Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 6 तुमुल कोलाहल कलह में

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Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 6 तुमुल कोलाहल कलह में

 

तुमुल कोलाहल कलह में वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ

तुमुल कोलाहल कलह में कविता का अर्थ Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 1.
जयशंकर प्रसाद का जन्म कब हुआ था?
(क) 1889 ई. में
(ख) 1870 ई. में
(ग) 1880 ई. में
(घ) 1875 ई. में
उत्तर-
(क)

तुमुल कोलाहल कलह में Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 2.
‘कामायनी’ प्रसाद की कैसी कृति है?
(क) प्रबंध काव्य
(ख) गद्य काव्य
(ग) खण्ड काव्य
(घ) नाट्य कृतियाँ
उत्तर-
(क)

तुमुल कोलाहल कलह में कविता Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 3.
‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता के रचयिता कौन हैं?
(क) सूर्यकान्त त्रिपाटी ‘निराला’
(ख) जय शंकर प्रसाद
(ग) महादेवी वर्मा
(घ) पंत
उत्तर-
(ख)

तुमुल कोलाहल का अर्थ Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 4.
जयशंकर प्रसाद जी किस काल के कवि हैं?
(क) छायावाद
(ख) रीतिकाल
(ग) आदिकाल
(घ) स्वातंत्र्योत्तर काल
उत्तर-
(क)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

Tumul Kolahal Kalah Mein Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 1.
जयशंकर प्रसाद का जन्म………… ई. में हुआ था।
उत्तर-
1889

Tumul Kolahal Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 2.
जयशंकर प्रसाद का जन्म……….. में हुआ था?
उत्तर-
वाराणसी

प्रश्न 3.
झरना, आँसू, लहर जयशंकर प्रसाद की प्रमुख……….. हैं।
उत्तर-
कृतियाँ

प्रश्न 4.
जयशंकर प्रसाद के पिता………. थे।
उत्तर-
देवीप्रसाद साहु

प्रश्न 5.
जयशंकर प्रसाद के पितामह शिवरत्न साहु उर्फ……….. थे।
उत्तर-
सुंघनी साहु

प्रश्न 6.
प्रसाद जी की प्रसिद्ध काव्य कृति………. प्रबंध काव्य है।
उत्तर-
कामाम की

प्रश्न 7.
तुमुल कोलाहल कलह में मैं……… की बात रे मन।
उत्तर-
हृदय

तुमुल कोलाहल कलह में अति लघु उत्तरीय प्रश्न।

प्रश्न 1.
‘सजल जलजात’ में कौन–सा अलंकार है?
उत्तर-
रूपक।

प्रश्न 2.
‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता के रचयिता कौन हैं?
उत्तर-
जयशंकर प्रसाद।

प्रश्न 3.
चातकी किसके लिए तरसती है?
उत्तर-
एक छोटी–सी बूँद के लिए।

प्रश्न 4.
मनुष्य का शरीर क्यों थक जाता है?
उत्तर-
मन की चंचलता से।

प्रश्न 5.
जयशंकर प्रसाद किस वाद के कवि हैं?
उत्तर-
छायावाद के।

तुमुल कोलाहल कलह में पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
‘हृदय की बात’ का क्या कार्य है?
उत्तर-
इस कोलाहलपूर्ण वातावरण में श्रद्धा, जो वस्तुतः कामायनी है, अपने हृदय का सच्चा मार्गदर्शक बनती है। कवि का हृदय कोलाहलपूर्ण वातावरण में जब थककर चंचल चेतनाशून्य अवस्था में पहुँचकर नींद की आगोश में समाना चाहती है, ऐसे विषादपूर्ण समय में श्रद्धा चंदन के सुगंध से सुवासित हवा बनकर चंचल मन को सांत्वना प्रदान करती है। इस प्रकार कवि को अवसाद एवं अशान्तिपूर्ण वातावरण में भी उज्ज्वल भविष्य सहज ही दृष्टिगोचर होता है।

प्रश्न 2.
कविता में उषा की किस भूमिका का उल्लेख है?
उत्तर-
छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता में उषाकाल की एक महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया गया है। उषाकाल अंधकार का नाश करता है। उषाकाल के पूर्व सम्पूर्ण विश्व अंधकार में डूबा रहता है। उषाकाल होते हुए सूर्य की रोशनी अंधकाररूपी जगत में आने लगती है। सारा विश्व प्रकाशमय हो जाता है। सभी जीव–जन्तु अपनी गतिविधियाँ प्रारम्भ कर देते हैं। जगत् में एक आशा एवं विश्वास का वातावरण प्रस्तुत हो जाता है। उषा की भूमिका का वर्णन कवि ने अपनी कविता में की है।

प्रश्न 3.
चातकी किसके लिए तरसती है?
उत्तर-
चातकी एक पक्षी है जो स्वाति की बूंद के लिए तरसती है। चातकी केवल स्वाति का जल ग्रहण करती है। वह सालोंभर स्वाति के जल की प्रतीक्षा करती रहती है और जब स्वाति का बूंद आकाश से गिरता है तभी वह जल ग्रहण करती है। इस कविता में यह उदाहरण सांकेतिक है। दु:खी व्यक्ति सुख प्राप्ति को आशा में चातकी के समान उम्मीद बाँधे रहते हैं। कवि के अनुसार एक–न–एक दिन उनके दुःखों का अंत होता है।

प्रश्न 4.
बरसात की ‘सरस’ कहने का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
बरसात जलों का राजा होता है। बरसात में चारों तरफ जल ही जल दिखाई देते हैं। पेड़–पौधे हरे–भरे हो जाते हैं। लोग बरसात में आनन्द एवं सुख का अनुभव करते हैं। उनका जीवन सरस हो जाता है अर्थात् जीवन में खुशियाँ आ जाती हैं। खेतों में फसल लहराने लगते हैं। किसानों के लिए समय तो और भी खुशियाँ लानेवाला होता है। इसलिए कवि जयशंकर प्रसाद ने बरसात को सरस कहा है।

प्रश्न 5.
काव्य–सौन्दर्य स्पष्ट करें
पवन की प्राचीर में रुक,
जला जीवन जा रहा झुक,
इस झुलसते विश्व–वन की,
मैं कुसुम ऋतु राज रे मन !
उत्तर-
जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित यह पद्यांश छायावादी शैली का सबसे सुन्दर आत्मगान है। इसकी भाषा उच्च स्तर की है। इसमें संस्कृतनिष्ठ शब्दों का अधिक प्रयोग हुआ है। यह गद्यांश सरल भाषा में न होकर सांकेतिक भाषा में प्रयुक्त है। प्रकृति का रोचक वर्णन इस पद्यांश में किया गया है। इसमें रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है। जैसे–विश्व–वन (वनरूपी विश्व)। इसमें अनुप्रास अलंकार का भी प्रयोग हुआ है। अनुप्रास अलंकार के कारण पद्यांश में अद्भुत सौन्दर्य आ गया है। देखिए

पवन की प्राचीर में रुक
जला जीवन जा रहा झुक।

प्रश्न 6.
“सजल जलजात” का क्या अर्थ है?
उत्तर-
‘सजल जलजात’ का अर्थ जल भरे (रस भरे) कमल से है। मानव–जीवन आँसुओं का सराबोर है। उसमें पुरातन निराशारूपी बादलों की छाया पड़ रही है। उस चातकी सरोवर में आशा एक ऐसा जल से पूर्ण कमल है जिस पर भौरे मँडराते हैं और जो मकरंद (मधु) से परिपूर्ण है।

प्रश्न 7.
कविता का केन्द्रीय भाव क्या है? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता आधुनिक काल के सर्वश्रेष्ठ कवि जयशंकर प्रसाद द्वारा विरचित है। प्रस्तुत कविता में कवि ने जीवन रहस्य को सरल और सांकेतिक भाषा में सहज ही अभिव्यक्त किया है।

कवि कहना चाहता है कि र मन, इस तूफानी रणक्षेत्र जैसे कालाहलपूर्ण जीवन में मैं हृदय की आवाज के समान हूँ। कवि के अनुसार भीषण कोलाहल कलह विज्ञान है तथा शान्त हृदय के भीतर छिपी हुई निजी बात आशा है।

कवि कहता है कि जब नित्य चंचल रहनेवाली चेतना (जीवन क कार्य–व्यापार से) विकल होकर नींद के पल खोजती है और थककर अचेतन–सी होने लगती है, उस समय में नींद के लिए विकल शरीर को मादक और स्पर्शी सुख मलयानिल के मंद झोंके के रूप में आनन्द के रस की बरसात करता हूँ।

कवि के अनुसार जब मन चिर–विषाद में विलीन है, व्यथा का अन्धकार घना बना हुआ है, तब मैं उसके लिए उषा–सी ज्योति रेखा हूँ, पुष्पं के समान खिला हुआ प्रात:काल हूँ अर्थात् कवि का दुःख में भी सुख की अरुण किरणें फूटती दिख पड़ती हैं।

कवि के अनुसार जीवन मरुभूमि की धधकती ज्वाला के समान है जहाँ चातकी जल के कण प्राप्ति हेतु तरसती है। इस दुर्गम, विषम और ज्वालामय जीवन में भी (श्रद्धा) मरुस्थल की वर्षा के समान परम सुख का स्वाद चखानेवाली हूँ। अर्थात् आशा की प्राप्ति से जीव में मधु–रस की वर्षा होने लगती है।

कवि को अभागा मानव–जीवन पवन की परिधि में सिर झुकाये हुए रूका हुआ–सा प्रतीत होता है। इस प्रकार जिनका सम्पूर्ण जीवन–झुलस रहा हो ऐसे दुःख दग्ध लोगों को आशा वसन्त
की रात के समान जीवन को सरस बनाकर फूल–सा खिला देती है।

कवि अनुभव करता है कि जीवन आँसुओं का सरोवर है, उसमें निराशारूपी बादलों की छाया पड़ रही है। उस हाहाकारी सरोवर में आशा ऐसा सजल कमल है जिस पर भौरे मँडराते हैं जो मकरन्द से परिपूर्ण है। आशा एक ऐसा चमत्कार है जिससे स्वप्न भी सत्य हो जाता है।

प्रश्न 8.
कविता में विषाद’ और ‘व्यथा’ का उल्लेख है, वह किस कारण से है? अपनी कल्पना से उत्तर दीजिए।
उत्तर-
प्रसाद लिखित ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता के द्वितीय पद में ‘विषाद’ और ‘व्यथा’ का उल्लेख है। कवि के अनुसार संसार की वर्तमान स्थिति कोलाहलपूर्ण है। कवि संसार की वर्तमान कोलाहलपूर्ण स्थिति से क्षुब्ध है। इससे मनुष्य का मन चिर–विषाद में विलीन हो जाता है। मन में घुटन महसूस होने लगती है। कवि अंधकाररूपी वन में व्यथा (दु:ख) का अनुभव करता है। सचमुच, वर्तमान संसार में सर्वत्र विषाद एवं ‘व्यथा’ ही परिलक्षित होता है।

प्रश्न 9.
यह श्रद्धा का गीत है जो नारीमात्र का गीत कहा जा सकता है। सामान्य जीवन में पारियों की जो भमिका है, उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि कविता में कही गई बातें उस पर घटित होती हैं? विचार कीजिए और गृहस्थ जीवन में नारी के अवदान पर एक छोटा निबंध लिखिए।
उत्तर-
‘तुमुल कोलाहल कलह में छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित “कामायनी” काव्य का एक अंश है। इस अंश में महाकाव्य की नायिका श्रद्धा है, जो वस्तुतः स्वयं कामायनी है। इसमें श्रद्धा आत्मगान प्रस्तुत करती है। यह आत्मगीत नारीमात्र का गीत है। इस गान में श्रद्धा विनम्र स्वाभिमान भरे स्वर में अपना परिचय देती है। अपने सत्ता–सार का व्याख्यान करती है।

इस गीत में कवि ने सामान्य जीवन में नारियों की जो भूमिका है उसे देखते हुए यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि कविता में कही गई बातें उन पर घटित होती हैं। कवि का यह सोच सही है। नारी वस्तुतः विश्वासपूर्ण आस्तिक बुद्धि का प्रतीक है। नारी के जीवन से विकासगामी ज्ञान एवं आत्मबोध प्राप्त होता है।

गृहस्थ जीवन में नारी के अवदान अतुलनीय है। गृहस्थ जीवन में नारी की भूमिका महत्वपूर्ण है। जब पुरुष का मन कोलाहलपूर्ण वातावरण में चेतनाशून्य हो जाता है और जब वह शान्ति की नींद चाहता है तब नारी मलय पर्वत से चलनेवाली सुगन्धित हवा बनकर पुरुष के चंचल मन को आनन्द प्रदान करती है। जब पुरुष जीवन के चिर–विषाद में विलीन होकर घुटन महसूस करने लगता है एवं व्यथा के अंधकार में भटकने लगता है तब नारी सूर्य की ज्योतिपुंज के समान पथ–प्रदर्शक बनकर पुष्प के समान जीवन को आनन्दित कर देती है।

जब पुरुष के मन में मरुभूमि की ज्वाला धधकती है तब नारी सरस बरसात बनकर पुरुष जीवन में रस की वर्षा करने लगती है। जब पुरुष सांसारिक जीवन में झुलसने लगती है तब नारी आशा रूपी वसंत की रात के समान सुख की आँचल बन जाती है। इतना ही नहीं, जब मानव, जीवन पुरातन निराशारूपी बादलों से घिर जाता है तब नारी चातकी सरोवर में श्रद्वारूपी एक ऐसा सजल कमल है जिसपर भौरे मँडराते हैं। इस प्रकार गृहस्थ जीवन में नारी की भूमिका बहुआयामी है।

प्रश्न 10.
इस कविता में स्त्री को प्रेम और सौन्दर्य का स्रोत बताया गया है। आप अपने पारिवारिक जीवन के अनुभवों के आधार पर इस कथन की परीक्षा कीजिए।
उत्तर-
प्रसादजी के काव्यों में प्रेम और सौन्दर्य का चित्रण किया गया है। ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता में कवि ने स्त्री को प्रेम और सौन्दर्य का स्रोत बताया है। कवि का कथन सही है जब पुरुष सांसारिक उलझनों से उबकर घर आता है तो स्त्री शीतल पवन का रूप धारण कर जीवन को शीतलता प्रदान करती है। व्यथा एवं विषाद में स्त्री–पुरुष की सहायता करती है।

तुमुल कोलाहल कलह में भाषा की बात

प्रश्न 1.
पठित कविता के संदर्भ में प्रसाद की काव्यभाषा पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
जयशंकर प्रसाद छायावादी कवि हैं तथा उनके काव्य में प्रेम और सौन्दर्य का चित्रण है। पठित कविता ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ की काव्यभाषा छायावादी है। प्रस्तुत कविता में मानव–जीवन में प्रेम और सौन्दर्य का चित्रण है। प्रकृति–सौन्दर्य का गुण भी इसमें मिलता है। नारी की गरिमा का वर्णन बड़ा ही सुन्दर ढंग से किया गया है। कविता में रस, छन्द, अलंकार आदि का प्रयोग हुआ है। इसमें रूपक अलंकार की प्रधानता है।

प्रश्न 2.
कविता से रूपक अलंकार के उदाहरण चुनें।
उत्तर-
जहाँ गुण का अत्यन्त समानता के कारण उपमेय पर उपमान का आरोप किया जाय, वहाँ रूपक अलंकार होता है। यह आरोप कल्पित होता है। इसमें उपमेय और उपमान में अभिन्नता होने पर भी दोनों साथ–साथ विद्यमान रहते हैं, यथा चिर–विषाद विलीन मन की। यहाँ चिर (उपमेय) पर विषाद (उपमान) का आरोप है। उसी प्रकार निम्न पंक्तियों में रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है जहाँ मरु–ज्वाला, धधकती, इस झुलसते विश्व–वन की, चिर–निराशा नीरधर से, मैं सजल जलजात रे मन।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों से विशेषण बनाएँ कुसुम, हृदय, व्यथा, बरसात, विश्व, दिन, रेखा।
उत्तर-

  • शब्द – विशेषण
  • कुसुम – कुसुमित
  • हृदय – हृदयी
  • व्यथा – व्यथित
  • बरसात – बरसाती
  • विश्व – वैश्विक
  • दिन – दैनिक
  • रेखा – रैखिक

तुमुल कोलाहल कलह में कवि परिचय जयशंकर प्रसाद (1889–1937)

जयशंकर प्रसाद का जन्म 1889 ई. में वाराणसी में ‘सुंघनी साहू’ परिवार में हुआ। इनके पिता देवी प्रसाद साहू के यहाँ साहित्यकारों को बड़ा सम्मान मिलता था। प्रसाद ने आठवीं कक्षा तक की शिक्षा क्वींस कॉलेज से प्राप्त की, परन्तु परिस्थितियों से मजबूर होकर उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा तथा घर पर ही संस्कृत, फारसी, उर्दू और हिन्दी का अध्ययन किया। किशोरावस्था में ही माता–पिता तथा बड़े भाई का देहान्त हो जाने के कारण परिवार व्यापार का उत्तरदायित्व इन्हें सम्हालना पड़ा, जिसे इन्होंने हँसते–मुस्कुराते हुए संभाला। उनका जीवन संघर्षों और कष्टों में बीता।

पर साहित्य–सृजन और साहित्य–अध्ययन के प्रति वे सदैव जागरूक रहे। सन् 1937 में इनका देहावसान हुआ। जयशंकर प्रसाद हिन्दी के बहुमूखी प्रतिभा सम्पन्न साहित्यकार हैं। वे कवि, नाटककार, कहानीकार तथा उपन्यासकार के रूप में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। उन्हें हिन्दी को रवीन्द्र कहा जाता है। चित्रधारा, काननकुसुम, प्रेमपथिक, महाराणा की महत्त्व, झरना, लहर, आँसू तथा कामायनी उनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं।

‘कामायनी’ जयशंकर प्रसाद का महाकाव्य है। यह छायावाद की ही नहीं, आधुनिक हिन्दी काव्य की अमूल्य निधि है। प्रसाद के नाटक हैं–विशाख, अजातशत्रु, स्कन्दगुप्त, ध्रुवस्वामिनी, चन्द्रगुप्त आदि। कंकाल, तिली, इरावती (अधूरा) इनके उपन्यास हैं। छाया, आँधी, प्रतिध्वनि, इन्द्रजाल तथा आकाशदीप इनके पाँच कहानी–संग्रह हैं।

जयशंकर प्रसाद के काव्य की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं। वे छायावादी कवि हैं तथा उनके काव्य में प्रेम और सौन्दर्य का चित्रण है। प्रकृति–सौन्दर्य के भी वे अद्भुत चितेरे हैं। नारी की गरिमा उनके काव्यों और नाटकों में अंकित है। रहस्य भावना भी कहीं–कहीं झलकती है। उनका महाकाव्य ‘कामायनी’ मानवता के विकास की कथा प्रस्तुत करता है। प्रसाद के काव्य के वस्तु–पक्ष (भाव पक्ष) की भाँति उनके काव्य का कला–पक्ष भी सशक्त है। खड़ीबोली को साहित्यिक सौष्ठव प्रदान करने में उनका योगदान प्रशंसनीय है। रस, छन्द, अलंकार आदि का रणमीयता में उनका काव्य है। समग्रतः प्रसाद आधुनिक काव्य का सर्वश्रेष्ठ कवि हैं।

तुमुल कोलाहल कलह में कविता का सारांश

प्रस्तुत कविता ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता में छायावाद के आधार कवि श्री जयशंकर प्रसाद के कोलाहलपूर्ण कलह के उच्च स्तर (शोर) से व्यथित मन की अभिव्यक्ति है। बिन्दु कवि निराश तथा हतोत्साहित नहीं है।. कवि संसार की वर्तमान स्थिति से क्षुब्ध अवश्य हैं किन्तु उन विषमताओं एवं समस्याओं में भी उन्हें आशा की किरण दृष्टिगोचर होती है। कवि की चेतना विकल होकर नींद के पूल को ढूँढ़ने लगती है उस समय वह थकी–सी प्रतीत होती है किन्तु चन्दन की सुगन्ध से सुवासित शीतल पवन उसे संबल के रूप में सांत्वना एवं स्फूर्ति प्रदान करती है।

दुःख में डूबा हुआ अंधकारपूर्ण मन जो निरन्तर विषाद से परिवेष्टित है, प्रात:कालीन खिले हुए पुष्पों के सम्मिलन (सम्पर्क) से उल्लसित हो उठा है। व्यथा का घोर अन्धकार समाप्त हो गया है। कवि जीवन की अनेक बाधाओं एवं विसंगतियों का भुक्तभोगी एवं साक्षी है। कवि अपने कथन की सम्पुष्टि के लिए अनेक प्रतीकों एवं प्रकृति का सहारा लेता है यथा–मरु–ज्वाला, चातकी, घाटियाँ, पवन को प्राचीर, झुलसावै विश्व दिन, कुसुम ऋतु–रत, नीरधर, अश्रु–सर, मधु, मरन्द–मुकलित आदि।

इस प्रकार कवि ने जीवन के दोनों पक्षों का सूक्ष्म विवेचन किया है। वह अशान्ति, असफलता, अनुपयुक्तता तथा अराजकता से विचलित नहीं है।

पदों का भावार्थ 1.
तुमुल कोलाहल कलह में
मैं हृदय की बात रे मन !
विकल होकर नित्य चंचल,
चेतना थक सी रही तब,
खोजती जब नींद के पल;
मैं मलय की बात रे मन।

व्याख्या–प्रस्तुत व्याख्येय पंक्तियाँ छायावाद के आधारस्तम्भ महाकवि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘तमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता से उद्धृत हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहना चाहता है कि इस तूफानी कोलाहल पूर्ण वातावरण में मैं हृदय का सच्चा मार्गदर्शक हूँ। व्याकुल होकर मन जब थककर चंचल चेतनाशून्य अवस्था में पहुँचकर नींद की आगोश में समाना चाहता है, ऐसे विषादपूर्ण समय में मैं चन्दन के सुगन्ध में सुवासित हवा बनकर चंचल मन को सांत्वना तथा आनंद प्रदान करता हूँ। इस प्रकार कवि को अवसाद एवं अशान्तिपूर्ण वातावरण में भी उज्ज्वल भविष्य सहज ही दृष्टिगोचर होता है।

2. चिर–विषाद विलीन मन की
इस व्यथा के तिमिर वन की;
मैं उषा सी ज्योति रेखा,
कुसुम विकसित प्रात रे मन !

व्याख्या–प्रस्तुत व्याख्येय पंक्तियाँ आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रणेता कवि शिरोमणि जयशंकर प्रसाद द्वारा विरचित ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता से उद्धृत हैं।

प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहता है जब मनुष्य चिर–विषाद में विलीन होकर घुटन महसूस करने लगता है, व्यथा रूपी अन्धकार में भटकने लगता है उस समय मैं श्रद्धा अर्थात् आशा उसके लिए सूर्य की ज्योतिपुंज के समान पथ प्रदर्शक तथा प्रस्फुटित पुष्प के समान जीवन को आनन्दित करती हूँ।

3. जहाँ मरु ज्वाला धधकती,
चातकी कन को तरसती;
उन्हीं जीवन घाटियों की,
मैं सरस बरसात रे मन !

व्याख्या–प्रस्तुत व्याख्येय पंक्तियाँ छायावाद के प्रवर्तक कवि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता से उद्धृत हैं।

प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि जहाँ मरुभूमि की ज्वाला धधकती है और चातकी जल के कण को तरसती है उन्हीं जीवन की घाटियों में मैं (आशा) सरस बरसात बन जाती है। कवि का भाव है कि जिन लोगों का जीवन मरुस्थल की सूखी घाटी के समान दुर्गम, विषम और ज्वालामय हो गया है, जहाँ चित्त चातकी को एक कण भी सुख का जल नहीं मिला हो उन्हें आशा की एक किरण मात्र मिल जाने से जीवन में रस की वर्षा होने लगती है।

4. पवन की प्राचीर में रुक,
जला जीवन जा रहा झुक;
इस झुलसते विश्व–वन की,
मैं कुसुम ऋतु राज रे मन !

व्याख्या–प्रस्तुत व्याख्येय पंक्तियाँ महाकवि जयशंकर प्रसाद द्वारा विरचित ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता से उद्धृत हैं।

प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि जिन्हें इस अभागा मानव–जीवन ने झुलसा डाला है और जिन्हें सांसारिक अग्नि से भागने का भी कोई उपाय नहीं है, ऐसे दु:ख–दग्ध लोगों को मैं आशारूपी वसंत की रात के समान सुख की आँचल हूँ। उनके झुलसे मन को हरा–भरा बना कर फूल–सा खिला देती हूँ।

5. चिर निराशा नीरधर से,
प्रतिच्छायित अश्रु सर में;
मधुप मुखर मरन्द–मुकुलित,
मैं सजल जलजात रे मन !

व्याख्या–प्रस्तुत व्याख्येय पंक्तियाँ छायावाद के प्रवर्तक महाकवि जयशंकर प्रसाद द्वारा विरचित ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता से उद्धत हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में प्रेम, देश–प्रेम, मानवता, प्रकृति सौन्दर्य और करुणा के अद्भुत चितेरे कवि शिरोमणि जयशंकर प्रसाद कहना चाहते हैं कि मानव जीवन आँसुओं का सरोवर है। उसमें पुरातन निराशारूपी बादलों की छाया पड़ रही है। उस चातकी सरोवर में आशा एक ऐसा सजल कमल है जिस पर भौरे मँडराते हैं और जो मकरन्द से परिपूर्ण हैं। कवि की इन पंक्तियों में हृदय की अनुभूति, संगीत मधुरिमा, कला की विद्ग्धता सहज ही दृष्टिगोचर होती है।

Bihar Board Class 11 History Solutions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य

Bihar Board Class 11 History Solutions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 History Solutions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य

Bihar Board Class 11 History तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य Textbook Questions and Answers

 

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
यदि आप रोम साम्राज्य में रहे होते तो कहाँ रहना पसंद करते-नगरों में या ग्रामीण क्षेत्र में? कारण बताइये।
उत्तर:
यदि मैं रोम साम्राज्य में रह रहा होता तो मैं नगरों में रहना पसंद करता। इसके तीन कारण हैं –

  1. नगरों में अनाज की कोई कमी नहीं थी।
  2. अकाल के दिनों में भी ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में नगरों में बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध थीं।
  3. नगरों में लोगों को उच्च मनोरंजन के साधन प्राप्त थे।

प्रश्न 2.
इस अध्याय में उल्लिखित कुछ छोटे शहरों, बड़े नगरों, समुद्रों और प्रान्तों की सूची बनाइए और उन्हें नक्शों पर खोजने की कोशिश किजिए ? क्या आप अपचे द्वारा बनायी गई सूची में संकलित किन्हीं तीन विषयों के बार में कुछ कह सकते हैं?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
कल्पना कीजिए कि आप रोम की एक गृहिणी हैं जो घर की जरूरत की वस्तुओं की खरीददारी की सूची बना रही हैं। अपनी सूची में आप कौन-सी वस्तुएँ शामिल करेंगी?
उत्तर:
गेहूँ, जौ, सेम, मसूर, दालें, जैतून का तेल, शराब आदि

प्रश्न 4.
आपको क्या लगता है कि रोमन सरकार ने चाँदी में मुद्रा को ढालना क्यों बंद किया होगा और वह सिक्कों के उत्पादन के लिए कौन-सी धातु का उपयोग करने लगे?
उत्तर:
चाँदी के सिक्के बनाने के लिए चाँदी स्पेन की गगनों से प्राप्त की जाती थी। परंतु ये खानें समाप्त हो चुकी थीं और सरकार के पास इसका भंडार खाली हो गया। इसलिए रोमन सरकार ने चाँदी के स्थान पर सोने के सिक्के चलाए।

प्रश्न 5.
अगर सम्राट् त्राजान भारत पर विजय प्राप्त करने में वास्तव में सफल रहे होते और रोमवासियों का इस देश पर अनेक सदियों तक कब्जा रहा होता, तो आप क्या सोचते हैं कि भारत वर्तमान समय के देश से किस प्रकार भिन्न होता?
उत्तर:
यदि भारत अनेक सदियों तक रोमवासियों के अधीन रहा होता, तो भारत वर्तमान समय के देश से निम्नलिखित दृष्टियों से भिन्न होता –

  1. भारत में लोकतंत्र के स्थान पर राजतंत्र होता।
  2. भारत में सोने के सिक्के प्रचलित होते।
  3. ग्रामीण क्षेत्र नगरों द्वारा शासित होता।
  4. ग्रामीण क्षेत्र राज्य के राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत होता।
  5. ईसाई धर्म देश का राजधर्म होत।
  6. मनोरंजन के मुख्य साधन सर्कस, थियेटर के तमाशे तथा जानवरों एवं तलवारबाजों की लड़ाइयाँ होती।
  7. देश में दास प्रथा प्रचलित होती।
  8. भारत का व्यापार देश के पक्ष में होता।

प्रश्न 6.
अध्याय को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसमें से रोमन समाज और अर्थव्यवस्था को आपकी दृष्टि में आधुनिक दर्शाने वाले आधारभूत अभिलक्षण चुनिए।
उत्तर:
समाज –

  • देश में स्वर्ण मुद्राएँ प्रचलित थीं।
  • द्वितीय श्रेणी के परिवारों की वार्षिक आय 1000-1500 पाउंड सोना थी।
  • सम्राट् अपनी मनमानी नहीं कर सकते थे।
  • नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए कानून का सक्रिय रूप से प्रयोग किया जाता था।
  • समाज में एकल परिवार की व्यापक रूप से चलन थी।

अर्थव्यवस्था –

  • साम्राज्य में बंदरगाहों, खानों, खादानों, ईंट-भट्ठों आदि की संख्या बहुत अधिक थी, परिणामस्वरूप देश का आर्थिक ढाँचा काफी मजबूत था।
  • रोमन साम्राज्य का व्यापार काफी विकसित था।
  • गैलिली में गहन खेती की जाती थी।
  • उत्पादकता का स्तर बहुत अधिक ऊँचा था।
  • जल-शक्ति से मिलें चलाने की प्रौद्योगिकी उन्नत थी।
  • साम्राज्य में सुगठित वाणिज्यिक तथा बैंकिंग व्यवस्था थी और धन का व्यापक रूप से प्रयोग होता था।

Bihar Board Class 11 History तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
रोम के सम्राट ऑगस्ट्स का शासनकाल किस बात के लिए जाना जाता था?
उत्तर:
रोम के सम्राट् ऑगस्ट्स का शासनकाल शांति के लिए जाना जाता था। इसका कारण यह था कि राज्य में शांति लंबे अतिरिक संघर्ष तथा सैनिक विजयों के बाद आई थी।

प्रश्न 2.
रोम के निकटवर्ती पूर्व से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
निकटवर्ती पूर्व से अभिप्राय भूमध्य के बिल्कुल पूर्व प्रदेश से है। इनमें सीरिया, फिलिस्तीन, अरब आदि प्रदेश शामिल थे।

प्रश्न 3.
दीनारियस क्या था? हेरॉड के राज्य से रोम को कितने दीनारियस की आय होती थी?
उत्तर:
दीनारियस रोम का एक चाँदी का सिक्का था जिसमें लगभग 4.5 ग्राम शुद्ध चाँदी होती थी। हेरॉड के राज्य से रोम को प्रति वर्ष 54 लाख दीनारियस की आय होती थी।

प्रश्न 4.
रोम की साम्राज्यिक प्रणाली में बड़े-बड़े शहरों का क्या महत्व था? रोम के तीन सबसे बड़े शहरों के नाम भी बताएँ।
उत्तर:
बड़े-बड़े शहर रोम की सामाजिक प्रणाली के मूल आधार थे। इन्हीं शहरों के माध्यम से सरकार ग्रामीण क्षेत्रों पर कर लगाती थी और वसूल करती थी। रोम के तीन बड़े शहर कार्थेन, सिकरिया तथा एटि36 थे।

प्रश्न 5.
सम्राट गैलीनस ने सत्ता को सैनेटरों के हाथ में जाने से रोकने के लिए क्या पग उठाए?
उत्तर:

  • गैलीनस ने नवोदित प्रांतीय शासक वर्ग को सुदृढ़ बनाया।
  • उसने सैनेटरों को सेना की कमान से हटा दिया और उनके द्वारा सेना में सेवा करने पर रोक लगा दी।

प्रश्न 6.
तीसरी शताब्दी के रोम में प्रांतीय सैनेटरों के बहुसंख्यक होने से क्या दो निष्कर्ष – निकाले जा सकते हैं?
उत्तर:

  • साम्राज्य में आर्थिक तथा राजनीतिक दृष्टि से इटली का पतन हो रहा था।
  • भूमध्य सागर के अधिक समृद्ध तथा शहरीकृत भागों में नये संभ्रांत वर्गों का उदय हो रहा था।

अर्थव्यवस्था –

  • साम्राज्य में बंदरगाहों, खानों, खादानों, ईंट-भट्ठों आदि की संख्या बहुत अधिक थी, परिणामस्वरूप देश का आर्थिक ढाँचा काफी मजबूत था।
  • रोमन साम्राज्य का व्यापार काफी विकसित था।
  • गैलिली में गहन खेती की जाती थी।
  • उत्पादकता का स्तर बहुत अधिक ऊँचा था।
  • जल-शक्ति से मिलें चलाने की प्रौद्योगिकी उन्नत थी।
  • साम्राज्य में सुगठित वाणिज्यिक तथा बैंकिंग व्यवस्था थी और धन का व्यापक रूप से प्रयोग होता था।

प्रश्न 7.
रोम साम्राज्य में कौन-कौन से प्रदेश शामिल थे?
उत्तर:
यूरोप का अधिकांश भाग, पश्चिमी एशिया तथा उत्तरी अफ्रीका का एक बहुत बड़ा भाग।

प्रश्न 8.
रोम के इतिहास की स्रोत-सामग्री को कौन-कौन से तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है?
उत्तर:

  • पाठ्य सामग्री।
  • प्रलेख अथवा दस्तावेज
  • भौतिक अवशेष

प्रश्न 9.
रोम तथा ईरान के साम्राज्यों को क्या चीज अलग करती थी?
उत्तर:
भूमि की एक संकरी पट्टी जिसके किनारे फरात नदी बहती थी। दोनों साम्राज्यों को अलग करती थी।

प्रश्न 10.
रोम तथा ईरान के साम्राज्यों के बीच कैसे संबंध थे?
उत्तर:
रोम तथा ईरान के लोग आपस में प्रतिद्वंदी थे। अपने इतिहास के अधिकांश काल में वे आपस में लड़ते रहे।

प्रश्न 11.
किस सागर को रोम साम्राज्य का हृदय माना जाता था? यह कहाँ से कहाँ तक फैला हुआ था?
उत्तर:
भूमध्यसागर को रोम साम्राज्य का हृदय माना जाता था। यह पश्चिम से पूरब तक स्पेन से लेकर सीरिया तक फैला हुआ था।

प्रश्न 12.
रोम साम्राज्य की उत्तरी दक्षिणी सीमाएँ क्या-क्या चीजें बनाती थीं?
उत्तर:
रोम साम्राज्य को उत्तरी सीमा राइन तथा डैन्यूब नदियाँ बनाती थीं। इसकी दक्षिणी सीमा सहारा नामक रेगिस्तान से बनती थी।

प्रश्न 13.
रोम साम्राज्य के प्रशासन के लिए किन दो भाषाओं का प्रयोग किया जाता था?
उत्तर:
लातिनी तथा यूनानी।

प्रश्न 14.
रोम साम्राज्य के संबंध में प्रिंसिपेट क्या था?
उत्तर:
प्रिंसिपेट वह राज्य था जो रोम के. प्रथम सम्राट् ऑगस्ट्स ने 27 ई. पू. में स्थापित किया था।

प्रश्न 15.
रोम के सम्राट ऑगस्ट्स को ‘प्रमुख नागरिक’ क्यों माना जाता था?
उत्तर:
रोम के सम्राट् ऑगस्ट्स को यह दर्शाने के लिए कि वह निरंकुश सम्राट् नहीं है, प्रमुख नागरिक माना जाता था। ऐसा सैनेट को सम्मान प्रदान करने के लिए किया जाता था।

प्रश्न 16.
किस साम्राज्य की सधेना बलात् भर्ती वाली थी? इससे क्या अभिप्राय था?
उत्तर:
फारस के राज्य की सेनाएँ बलात् भर्ती वाली थी। इसका अर्थ यह है कि राज्य के कुछ वयस्क पुरुषों को अनिवार्य रूप से सैनिक सेवा करनी पड़ती थी।

प्रश्न 17.
रोम साम्राज्य की सेना की कोई दो विशेषताएं बताएँ।
उत्तर:

  • रोम की सेना एक व्यावसायिक सेना थी, जिसमें प्रत्येक सैनिक को वेतन दिया जाता था।
  • प्रत्येक सैनिक को कम-से-कम 25 वर्ष तक सेवा करनी पड़ती थी।

प्रश्न 18.
(i) रोम के राजनीतिक इतिहास के प्रमुख खिलाड़ी कौन-कौन थे?
उत्तर:
राजा, अभिजात वर्ग और सेना।

(ii) रोम में सैनेट की सदस्यता का आधार क्या था?
उत्तर:
रोम में सैनेट की सदस्यता का आधार धन तथा पद प्रतिष्ठा थी।

प्रश्न 19.
गृह-युद्ध क्या होता है?
उत्तर:
गृह-युद्ध देश के भीतर दो गुटों में सशस्त्र संघर्ष होता है, जिसका उद्देश्य सत्ता हथियाना होता है।

प्रश्न 20.
सॉलिडस (Solidus) क्या था?
उत्तर:
सॉलिडस सम्राट् कॉस्टैनटाइन द्वारा चलाया गया कि सिक्का था। यह 4.5 ग्राम शुद्ध सोने का बना हुआ था।

प्रश्न 21.
रोमनवासियों की धार्मिक संस्कृति बहुदेववादी थी? कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  • रोमनवासी अनेक पंथों तथा उपासना पद्धतियों में विश्वास रखते थे।
  • उन्होंने हजारों मंदिर, मठ तथा देवालय बना रखे थे।

प्रश्न 22.
‘ईसाईकरण’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जिस प्रक्रिया द्वारा भिन्न-भिन्न जनसमूहों के बीच ईसाई धर्म को फैलाया गया, उसे ईसाईकरण कहते हैं। इस प्रक्रिया से ईसाई धर्म रोम का प्रमुख धर्म बन गया।

प्रश्न 23.
रोमोत्तर राज्य (Post Roman) क्या थे?
उत्तर:
540 के दशक में जर्मन मूल के समूहों ने पश्चिमी रोमन साम्राज्य के बड़े-बड़े प्रांतों पर अपना अधिकार कर लिया। इन प्रांतों में उन्होंने अपने राज्य स्थापित कर लिये। इसे रोमोत्तर राज्य कहा जाता है।

प्रश्न 24.
तीन सबसे महत्वपूर्ण रोमोत्तर राज्य कौन-कौन से थे?
उत्तर:

  • स्पेन में विसिगोथों का राज्य
  • गॉल में फ्रैंकों का राज्य
  • इटली में लोवाडौँ का राज्य

प्रश्न 25.
जस्टीनियन द्वारा इटली पर पुनः अधिकार का क्या परिणाम निकला?
उत्तर:
जस्टीनियन द्वारा इटली पर पुनः अधिकार से देश छिन्न-भिन्न हो गया। इस प्रकार लाहों के आक्रमण के लिए मार्ग तैयः हो गया।

प्रश्न 26.
किस घटना को ‘प्राचीन विश्व इतिहास की सबसे बड़ी राजनीतिक क्रांति’ कहा जाता है?
उत्तर:
अरब प्रदेश से शुरू होने वाले इस्लाम के विस्तार को।

प्रश्न 27.
सेंट ऑगस्टीन (354-430 ई.) कौन थे?
उत्तर:
सेंट ऑगस्टीन 396 ई. से अफ्रीका के हिप्पो नामक नगर के विषय थे। उन्हें चर्च – के बौद्धिक इतिहास में सर्वोच्च स्थान प्राप्त था।

प्रश्न 28.
दास-प्रजनन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
रोम में दास दंपतियों को अधिक-से-अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था। इसे दास प्रजनन कहा जाता है। इनके बच्चे भी बड़े होकर दास ही बनते थे।

प्रश्न 29.
वेतनभोगी श्रमिकों की तुलना में दास-श्रम महंगा क्यों पड़ता था?
उत्तर:
वेतनभोगी श्रमिकों को काम न होने पर हटाया जा सकता था। परंतु दास श्रमिकों को वर्ष भर रखना पड़ता था और उनका खर्च उठाना पड़ता था। इसीलिए दास श्रम महंगा पड़ता था।’

प्रश्न 30.
फ्रैंकिसेस अथवा सुगंधित राल (Resin) किस काम आती थी और कैसे प्राप्त की जाती थी?
उत्तर:
फ्रेंकिंसेस अधवा सुगंधित राल से धूप-अगरबती तथा इत्र बनाया जाता था। इसे बोसवेलिया के पेड़ से प्राप्त किया जाता था। इस पेड़ से रस लेकर उसे सुखा लिया जाता था और राल तैयार हो जाती थी।

प्रश्न 31.
सबसे उत्कृष्ट किस्म की राल कहाँ से आती थी?
उत्तर:
अरब प्रायद्वीप से।

प्रश्न 32.
ऐसे दो तरीकों का वर्णन कीजिए जिनकी सहायता से रोम के लोग अपने श्रमिकों पर नियंत्रण रखते थे?
उत्तर:
श्रमिक मुख्यतः दास होते थे। उन पर नियंत्रण रखने के लिए –

  • उन्हें जंजीरों में डाल कर रखा जाता था।
  • उन्हें दागा जाता था ताकि भागने अथवा छिपने पर उन्हें पहचाना जा सके।

प्रश्न 33.
रोमन सैनेटरों तथा नाइट वर्ग में एक समानता तथा एक असमानता बताइए।
उत्तर:
रोम सैनेटरों की तरह अधिकतर नाइट जमींदार होते थे। सैनेटरों के विपरीत कई नाइट जहाजों के स्वामी, व्यापारी तथा साहूकार भी होते थे।

प्रश्न 34.
रोमन साम्राज्य में ‘परवर्ती पुराकाल’ में होने वाले कोई दो धार्मिक परिवर्तन लिखिए।
उत्तर:

  • चौथी शताब्दी में सम्राट कॉस्टैनटाइन ने ईसाई धर्म को राजधर्म बना लिया।
  • सातवीं शताब्दी में इस्लाम धर्म का उदय हुआ।

प्रश्न 35.
रोमन साम्राज्य में जल-शक्ति का बड़े पैमाने पर प्रयोग किस क्षेत्र में और किन कामों के लिए किया जाता था?
उत्तर:
जल शक्ति से सोने और चांदी की खानों की खुदाई की जाती हैं और मिलें चलाई जाती थीं। इसका भूमध्य सागर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रयोग होता था।

प्रश्न 36.
सम्राट डायोक्लीशियन ने रोमन साम्राज्य के विस्तार को कम क्यों किया?
उत्तर:
सम्राट् डायोक्लीशियन ने अनुभव किया कि साम्राज्य के अनेक प्रदेशों का सामरिक अथवा आर्थिक दृष्टि से कोई महत्व नहीं है। इसलिए उसने इन प्रदेशों को छोड़ दिया।

प्रश्न 37.
सम्राट् डायोक्लीशियन द्वारा किए गए कोई चार प्रशासनिक सुधार लिखिए।
उत्तर:

  • डायोक्लीशियन ने साम्राज्य की सीमाओं पर किले बनवाए।
  • उसने प्रांतों का पुनर्गठन किया।
  • उसने सैनिक तथा असैनिक कार्यों को अलग-अलग कर दिया।
  • उसने सेनापतियों को अधिक स्वायत्तता प्रदान की।

प्रश्न 38.
पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य के किन्हीं चार सामाजिक वर्गों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  • सैनेटर
  • अश्वारोही अथवा नाइट वर्ग
  • जनता का सम्मानीय वर्ग
  • दास

प्रश्न 39.
इतिहासकार टैसिटस के अनुसार रोमन समाज के कमीनकारू (प्लेब्स सोर्डिंडा) वर्ग में कौन लोग शामिल थे?
उत्तर:
इस वर्ग में फूहड़ तथा निम्नतर लोग शामिल थे जो सर्कस तथा थियेटर तमाशे देखने के आदी थे।

प्रश्न 40.
रोम साम्राज्य के संदर्भ में ‘नगर’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘नगर’ एक ऐसा शहरी केंद्र था जिसमे ‘अपने मेजिस्ट्रेट, नगर परिषद् तथा एक निश्चित राज्य क्षेत्र होता था। इसके अधिकार क्षेत्र में कई गाँव आते थे।

प्रश्न 41.
ईरान में सार्वजनिक-स्नान का विरोध क्यों हुआ?
उत्तर:
ईरान के पुरोहित वर्ग का मानना था कि सार्वजनिक स्नान से जल अपवित्र होता है। इसलिए उन्होंने इसका विरोध किया।

प्रश्न 42.
रोम साम्राज्य में शहरी लोगों को उच्च-स्तर के मनोरंजन उपलब्ध थे। एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
रोम के कैलेंडर से पता चलता है कि एक वर्ष में कम-से-कम 176 दिन थे जब वहाँ कोई न कोई मनोरंजन कार्यक्रम अवश्य होता था।

प्रश्न 43.
तीसरी शताब्दी में ईरान के किस वंश के शासकों तथा जर्मन मूल की किन जनजातियों ने रोम साम्राज्य आक्रमण किया?
उत्तर:
तीसरी शताब्दी में ईरान के सेसानी वंश के शासकों तथा जर्मन मूल की एलमन्नाइ और फ्रैंक जनजातियों ने रोम।

प्रश्न 44.
रोमन साम्राज्य की स्त्रियाँ कहाँ तक आत्मनिर्भर थीं?
उत्तर:

  1. रोम साम्राज्य की स्त्रियों को संपत्ति के स्वामित्व तथा संचालन में व्यापक कानूनी अधिकार प्राप्त थे।
  2. विवाहित महिला ही अपने पिता की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति की स्वतंत्र मालिक बन जाती थीं।
  3. तलाक लेना-देना सरल था।

प्रश्न 45.
‘ऍम्फोरा’ क्या थे? ये किस क्षेत्र में बनाए जाते थे?
उत्तर:
एम्फोरा एक प्रकार के मटके एवं कंटेनर होते थे। इनमें शराब, जैतून के तेल तथा अन्य तरल पदार्थों की धुलाई होती थी। ये भूमध्य सागरीय क्षेत्र में बनाए जाते थे।

प्रश्न 46.
रोमन साम्राज्य के चार घनी आबादी वाले प्रदेशों के नाम बताएँ। दो इटली के तथा दो मिस्र के लें।
उत्तर:

  • इटली में कैंपेनिया तथा सिसिली।
  • मिस्र में फैटयूम तथा गैलिली।

प्रश्न 47.
रोम में सबसे बढ़िया अंगूरी शराब तथा गेहूँ कहाँ-कहाँ से आता था?
उत्तर:
सबसे बढ़िया अंगूरी शराब कैंपेनिया (इटली) से तथा गेहूँ सिसिली (इटली) और बाइजैकियम (ट्यूनीशिया) से आता था।

प्रश्न 48.
ऋतु-प्रवास का क्या अर्थ है?
उत्तर:
चरावाहे ऋतुओं के अनुसार चरागाहों की खोज में अपने पशुओं का तथा अपना स्थान बदलते रहते हैं। इसे ऋतु-प्रवास कहते हैं।

प्रश्न 49.
मेरे तीन लेखकों के नाम बताओ जिनकी रचनाओं का प्रयोग यह बताने के लिए किया गया है कि रोम के लोग अपने कामगारों के साथ कैसा बर्ताव करते थे।
उत्तर:
कोलुमेल्ला, वरिष्ठ प्लिनी तथा ऑगस्टीन।

प्रश्न 50.
रोमन साम्राज्य में साक्षरता की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य के भिन्न भागों में साक्षरता दर भिन्न-भिन्न थी। सैनिकों, सैनिक अधिकारियों तथा संपदा प्रबंधकों में साक्षरता की दर अपेक्षाकृत अधिक थी।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
रोम साम्राज्य के राजनीतिक इतिहास के तीन मुख्य खिलाड़ी कौन-कौन थे? प्रत्येक के बारे में दो पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर:
रोम के राजनीतिक इतिहास के तीन मुख्य खिलाड़ी थे-सम्राट्, अभिजात वर्ग तथा सेना।
1. सम्राट – सम्राट् साम्राज्य का एकछत्र शासक था। परंतु उसे प्रमुख नागरिक कहा जाता था। ऐसा अभिजात वर्ग अथवा सैनेट के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए किया गया था। इसका उद्देश्य यह दर्शाना भी था कि सम्राट् निरंकुश शासक नहीं है।

2. अभिजात वर्ग – अभिजात वर्ग से अभिप्राय सैनेट से है। इसमें कुलीन तथा धनी परिवारों के सदस्य शामिल थे। गणतंत्र-काल में सत्ता पर इसी संस्था का नियंत्रण था। सम्राटों की परख उसके सैनेट के प्रति व्यवहार से की जाती थी। सैनेट के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने वाले सम्राट् को बुरा सम्राट् माना जाता था।

3. सेना – सम्राट् तथा सैनेट के पश्चात् सेना का स्थान था। यह एक व्यावसायिक सेना थी। इसमें प्रत्येक सैनिक को वेतन दिया जाता था। सेना में सम्राट् का भाग्य निर्धारित करने की शक्ति थी।

प्रश्न 2.
प्रांतों के बीच सत्ता का आकस्मिक अंतरण रोम के राजनीतिक इतिहास का एक अत्यंत रोचक पहलू रहा है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
दूसरी और तीसरी शताब्दियों के दौरान अधिकतर प्रशासक तथा सैनिक अधिकारी प्रांतीय वर्गों में से होते थे। उनका एक नया संभ्रांत वर्ग बन गया था। ग्रह वर्ग सैनेट के सदस्यों की तुलना में कहीं अधिक शक्तिशाली था क्योंकि इसे सम्राटों का समथन प्राप्त था। ज्यों-ज्यों यह नया समूह उभर कर सामने आया, सम्राट् गैलीनस (253-268) ने सैनेटरों को सैनिक, कमान से हटा कर इस नए वर्ग को सुदृढ़ बनाया। ऐसा कहा जाता है कि गैलीनस ने सैनेटरों को सेना में सेवा करने अथवा उस तक पहुँच रखने पर रोक लगा दी थी ताकि साम्राज्य का नियंत्रण उनके हाथों में चला जाए।

संक्षेप में, पहली शतादी के अंतिम चरण से तीसरी शताब्दी के प्रारंभिक चरण तथा सेना तक प्रशासन में अधिक से अधिक लोग प्रांतों से लिए जाने लगे क्योंकि उन क्षेत्रों के लोगों को भी नागरिकता मिल चुकी थी जो पहले इटली तक ही सीमित थे। परंतु सैनेट पर लगभग तीसरी शताब्दी तक इतालवी मूल के लोगों का ही प्रभुत्व बना रहा। इसके बाद प्रांतों से लिए गए सैनेटर बहुसंख्यक हो गए।

प्रश्न 3.
रोमन साम्राज्य में व्यापक सांस्कृतिक विविधता पाई जाती थी। कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
यह बात बिल्कुल सत्य है कि रोमन साम्राज्य में व्यापक सांस्कृतिक विविधता पाई जाती थी।

  • देश में धार्मिक संप्रदायों तथा स्थानीय देवी-देवाताओं में भरपूर विविधता थी।
  • बोलचाल की अनेक भाषाएँ प्रचलित थीं।
  • वेशभूषा की विविध शैलियाँ अपनाई जाती थीं।
  • लोग तरह-तरह के भोजन खाते थे।
  • सामाजिक संगठनों के रूप भिन्न-भिन्न थे।
  • उनकी बस्तियों के भी अनेक रूप थे।

प्रश्न 4.
परवर्ती काल में रोमन साम्राज्य की नौकरशाही के उच्च तथा मध्य वर्गों की आर्थिक दशा कैसी थी और क्यों?
उत्तर:
परवर्ती काल में रोम साम्राज्य की नौकरशाही के उच्च तथा मध्य वर्ग अपेक्षाकृत बहुत धनी थे। इसका मुख्य कारण यह था कि उन्हें अपना वेतन सोने के रूप में मिलता था। वे अपनी आय का बहुत बड़ा भाग जमीन आदि खरीदने में लगाते थे। इसके अतिरिक्त साम्राज्य में भ्रष्टाचार भी बहुत अधिक फैला हुआ था।

विशेष रूप से न्याय प्रणाली और सैन्य आपूर्ति के प्रशासन में। उच्च अधिकारी और गवर्नर लूट-खसोट और रिश्वत से खूब धन जुटाते थे। सरकार ने भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बारंबार हस्तक्षेप किया। इस संबंध में सरकार ने अनेक कानून बनाए, परंतु भ्रष्टाचार न रुक सका।

प्रश्न 5.
रोम के सम्राटों की तानाशाही पर किस प्रकार अंकुश लगा?
उत्तर:
रोमन राज्य तानशाही पर आधारित था। सम्राट तथा प्रशासन असहमति या आलोचना को सहन नहीं करता था। प्रायः सरकार विरोध का उत्तर हिंसा एवं दमन से देती। परंतु चौथी शताब्दी तक रोमन कानून की एक प्रबल परंपरा का उद्भव हो चुका था। इससे सर्वाधिक तानाशाह सम्राटों पर भी अंकुश लग गया था।

अब सम्राट अपनी मनमानी नहीं कर सकते थे। नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए कानून का सक्रिय रूप से प्रयोग किया जाता था। प्रभावशाली कानूनों के कारण चौथी शताब्दी के अंतिम दशकों में शक्तिशाली विशपों के लिए यह संभव हो गया कि यदि सम्राट् जन साधारण क प्रति कठोर या दमनकारी नीति अपनाए तो वे भी पूरी शक्ति से उनका सामना कर सकें।

प्रश्न 6.
रोम के संदर्भ में ‘नगर’ क्या था? वहाँ के नागरिक अथवा शहरी जीवन की कुछ विशेषताएँ भी बताएँ।
उत्तर:
रोम के संदर्भ में ‘नगर’ एक ऐसा शहरी केंद्र था, जिसके अपने मजिस्ट्रेट, नगर परिषद् और एक निश्चित राज्य-क्षेत्र होता था। उसके अधिकार क्षेत्र में गाँव आते थे। परंतु किसी भी नगर के अधिकार क्षेत्र में कोई दूसरा नगर नहीं हो सकता था। किसी नगर या गाँव दर्जा शाह की इच्छा पर निर्भर करता था। सम्राट् अपनी इच्छा से किसी गाँव का दर्जा बढ़ाकर उसे नगर का दर्जा दे सकता था। इसी प्रकार वह किसी नगर का दर्जा घटाकर उसे किसी गाँव का दर्जा भी दे सकता था।

शहरी जीवन की विशेषताएँ –

  • शहरों में खाने की कमी नहीं होती थीं।
  • अकाल के दिनों में भी नगर में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में बेहतर सुविधाएँ प्राप्त होने की संभावना रहती थी।
  • शहरी लोगों को उच्च-स्तर के मनोरंजन उपलब्ध थे। उदाहरण के लिए कैलेंडर से हमें पता चलता है कि एक वर्ष में कम-से-कम 176
  • दिन वहाँ कोई-न-कोई मनोरंजक कार्यक्रम अथवा प्रदर्शन अवश्य होते थे।

प्रश्न 7.
उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि तीसरी शताब्दी में रोम साम्राज्य को काफी तनाव का सामना करना पड़ा।
उत्तर:
तीसरी शताब्दी में रोम साम्राज्य को काफी तनाव का सामना करना पड़ा। यह बात निम्नलिखित उदाहरणों से स्पष्ट हो जाएगी –
1. 225 ई. में ईरान में एक अत्यधिक आक्रामक वंश उभर कर सामने आया। इस वंश के लोग स्वयं को ‘ससानी’ कहते थे। केवल 15 वर्षों के भीतर ही वह तेजी से फरात की दिशा में फैल गया। एक प्रसिद्ध शिलालेख से पता चलता है कि इस वंश के शासक शापुर प्रथम ने 60,000 रोमन सेना का सफाया कर दिया था। उसने रोम साम्राज्य की पूर्वी राजधानी एटिऑक पर भी अधिकार कर लिया।

2. इसी बीच जर्मन मूल की कई जनजातियों ने राइन तथा डैन्यूब नदी की सीमाओं की ओर बढ़ना आरंभ कर दिया। 233 से 280 ई. के दौरान काला सागर से लेकर आल्पस और दक्षिणी जर्मनी तक फैले प्रांतों की पूरी सीमा पर बार-बार आक्रमण हुए। अतः रोमवासियों को डैन्यूब से आगे का क्षेत्र छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा।

प्रश्न 8.
यूनान और रोमवासियों की पारंपरिक धार्मिक संस्कृति बहुदेववादी थी। उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  • ये लोग भिन्न – भिन्न पंथों तथा उपासना पद्धतियों में विश्वास रखते थे।
  • जूपिटर, जूनो, मिनवां और मॉर्स जैसे रोमन इतालवी देवों की पूजा करते थे। इनके अतिरिक्त उनमें यूनानी तथा पूर्वी देवी-देवताओं की पूजा भी प्रचलित थी।
  • उन्होंने साम्राज्य भर में हजारों मंदिर, मठ और देवालय बनाए हुए थे। ये बहुदेवोवादी स्वयं को किसी एक नाम से नहीं पुकारते थे।
  • रोमन साम्राज्य का एक अन्य बड़ा धर्म बददी धर्म था।
  • परवर्ती पुराकाल में इस धर्म में भी अनेक विविधताएँ पाई जाती थीं।
  • इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि यूनान और रोमवासियों की पारंपिकर धार्मिक संस्कृति बहुदेववादी थी।

प्रश्न 9.
रोम साम्राज्य के पतन की प्रक्रिया का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
रोम साम्राज्य के पतन की प्रक्रिया पश्चिम से आरंभ हुई। साम्राज्य का पश्चिमी भाग बाहरी आक्रमणों के कारण विखंडित हो गया। वे आक्रमण उत्तर की ओर से जर्मन मूल के समूहों ने किए थे। उन्होंने साम्राज्य के सभी बड़े प्रांतों को अपने अधिकार में ले लिया और अपने-अपने राज्य स्थापित कर लिए। इनमें से सबसे महत्त्वपूर्ण राज्य थे-स्पेन में विसिगोधों का राज्य, गॉल में फ्रैंकों का राज्य तथा इटली में लोंबार्डो का राज्य।

शहरी जीवन की विशेषताएँ –

  • शहरों में खाने की कमी नहीं होती थीं।
  • अकाल के दिनों में भी नगर में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में बेहतर सुविधाएँ प्राप्त होने की संभावना रहती थी।
  • शहरी लोगों को उच्च-स्तर के मनोरंजन उपलब्ध थे। उदाहरण के लिए कैलेंडर से हमें पता चलता है कि एक वर्ष में कम-से-कम 176 दिन वहाँ कोई-न-कोई मनोरंजक कार्यक्रम अथवा प्रदर्शन अवश्य होते थे।

533 ई. में सम्राट जस्टीनियन ने अफ्रीका को बैंडलों के अधिकार से मुक्त करवा लिया। उसने इटली को भी मुक्त करा कर उस पर फिर से अधिकार कर लिया। परंतु इटली पर पुनः अधिकार से देश को क्षति पहुँची क्योंकि इससे देश छिन्न-भिन्न हो गया और लॉबाडों के आक्रमणों का मार्ग प्रशस्त हो गया।

सातवीं शताब्दी के प्रारंभिक दशकों तक रोम और ईरान के बीच भी फिर से लड़ाई छिड़ गई। ईरान के ससानी शासकों ने मिस्त्र सहित सभी विशाल पूर्वी प्रांतों पर आक्रमण किए। भले ही बाईजेंटियस (रोम साम्राज्य का तत्कालीन शासक) ने 620 के दशक में इन प्रांतों को फिर से अधिकार में ले लिया। तो भी कुछ ही वर्ष बाद साम्राज्य को दक्षिण-पूर्व की ओर से एक बहुत ही जोरदार धक्का लगा जो साम्राज्य के लिए घातक सिद्ध हुआ। पूर्वी रोमन और ससानी दोनों राज्यों के बड़े-बड़े भाग भीषण युद्ध के बाद अरबों के अधिकार में आ गए । इस प्रकार रोम साम्राज्य का पूरी तरह पतन हो गया।

प्रश्न 10.
रोम के इतिहास के मुख्य स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोम के इतिहास के स्रोतों को तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है –

  • पाठ्य सामग्री
  • प्रलेख या दस्तावेज
  • भौतिक अवशेष

1. पाठ्य सामग्री – इसमें समकालीन व्यक्तियों द्वारा लिखा गया उस काल का इतिहास, पत्र, व्याख्यान, प्रवचन, कानून आदि शामिल हैं। समकालीन व्यक्तियों द्वारा लिखे गए इतिहास को वर्ष वृत्तांत कहा जाता है, क्योंकि यह प्रति वर्ष लिखा जाता था।

2. प्रलेख या दस्तावेज – दस्तावेजों में मुख्य रूप से उत्कीर्ण अभिलेख, पैपाइरस तथा पत्तों आदि पर लिखी गई पांडुलिपियाँ शामिल हैं। उत्कीर्ण अभिलेख प्रायः पत्थर की शिलाओं पर खोदे जाते थे। इसलिए वे नष्ट नहीं हुए और बहुत बड़ी संख्या में यूनानी तथा लातिनी भाषाओं में पाए गए हैं।

3. भौतिक अवशेष – भौतिक अवशेषों में अनेक प्रकार की वस्तुएँ शामिल हैं। इन्हें पुरातत्वविदों ने खुदाई तथा क्षेत्र सर्वेक्षण द्वारा खोजा है। इनमें इमारतें, स्मारक, मिट्टी के बर्तन, सिक्क, पच्चीकारी का सामान तथा भू-दृश्य सम्मिलित हैं। इनमें से प्रत्येक स्रोत हमें रोम के अतीत के बारे में एक विशेष जानकारी देतक हैं।

प्रश्न 11.
रोमन साम्राज्य सांस्कृतिक दृष्टि से ईरान की तुलना में कहीं अधिक विविधतापूर्ण था। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ईरान पर पहले पार्थियाई तथा बाद में ससानी राजवंशों ने शासन किया। उनके द्वारा शासित लोग मुख्यतः ईरानी थे। इसके विपरीत रोमन साम्राज्य ऐसे क्षेत्रों तथा संस्कृतियों का एक मिलाजुला रूप था जो सरकार की एक साझी प्रणाली द्वारा एक-दूसरे के साथ जुड़ी हुई थी। साम्राज्य में अनेक भाषाएँ बोली जाती थी परंतु प्रशासन के लिए लातिनी तथा यूनानी भाषाओं का ही प्रयोग होता था। पूर्वी भाग के उच्चतर वर्ग यूनानी भाषा और पश्चिमी भाग के लोग लातिनी भाषा का प्रयोग करते थे। जो लोग साम्राज्य में रहते थे वे सभी एकमात्र शासक अर्थात् सम्राट् की प्रजा कहलाते थे, चाहे वे कहीं भी रहते हों और कोई भी भाषा बोलते हों। इसे स्पष्ट है कि रोमन साम्राज्य सांस्कृतिक दृष्टि से ईरान की तुलना में कहीं अधिक विविधतापूर्ण था।

प्रश्न 12.
रोमन साम्राज्य की गणतंत्र शासन-प्रणाली की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में ‘गणतंत्र’ (रिपब्लिक) एक ऐसी शासन व्यवस्था थी जिसमें वास्तविक सत्ता ‘सैनेट’ नामक संस्था में निहित थी। सैनेट की सदस्यता जीवन भर चलती थी। इसके लिए धन और पद-प्रतिष्ठा को अधिक महत्व दिया जाता था। अत: सैनेट में धनी परिवारों के एक समूह का ही बोलबाला था जिन्हें अभिजात कहा जाता था। व्यावहारिक रूप में गणतंत्र अभिजात वर्ग की सरकार थी जिसका शासन सैनेट नामक संस्था के माध्यम से चलता था। गणतंत्र का शासन 509 ई. पू. से 27 ई. पू. तक चला। 27 ई. पू. में जूलियस सीजर के दत्तक पत्र तथा उत्तराधिकारी ऑक्टेवियन ने इसका तख्ता पलट दिया और सत्ता अपने हाथ में ले ली। वह ऑगस्ट्स नाम से रोम का सम्राट बन बैठा ।

प्रश्न 13.
रोम राज्य के संदर्भ में “प्रिंसिपेट’ से क्या अभिप्राय है? इसमें सम्राट तथा ‘सैनेट’ की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
प्रथम रोमन सम्राट् ऑगस्टस ने 27 ई.पू. में जो राज्य स्थापित किया था उसे ‘प्रिंसिपेट कहा जाता था। ऑगस्टस राज्य का एकछत्र शासक और सत्ता का वास्तविक स्रोत था। तो भी इस कल्पना को जीवित रखा गया कि वह केवल एक प्रमुख नागरिक’ है, न कि निरंकुश शासक। ऐसा ‘सैनेट’ को सम्मान देने के लिए किया गया था। सैनेट वह संस्था थी जिसका रोम के गणतंत्र शासनकाल में सत्ता पर नियंत्रण था। इस संस्था का अस्तित्व कई शताब्दियों तक बना रहा था।

इस संस्था में कुलीन तथा अभिजात वर्गों अर्थात् रोम के धनी परिवारों का प्रतिनिधित्व था। परंतु बाद में इसमें इतालवी मूल के जमींदारों को भी शामिल कर लिया गया था। सम्राटों की परख इस बात से की जाती थी कि वे सैनेट के प्रति किस प्रकार का व्यवहार करते हैं। सैनेट के सदस्यों के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने वाले सम्राटों को सबसे बुरा सम्राट माना जाता था। कई सैनेटर गणतंत्र-यग में लौटने के लिए तरसते थे। परंतु अधिकतर सैनेटरों को यह आभास हो गया था कि अब यह असंभव है।

प्रश्न 14.
रोम तथा ईरान के साम्राज्यों के विस्तार की जानकारी दीजिए।
उत्तर:
630 के दशक तक अधिकांश यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व के विशाल क्षेत्र में दो शक्तिशाली साम्राज्यों का शासन था। ये साम्राज्य रोम और ईरान के थे। उनके साम्राज्य एक-दूसरे के बिल्कुल पास थे। उन्हें भूमि की एक संकरी पट्टी अलग करती थी जिसके किनारे फरात नदी बहती थी। रोम साम्राज्य का विस्तार-रोम साम्राज्य का भूमध्यसागर और उसके आस-पास उत्तर तथा दक्षिण में स्थित सभी प्रदेशों पर प्रभुत्व था। उत्तर में साम्राज्य की सीमा दो महान् नदियाँ राइन तथा डन्यूब बनाती थीं। साम्राज्य की दक्षिणी सीमा सहारा नामक एक विस्तृत रेगिस्तान से बनती थी। इस प्रकार रोम साम्राज्य एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ था।

ईरान साम्राज्य का विस्तार-इस साम्राज्य में कैस्पियन सागर के दक्षिण से लेकर पूर्वी अरब तक का समस्त प्रदेश और कभी-कभी अफगानिस्तान के कुछ भाग भी शामिल थे। इन दो महान शक्तियों ने दुनिया के उस अधिकांश भाग को आपस में बांट रखा था। जिसे चीनी लोग ता-चिन अथवा (वृहत्तर चीन या पश्चिम) कहते थे।

प्रश्न 15.
पूर्ववर्ती रोम साम्राज्य में सेना की भूमिका का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोम में सम्राट और सैनेट के बाद सेना शासन की एक प्रमुख संस्था थी। रोम की सेना एक व्यावसायिक सेना थी। इसके प्रत्येक सैनिक को वेतन दिया जाता था। उसे कम-से-कम 25 वर्ष तक सेवा करनी पड़ती थी। सेना साम्राज्य में सबसे बड़ी एकल संगठित संस्था थी।

चौथी शताब्दी तक इसमें 6,00,000 सैनिक थे। सेना के पास निश्चित रूप से सम्राटों का भाग्य निर्धारित करने की शक्ति थी। सैनिक अधिक वेतन और अच्छी सेवा-शा के लिए लगातार आंदोलन करते रहते थे। कभी-कभी ये आंदोलन सैनिक विद्रोहों का रूप भी ले लेते थे। सैनेट सेना से घृणा करती थी और उससे डरती थी। इसका कारण यह था कि सेना हिंसा का स्रोत थी। सम्राटों की सफलता इस बात पर निर्भर करती थी कि वे सेना पर कितना नियंत्रण रख पाते थे। जब सेनाएं विभाजित हो जाती थीं तो इसका परिणाम सामान्यतः गृहयुद्ध होता था।

प्रश्न 16.
प्रथम दो शताब्दियों में साम्राज्य के और अधिक विस्तार के प्रति रोमन सम्राटों की क्या नीति रही?
उत्तर:
प्रथम दो शताब्दियों में साम्राज्य का विस्तार और अधिक करने के प्रयत्न कम ही हुए। ऑगस्टस से टिवरियस को मिला साम्राज्य पहले ही इतना लंबा-चौड़ा था कि इसमें और अधिक विस्तार करना अनावश्यक लगता था। उसने पहले ऑगस्टस का शासन काल शांति के लिए याद किया जाता है क्योंकि इस शांति का आगमन दशकों तक चले आंतरिक संघर्ष और सदियों की सैनिक विजयों के पश्चात् हुआ था।

साम्राज्य के प्रारंभिक विस्तार के लिए पहला अभियान सम्राट त्राजान ने 113-117 ईस्वी में चलाया। उसने फरात नदी के पार के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार रोम साम्राज्य स्कॉटलैंड से आमिनिया तक तथा सहारा से फरात नदी के पार तक फैल गया। परंतु त्राजान के उत्तराधिकारियों को यह विस्तार निरर्थक लगा। अतः उन्होंने इन क्षेत्रों को छोड़ दिया।

प्रश्न 17.
पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य के प्रांतीय तथा स्थानीय शासन का क्या महत्व था?
उत्तर:
प्रांतीय शासन – पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य की एक विशेष उपलब्धि यह थी कि रोमन साम्राज्य के प्रत्यक्ष शासन का क्रमिक रूप से काफी विस्तार हुआ। इसके लिए अनेक आश्रित राज्यों को रोम के प्रांतीय राज्य क्षेत्र में शामिल कर लिया गया। निकटवर्ती पूर्व ऐसे राज्यों से भरा पड़ा था। दूसरी शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों तक फरात नदी के पश्चिम में स्थित राज्यों को भी रोम द्वारा हड़प लिया गया ये अत्यंत समृद्ध थे! वास्तव में, इटली को छोड़कर साम्राज्य के सभी क्षेत्र प्रांतों में बंटे हुए थे और उनसे कर वसूला जाता था।

स्थानीय शासन – संपूर्ण साम्राज्य में दूर-दूर तक अनेक नगर स्थापित किए गए थे। इनके माध्यम से समस्त साम्राज्य पर नियंत्रण रखा जाता था। भूमध्यसागर के तटों पर स्थित बड़े शहरी केंद्र साम्राज्यिक प्रणाली के मूल आधार थे। इन्हीं शहरों के माध्यम – ‘सरकार’ प्रांतीय ग्रामीण क्षेत्रों पर कर लगाती थी और उसे वसूल करती थी। ये कर साम्राज्य की धन संपदा का मुख्य स्रोत थे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
परवर्ती पुराकाल से क्या अभिप्राय है? इस अवधि में रोमन साम्राज्य में कौन-कौन से धार्मिक तथा प्रशासनिक परिवर्तन हुए?
उत्तर:
‘परवर्ती पुराकाल’ शब्द का प्रयोग रोम साम्राज्य के लिए तथा चौथी से सातवीं शताब्दी के इतिहास के लिए किया जाता था। यह अवधि अनेक सांस्कृतिक और आर्थिक हलचलों से परिपूर्ण थी। इस काल में रोमन साम्राज्य में निम्नलिखित धार्मिक तथा प्रशासनिक परिवर्तन हुए –

(a) धार्मिक परिवर्तन –

  • चौथी शताब्दी में सम्राट् कॉन्स्टैनटाइन ने ईसाई धर्म को राज धर्म बना दिया इसके बाद राज्य का तेजी से ईसाईकरण होने लगा।
  • सातवीं शताब्दी में इस्लाम का उदय हुआ। यह धर्म भी बड़ी तेजी से लोकप्रिय हुआ।

(b) प्रशासनिक परिवर्तन-राज्य के प्रशासनिक ढाँचे में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। ये परिवर्तन सम्राट् डायोक्लीशियन (284-305) के समय से प्रारंभ हुए और कॉन्स्टैनटाइन तथा उसके बाद के काल तक जारी रहे। ये परिवर्तन निम्नलिखित थे

डायोक्लीशियन के समय के परिवर्तन –

  • साम्राज्य का विस्तार बहुत अधिक हो चुका था। उसके अनेक प्रदेशों का सामरिक या आर्थिक दृष्टि से कोई महत्व नहीं था। इसलिए
  • सम्राट् डायोक्लीशियन ने महत्वहीन प्रदेशों को 4 छोड़कर साम्राज्य को थोड़ा छोटा बना लिया।
  • उसने साम्राज्य की सीमाओं पर किले बनवाए।
  • उसने प्रांतों का पुनर्गठन किया।
  • उसने असैनिक और सैनिक कार्यों को अलग-अलग कर दिया तथा सेनापतियों को अधिक स्वायत्तता प्रदान की। इससे सैन्य अधिकारी अधिक शक्तिशाली हो गए।

कॉन्स्टैनटाइन के समय के परिवर्तन –

  • कान्स्टैनटाइन ने कुस्तुनतुनिया का निर्माण करवाया और इसे साम्राज्य की दूसरी राजधानी बनवाया। यह राजधानी तीन ओर से समुद्र से घिरी हुई थी।
  • नयी राजधानी के लिए नयी सैनेट की आवश्यकता थी, इसलिए चौथी शताब्दी में शासक वर्गों का बड़ी तेजी से विस्तार हुआ।

प्रश्न 2.
रोम में परवर्ती पुराकाल में होने वाले आर्थिक विकास की जानकारी दीजिए। इसका क्या परिणाम निकला?
उत्तर:
रोम में परवर्ती पुराकाल में असाधारण आर्थिक विकास हुआ जिसके मुख्य पहलू निम्नलिखित थे –

सम्राट् कॉन्स्टैनटाइन ने सॉलिडस नामक का एक नया सिक्का चलाया। यह 4.5 ग्राम शुद्ध सोने का बना हुआ था। ये सिक्के बहुत बड़े पैमाने पर ढाले जाते थे और लाखों करोड़ों की संख्या में चलन में थे।
मौद्रि। स्थायित्व और बढ़ती हुई जनसंख्या। कारण आर्थिक विकास में तेजी औद्योगिक प्रतिष्ठानों तथा ग्रामीण उद्योग-धंधों के विकास के लिए पर्याप्त मात्रा में पूँजी लगाई गई। इनमें तेल की मिलें और शीशे के कारखाने तथा तरह-तरह की पानी की मिलें शामिल थीं।
लंबी दूरी के व्यापार में भी बहुत अधिक पूँजी निवेश किया गया। फलस्वरूप इस : व्यापार का पुनरुत्थान हुआ।

परिणाम – ऊपर दिए गए आर्थिक परिवर्तनों के फलस्वरूप शहरी संपदा एवं समृद्धि में अत्यधिक वृद्धि हुई। स्थापत्य कला के नए-नए रूप विकसित हुए और भोग-विलास के साधनों में भरपूर तेजी आई। शासन करने वाले कुलौन पहले से कहीं अधिक धन-संपन्न और शक्तिशाली हो गए। दस्तावेजों से पता चलता है कि तत्कालीन समाज अपेक्षाकृत अधिक समृद्ध था, जहाँ मुद्रा का व्यापक रूप से प्रयोग होता था। ग्रामीण संपदाएँ भारी मात्रा में सोने के रूप में लाभ कमाती थीं। उदाहरण के लिए छठी शताब्दी के दौरान जस्टीनियन के शासनकाल में अकेला मिस्र प्रतिवर्ष 25 लाख सॉलिडस (लगभग 35,000 पाउंड सोना) से अधिक धनराशि करों के रूप में देता था। देखा जाए तो रोम साम्राज्य के पश्चिमी एशिया के बड़े-बड़े ग्रामीण इलाके पाँचवीं और छठी शताब्दी में आज की तुलना में भी अधिक विकसित थे।

प्रश्न 3.
रोमन समाज में पारिवारिक जीवन की मुख्य विशेषताएँ बताएँ। स्त्रियों की स्थिति का भी उल्लेख करें।
उत्तर:
रोमन समाज में परिवार की विशेषताओं तथा स्त्रियों का वर्णन इस प्रकार है –

एकल परिवार – रोमन समाज में एकल परिवार की व्यापक रूप से चलन थी। वयस्क पुत्र अपने पिता के परिवार के साथ नहीं रहते थे। वयस्क भाई भी बहुत कम साझे परिवार में रहते थे। दूसरी ओर, दासों को परिवार का अंग माना जाता था क्योंकि रोमवासियों के लिए परिवार को यही अवधारणा थी।

विवाह – प्रथम शताब्दी ई.पू. तक विवाह का स्वरूप ऐसा होता था कि पत्नी अपने पति को अपनी संपत्ति हस्तांतरित नहीं करती थी। महिला का दहेज वैवाहिक अवधि के दौरान उसके पति के पास अवश्य चला जाता था। विवाह के बाद भी महिला अपने पिता की उत्तराधिकारी बनी रहती थी। अपने पिता की मृत्यु होने पर वह उसकी संपत्ति की स्वामी बन जाती थी। इस प्रकार रोम की महिलाओं को संपत्ति के स्वामित्व व संचालन में व्यापक कानूनी अधिकार प्राप्त थे।

तलाक देना अपेक्षाकृत आसान था। इसके लिए पति अथवा पत्नी द्वारा केवल अपनी इच्छा की सूचना देना ही काफी था। पुरुष प्रायः 28-32 की आयु में विवाह करते थे, जबकि लड़कियों का विवाह 16 से 23 वर्ष की आयु में किया जाता था। इसलिए पति और पत्नी के बीच आयु का अंतराल बना रहता था। विवाह प्रायः परिवार द्वारा निश्चित किए जाते थे।

पुरुष – प्रधान परिवार-परिवार पुरुष-प्रधान थे। पारिवारिक जीवन की दृष्टि से महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं थी । प्रायः महिलाओं पर उनके पति हावी रहते थे। अपनी पत्नियों को बुरी तरह पीटते थे। इसके अतिरिक्त पिता का अपने बच्चों पर अत्यधिक कानूनी नियंत्रण होता था; कभी-कभी तो दिल दहलाने वाली सीमा तक। उदाहरण के लिए अवांछित बच्चों के मामले में पिता को उन्हें जीवित रखने या मार डालने तक का कानूनी अधिकार प्राप्त था। शिशु को मारने के लिए कभी-कभी पिता उसे ठंड में छोड़ देते थे।

प्रश्न 4.
रोम साम्राज्य के आर्थिक विस्तार पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
गम में विभिन्न आर्थिक गतिविधियाँ प्रचलित थीं। फलस्वरूप रोम का बड़ी तेजी से आर्थिक विस्तार हुआ। इसकी मुख्य विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार है
1. रोमन साम्राज्यों में बंदरगाहों, खानों, खदानों, ईंट-भट्ठों, जैतून के तेल की फैक्टरियों आदि की संख्या बहुत अधिक थी। परिणामस्वरूप साम्राज्य का आधारभूत आर्थिक ढाँचा काफी मजबूत था। गेहूँ, अंगूरी शराब तथा जैतून का तेल मुख्य व्यापारिक मदें थीं। इनका बहुत अधिक मात्रा में प्रयोग होता था। ये मुख्यतः स्पेन, गैलिक प्रांतों, उत्तरी अफ्रीका, मिस्र तथा इटली से आते थे क्योंकि वहाँ इन फसलों के लिए स्थितियाँ अनुकूल थीं। शराब, जैतून का तेल तथा अन्य तरल पदार्थों की दुलाई एक प्रकार के मटकों या कंटेनरों में होती थी जिन्हें “एम्फोरा” कहते थे।

2. स्पेन में जैतून का तेल निकालने का उद्योग 140-160 ई. के दौरान अपने चरमोत्कर्ष पर था। उन दिनों स्पेन में उत्पादित जैतून का तेल मुख्य रूप से ऐसे कंटेनरों में ले जाया जाता था जिन्हें ड्रेसल-20 कहते थे । इसका यह नाम पुरातत्वविद हेनरिक ड्रेसल के नाम पर रखा गय है। साम्राज्य के भिन्न-भिन्न प्रदेशों के जमींदार तथा उत्पादक अलग-अलग वस्तुओं का बाजार हथियाने के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा करते रहते थे। परिणामस्वरूप जैतून के तेल के व्यापार पर प्रभुत्व भी बदलता रहा।

3. साम्रज्य के अंतर्गत ऐसे बहुत-से क्षेत्र आते थे जो अपनी असाधारण उर्वरता के लिए प्रसिद्ध थे। इनमें इटली के कैंपेनिया तथा सिसिली और मिस्र के फैय्यूम, गैलिली, बाइजैकियम, दक्षिणी गॉल तथा बाएटिका के प्रदेश शामिल थे। ये प्रदेश साम्राज्य के घनी आबादी वाले सबसे धनी प्रदेशों में से थे।

4. सबसे बढ़िया किस्म की अंगूरी शराब कैंपेनिया से आती थी। सिसिली और बाइजैकियम रोम को भारी मात्रा में गेहूँ का निर्यात करते थे। गैलिनी में गहन खेती की जाती थी।

5. रोम क्षेत्र के अनेक बड़े-बड़े भाग बहुत उन्नत अवस्था में थे। उदाहरण के लिए नुमीडिया (आधुनिक अल्जीरिया) में देहाती क्षेत्रों में ऋतु-प्रवास व्यापक पैमाने पर होता था। चरवाहा तथा अर्ध-खानाबदोश अपने साथ झोपिड़याँ (मैपालिया) उठाए अपनी भेड़-बकरियों के साथ इधर-उधर घूमते रहते थे। परंतु उत्तरी-अफ्रीका में रोमन जागीरों का विस्तार होने पर वहाँ चरागाहों की संख्या में भारी कमी आई और खानाबदोश चरवाहों का आवागमन नियंत्रित हो गया।

6. स्पेन में भी उत्तरी क्षेत्र बहुत कम विकसित था। यहाँ के किसान पहाड़ियों की चोटियों पर बसे गाँवों में रहते थे। इन गाँवों को कैस्टेला कहा जाता था। सच तो यह कि रोम आर्थिक दृष्टि से बहुत ही धनी साम्राज्य था। देश में बहुत बड़ी संख्या में सोने के सिक्के प्रचलित थे।

प्रश्न 5.
रोमन साम्राज्य की सामाजिक श्रेणियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोम का समाज विविधताओं से भरा था। इसमें पूर्ववर्ती काल में अलग-अलग सामाजिक श्रेणियाँ पाई जाती थीं।

पूर्ववर्ती काल – इतिहासकार टैसिटस के अनुसार पूर्ववती रोमन साम्राज्य के प्रमुख सामाजिक समूह थे –

  • सैनेटर-तीसरी शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में सैनेट की सदस्य संख्या लगभग 1000 थी। कुल सैनेटरों में लगभग आधे सैनेटर इतालवी परिवारों के थे।
  • अश्वारोही या नाइट वर्ग।
  • सम्माननीय जनता का नर्ग जिनका संबंध महान् घरानों से था।
  • फूहड़ निम्नतर वर्ग अथवा कमीनकारू (प्लेबस सोर्डिंडा) तथा दास।

परवर्ती काल – परवर्ती काल के मुख्य सामाजिक वर्ग निम्नलिखित थे –
1. अभिजात वर्ग – इस काल में सैनेटर और नाइट एकीकृत होकर एक विस्तृत अभिजात वर्ग बन चुके थे। इनके कुल परिवारों में से कम-से-कम आधे परिवार अफ़्रीकी अथवा पूर्वी मूल के थे। अभिजात वर्ग अत्यधिक धनी था। परंतु कई तरीकों से यह विशुद्ध सैनिक संघांत वर्ग से कम शक्तिशाली था।

2. मध्यवर्ग – मध्य वर्ग में अब नौकरशाही और सेना की सेवा से जुड़े साधारण लोग शामिल थे। इसमें अपेक्षाकृत अधिक समृद्ध सौदागर और किसान भी सम्मिलित थे। रैसिटस के अनुसार इन मध्यमवर्गीय परिवारों का भरण-पोषण मुख्य रूप से सरकारी सेवा और राज्य पर निर्भरता द्वारा होता था।

3. निम्न वर्ग – इसके नीचे निम्न वर्ग का एक विशाल समूह था। सामूहिक रूप से इसे यूमिलिओरिस कहा जाता था। इनमें शामिल वर्ग थे

  • ग्रामीण श्रामिक – ये लोग मुख्यतः स्थायी रूप से बड़ी जागीरों पर काम करते थे।
  • औद्योगिक और खनन प्रतिष्ठानों के कामगार।
  • प्रवासी – कामगार – ये अनाज तथा जैतून की फसल की कटाई और निर्माण उद्योग में अधिकांश श्रम की पूर्ति करते थे।
  • स्व-नियोजित शिल्पकार – मजदूरी पाने वाले श्रमिकों की तुलना में ये बेहतर खाते-पीते थे।
  • अस्थायी अथवा कभी – कभी काम करने वाले श्रमिक।
  • दास – ये विशेष रूप से पूरे पश्चिमी साम्राज्य में पाए जाते थे।

प्रश्न 6.
रोम की अर्थव्यवस्था में दासों तथा वेतनभोगी मजदूरों की क्या भूमिका थी?
उत्तर:
भूमध्यसागर और पश्चिमी एशिया दोनों ही क्षेत्रों में दासता की जड़ें बहुत गहरी थीं। ऑगस्टस के शासनकाल में इटली की कुल 75 लाख की आबादी में 30 लाख दास थे। चौथी शताब्दी में ईसाई धर्म के राज्य-धर्म बनने के बाद भी दास प्रथा जारी रही। दास को पूंजी निवेश की दृष्टि से देखा जाता था।

दासों तथा वेतनभोगी की भूमिका-पहली शताब्दी में भांति स्थापित होने के साथ जब लड़ाई-झगड़े कम हो गए तो दासों की आपूर्ति में कमी आने लगी। इसलिए दास श्रम का प्रयोग करने वालों को दास-प्रजनन अथवा वेनतभोगी मजदूरों जैसे विकल्पों का सहारा लेना पड़ा। वेतनभोगी मजदूर दासों से सस्ते पड़ते थे क्योंकि उन्हें आसानी से छोड़ा और रखा जा सकता था। इसके विपरीत दास श्रमिकों को वर्ष भर रखना पड़ता था और पूरे वर्ष उन्हें भोजन देना पड़ता था तथा उनके अन्य खर्च उठाने पड़ते थे।

फलस्वरूप दास श्रमिकों को रखने की लागत बढ़ जाती थी। इसलिए बाद की अवधि में कृषि-क्षेत्र में अधिक संख्या में दास मजदूर नहीं रहे। अब इन दासों और मुक्त हुए दासों को व्यापार-प्रबंधक के रूप से नियुक्त किया जाने लगा। मालिक प्रायः उन्हें अपनी ओर से व्यापार चलाने के लिए पंजी देते थे। कभी-कभी वे अपना पूरा कारोबार उन्हें सौंप देते थे।

सच तो यह है कि समय बीतने के साथ-साथ वेतनभोगी मजदरों की संख्या बढ़ने लगी। पाँचवीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में सम्राट् ऐनस्टैसियस ने ऊँची मन रियाँ देकर श्रमिकों को आकर्षित किया था और तीन सप्ताह से भी कम समय में दारा शहर का निर्माण किया था। छठी शताब्दी तक भूमध्य-सागर क्षेत्र के भाग में वेतनभोगी श्रमिक बहुत अधिक फैल गए थे।

प्रश्न 7.
रोमन साम्राज्य में श्रम-प्रबंध तथा श्रमिकों पर नियंत्रण रखने के तरीकों की जानकारी दीजिए।
उत्तर:
रोम में श्रम-प्रबंधन तथा मजदूरों को अपने नियंत्रण में रखने पर विशेष महत्त्व दिया जाता था। इस संबंध में विशेष पग उठाए जाते थे। इसका उद्देश्य श्रमिकों से अधिक-से-अधिक काम लिया जा सके होता था। श्रम-प्रबंधन-रोमन कृषि-विषयक लेखकों ने श्रम प्रबंधन की ओर बहुत ध्यान दिया । एक लेखक कोलमेल्ला ने सिफारिश की थी कि जमींदारों को अपनी जरूरत से दुगुनी संख्या में उपकरणों तथा औजारों का सुरक्षित भंडार रखना चाहिए ताकि उत्पादन लगातार होता रहे।

निरीक्षण को भी विशेष महत्त्व दिया गया क्योंकि नियोक्ताओं की यह आम धारणा थी कि निरीक्षण के बिना कभी भी कोई काम ठीक से नहीं करवाया जा सकता। निरीक्षण को सरल बनाने के लिए कामगारों को कभी कभी छोटे दलों में विभाजित कर दिया जाता था। श्रमिकों पर नियंत्रण के तरीके-कोलूमेल्ला ने दस-दस श्रमिकों के समूह बनाने की सिफारिश की थी। उसने यह दावा किया था कि छोटे समूहों में यह बताना अपेक्षाकृत आसान होता है कि उनमें से कौन काम कर रहा है और कौन कामचोरी। इससे पता चलता है कि उन दिनों श्रम-प्रबंधन पर विस्तार से विचार किया जाता था।

1. अलग – अलग समूह में काम करने वाले दासों को प्रायः पैरों में जंजीर डालकर एक-साथ रखा जाता था।

2. रोमन साम्राज्य में कुछ औद्योगिक प्रतिष्ठानों ने तो इससे भी अधिक कड़े नियंत्रण लागू कर रखे थे। सुगंधित राल की फैक्टरियो में कामगारो के ऐप्रनों पर एक सील लगा दी जाती थी। उन्हें अपने सिर पर एक गहरी जाली वाला मास्क या नेट भी पहनना पड़ता था। उन्हें फैक्टरी से बाहर जाने के लिए अपने सभी कपड़े उतारने पड़ते थे। संभवत: यह बात अधिकांश फैक्ट्रियों और कारखानों पर लागू होती थी।

3. 398 ई. के एक कानून में कहा गया है कि कामगारों को दागा जाता था ताकि यदि वे भागने और छिपने का प्रयत्न करें तो उन्हें पहचाना जा सके।

4. कई निजी उद्यमी, कामगारों के साथ ऋण-संविदा के रूप में अनुबंध कर लेते थे, ताकि यह दावा कर सकें कि उनके कर्मचारी उनके कर्जदार हैं। इस प्रकार नियोक्ता अपने कामगारों पर कड़ा नियंत्रण रखते थे।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
ऑगस्ट्स का पहला नाम था ………………
(क) जूलियस सीजर
(ख) ब्रूटस
(ग) ऑक्टावियन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) ऑक्टावियन

प्रश्न 2.
गृहयुद्ध का तात्पर्य है ………………..
(क) सशस्त्र विद्रोह
(ख) शस्त्रविहीन संघर्ष
(ग) मात्र-अहिंसक आंदोलन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) सशस्त्र विद्रोह

प्रश्न 3.
किस सागर को रोमन साम्राज्य का हृदय माना जाता है?
(क) काला सागर
(ख) लाल सागर
(ग) भूमध्य सागर
(घ) कैस्पियन सागर
उत्तर:
(ग) भूमध्य सागर

प्रश्न 4.
रोम का प्रथम सम्राट कौन था?
(क) आगस्टस
(ख) नीरो
(ग) डेरियस प्रथम
(घ) कोन्स्टैनटाइन
उत्तर:
(क) आगस्टस

प्रश्न 5.
रोमन साम्राज्य में ‘सॉलिडस’ क्या था?
(क) चाँदी का सिक्का
(ख) सोने का सिक्का
(ग) ताँबे का सिक्का
(घ) चाँदी और ताँबे का मिश्रित सिक्का
उत्तर:
(ख) सोने का सिक्का

प्रश्न 6.
रोमन लोगों के पूज्य देवी/देवता कौन नहीं थे?
(क) डैगन
(ख) मॉर्स
(ग) जूनो
(घ) जूपिटर
उत्तर:
(क) डैगन

प्रश्न 7.
किस रोमन शासक के शासनकाल में दासों ने जबरदस्त विद्रोह किया?
(क) ऑगस्टस
(ख) ऐनस्टैसियस
(ग) टाइबेरियस
(घ) नीरो
उत्तर:
(घ) नीरो

प्रश्न 8.
निम्न में किस शासक का संबंध पवित्र रोमन साम्राज्य से था?
(क) जुलियस सीजर
(ख) शार्लमेन
(ग) लुई-XIV
(घ) पीटर महान
उत्तर:
(ख) शार्लमेन

प्रश्न 9.
वह कौन-सा प्राचीन साम्राज्य था जो तीन महाद्वीपों में फैल हुआ था?
(क) रोम साम्राज्य
(ख) ब्रिटिश साम्राज्य
(ग) रूसी साम्राज्य
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) रोम साम्राज्य

प्रश्न 10.
रोम साम्राज्य की प्रमुख भाषा थी:
(क) संस्कृत
(ख) लैटिन
(ग) अंग्रेजी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) लैटिन

प्रश्न 11.
सम्राट कांस्टैन्टाइन किस सदी ई. में ईसाई बना?
(क) तीसरी
(ख) पहली
(ग) चौथी
(घ) पाँचवीं
उत्तर:
(ग) चौथी

प्रश्न 12.
रोमन साम्राज्य को पूर्वी पश्चिमी भागों में किस सदी ई. में बाँटा गया?
(क) चौथी
(ख) दूसरी
(ग) तीसरी
(घ) सातवीं
उत्तर:
(क) चौथी

प्रश्न 13.
रोम साम्राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में कौन-सी जनजातियाँ थीं?
(क) गोथ
(ख) विसिगोथ
(ग) वैथल
(घ) इनमें सभी
उत्तर:
(घ) इनमें सभी

प्रश्न 14.
मुहम्मद पैगम्बर द्वारा इस्लाम धर्म की स्थापना की गई?
(क) पाँचवीं सदी में
(ख) छठी सदी में
(ग) सातवीं सदी में
(घ) आठवीं सदी में
उत्तर:
(ग) सातवीं सदी में

प्रश्न 15.
रोम में गणतंत्र कायम रहा ……………….
(क) 509 ई.पू. से 27 ई.पू. तक
(ख) 500 ई.पू. से 25 ई.पू. तक
(ग) 300 ई.पू. से 28 ई.पू. तक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) 509 ई.पू. से 27 ई.पू. तक

Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions History इतिहास : इतिहास की दुनिया भाग 2 Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science History Solutions Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद

Bihar Board Class 10 History भारत में राष्ट्रवाद Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

नीचे दिये गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में चार विकल्प दिये गये हैं। जो आपको सर्वाधिक उपयुक्त लगे उनमें सही का चिह्न लगायें।

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में वामपंथियों की भूमिका को रेखांकित करें प्रश्न 1.
गदर पार्टी की स्थापना किसने और कब की?
(क) गुरदयाल सिंह, 1916
(ख) चन्द्रशेखर आजाद, 1920
(ग) लाला हरदयाल, 1913
(घ) सोहन सिंह भाखना, 1918
उत्तर-
(ग) लाला हरदयाल, 1913

भारत में राष्ट्रवाद Question Answer Bihar Board प्रश्न 2.
जालियाँवाला बाग हत्याकांड किस तिथि को हुआ?
(क) 13 अप्रैल, 1919 ई०
(ख) 14 अप्रैल, 1919 ई.
(ग). 15 अप्रैल, 1919 ई.
(घ) 16 अप्रैल, 1919 ई.
उत्तर-
(क) 13 अप्रैल, 1919 ई०

भारत में राष्ट्रवाद के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 3.
लखनऊ समझौता किस वर्ष हुआ?
(क) 1916
(ख) 1918.
(ग) 1920
(घ) 1922
उत्तर-
(क) 1916

भारत में राष्ट्रवाद प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 4.
असहयोग आन्दोलन का प्रस्ताव काँग्रेस के किस अधिवेशन में पारित हुआ?
(क) सितम्बर 1920, कलकत्ता
(ख) अक्टूबर 1920, अहमदाबाद
(ग) नवम्बर 1920, फैजपुर
(घ) दिसम्बर 1920, नागपुर
उत्तर-
(क) सितम्बर 1920, कलकत्ता

भारत में राष्ट्रवाद का उदय प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 5.
भारत में खिलाफत आंदोलन कब और किस देश के शासक के समर्थन में शुरू हुआ ?
(क) 1920, तुर्की
(ख) 1920, अरब
(ग) 1920, फ्रांस
(घ) 1920, जर्मनी
उत्तर-
(क) 1920, तुर्की

Bihar Board Class 10 Social Science Solution प्रश्न 6.
सविनय अवज्ञा आंदोलन कब और किस यात्रा से शुरू हुआ?
(क) 1920, भुज
(ख) 1930, अहमदाबाद
(ग) 1930, दांडी
(घ) 1930, एल्बा
उत्तर-
(ग) 1930, दांडी

भारत में राष्ट्रवाद पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 7.
पूर्ण स्वराज्य की माँग का प्रस्ताव काँग्रेस के किस वार्षिक अधिवेशन में पारित हुआ?
(क) 1929, लाहौर
(ख) 1931, कराँची
(ग) 1933, कलकत्ता
(घ). 1937, बेलगाँव
उत्तर-
(क) 1929, लाहौर

भारत में राष्ट्रवाद Pdf Class 10 Bihar Board प्रश्न 8.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना कब और किसने की?
(क) 1923, गुरु गोलवलकर
(ख) 1925, के. बी. हेडगेवार
(ग) 1926, चित्तरंजन दास
(घ) 1928, लालचंद
उत्तर-
(ख) 1925, के. बी. हेडगेवार

Bihar Board Solution Class 10 Social Science प्रश्न 9.
रपा विद्रोह कब हुआ?
(क) 1916
(ख) 1917
(ग) 1918
(घ) 1919.
उत्तर-
(क) 1916

भारत में राष्ट्रवाद का उदय Class 10 Bihar Board प्रश्न 10.
बल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि किस किसान आंदोलन के दौरान दी गई ?
(क) बारदोली
(ख) अहमदाबाद
(ग) खेड़ा
(घ) चंपारण
उत्तर-
(क) बारदोली

निम्नलिखित में रिक्त स्थानों को भरें:

Social Science In Hindi Class 10 Bihar Board Pdf  प्रश्न 1.
बाल गंगाधर तिलक और ……….. ने होमरूल लीग आन्दोलन को शुरू किया।
उत्तर-
एनी बेसेन्ट

Bharat Mein Rashtravad Question Answer प्रश्न 2.
………….. खिलाफत आन्दोलन के नेता थे भारत में।
उत्तर-
महात्मा गांधी

भारत में राष्ट्रवाद Class 10th Bihar Board प्रश्न 3.
………..फरवरी ……… को ……………. आन्दोलन स्थगित हो गया।
उत्तर-
25, 1922, असहयोग

Bihar Board Solution Class 10 प्रश्न 4.
साइमन कमीशन के अध्यक्ष……………थे।
उत्तर-
सर जॉन

Bihar Board Class 10th Social Science Solution प्रश्न 5.
साइमन …………. में……………”कर के विरोध में आंदोलन आरंभ हुआ।
उत्तर-
1857 भू-राजस्व

Bihar Board Class 10 History Solution प्रश्न 6.
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के पहले अध्यक्ष…………..थे।
उत्तर-
डब्ल्यू सी. बनजी

Bihar Board Class 10 History Book Solution प्रश्न 7.
…………”अप्रैल………..”को अखिल भारतीय किसान सभा का गठन…………”हुआ।
उत्तर-
11, 1936, लखनऊ म

Bihar Board History Solution प्रश्न 8.
उड़ीसा में… में …………. विद्रोह हुआ।
उत्तर-
1914 में, खोंड विद्रोह

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (20 शब्दों में उत्तर दें)

Bharat Me Rashtravad Class 10 In Hindi Question Answer प्रश्न 1.
खिलाफत आन्दोलन क्यों हुआ?
उत्तर-
1920 के प्रारंभ में भारतीय मुसलमानों ने तुर्की के प्रति ब्रिटेन के अपनी नीति बदलने के लिए जोरदार आन्दोलन प्रारंभ किया जिसे खिलाफत आन्दोलन कहा गया।

Class 10 Social Science Bihar Board प्रश्न 2.
रॉलेट एक्ट से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
अंग्रेजों द्वारा 1919 में पारित किया गया एक ऐसा कानून जिसमें किसी भी भारतीय अदालत में मुकदमा चलाए जेल में बन्द किया जा सकता था।

प्रश्न 3.
दांडी यात्रा का क्या उद्देश्य था?
उत्तर-
समुद्र के पानी से नमक बनाकर अंग्रेजी कानून का उल्लंघन करना।

प्रश्न 4.
गाँधी-इरविन पैक्ट अथवा दिल्ली समझौता क्या था?
उत्तर-
सविनय अवज्ञा आन्दोलन की व्यापकता ने अंग्रेजी सरकार को समझौता करने के लिए बाध्य किया। 5 मार्च, 1931 को गाँधीजी एवं लार्ड इरविन के बीच जो समझौता हुआ उसे गाँधी इरविन पैक्ट कहा जाता है।

प्रश्न 5.
चम्पारण सत्याग्रह के बारे में बताओ।
उत्तर-
बिहार के चम्पारण में नील की खेती करनेवाले किसानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ गाँधी जी ने सत्य और अहिंसापूर्ण तरीके से जो आंदोलन चलाया उसे चम्पारण सत्याग्रह कहा जाता है।

प्रश्न 6.
मेरठ षड्यंत्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
मार्च 1929 में सरकार ने 31 श्रमिक नेताओं को बंदी बना लिया तथा मेरठ लाकर उनपर मुकदमा चलाया गया, जिसे मेरठ षड्यंत्र कहा जाता है।

प्रश्न 7.
जतरा भगत के बारे में आप क्या जानते हैं, संक्षेप में बताओ।
उत्तर-
1914 से 1920 तक खोंड विद्रोह के बाद छोटानागपुर क्षेत्र के उराँवों के द्वारा चलाए जानेवाले अहिंसक आंदोलन का नेता जतरा भगत था, जिसने आन्दोलन में सामाजिक और शैक्षणिक सुधार पर विशेष बल दिया।

प्रश्न 8.
ऑल इण्डिया ट्रेड यूनियन की स्थापना क्यों हुई?
उत्तर-
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस नामक एक संगठन जिसकी स्थापना 31 अक्टूबर 1920 को किया गया तथा सी० आर० दास ने सुझाव दिया कि कांग्रेस द्वारा किसानों एवं श्रमिकों को राष्ट्रीय आन्दोलन के सक्रिय रूप में शामिल किया जाए।

सुमेलित करें-

Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद - 3
Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद - 4
उत्तर-
1. (ख)
2. (क)
3. (ग)
4. (ङ)
5. (च)
6. (घ)।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (60 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
असहयोग आन्दोलन प्रथम जन आंदोलन था कैसे ?
उत्तर-
महात्मा गाँधी के नेतृत्व में प्रारंभ किया गया असहयोग आन्दोलन प्रथम जनान्दोलन था, जिसके मुख्य कारण निम्न हैं

  • खिलाफत का मुद्दा
  • पंजाब में सरकार की बर्बर कारवाइयों के विरुद्ध न्याय प्राप्त करना
  • स्वराज्य की प्राप्ति।

इस आन्दोलन में दो तरह के कार्यक्रम थे। प्रथमतः अंग्रेजी सरकार को कमजोर करने एवं नैतिक रूप से पराजित करने के लिए विध्वंसात्मक कार्य जैसे- उपाधियों एवं अवैतनिक पदों का त्याग करना, सरकारी तथा गैर-सरकारी समारोहों का बहिष्कार करना, विदेशी वस्तुओं का… बहिष्कार करना इत्यादि शामिल थे। . द्वितीयतः रचनात्मक कार्यों के अन्तर्गत, न्यायालय के स्थान पर पंचों का फैसला मानना, राष्ट्रीय विद्यालयों एवं कॉलेजों की स्थापना ताकि सरकारी कॉलेजों का बहिष्कार करके वाले विद्यार्थी पढ़ाई जारी रख सकें। स्वदेशी को अपनाना, चरखा खादी को लोकप्रिय बनाना, तिलक स्वराजकोष हेतु एक करोड़ रुपये इकट्ठा करना तथा 20 लाख चरखों का सम्पूर्ण भारत में वितरण करना शामिल था।

प्रश्न 2.
सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या परिणाम हुए ?
उत्तर-

  • सामाजिक आधार का विस्तार।
  • समाज के विभिन्न वर्गों का राजनीतिकरण।
  • महिलाओं का सार्वजनिक जीवन में प्रवेश।
  • ब्रिटिश सरकार द्वारा 1935 ई. का भारत शासन अधिनियम पारित किया जाना।
  • ब्रिटिश सरकार का काँग्रेस से समानता के आधार पर बातचीत।

प्रश्न 3.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किन परिस्थितियों में हुई ?
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की शुरूआत 19वीं सदी के अन्तिम चरण में हुई थी। इस समय इंडियन एसोसिएशन द्वारा रेंट बिल का विरोध किया जा रहा था, साथ ही लार्ड लिटन द्वारा बनाए गए प्रेस अधिनियम और शस्त्र अधिनियम का भारतीय द्वारा जबरदस्त विरोध किया जा रहा था। लार्ड रिपन के काल में पास हुए इलबर्ट बिल का यूरोपियनों द्वारा संगठित विरोध से प्राप्त विजय ने भारतीय राष्ट्रवादियों को संगठित होने का पर्याप्त कारण दे दिया।

प्रश्न 4.
बिहार के किसान आन्दोलन पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
महात्मा गाँधी के भारतीय राजनीति में पदार्पण के साथ ही किसान आन्दोलन को नई दिशा मिली। इन्हीं में एक प्रमुख है चम्पारण आन्दोलन।
बिहार के चम्पारण जिले में नील उत्पादक किसानों की स्थिति बहुत ही दयनीय थी। यहाँ नीलहे गोरों द्वारा तीनकठिया व्यवस्था प्रचलित थी जिसमें किसानों को अपनी उस भूमि के 3/20 हिस्से पर नील की खेती करनी होती थी जो सामान्यतः सबसे उपजाऊ भूमि होती थी। जबकि किसान नील की खेती नहीं करना चाहते थे क्योंकि इससे भूमि की उर्वरता कम हो जाती था।

बगान मालिक किसानों को अपनी उपज एक निश्चित धनराशि पर केवल उन्हें ही बेचने के लिए बाध्य करते थे और यह राशि बहुत ही कम होती थी। इसके अलावा उन्होंने अपने लगान में । अत्यधिक वृद्धि कर दी। इन सब अत्याचारों से त्रस्त एक किसान राजकुमार शुक्ल ने 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में सबका ध्यान इस ओर आकृष्ट किया और महात्मा गाँधी को चम्पारण आने पर विवश किया। इसके बाद गाँधी जी ने किसानों को संगठित कर आंदोलन चलाया इसे चम्पारण सत्याग्रह भी कहा जाता है।

प्रश्न 5.
स्वराज्य पार्टी की स्थापना एवं उद्देश्य की विवेचना करें।
उत्तर-
असहयोग आन्दोलन की एकाएक वापसी से उत्पन्न निराशा और क्षोभ का प्रदर्शन 1922 में हुए कांग्रेस के गया अधिवेशन में हुआ जिसके अध्यक्ष चितरंजन दास थे। चितरंजन दास एवं मोतीलाल नेहरू आदि नेताओं का विचार था कि रचनात्मक कार्यक्रम के साथ ही कांग्रेसी देश के विभिन्न निर्वाचनों में भाग लेकर व्यावसायिक सभाओं, सार्वजनिक संस्थाओं में प्रवेश कर सरकार के कामकाज में अवरोध पैदा करें। इसी प्रश्न पर एक प्रस्ताव लाया गया, परन्तु पारित नहीं हो पाया। तब चितरंजनदास एवं मोतीलाल नेहरू ने अपने काँग्रेस पद त्याग दिए और स्वराज पार्टी की स्थापना कर डाली और इसका प्रथम अधिवेशन 1923 में इलाहाबाद में हुआ।
इनका मुख्य उद्देश्य था भारत में अंग्रेजों द्वारा चलाई गयी सरकारी परम्पराओं का अंत करना।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
प्रथम विश्व युद्ध का भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के साथ अंतर्संबंधों की विवेचना करें?
उत्तर-
प्रथम विश्वयुद्ध औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप उत्पन्न औपनिवेशिक व्यवस्था, भारत सहित अन्य एशियाई एवं अफ्रीकी देशों में उसकी स्थापना और उसे सुरक्षित रखने के प्रयासों के क्रम में लड़ा गया। ब्रिटेन के सभी उपनिवेशों में भारत सबसे महत्वपूर्ण था और इसे प्रथम महायुद्ध के अस्थिर माहौल में भी हर हाल में सुरक्षित रखना उसकी पहली प्राथमिकता थी। युद्ध आरंभ होते ही ब्रिटिश सरकार ने घोषणा की कि भारत में ब्रिटिश शासन का लक्ष्य यहाँ क्रमशः एक जिम्मेवार सरकार की स्थापना करना है। 1916 में सरकार ने भारत में आयात शुल्क लगाया ताकि भारत में कपड़ा उद्योग का विकास हो सके।

विश्वयुद्ध के समय भारत में होनेवाली तमाम घटनाएँ युद्ध से उत्पन्न परिस्थितियों की ही. देन थीं। इसने भारत में एक नई आर्थिक और राजनैतिक स्थिति पैदा की जिससे भारतीय ज्यादा परिपक्व हुए। युद्ध प्रारम्भ होने के साथ ही तिलक और गाँधी जैसे राष्ट्रीवादी नेताओं ने ब्रिटिश सरकार के युद्ध गगा में हर संभव सहयोग दिया क्योंकि उन्हें सरकार के स्वराज सम्बन्धी आश्वासन में भरोसा था। तत्कालीन राष्ट्रवादी नेताओं जिसमें तिलक भी शामिल थे ने सरकार पर स्वराज प्राप्ति के लिए दबाव बने के तहत 1915-17 के बीच एनी बेसेन्ट और तिलक ने आयरलैण्ड से प्रेरित होकर भारत में भी होमरूल लीग आन्दोलन प्रारंभ किया। युद्ध के इसी काल में क्रांतिकारी आन्दोलन का भी भारत और विदेशी धरती दोनों जगह पर यह विकास हुआ।

प्रश्न 2.
असहयोग आंदोलन के कारण एवं परिणाम का वर्णन करें।
उत्तर-
महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1921 ई. में पंजाब और तुर्की के साथ हुए अन्यायों का प्रतिकार और स्वराज्य की प्राप्ति के उद्देश्य से असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ हुआ जिसके कारण निम्नलिखित हैं

  • खिलाफत का मुद्दा।
  • पंजाब में सरकार की बर्बर कार्रवाइयों के विरुद्ध न्याय प्राप्त करना और अंततः
  • स्वराज की प्राप्ति करना।

इस आन्दोलन के परिणाम निम्न हैं-

  • जनता का अपार सहयोग मिला।
  • देश की शिक्षण संस्थाएं लगभग बंद सी हो गई, क्योंकि छात्रों ने उनका त्याग कर दिया था।
  • राष्ट्रीय शिक्षा के एक नये कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इस सिलसिले में काशी विद्यापीठ और जामिया मिलिया जैसे संस्थाओं की स्थापना हुई।
  • कितने लोगों ने सरकारी नौकरियाँ छोड़ दी। विदेशी वस्त्रों की होली जलायी जाने लगी। (v) इस आन्दोलन में हिन्दू और मुसलमान दोनों ने एक होकर भाग लिया।

प्रश्न 3.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कारणों की विवेचना करें।
उत्तर-
ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ गाँधीजी के नेतृत्व में 1930 ई. में छेड़ा गया सविनय अवज्ञा आंदोलन दूसरा जन-आंदोलन था, जिसके कारण निम्नलिखित हैं

  • साइमन कमीशन का विरोध-इस कमीशन का उद्देश्य संविधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था परन्तु भारत में इसके विरुद्ध त्वरित एवं तीव्र प्रतिक्रिया हुई।
  • सांप्रदायिकता की भावना को उभरने से बचाने के लिए।
  • विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा पड़ा। पूरे देश में सरकार के खिलाफ वातावरण बन गया।
  • वामपंथी दबाव को संतुलित करने हेतु एक आन्दोलन के एक नए कार्यक्रम की आवश्यकता थी।
  • पूर्ण स्वराज्य की माँग के लिए 31 दिसम्बर, 1929 की मध्य रात्रि को रावी नदी के तट पर नेहरू ने तिरंगा झंडा फहराया तथा स्वतंत्रता की घोषणा का प्रस्ताव पढ़ा। 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की गई। इस प्रकार पूरे देश में उत्साह की एक नई लहर जग गई जो आंदोलन के लिए तैयार बैठी थी।
  • इरविन द्वारा गाँधी से मिलने से इनकार करने के बाद बाध्य होकर गांधी जी ने ‘दांडी-मार्च’ द्वारा अपना आंदोलन शुरू किया ?

प्रश्न 4.
भारत में मजदूर आन्दोलन के विकास का वर्णन करें।
उत्तर-
19वीं शताब्दी के आरम्भ होते ही मजदूर वर्ग के विकास के साथ राष्ट्रवादी . बुद्धिजीवियों में एक नई प्रवृत्ति का आविर्भाव हुआ। अब इन्होंने मजदूर वर्ग के हितों की शक्तिशाली पूंजीपतियों से रक्षा के लिए कानून बनाने की बात करनी शुरू कर दी। 1903 ई. में सुब्रह्मण्य अय्यर ने मजदूर यूनियन के गठन की वकालत की। स्वदेशी आन्दोलन का प्रभाव भी मजदूर आन्दोलन पर पड़ा। यद्यपि इसका मुख्य प्रभाव क्षेत्र बंगाल.था. परंतु इसके संदेश पूरे भारत में फैल रहे थे।

अहमदाबाद गुजरात के एक महत्वपूर्ण औद्योगिक नगर के रूप में विकसित हो रहा था। 1917 में अहमदाबाद में प्लेग फैला, अधिकांश मजदूर भागने लगे। मिल मालिकों ने उन्हें रोकने के लिए साधारण मजदूरी का 50% बोनस देने की बात कही परंतु बाद में उन्होंने बोनस देने से मना कर दिया। इसका श्रमिकों ने विरोध किया। गांधी जी को जब अहमदाबाद के श्रमिकों की हड़ताल का पता चला तो उन्होंने अम्बाला साराभाई नामक एक परिचित.मिल-मालिक से बातचीत की और इस समस्या में हस्तक्षेप करने का निर्णय लिया। परन्तु बाद में मिल-मालिकों ने बात करने से मना कर दिया और मिल में तालाबन्दी की घोषणा कर दी। बाद में गांधी जी ने 50% की जगह 35% मजदूरी बढ़ोतरी की बात कहकर समझौता होने तक भूख हड़ताल पर रहने की बात कही। अंततः मिल-मालिकों ने गांधी जी के प्रस्ताव को मानकर मजदूरों के पक्ष में 35% वृद्धि का निर्णय दिया और मजदूर आन्दोलन सफल हुआ।

कुछ अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं जैसे सोवियत संघ की स्थापना, कुमिन्टन की स्थापना तथा अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना जैसी घटनाओं से भारतीय श्रमिक वर्ग में एक नयी चेतना’ का प्रसार हुआ फलस्वरूप 31 अक्तूबर, 1920 को एटक की स्थापना की गई।

1920 के पश्चात साम्यवादी आन्दोलन के उत्थान के फलस्वरूप मजदूर संघ आन्दोलनों में कुछ क्रान्तिकारी और सैनिक भावना आ गयी। 1928 में गिरनी कामगार यूनियन के नेतृत्व में बम्बई टेक्सटाइल मिल में 6 माह लम्बी हड़ताल का आयोजन किया गया। उग्रवादी प्रभावों के परिप्रेक्ष्य में मजदूर संघ आंदोलनों की बढ़ती क्रियाशीलता के कारण सरकार चिन्तित हो गयी तथा इन आन्दोलनों पर रोक लगाने के लिए वैधानिक कानूनों का सहारा लेने का प्रयास किया। इस संबंध में सरकार ने श्रमिक विवाद अधिनियम 1929 तथा नागरिक सुरक्षा अध्यादेश 1929 बनाए।

प्रश्न 5.
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलनों में गाँधी जी के योगदान की विवेचना करें। ..
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलनों में गांधी जी के योगदान की विवेचना कर सूर्य को दीपक दिखाने जैसा कार्य होगा। गाँधी जी के बिना राष्ट्रीय आन्दोलनों की चर्चा ही बेमानी है।

प्रथम विश्वयुद्ध के बाद उत्पन्न परिस्थितियों ने राष्ट्रीय आन्दोलनों में गाँधीवादी चरण (1919-47) के लिए पृष्ठभूमि के निर्माण का कार्य किया। जनवरी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद गाँधीजी ने रचनात्मक कार्यों के लिए अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना की। चम्पारण एवं खेड़ा में कृषक आन्दोलन और अहमदाबाद में श्रमिक आन्दोलन को नेतृत्व प्रदान कर गाँधीजी ने प्रभावशाली राजनेता के रूप में अपनी राष्ट्रीय पहचान बनाई। प्रथम विश्वयुद्ध के अन्तिम दौर में इन्होंने कांग्रेस, होमरूल एवं मुस्लिम लीग के नेताओं के साथ भी घनिष्ठ संबंध स्थापित किया। ब्रिटिश सरकार की उत्पीड़नकारी नीतियों एवं रौलेट एक्ट के विरोध में इन्होंने ” सत्याग्रह की शुरूआत की।

नवम्बर 1919 में ही महात्मा गाँधी अखिल भारतीय खिलाफत आन्दोलन के अध्यक्ष बने। इसे गांधीजी ने हिन्दू-मुस्लिम एकता के महान अवसर के रूप में देखा।

सितम्बर 1920 के भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के कलकता अधिवेशन में गाँधी जी की प्रेरणा से अन्यायपूर्ण कार्यों के विरोध में दो प्रस्ताव पारित कर असहयोग आन्दोलन चलाने का निर्णय लिया, जो प्रथम जनान्दोलन बन गया।

ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ गाँधीजी के नेतृत्व में 1930 ई. में छेड़ा गया सविनय अवज्ञा आन्दोलन दूसरा ऐसा जन-आन्दोलन था जिसका सामाजिक आधार काफी विस्तृत था। इस आंदोलन की शुरूआत गाँधी जी ने 12 मार्च 1930 ई. को दांडी यात्रा से की। उन्होंने 24 दिनों में 250 कि. मी. की पदयात्रा के पश्चात् 5 अप्रैल को दांडी पहुँचे एवं 6 अप्रैल को समुद्र के ..पानी से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया।

प्रश्न 6.
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में वामपंथियों की भूमिका को रेखांकित करें।
उत्तर-
वामपंथी शब्द का प्रथम प्रयोग फ्रांसीसी क्रांति में हुआ था परन्तु कालांतर में समाजवाद .. या साम्यवाद के उत्थान के बाद यह शब्द उन्हीं का पयार्यवाची बन गया।

20वीं शताब्दी के प्रारम्भिक काल में ही भारत में साम्यवादी विचारधाराएँ फैलनी शुरू हो – गई थीं और बम्बई, कलकता, कानपुर, लाहौर, मद्रास आदि जगहों पर साम्यवादी सभाएँ बननी शुरू हो गईं। उस समय इन विचारों से जुड़े लोगों में मुजफ्फर अहमद, एस. ए. डांगे, मोलवी – बरकतुल्ला गुलाम, हुसैन आदि के नाम प्रमुख थे। इन लोगों ने अपने पत्रों के माध्यम से साम्यवादी – विचारों का पोषण शुरू कर दिया था। परन्तु रूसी क्रांति की सफलता के बाद साम्यवादी विचारों

का तेजी से भारत में फैलाव शुरू हुआ। उसी समय 1920 में मानवेन्द्र नाथ राय ने ताशकंद में .. भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी की स्थापना की। लेकिन अभी भारत में लोग छिपकर काम कर रहे थे। फिर असहयोग आन्दोलन के दौरान पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से उन्हें अपने विचारों को फैलाने का अच्छा मौका मिला। साथ ही ये लोग आतंकवादी राष्ट्रीय आंदोलनों से भी जुड़ने लगे थे। इसलिए असहयोग आन्दोलन समाप्ति के बाद सरकार ने इन लोगों का दमन शुरू किया और पेशावर षड्यंत्र केस (1922-23), कानपुर षड्यंत्र केस (1924), मेरठ षड्यंत्र केस (1929-33) के तहत 8 लोगों पर मुकदमे चलाए।

तब साम्यवादियों ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया और राष्ट्रवादी “साम्यवादी शहीद” कहे जाने लगे। इसी समय इन्हें काँग्रेसियों का समर्थन मिला क्योंकि सरकार द्वारा लाए गए “पब्लिक सेफ्टी बिल” को कांग्रेसियों पारित नहीं होने दिए थे। यह कानून कम्युनिष्टों के विरोध में था। इस तरह अब साम्यवादी आन्दोलन प्रतिष्ठित होता जा रहा था कि दिसम्बर 1925 में सत्यभक्त नामक व्यक्ति ने भारतीय कम्युनिष्ठ पार्टी की स्थापना कर डाली।

अब इंगलैंड के साम्यवादी दल ने भी भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी में दिलचस्पी लेना शुरू किया। धीरे-धीरे वामपंथ का प्रसार मजदूर संघों पर बढ़ रहा था। सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान साम्यवादियों ने अपनी चाल-चलनी शुरू की। उन्होंने काँग्रेस का विरोध शुरू किया, क्योंकि काँग्रेस उद्योगपतियों और जमींदारों का समर्थन कर रही थी, जो मजदूरों का शोषण करते थे। धीरे-धीरे काँग्रेस और. कम्युनिष्ट पार्टी का संबंध टूट गया। इसी के परिणामस्वरूप सुभाषचन्द्र बोस द्वारा फारवर्ड ब्लॉक की स्थापना की गयी।

Bihar Board Class 10 History भारत में राष्ट्रवाद Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सीमांत गाँधी किन्हें कहा जाता है।
उत्तर-
खान अब्दुल गफ्फार खाँ को।

प्रश्न 2.
मणिपुर एवं नागालैंड में नमक सत्याग्रह का प्रसार किसने किया?
उत्तर-
रानी गैडिनल्यू ने।

प्रश्न 3.
गांधीजी ने खिलाफत आंदोलन को समर्थन क्यों दिया?
उत्तर-
हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए क्योंकि गांधी को भारत में एक बड़ा जन आंदोलन असहयोग आंदोलन चलाना था।

प्रश्न 4.
असहयोग आंदोलन में चौरी-चौरा की घटना का क्या महत्व है ?
उत्तर-
5 फरवरी, 1922 को चौरी-चौरा में हुई घटना के कारण ही महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था।

प्रश्न 5.
स्वराज पार्टी का गठन किस उद्देश्य से किया गया?
उत्तर-
स्वराज पार्टी का गठन का उद्देश्य प्रांतीय विधायिकाओं में प्रवेश कर सरकार पर दबाव डालकर स्वराज की स्थापना के लिए प्रयास करना था।

प्रश्न 6.
कांग्रेस के किस अधिवेशन में पूर्ण स्वाधीनता की मांग की गई ? इस अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर-
कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन, 1929 में पूर्ण स्वाधीनता की मांग की गई। इस अधिवेशन के अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरू थे।

प्रश्न 7.
गांधी जी ने दांडी की यात्रा क्यों की?
उत्तर-
गांधी जी के दांडी यात्रा का मुख्य उद्देश्य समुद्र के पानी से नमक बनाकर सरकार के नमक कानून का उल्लंघन करना था।

प्रश्न 8.
1932 के पूना समझौता का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर-
1932 में गांधीजी और डॉ. अंबेडकर के बीच पूना समझौता हुआ जिसके परिणामस्वरूप । दलित वर्गों के लिए प्रांतीय और केन्द्रीय विधायिकाओं में कुछ स्थान आरक्षित हुए।

प्रश्न 9.
अल्लूटी सीताराम राजू कौन थे ?
उत्तर-
आंध्र प्रदेश के गुडेम पहाड़ियों में वन कानूनों के विरोध में आदिवासियों के विद्रोह का नेतृत्व अल्लूरी सीताराम राजू ने किया।

प्रश्न 10.
गाँधीजी के स्वराज्य झंडा में कौन-कौन-से रंग और प्रतीक थे ?
उत्तर-
गाँधीजी के स्वराज्य झंडा में सफेद, हरा और लाल रंग थे। झंडे के बीच में जो चरखा का चित्र बना हुआ था। वह स्वावलंबन का प्रतीक था। इस झंडे को हाथ में लेकर लोग गौरवपूर्ण ढंग से जुलूसों और प्रदर्शनों में भाग लेकर ब्रिटिश शासन के प्रति अवज्ञा का भाव प्रदर्शित करते थे।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में राष्ट्रवाद उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से कैसे विकसित हुआ? .
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रवाद का उदय और विकास हिन्द-चीन के समान औपनिवेशिक शासन की प्रतिक्रियास्वरूप हुआ। 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध से औपनिवेशिक राज की प्रशासनिक, आर्थिक और अन्य नीतियों के विरुद्ध असंतोष की भावना बलवती होने लगा। यद्यपि 1857 के विद्रोह के पूर्व भी अंगरेजी आधिपत्य के विरुद्ध क्षेत्रीयता के आधार पर औपनिवेशिक शासन का विरोध किया गया था परन्तु राष्ट्र की अवधारणा और राष्ट्रीय चेतना का विकास 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से ही हुआ।

प्रश्न 2.
प्रथम विश्वयुद्ध ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को किस प्रकार बढ़ावा दिया ?
उत्तर-
प्रथम विश्वयुद्ध 20वीं शताब्दी के यूरोपीय इतिहास की एक महत्त्वपूर्ण घटना थी। यह युद्ध औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप उत्पन्न औपनिवेशिक व्यवस्था बनाए रखने के कारण हुआ। युद्ध आरंभ होने पर अंगरेजी सरकार ने यह घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार का उद्देश्य भारत में एक उत्तरदायी शासन की स्थापना करना है। सरकार ने यह भी कहा कि ब्रिटिश सरकार जिन आदर्शों के लिए लड़ रही थी उन्हें युद्ध की समाप्ति के बाद भारत में भी लागू किया जाएगा, परंतु ऐसा नहीं हुआ। प्रथम विश्वयुद्ध के प्रभावों के कारण भारत में राष्ट्रीयता की भावना बलवती हुई और स्वतंत्रता आंदोलन तीव्र हो उठा। प्रथम विश्वयुद्ध के आर्थिक और राजनीतिक परिणामों ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को प्रभावित किया।

प्रश्न 3.
भारतीयों ने रॉलेट कानून का विरोध क्यों किया?
उत्तर-
भारतीय क्रांतिकारियों में उभरती हुई राष्ट्रीयता की भावना को दबाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने न्यायाधीश सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता में रॉलेट आयोग का गठन किया। भारतीय नेताओं के विरोध के बावजूद भी यह विधेयक 8 मार्च, 1919 को लागू कर दिया गया। इस कानून का विरोध भारतीयों ने जबर्दस्त रूप से किया। इस कानून के अंतर्गत एक विशेष न्यायालय का गठन किया गया जिसके निर्णय के विरूद्ध कोई अपील नहीं किया जा सकता था। इस कानून के द्वारा सरकार किसी भी व्यक्ति को संदेह के आधार पर गिरफ्तार करने उसपर मुकदमा चला सकती थी। गांधीजी ने इस कानून को अनुचित स्वतंत्रता का हनन करनेवाला तथा व्यक्ति के मूल अधिकारों की हत्या करनेवाला बताया।

प्रश्न 4.
साइमन कमीशन भारत क्यों आया? भारतीयों में इसकी क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर-
1919 ई. के भारत सरकार अधिनियम द्वारा स्थापित उत्तरदायी शासन की स्थापना में किए गए प्रयासों की समीक्षा करने एवं आवश्यक सुझाव देने के उद्देश्य से ब्रिटिश सरकार ने 1927 में सरजॉन साइमन की अध्यक्षता में साइमन कमीशन का गठन किया। इसके सभी 7 सदस्य अंग्रेज थे। इस कमीशन का उद्देश्य सांविधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था। इस कमीशन में किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया जिसके कारण भारतीयों में इस कमीशन का तीव्र विरोध हुआ। भारतीयों में इसकी प्रतिक्रिया का एक और कारण यह था कि भारत के स्वशासन के संबंध में निर्णय विदेशियों द्वारा किया जाना था। 3 फरवरी, 1928 को कमीशन के बम्बई पहुंचने पर इसका स्वागत हड़ताल, पदर्शन और कालेझंडों से हुआ तथा ‘साइमन वापस जाओ’ के नारों से हुआ।

प्रश्न 5.
नमक यात्रा पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रारंभ नमक सत्याग्रह से माना जाता है। नमक कानून भंग करने के लिए गांधीजी ने दांडी को चुना जो साबरमती आश्रम से 240 किलोमीटर दूर थी। गांधी अपने 78 विश्वस्त सहयोगियों के साथ 12 मार्च, 1930 को साबरमती से दांडी यात्रा आरंभ की। नमक यात्रा में गांधी के साथ सैंकड़ों युवक, किसान, मजदूर, महिलाएं शामिल हो गए। गांधीजी को देखने और उनका भाषण सुनने के लिए हजारों लोग एकत्र होते थे। 24 दिनों के लम्बी यात्रा के बाद 6 अप्रैल, 1930 को गांधी दांडी पहुँचे। वहाँ पहुँचकर उन्होंने समुद्र के पानी से नमक बनाकर अहिंसक ढंग से सरकार के नमक कानून को भंग किया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय राष्ट्रवाद के उदय के कारणों पर प्रकाश डालें ?
उत्तर-
भारत में राष्ट्रवाद का उदय और विकास 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध की प्रमुख घटना है। भारतीय राष्ट्रवाद के उदय के प्रमुख कारण हैं

(i) अंग्रेजी साम्राज्यवाद के विरुद्ध असंतोष- अंग्रेजी नीतियों के प्रति बढ़ता असंतोष . भारतीय राष्ट्रवाद के विकास का प्रमुख कारण था। अंगरेजी सरकार की नीतियों के शोषण का शिकार देशी रजवाड़े ताल्लुकेदार, महाजन, कृषक मजदूर, मध्यमवर्ग सभी बने/पूँजीपति वर्ग भी सरकार की भेदभाव आर्थिक नीति से असंतुष्ट था। ये सभी अंगरेजी शासन को अभिशाप मानकर इसका खात्मा करने का मन बनाने लगे।

(ii) आर्थिक कारण– भारतीय राष्ट्रवाद के उदय का एक महत्वपूर्ण कारण आर्थिक कारण था। सरकारी आर्थिक नीतियों के कारण कृषि और कुटीर उद्योग-धंधे नष्ट हो गए। किसानों पर लगान एवं कर्ज का बोझ बढ़ गया। किसानों को नगरी फसल उपजाने को बाध्य कर उसका भी मुनाफा सरकार ने उठाया। देशी उद्योगों की स्थिति भी दयनीय हो गयी। अंगरेजी आर्थिक नीतियों के कारण भारतीय धन का निष्कासन हुआ, जिससे भारत की गरीबी बढ़ी। इससे भारतीयों में प्रतिक्रिया हुई एवं राष्ट्रीय चेतना का विकास हुआ।

(iii) अंगरेजी शिक्षा का प्रसार- भारत में अंगरेजी शिक्षा के प्रचार के कारण भारतीय लोग भी अमेरिका, फ्रांस तथा यूरोप की अन्य महान क्रांतियों से परिचित हुए। रूसो, वाल्टेयर, मेजिनी, गैरीबाल्डी जैसे दार्शनिकों एवं क्रांतिकारियों के विचारों का प्रभाव उनपर पड़ा। वे भी अब स्वतंत्रता, समानता एवं नागरिक अधिकारों के प्रति सचेत होने लगे।

(iv) साहित्य एवं समाचारपत्रों का योगदान- राष्ट्रीय चेतना जागृत करने में प्रेस और . साहित्य का भी महत्वपूर्ण योगदान था। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से अंगरेजी और भारतीय भाषाओं में अनेक समाचार पत्र एवं पत्रिकाएँ प्रकाशित होनी आरंभ हुई जैसे हिंदू पैट्रियाट, हिन्दू, आजाद, संवाद कौमुदी इत्यादि। इनमें भारतीय राजनीतिक एवं सामाजिक मुद्दों को उठाकर सरकारी नीतियों की आलोचना की गई।

(v) सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन का प्रभाव- 19वीं शताब्दी के सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन ने भी राष्ट्रीयता की भावना विकसित की। इस समय तक भारतीय समाज एवं धर्म कुरीतियों और रूढ़ियों से ग्रस्त हो चुका था। राजा राममोहन राय, दयानंद सरस्वती, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानन्द के प्रयासों से नई चेतना जगी। ब्रह्म समाज, आर्य समाज, प्रार्थना समाज, रामकृष्ण मिशन ने एकता, समानता एवं स्वतंत्रता की भावना जागृत की तथा भारतीयों में आत्म-सम्मान, गौरव एवं राष्ट्रीयता की भावना का विकास करने में योगदान दिया।

प्रश्न 2.
जालियाँवाला बाग हत्याकांड क्यों हुआ? इसने राष्ट्रीय आंदोलन को कैसे बढ़ावा दिया?
उत्तर-
भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सरकार ने 1919 में रॉलेट कानून (क्रांतिकारी एवं अराजकता अधिनियम) बनाया। इस कानून के अनुसार सरकार किसी को भी संदेह ने आधार पर गिरफ्तार कर बिना मुकदमा चलाए उसको दंडित कर सकती थी तथा इसके खिलाफ कोई अपील भी नहीं की जा सकती थी। भारतीयों ने इस कानून का कड़ा विरोध किया। इसे ‘काला कानून’ की संज्ञा दी गई। गांधीजी ने इस कानून को अनुचित, अन्यायपूर्ण, स्वतंत्रता का हनन करनेवाला तथा नागरिकों के मूल अधिकारों की हत्या करने वाला बताया। उन्होंने जनता से शांतिपूर्वक इस कानून का विरोध करने को कहा।

अमृतसर में एक बहुत ही बड़ा प्रदर्शन हुआ जिसकी अध्यक्षता डॉ. सत्यपाल और डॉ. किचलू कर रहे थे। सरकार ने दोनों को अमृतसर से निष्कासित कर दिया। जनरल डायर ने पंजाब में फौजी शासन लागू कर आतंक का राज्य स्थापित कर दिया। पंजाब के लोग अपने प्रिय नेता की गिरफ्तारी तथा सरकार की दमनकारी नीति के खिलाफ 13 अप्रैल, 1919 को बैसाखी मेले के अवसर पर जालियाँवाला बाग में एक विराट सम्मेलन का आयोजन कर विरोध प्रकट कर रहे थे जिसके कारण ही डायर ने निहत्थी जनता पर गोलियाँ चलवा दी। यह घटना जालियांवाला बाग हत्याकांड के नाम से जाना गया।

जालियांवाला बाग की घटना ने पूरे भारत को आक्रोशित कर दिया। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन और हड़ताल हुए। गुरूदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने घटना के विरोध में अपना ‘सर’ का खिताब वापस लौटाने की घोषणा की। वायसराय की कार्यकारिणी के सदस्य शंकरन नायर ने इस्तीफा दे दिया। गांधीजी ने कैंसर-ए-हिन्द की उपाधि त्याग दी। जालियांवाला बाग हत्याकांड ने राष्ट्रीय आंदोलन में एक नई जान फूंक दी।

प्रश्न 3.
खिलाफत आंदोलन क्यों हुआ? गांधीजी ने इसका समर्थन क्यों किया?
उत्तर-
तुर्की का खलीफा जो आंदोलन साम्राज्य का सुल्तान भी था, संपूर्ण इस्लामी जगह का धर्मगुरू था। पैगंबर के बाद सबसे अधिक प्रतिष्ठा उसी की थी। प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी के साथ तुर्की भी पराजित हुआ। पराजित तुर्की पर विजयी मित्रराष्ट्रों ने कठोर संधि थोप दी (सेब्र की संधि) ऑटोमन साम्राज्य को विखंडित कर दिया गया। खलीफा और ऑटोमन साम्राज्य के साथ किए गए व्यवहार से भारतीय मुसलमानों में आक्रोश व्याप्त हो गया। वे तुर्की के सुल्तान और खलीफा की शक्ति और प्रतिष्ठा की पुनः स्थापना के लिए संघर्ष करने को तैयार हो गए। इसके लिए ही खिलाफत आंदोलन आरंभ किया गया। खिलाफत आंदोलन एक प्रति क्रियावादी आंदोलन के रूप में आरंभ हुआ, लेकिन शीघ्र ही मध्य साम्राज्य विरोधी और राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में परिणत हो गया।

महात्मा गांधी खिलाफत आंदोलन को सत्य और न्याय पर आधारित मानते थे। इसलिए उन्होंने इसे अपना समर्थन दिया। 1919 में वह दिल्ली में आयोजित ऑल इंडिया खिलाफत सम्मेलन के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। उन्होंने सरकार को धमकी दी कि यदि खलीफा के साथ न्याय नहीं किया जाएगा तो वह सरकार के साथ असहयोग करेंगे। गांधीजी ने इस आंदोलन को अपना समर्थन देकर हिन्दू-मुसलमान एकता स्थापित करने और एक बड़ा सशक्त राजविरोधी आंदोलन असहयोग
आंदोलन आरंभ करने का निर्णय लिया। .

प्रश्न 4.
असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन के स्वरूप में क्या अंतर था ? महिलाओं की सविनय अवज्ञा आंदोलन में क्या भूमिका थी? . उत्तर-
असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन के स्वरूप में काफी विभिन्नता थी। असहयोग आंदोलन में जहाँ सरकार के साथ असहयोग करने की बात थी वहीं सविनय अवज्ञा आंदोलन में न केवल अंग्रेजों का सहयोग न करने के लिए बल्कि औपनिवेशिक कानूनों का भी उल्लंघन करने के लिए आह्वान किया जाने लगा। असहयोग आंदोलन की तुलना में सविनय अवज्ञा आंदोलन व्यापक जनाधार वाला आंदोलन साबित हुआ।

सविनय अवज्ञा आंदोलन में पहली बार स्त्रियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। वे घंटों की चहारदीवारी से बाहर निकलकर गांधीजी की सभाओं में भाग लिया। अनेक स्थानों पर स्त्रियों ने नमक बनाकर नमक-कानून भंग किया। स्त्रियों में विदेशी वस्त्र एवं शराब के दुकानों की पिकेटिंग की। स्त्रियों ने चरखा चलाकरे सूत काते और स्वदेशी को प्रोत्साहन दिया। शहरी क्षेत्रों में ऊँची जाति की महिलाएं आंदोलन में सक्रिय थी तो ग्रामीण इलाकों में संपन्न परिवार की किसान स्त्रियाँ।

प्रश्न 5.
भारतीय राजनीति में साम्यवादियों की भूमिका की विवेचना कीजिए ?
उत्तर-
1917 की महान रूसी क्रांति के बाद पूरे विश्व में साम्यवादी विचारधारा का प्रसार हुआ। 20वीं शताब्दी के आरंभ में भारत भी साम्यवादी विचारधारा के प्रभाव में आया। देश के अनेक भागों में बुद्धिजीवी साम्यवादी दर्शन से प्रभावित लोगों का समूह बनाकर इस विचारधारा को प्रोत्साहन दे रहे थे। विख्यात क्रांतिकारी एम. एन. राय ने 1920 में ताशकंद में हिन्दुस्तान की कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की। भारत में इसका प्रचार करने के लिए कलकत्ता, बंबई, मद्रास लाहौर में साम्यवादी सभाएँ बननी शुरू हो गई। साम्यवादियों ने श्रमिकों और किसानों की ओर अपना ध्यान दिया। क्रांतिकारी आंदोलनों पर भी इनका प्रभाव पड़ा। अक्टूबर 1920 में बंबई में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की स्थापना हुई।

इसमें फूट पड़ने के बाद एन. एम. जोशी ने ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन फेडरेशन (AITUF) का गठन किया। इस तरह वामपंथ का प्रसार मजदूर संघों पर बढ़ रहा था। वामपंथ को प्रभाव में इन श्रमिक संगठनों ने मजदूरों की स्थिति में सुधार लाने का प्रयास किया। आगे चलकर 1934 में समाजवादियों के प्रयास से सभी श्रमिक संघों को मिलाकर ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना की गई। साम्यवादियों ने किसानों की समस्याओं की ओर भी ध्यान दिया। लेबर स्वराज पार्टी भारत में पहली किसान मजदूर पार्टी थी लेकिन अखिल भारतीय स्तर पर दिसम्बर, 1928 में अखिल भारतीय मजदूर किसान पार्टी बनी।

साम्यवादियों ने किसान मजदूरों की स्थिति में सुधार लाने के अतिरिक्त साम्राज्यवाद एवं पूंजीवाद का विरोध भी किया। क्रांतिकारी आंदोलनों को भी इनका समर्थन मिला। फलतः असहयोग आंदोलन के बाद सरकार ने साम्यवादियों पर कड़ी कारवाई की। पेशवर षड्यंत्र केस (1922-23), कानपुर षड्यंत्र केस (1924) तथा मेरठ षड्यंत्र केस (1929-33) में मुकदमा चलाकर कुछ साम्यवादियों को दंडित किया गया। साम्यवादी विचारधारा का प्रभाव कांग्रेस के युवा वर्ग पर भी पड़ा। इन लोगों ने कांग्रेस पर अधिक सशक्त नीति अपनाने की मांग की। साथ ही किसानों मजदूरों की समस्याओं को भी उठाने का प्रयास किया। सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान साम्यवादियों ने कांग्रेस का विरोध करना शुरू किया जिसकी अंतिम परिणति सुभाष चन्द्र बोस द्वारा फारवर्ड ब्लॉक की स्थापना के रूप में हुई। द्वितीय विश्वयुद्ध और ‘भारत छोड़ो आंदोलन में भी साम्यवादियों ने अपनी भूमिका का निर्वहन किया।

Bihar Board Class 10 History भारत में राष्ट्रवाद Notes

  •  राष्ट्रवाद का शाब्दिक अर्थ होता है-“राष्ट्रीय चेतना का उदय”
  • राष्ट्रवाद के उदय के कारण –
    (i) धार्मिक कारण
    (ii) सामाजिक कारण
    (iii) आर्थिक कारण
    (iv) राजनीतिक कारण।
  • राष्ट्रीय आन्दोलन से संबंधित प्रभुत्व व्यक्ति पार्टी अथवा आन्दोलन – आन्दोलन
    Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद - 1
    Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद - 2
  • राष्ट्र की अवधारणा और राष्ट्रीय चेतना का विकास 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में हुआ।  1885 ई. में भारतीय राष्टोय काँग्रेस की स्थापना ने राष्ट्रवाद की अवधारणा को उत्तेजना प्रदान की।

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions गद्य Chapter 3 भारत से हम क्या सीखें

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 2 गद्य खण्ड Chapter 3 भारत से हम क्या सीखें Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi Solutions गद्य Chapter 3 भारत से हम क्या सीखें

Bihar Board Class 10 Hindi भारत से हम क्या सीखें Text Book Questions and Answers

बोध और अभ्यास

पाठ के साथ

भारत से हम क्या सीखें Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 1.
समस्त भूमंडल में सर्वविद सम्पदा और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण देश भारत है। लेखक ने ऐसा क्यों कहा है ?
उत्तर-
मरत ऐसा देश है, जहाँ मानव मस्तिष्क की उत्कृष्टतम उपलब्धियों का सर्वप्रथम साक्षात्कार हुआ है। यहाँ जीवन की बड़ी-से-बड़ी समस्याओं के ऐसे समाधान ढूँढ निकाले गये हैं जो विश्व के दार्शनिकों के लिए चिन्तन का विषय है। भारत में भूतल पर ही स्वर्ग की छटा बिखरती है। यहाँ की धरती प्राकृतिक सौंदर्य, मानवीय गुण, मूल्यवान रत्न, प्राकृतिक सम्पदा एवं मनीषियों के आध्यात्मिक चिंतन से परिपूर्ण है। यहाँ जीवन को सुखद बनाने के लिए उपयुक्त ज्ञान एवं वातावरण का सान्निध्य मिलता है जो भूमंडल में अन्यत्र नहीं है।

भारत से हम क्या सीखें का सारांश Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 2.
लेखक की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन कहाँ हो सकते हैं और क्यों ?
उत्तर-
लेखक की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन गाँवों में हो सकते हैं। भारत की सारी परंपरा का आधार ऋषि और कृषि पद्धति है। गाँव में ग्राम पंचायत व्यवस्था देखने को मिलेंगे। कृषि व्यवस्था मंदिर व्यवस्था आदि। जो केवल में मौलिक रूप से देखने को नहीं मिलेंगे।

भारत से हम क्या सीखें प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 3.
भारत को पहचान सकने वाली दृष्टि की आवश्यकता किनके लिए वांछनीय है और क्यों?
उत्तर-
भारत को पहचान करने वाली दृष्टि भारतीय सविल सेवा हेतु चयनित युवा अंग्रेज अधिकारियों के लिए है। भारत में पहुंचने के बाद वहाँ से ज्ञान, सामाजिक व्यवस्थाएँ, विज्ञान आदि का संग्रह और उन्नयन करने की दृष्टि हो। सर विलियम जोन्स की तरह नए युवा अधिकारी भी स्वप्नदर्शी हों और गंगा, सिन्धु के मैदानों में संग्रहणीय वस्तु एवं विद्या इंगलैण्ड लावें।

Bharat Se Ham Kya Sikhe Question Answer प्रश्न 4.
लेखक ने किन विशेष क्षेत्रों में अभिरूचि रखने वाले के लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक बताया है ?
उत्तर-
लेखक ने कहा है कि आपकी अभिरूचि की पैठ किसी विशेष क्षेत्रों में है तो भारत में आपको पर्याप्त अवसर मिलेंगे। लोकप्रिय शिक्षा से सम्बद्ध हो, या उच्च शिक्षा, चाहे संसद में प्रतिनिधित्व की बात हो अथवा कानून बनाने की बात हो, चाहे प्रवास संबंधी कानून हो अथवा अन्य कोई कानूनी मसला, सीखने या सिखाने योग्य कोई बात क्यों न हो, भारत के रूप में आपको ऐसी प्रयोगशाला मिलेगी। जैसे-विश्व में अन्यत्र कहीं नहीं मिल सकती।

Bharat Se Ham Kya Sikhe Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 5.
लेखक ने वारेन हेस्टिंग्स से संबंधित किस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना का हवाला दिया है और क्यों ?
उत्तर-
वारेन हेस्टिंग्स को वाराणसी के पास 172 दारिस नामक सोने के सिक्कों से भरा एक घड़ा मिला था। उन्होंने ईस्ट इण्डिया कम्पनी के निदेशक मंडल की सेवा में सोने के सिक्के यह समझकर भिजवा दिया कि यह एक ऐसा उपहार होगा जिसकी गणना उसके द्वारा प्रेषित सर्वोत्तम दुर्लभ वस्तुओं में की जाएगी। कंपनी के निदेशक उसका ऐतिहासिक महत्त्व नहीं समझ पाये और उन मुद्राओं को गला डाला। वारेन हेस्टिंग्स के लिए सबसे बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण घटना था। फिर वह सोचा कि आगे से सावधानी रहे कि ऐतिहासिक वस्तुओं को बचाया जाय।

Bharat Se Ham Kya Sikhen Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 6.
लेखक ने नीतिकथाओं के क्षेत्र में किस तरह भारतीय अवदान को रेखांकित किया है?
उत्तर-
लेखक ने बताया है कि नीति कथाओं के अध्ययन-क्षेत्र में नवजीवन का संचार हुआ है। समय-समय पर विविध साधनों और मार्गों द्वारा अनेक नीति कथाएँ पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित रही हैं। भारत में प्रचलित कहावतों और दन्तकथाओं का प्रमुख स्रोत बौद्ध धर्म को माना जाने लगा है, किन्तु इसमें निहित समस्याएँ समाधान की प्रतीक्षा में हैं। लेखक ने एक उदाहरण देकर बताया है कि ‘शेर की खाल में गदहा’ वाली कहावत सबसे पहले यूनानी दार्शनिक प्लेटो के क्रटिलस में मिलती है। इसी तरह संस्कृत की एक कथा यूनान के एक नीति कथा से मिलती है। अर्थात् भारतीय नीति कथाएँ यूनान से कैसे जुड़ी यह एक शोध का विषय है।

भारत से हम क्या सीखें क्वेश्चन आंसर Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 7.
भारत के साथ यूरोप के व्यापारिक संबंध के प्राचीन प्रमाण लेखक ने क्या दिखाए हैं?
उत्तर-
लेखक के अनुसार यह असंदिग्ध रूप से प्रमाणित हो चुका है कि सोलोमन के समय में ही भारत, सीरिया और फिलीस्तीन के मध्य आवागमन के साधन सुलभ हो चुके थे। साथ ही . इन देशों के व्यापारिक अध्ययन करने पर कुछ संस्कृत शब्दों का प्रयोग मिलता है। इन संस्कृत शब्दों के आधार पर प्रमाणित होता है कि हाथी-दाँत, बन्दर, मोर और चन्दन आदि जिन वस्तुओं के ऑफिसर से निर्यात की बात बाइबिल में कही गयी है, वे वस्तुएँ भारत के सिवा किसी अन्य देश से नहीं लाई जा सकती। ऐतिहासिक अध्ययन से यह भी ज्ञात है कि दसवीं-ग्यारहवीं सदी में भी भारत के साथ यूरोप के व्यापारिक सम्बन्ध बंद नहीं हुए थे।

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solution प्रश्न 8.
भारत के ग्राम पंचायतों को किस अर्थ में और किनके लिए लेखक ने महत्त्वपूर्ण बतलाया है ? स्पष्ट करें।
उत्तर-
लेखक युवा अंग्रेज अधिकारी जो भारतीय सिविल सेवा हेतु चयनित हुए थे उनके लिए भारत के ग्राम पंचायतों का महत्त्वपूर्ण अर्थ बतलाया है। – अत्यंत सरल राजनैतिक इकाइयों के निर्माण और विकास से सम्बद्ध प्राचीन युग के कानून की पुरातन रूपों के बारे में इधर जो अनुसंधान हुए हैं, उनके महत्त्व और वैशिष्ट्य को परख सकने की क्षमता प्राप्त करनी है, तो आपको इसके लिए आज भारत की ग्राम पंचायतों के रूप में इसके प्रत्यक्ष दर्शन का सुयोग अनायास ही मिल जाएगा। ..

Bihar Board Solution Class 10 Hindi प्रश्न 9.
धर्मों की दृष्टि से भारत का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
भारत प्राचीन काल से ही धार्मिक विकास का केन्द्र रहा है। यहाँ धर्म के वास्तविक उद्भव उसके प्राकृतिक विकास तथा उसके अपरिहार्य क्षीयमाण रूप का प्रत्यक्ष परिचय मिलता है। भारत वैदिक धर्म की भूमि है, बौद्ध धर्म की यह जन्मभूमि है, पारसियों के जरथुस्ट्र धर्म की यह शरण-स्थली है। आज भी यहाँ नित्य नये मत-मतान्तर प्रकट एवं विकसित होते रहते हैं। इस तरह से भारत धार्मिक क्षेत्र में विश्व को आलोकित करनेवाला एक महत्त्वपूर्ण देश है।

Class 10 Hindi Bihar Board प्रश्न 10.
भारत किस तरह अतीत और सुदूर भविष्य को जोड़ता है ? स्पष्ट करें।
उत्तर-
भारत में आप अपने-आपको सर्वत्र अत्यन्त प्राचीन और सुदूर भविष्य के बीच खड़ा पायेंगे। वहाँ आपको ऐसे सुअवसर भी मिलेंगे जो किसी पुरातन विश्व में ही सुलभ हो सकते हैं। आप आज की किसी भी ज्वलंत समस्या को ले लीजिए। वह समस्या चाहे लोकप्रिय शिक्षा से सम्बद्ध हो, या उच्च शिक्षा, चाहे संसद में प्रतिनिधित्व की बात हो अथवा कानून बनाने की बात हो, चाहे प्रवास संबंधी कानून हो अथवा अन्य कोई कानूनी मसला, सीखने या सिखाने योग्य कोई बात क्यों न हो, भारत के रूप में आपको ऐसी प्रयोगशाला मिलेगी जैसे विश्व में अन्यत्र कहीं नहीं मिल सकता।

Class 10 Hindi Book Bihar Board प्रश्न 11.
मैक्समूलर ने संस्कृत की कौन-सी विशेषताएँ और महत्त्व बतलाये हैं ?
उत्तर-
संस्कृत की सबसे पहली विशेषता है इसकी प्राचीनता, क्योंकि हम जानते हैं कि ग्रीक भाषा से भी संस्कृत का काल पुराना है। ज्यों ही इन भाषाओं के बीच में संस्कृत आ बैठी कि तत्काल लोगों को एक सही प्रकाश और गर्मी का अहसास होने लगा, और इसी से भाषाओं का पारस्परिक संबंध भी स्पष्ट हो गया। निश्चित ही संस्कृत इन सब भाषाओं की अग्रजा है।

प्रश्न 12.
लेखक वास्तविक इतिहास किसे मानता है और क्यों?
उत्तर-
किसी देश अथवा राज्य की प्राचीनकालीन इतिहास को जानने के लिए आवश्यक है कि पहले हम वहाँ की भाषा की प्राचीनता को जानें। यदि हम यह जानना चाहें कि आर्य लोग अनेक शाखाओं में विभक्त होने से पूर्व चूहे के बारे में जानते थे या नहीं, तो हमें आर्य भाषाओं के शब्दकोष देखने होंगे। भाषा के सहारे आर्यों के विभाजन से पूर्व की सभ्यता एवं सांस्कृतिक अवस्था को जाना जा सकता है। संस्कृत, ग्रीक और लैटिन इन तीनों भाषाओं के एक सामान्य मूल उद्गम-स्रोत तक पहुँचने के लिए हमें बहुत पीछे हटना होगा और पीछे हटकर हम उस . सम्मिलन स्थल पर पहुँच जाएंगे जहाँ से हिन्दू, ग्रीक, यूनानी आदि शक्तिशाली जातियाँ एक-दूसरी से पृथक् हुई थीं। अतीत के अध्ययन से हम पाते है कि आदि आर्य भाषा चिंतन-परम्परा के प्रवाहों के उतार-चढ़ाव से घिसनेवाली चट्टान रही है।

लेखक इसे ही वास्तविक अर्थों में इतिहास मानता है, क्योंकि यह एक ऐसा इतिहास है जो राज्यों, दुराचारों और उनके जातियों की क्रूरताओं की अपेक्षा कहीं अधिक ज्ञातव्य और पठनीय

प्रश्न 13.
संस्कृत और दूसरी भारतीय भाषाओं के अध्ययन से पश्चात्य जगत् को प्रमुख लाभ क्या-क्या हुए?
उत्तर-
संस्कृत और दूसरी भारतीय भाषाओं के अध्ययन के पश्चात् मानव जाति के बारे में हमारे विचार व्यापक और उदार ही नहीं बने हैं तथा लाखों-करोड़ों अजनबियों तथा वर्बर समझे जानेवाले लोगों का भी अपने ही परिवार के सदस्य की भाँति गले लगाना ही नहीं सीखे हैं, अपितु इसने मानव जाति के संपूर्ण इतिहास को एक वास्तविक रूप से प्रकट कर दिखाया है, जो पहले नहीं हो पाया था।

प्रश्न 14.
लेखक ने भारत के लिए नवागंतुक अधिकारियों को किसकी तरह सपने देखने । के लिए प्रेरित किया है और क्यों ?
उत्तर-
लेखक ने भारत के लिए नवागंतुक अधिकारियों को सर विलियम जेम्स की तरह सपने देखने के लिए प्रेरित किया है, क्योंकि उन्होंने इंग्लैंड से आरम्भ की हुई अपनी लम्बी समुद्र यात्रा की समाप्ति पर क्षितिज में प्रकट होते हुए भारत के तट का दर्शन करते हुए जो अनुभव किया था वह सुखद था। उन्होंने अनुभव किया था कि एशिया की यह भूमि नानाविध विज्ञान की धात्री, आनन्ददायक ललित कथा उपयोगी कलाओं की जननी, एक से एक बढ़कर शानदार कार्यकलापों ” की दृश्यभूमि, मानव प्रतिभा की जननी एवं धार्मिक विकास की केन्द्रभूमि तथा रीति-रिवाज, परम्पराओं, भाषा की दृष्टि विविधा के कारण सर्वत्र सम्मान की दृष्टि से देखी जाने वाली पवित्र भूमि है।

प्रश्न 15.
लेखक ने नया सिकंदर किसे कहा है ? ऐसा कहना क्या उचित है ? लेखक का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
लेखक ने नया सिकंदर भारत को समझने, जानने एवं सम्पूर्ण लाभ प्राप्त करने हेतु भारत आनेवाले नवागंतुक, अन्वेषकों, पर्यटकों एवं अधिकारियों को कहा है। भारत विजय का सिकंदर ने स्वप्न देखा था। उसी प्रकार आज भी भारतीयता को निकट से जानने के नवीन स्वप्नदर्शी को आज का सिकंदर कहना अतिशयोक्ति नहीं है, यह उचित है। लेखक ने कहा है कि नए सिकंदर को यह सोचकर निराश नहीं हो जाना चाहिए कि गंगा और सिंध के पुराने मैदानों में अब उसके विजय करने के लिए कुछ भी शेष नहीं रहा। आज भी अध्ययन, शोध, विश्व की विविध प्राचीनतम ज्ञान, विकास सूत्र, प्राच्य देशों के इतिहास और साहित्य के क्षेत्र में एक से बढ़कर एक शानदार बड़ी-बड़ी अनेक विजय प्राप्त की जा सकती हैं। विश्व के सर्वांगीण विकास हेतु आज भी भारतीयता के सम्यक् ज्ञान की आवश्यकता को लेखक ने अनिवार्य बताया है। साथ-ही भारत में असीम संभावनाओं पर बल दिया है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नांकित वाक्यों से विशेष्य और विशेषण पद चुनें –

(क) उत्कृष्टतम उपलब्धियों का सर्वप्रथम साक्षात्कार।
उत्तर-
उपलब्धियों, साक्षात्कार
विशेषण: – उत्कृष्टतम सर्वप्रथमा

(ख) प्लेटो और काण्ट जैसे दार्शनिकों का अध्ययन करनेवाले हम यूरोपियन लोग।
उत्तर-
विशेष्य – लोग
विशेषण – यूरोपियन, हम।

(ग) अगला जन्म तथा शाश्वत जीवन
उत्तर-
विशेष्य – जन्म, जीवन
विशेषण – अगला, शाश्वत।

(घ) दो-तीन हजार वर्ष पुराना ही क्यों, आज का भारत भी।
उत्तर-
विशेष्य- भारत
विशेषण- पुराना, आज, दो-तीन हजार वर्ष।

(ङ)भूले-बिसरे बचपन की मधुर स्मृतियाँ।
उत्तर-
विशेष्य- स्मृतियाँ, बचपन
विशेषण- मधुर, भूले-बिसरे।

(च) लाखों-करोड़ों अजनबियों तथा बर्बर समझे जानेवाले लोगों को भी।
उत्तर-
विशेष्य – लोगों
विशेषण – वर्बर, लाखों-करोड़ो।]

प्रश्न 2.
‘अग्रजा’ की तरह ‘जा’ प्रत्यय जोड़कर तीन-तीन शब्द बनाएँ
उत्तर-
अनुजा, भानुजा, भ्रातृजा।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित उपसर्गों से तीन-तीन शब्द बनाएँ
उत्तर-
प्र = प्रणाम, प्रसंग, प्रवाह निः .
नि = नि:धन, निःश्वास, नि:शेष
अनु = अनुभव, अनुगमन, अनुमान]
अभि = अभिज्ञान, अभिमान, अभिनंदन
विज = विज्ञान, विश्वास, विनाश

प्रश्न 4.
वास्तविक में ‘इक’ प्रत्यय है।
‘इक’ प्रत्यय से पाँच शब्द बनाएँ।
उत्तर-
नैतिक, मौलिक, पुरातात्विक, ऐतिहासिक, साहसिक।

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

1. सर्वविध सम्पदा और प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण कौन-सा देश है, यदि आप मुझे इस भूमण्डल का अवलोकन करने के लिए कहें तो बलाऊँगा कि वह देश है-भारत। भारत, जहाँ भूतल पर ही स्वर्ग की छटा निखर रही है। यदि आप यह जानना चाहें कि मानव मस्तिष्क की उत्कृटतम उपलब्धियों का सर्वप्रथम साक्षात्कार किस देश ने किया है और किसने जीवन की सबसे बड़ी समस्याओं पर विचार कर उनमें से कइयों के ऐसे समाधान ढूंढ निकाले हैं कि प्लेटो और काण्ट जैसे दार्शनिकों का अध्ययन करनेवाले हम यूरोपियन लोगों के लिए भी वे मनन के योग्य हैं, तो मैं यहाँ भी भारत ही का नाम लूंगा। और, यदि यूनानी, रोमन और सेमेटिक जाति के यहूदियों की विचारधारा में ही सदा अवगाहन करते रहनेवाले हम यूरोपियनों को ऐसा कौन-सा साहित्य पढ़ना चाहिए जिससे हमारे जीवन का अंतरतम परिपूर्ण, अधिक-सर्वांगीण, अधिक विश्वव्यापी, यूँ कहें कि सम्पूर्णतया मानवीय बन जाये, और यह जीवन ही क्यों, अगला जन्म तथा शाश्वत. जीवन भी सुधर जाये, तो मैं एक बार फिर भारत ही का नाम लूँगा।

प्रश्न
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) किस देश में भूतल परं स्वर्ग की छटा दिखती है ?
(ग) यूरोपियन के लिए चिंतन करने योग्य भूमि लेखक ने किसे माना है?
(घ) भारत किस विषय में परिपूर्ण कहा गया है ?
(ङ) भारत ने किसका साक्षात्कार सर्वप्रथम किया है ?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम-भारत से हम क्या सीखें।
लेखक का नाम मैक्समूलर।
(ख) भारत की भूतल पर स्वर्ग की छटा दिखती है।
(ग) भारत-भूमि को।
(घ) सर्वविध सम्पदा और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण भारत को माना गया है।
(ङ) भारत ने मानव मस्तिष्क की उत्कृष्टतम उपलब्धियों का सर्वप्रथम साक्षात्कार किया

2. यदि आपके मन में पुराने सिक्कों के लिए लगाव है, तो भारतभूमि में ईरानी, केरियन, श्रेसियन, पार्थियन, यूनानी, मेकेडिनियन, शकों, रोमन और मुस्लिम शासकों के सिक्के प्रचुर परिणाम में उपलब्ध होंगे। जब वारेन हेस्टिंग्स भारत का गवर्नर जनरल था तो वाराणसी के पास उसे 172 दारिस नामक सोने के सिक्कों से भरा एक घड़ा मिला था। वारेन हेस्टिंग्स ने अपने मालिक ईस्ट इण्डिया कम्पनी के निदेशक मंडल की सेवा में सोने के सिक्के यह समझकर भिजवा दिये कि यह एक ऐसा उपहार होगा जिसकी गणना उसके द्वारा प्रेषित सर्वोत्तम दुर्लभ वस्तुओं में की जाएगी और इस प्रकार वह स्वयं को अपने मालिकों की दृष्टि में एक महान उदार व्यक्ति प्रमाणित कर देगा। किन्तु उन दुर्लभ प्राचीन स्वर्ण मुद्राओं की यही नियति थी कि कम्पनी के निदेशक उनका ऐतिहासिक महत्त्व समझ ही न पाए और उन्होंने उन मुद्राओं को गला डाला। जब वारेन हेस्टिंग्स इंग्लैंड लौटा तो वे स्वर्ण मुद्राएँ नष्ट हो चुकी थीं। अब यह आप लोगों पर निर्भर करता है कि आप ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ भविष्य में कभी न होने दें।

प्रश्न
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) भारत भूमि में प्रचुर परिमाण में कौन-से सिक्के उपलब्ध होंगे?
(ग) वारेन हेस्टिंग्स को वाराणसी के पास क्या मिला?
(घ) उसने वाराणसी में प्राप्त वस्तु को किसे भेंट में दे दिया? (ङ) निदेशक ने मुद्राओं को क्या किया?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम भारत से हम क्या सीखें।
लेखक का नाम मैक्समूलर।
(ख) भारत में ईरानी, केरियन, यूनानी, शकों, रोमन एवं मुस्लिम शासकों के सिक्के उपलब्ध . मिलेंगे।
(ग) स्वर्ण मुद्राओं से भरा एक घड़ा।
(घ) ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशक मंडल को।
(ङ) निदेशक ने मुद्राओं को गला डाला।

3. संस्कृत की सबसे पहली विशेषता है इसकी प्राचीनता, क्योंकि हम जानते हैं कि ग्रीक भाषा से भी संस्कृत का काल पुराना है। जिस रूप में आज यह हम तक पहुंची है, उसमें भी अत्यन्त प्राचीन तत्त्व भली-भाँति सुरक्षित है। ग्रीक और लैटिन भाषाएँ लोगों को सदियों से ज्ञात हैं और निस्संदेह यह भी अनुभव किया जाता रहा था कि इन दोनों भाषाओं में कुछ-न-कुछ साम्य अवश्य है। किन्तु, समस्या यह थी कि इन दोनों भाषाओं में विद्यमान समानता को व्यक्त कैसे किया जाए? कभी ऐसा होता था कि किसी ग्रीक शब्द की निर्माण-प्रक्रिया में लैटिन को कुंजी मान लिया जाता था और कभी किसी लैटिन शब्द के रहस्यों को खोलने के लिए ग्रीक का सहारा लेना पड़ता था। उसके बाद जब गॉथिक और एंग्लो-सैक्सन जैसी ट्यूटानिक भाषाओं, पुरानी केल्टिक तथा स्लाव भाषाओं का भी अध्ययन किया जाने लगा तो इन भाषाओं में किसी-न-किसी प्रकार का पारिवारिक सम्बन्ध स्वीकार करना ही पड़ा। किन्तु, इन भाषाओं में इतनी अधिक समानता कैसे आ गई, और समानताओं के साथ-ही-साथ इतना अधिक अन्तर भी इनमें कैसे पड़ गया, यह रहस्य बना ही रहा और इसी कारण ऐसे अनेक अहैतुकवाद उठ खड़े हुए जो भाषाविज्ञान के मूल सिद्धान्तों के सर्वथा विपरीत है।

प्रश्न
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए। .
(ख) संस्कृत की पहली विशेषता क्या है?
(ग) ग्रीक और लैटिन भाषाओं के बीच क्या समस्या थी?
(घ) सब भाषाओं की अग्रजा किसे कहा गया है ?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम भारत से हम क्या सीखें। .
लेखक का नाम मैक्समूलर।
(ख) संस्कृत की पहली विशेषता इसकी प्राचीनता है।
(ग) दोनों भाषाओं में विद्यमान समानता को कैसे व्यक्त की जाय, यह समस्या थी।
(घ) संस्कृत को सब भाषाओं की अग्रजा कहा गया है।

4. यदि आप लोगों को अत्यंत सरल राजनैतिक इकाइयों के निर्माण और विकास से संबद्ध प्राचीन युग के कानून के पुरातन रूपों के बारे में इधर जो अनुसंधान हुए हैं, उनके महत्त्वं और वैशिष्ट्य को परखने की क्षमता प्राप्त करनी है, तो आपको इसके लिए आज भारत की ग्राम पंचायतों के रूप में इसके प्रत्यक्ष दर्शन का सुयोग अनायास ही मिल जाएगा। भारत में प्राचीन स्थानीय शासन-प्रणाली.या पंचायत-प्रथा को समझने-समझाने का बहुत बड़ा क्षेत्र विद्यमान है।

प्रश्न
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) सरलतम और राजनैतिक इकाइयों की जानकारी का माध्यम क्या है?
(ग) गद्यांश का सारांश लिखें।
उत्तर-
(क) पाठभारत से हम क्या सीखें। लेखक मैक्समूलर।
(ख)सरलतम और राजनैतिक इकाइयों की जानकारी भारत की ग्राम-पंचायत व्यवस्था के अध्ययन से प्राप्त की जा सकती है।
(ग)भारत की ग्राम-पंचायत व्यवस्था संसार की सबसे प्राचीन सरलतम् और राजनैतिक प्रशासनिक इकाई है। इससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है।

5. अपने सच्चे आत्मरूप की पहचान में भारत का स्थान किसी भी देश के बाद दूसरे नम्बर ‘ पर नहीं रखा जा सकता। मानव-मस्तिष्क के चाहे किसी भी क्षेत्र को आप अपने विशिष्ट अध्ययन का विषय क्यों न बना लें, चाहे वह भाषा का क्षेत्र हो या-धर्म का, दैवत विज्ञान का हो या दर्शन का, चाहे विधिशास्त्र या कानून का हो अथवा रीति-रिवाजों व परम्पराओं का, प्राचीन काल या शिल्प का हो अथवा पुरातन का, इनमें से किसी में विचरण करने के लिए भले ही आप चाहें, न चाहें आपको भारत की शरण लेनी ही होगी, क्योंकि मानव इतिहास से सम्बद्ध अत्यन्त बहुमूल्य और अत्यन्त उपादेय प्रामाणिक सामग्री का एक बहुत बड़ा भाग भारत और केवल भारत में ही – संचित है।

प्रश्न
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) आत्म रूप की पहचान की दृष्टि से भारत का संसार में क्या स्थान है?
(ग) किन-किन क्षेत्रों की विशिष्ट जानकारी के लिए भारत की शरण लेना जरूरी है?
(घ) गद्यांश का आशय लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-भारत से हम क्या सीखें। लेखक- मैक्समूलर।
(ख) आत्मरूप की पहचान की दृष्टि से भारत का स्थान सर्वोपरि है।
(ग) भाषा, धर्म, दैवत विज्ञान, दर्शनशास्त्र, विधि या कानून, रीति-रिवाजों, परम्पराओं और प्राचीन कला या शिल्प एवं पुरातन विज्ञान की विशिष्ट जानकारी के लिए भारत सबसे उपयुक्त स्थान है।
(घ) आत्मरूप को पहचानने की दृष्टि से ही भारतीय साहित्य से बढ़कर कोई साहित्य ही नहीं है। साहित्य ही नहीं, दर्शनशास्त्र, कानून, प्राचीन शिल्प एवं कला, धर्म, दर्शन या भाषा की विस्तृत जानकारी की प्रचुर सामग्री भारत में उपलब्ध है।

6. एक भाषा बोलना एक माँ के दूध पीने से भी बढ़कर एकात्मकता का परिचायक है और भारत की पुरातन भाषा संस्कृत सार रूप से वही है जो ग्रीक, लैटिनं या एंग्लो सेक्सन भाषाएं हैं। यह एक ऐसा पाठ है, जिसे हम भारतीय भाषा और साहित्य के अध्ययन के बिना कभी न पढ़ पाते, और भारत यदि हमें इस एक पाठ के सिवा और कुछ भी न पढ़ा पाता तो भी हम इससे ही इतना कुछ सीख जाते जितना दूसरी कोई भाषा कभी नहीं सिखा पाती।
(क) पाठ और लेखक के नामों का उल्लेख करें।
(ख) एकात्मकता का सबसे बड़ा परिचायक क्या है?
(ग) भारतीय भाषा और साहित्य के अध्ययन के बिना हम क्या नहीं जान पाते हैं ?
(घ) इस गद्यांश का सारांश लिखिए।
उत्तर-
(क) पाठ-भारत से हम क्या सीखें। लेखक- मैक्समूलर।
(ख) एकात्मकता का सबसे बड़ा परिचायक है एक भाषा बोलना। यह एक माँ का दूध पीने की भाँति है।
(ग) भारतीय भाषा और साहित्य के अध्ययन के बिना हम कभी न जान पाते कि संस्कृत भाषा भी साररूप से वही है जो ग्रीक, लैटिन या ऐंग्लो सेक्सन की भाषाएँ।
(घ) भारत की पुरातन भाषा संस्कृत सार- रूप से ग्रीक, लैटिन और ऐंग्लो सेक्सन की ही . भाषा है। इस बात का पता भारतीय साहित्य और इतिहास के अध्ययन के सिवा नहीं लगता।

7. संस्कृत तथा दूसरी आर्य भाषाओं के अध्ययन ने हमारे लिए बस इतना ही किया हो, सो बात भी नहीं है। इससे मानव जाति के बारे में हमारे विचार व्यापक और उदार ही नहीं बने हैं तथा लाखों-करोड़ों अजनबियों तथा बर्बर समझे जानेवाले लोगों को भी अपने ही परिवार के सदस्य की भाँति गले लगाना ही हम नहीं सीखें हैं, अपितु इसने मानव-जाति के सम्पूर्ण इतिहास को एक वास्तविक रूप. में प्रकट कर दिखाया है, जो पहले नहीं हो पाया था समूलर।

प्रश्न
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) संस्कृत भाषा के अध्ययन से क्या लाभ हुए हैं ?
(ग) गद्यांश का आशय लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ- भारत से हम क्या सीखें।लेखक-मैक्समूलरा
(ख) संस्कृत भाषा के अध्ययन से मानव जाति के बारे में लोगों के विचार व्यापक हैं और सबने जाना है कि जिन्हें बर्बर समझते हैं, वे भी हमारे ही परिवार के सदस्य हैं।
(ग) संस्कृत ने बताया है कि सम्पूर्ण मानव-जाति एक है, संबकी भावनाएं एक-सी है और जिन्हें हम बर्बर कहते हैं वे भी हमारे परिवार के ही अंग हैं। उनसे घृणा करना उचित नहीं।

8. हम सब पूर्व से आए हैं। हमारे जीवन में जो भी कुछ अत्यधिक मूल्यवान है वह हम पूर्व से मिला है और पूर्व को पहचान लेने से ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को जिसने इतिहास की वास्तविक शिक्षा का कुछ लाभ उठाया है, भले ही प्राच्य-विद्या-विशारद न हो तो भी यह अनुभव अवश्य होगा कि वह नानाविध स्मृतियों से भरे अपने पुराने घर की ओर लौट रहा है।

प्रश्न
(क) पाठ और लेखक का नाम लिखें।
(ख) अपने प्राचीन बास-स्थान के बारे में लेखक का क्या ख्याल है ?
(ग) पर्व को पहचानने से किस विचार की पुष्टि होती है ?
(घ) गद्यांश का निष्कर्ष क्या है?
उत्तर-
(क) पाठ-हम भारत से क्या सीखें। लेखक-मैक्समूलर।
(ख) लेखक का विचार है कि वे तथा अन्य लोग पूर्व से आए हैं।
(ग) पूर्व को पहचान लेने से इतिहास का ज्ञान न होने पर भी, यह स्पष्ट हो जाता है कि हम सभी पूर्व से आए हैं।
(घ) सभी सभ्यताओं के उत्सर्ग पूर्व में है पश्चिम के लोग भी पूर्व से हो गए हैं। जीवन में जो कुछ भी मूल्यवान है, वह पूर्व की ही देन है, यह इतिहास का सामान्य ज्ञान न रखने वाला भी आसानी से समझ सकता है।

9. भारत में धर्म के वास्तविक उद्भव, उसके प्राकृतिक विकास तथा उसके अपरिहार्य क्षीयमाण रूप का प्रत्यक्ष परिचय मिल सकता है। भारत ब्राह्मण या वैदिक धर्म की भूमि है, बौद्ध धर्म की यह जन्मभूमि है, पारसियों के जरथुस्ट धर्म की यह शरणस्थली है। आज भी यहाँ नित्व नये मत-मतान्सर प्रकट व विकसित होते रहते हैं।

प्रश्न-
(क) भारत में किसका प्रत्यक्ष परिचय मिलता है?
(ख) लेखक ने भारत को ब्राह्मण या वैदिक धर्म की भूमि क्यों कहा है?
(ग) मत-मतानर के प्रकट और विकसित होने से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
(क) भारत में धर्म के वास्तविक उद्भव, उसके प्राकृतिक विकास तथा उसके । अपरिहार्य क्षीयमाण रूप का प्रत्यक्ष.परिचय मिलता है।
(ख) भारत में सबसे पहले आर्य संस्कृति आयी थी। जैसे-जैसे वह संस्कृति बढ़ती गई भारत का स्वरूप बदलता चला गया ऋग्वेद वैदिक धर्म की ही देन है। आर्य ब्राह्मणों ने ही वैदिक संस्कृत को विकसित किया है। इसी आधार पर लेखक ने भारत को ब्राहमण या वैदिक धर्म की भूमि कहा है।
(ग) भारत विविध सम्प्रदायों का देश है। बाहर से आनेवाले धर्म भी इसके अभिन्न अंग
बनते चले गये। वर्षों बाद भी वे संस्कृतियों अक्षुण्ण हैं। सभ्यता-संस्कृति के विकास क्रम के साथ ही मत-मतान्तर विकसित होते आ रहे हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनें

प्रश्न 1.
फ्रेड्रिक मैक्समूलर किस पाठ के रचयिता हैं?
(क) श्रम-विभाजन और जाति-प्रथा
(ख) नागरी लिपि
(ग) भारत से हम क्या सीखें
(घ) परम्परा का मूल्यांकन
उत्तर-
(ग) भारत से हम क्या सीखें

प्रश्न 2.
मैक्समूलर कहाँ के रहनेवाले थे?
(क) इंगलैंड
(ख) जर्मनी
(ग) अमेरिका
(घ) श्रीलंका
उत्तर-
(ख) जर्मनी

प्रश्न 3.
भारत कहाँ बसता है ?
(क) दिल्ली के पास ।
(ख) गाँधी में
(ग) शहरों में
(घ) लोगों के मन में
उत्तर-
(घ) लोगों के मन में

प्रश्न 4.
पारसियों के धर्म का क्या नाम है ?
(क) बौद्ध धर्म
(ख) जैन धर्म
(ग) वैदिक धर्म
(घ) जरथुस्ट
उत्तर-
(घ) जरथुस्ट

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

प्रश्न 1.
मैक्समूलर ने कालिदास के…………………..का जर्मन में अनुवाद किया।
उत्तर-
मेघदूत

प्रश्न 2.
मैक्समूलर को ………………………’ने ‘वेदांतियों का वेदांती’ कहा।
उत्तर-
स्वामी

प्रश्न 3.
वस्तुओं के समान …………………………भी मर-मिट जाते हैं।
उत्तर-
शब्द

प्रश्न 4.
ग्रीक भाषा का ‘मूल’ संस्कृत के………………….शब्द का ही रूप है। .
उत्तर-
मूल

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जनरल कर्मिघम ने कौन-सी रिपोर्ट तैयार की? … या, जनरल कमिंघम का महत्त्व क्या है ?
उत्तर-
जनरल कमित्रम ने भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण की वार्षिक रिपोर्ट तैयार की।

प्रश्न 2.
वारेन हेस्टिंग्स को कहाँ दारिस.नामक सोने के सिक्के मिले ?
उत्तर-
वारेन हेस्टिंग्स को वाराणसी के पास दारिस नामक सोने के 172 सिक्के मिले।

प्रश्न 3.
भारत में प्राचीन काल में स्थानीय शासन की कौन-सी प्रणाली प्रचलित थी?
उसर-
ग्राम-पंचायत द्वारा स्थानीय शासन चलता था।

प्रश्न 4.
मैक्समूलर ने किन विशेष क्षेत्रों में अभिरुचि रखनेवालों के लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक बताया है ?
उत्तर-
मैक्समूलर ने भू-विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, जन्तु-विज्ञान/ नृवंश विद्या, पुरातात्विक, इतिहास, भाषा आदि विभिन्न क्षेत्रों में अभिरुचि रखनेवालों के लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक बताया है।

भारत से हम क्या सीखें लेखक परिचय

विश्वविख्यात विद्वान फ्रेड्रिक मैक्समूलर का जन्म आधुनिक जर्मनी के डेसाउ नामक नगर में 6 दिसंबर 1823 ई० में हुआ था । जब मैक्समूलर चार वर्ष के हुए, उनके पिता विल्हेल्म मूलर नहीं रहे । पिता के निधन के बाद उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई, फिर भी मैक्समूलर की शिक्षा-दीक्षा बाधित नहीं हुई। बचपन में ही वे संगीत के अतिरिक्त ग्रीक और लैटिन भाषा में निपुण हो गये थे तथा लैटिन में कविताएँ भी लिखने लगे थे । 18 वर्ष की उम्र में लिपजिंग विश्वविद्यालय में उन्होंने संस्कृत का अध्ययन आरंभ कर दिया । सन् 1994 में उन्होंने ‘हितोपदेश’ का जर्मन भाषा में अनुवाद प्रकाशित करवाया। इसी समय उन्होंने ‘कठ’ और ‘केन’ आदि उपनिषदों का जर्मन भाषा में अनुवाद किया तथा ‘मेघदूत’ का जर्मन पद्यानुवाद भी किया।

मैक्समूलर उन थोड़े-से पाश्चात्य विद्वानों में अग्रणी माने जाते हैं जिन्होंने वैदिक तत्त्वज्ञान को मानव सभ्यता का मूल स्रोत माना । स्वामी विवेकानंद ने उन्हें ‘वेदांतियों का भी वेदांती’ कहा। उनका भारत के प्रति अनुराग जगजाहिर है । उन्होंने भारतवासियों के पूर्वजों की चिंतनराशि को यथार्थ रूप में लोगों के सामने प्रकट किया। उनके प्रकाण्ड पांडित्य से प्रभावित होकर साम्राज्ञी विक्टोरिया ने 1868 ई० में उन्हें अपने ऑस्बोर्न प्रासाद में ऋग्वेद तथा संस्कृत के साथ यूरोपियन भाषाओं की तुलना आदि विषयों पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था । उस भाषण को सुनकर विक्टोरिया इतनी प्रभावित हुईं कि उन्हें ‘नाइट’ की उपाधि प्रदान कर दी, किन्तु उन्हें यह पदवी अत्यंत तुच्छ लगी और उन्होंने उसे अस्वीकार कर दिया । भारतभक्त, संस्कृतानुरागी एवं वेदों के प्रति अगाध आस्था रखने वाले फ्रेड्रिक मैक्समूलर का 28 अक्टूबर सन् 1900 ई० में निधन . हो गया ।

प्रस्तुत आलेख वस्तुत: भारतीय सिविल सेवा हेतु चयनित युवा अंग्रेज अधिकारियों के आगमन के अवसर पर संबोधित भाषणों की श्रृंखला की एक कड़ी है। प्रथम भाषण का यह अविकल रूप से संक्षिप्त एवं संपादित अंश है जिसका भाषांतरण डॉ. भवानीशंकर त्रिवेदी ने किया है । भाषण में मैक्समूलर ने भारत की प्राचीनता और विलक्षणता का प्रतिपादन करते हुए नवागंतुक अधिकारियों को यह बताया कि विश्व की सभ्यता भारत से बहुत कुछ सीखती और ग्रहण करती आयी है । उनके लिए भी यह एक सौभाग्यपूर्ण अवसर है कि वे इस विलक्षण देश और उसकी सभ्यता-संस्कृति से बहुत कुछ सीख-जान सकते हैं । यह भाषण आज भी उतना ही प्रासंगिक है, बल्कि स्वदेशाभिमान के विलोपन के इस दौर में इस भाषण की विशेष सार्थकता है। नई पीढ़ी अपने देश तथा इसकी प्राचीन सभ्यता-संस्कृति, ज्ञान-साधना, प्राकृतिक वैभव आदि की महत्ता का प्रामाणिक ज्ञान प्रस्तुत भाषण से प्राप्त कर सकेगी ।

भारत से हम क्या सीखें Summary in Hindi

पाठ का सारांश

प्रस्तुत शीर्षक “भारत से हम क्या सीखें।” वस्तुतः भारतीय सविल सेवा के चयनित युवा अंग्रेज अधिकारी लोगों को प्रशिक्षण के लिए मैक्समूलर साहब द्वारा दिया गया भाषण का अंश है।

पश्चिम जगत् में भारत के संबंध में सही-सही ज्ञान एवं दृष्टि के प्रणेता विश्वविख्यात विद्वान फ्रेड्रिक मैक्समूलर पहला व्यक्ति थे। उन्होंने भारतीय सभ्यता-संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान, संस्कृत भाषा कला-कौशल आदि का गहराई से अध्ययन किया और दुनियाँ के सामने स्पष्ट किया। स्वामी विवेकानंद ने उन्हें ‘वेदांतियों का भी वेदांती’ कहा।

सर्वविध संपदा और प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण कौन-सा देश है, यदि आप मुझे इस भूमण्डल का अवलोकन करने के लिए कहें तो बताऊँगा कि वह देश है—भारत। भारत, जहाँ भूतल पर ही स्वर्ग की छटा निखर रही है। यदि यूनानी, रोमन और सेमेटिक जाति के यहूदियों की विचारधारा में ही सदा अवगाहन करते रहनेवाले हम यूरोपियनों को ऐसा कौन-सा साहित्य पढ़ना चाहिए जिससे हमारे जीवन अंतरतम परिपूर्ण अधिक सर्वांगीण, अधिक विश्वव्यापी, यूँ कहें कि संपूर्णतया मानवीय बन जाये, और यह जीवन ही क्यों, अगला जन्म तथा शाश्वत जीवन भी सुधर जाये, तो मैं एक बार फिर भारत ही का नाम लूँगा।

यदि आपकी अभिरूचि की पैठ किसी विशेष क्षेत्र में है, तो उसके विकास और पोषण के लिए आपको भारत में पर्याप्त अवसर मिलेगा।

यदि आप भू-विज्ञान में रूचि रखते हैं तो हिमालय से श्रीलंका तक का विशाल भू-प्रदेश आपकी प्रतीक्षा कर रहा है। यदि आप वनस्पति जगत में विचरना चाहते हैं तो भारत एक ऐसी. फुलवारी है जो हकर्स जैसे अनेक वनस्पति वैज्ञानिकों को अनायास ही अपनी ओर आकृष्ट कर लेती है। यदि आपकी रूचि जीव-जन्तुओं के अध्ययन में है तो आपका ध्यान श्री हेकल की ओर अवश्य होगा, जो इन दिनों भारत के कान्तारों की छानबीन के साथ ही भारतीय समुद्रतट से मोती भी बने रहे हैं। यदि आप नृवंश विद्या में अभिरूचि रखते हैं तो भारत आपको एक जीता-जागता संग्रहालय ही लगेगा। यदि आप पुरातत्व प्रेमी हैं, और यदि आपने यहाँ रहते हुए पुरातत्व के द्वारा एक प्राचीन चाकू या चकमक या किसी प्राणी का कोई भाग ढूंढ़ निकालने के आनन्द का अनुभव किया हो तो आपको जनरल कनिाम की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ लेनी चाहिए और तब भारत के बौद्ध सम्राटों के द्वारा निर्मित (नालन्दा जैसे) विश्वविद्यालयों अथवा विहारों के ध्वंसावशेषों को खोद निकालने के लिए आपका फावड़ा आतुर हो उठेगा।

यदि आपके मन में पुराने सिक्कों के लिए लगाव है, तो भारतभूमि में ईरानी, केरियन, थेसियन, पार्थियन, यूनानी, मेकेडिनियन, शकों, रोमन और मुस्लिम शासकों के सिक्के प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होंगे। दैवत विज्ञान पर भारत के प्राचीन वैदिक दैवत विज्ञान के कारण जो नया प्रकाश पड़ा है, उसके फलस्वरूप संपूर्ण दैवत विज्ञान को नया स्वरूप प्राप्त हो गया है। ”

नीति कथाओं के अध्ययन क्षेत्र में भी भारत के कारण नवजीवन का संचार हो चुका है, क्योंकि भारत के कारण ही समय-समय पर नानाविध साधनों और मार्गों के द्वारा अनेक नीति कथाएँ पूर्व से पश्चिम की ओर आती रही हैं।

आपमें से कइयो ने भाषाओं को हीन नहीं, भाषा विज्ञान का भी अध्ययन किया होगा। तो आपको क्या भारत से बढ़कर दूसरा कोई देश दिखाई देता है जहाँ केवल शब्दों का ही नहीं, बल्कि व्याकरणात्मक तत्त्वों के विकास और लय से संबद्ध भाषावैज्ञानिक समस्याओं के अध्ययन का । महत्त्वपूर्ण अवसर प्राप्त हो सके यदि आप विधिशास्त्र या कानून के विद्यार्थी हैं तो आपको विधि-संहिताओं के एक ऐसे इतिहास की जाँच-पड़ताल का अवसर मिलेगा जो यूनान, रोम या जर्मनी के ज्ञात विधिशास्त्रों के इतिहास से सर्वथा भिन्न होते हुए भी इनके साथ समानताओं और विभिन्नताओं के कारण विधिशास्त्र के किसी भी विद्यार्थी के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

यदि आप लोगों को अत्यंत सरल राजनैतिक इकाइयों के निर्माण और विकास से संम्बद्ध प्राचीन युग के कानून के पुरातन रूपों के बारे में इधर जो अनुसंधान हुए हैं, उनके महत्त्व और वैशिष्ट्य को परख सकने की क्षमता प्राप्त करनी है, तो आपको इसके लिए आज भारत की ग्राम पंचायतों के रूप में इसके प्रत्यक्ष दर्शन का सुयोग अनायास ही मिल जाएगा। भारत में प्राचीन स्थानीय शासन प्रणाली या पंचायत प्रथा को समझने-समझाने का बहुत बड़ा क्षेत्र विद्यमान है। भारत ब्राह्मण या वैदिक धर्म की भूमि है, बौद्धधर्म जन्मस्थली है। पारसियों के जखुस्त धर्म की यह शरणस्थली है। आज भी यहाँ नित्य नये मत-मतान्तर प्रकट व विकसित होते रहते हैं।

संस्कृत की सबसे पहली विशेषता है इसकी प्राचीनता क्योंकि हम जानते हैं कि ग्रीक भाषा से भी संस्कृत का काल पुराना है। संस्कृत में चूहा को मूषः कहते हैं। ग्रीक में मूस, लैटिन में मुस, पुरानी स्लावोनिक में माइस और पुरानी उच्च जर्मन में मुस कहते हैं।

‘मैं हूँ’ जैसे भाव को व्यक्त करने के लिए भला किन्हीं दूसरी भाषाओं में ‘अस्मि’ जैसा । शुद्ध और उपयुक्त शब्द कहाँ मिल पाएगा।
. मैं इसे ही वास्तविक अर्थों में इतिहास मानता हूँ और यह एक ऐसा इतिहास है जो राज्यों के दुराचारों और अनेक जातियों की क्रूरताओं की अपेक्षा कहीं अधिक ज्ञातव्य और पठनीय है। हम सब पूर्व से आये हैं। हमारे जीवन में जो भी कुछ अत्यधिक मूल्यवान है, वह हमें पूर्व से मिला है और पूर्व को पहचान लेने से ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को जिसने इतिहास की वास्तविक शिक्षा कुछ लाभ उठाया है, भले ही वह प्राच्य-विद्या-विशारद न भी हो तो भी यह अनुभव अवश्य होगा कि वह नानाविध स्मृतियों से भरे अपने पुराने घर की ओर जा रहा है। यदि आप लोग चाहें तो भारत के बारे में वैसे ही सुनहरे सपने देख सकते हैं और भारत पहुँचने के बाद एक से बढ़कर एक शानदार काम भी कर सकते हैं।

शब्दार्थी

अवलोकन : देखना, प्रतीति करना, महसूस करना
अवगाहन : स्नान, गहरे डूबकर समझने की कोशिश करना
वांछनीय : चाहने योग्य, कामना करने योग्य
नृवंश विद्या नृतत्त्व शास्त्र, मानव शास्त्र
परिमाण : मात्रा
दारिस : मुद्रा का एक प्राचीन प्रकार
प्रेषित : भेजा हुआ
दैवत विज्ञान : देव विज्ञान
प्रत्लयुग : प्रागैतिहासिक युग, प्राचीन युग
अनुरूपता : समानता, सादृश्य
क्षय : छीजन, विनाश
अपरिहार्य : जिसे छोड़ा. न जा सके, अनिवार्य
क्षीयमाण : नष्ट होता हुआ
मसला : मुद्दा, विषय
सदाशयता : उदारता, भलमनसाहत
सर्वातिशायी : जिसमें सारी चीजें समाहित हो जायें
विद्यमान : वर्तमान, उपस्थित
अहेतुकवाद : ऐसा सिद्धांत जिसमें हेतु या कारण की पहचान न हो सके
सर्वथा : पूरी तरह से
ज्ञातव्य : जानने योग्य
सारभूत : सार या निष्कर्ष कहा जाने योग्य, आधारभूत
अजनबी : अपरिचित, अज्ञात
बर्बर : जंगली, असभ्य
सुविस्तीर्ण : अतिविस्तृत, खुशफैल, पूरी तरह से फैला हुआ
अनिर्वचनीय : जिसकी व्याख्या न की जा सके, वाणी के परे
धात्री : पालन-पोषण करनेवाली, धारण करनेवाली
प्राच्य : पूर्वी (पाश्चात्य का विलोम), यहाँ भारतीयं के अर्थ में

Bihar Board Class 12 English Book Solutions Poem 4 Ode to Autumn

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Bihar Board Class 12 English Ode to Autumn Text Book Questions and Answers

A. Work in small groups and discuss these questions

Ode To Autumn Question Answer Bihar Board Question 1.
How do you feel in different seasons? Which is the most enjoyable one?
Answer:
In summer it is too hot; in the rainy season it is very sultry; in winter it is very cold. I like autumn and spring the most. It is cool and pleasant.

Ode To Autumn Questions And Answers Bihar Board  Question. 2
New leaves and fruits grow on trees in a particular season. Which is that?
Answer:
In autumn fruits and new leaves appear.

Question Answer Of Ode To Autumn Bihar Board Question 3.
Have you seen a tree bent and loaded with fruits? What feeling does this sight evoke in you?
Answer:
Yes, I have seen mango trees bent and loaded with fruits. I feel how bountiful nature is.

B. 1.1. Complete the following sentences on the basis of what you have studied :

(a) is the season of mists and mellow fruitfulness.
(b) fill all fruits with ripeness.
(c) sits carelessly on a granary floor.
(d) The ‘winnowing wind’ softly lifts the hair of.
(e) twitter in the sky.
Answer:
(a) Autumn, (b) And, (c) He, (d) the poet, (e) And gathering swallows.

B. 1.2. Answer the following questions briefly

Ode To Autumn Textbook Questions And Answers Bihar Board Question 1.
Who are depicted as friends in the first two lines?
Answer:
Seasons of mist and the naturing sun are depicted as friends in the first two lines.

Ode To Autumn Questions Answers Bihar Board Question 2.
What happens in autumn?
Answer:
All fruits get ripeness and flowers bloom in autumn. All the birds start to sing to see the sweetness of the season.

Ode To Autumn Questions Answers Pdf Bihar Board Question 3.
In what sense does the Sun conspire with autumn?
Answer:
The sun conspires with the autumn by offering fruits and flowers. Its ray makes the fruit fleshy and fat and also tasty.

Ode To Autumn Summary Class 12 Bihar Board Question 4.
How do the sun and summer help in the ripeness of fruits in autumn?
Answer:
The sun and summer help in the ripeness of fruits and to make them fleshy or fat in autumn. They fill very much heat and energy.

Ode To Autumn Questions Answers Class 8 Bihar Board Question 5.
How are autumn and summer related to spring?
Answer:
Autumn and summer are related to spring season. It (spring) comes before the arrival of summer. Autumn starts with the departure of summer season.

C. 1. Long Answer Questions

Ode To Autumn Poem Questions And Answers Bihar Board Question 1.
What is the central idea of the poem?
Answer:
The poet John Keats has written this poem ’Ode to Autumn’ which presents a very natural and beautiful picture of autumn. He narrated about the season of different kinds that happen in the world. All seasons are of different kinds and different nature. Every people like a different season. Summer brings hot and sweetest fruit. Some people like Autumn because it is a good season and people can do easily their work in this season.

Autumn Questions And Answers Bihar Board Question 2.
What does Keats mean by the following:
‘T was here we loved in summer day and greener.’
Answer:
Keats was a poet of Nature. He found happiness, solace, and peace of mind in everything of Nature. He loved the wind that blows in summer and helps the fruits to ripe and grows. He calls it a favorable wind. He finds the greenery in autumn very impressive and attractive. It gives him a positive aspect to him.

Autumn Poem Questions And Answers Bihar Board Question 3.
Does the poet convey his love for nature through such lines as given above? If yes give examples.
Answer:
Yes, the poet conveys his love of nature through these lines. “For summer has ‘O’er brimmed their clammy cells. Who hath not seen thee oft amid thy store? Sometimes whoever Seeks abroad may find.” The poet shows his love through nature. It always helps him to convey love.

Ode To Autumn Questions And Answers Pdf Bihar Board Question 4.
Pick out the images related to different aspects Of Nature. Write a note on the use of images in the poem.
Answer:
The poet says that Autumn spreads beauty and happiness everywhere. It seems as a carrier of harmony. In this poem, images have been well used which makes the poem and the idea present in it, quite clear.

Ode To Autumn Exercises Bihar Board Question 5.
What do autumn and spring symbolize in the poem? Explain.
Answer:
Autumn and spring both the season are good for fruits like mellow and plump. It fills all fruit with ripeness to the core to swell the goud, and plump the hazel shells.

Questions And Answers Of The Poem Ode To Autumn Question 6.
Do you like this poem? Give two reasons?
Answer:
Yes, I like this poem. It shows the good relationship between two seasons and also shows how these seasons are dependent to each other.

Ode To Autumn Short Questions And Answers Question 7.
What does the poet say about the music of autumn? Do you like music?
Answer:
The poet says about the music of autumn that when it starts to sing the beautiful birds like Nightingale and cuckoo sing in a very beautiful and melodious voice. It makes everyone happy to their life. It makes a person perfect and the trees, when it listens to it, come out and grows rapidly.
Yes, I like the music of autumn.

Question 8.
Write in short the summary of the poem, “Ode to Autumn”. [Board Model, 2009 A]
Or, Write a short note on the poem “Ode to Autumn”. [Board Model, 2009A]
Answer:
The Odes of John Keats are his masterpieces. The present Ode is his last one. Here the poet has described the beauty and characteristics of Autumn, in a series of memorable pictures. He reveals the principle of beauty in nature in the autumn through this poem. New leaves and fruits come out on trees. There is neither heat of summer nor bitter coldness of winter. Nature looks beautiful everywhere. The wind blows friendly. Birds sing in a fine-tune. Everybody is happy and^their working efficiency increases in this season. Their health has developed sufficiently. The autumn with the assistance of the sun helps in the ripeness of fruits and shaping them flashy as well as tasteful. Nature remains calnymd cool in this pleasant season everywhere. Thus the poem illustrates the vegetable world, then after human activity and in the last the world of animals, birds and insects. The poem also imparts the message that human life also changes in due course like seasons.

C. 3. Composition

Write a paragraph in about 100 words on the following:
(a) Autumn
Answer:
Autumn is the third season of the year or the season between summer and winter often called the fall. In this season there is neither the heat of summer nor the bitter cold of winter. West wind is the breadth exhaled by Autumn. This means that west wind blows in the Autumn season. The season is favorable for human beings and other creatures. In the Autumn season, the trees are laden with fruits. Autumn is also called the season of fog and sweet fruit. Autumn exhibits the principle of beauty in Nature. Poet finds it highly impressive and inspiring as this season gives us emotion to go beyond imagination.

(b) The relation between seasons and human life.
Answer:
Seasons have a great impact on human life. Different seasons depict the different moods of human beings as they pass through many stages in life.
Golden Series Passport We have a number of seasons-spring, winter, autumn, summer and rainy. Human beings also pass their life in the same way. Spring is associated with beauty and freshness. Winter is a cool and gloomy time. Rainy season brings beauty-greenness as well as destruction. Summer is the symbol of heat and struggle. As the seasons changes, they bring an impact on the people. People get affected by the season and its effect.

D. Word Study :
D. 2. Word-formation

Read the following line carefully
Season of mists and mellow fruitfulness.
In the above line, ‘fruitfulness’ is derived from fruit. When ‘-full’ is added to fruit, it becomes fruitful, Again, when ‘-ness’ is added to fruitful, it becomes fruitfulness. Make words by adding ‘-ful-‘ or ‘-ness’ to the following words: happy, beauty, kind, bounty, joy, duty
Answer:
happy — happiness
beauty — beautiful
kind — kindness
bounty — bountiful
joy — joyful
duty — dutiful

D.3. Word Meaning

Ex. 1. Match the words in Column A with their meaning in Column B :
Bihar Board Class 12 English Book Solutions Poem 4 Ode to Autumn

E. Grammar

Ex. 1. Read the following sentences carefully:
‘Where are the songs of Spring ?’
‘Where’, in the above sentence is an interrogative substitute of an adverb. Find out such interrogative substitutes of adverbs in the poem.
Answer:
Where, who and while are the interrogative substitutes of adverbs in the poem.

Comprehension Based Questions with Answers

Q.1. Read the following extract of poem and answer the questions that follow: [Board Model, 2009]
Season of mists and mellow fruitfulness.
Close bosom-friend of the maturing sun;
Conspiring with him how to load and bless With fruit the vines that round the thatch-eaves run;
To bend with apples the moss’d cottage-trees,
And fill all fruit with ripeness to the core;
To swell the gourd, and plump the hazel shells With a sweet kernel; to set budding more,
And still more, later flowers for the bees,
Until they think warm days will never cease,
For Summer has o’er-brimm’d their clammy cells.

Questions.
(a) Name the poem and the poet.
(b) Who are the close bosom – friends of the maturing sun?
(c) How the vines seem to look?
(d) What change we notice in all the fruits during the autumn?
(e) What happens with the gourd and hazel at the time?
Answer:
(a) The poem is, “Ode To Autumn” and the poet is John Keats.
(b) The Autumn with mist and mellow is close bosom friends of the maturing sum.
(c) The vines with their fruits have moved round the thatch-eves (tiled shade) of the cottage and fully covered it.
(d) We notice the ripeness of fruits perfectly during the autumn.
(e) The gourd becomes swell and the hazel-shells fully fleshy and thick.

2. Who hath not seen thee oft amid thy store?
Sometimes whoever seeks abroad may find Thee sitting careless on a granary floor,
Thy hair soft-lifted by the winnowing wind;
Or on a half-year’s furrow sound asleep,
Drowsed with the fume of poppies, while thy hook
Spares the next swath and all its twined flowers; .
And sometimes like a gleaner thou dost keep
Steady thy laden head across a brook;
Or by a cider-press, with patient look,

3. Where are the songs of Spring? Ay, where are they?
Think not of them, thou hast thy music too,
While barred clouds bloom the soft-dying day,
And touch the stubble plains with rosy hue;
Then in a wailful choir, the small gnats mourn
Among the river sallows, borne aloft
Or sinking as the light wind lives or dies;
And full-grown lambs loud bleat from hilly bourn;
Hedge-crickets sing; and now with treble soft
The red-breast whistles from a garden-croft;
And gathering swallows twitter in the skies.

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Bihar Board Class 8 English One Two Three Text Book Questions and Answers

A. Warmer

One Two Three Class 8 Bihar Board Question 1.
Some people use their body language (eg. fingers, eyes, facial expressions etc.) to express themselves. Have you met such persons ? If yes, where did you meet them ?
Answer:
Yes, I have met such deaf and a dumb persons who talk between them using their body language. They live in our mullah.

Bihar Board Solution Class 8 English Question 2.
Did you get a chance to interact with any one of them ? How do you think persons communicate without human language ?
Answer:
Yes, I have interacted with them. I also talked to them with body language. Persons who can’t speak or hear e Communicate among themselves using body language.

B. Let’s Comprehend

B. 1. Think and tell

Bihar Board Class 8 English Book Solution Question 1.
What did the king think of himself ?
Answer:
He thought himself rich and powerful.

Bihar Board Class 8 English Solution In Hindi Question 2.
What did the king want his officers and servants to find out ?
Answer:
A person who could guess him thought.

Class 8 English Bihar Board Question 3.
How much time did the king allot to his minister ?
Answer:
A month’s time.

Bihar Board Class 8 English Solutions Question 4.
How many fingers did the king raise the second time ?
Answer:
Three fingers.

B. 2. Think and Write

B. 2. 1. Write ‘T’ for true and ‘F’ for false statements.

Bihar Board 8th Class English Book Question 1.

  1. The king was indeed rich and powerful.
  2. The minister’s daughter helped her father.
  3. The minister was confident that the shepherd would guess correctly what was there in the king’s heart
  4. The fool could really read the king’s mind.

Answer:

  1. True
  2. True
  3. False
  4. True

B. 2. 2. Answer in two or three sentences.

Bihar Board Class 8 English Solutions In Hindi Question 1.
What impression do you form of the king ? Give your reasons for your answer.
Answer:
I form the impression about the king that he was very rich and powerful. So, he thought himself the most powerful person in the world.

Class 8 Subject English Chapter 5 Bihar Board Question 2.
Did the fool understand the king ? Give reason for your answer.
Answer:
Yes, the fool understood the king. He answered well to the questions of the king. His answer was silent, in body language.

One Two Three English Bihar Board Question 3.
Do you see any change in the king’s view about . himself in paper 1 and 6 ?
Answer:
In para 1 the king thinks that he is the most powerful in the world. Whereas, in para 6 he thinks that God is also powerful, but not third.

B. 2. 3. Answer the following questions in detail

Class 8 English Chapter 5 Bihar Board Question 1.
What did the king was to convey when he raised one finger ? Whit was the shepherd’s response to it ?
Answer:
When the king raised his one finger,he meant to say that he was along powerful. The shepherd’s response to it was there was God also.

One Two Three In Hindi Bihar Board Question 2.
Why did the shepherd raise two fingers? What did the king conclude from this?
Answer:
The sheherd raised two fingers so as to say that .the king was alone not powerful. There was thq second one also. And that is God! He is also powerful. The king rightly concluded from this what the shepherd wanted to convince

One Two Three In English Bihar Board Question 3.
What did the king mean when he raised three fingers ? Ho w did the fool respond to this ? What does.it show about his ability to guess ?
Answer:
The king raised three fingers to ask was their any third as powerful as he. The fool denied it shaking his head. He had great ability to guess.

Bihar Board Class 8 English Solution Question 4.
What made the king think that others would guess what he was thinking ? What does it show about his character?
Answer:
With the right answer of the shepherd,’the king thought that others could guess what he was thinking. It shows that he was of good character. He’ was well appreciating.

Class 8 English Chapter 5 Question Answer Bihar Board Question 5.
Why do you think the minister’s daughter chose the shepherd for the task ?
Answer:
In my opinion, the minister’s daughter would have heard about the guessing ability of the shepherd from others. So, she chose the shepherd for the task.

Bihar Board Class 8 English Book Question 6.
How can you say that the king was satisfied with the shepherd’s answer ?
Answer:
The king himself explained to his minister about the guessing ability of the shepherd. That he had rightly guessed his thought and answered to it perfectly. If shows that the king was satisfied with the shepherd’s answer.

C. Word Study

C. 1. Fill in the blanks in the following sentence with the suitable words from the box:

(fool, shepherd, rich, denied, reactions, powerful, pleased, guess )

  1. Once there was a king who was ______ and ______
  2. Many people tried to ______ what was in the king’s mind.
  3. The minister’s daughter brought home a He was a ______
  4. The fool ______ the existence of a third king.
  5. The king was very ______ on the fool’s ______

Answer:

  1. rich, powerful,
  2. guess
  3. fool, shepherd
  4. definied
  5. pleased, reactions.

C. 2. Rearrange the letter in the following groups to form meaningful words and use them in sentences of your own:

(fewpluor, shperde, adwrer, vointle, asslembe)

Jumbled letters – Meaningful words:

ferpluor – Powerful
shperde – shepherd
adwrer – reward
vointle – violent
assamble – assemble

Sentences from the Meaningful:

words Powerful – He was a powerful king.
Shepherd – The shepherd was able to guess other person’s thought.
Reward – The shepherd was rewarded.
Violent – A violent storm rose.
Assemble – The class had assembled

C. 3. Pick out words from the story that match the following

Example : left with no hopes (para 2) desperate

  1. made some one happy (para 2) ________
  2. surprised (para 3) ________
  3. believed (para 3) ________
  4. gathered (para 4) ________
  5. held up (para 4) ________
  6. paid something for doing some good (para 4) ________

Answer:
Words – Matching words from the story

  1. made someone happy – cheered
  2. surprised – shocked
  3. believed – trusted
  4. gathered – assembled
  5. held up – lifted
  6. paid something for doing – reward some good

D. Grammar

D. 1. Use of ’already’ and ’all ready’

Look at the following sentence.
The court had already assembled.
‘Already’ is used to say that something had happened earlier than expected or earlier than it might have happened.

More examples:
You’re already late.
The meeting has already begun.
“AH ready” is not he same as “already”.
It simply means fully read or prepared (“All is/are ready.”)

Compare:
When is your friend coming ?
He has already come.
Are you all ready ?
Yes, were.

Question 1.
Now make two sentences each with ‘already’ and ‘all ready’ differentiating between the two.
Answer:
Already:

  1. She was already in the class.
  2. He had already started to run.

All ready :

  1. He was all ready.
  2. They were all ready.

D. 1. 2. Insert ‘already’ at the appropriate places in the following sentences

  1. She is late for the train.
  2. The patient had died before the doctor arrived.
  3. Have you finished the work ?
  4. They had been enjoying the benefits of winter since their childhood.
  5. He had not exhausted the funds when he received the lottery money.

Answer:

  1. She is already late for the train.
  2. The patient had already died before the doctor arrived.
  3. Have you already finished the work ?
  4. They had been already enjoying the benefits of winter since their childhood.
  5. He had not already exhausted the funds when he received the lottery money.

D. 2. Use of simple past (or past indefinite) tense Read the following paragraph

Once there was a rich and powerful king. He thought that no one in the world was as powerful as he was. But he told no one about it. One day he began to wonder whether other could guess what he was thinking. So he called all his officers and servants and asked them to tell him what thought was in his heart. Many of them made guesses. But no one could satisfy the king with his answer.

The words in bold in the above paragraph are in Simple Past Tense. You should notice that in the simple past tense tegular verbs are usually formed by ending. It is the same for all persons, singular and plural.
The Simple Past is also used for the following :

1. For activities or situations that were completed in the past at a definite time.
Example: I came home at 6 o’clock.

2. For repeated activities.
Example : Anu : I walked to school everyday.

3. (Sudden) actions taking place in the middle of another action.
Example : I was sitting in a meeting, when my mobile suddenly rang.

4. I stories to describe events that follow each other.
Example : The man entered the hall and looked around.
He took off his coat and put it on a chair. He was at home.
In the above sentences, the verb forms express the simple past or past indefinite tense.

D. 3. Complete the sentences with the simple past forms of verbs. Remember that you may need to use past continuous forms in. some cases. Verbs in their present forms have been given in brackets.

Question 1.
Everyday Anshu travels to Patna. Yesterday he was driving his car, when he _______ (see) a dog in the middle of the road. The dog _______ (watch) the car. Anshu _______ (stop) and _______ (get) out of his car. As he was getting out, the dog _______ (run) away. Arishu (go) back to his car. While he _______ (get) in the car, the dog _______ (appear) again and _______ (sit) down in the middle of the road. Anshu _______ (start) the engine, but the dog _______ (not move). Anshu _______ (jump) out of the car and _______ (shout) at the dog. The dog _______ (bark) at him and _______ (start) to run. Anshu _______ (follow) the dog. Suddenly he _______ (see) a woman lying on the grass. She was bleeding.
Answer:
Everyday Anshu travels to Patna, yesterday he was driving his car, when he saw a dog in the middle of the road. The dog watched the car. Anshu stopped and got out of his car. As he was getting out, the dog ran away. Anshu went back to his car. While he got in the car, the dog appeared, again and sat down in the middle of the road. Anshu started the engine, but the dog didn’t move. Anshu jumped out of the car and shouted at the dog. The dog barked at him and started to run. Anshu followed the dog. Suddenly he saw a woman lying on the grass. She was bleeding.

D. 4. Make a question and a negative answer.

Example: We saw a monkey on the roof.
Question : Did you see a monkey on the roof ?
Negative : We did not see a monkey on the roof.

Question 1.
She lost her pen.
Q: ______ herpen?
N: She ______ herpen.
Answer:
Q : Did she lose her pen ?
N : She did not lose her pen.

Question 2.
Ayesha drove her car slowly.
Q: ______ slowly ?
N: Ayesha ______ slowly.
Answer:
Q : Did Ayesha drive her car slowly ?
N : Ayesha did not drive her car slowly.

Question 3.
They were making noise in the classroom.
Q: ______ noise in the classroom ?
N: They ______ noise in the classroom.
Answer:
Q : Did they make noise in the classroom ?
N : They did not make noise in the classroom.

Question 4.
My mother came early from office.
Q: ______ early from office ?
N: My mother ______ early from office.
Answer:
Q : Did my mother come early from office ?
N : My mother didn’t come early from office.

Question 5.
Kumar was sleeping in the chair.
Q: ______ in the hair?
N: Kumar ______ in the chair
Answer:
Q: Did Kumar sleep in the chair ?
N : Kumar didn’t/did not sleep in the chair.

Question 6.
He ran away
Q: ______ away?
N: He ______ away.
Answer:
Q : Did he run away ?
N : He did not run away.

E. Let’s Talk

Discuss in groups

Question 1.
Think of an incident in your life when you became arrogant, proud, overconfident, or angry. Share your exerpience with your classmates. What was the result ? Do you think these are good qualities in a human being ? Justify.
Answer:
Raman : When I came first in the class I had become arrogant. I had stopped talking with some of my friends. Later, I thought I was wrong.
Kamal : I become angry very soon. I know it is my bad habit.
Renu : Our friends, the good qualities of a human beings are not to be arrogant, proud, over confident or angriness but mercy, pity, love, co-operation etc.

F. Composition

Write a paragraph on the following:

Question 1.
‘Power makes people arrogant’.
You can take examples from the story you have just read.
Answer:
Its the power that makes people arrogant. We sea that many so called leaders who newly fight for elections are so meal and gentle. But when they come in power, they become very arrogant Or proud. They think that they are all powerful. As we see in the following story, in which, the king thinks, he was most powerful in the world. So, its the riches and power that make people arrogant.

G. Translation

Question 1.
Translate the fourth paragraph in your mother tongue.
Answer:
See Hindi Translation of the Chapter.

H. Activity

H. 1. Divide the class into groups.

All groups will work in pairs. One student from one group will make a sign and the students of the other group in the pair will try to find out what it means or suggests. Students of the group who succeed in dispersing the sign more times will be the winner. Similarly, the other pairs of group will play this game.

H. 2. Visit a deaf and dumb school.

List some of the way in which they communication with each other.
Hint: Do this self.

One Two Three Summary in English

Once, lived a rich and powerful king. He thought that he was the most powerful in the world. Now, he wondered if any-one could guess his thought. His officers and servants, when asked, failed to guess his thought.

Then, the king ordered his minister to bring a man within a’month, who could guess his thought. With the help of his wise.daughter, he brought a shepherd before the king. The shepherd was able to guess his thought- He .answered to the king that God was also powerful, but not the third.

One Two Three Summary In Hindi

कभी, एक अमीर और शक्तिशाली राजो रहता था। वह सोचा करता है कि दुनिया में सबसे ताकतवर वही है। अब, उसने विचार किया कि क्या कोई उसके मन की बात पढ़ सकता है। उसके अधिकारियों और नौकरों ने भी जब उसके मन की बात जानने में अपनी असमर्थता जतायी तो उसने अपने मंत्री को आदेश दिया कि एक महीने के अंदर वह ऐसा आदमी ढूँढ़ लाये जो उसके मन की बात को पढ़ सकता हो।

अपने बुद्धिमान बेटी की मदद से मंत्री ने महीने भर के अंदर एक गड़ेरिए को राजा के सामने पेश किया। राजा का विचार उसने पढ़ लिया। उसके राजा को बताया कि ईश्वर भी ताकतवर है, पर तीसरा कोई नहीं।

One Two Three Hindi Translation of The Chapter

Powerful (adj) [पावरफुल] = शक्तिशाली । Thought (v) [थॉट] = सोचा | About (adv) [अबाउट] = विषय/बारे में । Wonder (v) [वन्डर] = आश्चर्य करना । Guess (v) [गेस] = अनुमान करना । Thought (n) थिॉट] = विचार | Satisfy (v) [सैटिसफाई) = संतुष्ट करना ।Ordered (v) [आर्डड] = आदेश दिया। Exactly (adj) [एक्जैक्टली] = ठीक-ठीक ।

Come toa close (phr)[कम टू अ क्लोज] = समाप्त होने लगा Ouite (adv)[क्वाइट] = बिल्कुल | Desperate (adj) [डेस्पेटेट] = निराश । Cheer (v) [चीअर] = खुश होना । Appointed (adj) [अपॉएन्टेड] = निश्चित किया गया समय, तय Arrived (v)[अराइव्ड] = पहुँचा । Shepherd (n) [शेप:ड] = गड़ेरिया । Shocked (v) [शॉक्ड] = धक्का लगना या आघात लगना । Choice (n) (च्वॉइस] = पसन्द | Trust (v) [ट्रस्ट) = भरोसा करना । Court (n) [कोर्ट) = दरबार

। Farm (n) [फार्म) = खेत I Already (adv) [ऑलरेडी]= पहले से । Assemble (v) [असेम्बल] = जमा होना । Violently (adv) [वायलेन्टली] = उग्रता से या जोरों से। Begged (v) [वेग्ड] = निवेदन किया । Alone (adj) [अलोन] = अकेला । Holding (v) [होल्डिंग] = उठाना । Remind (v) [रिमाइन्ड] = याद दिलाना । At least (phr) [एट लीस्ट] = कम से कम । Deny (v) [डिनाई] = इन्कार करना । Existence (n) [एक्जिस्टेन्स] = अस्तित्व । Really (adv) [रिअली] = सच में, वास्तव में।

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Bihar Board Class 12 English Fire-Hymn Text Book Questions and Answers

B. 1.1. Write T for true and F for false statements 

(a) The poem describes the scene of a burning ghat.
(b) Passers-by tend to ignore the burning at the ghat.
(c) The sight of burning becomes frightening at night.
(d) The redness of fire appears cruel to the speaker.
(e) The half-burnt limbs at the ghat suggest the true working of fire.
(f) The speaker belongs to the Zoroastrian religion.
(g) The speaker is not pleased with the views of his father.
(h) The ‘first-bom child’ was consigned to fire, under compulsion.
Answers:
(a) T (b) F (c) T (d) T (e) T (f) T (g) F (h) T

B.1.2. Complete the following sentences on the basis of what you have studied

(a) The wandering ghost lights passer-by.
(b) The grey ash all.
(c) The ghat is littered with.
(d) The fire at times it’s dead.
(e) I swore to save fire from the of forgetfulness.
(f) The nearest was a thousand miles.
(g) The speaker consigned him to the flames.
(h) The speaker was broken yet
(i) The second time the speaker swore to save the fire from the sin of
Answer:
(a) Frighted'(b) Wallows (c) embers (d) Forgets (e) sin (f) tower (g) First-bom (h) rebellious (i) Forgiving.

B.1.3. Answer the following questions briefly 

Question 1.
How did the passer-by get frightened?
Answer:
The passer-by got frightened to see the fire and the dreadful scenes at the ghat.

Question 2.
Which event does the expression ‘the burning ghat’ refer to?
Answer:
The expression “the burning ghat” refers to the place where dead- bodies are usually cremated.

Question 3.
Where do you think is the ghat located?
Answer:
Hie ghat is located on the bank of the river.

Question 4.
What does the speaker see/observe in the morning at the ghat?
Answer:
The speaker observes pieces of wood and coal, not burning but are still red in the morning at the ghat.

Question 5.
Why does he say that the redness of the fire is cruel?
Answer:
He says that the redness of the fire is so cruel that is swallowed everything.

Question 6.
In what sense does the fire forget its dead?
Answer.
The fire forgets its dead when it leaves the body half-burnt. The speaker feels it as the fire’s immoral behavior.

Question 7.
Why does the speaker reveal his religious identity?
Answer:
The Speaker reveals his religious identity by telling that he is a “Parsi” by birth,-because a parsi believes that there is a continuing struggle in the world between the forces of light and dark and as such The “Parsis” dispose of the dead bodies on a structure called “Tower of Silence”.

Question 8.
Why did he consign his firstborn to the flames?
Answer:
He (speaker) consigned (delivered) his first-bom to the flames (fire) because the nearest “Tower of Silence”, where the Parsis dispose up their dead-bodies, was a thousand miles away. So, he could not lodge (dispose of) the dead-body of his first-bom-child on that place (structure).

Question 9.
What did the firm hyam say to him?
Answer:
The firm-hymn said to him (the speaker) that he had forgiven him and now it has taken oath to overlook and pardon him this time for the sin he committed.

Long Answer Questions

Question 1.
What are the different forms and roles of fire at the ghat?
Answer:
The different forms and roles of fire at the ghat as mentioned in the poem, “Fire-Hymn”, are as hereunder

  • erupted phosphorescence
  • wandering ghost lights
  • embers losing their cruel redness
  • grey ash that swallows all

The forms and roles of fire as stated above has been very well depicted in the poem.

Question 2.
How does the ghat appear to the common people?
Answer:
The ghat appears to be engulfed with the redness of the strong fire, which has been broken-out swiftly. It is shinning with a faint light looking like a wandering ghost. The moonlight runs fast through the bones scattered there by the burning fire. Pieces of wood and coal that are not burning but are still red lying there, gradually losing their cruel redness.

Question 3.
What is the fire’s debauchery?
Answer:
The fire swallows everything and turns them into either grey ashes or half-burnt particles. The whole of the dead body transforms into black ashes and scattered bones. It does not leave anything intact in its original shape by its cruel acts. It can be said its immoral behavior or debauchery.

Question 4.
What has offended the religious sentiment of the speaker when he was a child?
Answer:
The speaker happens to be a “Parsi” by religion. One morning, he went with his father on morning-walk, in his childhood. They were passing through a burning ghat located on the bank of a river. He saw there, a dead body being cremated. He noticed the brutality and the immoral behavior of the fire. This custom is against his religious tradition. As such it has offended the religious sentiment of the speaker when he was a child.

Question 5.
Why do you think the speaker consigned his firstborn to the flames?
Answer:
The speaker is a ‘Parsi’ by religion. In his religion, the dead-body is not cremated. Parsis dispose of up their bodies in the “Tower of Silence”. The speaker consigned his first bom child to the flames for cremation because the nearest “Tower of Silence”, was one thousand miles away.

Question 6.
Why was the speaker ‘broken’ and how did he regard himself rebellious? ,
Answer.
The speaker has lost his first-bom child. He consigned the dead- body of his first-bom to the flames for cremation. He is ‘parsi’ by religion, but he violated the tradition of his religion by cremating his child. This great loss had broken him and he regarded himself rebellious for going against his religious tradition.

Question 7.
Why did he swear twice to save the fire from two different sins?
Answer:
He (the speaker) swore twice to save fire from two different sins. The first time, when he consigned his firstborn child to the flames. He is a ‘Parsi’ by religion, who do not cremate their dead bodies. But he did it because his religious place to perform rituals for the sad demise of his child was far away. The fire had forgotten that he is a ‘Parsi’ because it (fire) deals equally with everybody irrespective of their caste, creed, or religion. So he swore to save fire from the sin of forgetfulness. The next time he swore to save the fire from the sin of forgiving i.e. for its deviation. As such he swore twice to save the fire from two different sins.

Question 8.
Though the poem reveals the religious leaning of a Parsi, it still has its human appeal. Justify it with your own comments.
Answer:
It is a fact, that the poem primarily reveals the religious tendency (inclination) of a “Parsi”. But at the same time, it has a compassionate appeal to humanity. The poet is a “Parsi”, dislikes the cremation of a dead body. As a poet and a human being, he has thrown light on this burning problem. It appears to be the most unpleasant, pathetic, and gruesome practice to offer (cosign) the dead-body to the flames of the fire. In my opinion, it is really the most unkind and made active. I think it should be stopped and some alternative arrangements should be made for the disposal of the corpse (dead body).

Question 9.
Give in short the summary of the poem, “Fire-Hymn”. Or, Write a short note on the poem, “Fire-Hymn”.
Answer:
“Fire-Hymn” composed by Keki N. Daruwala is a serious and touching poem. It is the description of a burning ghat. The scene of the ghat is most dreadful. Ghosts with burning light are wandering there and the passerby becomes frightened to see them. One early morning the poet alone with his father passes through that ghat and finds pieces of woods and coal though not burning but are still red. Half burnt dead bodies are lying there. The poet is “Parsi” by religion.

Parsis instead of cremating their dead bodies, carry it to the “Tower of Silence” to put therein. He becomes horrified to see such cruel act. The narrator, the poet himself had consigned his first bom to the flames twenty years back because the Tower of Silence was a thousand miles away. It had shocked him much and he feels guilty of committing the same inhuman act, which other persons commit, and being a Parsi he has all along opposed this cruelty. The poem has a humanitarian appeal. Thejioet has successfully conveyed his motive to discard such a cruel practice.

C. 3. Composition

Write a short essay in about 150 words on the following:
(a) Concept of sin in modern life.
Answer:
Good and evil are an inevitable part of human life. All have both of these in them. Of course, the ratio of both varies from person to person. We all want to live a peaceful and respectable life in the society. For this, we need to be away from all sin. Sin in modem life has changed its meaning. Now people think that such things which defy law are sin. They don’t give to its human approach vital importance. It is really taking our society towards disaster. We must take steps to improve it. It is high time for this.

(b) Forgetfulness is a matter of habit.
Answer:
People have different habits. Habits are cultivated in oneself because of several factors. Forgetfulness is nothing but a matter of habit. People cultivate this habit without knowing its evils out of ignorance. They forget important works which they do. Through proper treatment, this can be improved. Such people should not be looked downtrodden but should be given a helping hand for their strength to fight against their drawbacks.

D. Word Study :
D.1. Dictionary Use :

Ex. 1. Correct the spelling of the following words:

phosphorescence — phosphorescene
scutled — scuttled
staulling — strolling
emberes — embers
Zorastrian — zoroastrian
consined — consigned
rebelious — rebellious
hym — hymn

Ex. 2. Lookup a dictionary & write the synonym of the following words:
dawn, losing, swallow, forget, pain, nearest, silence, save
Answer:
dawn — morning light morning at sunrise
losing — To lose
swallow — accept
forget — miss
pain — sorrow
nearest — closest
silence — peace
save — preserve

D. 2. Word – Formation

Read the following line carefully :
The burning ghat erupted phosphorescence: And wandering ghost light frightened passers-by In the above lines burning in ‘burning ghats’ and wandering in ‘wandering ghost’ are verbs ‘ing’ (gerund) from. Such forms of verbs can be used as adjectives. Adding’ to the following verbs and fill in the blanks to complete the following sentences:
lose,  stroll,  cook,  swear,  break
(a) The…………….. news was quite sensational.
(b) People were in a long queue for……………. gas.
(c) The match was so fine that we admired even the…………….. team.
(d) The……………….persons have the opportunity to breathe fresh air.
(e) We could not attend the…………… ceremony.
Answer:
(a) breaking (b) cooking (c) losing (d) strolling (e) swearing

D.3. Word-meaning

Ex. 1. In the expression ‘half-cooked limb’ (line 6) and ‘half-burnt fingers’ (line 8),’ half suggests the process stopped mid-way. Make a similar structure from the given words (using ‘half) and use them in sentences of your own:
done, written, sketched, drawn, hearted
Answer:
Half-done: The work is half done.
Half-written: You have sent a half-written letter.
Half-sketched: This is a half-sketched portrait.
Half-drawn: The teacher appreciated the half-drawn figure.
Half-hearted: He didn’t succeed because of his half-hearted efforts.

E. Grammar

Ex. 1. Read the following lines from the poem carefully:
(i) ‘as moonlight scuttled among the bones.
(ii) once strolling at dawn……………………
Mark the use of prepositions ‘among’ and ‘at’ in the lines given above. Use Prepositions to complete the following sentences:
(i) The military rescued several people………………. from the flood.
(ii) The world of insects and animals awake……………… at night.
(iii) Naghaz listened…………….. the lecture attentively.
(iv) The prizes were distributed……………. winners.
(v) The police inquired………………… the murder case.
Answer:
(i) from (ii) up (iii) to (iv) to (v) into.

Comprehension Based Questions with Answers

1. Read the following extracts of the poem and answer the questions that follow [B.M.2009A]

The burning ghat erupted phosphorescence:
and wandering ghost lights frightened passers-by
as moonlight scuttled among the bones.
Once strolling at dawn past river-bank and ghat
we saw embers losing their cruel redness
to the grey ash that swallows all, half-cooked limbs

Questions:
1. Who wrote these lines and from where have they been extracted?
2. What does the wandering ghost lights do?
3. What does the narrator find at the ghat, while he walks to that place?
4. How are bones looking like in the moonlight?
5. What does the grey ash do at that place?
Answers:
1. These lines have been extracted from the poem, “Fire Hyman and T.S. Eliot has written these verse lines.
2. The wandering ghost lights frightened passers-by, creating a dreadful scene.
3. The narrator finds pieces of wood and coals scattered there, though not burning but are still red.
4. The moonlight mins fast over the bones lying there and it creates fear and terror.
5. The grey ash swallows bones and half-cooked limbs.

2. Read the following extracts of the poem and answer the questions that follow: [B.M.2009A]

bore witness to the fire’s debauchery.
My father said, “You see those half-burnt fingers
l And bone-stubs? The fire at times forgets its dead !”
A Zoroastrian I, my child – fingers clenched
Into a little knot of pain,
I swore to save fire From the sin of forgetfulness

Questions:
1. From where these verse lines extracted and who has composed it?
2. Who is the witness of fires?
3. What does the poet’s father say to him?
4. What does the fire do?
5. What does the poet swear and why?
Answer:
1. The verse lines have been taken from the poem, “Fire Hyman and t composed by T. S. Eliot.
2. Poet’s father is the witness of fire’s debauchery.
3. Poet’s father narrates to his son about the forgetfulness of .fire to its dead.
4. The fire forgets its dead and leaves waif – burnt fingers and bone- stubs incomplete in half – hazard way.
5. The poet swears to save fire from the sin of forgetfulness.

3. Read the following extracts of the poem and answer the questions that follow:

It never forgot, and twenty years since ‘ ‘
As I consigned my first-born to the flames –
The nearest Tower of Silence was a thousand miles –
The firm-hymn said to me, “You stand forgiven,”
Broken, yet rebellious, I swore this time I
To save it from the sin of forgiving.

Questions:
1. Who was consigned to flames and by whom?
2. How far was the Tower of Silence from there?
3. How many years ago did this event take place?
4. What is the sin that the poet has committed?
5. What does he mean by “save it from the sin of forgetting”?
Answers:
1. It was the poet who consigned his new bom son to flames.
2. Tower of Silence was a thousand miles away from that place.
3. The event took place 20 years ago.
4. The poet is a Parsi by religion in which fire is worshipped as a god but he was compelled to consign his new-born to its flames.
5. Fire sometimes forgets to fully bum the dead body to ashes. The poet wishes this not to happen to the dead body of his new-bom son.

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Bihar Board Class 6 English Book Solutions Chapter 1 My Mother

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Bihar Board Class 6 English My Mother Text Book Questions and Answers

A. Warmer

My Mother Class 6 Bihar Board Question 1.
When ever in trouble or pain the word ‘Maa’ conies not usually to us. Can you explain why it is so ?
Answer:
We are very deeply attached to our mother so whenever we are in trouble the word ‘Maa’ comes naturally to us.

B. Comprehension

B. 1. Think and Tell

My Mother Class 6 Question Answer Bihar Board Question 1.
Who cares for the infants.
Answer:
Our mothers.

My Mother By Ann Taylor Questions And Answers Question 2.
Why does the mother weep when her child falls ill ?
Answer:
Fearing for her child’s death.

My Mother Poem Class 6 Bihar Board Question 3.
What does she do when her child falls down ?
Answer:
She told a pretty story. She also kisses on the injured place to make it well.

My Mother Poem By Ann Taylor Questions And Answers Question 4.
What will you do for your mother when she is old ?
Answer:
will take care of my mother. I will be ready to soothe her pains away, when she is old.

B. 2 Think and Write

B. 2.1. Answer in a word or a sentence

Bihar Board Class 6 English Book Solution Question 1.
Who wrote this poem ?
Answer:
Ann Taylor.

My Mother Questions And Answers Bihar Board Question 2.
What does a mother do when her child is very young ?
Answer:
A mother, loves, takes care and feed her child when her child is very young.

Bihar Board Class 6 English Solution In Hindi Question 3.
The mother wept when her child was ill. What fear did she have ?
Answer:
She feared of her child’s death:

B. 2.2. Answer in not more than 50 words

My Mother Poem Question Answers Bihar Board Question 1.
How can you say that a mother loves her child very much ?
Answer:
A mother gazes her infant child and shed her affection. When her child gets ill she fears of the child’s death. When her child fells she tells her story and kisses on the place to make it well.

Bihar Board Solution Class 6 English Question 2.
Why should we not be unkind to our mother ?
Answer:
Our mother has given us life. She has taken a lot of pain to make us grow-up. She has nursed us for day and night when we became ill in childhood. So, we should not be unkind to our mothers.

Bihar Board Class 6 English Solution Question 3.
Can yea ever be unkind mother? give reason for your answer.
Answer:
No, I can never be unkind to my mother. I have seen this world because of my mother. She is next to God to me. She has taken a lot of pain to bring me up. So, I can never be unkind to my mother.

My Mother Question Answer Bihar Board Question 4.
Write an incident of your life which shows your mother’s intimate affection towards you.
Answer:
Once I was playing. 1 fell down. I got hurt in my knees. My mother became very worried. She put ointment on my knees. She brought a glass of hot milk. Then, she told me a pretty story. She always asked about my pain the whole day. When I assured her that there was no pain with me, then only she became to ease.

C. Word Power

C. 1. Go through the text again and again and find out the words of the same meaning

  1. love _______
  2. illness_______
  3. lovely _______

Answer:

  1. affection
  2. sickness
  3. pretty.

D. Translation

D. 1. Translate the following lines from the poem into your mother tongue

When pain and sickness made me cry,
who gazed upon my heavy eye ?
And wept for fear that I should die ?
My mother.
Answer:
जब दर्द और बीमारी से मैं रोया, किसने मेरी भारी आँखों को निहारा ?
और इस डर के साथ रोई . कि कहीं मैं मर न जाऊँ ? मेरी माँ।

My Mother Summary in English

‘My Mother’ poem is written by Ann Taylor. The poet is describing the qualities of a mother in this poem. A mother cares a lot about her child. She looks over her child with love. She always sheds affection on her child. When her child gets pain she is ready to give her special caring. In times of her child’s sickness she always remains with the child to care the child. She is always worried about her child’s life and fear of its death.

She tells pretty stories to her child to make her child please and happy. The poet says that a person should remember all these things. When a person becomes grown-up, he/she should always remain ready to take care of his/her parents, especially the mother.

My Mother Summary in Hindi

‘माई मदर’ कविता एन टेलर द्वारा लिखित है। इस कविता में कवि एक माँ के गुणों का वर्णन करता है। एक माँ अपने शिशु का बहुत ख्याल रखता है। वह अपने बच्चे को प्यार से देखती रहती है। वह हमेशा अपने बच्चे पर प्यार बरसाती है। जब उसका बच्चा बीमार पड़ जाता है तो वह उसका विशेष रूप से ध्यान रखती है। वह हमेशा अपने बच्चे के जीवन के लिए चिन्तित रहती है और उसकी मृत्यु के खौफ से भयभीत रहती है।

वह अपने बच्चों को प्यारी कहानियाँ सुनाकर उसे खुश रखने की हर प्रकार से कोशिश किया करती है। कवि अंत में कहता है कि ऐसी माँ के प्रति किसी भी व्यक्ति को निर्दयी नहीं बनना चाहिए। हर व्यक्ति को ये बातें याद रख अपने माता-पिता विशेषकर अपनी माँ की उसके बुढ़ापे में सेवा करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

My Mother Hindi Translation Of The Chapter

1. Who sat and ………… My mothers
Word Meanings : Affection (n) [अफेक्शन] = प्यार, प्रेम । Shed (v) [शेड] = गिराया, छलकाया । Cradle bed (n) [क्रेडल बेड] = पालना।

हिन्दी अनुवाद-कौन बैठा और देखा मेरा शिश-सिर जब मैं पालना में लेटा हुआ था और किसने प्रेम के आँसू मुझ पर छलकाए? मेरी माँ ।

2. When pain and ……………….. My mother.
Word Meanings : Pain (n) [पेन] = दर्द | Cry (v) [क्राई] = रोना । Gazed (v) [गेज्ड] = ताका, निहारा । Wept (v) [वेप्ट] = रोया । Fear (n) [फीयर] = भय, डर।

हिन्दी अनुवाद-जब दर्द और बीमारी से मैं रोया, किसने मेरी भारी आँखों को निहारा ? और इस डर के साथ रोया कि कहीं मैं मर न जाऊँ ? मेरी म।

3. Who ran to help ………………………………… My mother.
Word Meanings : Help (v) [हेल्प] = मदद करना । Fell (v) [फेल] = गिरना | Kiss (v) [किस] = चूमना ।

हिन्दी अनुवाद-जब मैं गिर पड़ा, कौन मेरी मदद करने के लिए दौड़ . पड़ा और कोई सुन्दर कहानी कहा, या चूमा उस स्थान को जहाँ चोट लगी . थी मुझे उस जगह को ठीक करने के लिए? मेरी माँ ।

4. And can lever……………………My mother?
Word Meanings : Ever (adv) [एवर) = कभी । Kind (adj) [काइन्ड] __ = दयालु । Thee (pron) [दी] = तुझको, तुझे । So (conj) [सो] = इतना । To me (phr)[टू मी] = मेरे प्रति ।

5. Ah,no! …………………. My mother!
Word Meanings : Thought (v) [थॉट) = सोचा । Bear (v) [बीयर] = सहना । Life (n) [लाइफ] = जीवन । Spare (v) [स्पेयर) = छोड़ना, बख्शना | Hope (v) [होप] = आशा करना । Reward (v) [रिवार्ड) = इनाम देना । Thy (pron) [दाई] = तेरा । Care (v) [केअर] = देखभाल करना।

हिन्दी अनुवाद-आह, नहीं! ऐसे विचारों को मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता! और यदि ईश्वर ने मुझे थोड़ा भी जीवन दिया, तो मैं आशा करता हूँ कि मैं तुम्हारे द्वारा मेरी की गई देखभाल का मूल्य जरूर चुकाऊँगा, मेरी माँ !

6. When thou art ……………. My mother!
Word Meanings : Thou (pron) [दाऊ] = तुम | Art (v) [आर्ट) = होगे । Old (adj) [ओल्ड] = बूढ़ी । Feeble (adj) [फीबल] = दुर्बल, कमजोर । Grey (adj) [ग्रे] = काला-भूरा, धूसर रंग का । Healthy (adj) [हेल्दी] = स्वस्थ । Stay (v)[स्टे] = सहारा देना, रोकना, थामना । Soothe (v) [सूद] = आराम देना/पहुँचाना । Pains (n) [पेन्स] = दर्द, कष्टों । Away (adv) [अवे] = दूर।

हिन्दी अनुवाद-जब तुम बूढ़ी हो जाओगी, कमजोर हो जाओगी और काली पड़ जाओगी तुम्हारी त्वचा मेरे स्वस्थ बाजू (बाँहें) सदा रहेंगे तुम्हारी सेवा करने के लिए और मैं तुम्हारी पीड़ा, तुम्हारे दुःख दूर करने का प्रयास जरूर करूँगा, मेरी माँ।

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Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 3 हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions History इतिहास : इतिहास की दुनिया भाग 2 Chapter 3 हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science History Solutions Chapter 3 हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन

Bihar Board Class 10 History हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

नीचे दिये गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में चार विकल्प दिये गये हैं। जो आपको सर्वाधिक उपयुक्त लगे उनमें सही का चिह्न लगायें।

हिंद चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Bihar Board Class 10 प्रश्न 1.
हिन्द-चीन क्षेत्र में कौन-से देश आते हैं ?
(क) चीन, वियतनाम, लाओस
(ख) हिन्द, चीन, वियतनाम, लाओस
(ग) कम्बोडिया, वियतनाम, लाओस
(घ) कम्बोडिया, वियतनाम, चीन, थाईलैण्ड
उत्तर-
(ग) कम्बोडिया, वियतनाम, लाओस

हिंद चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन का ऑब्जेक्टिव Bihar Board Class 10 प्रश्न 2.
अंकोरवाट का मन्दिर कहाँ स्थित है ?
(क) वियतनाम
(ख) थाईलैण्ड
(ग) लाओस
(घ) कम्बोडिया
उत्तर-
(घ) कम्बोडिया

Hind Chin Me Rashtravad Bihar Board Class 10 प्रश्न 3.
हिन्द-चीन पहुँचने वाले प्रथम व्यापारी कौन थे
(क) इंग्लैण्ड
(ख) फ्रांसीसी
(ग) पुर्तगाली
(घ) डच
उत्तर-
(ग) पुर्तगाली

हिंद चीन में राष्ट्रवाद के विकास का वर्णन करें Bihar Board Class 10 प्रश्न 4.
हिन्द चीन में बसने वाले फ्रांसीसी कहे जाते थे ?
(क) फ्रांसीसी
(ख) शासक वर्ग
(ग) कोलोन
(घ) जेनरल
उत्तर-
(ग) कोलोन

हिंद चीन क्षेत्र में कौन से देश आते हैं Bihar Board Class 10 प्रश्न 5.
नरोत्तम सिंहानुक कहाँ के शासक थे ?
(क) वियतनाम
(ख) लाओस
(ग) थाईलैण्ड
(घ) कम्बोडिया
उत्तर-
(घ) कम्बोडिया

Hind Chin Mein Francisi Prasar Ka Varnan Karen प्रश्न 6.
“द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम” किसने लिखा?
(क) हो-ची-मिन्ह
(ख) फान-वोई-चाऊ
(ग) कुआंग
(घ) त्रियु
उत्तर-
(ख) फान-वोई-चाऊ

Hind Chin Mein Rashtrawadi Aandolan Bihar Board प्रश्न 7.
मार्च 1946 में फ्रांस एवं वियतनाम के बीच होने वाला समझौता किस नाम से जाना जाता है ?
(क) जेनेवा समझौता
(ख) हनोई समझौता
(ग) पेरिस समझौता
(घ) धर्मनिरपेक्ष समझौता
उत्तर-
(ख) हनोई समझौता

हिन्द चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Bihar Board Class 10 प्रश्न 8.
किस प्रसिद्ध दार्शनिक ने एक अदालत लगाकर अमेरिका को वियतनाम युद्ध के लिए दोषी करार दिया?
(क) रसेल
(ख) होची मिन्ह
(ग) नरोत्तम सिंहानुक
(घ) रूसो
उत्तर-
(क) रसेल

इंडो चाइना में राष्ट्रवादी आंदोलन प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 प्रश्न 9.
हिन्दु-चीनी क्षेत्र में अंतिम युद्ध समाप्ति के समय में अमेरिकी राष्ट्रपति थे-
(क) वाशिंगटन
(ख) निक्सन
(ग) जार्ज बुश
(घ) रुजवेल्ट
उत्तर-
(ख) निक्सन

Hind Chin Mein Basne Wale Francisi Kahe Jaate The Bihar Board प्रश्न 10.
होआ-होआ आन्दोलन किस प्रकृति का था?
(क) क्रांतिकारी
(ख) धार्मिक
(ग) साम्राज्यवादी समर्थक
(घ) क्रांतिकारी धार्मिक
उत्तर-
(घ) क्रांतिकारी धार्मिक

निम्नलिखित में रिक्त स्थानों को भरें:

Hind Chin Me Rashtrawadi Andolan Bihar Board प्रश्न 1.
12वीं शताब्दी में राजा सूर्य वर्मा/द्वितीय ने………..का निर्माण करवाया था।
उत्तर-
अंकोरवाट मंदिर

प्रश्न 2.
……………समझौते ने पूरे वियतनाम को दो हिस्से में बाँट दिया और …………..रेखा को विभाजक रेखा माना गया।
उत्तर-
जेनेवा समझौता, 17वीं अक्षांश।

प्रश्न 3.
हो-ची-मिन्ह का दूसरा नाम…………..था।
उत्तर-
न्यूगन आई क्वोक

प्रश्न 4.
दिएन-विएन-पुके युद्ध में…………..बुरी तरह हार गए।
उत्तर-
फ्रांस

प्रश्न 5.
अनामी दल का संस्थापक……………. था।
उत्तर-
जोन्गुएन आइ

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (20 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
एकतरफा अनुबन्ध व्यवस्था क्या थी?
उत्तर-
एक तरह की बंधुआ मजदूरी थी। वहाँ मजदूरों को कोई अधिकार नहीं था, जबकि मालिक को असीमित अधिकार प्राप्त था।

प्रश्न 2.
बाओदायी कौन था ?
उत्तर-बाओदायी अन्नाम का शासक था।

प्रश्न 3.
हिन्द चीन का अर्थ क्या है ?
उत्तर-
दक्षिण-पूर्व एशिया में लगभग 3 लाख वर्ग कि. मी. फैला क्षेत्र जिसमें आज के वियतनाम लाओस और कम्बोडिया के क्षेत्र आते हैं।

प्रश्न 4.
जेनेवा समझौता कब और किनके बीच हुआ?
उत्तर-
1954 में लाओस एवं कम्बोडिया के बीच।

प्रश्न 5.
होआ-होआ आनदोलन की चर्चा करें।
उत्तर-
होआ-होआ एक बौद्धिक धार्मिक क्रान्तिकारी आन्दोलन था जो 1939 में शुरू हुआ था। जिसके नेता-हुइन्ह फू-सो था। इसके क्रान्तिकारी उग्रवादी घटनाओं को भी अंजाम देते थे जिसमें आत्मदाह तक भी शामिल होता था।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (60 शब्दों में उत्तर दें।)

प्रश्न 1.
हिन्द चीन में फ्रांसीसी प्रसार का वर्णन करें।
उत्तर-
1498 ई. में वास्कोडिगामा भारत से जुड़ने की चाह में जब समुद्री मार्ग ढूँढने निकाला तो धीरे-धीरे स्पेन, डच, इंगलैंड एवं फ्रांसीसियों का आगमन इस क्षेत्र में व्यापारिक उद्देश्य से होने लगा। 17वीं शताब्दी में बहुत से फ्रांसीसी व्यापारी पादरी हिन्द चीन पहुँच गए। 1747 ई. के बाद ही फ्रांस अन्नाम में रुचि सेने लगा। 1787 ई. में कोचीन-चीन के शासक के साथ संधि का मौका मिला। 19वीं शताब्दी में अन्नाम, कोचीन-चीन में फ्रांसीसी पादरियों की बढ़ती गतिविधियों के विरुद्ध उग्र आन्दोलन हो रहे थे। फिर भी 1862 ई. में अन्नाम को सैन्यबल पर संधि के लिए बाध्य किया गया। उसके अगले वर्ष कम्बोडिया भी संरक्षण में ले लिया गया और 1783 में तोकिन में फ्रांसीसी सेना घुस गयी। इसी तरह 20वीं शताब्दी के आरंभ तक सम्पूर्ण हिन्द चीन फ्रांसीसियों की अधीनता में आ गया।

प्रश्न 2.
रासायनिक हथियारों एवं एजेन्ट ऑरेज का वर्णन करें।
उत्तर-
नापाम एक तरह का आर्गेनिक कम्पाउंड है जो अग्नि बमों में गैसोलिन के साथ मिलकर एक ऐसा मिश्रण तैयार करता था जो त्वचा से पिचक जाता और जलता रहता था। इसका व्यापक पैमाने पर वियतनाम में प्रयोग किया गया था। एजेन्ट आरेंज एक जहर था जिससे पेड़ों की पत्तियाँ तुरंत झुलस जाती थीं एवं पेड़ मर जाते थे। जंगलों को खत्म करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता। इसका नाम आरेंज पट्टियों वाले ड्रमो में रखे जाने के कारण पड़ा। अमेरिका ने इसका इस्तेमाल जंगलों के साथ खेतों और आबादी दोनों पर जमकर किया।

प्रश्न 3.
हो-ची-मिन्ह के संबंध में संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
हो-ची-मिन्ह (न्यूगन आई क्वोक) एक वियतनामी छात्र था जिसने 1917 में पेरिस में ही साम्यवादियों का एक गुट बनाया, बाद में हो-ची-मिन्ह शिक्षा प्राप्त करने मास्को गया और साम्यवाद से प्रेरित होकर 1925 में वियतनामी क्रांतिकारी दल का गठन किया, साथ ही कार्यकर्ताओं के सैनिक प्रशिक्षण की भी व्यवस्था कर ली। अंततः 1930 में वियतनाम के बिखरे राष्ट्रवादी गुटों को एकजुट कर वितनाम कांग सान देंग अर्थात् वियतनाम कम्युनिष्ट पार्टी की स्थापना की जो पूर्णतः उग्र विचारों पर चलने वाली पार्टी थी।

प्रश्न 4.
हो-ची-मिन्ह मार्ग क्या है बतावें?
उत्तर-
हो-ची मिन्ह 2 सितम्बर 1945 ई. को वियतनाम लोकतंत्रीय गणराज्य के सरकार के प्रधान बने और बाद में फ्रांसीसी सेना का प्रत्यक्ष मुकाबला न कर पाने की स्थिति में गुरिल्ला युद्ध छेड़ दिया। इस युद्ध के लिए मुरिल्ला सेनिक लाओस और कंबोडिया के रास्ते दक्षिणी वियतनाम पर धावा बोलते और पुन: उन्हीं जंगलों में छिप जाते थे। इसी रास्ते को हो-ची मिन्ह मार्ग कहा जाता है।

प्रश्न 5.
अमेरिका हिन्द चीन में कैसे घुसा, चर्चा करें।
उत्तर-
1945 ई. तक वियतमिन्ह के गुरिल्लों के हाथों में तोंकिन के प्रायः सारे क्षेत्र नियंत्रण में आ गए थे। अब जबकि द्वितीय विश्वयुद्ध की स्थितियाँ बदलने लगीं पर्ल हार्बर पर जापान के आक्रमण के साथ ही अमेरिका युद्ध में शामिल हो गया था। अमेरिका जो फ्रांस का समर्थन कर रहा था सीधे हिन्द चीन में उतरना चाह रहा था। साम्यवादियों के विरोध में उसने ऐसी घोषणा भी कर दी। हिन्द चीन में साम्यवादी प्रभाव को रोकने के लिए अमेरिका कृतसंकल्प था।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
हिन्द चीन उपनिवेश स्थापना का उद्देश्य क्या था?
उत्तर-
फ्रांस द्वारा हिन्द चीन को अपना उपनिवेश बनाने का प्रारंभिक उद्देश्य तो डच एवं ब्रिटिश कंपनियों की व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना था। भारत में फ्रांसीसी पिछड़ रहे थे। चीन में उनका व्यापारिक प्रतिद्वन्द्वी, मुख्य रूप से इंगलैड था। अतः सुरक्षात्मक आधार के रूप में उन्हें हिन्द चीनी क्षेत्र उचित लगा जहाँ खड़े होकर वे दोनों तरफ भारत एवं चीन की परिस्थितियों में संभल सकते थे। दूसरे, औद्योगिकीकरण के लिए कच्चे माल की आपूर्ति उपनिवेशों से होती थी एवं उत्पादित वस्तुओं के लिए बाजार भी उपलब्ध होता था। तीसरे, पिछड़े समाजों को समय बनाने का विकसित यूरोपीय राज्यों का स्वघोषित दायित्व था।

अमेरिका जो पूर्व में फ्रांस का समर्थन कर रहा था वह भी हिन्द चीन में अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाह रहा था। साम्यवादियों के प्रभाव को इस क्षेत्र में रोकने के लिए अमेरिका कृत संकल्प था।

प्रश्न 2.
माई ली गाँव की घटना क्या थी? इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
दक्षिणी वियतनाम एक गाँव था जहाँ के लोगों को वियतकांग समर्थक मान अमेरिकी सेना ने पूरे गाँव को घेर कर पुरुषों को मार डाला, औरतों बच्चियों को बंधक बनाकर कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार किया फिर उन्हें भी मार कर पूरे गाँव में आग लगा दी। लाशों के बीच दबा एक बूढ़ा जिन्दा बच गया था जिसने इस घटना को उजागर किया था।

इस घटना के कारण अमेरिका की पूरे विश्व में किरकिरी होने लगी। अतः राष्ट्रपति निक्सन ने शांति के लिए पाँच सूत्री योजना की घोषणा की

  • हिन्द-चीन की सभी सेनाएँ युद्ध बंद कर यथास्थान पर रहें।
  • युद्ध विराम की देख-रेख अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक करेंगे।
  • इस दौरान कोई देश अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न नहीं करेगा।
  • युद्ध विराम के दौरान सभी तरह की लड़ाइयाँ बंद रहेंगी सभी बमबारी से आतंक फैलने वाली घटनाओं तक।
  • युद्ध विराम का अन्तिम लक्ष्य समूचे हिन्द चीन में संघर्ष का अंत होना चाहिए।

प्रश्न 3.
राष्ट्रपति निक्सन के हिन्द चीन में शांति के संबंध में पाँचसूत्री योजना क्या थी? इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
माई ली गाँव की घटना के बाद विश्व में किरकिरी होने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन ने निम्नलिखित पाँचसूत्री योजना की घोषणा की

  • हिन्द-चीन की सभी सेनाएँ युद्ध बंद कर यथा स्थान पर रहें।
  • युद्ध विराम की देख-रेख अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक करेंगे।
  • इस दौरान कोई देश अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न नहीं करेगा।
  • युद्ध विराम के दौरान सभी तरह की लड़ाइयाँ बंद रहेंगी सभी बमबारी से आतंक फैलाने वाली घटनाओं तक।
  • युद्ध विराम का अन्तिम लक्ष्य समूचे हिन्द-चीन में संघर्ष का अन्त होना चाहिए।

परन्तु इस शांति प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया। अमेरिकी सेना पुनः बमबारी शुरू कर दी। लेकिन अमेरिका अब जान चुका था कि उसे अपनी सेनाएँ वापस बुलानी ही पड़ेंगी। निक्सन ने पुनः आठसूत्री योजना रखी। वियतनामियों ने इसे खारिज कर दिया। अब अमेरिका चीन को अपने पक्ष में करने में लग गया। वियतनामियों को चीनी धोखों का अंदेशा होने लगा। 24 अक्टूबर, 1972 को वियतकांग, उत्तरी वियतनाम, अमेरिका दक्षिणी वियतनाम में समझौता तय हो गया परन्तु दक्षिणी वियतनाम ने आपत्ति जताई और पुनः वार्ता के लिए कहा।

वियतकांग ने इसे अस्वीकार कर दिया। इस बार इतने बम गिराए गए जिनकी कुल विध्वंसक शक्ति हिरोशिमा में प्रयुक्त परमाणु बम से ज्यादा ऑकी गई। हनोई भी इस बमबारी से ध्वस्त हो गया परन्तु वियतनामी डटे रहे। अंतत: 27 फरवरी, 1973 को पेरिस में वियतनाम युद्ध की समाप्ति के समझौते पर हस्ताक्षर हो गया। समझौते की मुख्य बातें थीं-युद्ध समाप्त के 60 दिनों के अंदर अमेरिकी सेना वापस हो जाएगी। उत्तर और दक्षिण वियतनाम परस्पर सलाह करने एकीकरण का मार्ग खोजेंगे। अमेरिका वियतनाम को असीमित आर्थिक सहायता देगा।

इस तरह से अमेरिका के साथ चला आ रहा युद्ध समाप्त हो गया एवं जनवरी 1975 में दोनों वियतनाम मिल गए।

इस प्रकार सात दशकों से ज्यादा चलने वाला यह अमेरिका-वियतनाम युद्ध समाप्त हो गया। इस युद्ध में 9855 करोड़ सैनिक मारे गए, लगभग 3 लाख सैनिक घायल हुए, दक्षिणी वियतनाम के 18000 सैनिक मारे गए। अमेरिका के 4800 हेलिकाप्टर एवं जेट नष्ट हो गए। ट्रको की गिनती नहीं।

इस सारे घटना के परिपेक्ष्य में धन जन की बर्बादी के अलावे अमेरिकी शाख को गहरा आघात लगा पूरे हिन्द चीन में वह बुरी तरह असफल रहा। अंततः उसे अपनी सेना हिन्द चीन से हटानी पड़ी और सभी देशों की संप्रभुता अखण्डता को स्वीकार करना पड़ा।

प्रश्न 4.
फ्रांसीसी शोषण के साथ-साथ उसके द्वारा किये गये सकारात्मक कार्यों की समीक्षा करों
उत्तर-
फ्रांसीसियों ने प्रारंभिक शोषण तो व्यापारिक नगरों एवं बंदरगाहों से शुरू किया। उसके बाद भीतरी ग्रामीण इलाको में किसानों का शोषण करना शुरू किया था। तो किन के जीवन का आधार लाल घाटी थी तो कम्बोडिया का मेकांग नदी का मैदानी क्षेत्र एवं कोचीन-चीन का मेकांग का डेल्टा क्षेत्र जबकि चीन से सटे राज्यों में खनिज संसाधन कोयला, टीन, जस्ता टंगस्टन, क्रोमियम आदि मिलते थे, पहाड़ी इलाकों में रबर की खेती होती थी तथा मैदानी क्षेत्र में धान की।

सर्वप्रथम फ्रांसीसियों ने शोषण के साथ-साथ कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए नहरों का एवं जलनिकासी का समुचित प्रबंध किया और दलदली भूमि, जंगलों आदि में कृषि क्षेत्र को बढ़ाया जाने लगा। इन प्रयास का ही फल था कि 1931 ई. तक वियतनाम विश्व का तीसरा बड़ा चावल निर्यातक देश बन गया। रबर बगानों, खानों, फार्मों में मजदूरों से एकतरफा अनुबंध व्यवस्था पर काम लिया जाता था। जमींदारी अपने विकृत रूप में आ चुकी थी। हालाँकि इसी दौरान पूरे उत्तर से दक्षिण हिन्द चीन तक संरचनात्मक विकास जोरों पर रहा एवं एक विशाल रेल नेटवर्क, सड़क जाल बिछ गया था। परन्तु किसानों, मजदूरों का जीवन स्तर गिरता जा रहा था, क्योंकि सारी व्यवस्था ही शोषण मूलक थी।

जहाँ तक शिक्षा का प्रश्न था अब तक परंपरागत स्थानीय भाषा अथवा चीनी भाषा में शिक्षा पा रहे लोगों को अब फ्रांसीसी भाषा में शिक्षा दी जाने लगी, परंतु इस क्षेत्र में बसने वाले , फ्रांसीसियों को शिक्षा के प्रसार के सकारात्मक प्रभावों का डर था। अत: आमलोगों को शिक्षा से दूर रखने का प्रयास किया जाने लगा और सकूल के अंतिम साल की परीक्षा में अधिकतर स्थानीय बच्चों को फेल कर दिया जाता था। स्थानीय जनता एवं कोलोनी की सामाजिक स्थिति में आसमान जमीन का अन्तर था और 1920 के दशक तक आते-आते छात्र-छात्राएँ राजनीतिक पार्टियाँ बनाने लगे थे। दनोई विश्वविद्यालय का बंद किया जाना फ्रांसीसी शोषण की पराकष्ठा थी।

प्रश्न 5.
हिन्द चीन के राष्ट्रवाद के विकास का वर्णन करें।
उत्तर-
हिन्द चीन में फ्रांसीसी उपनिवेशवाद के छिट-फुट विद्रोह का सामना तो प्रारंभिक दिनों से ही झेलना पड़ रहा था। परन्तु 20वीं शताब्दी के शुरू में यह और मुखर होने लगा। वहाँ राष्ट्रवाद का विकास निम्न प्रकार से हुआ

  • 1930 ई. में फान-बोई-चाऊ ने ‘दुईतान होई’ नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की जिसके नेता कुआंग थे। फान-बोई-चाऊ ने ‘द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम’ लिखकर हलचल पैदा कर दी।
  • 1905 में जापान द्वारा रूस को हटाया जाना हिन्द चीनियों के लिए प्रेरणास्रोत बन गया।
  • रूसो एवं माण्टेस्क्यू जैसे फ्रांसीसी विचारों के विचार उन्हें उद्वेलित कर रहे थे।
  • राष्ट्रवादी नेता फान-चू-त्रिन्ह ने राष्ट्रवादी आन्दोलन के स्वतंत्रीय स्वरूप को गणतंत्रवादी बनाने का प्रयास किया।
  • जापान में शिक्षा प्राप्त करने गए छात्रों ने फान-चू-त्रिन्ह के विचारों से प्रभावित होकर वियतनाम कुवान फुक होई नामक संगठन की स्थापना की।
  • प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुई ज्यादतियों के कारण 1914 में ही देशभक्तों ने एक “वियतनामी राष्ट्रवादी दल” नामक संगठन बनाया जिसका पहला अधिवेशन कैण्टन में हुआ।
  • 1917 में हो-ची-मिन्ह नामक एक वियतनामी छात्र ने पेरिस में ही साम्यवादियों का एक गुट बनाया।
  • 1925 में हो-ची मिन्ह ने साम्यवाद से प्रेरित होकर ‘वियतनामी क्रान्तिकारी दल’ बनाया।
  • 1930 में वियतनाम के बिखरे राष्ट्रवादी गुटों को एकजुट कर ‘वियतनामकांग सान इंग’ की स्थापना की।
  • 1930 के दशक की विश्वव्यापी मंदी ने भी राष्ट्रवाद के विकास में योगदान दिया। क्योंकि हिन्द-चीन में बेरोजगारी बढ़ती जा रही थी। इस स्थिति से परेशान किसान भी साम्यवाद को अपना . रहे थे और राष्ट्रवादी आन्दोलन जोर पकड़ता जा रहा था।

Bihar Board Class 10 History हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जेनेवा समझौता कब और किसके बीच हुआ था?
उत्तर-
जेनेवा समझौता फ्रांस और वियतनाम के बीच 1954 में हुआ था।

प्रश्न 2.
वियतनाम में स्कॉलर्स रिवोल्ट क्यों हुआ?
उत्तर-
वियतनाम में ईसाई मिशनरियों के बढ़ते प्रभाव को समाप्त करने के लिए 1868 में ईसाईयत के विरुद्ध स्कॉलर्स रिवोल्ट हुआ।

प्रश्न 3.
पाथेट लाओ की स्थापना क्यों की गई?
उत्तर-
पाथेट लाओ जो एक सैन्य संगठन था। इसकी स्थापना का कारण लाओस में साम्यवादी शासन व्यवस्था की स्थापना करना था।

प्रश्न 4.
1970 में जकार्ता सम्मेलन क्यों बुलाया गया ?
उत्तर-
अमेरिका ने कंबोडिया से अपनी सेना की वापसी की घोषणा की लेकिन दक्षिण वियतनाम कंबोडिया से अपनी सेना हटने को तैयार नहीं हुआ। इस गंभीर स्थिति के समाधान के लिए मई 1970 में जकार्ता सम्मेलन (ग्यारह एशियाई देशों का सम्मेलन) बुलाया गया।

प्रश्न 5.
वियतनाम में रहनेवाले फ्रांसीसियों को क्या कहा जाता था?
उत्तर-
20वीं शताब्दी के आरंभ तक संपूर्ण हिंद-चीन फ्रांस की अधीनता में आ गए थे। फ्रांसीसी आकर वियतनाम में बसने लगे। वियतनाम में रहनेवाले फ्रांसीसियों को कोलोन’ कहा जाता था।

प्रश्न 6.
वियतनाम में टोंकिन फ्री स्कूल क्यों स्थापित किए गए?
उत्तर-
पश्चिमी ढंग की शिक्षा देने के उद्देश्य से 1907 में वियतनाम में टोंकिन फ्री स्कूल खोला गया था। इस शिक्षा में विज्ञान, स्वच्छता तथा फ्रांसीसी भाषा की कक्षाएं भी शामिल थीं जो शाम को लगती थीं तथा इनके लिए अलग से फीस ली जाती थी। स्कूल में वियतनामियों को आधुनिक बनाने पर बल दिया गया।

प्रश्न 7.
“पूरब की ओर चलो’ आंदोलन का क्या उद्देश्य था ?
उत्तर-
इस आंदोलन का उद्देश्य वियतनाम में फ्रांसीसी सत्ता को समाप्त कर फ्रांसीसियों को वियतनाम से बाहर निकालना था। साथ ही साथ वियतनामी उसके स्थान पर गयेन राजवंश की पुनर्स्थापना करना चाहते थे।

प्रश्न 8.
हुईन्ह फू सो कौन थे?
उत्तर-
होआ हाओ आंदोलन के संस्थापक हुईन्ह फू सो थे। वह गरीबों की मदद करता था। व्यर्थ खर्च के खिलाफ उनके उपदेशों का लोगों के ऊपर काफी प्रभाव पड़ा था।

प्रश्न 9.
इंडो-चाइना यूनियन की स्थापना कब और किसके साथ मिलकर हुई थी?
उत्तर-
इंडो-चाइना यूनियन की स्थापना 1887 में की गई थी। इंडो-चाइना यूनियन की स्थापना कोचिन-चाइना, अन्नाम, तोंकिन, कंबोडिया और बाद में लाओस को मिलाकर बनाया गया था।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वियतनाम में राष्ट्रवाद के उदय के कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर-
वियतनाम में राष्ट्रवाद के विकास में विभिन्न तत्वों का योगदान था जिनमें औपनिवेशिक शोषणकारी नीति तथा स्थानीय आंदोलनों ने काफी बढ़ावा दिया। 20वीं शताब्दी के शुरूआत में यह विरोध और मुखर होने लगा। वियतनामी राष्ट्रवाद के विकास में फा-बोई-चाऊ ने “द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम” लिखकर राष्ट्रवादियों के बीच हलचल पैदा कर दी। वियतनामी राष्ट्रवाद के विकास के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

  • 1929-30 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी।
  • औपनिवेशिक सरकार की शोषणकारी नीति।।
  • किसानों पर बढ़ता बोझा
  • गरीबी तथा बेरोजगारी की समस्या तथा
  • उग्र (रैडिकल) आंदोलनों का प्रभाव।

प्रश्न 2.
होआ-होआ आंदोलन के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर-
होआ-होआ आंदोलन वियतनाम में चलाया गया जो उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन था। 1939 में होआ-हाओ आंदोलन आरंभ हुआ। इसका केन्द्र मेकांग डेल्टा था। इस आंदोलन की उत्पत्ति फ्रांसीसी उपनिवेशवादी विरोधी विचारों से हुई थी। इस आंदोलन का प्रणेता हुइन्ह फू सो था। वह जनकल्याण संबंधी कार्य करता था और समाजसुधारक भी था। उसने फिजूलखर्ची, शराबखोरी और बाल कन्याओं की बिक्री की प्रथा का विरोध किया। समाज में उसका व्यापक प्रभाव था। हुइन्ह फूसो के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए सरकार ने कठोर दमनात्मक कारवाई कर होआ-हाओ आंदोलन को दबा दिया। लेकिन यह आंदोलन राष्ट्रवाद की मुख्य धारा से जुड़ गया।

प्रश्न 3.
फ्रांसीसियों ने मेकांग डेल्टा में नहरे क्यों बनवाई ? इनका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर-
फ्रांसीसियों ने कृषि के विस्तार के लिए मेकांग डेल्टा क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा के लिए नहरें बनवाई। सिंचाई की समुचित व्यवस्था उपलब्ध होने से धान की खेती और उत्पादन में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि हुई। एक अनुमान के अनुसार 1873 में जहाँ 2,74,000 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती होती थी। वह 1930 में बढ़कर 22 लाख हेक्टेयर हो गया। क्षेत्र विस्तार के अतिरिक्त उत्पादन भी बढ़ा। 1931 तक वियतनाम विश्व का तीसरा चावल निर्यातक देश बन गया।

प्रश्न 4.
वियतनाम मुक्ति एसोशिएशन की स्थापना क्यों की गई?
उत्तर-
1911 की चीनी क्रांति से वियतनामियों को काफी प्रेरणा मिली थी। चीनी क्रांति के परिणामस्वरूप चीन में मंजू राजवंश का शासन समाप्त हुआ तथा चीनी गणतंत्र की स्थापना की गयी। चीन की घटनाओं से प्रेरित होकर वियतनामी विद्यार्थियों ने वियतनाम मुक्ति एसोशिएसन नामक संस्था की स्थापना की। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य राजशाही की पुनर्स्थापना न होकर लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना के लिए प्रयास करना था।

प्रश्न 5.
एकतरफा अनुबंध व्यवस्था पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
वियतनाम में एकतरफा अनुबंध व्यवस्था के अंतर्गत बागानों में मजदूरों से काम करवाया जाता था। इस व्यवस्था में मजदूरों को एक एकरारनामा के अंतर्गत को बागान मालिक और मजदूरों के बीच होता था, काम करना पड़ता था। एकरारनामा में मजदूरों को कोई अधिकार नहीं दिया गया। सारे अधिकार मालिकों के पास थे। काम पूरा नहीं होने पर मजदूरों को मालिक दंडित कर सकते थे, उन्हें जेल भिजवा सकते थे। वस्तुतः बागान मजदूरों की स्थिति गुलामों के समान थी। ग्रामीण क्षेत्रों में सामंती व्यवस्था के प्रचलन के कारण किसानों और मजदूरों की स्थिति दयनीय थी।

प्रश्न 6.
बाओदायी के विषय में क्या जानते हैं ?
उत्तर-
बाओदायी वियतनाम के प्राचीन राजवंश का सम्राट था। जापानियों ने हिन्द-चीन से वापस लौटते समय अन्नाम का शासन ओदायी को सौंप दिया। लेकिन बाओगई साम्यवादियों का सामना करने में असमर्थ था इसलिए उसने अन्नाम के सम्राट का पद त्याग दिया। वियतनाम के आजादी के बाद फ्रांसीसी बाओरायी को अपने प्रभाव में लेकर वियतनाम पर अप्रत्यक्ष शासन करते रहे।

प्रश्न 7.
वियतनाम का विभाजन क्यों और कैसे हुआ?
उत्तर-
वियतनाम और फ्रांस के युद्ध में फ्रांसीसियों की बुरी तरह पराजय हुई। अमेरिका ने हिन्द-चीन में हस्तक्षेप करने का निश्चय किया जिससे स्थिति विस्फोटक हो गई तथा तृतीय विश्वयुद्ध का खतरा उत्पन्न हो गया। ब्रिटेन, फ्रांस युद्ध नहीं चाहते थे तथा समझौता की नीति अपनाई। इसके लिए जेनेवा में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। 1954 के जेनेवा समझौता के द्वारा इंडो-चीन के लाओस और कम्बोडिया स्वतंत्र कर दिए गए। दोनों राज्यों में वैध राजतंत्र एवं संसदीय व्यवस्था लागू की गई।

वियतनाम का विभाजन अस्थाई रूप से दो भागों में कर दिया गया-(i) उत्तरी वियतनाम (ii) दक्षिणी वियतनाम। दोनों राज्यों की विभाजक, रेखा सत्रहवीं समानांतर बनाई गई। उत्तरी वियतनाम में हो ची मिन्ह की कम्युनिस्ट सरकार को मान्यता दी गई। दक्षिणी वियतनाम में बाओदाई की सरकार बनी रही। यह व्यवस्था भी की गई कि 1956 में पूरे वियतनाम के लिए चुनाव करवाए जाएंगे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
फान बोई चाऊ और फान चू मिन्ह का परिचय दें। उनके विचारों में आप क्या समानता और अंतर देखते हैं ?
उत्तर-
फान बोर्ड चाऊ- (1867-1940) फान बोई चाऊ वियतनाम के महान राष्ट्रवादी थे। उनपर कन्फ्यूशियसवाद का गहरा प्रभाव था। वे वियतनामी परंपराओं के नष्ट होने से दुखी थे। फ्रांसीसी सत्ता के वे विरोधी थे और इसे समाप्त करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने आंदोलन चलाया। आंदोलन चलाने के उद्देश्य से 1903 में उन्होंने एक दल का गठन किया जिसका नाम रेवोल्यूशनरी सोसाइटी अथवा दुईतान होई था। इस दल का अध्यक्ष न्यूगेन राजवंश के कुआंग दे को बनाया गया। फान बोर्ड चाऊ की गणना देश के प्रमुख राष्ट्रवादी नेता के रूप में की जाने लगी। फान बोर्ड चाऊ के ऊपर चीन के सुधारक लियोग किचाओ का भी गहरा प्रभाव था। 1905 में उन्होंने लियांग किचाओ से भेंट की और उनके सलाह पर उन्होंने ‘द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम” नामक पुस्तक लिखी।

फान चूत्रिन्ह (1871-1926)- फान चू त्रिन्ह वियतनाम के दूसरे विख्यात राष्ट्रवादी थे। इनके और फान बोई चाऊ के विचारों में भिन्न थी। वे राजतंत्रात्मक व्यवस्था के विरोधी थे। वियतनाम की स्वतंत्रता के लिए वे राजा की सहायता नहीं लेना चाहते थे बल्कि इसे उखाड़ फेंकना चाहते थे। उनकी आस्था गणतंत्रात्मक व्यवस्था में थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वह देश में लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा चाहते थे। वे पश्चिमी जगत की लोकतंत्रात्मक व्यवस्था विशेषतः फ्रांसीसी क्रांति के आदर्शों से प्रभावित थे।

फान बोई चाऊ और फान चू मिन्ह के विचारों में सबसे बड़ी समानता यह थी कि दोनों ही वियतनाम की स्वतंत्रता चाहते थे। लेकिन दोनों में विरोधाभास या भिन्नता यह थी कि फान बोई चाऊ जहाँ वियतनाम की स्वतंत्रता के लिए राजशाही का समर्थन और सहयोग लेने के पक्षधर थे, वहीं फान च मिन्ह राजतंत्रात्मक व्यवस्था के विरोधी थे तथा वियतनाम की स्वतंत्रता के लिए राजा की सहायता नहीं लेना चाहते थे बल्कि इसे उखाड़ फेंकना चाहते थे।

प्रश्न 2.
वियतनाम के स्वतंत्रता संग्राम में हो ची मिन्ह के योगदान का मूल्यांकन करें?
उत्तर-
वियतनामी स्वतंत्रता के मसीहा हो ची मिन्ह थे। उनका मूल नाम न्यूगेन आई क्लोक था। वे पेरिस और मास्को में शिक्षा ग्रहण की थी। शिक्षा पूरी करने के पश्चात उन्होंने अपना कुछ समय शिक्षक के रूप में व्यतीत किया। वे मार्क्सवादी विचारधारा से गहरे रूप से प्रभावित थे। उनका मानना था कि बिना संघर्ष के वियतनाम को आजादी नहीं प्राप्त हो सकती है। फ्रांस में रहते हुए 1917 में उन्होंने वियतनामी साम्यवादियों का एक गुट बनाया। लेनिन द्वारा कॉमिन्टन की स्थापना के बाद वे इसके सदस्य बन गए। इन्होंने लेनिन और अन्य कम्युनिस्ट नेताओं से मुलाकात की। यूरोप थाइलैंड और चीन में उन्होंने लंबा समय व्यतीत किया।

साम्यवाद से प्रेरित होकर 1975 में उन्होंने बोरादिन (रूस) में वियतनामी क्रांतिकारी दल का गठन किया। फरवरी 1930 में हो ची मिन्ह ने वियतनाम के विभिन्न समूहों के राष्ट्रवादियों को एकजुट किया। स्वतंत्रता संघर्ष प्रभावशाली ढंग से चलाने के लिए उन्होंने 1930 में वियतनामी कम्युनिस्ट पार्टी (वियतनाम कांग सान देंग) की स्थापना की। इस दल का नाम बाद में बदलकर इंडो चायनीज कम्यूनिष्ट पार्टी कर दिया गया। इसी दल के अधीन और हो ची मिन्ह के नेतृत्व में वियतनाम ने स्वतंत्रता प्राप्त की। 1943 में न्यूगेन आई क्लोक ने अपना नाम हो ची मिन्ह रख लिया।

हो चीन मिन्ह के नेतृत्व में एक नए संगठन लीग फार दी इंडिपेंडेंस आफ वियतनाम अथवा वियेतमिन्ह की स्थापना की गई। वियेतमिन्ह ने गुरिल्ला युद्ध का सहारा लेकर फ्रांसीसियों और जापानियों दोनों को परेशान कर दिया। 1945 तक वियेत चिन्ह ने लेनिन पर अधिकार कर लिया। 1944 में विश्वयुद्ध की परिस्थितियाँ बदलने लगी थी। फ्रांस पर से जर्मनी का प्रभुत्व समाप्त हो गया। जापान द्वारा पर्ल हार्बर पर आक्रमण के बाद अमेरिका विश्वयुद्ध में सम्मिलित हो गया।

उसने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए। इससे जापान की शक्ति कमजोर हो गई। अतः पोट्सड्म की घोषणा के बाद जापान ने आत्म समर्पण कर दिया और हिंद-चीन से अपनी सेना हटाने लगा। वापस लौटते हुए जापानियों ने अन्नाम का शासक प्राचीन राजवंश के सम्राट बाओदाई को सौंप दिया। बाओदाई साम्यवादियों का सामना करने में पूरी तरह असमर्थ था इसलिए उसने अन्नाम के समट का पदत्याग दिया। इससे वियतनामी गणराज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हो गया। सित्मबर 1945 में वियतनाम लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना हुई तथा हो ची मिन्ह इस गणतंत्र के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।

प्रश्न 3.
वियतनाम में साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष में महिलाओं की भूमिका की विवेचना करें।
उतर-
वियतनाम के राष्ट्रवादी आंदोलन में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका थी। युद्ध और शांति काल दोनों में उन लोगों ने पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर सहयोग किया। स्वतंत्रता संग्राम में वे विभिन्न रूपों में भाग लेने लगी छापामार योद्धा के रूप में कुली के रूप में अथवा नर्स के रूप में समाज ने उनकी नई भूमिका को सराहा और इसका स्वागत किया। वियतनामी राष्ट्रवाद के विकास के साथ स्त्रियाँ बड़ी संख्या में आंदोलनों में भाग लेने लगी। स्त्रियों को राष्ट्रवादी धारा में आकृष्ट करने के लिए बीते वक्त की वैसी महिलाओं का गुण्मान किया जाने लगा जिन लोगों ने साम्राज्यवाद का विरोध करते हुए राष्ट्रवादी आंदोलनों में भाग लिया था।

राष्ट्रवादी नेता फान बाई चाऊ ने 1913 में ट्रंग बहनो के जीवन पर एक नाटक लिखा। इस नाटक ने वियतनामी समाज पर गहरा प्रभाव डाला। ट्रंग बहनें वीरता और देशभक्ति की प्रतीक बन गई। उन्हें देश के लिए अपना प्राण उत्सर्ग करनेवाला बताया गया। चित्रों, उपन्यासों और नाटकों के द्वारा उनका गौरवगान किया गया। ट्रंग बदनों के समान त्रिय् अम् का भी महिमागान किया गया।

ट्रंग बहनों के समान त्रिय् अयू का गुणगान भी देश के लिए शहीद होनेवाली देवी के रूप में प्रस्तुत किया गया। उसके चित्र बनाए गए. जिसमें उसे हथियारों से लैस एक जानवर की पीठ पर बैठे हुए दिखाया गया। इन स्त्रियों के महिमामंडल का वियतनामी औरतों पर गहरा प्रभाव पड़ा। इनसे प्रेरणा लेकर बड़ी संस्था में स्त्रियाँ स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने लगी। युद्ध में बड़ी संख्या में सैनिकों के हताहत होने के बाद महिलाओं को भी सेना में शामिल होने को उत्प्रेरित किया गया।

वियतनामी संघर्ष में स्त्रियों ने न सिर्फ युद्ध में ही अपने देश की सेवा नहीं की बल्कि अन्य रूपों में भी अपने राष्ट्र के लिए काम किया। वे सेना में भरती हुई। सुरक्षात्मक व्यवस्था के निर्माण जैसे भूमिगत बंकर और सुरंगों के निर्माण में उन लोगों ने भाग लिया। हवाई पट्टियों का निर्माण किया। हो ची मिन्ह मार्ग द्वारा रसद की आपूर्ति एवं उस मार्ग की मरम्मत का काम किया। अस्पतालों में नसे के रूप में घायलों की सेवा सुश्रुसा की। युद्ध में भी अपनी वीरता का प्रदर्शन किया। हजारों बमों को निष्क्रिय किया एवं अनेक हवाई जहाजों को मार गिराया। हो ची मिन्ह मार्ग की सुरक्षा एवं इसकी मरम्मत में अधिकांशतः युवतियों का ही योगदान था। उनके सहयोग से ही अंततः वियतनाम का एकीकरण संभव हो सका।

Bihar Board Class 10 History हिन्द-चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन Notes

  • हिन्द चीन-दक्षिण पूर्व एशिया में तत्कालीन समय में लगभग3 लाख (2.80 लाख) वर्ग कि. मी. में फैले उस प्रायद्विपीय क्षेत्र में है जिसमें वियतनाम, लाओस और कम्बोडिया के क्षेत्र आते हैं। इनकी उत्तर सीमा म्यानमार एवं चीन को छूती है तो दक्षिण में चीन सागर है और पश्चिम में म्यानमार के क्षेत्र पड़ते हैं।
  • हिन्द चीन में बसने वाले फ्रांसीसी कोलोन कहे जाते थे।
  • 1498 ई. में वास्कोडिगामा ने भारत से जुड़ने की चाह में जब समुद्री मार्ग ढूँढ निकाला तो पुर्तगाली ही पहले व्यापारी थे जो भारत के साथ-साथ दक्षिणी पूर्वी एशियायी देशों से जुड़े थे और 1510 ई. मेंमल्लका को व्यापारिक केन्द्र बना कर हिन्द चीन देशों के साथ व्यापार
    शुरू किया, उसके बाद स्पेन, डच, इंगलैण्ड, फ्रांसीसियों का आगमन हुआ।
  • फ्रांस द्वारा हिन्द चीन को अपना उपनिवेश बनाने का प्रारंभिक उद्देश्य तोडच एवं ब्रिटिश कम्पनियों की व्यापारिक प्रतिस्पर्धा का सामना करना था।
  • हिन्द चीन में फ्रांसीसी प्रभुत्व की स्थापना के साथ ही शासन व्यवस्था पर ध्यान दिया गया।
  • हालाँकि कोचीन-चीन ही सीधे फ्रांसीसी प्रशासन में था बाकी के चार प्रांत तोकिन, अन्नाम, कम्बोडिया और लाओस में पुरातन राजवंश कायम रहे और वहाँरेजिडेन्टों की नियुक्ति होती थी।
  • 1945 ई. तक वियसतमिन्ह के गुरिल्लों के हाथों में तोंकिन के प्रायः सारे क्षेत्र नियंत्रण में आ गए थे। जबकि अब द्वितीय विश्वयुद्ध की स्थितियाँ बदलने लगीं।पर्ल हाबर पर जापान के आक्रमण के साथ ही अमेरिका युद्ध में शामिल हो गया।
  • 25 दिसम्बर, 1955 कोलाओस में चुनाव के बाद राष्ट्रीय सरकार का गठन हुआ और सुवन्न
    फूमा के नेतृत्व में सरकार बनी।
  • सन् 1954 ई० में स्वतंत्र राज्य बनने के बादकम्बोडिया में सांवैधानिक राजतंत्र को स्वीकार
    कर राजकुमार नरोत्तम सिंहानुक को शासक माना गया।
  • 18 मार्च, 1970 को कम्बोडियायी राष्ट्रीय संसद ने नरोत्तम सिंहानुक को सत्ता से हटा दिया और जनरल लोननोल के नेतृत्व में सरकार बनी।
  • कम्बोडिया का नया नाम कम्पुचिया है।
  • प्रसिद्ध दार्शनिकरसेल ने एक अदालत लगाकर अमेरिका को वियतनाम युद्ध के लिए दोषी करार दिया।
  • हो-ची-मिन्ह वियतनामी राष्ट्रीयता केजनक थे।
  • हो-ची-मिन्ह मार्ग हनोई से चलकरलाओस, कम्बोडिया सीमा क्षेत्र से होता हुआदक्षिणी वियतनाम तक जाता था।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन नेवियतनाम में शांति के लिए पाँच सूत्री योजना की घोषणा की।
  • माई-ली-गाँव दक्षिणी वियतनाम में है जहाँ अमेरिकी सेना ने काफी क्रूरतापूर्वक नरसंहार किया था।
  • वियतनाम में स्कॉलर्स रिवोल्ट (1868) तथा होआ होआ आंदोलन (1939) में हुआ।
  • 6 मार्च, 1946 कोहनोई समझौता वियतनाम एवं फ्रांस के बीच हुई।

Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 4 बालगोबिन भगत

Bihar Board Class 8 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 3 Chapter 4 बालगोबिन भगत Text Book Questions and Answers, Summary.

BSEB Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 4 बालगोबिन भगत

Bihar Board Class 8 Hindi बालगोबिन भगत Text Book Questions and Answers

प्रश्न-अभ्यास

पाठ से

Bihar Board Class 8 Hindi Book Solution प्रश्न 1.
बालगोबिन भगत गृहस्थ थे। फिर भी उन्हें साधु क्यों कहा जाता था?
उत्तर:
बालगोबिन बेटा-पतोहु वाले. गृहस्थ थे लेकिन उनका आचरण साधु जैसा था । साधु आडम्बरों या अनुष्ठानों के पालन के निर्वाह से नहीं होता । यदि कोई जटाजुटे बढ़ा लें तो साधु नहीं हो सकता । वस्तुतः साधु वह है जो आचरण में शुद्धता रखता है। बालगोबिन भगत की दिनचर्या कर्त्तव्यनिष्ठता और आत्म ज्ञान उन्हें साधु.बना दिया था।

बालगोबिन भगत पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 2.
भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त की?
उत्तर:
भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर विलाप नहीं करते दिखे। बल्कि मग्न हो गीत गा रहे थे उनकी भावना का वह चरम-उत्कर्ष था । वो अपने पतोह से कहते थे–आनन्द मनाओ। एक आत्मा परमात्मा से मिल गया। उनकी भावना थी कि मृत्यु के बाद आत्मा-परमात्मा से मिल जाता है जो आनन्ददायक बात है। इस भावना को वे संगीत से तथा पतोह को यथार्थता का ज्ञान देकर भावना को व्यक्त कर रहे थे।

Bihar Board Solution Class 8 Hindi प्रश्न 3.
पुत्र-वधु द्वारा पुत्र की मुखाग्नि दिलवाना भगत के व्यक्तित्व की किस विशेषता को दर्शाता है ?
उत्तर:
विवाह के बाद पति पर पत्नी का सबसे अधिक अधिकार है। पत्नी का भी कर्त्तव्य सबसे अधिक पति के प्रति ही होता है। गृहस्थ आश्रम में दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। अत: पतोहु को सबसे बड़ा अधिकारी मान उसी से मुखाग्नि दिलवाया। यह कार्य भगत के व्यक्तित्व की सच्चाई और महानता को दर्शाता है।

पाठ से आगे

बालगोबिन भगत के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 1.
“धर्म का मर्म आचरण में है, अनुष्ठान में नहीं” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बालगोबिन भगत साधु थे लेकिन साधु जैसा वेश-भूषा नहीं था। आचरण की पवित्रता और दिनचर्या से वे साधु ही थे। गृहस्थ होकर भी साधु जैसा आचरण ही धर्म का मर्म है न कि साधु जैसा आडम्बर करके।

बाल गोविंद भगत के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 2.
बालगोबिन भगत कबीर को “साहब” मानते थे। इसके क्या-क्या
कारण हो सकते हैं?
उत्तर:
बालगोबिन कबीर-पंथी होंगे। वे कबीर के पद से अधिक प्रभावित होंगे। भगत जी आडम्बर से दूर रहकर मानव सेवा में विश्वास रखते होंगे। कबीर के आदर्श को बालगोबिन भगत मानते होंगे । इसीलिए वे कबीर को ही अपना “साहब” मानते थे।

Bihar Board Class 8 Hindi प्रश्न 3.
बालगोबिन भगत ने अपने पुत्र को मृत्यु पर भी शोक प्रकट नहीं । किया। उनके इस व्यवहार पर अपनी तर्कपर्ण प्रतिक्रिया व्यक्त कीजिए।
‘उत्तर:
बालगोबिन भगत अपने पुत्र के मृत्यु पर भी शोक प्रकट नहीं किया। उनका यह व्यवहार हमारे विचार से सत्य था। मृत्यु प्राणी को जन्म प्रदान करता है। फिर मृत्यु से शारीरिक कष्ट भी तो दूर होता है । अत: मृत्यु पर शोक करना अज्ञानता ही तो है। क्या मृत व्यक्ति के प्रति हजारों वर्ष तक शोक किया जाय तो वह लौट सकता है ? कदापि नहीं।

Class 8 Hindi Bihar Board प्रश्न 4.
अपने गाँव-जवार में उपस्थित किसी साध का रेखाचित्र अपने शब्दों में प्रस्तुत करें।
उत्तर
हमारे गाँव में एक साधु रहते हैं। बिल्कल साधु रूप स्वभाव आचार-विचार सब में साधु।। सुना गया कि कुछ साल पूर्व सम्भवतः 40-50 वर्ष पूर्व हमारे गाँव में आकर एक मंदिर में डेरा डाला । लोग उन्हें साधु-बाबा कहकर सम्मान देते हैं। साधु बाबा को कभी हमने गुस्सा या नाखुश नहीं देखा। हँसते हुए सारी समस्याओं को निदान वे कर देते हैं। किसी के घर में कलह झगड़ा-झंझट बाल-युवा-वृद्ध सभी उठकर अपने-अपने काम में लग जाते हैं। किसी के बारे में जब साधु-बाबा को पता चलता है कि रोग से पीड़ित हो गया है तो साधु बाबा इलाज के लिए प्रबन्ध करते हैं और उन्हें अस्पताल ..’ तक, ले जाते हैं ।

उसका समुचित इलाज करवाते हैं। उनके माध्यम से जाने पर इलाज में डॉक्टर भी कोताही नहीं करते। पंचायत में भी उनकी भूमिका निर्णायक माना जाता है। इसे जो कहा . सबके लिए मान्य है । धन्य हैं साधु बाबा जिनके कारण हमारे गाँव के लोग बड़े खुश एवं सम्पन्न हैं। किसी को कोर्ट-कचहरी नहीं जाना पड़ता है।

बालगोबिन भगत Question Answer Bihar Board प्रश्न 5.
अपने परिवेश के आधार पर वर्षा-ऋतु का वर्णन करें।
उत्तर:
हपारे गाँव नदी के किनारे बसा है । गाँव के तीनों ओर झील हैं। – जब वर्षा ऋतु आता है तो हमारे गाँव के चारों ओर पानी ही पानी दिखाई देता है। लोगों को बड़ी परेशानी होती है। गांव में साग-सब्जी की कमी हो जाती – है। सबसे अधिक जलावन की दिक्कत गाँव में होती है। का जब वर्षा ऋतु आती है तो लोग गाँव से बाहर धान रोपने के लिए निकल ‘ जाते हैं। गाँव से अधिक खेतों में लोग दिखाई पड़ते हैं। जब वर्षा होती रहती है तो गाँव थमा जैसा लगता है। अधिक वर्षा से गाँव वालों को बड़ी हानि . उठानी पड़ती है।

Bihar Board 8th Class Hindi Book प्रश्न 6.
अब सारा संसार निस्तब्धता में सोया है, बालगोबिन भगत का संगीत – जाग रहा है, जगा रहा है।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक “किसलय भाग-3” के “बालगोबिन भगत” पाठ से संकलित है। इस पाठ के लेखक “रामवृक्ष बेनीपुरी” जी हैं। यह पाठ एक “रेखाचित्र” है। बालगोबिन की संगीत साधना गर्मी हो यो वर्षा सदैव चलता रहता था। . भादो की रात में भी चाहे वर्षा होती रहे या बिजली की करकराहट रहे । यहाँ “तक मेढ़क की टर्र-टर्र आवाज भी बालगोबिन के गीत को प्रभावित नहीं कर पाती। आधी रात में उनका गाना सबों को चौका देता। जब सारा संसार निस्तब्धता में सोया है। बालगोबिन भगत का संगीत जाग रहा है, जगा रहा

Bihar Board Class 8 Hindi Solutions प्रश्न 7.
रूढ़ीवादिता से हमें किस प्रकार निपटना चाहिए ? किसी एक. रूढ़ीवादी परम्परा का उल्लेख करते हए बताइए कि आप किस प्रकार निपटेंगे?
उत्तर:
रूढ़ीवादिता हमारे समाज के लिए अभिशाप है। इससे निपटने के लिए हमें दृढ़ सकल्प होना चाहिए । हमारा समाज रूढ़ीवादिता से संक्रमित है जिसके कारण समाज के लोगों का जीवन कठिनाइयों से भर जाता है। – उदाहरण में किसी के मरने पर खूब भोज करना हमारे विचार से उचित नहीं।

कोई गरीब का बाप मर जाता है तो गाँव के लोग उसे भोज करने को विवश कर देते हैं। परिणामस्वरूप निर्धन व्यक्ति कर्ज लेकर भोज करते हैं। … फिर वे महाजन के चंगुल से निकलने के लिए वर्षों दुःख झेलते हैं। क्या जरूरत है कर्ज लेकर भोज करने को। हम अपने गाँव में रूढ़ीवादिता से होने वाले नुकसान का ज्ञान कराकर – लोगों को रूढ़ीवादिता से दूर करने का प्रयास करेंगे।

इन्हें भी जानिए

1. योजक चिह्न
(क) माता-पिता, लड़का-लड़की, पाप-पुण्य जिन पदों के दोनों खंड प्रधान हो, वहाँ योजक यह लगाया जाता है।
(ख) ऊपर-नीता -पिता, पाप-पुण्य, भाई-बहन दो विपरीतार्थक शब्दों के बीच योजक चिह्न लगाया जाता है।
(ग) उल्टा-पुल्टा, अनाप-शनाप, रोटी-वोटी जब दो शब्दों में से एक सार्थक और दूसरा निरर्थक हो तो वहाँ योजक चिह्न का प्रयोग होता है।

इस पाठ में प्रयुक्त वैसे शब्दों का चयन कीजिए जो योजक चिह्न से जुड़े हों एवं उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए।

2. उद्धरण चिह्न का प्रयोग :
जहाँ किसी पुस्तक से कोई वाक्य ज्यों-का-त्यों उद्धृत किया जाय वहाँ ‘दुहरे उद्धरण चिह्न (” “) एवं जहाँ कोई विशेष एवं पुस्तक, समाचार पत्र, लेखक का उपनाम, शीर्षक इत्यादि उद्धृत किया जाय वहाँ इकहरे उद्धरण चिह्न
(‘ ‘) का प्रयोग होता है। जैसे
“जीवन विश्व की संपत्ति है।” – जयशंकर प्रसाद
‘कामायनी’ की कथा संक्षेप में लिखिए।
‘निराला’ पागल नहीं थे।
‘हिन्दुस्तान’ एक हिन्दी दैनिक पत्र है।

3. रेखाचित्र-जब किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, घटना, दृश्य आदि का इस प्रकार वर्णन किया जाय कि पाठक के मन पर उसका हू-ब-हू चित्र बन जाये तो उसे रेखाचित्र कहते हैं। यथा ‘बालगोबिन भगत’ पाठ का पहला अनुच्छेद । रेखाचित्र में किसी साधारण पात्र की असाधारण विशेषताओं को किया जाता

व्याकरण

किसलय हिंदी बुक बिहार क्लास 8 Solution Bihar Board प्रश्न 1.
इस पाठ में प्रयुक्त वैसे शब्दों का चयन कीजिए जो योजक चिह्न
से जुड़े हों एवं उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर:
लगौटी – मात्र – बालगोबिन भगत लगौटी – मात्र धारण करते थे।
साफ – सुथरा – मकान को साफ-सुथरा रखना चाहिए।
दो – टुक – वह हमेशा दो – टुक बात करता है।
कभी – कभी – बालगोबिन भगत गाते-गाते कभी – कभी नाच उठते थे।
सदा – सर्वदा – हमें सदा – सर्वदा पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए।
पानी भरे पानी – भरे खेत में वे काम करते दिखते थे।
स्वर – तरंग – बालगोबिन भगत के स्वर – तरंग लोगों को तुरन्त आकर्षित कर लेता था।.
टर्र – टर्र-मेढ़क की टर्र – टर्र वर्षा ऋतु में सुनाई पड़ता है।
डिमक-डिमक-बालगोबिन भगत की खंजरी डिमक-डिमक बज उठती । थी।
गाते – गाते वह गाते – गाते मस्ती में नाचने लगते थे।
बार – बार – भगत के सिर पर से कमली बार – बार खिसक जाता था।
प्रेम – मंडली – बालगोबिन के प्रेमी – मंडली उनके गायन में साथ देता था।
” धीरे – धीरे-धीरे-धीरे लोग वहाँ आ गये। गंगा – स्नान-गंगा-स्नान से पुण्य होता है।
संगीत – साधना – बालगोबिन भगत की संगीत – साधना निर्मल थी।

प्रश्न 2.
इस पाठ में आए दस क्रिया-विशेषण छाँटकर लिखिए।
उत्तर:

  1. दो-टुक बाल करना।
  2. चहक उठना ।
  3. खाम-खाह झगड़ा।
  4. चमक उठना ।
  5. बच्चे का उछलना।
  6. धीरे-धीरे स्वर ।
  7. खेलते बच्चे
  8. गंगा स्नान ।
  9. डिमक-डिमक बजना

गतिविधि

1. किसी खास प्रयोजन/खास मौसम घर गाए जाने वाले गीत को ढूंढ़िए एवं कक्ष में सुनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

2. इस पाठ में आषाढ़, भादो, कातिक, फागुन एवं माघ विक्रम संवत कैलेंडर के मासों के नाम हैं। शेष बचे मासों के नाम लिखिए।
उत्तर:
चैत, वैशाख, जेठ, सावन, आश्विन, अगहन, पूस ।

बालगोबिन भगत Summary in Hindi

रामवृक्ष बेनीपुरी रचित रेखाचित्र बालगोबिन भगत ……. रूप से भी – परिचित होंगे।

बालगोबिन भगत मँझौले कद, गोरे-पतले थे, उम्र 60 वर्ष के पके बाल-दाढ़ी, लेकिन साधुओं की तरह जटा नहीं। एक लंगोटी तथा सिर पर. कबीरपंथी टोपी, जाड़े के समय एक काली कम्बल ओढ़ लेते । ललाट पर सदैव रामानन्दी चंदन, गले में तुलसी-माला उनको वैष्णव होने का संकेत देता था। बालगोबिन एक गृहस्थ थे। बेटा-पतोहु सभी उनके घर में थे। कुछ खेती-बारी भी थी, जिसे वे परिश्रमपूर्वक किया करते थे।

वे कबीर को अपना आदर्श मानते थे, वही उनके मालिक (साहब) थे, क्योंकि खेत में उपजे सारे अन्न को माथे चढ़कर साहब के दबार (संगत) – में ले जाते । फिर प्रसाद मानकर उपयोग के अनुकूल अन्न लाया करते। वे गृहस्थ होकर भी महान साधु थे। क्योंकि वे किसी का कुछ नहीं छुते, यहाँ तक दुसरों के खेत में शौच तक नहीं करते। किसी से झगडा नहीं करते लेकिन दो टुक बात करने में संकोच नहीं करते।। – वे सदैव कबीर के दोहे या पद गाते दिखते थे। आषाढ़ में धान रोपते

समय भादों में अधरतिया, कार्तिक में प्रभाती और गर्मी के दिनों में संझा गीत से परिवेश मुखरित होते रहते थे। . उनके कुछ प्रेमी भी थे जो मंडली के रूप में बालगोबिन भगत के भजन में साथ देते थे। बालगोबिन भगत अपने प्रेमी मंडली के साथ इतना आनन्द विभोर हो जाते कि खंजडी बजाते हए वे नाच उठते थे।

बालगोबिन भगत की संगीत-साधना का चरम-उत्कर्ष तो उस दिन दिखाई पड़ा, जिस दिन उसका इकलौता बेटा मर गया । जिसे वे बहुत मानते थे। जिसका कारण था बेटा सुस्त एवं बोदा जैसा था। बेटा का मृत शरीर के पास वे धुन-लय में अपना गीत गा रहे थे। बीच-बीच में रोती विलाप करती . पतोहु के पास जाकर रोने के बदले उत्सव मनाने को कहते । वे बार-बार कहते

आत्मा परमात्मा से जा मिला है। इससे बड़ा आनन्द क्या हो सकता है। लोग उसे पागल मान रहे थे।

बेटा के श्राद्ध कर्म करने के बाद पतोहु के भाई को बुलाकर साथ कर दिया और आदेश देते हुए कहा, इसकी दूसरी शादी कर, देना । पतोहु जो अत्यन्त सुशील थी, रो-रोकर कहती रही- मैं चली जाऊंगी तो बुढ़ापे में आपको खाना कौन बनायेगा । बीमार पड़ने पर पानी कौन देगा। लेकिन बालगोबिन का निर्णय अटल था उसने कहा-“तू चली जा, नहीं तो मैं इस

पर वे चला जाऊँगा।” बेचारी चली जाती है। ‘बालगोबिन हर वर्ष 30 कोस पैदल चलकर गंगा स्नान जाते, लेकिन रास्ते ,

में कुछ नहीं खाते केवल पानी पी-पीकर वापस घर आकर ही खाते । इस बार जब वे लौटे तो सुस्त पड़ गये। बीमार पड़ गये, लेकिन स्नान-पूजा, संगीत-साधना, खेती-बारी कुछ भी नहीं छोड़ा। एक दिन लोगों ने शाम का संगीत सुना लेकिन प्रात:कालीन संगीत नहीं सुनकर बालगोबिन के पास जाते हैं तो देखा बालगोबिन का मृत शरीर पड़ा है।

Bihar Board Class 9 Geography Solutions Chapter 2 भौतिक स्वरूप : संरचना एवं उच्चावच

Bihar Board Class 9 Social Science Solutions Geography भूगोल : भारत : भूमि एवं लोग Chapter 2 भौतिक स्वरूप : संरचना एवं उच्चावच Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Social Science Geography Solutions Chapter 2 भौतिक स्वरूप : संरचना एवं उच्चावच

Bihar Board Class 9 Geography भौतिक स्वरूप : संरचना एवं उच्चावच Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न :

भौतिक स्वरूप संरचना एवं उच्चावच Bihar Board प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सी चोटी भारत में स्थित नहीं है ?
(क) के’
(ख) कामेट
(ग) माउण्ट ऐवरेस्ट
(घ) नंदा देवी
उत्तर-
(ग) माउण्ट ऐवरेस्ट

Bihar Board Class 9 Geography Solutions प्रश्न 2.
बिहार के उत्तर-पश्चिमी किनारे पर हिमालय की कौन-सी श्रेणी है?
(क) महान हिमालय
(ख) शिवालिक
(ग) मध्य हिमालय
(घ) पूर्वी हिमालय
उत्तर-
(ख) शिवालिक

Bihar Board Class 9 Geography Chapter 2 प्रश्न 3.
हिमालय के निर्माण में कौन-सा सिद्धांत सर्वमान्य है ?
(क) महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत
(ख) भूमंडलीय गतिशीलता सिद्धांत
(ग) प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत

Bihar Board Solution Class 9 Social Science प्रश्न 4.
सैडल चोटी की ऊँचाई है-
(क) 515 मी०
(ख) 460 मी०
(ग) 642 मी०
(घ) 730 मी०
उत्तर-
(ग) 642 मी०

Bihar Board Class 9 Social Science Solution प्रश्न 5.
भारत का सबसे प्राचीन भूखण्ड है
(क) प्रायद्वीपीय पठार
(ख) विशाल मैदान
(ग) उत्तर का पर्वतीय भाग
(घ) तटीय भाग
उत्तर-
(क) प्रायद्वीपीय पठार

लघु उत्तरीय प्रश्न

कक्षा 9 भूगोल अध्याय 2 Question And Answer प्रश्न 1.
हिमालय की तीन समान्तर श्रेणियों का नाम लिखें।
उत्तर-
हिमालय की समान्तर श्रेणियाँ हैं (i) वृहत हिमालय या हिमाद्रि। (ii) लघु हिमालय या मध्य हिमालय। (iii) बाहरी हिमालय या शिवलिक ।

Bihar Board Class 9 Geography Book Solution प्रश्न 2.
काराकोरम के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर का क्या नाम है ?
उत्तर-
गाडविन आस्टीन तथा गौरीनन्दा पर्वत के नाम से जाना जाता है।

Bihar Board Class 9th History Solution प्रश्न 3.
कौन-सा तटीय मैदान अपेक्षाकृत अधिक चौड़ा है ? ।
उत्तर-
पूर्वी, तटीय मैदान, पश्चिमी तटीय मैदान की अपेक्षाकृत अधिक चौड़ाई है। इसकी चौड़ाई 160 से 350 कि०मी० तक है।.

कक्षा 9 भूगोल अध्याय 2 Notes प्रश्न 4.
तटीय मैदान में स्थित तीन झीलों के नाम लिखें।
उत्तर-
तटीय मैदान में स्थित झील हैं(i) चिल्का , (ii) पुलीकट, (iii) वेम्बानद।

Bihar Board Solution Class 9 प्रश्न 5.
पश्चिमी घाट पर्वत का दूसरा नाम क्या है ?
उत्तर-
इसे सहयाद्रि की पहाड़ियाँ भी कहते हैं।

Bihar Board Class 9 Social Science Solution In Hindi प्रश्न 6.
मध्यं गंगा के मैदान की चार विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर-
मध्य गंगा के मैदान की विशेषताएँ

  • यह मैदान 1400 किलोमीटर लम्बा है।
  • इस मैदान की ढाल सामान्यतः उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर है।
  • इसका विस्तार उत्तर भारत के राज्यों यथा-बिहार, उत्तर प्रदेश, तथा पश्चिम बंगाल तक है। .
  • इसका निर्माण जलोढ़ मिट्टी से हुआ है।

कक्षा 9 भूगोल अध्याय 2 प्रश्न उत्तर प्रश्न 7.
हिमालय और प्रायद्वीय पर्वतों के दो प्रमुख अंतर बताएँ।
उत्तर-
दोनों में अंतर इस प्रकार है :
Bihar Board Class 9 History Solution
Bihar Board Class 9th Geography Solution

Bihar Board Class 9th Geography Solution प्रश्न 8.
‘खादर’ तथा ‘बांगर’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
खादर : गंगा के मैदान में जहाँ नदियाँ नये कछारी भाग में जो निचले मैदान में है और जहाँ बाढ़ की जल प्रतिवर्ष पहुँचकर नयी मिट्टी की परत जमा कर देता है उसे ‘खादर’ कहते हैं।

बांगर : जहाँ नदियों द्वारा पुरानी मिट्टी के ऊँचे मैंदान बन गए हैं वहाँ नदियों के बाढ़ का जल नहीं पहुँच पाता है, उसे ‘बांगर’ कहते हैं।

प्रश्न 9.
पूर्वी घाट तथा पश्चिमी घाट में अन्तर बताएँ।।
उत्तर-
पूर्वी घाट तथा पश्चिमी घाट में निम्नलिखित अंतर है|
Bihar Board Class 9 Geography Solutions Chapter 2 भौतिक स्वरूप संरचना एवं उच्चावच - 3(i)

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उत्तर के विशाल मैदान की विशेषताओं को लिखें।
उत्तर-
उत्तर के विशाल मैदान की विशेषताएँ इस प्रकार हैं :
यह मैदान हिमालय पहाड़ के दक्षिण और दक्षिणी पठार के उत्तर तीन प्रमुख नदी प्रणालियों-गंगा, सिन्धु, ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों से बना है इसे सिन्धु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान कहते हैं । इस मैदान का निर्माण जलोढ़ मिट्टी से हुआ है। . यह मैदान भारत का ही नहीं बल्कि विश्व का सबसे अधिक उपजाऊ और घनी जनसंख्या वाला मैदान है। . यह मैदान 7 लाख वर्ग किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्रफल में फैला है। पश्चिम से पूर्व इसकी लम्बाई लगभग 2400 कि०मी० है और 150 से 500 कि०मी० चौड़ा है। यह मैदान समुद्रतल से 240 मीटर से अधि क ऊँचा नहीं है।

इस मैदान के चार उप-भाग हैं
(i) पंजाब का मैदान
(ii) राजस्थान का मैदान
(iii) गंगा का मैदान
(iv) ब्रह्मपुत्र का मैदान

(i) पंजाब का मैदान-सिन्धु और इसकी सहायक नदियों के द्वारा बना है। पंजाब और हरियाणा का भाग इसमें सम्मिलित है। इस मैदान में झेलम, चेनाव, रावी, व्यास तथा सतलुज नदियाँ बहती हैं। इसकी औसत ऊँचाई 150 से 300 मीटर तक है। इस मैदान को दोआब कहते हैं।

(ii) राजस्थान का मैदान-यह मैदान अरावली पर्वत के पश्चिम में है। यहाँ शुष्क प्रदेश की प्रमुख नदी लूनी है। इसमें संवार, डंगना, दिदवाना तथा कुचापन जैसे खारे पानी के झील है।

(iii) गंगा का मैदान-यह मैदान 1400 कि०मी० लम्बा है । इसका विस्तार उत्तर भारत के राज्यों यथा उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड के कुछ भाग तथा पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ है । गंगा के मैदान की प्रमुख नदियाँ गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला, कोसी तथा महानन्दा है ।

(iv) ब्रह्मपुत्र का मैदान-यह मैदान असम राज्य में सदिया के रनर पूरब से होकर धुवरी स्थान तक फैला है। यह लगभग 650 कि०मी० लम्बा है। इस मैदान में कई ‘भावर’ और ‘तराई’ हैं।

प्रश्न 2.
प्रायद्वीपीय पठार को विभाजित कर किसी एक की चर्चा विस्तार
से करें।
उत्तर-
प्रायद्वीपीय पठार की आकृति त्रिभुजकार है तथा प्राचीन गोंडावाना भूमि का अंश है। इसकी औसत ऊँचाई 600 से 900 मीटर है। इस पठारी भाग के दो प्रमुख भाग हैं- (क) मध्य उच्च भूमि तथा (ख) दक्कन का पठार।

(क) मध्य उच्च भूमि-मध्य उच्च भूमि का अधिकतर भाग मालवा का पठार कहलाता है। यह पठारी भाग पूरब में महादेव श्रृंखला तथा उत्तर-पश्चिम में अरावली और मध्य में विंध्य श्रृंखला से घिरा हुआ है। इसके पश्चिम में राजस्थान का मरूस्थल है। यहाँ बहने वाली नदियों में चंबल, सिंध, बेतवा तथा केन हैं। यह भाग पश्चिम में चौड़ा और पूरब में संकीर्ण है । इसका पूर्वी विस्तार बुन्देलखंड तथा बघेलखंड के नाम से जाना जाता है। इससे दूर पूर्व के विस्तार को मुख्यतः दामोदर और स्वर्णरेखा नदियों द्वारा अपवाहित, छोटा नागपुर का पठार कहा जाता है।

(ख) दक्कन का पठार – छोटानागपुर के पठार का विस्तार गया जिला के दक्षिणी सीमा तक है। इसी भाग में दामोदर, सोन तथा स्वर्णरेखा नदियाँ बहती हैं । इस पठारी भाग का मध्यवर्तीय भाग 1100 मीटर ऊँचा है जो ‘पातक्षेत्र’ कहलाता है। इसके पूरब में राँची का पठार है। इसमें हजारीबाग का पठार है जिसकी ऊँचाई 300 मीटर है। यहाँ पारसानाथ की पहाड़ी 1365 मीटर ऊँची है।

सतपुरा पर्वत के दक्षिण में तापी की घाटी है, इसमें नर्मदा और तापी ‘नदियाँ बहती हैं। अरावली की पहाड़ियाँ दक्षिण-पश्चिम में गुजरात से लेकर उत्तर-पूर्व में दिल्ली तक फैली हैं। अरावली की औसत ऊँचाई 300 से 920 मीटर तक है । लेकिन इसकी प्रसिद्ध चोटी माउन्ट आबू की गुरुशिखर 1722 मीटर ऊंची है।

प्रश्न 3.
हिमालय पर्वत श्रृंखला की विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर-
भारत की उत्तरी सीमा पर फैली हिमालय पर्वत श्रेणी बनावट के दृष्टिकोण से मोड़दार पर्वत श्रृंखला है। इसकी चौड़ाई कश्मीर में 500 कि०मी० एवं अरुणाचल में मात्र 160 कि०मी० है। इसकी तीन समानान्तर श्रृंखलाएँ है : (i) हिमाद्रि (ii) मध्य हिमालय (iii) बाहरी हिमालय।।

  • हिमाद्रि सर्वोच्च श्रेणी है। सबसे उत्तरी श्रेणी भी यही है। यह भारत का सबसे ऊँचा और संसार की दूसरी सबसे ऊँचा शिखर है जिसकी ऊँचाई 8611 मी० है । इसे गाडविन आस्टीन के नाम से जाना जाता है।
  • मध्य हिमालय-यह हिमालय की सबसे अधिक कटी-छंटी श्रृंखला है। इसकी ऊँचाई 1800 मीटर से 4500 मीटर के बीच है।
  • बाहरी हिमालय-यह निचली श्रृंखला है। इसकी औसत ऊँचाई 900 से 15000 मीटर तक है तथा चौड़ाई 10 से 50 कि० मी. है।

इन श्रृंखलाओं की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

  • हिमालय भारत का प्रहरी है जलवायविक दशाओं का नियंत्रक है।
  • मानसून पवनों के मार्ग में खड़ा होकर यह उनसे वर्षा करता है। हिमालय न होता तो उत्तरी विशाल मैदान अस्तित्व में न आता ।
  • हिमालय में कई हिम नदियाँ हैं जिनसे गंगा, सिन्धु, ब्रह्मपुत्र, यमुना, कोसी, सरयू, गंडक महानदी, सतलुज, व्यास, झेलम, रावी, चेनाव आदि प्रमुख हैं। नदियाँ सिंचाई के प्रमुख स्रोत हैं।
  • हिमालय पर कई पर्यटन स्थल भी हैं । यथा-कश्मीर की घाटी, शिमला, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग आदि ।
  • इस क्षेत्र में कुछ घास के मैदान भी है जिसे कश्मीर में मर्ग कहते हैं। जैसे-गुलमर्ग, खिलनमर्ग और सोनमर्ग।
  • यहाँ की सभी पर्वत श्रेणियाँ घने सदाबहार वनों से ढकी रहती हैं जिससे उपयोगी लकड़ियाँ प्राप्त होती हैं।
  • हिमालय पर हिन्दुओं के अनेक तीर्थ स्थल भी है यथा-केदारनाथ, अमरनाथ, केलास मानसरोवर झील आदि ।

ज्ञात करें

प्रश्न 1.
हिमालय में पायी जानेवाली प्रमुख हिमानियाँ एवं दरों के नाम
उत्तर-
हिमालय में पायी जानेवाली प्रमुख हिमानियाँ एवं दरें-

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प्रश्न 2.
भारत के उन राज्यों के नाम बताएँ, जहाँ हिमालय के ऊँचे शिखर स्थित हैं।
उत्तर-
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प्रश्न 3.
मसूरी, नैनीताल एवं रानीखेत की स्थिति बताएँ और राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर –
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प्रश्न 4.
विश्व का सबसे बड़ा नदीय द्वीप माजोली किस नदी और किस राज्य में है?
उत्तर-
माजोली नदी द्वीप, ब्रह्मपुत्र नदी का द्वीप है जो असम राज्य में है।

प्रश्न 5.
भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी कहाँ स्थित है ?
उत्तर-
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के बैरन द्वीप पर स्थित है।

मानचित्र कार्य

भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित को दिखाएँ
(क) (i) पर्वत शिखर-के,
(ii) कंचनजंगा,
(iii) नंगापर्वत,
(iv) नन्दादेवी।

(ख) (i) पठार-छोटानागपुर,
(ii) बुंदेलखंड,
(iii) मालवा ।

(ग) (i) थार मरुस्थल,
(ii) गंगा-यमुना दोआब,
(iii) आरावली पर्वत ।

(घ) (i) पंजाब का मैदान,
(ii) ब्रह्मपुत्र का मैदान ।
उत्तर-
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