Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 7 टॉलस्टाय के घर में

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 गद्य खण्ड Chapter 7 टॉलस्टाय के घर में Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 7 टॉलस्टाय के घर में

Bihar Board Class 9 Hindi टॉलस्टाय के घर में Text Book Questions and Answers

 

टॉलस्टॉय के घर में Bihar Board प्रश्न 1.
टॉल्सटाय ने अपनी अमर कृतियों की रचना कहाँ की थी?
उत्तर-
यासनाया पोलयाना में टॉल्सटाय ने अपनी अमर कृतियों की रचना की थी।

Bihar Board Solution Class 9 Hindi प्रश्न 2.
यासनाया पोलयाना के लिए जाते हुए लेखक के मन में कैसा भय समा रहा था और क्यों?
उत्तर-
यासनाया पोलयाना जाते समय लेखक के मन में यह भय लग रहा था कि जहाँ विश्व साहित्य की अमर कृतियाँ लिखी गई थीं, जहाँ आना का चरित्र कागज पर उतरा था, जहाँ ‘युद्ध और शांति’ के कितने ही सजीव चित्र रचे गए थे। प्रसत्रता के साथ-साथ एक प्रकार का भय भी उत्पन्न हो रहा था कि कैसे मैं वह सब अपनी आँखों से देख सकूँगा, कैसे उस वातावरण के साथ अपने आपको समन्वय कर पाऊँगा।

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solution प्रश्न 3.
यूरा कौन था? लेखक की यात्रा के दरम्यान उसकी भूमिका पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
लेखक की यात्रा में यूरा एक अनुवादक था। टॉल्सटाय की जीवनी के संबंध में यूरो रूसी भाषा में कहते जा रहे थे।

Bihar Board 9th Class Hindi Book Solution प्रश्न 4.
टॉल्सटाय के परिवार में चित्रकारी का शौक किन्हें था?
उत्तर-
टॉल्सटाय के अभिन्न मित्र को चित्रकारी का शौक था।

Godhuli Bhag 1 Bihar Board प्रश्न 5.
रामकुमार के अनुसार टॉल्सटाय के मकान का सबसे महत्वपूर्ण भाग कौन था? उसका एक संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर-
रामकुमार के अनुसार टॉल्सटाय के मकान का सबसे महत्त्वपूर्ण वह कमरा था जहाँ वें पढ़ते-लिखते थे। एक कोने में छोटी सी मेज और बिना सिरहाने की एक तिपाई थी। मेज पर एक कलम और दवात रखी थी। इस तिपाई पर बैठकर उन्होंने अपने जीवन का कितना बड़ा भाग बिताया होगा, यहीं बैठकर उन्होंने ‘आना करीबिना’ और ‘युद्ध और शांति’ की रचना की होगी।

गोधूलि भाग 1 Class 9 Solution प्रश्न 6.
टॉल्सटाय रूसी के अलावा और कौन-कौन विषय पढ़ लेते थे?
उत्तर-
टॉल्सटाय रूसी के अलावा जर्मन, फ्रांसीसी और अंग्रेजी भी पढ़ लेते थे।

Godhuli Class 9 Bihar Board प्रश्न 7.
टाल्सटाय ने अंतिम बार जब घर छोड़ा तो उनके साथ कौन गया था?
उत्तर-
टॉल्सटाय ने जब अंतिम बार घर छोड़ा था तो उनके साथ केवल डाक्टर ही गया था।

गोधूलि भाग 1 Class 9 Bihar Board प्रश्न 8.
टॉल्सटाय ने अपने निजी कमरे का चित्रण किस उपन्यास के किस पात्र के कमरे के रूप में किया है? कमरे की कुछ विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
टॉल्सटाय के मकान में एक और कमरा था जो उन्हें बेहद पसंद था क्योंकि यह घर के शोरगुल से दूर था और यहाँ उन्हें सदा एकांत मिलता था। इस कमरे का बहुत-सा वर्णन उन्होंने ‘आना करीनिना’ में लेनिन के कमरे की चर्चा करते समय किया था क्योंकि लेबिन के चरित्र में उन्होंने बहुत कुछ अपनी बातें कही थीं।

कमरे की सादगी, बाहर खुलती हुई एक खिड़की एक चारपाई बहुत कुछ वही था। एक कोने में पानी भरने का एक बर्तन रखा हुआ था जिसमें टॉल्सटाय अपने अंतिम दिनों में स्वयं ही पानी भरकर लाते थे।

गोधूलि भाग 2 Class 9 Solution Bihar Board प्रश्न 9.
टॉल्सटाय ने अपनी समाधि के विषय में क्या कहा था?
उत्तर-
अपनी मृत्यु से पूर्व टॉल्सटाय ने अपनी समाधि के विषय में विस्तार से आदेश दिया था कि जैसी निर्धन से निर्धन व्यक्ति की समाधि होती है वैसी ही उनकी भी बने, उनकी मृत्यु पर किसी भी व्यक्ति का भाषण न हो।

Bihar Board Class 9 Hindi Book प्रश्न 10.
टॉल्सटाय के गाँव का एक संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत करें।
उत्तर-
लगभग सौ डेढ़ सौ घरों के एक छोटे से गाँव के सिरे पर टॉल्सटाय का घर है जिसके चारों ओर दूर-दूर तक फैले हुए बाग-बगीचे हैं। पास ही एक तालाब है जिसके किनारे टॉल्सटाय घंटों जाकर बैठे रहते थे। आजकल इस मकान को सरकार ने म्यूजियम बना दिया है, जिसमें टॉल्सटाय का सब सामान तरतीबवार सजा हुआ है।

टालस्टाय के कपड़े कहां लगे हुए थे Bihar Board प्रश्न 11.
लेखक ने अपनी इस यात्रा को तीर्थयात्रा क्यों कहा है?
उत्तर-
अपनी सुखद यात्रा का अनुभव कर जब लेखक लौट रहा था तो लेखक अतीत की दुनियाँ से बाहर आकर वर्तमान की ओर बहुत तेजी से बढ़ा जा रहा था। सुबह आते वक्त खिड़की के बाहर जिन गाँवों, शहरों और मकानों को देखने में लेखक की जो दिलचस्पी थी वह अब समाप्त हो गई थी। लेखन ने अपनी आँखें बन्दकर ली परन्तु यासनाया पोलयाना की दुनिया से अपने-आपको अलग नहीं कर सका। २. इसलिए लेखक ने अपनी इस यात्रा को तीर्थयात्रा कहा है।

नीचे लिखे गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें।

1. यह उनका सोने का कमरा था। खिड़की के पास उनकी चारपाई बिछी हुई थी। दूसरी मंजिल से दूर तक फैले हुए खेत गाँव के मकानों की छतें और छोटी-छोटी हरी पहाड़ियाँ दिखाई दे रही थीं। उनकी पत्नी के सोने का कमरा अलग था, क्योंकि अंतिम वर्षों में आपस में खटपट रहने के कारण उनके सोने के कमरे अलग-अलग थे। सुबह उठकर कुछ घंटे वह अपनी चारपाई पर बैठकर ही लिखा करते थे। एक अन्य कमरे में एक और मेज भी थी जिस पर टॉल्सटाय की पत्नी पहले उनकी पांडुलिपियों की नकल किया करती थीं और शायद ‘युद्ध और शांति’ जैसी बड़ी पुस्तक की उन्होंने तीन बार नकल की थी, परंतु बाद में उन्होंने यह सब छोड़ दिया था।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) सोने के कमरे की खिड़की से कौन-सा दृश्य दिखाई पड़ता था?
(ग) टॉल्सटाय कब और किस रूप में लिखा करते थे?
(घ) टॉल्सटाय की पत्नी वहाँ क्या लिखा करती थी?
(ङ) अंतिम वर्षों में टॉल्सटाय का अपनी पत्नी के साथ कैसा संबंध था? सोदाहरण लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-टॉल्सटाय के घर में, लेखक का नाम-रामकुमार।
(ख) टॉल्सटाय के सोने के कमरे में खुली खिड़की थी। लेखक उसमें पहुँचा। उसे खुली खिड़की से दूर तक फैले खेत, गाँव के मकानों की छतें और आसपास फैली हुई छोटी-छोटी तथा हरी पहाड़ियों की श्रृंखला दिखलाई पड़ रही थी।
(ग) टॉल्सटाय जीवन के अंतिम वर्षों में सोने के कमरे में ही सुबह उठकर कुछ घंटे चारपाई पर बैठकर लिख लिया करते थे। उसी कमरे के बगल में एक अन्य कमरे में एक मेज थी उस पर भी पहले वे लिखा करते थे।
(घ) बगल के कमरे में जो एक मेज थी उस पर टॉल्सटाय की पत्नी पहले के कुछ वर्षों तक अपने पति की पांडुलिपियों की नकल किया करती थी और एक समय था कि उन दिनों उनकी पत्नी ने उनके द्वारा लिखित चर्चित उपन्यास पुस्तक “युद्ध और शान्ति” की तीन बार स्वयं लिखकर नकल की थी।
(ङ) अंतिम वर्षों में टॉल्सटाय का पत्नी से अच्छा सम्बन्ध नहीं था। दोनों में खटपट का रूप ऐसा कुछ विकृत हो चुका था कि टॉल्सटाय और उनकी पत्नी के सोने के कमरे अलग-अलग थे।

2. नीचे की मंजिल में कुछ अतिथियों के लिए कमरे थे। एक उनके डॉक्टर का था जो उनके साथ ही रहता था और अंतिम बार जब सदा के लिए टॉल्सटाय ने अपना घर छोड़ा तो केवल डॉक्टर ही उनके साथ गया था। एक और उनका निजी कमरा था। उनके सेक्रेटरी ने बतलाया कि यह कमरा उन्हें बेहद पसंद था क्योंकि यह घर के शोरगुल से दूर था यहाँ उन्हें सदा एकांत मिलता था। इस कमरे का बहुत-सा वर्णन उन्होंने ‘आना करीनिना’ में लेविन के कमरे की चर्चा करता था। इस कमरे का बहुत-सा वर्णन उन्होंने ‘आना करीनिना’ में लेविन के कमरे की चर्चा करते समय किया था, क्योंकि लेविन के चरित्र में उन्होंने बहुत कुछ अपनी बातें कहीं थीं। कमरे की सादगी, बाहर खुलती हुई एक खिड़की, एक चारपाई बहुत कुछ वही था। एक कोने में पानी भरने का एक बर्तन रखा हुआ था जिसमें टॉल्सटाय अपने अंतिम दिनों में बाहर जाकर कुएं से स्वयं ही पानी भरकर लाते थे।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) टॉल्सटाय को अपने घर का कौन-सा कमरा विशेष प्रिय था : और क्यों?
(ग) टॉल्सटाय ने अपने प्रिय कमरे की चर्चा कहाँ, क्यों और किस रूप में की है?
(घ) एक उदाहरण देकर बताएं कि टॉल्सटाय अपना कार्य स्वयं करते थे।
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का सारांश लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-टॉलस्टाय के घर में, लेखक-रामकुमार

(ख) टॉल्सटाय के मकान के नीचे की मंजिल में उसका एक निजी कमरा था। यह कमरा टॉल्सटाय को बहुत पसंद था क्योंकि यह घर-मकान के शोरगुल से कुछ दूर हटकर स्थित था और टॉल्सटाय को यहाँ एकांत का सुख मिलता था

(ग) टॉल्सटाय ने अपने प्रिय कमरे की चर्चा अपने चर्चित उपन्यास ‘आना करीनिना’ पुस्तक में उपन्यास के पात्र लेविन के कमरे की चर्चा के क्रम में की है। कमरे की सादगी और बाहर के खुलापन के कारण वह कमरा स्वाभाविक रूप से टॉल्सटाय के लिए बड़ा प्रिय था।

(घ) टॉल्सटाय अपना काम स्वयं करते थे इसकी जानकारी हमें इस उदाहरण से मिलती है, टॉल्सटाय के निजी कमरे के कोने में पानी भरने का एक बर्तन रखा रहता था। टॉल्सटाय कमरे से बाहर जाकर कुएँ से स्वयं ही पानी भरकर लाया करते थे। यह घटना उनके जीवन के अंतिम दिनों की है।

(ङ) लेखक ने इस गद्यांश में टॉल्सटाय के स्वभाव, उनकी पसंद और उनकी दिनचर्या का वर्णन किया है। टॉल्सटाय का निजी कमरा उनके मकान से कुछ दूर दूसरे हिस्से में स्थित था। वहाँ मकान का शोरगुल नहीं पहुंच पाता था। वहाँ उन्हें एकांत का सुख मिलता था। कमरा बड़ा साफ-सुथरा था। जीवन के अंतिम दिनों में टॉल्सटाय स्वयं घर से बाहर जाकर कुएँ से पानी भरकर लाते थे।

3. म्यूजियम को देखकर ऐसा जान पड़ा कि जिस व्यक्ति को जीवन में कभी नहीं देखा, जिसकी मृत्यु हुए भी लगभग पचास साल बीत गए हैं, उनके जीवन की एक झाँकी, एक धुंधली-सी छाया आज दिखाई दी जिसकी स्मृति शायद कभी धुंधली नहीं पड़ सकेगी। सूने मकान के कमरों में आज भी मुझे आना और लेविन की हल्की-हल्की पदचाप सुनाई दी, वे सब व्यक्ति शायद इस स्थान को कभी नहीं छोड़ सकेंगे। इस मकान में केवल टॉल्सटाय के जीवन का इतिहास ही नहीं पता चलता, बल्कि कितनी ही आत्माओं के स्वर सुनाई देते हैं जिन्हें टॉल्सटाय ने जन्म दिया था।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) लेखक को किसकी स्मृति कभी धुंधली नहीं पड़ेगी और क्यों?
(ग) लेखक ने गद्यांश में वर्णित कमरे की क्या विशेषताएँ बतलाई हैं? उन्हें स्पष्ट करें।
(घ) म्यूजियम को देखकर लेखक को कैसा जान पड़ा?
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का आशय/सारांश लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-टॉल्सटाय के घर में, लेखक-रामकुमार।
(ख) म्यूजियम बने टॉल्सटाय के घर को देखकर लेखक को उनके जीवन की एक झाँकी की धुंधली सी छाया दिखलाई पड़ी, लेकिन लेखक को यह यकीन है कि टॉल्सटाय की स्मृति कभी धुंधली नहीं पड़ सकेगी, क्योंकि वह स्मृति उनके गहरे दिल में घर कर गई थी।
(ग) लेखक द्वारा वर्णित कमरा टॉल्सटाय के मकान का कमरा है जिसे सरकार ने म्यूजियम का रूप दिया है। उस सूने मकान के कमरे में लेखक को आज भी उनके उपन्यासों के पात्र ‘आना’ और ‘लेविन’ की हल्की-हल्की पदचाप सुनाई पड़ती है। क्योंकि टॉल्सटाय ने उसी कमरे में बैठकर अपने उपन्यासों को लिखा था।
(घ) म्यूजियम को देखकर लेखक को ऐसा जान पड़ा कि टॉल्सटाय के जीवन की एक झाँकी एक धुंधली-सी छाया के रूप में वहाँ आज भी विद्यमान है। लेखक ने टॉल्सटाय को कभी देखा नहीं था। उनकी मृत्यु हुए भी पचास साल से ज्यादा बीत चुके थे लेकिन म्यूजियम को देखकर उसे उनके जीवन की एक झाँकी के दर्शन का अनुभव हुआ।
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने महान विचारक साहित्यकार टॉल्सटाय की पावन-स्मृति की अपने दिल पर पड़ी छाप का वर्णन किया है। म्यूजियम बने टॉल्सटाय के कमरे में लेखक गया हुआ था। उस कमरे में पहुँचकर उसे ऐसा लगा कि टॉल्सटाय की पवित्र स्मृति वहाँ बैठकर टॉल्सटाय द्वारा लिखे गए उपन्यास के पात्रों की सजीवता के रूप में विद्यमान है। उस मकान के कमरे में कितनी ही आत्माओं के स्वर जिन्हें टॉल्सटाय ने जन्म दिया था, सुनाई पड़ी।

4. जब मकान से बाहर निकले तो हम तीनों ही चुप थे मानो दो घंटों तक कोई स्वप्न देख रहे थे। बाहर तेज धूप निकली हुई थी और कुछ क्षणों के लिए मेरी आँखें उस रोशनी में चौधिया सी गईं। लोगों के झुंड इधर-उधर घूम रहे थे। कुछ देर बाद हम टॉल्सटाय की समाधि की ओर बढ़ गए जो उस घर से दो फलांग की दूरी पर थी। पतली-सी सड़क के दोनों ओर विशालकाय हरे-भरे पड़ों की कतारें आकाश को ढंके हुए थीं। छोटे-छोटे बाग, कहीं फूलों की क्यारियों और कहीं ऊबड़-खाबड़ झाड़ियाँ थीं। सेक्रेट्री धीमें स्वर में धीरे-धीरे टॉल्सटाय के विषय में कुछ कह रहे थे, परंतु मेरे कानों तक उनका स्वर पहुँच नहीं पा रहा था। चारों ओर उदासी थी और सन्नाटा छाया हुआ था।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) मकान से बाहर निकलने के बाद लेखक क्यों चुप की स्थिति में थे?
(ग) समाधि-स्थल के आसपास का प्राकृतिक परिवेश कैसा था?
(घ) सेक्रेट्री धीमे स्वर में क्या बात कर रहे थे? (ङ) इस गद्यांश का सारांश लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-‘टॉल्सटाय के घर में’, लेखक-रामकुमार।

(ख) टॉल्सटाय के मकान से सब कुछ देखने-सुनने के बाद जब लेखक अपने कुछ आदमियों के साथ बाहर निकले तब सब-के-सब खामोश थे। लेखक दो घंटे तक उस मकान में रहा। वह जब तक वहाँ रहा तब तक एक स्वप्नदर्शी के रूप में रहा। उसे ऐसा लगा मानो वह दो घंटे तक सपनों के सिवा कुछ नहीं देख रहा था। वह अतिशय भावुकता के साथ विचारशीलता की मन:स्थिति में था जिसमें मौन रहना उसके लिए स्वाभाविक स्थिति थी।

(ग) लेखक के अनुसार समाधि-स्थल टॉल्सटाय के घर से कुछ दूर स्थित थी। वहाँ तक जाने वाली सड़क पतली-सी थी। उस सड़क के दोनों ओर हरे-भरे, बड़े-बड़े ऊंचे पेड़ आकाश को ढंके हुए थे। आसपास में कई छोटे-छोटे बाग लगे थे जिनमें फूलों की क्यारियों के साथ उबड़-खाबड़ झाड़ियाँ थीं।

(घ) सेक्रेट्री धीमे स्वर में जो कुछ बात कर रहे थे उसे लेखक ने स्पष्ट रूप से कुछ सुना नहीं। हाँ उसने जो कुछ हल्के-फुल्के रूप से सुना उससे उसे लगा कि सेक्रेट्री टॉल्सटाय के विषय में कुछ कह रहे थे या बता रहे थे जबकि वहाँ उदासी भरा शांत वातावरण व्याप्त था।

(ङ) इस गद्यांश में लेखक ने टॉल्सटाय के समाधि-स्थल, वहाँ के प्राकृतिक परिवेश तथा वहाँ व्याप्त माहौल का चित्रण किया है। टॉल्सटाय का समाधि-स्थल टॉल्सटाय के मकान से दो फाग की दूरी पर था। वहाँ तक हरे-भरे बड़े-बड़े वृक्षों से आच्छादित एक पतली सी. सड़क जाती थी। उस स्थल के आस-पास कुछ फूलों और झाड़ियों से भरे बाग लगे थे। वहाँ का माहौल उदासी और सन्नाटे में डूबा था।

5. हमारी कार फिर तेजी से मास्को की ओर रवाना हो गई। रेडियो से फिर संगीत की ध्वनि हमारे कानों तक पहुँचने लगी। शाम की धुंधली रोशनी में पेड़ों की परछाइयाँ लंबी होने लगीं। अतीत की दुनिया से बाहर आकर वर्तमान की ओर हम बहुत तेजी से बढ़े जा रहे थे। सुबह आते वक्त खिड़की से बाहर जिन गाँवों, शहरों और मकानों को देखने में जो मेरी दिलचस्पी थी वह अब समाप्त हो गई थी। मैंने आँखें बंद कर ली, परंतु यासनाया पोलयाना की दुनिया से अपने-आपको अलग नहीं कर सका।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) लेखक की कार की मास्को की ओर रवानगी के समय का क्या परिवेश था?
(ग) “अतीत की दुनिया से बाहर आकर वर्तमान की ओर हम बहुत तेजी से बढ़े जा रहे थे।”-लेखक के इस कथन को स्पष्ट करें।
(घ) लेखक की सुबह वाली दिलचस्पी लौटते समय क्यों समाप्त हो चली थी?
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का आशय लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-टॉल्सटाय के घर में, लेखक-रामकुमार।

(ख) लेखक म्यूजियम से बाहर निकलकर अपनी कार से मास्को की ओर रवाना हो गया। उस समय का माहौल और वातावरण सहज शांत था। कार में लगे रेडियो से संगीत की मंद ध्वनि निकल रही थी। शाम का समय था। संध्या की रोशनी धुंधली पड़ रही थी। सूर्य के अस्ताचलगामी हो रहने की स्थिति में पेड़ों की परछाइयाँ लंबी हो रही थीं।

(ग) लेखक दो घंटे से टॉल्सटाय के मकान में भ्रमण कर रहा था। वहाँ टॉल्सटाय तो नहीं थे, क्योंकि वे अतीत की दुनिया में पचास वर्ष पहले खो गए थे, लेकिन लेखक का मन अतीत बने टॉल्सटाय की स्मृति से जुड़ा था। वहाँ से बाहर निकलने पर उसे वर्तमान के एहसास का आभास हुआ। इसीलिए उसे लगा कि वह अतीत की दुनिया से निकलकर बाहर आ रहा है।

(घ) लेखक सुबह में टॉल्सटाय के मकान को देखने के लिए चला था। इसलिए, उसके मन में एक प्रकार की उत्सुकता थी और एक प्रकार का उतावलापन था। लेकिन, उस मकान में भ्रमण करने के बाद जब वह वहाँ से निकला तो उसका सारा जोश, उत्साह और लगन सब कुछ शिथिल पड़ गया था, क्योंकि अब उसमें वह दिलचस्पी ही शांत हो गई थी।

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने टॉल्सटाय के मकान देखने के बाद की अपनी मानसिक अवस्था का वर्णन किया है। लेखक टॉल्सटाय के मकान से निकलकर कार से मास्को की ओर रवाना हो गया। उसे लगा कि जब तक वह टॉल्सटाय के मकान में भ्रमण कर रहा था तब तक वह खुद को अतीत में डूबा पा रहा था। वहाँ से लौटने पर उसे वर्तमान का एहसास हुआ। सुबह जिस समय वह मकान देखने चला था उस समय उसके मन में काफी उत्साह था। वह अब ठंडा हो चुका था। वह कार में आँखें बंद कर टॉल्सटाय के घर के बारे में सोचने में खोया हुआ था।

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions पद्य Chapter 10 अक्षर-ज्ञान

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 2 पद्य खण्ड Chapter 10 अक्षर-ज्ञान Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi Solutions पद्य Chapter 10 अक्षर-ज्ञान

Bihar Board Class 10 Hindi अक्षर-ज्ञान Text Book Questions and Answers

 

कविता के साथ

अक्षर ज्ञान कविता Bihar Board प्रश्न 1.
कविता में तीन उपस्थितियां हैं। स्पष्ट करें कि वे कौन-कौन सी हैं ?
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में प्रवेश, बोध और विकास तीन उपस्थितियाँ आयी हैं अक्षर ज्ञान की प्रक्रिया सबसे पहले प्रवेश की वातावरण में प्रारंभ हुई है। प्रवेश के संपूर्ण वातावरण को यहाँ तैयार किया गया है जहाँ अक्षर ज्ञान की रेखाएँ प्रारंभ से अंत तक सिमटती सिकुड़ती ‘क’, ‘ख’ के चित्र अंकित करती हैं। उसके बाद बोध में कुछ परिपक्वता दिखाई पड़ने लगती है जहाँ अक्षर ज्ञान का एक सुदृढ़ वातावरण आता है जो मूल रूप में बोध कराता है और कौतूहल को जगाता है। अंत में विकास क्रम उपस्थित होता है जहाँ निरंतर आगे बढ़कर अक्षर का मूर्त रूप देने का प्रयास सफल होता है। यह एक सफलता है जहाँ से विकास-क्रम का सिलसिला पूर्णरूपेण जारी हो जाता है।

बिहार बोर्ड हिंदी बुक 10 प्रश्न 2.
कविता में ‘क’ का विवरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवयित्री छोटे बालक द्वारा प्रारम्भिक अक्षर-बोध को साकार रूप में चित्रित करते हुए कहती हैं कि ‘क’ को लिखने में अभ्यास पुस्तिका का चौखट छोटा पड़ जाता है। कर्म पथ भी इसी प्रकार प्रारंभ में फिसलन भरा होता है। ‘क’ को कबूतर मानकर प्रतीकात्मक रूप से अक्षर बोध कराने के सरलतम मार्ग का चित्रण है। साथ ही बालक की चंचलता कबूतर का फुदकना प्रकट करता है। इसी प्रकार ‘क’ की चर्चा में व्यापकता का भाव निहित है।

Hindi Akshar Gyan Book Pdf प्रश्न 3.
खालिस बेचैनी किसकी है ? बेचैनी का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
खालिस बेचैनी खरगोश की है। ‘क’ सीखकर ‘ख’ सीखने के कर्म पथ पर अग्रसर होता हुआ साधक की जिज्ञासा बढ़ती है और वह आगे बढ़ने को बेचैन हो जाता है। खरगोश के माध्यम से ‘ख’ सिखाया जाना बच्चा के लिए सरल है। साथ ही खरगोश की तरह चंचल एवं तेज होकर बालक अपनी सीखने की गति तेज करता है। आशा और विश्वास में वृद्धि होता है। बंचैनी का अभिप्राय है आगे बढ़ने की लालसा, जिज्ञासा एवं कर्म में उत्साह।

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solution प्रश्न 4.
बेटे के लिए ” क्या है और क्यों ?
उत्तर-
बेटे के लिए ‘ङ’ उसको गोद में लेकर बैठने वाली माँ है। माँ स्नेह देती है, वात्सल्य प्रेम देती है। सीखने के क्रम में विफलता का मुँह देखता हुआ, कठिनाइयों का सामना करता हुआ जब बच्चा थके हुए अवस्था में आगे बढ़ता है तब माँ स्नेह की गोद में बिठाकर सांत्वना देती हुई आशा की किरण जगाती है। ‘ङ’ भी ‘क’ से लेकर ‘घ’ तक सीखने के क्रम के बाद आता है। वहाँ स्थिरता आ जाती है, साधना क्रम रुक जाता है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार कर्मरत बालक माँ की गोद में स्थिर हो जाता है।

Bihar Board Solution Class 10 Hindi प्रश्न 5.
बेटे को आँस कब आते हैं और क्यों ?
उत्तर-
यहाँ संघर्षशीलता का चित्रण है। सीखने के क्रम में कठिनाइयों का सामना करते हुए बालक थक जाता है। ‘क’ से लेकर ‘घ’ तक अनवरत सीखते हुए ‘ङ’ सीखने का प्रयास करना कठिन हो जाता है। यहाँ वह पहले-पहल विफल होता है और आँसू आ जाते हैं। कर्म पथ पर
या जीवन पथ पर जब बच्चा अग्रसर होता है और संघर्ष करते हुए, गिरते-उठते चलने का प्रयास करते हुए माँ के निकट जब आता है तब स्नेह का आश्रय पाकर, ममत्व के निकट होकर रो देता है।

Bihar Board Hindi Book Class 10 प्रश्न 6.
कविता के अंत में कवयित्री ‘शायद’ अव्यय का क्यों प्रयोग करती है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
यह पूर्ण सत्य है कि प्रस्तुत कविता में अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण-प्रक्रिया एक चित्रात्मक शैली में की गई है। यह सृष्टि के विकासवाद का सूत्र उपस्थित करता है। सीखाने के क्रम में जो तीन उपस्थिलियाँ उत्पन्न हुई वे विकास का ही द्योतक है। यहाँ कविता के अंत में

‘कवियत्री’ शायद अव्यय का प्रयोग करके यह स्पष्ट करना चाहती है कि जो अक्षर-ज्ञान में बच्चों को मसक्कत करना पड़ता है वही मसक्कत सृष्टि के विकास में करना पड़ा होगा। शायद सृष्टि का प्रारंभिक कर्म गति से चला होगा।

Class 10 Hindi Bihar Board प्रश्न 7.
कविता किस तरह एक सांत्वना और आशा जगाती है ? विचार करें।
उत्तर-
कविता में एक प्रवाह है जो विवासवाद के प्रवाह का बोध कराता है। सांत्वना और आशा सफलता का मूल मंत्र है। विकास क्रम में व्यक्ति जब प्रवेश करता है तब उसे उत्थान-पतन के मार्ग से गुजरना पड़ता है। जैसे अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण-प्रक्रिया अति संघर्षशील होती है। लेकिन अक्षर ज्ञान करवाने वाली ममता की मूर्ति माँ सांत्वना और आशा का बोध कराते हुए शिशु को कोमलता प्रदान करती है और इसी कोमलता में शिशु का प्रयास सफलता के चरम सीमा पर स्थापित करता है।

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions प्रश्न 8.
व्याख्या करें “गमले-सा टूटता हुआ उसका ‘ग’ घड़े-सा लुढ़कता हुआ उसका ‘घ’
उत्तर-
प्रस्तुत व्याख्येय पक्तियाँ हमारी हिन्दी पाठ्य-पुस्तक के ‘अक्षर-ज्ञान’ शीर्षक से उद्धृत है। प्रस्तुत ‘अंश में हिन्दी साहित्यं के समसामयिक कवयित्री अनामिका ने अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक-शिक्षण प्रक्रिया में संघर्षशीलता का मार्मिक वर्णन किया है।
कवयित्री कहते हैं कि बच्चों को अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण प्रक्रिया कौतुकपूर्ण है। एक चित्रमय वातावरण में विफलताओं से जूझते हुए अनवरत प्रयासरत आशान्वित निरंतर आगे बढ़ते हुए बच्चे की कल्पना की गई है। ‘ग’ को सीखना गमले की तरह नाजुक है जो टूट जाता है। साथ ही ‘घ’ घड़े का प्रतीक है जिसे लिखने का प्रयास किया जाता है लेकिन लुढक जाता है अर्थात् गमले की ध्वनि से बच्चा ‘ग’ सीखता है और ‘घडे’ की ध्वनि से ‘घ’ सीखता है।

Bihar Board Hindi Book Class 10 Pdf प्रश्न 9.
‘अक्षर-ज्ञान कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर-
समकालीन कवियत्री अनामिका ने ‘अक्षर-ज्ञान’ शीर्षक कविता में अक्षर-ज्ञान कः प्रक्रिया उसमें आने वाली बाधाओं, हताशाओं और अन्ततः संघर्ष कर असफलता को सफलता में बदलने के संकल्प के साथ सृष्टि की विकास-कथा में मानव की संघर्ष-शक्ति को रेखांकित किया है।

कवयित्री कहती हैं कि माँ ने बेटे की चौखट या स्लेट देकर अक्षर-ज्ञान देना शुरू किया लेखन और ज्ञान प्राप्ति की प्रक्रिया का सरल और रोचक बनाने के लिए उसने कुछ संकेता प्रतीक दिए। बेटे को बताया-‘क’ सं कबूतर, ‘ख’ से खरगोश, ‘ग’ से गमला और ‘घ’ से घड, आदि। बेटे ने लिखना शुरू किया। कबूतर का ध्यान करने के कारण ‘क’ चौखट में न अँटा, ‘ख भी खरगोश की तरह फुदक गया। इसी प्रकार गमला के चक्कर में ‘ग’ टूट गया और ‘घडा के ध्यान में ‘घ’ लुढ़क गया। लंकिन कठिनाई पैदा हुई ‘ङ’ को लेकर। माँ ने समझाया-‘ड’ और बिन्दु (.) उसकी गोद में बैठा बेटा। कोशिश शुरू हुई किन्तु ‘ङ’ सधता ही नहीं था। ब: कोशिश के बाद भी जब ‘ङ’ की मुश्किल हल न हुई हो तो बेटे की आँखों में आँसू आ : किन्तु ये आँसू ‘ङ’ को साधने के प्रयत्न छोड़ने के न थे, इन आँसुओं में ‘ङ’ को साधने का असफलता को धता बताने का संकल्प था।

इस कविता के माध्यम से सृष्टि-विकास-कथा को प्रस्तुत किया गया है। अक्षर-ज्ञान के क्रम __ में आने-वाली कठिनाइयाँ मानव-जीवन की कठिनाइयाँ हैं। मनुष्य जीवन-संघर्ष के शुरुआती दौर में डगमगाता है, लड़खड़ाता है, फिर भी चलता है। किन्तु कभी-कभी जीवन में ऐसे क्षण आत हैं जब आदमी बेहाल हो जाता है। उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं किन्तु मनुष्य हारता ना वह अपनी असफलता को सफलता में बदलने के लिए सन्निद्ध हो जाता है। ये आँसू ही सृष्टि-विकास-कथा के प्रथमाक्षर हैं अर्थात् संघर्ष ही मनुष्य की जिन्दगी की फितरत है। यही इस . कविता की भावना है, सार है।

भाषा की बात

Class 10 Hindi Book Bihar Board प्रश्न 1.
निम्नांकित भिन्नार्थक शब्दों के वाक्य-प्रयोग करते हुए अर्थ स्पष्ट करें-
चौखट-चोखट, बेटा-बाट, खालिस-खलासी, खलिश, थमना-थमकनो, थामना, सपना, साधना, साध, गोदी-गद्दी-गाद, कोशिश-कशिश, विफलता-विकलता।
उत्तर-
चौखट – वह चौखट पर खड़ा है।
चोखट – चोखट दूर गया।
बेटा – वह राम का बेटा है।
बाट – तुम किसकी बाट खोज रहे हो।
खालिस – वह खालिस बेचैनी में है।
खलासी – बस का खलासी भाग गया है।
खलिश – उसके खलिश का क्या कहना?
थमना – उसका पैर थम गया।
थमकना – पैर-थमकना अच्छी बात नहीं है।
थामना – उसने ईश्वर का दामन थाम लिया।
सघना – उसका काम सध गया।
साधना – उसने अपनी साधना पूरी कर ली।
साध – उसने अपना काम साध लिया।
गोदी – शिशु माँ की गोद में बैठा है।
गादी – वह गद्दी पर बैठा है।
गाद – कड़ाही में गाद बैठा हुआ है।
कोशिश – उसने भरपूर कोशिश नहीं की।
कशिश – उसकी कशिश देखने में बनती है।
विफलता – मुझे इस काम में विफलता मिली है।
विकलता – उसकी विकलता बढ़ गई।

Bihar Board Hindi Book Class 10 Pdf Download प्रश्न 2.
कविता में प्रयुक्त क्रियापदों का चयन करते हुए उनसे स्वतंत्र वाक्य बनाएँ।
उत्तर-
अँटता – यह बक्सा चौखट में नहीं अँटता है।
फुदक – चिड़ियाँ फुदकती है।
उतरना – बंदर पंड़ से उतरता है।
लुढकता – गेंद लुढ़कता है।
सघता – उससे यह नहीं सधता है।
मानता – वह अपने गुरू को भगवान मानता है।
छलक. – आँसू छलक पड़े।

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solution In Hindi प्रश्न 3.
निम्नांकित के विपरीतार्थक शब्द दें :
बेटा, कबूतर, माँ, उतरना, टूटना, बेचैनी, अनवरत, आँसू, विफलता, प्रथमाक्षर, विकास-कथा, सृष्टि।।
उत्तर-
बेटा – बेटी
कबुतर – कबूतरी
मा – बाप
उतरना -चढ़ना
टूटना – बचना
बंदैनी – शान्ति
अनवरत – यदा-कदा
आँसू – हँसी
विफलता – सफलता
प्रथमाक्षर – अन्त्याक्षर
विकास – कथा अंतकथा
सृष्टि – प्रलय।

काव्यांशों पर आधारित अर्थ-ग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

1. चौखटे में नहीं अँटता
बेटे का ‘क’
कबूतर ही है न –
फुदक जाता है जरा-सा !

Class 10 Hindi Chapter 1 Bihar Board प्रश्न
(क) कवयित्री तथा कविता का नाम लिखिए।
(ख) काव्यांश का प्रसंग स्पष्ट करें।
(ग) दिये गये पद्यांश का सरलार्थ लिखें।
(घ) भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कविता-अक्षर-ज्ञान।
कवयित्री-अनामिका।

(ख) प्रसंग प्रस्तुत काव्यांश में कवयित्री ने अबोध बालक के द्वारा प्रारंभिक अवस्था में अक्षर बोध का मनोरम चित्रण किया है। अक्षर-ज्ञान के क्रम में बच्चा बार-बार गलती करता है, असफल हो जाता है इसकी झलक दिखायी गयी है। किसी प्रतीक के माध्यम से अक्षर बोध आसानी से होता है यह भी कबूतर की चर्चा करके बताया गया है।

(ग) सरलार्थ प्रस्तुत पद्यांश में शुरुआत में बच्चा अक्षर ज्ञान किस प्रकार प्राप्त करता है, क्या कठिनाइयाँ आती हैं, किस प्रकार असफल हो जाता है इन तथ्यों की अभिव्यक्ति है। कवयित्री कहते हैं कि माँ बच्चा को अभ्यास-पुस्तिका में बने खाने के अन्दर ‘क’ लिखना सिखा रही है। वह चाहती है कि ‘क’ को सुन्दरतम रूप में चौखट के अन्दर लिखे। इसके लिए प्रतीक स्वरूप कबूतर को उपस्थित करते हुए बालक को कबूतर के का लिखने को प्रेरित करती है। किन्तु प्रारंभिक अवस्था के कारण लिखित ‘क’ चौखट से बाहर तक छा जाता है। वह उसके अंदर ठीक से नहीं लिखता मानो कबूतर फुदक रहा हो।

(घ) भाव-सौंदर्य प्रस्तुत पद्यांश में बताया गया है कि बच्चों के अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण-प्रक्रिया कौतुकपूर्ण होती है। सीखने की उत्सुकता बच्चों को विभिन्न वस्तुओं के माध्यम से जागृत कराया जाता है। इन बातों का इस पद्यांश में मनोरम चित्रण है। बहुत ही सुन्दरतम भाव से इसका चित्रण किया गया है। इसमें बाल सुलभ भाव का दर्शन है।

(ङ) काव्य-सौंदर्य-
(i) प्रस्तुत कविता पूर्ण रूप से चित्रात्मक शैली में लिखी गयी है।
(ii) रस की दृष्टि से वात्सल्य रस की पुट देखी जा रही है।
(iii) बाल मनोविज्ञान का अनोखा सामंजस्य होने के कारण भाषा सरल और सुबोध है।
(iv) खड़ी बोली की इस कविता में तद्भव एवं देशज शब्दों का प्रयोग मार्मिकता ला देता है।

2. पंक्ति से उतर जाता है
उसका ‘ख’
खरगोश की खालिम बेचैनी में।
गमले-सा टूटता हुआ उसका ‘ग’
घड़े-सा लुढ़कता हुआ उसका ‘घ’

Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न
(क) कवयित्री तथा कविता का नाम लिखें।
(ख) प्रसंग लिखें।
(ग) सरलार्थ लिखें।
(घ) भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कविता- अक्षर-ज्ञान।
कवयित्री- अनामिका।

(ख) प्रसंग… इस पद्यांश में किसी प्रतीक के माध्यम से बच्चों को अक्षर का बोध आसानी से कराने की बात कही गयी है। साथ ही यह भी बताया गया है कि अक्षर-ज्ञान सीखने में बच्चा बार-बार असफल होता है।

(ग) सरलार्थ… प्रस्तुत पंक्ति में कवयित्री ने चित्रण किया है कि बालक प्रारंभ में बहुत प्रयास से अक्षर ज्ञान प्राप्त करता है। धीरे-धीरे उसे अक्षर का बोध होता है। वह बार-बार अपने मानस-पटल पर अक्षर अंकित करता है और साथ ही साथ बार-बार भूलता भी है। जिस तरह खरगोश अस्थिर होता है, गमला टूट जाता है, घड़ा लुढ़क जाता है उसी प्रकार बच्चा भी चंचलतावश ख, ग, घ इत्यादि अक्षरों के स्मरण-विस्मरण का खेल खेलते रहता है। माँ की गोद में जिस प्रकार बच्चा बैठता है उसी प्रकार किसी अक्षर पर अनुस्वार देने की कल्पना की गई है। इस तरह अनवरत प्रयास, लगातार कोशिश, बार-बार असफल होने के बावजूद विकास-क्रम को कायम करता है।

(घ) भाव-सौंदर्य प्रस्तुत कविता में कवयित्री ने बालक के अनवरत प्रयास, उसकी चंचलता एवं स्मरण-विस्मरण को बड़े ही सुन्दर भाव में प्रस्तुत किया है। खरगोश, गमला एवं घड़ा की प्रतीकात्मकता अक्षर-ज्ञान के लिए सरलतम मार्ग है। इस बात की झलक सहज भाव में कराया गया है।

(ङ) काव्य-सौंदर्य-
(i) इस कविता की शैली चित्रात्मक है।
(ii) वात्सल्य रस की पुट है।
(iii) भाषा सरल और सुबोध है।

ङ पर आकर थमक जाता है
उससे नहीं सधता है ‘ङ’।
“ङ’ के ‘ड’ को वह समझता है ‘माँ’
और उसके बगल के बिंदु (.) को मानता है
गोदी में बैठा ‘बेटा’
माँ-बेटे सधते नहीं उससे
और उन्हें लिख लेने की
अनवरत कोशिश में
उसके आ जाते हैं आँसू।।
पहली विफलता पर छलके ये आँसू ही
हैं शायद प्रथमाक्षर
सृष्टि की विकास-कथा के।

प्रश्न
(क) कवयित्री एवं कविता का नाम लिखिए।
(ख) पद्यांश का प्रसंग लिखिए।
(ग) काव्यांश का सरलार्थ लिखें।
(घ) भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कविता- अक्षर-ज्ञान।
कवयित्री- अनामिका।

(ख) प्रसंग- प्रस्तुत पद्यांश में कवयित्री बालक के अक्षर-ज्ञान के प्रयास का चित्रण करते हुए कहती है कि ‘ड’ माँ का प्रतीक है और (.) बिन्दु बेटे का साथ ही ‘ङ’ माँ की गोद में बैठे बेटे का। ‘ङ’ को सीखने का प्रयास कठिनतम लगता है और इस क्रम में आँसू आ जाता है। आँसू आ जाना कठिन मेहनत से जूझने का प्रतीक है। साथ ही विकास का क्रम की आशय को अभिव्यक्त करते हुए कहती हैं कि विकास की पहली सीढ़ी वही चढ़ता है जो आशा नहीं खोता, आशान्वित रहते हुए, असफलताओं को धक्का देते हुए, अनवरत प्रयासरत रहकर आगे बढ़ता रहता है।

(ग) सरलार्थ- प्रस्तुत पद्यांश में कवयित्री ने अक्षर-ज्ञान प्राप्त कर रहे बच्चे का मनोरम चित्रण किया है। बालक ‘ङ’ को साधने का प्रयास करता है लेकिन सधता नहीं है। फिर भी बालक रुकता नहीं भले ही उसे इसे साधने में आँसू आ जाएँ। अनवरत प्रयास सफलता का द्योतक है, विकास का सूत्र है ऐसा बताया गया है।

कवयित्री कहती है कि माँ-बेटे अर्थात् ‘ङ’ व अक्षर को सीखने में बार-बार असफलता हाथ लगती है। यहाँ तक कि उसे सीखने में असफल होने पर आँसू आ जाते हैं। फिर भी बालक सीखने हेतु जूझते रहता है और विकास-क्रम का प्रथम चरण को छू लेता है। इसमें कहा गया है कि बालक की ज्ञान प्राप्ति कौतुकतापूर्ण एवं कठिनतम होता है। फिर भी अनवरत प्रयास, जिज्ञासा उसे पीछे नहीं मुड़ने देती और विफलताओं का डटकर सामना करते हुए अपने साध्य को साध लेता है। जीवन के विकास कथा का यही मूल मंत्र है। केवल अक्षर ज्ञान नहीं बल्कि सृष्टि का विकास-कथा भी अनवरत प्रयास परिश्रम, विफलता, आशा और जिज्ञासा से युक्त रही है।

(घ) भाव-सौंदर्य– प्रस्तुत काव्यांश में बाल मनोविज्ञान का यथार्थ चित्रण हुआ है। छोटे बच्चों को अक्षर ज्ञान सीखने की प्रक्रिया में माँ की कोमलता और ममता का महत्त्वपूर्ण स्थान माना गया है। अक्षर ज्ञान छोटे बच्चों के निरंतर प्रयास को सम्पूर्ण सफलता का अंतिम चरण माना गया है।

(ङ) काव्य सौंदर्य-
(i) खड़ी बोली की इस कविता में तद्भव एवं देशज शब्दों का प्रयोग मार्मिकता ला देता है।
(ii) बाल मनोविज्ञान का अनोखा सामंजस्य होने के कारण भाषा सरल और सुबोध है।
(iii) यह कविता पूर्णरूपेण चित्रात्मक शैली में लिखित है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. सही विकल्प चुनें

प्रश्न 1.
‘अक्षर-ज्ञान’ किस कवि की रचना है ?
(क) सुमित्रानंदन पंत
(ख) रामधारी सिंह दिनकर
(ग) रेनर मारिया रिल्के
(घ) अनामिका
उत्तर-
(घ) अनामिका

प्रश्न 2.
अनामिका किस काल की कवयित्री हैं ?
(क) रीतिकाल
(ख) भक्तिकाल
(ग) समकालीन
(घ) आदिकाल
उत्तर-
(ग) समकालीन

प्रश्न 3.
चौखट में बेटे का क्या नहीं अँटता?
(क) क
(ख) ख
(ग) ग
(घ) घ
उत्तर-
(क) क

प्रश्न 4.
बच्चा कहाँ आकर थमक जाता है ?
(क) ‘ख’ पर
(ख) ‘ग’ पर
(ग) ‘घ’ पर
(घ) ‘ङ’ पर
उत्तर-
(घ) ‘ङ’ पर

प्रश्न 5.
कवियत्री अनामिका के अनुसार सृष्टि की विकास-कथा के प्रथमाक्षर क्या हैं ?
(क) सफलता की खुशी
(ख) विफलता के आँसू
(ग) मुक्ति की खोज
(घ) सुख की प्राप्ति
उत्तर-
(ख) विफलता के आँसू

प्रश्न 6.
काव्य-रचना के अलावा अनामिका किन विधाओं में सक्रिय हैं ?
(क) गद्य लेखन और आलोचना
(ख) नाट्य-लेखन
(ग) पत्रकारिता
(घ) उपन्यास-लेखन
उत्तर-
(क) गद्य लेखन और आलोचना

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 1.
………समकालीन हिन्दी कविता की महत्त्वपूर्ण कवयित्री हैं।
उत्तर-
अनामिका

प्रश्न 2.
अनामिका का जन्म में हुआ।
‘उत्तर-
मुजफ्फरपुर

प्रश्न 3.
कबूतर ही है.न ……….जाता है जरा-सा।
उत्तर-
फुदक

प्रश्न 4.
…………से उतर जाता है उसका ‘ख’
उत्तर-
पक्ति

प्रश्न 5.
‘ङ’ के ‘ड’ को वह समझता है ………. ।
उत्तर-
माँ

प्रश्न 6.
…….. सधते नहीं उससे।
उत्तर-
माँ-बेटे

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अनामिका को अब तक कौन-कौन पुरस्कार प्राप्त हुए हैं?
उत्तर-
अनामिका को अबतक राष्ट्रभाषा परिषद पुरस्कार, भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, ऋतुराज साहित्यकार सम्मान और गिरिजा कुमार माथुर पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।

प्रश्न 2.
अनामिका की रचनाएँ किस लिए जानी जाती हैं ?
उत्तर-
अनामिका की रचनाएँ समसामचिक बोध और समाज के वंचितों के प्रति सहानुभूति
के लिए जानी जाती हैं।

प्रश्न 3.
किस अक्षर को लिखने की अनवरत् कोशिश में बालक के आँसू निकल आते हैं ?
उत्तर-
‘ङ’ लिखने की अनवरत् कोशिश में बच्चे के आँसू निकल आते हैं।

प्रश्न 4.
बच्चे की आँखों में आँसू क्यों निकलते हैं ?
उत्तर-
बच्चे की आँखों से आँसू न लिखने की विफलता पर निकलते हैं।

प्रश्न 5.
कवियत्री की दृष्टि में विफलता के आँसू क्या हैं ?
उत्तर-
कवियत्री की दृष्टि में विफलता के आँसू सृष्टि की विकास-कथा के प्रथमाक्षर हैं।

व्याख्या खण्ड

प्रश्न 1.
चौखटे में नहीं अँटता
बेटे का ‘क’
कबूतर ही है न-
फुदुक जाता है जरा-सा!
पंक्ति से उतर जाता है
उसका ‘ख’
खरगोश की खालिस बेचैनी में !
गमले-सा टूटता हुआ उसका ‘ग’
“घड़े-सा लुढ़कता हुआ उसका ‘घ’
“ड’ पर आकर थमक जाता है
उससे नहीं सधता है ‘ङ’।
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘अक्षर-ज्ञान’ काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन काव्य पंक्तियों का प्रसंग मनुष्य के बचपन में अक्षर-ज्ञान से है। कवयित्री का कहना है कि बेटा इतना अबोध है कि उसका ‘क’ बनाये गए कोष्ठकों यानी चौखटे में नहीं अँटता है। ‘क’ से कबूतर की संज्ञा देते हुए बच्चा लिखता है बच्चे में और कबूतर में समानता झलकती है। दोनों फुदकने, कूदने, स्वछंद विचरण करने की अवस्था में हैं। दोनों की प्रकृति मिलती-जुलती है। ‘क’ लिखने के क्रम में कोष्ठक से अक्षर इधर-उधर बढ़ जाता है। जिस प्रकार कबूतर स्थिर नहीं सका ठीक उसी प्रकार ‘क’ भी कोष्ठक में नहीं अँटता। कोठे से बाहर इधर-उधर बढ़ जाता है वह कोठे की सीमा-रेखा को लाँघ जाता है। ‘ख’ भी खरगोश की तरह लिखता है ‘ख’ लिखने में भी खरगोश सदृश वह खेसा करता है जिससे ठीक कोई में वह नहीं अँटता।

‘ग’ भी वह ऐसा लिखता है मानो टूटे हुए गमले को दिखाता हो ! वह घड़े की तरह लुढ़कते रूप में ‘घ’ लिखता है। कहने का मूल भाव यह है कि बचपन तो बचपन होता है। उसमें अबोधता, अल्पज्ञता और मासूमियत होती है। चंचलता और निर्मलता का भाव होता है। कबूतर, खरगोश और घड़ा, ये ऐसे प्रतीक रूप हैं जिनसे बच्चे का मनोविज्ञान जुड़ा हुआ है। अक्षर-ज्ञान के क्रम में इन पक्षियों, जंतुओं और पात्रों से उसके बाल-मन पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। यहाँ मनोवैज्ञानिक भाव दिखाये गए हैं। बचपन में बच्चा कैसे अक्षर-ज्ञान की ओर उन्मुख होता है और धीरे-धीरे अक्षर-ज्ञान से परिचित होता है। ‘ङ’ पर उसके हाथ रुक जाते हैं। वह ‘ङ’ लिखने में दिक्कतों का अनुभव करता है। बच्चा ङ को माँ और उससे सटं शून्य को बेटा का रूप मानकर अक्षर-ज्ञान सीखता है।

इस अक्षर-ज्ञान द्वारा कवयित्री ने सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक भावों, हमारी सृष्टि की क्षमता का सूक्ष्म चित्रण, सृजन की महत्ता और माँ-बेटे के रिश्ते को ‘ङ’ अक्षर के माध्यम से प्रदर्शित किया है, व्याख्यायित किया है। यहाँ सरल भाव के साथ गूढ़ भावार्थ भी कविता में निहित है। इसमें बचपन से लेकर सृष्टि की सूक्ष्म व्याख्या भी कवयित्री ने अक्षर-ज्ञान के माध्यम से हमें करायी है। इसमें मनोवैज्ञानिक स्थितियों का सूक्ष्म चित्रण भी है।

प्रश्न 2.
ङ के ‘ड’ को वह समझता है ‘माँ’
और उसके बगल के बिन्दु (.) को मानता है
गोदी में बैठा ‘बेटा’
माँ-बेटे सधते नहीं उससे
और उन्हें लिख लेने की
अनवरत कोशिश में
उसके आ जाते हैं आँसू।
पहली विफलता पर छलके ये आँसू ही
हैं शायद प्रथमाक्षर
सृष्टि की विकास-कथा के।
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के अक्षर-ज्ञान काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग बच्चे के अक्षर-ज्ञान के साथ सृष्टि की सृजन-प्रक्रिया से भी है। यहाँ अक्षर-ज्ञान का वर्णन तो हुआ ही है—माँ-बेटे के बीच के कोमल संबंधों की सूक्ष्म व्याख्या भी की गयी है। कवयित्री अक्षर-ज्ञान के बहाने बच्चे के उर्वर मस्तिष्क के प्रति भी हमें आकृष्ट करती है। यहाँ ‘ङ’ अक्षर-ज्ञान के सिलसिले में बच्चा को माँ के रूप में देखता है तथा ङ के पेट में जो (.) बिन्दु है उसे बेटा मानता है। कवयित्री की सूक्ष्म एवं पैनी दृष्टि की दाद देनी होगी। बच्चे को अक्षर-ज्ञान के साथ सृष्टि के सृजनकारी रूपों से भी परिचय कराती है। यहाँ एक साथ दो ज्ञान उपलब्ध कराकर सज्ञान बनाना अत्यंत ही चिंतन का विषय है।

माँ-बेटे के कोमल एवं प्राकृतिक संबंधों को एक अक्षर ‘ङ’ के माध्यम से व्यक्त कर कवयित्री ने अपनी काव्य प्रतिभा के साथ तेजस्विता का भी परिचय दिया है। माँ बेटे को बार-बार अक्षर-ज्ञान कराकर उसे सिद्ध रूप में स्थिर कर देना चाहती है लेकिन बच्चा अबोध और चंचल है। बार-बार कोशिश के बावजूद भी वह थक जाता है। कभी रोने लगता है। यह उसकी विफलता के आँसू हैं। लेकिन इन आँसुओं में, प्रथमाक्षर-ज्ञान में सृष्टि की विकास-कथा भी छिपी हुई है। अंध युग से अपनी यात्रा को अबाध गति से ले चलते हुए मनुष्य आज यहाँ तक आया है। उसका बचपन उसकी प्रौढ़ता में ढल चुका है। उसका ‘क’ उसकी कुशलता के रूप में दिखायी पड़ता है।
आज वह धीरे-धीरे चलकर विकास-यात्रा के लक्ष्य शिखर तक पहुँच पाया है। उसको इस यात्रा में अनेक यंत्रणाओं, संघर्षों को झेलना पड़ा है।

अक्षर-ज्ञान कवित्री परिचय

समकालीन हिंदी कविता में अपनी एक अलग पहचान रखनेवाली कवयित्री अनामिका का जन्म 17 अगस्त 1961 ई० में मुजफ्फरपुर, बिहार में हुआ । उनके पिता श्यामनंदन किशोर हिंदी के गीतकार और बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष थे । अनामिका ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम० ए० किया और वहीं से पीएच० डी० की उपाधि पायी। सम्प्रति, वे सत्यवती कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में प्राध्यापिका हैं।
अनामिका कविता और गद्य लेखन में एकसाथ सक्रिय हैं । वे हिंदी और अंग्रेजी दोनों में लिखती – हैं। उनकी रचनाएँ हैं – काव्य संकलन : ‘गलत पते की चिट्ठी’, ‘बीजाक्षर’, ‘अनुष्टुप’ आदि आलोचना : ‘पोस्ट-एलिएट पोएट्री’, ‘स्त्रीत्व का मानचित्र’ आदि । संपादन : ‘कहती हैं औरतें’ ‘(काव्य संकलन) । अनामिका को राष्ट्रभाषा परिषद् पुरस्कार, भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, गिरिजा कुमार माथुर पुरस्कार ऋतुराज साहित्यकार सम्मान आदि प्राप्त हो चुके हैं।

एक कवयित्री और लेखिका के रूप में अनामिका अपने वस्तुपरक समसामयिक बोध और संघर्षशील वंचित जन के प्रति रचनात्मक सहानुभूति के लिए जानी जाती हैं । स्त्री विमर्श में सार्थक हस्तक्षेप करने वाली अनामिका अपनी टिप्पणियों के लिए भी उल्लेखनीय हैं।

प्रस्तुत कविता समसामयिक कवियों की चुनी गई कविताओं की चर्चित शृंखला ‘कवि ने कहा’ से यहाँ ली गयी है । प्रस्तुत कविता में बच्चों के अक्षर-ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण-प्रक्रिया के कौतुकपूर्ण वर्णन-चित्रण द्वारा कवयित्री गंभीर आशय व्यक्त कर देती हैं।

अक्षर-ज्ञान Summary in Hindi

पाठ का अर्थ

समकालीन हिन्दी कविता में अपनी एक अलग पहचान रखने वाली कवयित्री और लेखिका के रूप में अनामिका अपने वस्तु परक और समसामयिक बोध और संघर्षशील वंचित जन के प्रति रचनात्मक सहानुभूति के लिए जानी जाती है। स्त्री विमर्श में सार्थक हस्तक्षेप करनेवाली अनामिका अपनी टिप्पणियों के लिए भी उल्लेखनीय हैं।

प्रस्तुत कविता समसामयिक कवियों की चुनी गई कविताओं की चर्चित श्रृंखला ‘कवि ने कहा’ से यहाँ ली गयी है। प्रस्तुत कविता में बच्चों के अक्षर ज्ञान की प्रारंभिक शिक्षण-प्रक्रिया का वर्णन किया गया है। बच्चों का अक्षर ज्ञान वैविध्यपूर्ण होता है। उसके मनोभावों को पढ़ना और उसके सहज बोध के द्वारा सीखाना अध्यापक अध्यापिका की शिक्षण कला का प्रदर्शन होता है। बच्चों को पढ़ाने के लिए स्वयं बच्चा बनना पड़ता है। माँ पहली अध्यापिका होती है। जीवन बोध की पहला अक्षर ज्ञान उसी के द्वारा प्राप्त होता है। ‘क’ लिखाने की प्रक्रिया पूरी भी नहीं होती है कि ‘ख”आकर नीचे उत्तर जाती है। ‘ग’ में बेचैनी दिखती है कि ‘घ’ घड़ा की तरह लुढ़क जाता है। वस्तुतः कवयित्री माँ और बेटे के माध्यम से अक्षर ज्ञान को सहज बोध को अपने ढंग से प्रस्तुत करना चाहती है। माँ-बेटे अक्षर ज्ञान के लिए अथक परिश्रम करते हैं फिर भी असफलता ही हाथ  लगती है। पहली विफलता पर आँसू छलक जाते हैं। ये आँसू ही अक्षर-ज्ञान का पहला अक्षर हैं। सृष्टि की विकास की कथा इसी अक्षर ज्ञान से लिखी हुई है।

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वोध और अभ्यास

पाठ के साथ

Jit Jit Main Nirkhat Hun Bihar Board प्रश्न 1.
लखनऊ और रामपुर से बिरजू महाराज का क्या संबंध है ?
उत्तर-
लखनऊ में बिरजू महाराज का जन्म हुआ था। और बहनों का जन्म रामपुर में। रामपुर में बिरजू महाराज काफी दिन रहे।

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solution प्रश्न 2.
रामपुर के नवाब की नौकरी छुटने पर हनुमान जी को प्रसाद क्यों चढ़ाया ?
उत्तर-
रामपुर के नवाब की नौकरी छूटने पर हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाया क्योंकि महाराज जी छह साल की उम्र में नवाब साहब के यहाँ नाचते थे। अम्मा परेशान थी। बाबूजी नौकरी छूटने । के लिए हनुमान जी का प्रसाद माँगते थे। नौकरी से जान छूटी इसलिए हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाया गया।

Bihar Board Hindi Book Class 10 Pdf Download प्रश्न 3.
नृत्य की शिक्षा के लिए पहले-पहल बिरजू महाराज किस संस्था से जुड़े और वहाँ किनके सम्पर्क में आए ?
उत्तर-
पहले-पहल उन्होंने निर्मला जी के स्कूल दिल्ली में हिन्दुस्तानी डान्स म्यूजिक से जुड़े। वहाँ वे कपिला जी, लीला कृपलानी आदि के संपर्क में आये।

Bihar Board Solution Class 10 Hindi प्रश्न 4.
किनके साथ नाचते हुए बिरजू महाराज को पहली बार प्रथम पुरस्कार मिला?
उत्तर-
कलकत्ता में बिरजू महाराज को पहली बार प्रथम पुरस्कार मिला। इसमें शम्भू महाराज चाचा जी और बाबू जी दोनों नाचे।

Bihar Board 10th Hindi Book प्रश्न 5.
बिरजू महाराज के गुरु कौन थे ? उनका संक्षिप्त परिचय दें।
उत्तर-
बिरजू महाराज के गुरु उनके बाबूजी थे। वे अच्छे स्वभाव के थे। वे अपने दुःख को व्यक्त नहीं करते थे। उन्हें कला से बेहद प्रेम था। जब बिरजू महाराज साढ़े नौ साल के थे, उसी समय बाबूजी की मृत्यु हो गई। महाराज को तालीम बाबूजी ने ही दिया।

Class 10th Hindi Bihar Board प्रश्न 6.
बिरजू महाराज ने नृत्य की शिक्षा किसे और कब देने शुरू की?
उत्तर-
बिरजू महाराज ने नृत्य की शिक्षा रश्मि जी को करीब 56 के आसपास जब उन्हें सीखने वाले की खोज थी, देनी शुरू की। उस समय महाराज को सही पात्र की खोज थी।

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solution In Hindi Pdf Download प्रश्न 7.
बिरजू महाराज के जीवन में सबसे दुःखद, समय कब आया ? उससे संबंधित प्रसंग का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
जब महाराज जी के बाबूजी की मृत्यु हुई तब उनके लिए बहुत दुखदायी समय व्यतीत हुआ। घर में इतना भी पैसा नहीं था कि दसवाँ किया जा सके। इन्होंने दस दिन के अन्दर दो प्रोग्राम किए। उन दो प्रोग्रामों से 500 रु० इकट्ठे हुए तब दसवाँ और तेरह की गई। ऐसी हालत में नाचना एवं पैसा इकट्ठा करना महाराजजी के जीवन में दु:खद समय आया।

Class 10th Hindi Godhuli Question Answer प्रश्न 8.
शंभू महाराज के साथ बिरजू महाराज के संबंध में प्रकाश डालिए।
उत्तर-
शंभू महाराज के साथ बिरजू महाराज बचपन में नाचा करते थे। आगे भारतीय कला केन्द्र में उनका सान्निध्य मिला। शम्भ महाराज के साथ सहायक रहकर कला के क्षेत्र में विकास किया। शम्भू महाराज उनके चाचा थे। बचपन से महाराज को उनका मार्गदर्शन मिला।

Hindi Bihar Board Class 10 Bihar Board प्रश्न 9.
कलकत्ते के दर्शकों की प्रशंसा का बिरजू महाराज के नर्तक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
कलकत्ते के एक कांफ्रेंस में महाराजजी नाचे। उस नाच की कलकत्ते के श्रोताओं दर्शकों ने प्रशंसा की। तमाम अखबारों में छा गये। वहाँ से इनके जीवन में एक मोड़ आया। उस समय से निरंतर आगे बढ़ते गये।

प्रश्न 10.
संगीत भारती में बिरजू महाराज की दिनचर्या क्या थी?
उत्तर-
संगीत भारती में प्रारंभ में 250 रु० मिलते थे। उस समय दरियागंज में रहते थे। वहाँ से प्रत्येक दिन पाँच या नौ नंबर का बस पकड़कर संगीत भारतीय पहुँचते थे। संगीत भारती में इन्हें प्रदर्शन का अवसर कम मिलता था। अंततः दुःखी होकर नौकरी छोड़ दी।

प्रश्न 11.
बिरजू महाराज कौन-कौन से वाद्य बजाते थे।
उत्तर-
सितार, गिटार, हारमोनियम, बाँसुरी, तबला और सरोद।

प्रश्न 12.
अपने विवाह के बारे में बिरजू महाराज क्या बताते हैं ?
उत्तर-
बिरजू महाराज की शादी 18 साल की उम्र में हुई थी। उस समय विवाह करना महाराज अपनी गलती मानते हैं। लेकिन बाबूजी की मृत्यु के बाद माँ ने घबराकर जल्दी में शादी कर दी। शादी को नुकसानदेह मानते हैं। विवाह की वजह से नौकरी करते रहे।

प्रश्न 13.
बिरजू महाराज की अपने शागिर्दो के बारे में क्या राय है?
उत्तर-
बिरजू महाराज अपने शिष्या रश्मि वाजपेयी को भी अपना शार्गिद बताते हैं। वे उन्हें शाश्वती कहते हैं। इसके साथ ही वैरोनिक, फिलिप, मेक्लीन, टॉक, तीरथ प्रताप प्रदीप, दुर्गा इत्यादि को प्रमुख शार्गिद बताये हैं। वे लोग तरक्की कर रहे हैं, प्रगतिशील बने हुए हैं, इसकी भी चर्चा किये हैं।

प्रश्न 14.
व्याख्या करें
(क) पांच सौ रुपए देकर मैंने गण्डा बंधवाया।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘जित-जित मैं निरखत हूँ’ पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का संबंध बिरजू महाराज से है।
बिरजू महाराज को शिक्षा उनके पिताजी से ही मिली थी। वे ही उनके आरंभिक गुरु थे। गुरु-दक्षिणा में पिताजी ने अम्मा से कहा कि जबतक तुम्हारा लड़का नजराना यानी गुरु दक्षिणा नहीं देगा तबतक मैं उसे गण्डा नहीं बांधूंगा। बिरजूजी को 500/- पाँच सौ रुपये के दो प्रोग्राम मिले थे। जब बिरजूजी ने 500 रुपये पिताजी को दिया, तभी पिताजी ने गंडा बाँधा। उन्होंने कहा कि यह दक्षिणा मेरी है अतः, इसमें से एक भी पैसा नहीं दूंगा। मैं इसका गुरु हूँ और इसने नजराना मुझे दिया है तब 500 रुपये देकर बिरजूजी ने अपने पिता से गंडा बंधवाया।

इन पंक्तियों से आशय यह झलकता है कि गुरु-शिष्य की परंपरा बड़ी पवित्र परंपरा है। इसकी मर्यादा रखनी चाहिए। तभी तो पिता-पुत्र का संबंध रहते हुए बिरजू महाराज के पिताजी ने गुरु-शिष्य का संबंध रखा, पिता-पुत्र का नहीं। गुरु-दक्षिणा में 500/- रुपये लेकर ही गंडा बाँधा। इस प्रकार गुरु की महिमा बड़ी है। मर्यादायुक्त है, उसकी रक्षा होनी चाहिए।

(ख) मैं कोई चीज चुराता नहीं हूँ कि अपने बेटे के लिए ये रखना है, उसको सिखाना है।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक से ‘जित जित मैं निरखत हूँ’ पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का संबंध बिरजू महाराज के गुरु-शिष्य संबंध से है। जब बिरजूजी किसी को नृत्य सिखाते थे तो कोई भी कला चुराते नहीं थे। यानी लड़का-लड़की का भेदभाव नहीं रखते थे। समान व्यवहार और समान शिक्षा देते थे। यह नहीं कि किसी को किसी भाववश कुछ सिखाया और कुछ चुरा लिया। अपने बेटे और अन्य शिष्यों में भी कोई भेदभाव नहीं रखते थे।

उनकी शिष्यों के प्रति उदार भावना थी और भीतर मन में किसी भी प्रकार की कलुषित भावना नहीं थी।
उनमें यह भेद नहीं था कि बेटे के लिए अच्छी चीजों को चुराकर रखना है, दूसरों को आधी-अधूरी शिक्षा देनी है।
इन पंक्तियों में बिरजूजी के मनोभावों का पता चलता है। उनमें पुत्र-शिष्य का लड़का-लड़की का भेदभाव नहीं था। विचार में पवित्रता और गुरु की सदाशयता थी।

(ग) मैं तो बेचारा उसका असिस्टेंट हूँ। उस नाचने वाले कार
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘जित-जित मैं निरखत’ हूँ। पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का संबंध लेखक के नृत्य और उनके व्यक्तिगत जीवन से है। बिरजूजी का कहना है कि मेरे नाच पर बहुत लोग खुश हो जाते हैं, देखने आते हैं, ये मेरे चाहनेवाले हैं, मरे आशिक हैं। लेकिन फिर बिरजू महाराज स्वयं को प्रस्तुत करते हुए कहते हैं कि मेरा क्या? लोग तो मेरे
नृत्य की वजह से मेरी तारीफ करते हैं, मुझे चाहते हैं। मेरे और लोगों के बीच जो प्रेम-संबंध है वह तो नाच के कारण है। उसमें मैं कहाँ। वहाँ तो कला है, नाच है। मैं तो उस नाच का ‘ असिस्टेंट हूँ। सहायक हूँ।

इन पंक्तियों में बिरजूजी अपने को और नाच के बीच लोगों के प्यार, स्नेह, सम्मान की चर्चा करते हुए कहते हैं कि सम्मान मेरा नहीं मेरे नाच का है। मैं तो उसका सहायक हूँ। इस प्रकार कला या गुण सर्वोपरि है। आदमी कुछ नहीं है। उसकी गुणवत्ता की पूजा होती है, सम्मान मिलता है।

प्रश्न 15.
विग्ज महाराज अपना सबसे बड़ा जज किसको मानते थे?
उत्तर-
बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज अपनी अम्मा को मानते थे। जब वे नाचते थे और अम्मा देखती थी तब वे अम्मा से अपनी कमी या अच्छाई के बारे में पूछा करते थे। उसने बाबूजी से तुलना करके इनमें निखार लाने का काम किया।

प्रश्न 16.
पुराने और आज के नर्तकों के बीच बिरजू महाराज क्या फर्क पाते हैं ?
उत्तर-
पुराने नर्तक कला प्रदर्शन करते थे। कला प्रदर्शन शौक था। साधन के अभाव में भी उत्साह होता था। कम जगह में गलीचे पर गड्ढा, खाँचा इत्यादि होने के बावजूद बेपरवाह होकर कला प्रदर्शन करते थे। लेकिन आज के कलाकार मंच की छोटी-छोटी गलतियों को ढूंढते हैं। चर्चा का विषय बनाते हैं। उस समय न एयर कंडीशन होता, न ही बहुत अधिक अन्य सुविधाएँ। उसके बावजूद उत्साह था, लेकिन आज सुविधा की पूर्णता होते हुए भी मीन-मेख निकालने की परिपाटी विकसित हुई है।

प्रश्न 17.
पांच सौ रुपए देकर गण्डा बंधवाने का क्या अर्थ है?
उत्तर-
बिरजू महाराज के पिता ही उनके गुरु थे। उनके पिता में गुरुत्व की भावना थी। बिरजू महाराज अपने गुरु के प्रति असीम आस्था और विश्वास व्यक्त करते हुए अपने ही शब्दों में कहते हैं कि यह तालीम मुझे बाबूजी से मिली है। गुरु दीक्षा भी उन्होंने ही मुझे दी है। गण्डा भी उन्होंने ही मुझे बांधा। गण्डा का अभिप्राय यहाँ शिष्य स्वीकार करने की एक लौकिक परंपरा का स्वरूप है। जब बिरजू महाराज के पिता उन्हें शिष्य स्वीकार कर लिये तो बिरजू महाराज ने गुरु दक्षिणा के रूप में अपनी कमाई का 500 रुपये उन्हें दिये।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
काल रचना स्पष्ट करें
(क) ये शायद 43 की बात रही होगी।
उत्तर-
1943 ई की।

(ख) यह हाल अभी भी है।
उत्तर-
1943 ई की।

(ग) उस उम्र में न जाने क्या नाचा रहा होऊँगा।
उत्तर-
5 वर्ष की उम्र में (43 ई. में)

(घ) अब पचास रुपये में रिक्शे पर खर्च करता तो क्या बचता, और ट्यूशन में नागा हो तो पैसा अलग काट लेते थे।
उत्तर-
1948 ई. में।

(ङ) पचास रुपए में काम करके किसी तरह पढ़ता रहा मैं।
उत्तर-
1948 ई।

प्रश्न 2.
चौदह साल की उम्र में, जब मैं वापस लखनऊ आया फेल होकर, तब कपिला जी अचानक लखनऊ पहुंची मालूम करने कि लड़का जो है वह कुछ करता भी है या आवारा या गिटकट हो गया, वह है कहाँ।
उत्तर-
चौदह साल की उम्र में फेल होकर लखनऊ आया कपिला जी अचानकं लखनऊ आकर पता किया कि लड़का क्या कर रहा है।

(ख) वह तीन साल मैं खूब रियाज किया, मतलब यही सोचकर कि यही टाइम है अमर कुछ बढ़ना है तो अंधेरा करा किया करके करता था जब बाद में थक जाऊँ मैं तो जो भी साज हाथ आए कभी सितार, कभी गिटार, कभी हारमोनियम लेकर बजाऊं मतलब रिलैक्स होने के लिए।
उत्तर-
अंधेरा कमरा करके तीन साल मैं खूब रियाज किया और थक जाने पर सितार, गिटार, हारमोनियम रिलेक्स के लिए बजाता।

प्रश्न 3.
पाठ से ऐसे दस वाक्यों का चयन कीजिए जिससे यह साबित होता हो कि ये वाक्य आमने-सामने बैठे व्यक्तियों के बीच की बातचीत के हैं, लिखित भाषा के नहीं।
उत्तर-
(क) जन्म मेरा लखनऊ के जफरीन अस्पताल में 1938, 4 फरवरी, शुक्रवार, सुबह 8 बजे।
(ख) आपको मंच का कुछ अनुभव या संस्मरण बचपन के हैं।
(ग) आपको आगे बढ़ाने में अम्मा जी का बहुत बड़ा हाथ है।
(घ) अपने शार्गिों के बारे में बताएँ।
(ङ) अब तुम हो इतने अर्से से।
(च) शाश्वती लगी हुई है।
(छ) लड़कों में कृष्णमोहन, राममोहन को उतना ध्यान नहीं है।
(ज) आपको संगीत नाटक अकादेमी अवार्ड कब मिला। (अ) केशवभाई और मैं साथ ही रहते थे।
(अ) शागिर्द मैं बाबूजी का हूँ।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों से अव्यय का चुनाव करें।
(क) जब अंडा कहकर पूछे तो नहीं खाता था, पर जब मूंग की दाल कहें तो बड़े मजे से खा लेता था।
उत्तर-
जब, तो, पर, तो आदि।

(ख) एक सीताराम बागला करके लड़का था अमीर घर का।
उत्तर
एक करके।

(ग) बिलकुल पैसा नहीं था घर में कि उनका दसवाँ किया जा सके।
उत्तर-
बिलकुल, जा आदि।

(घ) फिर जब एक साल हो गया तो कहने लगे कि अब तुम परमानेंट हो गए।
उत्तर-
फिर, जब, एक, तो, अब आदि।

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

1.बिरजू महाराज : जन्म मेरा लखनऊ के जफरीन अस्पताल में 1938, 4 फरवरी, शुक्रवार, सुबह 8 बजे; वसंत पंचमी के एक दिन पहले हुआ। घर में आखिरी सन्तान। तीन बहनों के बाद। सबसे छोटी बहन मुझसे आठ नौ साल बड़ी। अम्मा तब 28 के लगभग रही होंगी। बहनों का जन्म रामपुर में क्योंकि बाबूजी यहाँ 22 साल रहे। बड़ी बहन लगभग 15 साल बड़ी। उस समय बाबूजी रायगढ़ आदि राजांओं के यहाँ भी गए। मैं डेढ़ दो साल का था। उस समय विभिन्न राजा कुछ समय के लिए कलाकारों को माँग लिया करते थे। पटियाला भी गए थे पहले। रायगढ़ दो ढाई साल रहे होंगे। रामपुर लौटकर आए। रामपुर काफी अरसे रहे। जब पाँच छह साल के थे तो अकसर नवाब याद कर लिया करते थे। हलकारे आ गए तो जाना ही पड़ता था। चाहे जो भी वक्त हो।

प्रश्न
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) बिरजू महाराज का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
(ग) महाराज अपने माता-पिता की कौन-सी संतान थे ?
(घ) महाराज की बहनों का जन्म कहाँ हुआ था?
(ङ) बडी बहन महाराज से कितने बडी थी?
(च) बाबूजी रामपुर में कितने दिन रहे थे?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम-जित-जित मैं निरखत हैं।
लेखक का नाम- पं बिरजू महाराज।
(ख) बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी, 1938 में जफरीन अस्पताल, लखनऊ में हुआ था।
(ग) महाराज अपने माता-पिता की आखिरी संतान थे।
(घ) महाराज की बहनों का जन्म रामपुर में हुआ था।
(ङ)बड़ी बहन महाराज से लगभग 15 साल बड़ी थी।
(च) बाबूजी रामपुर में 22 साल रहे थे।

2. छह साल की उम्र में मैं नवाब साहब को बहुत पसंद आ मया। मैं नाचता था जाकर। पीछे पैर मोड़कर बैठना पड़ता था। चूड़ीदार पैजामा साफा, अचकन पहन कर। अम्मा जी बेचारी बहुत परेशान। उन्होंने हमारे तनख्वाह भी बाँध दी थी। बाबूजी रोज हनुमानजी का प्रसाद माँगे कि 22 साल गुजर गए, अब नौकरी छूट जाए। नवाब साहब बहुत नाराज कि तुम्हारा लड़का नहीं होगा तो तुम भी नहीं रह सकते। खैर बाबू जी बहुत खुश हुए और उन्होंने मिठाई बांटी। हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाया कि जान छूटी।

प्रश्न
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) कितने साल की उम्र में महाराज नवाब को पसंद आ गये थे।
(ग) बचपन में नवाब के समक्ष क्या पहनकर महाराज नाचते थे।
(घ) बाबूजी हनुमान जी का प्रसाद क्यों मांगते थे?
(ङ) बाबूजी हनुमान जी को प्रसाद क्यों चड़ाये ?
उत्तर-
(क)पाठ का नाम–जित-जित मैं निरखत हूँ। लेखक का नाम-बिरजू महाराज।
(ख) छह साल की उम्र में बिरजू नवाब को पसंद आ गये थे।
(ग) बचपन में महाराज चूड़ीदार पैजामा, साफा, अचकन पहनकर नवाब के समक्ष नाचते थे।
(घ) बाबूजीं चाहते थे कि नौकरी छूट जाए, इसलिए हनुमान जी का प्रसाद माँगते थे।
(ङ) नौकरी से जान छूटने की खुशी में हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाया।

3. मेरी एक बड़ी खास आदत रही है, जैसे कि मेरे बाबूजी की भी थी कि जब शार्गिद को सिखा रहे हैं तो पूर्ण रूप से मेहनत कर सिखाना और अच्छा बना देना है। ऐसा बना देना कि मैं खुद हूँ। यह कोशिश है। पर अब भगवान की कृपा भी होनी चाहिए तब। मतलब कोशिश यही रहती है कि मैं कोई चीज चुराता नहीं हूं कि अपने बेटे के लिए ये रखना है उसको सिखाना है।

प्रश्न
(क) पाठ और वक्ता का नामोल्लेख करें।
(ख) बिरजू महाराज का यह कथन किस संदर्भ में है ?
(ग) बिरजू महाराज अपनी किस आदत के बारे में क्या बताते हैं?
उत्तर-
(क) पाठ-जित-जित मैं निरखत हूँ। वक्ता–बिरजू महाराज।
(ख) बिरजू महाराज का यह कथन शिष्यों की शिक्षा के संदर्भ में है।
(ग) बिरजू महाराज अपने शिष्यों को शिक्षा देने के संदर्भ में अपनी आदत का उल्लेख करते – हुए कहते हैं कि अपने पिता की तरह उनकी खास आदत रही है शिष्यों को मेहनत करके सिखाना और उन्हें अच्छा अपने जैसा बनाने की चेष्टा करना है। वे कहते हैं कि वे बेटों और शिष्यों में ‘ भेद नहीं करते। वे जो अपने बेटों-बेटियों को सिखाते हैं, वह सब कुछ अपने शिष्यों को भी सिखाते हैं।

4. बि.म:-अम्माजी का बहुत बड़ा हाथ है। अम्माजी ने तो शुरू से उन बुजुर्गों की तारीफ कर करके मेरे सामने हरदम कि, बेटा वो ऐसे थे, उनको कम-से-कम इतना नाम तो याद था उन बुजुर्गों का। अभी आप दूसरे किसी से पूछे घर में तो उन्हें नाम भी नहीं मालूम था कि कौन थे। चाची (शंभू महाराज की पत्नी) से आप पूछे महाराज बिन्दादीन के बाद पहले और कौन थे तो उनको नहीं मालूम। तुमरियाँ भी मैंने उनसे सीखीं। मेरी वाकई में गुरुवाइन थी; वो माँ तो थीं ही। गुरुवाइन भी। और जब भी मैं नाचता था तो सबसे बड़ा एक्जामिनर या जज अम्मा को समझता था। जब भी वो नाच देखती थीं तो मैं कहता था उनसे कि मैं कहीं गलत तो नहीं कर रहा हूँ। मतलब बाबूजी वाला ढंग है ना कहीं गड़बड़ी तो नहीं हो रही। तो कही नहीं बेटा नहीं। उन्हीं की तस्वीर हो। पर बैले वैले यह तो मेरा भैया क्रियेशन है। वो हरदम ऐसे ही कहती रहीं और लखनऊ के जो बुजुर्ग थे उनसे भी, गवाही ली मैंने। चेंज तो नहीं लग रहा है। “नहीं बेटा वही ढंग है। और तुम्हारा शरीर वगैरह टोटल ढंग वैसा ही है। बैठने का, उठने का, बात करने का। मतलब जैसा था उनका।

प्रश्न
(क) बिरजू को आगे बढ़ाने में किनका हाथ है?
(ख) बिरजू ने अपनी माँ को गुरुवाइन क्यों कहा है ?
(ग) नृत्य करते समय बिरजू अपना जज किसे मानते थे? और क्यों ?
(घ) बिरजू को गवाही लेने के लिए क्या करना पड़ता था ?
उत्तर-
(क) बिरजू को आगे बढ़ाने में उनकी मां का हाथ है।
(ख) बिरजू की माँ अक्सर पूर्वजों का गुणगान कर उनमें हौसला भरा करती थीं। किसी का नाम पूछने पर झट से बता देती थीं। नृत्य में, गलत होने पर समझा देती थीं। अपनी माँ को गुरुवाइन कहा है।
(ग) जज का काम न्याय करना होता है। न्याय के मंच पर बैठा हुआ व्यक्ति अपना-पराया नहीं देखता है। बिरजूजी की मां नृत्य करते समय अच्छे-बुरे की ताकीद किया करती थीं। अच्छा होने पर ही वह अच्छा कहती थीं।
(घ.) नृत्य अच्छा हुआ या नहीं इसके लिए बिरजू महाराज अपनी माँ को नियुक्त करते थे। गायन और नृत्य में कहीं अन्तर तो नहीं हुआ इसके लिए माँ से पूर्वजों का उदाहरण लिया करते थे। इतना ही नहीं लखनऊवासियों से भी हामी भरवाते थे।

5. रामपुर नवाब के महल में भी नाचा हूँ नेपाल महाराज के यहाँ भी नाचा हूँ और जमींदारों के यहाँ भी नाचा हूँ जहाँ का मैं अक्सर तमाशा सुनाता रहता हूँ कि जहाँ महफिल भी लगी है कि लड़का नाचेगा जरा चारों तरफ थोड़ा खिसककर जगह बनाओ तो सब खिसक जायें तो नीचे गलीचा गलीचे पर चांदनी और चाँदनी गलीचे के नीचे जमीन पर कहीं पर गड्ढे हैं कहीं पर खाँचा है मतलब यह सब नहीं कौन परवाह करे। आजकल हमारे नये डांसर हैं कि स्टेज बड़ा खराब है बड़ा टेढ़ा है बड़ा गड्ढा है। हम लोगों को यह सब सोचने का कहाँ मौका मिलता था। अब गर्मी के दिनों में जरा सोचो न एयरकंडीशन; न कुछ वो बड़े-बड़े पंखे लेकर जो नौकर-चाकर थे, वो हाँकते रहते थे। उनसे भी हाथ बचाना पड़ता था। नाचने में उससे न लड़ जायें कहीं। दूसरे कि गैस लाइट जल रही है उसकी भी गर्मी।

प्रश्न
(क) बिरजूजी का नृत्य कहाँ-कहाँ हुआ है ?
(ख) उस समय स्टेज की व्यवस्था कैसे होती थी?
(ग) पहले और आज के नर्तकों में क्या अन्तर है ?
(घ) सफल नर्तक की क्या पहचान है?
उत्तर-
(क) बिरजूजी का नृत्य रामपुर नवाब के महल में, नेपाल महाराज के भवन में, अनेक जमींदारों आदि के यहाँ हुआ है।
(ख) उस समय स्टेज की व्यवस्था अजीबोगरीब होती थी। न समुचित रोशनी की व्यवस्था होती और न ही समतल फर्श आदि की होती थी। नृत्य हो इसके लिए साधारण रूप से व्यवस्था कर दी जाती थी।
(ग) पहले के नर्तक अपनी कला को प्रदर्शन करना जानते थे। उन्हें वाद्य-संयंत्रों, बिजली आदि की व्यवस्था से उतना संबंध नहीं रहता था। जो था उसी पर वे अपनी कला प्रदर्शित कर देते थे। आज के नर्तक कला, प्रदर्शन नहीं बाह्य आडंबर प्रदर्शित करते हैं। आज के लिए उन्हें चकाचौंध स्टेज, परिपूर्ण वाद्य-यंत्र चाहिए।
(घ) सफल नर्तक रंगमंच से प्रभावित नहीं होता है। बल्कि अपनी कला का आत्मसात करना * चाहता है। कला प्रदर्शन की क्षमता ही सफल नर्तक की पहचान है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. सही विकल्प चुनें

प्रश्न 1.
बिरजू महाराज की ख्याति किस रूप में है ?
(क) शहनाईवादक
(ख) नर्तक
(ग) तबलावादक
(घ) संगीतकार
उत्तर-
(ख) नर्तक

प्रश्न 2.
बिरजू महाराज किस शैली के नर्तक हैं?
(क) कथक
(ख) मणिपुरी
(ग) कुचिपुडी
(घ) कारबा
उत्तर-
(क) कथक

प्रश्न 3.
बिरजू महाराज का संबंध किस घराने से है ?
(क) लखनऊ
(ख) डुमराँव
(ग) बनारस
(घ) किसी भी नहीं।
उत्तर-
(क) लखनऊ

प्रश्न 4.
“जित-जित मैं निरखत हूँ’-पाठ का संबंध किससे है ?
(क) शंभु महाराज
(ख) लच्छू महाराज
(ग) बिरजू महाराज
(घ) किशन महाराज
उत्तर-
(ग) बिरजू महाराज

प्रश्न 5.
बिरजू महाराज को संगीत नाटक अकादमी अवार्ड किस उम्र में मिला?
(क) 37 वर्ष
(ख) 27 वर्ष
(ग) 47 वर्ष
(घ) 57 वर्ष
उत्तर-
(ख) 27 वर्ष

प्रश्न 6.
‘जित-जित मैं निरखत हूँ’ पाठ साहित्य की कौन-सी विधा है ?
(क) ललित निबंध
(ख) कहानी
(ग) कविता
(घ) साक्षात्कार
उत्तर-
(घ) साक्षात्कार

II. रिक्त स्थानों की पर्ति

प्रश्न 1.
बिरजू महाराज कथन के लालित्य के …… हैं।
उत्तर-
कवि

प्रश्न 2.
रश्मि वाजपेयी ……… पत्रिका की संपादिका है।
उत्तर-
‘नटरंग’

प्रश्न 3.
बिरजू महाराज का जन्म ……….. 1938 ई. को हुआ।
उत्तर-
4 फरवरी

प्रश्न 4.
शागिर्द मैं …………. का हूँ।
उत्तर-
बाबूजी

प्रश्न 5.
…………. भी मैंने उनसे सीखी।
उत्तर-
ठुमरियाँ

प्रश्न 6.
वैसे-वैसे मेरा …………… है।
उत्तर-
क्रियेशन

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
लच्छु महाराज कैसे आदमी थे ?
उत्तर-
लच्छु महाराज शौकीन आदमी थे और अप-टू-डेट रहते थे।

प्रश्न 2.
बिरजू महाराज के पिता की मृत्यु कब और कैसे हुई?
उत्तर-
बिरजू महाराज के पिता की मृत्यु 54 वर्ष की उम्र में लू लगने से हुई।

प्रश्न 3.
बिरजू महाराज कौन-कौन से वाद्य बजाते थे?
उत्तर-
बिरजू महाराज सितार, गिटार, बाँसुरी, हारमोनियम के अलावा तबला शौक के तौर पर बजाते थे।

प्रश्न 4.
बिरजू महाराज का जन्म कहाँ और कब हआ था?
उत्तर-
बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 ई में लखनऊ के जफरीन अस्पताल में हुआ था।

प्रश्न 5.
बिरजू महाराज किस घराने के कलाकार थे?
उत्तर-
बिरजू महाराज लखनऊ घराने के वंशज और उसकी सातवीं पीढ़ी के कलाकार थे।

प्रश्न 6.
बिरजू महाराज नृत्य की किस शैली के महान नर्तक थे ?
उत्तर-
बिरजू महाराज “कत्थक” नृत्य में पारंगत एक महान नर्तक थे।

प्रश्न 7.
बिरजू महाराज को नृत्य का प्रशिक्षण सर्वप्रथम किससे प्राप्त हुआ?
उत्तर-
बिरजू महाराज के प्रारम्भिक गुरु उनके पिताजी थे और उन्हें सर्वप्रथम प्रशिक्षण उनसे ही प्राप्त हुआ।

प्रश्न 8.
बिरजू महाराज ने सर्वप्रथम नृत्य का प्रदर्शन कब प्रारम्भ किया ?
उत्तर-
मात्र छः साल की उम्र में रामपुर के नवाब साहब की हवेली में उन्होंने नृत्य करना प्रारम्भ किया।

प्रश्न 9.
निर्मला जी कौन थीं तथा बिरजू महाराज का उनसे किस प्रकार का संबंध था अथवा किस प्रकार जुड़े ?
उत्तर-
निर्मला (जोशी) दिल्ली में हिन्दुस्तानी डान्स म्यूजिक नामक संस्था चलाती थीं, जहाँ बिरजू महाराज ने लगभग तीन वर्षों तक कार्य किया।

प्रश्न 10.
लखनऊ और रामपुर से बिरजू महाराज का क्या संबंध है ?
उत्तर-
बिरजू महाराज का जन्म लखनऊ में हुआ था। रामपुर में महाराज जी का अत्यधिक समय व्यतीत हुआ था एवं वहाँ विकास का सुअवसर मिला था।

प्रश्न 11.
नृत्य की शिक्षा के लिए पहले-पहल बिरजू महाराज किस संस्था से जुड़े और वहाँ किनके संपर्क में आए?
उत्तर-
नृत्य की शिक्षा के लिए पहले-पहल बिरजू महाराज जी दिल्ली में हिन्दुस्तानी डान्स म्यूजिक से जुड़े और वहां निर्मला जी जोशी के संपर्क में आए।

प्रश्न 12.
किनके साथ नाचते हुए बिरजू महाराज को पहली बार प्रथम पुरस्कार मिला?
उत्तर-
शम्भू महाराज चाचाजी एवं बाबूजी के साथ नाचते हुए बिरजू महाराज को पहली बार प्रथम पुरस्कार मिला।

जित-जित मैं निरखत हूँ Summary in Hindi

पाठ का सारांश

जन्म मेरो लखनऊ के जफरीन अस्पताल में 1938, 4 फरवरी, शुक्रवार, सुबह 8 बजे : घर में आखिरी सन्तान। तीन बहनों के बाद। छह साल थी उम्र में मैं नवाब साहब को बहुत पसंद आ गया। मैं नवाब साहब के पास जाकर नाचता था।

वहाँ से फिर निर्मला जी के स्कूल में यहाँ दिल्ली में हिन्दुस्तानी डान्स म्यूजिक में चले गए। यहाँ दो तीन साल काम करते रहे। ये शायद 43 की बात रही होगी।

जहाँ वे खुद नाचते तो पहले मुझे नचवाते थे और खूब जोरों से जमकर नाचता था। प्रायवेट प्रोग्राम जिनमें बाबू जी जाते थे जौनपुर, मैनपुरी, कानपुर, देहरादून, कलकत्ता, बंबई आदि, इनमें मुझे जरूर रखते थे। पहले इसीलिए कलकत्ते में बहुत मजा आया। उसमें फर्स्ट प्राइज मिलने वाला था। उसमें शम्भू महाराज चाचाजी और बाबू जी दोनों नाचे। पर उसमें फर्स्ट प्राइज मुझे मिला।

हाँ साढ़े नौ साल की उम्र में बाबू जी मृत्यु हो गई। मुझे तालीम बाबूजी से ही मिला। 500 रुपए देकर मैंने गण्डा बंधवाया। तो शागिर्द मैं बाबू जी का हूँ। उनके मरते ही हम लोगों के बहुत खराब दिन शुरू हो गए। कानपुर में दो ढाई साल रहा। आर्यानगर में 25-25 रुपए की दो ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया। 50 रुपए में काम कर किसी तरह पढ़ता रहा मैं। पिताजी की मृत्यु के समय उनके श्राद्ध कर्म करने के लिए पैसे नहीं। दस दिन के अंदर मैंने दो प्रोग्राम किए। 500 रु. इकट्ठे हुए तो दसवाँ और तेरहवीं की गई।

चौदह साल का था तो संगीत भारती आया। मैंने यहाँ साढ़े चार साल काम किया। संगीत भारती की कमाई से मैंने एक साइकिल खरीदी थी जो मेरे पास आज भी है। और उस साइकिल को मैं नहीं बेचता।

खैर उसमें से रश्मि जी एक लड़की मिली थी। उन्हें पूरे मन से सिखाया। वो तालीम देखकर जो महाराज के यहाँ की लड़कियाँ अट्रेक्ट हुई। क्योंकि तालीम जरा अच्छी थी मेरी। संगीत भारती के जमाने में कलकत्ते में एक कांफ्रेंस में नाचा हूँ। कलकत्ते की ऑडियन्स ने मेरी बड़ी प्रशंसा की। इतनी की कि तमाम अखबारों में मैं छप गया एकदम। उसके बाद हरिदास स्वामी कांफ्रेंस बंबई ब्रजनारायण ने बुलाया। मेरा प्रोग्राम बहुत अच्छा हुआ। उसके बाद से बम्बई, कलकत्ते, मद्रास आदि जगहों पर मेरा प्रोग्राम होने लगा। विदेश दूर में सबसे पहले रूस गये। उसके बाद जर्मनी, जापान, हांगकांग, लाओस, बर्मा आदि।

अम्मा को मैं सबसे बड़ा जज मानता हूँ। जब वो नाच देखती तो मैं पूछता था कि मैं कहीं गलत तो नहीं कर रहा हूँ। मतलब बाबूजी वाला ढंग है ना कहीं गड़बड़ी तो नहीं हो रही। तो कहती नहीं बेटा नहीं। उन्हीं की तस्वीर हो।

शब्दार्थ

क्रोड़स्थ : गोद या अंक में स्थित
हलकार : संदेशवाहक, कारिंदा
साफा : साफ लंबा वस्त्र जिसे नर्तक कंधे से लेकर कमर तक लपेट लेता है
अचकन : पोशाक विशेष
मेजरमेंट : नाप, माप नाप, माप
मस्का : मक्खन (मस्का लगाना या मक्खन लगाना मुहावरा भी है)
परन : तबले के वे बोल जिन पर नर्तक नाचता और ताल देता है ‘
बंदिश : ठुमरी या अन्य प्रकार के गायन के बोल, स्थायी
दाल का चिल्ला : उबले हुए दाल को मसलकर बनाया गया व्यंजन
गण्डा बांधना : दीक्षित करना, शिष्य स्वीकार करना
नजराना : भेंट, उपहार, गुरुदक्षिणा
नागा : अनुपस्थित, हाजिर नहीं होना, गायब रहना
गिरहकट : पैंतरेबाज, गाँठ काट लेनेवाला, पाकेटमार विशेष
परमानेंट : स्थायी
चरण : छंद की एक इकाई
टुकड़े : किसी पद की पंक्ति
तिहाइयाँ : तीसरे हिस्से
बैले : यूरोपीय नृत्य विशेष जिसमें कथानक, भावाभिनय और नृत्य तीनों शामिल
होते हैं
अरसा : समय, अवधि
गलीचा : फर्श या बिस्तर जो नरम हो
मिजराब : सितार बजाने का एक तरह का छल्ला
लहरा : छंदमय आरोही गति जो भावप्रसंग के साथ हो ।
शागिर्द : शिष्य
लाजवाब : जिसका जवाब न हो, अद्वितीय, अनुपम

Bihar Board 9th English Objective Answers Chapter 2 Yayati

Bihar Board 9th English Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 9th English Objective Answers Chapter 2 Yayati

 

Yayati Was A Brave Bihar Board Question 1.
Yayati was filled with
(a) Cruelness
(b) kindness
(c) sadness
(d) happiness
Answer:
(c) sadness

Yayati Question Answer Bihar Board Question 2.
Yayati went to Kubera’s
(a) form
(b) house
(c) park
(d) garden
Answer:
(d) garden

Yayati Class 9 Questions And Answers Question 3.
At kubera’s garden, Yayati spent many years with an
(a) apsara
(b) old lady
(c) old man
(d) saint
Answer:
(a) apsara

Yayati Class 9 Bihar Board Question 4.
Yayati realised that man’s desires can never be completely.
(a) unhappy
(b) satisfied
(c) completed
(d) unsatisfied
Answer:
(b) satisfied

Yayati Realised That Man’s Desire Question 5.
How many sons did Yayati have ?
(a) five
(b)three
(c) four
(d) one
Answer:
(a) five

Yayati Meaning Bihar Board Question 6.
Who showed great respect to his ancestor
(a) Puru
(b) Yayati
(c) The Pandavas
(d) Sukracharya
Answer:
(b) Yayati

Yayati Was A Brave Answer Bihar Board Question 7.
Yayati was a brave
(a) king
(b) fighter
(c) man
(d) minister
Answer:
(a) king

Yayati Was Brave Bihar Board Question 8.
Yayati was famous for his devotion to the welfare of his
(a) son
(b) subjects
(c) daughter
(d) father
Answer:
(b) subjects

Yayati Was A Brave King Bihar Board Question 9.
Yayati’s youngest son was
(a)Kunce
(b)Charu
(c) Puru
(d) Mayur
Answer:
(c) Puru

Puru The Brave Question And Answers Bihar Board Question 10.
Emperor Yayati had never been
(a) won
(b) lost
(c) conquest
(d) defeated
Answer:
(d) defeated

Puru The Brave Story In English Bihar Board Question 11.
Yayati was one of the ancestors of the
(a) Pandavas
(b) Kauravas
(c) Dashrath
(d) Ravana
Answer:
(a) Pandavas

Question 12.
Yayati has become old at an early age by the curse of
(a) Vishwamitra
(b) Sukracharya
(c) Brihshpati
(d) Kripacharya
Answer:
(b) Sukracharya

Question 13.
Yayati was full of sorrow at the refusal of the
(a) eldest son
(b) three sons
(c) third son
(d) four sons
Answer:
(d) four sons

Question 14.
In the end Yayati retired to
(a) his kingdom
(b) the forest
(c) Kubera’s garden
(d) heaven
Answer:
(b) the forest

Question 15.
Where did Yayati return after spending many years in Kubera’s garden?
(a) To Puru
(b) To his kingdom
(c) To his five sons
(d) To the forest
Answer:
(a) To Puru

Question 16.
Yayati became prematurely old by the curse of
(a) Sukracharya
(b) DronaCharya
(c) Vishwamitra
(d) Kripacharya
Answer:
(a) Sukracharya

Question 17.
Yayati had never known
(a) win
(b) defeat
(c) conquest
(d)lose
Answer:
(b) defeat

Question 18.
Yayati greatly respected his
(a) ancient
(b) old
(c) ancenstors
(d) forefather
Answer:
(c) ancenstors

Question 19.
The story of Yayati is taken from the
(a) Quran
(b) Bible
(c) Puran
(d) Mahabharata
Answer:
(d) Mahabharata

Question 20.
Sensual desire is never satisfied by ‘
(a) indulgence
(b) negligence
(c) gratitude
(d) magnitude
Answer:
(a) indulgence

Question 21.
Yayati was not devoid of sensual
(a) overcomes
(b) desires
(c) feeling
(d) attitude
Answer:
(b) desires

Question 22.
At last, Yayati returned and realised that sensual desire can not be
(a) quenched
(b) unsatisfied
(c) ignored
(d) remained
Answer:
(a) quenched

Question 23.
‘Yayati’ the story has been rendered in English by
(a) Kunal verma
(b) C. Rajgopalachari
(c) Moti Nisane
(d) Nehru
Answer:
(b) C. Rajgopalachari

Question 24.
C. Rajgopalachari became the first Indian Governor General of ………….. India on 15th Aug, 1947.
(a) dependent
(b) free
(c) independent
(d) undivided
Answer:
((c) independent

Question 25.
Yayati was one of the ancestores of the
(a) Kauravas
(b) Suryavanshi
(c) Drupadas
(d) Pandavas
Answer:
(d) Pandavas

Question 26.
Yayati became prematurely old by the Curse of Sukracharya for having wronged his wife
(a) Kalyani
(b) Devayani
(c) Dayamati
(d) Damyanti
Answer:
(b) Devayani

Question 27.
Yayati was struck with sorrow at the refusal of the
(a) three sons
(b) one son
(c) two sons
(d) four sons
Answer:
(d) four sons

Question 28.
Yayati became old due to
(a) hard work
(b) sickness
(c) curse
(d) illness
Answer:
(c) curse

Question 29.
Wife of Yayati was
(a) Dayamati
(b) Damyanti
(c) Devmani
(d) Devayani
Answer:
(d) Devayani

Question 30.
Yayati bad
(a) four sons
(b)two sons
(c) five sons
(d) three sons
Answer:
(c) five sons

Question 31.
Youngest son of Yayati was
(a) Kam
(b) Charu
(c) Piyush
(d) Puru
Answer:
(d) Puru

Question 32.
Who accepted the proposal of his father, Yayati
(a) Nal
(b) Charu
(c) Puru
(d) Devayani
Answer:
(c) Puru

Question 33.
Grand father of puru was
(a) Vishwamitra
(b) Kripacharya
(c) Dronacharya
(d) Sukracharya
Answer:
(b) Kripacharya

Question 34.
Father-in-law of Yayati was
(a) Sukracharya
(b) Kripacharya
(c) Ramdev
(d) Ramanjucharya
Answer:
(a) Sukracharya

Question 35.
Who was Devayani of Sukracharya
(a) wife
(b) sister
(c) daughter
(d) mother
Answer:
(c) daughter

Question 36.
Yayati became prematurely old by the curse of
(a) Santanu
(b) God
(c) Angel
(d) Sukracharya
Answer:
(d) Sukracharya

Question 37.
Yayati told his sons that one of ought to bear the burden of his
(a) kingdom
(b) old age
(c) youth
(d) life
Answer:
(b) old age

Question 38.
The fourth son begged to be
(a) kept
(b) keep silent
(c) for given
(d) excused
Answer:
(c) for given

Question 39.
It is needless to describe the misery
(a) vigorous youth
(b) youth only
(c) old
(d) nothing
Answer:
(a) vigorous youth

Question 40.
Yayati found himself suddenly
(a) a vigorous youth
(b) an old man
(c) a boy
(d) great king
Answer:
(b) an old man

Question 41.
Yayati was still haunted by the desire for
(a) young lady
(b) the girl.
(c) wealth
(d) sensual enjoyment
Answer:
(d) sensual enjoyment

Question 42.
Which son agreed to give Yayati his youth and take his old age?
(a) The smallest son
(b) The youngest son
(c) Both (a) & (b)
(d) All sons
Answer:
(b) The youngest son

Question 43.
Yayati has been written by
(a) K. Verma
(b) Moti Nisani
(c) O. Henry
(d) C. Rajgopalachari
Answer:
(d) C. Rajgopalachari

Question 44.
Yayati was full of sorrow at the refusal of the
(a) eldest son
(b) three sons
(c) four sons
(d) second sons
Answer:
(c) four sons

Question 45.
The emperor desired to enjoy life in full
(a) youth
(b) young age
(c) vigour
(d) vigour of youth
Answer:
(d) vigour of youth

Question 46.
Puru, the youngest sons, moved by
(a) father’s love
(b) self love
(c) his love
(d) filial love
Answer:
(a) father’s love

Question 47.
Sensual desire is never quenched by
(a) love
(b) women
(c) himself
(d) indulgence
Answer:
(d) indulgence

Question 48.
One can reach peace only by a
(a) good work
(b) mental pose
(c) hating others
(d) service
Answer:
(a) good work

Question 49.
Puru told that he relieved his father of the sorrows of old age and the cares of
(a) kingdom
(b) state affairs
(c) state be happy
(d) life
Answer:
(a) kingdom

Question 50.
Yayati went to Kubera’s garden to get more
(a) sensual satisfaction
(b) financial satisfaction
(c) physical satisfaction
(d) mental peace
Answer:
(a) sensual satisfaction

Question 51.
Choose the correct one
(a) vigor
(b) vigur
(c) vigour
(d) vigour
Answer:
(c) vigour

Question 52.
Choose the correct one
(a) pitiful
(b) pityful
(c) piteful
(d) pitifool
Answer:
(a) pitiful

Question 53.
WhIch of them is correct.
(a) relieva
(b) ralieve
(c) relievee
(d) relieve
Answer:
(d) relieve

Question 54.
Which of them ¡s correct.
(a) bestouw
(b) bestowe
(c) bestow
(d) bestou
Answer:
(c) bestow

Question 55.
Which is the correct spelling
(a) indulgence
(b) induijence
(e) indulgense
(d) indulginee
Answer:
(a) indulgence

Question 56.
Defeat means
(a) loss
(b)win
(c) wrong
(d) easy
Answer:
(a) loss

Question 57.
Meaning of desire Is
(a) interest
(b) want
(e) heaven
(d) exchange
Answer:
(b) want

Question 58.
Choose the correct adjective of ‘Joy’
(a) Joyful
(b) Joyee
(e) Joyious
(d) Joyous
Answer:
(d) Joyous

Question 59.
Choose the correct adjective of ‘merit’
(a) meritorious
(b) mentious.
(e) meritorius
(d) mentious
Answer:
(a) meritorious

Question 60.
Choose the correct noun of ‘Attain’.
(a) Attainess
(b) Attaintness
(c) Attainment
(d) Attaintee
Answer:
(c) Attainment

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 8 उषा

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 8 उषा

 

उषा वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ

उषा कविता के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 1.
ऊषा’ कविता के कवि कौन हैं?
(क) रघुवीर सहाय
(ख) शमशेर बहादुर सिंह
(ग) जयशंकर प्रसाद
(घ) अशोक वाजपेयी
उत्तर-
(ख)

उषा’ कविता के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 2.
शमशेर बहादुर सिंह का जन्म कब हुआ था?
(क) 13 जनवरी, 1911 ई.
(ख) 15 जनवरी, 1910 ई.
(ग) 20 फरवरी, 1920 ई.
(घ) 20 जनवरी, 1915 ई.
उत्तर-
(क)

उषा आ रही है कविता के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 3.
शमशेर की ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ नामक काव्य कृति का संपादन किसने किया है?
(क) डॉ. नामवर सिंह
(ख) डॉ. काशीनाथ सिंह
(ग) डॉ. दूधनाथ सिंह
(घ) डॉ. बच्चन सिंह
उत्तर-
(क)

उषा कविता का भावार्थ Bihar Board प्रश्न 4.
शमशेर बहादुर सिंह को हिन्दी साहित्य में क्या कहा जाता है?
(क) कवियों के कवि
(ख) कवि शिरोमणि
(ग) कवि भूषण
(घ) कवि रत्न
उत्तर-
(क)

Usha Hindi Class 12 Bihar Board प्रश्न 5.
काल तुझसे होड़ है मेरी, टूटी हुई बिखरी हुई, कहीं बहुत दूर से सुन रहा हूँ, सुकून की तलाश आदि किनकी रचनाएँ हैं?
(क) शमशेर बहादुर सिंह
(ख) नामवर सिंह
(ग) मैनेजर पाण्डेय
(घ) विश्वनाथ तिवारी
उत्तर-
(क)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

Class 12 Hindi Usha Question Answer Bihar Board प्रश्न 1.
स्लेट पर या लाल खड़िया……….. मल दी हो किसी ने
उत्तर-
चाक

उषा कविता का काव्य सौन्दर्य स्पष्ट कीजिए| Bihar Board प्रश्न 2.
बहुत काली सिल जरा से लाल……….. से कि जैसे घुल गई हो।
उत्तर-
केसर

उषा कविता का सारांश Bihar Board प्रश्न 3.
राख से लीप हुआ…………. अभी गीला पड़ा है।
उत्तर-
चौका

प्रातः काल का नाम कैसा था Bihar Board प्रश्न 4.
नील जल में या किसी की गौर…….. देह जैसे हिल रही हो।
उत्तर-
झिलमिल

Usha Question Answer Bihar Board प्रश्न 5.
प्रात नभ था बहुत नीला……… जैसे मोर का नभ।
उत्तर-
शंख

Usha Class 12 Question Answer Bihar Board प्रश्न 6.
और………… जादू टूटता है इस…….. का अब सूर्योदय हो रहा है।
उत्तर-
उषा गोल्डेन सीरिज पासपोर्ट

उषा अति लघु उत्तरीय प्रश्न

Usha Kavita Class 12 Bihar Board प्रश्न 1.
उषा का जादू कब टूट जाता है?
उत्तर-
सूर्योदय होने पर।

प्रश्न 2.
शमशेर बहादुर सिंह की कविता का क्या नाम है?
उत्तर-
उषा।

प्रश्न 3.
प्रातःकाल का नभ कैसा था?
उत्तर-
नीले राख के समान।

प्रश्न 4.
शमशेर बहादुर सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर-
13 जनवरी, 1911, देहरादून, उत्तराखण्ड।

प्रश्न. 5.
शमशेर बहादुर सिंह ने किस स्थान से बी.ए. किया?
उत्तर-
इलाहाबाद।

प्रश्न 6.
शमशेर बहादुर सिंह ने निम्नलिखित में से किस कोण का संपादन कार्य किया?
उत्तर-
उर्दू–हिन्दी कोष।

प्रश्न 7.
शमशेर बहादुर सिंह की रचना किस सप्तक में आनी शुरू हुई?
उत्तर-
दूसरा सप्तक।

प्रश्न 8.
शमशेर बहादुर सिंह का संबंध किस विश्वविद्यालय से रहा है?
उत्तर-
विक्रम विश्वविद्यालय से।।

उषा पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
प्रातःकाल का नभ कैसा था?
उत्तर-
प्रात:काल का नभ पवित्र, निर्मल और उज्ज्वल था। उसका रंग अत्यधिक नीला था और वह शंख जैसा प्रतीत हो रहा था ! उस समय नभ देखने में.ऐसा लग रहा था जैसे लीपा हुआ चौका हो। पूरब से बिखरी सूर्योदय के पहले की लालिमा के कारण नभ ऐसा लग रहा था मानो किसी ने काली सिल को लाल केसर से धो दिया हो।

प्रश्न 2.
‘राख से लीपा हुआ चौका’ के द्वारा कवि ने क्या कहना चाहा है?
उत्तर-
‘राख से लीपा हुआ चौका’ के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि प्रातः कालीन नभ पवित्र एवं निर्मल है। जिस प्रकार लीपने के तुरंत बाद गीले चौके में किसी को इसलिए नहीं चलने– फिरने दिया जाता कि उससे चौके में पैरों के निशान पड़ जाएंगे और वह पवित्र तथा निर्मल नहीं रह पाएगा, उसी प्रकार भोर के नभ में भी प्रात: की ओस के कारण गीलापन है और वह बिल्कुल पवित्र एवं निर्मल है।

प्रश्न 3.
बिम्ब स्पष्ट करें–.
‘बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो’..
उत्तर-
यहाँ दो तरह का बिम्ब दिखाई पड़ता है। पहला जीवन का बिम्ब है. जिसमें सुबह चौका लीपने के बाद गृहिणी सिलवट पर मशाला पीसती है और केसर पीसने के बाद सिलवट धुल जाने के बाद भी उसमें थोड़ी देर तक लाली बनी रहती है। दूसरा यह कि समस्त दिगंत सूर्य की लाली से भर गया है जो लगता है कि बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से धुल गई हो। आकाश की थोड़ी लालिमा ऐसी लगती है जैसे जिस समय सर्योदय की शुरूआत हुई हो।

प्रश्न 4.
उषा का जादू कैसा है?
उत्तर-
उषा का उदय आकर्षक होता है। नीले गगन में फैलती प्रथम सफेद लाल प्रात:काल की किरणें हृदय को बरबस अपनी ओर आकृष्ट कर लेती है। उसका बरबस आकृष्ट करना ही जादू है। सूर्य उदित होते ही यह भव्य प्राकृतिक दृश्य सूर्य की तरुण किरणों से आहत हो जाता है। उसका सम्मोहन और प्रभाव नष्ट हो जाता है।

प्रश्न 5.
‘लाल केसर’ और ‘लाल खड़िया चाक’ किसके लिये प्रयुक्त है?
उत्तर-
लाल केसर–सूर्योदय के समय आकाश की लालिमा से कवि ने लाल केसर से तुलना की है। रात्रि की उन्होंने काली सिलवट से तुलना की है। काली सिलवट को लाल केसर से मलने पर सिलवट साफ हो जाता है। उसी प्रकार सूर्योदय होते ही अंधकार दूर हो जाता है एवं आकाश में लालिमा छा जाती है।

लाल खड़िया चाक–लाल खड़िया चाक उषाकाल के लिये प्रयुक्त हुआ है। उषाकाल में हल्के अंधकार के आवरण में मन का स्वरूप ऐसा लगता है मानो किसी ने स्लेट पर लाल खली घिस दी हो।

प्रश्न 6.
व्याख्या करें
(क) जादू टूटता है इस उषा का अब सूर्योदय हो रहा है।
(ख) बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो।
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पंक्तियाँ नयी कविता के कवि शमशेर बहादुर सिंह द्वारा रचित हैं। कवि उषा का जादू उषाकाल नभ की प्राकृतिक सुन्दरता के रूप में वर्णन करता है। कवि को यह दृश्य बहुत मोहित करता है परन्तु उषा का जादू सूर्योदय होने पर टूट जाता है। तब सूर्योदय का होना कवि के लिए उषा का जादू टूटना है। सूर्योदय के पूर्व तक ही आकाश को गोद में सौन्दर्य के जादू का यह खेल चलता रहता है। सूर्योदय होने पर उससे निकले प्रकाश से सारा दृश्य बदल जाता है। यहाँ उषा के जादू का टूटना है।

(ख) प्रस्तुत पंक्तियाँ नयी कविता के कवि शमशेर बहादुर सिंह द्वारा रचित हैं। कवि ने प्रात:कालीन उषा के सौन्दर्य में अभिभूत होकर उसे भिन्न–भिन्न उपमानों की सहायता से चित्रित किया है। कवि सूर्योदय होने से पूर्व आकाश में सूर्य की लाली छिटकने पर कहता है कि आकाश मानो काला पत्थर थोड़े से लाल केसर से धूल गया है। उषाकालीन आकाश के प्राकृतिक सौन्दर्य का प्रभावपूर्ण चित्रण है। कवि ने बड़ा ही सहज सरल एवं सुबोध भाषा का प्रयोग किया है। कवि की मुख्य चिन्ता उषाकालीन प्राकृतिक सौन्दर्य का चित्रण से है। इसलिए कवि उपमानों द्वारा बिम्ब की रचना करता है। इस तरह उषा का सौन्दर्य और बढ़ जाता है।

प्रश्न 7.
इस कविता की बिम्ब योजना पर टिप्पणी लिखें। उत्तर-सारांश देखें।। प्रश्न 8. प्रातः नभ की तुलना बहुत नीला शंख से क्यों की गई है?..
उत्तर-
प्रातः नभ की तुलना बहुत नीला शंख से की गयी है क्योंकि कवि के अनुसार प्रात:कालीन आकाश (नभ) गहरा नीला प्रतीत हो रहा है। वह नीले शंख के समान पवित्र और उज्ज्वल है। नीला शंख पवित्रता का प्रतीक है। प्रांत:कालीन नभ भी पवित्रता का प्रतीक है।

लोग उषाकाल में सूर्य नमस्कार करते हैं। शंख का प्रयोग भी पवित्र कार्यों में होता है। अतः यह तुलना युक्तिसंगत है।

प्रश्न 9.
नील जल में किसकी गौर देह हिल रही है?..
उत्तर-
नीले आकाश में सूर्य की प्रात:कालीन किरण झिलमिल कर रही है मानो नीले जल में किसी गौरांगो का गौर शरीर हिल रहा है।

उषा भाषा की बात

प्रश्न 1.
कविता से संयुक्त क्रियाओं को चुनें।
उत्तर-
कविता में प्रयुक्त संयुक्त क्रियाएँ निम्नलिखित हैं–लीपा हुआ, धुल गई, मल दी हो, हिल रही हो, हो रहा आदि।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों से वाक्य बनाएँ नभ, राख, चौका, देह, उषा।
उत्तर-
शब्द – वाक्य प्रयोग
नभ अतुल, बाहर देखना नभ को काली घटाओं ने ढंक लिया है।
राख सूखी मालाएँ तथा राख फेंककर हमें नदियों को और अधिक प्रदूषित नहीं करना चाहिए।
जूते पहनकर चौके में मत आना। संत कबीर ने मानव देह को पानी के बुलबुले के समान क्षणभंगुर बताया है।
उषा हमें उषा काल में ही भ्रमण के लिए चल देना चाहिए।

प्रश्न 3.
व्युत्पत्ति की दृष्टि से इन शब्दों की प्रकृति बताएँ नीला, शंख, भोर, चौका, स्लेट, जल, गौर, देह, जादू, उषा।
उत्तर-

  • शब्द – व्युत्पत्ति की दृष्टि से शब्दों की प्रकृति
  • नीला – तद्भव
  • शंख – तत्सम
  • भोर – तद्भव
  • स्लेट – विदेशी
  • गौर – तत्सम
  • जादू – तद्भव
  • उषा – तत्सम

प्रश्न 4.
कविता में प्रयुक्त उपमानों को चुनें।
उत्तर-
नीला शंख, राख से लीपा हुआ चौका, काली सिल जरा से लाल केसर से, धुली काली सिल, खड़िया लगी स्लेट आदि।।

प्रश्न 5.
सूर्योदय का सन्धि–विच्छेद करें।
उत्तर-
सूर्योदय – सूर्य + उदय

उषा कवि परिचय शमशेर बहादुर सिंह (1911–1993)

जीवन–परिचय–
स्वच्छंद चेतना के प्रयोगशील कवि शमशेर बहादुर सिंह का जन्म 13. जनवरी, 1911 को देहरादून, उत्तराखण्ड में हुआ था। इनके पिता का नाम तारीफ सिंह तथा माता का नाम प्रभुदेई था। इनकी आरंभिक शिक्षा देहरादून में हुई। इन्होंने संन् 1928 में हाईस्कूल सन् 1931 में इंटर तथा. सन् 1933 में बी.ए. की परीक्षा इलाहाबाद से उत्तीर्ण की। सन् 1938 में एम.ए. (पूर्वार्द्ध) किया किन्तु आगे की शिक्षा पूरी न कर सके। इनका विवाह सन् 1929 में धर्म देवी से हुआ, जिनकी मृत्यु सन् 1933 में हो गई। इनका विवाह सन् 1929 में धर्म देवी से हुआ, जिनकी मृत्यु सन् 1933 में हो गई।

श्री सिंह रूपाभ, कहानी, माया, नया साहित्य, नया पथ एवं मनोहर कहानियाँ के संपादन कार्य से जुड़े रहे। इसके अलावा इन्होंने उर्दू–हिन्दी कोश का संपादन किया। ये सन् 1981–85 तक ‘प्रेमचन्द सृजनपीठ’ विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के अध्यक्ष पद को सुशोभित करते रहे। इनकी मृत्यु सन् 1993 में हुई।

रचनाएँ–सन् 1932–33 में लेखनकार्य शुरू करने वाले शमशेर बहादुर सिंह की रचनाएँ सन् 1951 के आसपास प्रकाशित शुरू हुई। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं

दूसरा सप्तक (1951), कुछ कविताएँ (1959), कुछ और कविताएँ (1961),चुका भी नहीं हूँ मैं (1975), इतने पास अपने (1980), उदिता (1980), बात बोलेगी (1981), काल तुझसे होड़ है मेरी (1982) टूटी हुई बिखरी हुई, कहीं बहुत दूर से सुन रहा हूँ, सुकून की तलाश (गजलें)। इसके अलावा इन्होंने डायरी, विविध प्रकार के निबन्ध एवं आलोचनाएँ भी लिखीं।

उषा कविता का सारांश

शमशेर बहादुर सिंह द्वारा रचित कविता ‘उषा’ में प्रात:काल के प्राकृतिक सौन्दर्य का. गतिशील चित्रण बिंबों द्वारा प्रस्तुत किया गया है। यह चित्रण एक प्रभाववादी चित्रकार की तरह किया गया है। प्रभाववादी चित्रकार वस्तु या दृश्य के मन और संवेदना पर पड़े प्रभावों का उनकी विशिष्ट रंग–रेखाओं के सहारे चित्रित करता है।

‘उषा’ कविता में कवि ने प्रात:कालीन आकाश की पवित्रता, निर्मलता और उज्ज्वलता की विभिन्न उपमाओं से तुलना या समता की है। इसमें प्रात:कालीन नीले आकाश को शंख जैसा बताया गया है। सूर्योदय के पहले की लालिमा के प्रभाव से आकाश ऐसा लग रहा है जैसे किसी ने काली सिल को केसर से धो दिया हो या काली स्लेट पर लाल खड़िया मल दी हो या नीले जल में किसी की उज्ज्वल गोरी देह (शरीर) हिल रही हो, किन्तु सूर्योदय हो जाने से उषा सुन्दरी का वह जादू धीरे–धीरे कम होता जाता है।

कविता का भावार्थ 1.
प्रातः नभ था बहुत नीला, शंख जैसे
भोर का नभ
राख से लीपा हुआ चौका
(अभी गीला पड़ा है)
बहुत काली सिल
जरा से लाल केसर से
कि जैसे धुल गई हो
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक
मल दी हो किसी ने

व्याख्या–प्रस्तुत काव्यांश सिद्ध प्रयोगवादी कवि शमशेर सिंह द्वारा रचित कविता ‘उषा’ से अवतरित है। इसमें कवि सूर्योदय से ठीक पहले के प्राकृतिक सौन्दर्य का चित्र उकेरता है। इसमें पल–पल परिवर्तित होती प्रकृति का शब्द–चित्र है।

इस काव्यांश में कवि ने भोर के वातावरण का सजीव चित्रण किया है। प्रात:कालीन आकाश. गहरा नीला प्रतीत हो रहा है। वह शंख के समान पवित्र और उज्ज्वल है। भोर (सूर्योदय) के समय आकाश में हल्की लालिमा बिखर गई है। आकाश की लालिमा अभी पूरी तरह छंट भी नहीं पाई है, पर सूर्योदय की लालिमा फूट पड़ना चाह रही है।

आसमान के वातावरण में नमी दिखाई दे रही है और वह राख में लीपा हुआ गीला चौड़ा सा लग रहा है। इससे उसकी पवित्रता झलक रही है। भोर का दृश्य काले और लाल रंग के अनोखे मिश्रण से भर गया है। ऐसा लगता है कि गहरी काली सिल को केसर से अभी–अभी धो दिया गया हो अथवा काली स्लेट पर लाल खड़िया मल दी गई हो।

कवि ने सूर्योदय से पहले के आकाश को राख से लीपे चौके के समान इसलिए बताया है ताकि वह उसकी पवित्रता को अभिव्यक्त कर सके। राख से लीपे चौके में कालापन एवं सफेदी का मिश्रण होता है और सूर्योदय की लालिमा बिखरने से पूर्व आकाश ऐसा प्रतीत होता है। गीला चौका पवित्रता को दर्शाता है। इस काव्यांश में प्रकृति का मनोहारी चित्रण किया गया है। इसमें ग्रामीण परिवेश भी साकार हो गया है।

2. नील जल में या किसी की
गौर, झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो।
और ………………
जादू टूटता है उस उषा का अब
सूयोदय हो रहा है।

व्याख्या–प्रस्तुत काव्यांश प्रसिद्ध प्रयोगवादी कवि शमशेर बहादुर सिंह द्वारा रचित कविता ‘उषा’ से अवतरित है। यहाँ कवि प्रात:कालीन दृश्य का मनोहारी चित्रण कर रहा है। प्रात:काल आकाश में जादू होता–सा प्रतीत होता है जो पूर्ण सूर्योदय के पश्चात् टूट जाता है।

कवि सूर्योदय से पहले आकाश के सौन्दर्य में पल–पल होते परिवर्तनों का सजीव अंकन करते हुए कहता है कि ऐसा लगता है कि मानो नीले जल में किसी गोरी नवयुवती का शरीर झिलमिला रहा है। नीला आकाश नीले जल के समान है और उसने सफेद चमकता सूरज सुन्दरी की गोरी देह प्रतीत होता है। हल्की हवा के प्रवाह के कारण यह प्रतिबिंब हिलता–सा प्रतीत होता है।

इसके बाद उषा का जादू टूटता–सा लगने लगता है। उषा का जादू यह है कि वह अनेक रहस्यपूर्ण एवं विचित्र स्थितियाँ उत्पन्न करता है। कभी पुती स्लेट, कभी गीला चौका, कभी शंख के समान आकाश तो कभी नीले जल में झिलमिलाती देह–ये सभी दृश्य जादू के समान प्रतीत होते हैं। सूर्योदय होते ही आकाश स्पष्ट हो जाता है और उषा का जादू समाप्त हो जाता है।

इस प्रकार कवि ने उषाकालीन वातावरण को हमारी आँखों के सम्मुख साकार कर दिया है। इसमें बिंब योजना हुई है। इसमें उत्प्रेक्षा एवं मानकीकरण का प्रयोग हुआ है। भाषा चित्रात्मक है।

Bihar Board Class 10 English Book Solutions Chapter 4 What is Wrong with Indian Film

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A. Work in small groups and discuss the following

1. Have you seen any films recently?
2. Tell the name of any film which you like most. Point out its salient features.
Answer:
Yes, I have seen a cinema. In our house, we are still children. Our parents do not allow any of us to go see a cinema in the city cinema hall. But on Sunday last I went to see an old picture with my material uncle. The film was ’DusriShadi’. The story was interesting and instructive. It taught the lesson of fidelity to women. It warned men against the evil results of bigamy (TI TTeff and faithlessness. The picture had touching scenes that moved us in tears. The songs were sweet but pathetic. The acting was superb.

B. 1.1. Write ‘T’ for true and ‘F’ for false statement

1. The Cinema commands the respect accorded to any other form of creative expression.
2. The cinema doesn’t combine the cold logic of science.
3. Film production in India is quantitatively second only to Hollywood.
4. India has achieved what other countries have achieved.
5. Indian music is largely improvisational.
Answer:
1. T
2. F
3. T
4. F
5. T

B. 1.2. Study the lesson carefully and complete the following sentences on the basis of your reading

1. By the twenties, it had reached of big business.
2. Why our film was not shown
3. The technicians will the tools.
4. The first feature was shot in
5. The music failed in our case.
Answers:
1. the status
2. abroad
3. blame
4. 1913
5. analogy.

B. 1.3. Answer the following questions very briefly

1. Who has written this essay?
Answer:
Satyajit Ray has written this essay.
2. Which is the most potent and versatile art form?
Answer:
The cinema is the most potent and versatile art form
3. Were Indian Aims shown abroad a few decades ago?
Answer:
No. Indian films were not shown abroad a few decades ago
4. When was the first short produced?
Answer:
The first short was produced in 1907.

B.2.1 Complete the following sentences on the basis of the unit you have studied

1. Stories have been written on Hollywood Success.
2. It should be realised that the average American film is bad
3. After all, we do these primary tools of film making.
4. The of our films are replete. Visual dissonances.
5. But the truly Indian film should clear of such inconsistencies.
6. There are glimpses of an enlightened approach in a handful of recent films.
Answers:
1. based
2. model
3. posses
4. majority
5. steer
6. have been.

B. 2.2. Answer the following questions briefly

1. Have average American films been a bad model? Give one reason.
Answer:
It depicts a way of life so utterly it variance with our ‘own’.
2. Mention one thing/feature which Indian film needs?
Answer:
Indian cinema needs more imagination, more integrity and a more intelligent appreciation of the limitations of the medium.
3. Do Indian Him makers possess the primary tools of film making?
Answer:
Yes, Indian filmmakers possess the primary tools of film making.

C. 1. Long Answer Questions

1. “What our cinema needs above everything else is a style, an idiom, a sort of iconography of cinema, which would be uniquely and recognizably Indian.-” How far this applies to Indian cinema today? Discuss.
Answer:
According to the author Satyajit Ray, most of the Indian films are replete with such visual dissonances. They look for only material gain. The cinema has become a phenomenon and a potent force in making the seers way-ward and westernized. It has a tendency to uproot our age-old cultural and social ties. Stories Rave been based on Hollywood. Thus Indian cinema ? does not-apply this reality. Our culture is invaded by Hollywood pattern a kind of culture which is alien to our life-style. This should be avoided. Rather Indian film needs to produce the basic aspect of Indian life.

2. Should the cinema be looked upon as a form of creative expression? Give reasons.
Answer:
The Cinema should not be only looked upon as a form of creative expression. But it should be with the combination, of various measures—the functions of song, music, painting, dramatic action, architecture and a host of other major or minor arts. It should also combine the cold logic of science.

3. Do you think Indian films have certain basic weaknesses? Illustrate your answer, citing examples from the films you have seen.
Answer:
According to S. Ray. Indian films have certain weaknesses. I find such weaknesses in Indian films today. Indian films lack the truth.
The producers have totally attempted and that too not always with honesty. Recently I have seen the film Three Idiots’ full of. It is humor. But it lacks superb acting, sweet music, drama, and architecture. It also lacks intelligence wit. It is due to the overexposure to violence and sex to impressionable minds.

4. What is the most dominant influence on Indian films?
Answer:
The most dominant influence on Indian film is that of the American cinema. Stories have also been written based on the Hollywood pattern.
Even where the story has been genuinely Indian. The background music has revealed an irrepressible ornament that hang down for Negros. These are the bad qualities of Indian films.

5. What aspects of American films do our films imitate? Is it justified in our context?
Answer:
Yes, our films imitate some of the American aspects. Such as story. Stories have been written based on American films. It also tries to depict a way of life like Americans. Indian films also adopt high technical polish and high tone music. It is not justified, Indian films should adopt the aspect of Indian life. Where habit and speech dress and manners, background and foreground blend into a harmonious whole.

C. 2. Group Discussion

Discuss the following topics in groups or pair
1. “Television programs do a lot of harm to students, Give your views either for or against the statement.”
Answer:
Children spend in watching 17 hours of T.V. every week. In a study conducted by bjamita unnikrishan and Shailaja Bajpai, it was found that children spend almost one year out of ten in watching T.V. than on hobbies and other activities. The research was made in Delhi (Source: The Impact of Advertising on children by Namita unnikrishan and Shailaja Bajpai)*

Children are sitting in front of T.V. for the whole day is merely a passive activity which tends to make kids couch potatoes. In a house where children watch T.V. most of the time, the changes are that they would become T.V. or movie addicts. The interaction between them gets reduced to the selection of channels only. The increasing violence, sex and independent attitude being show on T. V. create a distorted image of children. It has increased crime as youth are aping films. Thus the only disturbing aspect Of T.V. is the gradual degeneration of mental values in society. (films) Today.

2. Films are the mirrors of society.
Answer:
As literature is the mirror of life so here is the same thing “Films are the mirror of the society”. Literature is an account of this that le;.med men ‘ are referred to as men of letters. It is like a mirror. If gives valuable insights to various facts of life through reading. In films, we see events by watching. It has a great impact on our lives. It is a true mirror- About fifty years ago films were made on Indian Society. Such as McAfier India’ ‘Do Bigha lamin’, ‘Godan’ etc. They were in real sense presented real life.

They were our true mirrors of our society. But cinema plays another role these days. The villain is shown all glorified, rolling in wealth and enjoying girls. He gets wine and women easily. Violence pays, it is shown. Rifles and guns prove them to be brave and full of guts. Whatever our young men see in cinema they try to imbibe (‘91715 far)and copy. Violence gives the kick. These have been an aspect of society. One can see in the mirror, (films) Today.

C.3. Composition

1. Write a letter to the Director of Doordarshan requesting him to give you an opportunity to participate in the weekly T.V. Programme which interests you very much. Mention why you find yourself suitable for such a program.

Kankarbagh
Patna (Bihar)
20th May, 2010.

The Director Doordarshan,
ETV Bihar & Jharkhand Patna.

Being given to understand that you need a boy actor to participate in your new serial. These days many interesting channels are telecast. Out of these, I like serial for children the most. It is a humourous serial which comes from Monday to Friday. It is my earnest desire to take part in this program. I would request you to kindly consider my application for the same. Besides being a senior student my responsibilities include the school magazine, extracurricular activities, like debate drama and quiz. I am confident of coming up to your expectations and am enclosing my curriculum vita for your kind perusal. Given an opportunity, it will be my sincere endeavor to prove my worth, by putting my heart and soul to professional am deeply committed to. Awaiting a favorable reply.

Thanking you.
Yours truly Raman

2. Write your impression of the Hindi film which you have seen recently.
Answer:
I am not a cinema for but seldonmissa good cinema. On Saturday Last got an opportunity to see a picture. It was an old picture, Rajkapoor’s Teesari Kasam’ The story was written by a famous Hindi story writer. Phanishwar Nath Renu. The story was interesting which dealt with true Indian village life, a Simple village-life of North Bihar. It warned men against the evil practice of prostitution and.fidellty to women, The songs were sweet but melodious. In nutshell the story on the screen was very impressive

D.1. Word Study

D.1. Dictionary Use
Ex. 1
Correct the spelling of the following words: varsetile, inavetabt potencial, repelite, phinonomtna.
Answers:
versatile, inevitable potential, replete, phenomena.

Ex.2. Frame your own sentences using the following words:
creation, potential, solely, queers, gloss, adequate, incredible.
Answers:
Creation: The girls are wearing the new creations of the style dresses.
Potential: He has not realized his full potential yet.
Solely: We have the sole right of selling the article.
Queer: She has a qeeer way of talking.
Gloss: The material is with good gloss.
Adequate: lam not getting adequate money.
Incredible: The story was incredible.

D. 2.
Ex. 1. Match the words or phrases in Column A with the meanings given in Column B.

A

B

Conferredart of painting
architecturegiven-(Degree etc)
indispensableprocess of developing
evolutionessential
glossart and science of building
iconographySmooth bright surface.

Answers:
Conferred — given (degree)
Architecture — art and science of building.
Evolution — the process of developing
Gloss — smooth bright surface
Iconography — the art of painting.

D3.
Ex.1. Read the lesson carefully and find out five sentences in which phrases have been used. Now use those phrases in sentences of your own.
Answer:
1. one of the most — Mohan is one of the most intelligent boys in his class.
2. Took up — He took up the photograph of our family.
3. A host of — Mr “X” is a host of mine.
4. After all — After all, he is a man of words.
5. A sort of — He should take a sort of responsibility for the work.

E. Grammar (Adverb Clause of Condition)

Ex. 1. Look at the following sentences
If you get late, you will miss the train.
You will not succeed unless you work hard.
Examples are given above “If you get late” and “unless you work hard” are co-aditions. So this clause is called Adverb Clause’ Or Condition.
Now study the examples given below:-Undef lines are clauses of Condition.
(i) If you make a promise, you must keep it.
(ii) In case it rains, I shall not go out. Adverb clause of Condition starts with if, unless, in case, so long as, provided, provided that, etc.

Ex. 1.1 Make five sentences using unless, provided, in .case, so long as.
Answer:
unless – I can not open the box unless you give me the key.
Provided – He provided for the entertainment of his visitors.
Incase – Take an umbrella in case it rains.

So long as — As, long as the rain continues, we must stay indoors. Ex.1.2. Fill in the blanks with “should” or “Ought to”
1. We…….help our neighbors.
2. He…..speak the truth.
3. Everybody Board his friends.
4. She read this novel.
5. You….work for the welfare of the country.
Answers:
1. Should
2. Ought to
3. Should
4. Should
5. Ought to.

Ex. 1.3. Read the following sentences carefully
1. You ought to go immediately.
2. She ought to apologize for her behavior.
3. Do you think I should go?
4. You should write a letter and find out when he is coming.
‘Should’ and ‘ought’ to have some moral connotations, ‘ought’ is stronger and indicates moral obligation whereas ‘should’ indicates a recommendation. It is used in giving or asking for advice.

Now make five sentences each with ‘ought’ and ‘should’.

Ex. 1.4. Read the following sentences carefully
Read the lines of the text from 6 to 15 and frame as many questions as you can, using ‘wh’ words or auxiliaries, one example is done for you. Which was the first short or film produced?
Answer:
Go your self.

G. Translation

Translate the following sentences into Hindi/your mother tongue.
1. India took up film production surprisingly early.
2. Why were our films not shown abroad?
3. Let us face the truth.
4. The technician will blame the tools.
5. It should be realized that the average American film is a bad model.
6. What does our cinema need?
7. Let him do so.
8. He has only to keep his eyes open.

Answers:
1. आश्चर्य जनक ढंग से भारत ने बहुत पहले फिल्म का उत्पादन आश्चर्यजनक ढंग से शुरू किया।
2. हमारी फिल्में विदेश में क्यों नहीं दिखायी जाती।
3. हमलोग सत्य का सामना करें।
4. तकनीशियन अपने उपकरणों को दोष देंगे।
5. यह महसूस करना चाहिए कि औसतन अमेरिकन फिल्म बुरा नमूना (उदाहण) है।
6. हमारा चलचित्र जगत क्या चाहता है?
7. उसे ऐसा करने दो।
8. उसे केवल अपनी आँखे खुली रखनी है।

Comprehension Based Questions With Answers

Read the following extracts carefully and answer the questions that follow each

1. One of the most significant phenomena of our time has been the development of the cinema from a turn of the century mechanical toy into the century’s most potent and versatile art form. Today, the cinema commands the respect accorded to any other form of creative expression. It combines in various measures the functions of poetry, music, painting, drama, architecture and a host of other arts, major and minor. It also combines the cold logic of science.

India took up film production surprisingly early. The first short was produced in 1907 and the first feature in 1913. By the twenties, it had reached the status of big business. It is easy to tell the world that film production in India is quantitatively second only to Hollywood; for that is a statistical fact. But can the same be said of its quality? Why are our films not shown abroad? Is it solely because India offers a potential market for her own products? Or are we just plain ashamed of our film?

Questions:
(i) Name the author of this extract.
(ii) Which is the most potent and versatile art form?
(iii) Does the cinema command respect today?
(Iv) What does cinema combine?
(v) Which word in the passage means ‘happenings’?
Answers:
(i) Satyajit Ray is the author of this extract.
(ii) The cinema is the most potent and versatile art form.
(iii) Yes, the cinema commands* the respect accorded to any other form of creative expression today.
(iv) The cinema combines the functions of poetry, music, painting, drama, architecture and other arts.
(v) The word‘phenomena’ means‘happenings’.

2. To anyone familiar with the relative standards of the best foreign and Indian films, the answers must come easily. Let qs face the truth. There has yet been no Indian film, which could be acclaimed on all counts. Where other countries have achieved, we have only attempted and that loo not always with honesty.

No doubt this lack of maturity can be attributed to several factors. The producers will tell you about that mysterious entity ‘the mass’, which goes in for this. sort of ‘thing’, the technicians will blame the tools and the director will have much to say about the wonderful things he had in mind but could not achieve because of ‘the conditions’.

Questions:
(i) Name the piece from which this extract has been taken.
(ii) What, according to the author, is the truth about the quality of Indian films?
(iii) What do the producers blame for the lack of maturity of Indian films?
(iv) What do the technicians blame for the weaknesses of Indian films?
(v) What does the word ‘mysterious ’ mean?
Answers:
(i) This extract has been taken from the piece ‘What is Wrong with Indian Films’.
(ii) According to the author, the truth about the quality of Indian films is that no Indian film has been acclaimed on all counts.
(iii) The producers blame ‘the mass’ for the lack of maturity of Indian films.
(iv) The technicians blame the tools for the weaknesses of Indian films.
(v) The word‘mysterious’ means‘impossible to understand’.

3. Almost every passing phase of the American cinema has had its repercussion oh the Indian film. Stories have been written based on Holly-wood successes and the cliches preserved with care. Even where the story has been a genuinely Indian one, the background music has revealed an irrepressible penchant for the jazzidiom.

It should be realised that the average American films is a bad model, if only because it depicts a way of life so utterly at variance with our own. , Moreover, the high technical polish, which is the hallmark of the standard Hollywood product, would be impossible to achieve tinder existing Indian Conditions, What the Indian cinema needs today is not more gloss, but more imagination, more integrity, and a more intelligent appreciation of the limitations of the medium

Questions:
(i) What is the influence of American films on Indian Cinema?
(ii) What is the idea of the writer about American film?
(iii) What is the symbol of the standard of Hollywood’s films?
(iv) What does the Indian camera need today?
Answers:
(i) The American cinema has had its repercussions on Indian films such as stories, they are based on Hollywood Successes.
(ii) The writer thinks that the American Cinema is a bad model.
(iii) The high technical polish is the hallmark df the standard of Hollywood product.
(iv) The Indian camera needs today is not more gross, but more imagination, more integrity, and a more intelligent appreciation of
the limitations of the medium.

4. After all, we do posses the primary tools of filmmaking. The com¬- plaint of the technicians notwithstanding, mechanical devices such as the v crane shot and the process shot are useful, but by no means indispensable. In fact, what tools we have been used on occasion with real intelligence. What our.cinema needs above everything else is a style, an idiom, a sort of iconography of cinema, which would be uniquely and recognisably Indian. The majority of our films are replete with such ‘visual dissonances’.

But the truly Indian film should steer clear of such inconsistencies and look for its material in the more basic aspects of Indian life, where habit and speech, dress and manners, background and foreground, blend into a harmonious whole. It is only in a drastic simplification of style and content that hope for the Indian cinema resides. At present, it would appear that nearly all the prevailing practices go against such as simplification.

Questions:
(i) What does Indian cinema need?
(ii) What types of films?
(iii) What types of material does Indian cinema need?
(iv) What do you mean by ‘Simplification?’
Answers:
(i) Indian cinema needs a style, an idiom a sort of iconography of cinema which would be uniquely and recognizably Indian.
(ii) The majority of our films are depleted with such ‘visual dissonances’.
(iii) In Indian enema, there should be material in the more basic aspect of Indian life. Where habit and speech, dress and manners background and foreground bland into a harmonious way.
(iv) It means not much decorated or ornamented. Here concerning cinema, it should simply be produced.

5. Starting a production without adequate planning, sometimes even without a shooting script, a penchant for convolutions of plot and counterplot rather than the strong, simple unidirectional narrative: the practice of sandwiching musical numbers in the most unlyrical situations, the habit of shooting indoors in a country which is all landscape, and at a time when all other countries are turning to the documentary for inspiration all these stands in the way of the evolution of a distinctive style.

There have been rare glimpses of an enlightened approach in a handful of recent films. IPTA’s Dharti-Ke-Lal is an instance of a strong simple theme put over with style, honesty, and technical competence. Shankar’s Kalpana, an inimitable and highly individual experiment, shows a grasp of filmic movement, and a respect for tradition.
The raw material of the cinema is life itself, it is incredible that country which has inspired so much painting and music and poetry shout(j fail to move the filmmaker. He has only to keep his eyes open, and his ears7..i him do so.

Questions:
(i) How should a film production be made?
(ii) Which films are mentioned here?
(iii) What is the raw material of a cinema?
(iv) find the word from the passage, which means ‘inland scenery’.
Answers:
(i) Film production is made with adequate planning.
(ii) The film is ‘Dharti-ke-Lal’.
(iii) The raw material of the cinema is life itself.
(iv) The word is, landscopee.

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Bihar Board Class 10 Hindi Solutions पद्य Chapter 8 एक वृक्ष की हत्या

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 2 पद्य खण्ड Chapter 8 एक वृक्ष की हत्या Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi Solutions पद्य Chapter 8 एक वृक्ष की हत्या

Bihar Board Class 10 Hindi एक वृक्ष की हत्या Text Book Questions and Answers

कविता के साथ

एक वृक्ष की हत्या Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 1.
कवि को वृक्ष बूढ़ा चौकीदार क्यों लगता था?
उत्तर-
कवि एक वृक्ष के बहाने प्राचीन सभ्यता, संस्कृति एवं पर्यावरण की रक्षा की चर्चा की है। वृक्ष मनुष्यता, पर्यावरण एवं सभ्यता की प्रहरी है। यह प्राचीन काल से मानव के लिए वरदान स्वरूप है, इसका पोषक है, रक्षक है। इन्हीं बातों का चिंतन करते हुए कवि को वृक्ष बूढा चौकीदार लगता था

Ek Vriksh Ki Hatya Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 2.
वृक्ष और कवि में क्या संवाद होता था?
उत्तर-
कवि जब अपने घर कहीं बाहर से लौटता था तो सबसे पहले उसकी नजर घर के आगे स्थिर खड़ा एक पुराना वृक्ष पर पड़ती। उसे लगता मानो घर के आगे सुरक्षा प्रहरी खड़ा है। उसके निकट आने पर कवि को आभास होता मानो वृक्ष उससे पूछ रहा है कि तुम कौन हो?

कवि इसका उत्तर देता-मैं तुम्हारा दोस्त हूँ। इसी संवाद के साथ वह उसके निकट बैठकर भविष्य में आने वाले पर्यावरण संबंधी खतरों की अंदेशा करता है।

Ek Vriksh Ki Hatya Poem Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 3.
कविता का समापन करते हुए कवि अपने किन अंदेशों का जिक्र करता है और क्यों?
उत्तर-
कविता का समापन करते हुए कवि पर्यावरण एवं सभ्यता के प्रति संवेदनशील होकर चिंतन करता है। चिंतन करने में उसे मानवता, पर्यावरण एवं सभ्यता, राष्ट्रीयता के दुश्मन की झलक मिलती है। इसी का जिक्र करते हुए कवि कहते हैं कि हमें घर को विनाश करने वालों से सावधान रहना होगा, शहर में विनाश होते हुए सभ्यता की रक्षा के लिए आगे आना होगा। अर्थात् कवि को अंदेशा है कि आज पर्यावरण, हमारी प्राचीन सभ्यता, मानवता तट के जानी दुश्मन समाज में तैयार हैं। अंदेशा इसलिए करता है क्योंकि आज लोगों की प्रवृत्ति वृक्षों को काटने की हो गई। सभ्यता के विपरीत कार्य करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, मानवता का ह्रास हो रहा है। ऐसी स्थिति में वृक्षों के प्रति मानवता के प्रति संवेदनशील हो कम दिखाई पड़ रहे हैं। यह चिंता का विषय है। यही कवि की आशंका का विषय है।

Aamne Saamne Kunwar Narayan Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 4.
घर शहर और देश के बाद कवि किन चीजों को बचाने की बात करता है और क्यों?
उत्तर-
घर, शहर और देश के बाद कवि नदियों, हवा, भोजन, जंगल एवं मनुष्य को बचाने की बात करता है क्योंकि नदियाँ, हवा, अन्न, फल, फूल जीवनदायक हैं। इनकी रक्षा नहीं होगी तो मनुष्य के स्वास्थ्य की रक्षा नहीं हो सकती है। जंगल पर्यावरण का सुरक्षा कवच है। जंगल की रक्षा नहीं होने से प्राकृतिक असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होगी। इन सबसे बढ़कर मनुष्य की रक्षा करनी होगी। मनुष्य में मनुष्यता कायम रहे, मानवता का गुण निहित हो, इसकी सभ्यता बनी रहे। इसे असभ्य होने से बचाने की महती आवश्यकता है। साथ ही जंगल की तरह मानवीयता का कत्ल नहीं हो इसके लिए रक्षार्थ आगे आने की महती आवश्यकता है।

Ek Vriksh Ki Hatya Notes Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 5.
कविता की प्रासंगिकता पर विचार करते हुए एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि बदलते हुए परिवेश में दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु जिस तरह प्रकृति का दोहन हो रहा है उससे लगता है कि सारी दुनिया प्रकृति का स्वतः शिकार हो जायेगा। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई, बढ़ती हुई जनसंख्या, समुद्र का जलस्तर ऊपर उठना ये सब इसके सूचक हैं। वृक्ष हमारे मित्र हैं फिर भी इसको निष्ठुरता से काटते जा रहे हैं। अतिवृष्टि अनावृष्टि, मौसम का बदलता चक्र पर्यावरण संकट का संकेत कर रहे हैं। आज मानव आँख होते हुए भी अंधा हो गया है। कवि इस समस्या से बहुत चिन्तित है। उसे लगता है कि दुनिया जल्द ही समाप्त हो जायेगी। वृक्ष को काटना अपने आप को मृत्यु के गोद में झोंकना है। ठंडी छाव देने वाले वृक्ष मनुष्य की निष्ठुरता के कारण काटे जा रहे हैं। अंत में कवि कहना चाहता है कि यदि समय रहते इस समस्या से निजात पाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो जीव जगत समाप्त हो जायेंगे। मुडो प्रकृति की ओर का नारा मानव को समझना चाहिए।

Aamne Samne Book Kunwar Narayan Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 6.
व्याख्या करें :
(क) दूर से ही ललकारता, कौन ? / मैं जवाब देता, ‘दोस्त’।
(ख) बचाना है-जंगल को मरूस्थल हो जाने से / बचाना है-मनुष्य को जंगल हो जाने से।
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पंक्ति हिन्दी पाठ्य-पुस्तक के कुँवर नारायण रचित ‘एक वृक्ष की हत्या, पाठ से उद्धृत है। इसमें कवि ने एक वृक्ष को कटने से आहत होता है और इस पर चिंतन करते हुए पूरी पर्यावरण एवं मानवता पर खतरा की आशंका से आशंकित हो जाता है। इसमें अपनी संवेदना को कवि ने अभिव्यक्त किया है। प्रस्तुत व्याख्येय में कवि कहता है कि जब मैं अपने घर लौटा तो पाया कि मेरे घर के आगे प्रहरी के खड़ा वृक्ष को काट दिया गया है। उसकी याद करते हुए कवि कहते हैं कि वह घर के सामने अहर्निश खड़ा रहता था मानो वह गृहरक्षक हो। जब मैं बाहर से लौटता था उसे दूर से देखता था और मुझे प्रतीत होता था कि वृक्ष मुझसे पूछ रहा हैं कि तुम कौन हो? तब मैं बोल पड़ता था कि मैं तुम्हारा मित्र हूँ। इसमें वृक्ष और कवि के संवाद की प्रस्तुति है।

(ख) प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘एक वृक्ष की हत्या’ पाठ से उद्धृत है। इसमें कवि भविष्य में आने वाले प्राकृतिक संकट, मानवीयता पर खतरा एवं ह्रास होते सभ्यता की ओर ध्यानाकर्षण कराते हुए भावी आशंका को व्यक्त किये हैं। साथ ही इन सबकी रक्षा संरक्षण एवं विकास हेतु चिंतनशील होने पर बल दिया है।

प्रस्तुत व्याख्येय में कवि ने कहा है कि अगर हम इस अंधाधुंध विकास क्रम में विवेक से काम नहीं लेंगे तो वृक्ष कटते रहेंगे और भविष्य में जंगल मरुस्थल का रूप ले लेगा। साथ ही मानवता की सभ्यता की रक्षा के प्रति सचेत नहीं होंगे तो मानव भी जंगल का रूप ले सकता है।

मानवीयता पशुता में परिवर्तित हो सकता है। मानव दानवी प्रवृत्ति अपनाता दिख रहा है और इस बढ़ते प्रवृत्ति को रोकना आवश्यक होगा। कवि मानवीयता स्थापित करने हेतु चिंतनशील है, सभ्यता की सुरक्षा हेतु प्रयत्नशील होने की प्रेरणा दे रहे हैं। साथ ही पर्यावरण संरक्षण हेतु सजग करने की शिक्षा दे रहे हैं।

एक वृक्ष की दो डाली थी Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 7.
कविता के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
वस्तुतः किसी भी कहानी, कविता आदि का शीर्षक वह धुरी होता है जिसके इर्दगिर्द कथावस्तु घूमती रहती है। प्रस्तुत कविता का शीर्षक एक वृक्ष की हत्या के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं को सीख देने के लिए रखा गया है। वृक्ष पुराना होने पर भी पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाता है। उसके फल, छाया अपने लिए नहीं औरों के लिए होता है। अपना दोस्त समझने वाला वृक्ष दूसरों के लिए सर्वस्व सुख समर्पण कर देता है। घर, शहर, राष्ट्र और दुनिया को बचाने से पहले वृक्ष को बचायें। बदलता हुआ मौसम चक्र विनाश का सूचक है। हमारा जीवन मरण, युवा-जरा आदि सभी प्रकृति के गोद में ही बीतता है फिर भी हम प्रकृति का दोहन करते जा रहे हैं। अतः उपयुक्त दृष्टान्तों से स्पष्ट होता है कि प्रस्तुत कहानी का शीर्षक सार्थक और समीचीन है।

कविता के बहाने प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 8.
इस कविता में एक रूपक की रचना हुई है। रूपक क्या है ? और ‘यहाँ उसका क्या स्वरूप है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
जहाँ रूप और गुण की अत्यधिक समानता के कारण उपमेय में उपमान का आरोप कर अभेद स्थापित किया जाता है वहाँ रूपक होता है। इसमें साधारण धर्म और वाचक शब्द नहीं होते हैं। इस कविता में वही बूढ़ा चौकीदार वृक्ष रूपक है। यहाँ चौकीदार वृक्ष है। उपमान का आरोप कर अभेद स्थापित किया गया है।

प्रश्न 9.
‘एक वक्ष की हत्या कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर-
इस कविता में कवि कुँवर नारायण ने एक वृक्ष के काटे जाने से उत्पन्न परिस्थिति, पर्यावरण संरक्षण और मानव सभ्यता के विनाश की आशंका से उत्पन्न व्यथा का उल्लेख किया कवि वृक्ष की कथा से शुरू होकर, घर, शहर, देश और अंततः मानव के समक्ष उत्पन्न संकट तक आता है। चूंकि मनुष्य और वृक्ष का संबंध आदि काल से है, इसलिए वह वृक्ष से ही शुरू करता हुआ कहता है कि इस बार जो वह घर लौटा तो दरवाजे पर हमेशा चौकीदार की तरह तैनात रहनेवाला वृक्ष नहीं था। ठीक-जैसे चौकीदार सख्त शरीर, झुर्रादार चेहरा, एक लम्बी-सी राइफल लिए, फूल-पत्तीदार पगड़ी बाँधे, पाँव में फटा-पुराना चरमराता जूता पहने, मजबूत, धूप-वर्षा में, खाकी वर्दी पहने और हर आनेवाले को ललकारता और फिर ‘दोस्त’ सुनकर आने देता है, वैसे ही वह वृक्ष था-बहुत पुराना, मजबूत तने वाला, फटी छालें थी उसकी। जूते की तरह जड़ें फैली थीं, मटमैला रंग था और उसकी डालें राइफल की तरह लम्बी थीं। तने के ऊपर पत्तियाँ, पगड़ी जैसी फैली थीं। जाड़ा, गर्मी और बरसात में सीधा रहता था और रह-रह कर उसकी शाखाएँ, हवा बहने पर हरहराती थीं मानो आनेवाले से, पूछता हो कौन और फिर शान्त हो जाता था। शान्ति से बैठते थे हम सब। अच्छा लगता था।

लेकिन एक डर था। हुआ भी वही। गफलत हुई या नादानी कहें पेड़ कट गया। किन्तु यह सिलसिला रहा तो और भी बहुत कुछ होगा। अब सचेत रहना है। घर को बचाना होगा लूटेरों से, शहर को बचाना होगा हत्यारों से, देश को बनाना होगा देश के दुश्मनों से। इतना ही नहीं खतरे और भी हैं। नदियों को नाला बनाने से बचाना होगा, उसमें डाले जानेवाले कचरों और रसायनों को रोकना होगा। वृक्षों को काटने से जो हवा में धुआँ बढ़ता जा रहा है, उसे रोकना होगा और जमीन में रासायनिक उर्वरकों को डालने से रोकना ताकि अनाज जहर न बनें। दरअसल, जंगल को रेगिस्तान नहीं बनने देना होगा। जंगल रेगिस्तान बने कि आफत आई। किन्तु सोचना होगा कि क्यों कर रहा है मनुष्य यह सब? मनुष्य की सोच में जो खोट पैदा हो गयी है, जिससे ये समस्याएँ पैदा हुई हैं उस खोट को निकालना होगा। मनुष्य को जंगली बनने से रोकना होगा, उसे सही अर्थों में मनुष्य बनाना होगा, तभी मानवता बचेगी।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नलिखित अव्ययों का वाक्यों में प्रयोग करें
अबकी, हमेशा, लेकिन, दूर, दरअसल, कहीं
उत्तर-
अबकी – अबकी समस्या गंभीर है।
हमेशा – हमेशा सत्य बोलना चाहिए।
लेकिन – वह आनेवाला था लेकिन नहीं आया।
दूरं – यहाँ से दूर नदी बहती है।
दरअसल – दरअसल ये बाते झूठी हैं।
कहीं – वह कहीं नहीं जायेगा।

प्रश्न 2.
कविता से विशेषणों का चुनाव करते हुए उनके लिए स्वतंत्र विशेष्य पद दें।
उत्तर-
बूढा – चौकीदार
पुराने – चमड़े
खुरदरा – तना
सखी – डाल
फूल पत्तीदार – पगड़ी
फटा पुराना – जूता
ठंढी – छाँव

प्रश्न 3.
निम्नांकित संज्ञा पदों का प्रकार बताते हुए वाक्य-प्रयोग करें: घर, चौकीदार, दरवाजा, डाल, चमड़ा, पगड़ी, बल-बूता, बारिश, वर्दी, दोस्त, पल, छाँव, अन्देशा, नादिरो, जहर, मरूस्थल, जंगल।
उत्तर-
घर – जातिवाचक – घर बड़ा है।
चौकीदार – जातिवाचक – चौकीदार ईमानदार है।
दरवाजा – जातिवाचक – दरवाजा खोल दो।
डाल – जातिवाचक – वृक्ष के डाल टूट गये।
चमड़ा – जातिवाचक – चमड़ा सड़ गया।
पगड़ी – जातिवाचक – पगड़ी नई है।
बल-बूता – भाववाचक – अपने बल-बूते पर कार्य करो।
बारिश – जातिवाचक – बारिश हो रही है।
वर्दी – जातिवाचक – वर्दी नयी है।
दोस्त – जातिवाचक – दोस्त पुराना है।
पल – भाववाचक – एक-एक पल का सदुपयोग करो।
छाँव – भाववाचक – छाँव ठंढी है।
अन्देशा – भाववाचक – अन्देशा समाप्त हो गया।
नादिरों – जातिवाचक – नादिरों से बचना है।
जहर – जातिवाचक – उसने जहर पी लिया।
मरूस्थल – जातिवाचक मरूस्थल फैल रहा है।
जंगल – जातिवाचक – जंगल घना है।

प्रश्न 4.
कविता में प्रयुक्त निम्नांकित पदों के कारक स्पष्ट करें चमड़ा, पाँव, धूप, सर्दी, वर्दी, अन्देशा, शहर, नदी, खाना, मनुष्य।
उत्तर-
चमड़ा – सबंध कारक
पाँव – अधिकरण कारक
धूप – अधिकारण कारक
सर्दी – अधिकरण कारक
वर्दी – अधिकरण कारक
अन्देशा – अधिकरण कारक
शहर – कर्म कारक
नदी – कर्म कारक
खाना – कर्म कारक
मनुष्य – कर्म कारक

काव्यांशों पर आधारित अर्थ-ग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

1. अबकी घर लौटा तो देखा वह नहीं था
वही बूढ़ा चौकीदार वृक्ष
जो हमेशा मिलता था घर के दरवाजे पर तैनात।
पुराने चमड़े का बना उसका शरीर
वही सख्त जान
झुर्रियोंदार खुरदुरा तना मैलाकुचैला,
राइफिल-सी एक सूखी डाल,
एक पगड़ी फूलपत्तीदार,
पाँवों में फटा पुराना जूता,
चरमराता लेकिन अक्खड़ बल-बूता
धूप में बारिश में
गर्मी में सर्दी में
हमेशा चौकन्ना
अपनी खाकी वर्दी में
दूर से ही ललकारता, “कौन ?”
मैं जवाब देता, “दोस्त !”
और पल भर को बैठ जाता
उसकी ठंढी छांव में

प्रश्न
(क) कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
(ख) पद्यांश का प्रसंग लिखें।
(ग) पद्यांश का सरलार्थ लिखें।
(घ) भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कविता-एक वृक्ष की हत्या।
कवि-कुँवर नारायण।

(ख) प्रसग-हिन्दी काव्य धारा के सुप्रसिद्ध कवि कुँवर नारायण ने प्रस्तुत कविता ‘एक वृक्ष की हत्या’ के इस अंश में पर्यावरण की व्यवस्था पर उठते अनेक सवालों की ओर प्रबुद्ध वर्गों को आकर्षित किया है। यहाँ कवि कहना चाहते हैं कि आज प्रबुद्ध वर्ग ही क्षणभंगुर, स्वार्थपरता की लोलुपता में वृक्षों को काटकर शाश्वतता के साथ खिलवाड़ कर रहा है।

(ग) सरलार्थ-कवि पूर्ण रूप से संवेदनशील हैं अत: ‘एक वृक्ष की हत्या’ के बहाने मनुष्य और सभ्यता के विनाश की ओर ध्यानाकर्षित करते हुए कहते हैं कि.मेरे घर के बाहर ठीक दरवाजे के सामने एक विशाल छायादार वृक्ष था। कुछ दिनों के बाद जब मैं अबकी बार घर लौटा तो देखा कि उस.वृक्ष को काट दिया गया है। वह बूढा वृक्ष चौकीदार के समान घर के दरवाजे पर तैयार रहता था। वह वृक्ष इतना बूढ़ा और पुराना हो गया था कि उसके तने के बाहरी भाग बिल्कुल काले पड़ गये थे, जैसे लगता था कि वह चौकीदार सख्त और पुराने चमड़े धारण करके खड़ा रहता है। जहाँ-तहाँ वृक्ष के तने में ऊबड़-खाबड़, ऊँच-नीच की स्थितियाँ उत्पन्न हो गयी थीं। कई डालियाँ सूख गयी थीं तो लगता था कि वह बूढ़े वृक्ष के शरीर से झुर्रियाँ लटक रही हैं और कंधे पर राइफल लेकर रखवाली कर रहा है। उसकी ऊँची टहनी पर सुन्दर-सुन्दर फूल के गुच्छे और हरे-हरे पत्ते उसकी पगड़ी के रूप में सुशोभित होते थे। उसके पुराने जड़ फटे-पुराने जूते के समान लगते थे। जैसे लगता था उसके जड़ चरमरा रहे हैं, फिर भी विपरीत परिस्थितियों में शक्ति सामर्थ्य के साथ डटा रहने वाला था। प्रचण्ड गर्मी, मूसलाधार बारिश, कड़ाके की ठंड में हमेशा चौकन्ना रहकर पुराने छाल रूपी खाकी वरदी पहनकर डटा रहता था।

(घ) भाव-सौंदर्य प्रस्तुत पद्यांश का भाव यह है कि एक तुरन्त काटे गये वृक्ष के बहाने पर्यावरण, मनुष्य और सभ्यता के विनाश की अंत:व्यथा को अभिव्यक्त करता है। मानव जो अपने आपको प्रबुद्ध वर्ग कहता है वही क्षणभंगुर स्वार्थ की लिप्सा में पड़कर शाश्वतता के साथ कैसा खतरनाक खिलवाड़ करता है। मानवीय संवेदनाओं और चिंताओं की अभिव्यक्ति अप्रत्यक्ष रूप में दिखाई पड़ती है।

(ङ) काव्य सौंदर्य-
(i) प्रस्तुत कविता खड़ी बोली में लिखी गई है। भाषा प्रतीकात्मक शैली में है जहाँ रूपक का वातावरण अति प्रशंसनीय है।
(ii) तद्भव, तत्सम, देशज और विदेशज शब्दों का सम्मिलित रूप कविता का सौंदर्य बोध स्पष्ट दिखाई पड़ता है।
(iii) बूढा, चौकीदार, खुरदरा, झुर्रियाँदार ये सभी बिम्बात्मक शब्द रूपक के रूप में कविता को सारगर्भित बना रहे हैं। मुक्तक छंद की कविता होते हुए भी कविता में संगीतमयता आ गई है।
(iv) भाषा परिष्कृत और साफ-सुथरी है। यहाँ यथार्थ का खुरदरापन मिलता है और उसका सहज सौंदर्य भी।

2. दरअसल शुरू से ही था हमारे अन्देशों में
कहीं एक जानी दुश्मन ।
कि घर को बचाना है लुटेरों से
शहर को बचाना है नादिरों से
देश को बचाना है देश के दुश्मनों से
बचाना है-
नदियों को नाला हो जाने से
हवा को धुआँ हो जाने से ।
खाने को जहर हो जाने से:
बचाना है – जंगल को मरुस्थल हो जाने से,
बचाना है – मनुष्य को जंगल हो जाने से।

प्रश्न
(क) कवि तथा कविता का नाम लिखें।
(ख) पद्याश का प्रसंग लिखें।
काव्यांश का सरलार्थ लिखें।
(घ) भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) भाव-सौंदर्य स्पष्ट कर की हत्या।
उत्तर-
(क) कविता– एक वृक्ष की हत्या।
कवि- कुँवर नारायण।

(ख) प्रसंग- प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने कहा है कि पर्यावरण, सभ्यता, संस्कृति, राष्ट्र एवं मानवता के दुश्मन की आशंका हमेशा है। इनके दुश्मन हमारे बीच विद्यमान हैं और हमें उन्हें बचाने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। इनकी रक्षा हेतु हमें आगे आना होगा। पर्यावरण की रक्षा करके या वृक्षों की रक्षा करके ही हम मनुष्य का बचा सकते हैं। इनके रक्षार्थ हमें इनके प्रति संवेदनशील होना होगा।

(ग) सरलार्थ- प्रस्तुत पद्यांश में कवि कुँवर नारायण जी आने वाले पर्यावरण संकट की और ध्यानाकर्षण कराते हैं। घर को लुटेरों का खतरा होता है। शहर को नादिरों से खतरा है। इन्हें बचाने की आवश्यकता है। देश को देश के दुश्मनों से रक्षा करने की आवश्यकता है। अर्थात् मनुष्यता और सभ्यता की रक्षा अनिवार्य रूप से होनी चाहिए और इसके लिए हमें सचेत होना होगा। कवि आगे कहते हैं कि आने वाले दिनों में पर्यावरण प्रदूषण की खतरा मँडरा रहा है। हम वृक्ष का महत्व नहीं देते हैं और उसे बिना सोचे-समझे काट रहे हैं। वृक्ष, पौधे, वनस्पतियों के बचाव से मनुष्य के स्वास्थ्य की रक्षा हो सकती है। हमें नदियों को नाला होने से, हवा को धुआँ होने से, खाने को जहर होने से, जंगल को मरुस्थल होने से एवं मनुष्य को जंगल होने से बचाना होगा। इस बचाव कार्य के सदुपायों पर चिंतन करते हुए पर्यावरण, सभ्यता एवं मनुष्यता की हर हाल में रक्षा करनी होगी। इसके लिए वृक्ष की महत्ता को समझना होगा। उसकी हत्या नहीं करनी होगी।

(घ) भाव-सौंदर्य प्रस्तुत पद्यांश में कवि समस्त प्रबुद्ध वर्गों के लिए गंभीर चिंता का सवाल खड़ा कर दिया है। यह पद्यांश आज के समय की अपरिहार्य चिंताओं और संवेदनाओं का रचनात्मक बोध कराता है। सहजता और स्वाभाविकता की अंत:कलह कासे पर्यावरण की सुरक्षा की ओर अग्रसर करता है। केवल कोरे कागज पर या खोखले नारेबाजी से पर्यावरण की सुरक्षा का चिंतन करने के बजाय प्रयोगवादी धरातल पर अंजाम देने की आवश्यकता पर कवि जोर दिया है। यदि प्रबुद्ध वर्ग ऐसा नहीं करता है तो शाश्वता के कोपभाजन का शिकार उसे निश्चित रूप से होना पड़ेगा।

(ङ) काव्य-सौंदर्य-
(i) प्रस्तुत कविता खड़ी बोली में लिखी गई है।
(i) भाषा सरल और सुबोध है। यहाँ अलंकार की योजना से रूपक, उपमा और अनुप्रास की छटा प्रशंसनीय है।
(iii) कविता में मानवीकरण की प्राथमिकता है।
(iv) शैली की दृष्टि से चित्रमयी शैली अति स्वाभाविक रूप में उपस्थित है।
(v) भाव के अनुसार भाषा का प्रयोग कविता में पूर्ण व्यंजकता उपस्थित करती है।
(vi) भाषा और विषय की विविधता कविता के विशेष गुण हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. सही विकल्प चुनें

प्रश्न 1.
कंवर नारायण कैसे कवि हैं ?
(क) रहस्यवादी
(ख) छायावादी
(ग) हालावादी
(घ) संवेदनशील

प्रश्न 2.
“एक वृक्ष की हत्या’ के कवि कौन हैं ?
(क) अज्ञेय
(ख) पंत
(ग) कुँवर नारायण
(घ) जीवनानंद दास
उत्तर-
(ग) कुँवर नारायण

प्रश्न 3.
“एक वृक्ष की हत्या’ किस काव्य-संग्रह से संकलित है ?
(क) इन्हीं दिनों
(ख) हम-तुम
(ग) आमने-सामने
(घ) चक्रव्यूह
उत्तर-
(क) इन्हीं दिनों

प्रश्न 4.
कुँवर नारायण आधुनिक युग की किस काव्य-धारा के कवि हैं?
(क) प्रगतिवादी
(ख) प्रयोगवादी
(ग) यथार्थवादी
(घ) नयी कविता
उत्तर-
(घ) नयी कविता

प्रश्न 5.
‘एक वृक्ष की हत्या’ में वृक्ष को किस रूप में कवि ने प्रस्तुत किया है ?
(क) वृक्ष के रूप में
(ख) घर के रूप में
(ग) मानव के रूप में
(घ) पशु-के रूप में
उत्तर-
(ग) मानव के रूप में

प्रश्न 6.
कुँवर नारायण ने पेड़ की डाल की तुलना किससे की है ? ।
(क) लाठी से
(ख) राइफल से
(ग) भाला से
(घ) तोप से
उत्तर-
(ख) राइफल से

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 1.
कुंवर नारायण का जन्म ………….. में हुआ।
उत्तर-
लखनऊ

प्रश्न 2.
कुंवर नारायण के काव्य की विशेषताएं हैं नये विषय और ……. की विविधता है।
उत्तर-
भाषा

प्रश्न 3.
घर को बचाना हो ……..से।
उत्तर-
लुटेरों

प्रश्न 4.
वृक्ष के काटे जाने के माध्यम से कवि ने …. प्रदूषण पर टिप्पणी की है।
उत्तर-
पर्यावरण

प्रश्न 5.
‘एक वृक्ष की हत्या’ …………… कविता है।
उत्तर-
समसामयिक

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कुँवर नारायण कैसे कवि हैं ?
उत्तर-
कुंवर नारायण मनुष्यता और सजीवता के पक्ष में संभावनाओं के द्वार खोलने वाले कवि हैं।

प्रश्न 2.
कुंवर नारायण ने काव्य के अतिरिक्त किन विधाओं को समृद्ध किया है ?
उत्तर-
कुंवर नारायण ने काव्य के अतिरिक्त कहानी, निबंध और समीक्षा के क्षेत्र को समृद्ध किया है।

प्रश्न 3.
कुंवर नारायण को कौन-कौन पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं ?
उत्तर-
कुँवर नारायण को साहित्य अकादमी पुरस्कार, कुमार, आशान पुरस्कार, प्रेमचन्द पुरस्कार के अलावा व्यास-सम्मान, कबीर सम्मान और लोहिया सम्मान प्राप्त हुए हैं।

प्रश्न 4.
कवि घर लौटा तो कौन नहीं था?
उत्तर-
कवि अबकी बार घर लौटा तो चौकीदार की तरह घर के दरवाजे पर तैनात रहने वाला बूढ़ा वृक्ष नहीं था।

प्रश्न 5.
“एक वृक्ष की हत्या’ कविता का वर्ण्य-विषय क्या है?
उत्तर-
एक वृक्ष की हत्या’ का वर्ण्य-विषय है नाना प्रकार के प्रदूषण और छीजते मानव-मूल्या ।

व्याख्या खण्ड

प्रश्न 1.
अबकी घर लौटा तो देखा वह नहीं था
वही बूढ़ा चौकीदार वृक्ष
जो हमेशा मिलता था घर के दरवाजे पर तैनात।

व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के “एक वृक्ष की हत्या” नामक काव्य-पाठ से ली गयी हैं।
इन पंक्तियों का प्रसंग गाँव के एक बूढ़े वृक्ष की हत्या से जुड़ा हुआ है।

बहुत दिनों के बाद जब कवि घर यानी अपने गाँव लौटा तो उसे बड़ा अचरज हुआ। कवि के घर के दरवाजे पर चौकीदार के रूप में तैनात जो बूढ़ा वृक्ष था, वह नहीं था। वृक्ष की हत्या हो चुकी थी।

इन पंक्तियों के माध्यम से कवि वृक्ष के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता है। उसकी उस वृक्ष के साथ आत्मीयता बढ़ गयी थी। वृक्ष घर का चौकीदार था। वह बूढ़ा हो चुका था। आज उसका नहीं होना कवि के लिए पीडादायक था।

एक बूढ़े वृक्ष की हत्या के माध्यम से कवि ने मानवीय जीवन की विसंगतियों पर भी सम्यक् प्रकाश डाला है। आज मनुष्य कितना क्रूर और निष्ठुर बन गया है। अपनी ही जड़ें काटने लगता है। इस कविता में बूढ़े वृक्ष की हत्या यानी संस्कृति की हत्या, बुजुर्गों के प्रति अनादर और अनास्था का भाव परिलक्षित होता है। हम चौकीदार सदृश बूढ़े वृक्ष या घर के बूढ़े किसी का भी सम्मान और सद्व्यवहार नहीं कर रहे हैं। ऐसा क्या हो गया है। वृक्ष हमारी संस्कृति, सभ्यता, अभिभावक, चौकीदार आदि के प्रतीक के रूप में आया है। इन पंक्तियों में कवि ने एक वृक्ष को प्रतीक मानकर जो संवेदनात्मक भाव प्रकट किया है, वह वंदनीय है, प्रशंसनीय है।

प्रश्न 2.
“पुराने चमड़े का बना उसका शरीर
वही सख्त जान
झुर्रियोंदार खुरदुरा तना मैला-कुचैला
राइफिल-सी एक सूखी डाल,
एक पगड़ी फूल-पत्तीदार,
पाँवों में फटा पुराना जूता,
चरमराता लेकिन अक्खड़ बल-बूता।”
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के एक वृक्ष की आत्महत्या’ काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग बूढ़े वृक्ष की शारीरिक संरचना से जुड़ा हुआ है।

कवि ने बूढ़े वृक्ष का मानवीकरण कर उसमें जीवंतता का दर्शन कराया है। जिस प्रकार बूढ़ा आदमी उम्र की ढलान पर अपने सौंदर्य को खो देता है, ठीक उसी प्रकार बूढ़े वृक्ष की भी स्थिति है। बूढ़े वृक्ष का शरीर सख्त हड्डियों का ढाँचा है। उसके छिलके पुराने चमड़े की तरह दिखते हैं। पूरे तन में पपड़ियाँ पड़ गयी हैं। चेहरे और सारे शरीर में झुर्रियाँ दिखायी पड़ती हैं। शरीर में खुरदुरापन आ गया है। पुराना हो जाने के कारण शरीर मैला-कुचैला-सा दिखता है। सौंदर्य खत्म हो चुका है। उसकी सूखी डाल राइफिल की तरह दिखती है। फूल और पत्तियों से युक्त पगड़ी पहने हुए वृक्ष का रंग-रूप लगता है मानो कोई चौकीदार सदेह खड़ा है। उसकी जड़ें फटी हुई हैं, दरकी हुई हैं-लगता है कि बूढ़े वृक्ष ने अपने पाँवों में फटा-पुराना जूता पहन रखा हो। वह जूता चरमर-चरमर करता है। वृक्ष ऐसे खड़ा है लगता है कि वह अक्खड़ता के साथ अपने . बल-बूते खड़ा है।

उक्त काव्य पक्तियों में कवि ने बूढ़े वृक्ष का चित्रण एक बूढ़े झुरींदार खुरदरे चेहरेवाले, मैले-कुचैले कपड़े पहने मनुष्य से किया है। उसने वृक्ष को मानव के रूप में चित्रित कर उसकी उपयोगिता और महत्ता को सिद्ध किया है। बूढ़ा वृक्ष हमारे लिए घर का बूढ़ा अभिभावक है। उसकी उपयोगिता और जीवंतता हमारे लिए अत्यंत आवश्यक है। वह हमारी संस्कृति का, सभ्यता का, कर्तव्यनिष्ठता का, अभिभावक का, लोकहित का संरक्षण करता है, पोषण करता है, रक्षा करता है। अतः, वह बूढ़ा वृक्ष मात्र वृक्ष ही नहीं है वह पहरूआ है अभिभावक हैं, घर का चौकस समझदार और भरोसेमंद संरक्षक है।

प्रश्न 3.
धूप में बारिश में
गर्मी में सर्दी में,
हमेशा चौकन्ना
अपनी खाकी वर्दी में
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘एक वृक्ष की हत्या’ काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग एक बूढ़े वृक्ष को चौकीदार के रूप में चित्रित किए जाने से जुड़ा हुआ है।

कवि कहता है कि कोई भी मौसम हो, धूप अथवा बारिश हो, चाहे गर्मी या सर्दी का माह हो, बूढ़े वृक्ष को देखकर लगता है कि वह हमेशा सतर्कता के साथ, निडरता और तत्परता के साथ, खाकी-रूपी वर्दी में सबकी रखवाली में खड़ा है। कवि की ऐसी कल्पना से लगता है कि बूढा वृक्ष एक मामूली वृक्ष नहीं है। बल्कि वह युगों-युगों से हमारी सुरक्षा का प्रहरी है। हमारी संस्कृति का पोषक है। हर मौसम में एक विश्वसनीय, ईमानदार पहरेदार के रूप में हमारी रक्षा कर रहा है।

प्रश्न 4.
दूर से ही ललकारता, “कौन?”
मैं जवाब देता, “दोस्त !”
और पल भर को बैठ जाता
उसकी ठंढी छाँव में।
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘एक वृक्ष की हत्या’ काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग एक बूढ़े वृक्ष और कवि के बीच के संबंध से संबंधित है।

जब कभी कवि अपने घर लौटता था तो बूढ़ा वृक्ष दूर से ही ललकारते हुए पूछता था— ठहरो, बोलो तुम कौन हो? कवि जवाब देता था मैं तुम्हारा दोस्त ! तब कवि घर की ओर पग बढ़ाता था। यहाँ मानवीय संबंधों, पहरेदार के रूप में अपनी कर्त्तव्यनिष्ठता के प्रति दृढ रहने कवि और बूढ़े वृक्ष के बीच के आत्मीय संबंधों आदि का पता चलता है। कवि की कल्पना ने बूढ़े वृक्ष को अभिभावक, चौकीदार पहरूओ के रूप में चित्रित कर मानवीयता प्रदान किया है। यहाँ बूढ़ा वृक्ष निर्जीव नहीं सजीव है। उसमें चेतना है, कर्तव्यनिष्ठता है, आत्मीयता है।

प्रश्न 5.
“दरअसल शुरू से ही था हमारे अन्देशों में
कहीं एक जानी दुश्मन
कि घर को बचाना है लुटेरों से
शहर को बचाना है नादिरों से
देश को बचाना है देश के दुश्मनों से।”
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘एक वृक्ष की हत्या’ नामक काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग कवि और एक बूढ़े वृक्ष की हत्या से संबंधि त है। कवि मन ही मन कल्पना करता है कि यह बूढा वृक्ष हमारा पहरूआ है। वह उसे सजीव मानव के रूप में देखता है, चित्रित करता है। कवि के मन में पूर्व से ही संशय बैठा हुआ है कि हमारे चारों ओर शत्रुओं की तादाद अच्छी है, उनसे अपनी सुरक्षा के साथ घर, शहर और देश को भी बचाना है क्योंकि बाह्य शत्रुओं से तो देश की रक्षा जरूरी ही है। देश के भीतर जो शत्रु हैं उनसे भी लड़ते हुए अस्तित्व की रक्षा करनी है।

कवि यहाँ आंतरिक शत्रुओं की ओर इंगित करते हुए उनसे सावधान रहने की सलाह देता है। कवि का मन पारखी है, वह अपनी पैनी नजर से घर में, शहर में, देश में, रह रहे शत्रुओं को पहचानने की क्षमता रखता है, उनसे दूर रहकर, सचेत रहकर सावधानीपूर्वक अस्तिव और अस्मिता की रक्षा की जा सकती है। भीतरी शत्रुओं से बचाव सर्वाधिक जरूरी है। वे अपने स्वार्थ और संकीर्णताओं के चलते हमारी संस्कृति, प्रगति और आपसी शांति को भंग कर देंगे। कवि की पीड़ा, सोच अत्यंत ही प्रासंगिक है। देश तभी सबल, सुरक्षित रहेमा, शहर सुरक्षित तभी रहेगा जब घर शांतिमय, सुविकसित रूप में रहेगा। यहाँ कवि ने सूक्ष्म रूप से हमारी राष्ट्रीय समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित करते हुए भीतरी शत्रुओं से सावधान रहने को कहा है।

प्रश्न 6.
“बचाना है
नदियों को नाला हो जाने से
हवा को धुआँ हो जाने से।
खाने को जहर हो जाने से।”
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘एक वृक्ष की हत्या काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग कवि के द्वारा सुझाए गए उपायों से है। हम कैसे अपने अस्तित्व, इतिहास और अस्मिता की रक्षा कर सकते हैं ?

उक्त काव्य पक्तियों के माध्यम से कवि ने कहा है कि ऐ राष्ट्रवीरों ! सचेत हो जाओ। बाहरी शत्रुओं से ज्यादा भीतरी शत्रुओं से सांस्कृतिक संकट छहराने का खतरा ज्यादा है। अगर समय रहते हम नहीं चेते, नहीं संभले तो नदियाँ नाला के रूप में परिवर्तित हो जाएंगी, हवा शुद्ध न रहकरधुआँ के रूप में वायुमंडल में पसर जाएगी। आज हमारे जो भोज्य पदार्थ हैं वे जहरीले हो जाएंगे। बदलते जीवन-मूल्यों, पर्यावरण के दूषित स्वरूप एवं आंतरिक अव्यवस्थाओं के कारण सबका अस्तित्व संकट में पड़ गया है। कहीं इस जहरीले वातावरण में हम भी जहरीला न बन जायें। अतः, समय रहते सचेत और जागरूक होना आवश्यक है ताकि गहराते संकट से हम बच सकें।

प्रश्न 7.
बचाना है-जंगल को मरुस्थल
हो जाने से,
बचाना है-मनुष्य को जंगली
हो जाने से।
व्याख्या-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘एक वृक्ष की हत्या’ से ली गयी हैं। इन काव्य पंक्तियों का प्रसंग हमारी प्रकृति, राष्ट्र और मानव से जुड़ा हुआ है। कवि ने कविताओं के माध्यम से सभी को सतर्क और जागरूक होने का संदेश दिया है।

कवि कहता है कि जंगल की रक्षा अत्यावश्यक है। जंगल नहीं रहेगा तो हमारी संस्कृति – सुरक्षित नहीं रहेगी न इतिहास ही सुरक्षित रहेगा। सृष्टि का भी विनाश हो जाएगा। मनुष्य भी जंगली रूप को पुनः अख्तियार कर लेगा। मानव और जंगल एक-दूसरे के पूरक हैं। दोनों का रहना संस्कृति और सभ्यता के विकास के लिए बहुत जरूरी है। जंगल में ही मनुष्य वास करता था।
धीरे-धीरे जंगली स्वरूप को बदला और आज विकास के पथ पर दिनोंदिन अग्रसर होता जा रहा है।

अतः, कवि अंत में जोरदार शब्दों में कहता है कि जंगल को रेगिस्तान बनाने से, हे मानवों ! बचाओ। अगर जंगल का अस्तित्व मिटा तो तुम्हारा भी अस्तित्व समाप्त हो जाए। अतः, कवि की दृष्टि में जंगल और जीवन दोनों का स्वस्थ, सुरक्षित और हरा-भरा रहना आवश्यक है। जंगल और मानव का अटूट संबंध युगों-युगों से रहा है, आगे भी रहेगा।

एक वृक्ष की हत्या कवि परिचय

कुँवर नारायण का जन्म 19 सितंबर 1927 ई० में लखनऊ, उत्तर प्रदेश में हुआ था । कुँवर ।’ नारायण ने कविता लिखने की शुरुआत सन् 1950 के आस-पास की । उन्होंने कविता के अलावा चिंतनपरक लेख, कहानियाँ और सिनेमा तथा अन्य कलाओं पर समीक्षाएँ भी लिखीं हैं, किंतु कविता उनके सृजन-कर्म में हमेशा मुख्य रही । उनको प्रमुख रचनाएँ हैं – ‘चक्रव्यूह’, ‘परिवेश : हम तुम’, ‘अपने सामने’, ‘कोई दूसरा नहीं’, ‘इन दिनों’ (काव्य संग्रह); ‘आत्मजयी’ (प्रबंधकाव्य): ‘आकारों के आस-पास’ (कहानी संग्रह); ‘आज और आज से पहले’ (समीक्षा) : ‘मेर साक्षात्कार’ (साक्षात्कार) आदि । कुँवर नारायण जी को अनके पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं जो इस प्रकार हैं – ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘कुमारन आशान पुरस्कार’, ‘व्यास सम्मान’, ‘प्रेमचंद पुरस्कार’, ‘लोहिया सम्मान’, ‘कबीर सम्मान’ आदि ।

कुँवर नारायण पूरी तरह नगर संवेदना के कवि हैं । विवरण उनके यहाँ नहीं के बराबर है, पर वैयक्तिक और सामाजिक ऊहापोह का तनाव पूरी व्यंजकता के साथ प्रकट होता है । आज का समय और उसकी यांत्रिकता जिस तरह हर सजीव के अस्तित्व को मिटाकर उसे अपने लपेटे में ले लेना चाहती है, कुँवर नारायण की कविता वहीं से आकार ग्रहण करती है और मनुष्यंता और सजीवता के पक्ष में संभावनाओं के द्वार खोलती है। नयी कविता के दौर में, जब प्रबंधकाव्य का स्थान लंबी कविताएँ लेने लगी, तब कुँवर नारायण ने ‘आत्मजयी’ जैसा प्रबंधकाव्य रचकर भरपूर प्रतिष्ठा प्राप्त की । उनकी कविताओं में व्यर्थ का उलझाव, अखबारी सतहीपन और वैचारिक धुंध के बजाय संयम, परिष्कार और साफ-सुथरापन है । भाषा और विषय की विविधता उनकी कविताओं के विशेष गुण माने जाते हैं। उनमें यथार्थ का खुरदुरापन भी मिलता है और उसक सहज सौंदर्य भी।

तुरंत काटे गए एक वृक्ष के बहाने पर्यावरण, मनुष्य और सभ्यता के विनाश की अंतर्व्यथा को अभिव्यक्त करती यह कविता आज के समय की अपरिहार्य चिंताओं और संवेदनाओं का रचनात्मक अभिलेख है । यह कविता कुँवर नारायण के कविता संग्रह ‘इन दिनों से संकलित है।

एक वृक्ष की हत्या Summary in Hindi

पाठ का अर्थ

नई कविता काल के प्रखर कवि कुंवर नारायण नगर संवेदना के कवि हैं। उनकी रचनाओं में वैयक्तिक और सामाजिक उहापोह का तनाव पूरी व्यंजकता के साथ प्रकट होती है। आज का समय और उसकी यांत्रिकता जिस तरह हर सजीव के अस्तित्व को मिटाकर उसने अपने लपेटे में ले लेना चाहती है, कुँवर नारायण की कविता वहीं से आकार ग्रहण करती है और मनुष्यता और सजीवता के पक्ष में संभावनाओं के द्वार खोलती हैं। भाषा और विषय की विविधता उनकी कविताओं के विशेष गुण माने जाते हैं।।

प्रस्तुत कविता में कवि तुरंत काटे गये वृक्ष के बहाने पर्यावरण, मनुष्य और सभ्यता के विनाश की अंतर्व्यथा को अभिव्यक्त किया है। कवि के घर के सामने ही वर्षों पुराना एक बड़ा पेड़ था जो काट लिया गया है। कभी यह पेड़ दूसरों को छाया देकर उसकी थकान दूर करता था। उसके घर की रखवाली करता था किन्तु आज वह निर्जीव बन पड़ा है। पुराना होने के कारण उसके छाल धूमिल हो गये थे। उसकी डालियाँ राइफल की तरह तनी हुई रहती थी अक्खड़पन उसके नस-नस में था, धूप, वर्षा, सर्दी, गर्मी में वह सदा चौकन्ना रहता था किन्तु आज वह बेजान हो गया है। दूर से परिचय पूछकर दोस्तों को एक नई ताजगी देकर मन की व्यथा को हरण करने वाला वृक्ष दुश्मनों के द्वारा काट लिया गया। वस्तुतः यहाँ कवि बताना चाहता है कि गाँव, शहर वातावरण को बचाना है तो पहले पेड़ को बचाना चाहिए। वृक्ष हमारे मित्र हैं। मित्र को दुश्मन समझ कर उसका विनाश करना मानव जाति को विनाश करना है।

शब्दार्थ

अक्खड़ : विपरीत परिस्थितियों में डटा रहने वाला
बल-बूता : शक्ति-सामर्थ्य
अन्देशा : आशंका
नादिरों : नादिरशाह नामक ऐतिहासिक लुटेरे और आक्रमणकारी की तरह के क्रूर व्यक्ति

Bihar Board Class 9 Economics Solutions Chapter 6 कृषक मजदूर

Bihar Board Class 9 Social Science Solutions Economics अर्थशास्त्र : हमारी अर्थव्यवस्था भाग 1 Chapter 6 कृषक मजदूर Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Social Science Economics Solutions Chapter 6 कृषक मजदूर

Bihar Board Class 9 Economics कृषक मजदूर Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न :

बिहार में कृषि की समस्या Class 9 Economics प्रश्न 1.
सन् 2001 ई० को बिहार में कृषक मजदूरों की संख्या थी-
(क) 48%
(ख) 42%
(ग) 52%
(घ) 26.5%
उत्तर-
(क) 48%

बिहार में कृषक मजदूरों की वर्तमान दशा एवं समस्याओं का उल्लेख करें। Class 9 Economics प्रश्न 2.
सन् 1991 ई0 में बिहार में कृषक मजदूरों की संख्या थी-
(क) 26.1%
(ख) 37.1%
(ग) 26.5%
(घ) 37.8%
उत्तर-
(ख) 37.1%

बिहार में कृषि की समस्याओं की विवेचना कीजिए Class 9 Economics प्रश्न 3.
बिहार के कृषक मजदूर हैं-
(क) अशिक्षित
(ख) शिक्षित
(ग) ज्ञानी
(घ) कुशल
उत्तर-
(क) अशिक्षित

कृषक समाज की परिभाषा Class 9 Economics Bihar Board प्रश्न 4.
सामान्यतः कृषक मजदूर को निम्न भागों में बाँटा जा सकता है
(क) तीन
(ख) दो
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर-
(क) तीन

कृषि श्रमिक की परिभाषा Class 9 Economics Bihar Board प्रश्न 5.
ऐसे मजदूर जिनके पास खेती करने के लिए अपनी कोई भूमि नहीं होती है उन्हें कहते हैं-
(क) छोटा किसान
(ख) बड़ा किसान
(ग) भूमिहीन मजदूर
(घ) जमींदार
उत्तर-
(ग) भूमिहीन मजदूर

रिक्त स्थान की पूर्ति करें :

1. जो मजदूर कृषि का कार्य करते हैं उन्हें हम ……….. मजदूर कहते हैं।
2. क्वेसने ने कहा था कि-दरिद्र कृषि, दरिद्र राजा, दरिद्र …………… ।
3. बिहार में अधिकांश कृषक मजदूर …………… एवं पिछड़ी जातियों के हैं।
4. बिहार में अब कृषि कार्यों में ………………… का प्रयोग होने लगा हैं।
5. बिहार के कृषक मजदूर रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों की ओर . …………….कर रहे हैं।
उत्तर-
1. कृषक,
2. देश,
3. अनुसूचित जाति,
4. मशीन,
5. पलायन ।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कृषक मजदूर से हमारा क्या मतलब है ?
उत्तर-
ऐसे मजदूर कृषक मजदूर हैं जो बिलकुल ही भूमिहीन हैं जिनकी बाध्यता है कि वे मजदूरी करके ही पेट पालन करें।

प्रश्न 2.
कृषक मजदूरों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है ?
उत्तर-
कृषक मजदूरों को तीन भागों में बाँटा गया है-

  • खेत में काम करने वाले मजदूर
  • कृषि से संबंद्ध अन्य कार्य करने वाले मजदूर
  • वैसे मजदूर जो कृषि के अलावा अन्य सहायक उद्योगों में भी लगे हुए हैं।

प्रश्न 3.
भूमिहीन मजदूर किसे कहेंगे?
उत्तर-
वैसे मजदूर जिनके पास अपनी भूमि नहीं है।

प्रश्न 4.
बंधुआ मजदूर की परिभाषा दें।
उत्तर-
वैसे कृषक मजदूर जो किसी ऋण के चलते मालिक के यहाँ आजन्म या ऋण चुकता होने तक भोजन के बदले काम करते हैं, उन्हें बंधुआ मजदूर कहते हैं।

प्रश्न 5.
पलायन का अर्थ बतावें।
उत्तर-
रोजगार की तलाश में एक जगह से दूसरे जगह जाना ही । पलायन कहलाता है।

प्रश्न 6.
भू-दान आंदोलन पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
बड़े-बड़े भूमिपतियों से अतिरिक्त भूमि मांगकर ‘भूमिहीन मजदूरों को देने के लिए आचार्य विनोवा भावे ने एक आंदोलन चलाया था, जिसे भू-दान आंदोलन कहते हैं ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बिहार में कृषक मजदूरों की वर्तमान दशा एवं समस्याओं का उल्लेख करें।
उत्तर-
बिहार की कुल आवादी की 48% संख्या कृषक मजदूरों की है। ग्रामीण ऋण ग्रस्तता के कारण उनकी दशा काफी दयनीय है। इन मजदूरों की अनेक समस्याएँ हैं

  • कम मजदूरी-उन्हें कम मजदूरी देकर अधिक से अधिक काम लिया जाता है।
  • मौसमी रोजगार-कृषि के समय में इन्हें कार्य मिलता है बाकी के महीने बैठे रहते हैं।
  • ऋणग्रस्ता-ये सदा ऋण ग्रस्त रहते हैं। जिसके कारण इन्हीं बेगारी भी करनी होती है।
  • आवास की समस्या-आवास हीनता से ग्रसित ये कहीं पर झोपड़ी बनाकर रहते हैं, स्वस्थ वातावरण के अभाव में इनके बच्चे अस्वस्थ हो जाते हैं।
  • सहायक धंधों का अभाव-कृषि के अलावा गाँवों में और कोई कार्य नहीं । बेकार बैठे समय इनका बीतता है । कोई संकट के समय इन पर संकट ही संकट आ पड़ता है।
  • संगठन का अभाव-कृषि-मजदूरों में संगठन का बिलकुल अभाव है। अपनी समस्याओं को किसी से कह नही.सकते ।
  • निम्न सामाजिक स्तर-बिहार में कृषक मजदूर अनुसूचित जाति या पिछड़ी जाति के हैं जिनका सदियों से शोषण होता आया है इससे उनका सामाजिक स्तर निम्न कोटी का बना हुआ है। ये सारी समस्याएँ श्रमिकों की हैं।

प्रश्न 2.
बिहार में कृषक मजदूरों की संख्या क्यों तेजी से बढ़ती जा रही है ?
इनकी दशा में सुधार लाने के लिए उपाय बतावें।
उत्तर-
बिहार में कृषि-श्रमिकों की संख्या बहुत अधिक है तथा निरंतर वृद्धि हो रही है। 2001 ई० की जनगणना के अनुसार बिहार में कृषि-मजदूरों की संख्या 90.20 लाख से भी अधिक थी। इसके अनेक कारण हैं

(i) तेजी से जनसंख्या में वृद्धि-1991-2001 ई० में बिहार की जनसंख्या 28.43% बढ़ी जबकि सम्पूर्ण भारत के लिए यह वृद्धि 21.34% थी। अतः अन्य उद्योगों के अभाव में कृषि को ही जनसंख्या का यह अतिरिक्त बोझ वहन करना पड़ता है । इससे कृषि-श्रमिकों की संख्या में वृद्धि हो रही है।

(ii) औद्योगीकरण का अभाव-बिहार में इसकी गति विलकुल अवरुद्ध है । झारखंड के बन जाने से बिहार में उद्योग का अभाव हो गया । जो कुछ है जैसे चीनी मिल, कागज उद्योग, सिमेंट उद्योग आदि बंद हो. गए। कई उद्योग साधनों के अभाव में बंद हो गए । कुटीर एवं लघु उद्योगों की भी यही हालत है। अतः सब भार कृषि पर ही पड़ रहा है कृषि-श्रमिकों की तेजी से वृद्धि हो रही है ।

(iii) भूमि का असमान वितरण-बिहार में जमींदारी उन्मूलन के बाद भी भूमि-सुधार का कोई भी कार्यक्रम नहीं हुआ । भू-दान से प्राप्त भूमि भी कानूनी विवादों में उलझकर रह गयी। छोटे-छोटे किसान ऋणग्रस्तता के कारण-कृषि-श्रमिक बनने पर मजबूर हो गए। इनकी दशा में सुधार लाने के लिए उपाय बतावें ।

(शब्द सीमा इतनी कम है कि दोनों प्रश्नों का उत्तर उतने शब्दों में देने के लिए केवल कारणों को ही लिख देना होगा उसका विस्तार नहीं करना होगा । अतः इसे दूसरा प्रश्न भी बनाया जा सकता है। मैंने वैसा हीं कर इसका विस्तार किया है।)
उत्तर-
कृषि-श्रमिकों की दशा में सुधार के उपाय निम्न प्रकार हैं
(i) कृषि पर आश्रित उद्योगों का विकास-कृषि पर आधारित उद्योगों के विकास से कृषक मजदूर खाली समय में इन उद्योगों में काम कर सकें और अपनी आय में सुधार ला सकें । इन उद्योगों में चीनी मिलों की स्थापना या बंद मिलों को फिर से चालू करना, जूट उद्योग आदि प्रमुख हैं।

(ii) न्यूनतम मजदूरी नियमों को लागू करना–भारत सरकार का न्यूनतम मजदूरी अधिनियम लागू है। पर उसका ठीक ढंग से पालन नहीं हो रहा है। अतः मजदूर आर्थिक शोषण के शिकार हमेशा होते हैं।

(ii) कृषि मजदूरों के लिए भूमि की व्यवस्था-भूमि व्यवस्था को सुधार कर उनके बीच भूमि का वितरण हो सके।

(iv) अन्य कारण-कृषि-श्रमिकों की एक प्रमुख कठिनाई यह है ..कि ये पूर्णतः निरक्षर और असंगठित हैं। इनमें संगठन नहीं है अतः महाजनों द्वारा इनका शोषण होता है । इसी तरह कृषि कल्याण केन्द्र की स्थापना होनी चाहिए जहाँ इनका और इनके बच्चों के स्वास्थ्य की देखभाल हो सके । सहकारी समितियों की स्थापना, कार्य के घंटे को निश्चित करना । ये सब कार्य करने से कृषक मजदूरों की दशा में सुधार लाया जा सकता है।

प्रश्न 3.
बिहार में कृषक मजदूरों की समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक उपाय पर प्रकाश डालें
उत्तर-
बिहार में कृषक मजदूरों की समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक उपायों निम्नलिखित हैं

(i) कृषि पर आश्रित उद्योगों का विकास-बिहार में गन्ना, जूट, तम्बाकू फल और सब्जियों की खेती प्रचुर मात्रा में होती है। उन्हीं उत्पादनों के आधार पर उद्योगों एवं लघु उद्योगों की स्थापना से खाली के समय में बैठे कृषक मजदूर काम कर सकेंगे और अपनी आय में वृद्धि कर जीवन स्तर में सुधार ला सकते हैं।

(ii) कार्य के घंटे निश्चित करना तथा काम के लिए भारत सरकार द्वारा निर्धारित उचित मजदूरी का क्रियान्वयन आवश्यक है । तथा उचित समय-समय पर छुट्टियाँ भी मिलनी चाहिए।

(ii) कृषि श्रम कल्याण केन्द्र की स्थापना एवं उनके लिए आवास की व्यवस्था आवश्यक है ताकि उनका स्वस्थ्य ठीक रह सके उनके बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा हो सके।

(iv) कृषक मजदूर निरक्षर और असंगठित हैं । अतः अपनी समस्याओं के मालिकों के सामने रखने में असमर्थ हैं । निरक्षरता के कारण ये शोषण का शिकार बनते हैं।

(v) अन्य उपाय-इनकी सबसे बड़ी समस्या है गरीबी, अशिक्षा रोजगार का नहीं मिलना । अतः ग्रामीण रोजगार केन्द्रों की स्थापना कर इनकों सूचित किया जाना चाहिए कि अन्यत्र रोजगार की व्यवस्था है। भूदान में मिली जमीन को भूमिहीन मजदूरों के बीच बँटवारा कर उनमें सरकार ओर से बीज एवं खाद की व्यवस्था की जाय ।

प्रश्न 4.
कृषक मजदूरों की दशा सुधारने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए प्रयासों पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
हमारी सरकार ने कृषक मजदूरों की समस्याओं को हल (निदान, समाधान या सुधार) करने के लिए अनेक प्रयास किये हैं जो इस प्रकार हैं-

  • न्यूनतम मजदूरी अधिनियम (1948)-यह नियम कृषि पर भी लागू किया गया । कृषक मजदूरों को भी मिलना चाहिए ।
  • भूमिहीन मजदूरों को मकान के लिए मुफ्त प्लॉट (जगह) की व्यवस्था की गयी है।
  • भूदान में प्राप्त भूमि का उचित ढंग से वितरण किया गया है ।
  • बंधुआ मजदूर प्रथा को समाप्त कर दिया गया।
  • जोत की सिलींग का निर्धारण और बची हुई भूमि, बंजर भूमि मजदूरों के बीच बाँटी जा रही है।
  • कुटीर एवं लघु उद्योगों के विकास के उद्देश्य से ग्रामीण औद्योगिक वस्तियाँ स्थापित की गई हैं।
  • कृषि-मजदूरों को वित्तीय सुविधा देने के लिए कृषि सेवा समितियों की स्थापना की गई है।
  • पुराने ऋणों से मुक्ति दिलाने के लिए भिन्न-भिन्न कानून बनाए गए।
  • ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम तथा राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम शुरू किया गया है।
  • बाल श्रमिक निरोधक अधिनियम बनाया गया जिसके तहत कृषक मजदूरों के बच्चों के शोषण को अपराध घोषित किया गया।

प्रश्न 5.
बिहार में कृषक मजदूरों के पलायन से उत्पन्न समस्याओं पर प्रकाश डालें । इनका निदान कैसे किया जा सकता है ?
उत्तर-
कृषक मजदूरों के पलायन से बिहार में अनेक तरह की समस्याएँ उत्पन्न हो रही है । एक तरफ बिहार में कृषि मजदूरों की संख्या में कमी हो रही है तथा कृषि कार्य के लिए मजदूर उपलब्ध नहीं हो रहे दूसरी बात जो भी शेष कृषक मंजदूर रह जाते हैं उनको पूर्व की · अपेक्षा अधिक पारिश्रमिक प्राप्त हो रहा है।

इनका निदान-

  • कृषि पर आश्रित उद्योगों का विकास करना जरूरी
  • गाँवों में लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास होना चाहिए ताकि भूमिहीन श्रमिक इस प्रकार के कार्यों में लग सके और अपनी आय में वृद्धि कर सकें।
  • न्यूनतम मजदूरी के नियमों का पालन होना चाहिए। दूसरे राज्यों में यहाँ से अधिक मजदूरी मिलती है यह भी उनका एक आकर्षण
  • काम के घंटों को निश्चित किया जाना चाहिए ।
  • मजदूरों के लिए मकान एवं कृषि कल्याण केन्द्रों की स्थापना करनी चाहिए।
  • कृषक मजदूरों की एक बहुत बड़ी समस्या यह है कि वे अशिक्षित है अतः उन्हें शिक्षित करना आवश्यक है।
    इन सब बातों पर ध्यान देकर इनकी समस्याओं का निदान संभव है।

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Do you celebrate festivals?
Answer:
Yes, I celebrate festivals.

Little Girl Wiser Than Old Man Question Answer Bihar Board Class 10 Question 2.
Which festival you enjoy most?
Answer:
I enjoy the Deepawali festival most.

Little Girl Wiser Than Old Man Question Answer Pdf Bihar Board Class 10 Question 3.
How do you celebrate?
Answer:
Yes, I celebrate the festival with my family and friends’

Little Girl Wiser Than Man In Hindi Bihar Board Class 10 Question. 4.
In which season is it celebrated?
Answer:
It is celebrated in autumn in the last week of October or the first weak of November, Kartik (Hindi months) every year.

The Little Girl Question Answer Bihar Board Class 10 Question 5.
What do you do when enjoying with your friends?
Answer:
I enjoy the festival with my friends by decorating, exploding crackers and lighting my house. We eat together a variety of sweets and other delicious items with our friend, relation and family members

B. 1. Answer the following questions briefly

Bihar Board Class 10 English Book Solution Question 1.
Which festival was referred by the writer?
Answer:
The writer had referred “Easter” festival to be celebrated on the anniversary of the “Ressurection of Jesus Christ”.

Question 2.
Why sledging was over?
Answer:
Sledging was over, because the snow had stopped to fall and began to melt.

Question 3.
Why there was water running in streams down the village street?
Answer:
Water was running in streams down the village street because of the snow started melting.

Question 4.
Where do two little girls meet?
Answer:
Two little girls meet in a lane between two homesteads.

Question 5.
Are they of same age?
Answer:
No, they are not of the same age.

Question 6.
Why did Akoulaya try to check Malasha?
Answer:
Akoulya checked Malasha, because her mother will scold to see her with wet shoes and stockings.

Question. 7.
What advice did Akoulaya offer?
Answer:
Akoulaya advised her to take off her shoes and stockings otherwise it will be spoiled in the water of the pool. .

B.2. Say True (T) or False (F) to the following statements

1. Akoulaya and Malasha take off their shoes and stockings.
2. They do not walk towards each other in the puddle.
3. Malasha assures Akoulya that water is deep.
4. Malasha splashes water.
5. Akoulaya ran to strike Malasha.
6. Malasha purposely splashes water.
Answers:
1. – T
2. – F
3. – T
4. – T
5. – T
6. – T

B.3. Fill up the blanks

They all went………………quarelling, till one gave another………., and the affair had very………………come to blows, when Akoulya’s old grandmother, stepping…………………. among them, tried to them. What are you thinking of friends? Is it right to……………………so? On a day…………………..this, too! It is a time rejoicing and not for such folly ……………this.
Answer:
They all went on quarellig, till one gave another a push, and the affair had very nearly come to blows, when Akulya’s old grandmother, stepping in among them, tried to calm them. “What are you thinking of, friends? Is it right to behave so? On a day like this, too! It is a time for rejoicing and not for such folly as this.”

B.3.2. Answer the following questions briefly

Question 1.
Why Akoulaya started shouting at Malasha?
Answer:
Akoulya started shouting at malasha, because she held her responsible for causing stain of mud over, her (Akoulya) ffock, eyes and nose.

Question.2.
Why Akoulya’s mother seized Malasha?
Answer:
Akoulya’s mother seized Malasha to beat her, on the complaint lodged by her daughter against Malasha.

Question 3.
What happens when malasha’s mother came out after hearing herhowl?
Answer:
When Malasha’s mother came out she saw her daughter beaten by Akoulya’s mother, she started rebuking her neighbour.

Question 4.
Why no one listening?
Answer:
As everyone was shouting and quarrelling, so no one was listening to anybody.

Question 5.
Did the old woman succeed in her efforts?
Answer:
No, the old woman did not succeed in her efforts.

Question. 6.
What did Akoulaya do while other women were abusing?
Answer:
Akoulya cleaned the mud over her ffock and went back to the small pool of water, at the time when other women were abusing each other. She began to scraping away the land in front of the puddle to make a channel through which the water could spread over the street where men were fighting.

Question 7.
What the two girls do when men started fighting?
Answer:
When men began to fight both of the two girls started scraping away .the land in front of the small pool of water to make a channel through which the water could run out in the street.

Question 8.
Were they too fighting?
Answer:
They (the two girls) were not fighting at that time.

C.A. Long Type Questions with Answers

Question 1.
Describe why the two girls were dressed in new cloths and showing their finery to each other?
Answer:
The two girls were dressed in new cloths and showing their impressive garments and jewellery to each other. It was Easter festival. The reason behind the demonstration of their dress and costumes was to show that they had just come from chruch. Another reason might be to show that they were wearing magnificent cloths and jewellery.

Question 2.
Why did they step into the puddle and what makes them fight?
Answer:
The two girls were playing. Mean while the idea, of playing in the water of a small pool and to spread water in fun, came in their mind. So they stepped into the pool. The reason behind the fight between those two girls’ was also funny. Malasha suddenly plumped down her foot in the water of the pool. It was so sudden and heavy that the water spread and splashed right on Akoulya’s frock, eyes and nose. It made her frock dirty and coated with mud. Akoula thought that Malasha had done it intentionally, in order to make her dress dirty. So, she became angry and ran after Malasha to hit her forcefully. Thus, they fought for their own reasons, forming a prejuidiced opinion about one another.

Question 3.
What did the old woman mean by “Is it right to behave so? on a day like this too!”
Answer:
The old woman saw a crowd collected in the street and all went on quarelling. Everyone was shouting and no one was listening to others. She thought that the situation might take an ugly and disasterous turn. So she tried to make it peaceful. Moreover it was the day of “Easter festival”. As such coming to them she expressed her surprise over their behaviour. She advised them not to create such nuisance and to be peaceful. Thus her statement in this connection, “Is it right to behave so? on a day like this too !” throws light on her painful sentiments over such behaviour, because (i) Such inhuman and undesirable act was wrong and (ii) it was the auspicious day to celebrate “Easter” festival.

Question 4.
Why writer calls two little girls “Dear little souls’
Answer:
The two little girls Akoulya and Malasha indulge in quarell while playing in a puddle Akoulya wants to beat malasha for her wrong act. Malasha being frightened thinks to run to her house. Just then Akoulya’s mother happens to come. Seeing Akoulya’s frock dirty by sprinkles of mud and knowing the fact she beats Malasha. People gather from both the sides, start shouting without listning to other. Akoulya’s old grandmother accidentally comes to that place and tries to pacify them but does not succeed.

All of a sudden the situation takes a happy turn. Akoulya removes the dirty mud on her frock herself and goes back to the puddle. She begins to scrap away the earth in front of the puddle to make a channel, so that water may run into the street where the old woman is trying to pacify the crowd. Malasha also joins her (Akoulya) forgetting all her dispute. Seeing this the old lady becomes pleased and calls them, “Dear little Souls”. Therefore writer also calls them, “Dear little souls” to see their innocence. He is highly influenced to see their spirit of “Forget and forgive”.

Question 5.
Explain, “Except Ye turn, and become as little children Ye shall in no wise enter into the kingdom of heaven.”
Answer:
The lesson teaches us that we should not indulge in unnecessary dispute and lead a peaceful life. At the same time we should be reasonable in our actions as happened in the affairs of Akoulya and Malasha. These two little girls have developed some mis-understanding for one another. It takes an ugly turn. There held hot discussion. People from both sides collected in the street. Ever, one is shouting without listening to others. They are almost beginning right. But soon after, those two girls patch up their misunderstanding and become friends again. They begin to play again as nothing has happened. So they are wiser than those persons who have gathered there.

It shows how innocent and good at heart they are. They have cited the example of “forget and forgive”. It is a message to the older people. They too should learn lesson from them. Therefore the writer explain it in this way that one who would act accordingly would be a wise man. He can only enter in the kingdom of heaven. It means that we should not preserve malice in our hearts. Those two little l girls have proved, that he who believes in co-existence and forgive others for their fault is wise in real sense and may be able to enter into the kingom of

Question 6.
Why in the crowd everyone is shouting and no one is listening?
Answer:
When two persons or groups indulge in some dispute or some controversial issues, they do not admit their own fault and accuse others. They try to pacify others with their own arguments without listenning to them. It is but human nature. As such, the same thing happens in the matter as referred. When Akoulya and Malasha engage in quarrelsome affairs, people assembled from both the sides in the street start shouting. No one listen to others. They do not accept their.fault and accuse their opponants. That is why everyone is shouting and no one is listening.

D. Group Discussion

1. Is it proper to fight on trivial issues like sitting in first row? Discuss with your friend.
Answer:
No, it is not proper to fight on trivial issue like sitting in first ‘ row. If anyone is sitting in the first row on watching some programme. Suddenly he begins to fight with someone who is sitting beside him. The fighting will disturb the andience what a nasty scene they will present! They should be ashamed of themselves. Fighting for fuss is useless. It creates a surcharged atmosphere. They would have caused immene damage to themselves and to the public by their wrangle, which could have but been easily resolved by a mere ’sorry’, or perhaps some punishment by the people. This could have been a more civilised . and decent way to behave.

2. Discipline and love for mankind make one’s character strong.
Answer:
Love for mankind and discipline, these are virtues of human’s character. It is this character which gives him a ‘reputation’ by which he is known and recognised. Love for man and be kind and disciplined are essential prerequisite for good character. This could be only possible if had, noble or evil. Education should be such that one imbibes good virtues like honesty, love for humanity and trains to live a disciplined life. These are attributes that are important for our character. A man without these qualities of head and heart is but a savage. Moral instructions starts very early in life before the child starts going to school. The parents are best equipped to impart him his moral education rather than to quarrel.

D. Word study

E. 1. Phrasal verves: phrasal verb consist of two words (verb+adverb particle), which carries a single meaning and this meaning is not the sum total of the two words.
Ex. Give up, put out, break down are phrasal verbs.
Pick out phrasal verbs used in the lesson and use them in sentence of your own.
Answer:
Give up — Please give up your bad habits.
Put out — Put out the light, please.
Break down — His health broke down last summer.
Take off — Take off your clothes.
Comes up — The water came up to my knee.
Come out — The truth has come out.
Look at — She is looking at a picture.

E. Grammar Activities

F. 1. One may report the words of a speaker in two different ways:
1. May quote the actual words of speaker (direct speech).
2. Or report what a speaker said without quoting his exact words is (indirect speech).

Look at the following sentences in your lesson
‘Don’t go in so, Malasha said she.
She said, ‘Your mother will scold you.
These are written within inverted coma to mark the exact words of the speaker.

Now look at following sentences
She advised Malasha not to go in that way.
She warned her that her mother would scold her.
In reporting statements, commands and requests of direct speech in indirect speech, few changes are required
Now pick out sentences from the lesson written in Direct speech and change them into indirect speech.

Answer:
Direct speech
(i) “Don’t go inso, Malasha”, said she,” your mother will scold you. I will take oft my shoes and stockings, and you take off yours”
(ii) “It is deep, Akoulya, I’am afraid!”
(iii) “come on’ .replied the other. Don’t be frightened, it won’t get any deeper.
(iv) “Mind, Malasha, don’t splash, walk carefully!”
(v) “You naughty dirty girl, what have you been doing?”
Indirect speech of the sentence written above
(i) She forbade Malasha to go in. So her mother would scold her. She would take off her shoes and stockings and she (Malasha) must take off hers.
(ii) Malasha said that it was deep so she was afraid.
(iii) The other replied and called her then she forbade her not to be frightened it would not get any deeper.
(iv) Akoulya reminded Malasha not to splash and further she advised to walk carefully. ‘
(v) She rebuked Malasha as naughty and dirty girl and further asked what she had been doing.

Note: Some examples have been left. Do them yourself.

Ex.2. Write extended form of the<following: one is done for you:
I’m   lam,
Won’t   Don’t   didn’t
hand’t  hasn’t   haven’t
Shouldn’t  shan’t   aren’t
wouldn’t   weren’t  isn’t
Answer:
won’t — will not
Don’t — donot
Didn’t — did not
Hadn’t — had not
Hasn’t — has not
Haven’t— have not
shouldn’t— shduld not
Shan’t — shall not
Aren’t — are not
wouldn’t— would not
weren’t— were not
Isn’t — isnot

F. Activities

1. Recall any past event related to your friend similar to this story? Write in 200 words.
2. Report the story to your friend in indirect speech.
Answer:
It was the month of April last year. The sun was going down. Somehow the weather was cool; There was flow of vehicles on the road. 1 had to wait for quite some time at the traffic. In the meantime 1 saw a friend of mine, heo saw too. He cames towards me. We mest happily. He asked me my mobile, and rang another friend By chance a man came in hurry and snatched mobile from his hands. He rushed towards him and caught him and recovered my mobile. I told him to hand over the man to the police. But he did not give attention to my words. The talk took a turn for the worse. People gathered and forbade us to quarrel. la the midst of crowd two men began to quarrel. They were quarelling over our talk. Soon we realized and began to talk happily forgetting all what happened before.

2. Report
See Summary of the lesson.

Translation

Translate the passage into Hindi:
They would not listen to the old lady, and nearly knocked her off her feet. And she would not have been able quite crowd, if it had not been for Akoulya and Malasha themselves. While the women were abusing each other, Akoulya had wiped the mud off her frock, and gone back to the puddle. She took a stone and began scraping away the earth in front of the puddle make a channel through which the water could run out into the street.
Answer:
उनलोगों ने उस बूढी महिला की बातों को नहीं सुना (बातों पर गौर नहीं किया), और उसे आघात पहुँचाकर लगभग उसको अपने पैरों पर गिरा दिया तथा वह भीड़ को शान्त नहीं करा सकी; यदि यह ऑकोल्या और मलाशा, उन दोनों के लिए नहीं होता। जब वे औरतें – एक दूसरे के प्रति अपशब्द (बुरे भले शब्द) का व्यवहार कर रही थीं, ऑकोल्या ने अपनी फ्रॉक में लगी हुई कीचड़ को पोंछ दिया तथा तालाब (छिछली पोखरी) में पुनः वापस चली गयी। उसने एक पत्थर उठा लिया और तालाब के सामने की जमीन को कुरेदना (काटना) प्रारम्भ किया। एक जलमार्ग (नाली) बनाने के लिए जिससे होकर पानी गली में बह सके ।

Comprehension Based Questions With Answers

Read the following extracts carefully and answer the questions that follow each

1. Two little girls from different houses happened to meet in a lane between two homesteads, where the dirty water after running through the farm-yards had formed a large p.uddle. One girl was very small, the other a little bigger. Their mothers had dressed them both in new frocks. The little one wore a blue frock the other a yellow print, and both had red kerchiefs on their heads.

They had just come from church when they met,and first they showed each other their finery, and then they began to play. Soon the fancy took them to splash about in the water, and the smaller one was going to step into the puddle, shoes and all, when the elder checked her ’Don’t go in so, Malasha, ’said she, ’your mother will scold you. I will take off my shoes and stockings, and you take off yours.
Questions:
(i) When was the time?
(ii) From where were the two girls returning?
(iii) What type of clothes were they wearing?
(iv) Who was Malasha?
Answers:
(i) It was an early easter. Slediging was only just over.
(ii) The two girls were returning from Church.
(iii) They wore new frocks.
(iv) Malasha was the little girl.

2. She had hardly said this when Malasha plumped down her foot so that the water splashed right on to Akoulya’s frock. The frock was splashed, and so were Akoulya’s eyes and nose. When she saw the stains on her frock, she was angry and ran after malasha to strike her. Malasha was frightened, and seeing that she had got herself into trouble, she scrambled out of the puddle, and prepared to run home.

Just, then Akoulya’s mother happened to be passing, and seeing that her daughter’s skirt was splashed, and her sleeves – dirty, she said “You naughty, dirty girl, what have you been doing? ’Malasha did it on purpose,’ replied the girl. At this Akoulya’s mother seized malasha, and struck her on the back of her neck. Malasha began to howl so that she could be heard all down the street. Her mother came out.
Questions:
(i) Who is the author of this extract?
(ii) Who splashed water on Akoulya’s frock?
(iii) Why did Akoulya run after Malasha to strike her?
(iv) Why was Akoulya’s mother angry?
(v) Make adjectives from the following names
(i) trouble and (ii) home
Answers:
(i) Leo Tolstoy is the author of this extract.
(ii) Malasha splashed water on Akoulya’s frock.
(iii) Akoulya ran after Malasha to strike her because the latter had splashed her frock.
(iv) Akoulya’s mother was angry because her daughter’s frock was dirty and stained.
(i) troublesome and (ii) homely

3. ‘What are you beating my girl for?’ said she; and began scolding her neighbour. One word led to another and they had an angry quarrel. The men came out and a crowd collected in the street everyone shouting arid no one listening. They all went on quarrelling, till, one gave another a push, and the affair had very nearly come to blows, when Akoulya’s old grandmother, step¬ping in among them, tried to calm them. ‘What are you thinking of,friends? Is it right to behave so? on a day like this, too! It is a time for rejoicing, and not for such folly as this.”
Questions:
(i) Name the piece from which this extract has been taken.
(ii) Who is referred to as ‘she’ in this passage?
(iii) Why was no one listening?
(iv) What did Akoulya’s grandmother do?
(v) Make nouns from the following verbs
(i) collect and (ii) behave
Answers:
(i) This extract has been taken from the piece ‘Little Girls Wiser than Man’.
(ii) Malasha’s mother is referred to as ‘she’ in this passage.
(iii) No one was listening because the men and women were quarrelling and shouting.
(iv) Akoulya’s grandmother stepped in among them and tried to calm them. She told them that it was not proper to quarrel.
(v) (i) collection and (ii) behaviour.

4. They would not listen to the old woman and nearly knocked her off her feet. And she would not have been able to quiet the crowd, if it had not been for Akoulya and riialasha themselves. While the women were abusing each other, Akoulya had wiped the mud off her frock, and gone back to the puddle. She took a stone and began scraping away the earth in front of the puddle to make a channel through which the water could run out into the street.

Presently Malasha joined her, and with a chip of wood helped her dig the channel. Just as the men were beginning to fight, the water from the little girls’ channel ran streaming into the street towards the very place where the old woman was trying to pacify the men. The girls followed it; one turning each side of the little stream.
Questions:
(i) How were they fighting?
(ii) While the women were quarrelling; what did the two girls do?
(iii) How did Malasha help Akoulya?
(iv) find out the word from the passage which means: ‘moving mass of liquid’
Answers:
(i) They were knocked by each other.
(ii) While the women were abusing each other, Akoulya had wiped the mud off her frock and gone back to the puddle to make a channel. Malasha joined her.
(iii) Malasha joined her and with a chip of wood helped her dig the channel.
(iv) Streaming.

5. Highly delighted, and watching the chip float along on their stream, the little girls ran straight into the group of men; and the old woman, seeing them, said to the men: Are you not ashamed of yourselves? To go fighting on account of these lassies, when they themselves have forgotten all about it, and are playing happily together. Dear little souls! They are wiser than you!’ The men looked at the little girls, and were ashamed, and, laughing at themselves, went back each to his own home. ‘Except ye turn, and become as little children, ye shall in no wise enter into the kingdom of heaven.’
Questions:
(i) How happy were the girls?
(ii) Who said it,” Are you not ashamed of yourselves?
(iii) Who were wiser than man?
(iv) Who abide in the kingdom of heaven?
Answers:
(i) Highly delighted and watching the chip float on their stream the little girl ran straight into the group of men.
(ii) Akoulya’s grandmother said it.
(iii) Little girls were wiser than man.
(iv) Little girls abide in the kingdom of heaven.

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Bihar Board Class 9 Geography भौतिक स्वरूप : संरचना एवं उच्चावच Text Book Questions and Answers

 

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न :

हिंदी में कक्षा 9 भूगोल अध्याय 4 जलवायु Question Answer Bihar Board प्रश्न 1.
जाड़े में तमिलनाडु के तटीय भागों में वर्षा का क्या कारण है ?
(क) दक्षिण-पश्चिमी मौनसून
(ख) उत्तर-पूर्वी मौनसून
(ग) शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात
(घ) स्थानीय वायु परिसंचरण ।
उत्तर-
(क) दक्षिण-पश्चिमी मौनसून

Bihar Board Class 9 Geography Solutions  प्रश्न 2.
दक्षिण भारत के संदर्भ में कौन-सा तध्य गलत है ?
(क) दैनिक तापांतर कम होता है ।
(ख) वार्षिक तापांतर कम होता है ।
(ग) तापांतर वर्ष भर अधिक रहता है ।
(घ) विषम जलवायु पायी जाती है।
उत्तर-
(क) दैनिक तापांतर कम होता है ।

जलवायु के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 9 Geography प्रश्न 3.
जब सूर्य कर्क रेखा पर सीधा चमकता है, तो उसका क्या प्रभाव होता है ?
(क) उत्तरी पश्चिमी भारत में उच्च वायुदाब रहता है ।
(ख) उत्तरी पश्चिमी भारत में निम्न वायुदाब रहता है ।
(ग) उत्तरी पश्चिमी भारत में तापमान एवं वायुदाब में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
(घ) उत्तरी-पश्चिमी भारत से मौनसून लौटने लगता है।
उत्तर-
(ख) उत्तरी पश्चिमी भारत में निम्न वायुदाब रहता है ।

पाठ 4 जलवायु के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 9 Geography प्रश्न 4.
विश्व में सबसे अधिक वर्षा किस स्थान पर होती है ?
(क) सिलचर
(ख) चेरापुंजी
(ग) मौसिमराम
(घ) गुवाहाटी
उत्तर-
(ग) मौसिमराम

Bihar Board Class 9 Geography Book Solution प्रश्न 5.
मई महिने में पश्चिम बंगाल में चलने वाली धूल भरी आँधी को क्या कहते हैं ?
(क) लू
(ख) व्यापारिक पवन
(ग) काल वैशाखी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) काल वैशाखी

Bihar Board Solution Class 9 Social Science प्रश्न 6.
भारत में दक्षिणी-पश्चिम मौनसून का आगमन कब से होता है ?
(क) 1 मई से
(ख) 2 जून से
(ग) 1 जुलाई से
(घ) 1 अगस्त से
उत्तर-
(ख) 2 जून से

जलवायु पाठ प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 9 Geography प्रश्न 7.
जाड़े में सबसे ज्यादा ठंढ कहाँ पड़ती है ?
(क) गुलमर्ग
(ख) पहलगाँव
(ग) खिलनमर्ग
(घ) जम्मू
उत्तर-
(ग)

Jalvayu Ke Question Answer Bihar Board Class 9 Geography प्रश्न 8.
उत्तर पश्चिमी भारत में शीतकालीन वर्षा का क्या कारण है ?
(क) उत्तर-पूर्वी मौनसून
(ख) दक्षिण-पश्चिमी मौनसून
(ग) पश्चिमी विक्षोभ
(घ) उष्णकटिबंधीय चक्रवात
उत्तर-
(ख)

Bihar Board Class 9 Social Science Solution In Hindi प्रश्न 9.
ग्रीष्म ऋतु का कौन स्थानीय तूफान है जो कहवा की खेती के लिए उपयोगी होता है ?
(क) आम्र वर्षा
(ख) फूलों वाली बौछार
(ग) काल वैशाली
(घ) लू
उत्तर-
(क)

रिक्त स्थान की पूर्ति करें :

1. जनवरी में चेन्नई का तापमान कोलकाला से … से रहता
(कम/अधिक)

2. उत्तर भारत में वर्षा पूरब की अपेक्षा पश्चिम की ओर ….. .. …..” होती है।
(कम/अधिक)

3. मौनसून शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम . .. नाविकों ने किया था ।
(अरब/भारत)

4. पश्चिम घाट पहाड़ के पश्चिमी भाग में ……………….. वर्षा होती
(कम/अधिक)

5. पर्वत का ……………….. भाग वृद्धि छाया का प्रदेश होता है।
(पवन विमुख/पवन अभिमुख)

उत्तर-

  1. अधिक,
  2. कम,
  3. अरब,
  4. अधिक,
  5. पवन विमुख ।

भौगोलिक कारण बताएँ

जलवायु पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 9 Geography प्रश्न 1.
पश्चिमी राजस्थान एक मरुस्थल है ?
उत्तर-
राजस्थान का पश्चिमी भाग मरुस्थल है.जो थार की मरुभूमि कहलाता है । मरुस्थल होने के कई कारण हैं
(i) बंगाल की खाड़ी मौनसून शाखा की हवाएँ उत्तर पश्चिम के निम्नतम दाब वाले क्षेत्र में पहुँचने के पहले ही सूख जाती है । अत: वर्षा नहीं कर पाती हैं।
(ii) अरब सागरीय मौनसून शाखा के मार्ग में अरावली पहाड़ियाँ कोई अवरोध उत्पन्न नहीं करती क्योंकि ये मौनसून पवनों के समानांतर स्थित है । अतः वहाँ हवाएँ ऊपर चढ़कर आगे बढ़ जाती हैं।
(iii) बलुई क्षेत्र का ग्रीष्म ऋतु में तापमान इतना अधिक रहता है जिससे कि मौनसून पवनों की आर्द्रता वाष्पीकृत हो जाती है । इस क्षेत्र में सालाना वर्षा , 25 से०मी० होती है। इन कारणों से राजस्थान का पश्चिमी भाग मरुस्थल है।

जलवायु पाठ के प्रश्न उत्तर कक्षा 9 Bihar Board प्रश्न 2.
तमिलनाडु में जाड़े में वर्षा होती है।
उत्तर-
सितम्बर के अंत में सूर्य के दक्षिणायन होने के कारण उत्तरी-पश्चिमी भाग का निम्नदाब समाप्त होकर दक्षिण में खिसक जाता है । फलतः मौनसून वापस लौटने लगता है। हवाएँ स्थल की ओर से चलने लगती है, अतः शुष्क होती हैं । ये हवाएँ बंगाल की खाड़ी को पार करके लौटते आर्द्रता ग्रहण कर दक्षिण-पूर्वी का कारोमंडल तट पर भारी वर्षा करती है। यह तमिलनाडु का क्षेत्र है जहाँ वर्षा की अधिकतम मात्रा 44% से 60% इसी शीत ऋतु में होती है। इसी शीतऋतु में बंगाल की खाड़ी में बनने वाले चक्रवातों से भी यहाँ भारी वर्षा होती है।

Jalvayu Class 9 Bihar Board प्रश्न 3.
भारतीय कृषि मौनसून के साथ जुआ है ?
उत्तर-
भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ की कृषि मुख्यतः वर्षा पर ही आधारित है। भारत में वर्षा मौनसून पवनों द्वारा ही होती है, पर भारत की कृषि मौनसून के साथ जुआ हैं। इनके निम्नलिखित कारण हैं
(i) अनिश्चितता-भारत में होने वाली मौनसूनी वर्षा की मात्रा पूरी तरह निश्चित नहीं है। कभी तो मौनसन पवन समय से पहले पहँच भारी वर्षा करती है । कई स्थानों में बाढ़ आ जाती है । कभी यह वर्षा इतनी कम होती है या निश्चित समय से पहले ही खत्म हो जाती है कि सूखे की स्थिति पैदा हो जाती है।
(ii) असमान वितरण-देश में वर्षा का वितरण समान नहीं है । पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढलानों ओर मेघालय तथा असम की पहाड़ियों में 250mm से भी अधिक.वर्ण होती है । दूसरी ओर पश्चिमी राजस्थान, पश्चिमी गुजरात, उत्तरी कश्मीर आदि जगहों पर 25mm से भी कम वर्षा होती है।
(iii) अस्थिरता-भारत में मौनसून पवनों से वर्षा भरोसे योग्य नहीं है। यहाँ के किसान खेतों में बीज बो देते हैं पर मौनसून के अनिश्चित होने के कारण फसल मारी जाती है, तो कभी अच्छी फसल भी हो जाती है अतः कहा जाता है कि भारतीय कृषि मौनसून के साथ जुआ है।

Jalvayu Question Answer Bihar Board प्रश्न 4.
मौसिमराम में विश्व की सर्वाधिक वर्षा होती है।
उत्तर-
दक्षिण-पश्चिम मौनसून बंगाल की खाड़ी से जलवाष्प लेकर उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ता है । यह मेघालय तक पहुँच जाता है । उसके

पहले यह मौनसून हवा मेघालय पठार के दक्षिण स्थित गारो, खासी, जैन्तिया पहाड़ियों से टकराती है । वह खासी पहाड़ी पर स्थित मौसिमराम नामक स्थान में संसार की सबसे अधिक वर्षा 1187 से०मी० करती है, हवा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ती जाती है, उन पहाड़ियों का फैलाव कीचनुआ है जिससे हवाएँ तीन ओर से घिरकर ऊपर उठने लगती है और वर्षा करने लगती है और अधिक वर्षा करने में समर्थ हो जाती है। 5. ऊटी में सालोंभर तापमान काफी नीचे रहता है।
उत्तर-सौर किरणों के सीधा या तिरछा होने पर सौर्य ऊर्जा की मात्रा में अन्तर हो जाता है । सूर्य की किरणें निम्न अक्षांशों पर सीधी तथा.उच्च अक्षांशों पर तिरछी पडती है। जैसे-जैसे समद्रतल से धरातल की ऊँचाई बढती जाती है, वायमण्डल विरल होता जाता है तथा तापमान घटता जाता
है। यही कारण है कि निम्न आक्षांश में स्थित ऊँटी (तमिलनाडु) जो अधिक ऊँचाई पर स्थित है सालोभर तापमान कम रहता है ।

लघु उत्तरीय प्रश्न

जलवायु Class 9 Notes In Hindi Bihar Board प्रश्न 1.
जाड़े के दिनों में भारत में कहाँ-कहाँ वर्षा होती है ?
उत्तर-
जाड़े के दिनों में भारत के पूर्वी तटीय भाग तमिलनाडु तथा केरल में वर्षा होती है।

Bihar Board Class 9 History Book Solution प्रश्न 2.
फैरेल का क्या नियम है ?
उत्तर-
पृथ्वी पर स्थायी वायु दाब पेटियों के बीच चलनेवाली प्रचलित हवाएँ (Precalling wind) की दिशा पर पृथ्वी के घूर्णन का प्रभाव पड़ता है । पृथ्वी के.घूर्णन के कारण ही कोरियोलिस बल (Coriolis Force) उत्पन्न होता है जिसके कारण उत्तरी गोलार्द्ध में हवाएँ दाहिनी ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बायीं ओर मुड़ जाती है । अर्थात् विषुवत् रेखा को पार करने के बाद दक्षिणी गोलार्द्ध की हवाएँ दाहिनी ओर मुड़ जाती हैं तथा दक्षिण-पश्चिम से चलने लगती है। इसे सबसे फेरल महोदय ने पता लगाया इसीलिए इसे फैरल का नियम कहते हैं।

Bihar Board Solution Class 9 History प्रश्न 3.
जेट स्ट्रीम क्या है ?
उत्तर-
ऊपरी वायुसंचरण भारत में पश्चिमी प्रवाह से प्रभावित रहता है। जेट धाराएँ इसी प्रवाह का मुख्य अंग हैं। जेट धाराएँ ऊपरी वायुमंडल (1200 मीटर से भी अधिक ऊँचाई पर) में लगभग 27° से 30° ऊत्तरी अक्षांशों के बीच चलती हैं। अतः इन्हें उपोष्ण कटिबंधीय पश्चिमी जेट धाराएँ कहा जाता है। ये सितम्बर से मार्च तक हिमालय के दक्षिण छोर पर चला करती हैं तथा देश के उत्तर एवं पश्चिम भाग में पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ के रूप में आकर कभी-कभी वर्षा की झड़ी लगा देती हैं। गर्मियों में इसकी गति लगभग 110 कि०मी० और सर्दियों में 184 किमी० प्रतिघंटा होती है।

Bihar Board 9th Class Social Science Book Pdf प्रश्न 4.
भारतीय मौनसून की तीन प्रमुख विशेषताएँ बताइए?
उत्तर-
भारतीय मौनसून की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं(i) मौनसून वर्षा भूआकृति द्वारा नियमित होती है ।
(ii) मौनसूनी वर्षा का भारत में वितरण भी असमान होता है जो औसत 12 से०मी० से 1180 से०मी० के नीचे पाया जाता है ।
(iii) मौनसून कभी पहले और कभी देर से आती है, कभी अतिवृष्टि एवं कभी अनावृष्टि लाती है । फलतः फसलें प्रभावित होती हैं तथा बाढ़ एवं सूखा जैसी आपदाएँ लाती हैं।

Bihar Board Class 9 Geography Chapter 1 प्रश्न 5.   
लू से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
ग्रीष्म ऋतु में मई के महीने में उत्तर भारत में चलने वाली हवा अत्यन्त गर्म और शुष्क होती है, तापक्रम लगभग 40°C तक चला जाता है । इस शुष्क चलने वाली हवा को ‘लू’ कहते हैं। . 6. मौनसून का विस्फोट क्या है ?
उत्तर-उत्तर भारत में आधे जून से मौसम में अचानक बदलाव आने लगता है। तेजी से हवा दक्षिण पश्चिम से आने लगती है। आकाश बादलों

से आच्छदित हो जाता है तथा गर्जन-तर्जन के साथ भारी वर्षा होने लगती है। इसे ही मौनसून का फटना (Monsoon Burst) कहा ता है। लोगों को गर्मी से राहत मिलती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत की मौनसूनी जलवायु की क्षेत्रीय विभिन्नताओं को सोदाहरण समझाइए?
उत्तर-
निम्नलिखित उदाहरणों से स्पष्ट है कि भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में विविध प्रकार की जलवायु दशाएँ पायी जाती हैं
तापमान-भारत में विभिन्न भागों के तापमान में काफी अन्तर मिलता है। राजस्थान के बाड़मेर में जून में दिन का तापमान 482-55 सेंटिग्रेड होता है तो उसी दिन कश्मीर के गुलमर्ग का तापमान 20° से भी कम रहता है। यहाँ तक कि गुलमर्ग के उत्तर में खिलनमर्ग का तापमान 0° से भी कम रहता है । उसी तरह दिसंबर में कश्मीर के किसान ठंढ से काँपते हैं, उसी समय केरल तट पर मोपला जाति के लोग लुंगी पहने खुले बदन धान की खेती करते मिलते हैं। दिसम्बर की रात में कारगिल जैसे स्थानों में न्यूनतम तापमान – 402 सेंटीग्रेट तक होता है। राजस्थान के थार मरुस्थल में गर्मी का दिन बेहद गर्म होता है तो रात बेहद ठंढी । ताप गिरते हुए 0°C तक चला जाता है। भारत के किसी अन्य भागों में इतना अधिक तापान्तर नहीं मिलता है।

वर्षा-जून में उत्तर भारत शुष्क और गर्म होता है जबकि असम में इतनी वर्षा होती है कि ब्रह्मपुत्र नदी में भयंकर बाढ़ आने लगती है।
भारत के समुद्र तटीय क्षेत्र में तापमान सम एवं स्थल के मध्य में विषम पाया जाता है। ये सभी दैनिक विभिन्नताएँ हैं।
वर्षा की दृष्टि से मासिमराम में औसत वर्षा 1180 सेंटीमीटर है जबकि जैसलमेर में 12 से०मी० से अधिक नहीं होती।
उत्तर भारत में वर्षा की मात्रा पूर्व से पश्चिम में घटती जाती है जिससे लोगों के भोजन, वस्त्र एवं आवास में विभिन्नताएँ पाई जाती हैं।

प्रश्न 2.
भारत में कितनी ऋतुएँ पायी जाती हैं ? किसी एक का भौगोलिक विवरण दीजिए।
उत्तर-
भारत में कुल छः ऋतुएँ पायी जाती हैं- वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, .शरद एवं शिशिर । पर भौगोलिक दृष्टि से तथा मौसम विभाग के अनुसार भारत में मुख्यतः चार ऋतुएँ हैं-
(i) शीतऋतु-मध्य नवम्बर से मध्य मार्च तक ।
(ii) ग्रीष्म ऋतु-मध्य मार्च से मध्य जून तक ।
(iii) वर्षा ऋतु-मध्य जून से मध्य सितम्बर तक ।
(iv) लौटती मौनसून ऋतु-मध्य सितम्बर से मध्य नवम्बर तक ।
शीतऋतु-यह ऋतु मध्य नवम्बर से मध्य मार्च तक रहती है। इस ऋतु में सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में होता है। इस ऋतु में सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में होता है मध्य भारत में औसत तापक्रम 212 से 27° सेंटीग्रेट के बीच रहता है। गंगा के मैदान में 12 से 180° सेंटीग्रेड होता है।

दक्षिण भारत में चेन्नई का तापक्रम औसत 25° से० कोलकाता का 20° से०, पटना का 17° से० तथा दिल्ली का 14 से० रहता है । सबसे अधिक ठंढक उत्तर-पश्चिमी भाग में रहती है। इसलिए वहाँ एक उच्च दाब क्षेत्र बन जाता है, इस समय हवाएँ स्थल से समुद्र की ओर बहती हैं जो शुष्क होती हैं और वर्षा नहीं करती हैं। आकाश स्वच्छ रहता है। बादल रहित आकाश के कारण रात में ताप बहुत कम हो जाता है। हिमालय क्षेत्र के जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में इन दिनों हिमपात होता है।

इस समय भारत के दो क्षेत्रों में वर्षा होती है। एक उत्तर पश्चिमी भाग तथा दूसरा दक्षिणी पूर्वी भाग, उत्तर-पश्चिमी भारत में भूमध्यसागरीय चक्रवातों से वर्षा होती है यह वर्षा दिसम्बर से मार्च तक होती है। वर्ष मात्र 3 से 6 सेंटीमीटर ही होती है।

दूसरे स्थान पर जनवरी-फरवरी में उत्तरी-पूर्वी शुष्क हवायें बंगाल की खाड़ी से गुजरती है जलवाष्प ग्रहण कर लेती हैं और भारत के दक्षिणी पूर्वी भाग में तमिलनाडु में वर्षा करती है।

प्रश्न 3.
भारत की जलवायु के मुख्य कारकों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
भारतीय जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित
(i) अक्षांश-कर्क रेखा 23.5° उत्तर भारत के मध्य से गुजरती है जिसमें भारत को लगभग उत्तर उपोष्ण तथा दक्षिण उष्ण कटिबंधीय जलवायु पायी जाती है । उत्तर उपोष्ण में जाड़े में तापमान घट जाता है काफी ठंडा हो जाता है दक्षिणी भाग उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र है यह क्षेत्र बराबर गर्म रहता है।

(ii) ऊँचाई-ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ तापमान घटता जाता है । कहा जाता है ‘Higher we go cooler we find’ साधारणतः 165 मीटर की ऊचाई पर 1° सेंटीग्रेट घट जाता है। भारत के उत्तर में हिमालय पर्वतमाला स्थित है जिसकी औसत ऊँचाई लगभग 6000 मीटर है और भारत की तटीय मैदान की ऊँचाई 30 से 150 मीटर है अतः पर्वतीय क्षेत्र ठंढा तथा मैदानी या तटीय क्षेत्र अपेक्षाकृत गर्म रहता है।

(iii) तट रेखा-लम्बी तट रेखा होने से भारत का तटीय क्षेत्र भी विस्तृत है। समुद्र तटीय क्षेत्र में जाड़ा तथा गर्मी के तापमान में ज्यादा अन्तर नहीं पड़ता क्योंकि जल देर से गर्म होता है और देर से ठंढा होता है। अतः समुद्र जल का प्रभाव स्थल भाग पर पड़ता है। जलवायु सम बनी रहती है। दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्र इसके प्रभाव में रहते हैं पर उत्तर भारत के समुद्र से दूर होने के कारण समुद्र का प्रभाव नहीं पड़ता है। अतः वहाँ जाड़े में खूब ठंढक और गर्मी में खूब गर्मी पड़ती है। वार्षिक तापान्तर बहुत ज्यादा होता है तथा जलवायु विषम होती है।

(iv) पवन की दिशा या वायुदाब-वायुदाब तथा पवन की दिशा ने भारत की जलवायु को विशिष्ट बना दिया है। सूर्य के (मई-जून) उत्तरी गोलार्द्ध में होने के कारण राजस्थान के मरुस्थलीय क्षेत्र में निम्नदाब का केद्र बन जाता है तथा मकर रेखा क्षेत्र में उच्च दाब बन जाता है अतः गर्मी में दक्षिणी गोलार्द्ध के मकर रेखा क्षेत्र की हवाएँ तेजी से हिन्द महासागर को पार कर भारत में पहुँचने लगती हैं और भारत मौनसून के प्रभाव में आ जाता है।

प्रश्न 5.
जेट धाराएँ क्या हैं तथा भारतीय जलवायु पर उसका क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
जेट धाराएँ ऊपरी वायुमंडल (1200 मीटर से भी अधिक ऊँचाई पर) में तेज गति से चलनेवाली पवनें हैं, जेट धाराएँ लगभग 272 से 30° उत्तरी अक्षांशों के बीच वायुमंडल के ऊपरी भाग में चलती हैं। अतः इन्हें उपोष्ण कटिबंधीय पश्चिमी जेट धाराएँ कहा जाता है। ये सितम्बर से मार्च तक हिमालय के दक्षिणी छोर पर चला करती हैं तथा देश के उत्तर एवं उत्तर-पश्चिम भाग में पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ के रूप में आकर कभी-कभी वर्षा की झड़ी लगा देती हैं।

भारत की जलवायु पर प्रभाव-भारत पर जेट हवाओं का गहरा प्रभाव है। शीत ऋतु में हिमालय के दक्षिणी भाग के ऊपर समताप मंडल में पश्चिमी जेट धारा की स्थिति रहती है। जून के महीने में यह उत्तर की ओर खिसक जाती है। इससे 15° उत्तर आक्षांश के ऊपर एक पूर्वी जेट धारा कके विकास में सहायता मिलती है। यही उत्तरी भारत में मौनसून- विस्फोट के लिए उत्तरदायी है । यह बंगाल, उड़ीसा, आन्ध्र प्रदेश आदि के तटीय भाग में कभी-कभी तूफानी हवा के साथ वर्षा करती हैं।

प्रश्न 6.
भारत में होने वाली मौनसूनी वर्षा एवं उसकी विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
भारत में होने वाली मौनसूनी वर्षा दो प्रकार की हैं(i) शीतकालीन वर्षा (ii) ग्रीष्म कालीन वर्षा
(i) शीतकालीन वर्षा-भारत में शीतकालीन वर्षा के सीमित क्षेत्र . हैं । लौटती मौनसून तथा उत्तरी पूर्वी मौनसून से भारत के पूर्वी तटीय भाग, तमिलनाडु तथा केरल में वर्षा होती है। स्थल से चलने वाली यह हवा जब बंगाल की खाड़ी से होकर गुजरती है तो नमी धारण कर लेती है जिससे वह वर्षा करती है। दक्षिण-पश्चिम से चलने वाली हवा भारत में प्रवेश कर राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश तथा बिहार में वर्षा करती है । यह पश्चिमी विक्षोभ के कारण होता है। वर्षा पश्चिम से पूरब की ओर घटती जाती है।

(ii) ग्रीष्मकालीन वर्षा-भारत में ग्रीष्मकालीन वर्पा दक्षिण पश्चिम मौनसून हवा से होती है । दक्षिण-पश्चिम मौनसून हवा दो शाखाओं में बँटकर आगे बढ़ती है। एक शाखा अरब शाखा है जिससे भारत के पश्चिम तटीय भाग तथा पश्चिमी घाट पर्वत के पश्चिमी ढाल पर भारी वर्षा होती है।
दूसरी शाखा बंगाल की खाड़ी शाखा है। इस शाखा से अंडमान निकोबार द्वीपों में भारी वर्षा होती है। आगे बढ़ने पर मॉनसूनी वर्पा पूर्वांचल एवं मेघालय के बीच पहुँचकर पश्चिम की ओर मुड़ जाती है तथा पूर्वोत्तर भारत एवं गंगा ब्रह्मपुत्र के मैदान में भारी वर्षा करती है। ज्यों-ज्यों यह पश्चिम की ओर बढ़ती है, वर्षा कम होती जाती है। जून से सितम्बर के बीच कोलकाता में 118 सें०मी०, पटना में 100 सें०मी०, इलाहाबाद में 90 सें०मी० तथा दिल्ली में 55 सें०मी० तथा वार्षिक वर्षा 1187 सें०मी० होती है.। लेकिन राजस्थान पहुँचते-पहुँचते वार्षिक वर्षा मात्र 25 सें०मी० तक ही रह जाती है।

मौनसूनी वर्षा की विशेषताएँ –

(i) वर्षा का समय तथा मात्रा-भारत में मौनसूनी पवनों से प्राप्त वर्षा 87% मौनसूनी पवनों द्वारा जून से सितम्बर तक होती है । 3% वर्षा सर्दियों में तथा 10% वर्षा मौनसून आने के पहले तक हो जाती है । बाकी वर्षा जून से सितम्बर तक में होती है।
(ii) अस्थिरता-भारत में मौनसूनी पवनों से प्राप्त वर्षा भरोसे योग्य नहीं है। देश में असमान वर्षा होती है।
(iii) अनिश्चितता-वर्षा की मात्रा पूरी तरह निश्चित नहीं है। कभी मौनसून समय से पहले पहुँचकर भारी वर्षा करता है। कभी वर्षा इतनी कम होती है कि निश्चित समय से पहले ही समाप्त हो जाती है जिससे सूखे की स्थिति कायम हो जाती है।
(iv) शुष्क अंतराल-कई बार गर्मियों में मौनसूनी वर्षा लगातार न होकर कुछ दिन या सप्ताह अंतराल से होती है । इसके चलते वर्षा का चक्र टूट जाता है और वर्षा ऋतु में एक लंबा व शुष्क काल जमा हो जाता निष्कर्षत: यह कहा जा सकता है कि मौनसूनी वर्षा अनिश्चित तथा असमान होती है। फिर भी भारत के लिए मौनसून वरदान है।

प्रश्न 7.
एल-निनों एवं ला-निना में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
एल-निनो एवं ला-निना’ के अन्तर इस प्रकार हैं –
Bihar Board Class 9 Geography Solutions Chapter 4 जलवायु - 1
Bihar Board Class 9 Geography Solutions Chapter 4 जलवायु - 2

मानचित्र कार्य

1. पूरे पृष्ठ पर भारत का मानचित्र बनाकर निम्नलिखित . को दर्शाइए।
(क) 400 सेंमी० से अधिक वर्षा का क्षेत्र,
(ख) 20 सेंमी० से कम वर्षा का क्षेत्र,
(ग) भारत में दक्षिण-पश्चिमी मौनसून की दिशा,
(घ) शीतकालीन वर्षा वाले क्षेत्र ,
(ङ) (i) चेरापूँजी, (ii) मौसिमराम, (ii) जोधपुर, (iv) मंगलोर, (v) ऊटी, (vi) नैनीताल।
Bihar Board Class 9 Geography Solutions Chapter 4 जलवायु - 3

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 2 तड़ित ओर भूकम्प : प्रकुति के दो भयानक रूप

Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 1 दहन और ज्वाला : चीजों का जलना Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 8 Science Solutions Chapter 2 तड़ित ओर भूकम्प : प्रकुति के दो भयानक रूप

Bihar Board Class 8 Science तड़ित ओर भूकम्प : प्रकुति के दो भयानक रूप Text Book Questions and Answers

अभ्यास

Bihar Board Class 8 Science Chapter 2 प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

  1. सजातीय आवेश एक-दूसरे को ……….. करते हैं।
  2. विजातीय आवेश एक-दूसरे को ………. करते हैं।
  3. तड़ित चालक तड़ित से भवन को ………… करते हैं।
  4. भूकम्प की तीव्रता का मापन ………… स्केल से किया जाता

उत्तर-

  1. विकर्षित
  2. आकर्षित
  3. सुरक्षा
  4. भूकम्पमापी।

 

Bihar Board Class 8 Science Solution प्रश्न 2.
सर्दियों में स्वेटर उतारते समय चिट्-चिट् की आवाज होती है। क्यों?
उत्तर-
स्वेटर तथा शरीर के रगड से आवेश उत्पन्न होता है। आवेश के प्रवाह के कारण विद्युत उत्पन्न होती है । इस प्रवाह को विद्युत उत्सर्जन कहा जाता है। जिस कारण तीव्र प्रकाश चिनगारी के रूप में उत्पन्न होती है जो हमें चिट्-चिट् की आवाज तथा चिनगारी के रूप में मालूम पड़ता है।

Bihar Board Class 8 Science Solution In Hindi प्रश्न 3.
जब हम विद्युतदर्शी के ऊपरी भाग को छूते हैं तो वह अपना आवेश
खो देती है। व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
जब हम विद्यतदर्शी के ऊपरी भाग को छते हैं तो उसके पत्ती में मौजुद आवेश हमारे शरीर में प्रवाहित होकर चली आती है और पनः हमारे शरीर से आवेश प्रवाहित होकर पृथ्वी में चली जाती है। क्योंकि शरीर विद्यत का सुचालक होता है। परिणामस्वरूप विद्युतदर्शी अपना आवेश खो देती है।

Bharti Bhawan Class 8 Science Book Solutions In Hindi प्रश्न 4.
भूकम्पमापी का चित्र बनाकर उसके मापन विधि को लिखिए।
उत्तर-
छात्र शिक्षक की मदद से भूकम्पमापी की विधि को लिखें।

Bihar Board Solution Class 8 Science

Class 8 Science Bihar Board प्रश्न 5.
तड़ित तथा भूकम्प से अपनी सुरक्षा के उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
तड़ित से सुरक्षा के उपाय

  1. तड़ित झंझा अथवा तूफान के समय खुले स्थान में नहीं रहना चाहिए।
  2. बिजली तथा टेलीफोन के तारों या खम्भों स दूरी बनाए रखना चाहिए। क्योंकि तड़ित एक विद्युत विसर्जन है।
  3. किसी भी बिजली से चलने वाले उपकरणों के प्रयोग से बचना चाहिए।
  4. तड़ित अथवा तूफान के समय नदी, तालाब आदि में स्नान नहीं करना चाहिए।
  5. वातावरण शांत होने पर ही सुरक्षित स्थान से बाहर आना चाहिए।

भूकम्प से सुरक्षा के उपाय – भूकम्प से बचने के लिए आवश्यक सावधानियाँ बरतनी चाहिए जो इस प्रकार हैं

  1. गड्ढे वाली जगहों को भरकर, तालाबों एवं पोखरों के समीप घर बनाने से बचना चाहिए।
  2. घर की बनावट भूकम्परोधी होना चाहिए।
  3. घर-घर के बीच दूरी होनी चाहिए।
  4. भूकम्प के समय मजबूत चौकी या पलंग या टेबुल के नीचे झटकों के रूकने तक छिपे रहना चाहिए।
  5. संभव हो तो सर के ऊपर तकिया आदि गद्देदार चीज रख लेना चाहिए।
  6. भारी वस्तुओं से दूर हटकर रहने का प्रयास करना चाहिए।
  7. भवनों, बिजली के तारों तथा वृक्षों से दूर खुले स्थान में लेट जाना चाहिए।