Bihar Board Class 11th Hindi Book Solutions

Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण समास

 Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण समास

1. समास की परिभाषा देकर उसको सोदाहरण समझाएँ।
‘समास’ का धातुगत अर्थ है – संक्षेप में होना। दो या दो से अधिक सार्थक शब्दों का परस्पर संबंध बतानेवाले शब्दांशों अथवा प्रत्ययों का लोप हो जाने पर उन दो या दो से अधिक शब्दों के मिल जाने से जो एक स्वतंत्र शब्द बनता है उस शब्द को ‘सामासिक’ शब्द कहते हैं और इस रूप में होने की क्रिया को ‘समास’ कहते हैं।

उदाहरण के लिए एक शब्द – समूह लें – ‘विद्या के लिए आलय’ इनमें दो पद आए हैं – ‘विद्या’ और ‘आलय’। इन दोनों के बीच का संबंध बतानेवाला शब्द या प्रत्यय है – के लिए। इसका लोप हो जाने पर दोनों के मेल से एक शब्द बन जाता है – विद्यालय। यह समस्त पद हुआ और ऐसा होने की क्रिया ही ‘समास’ है।

2. ‘संधि’ और ‘समास’ के बीच क्या अंतर है? सोदाहरण समझाएँ।

 Bihar Board Class 11th Hindi व्याकरण समास

संधि और समास दोनों किसी भाषा में शब्द – रचना से ही संबंध रखते हैं, पर दोनों में निम्नांकित अंतर हैं।

  1. संधि में दो वर्णों का योग होता है जबकि समास में दो शब्दों का।
  2. समास में पदों के बीच उनके परस्पर संबंध बतानेवाले प्रत्ययों का लोप हो जाता है जबकि संधि में अत्यंत समीप आ गए दो वर्गों के बीच मेल, लोप या कोई नया विकार उत्पन्न होता है।
  3. संधि में तोड़कर दिखाए जानेवाले वर्ण – विकार को ‘विच्छेद’ कहते हैं, जबकि समास में तोड़कर दिखाए जानेवाले प्रत्यय – युक्त शब्दों को ‘विग्रह’ कहते हैं। उदाहरण के लिए ‘पीताम्बर’ शब्द को लें। ‘संधि’ और ‘समास’ को इस प्रकार दिखाया जाएगा – संधि – पीताम्बर = पीत + अंबर। समास – पीताम्बर = पीत (वर्ण) है जिसका अंबर, वह (विष्णु या श्रीकृष्ण)।
  4. ‘संधि’ केवल तत्सम (संस्कृत के मूल) शब्दों में ही होती है जबकि ‘समास’ संस्कृत तत्सम, हिन्दी, उर्दू, सभी प्रकार के पदों में।

3.समास के भेदों का सोदाहरण परिचय दें।
संस्कृत भाषा में समास की बड़ी महिमा है। इसलिए इसके भेदोपभेद भी संस्कृत में ही विस्तार से मिलते हैं, जो हिन्दी भाषा की प्रकृति के न तो अनुकूल हैं और न अपेक्षित ही। व्यावहारिक दृष्टि से हिन्दी में समास के निम्नांकित भेद प्रचलित एवं मान्य हैं।

  • अव्ययीभाव समास – यथाशक्ति, प्रतिदिन
  • तत्पुरुष समास – आशातीत, आचरकुशल
  • बहुव्रीहि समास – पीताम्बर, पंकज
  • कर्मधारय समास – कमलनयन, घनश्याम
  • द्विगु समास – त्रिलोकी, नवरत्न
  • द्वन्द्व समास – माता – पिता, लोटा – डोरी
  • नञ् समास – अनपढ़, अनादि
  • मध्यमपदलोपी समास – दहीबड़ा, सिंहासन

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4. ‘समास’ में “पूर्वपद’ और ‘उत्तरपद’ से क्या तात्पर्य है?
प्रायः दो शब्दों (कभी – कभी दो से अधिक भी) के मिलकर एक शब्द होने को ‘समास’ कहते हैं और नए बने शब्द को समस्त पद। एक समस्त पद में आनेवाले पहले (पूर्व) शब्द को ‘पूर्वपद’ कहते हैं और बाद (उत्तर) आनेवाले शब्द को ‘उत्तरपद’। उदाहरण के लिए, एक शब्द लें – ‘विद्यालय’ जो विद्या + आलय से बना है; इसमें ‘विद्या’ पूर्वपद है और ‘आलय’ उत्तरपद।

5. ‘अव्ययीभाव समास से क्या समझते हैं? सोदाहरण बताएँ।
अव्ययीभाव समास – इसमें पूर्वपद की प्रधानता होती है और वह निश्चित रूप से अव्यय होता है। उदाहरण – यथाशक्ति = यथा + शक्ति। इसमें पूर्वपद ‘यथा’ प्रधान है और यह निश्चित रूप से अव्यय है। इसी तरह अन्य उदाहरण भी होंगे।

6. ‘तत्पुरुष’ समास से क्या समझते हैं? सोदाहरण बताएं।
तत्पुरुष समास – इसमें उत्तरपद की प्रधानता होती है और इसमें सामान्यतया पूर्वपद विशेषण और उत्तरपद विशेष्य होता है। उदाहरण – राजकुमार = राजा का कुमार। इसमें उत्तरपद ‘कुमार” प्रधान है और ‘राजा’ इसकी विशेषता बताता है। इसी तरह अन्य उदाहरण भी होंगे।

7. ‘बहुव्रीहि समास से क्या समझते हैं? सोदाहरण बताएँ।
बहुव्रीहि समास – इसमें आनेवाला पूर्वपद एवं उत्तरपद दोनों की अप्रधान (गौण) होते हैं और इन दोनों पदों के अर्थों के मेल से सामने आनेवाला कोई तीसरा ही अर्थ प्रधान होता है।

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उदाहरण–

  • पीताम्बर = पीत + अंबर।

पूर्वपद ‘पीत’ का अर्थ है ‘पीला’ और उत्तरपद ‘अंबर’ का अर्थ है ‘कपड़ा’, पर ये दोनों अर्थ गौण हैं और इन दोनों के मिलने से सामने आनेवाला एक तीसरा ही अर्थ, ‘पीले वस्त्र धारण करनेवाले विष्णु या श्रीकृष्ण’, प्रधान हो जाता है। इसी तरह अन्य उदाहरण भी होंगे।

8. ‘कर्मधारय समास से क्या समझते हैं? सोदाहरण बताएँ।
कर्मधारय समास – इसमें पूर्वपद एवं उत्तरपद के बीच विशेष्य – विशेषण संबंध होता है। इसमें दोनों पद कर्ता कारक में होते हैं और इनके लिंग – वचन समान होते हैं। उदाहरण – कमलनयन = कमल (पूर्वपद विशेषण) के समान नयन (उत्तरपद)। इसी तरह अन्य उदाहरण भी होंगे।

9. ‘द्विगु समास से क्या समझते हैं? सोदाहरण बताएँ।।।
द्विगु समास – इसमें पूर्वपद निश्चित रूप से संख्यावाचक होता है। उदाहरण – नवरत्न = नव (नौ) रत्नों का समूह। इनमें पूर्वपद ‘नव’ (नौ) संख्यावाचक है। इसी तरह अन्य उदाहरण भी होंगे।

10. ‘द्वन्द्व’ समास से आप क्या समझते हैं? सोदाहरण बताएँ।
द्वन्द्व समास – इसमें पूर्वपद और उत्तरपद दोनों समान रूप से महत्त्वपूर्ण होते हैं। उदाहरण – माता – पिता। इस ‘माता – पिता’ समस्पद में ‘माता’ पूर्वपद है और ‘पिता’ उत्तरपद। ये दोनों ही समान रूप से महत्त्वपूर्ण हैं। इसी तरह अन्य उदाहरण होंगे।

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11. ‘न’ समास से आप क्या समझते हैं? सोदाहरण बताएँ।
न समास – इसमें पूर्वपद अनिवार्य रूप से ‘न’ या ‘नहीं’ का अर्थ रखनेवाला (निषेधवाचक) होता है और उत्तरपद अर्थ की प्रधानता रखनेवाला होता है। उदाहरण – अनपढ़। इस ‘अनपढ़ शब्द में दो पद हैं – अन (निषेधवाचक पूर्वपद) + पढ़ (पढ़ा हुआ) = नहीं पढ़ा – लिखा। इसी प्रकार अन्य उदाहरण होंगे।

12. ‘मध्यमपदलोपी’ समास से आप क्या समझते हैं? सोदाहरण बताएँ।
मध्यमपदलोपी समास – यह समास स्वतंत्र भेद – जैसा होकर भी तत्पुरुष समास का एक प्रकार है। इसमें पूर्वपद और उत्तरपद के बीच आए पूरक शब्दों का लोप हो जाता है। उदाहरण – दहीबड़ा = दही (में फूला हुआ) बड़ा। यहाँ में फूला हुआ’ शब्दों का लोप हो जाना स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है।

स्मरणीय : प्रमुख समास – पदों की सविग्रह तालिका

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