Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions

Bihar Board Class 11th Hindi रचना पत्र लेखन

Bihar Board Class 11th Hindi रचना पत्र लेखन

पत्र का महत्त्व

As keys do open chests, So letters open breasts

-James Howel

उक्त अंगरेजी विद्वान् के कथन का आशय यह है कि जिस प्रकार कुजियाँ बक्स खोलती हैं, उसी प्रकार पत्र (letters) हृदय के विभिन्न पटलों को खोलते हैं। मनुष्य की भवनाओं की स्वाभाविक अभिव्यक्ति पत्राचार से भी होती है। निश्छल भावों और विचारों का आदान-प्रदान पत्रों द्वारा ही सम्भव है। पत्रलेखन दो व्यक्तियों के बीच होता है। इसके द्वारा दो हृदयों का सम्बन्ध दृढ़ होता है। अतः पत्राचार ही एक ऐसा साधन है, जो दूरस्थ व्यक्तियों को भावना की एक संगमभूमि पर ला खड़ा करता है और दोनों में आत्मीय सम्बन्ध स्थापित करता है। पति-पत्नी, भाई-बहन, पिता-पुत्र-इस प्रकार के हजारों सम्बन्धों की नींव यह सुदृढ़ करता है। व्यावहारिक जीवन में यह वह सेतु है, जिससे मानवीय सम्बन्धों की परस्परता सिद्ध होती है। अतएव पत्राचार का बड़ा महत्त्व है।

❖ पत्रलेखन एक कला है :

आधुनिक युग में पत्रलेखन को ‘कला’ की संज्ञा दी गयी है। पत्रों में आज कलात्मक अभिव्यक्तियाँ हो रही हैं। साहित्य में भी इनका उपयोग होने लगा है। जिस पत्र में जितनी स्वाभाविकता होगी, वह उतना ही प्रभावकारी होगा। एक अच्छे पत्र के लिए कलात्मक सौन्दर्यबोध और अन्तरंग भावनाओं का अभिव्यंजन आवश्यक है। एक पत्र में उसके लेखक की भावनाएँ ही व्यक्त नहीं होतीं, बल्कि उसका व्यक्तित्व (personality) भी उभरता है। इससे लेखक के चरित्र, दृष्टिकोण, संस्कार, मानसिक स्थिति, आचरण इत्यादि सभी एक साथ झलकते हैं। अतः, पत्रलेखन एक प्रकार की कलात्मक अभिव्यक्ति है। लेकिन, इस प्रकार की अभिव्यक्ति व्यावसायिक पत्रों की अपेक्षा सामाजिक तथा साहित्यिक पत्रों में अधिक होती है।

Bihar Board Class 11th Hindi रचना पत्र लेखन

❖ अच्छे पत्र की विशेषताएं :

एक अच्छे पत्र की पाँच विशेषताएं हैं-
(क) सरल भाषाशैली,
(ख) विचारों की सुस्पष्टता,
(ग) संक्षेप और सम्पूर्णता,
(घ) प्रभावान्विति,
(ङ) बाहरी सजावट .

(क) सरल भाषाशैली-पत्र की भाषा साधारणतः सरल और बोलचाल की होनी चाहिए। शब्दों के प्रयोग में सावधानी रखनी चाहिए। ये उपयुक्त, सटीक, सरल और मधुर हों। सारी बात सीधे-सादे ढंग से स्पष्ट और प्रत्यक्ष लिखनी चाहिए। बातों को घुमा-फिराकर लिखना उचित नहीं।

(ख) विचारों की सुस्पष्टता-पत्र में लेखक के विचार सुस्पष्ट और सुलझे होने चाहिए। कहीं भी पाण्डित्य-प्रदर्शन की चेष्टा नहीं होनी चाहिए। बनावटीपन नहीं होना चाहिए। दिमाग पर बल देनेवाली बातें नहीं लिखी जानी चाहिए।

(ग) संक्षिप्त और सम्पूर्णता-पत्र अधिक लम्बा नहीं होना चाहिए। वह अपने में सम्पूर्ण और संक्षिप्त हो। उसमें अतिशयोक्ति, वाग्जाल और विस्तृत विवरण के लिए स्थान नहीं है। इसके अतिरिक्त, पत्र में एक ही बात को बार-बार दुहराना एक दोष है। पत्र में मुख्य बातें आरम्भ में लिखी जानी चाहिए। सारी बातें एक क्रम में लिखनी चाहिए। इसमें कोई भी आवश्यक तथ्य छूटने न पाये। पत्र अपने में सम्पूर्ण हो, अधूरा नहीं पत्रलेखन का सारा आशय पाठक के दिमाग पर पूरी तरह बैठ जाना चाहिए। पाठक को किसी प्रकार की उलझन में छोड़ना ठीक नहीं। ,

(घ) प्रभावान्विति-पत्र का पूरा असर पढ़नेवाले पर पड़ना चाहिए। आरम्भ और अन्त में नम्रता ओर सौहार्द के भाव होने चाहिए।

Bihar Board Class 11th Hindi रचना पत्र लेखन

(ङ) बाहरी सजावट-पत्र की बाहरी सजावट से हमारा तात्पर्य यह है कि

  • उसका कागज सम्भवतः अच्छा-से-अच्छा होना चाहिए;
  • लिखावट सुन्दर, साफ और पुष्ट हो;
  • विरामादि चिह्नों का प्रयोग यथास्थान किया जाय;
  • शीर्षक, तिथि, अभिवादन, अनुच्छेद और अन्त अपने-अपने स्थान पर क्रमानुसार होने चाहिए;
  • विषय-वस्तु के अनुपात से पत्र का कागज लम्बा-चौड़ा होना चाहिए।

पत्रों के प्रकार
सामान्यतः पत्र तीन प्रकार के हैं—

  • सामाजिक पत्र (Social letters),
  • व्यापारिक पत्र (Commercial letters) और
  • सरकारी पत्र (Official letters)। यहाँ प्रथम एवं तृतीय प्रकार के पत्रों का सामान्य परिचय दिया जाता है।

सामाजिक पत्राचार-गैरसरकारी पत्रव्यवहार को ‘सामाजिक पत्राचार’ कहते हैं। इसके अन्तर्गत वे पत्रादि आते हैं, जिन्हें लोग अपने दैनिक जीवन के व्यवहार में लाते हैं। इस प्रकार के पत्रों के अनेक रूप प्रचलित हैं। कुछ के उदाहरण निम्नलिखित हैं-

  • सम्बन्धियों के पत्र।
  • बधाई पत्र।
  • शोक पत्र।
  • परिचय पत्र।
  • निमन्त्रण पत्र।
  • विविध पत्र।

Bihar Board Class 11th Hindi रचना पत्र लेखन

पत्रलेखन सभ्य समाज की एक कलात्मक देन है। मनुष्य चूँकि सामाजिक प्राणी है इसलिए वह दूसरों के साथ अपना सम्बन्ध किसी-न-किसी माध्यम से बनाये रखना चाहता है। मिलते जुलते रहने पर पत्रलेखन की तो आवश्यकता नहीं होती, पर एक-दूसरे से दूर रहने पर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के पास पत्र लिखता है। सरकारी पत्रों की अपेक्षा सामाजिक पत्रों में कलात्मकता अधिक रहती है।

क्योंकि इनमें मनुष्य के हृदय के सहज उद्गार व्यक्त होते हैं। इन पत्रों को पढ़कर हम किसी भी व्यक्ति के अच्छे या बुरे स्वभाव या मनोवृत्ति का परिचय आसानी से पा सकते हैं। खासकर व्यक्तिगत पत्रों (personal letters) में यह विशेषता पायी जाती है। एक अच्छे सामाजिक पत्र में सौजन्य, सहृदयता और शिष्टता का होना आवश्यक है। तभी इस प्रकार के पत्रों का अभीष्ट प्रभाव हृदय पर पड़ता है। इसके कुछ औपचारिक नियमों का निर्वाह करना चाहिए।

पहली बात यह कि पत्र के ऊपर दाहिनी ओर पत्रप्रेषक का पता और दिनांक होना चाहिए। दूसरी बात यह कि पत्र जिस व्यक्ति को लिखा जा रहा हो-जिसे ‘प्रेषिती’ भी कहते हैं-उसकी प्रति, सम्बन्ध के अनुसार ही समुचित अभिवादन या सम्बोधन के शब्द लिखने चाहिए। यह पत्रप्रेषक और प्रेषिती के सम्बन्ध पर निर्भर है कि अभिवादन का प्रयोग कहाँ, किसके लिए, किस तरह किया जाय।

अँगरेजी में प्रायः छोटे-बड़े सबके लिए ‘My dear’ का प्रयोग होता है, किन्तु हिन्दी में ऐसा नहीं होता। पिता को पत्र लिखते समय हम प्रायः पूज्य पिताजी’ लिखते हैं। शिक्षक अथवा गुरुजन को पत्र लिखते समय उनके प्रति आदरभाव सूचित करने के लिए ‘आदरणीय’ या ‘श्रद्धेय’ -जैसे शब्दों का व्यवहार करते हैं। यह अपने-अपने देश के शिष्टाचार और संस्कृति के अनुसार चलता है। अपने से छोटे के लिए हम प्रायः ‘प्रियवर’, ‘चिरंजीव’ -जैसे शब्दों का उपयोग करते हैं। समान स्तर के व्यक्तियों के लिए समान्यतः ‘प्रिय’ शब्द व्यवहत होता है।

Bihar Board Class 11th Hindi रचना पत्र लेखन

इस प्रकार, पत्र में वक्तव्य के पूर्व

  • सम्बोधन,
  • अभिवादन और वक्तव्य के अन्त में
  • अभिवेदन का, सम्बन्ध के आधार अलग-अलग ढंग होता है।

इनके रूप इस प्रकार हैं सम्बन्ध-

यहाँ ध्यातव्य है कि जो सम्बन्ध स्पष्ट नहीं हैं, या जिन सम्बन्धों में आत्मीयता नहीं है, बल्कि मात्र व्यावहारिकता है, वहाँ ‘प्रमाण’ या ‘शुभाशीर्वादि’-जैसे किसी अभिवादन की आवश्यता नहीं है।

❖ कुछ उदाहरण

अभिभावक (मामा) के नाम पत्र

कनॉड पैलेस, नई दिल्ली
15.12.2011

पूज्य मामाजी,
सादर प्रणाम !

लगभग दो महीनों से आपका कोई समाचार नहीं मिला। इसलिए चिन्ता हो रही है ! आशा है, आप मुझे भूले नहीं हैं। आपके सिवा अब इस संसार में मेरा है कौन ? आपने जिस उद्देश्य से मुझे हजारों मील दूर यहाँ भेजा है, उसकी पूर्ति में मैं जी-तोड़ परिश्रम कर रहा हूँ। आपने चलते समय कहा था-‘उदय, तुमसे मैं अधिक आशा रखता हूँ।’ ये शब्द अभी तक कानों में गूंज रहे हैं। मेरा अध्ययन सुचारु रूप से चल रहा है।

यहाँ और काम ही क्या है ? इस शहर में आकर्षण की कमी नहीं है, मुझे अपनी धुन के सामने उसका कोई मूल्य नहीं दीखता। टेस्ट का परीक्षाफल कल ही सुनाया गया है। आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मैंने इसमें सर्वप्रथम स्थान प्राप्त किया है। अब विश्वविद्यालय की परीक्षा के दो महीने रह गये हैं। लगभग पन्द्रह दिनों के बाद परीक्षा-शुल्क जमा करना होगा। इस समय कुछ काम की पुस्तकें खरीदना भी आवश्यक है ताकि अन्तिम परीक्षा में भी मैं अपना प्रशंसनीय स्थान बना सकूँ और आपकी आशा पूरी हो सके। इन सबमें लगभग डेढ़ सौ रुपये खर्च होंगे।

Bihar Board Class 11th Hindi रचना पत्र लेखन

अतः, लौटती डाक से कृप्या रुपये भेज देने की व्यवस्था करें। विशेष, कुशल है। आपका आशीर्वाद मेरा एकमात्र सम्बल है।

आपका स्नेहाकांक्षी,
धन्नजय कुमार

पानेवाले का नाम और पता

पिता के नाम पुत्र का पत्र

साइंस कॉलेज, पटना
05.12.2011

पूज्य पिताजी,
सादर प्रणाम !

आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मैं यहाँ आनन्द से हूँ। मैं यहाँ कई अच्छे सहपाठियों को मित्र बना चुका हूँ, जो अच्छे स्वभाव के, परिश्रमी और अध्ययनशील है। मैं कॉलेज में अभी नया हूँ, फिर भी सबका स्नेह प्राप्त है। इस कॉलेज के प्राचार्य और प्राध्यापक सभी अच्छे हैं और हम पर पूरा ध्यान रखते हैं। हिन्दी परिषद् का सहायक मन्त्री बन गया हूँ। कॉलेज की अन्य परिषदों में भी काम करना चाहता हूँ, पर समय का इतना अभाव है कि कॉलेज-जीवन के सभी कार्यक्रमों में भाग लेना सम्भव नहीं है। पढ़ना अधिक है, पढ़ाई भी काफी हो चुकी है इसलिए मैं।

कहीं बाहर जा नहीं पाता। यहाँ का जीवन बड़ा व्यस्त है, हर मिनट कीमती मालूम होता है। फिर कॉलेज के छात्रों में अध्ययन की प्रतियोगिता भी रहती है। हर छात्र दूसरे से आगे बढ़ जाना चाहता है। ऐसी हालत में जी-तोड़ परिश्रम आवश्यक है। तभी मैं अच्छी श्रेणी में उत्तीर्ण हो सकता हूँ। आपको विश्वास दिलाता हूँ कि वार्षिक परीक्षा में मेरा परीक्षाफल सन्तोषजनक रहेगा। शेष कुशल है। कृपया पत्रोत्तर देंगे। पूजनीया माताजी को मेरा सादर प्रणाम कहें।

आपका स्नेहाकांक्षी,
शशिकांत सिन्हा

पानेवाले का नाम और पता

Bihar Board Class 11th Hindi रचना पत्र लेखन

मित्र के नाम मित्र का पत्र

कॉलेज ऑफ कॉमर्स, पटना
12-11-1986

प्रिय मित्र,
मैंने अपने पिता को 4 नवम्बर तक अपना मासिक खर्च देने को लिखा है, किन्तु वह मुझे अभी नहीं मिला है। ऐसा लगता है कि मेरे पिताजी घर में नहीं हैं, अवश्य वह दौरे पर गये होंगे। सम्भवतः मेरे रुपये एक सप्ताह बाद आ सकेंगें।

अतः, मेरा अनुरोध है कम-से-कम दस रुपये, काम चलाने के लिए मुझे भेजकर तुम मेरी सहायता करो। मेरे रुपये ज्योंही आ जायेंगे, लौटा दूंगा। आशा है, इस मौके पर तुम मेरी अवश्य मदद करोगे। तुम्हारे पत्र की प्रतीक्षा में-

तुम्हारा,
प्रदीप कुमार सिन्हा

पानेवाले का नाम और पता

माता के नाम पुत्र का पत्र

छावनी, दानापुर कैन्ट

पूज्यनीया माताजी,
सादर प्रणाम !

आपका पत्र मिला। पढ़कर प्रसन्नता हुई। यह जानकर बड़ी खुशी हुई कि मीना की शादी तय हो गयी है और अगले साल मार्च में उसका विवाह होनेवाला है। आशा है, तब तक मेरी परीक्षा समाप्त हो जायेगी।।

इन दिनों मेरी स्कूली परीक्षा चल रही है। हर दिन परीक्षा की तैयारी कर परीक्षा में बैठता हूँ। ईश्वर की कृपा और आपलोगों के आशीर्वाद से सारे प्रश्नपत्र सन्तोषप्रद हैं। आशा करता हूँ कि शेष प्रश्नपत्र भी सन्तोषप्रद रहेंगे। आप चिन्ता न करें। मेरा स्वास्थ्य ठीक है।

पिताजी चण्डीगढ़ से कब लौटेंगे ? लौटने पर आप उन्हें मेरा प्रणाम कहें। शेष, कुशल है। अपना समाचार दें। मीना को मेरा आशीर्वाद।

Bihar Board Class 11th Hindi रचना पत्र लेखन

आपका स्नेहाकांक्षी,
शशांक सिन्हा

पानेवाले का नाम और पता

छोटे भाई के नाम बड़ी बहन का पत्र

प्रिय जितेन्द्र,

शुभाशीर्वाद !

बहुत दिनों से तम्हारा पत्र नहीं मिला। जी लगा है। आशा है, तुम मन लगाकर वार्षिक परीक्षा की तैयारी में लगे हो। शायद इसलिए तुमने पत्र नहीं लिखा। तुम्हें यह जानकर प्रसन्नता होगी कि पटना के कॉलेज में मेरी बहाली हो गयी है। मैं हिन्दी के प्राध्यापक-पद पर नियुक्त हुई हूँ। वेतन के रूप में 15325 रु. मिलेंगे। अब तुम्हें किसी तरह की चिन्ता नहीं करनी चाहिए। पिताजी की आमदनी इतनी नहीं कि वे तुम्हारी पढाई के खर्च का पूरा भार अपने कन्धों पर उठा सकें। तुम तो जानते हो कि उन्होंने अपनी सारी रही-सही पूँजी हमारी पढ़ाई में लगा दी।

दो छोटे भाई और हैं। उन्हें भी शिक्षा देनी है। मैंने निश्चय किया है कि तुम्हारी पढ़ाई में होनेवाला सारा खर्च अब मैं तुम्हें भेजेंगी। अपने दो छोटे भाइयों को भी यहाँ बुला लूँगी ओर किसी स्कूल में नाम लिखा दूंगी। पिताजी का भार हलका करना हमलोगों का कर्तव्य है। भगवान् चाहेगा, तो हमारे कष्ट जल्द ही दूर हो जायेंगे। तुम खूब मन लगाकर पढ़ो, ताकि अगली परीक्षा में अपने वर्ग में सर्वप्रथम स्थान बना सको। तब मुझे बेहद खुशी होगी। पत्रोत्तर देना।

तुम्हारी शुभाकांक्षिणी,
सबिता सिन्हा

पानेवाले का नाम और पता

पिता के पास स्कूल के साथियों के साथ बिहार एवं झारखण्ड की यात्रा की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए।

हनुमान नगर, पटना-4
12.08.2013

पूज्य पिताजी
सादर प्रणाम

Bihar Board Class 11th Hindi रचना पत्र लेखन

कल मेरी परीक्षा समाप्त हो गयी। आशा है, सभी पत्रों में अच्छे अंक आयेंगे। मेरे विद्यालय से छात्रों का एक दल बिहार के कुछ चुने हुए स्थानों का भ्रमण करने के लिए जानेवाला है। मैं भी इस दल के साथ रहना चाहता हूँ।

हमलोग पटना से रवाना होकर पहले गया जायेंगे। वहाँ हमलोग बोधगया और विष्णुपद के मन्दिर देखेंगे। गया से हमलोग राजगीर जायेंगे। राजगीर के गर्म कुण्ड में स्नान कर हम नालन्दा के खण्डहरों के दर्शन करेंगे। वहाँ से हम सिन्दरी जायेंगे। सिन्दरी में एशिया का सबसे बड़ा खुद का कारखाना है। वहाँ से हमारा विचार जमशेदपुर जाने का है। जमशेदपुर के इस्पात के कारखाने को देखकर हम राँची लौटेंगे। वहाँ हम हटिया का कारखाना देखेंगे।

राँची के बाद हमारी छोटानागपुर की यात्रा समाप्त हो जायेगी। वहाँ से हम बस द्वारा बख्तियारपुर पहुंचेंगे। फिर, रेलगाड़ी से बरौनी के लिए प्रस्थान करेंगे। उत्तर बिहार में हम दो ही स्थान. देखेंगे-कोशी का बाँध और वैशाली। कोशी का बाँध आधुनिक भारत का तीर्थस्थान है, वैशाली प्राचीन भारत का। वैशाली से हाजीपुर होते हुए हम पटना लौट आयेंगे।

हमारी यह यात्रा लगभग तीन सप्ताह की होगी। आपसे अनुरोध है कि मुझे इसमें शामिल होने की अनुमति दें। और, साथ ही दो सौ रुपये भी भेजने की कृपा करें।

माँ को प्रणाम। अराध्या और प्रेरणा को प्यार।

आपका आज्ञाकारी पुत्र,
जितेन्द्र कुमार

पानेवाले का नाम और पता

Bihar Board Class 11th Hindi रचना पत्र लेखन

अपने मित्र को एक पत्र लिखें, जिसमें यह बताएं कि आपने पिछली गर्मी की छुट्टी कैसे बितायी।

कचहरी रोड, बिहार शरीफ
30.11.13

प्रिय नरेश,
सप्रेम नमस्ते।

तुम्हारा पत्र मिला। यह जानकर खुशी हुई कि तुम पिछली गर्मी की छुट्टी में अपने चाचा के यहाँ भागलपुर गए थे। मैं भी गर्मी की छुट्टी में घर में नहीं था। मैं तुम्हें इस पत्र में यह बता रहा हूँ कि मैंने गर्मी की छुट्टी कैसे बितायो।

ज्योंही मेरा स्कूल बन्द हुआ, मैं घर चला गया। मेरी माँ मुझे देखकर बहुत ही प्रसन्न हुई। लगभग एक सप्ताह तक मैं घर रहा। मैंने यह समय अपने मित्रों से मिलने एवं उनके साथ घूमने में बिताया। उसके बाद मैं राँची चला गया। वहाँ मेरे चाचा रहते हैं। शेष छुट्टी मैंने राँची में ही बितायी। राँची बड़ा ही सुन्दर जगह है। वहाँ बहुत-सी चीजें देखने के लायक हैं। मैंने सभी प्रमुख चीजों को देखा। वहाँ की जलवायु भी अच्छी है। मैं रोज सुबह एक घण्टा अपने चाचाजी के साथ टहलता था। रास्ते में वे मुझे नई-नई बातें बताते थे। वहाँ की जलवायु से मेरे स्वास्थ्य में भी बहुत सुधार हुआ। शाम को लगभग दो घण्टे तक मेरे चासनी मुझे पढ़ाते थे। इस तरह, मैंने छुट्टी का हर तरह से सदुपयोग किया। छुट्टी समाप्त होने पर मैं राँची से सीधे स्कूल ही आ गया।

तुम्हारा अभिन्न,
राकेश कुमार

पानेवाले का नाम और पता

अपने पिता को एक पत्र लिखें, जिसमें अपने विद्यालय के वार्षिक पुरस्कार-वितरण का वर्णन करें।

ईसलामपुर हैदरचक (नालंदा)
11.11.13

पूज्य पिताजी,
सादर प्रणाम।

आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि हमारे स्कूल का वार्षिक पुरस्कार-वितरण-समारोह कल सम्पन्न हुआ और उसमें मुझे दो पुरस्कार मिले। एक सप्ताह पूर्व से ही इस समारोह की तैयारी हो रही थी। स्कूल का हॉल अच्छी तरह सजाया गया था। बिहार के राज्यपाल इस समारोह के सभापति थे।

Bihar Board Class 11th Hindi रचना पत्र लेखन

निश्चित समय पर राज्यपाल स्कूल में पधारे। द्वार पर प्रधानाध्यापक एवं शिक्षकों ने उनका स्वागत किया। कार्यवाही प्रारम्भ दो छात्रों द्वारा स्वागतगान से हुआ। उन्होंने राज्यपाल को माला पहनायी। उसके बाद प्रधानाध्यापक ने एक रिपोर्ट पढ़ी, जिसमें स्कूल के इतिहास एवं इसकी प्रगति की चर्चा की गयी। इसके उपरान्त संगीत, नृत्य एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये। इसके बाद पुरस्कार-वितरण आरम्भ हुआ।

राज्यपाल पुरस्कार पानेवाले छात्रों से हाथ मिलाते जाते थे। पुरस्कार पानेवाला विद्यार्थी पुरस्कार ग्रहण कर गद्गद हृदय से अध्यक्ष से हाथ मिलाता तथा उनके आगे सिर झुकाकर उन्हें प्रणाम करता था। मुझे भी दो पुरस्कार मिले। अन्त में अध्यक्ष ने एक छोटा, पर शिक्षाप्रद भाषण दिया। उन्होंने अपने भाषण में हमें अनुशासनप्रिय होने की नेक सलाह दी। इसके बाद प्रधानाध्यापक ने राज्यपाल एवं आगन्तुक सज्जनों का धन्यवाद किया और ‘जन-गण-मन’ के सामूहिक गान के बाद सभा की कार्यवाही समाप्त हुई।

माँ को मेरा प्रणाम कहेंगे और पप्पू को प्यार।

आपका प्रिय पुत्र,
रिषिकेश

पानेवाले का नाम और पता

अपने विद्यालय की किसी विशेष घटना (मनोरंजक घटना) का वर्णन करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखें

एस. एस. एकैडमी
एकंगरसराय
18.12.13

प्रिय मित्र,
सस्नेह नमस्कार।

इधर बहुत दिनों से तुम्हारा पत्र नहीं मिला है। क्यों ? अच्छे तो हो न ?

Bihar Board Class 11th Hindi रचना पत्र लेखन

कल मेरे स्कूल का वार्षिकोत्सव था। एक सप्ताह पहले से ही इसकी तैयारी हो रही थी। सामूहिक गान के लिए कुछ लड़कों को तैयार किया गया था। वाद-विवाद प्रतियोगिता के लिए भी कुछ लड़के तैयार किये गये थे। वाद-विवाद का विषय था ‘आज की परीक्षा-पद्धति’। इस अवसर पर एक नाटक (प्रहसन) भी खेला गया।

सुबह से ही स्कूल को सजाया गया। इस अवसर पर विशेष अतिथि थे श्री जयप्रकाश नारायण। उन्होंने अपने छोटे, पर सारगर्भ भाषण में विद्यार्थियों की समस्याओं पर प्रकाश डाला और उन्हें अनुशासित रहने की सलाह दी। इस अवसर पर विद्यालय का पारितोषिक-वितरण-समारोह भी सम्पन्न हुआ। प्रहसन (नाटक) के प्रदर्शन से तो सभी आगन्तुक हँसते-हँसते लोट-पोट हो गये ओर सबने यह स्वीकार किया कि यह एक विशेष मनोरंजक दृश्य ही था। अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम से भी लोगों का मनोरंजन हुआ। इस तरह कल का दिन स्कूल के लिए महत्त्वपूर्ण रहा।

माँ को प्रणाम।

तुम्हारा,
पानेवाले का नाम और पता

बधाई पत्र

हिलसा, नालन्दा
05.01.2014

Bihar Board Class 11th Hindi रचना पत्र लेखन

प्रिय रेणु,

यह जानकर प्रसन्नता हुई कि तुम बी. ए. परीक्षा अच्छे अंकों से पास कर गयी हो। तुम्हारी इस शानदार सफलता पर मैं तुम्हें बधाई देती हूँ और आशा करती हूँ कि अगली परीक्षाओं में भी तुम्हें इसी प्रकार सफलता मिलती रहेगी। चूँकि तुम परीक्षा में प्रथम आयी हो, इसलिए विश्वविद्यालय की ओर से छात्रवृत्ति और स्वर्णपदक दोनों तुम्हें मिलेंगे। मेरा पूर्ण विश्वास है कि तुम अपनी पढ़ाई जारी रखोगी और एम. ए. में नाम लिखाने का प्रबन्ध करोगी। मेरा तो विचार है कि तुम्हें आइ. ए. एस. की प्रतियोगिता परीक्षा में भी सम्मिलित होना चाहिए। भगवान् तुम्हारा पथ प्रशस्त करें !

मैं कुशल से हूँ, तुम्हारा कुशल चाहती हूँ।

तुम्हारी,
रीभा सिन्हा

पानेवाले का नाम और पता

परिचयात्मक पत्र

अगमकुआँ, पटना
22.12.2013

प्रिय भाई,

पत्रवाहक रामलाल मेरे अत्यन्त प्रिय मित्र हैं। इसी वर्ष पटना विश्वसिद्यालय से इन्होंने एम. ए. परीक्षा पास की है। इन दिनों ये अनुसन्धानकार्य कर रहे हैं। नई दिल्ली में एक सप्ताह रहकर ये कुछ आवश्यक शोधकार्य करना चाहते हैं। ये प्रगतिशील, प्रतिभाशाली और सुयोग्य युवक हैं। आपको इनसे मिलकर खुशी होगी। ये आपके साथ एक सप्ताह ठहरेंगे। यदि आप इनके रहने और खाने-पीने का समुचित प्रबन्ध कर दें और यथासम्भव आवश्क सुविधाएँ दें तो मैं अत्यन्त आभारी होऊँगा। पत्रोत्तर देंगे।

Bihar Board Class 11th Hindi रचना पत्र लेखन

आपका,
विष्णुदेव प्रसाद

पानेवाले का नाम और पता

निमंत्रण पत्र

विष्णुदेव भवन
हनुमान नगर पटना
20.01.2014

प्रिय भाई पंकज जी,

आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि अगले 27 नवम्बर को मेरे नये मकान का विधिवत् उद्घाटन होने जा रहा है और उसी दिन हमलोग गृहप्रवेश करेंगे। इस शुभावसर पर आपकी और आपकी धर्मपत्नी को हमलोग आमंत्रित करते हैं। आशा है, इस आयोजन में सम्मिलित होकर हमें कृतार्थ करेंगे। हम आपकी प्रतीक्षा में रहेंगे।

भवदीप,
शशिभूषण

पानेवाले का नाम और पता

शोक पत्र

रामनगर,
वाराणसी
05:10.2013

प्रिय श्रीमती स्नेहलताजी,

Bihar Board Class 11th Hindi रचना पत्र लेखन

आपके आदरणीय पति की असाययिक मृत्यु का समाचार सुनकर इतना दुःख हुआ कि उसे शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकती। आप पर तो मुसीबतों का पहाड़ ही टूट पड़ा है। किन्तु क्या किया जाय, मृत्यु पर हमारा वश भी तो नहीं ! इस दुःखद घड़ी में मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ कि वह दिवंगत आत्मा को शान्ति दे और आपको इतना साहस और शक्ति दे कि आप इस वियोग को सहन कर सकें। आप और आपके बच्चों के प्रति हार्दिक सहानुभूति है। यदि मैं ऐसे अवसर पर आपकी सेवा कर सकूँ, तो मुझे खुशी होगी। आदेश दें।

भवदीया,
उषाकिरण सिन्हा

पानेवाले का नाम और पता

आवेदन पत्र

सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाध्यापाक,
लोयला हाई स्कूल, पटना

मान्य महोदय,
सविनय निवेदन है कि मेरे घर में 27 नवम्बर, 2013 ई. को गृहप्रवेश का आयोजन किया गया था। अतः, उक्त तिथि को मैं अपने वर्ग में उपस्थित न हो सका।

सादर प्रार्थना है कि आप उस दिन का अनुपस्थिति-दण्ड माफ कर देने की कृपा करें। इसके इसके लिए मैं कृतज्ञ होऊँगा।

Bihar Board Class 11th Hindi रचना पत्र लेखन

आपका आज्ञाकारी छात्र
अनमोल
पंचम वर्ग

अम्बाला,
10.01.2014

सम्पादक के नाम पत्र

सेवा में,
श्री सम्पादक,
दैनिक नवभारत,
दिल्ली

प्रिय महोदय,

आपके लोकप्रिय दैनिक द्वारा मैं अधिकारियों का ध्यान दूकान-कर्मचारियों की दुर्दशा की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ।

यद्यपि दूकान-कर्मचारियों के काम के घण्टों को सीमित करने के लिए तथा उन्हें अन्य सुविधाएँ देने के लिए कानून बना दिया गया है, पर कोई भी दूकान-मालिक इस कानून का यथोचित पालन नहीं कर रहा है। फलतः, कर्मचारियों को काफी कष्ट उठाना पड़ रहा है। सरकार से अनुरोध है कि कानून का उल्लंघन करनेवालों के विरुद्ध कड़ी कारवाई की जाय।

कृपया इस पत्र को अपने पत्र में प्रकाशित कर कृतार्थ करें।

Bihar Board Class 11th Hindi रचना पत्र लेखन

आपका सद्भावी
ममता सिन्हा
सचिव, दूकान कर्मचारी संघ

9-8-1986

सूचीपत्र मांगने के लिए पुस्तक-विक्रेता को पत्र

नेहरूनगर
आरा, शाहाबाद
12.10.13

सेवा में,
श्री मैनेजर, भारती भवन,
पटना-4

महोदय,
हमें अपने पुस्तकालय के लिए लगभग पाँच हजार रुपए की पुस्तकें खरीदनी हैं। आप कृपया अपना सूचीपत्र अविलम्ब भेज दें। और, यह भी लिखें कि पुस्तकालय के लिए खरीदी जानेवाली पुस्तकों पर आप कितना कमीशन देंगे।

आपका सद्भावी,
निशु सिन्हा

फीस माफ करने के लिए

सेवा में,
श्रीयुत् प्रधानाध्यापक,
मारवाड़ी पाठशाला, पटना सिटी।

महोदय,
सविनिय निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में कक्षा दशम (क) का एक गरीब विद्यार्थी हूँ। मेरे पिता की आय बहुत कम है। वे एक प्राथमिक विद्यालय में अध्यापक हैं। मेरे अतिरिक्त, मेरे चार भाई-बहनों की पढ़ाई का बोझ भी मेरे पिताजी पर है। ऐसी दशा में मेरी पढ़ाई का बोझ सँभाल पाना उनके लिए सम्भव नहीं।

Bihar Board Class 11th Hindi रचना पत्र लेखन

अतएव, ऐसी परिस्थिति में यदि आप कृपा कर मेरी फीस माफ कर दें, तो मैं आपका सदा आभारी रहूँगा।

आपका आज्ञाकारी छात्र,
अंशु कुमार
कक्षा दशम (क) क्रमांक 10

18-01-14