Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions

Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions प्रतिपूर्ति Chapter 3 सफेद कबूतर (न्गुयेन क्वांग थान)

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions प्रतिपूर्ति Chapter 3 सफेद कबूतर (न्गुयेन क्वांग थान)

सफेद कबूतर पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
सफेद कबूतर कहानी के आधार पर कहानी के नायक सिपाही की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख करें। .
अथवा,
‘सफेद कबूतर’ शीर्षक कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण करें।
उत्तर-
‘सफेद कबूतर’ कहानी का नायक कर्मठ, कर्तव्यपरायण और देशभक्त सिपाही है। 36 वर्षों से वियतनाम और अमेरिका का युद्ध चल रहा था। इसी युद्ध के दौरान वह देश के स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सेना में भर्ती होता है। यद्यपि कुछ ही समय पहले उसकी शादी हुई है। अपनी नव-विवाहिता पत्नी का मोह छोड़कर वह देश की रक्षा के लिए सेना में भर्ती हो जाता है।

आने वाले सिपाही जीवन की सारी जरूरतों को फौजी की ओर से मिलने वाले झोले में भर चुकने के बाद वह अपने अफसर से कुछ देर की छुट्टी लेकर अपनी पत्नी से मिलने जाता है। घर पर पत्नी के साथ खाना खाया और उसके कुछ ही देर बाद वह जिला हेडक्वार्ट्स की ओर लौट जाता है, जहाँ लाम की ओर जाने वाली बस उसी की प्रतीक्षा में रूकी हुई है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions प्रतिपूर्ति Chapter 3 सफेद कबूतर (न्गुयेन क्वांग थान)

सिपाही को अपने देश के प्रति अटूट आस्था है। वह जिस तरह चोरी छिपे सैगोन शहर में घुसता है और कष्ट झेलता है, उसकी देशभक्ति का परिचायक है। सैगोन में कई महीने तक उसने छिप-छिपकर गुजारे, कभी सड़क पर फेरी लगाते हुए तो कभी रिक्शा चालक या गोदी मजदूर की पोशाक पहनकर। महीनों उसे फुटपाथ पर या पुलों के नीचे या होटलों में सोना पड़ता है। लेकिन कष्टों के लिए उसके चेहरा जरा-सा कभी शिकन तक नहीं होता। वह खुशी-खुशी अपनी कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ता जाता है।

इस तरह आठ वर्षों तक लम्बी अवधि व्यतीत कर युद्ध समाप्त होने पर वह अपने घर के लिए प्रस्थान करता है। अपनी पत्नी को इस आठ वर्षों के बीच उसने कभी कोई समाचार तक नहीं भेजा था। रास्ते पर अपनी आँखों में पत्नी का चित्र संजोए हुए घर जाता है। उस समय उसकी पत्नी घर पर नहीं थी। तभी उसकी नजर एक पायजामा पर पड़ती है। वह बेहाल हो जाता है और पत्नी से मिलने के लिए बैचैन हो उठता है। तभी एक आठ साल का लड़का आता है और उसे अजनबी समझकर माँ को इस बात की सूचना देने के लिए भागता है।

सिपाही भी उसके पीछे आता है। उसकी पत्नी अन्य औरतों के साथ खुदाई के काम में लगी हुई है। वह उस टोली की अगुआ थी और खुदाई का काम उसी की देखरेख में चल रहा था। जब सिपाही पत्नी के पास हुंचता है तो वह खुदाई के स्थान पर बम होने की बात कहती है। बम शक्तिशाली है, जिसे निष्क्रिय करना जरूरी है। एक कर्तव्यनिष्ठ सिपाही होने के नाते वह तुरंत अपना झोला खोलता है और स्पैनर निकाल कर डिटोनेटर का पेंच घुमाने लगता है।

इस तरह हम देखते हैं कि सिपाही का चरित्र एक सच्चे देशभक्त और कर्तव्यनिष्ठ सिपाही के गुणों से मंडित है। लेखिका के द्वारा रचित सफेद कबूतर नामक पाठ के माध्यम से यह बात कट होनी है कि कबूतर विश्व शान्ति का प्रतीक है। वस्तुतः सफेद कबूतर नामक पाठ में सिपाही के चरित्र के माध्यम से लेखिका ने वियतनाम की युद्ध के विध्वंसक पक्ष को उजागर किया है और यह बतलाया है कि संसार में युद्ध के स्थान पर शान्ति का वातावरण स्थापित करना चाहिए।

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सफेद कबूतर पाठ का सारांश – गूयेन क्वांग थान

प्रश्न-
गूयेन क्वांग थान द्वारा लिखित ‘सफेद कबूतर’ नामक पाठक का सारांश लिखें।
उत्तर-
न्यूयेन क्वांग थान वियतनाम के कहानीकारों में सर्वाधिक ख्यात हैं। उनकी कहानियाँ में स्वस्थ जीवन-मूल्यों का सफलतापूर्वक प्रकाशन हुआ है। उनकी कहानियाँ कहानी-कला की कसौटी पर खरी उतरती दृष्टिगत होती हैं।

‘सफेद कबूतर’ कहानीकार नगूयेन क्वांग थान विचरित एक मनोवैज्ञानिक कहानी है। इस कहानी में फौजी जीवन का मनोवैज्ञानिक चित्रण प्रस्तुत हुआ है।

एक फौजी है जो आठ वर्षों बाद अपने घर लौटता है। अपनी पुरानी चीजें उसे अत्यधिक प्रिय लगती हैं। ऐसी ही एक चीज है फौज से मिला उसका वह पुराना झोला, जिसे अपनी पीठ पर कसे अपने गाँव लौटता है। अपने झोले को मजबूती देने के लिए उसने उसमें लोहे के तार का इस्तेमाल किया है। कंधे पर रखे इस झोले के तार कभी-कभी उसके कंधे में गड़ते भी हैं पर बिना किसी परवाह किये झोला वह अपने कंधे पर रखता है।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions प्रतिपूर्ति Chapter 3 सफेद कबूतर (न्गुयेन क्वांग थान)

फौजी की पत्नी और बच्चे गाँव में ही रहते हैं। फौजी जब अपने गाँव आता है तो अपनी पत्नी और बच्चे को याद करने की कोशिश करता है। अपनी पत्नी को वर्षों से उसने पत्र भी नहीं लिखे थे इसलिए उसे विस्मरण होता है। कहानीकार के शब्दों में-“अचानक उसकी नजर . तार पर सूखते, बच्चों के नए-नए पाजामों पर गई तो उसका दिल बल्लिवों-सा उछल पड़ा। काँपते हाथों से उसने एक पाजामा उतारा और उससे बच्चे की ऊंचाई का अंदाज लगाने की कोशिश करने लगा। ठीक उसी वक्त हाथ में गुलेल थामे वह लड़का स्वयं कमरे में दाखिल हुआ और एक अजनबी को पाजामा टटोलते देखकर ठिठक गया।”

दोनों एक-दूसरे को अवश्य देख रहे थे पर दोनों के मध्य संवादहीनता की स्थिति थी। इसी बीच लड़का अजनबी को देखकर चिल्लाना चाहा पर उसे चोर न समझकर उस बच्चे ने यह अनुमान करते हुए कि ‘यह व्यक्ति कहीं उसका पिता तो नहीं।’ उसे यह भी ध्यान हुआ कि उसकी माँ प्रायः उसके पिता की याद किया करती है। लड़के को क्या सूझा कि वह माँ को बुलाने दौड़ गया। बच्चे को दौड़े जाते देखकर अजनबी चकित हुआ। इधर खेतों में अन्य औरतों के बीच खड़ी उसकी पत्नी ने किसी से यह कहते सुना कि उसके घर की ओर सिपाही को जाते देखा गया है।

उलझन में पड़ी उसकी पत्नी यह अनुमान करने लगी कि-“यह सिपाही कौन हो सकता था? उसका पति या कोई और? अगर वह सिपाही उसका पति नहीं था, तब भी तो उससे उसका मिलना जरूरी था। हो सकता है वह बुरी खबर या मृत्यु का संदेश लाया हो, क्योंकि पिछले आठ वर्षों में पति का एक भी खत उसे नहीं मिला था।”

उसकी पत्नी का अपने घर किसी सिपाही के आने से काफी घबराहट हुई पर वहाँ से तत्क्षण उसका घर लौटना मुश्किल था क्योंकि सुबह वहाँ निकट मिट्टी में एक अमरीकी बम निकला ‘ था जिसके फटने से पूर्व किसी को मालूम नहीं हो सका था। वहाँ खुदाई का काम काफी से से चल रहा था। उसकी पत्नी मजदूरों की टोली की अगुआ थी और खुदाई-कार्य उसी की देख में हो रहा था।

 Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions प्रतिपूर्ति Chapter 3 सफेद कबूतर (न्गुयेन क्वांग थान)

अंत में वह फौजी अपनी पत्नी के पहुंचने पर पहचान लिया जाता है क्योंकि फौजी की बोली और दक्षिण प्रांतों वाला उसका लहजा उसकी पत्नी की समझ से बाहर नहीं था। इसके पश्चात् फौजी ट्रैनिंग प्राप्त वह फौजी मिट्टी के नीचे गड़े-पड़े एक एम. के. 52 नामक जानलेवा बम को निष्क्रिय करने के लिए उसके डिटोनेटर को घुमाने लगता है। इस बीच विश्वास और अविश्वास के द्वन्द्व में उलझे फौजी को पुनः एक सफेद कबूतर उड़ता प्रतीत हुआ।

प्रस्तुत कहानी युद्ध और पृष्ठभूमि में रचित होने के कारण जिजोविषा और आशा की किरण दिखाती. हुई विश्वास और अविश्वास के तनाव में उलझाती अवश्य है पर इस कहानी का अंत सकारात्मक सोच में होता है और कहानीकार का अभीष्ट भी यही है। नि:संदेह स्वस्थ जीवन-मूल्य दर्शाती यह कहानी तात्त्विक दृष्टि से कहानीकार गूयेन क्वांग थान की एक सशक्त रचना है।