Bihar Board Class 11 History Solutions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 History Solutions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य

Bihar Board Class 11 History तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य Textbook Questions and Answers

 

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
यदि आप रोम साम्राज्य में रहे होते तो कहाँ रहना पसंद करते-नगरों में या ग्रामीण क्षेत्र में? कारण बताइये।
उत्तर:
यदि मैं रोम साम्राज्य में रह रहा होता तो मैं नगरों में रहना पसंद करता। इसके तीन कारण हैं –

  1. नगरों में अनाज की कोई कमी नहीं थी।
  2. अकाल के दिनों में भी ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में नगरों में बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध थीं।
  3. नगरों में लोगों को उच्च मनोरंजन के साधन प्राप्त थे।

प्रश्न 2.
इस अध्याय में उल्लिखित कुछ छोटे शहरों, बड़े नगरों, समुद्रों और प्रान्तों की सूची बनाइए और उन्हें नक्शों पर खोजने की कोशिश किजिए ? क्या आप अपचे द्वारा बनायी गई सूची में संकलित किन्हीं तीन विषयों के बार में कुछ कह सकते हैं?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
कल्पना कीजिए कि आप रोम की एक गृहिणी हैं जो घर की जरूरत की वस्तुओं की खरीददारी की सूची बना रही हैं। अपनी सूची में आप कौन-सी वस्तुएँ शामिल करेंगी?
उत्तर:
गेहूँ, जौ, सेम, मसूर, दालें, जैतून का तेल, शराब आदि

प्रश्न 4.
आपको क्या लगता है कि रोमन सरकार ने चाँदी में मुद्रा को ढालना क्यों बंद किया होगा और वह सिक्कों के उत्पादन के लिए कौन-सी धातु का उपयोग करने लगे?
उत्तर:
चाँदी के सिक्के बनाने के लिए चाँदी स्पेन की गगनों से प्राप्त की जाती थी। परंतु ये खानें समाप्त हो चुकी थीं और सरकार के पास इसका भंडार खाली हो गया। इसलिए रोमन सरकार ने चाँदी के स्थान पर सोने के सिक्के चलाए।

प्रश्न 5.
अगर सम्राट् त्राजान भारत पर विजय प्राप्त करने में वास्तव में सफल रहे होते और रोमवासियों का इस देश पर अनेक सदियों तक कब्जा रहा होता, तो आप क्या सोचते हैं कि भारत वर्तमान समय के देश से किस प्रकार भिन्न होता?
उत्तर:
यदि भारत अनेक सदियों तक रोमवासियों के अधीन रहा होता, तो भारत वर्तमान समय के देश से निम्नलिखित दृष्टियों से भिन्न होता –

  1. भारत में लोकतंत्र के स्थान पर राजतंत्र होता।
  2. भारत में सोने के सिक्के प्रचलित होते।
  3. ग्रामीण क्षेत्र नगरों द्वारा शासित होता।
  4. ग्रामीण क्षेत्र राज्य के राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत होता।
  5. ईसाई धर्म देश का राजधर्म होत।
  6. मनोरंजन के मुख्य साधन सर्कस, थियेटर के तमाशे तथा जानवरों एवं तलवारबाजों की लड़ाइयाँ होती।
  7. देश में दास प्रथा प्रचलित होती।
  8. भारत का व्यापार देश के पक्ष में होता।

प्रश्न 6.
अध्याय को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसमें से रोमन समाज और अर्थव्यवस्था को आपकी दृष्टि में आधुनिक दर्शाने वाले आधारभूत अभिलक्षण चुनिए।
उत्तर:
समाज –

  • देश में स्वर्ण मुद्राएँ प्रचलित थीं।
  • द्वितीय श्रेणी के परिवारों की वार्षिक आय 1000-1500 पाउंड सोना थी।
  • सम्राट् अपनी मनमानी नहीं कर सकते थे।
  • नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए कानून का सक्रिय रूप से प्रयोग किया जाता था।
  • समाज में एकल परिवार की व्यापक रूप से चलन थी।

अर्थव्यवस्था –

  • साम्राज्य में बंदरगाहों, खानों, खादानों, ईंट-भट्ठों आदि की संख्या बहुत अधिक थी, परिणामस्वरूप देश का आर्थिक ढाँचा काफी मजबूत था।
  • रोमन साम्राज्य का व्यापार काफी विकसित था।
  • गैलिली में गहन खेती की जाती थी।
  • उत्पादकता का स्तर बहुत अधिक ऊँचा था।
  • जल-शक्ति से मिलें चलाने की प्रौद्योगिकी उन्नत थी।
  • साम्राज्य में सुगठित वाणिज्यिक तथा बैंकिंग व्यवस्था थी और धन का व्यापक रूप से प्रयोग होता था।

Bihar Board Class 11 History तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
रोम के सम्राट ऑगस्ट्स का शासनकाल किस बात के लिए जाना जाता था?
उत्तर:
रोम के सम्राट् ऑगस्ट्स का शासनकाल शांति के लिए जाना जाता था। इसका कारण यह था कि राज्य में शांति लंबे अतिरिक संघर्ष तथा सैनिक विजयों के बाद आई थी।

प्रश्न 2.
रोम के निकटवर्ती पूर्व से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
निकटवर्ती पूर्व से अभिप्राय भूमध्य के बिल्कुल पूर्व प्रदेश से है। इनमें सीरिया, फिलिस्तीन, अरब आदि प्रदेश शामिल थे।

प्रश्न 3.
दीनारियस क्या था? हेरॉड के राज्य से रोम को कितने दीनारियस की आय होती थी?
उत्तर:
दीनारियस रोम का एक चाँदी का सिक्का था जिसमें लगभग 4.5 ग्राम शुद्ध चाँदी होती थी। हेरॉड के राज्य से रोम को प्रति वर्ष 54 लाख दीनारियस की आय होती थी।

प्रश्न 4.
रोम की साम्राज्यिक प्रणाली में बड़े-बड़े शहरों का क्या महत्व था? रोम के तीन सबसे बड़े शहरों के नाम भी बताएँ।
उत्तर:
बड़े-बड़े शहर रोम की सामाजिक प्रणाली के मूल आधार थे। इन्हीं शहरों के माध्यम से सरकार ग्रामीण क्षेत्रों पर कर लगाती थी और वसूल करती थी। रोम के तीन बड़े शहर कार्थेन, सिकरिया तथा एटि36 थे।

प्रश्न 5.
सम्राट गैलीनस ने सत्ता को सैनेटरों के हाथ में जाने से रोकने के लिए क्या पग उठाए?
उत्तर:

  • गैलीनस ने नवोदित प्रांतीय शासक वर्ग को सुदृढ़ बनाया।
  • उसने सैनेटरों को सेना की कमान से हटा दिया और उनके द्वारा सेना में सेवा करने पर रोक लगा दी।

प्रश्न 6.
तीसरी शताब्दी के रोम में प्रांतीय सैनेटरों के बहुसंख्यक होने से क्या दो निष्कर्ष – निकाले जा सकते हैं?
उत्तर:

  • साम्राज्य में आर्थिक तथा राजनीतिक दृष्टि से इटली का पतन हो रहा था।
  • भूमध्य सागर के अधिक समृद्ध तथा शहरीकृत भागों में नये संभ्रांत वर्गों का उदय हो रहा था।

अर्थव्यवस्था –

  • साम्राज्य में बंदरगाहों, खानों, खादानों, ईंट-भट्ठों आदि की संख्या बहुत अधिक थी, परिणामस्वरूप देश का आर्थिक ढाँचा काफी मजबूत था।
  • रोमन साम्राज्य का व्यापार काफी विकसित था।
  • गैलिली में गहन खेती की जाती थी।
  • उत्पादकता का स्तर बहुत अधिक ऊँचा था।
  • जल-शक्ति से मिलें चलाने की प्रौद्योगिकी उन्नत थी।
  • साम्राज्य में सुगठित वाणिज्यिक तथा बैंकिंग व्यवस्था थी और धन का व्यापक रूप से प्रयोग होता था।

प्रश्न 7.
रोम साम्राज्य में कौन-कौन से प्रदेश शामिल थे?
उत्तर:
यूरोप का अधिकांश भाग, पश्चिमी एशिया तथा उत्तरी अफ्रीका का एक बहुत बड़ा भाग।

प्रश्न 8.
रोम के इतिहास की स्रोत-सामग्री को कौन-कौन से तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है?
उत्तर:

  • पाठ्य सामग्री।
  • प्रलेख अथवा दस्तावेज
  • भौतिक अवशेष

प्रश्न 9.
रोम तथा ईरान के साम्राज्यों को क्या चीज अलग करती थी?
उत्तर:
भूमि की एक संकरी पट्टी जिसके किनारे फरात नदी बहती थी। दोनों साम्राज्यों को अलग करती थी।

प्रश्न 10.
रोम तथा ईरान के साम्राज्यों के बीच कैसे संबंध थे?
उत्तर:
रोम तथा ईरान के लोग आपस में प्रतिद्वंदी थे। अपने इतिहास के अधिकांश काल में वे आपस में लड़ते रहे।

प्रश्न 11.
किस सागर को रोम साम्राज्य का हृदय माना जाता था? यह कहाँ से कहाँ तक फैला हुआ था?
उत्तर:
भूमध्यसागर को रोम साम्राज्य का हृदय माना जाता था। यह पश्चिम से पूरब तक स्पेन से लेकर सीरिया तक फैला हुआ था।

प्रश्न 12.
रोम साम्राज्य की उत्तरी दक्षिणी सीमाएँ क्या-क्या चीजें बनाती थीं?
उत्तर:
रोम साम्राज्य को उत्तरी सीमा राइन तथा डैन्यूब नदियाँ बनाती थीं। इसकी दक्षिणी सीमा सहारा नामक रेगिस्तान से बनती थी।

प्रश्न 13.
रोम साम्राज्य के प्रशासन के लिए किन दो भाषाओं का प्रयोग किया जाता था?
उत्तर:
लातिनी तथा यूनानी।

प्रश्न 14.
रोम साम्राज्य के संबंध में प्रिंसिपेट क्या था?
उत्तर:
प्रिंसिपेट वह राज्य था जो रोम के. प्रथम सम्राट् ऑगस्ट्स ने 27 ई. पू. में स्थापित किया था।

प्रश्न 15.
रोम के सम्राट ऑगस्ट्स को ‘प्रमुख नागरिक’ क्यों माना जाता था?
उत्तर:
रोम के सम्राट् ऑगस्ट्स को यह दर्शाने के लिए कि वह निरंकुश सम्राट् नहीं है, प्रमुख नागरिक माना जाता था। ऐसा सैनेट को सम्मान प्रदान करने के लिए किया जाता था।

प्रश्न 16.
किस साम्राज्य की सधेना बलात् भर्ती वाली थी? इससे क्या अभिप्राय था?
उत्तर:
फारस के राज्य की सेनाएँ बलात् भर्ती वाली थी। इसका अर्थ यह है कि राज्य के कुछ वयस्क पुरुषों को अनिवार्य रूप से सैनिक सेवा करनी पड़ती थी।

प्रश्न 17.
रोम साम्राज्य की सेना की कोई दो विशेषताएं बताएँ।
उत्तर:

  • रोम की सेना एक व्यावसायिक सेना थी, जिसमें प्रत्येक सैनिक को वेतन दिया जाता था।
  • प्रत्येक सैनिक को कम-से-कम 25 वर्ष तक सेवा करनी पड़ती थी।

प्रश्न 18.
(i) रोम के राजनीतिक इतिहास के प्रमुख खिलाड़ी कौन-कौन थे?
उत्तर:
राजा, अभिजात वर्ग और सेना।

(ii) रोम में सैनेट की सदस्यता का आधार क्या था?
उत्तर:
रोम में सैनेट की सदस्यता का आधार धन तथा पद प्रतिष्ठा थी।

प्रश्न 19.
गृह-युद्ध क्या होता है?
उत्तर:
गृह-युद्ध देश के भीतर दो गुटों में सशस्त्र संघर्ष होता है, जिसका उद्देश्य सत्ता हथियाना होता है।

प्रश्न 20.
सॉलिडस (Solidus) क्या था?
उत्तर:
सॉलिडस सम्राट् कॉस्टैनटाइन द्वारा चलाया गया कि सिक्का था। यह 4.5 ग्राम शुद्ध सोने का बना हुआ था।

प्रश्न 21.
रोमनवासियों की धार्मिक संस्कृति बहुदेववादी थी? कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  • रोमनवासी अनेक पंथों तथा उपासना पद्धतियों में विश्वास रखते थे।
  • उन्होंने हजारों मंदिर, मठ तथा देवालय बना रखे थे।

प्रश्न 22.
‘ईसाईकरण’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जिस प्रक्रिया द्वारा भिन्न-भिन्न जनसमूहों के बीच ईसाई धर्म को फैलाया गया, उसे ईसाईकरण कहते हैं। इस प्रक्रिया से ईसाई धर्म रोम का प्रमुख धर्म बन गया।

प्रश्न 23.
रोमोत्तर राज्य (Post Roman) क्या थे?
उत्तर:
540 के दशक में जर्मन मूल के समूहों ने पश्चिमी रोमन साम्राज्य के बड़े-बड़े प्रांतों पर अपना अधिकार कर लिया। इन प्रांतों में उन्होंने अपने राज्य स्थापित कर लिये। इसे रोमोत्तर राज्य कहा जाता है।

प्रश्न 24.
तीन सबसे महत्वपूर्ण रोमोत्तर राज्य कौन-कौन से थे?
उत्तर:

  • स्पेन में विसिगोथों का राज्य
  • गॉल में फ्रैंकों का राज्य
  • इटली में लोवाडौँ का राज्य

प्रश्न 25.
जस्टीनियन द्वारा इटली पर पुनः अधिकार का क्या परिणाम निकला?
उत्तर:
जस्टीनियन द्वारा इटली पर पुनः अधिकार से देश छिन्न-भिन्न हो गया। इस प्रकार लाहों के आक्रमण के लिए मार्ग तैयः हो गया।

प्रश्न 26.
किस घटना को ‘प्राचीन विश्व इतिहास की सबसे बड़ी राजनीतिक क्रांति’ कहा जाता है?
उत्तर:
अरब प्रदेश से शुरू होने वाले इस्लाम के विस्तार को।

प्रश्न 27.
सेंट ऑगस्टीन (354-430 ई.) कौन थे?
उत्तर:
सेंट ऑगस्टीन 396 ई. से अफ्रीका के हिप्पो नामक नगर के विषय थे। उन्हें चर्च – के बौद्धिक इतिहास में सर्वोच्च स्थान प्राप्त था।

प्रश्न 28.
दास-प्रजनन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
रोम में दास दंपतियों को अधिक-से-अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था। इसे दास प्रजनन कहा जाता है। इनके बच्चे भी बड़े होकर दास ही बनते थे।

प्रश्न 29.
वेतनभोगी श्रमिकों की तुलना में दास-श्रम महंगा क्यों पड़ता था?
उत्तर:
वेतनभोगी श्रमिकों को काम न होने पर हटाया जा सकता था। परंतु दास श्रमिकों को वर्ष भर रखना पड़ता था और उनका खर्च उठाना पड़ता था। इसीलिए दास श्रम महंगा पड़ता था।’

प्रश्न 30.
फ्रैंकिसेस अथवा सुगंधित राल (Resin) किस काम आती थी और कैसे प्राप्त की जाती थी?
उत्तर:
फ्रेंकिंसेस अधवा सुगंधित राल से धूप-अगरबती तथा इत्र बनाया जाता था। इसे बोसवेलिया के पेड़ से प्राप्त किया जाता था। इस पेड़ से रस लेकर उसे सुखा लिया जाता था और राल तैयार हो जाती थी।

प्रश्न 31.
सबसे उत्कृष्ट किस्म की राल कहाँ से आती थी?
उत्तर:
अरब प्रायद्वीप से।

प्रश्न 32.
ऐसे दो तरीकों का वर्णन कीजिए जिनकी सहायता से रोम के लोग अपने श्रमिकों पर नियंत्रण रखते थे?
उत्तर:
श्रमिक मुख्यतः दास होते थे। उन पर नियंत्रण रखने के लिए –

  • उन्हें जंजीरों में डाल कर रखा जाता था।
  • उन्हें दागा जाता था ताकि भागने अथवा छिपने पर उन्हें पहचाना जा सके।

प्रश्न 33.
रोमन सैनेटरों तथा नाइट वर्ग में एक समानता तथा एक असमानता बताइए।
उत्तर:
रोम सैनेटरों की तरह अधिकतर नाइट जमींदार होते थे। सैनेटरों के विपरीत कई नाइट जहाजों के स्वामी, व्यापारी तथा साहूकार भी होते थे।

प्रश्न 34.
रोमन साम्राज्य में ‘परवर्ती पुराकाल’ में होने वाले कोई दो धार्मिक परिवर्तन लिखिए।
उत्तर:

  • चौथी शताब्दी में सम्राट कॉस्टैनटाइन ने ईसाई धर्म को राजधर्म बना लिया।
  • सातवीं शताब्दी में इस्लाम धर्म का उदय हुआ।

प्रश्न 35.
रोमन साम्राज्य में जल-शक्ति का बड़े पैमाने पर प्रयोग किस क्षेत्र में और किन कामों के लिए किया जाता था?
उत्तर:
जल शक्ति से सोने और चांदी की खानों की खुदाई की जाती हैं और मिलें चलाई जाती थीं। इसका भूमध्य सागर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रयोग होता था।

प्रश्न 36.
सम्राट डायोक्लीशियन ने रोमन साम्राज्य के विस्तार को कम क्यों किया?
उत्तर:
सम्राट् डायोक्लीशियन ने अनुभव किया कि साम्राज्य के अनेक प्रदेशों का सामरिक अथवा आर्थिक दृष्टि से कोई महत्व नहीं है। इसलिए उसने इन प्रदेशों को छोड़ दिया।

प्रश्न 37.
सम्राट् डायोक्लीशियन द्वारा किए गए कोई चार प्रशासनिक सुधार लिखिए।
उत्तर:

  • डायोक्लीशियन ने साम्राज्य की सीमाओं पर किले बनवाए।
  • उसने प्रांतों का पुनर्गठन किया।
  • उसने सैनिक तथा असैनिक कार्यों को अलग-अलग कर दिया।
  • उसने सेनापतियों को अधिक स्वायत्तता प्रदान की।

प्रश्न 38.
पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य के किन्हीं चार सामाजिक वर्गों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  • सैनेटर
  • अश्वारोही अथवा नाइट वर्ग
  • जनता का सम्मानीय वर्ग
  • दास

प्रश्न 39.
इतिहासकार टैसिटस के अनुसार रोमन समाज के कमीनकारू (प्लेब्स सोर्डिंडा) वर्ग में कौन लोग शामिल थे?
उत्तर:
इस वर्ग में फूहड़ तथा निम्नतर लोग शामिल थे जो सर्कस तथा थियेटर तमाशे देखने के आदी थे।

प्रश्न 40.
रोम साम्राज्य के संदर्भ में ‘नगर’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘नगर’ एक ऐसा शहरी केंद्र था जिसमे ‘अपने मेजिस्ट्रेट, नगर परिषद् तथा एक निश्चित राज्य क्षेत्र होता था। इसके अधिकार क्षेत्र में कई गाँव आते थे।

प्रश्न 41.
ईरान में सार्वजनिक-स्नान का विरोध क्यों हुआ?
उत्तर:
ईरान के पुरोहित वर्ग का मानना था कि सार्वजनिक स्नान से जल अपवित्र होता है। इसलिए उन्होंने इसका विरोध किया।

प्रश्न 42.
रोम साम्राज्य में शहरी लोगों को उच्च-स्तर के मनोरंजन उपलब्ध थे। एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
रोम के कैलेंडर से पता चलता है कि एक वर्ष में कम-से-कम 176 दिन थे जब वहाँ कोई न कोई मनोरंजन कार्यक्रम अवश्य होता था।

प्रश्न 43.
तीसरी शताब्दी में ईरान के किस वंश के शासकों तथा जर्मन मूल की किन जनजातियों ने रोम साम्राज्य आक्रमण किया?
उत्तर:
तीसरी शताब्दी में ईरान के सेसानी वंश के शासकों तथा जर्मन मूल की एलमन्नाइ और फ्रैंक जनजातियों ने रोम।

प्रश्न 44.
रोमन साम्राज्य की स्त्रियाँ कहाँ तक आत्मनिर्भर थीं?
उत्तर:

  1. रोम साम्राज्य की स्त्रियों को संपत्ति के स्वामित्व तथा संचालन में व्यापक कानूनी अधिकार प्राप्त थे।
  2. विवाहित महिला ही अपने पिता की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति की स्वतंत्र मालिक बन जाती थीं।
  3. तलाक लेना-देना सरल था।

प्रश्न 45.
‘ऍम्फोरा’ क्या थे? ये किस क्षेत्र में बनाए जाते थे?
उत्तर:
एम्फोरा एक प्रकार के मटके एवं कंटेनर होते थे। इनमें शराब, जैतून के तेल तथा अन्य तरल पदार्थों की धुलाई होती थी। ये भूमध्य सागरीय क्षेत्र में बनाए जाते थे।

प्रश्न 46.
रोमन साम्राज्य के चार घनी आबादी वाले प्रदेशों के नाम बताएँ। दो इटली के तथा दो मिस्र के लें।
उत्तर:

  • इटली में कैंपेनिया तथा सिसिली।
  • मिस्र में फैटयूम तथा गैलिली।

प्रश्न 47.
रोम में सबसे बढ़िया अंगूरी शराब तथा गेहूँ कहाँ-कहाँ से आता था?
उत्तर:
सबसे बढ़िया अंगूरी शराब कैंपेनिया (इटली) से तथा गेहूँ सिसिली (इटली) और बाइजैकियम (ट्यूनीशिया) से आता था।

प्रश्न 48.
ऋतु-प्रवास का क्या अर्थ है?
उत्तर:
चरावाहे ऋतुओं के अनुसार चरागाहों की खोज में अपने पशुओं का तथा अपना स्थान बदलते रहते हैं। इसे ऋतु-प्रवास कहते हैं।

प्रश्न 49.
मेरे तीन लेखकों के नाम बताओ जिनकी रचनाओं का प्रयोग यह बताने के लिए किया गया है कि रोम के लोग अपने कामगारों के साथ कैसा बर्ताव करते थे।
उत्तर:
कोलुमेल्ला, वरिष्ठ प्लिनी तथा ऑगस्टीन।

प्रश्न 50.
रोमन साम्राज्य में साक्षरता की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य के भिन्न भागों में साक्षरता दर भिन्न-भिन्न थी। सैनिकों, सैनिक अधिकारियों तथा संपदा प्रबंधकों में साक्षरता की दर अपेक्षाकृत अधिक थी।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
रोम साम्राज्य के राजनीतिक इतिहास के तीन मुख्य खिलाड़ी कौन-कौन थे? प्रत्येक के बारे में दो पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर:
रोम के राजनीतिक इतिहास के तीन मुख्य खिलाड़ी थे-सम्राट्, अभिजात वर्ग तथा सेना।
1. सम्राट – सम्राट् साम्राज्य का एकछत्र शासक था। परंतु उसे प्रमुख नागरिक कहा जाता था। ऐसा अभिजात वर्ग अथवा सैनेट के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए किया गया था। इसका उद्देश्य यह दर्शाना भी था कि सम्राट् निरंकुश शासक नहीं है।

2. अभिजात वर्ग – अभिजात वर्ग से अभिप्राय सैनेट से है। इसमें कुलीन तथा धनी परिवारों के सदस्य शामिल थे। गणतंत्र-काल में सत्ता पर इसी संस्था का नियंत्रण था। सम्राटों की परख उसके सैनेट के प्रति व्यवहार से की जाती थी। सैनेट के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने वाले सम्राट् को बुरा सम्राट् माना जाता था।

3. सेना – सम्राट् तथा सैनेट के पश्चात् सेना का स्थान था। यह एक व्यावसायिक सेना थी। इसमें प्रत्येक सैनिक को वेतन दिया जाता था। सेना में सम्राट् का भाग्य निर्धारित करने की शक्ति थी।

प्रश्न 2.
प्रांतों के बीच सत्ता का आकस्मिक अंतरण रोम के राजनीतिक इतिहास का एक अत्यंत रोचक पहलू रहा है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
दूसरी और तीसरी शताब्दियों के दौरान अधिकतर प्रशासक तथा सैनिक अधिकारी प्रांतीय वर्गों में से होते थे। उनका एक नया संभ्रांत वर्ग बन गया था। ग्रह वर्ग सैनेट के सदस्यों की तुलना में कहीं अधिक शक्तिशाली था क्योंकि इसे सम्राटों का समथन प्राप्त था। ज्यों-ज्यों यह नया समूह उभर कर सामने आया, सम्राट् गैलीनस (253-268) ने सैनेटरों को सैनिक, कमान से हटा कर इस नए वर्ग को सुदृढ़ बनाया। ऐसा कहा जाता है कि गैलीनस ने सैनेटरों को सेना में सेवा करने अथवा उस तक पहुँच रखने पर रोक लगा दी थी ताकि साम्राज्य का नियंत्रण उनके हाथों में चला जाए।

संक्षेप में, पहली शतादी के अंतिम चरण से तीसरी शताब्दी के प्रारंभिक चरण तथा सेना तक प्रशासन में अधिक से अधिक लोग प्रांतों से लिए जाने लगे क्योंकि उन क्षेत्रों के लोगों को भी नागरिकता मिल चुकी थी जो पहले इटली तक ही सीमित थे। परंतु सैनेट पर लगभग तीसरी शताब्दी तक इतालवी मूल के लोगों का ही प्रभुत्व बना रहा। इसके बाद प्रांतों से लिए गए सैनेटर बहुसंख्यक हो गए।

प्रश्न 3.
रोमन साम्राज्य में व्यापक सांस्कृतिक विविधता पाई जाती थी। कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
यह बात बिल्कुल सत्य है कि रोमन साम्राज्य में व्यापक सांस्कृतिक विविधता पाई जाती थी।

  • देश में धार्मिक संप्रदायों तथा स्थानीय देवी-देवाताओं में भरपूर विविधता थी।
  • बोलचाल की अनेक भाषाएँ प्रचलित थीं।
  • वेशभूषा की विविध शैलियाँ अपनाई जाती थीं।
  • लोग तरह-तरह के भोजन खाते थे।
  • सामाजिक संगठनों के रूप भिन्न-भिन्न थे।
  • उनकी बस्तियों के भी अनेक रूप थे।

प्रश्न 4.
परवर्ती काल में रोमन साम्राज्य की नौकरशाही के उच्च तथा मध्य वर्गों की आर्थिक दशा कैसी थी और क्यों?
उत्तर:
परवर्ती काल में रोम साम्राज्य की नौकरशाही के उच्च तथा मध्य वर्ग अपेक्षाकृत बहुत धनी थे। इसका मुख्य कारण यह था कि उन्हें अपना वेतन सोने के रूप में मिलता था। वे अपनी आय का बहुत बड़ा भाग जमीन आदि खरीदने में लगाते थे। इसके अतिरिक्त साम्राज्य में भ्रष्टाचार भी बहुत अधिक फैला हुआ था।

विशेष रूप से न्याय प्रणाली और सैन्य आपूर्ति के प्रशासन में। उच्च अधिकारी और गवर्नर लूट-खसोट और रिश्वत से खूब धन जुटाते थे। सरकार ने भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बारंबार हस्तक्षेप किया। इस संबंध में सरकार ने अनेक कानून बनाए, परंतु भ्रष्टाचार न रुक सका।

प्रश्न 5.
रोम के सम्राटों की तानाशाही पर किस प्रकार अंकुश लगा?
उत्तर:
रोमन राज्य तानशाही पर आधारित था। सम्राट तथा प्रशासन असहमति या आलोचना को सहन नहीं करता था। प्रायः सरकार विरोध का उत्तर हिंसा एवं दमन से देती। परंतु चौथी शताब्दी तक रोमन कानून की एक प्रबल परंपरा का उद्भव हो चुका था। इससे सर्वाधिक तानाशाह सम्राटों पर भी अंकुश लग गया था।

अब सम्राट अपनी मनमानी नहीं कर सकते थे। नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए कानून का सक्रिय रूप से प्रयोग किया जाता था। प्रभावशाली कानूनों के कारण चौथी शताब्दी के अंतिम दशकों में शक्तिशाली विशपों के लिए यह संभव हो गया कि यदि सम्राट् जन साधारण क प्रति कठोर या दमनकारी नीति अपनाए तो वे भी पूरी शक्ति से उनका सामना कर सकें।

प्रश्न 6.
रोम के संदर्भ में ‘नगर’ क्या था? वहाँ के नागरिक अथवा शहरी जीवन की कुछ विशेषताएँ भी बताएँ।
उत्तर:
रोम के संदर्भ में ‘नगर’ एक ऐसा शहरी केंद्र था, जिसके अपने मजिस्ट्रेट, नगर परिषद् और एक निश्चित राज्य-क्षेत्र होता था। उसके अधिकार क्षेत्र में गाँव आते थे। परंतु किसी भी नगर के अधिकार क्षेत्र में कोई दूसरा नगर नहीं हो सकता था। किसी नगर या गाँव दर्जा शाह की इच्छा पर निर्भर करता था। सम्राट् अपनी इच्छा से किसी गाँव का दर्जा बढ़ाकर उसे नगर का दर्जा दे सकता था। इसी प्रकार वह किसी नगर का दर्जा घटाकर उसे किसी गाँव का दर्जा भी दे सकता था।

शहरी जीवन की विशेषताएँ –

  • शहरों में खाने की कमी नहीं होती थीं।
  • अकाल के दिनों में भी नगर में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में बेहतर सुविधाएँ प्राप्त होने की संभावना रहती थी।
  • शहरी लोगों को उच्च-स्तर के मनोरंजन उपलब्ध थे। उदाहरण के लिए कैलेंडर से हमें पता चलता है कि एक वर्ष में कम-से-कम 176
  • दिन वहाँ कोई-न-कोई मनोरंजक कार्यक्रम अथवा प्रदर्शन अवश्य होते थे।

प्रश्न 7.
उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि तीसरी शताब्दी में रोम साम्राज्य को काफी तनाव का सामना करना पड़ा।
उत्तर:
तीसरी शताब्दी में रोम साम्राज्य को काफी तनाव का सामना करना पड़ा। यह बात निम्नलिखित उदाहरणों से स्पष्ट हो जाएगी –
1. 225 ई. में ईरान में एक अत्यधिक आक्रामक वंश उभर कर सामने आया। इस वंश के लोग स्वयं को ‘ससानी’ कहते थे। केवल 15 वर्षों के भीतर ही वह तेजी से फरात की दिशा में फैल गया। एक प्रसिद्ध शिलालेख से पता चलता है कि इस वंश के शासक शापुर प्रथम ने 60,000 रोमन सेना का सफाया कर दिया था। उसने रोम साम्राज्य की पूर्वी राजधानी एटिऑक पर भी अधिकार कर लिया।

2. इसी बीच जर्मन मूल की कई जनजातियों ने राइन तथा डैन्यूब नदी की सीमाओं की ओर बढ़ना आरंभ कर दिया। 233 से 280 ई. के दौरान काला सागर से लेकर आल्पस और दक्षिणी जर्मनी तक फैले प्रांतों की पूरी सीमा पर बार-बार आक्रमण हुए। अतः रोमवासियों को डैन्यूब से आगे का क्षेत्र छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा।

प्रश्न 8.
यूनान और रोमवासियों की पारंपरिक धार्मिक संस्कृति बहुदेववादी थी। उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  • ये लोग भिन्न – भिन्न पंथों तथा उपासना पद्धतियों में विश्वास रखते थे।
  • जूपिटर, जूनो, मिनवां और मॉर्स जैसे रोमन इतालवी देवों की पूजा करते थे। इनके अतिरिक्त उनमें यूनानी तथा पूर्वी देवी-देवताओं की पूजा भी प्रचलित थी।
  • उन्होंने साम्राज्य भर में हजारों मंदिर, मठ और देवालय बनाए हुए थे। ये बहुदेवोवादी स्वयं को किसी एक नाम से नहीं पुकारते थे।
  • रोमन साम्राज्य का एक अन्य बड़ा धर्म बददी धर्म था।
  • परवर्ती पुराकाल में इस धर्म में भी अनेक विविधताएँ पाई जाती थीं।
  • इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि यूनान और रोमवासियों की पारंपिकर धार्मिक संस्कृति बहुदेववादी थी।

प्रश्न 9.
रोम साम्राज्य के पतन की प्रक्रिया का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
रोम साम्राज्य के पतन की प्रक्रिया पश्चिम से आरंभ हुई। साम्राज्य का पश्चिमी भाग बाहरी आक्रमणों के कारण विखंडित हो गया। वे आक्रमण उत्तर की ओर से जर्मन मूल के समूहों ने किए थे। उन्होंने साम्राज्य के सभी बड़े प्रांतों को अपने अधिकार में ले लिया और अपने-अपने राज्य स्थापित कर लिए। इनमें से सबसे महत्त्वपूर्ण राज्य थे-स्पेन में विसिगोधों का राज्य, गॉल में फ्रैंकों का राज्य तथा इटली में लोंबार्डो का राज्य।

शहरी जीवन की विशेषताएँ –

  • शहरों में खाने की कमी नहीं होती थीं।
  • अकाल के दिनों में भी नगर में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में बेहतर सुविधाएँ प्राप्त होने की संभावना रहती थी।
  • शहरी लोगों को उच्च-स्तर के मनोरंजन उपलब्ध थे। उदाहरण के लिए कैलेंडर से हमें पता चलता है कि एक वर्ष में कम-से-कम 176 दिन वहाँ कोई-न-कोई मनोरंजक कार्यक्रम अथवा प्रदर्शन अवश्य होते थे।

533 ई. में सम्राट जस्टीनियन ने अफ्रीका को बैंडलों के अधिकार से मुक्त करवा लिया। उसने इटली को भी मुक्त करा कर उस पर फिर से अधिकार कर लिया। परंतु इटली पर पुनः अधिकार से देश को क्षति पहुँची क्योंकि इससे देश छिन्न-भिन्न हो गया और लॉबाडों के आक्रमणों का मार्ग प्रशस्त हो गया।

सातवीं शताब्दी के प्रारंभिक दशकों तक रोम और ईरान के बीच भी फिर से लड़ाई छिड़ गई। ईरान के ससानी शासकों ने मिस्त्र सहित सभी विशाल पूर्वी प्रांतों पर आक्रमण किए। भले ही बाईजेंटियस (रोम साम्राज्य का तत्कालीन शासक) ने 620 के दशक में इन प्रांतों को फिर से अधिकार में ले लिया। तो भी कुछ ही वर्ष बाद साम्राज्य को दक्षिण-पूर्व की ओर से एक बहुत ही जोरदार धक्का लगा जो साम्राज्य के लिए घातक सिद्ध हुआ। पूर्वी रोमन और ससानी दोनों राज्यों के बड़े-बड़े भाग भीषण युद्ध के बाद अरबों के अधिकार में आ गए । इस प्रकार रोम साम्राज्य का पूरी तरह पतन हो गया।

प्रश्न 10.
रोम के इतिहास के मुख्य स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोम के इतिहास के स्रोतों को तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है –

  • पाठ्य सामग्री
  • प्रलेख या दस्तावेज
  • भौतिक अवशेष

1. पाठ्य सामग्री – इसमें समकालीन व्यक्तियों द्वारा लिखा गया उस काल का इतिहास, पत्र, व्याख्यान, प्रवचन, कानून आदि शामिल हैं। समकालीन व्यक्तियों द्वारा लिखे गए इतिहास को वर्ष वृत्तांत कहा जाता है, क्योंकि यह प्रति वर्ष लिखा जाता था।

2. प्रलेख या दस्तावेज – दस्तावेजों में मुख्य रूप से उत्कीर्ण अभिलेख, पैपाइरस तथा पत्तों आदि पर लिखी गई पांडुलिपियाँ शामिल हैं। उत्कीर्ण अभिलेख प्रायः पत्थर की शिलाओं पर खोदे जाते थे। इसलिए वे नष्ट नहीं हुए और बहुत बड़ी संख्या में यूनानी तथा लातिनी भाषाओं में पाए गए हैं।

3. भौतिक अवशेष – भौतिक अवशेषों में अनेक प्रकार की वस्तुएँ शामिल हैं। इन्हें पुरातत्वविदों ने खुदाई तथा क्षेत्र सर्वेक्षण द्वारा खोजा है। इनमें इमारतें, स्मारक, मिट्टी के बर्तन, सिक्क, पच्चीकारी का सामान तथा भू-दृश्य सम्मिलित हैं। इनमें से प्रत्येक स्रोत हमें रोम के अतीत के बारे में एक विशेष जानकारी देतक हैं।

प्रश्न 11.
रोमन साम्राज्य सांस्कृतिक दृष्टि से ईरान की तुलना में कहीं अधिक विविधतापूर्ण था। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ईरान पर पहले पार्थियाई तथा बाद में ससानी राजवंशों ने शासन किया। उनके द्वारा शासित लोग मुख्यतः ईरानी थे। इसके विपरीत रोमन साम्राज्य ऐसे क्षेत्रों तथा संस्कृतियों का एक मिलाजुला रूप था जो सरकार की एक साझी प्रणाली द्वारा एक-दूसरे के साथ जुड़ी हुई थी। साम्राज्य में अनेक भाषाएँ बोली जाती थी परंतु प्रशासन के लिए लातिनी तथा यूनानी भाषाओं का ही प्रयोग होता था। पूर्वी भाग के उच्चतर वर्ग यूनानी भाषा और पश्चिमी भाग के लोग लातिनी भाषा का प्रयोग करते थे। जो लोग साम्राज्य में रहते थे वे सभी एकमात्र शासक अर्थात् सम्राट् की प्रजा कहलाते थे, चाहे वे कहीं भी रहते हों और कोई भी भाषा बोलते हों। इसे स्पष्ट है कि रोमन साम्राज्य सांस्कृतिक दृष्टि से ईरान की तुलना में कहीं अधिक विविधतापूर्ण था।

प्रश्न 12.
रोमन साम्राज्य की गणतंत्र शासन-प्रणाली की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में ‘गणतंत्र’ (रिपब्लिक) एक ऐसी शासन व्यवस्था थी जिसमें वास्तविक सत्ता ‘सैनेट’ नामक संस्था में निहित थी। सैनेट की सदस्यता जीवन भर चलती थी। इसके लिए धन और पद-प्रतिष्ठा को अधिक महत्व दिया जाता था। अत: सैनेट में धनी परिवारों के एक समूह का ही बोलबाला था जिन्हें अभिजात कहा जाता था। व्यावहारिक रूप में गणतंत्र अभिजात वर्ग की सरकार थी जिसका शासन सैनेट नामक संस्था के माध्यम से चलता था। गणतंत्र का शासन 509 ई. पू. से 27 ई. पू. तक चला। 27 ई. पू. में जूलियस सीजर के दत्तक पत्र तथा उत्तराधिकारी ऑक्टेवियन ने इसका तख्ता पलट दिया और सत्ता अपने हाथ में ले ली। वह ऑगस्ट्स नाम से रोम का सम्राट बन बैठा ।

प्रश्न 13.
रोम राज्य के संदर्भ में “प्रिंसिपेट’ से क्या अभिप्राय है? इसमें सम्राट तथा ‘सैनेट’ की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
प्रथम रोमन सम्राट् ऑगस्टस ने 27 ई.पू. में जो राज्य स्थापित किया था उसे ‘प्रिंसिपेट कहा जाता था। ऑगस्टस राज्य का एकछत्र शासक और सत्ता का वास्तविक स्रोत था। तो भी इस कल्पना को जीवित रखा गया कि वह केवल एक प्रमुख नागरिक’ है, न कि निरंकुश शासक। ऐसा ‘सैनेट’ को सम्मान देने के लिए किया गया था। सैनेट वह संस्था थी जिसका रोम के गणतंत्र शासनकाल में सत्ता पर नियंत्रण था। इस संस्था का अस्तित्व कई शताब्दियों तक बना रहा था।

इस संस्था में कुलीन तथा अभिजात वर्गों अर्थात् रोम के धनी परिवारों का प्रतिनिधित्व था। परंतु बाद में इसमें इतालवी मूल के जमींदारों को भी शामिल कर लिया गया था। सम्राटों की परख इस बात से की जाती थी कि वे सैनेट के प्रति किस प्रकार का व्यवहार करते हैं। सैनेट के सदस्यों के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने वाले सम्राटों को सबसे बुरा सम्राट माना जाता था। कई सैनेटर गणतंत्र-यग में लौटने के लिए तरसते थे। परंतु अधिकतर सैनेटरों को यह आभास हो गया था कि अब यह असंभव है।

प्रश्न 14.
रोम तथा ईरान के साम्राज्यों के विस्तार की जानकारी दीजिए।
उत्तर:
630 के दशक तक अधिकांश यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व के विशाल क्षेत्र में दो शक्तिशाली साम्राज्यों का शासन था। ये साम्राज्य रोम और ईरान के थे। उनके साम्राज्य एक-दूसरे के बिल्कुल पास थे। उन्हें भूमि की एक संकरी पट्टी अलग करती थी जिसके किनारे फरात नदी बहती थी। रोम साम्राज्य का विस्तार-रोम साम्राज्य का भूमध्यसागर और उसके आस-पास उत्तर तथा दक्षिण में स्थित सभी प्रदेशों पर प्रभुत्व था। उत्तर में साम्राज्य की सीमा दो महान् नदियाँ राइन तथा डन्यूब बनाती थीं। साम्राज्य की दक्षिणी सीमा सहारा नामक एक विस्तृत रेगिस्तान से बनती थी। इस प्रकार रोम साम्राज्य एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ था।

ईरान साम्राज्य का विस्तार-इस साम्राज्य में कैस्पियन सागर के दक्षिण से लेकर पूर्वी अरब तक का समस्त प्रदेश और कभी-कभी अफगानिस्तान के कुछ भाग भी शामिल थे। इन दो महान शक्तियों ने दुनिया के उस अधिकांश भाग को आपस में बांट रखा था। जिसे चीनी लोग ता-चिन अथवा (वृहत्तर चीन या पश्चिम) कहते थे।

प्रश्न 15.
पूर्ववर्ती रोम साम्राज्य में सेना की भूमिका का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोम में सम्राट और सैनेट के बाद सेना शासन की एक प्रमुख संस्था थी। रोम की सेना एक व्यावसायिक सेना थी। इसके प्रत्येक सैनिक को वेतन दिया जाता था। उसे कम-से-कम 25 वर्ष तक सेवा करनी पड़ती थी। सेना साम्राज्य में सबसे बड़ी एकल संगठित संस्था थी।

चौथी शताब्दी तक इसमें 6,00,000 सैनिक थे। सेना के पास निश्चित रूप से सम्राटों का भाग्य निर्धारित करने की शक्ति थी। सैनिक अधिक वेतन और अच्छी सेवा-शा के लिए लगातार आंदोलन करते रहते थे। कभी-कभी ये आंदोलन सैनिक विद्रोहों का रूप भी ले लेते थे। सैनेट सेना से घृणा करती थी और उससे डरती थी। इसका कारण यह था कि सेना हिंसा का स्रोत थी। सम्राटों की सफलता इस बात पर निर्भर करती थी कि वे सेना पर कितना नियंत्रण रख पाते थे। जब सेनाएं विभाजित हो जाती थीं तो इसका परिणाम सामान्यतः गृहयुद्ध होता था।

प्रश्न 16.
प्रथम दो शताब्दियों में साम्राज्य के और अधिक विस्तार के प्रति रोमन सम्राटों की क्या नीति रही?
उत्तर:
प्रथम दो शताब्दियों में साम्राज्य का विस्तार और अधिक करने के प्रयत्न कम ही हुए। ऑगस्टस से टिवरियस को मिला साम्राज्य पहले ही इतना लंबा-चौड़ा था कि इसमें और अधिक विस्तार करना अनावश्यक लगता था। उसने पहले ऑगस्टस का शासन काल शांति के लिए याद किया जाता है क्योंकि इस शांति का आगमन दशकों तक चले आंतरिक संघर्ष और सदियों की सैनिक विजयों के पश्चात् हुआ था।

साम्राज्य के प्रारंभिक विस्तार के लिए पहला अभियान सम्राट त्राजान ने 113-117 ईस्वी में चलाया। उसने फरात नदी के पार के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार रोम साम्राज्य स्कॉटलैंड से आमिनिया तक तथा सहारा से फरात नदी के पार तक फैल गया। परंतु त्राजान के उत्तराधिकारियों को यह विस्तार निरर्थक लगा। अतः उन्होंने इन क्षेत्रों को छोड़ दिया।

प्रश्न 17.
पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य के प्रांतीय तथा स्थानीय शासन का क्या महत्व था?
उत्तर:
प्रांतीय शासन – पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य की एक विशेष उपलब्धि यह थी कि रोमन साम्राज्य के प्रत्यक्ष शासन का क्रमिक रूप से काफी विस्तार हुआ। इसके लिए अनेक आश्रित राज्यों को रोम के प्रांतीय राज्य क्षेत्र में शामिल कर लिया गया। निकटवर्ती पूर्व ऐसे राज्यों से भरा पड़ा था। दूसरी शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों तक फरात नदी के पश्चिम में स्थित राज्यों को भी रोम द्वारा हड़प लिया गया ये अत्यंत समृद्ध थे! वास्तव में, इटली को छोड़कर साम्राज्य के सभी क्षेत्र प्रांतों में बंटे हुए थे और उनसे कर वसूला जाता था।

स्थानीय शासन – संपूर्ण साम्राज्य में दूर-दूर तक अनेक नगर स्थापित किए गए थे। इनके माध्यम से समस्त साम्राज्य पर नियंत्रण रखा जाता था। भूमध्यसागर के तटों पर स्थित बड़े शहरी केंद्र साम्राज्यिक प्रणाली के मूल आधार थे। इन्हीं शहरों के माध्यम – ‘सरकार’ प्रांतीय ग्रामीण क्षेत्रों पर कर लगाती थी और उसे वसूल करती थी। ये कर साम्राज्य की धन संपदा का मुख्य स्रोत थे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
परवर्ती पुराकाल से क्या अभिप्राय है? इस अवधि में रोमन साम्राज्य में कौन-कौन से धार्मिक तथा प्रशासनिक परिवर्तन हुए?
उत्तर:
‘परवर्ती पुराकाल’ शब्द का प्रयोग रोम साम्राज्य के लिए तथा चौथी से सातवीं शताब्दी के इतिहास के लिए किया जाता था। यह अवधि अनेक सांस्कृतिक और आर्थिक हलचलों से परिपूर्ण थी। इस काल में रोमन साम्राज्य में निम्नलिखित धार्मिक तथा प्रशासनिक परिवर्तन हुए –

(a) धार्मिक परिवर्तन –

  • चौथी शताब्दी में सम्राट् कॉन्स्टैनटाइन ने ईसाई धर्म को राज धर्म बना दिया इसके बाद राज्य का तेजी से ईसाईकरण होने लगा।
  • सातवीं शताब्दी में इस्लाम का उदय हुआ। यह धर्म भी बड़ी तेजी से लोकप्रिय हुआ।

(b) प्रशासनिक परिवर्तन-राज्य के प्रशासनिक ढाँचे में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। ये परिवर्तन सम्राट् डायोक्लीशियन (284-305) के समय से प्रारंभ हुए और कॉन्स्टैनटाइन तथा उसके बाद के काल तक जारी रहे। ये परिवर्तन निम्नलिखित थे

डायोक्लीशियन के समय के परिवर्तन –

  • साम्राज्य का विस्तार बहुत अधिक हो चुका था। उसके अनेक प्रदेशों का सामरिक या आर्थिक दृष्टि से कोई महत्व नहीं था। इसलिए
  • सम्राट् डायोक्लीशियन ने महत्वहीन प्रदेशों को 4 छोड़कर साम्राज्य को थोड़ा छोटा बना लिया।
  • उसने साम्राज्य की सीमाओं पर किले बनवाए।
  • उसने प्रांतों का पुनर्गठन किया।
  • उसने असैनिक और सैनिक कार्यों को अलग-अलग कर दिया तथा सेनापतियों को अधिक स्वायत्तता प्रदान की। इससे सैन्य अधिकारी अधिक शक्तिशाली हो गए।

कॉन्स्टैनटाइन के समय के परिवर्तन –

  • कान्स्टैनटाइन ने कुस्तुनतुनिया का निर्माण करवाया और इसे साम्राज्य की दूसरी राजधानी बनवाया। यह राजधानी तीन ओर से समुद्र से घिरी हुई थी।
  • नयी राजधानी के लिए नयी सैनेट की आवश्यकता थी, इसलिए चौथी शताब्दी में शासक वर्गों का बड़ी तेजी से विस्तार हुआ।

प्रश्न 2.
रोम में परवर्ती पुराकाल में होने वाले आर्थिक विकास की जानकारी दीजिए। इसका क्या परिणाम निकला?
उत्तर:
रोम में परवर्ती पुराकाल में असाधारण आर्थिक विकास हुआ जिसके मुख्य पहलू निम्नलिखित थे –

सम्राट् कॉन्स्टैनटाइन ने सॉलिडस नामक का एक नया सिक्का चलाया। यह 4.5 ग्राम शुद्ध सोने का बना हुआ था। ये सिक्के बहुत बड़े पैमाने पर ढाले जाते थे और लाखों करोड़ों की संख्या में चलन में थे।
मौद्रि। स्थायित्व और बढ़ती हुई जनसंख्या। कारण आर्थिक विकास में तेजी औद्योगिक प्रतिष्ठानों तथा ग्रामीण उद्योग-धंधों के विकास के लिए पर्याप्त मात्रा में पूँजी लगाई गई। इनमें तेल की मिलें और शीशे के कारखाने तथा तरह-तरह की पानी की मिलें शामिल थीं।
लंबी दूरी के व्यापार में भी बहुत अधिक पूँजी निवेश किया गया। फलस्वरूप इस : व्यापार का पुनरुत्थान हुआ।

परिणाम – ऊपर दिए गए आर्थिक परिवर्तनों के फलस्वरूप शहरी संपदा एवं समृद्धि में अत्यधिक वृद्धि हुई। स्थापत्य कला के नए-नए रूप विकसित हुए और भोग-विलास के साधनों में भरपूर तेजी आई। शासन करने वाले कुलौन पहले से कहीं अधिक धन-संपन्न और शक्तिशाली हो गए। दस्तावेजों से पता चलता है कि तत्कालीन समाज अपेक्षाकृत अधिक समृद्ध था, जहाँ मुद्रा का व्यापक रूप से प्रयोग होता था। ग्रामीण संपदाएँ भारी मात्रा में सोने के रूप में लाभ कमाती थीं। उदाहरण के लिए छठी शताब्दी के दौरान जस्टीनियन के शासनकाल में अकेला मिस्र प्रतिवर्ष 25 लाख सॉलिडस (लगभग 35,000 पाउंड सोना) से अधिक धनराशि करों के रूप में देता था। देखा जाए तो रोम साम्राज्य के पश्चिमी एशिया के बड़े-बड़े ग्रामीण इलाके पाँचवीं और छठी शताब्दी में आज की तुलना में भी अधिक विकसित थे।

प्रश्न 3.
रोमन समाज में पारिवारिक जीवन की मुख्य विशेषताएँ बताएँ। स्त्रियों की स्थिति का भी उल्लेख करें।
उत्तर:
रोमन समाज में परिवार की विशेषताओं तथा स्त्रियों का वर्णन इस प्रकार है –

एकल परिवार – रोमन समाज में एकल परिवार की व्यापक रूप से चलन थी। वयस्क पुत्र अपने पिता के परिवार के साथ नहीं रहते थे। वयस्क भाई भी बहुत कम साझे परिवार में रहते थे। दूसरी ओर, दासों को परिवार का अंग माना जाता था क्योंकि रोमवासियों के लिए परिवार को यही अवधारणा थी।

विवाह – प्रथम शताब्दी ई.पू. तक विवाह का स्वरूप ऐसा होता था कि पत्नी अपने पति को अपनी संपत्ति हस्तांतरित नहीं करती थी। महिला का दहेज वैवाहिक अवधि के दौरान उसके पति के पास अवश्य चला जाता था। विवाह के बाद भी महिला अपने पिता की उत्तराधिकारी बनी रहती थी। अपने पिता की मृत्यु होने पर वह उसकी संपत्ति की स्वामी बन जाती थी। इस प्रकार रोम की महिलाओं को संपत्ति के स्वामित्व व संचालन में व्यापक कानूनी अधिकार प्राप्त थे।

तलाक देना अपेक्षाकृत आसान था। इसके लिए पति अथवा पत्नी द्वारा केवल अपनी इच्छा की सूचना देना ही काफी था। पुरुष प्रायः 28-32 की आयु में विवाह करते थे, जबकि लड़कियों का विवाह 16 से 23 वर्ष की आयु में किया जाता था। इसलिए पति और पत्नी के बीच आयु का अंतराल बना रहता था। विवाह प्रायः परिवार द्वारा निश्चित किए जाते थे।

पुरुष – प्रधान परिवार-परिवार पुरुष-प्रधान थे। पारिवारिक जीवन की दृष्टि से महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं थी । प्रायः महिलाओं पर उनके पति हावी रहते थे। अपनी पत्नियों को बुरी तरह पीटते थे। इसके अतिरिक्त पिता का अपने बच्चों पर अत्यधिक कानूनी नियंत्रण होता था; कभी-कभी तो दिल दहलाने वाली सीमा तक। उदाहरण के लिए अवांछित बच्चों के मामले में पिता को उन्हें जीवित रखने या मार डालने तक का कानूनी अधिकार प्राप्त था। शिशु को मारने के लिए कभी-कभी पिता उसे ठंड में छोड़ देते थे।

प्रश्न 4.
रोम साम्राज्य के आर्थिक विस्तार पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
गम में विभिन्न आर्थिक गतिविधियाँ प्रचलित थीं। फलस्वरूप रोम का बड़ी तेजी से आर्थिक विस्तार हुआ। इसकी मुख्य विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार है
1. रोमन साम्राज्यों में बंदरगाहों, खानों, खदानों, ईंट-भट्ठों, जैतून के तेल की फैक्टरियों आदि की संख्या बहुत अधिक थी। परिणामस्वरूप साम्राज्य का आधारभूत आर्थिक ढाँचा काफी मजबूत था। गेहूँ, अंगूरी शराब तथा जैतून का तेल मुख्य व्यापारिक मदें थीं। इनका बहुत अधिक मात्रा में प्रयोग होता था। ये मुख्यतः स्पेन, गैलिक प्रांतों, उत्तरी अफ्रीका, मिस्र तथा इटली से आते थे क्योंकि वहाँ इन फसलों के लिए स्थितियाँ अनुकूल थीं। शराब, जैतून का तेल तथा अन्य तरल पदार्थों की दुलाई एक प्रकार के मटकों या कंटेनरों में होती थी जिन्हें “एम्फोरा” कहते थे।

2. स्पेन में जैतून का तेल निकालने का उद्योग 140-160 ई. के दौरान अपने चरमोत्कर्ष पर था। उन दिनों स्पेन में उत्पादित जैतून का तेल मुख्य रूप से ऐसे कंटेनरों में ले जाया जाता था जिन्हें ड्रेसल-20 कहते थे । इसका यह नाम पुरातत्वविद हेनरिक ड्रेसल के नाम पर रखा गय है। साम्राज्य के भिन्न-भिन्न प्रदेशों के जमींदार तथा उत्पादक अलग-अलग वस्तुओं का बाजार हथियाने के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा करते रहते थे। परिणामस्वरूप जैतून के तेल के व्यापार पर प्रभुत्व भी बदलता रहा।

3. साम्रज्य के अंतर्गत ऐसे बहुत-से क्षेत्र आते थे जो अपनी असाधारण उर्वरता के लिए प्रसिद्ध थे। इनमें इटली के कैंपेनिया तथा सिसिली और मिस्र के फैय्यूम, गैलिली, बाइजैकियम, दक्षिणी गॉल तथा बाएटिका के प्रदेश शामिल थे। ये प्रदेश साम्राज्य के घनी आबादी वाले सबसे धनी प्रदेशों में से थे।

4. सबसे बढ़िया किस्म की अंगूरी शराब कैंपेनिया से आती थी। सिसिली और बाइजैकियम रोम को भारी मात्रा में गेहूँ का निर्यात करते थे। गैलिनी में गहन खेती की जाती थी।

5. रोम क्षेत्र के अनेक बड़े-बड़े भाग बहुत उन्नत अवस्था में थे। उदाहरण के लिए नुमीडिया (आधुनिक अल्जीरिया) में देहाती क्षेत्रों में ऋतु-प्रवास व्यापक पैमाने पर होता था। चरवाहा तथा अर्ध-खानाबदोश अपने साथ झोपिड़याँ (मैपालिया) उठाए अपनी भेड़-बकरियों के साथ इधर-उधर घूमते रहते थे। परंतु उत्तरी-अफ्रीका में रोमन जागीरों का विस्तार होने पर वहाँ चरागाहों की संख्या में भारी कमी आई और खानाबदोश चरवाहों का आवागमन नियंत्रित हो गया।

6. स्पेन में भी उत्तरी क्षेत्र बहुत कम विकसित था। यहाँ के किसान पहाड़ियों की चोटियों पर बसे गाँवों में रहते थे। इन गाँवों को कैस्टेला कहा जाता था। सच तो यह कि रोम आर्थिक दृष्टि से बहुत ही धनी साम्राज्य था। देश में बहुत बड़ी संख्या में सोने के सिक्के प्रचलित थे।

प्रश्न 5.
रोमन साम्राज्य की सामाजिक श्रेणियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोम का समाज विविधताओं से भरा था। इसमें पूर्ववर्ती काल में अलग-अलग सामाजिक श्रेणियाँ पाई जाती थीं।

पूर्ववर्ती काल – इतिहासकार टैसिटस के अनुसार पूर्ववती रोमन साम्राज्य के प्रमुख सामाजिक समूह थे –

  • सैनेटर-तीसरी शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में सैनेट की सदस्य संख्या लगभग 1000 थी। कुल सैनेटरों में लगभग आधे सैनेटर इतालवी परिवारों के थे।
  • अश्वारोही या नाइट वर्ग।
  • सम्माननीय जनता का नर्ग जिनका संबंध महान् घरानों से था।
  • फूहड़ निम्नतर वर्ग अथवा कमीनकारू (प्लेबस सोर्डिंडा) तथा दास।

परवर्ती काल – परवर्ती काल के मुख्य सामाजिक वर्ग निम्नलिखित थे –
1. अभिजात वर्ग – इस काल में सैनेटर और नाइट एकीकृत होकर एक विस्तृत अभिजात वर्ग बन चुके थे। इनके कुल परिवारों में से कम-से-कम आधे परिवार अफ़्रीकी अथवा पूर्वी मूल के थे। अभिजात वर्ग अत्यधिक धनी था। परंतु कई तरीकों से यह विशुद्ध सैनिक संघांत वर्ग से कम शक्तिशाली था।

2. मध्यवर्ग – मध्य वर्ग में अब नौकरशाही और सेना की सेवा से जुड़े साधारण लोग शामिल थे। इसमें अपेक्षाकृत अधिक समृद्ध सौदागर और किसान भी सम्मिलित थे। रैसिटस के अनुसार इन मध्यमवर्गीय परिवारों का भरण-पोषण मुख्य रूप से सरकारी सेवा और राज्य पर निर्भरता द्वारा होता था।

3. निम्न वर्ग – इसके नीचे निम्न वर्ग का एक विशाल समूह था। सामूहिक रूप से इसे यूमिलिओरिस कहा जाता था। इनमें शामिल वर्ग थे

  • ग्रामीण श्रामिक – ये लोग मुख्यतः स्थायी रूप से बड़ी जागीरों पर काम करते थे।
  • औद्योगिक और खनन प्रतिष्ठानों के कामगार।
  • प्रवासी – कामगार – ये अनाज तथा जैतून की फसल की कटाई और निर्माण उद्योग में अधिकांश श्रम की पूर्ति करते थे।
  • स्व-नियोजित शिल्पकार – मजदूरी पाने वाले श्रमिकों की तुलना में ये बेहतर खाते-पीते थे।
  • अस्थायी अथवा कभी – कभी काम करने वाले श्रमिक।
  • दास – ये विशेष रूप से पूरे पश्चिमी साम्राज्य में पाए जाते थे।

प्रश्न 6.
रोम की अर्थव्यवस्था में दासों तथा वेतनभोगी मजदूरों की क्या भूमिका थी?
उत्तर:
भूमध्यसागर और पश्चिमी एशिया दोनों ही क्षेत्रों में दासता की जड़ें बहुत गहरी थीं। ऑगस्टस के शासनकाल में इटली की कुल 75 लाख की आबादी में 30 लाख दास थे। चौथी शताब्दी में ईसाई धर्म के राज्य-धर्म बनने के बाद भी दास प्रथा जारी रही। दास को पूंजी निवेश की दृष्टि से देखा जाता था।

दासों तथा वेतनभोगी की भूमिका-पहली शताब्दी में भांति स्थापित होने के साथ जब लड़ाई-झगड़े कम हो गए तो दासों की आपूर्ति में कमी आने लगी। इसलिए दास श्रम का प्रयोग करने वालों को दास-प्रजनन अथवा वेनतभोगी मजदूरों जैसे विकल्पों का सहारा लेना पड़ा। वेतनभोगी मजदूर दासों से सस्ते पड़ते थे क्योंकि उन्हें आसानी से छोड़ा और रखा जा सकता था। इसके विपरीत दास श्रमिकों को वर्ष भर रखना पड़ता था और पूरे वर्ष उन्हें भोजन देना पड़ता था तथा उनके अन्य खर्च उठाने पड़ते थे।

फलस्वरूप दास श्रमिकों को रखने की लागत बढ़ जाती थी। इसलिए बाद की अवधि में कृषि-क्षेत्र में अधिक संख्या में दास मजदूर नहीं रहे। अब इन दासों और मुक्त हुए दासों को व्यापार-प्रबंधक के रूप से नियुक्त किया जाने लगा। मालिक प्रायः उन्हें अपनी ओर से व्यापार चलाने के लिए पंजी देते थे। कभी-कभी वे अपना पूरा कारोबार उन्हें सौंप देते थे।

सच तो यह है कि समय बीतने के साथ-साथ वेतनभोगी मजदरों की संख्या बढ़ने लगी। पाँचवीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में सम्राट् ऐनस्टैसियस ने ऊँची मन रियाँ देकर श्रमिकों को आकर्षित किया था और तीन सप्ताह से भी कम समय में दारा शहर का निर्माण किया था। छठी शताब्दी तक भूमध्य-सागर क्षेत्र के भाग में वेतनभोगी श्रमिक बहुत अधिक फैल गए थे।

प्रश्न 7.
रोमन साम्राज्य में श्रम-प्रबंध तथा श्रमिकों पर नियंत्रण रखने के तरीकों की जानकारी दीजिए।
उत्तर:
रोम में श्रम-प्रबंधन तथा मजदूरों को अपने नियंत्रण में रखने पर विशेष महत्त्व दिया जाता था। इस संबंध में विशेष पग उठाए जाते थे। इसका उद्देश्य श्रमिकों से अधिक-से-अधिक काम लिया जा सके होता था। श्रम-प्रबंधन-रोमन कृषि-विषयक लेखकों ने श्रम प्रबंधन की ओर बहुत ध्यान दिया । एक लेखक कोलमेल्ला ने सिफारिश की थी कि जमींदारों को अपनी जरूरत से दुगुनी संख्या में उपकरणों तथा औजारों का सुरक्षित भंडार रखना चाहिए ताकि उत्पादन लगातार होता रहे।

निरीक्षण को भी विशेष महत्त्व दिया गया क्योंकि नियोक्ताओं की यह आम धारणा थी कि निरीक्षण के बिना कभी भी कोई काम ठीक से नहीं करवाया जा सकता। निरीक्षण को सरल बनाने के लिए कामगारों को कभी कभी छोटे दलों में विभाजित कर दिया जाता था। श्रमिकों पर नियंत्रण के तरीके-कोलूमेल्ला ने दस-दस श्रमिकों के समूह बनाने की सिफारिश की थी। उसने यह दावा किया था कि छोटे समूहों में यह बताना अपेक्षाकृत आसान होता है कि उनमें से कौन काम कर रहा है और कौन कामचोरी। इससे पता चलता है कि उन दिनों श्रम-प्रबंधन पर विस्तार से विचार किया जाता था।

1. अलग – अलग समूह में काम करने वाले दासों को प्रायः पैरों में जंजीर डालकर एक-साथ रखा जाता था।

2. रोमन साम्राज्य में कुछ औद्योगिक प्रतिष्ठानों ने तो इससे भी अधिक कड़े नियंत्रण लागू कर रखे थे। सुगंधित राल की फैक्टरियो में कामगारो के ऐप्रनों पर एक सील लगा दी जाती थी। उन्हें अपने सिर पर एक गहरी जाली वाला मास्क या नेट भी पहनना पड़ता था। उन्हें फैक्टरी से बाहर जाने के लिए अपने सभी कपड़े उतारने पड़ते थे। संभवत: यह बात अधिकांश फैक्ट्रियों और कारखानों पर लागू होती थी।

3. 398 ई. के एक कानून में कहा गया है कि कामगारों को दागा जाता था ताकि यदि वे भागने और छिपने का प्रयत्न करें तो उन्हें पहचाना जा सके।

4. कई निजी उद्यमी, कामगारों के साथ ऋण-संविदा के रूप में अनुबंध कर लेते थे, ताकि यह दावा कर सकें कि उनके कर्मचारी उनके कर्जदार हैं। इस प्रकार नियोक्ता अपने कामगारों पर कड़ा नियंत्रण रखते थे।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
ऑगस्ट्स का पहला नाम था ………………
(क) जूलियस सीजर
(ख) ब्रूटस
(ग) ऑक्टावियन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) ऑक्टावियन

प्रश्न 2.
गृहयुद्ध का तात्पर्य है ………………..
(क) सशस्त्र विद्रोह
(ख) शस्त्रविहीन संघर्ष
(ग) मात्र-अहिंसक आंदोलन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) सशस्त्र विद्रोह

प्रश्न 3.
किस सागर को रोमन साम्राज्य का हृदय माना जाता है?
(क) काला सागर
(ख) लाल सागर
(ग) भूमध्य सागर
(घ) कैस्पियन सागर
उत्तर:
(ग) भूमध्य सागर

प्रश्न 4.
रोम का प्रथम सम्राट कौन था?
(क) आगस्टस
(ख) नीरो
(ग) डेरियस प्रथम
(घ) कोन्स्टैनटाइन
उत्तर:
(क) आगस्टस

प्रश्न 5.
रोमन साम्राज्य में ‘सॉलिडस’ क्या था?
(क) चाँदी का सिक्का
(ख) सोने का सिक्का
(ग) ताँबे का सिक्का
(घ) चाँदी और ताँबे का मिश्रित सिक्का
उत्तर:
(ख) सोने का सिक्का

प्रश्न 6.
रोमन लोगों के पूज्य देवी/देवता कौन नहीं थे?
(क) डैगन
(ख) मॉर्स
(ग) जूनो
(घ) जूपिटर
उत्तर:
(क) डैगन

प्रश्न 7.
किस रोमन शासक के शासनकाल में दासों ने जबरदस्त विद्रोह किया?
(क) ऑगस्टस
(ख) ऐनस्टैसियस
(ग) टाइबेरियस
(घ) नीरो
उत्तर:
(घ) नीरो

प्रश्न 8.
निम्न में किस शासक का संबंध पवित्र रोमन साम्राज्य से था?
(क) जुलियस सीजर
(ख) शार्लमेन
(ग) लुई-XIV
(घ) पीटर महान
उत्तर:
(ख) शार्लमेन

प्रश्न 9.
वह कौन-सा प्राचीन साम्राज्य था जो तीन महाद्वीपों में फैल हुआ था?
(क) रोम साम्राज्य
(ख) ब्रिटिश साम्राज्य
(ग) रूसी साम्राज्य
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) रोम साम्राज्य

प्रश्न 10.
रोम साम्राज्य की प्रमुख भाषा थी:
(क) संस्कृत
(ख) लैटिन
(ग) अंग्रेजी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) लैटिन

प्रश्न 11.
सम्राट कांस्टैन्टाइन किस सदी ई. में ईसाई बना?
(क) तीसरी
(ख) पहली
(ग) चौथी
(घ) पाँचवीं
उत्तर:
(ग) चौथी

प्रश्न 12.
रोमन साम्राज्य को पूर्वी पश्चिमी भागों में किस सदी ई. में बाँटा गया?
(क) चौथी
(ख) दूसरी
(ग) तीसरी
(घ) सातवीं
उत्तर:
(क) चौथी

प्रश्न 13.
रोम साम्राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में कौन-सी जनजातियाँ थीं?
(क) गोथ
(ख) विसिगोथ
(ग) वैथल
(घ) इनमें सभी
उत्तर:
(घ) इनमें सभी

प्रश्न 14.
मुहम्मद पैगम्बर द्वारा इस्लाम धर्म की स्थापना की गई?
(क) पाँचवीं सदी में
(ख) छठी सदी में
(ग) सातवीं सदी में
(घ) आठवीं सदी में
उत्तर:
(ग) सातवीं सदी में

प्रश्न 15.
रोम में गणतंत्र कायम रहा ……………….
(क) 509 ई.पू. से 27 ई.पू. तक
(ख) 500 ई.पू. से 25 ई.पू. तक
(ग) 300 ई.पू. से 28 ई.पू. तक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) 509 ई.पू. से 27 ई.पू. तक