Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 गद्य खण्ड Chapter 7 टॉलस्टाय के घर में Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.
BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 7 टॉलस्टाय के घर में
Bihar Board Class 9 Hindi टॉलस्टाय के घर में Text Book Questions and Answers
टॉलस्टॉय के घर में Bihar Board प्रश्न 1.
टॉल्सटाय ने अपनी अमर कृतियों की रचना कहाँ की थी?
उत्तर-
यासनाया पोलयाना में टॉल्सटाय ने अपनी अमर कृतियों की रचना की थी।
Bihar Board Solution Class 9 Hindi प्रश्न 2.
यासनाया पोलयाना के लिए जाते हुए लेखक के मन में कैसा भय समा रहा था और क्यों?
उत्तर-
यासनाया पोलयाना जाते समय लेखक के मन में यह भय लग रहा था कि जहाँ विश्व साहित्य की अमर कृतियाँ लिखी गई थीं, जहाँ आना का चरित्र कागज पर उतरा था, जहाँ ‘युद्ध और शांति’ के कितने ही सजीव चित्र रचे गए थे। प्रसत्रता के साथ-साथ एक प्रकार का भय भी उत्पन्न हो रहा था कि कैसे मैं वह सब अपनी आँखों से देख सकूँगा, कैसे उस वातावरण के साथ अपने आपको समन्वय कर पाऊँगा।
Bihar Board Class 9 Hindi Book Solution प्रश्न 3.
यूरा कौन था? लेखक की यात्रा के दरम्यान उसकी भूमिका पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
लेखक की यात्रा में यूरा एक अनुवादक था। टॉल्सटाय की जीवनी के संबंध में यूरो रूसी भाषा में कहते जा रहे थे।
Bihar Board 9th Class Hindi Book Solution प्रश्न 4.
टॉल्सटाय के परिवार में चित्रकारी का शौक किन्हें था?
उत्तर-
टॉल्सटाय के अभिन्न मित्र को चित्रकारी का शौक था।
Godhuli Bhag 1 Bihar Board प्रश्न 5.
रामकुमार के अनुसार टॉल्सटाय के मकान का सबसे महत्वपूर्ण भाग कौन था? उसका एक संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर-
रामकुमार के अनुसार टॉल्सटाय के मकान का सबसे महत्त्वपूर्ण वह कमरा था जहाँ वें पढ़ते-लिखते थे। एक कोने में छोटी सी मेज और बिना सिरहाने की एक तिपाई थी। मेज पर एक कलम और दवात रखी थी। इस तिपाई पर बैठकर उन्होंने अपने जीवन का कितना बड़ा भाग बिताया होगा, यहीं बैठकर उन्होंने ‘आना करीबिना’ और ‘युद्ध और शांति’ की रचना की होगी।
गोधूलि भाग 1 Class 9 Solution प्रश्न 6.
टॉल्सटाय रूसी के अलावा और कौन-कौन विषय पढ़ लेते थे?
उत्तर-
टॉल्सटाय रूसी के अलावा जर्मन, फ्रांसीसी और अंग्रेजी भी पढ़ लेते थे।
Godhuli Class 9 Bihar Board प्रश्न 7.
टाल्सटाय ने अंतिम बार जब घर छोड़ा तो उनके साथ कौन गया था?
उत्तर-
टॉल्सटाय ने जब अंतिम बार घर छोड़ा था तो उनके साथ केवल डाक्टर ही गया था।
गोधूलि भाग 1 Class 9 Bihar Board प्रश्न 8.
टॉल्सटाय ने अपने निजी कमरे का चित्रण किस उपन्यास के किस पात्र के कमरे के रूप में किया है? कमरे की कुछ विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
टॉल्सटाय के मकान में एक और कमरा था जो उन्हें बेहद पसंद था क्योंकि यह घर के शोरगुल से दूर था और यहाँ उन्हें सदा एकांत मिलता था। इस कमरे का बहुत-सा वर्णन उन्होंने ‘आना करीनिना’ में लेनिन के कमरे की चर्चा करते समय किया था क्योंकि लेबिन के चरित्र में उन्होंने बहुत कुछ अपनी बातें कही थीं।
कमरे की सादगी, बाहर खुलती हुई एक खिड़की एक चारपाई बहुत कुछ वही था। एक कोने में पानी भरने का एक बर्तन रखा हुआ था जिसमें टॉल्सटाय अपने अंतिम दिनों में स्वयं ही पानी भरकर लाते थे।
गोधूलि भाग 2 Class 9 Solution Bihar Board प्रश्न 9.
टॉल्सटाय ने अपनी समाधि के विषय में क्या कहा था?
उत्तर-
अपनी मृत्यु से पूर्व टॉल्सटाय ने अपनी समाधि के विषय में विस्तार से आदेश दिया था कि जैसी निर्धन से निर्धन व्यक्ति की समाधि होती है वैसी ही उनकी भी बने, उनकी मृत्यु पर किसी भी व्यक्ति का भाषण न हो।
Bihar Board Class 9 Hindi Book प्रश्न 10.
टॉल्सटाय के गाँव का एक संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत करें।
उत्तर-
लगभग सौ डेढ़ सौ घरों के एक छोटे से गाँव के सिरे पर टॉल्सटाय का घर है जिसके चारों ओर दूर-दूर तक फैले हुए बाग-बगीचे हैं। पास ही एक तालाब है जिसके किनारे टॉल्सटाय घंटों जाकर बैठे रहते थे। आजकल इस मकान को सरकार ने म्यूजियम बना दिया है, जिसमें टॉल्सटाय का सब सामान तरतीबवार सजा हुआ है।
टालस्टाय के कपड़े कहां लगे हुए थे Bihar Board प्रश्न 11.
लेखक ने अपनी इस यात्रा को तीर्थयात्रा क्यों कहा है?
उत्तर-
अपनी सुखद यात्रा का अनुभव कर जब लेखक लौट रहा था तो लेखक अतीत की दुनियाँ से बाहर आकर वर्तमान की ओर बहुत तेजी से बढ़ा जा रहा था। सुबह आते वक्त खिड़की के बाहर जिन गाँवों, शहरों और मकानों को देखने में लेखक की जो दिलचस्पी थी वह अब समाप्त हो गई थी। लेखन ने अपनी आँखें बन्दकर ली परन्तु यासनाया पोलयाना की दुनिया से अपने-आपको अलग नहीं कर सका। २. इसलिए लेखक ने अपनी इस यात्रा को तीर्थयात्रा कहा है।
नीचे लिखे गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दें।
1. यह उनका सोने का कमरा था। खिड़की के पास उनकी चारपाई बिछी हुई थी। दूसरी मंजिल से दूर तक फैले हुए खेत गाँव के मकानों की छतें और छोटी-छोटी हरी पहाड़ियाँ दिखाई दे रही थीं। उनकी पत्नी के सोने का कमरा अलग था, क्योंकि अंतिम वर्षों में आपस में खटपट रहने के कारण उनके सोने के कमरे अलग-अलग थे। सुबह उठकर कुछ घंटे वह अपनी चारपाई पर बैठकर ही लिखा करते थे। एक अन्य कमरे में एक और मेज भी थी जिस पर टॉल्सटाय की पत्नी पहले उनकी पांडुलिपियों की नकल किया करती थीं और शायद ‘युद्ध और शांति’ जैसी बड़ी पुस्तक की उन्होंने तीन बार नकल की थी, परंतु बाद में उन्होंने यह सब छोड़ दिया था।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) सोने के कमरे की खिड़की से कौन-सा दृश्य दिखाई पड़ता था?
(ग) टॉल्सटाय कब और किस रूप में लिखा करते थे?
(घ) टॉल्सटाय की पत्नी वहाँ क्या लिखा करती थी?
(ङ) अंतिम वर्षों में टॉल्सटाय का अपनी पत्नी के साथ कैसा संबंध था? सोदाहरण लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-टॉल्सटाय के घर में, लेखक का नाम-रामकुमार।
(ख) टॉल्सटाय के सोने के कमरे में खुली खिड़की थी। लेखक उसमें पहुँचा। उसे खुली खिड़की से दूर तक फैले खेत, गाँव के मकानों की छतें और आसपास फैली हुई छोटी-छोटी तथा हरी पहाड़ियों की श्रृंखला दिखलाई पड़ रही थी।
(ग) टॉल्सटाय जीवन के अंतिम वर्षों में सोने के कमरे में ही सुबह उठकर कुछ घंटे चारपाई पर बैठकर लिख लिया करते थे। उसी कमरे के बगल में एक अन्य कमरे में एक मेज थी उस पर भी पहले वे लिखा करते थे।
(घ) बगल के कमरे में जो एक मेज थी उस पर टॉल्सटाय की पत्नी पहले के कुछ वर्षों तक अपने पति की पांडुलिपियों की नकल किया करती थी और एक समय था कि उन दिनों उनकी पत्नी ने उनके द्वारा लिखित चर्चित उपन्यास पुस्तक “युद्ध और शान्ति” की तीन बार स्वयं लिखकर नकल की थी।
(ङ) अंतिम वर्षों में टॉल्सटाय का पत्नी से अच्छा सम्बन्ध नहीं था। दोनों में खटपट का रूप ऐसा कुछ विकृत हो चुका था कि टॉल्सटाय और उनकी पत्नी के सोने के कमरे अलग-अलग थे।
2. नीचे की मंजिल में कुछ अतिथियों के लिए कमरे थे। एक उनके डॉक्टर का था जो उनके साथ ही रहता था और अंतिम बार जब सदा के लिए टॉल्सटाय ने अपना घर छोड़ा तो केवल डॉक्टर ही उनके साथ गया था। एक और उनका निजी कमरा था। उनके सेक्रेटरी ने बतलाया कि यह कमरा उन्हें बेहद पसंद था क्योंकि यह घर के शोरगुल से दूर था यहाँ उन्हें सदा एकांत मिलता था। इस कमरे का बहुत-सा वर्णन उन्होंने ‘आना करीनिना’ में लेविन के कमरे की चर्चा करता था। इस कमरे का बहुत-सा वर्णन उन्होंने ‘आना करीनिना’ में लेविन के कमरे की चर्चा करते समय किया था, क्योंकि लेविन के चरित्र में उन्होंने बहुत कुछ अपनी बातें कहीं थीं। कमरे की सादगी, बाहर खुलती हुई एक खिड़की, एक चारपाई बहुत कुछ वही था। एक कोने में पानी भरने का एक बर्तन रखा हुआ था जिसमें टॉल्सटाय अपने अंतिम दिनों में बाहर जाकर कुएं से स्वयं ही पानी भरकर लाते थे।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) टॉल्सटाय को अपने घर का कौन-सा कमरा विशेष प्रिय था : और क्यों?
(ग) टॉल्सटाय ने अपने प्रिय कमरे की चर्चा कहाँ, क्यों और किस रूप में की है?
(घ) एक उदाहरण देकर बताएं कि टॉल्सटाय अपना कार्य स्वयं करते थे।
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का सारांश लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-टॉलस्टाय के घर में, लेखक-रामकुमार
(ख) टॉल्सटाय के मकान के नीचे की मंजिल में उसका एक निजी कमरा था। यह कमरा टॉल्सटाय को बहुत पसंद था क्योंकि यह घर-मकान के शोरगुल से कुछ दूर हटकर स्थित था और टॉल्सटाय को यहाँ एकांत का सुख मिलता था
(ग) टॉल्सटाय ने अपने प्रिय कमरे की चर्चा अपने चर्चित उपन्यास ‘आना करीनिना’ पुस्तक में उपन्यास के पात्र लेविन के कमरे की चर्चा के क्रम में की है। कमरे की सादगी और बाहर के खुलापन के कारण वह कमरा स्वाभाविक रूप से टॉल्सटाय के लिए बड़ा प्रिय था।
(घ) टॉल्सटाय अपना काम स्वयं करते थे इसकी जानकारी हमें इस उदाहरण से मिलती है, टॉल्सटाय के निजी कमरे के कोने में पानी भरने का एक बर्तन रखा रहता था। टॉल्सटाय कमरे से बाहर जाकर कुएँ से स्वयं ही पानी भरकर लाया करते थे। यह घटना उनके जीवन के अंतिम दिनों की है।
(ङ) लेखक ने इस गद्यांश में टॉल्सटाय के स्वभाव, उनकी पसंद और उनकी दिनचर्या का वर्णन किया है। टॉल्सटाय का निजी कमरा उनके मकान से कुछ दूर दूसरे हिस्से में स्थित था। वहाँ मकान का शोरगुल नहीं पहुंच पाता था। वहाँ उन्हें एकांत का सुख मिलता था। कमरा बड़ा साफ-सुथरा था। जीवन के अंतिम दिनों में टॉल्सटाय स्वयं घर से बाहर जाकर कुएँ से पानी भरकर लाते थे।
3. म्यूजियम को देखकर ऐसा जान पड़ा कि जिस व्यक्ति को जीवन में कभी नहीं देखा, जिसकी मृत्यु हुए भी लगभग पचास साल बीत गए हैं, उनके जीवन की एक झाँकी, एक धुंधली-सी छाया आज दिखाई दी जिसकी स्मृति शायद कभी धुंधली नहीं पड़ सकेगी। सूने मकान के कमरों में आज भी मुझे आना और लेविन की हल्की-हल्की पदचाप सुनाई दी, वे सब व्यक्ति शायद इस स्थान को कभी नहीं छोड़ सकेंगे। इस मकान में केवल टॉल्सटाय के जीवन का इतिहास ही नहीं पता चलता, बल्कि कितनी ही आत्माओं के स्वर सुनाई देते हैं जिन्हें टॉल्सटाय ने जन्म दिया था।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) लेखक को किसकी स्मृति कभी धुंधली नहीं पड़ेगी और क्यों?
(ग) लेखक ने गद्यांश में वर्णित कमरे की क्या विशेषताएँ बतलाई हैं? उन्हें स्पष्ट करें।
(घ) म्यूजियम को देखकर लेखक को कैसा जान पड़ा?
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का आशय/सारांश लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-टॉल्सटाय के घर में, लेखक-रामकुमार।
(ख) म्यूजियम बने टॉल्सटाय के घर को देखकर लेखक को उनके जीवन की एक झाँकी की धुंधली सी छाया दिखलाई पड़ी, लेकिन लेखक को यह यकीन है कि टॉल्सटाय की स्मृति कभी धुंधली नहीं पड़ सकेगी, क्योंकि वह स्मृति उनके गहरे दिल में घर कर गई थी।
(ग) लेखक द्वारा वर्णित कमरा टॉल्सटाय के मकान का कमरा है जिसे सरकार ने म्यूजियम का रूप दिया है। उस सूने मकान के कमरे में लेखक को आज भी उनके उपन्यासों के पात्र ‘आना’ और ‘लेविन’ की हल्की-हल्की पदचाप सुनाई पड़ती है। क्योंकि टॉल्सटाय ने उसी कमरे में बैठकर अपने उपन्यासों को लिखा था।
(घ) म्यूजियम को देखकर लेखक को ऐसा जान पड़ा कि टॉल्सटाय के जीवन की एक झाँकी एक धुंधली-सी छाया के रूप में वहाँ आज भी विद्यमान है। लेखक ने टॉल्सटाय को कभी देखा नहीं था। उनकी मृत्यु हुए भी पचास साल से ज्यादा बीत चुके थे लेकिन म्यूजियम को देखकर उसे उनके जीवन की एक झाँकी के दर्शन का अनुभव हुआ।
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने महान विचारक साहित्यकार टॉल्सटाय की पावन-स्मृति की अपने दिल पर पड़ी छाप का वर्णन किया है। म्यूजियम बने टॉल्सटाय के कमरे में लेखक गया हुआ था। उस कमरे में पहुँचकर उसे ऐसा लगा कि टॉल्सटाय की पवित्र स्मृति वहाँ बैठकर टॉल्सटाय द्वारा लिखे गए उपन्यास के पात्रों की सजीवता के रूप में विद्यमान है। उस मकान के कमरे में कितनी ही आत्माओं के स्वर जिन्हें टॉल्सटाय ने जन्म दिया था, सुनाई पड़ी।
4. जब मकान से बाहर निकले तो हम तीनों ही चुप थे मानो दो घंटों तक कोई स्वप्न देख रहे थे। बाहर तेज धूप निकली हुई थी और कुछ क्षणों के लिए मेरी आँखें उस रोशनी में चौधिया सी गईं। लोगों के झुंड इधर-उधर घूम रहे थे। कुछ देर बाद हम टॉल्सटाय की समाधि की ओर बढ़ गए जो उस घर से दो फलांग की दूरी पर थी। पतली-सी सड़क के दोनों ओर विशालकाय हरे-भरे पड़ों की कतारें आकाश को ढंके हुए थीं। छोटे-छोटे बाग, कहीं फूलों की क्यारियों और कहीं ऊबड़-खाबड़ झाड़ियाँ थीं। सेक्रेट्री धीमें स्वर में धीरे-धीरे टॉल्सटाय के विषय में कुछ कह रहे थे, परंतु मेरे कानों तक उनका स्वर पहुँच नहीं पा रहा था। चारों ओर उदासी थी और सन्नाटा छाया हुआ था।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) मकान से बाहर निकलने के बाद लेखक क्यों चुप की स्थिति में थे?
(ग) समाधि-स्थल के आसपास का प्राकृतिक परिवेश कैसा था?
(घ) सेक्रेट्री धीमे स्वर में क्या बात कर रहे थे? (ङ) इस गद्यांश का सारांश लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-‘टॉल्सटाय के घर में’, लेखक-रामकुमार।
(ख) टॉल्सटाय के मकान से सब कुछ देखने-सुनने के बाद जब लेखक अपने कुछ आदमियों के साथ बाहर निकले तब सब-के-सब खामोश थे। लेखक दो घंटे तक उस मकान में रहा। वह जब तक वहाँ रहा तब तक एक स्वप्नदर्शी के रूप में रहा। उसे ऐसा लगा मानो वह दो घंटे तक सपनों के सिवा कुछ नहीं देख रहा था। वह अतिशय भावुकता के साथ विचारशीलता की मन:स्थिति में था जिसमें मौन रहना उसके लिए स्वाभाविक स्थिति थी।
(ग) लेखक के अनुसार समाधि-स्थल टॉल्सटाय के घर से कुछ दूर स्थित थी। वहाँ तक जाने वाली सड़क पतली-सी थी। उस सड़क के दोनों ओर हरे-भरे, बड़े-बड़े ऊंचे पेड़ आकाश को ढंके हुए थे। आसपास में कई छोटे-छोटे बाग लगे थे जिनमें फूलों की क्यारियों के साथ उबड़-खाबड़ झाड़ियाँ थीं।
(घ) सेक्रेट्री धीमे स्वर में जो कुछ बात कर रहे थे उसे लेखक ने स्पष्ट रूप से कुछ सुना नहीं। हाँ उसने जो कुछ हल्के-फुल्के रूप से सुना उससे उसे लगा कि सेक्रेट्री टॉल्सटाय के विषय में कुछ कह रहे थे या बता रहे थे जबकि वहाँ उदासी भरा शांत वातावरण व्याप्त था।
(ङ) इस गद्यांश में लेखक ने टॉल्सटाय के समाधि-स्थल, वहाँ के प्राकृतिक परिवेश तथा वहाँ व्याप्त माहौल का चित्रण किया है। टॉल्सटाय का समाधि-स्थल टॉल्सटाय के मकान से दो फाग की दूरी पर था। वहाँ तक हरे-भरे बड़े-बड़े वृक्षों से आच्छादित एक पतली सी. सड़क जाती थी। उस स्थल के आस-पास कुछ फूलों और झाड़ियों से भरे बाग लगे थे। वहाँ का माहौल उदासी और सन्नाटे में डूबा था।
5. हमारी कार फिर तेजी से मास्को की ओर रवाना हो गई। रेडियो से फिर संगीत की ध्वनि हमारे कानों तक पहुँचने लगी। शाम की धुंधली रोशनी में पेड़ों की परछाइयाँ लंबी होने लगीं। अतीत की दुनिया से बाहर आकर वर्तमान की ओर हम बहुत तेजी से बढ़े जा रहे थे। सुबह आते वक्त खिड़की से बाहर जिन गाँवों, शहरों और मकानों को देखने में जो मेरी दिलचस्पी थी वह अब समाप्त हो गई थी। मैंने आँखें बंद कर ली, परंतु यासनाया पोलयाना की दुनिया से अपने-आपको अलग नहीं कर सका।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) लेखक की कार की मास्को की ओर रवानगी के समय का क्या परिवेश था?
(ग) “अतीत की दुनिया से बाहर आकर वर्तमान की ओर हम बहुत तेजी से बढ़े जा रहे थे।”-लेखक के इस कथन को स्पष्ट करें।
(घ) लेखक की सुबह वाली दिलचस्पी लौटते समय क्यों समाप्त हो चली थी?
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का आशय लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-टॉल्सटाय के घर में, लेखक-रामकुमार।
(ख) लेखक म्यूजियम से बाहर निकलकर अपनी कार से मास्को की ओर रवाना हो गया। उस समय का माहौल और वातावरण सहज शांत था। कार में लगे रेडियो से संगीत की मंद ध्वनि निकल रही थी। शाम का समय था। संध्या की रोशनी धुंधली पड़ रही थी। सूर्य के अस्ताचलगामी हो रहने की स्थिति में पेड़ों की परछाइयाँ लंबी हो रही थीं।
(ग) लेखक दो घंटे से टॉल्सटाय के मकान में भ्रमण कर रहा था। वहाँ टॉल्सटाय तो नहीं थे, क्योंकि वे अतीत की दुनिया में पचास वर्ष पहले खो गए थे, लेकिन लेखक का मन अतीत बने टॉल्सटाय की स्मृति से जुड़ा था। वहाँ से बाहर निकलने पर उसे वर्तमान के एहसास का आभास हुआ। इसीलिए उसे लगा कि वह अतीत की दुनिया से निकलकर बाहर आ रहा है।
(घ) लेखक सुबह में टॉल्सटाय के मकान को देखने के लिए चला था। इसलिए, उसके मन में एक प्रकार की उत्सुकता थी और एक प्रकार का उतावलापन था। लेकिन, उस मकान में भ्रमण करने के बाद जब वह वहाँ से निकला तो उसका सारा जोश, उत्साह और लगन सब कुछ शिथिल पड़ गया था, क्योंकि अब उसमें वह दिलचस्पी ही शांत हो गई थी।
(ङ) प्रस्तुत गद्यांश में लेखक ने टॉल्सटाय के मकान देखने के बाद की अपनी मानसिक अवस्था का वर्णन किया है। लेखक टॉल्सटाय के मकान से निकलकर कार से मास्को की ओर रवाना हो गया। उसे लगा कि जब तक वह टॉल्सटाय के मकान में भ्रमण कर रहा था तब तक वह खुद को अतीत में डूबा पा रहा था। वहाँ से लौटने पर उसे वर्तमान का एहसास हुआ। सुबह जिस समय वह मकान देखने चला था उस समय उसके मन में काफी उत्साह था। वह अब ठंडा हो चुका था। वह कार में आँखें बंद कर टॉल्सटाय के घर के बारे में सोचने में खोया हुआ था।