Bihar Board Class 11 Political Science Solutions Chapter 7 राष्ट्रवाद

Bihar Board Class 11 Political Science Solutions Chapter 7 राष्ट्रवाद Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Political Science Solutions Chapter 7 राष्ट्रवाद

Bihar Board Class 11 Political Science राष्ट्रवाद Textbook Questions and Answers

राष्ट्रवाद के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 1.
राष्ट्र किस प्रकार से बाकी सामूहिक सम्बद्धताओं से अलग है?
उत्तर:
मानव एक सामाजिक प्राणी है। ऐसा प्रकृति के कारण है। व्यक्ति अपना जीवन समूह में व्यतीत करता है। उसका ऐसा पहला समूह परिवार था, जब उसने अपना जीवन व्यतीत किया। परिवार से वह विभिन्न संघों और समाज के सम्पर्क में आया। संघ के पश्चात् राज्य और बाद में देश बना। राज्य सर्वाधिक अनुशासित और संगठित संस्था है। राज्य संगठित एवं अनुशासित है, क्योंकि इसके पास प्रभुसत्ता होती है, अर्थात् नागरिकों एवं विषयों के ऊपर राज्य एक उच्च शक्ति है। इन सभी समूहों में राष्ट्र का सामूहिक संगठन का आधार अन्य की तुलना में भिन्न होता है।

परिवार का आधार रक्त सम्बन्ध होता है। समाज का आधार लोगों का एक दूसरे पर आश्रित होना है और संघ का आधार निश्चित उद्देश्यों को प्राप्त करना है। ये सभी सामाजिक समूह लोगों के समूह हैं। राष्ट्र के संगठन का आधार राष्ट्रीयता होती है, जो समान जाति, समान इतिहास, समान संस्कृति, समान नैतिकता, समान विश्वास और समान भूगोल के लोगों का समूह होता है। राष्ट्रीयता देशभक्ति की भावना को जागृत करती है। विभिन्न तत्वों के समान राष्ट्रीयता के कारण उनके भावी स्वप्न भी समान होते हैं। इस प्रकार राष्ट्र अन्य सामाजिक समूहों से भिन्न होता है।

राष्ट्रवाद पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 2.
राष्ट्रीय आत्म-निर्णय के अधिकार से आप क्या समझते हैं? किस प्रकार यह: विचार राष्ट्र-राज्यों के निर्माण और उनको मिल रही चुनौती में परिणत होता है?
उत्तर:
आत्म-निर्णय का सिद्धान्त समाज की लोकतान्त्रिक और धर्मनिरपेक्षता पर आधारित है। आत्म-निर्णय के सिद्धान्त को प्रथम विश्व युद्ध के समय संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने प्रस्तुत किया था। आत्म-निर्णय के सिद्धान्त का तात्पर्य है कि प्रत्येक सामाजिक और सांस्कृतिक समूह या समान संस्कृति और भूगोल के लोगों.की पसन्द के कानून को चुनने का अधिकार होना चाहिए।

इसका यह भी मतलब है एक सामाजिक समूह को नियन्त्रण करने वाले कानून को सामाजिक समूहों के सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषा सम्बन्धी क्षेत्रीय और भौगोलिक आकांक्षाओं को प्रकट करना चाहिए, जिसके लिए कानून बनाया जाता है। अधिकार के द्वारा राष्ट्र अपने आपको नियन्त्रित रखते हैं और अपने भावी विकास का निर्धारण करते हैं। इस प्रकार के आवश्यकताओं के निर्माण में राष्ट्र एक स्पष्ट राजनीतिक पहचान के रूप में अपने स्तर के अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के द्वारा अपनी पहचान और स्वीकृति चाहते हैं।

इस प्रकार की अधिकांश माँगें. लोगों द्वारा हुई हैं, जो एक विशिष्ट स्थान पर लम्बे समय से एक साथ रहते हैं और जिन्होंने समान पहचान का दृष्टिकोण विकसित किया है। इस अधिकार ने एक ओर लोगों के आत्मविश्वास को राज्य के कार्यों में बढ़ाया है और उनके विकास को सुनिश्चित किया था। परन्तु इसी समय इस अधिकार ने राज्य व्यवस्था के लिए चुनौतियों को पेश की है और उससे अलगाव की प्रवृत्तियाँ उत्पन्न हो रही हैं। इस प्रकार इस अधिकार ने जन-विरोधी स्थिति को उत्पन्न किया है। विशेष रूप से एकीकरण की स्थिति में मुश्किलें बढ़ जाती हैं।

संयुक्त सोवियत रूस का पतन 15 राष्ट्र राज्यों में आत्म निर्णय के अधिकार की स्वीकृति के कारण हुआ। चूँकि अधिकांश समाज बहुदलीय और विरोधी हैं। प्रत्येक राज्य अल्प राष्ट्रीयता की समस्या का समाना कर रहे हैं। उदाहरण के लिए इस सन्दर्भ में श्रीलंका का नाम लिया जा सकता है, जहाँ एल.टी.टी.ई. अलग राज्य की माँग कर रहा है। इसी प्रकार भारत में भी आतंकवादी गुटों की यही माँग है। यह राष्ट्र राज्य के रूप में जम्मू कश्मीर की है। इसका समाधान राष्ट्रीय हितों और स्थानीय, क्षेत्रीय और सामाजिक हितों के बीच समझौता और समर्थन है।

राष्ट्रवाद के प्रश्न उत्तर कक्षा 11 Bihar Board प्रश्न 3.
हम देख चुके हैं कि राष्ट्रवाद लोगों को जोड़ भी सकता है और तोड़ भी सकता है। उन्हें मुक्त कर सकता है और उनमें कटुता और संघर्ष भी पैदा कर सकता है। उदाहरणों के साथ उत्तर दीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीयता व्यक्ति की वहं भावना है, जो राष्ट्रीय हित, राष्ट्रीय महत्त्व, राष्ट्रीय सम्मान और त्याग की भावना से सम्बद्ध है। राष्ट्रीय भावना से एक व्यक्ति अपने निजी, क्षेत्रीय, भाविक और अन्य हित के कार्य राष्ट्र के लिए और उसके सम्मान में करता है। राष्ट्रवाद समान राष्ट्रीयता के लोगों में उत्पन्न किया जाता है अर्थात् यह समान संस्कृति, जाति, इतिहास, रहन-सहन और भूगोल के लोगों का समूह है। यह एक व्यक्ति के राष्ट्र के प्रति महत्त्व की जागरुकता का परिणाम है। वह राष्ट्रीय इतिहास और गौरव के प्रति भी चैतन्य रहता है। आज राष्ट्रवाद देशभक्ति से जुड़ा हुआ है अर्थात् इससे देश के लिए त्याग और प्रेम की भावना उत्पन्न होती है।

राष्ट्रवाद एक संवेगात्मक और मनोवैज्ञानिक अवधारणा है, जो भूमि, झंडा और गाने को गौरवान्वित अवधारणा है, राष्ट्रभूमि को ‘माँ’ के रूप में जाना जाता है अर्थात् यह मातृभूमि है और यह माना जाता है कि माँ द्वारा प्रदत्त यहाँ सब कुछ है। इस प्रकार मातृभूमि ही देश है। इतिहास ऐसे अनेक उदाहरणों से भरा पड़ा है, जिनसे पता चलता है कि एक राष्ट्र और उनके लोग औपनिवेशिक और साम्राज्यवादी ताकतों के शोषण से किस प्रकार मुक्त हुए।

19 वीं और 20 वीं शताब्दी में अनेक एशियाई और अफ्रीकी देश राष्ट्रवाद के फलस्वरूप ही आजाद हुए। सकारात्मक दृष्टिकोण से राष्ट्रवाद एक धर्म है। परन्तु जब यह चरमोत्कर्ष पर होता है, तो यह मानवता के लिए हानिकारक होता है। इसका चरमोत्कर्ष और नकारात्मक रूप को अति राष्ट्रवाद (challanism) कहा जाता है। अनेक दर्शन हैं, जिनका विकास चरमोत्कर्ष राष्ट्रवाद के आधार पर हुआ है। जर्मनी में नाजीवादी और इटली में फांसीवादी दर्शन का जन्म हुआ, जिनसे निम्नता और सर्वोच्चता की भावना का जन्म हुआ। फलस्वरूप कटुता, आतंकवाद और युद्धों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी।

राजनीतिक सिद्धांत पाठ 7 के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 4.
वंश, भाषा, धर्म या नस्ल में से कोई भी पूरे विश्व में राष्ट्रवाद के लिए सांझा कारण होने का दावा नहीं कर सकता। टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीयता की भावना के विकास में निम्नलिखित कारक उत्तरदायी हैं –
1. समान विश्वास:
राष्ट्रवाद की भावना उस समय उत्पन्न होती है, जब लोगों में एक होकर रहने की भावना हो और वे एकसाथ तभी रह सकते हैं, जब उनमें आपस में विश्वास हो। जब टीम में सामूहिकता की भावना होती है, तब उनके उद्देश्य और आकांक्षाएँ समान होती हैं।

2. समान इतिहास:
जब लोगों के सुख-दुःख, विजय-पराजय, लाभ-हानि, युद्ध-शान्ति, अहिंसा-हिंसा का इतिहास समान होता है, तब एकता की भावना का विकास होता है, जो राष्ट्रवाद के लिए आवश्यक है। जब लोग अपने स्वयं का इतिहास का निर्माण करते हैं, तो उनमें राष्ट्रवादी भावना बढ़ने लगती है।

वे ऐतिहासिक साक्ष्यों का प्रयोग राष्ट्रीयता के भावना को बढ़ाने के लिए करते हैं। भारत का एक सभ्यता के रूप में लम्बा और गौरवपूर्ण इतिहास है, जो भारत का देश के रूप में आधार है और भारत में राष्ट्रीयता को बढ़ाने का साधन है। पं. जवाहर लाल नेहरू ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘भारत एक खोज’ (Discovery of India) में भारतीय सभ्यता का गौरवपूर्ण इतिहास प्रस्तुत किया है।

3. समान भू-भाग:
समान भू-भाग एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारक है, जो राष्ट्रवाद को बढ़ावा देता है। भू-भाग किसी देश की भूमि का हिस्सा होता है, जो संवेगी और आध्यात्मिक होता है, जो लोगों को एक साथ जोड़े रखता है और उनमें राष्ट्रीय भावना और राष्ट्रवाद का विकास करता है।

4. समान भावी आकांक्षाएँ:
समान भावी आकांक्षाएँ लोगों में एकता स्थापित करती हैं और राष्ट्रवाद की भावना उत्पन्न करती हैं। भविष्य के समान स्वप्न और सामूहिक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आकांक्षाएँ भविष्य में लोगों को एक रखती हैं। समान भावी आकांक्षाएँ देश के कार्य और राष्ट्रवाद के कार्य में सहयोग करती हैं। ये नागरिक के गुणों में वृद्धि करती हैं और इच्छा शक्ति को मजबूत करती हैं। उदाहरण के लिए पी.एल.ओ.।

5. समान संस्कृति:
राष्ट्रवाद लाने और बढ़ाने के लिए एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारक समान संस्कृति है। समान संस्कृति में समान परम्पराओं, त्योहारों, इतिहास, भूगोल, भाषा आदि शामिल हैं, जो सामान्य हितों और उद्देश्यों को बढ़ावा देती हैं, जिससे राष्ट्रीयता की भावना का विकास होता है।

राष्ट्रवाद कक्षा 11 Bihar Board प्रश्न 5.
राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित करने वाले कारकों पर सोदाहरण रोशनी डालिए।
उत्तर:
लोकतन्त्र एक सरकारी व्यवस्था है, जो समानता, बहुलवाद, उदारवाद और धर्मनिरपेक्षता पर आधारित है। राष्ट्रवाद निश्चित रूप से एक सकारात्मक भावना है। परन्तु जब राष्ट्रवाद पराकाष्ठा पर पहुँच जाता है, तो यह नकारात्मक हो जाता है, तब यह समाज के लिए खतरनाक और हानिकारक हो जाता है।

चरमोत्कर्ष राष्ट्रवाद अनैच्छिक है, क्योंकि चरमोत्कर्ष राष्ट्रवादी व्यक्ति दूसरे लोगों के धर्म क्षेत्र, संस्कृति, भाषा आदि को हानि पहुँचाता है और इससे असहिष्णुता की भावना बढ़ती है। पराकाष्ठा की देशभक्ति एक नकारात्मक भावना है और किसी भी समाज के लिए अनैच्छिक और हानिकारक है। इससे दूसरे क्षेत्र, धर्म, संस्कृति और राष्ट्रीयता के लोगों में असहिष्णुता की भावना बढ़ती है। इसलिए ऐसे राष्ट्रवाद जो चरमोत्कर्ष पर और जो नकारात्मक हो, रोकने का उपाय होना चाहिए। निम्नलिखित मुख्य कारक हैं, जो अति राष्ट्रवाद को सीमित करते हैं –

1. लोकतन्त्रता:
लोकतन्त्र, समानता, न्याय, सहनशीलता और मानव मूल्यों पर आधारित होता है, जो किसी भी प्रकार के उग्रवाद पर रोक लगाता है। प्रजातन्त्र में उग्रवाद का कोई स्थान नहीं है। इस प्रकार लोकतन्त्र एक बड़ा कारक है, जो राष्ट्रवाद को सीमित करता है।

2. धर्मनिरपेक्षता:
धर्म निरपेक्षता एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारक है, जो अनैच्छिक राष्ट्रवाद पर रोक लगाता है। धर्म निरपेक्षता विभिन्न धर्म, विश्वास और संस्कृति के लोगों को शान्ति का पाठ सिखाता है। यह सह-अस्तित्व पर भी जोर देता है।

3. बहुलवाद:
बहुलवाद वह विचारधारा है, जो विरोधी समाज को जोड़ता है। यह इस दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है कि यह राष्ट्रवाद को सीमित करता है।

4. अन्तर्राष्ट्रीयवाद:
यह विचारधारा भी अति राष्ट्रवाद को रोकता है।

कक्षा 11 राष्ट्रवाद पाठ के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 6.
आपकी राय में राष्ट्रवाद की सीमाएँ क्या हैं?
उत्तर:
प्रशासकीय व विकास की दृष्टि का होना आवश्यक है। इसमें विभिन्न संस्कृतियाँ और समुदाय हों, जिसमें सभी अल्पसंख्यक अपने आपको सुरक्षित व गौरवान्वित महसूस करें। एक राष्ट्र की सीमाएँ प्रशासन व विकास की दृष्टि से तय होनी चाहिए। राष्ट्रवाद को मानवता पर हावी नहीं होने देना चाहिए। समूहों की पहचान देने में काफी सतर्कता बरती जाती है। लेकिन इन समूहों को राष्ट्र के रूप में स्वीकार करने से पहले यह देख लें कि वे समूह असहिष्णु तो नहीं हैं।

वे अमानवीय नहीं हैं और वे समूह दूसरे समूहों के साथ सहयोग करते हैं। एक राष्ट्र का अपना एक अतीत होता है, जो भविष्य को समेटे होता है। एक राष्ट्र की पहचान उसके भौगोलिक क्षेत्र, राजनीतिक आदर्श, राजनीतिक पहचान से जुड़ी हुई है। समूहों से अलग राष्ट्र अपना शासन अपने आप करने और भविष्य को तय करने का अधिकार चाहता है। लेकिन राष्ट्रीय आत्म-निर्णय का अधिकार ऐसे राज्यों के निर्माण की ओर ले जा सकता है, जो आर्थिक व राजनीतिक क्षमता में काफी छोटे हों और इससे उनकी समस्याएँ और बढ़ सकती हैं। इस प्रकार से हमें सहिष्णुता और विभिन्न रूपों के साथ सहानुभूति होनी चाहिए।

Bihar Board Class 11 Political Science राष्ट्रवाद Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

राजनीतिक सिद्धांत राष्ट्रवाद के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 1.
राष्ट्रीयता के दो तत्त्वों का उल्लेख कीजिए। (Explain the two elements of nationality)
उत्तर:
राष्ट्रीयता के दो महत्त्वपूर्ण तत्त्व निम्नलिखित हैं –

1. भौगोलिक एकता:
प्रत्येक व्यक्ति अपनी मातृभूमि के प्रति जुड़ा रहता है, जहाँ वह जन्म लेता है। जिस भूखण्ड पर अन्य व्यक्तियों के साथ-साथ वह रहता है उसको अपनी मातृभूमि से लगाव हो जाता है। इजरायल बनने से पूर्व यहूदी पूरी दुनिया में बिखरे हुए थे किन्तु उनके मन में इजराइल के प्रति लगाव था।

2. प्रजातीय शुद्धता:
एक ही प्रजाति के लोग एक राष्ट्रीयता को उत्पन्न करते हैं। परन्तु आजकल प्रवास एवं अन्तर्जातीय विवाह के कारण विशुद्ध प्रजाति का मिलना आसान नहीं है।

राष्ट्रवाद पाठ के प्रश्न उत्तर क्लास 11 Bihar Board प्रश्न 2.
आर्थिक पारस्परिक निर्भरता से क्या अभिप्राय है? (What do you mean by economic inter-dependent?)
उत्तर:
आर्थिक क्षेत्र में आज राष्ट्र-राज्यों की पारस्परिक निर्भरता बढ़ रही है। अर्थव्यवस्थाओं की बढ़ती हुई पारस्परिक निर्भरता ने अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के सम्मुख गम्भीर चुनौतियाँ पैदा की हैं। विश्व के अधिक भागों में बढ़ती गरीबी, अप्रयुक्त मानव संसाधन, पर्यावरण के खतरों के प्रति बढ़ती जागरुकता तथा मानव जाति के अस्तित्व की समस्या जैसे मामले इसमें प्रमुख हैं। आज विश्व आर्थिक रूप में एकजुट हो गया है। सुदृढ़ भूमण्डलीय मंच स्थापित करने का अब समय आ गया है।

Rashtravad Class 11 Question Answer Bihar Board प्रश्न 3.
भारत के आर्थिक एकीकरण ने किस प्रकार राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित किया? (How did the economic integration influenced the nationalism)
उत्तर:
आर्थिक एकीकरण के कारण गाँवों का एकान्त जीवन समाप्त हो गया तथा ग्रामीण लोग शहरों में आने लगे। शहरों में कच्चा माल आने लगा। गाँव के शिल्पकार तथा अन्य लोर मजदूरी एवं रोजगार की तलाश में शहरों में आने लगे। शहरों की राष्ट्रीय चेतना गाँवों में पहुंचने लगी। इससे राष्ट्रवाद को प्रोत्साहन मिला।

Rashtravad Question Answer Class 11 Bihar Board प्रश्न 4.
निम्नलिखित के बारे में बताइए कि क्या वे राज्य हैं? यदि हाँ तो कैसे और नहीं तो कैसे? (Are the following state? Why?)
(क) भारत
(ख) संयुक्त राष्ट्र
(ग) बिहार
(घ) संयुक्त राज्य अमेरिका
उत्तर:
(क) हाँ, भारत एक राज्य है, क्योंकि यह सम्प्रभु है।
(ख) नहीं, संयुक्त राष्ट्र एक राज्य नहीं है, क्योंकि यह तो सम्प्रभु राज्यों का संघ है।
(ग) बिहार भी राज्य नहीं है। यह भारतीय संघ की एक इकाई है।
(घ) संयुक्त राज्य अमेरिका राज्य है, क्योंकि यह सम्प्रभु है।

राष्ट्रवाद पाठ के प्रश्न उत्तर कक्षा 11 Bihar Board प्रश्न 5.
राज्य के कोई दो तत्त्व लिखिए। (Describe any two elements of a State) अथवा, राज्य के चार आवश्यक तत्त्व कौन से हैं? (What are the 4 elements of a state?)
उत्तर:
राज्य के निम्नलिखित तत्त्व होते हैं –

  1. जनसंख्या
  2. निश्चित प्रदेश
  3. सरकार
  4. सम्प्रभुता

प्रश्न 6.
राज्य और समाज के अन्तर के किन्हीं दो बिन्दुओं को बताइए। (Give two points of the difference between state and society)
उत्तर:
राज्य और समाज के बीच अन्तर –

  1. राज्य व्यक्ति के केवल बाह्य आचरण को नियन्त्रित करता है। परन्तु समाज व्यक्ति के सभी प्रकार के सामाजिक सम्बन्धों को नियन्त्रित करता है।
  2. राज्य एक अनिवार्य संगठन है, जबकि समाज ऐच्छिक है। राज्य की सदस्यता अनिवार्य है। व्यक्ति किसी न किसी राज्य का सदस्य जीवनपर्यन्त रहता है। परन्तु समाज का सदस्य बनना व्यक्ति की इच्छा पर निर्भर है।

प्रश्न 7.
राष्ट्र राज्य का अर्थ बताइए। (Give the meaning of the nation-state)
उत्तर:
राष्ट्र राज्य एक ऐसा राज्य होता है, जो राष्ट्रीयता से बना है। जब व्यक्ति सामान्य धर्म सामान्य भाषा अथवा सामान्य विरासत में बँधा होता है, तो वह एक राष्ट्र होता है। यदि वे एक स्वतन्त्र राज्य का स्वरूप धारण कर लेते हैं, तो वे एक राष्ट्र-राज्य का निर्माण करते हैं। एशिया, अफ्रीका व लैटिन अमरीका में साम्राज्यवादी शक्तियों के विरुद्ध जारी राष्ट्रीय मुक्ति आन्दोलन के परिणामस्वरूप राष्ट्र-राज्य अस्तित्व में आए।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
राष्ट्र-राज्य से क्या अभिप्राय है? इनके विकास में सहायक तत्त्वों का विवेचन कीजिए। (What do you mean by Nation-State? Discuss the helping elements of its development)
उत्तर:
राष्ट्र-राज्य:
राष्ट्र का स्वरूप शताब्दियों तक विकसित हुआ। राष्ट्र-राज्यों ने क्षेत्र राज्यों का स्थान ले लिया है। राष्ट्र-राज्य आपस में संघर्ष तथा सहयोग के द्वारा बँधे रहते हैं। राष्ट्र-राज्य प्रणाली राजनीतिक जीवन का एक ऐसा नमूना है, जिसमें जनता अलग-अलग सम्प्रभु राज्यों के रूप में संगठित होती है। राष्ट्र-राज्य का क्षेत्र उसमें निवास करने वाली जनसंख्या का है, किसी अन्य का नहीं। उस राज्य को राष्ट्र-राज्य नहीं कहा जा सकता, जो किसी अन्य राज्य की परिसीमा का उल्लंघन करके राष्ट्र-राज्य बनने का प्रयत्न करे।

राष्ट्र राज्य का विकास-आधुनिक राष्ट्र:
राज्य जिन्होंने इंग्लैण्ड, फ्रांस व अमरीका आदि में हुई औद्योगिक क्रान्तियों की विजय के पश्चात् सामंतशाही का स्थान लिया, नए पूँजीवादी वर्ग के राजनैतिक संगठन हैं। बीसवीं शताब्दी में एशिया, अफ्रीका व लैटिन अमरीका में साम्राज्यवादी शक्तियों के विरुद्ध जारी राष्ट्रीय मुक्ति आन्दोलनों के परिणामस्वरूप राष्ट्र-राज्य अस्तित्व में आए।

राष्ट्र-राज्य प्रणाली को प्रोत्साहित करने वाले सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तत्त्व इस प्रकार हैं –

  1. रोमन साम्राज्य व पवित्र रोमन साम्राज्य का विखण्डन तथा सामंतवाद का अन्त।
  2. भूक्षेत्र, जनसंख्या, प्रभुसत्ता व कानून पर आधारित राष्ट्र-राज्यों का उदय।
  3. मेकियावेली, वोदां, ग्रोशियश, हाब्स, अल्यूशियस तथा अन्य विचारकों का सैद्धान्तिक व बौद्धिक योगदान।

प्रश्न 2.
ऐसे किन्हीं पाँच कारकों की व्याख्या कीजिए, जिन्होंने भारत में राष्ट्रवाद को विदेशी आधिपत्य के विरुद्ध चुनौती के रूप में प्रोत्साहित किया? (Explain any five factors which influenced the challenges against foreign rule)
उत्तर:
भारत में राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने वाले पाँच कारक –
1. विदेशी प्रभुत्व के परिणाम:
भारत में राष्ट्रवाद के उदय में सर्वप्रथम विदेशी पभुत्व ने योगदान दिया। स्वयं ब्रिटिश शासन की परिस्थितयों ने भारतीय जनता में राष्ट्रीय भावना विकसित करने में सहायता दी।

2. देश का प्रशासकीय और आर्थिक एकीकरण:
19 वीं और 20 वीं शताब्दी में भारत का एकीकरण हो चुका था और वह एक राष्ट्र के रूप में उभर चुका था। इसलिए भारतीय जनता में राष्ट्रीय भावनाओं का विकास आसानी से हुआ।

3. पश्चिमी विचार और शिक्षा:
उन्नीसवीं सदी में आधुनिक पाश्चात्य शिक्षा और विचारधाराओं के प्रसाद के फलस्वरूप बड़ी संख्या में भारतीयों ने एक आधुनिक बुद्धिसंगत, धर्मनिरपेक्ष, जनतान्त्रिक तथा राष्ट्रवादी राजनीतिक दृष्टिकोण अपनाया।

4. प्रेस तथा साहित्य की भूमिका:
वह प्रमुख साधन प्रेस था, जिसके द्वारा राष्ट्रवादी भारतीयों ने देश-भक्ती की भावनाओं का, आधुनिक, आर्थिक-सामाजिक, राजनीतिक विचारों का प्रचार किया तथा एक अखिल भारतीय चेतना जगाई।

5. सामाजिक व धार्मिक सुधार आन्दोलन:
19 वीं शताब्दी में भारत में सामाजिक व धार्मिक कुरीतियों के विरुद्ध जो अनेक सुधार आन्दोलन चलाये थे, उन्होंने भारतीय जनता में राष्ट्रीयता की भावना उत्पन्न करने में बड़ा योगदान दिया। इन आन्दोलनों ने लोगों को विदेशी शासन के कुप्रभावों और अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे आर्थिक शोषण से भी अवगत कराया।

प्रश्न 3.
राज्य तथा संघ में कोई तीन अन्तर बताइए। (Explain any three points of difference between state and association)
उत्तर:
संघ वह संगठन होता है, जिसका निर्माण मनुष्यों के द्वारा किसी विशेष लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है। राज्य और संघ में निम्नलिखित अन्तर पाये जाते हैं –

1. सदस्यता का भेद (Membership):
राज्य की सदस्यता प्रत्येक व्यक्ति के लिए अनिवार्य होती है। जन्म से लेकर मृत्यु तक व्यक्ति किसी न किसी राज्य का सदस्य होता है किन्तु संघ की सदस्यता ऐच्छिक होती है। एक व्यक्ति एक समय में केवल एक ही राज्य का सदस्य हो सकता है। परन्तु वह एक समय पर अनेक संघों का सदस्य हो सकता है।

2. प्रदेश का भेद (Territory):
राज्य प्रादेशिक रूप में संगठित संघ होता है और इसका. क्षेत्र पूर्णतया निश्चित होता है। परन्तु संघ का कोई निश्चित क्षेत्र नहीं होता। रेड-क्रास सोसायटी एक ऐसा संघ है, जिसका क्षेत्र अन्तर्राष्ट्रीय है। दूसरी ओर अत्यन्त सीमित क्षेत्र वाले छोटे-छोटे संघ भी होते हैं।

3. अवधि का भेद (Tenure):
राज्य एक स्थायी संघ होता है। परन्तु संघ अधिकांशतः अल्पकालीन होते हैं।

प्रश्न 4.
राज्य और समाज में अन्तर समझाइए। (Explain the difference between state and society)
उत्तर:

  1. राज्य समाज का एक भाग है। समाज व्यक्तियों के सामाजिक सम्बन्धों का जाल होता है, जबकि राज्य व्यक्तियों का एक राजनीतिक संगठन है।
  2. समाज व्यक्ति के सभी प्रकार के सामाजिक आचरण को नियन्त्रित करता है। परन्तु राज्य व्यक्ति के केवल बाहरी सम्बन्धों को ही नियन्त्रित करता है।
  3. राज्य एक अनिवार्य संगठन है, जबकि समाज ऐच्छिक है।
  4. राज्य एक प्रादेशिक संगठन है, जबकि समाज किसी प्रकार की भौगोलिक सीमाओं में बँधा हुआ नहीं होता। वह स्थानीय, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय हो सकता है।
  5. राज्य एक कृत्रिम संगठन है। परन्तु समाज की प्रकृति स्वाभाविक होती है।
  6. राज्य के निर्धारित विधान होते हैं, जिन्हें कानून कहा जाता है। कानून के उल्लंघन पर राज्य दण्ड देता है। समाज के अपने कायदे कानून होते हैं, जिनके उल्लंघन पर सामाजिक निर्वासन का प्रावधान होता है। इसका अर्थ है कि तब व्यक्ति को समाज से बाहर कर दिया जाता है।

प्रश्न 5.
राष्ट्रवाद के प्रमुख तत्त्वों की संक्षेप में विवेचना कीजिए। (Write short note on the main elements of Nationalism)
उत्तर:
राष्ट्रवाद के तीन मुख्य तत्त्व हैं –

  1. सम्प्रभुता
  2. क्षेत्रीय अखण्डता
  3. राज्यों की वैधानिक समानता

1. सम्प्रभुता (Sovereignty):
सम्प्रभुता का अर्थ है कि आधुनिक राष्ट्र राज्य पूर्ण रूप से स्वतन्त्र हैं। सम्प्रभु राज्य ही परस्पर दूसरे राज्यों के साथ सन्धि बनाने का अधिकार रखते हैं। सम्प्रभुता विहीन राजनीतिक इकाई को इस प्रकार संधि करने का अधिकार नहीं होता। वे अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों का सदस्य भी नहीं बन सकते।

2. क्षेत्रीय अखण्डता (Territorial Integrity):
सम्प्रभु राज्यों को अपने भू-क्षेत्र के अन्तर्गत सर्वोच्च असीमित सत्ता प्राप्त होती है। इस पर कोई बाहरी नियन्त्रण नहीं होता। सम्प्रभुता विहीन राजनैतिक इकाई का अन्य राज्यों में कोई स्थान नहीं है। राष्ट्र-राज्य प्रणाली की यह विशेषता प्रथम विशेषता का तार्किक परिणाम है। राज्यों की सीमाओं की रक्षा हर दशा में होनी ही चाहिए।

3. राज्यों की वैधानिक समानता (Legal Equality):
सभी राष्ट्र-राज्य अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी के समान सदस्य हैं चाहे उनके आकार, जनसंख्या, आर्थिक संसाधन, दैनिक क्षमता आदि कितने भी असमान हों। यहाँ यह बात स्मरणीय है कि सभी स्वतन्त्र राज्यों की समानता का यह सिद्धान्त लगभग उसी समय अपनाया गया जब राष्ट्र-गान अस्तित्व में आया। 18 वीं शताब्दी के अनेक लेखकों ने भी राज्यों के समानता के सिद्धान्त का समर्थन किया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
राज्य तथा समाज में क्या अन्तर है? दोनों किन बिन्दुओं पर परस्पर निर्भर करते हैं?
उत्तर:
राज्य और समाज के विषय में कभी-कभी कुछ लोग भ्रमित हो जाते हैं और दोनों को एक समझने लगते हैं। वास्तव में दोनों में अन्तर है। अरस्तु ने राज्य तथा समाज के बीच भेद किया था, किन्तु एक तानाशाह के लिए दोनों में से कोई भेद नहीं होता। भौगोलिक दृष्टि में दोनों (राज्य तथा समाज) प्रायः एक ही भू-भाग में स्थित होते हैं, किन्तु दोनों की उत्पत्ति, उद्देश्यों और कार्य प्रणाली में अन्तर होता है। राज्य समाज में निम्नलिखित अन्तर होता है –

1. उत्पत्ति का भेद (Origin):
व्यक्तियों के बीच पाये जाने वाले सम्बन्धों को सामूहिक रूप से समाज कहा जाता है। ये सम्बन्ध संगठित अथवा असंगठित होते हैं। परन्तु राज्य का निर्माण राजनीतिक रूप से संगठित सम्बन्धों के आधार पर ही होता है। समाज राज्य से प्राचीन है। राज्य का अस्तित्व एक समाज में ही सम्भव है।

2. प्रदेश का अन्तर (Territory):
समाज के लिए निश्चित प्रदेश आवश्यक नहीं होता। परन्तु राज्य के लिए आवश्यक है। इसके बिना राज्य की कल्पना नहीं की जा सकती। परन्तु समाज के लिए निश्चित क्षेत्र या प्रदेश होना आवश्यक नहीं है। यह स्थानीय भी हो सकता है और अन्तर्राष्ट्रीय भी।

3. लक्ष्य का भेद (Aims):
लक्ष्य की दृष्टि से समाज व्यापक लक्ष्यों वाला तथा राज्य अपेक्षाकृत संकुचित लक्ष्यों वाला संगठन है। राज्य का अस्तित्व एक महान किन्तु एक ही लक्ष्य के लिए संगठित है। समाज का अस्तित्व अनेक लक्ष्यों के लिए है, जिसमें कुछ महान तथा कुछ साधारण होते हैं।

4. सम्प्रभुता का भेद (Sovereignty):
राज्य एक प्रभुत्व सम्पन्न संस्था है, जबकि समाज केवल नैतिक बल के आधार पर ही अपने आदेशों का पालन करा सकता है।

5. कार्यक्षेत्र का भेद (Scope):
कार्य क्षेत्र की दृष्टि से भी राज्य समाज की तुलना में बहुत सीमित है। सामाजिक जीवन के अनेक ऐसे पहलू हैं, जिनका न तो राज्य से कोई सम्बन्ध है और न ही जिनमें राज्य सफलतापूर्वक हस्तक्षेप कर सकता है। राज्य व्यक्तियों के केवल बाहरी कार्यों से ही सम्बन्ध रखता है और मानव जीवन के सहयोग, सहानुभूति, सेवा और प्रेम जैसे गुणों से उसका कोई सम्बन्ध नहीं होता किन्तु समाज मानव जीवन के प्रत्येक पहलू (आन्तरिक एवं बाहरी सभी प्रकार) से सम्बन्ध रखता है।

राज्य और समाज की परस्पर निर्भरता (Inter dependence of State and Society):
राज्य और समाज में उपरोक्त भेद होते हुए भी परस्पर आन्तरिक आत्मनिर्भता होती है। सामाजिक संरचना को ध्यान में रखकर ही राज्य द्वारा कानूनों का निर्माण किया जाता है। सामाजिक एवं राजकीय नियमों के आधार पर ही सामाजिक आचरण को नियमित रखना सम्भव होता है। समाज और राज्य एक दूसरे पर निर्भर है। बार्कर का कहना है कि यदि ऐसा न होता तो राज्य की स्थापना ही नहीं हो सकती थी।

प्रश्न 2.
राष्ट्र की परिभाषा दीजिए। इसके मुख्य तत्त्वों का वर्णन कीजिए। (Define Nation What are its main elements)
उत्तर:
राष्ट्र (Nation) शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के ‘नेट्स’ (Natus) शब्द से हुई जिसका अर्थ होता है ‘पैदा हुआ’। इसका तात्पर्य यह है कि राष्ट्र उन व्यक्तियों से बना है, जो किसी एक विशेष प्रजाति में पैदा हुए लोगों से बना है। परन्तु आज के युग में प्रजातियों के प्रवासीकरण तथा अन्तर्जातीय विवाहों के कारण कोई विशुद्ध प्रजाति नहीं बची है। रामजे मूर के अनुसार, “राष्ट्र व्यक्ति के शरीर की भाँति होता है, जिसमें हर अंग सौहार्द्रपूर्ण, ढंग से एक दूसरे के साथ जुड़े होते हैं तथा शरीर को मजबूत बनाते हैं। इसी प्रकार राष्ट्र में रहने वाले व्यक्ति भी यदि आपसी सौहार्द्र तथा सहभागिता का त्याग कर दें, तो राष्ट्र का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।”

राष्ट्र का निर्माण राज्य और राष्ट्रीयता से होता है। बर्गेस के अनुसार, “राष्ट्र जातीय एकता के सूत्र में बंधी हुई वह जनता है, जो किसी अखण्ड भौतिक प्रदेश पर निवास करती हो।” जातीय एकता से उनका अभिप्राय ऐसी आबादी से है, जिसकी एक सामान्य भाषा और साहित्य, सामान्य परम्परा और इतिहास, सामान्य रीति-रिवाज तथा उचित और अनुचित की सामान्य चेतना हो। वास्तव में राष्ट्र ऐसे लोगों का समूह है, जो घनिष्ठता, अभिन्नता और प्रतिष्ठा की दृष्टि से संगठित है और एक मातृभूमि से सम्बन्धित है। हेज (Hayes) ने कहा है, “राष्ट्रीयता राजनीतिक एकता तथा सत्ताधारी स्वतन्त्रता को प्राप्त करके राष्ट्र बन जाती है।”

राष्ट्र के मुख्य तत्त्व:

1. प्रजातीय शुद्धता (Racial Purity):
प्रजातीय शुद्धता का अर्थ है कि एक ही समुदाय के सदस्यों की शुद्धता हो। आजकल प्रवास एवं अन्तर्जातीय विवाहों के कारण कहीं भी प्रजातीय शुद्धता प्राप्त करना आसान नहीं है।

2. भाषा समुदाय (Linguistic Association):
सामान्यतः किसी भी राष्ट्र के नागरिकों की एक आम भाषा होती है, क्योंकि इसी के माध्यम से वे अपने विचार तथा संस्कृति का परस्पर आदान-प्रदान करते हैं।

3. भौगोलिक संलग्नता (Geographical Attachment):
प्रत्येक व्यक्ति अपनी मातृभूमि से जुड़ा रहता है। इजराइल बनने से पूर्व यहूदी पूरी दुनिया में बिखरे हुए थे, किन्तु उनके मन में इजराइल के प्रति ही लगाव था।

4. धार्मिक समुदाय (Religious Association):
पहले राष्ट्र के निर्माण में धार्मिक भावनाओं की मुख्य भूमिका हुआ करती थी। उदाहरण के लिए प्रोटेस्टेंट का विरोध करने पर ब्रिटेन तथा स्पेन के बीच युद्ध छिड़ गया था। परन्तु आजकल धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रों के निर्माण का बोलबाला है अर्थात् एक ही राष्ट्र में कई-कई धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। वे एक सशक्त राष्ट्रीयता से बंधे रहते हैं। भारत में धर्मों के विषय में विविधता में एकता पायी जाती है।

5. सामान्य राजनीतिक आकांक्षाएँ (Political Ambitious):
सामान्य राजनीतिक आकांक्षाएँ भी इसका एक तत्त्व माना जाता है। 1971 ई. के पेरिस शान्ति सम्मेलन में इसी आधार पर Self Determination के सिद्धान्त को स्वीकार किया गया।

6. आर्थिक हितों की समरूपता (Economic Interest):
राष्ट्र निर्माण में अन्य महत्त्वपूर्ण तत्त्व होता है आर्थिक हितों की समरूपता। मिल के अनुसार, “किसी भी राष्ट्र की पहचान उसकी राजनीतिक पूर्वापरता, अपना राष्ट्रीय इतिहास तथा किसी प्राचीन ऐतिहासिक घटना पर एक सामूहिक प्रतिक्रिया तथा इससे जुड़ी स्मृतियों के आधार पर निर्मित होती है।”

प्रश्न 3.
तीसरी दुनिया के देशों में राष्ट्रवाद का उदय किस प्रकार हुआ? (How did the Nationalism rise in third world countries?)
उत्तर:
बीसवीं शताब्दी में एशिया व अफ्रीका में साम्राज्यवाद के पतन के बाद भारत, चीन, बर्मा, मिस्र, नाइजीरिया, घाना, फिजी, वियतनाम, इण्डोनेशिया, लीबिया,, सीरिया तथा अन्य राज्य अस्तित्व में आए। कई मामलों में इन राज्यों की रचना राष्ट्रीय मुक्ति संघर्षों के परिणामस्वरूप हुई। इन राष्ट्रों को सम्पूर्ण प्रभूता लम्बे संघर्षों के बाद स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद मिली।

साम्राज्वादी देशों ने इन राज्यों का खूब शोषण कर अपने को अमीर बना लिया। 19 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध व बीसवीं शताब्दी के दौरान इन उपनिवेशों में शिक्षित शहरी वर्ग के नेतृत्व में राष्ट्रीय मुक्ति आन्दोलन का सूत्रपात हुआ तथा ये स्वतंत्र हुए और राष्ट्रीय सम्प्रभु राज्यों के रूप में उभरे। इस प्रकार द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् संसार के मानचित्र में अनेक नए राज्य दिखाई पड़े। वर्तमान में इन नवस्वतन्त्र राज्यों को तीसरी दुनिया के देशों के रूप में जाना जाता है क्योंकि ये अमरीकी अथवा सोवियत गुट में से किसी में शामिल नहीं हुए। उन्होनें स्वतंत्र विदेश नीति का अनुसरण किया। इन देशों को अविकसित अथवा विकासशील देश कहा जाता है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए –
(Write short note on)
(क) राष्ट्र
(ख) राज्य
(ग) संघ
(घ) सरकार

  1. Nations
  2. State
  3. Association
  4. Government

उत्तर:
(क) राष्ट्र (Nation):
राष्ट्र तथा राष्ट्रीयता जिनको अंग्रेजीी में Nation तथा Nationality कहते हैं लैटिन भाषा के एक ही सामान्य शब्द ‘नेट्स’ (Natus) से निकले हैं, जिसका अर्थ ‘जन्म’ अथवा ‘जाति’ है। गार्नर के अनुसार, “राष्ट्रीयता का विकास सजातीय सामाजिक समुदाय के लोगों के सांस्कृतिक तथा मनोवैज्ञानिक रूप से आपसी विचारों के आदान-प्रदान हेतु संगठित होने के कारण हुआ है।”

रामजे मूर (Ramsey Muir) के अनुसार, “राष्ट्र व्यक्ति के शरीर की भाँति होता है, जिसमें हर अंग सौहार्द्रपूर्ण ढंग से एक दूसरे के साथ जुड़े होते हैं तथा शरीर को मजबूत बनाते हैं। इसी प्रकार राष्ट्र में रहने वाले व्यक्ति भी यदि आपसी सौहार्द तथा सहभागिता का त्याग कर दें, तो उसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।” बर्गेस के अनुसार, “राष्ट्र जातीय एकता के सूत्र में बंधी हुई वह जनता है, जो किसी अखण्ड भौतिक प्रदेश पर निवास करती हो।” जिमन ने लिखा है, “राष्ट्र ऐसे लोगों का समूह है, जो घनिष्ठता, अभिन्नता और प्रतिष्ठा की दृष्टि से संगठित है और एक मातृभूमि से सम्बन्धित है।”

(ख) राज्य (State):
डॉ. गार्नर के अनुसार, “राज्य एक थोड़े या अधिक संख्या वाले संगठन का नाम है, जो कि स्थायी रूप से पृथ्वी के निश्चित भाग में रहता हो। वह बाहरी नियन्त्रण से सम्पूर्ण स्वतन्त्र या लगभग स्वतन्त्र हो और उसकी एक संगठित सरकार हो, जिसकी आज्ञा का पालन अधिकतर जनता स्वभाव से करती हो।”

गिलक्राइस्ट ने लिखा है, “राज्य उसे कहते हैं, जहाँ कुछ लोग एक निश्चित प्रदेश में एक सरकार के अधीन संगठित होते हैं। यह सरकार आन्तरिक मामलों में अपनी जनता की प्रभुसत्ता को प्रकट करती है और बाहरी मामलों में अन्य सरकारों से स्वतन्त्र होती है।” मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह समाज में ही रहना चाहता है। एक निश्चित सीमा में बिना किसी नियन्त्रण के गठित सरकार के अधीन संगठित लोगों के समुदाय को राज्य कहा जाता है।

(ग) संघ (Association):
मेकाइवर के अनुसार संघ व्यक्तियों या सदस्यों के ऐसे समूह को कहा जाता है, जो एक सामान्य लक्ष्य के लिए संगठित है। एक प्रकार के विशेष उद्देश्य रखने वाले व्यक्ति एक दूसरे के समीप आते हैं और समूह बनाकर अर्थात् संगठित होकर इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए कार्य करते हैं। यद्यपि राज्य भी मानव आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए गठित एक संगठन होता है। परन्तु राज्य में चार तत्त्व होते हैं-जनसंख्या, भू-भाग, सरकार और सम्प्रभुता जबकि संघ को निश्चित भू-भाग की आवश्यकता नहीं होती। इसकी सदस्यता ऐच्छिक होती है। राज्य की तरह संघ सम्प्रभु नहीं होते।

(घ) सरकार (Government):
बहुत से लोग राज्य तथा सरकार को एक ही अर्थ में प्रयुक्त करते हैं। लुई चौदहवाँ (फ्रांस का सम्राट) कहा करता था, “मैं ही राज्य हूँ।” परन्तु सरकार तो राजा का एक तत्त्व है। सरकार सार्वजनिक नीतियों को निर्धारित करने वाली तथा सार्वजनिक हितों को लागू करने वाली एक एजेन्सी अथवा तन्त्र है। सरकार वास्तव में राज्य सत्ता की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति है। राज्य में सरकारें बदलती रहती है। परन्तु राज्य स्थायी तौर पर बना रहता है। सरकार के तीन अंग होते हैं –

  1. कार्यपालिका
  2. विधायिका
  3. न्यायपालिका

प्रश्न 5.
राज्य किसे कहते हैं? राज्य के प्रमुख तत्त्वों की संक्षेप में व्याख्या कीजिए। (What is state Explain the main elements of a state)
उत्तर:
एक निश्चित सीमा में बिना किसी बाहरी नियन्त्रण के गठित सरकार के अधीन संगठित लोगों के समुदाय को राज्य कहा जाता है। मानव स्वभाव से एक सामाजिक प्राणी है। लास्की ने कहा है कि राज्य एक भूमिगत समाज है, जो शासक और शासितों में बँटा रहता है।

अरस्तू ने कहा था कि राज्य का जन्म जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हुआ है और आज भी आदर्श जीवन की प्राप्ति के लिए इसका अस्तित्व बना हुआ है। गार्नर के अनुसार, “राज्य बहुसंख्यक व्यक्तियों का ऐसा समुदाय है, जो किसी प्रदेश के निश्चित भाग में स्थायी रूप से रहता हो, बाहरी शक्ति के नियन्त्रण से पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से ही स्वतन्त्र हो और जिसमें ऐसी सरकार विद्यमान हो, जिसके आदेश का पालन नागरिकों के विशाल समुदाय द्वारा स्वभावतः किया जाता है।” राज्य के तत्त्व-राज्य के निम्नलिखित चार अनिवार्य तत्व होते हैं –

1. जनसंख्या (Population):
राज्य को बनाने के लिए जनसंख्या आवश्यक है। हम किसी निर्जन प्रदेश को राज्य नहीं कह सकते। किसी राज्य की जनसंख्या कितनी हो यह नहीं कहा जा सकता है। प्लूटो ने राज्य की जनसंख्या 5000 तथा रूसो ने 10,000 निश्चित की थी। परन्तु आजकल विशाल राज्य है, जिनकी जनसंख्या करोड़ों में है। भारत और चीन की जनसंख्या एक अरब से भी अधिक है। अरस्तु का यह कथन था कि राज्य की जनसंख्या इतनी हो, जिससे कि वह आत्मनिर्भर रह सके। आज भारत की अनेक समस्याओं का कारण उसकी अधिक जनसंख्या है।

2. भू-भाग (Territory):
प्रत्येक राज्य का अपना एक निश्चित भू-भाग होता है। इस निश्चित भू-भाग से प्रेम करने के कारण देशभक्ति का उदय होता है। राष्ट्रीय आन्दोलन के समय अनेक वीरों ने अपनी मातृभूमि के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है। निश्चित भू-भाग राज्य के लिए इस कारण अनिवार्य है कि राज्य की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए दूसरे राज्यों द्वारा किए जाने वाले हस्तक्षेपों को रोका जा सके। निश्चित भू-भाग के अन्तर्गत भूमि, जल तथा वायु तीनों ही क्षेत्र आते हैं। राज्य का अधिकार अपने भू-क्षेत्र, समुद्री क्षेत्र तथा आकाश आदि सभी पर होता है। राज्य का भू-भाग रूस के समान विशाल तथा सेन्ट मरीना जितना छोटा भी हो सकता है।

3. सरकार (Government):
राज्य का एक प्रमुख तत्त्व सरकार भी है। जनता जब तक समुचित ढंग से संगठित नहीं होती, तो राज्य नहीं बन सकता। सरकार एक निर्धारित भू-भाग में रहने वाले लोगों के सामूहिक उद्देश्यों की तरफ भी ध्यान देती है। सरकारें नीति निर्धारण और उनको क्रियान्वित करने का कार्य करती है। सरकार की अनुपस्थिति में गृह युद्ध होने की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। सरकार के विभिन्न रूप होते हैं। लोकतन्त्र, कुलीन तन्त्र तथा अधिनायक तन्त्र की सरकारें हो सकती है। इसके आलावा संसदात्मक तथा अध्यक्षात्मक सरकारें हो सकती हैं।

4. सम्प्रभुता (Sovereignty):
सम्प्रभुता भी राज्य का एक अनिवार्य तथा महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। किसी निश्चित भू-भाग में रहने वाली जनसंख्या को एक सरकार के अधीन नियन्त्रित हो जाने मात्र से ही उसे राज्य का दर्जा प्राप्त नहीं हो जाता, क्योंकि इसके लिए सम्प्रभुता का होना भी आवश्यक है। सम्प्रभुता दो प्रकार की होती है –

  • एक आन्तरिक सम्प्रभुता और
  • बाह्य सम्प्रभुता।

आन्तरिक सम्प्रभुता का अर्थ है राज्य का अपनी सीमा के भीतर एकाधिकार। इसमें किसी दूसरे राज्य का हस्तक्षेप नहीं होता। उसकी इस स्वतन्त्रता में किसी बाहरी सत्ता का हस्तक्षेप नहीं होता। 1947 ई. से पूर्व भारत में अन्य सभी तत्त्व मौजूद थे, किन्तु उसे राज्य का दर्जा प्राप्त नहीं था, क्योंकि तब तक भारत सम्प्रभुता सम्पन्न नहीं था।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
उग्र राष्ट्रवाद किसका समर्थन करता है?
(क) सैनिकवाद
(ख) विश्वशान्ति
(ग) अहिंसा
(घ) आतंकवाद
उत्तर:
(ग) अहिंसा

प्रश्न 2.
अनुच्छेद 19 द्वारा प्रदत्त अधिकार –
(क) भारत में निवास करने वाले सभी व्यक्तियों में उपलब्ध है।
(ख) भारत में नागरिकों को ही उपलब्ध है।
(ग) विदेशियों को भी उपलब्ध है।
(घ) इनमें से किसी को भी उपलब्ध नहीं है।
उत्तर:
(ख) भारत में नागरिकों को ही उपलब्ध है।

Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 12 विक्रमशिला

Bihar Board Class 8 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 3 Chapter 12 विक्रमशिला Text Book Questions and Answers, Summary.

BSEB Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 12 विक्रमशिला

Bihar Board Class 8 Hindi विक्रमशिला Text Book Questions and Answers

प्रश्न – अभ्यास

पाठ से

Class 8th Hindi Bihar Board प्रश्न 1.
विक्रमशिला नामकरण के संदर्भ में जनश्रुति क्या है ?
उत्तर:
विक्रमशिला नामकरण के संदर्भ में जनश्रुति है कि विक्रम नामक यक्ष का दमन कर यहाँ बिहार (भ्रमण योग भूमि) बनाया गया। जिसके कारण इस भू-भाग का नाम विक्रमशीला रखा गया ।

Bihar Board Solution Class 8 Hindi प्रश्न 2.
विक्रमशीला कहाँ अवस्थित है ?
उत्तर:
विक्रमशीला बिहार राज्य के भागलपुर जिला में कहलगाँव के पास अंतिचक गाँव में अवस्थित है।

Bihar Board Class 8 Hindi Solutions प्रश्न 3.
यहाँ के पाठ्यक्रम में क्या-क्या शामिल था?
उत्तर:
यहाँ के पाठ्यक्रम में तंत्र शास्त्र, व्याकरण न्याय, सृष्टि-विज्ञान, शब्द-विद्या, शिल्प-विद्या, चिकित्सा-विद्या, सांख्य, वैशेषिक, अध्यात्म विद्या विज्ञान, जादू एवं चमत्कार विद्या शामिल थे।

पाठ से आगे

Bihar Board Class 8 Hindi प्रश्न 1.
परिभ्रमण के दौरान आप इस स्थल का चयन करना क्यों पसंद करेंगे?
उत्तर:
परिभ्रमण के दौरान इस स्थल का चयन हम इसलिए करेंगे क्योंकि यह स्थान ऐतिहासिक है। यहाँ कभी आर्यभट्ट जैसे विश्वविख्यात खगोलशास्त्री ने अध्ययन कर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाया था । अतः शिक्षार्थियों के लिए यह स्थल नमन करने योग्य है।

Bihar Board Class 8 Hindi Solution प्रश्न 2.
इस विश्वविद्यालय को आधुनिक बनाने के लिए आप क्या-क्या सुझाव देंगे?
उत्तर:
इस विश्वविद्यालय को आधुनिक बनाने के लिए हमारा सुझाव है कि इस विश्वविद्यालय को समृद्ध करें । ज्ञान-विज्ञान का अध्यापन आधुनिक ढंग से करवाया जाये । समृद्ध पुस्तकालय समृद्ध प्रयोगशाला का होना अनिवार्य

बिहार बोर्ड क्लास 8 हिंदी सलूशन प्रश्न 3.
तंत्र विद्या के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
तंत्र-विद्या को जानने वाले तांत्रिक कहलाते हैं। इस विद्या से आसानीपूर्वक कोई कार्य शीघ्र कर लिया जाता है।

Bihar Board 8th Class Hindi Book प्रश्न 4.
निम्नलिखित संस्थाओं को उनकी श्रेणी के अनुसार बढ़ते क्रम में सजाइए।
उत्तर:

  1. प्रारम्भिक विद्यालय,
  2. प्राथमिक विद्यालय,
  3. माध्यमिक विद्यालय,
  4. महाविद्यालय,
  5. विश्वविद्यालय।

व्याकरण

संधि : दो वर्गों के मेल से होनेवाले परिवर्तन को संधि कहते हैं। जैसे-पुस्तक + आलय = पुस्तकालय अ + आ = आ,

संधि के तीन भेद होते हैं-

  1. स्वर संधि,
  2. व्यंजन संधि,
  3. विसर्ग संधि ।

स्वर संधि : दो स्वर वर्णों के मेल से होने वाले परिवर्तन को ‘स्वर संधि’ कहते हैं।

जैसे-विद्या + अर्थी = विद्यार्थी, आ + अ = आ।

व्यंजन संधि : व्यंजन वर्ण के साथ स्वर अथवा व्यंजन वर्ण के मेल से होने वाले परिवर्तन को ‘व्यंजन संधि’ कहते हैं। जैसे दिक् + गज = दिग्गज।

विसर्ग संधि : विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से जो परिवर्तन होता है उसे विसर्ग संधि कहते हैं। जैसे-मनः + रथ =, मनोरथ

Bihar Board Class 8 Hindi Book Solution प्रश्न 1.
ऊपर दी गई जानकारी के आधार पर संधि-विच्छेद कर संधि का नाम लिखिए।

प्रश्नोत्तर :

  1. अतिशयोक्ति = अतिशय + उक्ति = स्वर संधि
  2. सर्वाधिक = सर्व + अधिक = स्वर संधि
  3. परीक्षा = परि + इच्छा = व्यञ्जन संधि
  4. उल्लेखनीय = उत् + लेख + अनीय = स्वर संधि
  5. पुस्तकालय = पुस्तक + आलय = स्वर संधि
  6. शोधार्थी = शोध + अर्थी = स्वर संधि
  7. विद्यार्थी = विद्या + अर्थी = स्वर संधि
  8. प्रत्येक = प्रति + एक = स्वर संधि
  9. नवागत = नव + आगत = स्वर संधि
  10. उच्चादर्श = उच्च + आदर्श = स्वर संधि
  11. नामांकित = नाम + अंकित = स्वर संधि
  12. अवलोकितेश्वर = अवलोकित + ईश्वर = स्वर संधि

Class 8 Hindi Bihar Board प्रश्न 2.
ऊपर बॉक्स में दी गई जानकारी के आधार पर निम्नलिखित शब्दों का समास बताइए
प्रश्नोत्तर:

  1. अभेद्य = नज समास ।
  2. अखण्ड = नत्र समास. ।
  3. पथरघट्टा = तत्पुरुष समास ।
  4. द्वारपंडित = तत्पुरुष समास ।
  5. कुलपति = तत्पुरुष समास ।
  6. शिक्षा केन्द्र = तत्पुरुष समास ।
  7. देश-विदेश = द्वन्द्व समास ।
  8. अलौकिक = नब समास ।

Class 8 Hindi Bihar Board Solution प्रश्न 3.
संधि और समास में अंतर बताइए।
उत्तर:
संधि और समास में निम्नलिखित अंतर है

  1. संधि में दो वर्णों का मेल होता है । जैसे देव + आलय = देवालय समास में दो पदों का मेल होता है। गंगाजल ।
  2. संधि में वर्ण मेल से वर्ण परिवर्तन होते हैं। समास में दो पदों (शब्दों) के बीच का कारक के चिह्न (विभक्ति) का लोप हो जाता है। जैसे-गंगा का जल = गंगाजल ।

गतिविधि

Class 8 Hindi Chapter 12 प्रश्न 1.
विक्रमशिला विश्वविद्यालय के भाँति प्राचीन काल में भारत में ‘नालंदा, तक्षशिला आदि विश्वविद्यालय शिक्षा के केन्द्र से उसके सम्बन्ध में शिक्षक से जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

Bihar Board Class 8th Hindi Solution प्रश्न 2.
सहपाठियों एवं अध्यापकों के साथ विक्रमशिला का परिभ्रमण कीजिए एवं वहाँ प्राप्त पुरातात्त्विक सामग्रियों की एक सूची तैयार कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

विक्रमशिला Summary in Hindi

संक्षेप–विश्वविद्यालय महान खगोल शास्त्री “आर्यभट्ट” एवं तिब्बत ‘ में बौद्ध धर्म तथा लामा सम्प्रदाय के संस्थापक ‘अतिश दीपंकर’ की विद्यास्थली विक्रमशीला प्राचीन भारत को ज्ञान-विद्या के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठता प्रदान करने वाली विश्वविद्यालय में एक था।

बिहार राज्य के भागलपुर जिला में कहलगांव के पास अंतीचक गाँव में इसकी स्थापना आठवीं शदी के मध्य पालवंश के प्रतापी राजा धर्मपाल ने किया था जो बौद्धिक शक्ति प्रधान स्थली होने के कारण अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज पर

चमकने लगा। अपने आचार्यों के विक्रमपूर्ण आचरण के कारण तथा अखंडशील सम्पन्नता के कारण ही इस विश्वबिद्यालय का नाम विक्रमशीला पड़ा। यह भी किंवदंति है कि विक्रम नामक यक्ष को दमन कर इस स्थान को विहार (भ्रमण) के लायक बनाया गया।

इस प्रांगण में ‘छ: महाविद्यालय प्रत्येक महाविद्यालय के गेट पर “द्वार पण्डित” नियुक्त थे। जो तंत्र, योग, न्याय, काव्य और व्याकरण में पारंगत थे। वे महाविद्यालय में दाखिला पाने के पूर्व महाविद्यालय के द्वार पर ही मौखिक परीक्षा लेते थे। जो छात्र द्वार पण्डितों के प्रश्नों का उत्तर दे देते । वही विक्रमशीला विश्वविद्यालय के छात्र के रूप में दाखिला पाते थे।

इस विश्वविद्यालय में समृद्ध पुस्तकालय जहाँ तत्र, तर्क, दर्शन और बौद्ध दर्शन से संबंधित ग्रंथों का विशाल संग्रह मौजूद था। अधिकृत आचार्य और शोधार्थी द्वारा पाण्डुलिपियों को तैयार किया जाता था। राजा गोपाल के समय अष्टशाहस्रिका प्राज्ञ पारमिता नामक प्रसिद्ध ग्रंथ यही तैयार किया गया था जो आज भी ब्रिटिश म्युजियम, लंदन में धरोहर रूप में रखा हुआ है।

यहाँ धन-शील, धैर्य, वीर्य, ध्यान, पाज्ञा, कौशल्य प्राणिधान बल एवं ज्ञान -10 परिमिताओं में पारंगत करवाकर छात्र को महामानव बना दिया जाता था। . दसवीं-ग्यारहवीं सदी तक यह पूर्वी एशिया महादेश का ज्ञान-दान का सबसे बड़ा केन्द्र बन चुका था।

छात्रों के लिए प्रथम वर्ग ‘भिक्षु वर्ग’ था । यहाँ का छात्र बन जाना ही गौरव की बात मानी जाती थी। देश-विदेश में राजा-महाराजाओं से यहाँ के ही छात्र सम्मान पुरस्कार का हकदार बन जाते थे।

यहाँ तंत्र, व्याकरण, न्याय, सृष्टि-विज्ञान, शब्द-विद्या, शिल्प-विद्या, ” चिकित्सा-विद्या, सांख्य, वैशेषिक, आत्मविद्या, विज्ञान, जादू एवं चमत्कार विद्या इस विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में सम्मलित थे। अध्यापन का मध्यम संस्कृत भाषा थी।

तेरहवीं सदी के आरम्भ में तुर्कों के आक्रमण के कारण इस विश्वविद्यालय का विनाश हो गया। तुर्कों ने इसे भ्रमवश किसी का किला मानकर इसे तहस-नहस कर दिया था। यह बात “तबाकत-ए-नासीरी” नामक ग्रंथ में सम्यक् रूप से वर्णित है।

वर्तमान सरकार की सकारात्मक सोच और पुरातात्विक विभाग के प्रयास से गुमनाम यह विश्वविद्यालय पुनः सुर्खियों में आ रहा है। खुदाई के बाद 50 फीट ऊँची एवं 73 फीट चौड़ी इमारत के रूप में चैत्य प्राप्त हुए हैं। भूमि स्पर्श की मुद्रा में साढ़े चार फीट की भगवान बुद्ध

की मूर्ति, पदमासन पर बैठे अवलोकितेश्वर की कांस्य प्रतिमा, पद्मपाणि, मैत्रेय की प्रतिमा तथा क्षतिग्रस्त कुछ सीलें उपलब्ध हुए हैं। शैक्षणिक परिभ्रमण के दृष्टिकोण से यह स्थान दर्शनीय एवं ज्ञानवर्धक

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 7 जीवन का आधार : पर्यावरण

Bihar Board Class 7 Social Science Solutions Geography Hamari Duniya Bhag 2 Chapter 7 जीवन का आधार : पर्यावरण Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 7 जीवन का आधार : पर्यावरण

Bihar Board Class 7 Social Science जीवन का आधार : पर्यावरण Text Book Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्नोत्तर

I. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए 

Bihar Board Class 7 Geography Book Solution प्रश्न 1.
वृक्षों की संख्या-वृद्धि के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं ?
उत्तर-
वृक्षों की संख्या-वृद्धि के लिए हमें संकल्पबद्ध होना पड़ेगा । हमें । संकल्प लेना होगा कि प्रत्येक वर्ष हम कुछ-न-कुछ वृक्ष अवश्य रोपेंगे और उसकी देखभाल करेंगे, बहुत नहीं तो कम-से-कम वर्ष में 5 वृक्ष । फलदार वृक्ष हो तो बहुत अच्छा, पत्तेदार वृक्ष तो पर्यावरण के लिए प्राण माने जाते हैं। हम न तो वृक्ष काटेंगे और न किसी को काटने देंगे । पशओं से रक्षा के लिए हम वृक्षों की घेराबन्दी कर देंगे।

Bihar Board Class 7 Social Science Solution In Hindi प्रश्न 2.
नदियों के जल को स्वच्छ बनाने के लिए आप क्या-क्या कर सकते हैं ?
उत्तर-
नदियों के जल को स्वच्छ रखने के लिए हम गाँव-नगर के नाले ‘नलियों को नदियों तक पहुँचने के पहले ही रोक कर गन्दे जल की सफाई करके नदियों में छोड़ेंगे । नदी तट पर अवस्थित कारखानों पर दबाव डालेंगे कि कारखानों के कचरा की सफाई कर ही उसके जल को नदी में छोड़ें । मृत पशुओं के शव को नदी में नहीं बहाने देंगे । इस काम के लिए एक संगठन खड़ा करना होगा और नदी तट के सभी गांवों में उसकी शाखाएँ संगठित करनी होंगी।

Class 7 Geography Bihar Board प्रश्न 3.
उन क्रियाकलापों की सूची बनाइए जिनसे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है?
उत्तर-
वे क्रियाकलाप निम्नांकित हैं जिनसे पर्यावरण को नकसान पहँचता है:

  1. खनिज ईंधनों से चलने वाली सवारियों के साधनों से निकलने वाले धुएँ से।
  2. खनिज कोयला जलाने वाले कल-कारखानों से निकले धुएँ से ।
  3. आवाज करनेवाले कारखानों तथा मोटर-वाहनों के कर्कश हॉर्न की आवाज से ।
  4. पेड़-पौधों की अंधा-धुंध कटाई से ।।
  5. नदी, तालाब, कुआँ आदि के जल को गंदा करने से ।
  6. पॉलीथीन के उपयोग से ।

Bihar Board Class 7 Hamari Duniya Solution प्रश्न 4.
पॉलीथीन के विकल्प क्या-क्या हो सकते हैं ?
उत्तर-
रद्दी कागज के ठोंगा के साथ जूट के थैला, कपड़े का थैला या इसी प्रकार किसी प्रकार के थैला पॉलीथीन के विकल्प हो सकते हैं।

Bihar Board Class 7 Hamari Duniya प्रश्न 5.
पता कीजिए कि कितने घरों का बेकार पानी बाहर गली या सड़क पर गिरता है । कितने घरों का पानी सोख्ता गड्ढे में गिरता है ?
उत्तर-
मेरे गाँव के किसी भी घर का पानी गली या सड़क पर नहीं गिरता । सभी ने कोई-न-कोई व्यवस्था कर रखी है । गली में जो घर हैं उनका पानी नाली में गिरता है । नाली का पानी मुख्य सड़क के बड़े नाले में गिरता है, जो गाँव के बाहर दक्षिण में अवस्थित एक गड्ढे में एकत्र होता है जो कुछ घर लाने से सम्बद्ध नहीं हैं, उन्होंने सोख्ता गड्ढा बना रखा है और घर का पानी उसी में गिराते हैं ।

Bihar Board 7th Class Social Science Solution प्रश्न 6.
शहरी एवं ग्रामीण पर्यावरण में क्या-क्या अंतर दिखाई पड़ते हैं?
उत्तर-
शहरी पर्यावरण दमघोंटू रहता है, जबकि गाँव का पर्यावरण खुला-खुला होता है । शहरों में पेड़-पौधों की कमी होती है जबकि गाँवों में अपेक्षाकृत अधिकता है। शहरों में छोटे-बड़े वाहनों की रेलमपेल है वहीं गाँवों में खनिज तेल चालित वाहन एक-दुकं ही दिख पड़ते हैं । गाँवों में सायकिल, बैलगाड़ा, टमटम ही अधिक दिखते हैं ।

Bihar Board Class 7 History Solution In Hindi प्रश्न 7.
प्रदूषण के क्या कारण हैं ? इनका हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
अधिक भीड़-भाड़ में पेट्रोल-डीजल चालित वाहन चलाने से उनके द्वारा निकले धुएँ से वायु प्रदूषण होता है । मशीनों, वाहनों, हॉर्न, लाउडस्पीकरों द्वारा निकले कर्कश आवाज से ध्वनि प्रदूषण होता है । नदियों में गन्दगी मिलाने, तालाबों में कपड़ा साफ करने और पशुओं को नहलाने, कुएं के निकट कचड़ा एकत्र करने से जल प्रदूषण होता है ।

प्रदूषण का हमारे जीवन पर प्रभाव-वाय प्रदुषण से श्वास रोग होता है, जबकि ध्वनि प्रदूषण से कान की बीमारी होती है और कभी-कभी बहरेपन का शिकार भी होना पड़ता है । जल प्रदूषण से पेट की बीमारियाँ होती हैं । खास कर डायरिया का प्रकण बढ़ता है।।

Bihar Board Class 7 Social Science Solution प्रश्न 8.
हम ग्लोबल वार्मिग को कैसे कम कर सकते हैं ?
उत्तर-
ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए हमें अपनी सुविधाओं में । कटौती करनी होगी। फ्रीज, एसी, खनिज तेल चालित वाहनों का उपयोग कम करना पड़ेगा । हमें वे सब उपाय अपनाने पड़ेंगे, जिनसे ओजन परत की क्षति नहीं होने पाये और सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुँच पाएँ ।

II. क्रियाकलाप

Bihar Board Solution Class 7 Social Science प्रश्न 1.
सीमा को शहर जाने के क्रम में पर्यावरण की जो चीजें नजर आई उन्हें निम्नलिखित स्तंभ में सचीबद्ध कीजिए:
उत्तर-

मानव निर्मित पर्यावरण-प्राकृतिक पर्यावरण-
हरे-भरे खेत, बाग-बगीचेउड़ती चिड़ियाँ
खिले फूलठंडी हवा
बस, ऑटो रिक्शाधूप
सजी दुकानेंगंगा नदी का किनारा
गाड़ियों का धुआँसोंस (डॉल्फिन)
गाड़ियों का हॉर्नगर्मी
बड़े मकानकार्बन डाइऑक्साइड
कूड़ा-कचरावायुमंडल
नाली-नालासूर्य की किरणें

Class 7 Social Science Bihar Board प्रश्न 2.
आपके आस-पास पर्यावरण में जो चीजें पाई जाती हैं उन्हें उचित स्तंभों में लिखिए :
उत्तर-

मानव निर्मित-प्राकृतिक-सांस्कृतिक-
घरनदी
स्कूलपहाड़
टेबुल, कुर्सीसूर्य
सायकिलचन्द्रमा
बैलगाड़ीगर्मी, जाड़ा, बरसात
फसलजंगल
खलिहानमैदान
सड़कपर्व-त्योहार
रेलशादी-विवाह
पुलतीर्थ-यात्रा और मंदिर

III. सही विकल्प पर सही (✓) का निशान लगाएँ।

Bihar Board Class 7 Civics Book Solution प्रश्न 1.
जल प्रदूषण हो रहा है :
(क) पौधो के कटाव से
(ख) वाहन चलाने से
(ग) पानी पीने से
(घ) पानी में दूषित पदार्थ मिलने से
उत्तर-
(घ) पानी में दूषित पदार्थ मिलने से

Bihar Board Class 7 Geography प्रश्न 2.
पानी की शुद्धता हो सकती है:
(क) मच्छर पालने से
(ख) तोता पालने से
(ग) बत्तख पालने से
(घ) मछली पालने से
उत्तर-
(घ) मछली पालने से

Bihar Board Class 7 History Book Solution प्रश्न 3.
बढ़ती जनसंख्या के कारण हो रहा है
(क) वृक्षों का तेजी से कटाव
(ख) भवनों का निर्माण
(ग) आधारभूत संरचना का निर्माण
(घ) इनमें सभी
उत्तर-
(घ) इनमें सभी

Bihar Board Class 7th Social Science Solution प्रश्न 4.
पर्यावरण संरक्षण के लिए किया जाना चाहिए :
(क) खूब पौधे लगाना
(ख) गंदे जल की उचित निकासी का प्रबंध
(ग) गाड़ियों का कम उपयोग
(घ) इनमें सभी
उत्तर-
(घ) इनमें सभी

Bihar Board Class 7 Social Science जीवन का आधार : पर्यावरण Notes

पाठ का सार संक्षेप

शहरों, नगरों और महानगरों में भीड़-भाड बढ़ती जा रही है। यातायात के साधनों में ऑटोमोबाइल की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। एक तो मोटर कार और मोटर साइकिलों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होती जा रही है और दूसरे सड़कों की चौड़ाई पहले जैसी ही है । इस कारण ये खनिज तेल चालित सवारियाँ सड़कों पर चलती नहीं, बल्कि रेंगती है ।

इसका फल होता है सड़कों पर धुआँ-ही-धुआँ दिखाई देता है । इससे पैदल चलने वालों तक की परेशानी बढ़ती है । आँखों में जलन होने लगती है। साँस लेने में कठिनाई होने लगती है ‘ तात्पर्य कि वायु बुरी तरह प्रदूषित हो जाती है । गाड़ियों से निकले ईंधन की आवाज और हॉनों की कर्कश आवाज से ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है । नदियाँ लागों के गलत उपयोग के कारण प्रदूषित होने लगी

हैं । गंगा नदी जैसी पवित्र नदी का जल भी प्रदूषित हो चला है । पॉलिथीन मिश्रित कूड़ा-कचरा से भूमि भी प्रदूषित होने लगी है । इस प्रकार हम देखते हैं कि हमारा पर्यावरण कई तरह से प्रदूषित हो रहा है, जैसे

  1. वायु प्रदूषण
  2. ध्वनि प्रदूषण
  3. जल प्रदूषण तथा
  4. भूमि प्रदूषण ।

देश में उद्योग-धंधों की वृद्धि से कारखानों की वृद्धि होने लगी है । उनकी चिमनियों से रात-दिन धुआँ निकलते रहता है। पहले जहाँ पेड़-पौधों के कारण हरियाली रहती थी वहीं आज कंकड़-ईंट-सीमेंट का जगल दिखाई देता है । एक तो पेड़-पौधों की कमी और दूसरे यातायात के साधन, फ्रिज, एसी, जेनरेटर के अबाध उपयोग से ताप में वृद्धि होती जा रही है । यह किसी एक शहर, राज्य या देश की बात नहीं है । यह बात सम्पूर्ण विश्व की समस्या बन गई है। इसी कारण इसे भूमंडलीय तापन (ग्लोबल वार्मिंग) कहा जा रहा है। यदि सही कहा जाय तो इसका जिम्मेदार स्वयं मानव ही है।

Bihar Board Class 10 Hindi Solutions गद्य Chapter 11 नौबतखाने में इबादत

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 2 गद्य खण्ड Chapter 11 नौबतखाने में इबादत Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

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Bihar Board Class 10 Hindi नौबतखाने में इबादत Text Book Questions and Answers

बाध और अभ्यास

पाठ के साथ

प्रश्न 1.
डुमरॉव की महत्ता किस कारण से है ?
उत्तर-
डुमराँव की महत्ता शहनाई के कारण है। प्रसिद्ध शहनाईवादक बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव में हुआ था। शहनाई बजाने के लिए जिस ‘रीड’ का प्रयोग होता है, जो एक विशेष प्रकार ‘ की घास ‘नरकट’ से बनाई जाती है, वह डुमराँव में सोन नदी के किनारे पाई जाती है।

प्रश्न 2.
सुषिर वाद्य किन्हें कहते हैं। ‘शहनाई’ शब्द की व्युत्पति किस प्रकार हुई है ?
उत्तर-
सुषिर वाद्य ऐसे वाद्य हैं, जिनमें नाड़ी (नरकट या रीड) होती है, जिन्हें फूंककर बजाया जाता है। ऐसे वाद्यों में शहनाई को शाह की उपाधि दी गई है, क्योंकि यह वाद्य मुरली, शृंगी जैसे अनेक वाद्यों से अधिक मोहक है। शहनाई की ध्वनि हमारे हृदय को स्पर्श करती है।

प्रश्न 3.
बिस्मिला खाँ सजदे में किस चीज के लिए गिड़गिड़ाते थे ? इससे उनके व्यक्तित्व का कौन-सा पक्ष उद्घाटित होता है ?
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ जब इबादत में खुदा के सामने झुकते तो सजदे में गिड़गिड़ाकर खुदा से सच्चे सुर का वरदान माँगते। इससे पता चलता है कि खाँ साहब धार्मिक, संवेदनशील एवं निरभिमानी थे। संगीत-साधना हेतु समर्पित थे। अत्यन्त विनम्र थे।

प्रश्न 4.
मुहर्रम पर्व से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव का परिचय पाठ के आधार पर दें।
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ सच्चे और धार्मिक मुसलमान हैं। मुहर्रम में उनका जो रीति-रिवाज था उसे वे मानते हैं और व्यवहार में लाते हैं। बड़े कलाकार का सहज मानवीय रूप एस अब आसानी से दिख जाता है। मुहर्रम का महीना वह होता है जिसमें शिया मुसलमान हजरत इमाम हुसैन एवं उनके कुछ वंशजों के प्रति अजादारी मनाते हैं। पूरे दस दिनों का शोक आठवीं तारीख उनके लिए खास महत्त्व की है। इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते हैं व दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए, नौहा बजाते जाते हैं। इस दिन कोई राग नहीं बजता। राग-रागनियों की अदायगी का निषेध है इस दिन।

प्रश्न 5.
‘संगीतमय कचौड़ी’ का आप क्या अर्थ समझते हैं ?
उत्तर-
संगीतमय कचौड़ी इस तरह क्योंकि जुलसुम जब कलकलाते घी में कचौड़ी डालती थी, उस समय छन्न से उठने वाली खाली आवाज में इन्हें सारे आरोह-अवरोह दिख जाते थे। कहने का तात्पर्य यह है कि कचौड़ी खाते वक्त भी खाँ साहब का मान संगीत के राग में ही रमा रहता था। इसीलिए उन्हें कचौड़ी भी संगीत मय लग रहा था।

प्रश्न 6.
बिस्मिला खाँ जब काशी से बाहर प्रदर्शन करते थे तो क्या करते थे? इससे हमें क्या सीख मिलती है ?
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ जब कभी काशी से बाहर होते तब भी काशी विश्वनाथ को नहीं भूलते। काशी से बाहर रहने पर वे उस दिशा में मुंह करके थोड़ी देर तक शहनाई अवश्य बजाते थे। वे विश्वनाथ मंदिर की दिशा में मुंह करके बैठते और विश्वनाथ के प्रति उनकी श्रद्धा एवं आस्था .. शहनाई के सुरों में अभिव्यक्त होती थी। एक मुसलमान होते हुए भी बिस्मिल्ला खाँ काशी… विश्वनाथ के प्रति अपार श्रद्धा रखते थे। इससे हमें धार्मिक दृष्टि से उदारता एवं समन्वयता की सीख मिलती है। हमें धर्म को लेकर किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं रखना चाहिए।

प्रश्न 7.
‘बिस्मिल्ला खाँ का मतलब-बिस्मिल्ला खां की शहनाई।’ एक कलाकार के रूप में बिस्मिल्ला खाँ का परिचय पाठ के आधार पर दें।
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ एक उत्कृष्ट कलाकार थे। शहनाई के माध्यम से उन्होंने संगीत-साधना को ही अपना जीवन मान लिये थे। शहनाईवादक के रूप में वे अद्वितीय पहचान बना लिये थे। बिस्मिल्ला खाँ का मतलब है-बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई। शहनाई का तात्पर्य बिस्मिल्ला खाँ का हाथा हाथ से आशय इतना भर कि बिस्मिल्ला खाँ की फूंक और शहनाई की जादुई आवाज का असर हमारे सिर चढ़कर बोलने लगता है। शेर खाँ साहब की शहनाई से सात सुर ताल के साथ निकल पड़ते थे। इनका संसार सुरीला था। इनके शहनाई में परवरदिगार, गंगा मइया, उस्ताद की नसीहत उतर पड़ती थी। खाँ साहब और शहनाई एक-दूसरे के पर्याय बनकर संसार के सामने उभरे।

प्रश्न 8.
आशय स्पष्ट करें
(क) फटा सुर न बखगे। लुंगिया का क्या है,
आज फटी है, तो कल सिल जाएगी।
व्याख्या-
जब एक शिष्या ने डरते-डरते बिस्मिल्ला खाँ से पूछा कि बाबा, आप फटी तहमद क्यों पहनते हैं ? आपको तो भारतरत्न मिल चुका है। अब आप ऐसा न करें। यह अच्छा नहीं लगता है जब भी कोई आपसे मिलने आता है तो आप इसी दशा में सहज, सरल भाव से मिलते हैं।

इस प्रश्न को सुनकर सहज भाव से खाँ साहब ने शिष्या को कहा-अरे पगली भारतरत्न तो शहनाईवादन पर मिला है न। इस लुंगी पर नहीं न मिला है। अगर तुमलोगों की तरह बनावट श्रृंगार में मैं लग जाता तो मेरी उमर ही बीत जाती और मैं यहाँ तक नहीं पहुँचता। तब मैं रियाज खाक करता। मैं तुम्हारी बात से सहमत हूँ अब आगे से फटी हुई तहमद नहीं पहनूँगा लेकिन इतना बता देता हूँ कि मालिक यही दुआ दे यानी भगवान यही कृपा रखें कि फटा हुआ सूर नहीं दें। सूर में लय दें और कोमलता दें। फटी लुगी तो मैं सिलवा लूंगा लेकिन फटा हुआ राग या सूर लेकर क्या करूँगा। अतः, ईश्वर रहम करे और सूर की कोमलता बचाये रखे।

(ख) काशी संस्कृति की पाठशाला है।
व्याख्या-
काशी संस्कृति की पाठशाला है शास्त्रों में इसकी महत्ता का वर्णन है। इसे आनंद कानन से जाना जाता है। काशी में कलाधर हनुमान व नृत्व विश्वनाथ हैं। काशी में बिस्मिल्ला खाँ हैं। काशी में हजारों साल का इतिहास है। यहाँ कई महाराज हैं। विद्याधारी हैं। बड़े रामदास जी हैं। मौजुद्दीन खाँ हैं। इन रसिकों से उत्कृष्ट होनेवाला अपार-जन समूह है। यह एक अलग काशी है जिसकी अलग तहजीब है, अपनी बोली और अपने विशिष्ट लोग हैं। इनके अपने उत्सव हैं। अपना गम है। अपना सेहरा-बन्ना और अपना नौहा है। यहाँ संगीत को भक्ति से, भक्ति को धर्म से किसी धर्म के कलाकार से, कजरी को चैती से विश्वनाथ को विशालक्षी से, बिस्मिल्ला खाँ को गंगा द्वार से अलग करके नहीं देखा जा सकता।
इस प्रकार काशी सांस्कृतिक महानगरी है। इसकी अपनी महत्ता है।

प्रश्न 9.
बिस्मिला खाँ के बचपन का वर्णन पाठ के आधार पर दें ।
उत्तर-
अमीरुद्दीन यानी उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव, बिहार के एक संगीत-प्रेमी परिवार में हुआ था। पाँच-छ: वर्ष की उम्र में ही वह अपने ननिहाल काशी चले गए। डुमराँव की इतमी ही महत्ता है कि शहनाई की रीड बनाने में काम आने वाली नरकट वहाँ सोन नदी के किनारे पाई जाती हैं। बिस्मिल्ला खाँ के परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ डुमराँव निवासी थे। बिस्मिल्ला खाँ उस्ताद पैगंबर बख्श खाँ और मिट्ठन के छोटे साहबजादे हैं। चार साल की उम्र में ही नाना की शहनाई को सुनते और शहनाई को ढूंढते थे। उन्हें अपने मामा का सान्निध्य भी बचपन में शहनाईवादन की कौशल विकास में लाभान्वित किया। 14 साल की उम्र में वे बालाजी के मंदिर में रियाज करने के क्रम में संगीत साधनारत हुए और आगे चलकर महान कलाकार हुए।

भाषा की बात

प्रश्न 1.
रचना के आधार पर निम्नलिखित वाक्यों की प्रकृति बताएँ
(क) काशी संस्कृति की पाठशाला है।
(ख) शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं।
(ग) एक बड़े कलाकार का सहज मानवीय रूप ऐसे अवसरों पर आसानी से दिख जाता है।
(घ) उनको यकीन है, कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा।
(ङ) धत्। पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं।
उत्तर-
सरल वाक्य – (क)
संयुक्त वाक्य – (ख)
मिश्रवाक्य – (ग), (घ), (ङ)

प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों से विशेषण छाँटिए.
(क) इसी बालसुलभ हँसी में कई यादें बंद है।
उत्तर-
कई, बालसुलभ।

(ख) अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें।
उत्तर-
फटी, भारतरत्न।

(ग) शहनाई और काशी से बढ़कर कोई जन्नत नहीं इस धरती पर। . .
उत्तर-
कोई।

(घ) कैसे सुलोचना उनकी पसंदीदा हीरोइन रही थीं, बड़ी रहस्यमय मुस्कराहट के साथ गालों पर चमक आ जाती है।
उत्तर-
पसंदीदा, रहस्यमय, चमक।

गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण-संबंधी प्रश्नोत्तर

1. अमीरुद्दीन का जन्म डुमराँव, बिहार के एक संगीतप्रेमी परिवार में हुआ था। 5-6 वर्ष डुमराँव में बिताकर वह नाना के घर, ननिहाल काशी में आ गया। शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं। शहनाई बजाने के लिए रीड का प्रयोग होता है। रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फूंका जाता है। रीड, नरकट (एक प्रकार की घास) से बनाई जाती है जो डुमराँव के आसपास की नदियों के कछारों में पाई जाती है। फिर अमीरुद्दीन जो हम सबके प्रिय हैं, अपने उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ साहब हैं। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ डुमराँव निवासी थे। बिस्मिल्ला खाँ उस्ताद पैगंबरख्श खाँ और मिट्ठन के छोटे साहबजादे हैं।

प्रश्न
(क) प्रस्तुत गद्यांश किस पाठ से लिया गया है और इसके लेखक कौन हैं ?
(ख) बिस्मिल्ला खाँ का जन्म कहाँ हुआ था। उनके बचपन का क्या नाम था ?
(ग) रीड किससे बनता है ? इसका प्रयोग कहाँ होता है ?
(घ) शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी क्यों हैं ?
उत्तर-
(क) प्रस्तुत गद्यांश नौबतखाने में इबादत शीर्षक जीवन-वृत्त से लिया गया है। इसके लेखक यतीन्द्र मिश्र हैं।
(ख) बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव में हुआ था। उनके बचपन का नाम अमीरुद्दीन था।
(ग) रीड, नरकट (एक प्रकार की घास) से बनता है। इसका प्रयोग शहनाई में होता है। इसी के सहारे शहनाई को फूंका जाता है।
(घ) शहनाईवादक भारतरत्न सम्मानित बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव में हुआ था। शहनाई बजाने के लिए रीड की आवश्यकता होती है। रीड नरकट से बनता है जो डुमराँव के आसपास की नदियों के कछारों में पाया जाता है।

2. शहनाई की इसी मंगलध्वनि के नायक बिस्मिल्ला खाँ साहब अस्सी बरस से सुर माँग रहे हैं। सच्चे सुर की नेमत। अस्सी बरस की पाँचों वक्त वाली नमाज इसी सुर को पाने की प्रार्थना में खर्च हो जाती है। लाखों सजदे, इसी एक सच्चे सुर की इबादत में खुदा के आगे झुकते हैं। वे नमाज के बाद सजदे में गिड़गिड़ाते हैं – -‘मेरे मालिक एक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर दे कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ। उनको यकीन है, कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा और अपनी झोली से सुर का फल निकालकर उनकी ओर उछालेगा, फिर कहेगा, ले जा अमीरुद्दीन इसको खा ले और कर ले अपनी मुराद पूरी।’
प्रश्न
(क) शहनाई किसका सम्पूरक है?
(ख) बिस्मिल्ला खाँ नमाज अदा करते समय अल्लाह से क्या इबादत करते हैं ?
(ग) बिस्मिल्ला खाँ किस बात को लेकर आशावान हैं ?
(घ) बिस्मिल्ला खाँ का सिर किसलिए झुकता है ?
उत्तर-
(क) शहनाई मंगलध्वनि का सम्पूरक है।
(ख) अस्सी वर्ष की अवस्था में भी बिस्मिल्ला खाँ ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हे मेरे मालिक एक सुर बख्श दें। सुर में वह तासीर पैदा कर दे कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।
(ग) ईश्वर के प्रति अपने समर्पण को लेकर बिस्मिल्ला खाँ आशावान है कि एक दिन समय आएगा जब उनकी कृपा से स्वर में वह तासीर पैदा होगी जिससे हमारी जीवन धन्य हो जायेगा। ईश्वर अपनी झोली से सुर का फल निकालकर मेरी तरफ उछालते हुए कहेगा ले इसे खाकर अपनी मुराद पूरी कर ले।
(घ) बिस्मिल्ला खाँ का सिर सुर को इबादत में झकता है।

3. काशी संस्कृति की पाठशाला है। शास्त्रों में आनंदकानन के नाम से प्रतिष्ठिता काशी में कलाधर हनुमान व नृत्य-विश्वनाथ है। काशी में बिस्मिल्ला खाँ हैं। काशी में हजारों सालों का इतिहास है जिसमें पंडित कंठे महाराज हैं, विद्याधरी हैं, बड़े रामदासजी हैं, मौजुद्दीन खाँ हैं व इन रसिकों से उपकृत होनेवाला अपार जन-समूह है। यह एक अलग काशी है जिसकी अलग तहजीब है, अपनी बोली और अपने विशिष्ट लोग हैं। इनके अपने उत्सव हैं, अपना गम। अपना सेहरा-बन्ना और अपना नौहा। आप यहाँ संगीत को भक्ति से, भक्ति को किसी भी धर्म के कलाकार से, कजरी को चैती से, विश्वनाथ को विशालाक्षी से, बिस्मिल्ला खाँ को गंगाद्वार से अलग करके नहीं देख सकते।

प्रश्न
(क) काशी किसकी पाठशाला है ?
(ख) काशी से बिस्मिल्ला खाँ का कैसा संबंध है ?
(ग) काशी में किन-किन लोगों का इतिहास है?
(घ) लेखक ने काशी को एक अलग नगरी क्यों माना है ?
उत्तर-
(क) काशी संस्कृति की पाठशाला है।
(ख) काशी से बिस्मिल्ला खाँ का गहरा संबंध है। काशी ही इनकी इबादत-भूमि है। बालाजी का मंदिर, संकटमोचन मंदिर, बाबा विश्वनाथ मंदिर आदि कई ऐसे स्थान हैं जो इनकी कर्मस्थली और ज्ञानस्थली है। जिस तरह संगीत को भक्ति से, भक्ति को किसी भी धर्म के कलाकार से, कजरी को चैती से, विश्वनाथ को विशालाक्षी से अलग नहीं कर सकते हैं ठीक उसी तरह बिस्मिल्ला खाँ को गंगाद्वार से अलग नहीं कर सकते हैं।.
(ग) काशी में पंडित कंठे महाराज, विधाधरी, रामदास, मौजुद्दीन आदि जैसे महापुरुषों का इतिहास है।
(घ) काशी संस्कृति की पाठशाला है। शास्त्रों में यह आनंदकानन के नाम से प्रतिष्ठित है। इसकी अलग तहजीब है, अपनी बोली और अपने विशिष्ट लोग हैं। यहाँ संगीत, भक्ति, धर्म आदि को अलग रूप में नहीं देख सकते हैं।

4. काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है। यह आयोजन पिछले कई बरसों से संकटमोचन मंदिर में होता आया है। यह मंदिर शहर के दक्षिण में लंका पर स्थित है व हनुमान-जयंती के अवसर पर यहाँ पाँच दिनों तक शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय गायनवादन की उत्कृष्ट सभा होती है। इसमें बिस्मिल्ला खाँ अवश्य रहते हैं। अपने मजहब के प्रति अत्यधिक समर्पित उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ की श्रद्धा काशी विश्वनाथजी के प्रति भी अपार है।

प्रश्न-
(क) पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ख) काशी में संगीत आयोजन की परंपरा क्या है ?
(ग) हनुमान-जयंती के अवसर पर आयोजित संगीत सभा का परिचय दीजिए।
(घ) बिस्मिल्ला खाँ की काशी विश्वनाथ के प्रति भावनाएँ कैसी थीं?
(ङ) काशी में संकटमोचन मंदिर कहाँ स्थित है और उसका क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
(क) पाठ नौबतखाने में इबादत, लेखक-यतींद्र मिश्रा
(ख) काशी में संगीत आयोजन की बहुत प्राचीन और विचित्र परंपरा है। यह आयोजन काशी में विगत कई वर्षों से हो रहा है। यह संकटमोचन मंदिर में होता है। इस आयोजन में शास्त्रीय । एवं उपशास्त्रीय गायन-वादन होता है।
(ग) हनुमान जयंती के अवसर पर काशी के संकटमोचन मंदिर में पाँच दिनों तक शास्त्रीय और उपशास्त्रीय संगीत की श्रेष्ठ सभा का आयोजन होता है। इस सभा में बिस्मिल्ला खाँ का शहनाईवादन अवश्य ही होता है।.
(घ) बिस्मिल्ला खाँ अपने धर्म के प्रति पूर्णरूप से समर्पित हैं। वे पाँचों समय नमाज पढ़ते हैं। इसके साथ ही वे बालाजी मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर में भी शहनाई बजाते हैं। उनकी काशी विश्वनाथजी के प्रति अपार श्रद्धा है।
(ङ) काशी का संकटमोचन मंदिर शहर के दक्षिण में लंका पर स्थित है। यहाँ हनुमान जयंती अवसर पर पाँच दिनों का संगीत सम्मेलन होता है। इस अवसर पर बिस्मिल्ला खाँ का शहनाई वादन होता है।

5. अक्सर कहते हैं क्या करें मियाँ, ई काशी छोड़कर कहाँ जाएँ, गंगा मइया यहाँ, बाबा विश्वनाथ यहाँ, बालाजी का मंदिर यहाँ, यहाँ हमारे खानदान की कई पुश्तों ने शहनाई बजाई है, हमारे नाना तो वहीं बालाजी मंदिर में बड़े प्रतिष्ठा शहनाईवाज रह चुके हैं। अब हम क्या करें, मरते दम तक न वह शहनाई छूटेगी न काशी। जिस जमीन ने हमें तालीम दी, जहाँ से अदब पाई, तो कहाँ और मिलेगी? शहनाई और काशी से बढ़ कर कोई जन्नत नहीं इस धरती पर हमारे लिए।’
प्रश्न
(क) पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ख) बिस्मिल्ला खाँ काशी छोड़कर क्यों नहीं जाना चाहते थे?
(ग) बिस्मिल्ला खाँ के परिवार में और कौन-कौन शहनाई बजाते थे ?
(घ) बिस्मिल्ला खाँ के लिए शहनाई और काशी क्या हैं ?
उत्तर-
(क) पाठ-नौबतखानों में इबादत।
लेखक यतींद्र मिश्रा
(ख) बिस्मिल्ला खाँ काशी छोड़कर इसलिए नहीं जाना चाहते थे क्योंकि यहाँ गंगा है, बाबा विश्वनाथ हैं, बालाजी का मंदिर है और उनके परिवार की कई पीढ़ियों ने यहाँ शहनाई बजाई है। उन्हें इन सबसे. बहुत लगाव है।
(ग) बिस्मिल्ला खाँ के नाना काशी के बालाजी के मंदिर में शहनाई बजाते थे। उनके मामा सादिम हुसैन और अलीबख्श देश के जाने-माने शहनाई वादक थे। इनके दादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ और पिता उस्ताद पैगंबर बख्श खो भी प्रसिद्ध शहनाईवादक थे (घ) बिस्मिल्ला खाँ मरते दम तक काशी में रहना और शहनाई बजाना नहीं छोड़ना चाहते, क्योंकि इसी काशी नगरी में उन्हें शहनाई बजाने की शिक्षा मिली और यहां से सब कुछ मिला।

6. काशी आज भी संगत के स्वर पर जगती और उसी की थापों पर सोती है। काशी में मरण भी मंगल माना गया है। काशी आनंदकानन है। सबसे बड़ी बात है कि काशी के पास उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ जैसा लय और सुर- की तमीज सिखानेवाला नायाब हीरा रहा है जो हमेशा से दो कौमों को एक होने व आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

प्रश्न
(क) पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
(ख) आज की काशी कैसी है ?
(ग) काशी में मरण मंगलमय क्यों माना गया है ?
(घ) काशी के पास कौन-सा नायाब हीरा रहा है ?
(ङ) काशी आनंदकानन कैसे है ?
उत्तर-
(क)18-नौबतखाने में इबादता
लेखक-यतींद्र मिश्रा
(ख) आज की काशी भी संगीत के स्वरों से जागती है और संगीत की थपकियाँ उसे सुलाती हैं। बिस्मिल्ला खाँ के शहनाईवादन की प्रभाती, काशी को जगाती है।
(ग) काशी में मरना इसलिए मंगलमय माना गया है, क्योंकि यह शिव की नगरी है। यहाँ मरने से मनुष्य को शिवलोक प्राप्त हो जाता है और वह जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर लेता है।
(घ) काशी के पास बिस्मिल्ला खों जैसा लय और सुर का नायाब हीरा रहा है जो अपने सुरों से काशी में प्रेम रस बरसाता रहा है। इसने सदा काशी-वासियों को मिलजुल कर रहने की प्रेरणा दी है।
(ङ) काशी को आनंदकानन इसलिए कहते हैं, क्योंकि यहाँ विश्वनाथ विराजमान हैं। उनकी  कृपा से यहाँ सदा आनंद-मंगल की वर्षा होती रहती है। विभिन्न संगीत सभाओं के आयोजनों से सदा उत्सवों का वातावरण बना रहता है। इसलिए यहाँ आनंद ही आनंद छाया रहता है।

7. इस दिन खाँ साहब बड़े होकर शहनाई बजाते हैं वे दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी पर पैदल रोते हुए, नौहा बजाते जाते हैं। इस दिन कोई राग नहीं बजता। राग-रागिनियों की अदायगी का निषेध है इस दिन। उनकी आँखें इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोगों की शहादत में नम रहती हैं। आजादारी होती है। हजारों आँखें नम हजार वर्ष की परंपरा पुनर्जीवित। मुहर्रम सम्पन्न होता है। एक बड़े कलाकार का सहज मानवीय रूप ऐसे अवसर पर आसानी से दिख जाता है।

प्रश्न
(क) पाठ तथा लेखक का नाम बताइए।
(ख) प्रस्तुत अवतरण में किस दिन की बात की जा रही है।
(ग) अवतरण में उल्लेख किए गए दिन को खां साहब क्या करते हैं ? और क्यों ?
(घ) इस विशेष दिन कोई राग क्यों नहीं बजाया जाता?
(ङ) अवतरण के आधार पर खां साहब के चरित्र की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
(क) पाठ का नाम- नौबतखाने में इबादत।
लेखक का नाम- यतीन्द्र मिश्रा
(ख) प्रस्तुत अवतरण में मुहर्रम की आठवीं तारीख की बात की जा रही है।
(ग) इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते हैं व दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक नौहा बजाते हुए जाते हैं, क्योंकि वे शोक मना रहे होते हैं।
(घ) मुहर्रम की आठवीं तारीख को कोई राम नहीं बजाया जाता। इस दिन इमाम हुसैन और उनके परिवार की शहादत के शोक में राग-रागिनियों की अदायगी का निषेध है।
(ङ) खाँ साहब संवेदनशील, धार्मिक तथा एक बड़े कलाकार थे।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

सही विकल्प चुनें-

प्रश्न 1.
‘नौबतखाने में इबादत पाठ के लेखक कौन है ?
(क) विनोद कुमार शुक्ल
(ख) यतीन्द्र मिश्र
(ग) अशोक वाजपेयी
(घ) अमर कांत
उत्तर-
(ख) यतीन्द्र मिश्र

प्रश्न 2.
बिस्मिल्ला खाँ का असली नाम क्या था?
(क) शम्सुद्दीन
(ख) सादिक हुसैन
(ग) पीरबख्श
(घ) अमीरुद्दीन
उत्तर-
(घ) अमीरुद्दीन

प्रश्न 3.
बिस्मिल्ला खाँ का जन्म कहाँ हुआ था?
(क) काशी में
(ख) दिल्ली में
(ग) डुमराँव में
(घ) पटना में
उत्तर-
(ग) डुमराँव में

प्रश्न 4.
बिस्मिल्ला खाँ रियाज के लिए कहाँ जाते थे?
(क) बालाजी मंदिर
(ख) संकटमोचन
(ग) विश्वनाथ मंदिर
(घ) दादा के पास
उत्तर-
(क) बालाजी मंदिर

प्रश्न 5.
‘नरकट’ का प्रयोग किस वाद्य-यंत्र में होता है?
(क) शहनाई
(ख) मृदंग
(ग) ढोल
(घ) बिगुल
उत्तर-
(क) शहनाई

प्रश्न 6.
भारत सरकार ने बिस्मिल्ला खाँ को किस सम्मान से अलंकृत किया?
(क) बिहार रत्न
(ख) भारत रत्न
(ग) वाद्य रत्न
(घ) शहनाई रत्न
उत्तर-
(ख) भारत रत्न

II. रिक्त स्थानों की पूर्ति

प्रश्न 1.
……….. और डुमराँव एक-दूसरे के पूरक हैं।
उत्तर-
शहनाई

प्रश्न 2.
शहनाई बजाने के लिए ……… का प्रयोग होता है।
उत्तर-
रीड

प्रश्न 3.
……….. संस्कृति की पाठशाला है।
उत्तर-
काशी

प्रश्न 4.
……… वर्ष की उम्र में बिस्मिल्ला खाँ संसार से विदा हो गए।
उत्तर-
नब्बे

प्रश्न 5.
बिस्मिल्ला खाँ उस्ताद …….. और मिट्ठन के छोटे साहबजादे थे।
उत्तर-
पैगंबर बखश खाँ

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
बिस्मिल्ला खाँ का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ का जन्म 1916 ई० में डुमराँव में हुआ था।

प्रश्न 2.
बिस्मिल्ला खाँ को संगीत के प्रति रुचि कैसे हुई ?
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ को संगीत के प्रति रुचि रसूलनबाई और बतूलनबाई के टप्पे, ठुमरी और दादरा को सुनकर हुई।

प्रश्न 3.
शहनाई की शिक्षा बिस्मिल्ला खाँ को कहाँ मिली?
उत्तर-
शहनाई की शिक्षा बिस्मिल्ला खाँ को अपने ननिहाल काशी में अपने ममाद्वय सादिक और अलीबख्श से मिली।

प्रश्न 4.
बिस्मिल्ला खां बचपन में किनकी फिल्में देखते थे। था, विस्मिल्ला खाँ बचपन में किरकी फिल्मों के दीवाने थे?
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ बचपन में गीताबाली और सुलोचना की फिल्मों के दीवाने थे।

प्रश्न 5.
अपने मजहब के अलावा बिस्मिल्ला खाँ को किसमें अत्यधिक प्रद्धा थी ?
उत्तर-
अपने मजहब के अलावा बिस्मिल्ला खाँ को काशी, विश्वनाथ और बालाजी में अगाध श्रद्धा थी।

प्रश्न 6.
बिस्मिल्ला खाँ किसको जन्नत मानते थे ?
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ शहनाई और काशी को जन्नत मानते थे।

प्रश्न 7.
बिस्मिल्ला खाँ किसके पर्याय थे?
उत्तर-
बिस्मिल्ला खाँ शहनाई के पर्याय थे और शहनाई उनका।

प्रश्न 8.
बिस्मिल्ला खाँ को जिन्दगी के आखिरी पड़ाव पर किसका अफसोस रहा?
उत्तर-
बिस्मिल्ला.खाँ को जिन्दगी के आखिरी पड़ाव पर संगतियों के लिए गायकों के मन में आदर न होने, चैता कजरी के गायब होने और मलाई, शुद्ध घी की कचौड़ी न मिलने का अफ़सोस रहा।

नौबतखाने में इबादत लेखक परिचय

यतींद्र मिश्र का जन्म सन् 1977 में अयोध्या, उत्तरप्रदेश में हुआ । उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ से हिंदी भाषा और साहित्य में एम० ए० किया । वे साहित्य, संगीत, सिनेमा, नृत्य और चित्रकला के जिज्ञासु अध्येता हैं । वे रचनाकार के रूप में मूलतः एक कवि हैं । उनके अबतक तीन काव्य-संग्रह : ‘यदा-कदा’, ‘अयोध्या तथा अन्य कविताएँ’, और ‘ड्योढ़ी पर आलाप’ प्रकाशित हो चुके हैं । कलाओं में उनकी गहरी अभिरुचि है । इसका ही परिणाम है कि उन्होंने प्रख्यात शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी के जीवन और संगीत साधना पर एक पुस्तक ‘गिरिजा’ लिखी । भारतीय नृत्यकलाओं पर विमर्श की पुस्तक है ‘देवप्रिया’, जिसमें भरतनाट्यम और ओडिसी की प्रख्यात नृत्यांगना सोनल मान सिंह से यतींद्र मिश्र का संवाद संकलित है। यतींद्र मिश्र ने स्पिक मैके के लिए ‘विरासत 2001’ के कार्यक्रम के लिए. रूपंकर कलाओं पर केंद्रित पत्रिका ‘थाती’ का संपादन किया है। संप्रति, वे अर्द्धवार्षिक पत्रिका ‘सहित’ का संपादन कर रहे हैं । वे साहित्य और कलाओं के संवर्धन एवं अनुशीलन के लिए एक सांस्कृतिक न्यास ‘विमला देवी फाउंडेशन’ का संचालन 1999 ई० से कर रहे हैं।

यतींद्र मिश्र ने रीतिकाल के अंतिम प्रतिनिधि कवि द्विजदेव की ग्रंथावली का सह-संपादन भी किया है। उन्होंने हिंदी के प्रसिद्ध कवि कुँवरनारायण पर केंद्रित दो पुस्तकों के अलावा हिंदी सिनेमा के जाने-माने गीतकार गुलजार की कविताओं का संपादन ‘यार जुलाहे’ नाम से किया है। यतींद्र मिश्र को अबतक भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, भारतीय भाषा परिषद् युवा पुरस्कार, राजीव गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार, रजा पुरस्कार, हेमंत स्मृति कविता पुरस्कार, ऋतुराज सम्मान आदि कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। उन्हें केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी, नयी दिल्ली और सराय, नई दिल्ली की फेलोशिप भी मिली है।

‘नौबतखाने में इबादत’ प्रसिद्ध शहनाईवादक भारतरत्न उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ पर रोचक शैली में लिखा गया व्यक्तिचित्र है । इस पाठ में बिस्मिल्ला खाँ का जीवन – उनकी रुचियाँ, अंतर्मन की बुनावट, संगीत की साधना आदि गहरे जीवनानुराग और संवेदना के साथ प्रकट हुए हैं ।

नौबतखाने में इबादत Summary in Hindi

पाठ का सारांश

सन् 1916 से 1922 के आसपास की काशी। पंचगंगा घाट स्थित बालाजी विश्वनाथ मंदिर . की ड्योढ़ी। ड्योढ़ी का नौबतखाना और नौबतखाने से निकलनेवाली मंगलध्वनि।।

अमीरूद्दीन अभी सिर्फ छह साल का है और बड़ा भाई शम्सुद्दीन नौ साल का। अमीरूद्दीन को पता नहीं है कि राग किस चिड़िया को कहते हैं। और ये लोग हैं मामूंजान वगैरह जो बात-बात पर भीमपलासी और मुलतानी कहते रहते हैं। क्या बाजिब मतलब हो सकता है इन शब्दों का इस” लिहाज से अभी उम्र नहीं है अमीरूद्दीन की; जान सके इन भारी शब्दों का बजन कितना होगा।

अमीरूद्दीन का जन्म डुमराँव, बिहार के एक संगीत प्रेमी परिवार में हुआ है। 5-6 वर्ष डुमराँव में बिताकर वह नाना के घर, ननिहाल काशी में आ गया है। शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं। उनकी अबोध उम्र में अनुभव की स्लेट पर संगीत प्रेरणा की वर्णमाला रसूलनवाई और बजूलनवाई ने उकेरी है। इसे संगीत शास्त्रांतर्गत ‘सुषिर-वाद्यों’ में गिना जाता है। अरब देश में फूंककर बजाए जाने वाले वाद्य जिसमें नाड़ी नरकट या रीड) होती है को ‘नय’ बोलते हैं। शहनाई को ‘शाहनय अर्थात् ‘ सुषिर वाद्यों में शाह की उपाधि दी गई है।

शहनाई की इसी मंगलध्वनि के नायक बिस्मिल्ला खाँ साहब अस्सी बरस से सुर माँग रहे हैं। सच्चे सुर की नेमत। अस्सी बरस की पाँचों वक्त वाली नमाज इसी सुर को पाने की प्रार्थना में खर्च हो जाती है। लाखों सजदे इसी एक सच्चे सुर की इबादत में खुदा के आगे झुकते हैं। बिस्मिला खाँ और शहनाई के साथ जिस मुस्लिम पर्व का नाम जुड़ा है, वह मुहर्रम है। आठवीं तारीख उनके लिए खास महत्त्व की है। इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते हैं व दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए, नौटा बजाते जाते हैं।

बचपन की दिनों की याद में वे पक्का महाल की कुलसुम हलवाइन की कचौड़ी वाली दुकान व गीताबाली और सुलोचना को ज्यादा याद करते हैं। सुलोचना उनकी पसंदीदा हीरोइन रही थीं।

अपने मजहब के प्रति अत्यधिक समर्पित उस्ताद बिस्मिला खाँ की श्रद्धा काशी विश्वनाथ जी के प्रति भी अपार है। वे जब भी काशी से बाहर रहते हैं तब विश्वनाथ व बालाजी मंदिर की दिशा की ओर मुँह करके बैठते हैं, थोड़ी देर ही सही, मगर उसी ओर शहनाई का प्याला घुमा दिया जाता है और भीतर की आस्था रीड के माध्यम से बजती है।

काशी संस्कृति की पाठशाला है। शास्त्रों में आनंदकानन के नाम से प्रतिष्ठित है। काशी में कलाधर हनुमान व नृत्य-विश्वनाथ हैं। काशी में विस्मिल्ला खाँ है। काशी में हजारों सालों का इतिहास है जिसमें पंडित कंठे महाराज हैं, बड़े रामदास जी है, मौजुद्दीन खाँ हैं व इन रसिकों से उपकृत होने वाला अपार जन-समूह है।

आपकी। अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें। अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी तहमद में सबसे मिलते हैं।” खाँ साहब मुस्काराए। लाड़ से भरकर बोले “धत। पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया’ पे मिला है, लगिया पे नाहीं।

नब्बे वर्ष की भरी-पूरी आयु में 21 अगस्त 2006 को संगीत रसिकों की हार्दिक सभा से हमेशा के लिए विदा हुए खाँ साहब।

शब्दार्थ

ड्योढ़ी : दहलीज
नौबतखाना : प्रवेश द्वार के ऊपर मंगल ध्वनि बजाने का स्थान
रियाज : अभ्यास
मार्फत : द्वारा
शृंगी : सींग का बना वाद्ययंत्र
मुरछंग : एक प्रकार का लोक वाद्ययंत्र
नेमत : ईश्वर की देन, वरदान, कृपा
सज़दा : माथा टेकना
इबादत : उपासना
तासीर : गुण, प्रभाव, असर
श्रुति : शब्द-ध्वनि
ऊहापोह : उलझन, अनिश्चितता
तिलिस्म : जादू
गमक : खुशबू, सुगंध
अजादारी : मातम करना, दुख मनाना
बदस्तूर : कायदे से, तरीके से
नैसर्गिक : स्वाभाविक, प्राकृतिक
दाद : शाबाशी, प्रशंसा, वाहवाही
तालीम : शिक्षा
अदब : कायदा, साहित्य
अलहमदुलिल्लाह : तमाम तारीफ ईश्वर के लिए
जिजीविषा : जीने की इच्छा
शिरकत : शामिल होना
वाजिब : सही, उपयुक्त
मतलब : अर्थ
लिहाज : शिष्टाचार, छोटे-बड़े के प्रति उचित भाव
गोया : जैसे कि, मानो कि
रोजनामचा : दैनंदिन, दिनचर्या
विग्रह : मूर्ति
कछार : नदी का किनारा
उकेरी : चित्रित करना, उभारना
संपूरक : पूरा करने वाला, पूर्ण करने वाला
मुराद : आकांक्षा, अभिलाषा
दुश्चिंता : बुरी चिंता
बरतना : बर्ताव करना, व्यवहार करना
सलीका : शिष्ट तरीका
गमजदा : गम में डूबा
सुकून : शांति, आराम
जुनून : उन्माद, सनक
खारिज : अस्वीकार करना
आरोह : चढ़ाव
अवरोह : उतार
आनंदकानन : ऐसा बागीचा जिसमें आठों पहर आनन्द रहे
उपकृत : उपकार करना, कृतार्थ करना
तहजीब : संस्कृति, सभ्यता
सेहरा-बन्ना : सेहरा बांधना, श्रेय देना
नौहा : शहनाई
सरगम : संगीत के सात स्वर (सा रे ग म प ध नी)
नसीहत : शिक्षा, उपदेश, सीख
तहमद : लुंगी, अधोवस्त्र
शिद्दत : असरदार तरीके से, जोर के साथ
सामाजिक : सुसंस्कृत
नायाब. : अद्भुत, अनुपम
जिजीविषा : जीने की लालसा

Bihar Board 12th English 100 Marks Objective Answers Poem 7 Macavity : The Mystery Cat

Bihar Board 12th English Objective Questions and Answers 

Bihar Board 12th English 100 Marks Objective Answers Poem 7 Macavity : The Mystery Cat

Macavity The Mystery Cat Objective Questions Bihar Board 12th  Question 1.
‘Macavity : The Mystery Cat’ is written by-
(A) D.H. Lawrence
(B) Walter De La Mare
(C) T.S. Eliot
(D) Kamala Das
Answer:
(C) T.S. Eliot

Macavity: The Mystery Cat Objective Questions Bihar Board 12th Question 2.
T.S. Eliot was born in-
(A) 1888
(B) 1885
(C) 1876
(D) 1891
Answer:
(A) 1888

Macavity The Mystery Cat Questions And Answers Bihar Board 12th Question 3.
T.S. Eliot died in-
(A) 1915
(B) 1965
(C) 1955
(D) 1935
Answer:
(B) 1965

Macavity The Mystery Cat Is Written By Bihar Board 12th Question 4.
Macavity is-
(A) Fat
(B) Short
(C) Tall and thin
(D) Dome shaped
Answer:
(C) Tall and thin

Macavity The Mystery Cat Question Answer Bihar Board 12th Question 5.
Macavity an defy or disobey or challenge-
(A) His master
(B) The food
(C) The law
(D) The dog
Answer:
(C) The law

Bihar Board 12th English Objective Question 12th Question 6.
Macavity is-
(A) A soldier
(B) A dog
(C) A cat
(D) A boy
Answer:
(C) A cat

12th English Objective Questions And Answers Pdf 2020 Question 7.
T.S. Eliot got Nobel Prize for literature in-
(A) 1938
(B) 1948
(C) 1936
(D) 1946
Answer:
(B) 1948

Cat English Questions With Answers Pdf Bihar Board 12th Question 8.
Macavity : The Mystery Cat is a-
(A) Drama
(B) Satire
(C) Light poem
(D) Literary poem
Answer:
(C) Light poem

Macavity The Mystery Cat Question Answer Class 12 Bihar Board Question 9.
Macavitv’s powers of leviation would make a stare.
(A) saint
(B) devil
(C) fakir
(D) None of these
Answer:
(C) fakir

Macavity The Mystery Cat By Ts Eliot Bihar Board 12th Question 10.
Macavity is outwardly—
(A) miserable
(B) healthy
(C) appealing
(D) respectable
Answer:
(D) respectable

Question 11.
Macavity’s foot-prints are not found in any ……….. of Scotland yard.
(A) file
(B) book
(C) copy
(D) None of these
Answer:
(A) file

Question 12.
According to Eliot, Macavity is the ……….. of Crime.
(A) Hitler
(B) Napoleon
(C) Alexander
(D) None of these
Answer:
(B) Napoleon

Question 13.
Who has composed the poem, ‘Macavity : The Mystery Cat’? ‘
(A) T.S. Eliot
(B) W.B. Yeats
(C) W.H. Auden
(D) None of these
Answer:
(A) T.S. Eliot

Question 14.
Eliot was awarded the Nobel Prize for literature in —
(A) 1947
(B) 1948
(C) 1949
(D) 1950
Answer:
(B) 1948

Question 15.
Eliot belonged to ……….. century.
(A) 18th
(B) 19th
(C) 20th
(D) None of these
Answer:
(C) 20th

Question 16.
Eliot was a—
(A) poet
(B) verse dramatist
(C) critic
(D) All of these
Answer:
(D) All of these

Question 17.
‘Macavity: the Mystery Cat’ is a ……….. poem.
(A) humprous
(B) didactic
(C) symbolic
(D) None of these
Answer:
(A) humprous

Question 18.
Macavity is the ……….. of Scotland Yard.
(A) despair
(B) bafflement
(C) frustration
(D) None of these
Answer:
(B) bafflement

Question 19.
T.S. Eliot has written the poem—
(A) Fire-Hymn
(B) Snake
(C) Macavity : The Mystery Cat
(D) The Soldier
Answer:
(C) Macavity : The Mystery Cat

Question 20.
……….. is a master of criminal.
(A) Macavitv
(B) Monkey
(C) Racavity
(D) None of these
Answer:
(B) Monkey

Question 21.
Macavity is called
(A) The Hidden Paw
(B) The Mysterious Paw
(C) the exposed paw
(D) The naughty paw
Answer:
(A) The Hidden Paw

Question 22.
Macavity is the settlement of—
(A) Bcotyard
(B) Mcotyard
(C) Scotyard
(D) None of these
Answer:
(C) Scotyard

Question 23.
…………. is tall and thin,
(A) Nacavity
(B) Macavity
(C) Lacavity
(D) Sacavity
Answer:
(B) Macavity

Question 24.
Macavity is a —
(A) dog
(B) Rat
(C) tiger
(D) Cat
Answer:
(D) Cat

Question 25.
Mungojerrie and Griddlebone are also— [2018A, I.A.]
(A) dogs
(B) Monkeys
(C) birds
(D) Cats
Answer:
(D) Cats

Question 26.
Macavity is an — [2018A, I.A.]
(A) outlaw
(B) Criminals
(C) looter
(D) diplomat
Answer:
(A) outlaw

Question 27.
Macavity is full of –
(A) happiness
(B) Sadness
(C) selfishness
(D) Decitfullness

Question 28.
Macavity disappears from the place of theft before the reach ………….. there.
(A) Owner
(B) Police
(C) Charles
(D) None of these
Answer:
(B) Police

Question 29.
‘He’s is broken every human law’ is taken from—
(A) The Soldier
(B) Fire-Hymn
(C) An Epitaph
(D) Macavity : The Mystery cat
Answer:
(D) Macavity : The Mystery cat

Question 30.
‘And when the foreign office find a Treaty’s gone astray’ is written by—
(A) Walt Whitman
(B) Rupert Brooke
(C) T.S. Eliot
(D) Kamala Das
Answer:
(C) T.S. Eliot

Question 31.
Macavity can defy or challenge-
(A) Anyone
(B) The food
(C) The law
(D) The dog
Answer:
(C) The law

Question 32.
‘Macavity: The Mystery Cat’ is written by-
(A) D. H. Lawrence
(B) Walter de la Mare
(C) T.S. Eliot
(D) Kamala das
Answer:
(C) T.S. Eliot

Question 33.
T.S. Eliot died in-
(A) 1955
(B) 1965
(C) 1955
(D) 1935
Answer:
(B) 1965

Question 34.
Macavity is-
(A) Fat and tall
(B) Short
(C) Tall and thin
(D) Dome Shaped
Answer:
(C) Tall and thin

Question 35.
T.S. Eliot was born in-
(A) 1888
(B) 1855
(C) 1877
(D) 1895
Answer:
(A) 1888

Question 36.
Macavity is-
(A) A spy
(B) A dog
(C) A Cat
(D) A boy
Answer:
(C) A Cat

Question 37.
T.S. Eliot Nobel Prize Literature is-
(A) 1938
(B) 1948
(C) 1932
(D) 1946
Answer:
(B) 1948

Question 38.
Macavitv : The Mystery Cat is a-
(A) Drama
(B) Satire
(C) Light poem
(D) Literarary poem
Answer:
(C) Light poem

Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 18 हुएनत्सांग की भारत यात्रा

Bihar Board Class 7 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 2 Chapter 18 हुएनत्सांग की भारत यात्रा Text Book Questions and Answers and Summary.

BSEB Bihar Board Class 7 Hindi Solutions Chapter 18 हुएनत्सांग की भारत यात्रा

Bihar Board Class 7 Hindi हुएनत्सांग की भारत यात्रा Text Book Questions and Answers

पाठ से –

ह्वेनसांग ने भारत के बारे में क्या लिखा Bihar Board प्रश्न 1.
हुएनत्सांग भारत क्यों आना चाहते थे?
उत्तर:
भगवान बुद्ध की जन्म नगरी के दर्शनार्थ तथा नालन्दा में रहकर ज्ञान प्राप्त करने के उद्देश्य से भारत आना चाहते थे।

Class 7 Hindi Chapter 18 Bihar Board प्रश्न 2.
भारत आने में हुएनत्सांग को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
उत्तर:
भारत यात्रा में ह्वेनसांग को बड़ी-बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा । ह्वेनसांग को भारत आने के लिए सरकार से अनुमति नहीं मिली। गुप्त रारने से चलकर यात्रा की। इसके लिए उन्होंने चीन के प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षुकों से सलाह और सहायता भी प्राप्त किया। तेज नदी, पर्वत, रेगिस्तान आदि कठिनाइयों को पार कर वे भारत आ ही गये।

Bihar Board Solution Class 7 Hindi प्रश्न 3.
हुएनत्सांग और शीलभद्र के मिलन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जिस समय ह्वेनसांग भारत आये थे उस समय नालंदा विश्वविद्यालय एवं वहाँ के प्रधानाचार्य शीलभद्र की ख्याति विश्व प्रसिद्ध थी। जब शीलभद्र से मिलने हेनसांग नालंदा पहुँचे तो मिलने से पूर्व 20 भिक्षुओं ने ह्वेनसांग को विभिन्न प्रकार की जानकारी दी। उसके बाद शीलभद्र के सामने उनको लाया गया ह्वेनसांग शीलभद्र के सामने घुटने बल बैठकर सबसे पहले शीलभद्र के चरणों का चुम्बन किया और भूमि पर सिर रख दिया। इसके बाद शीलभद्र के सम्मुख खड़ा होकर नम्रतापूर्वक बोला, “मैंने आपके निर्देशन में शिक्षा ग्रहण करने के लिए चीन से यहाँ तक की यात्रा की । मैं प्रार्थना करता हूँ कि आप मुझे अपना शिष्य बनाएँ।

शीलभद्र की आँखें भर आई और उन्होंने कहा-

“हमारा गुरु-शिष्य का संबंध देव निर्धारित है। मैं काफी समय से बीमार था, मेरी बीमारी इतनी दुखदायी थी कि मैंने जीवन लीला समाप्त करने की इच्छा प्रकट की। तब मैं एक रात सोया था। मैंने स्वप्न में देखा कि तीन देव आये हैं। उनमें एक का रंग स्वर्ण दूसरे का स्वच्छ और तीसरे का रजत जैसा’ था। उन्होंने मुझे कहा कि मैं मरने की इच्छा वापस ले और जीने की इच्छा प्रकट करूं क्योंकि चीन देश से एक भिक्षु यहाँ धर्म ज्ञान प्राप्त करने के लिए -आ रहा है और वह तुम्हारा शिष्य बनकर शिक्षा ग्रहण करना चाहता है। इसलिए तुम उसे भली प्रकार से शिक्षित करना।”

Bihar Board Class 7 Hindi Book Solution प्रश्न 4.
नालंदा का वर्णन हुएनसांग ने किन शब्दों में किया है ?
उत्तर:
नालंदा का वर्णन करते हुए हुएनसांग ने लिखा है किनालंदा के मठ के चारों ओर ईंटों की दीवारें थीं। एक द्वार महाविद्यालय के रास्ते में खुलता था। वहाँ आठ बड़े कक्ष थे। सभी भवन कलात्मक और बुर्जी से सज्जित थे। वेधशालाएँ सुबह के कुहासे में छिप जाती थीं और ऊपरी कमरे बादलों में खोए से प्रतीत होते थे। मठ के खिड़कियों से झाँकने से लगता था कि हवा के साथ मिलकर बादल अठखेलियाँ कर नई-नई आकृतियाँ बनाते थे। वृक्ष के पत्तों पर सूरज और चाँद की रश्मियाँ झिलमिलाती थीं। तालाबों के स्वच्छ पानी पर नील कमल खिलते थे तथा रक्ताभ कनक पुष्प झूमते थे। पड़ोस के आम कुंजों के आम की बौर (मंजर) से भीनी-भीनी खुशबू वायु में तैरती रहती थी।

बाहरी सभी आंगनों में चार मंजिलें कक्ष पुजारियों के लिए थे। ये अजगर – की छवि के बने थे। लाल-मूगिया खम्भों पर बेल-बूटे उकरे थे। जगह-जगह रोशनदान बने थे। फर्श इतनी चमकदार ईंटों की बनी थी कि उसमें हजारों तरह की छटाएँ प्रकाशित हो रही थीं जिससे वह स्थान अत्यन्त रमणीय लगता था।

वहाँ का राजा पुजारियों का सम्मान करता था। लगभग सौ गाँवों के लगान को इस संस्थान में धर्मार्थ दान दिया करता था ।

पाठ से आगे –

Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 1 Bihar Board प्रश्न 1.
निम्नलिखित अंश “हुएनत्सांग” के किस पक्ष को दर्शाता
“जब तक मैं बद्ध के देश में नहीं पहुँच जाता. मैं कभी चीन की तरफ मुड़कर भी नहीं देखूगा । ऐसा करने में यदि रास्ते में मेरी मृत्यु हो जाय तो उसकी चिन्ता नहीं।”
उत्तर:
उपरोक्त अंश ह्वेनसांग की दृढनिश्चय एवं भगवान बुद्ध के प्रति श्रद्धा पक्ष को दर्शाता है।

Bihar Board Class 7 Hindi Book प्रश्न 2.
आप अपने आस-पास के धार्मिक, ऐतिहासिक स्थल पर जाइए और उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
हमारे आस-पास में एक ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल के रूप में जयमंगलागढ़ है। इतिहासकारों के अनुसार यह स्थान राजा जयमंगल सिंह का किला था। . यह किला चारों ओर से गहरी और चौड़ी खाई से घिरा हुआ है जो आज कांवर झील के नाम से जाना जाता है।

गढ़ की सुरक्षा हेतु झील के बाहर ऊँचे-ऊँचे टीला बनाये गये थे जो आज भी देता टीला के नाम से जाना जाता है।

झील में जगह-जगह कमल के फूल खिले हैं। झील विभिन्न प्रकार के पक्षियों का अभयारण्य है। झील में नौका विहार का आनन्द पर्यटक उठाते हैं। वहाँ तक पहुँचने के लिए पक्की सड़क बनाई गई है।

गढ़ के बीच में एक चीन भव्य मंदिर है जिसमें वहाँ के लोगों के ‘आराध्य देवी “माँ जयमंगला’ की अद्भुत मूर्ति स्थापित है। मूर्ति मंदिर के गर्भ में स्थापित है। मंदिर भारतीय वास्तुकला का एक नमूना है।

भारत सरकार उस स्थान की खुदाई करवायी जिसमें अनेक प्रकार वस्तुएँ प्राप्त हुई जो प्राचीन शिल्प कला की विशेषता को दर्शाती हैं।

व्याकरण –

Hindi Class 7 Bihar Board Solution प्रश्न 1.
कारक और उनके साथ लगने वाले चिह्न (विभक्ति) इस प्रकार हैं –
Hindi Class 7 Bihar Board Solution
उपरोक्त विभक्तियों का प्रयोग करते हुए एक-एक वाक्य बनाइए।
उत्तर:
(i) कर्ता (ने) मैंने देखा।
कर्ता (०)–राम रावण को मारा।

(ii) कर्म – (को) मदन श्याम को पीटा ।
कर्म (०) मदन घर गया।

(iii) करण (से)-वह डण्डा से चलता है।
करण (द्वारा, के द्वारा)-राम रावण को बाण के द्वारा मारा।
राम द्वारा रावण मारा गया।

(iv) सम्प्रदान (को)-मैंने भिखारी को वस्त्र दिया।
सम्प्रदान (के लिए)-पिता. पुत्र के लिए फल लाया ।

(v) आपादान (से)-मदन छत से गिर गया।

(vi) सम्बन्ध (का, के, की) रमेश की गाय चर रही है। .
रमेश का भाई यहाँ पढ़ता है।
रमेश के पिता यहाँ पढ़ाते हैं।

(vii) अधिकरण (में, पे, पर)—वह स्कूल में पढ़ता है। –
(पे) तेरे दर पे आया हैं।
(पर) वृक्ष पर कौवा बोलता है।
सम्बोधन (हे, अरे, रे) हे ! श्याम यहाँ आओ। अरे! भाई तुम कहाँ हो।

कुछ करने को –

Class 7 Hindi Book Bihar Board प्रश्न 1.
गया और नालन्दा की तरह बिहार के कुछ प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों की सूची बनाइए।
उत्तर:
गुरु गोविन्द सिंह जन्म स्थान (पटना)
शेरशाह का मकबारा (सासाराम) भगवान महावीर का जन्म स्थल (वैशाली).
भगवती सीता का जन्म स्थान (जनकपुर)
वीर कर्ण का किला (मुंगेर) ।
राजगीर, पावापुरी, जयमंगलागढ़
नवलगढ़, सोनपुर इत्यादि ।

Bihar Board Class 7 Hindi Book Pdf प्रश्न 2.
शिक्षक और अभिभावक से पता लगाइए कि बिहार में कहाँ-कहाँ मेले लगते हैं और वे क्यों प्रसिद्ध हैं।
उत्तर:
बिहार में मेले गया, राजगीर, सोनपुर में लगते हैं।

गया का मेला पितृपक्ष (अश्विन मास) में लगता है। यहाँ लोग पितरों को पिण्डदान करते हैं।

राजगीर मेला अत्यन्त प्राचीन मेला है। यहाँ आकर लोग सप्तपर्णी गुफा के गर्म जल में स्नान करते हैं। इसके साथ-साथ राजगीर में अनेक बौद्ध मठ _ (मंदिर) दर्शनीय हैं। स्वर्ण भंडार (जरासंघ का खजाना) भी दर्शनीय है।

सोनपुर मेला पशु-मेला के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ भगवान विष्णु और शिव की संयुक्त मूर्ति हरिहरनाथ का पूजन धार्मिक विचार के पुण्यदायक माना जाता है। यहाँ छोरों भगवान विष्णु ने आकर गज को बचाया था और ग्राह का अन्त किया था।

इसके अतिरिक्त बिहार में अनेकों मेले लगते हैं।

हुएनत्सांग की भारत यात्रा Summary in Hindi

सारांश – हुएनत्सांग (वेनसांग) चीन से 630 ई. में भारत आये थे।

उसने एक रात स्वप्न देखा कि–सोना-चाँदी और जवाहरातों जैसा चमकता हुआ गुमेरू पर्वत विशाल समुद्र से घिरा है। वह सुमेरू पर चढ़ना चाहा लेकिन सुमेरू तक पहुँचने के लिए कोई नौका आदि साधन नहीं थे। वह तैरना आरम्भ करता है उसी समय उसके पैरों के नीचे पाषाण-कमल उदित हुआ। जब वह एक पाषाण-कमल पर पैर रखा तो आगे दूसरा दिखने लगा। इस प्रकार वह समुरू तक पहुंच गया। जब वह उसकी चोटी पर चढ़ने का प्रयास करने लगे तो एक तेज बवंडर ने उनको उठाकर पर्वत की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंचा दिया। हेनसांग बहुत खुश हुए। एका-एक नींद खुल गई। उन्होंने स्वज को शुभ मानकर भगवान बुद्ध की जन्मभूमि भारत की यात्रा करने की ठान ली। उस समय किसी भी चीनवासियों को विदेश जाने की अनुमति नहीं थी। हेनसांग ने इसके लिए लिएंग-चाऊ के एक भिक्षु से मदद मांगी। उन्होंने ह्वेनसांग के मार्गदर्शन के लिए अपने दो शिष्यों को दिया। तीनों लुक-छिपकर “हुए क्वा चौ” पहुंचे।

वहाँ जब इन्होंने भारत जाने के रास्ता के बारे में पता लगाया तो मालुम हुआ कि यहाँ से 17 मील की दूरी पर हु-लु नदी बहती है जिसे पार करना मुश्किल है। वेनसांग ने सोचा जरूर कोई रास्ता होगा। उत्तर था जहाँ नदी उथली (ऊंची होगी वहाँ से पार किया जा सकता था। पुनः मालूम हुआ कि आगे नदी के बाद मौ-हौ-येन नामक रेगिस्तान है जिसमें कुछ नहीं उगता है। रेगिस्तान में बाहर जाने वाले यात्रियों पर ध्यान रखने के लिए ऊँचे-ऊँचे टावर लगा हुआ है जो बाहर जाने वालों की सूचना चीन सरकार को देती है। लेकिन इसके बाद भी हेनसांग ने पीछे मुड़ने के पक्ष में नहीं थे। उन्होंने निर्णय कर लिया था कि भले मृत्यु हो जाय । हम आगे बढ़ेंगे। आखिर वे भारत पहुँच हो गये।

आठ नौ दिनों तक “बोध गया” में ठहरे। उसने लिखा है कि गया में लगभग एक हजार ब्राह्मण परिवार थे जिनको ऋषियों के संतान मानकर लोग पूजते थे। ये सभी राजा के प्रजा में सम्मिलित नहीं थे। जब ह्वेनसांग गया में थे, नालंदा मंठ से चार भिक्षुक उनको नालंदा ले जाने के लिए आये। वेनसांग नालन्दा जाकर नालंदा के प्रसिद्ध विद्वान शीलभद्र से योगशास्त्र के बारे में जानना चाहते थे।

नालंदा के बारे में ह्वेनसांग ने लिखा है-नालंदा चारों ओर से ईंटों की दीवार से घिरा था। एक द्वार महाविद्यालय में जाता था। वहाँ आठ बड़े-बड़े कक्ष थे। जो कलात्मक और बुजों (गुम्बदों) से सज्जित थे। यहाँ की वेधशालाएँ प्रात: कुहासे से छिपे तथा ऊपर के मंजिलें बादलों में खोये प्रतीत होते थे। हेनसांग मठ की सुन्दरता से बहुत प्रभावित हुए थे और उसका वर्णन भी बड़े ही रोचक ढंग से उन्होंने किया है।

शीलभद्र के पास पहुँचकर ह्वेनसांग विनम्र हो शीलभद्र को अपना गुरु बनाने का आग्रह किया । ह्वेनसांग की प्रार्थना सुन शीलभद्र की आँखें भर गयीं क्योंकि कुछ दिनों से शीलभद्र बीमार थे। बीमारी इतनी दुखदायी थी कि शीलभद अपना पण ही त्यागना चाह रहे थे तो एक रात शीलभद्र को स्वप्न में तीन देवता आकर शीलभद्र से बोले-शीलभद्र मरने की इच्छा छोड़ दो क्योंकि चीन देश से एक भिक्षु यहाँ धर्म ज्ञान प्राप्त करने के लिए आने वाले हैं जो तुम्हारा शिष्य बनकर ज्ञान प्राप्त करना चाहता है। अतः तुम उसे भलीभांति ज्ञान देकर शिक्षित करना।

ह्वेनसांग कई वर्षों तक अध्ययन कर ज्ञान प्राप्त किया। उन्होंने अपने . पुस्तक में लिखा है- नालंदा के भिक्षु बहुत विद्वान थे। वहाँ सुबह से शाम तक अध्ययन-अध्यापन का कार्य होते रहता था।

नालंदा में शास्त्रार्थ भी होता था जो कोई विद्वान वहाँ के विद्वानों के साथ शास्त्र चर्चा करना चाहते थे उनकी परीक्षा ली जाती थी। जो विद्वान द्वार पर होने वाली जाँच परीक्षा में सफल होते थे। उनको ही शास्त्रार्थ में भाग लेने को मिलता था।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 8 मेरा ईश्वर

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 पद्य खण्ड Chapter 8 मेरा ईश्वर Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 8 मेरा ईश्वर

Bihar Board Class 9 Hindi मेरा ईश्वर Text Book Questions and Answers

Mera Ishwar Bihar Board Class 9 Hindi  प्रश्न 1.
मेरा ईश्वर मुझसे नाराज है। कवि ऐसा क्यों कहता है?
उत्तर-
‘मेरा ईश्वर’ लीलाधर जगूड़ी द्वारा रचित काव्य पाठ से ये पंक्तियाँ ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि ईश्वर का प्रतीक प्रयोग किया है। ईश्वर शब्द का मूल सांकेतिक अर्थ है-समाज में रहनेवाले प्रभुत्वशाली वर्ग से।

कवि आम आदमी की पीड़ा, वेदना, त्रासदी को स्वयं के रूप में व्यक्त करते हुए इसके लिए ईश्वर को दोषी या जिम्मेदार माना है। समाज का शोषक वर्ग आम आदमी को सुखी या प्रसन्न रूप में देखना नहीं चाहता। इस पंक्तियों में यही भाव : छिपा है। कवि स्वयं कहता है कि मैं दुख से मुक्ति के लिए संकल्पित मन से तैयार हो गया हूँ। अब मिहनत या कर्म के बल पर अपने भाग्य की रेखा को बदल डालूँगा। मेरे ईश्वर नाराज रहें, इसकी मुझे तनिक भी परवाह नहीं।

उपरोक्त पंक्तियों में ईश्वर भारतीय समाज के शोपक, संपन्न वर्ग का प्रतीक है जो अपनी मनमर्जी से आम आदमी को जीने-मरने के लिए विवश कर देता है। इन पंक्तियों का मूलभाव यह है कि भारतीय समाज में आज भी भाग्यवादी लोग हैं जो सबकुछ संपन्न वर्ग के रहमोकरम पर ही जीवन-यापन करते हैं। इस प्रकार ईश्वर पर तीखा प्रहार कवि ने किया है। वह अब ईश्वर की सत्ता को चुनौती देता है। अब वह उनके संबल पर या दया के बल पर जीना नहीं चाहता। इस प्रकार इन पंक्तियों ‘ में आम आदमी की वेदना व्यक्त हुई है।

अपनी कविताओं द्वारा कवि ने आम आदमी को संघर्षशील और कर्त्तव्यनिष्ठ बनने की सीख दी है।

Ishwar In Hindi Bihar Board Class 9 Hindi प्रश्न 2.
कवि ने क्यों दुखी न रहने की ठान ली है?
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियां-“क्योंकि मैंने दुखी न रहने की ठान ली’ में कवि ने । दृढ़ संकलित होने के इरादा को प्रकट करता है। वह हृदय से चाहता हैं मैं ईश्वर के बल पर क्यों रहूँ? क्यों उसकी दया का पात्र बनूँ? क्यों उसी के सहारे जीने की कामना करूँ? मेरे भीतर का जो पौरुष है उसे ही क्यों न जगाऊँ? यहाँ कवि के भीतर आत्मबल का भाव जागरित होता है। वह अपने कर्म और श्रम पर विश्वास प्रकट करता है। दुख का जो कारण है-उसके निवारण के लिए वह स्वयं को सजग और सहेज करते हुए कर्मठता की ओर ध्यान आकृष्ट करता है।

यहाँ कवि स्वयं की पीडा दख को दर करने की जो बातें कहता है वह कवि की निजी पीड़ा या दुख नहीं है, वह जनता की णेड़ा है वह आम आदमी की पीड़ा है, कष्ट है, वेदना है। कवि उनके भीतर क स्व को जगाते हुए निज पैरों पर खड़े होने का संदेश देता है। उन्हें सोए हुए से जगाता है। उनके भीतर के पौरुष को जगाकर उनमें चेतनामय करना चाहता है।

इस प्रकार कवि मनुष्य के भीतर जो उसका निजी मनुष्य सोया हुआ है उसे जगाकर जीवन के मैदान में लड़ने के लिए ललकारता है। सोया हुआ आदमी लक्ष्य शिखर पर नहीं चढ़ पाता है। यह पंक्ति उद्बोधन का भी भाव जगाती है। आदमी के भीतर जो ऊर्जा है, श्रम है, हूनर है उसका सही इस्तेमाल होने पर दुख खुद भाग जाएगा।
सामाजिक प्रभु वर्गों के शोषण से तभी मुक्ति मिल सकती है जब मनुष्य मिहनत करने की ठान ले।

ईश्वर क्या कर सकते हैं Class 9 Bihar Board प्रश्न 3.
कवि ईश्वर के अस्तित्व पर क्यों प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है?
उत्तर-
कवि ‘मेरा ईश्वर’ कविता में ईश्वर के अस्तित्व को नकारता है। वह कर्म पर विश्वास करता है। अगर मनुष्य दृढ़ संकल्प कर ले। जीवन में कुछ करने की ठान ले तो कछ भी असंभव नहीं। यहाँ मनष्य के भीतर आत्मबल होना चाहिए। उसके भीतर ‘स्व’ की चेतना की लौ जलनी चाहिए।

ईश्वर भी उसी की मदद करता है जो स्वयं अपनी मदद करता है। जो श्रमवीर है, कर्मवीर है, उन्हें किसी दूसरे के संबल पर जीने की क्या जरूरत? कवि कहता है कि मेरी परेशानी का आधार ईश्वर क्यों हो यानि हम अपनी परेशानियों के लिए। ईश्वर को क्यों दोप दें। यहाँ कर्म पर कवि जोर देता है। जीवन के पल-पल का अगर सही सदुपयोग हो तो दुख, कहाँ टिकेगा? अब मुझे दुख दूर कैसे हो? वैसा कारोबार यानि रोजगार को करना है। दुख न रहे, आदमी सुखी हो, इस पर ध्यान केन्द्रित करते हुए बुरी लत से छुटकारा पाना है।

दूसरे अर्थ में समाज के प्रभुत्वशाली या शोषक वर्ग के बल पर हम क्यों आश्रित रहें। हम दुख को दूर करने के लिए क्यों न कसमें खायें और जीवन में कुछ करने की जिद ठान लें। उनके बताए मार्ग या आश्रय में रहने पर दुख से छुटकारा असंभव है। अत: उपरोक्त पंक्तियों में ईश्वर के प्रतीकार्थ रूप में प्रभुत्ववर्ग की शोषण-दमन नीति का विरोध करते हुए जन-जन में, चेतना श्रम और संकल्प के प्रति दृढ़ भाव जगाते हुए दुख को दूर करने के लिए मिहनत करनी होगी।

Ishwar Question Bihar Board Class 9 प्रश्न 4.
कवि दुख को ही ईश्वर की नाराजगी का कारण वयों बताता है?
उत्तर-
यहाँ ‘मेरा ईश्वर’ कविता पाठ में कवि के भाव के दो अर्थ लगाए जा सकते हैं। एक तरफ कवि ईश्वर की नाराजगी के कारण ही जन-जन दुख और पीड़ा से पीड़ित है, ऐसा मानता है। यहाँ भाग्यवादी विचारधारा पर प्रकाश पड़ता है तथा ईश्वर यानि परमात्मा को ही दुख का कारण माना जा सकता है।

दूसरे अर्थ में ईश्वर माने समाज का प्रभुत्वशाली वर्ग जो समाज में दु:ख और – पीड़ा देने का कारक है, को माना जा सकता है। भारतीय समाज की बनावट ही ऐसी है कि जो संपन और सामंती भावना से ग्रसित वर्ग है वह आम आदमी की प्रगति में बाधक है। उसके कुचक्रों एवं षड्यंत्रों के विषय जाल में आम आदमी पीड़ित एवं शोषित है। इस प्रकार कवि की उपरोक्त पंक्तियों से परम ब्रह्म परमेश्वर को भी दुख के दाता के रूप में व्याख्यायित किया जा सकता है। ईश्वर जब नाराज होता है तब जन-जन की पीड़ा दुख में जीना पड़ता है। दूसरी ओर सामाजिक व्यवस्था के तहत सामंती सोच या संपन्न वर्ग की शोषण नीति से आम आदमी प्रभावित होता है और वह दुख के साये में जीने के लिए विवश हो जाता है। यहाँ हम दोनों अर्थ को ले सकते हैं। कवि अत्याधुनिक युग का चेतना संपन्न रचनांकन है, अतः उसकी दृष्टि २ सामाजिक व्यवस्था को ही आम आदमी की पीड़ा एवं दुख का कारण मानता है। भले ही वह ईश्वर का प्रतीक प्रयोग कर अपने भावों को मूर्त रूप दिया हो।

आशय स्पष्ट करें:

Hindi Poem For Class 9 Bihar Board प्रश्न 5.
(क) मेरे देवता मुझसे नाराज हैं
क्योंकि जो जरूरी नहीं है
मैंने त्यागने की कसम खा ली है।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ ‘मेरा ईश्वर’ काव्य पाठ से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि ने अपने हृदय के भाव को व्यक्त किया है। मेरे देवता मुझसे नाराज हैं, क्योंकि मैंने अपने जीवन में जो चीजें जरूरी नहीं है, उसे त्याग करने की कसमें खा ली हैं।
यहाँ कहने का मूल आशय है कि ईश्वर के भरोसे मैं जीना नहीं चाहता। दूसरे के आश्रय या संबल पर जीने से अच्छा स्वावलंबी बनकर जीने में है। यहाँ कवि ईश्वर की सत्ता को चुनौती देता है। वह उसके भरोसे जीना नहीं चाहता। कहने का भाव यह है कि कवि भाग्यवादी नहीं है, वह कर्मवादी है। वह श्रम बल पर विश्वास करता है। दूसरे अर्थ में भारतीय समाज की जो बनावट है उसमें प्रभुत्व वर्ग अपनी मर्जी के मुताबिक समाज को दिशा देने का काम करता है अत: आम आदमी उसी के सहारे या संबल पर जीता है। उसका ‘स्व’ रह नहीं पाता। अतः उसका जीवन कारुणिक एवं वेदनामय हो जाता है।

उपरोक्त पंक्तियों में कवि ने अपने क्रांतिकारी विचारों को प्रकट करते हुए ईश्वर के भरोसे जीना-मरना नहीं चाहता। वह जीवन की भाग्य रेखाओं को अपने कौशल से बदलना चाहता है। इसी कारण वह देवता को नाराज कर देता है। उनकी चिंता या परवाह नहीं करता। मनुष्य के जीवन में श्रम ही सब कुछ है। ईश्वर के -अस्तित्व को मानकर जीना पराधीन रूप में जीने के समान है यानि शोषण से मुक्त जीवन से मुक्त जीवन ही सर्वोत्तम है।

आशय स्पष्ट करें:

प्रश्न 5.
(ख) पर सुख भी तो कोई नहीं है मेरे पास
सिवा इसके की दुखी न रहने की ठान ली है।
उत्तर-
लीलाधर जगूडी द्वारा रचित ‘मेरा ईश्वर’ कविता पाठ से उपरोक्त पंक्तियाँ ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि ने अपने विचार को स्पष्ट शब्दों में प्रकट किया है। कवि कहता है कि मेरे पास यानि मेरे जीवन में दूसरे प्रकार का कोई सुख भी तो नहीं है। लेकिन सबसे बड़ी विशेषता यह है कि सुख के नहीं रहने पर भी मैंने दुखी न रहने की ठान ली है यानि संकल्प कर लिया है। अभावों के बीच भी मैं दुखी नहीं रहूँगा। मेरे भीतर का आत्मबल जग गया है उसके आगे सुख-दुख दोनों फीका है। आदमी भीतर से जब जग जाता है तब उसके सामने सांसारिक सुख-सुविधा कोई मायने नहीं रखता। यहाँ भी यही बात है।

कवि का मन आत्मतोष से भरा पूरा है। वह सांसारिक सुख-दुख से अपने को ऊपर रखते हुए चिंतन के उच्च धरातल पर अपने को रखता है। कवि की भावना प्रबल रूप में हमें दिखाई पड़ती है कि उसने दुखी न रहने के लिए संकल्प ले लिया है। कहने का आशय यह है कि कर्म पर उसे भरोसा है, भाग्य या ईश्वर या देवता के बल पर वह जीना नहीं चाहता। उसने दुख को दूर करने के लिए अपनी मिहनत, आत्मबल और पौरुष पर भरोसा किया है। इस प्रकार आत्म चेतना से संपन्न कवि जीवन के यथार्थ का सम्यक् चित्रण करता है। कष्ट से घबड़ाता नहीं बल्कि, उसे दूर करने के लिए संकल्पित मन से जीवन में कुछ करने की ठान लेता है।

आशय स्पष्ट करें:-

प्रश्न 5.
(ग) मेरी परेशानियाँ और मेरे दुख ही ईश्वर का आधार क्यों हों?
उत्तर-
‘मेरा ईश्वर’ काव्य पाठ से उपरोक्त पंक्तियाँ ली गई हैं। इस कविता के रचयिता लीलाधर जगूड़ी आधुनिक युग के चर्चित कवि हैं। कवि ने मानव जीवन में परेशानियों एवं दुख में मूल कारण को खोज रहा है। वह इसके लिए ईश्वर को क्यों आधार माना जाय, इस प्रकार की धारणा को प्रकट करता है।

आम आदमी चेतना शून्य होता है, उसे आत्मज्ञान या युगबोध का ज्ञान नहीं होता इसीलिए वह परेशानियों एवं दुख के कारण के लिए ईश्वर की नाराजगी को मानता है। जबकि कवि उसे नकाराता है। वह ईश्वर की सत्ता को चुनौती देता है। वह ईश्वर को इन बातों के लिए मूल कारण नहीं मानता। ईश्वर पर ही सब कुछ छोड़ कर भाग्य भरोसे बैठकर रहने से जीवन के दुख और परेशानियों का अंत नहीं होने वाला।

कवि सामाजिक व्यवस्था की खामियों पर भी सूक्ष्म भाव प्रकट करता है। उसके अनुसार समाज में भी ईश्वर या देवता के रूप में एक ऐसा प्रभुत्व वर्ग है जो अपने काले-कारनामों द्वारा आम आदमी को दुखी और परेशानियों में डाल देते हैं। इस प्रकार कवि अत्याधुनिक युग में बदलती सामाजिक व्यवस्थाओं एवं मानव मूल्यों के गिरते स्तर पर चिंतित है। वह इसके लिए आम आदमी के भीतर चेतना जगाने का काम अपनी कविताओं द्वारा कर रहा है। जबतक ईश्वर, देवता या प्रभुत्व वर्ग पर आमजन आश्रित रहेगा तबतक वह परेशानियों एवं दुखों से मुक्ति नहीं पा सकेगा। अगर उसे इन सबसे मुक्ति पाना है तो स्वयं को जगाना होगा। अपने आत्मबल के बल पर श्रम की महत्ता देनी होगी। प्रभुत्व वर्ग के झाँसे में नहीं आना होगा। उनके शिकंजे में नहीं फँसना होगा उनके हाथ की कठपुतली नहीं बनना होगा तभी परेशानियों एवं दुखों का अंत होगा और आम आदमी उससे निजात पा सकेगा।

प्रश्न 6.
कविता का केन्द्रीय भाव स्पष्ट करें।
उत्तर-
‘मेरा ईश्वर’ कविता जो युग बोध से युक्त कविता है आम आदमी के जीवन की समग्र स्थितियों पर प्रकाश डालती है।
लीलाधर जगूडी अत्याधुनिक काल के कवि हैं। कवि की कविता समसामयिकता को लेकर लिखी गयी है। कवि बदलते जीवन-मूल्यों से भलीभाँति परिचित है अतः उनकी कविताओं में जन चेतना को जगाने का भाव छिपा हुआ है। लीलाधर जगूड़ी जी की कविता में जीवन के कटुतिक्त अनुभव विद्यमान हैं। काव्य में जो विविधता आयी है उनका दर्शन होता है। भाषिक प्रयोगशीलता भी विद्यामन हैं। कवि अपनी कविताओं में एक विस्मयकारी लोक की रचना करता है।

प्रस्तुत कविता लीलाधर जगूड़ी के कविता संग्रह ईश्व की अध्यक्षता में से ली गई है। यह कविता भारतीय समाज के प्रभु वर्ग पर गहरी चोट करनी है। मनुष्य जो जैसे-तैसे इन प्रभु वर्गों के शिकंजे में फंस जाता है और सदा के लिए इनकी हाथ की कठपुतली बन जाता है, उसी से संबंधित यह कविता है।

कवि ने ईश्वर और देवता के माध्यम से भारतीय समाज के सामंती वर्ग के चरित्र का उद्घाटन किया है। आम आदमी की प्रसन्नता या सुख से यह वर्ग दुखी हो जाता है, नाराज हो जाता है। इस वर्ग को आम आदमी भगवान से भी बढ़कर समझता है। इनके रहमोकरम पर उनका जीना-मरना संभव है।

जब-जब आम आदमी जीवन में कुछ करने, कुछ बनने की ठानता है तब इस वर्ग के छाती पर साँप लोटने लगता है। वे नाराज हो जाते हैं।

कवि पुनः कहता है कि आदमी दुखी नहीं रहे इसके लिए कुछ न कुछ कारोबार तो करना ही होगा। सुख के मार्ग में जो अवरोधक तत्व हैं यानि बूरे व्यसन हैं उनसे तो छुटकारा पाना ही होगा। हम ईश्वर के भरोसे कब तक बैठे रहेंगे? कब तक वह हमारी दुख दूर करेगा? वह कबतक परेशानियों से मुक्ति दिलाएगा? उसके भरोसे बैठकर रहना तो निरीमूर्खता है। सारे दुखों परेशानियों की जड़ में मनुष्य की हीन भावना और भाग्यवादी बनना है। उसे ईश्वर की सत्ता को चुनौती देनी चाहिए और अपने आत्मबल के सहारे दुखों, कष्टों, से निजात पाना चाहिए।

पुनः कवि मूल भाव को प्रकट करते हुए कहता कि मेरे पास सुख नहीं है लेकिन दुख को दूर करने के लिए भी तो मैंने संकल्प ले लिया है। कसमें खा ली हैं। जब मानव जग जाता है तब प्रकृति भी उसकी मदद करती है। इस प्रकार ‘मेरा ईश्वर’ कविता का केन्द्रीय भाव आदमी के भीतर जो उसका ‘स्व’ है उसे जगाना है। उसके भीतर जो आत्महीनता है उसे दूर करना है। मनुष्य ही इस धरा पर अपना स्वयं भाग्य विधाता है। वह अपनी सूझ-बूझ से, अपनी मिहनत से, समाज की व्यवस्था और जीवन की दशा को नया स्वरूप दे सकता है।

ईश्वर की सत्ता को नकारते हुए मनुष्य अपने कर्म, श्रम और आत्मबल पर विश्वास करे। साथ ही दृढ़ संकल्पित होकर जीवन में कुछ करने, कुछ बनने की ठान ले तो जीवन में दुख और परेशानियाँ स्वतः दूर हो जाएंगी।
माथ ही प्रभुत्वशाली वर्ग भी सरल और सहज भाव से आम आदमी के विकास में सहयोगी बनेंगे। शर्त यही है कि आम आदमी सहज और क्रियाशील रहे।

प्रश्न 7.
कविता में सुख, दुख और ईश्वर के बीच क्या संबंध बताया गया है? –
उत्तर-
‘मेरा ईश्वर’ कविता एक सामाजिक भावधारा से जुड़ी हुई कविता है। लीलाधर जगूड़ी जी अत्याधुनिक काल के सशक्त कवि हैं। इनकी कविताओं में युग का सफल चित्रण हुआ है।

अपनी कविता में ‘ईश्वर’ का प्रयोग कवि ने प्रभुत्व-वर्ग की संस्कृति को दर्शाने के लिए किया है। आम आदमी ईश्वर की सत्ता को मानकर भाग्य के भरोसे बैठा रहता है वह क्रियाशील होकर जीवन क्षेत्र में नहीं उतरता। इसी कारण वह जीवन में दुखी रहता है। सुख की छाँह उसे नसीब नहीं होती।

कवि अपनी कविता में कहता है कि “मेरी परेशानियों और मेरे दुख ही ईश्वर का आधार क्यों हो” में ईश्वर के अस्तित्व पर प्रकाश डाला है। कवि की दृष्टि में दुख और परेशानियों का कारण ईश्वर नहीं है। वह कौन होता है जो हमें परेशानियों में डाले या दुख के साये में जीने के लिए विवश कर दे। इस कविता में ईश्वर दुख और कष्टों का कारण नहीं है। जब मनुष्य चेतस हो जाएगा, आत्म बल से पुष्ट हो जाएगा तो दुख और कष्ट से खुद निजात पा जाएगा। सुख का संबंध भी ईश्वर से नहीं है। सुखी रहने के लिए बुरी आदतों को त्यागना आवश्यक है।

इस प्रकार उक्त कविता में सुख, दुख और ईश्वर के त्रिकोण से कवि ने जीवन के यथार्थ को स्पष्ट करते हुए तीनों के बीच के संबंधों पर प्रकाश डाला है।

सुख की प्राप्ति बिना श्रम या संकल्पित हुए बिना संभव नहीं। ईश्वर या देवता दुख क्यों देंगे जब मनुष्य दुख से लड़ने के लिए तैयार हो जाए। यानि जबतक वह भाग्यवादी रहेगा दुख और परेशानियाँ साथ नहीं छोड़ेगी। जब वह स्वयं पर भरोसा कर कर्मवादी बनेगा तभी इन चीजों से छुटकारा पाएगा।

दूसरे संदर्भो में कवि समाज में व्याप्त अव्यवस्था और ईश्वर या देवता के रूप में अवस्थित प्रभुत्व वर्ग के क्रिया-कलापों से भी सुख-दुख और शोषक वर्ग के त्रिकोण के संबंधों की व्याख्या करता है। समाज में प्रभुत्व वर्ग अपने षड्यंत्रों के माध्यम से आम आदमी के जीवन में ऐसा जाल बुनते हैं कि उसमें फंसकर आम आदमी आजीवन उनके हाथों की कठपुतली बनकर दुख और परेशानियों के बीच जीता-मरता है। सुख उसे नसीब ही नहीं होता। इस प्रकार सुख-दुख और ईश्वर रूपी प्रभु वर्ग के त्रिकोण में आम आदमी का जीवन पीसता रहेगा, पेंडुलम की तरह डोलता रहेगा, जबतक वह चेतना संपन्न नहीं हो जाता अपने संकल्प को नहीं जगाता। कुछ करने, कुछ बनने की कसमें नहीं खा लेता। जीवन को कर्म और निष्ठा की कसौटी पर कसना होगा। तभी सुख की प्राप्ति होगी और ईश्वर और दुख से मुक्ति मिलेगी।

नीचे लिखे पद्यांशों को ध्यानपूर्व पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें।

1. मेरा ईश्वर मुझसे नाराज है
क्योंकि मैंने दुःखी न रहने की ठान ली
मेरे देवता नाराज हैं
क्योंकि जो जरूरी नहीं है
मैंने त्यागने की कसम खा ली है।
(क) कवि और कविता के नाम लिखें।
(ख) मेरा ईश्वर मुझसे नाराज है। कवि के इस कथन को स्पष्ट करें।
(ग) कवि ने दुःखी न रहने की क्यों ठान ली है?
(घ) कवि के देवता उससे क्यों नाराज हैं?
(ङ) कवि ने क्या त्यागने की कसम खा ली है? स्पष्ट करें।
उत्तर-
(क) कवि-लीलाधर जगूडी, कविता-मेरा ईश्वर

(ख) कवि का कथन है कि उसका ईश्वर उससे नाराज है। कवि की दृष्टि में उसकी नाराजगी का कारण यह है कि मनुष्य रूप कवि (श्रमजीवी) अपने श्रम के बल पर अपनी खराब हालत को सुधारने के लिए पूर्ण सक्षम है। उसके लिए इसे अब ईश्वर पर (प्रभ या स्वामी) आश्रित नहीं होना है तथा प्रार्थना और निवेदन नहीं करना है। अब स्थिति ऐसी आ गई है कि ईश्वर अब यह समझ बैठा है कि कवि (मनुष्य) अब उसके हाथ की कठपुतली नहीं रह गया है और उसके अस्तित्व का विरोध कर रहा है। इसलिए ईश्वररूप और प्रभु इस पर नाराज है।

(ग) कवि यह समझता है कि दु:ख की स्थिति में पड़े रहने पर मनुष्य का कोई मूल्य नहीं रह जाता। दु:ख के कारण व्यक्ति अपने तमाम मूल्यों को खोने के लिए बेचारा होने की स्थिति में बाध्य हो जाता है। उस समय उसकी स्थिति उसे कठपुतली बनने पर बाध्य कर देती है। फलतः वह दु:खी रहना नहीं चाहता है तभी वह प्रभु या मालिक की गुलामी और दासता से मुक्त रहकर स्वाभिमान और आत्मगौरव का परिचय दे सकता है।

(घ) कविता में चर्चित देवता आज के प्रभुवर्ग के प्रतीक हैं। वे सर्वशक्तिमान तथा तथाकथित सभी गुणों से भूषित हैं। वे यह समझते हैं कि उनकी जो भी इच्छा है वह मान ली जाए। इसका नतीजा यह होता है कि वे अपने भाव, विचार एवं इच्छा को दूसरे पर थोपना चाहते हैं। इस संदर्भ में कवि का कथन है कि अब वह उनकी इच्छा को मानने क लिए बाध्य महीं है। कवि का कथन है कि अब वह उनकी इच्छा को मानने के लिए बाध्य नहीं है। कवि प्रभु की थोपी हुई इच्छा या आदेश को अब माने को बाध्य नहीं है। यही कारण है कि उसके देवता उससे अब नाराज हैं। पहले ऐसी स्थिति नहीं थी।

(ङ) कवि अपने प्रभु द्वारा थोपी गई इच्छा, आदेश, सलाह या बात मानना कोई जरूरी नहों समझता है। इस परिस्थिति में उसने प्रभु की उस अनावश्यक और व्यर्थ की बात और उसे मानते रहने की प्रवृत्ति को त्यागने की कसम खा ली है। कवि की यह सोच है कि जो जरूरी नहीं है, उसे त्यागने की कसम खा ही लेनी चाहिए।

2. न दुःखी रहने का कारोबार करना है
न सुखी रहने का व्यसन
मेरी परेशानियाँ और, मेरे दुःख ही
ईश र का आधार क्यों हों?
पर सुख भी तो कोई नहीं है मेरे पास
सिवा इसके की दुःखी न रहने की ठान ली है।
(क) कवि और कविता के नाम लिखें।
(ख) कवि दुःखी रहने का कारोबार क्यों नहीं करना चाहता है?
(ग) कवि सुखी रहने के व्यसन से भी मुक्त रहना चाहता है। क्यों?
(घ) कवि के अनुसार उसकी परेशानियों और उसके दुःख ही ईश्वर का आधार क्यों थे?
(ङ) प्रस्तुत पद्यांश का आशय अपने शब्दों में व्यक्त करें।
उत्तर-
(क) कवि-लीलाधर जगूड़ी, कविता-मेरा ईश्वर

(ख) कवि यह जानता है कि दु:ख इंसान को इंसान नहीं रहने देता। वह उसे परेशानियों में डाले रहता है। ऐसी स्थिति में मनुष्य (कवि) अपने मौलिक गुणों से विरत हो जाता है। उसके पास कोई नैतिक मूल्य बच नहीं पाता है। ऐसा मनुष्य प्रभुवर्ग के सामने गिर जाता है, झुक जाता है और दुःख से मुक्ति पाने के लिए गिड़गिड़ाने लगता है। कवि की दृष्टि में दु:ख की यह स्थिति दुःखद और अग्राह्य होती है। इसीलिए कवि दु:खी रहना नहीं चाहता।

(ग) दुःख की तरह सुख से भी कवि मुक्त और विरत रहना चाहता है। सुख को वह भौतिक सुखों की आसक्ति समझता है। वह जानता है कि व्यक्ति जब सुखी होता है तब उसमें झूठे अहम का भाव जग जाता है। उस सुख की स्थिति में मनुष्य मनुष्य नहीं रह जाता और वह एक आरोपित या झूठे मनुष्य के रूप में रह जाता है। यह स्थिति भी कवि की दृष्टि में ग्राह्य नहीं मानी जाती है। इसी कारण से वह सुखी रहने के व्यसन से भी मुक्त रहना चाहता है।

(घ) कवि के अनुसार मनुष्य की परेशानियाँ और उसके दुःख के कारण ही ईश्वर या प्रभु का अस्तित्व है। इंसान जब बहुत दु:खी होता है और परेशानियों के गहन जंगल में ठोकरें खाते रहने के लिए बाध्य हो जाता है, तभी वह ईश्वर या प्रभु या मालिक की शरण में जाता है। वह उनको याद करता है। उनकी प्रार्थना करता है और अपने कष्ट और दु:ख के हरण के लिए उनसे निवेदन करता है। इस रूप में कवि को लगता है कि ईश्वर की अवधारणा या अस्तित्व का मूल आधार मनुष्य की परेशानियाँ और उसके दुःख ही हैं।

(ङ) इस पद्यांश में कवि दुःख और सुख दोनों की अतिवादि स्थितियों से मुक्त रहने का अपना संकल्प व्यक्त करता है। उसकी अवधारणा है कि संसार में ईश्वर, प्रभु या मालिक का अस्तित्व मनुष्य की दु:खी रहने की स्थिति के ही कारण है। उसकी नजर में सुख इंसान को अहम के भाव से भर देता है। वह अपने मालिक या ईश्वर के अस्तित्व पर इस रूप में एक प्रश्न-चिन्ह लगा देता है। वह यह नहीं चाहता है कि कोई मनुष्य दुःख की दुर्दशा में पड़े और वह ईश्वर की शरण में जाकर प्रभुवर्ग के हाथों की कठपुतली बने।

Bihar Board Class 9 Disaster Management Solutions Chapter 13 समुदाय आधारित आपदा प्रबन्धन

Bihar Board Class 9 Social Science Solutions Disaster Management आपदा प्रबन्धन Chapter 13 समुदाय आधारित आपदा प्रबन्धन Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Social Science Disaster Management Solutions Chapter 13 समुदाय आधारित आपदा प्रबन्धन

Bihar Board Class 9 Disaster Management समुदाय आधारित आपदा प्रबन्धन Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न :

कक्षा 9 आपदा प्रबंधन Bihar Board प्रश्न 1.
आपदा प्रबंधन के तीन प्रमुख अंगों में कौन एक निम्नलिखित में शामिल नहीं है ?
(क) पूर्वानुमान, चेतावनी एवं प्रशिक्षण
(ख) आपदा के समय प्रबंधन गतिविधियाँ ।
(ग) आपदा के बाद निश्चित रहना
(घ) आपदा के बाद प्रबंधन कार्य करना ।
उत्तर-
((ग) आपदा के बाद निश्चित रहना

आपदा प्रबंधन के प्रश्न उत्तर कक्षा 9 Bihar Board प्रश्न 2.
प्रत्येक ग्रीष्म ऋतु में कौन सी आपदा लगभग निश्चित है ?
(क) आगजनी
(ख) वायु दुर्घटना
(ग) रेल दुर्घटना
(घ) सड़क दुर्घटना
उत्तर-
(क) आगजनी

Bihar Board Class 9 History Book Solution प्रश्न 3.
सामुदायिक प्रबंधन के अंतर्गत निम्नलिखित में से कौन एक प्राथमिक क्रियाकलाप में शामिल नहीं है।
(क) निकटतम प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र को सूचित करना।
(ख) प्रभावित लोगों को स्वच्छ जल और भोजन की उपलब्धता की गारंटी करना ।
(ग) आपदा की जानकारी प्रशासन तंत्र को नहीं देना।
(घ) आपतकालीन राहत शिविर की व्यवस्था करना।
उत्तर-
(ग) आपदा की जानकारी प्रशासन तंत्र को नहीं देना।

Bihar Board Solution Class 9 Social Science प्रश्न 4.
ग्रामीण आपदा प्रबंधन समिति के प्रमुख कार्य हैं ?
(क) प्राथमिक उपचार की व्यवस्था नहीं करना।
(ख) सभी को सुरक्षा देना।
(ग) राहत शिविर का चयन एवं राहत पहुँचाने का कार्य करना ।
(घ) स्वच्छता का ख्याल रखना ।
उत्तर-
(ख) सभी को सुरक्षा देना।

लघु उत्तरीय प्रश्न

Bihar Board 9th Class Geography Book प्रश्न 1.
अग्निशमन दस्ता आने के पूर्व समुदाय द्वारा कौन से प्रयास किये जाने चाहिए?
उत्तर-
अग्निशमन दस्ता आने के पूर्व समुदाय द्वारा निम्नलिखित प्रयास किया जाना चाहिए

  • आग से झुलसे हुए लोगों को एक जगह पंचायत भवन या विद्यालय में ले जाकर प्राथमिक उपचार करना चाहिए।
  • जले हुए भाग पर पानी डालना या चंदन का लेप लगाना चाहिए।
  • जले हुए भाग पर बर्फ का उपयोग करना चाहिए।
  • टेलीफोन या मोबाइल का प्रयोग करके अस्पताल से एम्बुलेन्स माँगना चाहिए।
  • घायल या अर्द्ध जल लोगों को अच्छे उपचार के लिए अस्पताल पहुँचना चाहिए।
  • जिस जगह पर आग लगी हो, वहाँ अधिक से अधिक पानी, बालू, गोबर तथा मिट्टी डालना चाहिए ।

Bihar Board 9th Class Social Science Book Pdf प्रश्न 2.
ग्रामीण स्तर पर आपदा प्रबंधन समिति के गठन में कौन-कौन से सदस्य शामिल होते हैं ?
उत्तर-
ग्रामीण स्तर पर आपदा प्रबंधन समिति के गठन में के नौ सदस्य होते हैं। ये निम्नांकित हैं-

  • विद्यालय के प्रधानाचार्य
  • गाँव के मुखिया
  • गाँव के सरपंच
  • गाँव के दो समर्पित लोग
  • प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र का एक डॉक्टर
  • राष्ट्रीय सुरक्षा सेवा के सदस्य (N.S.S)
  • ग्राम सेवक
  • स्वयं सहायक समूह की दो महिलाएँ
  • नौ सदस्यों की सूची मानी गयी ।

Class 9 History Bihar Board प्रश्न 3.
आपदा प्रबंधन के लिए समुदाय में किन अच्छे गुणों का होना आवश्यक है ?
उत्तर-
आपदा प्रबंधन के लिए समुदाय के लोगों में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है

  • (i) समुदाय के सदस्य हमेशा समुदाय की भलाई सोचें ।
  • (ii) समुदाय द्वारा जब सामूहिक कार्य के लिए टीम का गठन हो तो उसमें परिश्रमी और साहसी लोग ही आपदा में शामिल हों ।
  • उसमें जात-पात और धर्म आधारित भेदभाव नहीं होना चाहिए।
  • समुदाय के हर व्यक्ति को सहज रखना चाहिए कि वे संभावित आपदा की जानकारी शीघ्र ही एक दूसरे को दें।
  • समुदाय के लोगों में उत्साह, साहस और आवश्यकतानुसार सख्ती के प्रयोग की क्षमता होनी चाहिए ।
  • हर व्यक्ति के बहुत से निजी कार्य होते हैं लेकिन सामुदायिक आपदा के सामने निजी कार्य के गुण समझते हुए इसके सामना करने हेतु आगे आना चाहिए।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Social Science Class 9 Bihar Board प्रश्न 1.
आपदा प्रबंधन में समुदाय की केन्द्रीय भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर-
कोई आपदा न तो सूचना देकर आती है न ही इसके कोप का मुक्तभोगी एक व्यक्ति होता है । आपदा आर्थिक भौर सामाजिक दृष्टि से असमान परिवारों में कोई भेद-भाव नहीं करती है । इससे निपटने के लिए समुचित तैयारी की आवश्यकता है और पारिवारिक भागीदारी भी आवश्यक है । इसका प्रभाव जानमाल पर तो पड़ता ही है मानसिक क्लेश भी होता है । इन आपदाओं से निपटने की जिम्मेवारी समाज की सामूहिक रूप से होती है। समाज के अनुभवी लोग आपदाओं का पूर्वानुमान या उनसे निपटने के सर्वोत्तम सुझाव दे सकते हैं । इस प्रकार प्रत्येक परिवार तक उसके लाभ पहुंचाने में समुदाय की केन्द्रीय भूमिका होती है।

Bihar Board Class 9 History प्रश्न 2.
ग्रामीण आपदा प्रबंधन समिति के कार्यों का विस्तृत वर्णन करें।
उत्तर-
ग्रामीण आपदा प्रबंधन समिति के निम्नलिखित कार्य हैं

  • पूर्वानुमान के आधार पर चेतावनी एवं सूचना देना यह प्रबंधन समिति जिला मुख्यालय से प्राप्त सूचनाओं को तत्काल लोगों तक पहुँचायेगी।
  • राहत शिविर का चयन और प्रभावित लोगों को राहत पहुचाने का कार्य इसी के साथ जिला प्रशासन को सूचित करना आगजनी है तो दमकल को सूचित कराना।
  • राहत कार्य-मुख्य रूप से लोगों को भोजन एवं पानी उपलब्ध करना।
  • प्राथमिक उपचार की व्यवस्था करना ।
  • सभी को सुरक्षा प्रदान करना-महिला, बच्चों पर विशेष रूप से ध्यान देना ।
  • स्वच्छता का ख्याल रखना-स्वच्छता रखने से विभिन्न प्रकार की बीमारी नही फैलती है।

Geography Class 9 Bihar Board प्रश्न 3.
आपदा प्रबंधन में समुदाय की भागीदारी को कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है?
उत्तर-
आपदा प्रबंधन में समदाय की भागीदारी को निम्न प्रकार से सनिश्चित किया जा सकता है-

  • निकटतम विद्यालय में विद्यार्थियों के बीच यह घोषणा करना कि बाढ़ अथवा आँधी की संभावना है इसलिए घर में लोगों को सचेत कर देना ।
  • किसी आपदा के विषय में विद्यालय, मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर में जाकर घोषणा करना तथा आवश्यक निर्देश देना ।
  • समाज के वृद्ध, बच्चे, गर्भवती महिलाओं के लिए पहले से विस्थापन के प्रबंध करना और गाँव के विद्यालय में तैरने के जैकेट, नाव, डॉक्टर और कुशल लोगों की सूची तैयार करना जिससे आपदा के समय इनका विस्थापन आसानी से किया जा सके ।।
  • पंचायत भवन और गाँव के विद्यालय में तैरने के जैकेट. नाव. डॉक्टर और कुशल लोगों की सूची तैयार रखना वहीं ऐसे स्थान से संपर्क रखना जहाँ से आवश्यकता पड़ने पर उचित व्यवस्था हो सके ।
  • महामारी, दंगे और आग लगने पर परिवहन साधन की व्यवस्था रखना जिससे प्रभावित लोगों को शीघ्र अस्पताल पहुंचाया जा सके ।

Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 11 कबीर के पद

Bihar Board Class 8 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 3 Chapter 11 कबीर के पद Text Book Questions and Answers, Summary.

BSEB Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 11 कबीर के पद

Bihar Board Class 8 Hindi कबीर के पद Text Book Questions and Answers

प्रश्न-अभ्यास

Kabir Ke Pad Class 8 Bihar Board प्रश्न 1.
निम्नलिखित पंक्तियों को पूरा कीजिए।
(क) मेरा तेरा मनुआँ ………….
मैं कहता सुरझावनहारी …………
………… तु रहता है सोई रे।
उत्तर:
मेरा तेरा मनुआँ कैसे इक होई रे।
मैं कहता हौं आँखिन देखी, तू कहता कागद को लेखी।
मैं कहता सुरावानहारी, तू राख्यो उरझाई रे।।
मैं कहता तू जागत रहियो, तू रहता है सोई रे ॥

(ख) ना तो कौनों क्रिया करम में …………………… पलभर की तलास में।
उत्तर:
ना तो कौनों क्रिया करम में नहिं जोग बैराग में। ………… खोजी होय तो तुरतहि मिलिहौ, पलभर की तलाश में।

Bihar Board Class 8 Hindi Book Solution प्रश्न 2.
इन पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) मैं कहता निर्मोही रहियो, तू जाता है मोही रे।
उत्तर:
कबीर के अनुसार मनुष्य को अनुरागहीन (निर्मोही) होना चाहिए क्योंकि अनुरागहीन होने से ही मनुष्य का कल्याण होता है। इसके विपरीत मनुष्य अनुराग में पड़ता।

(ख) मोको कहाँ ढूंढ़े बंदे, मैं तो तेरे पास में।
उत्तर:
मानव ईश्वर को यत्र-तत्र मंदिर-मस्जिद में ढूँढ़ते-फिरते हैं लेकिन ईश्वर तो मनुष्य के पास ही हृदय में निवास करते हैं।

कबीर के पद प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 3.
“मोको” शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है ?
उत्तर:
“मोको” शब्द ईश्वर/अल्लाह के लिए किया गया है।

पाठ से आगे

Bihar Board Class 8 Hindi Solutions प्रश्न 1.
कबीर की रचनाएँ आज के समाज के लिए कितनी सार्थक/उपयोगी हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कबीर की रचनाएँ आज के समाज के लिए अत्यन्त सार्थक/उपयोगी है। जहाँ आज भी बाह्य आडम्बर की मान्यता दी जा रही है। आज के समय में जबकि मनुष्य के पास समयाभाव है। अत्यन्त भाग-दौड़ के बाद मनुष्य अपने कर्तव्य को पूरा कर पाता है।

ऐसे काल में भी मनुष्य यदि तीर्थ यात्रा आदि में समय नष्ट कर रहा है तो भूल है क्योंकि ईश्वर तो हरेक प्राणियों के हृदय में ही निवास करते हैं । मनुष्य के लिए सच्ची भक्ति तो मानव सेवा ही है। इन सब बातों की सीख कबीर के पद से मिलते हैं। अत: कबीर की रचनाएँ आज के समाज के लिए उपयोगी एवं अत्यन्त सार्थक सिद्ध है।

Class 8 Hindi Bihar Board प्रश्न 2.
सगुण भक्तिधारा–जिसमें ईश्वर के साकार रूप की आराधना की जाती है। निर्गुण भक्तिधारा–जिसमें ईश्वर के निराकार (बिना आकार के). स्वरूप की आराधना की जाती है।
इस आधार पर कबीर को आप किस श्रेणी में रखेंगे? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
कबीरदास निर्गुण भक्ति धारा के भक्त कवि थे। क्योंकि उन्होंने ईश्वर को मानव हृदय में ही रहने वाला बताया है। उनके अनुसार मंदिर-मस्जिद या कैलाश आदि तीर्थ स्थान में सकार रूप स्थित देवताओं की मूर्ति में ईश्वर नहीं रहते हैं।

कबीर के पद अर्थ सहित Class 11 Bihar Board  प्रश्न 3.
सगुन भक्तिधारा एवं निर्गुण भक्ति धारा के दो-दो कवियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सगुन भक्ति धारा में तुलसीदास एवं सूरदास प्रमुख हैं।
निर्गुण भक्ति धारा में – कबीरदास एवं रैदास प्रमुख हैं।

कबीर के पद के प्रश्न उत्तर Bihar Board प्रश्न 4.
वैसी पंक्तियों को खोजकर लिखिए जिसमें कबीर ने धार्मिक आडम्बरों पर कुठाराघात किया है।
उत्तर:
मोको कहाँ ढूँढे बंदे, मैं तो तेरे पास में।

  1. ना मैं …………………… कैलास में।
  2. ना तो कौनो क्रिया …………… बैराग में।
  3. खोजी होय तो ……………….. तलास में।
  4. कहै कबीर ……………….. साँस में। ।

गतिविधि

Bihar Board Solution Class 8 Hindi प्रश्न 1.
अपने स्कूल या गाँव/शहर के पुस्तकालय में जाकर ‘कबीर ग्रंथावली’ या अन्य पुस्तकों से कबीर के बारे में विस्तृत जानकारी हासिलकर
मित्रों तथा अपने शिक्षकों से चर्चा कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

Class 8 Hindi Chapter 11 Bihar Board प्रश्न 2.
सगुण भक्ति एवं निर्गुण भक्ति के एक-एक कविताओं को वर्ग कक्ष में सुनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

Bihar Board Class 8 Hindi प्रश्न 3.
कबीर के पदों से संबंधित अनेक कैसेट्स बाजार में उपलब्ध हैं। उन
कैसटों को संग्रह कर सुनिए तथा उस पद को लय के साथ कक्षा में सुनाइए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

कबीर के पद Summary in Hindi

मेरा तेरा मनुआँ कैसे इक ……………… तब ही वैसा होई रे।
अर्थ-मेरा और तेरा मन कैसे एक हो सकता है। अर्थात् सब के विचार एक नहीं हो सकते हैं। मैं कहता हूँ आँख से देखा सत्य समझना चाहिए तो तुम कहते हो कागज पर लिखा (शास्त्र-पुराण की) बात सत्य है । मैं किसी काम को सुलझाने की बात करता हूँ तो तुम उलझाने की बात करता है। जब मैं जगने की बात कहता हूँ तो सोने की बात करता है।

मैं निर्मोही (अनुरागहीन) बनने की बात करता हूँ तो मोही (अनुरागी होने) की बात करता है। – मैं जुगों-जुगों तक समझाता हूँ लेकिन कोई मानने वाला नहीं है । सत्गुरु ‘के ज्ञान की धारा बह रही है। उसमें कोई भी अपना शरीर धो सकता है।

कबीर का कहना है कि तभी वैसा हो सकता है । अर्थात् तभी हम सबों का मन एक हो सकता है जब सत्गुरु के ज्ञान रूपी जल धारा में हम सभी स्नान करें।

मोको कहाँ ढूँढे बंदे, मैं तो …………….. साँसों की साँस में।
अर्थ-ईश्वर का कहना है हे मेरे भक्त मुझे तुम कहाँ ढूँढ रहे हो । मैं __ तो तेरे पास ही हूँ। न मैं मंदिर में और न मस्जिद में रहता हूँ। किसी कर्मकाण्ड से भी मैं नहीं मिल सकता हूँ और न योग-वैराग से प्राप्त हो सकता हूँ। यदि तुम मुझे खोजो तो मैं पल भर में ही मिल जाऊँगा । कबीर का कहना है कि ईश्वर या अल्लाह तो हरेक प्राणियों के आत्मा में ही निवास करते हैं।

Bihar Board Class 6 Sanskrit Solutions Chapter 1 प्रार्थना

Bihar Board Class 6 Sanskrit Solutions Amrita Bhag 1 Chapter 1 प्रार्थना Text Book Questions and Answers, Summary.

BSEB Bihar Board Class 6 Sanskrit Solutions Chapter 1 प्रार्थना

Bihar Board Class 6 Sanskrit प्रार्थना Text Book Questions and Answers

अभ्यासः

मौखिकः

Bihar Board Class 6 Sanskrit Solution प्रश्न 1.
इन शब्दों के अर्थ बताएँद्रविणम्, सखा, विशालाय, नगेन्द्राय, मम्।
उत्तर-
द्रविणम्-धन, सखा-मित्र, विशालाय -विशाल को, नगेन्द्रायपर्वतराज को,मम-मेरा।

Bihar Board Class 6 Sanskrit प्रश्न 2.
“बन्धुश्च” के समान निम्नलिखित शब्दों को जोड़कर बोलें।
हरि: च = हरिश्च। लोकः + च = लोकश्च। पुनः + च = पुनश्च। अज:+चरति = अजश्चरति।

Class 6 Sanskrit Chapter 1 Bihar Board प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों का चतुर्थी एकवचन में रूप बताएँसागर, विशाल, देश, पुत्र, हिमालय।
उत्तर-
सागर-सागराय, विशाल विशालाय, देश-देशाय, पुत्र-पुत्राय, हिमालय-हिमालयाय।।

Class 6 Sanskrit Chapter 1 Solution Bihar Board प्रश्न 4.
द्वितीय पद्य का पाठ करें।
उत्तर-
नमो नगेन्द्राय ………………….. मम भारताय ।। तक पाठ्य पुस्तक से कर लें।

Sanskrit Class 6 Chapter 1 Bihar Board प्रश्न 5.
‘नम:’ शब्द से युक्त पाँच वाक्य बोलें।
उत्तर-
शिवाय नमः, गणेशाय नमः, देवाय नमः, भारताय नमः, हिमालयाय नमः ।

लिखित

Sanskrit Chapter 1 Class 6 Bihar Board प्रश्न 6.
इन वाक्यों में रिक्त स्थानों को सही शब्दों से भरें

(क) नमो ………… च सागराय।
उत्तर-
विशालाय

(ख) ……….. तस्मै ………. भारताय।
उत्तर-
देशाय, मम्

(ग) …………. सर्व मम ……….।
उत्तर-
त्वमेव, देव-देव

(घ) त्वमेव …………. द्रविणं त्वमेवा
उत्तर-विद्या

(ङ) मदी ………. सुखसाधनेभ्यः
उत्तर-
गणेभ्यः

Class 6 Hindi Chapter 1 Prarthana Bihar Board प्रश्न 7.
संस्कृत में अनुवाद करें –

  1. तुम्हीं मेरे पिता हो (असि)।
  2. मैं ही पुत्र हूँ (अस्मि )
  3. विशाल सागर को नमस्कार।
  4. भारत देश को नमस्कार ।
  5. भारत मेरा सबकुछ है (अस्ति)।

उत्तर-

  1. त्वमेव मम पिता असि।
  2. अहमेत पुत्रः अस्मि।
  3. विशालाय सागराय नमः।
  4. भारताय देशाय नमः।
  5. भारतः मम् सर्वं अस्ति।

Class 6 Sanskrit Chapter 1 Question Answer Bihar Board प्रश्न 8.
इन शब्दों से वाक्य बनाएँद्रविणम्, तस्मै, मम, नदीगणेभ्यः, सखा
उत्तर-
द्रविणम् – त्वमेव, द्रविणं असि।
तस्मै-तस्मै नमः।
मम् – मम् भारत: विशालः अस्ति।
नदीगणेभ्यः – नदीगणेभ्यः नमः।
सखा – रमेशः मम् सखा अस्ति।

Chapter 1 Sanskrit Class 6 Bihar Board प्रश्न 9.
भारत की विशेषताओं पर पाँच वाक्य हिन्दी में लिखें।
उत्तर-

  1. मेरा भारत विशाल है।
  2. हिमालय भारत के उत्तर में है।
  3. भारत की भूमि उपजाऊ है।
  4. भारत में अनेक पवित्र नदियाँ बहती हैं।
  5. भारत में हिन्दू-मुसलमान-सिख-ईसाई मिलजुकर निवास करते हैं।

6th Class Sanskrit Chapter 1 Bihar Board प्रश्न 10.
अपने स्मरण से कोई श्लोक लिखें जो इस पाठ से भिन्न हो।
उत्तर-
मंगलं भगवान विष्णुः मंगलं गरूऽध्वजः।
मंगलं पुण्डरीकाक्षः मगलाय तनोहिरः।।

Sanskrit Shlokas For Class 6 Bihar Board प्रश्न 11.
निम्नलिखित का सुमेल करें –

  1. नग+इन्द्रः – (क) भारतम्
  2. हिम+आलय – (ख) रामश्च
  3. भरतः – (ग) नगेन्द्रः ।
  4. सगरः – (घ) हिमालयः
  5. राम:+च – (ङ) सागरः

उत्तर-

  1. नग+इन्द्रः – (ग) नगेन्द्र:
  2. हिम+आलय – (घ) हिमालयः
  3. भरतः – (क) भारतम्
  4. सगरः – (ङ) सागरः
  5. राम:+च – (ख) रामश्च

Bihar Board Class 6 Sanskrit प्रार्थना Summary

  • त्वमेव माता च पिता त्वमेव,
  • त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
  • त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव,
  • त्वमेव सर्वं मम् देव-देव।।

अर्थ-हे सर्व श्रेष्ठ देवता ! तुम ही माता हो, तुम ही पिता हो, तुम ही बन्धु (परिवार) हो, तुम ही मित्र हो । तुम ही विद्या हो, तुम ही धन हो, तुम ही मेरा सब कुछ हो।

  • नमो नगेन्द्राय हिमालयाय,
  • नमो विशालाय च सागराय।
  • नदीगणेभ्यः सुख साधनभ्यो,
  • देशाय तस्मै मम् भारताय।।

अर्थ – पर्वत-राज हिमालय को प्रणाम है। विशाल सागर को प्रणाम है। नदी समूहों और सुख साधन से परिपूर्ण मेरा देश है, इसलिए मैं भारत को प्रणाम करता हूँ।

शब्दार्था:-त्वमेव – तुम ही (आप ही। च – और। बन्धुः – मित्र (परिवार)। सखा- मित्र। द्रविणम् – धन। सर्वम् – सब कुछ। मम- मेरा । नमो (नमः) – नमस्कार (प्रणाम)। नगेन्द्राय – पर्वतराज को। विशालाय – विशाल (बड़ा)। नदीगणेभ्यः – नदी समूहों से युक्त। सुख-साधनेभ्यः – सुख के साधन से परिपूर्ण। सागराय – सागर को। देशाय – देश को। तस्मै – आपको (तुमको)। भारताय – भारत को।

व्याकरण- त्वम् + एव । तुलना करें-अहमेव, त्वमपि = तुम भी (त्वम् + अपि); अहमस्मि (अहम् + अस्मि) मैं हूँ। बन्धुः + च = बन्धुश्च । नमः-नमस्कार । इसके (नम:) प्रयोग चतुर्थी विभक्ति लगती है जैसेभारतय नमः, सागराय नमः, देवाय नमः, देवेभ्य: नमः। तस्मै नमः = उसे नमस्कार । पर्वतराजाय हिमालयाय नमः, मुनये नमः।

Bihar Board 10th English Objective Answers Poem 2 Ode On Solitude

Bihar Board 10th English Objective Questions and Answers

BSEB Bihar Board 10th English Objective Answers Poem 2 Ode On Solitude

Question 1.
Who is the poet of the poetry “Ode on Solitude” ?
(A) William Wordsworth
(B) William Cowper
(C) Alexander Pope
(D) Puran Singh
Answer:
(C) Alexander Pope

Question 2.
Where does the happy man live, according to this poetry ?
(A) In forest
(B) In towns
(C) In his native land
(D) None of these
Answer:
(C) In his native land

Question 3.
How is he content ?
(A) To live peacefully
(B) to live with comfort
(C) To live with luxury
(D) None of these
Answer:
(A) To live peacefully

Question 4.
Who gives him bread ?
(A) Market
(B) Field
(C) Fanner
(D) None of these
Answer:
(B) Field

Question 5.
From where does he get his clothes ?
(A) From bamboos
(B) From leathers of animals
(C) From his flocks of sheep
(D) None of these
Answer:
(C) From his flocks of sheep

Question 6.
How does the poet desire to sleep ?
(A) So long
(B) Soundly
(C) Sleep for less hours
(D) None of these
Answer:
(B) Soundly

Question 7.
What does the Poet Wish ?
(A) His hours, days and year’s pass away softly
(B) To spend luxurious life
(C) To live with comfort
(D) None of these
Answer:
(A) His hours, days and year’s pass away softly

Question 8.
Meditation……………the happy man.
(A) Saddens
(B) Pleases
(C) Worries
(D) Disturbs
Answer:
(B) Pleases

Question 9.
The poet does not want anything to mark the place where he is
(A) Buried
(B) Sitting
(C) Hiding
(D) Lost
Answer:
(A) Buried

Question 10.
A happy man’s wants are satisfied by the property inherited by him from his
(A) Uncle
(B) Mother
(C) Cousin
(D) Father
Answer:
(D) Father

Question 11.
Hours, days and years slide away………………for the happy man.
(A) Hard
(B) Quickly
(C) Softly
(D) Tensely
Answer:
(C) Softly

Question 12.
“Ode on Solitude” is written by……………….
(A) Alexander Pope
(B) Leo Tolstoy
(C) R.C. Hutchinson
(D) Toni Morrison
Answer:
(A) Alexander Pope

Question 13.
A happy man’s wants are satisfied by the property inherited by him from his………………..
(A) uncle
(B) mother
(C) cousin
(D) father
Answer:
(D) father

Question 14.
Hours, days and years slide away ………………… for the happy man.
(A) Hard
(B) Quickljl
(C) Softly
(D) Tensely
Answer:
(C) Softly

Question 15.
Meditation………………the happy man.
(A) Saddens
(B) Pleases
(C) Worries
(D) Disturbs
Answer:
(B) Pleases

Question 16.
Alexander Pope was one of the greatest…………………..of the early 18th century.
(A) dramatists
(B) novelists
(C) writers
(D) satirists
Answer:
(D) satirists

Question 17.
The poet does not want anything to mark the place where he is
(A) Buried
(B) Sitting
(C) Hiding
(D) Lost
Answer:
(A) Buried

Question 18.
The poet of‘The Rape of the Lock’is
(A) William Cowper
(B) Alexander Pope
(C) William de la Mare
(D) John Keats
Answer:
(B) Alexander Pope

Question 19.
‘Essay on Criticism’is the famous work of
(A) John Keats
(B) Shakespeare
(C) Wordsworth
(D) Alexander Pope
Answer:
(D) Alexander Pope

Question 20.
A poem addressed to a person or thing or celebrating of an event
(A) Satire
(B) Ode
(C) Ballad
(D) Elegy
Answer:
(B) Ode

Question 21.
‘Loneliness’ is same in meaning as
(A) satire
(B) profound
(C) solitude
(D) mob
Answer:
(C) solitude

Question 22.
The happy man is content to live in his own
(A) tree
(B) town
(C) ground
(D) None
Answer:
(C) ground

Question 23.
Who is a happy man?
(A) who is wealthy
(B) who is brave
(C) To live with luxury
(D) None of these
Answer:
(C) To live with luxury

Question 24.
What do you man by ‘slide soft away’?
(A) go away
(B) pass away smoothly
(C) pass away
(D) none of these
Answer:
(B) pass away smoothly

Question 25.
What do the trees yield to a person in summer?
(A) wood
(B) fire
(C) fruit
(D) shade
Answer:
(D) shade

Question 26.
How do hours days and years of a blessed man pass away?
(A) softly
(B) hardly
(C) coldly
(D) frankly
Answer:
(A) softly

Question 27.
‘Steal from the world, and not a stone’—here stone means………….
(A) piece of a rock
(B) a poluable
(C) a tomb stone
(D) a marble stone
Answer:
(C) a tomb stone

Question 28.
‘W:ose herds with milk, whose fields with breaC, here ‘bread’ means.
(A) cake
(B) corn
(C) piece of bread
(D) any type of bread
Answer:
(B) corn

Question 29.
Whose flocks supply him with attire, here flock means.
(A) sheep
(B) cow
(C) dog
(D) elephant
Answer:
(D) elephant

Question 30.
Alexander Pope was born in
(A) 1588
(B) 1688
(C) 1788
(D) 1678
Answer:
(B) 1688

Question 31.
Alexander Pope died ¡n
(A) 1888
(B) 1848
(C) 1744
(D) 1724
Answer:
(C) 1744

Question 32.
Who was one of thegreatest poet-satirist and alsoa critic of the
early 18’s’ century?
(A) William Cowper
(B) William Wordsworth
(C) Alexander Pope
(D) Walter de la Mare
Answer:
(C) Alexander Pope

Question 33.
Where does the happy man live, according to this poem?
(A) In forest
(B) In towns
(C) In his native land
(D) None of these
Answer:
(C) In his native land

Question 34.
How is he content?
(A) To live peacefully
(B) to live with comfort
(C) To live with luxury
(D) None of these
Answer:
(A) To live peacefully

Question 35.
How does the poet desire to sleep?
(A) So long
(B) Soundly
(C) Sleep for less hours
(D) None of these
Answer:
(B) Soundly

Question 36.
The happy man owns inherited
(A) world
(B) property
(C) poem
(D) solitude
Answer:
(B) property