Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

Bihar Board Class 11 Geography वायुमंडल का संघटन तथा संरचना Text Book Questions and Answers

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

(क) बहुवैकल्पिक प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सी गैस वायुमण्डल में सबसे अधिक मात्रा में मौजूद है?
(क) ऑक्सीजन
(ख) आर्गन
(ग) नाइट्रोजन
(घ) कार्बन डाइऑक्साइड
उत्तर:
(ग) नाइट्रोजन

प्रश्न 2.
वह वायुमण्डलीय परत जो मानव जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण है ………………
(क) समताप मण्डल
(ख) क्षोभमण्डल
(ग) मध्य मण्डल
(घ) आयनमण्डल
उत्तर:
(ग) नाइट्रोजन

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प्रश्न 3.
समुद्री नमक, पराग, राख, धुएँ की कालिमा, महीन मिट्टी-किससे सम्बन्धित हैं?
(क) गैस
(ख) जलवाष्प
(ग) धूलकण
(घ) उल्कापात
उत्तर:
(ग) धूलकण

प्रश्न 4.
निलिखित में से कितनी ऊँचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा नगण्य हो जाती है?
(क) 90 किमी
(ख) 100 किमी
(ग) 120 किमी
(घ) 150 किमी
उत्तर:
(ग) 120 किमी

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन-सी गैस सौर विकिरण के लिए पारदर्शी है तथा पार्थिव विकिरण के लिए अपारदर्शी?
(क) ऑक्सीजन
(ख) नाइट्रोजन
(ग) हिलीयम
(घ) कार्बन डाइऑक्साइड
उत्तर:
(घ) कार्बन डाइऑक्साइड

प्रश्न 6.
वायुमण्डल की कौन-सी परत पृथ्वी से प्रेषित रेडियो तरंगों को परावर्तित कर पुनः वापस कर पृथ्वी तल पर भेज देती है?
(क) समताप मण्डल
(ख) मध्य मण्डल
(ग) आयन मण्डल
(घ) बर्हिमण्डल
उत्तर:
(ग) आयन मण्डल

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
वायुमण्डल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वायुमण्डल विभिन्न प्रकार की गैसों का मिश्रण है और यह पृथ्वी को सभी ओर से ढके हुए है। इसमें मनुष्यों एवं जन्तुओं के जीवन के लिए आवश्यक गैसों जैसे ऑक्सीजन तथा पौधों के लिए कार्बन डाईऑक्साइड पाई जाती हैं।

प्रश्न 2.
मौसम और जववायु के कौन-कौन से तत्त्व हैं?
उत्तर:
ताप, दाब, हवा, आर्द्रता, बादल और वर्षण ये मौसम और जलवायु के महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं, जो पृथ्वी पर मुनष्य के जीवन को प्रभावित करते हैं।

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प्रश्न 3.
वायुमण्डल की संरचना के बारे में लिखिए।
उत्तर:
वायुमण्डल का निर्माण लगभग एक अरब वर्ष पूर्व हुआ। यह अनेक गैसों का मिश्रण है। नाइट्रोजन 78.8% तथा ऑक्सीजन 20.95% मुख्य गैसें हैं। इनके अतिरिक्त आर्गन, कार्बन डाइऑक्साइड, नीऑन, हीलियम, क्रेप्टो, जेनन तथा हाइड्रोजन भी कुछ मात्रा में है। वायुमण्डल में पाँच मुख्य संस्तर हैं-क्षोभमण्डल, समतापमण्डल, मध्यमण्डल, आयनमण्डल, बाह्ममण्डल । कुल वायुमण्डल का 99% भाग भूपृष्ठ से 32 कि.मी. की ऊँचाई तक सीमित हैं और गुरुत्वाकर्षक बल द्वारा पृथ्वी से सटा हुआ है। वायुमण्डल को ऊर्जा सूर्य से मिलती है।

प्रश्न 4.
वायुमण्डल के सभी संस्तरों से क्षोभमण्डल सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों हैं?
उत्तर:
क्षोभमण्डल वायुमण्डल का सबसे नीचे का संस्तर है। इसकी ऊंचाई 13 किमी है, तथा यह ध्रुव के निकट 8 किमी तथा विषुवत् रेखा पर 18 किमी की ऊँचाई तक है। इस मण्डल में धुलकण तथा जलवाष्प मौजूद होते हैं। मौसम में परिवर्तन इसी संस्तर में होता है। इस संस्तर में प्रत्येक 165 मी. की ऊँचाई पर तापमान 1°C घटता है। जैविक क्रिया के लिए यह सबसे महत्त्वपूर्ण संस्तर है।

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प्रश्न 5.
ग्रीन हाऊस प्रभाव से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
वायु प्रदूषण से सम्बन्धित एक बड़ी समस्या विश्व के तापमान में वृद्धि (Global Warming) या हरित गृह प्रभाव (Green House effect) है । मानवीय स्त्रोतों से उत्पन्न कुछ गैस कार्बन डायऑक्साइड, ओजोन, नाइट्रस ऑक्साइड और मीथेन है, जो हरित गृह प्रभाव में वृद्धि करतें हैं। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण कार्बन डाइऑक्साइड है, जो सौर ऊर्जा को पृथ्वी की ओर आने तो देता है, किन्तु पृथ्वी से जो धरातलीय विकरण होता है, उसे बाहर जाने से रोकती है और उसका अवशोषण करता है। अतः वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड के वृद्धि होने से पृथ्वी की सतह और वायुमण्डल के निचले भाग में तापमान की वृद्धि होती है जिसे हरित गृह प्रभाव कहा जाता है।

प्रश्न 6.
वायुमण्डल के मुख्य संघटनों का संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर:
1. वायुमण्डल गैसों का एक आवरण है, जो भूपृष्ठ के ऊपर हजारों किमी. की ऊँचाई तक फैला है। लगभग 90 किमी. की ऊँचाई तक यह तीन प्रमुख गैसों-नाइट्रोजन, ऑक्सीजन तथा आर्गन में एक समान है। इसके अतिरिक्त इनमें नियॉन, क्रिप्टन एवं जीनॉन जैसी दुर्लभ गैसें हैं, जिन्हें उत्कृष्ट गैसें कहते हैं।

2. 90 किमी. से ऊपर का संघटन अधिकाधिक हल्की गैसों की वृद्धि के साथ परिवर्तित होने लगता है। इसमें कम मात्रा में कार्बन डाय ऑक्साइड, जलवाष्प, ओजोन, अक्रीय गैसें जैसे जीनॉन, क्रिप्टन, नियान, आखान तथा अधिक मात्रा में ठोस एवं द्रव कण जिन्हें सामूहिक रूप से वायु कहते है।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
वायुमण्डल की संरचना की व्याख्या करें।
उत्तर:
वायुमण्डल विभिन्न प्रकार की गैसों का मिश्रण है और यह पृथ्वी को सभी ओर से ढके हुए है। इसमें मनुष्यों एवं जन्तुओं के जीवन के लिए आवश्यक गैसों जैसे ऑक्सीजन तथा पौधों के लिए कार्बन डाइऑक्साइड पाई जाती है। वायु पृथ्वी के द्रव्यमान का अभिन्न भाग है, तथा इसके कुल द्रव्यमान का 99% पृथ्वी की सतह से 32 किमी की ऊँचाई तक स्थित है । वायु रंगहीन तथा गंधहीन होती है, तथा जब यह पवन की तरह बहती है, तभी हम इसे महसूस कर सकते हैं। वायुमण्डल अलग-अलग घनत्व तथा तापमान वाले विभिन्न परतों का बना होता है। पृथ्वी की सतह के पास घनत्व अधिक होता है, जबकि ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ यह घटता जाता है। तापमान की स्थिति के अनुसार वायुमण्डल को पाँच विभिन्न संस्तरों में बांटा गया है। ये हैं-क्षोभमण्डल, समतापमण्डल, मध्यमण्डल, आयनमण्डल, बाह्यमण्डल।

क्षोभमण्डल वायुमण्डल का सबसे नीचे का संस्तर है.। इसकी ऊँचाई 13 किमी है। यह ध्रुव के निकट 8 किमी तथा विषुवत रेखा पर 18 किमी की ऊँचाई तक है। क्षोभमण्डल की मोटाई विषुवत् रेखा पर सबसे अधिक है; क्योंकि तेज वायु प्रवाह के कारण ताप का अधिक ऊँचाई तक सम्वहन किया जाता है। इस संस्तर में धुलकण तथा जलवाष्प मौजूद होते हैं। मौसम में परिवर्तन इसी संस्तर में होता है। इस संस्तर में प्रत्येक 165मी की ऊँचाई पर तापमान 1°C घटता है। जैविक क्रिया के लिए यह सबसे महत्त्वपूर्ण संस्तर है। वायुमण्डल का सबसे ऊपरी संस्तर जो आयनमण्डल के ऊपर स्थित होता है, उसे बाह्यमण्डल कहते हैं। यह सबसे ऊँचा संस्तर है, तथा इसके बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। इस संस्तर में मौजूद सभी घटक विरल है, जो धीरे-धीरे बाहरी आंतरिक्ष में मिल जोते हैं।

प्रश्न 2.
वायुमण्डल की संरचना का चित्र खींचे और व्याख्या करें।
उत्तर:
वायुमण्डल विभिन्न प्रकार की गैसों का मिश्रण है। इनमें सबसे अधिक 78.8% नाइट्रोजन (N2) गैस, ऑक्सीजन (O2)20.95% आर्गन (Ar) 0.93% कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) 0.036% नीऑन (Ne) 0.002% हिलीयम (He) 0.0005% क्रेप्टो (Kr) 00.001% जेनन (Xe) 0.00009% तथा हाइड्रोजन (H20.)00005% पाई जाती है। इसके पांच विभिन्न संस्तर है। वायुमण्डल का चित्र नीचे है।
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Bihar Board Class 11 Geography वायुमंडल का संघटन तथा संरचना Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
वायुमण्डल को कितने भागों में विभक्त किया गया है?
उत्तर:
रासायनिक संघटन के आधार पर वायुमण्डल को दो विस्तृत परतों में विभक्त किया गया है-होमोस्फेयर तथा हेट्रोस्फेयर।

प्रश्न 2.
सीमा किसे कहते हैं ?
उत्तर:
होमोस्फेयर की तीन परतें हैं-क्षोभमण्डल. समतापमण्डल तथा मध्यमण्डल । प्रत्येक उप-परत अपने साथ वाली परत से एक पतले संक्रमण क्षेत्र द्वारा अलग होती है, इसे सीमा कहते हैं।

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प्रश्न 3.
जेट वायुयान वायुमण्डल के किस भाग में उड़ते हैं ?
उत्तर:
जेटवायुयान निम्न समतापमण्डल में उड़ते है, क्योंकि यह परत उड़ान के लिए अत्यन्त सुविधाजनक दशाएँ रखती है। यह मण्डल क्षोभ सीमा के ऊपर स्थित है।

प्रश्न 4.
मौसम और जलवायु के प्रमुख तत्त्व कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
मौसम एवं जलवायु के प्रमुख तत्त्व निम्नलिखित है –

  1. तापमान
  2. वायुदाब एवं पवनें
  3. आर्द्रता एवं वर्षण।

ये जलवायु तत्त्व कहलाते हैं, इन्हीं से विभिन्न प्रकार की जलवायु और मौसम की रचना होती है।

प्रश्न 5.
मौसम किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी दिए गए समय में वायुमण्डल की भौतिक दशा को मौसम कहते है, जैसे ही. ये दशाएँ बदलती हैं, वैसे ही मौसम बदल जाता है।

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प्रश्न 6.
वायुमण्डल किसे कहते हैं?
उत्तर:
वायुमण्डल गैस का एक आवरण हैं, जो पृथ्वी के ऊपर हजारों किलोमीटर की ऊँचाई तक फैला हुआ है। पृथ्वी पर अधिकांश जीवन तथा जीवन प्रक्रियाओं का अस्तित्व वायुमण्डल से जुड़ा हुआ है।

प्रश्न 7.
वायुमण्डल की उत्पत्ति कब हुई?
उत्तर:
वायुमण्डल की उत्पत्ति लगभग पाँच अरब वर्ष पूर्व ठण्डे कणों, मुख्य रूप से लोहे एवं मैग्नीशियम के सिलिकेट, लोहे एवं ग्रेफाइट की अभिवृद्धि द्वारा धीमे परिवर्तनों से हुई।

प्रश्न 8.
वायुमण्डल में नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन की प्रतिशत मात्रा कितनी है ?
उत्तर:
ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन मिलकर स्वच्छ शुष्क हवा के 99 प्रतिशत भाग का निर्माण करती हैं फिर भी जलवायु की दुष्टि से इनकी महत्ता कम है।

प्रश्न 9.
कौन सी गैसें हमें हानिकारक किरणों से बचाती हैं ?
उत्तर:
ओजोन गैस अत्यन्त उपयोगी गैस है, क्योंकि यह पराबैंगनी किरणों का अवशोषण करती है, तथा इन हानिकारक किरणों से पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करती है।

प्रश्न 10.
मौसम तथा जलवायु के प्रमुख चर क्या हैं?
उत्तर:
जलवाष्प एवं धूलकण मौसम एवं जलवायु में प्रमुख चर है। ये सभी प्रकार के संसाधन के स्रोत हैं तथा सूर्य से प्राप्त होने वाली अथवा पृथ्वी से विकसित ऊर्जा के प्रमुख अवशोषक हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
विभिन्न क्षेत्रों में वायुमण्डल का महत्त्व बताएँ।
उत्तर:

  1. जीवन का आधार-पृथ्वी पर मानव जीवन का आधार वायुमण्डल ही है। सौरमण्डल में केवल पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है. जिस पर वायुमण्डल विद्यमान है। ऑक्सीजन और नाइट्रोजन जीवन का आधार है।
  2. ताप सन्तुलन-वायुमण्डल एक ग्रीन हाउस की भाँति कार्य करता है। इस प्रभाव से पृथ्वी का तापमान औसत रूप से 35°C रहता है। वायुमण्डल के बिना बहुत अधिक तापमान पर जीवन असम्भव होता है।
  3. ओजोन परत सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैगनी किरणों से पृथ्वी की रक्षा करती है। आयनमण्डल रेडियो. तरंगों को पृथ्वी पर लौटाकर रेडियो प्रसारण में सहायता करता है।
  4. वायुमण्डल की विभिन्न घटनाएँ, जैसे वाष्पीकरण, वर्षा, पवनें आदि मानव जीवन पर प्रभाव डालती है। सौरमण्डल से पृथ्वी पर गिरने वाली उल्काएँ वायुमण्डल में जलकर नष्ट हो जाती है।

प्रश्न 2.
क्षोभमण्डल तथा समतापमण्डल में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
क्षोभमण्डल तथा समतापमण्डल में अन्तर –
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प्रश्न 3.
वायुमण्डल कैसे पृथ्वी से जुड़ा रहता है?
उत्तर:
पृथ्वी पर अधिकांश जीवन वायुमण्डल की तली, जहाँ स्थल तथा महासागर मिलते हैं, पर मौजद है। जीवन प्रतिक्रियाओं का अस्तित्व इससे जुड़ा हुआ है। मानव पर वायुमण्डल का न केवल प्रत्यक्ष बल्कि अप्रत्यक्ष प्रभाव भी है। कुल वायुमण्डल का 99 प्रतिशत भाग भूपृष्ठ से 32 किमी की ऊँचाई तक सीमित है और गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा पृथ्वी से सटा हुआ है।

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प्रश्न 4.
विषमण्डल (हेट्रोस्फेयर) क्या है?
उत्तर:
विषमण्डल (हेट्रोस्फेयर) एक परतदार ऊष्ण मण्डल है, जो मध्य सीमा के ऊपर स्थित है और आंतरिक्ष के आधार तक विस्तृत है। ऊष्ण मण्डल के निम्न भाग में 100 से 400 किमी के मध्य की ऊँचाई तक सीमित है और गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा पृथ्वी से सटा हुआ है।

प्रश्न 5.
वायुमण्डल की स्वच्छ शुष्क हवा के मुख्य संघटक कौन-से हैं ?
उत्तर:
ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन वायुमण्डल की स्वच्छ शुष्क हवा के मुख्य घटक हैं। ये दोनों मिलकर होमोस्फेयर की स्वच्छ शुष्क हवा के 99 प्रतिशत भाग का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 6.
कौन-सी गैस कम मात्रा में होने पर भी वायुमण्डल प्रक्रियाओं के लिए महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा कम है, फिर भी वायुमण्डलीय प्रक्रिया में यह एक महत्त्वपूर्ण गैस है। यह ऊष्मा को अवशोषित कर सकता है और इस प्रकार निचले वायुमण्डल को सौर विकिरण तथा पार्थिव विकिरण द्वारा गर्म होने का अवसर प्रदान करता है। प्रकाश संश्लेषण क्रिया में हरे पौधे वायुमण्डल से कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते हैं।

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प्रश्न 7.
वायुमण्डल की परिभाषा बताएँ।
उत्तर:
पृथ्वी के चारों ओर घिरे हुए वायु के आवरण को वायुमण्डल कहते हैं। पृथ्वी की गुरुवाकर्षण शक्ति के कारण वायुमण्डल सदा पृथ्वी के साथ सटा रहता है, तथा पृथ्वी का एक अभिन्न अंग है। वायुमण्डल के कारण ही पृथ्वी पर जीवन है, तथा पृथ्वी एक महत्त्वपूर्ण ग्रह है। वायुमण्डल का निर्माण लगभग एक अरब वर्ष पूर्व हुआ वायुमण्डल अनेक गैसों का मिश्रण है। नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन मुख्य गैसें हैं। वायुमण्डल में पाँच मुख्य संस्तर हैं-क्षोभमण्डल, समतापमण्डल, मध्यमण्डल, आयनमण्डल, बाह्यमण्डल।।

प्रश्न 8.
वायुमण्डल का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
वायुमण्डल का मानवीय जीवन में बहुत महत्त्व हैं –

  1. ऑक्सीजन गैस पृथ्वी पर जीवन का आधार है।
  2. पेड़ – पौधों तथा वनस्पति के लिए कार्बन डाइऑक्साइड महत्त्वपूर्ण है।
  3. वायुमण्डल सूर्यताप की अवशोषित करके ग्लास हाऊस का काम करता है।
  4. वायुमण्डल का जलवाष्प वर्षा का मुख्य साधन है।
  5. वायुमण्डल फसलों, मौसम, जलवायु तथा वायुमार्गों पर प्रभाव डालता है।

प्रश्न 9.
वायुमण्डल की मुख्य परतों के नाम बताएँ।
उत्तर:
वायुमण्डल में मुख्य रूप से पाँच परतें पाई जाती हैं। रासायनिक संरचना के आधार पर वायुमण्डल को इन परतों में विभक्त किया गया है,

  1. क्षोभमण्डल – यह वायुमण्डल की सबसे निचली परत है।
  2. समतापमण्डल – इस भाग में वायूयान उड़ते है।
  3. आयनमण्डल – इसका तापमान आश्चर्यजनक तरीके से बढ़ता है।
  4. बाह्यमण्डल।
  5. चुम्बकमण्डल।

प्रश्न 10.
वायुमण्डल की उत्पत्ति कब हुई?
उत्तर:
वायुमण्डल की उत्पत्ति पाँच अरब वर्ष ठण्डे कणों, मुख्य रूप से लोहे एवं मैग्नीशियम सिलिकेट, लोहे एवं ग्रेफाइट की अभिवृद्धि द्वारा शुरू हुए धीमें परिवर्तनों का परिणाम है। गुरुत्वाकर्षण विखण्डन तथा रेडियोधर्मी क्षति से पृथ्वी गर्म हुई, जिसमें पृथ्वी के केन्द्र में ठोस निकिल, लौह धातु निर्मित क्रोड, द्रव लौह सिलिकेट खोल, मैंटल तथा स्थलमण्डल की रचना हुई। इस प्रक्रिया में गैस का निकास हुआ, जिससे एक नए वायुमण्डल एवं जलमण्डल की रचना हुई। कार्बन नाइटोजन, ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन के यौगिकों की उत्पत्ति, ऊर्जा स्रोतों जैसे बिजली का चमकना, सौर विकिरण अथवा रेडियोधर्मी विसर्जन से हुई।

कार्बन डाइऑक्साइड और भूपर्पटी के सिलिकेट के मध्य हुई प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप कार्बनेट का निर्माण हुआ। अत: कार्बन डाइऑक्साइड धीरे-धीरे वायुमण्डल से लुप्त हो गई। वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा कम हुई। ओजोन ने पृथ्वी पर आने वाली पराबैंगनी विकिरण के विरुद्ध एक परदे या आवरण का काम किया तथा जैविक निक्षेप कोयले एवं तेल भण्डारों के रूप से संचित होने लगे। इन सभी घटनाओं ने मौलिक रूप से पृथ्वी के भू-रसायन को परिवर्तित कर दिया। अधिकांश रासायनिक तत्त्वों के चक्रों का पुन-अभिविन्यास हुआ। इस प्रकार पृथ्वी के वायुमण्डल की रचना हुई।

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प्रश्न 11.
आयनमण्डल का वर्णन करो।
उत्तर:
यह धरातल के ऊपर वायुमण्डल का चौथा संस्तर है। इसकी ऊँचाई 80 से 400 कि.मी. के मध्य है। इस मण्डल में तापमान ऊंचाई बढ़ने के साथ बढ़ता है। यहाँ की हवा विद्युत आवेशित होती है। रेडियो तरंगें इसी मण्डल से परावर्तित होकर पुनः पृथ्वी पर लौट जाती हैं। यह परत रेडियो प्रसारण में उपयोगी है। इसमें तापमान का वितरण असमान एवं अनिश्चित है। इस मण्डल में बड़ी ही विस्मयकारी विद्युतकीय घटनाएँ दृष्टिगोचर होती हैं।

प्रश्न 12.
क्षोभमण्डल सीमा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ऊँचाई के साथ-साथ तापमान में एक असमान दर से परिवर्तन होता है –

  1. 15 किमी तक तापमान में एक असमान दर से परिवर्तन होता है।
  2. 80 किमी तक तापमान स्थिर रहता है।
  3. 80 किमी से ऊपर तापमान में वृद्धि होने लगती है।

इस ऊँचाई के पश्चात् क्षोभमण्डल से ऊपर समतापमण्डल का भाग आरम्भ होता है। समताप मण्डल तथा क्षोभमण्डल को अलग करने वाले संक्रमण क्षेत्र को क्षोभमण्डल सीमा कहते हैं।

प्रश्न 13.
वायुमण्डल में धुल कणों का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
वायुमण्डल में धूल कण निचले भागों में पाए जाते हैं। वायुमण्डल में धूल कणों का कई प्रकार से विशेष महत्त्व है –

  1. धूल कण सौर ताप का कुछ भाग सोख लेते हैं, तथा कुछ भाग परावर्तन हो जाता है। ताप सोख लेने के कारण वायुमण्डल का तापक्रम अधिक हो जाता है।
  2. धूल कण आर्द्रताग्रही नाभि के रूप में काम करते हैं। इनके चारों ओर जलवाष्प का संघनन होता है, जिससे वर्षा, कोहरा, बादल बनते हैं। धूल कणों के अभाव के कारण वर्षा नहीं हो सकती।
  3. धूल कणों के कारण वायूमण्डल की दर्शन क्षमता कम होती है, तथा धुंधलापन छा जाता है।
  4. धूल कणों के सन्योग से कई रंग-बिरगे दृश्य सूर्य उदय, सूर्य अस्त तथा इन्द्रधनुष दृश्य बनते हैं।

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प्रश्न 14.
क्षोभमण्डल को वायुमण्डल की सबसे महत्त्वपूर्ण परत क्यों माना जाता है?
उत्तर:
क्षोभमण्डल वायुमण्डल की सबसे निचली परत है, जो कई कारणों से महत्त्वपूर्ण हैं –

  1. पृथ्वी के धरातल पर जलवायु स्थितियों का निर्माण करने वाली महत्त्वपूर्ण क्रियाएँ इसी परत में होती हैं।
  2. इस परत में गैसों, धूल कण तथा जलवाष्म की मात्रा अधिक पाई जाती है। इसलिए मेघ, वर्षा, कोहरा आदि क्रियाएँ इसी परत में होती हैं।
  3. इस अस्थिर भाग में संवाहिक धाराएँ चलती हैं, जो ताप और आर्द्रता को ऊँचाई तक ले जाती हैं।
  4. इस भाग में संचालन क्रिया द्वारा वायुमण्डल की विभिन्न परतें गर्म होती हैं। ऊंचाई के साथ-साथ तापमान कम होता है। तापमान कम होने की दर 1°C प्रति 165 मीटर हैं।
  5. क्षोभमण्डल में अस्थिर वायु के कारण आँधी-तूफान चलते हैं। वायु परिवर्तन से मौसम परिवर्तन होता है। इसी क्षेत्र मे चक्रवात उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 15.
क्षोभ सीमा पर भूमध्य रेखा के ऊपर न्यूनतम ताप क्यों पाया जाता है?
उत्तर:
पृथ्वी पर निम्नतम तापमान धुवों पर पाया जाता है। परन्तु वायु में क्षोभ सीमा पर निम्नतम तापमान भूमध्य रेखा पर पाया जाता है। क्षोभमण्डल पर भूमध्य रेखा पर -80C तथा ध्रुवों पर-45°C तापमान पाया जाता है। इसका कारण यह है, कि भूमध्य रेखा पर क्षोभ सीमा की ऊँचाई 18 किमी होती है, जबकि ध्रुवों पर यह ऊँचाई केवल 8 किमी होती है। ऊँचाई के साथ तापमान कम होता है, इसलिए अधिक ऊंचाई होने के कारण भूमध्य रेखा पर निग्नताप पाए जाते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
वायुमण्डल की संरचना एवं प्रत्येक परत की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रासायनिक संघटन के आधार पर वायुमण्डल को दो विस्तृत परतों में विभक्त किया गया है-होमोस्फेयर हेट्रोस्फेयर। होमोस्फेयर (सममण्डल)-यह 90 किमी की ऊंचाई के मध्य स्थित है। इसकी तीन परतें हैं-क्षोभमण्डल, समतापमण्डल तथा मध्यमण्डल। प्रत्येक उप-परत अपने साथ वाली परत से एक पतले संक्रमण क्षेत्र द्वारा अलग होती है, जिसे सीमा कहते हैं । क्षोभमण्डल वायुमण्डल की सबसे निचली परत है। यहाँ ऊँचाई के साथ तापमान घटता है। इस परत में तापमान प्रत्येक 100 मीटर. की ऊँचाई पर 0.65°C से कम हो जाता है। इसे सामान्य क्रास दर कहते हैं। सभी वायुमण्डलीय प्रक्रियाएँ, जो जलवायु से सम्बन्धित हैं, इस परत में घटती है।

क्षोभ सीमा के ऊपर समतापमण्डल की स्वच्छ एवं शान्त वायु मौजूद है। इस परत में जलवाष्य का पूर्ण अभाव मेघों के निर्माण को रोकता है, जिससे यहाँ दृश्यता सर्वाधिक होती है। ओजोन परत भी समतापमण्डल में ही है। यह पृथ्वी को पराबैगनी विकिरण से सुरक्षा प्रदान करती है। समताप सीमा के ऊपर मध्यमण्डल स्थित है। इस परत में ऊँचाई के साथ तापमान फिर कम होने लगता है। मध्यमण्डल के उच्च अक्षांशों में गर्मियों में तंतुनुमा मेघ देखने को मिलते है, जो उल्का धूल कणों से परावर्तित सूर्य किरणें हैं।

विषय मण्डल (हेस्ट्रोस्फेयर)-यह एक परतदार उष्णमण्डल है। यह मध्यसीमा के ऊपर स्थिल है और अंतरिक्ष एक विस्तृत क्षेत्र है। उष्णमण्डल के निम्न भाग में 100 से 400 किमी के मध्य की ऊँचाई और वायुमण्डलीय गैसों का आयनीकरण हो जाता है। यह परत रेडियो तरंगों को परावर्तित करती है। आयनीकृत धूल कण अंतर्विराम पर चादर के समान प्रकाश फैलाते हैं, जिसे उत्तरी गोलाद्ध ऑरोरा बोरिलिस तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में ऑरोरा आस्ट्रेलिस कहते हैं। ऊष्णमण्डल के ऊपरी भाग में फिर से आयनों का संकेन्द्रण होता है। इसे एलेन विकिरण पट्टी कहते हैं। सबसे ऊपरी परत को चुबकीय मण्डल भी कहते हैं। इस मण्डल में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हीलियम तथा हाइड्रोजन की विशिष्ट परतें होती है।

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प्रश्न 2.
वायुमण्डल की संरचना एवं प्रत्येक परत की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
पृथ्वी के चारों ओर सैकड़ों किमी की ऊँचाई में आवृत करनेवाला गैसीय आवरण ही वायुमण्डल है। इसकी संरचना लगभग 1 अरब वर्ष पूर्व सम्भावित मानी गयी है, जबकि यह वर्तमान अवस्था में लगभग 58 करोड़ वर्ष पूर्व आया। पृथ्वी का गैसीय आवरण पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण ही बंधा है। वायुमण्डल में वायु एवं गैसों की अनेक संकेन्द्रित परतें विद्यमान है, जो घनत्व, तापमान एवं संभव की दष्टि से एक दूसरे से पूर्णतः भिन्न है।

सामान्यतः वायुमण्डल पाँच मण्डलों में विभक्त है –

  1. क्षोभ मण्डल
  2. समताप मण्डल
  3. मध्य मण्डल
  4. आयन मण्डल
  5. बाह्य मण्डल

1. क्षोभ मण्डल – मानव हेतु अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। ऋतु एवं मौसम सम्बन्धी लगभग सभी घटनाएँ इसी परत में होती है। बादल, वर्षा, धूलकण, आँधी-तूफान आदि मौसम सम्बन्धी घटनाएँ घटित होती है।

2. समताप मण्डल – की ऊँचाई 50km तक मानी जाती है। यहाँ संवाहनीय धाराएँ, आँधी, बादलों की गरज, धूल-कण आदि कुछ भी नहीं पाया जाता है। कभी-कभी मोतियों जैसे दुर्लभ बादल दिखाई पड़ते हैं।

3. मध्य मण्डल – का विस्तार 50 से 90km. तक है, इस परत में ऊँचाई के साथ तापमान गिरने लगता है।

4. आयन मण्डल – इसकी सीमा 100 km. से 400 km. ऊ तक है। यहाँ पर उपस्थित गैस के कण विद्युत आवेशित होते हैं। जिसे आयन मण्डल कहा जाता है।

5. बाह्य मण्डल – वायुमण्डल की सबसे ऊपरी परत बाह्य मण्डल कहा जाता है। यहाँ वायु नहीं के बराबर होती है।

प्रश्न 3.
वायुमण्डल की संरचना एवं संघटन का वर्णन करें।
उत्तर:
वायुमण्डल की संरचना –

  • रासायनिक संघटन के आधार पर वायुमण्डल दो विस्तृत परतें होमोस्फेयर तथा हेट्रोस्फेयर में विभक्त है। होमोस्फेयर 90 कि०मी० तक स्थित है।
  • इसकी तीन तापीय परतें हैं-क्षोभमण्डल, समताप मण्डल तथा मध्य मण्डल।
  • प्रत्येक उपपरत अपने साथ वाली परत से एक पतले संक्रमण क्षेत्र द्वारा अलग होती है, जिसे सीमा कहते है और उसे निचले परत के नाम से जोड़ते हैं, जैसे क्षोभ सीमा।
  • ट्रेटोस्फेयर का रासायनिक संगठन असमान है। इसमें क्रमशः नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हीलियम है। इसमें क्रमशः नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हीलियम तथा हाइड्रोजन की परतदार सरचनाएँ हैं।

वायुमण्डल का संघटन –
1. वायुमण्डल गैस का एक आवरण है, जो भूपष्ठ के ऊपर हजारों किलोमीटर की ऊँचाई तक फैला है। लगभग 90 कि०मी० की ऊंचाई तक यह तीन प्रमुख गैसों-नाइट्रोजन, ऑक्सीजन तथा आरगन में एक समान है। इसके अतिरिक्त इनमें नियॉन क्रिप्टन एवं नीयॉन जैसी दुर्लभ गैसें है, जिन्हें उत्कृष्ट गैसें भी कहते हैं।

2. ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन मिलकर होमोस्फेयर की स्वच्छ शुष्क हवा के 99 प्रतिशत भाग का निर्माण करते है। इसके अतिरिक्त कार्बन डायऑक्साइड, जलवाष्प ओजोन, अक्रिय गैसें जैसे-क्रिप्टन निर्यान, आरगन तथा अधिक मात्रा में ठोस एवं द्रव कण जिन्हें सामूहिक रूप से सेरोसॉल या वायुविलय कहते हैं। .

प्रश्न 4.
वायुमण्डल की रचना का विस्तार से वर्णन करें।
उत्तर:
वायुमण्डल अनेक गैसों, जलवाष्प तथा धूल कणों के मिश्रण से बना हुआ है। वायुमण्डल में ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन प्रमुख गैसें हैं। ये दोनों मिलकर वायुमण्डल का 99 प्रतिशत भाग का निर्माण करती है। शेष 1 प्रतिशत में अन्य गैसें कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन, ओजोन, आर्गन, हाइड्रोजन, हीलियम आदि शामिल हैं। इन गैसों की मात्रा कम व अधिक होती रहती है। भारी गैसें वायुमण्डल की निचली परतों में तथा हल्की गैसें ऊपरी परतों में पाई जाती हैं ऑक्सीजन, नाइट्रोजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड जीव-जन्तुओं तथा पौधों के जीवन का मूल आधार है।
Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना
वायुमण्डल में लगभग 2% मात्रा में जलवाष्प पाया जाता है। ऊँचाई के साथ जलवाष्प की मात्रा कम होती जाती है। कुल जलवाष्प का लगभग आधा हिस्सा दो हजार मीटर ऊँचाई के नीचे पाया जाता है। जलवाष्प तापमान पर भी निर्भर करता है। भमध्य रेखा से धवों की ओर जलवाष्प की मात्रा कम होती जाती है। पृथ्वी पर वर्षा एवं संघनन का मुख्य स्रोत जलवाष्प ही है। सूर्यताप को सोखकर जलवाष्प तापक्रम नियन्त्रण करता है । इसके अतिरिक्त वायुमण्डल में बहुत अधिक ठोस कण पाए जाते हैं जिनमें धूलकण प्रमुख है। इनके स्रोत मरुस्थलीय मैदान, समुद्री तट, शुष्क घाटियाँ तथा झील तल होते हैं। धूल कण सूर्यताप को बिखेरते तथा विकेन्द्रित करते हैं। धूल कण अधिकतर वायुमण्डल के निचले हिस्सों में पाए जाते हैं। वायुमण्डल में धूल कणों का विशेष महत्त्व है।

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प्रश्न 5.
वायुमण्डलीय क्रियाएँ मौसम तथा जलवायु को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? वर्णन करें। अथवा, मौसम और जलवायु के मुख्य तत्त्वों तथा जलवायु के प्रमुख नियन्त्रकों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
मौसम और जलवायु के प्रमुख तत्त्व हैं –

  • तापमान
  • वायुदाब एवं पवनें
  • आर्द्रता एवं वर्षण।

ये जलवायु तत्त्व कहलाते हैं, क्योंकि इन्हीं से विभिन्न प्रकार के मौसम और जलवायु के प्रकारों की रचना होती है। तापमान तथा वर्षण मुख्य आधारभूत तत्त्व है, जिनसे वायुदाब, पवनें तथा अन्य तत्त्व जुडे हुए हैं। व्यावहारिक रूप से पृथ्वी पर समस्त ऊर्जा सूर्याताप अथवा सूर्य से आने वाले विकिरणों को फल है । पृथ्वी के तापमान के असमान वितरण से वायुदाब में भिन्नता आती है, जिससे पवनों की उत्पत्ति होती है। वायुमण्डल में आर्द्रता जलवाष्प के रूप में उपस्थित रहती है, जो अक्सर संघटित होकर मेघों को जन्म देती हैं। इसका वर्षण वर्षा, ओले, बजरी अथवा हिम के रूप में हो सकता है। वायु की अपने अन्दर जलवाष्य रखने की क्षमता इसके तापमान पर निर्भर करती है। जलवायु नियंत्रकों के कारण जलवायु के तत्त्व एक स्थान से दूसरे स्थान पर भिन्न-भिन्न होते हैं।

जलवायु नियन्त्रक निम्न हैं –

  • अक्षांश अथवा सूर्यताप
  • स्थल एवं जल का वितरण
  • अर्धस्थाई उच्च दाब एवं निम्न दाब की विशाल पट्टियाँ
  • पवनें
  • ऊँचाई
  • महासागरीय धाराएँ
  • विभिन्न प्रकार के तुफान
  • पर्वतीय अवरोध

ये नियन्त्रक विभिन्न गहनता तथा विभिन्न संयोजनों के साथ काम करते हुए, तापमान एवं वर्षण में परिवर्तन लाते हैं, जो विभिन्न प्रकार की जलवायु और मौसम के लिए उत्तरदायी हैं।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें –

  1. होमोस्फेयर
  2. वायुमण्डलीय गैसों का आयनीकरण।

उत्तर:
1. होमोस्फेयर (सममण्डल) – वायुमण्डल की सबसे निचली परत क्षोभमण्डल कहलाती है। यह भूमध्य रेखा पर 16 किमी. तथा धुवों पर 10 किमी की ऊँचाई पर स्थिल है। यहाँ तापमान घटता जाता है, क्योंकि वायुमण्डल अधिकतर भूपृष्ठ द्वारा विकरित ऊष्मा से गर्म होता है। इस परत में तापमान प्रत्येक 100 मीटर की ऊँचाई पर 0.65°C कम हो जाता है। इसे सामान्य ह्यास दर कहते हैं। क्षोभ सीमा के पास यह न्यूनतम -60°C पर पहुँच जाता है सभी वायुमण्डलीय प्रक्रियाएँ जो जलवायविक तथा मौसमी दशाओं के लिए उत्तरदायी हैं, इस परत में घटती हैं।

क्षोभ सीमा के ऊपर समतामण्डल की स्वच्छ एवं शान्त वायु मौजूद है। ओजोन परत भी समतापमण्डल में ही है। इसकी अधिकता 20 से 22 किमी. ऊँचाई वाले क्षेत्र में है। ओजोन परत पृथ्वी को पराबैगनी विकिरण से सुरक्षा प्रदान करती है। तापमान समतापमण्डल के आधार पर -600 C से बढ़कर इसकी ऊपरी सीमा पर जिसे समताप सीमा कहते हैं,0°C हो जाता है। समताप सीमा के ऊपर मध्यमण्डल स्थित है, जो 50 से 90 किमी की ऊँचाई के मध्य स्थित है।

2. वायुमण्डलीय गैसों का आयनीकरण – उष्णमण्डल अंतरिक्ष के आधार तक विस्तृत है। इस परत का तापमान आश्चर्यजनक तरीके से बढ़ता है। उष्णमण्डल के निम्न भाग में 100 से 400 किमी के मध्य ऊँचाई पर वायुमण्डलीय गैसों का आयनीकरण हो जाता है। इन आयनीकृत कणों का 250 किमी. की ऊंचाई पर सर्वाधिक संकेन्द्रता होता है। यह परत रेडियो तरंगों को परिवर्तित करती है।

आयनीकृत धूलकण अंत विराम पर चादर के समान प्रकाश फैलाती है, जिसे उत्तरी गोलार्द्ध में ऑरोरा बोरिलिस और दक्षिणी गोलार्ध में ऑरोरा आस्ट्रेलिस कहते हैं। उष्णमण्डल के ऊपरी भाग में फिर से आयनों का संकेन्द्रण होता है। इसे वान एलेन विकिरण पट्टी कहते हैं। सबसे ऊपरी भाग को चुम्बकीय मण्डल भी कहते हैं । ऊष्णमण्डल में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हीलियम तथा हाइड्रोजन की विशिष्ट परतें हैं, जो भूपृष्ठ से क्रमशः 200 किमी., 1000 किमी, 2600 किमी. तथा 9600 किमी. की औसत ऊँचाईयों पर स्थित हैं।

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प्रश्न 7.
वायुमण्डल के संघटन और ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, तथा कार्बन डाइऑक्साइड के महत्त्व की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
लगभग 90 किमी. की ऊँचाई तक नाइट्रोजन, ऑक्सीजन तथा आर्गन एक समान है। इसके अतिरिक्त इनमें नियॉन, क्रिष्टन, एवं जीनॉन जैसी दुलर्भ गैसें हैं। इन्हें उत्कृष्ठ गैसें भी कहते हैं। ये अक्रिय गैसें हैं। यह परत सामान्यतः होमोस्फेयर या सममण्डल कहलाती है। ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन मिलकर होमोस्फेयर की स्वच्छ शुष्क हवा के 99 प्रतिशत भाग का निर्माण करते हैं। इसके अतिरिक्त कम मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प, आजोन, अक्रिय गैसें तथा अधिक मात्रा में ठोस एवं द्रव कण, जिन्हें, सामूहिक रूप से ऐरासॉल या वायु-विलय कहते है, शामिल हैं।

नाइट्रोजन अन्य पदार्थों के साथ रासायनिक संयोग नहीं करता है, लेकिन मृदा में स्थिर हो जाता है। यह एक घोलक का काम करता है तथा दहन को नियन्त्रित करता है। इसके विपरीत, ऑक्सीजन लगभग सभी तत्त्वों के साथ मिल जाता है और अत्यधिक दहनशील है। यद्यपि वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड का भाग कम है फिर भी वायुमण्डलीय प्रक्रिया में यह एक महत्त्वपूर्ण गैस है।

यह ऊष्मा को अवशोषित कर सकता है और इस प्रकार निचले वायुमण्डल को सौर विकिरण तथा पार्थिव विकिरण द्वारा गर्म करता है। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में हरे पौधे वायुमण्डल से कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते हैं। ओजोन बहुत कम मात्रा में समतापमण्डल में भूपृष्ठ के मध्य मिलती है, परन्तु यह अत्यन्त उपयोगी गैस है, यह परबैंगनी किरणों का अवशोषण करती हैं और हानिकारक किरणों से भूपृष्ठ पर जीवन की रक्षा करती हैं।

वायुमण्डल का संघटन – (देखें तालिका 8.1)
जलवाष्प एवं धूल कण मौसम एवं जलवायु के प्रमुख चर हैं। ये सभी संघनन के स्रोत है, तथा सूर्य से प्राप्त होने वाली अथवा पृथ्वी से विकिरित ऊर्जा के प्रमुख अवशोषक हैं। ये वायुमण्डल की स्थिरता को भी प्रभावित करते हैं। वायुमण्डल में जलवाष्य की मात्रा विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओर जाने के साथ कम होती जाती है। इसका लगभग 90 प्रतिशत भाग वायुमण्डल से 6 किमी नीचे रहता है। वायुमण्डल के इस भाग में ही धूल कण, नमक तथा पराग आदि के ठोस कण निलम्बित रहते है।

वायुमण्डल की ऊपरी परत मे अति सूक्ष्म धूल कण पृथ्वी पर आने वाली सूर्य की किरणों को प्रकीर्णन कर देते हैं और नीले रंग के अतिरिक्त सभी रंगों को अवशोषित कर लेते हैं। इसके विपरीत बड़े आकार वाले कण सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय के लाल और नारंगी रंगों के लिए उत्तरदायी हैं।