Bihar Board Class 7 Social Science Civics Solutions Chapter 4 समाज में लिंग भेद

Bihar Board Class 7 Social Science Solutions Civics Samajik Aarthik Evam Rajnitik Jeevan Bhag 2 Chapter 4 समाज में लिंग भेद Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 7 Social Science Civics Solutions Chapter 4 समाज में लिंग भेद

Bihar Board Class 7 Social Science समाज में लिंग भेद Text Book Questions and Answers

पाठगत प्रश्नोत्तर

प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
अगर आप श्यामा की जगह पर होते तो क्या करते?
उत्तर-
अगर मैं श्यामा की जगह पर होती तो अपने परिवार को मनाने की कोशिश करती की वह मुझे भी पढ़ाई के लिए स्कूल जाने दें। मुझे भी पढ़ने-लिखने में सहयोग करें और मुझे भी दौड प्रतियोगिता आदि में भाग लेने दें और इनकी इस सोच को बदलने की कोशिश करती की लड़कियाँ सिर्फ घर के ही कार्य कर सकती है और पढ़-लिखकर वे क्या करेंगी, उन्हें तो बड़ी होकर चूल्हा ही फूंकना है।

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प्रश्न 2.
श्यामा के परिवार की सोच का श्यामा के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता हैं?
उत्तर-
श्यामा के परिवार की सोच की लडकियाँ तो बडी होकर चल्हा ही फूंकेंगी। इससे श्यामा की जिंदगी बिल्कुल घर में कैद हो गयी है। उसे पढ़ाई नहीं करने दिया जाने से वह कभी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाएगी और जिंदगी को अपने ढंग से नहीं जी पाएगी। उसे हमेशा दूसरों पर आश्रित रहना पड़ेगा। वह कभी बाहर की दुनिया को नहीं देख पाएगी, कभी आत्मनिर्भर नहीं हो पाएगी। उसकी जिंदगी घर के अंदर चहारदीवारी में ही बंद होकर रह जाएगी।

प्रश्न 3.
शबाना, जावेद, श्यामा और गोविन्द के जीवन में किस तरह का फर्क है?
उत्तर-शबाना, जावेद, श्यामा और गोविन्द जिस तरह के माहौल में बडे हए हैं, उसमें बहुत अंतर है। शबाना और जावेद बहुत ही खले माहौल के बीच

बडे हए हैं। उनके घर में उनके माता-पिता दोनों काम करते हैं, इसलिए उन्हें  ज्यादा समय नहीं मिल पाता । इस कारण घर के कार्यों को सभी मिल-जुलकर

कार्य करते हैं। शबाना, जावेद अपनी पढ़ाई के साथ ही घर का कार्यों को करने में भी अपने माता-पिता का सहयोग करते हैं। वे दोनों बड़े होकर देश की ओर से क्रिकेट खेलना चाहते हैं और उनके माता-पिता इस सपने को पूरा करने में उनका पूरा सहयोग करते हैं।

श्यामा के साथ ऐसा नहीं हैं। उसके घर का माहौल ऐसा नहीं है। उसके यहाँ लड़के और लड़कियों में भेद किया जाता है। उसे पढ़ने नहीं दिया जाता, किसी प्रतियोगिता में भाग नहीं लेने दिया जाता है। उसे आत्मनिर्भर बनने का। मौका नहीं दिया जा रहा है।

गोविन्द के घर में उसके माता-पिता दोनों मजदूरी करते हैं। उसकी माँ थक जाने के कारण कभी-कभी घर का काम नहीं कर पाती है। जिस कारण उसके माता-पिता के बीच झगड़ा भी होता है। गोविन्द को ये सब पसंद नहीं है, इसलिए वह घर का कुछ काम जैसे – बरतन साफ करना, जलावन की लकड़ी लाना, झाडू लगाना आदि वह खुद ही कर लेता है । जिस कारण उसके दोस्त उसका मजाक भी उड़ाते हैं।

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प्रश्न 4.
गोविन्द के दोस्त उसे क्यों चिढ़ाते हैं? क्या उनका चिढाना उचित है?
उत्तर-
गोविन्द के दोस्त उसे इसलिए चिढ़ाते हैं, क्योंकि वो अपने घर का कार्य जैसे झाड़ लगाना, बरतन साफ करना, जलावन की लकड़ी लाना आदि करता है। गोविन्द के दोस्तों को गोविन्द का चिढाना सही नहीं है। क्योंकि अपने घरों के कार्य दरने में कोई बुराई नहीं है। अगर लड़कियाँ घर के कामों में अपनी माँ का हाथ बँटा सकती है, तो फिर लड़के क्यों नहीं।

प्रश्न 5.
आप गोविन्द के दोस्त होते तो क्या करते?
उत्तर-
अगर हम गोविन्द के दोस्त होते तो उसे चिढ़ाते नहीं बल्कि उसकी तरह ही हम भी अपने घरों में अपने माँ की कामों में हाँथ बँटाते । घर के छोटे-मोटे कामों को कर देते जिससे हमारी माँ को थोड़ा आराम मिलता। घर के छोटे-मोटे कामों को करने में कोई बुराई नहीं है। जिस तरह बेटियाँ अपने घरों के काम में माँ का हाथ बँटाती है, उसी तरह बेटों को उनके काम में हाथ बँटाना चाहिए।

प्रश्न 6.
पीछे दिए गए उदाहरणों के आधार पर आप किस रूप में बड़ा होना पसंद करेंगे और क्यों?
उत्तर-
पीछे दिए गए उदाहरणों के आधार पर मैं “जावेद और शबाना’ की तरह बड़ा होना चाहूँगी।
‘जावेद और शबाना’ के घर का माहौल बहुत ही खला है। वहाँ बच्चों – को घर के कार्य करने के साथ-साथ पढ़ने-लिखने का छूट भी दिया गया है।

वे लोग पढ़ाई के साथ-साथ अपनी माँ का घर के कामों में हाथ बँटाते हैं। उन लोगों का सपना है कि बड़े होकर वे लोग देश की तरफ से क्रिकेट खेलें।

उनके माता-पिता भी उनके इस सपने को पूरा करने में उनका सहयोग करते हैं। ऐसा नहीं है कि उनके घर में बेटा होने के कारण जावेद को पढ़ने का

हक है और शबाना बेटी है इसलिए उसकी पढ़ाई बंद करवाकर उसे घर का काम करने को कहा जाए। उनके घर में बेटे और बेटियों के समान रूप से व्यवहार किया जाता है और दोनों के सपनों की कद्र की जाती है।

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प्रश्न 7.
लड़के एवं लड़कियों के पहनावे और खिलौने में फर्क क्यों हैं? चर्चा करें।
उत्तर-
लड़के एवं लड़कियों के पहनावे और खिलौने में फर्क समाज के लोगों की सोच के कारण है। समाज ही लड़के और लड़कियों में अंतर करता है। समाज के द्वारा ही यह तय किया जाता है लड़कियों और लड़कों के कपड़े और खिलौने कैसे होंगे। बचपन से लडके और लड़कियों के खिलौनों में भी फर्क किया जाता है जैसे-लड़के को खेलने के लिए कारें दी जाती है और लड़कियों की गुड़िया ।

इन खिलौनों के माध्यम से यह दर्शाने के कोशिश की जाती है कि जब वे बड़े होकर स्त्री या पुरुष होंगे तो उनके जीने का तरीका अलग-अलग होगा। बचपन से इस तरह की बातों को देखते हए उन्हें ऐसा लगने लगता है कि स्वी व पुरुष की भूमिकाओं को निभाना उनका प्राकृतिक गुण है और उन्हें जीवन भी उसी आधार पर जीना चाहिए।

प्रश्न 8.
आपके घर के ज्यादातर काम कौन करता है, और क्यों ?
उत्तर-
मेरे घर के ज्यादातर काम मेरी माँ करती है। क्योंकि मेरे पिताजी सुबह में ही ऑफिस चले जाते । मेरी माँ एक गृहणी हैं। वह घर के सारे काम को बहुत ही अच्छे ढंग से करती हैं। वह घर की देखभाल करती है, हमारी सेहत का भी ध्यान रखती है। वह सबसे पहले रसोई घर के कामों को निपटाती हैं, फिर घर के झाडू-पोंछा करती हैं बिस्तर ठीक करती है। इन सारे कार्यों

के अलावा वह हमारे पढ़ाई का भी ध्यान रखती है। हमारे होमवर्क पूरा करने में भी हमारी मदद करती है। इसके अलावे वे घर के बाहर का सारा कार्य भी करती है, जैसे-घर के लिए कुछ सामान लाना, बैंक का कार्य, बिजली का बिल आदि। मेरे पिताजी सुबह ऑफिस जाते हैं और रात आते हैं। उनके

ऑफिस जाते वक्त दुकानें बंद रहती है और उनके आते वक्त आधे से अधिक दुकानें बंद हो जाती हैं। इसलिए मेरी माँ को ये सारे कार्य करने पड़ते हैं।

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अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सामान्यतः एक घर में ‘लड़का’ और ‘लड़की’ के रूप में कौन ये काम करेगा ?

  1. मेहमान के लिए एक गिलास पानी लाना ।
  2. माँ के बीमर होने पर डॉक्टर को बुलाना।
  3. घर के खिड़की दरवाजे की सफाई करना।
  4. पिताजी की मोटर साइकिल साफ करने में मदद करना।
  5. बाजार से चीनी खरीदना।
  6. किसी आगंतुक के आने पर दरवाजा खोलना।

उत्तर-

  1. लड़का
  2. लड़का
  3. लड़की
  4. लड़का
  5. लड़का
  6. लड़की।

प्रश्न 2.
आपके परिवार या पास-पड़ोस में क्या लड़कियों और लड़कों में भेद होता है ? आपकी समझ में से यह भेद किस प्रकार का होता है ?
उत्तर-
हाँ, मैंने अपने घर के आस-पड़ोस में लड़के और लड़कियों में भेद होते देखा है। लोग अपने लडकियों और लडकों में भेद करते हैं। वे उनके पहनावे, खान-पान, खेल-कूद आदि में भेद भाव करते हैं। वे अपने बेटों के ऊपर ज्यादा ध्यान देते हैं। वे अपने लड़के को अपने हैसियत के हिसाब से हर खुशी देने की कोशिश करते हैं। वे अपने लडकों को पढ़ाई भी कराते हैं। उन्हें घर का कोई भी काम नहीं करने देते, क्योंकि उनका मानना होता है कि ।

स्कूल से पढ़ाई कर के आया है, थक गया होगा। उसे बिल्कल ताजा खाना दिया जाता है, उसके खाने में मौसमी फल होने चाहिए। खाने में दूध का भी होना जरूश्री होता है। खाली समय में उन्हें पढ़ाई के अलावा खेल-कूद में भी आगे आने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। उनके सारे फरमाइशों को तुरंत पूरा किया जाता है। अगर कुछ गलत भी करता है तो टाल दिया जाता है।

लड़कियों के ऊपर इतना ध्यान नहीं दिया जाता है। उनकी पसंद-नापसंद का कुछ खास ध्यान नहीं दिया जाता हैं। उन्हें बहुत ज्यादा पढ़ाई भी नहीं करवाई जाती। उनसे घर के कार्यों को कहा जाता है। उनके खान-पान पर भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। उनके खाने में फल-फूल, दूध आदि का होना न होना कुछ खास मायने नहीं रखता ।

खाली समय में भी कुछ समय ही पढाई कर पाती हैं, बाकी के समय में कछ न काम करने को बोल दिया जाता है। लड़कों की तरह उनको किसी बात को तुरंत पूरा नहीं किया जाता है। लड़कियों को हमेशा यह सिखाया जाता है कि उन्हें बड़े होकर दूसरे के घर जाना है, इसलिए उन्हें घर के सारे काम-काज आने चाहिएं।

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प्रश्न 3.
महिलाओं की तुलना में पुरुषों का काम, क्या ज्यादा मूल्यवान होता है ? अगर नहीं तो क्यों?
उत्तर-
मेरे हिसाब से महिलाओं की तुलना में पुरुषों का काम ज्यादा मूल्यवान नहीं होता है। हमारे समाज में पुरुषों के काम को ज्यादा मूल्यवान इसलिए माना जाता है, क्योंकि वे घर से बाहर जाकर काम करते हैं इसके लिए उन्हें पढ़ाई करनी पड़ती है, काम को सीखना पडता है जिसमें पैसा भी खर्च होता है।

पर महिलाएँ घर का काम करती है. इसके लिए उनका ज्यादा पढ़ा-लिखा होना भी जरूरी नहीं होता है। घरेलू कार्यों को सीखने के लिए उन्हें पैसे खर्च नहीं करने पड़ते । इन कामों को करना तो महिलाओं का स्वाभाविक गुण होता है। इसलिए महिलाओं का कार्य मूल्यवान नहीं माना।।

पर आज के समय में महिलाएं पुरुषों की तरह पढ़ाई भी करती है, कामों को सीखती भी है और उन्हीं तरह घर से बाहर जाकर काम भी करती है और पैसे भी कमाती है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर कार्य करती है। आज के समय ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहाँ सिर्फ पुरुष ही काम करते हैं, महिलाएँ नहीं।

इन सारे कार्यों के साथ-साथ वे घर के कार्यों को भी संभालती है और अपने परिवार को भी। इसलिए मेरे हिसाब से पुरुषों से ज्यादा महिलाओं का कार्य मूल्यवान होता है।

प्रश्न 4.
घरेलू मजदूरी करने वाली महिलाओं से बातचीत कर उनके कार्यों का विवरण काम के घंटे,समस्याएँ एवं मजदूरी आदि की सूची तैयार करें।
उत्तर-
छात्र इसे स्वयं करें

प्रश्न 5.
अगर आपकी माँ घर का काम दो दिनों के लिए आपको सौंप दे तो उन कार्यों को करने में क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं?
उत्तर-
अगर मेरी माँ घर का काम दो दिनों के लिए मुझे सौंप दे, तो उन कार्यों करने में सबसे बड़ी समस्या है कि माँ की तरह जल्दी-जल्दी सारा काम नहीं कर पाती हूँ। मैं माँ की तरह स्वादिष्ट खाना नहीं बना पाती हूँ और घर की सफाई भी अच्छे से नहीं कर पाते हैं।

Bihar Board Class 7 Social Science समाज में लिंग भेद Notes

पाठ का सार संक्षेप

हमारी पहचान आमतौर पर एक स्त्री या एक पुरुप के रूप में होती है। इस अध्याय में यह पढ़ना की हमारे समाज में स्त्री और पुरुष की भूमिका कैसे तय होती है।

लिंग मनुष्य की जैविक संरचना है। किसी मनुष्य में प्रजनन अंग यह निर्धारित करता है कि मनुष्य स्त्री है या पुरुष । महिलाओं के कुछ गुण जैसे बच्चे को जन्म देना और उसे स्तनपान कराना उनके विशिष्ट एवं प्रकृतिक गुण है। मनुष्यों में यह फर्क जैविक संरचना के कारण होती है। हमारे समाज में ज्यादातर लोग ‘जेंडर’ शब्द का अर्थ लिंग यानी स्त्रीलिंग व पुलिंग के लिए करते हैं, जो कि एक गलत धारणा है। ‘जेंडर’ से हमारी सामाजिक व्यवहार को दर्शाया जाता है।

Bihar Board Class 7 Social Science Civics Solutions Chapter 4 समाज में लिंग भेद

किसी महिला या किसी पुरुष को क्या पहनना चाहिए.. क्या काम करना चाहिए, कैसा व्यवहार करना चाहिए यह सभी सामाजिक रूप से तय होते हैं। ये बातें लिंग भेद, जेण्डर या सामाजिक लिंग कहलाते हैं। लेकिन समय के साथ-साथ समाज बदल रहा है और साथ ही सामाजिक लिंग की परिभाषा बदल रही है। जैसे- कुछ वर्ष पहले तक लड़कियों को स्कूल नहीं जाने दिया जाता था। लेकिन समय के साथ लोगों को इस सोच में भी बदलाव आया है और अब लोग लड़कियों को भी स्कूल जाने की आजादी देने लगे हैं।

Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 14 पौधों में संवहन

Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 14 पौधों में संवहन Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 14 पौधों में संवहन

Bihar Board Class 7 Science पौधों में संवहन Text Book Questions and Answers

अभ्यास

प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों को भरें –
(i) पौधों में जल एवं खनिज पदार्थों का अवशोषण …………… द्वारा होता है।
(ii) जल एवं खनिज पदार्थों का संवहन …………. ऊतक द्वारा होता है।
(iii) पौधों में भोजन के संवहन के लिए……… नामक ऊतक होते हैं।
(iv) वाष्य के रूप में पत्तियों से जल का उत्सर्जित होना ………. कहलाता है।
उत्तर:
(i) मूलरोमां
(ii) जाइलम
(iii) प्लाएम
(iv) वाष्पोत्सर्जन ।

प्रश्न 2.
पौधों में पदार्थों का संवहन क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
पौधे जल एवं खनिज पदार्थों का अवशोषण करते हैं। अवशोषण मूल रोमों द्वारा होता है। जल एवं खनिज पदार्थ जाइलम ऊतक द्वारा संवहन क्रिया के फलस्वरूप ही पत्तियों तक पहुँचता है। पत्तियाँ या भोजन बनाती हैं, अगर ये पदार्थ न पहुँचंग तो पत्नियाँ भोजन न बनाएगी और पौधों का विकास रूक जाएगा।

Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 14 पौधों में संवहन

प्रश्न 3.
जाइलम तथा प्लोएम ऊतकों के क्या कार्य हैं?
उत्तर:
जाइलम संवहन ऊतक है। पौधों के मूलरामा के द्वारा जल और खनिज तत्वों के अवशोषण करते हैं। ये पदार्थ पत्तियों तक पहुँचाने के लिए जाइलम ऊतक जो संवहन ऊतक कहलाता है कार्य करते हैं। जब पत्तियाँ सूर्य के प्रकाश में अपना भोजन बनाती है तो उस भोजन को पौधे के विभिन्न अंगों तक पहुँचाने का कार्य प्लोएम ऊतक करते हैं।

प्रश्न 4.
वाष्पोत्सर्जन से क्या समझते हैं ? क्या पौधों में यह क्रिया जरूरी है ?
उत्तर:
जैव क्रियाओं में जल का कुछ भाग उपयोग नहीं होता है। ये अतिरिक्त जल पनियों के छिद्रो, रंध्र द्वारा वाष्प के रूप में उत्सर्जित हो जाता है। वाष्प के रूप में पत्तियों से जल का उत्सर्जन वाष्पोत्सर्जन कहलाता है। तापमान बढ़ने पर वाष्पोत्सर्जन की क्रिया तीव्र हो जाती है। यह क्रिया जरूरी है।

प्रश्न 5.
एक प्रयोग द्वारा बताइये कि पौधे जल का संवहन करते हैं।
उत्तर:
दो गिलास लेते हैं। दोनों में आधा भाग पानी भर देते हैं। एक गिलास वाले पानी में थोड़ा लाल रंग डाल देते हैं। अब दो पौधे जिनके मूलराम सुरक्षित हो एक एक पौधं दोनों गिलास में रखते हैं करीब चार पाँच घंटे बाद दोनों पौधों को निकालकर जनों को अनुप्रस्थ एवं अनुदेध्यं काटकर देखने हैं. कि रंगीन गिलास वाले तने में लाल धब्बे आते हैं दूसरे में नहीं, अत: यह स्पष्ट है कि मूलरामां के द्वारा जल का अवशोषण होता है।

Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 14 पौधों में संवहन

Bihar Board Class 7 Science पौधों में संवहन Notes

पौधे मिट्टी में उगते हैं। मिट्टी से पानी और खनिज तत्व पौधे अवशोषित करत हैं। पौधों की जड़ों में धागे जैसी संरचना “मूल रोम” होती है। मूल रोम ही मिट्टी में उपस्थित जल का अवशोषण करते हैं और पत्तियों तक पहुँचाते हैं। पत्तियों तक जल और पोषक तत्वों को पहुँचाने के लिए वाहिकाएँ होती हैं। संवहन क्रिया द्वारा पत्तियों तक पहुँचता है। वाहिकाएँ विशेष प्रकार की कोशिकाओं से मिलकर संवहन ऊतक का निर्माण करती है। जल एवं खनिज पदार्थों को पत्तियों तक ले जाने के लिए पौधों के अंगों में जाइलम नामक उतक होते हैं। जल एवं खनिज पदार्थों को पौधों के विभिन्न अंगों तक ले जाने वाला संवहन उतक जाइलम है।

पौधों के संवहन उत्तक दो प्रकार के होते हैं – जाइलम, प्लोएम; पौधों की वृद्धि के लिए जल खनिज के अलावा भोजन की आवश्यकता होती है। पत्तियों से भोजन का संवहन पौधों के विभिन्न अंगों तक फ्लोएम नामक ऊतक द्वारा होता है। पौधे जल को अवशोषित करते हैं। वाष्प के रूप में जल पत्तियों में पाये जाने वाले स्टोमाटा के द्वारा उत्सर्जित होता है। वाष्प के रूप में अवशोषित जल का उत्सर्जन वाष्पोत्सर्जन कहलाता है। दिन में वाप्पोत्सर्जन को दर बढ़ जाती है क्योंकि रुध्र खुले रहते हैं। जबकि सूर्य की अनुपस्थिति में रन्ध्र बंद हो जाता है। रात में वाष्पोत्सर्जन की दर कम हो जाती है।

गर्मियों में तापमान में वृद्धि से वाष्पोत्सर्जन की दर बढ़ जाती है जबकि जाड़े में कम रहती है। हवा बहने को दर बढ़ने से वाष्पोत्सर्जन की दर बढ़ जाती है। साथ ही साथ हवा में आर्द्रता बढ़ने से वाष्पोत्सर्जन की दर घट जाती है।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.3

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.3 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.3

प्रश्न 1.
आकृति में, ∆PQR की भुजाओं OP और RQ को क्रमश: बिन्दुओं S और T तक बढ़ाया गया है। यदि ∠SPR = 135° है, और तो ∠PQT = 110° है, तो ∠PRQ ज्ञात कीजिए।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.3
उत्तर:
∵ ∠SPR + ∠RPQ = 180° (रेखा युग्म)
∴ 135° + ∠RPQ = 180°
[∵ ∠SPR = 135° (दिया है)]
⇒ ∠RPQ = 180° – 135° = 45°
∠TQP + ∠PQR = 180° (रेखा युग्म)
∴ 110° + ∠PQR = 180°
[∵ ∠PQT = 110° (दिया है)]
⇒ ∠PQR = 180° – 110° = 70°
अब, APQR में,
∵ ∠PQR + ∠QRP+ ∠RPQ = 180°
∴ 70° + ∠QRP + 45° = 180°
∠QRP = 180° – 115° = 65°.

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.3

प्रश्न 2
आकृति में, ∠x = 62° और ∠XYZ = 54 है। यदि YO और ZO क्रमशः ∠XYZ. और ∠XYZ के सपद्विभाजक हैं, तो ∠OZY, ∠YOZ ज्ञात कीजिए।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.3
उत्तर:
∆XYZ में,
∠XYZ + ∠YZX – ∠ZXY = 180°
⇒ 54 + ∠YZX + 62° = 180°
⇒ ∠YZX = 180° – 116° = 64°
दिया है, YO नया ZO क्रमश: ∠XYZ तथा ∠XZY के समद्विभाजक है।
इसलिए ∠OYZ = \(\frac{1}{2}\) × ∠XYZ = \(\frac{1}{2}\) × 54° = 27°
तथा ∠OZY = \(\frac{1}{2}\) × ∠XZY = \(\frac{1}{2}\) × 64° = 32°
अब, ∆YOZ में,
∠OYZ + ∠OZY + ∠YOZ = 180°
27° + 32° + ∠YOZ = 180°
∠YOZ = 180° – 59° = 121°.

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प्रश्न 3.
आकृति में, यदि AB || DE ∠BAC = 35° और ∠CDE = 53° है, तो ∠DCE ज्ञात कीजिए।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.3
उत्तर:
यहाँ AB || DE (दिया है।)
⇒ ∠BAE = ∠DEC (एकान्तर कोण)
∴ ∠DEC = 35°
अब, ∆CDE मैं.
∠CDE + ∠DEC + ∠ECD = 180°
53° + 35° + ∠ECD = 180°
∠ECD = ∠DCE = 180° – 88°
अत: ∠DCE = 92°.

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प्रश्न 4.
आकृति में यदि रेखाएँ PQ और RS बिन्दु T पर इस प्रकार प्रतिच्छेद करती हैं कि ∠PRT = 40°, ∠RPT = 95° और ∠TSQ = 75° हैं, तो ∠SQT ज्ञात कीजिए।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.3
उत्तर:
∆PRT में,
∠RPT + ∠PTR + ∠TRP = 180°
⇒ 95° + ∠PTR + 40° = 180°
⇒ ∠PTR = 180° – 135°
∠PTR = 45°
तथा ∠PTR = ∠STQ (शीर्षाभिमुख कोग)
∠STQ = 45°
∆TQS में,
∠SQT + ∠STQ – ∠TSQ = 180°
⇒ ∠SQT + 45° + 75° = 180°
अतः ∠SQT = 180° – 120° = 60°.

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प्रश्न 5.
आकृति में, यदि PQ ⊥ PS. PQ || SR, ∠SQR = 28° और ∠QRT = 65° है, तो x और y का मान ज्ञात कीजिए।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.3
उत्तर:
PQ|| SR (दिया है।)
अतः ∠PQR = ∠QRT (एकानर कोप)
⇒ ∠PQS + ∠SQR = 65°
⇒ x + 28° = 65° [∵ ∠SQR = 28°]
⇒ x = 65° – 28° = 37°
∴ x = 37°
अब ∆POS में,
∠PSQ + ∠SQP + ∠QPS = 180°
⇒ y + x + 90° = 180°
⇒ y = 180° – 90° – 37°
∴ y = 53°
अत: x = 37° तथा y = 53°.

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प्रान 6.
आकृति में, ∆PQR की भुजा QR को बिंदु S तक बढ़ाया गया है। यदि ∠PQR तथा ∠PRS के समद्विभाजक बिन्दु पर मिलते हैं, तो सिद्ध कीजिए कि ∠QTR = \(\frac{1}{2}\) ∠QPR है।
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उत्तर:
∆PQR मैं, ∠PRS = ∠P+ ∠Q
(∵ बहिष्कोग सम्मुख अन्त:कोणों के योग के बराबर होता है।)
⇒ \(\frac{1}{2}\) ∠PRS = \(\frac{1}{2}\) ∠P + \(\frac{1}{2}\) ∠Q
⇒ ∠TRS = \(\frac{1}{2}\) ∠P + ∠TOR ……(1)
(∵ QT तथा RT क्रमशः ∠PQR तथा ∠PRS के समद्विभाजक है)
अब, ∆QRT में, ∠TRS = ∠TQR + ∠T
समी. (1) से \(\frac{1}{2}\) ∠P + ∠TQR = ∠TQR + ∠T
⇒ \(\frac{1}{2}\) ∠P = ∠T
अत: ∠QTR = \(\frac{1}{2}\) ∠QPR. इति सिद्धम्

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Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 13 मिट्टी

Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 13 मिट्टी Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 13 मिट्टी

Bihar Board Class 7 Science मिट्टी Text Book Questions and Answers

अभ्यास

प्रश्न 1.
सबसे उपयुक्त उत्तर को चिह्नित करें।
(i) जल धारण क्षमता सबसे अधिक होती है –
(क) दोमट मिट्टी में
(ख) चिकनी मिट्टी में
(ग) बलुई मिट्टी में
उत्तर:
(ख) चिकनी मिट्टी में

(ii) धान की फसल की उपर्युक्त मिट्टी है-
(क) बलुई मिट्टी
(ख) केवल दोमट मिट्टी
(ग) चिकनी एवं दोमट मिट्टी
(घ) केवल चिकनी मिट्टी
उत्तर:
(ग) चिकनी एवं दोमट मिट्टी

(iii) किस प्रकार की मिट्टी में अन्तःस्रवण दर सबसे अधिक होती है ?
(क) चिकनी मिट्टी
(ख) दोमट मिट्टी
(ग) बलुई मिट्टी
उत्तर:
(ग) बलुई मिट्टी

Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 13 मिट्टी

प्रश्न 2.
मिट्टी का निर्माण किस प्रकार होता है ? समझाइए।
उत्तर:
जब तेज धूप चट्टानों पर पड़ती है तो गर्म हो जाती है और दरारें -पड़ जाती हैं । ठंड या वर्षा होने पर चट्टानें टूटने लगती हैं। पवन, जल और जलवायु की क्रिया से चट्टानों के टूटने पर मिट्टी का निर्माण होता है। यह प्रक्रिया अपक्षय कहलाती है। मिट्टी बनने में समय अधिक लगता है।

प्रश्न 3.
बलुई मिट्टी, दोमट मिट्टी तथा चिकनी मिट्टी में अन्तर स्पष्ट करें
उत्तर:
बलुई मिट्टी, दोमट मिट्टी तथा चिकनी मिट्टी में अन्तर –
Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 13 मिट्टी 1

प्रश्न 4.
अंतःस्रवण दर से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
अंत:स्रवण का अर्थ – पानी का ग्रहण (अवशोषण) मिट्टी द्वारा जल का अंत:स्रावित होने में लगने वाले समय के आधार पर अंत:स्रवण दर की गणना करना ही अंत:स्रवण दर है। मिट्टी के नमूनों की अंत:स्रवण दर इस सूत्र से निकालते हैं।
Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 13 मिट्टी 2

Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 13 मिट्टी

प्रश्न 5.
जल धारण क्षमता से आपका क्या अभिप्राय है ? अंतःसवण दर और जल धारण की क्षमता में क्या अन्तर होता है ?
उत्तर:
मिट्टी द्वारा जल का अवशोषण होता है। इसकी क्षमता मिट्टी के कणों पर निर्भर करता है। यदि मिट्टी के कण बड़े होते हैं तो वे जल को अवशोषण करते हैं। ये मिट्टी शुष्क होते हैं नमी नहीं रहती है। अतः जल धारण क्षमता कम है। जिस मिट्टी में जल की मात्रा अधिक होती है इसमें ह्युमस अधिक होता है। इसका मतलब जल धारण क्षमता अधिक है।

मिट्टी में पानी कितनी तेजी से अन्दर जाता है, अन्त:स्रवण दर कहलाता है। बलुई मिट्टी में अन्त:स्रवण सबसे अधिक और चिकनी मिट्टी में कम होता है। बलुई मिट्टी में ह्यूमस नहीं होता, ये शुष्क होते हैं। इनके कणों के बीच हवा होती है। इनके कण आपस में नहीं मिलते हैं।

प्रश्न 6.
समझाइए कि मिट्टी के अपरदन तथा मिट्टी प्रदूषण को किस प्रकार रोका जा सकता है ?
उत्तर:
मिट्टी का अपरदन पवन पानी अथवा बर्फ, वर्षा, नदियों का तेज बहाव के कारण होता है। इसको अधिक संख्या में पेड़, पौधों को लगाना चाहिए । पेड़ की जड़ मिट्टी को जकड़े रहती है और मिट्टी के अपरदन होने से बचाती है। मिट्टी प्रदूषण को बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। खेत बंजर होने लगे हैं। इसका कारण अधिक उर्वरक का उपयोग, कल-कारखानों की गंदगी। मिट्टी में साबुन, अपमार्जक का पानी मिट्टी में जाना, न्यूक्लीयर कपड़ों को जमीन में छुपाना, मिट्टी के प्रदूषण होने का कारण है।

Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 13 मिट्टी

Bihar Board Class 7 Science मिट्टी Notes

जीवन के लिए मिट्टी पृथ्वी पर होना अनिवार्य है । मिट्टी के बिना जीवन संभव नहीं है। बिना मिट्टी के न पेड़ न घास उग सकते हैं। पृथ्वी पर सभी प्राणियों के पोषण के लिए.सभी सामग्री मिट्टी से ही प्राप्त होती हैं। मिट्टी पर सभी जीव-जन्तुओं का निवास है। चट्टानों के टूटने से मिट्टी का निर्माण होता है। तेज धूप के कारण चट्टानें गर्म होती हैं और उसमें दरारें पड़ जाती हैं। ठंड और वर्षा के कारण घट्टानें टूटने लगती है। पवन जल और जलवायु की क्रिया से चट्टानों के टूटने पर मिट्टी का निर्माण होता है। मिट्टी के रावसे ऊपर वाली परत में ह्यूमस और खनिज रहता है। यह उर्वरक होता है। यह जल का धारण अधिक करता है। इस शीर्ष मिट्टी कहते हैं। पौधे के जर्ड शीर्ष मिट्टी में ही रहती हैं। मध्य परत शीर्ष के नीचे जिसमें ह्यूमस कम और खनिज ज्यादा होते हैं। यह परत अधिक कठोर और धनी होती है। मध्य परत के नीचे तीसरी परत जो काफी कठोर होता है। इस परत के नीचे आधार शैल होता है। मिट्टी कई प्रकार की होती है-मिट्टी में पाये जाने वाले चट्टान के कणों के आकार पर मिट्टी को वर्गीकृत किया जाता है। यदि मिट्टी में बड़े कणों का अनुपात अधिक होता है तो वह बलुई मिट्टी कहलाती है और सूक्ष्म कणों का अनुपात अधिक हो तो चिकनी मिट्टी कहते हैं। यदि बड़े और छोटे कणों की मात्रा समान हो तो दोमट मिट्टी कहलाती है। मिट्टी का गुण उसके कणों पर निर्भर करता है।

बलुई मिट्टी हल्की और शुष्क होती है। इनके कण बड़े होते हैं। ये आपस में आसानी से जुड़ नहीं पाते बालू के कणों के बीच के स्थान से जल की निकासी तेजी से होती है। चिकनी मिट्टी में कण सूक्ष्म होते हैं ये आसानी से आपस में जुड़े रहते हैं। इनके बीच रिक्त स्थान कम होता है। ये जल अधिक ग्रहण करते हैं । चिकनी मिट्टी भारी होती है। पादपों को उगाने के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी है। दोमट मिट्टी में ह्यूमस अधिक होती है। जल धारण की क्षमता है। चिकनी मिट्टी का उपयोग बर्तनों, खिलौनों और मूर्तियों को बनाने के लिए किया जाता है। हम प्रायः खेतों में गर्मी के दिनों में वायु चमकते नजर आते हैं। लगता है वह कम्पन कर रहा है। ऐसा मिट्टी में उपस्थित जल के कारण लगता है। गर्मी के दिनों में मिट्टी के जल का वाष्पन होता है और ऊपर उठता है। जलवायु को सघन बना देती है सूर्य के प्रकाश के अपवर्तन के कारण मिट्टी के ऊपर की वायु कम्पन करते हुए चमकीला दिखाई पड़ती है। मिट्टी जल का अवशोषण करती है। जल के मिट्टी में अंतस्रावित होने में लगने वाले समय के आधार पर अंत:सवण दर की गणना इस सूत्र से करते हैं।

Bihar Board Class 7 Science Solutions Chapter 13 मिट्टी 3

जगहों पर मिट्टी भिन्न-भिन किस्म की होती है। अपने बिहार राज्य में, विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की मिट्टी पाई जाती है। कुछ क्षेत्रों में बलुई तो कुछ क्षेत्रों में दोमट और चिकनी मिट्टी पाई जाती है । जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक, जैसे पवन, वर्षा, आर्द्रता और मिट्टी के प्रकार के कारण फसलों की किस्में भिन्न भिन्न होती हैं। चिकनी और दोमट मिट्टी में गेहूँ, मक्का, चना, धान की खेती की जाती है। जैसे पदार्थ और जल धारण करने वाली मिट्टी अच्छी किस्म की होती है। आलू, दालों की फसल दोमट और बलुई मिट्टी में की जाती है। क्योंकि जल को निकासी आसानी से की जा सके । मिट्टी के ऊपरी सतह का हटना मिट्टी की अपरदन कहलाता है। पवन, पानी, वर्षा, बर्फ मिट्टी का अपरदन करते हैं। मिट्टी का अपरदन को रोकने के लिए अधिक से अधिक पेड़ों को लगाना चाहिए । बंजर और मरुभूमि स्थानों पर मिट्टी का अपरदन अधिक होता है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

BSEB Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

Bihar Board Class 9 Science कार्य तथा ऊर्जा InText Questions and Answers

प्रश्न श्रृंखला # 01 (पृष्ठ संख्या 164)

प्रश्न 1.
किसी वस्तु पर 7 N का बल लगता है। मान लीजिए बल की दिशा में विस्थापन 8 m है (चित्र)। मान लीजिए वस्तु के विस्थापन के समय लगातार वस्तु पर बल लगता रहता है। इस स्थिति में किया गया कार्य कितना होगा?
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा
हल:
किसी वस्तु पर लगने वाले बल द्वारा किया गया कार्य बल के परिमाण तथा बल की दिशा में चली गई दूरी के गुणनफल के बराबर होता है।
कार्य = बल x विस्थापन
W = F x S
यहाँ,
F = 7N
S = 8 m
अतः, किया गया कार्य W = 7 x 8 = 56 Nm = 56J

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न श्रृंखला # 02 (पृष्ठ संख्या 165)

प्रश्न 1.
हम कब कहते हैं कि कार्य किया गया है ?
उत्तर:
कार्य करने के लिए निम्न दो दशाओं का होना आवश्यक है
1. वस्तु पर कोई बल लगना चाहिए।
2. वस्तु विस्थापित होनी चाहिए।
यदि इनमें से कोई भी दशा पूरी नहीं होती तो कार्य नहीं किया गया। विज्ञान में हम कार्य को इसी दृष्टि से देखते हैं।

प्रश्न 2.
जब किसी वस्तु पर लगने वाला बल इसके विस्थापन की दिशा में हो तो किये गये कार्य का व्यंजक लिखिए।
उत्तर:
जब किसी वस्तु पर लगने वाला बल F उसे दूरी S तक विस्थापित करता है तो किया गया कार्य W, बल तथा विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है।
किया गया कार्य = बल – विस्थापन
W = F x S

प्रश्न 3.
1 J कार्य को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
1 J किसी वस्तु पर किए गए कार्य की वह मात्रा है जब 1 N का बल वस्तु को बल की क्रियारेखा की दिशा में 1 m विस्थापित कर दे।

प्रश्न 4.
बैलों की एक जोड़ी खेत जोतते समय किसी हल पर 140 N बल लगाती है। जोता गया खेत 15 m लम्बा है। खेत की लम्बाई को जोतने में कितना कार्य किया गया ?
हल:
बैलों द्वारा किया गया कार्य
w = F xd
जहाँ लगाया गया बल F = 140 N
विस्थापन, d = 15 m
⇒W = 140 x 15 = 2100J
अतः खेत की लम्बाई को जोतने में किया गया कार्य 2100J

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न श्रृंखला # 03 (पृष्ठ 169 पर)

प्रश्न 1.
किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा क्या होती है ?
उत्तर:
किसी वस्तु में उसकी गति के कारण निहित ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं। प्रत्येक गतिशील वस्तु में गतिज ऊर्जा होती है। गतिशील कार, लुढ़कता हुआ पत्थर, उड़ता हुआ हवाई जहाज, बहता हुआ पानी आदि सभी में गतिज ऊर्जा विद्यमान

प्रश्न 2.
किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा के लिए व्यंजक लिखो।
उत्तर:
यदि कोई वस्तु जिसका द्रव्यमान m है व वेग। से गतिशील है तो उसकी गतिज ऊर्जा E, निम्न व्यंजक द्वारा प्रदर्शित होगी
Ek = Ima इसका SI मात्रक जूल (J) है।

प्रश्न 3.
5 ms-1 के वेग से गतिशील किसी m द्रव्यमान की वस्तु की गतिज ऊर्जा 25 J है। यदि इसके वेग को दो गुना कर दिया जाए तो इसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जाएगी ? यदि इसके वेग को तीन गुना बढ़ा दिया जाए तो इसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जाएगी ?
हल:
वस्तु की गतिज ऊर्जा, E = 25 J
वस्तु का वेग, v = 5 m/s
∴ Ek = \(\frac {1}{2}\)mv2
m = \(\frac{2 \mathrm{E}_{\mathrm{K}}}{v^{2}}\) = \(\frac{2 \times 25}{5^{2}}\) = 2 kg

अगर वेग दुगना है तो,
v = 2 x 5 = 10 m/s
∴ Ek (v = 10 m/s के लिए) = \(\frac {1}{2}\)mv2
\(\frac {1}{2}\) x 2 x 10 x 10 = 100 J

यदि वेग तीन गुना है,
v = 3 x 5 = 15 m/s
∴ Ek (v = 15 m/s) के लिए
= \(\frac {1}{2}\)mv2
= \(\frac {1}{2}\) x 2 x 15 x 15 = 225 J

प्रश्न श्रृंखला # 04 (पृष्ठ संख्या 174)

प्रश्न 1.
शक्ति क्या है ?
उत्तर:
कार्य करने की दर या ऊर्जा रूपान्तरण की दर को शक्ति कहते हैं। यदि कोई अभिकर्ता (एजेन्ट) t समय में w कार्य करता है तो शक्ति का मान होगा –
शक्ति = कार्य / समय
या P = W/t
शक्ति का मात्रक वाट है तथा इसका प्रतीक W है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 2.
1 वाट शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
1 वाट उस अभिकर्ता (एजेन्ट) की शक्ति है जो 1 सेकण्ड में 1 जूल कार्य करता है। हम यह भी कह सकते हैं कि यदि ऊर्जा के उपयोग की दर 1 Js-1 हो तो शक्ति 1 W होगी।
1 वाट = 1 जूल / सेकण्ड
1W = 1 Js-1

प्रश्न 3.
एक लैम्प 1000 J विद्युत ऊर्जा 10 s में व्यय करता है। इसकी शक्ति कितनी है ?
हल:
शक्ति = कार्य / समय।
लैम्प द्वारा ली गई ऊर्जा = 1000 J
समय = 10s
शक्ति = 1000 / 10 = 100w

प्रश्न 4.
औसत शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
किसी एजेण्ट की औसत शक्ति, कुल लिए गए समय में, कुल किया गया कार्य है। औसत शक्ति को हम कुल उपयोग की गई ऊर्जा को कुल लिए गए समय से विभाजित कर प्राप्त कर सकते हैं।
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

क्रियाकलाप 11.1 (पृष्ठ संख्या 163)

प्रश्न 1.

  1. किस वस्तु पर कार्य किया गया ?
  2. वस्तु पर क्या घटित हो रहा है?
  3. कार्य कौन (क्या) कर रहा है ?

उत्तर:
सीढ़ियों पर चढ़कर इमारत की ऊपरी मंजिल पर पहुँचना, एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ना क्रियाकलाप दैनिक जीवन में किये गये कार्यों के उदाहरण हैं। इमारत की ऊपरी मंजिल पर पहुँचने में

  1. सीढ़ियों पर चढ़ने में कार्य किया गया
  2. हम ऊँचाई पर पहुंच रहे हैं।
  3. हम स्वयं कार्य कर रहे हैं।

ऊँचे पेड़ पर चढ़ने में –

  1. पेड़ पर कार्य हो रहा है।
  2. हम ऊपर चढ़ रहे हैं; हमारा शरीर विस्थापित हो रहा है।
  3. हम स्वयं कार्य कर रहे हैं।

क्रियाकलाप 11.3 (पृष्ठ संख्या 164)

प्रश्न 1.
कुछ स्थितियों पर विचार कीजिए जब वस्तु पर बल लगने के बावजूद वह विस्थापित नहीं होती। ऐसी स्थिति पर भी विचार कीजिए जब कोई वस्तु बल लगे बिना ही विस्थापित हो जाए। प्रत्येक के लिए जितनी स्थितियाँ आप सोच सकें, उनकी सूची बनाइए।
उत्तर:
एक चट्टान पर बल लगाना, एक दीवार को धकेलना, एक मजबूत पेड़ को धकेलने की कोशिश करना, एक ट्रक को बल लगाकर धकेलने की कोशिश करना आदि वे स्थितियाँ हैं जब वस्तु पर बल लगने के बावजूद वह विस्थापित नहीं होती। जब कोई वस्तु स्थिर वेग से चलती है तो उस पर कोई बल नहीं लग रहा होता, जैसे कि स्थिर वेग से चलती हुई गेंद।

प्रश्न 2.
अपने मित्रों से विचार-विमर्श कीजिए कि क्या इन स्थितियों में कोई कार्य हुआ है।
उत्तर:
नहीं, वैज्ञानिक भाषा में इन स्थितियों में कोई कार्य नहीं हुआ। कार्य करने के लिए दो दशाओं का होना आवश्यक है –
1. वस्तु पर कोई बल लगना तथा
2. वस्तु विस्थापित होना।

क्रियाकलाप 11.4 (पृष्ठ संख्या 164)

किसी वस्तु को ऊपर उठाइए। आपके द्वारा वस्तु पर लगाए गए बल के द्वारा कार्य किया गया। वस्तु ऊपर की ओर चलती है। आपके द्वारा लगाया गया बल विस्थापन की दिशा में है। तथापि वस्तु पर गुरुत्वीय बल भी कार्यरत है।

प्रश्न 3.
इनमें से कौन-सा बल धनात्मक कार्य कर रहा है?
उत्तर:
हमारे द्वारा लगाया गया बल धनात्मक कार्य कर रहा है क्योंकि वह विस्थापन की दिशा में है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 4.
कौन-सा बल ऋणात्मक कार्य कर रहा है ?
उत्तर:
गुरुत्वीय बल ऋणात्मक कार्य कर रहा है।

प्रश्न 5.
कारण बताइए।
उत्तर:
गुरुत्वीय बल वस्तु पर नीचे की ओर लग रहा है, अर्थात् उसके विस्थापन की दिशा के विपरीत। अत: वह ऋणात्मक कार्य कर रहा है।

क्रियाकलाप 11.5 (पृष्ठ संख्या 166)

प्रश्न 6.
ऊर्जा के कुछ स्रोतों को अध्याय में दिया गया है। ऊर्जा के अनेक अन्य स्रोत भी हैं। उनकी सूची बनाइए।
उत्तर:
ऊर्जा के कुछ अन्य स्रोत हैं-तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस, वायु, विद्युत ऊर्जा, हाइड्रो ऊर्जा, बायोमास ऊर्जा।

प्रश्न 7.
क्या ऊर्जा के कुछ स्रोत ऐसे भी हैं जो सूर्य के कारण नहीं हैं ?
उत्तर:
हाँ, नाभिकीय ऊर्जा, तेल, कोयला, प्राकृतिक गैस, वायु, विद्युत ऊर्जा, हाइड्रो पावर ऊर्जा के ऐसे स्रोत हैं जो सूर्य के कारण नहीं हैं।

क्रियाकलाप 11.6 (पृष्ठ संख्या 167)

प्रश्न 8.
इनमें से कौन-सी गर्त सबसे अधिक गहरी है ?
उत्तर:
वह गर्त जिस पर 1.5 m की ऊँचाई से गेंद गिराई जाती है, अधिक गहरी है।

प्रश्न 9.
कौन-सा गड्डा सबसे अधिक उथला है ? ऐसा क्या है?
उत्तर:
जिस गड्डे पर 25 cm की ऊँचाई से गेंद गिराई जाती है वह सबसे अधिक उथला है क्योंकि इस ऊँचाई से गिराने पर गेंद का वेग कम होगा। अत: उसकी गतिज ऊर्जा भी कम होगी।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 10.
गेंद ने किस कारण से गड्ढा गहरा बनाया ?
उत्तर:
गेंद ने अपनी गतिज ऊर्जा के कारण गड्ढा गहरा बनाया (EK = Tmv2)। जितनी ज्यादा ऊँचाई से गेंद को गिराया जायेगा उसकी स्थितिज ऊर्जा उतनी अधिक होगी (P.E. = mgh)। गेंद के गिरने पर यही स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित होती है।

क्रियाकलाप 11.7 (पृष्ठ संख्या 167)

प्रश्न 11.
यह ऊर्जा कहाँ से आई ?
उत्तर:
गतिशील ट्रॉली गुटके से टकराने पर अपनी गतिज ऊर्जा उसमें स्थानान्तरित कर देती है। अतः गुटके में ऊर्जा ट्रॉली से आई।

प्रश्न 12.
पलड़े पर रखे द्रव्यमान को बढ़ाकर इस प्रयोग को दोहराइए। किस अवस्था में विस्थापन अधिक है ? किस अवस्था में किया गया कार्य अधिक होगा? .
उत्तर:
जब पलड़े पर द्रव्यमान बढ़ाया जाता है तब गुटके का विस्थापन अधिक होता है व किया गया कार्य भी अधिक होगा। द्रव्यमान बढ़ाने से ट्रॉली पर अधिक बल लगेगा व वह और तेज गति से गुटके पर टकराएगी जिससे गुटके का विस्थापन अधिक होगा व कार्य भी अधिक होगा (W = F x S)

क्रियाकलाप 11.8 (पृष्ठ संख्या 169)

प्रश्न 13.
एक रबड़ बैंड (रबड़ का छल्ला) लीजिए। इसके एक सिरे को पकड़कर दूसरे सिरे से खींचिए। छल्ला खिंच जाता है। छल्ले के एक सिरे को छोड़िए। क्या होता है ?
उत्तर:
छल्ला अपनी प्रारम्भिक लम्बाई प्राप्त करने का प्रयत्न करेगा। छल्ला अपनी खिंची हुई स्थिति में कुछ ऊर्जा उपार्जित कर लेता है।

प्रश्न 14.
खींचने पर यह ऊर्जा किस प्रकार उपार्जित कर लेता है ?
उत्तर:
रबड़ बैंड को खींचने पर हम इसमें कुछ ऊर्जा स्थानान्तरित करते हैं। बैंड में स्थानान्तरित की गई ऊर्जा इसमें स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाती है।

क्रियाकलाप 11.9 (पृष्ठ संख्या 169)

प्रश्न 15.
स्लिंकी को छोड़ने पर क्या होता है ?
उत्तर:
स्लिंकी अपनी प्रारम्भिक लम्बाई प्राप्त करने का प्रयत्न करती है।

प्रश्न 16.
खींचने पर स्लिकी ने किस प्रकार ऊर्जा उपार्जित की?
उत्तर:
स्लिकी को खींचने पर हम इसमें ऊर्जा स्थानान्तरित करते हैं। स्लिकी में स्थानान्तरित की गई ऊर्जा इसमें स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाती है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 17.
क्या सम्पीडित करने पर भी स्लिकी ऊर्जा उपार्जित करेगी?
उत्तर:
हाँ, संपीडित करने पर भी स्लिकी में हम ऊर्जा स्थानान्तरित करेंगे जो इसमें स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जायेगी।

क्रियाकलाप 11.10 (पृष्ठ संख्या 169)

प्रश्न 18.
एक खिलौना कार लीजिए। इसमें चाबी भरिए। कार को जमीन पर रखिए। क्या यह चलती है ?
उत्तर:
हाँ यह चलती है।

प्रश्न 19.
इसने ऊर्जा कहाँ से उपार्जित की ?
उत्तर:
खिलौना कार में चाबी भरते समय हम कार्य करते हैं। इसके अन्दर चाबी से स्थानान्तरित की गई ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाती है। यही स्थितिज ऊर्जा कार के चलने पर गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाती है।

प्रश्न 20.
क्या उपार्जित ऊर्जा चाबी द्वारा भरे गए लपेटनों की संख्या पर निर्भर है ?
उत्तर:
हाँ, उपार्जित ऊर्जा चाबी द्वारा भरे गए लपेटनों की संख्या पर निर्भर करती है। जितने ज्यादा लपेटन होंगे, ऊर्जा उतनी ही अधिक होगी क्योंकि चाबी भरने में किया गया कार्य उतना ही अधिक होगा।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

प्रश्न 21.
आप इसकी जाँच कैसे कर सकते हैं ?
उत्तर:
कम चाबी भरने पर खिलौना कार कम दूरी तक चलेगी व ज्यादा चाबी भरने पर कार ज्यादा दूरी तक जायेगी। अत: ज्यादा लपेटनों की संख्या ज्यादा ऊर्जा संचित करेगी।

क्रियाकलाप 11.11 (पृष्ठ संख्या 169)

प्रश्न 22.
किसी वस्तु को एक निश्चित ऊँचाई तक उठाइए। इसे ऊर्जा कहाँ से प्राप्त होती है ? सोचिए तथा विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर:
वस्तु को किसी ऊँचाई तक उठाने में उसकी ऊर्जा में वृद्धि होती है। इसका कारण है कि इसको ऊपर उठाने में इस पर गुरुत्व बल के विरुद्ध कार्य किया जाता है। इस प्रकार की वस्तु में विद्यमान ऊर्जा उसकी गुरुत्वीय स्थितिज ऊर्जा है।

क्रियाकलाप 11.13 (पृष्ठ संख्या 172)

प्रश्न 23.
हरे पौधे खाना कैसे बनाते हैं ?
उत्तर:
हरे पौधों में हरित लवक (क्लोरोफिल) होता है जो कार्बन डाइऑक्साइड एवं जल का उपयोग कर व सूर्य की रोशनी से ऊर्जा लेकर भोजन का निर्माण करता है। इस क्रिया को फोटोसिन्थेसिस कहते हैं।

प्रश्न 24.
उन्हें ऊर्जा कहाँ से प्राप्त होती है ?
उत्तर:
उन्हें ऊर्जा सूर्य की रोशनी से प्राप्त होती है।

प्रश्न 25.
वायु एक स्थान से दूसरे स्थान को क्यों बहती है ?
उत्तर:
वायु उच्च दाब से निम्न दाब वाले क्षेत्र की ओर बहती है। गर्म हवा हल्की होती है और वह ऊपर उठ जाती है और उसका स्थान ठंडी हवा ले लेती है। इसी प्रकार हवा का बहाव होता रहता है।

प्रश्न 26.
कोयला तथा पेट्रोलियम जैसे ईंधन कैसे | बने ?
उत्तर:
कोयला तथा पेट्रोलियम जैसे ईंधन फॉसिल (fossil) ईंधन है। ये कई सौ वर्ष पूर्व मृत पादपों पर दाब के कारण उत्पन्न हुए हैं।

प्रश्न 27.
किस प्रकार के ऊर्जा रूपान्तरण जल चक्र को बनाए रखते हैं ?
उत्तर:
जल चक्र में सौर ऊर्जा द्वारा पृथ्वी की सतह पर उपस्थित जल का वाष्पीकरण होता है। जब जलवाष्प बादलों में संघनित (condense).होती है तो अत्यधिक ऊर्जा, जो कि वाष्पित होने में ग्रहण की है, वातावरण को प्रदान करती है। वाष्पीकरण के दौरान जल वातावरण से ऊर्जा लेता है तथा वातावरण को ठण्डा कर देता है जबकि वाष्पित जल संघनित (condense) होकर वातावरण को ऊर्जा प्रदान करता है व उसे गर्म कर देता है। यही ऊर्जा का रूपान्तरण मौसम में बदलाव लाता है।

क्रियाकलाप 11.14 (पृष्ठ संख्या 172)

प्रश्न 28.
अनेक मानव क्रियाकलापों तथा हमारे द्वारा उपयोग किए जाने वाले जुगतों में ऊर्जा रूपान्तरण सम्मिलित है। इस प्रकार के क्रियाकलापों तथा जुगतों की एक सूची बनाइए।
प्रत्येक क्रियाकलाप या जुगत पहचानिए कि किस प्रकार ऊर्जा का रूपान्तरण हो रहा है।
उत्तर:

  1. टोस्टर विद्युत ऊर्जा को ऊष्मीय ऊर्जा में रूपान्तरित करता है।
  2. ब्लैडर विद्युत ऊर्जा को मशीनी ऊर्जा में रूपान्तरित करता है।
  3. सूर्य नाभिकीय ऊर्जा को विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा में रूपान्तरित करता है।
  4. हमारा शरीर खाने से प्राप्त रासायनिक ऊर्जा को मशीनी व विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरित करता है जिसके कारण हम चल पाते हैं।
  5. प्राकृतिक गैस चूल्हा जलने से प्राप्त रासायनिक ऊर्जा को ऊष्मीय ऊर्जा में रूपान्तरित करता है जिससे खाना बनता

क्रियाकलाप 11.15 (पृष्ठ संख्या 172)

प्रश्न 29.
20 kg द्रव्यमान का कोई पिण्ड 4m की ऊँचाई से मुक्त गिराया जाता है। निम्न सारणी के अनुसार प्रत्येक स्थिति में स्थितिज ऊर्जा तथा गतिज ऊर्जा की गणना करके सारणी में रिक्त स्थानों को भरिए। (परिकलन की सुविधा के लिए g का मान 10 ms-2 लीजिए).
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा
हल:
(i) दिया है, h = 4 m, m = 20 kg, g= 10 ms-2 स्थितिज ऊर्जा,
Ep = 20 x 10 x 4 = 800 kg ms-2 = 800J
h = 4 m पर प्रारम्भिक वेग, υ = अन्तिम वेग, v = ?
∴ Ek = \(\frac {1}{2}\)mv2
= \(\frac {1}{2}\) x 20 x 0 = 0
Ep + Ek = 800 + 0 = 800 J

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

(ii) Ep = mgh,
यहाँ h = 3 m
Ep = 20 x 10 x 3 = 600 J

हम जानते हैं,
v2 – u2 = 2gh
यहाँ, u = 0
∴ v2= 0 + 2 x 10 x 3
v2 = 60
∴ Ek = \(\frac {1}{2}\)mv2
= \(\frac {1}{2}\) x 20 x 60 = 600J
Ep + Ek = 600 + 600 = 1200J

(iii) Ep = mgh
यहाँ h = 2m
Ep = 20 x 10 x 2 = 400J

हम जानते हैं,
v2 + u2 = 2gh
यहाँ प्रारम्भिक वेग, u = 0
अतः v2 = 2 x 10 x 2 = 40
Ek = \(\frac {1}{2}\)mv2
=\(\frac {1}{2}\) x 20 x 40 = 400J
Ep + Ek = 400 + 400 = 800 J

(iv) यहाँ h = 1 m, m = 20 kg, g = 10 ms-2
∴ Ep = mgh
= 20 x 10 x 1 = 200 J

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

हम जानते हैं,
v2 + u2 = 2gh
यहाँ u = 0
v2 = 2 x 10 x 1
v2 = 20
Ek = \(\frac {1}{2}\)mv2
= \(\frac {1}{2}\) x 20 x 20 = 200J
Ep + Ek = 200 + 200 = 400J

(v) भूमि से ठीक ऊपर h = 0 अतः
Ep = mgh = 0
यहाँ समस्त स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित होगी।
अतः Ep + Ek = 800 J
Ep = 0
अतः Ek = 800 J
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

क्रियाकलाप 11.16 (पृष्ठ संख्या 173)

प्रश्न 30.
प्रत्येक बच्चे द्वारा किया गया कार्य कितना है ?
उत्तर:
प्रत्येक बच्चे द्वारा किया गया कार्य समान है क्योंकि वे समान ऊँचाई तक पहुँचते हैं अतः उनका विस्थापन (d) समान है (W = Fx d)। द्रव्यमान समान है अतः बल (F = mg) भी समान लगा।

प्रश्न 31.
किस बच्चे ने दिए हुए समय, मान लीजिए 1s में अधिक कार्य किया ?
उत्तर:
A ने दिये हुए समय में अधिक कार्य किया। शक्ति, P = W/t यहाँ कार्य के समान है।
A के द्वारा लिया गया समय = 15 s
अतः A की क्षमता, P = \(\frac {W}{15}\)
W = 1J तो
P = \(\frac {1}{15}\) = 0.067 Js-1

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 11 कार्य तथा ऊर्जा

B द्वारा लिया गया समय = 20 s
अतः B की क्षमता = 1 = 0.05 Js-1
अतः A की क्षमता B की तुलना में ज्यादा है। स्पष्ट है कि A ने B से दिये गए समय में अधिक कार्य किया।

Bihar Board Class 9 Science कार्य तथा ऊर्जा Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्न सूचीबद्ध क्रियाकलापों को ध्यान से देखिए। अपनी कार्य शब्द की व्याख्या के आधार पर तर्क दीजिए कि इनमें कार्य हो रहा है अथवा नहीं।

  1. सूमा एक तालाब में तैर रही है।
  2. एक गधे ने अपनी पीठ पर बोझा उठा रखा है।
  3. एक पवन चक्की (विंड मिल) कुएँ से पानी उठा रही है।
  4. एक हरे पौधे में प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया हो रही है।
  5. एक इंजन ट्रेन को खींच रहा है।
  6. अनाज के दाने सूर्य की धूप में सूख रहे हैं।
  7. एक पाल-नाव पवन ऊर्जा के कारण गतिशील है।

उत्तर:
निम्न दो शर्तों के पूर्ण होने पर कार्य किया जाता है –

  1. वस्तु पर बल लग रहा हो।
  2. बल की दिशा या उसकी विपरीत दिशा में बल लगाने पर वस्तु का विस्थापन हो।

(a) तैरते समय, पानी को पीछे धकेलने के लिए बल लगाती है। अतः पानी भी सूमा पर उतना ही प्रतिक्रिया बल विपरीत दिशा में लगाता है जिसके प्रभाव से वह आगे बढ़ती है। यहाँ बल द्वारा विस्थापन होता है। अतः सूमा द्वारा तैरते समय कार्य किया जाता है।
(b) बोझा उठाते समय गधे को ऊपर की दिशा में बल लगाना पड़ता है। किन्तु बल द्वारा कोई विस्थापन नहीं हो रहा अतः गधे द्वारा शून्य कार्य हो रहा है।
(c) एक पवन चक्की कुएँ से पानी निकालने में गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध कार्य कर रही है। अतः पवन चक्की द्वारा कार्य किया जा रहा है।
(d) यहाँ पौधे की पत्तियों का विस्थापन नहीं हो रहा अतः कार्य नहीं हो रहा।
(e) इंजन द्वारा ट्रेन पर बल लगाया जा रहा है जिसके फलस्वरूप ट्रेन का बल की दिशा में विस्थापन हो रहा है। अतः इंजन द्वारा कार्य हो रहा है।
(f) अनाज के दाने सूर्य के प्रकाश में विस्थापित नहीं हो रहे। अतः उनके सूर्य की धूप में सूखने में शून्य कार्य हो रहा है।
(g) पवन ऊर्जा के द्वारा लगाए जाने वाले बल के कारण पाल – नाव गति करती है। अत: पाल-नाव का विस्थापन बल की दिशा में हो रहा है। अत: पवन द्वारा नाव पर कार्य हो रहा है।

प्रश्न 2.
एक पिण्ड को धरती से किसी कोण पर फेंका जाता है। यह एक वक्र पथ पर चलता है और वापस धरती पर आ गिरता है। पिण्ड के पथ के प्रारम्भिक तथा अन्तिम बिन्दु एकही क्षैतिज रेखा पर स्थित है। पिण्ड पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया गया ?
उत्तर:
किसी वस्तु पर गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य ऊर्ध्वाधर विस्थापन पर निर्भर करता है। ऊर्ध्वाधर विस्थापन वस्तु की प्रारम्भिक व अन्तिम ऊँचाई के बीच के अन्तर द्वारा ज्ञात किया जाता है। यहाँ वह शून्य है। गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य W = mgh
जहाँ, h = ऊर्ध्वाधर विस्थापन = 0
w = mg = 0J
अतः पिण्ड पर गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य शून्य है।

प्रश्न 3.
एक बैटरी बल्ब जलाती है। इस प्रक्रम में होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जब बल्ब को बैटरी से जोड़ा जाता है तो बैटरी की रासायनिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होती है। बल्ब इस विद्युत ऊर्जा को प्रकाश व ऊष्मीय ऊर्जा में परिवर्तित करता है। अतः प्रक्रम में ऊर्जा परिवर्तन हुए।
रासायनिक ऊर्जा → विद्युत ऊर्जा → प्रकाश → ऊष्मा

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प्रश्न 4.
20 kg द्रव्यमान पर लगने वाला बल इसके वेग को 5 ms-1 से 2 ms-1 में परिवर्तित कर देता है। बल द्वारा किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
हल:
बल द्वारा किया गया कार्य वस्तु की गतिज ऊर्जा के अन्तर के बराबर होता है।
यहाँ m = 20 kg, u = 5 ms-1,v= 2 ms-1
गतिज ऊर्जा का अन्तर, W = \(\frac {1}{2}\)mv2 – \(\frac {1}{2}\)mu-1
w = \(\frac {1}{2}\) m (v2 – u2)
\(\frac {1}{2}\) x 20 (22 – 52)
W =-210 J
यहाँ ऋणात्मक चिह्न यह दर्शाता है कि कार्य वस्तु की गति को धीमा करने में किया गया है।

प्रश्न 5.
10 kg द्रव्यमान का एक पिण्ड मेज पर A बिन्दु पर रखा है। इसे B बिन्दु तक लाया जाता है। यदि A तथा B को मिलाने वाली रेखा क्षैतिज है तो पिण्ड पर गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यहाँ शून्य कार्य हुआ क्योंकि गुरुत्वीय बल व विस्थापन एक-दूसरे के क्षैतिज (perpendicular) हैं।

प्रश्न 6.
मुक्त रूप से गिरते हुए पिण्ड की स्थितिज ऊर्जा लगातार कम होती जाती है। क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन करती है ? कारण बताइए।
उत्तर:
नहीं, इस प्रक्रम में ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं होता। क्योंकि जब कोई वस्तु गिरती है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाती है। स्थितिज ऊर्जा में कमी गतिज ऊर्जा में बढ़त के बराबर होती है। इस प्रक्रम में कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है। अत: ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं होता।

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प्रश्न 7.
जब आप साइकिल चलाते हैं तो कौन-कौन से ऊर्जा रूपान्तरण होते हैं ?
उत्तर:
साइकिल चलाते समय चलाने वाले की पेशीय ऊर्जा, ऊष्मीय ऊर्जा व साइकिल की गतिज ऊर्जा में रूपान्तरित होती है। ऊष्मीय ऊर्जा चालक के शरीर को गर्म करती है व गतिज ऊर्जा साइकिल को गति प्रदान करती है। ऊर्जा रूपान्तरण को निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है
पेशीय ऊर्जा → ऊष्मीय ऊर्जा + गतिज ऊर्जा
इस पूरे प्रक्रम में कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है।

प्रश्न 8.
जब आप अपनी सारी शक्ति लगाकर एक बड़ी चट्टान को धकेलना चाहते हैं और इसे हिलाने में असफल हो जाते हैं तो क्या इस अवस्था में ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है ? आपके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा कहाँ चली जाती
उत्तर:
जब हम एक चट्टान को धकेलने की कोशिश करते हैं तो हमारी पेशीय ऊर्जा का चट्टान पर स्थानान्तरण नहीं होता। ऊर्जा का व्यय भी नहीं होता क्योंकि पेशीय ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाती है जिसके कारण हमारा शरीर गर्म हो जाता है।

प्रश्न 9.
किसी घर में एक महीने में ऊर्जा की 250 यूनिटें व्यय हुईं। यह ऊर्जा जूल में कितनी होगी ?
हल:
1 यूनिट ऊर्जा = 1 किलोवाट घण्टा (kWh)
1 kWh = 3.6 x 106 J
अतः, 250 यूनिट ऊर्जा = 250 x 3.6 x 106
= 9.0 x 108J

प्रश्न 10.
40 kg द्रव्यमान का एक पिण्ड धरती से 5 m की ऊँचाई तक उठाया जाता है। इसकी स्थितिज ऊर्जा कितनी है ? यदि पिण्ड को मुक्त रूप से गिरने दिया जाए तो जब पिण्ड ठीक आधे रास्ते पर है उस समय इसकी गतिज ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (g= 10 ms-2)
हल:
स्थितिज ऊर्जा को निम्न समीकरण द्वारा व्यक्त किया जाता है –
W = mgh
h = ऊर्ध्वाधर विस्थापन = 5 m
m = वस्तु का द्रव्यमान = 40 kg
g = गुरुत्वीय त्वरण = 10 m/s-2
W = 40 x 5 x 10 = 2000 J
जब पिण्ड ठीक आधे रास्ते पर होगा तब उसकी स्थितिज ऊर्जा = 2000 / 2 = 1000 J, इस बिन्दु पर उसकी स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा के बराबर होगी। यह ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार है। अत: ठीक आधे रास्ते पर उसकी गतिज ऊर्जा 1000J होगी।

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प्रश्न 11.
पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी उपग्रह पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया जाएगा ? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर:
पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी उपग्रह पर लगने वाले गुरुत्वीय बल की दिशा उसके विस्थापन के क्षैतिज (perpendicular) होती है। अत: उपग्रह पर पृथ्वी के गुरुत्वीय बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा।

प्रश्न 12.
क्या किसी पिण्ड पर लगने वाले किसी भी बल की अनुपस्थिति में इसका विस्थापन हो सकता है ? सोचिए। इस प्रश्न के बारे में अपने मित्रों तथा अध्यापकों से विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर
हाँ, एक समान गति से गतिशील पिण्ड में बल की अनुपस्थिति में विस्थापन हो सकता है। यदि कोई पिण्ड स्थिर वेग से गतिशील है तो उस पर लगने वाला नेट बल शून्य होगा। परन्तु पिण्ड की गति की दिशा में विस्थापन होगा। अतः बल के बिना भी विस्थापन सम्भव है।

प्रश्न 13.
कोई मनुष्य भूसे के एक गट्ठर को अपने सिर पर 30 मिनट तक रखे रहता है और थक जाता है। क्या उसने कुछ कार्य किया या नहीं ? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर:
कार्य करने के लिए दो दशाओं का होना आवश्यक है –
(i) वस्तु पर कोई बल लगना चाहिए
(ii) वस्तु विस्थापित होनी चाहिए, बल की या उसके विपरीत दिशा में। – जब कोई मनुष्य भूसे के एक गट्ठर को अपने सिर पर रखे रहता है तो भूसे के ढेर में कोई विस्थापन नहीं होता। गट्ठर पर गुरुत्वीय बल कार्य कर रहा है, पर मनुष्य उस पर कोई बल नहीं लगा रहा। अतः बल की अनुपस्थिति में मनुष्य द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा।

प्रश्न 14.
एक विद्युत हीटर (ऊष्मक) की घोषित शक्ति 1500 W है। 10 घंटे में यह कितनी ऊर्जा उपयोग करेगा ?
हल:
विद्युत हीटर द्वारा उपयोग की गई ऊर्जा को निम्न व्यंजक द्वारा ज्ञात किया जा सकता है
P = \(\frac {W}{T}\)
हीटर की घोषित शक्ति, P = 1500 W = 1.5kw
हीटर के उपयोग का समय, T = 10 h
किया गया कार्य = उपयोग की गई ऊर्जा
उपयोग की गई ऊर्जा = शक्ति x समय
= 1.5 x 10 = 15 kWh
अतः हीटर 15 kWh ऊर्जा 10 घण्टे में उपयोग करेगा।

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प्रश्न 15.
जब हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ते हैं तो यह दोलन करने लगता है। इसमें होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों की चर्चा करते हुए ऊर्जा संरक्षण के नियम को स्पष्ट कीजिए। गोलक कुछ समयपश्चात् विराम अवस्था में क्यों आ जाता है ? अंततः इसकी ऊर्जा का क्या होता है ? क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन है ?
उत्तर:
ऊर्जा संरक्षण नियम के अनुसार, ऊर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपान्तरित हो सकती है। न तो इसकी उत्पत्ति की जा सकती है और न ही विनाश। रूपान्तरण के पहले व रूपान्तरण के पश्चात् कुल ऊर्जा सदैव अचर रहती है। सरल लोलक के गोलक का उदाहरण लेते हैं –
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जब गोलक अपनी प्रारम्भिक स्थिति P से स्थिति A या B पर पहुँचता है तो यह अपनी स्थिति P से h ऊँचाई तक जाता है। इस बिन्दु पर उसकी समस्त गतिज ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है। गतिज ऊर्जा शून्य हो जाती है व स्थितिज ऊर्जा शेष रहती है। अब जब गोलक बिन्दु P पर वापस आता है तो उसकी स्थितिज ऊर्जा शून्य हो जाती है व गतिज ऊर्जा शेष रहती है। ऊर्जा का यह रूपान्तरण गोलक के दोलन के दौरान चलता रहता है।

गोलक का दोलन हमेशा नहीं चलता, वरन् कुछ समय पश्चात् वह विराम अवस्था में आ जाता है। हवा उसकी गति का प्रतिरोध करती है। गोलक की गतिज ऊर्जा घर्षण के प्रभाव के कारण कम होती है व वह कुछ समय पश्चात् रुक जाता है। यहाँ ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं होता क्योंकि गोलक द्वारा घर्षण को पार करने में व्यय ऊर्जा वातावरण द्वारा प्राप्त की जाती है। अतः गोलक व वातावरण की कुल ऊर्जा संरक्षित रहती है।

प्रश्न 16.
m द्रव्यमान का एक पिण्ड नियत वेग । से गतिशील है। पिण्ड पर कितना कार्य करना चाहिए कि वह विराम अवस्था में आ जाए ?
उत्तर:
m द्रव्यमान का एक पिण्ड जो एक नियत वेग v से गतिशील है, उसकी गतिज ऊर्जा होगी
Ek = \(\frac {1}{2}\)mv2
पिण्ड को विराम अवस्था में लाने के लिए उस पर 1 / 2 mv2 जितना कार्य करना होगा।

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प्रश्न 17.
1500 kg द्रव्यमान की कार को, जो 60 km/h के वेग से चल रही है, रोकने के लिए किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
हल:
गतिज ऊर्जा, Ek = \(\frac {1}{2}\)mv2
यहाँ, m = 1500 kg, v = 60 km/hr = 60 x\(\frac {5}{8}\) m/s
Ek = \(\frac {1}{2}\) x 1500 x (60 x \(\left(60 \times \frac{5}{18}\right)^{2}\)
= 20.8 x 104J
अतः, कार को रोकने के लिए 20.8 x 104 J कार्य करना होगा।

प्रश्न 18.
निम्न में से प्रत्येक स्थिति में m द्रव्यमान के एक पिण्ड पर एक बल F लग रहा है। विस्थापन की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर है जो एक लम्बे तीर से प्रदर्शित की गई है। चित्रों को ध्यानपूर्वक देखिए और बताइए कि किया गया कार्य ऋणात्मक है, धनात्मक है या शून्य है।
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उत्तर:
I दशा – इस दशा में बल की दिशा पिण्ड के विस्थापन के लम्बवत् (perpendicular) है। अत: पिंड पर बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा।
II दशा – इस दशा में, बल विस्थापन की दिशा में लग रहा है। अत: बल द्वारा पिण्ड पर किया गया कार्य धनात्मक होगा।
III दशा – इस दशा में बल विस्थापन की विपरीत दिशा में लग रहा है। अतः पिण्ड पर किया गया कार्य ऋणात्मक होगा।

प्रश्न 19.
सोनी कहती है कि किसी वस्तु पर त्वरण शून्य हो सकता है चाहे उस पर कई बल कार्य कर रहे हों। क्या आप उससे सहमत हैं ? बताइए, क्यों ?
उत्तर:
किसी वस्तु पर त्वरण शून्य हो सकता है चाहे उस पर कई बल कार्य कर रहे हों। ऐसा तब होता है जब उस पर लगने वाले सभी बल एक-दूसरे के विपरीत हों या नेट बल शून्य हो। एकसमान गति से गतिमान वस्तु पर लगने वाला नेट बल शून्य होता है। अतः वस्तु पर शून्य त्वरण लगता है। सोनी का कथन सही है।

प्रश्न 20.
चार युक्तियाँ जिनमें प्रत्येक की शक्ति 500W है, 10 घण्टे तक उपयोग में लाई जाती हैं। इनके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा kWh में परिकलित कीजिए।
हल:
किसी युक्ति द्वारा व्यय की ऊर्जा शक्ति के सूत्र से ज्ञात की जा सकती है।
P = \(\frac {W}{T}\)
जहाँ शक्ति, P = 500 W = 0.50 kW
समय, T = 10 h
किया गया कार्य = व्यय की गई ऊर्जा
अत: व्यय की गई ऊर्जा = शक्ति x समय
= 0.50 x 10 = 5 kWh
अतः चार समान शक्ति वाली युक्तियों द्वारा व्यय की गई ऊर्जा
= 5 x 4 = 20 kWh = 20 यूनिट

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प्रश्न 21.
मुक्त रूप से गिरता एक पिण्ड अंततः धरती तक पहुँचने पर रुक जाता है। इसकी गतिज ऊर्जा का क्या होता है ?
उत्तर:
जब कोई पिण्ड मुक्त रूप से धरती पर गिरता है तब उसकी स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती है। उसकी स्थितिज ऊर्जा कम होती है व गतिज ऊर्जा बढ़ती है। जब पिण्ड धरती पर पहुँचने वाला होता है तो ऊँचाई h = 0 तथा इस अवस्था में वस्तु का वेग अधिकतम होगा। अत: गतिज ऊर्जा अधिकतम तथा स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम होगी। किन्तु जैसे ही पिण्ड धरती को स्पर्श करेगा, उसकी गतिज ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा व ध्वनि में रूपान्तरित हो जाती है। यह पृथ्वी के तल को नुकसान भी पहुंचा सकता है यदि इसकी गतिज ऊर्जा काफी अधिक है या पृथ्वी का तल नर्म है।

Bihar Board Class 7 Social Science Civics Solutions Chapter 3 शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार की भूमिका

Bihar Board Class 7 Social Science Solutions Civics Samajik Aarthik Evam Rajnitik Jeevan Bhag 2 Chapter 3 शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार की भूमिका Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 7 Social Science Civics Solutions Chapter 3 शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार की भूमिका

Bihar Board Class 7 Social Science शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार की भूमिका Text Book Questions and Answers

पाठगत प्रश्नोत्तर

प्रश्नों के उत्तर दें-

प्रश्न 1.
अनुप्रिया एवं उसकी सहेलियाँ क्यों परेशान थीं, उन सबकी परेशानी कैसे दूर हुई ?
उत्तर-
अनुप्रिया एवं उसकी सहेलियाँ परेशान थीं क्योंकि उन्हें लग रहा था कि वे मध्य विद्यालय से आगे की पढ़ाई नहीं कर पाएँगी क्योंकि मध्य विद्यालय तो उनके घर से नजदीक था इसलिए उन्हें विद्यालय जाने में कोई कठिनाई नहीं होती थी पर उच्च विद्यालय उनके गाँव से लगभग 5 किमी. था, जिस कारण उन्हें विद्यालय जाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता।

सरकार द्वारा साइकिल योजना शुरू करने से उन सबकी परेशानी दूर हो गयी, क्योंकि साइकिल योजना के तहत उनलोगों को साइकिल दी गयीं और वे आसानी से आगे की जारी रख सकती थी और उच्च विद्यालय आसानी से आ-जा सकती थी।

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प्रश्न 2.
लड़कियों को शिक्षा ग्रहण करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है ऐसा क्यों? कारण सहित लिखें।
उत्तर-
लड़कियों को शिक्षा ग्रहण करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कितने परिवारों में आज भी लड़कियों को पढ़ाया नहीं जाता है और अगर पढ़ाया गया तो उन्हें उच्च शिक्षा नहीं दिलवाई जाती है। कई जगहों पर लड़कियों को न पढ़ाने का कारण होता है स्कूल का उनके घर से दूर होना। अगर विद्यालय घर से नजदीक होता है  तो उन्हें विद्यालय जाने पर कोई परेशानी नहीं होती पर विद्यालय का घर से दूर होना उनके शिक्षा पाने के रास्ते में रूकावट बन जाता है।

उनके माता-पिता उन्हें दूर जाकर पढ़ाई की अनुमति नहीं देते, क्योंकि वो उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित होते हैं । बहुत से जगहों पर लड़कियों को उच्च विद्यालय की शिक्षा दिलवाने के बाद कॉलेज की पढ़ाई करने घर से दूर दूसरे शहरों में जाने की अनुमति दी जाती है और कारण बताया जाता है अकेली लड़कियों घर से दूर शहर में कैसे रहेंगी। इन सारी वजहों से लड़कियों की शिक्षा में बहुत रूकावट आती है।

प्रश्न 3.
आपकी समझ में ऐसी क्या व्यवस्था हो सकती है जिससे लड़कियों की परेशानी न हो?
उत्तर-
मेरी समझ से हर गाँव में मध्य विद्यालय के साथ-साथ उच्च विद्यालय भी होना चाहिए, जिससे लड़कियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए घर से बहुत दूर नहीं जाना पड़े। हर जगह पर कॉलेज की भी व्यवस्था होनी चाहिए जिससे लड़कियों को उच्च विद्यालय तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद

आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए दूसरी जगह जाना पड़े। अपने शहरों में उच्च शिक्षा दिलवाने वाले किसी अच्छे कॉलेजों के होने की वजह से विद्यार्थियों को दूसरे शहरों में जाना पड़ता है और लड़कियों की इसकी अनुमति बहुत कम ही मिल पाती है।

प्रश्न 4.
सुमित की चिन्ता का क्या कारण थी? यदि सुमित की जगह आप होते तो आपके मन में क्या-क्या विचार आते ? आपस में चर्चा करें।
उत्तर-
सुमित की चिन्ता का कारण था किताबों का समय पर न मिलना । उसकी किताबें बाजार में नहीं मिलती थी, इसलिए वह चाहकर भी अपनो किताबें बाजार से नहीं खरीद सकता था। किताब नहीं मिलने की वजह से वह कुछ पढ़ाई भी नहीं कर पाया था और उसे इस बात का डर था कि आने वाले अर्द्धवार्षिक परीक्षा में वह क्या लिखेगा। यदि सुमित की जगह मैं भी होती तो मेरे मन में भी वही विचार आता जो सुमित के मन में आया था।

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प्रश्न 5.
आपको समय पर किताब नहीं मिलने की स्थिति में प्रधानाध्यापक ने क्या प्रयास किया?
उत्तर-
समय पर किताब नहीं मिलने की स्थिति में हमारे प्रधानाध्यापक किताब नहीं मिलने की वजहों की जानकारी लेते हैं और जल्द से जल्द उन रूकावटों को दूर कर हमें कम से कम समय में किताब दिलवाते हैं।

प्रश्न 6.
मध्याह्न भोजन योजना, पोशाक योजना, भवन निर्माण योजना, आँगनबाड़ी केन्द्र इत्यादि योजनाओं के विषय में शिक्षकों से चर्चा करें कि आखिर इनकी जरूरत क्यों हैं?
उत्तर-
इन योजनाओं की जरूरत निम्नलिखित कारणों से है

1. मध्याह्न भोजन योजना – मध्याह्न भोजन योजना से बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ भोजन भी मिल जाता है और इस योजना से स्कूलों में बच्चों की संख्या भी बढ़ी है। कितने बच्चे भी भूखे ही स्कूल चले आते थे जिससे पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता था, पर इस योजना में भोजन मिलने से बच्चों का पेट भरा रहता है और पढ़ाई में उनका मन भी लगता है।

2. पोशाक योजना – पोशाक योजना में बच्चों को स्कूल के पोशाक बनवाने के लिए पैसे दिए जाते हैं। इस योजना से उन बच्चों को बहुत लाभ हुआ है जो स्कूल की पोशाक न होने की वजह से स्कूल नहीं जा पाते थे।

3. भवन निर्माण योजना – इस योजना से भी बहत लाभ हआ है, वैसे स्कूल जो जर्जर-जर्जर भवनों में चलाए जाते थे उनकी मरम्मत भी होने लगती है जो स्कूल खुले मैदान में चलाए जाते थे उन्हें अब स्कूल के लिए भवन भी मिल गए।

4. आँगनवाड़ी केन्द्र – आँगनबाड़ी केन्द्र में बच्चों को शुरूआत की शिक्षा मिलती है। इससे उनकी नींव मजबूत होती है।

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प्रश्न 7.
क्या आप अपने विद्यालयों की पढ़ाई व्यवस्था से संतुष्ट हैं ? अपने विचार लिखें।
उत्तर-
हाँ, मैं अपने विद्यालय की पढ़ाई व्यवस्था से संतुष्ट हूँ। मेरे विद्यालय में सभी शिक्षक अपने-अपने विषयों को बहुत ही अच्छे से पढ़ाते हैं, जो हम बच्चों को बहुत ही आसानी से समझ में आ जाता है।

अगर हमें कुछ पढ़ाई समझ में नहीं आती तो हमारे शिक्षक उसे फिर से पढ़ाकर हमें अच्छे से समझाते हैं। हमें किसी प्रकार की परेशानी होने पर हमारे शिक्षक हमारी मदद करते हैं। शिक्षकों द्वारा पाठ्य-पुस्तक जल्दी से जल्दी दिलवाने की कोशिश की जाती है, पोशाक राशि भी दी जाती है। मध्याह्न भोजन की व्यवस्था भी है। पढ़ाई के अलावे मेरे स्कूल में खेलने की भी उचित व्यवस्था है।

प्रश्न 8.
यह दोनों स्थितियाँ क्यों उत्पन्न होती हैं ? इसके पीछे क्या-क्या कारण है?
उत्तर-
पहली स्थिति जिसमें कहा गया है कि 1000 पैदा होने वाले बच्चों में से 300 बच्चों का वजन बहुत कम होता है और 143 बच्चों की पाँच वर्ष के अंदर मृत्यु हो जाती है। ये स्थिति तब उत्पन्न होती है जब किसी गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान संतुलित भोजन नहीं मिल पाता। संतुलित भोजन की कमी से उनके अंदर खून की कमी यानी एनीमिया की बीमारी हो जाती है।

जिस वजह गर्भवति महिला का वजन ही बहुत कम हो जाता है, जिस वजह से होने वाले बच्चे का वजन भी कम होता है और कमजोर शरीर होने की वजह से उन्हें कई तरह की परेशानियाँ होती हैं, जिससे कभी-कभी उनकी मृत्यु हो जाती है। इसका कारण है पैसे जानकारी के अभाव में गर्भवती महिला को संतुलित आहार और आयरन की गोली का नहीं मिल पाना।

दूसरी स्थिति जिसमें कहा गया है कि 100000 औरतों में से 400 औरतों की बच्चे के जन्म देते समय मौत हो जाती है। ऐसी स्थिति तब होती है जब गर्भवती महिला को प्रसव के लिए अस्पताल न ले जाकर घर में ही प्रसव कराने की कोशिश की जाती है। घर में प्रसव कराने के लिए शिक्षित नर्स की जगह किसी महिला से प्रसव कराने से कई तरह की इनफेक्शन होने की संभावना होती है, जिससे गर्भवती महिला की मौत हो सकती है।

इसका कारण है कम उम्र की लड़कियों का गर्भवती हो जाना और पैसे के अभाव में उन्हें अस्पताल न ले जाना और कभी-कभी गाँव की महिलाओं को तो प्रसव के लिए शहर लाते-लाते रास्ते में ही उनकी मौत हो जाती है।

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प्रश्न 9.
इन दोनों स्थितियों में बच्चों और औरतों को कैसे बचाया जा सकता है?
उत्तर-
इन दोनों स्थितियों में बच्चों और औरतों को बचाने के लिए सबसे आवश्यक है कि गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को संतुलित भोजन दिया जाए। उनके भोजन में हरी सब्जियाँ, दाल, दूध, फल, चावल, रोटी आदि सभी कुछ शामिल हो। उन्हें जो भी आवश्यक टीके हो वो लगवाए जाएँ। उन्हें आयरन की गोलियाँ दी जाए, जिससे उन्हें एनीमिया की बीमारी से बचाया जा सके। अगर माँ स्वस्थ रहेगी तो होने वाले बच्चे का वजन भी सही होगा।

इस तरह से प्रसव के लिए गर्भवती महिला को अस्पताल लेकर जाना चाहिए। उन्हें घर में प्रसव के दौरान थोड़ी-सी भी चूक से माँ और बच्चे दोनों की जान जा सकती हैं। इसलिए प्रसव डॉक्टरों की देख-रेख में ही करवाना चाहिए । घर में प्रसव करवाने से उतनी साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा जाता, जिससे कई प्रकार के इंफेक्शन्स लगने का खतरा रहता है। जो माँ और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक होता है।

अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सबके लिए स्वास्थ्य की सुविधा उपलब्ध करने के लिए सरकार कौन-कौन से कदम उठा सकती है? चर्चा करें।
उत्तर-
सबके लिए स्वास्थ्य की सुविधा उपलब्ध करने के लिए सरकार को सबसे पहले पीने की उचित पानी की व्यवस्था करनी चाहिए । स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करने वाली संस्थाओं स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, जिला अस्पताल आदि को सुचारू ढंग से कार्य करने के निर्देश देने चाहिए। सभी अस्पतालों में बच्चों को लगाए जाने वाले जीवनरक्षक टीके और दवाएँ मुफ्त में मिलने चाहिए ।

गर्भवती महिलाओं में खून की कमी को दूर करने के आयरन की गोली देनी चाहिए । अस्पतालों में बेड की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। डॉक्टरों की कमी को भी दूर करने की कोशिश करनी चाहिए । गाँव में भी अस्पताल खलवाने चाहिए और डॉक्टरों की व्यवस्था करनी चाहिए। जिससे गाँव के लोगों के बीमार होने पर वहीं उनका इलाज हो सके, क्योंकि ज्यादातर लोगों को बीमारी के दौरान शहर लाने के दौरान रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो जाती है।

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प्रश्न 2.
शिक्षा की स्थिति बेहतर करने के लिए सरकार की क्या भूमिका होनी चाहिए? –
उत्तर-
शिक्षा की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए सरकार को शिक्षा को कानून का रूप देना चाहिए । शिक्षा पाना सबका हक है, पर जिसे शिक्षा नहीं मिल पा रही है, वो न्यायालय का सहारा ले सकं ! शिक्षा के लिए उचित व्यवस्था की जानी चाहिए। सबसे पहले स्कूल की व्यवस्था को ठीक करना चाहिए, क्योंकि शिक्षा पाने के लिए यह पहला पड़ाव है। स्कूलों की व्यवस्था ठीक होने से बच्चों की पढ़ाई की नींव सही होगी। इसके लिए जरूरी है कि हर जगह गाँव में भी मध्य विद्यालय के साथ ही उच्च विद्यालय भी है।

कॉलेजों की भी व्यवस्था होनी चाहिए ताकि विद्यार्थियों को शिक्षा प्राप्त करने के लिए घर से बहुत दूर नहीं जाना पड़े। क्योंकि कुछ विद्यार्थियों खासकर लड़कियों को घर से दूर जाकर पढ़ाई करने की अनुमति नहीं दी जाती है और उनकी पढ़ाई बीच में ही छूट जाती है। रोजगार के क्षेत्र में बढ़ोतरी करने से भी लोग शिक्षा की ओर आकर्षित होंगे। इन सबके साथ ही सरकार को जनता के लिए शिक्षा के महत्व को भी बताते रहे।

प्रश्न 3.
सर्वे क्यों किया जाता है ? आपने इस पाठ में किए गए सर्वे से क्या समझे?
उत्तर-
किसी विषय के बारे में जनता की क्या राय है, उस विषय के बारे में उनके बीच कितनी जानकारी है और इन बातों का उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है। इन सारी बातों की जानकारी के लिए सर्वे किया जाता है। इस पाठ में किए गए सर्वे का मुख्य विषय है बच्चों के स्कूल नहीं जाने ‘के कारण का पता लगाना ।

इस सर्वे में यह पता लगाने की कोशिश की गयी थी कि जो बच्चे कभी स्कूल नहीं गये उनके स्कूल नहीं जाने का कारण, ओ। बच्चे विद्यालय जाते थे पर बीच में ही उन्होंने विद्यालय जाना छोड़ दिया इसका क्या कारण है जो बच्चे बाल मजदूर हैं पढ़ने-लिखने के समय में काम करते हैं, इसका क्या कारण है?

Bihar Board Class 7 Social Science Civics Solutions Chapter 3 शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार की भूमिका

प्रश्न 4.
एक ही बच्चे में जो सरकारी स्कूल, निजी स्कूल, निजी स्कूल या अन्य किसी स्कूल में पढ़ते हैं उनसे बातचीत करके पता करें कि इन स्कूलों में क्या समान और क्या अन्तर है।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

Bihar Board Class 7 Social Science शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार की भूमिका Notes

पाठ का सार संक्षेप

दुगी हुई सरकार से लोगों की यह अपेक्षा होती है कि वह जनता की लोकतांत्रिक अधिकार जैसे सड़क, बिजली; कानून व्यवस्था, आपदा के समय लोगों को राहत दिलवाने का कार्य करें। इस अध्याय में हमलोग यही जानेंगे की सरकार के कामों से शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधी कार्य कैसे जुड़ी हुई है।

हमारे जीवन के विकास के लिए शिक्षा. बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। शिक्षा के द्वारा हमें दुनिया को समझने का मौका मिलता है, शिक्षा से हमें आत्मविश्वास मिलता है और हम खुद को और दुनिया को बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं। एक शिक्षित व्यक्ति अपनी रूचि से काम कर पाने में सक्षम होता है।

Bihar Board Class 7 Social Science Civics Solutions Chapter 3 शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार की भूमिका

समाज की किसी समस्या पर लोग मिल-जुलकर बातचीत करते और उस समस्या पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया देते हैं, फिर उस समस्या का समाधान निकालते हैं। शिक्षित व्यक्ति अदालत में अपना बचाव करने का कार्य, बैंक से ऋण लेना, वैज्ञानिक ढंग से संग करना और सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी लेने का कार्य आसानी से कर सकता है। एक शिक्षित व्यक्ति आधुनिक सामाजिक कार्यों में भागीदारी करने में तथा राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने में खुद को सक्षम महसूस करते हैं।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.2

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.2 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.2

प्रश्न 1.
पाठ्य पुस्तक में दी गई आकृति में x और । के मान ज्ञात कीजिए और फिर दाइए कि AB || CD है।
उत्तर:
गाना जो रेखा AB और CD को काटही नह नियंक रेखा PQ है तषा वह AB और CD को क्रमशः R तथा S पर काली है जैसा आकृति में दर्शाया गया है।
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∴ x = y (एकान्तर कोण)
तथा y = ∠CSQ (शीर्षाभिमुख कोण)
अत: y = 130°
⇒ x = y = 130°
अत: AB || CD
ABCD.

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प्रश्न 2.
पाठ्य-पुस्तक में दी गई आकृति में, यदि AB || CD, CD || EF और y : z = 3 : 7 है तो x का मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना तिर्षक रेखा PQ, AB, CD तथा EF को क्रमशः L, M तथा N पर काटती है।
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∠CMN = 180° – ∠CML
∠CMN – 180° – y
तथा ∠CMN – ∠FNM (एकान्तर कोप)
180° – y = z
y + z = 180° ……..(1)
दिया गया है, y : z = 3 : 7
अत: y = 3λ, z = 7λ
ये मान समी. (1) में रखने पर,
y + z = 180°
3λ + 7λ = 180° ⇒ 10λ = 180°
λ – \(\frac{180°}{10°}\) = 18°
⇒ y = 3 × 18° = 54°
z = 7 × 18 = 126°
x + y = 180°
(लगातार अभ्यंतर कोण सम्पूरक होते हैं)
⇒ x = 180° – 54°
x = 126°.

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प्रश्न 3.
आकृति में, यदि ” AB || CD, EF ⊥ CD और ∠GED ∠AGE, ∠GEF और ∠FGE ज्ञात कीजिए।
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उत्तर:
∠AGE = ∠GED (एकान्तर कोग)
∠AGE = 126° (∵ ∠GED = 126°)
∠GEF + ∠FED = 126°
∠GEF = 126° – 90° = 36°
अब, ∆GEF में.
∠GEF + ∠EFG + ∠FGE = 180°
360° + 90° + ∠FGE = 180°
∠FGE = 180 – 126° = 54°
अत: ∠AGE = 126°, ∠GEF = 36° ∠FGE = 54°.

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प्रश्न 4.
पाठ्य पुस्तक में दी गाई आकृति में, यदि PQ || ST, ∠PQR = 110° और ∠RST = 130° है, तो ∠QRS ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
रेखा PQ को बनाया तथा जहाँ यह रेखा RS को काटे इस बिंदु को L मान लिया। (देखें आकृति)
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PL || ST
तथा ∠SLQ = ∠LST (एकान्तर कोग)
⇒ ∠SLQ = 130°
∴ ∠QLR + ∠QLS = 180° (रेखायुग्म)
⇒ ∠QLR = 180° – ∠QLS
= 180° – 130° = 50
तथा ∠PQR + ∠LQR = 180° (रेखा बुग्म)
⇒ ∠LQR = 180° – 110° = 70°
अब, ∆QRL में,
∠QRL + ∠RLQ + ∠LQR = 180°
⇒ ∠QRL + 50° + 70 = 180°
⇒ ∠QRL = 180° – 120° = 60°
अत: ∠QRS = ∠QRL = 60°. (∵ PL || ST)

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प्रश्न 5.
आकृति में, यदि AB || CD, ∠APQ = 50° और ∠PRD = 127° है. तो x और y ज्ञात कीजिए।
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उत्तर:
दो गई आकृति में
∠APQ = ∠PQR (एकान्तर कोण)
∠PQR = 50°
अत: x = 50°
अब, ∠APR – ∠PRD (एकान्तर कोण)
⇒ ∠APQ + ∠QPR = 127°
⇒ 50° + y = 127°
y = 77°
अतः x = 50° तथा y = 77°.

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प्रश्न 6.
पाठ्य पुस्तक में दी गई आकृति में, PQ और RS दो दर्पण है जो एक दूसरे के समानर रखे गए हैं। एक आपतन किरण (incident ray) AB, दर्पण PQ से B पर टकराती है और परावर्तित किरण (reflected ray) पथ BC पर चलकर दर्पण RS से C पर टकराती है तथा पुनः CD के अनूदिश परावर्तित हो जाती है। सिद्ध कीजिए कि AB || CD है।
उत्तर:
दिया गया है. PQ और RS दो दर्पण है, जो एक दूसरे के समान्तर है।
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अत: PQ || RS
माना, BN ⊥ PQ तथा CM ⊥ RS. (आकृति)
आकृति में, माना ∠DCM = ∠1, ∠MCB = ∠2, ∠CBN = ∠3 तथा ∠NBA = ∠4.
तथा ∠2 = ∠3(एकान्तर कोण) …….. (1)
तथा ∠1 = ∠2 व ∠3 = ∠4
(परावर्तन के नियम के अनुसार) …….. (2)
अतः समी. (1) व (2) से,
∠1 = ∠4
समी. (1) व (3) को जोड़ने पर,
∠1 + ∠2 = ∠3 + ∠4
∠DCB = ∠CBA
अर्थात् एकान्तार कोण बराबर है।
अतः AB ||CD. इति सिद्धम्

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Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण अलंकार

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण अलंकार Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण अलंकार

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण अलंकार Questions and Answers

प्रश्न 1.
अलंकार किसे कहते हैं ? साहित्य में इनकी क्या उपयोगिता है ?
उत्तर-
अलंकार का शाब्दिक अर्थ है-सजावट, शृंगार, आभूषण, गहना आदि। साहित्य में । अलंकार शब्द का प्रयोग काव्य-सौंदर्य के लिए होता है। संस्कृत के विद्वानों के अनुसार ‘अलंकरोति इति अलंकारः’ अर्थात् जो अलंकृत करे या शोभा बढ़ाए, उसे अलंकार कहते हैं। दूसरे शब्दों में, काव्य की सुंदरता बढ़ाने वाले गुण-धर्म अलंकार कहलाते हैं।

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण अलंकार

प्रश्न 2.
अलंकारों के कितने भेद हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
मुख्यतः अलंकारों के दो भेद हैं शब्दालंकार और अर्थालंकारा

शब्दालकार

शब्दालंकार शब्द द्वारा काव्य में चमत्कार उत्पन्न करते हैं। यदि जिस शब्द द्वारा चमत्कार उत्पन्न हो रहा है, उसे हटाकर अन्य समान शब्द वहाँ रख दिया जाए, तो वहाँ अलंकार नहीं रहता। अनुप्रास, यमक,ग्लेष आदि शब्दालंकार हैं। इनमें सौंदर्य ‘शब्द’ पर आश्रित रहता है।

1. अनुप्रास

प्रश्न
अनुप्रास अलंकार की परिभाषा देते हुए कुछ उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर-
जहाँ व्यंजनों की आवृत्ति ध्वनि-सौंदर्य को बढ़ाए, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। व्यंजनों की आवृत्ति एक विशेष क्रम से होनी चाहिए। सौंदर्य-वर्धक व्यंजन शब्दों के प्रारंभ, मध्य या अंत में आने चाहिए।

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण अलंकार

उदाहरणतया-

  1. कल कानन कुंडल मोरपखा उर पै बनमाल बिराजति है।
  2. जो खग हौं तो बसैरो करौ मिलि-
    कालिंदी कुल कदंब की डारनि।

स्पष्टीकरण-इन उदाहरणों में ‘क’, ‘ब’, ‘र’ तथा ‘क’ वर्गों की आवृत्ति से सौंदर्य में वृद्धि

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण अलंकार
अन्य उदाहरण-

  1. कायर क्रूर कपूत कुचाली यों ही मर जाते हैं। (‘क’ की आवृत्ति)
  2. मुदित महीपति मंदिर आए।
    सेवक सचिव सुमंत बुलाए। (‘स’ की आवृत्ति)
  3. कंकन किकिन नुपूर धुनि सुनि।
    कहत लखन सन राम हृदय गुनि।। (‘क’ तथा ‘न’ की आवृत्ति)
  4. तरनि-तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए। (‘त’ की आवृत्ति)
  5. मधुर-मधुर मुस्कान मनोहर, मनुज वेश का उजियाला। (‘म’ की आवृत्ति)
  6. कानन कठिन भयंकर भारी, घोर घाम वारि बयारी। (‘क’, ‘र’ तथा ‘म’ की आवृत्ति)
  7. चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही हैं जल थल में। (‘च’ तथा ‘ल’ की आवृत्ति)
  8. भुज भुजगेस की बै संगिनी भुगिनी-सी
    खेदि खेदि खाती दीह दारुन दलन को
  9. मुदित महीपति मंदिर आए।
  10.  बाल बिलोकि बहुत मैं बाँचा।

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2. यमक

प्रश्न
यमक अलंकार की परिभाषा देते हुए कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
‘यमक’ का शाब्दिक अर्थ है ‘जोड़ा’। ‘वहै शब्द पुनि-पुनि परै अर्थ भिन्न-ही-भिन्न। अर्थात् जब कविता में एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आता है किंतु हर बार अर्थ भिन्न होता है, वहाँ यमक अलंकार होता है। उदाहरणार्थ-

1. काली घटा का घमंड घटा।
स्पष्टीकरण-यहाँ ‘घटा’ शब्द दो बार आया है। दोनों जगह अर्थ में भिन्नता है।
घटा-वर्षाकालीन घुमड़ती हुई बादलों की माला।
घटा-कम हुआ।
2. कहै कवि बेनी-बेनी ब्याल की चुराई लीनी।
-यहाँ पहले बेनी का तात्पर्य है ‘कवि बेनी प्रसाद’ तथा दूसरे का तात्पर्य है ‘चोटी’।

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अन्य उदाहरण

  1. कनक-कनक तै सौगुनी मादकता अधिकाय।
    वा खाए बौराए जग या पाए बौराया।
  2. माला फेरत युग भया, मिटा न मन का फेर।
    करका मनका डारि दे, मन का मनका फेर।।
  3. जेते तुम तारे, तेरे नभ में न तारे हैं।
  4. खग-कुल कुल-कुल सा बोल रहा।
  5. पच्छी परछीने ऐसे परे पर छीने बीर।
    तेरी बरछी ने बर छीने हैं खलन के।

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3. श्लेष

प्रश्न
श्लेष अलंकार की परिभाषा देते हुए कुछ उदाहरण प्रस्तुत कीजिए। अथवा, श्लेष अलंकार का एक उदाहरण दीजिए। .
उत्तर-
श्लेष’ का शाब्दिक अर्थ है- ‘चिपकना’। अतः जहाँ एक शब्द से दो या दो से अधिक अर्थ प्रकट होते हैं, वहाँ श्लेष अलंकार होता है।

उदाहरणतया –

1. मधुवन की छाती को देखो.
सूखी कितनी इसकी कलियाँ।
यहाँ ‘कलियाँ’ शब्द का प्रयोग एक बार हुआ है, किंतु इसमें अर्थ की भिन्नता है।
(क) खिलने से पूर्व फूल की दशा।
(ख) यौवन-पूर्व की अवस्था।

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2. जो रहीम गति दीप की कुल कपूत गति सोय।।
बारे उरियारो करै बढ़े अंधेरा होय।।
यहाँ ‘बारे’ और ‘बढ़े’ शब्दों में श्लेष है।
‘बारे’ का एक अर्थ है-‘जलाने पर’ तथा दूसरा अर्थ है ‘बचपन में।
‘बढ़े’ के दो अर्थ हैं-‘बुझने पर’ तथा ‘बड़े होने पर।

अन्य उदाहरण

  1. ‘रहिमन’ पानी रखिए बिन पानी सब सून।
    पानी गए न ऊबरै, मोती मानुष चून।।
    इस दोहे में ‘पानी’ के तीन अर्थ हैं-चमक, प्रतिष्ठा और जल।
  2. मेरी भव-बाधा हरों राधा नागरि सोइ।
    जा तन की झाई परै स्यामु हरित दुति होय।।
  3. सुबरन को ढूँढे फिरत, कवि, व्यभिचारी चोर।

अर्थालंकार

अर्थालंकार में सौंदर्य ‘भाव’ से संबंधित होता है, ‘शब्द’ से नहीं। अर्थालंकार चमत्कार की. बजाय भाव की अनुभूति में तीव्रता लाते हैं अथवा भाव संबंधी चमत्कार उत्पन्न करते हैं। उपमा. रूपक, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति, अन्योक्ति आदि अर्थालंकार है।

4. उपमा

प्रश्न
‘उपमा’ की परिभाषा देते हुए उसके तत्त्वों का परिचय दीजिए तथा उदाहरणों द्वारा अलंकार स्पष्ट कीजिए। .
उत्तर-
उपमा का अर्थ है ‘समानता’। जहाँ किसी वस्तु अथवा प्राणी के गुण, धर्म, स्वभाव । और शोभा को व्यक्त करने के लिए उसी के समान गुण, धर्म वाली किसी अन्य प्रसिद्ध वस्तु अथवा प्राणी से उसकी समानता की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। जैसे- ‘चाँद-सा सुंदर मुख’।

उपमा अलंकार को समझने के लिए निम्नलिखित चार अंगों को समझना आवश्यक है
(क) उपमेय_जिसकी उपमा दी जाए अर्थात् जिसका वर्णन हो रहा है, उसे उपमेय या प्रस्तुत कहते हैं। ‘चाँद-सा सुंदर मुख’ में ‘मुख’ उपमेय है।
(ख) उपमान- वह प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी जिससे उपमेय की समानता प्रकट की जाए, उपमान कहलाता है। उसे अप्रस्तुत भी कहते हैं। ऊपर के उदाहरण में ‘चांद’ उपमेय है।
(ग) साधारण धर्म- उपमेय और उपमान के समान गुण या विशेषता व्यक्त करने वाले शब्द साधारण धर्म कहलाते हैं। ऊपर के उदाहरण में ‘सुंदर’ साधारण धर्म को बता रहा है।
(घ) वाचक शब्द- जिन शब्दों की सहायता से उपमेय और उपमान में समानता प्रकट की जाती है और उपमा अलंकार की पहचान होती है उन्हें वाचक शब्द कहते हैं। सा, सी, सम, जैसी, ज्यों, के समान-आदि शब्द वाचक शब्द कहलाते हैं।
यदि ये चारों तत्त्व उपस्थित हों तो ‘पूर्णोपमा’ होती है; परंतु कई बार इसमें से एक या दो लुप्त भी हो जाते हैं, तब उसे ‘लुप्तोपमा’ कहते हैं।

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पूर्णोपमा का उदाहरण-

  1. हाय फूल-सी कोमल बच्ची। हुई राख की थी ढेरी।
    -यहाँ ‘फूल’ उपमान, ‘बच्ची’ उपमेय, ‘कोमल’ साधारण धर्म तथा ‘सी’ वाचक शब्द है। अतः पूर्णोपमा अलंकार है।
  2. रति सम रमणीय मूर्ति राधा की।
    -यहाँ ‘राधा की मूर्ति’ उपमेय, ‘रति’ उपमान, ‘रमणीय’ साधारण धर्म तथा ‘सम’ वाचक शब्द है। अतः पूर्णोपमा अलंकार है।

अन्य उदाहरण-

  1. पीपर पात सरिस मन डोला।
  2. मुख बाल रवि सम लाल होकर ज्वाला-सा बोधित हुआ।

लुप्तोपमा के उदाहरण-
1. यह देखिए, अरविंद से शिशुवृंद कैसे सो रहे।
-यहाँ ‘शिशुवृंद’ उपमेय, अरविंद’ उपमान तथा ‘से’ वाचक शब्द है। साधारण धर्म लुप्त है। अतः ‘लुप्तोपमा अलंकार है।

2. पड़ी थी बिजली-सी विकराला .
-यहाँ बिजली’ उपमान, ‘विकराल’ साधारण धर्म तथा ‘सी’ वाचक शब्द है, परंतु ‘उपमेय’ लुप्त है। अतः लुप्तोपमा अलंकार है।

अन्य उदाहरण-

  1. वह नव नलिनी से नयन वाला कहाँ है ?
  2. नदियाँ जिनकी यशधारा-सी,
    बहती हैं अब भी निशि-बासर।
  3. मखमल के झूल पड़े हाथी-सा टीला।
  4. असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण दिव्य दाह-सी।
  5. जो नत हुआ, वह मृत हुआ, ज्यों वृंत से झरकर कुसुम।
  6. सूरदास अबला हम भोरी, गुर चाँदी ज्यौं पागी।

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5. रूपक

प्रश्न
रूपक अलंकार की परिभाषा देते हुए उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर- जहाँ गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय पर उपमान का आरोप किया जाए, वहाँ रूपक अलंकार होता है। यह आरोप कल्पित होता है। इसमें उपमेय और उपमान में अभिन्नता होने पर भी दोनों साथ-साथ विद्यमान रहते हैं। यथा

1. चरण कमल बंदौं हरिराई।
यहाँ सादृश्य के कारण उपमेय ‘चरण’ पर उपमान ‘कमल’ का आरोप कर दिया गया है। चरण पर कमल का आरोप कल्पित है। चरण वास्तव में कमल नहीं बन सकता, परंतु सदृश्य के कारण यहाँ चरण को कमल मान लिया गया है। दोनों की अभिन्नता स्थापित होने पर भी दोनों साथ-साथ विद्यमान हैं, अत: रूपक अलंकार है।

2. मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहौं।
-यहाँ चंद्रमा (उपमेय) पर खिलौना (उपमान) का आरोप है। .. अन्य उदाहरण
(क) सक-प्राणियों वत्तमनोमयूर अहा नचा रहा।
(ख) संत-हस गन गहहिं पय, परिहतारि विकार।
(ग) पायो जी मनम-रतन धन पायो।
(घ) सुख चपला-सुःख घन में,
उलझा है चंचलन कुरंग।
(ङ) बीती विभावरी जागरी
अंबर पनघट में डुबो रही
तारा-घट ऊषा-नागरी।

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6. उत्प्रेक्षा

प्रश्न
उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा देते हुए दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
जहाँ उपमेय में उपमान की संभावना की जाए, वहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार होता है।
दोनों वस्तुओं में कोई समान धर्म होने के कारण ऐसी संभावना करने के लिए कुछ शब्दों का प्रयोग किया जाता है, जो उत्प्रेक्षा के वाचक शब्द कहलाते हैं, यथा-
मानो, मनो, मनु, मनहुँ, जानो, जनु आदि।
उदाहरण- कहती हुई यों उत्तरा के, नेत्र जल से भर गए।
हिम के कणों से पूर्ण मानो, हो गए पंकज नए।।

प्रस्तुत पाश में उत्तरा के अरु-पूरित नेत्र उपमेय हैं, जिनमें कमल की पंखुड़ियों पर पड़े हुए ओस-कणों की (उपमान की) कल्पना की गई है। इसी प्रकार निम्नलिखित पंक्तियों में भी उत्प्रेक्षा अलंकार देखा जा सकता है-

उस काल मारे क्रोध के, तनु काँपने उनका लगा।
मानो हवा के जोर से सोता हुआ सागर जगा।।

अन्य उदाहरण-

सोहत ओढ़े पीत पट, श्याम सलोने गात!
मनो नीलमणि सैल पर, आतप परयौ प्रभात।।

प्रस्तुत दोहे में ‘पीत पट’ में ‘नीलमणि सैल’ पर ‘प्रभात’ के ‘आतप’ के आरोप की ‘मानो’ । शब्द द्वारा संभावना की गई है, अतः उत्प्रेक्षा अलंकार है।

पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के संवर के।।

7. मानवीकरण

जहाँ जड़ प्रकृति या वस्तु पर मानवीय भावनाओं या क्रियाओं का आरोप हो, वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है। सरल शब्दों में, जहाँ किसी अचेतन वस्तु को मानत की तरह गतिविधि करता दिखाया जाए, वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है।

उदाहरण. 1.
मेघ आए बड़े बन-ठन के संवर के
माधीकरण यहाँ मेघों को सजा-संवरा और बना-ठना दिखाया गया है।

उदाहरण 2.
दिवसावसन का समय
मेघमय आसमान से उतर रही
संध्या-सुंदरी परी-सी धीरे-धीरे

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण अलंकार

सायीकरण यहाँ संध्या को एक सुंदरी के रूप से धीरे-धीरे आसमान से उतरता हुआ दिखाया गया है। अतः मानवीकरण है।
अन्य उदाहरण-
(क) खग-कुल कुल-कुल सा बोल रहा
किसलय का अंचल डोल रहा।
लो यह लतिका भी भर लाई
मधु मुकुल नवल रस गागरी।।

(ख)तनकर भाला यह बोल उठा-
राणा मुझको विश्राम न दे
मुझको शोणित की प्यास लगी
बढ़ने दे, शोणित पीने दे।
(ग) मैं तो मात्र मृत्तिका हूँ।
(घ) कार्तिक की एक हँसमुख सुबह
नदी-तट से लौटती गंगा नहाकर।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.1

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.1 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.1

प्रश्न 1.
आकृति 61 में रेखाएँ AB और CD बिन्दु O पर प्रतिच्छेद करती हैं। यदि ∠AOC + ∠BOE = 70° है और ∠BOD = 40° है, तो ∠BOE और प्रतिवर्ती ∠COE ज्ञात कीजिए।
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उत्तर:
दिया है : AB एक सरल रेखा है, अत:
∠AOC + ∠COE + ∠BOE = 180°
∠COE + 70° = 180°
(∵ ∠AOC – ∠BOE = 70°)
∠COE = 110°
प्रतिवर्ती ∠COE = 360° – 110°
अतः प्रतिवर्ती ∠COE = 250°
दिया है : CD एक सरल रेखा है, अतः
∠ROD + ∠BOE + ∠COE =180°
40° + ∠BOE + 110° = 180° (∵ ∠BOD = 40°)
∠BOE = 180° – 150°
अतः, ∠BOE = 30°
अत: ∠BOE = 30° तथा प्रतिवर्ती ∠COE = 250°.

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प्रश्न 2.
आकृति 6.2 में रेखाएँ XY और MN बिन्दु O पर प्रतिच्छेद करती है। यदि ∠POY = 90° और a : b = 2 : 3 है, तो c ज्ञात कीजिए।
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उत्तर:
दिया है :
a : b = 2 : 3
माना, a = 2x तो b = 3x
XYएक सरल रेखा है,
∠XOM + ∠MOP + ∠POY = 180°
b + a + 90° = 180°
3x + 2x = 90°
x = 18°
अतः a = 2x = 2 × 18° = 36°
b = 3x = 3 × 18° = 54°
अब, MN एक सरल रेखा है।
तो ∠MOX + ∠XON = 180°
b + c = 180°
c = 180° – 54° = 126°
अत: c = 126°.

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प्रश्न 3.
आकृति 6.3 में, यदि ∠PQR = ∠PRQ है. तो सिद्ध कीजिए कि ∠PQS = ∠PRT है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.1
उत्तर:
यहाँ ST एक संरल रेखा है तथा QP, ST पर स्थित है।
∴∠PQS + ∠PQR = 180°
∠PQS = 180° – ∠PQR …… (1)
तथा RP, ST पर स्थित है।
∴ ∠PRQ + ∠PRT = 180°
∠PRT = 180°- ∠PRQ
⇒ ∠PRT = 180° – ∠PQR …….. (2)
[∵ ∠PQR = ∠PRQ]
समी. (1) तथा समी- (2) से,
∠PQS = ∠PRT. इति सिद्धम्

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प्रश्न 4.
आकृति 6.4 में, यदि x + y = w + z है,तो सिद्ध कीजिए कि AOB एक रेखा है।
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उत्तर:
चित्र से, ∠AOC + ∠BOC + ∠BOD + ∠AOD = 360°
y + x + w + z = 360°
(x + y) + (w + z) = 360°
(x + y) – (x + y) = 360°
[∵ x + y = w + z]
x + y = \(\frac{360°}{2}\) = 180°
⇒ x + y = w + z = 180° (रैखिक युग्म है)
अत: AOB एक रेखा है। इति सिद्धम्

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प्रश्न 5.
आकृति में 6.5 में, POQ एक सरल रेखा है। किरण OR रेखा PQ पर लष्य है। किरणों OP और OR के बीच OS एक अन्य किरण आकृति है। सिद्ध कीजिए-
∠ROS = \(\frac{1}{2}\) ∠QOS – ∠POS).
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.1
उत्तर:
यदि OR, रेखा PQ पर लम्ब है,
सो ∠POR – ∠QOR
∠POS + ∠ROS = ∠QOS – ∠ROS
∠ROS + ∠ROS = ∠QOS – ∠POS
2∠ROS = ∠QOS – ∠POS
∠ROS = \(\frac{1}{2}\) (∠QOS – ∠POS) इति सिद्धम्

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.1

प्रश्न 6.
यह दिया है कि ∠XYZ = 64° है और XY को बिन्दु P तक बढ़ाया गया है। दी हुई सूचना से एक आकृति खींचिए। यदि किरण YQ, ∠ZYP को समद्विभाजित करती है, तो ∠XYQ और प्रतिवर्ती ∠QYP के मान ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
XY को बिन्दु P तक बढ़ाया गया है, इसलिए XP एक सीधी रेखा है। इसे आकृति 6.6 द्वारा दर्शाया गया है-
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.1
यहाँ XP एक सरल रेखा है।
तो ∠XYZ + ∠ZYP = 180°
64° + ∠ZYP = 180°
⇒ ∠ZYP = 180° – 64° = 116°
दिया है: YQ, ∠ZYP को समद्विभाजित करती है।
अतः ∠ZYQ = ∠QYP = \(\frac{1}{2}\) ∠ZYP
∠ZYQ = \(\frac{1}{2}\) × 116° = 58°
प्रतिवर्ती ∠QYP = 360° – ∠QYP
= 360° – 58° = 302°
तथा ∠XYQ = ∠XYZ + ∠ZYQ
= 64° + 58°= 122°
आत: ∠XYQ = 122° तथा प्रतिवर्ती ∠QYP = 302°

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 6 रेखाएँ और कोण Ex 6.1

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण मुहावरे और लोकोक्तियाँ

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण मुहावरे और लोकोक्तियाँ Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण मुहावरे और लोकोक्तियाँ

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण मुहावरे और लोकोक्तियाँ Questions and Answers

मुहावरे की परिभाषा:

‘मुहावरा’ का अर्थ है अभ्यास। कभी-कभी निरंतर प्रयोग एवं अभ्यास से कोई उक्ति विशेष चमत्कारपूर्ण अर्थ देने लगती है। अतः ऐसा वाक्यांश जो सामान्य अर्थ की प्रतीति न करा कर किसी विशेष अर्थ का बोध कराए, मुहावरा कहलाता है।

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर बहुत-से लोग मुहावरे तथा लोकोक्ति में कोई अंतर ही नहीं समझते। दोनों का अंतर निम्नलिखित बातों से स्पष्ट होता है-

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण मुहावरे और लोकोक्तियाँ

(क)लोकोक्ति लोक में प्रचलित उक्ति होती है जो भूतकाल का लोक-अनुभव लिए हुए
होती है, जबकि मुहावरा अपने रूढ़ अर्थ के लिए प्रसिद्ध होता है।
(ख)लोकोक्ति पूर्ण वाक्य होती है, जबकि मुहावरा वाक्य का अंश होता है।
(ग)पूर्ण वाक्य होने के कारण लोकोक्ति का प्रयोग स्वतंत्र एवं अपने-आप में पूर्ण इकाई के रूप में होता है, जबकि मुहावरा किसी वाक्य का अंश बनकर आता है।
(घ)पूर्ण इकाई होने के कारण लोकोक्ति में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं होता, जबकि मुहावरे में वाक्य के अनुसार परिवर्तन होती है।

I. मुहावरे

1. अंगूठा दिखाना साफ इनकार कर देना)-जब मैंने मंदिर के लिए सेठ जी से दान माँगा तो उन्होंने अंगूठा दिखा दिया।
2, अंगारे उगलना(क्रोध में कठोर शब्द कहना)-अपने पुत्र को जुआ खेलते हुए देखकर मोहन अंगारे उगलने लगा।
3. अक्ल पर पत्थर पड़ना बुद्धि भ्रष्ट होना)-तुम्हारी अक्ल पर तो पत्थर पड़ गए हैं, बार-बार समझाने पर भी तुम नहीं मानते।
4. अपनी खिचड़ी अलग पकाना साथ मिलकर न रहना)-भारत के मुसलमान व राजपूत अपनी खिचड़ी अलग पकाते रहे, इसीलिए विदेशी लोग यहाँ शासन जमाने में सफल हो गए।
5. अंधेरे घर का उजाला(इकलौता पुत्र, जिस पर आशाएँ टिकी हों)-मोहन की मृत्यु उसके पिता से सही नहीं जाएगी। वह उनके अँधेरे घर का उजाला था।
6. अंधे की लकडी(एकमात्र सहारा)-सेठ जी के मरने के पश्चात अब यह लड़का ही सेठानी जी के लिए अंधे की लकड़ी है।
7. अपने पैरों पर खड़ा होना आत्म-निर्भर होना)-लालबहादुर शास्त्री ने बाल्यावस्था से ही अपने पैरों पर खड़ा होना सीख लिया था।
8 आंखें खलना(होश आना)-जब सभी कुछ जुए में लुट गया, तब कहीं जाकर उसकी आँखें खुलीं।
9. आंखों का तारा(बहुत प्यारा)-श्याम अपनी माँ की आँखों का तारा है।
10. आंखें फेर लेना(प्रतिकूल होना, पहले-सा प्रेम न रखना)-जब से मेरी नौकरी छूटी है, दोस्तों-मित्रों की तो क्या, घरवालों ने भी मुझसे आँखें फेर ली हैं।
11. आँखें नीली-पीली करना नाराज होना)-तुम व्यर्थ ही आँखें नीली-पीली कर रहे हो, मैंने कोई अपराध नहीं किया है।
12. आंखों से गिरना(सम्मान नष्ट होना)-अपराधी व्यक्ति समाज की ही नहीं, स्वयं अपनी आँखों से भी गिर जाता है।
13. आंसू पोंछना (सांत्वना देना)-कश्मीर से लाखों लोग उजड़ कर बर्बाद हो गए हैं किंतु इन खद्दरधारी नेताओं में से कोई उनके आँसू तक पोंछने नहीं गया।
14. आंच न आने देना (तनिक भी कष्ट न होने देना)-तुम निर्भय होकर अपने कर्तव्य का पालन करो, मैं तुम पर आंच न आने दूंगा।
15. आकाश से बातें करना (बहुत ऊँचा होना)-कुतुबमीनार आकाश से बातें करती है।
16. आकाश को छूना (बहुत ऊंचा होना)-दिल्ली की भव्य अट्टालिकाएं आकाश को छूती नजर आती हैं।
17. आकाश-पाताल एक करना (बहुत परिश्रम करना)-परीक्षा का समय समीप आने पर छात्र आकाश-पाताल एक कर देते हैं।
18. आटे-दाल का भाव मालूम होना (कष्ट अनुभव होना)-पिता ने पुत्र से कहा कि जब अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ेगा तब तुझे आटे-दाल का भाव मालूम होगा।
19. आगे-पीछे फिरना (चापलूसी करना)-अफसरों के आगे-पीछे फिर कर अपना काम निकालने में रामलाल बड़ा दक्ष है।
20. आस्तीन का साँप (धोखा देने वाला साथी)-मित्र, मैं तुम्हें सचेत कर रहा हूँ कि उससे दोस्ती करना हितकर नहीं है। वह आस्तीन का साँप है, तुम्हें मीठी-मीठी बातों में डस लेगा।
21. इधर-उधर की हाँकना (गप्पें मारना)-इधर-उधर की हाँकने से काम नहीं चलता, काम तो करने से ही होता है।
22. ईद का चांद (बहुत कम दिखाई देने वाला)-मित्र, आजकल तो तुम ईद के चाँद हो गए हो। कभी मिलते तक नहीं।
23. उँगली उठाना (लांछन लगाना)-सीता-सावित्री जैसी देवियों के चरित्र पर उंगली उठाना अनुचित है।
24. उलटी गंगा बहाना (विपरीत कार्य करना)-लोग प्रात:काल जल्दी उठ कर पढ़ते हैं, तुम रात-भर पढ़कर प्रातः सोते हो। तुम्हें उलटी गंगा बहाने की क्या सूझी?
25. कंठ का हार होना (बहुत प्रिय होना)-राजा दशरथ कैकेयी को कंठ का हार समझते थे, परंतु उसी ने उनकी पीठ में छुरा घोंप दिया।
26. कमर कसना (तैयार होना)-कमर कस लो; पता नहीं, कब शत्रुओं से लोहा लेना पड़े।
27. कठपुतली होना (पूर्णतः किसी के वश में होना)-प्रायः अच्छे-से-अच्छे पुरुष शादी के बाद पत्नी के हाथों की कठपतली हो जाते हैं।
28. कलेजे का टुकड़ा (बहुत प्रिय)-मां बच्चों को अपने कलेजे का टुकड़ा मानती है, फिर
भी बच्चे माँ का सम्मान नहीं करते।
29. कलेजे पर सांप लोटना (ईर्ष्या से जलना)-जब से मेरे लड़के की नौकरी लगी है, तब से मोहन की माँ के कलेजे पर साँप लोटने लगा है।
30. कलेजा ठंडा होना (संतोष होना)-जिस दिन तुमसे मैं अपनी पराजय का बदला ले लँगा, उस दिन मेरा कलेजा ठंडा होगा।
31. काँटे बिछाना (मार्ग में मुसीबतें खड़ा करना)-रावण ने राम के लिए कितने ही कॉटे बिछाए, किंतु राम ने धैर्यपूर्वक उन काँटों पर चलकर अपना मार्ग प्रशस्त किया।
32. काम आना (वीरगति प्राप्त करना)-गुरु गोविंदसिंह के चारों पुत्र युद्ध में काम आ गए तो भी उनका उत्साह मंद न हुआ।
33. कान भरना (चुगली करना)-किसी ने मेरे विरुद्ध मालिक के कान भर दिए, अतः मुझे नौकरी से निकाल दिया गया है।
34. काया पलट होना (बिल्कुल बदल जाना)-घर के वातावरण से निकल कर छात्रावास का नियमित जीवन जीने से छात्रों की काया पलट हो जाती है।
35. किताब का कीड़ा(हर समय पढ़ते रहना)-किताब का कीड़ा बनने से स्वास्थ्य नष्ट हो जाता है, थोड़ा खेला भी करो।
36. खरी-खोटी सुनाना(बुरा-भला कहना)-खरी-खोटी सुनाने से क्या लाभ, शांति से
समझौता कर लो।
37. खाक में मिल जाना(नष्ट हो जाना)-हिंदू जाति की गरिमा उसके असंगठित होने के कारण खाक में मिल गई।
38. खून खौलना(जोश में आना)-निर्दोष को पिटते देखकर मेरा खून खौल उठा।
39. खिल्ली उड़ाना(हँसी उड़ाना)-अपंग को देखकर खिल्ली उड़ाना भले लोगों का काम नहीं।
40. गुलछरें उड़ाना(मौज उड़ाना)-वह अपने पिता की परिश्रम से अर्जित की हुई संपत्ति के बलबूते पर गुलछरें उड़ा रहा है।
41. गज भर की छाती होना(उत्साहित होना)-पुत्र की सफलता का समाचार सुनकर पिता की छाती गज भर की हो गई।
42. गागर में सागर भरना(बड़ी बात को थोड़े शब्दों में कहना)-बिहारी के संबंध में वह उक्ति पूर्णतया उचित है कि उन्होंने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है।
43. गिरगिट की तरह रंग बदलना(सिद्धांतहीन होना)-आजकल के नेता इतने गिर चुके हैं कि वे नित्य गिरगिट की तरह रंग बदल लेते हैं, इसलिए उनके किसी कथन पर विश्वास नहीं होता।
44. गुदड़ी का लाल(निर्धन परिवार में जन्मा गुणी व्यक्ति)-‘जय जवान, जय किसान’ का उद्घोष करने वाले हमारे स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री लालबहादुर शास्त्री वास्तव में गुदड़ी के लाल थे।
45. घड़ों पानी पड़ जाना (बहुत शर्मिंदा होना)-अपनी ईमानदारी की बातें करने वाले नेताजी को जब मैंने रिश्वत लेते हुए पकड़ा तो उन पर घड़ों पानी पड़ गया।
46. घाव पर नमक छिड़कना(दुखी को और दुखी करना)-वह अनुत्तीर्ण होने के कारण पहले दुखी है, तुम जली-कटी सुनाकर उसके घाव पर नमक छिड़क रहे हो।
47. घी के दिए जलाना(खुशियाँ मनाना)-भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने पर प्रजा ने घी के दिए जलाए थे।
48. घोड़े बेचकर सोना(निश्चित होना)-दिन-भर थकने के बाद मजदूर रात को घोड़े बेचकर सोते हैं।
49. चाँद पर थूकना(निर्दोष पर दोष लगाना)-अरे, उस संत-महात्मा पर व्यभिचार का आरोप लगाना चाँद पर थूकना है।
50. चिराग तले अंधेरा(महत्त्वपूर्ण स्थान के समीप अपराध या दोष पनपना)-महात्मा जी के साथ रहकर भी चोरी करता है। सच है, चिराग तले अंधेरा होता है।
51. चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना (घबरा जाना)-जब चोर ने सामने से आते थानेदार को
अपनी ओर लपकते देखा तो उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ गई।
52. छक्के छुड़ाना (हराना)-भारत ने युद्ध में पक के छक्के छुड़ा दिए।
53. छाती पर साँप लोटना (जलना)-मुझे प्रथम आया देखकर मेरी पड़ोसिन की छाती पर साँप लोट गए।
54. छाती पर मूंग दलना(कष्ट पहुँचाना, सम्मुख अनुचित कार्य करना)-पिता ने नालायक पुत्र को घर से निकाल दिया, फिर भी वह उसी मुहल्ले में रहकर उनकी छाती पर मूंग दलता रहता है।
55. छोटा मुँह बड़ी बात (अपनी सीमा से बढ़कर बोलना)-उस भ्रष्टाचारी लाला द्वारा आदर्शों और सिद्धांतों पर दिया गया भाषण छोटा मुँह बड़ी बात है, और कुछ नहीं।
56. जान पर खेलना (जोखिम उठाना)-आजादी प्राप्त करने के लिए क्रांतिकारी वीर जान पर खेल जाते थे।
57. टका-सा जवाब देना (साफ इनकार करना)-मुसीबत पड़ने पर मैंने उससे थोड़ी-सी सहायता मांगी तो उसने टका-सा जवाब दे दिया। तब से मेरा दोस्ती का भ्रम टूट गया है।
58. टांग अडाना (व्यर्थ में दखल देना)-अपना काम करो, दूसरों के मामलों में क्यों टाँग अड़ाते हो?”
59. टोपी उछालना (अपमानित करना)-बड़े-बूढों की टोपी उछालना भले लोगों का काम नहीं है।
60. डींगें हांकना (शेखियाँ जमाना)-उसे आता-जाता कुछ है नहीं, व्यर्थ में डींगे हाँकता
61. तारे गिनना (व्यग्रता से प्रतीक्षा करना)-प्रेमी अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए तारे गिन रहा है और प्रेमिका को श्रृंगार से फुरसत नहीं।
62. तिल का ताड बनाना (छोटी-सी बात को बढ़ा देना)-अरे, कुछ बात नहीं है। माँ की तो तिल का ताड़ बनाने की आदत है।
63. तती बोलना (बहुत प्रभाव होना)-स्वतंत्रता आंदोलन के समय सारे देश में महात्मा गाँधी की तूती बोलती थी।
64. थक कर चाट जाना (कहकर अपने कथन से हट जाना)-वही व्यक्ति हमारे दिल पर प्रभाव छोड़ पाते हैं, जो अपनी बात पर पक्के रहते हैं। थूक कर चाटने वालों की कोई इज्जत नहीं होती।
6. दाँत कटी रोटी होना (पक्की दोस्ती होना)-तुम मोहन और सोहन में फूट नहीं डाल सकते। उनकी तो दाँत कटी रोटी है।
66. दाल में कछ काला (कुछ रहस्य होना)-दाल में कुछ काला है, तभी तो मेरे समीप पहुंचते ही उन्होंने बातें करना बंद कर दी।
67. दाहिना हाथ (बहुत बड़ा सहायक)-पंडित जवाहरलाल नेहरू महात्मा गाँधी के दाहिने हाथ थे।
68. दिन दनी रात चौगनी उन्नति करना (अधिकाधिक उन्नति करना)-प्रत्येक माँ अपने बेटे को यही आशीर्वाद देती है कि बेटा दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करे।
69. दम दबाकर भागना (डर कर भाग जाना)-पुलिस को आते देखकर चोर दुम दबाकर भाग गया।
70. दर के ढोल सहावने लगना (पूरे परिचय के अभाव में कोई वस्तु आकर्षक लगना)-अपने देश को छोड़कर विदेशों में मत भागो। वहाँ भी कम कष्ट नहीं हैं। याद रखो, दूर के ढोल सुहावने लगते हैं।
71. दो दिन का मेहमान (मरने के बहुत निकट)-यह बूढ़ा आदमी तो अब दो दिन का मेहमान दिखाई देता है।
72. धरती पर पाँव न पडना (अभिमान से भरा होना)-जब से सुबोध मंत्री बना है तब से उसके पाँव धरती पर नहीं पड़ते।
73. नमक हलाल होना (कृतज्ञ होना)-रामू नमक हलाल नौकर है। वह कभी मालिक से धोखा नहीं कर सकता।
74. नानी याद आना (संकट में पड़ना)-भारत-पाक युद्ध में पाक सेना को नानी याद आ गई।
75. नाक रखना (मान रखना)-कठिन समय में सहायता कर उसने समाज में मेरी नाक रख ली।
76. नाक कटना (इज्जत जाना)-चोरी के अपराध में अदालत की ओर से दंडित होने पर उसकी नाक कट गई।
77. नाक पर मक्खी न बैठने देना (अपने पर आक्षेप न आने देना)-अफसर लोग चाहे कितने ही आरोपों से घिरे हों, पर वे अपनी नाक पर मक्खी नहीं बैठने देते। वे चालाकी से साफ निकल जाते हैं।
78. नाक में नकेल डालना (अच्छी तरह नियंत्रण में रखना)-रामलाल की पत्नी उसकी नाक में नकेल डालकर रखती है, परंतु वह उसकी तनिक चिंता नहीं करता।
79. नीचा दिखाना (पराजित करना)-पाकिस्तान ने जब कभी हमारी सीमाओं का उल्लंघन कर हम पर आक्रमण किया, हमने सदैव उसे नीचा दिखाया।
80. पहाड़ टूटना (बहुत भारी कष्ट आ पड़ना)-अरे, जरा-सी खरोंच ही आई है। तुम तो ऐसे रो रहे हो जैसे पहाड़ टूट गया हो।
81. पत्थर की लकीर (पक्की बात)-मैंने जो कुछ भी कहा है, उसे पत्थर की लकीर समझना।
82. पांव उखड़ जाना (स्थिर न रहना, युद्ध में हार जाना)-शिवाजी की छापामार रणनीति से औरंगजेब की सेना के पाँव उखड़ जाते थे।
83. पारा उतरना (क्रोध शांत होना)-मैं जानता हूँ कि माँ का पारा तभी उतरेगा जब वह अपने एकाध बच्चे पर गरज-बरस लेंगी।
84. पापड़ बेलना (कष्ट उठाना)-नौकरी पाने के लिए मैंने कितने ही पापड़ बेले परंतु मुझे सफलता नहीं मिली।
85. पीठ दिखाना (हार कर भागना)-भारतीय वीरों ने युद्ध में मरना सीखा है, पीठ दिखाना नहीं।
86. पैरों तले से जमीन निकल जाना (स्तब्ध रह जाना)-अपने भाई की हृदय-गति रुकने से मृत्यु हुई जानकर उसके पैरों तले से जमीन निकल गई।
87. फूंक-फूंक कर कदम रखना (बड़ी सावधानी से काम करना)-व्यक्ति लाख फूंक-फूंक कर कदम रखे, परंतु जो होनी में लिखा है, वह होकर रहता है।
88. फूला न समाना (बहुत खुश होना)-परीक्षा में सफल होने का समाचार सुनकर छात्र फूला न समाया।
89. बंदर घुड़की (थोथी धमकी)-भारत चीन की बंदर घुड़कियों से डरने वाला नहीं, सैनिक दृष्टि से अब हमारी पूर्ण तैयारी है।
90. बहती गंगा में हाथ धोना (अवसर का लाभ उठाना)-1977 के चुनावों में सरकार के विरोध की ऐसी लहर थी कि उस बहती गंगा में जो भी हाथ धो गया, वह मंत्री या नेता बन गया।
91. बाल की खाल उतारना (बहुत नुक्ताचीनी करना)-व्यर्थ में क्यों बाल की खाल उतार रहे हो, जूता खरीदना हो तो लो, वरना अपनी राह लो। 92. बाल भी बांका न होना (कुछ भी न बिगड़ना)-ईश्वर जिसका रक्षक है, उसका कोई भी बाल बांका नहीं कर सकता।
93. बांसों उछलना (अत्यंत प्रसन्न होना)-इस बार युवक समारोह का आयोजन अपने विद्यालय में होने का समाचार सुनकर छात्र बाँसों उछलने लगे।
94. भीगी बिल्ली बनना (भय के कारण दबकर रहना)-यह रमेश विद्यालय में जितनी डींगें हाँकता है, घर में उतना ही भगी बिल्ली बनकर रहता है।
95. मक्खियाँ मारना (बेकार बैठना)-आज सुबह से लगातार वर्षा होने के कारण सभी व्यापारी बैठे मक्खियाँ मार रहे हैं।
96. माथा ठनकना(शक हो जाना)-घर में चारों ओर छाई चुप्पी को देखकर मेरा माथा ‘ठनका कि कहीं-न-कहीं कोई गड़बड़ अवश्य है।
97. माता का दूध लजाना(कायरता दिखाना)-वीर पुत्र ने अपनी माँ से कहा-“माँ ! युद्धभूमि में माता का दूध लजाना कायरों का काम है, मैं ऐसा कदापि नहीं करूंगा।”
98. मुंह फुलाना (कुपित होना)-क्या कारण है कि आज तुम प्रातः से मुंह फुलाए बैठे
हो।
99. मुंह पीला पड़ना(भयभीत होना)-पिता ने जब पुत्र की चोरी पकड़ ली, तो पुत्र का चेहरा पीला पड़ गया
100. मुंह में पानी भर आना(ललचाना)-गर्म-गर्म हलवा देखकर उसके मुँह में पानी भर
आया।
101. मुट्ठी गरम करना(रिश्वत देना)-बिना मुट्ठी गरम किए आजकल नौकरी नहीं मिलती।
102. रंगा सियार होना(धूर्त, परदापोश व्यक्ति)-तुम उसकी सज्जनता पर मत जाना। वह रँगा सियार है।
103. राई का पहाड़ बनाना(छोटी बात को बढ़ा-चढ़ा कर कहना)-तुम तो राई का पहाड़ बनाकर प्रतिदिन नया झगड़ा खड़ा कर देती हो। 104. लकीर का फकीर होना(पुराने रीति-रिवाजों का दृढ़तापूर्वक पालन करना)-उस पोंगे पंडित को इससे मतलब नहीं कि अमुक रिवाज हितकर है या नहीं। वह तो लकीर का फकीर है।
105. लाल-पीला होना(क्रोध करना)-तुम व्यर्थ में क्यों लाल पीले होते हो, पहले यह । तो जान लो कि मैं देरी से आया क्यों हूँ?
106. वेद वाक्य मानना (सत्य मानना, ईश्वर की वाणी मानना)-गाँधी जी का भारतीय जनता पर ऐसा प्रभाव था कि लोग उनके वचनों को वेद वाक्य मानते थे।
107. सिर से पानी गजर जाना (सहनशीलता की सीमा टूट जाना)-भारतीय जनता इतनी सहनशील है कि सिर से पानी गुजर जाने पर भी हिंसक नहीं होती।
108. सिर पर खून सवार होना (किसी की जान लेने पर उतारू होना)-व्यर्थ उससे क्यों उलझते हो, उसके सिर पर तो सदैव खून सवार रहता है।
109. सिर पर चढना (गुस्ताख बनाना)-बच्चों को सिर पर चढ़ाना ठीक नहीं है।
110. श्रीगणेश करना(आरंभ करना)-नया वर्ष आरंभ हो गया है, अतः अभी से अगली कक्षा की पढ़ाई का श्रीगणेश कर दो।
111. हवा लगना(असर पड़ना)-इस निर्धन स्त्री को भी जमाने की हवा लग गई है। घर में खाने को है नहीं, फिर भी देखो कितना शृंगार किए हैं।
112. हथियार डालना(हार मान लेना)-पंजाब के आतंकवादियों ने लंबे संघर्ष से थककर हथियार डाल दिए हैं।
113. हाथ धोकर पीछे पडना (किसी को परेशान करने के लिए हमेशा तैयार रहना)-जब से प्राचार्य ने छात्रों को डराया-धमकाया है, तब से वे हाथ धोकर प्राचार्य के पीछे पड़ गए हैं।
114. हाथ मलना (पश्चाताप करना)-परिश्रम न करने के कारण यदि तुम अनुत्तीर्ण हो गए तो हाथ मलते रह जाओगे।
115. हाथ फैलाना (भीख मांगना)-वह गरीब हुआ तो क्या हुआ ? उसने किसी के सामने हाथ न फैलाकर परिश्रम करना सीखा है।

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण मुहावरे और लोकोक्तियाँ

II. लोकोक्तियाँ

1. अंत भले का भला (अच्छे काम का परिणाम अच्छा ही होता है)-उसने तुम्हें कितनी ही हानि पहुँचाई हो, परंतु तुम सदैव उसके लाभ की बात ही सोचो क्योंकि ‘अंत भले का भला।
2. अंधी पीसे कुत्ता खाए (कमाए कोई, खाए कोई)-हमारे समाज में ‘अंधी पीसे कुत्ता खाए’ वाली स्थिति है। मेहनत मजदूर करता है और उसकी कमाई पर पूँजीपति विलासिता का जीवन व्यतीत करता है।
3. अपनी-अपनी उपली अपना-अपना राग (सबका अलग-अलग मत होना)-कई विरोधी दल होने के कारण कोई किसी की नहीं सुनता, सबकी अपनी-अपनी ढपली अपना-अपना राग’ है।
4..अधजल गगरी छलकत जाए (थोड़ा ज्ञान या धन रखने वाले अधिक अभिमान का प्रदर्शन करते हैं)-इस किसान के पास कुल पाँच बीघे जमीन है, परंतु भूमिपति होने की डींग मारता फिरता है। इसे ही कहते हैं- अधजल गगरी छलकत जाए।’
5. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता (अकेला आदमी कुछ नहीं कर सकता)-मैंने इस संस्था को ऊँचा उठाने के लिए जी जान एक कर दिया परंतु मेरे अकेले के किए क्या हो सकता है ? अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
6. अकेली मछली सारा तालाब गंदा कर देती है (दुष्ट आदमी सारे वातावरण को दूषित कर देता है)-मैंने पहले कहा था कि उस दुष्ट नरेश को सभा में मत बुलाओ। उसने आकर सारी सभा में गड़बड़ मचा दी। तुम जानते नहीं अकेली मछली सारा तालाब गंदा कर देती है।
7. अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत (पहले परिश्रम न करके बाद में व्यर्थ पछताना)-पहले तो तुम मौज से सोते रहे, अब अनुत्तीर्ण होने पर पछता रहे हो। अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।
8. अशर्फियों लटें कोयलों पर मोहर (बड़े-बड़ें खौँ पर तो ध्यान न देना और छोटे-छोटे खचों के लिए कंजूसी दिखाना)-तुमने लड़के की शादी में तो अनाप-शनाप खर्च कर डाला, परंतु आज मित्रों को पार्टी देने में इतना संकोच ! वाह ! ‘अशर्फियाँ लुटें कोयलों पर मोहर’।
9. अपना हाथ जगन्नाथ (स्वयं का कार्य सबसे अच्छा होता है)-प्रिय रमेश ! मेरी तुम्हें यही सलाह है कि सरकारी नौकरी का लोभ छोड़कर अपना काम-धंधा करो। अपना हाथ जगन्नाथा
10. आप भला तो जग भला (अच्छे को सभी अच्छे लगते हैं)-युधिष्ठिर ने हर किसी में अच्छाई के दर्शन किए जबकि दुर्योधन को सब लोग दुष्ट नजर आते थे। सच ही कहा है-आप भला तो जग भला।
11. आधी छोड़ सारी को धावै, आधी मिले न सारी पावै (लालच छोड़कर थोड़े में ही संतोष करना चाहिए, लालची को कुछ भी नहीं मिलता)-मुझे दस रुपए वाले शेयर के बीस मिल रहे थे, लेकिन मैं तीस पाने के चक्कर में बैठा रहा। अब उसके कोई सात रुपए भी नहीं देता। सच ही कहा है-आधी छोड़ सारी को धावै, आधी मिले न सारी पावै।
12. आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास (आवश्यक कार्य को छोड़कर अनावश्यक कार्य में उलझ जाना)-मैं पुस्तकालय में निबंध खोजने गया था, किंतु वहाँ जाकर कहानियाँ पढ़ने लगा। वही बात हुई-आए थे हरिभजन को ओटन लगे कपास।
13. आगे कुआँ पीछे खाई (सभी ओर से विपत्ति आना)-शोभा आजकल विपत्तियों से घिरी है। ससुराल में सास ताने देती है-और मायके में भाभी दुत्कारती-फटकारती है। बेचारी की यह स्थिति है-‘आगे कुआँ पीछे खाई।’
14. आम के आम गुठली के दाम (दोहरा लाभ)-अखबार पढ़ भी लिए, फिर रद्दी में बेचकर दाम भी प्राप्त किए। इसे कहते हैं-‘आम के आम गुठली के दाम।’
15. ऊँट के पंह में जीरा (आवश्यकता अधिक लेकिन मिलना बहुत कम)-पहलवान को दो रोटी खिलाना तो ऊँट के मुँह में जीरा देने वाली बात है।
16 ऊंची दकान फीका पकवान(दिखावा अधिक और तत्त्व कम)-नाम तो है ‘सुगंधित मिष्ठान भंडार’ पर मिठाई में से दुर्गंध आ रही है। इसी को कहते हैं-‘ऊंची दुकान फीका पकवान।’
17. उल्टा चोर कोतवाल को डॉटे(अपना दोष स्वीकार न करके पूछने वाले को दोषी ठहराना)-एक तो मेरी पुस्तक चुराई, दूसरे अपराध स्वीकार करने की अपेक्षा मुझे ही आँखें दिखाता है। ‘उल्टा चोर कोतवाल को डॉटे’।
18. एक तंदरुस्ती हजार नियामत(स्वास्थ्य बहुत बड़ी चीज है)-मेरे पास करोड़ों रुपया हुआ तो क्या हुआ। बीमारी के कारण बिस्तर से उठा तक नहीं जाता। सच ही कहा है-एक तंदुरुस्ती हजार नियामत।
19. एक तो चोरी, दसरे सीना जोरी(अपराधी होकर उलटे अकड़ दिखाना)-एक तो मुझे टक्कर मारी। ऊपर से गुर्राता है। वाह रे ! एक तो चोरी, दूसरे सीना जोरी।
20. एक तो करेला कडुआ दूसरे नीम चढा(स्वाभाविक दोषों का किसी कारण से बढ़ जाना)-राम जुआरी तो था ही, अब शराबी की संगत में रहने लग गया। इसी को कहते हैं- एक तो करेला कडुआ दूसरे नीम चढ़ा।’
21. एक हाथ से ताली नहीं बजती(झगड़े में दोनों पक्ष कारण होते हैं)-मैं कैसे मान लूँ कि तुमने राम को अपशब्द नहीं कहे और उसने तुम्हें पीट दिया। एक हाथ से कभी ताली नहीं बजती।
22. एक म्यान में दो तलवारें समा नहीं सकती एक वस्तु के दो समान अधिकारी नहीं हो सकते)-नीलिमा को जब यह पता चला कि उसके पति की पहली पत्नी अभी जीवित है तो उसने अपने पति को स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि एक म्यान में दो तलवारें नहीं समा सकती।
23. एक अनार सौ बीमार(एक वस्तु के अनेक ग्राहक)-यहाँ विद्यालय में एक स्थान रिक्त है, किस-किस को रखू ? स्थिति तो ठीकं वैसी ही है कि एक अनार सौ बीमार।
24. एक पंथ दो काज(एक काम से दोहरा लाभ)-मुझे दफ्तर के काम से पटना जाना ही है, तुम्हारी भाभी से भी मिलता आऊँगा। एक पंथ दो काज हो जाएंगे।
25. एक अकेला दो ग्यारह(एकता लाभदायक होती है)-मैं अकेला था तो उत्साहहीन होकर काम कर रहा था। तुम्हारे आने से मेरा उत्साह कई गुना बढ़ गया है। सच ही कहा है एक अकेला दो ग्यारहा
26. ओछे की प्रीत बाल की भीत(दुष्ट व्यक्तियों की मित्रता शीघ्र समाप्त हो जाती है)-वह तो अपना उल्लू सीधा करने के लिए आपका मित्र बना था, काम बनते ही चल निकला। सच कहा है, ओछे की प्रीत बालू की भीत।
27. ओखली में सिर दिया तो मसलों से क्या डर(किसी कार्य को करने की ठान ली तो कष्टों से क्या डरना)-जब समाज-सुधार का बीड़ा उठाया है, तो विरोध तथा अपवाद झेलने ही पड़ेंगे, ‘ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डर।’
28. कंगाली में आटा गीला(दुखी व्यक्ति पर और दुख आना)-वह पहले से विधवा थी। अब उसका इकलौता पुत्र भी चल बसा। कहते हैं न, कंगाली में आटा गीला।
29.कबह निरामिष होय न कागा दुष्ट दुष्टता नहीं छोड़ता)-मैंने रंगा की मीठी-मीठी बातों में आकर उस पर विश्वास कर लिया, किंतु उसने अवसर आने पर अपनी दुष्टता दिखा ही दी। सच कहा है, कबहुँ निरामिष होय न कागा।
30. कहाँ राजा भोज कहाँ गंग वेली (दो असमान व्यक्तियों की तुलना)-अरे ! तुम अपने सरपंच को महात्मा गाँधी के साथ मिला रहे हो। यह भी कोई बात हुई। कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली।
31. कभी नाव गाड़ी पर कभी गाड़ी नाव पर (एक-दूसरे की सहायता लेनी ही पड़ती है)-जीवन भर माँ-बाप बच्चे की सहायता करते रहे। आज वही माँ-बाप बच्चे की सहायता से दिन काट रहे हैं। यह तो ऐसा ही है-कभी नाव गाड़ी पर कभी गाड़ी नाव पर।
32. कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा (असंगत वस्तुओं का मेल बैठाना, बिना सिर-पैर का काम करना)-अरे, जनता दल भी कोई दल है। इसमें किसी के विचार दूसरे से नहीं मिलते। ‘कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा भानुमती ने कुनबा जोड़ा’ वाली कहावत इस पर खरी उतरती है।
33. काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती (बेईमानी बार-बार नहीं,चलती)-दूधिया दूध में प्रतिदिन पानी मिलाता था, एक दिन रंगे हाथों पकड़ा ही गया। ठीक ही कहा है-काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती।
34. काला अक्षर भैंस बराबर (बिल्कुल अनपढ़)-रामलाल बिल्कुल अनपढ़ है। वास्तव में उसके लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर है।
35. का बरर्खा जब कृषि सुखाने (काम बिगड़ने पर सहायता व्यर्थ होती है)-रोगी के मरने के पश्चात् डॉक्टर वहाँ पहुँचा, अब क्या करना था? का बरखा जब कृषि सुखाने।
36. कोयले की दलाली में मुंह काला (दुर्जनों की संगति से कलंक लगता है)-चोर की संगति में रहने के कारण निर्दोष श्याम भी पुलिस की गिरफ्त में आ गया। कोयले की दलाली । में मुंह काला होता ही है। –
37. खग जाने खग की भाषा (चालाक ही चालाक की भाषा समझता है)-ये दोनों बच्चे न जाने इशारों में क्या बातें करते हैं! मुझे तो कुछ भी समझ में नहीं आता। खग जाने खग की भाषा।
38. खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है (बुरी संगति का प्रभाव अवश्य पड़ता है)-कॉलेज में जाते ही मेरा भोला-भाला भाई न जाने क्या अफलातून हो गया है। जब देखो, फिल्म, वीडियो की बातें करते हुए उसका मन नहीं भरता। सच ही है, खरबूजे को देखकर खबूजा रंग बदलता है।
39. खिसियाई बिल्ली खंभा नोचे (अपनी शर्म छिपाने के लिए व्यर्थ का काम करना, अपनी खीझ निकालना)-श्रीमान् शर्मा जी अपने बॉस से तो कुछ कह नहीं पाए। अब घर आकर पत्नी पर गुस्सा निकाल रहे हैं। खिसियाई बिल्ली खंभा नोचे।
40. खोदा पहाड़ निकली चुहिया (परिश्रम अधिक, फल कम)-ज्योतिषी के कहने पर सारा घर खोद डाला, पर निकली केवल एक पीतल की लुटिया ही। क्या बताऊँ खोदा पहाड़ निकली चुहिया।
41. गंगा गए तो गंगादास, जमना गए तो जमनादास (परिस्थिति के अनुसार विचार बदलने वाला अस्थिर व्यक्ति)-आजकल के नेताओं का कोई एक सिद्धांत नहीं है। वे निपट अवसरवादी हैं। गंगा गए तो गंगादास, जमना गए तो जमनादास।
42. गुरु गुड़ ही रहे, चेले शक्कर हो गए (चेला गुरु से भी आगे बढ़ गया)-शास्त्री जी उसी विद्यालय में संस्कृत पढ़ा रहे हैं, जबकि उनका पढ़ाया हुआ छात्र विद्यालय शिक्षा बोर्ड का चेयरमैन हो गया है। सच ही कहा है-गुरु गुड़ ही रहे, चेले शक्कर हो गए।
43. घर फूंक तमाशा देखना (शान के लिए औकात से बाहर खर्च करना)-लड़की वाले बेचारे क्या करें। उनहें बरात तथा लड़के वालों को प्रसन्न करने के लिए घर फूंक तमाशा देखना ही पड़ता है।
44. चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए(बहुत कंजूस होना)-भला यह सेठ मंदिर के निर्माण के लिए क्या दान देगा? इसका तो यह हाल है, चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए।
45. चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात(थोड़े दिन की मौज, फिर वही कष्ट)-बच्चू अशोक, हो लो खुश शादी के अवसर पर। खुश होने का यही अवसर है। चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी राता
46. चोर के पैर नहीं होते (पापी सदा भयभीत रहता है)-चोरी के संबंध में पूछताछ करने पर मोहन का मुंह पीला पड़ गया। ठीक ही कहा गया है-‘चोर के पैर नहीं होते।
47. चोर की दाढ़ी में तिनका (अपराधी व्यक्ति हमेशा सशंकित रहता है)-इधर घर में चोरी हुई। उधर नौकर गायब हो गया। मैं समझ गया कि चोरी में नौकर का हाथ अवश्य है। चोर की दाढ़ी में तिनका।
48. चौबे गए छब्बे बनने, दूबे ही रह गए (लाभ के स्थान पर हानि होना)-मैंने सोचा था कि इस बार भारत विश्व कप जीतकर लाएगा परंतु हमारी टीम प्रतियोगिता में सबसे पीछे । रह गई। चौबे गए छब्बे बनने, दूबे ही रह गए।
49. छछंदर के सिर में चमेली का तेल (किसी अयोग्य व्यक्ति को ऐसी वस्तु मिल जाना जिसके वह योग्य नहीं है)-सरस्वती जैसी गुणवती और रूपवती कन्या का विवाह अनपढ़ अनिल
के साथ ! यह तो ऐसे ही हुआ जैसे छडूंदर के सिर में चमेली का तेल।
50. जंगल में मोर नाचा, किसने देखा (योगयता एवं वैभव का ऐसे स्थान पर प्रदर्शन जहाँ कद्र करने वाला कोई न हो)-भाई पहलवान जी, माना तुम विश्व के सर्वाधिक शक्तिशाली पहलवान हो परंतु यहाँ गाँव में पड़े रहने से क्या लाभ ? जंगल में मोर नाचा, किसने देखा। जरा किसी प्रसिद्ध प्रतियोगिता में अपने हाथ दिखाओ।
51. जल में रहकर मगरमच्छ से बैर (आश्रय देने वाले से बैर करना)-प्राचार्य महोदय की अब कुशल नहीं। प्रबंधक समिति के सदस्य उन्हें अवश्य नौकरी से निकाल देंगे। ‘जल में रहकर मगरमच्छ से बैर अच्छा नहीं होता।’
52. जाके पैर न फटे बिवाई सो क्या जाने पीर पराई (जिसने दुख नहीं भोगा, वह दुखी जनों का कष्ट नहीं समझ सकता)-आलीशान कोठियों में रहने वाले सफेदपोश लोग तो खोखले नारे लगाते हैं। वे गरीबों के कष्टों को क्या समझें? जाके पैर न फटे बिवाई सो क्या जाने पीर । पराई।
53. जाको राखे साइयाँ मार सके ना कोय (जिसका भगवान रक्षक है, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता)-बच्चा चलती रेलगाड़ी से गिरने के बाद भी बच गया। सच है, जाको राखे साइयाँ मार सके ना कोय।
54. जिसकी लाठी उसकी भैंस (बलवान की ही विजय होती है)-वह धन-जन के बल पर संसद सदस्य बन ही गया। किसी ने ठीक ही कहा है, जिसकी लाठी उसकी भैंस।
55. जिस पत्तल में खाना, उसी में छेद करना (अपने हितैषी को हानि पहुँचाना)-रामलाल ने तुम्हें नौकरी दिलवाई, अब उसी की दूसरों के सामने बुराई करते हो। तुम्हारा तो यह किसाब है-‘जिस पत्तल में खाना, उसी में छेद करना।’
56. जैसी करनी वैसी भरनी (किए का फल भोगना पड़ेगा)-उसने जीवन भर चोरी-डकैती करके लोगों को परेशान किया। अब उसके लड़के उसी पर हाथ साफ कर रहे हैं। अब इस पर क्या कहूँ ? जैसी करनी वैसी भरनी।

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण मुहावरे और लोकोक्तियाँ

Bihar Board Class 11 Economics Solutions Chapter 3 उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण-एक समीक्षा

Bihar Board Class 11 Economics Solutions Chapter 3 उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण-एक समीक्षा Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Economics Solutions Chapter 3 उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण-एक समीक्षा

Bihar Board Class 11 Economics उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण-एक समीक्षा Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
भारत में आर्थिक सुधार क्यों आरम्भ किए गए?
उत्तर:
निरन्तर बढ़ती हुई कीमतों, बढ़ते हुए बजटीय घाटे, घटती हुई विनिमय दर, बढ़ते हुए व्यापार घाटे और भुगतान संकट, देश का ऋण जाल में फंसना आदि कुछ ऐसे कारण थे जिनके कारण भारत में आर्थिक सुधार आरम्भ किए गए।

Bihar Board Class 11th Economics Solutions Chapter 3 उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण-एक समीक्षा

प्रश्न 2.
विश्व व्यापार संगठन के कितने सदस्य देश हैं?
उत्तर:
वर्तमान समय में विश्व व्यापार संगठन के 133 सदस्य देश हैं।

प्रश्न 3.
नई आर्थिक नीति की घोषणा कब की गई?
उत्तर:
नई आर्थिक नीति की घोषणा जुलाई 1991 में की गई।

प्रश्न 4.
रिजर्व बैंक व्यावसायिक बैंकों पर किस प्रकार नियंत्रण रखता है?
उत्तर:
रिजर्व बैंक विभिन्न नियमों तथा कसौटियो के माध्यम से व्यावसायिक बैंकों के कार्यों का नियमन करता है। रिजर्व बैंक ही तय करता है कि कोई बैंक अपने पास कितनी मुद्रा जमा रख सकता है। विभिन्न क्षेत्रकों को उधार देने की प्रकृति को यही तय करता है।

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प्रश्न 5.
रुपयों के अवमूल्यन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जब किसी विशेष उद्देश्य से दूसरे देश की मुद्रा की तुलना में एक देश की मुद्रा की विनिमय दर घटाकर उसके मूल्य को कम कर दिया जाता है तो इस प्रक्रिया को अवमूल्यन कहते हैं। अवमूल्य में मुद्रा का बाह्य मूल्य कम होता है किन्तु अवमूल्यन के बाद मुद्रा का आन्तरिक मूल्य कम नहीं होता है।

प्रश्न 6.
इसमें भेद करें।

  1. युक्तियुक्त और अल्पांश विक्रय (Strategic and Minority sale)
  2. द्वितीयक और बहुपक्षीय व्यापार (Bilateral and Multilateral trade)
  3. प्रशुल्क एवं प्रशुल्क अवरोधक (Tariff and Non tariffs barriers)

उत्तर:
1. युक्तियुक्त और अल्पांश विक्रय में अंतर:
कोई कंपनी जब अपने सभी अंश। (शेयरों) का विक्रय किसी अन्य कंपनी को हस्तांतरित करती है तो यह युक्तियुक्त विक्रय है जबकि कंपनी अपने अंशों (शेयरों) को बाजार में जनता के लिए विक्रय करती है तो यह अल्पांश विक्रय कहलाता है।

2. द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार में अंतर:
दो पक्षों के बीच में होने वाले व्यापारों को द्विपक्षीय व्यापार कहते हैं। इसके विपरीत दो से अधिक देशों के बीच में होने वाले व्यापार को बहुपक्षीय व्यापार कहते हैं।

3. प्रशुल्क एवं अप्रशुल्क अवरोधकों में अंतर:
शुल्क के द्वारा आयात तथा निर्यात का अवरोध प्रशुल्क अवरोध कहलाता है जबकि कोटा तथा अन्य कारणों से आयात तथा निर्यात का अवरोध गैर-शुल्क अवरोध कहलाता है।

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प्रश्न 7.
प्रशुल्क (Tariffs) क्यों लगाये जाते हैं?
उत्तर:
घरेलू उद्योग को विदेशी उद्योगों से संरक्षण देने के लिये प्रशुल्क लगाये जाते हैं।

प्रश्न 8.
परिमाणात्मक प्रतिबंधों का क्या अर्थ होता है?
उत्तर:
पमिाणात्मक प्रतिबंधों से अभिप्राय निश्चित मात्रा से अधिक वस्तुओं तथा सेवाओं का आयात न होना।

प्रश्न 9.
लाभ काम रहे सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण कर देना चाहिए?
उत्तर:
लाभ कमा रहे सार्वजनिक उपक्रमों से होने वाले लाभों से वंचित हो जायेगी। इससे समाजवाद की भावना को आघात लगेगा। सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम में कार्यरत कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा।

प्रश्न 10.
क्या आपके विचार से बाह्य प्रापण भारत के लिए अच्छा है? विकसित देशों में इसका विरोध क्यों हो रहा है?
उत्तर:
हाँ, सेवाओं का बाह्य प्रापण से भारत को रोजगार के अवसर प्राप्त हो रहे हैं। दूसरे देशों का पैसा भारत में आ रहा है और भारतीय लोग कम दाम पर दूसरे देशों को दक्षतापूर्ण सेवायें प्रदान कर रहे हैं।

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प्रश्न 11.
भारतीय अर्थव्यवस्था में कुछ विशेष अनुकूल परिस्थितियाँ हैं जिनके कारण यह विश्व का बाह्य केन्द्र बन रहा है। अनुकूलन परिस्थितियाँ क्या हैं?
उत्तर:
गुण (Advantage):
भारतीय दूसरों को सेवा बाँटने में कुशल हैं। वे सही ढंग से तथा ये कम कीमत पर दूसरों को सेवाएं प्रदान कर सकते हैं। भारत में कुशल कर्मचारी काफी मात्रा में हैं।

प्रश्न 12.
क्या भारत सरकार की नवरल नीति सार्वजनिक उपक्रमों के निष्पादन को सुधारने में सहायक रही हैं? कैसे?
उत्तर:
भारत सरकार की नवरत्न नीति सार्वजनिक उपक्रमों के निष्पादन को सुधारने में काफी सहायक रही है। विद्वानों का कहना है कि नवरत्नों के प्रसार को बढ़ावा देकर इन्हें विश्वस्तरीय। निकाय बनाने के स्थान पर सरकार ने विनिवेश द्वारा आशिक रूप से इनका निजीकरण किया हे और उन्हें वित्तीय बाजार से स्वयं संसाधन जुटाने और विश्व बाजारों में अपना विस्तार करने के योग्य बनाया है।

प्रश्न 13.
सेवा क्षेत्रक के तीब्र विकास के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
सेवा क्षेत्रक उदारीकरण के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ एकदम नवीन क्षेत्र है। इसके अन्तर्गत अनेक व्यवसायों को सम्मिलित कर लिया गया है जिन्हें सेवा क्षेत्र नाम दिया गया है। जैसे कोरियर सर्विस आदि। सेवा क्षेत्र के तीव्र विकास के लिए उत्तरदायी कारणों में प्रमुख हैं संचार व यातायात की सुविधाएँ, बैंकिंग की आधुनिक सुविधाएँ व सरकार की उदारवादी नीति।

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प्रश्न 14.
सुधार प्रक्रिया तथा कृषि क्षेत्रक दुष्प्रभावित हुआ लागत है। क्यों?
उत्तर:
सुधार कार्यों से कृषि को कोई लाभ नहीं हो पाया है जिससे कृषि की संवृद्धि दर कम होती जा रही है। सुधार प्रक्रिया से कृषि क्षेत्रक काफी दुष्प्रभावित हुआ है। यह निम्नलिखित तत्त्वों तथा तथ्यों से स्पष्ट है –

1. सार्वजनिक व्यय में कमी:
सुधार अवधि में कृषि क्षेत्रक में सार्वजनिक व्यय विशेषकर आधारिक संरचना (सिंचाई, बिजली, सड़क निर्माण, बाजार सम्पर्क तथा शीघ्र प्रसार) पर व्यय में काफी कमी आई है। इससे कृषि क्षेत्रक काफी दुष्प्रभावित हुआ है।

2. उर्वरक सहायिकी की समाप्ति:
सुधार काल में उर्वरक सहायिकों को समाप्त कर दिया गया। इससे उत्पादन लागतों में वृद्धि हुई। इसका छोटे और सीमांत किसानों पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ा।

3. विदेशी स्पर्धा का सामना:
विश्व व्यापार संगठन की स्थापना के कारण कृषि उत्तम में आयात शुल्क की कटौती की गई। न्यूनतम समर्थन मूल्यों को समाप्त कर दिया गया: अतिरिक्त इन पदार्थों के आयात पर परिमाणात्मक प्रबंध हटाए गए । इन सबके कारण भारत के किसानों को विदेशी स्पर्धा का सामना करना पड़ा जिसका उन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।

4. खाद्यान्नों की कीमतों में वृद्धि:
उत्पादन व्यवस्था निर्यातोन्मुखी हुई। आन्तरिक उपभोग की खाद्यान्न फसलों के स्थान पर निर्यात के लिए नकदी फसलों पर बल दिया गया। इससे देश में खाद्यान्नों की कीमतों में वृद्धि हुई।

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प्रश्न 15.
सुधार काल में औद्योगिक क्षेत्रक के निराशाजनक निष्पादन के क्या कारण रहे हैं?
उत्तर:
सुधार काल में औद्योगिक क्षेत्रक के निराशाजनक निष्पादन के अग्रलिखित कारण रहे हैं –

1. वैश्वीकरण के कारण विकासशील देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को विकसित देशों की। वस्तुओं और पूँजी प्रवाहों को प्राप्त करने के लिए खोल देने के लिए बाध्य हैं और उन्होंने अपने उद्योगों का आयातित वस्तुओं से प्रतिस्पर्धा का खतरा मोल ले लिया। सस्ते आयातों ने घरेलू वस्तुओं की मांग को प्रतिस्थापित कर दिया है।

2. बिजली की कटौती के कारण बिजली सहित आधारित संरचनाओं की पूर्ति पर्याप्त ही बनी रही। इससे औद्योगिक क्षेत्र के उत्पादन में कमी आई।

3. भारत ने वस्त्र परिधान आदि के व्यापार से सभी कोटा आदि के प्रतिबंध हटा दिए थे, पर अभी भी संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत और चीन से सभी कोटा प्रतिबंध नहीं हटाये हैं। फलस्वरूप भारत को विद्यमान उच्च अप्रशुल्क अवरोधकों के कारण अमेरिका तथा अन्य विकसित देशों में प्रवेश के उपयुक्त अवसर भी नहीं मिल पा रहे।

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प्रश्न 16.
सामाजिक न्याय और जन कल्याण के परिप्रेक्ष्य में भारत के आर्थिक सुधारों पर चर्चा करें।
उत्तर:
भारत के आर्थिक सुधार भारत में आर्थिक सुधार के परिणामस्वरूप आर्थिक विकास की दर में वृद्धि हुई। औद्योगिक क्षेत्र की प्रतियोगिता में भी वृद्धि हुई। कीमत वृद्धि पर नियंत्रण हुआ। लघु उद्योगों का भी विकास हुआ। सुधारकाल की अवधि में कुल मिलाकर संवृद्धि दरों में कमी आई है, किन्तु सेवा क्षेत्रक की संवृद्धि दर में सुधार हुआ। इसी समय कृषि और उद्योगों की संवृद्धि दर में अच्छा सुधार हुआ है। दसवीं पंचवर्षीय योजना में सकल घरेलू उत्पाद दर के 8% लक्ष्य रखा गया है।

अर्थव्यवस्था के खुलने से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश तथा विदेशी विनिमय रिजर्व में तेजी से वृद्धि हुई है। अब भारत वाहन कल-पुर्जे, इंजीनियरिंग उत्पादों, सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों और वस्त्रादि का एक सफल निर्यातक के रूप में विश्व बाजार में जम गया है। बढ़ती कीमतों पर भी नियंत्रण रखा गया है। यद्यपि सकल घरेलू उत्पाद में संवृद्धि हुई है परंतु फिर भी भी रोजगार के पर्याप्त अवसरों का सृजन न हो सका। आर्थिक सुधारों से कृषि काफी प्रभावित हुई है। औद्योगिक क्षेत्र मैं संवृद्धि दर में कोई विशेष वृद्धि नहीं हुई है। सार्वजनिक उपक्रमों के बेचने से सरकार को बहुत घाटा उठाना पड़ा है। सुधारों से उच्च वर्ग की आमदनी में वृद्धि हुई है। आय तथा सम्पत्ति के। असमान वितरण में वृद्धि हुई है।

Bihar Board Class 11 Economics उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण-एक समीक्षा Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
विनिवेश से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विनिवेश से अभिप्राय है सरकारी उपक्रमों की पूंजी के एक भाग को निजी पूंजीपतियों को बेचना।

प्रश्न 2.
वैश्वीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वैश्वीकरण से अभिप्राय है घरेलू अर्थव्यवस्था का शेष संसार के साथ एकीकरण । अथवा समन्वय करना जिससे विभिन्न अर्थव्यवस्थाएँ एक दूसरे के साथ जुड़ जाएँ।

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प्रश्न 3.
आर्थिक सुधारों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आर्थिक सुधारों से अभिप्राय है वर्तमान आर्थिक नीतियों एवं व्यवस्था में सुधार लाना तथा उनमें आवश्यक अदल-बदल करना ताकि अर्थव्यवस्था के निर्धारित लक्ष्यों का सरलता से प्राप्त किया जा सके।

प्रश्न 4.
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
इसे विदेशी पूंजी निवेश भी कहते हैं। इसमें विदेशी कम्पनियों, फर्मों और व्यक्तियों से लिए गए ऋण आते हैं। इस निवेश का उद्देश्य लाभ कमान होता है। यह निवेश उन कार्यों में किया जाता है जिनमें अधिक से अधिक लाभ प्राप्त होने की सम्भावना हो। बहुराष्ट्रीय नियम अल्पविकसित देशों में अपनी शाखा और कार्यालय खोलते हैं। इसमें ऋण वापस करने जैसी समस्याएं नहीं होती।

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प्रश्न 5.
नई आर्थिक नीति की घोषणा कब की गई?
उत्तर:
नई आर्थिक नीति की घोषणा जुलाई 1991 में की गई।

प्रश्न 6.
आर्थिक उदारीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आर्थिक उदारीकरण से अभिप्राय है कि सभी व्यक्तियों को अपने आवश्यकतानुसार निजी आर्थिक निर्णय लेने की स्वतंत्रता।

प्रश्न 7.
निजीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
निजीकरण से अभिप्राय है कि आर्थिक प्रणाली से निजी उपक्रम एवं पूंजी की भूमिका निरन्तर बढ़ती जाएगी और समान अनुपात में सरकार की भूमिका कम हो जायेगी।

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प्रश्न 8.
विराष्ट्रीयकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विराष्ट्रीयकरण से अभिप्राय है कि सरकारी उपक्रमों की पूंजी का स्वामित्व निजी पूँजीपतियों को सौंपना।

प्रश्न 9.
नई आर्थिक नीति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
नई आर्थिक नीति से अभिप्राय है जुलाई 1999 के बाद में किये विभिन्न आर्थिक सुधारों से है जिनका उद्देश्य अर्थव्यवस्था में प्रतियोगी वातारण पैदा करके उत्पादकता और कुशलता में वृद्धि करना है।

प्रश्न 10.
नई आर्थिक नीति बनाने की क्यों आवश्यकता पड़ी?
उत्तर:
नई आर्थिक नीति बनाने की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से हुई –

  1. राजकोषीय घाटे में वृद्धि।
  2. प्रतिकूल भुगतान संतुलन मे वृद्धि।
  3. विदेशी भण्डारों में कमी।
  4. कीमातों में वृद्धि।
  5. सार्वजनिक क्षेत्रों में उद्यमों की असफलता।

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प्रश्न 11.
आर्थिक सुधार (नई आर्थिक नीति) के मुख्य तत्व लिखें।
उत्तर:
आर्थिक सुधार के मुख्य तत्व तीन हैं –

  1. उदारीकरण
  2. निजीकरण तथा
  3. विश्वव्यापीकरण

प्रश्न 12.
व्यापार निति सुधार 1991 के क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
व्यापर नीति सुधार 1991 के उद्देश्य थे –

  1. आयात तथा निर्यात पर मात्रात्मक प्रतिबन्धों को शीघ्र अति शीघ्र हटना
  2. प्रशुल्क दरों में कमी लाना तथा
  3. आयात के लिए लाईसेंस प्रक्रिया को समाप्त करना

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प्रश्न 13.
क्या श्रम को स्वतंत्र रूप से प्रवास होने की अनुमति दी जानी चाहिए?
उत्तर:
नहीं श्रम को स्वंतत्र रूप से प्रवास की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

प्रश्न 14.
प्रशुल्क (Traiff) एवं अप्रशुल्क अवरोधक में भेद करें?
उत्तर:
शुल्क के द्वारा आयात तथा निर्यात का अवरोध प्रशुल्क अवरोध कहलता है जबकि कोआ तथा अन्य कारणों से आयात तथा निर्यात को अवरोध गैर-शुल्क अवरोध कहलता है।

प्रश्न 15.
भारत ने आयत पर मात्रात्मक प्रतिबन्ध क्यों लगा रखा था (नई आर्थिक नीति से पहले)?
उत्तर:
घरेलू उद्योगों को संरक्षण देने के लिए भारत ने आयात पर मात्रात्मक प्रतिबन्ध विकास से बहुत कम हुआ।

Bihar Board Class 11th Economics Solutions Chapter 3 उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण-एक समीक्षा

प्रश्न 16.
आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के लिये कई उपाय। अपनाये गये थे। उनमें से कोई तीन उपाय लिखें।
उत्तर:

  1. लाइसेंस तथा पंजीकरण की समाप्ति।
  2. एकाधिकार कानून में छूट।
  3. पूंजीगत पदार्थों के आयत की छुट आदि।

प्रश्न 17.
आंशिक परिवर्तनशीलता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आशिक परिवर्तनशीलता से अभिप्राय है कुछ विदेशी सौदा के लिए बाजार द्वारा निर्धारित कीमत पर विदेशी मुद्रा जैसे डॉलर या पौण्ड को बाजार में खरीदना या बेचना।

प्रश्न 18.
स्वतन्त्र परिवर्तनशीलता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
आंशिक परिवर्तनशीलता से अभिप्राय है कुछ विदेशी सौदों के लिये बाजार द्वारा निर्धारित कीमत पर विदेशी मुद्रा जैसे डॉलर या पौण्ड को बाजार से खरीदना या बेचना।

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प्रश्न 19.
विश्व व्यापक, संगठन की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
विश्व व्यापक संगठन की स्थापना 1915 में हुई।

प्रश्न 20.
विश्व व्यापक संगठन का प्रधान कार्यालय कहाँ है?
उत्तर:
विश्व व्यापक संगठन का प्रधान कार्यालय जेनेवा में है।

प्रश्न 21.
भारत का केन्द्रीय बैंक कौन सा है?
उत्तर:
भारत का केन्द्रीय बैंक भारतीय रिर्जव बैंक (Reserve Bank of India) है।

प्रश्न 22.
ब्रिटेन के केन्द्रीय बैंक को किसे नाम से पुकारा जाता है?
उत्तर:
ब्रिटेन के केन्द्रीय बैंक को बैंक ऑफ इंग्लैण्ड के नाम से पुकारा जाता है।

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प्रश्न 23.
1999 से पूर्व की आर्थिक नीतियों के प्रमुख उद्देश्य लिखे?
उत्तर:
1999 से पूर्व की आर्थिक नीतियों के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे –

  1. ऊँची संवृद्धि दर।
  2. राष्ट्रीय स्वावलंबन।
  3. पूर्ण रोजगार।
  4. आय की असमानताओं में कमी।

प्रश्न 24.
स्थिर विनिमय दर क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
स्थिर विनिमय दर से अभिप्रय उस विनिमय दर से है जो किसी देश के केन्द्र बैंक के द्वारा निश्चित की जाती है।

प्रश्न 25.
भुगतान शेष से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
एक वर्ष की अवधि में किसी देश के द्वारा विदेशों को किये जाने वाले मौद्रिक भुगतानों और उनसे ली जाने वाली मौद्रिक प्राप्तियों के अंतर को भुगतान शेष कहते हैं। भुगतान शेष का रिकार्ड द्विअंकन प्रणाली के आधार पर रखा जाता है।

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प्रश्न 26.
विदेशी पूँजी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विदेशी पूँजी से अभिप्राय अन्य देशों के निवासियों द्वारा एक देश में वित्त के रूप में पूँजी लगाना है। अल्पविकसित देशों में विदेशी पूंजी निवेश आधुनिक प्रौद्योगिकी लाती है और निवेश की कमी को पूरा करती है।

प्रश्न 27.
स्थिर विदेशी विनिमय दर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब किसी देश की मुद्रा की अन्य देशों की मुद्राओं से विनिमय दरें उस देश के केन्द्रीय बैंक द्वारा निश्चित की जाती है तो उसे स्थिर विदेशी विनिमय दर कहते हैं। 1991 तक भारत में विदेशी विनिमय दरें रिजर्व बैंक द्वारा निश्चित की जाती थीं। रिजर्व बैंक द्वारा निश्चित की गई विनिमय दरों को स्थिर विनिमय दर कहते हैं। रिजर्व बैंक ने कई बार स्थिर विनिमय दरों में परिवर्तन किया है।

प्रश्न 28.
वैश्वीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वैश्वीकरण से अभिप्राय है विश्व के विभिन्न देशों में आपसी लेन-देन की मात्रा बढ़ाना जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे के साथ जुड़ जायें, परस्पर आर्थिक निर्भरता तथा आर्थिक एकीकरण में फैलाव आए।

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प्रश्न 29.
सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों में सरकार का विनिवेश से क्या अभिप्राय है? सरकार इन उद्योगों का विनिवेश क्यों कर रही है?
उत्तर:
सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों में सरकार के विनिवेश में अभिप्राय है कि सरकार उद्योगों को निजी क्षेत्र की बेच रही है। परिणामस्वरूप इन उद्यमों का स्वामित्व तथा प्रबंध सरकार के स्थान पर निजी क्षेत्र का हो जायेगा। इन उद्योगों में सरकार के विनिवेश का कारण है कि ये उद्योग घाटे में चल रहे हैं।

प्रश्न 30.
निजीकरण करने के लिए सरकार द्वारा अपनाये गये उपायों से कोई एक उपाय लिखें।
उत्तर:
आर्थिक सुधारों में निजीकरण के लिये किये गये उपायों में से एक उपाय सार्वजनिक क्षेत्र का संकुचन है। भारत के आर्थिक विकास में आरम्भ से ही सार्वजनिक क्षेत्र को प्रमुख स्थान दिया गया था। परंतु नये आर्थिक सुधारों में सार्वजनिक क्षेत्र के लिये सुरक्षित उद्योगों की संख्या 17 से कम करके 4 कर दी गई है।

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प्रश्न 31.
नई आर्थिक नीति के अन्तर्गत किये गये राजकोषीय सुधारों के कोई तीन बिन्दु लिखें।
उत्तर:

  1. कर प्रणाली को अधिक वैज्ञानिक तथा युक्तिपूर्ण बना दिया गया है।
  2. आर्थिक सहायता को कम कर दिया गया है।
  3. विदेशी कंपनियों के लाभ को कम कर दिया गया है।

प्रश्न 32.
ई. बिजनेस का क्या अर्थ है?
उत्तर:
ई. बिजनेस (E-Business) का अर्थ इंटरनेट पर व्यवसाय चलाना है। इसमें न केवल क्रय-विक्रय अपितु ग्राहकों को सेवायें प्रदान व व्यावसायिक साझेदार के साथ सहयोग करना भी शामिल है।

प्रश्न 33.
ई. कॉमर्स की मुख्य धारा के कितने क्षेत्र हैं? इसके नाम लिखें।
उत्तर:
ई कॉमर्स की मुख्यधारा के तीन क्षेत्र हैं –

  1. इलेक्ट्रॉनिक मार्केट (Electronic Market)
  2. इलेक्ट्रॉनिक डाटा इंटचेंज (Electronic Data Interchange)
  3. इंटरनेट कॉमर्स (Internet Commerce).

प्रश्न 34.
ई. कॉमर्स से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ई. कॉमर्स (E-Commerce) से अभिप्राय उन सभी व्यावसायिक लेन-देन से है जो इलेक्ट्रानिक प्रोसेसिंग (Electronic Processing) एवम् आँकड़ों के प्रेषण (Transmission) के माध्यम से पूरे किये जाते हैं।

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प्रश्न 35.
टाटा टी (Tata-tea) ने 2000 में किस कंपनी का अधिग्रहण किया और कितने में?
उत्तर:
भारत की टाटा स्टील ने 2000 में सिंगापुर की नाट स्टील कंपनी को 1245 करोड़ रुपये में खरीदा था।

प्रश्न 36.
टाटा मोटर्स कंपनी ने डेवूड की दक्षिणी कोरिया में स्थित भारी वाणिज्यिक वाहन इकाई कितने में खरीदी?
उत्तर:
टाटा कंपनी ने 2000 में 1870 करोड़ रुपये में अमेरिका की टेटली का अधिग्रहण किया था।

प्रश्न 37.
2004 में भारत की किस कंपनी ने सिंगापुर की नाट स्टील (Nat Steel) कंपनी को 1245 करोड़ में रुपये में खरीदा था।
उत्तर:
टाटा टी ने।

प्रश्न 38.
निजीकरण के क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
निजीकरण से अभिप्राय निजी क्षेत्र द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का पूर्ण रूप से स्वामित्व प्राप्त करना तथा उनका प्रबंध करना।

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प्रश्न 39.
निजीकरण के पक्ष में कोई दो तर्क दें?
उत्तर:

  1. सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकांश उद्यम घाटे में पड़े हैं।
  2. सार्वजनिक क्षेत्र के अधिकांश उद्यम अकार्यकुशल (Incfficient) हैं।

प्रश्न 40.
व्यापार शेष से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
व्यापार शेष से अभिप्राय वस्तुओं के निर्यात तथा आयात के मूल्यों का अंतर है।

प्रश्न 41.
भुगतान शेष से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भुगतान शेष एक ऐसा खाता अथवा विवरण है जिसमें सभी विदेशी प्राप्तियों एवम् भुगतानों को दर्शाया जाता है। इसमें अदृश्य सभी मदों को दर्शाया जाता है।

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प्रश्न 42.
भारत में दूसरे विश्व युद्ध से पूर्व भुगतान शेष कैसा था?
उत्तर:
भारत में दूसरे विश्व युद्ध से पूर्व भुगतान शेष संतुलित था।

प्रश्न 43.
1991 के अन्त में भारत में विदेशी मुद्रा के का भण्डार कितना था?
उत्तर:
1991 के अन्त में भारत में विदेशी मुद्रा के भण्डार केवल दो सप्ताह के आयात के लिये पर्याप्त था।

प्रश्न 44.
द्विपक्षीय (Bilateral) तथा बहुपक्षीय में क्या अन्तर है?
उत्तर:
दो देशों क बीच होने वाले व्यापार को द्विपक्षीय व्यापार कहते हैं जबकि दो से अधिक देशों के बीच में होने वाले व्यापार को बहुपक्षीय व्यापार कहते हैं।

प्रश्न 45.
द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् और विशेष रूप से स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् से भारत का भुगतान शेष कैसा है?
उत्तर:
प्रतिकूल।

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प्रश्न 46.
विनिवेश के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर:
विनिवेश के उद्देश्य हैं –

  1. वित्तीय अनुशासन में सुधार लाना तथा
  2. आधुनिकीकरण की सुविधायें प्रदान करना

प्रश्न 47.
राजकोषीय नीति या आर्थिक सुधारों के विपक्ष में कोई दो बिन्दु दें।
उत्तर:
विनिवेश के उद्देश्य हैं –

  1. नई आर्थिक निति में कृषि को काम महत्व दिया गया है।
  2. इसमें उद्योगों के निजीकरण को बहुत ही अधिक महत्व दिया गया है।

प्रश्न 48.
उदारीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
उदारीकरण से अभिप्राय है सरकार द्वारा लगाये गये प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष भौतिक नियंत्रणों (औद्योगिक लाइसेसिंग व्यवस्था, आयात लाइसेंस, विदेशी मुद्रा नियन्त्रण आदि) से उद्योगों को मुक्त करना। उदारीकरण में निजी उद्यमियों को उपने निर्णय स्वयं लेने की सवतंत्रता दी जाती है।

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प्रश्न 49.
विश्व व्यापार संगठन क्या है? इससे क्या अपेक्षा की जाती है?
उत्तर:
विश्व व्यापार संगठन एक स्वैच्छिक संठन है। इस संगठन की सदस्यता आवश्यक नहीं है। कोई भी देश इस संगठन का सदस्य बन सकता है। इस संगठन से यह आशा की जाती है कि वह विभिन्न देशों के व्यापार में स्वतंत्र रूप से प्रोत्साहन दे।

प्रश्न 50.
नई आर्थिक निति का प्रमुख उद्देश्य क्या है? इसके तीन आधार स्तम्भ लिखें।
उत्तर:
नई आर्थिक. निति का प्रमुख उद्देश्य उत्पादन इकाईयों की उत्पादन क्षमता में सुधार लाना है। इसके तीन आधार स्तम्भ निम्नलिखित हैं –

  1. उदारीकरण
  2. निजीकरण
  3. विश्वव्यापीकरण (वैश्वीकरण)

प्रश्न 51.
स्वालम्बन की दिशा में किन बातों पर जोर दिया गया है? दो बातें लिखें।
उत्तर:
स्वालम्बन की दिशा में निम्नलिखित बातों पर जोर दिया गया हैं –

  1. विज्ञान तथा तकनीक के प्रयोग में वृद्धि।
  2. देश के पिछड़े क्षेत्रों का विकाश।

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प्रश्न 52.
उदारीकरण का विदेशी निवेश अन्तःप्रवाह पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
उदारीकरण से विदेशी निवेश अन्तःप्रवाह में बहुत वृद्धि हुई।

प्रश्न 53.
संस्थागत निवेशकों में मुख्य कौन हैं?
उत्तर:

  1. मर्चेट बैंकर्स (Merchant Bankers) म्युचुअल फण्डस (Mutual Funds) तथा
  2. पेंशन फण्डस (Pension Funds) संस्थागत निवेशक हैं

प्रश्न 54.
दूसरे युद्ध के दौरान भारत का भुगतान शेष अनुकूल क्यों रहा?
उत्तर:
क्योंकि युद्ध के समय भारतीय वस्तुओं की मांग अधिक रही और आयात बहुत कम हो गये।

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प्रश्न 55.
कोरियर सेवाओं से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
कोरियर सेवाओं (Courier Services) से अभिप्राय उन सेवाओं से है जिनके अन्तर्गत पत्रों, प्रपत्रों एवम् छोटे पार्सलों की सुपुर्दगी एक स्थान से दूसरे स्थान तक की जाती है।

प्रश्न 56.
कोर क्षेत्र (Core Sector) किसे कहते हैं?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र कोर क्षेत्र कहलाता है जिसमें आधारभूत संरचना वाले उद्योग जैसे-पेट्रोलियम, मशीनरी, लोहा-इस्पात आदि सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 57.
विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम (FEMA) कब से लागू कर दिया गया है? इसने किस कानून का स्थान लिया था?
उत्तर:
विदेशी विनिमय प्रबंधन अधिनियम (FEMA) 1 जून 2000 से लागू कर दिया गया है। इसने विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम (FEMA) का स्थान लिया है।

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प्रश्न 58.
आयात प्रतिस्थापन तथा निर्यात संवर्द्धन में अंतर बतायें।
उत्तर:
आयात प्रतिस्थापन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें विदेशों से आयात की जाने वाली वस्तुओं के स्थान पर उनका कोई निकट स्थापन (Close substitute) देश में ही उत्पादित किया जाता है। इसके विपरीत निर्यात संवर्द्धन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निर्यात वृद्धि के लिये पुराने निर्यातकर्ताओं को तथा नवीन व्यक्तियों को निर्यात में वृद्धि करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।

प्रश्न 59.
पूँजीगत खातों में दिखाई जाने वाली कोई तीन मदें लिखें।
उत्तर:

  1. निजी प्राप्तियाँ तथा निजी भुगतान
  2. सरकारी प्राप्तियाँ तथा भुगतान तथा
  3. विदेशी ऋणों के मूलधन व ब्याज का भुगतान लेना व देना

प्रश्न 60.
भुगतान संतुलन के चालू खाते में दिखाई जाने वाली कोई तीन मदें लिखें।
उत्तर:

  1. वस्तुओं का आयात तथा निर्यात
  2. अमौद्रिक स्वर्ण का लेन-देन तथा
  3. एकपक्षीय हस्तान्तरण जैसे-दान

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प्रश्न 61.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) किस प्रकार वाणिज्यिक बैंकों पर नियंत्रण रखता है।
उत्तर:
भारतीय रिजर्व बैंक गतिरोधक (Obstructive Authority) अधिकारी के तौर पर वाणिज्यि बैंकों पर नियंत्रण रखता है।

प्रश्न 62.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का सबसे प्रमुख कार्य क्या है?
उत्तर:
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का सबसे प्रमुख कार्य बैंकिंग क्षेत्र का अनुकूलतम नियमन (Facilitating Regulating) करना है।

प्रश्न 63.
बैंकिंग क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को कैसे बढ़ावा दिया गया?
उत्तर:
निजी क्षेत्र में बैंकों की स्थापना करने की अनुमति के द्वारा बैंकिंग क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया गया।

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प्रश्न 64.
भारत में निर्धन खाद्य उपभोक्ता कौन है?
उत्तर:
भारत में निर्धन खाद्य उपभोक्ता हैं-ग्रामीण क्षेत्र में भूमिहीन श्रमिक तथा छोटे किसान व शहरी क्षेत्र में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी।

प्रश्न 65.
कृषि उपज के समर्थित मूल्य से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
कृषि उपज के समर्थित मूल्य से अभिप्राय किसानों को उनकी उपज की न्यूनतम मूल्य की गारंटी देना।

प्रश्न 66.
देश में खाद्यान्नों की घरेलू कीमतों में वृद्धि का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
देश में घरेलू बाजार के समर्थित मूल्य से अभिप्राय किसानों के उपज में न्यूनतम मूल्य वृद्धि है।

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प्रश्न 67.
अर्थव्यवस्था में उदारीकरण के लिए भारत सरकार के कई कदम उठाये थे। उनमें कोई दो उपाय लिखें।
उत्तर:

  1. औद्योगिक लाइसेंसिंग तथा पंजीकरण की समाप्ति (Abolition Industrial Licensing and Registration) तथा
  2. एकाधिकारी कानून से छूट

प्रश्न 68.
निजीकरण के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र की सरकारी कंपनियों को निजी कंपनियों में कितने तरीकों से बदला जा सकता है?
उत्तर:
दो तरीकों से –

  1. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के स्वामित्व तथा प्रबंध से सरकार का हट जाना।
  2. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का पूर्ण विक्रय करना।

प्रश्न 69.
भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के ऐसे तीन उपक्रमों के नाम लिखें जिन्हें नवरल कहा जाता है।
उत्तर:

  1. एन. टी. पी. सी. (NTPC), सेल (SAIL) तथा
  2. गेल (GAIL)

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प्रश्न 70.
भारत में निजीकरण के लिये कौन से उपाय अपनाये गये? कोई तीन बताएँ।
उत्तर:

  1. सार्वजनिक क्षेत्र का संकुचन
  2. सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में सरकार का विनिवेश
  3. सार्वजनिक उद्यमों के अंशों की बिक्री

प्रश्न 71.
मर्चेट बैंकिंग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मर्चेट बैंकिंग (Merchant Banking) से अभिप्राय औद्योगिक तथा व्यापारिक संस्थाओं को विशिष्ट प्रकार की सेवायें उपलब्ध करना।

प्रश्न 72.
म्युचुअल फण्ड (Mutual Fund) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
म्युचुअल फण्ड ऐसी निधि है जो पारस्परिक सहयोग से बनाई जाती है।

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प्रश्न 73.
अवमूल्यन तथा मूल्य ह्रास में अंतर बतायें।
उत्तर:
जब सरकार देश में निर्यात बढ़ाने के उद्देश्य से जानबूझ कर स्वयं अपने देश की मुद्रा का मूल्य विदेशी मुद्रा में कम कर देती है तब उसे अवमूल्यन कहा जाता है। परंतु जब बाजार की माँग एवम् पूर्ति शक्तियों के प्रभाव से एक देश की मुद्रा का मूल्य बिना किसी सरकारी हस्तक्षेप के विदेशी मुद्रा में कम हो जाता है, तब उसे मूल्य ह्रास कहा जाता है।

प्रश्न 74.
नई आर्थिक नीति में निजीकरण को क्यों अधिक महत्व दिया गया है?
उत्तर:
नई आर्थिक नीति में निजीकरण को अधिक महत्व देने का मुख्य कारण यह है कि सार्वजनिक क्षेत्र की तुलना में निजी क्षेत्र अधिक कार्यकुशल है। उसकी कुशल उत्पादकता तथा लाभदायकता में हमारे लिए जरूरी है।

प्रश्न 75.
मौद्रिक नीति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
मौद्रिक नीति से अभिप्राय उस नीति से है जो मुद्रापूर्ति, ब्याज तथा विनिमय दर से सम्बन्धित है।

प्रश्न 76.
1991 की आर्थिक नीति को U-Turn की संज्ञा क्यों दी जाती है?
उत्तर:
सन् 1991 की आर्थिक नीति को U-Turn इसलिये कहते हैं कि 1991 के बाद अपनाई गई आर्थिक नीति पहले से अपनाई गई नीतियों के बिल्कुल उल्टी है।

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प्रश्न 77.
अमेरिका के केन्द्रीय बैंक का क्या नाम है?
उत्तर:
अमेरिका के केन्द्रीय बैंक का नाम फेडरल रिजर्व सिस्टम (Federal Reserve System) है।

प्रश्न 78.
भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण का काम कब आरम्भ हुआ?
उत्तर:
भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण का कार्य 1991-92 में आरम्भ हुआ।

प्रश्न 79.
उद्योगों में सरकार विनिवेश कर रही है। इस कथन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
इस कथन का यह अभिप्राय है कि सरकार उद्योगों को निजी क्षेत्र को बेच रहा है।

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प्रश्न 80.
रुपये के अवमूल्यन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
रुपये के अवमूल्सल के अभिप्राय है रुपये के विनिमय दर में कमी लाना । रुपया के अवमूल्यन में विदेशी मुद्रा महंगी हो जाती है अथवा एक रुपये के बदले में विदेशी मुद्रा की राशि कम हो जाती है।

प्रश्न 81.
राजकोषीय सुधारों से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
राजकोषीय सुधारों से अभिप्राय सरकार की आय में वृद्धि करना तथा व्यय को इस प्रकार करना है जिससे उत्पादन तथा आर्थिक कल्याण पर बुरा प्रभाव नहीं पड़े।

प्रश्न 82.
केन्द्रीय उत्पाद शुल्क (Central Excise Duties) के स्थान पर अब कौन-सा कर लगाया गया है?
उत्तर:
केन्द्रीय उत्पाद शुल्क के स्थान पर अब केन्द्रीय मूल्य वृद्धि कर (CENVAT) लगाया गया है।

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प्रश्न 83.
आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत निजीकरण का क्या अर्थ है?
उत्तर:
आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत निजीकरण का अर्थ है सार्वजनिक क्षेत्र के लिये सुरक्षित उद्योगों में से अधिक से अधिक उद्योगों को निजी क्षेत्र के लिये खोलना। यह वह सामान्य प्रक्रिया है जिसके द्वारा निजी क्षेत्र किसी सरकारी उद्यम का मालिक बन जाता है या उसका प्रबंध करता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
चालू खाते तथा पूँजीगत खाते में अंतर बताएँ।
उत्तर:
चालू खाते तथा पूँजीगत खाते में अंतर (Difference between Current Accountant Capital Account):
चालू खाते में वस्तुओं के आयात् एवम् निर्यात, अमौद्रिक स्वर्ण का लेनदेन, परिवहन, बैंकिंग, बीमा, तकनीकी, सेवाएँ तथा पर्यटन आदि से प्राप्त एवम् देय राशि तथा एकपक्षीय हस्तान्तरण जैसे दान आदि मदों को दिखाया जाता है जबकि पूँजीगत खाते में सभी पूँजीगत लेनदेनों को दिखाया जाता है। जैसे –

  1. निजी प्राप्तियाँ एवं भुगतान
  2. सरकारी प्राप्तियाँ तथा सरकारी भुगतान
  3. विदेशी ऋणों के मूलधन व ब्याज का लेन-देन
  4. शुद्ध भूल त्रुटियाँ आदि मदें

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प्रश्न 2.
भुगतान संतुलन तथा व्यापार संतुलन में अंतर बताएँ।
उत्तर:
भुगतान संतुलन तथा व्यापार संतुलन में अंतर –
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प्रश्न 3.
आयात अभ्यांश (Import Quoto) किसे कहते हैं? आयात अभ्यांश के उद्देश्य लिखें।
उत्तर:
आयात अभ्यांश (Import Quoto):
आयात अभ्यांश का अभिप्राय वस्तु की उस निश्चित मात्रा अथवा मूल्य से है जिनका समय की एक निश्चित अवधि में देश में आयात किया जा सकता है। इस प्रकार आयात अभ्याश में आयात की मात्रा का पहले से निर्धारण कर दिया जाता है और उसमें कुछ वृद्धि नहीं की जा सकती।

आयात अभ्यांश के उद्देश्य (Objective of Import Quota):

  1. घरेलू उद्योगों को संरक्षण प्रदान करना।
  2. आयातों का प्रभावशाली नियमन।
  3. भुगतान शेष के असंतुलन को दूर करना।
  4. आयातों के अन्तः प्रभाव को सीमित करके घरेलू कीमतों में स्थिरता लाना।

प्रश्न 4.
नई आर्थिक नीति के अन्तर्गत कौन से वित्तीय सुधार किये गये थे?
उत्तर:
वित्तीय सुधारों से अभिप्राय देश की मौद्रिक तथा बैंकिंग नीतियों में सुधार करने से है। नई आर्थिक नीति के अन्तर्गत निम्नलिखित वित्तीय सुधार के किये गये –

  1. तरलता अनुपात में कमी कर दी गई।
  2. बैंकों को ब्याज की दरों का निर्धारण करने की स्वतंत्रता दी गई।
  3. बैंकिंग प्रणाली की पुनः रचना की गई। नये निजी बैंकों की स्थापना को प्रोत्साहन दिया गया।
  4. अलग-अलग बैंकों के अधिकारियों की भर्ती के लिये स्वतंत्रता दी गई।

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प्रश्न 5.
नई आर्थिक नीति के अन्तर्गत करों में कौन-कौन से सुधार किये गये?
उत्तर:
नई आर्थिक नीति के अन्तर्गत करों में सुधार (Tax Reforms under New Economic Policy):
नई आर्थिक नीति में करों में निम्नलिखित सुधार किये गये –

  1. आयकर की दरों में लगातार कमी की गई।
  2. 1990-91 से निगम कर की दर जो पहले बहुत ऊँची थी, को धीरे-धीरे कम किया जा रहा है।
  3. अप्रत्यक्ष करों में सुधार लाये गये।
  4. केन्द्रीय उत्पादक शुल्क के स्थान पर केन्द्रीय मूल संवृद्धि कर (Central value Added Tax-CNVAT) लगाया गया।
  5. राज्य स्तर पर भी वैट (VAT) को लागू कर दिया गया है।

प्रश्न 6.
सुधार नीति के अन्तर्गत औद्योगिक क्षेत्र में सुधार लिखें?
उत्तर:
नई सुधार नीति के अन्तर्गत औद्योगिक क्षेत्र में सुधार (Industrial Sector Reforms):
नई सुधार नीति के अन्तर्गत औद्योगिक क्षेत्र में निम्नलिखित सुधार किये गये –

  1. औद्योगिक लाइसेंस लेने की अनिवार्यता वाले उद्योगों की संख्या 18 से घटा कर तीन कर दी गई।
  2. एकाधिकारात्मक एवम् प्रतिबंधात्मक व्यापार अधिनियम के अन्तर्गत लगाय गये सभी प्रतिबंधों को समाप्त कर दिया गया।
  3. सार्वजनिक क्षेत्र के लिये सुरक्षित उद्योगों की संख्या 17 से कम करके 8 कर दी गई।
  4. निर्यात और व्यापारिक गृहों तथा बड़े व्यापारिक घरानों को बड़ी मात्रा में आयात की अनुमति दी गई। व्यापारिक गृहों को अब 51% विदेशी पूँजी लगाने की अनुमति दी गई।

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प्रश्न 7.
विश्व व्यापार संगठन की स्थापना कब की गई थी? इसका मुख्य कार्यालय कहाँ है? इसके उद्देश्य लिखें।
उत्तर:
विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) यह एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है। इसकी स्थापना 1995 में संयुक्त राष्ट्रसंघ के सदस्य देशों द्वारा आपसी व्यापार को बढ़ावा देने के लिये की गई थी। यह अन्तर्राष्ट्रीय संगठन गेट का उत्तराधिकारी है। यह गेट की अस्थायी प्रकृति के विपरीत स्थायी संगठन है। इसका मुख्य कार्यलय जेनेवा में स्थित है।

विश्व व्यापार संगठन के उद्देश्य (Objectives of WTO):

  1. वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन एवम् व्यापार को बढ़ावा देना।
  2. विश्व संसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग करना।
  3. जीवन स्तर में वृद्धि करना।
  4. पर्यावरण का संरक्षण एवं सुरक्षा करना।

प्रश्न 8.
नई आर्थिक नीति के अन्तर्गत व्यापार और निवेश नीति के सुधार लिखें।
उत्तर:
नई आर्थिक नीति के अंतर्गत व्यापार और निवेश से सम्बन्धित नीति में निम्नलिखित सुधार किये गये –

  1. संवेदनशील उद्योग को छोड़कर बाकी सभी उद्योगों पर आयात लाइसेसिंग समाप्त कर दिया गया।
  2. अप्रैल 2001 से निर्मित उपभोक्ता वस्तुओं तथा कृषि उत्पादों के आयात पर प्रतिबंधों को हटा दिया गया।
  3. भारत से निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर निर्यात कर समाप्त कर दिये गए।
  4. FEMA 1973 को समाप्त कर दिया और उसके स्थान पर विदेशी विनिमय प्रबंध अधिनियम (Foreign Exchange Management Act-FEMA)-लागू किया गया।

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प्रश्न 9.
अर्थव्यवस्था की कार्यकुशलता को बढ़ाने के लिये नई नीतियाँ अपनाई गईं। उनको समूहों में बाँट सकते हैं? प्रत्येक का संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर:
भारतीय अर्थव्यवस्था की कुशलता बढ़ाने के लिये अनेक नीतियाँ बनाई गई। इन नीतियों को दो समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है –

  1. स्थिरता प्रयत्न, तथा
  2. संरचनात्मक सुधार प्रयत्न

1. स्थिरता प्रयत्न (Stabilization Measures):
ये अल्पकालीन प्रयत्न हैं। इनका उद्देश्य भुगतान शेष में जो कमियाँ आ गई थी उनको ठीक तथा मुद्रास्फीति को नियंत्रण में लाना है।

2. संरचनात्मक सुधार प्रयत्न (Structural Reform Measures):
ये दीर्घकालीक प्रयत्न हैं। इनका उद्देश्य अर्थव्यवस्था की कुशलता में सुधार लाना तथा भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न भागों में विद्यमान लोचहीनता को समाप्त करके उसकी अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में वृद्धि
करना है।

प्रश्न 10.
विनिवेश से क्या अभिप्राय है? इस कार्यक्रम में भारत कहाँ तक सफल रहा है?
उत्तर:
विनिवेश का अर्थ (Meaning of Disinvestment):
विनिवेश से अभिप्राय है सार्वजनिक उद्यमों की सम्पूर्ण अथवा कुछ परिसम्पत्तियों की बिक्री अर्थात् सरकारी उपक्रमों की पूँजी के एक भाग की बिक्री जिसे कि निजी पूँजीपति खरीद सकते हैं। विनिवेश निजीकरण का एक रूप है। विनिवेश के अन्तर्गत सार्वजनिक उद्यमों के कुछ अंशों को निजी कंपनियों को बेचना होता है। कितने प्रतिशत अंश बेचे जायेंगे, यह उपक्रमों की प्रकृति पर निर्भर करता है।

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प्रश्न 11.
नई आर्थिक नीति के अन्तर्गत बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण करने के लिये सरकार द्वारा कौन-कौन से कदम उठाये गये हैं? संक्षेप में लिखें।
उत्तर:
बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण करने के लिये सरकार द्वारा अपनाये गये कदम (Steps taken by the Govt. to Control the riding Prices):

  1. बढ़ते सरकारी खर्चों पर अंकुश लगाया गया।
  2. मुद्रापूर्ति की वृद्धि पर रोक लगाई गई।
  3. सार्वजनिक वितरण प्रणाली का विस्तार किया गया।
  4. उत्पादन उद्यमों की आर्थिक सहायता और बाहरी समर्थन में कटौती करना।
  5. आधारभूत उद्योगों में प्रचलनात्मक कुशलता में सुधार लाना और क्षमता, विस्तार करना।
  6. औद्योगिक क्षेत्र में प्रवेश बाधाओं को कम करना।

प्रश्न 12.
एकाधिकारी एवं प्रतिबंधक व्यवहार अधिनियम के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
MRTP कानून मई 1969 में बनाया गया था और यह जून 1969 से लागू हुआ। इस अधिनियम के अन्तर्गत 1970 में एक MRTO आयोग की स्थापना की गई जिसका प्रमुख कार्य एकाधिकारी एवं प्रबंधक व्यवहारों को नियंत्रित करना था। इस अधिनियम द्वारा आर्थिक शक्ति के केन्द्रीयकरण को रोकना और एकाधिकार और प्रतिबंधक व्यापार व्यवहारों के लिए नियंत्रण लागू करना था। इस अधिनियम में इस बात की स्थापना की गई कि सार्वजनिक हित की दृष्टि से उत्पादन, वितरण और आर्थिक साधनों की आपूर्ति हो सके, कुशलता में वृद्धि की जा सके।

नये उद्यमों के विकास को प्रोत्साहन दिया जा सके और क्षेत्रीय विषमता को कम किया जा सके। भारत में MRTP अधिनियम के लागू होने पर भी आर्थिक शक्ति में निरंतर वृद्धि होती रही है। 1991 की नई औद्योगिक नीति में 100 करोड़ रुपये की अधिकतम सीमा को हटा दिया गया है, तथा अब कोई फर्म जितना भी निवेश करना चाहे, कर सकती है। नये प्रोजेक्ट की स्थापना, विस्तार और अन्य समूहों में मिलना या अन्य फर्म को खरीदने जैसे कार्यों के लिए अब MRTP कमीशन की आवश्यकता नहीं रह गई है।

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प्रश्न 13.
पूरे संसार में निजीकरण की लहर के फैसले के क्या कारण हैं?
उत्तर:
निम्नलिखित कारणों से संसार में निजीकरण की नहर फैल गई है –

  1. यह अनुभव किया गया है कि निजी क्षेत्र के उपक्रमों का तेजी से विकास करने के लिये सरकार के पास निवेश करने के लिये पर्याप्त साधन नहीं है।
  2. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की कार्य क्षमता को बढ़ाने के लिये उनका निजीकरण करना चाहिये।

प्रश्न 14.
पारस्परिक कोष पर टिप्पणी लिखो।
उत्तर:
पास्परिक कोष (Mutual Fund):
पारस्परिक कोष अथवा म्युचुअल फण्ड (Mutual Fund) एक विशेष प्रकार का मध्यस्थ (निवेश संस्था) है जिसे आम जनता की बचत को गतिशील करने के लिए एक ट्रस्ट (Trust) के रूप में स्थापित किया गया है। इसमें विभिन्न योजनाओं के द्वारा जनता के कोष स्थापित किये जाते हैं तथा इन कोषों का मुद्रा बाजार (Money Market) में विभिन्न प्रतिभूतियों (Securities) एवम् अन्य प्रपत्रों में निवेश किया जाता है। यह कोष एक निवेश माध्यम के रूप में कार्य करता है। यह अपेक्षाकृत छोटे निवेशकों को बचतों को एकत्रित करता है और उन्हें विविध प्रकार की प्रतिभूतियों में निवेश करता है।

प्रश्न 15.
किन समस्याओं के कारण हमें 1991 में नई आर्थिक नीति अपनानी पड़ी?
उत्तर:
निम्नलिखित समस्याओं के कारण हमें 1991 में नई आर्थिक नीति अपनानी पड़ी –

  1. (i) प्रतिकूल भुगतान संतुलन में वृद्धि।
  2. सरकार के गैर-विकासात्मक खर्चा में वृद्धि होने के कारण राजकोषीय घाटे में वृद्धि।
  3. विदेशी विनिमय मुद्रा भण्डार में कमी।
  4. कीमतों में वृद्धि।
  5. सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों की असफलता।
  6. भारतीय अर्थव्यवस्था में अन्तर्राष्ट्रीय विश्वास का डगमगाना।
  7. नये ऋणों का न मिलना।
  8. अनिवासी भारतीयों के खातों से बड़ी-बड़ी राशियाँ निकाला जाना।

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प्रश्न 16.
सार्वजनिक क्षेत्र के नवरल उपक्रमों के नाम लिखें।
उत्तर:
सार्वजनिक क्षेत्र के नवरल उपक्रम (Navratan enterprises of Public Sector):

  1. स्टील ऑथेरिटी ऑफ इंडिया (SAII)
  2. इण्डियन ऑयल कार्पोरेशन लि. (IOCL)
  3. भारत संचार निगम लिमटेड (BSNL)
  4. हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लि. (HPCL)
  5. भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (BPCL)
  6. ऑयन एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ONGC)
  7. भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लि. (BHEL)
  8. नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (NTPC)
  9. इण्डियन पैट्रो कैमिकल्ज कार्पो. (NTPC)
  10. गैस ऑथेरिटी ऑफ इंडिया लि. (GAIL)
  11. महानगर टेलीफोन निगम लि. (MTNL)

प्रश्न 17.
सार्वजनिक उपक्रमों में निजीकरण एवम् विनिवेश प्रक्रिया को किन बिन्दुओं के आधार पर औचित्यपूर्ण कहा जा सकता है?
उत्तर:
औचित्यपूर्ण बिन्दु (Points for Justification) सार्वजनिक उपक्रमों में निजीकरण एवम् विनिवेश प्रक्रिया को निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर औचित्यपूर्ण कहा जा सकता है –

  1. निजी क्षेत्र की कुशलता, प्रबंध की क्षमता का सार्वजनिक उपक्रमों में प्रयोग सम्भव।
  2. विनिवेश से प्राप्त धनराशि का प्रयोग अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में कर पाना सम्भव है।
  3. घाटे में चल रही रुग्ण सार्वजनिक इकाइयों को बजट की सहायता में दी जाने वाली वित्तीय सहायता के बोझ से मुक्ति।
  4. सार्वजनिक उपक्रमों में बढ़ती लाल-फीताशाही एवम् सरकारी हस्तक्षेप को नियंत्रित करना सम्भव।
  5. सार्वजनिक क्षेत्र की बीमार (रुग्ण) इकाइयों का पुनः उद्धार सम्भव।
  6. सार्वजनिक उपक्रमों की अल्पशोषित तथा अशोषित उत्पादन क्षमता का पूर्ण विदोहन सम्भव।
  7. निजी क्षेत्र की प्रबंधकीय क्षमता का प्रयोग करके लम्बी परिपक्वता अवधि को घटाना सम्भव।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
बाह्यस्रोत से क्या अभिप्राय है? सेवाओं के बाह्यकरण के विभिन्न प्रकार समझायें।
उत्तर:
बाह्यस्रोत का अभिप्राय (Meaning of outsourcing):
पिछले दशक से सेवा क्षेत्र में एक नई प्रकार की व्यावसायिक क्रिया का विश्व में प्रादुर्भाव हुआ है। इसे बी. पी. ओ. (Business Process Outsorcing) या बाह्यस्रोत या कॉल सेन्टर (Call Centre) कहते हैं। बाह्यस्रोत से अभिप्राय बाह्य अभिक्रेताओं से व्यवसाय का कार्य करवाना। उदाहरण के लिये एक कंपनी अपने पुराने रिकार्ड को रखने की जिम्मेदारी एक बाह्य एजेन्सी को दे। बाह्यस्रोत की मुख्य विशेषता यह है कि कंपनियाँ नियमित रूप से निष्पादन की जाने वाली क्रियाओं को ठेके पर ले लेती हैं।

सेवाओं के बााकरण के प्रकार (Types of outsourcing):
सेवाओं के बाह्यकरण के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं –

1. वित्तीय सेवाएँ (Financial Services):
वित्तीय सेवा के अन्तर्गत मध्यस्थ अभिकर्ता व्यावसायिक संगठन को वित्त प्राप्त करने के विशेषज्ञों की राय तथा कानून सम्बन्धी जानकारी इत्यादि प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिये जब कोई कंपनी अंश जारी करके या ऋणपत्र जारी करके पूँजी एकत्र करना चाहती है जो उसे कानूनी कार्यवाही करनी पड़ती है। कई बार इस प्रकार के कार्य में काफी समय लग जाता है और अंशपत्र/ऋणपत्र जारी करने के पीछे उद्देश्य भी खत्म हो जाते हैं। अतः अगर यह कार्य की विशेषज्ञों को दे दिया जो इसे कम समय में दक्षता के साथ करे।

2. विज्ञापन सेवाएँ (Advertising Services):
इस प्रकार के मध्यस्थ (Agencies) व्यावसायिक संगठन के द्वारा निर्मित वस्तु एवम् सेवा को उपभोक्ता में लोकप्रिय बनाने के लिये समस्त कार्य करते हैं। ये विज्ञापन प्रति तैयार करते हैं, विज्ञापन माध्यम का चयन करते हैं और वस्तु को उपभोक्ताओं में लोकप्रिय बनाने सम्बन्धी कार्य करते हैं।

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प्रश्न 2.
शुल्क का केसकेडिंग प्रभाव (Casecading effect of the Duties) समझायें। इस प्रभाव से बचने के लिये कौन-सा कर लगाया गया है?
उत्तर:
शुल्क का केसकेडिंग प्रभाव (Casecading effect of the Duties) केसकेडिंग का अर्थ है जल का प्रवाह या जल का बहना। जल शुल्क के केसकेडिंग का अर्थ है शुल्क का बह जाना। उसका व्यर्थ चला जाना । शुल्क केसकेडिंग से कीमतों में भारी वृद्धि होती है क्योंकि प्रत्येक स्तर पर विक्रय कर देना पड़ता है। उदाहरण के लिये पहले कच्चे माल (रुई) की कीमत पर कर लगाया जाता है। जब रुई को कपड़े बनाने वाले व्यक्ति (मध्यवर्ती उत्पादक) को बेचा जाता है। इसके बाद जब कपड़े का निर्माता दर्जी को कपड़ा बेचता है, कपड़े की कीमत पर कर लगाया जाता है। इसके बाद सिलेसिलाये कपड़े (निर्मित माल) पर कर लगाया जाता है।

प्रत्येक स्तर पर दिये गये कर निर्मित माल की कीमत का अंश बन जाते हैं। प्रत्येक स्तर पर पहले दिये गये करों की कोई कटौती नहीं मिलती इसलिये इसे केसकेडिंग प्रभाव (Cascading Effect) कहते हैं। केसकेडिंग प्रभाव के कारण अंतिम उपभोक्ता वस्तुओं में काफी वृद्धि होती है। इस बात को एक उदाहरण देकर समझाया जा सकता है। मान लो एक किसान ने 100 रुपये की रुई कपड़ा बनाने वाले को बेची। विक्रय कर 4 प्रतिशत है। अतः कपड़ा बनाने वाला इसे 104 रुपये में खरीदता है।

अब कपड़ा निर्माता रुई से कपड़ा बनाकर उसे 140 रुपये में दर्जी को बेचता है। माना कपड़े पर विक्रय कर 5 प्रतिशत है। अतः दर्जी उस कपड़े को 147 रुपये में (140 + 7) खरीदता है। अब दर्जी उस कपड़े की कमीज 200 रुपये में बेचता है। कमीज का विक्रय कर 4% है। अतः ग्राहक उस कमीज को 208 रुपये में खरीदेगा। इस तरह विभिन्न चरणों पर दिये गये करों के कारण कमीज की कीमत बहुत अधिक हो जाती है। करों के केसकेडिंग प्रभाव से बचने के लिये अब मूल्यवृद्धि कर-वेट (VAT) की व्यवस्था की गई है।

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प्रश्न 3.
नीचे तालिका में 1993-94 कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि दर दी गई है। तालिका में दिये गये आँकड़ों को काल श्रेणी आरेख द्वारा दिखायें।
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उत्तर:
सकल घरेलू उत्पाद संवृद्धि प्रतिशत में (GDP gross the on Percentage)
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प्रश्न 4.
1991 की नई आर्थिक नीति में क्या परिवर्तन किये गये?
उत्तर:
सरकार ने आर्थिक संकट को दूर करने और अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए आर्थिक नीति में कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। इन परिवर्तनों को तीन क्षेत्रों में बाँटा जा सकता है –

  1. औद्योगिक नीति में परिवर्तन
  2. विदेशी व्यापार नीति में परिवर्तन
  3. राजकोषीय नीति में परिवर्तन

1. औद्योगिक नीति में परिवर्तन (Change in the Industrial Policy):

(a) लाइसेंस प्रणाली की समाप्ति (Abolishing of Licencing System):
ऐसे उद्योग जिनका पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है उनको छोड़कर शेष सभी उद्योगों को लाइंसस प्रणाली से मुक्त कर दिया गया है। इससे अर्थव्यवस्था में प्रतियोगिता बढ़ गई है। ऐसी आशा की जाती है कि इससे उद्योगों का विस्तार होगा और उनकी कुशलता बढ़ेगी।

(b) विदेशी निवेश की स्वतंत्रता (Freedom of Foreign Investment):
विदेशी निवेशकों को भारतीय उद्योगों में पैसा लगाने की छूट दे दी गई है। ये अब कुल पूँजी का 51 प्रतिशत पैसा लगा सकते हैं। इससे न केवल विदेशों से वित्त प्राप्त होगा बल्कि नई प्रौद्योगिकी प्रबंधन विधियाँ भी देश में आयेंगी।

(c) सुरक्षित उद्योग निजी क्षेत्र में (Reserve Industries in theprivate hand):
ऐसे उद्योग जिनके विकास का उत्तरदायित्व केवल सरकार पर था, अब उन्हें निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गया है। केवल रक्षा सामग्री या अति आवश्यक उद्योग ही सरकार ने अपने हाथ में रखे हैं।

(d) utaifant et Bra att varaat (Freedom of inporting foreign technique):
इसके अन्तर्गत भारतीय उद्योगों को विदेशों से प्रौद्योगिकी का आयात और इसमें निरंतर सुधार की छूट दी गई है।

(e) बड़े उद्योगों पर से प्रतिबंध समाप्त (Abolition of restriction of heavy Industries):
एकाधिकार प्रवृत्ति को बढ़ते से रोकने के लिए लगाये गये प्रतिबंध हटा लिये गये। बड़े औद्योगिक घरानों को अपना कार्य क्षेत्र विभिन्न दिशाओं में फैलाने की अनुमति दे दी गई।

2. विदेशी. व्यापार और विदेशी विनिमय नीति में परिवर्तन (Change in the foreign trade and foreign exchange policy):

(a) आयात शुल्क में कमी (Reduction in the import duty):
आयात शुल्कों को कम किया गया, जिससे देश के उत्पादों की विदेशी उत्पादों से प्रतियोगिता बढ़ गई क्योंकि अब विदेशी वस्तुएँ पहले की अपेक्षा सस्ती हो गई।

(b) विदेशी विनिमय दर से नियंत्रण हटाना (Removing restriction of foreign exchange rate):
विदेशी विनिमय दर पर नियंत्रण को समाप्त कर दिया गया है। अब विदेशी मुद्रा खुले बाजार की दर पर मिलती है। सरकारी और बाजार दरों में अंतर नहीं रहा। अब आयातक आयात की वास्तविक लागत को ध्यान में रखेंगे। अब विदेशी मुद्रा की कीमत में उतार-चढ़ाव होंगे। ये उतार-चढ़ाव विदेशी मुद्रा की मांग और पूर्ति में संतुलन लाएंगे।

3. राजकोषीय नीति में परिवर्तन (Change in the fiscal policy):
राजकोषीय नीति से अभिप्राय सरकार की आय और व्यय नीति से है। इसमें भी काफी परिवर्तन किए गए हैं।

(a) उत्पाद शुल्क में कमी (Decrease in excise duty):
बहुत सी वस्तुओं पर सरकार ने उत्पाद शुल्क को कम कर दिया है। इससे भारतीय उत्पादकों की विदेशी वस्तुओं से प्रतियोगिताओं की स्थिति में सुधार आया है। आयात शुलक में कमी से भारतीय उत्पादकों को विदेशी उत्पादकों से कड़ी प्रतियोगिता करना पड़ रही है।

(b) सरकारी व्यय में कमी (Reduction in public expenditure):
सरकार अपने अनुत्पादक व्यय को कम रही है और निवेश के लिए अधिक राशि जुटा रही है।

(c) प्रत्यक्ष करों की दर में कमी (Reduction in Direct taxes rates):
प्रत्यक्ष करों की दर में धीरे-धीरे कमी की गई ताकि लोग स्वेच्छा से कर दें। आशा की जाती है कि लोग धीरे-धीरे करों की चोरी करना बंद कर देंगे और सरकार की प्राप्ति पहले से अधिक होगी।

(d) सरकारी पूँजी का विक्रय (Disinevest of government capital):
सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि वह अपने कुछ उद्योगों में लगी पूँजी का एक भाग बाजार में बेचेगी। आवश्यकताओं को पूरा करने क लिए साधन जुटाने के लिए ऐसा किया गया है।

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प्रश्न 5.
प्रतीत होता है कि सुधार प्रक्रिया से कृषि क्षेत्र को कोई लाभ नहीं हुआ है। समझायें।
उत्तर:
सुधार प्रक्रिया से कृषि को लाभ नहीं हुआ है। उल्टे सुधार प्रक्रिया से कृषि क्षेत्र पर बुरा प्रभाव पड़ा है। कृषि क्षेत्र में संवृद्धि दर में कमी आ रही है। भारत में खाद्यान्न के बड़े-बड़े भण्डारण (Stock) के बावजूद 250 मिलियन से अधिक लोग निर्धनता रेखा से नीचे रह रहे हैं। प्रति व्यक्ति खाद्यान्न स्टॉक के लगातार बढ़ने पर भी खाद्यान्न की प्रतिव्यक्ति उपलब्धता कम हो रही है तथा पौष्टिक गुणवत्ता में कमी आ रही हैं। खाद्यान्नों की कीमतें बड़ी तेजी से बढ़ रही है। खाद्यान्नों की कीमतों में वृद्धि के दो मुख्य कारण हैं –

1. खाद्यान्नों को दी गई आर्थिक सहायता में कमी तथा

2. उन कीमतों में वृद्धि जिन पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्यान्नों की आपूर्ति की जाती थी। खाद्यान्नों के उत्पादकों को दी जाने वाली आर्थिक सहायता में कमी आने से उन्होंने खाद्यान्नों की कीमतों में वृद्धि कर दी क्योंकि उन्होंने कटौती के भार को उपभोक्ताओं के पास भेज दिया। सरकार खाद्यान्नों के समर्थित मूल्य को इतना ऊँचा रखती है कि सामान्य जनता इन मूल्यों पर खाद्यान्न खरीदने में समर्थ नहीं होती क्योंकि उनकी क्रय-शक्ति काफी नहीं होती।

ऊँची कीमतों से खाद्यान्नों की माँग कम हो जाती है तथा निर्धन उपभोक्ता बुरी तरह प्रभावित होते हैं। इन निर्धन उपभोक्ताओं में शामिल हैं-ग्रामीण क्षेत्र के भूमिहीन, श्रमिक तथा छोटे किसान और शहरी क्षेत्र के असंगठित क्षेत्र के कर्मचारी। उधर अधिक समर्थित मूल्य के कारण अधिक उत्पादन के लिये प्रेरित है।

मांग के कम और पूर्ति के अधिक होने पर भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India) को समर्थित मूल्य पर अधिक खाद्यान्न खरीदना पड़ता है और इस प्रकार खाद्यान्न का स्टॉक बढ़ता है। अतिरिक्त स्टॉक को रखने के लिये सरकार को और अधिक व्यय करना पड़ता है। इस खर्चे को पूरा करने के लिये सरकार को अन्य खर्चों में कटौती करनी पड़ती है। परिणामस्वरूप कृषि में निवेश कम हो जाता है। सिंचाई की सुविधाओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कृषि में अनुसंधान तथा विकास का कार्य भी पिछड़ रहा है।

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प्रश्न 6.
प्रत्यक्ष करों तथा अप्रत्यक्ष करों में भेद करें।
उत्तर:
प्रत्यक्ष करों तथा अप्रत्यक्ष करों में अंतर (Differentite between Direct Taxes and Indirect Taxes) :
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प्रश्न 7.
विकास योजना की प्रारंभिक अवस्थाओं में सार्वजनिक क्षेत्र में क्यों अधिक महत्व दिया गया था? कारण लिखें। अथवा, विकास योजना की प्रारम्भिक अवस्थाओं में एक बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र बनाना क्यों आवश्यक था? कारण लिखें।
उत्तर:
विकास योजना की प्रारम्भिक अवस्थाओं में सार्वजनिक क्षेत्र को अधिक महत्त्व देने के कारण (Causes of giving more importance to public sector in the intitial stages of development planning):
विकास योजना की प्रारम्भिक अवस्थाओं में सार्वजनिक क्षेत्र को बहुत अधिक महत्व देने के मुख्य कारण निम्नलिखित थे –

1. विशाल निवेश (Huge Investment):
पूँजीगत उद्योगों की स्थापना करने के लिये विशाल निवेश की आवश्यकता होती है। जिन उद्योगों में विशाल निवेश की आवश्यकता होती है, निजी व्यक्ति विशाल निवेश करने में असमर्थ होते हैं। उन क्षेत्रों में सार्वजनिक उपक्रमों की स्थापना की जाती है।

2. विलम्ब के लाभ (Delay in Profit):
भारी उद्योगों की स्थापना के लिये न केवल विशाल निवेश की आवश्यकता होती है, अपितु उनमें लाभ भी बड़े समय के बाद प्राप्त होते हैं। निजी व्यक्ति उद्योग से जल्दी से जल्दी लाभ प्राप्त करने की आशा करते हैं।

3. राष्ट्रीय हित (National Interest):
राष्ट्रीय हित के दृष्टिकोण से युद्ध सामग्री बनाने के उद्योग निजी क्षेत्र में नहीं लगाये जा सकते।

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प्रश्न 8.
व्यावसायिक संचार के विभिन्न साधनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
व्यावसायिक संचार के विभिन्न साधन (Various means of business communcation):
व्यावसायिक संचार के विभिन्न साधन निम्नलिखित हैं –

1. टेलीकॉम (Telecom):
सरकार डाक सेवाओं के द्वारा सूचना तथा सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजने की व्यवस्था करती है। परंतु इसमें अत्यधिक समय लगता है। अतः टेलीकॉम की सुविधा ने संचार के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह शीघ्र संदेश भेजने के लिए सबसे सरल, सस्ता और आधुनिक साधन है। इसके द्वारा दोनों पक्ष ऐसे बातचीत कर लेते हैं जैसे आमने-सामने बैठे हों।

टेलीफोन का प्रयोग मामूली सा व्यावहारिक आदमी भी कर सकता है। ग्राहक विदेशी डायलिंग (ISD) की सुविधा का लाभ भी ले सकता है। कुछ समय तक यह सारा व्यवसाय सरकार के हाथ में था परंतु अब सरकार ने काफी हद तक टेलीकम्यूनिकेशन व्यवसाय का निजीकरण कर दिया है जिससे इसकी योग्यता और अधिक बढ़ गई है।

2. फैक्स (Fax):
यह मशीन नक्शे तथा रेखाचित्रों को प्रसारित करने के लिए प्रयोग की जाती है। संदेश देने वाला व्यक्ति सबसे पहले नक्शे को एक कागज पर अंकित कर लेता है। इसके बाद यह कागज मशीन में लगे एक सिलेण्डर के चारों ओर लपेट दिया जाता है। फिर संदेश देने वाला व्यक्ति संदेश प्रसारण का बटन दबा देता है और कुछ ही सेकेण्ड में नक्शे की नकल दूसरे व्यक्ति तक पहुँच जाती है। यह माध्यम बहुत ही कम खर्च व समय में नक्शे, रेखाचित्र, सूचना व सभी आवश्यक चीजों को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँचा देता है। ये न केवल स्थानीय क्षेत्र में उपयोगी है बल्कि अंतराष्ट्रीय क्षेत्र में भी इसका उपयोग है।

3. इंटरनेट (Internet):
कम्प्यूटर के विकास ने संचार के सभी माध्यमों को पीछे छोड़ दिया है। इसके द्वारा संसार के किसी भी कोने में जाकर सभी प्रकार की सूचनाएँ प्राप्त की जा सकती हैं। इसका आरंभ अमेरिका द्वारा 5 वर्ष पूर्व किया गया था। इसके निर्माण के पीछे उद्देश्य था कि सभी प्रकार की सूचना एक स्थान पर एकत्रित की जा सके और विभिन्न स्थानों पर एक साथ पहुंचाई जा सके। आज कम्प्यूटर क्रांति ने सारे संसार की दूरियों को समेट कर रख दिया है और दूर-दराज के देश ऐसे प्रतीत होते हैं जैसे बिल्कुल नजदीक हों।

4. ई-मेल (E-Mail):
पुराने समय में सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने में अत्यधिक समय लगता था, परंतु इलेक्ट्रॉनिक मेल (E-Mail) के द्वारा सूचना एक स्थान से दूसरे स्थान तक तुरंत पहुँचाई जा सकती है। इसमें सूचनाओं का स्वरूप भी नहीं बिगड़ता है। लागत भी कम आती है और दोनों पक्षों की सक्षमता बढ़ती है। इसके द्वारा संसार के किसी भी कोने में कुछ ही. सेकण्ड में महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ पहुँचाई जा सकती हैं और उनकी गोपनीयता भी बनी रहती है।

5. एक्स्ट्रानेट (Extranet):
उत्पादकों, वितरकों तथा उपभोक्ताओं के बीच सम्पर्क रखने के लिए नई पद्धति का विकास किया गया है, जिसे एक्स्ट्रानेट कहते हैं। इसके अंतर्गत उपभोक्ताओं को आने वाली वस्तुओं के विषय में समस्त जानकारी प्राप्त हो जाती है। उत्पादकों को उत्पादन स्तर का पता चलता है और किसी भी स्तर पर होने वाली कठिनाई या कमी को वहीं पर दूर किया जा सकता है।

6. वर्ल्डवाइड वेब (World wide Web):
www पद्धति का विकास अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन को सुविधा प्रदान करने के लिए किया गया है।

7. वायस मेल (Voice Mail):
यह बहुत ही आकर्षक पद्धति है। इसके अंतर्गत कम्प्यूटर द्वारा मशीन को टेलीफोन के साथ जोड़ दिया जाता है जिसे उस टेलीफोन का या संस्था का मालिक वहाँ पर उपस्थित हो या न हो, कोई भी सूचना मिले बिना नहीं रहती चाहे वह महत्त्वपूर्ण हो अथवा नहीं। इस पद्धति में श्रम व लागतों में कमी आती है।

इसके अन्तर्गत संस्था में कार्य करने वाले प्रत्येक कर्मचारी की आने वाली व जाने वाली कॉल पर नजर रखी जा सकती है। इस पद्धति में सूचना को टेलीफोन द्वारा कम्प्यूटर तक पहुँचा दिया जाता है जो इसको अपने अंदर इकट्ठा करके रख लेता है। फिर जिस व्यक्ति के लिए सूचना इकट्ठी की गई है वह इस मशीन में से सूचनाओं को रिट्रिव कर कॉल्स (Calls) का यथानुसार तथा परिस्थितिनुसार जवाब दे सकती है।

8. यूनिफाइड मेसेजिंग सर्विस (Unifited Meassaging Serivce):
इस आकर्षक एवं बहुपयोगी पद्धति के अंतर्गत संचार के विभिन्न साधनों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को एक-दूसरे में परिवर्तित किया जा सकता है। जैसे-फैक्स मैसेज (Fax Message) को वायसमेल मेसेज (Voicemail Messaging) में उन लोगों के लिए बदला जा सकता है जिनके पास टेलीफोन है पर फैक्स मशीन नहीं है।

Bihar Board Class 11th Economics Solutions Chapter 3 उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण-एक समीक्षा

प्रश्न 9.
प्रशुल्क और अभ्यांश में अंतर बताएँ।
उत्तर:
प्रशुल्क और अभ्यांश में अंतर (Difference between Traiff and Quota):
Bihar Board Class 11 Economics Chapter - 3 उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण-एक समीक्षा img 5

Bihar Board Class 11th Economics Solutions Chapter 3 उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण-एक समीक्षा

प्रश्न 10.
मूल्य वर्धित कर या मूल्य वृद्धि कर (Value added Tax-VAT) क्या है? समझायें। यह विक्रयकर से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
मूल्य वर्धित कर (Value added Tax):
मूल्य वर्धित कर वस्तु विक्रय कर का एक विकल्प है। यह ऐसी कर प्रणाली है जिसके अन्तर्गत कर केवल उत्पादन प्रक्रिया में की गई मूल्य वृद्धि पर ही लगाया जाता है। मूल्य की यह वृद्धि उत्पादक या विक्रेता द्वारा की जाती है। श्री एल. के. झा समिति के अनुसार, “मूल्यवर्धित कर व्यापक रूप से समस्त वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया गया एक कर है जिसमें निर्मित वस्तुओं एवम् शासकीय सेवाओं को पृथक कर दिया जाता है। यह कर प्रत्येक स्तर पर होने वाली व्यवसाय की मूल्य वृद्धि पर जोड़ा जाता है। अत: इसे मूल्य वर्धित कर कहते हैं।”

समीकरण के रूप में:
वर्धित मूल्य = वस्तु का कुल मूल्य – क्रय की गई कच्ची सामग्री एवम् अन्य सामग्री का मूल्य।

अंतर:
विक्रय कर वस्तु के कुल मूल्य पर लगाया जाता है जबकि वेट (VAT) प्रत्येक अवस्था में केवल बढ़े हुए मूल्य पर लगाया जाता है। वस्तु की कुल कीमत पर नहीं अपितु वस्तु में होने वाली वृद्धि पर लगाया जायेगा। इससे ग्राहकों को कुछ आराम (Relief) मिलेगा क्योंकि अब कमीज की कीमत इतनी अधिक होगी जितनी पहले थी। इसे निम्न उदाहरण की सहायता से समझाया गया है –
Bihar Board Class 11 Economics Chapter - 3 उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण-एक समीक्षा img 6
नोट –

  1. 100/= पर विक्रय कर 4% = 4 रुपये
  2. 36 रुपये पर विक्रय कर 1.44 रुपये तथा
  3. 58.56 रु. पर विक्रय कर 2.35 रुपये)

ऊपर की तालिका से यह स्पष्ट होता है कि अतिम उपभोक्ता को एक कमीज 203.35 में मिलेगी जो पहली कीमत 200 रुपये से अधिक है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारतवर्ष में 1991 तक की आर्थिक नीतियाँ थीं –
(a) प्रतिबंधात्मक
(b) उदारवादी
(c) स्वतंत्र
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) प्रतिबंधात्मक

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प्रश्न 2.
1991 के आर्थिक सुधारों को कहते हैं –
(a) पहली पीढ़ी के आर्थिक सुधार
(b) दूसरी पीढ़ी के आर्थिक सुधार
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) दूसरी पीढ़ी के आर्थिक सुधार

प्रश्न 3.
1991 के आर्थिक सुधारों के आधार पर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में सरकारी क्षेत्र के हिस्से की शेयर-पूँजी कुल-स्टॉक की होनी चाहिए –
(a) 51 प्रतिशत
(b) 49 प्रतिशत
(c) 50 प्रतिशत
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 51 प्रतिशत

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प्रश्न 4.
भारत में नए आर्थिक सुधारों ने सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों में कुल स्टॉक में निजी क्षेत्र की शेयर पूँजी की इजाजत दी –
(a) 51 प्रतिशत
(b) 49 प्रतिशत
(c) 50 प्रतिशत
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) 49 प्रतिशत

प्रश्न 5.
WTO का विस्तार रूप है –
(a) विश्व व्यापार संगठन
(b) विश्व यातायात संगठन
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) विश्व व्यापार संगठन

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प्रश्न 6.
विश्व व्यापार संगठन पूरे विश्व के लिए सिफारिश करता है –
(a) मुक्त व्यापार की
(b) प्रतिबंधात्मक व्यापार की
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) मुक्त व्यापार की

प्रश्न 7.
अस्सी के दशक में वार्षिक वृद्धि दर थी –
(a) 3.5 प्रतिशत
(b) 5.5 प्रतिशत
(c) 4.5 प्रतिशत
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) 5.5 प्रतिशत

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प्रश्न 8.
वर्ष 1981-82 में राजस्व घाटा सकल घरेलू उत्पाद का था –
(a) 14
(b) 6
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 14

प्रश्न 9.
राजकोषीय नीति, मौद्रिक नीति, विनिमय दर नीति व मजदूरी आय नीति में परिवर्तन को कहते हैं –
(a) व्याष्टि आर्थिक उपाय
(b) समष्टि आर्थिक उपाय
(c) (a) और (b) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) समष्टि आर्थिक उपाय