Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 5 पदार्थ में रासायनिक परिवर्तन

Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 5 पदार्थ में रासायनिक परिवर्तन Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 5 पदार्थ में रासायनिक परिवर्तन

Bihar Board Class 7 Science पदार्थ में रासायनिक परिवर्तन Text Book Questions and Answers

अभ्यास

Bihar Board Class 7 Science Solution In Hindi प्रश्न 1.
निम्नलिखित कथनों में रिक्त स्थानों को भरिए
(क) ……… गैस सुलगती हुई दिया-सलाई के जलने में मदद देती
(ख) ……….. परिवर्तन में नए पदार्थ का निर्माण होता है।
(ग) खाने के सोडे का रासायनिक नाम ………… है ?
(घ) जब कार्बन डाइऑक्साइड को चूने के पानी में प्रवाहित किया जाता है, तो यह ……….. के बनने के कारण दुधिया हो जाता है।
उत्तर:
(क) ऑक्सीजन
(ख) रसायनिक परिवर्तन
(ग) सांडियम बाइकाबॉनेट
(घ) कैल्शियम कार्बोनेट ।

Bihar Board Class 7 Science Solution प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रक्रिया के अंतर्गत होने वाले परिवर्तन को भौतिक अथवा रासायनिक परिवर्तन के रूप में वर्गीकृत कीजिए।
(क) चॉक को चॉक-चूर्ण में बदलना ।
(ख) मोम का पिघलना ।
(ग) भोजन का पाचन ।
(घ) प्रकाश संश्लेषण ।
(च) ऐलुमिनियम के टुकड़े को पीटकर उसका पत्तल पत्र (फाइल) बनाना ।
(छ) जल में शक्कर का घुलना।
(ज) कोयले का जलना।
(झ) रवाकरण द्वारा शुद्ध पदार्थ प्राप्त करना।
उत्तर:
(क) भौतिक परिवर्तन
(ख) भौतिक परिवर्तन
(ग) रासायनिक परिवर्तन
(घ) रासायनिक परिवर्तन
(च) भौतिक परिवर्तन
(छ) भौतिक परिवर्तन
(ज) रासायनिक परिवर्तन ।

पदार्थ में रासायनिक परिवर्तन Bihar Board प्रश्न 3.
बताइए कि निम्नलिखित कथन सत्य हैं अथवा असत्य । यदि कथन असत्य हो तो, उसे सही करके लिखिए।
(क) लकड़ी के लट्टे को टुकड़े में काटना एक रासायनिक परिवर्तन है।
(ख) पत्तियों से खाद का बनना एक भौतिक परिवर्तन है।
(ग) जस्ता लेपित लोहे के पाइपों में आसानी से जंग नहीं लगती
(घ) मैग्नीशियम के फीते को मोमबती की लौह ने पास ले जाने पर यह चमकदार श्वेत प्रकाश के साथ जलने लगती है।
(च) मैग्नीशियम ऑक्साइड के जलीय विलयन अम्लीय होता है।
उत्तर:
(क) असत्य
(ख) असत्य
(ग) सत्य
(घ) सत्य
(च) असत्य।

Bihar Board Class 7 Science Book प्रश्न 4.
‘क्या होता है जब –
उत्तर:
(क) सिरका में इनो डालते हैं तो कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य पदार्थ प्राप्त होते हैं।
(ख) नीला थोथा के विलयन में ब्लेड डाला। नीला थोला में ब्लंड या आयरन डालने पर आयरन सल्फेट का हग चिन्नयन और कॉपर का भूरा अवक्षेप प्राप्त होता है।
(ग) लोहे कं तावा को नमी युक्त वायु में रावते हैं । लाह को नगी युमा वायु में रखते हैं तो लौह ऑक्साइड बनना है जिसे जंग कहते हैं।
(घ) पाटाशियम परमैगनेट का गर्म करनं हैं तो ऑक्सीजन गंस और अन्य पदार्थ बनते हैं।

Bihar Board Class 7 Science प्रश्न 5.
भौतिक परिवर्तन एवं रासायनिक परिवर्तन में अन्तर बतावें । प्रत्येक के लिए एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
भौतिक परिवर्तन में पदार्थों के भौतिक गुण रंग, आकार और अवस्था में परिवर्तन हाता है। नये पदार्थ नहीं बनत, उत्क्रमणीय परिवतन हाते हैं।
जैसे – स्वर बैंड का खीचना ।

रासायनिक परिवर्तन में दो या दो से अधिक पदार्थ आपस में अभिक्रिया कर नये पदार्थ की रचना करना है। जैसे—हाइड्रोजन गैस ऑक्सीजन गैस के साथ मिलकर जल का निर्माण करते हैं।

Class 7 Science Bihar Board प्रश्न 6.
जंग लगने के लिए आवश्यक कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
जंग लगने के लिए ऑक्सीजन और जलवाष्प होना आवश्यक है।

Bihar Board Class 7 Science Book Solutions प्रश्न 7.
जंग लगने से कैसे रोका जाता है ?
उत्तर:
जंग लगने से बचाने के लिए पदार्थ पर पेंट ग्रीज की परत या क्रोमियम अथवा जस्ता का लेप चढ़ाया जाता है।

Bihar Board 7th Class Science Book प्रश्न 8.
कार्बन डाइऑक्साइड गैस कैसे उत्पन्न होता है? किसी तीन विधियों का वर्णन करें तथा इनके गुणों को बताएँ।
उत्तर:
जीव-जन्तु के श्वसन प्रक्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न होता है। जब चारकोल को ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलाते हैं तो कार्बन डाइऑक्साइड बनता है। कैल्शियम कार्बोनेट को गर्म करने पर कार्बन डाइऑक्साइड बनता है। खाने वाले सोडा को नींबू के रस के साथ अभिक्रिया कराई जाती है तो CO2 गैस बनता है।

‘यह हवा से भारी है, पौधों को श्वसन क्रिया में, चूने जल को दुधिया बनाने में तथा चूना पत्थर बनाने में होता है।

Bihar Board Class 7th Science Solution प्रश्न 9.
रवाकरण से क्या समझते हैं। कॉपर सल्फेट का रवा कैसे प्राप्त किया जाता है?
उत्तर:
किसी विलयन से पदार्थ के शुद्ध और बड़ी आकार के रवा प्राप्त करने की विधि को रवाकरण कहते हैं। जैसे—समुद्र के जल का वाष्पण के फलस्वरूप नमक का रवा प्राप्त होता है।

एक बीकर में जल लेते हैं उसमें एक दो बूंद तनु सल्फ्युरिक अम्ल डालते हैं और फिर गर्म करते हैं। जब जल उबलना शुरू हो जाए तो उसमें कॉपर सल्फेट के चूर्ण डालते हैं और चलाते हैं जब तक कॉपर सल्फेट घुले थोड़ा-थोड़ा चूर्ण डालते हैं। घुलना बंद होने पर, फिल्टर पेपर से छान लेते हैं। ठंडा होने के थोड़ी बाद कॉपर सल्फेट के रवा प्राप्त होता है।

Bihar Board Solution Class 7 Science प्रश्न 10.
ऑक्सीजन गैस बनाने की विधि का वर्णन करें तथा इसके गुणों का वर्णन करें।
उत्तर:
एक जार, पुदीने के हरे पौधे और जलती हुयी मोमबती लेते हैं। जलती हुई मोमबत्ती और पुदीने के पौधे को एक साथ जार से ढंक देते हैं। थोड़ी देर बाद जार को हटाते हैं तो मोमबत्ती जलती रहती है। अकेले जलती मोमबत्ती के जार से ढंकने पर वह बुझ जाती है। अतः स्पष्ट है कि मोमबती के जलने से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड गैस को पदीने के हरी पत्तियाँ शद्ध करती हैं और ऑक्सीजन गैस प्रदान करती है जो लौ को जलने में रसायन प्रदान करती है। अतः हम पाते हैं कि पौधे ऑक्सीजन गैस प्रदान करते हैं। प्रयोगशाला में पोटैशियम परमैंगनेट को गर्म करने पर ऑक्सीजन गैस प्राप्त होता है।

एक शीशी या परखनली लेते हैं उसमें पोटैशियम परमैग्नेट के टुकड़े लेते हैं। एक निकास नली लगाकर कॉर्क से बंद कर देते हैं। निकास नली का संबंध उल्टे भरे हुए शीशी से रहता है जैसा कि चित्र में दिखलाया गया है।

अब पोटैशियम परमैंग्नेट वाले शीशी को गर्म करते हैं। ऑक्सीजन गैस बनती है और निकास नली होते हुए उल्टे शीशी में बुलबुले के रूप में ऊपर जमा होती है।

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Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 5 पदार्थ में रासायनिक परिवर्तन 2

यह जीव-जन्तुओं की श्वसन क्रिया, ईंधन को जलाने में सहायक होता।

Class 7 Bihar Board Science Solution प्रश्न 11.
यूरिया के रवे कैसे प्राप्त किया जाता है, वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यूरिया के लवणों को गर्म करते हैं तबतक गर्म करते हैं जब तक चिपचिपा न हो जाए। अब बालु के छोटे-छोटे कण डालते हैं। थोड़ी देर ठंडा होने के लिए छोड़ देते हैं तो हम पाते हैं कि उजले-उजले दाने बन जाते हैं। अतः यूरिया का रवाकरण प्राप्त हो जाता है।

Bihar Board 7th Class Science Solution प्रश्न 12.
समझाइए कि रेगिस्तानी क्षेत्रों की अपेक्षा समुद्र तटीय क्षेत्रों में लोहे की वस्तुओं में जंग अधिक क्यों लगती है ?
उत्तर:
रेगिस्तानी क्षेत्रों में गर्मी अधिक पड़ती है। हवा शुष्क होती है। शुष्क हवा के साथ लोहे में जंग लगने की प्रक्रिया धीमी होती है। जबकि समुद्र तटीय क्षेत्रों में, हवा में नमी रहती हैं और लोहा नमी युक्त हवा के साथ तेजी से अभिक्रिया करता है और आयरन ऑक्साइड बनाता है। अर्थात् जंग लगता है।

Bihar Board Class 7 Science Chapter 1 प्रश्न 13.
आप कैसे दिखाएंगे कि दही का जमा एक रासायनिक आभक्रिया
उत्तर:
दही बैक्टीरिया के कारण जमता है जब दूध में बैक्टीरिया जाती है तो वह जम जाता है। दूध अपना गुण खो देता है। दही से पुनः दूध की प्राप्ति नहीं करते हैं। दही को कुछ दिनों तक छोड़ देते हैं तो उससे गैस निकलती है। गैस निकलना रंग में परिवर्तन होना सूचित करता है कि दही का जमना एक रासायनिक अभिक्रिया है।

Bihar Board Class 7 Science पदार्थ में रासायनिक परिवर्तन Notes

पदार्थों में परिवर्तन होता है। जैसे दूध से दही बनना। दूध का फटना और खट्टा होना । लोहा में जंग लगना । कुछ ऐसे परिवर्तन होते हैं नया पदार्थ बनते हैं। विलयन में रंग परिवर्तन होता है। परिवर्तन दो प्रकार के होते हैं। भौतिक परिवर्तन और रसायनिक परिवर्तन । भौतिक परिवर्तन में कोई नया पदार्थ नहीं बनत, रंग, गंध और अवस्था में परिवर्तन होता है। ये परिवर्तन उत्क्रमणीय हो सकता है । रसायनिक परिवर्तन में नए पदार्थ बनता है। दो या दो से अधिक आपस में अभिक्रिया के बाद नया पदार्थ अर्थात् परिवर्तन होता है एसे परिवर्तन को रसायनिक अभिक्रिया कहते हैं। परिवर्तन को अभिक्रिया के रूप में व्यक्त करते हैं। जब कॉपर सल्फेट के विलयन को लोहा के साथ प्रतिक्रिया करायी जाती है तो आयरन सल्फेट का विलयन और कॉपर का अवक्षेप प्राप्त होता है। इसे अभिक्रिया के रूप में इस प्रकार लिखते हैं।

Bihar Board Class 7 Science Book Solution

CusO4 और Fe को प्रतिकारक या अभिकारक कहते हैं।

FeSO4 और Cu को प्रतिफल अभिकारक और प्रतिफल के बीच → चिह्न द्वारा अलग करते हैं।

कार्बन डाइऑक्साइड गैस का सूत्र CO2 है। 1630 ई. में जॉन हैल्मॉन्ट ने इस गैस की खोज की। इन्होंने एक बंद बर्तन में चारकोल को जलाया जब चारकोल जलकर राख हो गया और राख का द्रव्यमान मालूम किया तो पाया किं चारकोल के द्रव्यमान से कम है। द्रव्यमान में कभी एक अदृश्य पदार्थ के रूप में जिसका नाम ‘गैस’ दिया।

जोसेफ ब्लैक (1756) में कार्बन डाइऑक्साइड के गुणों का अध्ययन किया। जब चूना पत्थर को गर्म किया तो गैस निकलती हैं इस गैस को फिक्सड-एयर कहा। यह हवा से भारी है। यह गैस ज्वलन अथवा जीवन में मदद नहीं करता। जब चूना जल में CO2 डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित किया जाता है तो चूना जल दुधिया हो जाता है यह गैस जीवों के श्वसन क्रिया और सूक्ष्मजीवों द्वारा किण्वन के द्वारा बनती है।

ऑक्सीजन गैस का सूत्र O2 है। इसकी खोज जोसेफ पिस्टले ने की थी। जलती हुई मोमबती को ढंककर रख दिया, थोड़ी देर बाद बझ गई। जीवों के साथ प्रयोग किया तो जीव की मृत्यु हो गई।

प्रिस्टले ने जार में पुदीने की हरी टहनी रखकर मोमबती को जलाया तो पाया कि मोमबती नहीं बुझती है। इसका निष्कर्ष निकाला कि मोमबती के जलने से जो ऑक्सीजन खत्म हो गई थी, पुदीने ने उसे शुद्ध कर दिया। पुदीने की टहनी कार्बन डाइऑक्साइड को ग्रहण किया और ऑक्सीजन पैदा किया । प्रयोगशाला में पोटैशियम परमैंगनेट को गर्म करने पर ऑक्सीजन गैस बनता है। हाइड्रोजन को हवा (ऑक्सीजन) के साथ जलने पर जल बनता है।

जब दो विलयन को आपस में मिलाते हैं तो ठोस के रूप में नये पदार्थ प्राप्त होते हैं। इस ठोस पदार्थ को अवक्षेप कहते हैं और इस क्रिया को अवक्षेपण कहते हैं। जैसे कॉपर सल्फेट को चूना जल के साथ गर्म करते हैं तो कॉपर हाइड्रोक्साइड का उजला अवक्षेप और कैल्सियम सल्फेट का हल्का नीला अवक्षेप प्राप्त होता है।

Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 5 पदार्थ में रासायनिक परिवर्तन 4

और प्राप्त अवक्षेप को और गर्म करते हैं तो कॉपर ऑक्साइड का काला अवक्षेप प्राप्त होता है।

Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 5 पदार्थ में रासायनिक परिवर्तन 5

राणयनिक परिवर्तन में नये पदार्थ के बनने के साथ कुछ और परिवर्तन होते हैं। जैसे-ऊष्मा, प्रकाश का अवशोषण या निष्कासन होता है। ध्वनि उत्पन्न होता है। रंग और गंध में परिवर्तन होता है। गैस बनती है।

लोहे में जंग लगना, इंधन का जलती, पटाखों का फटना, भोजन सामग्री का सइना, गलना, सब्जी के काटने के बाद रंग परिवर्तन होना, ये रासायनिक परिवर्तन हैं। लोहे में जंग लगने से बचाने के लिए लोहे पर पेंट, ग्रीज की परत चढ़ाकर या कामियम और जस्ता का लेप लगाकर लोहे में जंग लगने से बचाया जा सकता है। स्टेनलेस स्टील लाहे में कार्बन और क्रोमियम, निकल तथा मैग्नीज धातुओं को मिलाकर बनाया जाता है जिसमें जंग नहीं लगता है। इसे मिश्र धातु कहते हैं। जब समुद्र का पानी गड्ढे में एकत्रित होता है और उसका वाप्यण होता है तो छोटे-छोटे रवे प्राप्त होते हैं जिसे रवाकरण कहते हैं।

जल तीन अवस्था में पाया जाता है। टांस, द्रव और गैस ।

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 3 अस्माकं देश:

 

Bihar Board Class 8 Sanskrit Book Solutions Amrita Bhag 3 Chapter 3 अस्माकं देश: Text Book Questions and Answers, Summary.

BSEB Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 3 अस्माकं देश:

Bihar Board Class 8 Sanskrit 3 अस्माकं देश: Text Book Questions and Answers

उत्तरं यत् समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम् ।
वर्ष तद् भारतं प्राहुः भारती यत्र सन्नतिः ॥

अर्थ – जो समुद्र के उत्तर और हिमालय से दक्षिण का भू-भाग है वह देश भारत कहलाता है। यहाँ की संतान भारतीय कहलाते हैं।

अस्माकं देश: भारतवर्षमिति कथ्यते । प्राचीनकालात् अस्य देशस्य प्राकृतिकी समृद्धिः साहित्यिक योगदानं, सांस्कृतिक वैभवं च आश्चर्यकरं बभूव । अत्रैव वेदानाम् आविर्भावः सप्तसिन्धुप्रदेशे जातः, यत्र भौतिकम् आध्यात्मिकं च चिन्तनम् अद्भुतम् आसीत् । उत्तरभारते महाकाव्यानां पुराणानां शास्त्राणां च व्यापकता दक्षिणदेशभागमपि स्वप्रकाशे आनयत् ।

तत्रापि शिलप्पदिकारम्-प्रभृतयः ग्रन्थाः प्राचीनकालतः एव तमिलसाहित्यस्य गौरवं वर्धितवन्तः । सम्पूर्णस्य भारतस्य सांस्कृतिके एकत्वे पुराणानां . योदानम् अविस्मरणीयम् । इदानीं भारतस्य जने-जने धर्मस्थलानां तीर्थयात्रार्थ योऽभिनिवेशः दृश्यते स नूनं पुराणसाहित्यकृतम् । दक्षिणस्य निवासी बदरीकेदारयात्रां करोति, उत्तररस्य निवासी रामेश्वर कन्याकुमारीतीर्थं च गन्तुमिच्छति । एवमेव द्वारिकाकामाख्यादिषु स्थलेषु गच्छन्ति तीर्थयात्रिकाः

अर्थ – हमारा देश भारतवर्ष कहलाता है। प्राचीनकाल से ही इस देश की प्राकृतिक सम्पन्नता, साहित्यिक योगदान और सांस्कृतिक सम्पन्नता आश्चर्य पैदा करने वाला है। यहाँ ही वेदों की उत्पत्ति सात नदियों (सिन्धु, झेलम, चेनाब, रावी, व्यास, सतलज और सरस्वती) वाला प्रदेश में हुई ।

जहाँ की भौतिक और आध्यात्मिक चिन्तन अद्भुत था। उत्तर भारत में महाकाव्यों का, पुराणों का और शास्त्रों की व्यापकता दक्षिणदेश के भाग को भी अपने प्रकाश में लाया । वहाँ भी “शिलप्पदिकारम्” (तमिल भाषा का एक महाकाव्य का नाम है) आदि अनेक ग्रन्थ प्राचीनकाल से ही तमिल साहित्य के गौरव को बढ़ा रहा है। सम्पूर्ण भारत को सांस्कृतिक एकता प्रदान करने में पुराणों का योगदान नहीं भुलाने योग्य है। इस समय भारत के लोगों में धर्मस्थलों या तीर्थ यात्रा

के प्रति जो लगाव देखा जाता है वह निश्चित रूप से पुराण-साहित्यों की देन ‘ है। दक्षिण के निवासी बदरीनाथ और केदारनाथ की यात्रा करते हैं तो उत्तर,

के निवासी रामेश्वरम् और कन्याकुमारी तीर्थ जाना चाहते हैं। उसी प्रकार द्वारिका, कामाख्या आदि स्थानों में तीर्थयात्री जाते हैं।

अस्य देशस्य नद्यः पुण्यतोयाः मन्यन्ते, पर्वताः पवित्राः कथ्यन्ते, वृक्षाः पूज्यन्ते । प्रकृति प्रति भारतीयानाम् आश्चर्यकरम् आकर्षणमासीत् । पूजनीयत्वात् प्रकृतेः प्रदूषणं पापं मन्यते स्म । अत एवं पर्यावरणस्य कापि समस्या अत्र नासीत् ।।

अर्थ – इस देश की नदियों को पवित्र जलवाली मानी जाती है। यहाँ के पर्वतों को पवित्र कहा जाता है। यहाँ के वृक्ष पूजे जाते हैं। प्रकृति के प्रति भारतीयों का आकर्षण आश्चर्य पैदा करने वाला था। पूजनीय होने के कारण प्रकृति को प्रदूषित करना पाप माना जाता था। इसीलिए पर्यावरण की कोई भी समस्या यहाँ नहीं थी। ..

अस्मिन् देशे विज्ञानस्यापि महती प्रतिष्ठा आसीत् । वास्तुशिल्पिन: ‘विशालानि मन्दिराणि निर्मान्ति स्म । भवनानि भव्यानि क्रियन्ते स्म ।

आकाशपिण्डानि ज्योतिर्विद्भिः अधीयन्ते स्म । अत्र चिकित्साशास्त्रमपि प्रगतिशीलम् । गणितशास्त्रे शून्यस्य कल्पना भारतेन कृता येन दशमलव-गणना प्रभारत, अन्यदेशेष्वपि गता।

अर्थ – इस देश में विज्ञान की भी बहुत बड़ी प्रतिष्ठा थी । वास्तु और शिल्पकार लोग बड़े-बड़े मंदिरों का निर्माण करते थे। सुन्दर-सुन्दर भवन बनाये जाते थे। आकाशीय ग्रहपिण्डों की ज्योतिषियों के द्वारा अध्ययन किये जाते थे। यहाँ के चिकित्सा शास्त्र भी प्रगतिशील थे। गणितशास्त्र में शून्य की कल्पना भारत के द्वारा ही किया गया जिससे दशमलव की गणना का प्रारम्भ हुआ और अन्य देशों में भी गया।

भारतस्य प्राचीन गौरवं मध्यकाले किञ्चित् तिरोहितं पराधीनतया किन्तु सम्प्रति शिक्षिताः सन्तः जनाः आधुनिके विज्ञानेऽपि प्रतिभां दर्शयन्ति। सी० वी० रमण-जगदीशचन्द्र बसु-मेघनाथसाहा-होमी जहांगीर भाभा-विक्रम साराभाई प्रभृतयः वैज्ञानिकाः आधुनिकभारतस्य गौरववर्धकाः । एवं महात्मा गाँधीसदृशः कर्मवीरः, रवीन्द्रनाथठाकुरसदृशः साहित्यकार: अरविन्दसदृशः दार्शनिकः, राधाकृष्णन्सदृशः शिक्षकः राजेन्द्रप्रसादसदृशः स्थितप्रज्ञः इत्यादयः वर्तमानभारतस्य गौरवरूपाः नेतारः सन्ति

अर्थ – भारत का प्राचीन गौरव मध्यकाल में पराधीन (गुलाम) होने के कारण कुछ लुप्त जैसा हो गया। किन्तु वर्तमान में कुछ शिक्षित लोग हैं जो . आधुनिक विज्ञान में भी अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं। सी० वी० रमण, ‘जगदीशचन्द्र बसु, मेघनाथ साह, होमी जहांगीर भाभा, विक्रम साराभाई इत्यादि

वैज्ञानिक लोग आधुनिक भारत के गौरव को बढ़ाने वाले हैं। उसी प्रकार महात्मा गाँधी जैसे कर्मवीर, रवीन्द्रनाथ ठाकुर जैसे साहित्यकार अरविन्द जैसे दार्शनिक, राधाकृष्णन जैसे शिक्षक, राजेन्द्र प्रसाद जैसे स्थिर बुद्धि वाले इत्यादि लोग वर्तमान भारत के प्रतिष्ठित नेता लोग हैं।

सम्प्रति देशस्य विकासः सार्वत्रिकः वर्तते । कृषिक्षेत्रे नवीनाः प्रयोगाः, संचारसाधनानि उत्कृष्टानि अन्तरिक्षक्षेत्रेऽपि विशिष्टं योगदानं स्वास्थ्यं प्रति जनजागरणं, चिकित्सासुविधानां वृद्धिः सर्वशिक्षाभियानम् इत्यादीनि उल्लेखनीयानि सन्ति । सर्वथापि देशः संसारस्य अग्रगण्येषु गणनीयो वर्तते।

अर्थ – आजकल देश का विकास सभी क्षेत्रों में हो रहा है। कृषि क्षेत्र में नये-नये प्रयोग, उत्तम संचार साधन अन्तरिक्ष क्षेत्र में भी विशिष्ट योगदान, स्वास्थ्य के प्रति जन-जागरण, चिकित्सा सुविधाओं की वृद्धि, सर्वशिक्षा अभियान इत्यादि उल्लेखनीय हैं। सब प्रकार हमारे देश को संसार के अग्रगणियों में गिना जाएगा।

शब्दार्थ

उत्तरम् = उत्तर दिशा में । यत् = जो । समुद्रस्य = समुद्र का/के/की । हिमाद्रेः = हिमालय के । दक्षिणम् = दक्षिण दिशा में । वर्षम् = देश, वर्ष, वृष्टि । भारतम् = भारत (नामक देश)। प्राहुः = कहते हैं। भारती = भारतीय । यत्र = जहाँ । संततिः = संतान । अस्माकम् = हमारा, हमलोगों का । इति = ऐसा । कथ्यते = कहा जाता है। प्राचीनकालात् = प्राचीन काल से । अस्य = इसका । प्राकृतिकी = प्राकृतिक । समृद्धिः = सम्पन्नता । साहित्यिकम् = साहित्य सम्बन्धी । सांस्कृतिकम् = सांस्कृतिक, संस्कृति से सम्बन्धित । वैभवम् = समृद्धि, सम्पन्नता । आश्चर्यकरम् = आश्चर्य उत्पन्न करने वाला । बभूव = था/हुआ । अत्रैव (अत्र + एव) = यहीं । वेदानाम् = वेदों का । आविर्भावः = जन्म, उत्पत्ति । सप्तसिन्धुप्रदेशे = सप्तसैन्धव क्षेत्र में (सिन्ध. सेलम, चेनाब, रावी, व्यास, सतलज व घग्घर (सरस्वती) सात

नदियों वाला क्षेत्र) । जातः = हुआ। भौतिकम् = भौतिक, सांसारिक । आध्यात्मिकम् = आध्यात्मिक (आत्मा से सम्बन्धित)। चिन्तनम् = चिन्तन, मनन । अद्भुतम् = अद्भुत (जो आज से पहले न देखा गया हो)। उत्तरभारते = उत्तर भारत में । महाकाव्यानाम् = महाकाव्यों का । पुराणानाम् = पुराणों का । शास्त्राणाम् = शास्त्रों का । व्यापकता = विस्तार । दक्षिणम् = दक्षिण को । देशभागमपि (देशभागम् + अपि) = देश के भाग को भी। स्वप्रकाशे = अपने प्रकाश में । आनयत् = लाया । तत्रापि (तत्र + अपि) = वहीं। शिलप्पदिकारम् = शिलप्पदिकारम् (तमिल साहित्य का एक महाकाव्य) । प्रभृतयः = इत्यादि । प्राचीनकालतः = प्राचीन काल से । तमिलसाहित्यस्य = तमिल साहित्य का । गौरवम् = गौरव को । वर्धितवन्तः = बढ़ाये हुए हैं। सम्पूर्णस्य = सम्पूर्ण का, समस्त का । भारतस्य = भारत’

का । सांस्कृतिके = सांस्कृतिक में । एकत्वे = एकता में । अविस्मरणीयम् = नहीं भुलाये जाने योग्य (है) । इदानीम् = इस समय । जने-जने = जन-जन में, लोगों में । धर्मस्थलानाम् = धर्म स्थलों का/की/के । तीर्थयात्रार्थम् = तीर्थ यात्रा के लिए । योऽभिनिवेश: (यः + अभिनिवेशः) = जो लगाव । दृश्यते = देखा जाता है। नूनम् = निश्चित रूप से । पुराणसाहित्यकृतम् = पुराण-साहित्य के द्वारा किया गया । दक्षिणस्य निवासी = दक्षिण (भारत) के रहनेवाले । बदरीकेदारयात्राम् = बद्री (नाथ) और केदार (नाथ) की यात्रा (को) । करोति = करता है। उत्तरस्य = उत्तर का। रामेश्वरं कन्याकुमारी तीर्थं च = रामेश्वर और कन्याकुमारी तीर्थ (को) । गन्तुमिच्छति (गन्तुम् + इच्छति) = जाना चाहता है। एवमेव (एवम् + एव) = उसी प्रकार ।

द्वारिकाकामाख्यादिषु = द्वारिका, कामाख्या आदि में । स्थलेषु = स्थलों में/पर । तीर्थयात्रिकाः = तीर्थयात्री । नद्यः = नदियाँ । पुण्यतोयाः = पवित्र जलवाली । मन्यन्ते = माने जाते हैं, मानी जाती हैं । कथ्यन्ते = कहे जाते हैं। पूज्यन्ते = पूजे जाते हैं। प्रकृति प्रति = प्रकृति के प्रति । भारतीयानाम् = भारतीयों का । आकर्षणमासीत् ( आकर्षणम् + आमीत्) = आकर्षण था। पूजनीयत्वात् = पूज्य होने (के कारण) से । प्रकृतेः = प्रकृति का । प्रदूषणम् = प्रदूषण । मन्यते स्म = माना जाता था। अतएव = इसीलिए । पर्यावरणस्य = पर्यावरण की। कापि = कोई भी। अत्र = यहाँ । नासीत् (न + आसीत्) = नहीं था। अस्मिन् देशे = इस देश में। विज्ञानस्यापि (विज्ञानस्य + अपि) = विज्ञान का भी।

महती = बड़ी । प्रतिष्ठा = इज्जत, सम्मान । वास्तुशिल्पिनः = वास्तुकार-शिल्पकार (भवन का नक्शा बनानेकाले)। विशालानि मन्दिराणि = बड़े मन्दिरों को। निर्मान्ति स्म = बनाते थे। भवनानि = भवन, मकान । भव्यानि = भव्य, सुन्दर, आकर्षक । क्रियन्ते स्म = बनाये जाते थे। आकाशपिण्डानि = आकाशीय पिण्डों (ग्रह, उपग्रह, नक्षत्रादि) को । ज्योतिर्विद्भिः = ज्योतिषियों के द्वारा । अधीयन्ते स्म = अध्ययन किये जाते थे। चिकित्साशास्त्रमपि (चिकित्साशास्त्रम् + अपि) = चिकित्सा शास्त्र भी । प्रगतिशीलम् = प्रगतिशील, लगातार आगे बढ़नेवाला। गणितशास्त्रे = गणितशास्त्र में ।

शून्यस्य = शून्य की, (का, के) । भारतेन = भारत के द्वारा । कृता = किया गया । येन = जिससे । दशमलवगणना = दशमलव की गणना (गिनती)। प्रारभत = आरम्भ हुआ। अन्यदेशेष्वपि (अन्यदेशेषु + अपि) = दूसरे देशों में भी। गता = गयी। किञ्चित् = कुछ । तिरोहितम् = लुप्त, गायब । पराधीनतया = पराधीनता से, गुलामी से, दूसरे के अधीन रहने से । सम्प्रति = इस समय । शिक्षिताः = शिक्षित, पढ़े-लिखे लोग । सन्तः = होते हुए । आधुनिके = आधुनिक में, आज के समय में । विज्ञानेपि (विज्ञाने + अपि) = विज्ञान में भी। प्रतिभाम् = प्रतिभा को । दर्शयन्ति = दिखाते हैं । आधुनिकभारतस्य = आधुनिक भारत के। गौरववर्धकाः = गौरव, प्रतिष्ठा, सम्मान बढ़ानेवाले । सदृशः = (के) समान । स्थितप्रज्ञः = जिसने आत्मतत्त्व को जानकर स्थिरता प्राप्त कर ली है (समसुखदु:ख) । इत्यादय = इत्यादि।

वर्तमानभारतस्य = वर्तमान भारत के । गौरवरूपाः = गौरवरूप, प्रतिष्ठापूर्ण । नेतारः = नेता (बहुवचन)। सार्वत्रिकः = सभी क्षेत्रों वाला । कृषिक्षेत्रे = कृषि क्षेत्र में । नवीनाः प्रयोगाः = नये प्रयोग । संचारसाधनानि = संचार के साधन – (यथा-दूरभाष, वायुयान इत्यादि)। उत्कृष्टानि = उत्तम । अन्तरिक्षक्षेत्रेऽपि (अन्तरिक्षक्षेत्रे + अपि) = अन्तरिक्ष क्षेत्र में भी । विशिष्टम् = विशेष । स्वास्थ्यं प्रति = स्वास्थ्य के प्रति । जनजागरणम् = जन-जागरूकता । चिकित्सासुविधानां = चिकित्सा सुविधाओं को । वृद्धिः = बढ़ोत्तरी । सर्वशिक्षाभियानम् = विद्यालयी शिक्षा के क्षेत्र में उत्थान के लिए चलाया गया कार्यक्रम । इत्यादीनि = इत्यादि । उल्लेखनीयानि = उल्लेखनीय । सर्वथापि (सर्वथा + अपि) = सभी प्रकार से । अग्रगण्येषु = अग्रगण्यों में । गणनीयः = गणना-योग्य

व्याकरणम्

सन्धि-विच्छेद

हिमाद्रेश्चैव = हिमाद्रेः + च + एव (विसर्ग सन्धि, वृद्धि सन्धि)। अत्रैव = अत्र + एव (वृद्धि सन्धि)। योऽभिनिवेशः = यः + अभिनिवेशः । नासीत् = न + आसीत् (दीर्घ सन्धि) । अन्यदेशेष्वपि = अन्यदेशेषु + अपि (यण् सन्धि) । विज्ञानेऽपि = विज्ञाने + अपि (पूर्वरूप सन्धि) । अन्तरिक्षक्षेत्रेऽपि = अन्तरिक्षक्षेत्रे + अपि (पूर्वरूप सन्धि) । सर्वथापि = सर्वथा + अपि (दीर्घ सन्धि )।

प्रकृति-प्रत्यय-विभाग: प

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solution

Bihar Board Class 8 Sanskrit Book Solution

अभ्यास

मौखिक

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solution प्रश्न 1.
अधोलिखितानां पदानाम् उच्चारणं कुरुत:
उत्तरम्:
हिमाद्रेश्च, प्राहुः, साहित्यिकम्, आविर्भावः, शिलप्पदिकारम् अविस्मरणीयम्, योऽभिनिवेशः, द्वारिकाकामाख्यादिषु, पुण्यतोयाः, वास्तुशिल्पिनः, ज्योतिर्विद्भिः, चिकित्साशास्त्रम्, अन्तरिक्षक्षेत्रेऽपि, अग्रगण्येषु ।

Bihar Board Class 8 Sanskrit Book Solution प्रश्न 2.
निम्नलिखितानां पदानाम् अर्थं वदत :
उत्तरम्:
अस्माकम् = हमारे । प्राचीनकालात् = प्राचीन काल से । समृद्धिः = उन्नति । वेदानाम् = वेदों का । आध्यात्मिकम् = आध्यात्मिक । वर्धितवन्तः = बढ़ा रहा है। अविस्मरणीयम् = नहीं भूलाने योग्य । इदानीम् = इस समय । अभिनिवेशः = लगाव (प्रेम) । गन्तुमिच्छति = जाना चाहता है। पुण्यतोयाः = पवित्र जल वाली । मन्यन्ते = मानी जाती हैं। पूजनीयत्वात् – पूजनीय होने के कारण। प्रदूषणम् = गन्दगी। आकाशपिण्डानि = आकाशीय पिण्डों को । ज्योतिर्विद्भिः = ज्योतिषियों के द्वारा । अन्यदेशेष्वपि = अन्य देशों में भी । तिरोहितम् = ह्रास । स्थितप्रज्ञः = स्थिर बुद्धि वाला (सुख-दु:ख में समान रहने वाला) । सार्वत्रिकः = सब प्रकार से। संचार साधनानि = संचार के साधन (दूरसंचार, यातायात के साधन)। जन जागरणम् = लोगों का जागरूक होना । सर्वशिक्षाभियानम् = सर्व शिक्षा अभियान । सर्वथापि = सभी प्रकार से । गणनीयः = गिनने योग्य।

Bihar Board Solution Class 8 Sanskrit प्रश्न 3.
भारतवर्षस्य विषये दश वाक्यानि स्व मातृभाषायां वदत् ।
(भारत देश पर दस वाक्य में अपनी मातृभाषा (हिन्दी) में लिखें।)
उत्तरम्:
हमारा भारत महान है। इस देश का इतिहास गौरवपूर्ण है। यहाँ हिन्दू-मुस्लिम, सिख ईसाई सभी लोग प्रेम से रहते हैं। यह कृषि-प्रधान देश है।

भारत की भाषा हिन्दा । यहाँ गंगा-यमुना आदि नदियाँ बहती हैं। भारत के उत्तर में हिमालय, दक्षिण में समुद्र, पश्चिम में पाकिस्तान और पूर्व में बांग्लादेश है।

भारत में राम-कृष्ण-गाँधी जैसे अनेक महापुरुषं उत्पन्न हुए। भारत को आर्यावर्त, हिन्दुस्तान, इण्डिया इत्यादि नाम से भी लोग जानते हैं। भारत सभी क्षेत्रों में विकासशील है।

Bihar Board 8th Class Sanskrit Solution प्रश्न 4
अधोलिखिताना प्रश्नानाम् उत्तरम् एकपदेन लिखत

(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में लिखिए।)
प्रश्नोत्तरम् :

(क) अस्माकं देशः किं?
उत्तरम्:
भारतः।

(ख) भारतवर्षम् हिमालयस्य (हिमाद्रेः) कस्यां दिशायां वर्तते ?
उत्तरम्:
दक्षिणे।

(ग) भारतस्य दक्षिण दिशायां कः सागरः वर्तते ?
उत्तरम्:
हिन्दमहासागरः।

(घ) वेदानां आविर्भावः कस्मिन् प्रदेशे जातः ?
उत्तरम्:
सप्तसिन्धु प्रदेशे।

(ङ) लप्पदिकारम्” इति कस्याः भाषायाः महाकाव्यम् ।
उत्तरम्:
तमिलभाषायाः।

(च) कस्मात कारणात् प्रकृते प्रदूषणं पापं मन्यते स्म ?
उत्तरम्:
पूजनीयत्वात् ।

(छ) आकाश पिण्डानि कैः अधीयन्ते स्म ?
उत्तरम्:
ज्योतिर्विद्भिः।

(ज) गणितशास्त्रे शून्यस्य कल्पना केन कृता?
उत्तरम्:
भारतेन ।

Sanskrit Class 8 Bihar Board प्रश्न 5.
मेलनं कुरुत
(क) वेदाः – (1) तमिल महाकाव्यम्।
(ख) भारतवर्षम् – (2) भारतवर्षे
(ग) शिलप्पदिकारम् – (3) ऋक्-यजुः साम-अथर्व
(घ) शून्यस्य कल्पना – (4) राष्ट्रम्
(ङ) सी. वी. रमणः – (5) दार्शनिकः
(च) श्री अरविन्दः – (6) वैज्ञानिकः
(छ) सर्वशिक्षाभियानम् – (7) स्थितप्रज्ञः
(ज) श्री राजेन्द्र प्रसादः – (8) शैक्षिकोत्थान कार्यक्रमः। :
उत्तरम्:
(क) (3)
(ख) (4)
(ग) (1)
(घ) (2)
(ङ) (6)
(च) (5)
(छ) (8)
(ज) (7)

Class 8 Sanskrit Bihar Board प्रश्न 6.
कोष्ठात् पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत

(क) भारतवर्ष हिमालयस्य …………. दिशायां वर्तते । (उत्तर, दक्षिण)
(ख) ………. निवासी प्रार्येण बदरीकेदारयात्रां करोति । (उत्तरस्य/दक्षिणस्य)
(ग) भारतस्य गौरवं …………. काले किञ्चित् तिरोहितम् (प्राचीने/मध्ये)
(घ) डॉ. होमी जहाँगीर भाभा एकः ………….. आसीत् (वैज्ञानिक:/राजनीतिज्ञः)
(ङ) सम्प्रति राष्ट्रस्य विकासः ……………….. | (सार्वत्रिक:/एकाङ्गिकः)
उत्तरम्:
(क) उत्तर ।
(ख) दक्षिणस्य ।
(ग) मध्ये ।
(घ) वैज्ञानिकः ।
(ङ) सार्वत्रिकः।

अस्माकं भारत देश कीदृशः अस्ति Bihar Board प्रश्न 7.
निम्नलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तर पूर्ण वाक्येन लिखत

(क) अस्माकं देशः किं कथ्यते ?
उत्तरम्:
अस्माकं देश: भारतवर्षम् कथ्यते ।

(ख) वेदानाम् आविर्भावः कस्मिन प्रदेशे जातः ?
उत्तरम्:
वेदानाम् आविर्भावः सप्तसैन्धुप्रदेशे जातः।

(ग) वेदेषु किम् अद्भुतम् आसीत ?
उत्तरम्:
वेदेषु भौतिकम् आध्यात्मिकं च चिन्तनम् अद्भुतम् आसीत् ।

(घ) का प्रति भारतीयानाम् आश्चर्यकरम् आकर्षणमासीत् ?
उत्तरम्:
प्रकृति प्रति भारतीयानाम् आश्चर्यकरम् आकर्षणमासीत् ।

(ङ) भारतवर्षे के विशालानि मन्दिराणि निर्मान्ति स्म ?
उत्तरम्:
वास्तुशिल्पिन: विशालानि मन्दिराणि निर्मान्ति स्म ।।

(च) गणितशास्त्रे शून्यस्य कल्पना केन कृता?
उत्तरम्:
गणितशास्त्रे शून्यस्य कल्पना भारतेन कृता ।

Class 8 Sanskrit Chapter 3 प्रश्न 8.
निम्नलिखितानां पदानां बहुवचनं लिखत

प्रश्न – उत्तरम्

  1. कथ्यते – कथ्यन्ते
  2. आसीत् – आसन्
  3. वर्धितवान् – वधितवन्तः
  4. करोति – कुर्वन्ति
  5. इच्छति – इच्छन्ति
  6. मन्यते – मन्यन्ते
  7. अधीयते – अधियन्ते
  8. गतः – गताः
  9. दर्शयति – दर्शयन्ति ।
  10. सदृशः – सदृशाः
  11. वर्तते – वर्तन्ते ।

अस्माकं देश इन संस्कृत Bihar Board प्रश्न 9.
संस्कृते अनुवादं कुरुत

(क) हमारा देश ‘भारतवर्ष’ कहा जाता है।
उत्तरम्:
अस्माकं देशः ‘भारतवर्षम्’ कथ्यते ।

(ख) यहीं (अत्रैव) सप्तसैन्धव क्षेत्र में वेदों की उत्पत्ति हुई।
उत्तरम्:
अत्रैव सप्तसिन्धु क्षेत्रे वेदानां, उत्पत्तिः अभवत् ।

(ग) दक्षिण के निवासी प्रायः बद्रीकेदारनाथ की यात्रा करते हैं।
उत्तरम्:
दक्षिणस्य निवासिनः प्रायः बद्री केदारनास्य यात्रां कुर्वन्ति ।

(घ) उत्तर के निवासी रामेश्वर और कन्या कुमारी की यात्रा पर जाना चाहते हैं।
उत्तरम्:
उत्तरस्य निवासिनः रामेश्वरं कन्याकुमारी च यात्रायाम् गन्तुम् इच्छन्ति ।

(ङ) इस देश के पर्वत पवित्र कहे जाते हैं।
उत्तरम्:
अस्य देशस्य पर्वताः पवित्राः कथ्यन्ते ।

(च) इस देश में वृक्ष पूजे जाते हैं।
उत्तरम्:
अस्मिन् देशे वृक्षाः पूज्यन्ते ।

Sanskrit Class 8 Chapter 3 Bihar Board प्रश्न 10.
पदानि योजयित्वा लिखत

प्रश्न – उत्तरम्

  1. भारतवर्षम् + इति – भारतवर्षमिति
  2. देशभागम् + अपि – देशभागमपि
  3. गन्तुम् + इच्छति – गन्तुमिच्छति
  4. आकर्षणम् + आसीत् – आकर्षणमासीत्
  5. चिकित्साशास्त्रम् + अपि चिकित्साशास्त्रमपि

अस्माकं भारत देश कीदृश अस्ति Class 6 Bihar Board प्रश्न 11.
भिन्न प्रकृतिकं पदं चिनुत

(क) कथ्यते, नीयते, मन्यते, अमन्यत, क्रियते ।
उत्तरम्:
अमन्यत ।

(ख) देशः, ग्रन्थः, तीर्थयात्रिकः, जनः, लता।
उत्तरम्:
लता।

(ग) उत्तरम, दक्षिणम्, भारतवर्षम्, वृक्षः, प्रदूषणम् ।
उत्तरम्:
वृक्षः।

(घ) कन्या, कुमारी, नदी, विज्ञानम्, समस्या ।
उत्तरम्:
विज्ञानम् ।

प्रश्न 12.
अधोलिखितपदेषु प्रकृति-प्रत्ययविभागं कुरुत
यथा

  1. पदानि – प्रकृति + प्रत्ययः
  2. कथयितुम – कथ् + तुमुन्

उत्तरम्:
(क) पठितुम् – पठ् + तुमुन्
(ख) गन्तुम् – गम् + तुमुन् ।
(ग) हसितुम् – हस् + तुमुन्
(घ) द्रष्टुम् – दृश् + तुमुन्
(ङ) कर्तुम् – कृ + … तुमुन्

प्रश्न 13.
विशेष्य-विशेषणानाम् उचितं मेलनं कुरुत

विशेष्य-पदानि – विशेषण-पदानि
(क) चिन्तनम् – (1) पवित्राः
(ख) नद्यः – (2) महती
(ग) पर्वताः – (3) नवीनाः
(घ) प्रतिष्ठा – (4) पुण्यतोयाः
(ङ) प्रयोगाः (5) अद्भुतम्
उत्तरम्:
(क) – (5)
(ख) – (4)
(ग) – (1)
(घ) – (2)
(ङ) – (3)

Bihar Board Class 11 Political Science Solutions Chapter 10 संविधान का राजनीतिक दर्शन

Bihar Board Class 11 Political Science Solutions Chapter 10 संविधान का राजनीतिक दर्शन Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Political Science Solutions Chapter 10 संविधान का राजनीतिक दर्शन

Bihar Board Class 11 Political Science संविधान का राजनीतिक दर्शन Textbook Questions and Answers

संविधान का राजनीतिक दर्शन के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 1.
नीचे कुछ कानून दिए गए हैं। क्या इनका संबंध किसी मूल्य से है? यदि हाँ, तो वह अंतर्निहित मूल्य क्या है? कारण बताएँ।
(क) पुत्र और पुत्री दोनों का परिवार की संपत्ति में हिस्सा होगा।
(ख) अलग-अलग उपभोक्ता वस्तुओं के बिक्री-कर का सीमांकन अलग-अलग होगा।
(ग) किसी भी सरकारी विद्यालय में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जायगी।
(घ) ‘बेगार’ अथवा बंधुआ मजदूरी नहीं कराई जा सकती।
उत्तर:
(क) परिवार की नियुक्ति में पुत्री एवं पुत्र दोनों का बराबर हिस्सा होना सामाजिक मूल्य से सम्बन्धित है। ऐसा इसलिए है क्योंकि संविधान में स्त्री और पुरुष दोनों को समान अधिकार प्रदान किया गया है। यह एक लिंग-न्याय कहा जाएगा। सामाजिक न्याय का अर्थ है कि लिंग, जाति, नस्ल, धर्म अथवा क्षेत्र आदि के आधार पर कोई भेदभाव न हो। अतः पुत्री और पुत्र दोनों को समान हिस्सा दिया जाना सामाजिक न्याय के अन्तर्गत या लिंग न्याय की श्रेणी में रखा जायगा।
(ख) अलग-अलग उपभोक्ता वस्तुओं पर बिक्रीकर का सीमांकन अलग-अलग करना आर्थिक न्याय का उदाहरण है।
(ग) सरकारी स्कूलों में धार्मिक शिक्षा न दिया जाना, धर्म निरपेक्षता के मूल्य पर आधारित है।
(घ) किसी से बेगार न लेना और बन्धुआ मजदूरी का निषेध करना यह भी सामाजिक न्याय के मूल्य पर आधारित है। समाज में किसी भी वर्ग का शोषण नहीं किया जाना चाहिए।

संविधान का राजनीतिक दर्शन प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 2.
नीचे कुछ विकल्प दिए जा रहे हैं। बताएँ कि इसमें किसका इस्तेमाल निम्नलिखित कथन को पूरा करने में नहीं किया जा सकता? लोकतांत्रिक देश को संविधान की जरूरत …..
(क) सरकार की शक्तियों पर अंकुश रखने के लिए होती है।
(ख) अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों से सुरक्षा देने के लिए होती है।
(ग) औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता अर्जित करने के लिए होती है।
(घ) यह सुनिश्चित करने के लिए होती है कि क्षणिक आवेग में दूरगामी के लक्ष्यों से कहीं विचलित न हो जाएँ।
(ङ) शांतिपूर्ण ढंग से सामाजिक बदलाव लाने के लिए होती है।
उत्तर:
इस वाक्य को पूरा करने में तीसरा विकल्प  –
(ग) का प्रयोग नहीं किया जा सकता अर्थात् औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता अर्जित करने के लिए होती है, का प्रयोग नहीं किया जा सकता।

संविधान का राजनीतिक दर्शन पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 3.
संविधान सभा की बहसों को पढ़ने और समझने के बारे में नीचे कुछ कथन दिए गए हैं –

  1. इनमें से कौन-सा कथन इस बात की दलील है कि संविधान सभा की बहसें आज भी प्रासंगिक हैं? कौन-सा कथन यह तर्क प्रस्तुत करता है कि ये बहसें प्रासंगिक नहीं हैं?
  2. इनमें से किस पक्ष का आप समर्थन करेंगे और क्यों?

(क) आम जनता अपनी जीविका कमाने और जीवन की विभिन्न परेशानियों के निपटाने में व्यस्त होती हैं। आम जनता इन बहसों की कानूनी भाषा को नहीं समझ सकती।

(ख) आज की स्थितियाँ और चुनौतियाँ संविधान बनाने के वक्त की चुनौतियों और स्थितियों से अलग हैं। संविधान निर्माताओं के विचारों को पढ़ना और अपने नये जमाने में इस्तेमाल करना दरअसल अतीत को वर्तमान में खींच लाना है।

(ग) संसार और मौजूदा चुनौतियों को समझाने की हमारी दृष्टि पूर्णतया नहीं बदली है। संविधान सभा की बहसों से हमें यह समझने के तर्क मिल सकते हैं कि कुछ संवैधानिक व्यवहार क्यों महत्त्वपूर्ण हैं एक ऐसे समय में जब संवैधानिक व्यवहारों को चुनौती दी जा रही है, इन तर्कों को न जानना संवैधानिक-व्यवहारों को नष्ट कर सकता है।
उत्तर:
1.
(क) जब आम जनता अपने जीविकोपार्जन में व्यस्त रहती है तो यह कथन यह तर्क प्रस्तुत करता है कि ये बहसें प्रासंगिक नहीं हैं।
(ख) आज की स्थितियाँ और चुनौतियाँ संविधान बनाने के वक्त की चुनौतियों और स्थितियों से अलग हैं। यह तर्क भी प्रस्तुत करता है कि ये बहसें प्रासंगिक नहीं है।
(ग) यह कथन प्रस्तुत करता है कि बहसें प्रासंगिक हैं क्योंकि संसार और वर्तमान चुनौतियाँ पूर्णतया नहीं बदली हैं।

2.
(क) मैं इस बात से सहमत हूँ कि आम जनता अपनी जीविका कमाने में व्यस्त है।
(ख) मैं इस बात से सहमत हूँ क्योंकि आज की स्थितियाँ उस समय से अलग हैं। पिछले लगभग 56 वर्षों में 93 के लगभग संशोधन हो चुके हैं।
(ग) क्योंकि समस्त चुनौतियाँ और यह संसार पूर्णतया नहीं बदले अतः मैं इस बात से सहमत हूँ कि बहसें प्रासंगिक हैं।

संविधान का राजनीतिक दर्शन Class 11 प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रसंगों के आलोक में भारतीय संविधान और पश्चिमी अवधारणा में अंतर स्पष्ट करें –
(क) धर्मनिरपेक्षता की समझ
(ख) अनुच्छेद 370 और 371
(ग) सकारात्मक कार्य-योजना या अफरमेटिव एक्शन
(घ) सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार
उत्तर:
(क) धर्मनिरपेक्षता की समझ:
धर्म निरपेक्षता के मामले में भारतीय संविधान पश्चिमी अवधारणा से बिल्कुल भिन्न है। पश्चिमी अवधारणा में धर्म व्यक्ति की अपनी निजी धारणा है। राज्य उसमें किसी प्रकार का योगदान या हस्तक्षेप नहीं करता, परंतु भारतीय संविधान में सभी धर्मों को समान आदर दिया गया है।

(ख) अनुच्छेद 370 और 371:
अनुच्छेद 370 जम्मू और कश्मीर राज्य के सम्बन्ध में अस्थायी या संक्रमणकालीन व्यवस्था ही करता है। अनुच्छेद 371 उत्तर-पूर्व के राज्यों के लिए है। भारतीय संविधान और पाश्चात्य अवधारणा में यह अंतर है कि पाश्चात्य देशों में राज्यों के अपने अलग संविधान होते हैं परंतु भारतीय संविधान में राज्यों के अलग संविधान नहीं हैं, परंतु जम्मू और कश्मीर का 26 जनवरी, 1957 से अपना अलग संविधान भी है जिसमें जम्मू-कश्मीर राज्य के विशेष उपबंध हैं।

371 (a) नागालैण्ड राज्य के सम्बन्ध में विशेष उपबंध हैं
371 (b) असम के, 371
(c) मणिपुर, 371
(d) आन्ध्र प्रदेश, 371
(e) आन्ध्र प्रदेश में केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के
371 (f) सिक्किम राज्य के सम्बन्ध में विशेष उपबंध हैं 371
(g) मिजोरम, 371
(h) अरुणाचल प्रदेश

1. गोवा के सम्बन्ध में विशेष उपबंध हैं। इन राज्यों को छोड़कर पाश्चात्य धारणा और भारतीय संविधान में अंतर है परंतु 370 और 371 अनुच्छेदों वाले राज्यों पर केन्द्र का सीधा-नियंत्रण अथांत् उन राज्यों की सहमति के आधार पर संसद के नियमों को लागू कराया जा सकता है। एक सीमा तक ये प्रदेश स्वायत्तता का उपयोग कर सकते हैं जैसा कि पाश्चात्य धारणा में तो राज्यों की स्वायत्तता होती ही है।

(ग) सकारात्मक कार्ययोजना:
भारतीय संविधान और पाश्चात्य धारणा में सकारात्मक कार्ययोजना के सम्बन्ध में बड़ा अंतर है जैसा कि अमेरिका के संविधान में जहाँ संविधान 18 वीं शताब्दी में लिखा गया था उस समय के मूल्य और प्रतिमान आज इक्कीसवीं सदी में लागू करना भद्दा होगा परंतु भारतीय संविधान में निर्माताओं ने सकारात्मक कार्ययोजना हमारे मूल्यों, आदशौँ तथा विचारधारा के साथ संविधान का निर्माण किया।

भारतीय राजनीतिक दर्शन उदारवाद, लोकतंत्र समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और संघात्मकता तथा अन्य सभी धारणाओं जो भारतीय संस्कृति को प्रकट करती है, वसुधैव कुटुम्बकम अर्थात् सबको एक समान मानते हुए अल्पसंख्यकों का आदर करते हुए एक राष्ट्रीय पहचान बनाए रखते हुए भारतीय संविधान में रखा गया है परंतु पाश्चात्य विचारधारा में ऐसा नहीं होता।

(घ) सार्वभौम वयस्क मताधिकार:
पाश्चात्य अवधारणा में स्त्रियों को मताधिकार अभी हाल में दिया गया है जबकि संविधान निर्माण के समय नहीं दिया गया था परंतु भारतीय संविधान में सार्वभौम वयस्क मताधिकार (सभी स्त्री, पुरुष व नपुंसक को) दिया गया है।

संविधान का राजनीतिक दर्शन Class 11 Question Answer Bihar Board प्रश्न 5.
निम्नलिखित में धर्मनिरपेक्षता का कौन-सा सिद्धांत भारत के संविधान में अपनाया गया है?
(क) राज्य का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।
(ख) राज्य का धर्म से नजदीकी रिश्ता है।
(ग) राज्य धर्मों के बीच भेदभाव कर सकता है।
(घ) राज्य धार्मिक समूहों के अधिकार को मान्यता देगा।
(ङ) राज्य को धर्म के मामलों में हस्तक्षेप करने की सीमित शक्ति होंगी।
उत्तर:
भारतीय संविधान में धर्म-निरपेक्षता के निम्नलिखित सिद्धांत अपनाए गए हैं –
(क) राज्य का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।
(ख) राज्य धार्मिक समूहों के अधिकार को मान्यता देगा।

संविधान का राजनीतिक दर्शन पाठ के प्रश्न उत्तर कक्षा 11 Bihar Board प्रश्न 6.
निम्नलिखित कथनों को सुमेलित करें –
(क) विधवाओं के साथ किए जाने वाले बरताव की आलोचना की आजादी।
(ख) संविधान-सभा में फैसलों का स्वार्थ के आधार पर नहीं बल्कि तर्कबुद्धि के आधार पर लिया जाना।
(ग) व्यक्ति के जीवन से समुदाय के महत्त्व को स्वीकार करना।
(घ) अनुच्छेद 370 और 371
(ङ) महिलाओं और बच्चों को परिवार की संपत्ति में असमान

अधिकार:

  1. आधारभूत महत्त्व की उपलब्धि
  2. प्रक्रियागत उपलब्धि
  3. लैंगिक-न्याय की उपेक्षा
  4. उदारवादी व्यक्तिवाद
  5. धर्म-विशेष की जरूरतों के प्रति ध्यान देना

उत्तर:
(क) विधवाओं के साथ किए जाने वाले बरताव की आलोचना की आजादी।
(ख) संविधान सभा में फैसलों का स्वार्थ के आधार पर नहीं बल्कि तर्क बुद्धि के आधार पर लिया जाना
(ग) व्यक्ति के जीवन में समुदाय के महत्त्व को स्वीकार करना
(घ) अनुच्छेद 370 और 371
(ङ) महिलाओं और बच्चों के परिवार की संपत्ति में असमान

अधिकार:

  1. प्रक्रियागत उपलब्धि
  2. आधारभूत महत्त्व की उपलब्धि
  3. उदारवादी व्यक्तिवाद
  4. धर्म-विशेष की जरूरतों के प्रति ध्यान देना
  5. लैंगिक न्याय की उपेक्षा
  6. नीति

Samvidhan Ka Rajnitik Darshan Question Answer Bihar Board प्रश्न 7.
यह चर्चा एक कक्षा में चल रही थी। विभिन्न तर्कों को पढ़ें और बताएं कि आप इनमें किस से सहमत हैं और क्यों?

जयेश:
मैं अब भी मानता हूँ कि हमारा संविधान एक उधार का दस्तावेज है।

सबा:
क्या तुम यह कहना चाहते हो कि इसमें भारतीय कहने जैसा कुछ है ही नहीं? क्या मूल्यों और विचारों पर हम ‘भारतीय’ अथवा ‘पश्चिमी’ जैसा लेबल चिपका सकते हैं? महिलाओं और पुरुषों की समानता का ही मामला लो। इसमें पश्चिमी’ कहने जैसा क्या है? और, अगर ऐसा है भी तो क्या हम इसे सहज पश्चिमी. होने के कारण खारिज कर दें?

जयेश:
मेरे कहने का मतलब यह है कि अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई लड़ने के बाद क्या हमने उनकी संसदीय-शासन की व्यवस्था नहीं अपनाई?

नेहा:
तुम यह भूल जाते हो कि जब हम अंग्रेजों से लड़ रहे थे तो हम सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ थे। अब इस बात का, शासन की जो व्यवस्था हम चाहते थे उसको अपनाने से कोई लेना-देना नहीं, चाहे यह जहाँ से भी आई हो।
उत्तर:
इस चर्चा में जयेश का विचार; कि ‘हमारा संविधान केवल उधार का थैला है। यहाँ. पर आलोचना का विषय है कि भारतीय संविधान मौलिक नहीं है, बहुत से अनुच्छेद तो भारतीय शासन अधिनियम, 1935 से शब्दशः लिए गए हैं। बहुत से अनुच्छेद विदेशों के संविधानों से लिए गए हैं। इसमें अपना देशी कुछ भी नहीं है। इसमें हिन्दुकाल की सभा या समिति का कुछ भी वर्णन नहीं है। इसमें मध्यकालीन भारत का भी कुछ नहीं है परंतु सब का कहना है कि कोई मूल्य या आदर्श भारतीय या पाश्चात्य नहीं हुआ करते, मूल्य तो मूल्य हैं, आदर्श तो आदर्श होते हैं।

जब हम कहते हैं कि स्त्री और पुरुष में कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए तो यह बात पाश्चात्य और भारतीय दोनों दृष्टिकोण से ही ठीक है। हमें कोई बात इस कारण से नकारनी नहीं चाहिए कि वह पाश्चात्य अवधारणा से ली गई है परंतु नेहा का कथन है कि हम ब्रिटिश के खिलाफ अपनी आजादी के लिए लड़े थे तो हम ब्रिटिश के विरुद्ध नहीं बल्कि औपनिवेशिक पीतियों के खिलाफ लड़े थे।

हमें कोई भी बात जो हमारे लिए उपयोगी है उसमें यह नहीं देखना कि यह कहाँ से ली गई है। इस प्रकार दूसरे देशों से ली गयी बातें गलत हों, यह कहना सही नहीं हो सकता वरन् मानव की अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप जो बात जिस देश के संविधान से ली जाए उसमें कुछ भी गलत नहीं है। इसके विपरीत यदि हम पुरातन भारतीय, राजनीतिक संस्थाओं को लेना चाहें तो आधुनिक युग में यह जरूरी नहीं कि वे फिट बैठ सकें।

आलोचक भारतीय संविधान की आलोचना करते हुए जिन विशेषणों का प्रयोग करते हैं, उनमें प्रमुख हैं ‘मौलिकता का अभाव’ ‘उधार का थैला’ और ‘भानुमति का पिटारा’ आदि। आलोचकों का कहना है कि संविधान में ‘भारतीयता का पुट’ नहीं है परंतु उपर्युक्त आलोचना न्यासंगत नहीं है। विशेष बात यह है कि विदेशी संविधानों से सोच-विचारकर ही ग्रहण किया गया है और जो कुछ ग्रहण किया गया है उसे भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप ढाल लिया गया है।

ग्रेनविल आस्टिन के अनुसार भारतीय संविधान के निर्माण में परिवर्तन के साथ चयन की कला को अपनाया गया है। इसे भारतीय संविधान का गुण कहा जा सकता है। वास्तव में संविधान के मौलिक विचारों पर किसी का स्वात्वाधिकार नहीं होता। संविधान निर्माताओं ने अन्य देशों के संविधानों और उनके व्यावहारिक अनुभवों से लाभ उठाकर कोई गलती नहीं की वरन् दूरदर्शिता का ही कार्य किया है।

Samvidhan Ki Raajnitik Darshan Question Answer Bihar Board प्रश्न 8.
ऐसा क्यों कहा जाता है कि भारतीय संविधान को बनाने की प्रक्रिया प्रतिनिधिमूलक नहीं थी? क्या इस कारण हमारा संविधान प्रतिनिध्यात्मक नहीं रह जाता? अपने उत्तर के कारण बताएँ।
उत्तर:
भारत के संविधान की एक आलोचना यह कहकर की जाती है कि यह प्रतिनिध्यात्मक नहीं है। भारतीय संविधान का निर्माण एक संविधान सभा द्वारा किया गया था जिसका गठन नवम्बर 1946 में किया गया था। इसके सदस्य प्रान्तीय विधानमण्डलों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से चुने गए थे। संविधान सभा में 389 सदस्य थे जिनमें से 292 ब्रिटिश प्रान्तों से तथा 93 देशी रियासतों से थे। चार सदस्य चीफ कमिश्नर वाले क्षेत्रों से थे।

3 जून, 1947 के माउन्टबेटन योजना के तहत भारत का विभाजन हुआ और संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या घटकर 299 रह गई जिसमें 284 सदस्यों ने 26 नवम्बर, 1949 को संविधान पर हस्ताक्षर किए यद्यपि कुछ संविधान विशेषज्ञ संविधान सभा को संप्रभु नहीं मानते थे क्योंकि यह ब्रिटिश सरकार द्वारा गठित की गई थी। अगस्त, 1947 में भारत के आजाद होने के बाद इस संविधान सभा ने पूर्ण संप्रभु होकर कार्य किया। इस सभा के सदस्यों का चुनाव क्योंकि सार्वभौम वयस्क मताधिकार द्वारा नहीं हुआ था अतः कुछ विद्वान इसे प्रतिनिधि मूलक नहीं मानते परंतु यदि हम संविधान सभा के डिवेट (वाद-विवाद) का अध्ययन करें तो पता चलता है कि विभिन्न विचारों के आदान-प्रदान के बाद ही इसके प्रावधान बनाए गए।

कुछ लोगों का यह कथन भी ठीक नहीं प्रतीत होता कि संविधान सभा वास्तव में प्रतिनिधि संस्था नहीं थी इस कारण वह भारतीयों के लिए संविधान बनाने की अधिकारिणी नहीं थी। इसके अनुसार न तो सभा के सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से हुआ और न ही जनमत संग्रह द्वारा ही संविधान को जनता द्वारा अनुसमर्थित कराया गया, इसलिए यह कहा जा सकता है कि संविधान को लोकप्रिय स्वीकृति प्राप्त नहीं थी परंतु इस आलोचना में भी कोई सार नहीं है। 1946 में जिन परिस्थितियों में संविधान सभा का निर्माण हुआ, उनमें वयस्क मताधिकार के आधार पर इस प्रकार की सभा का निर्माण सम्भव नहीं था।

यदि संविधान का गठन प्रत्यक्ष निर्वाचन के आधार पर होता अथवा यदि इस संविधान सभा द्वारा निर्मित संविधान के प्रारूप पर जनमत संग्रह करवाया जाता, तब भी संविधान का स्वरूप कम या अधिक रूप में ऐसा ही होता। इस विचार को बल देने वाला तथ्य यह है कि 1952 के प्रथम आम चुनाव जो नई सरकार के गठन के साथ-साथ संविधान के स्वरूप के आधार पर लड़े गए थे, में संविधान सभा के अधिकांश सदस्यों ने चुनाव – लड़ा और काफी अच्छे बहुमत से विजय प्राप्त की। इन सबके अतिरिक्त यह भी तथ्य है कि तत्कालीन भारत के सबसे प्रमुख संगठन ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ ने संविधान सभा को अधिकाधिक प्रतिनिधि स्वरूप प्रदान करने की प्रत्येक सम्भव और अधिकांश अंशों में सफल चेष्टा की थी।

संविधान का राजनीतिक दर्शन के प्रश्न उत्तर बताइए Bihar Board प्रश्न 9.
भारतीय संविधान की एक सीमा यह है कि इसमें लैंगिक-न्याय पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है। आप इस आरोप की पुष्टि में कौन-से प्रमाण देंगे? यदि आज आप संविधान लिख रहे होते, तो इस कमी को दूर करने के लिए उपाय के रूप में किन प्रावधानों की सिफारिश करते?
उत्तर:
भारतीय संविधान की कुछ सीमाएँ भी हैं। यह नहीं कहा जा सकता कि यह एक सम्पूर्ण तथा दोष रहित प्रलेख है। इनमें से एक सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण लैंगिक न्याय विशेषतया परिवार की संपत्ति के अन्तर्गत ऐसा है। परिवार की संपत्ति में स्त्रियों और बच्चों को समान अधिकार नहीं दिए गए। बेटे और बेटी में अंतर किया जाता है। मूल सामाजिक-आर्थिक अधिकार राज्य के नीति निर्देशक तत्त्वों में शामिल किए गए हैं जबकि उन्हें मौलिक अधिकारों में शामिल किया जाना चाहिए था।

राज्य नीति निर्देशक तत्त्वों को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती। समान कार्य के लिए स्त्री तथा पुरुष दोनों को समान वेतन राज्य के द्वारा संरक्षित किया गया है। यह नीति निर्देशक तत्त्वों में शामिल किया गया है। यह भी मौलिक अधिकार का भाग होना चाहिए था क्योंकि राज्य पूरी तरह से तभी समान कार्य के लिए स्त्री-पुरुष दोनों को समान वेतन दिला सकता है। नीति निर्देशक तत्वों के लिए राज्य केवल प्रयास करेगा। हमारी संविधान की सीमाओं में से एक यह भी है कि आज तक स्त्रियों को तैंतीस प्रतिशत आरक्षण संसद व राज्य विधानमंडल में नहीं दिलवाया जा सका।

हमारे संविधान की सीमाएँ मुख्यतः निम्नलिखित हैं –

  1. भारत का संविधान राष्ट्रीय एकता का केन्द्रीयकृत विचार रखता है।
  2. यह कुछ प्रमुख लैंगिक न्याय के विषयों विशेष तौर पर परिवार के अंदर व्याख्या किए हुए है।
  3. यह स्पष्ट नहीं हो सका कि क्योंकि एक निर्धन विकासशील देश में कुछ निश्चित मूल सामाजिक-आर्थिक अधिकार मूल अधिकारों की श्रेणी में न रखकर राज्य के नीति निर्देशक तत्त्वों में शामिल किया गया है।

संविधान का राजनीतिक दर्शन के पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 10.
क्या आप इस कथन से सहमत हैं-कि ‘एक गरीब और विकासशील देश में कुछ एक बुनियादी सामाजिक-आर्थिक अधिकार मौलिक अधिकारों की केन्द्रीय विशेषता के रूप में दर्ज करने के बजाए राज्य की नीति-निर्देशक तत्त्वों वाले खंड में क्यों रख दिए गए-यह स्पष्ट नहीं है। आपके जानते सामाजिक-आर्थिक अधिकारों को नीति-निर्देशक तत्त्व वाले खंड में रखने के क्या कारण रहे होंगे?
उत्तर:
हमारे संविधान की एक विशेषता नीति निर्देशक तत्त्व हैं। विश्व के अन्य संविधानों में केवल आयरलैंड के संविधान को छोड़कर अन्य किसी देश के संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्त्व नहीं हैं। भारतीय संविधान के निर्माताओं ने संविधान में केवल. राज्य के संगठन की व्यवस्था एवं अधिकार पत्र का वर्णन नहीं किया है वरन् वह दिशा भी निश्चित किया है जिसकी ओर बढ़ने का प्रयत्न भविष्य में भारत राज्य को करना है।

संविधान निर्माताओं का लक्ष्य भारत में लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना था और इसलिए उन्होंने नीति निर्देशक तत्त्वों में से ऐसी बातों का समावेश किया, जिन्हें कार्य रूप में परिणत किए जाने पर एक लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना सम्भव हो सकती है। निर्देशक तत्त्व हमारे राज्य के सम्मुख कुछ आदर्श उपस्थित करते हैं जिनके द्वारा देश के नागरिकों का सामाजिक, आर्थिक एवं नैतिक उत्थान हो सकता है।

इन तत्त्वों की प्रकृति के सम्बन्ध में संविधान की 37 वीं धारा में कहा गया है कि “इस भाग में दिए गए उपबंधों को किसी भी न्यायालय द्वारा बाध्यता नहीं दी जा सकेगी, किन्तु फिर भी इसमें दिए हुए तत्त्व देश के शासन में मूलभूत हैं और विधि निर्माण में इन तत्त्वों का प्रयोग करना राज्य का कर्तव्य होगा।” इस अनुच्छेद (37) से यह बात स्पष्ट है कि निर्देशक तत्त्व को मौलिक अधिकारों के समान वैधानिक शक्ति प्रदान नहीं की गयी है।

इसका अर्थ है कि निर्देशक तत्त्वों की क्रियान्विनी के लिए न्यायालय के द्वारा किसी भी प्रकार के आदेश जारी नहीं किए जा सकते हैं। वैधानिक महत्त्व प्राप्त न होने पर भी ये तत्त्व राज्य शासन के संचालन के आधारभूत सिद्धांत हैं और राज्य का यह नैतिक कर्तव्य है कि व्यवहार में सदैव ही इन तत्त्वों का पालन करे। यहाँ यह बात उल्लेखनीय है कि इतने महत्त्वपूर्ण एवं मौलिक अधिकारों से किसी भी प्रकार कम महत्त्व न रखते हुए भी इन निर्देशक तत्त्वों को राज्य सरकारों की कृपा पर क्या छोड़ा गया।

इसके नजर में यही कहा जा सकता है कि भारत उस समय पराधीनता के चंगुल से छुटा था। उसकी आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि इनका (निर्देश तत्त्वों का) पालन करने की बाध्यता होने से आर्थिक संकट उभर सकना था और उसके कारण समय-समय पर अनेक समस्यायें उठ सकती थीं। अत: राज्य को निर्देश दिया गया तथा नागरिकों को यह अधिकार भी नहीं दिया गया कि वे इन निर्देशक तत्त्वों को पूरा कराने के लिए राज्य के विरुद्ध न्यायालय में जा सकें। इसी कारण राज्य को इन नीति निर्देशक तत्त्वों को पूरा करने का प्रयास भर करने के लिए कहा गया ताकि अपनी सामर्थ्य के अनुकूल शासन इनको पूरा ६. 11 + रुचि ले सके।

Bihar Board Class 11 Political Science संविधान का राजनीतिक दर्शन Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

संविधान का राजनीतिक दर्शन प्रश्नोत्तरी Bihar Board प्रश्न 1.
‘संविध’ के दर्शन’ का क्या आशय है?
उत्तर:
‘संविधान, दर्शन’ से अभिप्राय है कि संविधान के अंतर्गत दिए गए कानूनों में यद्यपि नैतिक तत्त्वों का होना आवश्यक नहीं है किन्तु बहुत से कानून हमारे भीतर गहराई से बैठे मूल्यों से जुड़े रहते हैं। इन मूल्यों के आधार पर ही संविधान का निर्माण किया जाता है। संविधान के प्रति राजनीतिक-दर्शन का दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है। हमारी राष्ट्रीय विचारधारा ही हमारे संविधान में प्रतीत होती है। समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व की भावना, राष्ट्रीय एकता और अखण्डता, समाजवाद और धर्म निरपेक्षता आदि आदर्शों का हमारे संविधान में समावेश है। यही हमारा राजनीतिक दर्शन है। हमारे सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों का प्रतीक हमारा संविधान होता है।

संविधान का राजनीतिक दर्शन पाठ के क्वेश्चन आंसर Bihar Board प्रश्न 2.
‘धर्म निरपेक्षता’ क्या अभिप्राय है? क्या भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है?
उत्तर:
भारतीय संविधान में भारत को एक ‘धर्मनिरपेक्ष राज्य’ घोषित किया गया है। राज्य का अपना कोई धर्म नहीं है और न ही राज्य नागरिकों को कोई धर्म विशेष अपनाने की प्रेरणा देता है। राज्य न धर्मी है, न अधर्मी और न धर्म-विरोधी। नागरिकों को धर्म की स्वतंत्रता प्रदान की गई है और सब व्यक्तियों को अपनी इच्छानुसार अपने इष्ट-देव की पूजा करने का अधिकार है।

संविधान का राजनीतिक दर्शन पाठ 10 के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 3.
भारतीय संविधान की चार प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भारतीय संविधान की अनेक विशेषताएँ हैं, जिनमें चार प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. भारतीय संविधान के अनुसार भारत एक संप्रभु समाजवादी लोकतंत्रात्मक गणराज्य है।
  2. भ तीय संविधान के द्वारा भारत को ‘धर्मनिरपेक्ष’ राज्य घोषित किया गया है।
  3. भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्यों का वर्णन किया गया है।
  4. भारत के संविधान में संसदात्मक शासन प्रणाली को अपनाया गया है।

Samvidhan Ka Rajnitik Darshan Ke Question Answer Bihar Board प्रश्न 4.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में दिए गए किन्हीं चार प्रमुख आदर्शों को बताइए।
उत्तर:
भारतीय संविधान की प्रस्तावना में दिए गए प्रमुख आदर्श निम्नलिखित हैं –

  1. न्याय: प्रत्येक भारतीय नागरिक को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय प्राप्त होगा।
  2. स्वतंत्रता: प्रत्येक भारतीय नागरिक को स्वतंत्रता प्राप्त होगी-सोचने की अभिव्यक्ति की, विश्वास की, उपासना की।
  3. समानता: भारत के प्रत्यके नागरिक को अवसर एवं प्रतिष्ठा को समानता प्रदान – की जायगी।
  4. बंधुत्व: समस्त भारतीय नागरिकों को उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा का आश्वासन तथा राष्ट्र की एकता व अखंडता को बढ़ावा देने की भावना पैदा की जायगी।

संविधान का राजनीतिक दर्शन Class 11 Bihar Board प्रश्न 5.
भारत के संविधान की आलोचना के चार बिन्दु लिखिए।
उत्तर:
भारत के संविधान की आलोचना के चार बिन्दु निम्नलिखित है –

  1. संविधान निर्मात्री सभा प्रभुत्व सम्पन्न संस्था नहीं थी।
  2. संविधान सभा के अधिकांश सदस्य समाज के उच्च वर्ग से थे।
  3. भारतीय संविधान एक विदेशी दस्तावेज है। एक उधार का थैला है। अनेक दूसरे देशों से संविधान की अनेक बातों को लिया गया है।
  4. संविधान सभा द्वारा निर्मित संविधान को लोकप्रिय अनुज्ञप्ति प्राप्त नहीं थी।

संविधान का राजनीतिक दर्शन पाठ Bihar Board प्रश्न 6.
संविधान की आवश्यकता और महत्त्व के क्या कारण हैं?
उत्तर:
ब्रिटिश शासन से आजादी प्राप्त करने के बाद राष्ट्रीय आंदोलन के नेताओं ने संविधान को अंगीकार करने की आवश्यकता अनुभव की। उन्होंने स्वयं को और आने वाली पीढ़ियों को संविधान से अनुशासित करने का फैसला किया। इसके निम्न कारण थे –

  1. संविधान एक ऐसा प्रारूप पैदा करता है, एक ऐसा ढाँचा खड़ा करता है जिसके अनुसार सरकार को कार्य करना होता है।
  2. यह सरकार द्वारा सत्ता के दुरुपयोग पर अंकुश लगाता है।
  3. यह सरकार के विभिन्न अंगों के बीच समन्वय स्थापित करता है।
  4. यह नागरिकों के मूल अधिकारों की रक्षा करता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारतीय संविधान की अद्वितीय विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भारत के संविधान की अद्वितीय विशेषताएँ –

  1. भारत का संविधान एकात्मक और संघात्मक दोनों का मिश्रण है।
  2. भारत के संविधान में यद्यपि शासन को अपनाया गया है, परंतु इसमें अध्यक्षात्मक शासन के भी कुछ तत्त्व पाये जाते हैं।
  3. भारत एक संघात्मक राज्य है परंतु यहाँ इकहरी नागरिकता है।
  4. भारत के संविधान में नागरिकों को मौलिक अधिकार एवं मूल स्वतंत्रताएँ प्रदान की गई हैं परंतु राष्ट्रीय हित में उन पर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। आपातस्थिति में उन्हें राष्ट्रपति द्वारा निलम्बित किया जा सकता है।
  5. भारत का संविधान भारतीय जनता द्वारा निर्मित है। एक संविधान सभा का निर्माण किया गया जो प्रान्तीय विधान सभाओं द्वारा परोक्ष रूप से निर्वाचित की गयी।
  6. देश की सर्वोच्च सत्ता जनता में निहित है।
  7. भारत को एक गणराज्य घोषित किया गया है।
  8. संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्त्व दिए गए।
  9. संघीय तथा राज्य विधानमण्डलों के अधिनियमों और कार्यपालिका के क्रियाकलापों की न्यायिक समीक्षा की व्यवस्था है।

प्रश्न 2.
राज्यों के लिए अधिक स्वायत्तता की मांग पर विचार कीजिए।
उत्तर:
1. राज्यों द्वारा अधिक स्वायत्तता की माँग:
भारत में संघीय व्यवस्था है और संघ तथा राज्यों की शक्तियाँ व अधिकार क्षेत्र बंटे हुए हैं। 1967 तक इन सम्बन्धों के बारे में कोई विवाद खड़ा नहीं हुआ क्योंकि राज्यों की कांग्रेसी सरकारें केन्द्र की कांग्रेस सरकार के नियंत्रण में रहती थी और चुपचाप केन्द्र के आदेशों का पालन करती थी।

2. राज्यों के लिए अधिक स्वायत्तता की माँग का आरम्भ:
1967 के चुनाव में बहुत से राज्यों में कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला और गैर-कांग्रेसी सरकारें भी अधिक दिन तक नहीं चल सकी। यह महसूस किया गया कि जब तक केन्द्र सरकार अधिक शक्तिशाली है वह किसी अन्य दल की सरकार को राज्य में सहन नहीं कर सकेगी।

इसलिए केन्द्र-राज्य सम्बन्धों पर पुनर्विचार और राज्यों की अधिक स्वायत्तता की माँग शुरू हुई। इसी संदर्भ में कुछ ऐसी माँगें उभर कर आई जो राष्ट्रीय एकता और अखण्डता के लिए खतरा बन सकती है। 1976 में तमिलनाडु में द्रमुक पार्टी सत्ता में आई तो उसने संघीय व्यवस्था के पुनरावलोकन के लिए उच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश पी.वी. राजमन्नार की अध्यक्षता में एक, समिति का गठन किया। 1973 में पंजाब में अकाली दल ने इस संबंध में आनन्दपुर साहब प्रस्ताव पास किया।

1977 में भारत के साम्यवादी दल ने पश्चिम बंगाल की सरकार से केन्द्र-राज्य सम्बन्धों पर एक माँगपत्र पेश किया। 1983 में कर्नाटक सरकार ने इस विषय पर एक श्वेतपत्र जारी किया और आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और पांडिचेरी के मुख्यमंत्रियों ने बंगलौर सम्मेलन में उस पर विचार किया। इसी वर्ष श्रीनगर में 16 गैर कांग्रेसी दलों की बैठक हुई जिसमें इस विषय का 31 सूत्री प्रस्ताव पास किया गया। इन सभी बातों को देखते हुए 1985 में सरकारिया आयोग की नियुक्ति की गई। 1988 में इसकी रिपोर्ट आई। यह बात सत्य है कि केन्द्र को शक्तिशाली होना चाहिए परंतु राज्यों को स्वायत्तता मिलनी चाहिए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
मूल कर्तव्यों से क्या अभिप्राय है? भारतीय नागरिकों के मूल कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1950 में लागू किए गए भारतीय संविधान में नागरिकों के केवल अधिकारों का ही उल्लेख किया गया था परंतु 42 वें संविधान संशोधन 1976 में संविधान के भाग 4 के बाद भाग 4 (क) जोड़ा गया जिसमें दस मूल कर्त्तव्यों की व्यवस्था की गई। सन् 2002 में अभिभावकों के लिए 6 से 14 वर्ष के अपने बच्चों को शिक्षा का अवसर प्रदान करने का कर्तव्य जोड़ा गया तो अब नागरिकों के निम्नलिखित 11 कर्त्तव्य हैं –

  1. संविधान का पालन तथा उसके आदर्शों, संस्थाओं और राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान अर्थात् प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदशों, संस्थाओं, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्र गान का आदर करे।
  2. राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों का हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे।
  3. वह भारत की सम्प्रभुता, एकता और अखण्डता की रक्षा करे और उसे अक्षुण बनाए रखे।
  4. देश की रक्षा करे और आह्वान पर राष्ट्र की सेवा करे।
  5. भारत के सभी भागों में समरसता और समान भाईचारे की भावना का विकास करे। ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हों।
  6. हमारी समन्वित संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझे और संरक्षण करे।
  7. प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखे व हिंसा से दूर रहे।
  8. व्यक्तिगत व सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास करे जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रगति और उपलब्धि की नवीन ऊँचाइयों को छू सके।
  9. प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अन्तर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव भी हैं, की रक्षा करे और उनका संवर्धन करे तथा प्राणीमात्र के प्रति दयाभाव रखे।
  10. वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करे।
  11. 86 वें संशोधन (2002) द्वारा अनुच्छेद 51 (क) में संशोधन करके खण्ड (न) के बाद खंण्ड (ट) जोड़ा गया जिसके अनुसार प्रारम्भिक शिक्षा को सर्वव्यापी बनाने के उद्देश्य से अभिभावकों के लिए भी यह कर्तव्य निर्धारित किया गया कि 6 से 14 वर्ष के अपने बच्चों को शिक्षा का अवसर प्रदान करे।

प्रश्न 2.
भारतीय संविधान में दिए गए राज्य के नीति निर्देशक तत्त्वों की समालोचना कीजिए। संवैधानिक दृष्टिकोण से उनका महत्त्व बताइए।
उत्तर:
भारत के संविधान में अनुच्छेद 38 से 51 तक राज्य के नीति निर्देशक तत्त्व दिए गए हैं। इनमें आर्थिक सुरक्षा सम्बन्धी निर्देशक तत्त्व, सामाजिक हित सम्बन्धी निर्देशक तत्त्व, न्याय शिक्षा और प्रजातंत्र सम्बन्धी निर्देशक तत्त्व, सामाजिक स्मारकों की सुरक्षा सम्बन्धी तत्त्व तथा अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा सम्बन्धी तत्त्व दिए गए हैं।

अनुच्छेद 38:
राज्य लोक कल्याण की अभिवृद्धि के लिए सामाजिक व्यवस्था बनाएगा।

अनुच्छेद 39:
समान न्याय और निःशुल्क विधिक सहायता।

अनुच्छेद 40:
ग्राम पंचायतों का गठन।

अनुच्छेद 41:
कुछ दशाओं में काम, शिक्षा और लोक सहायता पाने का अधिकार।

अनुच्छेद 42:
काम की न्यायसंगत और मानवोचित दशाओं तथा प्रसूति सहायता का उपलब्ध।

अनुच्छेद 43:
कर्मकारों के लिए निर्वाह मजदूरी।

अनुच्छेद 44:
नागरिकों के लिए समान सिविल संहिता।

अनुच्छेद 45:
बालकों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का उपबंध।

अनुच्छेद 46:
अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य दुर्बल वर्गों के शिक्षा और अर्थ सम्बन्धी हितों की अभिवृद्धि।

अनुच्छेद 47:
पोषाहार स्तर और जीवनस्तर को ऊँचा करने तथा लोक स्वास्थ्य का सुधार का गठन।

अनुच्छेद 48:
कृषि और पशुपालन का संगठन।

अनुच्छेद 48:
(क) यवःण का संरक्षण।

अनुच्छेद 49:
राष्ट्रीय महत्त्व के स्मरकों का संरक्षण।

अनुच्छेद 50:
कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण

अनुच्छेद 51:
अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि।

जिस समय संविधान का निर्माण हो रहा था तो निर्देशक तत्त्वों की बड़ी आलोचना हुई। अनेक विद्वानों ने इनकी आलोचना इस प्रकार से की –

  1. संविधान ने एक ओर तो राज्य के नीति निर्देशक तत्त्वों को देश के शासन में मूलभूत माना है, किन्तु साथ ही वे वैधानिक शक्ति प्राप्त या न्याय योग्य नहीं हैं अर्थात् न्यायालय इनको लागू नहीं करा सकते।
  2. निर्देशक तत्त्व काल्पनिक आदर्श हैं। इन्हें क्रियान्वित कराना बहुत दूर की बात है।
  3. एक सम्प्रभुता सम्पन्न राज्य में इस प्रकार के आदेशों का कोई औचित्य नहीं।
  4. संवैधानिक विधिवेत्ताओं ने आशंका व्यक्त की है कि ये तत्त्व संवैधानिक द्वन्द्व और गतिरोध के कारण भी बन सकते हैं।
  5. नीति निर्देशक तत्त्व किसी निर्धारित या संगतिपूर्ण दर्शन पर आधारित नहीं हैं।

नीति निर्देशक तत्त्वों का महत्त्व-यद्यपि नीति निर्देशक तत्त्वों की आलोचना की गयी है परंतु इसका तात्पर्य यह नहीं कि ये महत्त्वहीन हैं। वास्तव में राज्य के नीति निर्देशक तत्त्वों का बड़ा महत्त्व है –

  1. नीति निर्देशक तत्त्वों के पीछे जनमत की शक्ति होती है। जनता के प्रति उत्तरदायी सरकार इन तत्त्वों की उपेक्षा नहीं कर सकती।
  2. यदि निर्देशक तत्त्वों को केवल नैतिक धारणाएँ ही मान लिया जाए तो इस रूप में भी इनका अपार महत्त्व है जैसे कि ब्रिटेन में मैगनाकार्टा, फ्रांस में मानवीय तथा मानसिक अधिकारों की घोषणा तथा अमरीकी संविधान की प्रस्तावना को कोई वैधानिक शक्ति प्राप्त नहीं है, फिर भी इन देशों के इतिहास पर इनका प्रभाव पड़ा है।
  3. इसी प्रकार उचित रूप में यह आशा की जा सकती है कि ये निर्देशक तत्त्व भारतीय शासन की नीति” की निर्देशित और प्रभावित करेंगे।
  4. नीति निर्देशक तत्त्वों द्वारा जनता को शासन की सफलता और असफलता की जाँच करने का मापदण्ड भी प्रदान किया जाता है।
  5. नीति निर्देशक तत्त्व देश के सामाजिक व आर्थिक क्रांति के साधन भी हैं।
  6. एम. सी. सीतलबाड़ के शब्दों में “राज्य नीति के इन मूलभूत सिद्धांतों का वैधानिक दर्जा प्राप्त न होते हुए भी उनके द्वारा न्यायालयों के लिए उपयोगी प्रकाश स्तम्भ का कार्य किया जाता है।”
  7. निर्देशक तत्त्व इस दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण हैं कि इनमें गाँधीवाद के आदर्शों को स्थान दिया गया है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि वैधानिक शक्ति न होते हुए भी राज्य के नीति निर्देशक तत्त्वों का अपना महत्त्व और उपयोगिता है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा ‘मानवाधिकारों की सार्वभौमिकता” घोषणा को कब स्वीकार किया गया?
(क) 10 दिसम्बर, 1950 को
(ख) 10 दिसम्बर, 1948 को
(ग) 10 दिसम्बर, 1947 को
(घ) 10 दिसम्बर, 1951
उत्तर:
(ख) 10 दिसम्बर, 1948 को

प्रश्न 2.
संयुक्त राष्ट्रसंघ की स्थापना कब हुई?
(क) 24 अक्टूबर, 1946 में
(ख) 24 अक्टूबर, 1945 में
(ग) 30 अक्टूबर, 1945 में
(घ) 30 अक्टूबर, 1948 में
उत्तर:
(ख) 24 अक्टूबर, 1945 में

प्रश्न 3.
राज्यपाल को वर्तमान में वेतन दिया जाता है –
(क) 80,000 रुपये प्रतिमाह
(ख) 90,000 रुपये प्रतिमाह
(ग) 1,100,00 रुपये प्रतिमाह
(घ) 85,000 रुपये प्रतिमाह
उत्तर:
(ग) 1,100,00 रुपये प्रतिमाह

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Bihar Board Class 12 English Book Objective Type Questions and Answers

1. Pearl S. Buck visited India to see………….
(a) the Taj Mahal
(b) Fatehpur Sikri
(c) the young intellectuals and the peasants
(d) glories of empire in New Delhi.
Answer:
(c) the young intellectuals and the peasants

2. Kashmir was invaded
(a) by the Japanese invaders
(b) by the Chinese invaders
(c) by Russian invaders
(d) by white barbarian invaders
Answer:
(d) by white barbarian invaders

3. Colonisation had made the Indian
(a) enervated and exhausted
(b) energetic and happy
(c) Bold and Frank
(d) Fearless and independent
Answer:
(a) enervated and exhausted

4. The worst effect of colonisation was seen in the form of………..
(a) happiness
(b) distress
(c) unemployment
(d) freedom
Answer:
(c) unemployment

5. According to the writer, the main quality of a leader is………
(a) Selfishness
(b) Communalism
(c) dishonesty
(d) selflessness
Answer:
(d) selflessness

Bihar Board Class 12 English Book Very Short Type Questions and Answers

India Through A Traveller’s Eye Question Answer Bihar Board Questions 1.
What does the word colour remind the writer of?
Answer:
The very word colour reminds the writer of the variety of complexion in Indian life, as many as her own American human scene.

India Through A Traveller’s Eye Bihar Board Question 2.
What were the benefits of English rule?
Ans. The benefits of the English rule was an education in English and the knowledge of the west, which Indians acquired. They were well-versed talking in English fluently.

India Through A Traveller’s Eye Objective Question Answer Bihar Board Question 3.
Why were the intellectuals in India restless and embittered?
Answer:
The intellectuals in India were disappointed with the British rule because they were not happy to live a life of slavery. As such, they were restless and embittered.

Through The Eyes Of Travellers Questions Answers Bihar Board Question 4.
What was the ‘great lesson’ that India had to teach the west?
Answer:
The great lesson that India had to teach the west, was humanity. It is our culture and tradition as well.

India Through A Traveller’s Eye Meaning In Hindi Bihar Board Question. 5.
Where was the real indictment against the colonisation to be found?
Answer:
The real indictment against colonialism, however, was to be found in the villages in India. The British rule for all was the ills of India.

Bihar Board Class 12 English Book Textual Questions and Answers

B. 1.1. Read the following sentences and write ‘T’ for true and ‘F’ for false statements
(i) Pearl S. Buck had an Indian family doctor.
(ii) The Mongolian from Europe invaded Kashmir.
(iii) According to the writer, the Indians belonged to the Caucasian race.
(iv) The first woman President of the General Assembly of the United state was an Indian.
(v) The writer wanted to listen to four groups of people.
(vi) The young Indian intellectuals were disappointed with the English rule.
(vii) Indian were willing to fight in the Second World War at England’s command.
(viii) Indians believed in the mobility of means to achieve a noble end.
(ix) The worst effect of colonisation was seen in towns, in the form of unemployment.
(x) Indians under the British rule had a life span of just twenty-seven years.
Answer:
(i) T (ii) F (iii) T (iv) T (v) F (vi) T (vii) F (viii) T (ix) T (x) T.

B. 1.2. Answer the following questions briefly
India Through A Traveller’s Eye In Hindi Bihar Board Questions 1.
What does the word colour remind the writer of?
Answer:
The very word colour reminds me of the variety of complex in Indian life as many as our own American human scene.

India Through Traveller’s Eye Bihar Board Questions 2.
What were the benefits of English rule?
Answer:
They have availed the benefits the English gave and left the shortcomings of the west the pure and exquisitely enunciated English tongue of nen and women educated on both sides of the globe. English (100 Marks)

Bihar Board Rainbow English Book Class 12 Pdf Download Questions 3.
Why were the intellectuals in Indian restless and embittered?
Answer:
The intellectuals in India were disappointed with the British rule as much they were restless and embittered.

Indian Through A Traveller’s Eye Bihar Board Questions 4.
What was the great lesson that India had to teach the west?
Answer:
The great lesson, that India had to teach was humanity. It is our culture and it is our tradition as well.

Bihar Board English Book Questions 5.
Where was the real indictment against the colonisation to be found?
Answer:
The real indictment against colonialism, however, was seen in towns in the form of unemployments. The British rule for all was the ills of India.

India Through A Traveller’s Eye Summary Bihar Board Questions 6.
Why was the writer moved at the sight of the children of the Indian villages?
Answer:
The children of the Indian villages were lean, and them, weak and with huge sad dark eyes. The writer moved to see their poor condition and it tore at her heart.

B.2.1. Read the following sentences and write T for true and ‘F’ for false statements
(i) The Writer blames the English rule for all the ills of India.
(ii) Colonisation had made the Indian enervated and exhausted.
(iii) A long period of slavery made people quite dependent.
(iv) According to the writer, selflessness is the main quality of a leader.
(v) Very few people in villages had respect for age and experience.
(vi) The writer did not like the idea of eating with the right hand.
(vii) Indian is by nature religious.
(viii) The book ‘Come, My Beloved’ has an Indian background.
(ix) A Christian missionary believes that ‘God is the one’.
Answer:
(i) T (ii) T (iii) T (iv) T (v) F (vi) T (vii) T (viii) T (ix) T.

B.2.2. Answer the following questions briefly
12th English Book Answers Bihar Board Question 1.
Why was the land between Bombay and Madras famished?
Answer:
It is so because due to scarcity of water was no food and it was burning like a hot desert.

Bihar Board English Book Class 12 Pdf Download Question 2.
Why did the Indian always blame the British for their suffering?
Answer:
The Indian always blame the British for their suffering because it is an easy excuse to run away from their problems and realities.

Question 3.
Who was the real master of the house which Buck visited?
Answer:
The real master of the house which Buck visited was a younger brother.

Question 4.
Why did the writer not mind her host eating in the opposite comer of the room?
Answer:
It is so because he was able to understand that this reaction was due to their difference in culture.

Question 5.
What does she mean by saying’ Religion is ever-present in Indian life’?
Answer:
By saying so the writer means that is Indians life religion is a very important thing. All are very closely related to religion and it is present in all spheres of life.

Question 6.
What are her views on the Christian missionaries?
Answer:
The author says that for of all the people that I have known the missionary it, in his way, the most dedicated, the most single-hearted. He believes that God is the One the Father of mankind and that all men are brothers. At least the Christian says he so believes and so he preaches.

C. 1. Bihar Board Class 12 English Book Long Answer Questions

Question 1.
How does Pearl S. Buck describe Kashmir?
Answer:
In Kashmir where the white barbarian invaders from Europe long ago penetrated India, the people are often fair. Auburn-haired blue-eyed women are beauties there. A young India friend of mine has recently married a Kashmiri man who though his hair is dark, has eyes of clear green. The skin colour of the Kashmiri a lovely cream and the features are as classic as the Greek. But all the people of India must be reckoned as belonging to the Caucasian race, whatever the colour of the skin in the South, though it be as black as any African’s

Question 2.
How has India influenced the world in the post-independent era?
Answer:
The Indians make the third group between the South Africans and the black and white for that matter there was our Indian family doctor, and why should there have been an Indian doctor in a Chinese port or tend an American family and rumours of India. Persist, for they are memorable people, dramatic and passionate and finding dramatic lives. You see how India has a way of permeating human life and consider how India has managed, merely by maintaining her independence and yes by producing superior individuals to influence the world in these few short years of freedom, they have put to good use the benefits the English gave and left the knowledge of west.

Question 3.
Why had the Indian intellectuals decided not to support the British in the Second World War?
Answer:
The English, they declared had no real purpose to restore India to the people. I could believe it fresh as I was from China, where the period of people’s tutelage seemed endless and self-government further off every year. When you are ready for independence, conquerors have always said to their subjects, etcetera! But who is to decide when that moment comes, and how can people learn to govern themselves, expert, by doing it? So the intellectuals in India were Restless and embitter as, and I sat for hours watching their flashing dark eyes and hearting the endless flow of language the purest English into which they poured their feelings. The plants than was that when the second world war broke, in India world rebel immediately against England and compel her by this complication to set her free. They would not be forced, as they declared they had won the First World War, to fight at England’s command.

Question 4.
What lesson had India taught humanity by gaining independence?
Answer:
India has managed, merely by maintaining her independence and yes, by producing superior individuals, to influence the world in these few years of freedom, they have put to good use the benefits the English gave and left. The knowledge of west the pure and exquisitely enunciated English tongue of men and women educated on both sides of the globe-witness Nehru and with him a host of men learning how to govern, and the first women to be the President of the general assembly of the united nations a woman of India and the men in charge of the prisoner exchange in kore an Indian General, who won trust from all.

Question 5.
What was the psychological impact of colonisation on Indian people?
Answer:
I find that among the many impressions of India, absorbed while I live among them, and still clear in my mind, is their reverence for great men and women. Leadership in India can only be continued by those whom the followers consider being good that is capable of renunciation therefore, not self-seeking. This one quality for them contains all others A person able to renounce personal benefit for the sake of an idealistic and is by that very fact also honest, also high minded, therefore also Trustworthy. I felt that the people, even those who know themselves full of faults, searched for such persons.

Question 6.
Who, according to Buck, could be the real leaders of Indian people?
Answer:
The devotion was given by the people to Gandhi and finally even internationally is well known, but I found the same homage paid to a local person who in their measure were also leaders because of their selflessness. Thus I remember a certain Indian village where I had been invited to visit in the Home of a family of some modem education though not much, and some means, though not wealth, the house was mud-walled and the roof was made of thatch. Inside were several rooms however, the floors smooth and polished with the usual mixture of cow-dung and water.

Question 7.
What are some of the features of Indian family Life, as noticed by Buck?
Answer:
The maturing culture of organised human family life and produced philosophical religions had shaped his mind and soul, even though he could not read and write. And the children, the little children of the Indian villages, how they tore off my heart, thin, big believer, and all with huge sad dark eyes. I wondered that any Englishmen could look at them and not accuse himself. Three hundred years of English occupation and rule, and could there be children like this? Yes, and Millions of them! And the final indictment surely was that the life span in India was only twenty-seven years. Twenty-seven years! No wonder, then, that life was hastened, that a men married very young so that there could be children, as many as possible before he died.

Question 8.
Give a portrait of India seen through the writer’s eyes.
Answer:
In India through a Traveller’s Eyes, Pearl Buck gives her personal impression of India. On the basis of these impressions, a portrait of India flashes before our eyes. This portrait is of India of the nineteen-fifties. Thus it appears idyllic to us. Even for that period, the portrait is not very realistic. The writer is a fond lover of India and the Indian people. Thus she sees only bright sides of Indian life. In a sense this was inevitable. Mrs Buck saw only those things and people that her hosts showed her. The hosts naturally did not show her the seamy sides of Indian life. So this portrait of India formed through this writer’s eyes is very bright. The picture includes scenes of poverty, disease, starvation and overall economic backwardness of the country. Bui for all these ills the British rulers are blamed. The writer begins at a very bright note.

She speaks about India’s superior individuals who have influenced the course of modem history with their non-violent freedom movement as also by human-faced administration and reconstruction work after independence. She finds that Indian intellectuals have made excellent use of some of the good gifts including the English language that the British rule gave to India. The writer is charmed by quality calibre and self-confidence of the Indian intellectuals. She finds Indian Freedom Movement a rare thing in which the whole people including the intellectuals and the peasants fought hand in hand. And this Freedom Movement was far loftier than the American War of Independence. It was the triumph of a bloodless revolution. Here noble means was used to achieve noble ends. It has a great lesson for the world as it shows the futility and destructiveness of movement carried on by violence and blood-shed.

Mrs Buck gives an impressive picture of Indian village life. Here people live according to the great ideals of their tradition. Their conception of goodman is quite lofty. They think only those people good who practise self-renunciation rather than self-seeking. Such people sacrifice their personal good for the sake of noble ideals. Mahatma Gandhi is the supreme example of such great good man of Indian conception. But all through the country, such people are to be found and people flock to them and follow their wise advice in a village Mrs Buck finds a paralytic elderly man who for being such a liberated man is surrounded by people all through the day.

Despite his suffering, he lives in a cage-like enclosure where people may come unrestricted. All his life he has been a selfless Wiseman. Now he has become a saint for the people. In the same way, the writer is impressed by the cleanliness and clean habits of Indian Villagers. Even the paralytic man was spotlessly clean. In people’s home, she found homespun towels to cleanse the hands. The custom of taking food from green banana leaves through the right hand only also convinced Mrs Buck of the clean habits of the Indian people. Thus the portrait of India seen through Mrs Buck’s eyes is impressive though bit over-bright. It is not as realistic as E. M. Forester’s portrait of India But it has an idyllic charm that is very appealing.

Q. 9. What did Pearl Buck see in India? Or, What did Pearl Buck hear from the young intellectuals and the peasants in Indian villages?
Answer:
In India, Through a Traveller’s Eyes, Pearl Buck gives a moving and somewhat idyllic picture of India. In the authoress opinion, the Indian People as a whole are of the Caucasian race. True there are variations from the white-complexioned and green-eyed Kashmiris to black coloured people of the south. But qualitatively the Indian people have an innate dynamism. They are assimilative adjustable and pragmatic. The Indian ways of life and philosophy running all through the ages have made them so. They are unexpectedly found living decently and doing well in different parts of the world in different capacities. They may be alone as family doctors in the interiors of China or one-third of the whole population of a country as in South Africa. Then the Indians to Mrs Buck are “a memorable people.

Dramatic and passionate and fond of dramatic lives.” The influence of Indian ways of life is being pervasive within a few years of her independence. She has made a mark on the international scene through her superior individuals. Nehru turned out to be a great and noble leader. An Indian woman became the president of the General Assembly of the U. N. An Indian army general did exemplary impartial work in effecting an exchange of prisoners in Korea. The newly emerged independent India has been full of quiet confidence based on her unyielding idealism. Mrs Buck came to see the spirit of India as reflected in the young intellectuals of Indian cities and in the I peasants of Indian villages. She met the young intellectuals about the second world war period.

She found them seething with anger for their British rulers, who had bluffed India during the First World War and were likely to do the same after this war. So they wanted that India should be given freedom first and then she would decide in what way and from what side she would fight that war. But the savageries and aggressions of Nazism. Fascism and Japanese adventurism forced India to fight the war from the side of the Allies and not from the side of the Axis. India had enough wisdom to choose civilization rather than barbarism. And despite Churchill’s prediction of blood-baths the saner leaders of Britain gave India her freedom. There was no other option left to Britain because the Freedom Movement under the banner of Mahatma Gandhi.involved all sectors of the people indeed the whole nation and this people’s non-violent war proved more powerful than the bloody wars. mankind had seen so far.

And the message behind this Movement is of crucial significance. Mrs Buck thinks that the Americans have not fully understood this message though beside India’s “mighty triumph of a bloodless revolution our war of Independence shrinks in size and concept”. The great lesson of India’s Freedom ’ Movement has total relevance to the present world. It triumphantly states that » war and killing achieve nothing but loss and destruction. So noble non-violent means must be used to achieve noble ends. Coming to the pitiable condition of India as a result of British colonialism. Mrs Buck says that Indian intellectuals despite their immense abilities and calibres had been left, languishing. All top positions went to white Englishmen though they were second rate or even worse. So the country was in ferment because these highly educated competent and cultured people shaped the mood of the nation.

However, the worst effects of British Imperialism were most obvious in India’s miserable villages. The condition of the Indian peasants was worse than that of the Chinese peasants. This was very much like the condition of the Russian peasants before the Bolshevik Revolution. But Russian peasants were culturally much inferior to the Indian peasants. Indian peasants were very much like the Chinese in being “innately civilized” Indian culture has been maturing through the age and it has been stable because it is based on intact family life. Above all India’s pragmatic and philosophical religions have shaped the mind and soul of the Indian. So even the illiterate Indian peasant have been innately civilized. Under British rule, India was sucked white f people’s life-span was of 27 years only. Their children were deshaped diseased I and died too young.

The rickety big-bellied nad skeletonic babies with sunk dark eyes were the worst indictment of the British imperialism. The authoress is amazed that the English in some ways the finest people on Earth could be l so diabolically corrupted by colonialism. But imperialist do not work for the welfare of people. They rather sit on their back and demoralize them. People are made to tolerate the worst on one excuse or other. Coming to the shining bright culture of the Indian masses, Mrs Buck finds in them a reverence for great men and women intact. By great men and women, they mean people of sacrifice and renunciation. Gandhiji has been the most supreme example of such people dedicated to the service and welfare of people. Such people the authoress found in India’s villages. One such person was an elderly man crippled by paralysis. He lived in a cage-like compartment in the courtyard of the family.

He was always surrounded by people who came to be enlightened by his wisdom. This sacrificial mode of life was common in India even now. The old idyllic life continued in the villages. There was a caste system no doubt. There was also crankish behaviour of people in matters of religion and worship. But they were mostly harmless. The worst aspects of religion were there too including fanaticism. But by and large, the religious ways of life had not corrupted or poisoned the social life. Above all the spirit of self-sacrifice was very much present. Whereas others including the Christian made compromises with the idealism of their mission, the simple unsophisticated Indians stood firm in supporting their idealism and paid in full measure the price involved in their infiinching attachment to it. so whereas the Christian Missionaries had failed to effect brotherhood of man that Christ preached, the simple poor Indian masses by their sheer sacrifice had implemented their innate idealism in the practical life of their society to a great extent.

Question 10.
Who according to Pearl S. Buck is blame for India’s poverty and backwardness?
Answer:
Pearl S. Buck came to India in the period just before and after India’s independence. In that period India was what the British rulers had made her. She found India in a pitiable condition. The condition of the villages, in particular, was very deplorable. People suffered from poverty and starvation. The fertile land stretching from Bombay to Madras was dry and without crops due to lack of irrigation facilities. What to say of artesian wells there were not even shallow wells. The people themselves could have done something about it. But centuries of colonialism had taken all strength and vitality out of them. They were sunk in sloth and idleness.

They were full of excuses for not working and remaining helpless, spectators all the time. They blamed the Britishers for all the ills of their society. They thought that their British rulers had taken all the responsibilities to feed and clothe them. It they suffered and died of hunger and disease it was the fault of the foreign government. The people in themselves were not responsible for it. Such behaviour of the people showed that the colonialism of centuries had made them lose their heart and their spirit. So ultimately the British imperialists were responsible for this all-round degradation and backwardness of India and her people.

C. 3. Composition

Question 1.

You have a pen Friend in America who wants to know about India. Write a letter to your friend describing some of the values that govern Indian family life.

Answer:

Khazanchi Road Patna
July 5,200.

Dear Yuvraj
I hope my letter finds you in a happy and healthy mood. I know you are highly impressed by our Indian culture. We have a strong family bonding. It is our love, understanding and cooperation which strengthens our relationship

Yours, lovingly
Amithanshu

Question 2.
Write a paragraph in about 100 words in India’s contribution to world peace.
Answer:
India has taught the lesson of peace to the whole world. We are a peace-loving country and spread the same philosophy all over the world. We have always been a supporting hand to the U.N.O. in maintaining world peace. We have sent our army to restore peace and order in the different parts of the world. We have criticised the countries and their policies if it hampers the world peace. We are always ready to Help in all spheres the world for its harmony.

D. 2. Word-formation

Read the following sentence carefully:

India has always been part of the background of my life but I had never seen in whole and for myself until now.
In the sentence given above background’s of my life but I had never seen in whole and for myself until now.
In the sentence given above background’s made of back and ground, similarly, myself s made of my and self.
From compound words using the words given below:

Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 10 India Through a Traveller’s Eyes 1

D. 3. Word-meaning

Ex. 1. Match the words given in Column A with their meanings given in Column B
Column A Column B
Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 10 India Through a Traveller’s Eyes
Answer:
1. (e), 2. (c), 3. (d), 4. (g), 5. (a), 6. (b), 7. (f)

D. 4. Phrases

Ex. 1. Read the lesson carefully and find out the sentences in which the following phrases have been used. Then use these phrases in sentences of your own.
further off   in spite of   live upon   search for   as long as   serve on   Putin
Answer:
further off — The doctor advised the patient to stop the medicine further off.
in spite of — In spite of heavy rain the match continued.
live upon — Deepak lives upon his own rules.
search for — They have made a deep search for the thief.
as long as — They worked as long as they could.
serve on — We should serve in our country.
put in — Manoj knows how to put in with different people.

E. Grammar

Ex. 1. Change the following sentences as directed
(i) The features of the Kashmiri are as classic as the Greek, (from positive to comparative)
(ii) My host said, “I was called to kill a dangerous snake, (from direct to indirect speech)
(iii) My life has been too crowded with travels and many people for me to put it all within the covers of one book. (Remove too)
(iv) What did I go to India to see? (from interrogative to assertive)
Answer:
(i) The features of the Kashmiri are not more classic than the Greek.
(ii) My host said that he had been called to kill a dangerous snake.
(iii) My life has been so crowded with travels and many people that it is impossible for me to put it all within the covers of one book.
(iv) I went to see India

The main aim is to share the knowledge and help the students of Class 12 to secure the best score in their final exams. Use the concepts of Bihar Board Class 12 Chapter 10 India Through a Traveller’s Eyes English Solutions in Real time to enhance your skills. If you have any doubts you can post your comments in the comment section, We will clarify your doubts as soon as possible without any delay.

Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 2 कविता की परख

Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions

Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 2 कविता की परख (रामचंद्र शुक्ल)

 

कविता की परख पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

Kavita Ki Parakh Question Answer Bihar Board प्रश्न 1.
कविता के क्या उद्देश्य हैं?
उत्तर-
लेखक के अनुसार कविता का उद्देश्य पाठक के हृदय को प्रभावित करना होता है। इससे उसके भीतर दया, प्रेम, करुणा, आनंद, आश्चर्य आदि मानवीय भावों का संचार होता है। जिस रचना में प्रभावोत्पादकता न हो, वह और चाहे कुछ भी हो, कविता नहीं हो सकती।

Kavita Ki Parakh Bihar Board प्रश्न 2.
कल्पना किसे कहते हैं? एक कवि के लिए कल्पना का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
जिस मानसिक शक्ति के सहारे कवि कविता में भावोदपीन हेतु तत्संबंधी रूप एवं व्यापार का योजना करते हैं तथा पाठक उसे अपने मन में ग्रहण करते हैं, उसे’ कल्पना कहते हैं। एक कवि के लिए कल्पना का अत्याधिक महत्त्व है। बिना कल्पना शक्ति के कोई व्यक्ति कवि नहीं हो सकता। क्योंकि कल्पना के बल पर ही कवि रूप व्यापारादि की चित्रवत् योजना करता है। इसके अभाव में कविता में प्रभावोत्पादकता नहीं आ सकती, जो कवि का लक्ष्य होता है। अतएव, एक कवि के लिए कल्पना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।

Bihar Board Class 11th Hindi Book  प्रश्न 3.
उपमा क्या है? कविता में उपमा का प्रयोग क्यों किया जाता है। पाठ के आधार पर उत्तर दें।
उत्तर-
उपमा का अर्थ होता है-उप अर्थात समीप और मा अर्थात् मापन। तात्पर्य यह कि दो भिन्न पदार्थों में समता दिखाना ही उपमा है। यह समता रूप, गुण अथवा प्रभाव के आधार पर दिखायी जाती है। जैसे-मुख चाँद के समान सुंदन है; शिवाजी शेर की तरह वीर थे इत्यादि।

काव्यशास्त्र में ‘उपमा’ एक अर्थालंकार है, जो अलंकारों में शिरोल माना जाता है।

कविता में उपमा का प्रयोग वर्ण्य-विषय से संबंधित भावना को तीव्र करने के लिए किया जाता है। जैसे-मुख सौदर्य की भावना उत्पन्न करने के लिए मुख के साथ एक अन्य सुंदर पदार्थ चाँद को रख देने से सौंदर्य की भावना उदीप्त, जागृत एवं अत्यधिक तीव्र हो जाती है।

कविता की परख Bihar Board प्रश्न 4.
आँख के लिए मीन, खंजन और कमल की उपमाएँ दी जाती हैं। इनमें क्या-क्या समानताएँ हैं?
उत्तर-
आँख के लिए कवियों द्वारा प्राय: मीन, खंजन और कमल की उपमाएँ दी जाती हैं। इनमें परस्पर लघुता, सुंदरता, मोहकता, चंचलता, कोमलता, प्रभावोत्पादकता आदि की समानताएँ हैं।

Class 11 Hindi Book Bihar Board प्रश्न 5.
‘मानों ऊँट की पीठ पर घंटा रखा है’-इस उक्ति के द्वारा लेखक ने क्या कहना चाहा है?
उत्तर-
‘कविता की परख’ शीर्षक निबंध में काव्यमर्मज्ञ आचार्य शुक्ल ने कविता में उपमा-नियोजन के औचित्य, महत्त्व तथा उसकी उपयुक्तता-अनुपयुक्ता पर बड़े सुविचारित रूप में प्रकाश डाला है। प्रश्नोद्धृत वाक्य इसी प्रसंग में उल्लिखित है।

लेखक के मतानुसार, उपमा की सार्थकता वर्ण्य-वस्तु के अनुरूप भावनाओं को तीव्रता प्रदान करने में है। इसके लिए कवियों को आकर-प्रकार की अपेक्षा प्रभाव-साम्य पर अधिक ध्यान देना चाहिए। ऐसी उपमाएँ, जिनसे कवि-अभिप्रेत भावनाएँ उदीप्त एवं तीव्र नहीं होतीं, उपेक्षणीय हैं। इसी संदर्भ में उन्होंने ‘उठे हुए बादलों के ऊपर होते हुए पूर्ण चंद्रमा’ जैसे रमणीय दृश्य के लिए ‘मानो ऊँट की पीठ पर घंटा रखा है’ जैसे अनुचित उपमा का उदाहरण देकर इसकी व्यर्थता बताई है। अतः कवि को इस प्रकार की केवल कुतूहलवर्द्धक उपमा-योजना से बचते हुए वास्तव में भावनाओं की उद्दीप्ति में सहायक उपयुक्त उपमा देनी चाहिए।

कविता क्या है-निबंध का सारांश Bihar Board प्रश्न 6.
“जो जनतेउँ बन बंधु बिछोहू। पिता वचन मनतेउँ नहिं ओहू।। -इस उदाहरण के द्वारा लेखक ने क्या कहना चाहा है?
उत्तर-
हिन्दी के पृष्ठ समीक्षक आचार्य रामचंद्र शुक्ल का स्पष्ट मत है कि एक सच्चा कवि मानव-मन का पारखी होता है। उसे यह पूरा अनुभव रहा है कि स्थिति विशेष में मनुष्य कैसा कथन करता है। इसी संदर्भ में उन्होंने अपने आदर्श कवि गोस्वामी तुलसीदास की उपर्युक्त चौपाई को उदाहृत किया है। यह वस्तुतः लक्ष्मण को शक्तिबाण लगने पर राम के शोकसंतप्त हृदय का सहज उद्गार है, जिसकी भूरि-भूरि प्रशंसा करनी चाहिए। इसके विपरीत पितृ-वचन के परिप्रेक्ष्य में राम के चरित्र में दोषारोपण करना दरअसल अपीन हृदयहीनता और भावनाशून्यता प्रदर्शित करना है।

Bihar Board Hindi Book Class 11 Pdf Download प्रश्न 7.
‘वाणी के द्वारा मनुष्य के हृदय के भावों की पूर्ण रूप से व्यंजना हो जाती है।’ इस कथन का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर-
उपयुक्त कथन हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘दिगंत, भाग-1 में संकलित ‘कविता की परख’ शीर्षक निबंध से उद्धृत है। इसके लेखक हिन्दी के महान् विद्वान आचार्य रामचंद्र शुक्ल हैं।

लेखक के उपर्युक्त कथन का आशय यह है कि वाणे ही वह साधन है, जिसके माध्यम से मनुष्य अपने हृदयगत भावों की पूर्णरूपेण व्यंजना करता है। वास्तव में वाणी की शक्ति के कारण मनुष्य अन्य प्राणियों से भिन्न और विशिष्ट है। जिन भावों अथवा विचारों की अभिव्यक्ति में अन्य साधनं, तथा यथा-संकेत, आगिकभाषा आदि असमर्थ रहते हैं, वे भी वाणी के माध्यम से सहजतापूर्वक पूरी स्पष्टता के साथ व्यक्त हो जाते हैं। कदाचित् इसी से कविगण अपनी कविताओं में प्रत्यक्ष-कथन के अतिरिक्त पात्र-कथन का प्रयोग करते हैं। इस रूप में पात्र विशेष के हृदय गतं भावों अथवा विचारों के प्रकटीकरण में पूर्णता और स्पष्टता आ जाती है।

कविता की परख भाषा की बात

Bihar Board 11th Hindi Book Pdf प्रश्न 1.
निम्नलिखति विशेष्यों के लिए उपयुक्त विशेषण दें:
उत्तर-
Bihar Board 11th Hindi Book Pdf

Bihar Board Class 11 Hindi Book Solution प्रश्न 2.
‘ता’ प्रत्यय से इस पाठ में कई शब्द हैं, जेसे-निपुणता, गंभीरता आदि। ऐसे शब्दों को चुनकर लिखें।
उत्तर-
‘ता’ प्रत्यय युक्त शब्दों के उदाहरण-सुन्दरता, कोमलता, मधुरता, उग्रता, कठोरता, भीषणता, वीरता, समानता, मनोहरता, प्रफुल्लता, स्वच्छता इत्यादि।

Bihar Board Class 11 Hindi Book प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों से ‘इक’ प्रत्यय लगाकर शब्द बनाएँ
उत्तर-
Bihar Board Class 11 Hindi Book

कविता क्या है निबंध का सारांश Bihar Board प्रश्न 4.
पाठ से द्वंद्व समास के उदाहरण चुनें।
उत्तर-
द्वंद्व समास-जिस समास में दोनों पद प्रधान रहते हैं, उसे द्वन्द्व समास कहते हैं। जैसे राधाकृष्ण, माता-पिता, भाई-बहन, वस्तु-व्यापर, बड़ा-छोटा, लोटा-डोरी, रात-दिन सर्दी-गमी, नून-तेल, राजा-रानी इत्यादि।

Class 11th Hindi Book Bihar Board प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों से विशेषण बनाएँ :
उत्तर-
Class 11th Hindi Book Bihar Board

Bihar Board Hindi Book Class 11 Pdf प्रश्न 6.
निम्नलिखित शब्दों के विपरीतार्थक शब्द लिखें:
उत्तर-
Bihar Board Hindi Book Class 11 Pdf

बिहार बोर्ड हिंदी बुक Class 11  प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों के संज्ञा रूप लिखें:
उत्तर-
बिहार बोर्ड हिंदी बुक Class 11

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

कविता की परख लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा लिखित निबंध ‘कविता की परख’ का संक्षेप में परिचय दीजिए।
उत्तर-
‘कविता की परख’ हिन्दी साहित्य के आलोचक, इतिहासकार, निबंधकार और लेखक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की आलोचनात्मक निबंध है। हिन्दी साहित्य चिंतक आचार्य शुक्ल ने कविता को परखने की बुनियादी शिक्षा देते हुए कहा है कि कविता वह साधना हे जिसके द्वारा शेष सृष्टि के साथ मनुष्य के रागात्मक संबंध की रक्षा और निर्वाह होता है।

कविता के द्वारा हम संसार के सुख-दु:ख, आनन्द और क्लेश आदि यथार्थ रूप से अनुभव करने में अभ्यस्त होते हैं जिससे हृदय की स्तब्धता हटती है और मनुष्यता आती है। कविता सृष्टि-सौन्दर्य का अनुभव कराती है और मनुष्य को सुन्दर वस्तुओं में अनुरक्त और कुत्सित वस्तुओं से विरक्त कराती है।

आचार्य शुक्ल का प्रस्तुत निबंध किताबों से उठकर हमारे जीवन में आश्रय और सहभागिता चाहता है। यह निबंध कविता के सम्बन्ध में लेखक के सारगर्भित ज्ञान का दुर्लभ ज्ञान का दुर्लभ उदाहरण है।

प्रश्न 2.
‘कविता की परख’ की कथावस्तु को संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
हिन्दी साहित्य चिंतक आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने कविता को परखने की बुनियादी शिक्षा देते हुए कहा है कि कविता वह साधना है जिसके द्वारा शेष सृष्टि के साथ मनुष्य के रागात्मक संबंध की रक्षा और निर्वाह होता है। कविता के द्वारा हम संसार के सुख-दुःख, आनन्द और क्लेश आदि का यथार्थ रूप से अनुभव करने में अभ्यस्त होते हैं जिससे हृदय की स्तब्ध ता हटती है और मनुष्यता आती है।

कविता-सृष्टि सौन्दर्य का अनुभव कराती है और मनुष्य को सुन्दर वस्तुओं के अनुरक्त और कुत्सित वस्तुओं से विरक्त कराती है। कविता वह साधना है जिसके भीतर प्रेम, हास्य सुख-दुःख, आनन्द और क्लेश आदि यथार्थ रूप में चित्रित होता है। जिस कविता में प्रेम, आनन्द, करुणा आदि भावों का समावेश न हो, वह कविता नहीं कहला सकती। कविता के लिए रूप और व्यापार हमारे मन में साक्षात करता है, जो योजना हम मन में धारण करते हैं, कल्पना कहलाती है। कल्पना शक्ति के बिना कविता अधूरी होती है। कविता में सौन्दर्य, शृंगार, दारूण दृश्य आदि भाव जगाना आवश्यक है। राम के वन-गमन का वर्णन अथवा श्रीकृष्ण के अंग-प्रत्यंग के वर्णन में करुणा और सौन्दर्य का भाव परिलक्षित होता है।

कविता के लिए कवि उपमा अलंकार का भी सहारा लिया करते हैं। जैसे-मुख को चन्द्रमा या कमल के समान, नेत्रों को मीन, खंजन, कमल आदि के समान प्रतापी या तेजस्वी की तुलना सूर्य के समान; कायर को श्रृगाल के समान, वीर और पराक्रमी की सिंह से तुलना करते हैं। वास्तव में इसका उद्देश्य वर्णित वस्तु की सुंदरता, कोमलता, मधुरता या उग्रता, कठोरता, भीषणता, वीरता, कायरता इत्यादि की भावना को तीव्र करना है न कि किसी वस्तु का परिज्ञान कराना। जैसे-जिसने हारमोनियम न देखा है। उसने कहना “वह सन्दूक के समान होता है।” ऐसी समानता उपमा के अन्तर्गत नहीं आती है। उपमा सुन्दर ओर सटीक हो इसके लिए यह आवश्यक है कि वर्णित वस्तु के सम्बन्ध में वही भावना अधिक परिमाण में हो। भद्दी उपमा से सौन्दर्य की भावना नही जगती। जैसे कोई कवि आँख की उपमा बादाम या आम की फाँक से करता है तो सौन्दर्य की भावना नहीं जगती, लेकिन ठीक इसके विलोम आँख की उपमा कमल-दल से करने पर मनोहरता, प्रफुल्लता, कोमलता आदि की भावना स्वतः परिलक्षित होती है।।

कविता, में प्रेम, शोक, करुण, आश्चर्य, भय, उत्साह इत्यादि भावों को कवि पात्रों के माध्यम से कहलवाते है ताकि भावों की पूर्ण रूप से व्यंजना हो सके। वाणी द्वारा मनुष्य के क्रोध आश्चर्य और उत्साह के भावों की कवियों को गहरी परख होती है।

कवि की निपुणता पात्र के मुख से भाव की व्यंजना कराने से ही परिलक्षित होता है। रामचरित मानस में भी राम लक्ष्मण दोनों क्रोध प्रकट करते हैं। राम संयम और गंभीरता के भाव जबकि लक्ष्मण अधीरता और उग्रता के साथ। उत्साह आदि भावों में यही बात समाहित है।

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का प्रस्तुत निबंध पुस्तकों से उठकर हमारे जीवन में आश्रय और सहभागिता चाहता है।

कविता की परख अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कविता की परख किस प्रकार निबंध है?
उत्तर-
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा लिखित कविता की परख विचारात्मक निबंध है।

प्रश्न 2.
कविता की परख में किन बातों का विवेचन हुआ है?
उत्तर-
कविता की परख नामक निबंध में इन बातों का विवेचन हुआ है-
(क) कविता का उद्देश्य
(ख) कल्पना का महत्त्व
(ग) भाव की अभिव्यक्ति संबंधी तत्व इत्यादि।

प्रश्न 3.
उपयुक्त उपमान का प्रयोग करना क्यों अनिवार्य होता है?
उत्तर-
उपयुक्त उपमान का प्रयोग करना विभिन्न करणों से अनिवार्य होता है-
(क) कविता के उद्देश्य की अनुरूपता को दर्शाना
(ख) कविता के प्रभाव की समानता को दर्शाना इत्यादि।

प्रश्न 4.
उपमा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
किसी व्यक्ति या वस्तु जिसका वर्णन करना हो उसकी सुन्दरता, कोमलता, मधुरता, उग्रता, कठोरता, वीरता तथा कायरता इत्यादि की भावना की तुलना उस वस्तु के समान कुछ अन्य वस्तुओं से करना ही उपमा कहलाता है।

प्रश्न 5.
कल्पना क्या है?
उत्तर-
आनन्द, करुण, हास्य, आश्चर्य तथा प्रेम इत्यादि अनेक भावों का संचार करने वाले रूप और व्यवहार का सजीव चित्रण काल्पनिक रूप से करना ही कल्पना कहलाता है।

प्रश्न 6.
कविता की परख नामक निबंध के लेखक कौन हैं?
उत्तर-
कविता की परख नामक निबंध के लेखक आचार्य रामचन्द्र शुल्क है।

कविता की परख वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

I. सही उत्तर का सांकेतिक चिह्न (क, ख, ग, या घ) लिखें।

प्रश्न 1.
‘कविता का परख’ के लेखक हैं
(क) रामचन्द्र शुक्ल
(ख) महावीर प्रसाद द्विवेदी
(ग) सत्यजीत राय
(घ) कुमार गन्धर्व
उत्तर-
(क)

प्रश्न 2.
‘भ्रमरगीत सार’ किसकी रचना है?
(क) सत्यजीत राय
(ख) सूरदास
(ग) रामचन्द्र शुक्ल
(घ) कृष्ण कुमार
उत्तर-
(ग)

प्रश्न 3.
‘कविता की परख’ का सम्पादन किसने किया?
(क) हरिशंकर परसाई
(ख) नामवर सिंह
(ग) रामचन्द्र शुक्ल
(घ) इनमें से काई
उत्तर-
(ख)

प्रश्न 4.
कविता का उद्देश्य क्या होता है?
(क) हृदय पर प्रभाव डालना
(ख) मन को उद्विग्न करना
(ग) घृणा उत्पन्न करना
(घ) इनमें से कोई
उत्तर-
(क)

प्रश्न 5.
‘उपमा’ क्या है?
(क) जिससे उपमा दी जाय
(ख) एक प्रकार की मिठाई
(ग) दो भिन्न पदार्थों में सादृश्य की स्थापना
(घ) इसमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग)

प्रश्न 6.
‘कविता की परख’ किसके लिए लिखा गया है?
(क) प्रेमियों के लिए
(ख) कवियों के लिए
(ग) हाई स्कूल के छात्र के लिए
(घ) काव्यालोचकों के लिए।
उत्तर-
(ग)

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
1……………. ने श्रीकृष्ण के अंग-प्रत्यंग का वर्णन किया।
2. किन्तु सुन्दर वस्तु को देखकर हम …………. हो जाते हैं
3. तुलसीदासजी की गीतावली में …………….. का सुन्दर वर्णन।
4. वाणी के द्वारा मनुष्य के हृदय के भावों की पूर्ण रूप से …………….. हो जाती है।
5.शोक के वेग में मनुष्य थोड़ी देर के लिए ……… और …………… भूल जाता है।
उत्तर-
1. सूरदासजी
2. प्रफुल्ल
3. चित्रकूट
4. व्यंजना
5. बुद्धि, विवेक।

कविता की परख लेखक परिचय रामचन्द्र शुक्ल (1884-1941)

पं. रामचंद्र शुक्ल का जन्म 1884 ई. को उत्तर प्रदेश के बस्ती जिलान्तर्गत ‘अगोना’ नामक ग्राम में हुआ था। 1888 ई. में वे अपने पिता पं. चंद्रबली शुक्ल के साथ राठ जिला हमीरपुर गये तथा वहीं पर विद्याध्ययन प्रारंभ किया। सन् 1892 ई. में उनके पिता की नियुक्ति मिर्जापुर में सदर कानूनगो के रूप में हुई और वे पिता के साथ मिर्जापुर आ गये। 1901 ई. में लंदन मिशन स्कूल, मिर्जापुर में स्कूल फाइनल की परीक्षोत्तीर्णता के पश्चात् कायस्थ पाठशाला, प्रयाग में इंटर में उनका नामांकन हुआ, पर पढ़ाई अधूरी रही। फिर भी उन्होंने स्वाध्याय द्वारा प्रभूत ज्ञान अर्जित किया, जिसका उपयोग वे आगे चलकर अपने लेखन में जमकर कर सके।

आरंभ में शुक्लजी मिर्जापुर के मिशन स्कूल में ड्राइंग टीचर रहें। फिर 1908 ई. में ‘काशी नगरी प्रचारिणी सभा’ की परियोजना-‘हिन्दी शब्द सागर’ के सहायक संपादक बने। कुछ दिनों तक ‘नागरी प्रचारिणी पत्रिका’ का संपादन करने के बाद वे हिन्दू विश्वविद्यालय, काशी में हिन्दी के अध्यापक हुए। 1937 ई. में वे वहाँ के हिन्दी विभागाध्यक्ष नियुक्त हुए तथा उसी पद पर रहते हुए सन् 1941 में उनकी मृत्यु हो गयी।

आचार्य शुक्ल का रचना-संसार अत्यंत विस्तृत एवं व्यापक है। हिन्दी का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो, जिस पर उन्होंने न लिखा हो। उनकी प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं-मधुस्रोत (कविता संग्रह), गोस्वामी तुलसीदास, जायसी ग्रंथावली की भूमिका, भ्रमरगीतसार, रसमीमांसा, त्रिवेणी (पाठालोचन और आलोचना), हिन्दी साहित्य का इतिहास (साहित्येतिहास), श्रीराधाकृष्णदास की जीवनी (जीवनी), चिन्तामणि, भाग 1, 2 एवं 3 (निबंध-संग्रह) का विश्वप्रपंच (लबी भूमिका के साथ अनुवाद) कल्पना का आनंद, शशांक, बुद्धचरित (अनुवाद) इत्यादि।

इन रचनाओं के आधार पर शुक्लजी एक श्रेष्ठ एवं समर्थ साहित्यकार के रूप में स्थापित होते हैं। उनकी भाषा-शैली सजीव, प्रौढ़ एवं भावनात्मक है। संस्कृत की तत्सम शब्दावली के साथ-साथ अंग्रजी, अरबी, फारसी आदि के शब्दों के लोक-प्रचलित मुहावरों के प्रयोग से उनकी भाषा में विशेष प्रवाह और प्रभाव का संगम हुआ। वस्तुत: उनकी शैली में उनका समग्र व्यक्तित्व प्रतिविबित हुआ है।

स्पष्टतया आचार्य शुक्ल ने यद्यपि हिन्दी साहित्य की सभी विधाओं में, रचनाएँ की और उनमें अपनी विलक्षण प्रतिभा, मौलिक चिन्तन एवं नवीन उद्भावना शक्ति दिखायी है, तथापि उनका विशेष महत्त्व साहित्येतिहासकार, निबंधकार और आलोचक के रूप में है। वस्तुतः इन क्षेत्रों में उनका अवदान युगप्रवर्तक का है, अप्रतिम एवं अप्रतिस्पर्धी। अतएव देवीशंकर अवस्थी का यह कथन सर्वथा समीचीन है कि “साहित्यिक इतिहास लेखक के रूप में उनका स्थान हिन्दी में अत्यंत गौरवपूर्ण है, निबंधकार के रूप में वे किसी भी भाषा के लिए गर्व के विषय हो सकते हैं तथा समीक्षक के रूप में तो वे हिन्दी में अभी तक अप्रतिम हैं।”

कविता की परख पाठ का सारांश

हिन्दी के स्वनामधन्य समालोचक, सर्वश्रेष्ठ साहित्येतिहासकार एवं अप्रतिम निबधकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल विरचित ‘कविता की परख’ एक उत्तम निबंध है। इसमें विद्वान लेखक के द्वारा कविता की परख अर्थात् पहचान अथवा जाँच से संबंधित प्रायः सभी प्रमुख साधनों की चर्चा अत्यंत परिष्कृत एवं परिमार्जित भाषा में की गई है। इस प्रकार यह एक विचारप्रधान निबंध है, जिससे कविता को देखने, समझने एवं परखने की एक नवीन दृष्टि विकसित होती है।

प्रस्तुत निबंध में लेखक ने सर्वप्रथम कविता के उद्देश्य पर प्रकाश डालत हुए यह स्थापना की है कि उनका उद्देश्य मनुष्य के हृदय पर प्रभाव डालना होता है, ताकि उसके भीतर दया, करुणा, प्रेम, आनंद, आश्चर्य, वीरता आदि मानवीय भावों का संचार हो सके। इसी आधार पर ज्ञान के अन्य विषयों से कविता की पृथक् सत्ता प्रमाणित होती है। इसी क्रम में लेखक ने कहा है कि प्रभाव पैदा करने के लिए कविगण विभिन्न भावों से संबंधित रूप और व्यापार की योजना करते है। ऐसा योजना के कल्पना-शक्ति के सहारे करते हैं। अतः काव्य में कल्पना का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है।

कवि जिस प्रकार का भाव पाठक के मन में जगाना चाहते है, उसी के रूप और व्यापार का वर्णन करते हैं। इस क्रम कवि लोग उपमादि अलंकारों की सहायता लेते हैं। उपमा में दो भिन्न पदार्थों के बीच रूप, गुण अथवा प्रभाव की समानता दिखाई जाती है, किन्तु इसमें प्रभाव-साम्य ही उत्तम होताहै। इसी से कवि की निरीक्षण-क्षमता का पता चलता है। पुनः कवि लोग अपने काव्यों में प्रेम, शोक, घृणा, उत्साह इत्यादि विविध भावों को पात्रों के कथन के माध्यम से भी प्रकट करते हैं। इसके लिए लेखक के अनुसार कवि में पात्रगत एवं पिरस्थितिगत निपुणता आवश्यक है।

इस प्रकार इस विचार-प्रधान निबंध में आचार्य शुक्ल ने कविता को परखने के आधारभूत साधनों का विवेचन किया है। इस गंभीर विवेचन को भी उन्होंने उदाहरणों के द्वारा सरल एवं सुबोध बना दिया है। उसके द्वारा व्यक्त विचार प्रायः सर्वस्वीकार्य हैं और इसी से उनका महत्त्व कभी भी न्यून होने वाला नहीं है।

कविता की परख कठिन शब्दों का अर्थ

उत्साह-खुशी, उमंग। आर्द्र-भीगा हुआ। करुणा-दया, वेदना। रमणीय-सुंदर। व्यापार-क्रिया, गतिविधि। समक्ष-सामने। दारुण-असहनीय। विकराल-भयानक। आह्लादित-प्रसन्न। शृगाल-सियार। प्रतापी-प्रभावशाली, पराक्रमी। कांति-चमक। निपुणता-दक्षता। व्यंजना-व्यक्त या प्रकट करना। उग्र-उत्तेजित। खंजन-चंचल आँखों वाला विशिष्ट पक्षी। अधीरत-बेचैनी। कुतूहल-अचरज, विस्मय। परिज्ञान-विशिष्ट ज्ञान। दूषण-दोष, कलंक। बोध-समझ। परिमाण-मात्रा। प्रफुल्ल-प्रसन्न।

महत्त्वपूर्ण पंक्तियों की सप्रसंग व्याख्या

1. किसी सुंदर वस्तु को देखकर हम प्रफुल्ल हो जाते हैं, किसी अद्भूत वस्तु को देखकर आश्चर्यमग्न हो जाते हैं, किसी दुख के दारुण दृश्य को देखकर करुण से भर जाते हैं। यही बात कविता में होती है।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा कविता की परख से ली गयी है। इन पंक्तियों में लेखक ने यह बतलाया है कि जब हम किसी सुंदर वस्तु को देखकर प्रसन्न हो जाते हैं और किसी अद्भूत वस्तु को देखकर आश्चर्यचकित हो जाते है तथा किसी दुख के दृश्य को देखकर करुणा से भर जाते हैं। ये सभी बाते कविता को पढ़ने में भी पाठक को आभास होती हैं। कविता में इन बातों का सुन्दर विवेचन किया जाता है।

2. वाणी के द्वारा मनुष्य के हृदय के भावों की पूर्ण रूप से व्यंजना हो सकती है।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्ति आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा लिखित कविता की परख नामक पाठ से ली गयी है.। इस पंक्ति में लेखक ने यह बतलाया है कि मनुष्य की बोली से उसके दिल के गोल्डेन सीरिज पासपोर्ट भावों की जानकारी प्राप्त होती है। यही कारण है कि मनुष्य के मुँह से प्रेम करुणा में मधुर वचन निकलते है, जबकि क्रोध, शोक में अच्छे वचन नहीं निकलते हैं। कवि को मनुष्य की बोली का अनुभव पूर्ण रूप से रहता है। यही कारण है कि कवि जिस प्रकार की कविता की रचना करता है उसी से संबंधित शब्दों का सटीक प्रयोग करता है।

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions पद्य Chapter 4 स्वदेशी

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 2 पद्य खण्ड Chapter 4 स्वदेशी Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi Solutions पद्य Chapter 4 स्वदेशी

Bihar Board Class 10 Hindi स्वदेशी Text Book Questions and Answers

कविता के साथ

स्वदेशी कविता का अर्थ Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 1.
कविता के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
वस्तुत: किसी भी गद्य या पद्य का शीर्षक वह धुरी होता है जिसके चारों तरफ कहानी या भाव घूमते रहता है। रचनाकार शीर्षक देते समय उसके कथानक, कथावस्तु, कथ्य को ध्यान में रखकर ही देता है। प्रस्तुत कविता का शीर्षक ‘स्वदेशी’ अपने आप में उपयुक्त है। पराधीन भारत की दुर्दशा और लोगों की सोच को ध्यान में रखकर इस शीर्षक को रखा गया है। अंग्रेजी वस्तुओं को फैशन मानकर नये समाज की परिकल्पना करते हैं।

रहन-सहन खान-पान आदि सभी पाश्चात्य देशों का ही अनुकरण कर रहे हैं। स्वदेशी वस्तुओं को तुच्छ मानते हैं। हिन्दु, मुस्लमान, ईसाई आदि सभी विदेशी वस्तुओं पर ही भरोसा रखते हैं। उन्हें अपनी संस्कृति विरोधाभास लाती है। बाजार में विदेशी वस्तुएँ ही नजर आती है। भारतीय कहने-कहलाने पर अपने आप को हेय की दृष्टि से देखते हैं। सर्वत्र पाश्चात्य चीजों का ही बोल-बाला है। अतः इन दृष्टान्तों से स्पष्ट होता है। प्रस्तुत कविता का शीर्षक सार्थक और समीचीन है।

स्वदेशी कविता Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 2.
कवि को भारत में भारतीयता क्यों नहीं दिखाई पड़ती?
उत्तर-
किसी देश के प्रति वहाँ के जनता की कितनी निष्ठा है, देशवासी को अपने देश की संस्कृति में कितनी आस्था है यह उसके रहन-सहन, बोल-चाल, खान-पान से पता चलता है। कवि को भारत में स्पष्ट दिखाई पड़ता है कि यहाँ के लोग विदेशी रंग में रंगे हैं। खान-पान, बोल-चाल, हाट-बाजार अर्थात् सम्पूर्ण मानवीय क्रिया-कलाप में अंग्रेजीयत ही अंग्रेजीयत है। पाश्चात्य सभ्यता का बोल-बाला है। भारत का पहनावा, रहन-सहन, खान-पान कहीं दिखाई नहीं देता है। हिन्दू हों या मुसलमान, ग्रामीण हो या शहरी, व्यापार हो या राजनीति चतुर्दिक अंग्रेजीयत की जय-जयकार है। भारतीय भाषा, संस्कृति, सभ्यता धूमिल हो गई है। अतः कवि कहते हैं कि भारत में भारतीयता दिखाई नहीं पड़ती है।

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solution प्रश्न 3.
कवि समाज के किए वर्ग की आलोचना करता है और क्यों?
उत्तर-
उत्तर भारत में एक ऐसा समाज स्थापित हो गया है जो अंग्रेजी बोलने में शान की बात समझता है। अंग्रेजी रहन-सहन, विदेशी ठाट-बाट, विदेशी बोलचाल को अपनाना विकास मानते हैं। हिन्दुस्तान की नाम लेने में संकोच करते हैं। हिन्दुस्तानी कहलाना हीनता की बात समझते ।। हैं। झूठी प्रशंसा करते हुए फूले नहीं समाते। अपनी मूल संस्कृति को भूलकर पाश्चात्य संस्कृति को अपनाकर गौरवान्वित होना अपने देश में प्रचलित हो गया है। ऐसी प्रचलन को बढ़ावा देने वाले वर्ग की कवि आलोचना करते हैं क्योंकि यह देशहित की बात नहीं है। ऐसा वर्ग देश को पुनः अपरोक्ष रूप से विदेशी-दासता के बंधन में बाँधने को तत्पर हो रहा है।

Bihar Board Solution Class 10 Hindi प्रश्न 4.
कवि नगर, बाजार ओर अर्थव्यवस्था पर क्या टिप्पणी करता है?
उत्तर-
कवि के अनुसार आज नगर में स्वदेशी की झलक बिल्कुल नहीं दिखती। नगरीय व्यवस्था, नगर का रहन-सहन सब पाश्चात्य सभ्यता का अनुगामी हो गया है। बाजार में वस्तुएँ विदेशी दिखती हैं। विदेशी वस्तुओं को लोग चाहकर खरीदते हैं। इससे विदेशी कंपनियाँ लाभान्वित हो रही हैं। स्वदेशी वस्तुओं का बाजार-मूल्य कम हो गया है। ऐसी प्रथा से देश की आर्थिक स्थिति पर कुप्रभाव पड़ रहा है। चतुर्दिक विदेशीपन का होना हमारी कमजोरी उजागर कर रही है।

Class 10 Hindi Chapter 1 Bihar Board प्रश्न 5.
नेताओं के बारे में कवि की क्या राय है ?
उत्तर-
आज देश के नेता, देश के मार्गदर्शक भी स्वदेशी वेश-भूषा, बोल-चाल से परहेज करने लगे हैं। अपने देश की सभ्यता संस्कृति को बढ़ावा देने के बजाय पाश्चात्य सभ्यता से स्वयं प्रभावित दिखते हैं। कवि कहते हैं कि जिनसे धोती नहीं सँभलती अर्थात् अपने देश के वेश-भूषा को धारण करने में संकोच करते हों वे देश की व्यवस्था देखने में कितना सक्षम होंगे यह संदेह का विषय हो जाता है। जिस नेता में स्वदेशी भावना रची-बसी नहीं है, अपने देश की मिट्टी से दूर होते जा रहे हैं, उनसे देश सेवा की अपेक्षा कैसे की जा सकती है। ऐसे नेताओं से देशहित की अपेक्षा करना ख्याली-पुलाव है।

Bihar Board 10th Hindi Book प्रश्न 6.
कवि ने डेफाली किसे कहा है और क्यों?
उत्तर-
जिन लोगों में दास-वृत्ति बढ़ रही है, जो लोग पाश्चात्य सभ्यता संस्कृति की दासता के बंधन में बंधकर विदेशी रीति-रिवाज का बने हुए हैं उनको कवि डफाली की संज्ञा देते हैं क्योंकि व विदेश की पाश्चात्य संस्कृति की, विदेशी वस्तुओं की, अंग्रेजी की झूठी प्रशंसा में लगे हुए हैं। डफाली की तरह राग-अलाप रहे हैं, पाश्चात्य की, विदेशी एवं अंग्रेजी की गाथा गा रहे हैं।

स्वदेशी का अर्थ Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 7.
व्याख्या करें
(क) मनुज भारती देखि कोउ, सकत नहीं पहिचान।
(ख) अंग्रेजी रूचि, गृह, सकल वस्तु देस विपरीत।
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पंक्ति हिन्दी साहित्य की पाठ्य-पुस्तक के ‘स्वदेशी’ शीर्षक पद से उद्धत है। इसकी रचना देशभक्त कति बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ द्वारा की गई है। इसमें कवि ने देश-प्रेम की भाव को जगाने का प्रयास किया है। कवि ने स्वदेशी भावना को जगाने की आवश्यकता पर बल दिया है। पाश्चात्य रंग में रंग जाना कवि के विचार से दासता की निशानी है।

प्रस्तुत व्याख्येय में कवि ने कहा है कि आज भारतीय लोग अर्थात् भारत में निवास करने वाले मनुष्य इस तरह से अंग्रेजीयत को अपना लिये हैं कि वे पहचान में ही नहीं आते कि भारतीय हैं। आज भारतीय वेश-भूषा, भाषा-शैली, खान-पान सब त्याग दिया गया है और विदेशी संस्कृति को सहजता से अपना लिया गया है। मुसलमान, हिन्दु सभी अपना भारतीय पहचान छोड़कर अंग्रेजी की अहमियत देने लगे हैं। पाश्चात्य का अनुकरण करने में लोग गौरवान्वित हो रहे हैं।

(ख) प्रस्तुत पंक्ति हिन्दी साहित्य की पाठ्य पुस्तक के कवि ‘प्रेमघन’ जी द्वारा रचित ‘स्वदेशी’ पाठ से उद्धत है। इसमें कवि ने कहा है कि भारत के लोगों से स्वदेशी भावना लुप्त हो गई है। विदेशी भाषा, रीति-रिवाज से इतना स्नेह हो गया है कि भारतीय लोगों का रुझान स्वदेशी के प्रति बिल्कुल नहीं है। सभी ओर मात्र अंग्रेजी का बोलबाला है।

Bihar Board Hindi Book Class 10 Pdf Download प्रश्न 8.
आपके मत से स्वदेशी की भावना किस दोहे में सबसे अधिक प्रभावशाली है ? स्पष्ट करें।
उत्तर-
मेरे विचार से दोहे संख्या 9 (नौ) में स्वदेशी की भावना सबसे अधिक प्रभावशाली है। स्पष्ट है कि भारतीय संस्कृति सभ्यता में जितनी अधिक सरलता, स्वाभाविकता एवं पवित्रता है उतनी विदेशी संस्कृति सभ्यता में नहीं है। आज ऐसा समय आ गया है कि यहाँ के लोगों से जब पवित्र भारतीय संस्कृति का प्रबंधन कार्य ही नहीं संभल रहा है तो जटिलता से भरी हुई विदेशी संस्कृति का निर्वाह कहाँ तक कर सकेंगे। अतः हर स्थिति में पूर्ण बौधिकता का परिचय देते हुए भारतीय संस्कृति, मूल वंश-भूषा का निर्वहन किया जाना चाहिए।

Bihar Board 10th Class Hindi Book Pdf प्रश्न 9.
स्वदेशी कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर-
प्रेमधन सर्वस्व’ से संकलित प्रस्तुत दोहा में प्रेमघन ने देश-दशा का उल्लेख करते हुए नव जागरण का शंख फूंका है। वे कहते हैं-
देश के सभी लोगों में विदेशी रीति, स्वभाव और लगाव दिखाई पड़ रहा है। भारतीयता तो अब भारत में दिखाई ही नहीं पड़ती। आज भारत के लोगों को देखकर पहचान करना कठिन है कि कौन हिन्दू है, कौन मुसलमान और कौन ईसाई।

विदेशी भाषा पढ़कर लोगों की बुद्धि विदेशी हो गई है। अब इन लोगों को विदेशी चाल-चलन भाने लगी है। लोग विदेशी ठाट-बाट से रहने लगे हैं अपना देश विदेश बन गया है। कहीं भी नाममात्र को भारतीयता दृष्टिगोचर नहीं होती।

अब तो हिन्दू लोग हिन्दी नहीं बोलते। वे अंग्रेजी का ही प्रयोग करते हैं, अंग्रेजी में ही भाषण देते हैं। वे अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल करतं, अंग्रेजी कपड़े पहनते हैं। उनकी रीति और नीति भी अंग्रेजी जैसी है। घर और सारी चीजें देशी नहीं हैं। ये देश के विपरीत हैं।

सम्प्रति, हिन्दुस्तानी नाम से भी ये शर्मिंदा होते और सकुचाने लगते हैं। इन्हें हर भारतीय वस्तु से घृणा है। इनके उदाहरण हैं देश के नगर। सर्वत्र अंग्रेजी चाल-चलन है। बाजारों में देखिए अंग्रेजी माल भरा है।

देखिए, जो लोग अपनी ढीली-ढाली धोती नहीं सँभाल सकते, वे लोग देश को क्या सँभालेंगे? यह सोचना ही कल्पनालोक में विचरण करना है। चारों ओर चाकरी की प्रवृत्ति बढ़ रही है। ये लोग झूठी प्रशंसा, खुशामद कर डफली अर्थात् ढिंढोर भी बन गए हैं।

प्रश्न 10.
‘स्वदेशी’ के दोहे राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत हैं। कैसे ? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर-
बदरी नारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ कृत ‘स्वदेशी’ के दोहे राष्ट्र की सभ्यता, संस्कृति और राष्ट्रीयता के शनैः-शनैः होते विलोपन से व्याकुल मन के चीत्कार हैं। पराधीन काल में जब लोगों की वेश-भूषा, चाल-ढाल, को अंग्रेजीयत के रंग में रंगता दिखलाई पड़ता है तो उसे पीड़ा होती है। अब तो भारतीयों की पहचान मुश्किल हो रही है-‘मनुज भारतीय कोऊ सकत नहीं पहिचान, मुसलमान, हिन्दू किंधौं, के ये हैं ये क्रिस्ताना’
कवि यह देख भी दुखी होता है कि विदेशी विद्या ने देश के लोगों की सोच ही बदल दी है-

पढ़ि विद्या परदेश की बुद्धि विदेशी पाया
चाल चलन परदेस की, गई इन्हें अति भाय।।

लोगों में तो लगता है कि भारतीयता लेशमात्र को नहीं बची। लोग अंग्रेजी बोल रहे हैं, अंग्रेजी ढंग से रह रहे हैं। हिन्दुस्तानी नाम से ही लज्जा महसूस करते हैं और भारतीय वस्तुओं से घृणा करते हैं –

हिन्दुस्तानी नाम सुनि, अब ये सकुचित लजात।
भारतीय सब वस्तु ही, सों ये हाथ घिनात।

कवि की राष्ट्रीय भावना पर कहर चोट तब पड़ती है जब सभी वर्ग के लेकर आत्म-सम्मान छोड़कर चाकरी के लिए ललायित हो रहे हैं, अंग्रेज हाकिमों की इन प्रशंसा कर रहे हैं। सबसे बड़ी हताशा उसे अपने नेताओं की हालत पर हो रही है वे देश के नहीं, अपने कल्याण में लगे
हैं। स्वार्थपरता ने उन्हें इतना घेर लिया कि उनकी संतानों ही हाथ से निकल रही है। जब ये अपना घर ही नहीं सँभाल सकते तो देश क्या सँभालेंगे-

जिनसों सम्हल सकत नहिं तनकी धोती ढीली ढाली।
देस प्रबंध करिहिंगे यह, कैसी खाम ख्याली।

इस प्रकार हम देखते हैं कि ‘स्वदेशी’ के दोहों में देश की दशा के वक्त के माध्यम से कवि ने लोगों में राष्ट्रीय भावना भरने की चेष्टा की है। अतएव, दोहे निश्चित तौर पर राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत हैं। इनसे राष्ट्रभक्ति को प्रेरक मिलती है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नांकित शब्दों से विशेषण बनाएँ-
रूचि, देस, नगर, प्रबंध, ख्याल, दासता, झूठ, प्रशंसा।
उत्तर-
रूचि – रूच
देरू – देसी
नगर – नागरिक
प्रबंध – प्रबंधित
ख्याल – ख्याली
दारूता – दारू
झूठ – झठा

प्रश्न 2.
निम्नांकित शब्दों का लिंग-निर्णय करते हुए वाक्य बनाएँ
चाल-चलना; खामख्याली, खुशामद, माल, वस्तु, वाहन, रीत, हाट, दारूवृति, बानका
उत्तर-
चाल-चलन – उसकी चाल-चलन ठीक नहीं है।
खामख्याली – खामख्याली, झूठी होती है।
खुशामद – खुशामद अच्छी चीज नहीं है।
माल – माल छूट गया।
वस्तु – वस्तु अच्छी है। वाहन
वाहन – वाहन नया है।
रीत – रीत उसकी रीत नई है।
हाट – शाम का हाट लग गया।
दारूवृति – उसकी दासवृत्ति अच्छी है।
बानक – उका बानक अच्छा है।

प्रश्न 3.
कविता से संज्ञा पदों का चुनाव करें और उनके प्रकार भी बताएं।
उत्तर-
वस्तु – जातिवाचक
नर – जातिवाचक
भारतीयता – भाववाचक
भारत – व्यक्तिवाचक संज्ञा
मनुज – जातिवाचक संज्ञा
भारती – व्यक्तिवाचक
चाल-चलन – भाववाचक
देश – जातिवाचक
विदेश – जातिवाचक
बरून – जातिवाचक
गृह – जातिवाचक
हिन्दुस्तानी – जातिवाचक
नगर – जातिवाचक
हाटन – जातिवाचक
धोनी – जातिवाचक
खुशामद – भाववाचक

काव्यांशों पर आधारित अर्थ-ग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

सवै बिदेसी वस्तु नर, गति रति रीत लखात।
भारतीयता कछु न अब, भारत म दरसात।।
मनुज भारती देखि कोउ, सकत नहीं पहिचान।
मुसलमान, हिंदू किधौं, के हैं ये क्रिस्तान।
पढ़ि विद्या परदेस की, बुद्धि विदेसी पाय।
चाल-चलन परदेस की, गई इन्हें अति भाय।।

प्रश्न
(क) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(ख) पद का प्रसंग लिखें।
(ग) पद का सरलार्थ लिखें।
(घ) भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कवि-बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन कविता- स्वदेशी।

(ख)प्रस्तुत दोहे में कवि भारत से भारतीयता का लोप होने की बात कहता है। वे आज के यथार्थ को उजागर करने का पूर्ण प्रयास किये हैं। वर्तमान समय में विदेशी विधा, रहन-सहन, चाल-चलन सब भारतीय लोगों पर हावी है। लोग विदेशी रंग में रंगकर अपनी असलियत भूल गये हैं। इन्हीं तथ्यों को इन दोहों के माध्यम से कवि उजागर करने का प्रयास करते हैं।

(ग) सरलाई कवि भारतीय सभ्यता और संस्कृति की धूमिलता पर आक्षेपित स्वर में कहते हैं कि सभी जगह से भारतीयता समाप्त हो गई है। यहाँ के लोग विदेशी वस्तुओं पर रीझे हुए हैं। यहाँ तक कि विदेशी संस्कृति सभ्यता अपनाकर स्वदेशी संस्कृति सभ्यता को धूमिल कर दिये हैं। सभी जगह विदेशी स्वभाव, लगाव एवं नियम देखने को मिल रहे हैं। भारतीयता कुछ नहीं है, जो भारत में दर्शन हो। यहाँ तक कि यहाँ के लोग अपनी संस्कृति को देखकर भी पहचान नहीं रहे हैं। यहाँ के मुसलमान और हिन्दू किधर गए हैं। इसकी तो बात ही नहीं है। जैसे लगता है कि संपूर्ण देश अंग्रेजीमय हो गया है। विदेशी विद्या पढ़ कर बुद्धि भी विदेशी पा गये हैं। यहाँ तक की विदेशी चाल-चलन यहाँ के लोगों को बहुत आकर्षित कर रही है।

(घ) भाव-सौंदर्य प्रस्तुत कविता में भारतीय सभ्यता और संस्कृति की वर्तमान स्थिति कितनी बदतर हो गई है यह जग-जाहिर है। स्वदेशी वस्तु को अपनाना घृणा की बात और विदेशी वस्तु को अपनाना गर्व की बात समझ रहे है। हिन्दू और मुसलमान सभी अंग्रेजीमय वातावरण
को स्वीकार कर लिये हैं।

(ङ) काव्य-सौंदर्य-

  • प्रस्तुत कविता स्वदेशी में हिन्दी खड़ी बोली का व्यवहार स्पष्ट दिखाई पड़ता है।
  • यहाँ खड़ी बोली के साथ-साथ ब्रजभाषा की पुट एवं तत्सम्-तद्भव की झलक भाव की कोमलता में सहायक हुए हैं।
  • भाव के अनुसार भाषा का प्रयोग सार्थक बन पड़ा है।
  • दोहे छंद के सभी लक्षण यहाँ उपस्थित हैं।
  • अलंकार की दृष्टि से अनुप्रास की प्राथमिकता देखी जा रही है। कहीं-कहीं पुनरुक्ति प्रकाश का अंश है।

2. ठटे बिदेसी ठाट सब, बन्यो देस बिदेस।
सपनेहूं जिनमें न कहुँ, भारतीयता लेस।।
बोलि सकत हिंदी नहीं, अब मिलित हिंदू लोग।
अंगरेजी भाखन करत, अंगरेजी उपभोग।
अंगरेजी बाहन, बसन, वेष रीति और नीति।
अंगरेजी रुचि, गृह, सकल, बस्तु देस विपरीत॥

प्रश्न
(क) कवि तथा कविता का नाम लिखें।
(ख) पद का प्रसंग लिखें। ।
(ग) सरलार्थ लिखें।
(घ) भाव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क)कविता- स्वदेशी।
कवि बदरीनारायण चौधरी ‘प्रेमघन’।

(ख) प्रसंग-प्रस्तुत कविता में देश भक्ति की भावना ओत-प्रोत है। भारत में विदेशी सभ्यता और संस्कृति का जो पदार्पण हो गया है उसी पर कवि यथार्थ शैली में लिखकर लोगों को नव-जागरण की ओर ले जाना चाहते हैं।

गोमालाई प्रस्तुत कविता में कवि कहते हैं कि सभी जगह हमारे देश में विदेशी ठाट-बाट ही देखने को मिल रहे हैं। लगता है कि स्वप्न में भी लेश मात्र भारतीय सभ्यता नहीं है। यहाँ के हिंदू लोग भी हिन्दी बोलने में असमर्थ हो रहे हैं। हिन्दी बोलने में उन्हें तौहिनी महसूस होती है। अंग्रेजी बोलकर गौरवान्वित होते हैं और अंग्रेजी वस्तु का उपभोग करना प्रसन्नता की बात समझते हैं।
अंग्रेजी वाहन, वस्त्र, वेश-भूषा, नियम और नीति, रुचि और अभिलाषा, घर और वस्तु सभी अपनाकर अपने देश के विपरीत कार्य कर रहे हैं।

(घ) भाव-सौंदर्य प्रस्तुत अंश में विदेशी ठाट-बाट पर कटाक्ष करते हुए भारतीयता पर सवाल उठाया गया है। कवि की दृष्टि में आज भारत की सम्पूर्ण भारतीयता विदेशी संस्कृति सभ्यता में समाहृत हो गई है। यहाँ की रहन-सहन, खान-पान, वेश-भूषा ये सभी अंग्रेजीमय हो गये हैं।
(क) काव्य-मोदर्य

  • सम्पूर्ण कविता दोहे छंद में लिखी हुई है।
  • दोहे का सम्पूर्ण लक्षण उपस्थित होने के कारण कविता गेय हो गई है। खड़ी बोली के साथ-साथ ब्रजभाषा की प्राथमिकता है।
  • अलंकार की दृष्टि से अनुप्रास की प्राथमिकता है। प्रसाद गुण अपने पूर्ण वातावरण में उपस्थित है।

3. हिन्दुस्तानी नाम सुनि, अब ये सकुचि लजाता
भारतीय सब वस्तु ही, सों ये हाय धिनात॥
देस नगर बानक बनो, सब अंगरेजी चाल।
हाटन मैं देखहु भरा, बसे अंगरेजी माल।।
जिनसों सम्हल सकत नहिं तनकी, धोती ढीली-ढाली।
देस प्रबंध करिहिंगे वे यह, कैसी खाम खयाली॥
दास-वृत्ति की चाह चहूँ दिसि चारह बरन बढ़ाली।
करत खुशामद झूठ प्रशंसा मानहुँ बने डफाली।

प्रश
(क) कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
(ख) पद का प्रसंग लिखिए।
(ग) सरलार्थ लिखिए।
(घ) भव-सौंदर्य स्पष्ट करें।
(ङ) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क)कविता-स्वदेशी।
कवि-बदरीनारायण चौधरी प्रेमघन।
(ख) प्रसंग-प्रस्तुत कविता देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण है। इन दोहों में राष्ट्रीय स्वाधीनता की चेतनो को सहचर बनाया गया है। साथ ही नव-जागरण का स्वर मुखरित किया गया है। विदेशी वस्तु का भारत में स्वीकार एवं स्वदेशी वस्तु के तिरस्कार पर यथार्थ चित्रण किया गया है।

(ग) सरलार्थ-कवि कहते हैं कि भारत के लोग हिन्दुस्तानी शब्द से अपने आपको सम्बोधित करते हुए भी संकोच करते हैं। सभी भारतीय वस्तुओं का प्रयोग करते हुए घृणा करते हैं।

देश, नगर सभी जगह अंग्रेजी वेश-भूषा और चाल-ढाल देखी जा रही है। यहाँ के बाजारों ‘ में भी अंग्रेजी माल भरे पड़े है। जबकि यहाँ के लोग अपनी वेश-भूषा भी नहीं संभाल रहे हैं तो विदेशी प्रबंध को, जो पूर्ण जटिल हैं, उन्हें संभालने की यहाँ के लोग केवल कोरी कल्पना ही करते हैं। देखा जा रहा है कि यहाँ के लोगों में गुलामी के वातावरण में जीवन-यापन करने की आदत हो गई है। चारों ओर इसी का भाव मिल रहा है। खुशामद करना तथा झूठी प्रशंसा करना, झूठे राग की डफली बजाना यहाँ के लोगों की संस्कृति बन गई है।

(घ) भाव-सौंदर्य-कविता में पूर्ण रूप से लाक्षणिकतावादी स्वर मुखरित हुआ है। यहाँ विदेशी संस्कृति सभ्यता पर जमकर प्रहार किया गया है और विदेशी संस्कृति सभ्यता अपनाने वालों के प्रति भी कवि का एकमुख संदेश है।

(ङ)काव्य-सौंदर्य-

  • यहाँ दोहे छंद हैं। अलंकार का समायोजन स्पष्ट रूप में नहीं है।
  • देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत रहने के कारण प्रसाद गुण की प्राथमिकता है।
  • भाषीय व्याकरण की दृष्टि से विशेषण लिंग, संज्ञा कारक की उपस्थिति सम्यक् भाषा की अपेक्षा है। भाव के अनुसार भाषा का प्रयोग पूर्ण सार्थक है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

I. सही विकल्प चुनें-

प्रश्न 1.
‘स्वदेशी’ किस कवि की रचना है?
(क) घनानंद
(ख) सुमित्रानंदन पंत
(ग) रामधानी सिंह ‘दिनकर’
(घ) प्रेमधन
उत्तर-
(घ) प्रेमधन

प्रश्न 2.
‘प्रेमधन’ किसका उपनाम है?
(क) सच्चिदानंद हीरा नंद वात्स्यायन
(ख) सूर्यकान्त त्रिपाठी
(ग) बदरी नारायण चौधरी
(घ) वीरेन डंगवाल ।
उत्तर-
(ग) बदरी नारायण चौधरी

प्रश्न 3.
प्रेमधन’ किस युग के कवि थे?
(क) आदिकाल
(ख) भक्तिकाल
(ग) भारतेन्दु युग
(घ) छायावादी युग
उत्तर-
(ग) भारतेन्दु युग

प्रश्न 4.
कवि ‘प्रेमधन’ के अनुसार भारत में आज कौन-सी वस्तु दिखाई नहीं पड़ती? /
(क) भारतीयता
(ख) कदाचारिता
(ग) पत्रकारिता
(घ) अंग्रेजी भाषाः
उत्तर-
(क) भारतीयता

प्रश्न 5.
आजकल भारत के लोग किस भाषा में बोलना पसन्द करते हैं ?
(क) हिन्दी
(ख) मातृभाषा
(ग) अंग्रेजी
(घ) फ्रेंच
उत्तर-
(ग) अंग्रेजी

प्रश्न 6.
इन दिनों भारत के बाजार किन वस्तुओं से भरे पड़े हैं ?
(क) चीनी .
(ख) पाकिस्तानी
(ग) विदेशी
(घ) अफगानी
उत्तर-
(ग) विदेशी

प्रश्न 7.
भारत के लोगों को अब क्या भाने लगा है ?
(क) विदेशी रहन-सहन
(ख) देसी घी
(ग) परदेशी
(घ) आतंक
उत्तर-
(क) विदेशी रहन-सहन

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 1.
अब ……. से भारतीयों को पहचानना कठिन है।
उत्तर-
कपड़ों

प्रश्न 2.
हिन्दुस्तानियों को अब ………..नाम नहीं रुचते।
उत्तर-
हिन्दुस्तानी

प्रश्न 3.
‘स्वदेशी’ कविता …………से संकलित है।
उत्तर-
प्रेमधन-सर्वस्व

प्रश्न 4.
आजकल अधिकांश भारतीयं ………… बोलना पसंद करते हैं।
उत्तर-
अंग्रेजी

प्रश्न 5.
‘भारत-सौभाग्य’ नाटक की रचना ………….. ने की है।
उत्तर-
प्रेमधन

प्रश्न 6.
अब सबकी चाह …………….. की है।
उत्तर-
नौकरी

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘प्रेमघन’ के आदर्श-पुरुष कौन थे ?
उत्तर-
‘प्रेमघन’ के आदर्श-पुरूष भारतेन्दु हरिश्चन्द्र थे।

प्रश्न 2.
‘प्रेमघन’ का गा-लेखन कैसा था?
उत्तर-
प्रेमघन के गद्य-लेखन अत्यंत आलंकारिक थे।

प्रश्न 3.
किन-किन पत्रिकाओं का सम्पादन ‘प्रेमघन’ ने किया?
उत्तर-
‘कादंबिनी’ मासिक और ‘नागरी नीरद’ साप्ताहिक का सम्पादन प्रेमघन ने किया।

प्रश्न 4.
साहित्य-सम्मेलन के किस अधिवेशन का सभापतित्व ‘प्रेमघन’ ने किया?
उत्तर-
साहित्य-सम्मेलन के कलकत्ता अधिवेशन का सभापतित्व प्रेमघन ने किया।

प्रश्न 5.
‘स्वदेशी’ कविता में किस बात पर दुख व्यक्त किया गया है ?
उत्तर-
स्वदेशी कविता में भारत में भारतीयता की कमी पर दुख व्यक्त किया गया है।

याख्या खण्ड

प्रश्न 1.
सबै बिदेसी वस्तु नर, गति रति रीत लखात।
भारतीयता कछु न अब, भारत म दरसात।।
मनुज भारती देखि कोउ, सकत नहीं पहिचान।
मुसलमान, हिन्दु किधौं, के हैं ये क्रिस्तान।।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के ‘स्वदेशी’ ‘काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों में कवि ने गुलाम भारत की दुर्दशा का बड़ा ही मार्मिक चित्र प्रस्तुत किया है। कवि कहता है कि भारतीय लोगों की सूझ-बूझ को क्या कहा जाय-सभी विदेशी आकर्षण की ओर भागे जा रहे हैं। उनका अपना ‘स्व’ सुरक्षित नहीं दिखता।

भारतीय जन गी गति, रति, रीति सब कुछ बदल गयी है। वे सब कुछ विदेशी अपना लिये हैं। उनकी अपनी भारतीय विशेषताएँ अब नहीं दिखायी पड़तीं। भारतीयता अब भारत में नहीं रहीं न दिखायी ही पड़ रही हैं।
इन पंक्तियों के द्वारा कवि ने भारतीयता की जगह अंग्रेजियत में रंगों सभ्यता और संस्कृति को चित्रित किया है तथा अपनी भावनाओं को अपनी कविताओं के द्वारा प्रकट कर रहा है।

इन पंक्तियों के द्वारा कवि ने भारतीय लोगों की जाति धर्म के बारे में चिंता प्रकट की है। कवि कहता है कि भारतीय लोगों को देखकर पहचानना मुश्किल हो गया है। कौन हिन्दू है ? कौन मुसलमान है और कौन ईसाई है ? इन पंक्तियों में, बदलती जीवन-शैली और अपनी संस्कृति के प्रति आस्थाहीन होने पर भारतीय लोगों के बारे में कवि ने चिंता प्रकट किया है। वह भारतीय सभ्यता और संस्कृति के बदलते रूप को देखकर भयभीत है-आगे क्या होगा? इसी कारण उसने अपनी काव्य पंक्तियों द्वारा जाति-धर्म की परवाह नहीं करते हुए स्वच्छंद और अनुशासनहीन जीवन जीनेवालों का सही चित्र उकेरा है।

प्रश्न 2.
पढ़ि विद्या परदेसी की, बुद्धि विदेसी पाय।
चाल-चलन परदेसी की, गई इन्हैं अति भाय॥
ठटे बिदेसी ठाट सब बन्यो देस बिदेस।
सपनेहैं जिनमें न कहं, भारतीयता लेस॥
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक के स्वदेशी’ काव्य पाठ से उद्धत्त की गयी हैं। इन पंक्तियों के द्वारा कवि कहना चाहता है कि भारतीय लोग विदेशी विद्या को पढ़ने की ओर उन्मुख है, विदेशी विद्या के अध्ययन के कारण इनकी बुद्धि-विचार भी विदेशी-सा हो गया है। दूसरे देश की चाल-चलन, वेश-भूषा, रीति-नीति, इन्हें बहुत अच्छी लग रही है। इनकी मति मारी गयी है।

कवि ने विदेशी ज्ञान प्राप्त करनेवाले भारतीय लोगों की मानसिकता का सही चित्रण किया है। कवि कहता है कि अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति इनका मोह नहीं रहा। ये अब विदेशी रहन-सहन में ढल गए हैं, यह खेद का विषय है। आधुनिकता की ओर उन्मुख भारतीय शिक्षित वर्ग की अदूरदर्शिता के प्रति कवि ने घोर निंदा प्रकट करते हुए अपनी मनोव्यथा को व्यक्त किया है।

इन पंक्तियों द्वारा कवि यह कहना चाहता है कि अपने ही देश में सारे ठाट-बाट ने विदेशी रूप धारण कर लिया है। सभी लोग अंग्रेजियत से प्रभावित रहन-सहन, सोच-विचार में ढल गए हैं। सबकी मानसिकता विकृत हो गयी है। किसी को भी अपनी निजता, इतिहास, अस्तित्व के प्रति गर्व नहीं, सभी-लोभी और महत्त्वाकांक्षी हो गये हैं।

प्रश्न 3.
बोलि सकत हिन्दी नहीं, अब मिलि हिंदू लोग।
अंगरेजी भाखन करत, अंगरेजी उपभोग।।
अंगरेजी बाहन, बसन, वेष रीति औ नीति।
अँगरेजी रूचि, गृह, सकल, वस्तु देस विपरीत।
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘स्वदेशी’ काव्य पाठ से ली गयी हैं। इन पक्तियों के द्वारा कवि कहना चाहता है कि अब भारतीय लोगों को हिन्दी में बोलने, पढ़ने-लिखने में लज्जा का अनुभव होता है। हिन्दुओं के लिए यह अत्यन्त खेदजनक है। अंग्रेजी में ही बातचीत सभी लोग करते हैं और अंग्रेजी वस्तुओं का ही उपभोग भी करते हैं।

इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ने अंग्रेजी वाहन, वसन या वस्त्राभूषणादि के अपनाये जाने की घोर निन्दा और उसपर चिंता प्रकट किया है। हमारी अंग्रेजी के प्रति बढ़ती रुचि की ओर, गृह-साज-सज्जा की ओर, उक्त सारी वस्तुओं के प्रयोग की ओर कवि ने ध्यान आकृष्ट करते हुए दुःख प्रकट किया है। हमारी घटिया मनोवृत्ति से कवि व्यथित है। उसके भीतर कूट-कूटकर भारतीयता भरी हुई है। इसी कारण वह भारतीय जन की बदलती हुई जीवन शैली से दु:खी है।

प्रश्न 4.
हिन्दुस्तानी नाम सुनि, अब ये सकुचि लजात।
भारतीय सब वस्तु ही, सों ये हाय घिनात॥
देस नगर बानक बनो, सब अंगरेजी चाल।
हाटन मैं देखहु भरा, बसे अंगरेजी माल॥
व्याख्या-
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक के ‘स्वदेशी’ काव्य-पाठ से ली गयी हैं। इन पंक्तियों के द्वारा कवि ने भारतीय जन चेतना के बदलते स्वरूप के प्रति खेद प्रकट किया है। कवि कहता है कि हिन्दुस्तानी नाम और उत्पादन को देखकर सभी लोग लेने से सकुचाते हैं और लजाते हैं। सारी भारतीय वस्तुओं से घृणा करते हैं। खेद की बात है कि सारी दुनिया के लोग अपने अस्तित्व और इतिहास की रक्षा करते हैं, सभ्यता और संस्कृति के पक्षधर हैं, जबकि हम अपने ही घर में, देश में अपने लोगों, अपनी वस्तुओं और अपनी भाषा एवं नाम से घृणा करते हैं। अंग्रेजियत को पसंद करते हैं। यह हमारे लिए काफी चिंतनीय है।

इन पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहता है हम अपनी नागरी भाषा को भूल गए हैं। सभी लोग अंग्रेजी चाल-ढाल में ढलते जा रहे हैं। हाट-बाट में भी अंग्रेजी माल की भरमान है और देशी-माल की ओर लोगों की निगाह भी नहीं जाती। सभी लोग पाश्चात्य संस्कृति, पहनावा, खान-पान, उत्पादनों के उपभोग में रुचि ले रहे हैं। यह हमारे लिए शर्म की बात है। हम भारतीय हैं तो भारतीयता के प्रति सजग रहना चाहिए, लेकिन हम पथ-विमुख होकर जी रहे हैं।

स्वदेशी कवि परिचय

प्रेमघन जी भारतेन्दु युग के महत्त्वपूर्ण कवि थे । उनका जन्म 1855 ई० में मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ और निधन 1922 ई० में। वे काव्य और जीवन दोनों क्षेत्रों में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को अपना आदर्श मानते थे । वे निहायत कलात्मक एवं अलंकृत गद्य लिखते थे। उन्होंने भारत के विभिन्न स्थानों का भ्रमण किया था। 1874 ई० में उन्होंने मिर्जापुर में ‘रसिक समाज’ की स्थापना की। उन्होंने ‘आनंद कादंबिनी’ मासिक पत्रिका तथा ‘नागरी नीरद’ नामक साप्ताहिक पत्र का संपादन किया । वे साहित्य सम्मेलन के कलकत्ता अधिवेशन के सभापति भी रहे । उनकी रचनाएँ ‘प्रेमघन सर्वस्व’ नाम से संग्रहीत हैं।

प्रेमघन जी निबंधकार, नाटककार, कवि एवं समीक्षक थे । ‘भारत सौभाग्य’, ‘प्रयाग रामागमन’ उनके प्रसिद्ध नाटक हैं। उन्होंने ‘जीर्ण जनपद’ नामक एक काव्य लिखा जिसमें ग्रामीण जीवन का यथार्थवादी चित्रण है । प्रेमघन ने काव्य-रचना अधिकांशत: ब्रजभाषा और अवधी में की, किंतु युग के प्रभाव के कारण उनमें खड़ी बोलीं का व्यवहार और गद्योन्मुखता भी साफ दिखलाई पड़ती है । उनके काव्य में लोकोन्मुखता एवं यथार्थ-परायणता का आग्रह है । उन्होंने राष्ट्रीय स्वाधीनता की चेतना को अपना सहचर बनाया एवं साम्राज्यवाद तथा सामंतवाद का विरोध किया ।

‘प्रेमघन सर्वस्व’ से संकलित दोहों का यह गुच्छ ‘स्वदेशी’ शीर्षक के अंतर्गत यहाँ प्रस्तुत है। इन दोहों में नवजागरण का स्वर मुखरित है। दोहों की विषयवस्तु और उनका काव्य-वैभव इसके शीर्षक को सार्थकता प्रदान करते हैं । कवि की चिंता और उसकी स्वरभंगिमा आज कहीं
अधिक प्रासंगिक है।

स्वदेशी Summary in Hindi

पाठ का अर्थ

भारतेन्दु युग के प्रतिनिधि कवि प्रेमधन जी हिन्दी साहित्य के प्रखर कवि है। ये काव्य और जीवन दोनों क्षेत्रों में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र को अपना आदर्श मानते थे। प्रेमधन जी निबंधकार नाटककार कवि एवं समीक्षक थे। इनकी काव्य रचना अधिकांशतः ब्रजभाषा और अवधी में है
युग के प्रभाव से खड़ी बोली का व्यवहार और गधोन्मुखता साफ झलकती है।

प्रस्तुत कविता में कवि राष्ट्रीय स्वाधीनता की चेतना को अपना सहचर बनाकर साम्राज्यवाद एवं सामंतवाद का विरोध किया है। लोगों की सोच उनके कुंठित मानसिकता का परिणाम है। आज विदेशियों वस्तुओं में लोगों की आसक्ति बढ़ गई है। भारतीयता का कहीं नामोनिशान नहीं दिखता है। हिन्दु, मुस्लमान, ईसाई आदि सभी पाश्चात्य संस्कृति को धड़ले से अपना रहे हैं। पठन-पाठन, खान-पान, पहनावा आदि सभी विदेशियों चीजों की तरफ आकर्षित हो गये हैं।

आज सर्वत्र अंग्रेजी का बोल-बाला है। पराधीन भारत की दुर्दशा बढ़ती जा रही है। हिन्दुस्तान के नाम लेने से कतराते हैं। बाजारों में अंग्रेजी वस्तुओं की भरमार है। स्वदेशी वस्तुओं को हेय की दृष्टि से देखते हैं। नौकरी पाने के लिए ठाकुर सुहाती करने में लगे हैं। वस्तुत: यहाँ कवि समस्त भारतवासियों को नवजागरण का पाठ पढ़ाना चाहता है। पराधीनता की बेड़ी को तोड़कर एक नया भारत की स्थापना करना चाहता है।

शब्दार्थ

गति : स्वभाव
रति : लगाव
रोत : पद्धति
मनुज भारती : भारतीय मनुष्य
क्रिस्तान : क्रिश्चियन, अंग्रेज
बसन : वस्त्र
बानक : बाना, वेशभूषा
खामखयाली : कोरी कल्पना
चारह बरन : चारों वर्गों में
डफाली : डफ बजानेवाला, बाजा बजानेवाला

Bihar Board Class 11 English Book Solutions Chapter 3 A Snake in the Grass

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Bihar Board Class 11 English A Snake in the Grass Textual Questions and Answers

A. Work in small groups and discuss these questions :

A Snake In The Grass Questions Answers Bihar Board Class 11 Question 1.
Have you ever seen a snake in your house/village ?
Answer:
Yes, I have seen a snake in our village

A Snake In The Grass Question Answers Bihar Board Class 11 Question 2.
What was your reaction when you saw it ?
Answer:
I was scared.

A Snake In The Grass Answers Bihar Board Class 11 Question 3.
How did other people of your family or village react to it ?
Answer:
Some of them stood still. Others said that it must be killed.

A Snake In The Grass Story Question Answer Bihar Board Class 11 Question 4.
Did you kill the snake ? Why ?
Answer:
I did not kill it But another mt n killed it. He said it was dangerous and might bite someone.

B. 1. Answer the following questions briefly :

A Snake In The Grass Story Question Answer Pdf Bihar Board Class 11 Question 1.
Why did the cyclist ring the bell ?
Answer:
The cyclist had seen a cobra getting into a bungalow. He rang the bell to warn the inmates to be careful.

Class 11 English Chapter 3 Question Answer Bihar Board Question 2.
Why did Dasa say, ‘There is no cobra’ ?
Answer:
Dasa said there was no snake because he did not like to be disturbed in his sleep. .

A Snake In The Grass Meaning Bihar Board Class 11 Question 3.
What happens when someone wakes you up and asks you to do something ?
Answer:
I feel irritated.

English Chapter 3 Class 11 Question Answers Bihar Board Question 4.
What fault did the people find with Dasa ?
Answer:
People said that Dasa was the laziest servant. He did not keep the surroundings tidy.

A Snake In The Grass Story Bihar Board Class 11 Question 5.
Do you find fault with the person who refuses to do what you want him to do ?
Answer:
Yes, I do.

Class 11 English Chapter 3 Bihar Board Question 6.
What was Dasa’s defence ?
Answer:
Dasa said he had been asking for a grasscutter for months but he did not get any. So he could not cut the grass.

A Snake Charmer’s Story Question Answer Bihar Board Question 7.
What does ‘with cynical air’ mean ?
Answer:
Here this means that Dasa was not convinced that there was a cobra in the grass.

A Snake In The Grass Text Book Questions And Answers Bihar Board Question 8.
Why did the college-boy quote statistics ?
Answer:
He wanted to give an authentic proof that the cobra was deadly and it could bite and kill.

A Snake In The Grass Meaning In Hindi Bihar Board Question 9.
What made the mother nearly scream ?
Answer:
The mother was terrified. She was afraid that the cobra was sure to bite someone of her family.

B. 2. Answer the fdllowingquestions briefly :

Question 1.
What made the old beggar happy ?
Answer:
The old beggar was happy because she considered the snake as God Subramanya. She said the householders were fortunate.

Question 2.
What did the beggar woman say ?
Answer:
She asked the householders not to kill the snake. She promised to c send a snake-charmer to catch it.

Question 3.
Why did the snake-charmer look helplessly about ?
Answer:
The snake-charmer looked helplessly about because there was no snake in sight. He said he could catch the snake only if they showed it to him.

Question 4.
Why did they cut down all the plants and grass in the garden ?
Answer:
They cut down all the grass and plans in the garden so that the cobra had no place to hide itself.

Question 5.
Cite instances from the lesson which show the old mother’s superstitious nature ?
Answer:
The mother agreed with the old beggar that the cobra was God Subramanya. She was repentent that she had forgotten all about the promised Abhishekam. She gave a coin to the beggar to get God’s blessings. She also wished she had put some milk in a pot for the Cobra as a religious duty.

Question 6.
Did Dasa, in your opinion, really catch the cobra ?
Answer:
I don’t think Dasa caught the cobra. He just pretended that the snake was in the pot. The cobra was seen coming out of a hole soon after Dasa had left with the pot.

Question 7.
What impression of Dasa do you get from this episode ?
Answer:
Dasa was an easy-going person. He shirked work. But he was quite clever at inventing stories and making excuses.

C. 1. Long Answer Questions :

Question 1.
The neighbours who assembled to hear of cobra talk about several things. Make a list of the issues they touch upon. What does the conversation suggest about the people’s reaction when danger strikes ?
Answer:
They talk about the laziness of Dasa.
They talk of scarcity of things during the war.
They talk about black-marketing.
The talk about the danger of snake-bite in the world.

The conversation suggests that when danger strikes, people like to blame someone. They think if Dasa had cut the grass, the cobra would not have come into the garden. Dasa tries to defend himself because he has not been given a grasscutter. Then the discussion shifts to war. They try to defend themselves by saying that they could not buy anything made of iron on account of war.

They then say how some people try to exploit the situation. The blame the merchants for indulging in black marketing and profiteering during scarcity of things. The college-boy gives statistics about number of deaths caused by snake-bite. He makes the danger appear really threatening. The conversation suggests that when danger strikes, people try to blame others. They look for scapegoats.

Question 2.
How do you react when your parents chide you for neglecting your duties?
Answer:
When my parents chide me for neglecting my duty, I feel very bad. I don’t confess that is way fault. Instead, I try to blame it on circumstances or some obstacles that hindered me from doing my duty. I try to blame someone or something.

Question 3.
Read carefully the following utterances of Dasa:
‘There is no cobra’.
‘Where is the snake ?’
‘I have caught him in this.’
‘Don’t call me an idler hereafter.’
What do these utterances tell about Dasa’s character ?
Answer:
These utterances of Dasa show that he was a leisurely man who would not be provoked into doing something. He refused to believe that there was a snake, and when no snake was found, he said triumphantly, “Where is the snake ?” Still he felt that the immates of the house were still afraid that the snake was there. So he thought of a clever plan. He pretended to have caught the snake in a pot. He won the admiration of all. He asserted that he was not an idler.

He proved that he was an intelligent man and could achieve singlehandedly what they all together could not do. His plan had almost succeeded. But the cobra was seen, and luckily it went out of the gate and disappeared. Dasa must have asserted that he had actually caught a snake, and there must have been a couple of them in the garden.

Question 4.
Does the story throw any light on how people faced with sudden danger behave ?
Answer:
It is quite natural to be frightened if any sudden danger falls unexpectedly. This was the situation with the people who were present there. They became panick. In the situation of turmoil they began to charge over the servant dasa. They even made allegations on one-another for their being responsible in inviting danger. They suggested a number of opinions in connection with the danger. The mother became frightened and began to cry in a loud voice. Dasa was not showing any reaction. Inmates with the help of the neighbours cut grass and creepers with sharp knifes and other weapons. They were jointly making effort to clean the compound where the cobra was hidden.

An old beggar woman appeared at the gate of the bungalow who asked for alms. On this the inmates told her to go away as they were busy in searching the cobra. .She advised them not to kill the cobra, as it was God Subramanya. The mother was convinced with the beggar woman’s advise. The beggar promised to send a snake charmer. A snake charmer came to the place but he showed his inability because the cobra disappeared. He told them to inform him when the cobra appeared. Finally the cobra was seen coming out of the hole of compound wall.

Thus the behaviour of the people to see the sudden danger has been traced.

Question 5.
Narrate in brief the people attempt to catch the cobra.
Answer:
Hearing the news of the cobra neighbours gathered on the gate of the bungalow. They began to think any way to catch the cobra. The members of the family were worried. They shook the body of the servant Dasa, who was sleeping in a shed. Feeling disturbed he was annoyed and told that there was no cobra in the compound. The mother of the family child him and told him to catch the cobra before the evening. Everybody began to chide him for his slackness. The neighbours aiso charged him for not keeping the compound clean. He defended himself by saying that he had been asking to buy a grass cutter for a long time.

The inmates and neighbours began to talk about the grass-cutter. They told that the price of grass cutter was very high due to war at that time. The inmates with the help of the neighbours cleaned the grass and bushes with sharp knife and other weapons. They youngest son was a college boy who presented a data of casuality due to snake-bite which was 30,000 every year that means one person in every twenty minutes. The land lady cried out of fear. Meanwhile Dasa appeared there with a sealed water-pot. He put the pot down and told them that he had caught the cobra in the water I pot.

He put the water pot down and narrated the strategy he had employed to catch it. The land lady thanked him for his brave work. He told her that he was I going to hand over the cobra to a snake-charmer who was living nearby. Then the land lady poured some milk in the pot. Dasa walked off with the water pot to hand over it to the snake-charmer. Five minutes after the deprrture of Dasa the youngest son was a cobra coming out a hole in the compound. The cobra moved under the gate and disappeared along a drain.

Thus the story flashes light on the truth how the people made attempt to catch cobra.

Question 6.
Narrate in brief what the snake charmer tells about catching a snake.
Answer:
Hearing the news of cobra people gathered in the compound of the bunglow. They were very much fearful and talking about the way how the cobra would come out. Suddenly a snake charmer appeared. All the people gathered around him they began to request him to catch the cobra. He narrated so many stories of his bravery how he had caught the snake in adventurous way. The people gathered there pointed out the direction where cobra had gone. But the snake charmer showed his inability to catch the snake because the snake had been disappeared. He advised them to inform him and when the cobra appeared. Then only it could be possible to catch the snake.

C. 2. Group Discussion :

Discuss the following in groups or pairs:

Question a.
Giving milk to snake is a religious duty. Do you agree ? Give reasons in favour of your argument
Answer:
Many people in India consider the cobra as a holy creature. It is associated with Lord Shiva. It is always garlanded around his neck. Some people consider it a pious duty to give milk to a cobra. But I think it is no religious duty. Those very people who worship the cobra are likely to be frightened when they come across one in their homes or in a jungle. Many will think of killing it. In our country and elsewhere snakes are killed at first sight, Of course, some of the snakes are poisonous and can kill a human in no time. Still, we can do a religious duty to them. No doubt we should protect ourselves from snake, but we should not kill them. They a:c part of our ecology and hold an important position in food-chain. They eat rats and frogs. Milk is not their natural food.

Question b.
For every danger or calamity we tend to find a scapegoat. Do you subscribe to this view ? Give examples from the life around you.
Answer:
Answer:
I fully subscribe to the view that for every trouble we tend to find a scapegoat. Whenever something goes wrong and harms us all, we are likely to blame someone weak and defenceless. There have been a number of railway accidents.In most cases it was ascribed to human failure. And the man who failed to do his duty was a poor signal man. In such a big whose failure causes accidents ? But someone has to be blamed to let other go scot-free. If it is not a human being, it is some natural or abstract thing. It may be darkness, sudden rains and storms, or God Himself who is the scapegoat. We are often heard to say, “It was bad luck that caused it,” or “it was an act of God”.

Few have the courage to say, “I am responsible for it.”

(c) Story telling is an effective way of teaching.
Answer:
From time immemorial people have been telling and listening stories. Stories are fascinating, entertaining and informative. Every culture has its own folktales that have come down from generation to generation. Our great teachers realised that teaching something becomes far easier through stories. That is why our purans are full of stories. We know how panchatantra came . into being. A king’s sons were so mischievous that no teacher could teach them. Then a great teacher, Vishnu Dutta, invented a new technique. He told them stories that contained great wisdom. Those stories are still read and enjoyed. One can seldom forget an interesting story and is sure to learn the wisdom contained in it. A good teacher makes his teaching more effective and more interesting by telling stories.

C. 3. Composition :

Question a.
Write an essay in not more than 200 words on how superstitions influences lives in our society.
Answer:
Superstitions Influence our Lives

No matter Which part of the world you tour, you will find the natives nurturing certain beliefs and superstitions and India is no exception in this case. Though the Indian society is fast progressing, there are many people who are still superstitious and have a strong faith in the local beliefs. While some of them are quite hilarious, few are really interesting, as many aspects of life are linked to them.

The standard viewpoint is that most of the Indian beliefs and values have sprung with an objective to protect from evil spirits, but some were based on scientific reasoning. With the passage of time, the reasoning part behind the origin of these cultural beliefs and superstitions got eroded. That is exactly why most of these beliefs appear unsubstantiated and false. However, in reality, there are many such beliefs in the Indians culture which are absolutely absurd and have no logic behind them.

Superstitions are deemed as pertinent in India because these, generally, hint at future occurrences and can be either good or bad. Thus, anything from the call of a bird to the falling of utensils is considered on omen in India.

Similarly, other auspicious signs could be cawing of a black crow in one’s house, as it forecast the arrival of guests. Seeing a peacock on a journey is also considered lucky, but hearing its shrill sound is bad. Indians feels happy if a sparrow builds a nest in new house because it signals good fortune. A very old belief is that if you kill a cat, you have to offer one in gold to a priest. This belief or superstition was concocted by the priests to protect the cats which are useful in killings the rats in people’s houses.

Indians often consult astrological charts to fix an auspicious time for things. Even the daily life of Indians is governed by beliefs and superstitions. For example, Monday is not an auspicious day for shaving and Thursday is a bad day for washing one’s hair.

Question b.
Write a paragraph in about 100 words on the art of snake-charming,
Answer:
Snake charming

Snake-charming is the practice of apparently hypnotising a snake by . simple playing an instrument. A typical performance may also include handling the snake or performing other seemingly dangerous acts, as well as other street performance staples, like juggling and sleight of hand. The practice ‘ is most common in India, though it is also prevalent in other Asian nations. Many snake-charmers live a wandering existence, visiting towns and villages on market days and during festival. With a few rare exceptions, however, they typically sit out of biting range, and his animal is sluggish and not inclined to attack anyway.

More drastic means of protection include removing the creature’s fangs or venom glands, or even sewing the snake’s mouth shut. The most popular species are house natives to the snake-charmer’s home region, typically various kinds of cobras, though vipers and other types are also used.

D. Word-Study :
D. 1. Dictionary Use :

Ex. 1. Correct the spelling of the following words:
Bihar Board Class 11 English Book Solutions Chapter 3 A Snake in the Grass 1
Answer:
Bihar Board Class 11 English Book Solutions Chapter 3 A Snake in the Grass 2

Ex. 2. Look up a dictionary and write two meanings of each of the following words—the one in which it is used in the lesson and the other which is more common:
Bihar Board Class 11 English Book Solutions Chapter 3 A Snake in the Grass 3
Answer:
Swear: (i) (Here) force to follow a certain course of action.
(ii) a Promise

Chant: (i) (Here) spoke in a sing-song way
(ii) to spell

Glare: (i) bright light
(ii) stare in an angry way

Cover: (i) to extend over
(ii) to overlay

Measure : (i) means to end
(ii) size, limit, unit of capacity

Repair: (i) (Here) to go
(ii) to mend

Knock: (i) to strike with a blow
(ii) collide with

Watch: (i) look at attentively
(ii) a small time-piece

D. 2. Word-formation :

Look at the following examples :

The inner walls brightened with the unobstructed glare.

The snake disappeared along the drain.

You see that in the first exammle prefix ‘un’ is added with ‘obstructed’ which is Past Participle but is used there as an Adjective. In the second example, prefix ‘dis’ is added to a verb. In both the cases we get the opposite meaning.

Ex. 1. Use un’—and ‘dis’ suitably before each of the following words and use them in sentences of your own. The first one is done for you.

liked – disliked – Naghaz disliked getting up early.
Bihar Board Class 11 English Book Solutions Chapter 3 A Snake in the Grass 4

Answer:
obeyed – disobeyed – He disobeyed his parent.
crowned – uncrowned – The Prince remained uncrowned.
solved – dissolved – The Governor dissolved the assembly.
believed – disbelieved – She disbelieved the incident.
changed – unchanged – Our programme is still unchanged.
connected – disconnected – The wireman disconnected the line.
decided – undecided – The programme is still undecided.
announced – unannounced – The date of examination is unannounced
agreed – disagreed – They disagreed with us.
noticed – unnoticed – The snake remained unnoticed
qualified – unqualified – He was unqualified person.

D. 3. Word-meaning :

Ex. 1. Match the words given in Coiumn-A with their meanings given in Column-B:
Bihar Board Class 11 English Book Solutions Chapter 3 A Snake in the Grass 5
Answer:
Bihar Board Class 11 English Book Solutions Chapter 3 A Snake in the Grass 6

D. 4. Phrases :

Ex. 1. Read the lessons carefully and find out the sentences in which the following phrases have been used. Then use them in sentences of your own:
swear at – drop in – beat about the brush
ask for – send for – butt in
Answer:
Sentences from the lesson:
They swore at him and forced him to take an interest in the cobra.
Some neighbours dropped in.
I have been asking for a grass-cutter for months.
The fellow is beating about the bush, someone cried aptly.
At this point the college-boy of the house butted in with ……….

The moment you see it again, send for me.
Sentences with the use of the said phrases:

I swore at the worker and forced him to complete the work soon.
When I was ready to go out, some guests dropped in.
We have been asking for increment for months.
They were beating about the bush to find out the snake.
We were discussing the topic when the teacher butted in.
If you need any help, send for me.

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Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 9 रेल-यात्रा

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 गद्य खण्ड Chapter 9 रेल-यात्रा Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions गद्य Chapter 9 रेल-यात्रा

Bihar Board Class 9 Hindi रेल-यात्रा Text Book Questions and Answers

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solution प्रश्न 1.
मनुष्य की प्रगति और भारतीय रेल की प्रगति में लेखक क्या देखता है?
उत्तर-
मनुष्य की एवं देश की प्रगति राजनीतिक पार्टियों के रास्ते में रोड़े आते हैं रेल की प्रगति में जो समस्याएँ है उसे किसी डिब्बे में घूसे बिना उसकी गहराई को महसूस नहीं किया जा सकता।

Bihar Board Solution Class 9 Hindi प्रश्न 2.
“आप रेल की प्रगति देखना चाहते हैं तो किसी डिब्बे में घुस जाइए”-लेखक यह कहकर क्या दिखाना चाहता है?
उत्तर-
लेखक ने भारतीय रेल की प्रगति में स्वानुभव की बातें कहकर भारतीय रेल की प्रगति को देखने के लिए उत्साहित करता है।

बिहार बोर्ड हिंदी बुक Class 9  प्रश्न 3.
भारतीय रेलें हमें किस तरह का जीवन जीना सिखाती हैं?
उत्तर-
भारतीय रेलें हमें जीवन जीने की कला सिखाती है क्योंकि यदि हम आत्मबल से हीन हैं तो गाड़ी में चढ़ नहीं सकते, वेटिंग लिस्ट में पड़े रहेंगे। अगर हम में आत्मवल है तो जो चढ़ गया उसकी जगह, जो बैठ गया उसकी सीट, जो लेट गया उसकी बर्थ।

Class 9 Hindi Book Bihar Board प्रश्न 4.
‘ईश्वर आपकी यात्रा सफल करें।’ इस कथन से लेखक पाठकों को भारतीय रेल की किस अव्यवस्था से परिचित कराना चाहता है?
उत्तर-
उपर्युक्त वाक्यों को कहकर लेखक यह कहना चाहता है कि अगर ईश्वर आपके साथ है टिकिट आपके साथ है पास में सामान कम और जे पैसा ज्यादा है, तो आप मंजिल तक पहुँच जायेंगे नहीं तो उसी स्टेशन पर वेटिंग लिस्ट में पड़े रहेंगे। लेखक ने भारतीय रेल की इस अव्यवस्था का बड़ा ही सुन्दर चित्रण किया है।

Bihar Board 9th Class Hindi Book Solution प्रश्न 5.
“जिसमें मनोबल है, आत्मबल, शारीरिक बल और दूसरे किस्म के बल हैं उसे यात्रा करने से कोई नहीं रोक सकता। वे जो शराफत और अनिर्णय के मारे होते हैं वे क्यू में खड़े रहते हैं, वेटिंग लिस्ट में पड़े रहते हैं। यहाँ पर लेखक ने भारतीय सामाजिक व्यवस्था के एक बहुत बड़े सत्य को उद्घाटित किया हैं “जिसकी लाठी उसकी भैंस’। इस पर अपने विचार संक्षेप में व्यक्त कीजिए।
उत्तर-
लेखक ने सामाजिक परिवेश में आए बदलाव को बड़े ही सहज ढंग से रेखांकित कर व्यंग्य किया है कि जो कमजोर है उसे और हतोत्साहित किया जाता है। यहाँ शोषण की प्रवृति पर करारी चोट पहुँचाई गई है। जिसकी लाठी उसकी भैंस प्रवृति वाले लोग दूसरे को सारी सुविधाओं से भी वंचित कर स्वयं उसे हथिया लेते हैं। इसमें लेखक ने शोषक और शोषित की जो स्थिति है उस पर करारा व्यंग्य किया है:

व्याख्याएँ

Godhuli Hindi Book Class 9 Bihar Board प्रश्न 6.
निम्नलिखित पंक्तियों में निहित व्यंग्य को स्पष्ट करें-
(क) “दुर्दशा तब भी थी, दुर्दशा आज भी है। ये रेलें, ये हवाई जहाज, यह सब विदेशी हैं। ये न हमारा चरित्र बदल सकती हैं और न भाग्या’ ।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ शरद जोशी द्वारा लिखित, ‘रेल-यात्रा’ शीर्षक से उद्धृत हैं। इसमें लेखक ने बड़े ही रोचक ढंग से रेल-यात्रा में होने वाली दुर्दशा की व्याख्या की है।
लेखक दुर्दशा की चर्चा करते हुए वर्तमान व्यवस्था पर व्यंग्य करता है। वे कहते हैं कि रेल, हवाई जहाज, ये सब विदेशी है। इसमें तो हमारी दुर्दशा तो है ही, वर्तमान, समय से जब हम अपने देश में हैं, वहाँ भी मेरी ही दुर्दशा है। लेकिन मुख्य बात यह है कि हम इस दुर्दशा की स्थिति में भी प्रगति कर रहे हैं और हमने अपना इतिहास (सभ्यता और संस्कृति) नहीं छोड़ा है।

(ख) “भारतीय रेलें हमें सहिष्णु बनाती हैं। उत्तेजना के क्षणों में शांत रहना सिखाती हैं। मनुष्य की यही प्रगति है।”
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ शरद जोशी द्वारा लिखित ‘रेल यात्रा’ शीर्षक से उद्धृत हैं। इसमें लेखक ने रेलयात्रा के माध्यम से व्यंग्यात्मक भाषा में समझाने की कोशिश किया है कि भारतीय रेलें हमें कैसी-कैसी मनोरम शिक्षा देती है जो तर्कशास्त्र का विषय-वस्तु है।

लेखक ने हमें रेल यात्रा के माध्यम से हमारे भीतर के भाव उत्पन्न होते हैं, उसे सहिष्णुता जो बड़े ही सुन्दर उदाहरण के साथ समझाने की कोशिश किया है। लेखक का कहना है कि जब कहीं गाड़ी रूक जाती है तो मन बेचैन हो जाता है, गाड़ी कहाँ रूकी, हमारी मातृभूमि का कौन-सा स्थान है, ऊपर वाले वर्थ पर बैठे हुए व्यक्तियों के सवालों का खामोशी से सहन करता हूँ, शांत-चित्त रहता हूँ। यह इस मनोवैज्ञानिक तथ्य से रेलयात्रा हमें सहिष्णु बनाती है।

(ग) ‘भारतीय रेलें हमें मृत्यु का दर्शन-समझाती हैं और अक्सर पटरी से उत्तरकर उसकी महत्ता का भी अनुभव करा देती हैं।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ शरद जोशी द्वारा लिखित ‘रेलयात्रा’ शीर्षक निबंध से उद्धृत हैं। इसमें लेखक ने दार्शनिक तौर पर रेल यात्रा को मृत्यु का आभास करार देने वाली संज्ञा देकर व्यंग्यात्मक रूप से पाठक को समझाने का प्रयास किया है।
लेखक ने प्रस्तुत लेख में मृत्यु का दर्शन होने की बात पर समझाया है कि रेल में जो भीड़-भाड़ है, उसमें जो कठिनाई है उसके बारे में वह सोचता है कि अगर शरीर नहीं होता, केवल आत्मा होती, तो कितने सुख से यात्रा करती। सशरीर यात्रा । में तो पता ही नहीं चलता कि रेल में चढ़ने के बाद वह कहाँ उतरेगा? अस्पातल में या शमशान में? लेखक ने यहाँ बड़ी चतुराई से मृत्यु के दर्शन का दार्शनिक रूप प्रस्तुत किया है।

(घ) ‘कई बार मुझे लगता है भारतीय मनुष्य भारतीय रेलों से भी आगे है। आगे-आगे मनुष्य बढ़ रहा है, पीछे-पीछे रेल आ रही है।’
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ शरद जोशी द्वारा लिखित रेल यात्रा’ शीर्षक से उद्धृत हैं। इसमें लेखक ने रेल यात्रा में प्रगति की प्रतियोगिता दिखाकर बड़ा ही सुन्दर व्यंग्य किया है।
लेखक का कहना है कि भारतीय मनुष्य आगे बढ़ रहा है। उसे पायदान से लटके, डिब्बे की छत पर बैठे, भारतीय रेलों के साथ प्रगति करते देखकर लेखक अचरज में पड़ जाता है। अगर इसी तरह रेल पीछे आती रही, भारतीय मनुष्य के पास बढ़ते रहने के सिवा कोई रास्ता नहीं रहेगा। रेल चलती रहती है, मनुष्य सफर करते, लड़ते-झगड़ते रातभर जागते बढ़ते रहता है। रेल निशात् सर्वभूतानां। जो संयमी होते हैं, वे रात भर जागते हैं। भारतीय रेल की यही प्रगति है।
लेखक व्यंग्यात्मक शैली में कई सत्य को उद्घाटित करने की चेष्टा करता है। जो सर्वथा समीचीन है।

Class 9 Bihar Board Hindi Solution प्रश्न 7.
रेल-यात्रा के दौरान किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है? पठित पाठ के आधार पर बताइए।
उत्तर-
रेल-यात्रा के दौरान यात्रियों को तो पहले यदि आत्मबल नहीं है तो उसे गाड़ी में चढ़ने ही नहीं दिया जाता है। यदि चढ़ गये तो अपने खड़े तो सामान कहाँ रखें? यदि समान रखें तो अपने कहाँ रहें? उस रेल में चढ़ने के समय भीड़, धक्का-मुक्की, थुक्का-फजीहत, गाली-गलौज इत्यादि परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions प्रश्न 8.
लेखक अपने व्यंग्य में भारतीय रेल की अव्यवस्था का एक पूरा चित्र हमारे सामने प्रस्तुत करता है। पठित पाठ के आधार पर भारतीय रेल की कुछ अवस्थाओं का जिक्र करें।
उत्तर-
भारतीय रेल का समय पर न जाना-आना, टिकट कटाने में मुसीबत, चढ़ने की मुसीबत, सीट न मिलने की मुसीबत इन सारी चीजों को समुचित व्यवस्था नहीं होने को ही लेखक ने भारतीय रेल की अव्यवस्था कहा है।

गोधूलि भाग 1 Class 9 Solution Pdf Download प्रश्न 9.
“रेल विभाग के मंत्री कहते हैं कि भारतीय रेलें तेजी से प्रगति कर रही हैं। ठीक कहते हैं। रेलें हमेशा प्रगति करती हैं।’ इस व्यंग्य के माध्यम से लेखक भारतीय राजनीति व राजनेताओं का कौन-सा पक्ष दिखाना चाहता है। अपने शब्दों में बताइए।
उत्तर-
लेखक ने व्यंग्यात्मक शैली में भारतीय रेल की प्रगति का बड़ा ही । सूक्ष्म विवेचना किया है।
लेखक का कहना है कि मंत्रीजी के अनुसार रेल प्रगति कर रही है। आप रेल की प्रगति देखना चाहते हैं तो डिब्बे में घुसकर देखिए। कितनी परेशानी है? देश की प्रगति के लिए राजनेता कितने उत्साहित होते हैं? मगर देखिए कोई खाते-खाते मर रहा है तो कोई खाने के लिए मर रहा है। यही प्रगति का खेल है जिसे लेखक ने व्यंग्यात्मक शैली में दर्शाया है।

गोधूलि भाग 2 Class 9 Solution Bihar Board प्रश्न 10.
संपूर्ण पाठ में व्यंग्य के स्थल और वाक्य चुनिए और उनके व्यंग्यात्मक आशय स्पष्ट कीजिए।
(1) भारतीय रेल प्रगति कर रही है। लेखक का व्यंग्य है कि हाँ भारतीय रेल ‘ प्रगति कर रही है मगर आप रेल में घुसे तो आपको रेल की प्रगति स्वतः ज्ञात हो जाएगी।

(2) ईश्वर आपकी यात्रा सफल करें। लेखक ने इसमें इतना सुन्दर व्यंग्य किया है कि हम अपनी रेल यात्रा में ईश्वर को भी घसीट लेते हैं क्योंकि उसी के आप भीड़ में जगह बना लेते हैं। अगर ईश्वर आपके साथ है तो सारी सुविधाएँ आपको रेल में मिलेगी। संपूर्ण पाठ में वाक्य को व्यंग्य-पूर्ण अभिव्यक्ति मिली है।

Bihar Board Class 9 Hindi Book Pdf प्रश्न 11.
इस पाठ में व्यंग्य की दोहरी धार है-एक विभिन्न वस्तुओं और विषयों की ओर तो दूसरी अपनी अर्थात् भारतीय जनता की ओर। पाठ से उदाहरण देते हुए प्रमाणित कीजिए।
उत्तर-
पाठ में दोहरी धार है-जैसे मंत्री जी भाषण देते हैं कि रेल प्रगाति कर रही है। दूसरी धार है भारतीय जनता की ओर। इसलिए कि भारतीय रेल तो प्रगति कर रही है मगर उसमें जो अव्यवस्था है उसकी मार सीधे जनता-जनार्दन पर पड़ती है। भारतीय रेल की प्रगति का जितना वर्णन किया गया है उसमें लेखक ने व्यंग्य किया है कि आप भीतर जाइए और देखिए उस अव्यवस्था को, स्वतः पता चल जायगा। प्रगति की राह में कितने अवरोध हैं, कितनी मुसीबतें हैं।

प्रश्न 12.
भारतीय रेलें चिंतन के विकास में सहयोग देती हैं। कैसे? व्यंग्यकार की दृष्टि से विचार कीजिए।
उत्तर-
लेखक ने भारतीय रेल के विकास में चिंतन करने के लिए प्रेरित किया है व्यंग्य के आधार पर। चिंतन की दिशा में ध्यान देने से आदमी उस अवस्था में आता है कि अंतिम यात्रा में मनध्य खाली हाथ रहता है। सामान रखें तो बैठे कहाँ बैठे तो सामान कहाँ रखें, दोनों करेंगे तो दूसरा कहाँ बैठेगा ये सारी बातें चिंतन की मुद्रा में ला देता है और चिंतन की अन्तिम ऊँचाई पर पहुँचा कर दार्शनिक रूप प्रदान करता है।

प्रश्न 13.
टिकिट को लेखक ने ‘देह धरे को दंड’ क्यों कहा है?
उत्तर-
लेखक ने बड़े ही व्यंग्यपूर्ण ढंग से रेल यात्रा की असुविधा को उजागर किया है। लेखक ने कहा है कि लोकल ट्रेन में, भीड़ से दबे, कोने में सिमटे यात्री को जब अपनी देह भारी लगती है, वह सोचता है कि यह शरीर न होता, केवल आत्मा होती, तो कितने सुख से यात्रा करती। टिकट वगैरह का फेरा भी नहीं होता।

प्रश्न 14.
किस अर्थ में रेलें मनुष्य को मनुष्य के करीब लाती हैं?
उत्तर-
रेल पर चढ़ने के समय मुसीबत, फजीहत के बाद जब वह रेल में चढ़ जाता है, रेल पटरी पर चल पड़ती है और एक आदमी दूसरे के शरीर पर ऊँघ रहा होता है तो रेलें मनुष्य को मनुष्य के करीब लाती है।

प्रश्न 15.
“जब तक एक्सीडेंट न हो हमें जागते रहना है” लेखक ऐसा क्यों कहता है?
उत्तर-
लेखक रेल यात्रा के माध्यम से हमें जागृत रहने की सलाह देता है। रेल निशात् सर्व भूतानां। जो संयमी होते हैं, वे रात भर जागते है। रेल में सफर करते, दिन झगड़ते, रातभर जागते, बढ़ते रहने की सलाह देकर लेखक सचेत करता है कि जब तक कोई घटना (एक्सीडेंट) न हो, जागते रहना चाहिए।

नीचे लिखे गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें।

1. रेल विभाग के मंत्री कहते हैं कि भारतीय रेलें तेजी से प्रगति कर रही
हैं। ठीक कहते हैं। रेलें हमेशा प्रगति कराती हैं। वे मुंबई से प्रगति करती हुई दिल्ली तक चली जाती हैं और वहाँ से प्रगति करती हुई मुंबई तक
आ जाती हैं। अब यह दूसरी बात है कि वे बीच में कहीं भी रुक जाती हैं और लेट पहुँचती हैं। पर अब देखिए ना, प्रगति की राह में रोड़े कहाँ नहीं आते? राजनीतिक पार्टियों के रास्ते में आते हैं, देश के रास्ते में आते हैं, तो यह तो बिचारी रेल है। आप रेल की प्रगति देखना चाहते हैं, तो . किसी डिब्बे में घुस जाइए। बिना गहराई में घुसे आप सच्चाई को महसूस नहीं कर सकते।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) रेलमंत्री का भारतीय रेल के संबंध में क्या कथन है? उसकी प्रतिक्रिया में लेखक का क्या कथन है?
(ग) प्रगति की राह के संबंध में लेखक क्या कहता है?
(घ) लेखक के अनुसार हमें रेल की प्रगति देखने के लिए क्या करना चाहिए?
(ङ) इस गद्यांश का आशय लिखिए।
उत्तर-
(क) पाठ-रेल-यात्रा, लेखक-शरद जोशी

(ख) भारतीय रेल के संबंध में रेलमंत्री का कथन है कि यह रेल तेजी से प्रगति कर रही है। रेलमंत्री के इस कथन पर स्वीकृति की मोहर लगाते हुए लेखक का यह व्यंग्यपूर्ण कथन है कि रेलमंत्री ठीक ही कहते हैं कि भारतीय रेलें तेजी से प्रगति कर रही हैं। इस प्रगति का प्रमाण यह है कि भारतीय रेल प्रगति करती हुई दिल्ली तक चली जाती है और फिर वहाँ से प्रगति करती हुई वह मुम्बई आ जाती

(ग) प्रगति की राह के संबंध में लेखक का यह कथन है कि प्रगति पथ पर रोड़े कहाँ नहीं आते हैं? लेखक व्यंग्य के टोन (स्वर) में कहता है कि प्रगति पथ के इसी स्वरूप के कारण भारतीय रेल बीच में कहीं भी रूक जाती है और गंतव्य स्थान पर बिलंब से पहुँचती है। प्रगति पथ की यह बाधा देश हो चाहे राजनीतिक पार्टियाँ, हर के प्रगति पथ पर मुँह बाए खड़ी रहती है।

(घ) लेखक के अनुसार यदि हमें रेल की प्रगति की वास्तविकता से परिचय प्राप्त करना है, या उन्हें सही रूप में देखना है, तो इसके लिए हमें न तो रेलवे का बजट देखना है, न तो रेलमंत्री का भाषण सुनना है और न कोई रिपोर्ट देखनी है। उसके लिए लेखक की यह व्यंग्यपूर्ण सलाह है कि हमें रेल की प्रगति को देखने के लिए रेल के सवारी डिब्बे में बेधड़क घुस जाना चाहिए। वहाँ हमें रेल की सही प्रगति का सही नजारा देखने को मिल जाएगा।

(ङ) इस गद्यांश में लेखक ने भारतीय रेल की तथाकथित प्रगति पर रेलमंत्री के कथन की आलोचना अपने व्यंग्यपूर्ण कथन के माध्यम से की है। लेखक का यह व्यंग्यूपर्ण कथन बड़ा सही और सटीक है कि भारतीय रेल किस रूप में सही प्रगति कर रही है। इसकी प्रगति का तो नजरिया यही है कि यह रेल रोज दिल्ली से प्रगति करती मुंबई पहुँचती है और मुंबई से प्रगति करती फिर दिल्ली पहुँच जाती है। उनकी प्रगति का सच्चा नमूना तो रेलयात्रियों से भरे रेल डिब्बे में घुसकर देखने से ही मिलता है।

2. हमारे यहाँ कहा जाता है-ईश्वर आपकी यात्रा सफल करें। आप पूछ सकते हैं कि इस छोटी-सी रोजमर्रा की बात में ईश्वर को क्यों घसीटा जाता है? पर जरा सोचिए, रेल की यात्रा में ईश्वर के सिवा आपका है कौन? एक वही तो है, जिसका नाम लेकर आप भीड़ में जगह बनाते हैं। भारतीय रेलों में तो यह आत्मा सो परमात्मा और परमात्मा सो आत्मा। अगर ईश्वर आपके साथ है, टिकट आपके हाथ है, पास में सामान कम और जेब में ज्यादा पैसा है, तो आप मंजिल तक पहुँच जाएँगे, फिर चाहे बर्थ मिले या न मिले। अरे, भारतीय रेलों को काम तो कर्म करना है। फल की चिंता वह नहीं करती। रेलों का काम एक जगह से दूसरी जगह जाना है। यात्री की जो दशा हो। जिंदा रहे या मुर्दा, भारतीय रेलों का काम उसे पहुँचा भर देना है।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) रेल-यात्रा करने के समय लोग क्या कहकर शुभकामना व्यक्त
करते हैं? इस कथन की सार्थकता पर प्रकाश डालें।
(ग) लेखक के अनुसार रेल-यात्रा में मंजिल तक पहुँचने में क्या शर्ते
(घ) भारतीय रेलों का क्या काम है?
(ङ) इस गद्यांश का आशय लिखिए।
उत्तर-
(क) पाठ-रेल-यात्रा, लेखक-शरद जोशी

(ख) रेल-यात्रा प्रारंभ करते समय लोग सुख-शांतिमय रेल-यात्रा की संपन्नता के लिए यही शुभ वाक्य कहते हैं-“ईश्वर आपकी यात्रा सफल करें।” लेखक का यह कथन शत-प्रतिशत सार्थक है। आज की रेल-यात्रा कितनी संकटमयी है और इसमें खतरे की कितनी आशंकाएँ बनी होती हैं, यह बात दीगर है। दूसरी ओर इन खतरों तथा मुसीबतों से बचाव के लिए रेल विभाग का प्रबंध कितना पुख्ता है यह भी सब कोई जानते हैं। ऐसी विषम स्थिति में यह सही रूप से कहा जा सकता है कि रेल की यात्रा में ईश्वर के सिवा और कोई रक्षक नहीं है।

(ग) रेल-यात्रा में मंजिल तक पहुँचने के लिए लेखक ने अपने इस व्यंग्यपूर्ण कथन के माध्यम से ये निम्नांकित शर्ते रखी हैं कि यदि ईश्वर आपके साथ हैं, टिकट आपके हाथ है, पास में सामान कम है और जेब में ज्यादा पैसा है तो आप बेधड़क मंजिल तक पहुँचे ही जाएँगे चाहे आपको बर्थ मिले या न मिले। भारतीय रेल तो बेचारी बहुत कर्मशील है। उसका काम ही यात्रियों को ढोकर मंजिल तक पहुँचाना।

(घ) भारतीय रेलें कर्मशील होती हैं उनका एकमात्र यही काम है यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुँचाना। यह काम वे फल-प्राप्ति की किसी इच्छा या आसक्ति से प्रेरित होकर नहीं करतीं। इसलिए यात्री चाहे जिंदा हों या मुर्दा वे हर स्थिति में उन्हें मंजिल तक पहुँचा ही देती हैं।

(ङ) इस गद्यांश में लेखक ने भारतीय रेलों की तथाकथित कर्मशीलता पर और उनकी कर्ममय जीवन-शैली पर व्यंग्य किया है। इसी व्यंग्यपूर्ण कथन के आलोक में लेखक का यह कहना है कि विविध यातनाओं से भरी रेल-यात्रा के क्रम में ईश्वर के सिवा यात्रियों का और कोई रक्षक नहीं है। रेल बेचारी तो हर स्थिति में यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुँचाने के कर्म के निष्पादन के लिए कृतसंकल्प और तत्पर रहती है।

3. भारतीय रेलें चिंतन के विकास में बड़ा योगदान देती हैं। प्राचीन मनीषियों ने कहा है कि जीवन की अंतिम यात्रा में मनुष्य खाली हाथ रहता है। क्यों भैया? पृथ्वी से स्वर्ग तक या नरक तक भी रेलें चलती हैं। जानेवालों की भीड़ बहुत ज्यादा है। भारतीय रेलें भी हमें यही सिखाती हैं। सामान रख दोगे तो बैठोगे कहाँ? बैठ जाओगे तो सम्मान कहाँ रखोगे? दोनों कर दोगे तो दूसरा वहाँ बैठेगा? वो बैठ गया तो तुम कहाँ खड़े रहोगे? खड़े हो गए तो सामान कहाँ रहेगा? इसलिए असली यात्री वो, जो खाली हाथ? टिकट का वजन उठाना भी जिसे कबूल नहीं। प्राचीन ऋषि-मुनियों ने ये स्थिति मरने के बाद बताई है। भारतीय रेलें चाहती हैं, वह जीते-जी आ जाए। चरम स्थिति, परम हलकी अवस्था, खाली हाथ, बिना बिस्तर मिल जा बेटा अनंत में, सारी रेलों को अंततः ऊपर जाना है।

(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) भारतीय रेलें प्राचीन मनुष्यों के किस चिंतन के विकास में योगदान दे रही हैं? क्यों और कैसे? ।
(ग) भारतीय रेलें हमें क्या सिखाती हैं?
(घ) प्राचीन ऋषि-मुनियों ने मरने के बाद की क्या स्थिति बताई है?
भारतीय रेलों का इसमें क्या साम्य है?
(ङ) इस गद्यांश का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) पाठ-रेलयात्रा, लेखक-शरद जोशी

(ख) भारतीय रेलें प्राचीन मनुष्यों के इस चिंतन के विकास में बड़ा योगदान कर रही हैं कि मनुष्य जीवन की अंतिम यात्रा में खाली हाथ जाता है। यह इस रूप में कि आज की भीड़ भरी रेल-यात्रा में जो मनुष्य जितना खाली हाथ रहता है, उसकी रेल-यात्रा उतनी ही सुखद होती है। ढेर सारे सामान के साथ रेल-यात्रा करनेवाला यात्री स्वयं तो कष्ट में पड़ता ही है साथ-ही-साथ वह दूसरे रेलयात्रियों की रेल-यात्रा को भी विपदा, झंझट और परेशानी की स्थिति में डाल देता है।

(ग) भारतीय रेलें हमें यही सिखाती हैं कि रेल में बहुत भीड़ होती है, इसलिए खाली हाथ यात्रा करो। सामान साथ रहेगा तो उस भीड़ में उसे रखोगे कहाँ और किसी प्रकार सामान रख दोगे तो फिर बैठोगे कहाँ और कैसे? इसलिए असली ___ या सही वही रेलयात्री है जो खाली हाथ यात्रा करता है टिकट का वजन उठाना भी उचित नहीं समझता और तब वह इस शिक्षा का अनुपालन कर दुर्लभ रेल-यात्रा में सुख का आनंद उठा सकता है।

(घ) प्राचीन ऋषि-मुनियों ने मरने के बाद की यह स्थिति बताई है कि आदमी मरने के बाद खाली हाथ ही परलोक की यात्रा करता है। भारतीय रेलें भी चाहती हैं कि रेलयात्री भी यात्रा के क्रम में बिलकुल खाली हाथ, बिना किसी सामान के साथ, परम हलकी अवस्था में रेल-यात्रा करें और चरम स्थिति के चरम सुख को प्राप्त करें। इस स्थिति में रेल-यात्रा करने के क्रम में वे अनंत की भी यात्रा कर सकते हैं जहाँ अंततोगत्वा रेलों को भी जाना है।

(ङ) इस गद्यांश में लेखक ने भारतीय रेलों के कार्य को दार्शनिक चिंतन का व्यंग्यपूर्ण स्थान दिया है और इसकी गरिमा को अपने व्यंग्यपूर्ण कथन के परिवेश में प्रस्तुत किया है। भारतीय चिंतन इस दार्शनिक तथ्य पर आधारित है कि मानव खाली हाथ आता है और खाली हाथ जाता है। लेखक के अनुसार भारतीय रेल भी इस दार्शनिक चिंतन का अनुगमन करती है। इसीलिए तो भारतीय रेल से सफर करने के क्रम में ये बातें याद रखनी चाहिए कि हम खाली हाथ ही रेल-यात्रा करें तभी भीड़ भरी और संकटमयी यात्रा सुखद हो सकती है और रेल-यात्रा की यही शर्ते तो जीवन-यात्रा के क्रम में भी सही प्रमाणित होती हैं।

4. टिकट क्या है? देह धरे का दंड है। मुंबई की लोकल ट्रेन में भीड़ से दबे, कोने में सिमटे यात्री को जब अपनी देह भारी लगती है तब वह सोचता है कि यह शरीर न होता, केवल आत्मा होती, तो कितने सुख से यात्रा करती। भारतीय रेलें हमें मृत्यु का दर्शन समझाती हैं और अक्सर पटरी से उतरकर उसकी महत्ता का भी अनुभव करा देती हैं। कोई नहीं कह सकता कि रेल में चढ़ने के बाद वह कहाँ उतरेगा? अस्पताल में या श्मशान में। लोग रेलों की आलोचना करते हैं। अरे रेल चल रही है और आप उसमें जीवित बैठे हैं, यह अपने में कम उपलब्धि नहीं है।
(क) पाठ तथा लेखक के नाम लिखें।
(ख) भारतीय रेल टिकट को देह धरे का दंड कहा गया है। इसमें रेल-यात्रा का कौन-सा व्यंग्य छिपा है?
(ग) भारतीय रेल हमें मृत्यु का दर्शन समझाती हैं क्यों और कैसे?
(घ) लोगों की दृष्टि में रेल-यात्रा की उपलब्धियाँ क्या हैं जो
विचारणीय हैं? (ङ) इस गद्यांश का आशय लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-रेलयात्रा, लेखक-शरद जोशी,

(ख) लेखक की दृष्टि में भारतीय रेल टिकट देह धरे का दंड है। इसका कारण यह है कि भारतीय रेल में खासकर मुंबई की लोकल ट्रेन में रेलयात्री भीड़ से इतने दबे होते हैं कि उस समय भीड़े के दबाव में उनकी अपनी देह भी बहुत भारी लगती है। उस घोर पीड़क स्थिति में यात्रा के क्रम में यह शरीर न होता और केवल आत्मा ही होती तो यात्रा बड़ी सुखद होती। रेलयात्रियों को उस समय रेल की टिकट भी भारी लगती है।

(ग) लेखक के अनुसार भारतीय रेल यात्रियों को मृत्यु का दर्शन समझाती है। जब तक रेलें पटरी पर चल रही हैं तब तक तो जीवन सुरक्षित है और रेलयात्री किसी तरह जीवित रहकर रेल की यात्रा करते रहते हैं लेकिन भारतीय रेल की यह भी तो खास विशेषता है कि वह प्रायः चलने के क्रम में पटरी से उतर भी जाती है। उस स्थिति में रेलयात्री मृत्यु का वरण कर मृत्यु का दर्शन भी समझ जाता है।

(घ) रेलों के संबंध में कुछ लोग बड़ी सकारात्मक आलोचना करते हैं। वे कहते हैं कि रेल चल रही है और रेलयात्री उसमें जीवित बैठे हैं। यह तो अपने-आप में बड़ी उपलब्धि है। यहाँ लेखक का व्यंग्य है कि रेल-यात्रा के क्रम में दुर्घटना में पड़कर मौत की घटना एक आम बात है। यह बात बिलकुल असामान्य-सी है कि रेल चले और रेलयात्री जीवित रहकर रेल-यात्रा करता रहे और अगर वह इस रूप में यात्रा करता है तो यह अपने-आप में बड़ी उपलब्धि है।

(ङ) इस गद्यांश में लेखक ने दुर्घटना-भरी भारतीय रेल की यात्रा-क्रिया पर बड़ा मीठा व्यंग्याघात किया है। भारतीय रेलों में यात्रा का भीड़ से भरी होना और उससे यात्रियों का हाल बेहाल होना, यह आम बात है। यात्रा की उस दु:खद स्थिति में भीड़ से दबे हुए यात्रियों के लिए अपना शरीर भी दंड रूप-सा लगता हैं उस स्थिति में रेल-टिकट को लेखक देह धरे का दंड कहता और मानता है। इसी क्रम में लेखक यह कहता है कि भारतीय रेल की यात्रा मृत्यु के संदेश की वाहिका होती है। रेलें चलती रहें और यात्री जीवितावस्था में उसमें बैठकर यात्रा करता रहे, यह बात सामान्य रूप से संभव नहीं है। यदि ऐसा होता है तो अपने-आप में बहुत बड़ी उपलब्धि है।

5. भारतीय रेलें आगे बढ़ रही हैं। भारतीय मनुष्य आगे बढ़ रहा है। अपने भारतीय मनुष्य को भारतीय रेल के पीछे भागते देखा होगा। उसे पायदान से लटके, डिब्बे की छत पर बैठे, भारतीय रेलों के साथ प्रगति करते देखा होगा। कई बार मुझे लगता है कि भारतीय मनुष्य भारतीय रेलों से भी आगे हैं। आगे-आगे मनुष्य बढ़ रहा है, पीछे-पीछे रेल आ रही है। अगर इसी तरह रेल पीछे आती रही, तो भारतीय मनुष्य के पास सिवाये बढ़ते रहने के कोई रास्ता नहीं रहेगा। बढ़ते रहो-रेल में सफर करते, दिन-झगड़ते, रातभर जागते, बढ़ते रहो। रेल निशात सर्व भूतानां! जो संयमी होते हैं, वे रात-भर जागते हैं। भारतीय रेलों की यही प्रगति है, जब तक एक्सीडेंट न हो, हमें जागते रहना है।
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) भारतीय रेलों के साथ-साथ मनुष्य भी प्रगति कर रहा है, कैसे?
(ग) “कभी-कभी मनुष्य रेलों से भी आगे-आगे भांगता है।” स्पष्ट करें।
(घ) रेल निशात् सर्वभूतानां!’ कथन को स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) पाठ-रेलयात्रा, लेखक-शरद जोशी

(ख) लेखक का यह व्यंग्यपूर्ण कथन है। प्रगति का अर्थ है आगे बढ़ना। इस रूप में भारतीय रेल गतिशील है और एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर आगे बढ़ती रहती हैं। चूँकि मनुष्य भी यात्री के रूप में रेल-यात्रा में शामिल है, अतः वह भी भारतीय रेलों के साथ-साथ आगे बढ़ रहा है। इसी रूप में रेलें भी बढ़ रही है साथ-साथ मनुष्य भी आगे बढ़ रहा है।

(ग) लेखक को कई बार ऐसा लगता है कि भारतीय मनुष्य भारतीय रेलों से भी आगे है। अर्थात् जीवन-यात्रा में मानव रेल से आगे बढ़कर चल रहा है। इसका अभिप्राय यह है कि रेल-यात्रा के क्रम में जब दुर्घटनाएँ होती हैं तो मानव मृत्यु का वरण कर रेल से पहले ही गंतव्य स्थान मृत्युलोक पहुँच जाता है। दुर्घटनाओं में रेल तो मरती नहीं है। वह कुछ घायल होकर फिर ठीक-ठाक होकर गति पकड़ लेती है। तब तक उसका रेलयात्री अपनी जीवन-यात्रा में बहुत आगे निकल जाता है।

(घ) यह  कथन गीता के इस कथन से जुड़ा हुआ है कि प्राणियों के लिए जो रात्रि है उसमें योगी पुरुष जागता है (या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी)। लेखक का यहाँ यह व्यंग्य है कि रेल-यात्रा के क्रम में नींद पर विजय प्राप्त करनेवाले । जो संयमी यात्री होते हैं, वे रातभर यात्रा के क्रम में रेल की दुर्घटना के भय से जगे , रहते हैं, अर्थात जब तक दुर्घटना न हो जाए तब तक जागे रहो। यही रेलों की सही प्रगति है।

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 1C वन एवं वन्य प्राणी संसाधन

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions Geography भूगोल : भारत : संसाधन एवं उपयोग Chapter 1C वन एवं वन्य प्राणी संसाधन Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science Geography Solutions Chapter 1C वन एवं वन्य प्राणी संसाधन

Bihar Board Class 10 Geography वन एवं वन्य प्राणी संसाधन Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

वन एवं वन्य प्राणी संसाधन Bihar Board Class 10 प्रश्न 1.
भारत में 2001 में कितने प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र में वन का विस्तार है?
(क) 25
(ख) 19.27
(ग).20
(घ) 20.60
उत्तर-
(ख) 19.27

वन एवं वन्य जीव संसाधन Class 10 Important Questions प्रश्न 2.
वन स्थिति रिपोर्ट के अनुसार भारत में वन का विस्तार है।
(क) 20.60% भौगोलिक क्षेत्र में
(ख) 20.55% भौगोलिक क्षेत्र में
(ग) 20% भौगोलिक क्षेत्र में
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) 20.55% भौगोलिक क्षेत्र में

वन एवं वन्य जीवों का महत्व Bihar Board Class 10 प्रश्न 3.
बिहार में कितने प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र में वन का फैलाव है ?
(क) 15
(ख) 20
(ग) 10
(घ) 5
उत्तर-
(घ) 5

वन एवं वन्य जीव संसाधन के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 प्रश्न 4.
पूर्वोत्तर राज्यों के 188 आदिवासी जिलों में देश के कुल क्षेत्र का कितना प्रतिशत वन
(क) 75
(ख) 80.05
(ग) 90.03
(घ) 60.11
उत्तर-
(घ) 60.11

वन एवं वन्य जीव संसाधन Class 10 Bihar Board प्रश्न 5.
किस राज्य में वन का सबसे अधिक विस्तार है ?
(क) केरल
(ख) कर्नाटक
(ग) मध्य प्रदेश
(घ) उत्तर प्रदेश
उत्तर-
(ग) मध्य प्रदेश

वन एवं वन्य जीव संसाधन Bihar Board Class 10 प्रश्न 6.
वन संरक्षण एवं प्रबंधन की दृष्टि से वनों को वर्गीकृत किया गया है
(क) 4 वर्गों में
(ख) 5 वर्गों में
(ग) 5 वर्गों में
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) 5 वर्गों में

वन्य जीव संरक्षण प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 प्रश्न 7.
1951 से 1980 तक लगभग कितना वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र कृषि-भूमि में परिवर्तित हुआ?
(क) 30,000
(ख) 26,200
(ग) 25,200
(घ) 35,500
उत्तर-
(ख) 26,200

वन्य प्राणियों के नष्ट होने के तीन कारण Bihar Board Class 10 प्रश्न 8.
संविधान की धारा 21 का संबंध है
(क) वन्य जीवों तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण
(ख) मृदा संरक्षण
(ग) जल संसाधन संरक्षण
(घ) खनिज सम्पदा संरक्षण
उत्तर-
(क) वन्य जीवों तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण

वन एवं वन्य जीव Bihar Board Class 10 प्रश्न 9.
एक ए ओ की वानिकी रिपोर्ट के अनुसार 1948 में विश्व में कितने हेक्टेयर भूमि पर वन का विस्तार था।
(क) 6 अरब हेक्टेयर
(ख) 4 अरब हेक्टेयर
(ग) 8 अरब हेक्टेयर में
(घ) 5 अरब हेक्टेयर में
उत्तर-
(ख) 4 अरब हेक्टेयर

प्रश्न 10.
प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण 1968 में कौन-सा कनवेंशन हुआ था?
(क) अफ्रीकी कनवेंशन
(ख) वेटलैंड्स कनवेंशन
(ग) विश्व आपदा कनवेंशन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क) अफ्रीकी कनवेंशन

प्रश्न 11.
इनमें कौन-सा जीव है जो केवल भारत ही में पाया जाता है ?
(क) घड़ियाल
(ख) डॉलफिन
(ग) ह्वेल
(घ) कछुआ
उत्तर-
(ख) डॉलफिन

प्रश्न 12.
भारत का राष्ट्रीय पक्षी है।
(क) कबूतर
(ख) हंस
(ग) मयूर
(घ) तोता
उत्तर-
(ग) मयूर

प्रश्न 13.
मैंग्रोव्स का सबसे अधिक विस्तार है
(क) अण्डमान-निकोबार द्वीप समूह के तटीय भाग में
(ख) सुन्दरवन में
(ग) पश्चिमी तटीय प्रदेश में
(घ) पूर्वोत्तर राज्य में
उत्तर-
(ख) सुन्दरवन में

प्रश्न 14.
टेक्सोल का उपयोग होता है
(क) मलेरिया में
(ख) एड्स में
(ग) कैंसर में
(घ) टी.बी. के लिए
उत्तर-
(ग) कैंसर में

प्रश्न 15.
‘चरक’ का संबंध किस देश से था?
(क) म्यनमार से
(ख) श्रीलंका से
(ग) भारत से
(घ) नेपाल से
उत्तर-
(ग) भारत से

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बिहार में वन सम्पदा की वर्तमान स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
बिहार विभाजन के बाद वन विस्तार में बिहार राज्य दयनीय हो गयी है, क्योंकि वर्तमान बिहार में अधिकतर भूमि कृषि योग्य है। मात्र 6764.14 हेक्टेयर में वन क्षेत्र बच गया है। यह भोगोलिक क्षेत्र का मात्र 7.1 प्रतिशत है। बिहार के 38 जिलों में से 17 जिलों से वन क्षेत्र समाप्त हो गया है। पश्चिमी चम्पारण, मुंगेर, बांका, जमुई, नवादा, नालन्दा, गया, रोहतास, कैमूर और औरंगाबाद जिलों के वनों की स्थिति कुछ बेहतर है, जिसका कुल क्षेत्रफल 3700 वर्ग किमी है। शेष में अवक्रमित वनक्षेत्र है, वन के नाम पर केवल झाड़-झरमूट बच गए हैं।

प्रश्न 2.
वन विनाश के मुख्य कारकों को लिखें।
उत्तर-
वन विनाश के मुख्य कारक निम्न हैं-

  • कृषिगत भूमि का फैलाव
  • नदी घाटी परियोजनाओं के विकास के कारण
  • पशुचारण एवं ईंधन के लिए लकड़ियों का उपयोग
  • पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार भारत के कई क्षेत्रों में वाणिज्य की दृष्टि से एकल वृक्षारोपण करने से पेड़ों की दूसरी जातियाँ नष्ट हो गयीं, जैसे सागवान के एकल रोपण से दक्षिण भारत में अन्य प्राकृतिक वन बर्बाद हो गए।
  • भोजन, सुरक्षा एवं आनन्द के लिए वन्य जीवों का शिकार भी वन विनाश का एक मुख्य कारक है।

प्रश्न 3.
वन के पर्यावरणीय महत्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
वन एवं वन्य प्राणी मानव जीवन के प्रमुख हमसफर हैं। वन पृथ्वी के लिए सुरक्षा कवच जैसा है। यह केवल एक संसाधन ही नहीं, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में महत्वपूर्ण घटक है। यह जीवमंडल में सभी जीवों को संतुलित स्थिति में जीने के लिए अथवा संतुलित पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में सर्वाधिक योगदान देता है क्योंकि सभी जीवों के लिए खाद्य ऊर्जा का प्रारंभिक स्रोत वनस्पति ही है।

प्रश्न 4.
वन्य-जीवों के ह्रास के चार प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
वन्य जीवों के हास के चार प्रमुख कारक निम्न हैं

  • प्राकृतिक आवासों का अतिक्रमण यातायात की सुविधाओं में वृद्धि आदि कारणों से – जीवों के प्राकृतिक आवासों का अतिक्रमण हो रहा है जिससे वन्य जीवों की सामान्य वृद्धि प्रजनन क्षमता में कमी आ गई।
  • प्रदूषण जनित समस्या प्रदूषण के कारण वन्य जीवों का जीवन-चक्र प्रभावित हो रहा है।
  • आर्थिक लाभ- अनेक वन्य जीवों एवं उसके उत्पाद का उपयोग आर्थिक लाभ के लिए हो रहा है जिससे उनका दोहन हो रहा है।
  • सह विलुप्तता-जब एक जाति विलुप्त होती है तब उसपर आधारित दूसरी जातियाँ भी विलुप्त होने लगती हैं।

प्रश्न 5.
वन और वन्य जीवों के संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
सहयोगी रीति-रिवाजों का वन और वन्य जीवों के संरक्षण में काफी महत्वपूर्ण योगदान है। ग्रामीण लोग कई धार्मिक अनुष्ठानों में 100 से अधिक पादप प्रजातियों का प्रयोग करते हैं और इन पौधों को अपने खेतों में भी उगाते हैं।
आदिवासियों को अपने क्षेत्र में पाये जाने वाले पेड़-पौधों तथा वन्य जीवों से भावनात्मक एवं आत्मीय लगाव होता है। वे प्रजननकाल में मादा वन पशुओं का शिकार नहीं करते हैं। वन संसाधनों का उपयोग चक्रीय पद्धति से करते हैं। वन के खास क्षेत्रों को सुरक्षित रख उसमें प्रवेश नहीं करते हैं।

प्रश्न 6.
चिपको आन्दोलन.क्या है ?
उत्तर-
उत्तर प्रदेश टेहरी-गढ़वाल पर्वतीय जिले में सुन्दरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में अनपढ़ जनजातियों द्वारा 1972 में एक आन्दोलन शुरू हुआ, जिसे चिपको आन्दोलन कहा जाता है। इस आन्दोलन में स्थानीय लोग ठेकेदारों को हरे-भरे पौधों को काटते देख, उसे बचाने के लिए अपने आगोश में पौधों को घेर कर उसकी रक्षा करते हैं। इसे कई देशों में स्वीकारा गया।

प्रश्न 7.
कैंसर रोग के उपचार में वन का क्या योगदान है ?
उत्तर-
हिमालय यव (चीड़ के प्रकार का सदाबहार वृक्ष टेक्सस बेनकेटा एवं टी. ब्रव्ही फोलिया) एक औषधीय पौधा है जो हिमालय और अरुणाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों में पाया जाता .. है। चीड़ की छाल, पत्तियों, टहनियों और जड़ों से टैक्सोल नामक रसायन निकाला जाता है। इससे कैंसर रोधी औषधि बनायी जाती है। यह विश्व में सबसे अधिक बिकने वाली कैंसर औषधि है।

प्रश्न 8.
दस लुप्त होने वाली पशु-पक्षियों का नाम लिखिए।
उत्तर-
एशियाई चीता, गुलाबी सिर वाला बत्तख, डोडो, गिद्ध (भारत), थाईलैंसीन (आस्ट्रेलिया), ‘स्टीलर्स सीकाउ (रूस), शेर की तीन प्रजातियाँ (बाली, जावन एवं कास्पियन) (अफ्रिका), कस्तुरी मृग, चीतल इत्यादि।

प्रश्न 9.
वन्य जीवों के हास में प्रदूषण जनित समस्या पर अपना विचार स्पष्ट करें।
उत्तर-
पराबैंगनी किरणें, अम्ल वर्षा और हरितगृह प्रभाव प्रमुख प्रदूषक हैं जिन्होंने वन्य जीवों को काफी प्रभावित किया है। इसके अलावे वायु, जल एवं मृदा प्रदूषण के कारण वन एवं वन्य जीवों का जीवनचक्र गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है। इससे इनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है। फलस्वरूप धीरे-धीरे वन्य जीवन संकटग्रस्त होते जाता है।

प्रश्न 10.
भारत के दो प्रमुख जैवमंडल क्षेत्र का नाम क्षेत्रफल एवं प्रान्तों का नाम बतावें।
उत्तर-

  • नीलगिरि -5520
  • वर्ग किमी – तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक।
  • मानस-2,837 वर्ग किमी – असम।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वन एवं वन्य जीवों के महत्व का विस्तार से वर्णन करें।
उत्तर-
वन एवं वन्य जीव हमारी धरा पर अमूल्य धरोहर हैं। ये मानव जीवन के प्रमुख हमसफर हैं। वन पृथ्वी के लिए सुरक्षा कवच हैं।
वन एवं वन्य जीवों के महत्व निम्नलिखित हैं

(i) प्राकृतिक संतुलन-वन एवं वन्य जीव प्राकृतिक संतुलन कायम रखने में मदद करते हैं। जैसे-आवास एवं अन्य कार्यों के लिए जंगल काटे जाने से अनेक पारिस्थितिक समस्याएँ उत्पन्न हुईं जैसे मृदा अपरदन, अनावृष्टि, अतिवृष्टि इत्यादि का सामना करना पड़ा।

(ii) आर्थिक महत्व-वन एवं वन्य जीवों से अनेक ऐसे उत्पाद प्राप्त होते हैं जिनका आर्थिक महत्व बहुत अधिक होता है। जैसे—कीमती लकड़ियाँ, जड़ी-बूटियाँ, हाथी दाँत, चमड़ा इत्यादि।

(iii) वैज्ञानिक उपयोगिता-वन्य प्राणी पर किये गए प्रयोगों के जरिए शरीर रचना, कार्यिकीय तथा पारिस्थितिक तथ्यों का अपार ज्ञान प्राप्त हुआ है। नयी औषधियों के गुण अथवा नयी शल्य चिकित्सा प्रणाली की महत्ता की जाँच पहले मेढक खरमोश, बंदर भेड़ा इत्यादि वन्य प्राणियों पर ही किये जाते हैं।

(iv) सांस्कृतिक महत्व और धार्मिक लगाव-अनादिकाल से ही मनुष्य का वन्य जीवों से सांस्कृतिक एवं धार्मिक लगाव रहा है। मनुष्य पीपल, बरगद, तुलसी, आँवला इत्यादि की पूजा करता रहा है। हिन्दू धर्म में मत्स्य, नरसिंह, हनुमान इत्यादि को देवताओं का अवतार समझा जाता है। बाघ, गरुड़, चूहा, बैल इत्यादि को दुर्गा, विष्णु, गणेश, शिव इत्यादि देवताओं का वाहन समझा जाता है। पौराणिक कथाएँ एवं साहित्य वन्य जंतुओं के विवरण से भरे हुए हैं।

(v) क्रीड़ा तथा आनन्द अनुभव हमारे देश में वन्य जीवों की बहुलता है और वे क्रीडा तथा आनन्द अनुभूति के अपार स्रोत हैं। भिन्न-भिन्न पशुओं तथा पक्षियों की क्रीड़ाएं मनमोहक दृश्य उत्पन्न करती हैं।

प्रश्न 2.
वृक्षों के घनत्व के आधार पर वनों का वर्गीकरण कीजिए और सभी वर्गों का वर्णन विस्तार से कीजिए।
उत्तर-
वृक्षों के घनत्व के आधार पर वनों को पांच वर्गों में बाँटा गया है
1. अत्यंत सघन वन-भारत में इस प्रकार के वन विस्तार 54.6 लाख हेक्टेयर भूमि पर है जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 1.66 प्रतिशत है, असाम और सिक्किम को छोड़कर समूचा पूर्वोत्तर – राज्य इस वर्ग में आते हैं। इन क्षेत्रों में वनों का घनत्व 75% से अधिक है।

2.सघन वन-इसके अन्तर्गत 73.60 लाख हेक्टेयर भूमि आती है जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 3% है। हिमालय, सिक्किम, मध्यप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र एवं उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र । में इस प्रकार के वनों का विस्तार है। यहाँ वनों का घनत्व 621.99 प्रतिशत है।

3. खुले वन-2.59 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर इस प्रकार के वनों का विस्तार है। यह कुल भौगोलिक क्षेत्र का 7.12% है, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा के कुछ जिले एवं असम के 16 आदिवासी जिलों में इस प्रकार के वनों का विस्तार है, असाम आदिवासी जिलों में वृक्षों का घनत्व 23.89% है।।

4. झाड़ियाँ एवं अन्य वन-रराजस्थान का मरुस्थलीय क्षेत्र एवं अर्द्धशुष्क क्षेत्र में इस प्रकार के वन पाये जाते हैं। पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, बिहार एवं प. बंगाल के मैदानी भागों में वृक्षों का घनत्व 10% से भी कम है इसलिए यह क्षेत्र इसी वर्ग में सम्मिलित है। इसके अन्तर्गत 2.459 करोड़ हेक्टेयर भूमि आती है, जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 8.66% है।

5. मैंग्रोव्स (तटीय वन)-विश्व के तटीय वन क्षेत्र (मैंग्रोव्स) का मात्र 5% 4,500 किमी. क्षेत्र ही भारत में है, जो समुद्र तटीय राज्यों में फैला है, जिसमें आधा क्षेत्र पश्चिम बंगाल का सुंदरवन है, इसके बाद गुजरात के अंडमान निकोबार द्वीप समूह आते हैं, कुल मिलाकर 12 राज्यों तथा केन्द्र प्रशासित प्रदेशों में मैंग्रोव्स वन है जिनमें आंध्रप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, , तमिलनाडु, प. बंगाल, अंडमान-निकोबार, पाण्डेिचरी, केरल एवं दमन-दीप शामिल हैं।

प्रश्न 3.
जैव विविधता क्या है ? यह मानव के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं ? विस्तार से लिखिए।
उत्तर-
जैव विविधता से तात्पर्य, विभिन्न जीव रूपों में पाई जानेवाली विविधता से है। यह शब्द किसी विशेष क्षेत्र में पाये जाने वाले विभिन्न जीव रूपों की ओर इंगित करता है। एक मोटे अनुमान के मुताबिक पृथ्वी पर जीवों की करीब एक करोड़ प्रजातियां पाई जाती हैं।

ये हमारी धरा पर अमूल्य धरोहर हैं। वन्य जीव सदियों से हमारे सांस्कृतिक एवं आर्थिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं। इनसे हमें भोजन, वस्त्र के लिए रेशे, खालें, आवास आदि सामग्री एवं अन्य उत्पाद प्राप्त होते हैं। इनकी चहक और महक हमारे जीवन में स्फूर्ति प्रदान करते हैं। पारिस्थितिकी के लिए ये श्रृंगार के समान हैं। भारत में इन्हें सदैव आदरभाव एवं पूज्य समझा गया। मनीषियों के लिए प्रेरणा का स्रोत तो सैलानियों के लिए आकर्षण का विषय रहा है।

ये पर्यावरण संतुलन के लिए भी अति आवश्यक हैं तथा हमारी भावी पीढ़ियों के लिए भी ये अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

प्रश्न 4.
विस्तारपूर्वक बताएं कि मानव क्रियाएँ किस प्रकार प्राकृतिक वनस्पति और प्राणीजगत के हास के कारक हैं।
उत्तर-
मानव जीवमण्डल का सबसे महत्वपूर्ण सदस्य है जो न सिर्फ अन्य जैविक सदस्यों को प्रभावित करता है बल्कि पर्यावरण के अजैविक घटकों में भी अत्यधिक परिवर्तन लाता है। मानव अपनी बुद्धि और विवेक के कारण प्रकृति के दूसरे जीवों और अजैविक घटकों का प्रयोग. कर अपने जीवन को सुखमय और आरामदायक बनाता है। किन्तु जब मानव के क्रियाकलाप अनियंत्रित हो जाते हैं तो पर्यावरण के घटकों जैसे-वायु, जल तथा मृदा एवं दूसरे जीवों में अनावश्यक परिवर्तन आ जाता है जो वनस्पतियों एवं प्राणियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

मानव खेती के लिए कारखाने स्थापित करने के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों को काटता रहा है और अभी भी काट रहा है। शाकाहारी एवं मांसाहारी जानवरों का अंधाधुंध शिकार कर जीवों में असंतुलन पैदा कर दिया है और बहुत-से जन्तु लुप्त होने के कगार पर हैं जैसे—सिंह, बाघ, चीता, गैंडा, बारहसिंगा, कस्तुरी मृग आदि।

मानव के निम्नलिखित क्रियाकलाप वनस्पतियों एवं प्राणीजगत के हास के कारक हैं-

  • औद्योगिकीकरण में अनियोजित वृद्धि
  • जंगली जंतुओं का शिकार
  • आवासीय एवं कृषि योग्य भूमि का विस्तार
  • हानिकारक रसायनों का अनियोजित प्रयोग
  • आर्थिक लाभ प्राप्त करने हेतु जैव विविधताओं का अति दोहन
  • जनसंख्या में वृद्धि, इत्यादि।

प्रश्न 5.
भारतीय जैव मंडल क्षेत्र की चर्चा विस्तार से कीजिए।
उत्तर-
हमारा देश जैव विविधता के संदर्भ में विश्व के सर्वाधिक समृद्ध देशों में से एक है। इसकी गणना विश्व के 12 विशाल जैविक-विविधता वाले देशों में की जाती है। यहाँ विश्व की सारी जैव उपजातियों का आठ प्रतिशत संख्या (लगभग 16 लाख) पाई जाती है। इन्हीं जैव विविधताओं के संरक्षण हेतु यूनेस्को के सहयोग से भारत में 14 जैव मण्डल आरक्षित क्षेत्र की स्थापना की गई है जिनका विवरण निम्न है-
Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 1C वन एवं वन्य प्राणी संसाधन - 1
Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 1C वन एवं वन्य प्राणी संसाधन - 2

Bihar Board Class 10 Geography वन एवं वन्य प्राणी संसाधन Additional Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नांकित में कौन भारत को छोड़ अन्य देश में दुर्लभ हैं
(क) भालू और गीदड़
(ख) बाघ और सिंह
(ग) गधे और हाथी
(घ) हनुमान और हिरण
उत्तर-
(ख) बाघ और सिंह

प्रश्न 2.
इनमें कौन हमारे देश में प्रायः लुप्त हो चुका है ?
(क) चीता
(ख) हनुमान
(ग) गेंडा
(घ) तेंदुआ
उत्तर-
(क) चीता

प्रश्न 3.
इनमें कौन शाकाहारी नहीं है ?
(क) गेंडा
(ख) बारहसींगा
(ग) हिरण
(घ) भेड़िया
उत्तर-
(घ) भेड़िया

प्रश्न 4.
इनमें किस पेड़ की लकड़ी बहुत कड़ी होती है ?
(क) देवगार
(ख) हेमलॉक
(ग) सागवान
(घ) बलूत
उत्तर-
(क) देवगार

प्रश्न 5.
इनमें कौन वन और वन्य प्राणियों के विनाश का कारण नहीं बनता?
(क) कृषि-क्षेत्रों में अत्यधिक वृद्धि
(ख) बड़े पैमाने पर निकास कार्यों का होना।
(ग) व्यापार की वृद्धि
(घ) पशुचारण और लकड़ी कटाई
उत्तर-
(ग) व्यापार की वृद्धि

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में सर्वप्रथम किस वर्ष वन-नीति बनायी गयी थी?
उत्तर-
भारत में सर्वप्रथम 1894 ई. में वन-नीति बनायी गयी थी। .

प्रश्न 2.
पर्यावरण की दृष्टि से लगभग कितना प्रतिशत भू-भाग वनाच्छादित रहना चाहिए?
उत्तर-
पर्यावरण की दृष्टि से लगभग 33.3% भू-भाग वनाच्छादित रहना चाहिए।

प्रश्न 3.
बाघों को बचाने के लिए लागू की गयी परियोजना का नाम क्या है ?
उत्तर-
बाघों को बचाने के लिए लागू की गयी परियोजना का नाम बाघ परियोजना है।

प्रश्न 4.
भारत के किस राज्य में सर्वाधिक वन क्षेत्र हैं?
उत्तर-
भारत का मध्य प्रदेश 11.22% के साथ प्रथम स्थान पर है। यानी यहाँ सर्वाधिक वन क्षेत्र पाया जाता है।

प्रश्न 5.
राजस्थान और पंजाब प्रदेशों में किस प्रकार के वन पाये जाते हैं ?. .
उत्तर-
राजस्थान और पंजाब प्रदेशों में कंटीले वन मिलते हैं क्योंकि इन प्रदेशों में 70 सेमी. से भी कम वर्षा होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वन को अनुपम संसाधन क्यों कहा गया है ?
उत्तर-
वन एक नवीकरणीय राष्ट्रीय संपदा है। इस संसाधन की उपस्थिति से कई जीव-जन्तुओं को आश्रय मिलता है। वन के कारण तापमान में कमी एवं वर्षा की मात्रा बढ़ती है। भूमि कटाव को यह रोकता है, पशुओं के लिए इससे चारा मिल जाता है। मानव को ईंधन एवं अन्य कार्यों के लिए लकड़ियाँ, फल-फूल तथा कई कच्चे माल भी मिलते हैं। मानव जीवन के आर्थिक विकास एवं पर्यावरण की अनिवार्यता के कारण वन निश्चित रूप से अनुपम संसाधन है।

प्रश्न 2.
बड़े पैमाने पर वनों का ह्रास कब हुआ? इसके परिणामों का उल्लेख करें।
उत्तर-
औद्योगिक क्रांति के बाद बड़े पैमाने पर वनों का ह्रास हुआ। इसके निम्नलिखित दुष्परिणाम हुए हैं-

  • कई जीव-जन्तुओं की प्रजातियों का हास।
  • वन उत्पादों की कमी।
  • चारा एवं लकड़ी की कमी।
  • पारिस्थितिकी संकट।
  • कई वनस्पतियों का विलुप्तीकरण।
  • सूखा एवं दुर्भिक्ष में बढ़ोतरी।
  • कई जीव-जन्तुओं के आवासों में कमी।
  • कई जड़ी-बूटियों का खात्मा।

प्रश्न 3.
भारत में विभिन्न प्रकार के वन क्यों पाये जाते हैं ? उनके नाम लिखें।
उत्तर
विशाल अक्षांशीय-देशांतरीय विस्तार, उच्चावच की विभिन्नता, जलवायु की आंतरिक विषमताओं के सम्मिलित प्रभाव तथा. समुद्र की निकटता के कारण भारत में विभिन्न प्रकार के वन पाये जाते हैं। इनके नाम निम्न हैं –

  • सदाबहार वन
  • पतझड़ वन
  • शुष्क एवं कंटीले वन
  • पर्वतीय वन और
  • डेल्टा वन।

प्रश्न 4.
भारत में कौन वन कोणधारी पेटी के रूप में उगे हुए हैं ? उनके पाँच प्रमुख पेड़ों के नाम लिखें।
उत्तर-
भारत में पर्वतीय वन कोणधारी पेटी के रूप में उगे हुए हैं। जो 1,500-3,000 मी. की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मिलते हैं। अधिक ऊंचाई पर (हिमपातवाले क्षेत्रों में) कोणधारी वन उगते । हैं। इनकी नुकीली पत्तियों से बर्फ फिसलकर गिर जाती है। कठोर शीत, पाला और बर्फ का मुकाबला करने में पेड़ समर्थ होते हैं। इनके प्रमुख पेड़ों के नाम ये हैं

  • देवदार
  • पाइन
  • चीड़
  • बलूत
  • हेमलॉक
  • ओक
  • चिनार
  • चेस्टनर
  • वालनट
  • मेंपुल
  • मैग्नोलिया
  • स्यूस।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
विभिन्न प्रकार के भारतीय वनों का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत करें। इनमें किसे सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है और क्यों ?
उत्तर-
धरातलीय स्वरूप, मिट्टी और जलवायु की दशाओं में विविधता के कारण भारत में विभिन्न प्रकार के वन पाये जाते हैं जो निम्न प्रकार के हैं

  1. चिरहरित वन या सदाबहार वन
  2. पर्णपाती वन या पतझड़ वन
  3. पर्वतीय वन या कोणधारी वन
  4. डेल्टाई वन. या ज्वारीय वन
  5. कंटीले वन या मरुस्थलीय वन

1. सदाबहार वन- भारत में सदाबहार वन सघन होते हैं। इन्हें काटना, वनों से बाहर निकालना और उपयोग में लाना कठिन होता है। इनकी लकड़ी कड़ी होती है। इनमें कई जाति के वृक्ष एक साथ मिलते हैं। अधिक वर्षा और दलदली भूमि के कारण यातायात में कठिनाई होती है। इसलिए लकड़ियों का सही उपयोग नहीं हो पाता है। इनमें एबॉनी और महोगनी मुख्य वृक्ष पाये जाते हैं।

2. पतझड़ वन-ये आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इनमें सागवान और साल मुख्य वृक्ष पाये जाते हैं। अन्य वृक्षों में अंजन, चंदन, चिरौंजी, हरे-वहेड़ा, आँवला, शहतूत, बरगद, पीपल, कटहल, आम, जामुन, नीम, नारियल, बाँस मानसूनी वन के रूप में पाये जाते हैं। ये न तो अधिक घने होते हैं और न इनकी लकड़ी अधिक कठोर ही। इनकी लकड़ियाँ उपयोगी होती हैं।

3. कोणधारी वन-यह वन पर्वत के अधिक ऊंचाई पर पाए जाते हैं। इनमें देवदार, चीड़, हेमलॉक स्फुस जाति के पेड़ पाए जाते हैं। इनकी लकड़ियाँ मुलायम होती हैं। इन्हें काटना और उपयोग में लाना आसान होता है।

4. ज्वारीय वन तटीय भागों में इस प्रकार के वन पाए जाते हैं। इनमें वृक्षों की बहुतायत रहती है। लकड़ियाँ जलावन और छोटी नाव बनाने के काम आती हैं। इनमें सुन्दरी वृक्ष, केवड़ा, मैंग्रोव, हिरिटिरा गरोन आदि मुख्य वृक्ष हैं, ताड़ और नारियल के पेड़ भी मिलते हैं।

5. मरुस्थलीय वन-यह कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पाये जाते हैं। इनमें बबूल एवं खजूर के पेड़ पाए जाते हैं। नागफनी और कैकटस जाति की झाड़ियाँ भी पायी जाती हैं।

प्रश्न 2.
भारत में वन संपदा की वृद्धि के उपायों पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
भारत में वन संपदा की वृद्धि वनों के संरक्षण से हो सकती है। वन संपदा की वृद्धि के लिए विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं जो निम्नलिखित हैं

  • काटे गये वृक्ष या क्षेत्र पर पुनः वृक्षारोपण करना चाहिए।
  • वनों से केवल परिपक्व वृक्षों को काटना चाहिए।
  • वनों में अग्निरक्षा पथ और अग्निरोधक पथ की व्यवस्था करनी चाहिए।
  • वृक्षों को बीमारियों एवं कीटाणुओं से बचाव हेतु वायुयान द्वारा दवा छिड़काव की व्यवस्था करनी चाहिए।
  • सामाजिक वानिकी, क्षतिपूर्ति वानिकी कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार करना चाहिए।
  • अपार्टमेंट संस्कृति के लिए निश्चित क्षेत्र पर वृक्षारोपण की व्यवस्था करनी चाहिए।
  • अवैध कटाई पर अंकुश लगाना चाहिए।
  • समाज में वृक्ष की महत्ता के प्रति लोगों को जागरूक करना चाहिए।
  • जंगल क्षेत्र को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय-स्तर पर प्रयत्न करना चाहिए जिसके तहत पेड़ लगाओ अभियान को तेजी से लागू करना चाहिए।
  • वनों की वृद्धि के लिए लोगों में अधिक-से-अधिक पेड़ लगाने की प्रेरणा उत्पन्न करनी चाहिए। विशेष रूप से परती और बेकार पड़ी हुयी भूमि पर अधिक-से-अधिक पेड़ लगाना चाहिए।

प्रश्न 3.
वन्य प्राणियों के संरक्षण की आवश्यकता बताते हुए इनके संरक्षण के उपाय बताएँ।
उत्तर-
वन्य प्राणियों का संरक्षण करना बहुत आवश्यक है। क्योंकि इससे जानवरों और पक्षियों की रक्षा होती है। साथ ही पारितंत्र का संतुलन बना रहता है। वन्य प्राणियों से समाज को अनेक लाभ हैं। इसलिए इनका संरक्षण करना आवश्यक है। वन्य प्राणी देखने में सुन्दर होते हैं, जो मनोरंजन के साधन भी हैं, पर्यटक लोग इसे देखते हैं। वन्य प्राणी शिकार के लिए भी उपयुक्त हैं। साथ ही कृषि के लिए भी लाभदायक सिद्ध होते हैं। बहुत से छोटे जानवर जो फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं उसे मांसाहारी वन्य पक्षी खा जाते हैं जिससे समाज को लाभ मिलता है। वन्य ‘प्राणियों से बहुमूल्य पदार्थ भी प्राप्त होते हैं। इसलिए इनका संरक्षण करना आवश्यक है।

संकटापन्न प्राणियों के संरक्षण के विशेष उपाय किये जा रहे हैं। इस विषय में सामयिक गणना की जाती है जिससे उनकी नवीन स्थिति का पता किया जा सके। बाघ परियोजना एक सफल कार्यक्रम है। देश के विभिन्न भागों में 16 बाघ परियोजनाएं चल रही हैं। इसी प्रकार गैण्डा परियोजना आसाम में विकसित की गई है। भारतीय मैना राजस्थान और मालवा की दूसरी संकटापन्न प्रजाति की परियोजना है। यद्यपि शेर की भी संख्या घट रही है।

देश में जैव विभिन्नता के संरक्षण के लिए कदम उठाये जा रहे हैं। इस योजना के अन्तर्गत पहला जैव आरक्षित क्षेत्र नीलगिरि में स्थापित किया गया। इसके अन्तर्गत 5500 वर्ग किमी. क्षेत्र फैला है जो केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु की सीमा पर है। इस प्रकार के 13 क्षेत्र हैं। देश में 63 राष्ट्रीय उद्यान, 358 वन्य जीव अभ्यारण्य, 35 चिड़ियाघर हैं जो 130000 वर्ग किमी. क्षेत्र को घेरे हैं। वन्य जीव संरक्षण आवश्यक है, क्योंकि-

  • पक्षी और जानवरों की रक्षा होती है।
  • पारितंत्र संतुलन बना रहता है।

वन्य प्राणियों के संरक्षण क लिए विभिन्न उपाय किए जा सकते हैं जो निम्नलिखित हैं-

  •  शिकार पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
  • पशुओं के झुण्ड के प्रवेश पर रोक लगाना चाहिए।
  • अधिक राष्ट्रीय उद्यान और वन्य जीव अभ्यारय स्थापित किए जाने चाहिए।
  • वन्य जीव और बंदी प्रजनन किया जाना चाहिए।
  • सेमिनार, कार्यशाला आदि का आयोजन किया जाना चाहिए।
  • पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान किये जाने चाहिए।
  • प्रजनन के लिए उचित दशाएं प्रदान किये जाने चाहिए।

Bihar Board Class 10 Geography Solutions Chapter 1A प्राकृतिक संसाधन

Bihar Board Class 10 Geography वन एवं वन्य प्राणी संसाधन Notes

  • वन उस बड भूभाग को कहते हैं जो पेड़ पौधों एवं झाड़ियों द्वारा आच्छादित होते हैं।
  • F.A.O. (Food and Agriculture Organisation) की वानिकी रिपोर्ट के अनुसार 1948 में विश्व में 4 अरब हेक्टेयर वन क्षेत्र था जो 1963 में घटकर 3.8 अरब हेक्टेयर हो गया और 1990 में 3.4 अरब हेक्टेयर वनक्षेत्र बच गया। किन्तु 2005 में यह पुनः 3.952 अरब हेक्टेयर हो गया है।
  • 2005 तक F.S.I. के रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुल 67.71 करोड़ हेक्टेयर वन क्षेत्र है जो कि देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 20.60 प्रतिशत है।
  • देश के कुल वनाच्छादित क्षेत्र का 25.11 प्रतिशत वन क्षेत्र पूर्वोत्तर के सात राज्यों में है।
  • देश में वनाच्छादित क्षेत्र के मामले में मध्यप्रदेश का स्थान प्रथम है जहाँ देश के कुल वनाच्छादित क्षेत्र का 11.22% वन है।
  • वन्य जीवों के संरक्षण के लिए यहाँ 58 राष्ट्रीय उद्यान, 448 अभ्यारण्य एवं 14 सुरक्षित जैव मंडल रिजर्व क्षेत्र हैं।
  • विश्व के 65 देशों में करीब 243 सुरक्षित जैव-मंडल क्षेत्र हैं।
  • वन को बचाने के लिए उत्तरांचल के टेहरी-गढ़वाल जिले में सुंदरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में 1972 ई. से चिपको आन्दोलन चलाया जा रहा है।
  • वन एक प्राकृतिक नवीकरणीय संसाधन है, क्योंकि नष्ट होने पर इसे पुनः उगाया जा सकता है और इसकी पूर्ति की जा सकती है।
  • वन हमारी राष्ट्रीय सम्पत्ति है और आर्थिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • वन उस बड़े भू-भाग को कहते हैं जो पेड़ एवं झाड़ियों द्वारा आच्छादित होते हैं।
  • FA.O.(Food and Agriculture Organisation) की वानिकी रिपोर्ट के अनुसार 1948 में विश्व में 4 अरब हेक्टेयर वन क्षेत्र था जो 1963 में घटकर 3.6 अरब हेक्टेयर हो गया और 1990 में 3.4 अरब हेक्टेयर वन क्षेत्र बच गया। किन्तु 2005 में यह पुन: 3.952 अरब हेक्टेयर हो गया है।
  • वन से मानव को कई लाभ हैं।
  • औद्योगिक क्रांति के बाद वनों का बड़े पैमाने पर ह्रास हुआ है।
  • वन से प्राप्त उत्पादों के दो वर्ग हैं-(क) मुख्य उत्पाद और (ख) गौण उत्पाद।
  • प्लाईवुड का निर्माण जर्मनी में शुरू हुआ।
  • भारत में वनस्पतियों की लगभग 47,000 उपजातियाँ पायी जाती हैं जिनमें 15,000 भारतीय मूल की हैं।
  • भारत में लगभग 6,77,088 वर्ग किलोमीटर भूमि पर वन का विस्तार है।
  • राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार देश की 33.3% भूमि पर वन का विस्तार होना आवश्यक है।
  • वन नीति के छह प्रमुख उद्देश्य हैं -(i) वन संपत्ति की सुरक्षा (ii) पर्यावरण को संतुलित बनाना (iii) भूमि-कटाव को रोकना (iv) बाढ़-नियंत्रण (v) मरुस्थल विस्तार को रोकना (vi) लकड़ियों की आपूर्ति बनाए रखना।
    प्रमुख उत्पाद वाले वनों में देवदार, शीशम, साल तथा चीड़ इत्यादि के पेड़ पाये जाते हैं।

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions Varnika Chapter 1 दही वाली मंगम्मा

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Varnika Bhag 2 Chapter 1 दही वाली मंगम्मा Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi Solutions Varnika Chapter 1 दही वाली मंगम्मा

Bihar Board Class 10 Hindi दही वाली मंगम्मा Text Book Questions and Answers

बोध और अभ्यास

Dahi Wali Mangamma Question Answer Bihar Board प्रश्न 1.
मंगम्मा का अपनी बहू के साथ किस बात को लेकर विवाद था?
उत्तर-
मंगम्मा ने अपनी बहू नंजम्मा को पोते को लेकर डाँटा था। एक दिन अपने बेटे की किसी गलती पर उनकी माँ नंजम्मा उसे पीट रही थी। पहले तो कुछ देर मंगम्मा चुप रही किन्तु जब रहा न गया तो मंगम्मा ने बहू से कहाँ- “क्यों री राक्षसी इस छोटे से बच्चे को क्यों पीट रही है ?” बस बहू चढ़ बैठी। खूब सुनाई उसने। जब मंगम्मा ने कहा कि मैं तुम्हारे घरवाले की माँ हूँ तो बहू ने भी कहा-“मैं भी इसकी माँ हूँ। मुझे क्या अकल सिखाने चली है ?” बात बढ़ गई। जब मंगम्मा ने बेटे से शिकायत की तो उसने कहा वह अपने बेटे को मारती है तो तुम क्यों उस झगड़े में पड़ती हो? मंगम्मा ने कहा- ‘बीबी ने तुझ पर जादू फेरा है बस, उसी दोपहर बहू ने मंगम्मा के बर्तन भांडे अलग कर दिए।

दही वाली मंगम्मा Bihar Board प्रश्न 2.
रंगप्पा कौन था और वह मंगम्मा से क्या चाहता था
उत्तर-
रंगजा रंगप्पा के गाँव का आदमी था। बड़ी शौकीन तबीयत का। कभी-कभार जूआ भी खेलता था। जब उसे पता चला कि मंगम्मा बेटे से अलग रहने लगी है तो वह मंगम्मा के पीछे पड़ गया। एक दिन उससे हाल-चाल पूछा और बोला कि मुझे रुपयों की जरूरत है। दे दो लौटा दूँगा। मंगम्मा ने जब कहा कि पैसे कहाँ हैं तो बोला कि पैसे यहाँ-वहाँ गाड़कर रखने से क्या फायदा दूसरे दिन रंगप्पा ने अमराई के पीछे रोककर बाँह पकड़ ली और कहा- ‘जरा बैठो मंगम्मा, जल्दी क्या है ? दरअसल, रंगप्पा लालची और लम्पट दोनों ही था।

Bihar Board Solution Class 10 Hindi प्रश्न 3.
बहू ने सास को मनाने के लिए कौन-सा तरीका अपनाया ?
उत्तर-
बहू को जब पता चला कि रंगप्पा उसकी सास मंगम्मा के पीछे पड़ गया है तो उसके कान खड़े हो गए। कहीं सास के रुपये-पैसे रंगप्पा न ले ले, इस आशंका से वह बेचैन हो गई। तब उसने योजना बनाई और अपने बेटे से कहा कि जा दादी पास तुझे मिठाई देती है न? अगर मेरे पास आया तो पीढूंगी। बस, बच्चा मंगम्मा के पास आकर रहने लगा। मंगम्मा भी उसे चाहती ही थी। एक दिन पोता जिद कर बैठा कि मैं भी बैंगलर चलँग। मंगम्मा क्या करे? माथे पर टोकरा, बगल में बच्चा! मुसीबत हो गई। तब बेटे-बहू ने आकर कहा कि उस दिन गलती हो गई। यूँ कैसे चलेगा? मंगम्मा अब खुशी-खुशी बेटे-बहू के साथ रहने लगी। धीरे-धीरे बहू ने शहर में दही बेचने का धंधा भी अपने हाथ में ले लिया। उसकी मंशा पूरी हो गई।

Dahi Wali Mangamma Bihar Board प्रश्न 4.
इस कहानी का कथावाचक कौन है ? उसका परिचय दीजिए।
उत्तर-
इस कहानी का कथावाचक लेखक की माँ है। लेखक की माँ प्रस्तुत कहानी का द्वितीय केन्द्रीय चरित्र है। कहानी की कथावस्तु लेखक की माँ के द्वारा ताना-बाना बुना गया है। मंगम्मा जब दही बेचने के लिए आती है तो लेखक के घर आती है और बढ़िया दही कुछ-न-कुछ बेचकर जाती है। धीरे-धीरे मगम्मा और लेखक की माँ में घनिष्ठता बढ़ती चली गई।

मगम्मा अपने घर-गृहस्थी का सारा हाल सुनाती है और लेखक की माँ उसे कुछ-न-कुछ सुझाव देती है। सास और बहू के अन्तर्कलह से परिवार बिखर जाता है। बेटे को समस्त सुख अर्पित करनेवाला माँ बहू के आते ही बेटे से अलग हो जाती है। मगम्मा के अन्तर्व्यथा को सुनकर लेखक की माँ का मन भी बोझिल हो जाता है। ममता की मूर्तिमान रहनेवाली नारी दुर्गा क्यों बन जाती है। इसका ज्वलंत उदाहरण लेखक की माँ को देखना-सुनना पड़ता है। जब कोई एक दूसरे को पसंद नहीं करता तब छोटी बातें भी बड़ी हो जाती है। मंगम्मा की बातें सुनते-सुनते लेखक की माँ का हृदय द्रवित हो जाता है।

Dahi Wali Mangamma Ka Question Answer Bihar Board प्रश्न 5.
मंगम्मा का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर-
मंगम्मा प्रस्तुत कहानी का प्रमुख केन्द्रीय चरित्र है। कहानी की कथावस्तु इसके इर्द-गिर्द ही घूमती रहती है। पति से विरक्त रहनेवाली मंगम्मा शायद कभी ऐसी नहीं सोची होगी कि उसका बेटा पत्नी के दबाव में आकर उसको छोड़ सकता है। पत्नी का शृंगार पति है। मंगम्मा और उसकी बहू इस तथ्य को भली-भाँति समझती है। मंगम्मा दही बेचकर अपना जीवन-यापन करती है। दही लेकर वह अपने गाँव से शहर जाती है। और उसे बेचकर जो आमदनी होती है। उसी में वह कुछ संचय करती है।

वह जानती है कि पैसा ही उसका अपना जमा पूँजी हो वह भोली-भाली और सहृदयता वाली नमी है। अपने पोते के प्रति उसका अधिक झुकाव हो वस्तुतः मानव मूलधन से कहीं अधिक ब्याज पर जोर देता है। वह अपना सतीत्व बचाये रखना चाहती है। रंगप्पा द्वारा बार-बार उसका पीछे करने पर भी अपने कर्मपथ से विचलित नहीं होती है। पात का अभाव उसे रूप खटकता है। किन्तु पति के प्रति श्लेष मन्त्र भी क्षोभ नहीं है। मंगम्मा सम्पूर्ण भारतीय नारीत्व का प्रतिनिधित्व करती है।

Class 10th Hindi Bihar Board प्रश्न 6.
मंगम्मा का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर-
मंगम्मा कथा-नायिका मंगम्मा की बहू है। वह बहुत तेज-तर्रार है। अपने काम में किसी प्रकार की दखलंदाजी सहन नहीं करती। बेटे की किसी गलती पर जब उसे पीटती और मंगम्मा जब मना करती है तो उस पर चढ़ बैठती है। कहती है कि मैं बेटे की माँ हूँ-जैसे चाहूँगी रखुंगी। वह अपने पति पर भी काबू रखती है और तर्क से सबको हराती भी है। मंगम्मा जब मखमल का जाकिट पहनती है तो व्यंग्य भी करती है और लेन-देन की बात उठने पर मंगम्मा के लिए गहने-जेवर महिला को वापस ले लेने को भी कह देती है।

नंगम्मा तेज-तर्रार होने के साथ लोगों की कमजोरी जाननेवाली अत्यन्त चतुर भी है जब उसे मंगम्मा द्वारा रुपया-पैसा किसी और को दिए जाने की आशंका होती है तो अपने बेटे को मंगम्मा के पास रहने के लिए भेज देती है और मौका देखकर पति के साथ जाकर माफी माँग लेती है और अपने यहाँ ले आती है। इतना ही नहीं वह धीरे-धीरे मंगम्मा का दही बेचने का धंधा भी खुद शुरू कर देती है।
इस प्रकार नंजम्मा तेज-तर्रार, दूरदर्शी और व्यवहार कुशल नारी है।

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solution प्रश्न 7.
कहानी का सारांश प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी कन्नड़ कहानियाँ (नेशल बुक ट्रस्ट, इंडिया) से सभार ली गयी है। इस कहानी का अनुवाद बी आर नारायण ने किया है। इस कहानी का प्रमुख केन्द्रीय चरित्र मंगम्मा और द्वितीय चरित्र लेखक की माँ है। मंगम्मा पति विरक्ता हो घर के अन्तर्कलह से दुःखी होकर वह जीवन-यापन करने के लिए दही बेचती है। वह गांव से शहर जाती है और दही बेचकर कुछ पैसे संचय करती है। संचय का सत्य है कि सास और बहू में स्वतंत्रता की होड़ लगी रहती है। माँ बेटे पर से अपना हक नहीं छोड़ती और बहू पति पर अधिकार जमाना चाहती है। पोते की पिटाई से क्षुब्ध मंगम्मा अपनी बहू को भला-बुरा कह देती है।

सास और बहू का विवाद घर में अन्तर्कलह को जन्म दे देता है। बहू-और-बेटे मंगम्मा को अलग रहने के लिए विवश कर देते हैं। दही बेचकर किसी तरह जीवन मापन करने वाली मंगम्मा कुछ पैसे इकट्ठा कर लेती है। जब बहू को यह ज्ञात हो जाता है कि उसकी सास रंगप्पा को कर्ज देनेवाली ही तो वह अपने को बेटे को ढाल बनाती है। वह बेटे को दादी के पास ही रहने के लिए उसकाती है। धीरे-धीरे सास और बहू में संबंध सुधरता जाता है। एक दिन मंगम्मा स्वयं बहू को लेकर दही बेचने के लिए जाती है।

लोगों से अपनी बहू का परिचय देती है और कहती है कि अब दही उसकी बहू ही बेचने के लिए आयेगी। वस्तुतः इस कहानी के द्वारा यह सीख दी गई है कि पानी में खड़े बच्चे का पाव खींचनेवाले मगरमच्छ जैसी दशा बहू की है और ऊपर से बाँह पकड़कर बचाने जैसी दशा माँ की होती है।

विस्तुनिष्ठ प्रश्व

I. सही विकल्प चुनें

Bihar Board Hindi Book Class 10 Pdf Download प्रश्न 1.
दही वाली मंगम्मा के रचयिता हैं
(क) सात कौड़ी होता
(ख) ईश्वर पेटलीकर
(ग) श्री निवास
(घ) प्रेमचन्द
उत्तर-
(ग) श्री निवास

बिहार बोर्ड हिंदी बुक 10  प्रश्न 2.
श्री निवास साहित्यकार हैं………………
(क) गुजराती
(ख) कन्नड़
(ग) राजस्थानी
(घ) तमिल
उत्तर-
(ख) कन्नड़

दही वाली मंगम्मा हिंदी कहानी Bihar Board प्रश्न 3.
मंगम्मा बरसों से बारी में दिया करती थी…………….
(क) दूध
(ख) चावल
(ग) मछली
(घ) दही
उत्तर-
(घ) दही

Bihar Board Class 10th Hindi Solutions प्रश्न 4.
नंजमा पंगम्मा की…………”धी।।
(क) बेटी
(ख) माँ
(ग) पुत्र वधू
(घ) सास
उत्तर-
(ग) पुत्र वधू

प्रश्न 5.
श्री निवास का पूरा नाम है……………….
(क) साँवर दइया |
(ख) सुजाता
(ग) आरती वेंकटेश अटयंगर
(घ) सात कोड़ीहोता
उत्तर-
(ग) आरती वेंकटेश अटयंगर

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-

प्रश्न 1.
जितना झगड़ा होता है उतनी …………. बढ़ती है।
उत्तर-
उमर

प्रश्न 2.
‘दही वाली मंगम्मा’ कहानी के रचयिता ………… हैं।
उत्तर-
श्री निवास

प्रश्न 3.
श्री निवास का पूरा नाम ………… है।
उत्तर-
भारती वेंकटेश अय्यंगर

प्रश्न 4.
श्री निवास …………… साहित्यकार हैं।
उत्तर-
कन्नड़

प्रश्न 5.
मंगम्मा बरसों से …………… में दही दिया करती थी।
उत्तर-
बारी

प्रश्न 6.
शादी के बाद ……….. अपना रहता है ?
उत्तर-
बंटा

प्रश्न 7.
जब कोई एक-दूसरे को पसंद नहीं करता तो छोटी ……. भी बड़ी हो जाती है।
उत्तर-
बात

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
रंगप्पा कौन था और वह क्या चाहता था ?
उत्तर-
रंगप्पा मंगम्मा के गाँव का जुआड़ी था और मंगम्मा से रुपये चाहता था।

प्रश्न 2.
सास-बहू की लड़ाई में मंगम्मा के बेटे ने किसका साथ दिया ?
उत्तर-
सास-बहु की लड़ाई में मंगम्मा के बेटे ने अपनी पत्नी का साथ दिया।

प्रश्न 3.
मंगम्मा और उसकी बहू नंजम्मा में झगड़ा क्यों हुआ?
उत्तर-
मंगम्मा और उसकी बहू नंजम्मा में पोते की पिटाई को लेकर झगड़ा हुआ।

प्रश्न 4.
मंगम्मा की बहू नंजम्मा ने अपनी सास से क्यों समझौता कर लिया ?
उत्तर-
मंगम्मा की बहू नंजम्मा ने अपनी सास से इसलिए समझोता कर लिया कि कहीं सास दूसरे व्यक्ति को रुपये न दं ।

प्रश्न 5.
मंगम्मा कौन थी?
उत्तर-
मंगम्मा बारी में दही बेचने वाली थी।

दही वाली मंगम्मा लेखक परिचय

श्रीनिवास जी का पूरा नाम मास्ती वेंकटेश अय्यंगार है । उनका जन्म 6 जून 1891 ई० में कोलार, कर्नाटक में हुआ था । श्रीनिवास जी का देहावसान हो चुका है । वे कन्नड़ साहित्य के सर्वाधिक प्रतिष्ठित रचनाकारों में एक हैं। उन्होंने कविता, नाटक, आलोचना, जीवन-चरित्र आदि साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में उल्लेखनीय योगदान दिया। साहित्य अकादमी ने उनके कहानी संकलन ‘सण्णा कथेगुलु’ को सन् 1968 में पुरस्कृत किया । उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। यह कहानी ‘कन्नड़ कहानियाँ’ (नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया) से साभार ली गयी है । इस कहानी का अनुवाद बी० आर० नारायण ने किया है।

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 5 कवित्त

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 5 कवित्त

 

कवित्त वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ

कवि भूषण कविता शिवाजी महाराज Bihar Board Class 12th प्रश्न 1.
भूषण की लिखी कविता कौन–सी है?
(क) पद
(ख) छप्पय
(ग) कवित्त
(घ) पुत्र–वियोग
उत्तर-
(ग)

Kavi Bhushan Shivaji Maharaj Kavita Bihar Board Class 12th प्रश्न 2.
शिवराज भूषण किसकी कृति है?
(क) भूषण
(ख) देव
(ग) बिहारी
(घ) मतिराम
उत्तर-
(क)

Kavi Bhushan Poems On Shivaji Maharaj Bihar Board Class 12th प्रश्न 3.
‘भूषण’ को यह उपनाम किस राजा ने दिया था?
(क) राजा जय सिंह ने
(ख) चित्रकूट के सोलंकी राजा रूद्रशाह ने
(ग) राजामधुकर शाह ने
(घ) राजा छत्रसाल ने
उत्तर-
(ख)

Kavi Bhushan Ne Kis Rajya Ki Prashansa Mein Kavita Likhi प्रश्न 4.
भूषण किस धारा के कवि है?
(क) रीतिमुक्त
(ख) रीति सिद्ध
(ग) रीतिबद्ध
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क)

Kavi Bhushan Poem On Shivaji Maharaj Bihar Board Class 12th प्रश्न 5.
शिवाजी की वीरता का बखान किस कृति में भूषण कवि ने किया है?
(क) भूषण हजारा
(ख) छत्रसाल–दशक
(ग) शिवा बावनी
(घ) भूषण उल्लास
उत्तर-
(ग)

Hindi Book Class 12 Bihar Board 100 Marks Pdf Bihar Board प्रश्न 6.
भूषण के दो नायक कौन–कौन हैं?
(क) छात्रपति शिवाजी और छत्रसाल
(ख) नंद और शकटार
(ग) चन्द्रगुप्त और चाणक्य
(घ) अशोक और कुणाल
उत्तर-
(क)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

12 Hindi Book Bihar Board प्रश्न 1.
भूषण रीतिकाल के……… धारा के कवि हैं।
उत्तर-
रीतिमुक्त

12th Hindi Book Bihar Board प्रश्न 2.
भूषण जातीय स्वाभिमान, आत्मगौरव, शौर्य एवं……… के कवि हैं।
उत्तर-
पराक्रम

Bihar Board 12 Hindi Book प्रश्न 3.
भूषण एक रीतिबद्ध………….. कवि ही थे।
उत्तर-
आचार्य

प्रश्न 4.
इंद्र जिमि जंभ पर बाड़व ज्यौं अंभ पर,……….. संदर्भ पर रघुकुल राज है।
उत्तर-
रावन

प्रश्न 5.
पौन बारिबाह पर……….. रतिनाह पर, ज्यौं सहस्रबाहु पर राम द्विजराज हैं।
उत्तर-
संभु

प्रश्न 6.
तेज तम अंस पर कान्ह जिमि कंस पर,
यौं मलेच्छा………. बंस पर सेर सिवराज हैं।
उत्तर-
बंस

कवित्त अति लघु उत्तरीय प्रश्न।

प्रश्न 1.
महाकवि भूषण हिन्दी साहित्य के लिए किस काल के कवि थे?.
उत्तर-
रीतिकाल के।

प्रश्न 2.
भूषण ने मुख्यतः किस भाषा में रचना की?
उत्तर-
ब्रजभाषा में।

प्रश्न 3.
भूषण ने समुदाग्नि से किसकी तुलना की है?
उत्तर-
शिवाजी की।

प्रश्न 4.
छत्रसाल की तलवार ने कौन–सा रूप धारण कर रखा है?
उत्तर-
रौद्र रूप।

कवित्त पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
शिवाजी की तुलना भूषण ने किन–किन से की है?।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में महाकवि भूषण ने छत्रपति महाराज शिवाजी की तुलना इन्द्र, वाड़बाग्नि (समुद्र की आग), श्रीराम, पवन, शिव, परशुराम, जंगल की आग, शेर (चीता) प्रकाश अर्थात् सूर्य और कृष्ण से की है।

प्रश्न 2.
शिवाजी की तुलना भूषण ने मृगराज से क्यों की है?
उत्तर-
महाकवि भूषण ने अपने कवित्त में छत्रपति शिवाजीकी महिमा का गुणगान किया है। महाराज शिवाजी की तुलना कवि ने इन्द्र, समुद्र की आग, श्रीरामचन्द्रजी, पवन, शिव, परशुर.’ जंगल की आग, शेर (चीता), प्रकाश यानि सूर्य और कृष्ण से की है। छत्रपति शिवाजी के व्यक्तित्व में उपरोक्त सभी देवताओं के गुण विराजमान थे। जैसे उपरोक्त सभी अंधकार, अराजकता, दंभ अत्याचार को दूर करने में सफल हैं, ठीक उसी प्रकार मृगराज अर्थात् शेर के रूप में महाराज शिवाजी मलेच्छ वंश के औरंगजेब से लोहा ले रहे हैं।

वे अत्याचार और शोषण–दमन के विरुद्ध लोकहित के लिए संघर्ष कर रहे हैं। छत्रपति का व्यक्तित्व एक प्रखर राष्ट्रवीर, राष्ट्रचिन्तक, सच्चे कर्मवीर के रूप में हमारे सामने दृष्टिगत होता है। जिस प्रकार इन्द्र द्वारा यम का, वाड़वाग्नि द्वारा जल का, और घमंडी रावण का दमन श्रीराम करते हैं ठीक उसी प्रकार शिवाजी का भी व्यक्तित्व है।

पवन जैसे बादलों को तितर–बितर कर देता है, शिव के वश में कामदेव हो जाते हैं, सहस्रार्जुन पर परशुराम की विजय होती है, दावाग्नि जंगल के वृक्षों की डालियों को जला देती है; जैसे चीता (शेर) मृग झुंडों पर धावा बोलता है ठीक हाथी पर सवार हमारे छत्रपति शिवाजी मृगराज की तरह सुशोभित हो रहे हैं। जिस प्रकार सूर्य प्रकाश से अंधकार का साम्राज्य विनष्ट हो जाता है, कृष्ण द्वारा कंस पराजित होता है, ठीक उसी तरह औरंगजेब पर हमारे छत्रपति भारी पड़ रहे हैं। हमारे इन देवताओं एवं प्रकृति के अन्य जीवों की तरह गुण संपन्न शिवाजी का व्यक्तित्व है। वे देशभक्ति और न्याय के प्रति अटूट आस्था रखनेवाले भूषण के महानायक हैं। उनके व्यक्तित्व और शीर्ष के आगे शत्रु फीके पड़ गए हैं।

महावीर शिवाजी भूषण के राष्ट्रनायक हैं। इनके व्यक्तित्व के सभी पक्षों को कवि ने अपनी कविताओं में उद्घाटित किया है। छत्रपति शिवाजी को उनकी धीरता, वीरता और न्यायोचित सद्गुणों के कारण ही मृगराज के रूप में चित्रित किया है।

प्रश्न 3.
छत्रसाल की तलवार कैसी है? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में महाराजा छत्रसाल की तलवार सूर्य की किरणों के समान प्रखर और प्रचण्ड है। उनकी तलवार की भयंकरता से शत्रु दल थर्रा उठते हैं।

उनकी तलवार युद्धभूमि में प्रलयकारी सूर्य की किरणों की तरह म्यान से निकलती है। वह विशाल हाथियों के झुण्ड को क्षणभर में काट–काटकर समाप्त कर देती हैं। हाथियों का झुण्ड गहन अंधकार की तरह प्रतीत होता है। जिस प्रकार सूर्य किरणों के समक्ष अंधकार का साम्राज्य समाप्त हो जाता है ठीक उसी प्रकार तलवार की तेज के आगे अंधकार रूपी हाथियों का समूह भी मृत्यु को प्राप्त करता है।

छत्रसाल की तलवार ऐसी नागिन की तरह है जो शत्रुओं के गले में लिपट जाते हैं और मुण्डों की भीड़ लगा देती है, लगता है कि रूद्रदेव को रिझाने के लिए ऐसा कर रही हैं।

महाकवि, भूषण छत्रसाल की वीरता से मुग्ध होकर कहते हैं कि हे बलिष्ठ और विशाल भुजा वाले महाराज छत्रसाल मैं आपकी तलवार का गुणगान कहाँ तक करूँ? आपकी तलवार शत्रु–योद्धाओं के कटक जाल को काट–काटकर रणचण्डी की तरह किलकारी भरती हुई काल को भोजन कराती है।

प्रश्न 4.
नीचे लिखे अवतरणों का अर्थ स्पष्ट करें
(क) लागति लपकि कंठ बैरिन के नागिनि सी,
रुदहि रिझावै दै दै मुंडन की माल को।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ भूषण की काव्यकृति छत्रसाल–दशक से संकलित की गयी कविताओं में से ली गयी है। इन पंक्तियों में महाकवि भूषण ने छत्रसाल की तलवार की प्रशंसा की है।

प्स छत्रसाल की तलवार नागिन के समान है। वह शत्रुओं के गर्दन से लपटकर जा मिलती है और देखते–देखते नरमुंडों की ढेर लगा देती है। मानों भगवान शिव को रिझा रही हो। इस प्रकार छत्रसाल की तलवार की महिमा गान कवि ने किया है। छत्रसाल की तलवार का कमाल प्रशंसा योग्य है। इन पंक्तियों में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है। भयंकर रूप के चित्रण के कारण रौद्र रस का प्रयोग झलकता है।

(ख) प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि,
कालिका सी किलकि कलेऊ देति काल को।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ भूषण कवि की कविता पुस्तक छत्रसाल–दशक द्वारा ली गयी है जो पाठ्यपुस्तक में संकलित है। इस अवतरण में वीर रस के प्रसिद्ध कवि भूषण ने महाराजा छत्रसाल की तलवार का गुणगान किया है। इनकी तलवार की क्या–क्या विशेषताएँ हैं, आगे देखिए।

इन पंक्तियों में कवि के कहने का भाव यह है कि छत्रसाल बुन्देला की तलवार इतने तेज धारवाली है कि पलभर में ही शत्रुओं को गाजर–मूली की तरह काट–काटकर समाप्त कर देती है। साथ ही काल को भोजन भी प्रदान करती है। यह तलवार साक्षात् कालिका माता के समान है। वैसा ही रौद्र रूप छत्रसाल की तलवार भी धारण कर लेती है।

यहाँ अनुप्रास और उपमा अलंकार की छटा निराली है।

प्रश्न 5.
भूषण रीतिकाल की किस धारा के कवि हैं, वे अन्य रीतिकालीन कवियों से कैसे विशिष्ट हैं?
उत्तर-
महाकवि भूषण रीतिकाल के एक प्रमुख कवि हैं, किन्तु इन्होंने रीति–निरूपण में शृंगारिक कविताओं का सृजन किया। उन्होंने अलंकारिकता का प्रयोग अपनी कविताओं में अत्यधिक किया है।

रीति काव्य के कवियों की प्रवृत्तियों के आधार पर दो भागों में बाँटा जा सकता है–
(i) मुख्य प्रवृत्तियाँ–
(क) रीति निपुंज तथा
(ख) शृंगारिकता।

(ii) गौण प्रवृत्तियाँ–
(क) राज प्रशस्ति (वीर काव्य)
(ख) भक्ति तथा
(ग) नीति।

(क) रीति–निरूपण के आधार पर रीति कवियों के दो वर्ग हैं–
(i) सर्वांग निरूपण तथा
(ii) विशिष्टांग निरूपक।

(i) सर्वांग निरूपण : काव्य के समस्त अंगों पर विवेचन किया है। इसके तीन भेद हैं–
(a) समस्त रसों के निरूपक,
(b) शृंगार रस निरूपक
(c) श्रृंगार रस के आलंबन नायक–नायिकाओं के भेदोपभेदों के निरूपक।

अलंकार निरूपक आचार्यों में मतिराम, भूषण, गोप, रघुनाथ, दलपति आदि और भी कुछ कवि आते हैं।

इस प्रकार भूषण श्रृंगार रस के आलंबन नायक–नायिकाओं के भेदोपभेदों के निरूपक रीति काव्य परंपरा के कवि हैं। अलंकार निरूपक रीति के रूप में भूषण को ख्याति प्राप्त है। महाकवि भूषण का आर्विभाव रीतिकाल में हुआ। उस समय की समस्त कविताओं का विषय था–नख–शिख वर्णन और नायिका भेद। अपने आश्रयदाताओं को प्रसन्न करना और वाहवाही लूटना उनकी कविता का उद्देश्य था। अतः तब कविता स्वाभाविक उद्गार के रूप में नहीं होती थी, वरन् धनोपार्जन के साधन के रूप में थी।

ऐसे ही समय में महाकवि भूषण का आविर्भाव हुआ। परन्तु उनका उद्देश्य कुछ और था। अतएव देश की करुण पुकार से उनका अंतर्मन गुंजरित हुआ। फलस्वरूप उनके काव्य में श्रृंगार की धारा प्रवाहित नहीं हुई वरन् वीर रस की धारा फूट पड़ी। ऐसी परिस्थिति में कहा जाएगा कि वे तत्कालीन काव्यधारा के विरुद्ध प्रतीत होते हैं। परन्तु उनकी महत्त सुरक्षित कही जाएगी। इसका एकमात्र कारण यही है कि उनकी कविता कवि–कीर्ति संबंधी एक अविचल सत्य का दृष्टांत है।

आविर्भाव के विचार से वे रीतिकाल में आते हैं। किन्तु विषय के दृष्टिकोण से उन्हें वीरगाथा–काल में ही मानना चाहिए। कुछ लोग उन्हें चाटुकार जाटों की श्रेणी में रखते हैं। किन्तु भूषण के प्रति यह धीर अन्याय होगा। इसका कारण यह है कि श्रृंगार प्रधानकाल में भी वीर रस की उद्भावना द्वारा जन जीवन में जागरण का मंत्र फूंकना उनके स्वतंत्र हृदय का परिचायक है। उनकी काव्य की रचना देश की नब्ज पहचान कर हुई है। निःसन्देह उनकी रचना युग–परिवर्तन का आह्वान करती है।।

भूषण कई राजाओं के यहाँ गए किन्तु कहीं भी उनका मन नहीं लगा। उनका मन यदि कहीं लगा तो एकमात्र छत्रपति शिवाजी के दरबार में ही। ऐसे तो छत्रसाल के यहाँ भी उन्हें सम्मान मिला था। उसी कारण में उन्होंने लिखा था–”शिवा को बखानों कि बखानों को छत्रसाल को।”

भूषण का काव्य वीर काव्य की परंपरा में आता है। यहाँ ओज की प्रधानता है। भूषण के काव्य के महानायक हैं–छत्रपति शिवाजी महाराज।

रीतिकालीन कवियों की तरह भूषण खुशामदी कविं नहीं बल्कि राष्ट्रीयता के प्रबल पक्षधर हैं। इनकी कविताओं में भारतीयता, हिन्दुत्व और लोक मंगल की कामना है। इसी कारण इन्हें हिन्दू राष्ट्र का जातीय कवि भी कहा जाता है।

इनकी तीन प्रमुख रचनाएँ हैं–

  • शिवराज भूषण,
  • शिव बावनी
  • छत्रसाल दशक।

भूषण की काव्य भाषा ब्रजभाषा है। इसे ब्रजभाषा नहीं कह सकते हैं। विभिन्न भाषाओं के शब्दों के मेल–जोल से इसे खिचड़ी भाषा भी कह सकते हैं। शब्दों को तोड़–मरोड़ कर अत्यधिक प्रयोग किया है। जिसके कारण उनका स्वाभाविक रूप बिगड़ गया है। मित्र बन्धुओं ने इसलिए कहा है कि भूषण की भाषा सशक्त, भाव–प्रकाशन में प्रभावयुक्त और सुव्यवस्थित है। देशज, विदेशज, तद्भव और तत्सम रूपों का प्रयोग धड़ल्ले से किया है।

ये एक सफल कवि के रूप में हिन्दी जगत में समादृत है। इनकी कविताओं में लोकोक्तियों तथा मुहावरों का प्रयोग भी हआ है। ओज गुण संपन्न इनकी काव्य कृतियाँ हिन्दी की धरोहर है। भूषण की कविता में सुमेरु डोल रहा है। सागर मथा जा रहा है। भूषण और शिवाजी दोनों ही व्यक्ति नहीं है बल्कि भाव के क्षेत्र में जो कविवर भूषण है, वही रणक्षेत्र में शिवाजी का रूप धारण कर लेते हैं।

शिवराज भूषण में 105 अलंकारों का प्रयोग हुआ जिसमें 99 अक्कर, 4 शब्दालंकार तथा शेष दो चित्र ओर संकर नामक अलंकार है। विवेचन क्रम एवं लक्षणों को देखने से प्रतीत होता है कि ग्रन्थाकार जयदेव के चन्द्रलोक और मतिराम कालालितलाम का ही आश्रम लिया है।

आचार्य कर्म में भूषण को कुछ लोग भले ही असफल कवि के रूप में मानते हैं किन्तु कवि–कर्म में उतने ही सफल हुए हैं। विषय के अनुरूप ओजपूर्ण वाणी का प्रयोग इनमें सर्वत्र मिलता है। भूषण की दृष्टि व्यापक थी। पूरे राष्ट्र को एक इकाई के रूप में वे देखते थे। भूषण के काव्य में सुव्यक्त होनेवाली राष्ट्रीयता की यह चेतना रीतिकालीन साहित्य के उपलब्ध साक्ष्यों में सर्वत्र विद्यमान है।

प्रश्न 6.
आपके अनुसार दोनों छंदों में अधिक प्रभावी कौन है और क्यों?
उत्तर-
हमारे पाठ्य–पुस्तक दिगंत भाग–2 में संकलित के दोनों कवित्त छंदों में अधिक प्रभावकारी प्रथम छंद है। इसमें महाकवि भूषण ने राष्ट्रनायक छत्रपति शिवाजी के विरोचित गुणों का गुणगान किया है। कवि ने अपने कवित्त में छत्रपति शिवाजी के व्यक्तित्व के गुणों की तुलना अनेक लोगों से करते हुए लोकमानस में उन्हें महिमा मंडित करने का काम किया है।

कवि ने कथन को प्रभावकारी बनाने के लिए अनुप्रास और उपमा अलंकार का प्रयोग कर अपनी कशलता का परिचय दिया है। वीर रस में रचित इस कवित्त में अनेक प्रसंगों की तुलना करते हुए शिवाजी के जीवन से तालमेल बैठाते हुए एक सच्चे राष्ट्रवीर के गुणों का बखान किया है। इन्द्र, राम, कृष्ण, परशुराम, शेर, कृष्ण, पवन आदि के गुण कर्म और गुण धर्म से शिवाजी के व्यक्तित्व की तुलना की गयी है। वीर शिवाजी शेरों के शेर हैं, जिन्होंने अपने अभियान में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

भाषा में ओजस्विता, शब्द प्रयोग में सूक्ष्मता कथन के प्रस्तुतीकरण की दक्षता भूषण के कवि गुण हैं। अनेक भाषाओं के ठेठ और तत्सम, तद्भव शब्दों का भी उन्होंने प्रयोग किया है।

कवित्त भाषा की बात।

प्रश्न 1.
प्रथम छंद में कौन सा रस है? उसका स्थाई भाव क्या है?
उत्तर-
प्रथम छंद में वीर रस है उसका स्थायी भाव उत्साह है।

प्रश्न 2.
प्रथम छंद का काव्य गुण क्या है?
उत्तर-
प्रथम छंद का काव्य गुण ओज गुण है।

प्रश्न 3.
द्वितीय छंद में किस रस की अभिव्यंजना हुई है? उस रस का स्थाई भाव क्या है?
उत्तर-
द्वितीय छंद में रौद्र रस की अभिव्यंजना हुई है.। रौद्र रस का स्थाई भाव क्रोध है।

प्रश्न 4.
प्रथम छंद में किन अलंकारों का प्रयोग हुआ है?
उत्तर-
प्रथम छंद में अनुप्रास, उत्प्रेक्षा अलंकारों का प्रयोग हुआ है।

प्रश्न 5.
‘लागति लपकि कंठ बैरिन के नागिनी सी’–इनमें कौन–सा अलंकार है?
उत्तर-
लागति लपकि कंत बैरिन के नागिनी सी’ में उपमा अलंकार है।

प्रश्न 6.
दूसरे छंद से अनुप्रास अलंकार के उदाहरण चुनें।.
उत्तर-
दूसरे छंद से अनुप्रास अलंकार के उदाहरण निम्नलिखित हैं–तम–तोम मैं, म्यान ते मयूखें, लागति लपकि, रुदहि रिझावै, मुंडन की माल, छितिपाल छत्रसाल, कटक कटीले केते काटि काटि, किलकि कलेऊ आदि।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखें भानु, रुद्र, चीता, इन्द, तम, तेज, मृग, काल, कंठ, भट
उत्तर-

  • भानु–सूर्य, रवि, भास्कर, दिवाकर
  • रुद्र–शंकर, त्रिपुरारि, त्रिलोचन
  • चीता–बाघ
  • इन्द्र–सुरेन्द्र, देवेन्द्र, सुरपति, देवेश
  • तम–अंधकार, अँधेरा, तम, तिमिर
  • तेज–प्रताप, महिमा, शूरता
  • मृग–हिरण, तीव्रधावक
  • काल–समय, यमराज, शिव, मुहूर्त
  • कंठ–गला भट–योद्धा, रणवीर

प्रश्न 8.
‘महाबाहु’ में ‘महा’ उपसर्ग है, इस उपसर्ग से पाँच अन्य शब्द बनाएँ।
उत्तर-
महाबली, महान, महात्मा, महामना, महाराज, महाकाल, महाशय।।

प्रश्न 9.
‘छितिपाल’ में पाल प्रत्यय है, इस प्रत्यय से युक्त छह अन्य शब्द बनाएँ।
उत्तर-
द्वारपाल, राज्यपाल, रामपाल, सतपाल, जयपाल, धर्मपाल, गोपाल।

कवित्त कवि परिचय भूषण (1613–1715)

महान् कवि भूषण के जन्म–मृत्यु के बारे में विद्वानों में मतभेद है। उनका जन्म 1613 में तिकवाँपुर, कानपुर उत्तरप्रदेश माना जाता है। उनका वास्तविक नाम घनश्याम था। ‘भूषण’ उनकी उपाधि है जो चित्रकूट के सोलंकी राजा रुद्र ने उन्हें दी। ये कानपुर के पास तिकवाँपुर के रहनेवाले थे और जाति के कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। इनके पिता का नाम रत्नाकर त्रिपाठी था। भूषण को रीतिकाल के प्रसिद्ध कवियों–चिन्तामणि तथा मतिराम का भाई माना जाता है। किन्तु कई विद्वानों का इसमें संदेह है। भूषण कई राजदरबारों में गये, किन्तु उन्हें सबसे अधिक सन्तुष्टि शिवाजी के दरबार में मिली। इन्हें शिवाजी के पुत्र शाहूजी एवं पन्ना के बुदेला राजा छत्रसाल के दरबार में रहने का सौभाग्य मिला। सन् 1715 में उनका देहावसान हुआ।

भूषण की तीन प्रसिद्ध रचनाएँ हैं––शिवराज भूषण, शिवाबावनी तथा छत्रसाल दशक। इनमें “शिवराज भूषण’ उनकी कीर्ति का आधार है। भूषण की वाणी में ओज और वीरता के भाव व्यक्त हुए हैं। उन्होंने अपने आश्रयदाताओं–शिवाजी तथा छत्रसाल की प्रशंसा में बहुत सुन्दर कवित्त लिखे हैं। भूषण की भाषा ओजमयी है। उनके शब्द सैनिकों की भाँति दौड़ते–भागते प्रतीत होते हैं। शब्दों की ध्वनि को सुनकर ही लगता है कि हाथी–घोड़े दौड़ रहे हैं।

भूषण ने अपनी कविता में अलंकारों का बहुत सुन्दर प्रयोग किया है। अनुप्रास तो उनकी हर पंक्ति में बिखरा पड़ा है। रूपक, उपमा, यमक के उदाहरण भी देखते बनते हैं।

कविता का भावार्थ 1.
इन्द्र जिमि जंभ पर बाड़व ज्यों अंभ पर,
रावन संदभ पर रघुकुल राज है।
पौन बारिबाह पर संभु रतिनाह पर,
ज्यौं सहस्रबाहु पर सेर द्विवराज है।
दावा दुम–दंड पर चीता मृग–झुंड पर,
भूषण बितुंड पर जैसे मृगराज है।
तेज तम अंस पर कान्ह जिमि कंस पर,
ज्यों मलेच्छ बंस पर सेर सिवराज है।।

प्रसंग–प्रस्तुत कवित्त कवि भूषण द्वारा रचित है। इसमें शिवाजी वीरता का बखना किया गया है।

व्याख्या–शिवाजी के शौन का बखना करते हुए कवि भूषण कहते हैं कि शिवाजी का मलेच्छ वंश पर उसी प्रकार राज है जिस प्रकार इन्द्र का यम पर वाडवाग्नि अर्थात् समुद्र की अग्नि का पानी पर तथा राम का दंभ से भरे रावण पर है। अर्थात् शिवाजी को इन्द्र, समुद्राग्नि व राम के समान बताकर उनका शौर्य वर्णन किया गया है।

जिस प्रकार जंगी की आग का पेड़ों के झुंड पर तथा चीता मृगों के झुंड पर तथा हाथी. के ऊपर सिंह का राज है। उसी प्रकार छत्रपति शिवाजी दवाग्नि के समान विशाल, हाथी के समान बलशाली तथा चीते के समान शौर्यवान है।

जैसे उजाले का अंधेरे पर तथा कृष्ण का कंस पर राज है उसी प्रकार छत्रपति शिवाजी का मलेच्छ वंश पर राज है अर्थात् वे अत्यन्त बलशाली है।

बिशेष–

  • छत्रपति शिवाजी के शौर्य का विभिन्न उपमानों द्वारा वर्णन किया गया है।
  • ब्रजभाषा का सुन्दर प्रयोग द्रष्टव्य है।
  • विषयानुरूप शब्द चयन है।
  • ओज गुण विद्यमान है।।
  • रघुकुल राज, दावा द्रुम–दंड, तेज तम, ‘सेर सिवराज’ में अनुप्रास अलंकार है।

2. निकसत म्यान ते मयूबँ, प्रल–भानु कैसी,
फारै तम–तोम से गयंदन के जाल को।
लागति लपकि कंठ बैरिन के नागिनि सी,
रुदहि रिझावै दै दै मुंडन की माल को।।
लाल छितिपाल छत्रसाल महाबाहु बली,
कहाँ लौं बखान करौं तेरी करवाल को।
प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि,
कालिका सी किलकि कलेऊ देति काल को।

प्रसंग–प्रस्तुत कवित्त कवि भूषण द्वारा रचित है। इसमें छत्रसाल की वीरता का वर्णन किया गया है।

व्याख्या–कवि भूषण ने छत्रसाल की वीरता का वर्णन करते हुए कहा है कि युद्धभूमि में छत्रसाल की तलवार म्यान से इस प्रकार निकली जैसे प्रलय के सूर्य की तीखी (तेज) किरणें निकलती हैं। यह तलवार हाथी के ऊपर पड़ी हुई लोहे की जालियों को इस प्रकार काट रही है जैसे अंधेरे को चीर कर सूर्य निकल रहा है। उनकी तलवार रूपी नागिन शत्रुओं के गले में मृत्यु के समान लिपट रही है।

वह मृत्यु के देवता शिवजी को प्रसन्न करने के लिए शत्रुओं के सिरों की माला को अर्पित कर रही है। अर्थात् युद्धभूमि में शत्रुओं के सिरों को धड़ से अलग कर रही है। राजा छितिपाल के शक्तिशाली पुत्र छत्रसाल की तलवार का वर्णन कहाँ तक करूँ अर्थात् यह अत्यन्त प्रलयंकारी है। वह शत्रुओं के समूह के समह नष्ट कर रही है। वह शत्रुओं को काटकर कालिका देवी को सुबह का नाश्ता प्रदान कर रही है। अर्थात् वह मृत्यु की देवी को प्रसन्न करने के लिए शत्रुओं का संहार कर रही है।

विशेष–

  • छत्रसाल के शौर्य का वर्णन किया गया है।
  • ब्रजभाषा का सुन्दर प्रयोग है।
  • विषयानुसार भाषा का चयन है।
  • पद्यांश में रौद्र रस तथा ओज गुण निहित है।
  • नागिन सी’, ‘कालिका सी किलिक में’ उपमा अलंकार पूरे पद्यांश में अनुप्रास अलंकार ‘काटि–काटि’ में पुनरुक्ति प्रकाश है।