Bihar Board 10th Hindi Grammar Objective Answers पदबंध

Bihar Board 10th Hindi Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 10th Hindi Grammar Objective Answers पदबंध

प्रश्न 1.
‘नदी कलकल निनाद करती हुई बहती चली जा रही थी।’ इस वाक्य में ‘बहती चली जा रही थी’ में कैसा पदबंध है?
(A) क्रिया पदबंध
(B) क्रियाविशेषण पदबंध
(C) सर्वनाम पदबंध
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर :
(A) क्रिया पदबंध

प्रश्न 2.
‘राकेश बहुत जोरों से हँसता हुआ जा रहा था।’ इस वाक्य में ‘राकेश बहुत जोरों से हँसता हुआ’ कैसा पदबंध है?
(A) क्रियाविशेषण पदबंध
(B) सर्वनाम पदबंध
(C) विशेषण पदबंध
(D) संज्ञा पदबंध
उत्तर :
(A) क्रियाविशेषण पदबंध

प्रश्न 3.
‘अँधेरा होने के पहले ही पिताजी बाजार से लौट आएँगे।’ इस वाक्य में ‘अँधेरा होने से पहले ही’ कैसा पदबंध है?
(A) क्रिया पदबंध
(B) क्रियाविशेषण पदबंध
(C) सर्वनाम पदबंध
(D) संज्ञा पदबंध
उत्तर :
(D) संज्ञा पदबंध

प्रश्न 4.
‘क्रूर-से दिखनेवालों में कुछ सज्जन भी हो सकते हैं।’ इस वाक्य में ‘क्रूर-से दिखनेवालों में कुछ’ कैसा पदबंध है?
(A) संज्ञा पदबंध
(B) सर्वनाम पदबंध
(C) क्रिया पदबंध

प्रश्न 5.
‘योगेश की सफलता का समाचार सुनकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई।’ इस वाक्य में ‘योगेश की सफलता का समाचार कैसा पदबंध है?
(A) क्रिया पदबंध
(B) संज्ञा पदबंध
(C) क्रियाविशेषण पदबंध
(D) सर्वनाम पदबंध
उत्तर :
(B) संज्ञा पदबंध

प्रश्न 6.
‘रात को पहरा देनेवाला आज घर चला गया।’ इस वाक्य में रात को पहरा देनेवाला’ कैसा पदबंध है?
(A) संज्ञा पदबंध
(B) क्रियाविशेषण पदबंध
(C) क्रिया पदबंध
(D) सर्वनाम पदबंध
उत्तर :
(A) संज्ञा पदबंध

प्रश्न 7.
‘विभिन्न रंगों के फूलों की सुगंध से सुवासित फुलवारी में घूमने से चित्त प्रसन्न हो जाता है।’ इस वाक्य में विभिन्न रंगों के फूलों की सुगंध से सुवासित’ कैसा पदबंध है?
(A) संज्ञा पदबंध
(B) सर्वनाम पदबंध
(C) क्रिया पबंध
(D) विशेषण पदबंध
उत्तर :
(D) विशेषण पदबंध

प्रश्न 8.
‘कूर-से दिखनेवालों में कुछ सज्जन भी हो सकते हैं।’ इस वाक्य में ‘क्रूर-से दिखनेवालों में कुछ’ कैसा पदबंध है?
(A) संज्ञा पदबंध
(B) सर्वनाम पदबंध
(C) क्रिया पदबंध
(D) विशेषण पदबंध
उसर :
(B) सर्वनाम पदबंध

प्रश्न 9.
‘अँधेरा होने के पहले ही पिताजी बाजार से लौट आएँगे।’ इस वाक्य में ‘अँधेरा होने से पहले ही’ कैसा पदबंध है?
(A) संज्ञा पदबंध
(B).सर्वनाम पदबंध
(C) क्रिया पदबंध
(D) क्रियाविशेषण पदबंध
उत्तर :
(D) क्रियाविशेषण पदबंध

प्रश्न 10.
‘रंग-बिरंगे फूलों की सुगन्ध से सुवासित फुलवारी में घुमने का आनन ही कुछ और है।’ इस वाक्य में ‘रंग-बिरंगे फूलों की सुगन्ध से सुवासित’ कैसा पदबंध है ?
(A) विशेषण पदबंध
(B) क्रियाविशेषण पदबंध
(C) क्रिया पदबंध
(D) संज्ञा पदबंध
उत्तर :
(C) क्रिया पदबंध

प्रश्न 11.
‘खून करनेवाले डाकुओं में कुछ दयालु भी होते हैं।’ इस वाक्य में खून करनेवाले डाकुओं में कुछ’ कैसा पदबंध है ?
(A) क्रिया पदबंध
(B) संज्ञा पदबंध
(C) सर्वनाम पदबंध
(D) क्रियाविशेषण पदबंध
उत्तर :
(A) क्रिया पदबंध

प्रश्न 12.
“उगते हुए सूर्य को नमस्कार” में ‘उगते हुए’ क्या है ?
(A) पदबन्ध
(B) सामासिक पद
(C) अव्यय
(D) उपवाक्य
उत्तर :
(A) पदबन्ध

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 1 मंगलम्

Bihar Board Class 8 Sanskrit Book Solutions Amrita Bhag 3 Chapter 1 मंगलम् Text Book Questions and Answers, Summary.

BSEB Bihar Board Class 8 Sanskrit Solutions Chapter 1 मंगलम्

Bihar Board Class 8 Sanskrit मंगलम् Text Book Questions and Answers

1. संगच्छध्वं संवदध्वंसं वो मनांसि जानताम्।
देवा भागं यथा पूर्व सञ्जानाना उपासते ॥
अर्थ – शिष्यो ! तुम सब साथ चलो, साथ बोलो, तुम सब समान रूप से.मन में चिन्तन करो। जैसे प्राचीन काल में देवता लोग अपने हिस्से (भाग). का ही हविष्यान्न को ग्रहण करते थे उसी प्रकार तुम सब भी मिल-जुलकर भोग्य वस्तु का उपभोग करो।

2. सह नाववतु सह नौ भुनक्तु सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै ॥
अर्थ – भगवान हम दोनों (गुरु-शिष्य) को एक साथ (समान रूप से) रक्षा करें। हम दोनों एक साथ (समान रूप से) किसी चीज का उपभोग करें। हम दोनों समान रूप से पराक्रम (परिश्रम) करें । अध्ययनकृत ज्ञान से हम दोनों में तेजस्विता का गुण आवे । हम दोनों परस्पर (एक-दूसरों से) विद्वेष न करें।

Bihar Board Class 8 Sanskrit Solution शब्दार्थ

संगच्छध्वम् = तुमलोग साथ चलो । संवदध्वम् = तुम सब साथ बोलो। वो (व:) = तुम्हारे । मनांसि = मन (बहुवचन) । संजानताम् = एक साथ चिन्तन करें। देवाः = श्रेष्ठ पुरुष । पूर्वे = प्राचीन काल के । भागम् = अपने प्राप्य अंश को । सञ्जानानाः = समान चित्त वाले । सह = साथ । नौ = हमदोनों । उपासते = समीप रहते हैं, ग्रहण करते हैं। भुनक्तु = भोजन करे, भोगे। अधीतम् = ज्ञान, पढ़ा हुआ विषय । मा = नहीं। विद्विषावहै = (हमदोनों) विद्वेष करें । नाववतु (नौ + अवतु) = हमदोनों की रक्षा करे।

आमोदिनी कक्षा 8 पाठ 1 Bihar Board व्याकरणम्

सन्धि-विच्छेदः-नाववतु = नौ + अवतु । नावधीतमस्तु = नौ + अधीतम् + अस्तु ।

Bihar Board Solution Class 8 Sanskrit अभ्यास

3. मौखिक

  1. मन्त्रौ श्रावयत (दोनों मन्त्रों को सुनाओ।)
  2. स्वस्मरणेन कञ्चित् मंगलश्लोक श्रावयत । (अपने स्मरण से कोई मंगल श्लोक को सुनाओ।)
  3. उच्चैः गायत (जोर से गाओ)

(क) मङ्गलं भगवान् विष्णुः मङ्गलं गरुडध्वजः ।
मङ्गलं पुण्डरीकाक्ष: मङ्गलायतनो हरिः।

4. रिक्त स्थानानि पूरयत :

(क)……… संवदध्वं सं ………. जानताम्।
देवा भागं …………. सञ्जानाना ……… ॥
उत्तर:
संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम् ।
देवा भागं यथा पूर्वे सञ्जानाना उपासते ।।

(ख) पावकः = पौ + अकः

  1. नायकः = नै+…………..
  2. नयनम् =…………..+ अनम्
  3. नाविकः = ……….+………..
  4. पवनः = ………… + ………
  5. भवनम् = भो + ………….

उत्तर:
पावकः = पौ + अकः।

  1. नायकः = नै + अकः।
  2. नयनम् = ने + अनम् ।
  3. नाविकः = नौ + इकः।
  4. पवनः = पो + अनः।
  5. भवनम् = भो + अनम् ।

5. संस्कृते अनुवादं कुरुत (संस्कृत में अनुवाद करें):

  1. वह प्रतिदिन विद्यालय जाता है।
  2. मेरे साथ तुम भी जाओगे।
  3. सभी सुखी हो।
  4. संसार ही परिवार है।
  5. दिल्ली भारत की राजधानी है।

उत्तरम्:

  1. सः प्रतिदिनं विद्यालयं गच्छति ।
  2. मया सह त्वं अपि गमिष्यसि।
  3. सर्वे भवन्तु सुखिनः।
  4. वसुधैव कुटुम्बकम्।
  5. दिल्ली भारतस्य राजधानी अस्ति।

6. वाक्यानि रचयत :
यथा-ऋतुराज: वसन्तः ऋतुराजः कथ्यते ।

  1. दृष्ट्वा = चौरः राजपुरुषं दृष्ट्वा अपलायत् ।
  2. महोत्सवः = दीपावली महोत्सवः भवति ।
  3. शनैः शनैः = वायुः शनैः शनैः चलति ।
  4. गच्छन्ति = बालकाः गृहं गच्छन्ति ।
  5. वेदेषु = वेदेषु ऋग्वेदः श्रेष्ठः अस्ति ।

7. उदाहरणानुसारं पदानि पृथक् कुरुत :
यथा-सर्वेषामेव = सर्वेषाम् + एव ।

  1. अधीतमस्तु = अधीतम् + अस्तु ।
  2. अध्ययनमेव = अध्ययनम् + एव ।
  3. वर्षमस्ति. = वर्षम् + अस्ति ।
  4. समुद्रमिव = समुद्रम् + इव ।

8. भिन्न प्रकृतिकं पदं चिनुत :

  1. सिंहः, कुक्कुरः, गर्दभः, भल्लूकः, शुकः ।
  2. जम्बुः, आम्रम्, नारिकेलम्, ओदनम्, अमृतफलम्।
  3. रजकः, नापितः, लौहकारः, स्वर्णकारः, वस्त्रम्।
  4. मस्तकम्, ग्रीवा, ओष्ठः, पौत्रः, कपोलः ।
  5. दशाननः, सप्त, शतम्, विंशतिः, द्वादश ।

उत्तरम्:

  1. शुकः ।
  2. ओदनम् ।
  3. वस्त्रम् ।
  4. पौत्रः ।
  5. दशाननः।

9. कोष्ठे दत्तानां लपाणां लङ् रूपाणि (एकवचने लिखत):

यथा – (उज्ज्वलः पुस्तकं पठति)
उत्तरम्:
उज्ज्वल: पुस्तकम् अपठत् ।

(क) शाम्भवी जलं (पिबति)।
उत्तरम्:
शाम्भवी जलं अपिबत् ।

(ख) आलोकः उच्चैः (हसति)।
उत्तरम्:
आलोकः उच्चैः अहसत् ।

(ग) इकबालः पत्रं (लिखति)।
उत्तरम्:
इकबाल: पत्रं अलिखत् ।

(घ) आफताबः कुत्र (गच्छति) ?
उत्तरम्:
आफताबः कुत्र अगच्छत् ?

(ङ) अनुष्का श्लोकं (वदति)।
उत्तरम्:
अनुष्का श्लोकं अवदत् ।

10. भवान्/भवती विद्यालयस्य प्राङ्गणस्य चित्रे किं किं पश्यति ?
यथा

  1. अहं चित्रे एक वृक्षं पश्यामि ।
  2. अहं चित्रे एक नलकूपं पश्यामि ।
  3. अहं चित्रे एकं खेलक्षेत्रं पश्यामि ।
  4. अहं चित्रे विद्यालयस्य भवनं पश्यामि ।
  5. अहं चित्रे बालकान् पश्यामि ।
  6. अहं चित्रे शिक्षकान् पश्यामि ।

Bihar Board Class 8 English Book Solutions Chapter 3 The Raja’s Dream

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Bihar Board Class 8 English The Raja’s Dream Text Book Questions and Answers

A. Warmer

The Raja’s Dream Question Answer Questions 1.
Have you ever had a funny strange dream ? Share it with your classmates. Tell them if it had any connect in with reality.
Answer:
Yes, sometimes I also see funny strange dreams. But ‘ the funny dreams were not connected with reality. They were mere imaginary funny dreams.

B. Let’s Comprehend

B. 1. Think And Tell

Bihar Board Class 8 English Book Solution Question 1.
What complaint did the courtiers make to Rifia Krishna Chandra?
Answer:
Gopal loved to make everyone a fool, was their com-plain.

The Raja Dream Story In Hindi Question 2.
How did Krishna Chandra decide to amuse himself?
Answer:
By making Gopal a fool, to amuse himself.

The Raja’s Dream In Hindi Question 3.
What did Raja tell Gopal ?
Answer:
A story of his dream.

Bihar Board Class 8 English Solutions Question 4.
What were the two pools filled with in Raja’s dream ?
Answer:
One pool was filled with Kheer, the other with muck.

Bihar Board Solution Class 8 English Question 5.
In which pool did Gopal fall ?
Answer:
In the pool of rotten dung.

Bihar Board Class 8 English Solution In Hindi Question 6.
Whose dream finished earlier ?
Answer:
Raja’s dream.

Bihar Board Class 8 English Question 7.
Who was licking whom in GopaI’s dream ?
Answer:
Raja and Gopal were licking each other.

B. 2. Think and Write

B. 2. 1. Write’T’ for true and ‘F’ for false statement.

Class 8 English Bihar Board Question 1.

  1. Gopal was a great fool
  2. Raja actually had a strange dream.
  3. Raja fell in the pool filled with milk.
  4. The courtiers mocked at Gopal on hearing Raja’s dream.
  5. Raja punished the courtiers for laughing at him.

Answer:

  1. False
  2. False
  3. True.
  4. True
  5. False.

B. 2. 2. Answer the following questions briefly

Class 8 Bihar Board English Solution Question 1.
What did Gopal love doing ?
Answer:
Make everyone appear like a fool.

Bihar Board Class 8 English Solution Question 2.
What did the king think on hearing the courtiers complaint?
Answer:
To amuse himself by baiting Gopal.

English Class 8 Bihar Board Question 3.
How did the pool like in which the king fell look like ?
Answer:
Pool of kheer.

B. 2. 3. Answer the following question in about 70 words.

Class 8 English Chapter 3 Question Answer Question 1.
What happened to the people who tried to get their back at Gopal ?
Answer:
The people who tried to get their backs at Gopal were self made fools by the jester Gopal. There was no one in the court who did not try to make Gopal a fool. But, in the end they looked like utter idiots.

Bihar Board English Class 8 Question 2.
What was the king’s dream ? Describe.
Answer:
Die king said that last night he had a strange dream. In his dream, Gopal and he were going for a walk. Suddenly, they reached to a place having two pools. One pool was filled with Kheer and the other with smelly dung. He himself fell in the kheer made out of rich milk. And Gopal fell into the pool of muck.

Bihar Board Class 8 English Solutions In Hindi Question 3.
What did Gopal say on hearing the king’s dream.
Answer:
Gopal calmly said that he also had seen the same dream. The king’s dream had ended earlier, while his dream continued a bit longer. Further in his dream he saw that they both came out of their pools. Then both of them licked each other as to clean each other.

Bihar Board 8th Class English Book Question 4.
Sketch the character of Gopal, the jester.
Answer:
The jester, Gopal was an intelligent man. He was pleased to crack joke on others. He liked very much to get a person’s back. But when the other courtiers tried to do the same, they would find themselves irf Gopal’s hand, becoming were idiots. Even the king could not get at his back. Gopal was a person of great wit.

Bihar Board Class 8 English Book Question 5.
Can you guess the kingts feeling at Gopal’s reply ? What would you do if someone replied you in that manner ?
Answer:
The king might have been greatly surprised at Gopal’s reply. He wanted to make Gopal a fool. But, instead Gopal had made him a fool. And in front of all the courtiers. The king might have gone fired with anger. And he could have badly

punish Gopal. But as he was that day in good mood. He par-doned Gopal and instead of punishing him, praised him. If someone would have replied to me in that manner. 1 would become angry on the person. I would cut my relations with him. 1 would stop talking to him.

C. Word Study

C. 1. Fill in the blanks in the following sentences with the words given below:

(clean, dreamt, lqnger, courtiers, jester, dung)

  1. Gopal was a ________ in the Raja’s court.
  2. Raja ________ that Gopal fell into the pool of horrihly smelly ________
  3. On hearing Raja’s dream, the ________ burst out laughing.
  4. Gopal had a ________ dream.
  5. Gopal and the king were licking each other in or der to ________ themselves.

Answer:

  1. Jester
  2. dream
  3. courtiers
  4. longer
  5. clean.

C. 2. Find out from the story’ the words which are opposites

“‘(antonyms) of the words given below:
appreciate, hated, never, thin, weep, began, pushed
Answer:
Opposite words (antonyms)

  1. Appreciate – Unappreciated
  2. Hated – Loved
  3. Never – Always
  4. Thin – Thick
  5. Weep – Laugh
  6. Began – Ended
  7. Pushed – Pulled

C. 3. Match the words in column A with their meanings in column B:

Question 1.
Bihar Board Class 8 English Book Solutions Chapter 3 The Raja’s Dream 1
Answer:
Bihar Board Class 8 English Book Solutions Chapter 3 The Raja’s Dream 2

D. Grammar

D. 1. Determiners

Look at the following sentence:
The king was in a good mood and did not mind his legs being pulled a little.

Note the underlined words in the given sentence.’Here, the word ‘the’ before ‘king’ refers to a particular king, i.e„ Raja Krishna Chandra. Similarly, the word ‘his’before ‘legs’refers to the legs of that very king.

Words like a/an, the, this, that, some etc. are called Determiners and they are used before a noun or a noun phrase to define or limit its meaning. In a noun phrase, only one deter¬miner is permitted: There are many determiners in English. Here is a list of some of them:

Articles : a, an, the
Possessive prononuns : my, his, your, her, their, our, its
Quantifiers : Some, many, etc
Interrogatives : What, Which etc
Distributives : each, every
Demonstratives : this, that, etc

D. 1. 1. Encircle determiners in the story ‘The Raja’s Dream 
Answer:
The determiners used in the story ‘The Raja’s Dream’ his courtiers, that Gopal, a fool, the court, The Raja, a single the jester, that you, a place, your dream, his legs.’

D. 1. 2. Now encircle determiners in the following sentences:

  1. I don’t know where I lost my shoes.
  2. l am not free this afternoon.
  3. Can I borrow your English book for a minute ?
  4. When is your birthday ?
  5. My father has invited his friends to my birthday party.
  6. This room is bigger than that room.
  7. This man who is standing at the gate is my uncle.
  8. I’m busy these days.
  9. I need some water.
  10. Answer:
  11. my
  12. this
  13. your, a
  14. your
  15. My his, my
  16. This, that,
  17. The, the, my
  18. these
  19. some.

D. 1. 3. Use of each’and’every’

Look at the following sentences.
Each boy is intelligent (individually)
Every boy is intelligent (all)
We use ‘each’ and ‘every’ before singular countable nouns. We use ‘each’ before a singular countable noun when we talk about two or more people or things separately as individuals. We use ‘every’ when we talk about three or mote people or things together as a group

Example:
Each boy and girl was given a prize.
Each of the girls was allowed to speak for two-minutes. Every boy was present in the class=All boys were present in the class.

D. 1. 4. Make two sentences with “each” and “every”.
Answer:
Each:

  1. Each man is mortal.
  2. Each of you will be punished.

Every :

  1. Every person is God’s child.
  2. Every student was present in the class.

D. 1. 5. Pick out determiners in the following passage.

A little boy saw pictures of the most criminals at the police station. Pointing at one picture he asked a policeman there, “Is he really a wanted criminal ?”

“Yes,” said the policeman. Looking puzzled, the little boy remarked,

“Then why didn’t you keep him when you took his picture ?”
Answer:
Determiners are underlined in the passage.

A little boy saw pictures of the most wanted criminals at the police station. Pointing at one picture has asked a policeman there, “Is he really a wanted criminal ?” .

“Yes,” said the policeman. Looking puzzled, the little boy remarked, “Then why didn’t you keep him when you took his picture ?”

D. 2. Punctuation Marks

We use a variety of punctuation marks, such as full stop/ period, comma, question mark, brackets, etc. in our writing to separate sentences, phrases, etc., and to clarify their meaning.

Apostrophe (‘)
(i) An apostrophe is used:
(a) to form contractions by showing the numbers or letters that have been left out; e.g., ’88 = 1988,1 am = I’m, we are = we’re, he will = he’ll, they would = they’d, do not = don’t, I have = I’ve.

(b) to form the possessive of a noun.
Add’s to a single noun or name : uncle’s shop, Ashu’s friend, cat’s tail, Anu’s car.
Add’s to a singular noun that ends in -s : actress’s role; princess’s friend; rhinoceros’ skin.
Add’s to other plural nouns ‘. children’s toys; women’s shoe; men’s shirts.
And’s to a person’s office or shop: I’ll buy the medicine at the chemist’s. / I’ll be visiting Anil’s.
Add’s only after the second name: Jack and Jill’s pail, Aslant and Anuj’s school.

(c) to form the plural of abbreviations : many Dr.’s, many C. M.’s, many Ph.D.’s.
(ii) An apostrophe is placed at the end of the word when the word is plural and ends in s’: student’s bags, books’ covers.

(iii) for the plural of a number or letter : your l’s, your c’s, your 5’s are too big.

Colon :
(i) A colon is used before a list and usually after ‘as fol-lows’or’following items’etc.
Example : This box contains the following items : ban-dages, plasters, lotion, medicines and a pair of scissors.
(ii) It is used to separate the hour from the minutes when telling time.
Example: 45 A M., 10 :45 P.M.
(iii) It is uses to introduce quoted material.

Example :
The Headmaster of our school often used to tell us this quotation : “Writing makes a man perfect.’

A semicolon is used :
(i) to join two sentences, independent clauses or a series of items which are closely connected in meaning.
Example: He gives up smoking; obviously, he fears con-tracting one of the smoking-related diseases. .

(ii) to join two complete sentences into a single written sentence when the two sentences are too closely related to be separately by a full stop and there is no connecting word which would require a comma such as ‘and’ or ‘but’.
Example : He had no money; he felt helpless.

(iii) to join two independent clauses when the second clause restates the First or when the two clauses are of equal emphasis.
Example : Road construction in Taraurii has hindered travel around village; streets have become covered with buldozers, trucks, cement, etc.

(iv) to join two complete sentences into a single written sentence where the second sentence begins with a conjunctive adverb such as ‘however’, ‘nevertheless’, ‘accordingly’, ‘con-sequently’or’instead’. Example : I wanted to make my speech short; however, there was so much to cover.

(v) to separate items in a list when one or more of those items contains a comma:
Example : The speakers included : Radha Mohan Meena, the Commissioner, Nasiruddin Khan, the Education Officer; and Ajay Chaudhary, the Principal.
Hyphen (-)

A hyphen is used:
(i) to join two words or more to form compound words.
Example : good-looking, pro-Indian, forty-one, daugh-ter-in-law.

(ii) It is used for periods of time when you might other-wise use to.
Example : The years 2009-2011, September-December.

(iii) to link two connected words.
Example : the Patna-Delhi train.

(iv) to add emphasis or make it dramatic.
Example : He said that he would go – and he did.
Dash (-)

(i) A dash is sometimes used instead of a celon or semi-colon.
Example : “Quick ! Go now – the police are coming for you”

(ii) A dash is used in pairs to separate a strong interruption from the rest of the sentence (a strong interruption, as opposed to a weak interruption, is one which forcefttly disrupts the flow of the sentence and, as such, it usually contains a verb rather simply being aphrase)
Example: All nations desire economic growth-some even achieve it – but it is easier said than done.

(iii) When dashes are used in a sentence, commas are not used to separate interrupting phrases.

deciding on the one she should buy.

(NOTE: She looked at the dresses, – a few of them, – deciding-on the one she should buy.)

D. 2.1. Add what you think are appropriate punctuation?
marks to the sentences below.

  1. Our neighbours dog likes to chew bones.
  2. Anshus sister is a doctor in Apollo Hospital.
  3. Last week we read The Catbird Seat a short story by JamesThurber.
  4. Our three children Anu Anil and Aniket like playing cricket.
  5. In three weeks time we have to begin school again.
  6. Doesn’t she know that we dont drink coffee.
  7. Its important that the puppy learns to find its way home.
  8. She did not hear her childrens cries.
  9. My friend’s name has two As.
  10. The man whose face was white said that he had / spent his two weeks vacation in Sikkim.
  11. No the taxi driver said politely I cannot take you to the airport in fifteen minutes.
  12. Anwesha is trying hard in school this semester her father said.
  13. When did Roosevelt say We have nothing to fear but fear itself.
  14. There was only one thing to do study till dawn.
  15. The following are the primary colours red blue and yellow.
  16. We reached home at 10:15 AM.
  17. We had a great’time in Delhi the kids really en- joyed it.
  18. Some people work best in the mornings other do better in the evenings.

Answer:

  1. Our neighbour’s dog liRes to chew bones. .
  2. Ashu’s sister is a doctorApollo Hospital.
  3. Last week, we read, The Catbird Seat’, a short story by James Thurber. –
  4. Our three children Anu, Anil and Aniket, like playing cricket.
  5. In tfiree weeks’ time, we’ll have to begin school again.
  6. Doesn’t she know that we don’t drink coffee.
  7. It’s important that the puppy learns to find its way home. ?
  8. She did not hear her children’s cries.
  9. My friend’s name has two A’s.
  10. The man whose face was white, said that he had spent his two weeks vacation in Sikkim.
  11. No, said the taxi driver politely, “I can not take you to the airport in fifteen minutes ?
  12. “Anwsha is trying hard in school this semester”, her father said.
  13. When did Roosevelt say : “We have nothing to fear but fear itself.”
  14. There was’only one thing to do, study till dawn.
  15. The following are the primary colours : red, blue and yellow.
  16. We reached home at 10 : 15 A.M.
  17. We had a great time in Delhi, the kids really enjoyed it.
  18. Some people work best in the mornings, others do

The Raja’s Dream Summary in English

Many stories are famous about the wit of jester Gopal. This story is one of them. Raja Krishna Chandra had after heard from his courtiers that Gopal had made fool to all of them’ The Raja decided to amuse himself by baiting Gopal.

Raja Krishna Chandra said to Gopal that he had a dream. In the dream both of them went for a walk. He fell into a pool of Kheer while he fell into a pool of smejly dung.

All the courtiers laughed hearing to the king. Then, Gopal calmly said that he also had seen the same dream. The king’s dream had finished earlier, while his dream continued. In his dream, he later saw that both of them came out of the pools. Then, in order to clean each other both of them started licking each other. Hearing this, all the courtiers were stunned or choked. There was complete silence in the court. But, that day the king was in a good mood. To all the courtier’s surprise, the king laughed at Gopal’s wit.

The Raja’s Dream Summary in Hindi

मसखरे गोपाल के विषय में ढेरों कहानियाँ प्रचलित हैं। प्रस्तुत कहानी भी उन्हीं में से एक है। राजा कृष्णचन्द्र ने दरबारियों से सुन रखा था कि गोपाल ने सभी को कभी न कभी मूर्ख बनाया है। जब कभी उन्होंने गोपाल को मूर्ख बनाने की कोशिश की, उल्टे गोपाल ने ही उन्हें मूर्ख बना दिया। राजा ने एक दिन गोपाल का मजाक उड़ाकर मजा लेने की ठान ली।

राजा कृष्णचन्द्र ने गोपाल से कहा कि पिछली रात उन्होंने एक सपना देखा। सपने में वे दोनों घूमने निकले। वे गिर पड़े एक खीर के तालाब में और गोपाल गिर पड़ा एक बदबूदार गोबर के तालाब में। …।

राजा की बात सुनकर दरबार में उपस्थित सभी दरबारीगण ठठाकर हँस – पड़े। तब, गोपाल ने बिल्कुल शांत रहते हुए कहा कि उसने भी ठीक वही सपना देखा था। फर्क यह है कि राजा का सपना जल्दी ही खत्म हो गया । जबकि उसका सपना आगे भी चलता रहा। आगे सपने में उसने देखा कि वे दोनों तालाब से निकले तो एक-दूसरे को साफ करने के क्रम में दोनों एक-दूसरे को चाटने लगे।

यह सुनते ही जैसे कि तमाम दरबारियों को साँप सूंघ गया है। पूरे दरबार में सन्नाटा छा गया । पर, राजा उस दिन अच्छी मिजाज में था। उसने गोपाल की छींटाकशी का बुरा नहीं माना। दरबारी आश्चर्य में पड़ गये जबकि राजा ने गोपाल की चतुराई की खूब तारीफ की।

The Raja’s Dream Hindi Translation of The Chapter

. often (adv) [ऑफेन] = अक्सर । Courtiers (n) |कोर्टियर्स] = दरबारी | Complain (v) (कम्प्लेन = शिकायत करना। Hardly adv). [हार्डली] = मुश्किल से | Getaperson’s back (idiom) [गेट अ पर्सन्स बैक] = किसी का चुगली करना, उसकी पीठ के पीछे या चुटकी लेना | Utter (adj) |अटर] = निरा । Idiot (n) [इडिअट] = मूर्ख । Rankle (v). रैंकल] = गुस्सा दिलाना। Uttering (v)[अटरिंग) = बोलना | Objectionable (adj) [ऑब्जेक्शनेबल] = अनुचित | Jester (n) [जेस्टर] = मसखरा । Silly

(n) (सिली] = मूर्ख । Baiting (v) [बेटिंग) = मजाक उड़ाना । Strange (adj) [स्टेंज = विचित्र, अनोखा | Announced (v) [अनाउन्स्ड] = घोषित किया। As soon as (phr) [एज सून एज] = ज्योंही । In order to (phr) [इन ऑर्डर टू] = क्रम से । Dreamt (v) [ड्रेम्ट] = सपना देखा | Pool (n) [पूल] = तालाब । Horribly (adv) [हॉरीबली] = भयंकर रूप से । Smelly (adj) [स्मेली] = बदबू से भरा हुआ | Dung (n) [डंग] = गोबर । Rotting (adj) [रॉटिंग] = सड़ा हुआ, गला हुआ। Muck (n) [मक] = मल-मूत्र । Hearing (v) [हिअरिंग] = सुनते हुए | Burst out (phry[बर्ट आउट] = फूट पड़े | Laughing (n) [लाफिंग] = हँसी । Head to toe (phr) [हेड टूं टो] = सिर से पाँव तक |

Unruffled (adj) [अनरफल्ड] = शांतिपूर्वक, बिना परेशान हुए। Humility (n) [ह्यूमिलिटि] = विनम्रता । Exactly (adv) [एक्जैक्टली] = बिल्कुल वही । Dream (n) [ड्रीम] = स्वप्न, सपना । Questioningly (adv)[क्वेश्चनिंगली] = प्रश्न से भरकर | Asked (v)[आस्कड) = सवाल किया। Mean (v) [मीन] = अर्थ रखना। Happened (v) हैप्पेन्ड] = घटित हुआ (कोई घटना)। Replied (v) [रिप्लाइड) = उत्तर दिया। Earlier (adj) [अर्लिअर] = सबेरे, पहले। Continued (v) [कन्टीन्यूड] = जारी रहा । Covered (adj) [कवर्ड] = ढंका हुआ। Licking (v) [लिकिंग] = चाट रहा था। Almost (adv) [ऑलमोस्ट] = लगधग, प्रायः

Chocked (adj) [चोक्ड] = खामोश रह जाना, कण्ठ से एकदम भी आवाज का न निकलना। Unfortunately (adv) [अनफॉरयूनेटली] = दुर्भाग्य से । Mood (n) [मूड] = मिजाज । To pull some body’s leg (idiom) [टू पुल समबडीज लेग] = किसी व्यक्ति का मजाक उड़ाना या खिंचाई करना । Wit (n) (विट] = चतुराई

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Bihar Board Class 12 English Book Solutions Poem 10 My Grandmother’s House

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Bihar Board Class 12 English My Grandmother’s House Text Book Questions and Answers

B.1. Write T for true and F for false statements 

(a) The woman of the house is alive.
(b) The snakes were seen in the house.
(c) The speaker read the books with great interest.
(d) The speaker wished to peep through the window.
Answer:
(a) F (b) T (c) T (d) F

B. 2. Answer the questions briefly 

My Grandmother’s House Poem Questions And Answers Bihar Board Class 12th Question 1.
Who is “I” in the second line of the poem?
Answer:
“I” is the speaker (the poet) “Kamala Das” in the second line of the poem.

My Grandmother House Question Answer Bihar Board Class 12th Question 2.
Where did the speaker once receive love?
Answer:
The speaker once received the love in a house where she lived with her grandmother in the past.

My Grandmother’s House By Kamala Das Questions And Answers Question 3.
Why did the house go into silence?
Answer:
The house went into silence because the woman who used to live there was dead.

My Grandmother’s House Questions And Answers Bihar Board Class 12th Question 4.
Why was the speaker unable to read the books?
Answer:
The speaker was unable to read the books because at that time she was too young to read.

My Grandmother Poem Questions And Answers Bihar Board Class 12th Question 5.
Why did the speaker often wish to go to that house?
Answer:
The speaker often wished to go to that house because in that house she felt her grandmother’s memory. Her grandmother lived there and died in the house. She also lived with her grandmother in her childhood days.

My Grandmother’s House Questions And Answers Pdf Bihar Board Class 12th  Question 6.
Why was the speaker proud of living in that house?
Answer:
The speaker was proud of living in that house because in that house she received love for a long time. For love, she moved, but she got it in her old house.

My Grandmother’s House Question Answer Bihar Board Class 12th Question 7.
Why does the speaker say that she has lost her way?
Answer:
The speaker said that she had lost her way to receive love at that time at stranger’s door, at least in small change.

My Grandmother’s House Poem Question And Answers Bihar Board Class 12th Question 8.
Is the speaker satisfied with her present life? If not, why?
Answer:
No, the speaker is not satisfied with her present life because at present she lost her grandmother and the house where she received love.

C. 1. Long Answer Questions

My Grandmother Questions And Answers Bihar Board Class 12th Question 1.
How does the speaker describe the condition of her grandmother’s house? Does it resemble to the house of any of your acquaintance?
Answer:
The speaker who is the poet of this poem has written about the condition of her grandmother’s house. She has described that the condition of her grandmother’s house is in a hopeless condition. She told that the windows of the house where the grandmother used to live were too short that air and sound could not come. The condition of the doors is also almost pitiable and at any time it may fall down (collapse). It produces a sound like a barking dog when it is opened or closed. It is all due to negligence owing to the death of her grandmother. It is also because she (the speaker) does not live there. The house is vacant. No, it does not resemble to the house of any of my acquaintance at all as it (the house) is in most poor condition.

My Grandmother’s House Bihar Board Class 12th Question 2.
What type of love or relation do you find, between the grandmother and the speaker?
Answer:
The relation between the grandmother and the speaker was very cordial and nice. She was living with her grandmother when she was a child. She loved her grandmother very much and was also loved by her. She loved her so much that she did not go anywhere to live when she was young. She did not like to leave her alone. The love between the speaker and her grandmother was immense.

Question 3.
What changes have taken place since the speaker’s grandmother died?
Answer:
When the speaker’s grandmother died, so many changes have taken place after her death. Nothing left behind in the house. The house became dark and wild animals used to move inside. Snake and other insects are found in that lonely house. When the speaker was young everything was at its right place, but when her grandmother died everything became scattered, leaving behind an unusual silence.

Question 4.
Point out the similes in the poem?
Answer:
The poet ‘Kamala Das’ has written about herself and her grandmother in the poem. She had explained that she had spent her childhood days with her grandmother at her house in the same residence. Since her grand-Maa has died, the poet left that house and went to leave somewhere else. The house has become isolated. In connection with the description, she has the most nicely used similes in the poem such as. “Blood, cold, Loved, My blood turned cold like the moon”, to pear through blind eyes of windows, just listen to the frozen air. All these are similes used in the poem.

Question 5.
Give in short the summary of the poem, “My Grandmother’s House”. [B.M.2009A]
Or, Write a short note on the poem, “My Grandmother’s House”.
Answer:
Kamala Das is a noted Indo- Anglian poetess. Most of her poems are autobiographical. Love and sex are the dominant themes of her poems. She portrays even the dark side of human passion. ‘My Grandmother’s House’ is an autobiographical poem by Kamala Das. In this poem, the poetess describes how there was a bond of love between her and her grandmother was an abode of love and intimacy. She enjoyed unrestrained liberty there. Her life there was all happy. After her grandmother’s death snakes started moving among the books and the house itself. The poet was too young to read those books while she was living there.

She now wishes to go there in search of the same freedom and love. She tries to capture them by peeping “through blind eyes of windows or listen to the “frozen air” but in vain. She feels lonely and frustrated. She seeks love at stranger’s door. This is a fine poem. The poet succeeds in conveying her feelings through this small poem. Love according to her, is a rare commodity in the world of today. And it is this loss of love, this irrevocable loss that stifles her heart now. She needs it. She even searches it but it is not to be had anywhere. In evoking such a sentiment of loss, the poem is very significant.

C.3. Composition

(a) Write a letter describing your neighbours to your friend in Delhi. Do not exceed 150 words.
Answer:

15, Kadam Kuan
Patna
July 5, 2009

DearPream,
I hope you are enjoying yourself there. You know recently Mr. Sah and his family have come to be our next-door neighbor. They are very kind and disciplined. They live a gentle and straight life. There are great love and understanding among them. They always stand by us in our ups and downs. We share a strong bond among us. We are very fortunate to have such neighbours.

Yours loving
Ashutosh Kumar

(b) Write the summary of the poem in about 150 words. [B.M.2009A]
Answer:
See Summary.

Grammar

Ex. 1. Fill in the blanks, using the appropriate prepositions from the list given below:
into, to, of, in, at, through, among
(i) Grandmother threw the letter………………………. fire.
(ii) My grandmother’s house is………………. the hills.
(iii) Ramesh died……………… an accident.
(iv) Come…………… nine in the evening.
(v) The mathematics book is kept………….. the piles of computer books.
(vi) The grandmother pushed her way…………………. the crowd.
(vii) The grandmother is going…………….. meet the grandfather.
(viii) The Ganga flows……………………. Patna.
(ix) Prabhu is cleared……………… all blames.
Answer:
(i) into, (ii) among, (iii) of, (iv) at, (v) in, (vi) within, (vii) to, (viii) through, (ix) of.

The main aim is to share the knowledge and help the students of Class 12 to secure the best score in their final exams. Use the concepts of Bihar Board Class 12 Poem 10 My Grandmother’s House English Solutions in Real time to enhance your skills. If you have any doubts you can post your comments in the comment section, We will clarify your doubts as soon as possible without any delay.

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 13 गाँव का घर

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 13 गाँव का घर

 

गाँव का घर वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ

प्रश्न 1.
ज्ञानेन्द्रपति का जन्म कब हुआ था?
(क) 1 जनवरी, 1950 ई.
(ख) 1 जनवरी, 1940 ई.
(ग) 1 जनवरी, 1935 ई.
(घ) 1 जनवरी, 1945 ई.
उत्तर-
(क)

प्रश्न 2.
ज्ञानेन्द्रपति जी किस युग के कवि है?
(क) आधुनिक काल.
(ख) प्रेमचंद काल
(ग) अत्याधुनिक काल
(घ) रीतिकाल
उत्तर-
(क)

प्रश्न 3.
ज्ञानेन्द्रपति जी किस प्रकार के रचनाकार हैं।
(क) एक सजग रचनाकार
(ख) रोमांस से युक्त
(ग) सुफी धारा से प्रभावित (रचनाकार)
(घ) स्वच्छंदतावादी रचनाकार
उत्तर-
(क)

प्रश्न 4.
ज्ञानेन्द्रपति का जन्म स्थान कहाँ है?
(क) पथरगामा, गोड्डा (झारखंड)
(ख) जमशेदपुर (झारखंड)
(ग) झरिया (झारखंड)
(घ) बोकारो (झारखंड)
उत्तर-
(क)

प्रश्न 5.
‘गाँव का घर’ शीर्षक कविता किसकी रचना है?
(क) भूषण की
(ख) सूरदास की
(ग) ज्ञानेन्द्रपति
(घ) रघुवीर सहाय
उत्तर-
(ग)

प्रश्न 6.
ज्ञानेन्द्रपति जी किस दशक में अवतरित हुए?
(क) बीसवीं सदी के आठवें दशक में
(ख) उन्नीसवीं सदी के अंतिम दशक में
(ग) अठारहवीं सदी के प्रारंभ में
(घ) सतरहवीं सदी के अंतिम दशक में
उत्तर-
(क)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 1.
वह सीमा जिसके भीतर आने से पहले खाँसकर आना पड़ता था……….
उत्तर-
बुजुर्गो को

प्रश्न 2.
खड़ाऊँ खटकानी पड़ती थी।…………. और प्रायः तो उसे उधर ही रूकना पड़ता था।
उत्तर-
खबरदार की

प्रश्न 3.
एक अदृश्य पर्दे के पार से पुकारना पड़ता था……. बगैर नाम लिए।
उत्तर-
किसी को

प्रश्न 4.
जिसकी तर्जनी की नोक धारण किए रहती थी सारे काम, सहज, शंख के चिह्न की तरह गाँव के घर की उस चौखट के बगल में………..।
उत्तर-
गेरू–लिपि

प्रश्न 5.
गाँव के घर के अंत:पुर की वह चौखट………. सहजन के पेड़ से छुड़ाई गई गोंद का गेह वह
उत्तर-
टिकुली साटने के लिए

प्रश्न 6.
दुध–डूबे अंगूठे के छापे उठौना दूध लाने वाले बूढ़े ग्वाल दादा के हमारे बचपन के…….. महिने के अंत में गिने जाते एक–एक कर।
उत्तर-
भाल पर दुग्ध–लिपि

गाँव का घर अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कवि चिन्तित क्यों है?
उत्तर-
अर्थहीन होने के कारण।

प्रश्न 2.
‘गाँव का घर’ कविता के कवि हैं :
उत्तर-
ज्ञानेन्द्रपति।

प्रश्न 3.
गाँव में अब किसकी धुनें सुनाई नहीं पड़ती है?
उत्तर-
लोकगीत की।

प्रश्न 4.
गाँव के स्वरूप में परिवर्तन क्यों आया है?
उत्तर-
पूँजीवाद और आर्थिक उदारीकरण के कारण।

गाँव का घर पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
कवि की स्मृति में ‘घर का चौखट’ इतना जीवित क्यों है?
उत्तर-
कवि की स्मृति में “घर का चौखट” जीवन की ताजगी से लवरेज है। उसे चौखट इतना जीवित इसलिए प्रतीत होता है कि इस चौखट की सीमा पर सदैव चहल–पहल रहती है। कवि अतीत की अपनी स्मृति के झरोखे से इस हलचल को स्पष्ट रूप से देखता है अर्थात् ऐसा अनुभव करता है जब उस चौखट पर बुजुर्गों को घर के अन्दर अपने आने की सूचना के लिए खाँसना पड़ता था तथा उनकी खड़ाऊँ की “खट–पट” की स्वर लहरी सुनाई पड़ती थी।

इसके अतिरिक्त बिना किसी का नाम पुकारे अन्दर आने की सूचना हेतु पुकारना पड़ता था। चौखट के बगल में गेरू से रंगी हुई दीवार थी। ग्वाल दादा (दूध देनेवाले) प्रतिदिन आकर दूध को देते थे। दूध की मात्रा का विवरण दूध से सने अपने अंगुल को उस दीवार पर छाप द्वारा करते थे, जिनकी गिनती महीने के अंत में दूध का हिसाब करने के लिए की जाती थी।

उपरोक्त वर्णित उन समस्त औपचारिकताओं के बीच “घर की चौखट” सदैव जाग्रत रहता था, जीवन्तता का अहसास दिलाता था।

प्रश्न 2.
“पंच परमेश्वर” के खो जाने को लेकर कवि चिन्तित क्यों है?
उत्तर-
“पंच परमेश्वर” का अर्थ है–’पंच’ परमेश्वर का रूप होता है। वस्तुतः पंच के पद पर विराजमान व्यक्ति अपने दायित्व–निर्वाह के प्रति पूर्ण सचेष्ट एवं सतर्क रहता है। वह निष्पक्ष न्याय करता है। उस पर सम्बन्धित व्यक्तियों की पूर्ण आस्था रहती है तथा उसका निर्णय “देव–वाक्य” होता है।

कवि यह देखकर खिन्न है कि आधुनिक पंचायती राज व्यवस्था की सार्थकता विलुप्त हो गई। एक प्रकार से अन्याय और अनैतिकता ने व्यवस्था को निष्क्रिय कर दिया है, पंगु बना दिया है। पंच परमेश्वर शब्द अपनी सार्थकता खो चुका है। कवि इसी कारण चिन्तित है।।

प्रश्न 3.
“कि आवाज भी नहीं आती यहाँ तक, न आवाज की रोशनी न रोशनी की आवाज” यह आवाज क्यों नहीं आती?
उत्तर-
कवि ज्ञानेन्द्रपति का इशारा रोशनी के तीव्र प्रकाश में आर्केस्ट्रा के बज रहे संगीत से है। रोशनी के चकाचौंध में बंद कमरे में आर्केस्ट्रा की स्वर–लहरी गूंज रही है, किन्तु कमरा बंद होने के कारण यह बाहर सुनी नहीं जा सकती। अतः कवि रोशनी तथा आर्केस्ट्रा के संगीत दोनों से वंचित है। आवाज की रोशनी का संभवतः अर्थ आवाज से मिलनेवाला आनन्द है उसी प्रकार रोशनी की आवाज का अर्थ प्रकाश से मिलने वाला सुख इसके अतिरिक्त एक विशेष अर्थ यह भी हो सकता है कि आधुनिक–समय की बिजली का आना तथा जाना अनिश्चित और अनियमित है।

कवि उसके बने रहने से अधिक “गई रहने वाली” मानते हैं। उसमें लालटे के समान स्निग्धता तथा सौम्यता की भी उन्हें अनुभूति नहीं होती। उसी प्रकार आर्केष्ट्रा में उन्हें उस नैसर्गिक आनन्द की प्रतीत नहीं होती जो लोकगीतों बिरहा–आल्हा, चैती तथा होली आदि गीतों से होती है। कवि संभवतः आर्केस्ट्रा को शोकगीत की संज्ञा देता है। इस प्रकार यह कवितांश द्विअर्थक प्रतीत होता है।

प्रश्न 4.
आवाज की रोशनी या रोशनी की आवाज का क्या अर्थ है?
उत्तर-
आवाज की रोशनी या रोशनी की आवाज कवि की काव्यगत जादूगरी का उदाहरण है, उनकी वर्णन शैली का उत्कृष्ट प्रणाम है। आवाज की रोशनी से संभवतः उनका अर्थ संगीत से है। संगीत में अभूतपूर्व शक्ति है। वह व्यक्ति के हृदय को अपने मधुर स्वर से आलोकित कर देता है। इस प्रकार वह प्रकाश के समान धवल है तथा उसे रोशन करती है।

रोशनी की आवाज से उनका तात्पर्य प्रकाश की शक्ति तथा स्थायित्व से है। प्रकाश में तीव्रता चाहे जितनी अधिक हो किन्तु उसमें स्थिरता नहीं हो, अनिश्चितता अधिक हो तो वह असुविधा एवं संकट का कारण बन जाती है। संभव है कवि का आशय यही रहा हो।

कविता की पूरी पंक्ति है, “कि आवाज भी नहीं आती यहाँ तक, न आवाज की रोशनी, न रोशनी की आवाज”। कवि के कथन की गहराइयों में जाने पर एक आनुमानित अर्थ यह भी है–दूर पर एक बंद कमरे में प्रकाश की चकाचौंध के बीच आर्केस्ट्रा का संगीत ऊँची आवाज में अपना रंग बिखेर रहा है किन्तु कमरा बंद होने के कारण अपने संकुचित परिवेश में सीमित श्रोताओं को ही आनंद बिखर रहा है। उसके बाहर रहकर कवि स्वयं को उसके रसास्वादन (अनुभूति) से वंचित पाता है।

प्रश्न 5.
कविता में किस शोकगीत की चर्चा है?
उत्तर-
कवि उन गीतों का याद कर रहा है जिसे सुनकर प्रत्येक श्रोता का हृदय एक अपूर्व आनंद प्राप्त था। ये लोकगीत–होली–चैती, विरहा–आल्हा आदि जो कभी जन–समुदाय के मनोरंजन तथा प्रेरणा के श्रोत थे, बीते दिनों की बात हो गए। अब उनकी छटा की बहार उजड़े दयार में तब्दील हो गई हो। उनका स्थान शोक गीतों ने ले लिया। ये शोकगीत कवि के अनुसार आधुनिक शैली के गीत, आर्केस्ट्रा की धुन आदि है जो कर्णकटु भी है तथा निरर्थक भी। उत्तेजना तथा अपसंस्कृति के वाहक मात्र हैं। उसमें नवस्फूर्ति एवं माधुर्य का सर्वथा अभाव है। अतः उसमें शोकगीत की अनुभूति होती है।

प्रश्न 6.
सर्कस का प्रकाश–बुलौआ किन कारणों से भरा होगा?.
उत्तर-
सर्कस में प्रकाश बुलौआ दूर–दराज के क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों को अपनी ओर आकृष्ट करता था। उसकी तीव्र–प्रकाश तरंगों से लोगों को सर्कस के आने की सूचना प्राप्त हो जाया करती थी। यह प्रकाश–बुलौआ एक प्रकार से दर्शकों को सर्कस में आने का निमंत्रण होता था। अब सर्कस का प्रकाश–बुलौआ लुप्त हो गया है कहीं गुमनामी में खो गया है। ग्रामीणों की जेब खाली कराने की उसकी रणनीति भी उसके साथ ही विदा हो गई है। प्रकाश–बुलौआ का गायब होना भी रहस्यमय है। संभवतः सरकार को उसकी यह नीति पसंद नहीं आई तथा इसी कारण अपने शासनादेश में प्रकाश–बुलौआ पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। अब सर्कस प्रकाश–बुलौआ का सहारा नहीं ले सकता। कवि का कथन “सर्कस का प्रकाश–बुलौआ तो कब का मर चुका है।” इस परिपेक्ष्य में कहा गया लगता है।

प्रश्न 7.
गाँव के घर रीढ़ क्यों झुरझुराती है? इस झुरझुराहट के क्या कारण हैं?
उत्तर-
कवि ने गाँवों की वर्तमान स्थिति का वर्णन करने के क्रम में उपरोक्त बातें कही हैं। हमारे गाँवों की अतीत में गौरवशाली परंपरा रही है। सौहार्द्र, बन्धुत्व एवं करुणा की अमृतमयी धारा यहाँ प्रवाहित होती थी। दुर्भाग्य से आज वही गाँव जड़ता एवं निष्क्रियता के शिकार हो गए हैं। इनकी वर्तमान स्थिति अत्यन्त दयनीय हो गई है। अशिक्षा एवं अंधविश्वास के कारण परस्पर विवाद में उलझे हुए तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से त्रस्त हैं। शहर के अस्पताल तथा अदालतें इसकी साक्षी हैं। इसी संदर्भ में कवि विचलित होते हुए अपने विचार प्रकट करते हैं।

“लीलने वाले मुँह खोले शहर में बुलाते हैं बस
अदालतों और अस्पतालों के फैले–फैले भी रूंधते–गंधाते अमित्र परिवार”

कवि के कहने का आशय यह प्रतीत होता है कि शहर के अस्पतालों में गाँव के लोग रोगमुक्त होने के लिए इलाज कराने आते हैं। इसी प्रकार अदालतों में आपसी विवाद में उलझकर अपने मुकदमों के संबंध में आते हैं। ऐसा लगता है कि इन निरीह ग्रामीणों को निगल जाने के लिए नगरों के अस्पतालों तथा अदालतों का शत्रुवत परिसर मुँह खोल कर खड़ा है। इसका परिणाम ग्रामीण जनता की त्रासदी है। गाँव के लोगों की आर्थिक तथा सामाजिक स्थिति चरमरा गई है। अतः उनके घरों की दशा दयनीय हो गई है।

कवि ने संभवतः इसी संदर्भ में कहा है, “कि जिन बुलौओं से गाँव के घर की रीढ़ झुरझुराती है” अर्थात् शहर के अस्पतालों तथा अदालतों द्वारा वहाँ आने का न्योता देने से उन गाँवों की रीढ़ झुरझुराती है। कवि की अपने अनुभव के आधार पर ऐसी मान्यता है कि गाँववालों का अदालतों तथा अस्पतालों का अपनी समस्या के समाधान में चक्कर लगाना दुःखद है। इसके कारण गाँव के घर की रीढ़ झुरझुरा गई है। गाँव में रहने वालों की स्थिति जीर्ण–शीर्ण हो गई है।

प्रश्न 8.
मर्म स्पष्ट करें–”कि जैसे गिर गया हो गजदंतों को गंवाकर कोई हाथी”।
उत्तर-
ज्ञानेन्द्रपति लिखित कविता “गाँव का घर” में “गजदंतों को गँवाकर कोई हाथी” की तुलना सर्कस के प्रकाश–बुलौआ से की गई है। सर्कस में प्रकाश–बुलौआ (सर्चलाइट) का प्रयोग शहर में सर्कस कम्पनी के आने की सूचना के उद्देश्य से किया जाता है। इसके साथ ही इसके द्वारा दूर–दूर तक जन समुदाय को आकृष्ट करना भी एक लक्ष्य होता है ताकि दर्शकों की संख्या बढ़ सके। एक शासनादेश द्वारा प्रकाश–बुलौआ पर रोक लगा दी गई है तथा अनेक वर्षों से इसका प्रसारण. बंद है। यह लुप्त हो गया है। इसी संदर्भ में कवि दृष्टान्त के रूप में उपरोक्त पंक्ति के द्वारा उसकी तुलना अपने दोनों दाँत खोकर भूमि पर गिरे हुए हाथी से कर रहे हैं। जिस प्रकार दोनों दाँत खोकर हाथी पीड़ा से भूमि पर गिर पड़ा है उसी प्रकार प्रकाश बुलौआ भी निस्तेज हो गया है।

प्रश्न 9.
कविता में कवि की कई स्मृतियाँ दर्ज हैं। स्मृतियों का हमारे लिए क्या महत्त्व होता है, इस विषय पर अपने विचार विस्तार से लिखें।
उत्तर-
“गाँव का घर” शीर्षक कविता में कवि के जीवन की कई स्मृतियाँ दर्ज हैं। अपनी कविता के माध्यम से कवि उन स्मृतियों में खोजा है। बचपन में गाँव का वह घर, घर की परंपरा, ग्रामीण जीवन–शैली तथा उसके विविध रंग–इन सब तथ्यों को युक्तियुक्त ढंग से इस कविता में दर्शाया गया है।

वस्तुतः स्मृतियों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। स्मृतियों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। स्मृतियों के द्वारा हम आत्म–निरीक्षण करते हैं तथा वे अन्य व्यक्तियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत होती हैं। इसके द्वारा हमें अपने जीवन की कतिपय विसंगतियों से स्वयं को मुक्त करने का अवसर मिलता है। बाल्यावस्था की अनेक भूलें हमारे भविष्य को बुरी तरह प्रभावित करती है। अपने जीवन के ऊषाकाल में उपजी कुप्रवृत्तियाँ हमारी दिशा तथा दशा दोनों. ही बुरी तरह प्रभावित करती हैं।

प्रश्न 10.
चौखट, भीत, सर्कस, घर, गाँव और साथ ही बचपन के लिए कवि की चिन्ता को आप कितना सही मानते हैं? अपने विचार लिखें।
उत्तर-
कवि ने अपनी कविता “गाँव का घर” शीर्षक कविता में चौखट, भीत, घर, गाँव आदि शब्दों का प्रयोग किया है। इन शब्दों द्वारा कवि ने ग्रामीण जीवन की विभिन्न समस्याओं को रेखांकित किया है। उन्होंने बचपन के अपने अनुभवों को भी सजीव ढंग से इस कविता में सजाया है।

कवि ने ग्रामीण जीवन का सहज एवं स्वाभाविक विवरण उपरोक्त शब्दों द्वारा अपनी कविता में सही ढंग से किया है। घर का चौखट गाँव की रूढ़िवादी परंपरा का प्रतीक है जहाँ से घर के अन्दर प्रवेश करने के लिए बुजुर्गों को खाँसकर, आवाज लगाकर जाना पड़ता था। गेरू लिपी भीत (दीवार) अभाव एवं विपन्नता की ओर संकेत करती है। सर्कस अपने इर्द–गिर्द बिखरे, आकर्षण को दर्शाता है। दस कोस की दूरी से ग्रामीणों को आमंत्रित करते हुए अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए, अर्थात् पैसे कमाने के लिए प्रकाश–बुलौआ का सहारा लेता है तथा ग्रामीणों की जेब खाली कराता है।

घर गाँव की जीवन–शैली का चित्र है जो सदगी और अभाव का प्रतिरूप है। गाँव हमारी बदहाली तथा रूढ़िवादी मानसिकता को रेखांकित करता है। बचपन जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जीवन की आधारशिला है। उसे निरर्थक खोकर अर्थात् इसका दुरुपयोग करके मनुष्य अपना सर्वस्व खो देता है। कवि का इशारा उसी ओर है, उसे निरूद्देश्य नष्ट करने के लिए नहीं सार्थक बनाने के लिए है।

अतः कवि की चिन्ता इन सबके लिए सर्वदा उपर्युक्त तथा सोद्देश्य है। मैं उनके विचारों तथा चिन्ता को पूर्णतः सही मानता हूँ।

प्रश्न 11.
जिन चीजों का विलोप हो चुका है, जिनके लिए शोक है, उनकी एक सूची बनाएँ।
उत्तर-
वर्तमान समय में अनेकों प्राचीन परंपराओं तथा वस्तुओं का लोप हो गया है। कुछ चीजों के लिए हम शोक मनाते हैं। जिन चीजों का लोप हो गया है उनमें निम्नांकित वस्तुएँ मुख्य हैं–

  • गाँव का पुराना घर,
  • अंत:पुर की चौखट,
  • बुजुर्गों की खड़ाऊँ,
  • बचपन में कवि के. भाल पर दुग्ध तिलक,
  • गेरू से रंगी दीवार पर दूध से सने अंगूठे की छाप,
  • पंच परमेश्वर,
  • होली–चैती, विरहा–आल्हा आदि लोकगीत,
  • सरकस का प्रयोग–बुलौआ इत्यादि।

जिन वस्तु के लिए शोक है, उनमें निम्नांकित प्रमुख हैं–

  • कवि का बचपन,
  • पंच परमेश्वर के स्थान पर भ्रष्ट पंचायती राज व्यवस्था,
  • बिजली की अनियमित आपूर्ति,
  • होली–चैती बिरहा–आल्हा आदि लोकगीतों की मरणासन्न स्थिति,
  • अदालतों तथा अस्पतालों द्वारा निरीह ग्रामवासियों का शोषण तथा धोखाधड़ी।

गाँव का घर भाषा की बात

प्रश्न 1.
“गाँव के घर की रीढ़ झुरझुराती है” झुरझाराती के लिए आप कोई अन्य शब्द देना चाहेंगे यह सबसे सटीक किया है, यदि हाँ तो कैसे?
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ ज्ञानेन्द्रपति द्वारा लिखित ‘गाँव का घर’ शीर्षक काव्य पाठ से ली गयी है। इस कविता में गाँव के घर की रीढ़ झरझराती एक मुहावरेदार प्रयोग है। इस प्रयोग में गाँव के घर की जर्जरावस्था की ओर कवि ने हमारा ध्यान आकृष्ट किया है। कवि का कहना है कि गाँवों में बसे घरों की स्थिति ठीक उसी तरह लगती है जैसे नूना खाई दीवारें केवल रीढ़ के रूप में दिखायी पड़ती है जो हमारे अतीत की याद दिलाती है। गाँव की झुरझुराती दीवारों का अस्तित्व अब कहाँ रहा? केवल बची–खुची ढहती दीवारें अपने अतीत की याद दिला रही हैं।

कवि बदलते गाँव, उसकी संस्कृति और लोकजीवन में, अत्याधुनिकता की पैठ से आकुल–व्याकुल है। यह अपने बचपन, गाँव–घर गाँव के नाते–रिश्ते आदि की बड़ी ही सटीक व्याख्या की है। भारतीय गाँवों के परिदृश्य आज बिल्कुल बदल गए हैं। वे शहरीकरण की चपेट में दिनोंदिन आते जा रहे हैं। इस प्रकार गाँव के घर रीढ़ के लिए झुरझुराना शब्द का प्रयोग कर प्रस्तुतीकरण में प्रभावोत्पादकता ला दिया है। कवि गाँव के संस्कारों और रीति–रिवाजों की सुरक्षा के लिए विवश है किन्तु कर ही क्या सकते हैं।

‘झुरझुराना’ क्रिया गाँव के घर की सही चित्रण कर पाने में समर्थ रही है। घर के बाहर और भीतर की बदलती तस्वीर 21वीं सदी के दौर में बदलते जीवन मूल्यों से आवश्यक प्रभावित हो रही है। ‘झुरझुराना’ क्रिया की जगह दूसरी क्रिया का प्रयोग अब निरर्थक–सा लगता है। कवि का काव्य–कौशल प्रस्तुत कविता में स्पष्ट दृष्टिगत है। सटीक शब्दों के प्रयोग द्वारा ग्रामीण परिवेश की सच्चाइयों को उकेरने में कवि को सफलता मिली है। कवि ने जीवन के बदलते मूल्यों और रिश्तों की सच्चाइयों को बेबाकी से चित्रित किया है। गाँव हमारी संस्कृति की रीढ़ है।

अगर भारत में गाँवों का अस्तित्व नहीं रहेगा तो भारत का भी अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। गाँव हमारी सभ्यता और इतिहास का साक्षी है। आज सबको मिलकर गाँव के अस्तित्व के लिए चिन्तन करना होगा। गाँव का घर हमारा लोक जीवन, लोक संस्कृति का प्रतीक है। वहीं से यानि गाँव से ही हम संस्कृति संकट को अतुंग शिखर तक ले जा सकते हैं और ग्रामीण परिवेश, संस्कृति की रक्षा कर सकती है।।

गाँव रहेगा तो चौखट–संस्कृति बचेगी। गाँव रहेगा तो बूढ़–बुजुर्ग का अनुशासन खबरदारी हमें जगाए रखेगी। गोबर द्वारा घर की लिपाई और गेरू द्वारा रंगाई हमारी सभ्यता की पहचान है। लेकिन अब ये बातें स्वप्न की बातें रह गयी हैं इसलिए कवि चिन्तित है। उसे पंच–परमेश्वर की न्यायप्रियता अब नहीं दिखाई पड़ती। अब तो सब जगह नए जमाने की धमक ने गाँव को अपने आगोश में ले लिया है। बेटे की शादी में टी. वी., दहेज की मांग ने हमारी जीवन शैली में बदलाव ला दिया है। इस प्रकार लालटेन युग खत्म हो गया है।

बिजली गाँव–गाँव पहुंच चुकी है। एक तरफ हम विकास की ओर बढ़ रहे हैं किन्तु मन हमारा दूषित हो रहा है आपसी दुश्मनी में मित्रता को समाप्त कर दिया है। इस प्रकार कवि ने ‘गाँव को घर की झुरझुराती रीढ़’ द्वारा ग्राम–संस्कृति का यथार्थ चित्रण करते हुए परिदृश्य की ओर ध्यान आकृष्ट किया। अब गाँव का अस्तित्व संकट के चक्रव्यूह में घिरा है। कवि चिन्तित है। व्यथित है।

प्रश्न 2.
बिजली बत्ती आ गई कब की, बनी रहने से अधिक गई रहने वाली, कवि के भाषित कौशल का यह एक उपयुक्त उदाहरण है। बिजली नहीं रहती इसके लिए’ नहीं रहने वाली प्रयोग होता उतनी व्यंजकता नहीं आती जितनी गई रहने वाली से।

इस दृष्टि से विचार करते हुए कविता से ऐसी पंक्तियों को चुनें।
उत्तर-

  • जिसके भीतर आने से पहले खाँसकर आना पड़ता था।
  • खड़ाऊँ खटकनी पड़ती थी,
  • एक अदृश्य पर्दे के पार से पुकारना पड़ता था,
  • जेठ–लिपि भीत पर दूध–डूबे अंगूठे के छाप
  • महीने के अंत में गिने जाते एक–एक कर
  • चकाचौंध की रोशनी ने मदमस्त आर्केस्ट्रा
  • न आवाज की रोशनी न रोशनी की आवाज
  • लोकगीतों की जन्मभूमि में
  • एक शोकगीत अनगाया, अनसुना
  • आकाश और अंधेरे को काटते
  • गंजदतों को गंवाकर कोई हाथी
  • सर्कस का बुलौआ–प्रकाश
  • उन दाँतों की जरा–सी धवल–धूल पर
  • लीलने वाले मुँह खोले शहर में बुलाते हैं
  • अदालतों और अस्पतालों के फैले–फैले रुंधते–गधाते अमित्र परिसर
  • जिन बुलौओं से गाँव के घर की रीढ़ झुरझुराती है।

प्रश्न 3.
इन शब्दों के लिए कविता में प्रयुक्त विशेषणों से अलग विशेषण दें। रोशनी, आर्केस्ट्रा, आवाज, जन्मभूमि, शोकगीत, आकाश, सर्कस, हाथी, धूल, भीत।
उत्तर-

  • रोशनी – तीव्र रोशनी
  • आर्केस्ट्रा – अच्छा आर्केस्ट्रा
  • शोकगीत – अनसूना शोकगीत
  • आकाश – नीला आकाश
  • सर्कस – नया सर्कस
  • हाथी – बूढ़ा हाथी
  • धूल – उड़ती धूल
  • भीत – पुरानी भीत
  • आवाज – धीमी आवाज, मधुर आवाज
  • जन्मभूमि – मेरी जन्मभूमि, महान जन्मभूमि

प्रश्न 4.
कविता से देशज शब्दों को चुनकर लिखें।
उत्तर-
काव्य पाठ से देशज शब्द इस प्रकार हैं–चौखट, सहजन, लिपी–भीत, उठौना, बिटौआ, टिकुली, भिड़काए, बुलौआ, लीलनेवाला आदि।

प्रश्न 5.
धवल–धूल से क्या आशय है?
उत्तर-
धवल–धूल का आशय है–हाथी के धवल दाँत जो काटे गए हैं, उस दाँत से जो बुरादा धूल–कण की तरह गिरे हुए हैं उसी से तुलना करते हुए कवि कहता है कि ठीक उसी प्रकार नूना लगे हुए गाँव के घरों की दीवारें हाथी का महत्व नहीं है ठीक उसी प्रकार हमारे पुराने गाँव वहाँ की खूबियाँ और खुशियाँ अब नहीं रही। दस कोस दूर से जो सर्कस वाला अपनी उपस्थिति का आभास अपनी टॉर्च की रोशनी से करवाता है; वे दिन भी लद गए।

यानि सब कुछ बदला–बदला सा है। गाँव–घर सबकुछ अब स्मृति की बातें रह गयौं। कवि अपनी कविता में अपने अतीत को याद कर रहा है और गाँव में बीते क्षण वहाँ की कहानियाँ, लोगों के आपसी संबंध, परिवार की गरिमा और अनुशासन अब कुछ नहीं रहा। गाँव का पुराना स्वरूप ही बदल गया है। गाँव को शहर ने अपने कौर में लील लिया है। गाँव के लोकगीत चौपालों की बैठकें, कथाएँ, अब केवल स्मृति–धरोहर रह गयी हैं।

विरहा, आल्हा, चैता होली आदि के समधुर और हृदयस्पर्शी गीत नहीं सुनायी पड़ते। इन ग्राम गीतों की जगह शोक गीत अपना साम्राज्य बढ़ा लिया है यानि हर जगह द्वेष, ईर्ष्या, मार–काट मुकदमेबाजी से जन–जीवन त्रस्त है। रात उजाले से अधिक अंधेरा उगलती द्वार गाँव के भयानक दृश्य को चित्रित किया है। जंगल भी अब नहीं रहे। हर जगह जंगल काटकर शहर बसाए जा रहे हैं।

गाँव की निशानी भी अब मिट गयी। खेत–खलिहान के अस्तित्व पर खतरा उपस्थित हो गया है। अदालतों और अस्पतालों में दुश्मनी और चीत्कारें सुनाई पड़ती हैं। क्या यही था आजादी पूर्व हमारा गाँव और हमारा घर। धवल–धूल के माध्यम से कवि धुंधली स्मृतियाँ ही अब शेष रह गयीं हैं कि चारों ओर ध्यान आकृष्ट किया है। सब जगह कोलाहल, वैमनस्य और बदलते आपसी रिश्तों की बड़ी साफगोई से कवि ने चित्रण किया है।

अब गाँव की सारी पुरानी विशेषताएँ अपनत्व, भाईचारा, आपसी मेल कथा के रूप में याद रहेंगी। वे दिन अब लौटने वाले नहीं हैं। कवि का मन अपने गाँव यानी भारत के गाँव की बदली तस्वीर को देखकर बेचैन है। विकल हैं। ढहती घर की दीवारें उसके मन में उद्वेलित कर देती है।

गाँव का घर कवि परिचय ज्ञानेन्द्रपति (1950)

जीवन–परिचय–बीसवीं शती के आठवें दशक में संभावनाशाली युवा कवि के रूप में उदित हुए कवि ज्ञानेन्द्रपति का जन्म 1 जनवरी, 1950 को पथरगामा, गोड्डा झारखण्ड में हुआ था। उनके पिता का नाम देवेन्द्र प्रसाद चौबे तथा माता का नाम सरला देवी था। ज्ञानेन्द्रपति की प्रारंभिक शिक्षा उनके गाँव में ही हुई। उन्होंने बी.ए. और एम.ए. (अंग्रेजी) की परीक्षाएँ पटना विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण की।

उन्होंने बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर से हिन्दी में एम.ए. किया। उनका चयन बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा कारा अधीक्षक पद पर हुआ, जहाँ काम करते हुए उन्होंने कैदियों के लिए अनेक कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए। बाद में वे नौकरी छोड़कर कविता लेखन करते हुए साहित्य साधना में जुट गए।

ज्ञानेन्द्रपति को उनके साहित्यिक अवदान के लिए पहल सम्मान (2006) तथा कविता संग्रह ‘संशयात्मा’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार (2006) से सम्मानित किया गया।

रचनाएँ–ज्ञानेन्द्रपति की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं

कविता–संग्रह–आँख हाथ बनते हुए (1970), शब्द लिखने के लिए ही यह कागज बना है (1980), गंगातट (2000), संशयात्मा (2004), भिनसार (2006), कवि ने कहा (2007)।

काव्यगत विशेषताएँ–साहित्याकाश में ज्ञानेन्द्रपति का उदय बीसवीं शती के आठवें दशक में हुआ। अपने शब्द चयन, भाषा, संवेदना की ताजगी और रचना विन्यास में आत्म–सजग संधान जैसी विशेषताओं के कारण उन्होंने हिन्दी कविता के सुधी पाठकों का ध्यान अपनी और आकृष्ट किया। वे एक ऐसे अध्ययनशील और मनीषधर्मी रचनाकार हैं जो निजी संबंधों, सामाजिक रिश्तों तथा रचनाधर्म को अपने ही ढंग से रचते–गढ़ते हुए निरंतर आगे बढ़ते रहे हैं। उन्हें लेखक संगठनों, साहित्यिक राजनीति और लेन–देन के सतही व्यवहारों–बर्तावों की चिन्ता नहीं रहीं। उनका रचना संसार इसका ज्वलन्त प्रमाण है।

कविता का सारांश कवि ग्रामीण संस्कृति का विवरण देते हुए गाँव के घर की विशिष्टता का चित्रण कर रहा है। गाँव के अन्तःपुर के बाहर की ड्योढ़ी पर एक चौखट रहा करता है। यह चौखट वह सीमा रेखा है जिसके भीतर आने से पहले परिवार के वरिष्ठ नागरिकों (बुजुर्गों) को रूकना पड़ता है, अपनी खड़ाऊँ की खटपट आवाज से घर के अंदर की महिलाओं को अपने आने का संकेत देना पड़ता है।

अन्य संकेत भी अपनाए जाते हैं। खाँसना अथवा किसी का नाम लिए वगैर पुकारना आदि। चौखट के बगल में गेरू से रंगी हुई दीवार पर बूढ़े ग्वाल दादा (दूध देने वाला) के दूध से भीगे अंगूठे के निशान अंकित रहते हैं जिसमें दूध का हिसाब उल्लखित रहता है पूरे महीना भर के महीना के अंत में उसकी गिनती करके दूध के बिल (राशि) का भुगतान किया जाता रहा है। यह है ग्रामीण परिवेश के परिवारों की जीवन–शैली की एक झलक।

किन्तु अब परिस्थितियाँ बदल चुकी हैं, गाँव का वह घर अपना वह स्वरूप खो चुका है। वह सादगी, वह नैसर्गिक स्वरूप अब स्वप्न की बातें हो गई हैं, अतीत की स्मृति बनकर रह गई हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि गाँव की वह घर अपना गाँव खो चुका है, क्योंकि गाँव का वह प्राचीन परंपरा तिरोहित हो गई है। पंचाचती राज के आते ही “पंच परमेश्वर” लुप्त हो गए, कहीं खो गए। न्यायोचित निर्णय देनेवाले कर्णधार अराजकता तथा अन्याय की बलि चढ़ गए। दीपक तथा लालटेनों का स्थान बिजली के प्रकाश ने ले लिया।

लालटेन दीवार पर बने आलों के ऊपर टंगे कैलेंडरों से ढंक गई। बिजली है किन्तु वह स्वयं अधिकांशतः अंधकार में डूबी रहती है। वह बनी रहने की बजाय “गई रहने वाली ही हो गई। इसके कारण रात प्रकाश से अधिक अंधकार फैला रही हैं। यह अंधकार एक प्रकार से साथ छोड़ दिए जाने की अनुभूति कराता है अर्थात् कोई स्व–जन साथ छोड़कर चला गया हो। दूसरी ओर इससे बिल्कुल भिन्न वातावरण है। धवल प्रकाश (चकाचौंध रोशनी) में आर्केस्ट्रा की स्वर लहरी सप्तम–स्वर में बंद दरवाजों के अन्दर, वहाँ से काफी दूर पर गूंज रही है। दरवाजे भिड़े होने के कारण उसके स्वर नहीं सुनाई देते। आर्केस्ट्रा की ध्वनि तथा चकाचौंध प्रकाश दोनों की कवि को दृष्टिगोचन नहीं होते।

इस आधुनिकता के दौर में चैती, विरहा–आल्हा, होली गीत कवि को सुनाई नहीं देते। लोकगातों की इस पावन जन्मभूमि में एक अनगाया, अनसुना सा शोकगीत शेष है।

दस कोस दूर स्थित शहर से आनेवाला सर्कस का प्रकास–बुलौआ (सर्च लाइट) अब अपना दम तोड़ चुका है, लुप्त हो गया है। यह देखकर ऐसा अनुभव होता है, मानो अपने दाँतों को गँवाकर हाथी गिरा पड़ा हो।

शहर की अदालतों और अस्पतालों में फैले हुए भ्रष्टाचार के वीभत्समुख चबा जाने और लील (निगल) जाने को तत्पर है तथा बुला रहे हैं। इससे गाँव की जिन्दगी चरमरा रही है।

कविता का भावार्थ 1.
गाँव के घर के
अन्तःपुर की चौखट
टिकुली साटने के लिए सहजन के पेड़ से छुड़ाई गई गोंद का गेह वह
वह सीमा
जिसके भीतर आने से पहले खाँसकर आना पड़ता था बुजुर्गों को.
खड़ाऊ खटकानी पड़ती थी खबरदार की
और प्रायः तो उसके उधर ही रूकना पड़ता था
एक अदृश्य पर्दे के पार से पुकारना पड़ता था
किसी को बगैर नाम लिए।

व्याख्या–प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य–पुस्तक दिंगत भाग–2 के “गाँव का घर” शीर्षक कविता से उद्धृत है। इस यथार्थवादी भावमूलक कविता के रचनाकार ज्ञानेन्द्रपतिजी हैं। कवि ने इस काव्यांश में गाँव के घर का अतीव सजीव एवं स्वाभाविक चित्रण प्रस्तुत किया है।

गाँव के घर के आन्तरिक भाग (अन्तःपुर) के बाहर की ड्योढ़ी पर एक चौखट रहा करता है। यह चौखट वह सीमा रेखा है जिसके अन्दर आने से पहले बुजुर्गों को रूकना पड़ता था। अपनी खड़ाऊँ खटकानी पड़ती थी, घर की महिलाओं को अपने आने की सूचना देने के लिए इसके अतिरिक्त खाँसना अथवा किसी का नाम लिए बिना आवाज देना आदि अन्य तरीके भी थे।

इन पंक्तियों में कवि ग्रामीण जीवन का चित्र प्रस्तुत कर रहा है। गाँव में बुजुर्गों से घर की महिलाओं की परदा करने की परंपरा रही है। घर के आंतरिक भाग में जाने से पहले बुजुर्गों को चौखट के बाहर रूककर अपनी खड़ाऊ की आवाज से अन्दर आने का संकेत देना पड़ता था। इसके अतिरिक्त खाँसकर तथा बिना किसी का नाम लिए आवाज देना पड़ती थी। यह सारी औपचारिकताएँ गाँव के जीवन का अभिन्न अंग थीं। कवि ने अत्यन्त कुशलता के साथ ग्रामीण जीवन का चित्रण किया है।

2. जिसकी तर्जनी की नोक धारणा किए रहती थी सारे काम सहज
शंख के चिन्ह की तरह
गाँव के घर की
उस चौखट के बगल में
गेरू–लिपी भीत पर
दूध–डूबे अँगूठे के छापे
उठौना दूध लाने वाले बूढ़े ग्वाल दादा के
हमारे बचपन के भाल पर दुग्ध तिलक
महीने के अन्त में गिने जाते एक–एक कर

व्याख्या–प्रस्तुत अवतरण हमारी पाठ्य–पुस्तक दिंगत भाग–2 के “गाँव का घर” शीर्षक कविता से उद्धृत है। इसके रचयिता यशस्वी कवि ज्ञानेन्द्रपति हैं। कवि ने इन पंक्तियों में बड़े मनोवैज्ञानिक ढंग से ग्रामीण जीवन–शैली का विवरण प्रस्तुत किया है।

गाँव के घर की उस चौखट के बगल में गेरू से लिपी–पुती तथा रंगी हुई दीवार पर दूध से भीगे हुए अंगूठे के निशान हैं, कवि जो एक बालक था, उसके मस्तक पर भी दूध का तिलक लगा हुआ है। ग्वाल दादा जो घर पर दूध देते हैं, उन्होंने ही दीवार पर वे निशान लगाए हैं जो महीना समाप्त होने पर गिने जाते हैं। कवि के कहने का तात्पर्य यह है कि गांव में शिक्षा के अभाव में हिसाब–किताब करने का सीधा–सादा ढंग है।

घर पर दूध देने वाले ग्वाल दादा अपने दूध का हिसाब गेरू से रंगी दीवार पर दूध से सने अंगूठे द्वारा दी हुई लकीरों से करते हैं। यह सिलसिला महीने भर चलता है तथा महीनों की समाप्ति पर उसका हिसाब किया जाता है। उपरोक्त काव्यांश गाँव की सादगी की झाँकी प्रस्तुत करता है।

3. गाँव का वह घर
अपना गाँव खो चुका है
पंचायती राज में जैसे खो गए पंच परमेश्वर
बिजली–बत्ती आ गई कब की, बनी रहने से अधिक गई रहनेवाली
अबके बिटौआ, के दहेज में टी. वी. भी।
लालटेनें हैं अब भी, दिन–भर आलों में कैलेंडरों से ढंकी

व्याख्या–प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य–पुस्तक दिगंत भाग–2 के “गाँव का घर” शीर्षक कविता से उद्धृत है। इस कविता के रचयिता, सामाजिक सरोकारों के सजग कवि ज्ञानेन्द्रपति हैं। इन पंक्तियों में कवि गाँवों की वर्तमान अवस्था का वर्णन कर रहे हैं। गाँवों की पुरानी व्यवस्था तथा नैतिक मूल्यों का वर्तमान व्यवस्था द्वारा हास उनकी चिन्ता का विषय है।।

गाँव का यह पुराना घर अपना गाँवों खो चुका है। नई व्यवस्था में पंचायती राज में मानो पंच परमेश्वर खो गए हैं। गाँवों में बिजली का प्रकाश आ गया है। किन्तु बनी रहने से अधिक बिजली “गई रहने वाली” है। बेटा के दहेज में टी. वी. लेने की लालसा है (यद्यपि अधिकांश समय तक बिजली नहीं रहती है।)

इन पंक्तियों में कवि ने एक ओर पुरानी ग्रामीण व्यवस्था में गाँवों के विवाद को निपटाने में पंच–परमेश्वर तथा पंचायत की भूमिका का वर्णन किया है वहीं वर्तमान पंचायती राज व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार, अनैतिकता तथा अराजकता की ओर संकेत किया है। कवि की ऐसी प्रतीति है कि पंच–परमेश्वर का सौम्य रूप पंचायती राज की अव्यवस्था तथा अन्याय के अंधकार में लुप्त हो गया है। लालटेनों की जगह बिजली ने ले लिया है। अब गाँव में बिजली आ गई है। परन्तु विडंबना यह है कि बनी रहने की बजाय यह अधिकतर “गई रहने वाली” ही हो गई है। तातपर्य यह है कि बिजली थोड़ी देर के लिए आती है तथा अधिकांश समय गायब रहती है।

इसके बावजूद बेटा के दहेज में टी. वी. लेने की लालसा गाँव के लोगों में है। ऐसी मानसिकता प्रायः हरेक व्यक्ति में पाई जाती है। अधिकांश समय तक बिजली के गायब रहने से टी. वी. का समुचित उपयोग संभव नहीं है, किन्तु उसके प्रति लोगों का आकर्षण यथावत है। इस दृष्टान्त द्वारा कवि ने जर्जर शासन–व्यवस्था को पोल खोली है। टी. वी. के बहाने दहेज की प्रवृति पर भी एक व्यंग्यात्मक टिप्पणी है। इस दिशा में कवि का प्रयास सर्वथा उचित है।

4. लालटेनें हैं अब भी, दिन–भर आलों में कैलेंडरों से ढंकी
रात उजाले से अधिक अंधेरा उगलती।
अँधेरे में छोड़ दिए जाने के भाव से भरती
जबकि चकाचौंध रोशनी में मदमस्त आर्केस्ट्रा बज रहा है कहीं, बहुत दूर, पट भिड़काए
कि आवाज भी नहीं आती यहाँ तक न आवाज की रोशनी,
न रोशनी की आवाज।

व्याख्या–ये भावपूर्ण पंक्तियाँ हमारी पाठ्य–पुस्तक दिगंत भाग–2 के “गाँव के घर” शीर्षक कविता से उद्धत हैं। इसके रचयिता ज्ञानेन्द्रपति हैं। भावों के चतुर चितेरे कवि ने व्यंग्यात्मक शैली में गाँवों की स्थिति का दृश्य प्रस्तुत किया है।।

लालटेनें अब भी हैं तथा दिन भर आलों पर टंगे कैलेंडरों से ढंकी रहती हैं। रात उजाले की अपेक्षा अंधेरा अधिक फैलाती है। उसमें अंधेरा में छोड़ दिए जाने का भाव मालूम देता है। दूसरी तरफ बहुत दूर पर तीव्र प्रकाश से मुक्त बन्द कमरे में आरकेस्ट्रा की धुन सुनाई दे रही है। उसकी आवाज यहाँ पर सुनाई देती है उसकी आवाज का प्रकाश भी नहीं दृष्टिगोचर होता है। रोशनी की आवाज भी सुनाई नहीं देती है।

इन पंक्तियों में कवि का आशय गाँव की दशा की ओर ध्यान आकृष्ट करना है। कवि का कथन है कि गाँव के घरों में पूरे दिनभर लालटेने आलों पर टंगे कैलेंडरों की ओट में रखी रहती हैं। इस पंक्ति का गूढार्थ है कि दिन पर लालटेनों आलों में सजाकर रख दी जाती हैं तथा रात में बिजली की अनुपलब्धता अथवा अनिश्चितता के कारण उन्हें बाहर लाकर जला दिया जाता है क्योंकि बिजली के नहीं रहने के कारण रात में प्रकाश से अधिक अंधेरा छा जाता है। उससे ऐसा प्रतीत होता है कि अँधेरे में छोड़ दिए जाने के लिए ही यह हो रहा है।

इसके विपरीत इस गाँव से बहुत दूर शहर के किसी कोने में प्रकाश की चकाचौंध में बन्द कमरे के अन्दर आर्केष्ट्रा की धुन बज रही है। वह स्थान गाँव से दूर है ताकि आर्केस्ट्रा की धुन बंद कमरे में गूंज रही है। उसकी आवाज उस गाँव तक नहीं आ रही है। यहाँ कवि की कल्पना मुखरित हो जाती है।

उसे ना तो आवाज की रोशनी की अनुभूति होती है ना ही रोशनी की आवाज की। प्रकारान्तर में कवि के कहने का आशय यह है कि आर्केस्ट्रा की आवाज (धुन) तथा वहाँ की चकाचौंध करने वाला प्रकाश दोनों ही अनुपलब्ध हैं। इस प्रकार कवि ने गाँव तथा शहर की तुलनात्मक विवेचना भी इस काव्यांश में की है तथा दोनों में व्याप्त विरोधाभास को युक्तियुक्तपूर्ण ढंग से रेखांकित किया है।

5. होरी–चैती बिरहा–आल्हा गूंगे
लोकगीतों की जन्मभूमि में भटकता है एक शोकगीत अनगाया अनसुना
आकाश और अँधेरे को काटते
दस कोस दूर शहर से आने वाले सर्कस का प्रकाश–बुलौआ
तो कब का मर चुका है।
कि जैसे गिर गया हो गजदंतों को गंवाकर कोई हाथी
रेते गए उन दाँतों को जरा–सी धवल धूल पर
छीज रहे जंगल में,

व्याख्या–प्रस्तुत व्याख्येय पंक्तियाँ हमारी पाठ्य–पुस्तक दिगंत, भाग–2 ‘गाँव का घर’ शीर्षक कविता से उद्धत हैं। इसके रचनाकार ज्ञानेन्द्रपति हैं। उपरोक्त पद्यांश में नई संस्कृति की चकाचौंध हमारे प्राचीन लोकगीतों के अस्तित्व पर आसन्न खतरे के प्रति कवि द्वारा क्षोभयुक्त चिन्ता व्यक्त की गई है। कवि को इस स्थिति में शोकगीत का अहसास होता है।

होली–चैता, बिरहा–आल्हा आदि लोकगीत गूंगे (समाप्त) हो गए हैं। लोकगीतों की जन्मस्थली में एक अनगाया, अनसुना शोकगीत भटक रहा है, शोक की अनुभूति करा रहा है। दस कोस दूर शहर में आकाश तथा अँधेरे को काटते हुए सरकस का प्रकाश–बुलौआ (सर्चलाइट) जो दृष्टिगोचर होता था, उसकी मृत्यु हुए भी काफी दिन बीत गए। मानो कोई हाथी अपने दाँतों को गँवाकर गिर पड़ा हो।

कवि इन पंक्तियों में होली–चैता बिरहा–आल्हा आदि लोकगीतों की दुर्गति देखकर दु:खी है। उसे यह देखकर गहरा खेद हो रहा है कि आधुनिक संस्कृति ने लोकगीतों की जन्मभूमि में ही उसे मरणासन्न स्थिति में पहुंचा दिया है। उसकी इस दुर्गति पर शोकगीत द्वारा संवेदना प्रकट की जा रही है। कवि के कहने का आशय यह भी हो सकता है कि इस समय के नए गीत शोकगीत जैसे लगते हैं जो भटकाव की स्थिति में हैं।

कवि यह भी देख रहा है कि गाँव से दस कोस की लम्बी दूरी से आकाश में अँधेरे को चीरता हुआ सरकस का प्रकाश–बुलौआ भी काफी दिनों पहले मर चुका है अर्थात् अब उसका प्रकाश नहीं दीखता। वह उसी प्रकार लुप्त हो गया है जैसे अपने दोनों दाँतों को गँवाकर हाथी गिर पड़ा हो। वस्तुतः प्रकाश–बुलौआ शहर में सरकस के आने की सूचना तथा भीड़ को आकृष्ट करने के उद्देश्य से प्रयुक्त किया जाता था जिसका प्रसारण सरकार द्वारा किसी कारणवश रूकवा दिया गया।

6. लीलने वाले मुँह खोले, शहर में बुलाते हैं बस
अदालतों ओर अस्पतालों के फैले–फैले भी रूंधते–गधाते अमित्र परिसर कि जिन बुलौओं से
गाँव के घर की रीढ़ झरझराती है।

व्याख्या–प्रस्तुत व्याख्येय पंक्तियाँ हमारी पाठ्य–पुस्तक दिगंत, भाग–2 के “गाँव का घर” शीर्षक कविता से ली गई है। इसके रचयिता ज्ञानेन्द्रपति हैं। उपरोक्त काव्यांश में कवि ने ग्रामीणों की अज्ञानता, कष्टों तथा अभावों का वर्णन किया है। इसके साथ शहर की विकृति एवं अमानवीय प्रवृति का उल्लेख भी किया है।

शहर की अदालतों तथा अस्पतालों के निगल जाने वाले विस्तृत परिसर अपना भयानक मुँह खोलकर खड़े हैं, वे ग्रामीणों को भुलावा देकर बुला रहे हैं। इस कारण गाँव के घर की रीढ़ झुर–झुरा रही है, उसमें दर्द तथा ऐंठन हो रही है।

कवि के कहने का गूढार्थ यह है कि भोले–भाले तथा मूर्ख ग्रामवासी शहर के अस्पतालों तथा अदालतों में डॉक्टरों एवं वकीलों के भुलावे तथा छल के शिकार हो रहे हैं। वहाँ अपना मुकदमा तथा इलाज कराने के चक्कर में उनका शोषण हो रहा है। उन परिसरों में रहनेवाले अपने खूखार मंसूबों से उनसे काफी पैसे ठग रहे हैं।

उनका बुलौटा अर्थात् ग्रामीणों को बुलाकर ठगना सरकस के प्रकाश–बुलौआ के समान ही है। इससे गाँव के लोग निस्तेज तथा दुर्बल हो गए हैं, उनकी रीढ़ झूर–झुरा गई है अर्थात् वे आर्थिक दुरवस्था के शिकार हो गए हैं। सरकार का प्रकाश बुलौआ उन्हें सरकस देखने के लिए बुलाकर उनके जेब के पैसे खर्च करता है, तो वकील तथा डॉक्टर मीठी–मीठी बातें तथा झूठे आश्वासन द्वारा उन्हें आर्थिक विपन्नता से ग्रस्त कर रहे हैं तभी तो कवि कहता है

“लीलने वाले मुँह खोले शहर में बुलाते हैं बस”..

Bihar Board Class 12 English Book Solutions Poem 5 An Epitaph

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Bihar Board Class 12 English An Epitaph Text Book Questions and Answers

B. 1.1. Read the following sentences and write “T” for true and “F” for false statements:

(a) The poet expresses his sad feeling for a lady.
(b) The lady belonged to the North Country.
(c) The poet considers her the most beautiful lady.
(d) ‘Beauty’ remains forever if we take proper care for it
(e) There are other persons who also know the lady.
(f) The poet feels that after his death nobody will remember her.
Answer:
(a) T, (b) F, (c) T, (d) F, (e) F, (f) T.

B.1.2. Answer the Questions briefly :

An Epitaph Question Answer Bihar Board Class 12 English Question 1.
Where does the lady lie?
Answer:
The lady lies in an epitaph. She lies there in the memory of her beloved.

An Epitaph Summary Class 12 Bihar Board English Question 2.
How does she look to the poet?
Answer:
She looks to the poet the most beautiful lady ever bom in the west country.

An Epitaph Summary Class 12 In Hindi Bihar Board English Question 3.
Was she a kind and considerate lady?
Answer:
No, She was not a considerate lady. She had the habit of moving here and there.

Epitaph Solutions Bihar Board Class 12 English Question 4.
What does the poet think about ‘beauty’?
Answer:
The poet thinks about the beauty that it is short-lived and will disappear one day or another.

An Epitaph Summary Bihar Board Class 12 English Question 5.
What does the poet mean when he says. ‘And when I crumble.’
Answer:
The poet is sad to think that nobody will remember the most beautiful lady in the west country.

Long Answer Questions

An Epitaph Poem Bihar Board Class 12 English Question 1.
‘Ambiguity’ is a poetic device that is used to suggest more than one meaning and attitude. Comment on the ‘ambiguity’ in the use of the word ‘light’ in the second line of the poem?
Answer:
‘Ambiguity’ is a poetic device that is used to suggest more than one meaning and attitude. It commonly used in the sense of light. But in the second line of the poem, the poet has used it for the beautiful lady moving here and there.
Usually, the word light means brightness, but the use of the word light in the second line of the poem is “The habit of moving”.

An Epitaph Poem In Hindi Bihar Board Class 12 English Question 2.
What according to the poet, are the two qualities of ‘beauty’? Discuss with your own comments.
Answer:
The two qualities of’ beauty’ are short-lived and rare. The poet wants to say that beauty is rare and it disappears after some time.

Question 3.
What will happen when the poet dies?
Answer:
When the poet will die nobody will remember the beautiful lady of The West Country.

Question 4.
Write a note on the philosophical meaning of the poem.
Answer:
The poet ‘Walter De La Mare’ who has written the poem ‘An Epitaph’ has most philosophically expressed his deep concern over the death of most beautiful lady of the west country. He is also mentally upset that who will remember the lady (lying in the grave) after his death. The philosophical meaning of the poem is
(i) mortality of human life
(ii) the short-living of beauty and glamour which is bound to vanish and
(iii) Lust for life.

Question 5.
What makes you feel that the poem is ‘ironical’ in meaning?
Answer:
The feelings about the poet that how he loved his beloved makes me feel that the poem is ironic. He loved her so much that when his beloved died he mourned her death but could not save her from the cruel hands of the death. The beautiful lady turned into a dead body and was burned. It is but the irony of life.

Question 6.
Write a summary of the poem “An Epitaph”. [B.M. 2009 A]
Or, Write a short note on the poem, “An Epitaph”. [B.M. 2009 A]
Answer:
Walter de la Mare in her poem “An Epitaph” describes a beautiful lady, who after her death is lying in a grave. He is highly aggrieved by her death. The lady lies in the grave-yard in the West Country. She looks most beautiful to the poet, as he is in love with her. The poet thinks that he is being deceived by her death. The poet feels that beauty is not eternal. Beauty vanishes and passes with age. The poem has an ironic tone also, which the poet expresses-‘Light of step and heart was She”. Actually the poet is meant that the lady has deceived him, as she died leaving him alone. In this way the poem deals with the transitoriness of human life and human relationship. Even love and beauty lose their charm in the course of time, in spite of the fact that it is extra-ordinary and rarely found. He also becomes sad to think that nobody will remember her after he dies.

C. 3. Composition

Write a paragraph in about 100 words on the following:
(a) A thing of beauty is a joy forever.
Answer:
There are many things in this world which bring joys for us. This is correct that a thing of beauty is a joy forever. Any beautiful thing that is created by God on man brings happiness to its viewer. But at the same, we can think it beautiful only because we see it this way. We all know that beauty lies in the eyes of the beholder. Nature has given us many beautiful things to appreciate and praise. We feel happy, seeing the mountains, landscape, flowers, and fruit. We feel happy when we see a beautiful dress, a beautiful picture, and beautiful surroundings.

(b) All that glitters is not gold.
Answer:
It is a very well said statement that all things that dazzle are not pure or real. Gold is the symbol of purity and real glitter. We should have the eye for real or unreal things. Even artificial or unreal things can dazzle so much that we are misled from our sense of understanding. Human beings should not be honored for their show-offing. We should try to see the inner beauty and purity of the heart. Glitters can sometimes be fake. Human beings should be recognized for their inner dazzle and not the take emotions. Gold dazzles. It is we who should understand and see the real shine remembering that all the things that glitter is not gold.

D. Word Study
D. 1. Dictionary Use

Ex. 1. Correct the spelling of the following words:
beautyful, vanises, crumbul, rimember, ladie
Answer:
beautiful, vanishes, crumble, remember, lady.

D. 2. Word-formation

Read the following line carefully:
I think she was the most beautiful lady
Mark that ‘beautiful’ is derived from ‘beauty’ by adding suffix ‘ful’ to it Write 10 words that end in ‘full’.
Answer:
faithful, doubtful, powerful, useful, houseful, grateful, handful, mouthful, needful, careful.

D.3. Word-meaning

Ex. 1. Fill in the blanks with the antonyms of the following words given in the box:
beautiful, light, ever, vanish, rare, remember
(i) The stars suddenly…………………… from behind the cloud.
(ii) As the room was………………. I could not see anything.
(iii) They created an………………….. scene when they fought together.
(iv) A crow is a……………………. bird in India.
(v) We can never………………….. the valuable sacrifice of the leaders of the freedom struggle movement.
Answer:
(1) appear, (ii) dark, (iii) ugly, (iv) common, (v) forget

E. Grammar

Ex. 1. Read the following lines from the poem carefully
(i) Here lies a most beautiful lady,
(ii) I think she was the most beautiful lady.
The use of ‘a most’ is uncommon. The use of ‘a’ before ‘most’ suggests general observation.
The most’ is commonly used, and here ‘the’ suggest particular reference.
Fill in the blanks with ‘a’, ‘an’ or ‘the’ to complete the sentences:
(i) Most of……………… the students today want to work in………….. the U.S.A.
(ii) There is……………………. a red rose on……………….. the plant, the rose has become quite attractive.
(iii) There are very few students in…………………. the university, who want to pursue research work.
(iv)………………….apple day………………….. keeps the doctor away.
(v) I have met……………………….. M.L.A. today.
Answer:
(i) the (ii) the (iii) the (iv) An, a, the (v) an.

1. Read the following extract of the poem and answer the questions that follow: [Board Model, 2009A]
Here lies a most beautiful lady,
Light of step and heart was she;
I think she was the most beautiful lady
That ever was in the West Country.

Questions.
(a) Name the poem and the poet.
(b) To whom the poet says, “is lying here?”
(c) What does, “Life of step and heart” mean?
(d) How is she to look at?
(e) What is the poet’s view about her appearance?
Answer:
(a) Poem’s title is An Epitaph and the poet who wrote the poem is Walter de la Mare.
(b) The poet says about a beautiful lady, who is lying here in the grave.
(c) Life of step and heart means having the habit of moving aimlessly from one place to another. Here the poet says about a beautiful lady, moving aimlessly without any commitment.
(d) She is the most beautiful Lady in the whole area.
(e) The poet had never seen such a beautiful lady. He is of the opinion that she is no charming and beautiful that no such lovely lady was ever bom in West Country.

2. Read the following extract of the poem and answer the questions that follow:
But beauty vanishes; beauty passes,
However, rare-rare it be;
And when I crumble, who will remember.
This lady of the West Country?

Questions.
(a) Name the poem and the poet.
(b) What does the poet think about beauty?
(c) What does the poet mean, by saying, “However rare-rare it be?”
(d) The poet says, “And when I crumble”, What does he want to say?
(e) For whom the poet expresses his concern, when he says, “who will remember.”
Answer:
(a) The name of the poem is An Epitaph, the poet who has composed’ this poem is Walter de La Mare.
(b) The poet thinks that beauty is not everlasting and will come to an end one day or another.
(c) He wants to express his sentiments that life is short-lived, and in the same way, beauty will also not remain for a longer period, however exceptional it may be.
(d) The poet refers to his death. He fears because he expects his death very soon and nobody will remember that beautiful lady.
(e) The poet expresses his concern about the beautiful lady to whom he loved. He thinks that nobody will remember her after his (poet’s) death.

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Bihar Board Class 9 History Solutions Chapter 4 विश्वयुध्दों का इतिहास

Bihar Board Class 9 Social Science Solutions History इतिहास : इतिहास की दुनिया भाग 1 Chapter 4 विश्वयुध्दों का इतिहास Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Social Science History Solutions Chapter 4 विश्वयुध्दों का इतिहास

Bihar Board Class 9 History विश्वयुध्दों का इतिहास Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न :

इतिहास की दुनिया क्लास 9 Bihar Board प्रश्न 1.
प्रथम विश्वयुद्ध कब आरम्भ हुआ ?
(क) 1941 ई० में
(ख) 1952 ई० में
(ग) 1950 ई० में
(घ) 1914 ई० में
उत्तर-
(घ) 1914 ई० में

Bihar Board Class 9 History Book Solution प्रश्न 2.
प्रथम विश्वयुद्ध में किसकी हार हुई ?
(क) अमेरिका की
(ख) जर्मनी की
(ग) रूस की
(घ) इंग्लैण्ड की
उत्तर-
(ख) जर्मनी की

Bihar Board Solution Class 9 History प्रश्न 3.
1917 ई० में कौन देश प्रथम विश्वयुद्ध से अलग हो गया ?
(क) रूस
(ख) इंग्लैण्ड
(ग) अमेरिका
(घ) जर्मनी
उत्तर-
(क) रूस

Bihar Board Class 9 Social Science Solution प्रश्न 4.
वर्साय की संधि के फलस्वरूप इनमें किस महादेश का मानचित्र बदल गया?
(क) यूरोप का
(ख) आस्ट्रेलिया का
(ग) अमेरिका का
(घ) रूस का
उत्तर-
(क) यूरोप का

Bihar Board 9th Class Social Science Book प्रश्न 5.
त्रिगुट समझौते में शामिल थे
(क) फ्रांस ब्रिटेन और जापान ।
(ख) फ्रांस, जर्मनी और आस्ट्रिया
(ग) जर्मनी, आस्ट्रिया और इटली
(घ) इंग्लैण्ड, अमेरिका और रूस
उत्तर-
(ग) जर्मनी, आस्ट्रिया और इटली

Bihar Board Solution Class 9 Social Science प्रश्न 6.
द्वितीय विश्वयुद्ध कब आरम्भ हुआ?
(क) 1939 ई० में
(ख) 1941 ई० में
(ग) 1936 ई० में
(घ) 1938 ई० में
उत्तर-
(क) 1939 ई० में

Class 9 History Bihar Board प्रश्न 7.
जर्मनी को पराजित करने का श्रेय किस देश को है ?
(क) फ्रांस को
(ख) रूस को
(ग) चीन को
(घ) इंग्लैण्ड को
उत्तर-
(घ) इंग्लैण्ड को

Bihar Board Class 9 History प्रश्न 8.
द्वितीय विश्वयुद्ध में कौन-सा देश पराजित हुआ?
(क) चीन
(ख) जापान
(ग) जर्मनी
(घ) इटली
उत्तर-
(ग) जर्मनी

Bihar Board 9th Class Social Science Book Pdf प्रश्न 9.
द्वितीय विश्वयुद्ध में पहला एटम बम कहाँ गिराया गया था ?
(क) हिरोशिमा पर
(ख) नागासाकी पर
(ग) पेरिस पर
(घ) लन्दन पर
उत्तर-
(क) हिरोशिमा पर

Bihar Board 9th Class History Book प्रश्न 10.
द्वितीय विश्वयुद्ध का कब अन्त हुआ?
(क) 1939 इ० का
(ख) 1941 ई० को
(ग) 1945 ई० को
(घ) 1938 ई० को
उत्तर-
(ग) 1945 ई० को

रिक्त स्थान की पूर्ति करें :

1. द्वितीय विश्वयुद्ध के फलस्वरूप …………… साम्राज्यों का पतन हुआ।
2. जर्मनी का …………… पर आक्रमण द्वितीय विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण था।
3. धुरी राष्ट्रों में …………… ने सबसे पहले आत्मसमर्पण किया ।
4. ……………….. की संधि की शर्ते द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए
उत्तरदायी थीं।
5. अमेरिका ने दूसरा एटम बम जापान के …………… बन्दरगाह पर गिराया था।
6. ……………. की संधि में ही द्वितीय विश्व युद्ध के बीज निहित थे ।
7. प्रथम विश्व युद्ध के बाद ………… एक विश्वशक्ति बनकर उभरा ।
8. प्रथम विश्व युद्ध के बाद मित्रराष्ट्रों ने जर्मनी के साथ ………… की संधि की।
9. राष्ट्रसंघ की स्थापना का श्रेय अमेरिका के राष्ट्रपति ………….. को दिया जाता है।
10. राष्ट्रसंघ की स्थापना …………… ई० में की गई।
उत्तर-
1. साम्राज्यवादी
2. पोलैंड
3. जर्मनी
4. बर्साय
5. नागासाकी
6. वर्साय
7. जापान
8. शांति
9. बुडरो विलसन
10. 1920

लघु उत्तरीय प्रश्न

Bihar Board Class 9 History Chapter 1 प्रश्न 1.
प्रथम विश्व युद्ध के उत्तरदायी किन्हीं चार कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध के उत्तरदायी चार कारण निम्नलिखित हैं :
(क) साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा-एशिया और अफ्रिका में उपनिवेश बसाने एवं उपनिवेशों में लूट-खसोट के लिए रूस, जर्मनी, फ्रांस, इटली सभी में होड़ मची थी। जर्मनी एक साम्राज्यवादी शक्ति बनना चाहता था।
(ख) गुटों का निर्माण-1914 में यूरोप दो गुटों में बंटा था । जर्मनी, इटली और आस्ट्रिया तथा दूसरे गुट में इंग्लैण्ड, फ्रांस और रूस थे । इन . गुटबंदी ने युद्ध की भावना पर बल दिया।
(ग) सैन्यवाद-यूरोपीय देश अपनी राष्ट्रीय आय का लगभग 85 प्रतिशत सैनिक तैयारियों पर खर्च कर रहे थे।
(घ) उग्र राष्ट्रवाद-19 वीं शताब्दी में यूरोप के देशों में राष्ट्रीयता का संचार उग्र रूप धारण करता गया। इससे सभी देश आपसी तनाव ग्रस्त बन गए।

Bihar Board Class 9 Civics Solution प्रश्न 2.
त्रिगुट (Triple Alliance) तथा त्रिदेशीय (Triple Entente) में कौन-कौन से देश शामिल थे? इन गुटों की स्थापना का उद्देश्य क्या था?
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध के पहले यूरोप के देश दो गुटों में बँट गये थे। एक गुट का नाम था त्रिगुट (Triple Alliance) इस गुट में जर्मनी, आस्ट्रिया और इटली शामिल थे।

इन गुटों के उद्देश्य-

  • अपनी शक्ति को बढ़ाना था ताकि अपने उद्देश्यों की पूर्ति कर सकें।
  • अपने उपनिवेशों का विस्तार करना था।
  • ये सभी साम्राज्यवादी लिप्सा के शिकार थे।

अतः दोनों गुटों की उपस्थिति ने युद्ध की भयावहता को तय कर दिया।

Bihar Board Class 9 History Book प्रश्न 3.
प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण क्या था ?
उत्तर-
28 जून, 1914 ई० को बोस्निया की राजधानी साराजेवो में आस्ट्रिया के राजकुमार आर्क डयूक फर्डिनेण्ड की हत्या सर्व जाति के किसी व्यक्ति ने कर दी। आस्ट्रिया ने इसके लिए सर्व जाति को ही दोषी ठहराया जिसे सर्बिया ने मानने से इन्कार कर दिया । फलत: 28 जुलाई, 1914 को आस्ट्रिया ने सर्बिया पर आक्रमण कर दिया और देश भी युद्ध में कूद पड़े। इस प्रकार आर्क ड्यूक फर्डिनेण्ड की हत्या युद्ध के तात्कालिक कारण के रूप में सामने आया।

Bihar Board Class 9 Geography Solutions प्रश्न 4.
सर्वस्लाव आन्दोलन का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
तुर्की तथा आस्ट्रिया के अधिकांश निवासी स्लाव जाति के थे। उनलोगों ने सर्वस्लाव आन्दोलन की शुरुआत की जो इस सिद्धान्त पर आध आरित था कि यूरोप के सभी स्लाव जाति के लोग एक स्लाव हैं । ये स्लाव बाल्कन क्षेत्र में एक संयुक्त स्लाव राज्य कायम करना चाहते थे। इसके लिए उन्हें रूस का समर्थन प्राप्त था।

प्रश्न 5.
उग्र राष्ट्रीयता प्रथम विश्व युद्ध का किस प्रकार एक कारण था ?
उत्तर-
19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक यूरोप के देशों में राष्ट्रीयता का संचार उग्र रूप से होने लगा । समान जाति, धर्म, भाषा और ऐतिहासिक परम्परा के लोग एक साथ मिलकर अलग देश का निर्माण चाहने लगे । तुर्की साम्राज्य तथा आस्ट्रिया-हंगरी में अधिकांश निवासी स्लाव साम्राज्य तथा आस्ट्रिया-हंगरी में अधिकांश निवासी स्लाव जाति के थे । उनलोगों ने सर्वस्लाव आन्दोलन की शुरुआत की जो सिद्धान्त पर आधारित था कि यूरोप के सभी स्लाव जाति के लोग एक राष्ट्र हैं । इसने आस्ट्रिया हंगरी का रूस के साथ संबंध कटु बना दिया। इसी तरह सर्वजर्मन आन्दोलन शुरू हुआ जिसका लक्ष्य बाल्कन प्रायद्वीप में जर्मन साम्राज्य का विस्तार था। इस प्रकार उग्र राष्ट्रवाद ने यूरोप के देशों के आपसी संबंध को तनावग्रस्त बना दिया जो विश्व युद्ध का एक प्रबलतम कारण बना।

प्रश्न 6.
“द्वितीय विश्वयुद्ध प्रथम विश्वयुद्ध की ही परिणति थी।” कैसे?
उत्तर-
द्वितीय विश्वयुद्ध एक प्रतिशोधात्मक युद्ध था। इस युद्ध के बीज वर्साय की सन्धि में ही बो दिए गए थे। मित्र राष्ट्रों ने जिस प्रकार का व्यवहार जर्मनी के साथ किया उसे जर्मन लोग कभी भी भूल नहीं सकते थे। जर्मनी को इस संधि पर हस्ताक्षर करने को विवश कर दिया गया था। संधि के शर्तों के अनुसार जर्मन साम्राज्य का एक बड़ा भाग मित्र राष्ट्रों ने उससे छीनकर आपस में बांट लिया। उसे सैनिक आर्थिक दृष्टि से पंगु बना दिया । अतः जर्मन वाले वर्साय संधि को एक राष्ट्रीय क्लंक मानते थे। उसमें मित्र राष्ट्रों के प्रति प्रतिशोध की भावना जगी। हिटलर ने इस मनोभावना को और भी उभार कर रख दिया। उसने वर्साय की संधि की धज्जियाँ उड़ा दी। विजित राष्ट्र गुप्त संधियाँ के माध्यम से झुठलाते भी रहे जिससे पराजित राष्ट्र इस हकीकत को जानकर बौखलाहट से भर गए । हिटलर ने द्वितीय विश्वयुद्ध आरम्भ कर दिया।

प्रश्न 7.
द्वितीय विश्वयुद्ध के लिए हिटलर कहाँ तक उत्तरदायी था?
उत्तर-
वर्साय की संधि द्वारा जर्मनी के साथ जो हुआ वह अन्याय और अत्याचार ही था। जर्मन वाले तो उसे राष्ट्रीय कलंक मानते ही थे। ऐसे ही समय में हिटलर का उदय हुआ उसने नाजी पार्टी की स्थापना की। जर्मनी तानाशाह बन गया । उसने वर्साय की संधि की धज्जियाँ उड़ा दी । वह अपना साम्राज्य विस्तार कर आर्थिक परेशानियाँ दूर करना चाहता था । उसने पोलैंड से डेजिंग की बंदरगाह की मांग की। पोलैंड के इन्कार करने पर उसने उसपर आक्रमण कर दिया और द्वितीय विश्वयुद्ध का बिंगुल बज उठा । अत: हिटलर बहुत अंशों में उत्तरदायी था।

प्रश्न 8.
द्वितीय विश्वयुद्ध के किन्हीं पाँच परिणामों का उल्लेख करें ।
उत्तर-
देखें
द्वितीय विश्व युद्ध के निम्नलिखित परिणाम थे
(i) धन-जन की हानि-इस युद्ध में व्यापक धन-जन की हानि हुई। लगभग 60 लाख यहूदियों को जर्मनी ने मौत के घाट उतार दिया था। लाखों लोगों की हत्या यंत्रणा शिविरों में कर दी गयी। इस युद्ध में 5 करोड़ से अधिक नागरिक शामिल थे जिसमें 2.2 करोड़ सैनिक और 2.8 करोड़ से अधिक नागरिक शामिल थे और 1.2 करोड़ यंत्रण शिविरों में फासिसवादियों के आतंक के कारण मारे गये । रूस के 2 करोड़ लोग तथा जर्मनी के 60 लाख लोग मारे गये। यह भयानक परिणाम था। इस युद्ध में लगभग 13 खरब 84 अरब 90 करोड़ डालर खर्च हुआ।

(ii) यूरोपीय श्रेष्ठता राष्ट्रों की प्रभुता समाप्त हो गई। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोपीय राष्ट्रों की प्रभुता समाप्त हो गई । द्वितीय युद्ध के बाद यूरोप की श्रेष्ठता एशिया के देशों जैसे-भारत, श्रीलंका, वर्मा, मलाया, इंडोनिशिया, मिस्र आदि देश स्वतंत्र हो गए।

(iii) इंग्लैण्ड की शक्ति में ह्रास-प्रत्यक्ष रूप से जर्मनी, जापान और इटली की हार हुई, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से इंग्लैण्ड की भी पराजय हुई। युद्ध के बाद इंग्लैण्ड सबसे बड़ी शक्ति नहीं रही। इंग्लैण्ड का उपनिवेश मुक्त हो गए, इंग्लैण्ड की शक्ति और संसाधन सीमित हो गए ।

(iv) रूस तथा अमेरिका की शक्ति में वृद्धि-विश्वयुद्ध के बाद सोवियत रूस और अमेरिका का प्रभाव विश्व की दो महान शक्तियाँ बन गयी । विश्व के राष्ट्र दो खेमे में बंट गए । पूर्वी यूरोप, चीन, भारत आदि रूस के प्रभाव में आए तथा पूँजीवादी व्यवस्था वाले अमेरिका की ओर चले गए।

(v) संयुक्त राष्ट्रसंघों की स्थापना-विश्व शान्ति को कायम करने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघों की स्थापना की गई। इसकी स्थापना अमेरिका की पहल पर 1945 ई० में की गई जो अभी भी कार्यरत है।

(vi) विश्व में दो गुटों का निर्माण-दो गुट को साम्यवादी और पूँजीवादी । साम्यवादी देशों का नेतृत्व. सोवियत रूस कर रहा था तथा पूँजीवादी देशों का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा था । अब एक दूसरा गुट भी सामने आया है वह है विकासशील राष्ट्र । ये देश अपने आर्थिक तंत्र तक अपने को केन्द्रित करने लगे।

प्रश्न 9.
तुष्टिकरण की नीति क्या है ?
उत्तर-
तुष्टिकरण की नीति भी द्वितीय विश्वयुद्ध का एक कारण बना । पश्चिमी पूँजीवादी देश इंग्लैण्ड तथा फ्रांस रूस को नफरत की दृष्टि से देखते थे। वे चाहते थे कि हिटलर किसी तरह रूस पर हमला कर दे, जिससे दोनों देश कमजोर हो जाए। तब वे हस्तक्षेप करके दोनों शक्तियों को बर्बाद कर देंगे। उस नीति को तुष्टिकरण की नीति से जाना जाता है। तुष्टिकरण की दिशा में म्युनिख समझौता था।

प्रश्न 10.
राष्ट्रसंघ क्यों असफल रहा?
उत्तर-
राष्ट्रसंघ ने छोटे-छोटे राज्यों के मामलों को आसानी से सुलझा दिया लेकिन बड़े-बड़े राष्ट्रों के मामले में उसने अपने को अक्षम पाया और अतंत: उसको इस कार्य के लिए समर्थ और शक्तिशाली राष्ट्रों का सहयोग नहीं मिला। हर निर्णायक कार्रवाई की घड़ी में शक्तिशाली राष्ट्रों ने अपने . निहित स्वार्थ में हाथ खड़ा कर लिए । अतः बड़े राष्ट्रों के दबाव तथा अन्य दुर्बलताओं के कारण राष्ट्रसंघ की उपयोगिता समाप्त हो गयी । जापान, जर्मनी तथा इटली राष्ट्रसंघ से अलग होकर मनमानी करने लगें । जिसके कारण छोटे राष्ट्रों का संयुक्त राष्ट्र पर विश्वास नहीं रहा। इस प्रकार संयुक्तराष्ट्र संघ की असफलता ने द्वितीय विश्व युद्ध का मार्ग प्रशस्त कर दिया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे ? संक्षेप में लिखें।
उत्तर-
प्रथम विश्व युद्ध के निम्नलिखित कारण थे
(i) साम्राज्यवादी प्रतिस्पर्धा-औद्योगिक क्रान्ति के बाद बाजारों के विस्तार के लिए उपनिवेशों के निर्माण की प्रक्रिया बढ़ी। 1914 ई० तक जर्मनी औद्योगिक क्षेत्र में काफी प्रगति कर चुका था, ब्रिटेन, फ्रांस पीछे छुट चुके थे । जर्मनी को भी उद्योग के लिए कच्चे माल और तैयार माल के लिए बाजार चाहिए था। अतः जर्मनी ने तुर्की के सुलतान से वर्लिन से बगदाद तक रेलवे लाइन बिछाने की योजना पर स्वीकृति चाही । जर्मनी की इस योजना पर फ्रांस एवं इंग्लैण्ड ने विरोध जताया । अतः इन शक्तियों के बीच विरोध था । इधर अमेरिका भी एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आ चुका था।

(ii) उग्रवाद-उग्र भावना तेजी से बढ़ती जा रही थी। जाति, धर्म, भाषा और ऐतिहासिक परम्परा के व्यक्ति एक साथ मिलकर रहें और कार्य करें तो उनकी अलग पहचान बनेगी और उनकी प्रगति होगी। जर्मनी और इटली का एकीकरण इस आधार पर हो चुका था। बाल्कन क्षेत्र में यह भावना अधिक बलवती थी । बाल्कन तुर्को प्रदेश में था। यह अब स्वतंत्र होना चाहता था । इसी तरह आस्ट्रिया हंगरी के अनेक क्षेत्र अब स्वतंत्र होना चाहते थे। रूस ने भी इसे बढ़ावा दिया । इससे राष्ट्रीय कटुता बढ़ती गयी।

(iii) सैन्यवाद-यूरोपीय देश अपनी सैनिक शक्ति पर पूरा ध्यान दे रहे थे। फ्रांस, जर्मनी आदि प्रमुख देश अपनी राष्ट्रीय आय का लगभग 85% सैनिक तैयारियों पर खर्च कर रहे थे। जर्मनी अपनी जलसेना के क्षेत्र में बढ़ोत्तरी किया। 1912 ई० में जर्मनी ने ‘इम्पेरर’ नामक जहाज बनाया जो उस समय का सबसे बड़ा जहाज था। इस प्रकार जर्मनी इंग्लैण्ड के बाद दूसरा शक्तिशाली राष्ट्र बन गया ।

(iv) गुटों का निर्माण-साम्राज्यवादी लिप्सा के शिकार शक्तिशाली देश अपने हितों के अनुरूप गुटों का निर्माण करने लगे थे। सम्पूर्ण यूरोप दो गुटों में बंट गया । एक गुट हुआ त्रिगुट (Triple Alliance) जिसमें जर्मनी, आस्ट्रिया-हंगरी और इटली थे । दूसरा गुट त्रिदेशीय संधि (Triple Entente) इसमें फ्रांस, रूस और ब्रिटेन थे । ये गुट युद्ध की भयानकता तय कर दी।

(v) तात्कालिक कारण-28 जून, 1914 को आर्क ड्यूक फर्डिनेण्ड की बोस्निया की राजधानी साराजेवो में हत्या हो गई। आस्ट्रिया ने इस घटना के लिए सार्बिया को दोषी ठहराया। सार्बिया ने इन्कार कर दिया ।

अत: 28 जुलाई, 1914 को फ्रांस के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी और व्यापक रूप धारण कर लिया । इस प्रकार आर्क ड्यूक फर्डिनेण्डं ‘की हत्या प्रथम विश्वयुद्ध का कारण बना ।

प्रश्न 2.
प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?
उत्तर-
विश्व युद्ध के निम्नलिखित परिणाम हुए

  • धन-जन की हानि-अब तक के हुए युद्धों में प्रथम विश्व युद्ध सबसे भयावह था । विभिन्न अनुमानों के अनुसार लगभग 45 करोड़ लोग इस विश्व युद्ध से प्रभावित हुए । युद्ध में मरने वालों की संख्या 90 लाख बताई जाती है । लाखों लोग अपंग हो गए । लाखों लोग तरह-तरह की महामारियों से मारे गए।
  • प्रथम विश्वयुद्ध और इसके बाद सम्पन्न शांति-संधियों ने अनेक देशों की राजनीतिक व्यवस्था में परिवर्तन किया । कई राजतंत्र नष्ट हो गए कई देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था का उदय हुआ एवं नई साम्यवादी सरकार से विश्व जनमत का साक्षात्कार हुआ।
  • साम्राज्यों का अंत-तीन शासक वंश नष्ट हो गए । जर्मनी में होहेन जोलन और आस्ट्रिय हंगरी में हेब्सवर्ग तथा रूस में रोमानोव राजवंश की सत्ता समाप्त हो गई।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका का उदय-यूरोप का वर्चस्व समाप्त हो गया और संयुक्त राज्य अमेरिका एक नये राष्ट्र के रूप में उभर कर सामने आया । यह सैनिक और आर्थिक दोनों दृष्टिकोणों से एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरा।
  • सोवियत संघ का उदय-प्रथम युद्ध के दौरान रूस में एक क्रान्ति हुई इसके फलस्वरूप रूसी साम्राज्य के स्थान पर सोवियत संघ का उदय हुआ । वहाँ समाजवादी सरकार बन गयी।
  • उपनिवेशों में स्वतंत्रता-युद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों ने घोषणा की थी कि युद्ध समाप्ति के बाद उपनिवेशों को स्वतंत्रता दी जाएगी पर ऐसा नहीं हुआ। तब अफ्रिका एवं एशिया के देशों में स्वाधीनता आन्दोलन तेज ] गया।

वर्साय की संधि-जनवरी और जून 1919 ई० के बीच विजयी शक्तियाँ (मित्र राष्ट्रों) का एक सम्मेलन । पेरिस की वर्साय में हुआ । सम्मेलन में 27 देश भाग ले रहे थे, लेकिन तीन देश ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका ही निर्णायक भूमिका निभा रहे थे । अमेरिका के राष्ट्रपति बुडरो विल्सन ने, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री लायड जार्ज और फ्रांस के प्रधानमंत्री जार्ज क्लीमेंशु ये तीन व्यक्ति शान्ति संधी की शर्त रख रहे थे। मुख्य संधि जी के साथ 28 जून, 1919 ई० को हुई । इसे वर्साय की संधि कहते ।

राष्ट्र संघ की स्थापना-प्रथम विश्व युद्ध में जन-धन की भारी क्षति को देखकर भविष्य में इसकी पुनरावृति को रोकने के लिए तत्कालीन राजनीतिज्ञों ने प्रयास आरम्भ किए । अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विलसन की प्रमुख भूमिका थी। फलतः जनवरी 1920 में राष्ट्रसंघ (League of Nations) की स्थापना की गयी। पर भविष्य में सफल नहीं हो सका। 3. क्या वर्साय संधि एक आरोपित संधि थी?
उत्तर-नि:संदेह वर्साय की संधि एक आरोपित संधि थी। यह जर्मनी के लिए अत्यन्त कठोर और अपमानजनक थी। इसकी शर्ते विजयी राष्ट्रों – द्वारा एक विजित राष्ट्र पर जबरदस्ती और धमकी देकर लादी गई थी।

जर्मनी ने इसे विवशता से स्वीकार किया। उसने इस संधि को अन्यायपूर्ण कहा । जर्मनी को संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया । चूँकि जर्मनी ने स्वेच्छा से इसे कभी भी स्वीकार नहीं किया इसलिए वर्साय की संधि को ‘आरोपित संधि’ कहते हैं। जर्मन नागरिक भी इसे कभी स्वीकार नहीं कर सके । जनता ने इसे जर्मनी का कलंक कहा । संधि के विरुद्ध जर्मन में एक सबल जनमत बन गया । हिटलर और नजीदल ने वर्साय की संधि के विरुद्ध जनमत अपने पक्ष में कर सत्ता पर अधिकार कर लिया। सत्ता में आने पर उसने वर्साय की सन्धि की धज्जियाँ उड़ा दी और अपनी शक्ति को बढ़ाने लगा। इसीलिए कहा जाता है कि वर्साय की संधि में द्वितीय विश्वयुद्ध के बीज निहित थे ।

प्रश्न 4.
विस्मार्क की व्यवस्था ने प्रथम विश्वयुद्ध का मार्ग किस तरह प्रशस्त किया ?
उत्तर-
जर्मनी के चांसलर बिस्मार्क को गुटबंदी का जन्मदाता कहा जाता है । साम्राज्यवादी देश अपने-अपने हितों के अनुरूप गुटों का निर्माण करने लगे थे। अतः सम्पूर्ण यूरोप गुटों में बंटा जा रहा था। यूरोप के गुटबंदी का जन्मदाता विस्मार्क सन 1869 में आस्ट्रिया के साथ द्वैध संधि (Duad Alliance) की। 1882 ई० में एक त्रिगुट संधि बनाया जिसमें जर्मनी; अस्ट्रिया-हंगरी तथा इटली शामिल हुए। इस त्रिगुट का मुख्य उद्देश्य फ्रांस के विरुद्ध कार्य करना था। क्योंकि फ्रांस उसका सबसे बड़ा दुश्मन था इसी त्रिगुट के विरोध में त्रिराष्ट्रीय संधि (Triple Entente) गुट का निर्माण हुआ । इन गुटों ने स्पष्टत: यूरोप को दो गुटों में बांट दिया । जो विश्व युद्ध का कारण बना। अतः विस्मार्क की पहल के फलस्वरूप संपूर्ण यूरोप दो गुटों में विभाजित हो गया । इन गुटों की उपस्थिति ने युद्ध को अनिवार्य कर दिया ।

प्रश्न 5.
द्वितीय विश्वयुद्ध के क्या कारण थे। विस्तारपूर्वक लिखें।
उत्तर-
द्वितीय विश्वयुद्ध के निम्नलिखित कारण थे
(i) वर्साय संधि की विसंगतियाँ-द्वितीय विश्व युद्ध का बीजारोपण वर्साय की संधि के द्वारा हो चुका था। यह संधि केवल पराजित राष्ट्रों के लिए थे तथा विजयी राष्ट्र गुप्त संधियों के द्वारा इसे झुठलाते रहे । इस गुप्त संधि का भंडाफोड़ रूस ने किया था जिससे पराजित राष्ट्र गुस्से से भर गए।

(ii) वचन विमुखता-राष्ट्रसंघ के विधान पर हस्ताक्षर कर सभी सदस्य राज्यों ने वादा किया था कि वे सामूहिक रूप से सबकी प्रादेशिक अखंडता और राजनीतिक स्वतंत्रता की रक्षा करेंगे लेकिन वास्तविक तौर पर ऐसा नहीं हुआ। इसके विपरीत चीन, जापान की साम्राज्यवादी नीति का शिकार बना, इटली, अबीसीनिया को रौंदता रहा । फ्रांस, चेकोस्लोवाकिया के विनाश में सहायक हुआ, हिटलर चेक राष्ट्रों को हड़पता रहा तथा ब्रिटेन और फ्रांस देखते रहे । जापान ने चीन पर आक्रमण कर मंचूरिया पर अधिकार कर लिया। उसी तरह अबिसीनिया मुसोलिनी का शिकार हुआ । इस सफलता को देखकर हिटलर ने आस्ट्रिया और चेकोस्लोवाकिया पर धावा बोल दिया। उसने पोलैंड पर भी चढ़ाई कर दी और इसके साथ विश्वयुद्ध आरम्भ हो गया।

(iii) गृह युद्ध-शान्ति बनाए रखने के लिए यूरोप में अनेक संधि याँ हुई जिससे यूरोप पुनः दो गुटों में बंट गया। एक गुट का नेता जर्मनी बना, दूसरे गुट का नेता फ्रांस बना । यह युद्धबंदी सैद्धान्तिक समानता तथा हितों पर आधारित था । इटली, जापान तथा जर्मनी एक समान सिद्धान्त अर्थात् फासिज्म पर विश्वास करते थे। इनकी नीति समान रूप से प्रसारवादी थी। इसके विपरीत फ्रांस की नीति समान रूप से प्रसारवादी था। इसके विपरीत फ्रांस, चेकोस्लोवाकिया तथा पोलैंड हर हाल में उन्हें कायम रखना चाहते थे क्योंकि इनसे उन्हें लाभ था । इंग्लैण्ड तथा रूस आरम्भ में इसमें शामिल नहीं थे लेकिन परिस्थितिवश उन्हें भी इस गुटबंदी में शामिल होना पड़ा। इस प्रकार गुटबंदी की वजह से पूरा माहौल विषाक्तपूर्ण हो चुका था।

(iv) हथियारबंदी-गुटबंदी के माहौल में प्रत्येक राष्ट्र अपने को असुरक्षित समझ रहा था । प्रत्येक देश का रक्षा बजट बढ़ रहा था। इंग्लैण्ड के चेम्बरलिन ने 1937 ई० में 40 करोड़ पौंड का ऋण लेने का फैसला अस्त्र-शस्त्र के लिए किया ।

(v) राष्ट्रसंघ की असफलता-राष्ट्रसंघ की भ्रामक शक्तियाँ और सदस्य राष्ट्रों के सहयोग का अभाव भी द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण बना।

(vi) विश्वव्यापि आर्थिक मंदी-1929-30 में विश्वव्यापि आर्थिक मंदी आई जो 1931 में अपने चरम सीमा पर था। 1929 में ही अमेरिका ने इंग्लैण्ड को ऋण देना बंद कर दिया। इससे क्रयशक्ति का ह्रास हुआ, बेकारी बढ़ गयी अतः युद्ध आवश्यक हो गया।

(vii) हिटलर एवं मुसोलिनी का उदय-हिटलर और मुसोलिनी दोनों साम्राज्य विस्तार करना चाहते थे। जर्मनी, इटली और जापान की साम्राज्यवादी महत्वाकांक्षा द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण बनी।

प्रश्न 6.
द्वितीय विश्वयुद्ध के परिणामों का उल्लेख करें।
उत्तर-
द्वितीय विश्व युद्ध के निम्नलिखित परिणाम थे
(i) धन-जन की हानि-इस युद्ध में व्यापक धन-जन की हानि हुई। लगभग 60 लाख यहूदियों को जर्मनी ने मौत के घाट उतार दिया था। लाखों लोगों की हत्या यंत्रणा शिविरों में कर दी गयी। इस युद्ध में 5 करोड़ से अधिक नागरिक शामिल थे जिसमें 2.2 करोड़ सैनिक और 2.8 करोड़ से अधिक नागरिक शामिल थे और 1.2 करोड़ यंत्रण शिविरों में फासिसवादियों के आतंक के कारण मारे गये । रूस के 2 करोड़ लोग तथा जर्मनी के 60 लाख लोग मारे गये। यह भयानक परिणाम था। इस युद्ध में लगभग 13 खरब 84 अरब 90 करोड़ डालर खर्च हुआ।

(ii) यूरोपीय श्रेष्ठता राष्ट्रों की प्रभुता समाप्त हो गई। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोपीय राष्ट्रों की प्रभुता समाप्त हो गई । द्वितीय युद्ध के बाद यूरोप की श्रेष्ठता एशिया के देशों जैसे-भारत, श्रीलंका, वर्मा, मलाया, इंडोनिशिया, मिस्र आदि देश स्वतंत्र हो गए।

(iii) इंग्लैण्ड की शक्ति में ह्रास-प्रत्यक्ष रूप से जर्मनी, जापान और इटली की हार हुई, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से इंग्लैण्ड की भी पराजय हुई। युद्ध के बाद इंग्लैण्ड सबसे बड़ी शक्ति नहीं रही। इंग्लैण्ड का उपनिवेश मुक्त हो गए, इंग्लैण्ड की शक्ति और संसाधन सीमित हो गए ।

(iv) रूस तथा अमेरिका की शक्ति में वृद्धि-विश्वयुद्ध के बाद सोवियत रूस और अमेरिका का प्रभाव विश्व की दो महान शक्तियाँ बन गयी । विश्व के राष्ट्र दो खेमे में बंट गए । पूर्वी यूरोप, चीन, भारत आदि रूस के प्रभाव में आए तथा पूँजीवादी व्यवस्था वाले अमेरिका की ओर चले गए।

(v) संयुक्त राष्ट्रसंघों की स्थापना-विश्व शान्ति को कायम करने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघों की स्थापना की गई। इसकी स्थापना अमेरिका की पहल पर 1945 ई० में की गई जो अभी भी कार्यरत है।

(vi) विश्व में दो गुटों का निर्माण-दो गुट को साम्यवादी और पूँजीवादी । साम्यवादी देशों का नेतृत्व. सोवियत रूस कर रहा था तथा पूँजीवादी देशों का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा था । अब एक दूसरा गुट भी सामने आया है वह है विकासशील राष्ट्र । ये देश अपने आर्थिक तंत्र तक अपने को केन्द्रित करने लगे।

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 6 तुमुल कोलाहल कलह में

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 6 तुमुल कोलाहल कलह में

 

तुमुल कोलाहल कलह में वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ

तुमुल कोलाहल कलह में कविता का अर्थ Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 1.
जयशंकर प्रसाद का जन्म कब हुआ था?
(क) 1889 ई. में
(ख) 1870 ई. में
(ग) 1880 ई. में
(घ) 1875 ई. में
उत्तर-
(क)

तुमुल कोलाहल कलह में Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 2.
‘कामायनी’ प्रसाद की कैसी कृति है?
(क) प्रबंध काव्य
(ख) गद्य काव्य
(ग) खण्ड काव्य
(घ) नाट्य कृतियाँ
उत्तर-
(क)

तुमुल कोलाहल कलह में कविता Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 3.
‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता के रचयिता कौन हैं?
(क) सूर्यकान्त त्रिपाटी ‘निराला’
(ख) जय शंकर प्रसाद
(ग) महादेवी वर्मा
(घ) पंत
उत्तर-
(ख)

तुमुल कोलाहल का अर्थ Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 4.
जयशंकर प्रसाद जी किस काल के कवि हैं?
(क) छायावाद
(ख) रीतिकाल
(ग) आदिकाल
(घ) स्वातंत्र्योत्तर काल
उत्तर-
(क)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

Tumul Kolahal Kalah Mein Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 1.
जयशंकर प्रसाद का जन्म………… ई. में हुआ था।
उत्तर-
1889

Tumul Kolahal Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 2.
जयशंकर प्रसाद का जन्म……….. में हुआ था?
उत्तर-
वाराणसी

प्रश्न 3.
झरना, आँसू, लहर जयशंकर प्रसाद की प्रमुख……….. हैं।
उत्तर-
कृतियाँ

प्रश्न 4.
जयशंकर प्रसाद के पिता………. थे।
उत्तर-
देवीप्रसाद साहु

प्रश्न 5.
जयशंकर प्रसाद के पितामह शिवरत्न साहु उर्फ……….. थे।
उत्तर-
सुंघनी साहु

प्रश्न 6.
प्रसाद जी की प्रसिद्ध काव्य कृति………. प्रबंध काव्य है।
उत्तर-
कामाम की

प्रश्न 7.
तुमुल कोलाहल कलह में मैं……… की बात रे मन।
उत्तर-
हृदय

तुमुल कोलाहल कलह में अति लघु उत्तरीय प्रश्न।

प्रश्न 1.
‘सजल जलजात’ में कौन–सा अलंकार है?
उत्तर-
रूपक।

प्रश्न 2.
‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता के रचयिता कौन हैं?
उत्तर-
जयशंकर प्रसाद।

प्रश्न 3.
चातकी किसके लिए तरसती है?
उत्तर-
एक छोटी–सी बूँद के लिए।

प्रश्न 4.
मनुष्य का शरीर क्यों थक जाता है?
उत्तर-
मन की चंचलता से।

प्रश्न 5.
जयशंकर प्रसाद किस वाद के कवि हैं?
उत्तर-
छायावाद के।

तुमुल कोलाहल कलह में पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
‘हृदय की बात’ का क्या कार्य है?
उत्तर-
इस कोलाहलपूर्ण वातावरण में श्रद्धा, जो वस्तुतः कामायनी है, अपने हृदय का सच्चा मार्गदर्शक बनती है। कवि का हृदय कोलाहलपूर्ण वातावरण में जब थककर चंचल चेतनाशून्य अवस्था में पहुँचकर नींद की आगोश में समाना चाहती है, ऐसे विषादपूर्ण समय में श्रद्धा चंदन के सुगंध से सुवासित हवा बनकर चंचल मन को सांत्वना प्रदान करती है। इस प्रकार कवि को अवसाद एवं अशान्तिपूर्ण वातावरण में भी उज्ज्वल भविष्य सहज ही दृष्टिगोचर होता है।

प्रश्न 2.
कविता में उषा की किस भूमिका का उल्लेख है?
उत्तर-
छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता में उषाकाल की एक महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया गया है। उषाकाल अंधकार का नाश करता है। उषाकाल के पूर्व सम्पूर्ण विश्व अंधकार में डूबा रहता है। उषाकाल होते हुए सूर्य की रोशनी अंधकाररूपी जगत में आने लगती है। सारा विश्व प्रकाशमय हो जाता है। सभी जीव–जन्तु अपनी गतिविधियाँ प्रारम्भ कर देते हैं। जगत् में एक आशा एवं विश्वास का वातावरण प्रस्तुत हो जाता है। उषा की भूमिका का वर्णन कवि ने अपनी कविता में की है।

प्रश्न 3.
चातकी किसके लिए तरसती है?
उत्तर-
चातकी एक पक्षी है जो स्वाति की बूंद के लिए तरसती है। चातकी केवल स्वाति का जल ग्रहण करती है। वह सालोंभर स्वाति के जल की प्रतीक्षा करती रहती है और जब स्वाति का बूंद आकाश से गिरता है तभी वह जल ग्रहण करती है। इस कविता में यह उदाहरण सांकेतिक है। दु:खी व्यक्ति सुख प्राप्ति को आशा में चातकी के समान उम्मीद बाँधे रहते हैं। कवि के अनुसार एक–न–एक दिन उनके दुःखों का अंत होता है।

प्रश्न 4.
बरसात की ‘सरस’ कहने का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
बरसात जलों का राजा होता है। बरसात में चारों तरफ जल ही जल दिखाई देते हैं। पेड़–पौधे हरे–भरे हो जाते हैं। लोग बरसात में आनन्द एवं सुख का अनुभव करते हैं। उनका जीवन सरस हो जाता है अर्थात् जीवन में खुशियाँ आ जाती हैं। खेतों में फसल लहराने लगते हैं। किसानों के लिए समय तो और भी खुशियाँ लानेवाला होता है। इसलिए कवि जयशंकर प्रसाद ने बरसात को सरस कहा है।

प्रश्न 5.
काव्य–सौन्दर्य स्पष्ट करें
पवन की प्राचीर में रुक,
जला जीवन जा रहा झुक,
इस झुलसते विश्व–वन की,
मैं कुसुम ऋतु राज रे मन !
उत्तर-
जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित यह पद्यांश छायावादी शैली का सबसे सुन्दर आत्मगान है। इसकी भाषा उच्च स्तर की है। इसमें संस्कृतनिष्ठ शब्दों का अधिक प्रयोग हुआ है। यह गद्यांश सरल भाषा में न होकर सांकेतिक भाषा में प्रयुक्त है। प्रकृति का रोचक वर्णन इस पद्यांश में किया गया है। इसमें रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है। जैसे–विश्व–वन (वनरूपी विश्व)। इसमें अनुप्रास अलंकार का भी प्रयोग हुआ है। अनुप्रास अलंकार के कारण पद्यांश में अद्भुत सौन्दर्य आ गया है। देखिए

पवन की प्राचीर में रुक
जला जीवन जा रहा झुक।

प्रश्न 6.
“सजल जलजात” का क्या अर्थ है?
उत्तर-
‘सजल जलजात’ का अर्थ जल भरे (रस भरे) कमल से है। मानव–जीवन आँसुओं का सराबोर है। उसमें पुरातन निराशारूपी बादलों की छाया पड़ रही है। उस चातकी सरोवर में आशा एक ऐसा जल से पूर्ण कमल है जिस पर भौरे मँडराते हैं और जो मकरंद (मधु) से परिपूर्ण है।

प्रश्न 7.
कविता का केन्द्रीय भाव क्या है? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता आधुनिक काल के सर्वश्रेष्ठ कवि जयशंकर प्रसाद द्वारा विरचित है। प्रस्तुत कविता में कवि ने जीवन रहस्य को सरल और सांकेतिक भाषा में सहज ही अभिव्यक्त किया है।

कवि कहना चाहता है कि र मन, इस तूफानी रणक्षेत्र जैसे कालाहलपूर्ण जीवन में मैं हृदय की आवाज के समान हूँ। कवि के अनुसार भीषण कोलाहल कलह विज्ञान है तथा शान्त हृदय के भीतर छिपी हुई निजी बात आशा है।

कवि कहता है कि जब नित्य चंचल रहनेवाली चेतना (जीवन क कार्य–व्यापार से) विकल होकर नींद के पल खोजती है और थककर अचेतन–सी होने लगती है, उस समय में नींद के लिए विकल शरीर को मादक और स्पर्शी सुख मलयानिल के मंद झोंके के रूप में आनन्द के रस की बरसात करता हूँ।

कवि के अनुसार जब मन चिर–विषाद में विलीन है, व्यथा का अन्धकार घना बना हुआ है, तब मैं उसके लिए उषा–सी ज्योति रेखा हूँ, पुष्पं के समान खिला हुआ प्रात:काल हूँ अर्थात् कवि का दुःख में भी सुख की अरुण किरणें फूटती दिख पड़ती हैं।

कवि के अनुसार जीवन मरुभूमि की धधकती ज्वाला के समान है जहाँ चातकी जल के कण प्राप्ति हेतु तरसती है। इस दुर्गम, विषम और ज्वालामय जीवन में भी (श्रद्धा) मरुस्थल की वर्षा के समान परम सुख का स्वाद चखानेवाली हूँ। अर्थात् आशा की प्राप्ति से जीव में मधु–रस की वर्षा होने लगती है।

कवि को अभागा मानव–जीवन पवन की परिधि में सिर झुकाये हुए रूका हुआ–सा प्रतीत होता है। इस प्रकार जिनका सम्पूर्ण जीवन–झुलस रहा हो ऐसे दुःख दग्ध लोगों को आशा वसन्त
की रात के समान जीवन को सरस बनाकर फूल–सा खिला देती है।

कवि अनुभव करता है कि जीवन आँसुओं का सरोवर है, उसमें निराशारूपी बादलों की छाया पड़ रही है। उस हाहाकारी सरोवर में आशा ऐसा सजल कमल है जिस पर भौरे मँडराते हैं जो मकरन्द से परिपूर्ण है। आशा एक ऐसा चमत्कार है जिससे स्वप्न भी सत्य हो जाता है।

प्रश्न 8.
कविता में विषाद’ और ‘व्यथा’ का उल्लेख है, वह किस कारण से है? अपनी कल्पना से उत्तर दीजिए।
उत्तर-
प्रसाद लिखित ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता के द्वितीय पद में ‘विषाद’ और ‘व्यथा’ का उल्लेख है। कवि के अनुसार संसार की वर्तमान स्थिति कोलाहलपूर्ण है। कवि संसार की वर्तमान कोलाहलपूर्ण स्थिति से क्षुब्ध है। इससे मनुष्य का मन चिर–विषाद में विलीन हो जाता है। मन में घुटन महसूस होने लगती है। कवि अंधकाररूपी वन में व्यथा (दु:ख) का अनुभव करता है। सचमुच, वर्तमान संसार में सर्वत्र विषाद एवं ‘व्यथा’ ही परिलक्षित होता है।

प्रश्न 9.
यह श्रद्धा का गीत है जो नारीमात्र का गीत कहा जा सकता है। सामान्य जीवन में पारियों की जो भमिका है, उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि कविता में कही गई बातें उस पर घटित होती हैं? विचार कीजिए और गृहस्थ जीवन में नारी के अवदान पर एक छोटा निबंध लिखिए।
उत्तर-
‘तुमुल कोलाहल कलह में छायावादी कवि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित “कामायनी” काव्य का एक अंश है। इस अंश में महाकाव्य की नायिका श्रद्धा है, जो वस्तुतः स्वयं कामायनी है। इसमें श्रद्धा आत्मगान प्रस्तुत करती है। यह आत्मगीत नारीमात्र का गीत है। इस गान में श्रद्धा विनम्र स्वाभिमान भरे स्वर में अपना परिचय देती है। अपने सत्ता–सार का व्याख्यान करती है।

इस गीत में कवि ने सामान्य जीवन में नारियों की जो भूमिका है उसे देखते हुए यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि कविता में कही गई बातें उन पर घटित होती हैं। कवि का यह सोच सही है। नारी वस्तुतः विश्वासपूर्ण आस्तिक बुद्धि का प्रतीक है। नारी के जीवन से विकासगामी ज्ञान एवं आत्मबोध प्राप्त होता है।

गृहस्थ जीवन में नारी के अवदान अतुलनीय है। गृहस्थ जीवन में नारी की भूमिका महत्वपूर्ण है। जब पुरुष का मन कोलाहलपूर्ण वातावरण में चेतनाशून्य हो जाता है और जब वह शान्ति की नींद चाहता है तब नारी मलय पर्वत से चलनेवाली सुगन्धित हवा बनकर पुरुष के चंचल मन को आनन्द प्रदान करती है। जब पुरुष जीवन के चिर–विषाद में विलीन होकर घुटन महसूस करने लगता है एवं व्यथा के अंधकार में भटकने लगता है तब नारी सूर्य की ज्योतिपुंज के समान पथ–प्रदर्शक बनकर पुष्प के समान जीवन को आनन्दित कर देती है।

जब पुरुष के मन में मरुभूमि की ज्वाला धधकती है तब नारी सरस बरसात बनकर पुरुष जीवन में रस की वर्षा करने लगती है। जब पुरुष सांसारिक जीवन में झुलसने लगती है तब नारी आशा रूपी वसंत की रात के समान सुख की आँचल बन जाती है। इतना ही नहीं, जब मानव, जीवन पुरातन निराशारूपी बादलों से घिर जाता है तब नारी चातकी सरोवर में श्रद्वारूपी एक ऐसा सजल कमल है जिसपर भौरे मँडराते हैं। इस प्रकार गृहस्थ जीवन में नारी की भूमिका बहुआयामी है।

प्रश्न 10.
इस कविता में स्त्री को प्रेम और सौन्दर्य का स्रोत बताया गया है। आप अपने पारिवारिक जीवन के अनुभवों के आधार पर इस कथन की परीक्षा कीजिए।
उत्तर-
प्रसादजी के काव्यों में प्रेम और सौन्दर्य का चित्रण किया गया है। ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता में कवि ने स्त्री को प्रेम और सौन्दर्य का स्रोत बताया है। कवि का कथन सही है जब पुरुष सांसारिक उलझनों से उबकर घर आता है तो स्त्री शीतल पवन का रूप धारण कर जीवन को शीतलता प्रदान करती है। व्यथा एवं विषाद में स्त्री–पुरुष की सहायता करती है।

तुमुल कोलाहल कलह में भाषा की बात

प्रश्न 1.
पठित कविता के संदर्भ में प्रसाद की काव्यभाषा पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
जयशंकर प्रसाद छायावादी कवि हैं तथा उनके काव्य में प्रेम और सौन्दर्य का चित्रण है। पठित कविता ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ की काव्यभाषा छायावादी है। प्रस्तुत कविता में मानव–जीवन में प्रेम और सौन्दर्य का चित्रण है। प्रकृति–सौन्दर्य का गुण भी इसमें मिलता है। नारी की गरिमा का वर्णन बड़ा ही सुन्दर ढंग से किया गया है। कविता में रस, छन्द, अलंकार आदि का प्रयोग हुआ है। इसमें रूपक अलंकार की प्रधानता है।

प्रश्न 2.
कविता से रूपक अलंकार के उदाहरण चुनें।
उत्तर-
जहाँ गुण का अत्यन्त समानता के कारण उपमेय पर उपमान का आरोप किया जाय, वहाँ रूपक अलंकार होता है। यह आरोप कल्पित होता है। इसमें उपमेय और उपमान में अभिन्नता होने पर भी दोनों साथ–साथ विद्यमान रहते हैं, यथा चिर–विषाद विलीन मन की। यहाँ चिर (उपमेय) पर विषाद (उपमान) का आरोप है। उसी प्रकार निम्न पंक्तियों में रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है जहाँ मरु–ज्वाला, धधकती, इस झुलसते विश्व–वन की, चिर–निराशा नीरधर से, मैं सजल जलजात रे मन।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों से विशेषण बनाएँ कुसुम, हृदय, व्यथा, बरसात, विश्व, दिन, रेखा।
उत्तर-

  • शब्द – विशेषण
  • कुसुम – कुसुमित
  • हृदय – हृदयी
  • व्यथा – व्यथित
  • बरसात – बरसाती
  • विश्व – वैश्विक
  • दिन – दैनिक
  • रेखा – रैखिक

तुमुल कोलाहल कलह में कवि परिचय जयशंकर प्रसाद (1889–1937)

जयशंकर प्रसाद का जन्म 1889 ई. में वाराणसी में ‘सुंघनी साहू’ परिवार में हुआ। इनके पिता देवी प्रसाद साहू के यहाँ साहित्यकारों को बड़ा सम्मान मिलता था। प्रसाद ने आठवीं कक्षा तक की शिक्षा क्वींस कॉलेज से प्राप्त की, परन्तु परिस्थितियों से मजबूर होकर उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा तथा घर पर ही संस्कृत, फारसी, उर्दू और हिन्दी का अध्ययन किया। किशोरावस्था में ही माता–पिता तथा बड़े भाई का देहान्त हो जाने के कारण परिवार व्यापार का उत्तरदायित्व इन्हें सम्हालना पड़ा, जिसे इन्होंने हँसते–मुस्कुराते हुए संभाला। उनका जीवन संघर्षों और कष्टों में बीता।

पर साहित्य–सृजन और साहित्य–अध्ययन के प्रति वे सदैव जागरूक रहे। सन् 1937 में इनका देहावसान हुआ। जयशंकर प्रसाद हिन्दी के बहुमूखी प्रतिभा सम्पन्न साहित्यकार हैं। वे कवि, नाटककार, कहानीकार तथा उपन्यासकार के रूप में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। उन्हें हिन्दी को रवीन्द्र कहा जाता है। चित्रधारा, काननकुसुम, प्रेमपथिक, महाराणा की महत्त्व, झरना, लहर, आँसू तथा कामायनी उनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ हैं।

‘कामायनी’ जयशंकर प्रसाद का महाकाव्य है। यह छायावाद की ही नहीं, आधुनिक हिन्दी काव्य की अमूल्य निधि है। प्रसाद के नाटक हैं–विशाख, अजातशत्रु, स्कन्दगुप्त, ध्रुवस्वामिनी, चन्द्रगुप्त आदि। कंकाल, तिली, इरावती (अधूरा) इनके उपन्यास हैं। छाया, आँधी, प्रतिध्वनि, इन्द्रजाल तथा आकाशदीप इनके पाँच कहानी–संग्रह हैं।

जयशंकर प्रसाद के काव्य की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं। वे छायावादी कवि हैं तथा उनके काव्य में प्रेम और सौन्दर्य का चित्रण है। प्रकृति–सौन्दर्य के भी वे अद्भुत चितेरे हैं। नारी की गरिमा उनके काव्यों और नाटकों में अंकित है। रहस्य भावना भी कहीं–कहीं झलकती है। उनका महाकाव्य ‘कामायनी’ मानवता के विकास की कथा प्रस्तुत करता है। प्रसाद के काव्य के वस्तु–पक्ष (भाव पक्ष) की भाँति उनके काव्य का कला–पक्ष भी सशक्त है। खड़ीबोली को साहित्यिक सौष्ठव प्रदान करने में उनका योगदान प्रशंसनीय है। रस, छन्द, अलंकार आदि का रणमीयता में उनका काव्य है। समग्रतः प्रसाद आधुनिक काव्य का सर्वश्रेष्ठ कवि हैं।

तुमुल कोलाहल कलह में कविता का सारांश

प्रस्तुत कविता ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता में छायावाद के आधार कवि श्री जयशंकर प्रसाद के कोलाहलपूर्ण कलह के उच्च स्तर (शोर) से व्यथित मन की अभिव्यक्ति है। बिन्दु कवि निराश तथा हतोत्साहित नहीं है।. कवि संसार की वर्तमान स्थिति से क्षुब्ध अवश्य हैं किन्तु उन विषमताओं एवं समस्याओं में भी उन्हें आशा की किरण दृष्टिगोचर होती है। कवि की चेतना विकल होकर नींद के पूल को ढूँढ़ने लगती है उस समय वह थकी–सी प्रतीत होती है किन्तु चन्दन की सुगन्ध से सुवासित शीतल पवन उसे संबल के रूप में सांत्वना एवं स्फूर्ति प्रदान करती है।

दुःख में डूबा हुआ अंधकारपूर्ण मन जो निरन्तर विषाद से परिवेष्टित है, प्रात:कालीन खिले हुए पुष्पों के सम्मिलन (सम्पर्क) से उल्लसित हो उठा है। व्यथा का घोर अन्धकार समाप्त हो गया है। कवि जीवन की अनेक बाधाओं एवं विसंगतियों का भुक्तभोगी एवं साक्षी है। कवि अपने कथन की सम्पुष्टि के लिए अनेक प्रतीकों एवं प्रकृति का सहारा लेता है यथा–मरु–ज्वाला, चातकी, घाटियाँ, पवन को प्राचीर, झुलसावै विश्व दिन, कुसुम ऋतु–रत, नीरधर, अश्रु–सर, मधु, मरन्द–मुकलित आदि।

इस प्रकार कवि ने जीवन के दोनों पक्षों का सूक्ष्म विवेचन किया है। वह अशान्ति, असफलता, अनुपयुक्तता तथा अराजकता से विचलित नहीं है।

पदों का भावार्थ 1.
तुमुल कोलाहल कलह में
मैं हृदय की बात रे मन !
विकल होकर नित्य चंचल,
चेतना थक सी रही तब,
खोजती जब नींद के पल;
मैं मलय की बात रे मन।

व्याख्या–प्रस्तुत व्याख्येय पंक्तियाँ छायावाद के आधारस्तम्भ महाकवि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘तमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता से उद्धृत हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में कवि कहना चाहता है कि इस तूफानी कोलाहल पूर्ण वातावरण में मैं हृदय का सच्चा मार्गदर्शक हूँ। व्याकुल होकर मन जब थककर चंचल चेतनाशून्य अवस्था में पहुँचकर नींद की आगोश में समाना चाहता है, ऐसे विषादपूर्ण समय में मैं चन्दन के सुगन्ध में सुवासित हवा बनकर चंचल मन को सांत्वना तथा आनंद प्रदान करता हूँ। इस प्रकार कवि को अवसाद एवं अशान्तिपूर्ण वातावरण में भी उज्ज्वल भविष्य सहज ही दृष्टिगोचर होता है।

2. चिर–विषाद विलीन मन की
इस व्यथा के तिमिर वन की;
मैं उषा सी ज्योति रेखा,
कुसुम विकसित प्रात रे मन !

व्याख्या–प्रस्तुत व्याख्येय पंक्तियाँ आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रणेता कवि शिरोमणि जयशंकर प्रसाद द्वारा विरचित ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता से उद्धृत हैं।

प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहता है जब मनुष्य चिर–विषाद में विलीन होकर घुटन महसूस करने लगता है, व्यथा रूपी अन्धकार में भटकने लगता है उस समय मैं श्रद्धा अर्थात् आशा उसके लिए सूर्य की ज्योतिपुंज के समान पथ प्रदर्शक तथा प्रस्फुटित पुष्प के समान जीवन को आनन्दित करती हूँ।

3. जहाँ मरु ज्वाला धधकती,
चातकी कन को तरसती;
उन्हीं जीवन घाटियों की,
मैं सरस बरसात रे मन !

व्याख्या–प्रस्तुत व्याख्येय पंक्तियाँ छायावाद के प्रवर्तक कवि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता से उद्धृत हैं।

प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि जहाँ मरुभूमि की ज्वाला धधकती है और चातकी जल के कण को तरसती है उन्हीं जीवन की घाटियों में मैं (आशा) सरस बरसात बन जाती है। कवि का भाव है कि जिन लोगों का जीवन मरुस्थल की सूखी घाटी के समान दुर्गम, विषम और ज्वालामय हो गया है, जहाँ चित्त चातकी को एक कण भी सुख का जल नहीं मिला हो उन्हें आशा की एक किरण मात्र मिल जाने से जीवन में रस की वर्षा होने लगती है।

4. पवन की प्राचीर में रुक,
जला जीवन जा रहा झुक;
इस झुलसते विश्व–वन की,
मैं कुसुम ऋतु राज रे मन !

व्याख्या–प्रस्तुत व्याख्येय पंक्तियाँ महाकवि जयशंकर प्रसाद द्वारा विरचित ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता से उद्धृत हैं।

प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहता है कि जिन्हें इस अभागा मानव–जीवन ने झुलसा डाला है और जिन्हें सांसारिक अग्नि से भागने का भी कोई उपाय नहीं है, ऐसे दु:ख–दग्ध लोगों को मैं आशारूपी वसंत की रात के समान सुख की आँचल हूँ। उनके झुलसे मन को हरा–भरा बना कर फूल–सा खिला देती हूँ।

5. चिर निराशा नीरधर से,
प्रतिच्छायित अश्रु सर में;
मधुप मुखर मरन्द–मुकुलित,
मैं सजल जलजात रे मन !

व्याख्या–प्रस्तुत व्याख्येय पंक्तियाँ छायावाद के प्रवर्तक महाकवि जयशंकर प्रसाद द्वारा विरचित ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ शीर्षक कविता से उद्धत हैं। प्रस्तुत पंक्तियों में प्रेम, देश–प्रेम, मानवता, प्रकृति सौन्दर्य और करुणा के अद्भुत चितेरे कवि शिरोमणि जयशंकर प्रसाद कहना चाहते हैं कि मानव जीवन आँसुओं का सरोवर है। उसमें पुरातन निराशारूपी बादलों की छाया पड़ रही है। उस चातकी सरोवर में आशा एक ऐसा सजल कमल है जिस पर भौरे मँडराते हैं और जो मकरन्द से परिपूर्ण हैं। कवि की इन पंक्तियों में हृदय की अनुभूति, संगीत मधुरिमा, कला की विद्ग्धता सहज ही दृष्टिगोचर होती है।

Bihar Board Class 11 History Solutions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य

Bihar Board Class 11 History Solutions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 History Solutions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य

Bihar Board Class 11 History तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य Textbook Questions and Answers

 

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
यदि आप रोम साम्राज्य में रहे होते तो कहाँ रहना पसंद करते-नगरों में या ग्रामीण क्षेत्र में? कारण बताइये।
उत्तर:
यदि मैं रोम साम्राज्य में रह रहा होता तो मैं नगरों में रहना पसंद करता। इसके तीन कारण हैं –

  1. नगरों में अनाज की कोई कमी नहीं थी।
  2. अकाल के दिनों में भी ग्रामीण क्षेत्र की तुलना में नगरों में बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध थीं।
  3. नगरों में लोगों को उच्च मनोरंजन के साधन प्राप्त थे।

प्रश्न 2.
इस अध्याय में उल्लिखित कुछ छोटे शहरों, बड़े नगरों, समुद्रों और प्रान्तों की सूची बनाइए और उन्हें नक्शों पर खोजने की कोशिश किजिए ? क्या आप अपचे द्वारा बनायी गई सूची में संकलित किन्हीं तीन विषयों के बार में कुछ कह सकते हैं?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
कल्पना कीजिए कि आप रोम की एक गृहिणी हैं जो घर की जरूरत की वस्तुओं की खरीददारी की सूची बना रही हैं। अपनी सूची में आप कौन-सी वस्तुएँ शामिल करेंगी?
उत्तर:
गेहूँ, जौ, सेम, मसूर, दालें, जैतून का तेल, शराब आदि

प्रश्न 4.
आपको क्या लगता है कि रोमन सरकार ने चाँदी में मुद्रा को ढालना क्यों बंद किया होगा और वह सिक्कों के उत्पादन के लिए कौन-सी धातु का उपयोग करने लगे?
उत्तर:
चाँदी के सिक्के बनाने के लिए चाँदी स्पेन की गगनों से प्राप्त की जाती थी। परंतु ये खानें समाप्त हो चुकी थीं और सरकार के पास इसका भंडार खाली हो गया। इसलिए रोमन सरकार ने चाँदी के स्थान पर सोने के सिक्के चलाए।

प्रश्न 5.
अगर सम्राट् त्राजान भारत पर विजय प्राप्त करने में वास्तव में सफल रहे होते और रोमवासियों का इस देश पर अनेक सदियों तक कब्जा रहा होता, तो आप क्या सोचते हैं कि भारत वर्तमान समय के देश से किस प्रकार भिन्न होता?
उत्तर:
यदि भारत अनेक सदियों तक रोमवासियों के अधीन रहा होता, तो भारत वर्तमान समय के देश से निम्नलिखित दृष्टियों से भिन्न होता –

  1. भारत में लोकतंत्र के स्थान पर राजतंत्र होता।
  2. भारत में सोने के सिक्के प्रचलित होते।
  3. ग्रामीण क्षेत्र नगरों द्वारा शासित होता।
  4. ग्रामीण क्षेत्र राज्य के राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत होता।
  5. ईसाई धर्म देश का राजधर्म होत।
  6. मनोरंजन के मुख्य साधन सर्कस, थियेटर के तमाशे तथा जानवरों एवं तलवारबाजों की लड़ाइयाँ होती।
  7. देश में दास प्रथा प्रचलित होती।
  8. भारत का व्यापार देश के पक्ष में होता।

प्रश्न 6.
अध्याय को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसमें से रोमन समाज और अर्थव्यवस्था को आपकी दृष्टि में आधुनिक दर्शाने वाले आधारभूत अभिलक्षण चुनिए।
उत्तर:
समाज –

  • देश में स्वर्ण मुद्राएँ प्रचलित थीं।
  • द्वितीय श्रेणी के परिवारों की वार्षिक आय 1000-1500 पाउंड सोना थी।
  • सम्राट् अपनी मनमानी नहीं कर सकते थे।
  • नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए कानून का सक्रिय रूप से प्रयोग किया जाता था।
  • समाज में एकल परिवार की व्यापक रूप से चलन थी।

अर्थव्यवस्था –

  • साम्राज्य में बंदरगाहों, खानों, खादानों, ईंट-भट्ठों आदि की संख्या बहुत अधिक थी, परिणामस्वरूप देश का आर्थिक ढाँचा काफी मजबूत था।
  • रोमन साम्राज्य का व्यापार काफी विकसित था।
  • गैलिली में गहन खेती की जाती थी।
  • उत्पादकता का स्तर बहुत अधिक ऊँचा था।
  • जल-शक्ति से मिलें चलाने की प्रौद्योगिकी उन्नत थी।
  • साम्राज्य में सुगठित वाणिज्यिक तथा बैंकिंग व्यवस्था थी और धन का व्यापक रूप से प्रयोग होता था।

Bihar Board Class 11 History तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
रोम के सम्राट ऑगस्ट्स का शासनकाल किस बात के लिए जाना जाता था?
उत्तर:
रोम के सम्राट् ऑगस्ट्स का शासनकाल शांति के लिए जाना जाता था। इसका कारण यह था कि राज्य में शांति लंबे अतिरिक संघर्ष तथा सैनिक विजयों के बाद आई थी।

प्रश्न 2.
रोम के निकटवर्ती पूर्व से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
निकटवर्ती पूर्व से अभिप्राय भूमध्य के बिल्कुल पूर्व प्रदेश से है। इनमें सीरिया, फिलिस्तीन, अरब आदि प्रदेश शामिल थे।

प्रश्न 3.
दीनारियस क्या था? हेरॉड के राज्य से रोम को कितने दीनारियस की आय होती थी?
उत्तर:
दीनारियस रोम का एक चाँदी का सिक्का था जिसमें लगभग 4.5 ग्राम शुद्ध चाँदी होती थी। हेरॉड के राज्य से रोम को प्रति वर्ष 54 लाख दीनारियस की आय होती थी।

प्रश्न 4.
रोम की साम्राज्यिक प्रणाली में बड़े-बड़े शहरों का क्या महत्व था? रोम के तीन सबसे बड़े शहरों के नाम भी बताएँ।
उत्तर:
बड़े-बड़े शहर रोम की सामाजिक प्रणाली के मूल आधार थे। इन्हीं शहरों के माध्यम से सरकार ग्रामीण क्षेत्रों पर कर लगाती थी और वसूल करती थी। रोम के तीन बड़े शहर कार्थेन, सिकरिया तथा एटि36 थे।

प्रश्न 5.
सम्राट गैलीनस ने सत्ता को सैनेटरों के हाथ में जाने से रोकने के लिए क्या पग उठाए?
उत्तर:

  • गैलीनस ने नवोदित प्रांतीय शासक वर्ग को सुदृढ़ बनाया।
  • उसने सैनेटरों को सेना की कमान से हटा दिया और उनके द्वारा सेना में सेवा करने पर रोक लगा दी।

प्रश्न 6.
तीसरी शताब्दी के रोम में प्रांतीय सैनेटरों के बहुसंख्यक होने से क्या दो निष्कर्ष – निकाले जा सकते हैं?
उत्तर:

  • साम्राज्य में आर्थिक तथा राजनीतिक दृष्टि से इटली का पतन हो रहा था।
  • भूमध्य सागर के अधिक समृद्ध तथा शहरीकृत भागों में नये संभ्रांत वर्गों का उदय हो रहा था।

अर्थव्यवस्था –

  • साम्राज्य में बंदरगाहों, खानों, खादानों, ईंट-भट्ठों आदि की संख्या बहुत अधिक थी, परिणामस्वरूप देश का आर्थिक ढाँचा काफी मजबूत था।
  • रोमन साम्राज्य का व्यापार काफी विकसित था।
  • गैलिली में गहन खेती की जाती थी।
  • उत्पादकता का स्तर बहुत अधिक ऊँचा था।
  • जल-शक्ति से मिलें चलाने की प्रौद्योगिकी उन्नत थी।
  • साम्राज्य में सुगठित वाणिज्यिक तथा बैंकिंग व्यवस्था थी और धन का व्यापक रूप से प्रयोग होता था।

प्रश्न 7.
रोम साम्राज्य में कौन-कौन से प्रदेश शामिल थे?
उत्तर:
यूरोप का अधिकांश भाग, पश्चिमी एशिया तथा उत्तरी अफ्रीका का एक बहुत बड़ा भाग।

प्रश्न 8.
रोम के इतिहास की स्रोत-सामग्री को कौन-कौन से तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है?
उत्तर:

  • पाठ्य सामग्री।
  • प्रलेख अथवा दस्तावेज
  • भौतिक अवशेष

प्रश्न 9.
रोम तथा ईरान के साम्राज्यों को क्या चीज अलग करती थी?
उत्तर:
भूमि की एक संकरी पट्टी जिसके किनारे फरात नदी बहती थी। दोनों साम्राज्यों को अलग करती थी।

प्रश्न 10.
रोम तथा ईरान के साम्राज्यों के बीच कैसे संबंध थे?
उत्तर:
रोम तथा ईरान के लोग आपस में प्रतिद्वंदी थे। अपने इतिहास के अधिकांश काल में वे आपस में लड़ते रहे।

प्रश्न 11.
किस सागर को रोम साम्राज्य का हृदय माना जाता था? यह कहाँ से कहाँ तक फैला हुआ था?
उत्तर:
भूमध्यसागर को रोम साम्राज्य का हृदय माना जाता था। यह पश्चिम से पूरब तक स्पेन से लेकर सीरिया तक फैला हुआ था।

प्रश्न 12.
रोम साम्राज्य की उत्तरी दक्षिणी सीमाएँ क्या-क्या चीजें बनाती थीं?
उत्तर:
रोम साम्राज्य को उत्तरी सीमा राइन तथा डैन्यूब नदियाँ बनाती थीं। इसकी दक्षिणी सीमा सहारा नामक रेगिस्तान से बनती थी।

प्रश्न 13.
रोम साम्राज्य के प्रशासन के लिए किन दो भाषाओं का प्रयोग किया जाता था?
उत्तर:
लातिनी तथा यूनानी।

प्रश्न 14.
रोम साम्राज्य के संबंध में प्रिंसिपेट क्या था?
उत्तर:
प्रिंसिपेट वह राज्य था जो रोम के. प्रथम सम्राट् ऑगस्ट्स ने 27 ई. पू. में स्थापित किया था।

प्रश्न 15.
रोम के सम्राट ऑगस्ट्स को ‘प्रमुख नागरिक’ क्यों माना जाता था?
उत्तर:
रोम के सम्राट् ऑगस्ट्स को यह दर्शाने के लिए कि वह निरंकुश सम्राट् नहीं है, प्रमुख नागरिक माना जाता था। ऐसा सैनेट को सम्मान प्रदान करने के लिए किया जाता था।

प्रश्न 16.
किस साम्राज्य की सधेना बलात् भर्ती वाली थी? इससे क्या अभिप्राय था?
उत्तर:
फारस के राज्य की सेनाएँ बलात् भर्ती वाली थी। इसका अर्थ यह है कि राज्य के कुछ वयस्क पुरुषों को अनिवार्य रूप से सैनिक सेवा करनी पड़ती थी।

प्रश्न 17.
रोम साम्राज्य की सेना की कोई दो विशेषताएं बताएँ।
उत्तर:

  • रोम की सेना एक व्यावसायिक सेना थी, जिसमें प्रत्येक सैनिक को वेतन दिया जाता था।
  • प्रत्येक सैनिक को कम-से-कम 25 वर्ष तक सेवा करनी पड़ती थी।

प्रश्न 18.
(i) रोम के राजनीतिक इतिहास के प्रमुख खिलाड़ी कौन-कौन थे?
उत्तर:
राजा, अभिजात वर्ग और सेना।

(ii) रोम में सैनेट की सदस्यता का आधार क्या था?
उत्तर:
रोम में सैनेट की सदस्यता का आधार धन तथा पद प्रतिष्ठा थी।

प्रश्न 19.
गृह-युद्ध क्या होता है?
उत्तर:
गृह-युद्ध देश के भीतर दो गुटों में सशस्त्र संघर्ष होता है, जिसका उद्देश्य सत्ता हथियाना होता है।

प्रश्न 20.
सॉलिडस (Solidus) क्या था?
उत्तर:
सॉलिडस सम्राट् कॉस्टैनटाइन द्वारा चलाया गया कि सिक्का था। यह 4.5 ग्राम शुद्ध सोने का बना हुआ था।

प्रश्न 21.
रोमनवासियों की धार्मिक संस्कृति बहुदेववादी थी? कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  • रोमनवासी अनेक पंथों तथा उपासना पद्धतियों में विश्वास रखते थे।
  • उन्होंने हजारों मंदिर, मठ तथा देवालय बना रखे थे।

प्रश्न 22.
‘ईसाईकरण’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जिस प्रक्रिया द्वारा भिन्न-भिन्न जनसमूहों के बीच ईसाई धर्म को फैलाया गया, उसे ईसाईकरण कहते हैं। इस प्रक्रिया से ईसाई धर्म रोम का प्रमुख धर्म बन गया।

प्रश्न 23.
रोमोत्तर राज्य (Post Roman) क्या थे?
उत्तर:
540 के दशक में जर्मन मूल के समूहों ने पश्चिमी रोमन साम्राज्य के बड़े-बड़े प्रांतों पर अपना अधिकार कर लिया। इन प्रांतों में उन्होंने अपने राज्य स्थापित कर लिये। इसे रोमोत्तर राज्य कहा जाता है।

प्रश्न 24.
तीन सबसे महत्वपूर्ण रोमोत्तर राज्य कौन-कौन से थे?
उत्तर:

  • स्पेन में विसिगोथों का राज्य
  • गॉल में फ्रैंकों का राज्य
  • इटली में लोवाडौँ का राज्य

प्रश्न 25.
जस्टीनियन द्वारा इटली पर पुनः अधिकार का क्या परिणाम निकला?
उत्तर:
जस्टीनियन द्वारा इटली पर पुनः अधिकार से देश छिन्न-भिन्न हो गया। इस प्रकार लाहों के आक्रमण के लिए मार्ग तैयः हो गया।

प्रश्न 26.
किस घटना को ‘प्राचीन विश्व इतिहास की सबसे बड़ी राजनीतिक क्रांति’ कहा जाता है?
उत्तर:
अरब प्रदेश से शुरू होने वाले इस्लाम के विस्तार को।

प्रश्न 27.
सेंट ऑगस्टीन (354-430 ई.) कौन थे?
उत्तर:
सेंट ऑगस्टीन 396 ई. से अफ्रीका के हिप्पो नामक नगर के विषय थे। उन्हें चर्च – के बौद्धिक इतिहास में सर्वोच्च स्थान प्राप्त था।

प्रश्न 28.
दास-प्रजनन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
रोम में दास दंपतियों को अधिक-से-अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था। इसे दास प्रजनन कहा जाता है। इनके बच्चे भी बड़े होकर दास ही बनते थे।

प्रश्न 29.
वेतनभोगी श्रमिकों की तुलना में दास-श्रम महंगा क्यों पड़ता था?
उत्तर:
वेतनभोगी श्रमिकों को काम न होने पर हटाया जा सकता था। परंतु दास श्रमिकों को वर्ष भर रखना पड़ता था और उनका खर्च उठाना पड़ता था। इसीलिए दास श्रम महंगा पड़ता था।’

प्रश्न 30.
फ्रैंकिसेस अथवा सुगंधित राल (Resin) किस काम आती थी और कैसे प्राप्त की जाती थी?
उत्तर:
फ्रेंकिंसेस अधवा सुगंधित राल से धूप-अगरबती तथा इत्र बनाया जाता था। इसे बोसवेलिया के पेड़ से प्राप्त किया जाता था। इस पेड़ से रस लेकर उसे सुखा लिया जाता था और राल तैयार हो जाती थी।

प्रश्न 31.
सबसे उत्कृष्ट किस्म की राल कहाँ से आती थी?
उत्तर:
अरब प्रायद्वीप से।

प्रश्न 32.
ऐसे दो तरीकों का वर्णन कीजिए जिनकी सहायता से रोम के लोग अपने श्रमिकों पर नियंत्रण रखते थे?
उत्तर:
श्रमिक मुख्यतः दास होते थे। उन पर नियंत्रण रखने के लिए –

  • उन्हें जंजीरों में डाल कर रखा जाता था।
  • उन्हें दागा जाता था ताकि भागने अथवा छिपने पर उन्हें पहचाना जा सके।

प्रश्न 33.
रोमन सैनेटरों तथा नाइट वर्ग में एक समानता तथा एक असमानता बताइए।
उत्तर:
रोम सैनेटरों की तरह अधिकतर नाइट जमींदार होते थे। सैनेटरों के विपरीत कई नाइट जहाजों के स्वामी, व्यापारी तथा साहूकार भी होते थे।

प्रश्न 34.
रोमन साम्राज्य में ‘परवर्ती पुराकाल’ में होने वाले कोई दो धार्मिक परिवर्तन लिखिए।
उत्तर:

  • चौथी शताब्दी में सम्राट कॉस्टैनटाइन ने ईसाई धर्म को राजधर्म बना लिया।
  • सातवीं शताब्दी में इस्लाम धर्म का उदय हुआ।

प्रश्न 35.
रोमन साम्राज्य में जल-शक्ति का बड़े पैमाने पर प्रयोग किस क्षेत्र में और किन कामों के लिए किया जाता था?
उत्तर:
जल शक्ति से सोने और चांदी की खानों की खुदाई की जाती हैं और मिलें चलाई जाती थीं। इसका भूमध्य सागर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रयोग होता था।

प्रश्न 36.
सम्राट डायोक्लीशियन ने रोमन साम्राज्य के विस्तार को कम क्यों किया?
उत्तर:
सम्राट् डायोक्लीशियन ने अनुभव किया कि साम्राज्य के अनेक प्रदेशों का सामरिक अथवा आर्थिक दृष्टि से कोई महत्व नहीं है। इसलिए उसने इन प्रदेशों को छोड़ दिया।

प्रश्न 37.
सम्राट् डायोक्लीशियन द्वारा किए गए कोई चार प्रशासनिक सुधार लिखिए।
उत्तर:

  • डायोक्लीशियन ने साम्राज्य की सीमाओं पर किले बनवाए।
  • उसने प्रांतों का पुनर्गठन किया।
  • उसने सैनिक तथा असैनिक कार्यों को अलग-अलग कर दिया।
  • उसने सेनापतियों को अधिक स्वायत्तता प्रदान की।

प्रश्न 38.
पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य के किन्हीं चार सामाजिक वर्गों के नाम बताएँ।
उत्तर:

  • सैनेटर
  • अश्वारोही अथवा नाइट वर्ग
  • जनता का सम्मानीय वर्ग
  • दास

प्रश्न 39.
इतिहासकार टैसिटस के अनुसार रोमन समाज के कमीनकारू (प्लेब्स सोर्डिंडा) वर्ग में कौन लोग शामिल थे?
उत्तर:
इस वर्ग में फूहड़ तथा निम्नतर लोग शामिल थे जो सर्कस तथा थियेटर तमाशे देखने के आदी थे।

प्रश्न 40.
रोम साम्राज्य के संदर्भ में ‘नगर’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘नगर’ एक ऐसा शहरी केंद्र था जिसमे ‘अपने मेजिस्ट्रेट, नगर परिषद् तथा एक निश्चित राज्य क्षेत्र होता था। इसके अधिकार क्षेत्र में कई गाँव आते थे।

प्रश्न 41.
ईरान में सार्वजनिक-स्नान का विरोध क्यों हुआ?
उत्तर:
ईरान के पुरोहित वर्ग का मानना था कि सार्वजनिक स्नान से जल अपवित्र होता है। इसलिए उन्होंने इसका विरोध किया।

प्रश्न 42.
रोम साम्राज्य में शहरी लोगों को उच्च-स्तर के मनोरंजन उपलब्ध थे। एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
रोम के कैलेंडर से पता चलता है कि एक वर्ष में कम-से-कम 176 दिन थे जब वहाँ कोई न कोई मनोरंजन कार्यक्रम अवश्य होता था।

प्रश्न 43.
तीसरी शताब्दी में ईरान के किस वंश के शासकों तथा जर्मन मूल की किन जनजातियों ने रोम साम्राज्य आक्रमण किया?
उत्तर:
तीसरी शताब्दी में ईरान के सेसानी वंश के शासकों तथा जर्मन मूल की एलमन्नाइ और फ्रैंक जनजातियों ने रोम।

प्रश्न 44.
रोमन साम्राज्य की स्त्रियाँ कहाँ तक आत्मनिर्भर थीं?
उत्तर:

  1. रोम साम्राज्य की स्त्रियों को संपत्ति के स्वामित्व तथा संचालन में व्यापक कानूनी अधिकार प्राप्त थे।
  2. विवाहित महिला ही अपने पिता की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति की स्वतंत्र मालिक बन जाती थीं।
  3. तलाक लेना-देना सरल था।

प्रश्न 45.
‘ऍम्फोरा’ क्या थे? ये किस क्षेत्र में बनाए जाते थे?
उत्तर:
एम्फोरा एक प्रकार के मटके एवं कंटेनर होते थे। इनमें शराब, जैतून के तेल तथा अन्य तरल पदार्थों की धुलाई होती थी। ये भूमध्य सागरीय क्षेत्र में बनाए जाते थे।

प्रश्न 46.
रोमन साम्राज्य के चार घनी आबादी वाले प्रदेशों के नाम बताएँ। दो इटली के तथा दो मिस्र के लें।
उत्तर:

  • इटली में कैंपेनिया तथा सिसिली।
  • मिस्र में फैटयूम तथा गैलिली।

प्रश्न 47.
रोम में सबसे बढ़िया अंगूरी शराब तथा गेहूँ कहाँ-कहाँ से आता था?
उत्तर:
सबसे बढ़िया अंगूरी शराब कैंपेनिया (इटली) से तथा गेहूँ सिसिली (इटली) और बाइजैकियम (ट्यूनीशिया) से आता था।

प्रश्न 48.
ऋतु-प्रवास का क्या अर्थ है?
उत्तर:
चरावाहे ऋतुओं के अनुसार चरागाहों की खोज में अपने पशुओं का तथा अपना स्थान बदलते रहते हैं। इसे ऋतु-प्रवास कहते हैं।

प्रश्न 49.
मेरे तीन लेखकों के नाम बताओ जिनकी रचनाओं का प्रयोग यह बताने के लिए किया गया है कि रोम के लोग अपने कामगारों के साथ कैसा बर्ताव करते थे।
उत्तर:
कोलुमेल्ला, वरिष्ठ प्लिनी तथा ऑगस्टीन।

प्रश्न 50.
रोमन साम्राज्य में साक्षरता की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य के भिन्न भागों में साक्षरता दर भिन्न-भिन्न थी। सैनिकों, सैनिक अधिकारियों तथा संपदा प्रबंधकों में साक्षरता की दर अपेक्षाकृत अधिक थी।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
रोम साम्राज्य के राजनीतिक इतिहास के तीन मुख्य खिलाड़ी कौन-कौन थे? प्रत्येक के बारे में दो पंक्तियाँ लिखिए।
उत्तर:
रोम के राजनीतिक इतिहास के तीन मुख्य खिलाड़ी थे-सम्राट्, अभिजात वर्ग तथा सेना।
1. सम्राट – सम्राट् साम्राज्य का एकछत्र शासक था। परंतु उसे प्रमुख नागरिक कहा जाता था। ऐसा अभिजात वर्ग अथवा सैनेट के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए किया गया था। इसका उद्देश्य यह दर्शाना भी था कि सम्राट् निरंकुश शासक नहीं है।

2. अभिजात वर्ग – अभिजात वर्ग से अभिप्राय सैनेट से है। इसमें कुलीन तथा धनी परिवारों के सदस्य शामिल थे। गणतंत्र-काल में सत्ता पर इसी संस्था का नियंत्रण था। सम्राटों की परख उसके सैनेट के प्रति व्यवहार से की जाती थी। सैनेट के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने वाले सम्राट् को बुरा सम्राट् माना जाता था।

3. सेना – सम्राट् तथा सैनेट के पश्चात् सेना का स्थान था। यह एक व्यावसायिक सेना थी। इसमें प्रत्येक सैनिक को वेतन दिया जाता था। सेना में सम्राट् का भाग्य निर्धारित करने की शक्ति थी।

प्रश्न 2.
प्रांतों के बीच सत्ता का आकस्मिक अंतरण रोम के राजनीतिक इतिहास का एक अत्यंत रोचक पहलू रहा है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
दूसरी और तीसरी शताब्दियों के दौरान अधिकतर प्रशासक तथा सैनिक अधिकारी प्रांतीय वर्गों में से होते थे। उनका एक नया संभ्रांत वर्ग बन गया था। ग्रह वर्ग सैनेट के सदस्यों की तुलना में कहीं अधिक शक्तिशाली था क्योंकि इसे सम्राटों का समथन प्राप्त था। ज्यों-ज्यों यह नया समूह उभर कर सामने आया, सम्राट् गैलीनस (253-268) ने सैनेटरों को सैनिक, कमान से हटा कर इस नए वर्ग को सुदृढ़ बनाया। ऐसा कहा जाता है कि गैलीनस ने सैनेटरों को सेना में सेवा करने अथवा उस तक पहुँच रखने पर रोक लगा दी थी ताकि साम्राज्य का नियंत्रण उनके हाथों में चला जाए।

संक्षेप में, पहली शतादी के अंतिम चरण से तीसरी शताब्दी के प्रारंभिक चरण तथा सेना तक प्रशासन में अधिक से अधिक लोग प्रांतों से लिए जाने लगे क्योंकि उन क्षेत्रों के लोगों को भी नागरिकता मिल चुकी थी जो पहले इटली तक ही सीमित थे। परंतु सैनेट पर लगभग तीसरी शताब्दी तक इतालवी मूल के लोगों का ही प्रभुत्व बना रहा। इसके बाद प्रांतों से लिए गए सैनेटर बहुसंख्यक हो गए।

प्रश्न 3.
रोमन साम्राज्य में व्यापक सांस्कृतिक विविधता पाई जाती थी। कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
यह बात बिल्कुल सत्य है कि रोमन साम्राज्य में व्यापक सांस्कृतिक विविधता पाई जाती थी।

  • देश में धार्मिक संप्रदायों तथा स्थानीय देवी-देवाताओं में भरपूर विविधता थी।
  • बोलचाल की अनेक भाषाएँ प्रचलित थीं।
  • वेशभूषा की विविध शैलियाँ अपनाई जाती थीं।
  • लोग तरह-तरह के भोजन खाते थे।
  • सामाजिक संगठनों के रूप भिन्न-भिन्न थे।
  • उनकी बस्तियों के भी अनेक रूप थे।

प्रश्न 4.
परवर्ती काल में रोमन साम्राज्य की नौकरशाही के उच्च तथा मध्य वर्गों की आर्थिक दशा कैसी थी और क्यों?
उत्तर:
परवर्ती काल में रोम साम्राज्य की नौकरशाही के उच्च तथा मध्य वर्ग अपेक्षाकृत बहुत धनी थे। इसका मुख्य कारण यह था कि उन्हें अपना वेतन सोने के रूप में मिलता था। वे अपनी आय का बहुत बड़ा भाग जमीन आदि खरीदने में लगाते थे। इसके अतिरिक्त साम्राज्य में भ्रष्टाचार भी बहुत अधिक फैला हुआ था।

विशेष रूप से न्याय प्रणाली और सैन्य आपूर्ति के प्रशासन में। उच्च अधिकारी और गवर्नर लूट-खसोट और रिश्वत से खूब धन जुटाते थे। सरकार ने भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बारंबार हस्तक्षेप किया। इस संबंध में सरकार ने अनेक कानून बनाए, परंतु भ्रष्टाचार न रुक सका।

प्रश्न 5.
रोम के सम्राटों की तानाशाही पर किस प्रकार अंकुश लगा?
उत्तर:
रोमन राज्य तानशाही पर आधारित था। सम्राट तथा प्रशासन असहमति या आलोचना को सहन नहीं करता था। प्रायः सरकार विरोध का उत्तर हिंसा एवं दमन से देती। परंतु चौथी शताब्दी तक रोमन कानून की एक प्रबल परंपरा का उद्भव हो चुका था। इससे सर्वाधिक तानाशाह सम्राटों पर भी अंकुश लग गया था।

अब सम्राट अपनी मनमानी नहीं कर सकते थे। नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए कानून का सक्रिय रूप से प्रयोग किया जाता था। प्रभावशाली कानूनों के कारण चौथी शताब्दी के अंतिम दशकों में शक्तिशाली विशपों के लिए यह संभव हो गया कि यदि सम्राट् जन साधारण क प्रति कठोर या दमनकारी नीति अपनाए तो वे भी पूरी शक्ति से उनका सामना कर सकें।

प्रश्न 6.
रोम के संदर्भ में ‘नगर’ क्या था? वहाँ के नागरिक अथवा शहरी जीवन की कुछ विशेषताएँ भी बताएँ।
उत्तर:
रोम के संदर्भ में ‘नगर’ एक ऐसा शहरी केंद्र था, जिसके अपने मजिस्ट्रेट, नगर परिषद् और एक निश्चित राज्य-क्षेत्र होता था। उसके अधिकार क्षेत्र में गाँव आते थे। परंतु किसी भी नगर के अधिकार क्षेत्र में कोई दूसरा नगर नहीं हो सकता था। किसी नगर या गाँव दर्जा शाह की इच्छा पर निर्भर करता था। सम्राट् अपनी इच्छा से किसी गाँव का दर्जा बढ़ाकर उसे नगर का दर्जा दे सकता था। इसी प्रकार वह किसी नगर का दर्जा घटाकर उसे किसी गाँव का दर्जा भी दे सकता था।

शहरी जीवन की विशेषताएँ –

  • शहरों में खाने की कमी नहीं होती थीं।
  • अकाल के दिनों में भी नगर में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में बेहतर सुविधाएँ प्राप्त होने की संभावना रहती थी।
  • शहरी लोगों को उच्च-स्तर के मनोरंजन उपलब्ध थे। उदाहरण के लिए कैलेंडर से हमें पता चलता है कि एक वर्ष में कम-से-कम 176
  • दिन वहाँ कोई-न-कोई मनोरंजक कार्यक्रम अथवा प्रदर्शन अवश्य होते थे।

प्रश्न 7.
उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि तीसरी शताब्दी में रोम साम्राज्य को काफी तनाव का सामना करना पड़ा।
उत्तर:
तीसरी शताब्दी में रोम साम्राज्य को काफी तनाव का सामना करना पड़ा। यह बात निम्नलिखित उदाहरणों से स्पष्ट हो जाएगी –
1. 225 ई. में ईरान में एक अत्यधिक आक्रामक वंश उभर कर सामने आया। इस वंश के लोग स्वयं को ‘ससानी’ कहते थे। केवल 15 वर्षों के भीतर ही वह तेजी से फरात की दिशा में फैल गया। एक प्रसिद्ध शिलालेख से पता चलता है कि इस वंश के शासक शापुर प्रथम ने 60,000 रोमन सेना का सफाया कर दिया था। उसने रोम साम्राज्य की पूर्वी राजधानी एटिऑक पर भी अधिकार कर लिया।

2. इसी बीच जर्मन मूल की कई जनजातियों ने राइन तथा डैन्यूब नदी की सीमाओं की ओर बढ़ना आरंभ कर दिया। 233 से 280 ई. के दौरान काला सागर से लेकर आल्पस और दक्षिणी जर्मनी तक फैले प्रांतों की पूरी सीमा पर बार-बार आक्रमण हुए। अतः रोमवासियों को डैन्यूब से आगे का क्षेत्र छोड़ने के लिए विवश होना पड़ा।

प्रश्न 8.
यूनान और रोमवासियों की पारंपरिक धार्मिक संस्कृति बहुदेववादी थी। उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  • ये लोग भिन्न – भिन्न पंथों तथा उपासना पद्धतियों में विश्वास रखते थे।
  • जूपिटर, जूनो, मिनवां और मॉर्स जैसे रोमन इतालवी देवों की पूजा करते थे। इनके अतिरिक्त उनमें यूनानी तथा पूर्वी देवी-देवताओं की पूजा भी प्रचलित थी।
  • उन्होंने साम्राज्य भर में हजारों मंदिर, मठ और देवालय बनाए हुए थे। ये बहुदेवोवादी स्वयं को किसी एक नाम से नहीं पुकारते थे।
  • रोमन साम्राज्य का एक अन्य बड़ा धर्म बददी धर्म था।
  • परवर्ती पुराकाल में इस धर्म में भी अनेक विविधताएँ पाई जाती थीं।
  • इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि यूनान और रोमवासियों की पारंपिकर धार्मिक संस्कृति बहुदेववादी थी।

प्रश्न 9.
रोम साम्राज्य के पतन की प्रक्रिया का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
रोम साम्राज्य के पतन की प्रक्रिया पश्चिम से आरंभ हुई। साम्राज्य का पश्चिमी भाग बाहरी आक्रमणों के कारण विखंडित हो गया। वे आक्रमण उत्तर की ओर से जर्मन मूल के समूहों ने किए थे। उन्होंने साम्राज्य के सभी बड़े प्रांतों को अपने अधिकार में ले लिया और अपने-अपने राज्य स्थापित कर लिए। इनमें से सबसे महत्त्वपूर्ण राज्य थे-स्पेन में विसिगोधों का राज्य, गॉल में फ्रैंकों का राज्य तथा इटली में लोंबार्डो का राज्य।

शहरी जीवन की विशेषताएँ –

  • शहरों में खाने की कमी नहीं होती थीं।
  • अकाल के दिनों में भी नगर में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में बेहतर सुविधाएँ प्राप्त होने की संभावना रहती थी।
  • शहरी लोगों को उच्च-स्तर के मनोरंजन उपलब्ध थे। उदाहरण के लिए कैलेंडर से हमें पता चलता है कि एक वर्ष में कम-से-कम 176 दिन वहाँ कोई-न-कोई मनोरंजक कार्यक्रम अथवा प्रदर्शन अवश्य होते थे।

533 ई. में सम्राट जस्टीनियन ने अफ्रीका को बैंडलों के अधिकार से मुक्त करवा लिया। उसने इटली को भी मुक्त करा कर उस पर फिर से अधिकार कर लिया। परंतु इटली पर पुनः अधिकार से देश को क्षति पहुँची क्योंकि इससे देश छिन्न-भिन्न हो गया और लॉबाडों के आक्रमणों का मार्ग प्रशस्त हो गया।

सातवीं शताब्दी के प्रारंभिक दशकों तक रोम और ईरान के बीच भी फिर से लड़ाई छिड़ गई। ईरान के ससानी शासकों ने मिस्त्र सहित सभी विशाल पूर्वी प्रांतों पर आक्रमण किए। भले ही बाईजेंटियस (रोम साम्राज्य का तत्कालीन शासक) ने 620 के दशक में इन प्रांतों को फिर से अधिकार में ले लिया। तो भी कुछ ही वर्ष बाद साम्राज्य को दक्षिण-पूर्व की ओर से एक बहुत ही जोरदार धक्का लगा जो साम्राज्य के लिए घातक सिद्ध हुआ। पूर्वी रोमन और ससानी दोनों राज्यों के बड़े-बड़े भाग भीषण युद्ध के बाद अरबों के अधिकार में आ गए । इस प्रकार रोम साम्राज्य का पूरी तरह पतन हो गया।

प्रश्न 10.
रोम के इतिहास के मुख्य स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोम के इतिहास के स्रोतों को तीन वर्गों में विभाजित किया जा सकता है –

  • पाठ्य सामग्री
  • प्रलेख या दस्तावेज
  • भौतिक अवशेष

1. पाठ्य सामग्री – इसमें समकालीन व्यक्तियों द्वारा लिखा गया उस काल का इतिहास, पत्र, व्याख्यान, प्रवचन, कानून आदि शामिल हैं। समकालीन व्यक्तियों द्वारा लिखे गए इतिहास को वर्ष वृत्तांत कहा जाता है, क्योंकि यह प्रति वर्ष लिखा जाता था।

2. प्रलेख या दस्तावेज – दस्तावेजों में मुख्य रूप से उत्कीर्ण अभिलेख, पैपाइरस तथा पत्तों आदि पर लिखी गई पांडुलिपियाँ शामिल हैं। उत्कीर्ण अभिलेख प्रायः पत्थर की शिलाओं पर खोदे जाते थे। इसलिए वे नष्ट नहीं हुए और बहुत बड़ी संख्या में यूनानी तथा लातिनी भाषाओं में पाए गए हैं।

3. भौतिक अवशेष – भौतिक अवशेषों में अनेक प्रकार की वस्तुएँ शामिल हैं। इन्हें पुरातत्वविदों ने खुदाई तथा क्षेत्र सर्वेक्षण द्वारा खोजा है। इनमें इमारतें, स्मारक, मिट्टी के बर्तन, सिक्क, पच्चीकारी का सामान तथा भू-दृश्य सम्मिलित हैं। इनमें से प्रत्येक स्रोत हमें रोम के अतीत के बारे में एक विशेष जानकारी देतक हैं।

प्रश्न 11.
रोमन साम्राज्य सांस्कृतिक दृष्टि से ईरान की तुलना में कहीं अधिक विविधतापूर्ण था। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ईरान पर पहले पार्थियाई तथा बाद में ससानी राजवंशों ने शासन किया। उनके द्वारा शासित लोग मुख्यतः ईरानी थे। इसके विपरीत रोमन साम्राज्य ऐसे क्षेत्रों तथा संस्कृतियों का एक मिलाजुला रूप था जो सरकार की एक साझी प्रणाली द्वारा एक-दूसरे के साथ जुड़ी हुई थी। साम्राज्य में अनेक भाषाएँ बोली जाती थी परंतु प्रशासन के लिए लातिनी तथा यूनानी भाषाओं का ही प्रयोग होता था। पूर्वी भाग के उच्चतर वर्ग यूनानी भाषा और पश्चिमी भाग के लोग लातिनी भाषा का प्रयोग करते थे। जो लोग साम्राज्य में रहते थे वे सभी एकमात्र शासक अर्थात् सम्राट् की प्रजा कहलाते थे, चाहे वे कहीं भी रहते हों और कोई भी भाषा बोलते हों। इसे स्पष्ट है कि रोमन साम्राज्य सांस्कृतिक दृष्टि से ईरान की तुलना में कहीं अधिक विविधतापूर्ण था।

प्रश्न 12.
रोमन साम्राज्य की गणतंत्र शासन-प्रणाली की संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में ‘गणतंत्र’ (रिपब्लिक) एक ऐसी शासन व्यवस्था थी जिसमें वास्तविक सत्ता ‘सैनेट’ नामक संस्था में निहित थी। सैनेट की सदस्यता जीवन भर चलती थी। इसके लिए धन और पद-प्रतिष्ठा को अधिक महत्व दिया जाता था। अत: सैनेट में धनी परिवारों के एक समूह का ही बोलबाला था जिन्हें अभिजात कहा जाता था। व्यावहारिक रूप में गणतंत्र अभिजात वर्ग की सरकार थी जिसका शासन सैनेट नामक संस्था के माध्यम से चलता था। गणतंत्र का शासन 509 ई. पू. से 27 ई. पू. तक चला। 27 ई. पू. में जूलियस सीजर के दत्तक पत्र तथा उत्तराधिकारी ऑक्टेवियन ने इसका तख्ता पलट दिया और सत्ता अपने हाथ में ले ली। वह ऑगस्ट्स नाम से रोम का सम्राट बन बैठा ।

प्रश्न 13.
रोम राज्य के संदर्भ में “प्रिंसिपेट’ से क्या अभिप्राय है? इसमें सम्राट तथा ‘सैनेट’ की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
प्रथम रोमन सम्राट् ऑगस्टस ने 27 ई.पू. में जो राज्य स्थापित किया था उसे ‘प्रिंसिपेट कहा जाता था। ऑगस्टस राज्य का एकछत्र शासक और सत्ता का वास्तविक स्रोत था। तो भी इस कल्पना को जीवित रखा गया कि वह केवल एक प्रमुख नागरिक’ है, न कि निरंकुश शासक। ऐसा ‘सैनेट’ को सम्मान देने के लिए किया गया था। सैनेट वह संस्था थी जिसका रोम के गणतंत्र शासनकाल में सत्ता पर नियंत्रण था। इस संस्था का अस्तित्व कई शताब्दियों तक बना रहा था।

इस संस्था में कुलीन तथा अभिजात वर्गों अर्थात् रोम के धनी परिवारों का प्रतिनिधित्व था। परंतु बाद में इसमें इतालवी मूल के जमींदारों को भी शामिल कर लिया गया था। सम्राटों की परख इस बात से की जाती थी कि वे सैनेट के प्रति किस प्रकार का व्यवहार करते हैं। सैनेट के सदस्यों के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने वाले सम्राटों को सबसे बुरा सम्राट माना जाता था। कई सैनेटर गणतंत्र-यग में लौटने के लिए तरसते थे। परंतु अधिकतर सैनेटरों को यह आभास हो गया था कि अब यह असंभव है।

प्रश्न 14.
रोम तथा ईरान के साम्राज्यों के विस्तार की जानकारी दीजिए।
उत्तर:
630 के दशक तक अधिकांश यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व के विशाल क्षेत्र में दो शक्तिशाली साम्राज्यों का शासन था। ये साम्राज्य रोम और ईरान के थे। उनके साम्राज्य एक-दूसरे के बिल्कुल पास थे। उन्हें भूमि की एक संकरी पट्टी अलग करती थी जिसके किनारे फरात नदी बहती थी। रोम साम्राज्य का विस्तार-रोम साम्राज्य का भूमध्यसागर और उसके आस-पास उत्तर तथा दक्षिण में स्थित सभी प्रदेशों पर प्रभुत्व था। उत्तर में साम्राज्य की सीमा दो महान् नदियाँ राइन तथा डन्यूब बनाती थीं। साम्राज्य की दक्षिणी सीमा सहारा नामक एक विस्तृत रेगिस्तान से बनती थी। इस प्रकार रोम साम्राज्य एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ था।

ईरान साम्राज्य का विस्तार-इस साम्राज्य में कैस्पियन सागर के दक्षिण से लेकर पूर्वी अरब तक का समस्त प्रदेश और कभी-कभी अफगानिस्तान के कुछ भाग भी शामिल थे। इन दो महान शक्तियों ने दुनिया के उस अधिकांश भाग को आपस में बांट रखा था। जिसे चीनी लोग ता-चिन अथवा (वृहत्तर चीन या पश्चिम) कहते थे।

प्रश्न 15.
पूर्ववर्ती रोम साम्राज्य में सेना की भूमिका का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोम में सम्राट और सैनेट के बाद सेना शासन की एक प्रमुख संस्था थी। रोम की सेना एक व्यावसायिक सेना थी। इसके प्रत्येक सैनिक को वेतन दिया जाता था। उसे कम-से-कम 25 वर्ष तक सेवा करनी पड़ती थी। सेना साम्राज्य में सबसे बड़ी एकल संगठित संस्था थी।

चौथी शताब्दी तक इसमें 6,00,000 सैनिक थे। सेना के पास निश्चित रूप से सम्राटों का भाग्य निर्धारित करने की शक्ति थी। सैनिक अधिक वेतन और अच्छी सेवा-शा के लिए लगातार आंदोलन करते रहते थे। कभी-कभी ये आंदोलन सैनिक विद्रोहों का रूप भी ले लेते थे। सैनेट सेना से घृणा करती थी और उससे डरती थी। इसका कारण यह था कि सेना हिंसा का स्रोत थी। सम्राटों की सफलता इस बात पर निर्भर करती थी कि वे सेना पर कितना नियंत्रण रख पाते थे। जब सेनाएं विभाजित हो जाती थीं तो इसका परिणाम सामान्यतः गृहयुद्ध होता था।

प्रश्न 16.
प्रथम दो शताब्दियों में साम्राज्य के और अधिक विस्तार के प्रति रोमन सम्राटों की क्या नीति रही?
उत्तर:
प्रथम दो शताब्दियों में साम्राज्य का विस्तार और अधिक करने के प्रयत्न कम ही हुए। ऑगस्टस से टिवरियस को मिला साम्राज्य पहले ही इतना लंबा-चौड़ा था कि इसमें और अधिक विस्तार करना अनावश्यक लगता था। उसने पहले ऑगस्टस का शासन काल शांति के लिए याद किया जाता है क्योंकि इस शांति का आगमन दशकों तक चले आंतरिक संघर्ष और सदियों की सैनिक विजयों के पश्चात् हुआ था।

साम्राज्य के प्रारंभिक विस्तार के लिए पहला अभियान सम्राट त्राजान ने 113-117 ईस्वी में चलाया। उसने फरात नदी के पार के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार रोम साम्राज्य स्कॉटलैंड से आमिनिया तक तथा सहारा से फरात नदी के पार तक फैल गया। परंतु त्राजान के उत्तराधिकारियों को यह विस्तार निरर्थक लगा। अतः उन्होंने इन क्षेत्रों को छोड़ दिया।

प्रश्न 17.
पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य के प्रांतीय तथा स्थानीय शासन का क्या महत्व था?
उत्तर:
प्रांतीय शासन – पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य की एक विशेष उपलब्धि यह थी कि रोमन साम्राज्य के प्रत्यक्ष शासन का क्रमिक रूप से काफी विस्तार हुआ। इसके लिए अनेक आश्रित राज्यों को रोम के प्रांतीय राज्य क्षेत्र में शामिल कर लिया गया। निकटवर्ती पूर्व ऐसे राज्यों से भरा पड़ा था। दूसरी शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों तक फरात नदी के पश्चिम में स्थित राज्यों को भी रोम द्वारा हड़प लिया गया ये अत्यंत समृद्ध थे! वास्तव में, इटली को छोड़कर साम्राज्य के सभी क्षेत्र प्रांतों में बंटे हुए थे और उनसे कर वसूला जाता था।

स्थानीय शासन – संपूर्ण साम्राज्य में दूर-दूर तक अनेक नगर स्थापित किए गए थे। इनके माध्यम से समस्त साम्राज्य पर नियंत्रण रखा जाता था। भूमध्यसागर के तटों पर स्थित बड़े शहरी केंद्र साम्राज्यिक प्रणाली के मूल आधार थे। इन्हीं शहरों के माध्यम – ‘सरकार’ प्रांतीय ग्रामीण क्षेत्रों पर कर लगाती थी और उसे वसूल करती थी। ये कर साम्राज्य की धन संपदा का मुख्य स्रोत थे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
परवर्ती पुराकाल से क्या अभिप्राय है? इस अवधि में रोमन साम्राज्य में कौन-कौन से धार्मिक तथा प्रशासनिक परिवर्तन हुए?
उत्तर:
‘परवर्ती पुराकाल’ शब्द का प्रयोग रोम साम्राज्य के लिए तथा चौथी से सातवीं शताब्दी के इतिहास के लिए किया जाता था। यह अवधि अनेक सांस्कृतिक और आर्थिक हलचलों से परिपूर्ण थी। इस काल में रोमन साम्राज्य में निम्नलिखित धार्मिक तथा प्रशासनिक परिवर्तन हुए –

(a) धार्मिक परिवर्तन –

  • चौथी शताब्दी में सम्राट् कॉन्स्टैनटाइन ने ईसाई धर्म को राज धर्म बना दिया इसके बाद राज्य का तेजी से ईसाईकरण होने लगा।
  • सातवीं शताब्दी में इस्लाम का उदय हुआ। यह धर्म भी बड़ी तेजी से लोकप्रिय हुआ।

(b) प्रशासनिक परिवर्तन-राज्य के प्रशासनिक ढाँचे में भी महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। ये परिवर्तन सम्राट् डायोक्लीशियन (284-305) के समय से प्रारंभ हुए और कॉन्स्टैनटाइन तथा उसके बाद के काल तक जारी रहे। ये परिवर्तन निम्नलिखित थे

डायोक्लीशियन के समय के परिवर्तन –

  • साम्राज्य का विस्तार बहुत अधिक हो चुका था। उसके अनेक प्रदेशों का सामरिक या आर्थिक दृष्टि से कोई महत्व नहीं था। इसलिए
  • सम्राट् डायोक्लीशियन ने महत्वहीन प्रदेशों को 4 छोड़कर साम्राज्य को थोड़ा छोटा बना लिया।
  • उसने साम्राज्य की सीमाओं पर किले बनवाए।
  • उसने प्रांतों का पुनर्गठन किया।
  • उसने असैनिक और सैनिक कार्यों को अलग-अलग कर दिया तथा सेनापतियों को अधिक स्वायत्तता प्रदान की। इससे सैन्य अधिकारी अधिक शक्तिशाली हो गए।

कॉन्स्टैनटाइन के समय के परिवर्तन –

  • कान्स्टैनटाइन ने कुस्तुनतुनिया का निर्माण करवाया और इसे साम्राज्य की दूसरी राजधानी बनवाया। यह राजधानी तीन ओर से समुद्र से घिरी हुई थी।
  • नयी राजधानी के लिए नयी सैनेट की आवश्यकता थी, इसलिए चौथी शताब्दी में शासक वर्गों का बड़ी तेजी से विस्तार हुआ।

प्रश्न 2.
रोम में परवर्ती पुराकाल में होने वाले आर्थिक विकास की जानकारी दीजिए। इसका क्या परिणाम निकला?
उत्तर:
रोम में परवर्ती पुराकाल में असाधारण आर्थिक विकास हुआ जिसके मुख्य पहलू निम्नलिखित थे –

सम्राट् कॉन्स्टैनटाइन ने सॉलिडस नामक का एक नया सिक्का चलाया। यह 4.5 ग्राम शुद्ध सोने का बना हुआ था। ये सिक्के बहुत बड़े पैमाने पर ढाले जाते थे और लाखों करोड़ों की संख्या में चलन में थे।
मौद्रि। स्थायित्व और बढ़ती हुई जनसंख्या। कारण आर्थिक विकास में तेजी औद्योगिक प्रतिष्ठानों तथा ग्रामीण उद्योग-धंधों के विकास के लिए पर्याप्त मात्रा में पूँजी लगाई गई। इनमें तेल की मिलें और शीशे के कारखाने तथा तरह-तरह की पानी की मिलें शामिल थीं।
लंबी दूरी के व्यापार में भी बहुत अधिक पूँजी निवेश किया गया। फलस्वरूप इस : व्यापार का पुनरुत्थान हुआ।

परिणाम – ऊपर दिए गए आर्थिक परिवर्तनों के फलस्वरूप शहरी संपदा एवं समृद्धि में अत्यधिक वृद्धि हुई। स्थापत्य कला के नए-नए रूप विकसित हुए और भोग-विलास के साधनों में भरपूर तेजी आई। शासन करने वाले कुलौन पहले से कहीं अधिक धन-संपन्न और शक्तिशाली हो गए। दस्तावेजों से पता चलता है कि तत्कालीन समाज अपेक्षाकृत अधिक समृद्ध था, जहाँ मुद्रा का व्यापक रूप से प्रयोग होता था। ग्रामीण संपदाएँ भारी मात्रा में सोने के रूप में लाभ कमाती थीं। उदाहरण के लिए छठी शताब्दी के दौरान जस्टीनियन के शासनकाल में अकेला मिस्र प्रतिवर्ष 25 लाख सॉलिडस (लगभग 35,000 पाउंड सोना) से अधिक धनराशि करों के रूप में देता था। देखा जाए तो रोम साम्राज्य के पश्चिमी एशिया के बड़े-बड़े ग्रामीण इलाके पाँचवीं और छठी शताब्दी में आज की तुलना में भी अधिक विकसित थे।

प्रश्न 3.
रोमन समाज में पारिवारिक जीवन की मुख्य विशेषताएँ बताएँ। स्त्रियों की स्थिति का भी उल्लेख करें।
उत्तर:
रोमन समाज में परिवार की विशेषताओं तथा स्त्रियों का वर्णन इस प्रकार है –

एकल परिवार – रोमन समाज में एकल परिवार की व्यापक रूप से चलन थी। वयस्क पुत्र अपने पिता के परिवार के साथ नहीं रहते थे। वयस्क भाई भी बहुत कम साझे परिवार में रहते थे। दूसरी ओर, दासों को परिवार का अंग माना जाता था क्योंकि रोमवासियों के लिए परिवार को यही अवधारणा थी।

विवाह – प्रथम शताब्दी ई.पू. तक विवाह का स्वरूप ऐसा होता था कि पत्नी अपने पति को अपनी संपत्ति हस्तांतरित नहीं करती थी। महिला का दहेज वैवाहिक अवधि के दौरान उसके पति के पास अवश्य चला जाता था। विवाह के बाद भी महिला अपने पिता की उत्तराधिकारी बनी रहती थी। अपने पिता की मृत्यु होने पर वह उसकी संपत्ति की स्वामी बन जाती थी। इस प्रकार रोम की महिलाओं को संपत्ति के स्वामित्व व संचालन में व्यापक कानूनी अधिकार प्राप्त थे।

तलाक देना अपेक्षाकृत आसान था। इसके लिए पति अथवा पत्नी द्वारा केवल अपनी इच्छा की सूचना देना ही काफी था। पुरुष प्रायः 28-32 की आयु में विवाह करते थे, जबकि लड़कियों का विवाह 16 से 23 वर्ष की आयु में किया जाता था। इसलिए पति और पत्नी के बीच आयु का अंतराल बना रहता था। विवाह प्रायः परिवार द्वारा निश्चित किए जाते थे।

पुरुष – प्रधान परिवार-परिवार पुरुष-प्रधान थे। पारिवारिक जीवन की दृष्टि से महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं थी । प्रायः महिलाओं पर उनके पति हावी रहते थे। अपनी पत्नियों को बुरी तरह पीटते थे। इसके अतिरिक्त पिता का अपने बच्चों पर अत्यधिक कानूनी नियंत्रण होता था; कभी-कभी तो दिल दहलाने वाली सीमा तक। उदाहरण के लिए अवांछित बच्चों के मामले में पिता को उन्हें जीवित रखने या मार डालने तक का कानूनी अधिकार प्राप्त था। शिशु को मारने के लिए कभी-कभी पिता उसे ठंड में छोड़ देते थे।

प्रश्न 4.
रोम साम्राज्य के आर्थिक विस्तार पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
गम में विभिन्न आर्थिक गतिविधियाँ प्रचलित थीं। फलस्वरूप रोम का बड़ी तेजी से आर्थिक विस्तार हुआ। इसकी मुख्य विशेषताओं का वर्णन इस प्रकार है
1. रोमन साम्राज्यों में बंदरगाहों, खानों, खदानों, ईंट-भट्ठों, जैतून के तेल की फैक्टरियों आदि की संख्या बहुत अधिक थी। परिणामस्वरूप साम्राज्य का आधारभूत आर्थिक ढाँचा काफी मजबूत था। गेहूँ, अंगूरी शराब तथा जैतून का तेल मुख्य व्यापारिक मदें थीं। इनका बहुत अधिक मात्रा में प्रयोग होता था। ये मुख्यतः स्पेन, गैलिक प्रांतों, उत्तरी अफ्रीका, मिस्र तथा इटली से आते थे क्योंकि वहाँ इन फसलों के लिए स्थितियाँ अनुकूल थीं। शराब, जैतून का तेल तथा अन्य तरल पदार्थों की दुलाई एक प्रकार के मटकों या कंटेनरों में होती थी जिन्हें “एम्फोरा” कहते थे।

2. स्पेन में जैतून का तेल निकालने का उद्योग 140-160 ई. के दौरान अपने चरमोत्कर्ष पर था। उन दिनों स्पेन में उत्पादित जैतून का तेल मुख्य रूप से ऐसे कंटेनरों में ले जाया जाता था जिन्हें ड्रेसल-20 कहते थे । इसका यह नाम पुरातत्वविद हेनरिक ड्रेसल के नाम पर रखा गय है। साम्राज्य के भिन्न-भिन्न प्रदेशों के जमींदार तथा उत्पादक अलग-अलग वस्तुओं का बाजार हथियाने के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा करते रहते थे। परिणामस्वरूप जैतून के तेल के व्यापार पर प्रभुत्व भी बदलता रहा।

3. साम्रज्य के अंतर्गत ऐसे बहुत-से क्षेत्र आते थे जो अपनी असाधारण उर्वरता के लिए प्रसिद्ध थे। इनमें इटली के कैंपेनिया तथा सिसिली और मिस्र के फैय्यूम, गैलिली, बाइजैकियम, दक्षिणी गॉल तथा बाएटिका के प्रदेश शामिल थे। ये प्रदेश साम्राज्य के घनी आबादी वाले सबसे धनी प्रदेशों में से थे।

4. सबसे बढ़िया किस्म की अंगूरी शराब कैंपेनिया से आती थी। सिसिली और बाइजैकियम रोम को भारी मात्रा में गेहूँ का निर्यात करते थे। गैलिनी में गहन खेती की जाती थी।

5. रोम क्षेत्र के अनेक बड़े-बड़े भाग बहुत उन्नत अवस्था में थे। उदाहरण के लिए नुमीडिया (आधुनिक अल्जीरिया) में देहाती क्षेत्रों में ऋतु-प्रवास व्यापक पैमाने पर होता था। चरवाहा तथा अर्ध-खानाबदोश अपने साथ झोपिड़याँ (मैपालिया) उठाए अपनी भेड़-बकरियों के साथ इधर-उधर घूमते रहते थे। परंतु उत्तरी-अफ्रीका में रोमन जागीरों का विस्तार होने पर वहाँ चरागाहों की संख्या में भारी कमी आई और खानाबदोश चरवाहों का आवागमन नियंत्रित हो गया।

6. स्पेन में भी उत्तरी क्षेत्र बहुत कम विकसित था। यहाँ के किसान पहाड़ियों की चोटियों पर बसे गाँवों में रहते थे। इन गाँवों को कैस्टेला कहा जाता था। सच तो यह कि रोम आर्थिक दृष्टि से बहुत ही धनी साम्राज्य था। देश में बहुत बड़ी संख्या में सोने के सिक्के प्रचलित थे।

प्रश्न 5.
रोमन साम्राज्य की सामाजिक श्रेणियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोम का समाज विविधताओं से भरा था। इसमें पूर्ववर्ती काल में अलग-अलग सामाजिक श्रेणियाँ पाई जाती थीं।

पूर्ववर्ती काल – इतिहासकार टैसिटस के अनुसार पूर्ववती रोमन साम्राज्य के प्रमुख सामाजिक समूह थे –

  • सैनेटर-तीसरी शताब्दी के प्रारंभिक वर्षों में सैनेट की सदस्य संख्या लगभग 1000 थी। कुल सैनेटरों में लगभग आधे सैनेटर इतालवी परिवारों के थे।
  • अश्वारोही या नाइट वर्ग।
  • सम्माननीय जनता का नर्ग जिनका संबंध महान् घरानों से था।
  • फूहड़ निम्नतर वर्ग अथवा कमीनकारू (प्लेबस सोर्डिंडा) तथा दास।

परवर्ती काल – परवर्ती काल के मुख्य सामाजिक वर्ग निम्नलिखित थे –
1. अभिजात वर्ग – इस काल में सैनेटर और नाइट एकीकृत होकर एक विस्तृत अभिजात वर्ग बन चुके थे। इनके कुल परिवारों में से कम-से-कम आधे परिवार अफ़्रीकी अथवा पूर्वी मूल के थे। अभिजात वर्ग अत्यधिक धनी था। परंतु कई तरीकों से यह विशुद्ध सैनिक संघांत वर्ग से कम शक्तिशाली था।

2. मध्यवर्ग – मध्य वर्ग में अब नौकरशाही और सेना की सेवा से जुड़े साधारण लोग शामिल थे। इसमें अपेक्षाकृत अधिक समृद्ध सौदागर और किसान भी सम्मिलित थे। रैसिटस के अनुसार इन मध्यमवर्गीय परिवारों का भरण-पोषण मुख्य रूप से सरकारी सेवा और राज्य पर निर्भरता द्वारा होता था।

3. निम्न वर्ग – इसके नीचे निम्न वर्ग का एक विशाल समूह था। सामूहिक रूप से इसे यूमिलिओरिस कहा जाता था। इनमें शामिल वर्ग थे

  • ग्रामीण श्रामिक – ये लोग मुख्यतः स्थायी रूप से बड़ी जागीरों पर काम करते थे।
  • औद्योगिक और खनन प्रतिष्ठानों के कामगार।
  • प्रवासी – कामगार – ये अनाज तथा जैतून की फसल की कटाई और निर्माण उद्योग में अधिकांश श्रम की पूर्ति करते थे।
  • स्व-नियोजित शिल्पकार – मजदूरी पाने वाले श्रमिकों की तुलना में ये बेहतर खाते-पीते थे।
  • अस्थायी अथवा कभी – कभी काम करने वाले श्रमिक।
  • दास – ये विशेष रूप से पूरे पश्चिमी साम्राज्य में पाए जाते थे।

प्रश्न 6.
रोम की अर्थव्यवस्था में दासों तथा वेतनभोगी मजदूरों की क्या भूमिका थी?
उत्तर:
भूमध्यसागर और पश्चिमी एशिया दोनों ही क्षेत्रों में दासता की जड़ें बहुत गहरी थीं। ऑगस्टस के शासनकाल में इटली की कुल 75 लाख की आबादी में 30 लाख दास थे। चौथी शताब्दी में ईसाई धर्म के राज्य-धर्म बनने के बाद भी दास प्रथा जारी रही। दास को पूंजी निवेश की दृष्टि से देखा जाता था।

दासों तथा वेतनभोगी की भूमिका-पहली शताब्दी में भांति स्थापित होने के साथ जब लड़ाई-झगड़े कम हो गए तो दासों की आपूर्ति में कमी आने लगी। इसलिए दास श्रम का प्रयोग करने वालों को दास-प्रजनन अथवा वेनतभोगी मजदूरों जैसे विकल्पों का सहारा लेना पड़ा। वेतनभोगी मजदूर दासों से सस्ते पड़ते थे क्योंकि उन्हें आसानी से छोड़ा और रखा जा सकता था। इसके विपरीत दास श्रमिकों को वर्ष भर रखना पड़ता था और पूरे वर्ष उन्हें भोजन देना पड़ता था तथा उनके अन्य खर्च उठाने पड़ते थे।

फलस्वरूप दास श्रमिकों को रखने की लागत बढ़ जाती थी। इसलिए बाद की अवधि में कृषि-क्षेत्र में अधिक संख्या में दास मजदूर नहीं रहे। अब इन दासों और मुक्त हुए दासों को व्यापार-प्रबंधक के रूप से नियुक्त किया जाने लगा। मालिक प्रायः उन्हें अपनी ओर से व्यापार चलाने के लिए पंजी देते थे। कभी-कभी वे अपना पूरा कारोबार उन्हें सौंप देते थे।

सच तो यह है कि समय बीतने के साथ-साथ वेतनभोगी मजदरों की संख्या बढ़ने लगी। पाँचवीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में सम्राट् ऐनस्टैसियस ने ऊँची मन रियाँ देकर श्रमिकों को आकर्षित किया था और तीन सप्ताह से भी कम समय में दारा शहर का निर्माण किया था। छठी शताब्दी तक भूमध्य-सागर क्षेत्र के भाग में वेतनभोगी श्रमिक बहुत अधिक फैल गए थे।

प्रश्न 7.
रोमन साम्राज्य में श्रम-प्रबंध तथा श्रमिकों पर नियंत्रण रखने के तरीकों की जानकारी दीजिए।
उत्तर:
रोम में श्रम-प्रबंधन तथा मजदूरों को अपने नियंत्रण में रखने पर विशेष महत्त्व दिया जाता था। इस संबंध में विशेष पग उठाए जाते थे। इसका उद्देश्य श्रमिकों से अधिक-से-अधिक काम लिया जा सके होता था। श्रम-प्रबंधन-रोमन कृषि-विषयक लेखकों ने श्रम प्रबंधन की ओर बहुत ध्यान दिया । एक लेखक कोलमेल्ला ने सिफारिश की थी कि जमींदारों को अपनी जरूरत से दुगुनी संख्या में उपकरणों तथा औजारों का सुरक्षित भंडार रखना चाहिए ताकि उत्पादन लगातार होता रहे।

निरीक्षण को भी विशेष महत्त्व दिया गया क्योंकि नियोक्ताओं की यह आम धारणा थी कि निरीक्षण के बिना कभी भी कोई काम ठीक से नहीं करवाया जा सकता। निरीक्षण को सरल बनाने के लिए कामगारों को कभी कभी छोटे दलों में विभाजित कर दिया जाता था। श्रमिकों पर नियंत्रण के तरीके-कोलूमेल्ला ने दस-दस श्रमिकों के समूह बनाने की सिफारिश की थी। उसने यह दावा किया था कि छोटे समूहों में यह बताना अपेक्षाकृत आसान होता है कि उनमें से कौन काम कर रहा है और कौन कामचोरी। इससे पता चलता है कि उन दिनों श्रम-प्रबंधन पर विस्तार से विचार किया जाता था।

1. अलग – अलग समूह में काम करने वाले दासों को प्रायः पैरों में जंजीर डालकर एक-साथ रखा जाता था।

2. रोमन साम्राज्य में कुछ औद्योगिक प्रतिष्ठानों ने तो इससे भी अधिक कड़े नियंत्रण लागू कर रखे थे। सुगंधित राल की फैक्टरियो में कामगारो के ऐप्रनों पर एक सील लगा दी जाती थी। उन्हें अपने सिर पर एक गहरी जाली वाला मास्क या नेट भी पहनना पड़ता था। उन्हें फैक्टरी से बाहर जाने के लिए अपने सभी कपड़े उतारने पड़ते थे। संभवत: यह बात अधिकांश फैक्ट्रियों और कारखानों पर लागू होती थी।

3. 398 ई. के एक कानून में कहा गया है कि कामगारों को दागा जाता था ताकि यदि वे भागने और छिपने का प्रयत्न करें तो उन्हें पहचाना जा सके।

4. कई निजी उद्यमी, कामगारों के साथ ऋण-संविदा के रूप में अनुबंध कर लेते थे, ताकि यह दावा कर सकें कि उनके कर्मचारी उनके कर्जदार हैं। इस प्रकार नियोक्ता अपने कामगारों पर कड़ा नियंत्रण रखते थे।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
ऑगस्ट्स का पहला नाम था ………………
(क) जूलियस सीजर
(ख) ब्रूटस
(ग) ऑक्टावियन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) ऑक्टावियन

प्रश्न 2.
गृहयुद्ध का तात्पर्य है ………………..
(क) सशस्त्र विद्रोह
(ख) शस्त्रविहीन संघर्ष
(ग) मात्र-अहिंसक आंदोलन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) सशस्त्र विद्रोह

प्रश्न 3.
किस सागर को रोमन साम्राज्य का हृदय माना जाता है?
(क) काला सागर
(ख) लाल सागर
(ग) भूमध्य सागर
(घ) कैस्पियन सागर
उत्तर:
(ग) भूमध्य सागर

प्रश्न 4.
रोम का प्रथम सम्राट कौन था?
(क) आगस्टस
(ख) नीरो
(ग) डेरियस प्रथम
(घ) कोन्स्टैनटाइन
उत्तर:
(क) आगस्टस

प्रश्न 5.
रोमन साम्राज्य में ‘सॉलिडस’ क्या था?
(क) चाँदी का सिक्का
(ख) सोने का सिक्का
(ग) ताँबे का सिक्का
(घ) चाँदी और ताँबे का मिश्रित सिक्का
उत्तर:
(ख) सोने का सिक्का

प्रश्न 6.
रोमन लोगों के पूज्य देवी/देवता कौन नहीं थे?
(क) डैगन
(ख) मॉर्स
(ग) जूनो
(घ) जूपिटर
उत्तर:
(क) डैगन

प्रश्न 7.
किस रोमन शासक के शासनकाल में दासों ने जबरदस्त विद्रोह किया?
(क) ऑगस्टस
(ख) ऐनस्टैसियस
(ग) टाइबेरियस
(घ) नीरो
उत्तर:
(घ) नीरो

प्रश्न 8.
निम्न में किस शासक का संबंध पवित्र रोमन साम्राज्य से था?
(क) जुलियस सीजर
(ख) शार्लमेन
(ग) लुई-XIV
(घ) पीटर महान
उत्तर:
(ख) शार्लमेन

प्रश्न 9.
वह कौन-सा प्राचीन साम्राज्य था जो तीन महाद्वीपों में फैल हुआ था?
(क) रोम साम्राज्य
(ख) ब्रिटिश साम्राज्य
(ग) रूसी साम्राज्य
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) रोम साम्राज्य

प्रश्न 10.
रोम साम्राज्य की प्रमुख भाषा थी:
(क) संस्कृत
(ख) लैटिन
(ग) अंग्रेजी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) लैटिन

प्रश्न 11.
सम्राट कांस्टैन्टाइन किस सदी ई. में ईसाई बना?
(क) तीसरी
(ख) पहली
(ग) चौथी
(घ) पाँचवीं
उत्तर:
(ग) चौथी

प्रश्न 12.
रोमन साम्राज्य को पूर्वी पश्चिमी भागों में किस सदी ई. में बाँटा गया?
(क) चौथी
(ख) दूसरी
(ग) तीसरी
(घ) सातवीं
उत्तर:
(क) चौथी

प्रश्न 13.
रोम साम्राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों में कौन-सी जनजातियाँ थीं?
(क) गोथ
(ख) विसिगोथ
(ग) वैथल
(घ) इनमें सभी
उत्तर:
(घ) इनमें सभी

प्रश्न 14.
मुहम्मद पैगम्बर द्वारा इस्लाम धर्म की स्थापना की गई?
(क) पाँचवीं सदी में
(ख) छठी सदी में
(ग) सातवीं सदी में
(घ) आठवीं सदी में
उत्तर:
(ग) सातवीं सदी में

प्रश्न 15.
रोम में गणतंत्र कायम रहा ……………….
(क) 509 ई.पू. से 27 ई.पू. तक
(ख) 500 ई.पू. से 25 ई.पू. तक
(ग) 300 ई.पू. से 28 ई.पू. तक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) 509 ई.पू. से 27 ई.पू. तक

Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद

Bihar Board Class 10 Social Science Solutions History इतिहास : इतिहास की दुनिया भाग 2 Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science History Solutions Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद

Bihar Board Class 10 History भारत में राष्ट्रवाद Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

नीचे दिये गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में चार विकल्प दिये गये हैं। जो आपको सर्वाधिक उपयुक्त लगे उनमें सही का चिह्न लगायें।

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में वामपंथियों की भूमिका को रेखांकित करें प्रश्न 1.
गदर पार्टी की स्थापना किसने और कब की?
(क) गुरदयाल सिंह, 1916
(ख) चन्द्रशेखर आजाद, 1920
(ग) लाला हरदयाल, 1913
(घ) सोहन सिंह भाखना, 1918
उत्तर-
(ग) लाला हरदयाल, 1913

भारत में राष्ट्रवाद Question Answer Bihar Board प्रश्न 2.
जालियाँवाला बाग हत्याकांड किस तिथि को हुआ?
(क) 13 अप्रैल, 1919 ई०
(ख) 14 अप्रैल, 1919 ई.
(ग). 15 अप्रैल, 1919 ई.
(घ) 16 अप्रैल, 1919 ई.
उत्तर-
(क) 13 अप्रैल, 1919 ई०

भारत में राष्ट्रवाद के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 3.
लखनऊ समझौता किस वर्ष हुआ?
(क) 1916
(ख) 1918.
(ग) 1920
(घ) 1922
उत्तर-
(क) 1916

भारत में राष्ट्रवाद प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 4.
असहयोग आन्दोलन का प्रस्ताव काँग्रेस के किस अधिवेशन में पारित हुआ?
(क) सितम्बर 1920, कलकत्ता
(ख) अक्टूबर 1920, अहमदाबाद
(ग) नवम्बर 1920, फैजपुर
(घ) दिसम्बर 1920, नागपुर
उत्तर-
(क) सितम्बर 1920, कलकत्ता

भारत में राष्ट्रवाद का उदय प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 5.
भारत में खिलाफत आंदोलन कब और किस देश के शासक के समर्थन में शुरू हुआ ?
(क) 1920, तुर्की
(ख) 1920, अरब
(ग) 1920, फ्रांस
(घ) 1920, जर्मनी
उत्तर-
(क) 1920, तुर्की

Bihar Board Class 10 Social Science Solution प्रश्न 6.
सविनय अवज्ञा आंदोलन कब और किस यात्रा से शुरू हुआ?
(क) 1920, भुज
(ख) 1930, अहमदाबाद
(ग) 1930, दांडी
(घ) 1930, एल्बा
उत्तर-
(ग) 1930, दांडी

भारत में राष्ट्रवाद पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 7.
पूर्ण स्वराज्य की माँग का प्रस्ताव काँग्रेस के किस वार्षिक अधिवेशन में पारित हुआ?
(क) 1929, लाहौर
(ख) 1931, कराँची
(ग) 1933, कलकत्ता
(घ). 1937, बेलगाँव
उत्तर-
(क) 1929, लाहौर

भारत में राष्ट्रवाद Pdf Class 10 Bihar Board प्रश्न 8.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना कब और किसने की?
(क) 1923, गुरु गोलवलकर
(ख) 1925, के. बी. हेडगेवार
(ग) 1926, चित्तरंजन दास
(घ) 1928, लालचंद
उत्तर-
(ख) 1925, के. बी. हेडगेवार

Bihar Board Solution Class 10 Social Science प्रश्न 9.
रपा विद्रोह कब हुआ?
(क) 1916
(ख) 1917
(ग) 1918
(घ) 1919.
उत्तर-
(क) 1916

भारत में राष्ट्रवाद का उदय Class 10 Bihar Board प्रश्न 10.
बल्लभ भाई पटेल को सरदार की उपाधि किस किसान आंदोलन के दौरान दी गई ?
(क) बारदोली
(ख) अहमदाबाद
(ग) खेड़ा
(घ) चंपारण
उत्तर-
(क) बारदोली

निम्नलिखित में रिक्त स्थानों को भरें:

Social Science In Hindi Class 10 Bihar Board Pdf  प्रश्न 1.
बाल गंगाधर तिलक और ……….. ने होमरूल लीग आन्दोलन को शुरू किया।
उत्तर-
एनी बेसेन्ट

Bharat Mein Rashtravad Question Answer प्रश्न 2.
………….. खिलाफत आन्दोलन के नेता थे भारत में।
उत्तर-
महात्मा गांधी

भारत में राष्ट्रवाद Class 10th Bihar Board प्रश्न 3.
………..फरवरी ……… को ……………. आन्दोलन स्थगित हो गया।
उत्तर-
25, 1922, असहयोग

Bihar Board Solution Class 10 प्रश्न 4.
साइमन कमीशन के अध्यक्ष……………थे।
उत्तर-
सर जॉन

Bihar Board Class 10th Social Science Solution प्रश्न 5.
साइमन …………. में……………”कर के विरोध में आंदोलन आरंभ हुआ।
उत्तर-
1857 भू-राजस्व

Bihar Board Class 10 History Solution प्रश्न 6.
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के पहले अध्यक्ष…………..थे।
उत्तर-
डब्ल्यू सी. बनजी

Bihar Board Class 10 History Book Solution प्रश्न 7.
…………”अप्रैल………..”को अखिल भारतीय किसान सभा का गठन…………”हुआ।
उत्तर-
11, 1936, लखनऊ म

Bihar Board History Solution प्रश्न 8.
उड़ीसा में… में …………. विद्रोह हुआ।
उत्तर-
1914 में, खोंड विद्रोह

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (20 शब्दों में उत्तर दें)

Bharat Me Rashtravad Class 10 In Hindi Question Answer प्रश्न 1.
खिलाफत आन्दोलन क्यों हुआ?
उत्तर-
1920 के प्रारंभ में भारतीय मुसलमानों ने तुर्की के प्रति ब्रिटेन के अपनी नीति बदलने के लिए जोरदार आन्दोलन प्रारंभ किया जिसे खिलाफत आन्दोलन कहा गया।

Class 10 Social Science Bihar Board प्रश्न 2.
रॉलेट एक्ट से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
अंग्रेजों द्वारा 1919 में पारित किया गया एक ऐसा कानून जिसमें किसी भी भारतीय अदालत में मुकदमा चलाए जेल में बन्द किया जा सकता था।

प्रश्न 3.
दांडी यात्रा का क्या उद्देश्य था?
उत्तर-
समुद्र के पानी से नमक बनाकर अंग्रेजी कानून का उल्लंघन करना।

प्रश्न 4.
गाँधी-इरविन पैक्ट अथवा दिल्ली समझौता क्या था?
उत्तर-
सविनय अवज्ञा आन्दोलन की व्यापकता ने अंग्रेजी सरकार को समझौता करने के लिए बाध्य किया। 5 मार्च, 1931 को गाँधीजी एवं लार्ड इरविन के बीच जो समझौता हुआ उसे गाँधी इरविन पैक्ट कहा जाता है।

प्रश्न 5.
चम्पारण सत्याग्रह के बारे में बताओ।
उत्तर-
बिहार के चम्पारण में नील की खेती करनेवाले किसानों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ गाँधी जी ने सत्य और अहिंसापूर्ण तरीके से जो आंदोलन चलाया उसे चम्पारण सत्याग्रह कहा जाता है।

प्रश्न 6.
मेरठ षड्यंत्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
मार्च 1929 में सरकार ने 31 श्रमिक नेताओं को बंदी बना लिया तथा मेरठ लाकर उनपर मुकदमा चलाया गया, जिसे मेरठ षड्यंत्र कहा जाता है।

प्रश्न 7.
जतरा भगत के बारे में आप क्या जानते हैं, संक्षेप में बताओ।
उत्तर-
1914 से 1920 तक खोंड विद्रोह के बाद छोटानागपुर क्षेत्र के उराँवों के द्वारा चलाए जानेवाले अहिंसक आंदोलन का नेता जतरा भगत था, जिसने आन्दोलन में सामाजिक और शैक्षणिक सुधार पर विशेष बल दिया।

प्रश्न 8.
ऑल इण्डिया ट्रेड यूनियन की स्थापना क्यों हुई?
उत्तर-
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस नामक एक संगठन जिसकी स्थापना 31 अक्टूबर 1920 को किया गया तथा सी० आर० दास ने सुझाव दिया कि कांग्रेस द्वारा किसानों एवं श्रमिकों को राष्ट्रीय आन्दोलन के सक्रिय रूप में शामिल किया जाए।

सुमेलित करें-

Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद - 3
Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद - 4
उत्तर-
1. (ख)
2. (क)
3. (ग)
4. (ङ)
5. (च)
6. (घ)।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (60 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
असहयोग आन्दोलन प्रथम जन आंदोलन था कैसे ?
उत्तर-
महात्मा गाँधी के नेतृत्व में प्रारंभ किया गया असहयोग आन्दोलन प्रथम जनान्दोलन था, जिसके मुख्य कारण निम्न हैं

  • खिलाफत का मुद्दा
  • पंजाब में सरकार की बर्बर कारवाइयों के विरुद्ध न्याय प्राप्त करना
  • स्वराज्य की प्राप्ति।

इस आन्दोलन में दो तरह के कार्यक्रम थे। प्रथमतः अंग्रेजी सरकार को कमजोर करने एवं नैतिक रूप से पराजित करने के लिए विध्वंसात्मक कार्य जैसे- उपाधियों एवं अवैतनिक पदों का त्याग करना, सरकारी तथा गैर-सरकारी समारोहों का बहिष्कार करना, विदेशी वस्तुओं का… बहिष्कार करना इत्यादि शामिल थे। . द्वितीयतः रचनात्मक कार्यों के अन्तर्गत, न्यायालय के स्थान पर पंचों का फैसला मानना, राष्ट्रीय विद्यालयों एवं कॉलेजों की स्थापना ताकि सरकारी कॉलेजों का बहिष्कार करके वाले विद्यार्थी पढ़ाई जारी रख सकें। स्वदेशी को अपनाना, चरखा खादी को लोकप्रिय बनाना, तिलक स्वराजकोष हेतु एक करोड़ रुपये इकट्ठा करना तथा 20 लाख चरखों का सम्पूर्ण भारत में वितरण करना शामिल था।

प्रश्न 2.
सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या परिणाम हुए ?
उत्तर-

  • सामाजिक आधार का विस्तार।
  • समाज के विभिन्न वर्गों का राजनीतिकरण।
  • महिलाओं का सार्वजनिक जीवन में प्रवेश।
  • ब्रिटिश सरकार द्वारा 1935 ई. का भारत शासन अधिनियम पारित किया जाना।
  • ब्रिटिश सरकार का काँग्रेस से समानता के आधार पर बातचीत।

प्रश्न 3.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किन परिस्थितियों में हुई ?
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की शुरूआत 19वीं सदी के अन्तिम चरण में हुई थी। इस समय इंडियन एसोसिएशन द्वारा रेंट बिल का विरोध किया जा रहा था, साथ ही लार्ड लिटन द्वारा बनाए गए प्रेस अधिनियम और शस्त्र अधिनियम का भारतीय द्वारा जबरदस्त विरोध किया जा रहा था। लार्ड रिपन के काल में पास हुए इलबर्ट बिल का यूरोपियनों द्वारा संगठित विरोध से प्राप्त विजय ने भारतीय राष्ट्रवादियों को संगठित होने का पर्याप्त कारण दे दिया।

प्रश्न 4.
बिहार के किसान आन्दोलन पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
महात्मा गाँधी के भारतीय राजनीति में पदार्पण के साथ ही किसान आन्दोलन को नई दिशा मिली। इन्हीं में एक प्रमुख है चम्पारण आन्दोलन।
बिहार के चम्पारण जिले में नील उत्पादक किसानों की स्थिति बहुत ही दयनीय थी। यहाँ नीलहे गोरों द्वारा तीनकठिया व्यवस्था प्रचलित थी जिसमें किसानों को अपनी उस भूमि के 3/20 हिस्से पर नील की खेती करनी होती थी जो सामान्यतः सबसे उपजाऊ भूमि होती थी। जबकि किसान नील की खेती नहीं करना चाहते थे क्योंकि इससे भूमि की उर्वरता कम हो जाती था।

बगान मालिक किसानों को अपनी उपज एक निश्चित धनराशि पर केवल उन्हें ही बेचने के लिए बाध्य करते थे और यह राशि बहुत ही कम होती थी। इसके अलावा उन्होंने अपने लगान में । अत्यधिक वृद्धि कर दी। इन सब अत्याचारों से त्रस्त एक किसान राजकुमार शुक्ल ने 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में सबका ध्यान इस ओर आकृष्ट किया और महात्मा गाँधी को चम्पारण आने पर विवश किया। इसके बाद गाँधी जी ने किसानों को संगठित कर आंदोलन चलाया इसे चम्पारण सत्याग्रह भी कहा जाता है।

प्रश्न 5.
स्वराज्य पार्टी की स्थापना एवं उद्देश्य की विवेचना करें।
उत्तर-
असहयोग आन्दोलन की एकाएक वापसी से उत्पन्न निराशा और क्षोभ का प्रदर्शन 1922 में हुए कांग्रेस के गया अधिवेशन में हुआ जिसके अध्यक्ष चितरंजन दास थे। चितरंजन दास एवं मोतीलाल नेहरू आदि नेताओं का विचार था कि रचनात्मक कार्यक्रम के साथ ही कांग्रेसी देश के विभिन्न निर्वाचनों में भाग लेकर व्यावसायिक सभाओं, सार्वजनिक संस्थाओं में प्रवेश कर सरकार के कामकाज में अवरोध पैदा करें। इसी प्रश्न पर एक प्रस्ताव लाया गया, परन्तु पारित नहीं हो पाया। तब चितरंजनदास एवं मोतीलाल नेहरू ने अपने काँग्रेस पद त्याग दिए और स्वराज पार्टी की स्थापना कर डाली और इसका प्रथम अधिवेशन 1923 में इलाहाबाद में हुआ।
इनका मुख्य उद्देश्य था भारत में अंग्रेजों द्वारा चलाई गयी सरकारी परम्पराओं का अंत करना।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (लगभग 150 शब्दों में उत्तर दें)

प्रश्न 1.
प्रथम विश्व युद्ध का भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के साथ अंतर्संबंधों की विवेचना करें?
उत्तर-
प्रथम विश्वयुद्ध औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप उत्पन्न औपनिवेशिक व्यवस्था, भारत सहित अन्य एशियाई एवं अफ्रीकी देशों में उसकी स्थापना और उसे सुरक्षित रखने के प्रयासों के क्रम में लड़ा गया। ब्रिटेन के सभी उपनिवेशों में भारत सबसे महत्वपूर्ण था और इसे प्रथम महायुद्ध के अस्थिर माहौल में भी हर हाल में सुरक्षित रखना उसकी पहली प्राथमिकता थी। युद्ध आरंभ होते ही ब्रिटिश सरकार ने घोषणा की कि भारत में ब्रिटिश शासन का लक्ष्य यहाँ क्रमशः एक जिम्मेवार सरकार की स्थापना करना है। 1916 में सरकार ने भारत में आयात शुल्क लगाया ताकि भारत में कपड़ा उद्योग का विकास हो सके।

विश्वयुद्ध के समय भारत में होनेवाली तमाम घटनाएँ युद्ध से उत्पन्न परिस्थितियों की ही. देन थीं। इसने भारत में एक नई आर्थिक और राजनैतिक स्थिति पैदा की जिससे भारतीय ज्यादा परिपक्व हुए। युद्ध प्रारम्भ होने के साथ ही तिलक और गाँधी जैसे राष्ट्रीवादी नेताओं ने ब्रिटिश सरकार के युद्ध गगा में हर संभव सहयोग दिया क्योंकि उन्हें सरकार के स्वराज सम्बन्धी आश्वासन में भरोसा था। तत्कालीन राष्ट्रवादी नेताओं जिसमें तिलक भी शामिल थे ने सरकार पर स्वराज प्राप्ति के लिए दबाव बने के तहत 1915-17 के बीच एनी बेसेन्ट और तिलक ने आयरलैण्ड से प्रेरित होकर भारत में भी होमरूल लीग आन्दोलन प्रारंभ किया। युद्ध के इसी काल में क्रांतिकारी आन्दोलन का भी भारत और विदेशी धरती दोनों जगह पर यह विकास हुआ।

प्रश्न 2.
असहयोग आंदोलन के कारण एवं परिणाम का वर्णन करें।
उत्तर-
महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1921 ई. में पंजाब और तुर्की के साथ हुए अन्यायों का प्रतिकार और स्वराज्य की प्राप्ति के उद्देश्य से असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ हुआ जिसके कारण निम्नलिखित हैं

  • खिलाफत का मुद्दा।
  • पंजाब में सरकार की बर्बर कार्रवाइयों के विरुद्ध न्याय प्राप्त करना और अंततः
  • स्वराज की प्राप्ति करना।

इस आन्दोलन के परिणाम निम्न हैं-

  • जनता का अपार सहयोग मिला।
  • देश की शिक्षण संस्थाएं लगभग बंद सी हो गई, क्योंकि छात्रों ने उनका त्याग कर दिया था।
  • राष्ट्रीय शिक्षा के एक नये कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इस सिलसिले में काशी विद्यापीठ और जामिया मिलिया जैसे संस्थाओं की स्थापना हुई।
  • कितने लोगों ने सरकारी नौकरियाँ छोड़ दी। विदेशी वस्त्रों की होली जलायी जाने लगी। (v) इस आन्दोलन में हिन्दू और मुसलमान दोनों ने एक होकर भाग लिया।

प्रश्न 3.
सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कारणों की विवेचना करें।
उत्तर-
ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ गाँधीजी के नेतृत्व में 1930 ई. में छेड़ा गया सविनय अवज्ञा आंदोलन दूसरा जन-आंदोलन था, जिसके कारण निम्नलिखित हैं

  • साइमन कमीशन का विरोध-इस कमीशन का उद्देश्य संविधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था परन्तु भारत में इसके विरुद्ध त्वरित एवं तीव्र प्रतिक्रिया हुई।
  • सांप्रदायिकता की भावना को उभरने से बचाने के लिए।
  • विश्वव्यापी आर्थिक मंदी का प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा पड़ा। पूरे देश में सरकार के खिलाफ वातावरण बन गया।
  • वामपंथी दबाव को संतुलित करने हेतु एक आन्दोलन के एक नए कार्यक्रम की आवश्यकता थी।
  • पूर्ण स्वराज्य की माँग के लिए 31 दिसम्बर, 1929 की मध्य रात्रि को रावी नदी के तट पर नेहरू ने तिरंगा झंडा फहराया तथा स्वतंत्रता की घोषणा का प्रस्ताव पढ़ा। 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की गई। इस प्रकार पूरे देश में उत्साह की एक नई लहर जग गई जो आंदोलन के लिए तैयार बैठी थी।
  • इरविन द्वारा गाँधी से मिलने से इनकार करने के बाद बाध्य होकर गांधी जी ने ‘दांडी-मार्च’ द्वारा अपना आंदोलन शुरू किया ?

प्रश्न 4.
भारत में मजदूर आन्दोलन के विकास का वर्णन करें।
उत्तर-
19वीं शताब्दी के आरम्भ होते ही मजदूर वर्ग के विकास के साथ राष्ट्रवादी . बुद्धिजीवियों में एक नई प्रवृत्ति का आविर्भाव हुआ। अब इन्होंने मजदूर वर्ग के हितों की शक्तिशाली पूंजीपतियों से रक्षा के लिए कानून बनाने की बात करनी शुरू कर दी। 1903 ई. में सुब्रह्मण्य अय्यर ने मजदूर यूनियन के गठन की वकालत की। स्वदेशी आन्दोलन का प्रभाव भी मजदूर आन्दोलन पर पड़ा। यद्यपि इसका मुख्य प्रभाव क्षेत्र बंगाल.था. परंतु इसके संदेश पूरे भारत में फैल रहे थे।

अहमदाबाद गुजरात के एक महत्वपूर्ण औद्योगिक नगर के रूप में विकसित हो रहा था। 1917 में अहमदाबाद में प्लेग फैला, अधिकांश मजदूर भागने लगे। मिल मालिकों ने उन्हें रोकने के लिए साधारण मजदूरी का 50% बोनस देने की बात कही परंतु बाद में उन्होंने बोनस देने से मना कर दिया। इसका श्रमिकों ने विरोध किया। गांधी जी को जब अहमदाबाद के श्रमिकों की हड़ताल का पता चला तो उन्होंने अम्बाला साराभाई नामक एक परिचित.मिल-मालिक से बातचीत की और इस समस्या में हस्तक्षेप करने का निर्णय लिया। परन्तु बाद में मिल-मालिकों ने बात करने से मना कर दिया और मिल में तालाबन्दी की घोषणा कर दी। बाद में गांधी जी ने 50% की जगह 35% मजदूरी बढ़ोतरी की बात कहकर समझौता होने तक भूख हड़ताल पर रहने की बात कही। अंततः मिल-मालिकों ने गांधी जी के प्रस्ताव को मानकर मजदूरों के पक्ष में 35% वृद्धि का निर्णय दिया और मजदूर आन्दोलन सफल हुआ।

कुछ अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं जैसे सोवियत संघ की स्थापना, कुमिन्टन की स्थापना तथा अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की स्थापना जैसी घटनाओं से भारतीय श्रमिक वर्ग में एक नयी चेतना’ का प्रसार हुआ फलस्वरूप 31 अक्तूबर, 1920 को एटक की स्थापना की गई।

1920 के पश्चात साम्यवादी आन्दोलन के उत्थान के फलस्वरूप मजदूर संघ आन्दोलनों में कुछ क्रान्तिकारी और सैनिक भावना आ गयी। 1928 में गिरनी कामगार यूनियन के नेतृत्व में बम्बई टेक्सटाइल मिल में 6 माह लम्बी हड़ताल का आयोजन किया गया। उग्रवादी प्रभावों के परिप्रेक्ष्य में मजदूर संघ आंदोलनों की बढ़ती क्रियाशीलता के कारण सरकार चिन्तित हो गयी तथा इन आन्दोलनों पर रोक लगाने के लिए वैधानिक कानूनों का सहारा लेने का प्रयास किया। इस संबंध में सरकार ने श्रमिक विवाद अधिनियम 1929 तथा नागरिक सुरक्षा अध्यादेश 1929 बनाए।

प्रश्न 5.
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलनों में गाँधी जी के योगदान की विवेचना करें। ..
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलनों में गांधी जी के योगदान की विवेचना कर सूर्य को दीपक दिखाने जैसा कार्य होगा। गाँधी जी के बिना राष्ट्रीय आन्दोलनों की चर्चा ही बेमानी है।

प्रथम विश्वयुद्ध के बाद उत्पन्न परिस्थितियों ने राष्ट्रीय आन्दोलनों में गाँधीवादी चरण (1919-47) के लिए पृष्ठभूमि के निर्माण का कार्य किया। जनवरी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद गाँधीजी ने रचनात्मक कार्यों के लिए अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना की। चम्पारण एवं खेड़ा में कृषक आन्दोलन और अहमदाबाद में श्रमिक आन्दोलन को नेतृत्व प्रदान कर गाँधीजी ने प्रभावशाली राजनेता के रूप में अपनी राष्ट्रीय पहचान बनाई। प्रथम विश्वयुद्ध के अन्तिम दौर में इन्होंने कांग्रेस, होमरूल एवं मुस्लिम लीग के नेताओं के साथ भी घनिष्ठ संबंध स्थापित किया। ब्रिटिश सरकार की उत्पीड़नकारी नीतियों एवं रौलेट एक्ट के विरोध में इन्होंने ” सत्याग्रह की शुरूआत की।

नवम्बर 1919 में ही महात्मा गाँधी अखिल भारतीय खिलाफत आन्दोलन के अध्यक्ष बने। इसे गांधीजी ने हिन्दू-मुस्लिम एकता के महान अवसर के रूप में देखा।

सितम्बर 1920 के भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के कलकता अधिवेशन में गाँधी जी की प्रेरणा से अन्यायपूर्ण कार्यों के विरोध में दो प्रस्ताव पारित कर असहयोग आन्दोलन चलाने का निर्णय लिया, जो प्रथम जनान्दोलन बन गया।

ब्रिटिश औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ गाँधीजी के नेतृत्व में 1930 ई. में छेड़ा गया सविनय अवज्ञा आन्दोलन दूसरा ऐसा जन-आन्दोलन था जिसका सामाजिक आधार काफी विस्तृत था। इस आंदोलन की शुरूआत गाँधी जी ने 12 मार्च 1930 ई. को दांडी यात्रा से की। उन्होंने 24 दिनों में 250 कि. मी. की पदयात्रा के पश्चात् 5 अप्रैल को दांडी पहुँचे एवं 6 अप्रैल को समुद्र के ..पानी से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया।

प्रश्न 6.
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में वामपंथियों की भूमिका को रेखांकित करें।
उत्तर-
वामपंथी शब्द का प्रथम प्रयोग फ्रांसीसी क्रांति में हुआ था परन्तु कालांतर में समाजवाद .. या साम्यवाद के उत्थान के बाद यह शब्द उन्हीं का पयार्यवाची बन गया।

20वीं शताब्दी के प्रारम्भिक काल में ही भारत में साम्यवादी विचारधाराएँ फैलनी शुरू हो – गई थीं और बम्बई, कलकता, कानपुर, लाहौर, मद्रास आदि जगहों पर साम्यवादी सभाएँ बननी शुरू हो गईं। उस समय इन विचारों से जुड़े लोगों में मुजफ्फर अहमद, एस. ए. डांगे, मोलवी – बरकतुल्ला गुलाम, हुसैन आदि के नाम प्रमुख थे। इन लोगों ने अपने पत्रों के माध्यम से साम्यवादी – विचारों का पोषण शुरू कर दिया था। परन्तु रूसी क्रांति की सफलता के बाद साम्यवादी विचारों

का तेजी से भारत में फैलाव शुरू हुआ। उसी समय 1920 में मानवेन्द्र नाथ राय ने ताशकंद में .. भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी की स्थापना की। लेकिन अभी भारत में लोग छिपकर काम कर रहे थे। फिर असहयोग आन्दोलन के दौरान पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से उन्हें अपने विचारों को फैलाने का अच्छा मौका मिला। साथ ही ये लोग आतंकवादी राष्ट्रीय आंदोलनों से भी जुड़ने लगे थे। इसलिए असहयोग आन्दोलन समाप्ति के बाद सरकार ने इन लोगों का दमन शुरू किया और पेशावर षड्यंत्र केस (1922-23), कानपुर षड्यंत्र केस (1924), मेरठ षड्यंत्र केस (1929-33) के तहत 8 लोगों पर मुकदमे चलाए।

तब साम्यवादियों ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया और राष्ट्रवादी “साम्यवादी शहीद” कहे जाने लगे। इसी समय इन्हें काँग्रेसियों का समर्थन मिला क्योंकि सरकार द्वारा लाए गए “पब्लिक सेफ्टी बिल” को कांग्रेसियों पारित नहीं होने दिए थे। यह कानून कम्युनिष्टों के विरोध में था। इस तरह अब साम्यवादी आन्दोलन प्रतिष्ठित होता जा रहा था कि दिसम्बर 1925 में सत्यभक्त नामक व्यक्ति ने भारतीय कम्युनिष्ठ पार्टी की स्थापना कर डाली।

अब इंगलैंड के साम्यवादी दल ने भी भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी में दिलचस्पी लेना शुरू किया। धीरे-धीरे वामपंथ का प्रसार मजदूर संघों पर बढ़ रहा था। सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान साम्यवादियों ने अपनी चाल-चलनी शुरू की। उन्होंने काँग्रेस का विरोध शुरू किया, क्योंकि काँग्रेस उद्योगपतियों और जमींदारों का समर्थन कर रही थी, जो मजदूरों का शोषण करते थे। धीरे-धीरे काँग्रेस और. कम्युनिष्ट पार्टी का संबंध टूट गया। इसी के परिणामस्वरूप सुभाषचन्द्र बोस द्वारा फारवर्ड ब्लॉक की स्थापना की गयी।

Bihar Board Class 10 History भारत में राष्ट्रवाद Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सीमांत गाँधी किन्हें कहा जाता है।
उत्तर-
खान अब्दुल गफ्फार खाँ को।

प्रश्न 2.
मणिपुर एवं नागालैंड में नमक सत्याग्रह का प्रसार किसने किया?
उत्तर-
रानी गैडिनल्यू ने।

प्रश्न 3.
गांधीजी ने खिलाफत आंदोलन को समर्थन क्यों दिया?
उत्तर-
हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए क्योंकि गांधी को भारत में एक बड़ा जन आंदोलन असहयोग आंदोलन चलाना था।

प्रश्न 4.
असहयोग आंदोलन में चौरी-चौरा की घटना का क्या महत्व है ?
उत्तर-
5 फरवरी, 1922 को चौरी-चौरा में हुई घटना के कारण ही महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था।

प्रश्न 5.
स्वराज पार्टी का गठन किस उद्देश्य से किया गया?
उत्तर-
स्वराज पार्टी का गठन का उद्देश्य प्रांतीय विधायिकाओं में प्रवेश कर सरकार पर दबाव डालकर स्वराज की स्थापना के लिए प्रयास करना था।

प्रश्न 6.
कांग्रेस के किस अधिवेशन में पूर्ण स्वाधीनता की मांग की गई ? इस अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर-
कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन, 1929 में पूर्ण स्वाधीनता की मांग की गई। इस अधिवेशन के अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरू थे।

प्रश्न 7.
गांधी जी ने दांडी की यात्रा क्यों की?
उत्तर-
गांधी जी के दांडी यात्रा का मुख्य उद्देश्य समुद्र के पानी से नमक बनाकर सरकार के नमक कानून का उल्लंघन करना था।

प्रश्न 8.
1932 के पूना समझौता का क्या परिणाम हुआ?
उत्तर-
1932 में गांधीजी और डॉ. अंबेडकर के बीच पूना समझौता हुआ जिसके परिणामस्वरूप । दलित वर्गों के लिए प्रांतीय और केन्द्रीय विधायिकाओं में कुछ स्थान आरक्षित हुए।

प्रश्न 9.
अल्लूटी सीताराम राजू कौन थे ?
उत्तर-
आंध्र प्रदेश के गुडेम पहाड़ियों में वन कानूनों के विरोध में आदिवासियों के विद्रोह का नेतृत्व अल्लूरी सीताराम राजू ने किया।

प्रश्न 10.
गाँधीजी के स्वराज्य झंडा में कौन-कौन-से रंग और प्रतीक थे ?
उत्तर-
गाँधीजी के स्वराज्य झंडा में सफेद, हरा और लाल रंग थे। झंडे के बीच में जो चरखा का चित्र बना हुआ था। वह स्वावलंबन का प्रतीक था। इस झंडे को हाथ में लेकर लोग गौरवपूर्ण ढंग से जुलूसों और प्रदर्शनों में भाग लेकर ब्रिटिश शासन के प्रति अवज्ञा का भाव प्रदर्शित करते थे।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
भारत में राष्ट्रवाद उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से कैसे विकसित हुआ? .
उत्तर-
भारतीय राष्ट्रवाद का उदय और विकास हिन्द-चीन के समान औपनिवेशिक शासन की प्रतिक्रियास्वरूप हुआ। 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध से औपनिवेशिक राज की प्रशासनिक, आर्थिक और अन्य नीतियों के विरुद्ध असंतोष की भावना बलवती होने लगा। यद्यपि 1857 के विद्रोह के पूर्व भी अंगरेजी आधिपत्य के विरुद्ध क्षेत्रीयता के आधार पर औपनिवेशिक शासन का विरोध किया गया था परन्तु राष्ट्र की अवधारणा और राष्ट्रीय चेतना का विकास 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से ही हुआ।

प्रश्न 2.
प्रथम विश्वयुद्ध ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को किस प्रकार बढ़ावा दिया ?
उत्तर-
प्रथम विश्वयुद्ध 20वीं शताब्दी के यूरोपीय इतिहास की एक महत्त्वपूर्ण घटना थी। यह युद्ध औद्योगिक क्रांति के परिणामस्वरूप उत्पन्न औपनिवेशिक व्यवस्था बनाए रखने के कारण हुआ। युद्ध आरंभ होने पर अंगरेजी सरकार ने यह घोषणा की कि ब्रिटिश सरकार का उद्देश्य भारत में एक उत्तरदायी शासन की स्थापना करना है। सरकार ने यह भी कहा कि ब्रिटिश सरकार जिन आदर्शों के लिए लड़ रही थी उन्हें युद्ध की समाप्ति के बाद भारत में भी लागू किया जाएगा, परंतु ऐसा नहीं हुआ। प्रथम विश्वयुद्ध के प्रभावों के कारण भारत में राष्ट्रीयता की भावना बलवती हुई और स्वतंत्रता आंदोलन तीव्र हो उठा। प्रथम विश्वयुद्ध के आर्थिक और राजनीतिक परिणामों ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को प्रभावित किया।

प्रश्न 3.
भारतीयों ने रॉलेट कानून का विरोध क्यों किया?
उत्तर-
भारतीय क्रांतिकारियों में उभरती हुई राष्ट्रीयता की भावना को दबाने के लिए ब्रिटिश सरकार ने न्यायाधीश सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता में रॉलेट आयोग का गठन किया। भारतीय नेताओं के विरोध के बावजूद भी यह विधेयक 8 मार्च, 1919 को लागू कर दिया गया। इस कानून का विरोध भारतीयों ने जबर्दस्त रूप से किया। इस कानून के अंतर्गत एक विशेष न्यायालय का गठन किया गया जिसके निर्णय के विरूद्ध कोई अपील नहीं किया जा सकता था। इस कानून के द्वारा सरकार किसी भी व्यक्ति को संदेह के आधार पर गिरफ्तार करने उसपर मुकदमा चला सकती थी। गांधीजी ने इस कानून को अनुचित स्वतंत्रता का हनन करनेवाला तथा व्यक्ति के मूल अधिकारों की हत्या करनेवाला बताया।

प्रश्न 4.
साइमन कमीशन भारत क्यों आया? भारतीयों में इसकी क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर-
1919 ई. के भारत सरकार अधिनियम द्वारा स्थापित उत्तरदायी शासन की स्थापना में किए गए प्रयासों की समीक्षा करने एवं आवश्यक सुझाव देने के उद्देश्य से ब्रिटिश सरकार ने 1927 में सरजॉन साइमन की अध्यक्षता में साइमन कमीशन का गठन किया। इसके सभी 7 सदस्य अंग्रेज थे। इस कमीशन का उद्देश्य सांविधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था। इस कमीशन में किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया जिसके कारण भारतीयों में इस कमीशन का तीव्र विरोध हुआ। भारतीयों में इसकी प्रतिक्रिया का एक और कारण यह था कि भारत के स्वशासन के संबंध में निर्णय विदेशियों द्वारा किया जाना था। 3 फरवरी, 1928 को कमीशन के बम्बई पहुंचने पर इसका स्वागत हड़ताल, पदर्शन और कालेझंडों से हुआ तथा ‘साइमन वापस जाओ’ के नारों से हुआ।

प्रश्न 5.
नमक यात्रा पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर-
सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रारंभ नमक सत्याग्रह से माना जाता है। नमक कानून भंग करने के लिए गांधीजी ने दांडी को चुना जो साबरमती आश्रम से 240 किलोमीटर दूर थी। गांधी अपने 78 विश्वस्त सहयोगियों के साथ 12 मार्च, 1930 को साबरमती से दांडी यात्रा आरंभ की। नमक यात्रा में गांधी के साथ सैंकड़ों युवक, किसान, मजदूर, महिलाएं शामिल हो गए। गांधीजी को देखने और उनका भाषण सुनने के लिए हजारों लोग एकत्र होते थे। 24 दिनों के लम्बी यात्रा के बाद 6 अप्रैल, 1930 को गांधी दांडी पहुँचे। वहाँ पहुँचकर उन्होंने समुद्र के पानी से नमक बनाकर अहिंसक ढंग से सरकार के नमक कानून को भंग किया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय राष्ट्रवाद के उदय के कारणों पर प्रकाश डालें ?
उत्तर-
भारत में राष्ट्रवाद का उदय और विकास 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध की प्रमुख घटना है। भारतीय राष्ट्रवाद के उदय के प्रमुख कारण हैं

(i) अंग्रेजी साम्राज्यवाद के विरुद्ध असंतोष- अंग्रेजी नीतियों के प्रति बढ़ता असंतोष . भारतीय राष्ट्रवाद के विकास का प्रमुख कारण था। अंगरेजी सरकार की नीतियों के शोषण का शिकार देशी रजवाड़े ताल्लुकेदार, महाजन, कृषक मजदूर, मध्यमवर्ग सभी बने/पूँजीपति वर्ग भी सरकार की भेदभाव आर्थिक नीति से असंतुष्ट था। ये सभी अंगरेजी शासन को अभिशाप मानकर इसका खात्मा करने का मन बनाने लगे।

(ii) आर्थिक कारण– भारतीय राष्ट्रवाद के उदय का एक महत्वपूर्ण कारण आर्थिक कारण था। सरकारी आर्थिक नीतियों के कारण कृषि और कुटीर उद्योग-धंधे नष्ट हो गए। किसानों पर लगान एवं कर्ज का बोझ बढ़ गया। किसानों को नगरी फसल उपजाने को बाध्य कर उसका भी मुनाफा सरकार ने उठाया। देशी उद्योगों की स्थिति भी दयनीय हो गयी। अंगरेजी आर्थिक नीतियों के कारण भारतीय धन का निष्कासन हुआ, जिससे भारत की गरीबी बढ़ी। इससे भारतीयों में प्रतिक्रिया हुई एवं राष्ट्रीय चेतना का विकास हुआ।

(iii) अंगरेजी शिक्षा का प्रसार- भारत में अंगरेजी शिक्षा के प्रचार के कारण भारतीय लोग भी अमेरिका, फ्रांस तथा यूरोप की अन्य महान क्रांतियों से परिचित हुए। रूसो, वाल्टेयर, मेजिनी, गैरीबाल्डी जैसे दार्शनिकों एवं क्रांतिकारियों के विचारों का प्रभाव उनपर पड़ा। वे भी अब स्वतंत्रता, समानता एवं नागरिक अधिकारों के प्रति सचेत होने लगे।

(iv) साहित्य एवं समाचारपत्रों का योगदान- राष्ट्रीय चेतना जागृत करने में प्रेस और . साहित्य का भी महत्वपूर्ण योगदान था। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से अंगरेजी और भारतीय भाषाओं में अनेक समाचार पत्र एवं पत्रिकाएँ प्रकाशित होनी आरंभ हुई जैसे हिंदू पैट्रियाट, हिन्दू, आजाद, संवाद कौमुदी इत्यादि। इनमें भारतीय राजनीतिक एवं सामाजिक मुद्दों को उठाकर सरकारी नीतियों की आलोचना की गई।

(v) सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन का प्रभाव- 19वीं शताब्दी के सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन ने भी राष्ट्रीयता की भावना विकसित की। इस समय तक भारतीय समाज एवं धर्म कुरीतियों और रूढ़ियों से ग्रस्त हो चुका था। राजा राममोहन राय, दयानंद सरस्वती, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानन्द के प्रयासों से नई चेतना जगी। ब्रह्म समाज, आर्य समाज, प्रार्थना समाज, रामकृष्ण मिशन ने एकता, समानता एवं स्वतंत्रता की भावना जागृत की तथा भारतीयों में आत्म-सम्मान, गौरव एवं राष्ट्रीयता की भावना का विकास करने में योगदान दिया।

प्रश्न 2.
जालियाँवाला बाग हत्याकांड क्यों हुआ? इसने राष्ट्रीय आंदोलन को कैसे बढ़ावा दिया?
उत्तर-
भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सरकार ने 1919 में रॉलेट कानून (क्रांतिकारी एवं अराजकता अधिनियम) बनाया। इस कानून के अनुसार सरकार किसी को भी संदेह ने आधार पर गिरफ्तार कर बिना मुकदमा चलाए उसको दंडित कर सकती थी तथा इसके खिलाफ कोई अपील भी नहीं की जा सकती थी। भारतीयों ने इस कानून का कड़ा विरोध किया। इसे ‘काला कानून’ की संज्ञा दी गई। गांधीजी ने इस कानून को अनुचित, अन्यायपूर्ण, स्वतंत्रता का हनन करनेवाला तथा नागरिकों के मूल अधिकारों की हत्या करने वाला बताया। उन्होंने जनता से शांतिपूर्वक इस कानून का विरोध करने को कहा।

अमृतसर में एक बहुत ही बड़ा प्रदर्शन हुआ जिसकी अध्यक्षता डॉ. सत्यपाल और डॉ. किचलू कर रहे थे। सरकार ने दोनों को अमृतसर से निष्कासित कर दिया। जनरल डायर ने पंजाब में फौजी शासन लागू कर आतंक का राज्य स्थापित कर दिया। पंजाब के लोग अपने प्रिय नेता की गिरफ्तारी तथा सरकार की दमनकारी नीति के खिलाफ 13 अप्रैल, 1919 को बैसाखी मेले के अवसर पर जालियाँवाला बाग में एक विराट सम्मेलन का आयोजन कर विरोध प्रकट कर रहे थे जिसके कारण ही डायर ने निहत्थी जनता पर गोलियाँ चलवा दी। यह घटना जालियांवाला बाग हत्याकांड के नाम से जाना गया।

जालियांवाला बाग की घटना ने पूरे भारत को आक्रोशित कर दिया। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन और हड़ताल हुए। गुरूदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने घटना के विरोध में अपना ‘सर’ का खिताब वापस लौटाने की घोषणा की। वायसराय की कार्यकारिणी के सदस्य शंकरन नायर ने इस्तीफा दे दिया। गांधीजी ने कैंसर-ए-हिन्द की उपाधि त्याग दी। जालियांवाला बाग हत्याकांड ने राष्ट्रीय आंदोलन में एक नई जान फूंक दी।

प्रश्न 3.
खिलाफत आंदोलन क्यों हुआ? गांधीजी ने इसका समर्थन क्यों किया?
उत्तर-
तुर्की का खलीफा जो आंदोलन साम्राज्य का सुल्तान भी था, संपूर्ण इस्लामी जगह का धर्मगुरू था। पैगंबर के बाद सबसे अधिक प्रतिष्ठा उसी की थी। प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी के साथ तुर्की भी पराजित हुआ। पराजित तुर्की पर विजयी मित्रराष्ट्रों ने कठोर संधि थोप दी (सेब्र की संधि) ऑटोमन साम्राज्य को विखंडित कर दिया गया। खलीफा और ऑटोमन साम्राज्य के साथ किए गए व्यवहार से भारतीय मुसलमानों में आक्रोश व्याप्त हो गया। वे तुर्की के सुल्तान और खलीफा की शक्ति और प्रतिष्ठा की पुनः स्थापना के लिए संघर्ष करने को तैयार हो गए। इसके लिए ही खिलाफत आंदोलन आरंभ किया गया। खिलाफत आंदोलन एक प्रति क्रियावादी आंदोलन के रूप में आरंभ हुआ, लेकिन शीघ्र ही मध्य साम्राज्य विरोधी और राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में परिणत हो गया।

महात्मा गांधी खिलाफत आंदोलन को सत्य और न्याय पर आधारित मानते थे। इसलिए उन्होंने इसे अपना समर्थन दिया। 1919 में वह दिल्ली में आयोजित ऑल इंडिया खिलाफत सम्मेलन के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। उन्होंने सरकार को धमकी दी कि यदि खलीफा के साथ न्याय नहीं किया जाएगा तो वह सरकार के साथ असहयोग करेंगे। गांधीजी ने इस आंदोलन को अपना समर्थन देकर हिन्दू-मुसलमान एकता स्थापित करने और एक बड़ा सशक्त राजविरोधी आंदोलन असहयोग
आंदोलन आरंभ करने का निर्णय लिया। .

प्रश्न 4.
असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन के स्वरूप में क्या अंतर था ? महिलाओं की सविनय अवज्ञा आंदोलन में क्या भूमिका थी? . उत्तर-
असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन के स्वरूप में काफी विभिन्नता थी। असहयोग आंदोलन में जहाँ सरकार के साथ असहयोग करने की बात थी वहीं सविनय अवज्ञा आंदोलन में न केवल अंग्रेजों का सहयोग न करने के लिए बल्कि औपनिवेशिक कानूनों का भी उल्लंघन करने के लिए आह्वान किया जाने लगा। असहयोग आंदोलन की तुलना में सविनय अवज्ञा आंदोलन व्यापक जनाधार वाला आंदोलन साबित हुआ।

सविनय अवज्ञा आंदोलन में पहली बार स्त्रियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। वे घंटों की चहारदीवारी से बाहर निकलकर गांधीजी की सभाओं में भाग लिया। अनेक स्थानों पर स्त्रियों ने नमक बनाकर नमक-कानून भंग किया। स्त्रियों में विदेशी वस्त्र एवं शराब के दुकानों की पिकेटिंग की। स्त्रियों ने चरखा चलाकरे सूत काते और स्वदेशी को प्रोत्साहन दिया। शहरी क्षेत्रों में ऊँची जाति की महिलाएं आंदोलन में सक्रिय थी तो ग्रामीण इलाकों में संपन्न परिवार की किसान स्त्रियाँ।

प्रश्न 5.
भारतीय राजनीति में साम्यवादियों की भूमिका की विवेचना कीजिए ?
उत्तर-
1917 की महान रूसी क्रांति के बाद पूरे विश्व में साम्यवादी विचारधारा का प्रसार हुआ। 20वीं शताब्दी के आरंभ में भारत भी साम्यवादी विचारधारा के प्रभाव में आया। देश के अनेक भागों में बुद्धिजीवी साम्यवादी दर्शन से प्रभावित लोगों का समूह बनाकर इस विचारधारा को प्रोत्साहन दे रहे थे। विख्यात क्रांतिकारी एम. एन. राय ने 1920 में ताशकंद में हिन्दुस्तान की कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की। भारत में इसका प्रचार करने के लिए कलकत्ता, बंबई, मद्रास लाहौर में साम्यवादी सभाएँ बननी शुरू हो गई। साम्यवादियों ने श्रमिकों और किसानों की ओर अपना ध्यान दिया। क्रांतिकारी आंदोलनों पर भी इनका प्रभाव पड़ा। अक्टूबर 1920 में बंबई में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की स्थापना हुई।

इसमें फूट पड़ने के बाद एन. एम. जोशी ने ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन फेडरेशन (AITUF) का गठन किया। इस तरह वामपंथ का प्रसार मजदूर संघों पर बढ़ रहा था। वामपंथ को प्रभाव में इन श्रमिक संगठनों ने मजदूरों की स्थिति में सुधार लाने का प्रयास किया। आगे चलकर 1934 में समाजवादियों के प्रयास से सभी श्रमिक संघों को मिलाकर ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना की गई। साम्यवादियों ने किसानों की समस्याओं की ओर भी ध्यान दिया। लेबर स्वराज पार्टी भारत में पहली किसान मजदूर पार्टी थी लेकिन अखिल भारतीय स्तर पर दिसम्बर, 1928 में अखिल भारतीय मजदूर किसान पार्टी बनी।

साम्यवादियों ने किसान मजदूरों की स्थिति में सुधार लाने के अतिरिक्त साम्राज्यवाद एवं पूंजीवाद का विरोध भी किया। क्रांतिकारी आंदोलनों को भी इनका समर्थन मिला। फलतः असहयोग आंदोलन के बाद सरकार ने साम्यवादियों पर कड़ी कारवाई की। पेशवर षड्यंत्र केस (1922-23), कानपुर षड्यंत्र केस (1924) तथा मेरठ षड्यंत्र केस (1929-33) में मुकदमा चलाकर कुछ साम्यवादियों को दंडित किया गया। साम्यवादी विचारधारा का प्रभाव कांग्रेस के युवा वर्ग पर भी पड़ा। इन लोगों ने कांग्रेस पर अधिक सशक्त नीति अपनाने की मांग की। साथ ही किसानों मजदूरों की समस्याओं को भी उठाने का प्रयास किया। सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान साम्यवादियों ने कांग्रेस का विरोध करना शुरू किया जिसकी अंतिम परिणति सुभाष चन्द्र बोस द्वारा फारवर्ड ब्लॉक की स्थापना के रूप में हुई। द्वितीय विश्वयुद्ध और ‘भारत छोड़ो आंदोलन में भी साम्यवादियों ने अपनी भूमिका का निर्वहन किया।

Bihar Board Class 10 History भारत में राष्ट्रवाद Notes

  •  राष्ट्रवाद का शाब्दिक अर्थ होता है-“राष्ट्रीय चेतना का उदय”
  • राष्ट्रवाद के उदय के कारण –
    (i) धार्मिक कारण
    (ii) सामाजिक कारण
    (iii) आर्थिक कारण
    (iv) राजनीतिक कारण।
  • राष्ट्रीय आन्दोलन से संबंधित प्रभुत्व व्यक्ति पार्टी अथवा आन्दोलन – आन्दोलन
    Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद - 1
    Bihar Board Class 10 History Solutions Chapter 4 भारत में राष्ट्रवाद - 2
  • राष्ट्र की अवधारणा और राष्ट्रीय चेतना का विकास 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में हुआ।  1885 ई. में भारतीय राष्टोय काँग्रेस की स्थापना ने राष्ट्रवाद की अवधारणा को उत्तेजना प्रदान की।

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions गद्य Chapter 3 भारत से हम क्या सीखें

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 2 गद्य खण्ड Chapter 3 भारत से हम क्या सीखें Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi Solutions गद्य Chapter 3 भारत से हम क्या सीखें

Bihar Board Class 10 Hindi भारत से हम क्या सीखें Text Book Questions and Answers

बोध और अभ्यास

पाठ के साथ

भारत से हम क्या सीखें Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 1.
समस्त भूमंडल में सर्वविद सम्पदा और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण देश भारत है। लेखक ने ऐसा क्यों कहा है ?
उत्तर-
मरत ऐसा देश है, जहाँ मानव मस्तिष्क की उत्कृष्टतम उपलब्धियों का सर्वप्रथम साक्षात्कार हुआ है। यहाँ जीवन की बड़ी-से-बड़ी समस्याओं के ऐसे समाधान ढूँढ निकाले गये हैं जो विश्व के दार्शनिकों के लिए चिन्तन का विषय है। भारत में भूतल पर ही स्वर्ग की छटा बिखरती है। यहाँ की धरती प्राकृतिक सौंदर्य, मानवीय गुण, मूल्यवान रत्न, प्राकृतिक सम्पदा एवं मनीषियों के आध्यात्मिक चिंतन से परिपूर्ण है। यहाँ जीवन को सुखद बनाने के लिए उपयुक्त ज्ञान एवं वातावरण का सान्निध्य मिलता है जो भूमंडल में अन्यत्र नहीं है।

भारत से हम क्या सीखें का सारांश Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 2.
लेखक की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन कहाँ हो सकते हैं और क्यों ?
उत्तर-
लेखक की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन गाँवों में हो सकते हैं। भारत की सारी परंपरा का आधार ऋषि और कृषि पद्धति है। गाँव में ग्राम पंचायत व्यवस्था देखने को मिलेंगे। कृषि व्यवस्था मंदिर व्यवस्था आदि। जो केवल में मौलिक रूप से देखने को नहीं मिलेंगे।

भारत से हम क्या सीखें प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 3.
भारत को पहचान सकने वाली दृष्टि की आवश्यकता किनके लिए वांछनीय है और क्यों?
उत्तर-
भारत को पहचान करने वाली दृष्टि भारतीय सविल सेवा हेतु चयनित युवा अंग्रेज अधिकारियों के लिए है। भारत में पहुंचने के बाद वहाँ से ज्ञान, सामाजिक व्यवस्थाएँ, विज्ञान आदि का संग्रह और उन्नयन करने की दृष्टि हो। सर विलियम जोन्स की तरह नए युवा अधिकारी भी स्वप्नदर्शी हों और गंगा, सिन्धु के मैदानों में संग्रहणीय वस्तु एवं विद्या इंगलैण्ड लावें।

Bharat Se Ham Kya Sikhe Question Answer प्रश्न 4.
लेखक ने किन विशेष क्षेत्रों में अभिरूचि रखने वाले के लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक बताया है ?
उत्तर-
लेखक ने कहा है कि आपकी अभिरूचि की पैठ किसी विशेष क्षेत्रों में है तो भारत में आपको पर्याप्त अवसर मिलेंगे। लोकप्रिय शिक्षा से सम्बद्ध हो, या उच्च शिक्षा, चाहे संसद में प्रतिनिधित्व की बात हो अथवा कानून बनाने की बात हो, चाहे प्रवास संबंधी कानून हो अथवा अन्य कोई कानूनी मसला, सीखने या सिखाने योग्य कोई बात क्यों न हो, भारत के रूप में आपको ऐसी प्रयोगशाला मिलेगी। जैसे-विश्व में अन्यत्र कहीं नहीं मिल सकती।

Bharat Se Ham Kya Sikhe Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 5.
लेखक ने वारेन हेस्टिंग्स से संबंधित किस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना का हवाला दिया है और क्यों ?
उत्तर-
वारेन हेस्टिंग्स को वाराणसी के पास 172 दारिस नामक सोने के सिक्कों से भरा एक घड़ा मिला था। उन्होंने ईस्ट इण्डिया कम्पनी के निदेशक मंडल की सेवा में सोने के सिक्के यह समझकर भिजवा दिया कि यह एक ऐसा उपहार होगा जिसकी गणना उसके द्वारा प्रेषित सर्वोत्तम दुर्लभ वस्तुओं में की जाएगी। कंपनी के निदेशक उसका ऐतिहासिक महत्त्व नहीं समझ पाये और उन मुद्राओं को गला डाला। वारेन हेस्टिंग्स के लिए सबसे बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण घटना था। फिर वह सोचा कि आगे से सावधानी रहे कि ऐतिहासिक वस्तुओं को बचाया जाय।

Bharat Se Ham Kya Sikhen Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 6.
लेखक ने नीतिकथाओं के क्षेत्र में किस तरह भारतीय अवदान को रेखांकित किया है?
उत्तर-
लेखक ने बताया है कि नीति कथाओं के अध्ययन-क्षेत्र में नवजीवन का संचार हुआ है। समय-समय पर विविध साधनों और मार्गों द्वारा अनेक नीति कथाएँ पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित रही हैं। भारत में प्रचलित कहावतों और दन्तकथाओं का प्रमुख स्रोत बौद्ध धर्म को माना जाने लगा है, किन्तु इसमें निहित समस्याएँ समाधान की प्रतीक्षा में हैं। लेखक ने एक उदाहरण देकर बताया है कि ‘शेर की खाल में गदहा’ वाली कहावत सबसे पहले यूनानी दार्शनिक प्लेटो के क्रटिलस में मिलती है। इसी तरह संस्कृत की एक कथा यूनान के एक नीति कथा से मिलती है। अर्थात् भारतीय नीति कथाएँ यूनान से कैसे जुड़ी यह एक शोध का विषय है।

भारत से हम क्या सीखें क्वेश्चन आंसर Bihar Board Class 10 Hindi प्रश्न 7.
भारत के साथ यूरोप के व्यापारिक संबंध के प्राचीन प्रमाण लेखक ने क्या दिखाए हैं?
उत्तर-
लेखक के अनुसार यह असंदिग्ध रूप से प्रमाणित हो चुका है कि सोलोमन के समय में ही भारत, सीरिया और फिलीस्तीन के मध्य आवागमन के साधन सुलभ हो चुके थे। साथ ही . इन देशों के व्यापारिक अध्ययन करने पर कुछ संस्कृत शब्दों का प्रयोग मिलता है। इन संस्कृत शब्दों के आधार पर प्रमाणित होता है कि हाथी-दाँत, बन्दर, मोर और चन्दन आदि जिन वस्तुओं के ऑफिसर से निर्यात की बात बाइबिल में कही गयी है, वे वस्तुएँ भारत के सिवा किसी अन्य देश से नहीं लाई जा सकती। ऐतिहासिक अध्ययन से यह भी ज्ञात है कि दसवीं-ग्यारहवीं सदी में भी भारत के साथ यूरोप के व्यापारिक सम्बन्ध बंद नहीं हुए थे।

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solution प्रश्न 8.
भारत के ग्राम पंचायतों को किस अर्थ में और किनके लिए लेखक ने महत्त्वपूर्ण बतलाया है ? स्पष्ट करें।
उत्तर-
लेखक युवा अंग्रेज अधिकारी जो भारतीय सिविल सेवा हेतु चयनित हुए थे उनके लिए भारत के ग्राम पंचायतों का महत्त्वपूर्ण अर्थ बतलाया है। – अत्यंत सरल राजनैतिक इकाइयों के निर्माण और विकास से सम्बद्ध प्राचीन युग के कानून की पुरातन रूपों के बारे में इधर जो अनुसंधान हुए हैं, उनके महत्त्व और वैशिष्ट्य को परख सकने की क्षमता प्राप्त करनी है, तो आपको इसके लिए आज भारत की ग्राम पंचायतों के रूप में इसके प्रत्यक्ष दर्शन का सुयोग अनायास ही मिल जाएगा। ..

Bihar Board Solution Class 10 Hindi प्रश्न 9.
धर्मों की दृष्टि से भारत का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
भारत प्राचीन काल से ही धार्मिक विकास का केन्द्र रहा है। यहाँ धर्म के वास्तविक उद्भव उसके प्राकृतिक विकास तथा उसके अपरिहार्य क्षीयमाण रूप का प्रत्यक्ष परिचय मिलता है। भारत वैदिक धर्म की भूमि है, बौद्ध धर्म की यह जन्मभूमि है, पारसियों के जरथुस्ट्र धर्म की यह शरण-स्थली है। आज भी यहाँ नित्य नये मत-मतान्तर प्रकट एवं विकसित होते रहते हैं। इस तरह से भारत धार्मिक क्षेत्र में विश्व को आलोकित करनेवाला एक महत्त्वपूर्ण देश है।

Class 10 Hindi Bihar Board प्रश्न 10.
भारत किस तरह अतीत और सुदूर भविष्य को जोड़ता है ? स्पष्ट करें।
उत्तर-
भारत में आप अपने-आपको सर्वत्र अत्यन्त प्राचीन और सुदूर भविष्य के बीच खड़ा पायेंगे। वहाँ आपको ऐसे सुअवसर भी मिलेंगे जो किसी पुरातन विश्व में ही सुलभ हो सकते हैं। आप आज की किसी भी ज्वलंत समस्या को ले लीजिए। वह समस्या चाहे लोकप्रिय शिक्षा से सम्बद्ध हो, या उच्च शिक्षा, चाहे संसद में प्रतिनिधित्व की बात हो अथवा कानून बनाने की बात हो, चाहे प्रवास संबंधी कानून हो अथवा अन्य कोई कानूनी मसला, सीखने या सिखाने योग्य कोई बात क्यों न हो, भारत के रूप में आपको ऐसी प्रयोगशाला मिलेगी जैसे विश्व में अन्यत्र कहीं नहीं मिल सकता।

Class 10 Hindi Book Bihar Board प्रश्न 11.
मैक्समूलर ने संस्कृत की कौन-सी विशेषताएँ और महत्त्व बतलाये हैं ?
उत्तर-
संस्कृत की सबसे पहली विशेषता है इसकी प्राचीनता, क्योंकि हम जानते हैं कि ग्रीक भाषा से भी संस्कृत का काल पुराना है। ज्यों ही इन भाषाओं के बीच में संस्कृत आ बैठी कि तत्काल लोगों को एक सही प्रकाश और गर्मी का अहसास होने लगा, और इसी से भाषाओं का पारस्परिक संबंध भी स्पष्ट हो गया। निश्चित ही संस्कृत इन सब भाषाओं की अग्रजा है।

प्रश्न 12.
लेखक वास्तविक इतिहास किसे मानता है और क्यों?
उत्तर-
किसी देश अथवा राज्य की प्राचीनकालीन इतिहास को जानने के लिए आवश्यक है कि पहले हम वहाँ की भाषा की प्राचीनता को जानें। यदि हम यह जानना चाहें कि आर्य लोग अनेक शाखाओं में विभक्त होने से पूर्व चूहे के बारे में जानते थे या नहीं, तो हमें आर्य भाषाओं के शब्दकोष देखने होंगे। भाषा के सहारे आर्यों के विभाजन से पूर्व की सभ्यता एवं सांस्कृतिक अवस्था को जाना जा सकता है। संस्कृत, ग्रीक और लैटिन इन तीनों भाषाओं के एक सामान्य मूल उद्गम-स्रोत तक पहुँचने के लिए हमें बहुत पीछे हटना होगा और पीछे हटकर हम उस . सम्मिलन स्थल पर पहुँच जाएंगे जहाँ से हिन्दू, ग्रीक, यूनानी आदि शक्तिशाली जातियाँ एक-दूसरी से पृथक् हुई थीं। अतीत के अध्ययन से हम पाते है कि आदि आर्य भाषा चिंतन-परम्परा के प्रवाहों के उतार-चढ़ाव से घिसनेवाली चट्टान रही है।

लेखक इसे ही वास्तविक अर्थों में इतिहास मानता है, क्योंकि यह एक ऐसा इतिहास है जो राज्यों, दुराचारों और उनके जातियों की क्रूरताओं की अपेक्षा कहीं अधिक ज्ञातव्य और पठनीय

प्रश्न 13.
संस्कृत और दूसरी भारतीय भाषाओं के अध्ययन से पश्चात्य जगत् को प्रमुख लाभ क्या-क्या हुए?
उत्तर-
संस्कृत और दूसरी भारतीय भाषाओं के अध्ययन के पश्चात् मानव जाति के बारे में हमारे विचार व्यापक और उदार ही नहीं बने हैं तथा लाखों-करोड़ों अजनबियों तथा वर्बर समझे जानेवाले लोगों का भी अपने ही परिवार के सदस्य की भाँति गले लगाना ही नहीं सीखे हैं, अपितु इसने मानव जाति के संपूर्ण इतिहास को एक वास्तविक रूप से प्रकट कर दिखाया है, जो पहले नहीं हो पाया था।

प्रश्न 14.
लेखक ने भारत के लिए नवागंतुक अधिकारियों को किसकी तरह सपने देखने । के लिए प्रेरित किया है और क्यों ?
उत्तर-
लेखक ने भारत के लिए नवागंतुक अधिकारियों को सर विलियम जेम्स की तरह सपने देखने के लिए प्रेरित किया है, क्योंकि उन्होंने इंग्लैंड से आरम्भ की हुई अपनी लम्बी समुद्र यात्रा की समाप्ति पर क्षितिज में प्रकट होते हुए भारत के तट का दर्शन करते हुए जो अनुभव किया था वह सुखद था। उन्होंने अनुभव किया था कि एशिया की यह भूमि नानाविध विज्ञान की धात्री, आनन्ददायक ललित कथा उपयोगी कलाओं की जननी, एक से एक बढ़कर शानदार कार्यकलापों ” की दृश्यभूमि, मानव प्रतिभा की जननी एवं धार्मिक विकास की केन्द्रभूमि तथा रीति-रिवाज, परम्पराओं, भाषा की दृष्टि विविधा के कारण सर्वत्र सम्मान की दृष्टि से देखी जाने वाली पवित्र भूमि है।

प्रश्न 15.
लेखक ने नया सिकंदर किसे कहा है ? ऐसा कहना क्या उचित है ? लेखक का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
लेखक ने नया सिकंदर भारत को समझने, जानने एवं सम्पूर्ण लाभ प्राप्त करने हेतु भारत आनेवाले नवागंतुक, अन्वेषकों, पर्यटकों एवं अधिकारियों को कहा है। भारत विजय का सिकंदर ने स्वप्न देखा था। उसी प्रकार आज भी भारतीयता को निकट से जानने के नवीन स्वप्नदर्शी को आज का सिकंदर कहना अतिशयोक्ति नहीं है, यह उचित है। लेखक ने कहा है कि नए सिकंदर को यह सोचकर निराश नहीं हो जाना चाहिए कि गंगा और सिंध के पुराने मैदानों में अब उसके विजय करने के लिए कुछ भी शेष नहीं रहा। आज भी अध्ययन, शोध, विश्व की विविध प्राचीनतम ज्ञान, विकास सूत्र, प्राच्य देशों के इतिहास और साहित्य के क्षेत्र में एक से बढ़कर एक शानदार बड़ी-बड़ी अनेक विजय प्राप्त की जा सकती हैं। विश्व के सर्वांगीण विकास हेतु आज भी भारतीयता के सम्यक् ज्ञान की आवश्यकता को लेखक ने अनिवार्य बताया है। साथ-ही भारत में असीम संभावनाओं पर बल दिया है।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
निम्नांकित वाक्यों से विशेष्य और विशेषण पद चुनें –

(क) उत्कृष्टतम उपलब्धियों का सर्वप्रथम साक्षात्कार।
उत्तर-
उपलब्धियों, साक्षात्कार
विशेषण: – उत्कृष्टतम सर्वप्रथमा

(ख) प्लेटो और काण्ट जैसे दार्शनिकों का अध्ययन करनेवाले हम यूरोपियन लोग।
उत्तर-
विशेष्य – लोग
विशेषण – यूरोपियन, हम।

(ग) अगला जन्म तथा शाश्वत जीवन
उत्तर-
विशेष्य – जन्म, जीवन
विशेषण – अगला, शाश्वत।

(घ) दो-तीन हजार वर्ष पुराना ही क्यों, आज का भारत भी।
उत्तर-
विशेष्य- भारत
विशेषण- पुराना, आज, दो-तीन हजार वर्ष।

(ङ)भूले-बिसरे बचपन की मधुर स्मृतियाँ।
उत्तर-
विशेष्य- स्मृतियाँ, बचपन
विशेषण- मधुर, भूले-बिसरे।

(च) लाखों-करोड़ों अजनबियों तथा बर्बर समझे जानेवाले लोगों को भी।
उत्तर-
विशेष्य – लोगों
विशेषण – वर्बर, लाखों-करोड़ो।]

प्रश्न 2.
‘अग्रजा’ की तरह ‘जा’ प्रत्यय जोड़कर तीन-तीन शब्द बनाएँ
उत्तर-
अनुजा, भानुजा, भ्रातृजा।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित उपसर्गों से तीन-तीन शब्द बनाएँ
उत्तर-
प्र = प्रणाम, प्रसंग, प्रवाह निः .
नि = नि:धन, निःश्वास, नि:शेष
अनु = अनुभव, अनुगमन, अनुमान]
अभि = अभिज्ञान, अभिमान, अभिनंदन
विज = विज्ञान, विश्वास, विनाश

प्रश्न 4.
वास्तविक में ‘इक’ प्रत्यय है।
‘इक’ प्रत्यय से पाँच शब्द बनाएँ।
उत्तर-
नैतिक, मौलिक, पुरातात्विक, ऐतिहासिक, साहसिक।

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

1. सर्वविध सम्पदा और प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण कौन-सा देश है, यदि आप मुझे इस भूमण्डल का अवलोकन करने के लिए कहें तो बलाऊँगा कि वह देश है-भारत। भारत, जहाँ भूतल पर ही स्वर्ग की छटा निखर रही है। यदि आप यह जानना चाहें कि मानव मस्तिष्क की उत्कृटतम उपलब्धियों का सर्वप्रथम साक्षात्कार किस देश ने किया है और किसने जीवन की सबसे बड़ी समस्याओं पर विचार कर उनमें से कइयों के ऐसे समाधान ढूंढ निकाले हैं कि प्लेटो और काण्ट जैसे दार्शनिकों का अध्ययन करनेवाले हम यूरोपियन लोगों के लिए भी वे मनन के योग्य हैं, तो मैं यहाँ भी भारत ही का नाम लूंगा। और, यदि यूनानी, रोमन और सेमेटिक जाति के यहूदियों की विचारधारा में ही सदा अवगाहन करते रहनेवाले हम यूरोपियनों को ऐसा कौन-सा साहित्य पढ़ना चाहिए जिससे हमारे जीवन का अंतरतम परिपूर्ण, अधिक-सर्वांगीण, अधिक विश्वव्यापी, यूँ कहें कि सम्पूर्णतया मानवीय बन जाये, और यह जीवन ही क्यों, अगला जन्म तथा शाश्वत. जीवन भी सुधर जाये, तो मैं एक बार फिर भारत ही का नाम लूँगा।

प्रश्न
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) किस देश में भूतल परं स्वर्ग की छटा दिखती है ?
(ग) यूरोपियन के लिए चिंतन करने योग्य भूमि लेखक ने किसे माना है?
(घ) भारत किस विषय में परिपूर्ण कहा गया है ?
(ङ) भारत ने किसका साक्षात्कार सर्वप्रथम किया है ?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम-भारत से हम क्या सीखें।
लेखक का नाम मैक्समूलर।
(ख) भारत की भूतल पर स्वर्ग की छटा दिखती है।
(ग) भारत-भूमि को।
(घ) सर्वविध सम्पदा और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण भारत को माना गया है।
(ङ) भारत ने मानव मस्तिष्क की उत्कृष्टतम उपलब्धियों का सर्वप्रथम साक्षात्कार किया

2. यदि आपके मन में पुराने सिक्कों के लिए लगाव है, तो भारतभूमि में ईरानी, केरियन, श्रेसियन, पार्थियन, यूनानी, मेकेडिनियन, शकों, रोमन और मुस्लिम शासकों के सिक्के प्रचुर परिणाम में उपलब्ध होंगे। जब वारेन हेस्टिंग्स भारत का गवर्नर जनरल था तो वाराणसी के पास उसे 172 दारिस नामक सोने के सिक्कों से भरा एक घड़ा मिला था। वारेन हेस्टिंग्स ने अपने मालिक ईस्ट इण्डिया कम्पनी के निदेशक मंडल की सेवा में सोने के सिक्के यह समझकर भिजवा दिये कि यह एक ऐसा उपहार होगा जिसकी गणना उसके द्वारा प्रेषित सर्वोत्तम दुर्लभ वस्तुओं में की जाएगी और इस प्रकार वह स्वयं को अपने मालिकों की दृष्टि में एक महान उदार व्यक्ति प्रमाणित कर देगा। किन्तु उन दुर्लभ प्राचीन स्वर्ण मुद्राओं की यही नियति थी कि कम्पनी के निदेशक उनका ऐतिहासिक महत्त्व समझ ही न पाए और उन्होंने उन मुद्राओं को गला डाला। जब वारेन हेस्टिंग्स इंग्लैंड लौटा तो वे स्वर्ण मुद्राएँ नष्ट हो चुकी थीं। अब यह आप लोगों पर निर्भर करता है कि आप ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ भविष्य में कभी न होने दें।

प्रश्न
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) भारत भूमि में प्रचुर परिमाण में कौन-से सिक्के उपलब्ध होंगे?
(ग) वारेन हेस्टिंग्स को वाराणसी के पास क्या मिला?
(घ) उसने वाराणसी में प्राप्त वस्तु को किसे भेंट में दे दिया? (ङ) निदेशक ने मुद्राओं को क्या किया?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम भारत से हम क्या सीखें।
लेखक का नाम मैक्समूलर।
(ख) भारत में ईरानी, केरियन, यूनानी, शकों, रोमन एवं मुस्लिम शासकों के सिक्के उपलब्ध . मिलेंगे।
(ग) स्वर्ण मुद्राओं से भरा एक घड़ा।
(घ) ईस्ट इंडिया कंपनी के निदेशक मंडल को।
(ङ) निदेशक ने मुद्राओं को गला डाला।

3. संस्कृत की सबसे पहली विशेषता है इसकी प्राचीनता, क्योंकि हम जानते हैं कि ग्रीक भाषा से भी संस्कृत का काल पुराना है। जिस रूप में आज यह हम तक पहुंची है, उसमें भी अत्यन्त प्राचीन तत्त्व भली-भाँति सुरक्षित है। ग्रीक और लैटिन भाषाएँ लोगों को सदियों से ज्ञात हैं और निस्संदेह यह भी अनुभव किया जाता रहा था कि इन दोनों भाषाओं में कुछ-न-कुछ साम्य अवश्य है। किन्तु, समस्या यह थी कि इन दोनों भाषाओं में विद्यमान समानता को व्यक्त कैसे किया जाए? कभी ऐसा होता था कि किसी ग्रीक शब्द की निर्माण-प्रक्रिया में लैटिन को कुंजी मान लिया जाता था और कभी किसी लैटिन शब्द के रहस्यों को खोलने के लिए ग्रीक का सहारा लेना पड़ता था। उसके बाद जब गॉथिक और एंग्लो-सैक्सन जैसी ट्यूटानिक भाषाओं, पुरानी केल्टिक तथा स्लाव भाषाओं का भी अध्ययन किया जाने लगा तो इन भाषाओं में किसी-न-किसी प्रकार का पारिवारिक सम्बन्ध स्वीकार करना ही पड़ा। किन्तु, इन भाषाओं में इतनी अधिक समानता कैसे आ गई, और समानताओं के साथ-ही-साथ इतना अधिक अन्तर भी इनमें कैसे पड़ गया, यह रहस्य बना ही रहा और इसी कारण ऐसे अनेक अहैतुकवाद उठ खड़े हुए जो भाषाविज्ञान के मूल सिद्धान्तों के सर्वथा विपरीत है।

प्रश्न
(क) पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए। .
(ख) संस्कृत की पहली विशेषता क्या है?
(ग) ग्रीक और लैटिन भाषाओं के बीच क्या समस्या थी?
(घ) सब भाषाओं की अग्रजा किसे कहा गया है ?
उत्तर-
(क) पाठ का नाम भारत से हम क्या सीखें। .
लेखक का नाम मैक्समूलर।
(ख) संस्कृत की पहली विशेषता इसकी प्राचीनता है।
(ग) दोनों भाषाओं में विद्यमान समानता को कैसे व्यक्त की जाय, यह समस्या थी।
(घ) संस्कृत को सब भाषाओं की अग्रजा कहा गया है।

4. यदि आप लोगों को अत्यंत सरल राजनैतिक इकाइयों के निर्माण और विकास से संबद्ध प्राचीन युग के कानून के पुरातन रूपों के बारे में इधर जो अनुसंधान हुए हैं, उनके महत्त्वं और वैशिष्ट्य को परखने की क्षमता प्राप्त करनी है, तो आपको इसके लिए आज भारत की ग्राम पंचायतों के रूप में इसके प्रत्यक्ष दर्शन का सुयोग अनायास ही मिल जाएगा। भारत में प्राचीन स्थानीय शासन-प्रणाली.या पंचायत-प्रथा को समझने-समझाने का बहुत बड़ा क्षेत्र विद्यमान है।

प्रश्न
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) सरलतम और राजनैतिक इकाइयों की जानकारी का माध्यम क्या है?
(ग) गद्यांश का सारांश लिखें।
उत्तर-
(क) पाठभारत से हम क्या सीखें। लेखक मैक्समूलर।
(ख)सरलतम और राजनैतिक इकाइयों की जानकारी भारत की ग्राम-पंचायत व्यवस्था के अध्ययन से प्राप्त की जा सकती है।
(ग)भारत की ग्राम-पंचायत व्यवस्था संसार की सबसे प्राचीन सरलतम् और राजनैतिक प्रशासनिक इकाई है। इससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है।

5. अपने सच्चे आत्मरूप की पहचान में भारत का स्थान किसी भी देश के बाद दूसरे नम्बर ‘ पर नहीं रखा जा सकता। मानव-मस्तिष्क के चाहे किसी भी क्षेत्र को आप अपने विशिष्ट अध्ययन का विषय क्यों न बना लें, चाहे वह भाषा का क्षेत्र हो या-धर्म का, दैवत विज्ञान का हो या दर्शन का, चाहे विधिशास्त्र या कानून का हो अथवा रीति-रिवाजों व परम्पराओं का, प्राचीन काल या शिल्प का हो अथवा पुरातन का, इनमें से किसी में विचरण करने के लिए भले ही आप चाहें, न चाहें आपको भारत की शरण लेनी ही होगी, क्योंकि मानव इतिहास से सम्बद्ध अत्यन्त बहुमूल्य और अत्यन्त उपादेय प्रामाणिक सामग्री का एक बहुत बड़ा भाग भारत और केवल भारत में ही – संचित है।

प्रश्न
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) आत्म रूप की पहचान की दृष्टि से भारत का संसार में क्या स्थान है?
(ग) किन-किन क्षेत्रों की विशिष्ट जानकारी के लिए भारत की शरण लेना जरूरी है?
(घ) गद्यांश का आशय लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ-भारत से हम क्या सीखें। लेखक- मैक्समूलर।
(ख) आत्मरूप की पहचान की दृष्टि से भारत का स्थान सर्वोपरि है।
(ग) भाषा, धर्म, दैवत विज्ञान, दर्शनशास्त्र, विधि या कानून, रीति-रिवाजों, परम्पराओं और प्राचीन कला या शिल्प एवं पुरातन विज्ञान की विशिष्ट जानकारी के लिए भारत सबसे उपयुक्त स्थान है।
(घ) आत्मरूप को पहचानने की दृष्टि से ही भारतीय साहित्य से बढ़कर कोई साहित्य ही नहीं है। साहित्य ही नहीं, दर्शनशास्त्र, कानून, प्राचीन शिल्प एवं कला, धर्म, दर्शन या भाषा की विस्तृत जानकारी की प्रचुर सामग्री भारत में उपलब्ध है।

6. एक भाषा बोलना एक माँ के दूध पीने से भी बढ़कर एकात्मकता का परिचायक है और भारत की पुरातन भाषा संस्कृत सार रूप से वही है जो ग्रीक, लैटिनं या एंग्लो सेक्सन भाषाएं हैं। यह एक ऐसा पाठ है, जिसे हम भारतीय भाषा और साहित्य के अध्ययन के बिना कभी न पढ़ पाते, और भारत यदि हमें इस एक पाठ के सिवा और कुछ भी न पढ़ा पाता तो भी हम इससे ही इतना कुछ सीख जाते जितना दूसरी कोई भाषा कभी नहीं सिखा पाती।
(क) पाठ और लेखक के नामों का उल्लेख करें।
(ख) एकात्मकता का सबसे बड़ा परिचायक क्या है?
(ग) भारतीय भाषा और साहित्य के अध्ययन के बिना हम क्या नहीं जान पाते हैं ?
(घ) इस गद्यांश का सारांश लिखिए।
उत्तर-
(क) पाठ-भारत से हम क्या सीखें। लेखक- मैक्समूलर।
(ख) एकात्मकता का सबसे बड़ा परिचायक है एक भाषा बोलना। यह एक माँ का दूध पीने की भाँति है।
(ग) भारतीय भाषा और साहित्य के अध्ययन के बिना हम कभी न जान पाते कि संस्कृत भाषा भी साररूप से वही है जो ग्रीक, लैटिन या ऐंग्लो सेक्सन की भाषाएँ।
(घ) भारत की पुरातन भाषा संस्कृत सार- रूप से ग्रीक, लैटिन और ऐंग्लो सेक्सन की ही . भाषा है। इस बात का पता भारतीय साहित्य और इतिहास के अध्ययन के सिवा नहीं लगता।

7. संस्कृत तथा दूसरी आर्य भाषाओं के अध्ययन ने हमारे लिए बस इतना ही किया हो, सो बात भी नहीं है। इससे मानव जाति के बारे में हमारे विचार व्यापक और उदार ही नहीं बने हैं तथा लाखों-करोड़ों अजनबियों तथा बर्बर समझे जानेवाले लोगों को भी अपने ही परिवार के सदस्य की भाँति गले लगाना ही हम नहीं सीखें हैं, अपितु इसने मानव-जाति के सम्पूर्ण इतिहास को एक वास्तविक रूप. में प्रकट कर दिखाया है, जो पहले नहीं हो पाया था समूलर।

प्रश्न
(क) पाठ और लेखक के नाम लिखें।
(ख) संस्कृत भाषा के अध्ययन से क्या लाभ हुए हैं ?
(ग) गद्यांश का आशय लिखें।
उत्तर-
(क) पाठ- भारत से हम क्या सीखें।लेखक-मैक्समूलरा
(ख) संस्कृत भाषा के अध्ययन से मानव जाति के बारे में लोगों के विचार व्यापक हैं और सबने जाना है कि जिन्हें बर्बर समझते हैं, वे भी हमारे ही परिवार के सदस्य हैं।
(ग) संस्कृत ने बताया है कि सम्पूर्ण मानव-जाति एक है, संबकी भावनाएं एक-सी है और जिन्हें हम बर्बर कहते हैं वे भी हमारे परिवार के ही अंग हैं। उनसे घृणा करना उचित नहीं।

8. हम सब पूर्व से आए हैं। हमारे जीवन में जो भी कुछ अत्यधिक मूल्यवान है वह हम पूर्व से मिला है और पूर्व को पहचान लेने से ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को जिसने इतिहास की वास्तविक शिक्षा का कुछ लाभ उठाया है, भले ही प्राच्य-विद्या-विशारद न हो तो भी यह अनुभव अवश्य होगा कि वह नानाविध स्मृतियों से भरे अपने पुराने घर की ओर लौट रहा है।

प्रश्न
(क) पाठ और लेखक का नाम लिखें।
(ख) अपने प्राचीन बास-स्थान के बारे में लेखक का क्या ख्याल है ?
(ग) पर्व को पहचानने से किस विचार की पुष्टि होती है ?
(घ) गद्यांश का निष्कर्ष क्या है?
उत्तर-
(क) पाठ-हम भारत से क्या सीखें। लेखक-मैक्समूलर।
(ख) लेखक का विचार है कि वे तथा अन्य लोग पूर्व से आए हैं।
(ग) पूर्व को पहचान लेने से इतिहास का ज्ञान न होने पर भी, यह स्पष्ट हो जाता है कि हम सभी पूर्व से आए हैं।
(घ) सभी सभ्यताओं के उत्सर्ग पूर्व में है पश्चिम के लोग भी पूर्व से हो गए हैं। जीवन में जो कुछ भी मूल्यवान है, वह पूर्व की ही देन है, यह इतिहास का सामान्य ज्ञान न रखने वाला भी आसानी से समझ सकता है।

9. भारत में धर्म के वास्तविक उद्भव, उसके प्राकृतिक विकास तथा उसके अपरिहार्य क्षीयमाण रूप का प्रत्यक्ष परिचय मिल सकता है। भारत ब्राह्मण या वैदिक धर्म की भूमि है, बौद्ध धर्म की यह जन्मभूमि है, पारसियों के जरथुस्ट धर्म की यह शरणस्थली है। आज भी यहाँ नित्व नये मत-मतान्सर प्रकट व विकसित होते रहते हैं।

प्रश्न-
(क) भारत में किसका प्रत्यक्ष परिचय मिलता है?
(ख) लेखक ने भारत को ब्राह्मण या वैदिक धर्म की भूमि क्यों कहा है?
(ग) मत-मतानर के प्रकट और विकसित होने से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर-
(क) भारत में धर्म के वास्तविक उद्भव, उसके प्राकृतिक विकास तथा उसके । अपरिहार्य क्षीयमाण रूप का प्रत्यक्ष.परिचय मिलता है।
(ख) भारत में सबसे पहले आर्य संस्कृति आयी थी। जैसे-जैसे वह संस्कृति बढ़ती गई भारत का स्वरूप बदलता चला गया ऋग्वेद वैदिक धर्म की ही देन है। आर्य ब्राह्मणों ने ही वैदिक संस्कृत को विकसित किया है। इसी आधार पर लेखक ने भारत को ब्राहमण या वैदिक धर्म की भूमि कहा है।
(ग) भारत विविध सम्प्रदायों का देश है। बाहर से आनेवाले धर्म भी इसके अभिन्न अंग
बनते चले गये। वर्षों बाद भी वे संस्कृतियों अक्षुण्ण हैं। सभ्यता-संस्कृति के विकास क्रम के साथ ही मत-मतान्तर विकसित होते आ रहे हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

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प्रश्न 1.
फ्रेड्रिक मैक्समूलर किस पाठ के रचयिता हैं?
(क) श्रम-विभाजन और जाति-प्रथा
(ख) नागरी लिपि
(ग) भारत से हम क्या सीखें
(घ) परम्परा का मूल्यांकन
उत्तर-
(ग) भारत से हम क्या सीखें

प्रश्न 2.
मैक्समूलर कहाँ के रहनेवाले थे?
(क) इंगलैंड
(ख) जर्मनी
(ग) अमेरिका
(घ) श्रीलंका
उत्तर-
(ख) जर्मनी

प्रश्न 3.
भारत कहाँ बसता है ?
(क) दिल्ली के पास ।
(ख) गाँधी में
(ग) शहरों में
(घ) लोगों के मन में
उत्तर-
(घ) लोगों के मन में

प्रश्न 4.
पारसियों के धर्म का क्या नाम है ?
(क) बौद्ध धर्म
(ख) जैन धर्म
(ग) वैदिक धर्म
(घ) जरथुस्ट
उत्तर-
(घ) जरथुस्ट

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

प्रश्न 1.
मैक्समूलर ने कालिदास के…………………..का जर्मन में अनुवाद किया।
उत्तर-
मेघदूत

प्रश्न 2.
मैक्समूलर को ………………………’ने ‘वेदांतियों का वेदांती’ कहा।
उत्तर-
स्वामी

प्रश्न 3.
वस्तुओं के समान …………………………भी मर-मिट जाते हैं।
उत्तर-
शब्द

प्रश्न 4.
ग्रीक भाषा का ‘मूल’ संस्कृत के………………….शब्द का ही रूप है। .
उत्तर-
मूल

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जनरल कर्मिघम ने कौन-सी रिपोर्ट तैयार की? … या, जनरल कमिंघम का महत्त्व क्या है ?
उत्तर-
जनरल कमित्रम ने भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण की वार्षिक रिपोर्ट तैयार की।

प्रश्न 2.
वारेन हेस्टिंग्स को कहाँ दारिस.नामक सोने के सिक्के मिले ?
उत्तर-
वारेन हेस्टिंग्स को वाराणसी के पास दारिस नामक सोने के 172 सिक्के मिले।

प्रश्न 3.
भारत में प्राचीन काल में स्थानीय शासन की कौन-सी प्रणाली प्रचलित थी?
उसर-
ग्राम-पंचायत द्वारा स्थानीय शासन चलता था।

प्रश्न 4.
मैक्समूलर ने किन विशेष क्षेत्रों में अभिरुचि रखनेवालों के लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक बताया है ?
उत्तर-
मैक्समूलर ने भू-विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, जन्तु-विज्ञान/ नृवंश विद्या, पुरातात्विक, इतिहास, भाषा आदि विभिन्न क्षेत्रों में अभिरुचि रखनेवालों के लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक बताया है।

भारत से हम क्या सीखें लेखक परिचय

विश्वविख्यात विद्वान फ्रेड्रिक मैक्समूलर का जन्म आधुनिक जर्मनी के डेसाउ नामक नगर में 6 दिसंबर 1823 ई० में हुआ था । जब मैक्समूलर चार वर्ष के हुए, उनके पिता विल्हेल्म मूलर नहीं रहे । पिता के निधन के बाद उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही दयनीय हो गई, फिर भी मैक्समूलर की शिक्षा-दीक्षा बाधित नहीं हुई। बचपन में ही वे संगीत के अतिरिक्त ग्रीक और लैटिन भाषा में निपुण हो गये थे तथा लैटिन में कविताएँ भी लिखने लगे थे । 18 वर्ष की उम्र में लिपजिंग विश्वविद्यालय में उन्होंने संस्कृत का अध्ययन आरंभ कर दिया । सन् 1994 में उन्होंने ‘हितोपदेश’ का जर्मन भाषा में अनुवाद प्रकाशित करवाया। इसी समय उन्होंने ‘कठ’ और ‘केन’ आदि उपनिषदों का जर्मन भाषा में अनुवाद किया तथा ‘मेघदूत’ का जर्मन पद्यानुवाद भी किया।

मैक्समूलर उन थोड़े-से पाश्चात्य विद्वानों में अग्रणी माने जाते हैं जिन्होंने वैदिक तत्त्वज्ञान को मानव सभ्यता का मूल स्रोत माना । स्वामी विवेकानंद ने उन्हें ‘वेदांतियों का भी वेदांती’ कहा। उनका भारत के प्रति अनुराग जगजाहिर है । उन्होंने भारतवासियों के पूर्वजों की चिंतनराशि को यथार्थ रूप में लोगों के सामने प्रकट किया। उनके प्रकाण्ड पांडित्य से प्रभावित होकर साम्राज्ञी विक्टोरिया ने 1868 ई० में उन्हें अपने ऑस्बोर्न प्रासाद में ऋग्वेद तथा संस्कृत के साथ यूरोपियन भाषाओं की तुलना आदि विषयों पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था । उस भाषण को सुनकर विक्टोरिया इतनी प्रभावित हुईं कि उन्हें ‘नाइट’ की उपाधि प्रदान कर दी, किन्तु उन्हें यह पदवी अत्यंत तुच्छ लगी और उन्होंने उसे अस्वीकार कर दिया । भारतभक्त, संस्कृतानुरागी एवं वेदों के प्रति अगाध आस्था रखने वाले फ्रेड्रिक मैक्समूलर का 28 अक्टूबर सन् 1900 ई० में निधन . हो गया ।

प्रस्तुत आलेख वस्तुत: भारतीय सिविल सेवा हेतु चयनित युवा अंग्रेज अधिकारियों के आगमन के अवसर पर संबोधित भाषणों की श्रृंखला की एक कड़ी है। प्रथम भाषण का यह अविकल रूप से संक्षिप्त एवं संपादित अंश है जिसका भाषांतरण डॉ. भवानीशंकर त्रिवेदी ने किया है । भाषण में मैक्समूलर ने भारत की प्राचीनता और विलक्षणता का प्रतिपादन करते हुए नवागंतुक अधिकारियों को यह बताया कि विश्व की सभ्यता भारत से बहुत कुछ सीखती और ग्रहण करती आयी है । उनके लिए भी यह एक सौभाग्यपूर्ण अवसर है कि वे इस विलक्षण देश और उसकी सभ्यता-संस्कृति से बहुत कुछ सीख-जान सकते हैं । यह भाषण आज भी उतना ही प्रासंगिक है, बल्कि स्वदेशाभिमान के विलोपन के इस दौर में इस भाषण की विशेष सार्थकता है। नई पीढ़ी अपने देश तथा इसकी प्राचीन सभ्यता-संस्कृति, ज्ञान-साधना, प्राकृतिक वैभव आदि की महत्ता का प्रामाणिक ज्ञान प्रस्तुत भाषण से प्राप्त कर सकेगी ।

भारत से हम क्या सीखें Summary in Hindi

पाठ का सारांश

प्रस्तुत शीर्षक “भारत से हम क्या सीखें।” वस्तुतः भारतीय सविल सेवा के चयनित युवा अंग्रेज अधिकारी लोगों को प्रशिक्षण के लिए मैक्समूलर साहब द्वारा दिया गया भाषण का अंश है।

पश्चिम जगत् में भारत के संबंध में सही-सही ज्ञान एवं दृष्टि के प्रणेता विश्वविख्यात विद्वान फ्रेड्रिक मैक्समूलर पहला व्यक्ति थे। उन्होंने भारतीय सभ्यता-संस्कृति, ज्ञान-विज्ञान, संस्कृत भाषा कला-कौशल आदि का गहराई से अध्ययन किया और दुनियाँ के सामने स्पष्ट किया। स्वामी विवेकानंद ने उन्हें ‘वेदांतियों का भी वेदांती’ कहा।

सर्वविध संपदा और प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण कौन-सा देश है, यदि आप मुझे इस भूमण्डल का अवलोकन करने के लिए कहें तो बताऊँगा कि वह देश है—भारत। भारत, जहाँ भूतल पर ही स्वर्ग की छटा निखर रही है। यदि यूनानी, रोमन और सेमेटिक जाति के यहूदियों की विचारधारा में ही सदा अवगाहन करते रहनेवाले हम यूरोपियनों को ऐसा कौन-सा साहित्य पढ़ना चाहिए जिससे हमारे जीवन अंतरतम परिपूर्ण अधिक सर्वांगीण, अधिक विश्वव्यापी, यूँ कहें कि संपूर्णतया मानवीय बन जाये, और यह जीवन ही क्यों, अगला जन्म तथा शाश्वत जीवन भी सुधर जाये, तो मैं एक बार फिर भारत ही का नाम लूँगा।

यदि आपकी अभिरूचि की पैठ किसी विशेष क्षेत्र में है, तो उसके विकास और पोषण के लिए आपको भारत में पर्याप्त अवसर मिलेगा।

यदि आप भू-विज्ञान में रूचि रखते हैं तो हिमालय से श्रीलंका तक का विशाल भू-प्रदेश आपकी प्रतीक्षा कर रहा है। यदि आप वनस्पति जगत में विचरना चाहते हैं तो भारत एक ऐसी. फुलवारी है जो हकर्स जैसे अनेक वनस्पति वैज्ञानिकों को अनायास ही अपनी ओर आकृष्ट कर लेती है। यदि आपकी रूचि जीव-जन्तुओं के अध्ययन में है तो आपका ध्यान श्री हेकल की ओर अवश्य होगा, जो इन दिनों भारत के कान्तारों की छानबीन के साथ ही भारतीय समुद्रतट से मोती भी बने रहे हैं। यदि आप नृवंश विद्या में अभिरूचि रखते हैं तो भारत आपको एक जीता-जागता संग्रहालय ही लगेगा। यदि आप पुरातत्व प्रेमी हैं, और यदि आपने यहाँ रहते हुए पुरातत्व के द्वारा एक प्राचीन चाकू या चकमक या किसी प्राणी का कोई भाग ढूंढ़ निकालने के आनन्द का अनुभव किया हो तो आपको जनरल कनिाम की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की वार्षिक रिपोर्ट पढ़ लेनी चाहिए और तब भारत के बौद्ध सम्राटों के द्वारा निर्मित (नालन्दा जैसे) विश्वविद्यालयों अथवा विहारों के ध्वंसावशेषों को खोद निकालने के लिए आपका फावड़ा आतुर हो उठेगा।

यदि आपके मन में पुराने सिक्कों के लिए लगाव है, तो भारतभूमि में ईरानी, केरियन, थेसियन, पार्थियन, यूनानी, मेकेडिनियन, शकों, रोमन और मुस्लिम शासकों के सिक्के प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होंगे। दैवत विज्ञान पर भारत के प्राचीन वैदिक दैवत विज्ञान के कारण जो नया प्रकाश पड़ा है, उसके फलस्वरूप संपूर्ण दैवत विज्ञान को नया स्वरूप प्राप्त हो गया है। ”

नीति कथाओं के अध्ययन क्षेत्र में भी भारत के कारण नवजीवन का संचार हो चुका है, क्योंकि भारत के कारण ही समय-समय पर नानाविध साधनों और मार्गों के द्वारा अनेक नीति कथाएँ पूर्व से पश्चिम की ओर आती रही हैं।

आपमें से कइयो ने भाषाओं को हीन नहीं, भाषा विज्ञान का भी अध्ययन किया होगा। तो आपको क्या भारत से बढ़कर दूसरा कोई देश दिखाई देता है जहाँ केवल शब्दों का ही नहीं, बल्कि व्याकरणात्मक तत्त्वों के विकास और लय से संबद्ध भाषावैज्ञानिक समस्याओं के अध्ययन का । महत्त्वपूर्ण अवसर प्राप्त हो सके यदि आप विधिशास्त्र या कानून के विद्यार्थी हैं तो आपको विधि-संहिताओं के एक ऐसे इतिहास की जाँच-पड़ताल का अवसर मिलेगा जो यूनान, रोम या जर्मनी के ज्ञात विधिशास्त्रों के इतिहास से सर्वथा भिन्न होते हुए भी इनके साथ समानताओं और विभिन्नताओं के कारण विधिशास्त्र के किसी भी विद्यार्थी के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

यदि आप लोगों को अत्यंत सरल राजनैतिक इकाइयों के निर्माण और विकास से संम्बद्ध प्राचीन युग के कानून के पुरातन रूपों के बारे में इधर जो अनुसंधान हुए हैं, उनके महत्त्व और वैशिष्ट्य को परख सकने की क्षमता प्राप्त करनी है, तो आपको इसके लिए आज भारत की ग्राम पंचायतों के रूप में इसके प्रत्यक्ष दर्शन का सुयोग अनायास ही मिल जाएगा। भारत में प्राचीन स्थानीय शासन प्रणाली या पंचायत प्रथा को समझने-समझाने का बहुत बड़ा क्षेत्र विद्यमान है। भारत ब्राह्मण या वैदिक धर्म की भूमि है, बौद्धधर्म जन्मस्थली है। पारसियों के जखुस्त धर्म की यह शरणस्थली है। आज भी यहाँ नित्य नये मत-मतान्तर प्रकट व विकसित होते रहते हैं।

संस्कृत की सबसे पहली विशेषता है इसकी प्राचीनता क्योंकि हम जानते हैं कि ग्रीक भाषा से भी संस्कृत का काल पुराना है। संस्कृत में चूहा को मूषः कहते हैं। ग्रीक में मूस, लैटिन में मुस, पुरानी स्लावोनिक में माइस और पुरानी उच्च जर्मन में मुस कहते हैं।

‘मैं हूँ’ जैसे भाव को व्यक्त करने के लिए भला किन्हीं दूसरी भाषाओं में ‘अस्मि’ जैसा । शुद्ध और उपयुक्त शब्द कहाँ मिल पाएगा।
. मैं इसे ही वास्तविक अर्थों में इतिहास मानता हूँ और यह एक ऐसा इतिहास है जो राज्यों के दुराचारों और अनेक जातियों की क्रूरताओं की अपेक्षा कहीं अधिक ज्ञातव्य और पठनीय है। हम सब पूर्व से आये हैं। हमारे जीवन में जो भी कुछ अत्यधिक मूल्यवान है, वह हमें पूर्व से मिला है और पूर्व को पहचान लेने से ऐसे प्रत्येक व्यक्ति को जिसने इतिहास की वास्तविक शिक्षा कुछ लाभ उठाया है, भले ही वह प्राच्य-विद्या-विशारद न भी हो तो भी यह अनुभव अवश्य होगा कि वह नानाविध स्मृतियों से भरे अपने पुराने घर की ओर जा रहा है। यदि आप लोग चाहें तो भारत के बारे में वैसे ही सुनहरे सपने देख सकते हैं और भारत पहुँचने के बाद एक से बढ़कर एक शानदार काम भी कर सकते हैं।

शब्दार्थी

अवलोकन : देखना, प्रतीति करना, महसूस करना
अवगाहन : स्नान, गहरे डूबकर समझने की कोशिश करना
वांछनीय : चाहने योग्य, कामना करने योग्य
नृवंश विद्या नृतत्त्व शास्त्र, मानव शास्त्र
परिमाण : मात्रा
दारिस : मुद्रा का एक प्राचीन प्रकार
प्रेषित : भेजा हुआ
दैवत विज्ञान : देव विज्ञान
प्रत्लयुग : प्रागैतिहासिक युग, प्राचीन युग
अनुरूपता : समानता, सादृश्य
क्षय : छीजन, विनाश
अपरिहार्य : जिसे छोड़ा. न जा सके, अनिवार्य
क्षीयमाण : नष्ट होता हुआ
मसला : मुद्दा, विषय
सदाशयता : उदारता, भलमनसाहत
सर्वातिशायी : जिसमें सारी चीजें समाहित हो जायें
विद्यमान : वर्तमान, उपस्थित
अहेतुकवाद : ऐसा सिद्धांत जिसमें हेतु या कारण की पहचान न हो सके
सर्वथा : पूरी तरह से
ज्ञातव्य : जानने योग्य
सारभूत : सार या निष्कर्ष कहा जाने योग्य, आधारभूत
अजनबी : अपरिचित, अज्ञात
बर्बर : जंगली, असभ्य
सुविस्तीर्ण : अतिविस्तृत, खुशफैल, पूरी तरह से फैला हुआ
अनिर्वचनीय : जिसकी व्याख्या न की जा सके, वाणी के परे
धात्री : पालन-पोषण करनेवाली, धारण करनेवाली
प्राच्य : पूर्वी (पाश्चात्य का विलोम), यहाँ भारतीयं के अर्थ में