Farad
(b) Weber
(c) C2 N-1m-2
(d) C2 N-1m-1
Answer:
(c) C2 N-1m-2

Physics Class 12 Chapter 1 Bihar Board Question 9.
The force between two small charged spheres having charges of 1 × 10-7 C and 2 × 10-7 C placed 20 cm apart in air is
(a) 4.5 × 10-2 N
(b) 4.5 × 10-3 N
(c) 5.4 × 10-2 N
(d) 5.4 × 10-3 N
Answer:
(b) 4.5 × 10-3 N
Solution:
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 1 Electric Charges and Fields - 6

Electric Charge And Field Notes In Hindi Bihar Board Question 10.
The ratio of magnitude of electrostatic force and gravitational force for an electron and a proton is
(a) 6.6 × 1039
(b) 2.4 × 1039
(c) 6.6 × 1029
(d) 2.4 × 1029
Answer:
(b) 2.4 × 1039

Class 12 Physics Chapter 1 Bihar Board Question 11.
Consider the charges q, +q and -q placed at the vertices of an equilateral triangle of each side l. The sum of forces acting on each charge is
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 1 Electric Charges and Fields - 1
Answer:
\(\frac{\mathrm{q}^{2}}{4 \sqrt{2} \pi \varepsilon_{0} \ell^{2}}\)

Class 12 Physics Chapter 1 Electric Charges And Fields Notes Bihar Board Question 12.
A charge Q is placed at the centre of the line joining two point charges +q and +q as shown in Figure. The ratio of charges Q and q is
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 1 Electric Charges and Fields - 2
(a) 4
(b) 1/4
(c) -4
(d) -1/4
Answer:
(d) -1/4
Solution:
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 1 Electric Charges and Fields - 7

Electric Charges And Fields Class 12 Bihar Board Question 13.
The force per unit charge is known as
(a) electric flux
(b) electric field
(c) electric potential
(d) electric current
Answer:
(b) electric field

Physics Objective Question Bihar Board Question 14.
The dimensional formula of electric intensity is
(a) [M1L1T3A-1]
(b) [M1L1T-3A-1]
(c) [M1L2T-3A-1]
(d) [M1L2T1A1]
Answer:
(c) [M1L2T-3A-1]

Physics Class 12 Chapter 1 Questions And Answers Bihar Board Question 15.
If the charge on an object is doubled then electric field becomes
(a) half
(b) double
(c) unchanged
(d) thrice
Answer:
(b) double

Electric Charges And Fields Class 12 Important Questions Bihar Board Question 16.
A force of 2.25 N acts on a charge of 15 × 10-4 C. The intensity of electric field at that point is
(a) 150NC-1
(b) 15NC-1
(c) 1500 NC-1
(d) 1.5NC-1
Answer:
(c) 1500 NC-1

Electric Field Class 12 Bihar Board Question 17.
The electric field that can balance a charged particle of mass 3.2 × 10-27 kg is (Given that the charge on the particle is 1.6 × 10-19 C)
(a) 19.6 × 10-8 N C-1
(b) 20 × 10-6 N C-1
(c) 19.6 × 108 N C-1
(d) 20 × 106 N C-1
Answer:
(a) 19.6 × 10-8 N C-1
Solution:
(a) Here, m = 3.2 × 10-27 kg, e = 1.6 × 10-19 C, g = 9.8 m s-2
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 1 Electric Charges and Fields - 8

Question 18.
Electric field lines provide information about
(a) field strength
(b) direction
(c) nature of charge
(d) all of these
Answer:
(d) all of these

Question 19.
A non-uniform electric field is represented by the diagram. At which of the following points the electric field is greatest in magnitude ?
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 1 Electric Charges and Fields - 3
(a) A
(b) B
(c) C
(d) D
Answer:
(d) D

Question 20.
Which of the following statements is not true about electric field lines ?
(a) Electric field lines start from positive charge and end at negative charge.
(b) Two electric field lines can never cross each other.
(c) Electrostatic field lines do not form any closed loops.
(d) Electric field lines cannot be taken as continuous curve.
Answer:
(d) Electric field lines cannot be taken as continuous curve.

Question 21.
The SI unit of electric flux is
(a) N C-1 m2
(b) N C m-2
(c) N C-2 m2
(d) N C-1 m-2
Answer:
(a) N C-1m2

Question 22.
The dimensional formula of electric flux is
(a) [M1L1T-2]
(b) [M1L3T-3A-1]
(c) [M2L2T-2A-2]
(d) [M1L-3T3A1]
Answer:
(b) [M1L3T-3A-1]

Question 23.
The unit of electric dipole moment is
(a) newton
(b) coulomb
(c) farad
(d) debye
Answer:
(d) debye

Question 24.
The surface considered for Gauss’s law is called
(a) Closed surface
(b) Spherical surface
(c) Gaussian surface
(d) Plane surface
Answer:
(c) Gaussian surface

Question 25.
A sphere encloses an electric dipole within it. The total flux across the sphere is
(a) zero
(b) half that due to a single charge
(c) double that due to a single charge
(d) dependent on the position of dipole.
Answer:
(a) zero

Question 26.
A point charge 4 µC is at the centre of a cubic Gaussian surface 10 cm on edge. Net electric flux through the surface is
(a) 2.5 × 105 N m2 C-1
(b) 4.5 × 105 N m2 C-1
(c) 4.5 × 106 N m2 C-1
(d) 2.5 × 106 N m2 C-1
Answer:
(b) 4.5 × 105 N m2 C-1
Solution:
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 1 Electric Charges and Fields - 9

Question 27.
The total flux through the faces of the cube with side of length a if a charge q is placed at corner A of the cube is
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 1 Electric Charges and Fields - 4
Answer:
(b) \(\frac{\mathrm{q}}{8 \varepsilon_{0}}\)
Solution (a) In the figure, when a charge q is placed at comer A of the cube, it is being shared equally by 8 cubes.
∴The total flux through the faces of the given cube = \(\frac{q}{8 \varepsilon_{0}}\)

Question 28.
Two infinite plane parallel sheets, separated by a distance d have equal and opposite uniform charge densities σ. Electric field at a point between the sheets is
(a) \(\frac{\sigma}{2 \varepsilon_{0}}\)
(b) \(\frac{\sigma}{\varepsilon_{0}}\)
(c) zero
(d) depends on the location of the point
Answer:
(b) \(\frac{\sigma}{\varepsilon_{0}}\)

 

Question 29.
Figure shows electric field lines in which an electric dipole \(\vec{D}\) is placed as shown. Which of the following : statements is correct?
Bihar Board 12th Physics Objective Answers Chapter 1 Electric Charges and Fields - 5
(a) The dipole will not experience any force.
(b) The dipole will experience a force towards right.
(c) The dipole will experience a force towards left.
(d) The dipole will experience a force upwards.
Answer:
(c) The dipole will experience a force towards left.

Question 30.
A hemisphere is uniformly charged positively. The electric field at a point on a diameter away from the centre is directed
(a) perpendicular to the diameter
(b) parallel to the diameter
(c) at an angle tilted towards the diameter
(d) at an angle tilted away from the diameter
Answer:
(a) perpendicular to the diameter

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 7 तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 7 तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 7 तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप

Bihar Board Class 12 Geography तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:

चतुर्थक सेवाओं का वर्णन कीजिए Bihar Board Class 12 Geography प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सा एक तृतीयक क्रियाकलाप है?
(क) खेती
(ख) बुनाई
(ग) व्यापार
(घ) आखेट
उत्तर:
(ग) व्यापार

चतुर्थ सेवाओं का वर्णन कीजिए Bihar Board Class 12 Geography  प्रश्न 2.
निम्नलिखित क्रियाकलापों में कौन-सा द्वितीयक सेक्टर का क्रियाकलाप नहीं है?
(क) इस्पात प्रगलन
(ख) वस्त्र निर्माण
(ग) मछली पकड़ना
(घ) टोकरी बुनना
उत्तर:
(ग) मछली पकड़ना

तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप Bihar Board Class 12 Geography प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन-सा एक सेक्टर दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता में सर्वाधिक रोगजार प्रदान करता है?
(क) प्राथमिक
(ख) द्वितीयक
(ग) पर्यटन
(घ) सेवा
उत्तर:
(घ) सेवा

Chaturthak Sewaon Ka Varnan Kijiye Bihar Board Class 12 Geography प्रश्न 4.
वे काम जिनमें उच्च परिमाण और स्तर वाले अन्वेषण सम्मिलित होते हैं, कहलाते हैं –
(क) द्वितीयक क्रियाकलाप
(ख) पंचम क्रियाकलाप
(ग) चतुर्थ क्रियाकलाप
(घ) प्राथमिक क्रियाकलाप
उत्तर:
(ख) पंचम क्रियाकलाप

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन-सा क्रियाकलाप चतुर्थ सेक्टर में संबंधित है?
(क) संगणन विनिर्माण
(ख) विश्वविद्यालयी अध्यापन
(ग) कागज और कच्ची लुगदी निर्माण
(घ) पुस्तकों का मुद्रण
उत्तर:
(घ) पुस्तकों का मुद्रण

प्रश्न 6.
निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सत्य नहीं है?
(क) वाह्यस्रोत दक्षता को बढ़ाता है और लागतों को घटाता है
(ख) कभी-कभार अभियांत्रिकी और विनिर्माण कार्यों की भी बाह्यस्रोतन की जा सकती
(ग) बी.पी. ओज के पास के.पी.ओज की तुलना में बेहतर व्यावसायिक अवसर होते हैं
(घ) कामों के बाह्यस्रोतन करने वाले देशों में काम की तलाश करने वालों में असंतोष पाया जाता है
उत्तर:
(घ) कामों के बाह्यस्रोतन करने वाले देशों में काम की तलाश करने वालों में असंतोष पाया जाता है

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
फुटकर व्यापार सेवा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ये वह व्यापारिक क्रियाकलाप है जो उपभोक्ताओं को वस्तुओं के प्रत्यक्ष-विक्रय से संबंधित हैं। अधिकांश फुटकर व्यापार केवल विक्रय से नियत प्रतिष्ठानों और भंडारों में संपन्न होता है। फेरी, रेहड़ी, ट्रक, द्वार से द्वार, डाक आदेश, दूरभाष, स्वचालित बिक्री मशीनें तथा इंटरनेट फुटकर बिक्री के भंडार आदि उदाहरण हैं।

प्रश्न 2.
चतुर्थ सेवाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चतुर्थ क्रियाकलाप अनुसंधान और विकास पर आधारित होते हैं और विशिष्टीकृत ज्ञान प्रौद्योगिकी कुशलता और प्रशासकीय सामर्थ्य से संबद्ध सेवाओं के उन्नत नमूने के रूप में देखे जाते हैं। चतुर्थ क्रियाकलापों में से कुछ इस प्रकार है-सूचना का संग्रहण, उत्पादन और प्रकीर्णन अथवा सूचना का उत्पादन भी।

प्रश्न 3.
विश्व में चिकित्सा पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से उभरते हुए देशों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत, थाइलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, स्विटजरलैंड और आस्ट्रेलिया। भारत, स्विटजरलैंड और आस्ट्रेलिया के अस्पताल विकिरण बिंबों के अध्ययन से लेकर चुंबकीय अनुनाद बिंबों के निर्वचन और पराश्राव्य परीक्षणों तक की विशिष्ट चिकित्सा सुविधाओं को उपलब्ध करा रहे हैं।

प्रश्न 4.
अंकीय विभाजक क्या है?
उत्तर:
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित विकास से मिलने वाले अवसरों का वितरण पूरे ग्लोब पर असमान रूप से वितरित हैं। देशों में विस्तृत आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक भिन्नताएँ पाई जाती हैं। निर्णायक कारक यह है कि कोई देश कितनी शीघ्रता से अपने नागरिकों को सूचना और संचार प्रौद्योगिकी तक पहुँच और उसके लाभ उपलब्ध करा सकता है। विकसिक देश, सामान्य रूप से, इस दिशा में आगे बढ़ गए हैं जबकि विकासशील देश पिछड़ गए हैं और इसी को अंकीय विभाजन कहा जाता है।

(ग) निम्न प्रश्नों के उत्तर 150 शब्दों से अधिक में न दें –

प्रश्न 1.
आधुनिक आर्थिक विकास में सेवा सेक्टर की सार्थकता और वृद्धि की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
दैनिक जीवन में काम को सुविधाजनक बनाने के लिए लोगों को व्यक्तिगत सेवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं सेवाएँ विभिन्न स्तरों पर पाई जाती हैं। कुछ सेवाएँ उद्योगों को चलाती है, कुछ लोगों को और कुछ उद्योगों और लोगों दोनों को, उदाहरणतः परिवहन तंत्र। निम्नस्तरीय सेवाएँ जैसे- पंसारी की दुकानें, धोबी घाट, उच्चस्तरीय सेवाओं अथवा लेखाकार, परामर्शदाता और काय चिकित्सक जैसी अधिक विशिष्टीकृत सेवाओं की अपेक्षा अधिक सामान्य और विस्तृत हैं। सेवाएँ भुगतान कर सकने वाले व्यक्तिगत उपभोक्ताओं को उपलब्ध होती हैं। माली, धोबी और नाई मुख्य रूप से शारीरिक श्रम करते हैं। अध्यापक, वकील, चिकित्सक, संगीतकार और अन्य मानसिक श्रम करते हैं।

अनेक सेवाएँ अब नियमित हो गई हैं। महामार्गों एवं पुलों का निर्माण और अनुरक्षण, अग्निशमन विभागों का अनुरक्षण और शिक्षा की पूर्ति अथवा पर्यवेक्षण और ग्राहक-सेवा महत्वपूर्ण सेवाओं में से हैं, जिनका पर्यवेक्षण अथवा निष्पादन प्रायः सरकारों अथवा कंपनियों द्वारा किया जाता है। राज्य और संघ विधान ने परिवहन, दूरसंचार, ऊर्जा और जलापूर्ति जैसी सेवाओं के विपणन के पर्यवेक्षण और नियंत्रण के लिए निगमों की स्थापना की है। स्वास्थ्य की देखभाल, अभियांत्रिकी, विधि और प्रबंधन व्यावसायिक सेवाएँ हैं।

मनोरंजनात्मक और प्रमोद सेवाओं की स्थिति बाजार पर निर्भर करती है। मल्टीप्लेक्स और रेस्तराओं की स्थिति केन्द्रीय व्यापार क्षेत्र (सी.बी.डी.) के अंदर अथवा निकट हो सकती है। सेवाएँ सभी समाजों में उपलब्ध होती है। अधिक विकसित देशों में कर्मियों का अधिकतर प्रतिशत इन सेवाओं में लगा है, अल्पविकसित देशों में 10 प्रतिशत से भी कम लोग इस सेवा क्षेत्र में लगे हैं। इन सेक्टर में रोजगार की प्रवृति बढ़ रही है। जबकि प्राथमिक और द्वितीयक क्रियाकलापों में यह घट रही है। आधुनिक आर्थिक विकास में सेवा सेक्टर की सार्थकता में लगातार वृद्धि हो रही है।

प्रश्न 2.
परिवहन और संचार सेवाओं की सार्थकता को विस्तारपूर्वक स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परिवहन मनुष्य की गतिशीलता की मूलभूत आवश्यकता को पूरा करने के लिए निर्मित एक संगठित उद्योग है। आधुनिक समाज वस्तुओं के उत्पादन, वितरण और उपभोग में सहायता देने के लिए तीव्र और सक्षम परिवहन व्यवस्था चाहते हैं। इस जटिल व्यवस्था की प्रत्येक अवस्था में परिवहन द्वारा पदार्थ का मूल्य अत्यधिक बढ़ जाता है। परिवहन दूरी को किलोमीटर दूरी अथवा मार्ग लंबाई की वास्तविक दूरी, समय दूरी अथवा एक मार्ग पर यात्रा करने में लगने वाले समय, और लागत दूरी अथवा मार्ग पर यात्रा के खर्च के रूप में मापा जा सकता है। परिवहन के साधन के चयन में समय अथवा लागत के संदर्भ में एक निर्णायक कारक है।

परिवहन की माँग जनसंख्या के आकार से प्रभावित होती है। जनसंख्या का आकार जितना बड़ा होगा परिवहन की माँग उतनी ही अधिक होगी। नगरों, कस्बों, गाँवों, औद्योगिक केंद्रों और कच्चे माल, उनके मध्य व्यापार के प्रारूप, उनके भू-दृश्य की प्रकृति, जलवायु के प्रकार और मार्ग की लंबाई पर आने वाले व्यवधानों को दूर करने के लिए उपलब्ध निधियों पर मार्ग निर्भर करते हैं। संचार सेवाओं में शब्दों और संदेशों, तथ्यों और विचारों का प्रेषण सम्मिलित है। लेखक के आविष्कार ने संदेशों को संरक्षित किया और संचार को परिवहन के साधनों पर निर्भर करने में सहायता की। यही कारण है कि परिवहन के सभी रूपों को संचार पथ कहा जाता है।

जहाँ परिवहन जाल-तंत्र सक्षम होता है वहाँ संचार का फैलाव सरल होता है। मोबाइल दूरभाष और उपग्रहों जैसे कुछ विकासों ने संचार को परिवहन से मुक्त कर दिया है। लेकिन अभी भी सभी रूपों का साहचर्य पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हुआ है। आज भी पूरे विश्व में विशाल मात्रा में डाक का निपटारन डाकघरों द्वारा हो रहा है। मोबाइन क्रांति ने संचार को प्रत्यक्ष और तत्काल बना दिया है। उपग्रह संचार पृथ्वी और अंतरिक्ष से सूचना का प्रसारण करता है। इंटरनेट ने वैश्विक संचार तंत्र में वास्तव में क्रांति ला दी है।

Bihar Board Class 12 Geography तृतीयक और चतुर्थ क्रियाकलाप Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
निरौद्योगीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
विनिर्माण में रोजगार के अवसर घटने की प्रक्रिया को तथा सकल घरेलू उत्पाद में उनका अनुपात कम हो जाने की प्रक्रिया को सामान्यतः निरौद्योगीकरण कहा जाता है।

प्रश्न 2.
सेवाओं के प्रमुख वर्ग कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. वाणिज्यिक सेवाएँ
  2. वित बीमा, अचल संपत्ति का क्रय-विक्रय
  3. उत्पादक और उपभोक्ता को जोड़ने वाले थोक और फुटकर व्यापार
  4. परिवहन और संचार
  5. मनोरंजन
  6. विभिन्न स्तरीय प्रशासन और
  7. गैर-सरकारी संगठन आदि

प्रश्न 3.
निरौद्योगीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
सेवाओं में फुटकर बिक्री, स्वास्थ्य और कल्याण, शिक्षा, अवकाश, मनोरंजन और वाणिज्यिक सेवाएँ शामिल हैं। वाणिज्यिक सेवाएँ दूसरी कंपनियों की उत्पादकता या क्षमता में वृद्धि करती है। यही नहीं ये उनके विशेष कामों में स्तर को भी यथावत बनाए रखने में मदद करती है।

प्रश्न 4.
सूचना प्रौद्योगिकी का क्या अर्थ है?
उत्तर:
यह कई प्रकार की प्रौद्योगिकी का संयुक्त रूप है। इसमें सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिकी, कम्प्यूटर (मशीन और सॉफ्टवेयर), दूरसंचार, प्रसारण और आप्ट्रो-इलैक्ट्रोनिक्स शामिल हैं।

प्रश्न 5.
बीसवीं शताब्दी के अंत में सूचना पर आधारित अर्थव्यवस्था में कौन-से तीन नगरों की भूमिका उल्लेखनीय रही है?
उत्तर:
न्यूयार्क, लंदन और टोक्यो नगरों की भूमिका सूचना पर आधारित अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय रही है। ये नगर विश्व तंत्र के नियंत्रक केन्द्रों के रूप में काम करते हैं। इन नगरों में अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के मुख्यालय हैं। यहाँ कंपनियों के बड़े अधिकारियों से प्रत्यक्ष संपर्क, राजनीतिक संबंध बनाने और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने के अवसर अनायास ही मिल जाते हैं।

प्रश्न 6.
सेवा क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में वृद्धि से क्या कारण रहे हैं?
उत्तर:
विकसित देशों में प्रति व्यक्ति आय के बढ़ने से विभिन्न प्रकार की सेवाओं की माँग में बहुत वृद्धि हुई है। स्वास्थ्य, मनोरंजन और परिवहन ऐसी ही सेवाएँ हैं। समय के मूल्य में वृद्धि के कारण अनेक घरेलू कार्य बाजार से करवाए जाते हैं।

प्रश्न 7.
ज्ञान का उत्पादन और सूचना का प्रवाह किसे कहते हैं?
उत्तर:
अत्यधिक औद्योगिक देशों में सूचना पर आधारित भूमंडलीय अर्थव्यवस्था ने अधिक उन्नत और विशिष्ट सेवाओं को जन्म दिया है। ऐसी सेवाओं में मुख्य हैं – वित्त, बीमा, परामर्श, सूचना संग्रहण, शोध और विकास और वैज्ञनिकों द्वारा नई वस्तुओं का निर्माण या पुरानी वस्तुओं में उपयोगी परिवर्तन ये सेवाएँ सभी आर्थिक क्रियाकलापों की केन्द्र-बिंदु होती है। संक्षेप में इन्हें ज्ञान उत्पादन और सूचना प्रवाह कह सकते हैं।

प्रश्न 8.
चतुर्थक क्रियाकलाप क्या हैं?
उत्तर:
वे बौद्धिक व्यवसाय, जिनका दायित्व सोचना है और शोध और विकास के लिए नए विचार देना है। आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक विकसित देशों में अभी तो थोड़े ही लोग चतुर्थक क्रियाकलापों में लगे हैं लेकिन इनकी संस्था निरंतर बढ़ रही है। चतुर्थक क्रियाकलापों में लगे लोगों के वेतनमान ऊँचे होते हैं और ये अपनी पद प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए बहुत अधिक गतिशील है।

प्रश्न 9.
श्रृंखला भंडार क्या है?
उत्तर:
अत्यधिक मितव्ययता से व्यापारिक माल खरीद पाते हैं, यहाँ तक कि अपने विनिर्देश पर सीधे वस्तुओं का विनिर्माण करा लेते हैं। वे अनेक कार्यकारी कार्यों में अत्यधिक कुशल विशेषज्ञ नियुक्त कर लेते हैं। उनके पास एक भंडज़र के अनुभव के परिणामों को अनेक भंडारों में लागू करने की योग्यता होती है।

प्रश्न 10.
जाल तंत्र से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जैसे ही परिवहन व्यवस्थाएँ विकसित होती है विभिन्न स्थान आपस में जुड़कर जाल-तंत्र की रचना करते हैं। जाल-तंत्र तथा योजक से मिलकर बनते हैं। दो अथवा अधिक मार्गों का संधि-स्थल, एक उद्गम बिंदु, एक गंतव्य बिंदु अथवा मार्ग के सहारे कोई बड़ा करबा नोड अथवा शीर्ष होता है।

प्रश्न 11.
चतुर्थ सेक्टर क्या है?
उत्तर:
आर्थिक वृद्धि के आधार के रूप में तृतीयक सेक्टर के साथ चतुर्थक सेक्टर ने सभी प्राथमिक व द्वितीयक से रोजगारों को प्रतिस्थापित कर दिया है। कार्यालय भवनों, प्रारंभिक विद्यालयों, विश्वविद्यालयी कक्षाओं, अस्पतालों व डॉक्टरों के कार्यालयों, रंगमंचों, लेखाकार्य और दलाली की फर्मों में काम करने वाले कर्मचारी इस वर्ग की सेवाओं से संबंध रखते हैं।

प्रश्न 12.
पंचम क्रियाकलाप क्या हैं?
उत्तर:
पंचम क्रियाकलाप वे सेवाएँ है जो नवीन एवं वर्तमान विचारों की रचना, उनके पुनर्गठन और व्याख्या, आंकड़ों की व्याख्या और प्रयोग तथा नई प्रौद्योगिकी के मूल्यांकन पर केंद्रित होती है।

प्रश्न 13.
इंटरनेट के द्वारा कौन-कौन से देश सबसे अच्छी तरह जुड़े हैं?
उत्तर:
कनाडा और ऑस्ट्रेलिया इंटरनेट के द्वारा सबसे अधिक अच्छी तरह से जुड़े हैं। इनके बाद यू. के. जर्मनी और जापान का स्थान है।

प्रश्न 14.
भारत के महानगरों में स्थित किसी भी एक वैश्विक कंपनी के मुख्यालय का नाम बताइये।
उत्तर:
संसार में 500 बड़ी-बड़ी वैश्विक कंपनियाँ हैं। भारत के महानगरों में तो इनमें से एक भी मुख्यालय नहीं हैं।

प्रश्न 15.
उत्पादन को किस रूप में मापा जाता है?
उत्तर:
उत्पादन को परोक्ष रूप से पारिश्रमिक और वेतन के रूप में मापा जाता है।

प्रश्न 16.
व्यापारिक केंद्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
फुटकर और थोक व्यापार अथवा वाणिज्य की सभी सेवाओं का विशिष्ट उद्देश्य लाभ कमाना है। यह सारा काम कस्बों और नगरों में होता है जिन्हें व्यापारिक केंद्र कहा जाता है।

प्रश्न 17.
चिकित्सा पर्यटन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब चिकित्सा उपचार को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन गतिविधि से संबद्ध कर दिया जाता है। तो इसे सामान्यतः चिकित्सा पर्यटन कहा जाता है।

प्रश्न 18.
स्वर्ण कॉलर क्या है?
उत्तर:
स्वर्ण कॉलर कहे जाने वाले वे व्यवसाय तृतीयक सेक्टर का एक और उप-विभाग है। जो वरिष्ठ व्यावसायिक कार्यकारियों, सरकारी अधिकारियों, अनुसंधान वैज्ञानिकों, वित्त एवं विधि परामर्शदाताओं इत्यादि की विशेष और उच्च वेतन वाली कुशलताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
औद्योगीकोत्तर चरण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यह चरण सबसे अंत में आता है। इस चरण में संयुक्त राज्य अमेरिका ने सन् 1960 के आस-पास तथा इसके पश्चात् पश्चिमी यूरोप और जापान ने प्रवेश किया। इस चरण में जीवन स्तर को ऊँचा उठाने का प्रयास किया जाता है। प्राथमिक व्यवसाय अपनी न्यूनतम सीमा तक पहुँच जाता है। कृषि में बहुत कम श्रम संलग्न होता है क्योंकि तकनीकी विकास तथा कृषि में मशीनीकरण के कारण थोड़े से कृषि श्रमिक ही शेष जनसंख्या के लिए भोजन तथा अन्य कृषि उत्पादों की व्यवस्था कर सकते हैं। उद्योगों में स्वचालित मशीनों का अधिक प्रयोग होने लगता है जिससे औद्योगिक श्रम में भी कमी आनी शुरू हो जाती है।

औद्योगिक क्षेत्र में कम श्रम तथा अधिक पूँजी की मांग करने वाले उद्योगों को प्रोत्साहन मिलता है। जापान में तो कई क्षेत्रों में मशीनी मानव का प्रयोग होने लगा है। इस चरण में अधिक विशिष्टीकरण होता है और यह संतृप्त अवस्था को प्राप्त करता है, लेकिन चतुर्थ व्यवसाय में तेजी से वृद्धि होती है जिससे पूरे सामाजिक तथा आर्थिक ढाँचे में परिवर्तन आ जाता है। आज भारत के कुल उत्पादन का लगभग 40 प्रतिशत अन्य सेवाओं से. प्राप्त होता है। इससे भारत की अर्थव्यवस्था में होने वाले परिवर्तन का अनुमान लगाया जा सकता है।

प्रश्न 2.
अंतिम औद्योगिक चरण के विषय में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
इस चरण में कृषि-श्रम की संख्या तेजी से घटती है और इस चरण के अंत तक यह बहुत कम हो जाती है। संयुक्त राज्य अमेरिका में यह चरण सन् 1920 के आस-पास आरंभ हुआ था। इस चरण में औद्योगिक श्रम में निरंतर वृद्धि होती जाती है और इस चरण के अंत तक यह अधिकतम होती जाती है। इस बीच तृतीय व्यवसाय में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। इसका कारण यह है कि उद्योग तथा औद्योगिक श्रम की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कई प्रकार की सेवाएँ, जैसे-परिवहन, व्यापार आदि आरंभ हो जाती है। इस चरण के आरंभ में चतुर्थ व्यवसायों में कोई विशेष वृद्धि नहीं होती लेकिन बाद में ज्यों-ज्यों समाज तथा उसकी अर्थव्यवस्था अधिक जटिल होती जाती है, चतुर्थ श्रेणी के व्यवसायों का महत्त्व बढ़ता जाता है।

प्रश्न 3.
भूमंडलीय अर्थव्यवस्था के विस्तार पर संक्षेप में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
जैसे-जैसे भूमंडलीय अर्थव्यवस्था का विस्तार होता है – इसमें नई इकाइयाँ जुड़ती जाती हैं और नए संबंध बन जाते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका जॉर्जिया, नेब्रास्का जैसे राज्यों में सेवाओं के क्रियाकलापों के संसाधन के प्रादेशिक केन्द्र विकसित हो गए हैं। ऐसे ही केन्द्र यूरोप के बार्सीलोन, नाइस स्टटगार्ट तथा एशिया के मुंबई, बैंकाक और शंघाई में विकसित हो गए हैं। लेकिन ऐसे क्रियाकलापों के विकेन्द्रीकरण का संबंध मुख्य रूप से सहायक कार्यालयों से होता है। ऐसे कार्यालयों में बड़े पैमाने पर लेन-देन के सौदों का संसाधन होता है। इनमें उन्हीं रणनीतियों का क्रियान्वयन किया जाता है जिन्हें भूमंडलीय नगरों में स्थित कंपनियों के केन्द्रों और मुख्यालयों में तय किया जाता है। उदाहरण के लिए एक ही देश यू. के. में 500 सबसे बड़ी कंपनियों के मुख्यालयों में से 198 को पुन: लंदन में स्थापित किया गया है।

प्रश्न 4.
पूर्व औद्योगिक चरण क्या है?
उत्तर:
इस चरण में अधिकांश श्रम-शक्ति प्राथमिक व्यवसाय में कार्यरत होती है। द्वितीय व्यवसाय में बहुत कम लोग होते हैं और वे भी मुख्यतः दस्तकारी में ही व्यस्त रहते हैं। इन व्यवसायों को पुनः दो भागों में बाँटा जाता है – खुदरा व थोक व्यापार तथा अन्य साधारण तृतीय वर्ग के व्यवसायों में अपेक्षाकृत अधिक श्रम रहता है। इसका कारण व्यापार में कम दक्षता तथा कुछ अविकसित देशों में व्यक्तिगत तथा घरेलू सेवाओं का होना है। चतुर्थ व्यवसायों में भी कम श्रम लगता है।

प्रश्न 5.
प्रारम्भिक औद्योगिक चरण की संक्षिप्त में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
इस चरण में द्वितीय व्यवसाय की वृद्धि आरंभ हो जाती है। यह चरण औद्योगिक क्रांति के समान होता है। जब उद्योग-धंधे पूरी तरह स्थापित हो जाते हैं, तब इनमें और भी अधिक श्रमिकों की आवश्यकता होती है। इस चरण के अंत तक औद्योगिक श्रम का महत्व बहुत बढ़ जाता है। प्राथमिक व्यवसाय में कमी आनी आरंभ हो जाती है क्योंकि कृषि श्रम को अधिक दक्षतापूर्ण ढंग से प्रयोग किया जाता है। इस चरण में तृतीय एवं चतुर्थ व्यवसायों पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है क्योंकि ये सेवाएँ संबंधित क्षेत्र को सामान्यतः अन्य क्षेत्रों से प्राप्त होती है।

प्रश्न 6.
उच्च-स्तरीय व विशिष्ट सेवाएँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
अत्यधिक औद्योगिक देशों में सूचना पर आधारित भूमंडलीय अर्थव्यवस्था ने अधिक उन्नत और विशिष्ट सेवाओं को जन्म दिया है। ऐसी सेवाओं में मुख्य हैं – वित्त, बीमा, परामर्श, सूचना संग्रहण, सूचना सेवाओं का प्रबंधन, शोध तथा विकास और वैज्ञानिकों द्वारा नई वस्तुओं का निर्माण या पुरानी वस्तुओं में उपयोगी परिवर्तन । संक्षेप में इन सभी को ज्ञान उत्पादन और सूचना प्रवाह कह सकते हैं।

प्रश्न 7.
विकासशील देशों में सेवा क्षेत्र उन्नत देशों से किस प्रकार भिन्न हैं? व्याख्या करें।
उत्तर:
विकासशील देशों में भी विनिर्माण क्षेत्र की तुलना में सेवा क्षेत्र अधिक तेजी से बढ़ रहा है। राष्ट्रीय संपदा में भी इनके योगदान में वृद्धि हो रही है। लेकिन सेवाओं का लेखा-जोखा आज की अच्छी तरह से नहीं रखा जाता। इसका कारण है कि लोग असंगठित सेवाओं में लगे हैं। असंगठित सेवाओं को अनौपचारिक क्षेत्र में कार्य करने लगते हैं। इन्हें बहुत कम मजदूरी दी जाती है। अकुशल होने होने पर तो उनकी मजदूरी और घट जाती है। इनके अंतर्गत गृहणियाँ और बाल-मजदूर भी हैं जिनकी सेवाओं का कोई हिसाब-किताब नहीं रखा जाता।

अधिकतर देशों में विकास की प्रक्रिया का एक निश्चित घटनाक्रम होता है। प्रारंभ में प्राथमिक क्षेत्र का वर्चस्व होता है। इसके बाद द्वितीयक क्षेत्र का महत्व बढ़ता है तथा अंतिम अवस्थाओं में तृतीयक और चतुर्थक क्षेत्र महत्वपूर्ण बन जाते हैं। कुछ देशों में विनिर्माण क्षेत्र में अवनति होने की प्रक्रिया को रोका गया है। लेकिन इन देशों में भी अंततोगत्वा विनिर्माण में रोजगार के अवसर घटने लगते हैं और सकल घरेलू उत्पाद में उनका अनुपात कम हो जाता है। इस प्रक्रिया को सामान्यतः निरौद्योगीकरण कहा जाता है। विकसित देशों के विभिन्न प्रदेशों में भी निरौद्योगीकरण की इस प्रवृत्ति को देखा जा सकता है।

वास्तव में इस प्रक्रिया को पहले से बताया जा सकता है। विनिर्माण अवनति की इस प्रक्रिया के कारण अनेक कुशल श्रमिक बेकार हो जाते हैं, संगठन बिखर जाते हैं और दफ्तरों में ताले लग जाते हैं। सेवाओं के बढ़ते हुए महत्त्व ने इसे उत्पादक अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में एक विशिष्ट स्थान दिला दिया है। अब सेवाएँ विनिर्माण या सामान्य लोगों की सहायक मात्र नहीं रह गई हैं। ये अब निर्यातक बन गई हैं। कुछ देशों जैसे स्विट्जरलैंड यू. के. आदि के कुछ प्रदेशों और नगरों को सेवा क्षेत्र में प्रतियोगी लाभ मिला हुआ है।

प्रश्न 8.
भूमण्डलीकरण, उदारीकरण और निजीकरण के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र के आकार और भूमिका, दोनों में वृद्धि हो रही है क्यों?
उत्तर:
क्योंकि प्रायः सरकार ही सबसे अधिक लोगों को रोजगार देती है, और यह लोगों की सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और सफाई तथा कानून व्यवस्था जैसी अनेक प्रकार की सेवाएँ प्रदान करती है। विकसित देशों के अंदर सेवा क्षेत्रों के स्तर में वृद्धि हुई है। यही नहीं सेवाओं का निर्यात भी किया जाता है। इसीलिए इन देशों में सेवा क्षेत्र में वृद्धि हो रही है। अनेक देश विदेशी ग्राहकों को सेवाएँ बेचकर भारी कमाई कर रहे हैं।

विश्व स्तर पर सेवाओं का बड़े पैमाने पर व्यापार हो रहा है तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में इनका 20 प्रतिशत का योगदान है। मुख्य रूप से पुरुष प्रधान विनिर्माण उद्योगों की तुलना में सेवा क्षेत्र में महिलाओं को अधिक संख्या में रोजगार मिला हुआ है। विकासशील देशों में कुल मिलाकर विनिर्माण उद्योगों की तुलना में सेवा क्षेत्र में कम वेतन दिया जाता है।

प्रश्न 9.
सेवाओं के प्रमुख वर्गों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सेवाओं के प्रमुख वर्ग निम्नलिखित हैं –

  1. वाणिज्यिक सेवाएँ-इसमें विज्ञापन, कानूनी सेवाएँ, जन-संपर्क और परामर्श आदि क्रियाकलाप आते हैं।
  2. वित्त, बीमा, वाणिज्यिक और आवासीय भूमि और भवनों जैसी अचल संपत्ति का क्रय-विक्रय ।
  3. उत्पादक और उपभोक्ता को जोड़ने वाले थोक और फुटकर व्यापार तथा रख-रखाव, सौंदर्य प्रसाधन तथा मरम्मत के कार्य जैसी सेवाएँ।
  4. परिवहन और संचार-रेल, सडक, जहाज और वायुयान सेवाएँ, डाक-तार सेवाएँ।
  5. मनोरंजन-दूरदर्शन, रेडियो, फिल्म और साहित्य।
  6. विभिन्न स्तरीय प्रशासन-स्थानीय, राजकीय तथा राष्ट्रीय प्रशासन, अधिकारी वर्ग, पुलिस, सेना तथा अन्य जन-सेवाएँ।
  7. गैर-सरकारी संगठन-शिशु चिकित्सा, पर्यावरण, ग्रामीण विकास आदि लाभ सहित सामाजिक क्रियाकलापों से जुड़े व्यक्तिगत या सामूहिक परोपकारी संगठन आदि।

प्रश्न 10.
यूरोप, उत्तर अमेरिका और जापान के अनुपात के सकल घरेलू उत्पाद में चिकित्सा सेवाओं में निरंतर वृद्धि हो रही है। क्यों?
उत्तर:
ऐसी वृद्धि वास्तव में अत्यधिक औद्योगिकृत देशों की जनसंख्या में जनांकिकीय संरचना में परिवर्तन के फलस्वरूप ही हुई। प्रौढ़ लोगों में ही चिकित्सा सुविधाओं का माँग बढ़ी है। कार्य स्थलों पर साक्षरता, गणितीय साक्षरता और कम्प्यूटर कौशल की माँग में वृद्धि के कारण प्रत्येक स्तर पर शैक्षिक सेवाओं में भी माँग बढ़ी है।

प्रश्न 11.
सेवाओं का लेखा-जोखा आज भी अच्छी तरह से क्यों नहीं रखा जाता है?
उत्तर:
सेवाओं का लेखा-जोखा आज भी अच्छी तरह से नहीं रखा जाता। इसका कारण है कि लोग असंगठित सेवाओं में लगे हैं। असंगठित सेवाओं को अनौपचारिक क्षेत्र भी कहते हैं। ग्रामीण प्रवासी नगरों में आकार भारी संख्या में अनौपचारिक क्षेत्र में कार्य करने लगते हैं। इन्हें बहुत कम मजदूरी दी जाती है। अकुशल होने पर उसकी मजदूरी और घट जाती है। इनके अंतर्गत गृहणियों और बाल-मजदूर भी हैं जिनकी सेवाओं का कोई हिसाब-किताब नहीं रखा जाता।

प्रश्न 12.
उन्नत अर्थव्यवस्था के विशेषीकृत क्रियाकलापों जैसे वित्त और बीमा की अवस्थिति भूमंडल पर बिखरी हुई क्यों है? उनका प्रबंधन कैसे होता है?
उत्तर:
वर्तमान युग सूचना प्रौद्योगिकी का युग है। सूचनाओं के प्रवाह के कारण भूमंडर अर्थव्यवस्था का विकास हुआ है, जिससे विश्व की दूरियाँ सिमट गई है। जिस कारण अधिक उन्नत और विशिष्ट सेवाओं का जन्म हुआ है। संसार के सभी देश चाहे वे विकसित हों या विकासशील हों निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर हैं। सभी देशों में आर्थिक विकास के लिए उद्योग स्थापित हो चुके हैं, और निरंतर नई तकनीकों का प्रयोग करके उन्नतशील हैं विकसित देशों के पास तो सभी सुविधाएँ हैं, लेकिन विकासशील देशों के पास पर्याप्त प्रौद्योगिकी नहीं है अत: वहाँ उद्योग तो है लेकिन उन्नत सेवाओं की आवश्यकता है। जिस प्रकार नगरों में सेवाओं का पदानुक्रम पाया जाता है अर्थात् उच्चक्रम की सेवाएँ बड़े नगरों में केन्द्रित होती है और निम्न सेवाओं का फैलाव सभी छोटे नगरों में मिलता है। वर्तमान में भी शक्ति और कौशल दोनों ही दृष्टियों से उच्च स्तर के कार्य प्रमुख महानगरों में संकेन्द्रित है।

संकेन्द्रण का विशिष्ट प्रतिरूप वैश्विक नगरों के रूप में ही सामने आया है, इन नगरों का विकास अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में हुआ है। लेकिन, न्यूयार्क और टोकिया मिलकर संपूर्ण विश्व में वित्तीय व्यापार का संचालन करते हैं। संचार की 500 बड़ी वैश्विक कम्पनियों में से 59 के मुख्यालय न्यूयार्क में, 37 के लंदन में, 34 के टोकियो और 27 के पेरिस में है। संसार के विभिन्न देशों में इनके मुख्यालय हैं। नये प्रादेशिक केन्द्र उन क्षेत्रों में विकसित किये जा रहे हैं जहाँ सेवाओं में क्रियाकलापों के संसाधन हैं।

विशेषीकृत क्रियाओं का प्रबंधन:
सूचना प्रौद्योगिकी के द्वारा ही इन विशेषीकृत सेवाओं का प्रबंधन किया है। कार्य चाहे संसार के किसी भी कोने में हो लेकिन लेन-देन के सौदे इन वैश्विक नगरों में ही होते हैं, क्योंकि विभिन्न कंपनियाँ जो ये सेवाएं प्रदान करती हैं, के मुख्यालय इन नगरों में स्थित हैं। विभिन्न देशों में स्थित वैश्विक कम्पनियों के ये कार्यालय संचार सेवाओं के जाल द्वारा ही जुड़े हुए हैं और विश्वतंत्र के नियंत्रक केन्द्रों के रूप में कार्य कर रहे हैं । संचारतंत्र के द्वारा ही बैंक क्षणभर के नोटिस पर पूँजी को संसार के किसी भी कोने में हस्तांतरित कर सकते हैं। संचार के इलेक्ट्रानिक माध्यमों ने इस व्यवस्था को विकसित किया और भूमंडलीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों का संक्षेप में उत्तर दें –

  1. तृतीय क्रियाकलाप क्या हैं?
  2. उन्नत आर्थिक व्यवस्था में विनिर्माण का क्या ह्रास हुआ?
  3. सेवाओं के प्रमुख घटक क्या हैं?
  4. वैश्विक नगर क्या हैं? तीन वैश्विक नगरों के नाम लिखें।
  5. चतुर्थक क्रियाकलाप क्या हैं?
  6. इंटरनेट द्वारा सुसंबंधित विश्व के तीन राष्ट्रों के नाम बताइये।

उत्तर:
1. वे क्रियाकलाप जो अमूर्त सेवाओं से संबंधित है। इसमें मिस्त्री, प्लम्बर, रसोईया, वकील, शिक्षक आदि के व्यवसाय सम्मिलित हैं। सेवाएँ वे क्रियाकलाप हैं जिनमें वस्तुओं का उत्पादन नहीं होता है। इस प्रकार वे पदार्थों के प्रसंस्करण (नई वस्तु निर्माण) में प्रत्यक्ष रूप में शामिल नहीं होती। अतः ये विनिर्माण से भिन्न है। विनिर्माण के उत्पादों को तो वस्तुओं के रूप में देखा जो सकता है, लेकिन सेवाओं का कोई उत्पादन नहीं होता।

2. अधिकतर देशों के विकास की प्रक्रिया का एक निश्चित घटनाक्रम होता है। प्रारंभ में प्राथमिक क्षेत्र का वर्चस्व होता है। इसके बाद द्वितीयक क्षेत्र का महत्व बढ़ता है तथा अंतिम अवस्थाओं में तृतीयक और चतुर्थक क्षेत्र महत्वपूर्ण बन जाते हैं। विनिर्माण में रोजगार के अवसर घटने लगते हैं तथा सकल घरेलू उत्पाद में उनका अनुपात कम हो जाता है। इस प्रक्रिया को सामान्यत: निरौद्योगीकरण कहा जाता है।

विकसित देशों के विभिन्न प्रदेशों में भी निरौद्योगीकरण की इस प्रवृत्ति को देखा जा सकता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में सन् 1950 और 1960 में विनिर्माण में यह अवनति सबसे पहले न्यू-इंग्लैंड में दिखाई पड़ी थी। बाद में सन् 1970 में विनिर्माण की अवनति से मध्य अटलांटिक के वर्जीनिया, मैरीलैंड और डिलावियर राज्य प्रभावित हुए थे। मध्य पश्चिम के औद्योगिक जगत ने इसका सामना 1980 में जाकर किया। वास्तव में इस प्रक्रिया को पहले से बताया जा सकता है। विनिर्माण अवनति की इस प्रक्रिया के कारण अनेक कुशल श्रमिक बेकार हो जाते हैं, संगठन बिखर जाते हैं और दफ्तरों में ताले लग जाते हैं।

3. सेवाओं के प्रमुख वर्ग निम्नलिखित हैं –
(क) वाणिज्यिक सेवाएँ- विज्ञापन, कानूनी सेवाएँ, जन-संपर्क और परामर्श
(ख) वित्त, बीमा, वाणिज्यिक और आवासीय भूमि और भवनों जैसी अचल संपत्ति का क्रय-विक्रय।
(ग) उत्पादक और उपभेक्ता को जोड़ने वाले थोक और फुटकर व्यापार तथा रख-रखाव, सौंदर्य प्रसाधक तथा मरम्मत के कार्य जैसी सेवाएँ।
(घ) परिवहन और संचार-रेल, सड़क, जहाज और वायुयान सेवाएँ, डाक-तार सेवाएँ।
(ङ) मनोरंजन- दूरदर्शन, रेडियो, फिल्म और साहित्य।
(च) विभिन्न स्तरीय प्रशासन- स्थानीय, राजकीय तथा राष्ट्रीय प्रशासन अधिकारी वर्ग, पुलिस, सेना तथा अन्य जन-सेवाएँ।
(छ) गैर-सरकारी संगठन- शिशु चिकित्सा, पर्यावरण, ग्रामीण विकास आदि लाभ रहित सामाजिक क्रियाकलापों से जुड़े व्यक्तिगत या सामूहिक परोपकारी संगठन।

4. जो नगर अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में विकसित होते हैं और सूचनातंत्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को संचालित करते हैं ऐसे नगर वैश्विक नगर कहलाते हैं। न्यूयार्क, लंदन और टेकियो, ऐसे नगरों के उदाहरण हैं।

5. विगत कुछ वर्षों में आर्थिक क्रियाकलाप बहुत विशिष्ट और जटिल हो गए हैं। जिसके परिणामस्वरूप, चतुर्थक क्रियाकलापों का नया वर्ग बन गया है। चतुर्थक शब्द से तात्पर्य उन अधिक बौद्धिक व्यवसायों से है, जिनका दायित्व सोचना है और शोध और विकास के लिए नए विचार देना है। आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक विकसित देशों में अभी तो थोड़े ही लोग चतुर्थक क्रियाकलापों में लगे हैं, लेकिन इनकी संख्या निरंतर बढ़ रही है। चतुर्थक क्रियाकलापों में लगे लोगों के वेतनमान ऊँचे होते हैं और ये अपनी पद प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए बहुत अधिक गतिशील है।

6. स्कौडिनेविया के देश, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया इंटरनेट के द्वारा सबसे अधिक अच्छी तरह जुड़े हैं। इनके बाद यू. के. जर्मनी और जापान का स्थान है।

प्रश्न 2.
आधुनिक आर्थिक विकास में सेवा-क्षेत्र के महत्व तथा वृद्धि की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
आर्थिक विकास के लिए सेवाएँ बहुत महत्वपूर्ण हैं। सेवाओं में फुटकर बिक्री, स्वास्थ्य और कल्याण, शिक्षा, अवकाश, मनोरंजन और वाणिज्यिक सेवाएँ शामिल है। वाणिज्यिक सेवाएँ दूसरी कंपनियों की उत्पादकता या क्षमता में वृद्धि करती हैं। यही नहीं ये उनके विशेष कामों के स्तर को भी यथावत् बनाए रखने में मदद करती है। विज्ञापन, कर्मचारियों का चयन और अधिकारियों का प्रशिक्षण इसके उदाहरण हैं। कुछ वर्ष पूर्व तक सेवा क्षेत्र की तुलना में वस्तुओं के उत्पादन पर अधिक ध्यान दिया जाता था लेकिन विकसित अर्थव्यवस्था में, सेवाओं पर आधारित विकास में बड़ी तेजी आई है। आँकड़ों से पता चलता है कि इन देशों के सेवा क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में निरंतर वृद्धि हो रही है।

कुछ सेवाएँ नए प्रकार के उद्योगों के विज्ञापन और विपणन जैसे कार्यों में लगी हैं। इनके अलग स्थानिक प्रतिरूप बन गए हैं। उनका एक विशिष्ट प्रतिरूप वैश्विक नगरों के रूप में दिखाई पड़ता है। ये नगर अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के संदर्भ में ही विकसित हुए हैं। विश्व स्तर पर सेवाओं का बड़े पैमाने पर व्यापार हो रहा है तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में इनका 20 प्रतिशत का योगदान है। अत्यधिक औद्योगिक देशों में सूचना पर आधारित भूमंडलीय अर्थव्यवस्था में अधिक उन्नत और विशिष्ट सेवाओं को जन्म दिया है। ऐसी सेवाओं में मुख्य हैं- वित्त, बीमा, परामर्श, सूचना संग्रहण, शोध तथा विकास और वैज्ञानिकों द्वारा नई वस्तुओं का निर्माण या पुरानी बस्तुओं में उपयोगी परिवर्तन ये सेवाएँ सभी आर्थिक क्रियाकलापों के केन्द्र-बिंदु होते हैं। संक्षेप में इन्हीं ज्ञान उत्पादन और सूचना प्रवाह कह सकते हैं।

जैसे-जैसे भूमंडलीय अर्थव्यवस्था का विस्तार होता है:
इसमें नई इकाइयाँ जुड़ती जाती हैं और नए संबंध बन जाते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के ज्यार्जिया, नेब्रास्का जैसे राज्यों में सेवाओं के क्रियाकलापों के संसाधन के प्रादेशिक केन्द्र विकसित हो गए हैं। ऐसे ही केन्द्र यूरोप के बार्सीलोन, नाइस स्टटगार्ट तथा एशिया के मुंबई, बैंकाक और शंघाई में विकसित हो गए हैं। लेकिन ऐसे क्रियाकलापों के विकेन्द्रीकरण का संबंध मुख्य रूप से सहायक कार्यालयों से होता है। ऐसे कार्यालयों में बड़े पैमाने पर लेन-देन के सौदों का संसाधन होता है। इनमें उन्हीं रणनीतियों का क्रियान्वयन किया जाता है जिन्हें भूमंडलीय नगरों में स्थित कंपनियों के केन्द्रों और मुख्यालयों में तय किया जाता है।

प्रश्न 3.
चतुर्थक क्रियाकलापों के विषय में विवेचना कीजिए।
उत्तर:
विगत कुछ वर्षों में आर्थिक क्रियाकलाप बहुत विशिष्ट और जटिल हो गए हैं। जिसके परिणामस्वरूप, चतुर्थक के रूप में क्रियाकलापों का नया वर्ग बन गया है। अप्रत्यक्ष उत्पादों में भी, ज्ञान से संबंधिक क्रियाकलापों जैसे शिक्षा, सूचना, शोध और विकास को सेवाओं का एक भिन्न वर्ग मान लिया गया है। चतुर्थक शब्द से तात्पर्य उन अधिक बौद्धिक व्यवस्थाओं से है, जिनका दायित्व सोचना है और शोध और विकास के लिए नए विचार देना है।

विगत कुछ वर्षों में सूचना प्रौद्योगिकी में क्रांति के फलस्वरूप ज्ञान आधारित उद्योगों का विकास हुआ है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर आधारित औद्योगिक संकुलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। संयुक्त राज्य अमेरिका के बोस्टन या चुसेट्स और केलीफोर्निया में ऐसे औद्योगक संकुलों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी पार्क कहा जाता है। सूचना प्रौद्योगिकी कई प्रकार की प्रौद्योगिकी का संयुक्त रूप है। इसमें सूक्ष्म इलैक्ट्रोनिकी, कम्प्यूटर, दूरसंचार, प्रसारण और आप्ट्रो-इलैक्ट्रोनिक्स शामिल हैं। दो दशकों में सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से प्रौद्योगिकी में नए आविष्कार हुए हैं। आनुवंशिक इंजीनियरी इसका एक अच्छा उदाहरण है। इसके अलावा ऊर्जा संसाधनों, चिकित्सा अनुप्रयोगों, परिवहन और विनिर्माण की तकनीकों में बहुत नई उद्भावनाएं हैं।

बीसवीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में सूचना का अंकीकरण हो जाने पर दूरसंचार कम्प्यूटर में मिल गया है। इसमें संचार के एक समान्वित संजाल का निर्माण हुआ है। इस कार्य में इंटरनेट की भूमिका उल्लेखनीय है। सारे संसार में दूरसंचार के साधनों का विकास हुआ है। वित्तीय साधनों का इलैक्ट्रोनिक माध्यम से लेन-देन अब अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था का केन्द्र-बिंदु बन गया है। इस व्यवस्था के द्वारा बैंक क्षणभर के नोटिस पर पूँजी को संसार के किसी भी कोने में स्थानान्तरित कर सकते है। वित्तीय बाजार के अंतर्राष्ट्रीयकरण सबसे उल्लेखनीय प्रभाव वैश्विक नगरों के विकास के रूप में पड़ा है। लंदन, न्यूयार्क और टोक्यो ऐसे ही वैश्विक नगर हैं। सूचना पर आधारित अर्थव्यवस्था में इन तीन नगरों की भूमिका बहुत उल्लेखनीय रही है।

प्रश्न 4.
तृतीयक क्रियाकलापों के विषय में विवेचना कीजिए।
उत्तर:
तृतीयक क्रियाकलाप अमूर्त सेवाओं से संबंधित हैं। सेवाएँ, वे क्रियाकलाप हैं, जिनमें वस्तुओं का उत्पादन नहीं होता है। इस प्रकार के पदार्थों के प्रसंस्करण में प्रत्यक्ष रूप में शामिल नहीं होती। अतः ये विनिर्माण से भिन्न है। विनिर्माण उत्पाद और सेवा उत्पाद एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न हैं। सेवाओं से जो विशेषता मिलती है, उसका प्रत्यक्ष आधार कर्मचारियों का कौशल, अनुभव और ज्ञान होता है। इसके विपरीत विनिर्माण का आधार मशीनों को चलाने की तकनीक और उत्पादन की प्रक्रिया होती है।

आर्थिक विकास के लिए सेवाएँ बहुत महत्वपूर्ण हैं। वाणिज्यिक सेवाएँ दूसरी कंपनियों की उत्पादकता या क्षमता में वृद्धि करती है। यही नहीं ये सेवाएँ उनके विशेष कार्यों के स्तर को भी यथावत् बनाए रखने में मदद करती है। कुछ वर्ष पूर्व तक सेवा क्षेत्र की तुलना में वस्तुओं के उत्पादन पर अधिक ध्यान दिया जाता था लेकिन विकसित अर्थव्यवस्था में, सेवाओं पर आधारित विकास में बड़ी तेजी आई है। विकासशील देशों में भी विनिर्माण क्षेत्र की तुलना में सेवा क्षेत्र अधिक तेजी से बढ़ रहा है। राष्ट्रीय संपदा में भी इनके योगदान में वृद्धि हो रही है। लेकिन सेवाओं का लेखा-जोखा आज भी अच्छी तरह से नहीं रखा जाता। इसका कारण लोग असंगठित सेवाओं में लगे हैं।

अधिकतर देशों में विकास की प्रक्रिया का एक निश्चित घटनाक्रम होता है। प्रारंभ में प्राथमिक क्षेत्र का वर्चस्व होता है। इसके बाद द्वितीय क्षेत्र का महत्व बढ़ता है तथा अंतिम अवस्थाओं में तृतीयक और चतुर्थक क्षेत्र महत्वपूर्ण बन जाते हैं। कुछ देशों में विनिर्माण क्षेत्र में अवनति होने की प्रक्रिया को रोका गया है। विनिर्माण में रोजगार के अवसर घटने को तथा सकल घरेलू उत्पाद में उनका अनुपात कम हो जाने की प्रक्रिया को निरौद्योगीकरण कहा जाता है। संयुक्त राज्य अमेरिमा में सन् 1950 और 1960 में विनिर्माण में यह अवनति सबसे पहले न्यू-इंग्लैंड में दिखाई पड़ी थी। बाद में सन् 1970 में विनिर्माण की अवनति से मध्य अटलांटिक के वर्जीनिया, मैरीलैंड और डिलावेयर राज्य प्रभावित हुए थे। मध्य पश्चिम के उद्योगों ने इसका सामना 1980 में जाकर किया।

सेवाओं के बढ़ते हुए महत्त्व ने इसे उत्पादक अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में एक विशिष्ट स्थान दिला दिया है। अब सेवाएँ विनिर्माण या सामान्य लोगों की सहायक मात्र नहीं रह गई हैं। ये अब निर्यातक बन गई हैं। कुछ देशों जैसे स्विट्जरलैंड, यू. के. आदि के कुछ प्रदेशों और नगरों को सेवा क्षेत्र में प्रतियोगी लाभ मिला हुआ है। पुरानी विचारधारा के अनुसार उद्योगों स्थानीयकरण में एक विशिष्ट भौगोलिक प्रतिरूप होता था। इसके विपरीत सेवा का वितरण जनसंख्या के वितरण से मेल खाता था। इस प्रकार लोहे और इस्पात उद्योग का एक निश्चित भूगोल होता था। लेकिन आजकल सेवाओं का संकेन्द्रण होने लगा है।

कुछ सेवाएँ नई प्रकार के उद्योगों के विज्ञापन और विपणन जैसे कार्यों में लगी है। इनके अलग से स्थानिक प्रतिरूप बन गए हैं। इनका एक विशिष्ट प्रतिरूप वैश्विक नगरों के रूप में दिखाई पड़ता है। ये नगर अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यस्था के संदर्भ में ही विकसित हुए हैं। जैसे-जैसे भूमंडलीय अर्थव्यस्था का विस्तार होता है। इसमें नई इकाइयाँ जुड़ती जाती हैं और नए संबंध बन जाते हैं। इन क्रियाकलापों को चलाने के लिए अर्द्धकुशल कर्मचारियों को कार्यालयों में काम पर रखा जाता है। प्रौद्योगिकी का विकास होने पर इन्हें काम से हटा दिया जाता है। उन्नत सेवा के क्रियाकलापों के स्थानिक तंत्र का महत्व इसके संजाल में छिपा होता है और यह संजाल सूचना प्रवाह पर आधारित है।

प्रश्न 5.
वैश्विक नगर विश्व-प्रणाली के आदेश और नियंत्रण केन्द्र के रूप में कार्य करते हैं। व्यवस्था करें।
उत्तर:
वित्तीय बाजार के अंतर्राष्ट्रीयकरण का सबसे उल्लेखनीय प्रभाव वैश्विक नगरों के विकास के रूप में पड़ा है। लंदन, न्यूयार्क और टोक्यो ऐसे ही वैश्विक नगर हैं। कुछ अन्य नगरों जैसे पेरिस, टोरंटो, रंगजिल्स, ओसाका, हांगकांग, सिंगापुर का भी अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है। लेकिन बीसवीं शताब्दी के अन्त में सूचना पर आधारित अर्थव्यवस्था में इन तीन नगरों न्यूयार्क, लंदन और टोक्यो की भूमिका बहुत उल्लेखनीय रही है। ये विश्व तंत्र के नियंत्रक केन्द्रों के रूप में काम करते हैं। इन नगरों में अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के मुख्यालय हैं। यहीं पर वित्तीय कम्पनियों और व्यापारिक सेवाओं के कार्यालयों के बड़े-बड़े परिसर हैं। यहाँ कम्पनियों के बड़े अधिकारियों में प्रत्यक्ष संपर्क, राजनीतिक संबंध बनाने और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने के अवसर अनायास ही मिल जाते हैं।

संक्षेप में दूर – संचार के द्वारा आज उच्च वेतन तथा उच्च मूल्य संबंधित सफेदपोश कार्यों को करने वाले कर्मचारी एक ही स्थान पर इकट्ठे होने लगे हैं। इसके विपरीत निम्न, निम्न मूल्य वृद्धि और कायिक कार्य करने वाले कर्मचारियों के विकेन्द्रीकरण को भी इससे प्रेरणा मिली है। नगरों और प्रदेशों पर इनके सकारात्मक और नकारात्मक कई प्रकार के प्रभाव पड़े हैं। दिनों-दिन जीवन में इलैक्ट्रोनिक तंत्र का बहुत उपयोग होता है। पासपोर्ट, करों के रिकॉर्ड, चिकित्सा रिपोर्ट, टेलीफोन और अपराध के आँकड़ों में इनका बहुत उपयोग होता है। इनके कारण सत्ता और संपत्ति तथा भौगोलिक केन्द्र और निकटवर्ती क्षेत्र के रूप में कुछ वर्ग बन गए हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इंटरनेट के उपयोग में असमानता इसका एक उदाहरण है।

प्रति एक लाख लोगों पर इंटरनेट का उपयोग करने के आधार पर देशों के दो वर्ग बन गए हैं। एक विकासशील देशों का तथा दूसरा विकसित देशों का। स्कौडिनेविया के देश कनाडा और ऑस्ट्रेलिया इंटरनेट के द्वारा सबसे अधिक अच्छी तरह से जुड़े हैं। इस संदर्भ में इनके बाद यू. के. जर्मनी और जापान का स्थान है। इस मामले में सं. रा. अमेरिका का स्थान आश्चर्यजनक रूप से काफी नीचा है, क्योंकि इसकी काफी बड़ी जनसंख्या इंटरनेट का बहुत कम उपयोग करती है। लेकिन इंटरनेट के अंतर्राष्ट्रीय यातायात का उद्गम स्थान या लक्ष्य सं.रा. अमेरिका से होता है। एशिया, अफ्रीका, द. अमेरिका के अधिकतर लोग इंटरनेट का बहुत कम या बिल्कुल ही उपयोग नहीं करते हैं।

प्रश्न 6.
संसार में चतुर्थ सेवाओं की प्रकृति तथा वृद्धि की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
विगत कुछ वर्षों में आर्थिक क्रियाकलाप बहुत विशिष्ट और जटिल हो गए हैं। जिसके परिणामस्वरूप, चतुर्थक के रूप में क्रियाकलापों का नया वर्ग बन गया है। अप्रत्यक्ष उत्पादों में भी, ज्ञान से संबंधित क्रियाकलापों जैसे शिक्षा, सूचना, शोध और विकास को सेवाओं का एक भिन्न वर्ग मान लिया गया है। चतुर्थक शब्द से तात्पर्य उन अधिक बौद्धिक व्यवसायों से है, जिनका दायित्व सोचना है और शोध और विकास के लिए नए विचार देना है। आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक विकसित देशों में अभी तो थोड़े ही लोग चतुर्थक क्रियाकलापों में लगे लोगों के वेतनमान ऊँचे होते हैं और ये अपनी पद प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए बहुत अधिक गतिशील है। विगत कुछ वर्षों में सूचना प्रौद्योगिकी में क्रांति के फलस्वरूप ज्ञान आधारित उद्योगों का विकास हुआ है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर आधारित औद्योगिक संकुलों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। संयुक्त राज्य अमेरिका के बोस्टन सा चुसेट्स और केलीफोर्निया में ऐसे औद्योगिक संकुलों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी पार्क कहा जाता है। जॉन आधारित उद्योगों का एक उदाहरण साफ्टवेयर का विकास है।

सूचना प्रौद्योगिकी कई प्रकार की प्रौद्योगिकी का संयुक्त रूप है। इसमें सूक्ष्म इलेक्ट्रोनिकी, कम्प्यूटर, (मशीन और साफ्टवेयर) दूरसंचार, प्रसारण और आप्ट्रो-इलैक्ट्रोनिक्स शामिल हैं। बीसवीं शताब्दी के विगत दो दशकों में सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग से प्रौद्योगिकी में नए आविष्कार हुए हैं। आनुवंशिक इंजीनियरी इसका एक अच्छा उदाहरण है। इसके अलावा ऊर्जा संसाधनों, चिकित्सा अनुप्रयोगों, परिवहन और विनिर्माण की तकनीकों में बहुत नई उद्भावनाएँ हैं। दूसरे शब्दों में परिवर्तन के केन्द्र-बिंदु का अर्थ है सूचना संसाधन और संचार की प्रौद्योगिकियाँ। ज्ञान और सूचना का ज्ञान उत्पादन और सूचना संसाधन की युक्तियों में अनुप्रयोग, वर्तमान सूचना क्रांति की मुख्य विशेषता है। सूचना के इस युग में औद्योगिक समाज और अधिक तकनीकी होता जा रहा है। जिसके परिणामस्वरूप वर्तमान आर्थिक क्रियाकलाप मुख्य रूप से अप्रत्यक्ष उत्पादों से प्रभावित है। इन अप्रत्यक्ष उत्पादों के उत्पादन में ज्ञान, सूचना और संचार बहुत अधिक महत्वपूर्ण हैं।

औद्योगिक देशों में अधिकतर नौकरियाँ विशेष रूप से ऊँचे वेतन वाली, सफेदपोश नौकरियाँ, किसी न किसी रूप में सूचना संग्रहण, संसाधन और प्रसारण से जुड़ी है। सूचना प्रौद्योगिकी के इन कार्यों का महत्व कम्प्यूटरों के सस्ते होने और अधिक सक्षम होने के कारण और अधिक बढ़ गया है। यही नहीं, तेजी से होने वाले प्रौद्योगिकीय परिवर्तनों के कारण उत्पादन में लगने वाला समय घट गया है। वैश्वीकरण और उदारीकरण के कारण बढ़ती प्रतिस्पर्धा और रोजगार के बाजार में अनिश्चितता ने वस्तुओं के उत्पादन और विपणन को अधिक सूचना प्रधान बना दिया है। इसलिए विश्व अर्थव्यवस्था के भूगोल में आंकड़ों के कारण ही विशेष तंत्र में अनेक स्थान सामान रूप से नहीं जुड़े पाए हैं, और वे पूँजी के अप्रत्यक्ष प्रवाह पर निर्भर हैं।

आर्थिक क्रियाकलाप पहले से कहीं अधिक दूरियों में फैल गए हैं। कभी-कभी इनका विस्तार महाद्वीपों के एक छोर से दूसरे छोर तक जाता है। इसलिए ये दूरसंचार के घनिष्ठ उपयोग से जुड़े हैं। बीसवीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में सूचना का अंकीकरण हो जाने पर दूरसंचार कम्प्यूटर में मिल गया है। इससे संचार के एक समन्वित संजाल का निर्माण हुआ है। इस कार्य में इंटरनेट की भूमिका उल्लेखनीय है। इसके परिणामस्वरूप पेशेवर अधिकारियों को नगर के केन्द्रीय भागों या दफ्तरों से दूर जाने का अवसर मिल गया है। अब वे अपने घरों में बैठकर लोगों के साथ प्रत्यक्ष सम्पर्क करके अच्छा काम कर सकते हैं। बैंक, जीवन बीमा कंपनियाँ तथा सुरक्षा से जुड़ी कंपनियाँ अत्यधिक सूचना प्रधान आर्थिक क्रियाकलाप है। इन्हीं के कारण संचार को ठेके पर दिया गया तथा निजी जालों के कारण, सारे संसार में दूरसंचार के साधनों का विकास हुआ है। वित्तीय साधनों का इलैक्ट्रोनिक माध्यम से लेन-देन अब अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था का केन्द्र-बिंदु बन गया है। इस व्यवस्था के द्वारा बैंक क्षण भर के नोटिस पर पूँजी को संसार के किसी भी कोने में स्थानान्तरित कर सकते हैं।

भौगोलिक कुशलताएँ

प्रश्न 1.
संसार के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित को दर्शाइए –

  1. उत्तरी अमेरिका, यूरोप तथा एशिया प्रत्येक से एक-एक वैश्विक नगर।
  2. हांग-कांग, शेनझेन, गागझाऊ-झुहाई-मकाऊ, विकसित मेगालो-पोलिस।

उत्तर:
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 7 तृतीयक और चतुर्थ img 1a

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
यदि गम्य है तो निकटतम बी. पी. ओज में जाएँ और उनकी गतिविधियों का वर्णन करें।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
यात्रा अभिकर्ता से अपने विदेश जाने हेतु अनिवार्य दस्तावेजों का पता लगाएँ।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
निम्न में से तृतीयक क्रियाकलाप कौन-सा है?
(A) व्यापार
(B) परिवहन
(C) संचार और सेवाएँ
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी

प्रश्न 2.
विशिष्टीकृत बाजार कौन-सा है?
(A) श्रम बाजार
(B) आवासन
(C) अर्ध निर्मित
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी

प्रश्न 3.
निम्न में से फुटकर व्यापार सेवाएं कौन-सी हैं?
(A) फेरी
(B) रेहड़ी
(C) ट्रक
(D) दूरभाष
(E) सभी
उत्तर:
(E) सभी

प्रश्न 4.
परिवहन सेवाओं को प्रभावित करने वाला कारक कौन-सा है?
(A) भौगोलिक
(B) जनसंख्या का आकार
(C) प्रकृति
(D) संचार सेवा
उत्तर:
(B)
(B) जनसंख्या का आकार

प्रश्न 5.
उच्चस्तरीय सेवा कौन-सी है?
(A) चिकित्सक
(B) माली
(C) धोबी
(D) नाई
उत्तर:
(A) चिकित्सक

प्रश्न 6.
निम्नस्तरीय सेवा कौन-सी है?
(A) संगीतकार
(B) वकील
(C) मानसिक श्रम
(D) नाई
उत्तर:
(D) नाई

प्रश्न 7.
संयुक्त राज्य अमेरिका में कितने लोग सेवाओं में कार्यरत हैं?
(A) 60 प्रतिशत
(B) 75 प्रतिशत से अधिक
(C) 50 प्रतिशत
(D) 58 प्रतिशत
उत्तर:
(B) 75 प्रतिशत से अधिक

प्रश्न 8.
निम्न में से कौन-सी चीज व्यापार की बजाय प्रमोन के उद्देश्यों के लिए की जाती हैं?
(A) पर्यटन
(B) परिवहन
(C) मनोरंजन
(D) आवास
उत्तर:
(A) पर्यटन

प्रश्न 9.
‘घरों में रुकना’ एक लाभदायक व्यापार बनके उभरा है जैसे –
(A) गोवा में हेरीटेज होम्स
(B) कर्नाटक में मैडीकरे
(C) कूर्ग
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी

प्रश्न 10.
निम्न में से चतुर्थ क्रियाकलाप कौन-सा है?
(A) सूचना का संग्रहण
(B) उत्पादन और प्रकीर्णन
(C) अनुसंधान और विकास
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी

प्रश्न 11.
निम्न में से ज्ञान प्रकरण बाह्यस्त्रोतन (के.पी.ओ.) का कौन-सा उदाहरण है –
(A) ई. लर्निंग
(B) व्यवसयाय अनुसंधान
(C) बौद्धिक संपदा
(D) कानूनी व्यवसाय
(E) सभी
उत्तर:
(E) सभी

प्रश्न 12.
2005 में संयुक्त राज्य अमेरिका से उपचार के लिए कितने हजार रोगी भारत आए?
(A) 20
(B) 55
(C) 40
उत्तर:
(B) 55

प्रश्न 13.
निम्न में से चिकित्सा पर्यटन वाला देश कौन-सा है?
(A) भारत
(B) थाइलैंड
(C) सिंगापुर
(D) मलेशिया
(E) सभी
उत्तर:
(E) सभी

प्रश्न 14.
निम्न में से किस देश में अंकीय विभाजन पाया जाता है?
(A) भारत
(B) रूस
(C) दोनों में
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) दोनों में

Bihar Board Class 7 English Book Solutions Chapter 4 The Peacock – Our National Bird

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Bihar Board Class 7 English The Peacock – Our National Bird Text Book Questions and Answers

A. Warmer

The Peacock Our National Bird Bihar Board Class 7 English Question 1.
Interact in pairs or small group before you read the lesson. You may have heard the chirping and twittering of dif-ferent birds in the morning. Can you name some birds that make your life so melodious ? Which bird do you like most ?
Answer:
Among the birds that make our life medodious some are parrot, bulbul, spaiw, pigeon, nightingale, sparrow etc. I like bulbul the most.

B. Let’s Comprehend.

B. 1. Think and Tell.

B. 1. 1. Answer these questions orally.

The Peacock Is Our National Bird Bihar Board Class 7 English Question 1.
Which is the national bird of India ?
Answer:
Peacock is the national bird of India.

Bihar Board Class 7 English Book Solution Question 2.
What type of peacock is found in India ?
Answer:
Blue peacock is found in India.

Bihar Board Class 7 English Book Pdf Question 3.
What does a peacock eat ?
Answer:
A peacock eats plants, seeds, fruits, insects, frogs, lizards and snakes.

Bihar Board Class 7 English Question 4.
When does a peacock usually dance ?
Answer:
A peacock usually dances in rainy season when ” the sky is Overcast with clouds.

Bihar Board Class 7 English Solutions Question 5.
Do you like peacocks ?
Answer:
Yes, Hike peacocks.

B. 2. Think and Write.

B. 2. 1. Write’T’ for true and ‘F’ for false statements.

  1. A peacock has multi-coloured feathers. [ ]
  2. It has a thick neck. [ ]
  3. It is a plant eating bird. [ ]
  4. The peahen is more beautiful than the peacock.[ ]
  5. The peacock dances, when it rains. [ ]

Answer:

  1. True
  2. False
  3. False
  4. False
  5. True

B. 2. 2. Choose the correct alternatives

Bihar Board Class 7 English Book Question 1.
The body of a peacock is
(i) round
(ii) oval
(iii) cylindrical
Answer:
(ii) oval

Bihar Board Solution Class 7 English Question 2.
The peacock has a’ ..neck.
(i) thick
(ii) thin
(iii) slender
Answer:
(iii) slender

Our National Bird Is The Peacock Question 3.
Its plumes are matchless in
(i) beauty
(ii) size
(iii) shape :
Answer:
(i) beauty

B. 2. 3. Fill in the blanks with suitable words:

  1. The __________ peacock is found in India.
  2. The male-peacock is more __________ than the peahen.
  3. The feathers of peacock are used in __________
  4. The peacock __________ lizards and frogs.
  5. The peacock dances in __________ season.

Answer:

  1. blue
  2. colourful
  3. decoration
  4. devours
  5. rainy.

B. 2. 4. Answer these questions in not more than 50 words.

Bihar Board Class 7 English Solution Question 1.
Describe the features of a peacock.
Answer:
There are various species of peacock. In India only blue one is found. It looks very attractive. Its feathers are multi-coloured. Its large oval body looks very bright and colourful. It has a small head and a sienderneck. Its plumes are matchless in beauty. They are used for decoration. It eats plants, seeds, fruits, insects snakes, frogs, lizards etc.

Class 7 English Chapter 4 Solution Question 2.
How does a peacock differ from a peahen in appearance ?
Answer:
A peacock differs from a peahen in appearance. A male peacock is more colourful than the female one the peahen. Male peacock is more beautiful.

Bihar Board Class 7 English Solution In Hindi Question 3.
Do you like birds ? Why ? Give reasons in support of your answer.
Answer:
Yes, I like birds. They make our world sweet and colourful. They balance our environment. Various insects and thrown waste.materials are eaten up by the birds. Thus, they work for us by cleaning our environment.

Class 7 English Book Bihar Board Question 4.
Why do you think that the peacock is the national bird of India?
Answer:
The peacock is a big and beautiful bird. Its feathers are multi-coloured and its plumes are matchless is beauty. They are wed for decoration. For its matchless-beauty, it must have been announced as the national bird of our country

C. Word Study

C. 1. Correct the following mis-spelt words

  1. Peecock
  2. nasional
  3. slendr
  4. ploome
  5. decoretion.

Answer:

  1. Peecock = peacock
  2. nasional = national
  3. Slendr = slender
  4. ploome = plume
  5. decoration = decoration.

C. 2. Match the words in Column ’A’ with their meanings in Column ‘B’.

A Peacock Has Feathers Answer Bihar Board Class 7 English Question 1.

AB
variousfunction
ovalswallow
devouregg like
matchlessdifferent
ceremonyincomparable

Answer:

AB
variousdifferent
ovalegg like
devourswallow
matchlessincomparable
ceremonyfunction

D. Grammar

Look at the following sentences:

(i) When the sky is overcast with clouds, the peacock dances with delight.
(ii) Has any one seen a peacock without feathers ?
In the sentences given above, ’with’ relates ’sky’ and ’clouds’. Similarly, in the second sentence, ’without’ relates a ’peacock’ and ’feathers’. Both ’with’ and ’without’ in these sentences are prepositions.

A preposition is a word which is used before a noun or pronoun to establish relation of that noun or pronoun with the other words in the sentences. ’With’ is used in the sense of ’having’ whereas ’without’ gives the sense of’not having’. ’With’ is used also in the sense of ’company’ or ’togetherness’ to show the association with an instrument etc.

Choose the correct option

Class 7 English Chapter 4 Bihar Board English Question 1.

  1. He shot the bird with/without a gun.
  2. A diabetic usually takes tea with/without sugar.
  3. We can’t write with/without a pen or pencil.
  4. The old man had lost his stick with/without a stick.
  5. She was going o market with/without her husband.

Answer:

  1. with a gun.
  2. without sugar.
  3. without a pen or pencil
  4. without a stick.
  5. with her husband.

E. Let’s Talk

Excessive use of chemical affects human beings as well as birds and animals. How ?
Discuss with your classmates.
The teacher may also share his/her experiences with you.
Answer:
Do it yourself.

F. Composition

Question 1.
Write a paragraph on the topic discussed above in about 100 words.
Answer:
Excessive use of Chemical Affects Human Beings. We know that excessive use of anything has its bad affect. Use of chemicals in proper equation affects positively but when it is used excessively it causes destruction. In irriga-tion, the excessive we of Chemical things and fertilizers, dam-age the quality of crops. Eating of such crop creates may health related problems. Excessive use of Chemicals and their wastes thrown in rivers pollutes the rivers. In such rivers fishes die and the water doesn’t remain fit for drinking or bathing.

G. Translation

G. 1. Translate into English.

Question 1.
भारत में अनेक प्रकार के पक्षी पाये जाते हैं। वे विभिन्न रंग और आकार के होते हैं। उनमें से कुछ देखने में बहुत सुन्दर होते हैं। मोर उनमें से एक है। यह भारत का राष्ट्रीय पक्षी है।
Answer:
Various.kinds of birds are found in India. They are of various colors and shapes. The Peacock is one of them. It is India’s national bird.

H. Activity

Question 1.
Collect some pictures of birds and paste them in the box given below:
Answer:
Do it yourself.

The Peacock – Our National Bird Summary in English

The Peacock is our national bird. There are various species of peacock but..In India, we find only the blue peacock. It looks very beautiful. Male peacock looks more beautiful and colourful than the female one peahen. We use its beautiful plumes for decoration. It eats plants seeds, fruits, insects, snakes and swallows up frogs and lizards. In the rainy season, when the sky is covered with clouds, the peacock dances with great delight. Then it spreads its colourful feathers, which looks one of the most beautiful scenes of the world.

The Peacock – Our National Bird Summary in Hindi

मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है। विश्व में इसकी कई प्रजातियाँ उपलब्ध हैं। पर भारत में, केवल नीले रंग का मोर ही पाया जाता है। दिखने में यह काफी सुन्दर होता है। नर मोर, मादा मोर से कहीं ज्यादा सुन्दर होता है। इसके बुबसूरत पंख सजावट के काम में आते हैं। यह पौधा, बीज, कीड़े-मकोड़े मौर साँप खाता है और यह मेढ़क और छिपकली को भी निगल जाता है। र्षाि ऋतु में जब आसमान पर बादल छाये होते हैं तब मोर अपने पंखों को लाकर खुश होकर, अत्यंत सुंदर नाच दिखाता है। यह दृश्य दुनिया के पर्वोत्तम दृश्यों में से एक होता है।

The Peacock – Our National Bird Hindi Translation of The Chapter

शिक्षक : शुभ प्रभात, बच्चो !
विद्यार्थीगण : [खड़े होते हुए] शुभ प्रभात, सर!
शिक्षक : (मोर की एक चित्र दिखाते हुए उनसे पूछता..है) क्या तुम इस पक्षी का नाम बता सकते हो?
विद्यार्थीगण : हाँ महाशय, यह मोर का चित्र है।
शिक्षक : बहुत अच्छे ! आज हम हमारे राष्ट्रीय पक्षी मोर के बारे में बातें करेंगे। मोर की विभिन्न प्रजातियाँ होती हैं । तुम्हें पता है, भारत में सिर्फ नीला मोर ही पाया जाता है। क्या तुम लोगों में से किसी ने इस पक्षी को देखा है?
रूबी : हाँ सर, मैं देखी हूँ। इस पक्षी को मैं पटना के चिड़ियाँघर में देखी हूँ। यह बहुत सुन्दर होता है।
शिक्षक : हाँ, तुम बिल्कुल सही कह रही हो। यह बहुत ही सुन्दर दिखता है। इसके पंख बहुरंगी होते हैं और इसका बड़ा अंडाकार शरीर चमकीला और रंग-बिरंगा होता है। इसका सिर छोटा-सा और इसकी गर्दन बेहद पतली होती है। नर मोर मादा मोर से बहुत ज्यादा सुन्दर होता है। यह काफी रंग-बिरंगा भी होता है। इसके पंखों की सुन्दरता अद्वितीय होती है और इन्हें हम सजावट के काम में लाते हैं।
अभिषेक : मैंने तो सुना है सर कि मोर साँप को भी खा जाता
शिक्षक : तुमने बिल्कुल सही सुना है। यह न सिर्फ साँपों को खा जाता है बल्कि यह पौधों, बीजों, फलों और कीड़े-मकोड़ों को भी खाता है। साथ ही यह मेढ़कों और छिपकलियों को भी निगल जाता है
इमरान। : सर, अपने गाँव में एक शादी के अवसर पर मैंने ‘मोर’ और ‘मोरनी’ का नाच देखा है।
शिक्षक : (स्वीकृति में सिर हिलाता है) सही बात है ! शादी के समारोहों में दो व्यक्ति ‘मोर’ और ‘मोरनी’ का भेष बनाकर नाच दिखाते हैं। किन्तु, वास्तव में मोर ज्यादातर बारिश के मौसम में नाचता है। जब आकाश बादलों से भरा हुआ होता है तो मोर अपने पंख फैलाकर के खुशी के मारे झूम करके नाचने लगता है। क्या तुममें से किसी में किसी मोर को बिना पंखों के देखा है ?

The Peacock – Our National Bird Glossary

National (नेशनल] = राष्ट्रीय। Various [वेरिअस] = अनेक । Species [स्पीशिज] = प्रजाति | Absolutely (एब्सोल्यूटली] = पूर्णतः । Multi-coloured [मल्टी-कलर्ड] = बहुरंगी | Oval[ओवल] = अंडाकार । Slender स्लेन्डर = दुबला | Plumes[ प्लम्स] = पंख | Decoration – [डेकोरेशन] = सौन्दर्गीकरण | Devours [डेवर्स] = निगलता है । Nodding निॉडिंग = स्वीकृति में सिर हिलाते हुए। In disguise of [इन डिजगाइन ऑफ] = के वेश में । Melodious [मेलोडियस] = संगीतमय । Looks [लुक्स] = दिखता है | Attractive [अट्रैक्टिव = आकर्षक । Male [मेल) = नर । Matchless |मैचलेस] = बेजोड, अद्वितीय । Beauty [ब्यूटी] = सौन्दर्य | Used for [यूज्ड फॉर] = इस्तेमाल किया जाता है । Even [इवन] ‘ = यहाँ तक । Marriage ceremony [मैरेज सेरेमनी] = विवाह का उत्सव,
शादी का समारोह | Guise [गाइज] = वेश | Reality [रियलिटी] = सच्चाई में | Overcasted ओवरकास्टेड] = छापा हुआ। Spread |स्प्रेड] = फैलाना । Rings [रिंग्स] = घंटी बजती है । Feathers/फेदर्स) = पंख | Colourful क्लिरफुल] = रंग-बिरंगा ।

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Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 6 अष्टावक्र

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 गद्य खण्ड Chapter 6 अष्टावक्र Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 6 अष्टावक्र

Bihar Board Class 9 Hindi अष्टावक्र Text Book Questions and Answers

अष्टावक्र क्या-क्या बेचा करता था Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 1.
इस रेखाचित्र के प्रधान पात्र को लेखक ने अष्टावक्र क्यों कहा है?
उत्तर-
उसके पैर कवि की नायिका की तरह बलखाते थे और उसका शरीर हिंडोले की तरह झूलता था। इसलिए लेखक ने उसे अष्टावक्र कहा है।

Ashtavakra Ki Kahani Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 2.
कोठरियाँ कहाँ बनी हुई थी?
उत्तर-
खजांचियों की विशाल अट्टालिका को जानेवाले मार्ग पर सौभाग्य से चिरसंगी दुर्भाग्य की तरह अनेक छोटी-छोटी, अंधेरी और बदबूदार कोठरियाँ बनी हुई थीं।

Bihar Board 9th Class Hindi Book Solution प्रश्न 3.
अष्टावक्र कहाँ रहता था?
उत्तर-
अष्टावक्र कुएँ की जगत पर रहता था।

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solution प्रश्न: 4.
अष्टावक्र के पिता कब चल बसे थे?
उत्तर-
अष्टावक्र के पिता से परिचय होने से पहले ही उसके पिता चल बसे थे।

अष्टावक्र कहां रहता था Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 5.
चिड़चिड़ापन अष्टावक्र की मां का चिरसंगी क्यों बन गया?
उत्तर-
यद्यपि असमय से आ जानेवाले बुढ़ापे के कारण अष्टावक्र की मां का शरीर प्रायः शिथिल हो चुका था, वह कुछ लंगड़ाकर भी चलती थी। निरंतर अभावों से जूझते-जूझते चिड़चिड़ापन भी उसका चिरसंगी बन चुका था।

अष्टावक्र विष्णु प्रभाकर Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 6.
अष्टावक्र: क्या-क्या बेचा करता था?
उत्तर-
अष्टावक्र कचालू की चाट, मूंग की दाल की पकौड़ियाँ, दही के आलू और पानी के बतासे बेचा करता था।

Hindi Class 9 Chapter 6 Bihar Board प्रश्न 7.
चार की संख्या अष्टावक्र के स्मृति पटल पर पत्थर की रेखा की तरह अंकित क्यों हो गई थी?
उत्तर-
माँ ने अष्टावक्र को समझाया था-पैसे के चार बतासे देना, चार पकौड़ी
दना और चार चम्मच आलू देना। इस चार की संख्या उसके मानस-पटल पर पत्थर की रेखा की तरह अंकित थे।

Bihar Board Solution Class 9 Hindi प्रश्न 8.
माँ माथा क्यों ठोका करती थी?
उत्तर-
अष्टावक्र की मां अपने माथा में यूँ का स्थान बताकर कहती की देख तो। अष्टावक्र दार्शनिक की तरह गंभीरता से इधर-उधर देखता और जवाब देता, ‘माँ! यहाँ तो बाल है तोड़ दूँ? मां माथा ठोक लेती थी।

अष्टावक्र Bihar Board Class 9 Hindi प्रश 9.
गर्मी के दिनों में माँ-बेटा कहाँ सोया करते थे?
उत्तर-
गर्मी के दिनों में माँ-बेटा कुएँ की जगत पर सोया करते थे।

Bihar Board Class 9 Hindi Solution प्रश्न 10.
अष्टावक्र ‘हाय माँ’ कहकर वहीं क्यों लुढक गया?
उत्तर-
अष्टावक्र ने पैर जलने के भय से कुछ ऊँचे से जो मुट्ठी भर आलू बेसन कड़ाही में छोड़े तो तेल सीधा छाती पर आया। तब ‘हाय माँ’ कहकर वह वहीं लुढ़क गया।

Class 9 Hindi Bihar Board प्रश्न 11.
माँ के शुष्क नयन सजल क्यों हो उठे?
उत्तर-
एक दिन अष्टावक्र ने माँ से कहा कि माँ चाट तू बेचा कर मुझे लडके मारते हैं। यह बात सुनकर माँ ने अपने बेटे को कुछ इस तरह देखा कि उसके शुष्क नयन सजल हो उठे।

Bihar Board 9th Class Hindi Book Pdf प्रश्न 12.
अष्टावक्र विमूढ़ सा क्यों बैठा था?
उत्तर-
अष्टावक्र की मां के प्राण-पखेरू उड़ जाने के बाद भी जब विश्वास नहीं हुआ तो एक डाक्टर ने बताया कि उसकी मां मर गई है तो वह विमूढ़ सा बैठ गया।

Class 9 Bihar Board Hindi Solution प्रश्न 13.
कुलफीवाले ने ईश्वर को धन्यवाद क्यों दिया?
उत्तर-
अष्टावक्र की मां मर गई और वह जिस अव्यवस्थित अवस्था में अस्पताल में कराह था फिर वह भी मर गया तो कुलफीवाले ने ईश्वर को धन्यवाद दिया कि आपने अष्टावक्र को अपने पास बुलाकर सुख की नींद सोने का अवसर दिया।

Bihar Board Class 9th Hindi Solutions प्रश्न 14.
इस पाठ का सबसे मार्मिक प्रसंग कौन है और क्यों?
उत्तर-
इस पाठ में सबसे मार्मिक प्रसंग दो जगह आये हैं। एक जगह जब अष्टावक्र की माँ मर गई है माँ की मृत्यु पर वह कितना व्यथित विकल है कि वह यह मानने को तैयार नहीं है कि अगर उसकी मां मर गई है तो वह लौटकर नहीं आयगी। दूसरी जगह जब वह खुद दर्द से कराह रहा है एक कुलफी वाला उसको अस्पताल पहुंचाता है। वहाँ उसका अपना कोई नहीं है उस परिस्थिति में वह दम तोड़ता है। यह बड़ा ही मार्मिक प्रसंग है।

Class 9th Hindi Bihar Board प्रश्न 15.
इस रेखाचित्र का सारांश लिखें।
उत्तर-
पाठ का सारांश देखें।

Bihar Board Class 9th Hindi प्रश्न 16.
माँ की मृत्यु के पश्चात् अष्टावक्र की मानसिक स्थिति का वर्णन करें।
उत्तर-
माँ की मृत्यु के बाद अष्टावक्र की मानसिक स्थिति एकदम बदल गई है। वह हतप्रभ है। कई बार उसकी बुद्धि जाग्रत होती है, लेकिन फिर शांत हो जाती है वह पागल सा हो जाता है।

नीचे लिखे गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें।

1. खजांचियों की विशाल अट्टालिका को जानेवाले मार्ग पर सौभाग्य के
चिरसंगी दुर्भाग्य की तरह अनेक छोटी-छोटी, अँधेरी और बदबूदार कोठरियाँ बनी हुई थीं। उन्हीं में से एक में विचित्र व्यक्ति रहता था जिसे संस्कृत पढ़े-लिखे लोग अष्टावक्र कहा करते थे। उसके पैर कवि की नायिका की तरह बलखाते थे और उसका शरीर हिंडोले की तरह झूलता था। बोलने में वह साधारण आदमी के अनुपात से तिगुना समय लेता। वर्ण श्याम, नयन निरीह, शरीर एक शाश्वत खाज से पूर्ण, मुख लंबा
और वक्र, वस्त्र कीट से चिकटे, यह था उसका व्यक्तित्व और इसमें यदि कुछ कमी रह जाती तो उसे शीनके-शडाके पूरा कर देते। इस आखिरी बात के लिए उसकी माँ अक्सर उसकी लानत-मलामत करती थी।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) ‘अष्टावक्र’ किस भाषा का शब्द है? उसका अर्थ स्पष्ट करें।
(ग) अष्टावक्र कहाँ रहता था?
(घ) अष्टावक्र के शारीरिक स्वरूप का परिचय दें।
(ङ) अष्टावक्र की माँ किस बात के लिए उसकी लानत-मलामत ।किया करती थी?
उत्तर-
(क) पाठ-अष्टावक्र, लेखक-विष्णु प्रभाकर।

(ख) अष्टावक्र संस्कृतभाषा का शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है विकलांग अर्थात् टेढ़ा-मेढ़ा शारीरिक स्वरूप वाला। अर्थात् जिस व्यक्ति के शरीर के अंग और हिस्से टेढ़े-मेढ़े शक्ल के असामान्य होते है उस व्यक्ति को अष्टावक्र कहा जाता है। अष्टावक्र के नाम से एक बड़े ही बुद्धिमान ऋषिपुत्र भी हुए हैं।

(ग) अष्टावक्र शहर की अट्टालिकाओं की ओर जानेवाले मार्ग पर बनी हुई एक छोटी अँधेरी और बदबूदार कोठरी में अपनी माँ के साथ रहता था।

(घ) अष्टावक्र विकलांग था। उसके पैर कवि की नायिका की तरह बलखाने वाले थे। उसका शरीर हिंडोले की तरह झूलता था। उसका वर्ण श्याम था। उसकी आँखें बेबस थीं। उसका मुख लंबा और टेढ़ा था। उसका सारा शरीर खाज दादा से भरा हुआ था। बोलने में वह सामान्य आदमी के अनुपात से तिगुना समय ले लेता था।

(ङ) अष्टावक्र का सम्पूर्ण व्यक्तित्व निर्विवाद रूप से असामान्य था। यदि इस असामान्यता में कुछ कमी भी रही होती तो उसे शीनके-शडाके पूरा कर देने के लिए काफी थे। इसी शीनके-शडाके के पूरा कर देने की आखिरी बात के लिए अष्टावक्र की माँ अक्सर उसकी लानत-मलामत किया करती थी।

2. यद्यपि असमय से आ-जानेवाले बुढ़ापे के कारण उसकी माँ का शरीर प्रायः शिथिल हो चुका था, वह बहुत लंगड़ाकर भी चलती थी और निरंतर अभावों से जूझते-जूझते चिड़चिड़ापन भी उसका चिरसंगी बन चुका था, पर बेटे से मुक्ति पाने की बात उसके मन में कभी नहीं उठी। वह विधवा थी इसलिए उसके वस्त्र काले-किष्ट ही नहीं थे, कटे हुए भी थे जिनमें गरीबी ने पैबंद लगाने के लिए कोई स्थान नहीं छोड़ा था। उसके सिर के बाल सदा उलझे रहते थे। कभी-कभी खुजलाने से तंग आकर जब वह अष्टावक्र को जूं दिखाने के लिए बैठाती तो अच्छा-खासा मनोरंजक दृश्य बन जाता था।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) अष्टावक्र की माँ का चिरसंगी कौन था और वह किस परिस्थिति में बना हुआ था?
(ग) अष्टावक्र की माँ असमय में ही बूढ़ी हो गई थी। उसके क्या लक्षण प्रकट थे?
(घ) अष्टावक्र की माँ के वैधव्य का पता कैसे चलता था?
(ङ) अष्टावक्र और उसकी माँ के बीच कब अच्छा-खासा मनोरंजक दृश्य बन जाता था?
उत्तर-
(क) पाठ-अष्टावक्र, लेखक का नाम-विष्णु प्रभाकर।

(ख) अष्टावक्र की माँ के चिरसंगी के रूप में उसका बुढ़ापा, उसके शरीर की शिथिलता और उसका चिड़चिड़ापन था। बुढ़िया का यह चिरसंगी इस बुढ़ापे में अब शाश्वत रूप में बना हुआ था। अर्थात जब तक उसका प्यारा बेटा उसके सामने जीवित खड़ा है तब तक उसके चिरसंगी के बने रहने की स्थिति रहेगी।

(ग) अष्टावक्र की माँ की असामायिक वद्धा हो जाने का लक्षण यह था कि उसका शरीर करीब-करीब शिथिल और सुस्त हो चुका था। पैर के रुग्न होने के कारण वह कुछ लंगड़ा कर चलती थी और वह बराबर अभावों से जूझते रहने के कारण चिड़चिड़ापन का शिकार हो गई थी।

(घ) अष्टावक्र की माँ के वैधव्य का पता उसकी शारीरिक अवस्था, उसकी मानसिक स्थिति और उसके वस्त्रों के स्वरूप और स्थिति को देखकर ही चल जाता था। उसके वस्त्र कालेकिष्ट होने के साथ-साथ फटे हुए भी थे। उसके सिर के बाल सूखे, कंड़े और उलझे बिखरे रहते थे।

(ङ) जब कभी अष्टावक्र की माँ अष्टावक्र को खोज-खुजाने से तंग आकर उसे नँ दिखाने के लिए बैठती तब वह अष्टावक्र को उँगली से वह स्थान बताकर वहाँ देखने के लिए कहती तो उस समय माँ और बेटे के बीच एक अच्छा खासा मनोरंजक दृश्य बन जाता।

3. तब माँ माथा ठोक लेती है और अष्टावक्र महाराज अपने वक्रमुख को ‘ और भी वक्र करके या तो कुएँ की जगत पर जा बैठते या फिर वहीं
बैठकर आने-जाने वालों को ताकने लगते। उस समय उसे देखकर जड़ भरत या मलूकदास की याद आ जाना स्वाभाविक था। वास्तव में वह उसी अवतार-परंपरा का रत्न था। नींद खुलते ही वह पैरों को नीचे लटकाकर और हाथों को गोदी में रखकर कुछ इस प्रकार बैठ जाता था, जिस प्रकार एक शिशु जननी के अंक में लेट जाता है। माँ आकर उसे नित्यकर्म की याद दिलाती और जब कई बार के कहने पर भी वह न उठता तो तंग आकर उसका मुँह ऐसे रगड़-रगड़ धोती जैसे वह कोई अबोध शिशु हो। उसके बाद उसे कलेउ मिला था जिसमें प्रायः रात की बची हुई रोटी या खोमचे की बची हुई चाट रहती थी।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) माँ के माथा ठोक लेने के उपरांत अष्टावक्र क्या करने लगता?
(ग) लेखक को कब और क्यों जड़ भरत या मलूक दास की याद आ जाती?
(घ) नींद खुल जाने पर अष्टावक्र कौन-सी शारीरिक क्रिया करता?
(ङ) अष्टावक्र की माँ क्यों तंग आ जाती थी और उस मानसिक स्थिति में वह कौन-सा कार्य करने लगती?
उत्तर-
(क) पाठ-अष्टावक्र, लेखक-विष्णु प्रभाकर।

(ख) अष्टावक्र की माँ जब अष्टावक्र की शारीरिक और मानसिक स्थिति से तंग आकर माथा ठोक लेती तब उस समय अष्टावक्र अपने टेढ़े मुख को और भी टेढ़ा करके या तो कुएँ की जगत पर जाकर बैठ जाता या वहीं बैठकर उस रास्ते से गुजरनेवाले लोगों को असामान्य ढंग से देखने लगता।

(ग) अष्टावक्र की माँ उसकी मानसिक स्थिति को देखकर जब माथा ठोक लेती तब अष्टावक्र की उस समय की शारीरिक मुद्रा और गतिविधि को देखकर लेखक को जड़ भरत या मलूक दास की याद आ जाती। इसका कारण यह था कि अष्टावक्र की उस समय की शारीरिक मुद्रा जड़ भरत या मलूक दास की शारीरिक मुद्रा से साम्य रखनेवाली थी।

(घ) जब अष्टावक्र की नींद खुल जाती थी तब वह पैरों को नीचे लटकाकर और हाथों को गोदी में रखकर इस रूप और ढंग से बैठ जाता था मानो कोई शिशु अपनी जननी की गोद में पड़ा हुआ हो।

(ङ) अष्टावक्र नींद खुलने के बाद अपने पैर और हाथों को समेटकर माँ की गोद में लेटे शिशु के रूप में मालूम होता तो उस समय उसकी माँ आकर उसे नित्य कर्म से निबटने के लिए बार-बार कहती। अष्टावक्र कई बार माँ के कहने पर जब नहीं उठता, तब उसकी माँ प्रतिक्रिया के रूप में तंग आ जाती। उस मानसिक स्थिति में वह अष्टावक्र का मुँह खूब रगड़-रगड़कर धोती मानो वह कोई अबोध शिशु हो।

4. संध्या को उसके लौटने के समय माँ उसकी बाट जोहती बैठी रहती। उसपर निगाह पड़ते ही वह ललककर उठती। पहले उसका थाल सँभालती। फिर पानी भरे लोटे में से पैसे निकालकर गिनती। उस समय माथा ठोक लेना उसका नित्य का धर्म बन गया था। लगभग डेढ़ रुपये की बिक्री का समान ले जाकर वह सदा दस-बारह आने के पैसे लेकर लौटता था। माँ की डाँट-डपट या सिखावन उसके अटल नियम को कभी भंग नहीं कर सकी। वैसे कभी-कभी उसकी बुद्धि जाग्रत हो उठती थी। उदाहरण के लिए, एक दिन उसने माँ से कहा-“माँ! चाट तू बेचा कर। मुझे लड़के मारते हैं।”
(क) पाठ तथा लेखक के नाम लिखें।
(ख) अष्टावक्र की माँ संध्या के समय अपने पुत्र की बाट किस रूप में जोहती और क्यों जोहती?
(ग) अष्टावक्र के लौटने के समय उसकी माँ का माथा ठोक लेना, उसका नित्य का धर्म क्यों बन गया था?
(घ) यहाँ लेखक ने अष्टावक्र के किस नियम को अटल नियम की संज्ञा दी है और क्यों दी है?
(ङ) इस गद्याांश का आशय लिखिए।
उत्तर-
(क) पाठ का नाम-अष्टावक्र, लेखक का नाप-विष्णु प्रभाकर

(ख) अष्टावक्र अपनी माँ के द्वारा दिए गए पैसे और की गई व्यवस्था के तहत हर दिन दिनभर खोमचा लगाकर चाट बेचा करता था और संध्या के समय वह कार्य और पैसे समेटकर माँ के पास लौटा करता। अष्टावक्र की शारीरिक एवं मानसिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि माँ उसकी हर गतिविधि से मुँह फेरकर निश्चितता की साँस लेती। इसीलिए, वह शाम को रोज उत्सुकता के साथ अष्टावक्र के लौटने की प्रतीक्षा करती।

(ग) अष्टावक्र की माँ अष्टावक्र को डेढ़ रुपये की पूँजी लगाकर बिक्री के समान के साथ चाट बेचने के लिए उसे घर के बाहर भेजती, लेकिन अष्टावक्र अपने भोलेपन के कारण रोज दस-बारह आने बिक्री के पैसे लेकर शाम में लौटता। उसकी माँ इस बात के लिए रोज समझाती और डाँट-डपट करती। इसके बावजद अवक के बिक्री के पैसे के इस रूप में लौटाने के नियम में कोई अंतर नहीं पड़तः सनः । कारण वह बेचारी नित्य माथा ठोककर रह जाती और इस रूप में उसका यह माथा ठोंक लेना उसका नित्य का धर्म बन गया था।

(घ) यहाँ लेखक ने अष्टावक्र द्वारा डेढ़ रुपये की पूँजी के बदले में सदा दस-बारह आने पैसे के लौटाने के नियम को अटल नियम की संज्ञा दी है। यह नियम इसलिए अटल कहा गया कि माँ की डाँट के बावजूद पूँजी की आधी राशि लौटाने के उसके नियम में कभी कोई परिवर्तन नहीं हुआ।

(ङ) इस गद्यांश में लेखक ने अष्टावक्र की मानसिक अपरिपक्वता और सोच-विचार करने की अयोग्यता पर प्रकाश डाला है। अष्टावक्र की माँ रोज अपने ‘पुत्र को डेढ़ रुपये की पूँजी लगाकर चाट का समान तैयार कर देती और उसे बेचने के लिए भेज देती। अष्टावक्र संध्या समय रोज डेढ़ रुपये की पूँजी की आधी राशि ही बिक्री के पैसे के रूप में लेकर लौटता। उसकी माँ उसे रोज डाँट-फटकार करती और विक्रय-कार्य में सुधार लाकर घाटे की बात के संबंध में समझाती। लेकिन अष्टावक्र के विक्रय-कार्य की पद्धति पर उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता। लेखक ने उसे अष्टावक्र के अटल नियम की संज्ञा दी है।

5. उसी रात को कुल्फीवाले ने सुना, अष्टावक्र बार-बार माँ-माँ पुकार रहा है। उस पुकार में सदा की तरह सरल विश्वास नहीं है, एक कराहट है। कुल्फीवाले ने करवट बदल ली, पर इस ओर कर्ण-रंध्र में वह कराहट और भी कसक उठी। वह लेट न सका। धीरे-धीरे उठा और झंझलाता हुआ वहाँ आया जहाँ अष्टावक्र छटपटा रहा था। देखकर जाना उसके पेट में तीव्र दर्द है। यहाँ तक कि देखते-देखते उसे दस्त शुरू हो गए। अब तो कुल्फीवाला घबरा उठा। दौड़ा हुआ खजाँची के पास पहुंचा। वे पहले तो चिनचिनाए, फिर अस्पताल फोन किया। कुछ देर बाद गाड़ी आई और अष्टावक्र को लाद कर ले गई। उसके दो घंटे बाद कुल्फीवाले ने फिर उसे आइसोलेशन वार्ड में दूर से देखा। वह अकेला था। उसकी कराहट बढ़ती जा रही थी। प्राण खिंच रहे थे। वह लगभग मूर्च्छित था। कभी-कभी उसकी जीभ होठों से सम्पर्क स्थापित करने की चेष्टा करती थी। शायद वह प्यासा था।
(क) पाठ तथा लेखक के नाम लिखें।
(ख) अष्टावक्र की बार-बार माँ की पुकार में कुल्फीवाले ने क्या महसूस किया? कुल्फीवाले पर उसका क्या प्रभाव पड़ा?
(ग) कुल्फीवाला क्यों घबरा उठा और उसने उस घबराहट में क्या किया?
(घ) अंतिम समय में अष्टावक्र की क्या दशा थी?
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का सारांश/आशय लिखिए।
उत्तर-
(क) पाठ-अष्टावक्र, लेखक का नाम-विष्णु प्रभाकर।

(ख) अपनी बीमारी की स्थिति में उस रात में अष्टावक्र बार-बार माँ-माँ की पुकार लगा रहा था। कुल्फीवाले ने उसे सुना और यह महसूस किया कि आज अष्टावक्र की माँ की पुकार के उस स्वर में पहले की तरह सरल विश्वास का भाव छिपा हुआ नहीं है, बल्कि उस पुकार में एक प्रकार की कराह और घबराहट है। कुल्फीवाले को नींद नहीं आई। उसके कानों में भी कराह और कसक उठ गई।

(ग) कुल्फीवाला सो नहीं सका। वह अष्टावक्र के पास जा पहुंचा। अष्टावक्र वहाँ छटपटा रहा था। वह पेट-दर्द और फिर दस्त से परेशान था। यह देख कुल्फीवाला घबरा उठा। वह उस घबराहट की स्थिति में दौड़ता हुआं खजाँची के पास पहुंचा और उनसे अस्पताल फोन करवाया।

(घ) जीवन के अंतिम क्षणों में अष्टावक्र की बड़ी दयनीय दशा थी। वह अस्पताल में अकेला पडा था। उसकी कराह बढ़ती जा रही थी। उसके प्राण खिंच रहे थे। वह अर्द्ध मूर्छितावस्था में था। उसकी जीभ होंठों से सम्पर्क करने के लिए लगातार चेष्टा कर रही थी। शायद वह बहुत प्यासा था।

(ङ) इस गद्यांश में लेखक ने अष्टावक्र के जीवन के अंतिम क्षणों की बेहाली का वर्णन किया है। अष्टावक्र रात्रि के समय बार-बार माँ को पुकार रहा था। उसकी पुकार के स्वर में दर्दनाक कराह थी। वह पेट-दर्द और दस्त की पीड़ा से बुरी तरह पीड़ित था। कुल्फीवाले के प्रयास से उसे अस्पताल पहुंचाया गया। वहाँ उसकी पीड़ा और बेचैनी बढ़ती ही चली जा रही थी। वह कुछ होश में रहकर भी बहोश था! उसकी जीप प्यास से सूख रही थी।

Bihar Board 12th Hindi 100 Marks Objective Answers गद्य Chapter 7 ओ सदानीरा

Bihar Board 12th Hindi Objective Questions and Answers

Bihar Board 12th Hindi 100 Marks Objective Answers गद्य Chapter 7 ओ सदानीरा

O Sadanira Ka Objective Bihar Board 12th Hindi प्रश्न 1.
जगदीशचन्द्र माथुर का जन्म कब हुआ था ?
(A) 16 जुलाई 1917 को
(B) 16 जुलाई 1918 को
(C) 17 अगस्त 1919 को
(D) 20 सितम्बर 1917 को
उत्तर:
(A) 16 जुलाई 1917 को

ओ सदानीरा Objective Bihar Board 12th Hindi प्रश्न 2.
वैशाली महोत्सव का बीजारोपण किया
(A) अज्ञेय’ ने
(B) जगदीशचन्द्र माथुर ने
(C) श्री कृष्ण सिंह ने
(D) अशोक वाजपेयी ने
उत्तर:
(B) जगदीशचन्द्र माथुर ने

ओ सदानीरा Bihar Board 12th Hindi प्रश्न 3.
कौन-सी कृति माथुरजी की नहीं है ?
(A) मेरी बाँसुरी
(B) बंदी
(C) रेशमी टाई
(D) कोणार्क
उत्तर:
(C) रेशमी टाई

ओ सदानीरा जगदीश चंद्र माथुर Bihar Board 12th Hindi प्रश्न 4.
कौन-सी कृति माथुरजी की है ?
(A) जानवर और जानवर
(B) कहानी : नई कहानी
(C) यायावर रहेगा याद
(D) भोर का तारा
उत्तर:
(D) भोर का तारा

प्रश्न 5.
बराज कहाँ बन रहा था ?
(A) बेलगाँव में
(B) भितिहरवा में
(C) अमोलवा में
(D) भैंसालोटन में |
उत्तर:
(D) भैंसालोटन में |

प्रश्न 6.
आम्रपाली (अंबपाली) ने तथागत को क्या सौंपा था ?
(A) कदलीवन
(B) आम्रवन
(C) दस हजार स्वर्ण मुद्राएँ
(D) अपना भवन
उत्तर:
(B) आम्रवन

प्रश्न 7.
मेरठ के महंत ने गाँधीजी को कहाँ शरण दी?
(A) एक जामुन के पेड़ के नीचे
(B) अपने मठ में
(C) एक झोपड़ी में
(D) एक महुए के पेड़ के नीचे
उत्तर:
(D) एक महुए के पेड़ के नीचे

प्रश्न 8.
‘ओ सदानीरा’ के लेखक हैं
(A) जगदीशचन्द्र माथुर
(B) लक्ष्मीनारायण लाल
(C) लक्ष्मीनारायण मिश्र
(D) जयशंकर प्रसाद
उत्तर:
(A) जगदीशचन्द्र माथुर

प्रश्न 9.
‘कोणार्क’ के नाटककार कौन हैं?
(A) जयशंकर प्रसाद
(B) जगदीशचन्द्र माथुर
(C) हरेकृष्ण प्रेमी
(D) मैथिलीशरण गुप्त
उत्तर:
(B) जगदीशचन्द्र माथुर

प्रश्न 10.
‘दस तस्वीरें’ के रचनाकार कौन हैं ?
(A) रामवृक्ष बेनीपुरी
(B) जगदीशचन्द्र माथुर
(C) देवेन्द्र सत्यार्थी
(D) महादेवी वर्मा
उत्तर:
(B) जगदीशचन्द्र माथुर

प्रश्न 11.
‘सदानीरा’ किसको निमित्त बनाकर लिखा गया है ?
(A) कोसी को
(B) गंगा को
(C) गंडक को
(D) महानंदा को
उत्तर:
(C) गंडक को

प्रश्न 12.
बिहार के सुप्रसिद्ध सांस्कृतिक उत्सव ‘वैशाली महोत्सव’ का बीजारोपण किसने किया?
(A) जॉर्ज ग्रियर्सन ने
(B) सच्चिदानन्द सिन्हा ने
(C) जगदीशचन्द्र माथुर ने
(D) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने
उत्तर:
(C) जगदीशचन्द्र माथुर ने

प्रश्न 13.
‘ओ मेरे सपने’ क्या है?
(A) उपन्यास
(B) कहानी
(C) खंडकाव्य
(D) नाटक
उत्तर:
(D) नाटक

प्रश्न 14.
गौतम बुद्ध का आविर्भाव कब हुआ था ?
(A) दो हजार वर्ष पहले
(B) ढाई हजार वर्ष पहले
(C) तीन हजार वर्ष पहले
(D) पाँच सौ वर्ष पहले
उत्तर:
(B) ढाई हजार वर्ष पहले

प्रश्न 15.
राजा हरिसिंह देव को किसका मुकाबला करना पड़ा था ?
(A) गयासुद्दीन तुगलक का
(B) नादिरशाह का
(C) अहमदशाह का
(D) बाबर का
उत्तर:
(B) नादिरशाह का

प्रश्न 16.
‘बोलते क्षण’ किस साहित्यिक विधा की कृति है ?
(A) निबंध
(B) कहानी
(C) संस्मरण
(D) आलोचना
उत्तर:
(A) निबंध

प्रश्न 17.
‘ओ सदानीरा’ किसको निमित्त बनाकर लिखा गया है ?
(A) गंगा
(B) गंडक
(C) यमुना
(D) महानदी
उत्तर:
(B) गंडक

प्रश्न 18.
‘थारन’ शब्द किस शब्द से विकसित है?
(A) थल
(B) थार
(C) स्थल
(D) स्थान
उत्तर:
(B) थार

प्रश्न 19.
कर्णाट वंश के राजा हरिसिंह को किसका मुकाबला करना पड़ा?
(A) गयासुद्दीन तुगलक
(B) नादिरशाह
(C) अलाउद्दीन खिलजी
(D) कुतुबुद्दीन ऐबक
उत्तर:
(A) गयासुद्दीन तुगलक

प्रश्न 20.
चंपारण में थाँगड़ कहाँ से आए ?
(A) राँची
(B) जमशेदपुर
(C) छोटानागपुर
(D) आंध्र प्रदेश
उत्तर:
(C) छोटानागपुर

प्रश्न 21.
गाँधीजी चंपारण में कब आए ?
(A) अप्रैल 1918 में
(B) अप्रैल, 1920 में
(C) 20 जून, 1917 में
(D) अप्रैल, 1917 में
उत्तर:
(D) अप्रैल, 1917 में

प्रश्न 22.
तीनकठिया प्रथा का संबंध है1
(A) ईख से
(B) तम्बाकू से
(C) मसाला से
(D) नील से
उत्तर:
(D) नील से

प्रश्न 23.
पंडई नदी कहाँ तक जाती है ?
(A) भिखनाथोरी
(B) वगहा
(C) रामनगर
(D) भितिहवा
उत्तर:
(A) भिखनाथोरी

प्रश्न 24.
निम्नलिखित में कौन-सी रचना जगदीशचन्द्र माथुर की है?
(A) सिपाही की माँ
(B) जूठन
(C) ओ सदानीरा
(D) तिरिछ
उत्तर:
(C) ओ सदानीरा

प्रश्न 25.
‘ओ सदानीरा’ शीर्षक पाठ किस विद्या के अन्तर्गत आता है?
(A) निबन्ध
(B) कहानी
(C) कविता
(D) नाटक
उत्तर:
(A) निबन्ध

प्रश्न 26.
जगदीशचन्द्र माथुर मूलतः क्या थे?
(A) निबन्धकार
(B) कहानीकार
(C) नाटककार
(D) उपन्यासकार
उत्तर:
(C) नाटककार

प्रश्न 27.
‘ओ सदानीरा’ निबन्ध बिहार के किस क्षेत्र की संस्कृति पर लिखी गयी है?
(A) सारण
(B) तिरहुत
(C) मिथिला
(D) चंपारण
उत्तर:
(D) चंपारण

प्रश्न 28.
चम्पारण क्षेत्र में बाढ़ का मुख्य कारण क्या है?
(A) जंगलों का कटना
(B) नदियों की अधिकता
(C) नदियों की तीव्रधारा
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) जंगलों का कटना

प्रश्न 29.
माथुर जी किस राज्य के शिक्षा सचिव नियुक्त हुए?
(A) मध्य प्रदेश
(B) आन्ध्रप्रदेश
(C) बिहार
(D) उत्तर प्रदेश
उत्तर:
(A) मध्य प्रदेश

प्रश्न 30.
बारहवीं सदी के लगभग तीन सौ वर्ष तक किस वंश का शासन था?
(A) मौर्य वंश
(B) चालुक्य वंश
(C) गुप्त वंश
(D) कर्णाट वंश
उत्तर:
(D) कर्णाट वंश

प्रश्न 31.
अंग्रेज ठेकेदारों ने किस चीज की खेती का विस्तार किया?
(A) दलहन
(B) भील.
(C) गेहूँ
(D) तिलहन
उत्तर:
(B) भील.

प्रश्न 32.
राजा हरिसिंह देव को गयासुद्दीन तुगलक का सामना कब करना पड़ा?
(A) 1225 ई. में
(B) 1250 ई० में
(C) 1325 ई० में ।
(D) 1350 ई० में
उत्तर:
(C) 1325 ई० में ।

प्रश्न 33.
धाँगड़ों को नील की खेती के सिलसिले में कब लाया गया?
(A) 18वीं शताब्दी के अन्त में
(B) 17वीं शताब्दी के अन्त में
(C) 19वीं शताब्दी के अन्त में
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) 18वीं शताब्दी के अन्त में

प्रश्न 35.
पुंडलीक जी कौन थे?
(A) गाँव का मुखिया
(B) शिक्षक
(C) चिकित्सक
(D) राजनीतिक नेता
उत्तर:
(B) शिक्षक

प्रश्न 36.
निम्नलिखित में से कौन-सा नाटक जगदीशचन्द्र माथुर रचित है?
(A) दीपक
(B) आधे-अधूरे
(C) कोणार्क
(D) ओ मेरे मन
उत्तर:
(C) कोणार्क

प्रश्न 37.
निम्नलिखित में से कौन-सी उपाधि माथुर जी को मिली?
(A) विद्या प्रदक्षिणा
(B) विद्या वारिधि
(C) विद्या कामिनी
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) विद्या वारिधि

प्रश्न 38.
माथुर जी को भितिहरवा पहुंचने पर कौन मिले?
(A) गाँधी जी
(B) गोखले जी
(C) पुंडलीक जी
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(C) पुंडलीक जी

प्रश्न 39.
पुंडलीक जी ने निर्भिकता किससे सीखी?
(A) गोखले जी से
(B) गाँधी जी से
(C) कृपलानी जी से
(D) इनमें किसी से नहीं
उत्तर:
(B) गाँधी जी से

प्रश्न 40.
कर्णाट वंश के राजा हरिसिंह को किसका मुकाबला करना पड़ा?
(A) गयासुद्दीन तुगलक
(B) नादिरशाह
(C) अलाउद्दीन खिलजी
(D) कुतुबुद्दीन ऐबक
उत्तर:
(A) गयासुद्दीन तुगलक

प्रश्न 41.
चंपारन में धाँगड़ कहाँ से आए?
(A) राँची
(B) जमशेदपुर
(C) छोटानागपुर
(D) आंध्र प्रदेश
उत्तर:
(C) छोटानागपुर

प्रश्न 42.
गाँधीजी चंपारन में कब आए?
(A) अप्रैल 1918 में
(B) अप्रैल 1920 में
(C) 20 जून 1917 में
(D) अप्रैल 1917 में
उत्तर:
(D) अप्रैल 1917 में

प्रश्न 43.
‘तीनकठिया’ प्रथा का संबंध है
(A) ईख से
(B) तम्बाकू से
(C) मसाला से
(D) नील से
उत्तर:
(D) नील से

प्रश्न 44.
पंडई नदी कहाँ तक जाती है?
(A) भिखनाथोरी
(B) बगहा
(C) रामनगर
(D) भितिहरवा
उत्तर:
(A) भिखनाथोरी

प्रश्न 45.
बराज कहाँ बन रहा था?
(A) बेलगाँव
(B) भितिहरवा में
(C) अमोलवा में
(D) भैसालोटन में
उत्तर:
(D) भैसालोटन में

प्रश्न 46.
आम्रपाली (अंबपाली) ने तथागत को क्या सौंपा था?
(A) कदलीवन
(B) आम्रवन
(C) दस हजार स्वर्णमुद्राएँ
(D) अपना भवन
उत्तर:
(B) आम्रवन

प्रश्न 47.
मठ के महंत ने गाँधीजी को कहाँ शरण दी?
(A) एक जामुन के पेड़ के नीचे
(B) अपने मठ में
(C) एक झोपड़ी में
(D) एक महुए के पेड़ के नीचे
उत्तर:
(D) एक महुए के पेड़ के नीचे

प्रश्न 48.
जगदीशचंद्र माथुर का जन्म हुआ था
(A) 16 जुलाई 1917 को
(B) 16 जुलाई 1918 को
(C) 17 अगस्त 1917 को
(D) 20 सितंबर 1917 को
उत्तर:
(A) 16 जुलाई 1917 को

प्रश्न 49.
वैशाली महोत्सव का बीजारोपण किया
(A) ‘अज्ञेय’ ने
(B) जगदीशचंद्र माथुर ने
(D) अशोक वाजपेयी ने
उत्तर:
(B) जगदीशचंद्र माथुर ने

प्रश्न 50.
कौन-सी कृति माथरजी की नहीं है।
(A) मेरी बाँसुरी
(B) बंदी
(C) रेशमी-टाई
(D) कोणार्क
उत्तर:
(C) रेशमी-टाई

प्रश्न 51.
कौन-सी कृति माथुरजी की है?
(A) जानवर और जानवर
(B) कहानी : नई कहानी’
(C) यायावर रहेगा याद
(D) भोर का तारा
उत्तर:
(D) भोर का तारा

प्रश्न 52.
‘बोलते क्षण’ किस साहित्यिक विधा की कृति है?
(A) निबंध
(B) कहानी
(C) संस्मरण
(D) आलोचना
उत्तर:
(A) निबंध

प्रश्न 53.
‘ओ सदानीरा’ किसको निमित बनाकर लिखा गया है?
(A) गंगा
(B) गंडक
(C) यमुना
(D) महानदी
उत्तर:
(B) गंडक

प्रश्न 54.
‘थारन’ शब्द किस शब्द से विकसित है?
(A) थल
(B) थार
(C) स्थल
(D) स्थान
उत्तर:
(B) थार

प्रश्न 55.
बिहार के सुप्रसिद्ध सांस्कृतिक उत्सव ‘वैशाली महोत्सव’ का बीजारोपण किसने किया?
(A) जॉर्ज ग्रियर्सन ने
(B) सच्चिदानंद सिन्हा ने
(C) जगदीशचंद्र माथुर ने
(D) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने
उत्तर:
(C) जगदीशचंद्र माथुर ने

प्रश्न 56.
‘ओ मेरे सपने’ क्या है?
(A) उपन्यास
(B) कहानी
(C) खंडकाव्य
(B) जगदीशचंद्र माथुर
उत्तर:
(B) जगदीशचंद्र माथुर

प्रश्न 57.
गौतम बुद्ध का आविर्भाव कब हुआ था?
(A) दो हजार वर्ष पहले
(B) ढाई हजार वर्ष पहले
(C) तीन हजार वर्ष पहले
(D) पाँच सौ वर्ष पहले
उत्तर:
(B) ढाई हजार वर्ष पहले

प्रश्न 58.
राजा हरिसिंह देव को किसका मुकाबला करना पड़ा था?
(A) गयासुद्दीन तुगलक का
(B) नादिरशाह का
(C) अहमदशाह का
(D) बाबर का
उत्तर:
(A) गयासुद्दीन तुगलक का

प्रश्न 59.
‘ओ सदानीरा’ के लेखक है
(A) जगदीशचंद्र माथुर
(B) लक्ष्मीनारायण लाल
(C) लक्ष्मीनारायण मिश्र
(D) जयशंकर प्रसाद
उत्तर:
(A) जगदीशचंद्र माथुर

प्रश्न 60.
‘कोर्णाक’ के नाटककार कौन है?
(A) जयशंकर प्रसाद
(B) जगदीशचंद्र माथुर
(C) हरेकृष्ण प्रेमी
(D) मैथिलीशरण गुप्त
उत्तर:
(B) जगदीशचंद्र माथुर

प्रश्न 61.
‘दस तस्वीरे’ के रचनाकार कौन है?
(A) रामवृक्ष बेनीपुरी
(B) जगदीशचंद्र माथुर
(C) देवेंद्र सत्यार्थी
(D) महादेवी वर्मा
उत्तर:
(B) जगदीशचंद्र माथुर

Bihar Board Class 9 Hindi अपठित गद्यांश

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Bihar Board Class 9 Hindi अपठित गद्यांश Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi अपठित गद्यांश

Bihar Board Class 9 Hindi अपठित गद्यांश Questions and Answers

 

साहित्यिक गद्यांश [12 अंक]

1. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर संबंधित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

बड़ी चीजें बड़े संकटों में विकास पाती हैं, बड़ी हस्तियाँ बड़ी मुसीबतों में पलकर दुनिया पर कब्जा करती हैं। अकबर ने तेरह साल की उम्र में अपने बाप के दुश्मन को परास्त कर दिया था जिसका एकमात्र कारण यह था कि अकबर का जन्म रेगिस्तान में हुआ था और वह भी उस समय, जब उसके बाप के पास एक कस्तूरी को छोड़कर और कोई दौलत नहीं थी।

महाभारत में देश के प्रायः अधिकांश वीर कौरवों के पक्ष में थे। मगर फिर भी जीत पांडवों की हुई, क्योंकि उन्होंने लाक्षागृह की मुसीबत झेली थी, क्योंकि उन्होंने वनवास के जोखिम को पार किया था।

श्री विंस्टन चर्चिल ने कहा है कि जिन्दगी की सबसे बड़ी सिफ़त हिम्मत है। आदमी के और सारे गुण उसके हिम्मती होने से ही पैदा होते हैं।

जिन्दगी की दो सरतें हैं। एक तो यह कि आदमी बड़े से बडे मकसद के लिए कोशिश करे, जगमगाती हुई जीत पर पंजा डालने के लिए हाथ बढ़ाए और अगर असफलताएँ कदम-कदम पर जोश की रोशनी के साथ अँधियाली का जाल बुन रही हों, तब भी वह पीछे को पाँव न हटाए।

दूसरी सूरत यह है कि उन गरीब आत्माओं का हमजोली बन जाए जो न तो बहत अधिक सुख पाती हैं और न जिन्हें बहत अधिक दुख पाने का ही संयोग है, याकि वे आत्माएँ ऐसी गोधूलि में बसती हैं जहाँ न तो जीत हँसती है और न कभी हार के रोने की आवाज सुनाई पड़ती है। इस गोधूलि वाली दुनिया के लोग बँधे हुए घाट का पानी पीते हैं, वे जिन्दगी के साथ जुआ नहीं खेल सकते। और कौन कहता है कि पूरी जिन्दगी को दाँव पर लगा देने में कोई आनन्द नहीं है?

अगर रास्ता आगे ही आगे निकल रहा हो तो फिर असली मज़ा तो पाँव बढ़ाते जाने में ही है।

साहस की जिन्दगी सबसे बडी जिन्दगी होती है। ऐसी जिन्दगी की सबसे बडी पहचान यह है कि वह बिल्कुल निडर, बिल्कुल बेखौफ़ होती है। साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह इस बात की चिंता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले लोंग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं। जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला आदमी दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्यता को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है। अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना, यह साधारण जीव का काम है। क्रांति करने वाले लोग अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते हैं और न अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल देखकर मद्धिम बनाते हैं।

साहसी मनुष्य उन सपनों में भी रस लेता है जिन सपनों का कोई व्यावहारिक अर्थ नहीं है।

साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता, वह अपने विचारों में रमा हुआ अपनी ही किताब पढ़ता है। झुंड में चलना और झुंड में चरना, यह भैंस और भेड़ का काम है। सिंह तो बिल्कुल अकेला होने पर भी मग्न रहता है।

प्रश्न
1. इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
2. लेखक के अनुसार, पांडवों की जीत क्यों हुई?
3. ‘गोधूलि’ जीवन की किस स्थिति का प्रतीक है?
4. बँधे घाट का पानी पीने का अर्थ बताइए।
5. जिन्दगी के साथ जुआ खेलने का क्या आशय है?
6. दुनिया की असली ताकत किस मनुष्य को कहा गया है?
7. क्रांतिकारियों के क्या लक्षण हैं?
8. साधारण जीव कैसा जीवन जीते हैं?
9. ‘साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
10. भैंस और भेड़ कैसे जनों के प्रतीक हैं?
11. “हिम्मत’ के लिए किस पर्यायवाची शब्द का प्रयोग हुआ है?
12. ‘भाग खड़े होना’ का विलोम लिखिए।
उत्तर
(1) शीर्षक : “संकट तथा साहस”
(2) पांडवों की जीत इसलिए हुई क्योंकि उन्होनें लाक्षागृह का कष्ट झेला था और बनवास के खतरा को पार करने में सफल हुए थे।
(3) गोधूलि जीवन की उस स्थिति का प्रतीक है जहाँ न तो जीत हँसती है और न कभी हार के रोने की आवाज सुनाई पड़ती है।
(4) व्यक्ति द्वारा अपनी गतिविधियों को एक संकुचित क्षेत्र तक बाँध (सीमित) लेने का अर्थ बँधे घाट का पानी पीना है।
(5) बड़े उद्देश्य की प्राप्ति के लिए, सफलता-असफलता की परवाह किए बिना अपनी जिन्दगी को दाँव पर लगा देने का अर्थ जिन्दगी के साथ जुआ खेलना है।
(6) जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला व्यक्ति दुनिया की असली ताकत होता है।
(7) क्रांतिकारी अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते हैं और न अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल देखकर मद्धिम करते हैं, यही उनका लक्षण होता है।
(8) साधारण जीव सुखी जीवन नहीं जी सकता। उसका जीवन कष्टमय एवं निराशापूर्ण होता है।
(9) अपने विचारों में मग्न जो व्यक्ति अकेले ही अपनी मंजिल तय करता है तथा झुंड में भेड़ों की तरह नहीं चलता, ऐसे मनुष्य से ही तात्पर्य है, “साहसी मनुष्य सपने उधार नहीं लेता।”
(10) भैंस और भेड़ ऐसे लोगों के प्रतीक हैं जो स्व-विवेक से काम नहीं लेते एवं दूसरे लोगों की नकल करते हैं वे उनके पीछे झुंड लगाकर चलते हैं।
(11) “साहंस”
(12) निडर होना, बेखौफ होना।

2. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर संबंधित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

वर्ष 1956 की बात है डॉ. हरिवंश राय बच्चन अब तक हिंदी के कवियों में सबसे अगली पंक्ति में आ खड़े हुए थे। वे यह ठान बैठे कि वे प्रयाग विश्वविद्यालय के अंग्रेजी प्रोफेसर का गरिमा-भरा पद छोड़कर दिल्ली चले जाएँगे-विदेश मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी का नाचीज़ पद सँभालने। इलाहाबाद प्रतिभा-पूर्ण शहर है, लेकिन प्रतिभाओं को समुचित आदर देने में कुछ-कुछ कृपण। “कुछ-कुछ नहीं बहुत कृपण”। बच्चन जी ने मेरी भाषा सुधारते हुए मुझसे कहा था। वर्ष 1984 और बच्चन जी उन दिनों ‘दशद्वार से सोपान तक’ पुस्तक पर काम कर रहे थे। उन्होंने कहा भी है कि किस तरह उनके विरुद्ध बहुत कुछ कहा ही नहीं गया, लिखा भी गया और छापे में भी आया। उनकी ‘मधुशाला’ पर ‘अभ्युदय’ पत्रिका में लेख छपा, जिसमें बच्चन के हिन्दी के उमर खैयाम बनने के स्वप्न पर कटु व्यंग्य करते हुए लेख का शीर्षक दिया गया था- ‘घूरन के लता कनातन से ब्योत बाँधे’ (घुरे की हिंदी चली है कनात से अपनी गाँठ बाँधने)। ‘मधुशाला’ तो पाठकों की सच्ची सराहना पाकर साहित्य के सर्वोच्च सोपान पर जा बैठी और अभ्युदय का लेख रह गया वहीं घूरे पर पड़ा हुआ।

बच्चन जी ने बहुत कष्ट देखे थे। बहुत संघर्ष किया था और महाकवि निराला की ही तरह आँसुओं को भीतर ही भीतर पीकर उनकी ऊर्जा और सौंदर्य में अपनी कविता को सोना बनाया था। स्पष्ट है इस कष्टसाध्य प्रक्रिया से वही कलाकार गुजर सकता है जिसके भीतर दुर्घर्ष जिजीविषा हो। दिल्ली आकर विदेश मंत्रालय में बड़े अधिकारी के ठंडे और हिंदी-विरोधी तेवरों ने उन्हें खिन्न तो किया, लेकिन बच्चन जी ने फिर कविता का आश्रय लिया। अपनी आत्मकथा में उन्होंने लिखा है ‘भला-बुरा जो भी मेरे सामने आया है, उसके लिए मैंने अपने को ही उत्तरदायी समझा है। गीता पढ़ते हुए मैं दो जगहों पर रुका। एक तो जब भगवान अर्जुन से कहते है- अर्जुन, आत्मवान बनो अर्थात् अपने सहज रूप से विकसित गुण-स्वभाव-व्यक्तित्व पर टिको। दूसरी जगह जब वे कहते हैं कि गुण स्वभाव-प्रकृति को मत छोड़ो। बच्चन जी, तुम भी आत्मवान बनो। बच्चन द्वारा उमर खैयाम की मधुशाला का अनुवाद एक बड़े कवि द्वारा दूसरे बड़े कवि की कविता की आत्मा से साक्षात्कार करना और अपने साहित्यिक व्यक्तित्व के अनुसार उसे अपनी भाषा में अपनी तरह से अभिव्यक्त करना है।

हर बड़ा साहित्यकार साहित्य और विशेषकर शब्द की गरिमा और मर्यादा पर लड़ मरने को तैयार रहता है। बच्चन जी के साथ भी कुछ ऐसा ही है। उन्होंने जितना आदर अपने साहित्य का किया, उतना ही भारत तथा विदेशों के साहित्य का भी और इसलिए समय-समय पर अनुवाद संबंधी नीति बनाते हुए उन्होंने भाषा की गरिमा बनाए रखने पर बहुत बल दिया। विदेश मंत्रालय में उन दिनों भी कठिन अंग्रेजी का अनुवाद हाट-बाजार वाली हिंदी में करने के बारे में एक आग्रह था। इस पर बच्चन जी बहुत बिगड़ते थे। उनका कहना था कि अंग्रेजी का अनुवाद बाजार स्तर की हिंदी में माँगना हिंदी के साथ अन्याय करना है। जब-जब हिंदी अंग्रेजी के स्तर तक उठने की कोशिश करती है तो उस पर तुरंत दोष लगाया जाता है कि वह कठिन और क्लिष्ट है और जब वह उससे घबराकर अति सरलता की ओर जाती है तो उसे अपरिपक्व कह दिया जाता है। बच्चन जी ने अपने गद्य और पद्य दोनों में ही एक सुंदर, सुगठित और सरल हिंदी का प्रयोग करके यह सिद्ध कर दिया कि आवश्यकता के अनुसार संस्कृत की ओर झुकती हिंदी भी लोकप्रिय और लोकरंजक हो सकती है।

लेखक हेनरी जेम्स ने कहा है कि हर बड़ा लेखक अपने जीवन और लेखन में जितना भी जझारू हो. अंतत: उसके भीतर मानव-जीवन के प्रति एक गहरी आ होती है। यह गहरी आस्था बच्चन जी के पूरे लेखन में व्याप्त है। ‘दशद्वार से सोपान तक’ के अंत में वह कहते है ‘जनार्दन के समक्ष जब प्रस्तुत होना होगा, वो होगा पर मैं जानता हूँ कि जनता जनार्दन के सामने मेरी सृजनशील लेखनी ने मेरी । संपूर्ण अपूर्णताओं के साथ मुझे प्रस्तुत कर दिया है।

प्रश्न
1. उचित शीर्षक दीजिए।
2. ‘अगली पंक्ति में आ खड़े होने’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
3. बच्चन जी ने हिंदी को कैसा रूपाकार दिया?
4. हरिवंशराय इलाहाबाद से किस कारण खिन्न थे?
5. अभ्युदय के संपादक ने कवि बच्चन की किसलिए निंदा की थी?
6. महाकवि निराला और बच्चन के जीवन में कौन-सी समानता थी?
7. “दुर्घर्ष जिजीविषा’ का तात्पर्य स्पष्ट कीजिए।
8. ‘ठंडे तेवर’ से क्या आशय है?
9. बच्चन जी ने गीता के संदेश से कौन-सा गण सीखा?
10. ‘अपर्णता’ तथा ‘जझारू’ के पर्यायवाची शब्द लिखिए।
11. अंग्रेजी का हिंदी अनुवाद करते हुए उन्हें कौन-सी बात दुख देती थी।
12. ‘काम’ का तत्सम शब्द लिखिए।
उत्तर
(1) शीर्षक : बच्चन की हिन्दी सेवा
(2) ‘अगली पंक्ति में आ खड़े होना’ का अर्थ है विशिष्ट स्थान प्राप्त करना। अपनी प्रतिभा, संकल्प, लगन तथा परिश्रम से सफलता के उत्कर्ष पर पहुँचने के अर्थ में इसे प्रयुक्त किया जा सकता है।
(3) बच्चन जी ने अपने गद्य और पद्य दोनों में ही एक सुन्दर, सुगठित और सरल हिन्दी का प्रयोग करके सिद्ध कर दिया कि आवश्यकता के अनुसार संस्कृत की ओर झुकती हिन्दी भी लोकप्रिय और लोकरंजक हो सकती है।
(4) इलाहाबाद में प्रतिभाओं को समुचित आदर नहीं दिया जाता था।
(5) कवि “बच्चन’- के काव्य “मधुशाला’ लिखने पर, उनपर हिन्दी के उमर खैयाम बनने की व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हुए ‘अम्युदय’ पत्रिका के सम्पादक ने कटु निंदा (आलोचना) की थी।
(6) ‘बच्चन’ जी ने महाकवि ‘निराला’ की भाँति ही कष्ट झेले, संघर्ष किया तथा आँसुओं को पीकर उनकी ऊर्जा और सौंदर्य द्वारा अपनी कविता को सोना बनाया था।
(7) ‘दुर्घर्ष जिजीविषा’ का तात्पर्य संघर्ष करने की असीम क्षमता एवं आकांक्षा है।
(8) ठंडे तेवर का आशय- नरम (निस्तेज) तथा उपेक्षापूर्ण रुख।
(9) बच्चन जी ने गीता के संदेश द्वारा आत्मवान बनने तथा अपने गुण, स्वभाव-प्रकृति पर टिके रहना तथा उसे नहीं छोड़ने का गुण सीखा।
(10) (1) अपूर्णता- अधूरापन, अपर्याप्त।
(2) जुझारू- संघर्षशील
(11) अंग्रेजी का हिन्दी में अनवाद करने के बारे में उनका एक स्पष्ट आग्रह था। वह हाट बाजार वाली स्तरहीन हिन्दी में अनुवाद के प्रबल विरोधी थे। हिन्दी के साथ इस प्रकार का दुर्व्यवहार उन्हें दुख देता था।
(12) काम का तत्सम् शब्द – कार्य।

3. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर संबंधित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

भारतवर्ष सदा कानून को धर्म के रूप में देखता आ रहा है। आज एकाएक कानून और धर्म में अंतर कर दिया गया है। धर्म को धोखा नहीं दिया जा सकता, कानन को दिया जा सकता। यही कारण है कि जो लोग धर्मभीरू हैं, वे कानून की त्रुटियों से लाभ उठाने में संकोच नहीं करते।

इस बात के पर्याप्त प्रमाण खोजे जा सकते हैं कि समाज के ऊपरी वर्ग में चाहे जो भी होता रहा हो, भीतर-भीतर भारतवर्ष अब भी यह अनुभव कर रहा है कि धर्म कानून से बड़ी चीज है। अब भी सेवा, ईमानदारी, सच्चाई और आध्यात्मिकता के मूल्य बने हुए हैं। वे दब अवश्य गए हैं, लेकिन नष्ट नहीं हुए। आज भी वह मनष्य से प्रेम करता है. महिलाओं का सम्मान करता है. झट और चोरी को गलत समझता है, दूसरों को पीड़ा पहुँचाने को पाप समझता है। हर आदमी अपने व्यक्तिगत जीवन में इस बात का अनुभव करता है।

समाचार पत्रों में जो भ्रष्टाचार के प्रति इतना आक्रोश है, वह यही साबित करता है कि हम ऐसी चीजों को गलत समझते हैं और समाज से उन तत्त्वों की प्रतिष्ठा कम करना चाहते हैं जो गलत तरीके से धन या मान संग्रह करते हैं।

दोषों का पर्दाफाश करना बुरी बात नहीं है। बुराई यह मालूम होती है कि किसी आचरण के गलत पक्ष को उदघाटित करते समय उसमें रस लिया जाता है और दोषोद्घाटन को एकमात्र कर्तव्य मान लिया जाता है। बुराई में रस लेना बुरी बात है, अच्छाई को उतना ही रस लेकर उजागर न करना और भी बुरी बात है। सैकड़ों घटनाएँ ऐसी घटती हैं जिन्हें उजागर करने से लोकचित में अच्छाई के प्रति अच्छी भावना जगती है।

एक बार रेलवे स्टेशन पर टिकट लेते हुए गलती से मैंने दस के बजाय सौ ‘रुपये का नोट दिया और मैं जल्दी-जल्दी गाड़ी में आकर बैठ गया। थोड़ी देर में टिकट बाबू उन दिनों के सैकेंड-क्लास के डिब्बे में हर आदमी का चेहरा पहचानता हुआ उपस्थित हुआ। उसने मुझे पहचान लिया और बड़ी विनम्रता के साथ मेरे हाथ में नब्बे रुपये रख दिए और बोला, “यह बहुत बड़ी गलती हो गई थी। आपने भी नहीं देखा, मैंने भी नहीं देखा।” उसके चेहरे पर विचित्र संतोष की गरिमा थी। मैं चकित रह गया।

ठगा भी गया हूँ धोखा भी खाया है, परन्तु बहुत कम स्थलों पर विश्वासघात नाम की चीज मिलती है। केवल उन्हीं बातों का हिसाब रखो, जिनमें धोखा खाया है तो जीवन कष्टकर हो जाएगा, परन्तु ऐसी घटनाएँ भी बहुत कम नहीं हैं जब लोगों ने अकारण सहायता की है, निराश मन को ढाँढ्स दिया है और हिम्मत बँधाई है। कविवर रवींद्रनाथ ठाकुर ने अपने एक प्रार्थना गीत में भगवान से प्रार्थना की थी कि संसार में केवल नुकसान ही उठाना पड़े, धोखा ही खाना पड़े, तो ऐसे अवसरों पर भी हैं प्रभ! मझे ऐसी शक्ति दो कि में तुम्हार.ऊपर सदह न करू।

मनुष्य की बनाई विधियाँ गलत नतीजे तक पहुँच रही हैं तो इन्हें बदलना होगा। वस्तुतः आए दिन इन्हें बदला ही जा रहा है। लेकिन अब भी आशा की ज्योति बुझी नहीं है। महान भारतवर्ष को पाने की संभावना बनी हुई है, बनी रहेगी। मेरे मन! निराश होने की जरूरत नहीं है।

प्रश्न
1. इस गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
2. व्यक्ति-चित्त की विशेषता बताइए।
3. ‘दकियानूसी’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
4. उन्नति के साथ-साथ कौन-से विकार बढ़ते चले गए?
5. धर्म और कानून में क्या अंतर कर दिया गया है?
6. ‘धर्मभीरू’ से क्या आशय है?
7. धर्मभीरू लोग कानून के साथ कैसा व्यवहार करते हैं?
8. भ्रष्टाचार के समाचार क्या सिद्ध करते हैं?
9. दोषों का पर्दाफाश करने मे बुराई कब आती है?
10. पर्दाफाश और दोषोद्घाटन के अर्थ बताइए।
11. बराई और अच्छाई के प्रदर्शन में कौन-सी बात बरी है?
12. टिकट बाबू के चेहरे पर संतोष की गरिमा क्यों थी?
उत्तर
(1) शीर्षक : “धर्म और कानून”
(2) व्यक्ति चित्त की विशेषता यह है कि वह ऐसी चीजों को गलत समझता है जिसके द्वारा गलत तरीके से धन या मान संग्रह किया जाता है।
(3) ‘दकियानूसी’ का अर्थ होता है, निरर्थक पुरानी परम्पराओं को ढोना। यदि मनुष्य द्वारा पूर्व में बनाई विधियाँ गलत नतीजे तक पहुँच रही हैं और हम उसका अंधानुकरण करते हैं तो इसे ‘दकियानूसी’ आचरण कहा जाएगा।
(4) राष्ट्र तथा समाज की उन्नति और विकास के साथ भ्रष्टाचार, छल-प्रपंच एवं अनाचार जैसे विकारों में वृद्धि हुई है।
(5) कानून को धर्म से अलग कर दिया गया है जिसके कारण अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं धर्म द्वारा सेवा, ईमानदारी, सच्चाई और आध्यात्मिकता की भावना आज के कानून में गौण हो गई है। कानून अपराध के लिए सजा का प्रावधान करता है। अपराध मिटा नहीं सकता जबकि धर्म सच्चरित्रता के माध्यम से अपराध करने से रोकता है।
(6) ‘धर्मभीरूं’ का शाब्दिक अर्थ है- धर्म अर्थात् सत्कर्म के प्रति आस्था एवं भीरू होना अर्थात् डरना (आचरण करना)। अतः धर्मभीरू से तात्पर्य है- धर्माचरण।
(7) धर्मभीरू लोग कानून की बेटियों से लाभ उठाने का प्रयास करते हैं।
(8) समाचार-पत्रों में भ्रष्टाचार के समाचारों से यह प्रमाणित होता है कि लोगों में भ्रष्टाचार के प्रति जर्बदस्त आक्रोश है तथा वे ऐसी वस्तुओं को गलत समझते हैं जो अनैतिक ढंग से धन या मान अर्जित कर समाज तथा देश को कलंकित करती
(9) दोषों का पर्दाफाश करना बुरी बात नहीं है। लेकिन बुराई तब आती है जब किसी के आचरण के गलत पक्ष को जोर-शोर से उद्घाटित किया जाय तथा उसमें गहरी रुचि ली जाए।
(10) ‘पर्दाफाश करना’ का अर्थ रहस्य पर से पर्दा उठाना है, दोषी व्यक्ति के दोष को उजागर करना है। दोषोद्घाटन से तात्पर्य है दोषी व्यक्ति के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करना एवं उसकी बुराई में रस लेना है।
(11) बुराई और अच्छाई के प्रदर्शन में बुरी बात यह है कि कि इसके द्वारा गलत पक्ष का तो रहस्योद्घाटन किया जाता है, लेकिन उसके उन्मूलन का सार्थक प्रयास नहीं किया जाता है साथ ही अच्छाई को उतनी ही उत्सुकता से उजागर नहीं किया जाता है, जिन्हें प्रचारित करने में लोकचित में अच्छाई के प्रति अच्छी भावना जगती है।
(12) रेलवे स्टेशन का टिकट बाबू लेखक द्वारा टिकट के लिए दिए गए सौ रुपए की शेष राशि नब्बे रुपए देना भूल गया था। लेखक भी जल्दी बाजी में गाड़ी में आकर बैठ गया। टिकट बाबू उसे खोजते हुए सेकेंड क्लास के उस डिब्बे में जा पहुँचा जहाँ लेखक बैठा था। टिकट बाबू ने क्षमा माँगते हुए उक्त राशि उसे (लेखक) दे दी। इसी खुशी में टिकट बाबू के चेहरे पर संतोष का भाव (गरिमा) झलक रहा था।

4. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखए :

कर्म के मार्ग पर आनंदपूर्वक चलता हुआ उत्साही मनुष्य यदि अंतिम फल तक न पहुँचे तो भी उसकी दशा कर्म न करने वाले की अपेक्षा अधिकतर अवस्थाओं में अच्छी रहेगी, क्योंकि एक तो कर्मकाल में उसका जीवन बीता, वह संतोष या आनंद में बीता, उसके उपरांत फल की अप्राप्ति पर भी उसे यह पछतावा न रहा कि मैंने प्रयत्न नहीं किया। फल पहले से कोई बना-बनाया पदार्थ नहीं होता। अनुकूलन प्रयत्न-कर्म के अनुसार, उसके एक-एक अंग की योजना होती है। बुद्धि द्वारा पूर्ण रूप से निश्चित की हुई व्यापार परंपरा का नाम ही प्रयत्न है। किसी मनुष्य के घर का कोई प्राणी बीमार है। वह वैद्यों के यहाँ से जब तक औषधि ला ला कर रोगी को देता जाता है और इधर-उधर दौड धप करता जाता है तब तक उसके चित्त में जो संतोष रहता है- प्रत्येक नये उपचार के साथ जो आनन्द का उन्मेष होता रहता है यह उसे कदापि न प्राप्त होता, यदि वह रोता हुआ बैठा रहता। प्रयत्न की अवस्था में उसके जीवन का जितना अंश संतोष, आशा और उत्साह में बीता, अप्रयत्न की दशा में उतना ही अंश केवल शोक और दुःख में कटता। इसके अतिरिक्त रोगी के न अच्छे होने की दशा में भी वह आत्मग्लानि के उस कठोर दुःख से बचा रहेगा जो उसे जीवन भर यह सोच-सोचकर होता कि मैंने पूरा प्रयत्न नहीं किया।

कर्म में आनंद अनुभव करने वालों ही का नाम कर्मण्य है। धर्म और उदारता के उच्च कर्मों के विधान में ही एक ऐसा दिव्य आनंद भरा रहता है कि कर्ता को वे कर्म ही फलस्वरूप लगते हैं। अत्याचार का दमन और क्लेश का शमन करते हुए चित्त में जो उल्लास और पुष्टि होती है वही लोकोपकारी कर्म-वीर का सच्चा सुख है। उसके लिए सुख तब तक के लिए रुका नहीं रहता जब तक कि फल प्राप्त न हो जाये, बल्कि उसी समय से थोड़ा-थोड़ा करके मिलने लगता है जब से वह कर्म की ओर हाथ बढ़ाता है।

कभी-कभी आनंद का मूल विषय तो कुछ और रहता है, पर उस आनंद के कारण एक ऐसी स्फूर्ति उत्पन्न होती है। जो बहुत से कामों की ओर हर्ष के साथ अग्रसर रहती है। इसी प्रसन्नता और तत्परता को देख लोग कहते हैं कि वे अपना काम बड़े उत्साह से किए जा रहे हैं। यदि किसी मनुष्य को बहुत-सा लाभ हो जाता है या उसकी कोई बड़ी भारी कामना पूर्ण हो जाती है तो जो काम उसके सामने आते हैं उन सबको वह बड़े हर्ष और तत्परता के साथ करता है। उसके इस हर्प और तत्परता को भी लोग उत्साह ही कहते हैं। इसी प्रकार किसी उत्तम फल या सख-प्राप्ति को आशा या निश्चय से उत्पन्न आनंद, फलोन्मुख प्रयत्नों के अतिरिक्त और दूसरे व्यापारों के साथ संलग्न होकर, उत्साह के रूप में दिखाई पड़ता है। यदि हम किसी ऐसे उद्योग में लगे हैं जिससे आगे चलकर हमें बहुत लाभ या सुख की । आशा है तो हम उस उद्योग को तो उत्साह के साथ करते ही हैं, अन्य कार्यों में भी प्रायः अपना उत्साह दिखा देते हैं।

यह बात उत्साह में नहीं अन्य मनोविकारों में भी बराबर पाई जाती है। यदि हम किसी बात पर क्रुद्ध बैठे हैं और इसी बीच में कोई दूसरा आकर हमसे कोई बात सीधी तरह भी पूछता है, तो भी हम उस पर झुझला उठते हैं। इस झुंझलाहट का न तो कोई निर्दिष्ट कारण होता है, न उद्देश्य। यह केवल क्रोध की स्थिति के _व्याघात को रोकने की क्रिया है, क्रोध की रक्षा का प्रयत्न है। इस झुंझलाहट द्वारा हम यह प्रकट करते हैं कि हम क्रोध में है और क्रोध में ही रहना चाहते हैं। क्रोध को बनाये रखने के लिए हम उन बातों में भी क्रोध ही संचित करते हैं जिनसे दूसरी अवस्था में हम विपरीत भाव प्राप्त करते इसी प्रकार यदि हमारा चित्त किसी विषय में उत्साहित रहता है तो हम अन्य विषय में भी अपना उत्साह दिखा देते हैं।

प्रश्न
(i) अवतरण का उचित शीर्षक दीजिए।
(ii) फल क्या है?
(iii)कर्मण्य किसे कहते हैं?
(iv) मनुष्य को कौन कर्म की ओर अग्रसर कराती है?
(v) हम प्रायः उत्साह कब प्रकट करते हैं?
(vi) उत्साह में झुंझलाहट क्या है?
(vii) उत्साही मनष्य किस मार्ग पर चलता है?
(viii) किसी फल की प्राप्ति के लिए किसी योजना की जाती है?
(ix) प्रयत्न क्या है?
(x) अप्रयत्न की दशा में जीवन कैसे कटता है?
(xi) दिव्य आनंद किस में भरा रहता है?
(xii) क्रोध क्या है?
उत्तर
(i) शीर्षक : “कर्मवीर” ।
(ii) अनुकूलन प्रयत्न-कर्म के अनुसार, उसके एक-एक अंग की योजना होती है। यही फल का आधार होती है।
(iii) कर्म में आनन्द अनुभव करने वालों का ही नाम कर्मण्य है।
(iv) ‘स्फूर्ति’ मनुष्य को कर्म की ओर अग्रसर कराती है।
(v) हमारे अन्दर जब आनन्द के कारण स्फूर्ति उत्पन्न होती है तो हम अपना कार्य प्रसन्नता और तत्परता से करते हैं। इसमें हमारा उत्साह प्रकट होता है।
(vi) जिस प्रकार उत्साह एक मनोदशा है उसी प्रकार झुंझलाहट भी एक मनोदशा ही है।
(vii) उत्साही मनुष्य उस मार्ग पर चलता है जिस पर उसे लाभ हो। हर्ष और तत्परता से वह उस मार्ग का अनुसरण करता है।
(viii) फल की प्राप्ति के लिए प्रत्येक योजना अनुकूलन प्रयत्न-कर्म के एक-एक अंग के अनसार की जाती है।
(ix) कर्म के मार्ग पर आनन्दपूर्वकं चलना ही प्रयत्न कहलाता है।
(x) अप्रयत्न की दशा में जीवन शोक और दुःख में कटता है।
(xi) धर्म और उदारता के उच्च कर्मों के विधान में ही दिव्य आनन्द भरा रहता है।
(xii) क्रोध एक प्रकार का मनोविकार है।

5. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

जातियाँ इस देश में अनेक आई हैं। लड़ती-झगड़ती भी रही हैं, फिर प्रेमपूर्वक बस भी गई हैं। सभ्यता की नाना सीढ़ियों पर खड़ी और नाना ओर मुख करके चलने वाली इन जातियों के लिए एक सामान्य धर्म खोज निकालना कोई सहज बात नहीं थी। भारतवर्ष के ऋषियों ने अनेक प्रकार से इस समस्या को सुलझाने की कोशिश की थी। पर एक बात उन्होंने लक्ष्य की थी। समस्त वर्णों और समस्त जातियों का एक सामान्य आदर्श भी है। वह है अपने ही बंधनों से अपने को बांधना। मनुष्य पशु से किस बात में भिन्न है? आहार-निद्रा आदि पशु-सुलभ स्वभाव उसके ठीक वैसे ही हैं, जैसे अन्य प्राणियों के लेकिन वह फिर भी पशु से भिन्न है। उसमें संयम है, दूसरे के सुख-दुख के प्रति समवेदना है, श्रद्धा है, तप है, त्याग है। यह मनुष्य के स्वयं के उदभावित बंधन हैं। इसीलिए मनष्य झगडे-टंटे को अपना आदर्श नहीं मानता, गुस्से में आकर चढ़ दौड़ने वाले अविवेकी को बुरा समझता है और वचन, मन और शरीर से किए गए असत्याचरण को गलत आचरण मानता है। यह किसी खास जाति या वर्ण या समुदाय का धर्म नहीं है। वह मनुष्य-मात्र का धर्म है। महाभारत में इसीलिए निर्वेर भाव, सत्य और अक्रोध को वर्णो का सामान्य धर्म कहा है

एतद्धि त्रितयं श्रेष्ठं सर्वभूतेषु भारत।
निर्वेरत महाराज सत्यमक्रोध एव च।

अन्यत्र इसमें निरंतर दानशीलता को भी गिनाया गया है। (अनुशासन 12010)। गौतम ने ठीक ही कहा था कि मनुष्य की मनुष्यता यही है कि सबके दुःख-सुख को सहानुभूति के साथ देखता है। यह आत्म-निर्मित बंधन ही मनुष्य को मनुष्य बनाता है। अहिंसा, सत्य और अक्रोधमूलक धर्म का मूल उत्स यही है मुझे आश्चर्य होता है कि अनजाने में भी हमारी भाषा से यह भाव कैसे रह गया है। लेकिन मुझे नाखून के बढने पर आश्चर्य हुआ था अज्ञान सर्वत्र आदमी को पछाड़ता है। और आदमी है कि सदा उससे लोहा लेने को कमर कसे है।

मनुष्य को सुख कैसे मिलेगा? बड़े बड़े नेता कहते हैं, वस्तुओं की कमी है, और मशीन बैठाओं, और उत्पादन बढ़ाओ, और धन की वृद्धि करो और बाह्य उपकरणों की ताकत बढ़ाओ। एक बूढ़ा था। उसने कहा था- बाहर नहीं, भीतर की ओर देखो। हिंसा को मन से दूर करो, मिथ्या को हटाओ, क्रोध और द्वेष को दूर करो, लोक के लिए कष्ट सहो। आराम की बात मत सोचो, प्रेम की बात सोचो, आत्म-पोषण की बात सोचो, काम करने की बात सोचो। उसने कहा- प्रेम ही बड़ी चीज है, क्योंकि वह हमारे भीतर है। उच्छृखलता पशु की प्रवृत्ति है, ‘स्व’ का बंधन मनुष्य का स्वभाव है। बूढ़े की बात अच्छी लगी या नहीं, पता नहीं। उसे गोली मार दी गई। आदमी के नाखून बढ़ने की प्रवृत्ति ही हावी हुई। मैं हैरान होकर सोचता हूँ-बूढ़े ने कितनी गहराई में पैठ कर मनुष्य की वास्तविक चरितार्थता का पता लगाया था।

प्रश्न
(i) अवतरण का उचित शीर्षक दीजिए।
(ii) ऋषियों ने क्या किया था?
(iii)मनुष्य में पशु से भिन्न क्या है? .
(iv) मनुष्य किसे गलत आचरण मानता है?
(v) मनुष्य की मनुष्यता क्या है?
(vi) पशु की मूल प्रवृत्ति क्या है?
(vii) विभिन्न जातियाँ पहले क्या कर रही थीं?
(viii) तरह-तरह की जातियों के लिए क्या खोजना कठिन था?
(ix) सभी वर्गों और सभी जातियों का सामान्य आदर्श क्या है?
(x) मनुष्य किसे अपना आदर्श नहीं मानता?
(xi) महाभारत में सब वर्गों का सामान्य धर्म किसे माना गया है?
(xii) ‘स्व’ का बंधन किसका स्वभाव है?
उत्तर
(i) शीर्षक : मानव जीवन का उद्देश्य अथवा मनुष्यता तथा पशुता
(ii) देश में रहनेवाली विभिन्न जातियों के लिए एक सामान्य धर्म खोज निकालना एक कठिन कार्य था। भारतवर्ष के ऋषियों ने इस समस्या को सुलझाने की कोशिश की थी।
(iii) मनुष्य में आहार-निद्रा जैसे पशु-सुलभ स्वभाव के बावजूद भी उसमें पशु से भिन्न गुण हैं। मनुष्य में संयम है, दूसरे के सुख-दुख के प्रति संवेदना है, श्रद्धा है, तप तथा त्याग है।
(iv) मनुष्य वचन, मन और शरीर से किए गए असत्याचरण को गलत आचरण मानता है।
(v) मनुष्य की मनुष्यता यही है कि सबके सुख-दुख को सहानुभूति के साथ देखता है।
(vi) उच्छृखलता पशु की मूल प्रवृत्ति है।
(vii) विभिन्न जातियाँ पहले आपस में लड़ती-झगड़ती रहती थीं।
(viii) विभिन्न जातियों के लिए एक सामान्य धर्म खोज निकालना कठिन कार्य था।
(ix) सभी वर्गों और सभी जातियों का सामान्य आदर्श अपने ही बंधनों से अपने (स्वयं) को बाँधना था।
(x) मनुष्य झगड़े-टंटे को अपना आदर्श नहीं मानता।
(xi) महाभारत में निर्वैर भाव, सत्य तथा अक्रोध (क्रोध रहित गुण) सब वर्गों का सामान्य धर्म कहा गया है।
(xii) ‘स्व’ का बंधन मनुष्य का स्वभाव है।

6. निम्नलिखित अनुच्छेद को सावधानीपूर्वक पढ़कर उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर अति संक्षेप में लिखिए।

1. देश-प्रेम है क्या? प्रेम ही तो है। इस प्रेम का आलंबन क्या है? सारा देश अर्थात् मनुष्य, पशु, पक्षी, नदी, नाले, वन, पर्वत सहित सारी भूमि। यह प्रेम किस प्रकार का है? यह साहचर्यगत प्रेम है। जिनके बीच हम रहते हैं, जिन्हें बराबर आँखों से देखते हैं, जिनकी बातें बराबर सुनते रहते हैं, जिनका हमारा हर घड़ी का साथ रहता है। सारांश यह है कि जिनके सान्निध्य का हमे अभ्यास पड़ जाता है, उनके प्रति लोभ या राग हो सकता है। देश-प्रेम यदि वास्तव में यह अंत:करण का कोई भाव है तो यही हो सकता है। यदि यह नहीं है तो वह कोरी बकवाद या किसी और भाव के संकेत के लिए गढ़ा हुआ शब्द है।

यदि किसी को अपने देश से सचमुच प्रेम है तो उसे अपने देश के मनुष्य, पशु, पक्षी, लता, गुल्म, पेड़, पत्ते, वन, पर्वत, नदी, निर्झर आदि सबसे प्रेम होगा, वह सबको चाहभरी दृष्टि से देखेगा, वह सबकी सुध करके विदेश में आँसू बहाएगा। जो यह भी नहीं जानते कि कोयल किस चिड़िया का नाम है, जो यह भी नहीं सुनते है कि चातक कहाँ चिल्लाता है, जो यह भी आँख भर नहीं देखते कि आम प्रणय-सौरभपूर्ण मंजरियों से कैसे लदे हुए हैं, जो यह भी नहीं झाँकते कि किसानों के झोपड़ों के भीतर क्या हो रहा है, ये यदि दस बने-ठने मित्रों के बीच प्रत्येक भारतवासी की औसत आमदनी का पता बताकर देश-प्रेम का दावा करें तो उनसे पूछना चाहिए कि भाइयो! बिना रूप-परिचय का यह प्रेम कैसा? जिनके दुःख-सुख के तुम कभी साथी नहीं हुए, उन्हें तुम सुखी देखना चहते हो, यह कैसे समझें। उनसे कोसों दूर बैठे-बैठे, पड़े-पड़े या खड़े-खड़े तुम विलायती बोली में ‘अर्थशास्त्र की दुहाई दिया करो, पर प्रेम का नाम उसके साथ न घसीटो।’ प्रेम हिसाब-किताब नहीं है। हिसाब-किताब करने वाले भाड़े पर भी मिल सकते हैं, पर प्रेम करने वाले नहीं।

हिसाब-किताब से देश की दशा का ज्ञान मात्र हो सकता है। हित चिंतन और हितासाधन की प्रवृत्ति कोरे ज्ञान से भिन्न है। वह मन के वेग या ‘भाव’ पर अवलंबित है, उसका संबंध लोभ या प्रेम से है, जिसके बिना अन्य पक्ष में आवश्यक त्याग का उत्साह हो नहीं सकता।

पशु और बालक भी जिनके साथ अधिक रहते हैं, उनसे परच जाते हैं। यह परचना परिचय ही है। परिचय प्रेम का प्रवर्तक है। बिना परिचय के प्रेम नहीं हो सकता। यदि देश-प्रेम के लिए हृदय में जगह करनी है तो देश के स्वरूप से परिचित और अभ्यस्त हो जाइए। बाहर निकलिए तो आँख खोलकर देखिए कि खेत कैसे लहलहा रहे हैं, नाले झाड़ियों के बीच कैसे बह रहे हैं, टेसू के फूलों से वनस्थली कैसी लाल हो रही है, कछारों में चौपायों के झुंड इधर-उधर चरते हैं, चरवाहे तान लड़ा रहे हैं, अमराइयों के बीच गाँव झाँक रहे हैं; उनमें घुसिए, देखिए तो क्या हो रहा है। जो मिले उनसे दो-दो बाते कीजिए, उनके साथ किसी पेड़ की छाया के नीचे घड़ी-आध-घड़ी बैठ जाइए और समझिए कि ये सब हमारे देश के हैं। इस प्रकार जब देश का रूप आपकी आँखों में समा जाएगा, आप उसके अंग-प्रत्यंग से परिचित हो जाएंगे, तब आपके अंत:करण में इस इच्छा का सचमुच उदय होगा कि वह कभी न छूटे, वह सदा हरा-भरा और फला-फूला रहे, उसके धनधान्य की वृद्धि हो, उसके सब प्राणी सुखी रहे।

पर आजकल इस प्रकार का परिचय बाबुओं की लज्जा का एक विषय हो रहा है। वे देश के स्वरूप से अनजान रहने या बनने में अपनी बड़ी शान समझते हैं। मैं अपने एक लखनवी दोस्त के साथ साँची का स्तूप देखने गया। वह स्तूप एक बहुत सुंदर छोटी-सी पहाड़ी के ऊपर है। नीचे छोटा-मोटा जंगल है, जिसमें महुए के पेड़ भी बहुत से हैं। संयोग से उन दिनों वहाँ पुरातत्व विभाग का कैंप पड़ा हुआ था। रात हो जाने से उस दिन हम लोग स्तूप नहीं देख सके, सवेरे देखने का विचार करके नीचे उतर रहे थे। वसंत का समय था। महुए चारों ओर टपक रहे थे। मेरे मुँह से निकला- “महुओं की कैसी महक आ रही है।” इस पर लखनवी महाशय ने चट मुझे रोककर कहा- “यहाँ महुए-सहुए का नाम न लीजिए, लोग देहाती समझेंगे।” मैं चुप हो रहा, समझ गया कि महुए का नाम जानने से बाबूपन में बड़ा भारी बट्टा लगता है। पीछे ध्यान आया कि वह वही लखनऊ है जहाँ कभी यह पूछने वाले भी थे कि गेहूँ का पेड़ आम के पेड़ से छोटा है या बड़ा।

प्रश्न
(क) इस गद्यांश का शीर्षक दीजिए।
(ख) ‘साहचर्यगत प्रेम’ से क्या आशय है
साथियों का प्रेम
साथ-साथ रहने के कारण उत्पन्न प्रेम
देश-प्रेम
इनमें से कोई नहीं।
(ग) अंत:करण का एक पर्यायवाची लिखिए।
(घ) ‘आँख भर देखना’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ङ) ‘प्रेम हिसाब-किताब नहीं है’ में क्या व्यंग्य है?
(च) देश-प्रेम का संबंध किससे है

  • हिसाब-किताब से
  • ज्ञान से
  • मन के वेग से
  • हितचिंतन से।

(छ) “परिचय प्रेम का प्रवर्तक है’- का क्या आशय है?
(ज) देश-प्रेम के लिए पहली आवश्यकता क्या है?
(झ) लेखक ने किन बाबुओं पर व्यंग्य किया है?
(ञ) लखनवी दोस्त ने लेखक को महुओं का नाम लेने से क्यों रोका?
(ट) लखनऊ के लोगों पर क्या कटाक्ष किया गया है?
(ठ) “विलायती बोली’ के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
(ड) लेखक की नजरों में रसखान देशप्रेमी क्यों हैं?
(ढ) पुरातत्व विभाग का क्या काम होता है?
(ण) ‘वन’ का पर्यायवाची ढूंढ़िए।
(त) हानि पहुँचना’ के लिए किस मुहावरे का प्रयोग हुआ है?
उत्तर
(क) देश-प्रेम और स्वदेश-परिचय।
(ख) साथ-साथ रहने के कारण उत्पन्न प्रेम।
(ग) हृदय।
(घ) तृप्त होकर देखना, जी भरकर देखना।
(ङ) देश का हिसाब-किताब रखना अर्थात् आर्थिक उन्नति के बारे में सोचना देश-प्रेम की पहचान नहींहै।
(च) मन के वेग से।।
(छ) परिचय से ही प्रेम का आरंभ होता है।
(ज) देशप्रेम के लिए पहली आवश्यकता है-देश को पूरी तरह जानना।
(झ) लेखक ने उन शहरी बाबुओं पर व्यंग्य किया है जिन्हें देश के देशी फूल-पत्तों का नाम सुनकर अपने देहाती होने का अपमान अनुभव होता है।
((ञ)) लखनवी दोस्त महुओं की सुगंध में देहातीपन महसूस करते थे। इसलिए उन्होंने लेखक को महुओं का नाम लेने से रोका।
(ट) लेखक ने लखनऊ के लोगों के अज्ञान पर कटाक्ष किया है। वहाँ के कुछ लोग गाँव, खेती और कृषि से बिल्कुल अनजान थे।
(ठ) अंग्रेजी पढ़े-लिखे लोग अंग्रेजी बोलकर देशहित की कितनी ही बातें करें, किंतु वे सच्चे देशप्रेमी नहीं हो सकते।
(ड) लेखक की नजरों में रसखान को देश की ब्रजभूमि से असीम प्रेम है। इसलिए वे सच्चे देशप्रेमी हैं।
(ढ) पुरातत्व विभाग का काम देश की पुरानी धरोहरों को सुरक्षित रखना होता है।
(ण) जंगल
(त) बट्टा लगना।

7. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर संबंधित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए।

एक आदमी को व्यर्थ बक-बक करने की आदत है। यदि वह अपनी आदत को छोड़ता है, तो वह अपने व्यर्थ बोलने के अवगुण को छोड़ता है। किंतु साथ ही। अनायास ही वह मितभाषी होने के सदगण को अपनाता चला जाता है। यह तो हुआ ‘हाँ’ पक्ष का उत्तर। किंतु एक दूसरे आदमी को सिगरेट पीने का अभ्यास है। वह सिगरेट पीना छोड़ता है और उसके बजाय दूध से प्रेम करना सीखता है, तो सिगरेट पीना छोड़ना एक अवगुण को छोड़ना है और दूध से प्रेम जोड़ना एक सद्गुण को अपनाना है। दोनों ही भिन्न वस्तुएँ हैं- पृथक-पृथक।

अवगुण को दूर करने और सद्गुण को अपनाने के प्रयत्न में, मैं समझता हूँ कि अवगणों को दर करने के प्रयत्नों की अपेक्षा सदगणों को अपनाने का ही महत्त्व अधिक है। किसी कमरे में गंदी हवा और स्वच्छ वायु एक साथ रह ही नहीं सकती। कमरे में हवा रहे ही नहीं, यह तो हो ही नहीं सकता। गंदी हवा को निकालने का सबसे अच्छा उपाय एक ही है-सभी दरवाजे और खिड़कियाँ खोलकर स्वच्छ वायु को अंदर आने देना।

अवगुणों को भगाने का सबसे अच्छा उपाय है, सद्गुणों को अपनाना। ऐसी बातें पढ-सनकर हर आदमी वह बात कहता सनाई देता है जो किसी समय बेचारे दुर्योधन के मुँह से निकली थी-

“धर्म जानता हूँ, उसमें प्रवृत्ति नहीं।
अधर्म जानता हूँ, उससे निवृत्ति नहीं।”

एक आदमी को कोई कुटेव पड़ गई- सिगरेट पीने की ही सही। अत्यधिक सिनेमा देखने की ही सही। बेचारा बहुत संकल्प करता है, बहुत कसमें खाता है कि अब सिगरेट न पीऊँगा, अब सिनेमा देखने न जाऊँगा, किंतु समय आने पर जैसे आप ही आप उसके हाथ सिगरेट तक पहुँच जाते हैं और सिगरेट उसके मुँह तक। बेचारे के पाँव सिनेमा की ओर जैसे आप-ही-आप बढ़े चले जाते हैं।

क्या सिगरेट न पीने का और सिनेमा न देखने का उसका संकल्प सच्चा नहीं? क्या उसने झूठी कसम खाई है? क्या उसके संकल्प की दृढ़ता में कमी है? नहीं, उसका संकल्प तो उतना ही दृढ़ है जितना किसी का हो सकता है। तब उसे बार-बार असफलता क्यों होती है?

इस असफलता का कारण और सफलता का रहस्य कदाचित इस एक ही उदाहरण से समझ में आ जाए।
जमीन पर एक छ: इंच या एक फुट लंबा-चौड़ा लकड़ी का तख्ता रखा है। यदि आपसे उस पर चलने के लिए कहा जाए तो आप चल सकेंगे?

कोई पूछे क्यों? आप इसके अनेक कारण बताएँगे। सच्चा कारण एक ही है। आप नहीं चल सकते, क्योंकि आप समझते है आप नहीं चल सकते। यदि आप विश्वास कर लें कि आप चल सकते हैं, और उसी लकड़ी के तख्ते को थोड़ा-थोड़ा जमीन से ऊपर उठाते हुए उसी पर चलने का अभ्यास करें तो आप उस पर बड़े आराम से चल सकेंगे। सरकस वाले पतले-पतले तारों पर कैसे चल लेते हैं? वे विश्वास करते हैं कि वे चल सकते हैं, तदनुसार अभ्यास करते हैं और वे चल ही लेते हैं।

यदि आप किसी अवगुण को दूर करना चाहते हैं, तो उससे दूर रहने के दृढ़ संकल्प करना छोड़िए, क्योंकि जब आप उससे दूर-दूर रहने की कसमें खाते हैं, तब भी आप उसी का चिंतन करते हैं। चोरी न करने का संकल्प भी चोरी का ही संकल्प है। पक्ष में न सही, विपक्ष में सही। है तो चोरी के ही बारे में। चोरी न करने की इच्छा रखने वाले को चोरी के संबंध में कोई संकल्प-विकल्प नहीं करना चाहिए।

हम यदि अपने संकल्प-विकल्पों द्वारा अपने अवगुणों को बलवान न बनाएँ तो हमारे अवगुण अपनी मौत आप मर जाएँगे।
आपकी प्रकृति चंचल है, आप अपने ‘गंभीर स्वरूप’ की भावना करें। यथावकाश अपने मनमें ‘गंभीर स्वरूप’ का चित्र देखें। अचिरकाल से ही आपकी प्रकृति बदल जाएगी।

प्रश्न
(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
(ख) ‘अनायास’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(ग) मितभाषी का विपरीतार्थक लिखिए।
(घ) “पृथक्’ और ‘अभ्यास’ के कौन-कौन से पर्यायवाची शब्द प्रयुक्त हुए
(ङ) गंदी हवा को दूर करने का सर्वोत्तम उपाय क्या है?
(च) अवगुण को दूर करने का सर्वोत्तम उपाय क्या है?
(छ) ‘धर्म जानता हूँ, उसमें प्रवृत्ति नहीं’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ज) ‘अधर्म जानता हूँ, उसमें निवृत्ति नहीं’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
(झ) लेखक अवगुणों को छोड़ने का संकल्प क्यों नहीं करना चाहता?
(ञ) अवगुण कब अपनी मौत मर जाते हैं?
(ट) ‘तुरंत’ या ‘शीघ्र’ के लिए किस नए शब्द का प्रयोग किया गया है।
(ठ) चंचल स्वभाव को छोड़ने के लिए क्या करना चाहिए?
(ड) ‘अनायास’ का संधिविच्छेद कीजिए।
उत्तर
(क) सद्गणों को अपनाने के उपाय।
(ख) बिना प्रयास किए।
(ग) अतिभाषी, वाचाल।
(घ) पृथक् – भिन्न
अभ्यास – आदत।
(ङ) गंदी हवा को दूर करने का सर्वोत्तम उपाय है- स्वच्छ हवा को आने देना।
(च) अवगुण को दूर करने का सर्वोत्तम उपाय है- सद्गुणों को अपनाना।
(छ) इसका आशय है- मैं धर्म के सारे लक्षण तो जानता हूँ किंतु उस ओर मेरा रुझान नहीं है। मैं धर्म को अपनाने में रुचि नहीं ले पाता।
(ज) इसका आशय है- मैं अधर्म के लक्षण जानता हूँ किंतु जानते हुए भी उनसे बच नहीं पाता। मैं अधर्म के कार्यों में फंस जाता हूँ।
(झ) लेखक अवगुणों को छोड़ने का संकल्प इसलिए नहीं करना चाहता क्योंकि उससे अवगुण और पक्के होते हैं। उससे अवगुण चिंतन के केंद्र में आ जाते हैं।
(ञ) अवगुणों के बारे में कोई निश्चय-अनिश्चय न किया जाए तो वे अपनी मौत स्वयं पर जाते हैं, अर्थात् अपने-आप नष्ट हो जाते हैं।
(ट) अचिरकाल
(ठ) चंचल स्वभाव को छोड़ने के लिए अपने सामने अपने गंभीर रूप की भावना करनी चाहिए।
(ड) अन +आयास।

8. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर संबंधित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

भारत वर्ष बहुत पुराना देश है। उसकी सभ्यता और संस्कृति भी बहुत पुरानी है। भारतवासियों को अपनी सभ्यता और संस्कृति पर बड़ा गर्व है। वैज्ञानिक आविष्कारों द्वारा प्राप्त नए साधनों को अपनाते हुए भी जब अनेक अन्य देशवासी अपने पुराने रहन-सहन और रीति-रिवाज को बदलकर नए तरीके से जीवन बिताने लगे तब भी भारतवासी अपनी पुरानी सभ्यता और संस्कृति पर डटे रहे और बहुत काल तक यह देश ऋषि मुनियों का देश ही कहलाता रहा। विश्व के मानव-जीवन के उस नए दौर का असर पूर्ण रूप से भारतवासियों पर पड़ा नहीं।

हवाई जहाज की सैर की सुविधा के मिलने के बाद भी पैदल की जाने वाली तीर्थ यात्राएँ होती ही रहीं। पाँच नक्षत्रवाले होटलों में ‘शावरबाथ’ की सुविधाओं के होते हुए भी गंगा-स्नान और संध्या-वंदन का दौर चलता ही रहा। कारण यह है कि जब जीवन में उन्नति के लिए अन्य देशवासी नए आविष्कारों और उनके द्वारा प्रदान की गई सुविधाओं के पीछे भाग रहे थे, तब भी भारतवासियों का अपने रीति-रिवाज और रहन-सहन पर पूरा विश्वास था और संपूर्ण रूप से नए आविष्कारों का शिकार होना नहीं चाहते थे। इसका कारण यह भी था कि विज्ञान के आविष्कारों के नाम से जीवन को आसान बनवाने वाली सुविधाओं को अपने देहाती ढंग से प्राप्त करके जीने का तरीका प्राचीन काल से भारतवासी जानते थे।

इसी भाँति छोटी क्षेत्रफल वाली जमीन को जोतने की बात तो अलग है। पर आज ट्रैक्टरों का इस्तेमाल करके विशाल क्षेत्रफल वाली भूमि को भी थोड़ी ही देर में आसानी से जोत डालने की सुविधा तो है। इसका मतलब यह नहीं था कि हमारे पूर्वज इस प्रकार की सुविधाओं के अभाव से विशाल क्षेत्रफल वाली भूमि को जोतते ही नहीं थे। उस जमाने में भी उस समय पर प्राप्त सामग्रियों का इस्तेमाल करके विशाल से विशाल भूमि को भी जोत डालते ही थे। ऐसी विशाल जमीन के चारों ओर सबसे पहले एक छोटे से द्वार मात्र को छोड़कर आट लगाते थे। पूरी जमीन पर जंगली पौधे अपने आप उग लेंगे ही। फिर सिर्फ एक रात्रि मात्र के लिए जमीन पर जंगली सूअरों को भगाकर द्वार बंद कर देते थे। पौधों की जड़ को खाने के उत्साह से जंगली सूअर जमीन खोदने लगेंगे। सुबह देखने पर पूरी जमीन जोतने के बराबर हो जाएगी। बाद में सूअरों को भगाकर जमीन समतल कर लेते थे। और खेती बारी करते थे।

उस कार्य के पीछे विज्ञान का नाम मात्र न था। यह कहना अत्युक्ति न होगी कि ट्रेक्टर नाम के इस नए आविष्कार के प्रेरक तो जंगली सूअर ही थे। कहने का तात्पर्य यह है कि प्राकृतिक साधनों का पूरा फायदा उठाना हमारे पूर्वज खूब जानते थे। बाद में वैज्ञानिकों ने जो सुविधाएँ प्रदान की थी, उनमें से अधिकांश को पूर्वकाल में ही प्रकृति पर निर्भर होकर हमारे पूर्वजों ने पा लिया था। यही कारण था कि नए आविष्कारों पर उन्हें इतना विस्मय न था जिनता अन्य देशवासियों को था। यही कारण था कि हम अपनी पुरानी सभ्यता और संस्कृति पर डटे रहे।

चिकित्सा और औषधियों के मामलों पर भी बात यही थी। रोगों से छुटकारा पाने के लिए जो काम आज दवा की गोलियाँ किया करती हैं, उसे जंगली बूटियाँ करती थीं। मृत व्यक्ति को जीवित कराने के लिए भी बूटियाँ उपलब्ध थीं। श्रीमद् रामायण में संजीवनी बूटी का जो उल्लेख हुआ है, वह इस बात का साक्षी है। प्राचीनकाल के सिद्ध जो थे, वे तपश्चर्या करने के साथ-साथ वैद्य का काम भी किया करते थे। पहाड़ियों में विचरण करना और विशिष्ट प्रकार की दवा बूटियों को ढूँढ लेना भी उनका काम था। विभिन्न प्रकार के रोगों के निवारण के लिए तरह-तरह की बूटियों को खोज रखा था उन्होंने। आज भी भारत के पहाड़ी इलाकों में बसे घने जंगलों में विभिन्न प्रकार के रोगों के लिए बूटियों का होना वैज्ञानिकों द्वारा मान लिया गया है।

प्रश्न
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखें।
(ख) आज तीर्थ-यात्राएँ किस प्रकार संपन्न की जाती हैं?
(ग) पाँच. नक्षत्र वाले होटल से क्या तात्पर्य है?
(घ) शावरबाथ और संध्या-वंदन शब्दों का अर्थ स्पष्ट करें।
(ङ) ट्रैक्टर से आविष्कार की प्रेरणा किस से मिली?
(च) रामायण में संजीवनी बूटी का प्रयोग किस पात्र पर किया गया?
(छ) अत्युक्ति का क्या आशय है?
(ज) साक्षी व तपश्चर्या शब्दों का अर्थ बताओ।
(झ) आट लगाना का क्या अर्थ है?
(ञ) भारतीय जन अपनी प्राचीन रीतियों को क्यो अपनाते चले आ रहे हैं?
(ट) ट्रैक्टर के आने से पहले भारतीय लोग अपनी विशाल धरती को किनकी सहायता से जोतते थे?
(ठ) प्राचीन भारत में दवा की गोलियों की बजाय किससे काम लिया जाता था?
(ड) संजीवनी बूटी किसे कहा जाता था?
(ढ) ‘भारतवासी’ का विग्रह करके समास का नाम लिखिए।
(ण) ‘रहन-सहन’ में कौन-सा समास है?
उत्तर
(क) महान भारतीय संस्कृति।
(ख) पैदल चलकर।
(ग) पाँच सितारा होटल। (Five Star Hotel)
(घ) शावरबाथ – फव्वारे द्वारा किया गया. स्नान संध्या-वंदन – सायंकाल होने वाली पूजा-अर्चना।
(ङ) ट्रैक्टर के आविष्कार के प्रेरक जंगली सूअर थे।
(च) संजीवनी बूटी का प्रयोग लक्ष्मण पर किया गया।
(छ) अत्युक्ति अर्थात् अत्यधिक बढ़ा-चढ़ा कर कहना।
(ज) साथी – गवाह तपश्चर्या – तप करने की क्रिया, तपस्या करना।
(झ) आट लगाना अर्थात् बाड़ लगाना, घेराबंदी करना।
(ञ) भारतीय जन अपनी रीतियों पर आस्था रखने के कारण ही उन्हें आज तक अपनाते चले आ रहे हैं।
(ट) ट्रैक्टर के आने से पहले भारतीय लोग अपनी विशाल धरती को सूअरों की सहायता से जोत डालते थे।।
(ठ) जड़ी-बूटियों और प्रभावकारी वनस्पतियों से।
(ड) वह बूटी, जिसे खाकर मरा हुआ मनुष्य भी जीवित हो उठता है।
(ढ) भारत का वासी; तत्पुरुष समास।
(ण) द्वंद्व समास।

9. नीचे दिये गये गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए:

शास्त्री जी की एक सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे एक सामान्य परिवार में पैदा हुए थे, सामान्य परिवार में ही उनकी परवरिश हुई और जब वे देश के प्रधानमंत्री जैसे महत्त्वपूर्ण पद पर पहुंचे, तब भी वह सामान्य ही बने रहे।’ विनम्रता, सादगी और सरलता उनके व्यक्तित्व में एक विचित्र प्रकार का आकर्षण पैदा करती थी। इस दृष्टि से शास्त्री जी का व्यक्तित्व बापू के अधिक करीब था और कहना न होगा कि बापू से प्रभावित होकर ही सन् 1921 ई० में उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ी थी। शास्त्री जी पर भारतीय चिन्तकों, डॉ. भगवानदास तथा बापू का कुछ ऐसा प्रभाव रहा कि वह जीवन-भर उन्हीं के आदर्शों पर चलते रहे और औरों को इसके लिए प्रेरित करते रहे। शास्त्री जी के संबंध में मुझे बाइबिल की वह उक्ति बिल्कुल सही जान पड़ती है कि विनम्र ही पृथ्वी के वारिस होंगे।

शास्त्री जी ने हमारे देश के स्वतंत्रता-संग्राम में तब प्रवेश किया था, जब वे एक स्कूल के विद्यार्थी थे और उस समय उनकी उम्र 17 वर्ष की थी। गाँधीजी के आह्ववान पर वे स्कूल छोड़कर बाहर आ गये थे। इसके बाद काशी विद्यापीठ में उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की। उनका मन हमेशा देश की आजादी और सामाजिक कार्यों की ओर लगा रहा। परिणाम यह हुआ कि सन् 1926 ई. में वे ‘लोक सेवा मंडल’ में शामिल हो गए, जिसके वे जीवन-भर सदस्य रहे। इसमें शामिल होने के बाद से शास्त्री जी ने गाँधी जी के विचारों के अनुरूप अछूतोद्वार के काम में अपने आपको लगाया। यहाँ से शास्त्री जी के जीवन का नया अध्याय प्रारंभ हो गया। सन् 1930 ई० में जब ‘नमक कानून तोड़ों आंदोलन’ शुरू हुआ, तो शास्त्रीजी ने उसमें भाग लिया जिसके परिणामस्वरूप उनहें जेल जाना पड़ा। यहाँ से शास्त्री जी की जेल-यात्रा की जो शुरूआत हुई तो वह सन् 1942 ई. में ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन तक निरंतर चलती रही। इन 12 वर्षों के दौरान वे सात बार जेल गये। इसी से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके अंदर देश की आजादी के लिए कितनी बड़ी ललक थी। दूसरी जेल-यात्रा उन्हें सन् 1932 ई. में किसान आंदोलन में भाग लेने के लिए करनी पडी। सन् 1942 ई. की उनकी जेल-यात्रा 3 वर्ष की था, जा सबस लंबी जेल-यात्रा थी।

इस दौरान शास्त्री जी जहाँ तक एक ओर गाँधीजी द्वारा बताये गये रचनात्मक कार्यों में लगे हुए थे, वहीं दूसरी ओर पदाधिकारी के रूप में जनसेवा के कार्यों में भी लगे रहे। इसके बाद के 6 वर्षों तक वे इलाहाबद की नगरपालिका से किसी न किसी रूप से जुड़े रहे। लोकतंत्र की इस आधारभूत इकाई में कार्य करने के कारण वे देश की छोटी-छोटी समस्याओं और उनके निराकरण की व्यावहारिक प्रक्रिया से अच्छी तरह परिचित हो गये थे। कार्य के प्रति निष्ठा और मेहनत करने की अदम्य क्षमता के कारण सन् 1937 ई० में वे संयुक्त प्रांतीय व्यवस्थापिका सभा के लिए निर्वाचित हुए। सही मायने में यहीं से शास्त्री जी के संसदीय जीवन की शुरुआत हुई, जिसका समापन, देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुँचने में हुआ।

प्रश्न
(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
(ख) शास्त्री जी के व्यक्तित्व को आकर्षक बनाने वाले गुण कौन-कौन से थे?
(ग) किस गुण के कारण शास्त्री जी का जीवन गाँधी जी के करीब था?
(घ) ‘विनम्र ही पृथ्वी के वारिस होंगे’ का क्या आशय है?
(ङ) शास्त्री जी ने स्वतंत्रता-आंदोलन में भाग लेने की शुरूआत कब से की?
(च) शास्त्री जी सन् 1942 ई० में किस सिलसिले में जेल गए?
(छ) बारह वर्षों के दौरान शास्त्री जी कितनी बार जेल गये?
(ज) शास्त्री जी ने जनसेवक के रूप में किस नगर की सेवा की?
(झ) किस ई० में शास्त्री जी संयुक्त प्रांतीय व्यवस्थापिका सभा के लिए निर्वाचित हुए?
(ञ) ‘अछूतोद्वार’ का सविग्रह समास बताएँ।
(ट) “ललक’ के दो पर्यायवाची शब्द लिखिए।
(ठ) इस गद्यांश से उर्दू के दो शब्द छाँटकर लिखिए।
उत्तर
(क) कर्मयोगी लाल बहादुर शास्त्री।
(ख) विनम्रता, सादगी और सरलता।
(ग) सादगी, सरलता और कर्मनिष्ठा के कारण।
(घ) प्रलयोपरांत विनम्र लोग ही बचेंगे जो धरती के सब सुख को भोग सकेंगे।
(ङ) 17 वर्ष की उम्र में विद्यार्थी जीवन से।
(च) भारत छोड़ो आंदोलन के सिलसिले में।
(छ) सात बार।
(ज) इलाहाबाद नगरपालिका की
(झ) 1932 ई.
(ञ) अछूतों का उद्वार-तत्पुरूष समास
(ट) ललक-उत्सुकता, व्यग्रतम।
(ठ) वारिस, परवरिश।

10. नीचे दिये गये गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

हँसी भीतरी आनन्द का बाहरी चिन्ह है। जीवन की सबसे प्यारी और उत्तम से-उत्तम वस्तु एक बार हँस लेना तथा शरीर को अच्छा रखने की अच्छी-से-अच्छी दवा एक बार खिलखिला उठना है। पुराने लोग कह गये हैं कि हँसो और पेट फुलाओ। हँसी कितने ही कला-कौशलों से भली है। जितना ही अधिक आनंद से हँसोगे उतनी ही आयु बढ़ेगी। एक यनानी विद्वान कहता है कि सदा अपने कर्मों खींझने वाला हेरीक्लेस बहुत कम जिया. पर प्रसन्न मन डेमोक्रीटस 109 वर्ष तक जिया। हँसी-खुशी ही का नाम जोवन है। जो रोते हैं, उनका जीवन व्यर्थ है। कवि कहता है ‘जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है. मर्दादिल खाक जिया करते हैं।

मनुष्य के शरीर के वर्णन पर एक विलायती विद्वान ने एक पुस्तक लिखी है। उसमें वह कहता है कि उत्तम सुअवसर की हँसी उदास-से-उदास मनुष्य के चित्त को प्रफुल्लित कर देती है। आनन्द एक ऐसा प्रबल इंजन है कि उससे शोक और दुःख की दीवारों को ढा सकते हैं। प्राण-रक्षा के लिए सदा सब देशों में उत्तम-से-उत्तम मनुष्य के चित्त को प्रसन्न रखना है। सुयोग्य वैद्य अपने रोगी के कानों में आनंदरूपी मंत्र सुनाता है।

एक अँगरेज डॉक्टर कहता है कि किसी नगर में दवाई लदे हुए बीस गधे ले जाने से एक हँसोड़ आदमी को ले जाना अधिक लाभकारी है। डॉक्टर हस्फलेंड ने एक पुस्तक में आयु बढ़ाने का उपाय लिखा है। वह लिखता है कि हँसी बहुत उत्तम चीज है। यह पाचन के लिए है। इससे अच्छी औषधि और नहीं है। एक रोगी ही नहीं, सबके लिए हँसी बहुत काम की वस्तु है। हँसी शरीर के स्वास्थ्य का शुभ संवाद देने वाली है। वह एक साथ ही शरीर और मन को प्रसन्न करती है। पाचन-शक्ति बढ़ाती है, रक्त को चलाती और अधिक पसीना लाती है।

हँसी एक शक्तिशाली दवा है। एक डॉक्टर कहता है कि वह जीवन की. मीठी मदिरा है। डॉक्टर यूंड कहता है कि आनन्द से बढ़कर बहुमूल्य वस्तु मनुष्य के पास और नहीं है। कारलाइस एक राजकुमार था। वह संसार त्यागी हो गया था। वह कहता है कि जो जी से हँसता है, वह कभी बुरा नहीं होता। जी से हँसो, तुम्हें अच्छा लगेगा। अपने मित्र को हँसाओ, वह अधिक प्रसन्न होगा। शत्रु को हँसाओ, तुमसे कम घृणा करेगा। एक अनजान को हँसाओ, तुम पर भरोसा करेगा। उदास को हँसाओ, उसका दु:ख घटेगा। निराश को हँसाओ, उसकी आयु बढ़ेगी। एक बालक को हँसाओ, उसके स्वास्थ्य में वृद्धि होगी। वह प्रसन्न और प्यारा बालक बनेगा। पर हमारे जीवन का उद्देश्य केवल हँसी ही नहीं, हमको बहुत काम करने हैं, तथापि उन कामों में, कष्टों में और चिन्ताओं में एक सुन्दर आन्तरिक हँसी बड़ी प्यारी वस्तु भगवान ने दी है।

प्रश्न
(क) हँसी भीतरी आनन्द को कैसे प्रकट करती है?
(ख) पुराने समय में लोगों ने हँसी को महत्त्व क्यों दिया?
(ग) हँसी को एक शक्तिशाली इंजन की तरह क्यों माना गया है?
(घ) हेरीक्लेस और डेमोक्रीटस के उदाहरण से लेखक क्या स्पष्ट करना चाहते हैं?
(ङ) एक अँगरेज डॉक्टर ने क्या कहा है?
(च) डॉक्टर हस्फलेंड ने एक पुस्तक में आयु बढ़ाने का क्या उपाय लिखा है?
(छ) हँसी किस प्रकार एक शक्तिशाली दवा है?
(ज) इस गद्यांश में हँसी का क्या महत्त्व बताया गया है?
(झ) हँसी सभी के लिए उपयोगी किस प्रकार है?
(ञ) मित्र मंडली’ का सविग्रह समास बनायें।
(ट) ‘प्रफुल्लित’ शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय अलग कीजिए।
(ठ) ‘तथापि’ का संधि-विच्छेद कीजिए।
उत्तर
(क) हँसी भीतरी आनन्द का बाहरी चिन्ह है। हँसी जीवन में उल्लास, उमंग और प्रसन्नता का संचार करती है।
(ख) पुराने समय में लोगों ने हँसी को महत्त्व इसीलिए दिया कि हँसी अनेक कला-कौशलों से अच्छी है। .
(ग) हँसी को एक शक्तिशाली इंजन की तरह इसीलिए माना गया है क्योंकि उससे शोक और दुःख की दीवारों को ढाया जा सकता है।
(घ) लेखक यही स्पष्ट करना चाहते हैं कि प्रसन्नता आय को बढाती है।
(ङ) एक अँगरेज डॉक्टर ने कहा है कि किसी नगर में दवाई लदे हुए बीस गधे ले जाने से एक हँसोड़ आदमी को ले जाना अधिक लाभकारी है।
(च) उसने लिखा है कि हँसी बहुत उत्तम चीज है। वह पाचन के लिए है। इससे अच्छी औषधि और नहीं है।
(छ) हँसी पाचन-शक्ति बढ़ाती है, रक्त को चलाती है और अधिक पसीना लाती है।
(ज) हँसी सर्वोत्तम औषधि है। हँसी प्राणदायक तथा आयु-वर्द्धक है।
(झ) सचमुच हँसी सभी के लिए उपयोगी है। यह उदास और निराश व्यक्ति में प्रसन्नता और आशा का संचार करती है।
(ञ) मित्र-मंडली = मित्रों की मंडली-तत्पुरुष समास।
(ट) इत (प्रत्यय)।
(ठ) तथा + अपि।

प्रश्न 11.
नीचे दिये गये गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए।

तुम्हें क्या करना चाहिए, इसका ठीक-ठीक उत्तर तुम्हीं को देना होगा, दूसरा कोई नहीं दे सकता। कैसा भी विश्वास-पात्र मित्र हो, तुम्हारे इस काम को वह अपने नहीं दे सकता। कैसा भी विश्वास-पात्र मित्र हो, तुम्हारे इस काम को वह अपने ऊपर नहीं ले सकता। हम अनुभवी लोगों की बातों को आदर के साथ सुने, बुद्धिमानों की सलाह को कृतज्ञतापूर्वक मानें, पर इस बात को निश्चित समझकर कि हमारे कामों से ही हमारी रक्षा व हमारा पतन होगा, हमें अपने विचार और निर्णय की स्वतंत्रता को दृढ़तापूर्वक बनाये रखना चाहिए। जिस पुरूष की दृष्टि सदा नीची रहती है, उसका सिर कभी ऊपर न होगा। नीची दृष्टि रखने से यद्यपि रास्ते पर रहेंगे, पर इस बात को न देखेंगे कि यह रास्ता कहाँ ले जाता है। चित्त की स्वतंत्रता का मतलब चेष्टी की कठोरता या प्रकृति की उग्रता नहीं है। अपने व्यवहार में कोमल रहो और अपने उद्देश्यों को उच्च रखो. इस प्रकार नम्र और उच्चाशय दोनों बनो। अपने मन को कभी मरा हुआ न रखों। जो मनुष्य अपना लक्ष्य जितना ही ऊपर रखता है, उतना ही उसका तीर ऊपर जाता है।

संसार में ऐसे-ऐसे दृढ़ चित्त मनुष्य हो गये हैं जिन्होंने मरते दम तक सत्य की टेक नहीं छोड़ी, अपनी आत्मा के विरूद्ध कोई काम नहीं किया। राजा हरिश्चंद्र के ऊपर इतनी-इतनी विपत्तियाँ आयीं, पर उन्होंने अपना सत्य नहीं छोड़ा। उनकी प्रतिज्ञा यही रही-

“चंद्र टरै, सूरज टरै, टरै जंगत व्यवहार।
पै दृढ़ श्री हरिश्चंद्र कौ, टरै न सत्य विचार।।”

महाराणा प्रताप सिंह जंगल-जंगल मारे-मारे फिरते थे, अपनी स्त्री और बच्चों को भूख से तड़पते देखते थे, परंतु उन्होंने उन लोगों की बात न मानी जिन्होंने उन्हें अधीनतापूर्वकं जीते रहने की सम्मति दी, क्योंकि वे जानते थे कि अपनी मर्यादा की चिंता जितनी अपने को हो सकती है उतनी दूसरे को नहीं। एक इतिहासकार कहता है-“प्रत्येक मनुष्य का भाग्य उसके हाथ में है। प्रत्येक मनुष्य अपना जीवन-निर्वाह श्रेष्ठ रीति से कर सकता है। यही मैंने किया है और यदि अवसर मिले तो यही करूँ। इसे चाहे स्वतंत्रता कहो ‘चाहे आत्मा-निर्भरता कहो’ चाहे स्वावलंबन कहो, जो कुछ कहो वही भाव है जिससे मनुष्य और दास में भेद जान पड़ता है, यह वही भाव है जिसकी प्रेरणा से राम-लक्ष्मण ने घर से निकल बड़े-बड़े पराक्रमी वीरों पर विजय प्राप्त की यह वही भाव है जिसकी प्रेरणा से कोलंबस ने अमेरिका समान बडा महाद्वीप ढूंढ निकाला। चित्त की इसी वृत्ति के बल पर कुंभनदास ने अकबर के बुलाने पर फतेहपुर सीकरी जाने से इनकार किया और कहा था-

‘मोको कहा सीकरी सो काम।’ ।
इस चित्त वृत्ति के बल पर मनुष्य इसीलिए परिश्रम के साथ दिन काटता है और दरिद्रता के दु:ख को झेलता है। इसी चित्त-वृत्ति के प्रभाव से हम प्रलोभनों का निवारण करके उन्हें सदा पद-दलित करते हैं। कुमंत्रणाओं का निस्तार करते हैं और शुद्ध चरित्र के लोगों से प्रेम और उनकी रक्षा करते हैं।

प्रश्न
(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
(ख) लेखक नीची दृष्टि न रखने की सलाह क्यों देते हैं?
(ग) मन को मरा हुआ रखने का क्या आशय है?
(घ) किसका तीर ऊपर जाता है और क्यों?
(ङ) महाराणा प्रताप ने गुलामी स्वीकार करने की सलाह क्यों नहीं मानी?
(च) कोलंबस और हनुमान ने किस गुण के बल पर महान कार्य किये?
(छ) मनुष्य किस आधार पर प्रलोभनों को पद-दलित कर पाते हैं?
(ज) टेक का पर्यायवाची इसी गद्यांश से ढूँढ़कर लिखिए।
(झ) विश्वासपात्र और पतन का विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए।
(ञ) सम्मति का उपसर्ग अलग कीजिए।
(ट) आत्मनिर्भरता का पर्यायवाची लिखिए।
(ठ) श्रेष्ठ, उत्तम, दृढ और उच्च में से अलग अर्थ वाले शब्द को चुनकर लिखिए।
उत्तर
(क) आत्मनिर्भरता का महत्त्व।
(ख) नीची दृष्टि रखने से मनुष्य को उन्नति पाने में बाधा होती है।
(ग) मन को उत्साहहीन, निराश, उदास और पराजित बनाये रखना।
(घ) जिसका लक्ष्य जितना ऊँचा होता है, उसका तीर उतना ही ऊपर जाता है क्योंकि लक्ष्य ऊँचा रखने से ही प्रयत्न का अवसर प्राप्त हो पाता है।
(ङ) महाराणा प्रताप जानते थे कि व्यक्ति को अपनी मर्यादा अपने कर्म से बनानी होती है। इसीलिए उन्होंने गुलामी स्वीकार करने की सलाह नहीं मानी।
(च) आत्मनिर्भरता के बल पर।
(छ) स्वावलंबन के आधार पर।
(ज) टेक = प्रतिज्ञा, संकल्प आन।
(झ) विश्वासपात्र = विश्वासघाती। पतन = उत्थान।
(ञ) सम्
(ट) आत्मनिर्भरता = स्वावलंबन, स्वतंत्रता।

12. नीचे दिये गये गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए

सालों पहले कुशीनगर गया था। वहाँ बुद्ध की लेटी हुई प्रतिमा के पास खड़े होकर एक अलग किस्म का अनुभव हुआ था। उस वक्त तो ठीक-ठीक नहीं समझ पाया था लेकिन बाद में मुझे महसूस हुआ कि वहाँ एक अलग तरह की शांति मिली थी। अब किसी भी बुद्ध प्रतिमा को देखता हूँ तो असीम शांति का अहसास होता है। वहाँ खड़े होकर आपको महसूस होता है कि उन्हें करुण का महासागर क्यों कहा जाता है?

अक्सर सोचता हूँ कि असीम शांति कैसे हासिल हो सकती है? क्या दुख को साधे बिना उसे पाया जा सकता है? आखिर बुद्ध ने जब दुख को साधा तभी तो वह असीम शांति का अनुभव कर सके।

शायद बुद्ध के वजह से ही बौद्ध धर्म या दर्शन ने दुख या मानवीय पीड़ा पर इतना विचार किया। दरअसल, बौद्ध या दर्शन तो पीड़ा और दुख से ही निकल कर. आया था। बुद्ध का पूरा जीवन ही उस दुख और पीड़ा से जूझने में बीता।

बुद्ध ने अपने पूर्वजों की तरह दुख को नकारा नहीं था। जीवन में दुख को स्वीकार करने की वजह से ही वह अपने पार पाने की सोच सके। और उस दुख से पार पाने के लिए तथागत ने किसी चमत्कार या करिश्मे का सहारा नहीं लिया।

सचमुच बुद्ध ने कोई चमत्कार नहीं किया। आमतौर पर धर्म और अध्यात्म की दुनिया तो चमत्कार को एक जरूरी चीज के तौर पर मानती रही है। हाल का उदाहरण मदर टेरेसा का है। मदर को ही कैथोलिक चर्च ने चमत्कार के बिना संत कहाँ माना था?

बुद्ध ही अपने बेटे को खो चुकी और चमत्कार की आस में आयी माँ से कह सकते थे कि जाओ गाँव में किसी घर से एक मुट्ठी चावल ले आओ जहाँ कोई मौत न हुई हो।

अपने बेटे को खो चुकी माँ के लिए उन्होंने कोई चमत्कार नहीं किया था। महज एक उदाहरण से समझा दिया था कि मौत या दुख एक सच्चाई है। उसे कोई चमत्कार बदल नहीं सकते साथ जीने की कोशिश करनी होती है।

इसलिए बुद्ध ही कह सकते थे कि जीवन है तो दुख है। यानी आप दुख से बच ही नहीं सकते। लेकिन यह भी बुद्ध ही कह सकते थे कि जीवन है तो दुख है लेकिन उससे पार पाना ही जीवन है।

उस दुख से पार पाने के लिए बुद्ध किसी भी शरण में जाने को नहीं कहते हैं। वह तो ‘अप्प दीपो भव’ यानी अपने दीपक खुद बनों का मंत्र देते हैं।
मतलब, दुख को भी अपनी निगाहों से देखो। दुख अगर अंधेरा है तो अपने दीपक से उस अंधेरे को हटाओ। किसी और दीपक की रोशनी में न तो अपने दुखों को देखो न ही अपने दुखों को हटाने के लिए दूसरी रोशनी को बाट जोहो। आज बुद्ध पूर्णिमा है। क्या हमें अपने दीपक और उसकी रोशनी में जिंदगी को देखने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

प्रश्न
(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए?
(ख) लेखक को बुद्ध की प्रतिमा के सामने कैसा अनुभव हुआ?
(ग) बुद्ध असीम शांति का अनुभव कब कर सके?
(घ) बद्ध ने अपना परा जीवन किससे जझने में व्यतीत कर दिया?
(ङ) दुख से पार पाने के लिए बुद्ध ने क्या किया?
(च) अपने मरे हुए बेटे को चमत्कार की आशा में आयी माँ को बुद्ध ने क्या कहा?
(छ) बुद्ध ने जीवन किसे माना है?
(ज) इस गद्यांश में दुख से पार पाने का क्या उपाय बताया गया है?
(झ) ‘अप्प दीप्पो भव’ का अर्थ है?.
(ञ) ‘बाट जोहना’ मुहाबरे का वाक्य-प्रयोग द्वारा अर्थ स्पष्ट कीजिए।
(ट) ‘मौत’ के दो पर्यायवाची शब्द लिखिए।
(ठ) ‘चमत्कार’ का संधि-विच्छेद कीजिए।
उत्तर
(क) जीवन में दुख।
(ख) असीम शांति का अनुभव।
(ग) जब से दुख को साधने में सफल हुए।
(घ) दुख और पीड़ा से।।
(ङ) उन्होंने दुख को नकारने की अपेक्षा उसे स्वीकार किया और घोर तपस्या की।
(च) उन्होंने कहा कि जाओ गाँव में किसी घर में एक मुट्ठी चावल ले आओ, जहाँ कोई मौत न हुई हो।
(छ) बुद्ध ने दुख से पार पाने को ही जीवन माना है।
(ज) दुख से पार पाने के लिए दीपक स्वयं बनने का उपाय बताया गया है। (झ) अपना दीपक स्वयं बनों।
(ञ) बाट जोहना (प्रतीक्षा करना) = गोपियाँ निरन्तर कृष्ण आगमन की बाट जोहती रहती थीं।
(ट) मौत = मृत्यु, देयत, देहावसान, निधन, स्वर्गवास।
(ठ) चमत् + कार (व्यंजन संधि)।

2. वर्णनात्मक गद्यांश [8 अंक]

1. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर संबंधित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

कहने को चाहे भारत में स्वशासन हो और भारतीयकरण का नाम हो, किंतु वास्तविकता में सब ओर आस्थाहीनता बढ़ती जा रही है। मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों या चर्च में बढ़ती भीड़ और प्रचार माध्यमों द्वारा मेलों और पर्वो के व्यापक कवरेज से आस्था के संदर्भ में कोई भ्रम मत पालिए, क्योंकि यह सब उसी प्रकार भ्रामक है जैसे लगे रहो मुन्ना भाई की गाँधीगीरी।

वास्तविक जीवन में जिस आचरण की अपेक्षा व्यक्ति या समूह से की जाती है उसकी झलक तक पाना मुश्किल हो गया है। यही कारण है कि गाँधीगीरी की काल्पनिक अवधारणा से महत्त्व पाने के लिए कुछ लोगों की नौटंकी की वाहवाही । प्रचार माध्यमों ने जमकर की, लेकिन अब गाँधी जयंती बीतने के बाद न तो कोई । गुलाब का फूल भेंट करता दिखाई देता है और न ही कोई छूट वाले काउंटरों से गद्यांश (8 अंक) गाँधी टोपी ही खरीदता नजर आता है।

गाँधी को ‘गौरी’ के रूप में आँकने के सिनेमाई कथानक का कोई स्थायी प्रभाव हो भी नहीं सकता। फिल्म उत्तरी और प्रभाव चला गया। गाँधी को बाह्य आवरण से समझने के कारण वर्षों से हम दो अक्टूबर और तीस जनवरी को कुछ आडंबर अवश्य करते चले आ रहे हैं, लेकिन जिन जीवन-मल्यों के प्रति आस्थावान होने की हम सौगंध खाते हैं और उन्हें आचरण में उतारने का संकल्प व्यक्त करते हैं उसका लेशमात्र प्रभाव भी हमारे आस-पास के जीवन में प्रतीत नहीं होता। जिसे हमने स्वतंत्रता के लिए संग्राम की संज्ञा दी थी उस संपूर्ण प्रयास को गाँधीजी ने स्वराज्य के लिए अभियान की संज्ञा प्रदान की थी।

स्वतंत्रता के लिए संघर्ष और स्वराज्य के लिए अभियान का अंतर अतीत का संज्ञान रखने वाले ही समझ सकते हैं। विदेशियों के सत्ता में रहने के बावजद हम स्वतंत्र थे, क्योकि हमारी आस्था ‘स्व’ में निरंतर प्रगाढ़ होती जा रही थी। ‘स्व’ में आस्था की प्रगाढ़ता के लिए निरंतर प्रयास होते रहे। इसीलिए गाँधी जी का अभियान स्वराज्य का था. बतंत्रता का नहीं। उसके स्वराज्य की भी एक निश्चित अवधारणा थी। सर्वसाधारण को वह अवधारणा समझ में आ सके, इसलिए उन्होंने कहा था कि हमारा स्वराज्य रामराज्य होगा। ।

जिस सादे जीवन और उच्च विचार को आधार बनाकर वे भारत को आध्यात्मिक गुरु के रूप में विश्व के समक्ष खड़ा करना चाहते थे उस भारत की ‘स्व शासन’ व्यवस्था ने भौतिक भूख की आग को इतना अधिक प्रज्ज्वलित कर दिया है कि अब हमने येन-केन-प्रकारेण सफलता हासिल करने के लिए जीवन के सभी क्षेत्रों में अपने स्थापित मूल्यों को तिलांजलि दे दी है।

1. इस अनुच्छेद का उचित शीर्षक दीजिए।
2. किस बात को नौटंकी कहा गया है और क्यों?
3. दो अक्टूबर और तीस जनवरी किसलिए विशेष है?
4. स्वराज्य और स्वतंत्रता में क्या अंतर है?
5. गाँधी जी कैसा स्वराज्य चाहते थे?
6. स्वशासन व्यवस्था ने. कौन-सी विसंगति दी है?
7. ‘संग्राम’ के लिए किस पर्यायवादी शब्द का प्रयोग हुआ है? “तिलांजलि देना’ मुहावरे का वाक्य में प्रयोग कीजिए। .
उत्तर
(1) शीर्षक : गाँधीगीरी की काल्पनिक अवधारणा अथवा उपेक्षित गाँधी
(2) गाँधीगीरी की काल्पनिक अवधारणा से महत्त्व पाने के लिए कुछ लोगों द्वारा किए गए प्रयास को नौटंकी कहा गया है।
(3) दो अक्टूबर को गाँधी जी के जन्म दिन पर गाँधी जयन्ती मनाई जाती है, तीस जनवरी को उनकी हत्या कर दिए जाने की स्मृति में निर्वाण दिवस मनाया जाता है।
(4) ‘स्वराज्य’ का अर्थ है रामराज्य के आधार पर स्वार्थ एवं अनाचार रहित आदर्श राज्य-व्यवस्था जबकि स्वतन्त्र का अर्थ है अन्य शासन व्यवस्था से मुक्ति, ‘स्व’ अर्थात् स्वयं को, “तन्त्र” अर्थात् शासन-व्यवस्था (प्रणाली) से विमुक्त होना।
(5) गाँधी जी रामराज्य के समान आदर्श स्वराज्य चाहते थे क्योंकि उन्होंने ‘स्वराज्य’ को अभियान की संज्ञा दी थी।
(6) स्वशासन-व्यवस्था ने भौतिक भूख की आग को इतना अधिक प्रज्जवलित कर दिया है कि अब हमने किसी भी प्रकार से सफलता हासिल करने __के लिए जीवन के सभी क्षेत्रों में अपने स्थापित मूल्यों को तिलांजलि दे दी है।
(7) ‘संघर्ष’
(8) क्षणिक सुख की प्राप्ति के लिए हमें नैतिक-मूल्यों को तिलांजलि नहीं देना चाहिए।

2. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर संबंधित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

जिसने अपनी परी जिंदगी देश सेवा में अर्पित कर दी हो. उसके आदर्शों का मूल्यांकन करना आसान है क्या? आप मिलें तो मालूम होगा कि इस वृद्धा की आत्मा समाज को कुछ देने के लिए आज भी कितनी बेचैन है। यही बेचैनी भाभी की जिंदगी है और पागलपन भी। कभी देश के लिए इसी तरह पागल होकर उन्होंने अपना सर्वस्व दाँव पर लगा दिया था।

शिव दा बताते हैं कि जब दुर्गा भाभी के पति भगवतीचरण . बोहरा 1930 में रावी तट पर बम विस्फोट में शहीद हो गए, तो भाभी ने डबडबाई आँखों को चुपचाप पोंछ डाला था। उस दिन भैया चंद्रशेखर आजाद ने धैर्य बँधाते हुए कहा था- “भाभी, तुमने देश के लिए अपना सर्वस्व दे दिया है। तुम्हारे प्रति हम अपने कर्तव्य को कभी नहीं भूलेंगे।” भैया आजाद का स्वर सुनकर भाभी के होंठों पर दृढ़ संकल्प की एक रेखा खींच गई थी उस दिन। वे उठ बैठीं। बोली- “पति नहीं रहे, लेकिन दल का काम चलेगा, रुकेगा नहीं। मैं करूँगी।” और भाभी दूने वेग से क्रांति की राह पर चल पड़ी। उनका पुत्र शची तब तीन वर्ष का था, पर उन्होंने उसकी परवाह नहीं की। वे बढ़ती गई, जिस राह पर जाना था उन्हें। रास्ते में दो पल बैठकर कभी सुस्ताया नहीं। दाँव देखकर कहीं ठहरी नहीं। चलती रहीं- निरंतर। जैसे चलना ही उनके लिए जीवन का ध्येय बन गया हो। भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त को जेल से छुड़ाने के लिए आजाद और उनके साथी जब चले, तो भाभी ने आज़ाद से आग्रह किया-“संघर्ष में मुझे भी चलने दीजिए। यह हक सर्वप्रथम मेरा है।”

आजाद ने इसकी स्वीकृति नहीं दी। यह योजना कामयाब भी नहीं हो पाई। कहा जाता है कि भगत सिंह ने स्वयं इसके लिए मना कर दिया था। भाभी जेल में भगतसिंह से मिलीं। फिर लाहौर से दिल्ली पहुंची। गाँधी जी वहीं .. थे। यह करांची कांग्रेस से पहले की बात है। भगतसिंह की रिहाई के सवाल को लेकर

भाभी गाँधी जी के पास गईं। रात थी कोई साढ़े ग्यारह का वक्त था। बैठक चल रही थी। नेहरू जी वहीं घूम रहे थे। वे सुशीला दीदी और भाभी को लेकर अंदर गए। गाँधी जी ने देखा तो कहा “तुम आ गई हो। अपने को पुलिस को दे दो। मैं छुड़ा लूँगा।” ___गाँधी जी समझे कि वे संकट से मुक्ति पाने आई हैं। भाभी तुरंत बोली-“मैं इसलिए नहीं आई दरअसल, मैं चाहती हूँ कि जहाँ आप अन्य राजनीतिक कैदियों को छुड़ाने की बात कर रहे हैं, वहाँ भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को छुड़ाने की शर्त वाइसराय के सामने रखें।”

प्रश्न
(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
(ख) भाभी के जीवन की बैचेनी क्या है?
(ग) सर्वस्व दाँव पर लगाने का आशय स्पष्ट कीजिए।
(घ) भाभी गाँधी जी से किसलिए मिलीं?
(ङ) आजाद ने भाभी को किस बात की स्वीकृति नहीं दी?
(च) भाभी कभी ढीली नहीं पड़ी- इसके लिए कौन-सा वाक्य प्रयोग किया गया है?
(छ) ‘रिहाई’ का आशय स्पष्ट कीजिए।
(ज) ‘कामयाब’ के लिए संस्कृत शब्द लिखिए।
उत्तर
(क) शीर्षक : देश सेवा |
(ख) भाभी समाज को कुछ देने के लिए बेचैन हैं।
(ग) दुर्गा भाभी के पति श्री भगवती चरण बोहरा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बम-विस्फोट में शहीद हो गए, अत्यन्त संघर्षमय जीवन का सामना भाभी ने किया किन्तु निराश नहीं हुईं, हार नहीं मानी। सर्वस्व दाँव पर लगाने का आशय यही है।
(घ) भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु जेल की सजा काट रहे थे। भाभी गाँधी जी से इसलिए मिलने गईं कि वे उन तीनों को छुड़ाने का प्रयास करें।
(ङ) भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त को जेल से छुड़ाने के लिए चन्द्रशेखर आज़ाद एवं उनके साथी जब जाने लगे तो भाभी ने भी साथ चलने का आग्रह किया, किन्तु आजाद ने इसकी स्वीकृति नहीं दी।
(च) ‘वे चलती गई, जिस राह पर जाना था उन्हें।’ इस संदर्भ में अन्य वाक्य है,रास्ते में दो पल बैठकर सुस्ताया नहीं, दाँव देखकर कभी ठहरी नहीं, चलती रही- निरंतर!
(छ) रिहाई का आशय है जेल से ‘मुक्त’ होना या ‘मुक्त कराना’ (छुड़ाना)।
(ज) सफल

3. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए

शिक्षा का लक्ष्य है संस्कार देना। मनुष्य के शारीरिक, मानसिक तथा भावात्मक विकास में योगदान देना शिक्षा का मुख्य कार्य है। शिक्षित व्यक्ति अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहता है। स्वच्छता को जीवन में महत्व देता है और उन सब बुराइयों से दूर रहता है जिनसे स्वास्थ्य को हानि पहुँचती है। रुग्न शरीर के कारण शिक्षा में बाधा पड़ती है।

शिक्षा हमारे ज्ञान का विस्तार करती है। ज्ञान का प्रकाश जिन खिड़कियों से प्रवेश करता है उन्हीं से अज्ञान और रूढ़िवादिता का अंधकार निकल भागता है। शिक्षा के द्वारा मनुष्य अपने परिवेश को पहचानने और समझने में सक्षम होता है। विश्व में ज्ञान का जो विशाल भंडार है उसे शिक्षा के माध्यम से ही हम प्राप्त कर सकते हैं। सृष्टि के रहस्यों को खोलने की कुंजी शिक्षा ही है। अशिक्षित व्यक्तियों, रूढ़ियों, अंधविश्वासों एवं कुरीतियों का शिकार हो सकता है। शिक्षा हमारी भावनाओं का संस्कार भी करती है। साहित्य और कलाओं में हमारी संवेदनशीलता तीव्र होती है। शिक्षा हमारे दृष्टिकोण को उदार बनाती है। समाज मानवीय संबंधों का ताना-बाना है। व्यक्ति और समाज का संबंध अत्यंत गहरा है। व्यक्ति के अभाव में समाज का अस्तित्व ही संभव नहीं और समाज के अभाव में सभ्य मनुष्य की कल्पना कर सकना भी असंभव है। जो संबंध रेत के कणों और रेत के ढेर में होता है वही संबंध व्यक्ति और समाज में होता है।

रेत के कण अपना अलग-अलग अस्तित्व रखते हुए भी रेत के ऐर का निर्माण करते हैं। प्यासा आदमी कुंए के पास जाता है, यह बात निर्विवाद है। परंतु सत्संगति के लिए यह आवश्यक नहीं है कि आप सज्जनों के पास जाएं और उनकी संगति प्राप्त करें। घर बैठे-बैठे भी आप सत्संगति का आनंद लूट सकते हैं। यह बात पुस्तकों द्वारा संभव है। हर कलाकार और लेखक को जन-साधारण से एक विशेष बुद्धि मिली है। इस बुद्धि का नाम प्रतिभा है। पुस्तक निर्माता अपनी प्रतिभा के बल से जीवन भर से संचित ज्ञान को पुस्तक के रूप में उंडेल देता है। जब हम घर की चारदीवारी में बैठकर किसी पुस्तक का अध्ययन करते हैं तब हम एक अनुभवी और ज्ञानी सज्जन की संगति में बैठकर ज्ञान प्राप्त करते हैं। नित्य नई पुस्तक का अध्ययन हमें नित्य नए सज्जन की संगति दिलाता है। इसलिए विद्वानों ने स्वाध्याय को विशेष महत्व दिया है। घर बैठे-बैठे सत्सगति दिलाना पुस्तकों की सर्वश्रेष्ठ उपयोगिता है।

प्रश्न
(i) घर बैठे-बैठे सत्संगति का लाभ किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है?
(ii) हर पुस्तक में संचित ज्ञान अलग-अलग प्रकार का क्यों होता है?
(iii)पुस्तकों की सर्वश्रेष्ठ उपयोगिता क्या है?
(iv) उचित शीर्षक लिखिए।
(v) लेखक पुस्तकों को उपयोगी कैसे बनाते हैं?
(vi) शिक्षा का लक्ष्य क्या है?
(vii) शिक्षा में बाधा किससे पड़ती है?.
(viii) रूढ़िवादिता कैसे दूर हो सकती है?
उत्तर
(i) घर बैठे-बैठे हम सत्संगति का लाभ पुस्तकों द्वारा प्राप्त कर सकते है।
(ii) हर पुस्तक में संचित ज्ञान अलग-अलग प्रकार का होता है। इसका कारण हर लेखक को जनसाधारण से एक विशेष बुद्धि प्राप्त होती है। वह अपने जीवन के संचित ज्ञान को अपने ढंग से पुस्तक द्वारा प्रकट करता है।
(iii) पुस्तकों की सर्वश्रेष्ठ उपयोगिता सत्संगति का लाभ उपलब्ध कराना है।
(iv) शीर्षक :”शिक्षा का लक्ष्य”
(v) लेखक अपनी विद्वता द्वारा अपने संचित अनुभवों को पुस्तकों के माध्यम से जन-साधारण के लिए उपयोगी बनाते हैं।
(vi) शिक्षा का लक्ष्य शारीरिक, मानसिक तथा भावात्मक विकास द्वारा जनसाधारण में संस्कार का निर्माण (सृष्टि) करना होता है।
(vii) रुग्न शरीर के कारण शिक्षा में बाधा पड़ती है।
(viii) शिक्षा हमारे ज्ञान का विकास तथा विस्तार करती है जिसके द्वारा रुढ़िवादिता दूर हो सकती है।

4. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:

वर्तमान समाज में सर्वत्र. अव्यवस्था का साम्राज्य फैला हुआ है। विद्यार्थी, राजनेता, सरकारी कर्मचारी, श्रमिक आदि सभी स्वयं को स्वतंत्र भारत का नागरिक मानकर मनमानी कर रहे हैं। शासन में व्याप्त अस्थिरता समाज के अनुशासन को भी प्रभावित कर रही है। यदि किसी को अनुशासन में रहने के लिए कहा जाये तो वह ‘शासन का अनुसरण’ करने की बात कह कर अपनी अनुशासनहीनता पर पर्दा डालने का प्रयास करता है। वास्तव में अनुशासन शब्द का शाब्दिक अर्थ शासन अर्थात् गुरुजनों द्वारा दिखाए गए मार्ग पर नियमबद्ध रूप से चलना है। विद्यार्थी-जीवन में विद्यार्थियों की बुद्धि अपरिष्कृत होती है। अबोधावस्था के कारण उन्हें भले-बुरे की पहचान नहीं होती। ऐसी स्थिति में थोड़ी-सी असावधानी उन्हें अहंकारी बना देती है।

आजकल विद्यार्थियों की पढ़ाई में रुचि नहीं है। वे आधुनिक शिक्षा पद्धति को बेकारों की सेना तैयार करने वाली नीति मानकर इसके प्रति उदासीन हो गए हैं तथा फैशन, सुख-सुविधापूर्ण जीवन जीने के लिए गलत रास्तों पर चलने लगे हैं। वर्तमान जीवन में व्याप्त राजनीतिक दलबंदी भी विद्यार्थियों में अनुशासनहीनता को प्रोत्साहित करती हैं। राजनीतिक नेता अपने स्वार्थों के लिए विद्यार्थियों को भड़का देते हैं तथा विद्यार्थी वर्ग बुरे-भले की चिंता किए बिना तोड़-फोड़ में लग जाता है। इससे विद्यार्थी का अहंकार आवश्यकता से अधिक बढ़ता जा रहा है और दूसरा उसका ध्यान अधिकार पाने में है, अपना कर्त्तव्य पूरा करने में नहीं।

अहं बुरी चीज कही जा सकती है। यह सब में होता है और एक सीमा तक आवश्यक भी है। किंतु आज के विद्यार्थियों में यह इतना बढ़ गया है कि विनय के गुण उनमें नाम मात्र के नहीं रह गए हैं। सदगुरुजनों या बड़ों की बात का विरोध करना उनके जीवन का अंग बन गया है। इन्हीं बातों के कारण विद्यार्थी अपने अधिकारों के बहुत अधिकारी नहीं हैं। उसे भी वह अपना समझने लगे हैं। अधिकार और कर्त्तव्य दोनों एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। स्वस्थ स्थिति वही कही जा सकती है जब दोनों का संतुलन हो। आज का विद्यार्थी अधिकार के प्रति सजग है परंतु वह अपने कर्तव्यों की ओर से विमुख हो गया है। एक सीमा की अति का दूसरे पर भी असर पड़ता है।

प्रश्न
(i) आधुनिक विद्यार्थियों में नम्रता की कमी क्यों होती जा रही है?
(ii) विद्यार्थी प्रायः किसका विरोध करते हैं?
(iii)विद्यार्थी में किसके प्रति सजगता अधिक है?
(iv) उचित शीर्षक दीजिए।
(v) अधिकार और कर्त्तव्य में क्या संबंध है?
(vi) शासन में व्याप्त अस्थिरता किसे प्रभावित कर रही है?
(vii) आधुनिक शिक्षा पद्धति क्या कर रही है?
(viii) नेता किसे और किसलिए भड़काते हैं?
उत्तर
(i) आधुनिक विद्यार्थियों में नम्रता की कमी होने का कारण (1) आवश्यकता से अधिक अहंकार का बढ़ना तथा (2) अधिकार पाने की लालसा का होना है। अपना कर्तव्य पूरा करने के प्रति उनका ध्यान नहीं रहता है।
(ii) विद्यार्थी अपने गुरुजनों या बड़ों की बात का विरोध करते हैं।
(iii) विद्यार्थी अपने अधिकार के प्रति सर्वाधिक सजग है।
(iv) शीर्षक : “आधुनिक शिक्षा का स्वरूप” .
(v) अधिकार और कर्तव्य एक दूसरे से जुड़े रहते हैं; दोनों में संतुलन को ही स्वस्थ स्थिति कहा जा सकता है।
(vi) शासन में व्याप्त अस्थिरता समाज के अनुशासन को प्रभावित कर रही है।
(vii) आधुनिक शिक्षा पद्धति बेकारों की सेना तैयार कर रही है।
(viii) राजनीतिक नेता अपने स्वार्थों के लिए विद्यार्थियों को भड़का देते हैं।

5. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:

ताजमहल भारत का ही नहीं, संसार भर का लोकप्रिय आकर्षण केन्द्र है। कला-संस्कृति के अखंड प्रेमी शाहजहाँ ने इस भवन को अपनी प्रिय बेगम मुमताज की याद में बनवाया था। इसका निर्माण संगमरमर के श्वेत पत्थरों से किया गया।

ताजमहल के निर्माण में जो जन-धन-श्रम लगा, उसके आँकड़े चौंका देने वाले हैं। इसका निर्माण सत्रह वर्ष की अवधि में हआ था बीस हजार श्रमिक कारीगर्ग ने अपने जी-तोड़ परिश्रम से इसे बनाया। इसके अद्वितीय शिल्प तथा तकनीक के लिए विदेश के भी कई इंजीनियरों को आमंत्रित किया गया। संगमरमर के श्वेत पत्थरों तथा संगमूसा के काले पत्थरों से निर्मित इस महल पर उस समय सात करोड़ रुपये खर्च हुए थे।

ताजमहल यमुना के किनारे पर स्थित है इसकी वास्तुकला संसार-भर में बेजोड़ है। इसका प्रवेश-द्वार लाल पत्थर का बना हुआ है, जिस पर कुरान की आयतें खुदी हुई हैं। यमुना के किनारे की एक तरफ को छोड़कर शेष तीनों दिशाओं में सुंदर, व्यवस्थित उपवन है जिन पर बैठकर दर्शक ताजमहल की सुंदरता को नयन भरकर निहारते हैं। महल के प्रवेश-द्वार से आगे चलकर मार्ग में दोनों ओर वृक्षों की कतारें हैं और जल के फव्वारे हैं, जो सहज ही अपनी झीनी-झीनी फुहारों से पर्यटकों को आनंदित कर देते हैं। वहीं निर्मल जल के सरोवर हैं, जिनमें सुंदर सुवर्णमय मछलियाँ तैरती रहती हैं उन्हीं सरोवरों के सामने सीमेंट के बड़े-बड़े बैंच हैं, जिनपर बैठकर सरोवर और महल दोनो के अनुपम सौंदर्य को निहारा जा सकता है।

ताजहमल का संपूर्ण भवन जिस धरती पर अवस्थित है, उसके नीचे संगमरमर का विशाल चबूतरा है, जिसके चारों कोनों पर श्वेत पत्थरों की ऊँची-ऊँची चार मीनारें है। इन मीनारें के ठीक मध्य ताजमहल का गुंबद है, जिसकी ऊँचाई लगभग 280 फुट है। यह गुंबद विश्व का सबसे ऊँचा और भव्य गुंबद है। इसके चारों ओर कुरान की आयतें खुदी हुई हैं। मीनारों पर भी पच्चीकारी का महीन काम हुआ है।

मुख्य गुंबद के नीचे शाहजहाँ और मुमताज की प्रतीक-समाधियाँ हैं। वास्तविक समाधियाँ नीचे के तहखाने में हैं, जहाँ घोर अंधकार छाया रहता है। दर्शक मोमबत्ती या माचिस की तीली की सहायता से उनके दर्शन कर पाते हैं। सुनते हैं कि प्रथम वर्षा जब होती है, तो पानी की कुछ बूंदें समाधि के ठीक ऊपर गिरती हैं, मानों वर्षा उनके अखंड प्रेम को श्रद्धांजलि प्रस्तुत कर रही हो। चंद्रमा की श्वेत चाँदनी में ताजमहल का गौर-सौंदर्य और निरख उठता है। इस प्रकार ताजमहल जहाँ अखंड प्रेम का प्रतीक है, वहाँ मुगलीय कला का उत्कृष्ट नमूना भी है।

प्रश्न
(क) इस गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
(ख) ताजमहल किस पत्थर से निर्मित हुआ है?
(ग) शाहजहाँ के लिए किस विशेषण का प्रयोग किया गया है?
(घ) ताजमहल के निर्माण में कितना समय और धन गया?
(ङ) सुवर्णमय शब्द का अर्थ लिखें।
(च) गुंबद का आशय क्या है?
(छ) “मीनारों पर पच्चीकारी का महीन काम हुआ है।’ इस वाक्य से क्या अर्थ निकालेंगे।
(ज) “प्रतीक-समाधियाँ’ से क्या तात्पर्य है?
(झ) ‘ताजमहल अखंड प्रेम का प्रतीक है’-से आप क्या समझते हैं?
(ञ) ‘अनुपम’ में कौन-सा समास है?
उत्तर
(क) अखंड प्रेम का प्रतीक-ताजमहल।
(ख) ताजमहल सुंदर सफेद संगमरमर के पत्थरों से बनाया गया है।
(ग) कला-संस्कृति का अखंड प्रेमी।
(घ) ताजमहल के निर्माण में सत्रह वर्ष का समय और सात करोड़ रुपये लगे।
(ड) सोने के रंग का; सोने में ढला हुआ।
(च) गोलाकार छत वाली इमारत।
(छ) ताजमहल के बड़े-बड़े खंभों पर बहुत छोटे-छोटे और साफ-सुथरे फूल पत्ते उकेरे गए हैं। ..
(ज) समाधियों की स्मृति दिलाने के लिए बनाई गई अवास्तविक समाधियाँ।
(झ) ताजमहल शाहजहाँ और उनकी पत्नी मुमताज के अमर प्रेम की याद दिलाता है।
(ञ) नव-तत्पुरुष।

6. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:

वर्षा ऋतु का नाम आते ही मन-मयूर नाच उठता है। भयंकर गर्मी से राहत . मिलती है। ठंडी फुहारों से स्वर्गिक आनंद की अनुभूति होती है। सभी ऋतुओं में मनमोहक वर्षा ऋतु है। गर्मी की तपन के बाद वर्षा के फुहारों का आगमन बड़ा आनंददायी होता है। पशु-पक्षी और मानव ही नहीं, पेड़-पौधों पर भी इस ऋतु का प्रभाव पड़ता हैं ऐसा लगता है मानो वीरान व बंजर जमीन पर रंग बिरंगे फूल खिले उठे हो।

वैशाख और ज्येष्ठ मास के भयंकर आगमन के बाद आषाढ़ मास में मोरों की कूक से अहसास होता है कि बरसात की ऋतु आने वाली है। तब तक गर्मी से मन व्यथित हो चुका होता है। वर्षा शुरू होते ही खेत-खलिहानों में हरियाली शुरू हो जाती है। लोग धान की बुआई में व्यस्त हो जाते हैं। मोर जी भरकर नृत्य करते हैं। कोयल की कूक बड़ी सुहानी लगती है। बच्चे उत्साह से भर जाते हैं। नंगे बदन वर्षा में भींगते हुए इधर-उधर भागना बड़ा अच्छा लगता है।

अच्छी बरसात हो तो नर-नारियाँ झूठ उठते हैं। खेतों में लबालब भरे पानी में धान की बुआई, खेतों की जुताई। किसानों का मन मुदित हो उठता है। ऐसा लगता है सारी प्रकृति एक नए अवतार में प्रकट हुई है। सब कुछ वर्षा में धुलकर नया-नया सा लगता है। अच्छी बरसात से धरती में पानी का स्तर बढ़ जाता है। सूखे कुएँ दोबारा पानी से भर जाते हैं। तालाबों और जोहड़ों में बतख और पशु नहाते नज़र आते हैं।

एक तरफ वर्षा ऋत प्रसन्नतादायी अनभति देती है। दूसरी तरफ इस ऋत में कुछ समस्याएँ भी खड़ी हो जाती हैं। महानगरों में सीवर जाम हो जाते हैं, जिसके कारण सड़कों पर नदी का-सा दृश्य दिखाई देता है। यातायात-व्यवस्था चौपट हो जाती है। नदियों में बाढ आ जाती है, जिससे गाँव के गाँव बरबाद हो जाते हैं। जान-माल की बहुत हानि होती है। रास्ते बंद हो जाते हैं अत्यंत परेशानी पैदा होती है। गरीबों में तो वर्षा कहर बनकर आती है। जीवन नारकीय हो जाता है। चारों तरफ कीचड़ ही कीचड़ मकानों की छतें गिर जाती है। झोंपड़ियों की हालत ऐसी हो जाती है मानों वर्षों से वीरान पड़ी हों।

वर्षा ऋतु के जाने के बाद भी हालात सहज नहीं हो पाते एक अजीब-सी बदबू चारों तरफ फैल जाती है। मच्छरों की भरमार हो जाती है। इस प्रकार वर्षा ऋतु खुशियों के साथ गमों का साया भी लेकर आती है।

प्रश्न
( क ) इस गद्यांश का उचित शीर्षक दें।
(ख) मन-मयूर क्यों नाच उठता है?
(ग) स्वर्गिक आनंद की अनुभूति का क्या अर्थ है?
(घ) वर्षा ऋतु किन-किन महीनों में आती है?
(ङ) मन मुदित हो उठना से क्या तात्पर्य है?
(च) वर्षा के बाद प्रकृति का नया रूप कैसे प्रकट होता है?
(छ) अनुभूति शब्द का अर्थ स्पष्ट करें।
(ज) यातायात-व्यवस्था कैसे चौपट हो जाती है?
(झ) गमों का साया से क्या तात्पर्य है?
(ञ) “मन-मयूर’ का विग्रह करके समास का नाम लिखिए।
(ट) ‘मोर’ का तत्सम् शब्द लिखिए।
उत्तर
(क) वर्षा ऋतु का जन-जीवन पर प्रभाव।
(ख) भयंकर गर्मों के बाद जब वर्षा की फुहारें पड़ती हैं तो तन-मन को प्रसन्न कर देती हैं। ठंडी-ठंडी हवाओं से मन नाच उठता है।।
(ग) स्वर्गिक आनंद की अति से अर्थ है-स्वर्ग का आनंद अनुभव होना। अत्यंत खुशी का अनुभव करना।
(घ) वर्षा ऋतु के मुख्य महीने – आषाढ़, श्रावण और भादो।
(ङ) मन मुदित से तात्पर्य है कि मन में अत्यंत खुशी का अनुभव होना। जब मनचाहो बात होती है तो स्वाभाविक रूप से मन प्रसन्न हो उठता है।
(च) वर्षा के बाद प्रकृति का वातावरण बड़ा सुहावना हो जाता है। वर्षा के कारण सब कुछ धुला-धुला सा लगता है। ऐसा लगता है प्रकृति ने वर्षा के माध्यम से हर वस्तु की सफाई कर दी हो। .
(छ) अनुभूति शब्द का अर्थ है- अनुभव होगा, महसूस होना।
(ज) वर्षा के कारण सीवर-व्यवस्था जाम हो जाती है। सब ओर पानी भर जाता है। यातायात व्यवस्था चौपट हो जाती है।
(झ) ‘गमों का साया- से तात्पर्य है-‘दुःख भरा समय आना’।
(ट) मन रूपी मयूर : कर्मधारय समास

7. निम्नलिखित. गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:

मनुष्य की पूरी जाति, मनुष्य का पूरा जीवन, मनुष्य की पूरी सभ्यता और संस्कृति अधूरी है क्योंकि नारो ने उस संस्कृति के निर्माण में कोई भी दान, कोई भी कंट्रीब्यूशन नहीं किया। नारी कर भी नहीं सकती थी। पुरुष ने उसे करने का कोई मौका भी नहीं किया। हजारों वर्षों तक स्त्री पुरुष से नीचे और छोटी और हीन समझी जाती रही है। कुछ तो देश ऐसे थे जैसे चीन में हजारों वर्ष तक यह माना जाता रहा कि स्त्रियों के भीतर कोई आत्मा नहीं होती। इतना ही नहीं, स्त्रियों की गिनती जड़ पदार्थों के साथ की जाती थी। आज से सौ बरस पहले चीन में अपनी पत्नी की हत्या पर किसी पुरुष को, किसी पति को कोद भी दंड नहीं दिया जाता था क्योंकि पत्नी अपनी संपदा थी। वह उसे जीवित रखे या मार डाले, इससे कानून का और राज्य का कोई संबंध नहीं।

भारत में भी स्त्री को पुरुषों की समानता में कोई अवसर और जीने का मौका नहीं मिला। पश्चिम में भी वही बात थी। चूँकि सारे शास्त्र और सारी सभ्यता और सारी शिक्षा पुरुषों ने निर्मित की है इसलिए पुरुषों ने अपने आप को बिना किसी से पूछे श्रेष्ठ मान लिया है, स्त्री को श्रेष्ठता देने का कोई कारण नहीं। स्वभावतः इसके घातक परिणाम हुए।

सबसे बड़ा घातक परिणाम तो यह हुआ कि स्त्रियों के जो भी गुण थे वे संभ्यता के विकास में सहयोगी न हो सके। सभ्यता अकेले पुरुषों ने विकसित की। अकेले पुरुष के हाथ से जो सभ्यता विकसित होगी उसका अंतिम परिणाम युद्ध के सिवाय और कुछ भी नहीं हो सकता। अकंले पुरुष के गुणों पर जो जीवन निर्मित होगा वह जीवन हिंसा के अतिरिक्त और कहीं नहीं ले जा सकता। पुरुषों की प्रवृत्ति में, पुरुष के चित्त में ही हिंसा का, क्रोध का, युद्ध का कोई अनिवार्य हिस्सा है।

नीत्से ने आज से कुछ ही वर्षों पहले यह घोषणा की कि बुद्ध और क्राइस्ट स्त्रैण रहे होंगे, क्योंकि उन्होंने करुणा और प्रेम की इतनी बातें कहीं हैं, वे बाते पुरुषों के गुण नहीं हैं। नीत्से ने क्राइस्ट को और बुद्ध को स्त्रैण, स्त्रियों जैसा कहा है। एक अर्थ में शायद उसने ठीक ही बात कही है। वह इस अर्थ में कि जीवन में जो भी कोमल गुण हैं, जीवन के जो भी माधुर्य से भरे सौंदर्य, शिव की कल्पना और भावना है वह स्त्री का अनिवार्य स्वभाव है। मनुष्य की सभ्यता माधुर्य और प्रेम और सौंदर्य से नहीं भर सकी, क्रूर और परुष हो गई, कठोर और हिंसक हो गई और अंतिम परिणामों में केवल युद्ध लाती रही।

प्रश्न
(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
(ख) लेखक ने मनुष्य की सभ्यता और संस्कृति को अधूरा क्यों कहा है?
(ग) नारी ने संस्कृति के निर्माण में अपना योगदान क्यों नहीं दिया?
(घ) चीन में नारी के प्रति कैसी दृष्टि थी?
(ङ) भारत में पुरुषों को नारी से श्रेष्ठ क्यों मान लिया गया?
(च) पुरुष-प्रधान समाज का क्या कुपरिणाम हुआ?
(छ) पुरुषों द्वारा विकसित समाज युद्धों की ओर क्यों ले जाता है?
(ज) क्राइस्ट और बुद्ध को स्त्रैण क्यों कहा गया?
(झ) स्त्रियों में कौन-से गुण प्रमुख होते हैं?
(ञ) इस पाठ से संस्कृत, उर्दू तथा अंग्रेजी के दो-दो शब्द छाँटिए।
(ट) इस पाठ से एक सरल, संयुक्त तथा मिश्र वाक्य छाँटिए।
(ठ) विशेषण-विशेष्य के चार युग्म इस पाठ में से छाँटिए।
(ड) मनुष्य, समानता तथा चित्त के दो-दो पर्यायवाची लिखिए।
उत्तर
(क) पुरुष द्वारा निर्मित अधूरी संस्कृति।
(ख) लेखक ने मनुष्य की सभ्यता और संस्कृति को अधूरा इसलिए कहा है क्योंकि यह केवल परुषों द्वारा निर्मित है। इसके निर्माण में स्त्रियों ने अपना योगदान नहीं दिय
(ग) नारी ने संस्कृति के निर्माण में अपना योगदान इसलिए नहीं दिया क्योंकि उसे पुरुषों ने मौका नहीं दिया। कहीं उसे हीन समझा गया तो कहीं जड़ पदार्थ समझा गया। उसे पुरुष के समान नहीं माना गया।
(घ) चीन में हजारों वर्षों तक नारी की गिनती जड़ पदार्थों में होती रही। पुरुष मानता था कि उसमें आत्मा नहीं होती। इसलिए वह पत्नी को अपनी संपत्ति मानता था। यदि वह उसे मार डालता था तो भी डित नहीं होता था।
(ड़) भारत में भी सारी संस्कृति और सभ्यता का निर्माण पुरुषों ने अपने हाथों से किया, इसलिए उसने पुरुषों को ही अधिक महत्व दिया। नारी को नीच माना गया।
(च) .पुरुष-प्रधान समाज होने का सीधा दुष्परिणाम यह हुआ कि समाज में एक-पर-एक अनेक युद्ध हुए। सारी सभ्यता क्रोध और हिंसा से भर गई।
(छ) पुरुषों के व्यक्तित्व में हिंसा, क्रोध और युद्ध का अनिवार्य तत्त्व है। इसलिए उनके द्वारा निर्मित् संस्कृति युद्धमय ही होगी।
(ज) क्राइस्ट और बुद्ध- दोनों ने अहिंसा, करुणा, सेवा और प्रेम के कोमल भावों को बहुत अधिक महत्व दिया। ये भाव नारी-स्वभाव के गुण हैं। इसलिए नीत्से ने उन्हें स्त्रैण अर्थात् स्त्रियों जैसा. ठीक ही कहा है।
(झ) स्त्रियों में प्रेम, सौंदर्य और मधुरता जैसे कोमल गुण होते हैं। (ब) संस्कृत-परिणाम, सभ्यता। उर्दू- मौका, सिवाय। अंग्रेजी- कंट्रीब्यूशन, क्राइस्ट। (ट) सरल-पुरुष ने उसे करने का कोई मौका भी नहीं दिया। संयुक्त वाक्य?
मिश्र- चूँकि सारे शास्त्र और सारी सभ्यता पुरुषों ने निर्मित की है इसलिए पुरुषों ने अपने आप को बिना किसी से पूछे श्रेष्ठ मान लिया है।
(ठ) 1. घातक परिणाम
2. जड़ पदार्थ
3. कोमल गुण
4. अनिवार्य स्वभाव
(ड) मनुष्य – मानव, मनुज।
समानता- एकता, समता।
चित्त- हृदय, दिल, मन।

8. नीचे दिये गये गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए:

जुलूस शहर की मुख्य सड़कों से गुजरता हुआ चला जा रहा था। दोनों ओर छतों पर, छज्जों पर, जंगलों पर, वृक्षों पर दर्शकों की दीवारें-सी खड़ी थीं। बीरबल सिंह को आज उनके चेहरों पर एक नयी स्फूर्ति एक नया उत्साह, एक नया गर्व झलकता हुआ मालूम होता था। स्फूर्ति थी वृद्धों के चहरों पर, उत्साह युवकों के और गर्व रमणियों के। यह स्वराज के पथ पर चलने का उत्साह था। अब उनकी यात्रा का लक्ष्य अज्ञात न था, पथभ्रष्टों की भांति इधर-उधर भटकना न था, दलितों की भांति सिर झुका कर रोना न था। स्वाधीनता का सुनहरा शिखर सुदूर दलितों की भाति सिर झुका कर रोना न था। स्वाधीनता का सुनहरा शिखर सुदूर आकाश में चमक रहा था। ऐसा जान पड़ता था कि लोगों के बीच के नालों और जंगलों की परवाह नहीं है। सब उस सुनहले लक्ष्य पर पहुँचने के लिए उत्सुक हो रहे हैं।

ग्यारह बजते-बजते जलस नदी के किनारे जा पहुँचा. जनाजा उतारा गया और लोग शव को गंगा-स्नान कराने के लिए ले चले। उनके शीतल, शांत, पीले मस्तक पर लाठी की चोट साफ नजर आ रही थी। रक्त जमकर काला हो गया था। सिर के बड़े-बड़े बाल खून जम जाने से किसी चित्रकार की तूलिका की भांति चिमट गये थे। कई हजार आदमी इस शहीद के अंतिम दर्शनों के लिए खड़े थे लाठी की चोट उनहें भी नजर आयी। उनकी आत्मा ने जोर से धिक्कारा। वह शव की ओर न ताक सके। मुँह फेर लिया। जिस मनुष्य के दर्शन के लिए, जिसके चरणों की रज मस्तक पर लगाने के लिए लाखों आदमी विकल हो रहे हैं, उसका मैंने इतना अपमान किया। उनकी आत्मा इस समय स्वीकार कर रही थी कि उस निर्दय प्रहार में कर्तव्य के भाव का लेश भी न था, केवल स्वार्थ करने की लिप्सा थी। हजारों आँखें क्रोध से भरी हुई उनकी ओर देख रही थी, पर वह सामने ताकने का साहस न कर सकते थे।

प्रश्न
(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
(ख) जुलूस में उत्साह क्यों था?
(ग) बीरबल सिंह चोट के निशान की ओर ताक क्यों नहीं पा रहे थे?
(घ) बीरबल सिंह को किस बात का पश्चाताप हो रहा था?
(ङ) “लिप्सा’ का अर्थ लिखिए।
(च) ‘पथभ्रष्ट’ का सविग्रह समास बनाएँ।
(छ) ‘पथभ्रष्ट’ का सविग्रह समास बनाएँ।
(ज) मदद और खून के लिए तत्सम शब्द लिखिए।
उत्तर
(क) जुलूस या बीरबल सिंह का हृदय-परिवर्तन।
(ख) स्वराज के लिए गौरवमय बलिदान के कारण जलस में उत्साह था।
(ग) बीरबल सिंह ने ही चोट मारी थी। इसी अपराध बोध के कारण वे उधर ताक नहीं पा रहे थे।
(घ) बीरबल सिंह ने ही शहीद को लाठी से मारा था, जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गयी थी। इसी अपराध बोध का पश्चाताप उसे हो रहा था।
(ङ) लिप्सा = लोभ, लालच।
(च) कारनामा करना, अपने पद और शक्ति का प्रभाव दिखाना।
(छ) पथभ्रष्ट = पथ से भ्रष्ट-तत्पुरुष समास।
(ज) मदद = सहायता। खून = रक्त।

9. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उससे संबंधित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए:

आज के युग में कम्प्यूटर का आविष्कार एक वरदान की तरह हुआ है। कम्प्यूटर दुनिया के जटिल से जटिल और श्रमसाध्य कार्यों को चुटकी बजाते ही हल कर देता है। कम्प्यूटर भविष्यवाणी तक कर सकता है, मनोरंजन करा सकता है, आदमी के शरीर का विश्लेषण और अध्ययन कर सकता है तथा दुनिया की किसी भी जानकारी को पकड़ सकता है। कम्न्यूटर सूचनाओं को ही संचार के क्षेत्र में आयीन्न का वास्तविक कारण माना जा सकता है। यह एक ऐसा इलेक्टानिक उपकरण है, जिसमें सूचनाओं का चुम्बकीय टेप भरा जाता है। इसमें चिप पर कार्यक्रम तैयार किये जाते हैं। चिप आदमी के नाखूनों के बराबर होते हैं। इस पर पैकेज तैयार होते हैं, जिसके माध्यम से कम्प्यूटर कार्य करता है।

कम्प्यूटर में टेलीविजन की तरह ही एक स्क्रीन होती है उससे जुड़ा हार्डवेयर होता है और उसी से जडा टाइपराइटर की तरह ही अंकित अक्षरों वाला एक उपकरण होता है जिसे ‘की बोर्ड’ कहते हैं। कम्प्यूटर में मेमोरी अर्थात स्मृति की व्यवस्था होती है। कम्प्यूटर की मेमोरी में सूचनाओं को सुरक्षित रखा जाता है। इसमें एक प्रिंटर भी होता है, जिसके द्वारा सूचनाएँ मुद्रित की जाती हैं।

किसी भी सूचना को की बोर्ड के माध्यम से स्क्रीन पर देखकर अंकित किया जाता है तथा हार्डवेयर द्वारा फ्लापी पर उसे सुरक्षित किया जाता है। फ्लापी पोस्टकार्ड से भी छोटी एक वस्तु है जिसपर सूचनाएँ अंकित हो जाती है, उसी तरह फ्लापी में सूचनाएँ टेप हो जाती है। उस फ्लापी में अंकित सूचनाओं को कभी भी विश्लेषित किया जा सकता है। कम्प्यूटर से जुड़े प्रिंटर के द्वारा उसे प्रिंट किया जा सकता है।

प्रश्न
(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
(ख) कम्प्यूटर आज के युग में वरदान है। कैसे?
(ग) कम्प्यूटर क्या-क्या कार्य कर सकता है?
(घ) कम्प्यूटर कैसे कार्य करता है?
(ङ) कम्प्यूटर में सूचनाएँ कैसे भरी जाती है?
(च) फ्लापी क्या होती हैं?
(छ) चिप क्या है?
(ज) ‘श्रमसाध्य’ का अर्थ लिखिए।
उत्तर
(क) कम्प्यू टर।
(ख) कम्प्यूटर कठिन-से-कठिन और श्रमसाध्य कार्यो को अत्यन्त सरलता से कुछ ही क्षणों में संपन्न कर देता है।
(ग) कम्प्यूटर हर तरह का कार्य कर सकता है। जैसे- भविष्यवाणी, छपाई, गणित के कठिन प्रश्न, जासूसी, वैज्ञानिक अनुसंधानों में सहायता, मनारंजन आदि।
(घ) कम्प्यूटर में चुंबकीय टेप भरा जाता है, जिसमें चिप पर कार्यक्रम तैयार किये जाते हैं। इस पर पैकेज तैयार होते हैं, जिसके माध्यम से कम्प्यूटर कार्य करता है।
(ङ) कम्प्यूटर में एक स्क्रीन होता है जो एक हार्डवेयर से जुड़ा होता है और उसी से एक की बोर्ड जुड़ा होता है जिस पर अक्षर अंकित होते हैं। इसी की-बोर्ड की सहायता से इसकी स्मृति में सूचनाएँ भरी जाती हैं।
(च) फ्लापी पोस्टकार्ड से भी छोटी एक वस्तु है जिस पर सूचनाओं को कभी भी विश्लेषित किया जा सकता है।
(छ) चिप आदमी के नाखूनों के बराबर होते हैं जिन पर पैकेज तैयार होते हैं। इसी के माध्यम से कम्प्यूटर कार्य करता है।
(ज) श्रमसाध्य = कठिन परिश्रम।

10. नीचे दिये गये गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए

एक समय था जब पानी सब जगह मिल जाता था। इसीलिए इसे कोई महत्त्व नहीं दिया जाता था। लेकिन तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या और जीवन शैली में आये परिवर्तन के कारण जल अब दर्लभ हो गया है। इसी दर्लभता के कारण जल का आर्थिक मूल्य बहुत बढ़ गया है। अब तक जल की प्रमुख माँग फसलों की सिंचाई के लिए होती थी। लेकिन अब उद्योगों और घरेलू उपयोग के लिए भी जल की बहुत आवश्यकता है। इसीलिए जल अब एक बहुमूल्य संसाधन बन गया है। नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी की मांग बिल्कल अलग-अलग तरह की होती है। आइए, सबसे पहले नगरीय क्षेत्रों में जल की समस्या का अध्ययन करें।

नगरीय क्षेत्रों में सामान्यतः जल का एक ही स्रोत होता है और उसी से सभी की आवश्यकताएं पूरी होती हैं। नगरीय क्षेत्रों में जल, झीलों या कृत्रिम जलाशयों या नदियों के तल में गहरे खोदे गये कुओं या नलकूपों से लाकर इकट्ठा किया जाता है। कभी-कभी जल के लिए इन सभी स्रोतों का उपयोग किया जाता है। इस स्रोतों को लेकर पहले उसमें क्लोरीन जैसे रसायन मिलाकर उसे स्वच्छ किया जाता है। इसके बाद वह पीने के लिए सुरक्षित बन जाता है। ऐसा सुरक्षित जल नगर की सम्पूर्ण जनसंख्या को अनेक बीमारियों से बचाता है। नगरों में जल की भारी मात्रा में आवश्यकता होती है क्योंकि जल को पीने के साथ-साथ सभी घरेलू कामों में उपयोग होता है। बहुत सारा जल तो सीवर में जल-मल बहाने में लग जाता है। जैसे-जैसे नगरों की जनसंख्या तेजी से बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे वहाँ पानी की कमी के कारण झुग्गी-झोपड़ियों के निवासियों को प्रायः बिना साफ किया हुआ गंदा पानी ही पीना पड़ता है। इसी कारण वहाँ प्रायः बिना साफ किया हुआ गंदा पानी ही पीना पड़ता है। इसी कारण वहाँ प्रायः महामारियाँ फैल जाती है। नगरों में उद्योग के लिए भी जल की भारी मात्रा में आवश्यकता होती है।

ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के पानी की आपूर्ति में कई दोष पाये जाते हैं। वहाँ पीने के सुरक्षित पानी का कोई स्रोत नहीं होता है। प्रायः जल के एक स्रोत का ही अनेक उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है। उसी में बरतन साफ होते हैं, आदमी और जानवर एक साथ नहाते हैं, कपड़े धोये जाते हैं और गंदगी भी. बहायी जाती है। इसके अतिरिक्त भूमिगत जल कभी खारा होता है और कभी उसका रासायनिक संघटन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। इस पानी को स्वच्छ करके मानवीय उपयोग के लायक बनाने की कोई व्यवस्था भी नहीं होती।

प्रश्न
(क) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
(ख) पहले सब जगह सुलभ जल अब दुर्लभ क्यों हो गया है?
(ग) जल एक बहुमूल्य संसाधन क्यों बन गया है?
(घ) नगरों में पेयजल की व्यवस्था किस प्रकार की जाती है?
(ङ) नगरों की झुग्गी-झोपड़ी बस्तियों में बीमारी का क्या कारण है?
(च) ग्रामीण क्षेत्र में पीने के पानी का अभाव क्यों है?
(छ) दुर्लभ और स्वच्छ का विलोम शब्द बनाएँ?
(ज) नगरीय और मानवीय शब्दों से प्रत्यय अलग कीजिए?
उत्तर-
(क) पेय जल की माँग या पेय जल की आवश्यकता।
(ख) तीव्रगति से बढ़ती जनसंख्या और जीवन शैली में बदलाव के कारण।
(ग) घरेलू उपयोग के साथ-साथ उद्योगों के लिए जल एक बहुमूल्य संसाधन बन गया है।
(घ) नगरों में विभिन्न जलाशयों में एकत्रित जल को जल संयंत्रों से इकट्ठा करके उसमें अनेक पदार्थों को डालकर उसे स्वच्छ किया जाता है।
(ङ) नगरों की झुग्गी-झोपड़ी बस्तियों में बीमारी का प्रमुख कारण है-स्वच्छ जल नहीं मिल पाना।
(च) ग्रामीण क्षेत्रों में जल का प्रायः एक ही स्रोत होता है, उसी में गंदगी साफ करना, पशु नहलाना, कपड़ा धोना तथा पीना सब होता है।
(छ) दुर्लभ = सुलभ। स्वच्छ = अस्वच्छ।
(ज) नगरीय = ईय। मानवीय = ईय।

Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 11 कबीर के दोहे

Bihar Board Class 7 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 2 Chapter 11 कबीर के दोहे Text Book Questions and Answers and Summary.

BSEB Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 11 कबीर के दोहे

Bihar Board Class 7 Hindi कबीर के दोहे Text Book Questions and Answers

पाठ से –

Kabir Ke Dohe Class 7 Bihar Board प्रश्न 1.
पठित पाठ के आधार पर निम्नांकित कथनों पर सही (✓) या गलत (☓) का निशान लगाइए।

प्रश्नोत्तर –
(क) प्रेम की भाषा बोलने वाला ही पंडित होता है। (✓)
(ख) निन्दा करने वालों को दूर रखना चाहिए। (☓)
(ग) कोई भी बात सोच-समझकर बोलनी चाहिए। (✓)
(घ) सज्जन व्यक्ति टूटता-जुड़ता रहता है जबकि दुर्जन व्यक्ति टूटता तो है जुड़ता नहीं। (✓)

Kabir Ke Dohe With Meaning In Hindi Class 7 Bihar Board प्रश्न 2.
पठित पाठ में कौन-सा दोहा आपको सबसे अच्छा लगा और क्यों?
उत्तर:
“कबीर के दोहे” पाठ में हमको सबसे अच्छा दोहा –
काल्ह करे सो आज कर आज करे सो अब।
पल में परलै होयगी बहुरि करेगा कब ॥

क्योंकि इस दोहा में समय की महत्ता बताते हुए कहा गया है कि जो करना. है वह अभी कर ही लो।
ना जाने भविष्य में क्या आफत आयेगा जिसमें तुम्हारा कार्य होगा ही। नहीं।

Kabir Ke Dohe In Hindi Class 7 Bihar Board प्रश्न 3.
हमें काम को कल के भरोसे क्यों नहीं टालना चाहिए?
उत्तर:
हमें किसी भी काम को कल के भरोसे नहीं टालना चाहिए । हो सकता है भविष्य के कल में हम पर कोई विपत्ति आ जाय और हम काम को कर ही न सकें।

Kabir Ke Dohe 7th Class Bihar Board प्रश्न 4.
कबीर के उस दोहे का उल्लेख कीजिए, जिसमें सज्जन । साधुजन और सोने की तुलना एक ही संदर्भ में की गई है।
उत्तर:
निम्नलिखित दोहे में कबीर ने सज्जन और साधजन की तुलना सोने से की है।
सोना, सज्जन, साधुजन टुटे जुरै सौ बार।
दुर्जन, कुंभ-कुम्हार कै, एकै धका दरार ।।

पाठ से आगे –

Kabir Das Ke Dohe Class 7 Bihar Board प्रश्न 1.
“कबीर के दोहे जीवनोपयोगी एवं व्यवहारिक शिक्षाओं से भरे पड़े हैं।” पाठ के आधार पर इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कबीर अपने दोहे के माध्यम से जीवनोपयोगी एवं व्यवहारिक शिक्षा का ज्ञान दिया है जैसे –
काल्ह करे सो आज कर आज करे सो अब।
पल में परलै होयगी बहुरि करेगा कब ॥
निंदक नियरे राखिये, आंगन कुटी छवाय। बिन साबुन पानी बिना, निरमल करे सुभाय ॥ इत्यादि।

7th Class Hindi Kabir Ke Dohe Bihar Board प्रश्न 2.
कबीर के दोहे का अध्ययन करने के पश्चात् उनके व्यक्तित्व के बारे में कल्पना कीजिए एवं लिखिए।
उत्तर:
कबीर के दोहे का अध्ययन करने से ऐसी कल्पना की जा सकती है कि कबीर समय की उपयोगिता को महत्व देते थे। आवश्यकता के अनुकूल न कराने की अपेक्षा रखते थे। निंदा करने वालों के प्रति भी उदार रहते थे। जाति नहीं ज्ञान का महत्व देते थे। दुष्टों से अलग रहने की प्रवृत्ति उनमें थी। वे प्रेम की भाषा बोलते थे । उनको किसी में बुराई नहीं दिखती थी। बल्कि स्वयं को अधिक बुरा मानते थे। इत्यादि।

व्याकरण

Class 7 Kabir Ke Dohe Bihar Board प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखिए –
उत्तर:
(क) परले = प्रलय, भूचाल
(ख) नियरे = समीप, निकट
(ग) बहुरि = दोबारा
(घ) आखर = अक्षर, वर्ण।

Kabir Ke Dohe 7th Class Hindi Bihar Board प्रश्न 2.
कुछ ऐसे शब्दों का संग्रह कीजिए, जिसमें “जन” लगा हो। जैसे-दुर्जन, जनतंत्र।
उत्तर:
सज्जन, साधुजन, सुजन, जनता, जनलोक, जनसेवा, जनोपयोगी, जनमन, जनाधिकार इत्यादि।

Bihar Board Class 7 Hindi Book Solution प्रश्न 3.
दोहे की दी हुई पंक्तियों को नीचे दिये गये उदाहरण के अनुसार बदलकर लिखिए.
उदाहरण-जाति न पूछो साधु की। साधु की जाति न पूछो ।

(क) मोल करो तलवार का
उत्तर:
तलवार का मोल करो।

(ख) बुरा जो देखन मैं चला।
उत्तर:
मैं जो बुरा देखने चला।

कुछ करने को –

रहिमन मन की व्यथा मन ही राखो गोय।
सुन अठिलहैं लोग सब बाँट न लिहैं कोय ॥

कबीर के दोहे Summary in Hindi

काल्ह करे सो आज कर आज करे सो अब।
पल में परलै होयगी बहुरि करेगा कब ॥

अर्थ – जिस काम को कल करना है उसे आज कर लो, आज करना है उसे अभी कर लों क्योंकि क्षणभर में प्रलय हो जायेगा तो फिर तुम अपना काम दुबारा कब कर सकते हो।

साई इतना दीजिए जामे कुटुम समाय।
मैं भी भूखा ना रहूँ साधु न भूखा जाय ॥

अर्थ – हे ईश्वर ! आप मुझे उतना ही धन दीजिए जिससे मैं अपने परिवार और सगे-सम्बन्धियों की आवश्यकता को पूरा कर सकूँ तथा मैं भी भूखा न रहूँ और मेरे द्वार पर आये अतिथि या साधु भी भूखे न लौट सके ।

निंदक निवरे राखिये, आँगन कुटी छवाय।
बिन साबुन पानी बिना, निरमल करे सुभाय ॥

अर्थ – जो आपकी निंदा करता है उसे भी आप मिलाकर रखें, उसका आप सम्मान करें चाहे उसके लिए आपको परेशानी क्यों न उठानी पड़े। क्योंकि आपकी निकटता को पाकर स्वयं उसके स्वभाव में परिवर्तन हो जायेगा अर्थात् बिना पानी और साबुन के उसके मन:स्थित मैल दूर हो जाएंगे।

जाति न पूछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान ।
मोल करो तलवार का पड़ा रहन दो म्यान ॥
अर्थ – सज्जन ज्ञानी व्यक्ति के जाति जानने का प्रयास मत करो। अगर जानना हो तो उसके ज्ञान को जानो (ज्ञान को प्राप्त करो), मूल्यांकन तलवार का करो म्यान का नहीं।

सोना, सज्जन, साधुजन टूटे जुरै सौ बार ।
दुर्जन, कुंभ-कुम्हार.कै, एकै धूका दरार ॥

अर्थ – सज्जन और साधुजन सोना की भाँति सैकड़ों बार टूट-जुड़ सकते हैं। लेकिन दुर्जन व्यक्ति कुम्हार के घड़े की भांति एक ही धक्के में दरार पैदा कर लेते हैं। जो प्रयल से भी नहीं जुड़ते ।

पोथी पढ़ि-पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय ॥
अर्थ – पोथी पढ़ते-पढ़ते लोग मर गये, लेकिन पंडित कोई नहीं हुए जो व्यक्ति मात्र ढाई अक्षर के प्रेम शब्द का ज्ञान प्राप्त कर लिया वही पंडित हो गया।

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलया कोय।
जो दिल खोजा आपनो, मुझ सा बुरा न कोय ।

अर्थ – रहीम कवि कहते हैं – जब मैं अन्यों में बुराई खोजने निकला तो बुरा कोई नहीं मिला । जब हमने अपने अन्दर की बुराई को झाँकने का प्रयत्न किया तो लगा कि-मुझसे बुरा कोई नहीं है।