Bihar Board Class 12 Psychology Solutions Chapter 1 मनोवैज्ञानिक गुणों में विभिन्नताएँ Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Psychology Solutions Chapter 1 मनोवैज्ञानिक गुणों में विभिन्नताएँ

Bihar Board Class 12 Psychology मनोवैज्ञानिक गुणों में विभिन्नताएँ Textbook Questions and Answers

मनोवैज्ञानिक गुणों में विभिन्नताएं Bihar Board प्रश्न 1.
किस प्रकार मनोवैज्ञानिक बुद्धि का लक्षण और उसे परिभाषित करते हैं?
उत्तर:
मनोवैज्ञानिकों द्वारा बुद्धि के स्वरूप को बिल्कुल भिन्न ढंग से समझ जाता है। अल्फ्रेडं बिने बुद्धिं के विषय पर शोधकार्य करने वाले पहले मनोवैज्ञानिकों में से एक थे। उन्होंने बुद्धि को अच्छा निर्णय लेने की योग्यता और अच्छा तर्क प्रस्तुत करने की योग्यता के रूप में परिभाषित किया। वेश्लर जिनका बनाया गया बुद्धि परीक्षण बहुत व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, ने बुद्धि को उसकी प्रकार्यात्मकता के रूप में समझा अर्थात् उन्होंने पर्यावरण के प्रति अनुकूलित होने में बुद्धि के मूल्य को महत्त्व प्रदान किया।

वेश्लर के अनुसार बुद्धि व्यक्ति की वह समग्र क्षमता है जिसके द्वारा व्यक्ति सविवेक चिंतन करने, सोद्देश्य व्यवहार करने तथा अपने पर्यावरण से प्रभावी रूप से निपटने में समर्थ होता है। कुछ अन्य मनोवैज्ञानिकों, जैसे-गार्डनर और स्टर्नबर्ग का सुझाव है कि एक बुद्धिमान व्यक्ति न केवल अपने पर्यावरण से अनुकूलन करता है बल्कि उनमें सक्रियता से परिवर्तन और परिमार्जन भी करता है।

Psychology Class 12 Notes In Hindi Bihar Board प्रश्न 2.
किस सीमा तक हमारी बुद्धि आनुवंशिकता (प्रकृति) और पर्यावरण (पोषण) का परिणाम है? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
बुद्धि पर आनुवंशिकता के प्रभावों के प्रमाण मुख्य रूप से यमज या जुड़वाँ तथा दत्तक बच्चों के अध्ययन से प्राप्त होता है। साथ-साथ पाले गए समरूप जुड़वाँ बच्चों की बुद्धि में 0.90 सहसंबंध पाया गया है। बाल्यावस्था में अलग-अलग करके पाले गए जुड़वाँ बच्चों की बौद्धिक, व्यक्तित्व तथा व्यवहारपरक विशेषताओं में पर्याप्त समानता दिखाई देती है।

अलग-अलग पर्यावरण में पाले गए समरूप जुड़वाँ बच्चों की बुद्धि में 0.72 सहसंबंध है, साथ-साथ पाले गए भ्रातृ जुड़वाँ बच्चों की बुद्धि में लगभग 0.60 सहसंबंध, साथ-साथ पाले गए भाई-बहनों की बुद्धि में 0.50 सहसंबंध तथा अलग-अलग पाले गए सहोदरों की बुद्धि में 0.25 सहसंबंध पाया गया है। इस संबंध में अन्य प्रमाण दत्तक बच्चों के उन अध्ययन से प्राप्त हुए हैं जिनमें यह पाया गया है कि बच्चों की बुद्धि गोद लेने वाले माता-पिता की अपेक्षा जन्म देने वाले माता-पिता के अधिक समान होती है।

बुद्धि पर पर्यावरण के प्रभावों के संबंध में किए गए अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि जैसे-जैसे बच्चों की आयु बढ़ती जाती है उनका बौद्धिक स्तर गोद लेने वाले माता-पिता की बुद्धि के स्तर के निकट पहुँचता जाता है। सुविधाचित परिस्थितियों वाले घरों के जिन बच्चों को उच्च सामाजिक-आर्थिक स्थिति के परिवारों द्वारा गोद ले लिया जाता है उनकी बुद्धि प्राप्तांकों में अधिक वृद्धि दिखाई देती है।

यह इस बात का प्रमाण है कि पर्यावरण वंचन बुद्धि के विकास को घटा देता है जबकि प्रचुर एवं समृद्ध पोषण, अच्छी पारिवारिक पृष्ठभूमि तथा गुणवत्तायुक्त शिक्षा-दीक्षा बुद्धि में कर देता है। सामान्यतया सभी मनोवैज्ञानिकों की इस तथ्य पर सहमति है कि बुद्धि आनुवंशिकता (प्रकृति) तथा पर्यावरण (पोषण) की जटिल अंत:क्रिया का परिणाम होती है। आनुवंशिकता द्वारा किसी व्यक्ति की बुद्धि की परिसीमाएँ तय हो जाती हैं और बुद्धि का विकास, उस परिसीमन के अंतर्गत पर्यावरण में उपलभ्य अवलंबों और अवसरों द्वारा निर्धारित होता है।

Psychology Class 12 Chapter 1 In Hindi Bihar Board प्रश्न 3.
गार्डनर के द्वारा पहचान की गई बहु-बुद्धि की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
गार्डनर के बहु-बुद्धि का सिद्धांत प्रस्तुत किया गया। उनके अनुसार बुद्धि एक तत्त्व नहीं है बल्कि कई भिन्न-भिन्न प्रकार की बुद्धियों का अस्तित्व होता है। प्रत्येक बुद्धि एक-दूसरे से स्वतंत्र रहकर कार्य करती है। इसका अर्थ यह है कि यदि किसी व्यक्ति में किसी एक बुद्धि की मात्रा अधिक है तो यह अनिवार्य रूप से इसका संकेत नहीं करता कि उस व्यक्ति में किसी-किसी समस्या का समाधान खोजने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार की बुद्धियाँ आपस में अंत:क्रिया करते हुए साथ-साथ कार्य करती हैं। अपने-अपने क्षेत्रों में असाधारण योग्यताओं का प्रदर्शन करने वाले अत्यन्त. प्रतिभाशाली व्यक्तियों के आधार पर गार्डनर ने बुद्धि को आठ प्रकाः में विभाजित किया।

ये आठ प्रकार की बुद्धि इस प्रकार से हैं –

1. भाषागत (Linguistic) (भाषा के उत्पादन और उपयोग के कौशल):
यह अपने विचारों को प्रकट करने तथा दूसरे व्यक्तियों के विचारों को समझने हेतु प्रवाह तथा नम्यता के साथ भाषा का उपयोग करने की क्षमता है। जिन व्यक्तियों में यह बुद्धि अधिक होती है वे ‘शब्द-कुशल’ होते हैं। ऐसे व्यक्ति शब्दों के भिन्न-भिन्न अर्थों के प्रति संवेदनशील होते हैं, अपने मन में भाषा के बिम्बों का निर्माण कर सकते हैं और स्पष्ट तथा परिशुद्ध भाषा का उपयोग करते हैं। लेखकों तथा कवियों में यह बुद्धि अधिक मात्रा में होती है।

2. तार्किक-गणितीय (Logical-mathematical) (वैज्ञानिक चिंतन तथा समस्या समाधान के कौशल):
इस प्रकार की बुद्धि की अधिक मात्रा रखने वाले व्यक्ति तार्किक तथा आलोचनात्मक चिंतन कर सकते हैं। वे अमूर्त तर्कना कर लेते हैं और गणितीय समस्याओं के हल के लिए प्रतीकों का प्रहसन अच्छी प्रकार से कर लेते हैं। वैज्ञानिकों तथा नोबेल पुरस्कार विजेताओं में इस प्रकार की बुद्धि अधिक पाई जाने की संभावना रहती है।

3. देशिक (Spatial) (दृश्य बिंब तथा प्रतिरूप निर्माण के कौशल):
यह मानसिक बिम्बों को बनाने, उनका उपयोग करने तथा उनमें मानसिक धरातल पर परिमार्जन करने की योग्यता है। इस बुद्धि को अधिक मात्रा में रखने वाला व्यक्ति सरलता से देशिक सूचनाओं को अपने मस्तिष्क में रख सकता है। विमान-चालक, नाविक, मूर्तिकार, चित्रकार, वास्तुकार, आंतरिक साज-सज्जा के विशेषज्ञ, शल्य-चिकित्सक आदि में इस बुद्धि के अधिक पाए जाने की संभावना होती है।

4. संगीतात्मक (Musical) (सांगीतिक लय तथा अभिरचनाओं के प्रति संवेदनशीलता):
सांगीतिक अभिरचनाओं को उत्पन्न करने, उनका सर्जन तथा प्रहस्तन करने की क्षमता सांगीतिक योग्यता कहलाती है। इस बुद्धि की उच्च मात्रा रखने वाले लोग ध्वनियों और स्पंदनों तथा ध्वनियों की नई अभिरचनाओं के सर्जन के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।

5. शारीरिक-गतिसंवेदी (Bodily-kinaesthetic)(संपूर्ण शरीर अथवा उसके किसी अंग की लोच का उपयोग करना तथा उसमें सर्जनात्मकता प्रदर्शित करना):
किसी वस्तु अथवा उत्पाद के निर्माण के लिए अथवा मात्र शारीरिक प्रदर्शन के लिए संपूर्ण शरीर अथवा उसके किसी एक अथवा एक से अधिक अंग की लोच तथा पेशीय कौशल की योग्यता शारीरिक गतिसंवेदी योग्यता कही जाती है। धावकों, नर्तकों, अभिनेताओं / अभिनेत्रियों, खिलाड़ियों, जिमनास्टों तथा शल्य-चिकित्सकों में इस बुद्धि की अधिक मात्रा पाई जाती है।

6. अंतर्वैयक्तिक (Interpersonal) (दूसरे व्यक्तियों के सूक्ष्म व्यवहारों के प्रति संवेदनशील):
इस योग्यता द्वारा व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों की अभिप्रेरणाओं या उद्देश्यों, भावनाओं तथा व्यवहारों का सही बोध करते हुए उनके साथ मधुर संबंध स्थापित करता है। मनोवैज्ञानिक, परामर्शदाता, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता तथा धार्मिक नेता आदि में उच्च अंतर्वैयक्तिक बुद्धि पाए जाने की संभावना होती है।

7. अंत:व्यक्ति (Intraperson) (अपनी निजी भावनाओं, अभिप्रेरणाओं तथा इच्छाओं की अभिज्ञता):
इस योग्यता के अंतर्गत व्यक्ति को अपनी शक्ति तथा कमजोरियों का ज्ञान उस ज्ञान का दूसरे व्यक्तियों के साथ सामाजिक अंत:क्रिया में उपयोग करने का ऐसा कौशल सम्मिलित है जिससे वह अन्य व्यक्तियों से प्रभावी संबंध स्थापित करता है। इस बुद्धि की अधिक मात्रा रखने वाले व्यक्ति अपनी अनन्यता या पहचान, मानव अस्तित्व और जीवन के अर्थों को समझने में अति संवेदनशील होते हैं। दार्शनिक तथा आध्यात्मिक नेता आदि में इस प्रकार की उच्च बुद्धि रखी जा सकती है।

8. प्रकृतिवादी (Naturalistic)(पर्यावरण के प्राकृतिक पक्ष की विशेषताओं के प्रति संवेदनशीलता):
इस बुद्धि का तात्पर्य प्राकृतिक पर्यावरण से हमारे संबंधों का पूर्ण अभिनता से है। विभिन्न पशु-पक्षियों तथा वनस्पतियों के सौंदर्य का बोध करने में तथा प्राकृतिक पर्यावरण में सूक्ष्म विभेद करने में यह बुद्धि सहायक होती है। शिकारी, किसान, पर्यटक, वनस्पति-विज्ञानी, प्राणीविज्ञानी और पक्षीविज्ञानी आदि में प्रकृतिवादी बुद्धि अधिक मात्रा में होती है।

Class 12 Psychology Notes In Hindi Bihar Board प्रश्न 4.
किस प्रकार त्रिचापीय सिद्धांत बुद्धि को समझने में हमारी सहायता करता है?
उत्तर:
रॉबर्ट स्टेनबर्ग ने बुद्धि का त्रिचापीय सिद्धांत प्रस्तुत किया। स्टेनबर्ग के अनुसार बुद्धि वह योग्यता है जिससे व्यक्ति अपने पर्यावरण के प्रति अनुकूलित होता है। अपने तथा अपने समाज और संस्कृति के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु पर्यावरण के कुछ पक्षों का चयन करता है और उन्हें परिवर्तित करता है। इस सिद्धांत के अनुसार मूल रूप से बुद्धि तीन प्रकार की होती है-घटकीय, आनुभाविक तथा सांदर्भिक।

1. घटकीय बुद्धि (Componential intelligence):
घटकीय या विश्लेषणात्मक बुद्धि द्वारा व्यक्ति किसी समस्या का समाधन करने के लिए, प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण करता है। इस बुद्धि की अधिक मात्रा रखने वाले लोग विश्लेषणात्मक तथा आलोचनात्मक ढंग से सोचते हैं और विद्यालय में सफलता प्राप्त करते हैं। इस बुद्धि के भी तीन अलग-अलग घटक होते हैं जो अलग-अलग कार्य करते हैं।

पहला घटक ज्ञानार्जन से संबंधित होता है जिसके द्वारा व्यक्ति अधिगम करता है तथा विभिन्न कार्यों को करने की विधि का ज्ञान प्राप्त करता है। दूसरा घटक एक उच्चस्तरीय घटक होता है जिसके द्वारा व्यक्ति योजनाएँ बनाता है कि उसको क्या करना है और कैसे करना है। तीसरा घटक निष्पादन से संबंधित होता है। इस बुद्धि द्वारा व्यक्ति किसी कार्य का वास्तव में निष्पादन करता है।

2. आनुभाविक बुद्धि (Experiential intelligence):
आनुभाविक या सर्जनात्मक बुद्धि वह बुद्धि है जिसके द्वारा व्यक्ति किसी नई समस्या के समाधान हेतु अपने पूर्व अनुभवों का सर्जनात्मक रूप से उपयोग करता है। यह बुद्धि सर्जनात्मक निष्पादन में प्रदर्शित होती है। इस बुद्धि की उच्च मात्रा रखने वाले लोग विगत अनुभवों को मौलिक रूप में समाकलित करते हैं तथा समस्या के मौलिक समाधान खोजते हुए आविष्कार करते हैं। किसी विशेष स्थिति में वे तुरंत समझ जाते हैं कि कौन-सी सूचना अधिक निर्णायक होगी।

3. सांदर्भिक बुद्धि (Contextual intelligence):
सांदर्भिक या व्यावहारिक वह बुद्धि है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में आने वाली पर्यावरणीय माँगों से निपटता है। इसे आप व्यावहारिक बुद्धि या व्यावसायिक समझ कह सकते हैं। इस बुद्धि की अधिक मात्रा रखने वाले व्यक्ति अपने वर्तमान पर्यावरण से शीघ्र अनुकूलित हो जाते हैं या फिर अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप पर्यावरण में वांछित परिवर्तन कर लेते हैं। इस प्रकार ऐसे व्यक्ति अपने जीवन में सफल होते हैं। स्टर्नबर्ग की त्रिपाचीय सिद्धांत बुद्धि को समझने के लिए सूचना प्रक्रमण उपागम के अंतर्गत आने वाले सिद्धांतों का एक प्रतिनिधि सिद्धांत है।

Psychology 12th Bihar Board प्रश्न 5.
“प्रत्येक बौद्धिक क्रिया तीन तंत्रकीय तंत्रों के स्वतंत्र कार्यों को सम्मिलित करती है।” पास मॉडल के संदर्भ में उक्त कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
बुद्धि के पास मॉडल को जे० पी० दास जैक नागलीरी तथा किर्बी ने विकसित किया। इस मॉडल के अनुसार बौद्धिक क्रियाएँ अन्योन्याश्रित तीन तंत्रिकीय या स्नायुविक तंत्रों की क्रियाओं द्वारा संपादित होती है। इन तीन तंत्र को मस्तिष्क की तीन प्रकार्यात्मक इकाई कहा जाता है। ये तीन इकाई क्रमशः भाव प्रबोधन/अवधान, कूट संकेतन या प्रक्रमण और योजना निर्माण का कार्य करती हैं।

1. भाव प्रबोधन/अवधान (Arousalattention):
भाव प्रबोधन की दशा किसी भी व्यवहार के मूल में होती है क्योंकि यही किसी उद्दीपक की ओर हमारा ध्यान आकर्षित कराती है। भाव प्रबोधन तथा अवधान ही व्यक्ति को सूचना का प्रक्रमण करने के योग्य बनाता है। भाव प्रबोधन के इष्टतम स्तर के कारण हमारा ध्यान किसी समस्या के प्रासंगिक पक्षों की ओर आकृष्ट होता है। भाव प्रबोधन का बहुत अधिक होना अथवा बहुत कम होना अवधान को बाधित करता है। उदाहरण के लिए, जब अध्यापक कहते हैं कि अमुक दिन सबकी एक परीक्षा ली जाएगी तो छात्रों का भाव प्रबोधन बढ़ जाता है और वे प्रबोधन उनके ध्यान को प्रासंगिक अध्यायों की विषय-वस्तुओं को पढ़ने, दोहराने तथा सीखने के लिए अभिप्रेरित करता है।

2. सहकालिक तथा आनुक्रमिक प्रक्रमण (Simultaneous and sucessive processing):
अपने ज्ञान भंडार में सूचनाओं का समाकलन सहकालिक अथवा आनुक्रमिक रूप से कर सकते हैं। विभिन्न संप्रत्ययों को समझने के लिए उनके पारस्परिक संबंधों का प्रत्यक्षण करते हुए उनको एक सार्थक प्रतिरूप में समाकलित करते समय सहकालिक प्रक्रमण होता है। उदाहरण के लिए, रैवेन्स प्रोग्रेसिव मैट्सेिस (आर० पी० एम०) परीक्षण में परीक्षार्थी को एक अपूर्ण अभिकल्प या डिजाइन दिखाया जाता है और उसे दिए गए छः विकल्पों में से उस विकल्प को चुनना होता है जिससे अपूर्ण अभिकल्प पूरा हो सके। सहकालिक प्रक्रमण द्वारा दिए गए अमूर्त चित्रों के पारस्परिक संबंधों को समझने में सहायता मिलती है। आनुक्रमिक प्रक्रमण उस समय होता है ताकि उस सूचना का पुनःस्मरण की अपने बादवाली सूचना का पुनःस्मरण करा देता है। गिनती सीखना, वर्णमाला सीखना, गुणन सारणियों को सीखना आदि आनुक्रमिक प्रक्रमण के उदाहरण हैं।

3. योजना (Planning):
योजना बुद्धि का एक आवश्यक अभिलक्षण है। जब किसी सूचना की प्राप्ति और उसके पश्चात् उसका प्रक्रमण हो जाता है तो योजना सक्रिय हो जाती है। योजना के कारण हम क्रियाओं के समस्त संभावित विकल्पों के बारे में सोचने लगते हैं, लक्ष्य की प्राप्ति हेतु योजना को कार्यान्वित करते हैं तथा कार्यान्वयन से उत्पन्न परिणामों को प्रभाविता का मूल्यांकन करते हैं। यदि कोई योजना इष्ट फलदायक नहीं होती तो हम कार्य या स्थिति की माँग के अनुरूप उसमें संशोधन करते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि अध्यापक छात्रों की परीक्षा लेने वाले हैं तो छात्रों को इसकी योजना बनाते हुए लक्ष्य निर्धारित करना होता है। छात्र पढ़ने के लिए एक समय सारणी बना लेते हैं। अध्याय में कोई समस्या आने पर उसका स्पष्टीकरण कराते हैं। फिर भी उन्हें परीक्षा के लिए नियत अध्याय को समझने में कठिनाई आती है तो वे अन्य मार्ग खोजने लगते हैं। संभव है कि वे अपने अध्ययन का समय बढ़ाकर या किसी मित्र के साथ अध्ययन करके अपने लक्ष्य को पाने का प्रयास करने लगे। उपर्युक्त तीनों पास (Pass) प्रक्रियाएँ औपचारिक रूप से (पढ़ने, लिखने तथा प्रयोग करने) अथवा पर्यावरण से अनौपचारिक रूप से संकलित ज्ञान के भंडार पर कार्य करती हैं। इन प्रक्रियाओं का स्वरूप अंत:क्रियात्मक तथा गतिशील होता है। इसके बावजूद इनके अपने स्वतंत्र अस्तित्व तथा विशिष्ट प्रकार्य होते हैं।

Psychology Class 12 Chapter 1 Question Answers In Hindi प्रश्न 6.
क्या बुद्धि के संप्रत्ययीकरण में कुछ सांस्कृतिक भिन्नताएँ होती हैं?
उत्तर:
संस्कृति रीति-रिवाजों, विश्वासों, अभिवृत्तियों तथा कला और साहित्य में उपलब्धियों की एक सामूहिक व्यवस्था को कहते हैं। इन सांस्कृतिक प्राचालों के अनुरूप ही किसी व्यक्ति की बुद्धि के ढलने की संभावना होती है। अनेक सिद्धांतकार बुद्धि को व्यक्ति की विशेषता सिद्धांतों में संस्कृति की अनन्य विशेषताओं को भी स्थान मिलने लगा है। स्टर्नबर्ग के सांदर्भिक अथवा व्यावहारिक बुद्धि का यह अर्थ है कि बुद्धि संस्कृति का उत्पाद होती है। वाइगॉट्स्की का भी विश्वास था कि व्यक्ति की तरह संस्कृति का भी अपना एक जीवन होता है, संस्कृति का भी विकास होता है और उसमें परिवर्तन होता है। इसी प्रक्रिया में संस्कृति ही यह निर्धारित करती है कि अंततः किसी व्यक्ति क बौद्धिक विकास किस प्रकार का होगा। वाइगॉट्स्की के अनुसार, कुछ प्रारंभिक मानसिक प्रक्रियाएँ, (जैसे-रोना, माता की आवाज की ओर ध्यान देना, सूंघना, चलना, दौड़ना आदि) सर्वव्यापी होती है, परन्तु उच्च मानसिक प्रक्रियाएं, जैसे-समस्या का समाधान करने तथा चिंतन करने आदि की शैलियाँ मुख्यतः संस्कृति का प्रतिफल होती है।

तकनीकी रूप से विकसित समाज के व्यक्ति ऐसी बाल-पोषण नीतियाँ अपनाते हैं जिससे बच्चों में सामान्यीकरण तथा अमूर्तकरण, गति, न्यूनतम प्रयास करने तथा मानसिक स्तर पर वस्तुओं का प्रहस्तन करने की क्षमता विकसित हो सके। ऐसे समाज बच्चों में एक विशेष प्रकार के व्यवहार के विकास को बढ़ावा देते हैं जिसे हम तकनीक-बुद्धि (Technological intelligence) कह सकते हैं। ऐसे समाजों में व्यक्ति अवधान देने, प्रेक्षण करने, विश्लेषण करने, अच्छा निष्पादन करने, तेज काम करने तथा उपलब्धि की ओर उन्मुख रहने आदि कौशलों में दक्ष होते हैं । पश्चिमी संस्कृतियों में निर्मित किए गए बुद्धि परीक्षणों में विशुद्ध रूप से व्यक्ति के इन्हीं कौशलों की परीक्षा की जाती है।

एशिया तथा अफ्रीका के अनेक समाजों में तकनीकी बुद्धि को उतना महत्त्व नहीं दिया जाता है। एशिया तथा अफ्रीका की संस्कृतियों में पश्चिमी देशों की अपेक्षा पूर्णतः भिन्न गुणों तथा कौशलों को बुद्धि का परिचायक माना जाता है। गैर-पश्चिमी संस्कृतियों में व्यक्ति की अपनी संज्ञानात्मक सक्षमता के साथ-साथ उसमें समाज के दूसरे व्यक्तियों के साथ सामाजिक संबंध बनाने के कौशलों को भी बुद्धि का लक्षण माना जाता है। कुछ गैर-पश्चिमी समाजों में समाज-केन्द्रित तथा सामूहिक उन्मुखता पर बल दिया जाता है जबकि पश्चिमी समाजों में निजी उपलब्धियों तथा व्यक्तिपरक उन्मुखता को अधिक महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यद्यपि पश्चिम के सांस्कृतिक प्रभावों के कारण अब यह भिन्नता धीरे-धीरे समाप्त हो रही है।

Psychology 12th Notes In Hindi Bihar Board प्रश्न 7.
बुद्धि-लब्धि क्या है? किस प्रकार मनोवैज्ञानिक बुद्धि-लब्धि प्राप्तांकों के आधार पर लोगों को वर्गीकृत करते हैं?
उत्तर:
बुद्धि-लब्धि:
किसी व्यक्ति की मानसिक आयु के उसकी कालानुक्रमिक आयु से भाग देने के बाद उसको 100 से गुणा करने से उनकी बुद्धि-लब्धि प्राप्त हो जाती है।

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मनोवैज्ञानिक बुद्धि-लब्धि प्राप्तांकों के आधार पर लोगों को वर्गीकृत करते हैं। इसे निम्न तालिका द्वारा समझा जा सकता है –

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उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि जनसंख्या के लगभग 2 प्रतिशत व्यक्तियों की बुद्धि-लब्धि 130 से अधिक होती है और उतने ही प्रतिशत व्यक्तियों की बुद्धि-लब्धि 70 से कम होती है। पहले वर्ग के लोगों को बौद्धिक रूप से प्रतिभाशाली कहा जाता है जबकि दूसरे वर्ग के लोगों को मानसिक रूप से चुनौतीग्रस्त या मानसिक रूप से मंदित कहा जाता है। ये दोनों वर्ग अपनी संज्ञानात्मक, संवेगात्मक तथा अभिप्रेरणात्मक विशेषताओं में सामान्य लोगों की अपेक्षा पर्याप्त भिन्न होते हैं।

Psychology Class 12 Chapter 1 Notes In Hindi Bihar Board प्रश्न 8.
किस प्रकार शब्दिक और निष्पादन बुद्धि परीक्षणों में भेद कर सकते हैं? अथवा, सांवेगिक बुद्धि पर संक्षिप्त में एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
शाब्दिक परीक्षणों में परीक्षार्थी को मौखिक अथवा लिखित रूप में शाब्दिक अनुक्रियाएँ करनी होती हैं। इसलिए शाब्दिक परीक्षण केवल साक्षर व्यक्तियों को ही दिया जा सकता है। निष्पादन परीक्षण में कोई कार्य संपादित करने के लिए कुछ वस्तुओं या अन्य सामग्रियों का प्रहस्तन करना होता है। एकांशों का उत्तर देने के लिए लिखित भाषा के उपयोग की आवश्यकता नहीं होती। उदाहरण के लिए कोह (Kohs) के ब्लॉक-डिजाइन परीक्षण (Block design test) में लकड़ी के कई घनाकर गुटके होते हैं परीक्षार्थी को दिए गए समय के अंतर्गत गुटकों को इस प्रकार बिछाना होता है कि उनसे दिया गया डिजाइन बन जाए। निष्पादन परीक्षणों का एक लाभ यह है कि उन्हें भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के व्यक्तियों को आसानी से दिया जा सकता है।

प्रश्न 9.
सभी व्यक्तियों में समान बौद्धिक क्षमता समान नहीं होती। कैसे अपनी बौद्धिक योग्यताओं में लोग एक-दूसरे से भिन्न होते हैं? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सभी व्यक्तियों में समान बौद्धिकता समान नहीं होती। कुछ व्यक्ति असाधारण रूप से तीव्र बुद्धि वाले होते हैं तथा कुछ औसत से कम बुद्धि वाले। ऐसे व्यक्ति जिनमें बौद्धिक न्यूनता होती है उन्हें मानसिक रूप से मंदित कहा जाता है। जिन व्यक्तियों को मानसिक रूप से मंदित के समूह में वर्गीकृत किया जाता है उनकी योग्यताओं में भी पर्याप्त भिन्नताएँ दिखाई पड़ती है। उनमें कुछ व्यक्तियों को विशेष ध्यान देकर साधारण प्रकार के कार्य करना सिखाया जा सकता है।

परन्तु कुछ ऐसे व्यक्ति भी होते हैं जिन्हें कोई प्रशिक्षण नहीं दिया जा सकता है और जीवनभर संस्थागत देखभाल की आवश्यकता पड़ती है। किसी जनसंख्या की बुद्धि-लब्धि प्राप्तांक का माध्य 100 होता है। बुद्धि-लब्धि की संख्याएँ मानसिक रूप से मंदित व्यक्तियों के भिन्न-भिन्न वर्गों को समझने में सहायक होती है। मानसिक मंदन के विभिन्न वर्ग इस प्रकार होते हैं-निम्न मंदन (Mild retardation) (बुद्धि-लब्धि 55 से 69 के बीच), सामान्य मंदन (Moderate retardation) बुद्धि-लब्धि 25 से 29 के बीच) तथा अतिगंभीर मंदन (Profound retardation) (बुद्धि-लब्धि से 25 कम)।

निम्न मंदन वाले व्यक्तियों का विकास यद्यपि अपने समान आयु वाले व्यक्तियों की अपेक्षा धीमा होता है वे स्वतंत्र होकर अपने सभी कार्य कर लेते हैं, कोई नौकरी भी कर सकते हैं और अपने परिवार की देखभाल भी कर सकते हैं। मंदन की मात्रा जैसे-जैसे बढ़ती जाती है, कठिनाइयाँ अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ने लगती हैं। सामान्य मंदन वाले व्यक्ति अपने साथ के लोगों से भाषा के उपयोग तथा अन्य पेशीय कौशलों को सीखने में पीछे रह जाते हैं।

इन्हें अपनी दैनिक देखभाल करने और सरल प्रकार के सामाजिक तथा सम्प्रेषण कौशलों के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है परन्तु अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यों के करने के लिए उन्हें सामान्य पर्यवेक्षण की आवश्यकता पड़ती है। तीव्र मंदन और अतिगंभीर मंदन करने वाले व्यक्ति अपना जीवन-यापन करने में अक्षम होते हैं और जीवन भर उसकी लगातार देखभाल करते रहने की आवश्यकता होती है। अपनी उत्कृष्ट संभाव्यताओं के कारण बौद्धिक रूप से प्रतिभाशाली व्यक्तियों का निष्पादन श्रेष्ठ प्रकार का होता है। बुद्धि व्यावसायिक सफलता और जीवन में समायोजन के साथ संबंधित होता है। किसी व्यक्ति की प्रतिभाशाली उसकी उच्च योग्यता, उच्च सर्जनात्मकता तथा उच्च प्रतिबद्धता जैसे गुणों के संयोजन पर निर्भर करती है।

प्रश्न 10.
अपने विचारों में बुद्धि-लब्धि और सांवेगिक लब्धि में से कौन-सा जीवन में सफलता से ज्यादा संबंधित होगा और क्यों? अथवा, सांवेगिक बुद्धि पर संक्षिप्त में एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सांवेगिक बुद्धि का संप्रत्यय बुद्धि के संप्रत्यय को उसके बौद्धिक क्षेत्र से अधिक विस्तार देता है और संवेगों की भी बुद्धि के अंतर्गत सम्मिलित करता है। सांवेगिक बुद्धि का संप्रत्यय सामान्य बुद्धि को भारतीय परंपरा की अवधारणा से निर्मित हुआ है। सांवेगिक बुद्धि (Emotional intelligence) अनेक कौशलों, जैसे-अपने तथा दूसरे व्यक्तियों के संवेगों का परिशुद्ध मूल्यांकन, प्रकटीकरण तथा संवेगों का नियमन आदि का एक समुच्चय है। यह बुद्धि का भावात्मक पक्ष है।

जीवन में सफल होने के लिए उच्च बुद्धि-लब्धि तथा विद्यालय परीक्षाओं में अच्छा निष्पादन ही पर्याप्त नहीं है। हम अनेक ऐसे व्यक्ति को पाते हैं जो उच्च शैक्षिक प्रतिभा वाले तो हैं परन्तु अपने जीवन में सफल नहीं हो पाते। परिवार में तथा कार्य स्थान पर उनकी अनेक समस्याएँ रहती हैं वे अच्छा अंतर्वैयक्तिक संबंध नहीं बना पाते। कुछ मनोवैज्ञानिकों का विश्वास है कि उनकी समस्याएँ उनकी सांवेगिक बुद्धि की कमी के कारण उत्पन्न होती हैं।

सांवेगिक बुद्धि के संप्रत्यय को सर्वप्रथम सैलोवी (Salovey) तथा मेयर (Meyer) ने प्रस्तुत किया था। इन लोगों के अनुसार, “अपने तथा दूसरे व्यक्तियों के संवेगों का परिवीक्षण करने और उनमें विभेदन करने की योग्यता तथा प्राप्त सूचना के अनुसार अपने चिंतन तथा व्यवहारों को निर्देशित करने की योग्यता ही सांवेगिक बुद्धि है।” सांवेगिक लब्धि (Emotional quotient EQ) का उपयोग किसी व्यक्ति की सांवेगिक बुद्धि की मात्रा बताने में उसी प्रकार किया जाता है जिस प्रकार बुद्धि-लब्धि (आई-क्यू) का उपयोग बुद्धि की मात्रा बताने में किया जाता है।

साधारण शब्दों में सांवेगिक सूचनाओं से प्रभावित विद्यार्थियों से संबंध रखने में शिक्षकों का ध्यान उनकी सांवेगिक बुद्धि है। बाह्य जगत के दबावों तथा चुनौतियों से प्रभावित विद्यार्थियों से संबंध रखने में शिक्षकों का ध्यान उनकी सांवेगिक बुद्धि पर उत्तरोत्तर बढ़ता जा रहा है। विद्यार्थियों की सांवेगिक बुद्धि में अभिवृद्धि करने वाले कार्यक्रमों से उनकी शैक्षिक उपलब्धियों पर लाभप्रद प्रभाव पड़ता है। इससे इनके सहयोगी व्यवहार को प्रोत्साहन मिलता है तथा समाजविरोधी गतिविधियाँ कम हो जाती हैं। ऐसे कार्यक्रम/योजनाएँ विद्यार्थियों को कक्षा के बाहर की दुनिया को चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करने में बहुत उपयोगी होती है।

प्रश्न 11.
अभिक्षमता’ अभिरुचि और बुद्धि से कैसे भिन्न हैं? अभिक्षमता का मापन कैसे किया जाता है?
उत्तर:
अभिक्षमता क्रियाओं के किसी विशेष क्षेत्र की विशेष योग्यता को कहते हैं। अभिक्षमता विशेषताओं का ऐसा संयोजन है जो व्यक्ति द्वारा प्रशिक्षण के उपरांत किसी विशेष क्षेत्र के ज्ञान अथवा कौशल के अर्जन की क्षमता को प्रदर्शित करता है। अभिक्षमताओं का मापन कुछ विशिष्ट परीक्षणों द्वारा किया जाता है। किसी व्यक्ति की अभिक्षमता के मापन से हमें उसके द्वारा भविष्य में किए जाने वाले निष्पादन को पूर्वकथन करने में सहायता मिलती है। बुद्धि का मापन करने की प्रक्रिया में मनोवैज्ञानिकों को यह ज्ञान होता है कि समान बुद्धि रखने वाले व्यक्ति भी किसी विशेष क्षेत्र के ज्ञान अथवा कौशलों को भिन्न-भिन्न दक्षता के साथ अर्जित करते हैं। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की विशिष्ट योग्यताएँ तथा कौशल ही अभिक्षमताएँ कहलाती हैं। उचित प्रशिक्षण देकर उन योग्यताओं में पर्याप्त अभिवृद्धि की जा सकती है।

किसी विशेष क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति में अभिक्षमता के साथ-साथ अभिरुचि (Interest) का होना भी आवश्यक है। अभिरुचि किसी विशेष कार्य को करने की वरीयता या तरजीह को कहते हैं जबकि अभिक्षमता उस कार्य करने की संभाव्यता या विभवता को कहते हैं। किसी व्यक्ति में किसी कार्य को करने की अभिरुचि हो सकती है परन्तु व्यक्ति में किसी कार्य को करने की अभिक्षमता हो परन्तु उसमें उसकी अभिरुचि न हो। उन दोनों ही दशाओं में उसका निष्पादन संतोषजनक नहीं होगा। एक ऐसे विद्यार्थी की सफल यांत्रिक अभियंता बनने की अधिक संभावना हैं जिसमें उच्च यांत्रिक अभिक्षमता हो और अभियांत्रिकी में उसकी अभिरुचि भी हो।

अभिक्षमता परीक्षण दो रूपों में प्राप्त होते हैं स्वतंत्र (विशेषीकृत) अभिक्षमता परीक्षण तथा बहुल (सामान्यीकृत) अभिक्षमता परीक्षण। लिपिकीय अभिक्षमता, यांत्रिक अभिक्षमता, अंकित अभिक्षमता तथा टंकण अभिक्षमता आदि के परीक्षण स्वतंत्र अभिक्षमता परीक्षण है। बहुल अभिक्षमता परीक्षणों में एक परीक्षणमाला होती है जिससे अनेक भिन्न-भिन्न प्रकार की परन्तु समजातीय क्षेत्रों में अभिक्षमता का मापन किया जाता है। विभेदक अभिक्षमता परीक्षण (जी० ए० टी० बी०) तथा आमर्ड सर्विसेस व्यावसायिक अभिक्षमता परीक्षण का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। इस परीक्षण में 8 स्वतंत्र उप-परीक्षण हैं। ये हैं –

  1. शाब्दिक तर्कना
  2. आंकिक तर्कना
  3. अमूर्त तर्कना
  4. लिपिकीय गति एवं परिशुद्धता
  5. यांत्रिक तर्कना
  6. दैशिक या स्थानिक संबंध
  7. वर्तनी
  8. भाषा का उपयोग

प्रश्न 12.
किस प्रकार सर्जनात्मकता बुद्धि से संबंधित होती है?
उत्तर:
सर्जनात्मकता तथा बुद्धि में सकारात्मक संबंध होता है। प्रत्येक सर्जनात्मक कार्य के लिए ज्ञान प्राप्त करने के लिए तथा समस्या को समझने, सूचनाओं को भंडारित करने तथा आवश्यकता पड़ने पर उनकी पुनः प्राप्ति करने के लिए न्यूनतम स्तर की योग्यता तथा क्षमता की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, सर्जनशील लेखकों को भाषा के उपयोग में दक्षता की आवश्यकता होती है। एक चित्रकार के लिए यह जानना आवश्यक है कि चित्र बनाने की उसकी एक विशेष तकनीक का दर्शक पर कैसा प्रभाव उत्पन्न होगा, एक वैज्ञानिक को तर्कना में कुशल होना चाहिए आदि। अतः, सर्जनात्मकता के लिए एक विशेष मात्रा से अधिक बुद्धि का सर्जनात्मक से सहसंबंध नहीं होता। निष्कर्ष यह है कि सर्जनात्मकता के कई रूप और सम्मिश्रण होते हैं। कुछ व्यक्तियों में बौद्धिक गुण अधिक मात्रा में होते हैं और कुछ व्यक्तियों में सर्जनात्मकता से संबंध विशेषताएँ अधिक मात्रा में होती है।

Bihar Board Class 12 Psychology मनोवैज्ञानिक गुणों में विभिन्नताएँ Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
बौद्धिक विकास क्या है?
उत्तर:
बौद्धिक विकास आनुवंशिक कारकों (प्रकृति) तथा पर्यावरण दशाओं (पोषण) के मध्य एक जटिल अंत:क्रिया का परिणाम होता है।

प्रश्न 2.
‘व्यक्तित्व’ शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर:
व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति का अपेक्षाकृत स्थायी प्रकार की उन विशेषताओं से है जो उसे अन्य व्यक्तियों से भिन्न बनाती हैं।

प्रश्न 3.
‘अभिरुचि’ शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर:
अभिरुचि का अर्थ किसी व्यक्ति द्वारा दूसरी क्रियाओं की अपेक्षा किसी एक अथवा एक से अधिक विशिष्ट क्रियाओं में स्वयं को अधिक रखने की वरीयता से है।

प्रश्न 4.
‘अभिक्षमता’ शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर:
अभिक्षमता का अर्थ किसी व्यक्ति की कौशलों के अर्जन के लिए अंतर्निहित संभाव्यता से है।

प्रश्न 5.
अभिक्षमता परीक्षणों का उपयोग कहाँ किया जाता है?
उत्तर:
अभिक्षमता परीक्षणों का उपयोग यह पूर्व कथन करने में किया जाता है कि व्यक्ति उपयुक्त पर्यावरण और प्रशिक्षण प्रदान करने पर कैसा निष्पादन कर सकेगा।

प्रश्न 6.
मूल्यांकन शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर:
मूल्यांकन करने का अर्थ व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक गुणों का. मापन करने से है।

प्रश्न 7.
औपचारिक मूल्यांकन किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
औपचारिक मूल्यांकन वस्तुनिष्ठ, मानकीकृत तथा व्यवस्थित रूप में किया जाता है।

प्रश्न 8.
अनौपचारिक मूल्यांकन किस प्रकार होता है?
उत्तर:
अनौपचारिक मूल्यांकन जिन व्यक्तियों का किया जाना है उनके बदले जाने से तथा मूल्यांकन करने वाले व्यक्तियों के बदल जाने से परिवर्तित होता रहता है जिससे प्राप्त परिणाम या मूल्यांकन की व्यक्तिनिष्ठ व्याख्या होने लगती है।

प्रश्न 9.
‘स्थितिवाद’ क्या है?
उत्तर:
स्थितिवाद के अनुसार किसी व्यक्ति का व्यवहार उसकी परिस्थिति या वर्तमान दशाओं से प्रभावित होता है।

प्रश्न 10.
स्थितिवादी परिप्रेक्ष्य मनुष्य के व्यवहार को किस प्रकार का मानता है?
उत्तर:
स्थितिवादी परिप्रेक्ष्य मनुष्य के व्यवहार के बाह्य तथा आंतरिक कारकों की अंत:क्रिया का परिणाम मानता है।

प्रश्न 11.
‘बुद्धि’ का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
‘बुद्धि’ शब्द का तात्पर्य किसी व्यक्ति की अपने परिवेश को समझने की क्षमता से, विवेकपूर्ण चिंतन करने से और जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए उपलब्ध संसाधनों की प्रभावी ढंग से उपयोग करने से है।

प्रश्न 12.
मनोमितिक उपागम क्या है?
उत्तर:
मनोमितिक उपागम में बुद्धि को अनेक प्रकार की योग्यताओं की एक समुच्चय माना जाता है। यह व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले निष्पादन को उसकी संज्ञानात्मक योग्यताओं के एक सूचकांक के रूप में व्यक्त करता है।

प्रश्न 13.
सूचना प्रक्रमण उपागम क्या है?
उत्तर:
सूचना प्रक्रमण उपागम में बौद्धिक तर्कना तथा समस्या समाधान में व्यक्तियों द्वारा उपयोग की जाने वाली प्रक्रियाओं का वर्णन किया जाता है।

प्रश्न 14.
बुद्धि के एक-कारक सिद्धान्त को किसने प्रतिपादित किया?
उत्तर:
बुद्धि के एक-कारक सिद्धान्त को अल्फ्रेड बिने ने प्रतिपादित किया।

प्रश्न 15.
बुद्धि का द्वि-कारक सिद्धान्त किसने दिया?
उत्तर:
बुद्धि का द्वि-कारक सिद्धांत विश्लेषण की सांख्यिकीय विधि पर आधारित था।

प्रश्न 16.
सा-कारक क्या है?
उत्तर:
सा-कारक के अंतर्गत वे सभी मानसिक संक्रियाएँ होती हैं जो प्राथमिक हैं और जिनका प्रभाव सभी प्रकार के कार्यों के निष्पादन पर पड़ता है।

प्रश्न 17.
बुद्धि का पदानुक्रमिक मॉडल क्या है?
उत्तर:
इस मॉडल के अनुसार योग्यताएँ दो स्तरों पर कार्य करती हैं। प्रथम स्तर पर साहचर्यात्मक अधिगम का होता है जिसमें आगत तथा निर्गत लगभग समान होते हैं।

प्रश्न 18.
‘मूल्य’ शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर:
मूल्य आदर्श व्यवहारों के संबंध में व्यक्ति के स्थायी विश्वास होते हैं। व्यक्ति के मूल्य जीवन में व्यवहारों के लिए एक मानक निर्धारित करते हैं और उन्हें निर्देशित करते हैं।

प्रश्न 19.
प्रेक्षण क्या है?
उत्तर:
प्रेक्षण में व्यक्ति की नैसर्गिक या स्वाभाविक दशा में घटित होने वाली तात्क्षणिक व्यवहारपरक घटनाओं की व्यवस्थित, संगठित तथा वस्तुनिष्ठ ढंग से अभिलेख तैयार किया जाता है।

प्रश्न 20.
प्रेक्षण प्रणाली द्वारा अध्ययन करने वाली एक गोचर का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
कुछ गोचर, जैसे-‘मातृ-शिशु अंत:क्रिया’ को अध्ययन प्रेक्षण प्रणाली द्वारा सरलता से किया जा सकता है।

प्रश्न 21.
प्रेक्षण प्रणाली की एक समस्या को लिखिए।
उत्तर:
प्रेक्षण प्रणाली की एक बड़ी समस्या यह है कि इसमें स्थिति पर प्रेरक का बहुत कम नियंत्रण होता है और प्रेक्षण से प्राप्त विवरण की प्रेरक द्वारा व्यक्तिनिष्ठ व्याख्या की जा सकती है।

प्रश्न 22.
मनोवैज्ञानिक परीक्षण क्या है?
उत्तर:
मनोवैज्ञानिक परीक्षण व्यक्ति की मानसिक तथा व्यवहारपरक विशेषताओं का वस्तुनिष्ठ तथा मानकीकृत मापक होता है।

प्रश्न 23.
मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन की विधियाँ को लिखिए।
उत्तर:
मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन की निम्नलिखित विधियाँ हैं –

  1. मनोवैज्ञानिक परीक्षण
  2. साक्षात्कार
  3. व्यक्ति अध्ययन
  4. प्रेक्षण
  5. आत्म-प्रतिवेदन

प्रश्न 24.
आत्म-प्रतिवेदन क्या है?
उत्तर:
आत्म-प्रतिवेदन वह विधि है जिसमें व्यक्ति अपने विश्वासों, मतों आदि के बारे में तथ्यात्मक सूचनाएँ प्रदान करता है।

प्रश्न 25.
भाषागत बुद्धि क्या है?
उत्तर:
भाषागत बुद्धि अपने विचारों को प्रकट करने तथा दूसरे व्यक्तियों के विचारों को समझने हेतु प्रवाह तथा नम्यता के साथ भाषा का उपयोग करने की क्षमता है।

प्रश्न 26.
बहु-बुद्धि का सिद्धान्त क्या है?
उत्तर:
इस सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि कोई एक तत्त्व नहीं है बल्कि कई भिन्न-भिन्न प्रकार की बुद्धियों का अस्तित्व होता है। प्रत्येक बुद्धि एक-दूसरे से स्वतंत्र रहकर कार्य करती है।

प्रश्न 27.
बहु-बुद्धि का सिद्धान्त किसने प्रस्तुत किया?
उत्तर:
बहु-बुद्धि का सिद्धान्त हॉवर्ड गार्डनर ने प्रस्तुत किया था।

प्रश्न 28.
उत्पाद का क्या अर्थ है?
उत्तर:
उत्पाद का अर्थ उस स्वरूप से होता है जिसमें व्यक्ति सूचनाओं का प्रक्रमण करता है।

प्रश्न 29.
‘देशिक बुद्धि’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
देशिक बुद्धि मानसिक बिम्बों को बनाने, उनका उपयोग करने तथा उनमें मानसिक धरातल पर परिमार्जन करने की योग्यता है।

प्रश्न 30.
सांगीतिक योग्यता किसे कहते हैं?
उत्तर:
सांगीतिक अभिरचनाओं को उत्पन्न करने, उनका सर्जन तथा प्रहस्तन करने की क्षमता सांगीतिक योग्यता कहलाती है।

प्रश्न 31.
शारीरिक-गतिसंवेदी योग्यता किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी वस्तु अथवा उत्पाद के निर्माण के लिए अथवा मात्र शारीरिक प्रदर्शन के लिए सम्पूर्ण शरीर अथवा उसके किसी एक अथवा एक से अधिक अंग की लोच तथा पेशीय कौशल की योग्यता शारीरिक-गतिसंवेदी योग्यता कही जाती है।

प्रश्न 32.
बुद्धि का पदानुक्रमिक मॉडल किसने प्रस्तुत किया?
उत्तर:
आर्थर जेन्सेन ने बुद्धि का एक पदानुक्रमिक मॉडल प्रस्तुत किया।

प्रश्न 33.
बुद्धि संरचना मॉडल किसने प्रस्तुत किया?
उत्तर:
जे० पी० गिलफोर्ड ने बुद्धि संरचना मॉडल प्रस्तुत किया।

प्रश्न 34.
बुद्धि संरचना मॉडल में बौद्धिक विशेषताओं को कितने विमाओं में वर्गीकृत किया गया है?
उत्तर:
तीन विमाओं में –

  1. संक्रियाएँ
  2. विषय-वस्तु
  3. उत्पाद

प्रश्न 35.
संक्रियाओं से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
संक्रियाओं से तात्पर्य बुद्धि द्वारा की जाने वाली क्रियाओं से है।

प्रश्न 36.
बुद्धि का द्वि-कारक सिद्धान्त किस पर आधारित था?
उत्तर:
बुद्धि का द्वि-कारक सिद्धान्त विश्लेषण की सांख्यिकीय विधि पर आधारित था।

प्रश्न 37.
संक्रियाओं में किस प्रकार की क्रियाएँ होती हैं?
उत्तर:
इसमें संज्ञान, स्मृति अभिलेखन, स्मृति प्रतिधारण, अपसारी उत्पादन, अभिसारी उत्पादन तथा मूल्यांकन की क्रियाएँ होती है।

प्रश्न 38.
बुद्धि का त्रिचापीय सिद्धांत किसने प्रस्तुत किया?
उत्तर:
रॉबर्ट स्टर्नबर्ग ने बुद्धि का त्रिचापीय सिद्धान्त प्रस्तुत किया।

प्रश्न 39.
बुद्धि के त्रिचापीय सिद्धान्त क्या हैं?
उत्तर:
बुद्धि के त्रिचापीय सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि वह योग्यता है जिससे व्यक्ति अपने पर्यावरण के प्रति अनुकूलित होता है, अपने तथा अपने समाज और संस्कृति के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु पर्यावरण के कुछ पक्षों का चयन करता है और उन्हें परिवर्तित करता है।

प्रश्न 40.
बुद्धि के त्रिचापीय सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि कितने प्रकार की होती है?
उत्तर:
इस सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि तीन प्रकार की होती है –

  1. घटकीय
  2. आनुभाविक
  3. सांदर्भिक

प्रश्न 41.
घटकीय बुद्धि क्या है?
उत्तर:
घटकीय बुद्धि द्वारा व्यक्ति किसी समस्या का समाधान करने के लिए प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण करता है।

प्रश्न 42.
घटकीय बुद्धि के तीन घटक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
घटकीय बुद्धि के तीन घटक निम्नलिखित हैं –

  1. पहला घटक ज्ञानार्जन से संबंधित होता है जिसके द्वारा अधिगम करता है तथा विभिन्न कार्यों को करने की विधि का ज्ञान प्राप्त होता है।
  2. दूसरा घटक अधिक या एक उच्चस्तरीय घटक होता है जिसके द्वारा व्यक्ति योजनाएँ बनाता है कि उसको क्या करना है और कैसे करना है।
  3. तीसरा घटक निष्पादन से संबंधित होता है। इस बुद्धि द्वारा व्यक्ति किसी कार्य का वास्तव में निष्पादन करता है।

प्रश्न 43.
सादर्भिक बुद्धि क्या है?
उत्तर:
सांदर्भिक बुद्धि वह बुद्धि है जिसके द्वारा व्यक्ति अपने दिन-प्रतिदिन के जीवन में आने वाली पर्यावरणी माँगों से निपटता है।

प्रश्न 44.
अंत:व्यक्ति बुद्धि क्या है?
उत्तर:
इस योग्यता के अंतर्गत व्यक्ति को अपनी शक्ति तथा कमजोरियों का ज्ञान और उस ज्ञान का दूसरे व्यक्तियों के साथ सामाजिक अंतःक्रिया में उपयोग करने का ऐसा कौशल सम्मिलित है जिससे वह अन्य व्यक्तियों से प्रभावी संबंध स्थापित करता है।

प्रश्न 45.
अंतर्वैयक्तिक बुद्धि पाये जाने वाले व्यक्ति कौन हो सकते हैं?
उत्तर:
मनोवैज्ञानिक, परामर्शदात्री, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता तथा धार्मिक नेता आदि में उच्च अंतर्वैयक्तिक बुद्धि पाए जाने की संभावना होती है।

प्रश्न 46.
अंतर्वैयक्तिक बुद्धि क्या है?
उत्तर:
इस योग्यता के द्वारा व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों की अभिप्रेरणाओं या उद्देश्यों, भावनाओं तथा व्यवहारों का सही बोध करते हुए उनके साथ मधुर संबंध स्थापित करता है।

प्रश्न 47.
शारीरिक-गतिसंवेदी योग्यता के उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
धावकों, नर्तकों, अभिनेताओं, खिलाड़ियों, जिमनास्टों तथा शल्य चिकित्सकों में इस बुद्धि की अधिक मात्रा पाई जाती है।

प्रश्न 48.
सामान्य बुद्धि और प्रतिभाशाली बुद्धि वाले व्यकिायों की बुद्धि-लब्धि प्राप्तांक क्या होती है?
उत्तर:
जिन व्यक्तियों की बुद्धि-लब्धि प्राप्तांक 90 से 110 के बीच होती है उन्हें सामान्य बुद्धि वाला कहा जाता है। जिन व्यक्तियों की बुद्धि-लब्धि प्राप्तांक 130 से अधिक होती है वे असाधारण रूप से प्रतिभाशाली समझे जाते हैं।

प्रश्न 49.
बुद्धि-लब्धि किस प्रकार प्राप्त की जाती है?
उत्तर:
किसी व्यक्ति की मानसिक आयु के उसकी कालानुक्रमिक आयु से भाग देने के बाद उसको 100 से गुणा करने से उनकी बुद्धि-लब्धि प्राप्त हो जाती है।

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प्रश्न 50.
‘पास’ मॉडल को किसने विकसित किया?
उत्तर:
बुद्धि के ‘पास’ मॉडल को जे० पी० दास, जैक नागलीरी तथा किर्बी ने विकसित किया।

प्रश्न 51.
‘पास’ मॉडल के अनुसार तीन तंत्र कौन-से हैं?
उत्तर:
ये तीन तंत्र हैं –

  1. भाव प्रबोधन
  2. कूट संकेतन
  3. योजना निर्माण

प्रश्न 52.
कुछ लोग दूसरों की तुलना में अधिक बुद्धिमान क्यों होते हैं?
उत्तर:
ऐसा उनकी आनुवंशिकता के कारण होता है अथवा वह पर्यावरणी कारकों से प्रभावित होता है।

प्रश्न 53.
मानसिक आयु के माप से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मानसिक आयु के माप का अर्थ है कि किसी व्यक्ति का बौद्धिक विकास अपनी आयु वर्ग के अन्य व्यक्तियों की तुलना में कितना हुआ है।

प्रश्न 54.
सांवेगिक बुद्धि क्या है?
उत्तर:
सांवेगिक बुद्धि में अपनी तथा दूसरे की भावनाओं और संवेगों को जानने तथा नियंत्रित करने, स्वयं को अभिप्रेरित करने तथा अपने आवेगों को नियंत्रित रखने तथा अंतर्वैयक्तिक संबंधों को प्रभावी ढंग से प्रबंध करने की योग्यताएँ सम्मिलित होती हैं।

प्रश्न 55.
‘संस्कृति’ शब्द से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
संस्कृति रीति-रिवाजों, विश्वासों, अभिवृत्तियों तथा कला और साहित्य में उपलब्धियों की एक सामूहिक व्यवस्था को कहते हैं।

प्रश्न 56.
बुद्धि की एक विशेषता को लिखिए।
उत्तर:
बुद्धि की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह पर्यावरण से अनुकूलित होने में व्यक्ति की सहायता करती है।

प्रश्न 57.
सी० आई० ई० शाब्दिक समूह बुद्धि परीक्षण को किसने विकसित किया?
उत्तर:
उदय शंकर ने।

प्रश्न 58.
अशाब्दिक परीक्षणों का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अशाब्दिक परीक्षणों का एक उदाहरण रैवेंस प्रोग्रेसिव मैट्रिसेस (आर० पी० एम०) है जिसमें परीक्षार्थी को एक अपूर्ण दिखाया जाता है और उसे दिए गए अनेक वैकल्पिक प्रतिरूपों में से उसे विकल्प को चुनना होता है जिससे अपूर्ण प्रतिरूप पूरा हो सके।

प्रश्न 59.
मानसिक रूप से मंदित बच्चे कौन होते हैं?
उत्तर:
ऐसे बच्चों को जिनमें बौद्धिक न्यूनता होती है उन्हें मानसिक रूप से चुनौतीग्रस्त या ‘मानसिक रूप से मंदित’ कहा जाता है।

प्रश्न 60.
मानसिक मंदन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ मेंटल डिफ्रिशन्सी (ए० ए० एम० डी०) के अनुसार मानसिक मंदन से तात्पर्य उस असामान्य साधारण बौद्धिक प्रकार्यात्मकता से है जो व्यक्ति की विकासशील अवस्थाओं में प्रकट होती है तथा उसके अनुकूलित व्यवहार में न्यूनता से संबंधित होती है।

प्रश्न 61.
मानसिक मंदन के विभिन्न प्रकारों को लिखिए।
उत्तर:

  1. निम्न मंदन-बुद्धि-लब्धि 55 से 69 के बीच।
  2. सामान्य मंदन-बुद्धि-लब्धि 40 से 54 के बीच।
  3. अति गंभीर मंदन-बुद्धि-लब्धि 25 से कम।

प्रश्न 62.
सामान्य मंदन वाले बच्चों की क्या विशेषताएँ होती हैं?
उत्तर:
सामान्य मंदन वाले बच्चे अपने साथ के लोगों से भाषा के उपयोग तथा अन्य पेशीय कौशलों को सीखने में पीछे रह जाते हैं। इन्हें अपनी दैनिक देखभाल करने और सरल प्रकार के सामाजिक तथा संप्रेषण कौशलों के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है परन्तु अपने दिन-प्रतिदिन के कार्यों को करने के लिए उन्हें सामान्य पर्यवेक्षण की आवश्यकता पड़ती है।

प्रश्न 63.
‘प्रतिभा’ शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर”
‘प्रतिभा’ शब्द का अर्थ उस असाधारण सामान्य प्रकार की योग्यता से. है जो विस्तृत – क्षेत्र के कार्यों में किए गए श्रेष्ठ निष्पादन में दिखाई पड़ती है।

प्रश्न 64.
‘प्रवीणता’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
प्रवीणता’ का अर्थ किसी विशिष्ट अथवा संकुचित क्षेत्र में श्रेष्ठ योग्यता से होता है। अधिक प्रवीण व्यक्तियों को कभी-कभी अद्भुत प्रतिभाशाली भी कहा जाता है।

प्रश्न 65.
अध्यापकों के दृष्टिकोण से किसी व्यक्ति की प्रतिभाशाली किस बात पर निर्भर करती है?
उत्तर:
अध्यापकों के दृष्टिकोण से किसी व्यक्ति की प्रतिभाशालिता उसकी उच्च योग्यता, उच्च सर्जनात्मकता तथा उच्च प्रतिबद्धता जैसे गुणों के संयोजन पर निर्भर करती है।

प्रश्न 66.
वैयक्तिक परीक्षण के लिए किस प्रकार का माहौल होना चाहिए?
उत्तर:
वैयक्तिक परीक्षण में आवश्यक होता है कि परीक्षणकर्ता परीक्षार्थी से सौहार्द स्थापित करे और परीक्षण सत्र के समय उसकी भावनाओं, भावदशाओं और अभिव्यक्तियों के प्रति संवेदनशील रहे।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारतीय परंपरा में किस प्रकार की क्षमताएँ बुद्धि के अंतर्गत स्वीकार की जाती हैं?
उत्तर:
भारतीय परंपरा में निम्नलिखित क्षमताएँ बुद्धि के अंतर्गत स्वीकार की जाती हैं –

  1. संज्ञानात्मक क्षमता (Cognitive capacity): संदर्भ के प्रति संवेदनशीलता; समझ, विभेदन क्षमता, समस्या समाधान की योग्यता तथा प्रभावी संप्रेषण की योग्यता।
  2. सामाजिक क्षमता (Social competence): सामाजिक व्यवस्था के प्रति सम्मान, अपने से बड़ों, छोटों तथा वंचित व्यक्तियों के प्रति प्रतिबद्धता, दूसरों की चिंता, दूसरे व्यक्तियों के परिप्रेक्ष्य का सम्मान।
  3. सांवेगिक क्षमता (Emotional competence): अपने संवेगों पर आत्म-नियमन तथा आत्म-परिवीक्षण, ईमानदारी, शिष्टता, अच्छा आचरण तथा आत्म-मूल्यांकन।
  4. उद्यमी क्षमता (Entrepreneurial competence): प्रतिबद्धता, अध्यवसाय, धैर्य, कठिन, परिश्रम, सतर्कता तथा लक्ष्य निर्देशित व्यवहार।

प्रश्न 2.
बुद्धि और अभिक्षमता में भेद स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1. बुद्धि-बुद्धि का आशय पर्यावरण को समझने, सविवेक चिंतन करने तथा किसी चुनौती के सामने होने पर उपलब्ध संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने की व्यापक क्षमता से है। बुद्धि परीक्षणों से व्यक्ति की व्यापक सामान्य संज्ञानात्मक सक्षमता तथा विद्यालयीय शिक्षा से लाभ उठाने की योग्यता का ज्ञान होता है। सामान्यतया कम बुद्धि रखने वाले विद्यार्थी विद्यालय की परीक्षाओं में उतना अच्छा निष्पादन करने की संभावना नहीं रखते परन्तु जीवन के अन्य क्षेत्रों में उनकी सफलता की प्राप्ति का संबंध मात्र बुद्धि परीक्षणों पर उनके प्राप्तांकों से नहीं होता।

2. अभिक्षमता का अर्थ किसी व्यक्ति की कौशलों के अर्जन के लिए अंतर्निहित संभाव्यता से है। अभिक्षमता परीक्षणों का उपयोग यह पूर्वकथन करने में किया जाता है कि व्यक्ति उपयुक्त पर्यावरण और प्रशिक्षण प्रदान करने पर कैसा निष्पादन कर सकेगा। एक उच्च यांत्रिक अभिक्षमता वाला व्यक्ति उपयुक्त प्रशिक्षण का अधिक लाभ उठाकर एक अभियंता के रूप में अच्छा कार्य कर सकता है। इसी प्रकार भाषा की उच्च अभिक्षमता वाले एक व्यक्ति को प्रशिक्षण देकर एक अच्छा लेखक बनाया जा सकता है।

प्रश्न 3.
प्रभावशाली बच्चों की कुछ प्रमुख विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर:
प्रभावशाली बच्चों की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. उन्नत तार्किक चिंतन, प्रश्न करने की प्रवृत्ति तथा समस्या समाधान की अधिक योग्यता।
  2. सूचना प्रक्रमण की उच्च गति।
  3. सामान्यीकरण तथा विभेदन करने की श्रेष्ठ योग्यता।
  4. मौलिक तथा सर्जनात्मक चिंतन का उच्च स्तर।
  5. अंतर्भूत अभिप्रेरणा तथा आत्म-सम्मान का उच्च स्तर।
  6. स्वतंत्र एवं अनुरूप प्रकार का चिंतन।
  7. लंबी अवधि तक अकेला रहकर अध्ययन करने को वरीयता देना।

प्रश्न 4.
व्यक्ति अध्ययन और आत्म-प्रतिवेदन के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
व्यक्ति अध्ययन विधि में किसी व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक गुणों तथा उसके मनोसामाजिक और भौतिक पर्यावरण के संदर्भ में उसके मनोवैज्ञानिक इतिहास आदि का गहनता से अध्ययन किया जाता है। नैदानिक मनोवैज्ञानिक इस विधि का व्यापक रूप से उपयोग करते हैं। इच्छुक व्यक्ति महान व्यक्तियों के जीवन के केस विश्लेषणों द्वारा इन महान व्यक्तियों के जीवन अनुभवों से सीख प्राप्त कर सकता है।

व्यक्ति अध्ययन में विभिन्न विधियों जैसे-साक्षात्कार, प्रेक्षण, मनोवैज्ञानिक परीक्षण आदि के उपयोग से प्रदत्त या आँकड़े एकत्र किए जाते हैं। आत्म – प्रतिवेदन वह विधि है, जिसमें व्यक्ति स्वयं अपने विश्वासों, मतों आदि के बारे में तथ्यात्मक सूचनाएँ प्रदान करता है। ऐसी सूचनाएँ किसी साक्षात्कार अनुसूची अथवा प्रश्नावली, किसी मनोवैज्ञानिक परीक्षण अथवा वैयक्तिक डायरी का उपयोग करके प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्न 5.
साक्षात्कार और प्रेक्षण में भेद स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
साक्षात्कार की विधि में परीक्षणकर्ता व्यक्ति से वार्तालाप करके सूचनाएँ एकत्र करता है। इसे प्रयुक्त होते हुए देखा जा सकता है जब कोई परामर्शदाता किसी सेवार्थी से अंत:क्रिया करता है, एक विक्रेता घर-घर जाकर किसी विशिष्ट उत्पाद की उपयोगिता के संबंध में सर्वेक्षण करता है, कोई नियोक्ता अपने संगठन के लिए कर्मचारियों का चयन करता है अथवा कोई पत्रकार राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व के विषयों पर महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों का साक्षात्कार करता है।

प्रेक्षण में व्यक्ति को नैसर्गिक या स्वाभाविक दशा में घटित होने वाली तात्क्षणिक व्यवहारपरक घटनाओं का व्यवस्थित, संगठित तथा वस्तुनिष्ठ ढंग से अभिलेख तैयार किया जाता है। कुछ गोचर, जैसे-‘मातृ-शिशु अंत:क्रिया’ का अध्ययन प्रेक्षण-प्रणाली द्वारा सरलता से किया जा सकता है। प्रेक्षण-प्रणाली की एक बड़ी समस्या यह है कि इसमें स्थिति पर प्रेक्षक का बहुत कम नियंत्रण होता है और प्रेक्षण से प्राप्त विवरण की प्रेक्षक द्वारा व्यक्तिनिष्ठ व्याख्या की जा सकती है।

प्रश्न 6.
मनोमितिक उपागम और सूचना प्रक्रमण उपागम में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मनोमितिक उपागम में बुद्धि को अनेक प्रकार की योग्यताओं का एक समुच्चय माना जाता है। यह व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले निष्पादन को उसकी संज्ञानात्मक योग्यताओं के एक सूचकांक के रूप में व्यक्त करता है। दूसरी ओर, सूचना प्रक्रमण उपागम में बौद्धिक तर्कना तथा समस्या समाधान में व्यक्तियों द्वारा उपयोग की जाने वाली प्रक्रियाओं का वर्णन किया जाता है। इस उपागम का प्रमुख केन्द्र बिन्दु एक बुद्धिमान व्यक्ति द्वारा की जाने वाली विभिन्न क्रियाओं पर होता है। बुद्धि की संरचना तथा उसमें अंतर्निहित विभिन्न विमाओं पर अधिक ध्यान न देकर सूचना प्रक्रमण उपागम बुद्धिमत्तापूर्ण व्यवहारों में अंतर्निहित संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं के अध्ययन पर अधिक बल देता है।

प्रश्न 7.
प्राथमिक मानसिक योग्यताओं का सिद्धांत क्या है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
लुईस थर्सट्न ने प्राथमिक मानसिक योग्यताओं का सिद्धांत प्रस्तुत किया। इस सिद्धान्त में कहा गया है कि बुद्धि के अंतर्गत सात प्राथमिक मानसिक योग्यताएँ होती हैं जो एक-दूसरे से अपेक्षाकृत स्वतंत्र होकर कार्य करती हैं। ये योग्यताएँ निम्नलिखित हैं –

  1. वाचिक बोध (शब्दों, संप्रत्ययों के अर्थ तथा विचारों को समझना)।
  2. संख्यात्मक योग्यताएँ (संख्यात्मक तथा अभिकलनात्मक कार्यों को तीव्र गति एवं परिशुद्धता से करने का कौशल)।
  3. देशिक संबंध (प्रतिरूपों तथा रचनाओं का मानस प्रत्यक्षीकरण कर लेना)।
  4. प्रात्यक्षिक गति (विस्तृत प्रत्यक्षीकरण की गति)।
  5. शब्द प्रवाह (शब्दों का प्रवाह तथा नम्यता के साथ उपयोग कर लेना)।
  6. स्मृति (सूचनाओं के पुनः स्मरण में परिशुद्धता)।
  7. आगमनात्मक तर्कना (दिए गए तथ्यों से सामान्य नियमों को व्युत्पन्न करना)।

प्रश्न 8.
बुद्धि संरचना मॉडल की संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जे० पी० गिलफोर्ड (G.P.Gilford) ने बुद्धि संरचना मॉडल (Structure of intellect model) प्रस्तुत किया जिसमें बौद्धिक विशेषताओं को तीन विमाओं में वर्गीकृत किया गया है संक्रियाएँ, विषयवस्तु तथा उत्पाद। संक्रियाओं से तात्पर्य बुद्धि द्वारा ही जानेवाली क्रियाओं से है। इसमें संज्ञान, स्मृति अभिलेखन, स्मृति प्रतिधारण, अपसारी उत्पादन, अभिसारी उत्पादन तथा मूल्यांकन की क्रियाएँ होती हैं। विषयवस्तु का संबंध उस सामग्री या सूचना के स्वरूप से होता है जिस पर व्यक्ति को बौद्धिक क्रियाएँ करनी होती हैं।

इसमे चाक्षुष श्रवणात्मक, प्रतीकात्मक (जैसे-अक्षर तथा संख्याएँ), अर्थविषयक (जैसे-शब्द) तथा व्यवहारात्मक (व्यक्तियों के व्यवहार, अभिवृत्तियों, आवश्यकताओं आदि से प्रक्रमण करता है। उत्पादों को इकाई, वर्ग संबंध, व्यवस्था, रूपांतरण तथा निहितार्थ में वर्गीकृत किया जाता है। चूँकि इस वर्गीकरण में 6 × 5 × 6 वर्ग बनते हैं इसलिए इस मॉडल में 180 प्रकोष्ठ होते हैं। प्रत्येक प्रकोष्ठ में योग्यता के कम-से-कम एक कारक के सन्नद्ध होने की प्रत्याशा की जाती है, कुछ प्रकोष्ठों में एक से अधिक कारक भी हो सकते हैं। प्रत्येक कारक का वर्णन तीनों विमाओं के द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 9.
वैयक्तिक तथा समूह बुद्धि परीक्षण में भेद स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैयक्तिक तथा समूह बुद्धि-परीक्षण:
वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण यह परीक्षण होता है जिसके द्वारा एक समय में एक ही व्यक्ति का बुद्धि परीक्षण किया जा सकता है। समूह बुद्धि परीक्षण को एक साथ बहुत-से व्यक्तियों को समूह में दिया जा सकता है। वैयक्तिक परीक्षण में आवश्यक होता है कि परीक्षणकर्ता परीक्षार्थी से सौहार्द्र स्थापित करे और परीक्षण सत्र के समय उसकी भावनाओं, भावदशाओं और अभिव्यक्तियों के प्रति संवेदनशील रहे।

समूह परीक्षण में परीक्षणकर्ता को परीक्षार्थियों की निजी भावनाओं से परिचित होने का अवसर नहीं मिलता। वैयक्तिक परीक्षणों पूछे गए मौखिक अथवा लिखित रूप में भी उत्तर दे सकता है अथवा परीक्षणकर्ता के आदेशानुसार वस्तुओं का प्रहसन भी कर सकता है। समूह परीक्षण में परीक्षार्थी सामान्यतः लिखित उत्तर देता है और प्रश्न भी प्रायः बहुविकल्पी स्वरूप के होते हैं।

प्रश्न 10.
बुद्धि परीक्षणों के कुछ दुरुपयोगों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
बुद्धि परीक्षणों के कुछ दुरुपयोग निम्नलिखित हैं –

  1. किसी परीक्षण पर खराब प्रदर्शन बच्चों पर कलंक लगा सकता है तथा उससे उनके निष्पादन और आत्म-सम्मान पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
  2. परीक्षण माता-पिता, अध्यापकों तथा बड़ों के भेदभावपूर्ण आचरण को न्योता दे सकता है।
  3. मध्यवर्गीय और उच्चवर्गीय जनसंख्याओं के पक्ष में अभिनत परीक्षण समाज के सुविधाजनक समूहों से आने वाले बच्चों की बुद्धि-लब्धि को कम आँक सकता है।
  4. बुद्धि परीक्षण सर्जनात्मक संभाव्यताओं और बुद्धि के व्यावहारिक पक्ष का माप नहीं कर पाता है और उनका जीवन में सफलता से ज्यादा संबंध नहीं होता।
  5. बुद्धि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियों का एक संभाव्य कारक हो सकती है।
  6. ऐसा सुझाव दिया जाता है कि बुद्धि परीक्षणों से संबंधित त्रुटिपूर्ण अभ्यासों के प्रति सावधान रहना चाहिए तथा किसी व्यक्ति को शक्तियों और कमजोरियों के विश्लेषण के लिए किसी प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक की मदद लेनी चाहिए।

प्रश्न 11.
बुद्धिमान व्यक्तियों की कुछ विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर:
बुद्धिमान व्यक्तियों की कुछ विशेषताएँ निम्न प्रकार की हो सकती हैं –

  1. अपनी भावनाओं और संवेगों को जानना और उसके प्रति संवेदनशील होना।
  2. दूसरे व्यक्तियों के विभिन्न संवेगों को उनकी शरीर, भाषा, आवाज और स्वरक तथा आनन अभिव्यक्तियों पर ध्यान देते हुए जानना और उसके प्रति संवेदनशील होना।
  3. अपने संवेगों को अपने विचारों से संबद्ध करना ताकि समस्या समाधान तथा निर्णय करते समय उन्हें ध्यान में रखा जा सके।
  4. अपने संवेगों की प्रकृति और तीव्रता के शक्तिशाली प्रभाव को समझना।
  5. अपने संवेगों और उनकी अभिव्यक्तियों को दूसरे से व्यवहार करते समय नियंत्रित करना ताकि शांति और सामंजस्य की प्राप्ति हो सके।

प्रश्न 12.
सर्जनात्मक परीक्षणों में अभिव्यक्तियों की विशेषता पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सर्जनात्मक परीक्षणों में अभिव्यक्तियों की विविधता पाई जाती है। इसलिए इन परीक्षणों के निर्माण में विभिन्न प्रकार के उद्दीपकों, जैसे-शब्दों, चित्रों, क्रियाओं तथा ध्वनियों का उपयोग किया जाता है। ये परीक्षण व्यक्ति की सामान्य सर्जनात्मक चिंतन योग्यताओं, जैसे-किसी दी गई स्थिति या विषय पर विभिन्न प्रकार के विचारों को उत्पन्न करने की योग्यता, वस्तुओं को विभिन्न दृष्टिकोणों की योग्यता, समस्याओं के भिन्न-भिन्न प्रकार के समाधान निकालने की योग्यता, कारणों तथा परिणामों के बारे में मौलिक विचार करने की योग्यता तथा असामान्य प्रकार के बारे में मौलिक विचार करने की योग्यता तथा असामान्य प्रकार के प्रश्न करना आदि का मापन किया जाता है।

कुछ शोधकर्ताओं ने सर्जनात्मकता के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों, जैसे-साहित्यिक सर्जनात्मकता, वैज्ञानिक सर्जनात्मकता, गणितीय सर्जनात्मकता परीक्षणों का निर्माण करने वाले मनोवैज्ञानिकों में गिलफोर्ड (Gilford), टोरेंस (Torrance), खटेना (Khatena), वालाश (Wallach) तथा कोगन (Kogan), परमेश (Paramesh), बाकर मेहदी (Bager Mehdi) तथा पासी (Passi) आदि के नाम प्रमुख हैं। प्रत्येक परीक्षण की एक मानकीकृत विधि होती है, उसकी एक विधि पुस्तिका होती है और परिणामों के व्याख्या हेतु एक संदर्शिका भी होती है। परीक्षण प्रशासन और परीक्षण प्राप्तांकों की व्याख्या के विस्तृत प्रशिक्षण के उपरांत ही इनका उपयोग किया जा सकता है।

प्रश्न 13.
अभिक्षमता क्या है?
उत्तर:
किसी विशेष क्षेत्र की विशेष योग्यता को अभिक्षमता कहते हैं। अभिक्षमता विशेषताओं का एक ऐसा समायोजन है जो व्यक्ति द्वारा प्रशिक्षण के उपरांत किसी विशेष क्षेत्र के ज्ञान अथवा कौशल के अर्जन की क्षमता को प्रदर्शित करता है। जैसे-यदि हमें गणित की किसी समस्या का समाधान ढूँढना होता है तो हम किसी गणित के जानकार व्यक्ति से सहायता लेते हैं लेकिन यदि किसी कविता (हिन्दी) में कोई कठिनाई होती है तो इसके लिए हम हिन्दी के जानकार व्यक्ति से सहायता लेते हैं। इसी तरह यदि स्कूटर में कोई समस्या होती है तो स्कूटर मैकेनिक के पास जाते हैं। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की ये विशिष्ट योग्यताएँ तथा कौशल ही अभिक्षमताएँ कहलाती हैं।

प्रश्न 14.
तनाव के प्रकारों का वर्णन करें।
उत्तर:
तनाव के कई प्रकार होते हैं, जिससे व्यक्ति को प्रतिदिन सामना करना पड़ता है। इन सभी तनावों को उनके क्षेत्र के आधार पर तीन मुख्य प्रकारों में बाँटा जा सकता है-पर्यावरणीय तनाव, सामाजिक तनाव तथा मनोवैज्ञानिक तनाव। पर्यावरणीय तनाव पर्यावरणीय विसंतुलन से उत्पन्न होता है, जैसे-बाढ़, आग, भूकम्प आदि से उत्पन्न तनाव। सामाजिक तनाव से तात्पर्य एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया से उत्पन्न तनाव से होता है, जैसे-परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु या बीमारी, विवाह-विच्छेद, अलगाव, पड़ोसियों से अनबन आदि से उत्पन्न तनाव। मनोवैज्ञानिक: तनाव से तात्पर्य मन द्वारा उत्पन्न तनाव से होता है, जैसे-कुंठा, द्वन्द्व तथा बचाव आदि मनोवैज्ञानिक तनाव के प्रमुख स्रोत हैं।

प्रश्न 15.
‘अभिक्षमता’ अभिरुचि और बुद्धि से कैसे भिन्न है?
उत्तर:
अभिरुचि किसी विशेष कार्य को करने की वरीयता को कहते हैं। जबकि अभिक्षमता। उस कार्य को करने की सम्भाव्यता को कहते हैं। जबकि बुद्धि अभिक्षमता परीक्षण पूर्वकथन कहते हैं कि कोई व्यक्ति उचित प्रशिक्षण और पर्यावरण दिये जाने के बाद क्या कर पाएगा।

प्रश्न 16.
बुद्धि क्या है?
उत्तर:
बुद्धि व्यक्तियों के मानसिक शक्तियों या क्षमताओं का वह समुच्चय है जिससे वह उद्देश्यपूर्ण क्रिया, विवेकशील चिंतन तथा प्रभावकारी ढंग से समायोजन करता है। इससे स्पष्ट है कि बुद्धि में कोई एक तरह की क्षमता नहीं बल्कि कई तरह की क्षमताओं का समावेश होता है। इन क्षमताओं में तीन तरह की क्षमता अर्थात् उद्देश्यपूर्ण क्रिया करने की क्षमता सम्मिलित होती है।

प्रश्न 17.
व्यक्तित्व शीलगुण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
व्यक्तित्व का निर्माण अनेक प्रकार के शीलगुणों से होता है। शीलगुण आपस में संयुक्त रूप से कार्य करते हैं, जिनसे व्यक्ति के जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में समायोजन को उचित दिशा एवं गति प्राप्त होती है। इसी कारण इसे सामान्य भाषा में व्यक्तित्व की विशेषताएँ भी कहा जाता है। अब प्रश्न है कि शीलगुण से क्या अभिप्राय है? मनोवैज्ञानिकों ने इस प्रश्न के उत्तर में कहा है कि व्यक्तित्व की स्थायी विशेषताएँ जिनके कारण उनके व्यवहार में स्थिरता दिखाई पड़ती है, शीलगुण के नाम से जानी जाती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
किसी व्यक्ति के बुद्धि-लब्धि प्राप्तांक का वितरण किस प्रकार होता है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या में बुद्धि-लब्धि प्राप्तांक इस प्रकार वितरित होते हैं कि अधिकांश लोगों के प्राप्तांक वितरण के मध्य क्षेत्र में रहते हैं। बहुत कम लोगों के प्राप्तांक बहुत अधिक या बहुत कम होते हैं। बुद्धि-लब्धि प्राप्तांकों का यदि एक आवृत्ति वितरण वक्र बनाया जाए तो यह लगभग एक घटाकर वक्र के सदृश होता है। इस वक्र को सामान्य वक्र (Normal curve) कहा जाता है। ऐसा वक्र अपने केन्द्रीय मूल्य का माध्यम दोनों ओर समानित आकार का है। एक सामान्य वितरण के रूप में बुद्धि-लब्धि प्राप्तांकों के वितरण निम्नलिखित चित्र द्वारा प्रदर्शित कर सकते हैं –

Bihar Board Class 12 Psychology Solutions Chapter 1 मनोवैज्ञानिक गुणों में विभिन्नताएँ img 4
माध्य
बुद्धि-लब्धि प्राप्तांक
चित्र: जनसंख्या में बुद्धि-लब्धि प्राप्तांक के वितरण का सामान्य वक्र।

किसी जनसंख्या की बुद्धि-लब्धि प्राप्तांक का माध्य 100 होता है। जिन व्यक्तियों की बुद्धि-लब्धि प्राप्तांक 90 से 110 के बीच होती है उन्हें सामान्य बुद्धि वाला कहा जाता है। जिनकी बुद्धि-लब्धि 70 से भी कम होती है वे मानसिक मंदन से प्रभावित समझे जाते हैं और जिनकी सामान्य बुद्धि 130 से अधिक होती है वे असाधारण रूप से प्रतिभाशाली समझते हैं।

प्रश्न 2.
बुद्धि के द्वि-कारक सिद्धांत का वर्णन करें।
उत्तर:
बुद्धि के द्वि:
कारक सिद्धांत का प्रतिपादन ब्रिटिश मनोवैज्ञानिक चार्ल्स स्पीयरमैन ने किया। इन्होंने बुद्धि संरचना में दो प्रकार के कारकों का उल्लेख किया है, जिन्हें सामान्य बुद्धि। (जी० कारक) तथा विशिष्ट बुद्धि (एस० कारक) कहते हैं। इसके अनुसार बुद्धि में बड़ा अंश है जो व्यक्ति के संज्ञानात्मक कार्यों के लिए उत्तरदायी है। इस कारक पर किसी तरह के शिक्षण, प्रशिक्षण, पूर्व अनुभूति आदि का प्रभाव नहीं पड़ता है। इसी कारण यह कारक जन्मजात कारक माना जाता है।

दूसरी ओर स्पीयरमैन ने विशिष्ट बुद्धि को बुद्धि का अतिलघुरूप (5%) माना है। विशिष्ट बुद्धि की प्रमुख विशेषता यह है कि यह एक ही व्यक्ति में भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न मात्रा में पाया जाता है तथा शिक्षण-प्रशिक्षण से प्रभावित होता है। ऐसे कारकों की आवश्यकता विशेष योग्यता वाले कार्यों को करने में पड़ती है। जैसे एक व्यक्ति प्रसिद्ध लेखक है परंतु आवश्यक नहीं कि वह उतना ही निपुण गायक व पेंटर भी साबित हो अर्थात् लेखन में विशिष्ट बुद्धि अधिक हो सकता है तथा पेंटिंग व गायन में विशिष्ट बुद्धि का भी मात्रा कम हो सकती है। इस प्रकार यह बुद्धि प्रथम व्यवस्थित सिद्धांत है। परंतु आगे चलकर इस सिद्धांत की आलोचना इस आधार पर की गयी कि बुद्धि में केवल दो ही तत्त्व नहीं बल्कि अनेक तत्त्व होते हैं।

प्रश्न 3.
सामान्य और असामान्य व्यक्ति के व्यवहारों में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
सामान्य तथा असामान्य व्यक्ति के व्यवहारों में अलग-अलग विशेषताएँ पायी जाती हैं। इनके बीच कुछ प्रमुख अंतर निम्नलिखित हैं –
1. सामान्य व्यक्ति का संपर्क वास्तविकता से रहता है। वह अपने भौतिक, सामाजिक तथा आंतरिक पर्यावरण के साथ संबंध बनाये रखता है। वास्तविकता को वह पहचानकर उसके प्रति तटस्थ मनोवृत्ति रखता है। दूसरी ओर असामान्य व्यक्ति का संबंध वास्तविकता से विच्छेदित रहता है। वह वास्तविकता से दूर अपनी भिन्न दुनिया में खोया रहता है।

2. सामान्य व्यक्ति में सुरक्षा की भावना निहित रहती है। वह सामाजिक, पारिवारिक, व्यावसायिक तथा अन्य परिस्थितियों में अपने आपको सुरक्षित महसूस करता है। दूसरी ओर असामान्य व्यक्ति अपने आपको बेवजह असुरक्षित महसूस करता है।

3. सामान्य व्यक्ति अपना आत्म-प्रबंध करने में सफल रहता है। वह खुद अपनी देखभाल तथा सुरक्षा करता रहता है। दूसरी असामान्य व्यक्ति अपना आत्म-प्रबंध करने में विफल रहता है। वह अपनी देखभाल तथा सुरक्षा हेतु दूसरों पर निर्भर रहता है।

4. सामान्य व्यक्ति के कार्यों में सहजता तथा स्वभाविकता होती है। वह समयानुसार। व्यवहार करने की योग्यता रखता है। साथ ही साथ ऐसे व्यक्तियों में संवेगात्मक परिपक्वता रहती है। दूसरी ओर असामान्य व्यक्ति विचित्र तथा अस्वाभाविक हरकतें करता है। उसमें परिस्थिति के अनुरूप व्यवहार करने की क्षमाता का अभाव रहता है।

5. सामान्य व्यक्ति के व्यक्तित्व में संपूर्णता रहती है जिससे वह आंतरिक संतुलन बनाये रखता है। दूसरी ओर असामान्य व्यक्तियों में इन गुणों का अभाव पाया जाता है जिस कारण। उनके व्यक्तित्व का विघटन होने लगता है।

6. सामान्य व्यक्ति अपना आत्म-मूल्यांकन कर अपनी योग्यता एवं क्षमता को ध्यान में रखकर अपने जीवन लक्ष्य का निर्धारण करता है, जिससे उन्हें वास्तविक जीवन में सफलता मिलती है। दूसरी ओर असामान्य व्यक्ति वास्तविक आत्म-मूल्यांकन नहीं कर पाते हैं और अपनी खूबियों को बढ़ा-चढ़ा कर देखते हैं जिससे उन्हें वास्तविक जीवन में विफलता मिलती है।

7. सामान्य व्यक्तियों में कर्त्तव्य बोध होता है। वे किसी कार्य को जिम्मेवारीपूर्वक स्वीकार कर उसे अपनाते हैं। वे गलत तथा सही दोनों के लिए जिम्मेवार होते हैं। दूसरी ओर असामान्य व्यक्तियों में यह उत्तरदायित्व भाव नहीं रहता है। ये सही अथवा गलत किसी के लिए भी जिम्मेवारी नहीं स्वीकारते हैं।

8. सामान्य व्यक्ति का सामाजिक अभियोजन कुशल होता है। ये सामाजिक मूल्य एवं मर्यादा के अनुकूल व्यवहार दिखाते हैं। अतः ये समाज में लोकप्रिय भी रहते हैं। दूसरी ओर असामान्य व्यक्ति का सामाजिक अभियोजन कुशल नहीं होता है। ये समाज से कटे तथा विपरीत व्यवहार प्रदर्शित करने वाले होते हैं। अतः, ये समाज में उपहास के पात्र होते हैं। इस तरह सामान्य और असामान्य व्यक्ति के व्यवहारों में कई अंतर हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
किसी मनोवैज्ञानिक गुण को समझने का पहला चरण है?
(A) रोपण
(B) कलम
(C) पूर्वकथन
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(B) कलम

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से किसमें व्यवस्थित परीक्षण की विधियों का उपयोग किया जाता है?
(A) व्यक्ति की योग्यता
(B) व्यक्ति के व्यवहार
(C) व्यक्तिगत गुणों के मनोवैज्ञानिक मापन
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में कौन अभिरुचि के गुण हैं?
(A) बुद्धि
(B) अभिक्षमता
(C) अभिरुचि
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 4.
व्यक्तियों की विशेषताओं तथा व्यवहार के स्वरूपों में पाया जाने वाला वैशिष्ट्य तथा विचलनशीलता को क्या कहा जाता है?
(A) व्यक्तिगत भिन्नता
(B) सामूहिक भिन्नता
(C) व्यक्तिगत दृष्टिकोण
(D) सामूहिक दृष्टिकोण
उत्तर:
(A) व्यक्तिगत भिन्नता

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में कौन मनुष्य के व्यवहार को बाह्य तथा आंतरिक कारकों की अंतःक्रिया का परिणाम मानता है?
(A) वस्तुवादी परिप्रेक्ष्य
(B) स्थितिवादी परिप्रेक्ष्य
(C) सामान्य परिप्रेक्ष्य
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(B) स्थितिवादी परिप्रेक्ष्य

प्रश्न 6.
प्राथमिक मानसिक योग्यताओं का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया?
(A) लुईस थर्सटन
(B) गार्डनर
(C) टबर्ग
(D) बिने
उत्तर:
(A) लुईस थर्सटन

प्रश्न 7.
बुद्धि के एक-कारक सिद्धांत को किसने दिया?
(A) बिने
(B) लुईस
(C) स्पीयरमैन
(D) गार्डनर
उत्तर:
(C) स्पीयरमैन

प्रश्न 8.
बुद्धि के विषय पर शोध करने वाले पहले मनोवैज्ञानिक थे –
(A) बिने
(B) स्पीयरमैन
(C) थॉमसन
(D) गिलफोर्ड
उत्तर:
(A) बिने

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में किसमें बुद्धि को अनेक प्रकार की योग्यताओं का एक समुच्चय माना जाता है?
(A) मनोमितिक उपागम
(B) प्रेक्षण
(C) मनोवैज्ञानिक परीक्षण
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(A) मनोमितिक उपागम

प्रश्न 10.
निम्नलिखित में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(A) भाषा की उच्च अभिक्षमता वाले एक व्यक्ति को प्रशिक्षण देकर एक अच्छा लेखक बनाया जा सकता है।
(B) एक उच्च यांत्रिक अभिक्षमता वाला व्यक्ति उपयुक्त प्रशिक्षण का अधिक लाभ उठाकर एक अभियंता के रूप में अच्छा कार्य कर सकता है।
(C) एक सामान्य अभिक्षमता वाले एक व्यक्ति को प्रशिक्षण देकर एक अच्छा लेखक बनाया जा सकता है।
(D) अभिक्षमता किसी व्यक्ति की कौशलों के अर्जन के लिए अंतर्निहित संभाव्यता से है।
उत्तर:
(C) एक सामान्य अभिक्षमता वाले एक व्यक्ति को प्रशिक्षण देकर एक अच्छा लेखक बनाया जा सकता है।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित में कौन आदर्श व्यवहारों के संबंध में व्यक्ति के स्थायी विश्वास होते हैं?
(A) व्यक्तित्व
(B) मूल्य
(C) अभिरुचि
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(B) मूल्य

प्रश्न 12.
निम्नलिखित में किस विधि में परीक्षणकर्ता व्यक्ति से वार्तालाप करके सूचनाएँ एकत्र करता है?
(A) साक्षात्कार
(B) मनोवैज्ञानिक
(C) प्रेक्षण
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(A) साक्षात्कार

प्रश्न 13.
निम्नलिखित में किस विधि में व्यक्ति स्वयं अपने विश्वासों, मतों आदि के बारे म तथ्यात्मक सूचनाएँ प्रदान करता है?
(A) व्यक्तिगत अध्ययन
(B) प्रेक्षण
(C) आत्म-प्रतिवेदन
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(C) आत्म-प्रतिवेदन

प्रश्न 14.
निम्नलिखित में कौन व्यक्तियों की पारस्परिक भिन्नता जानने में एक मुख्य निर्मिति है?
(A) विचार
(B) मन
(C) प्रेक्षण
(D) बुद्धि
उत्तर:
(D) बुद्धि

प्रश्न 15.
मातृ-शिशु अंतःक्रिया का अध्ययन किस विधि द्वारा सरलता से किया जा सकता है?
(A) प्रेक्षण प्रणाली
(B) व्यक्ति अध्ययन
(C) आत्म-प्रतिवेदन
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(A) प्रेक्षण प्रणाली

प्रश्न 16.
लिपजिग विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला ने खोली?
(A) वाटसन
(B) पैवलव
(C) उण्ट
(D) मूलर
उत्तर:
(A) वाटसन

प्रश्न 17.
गार्डनर ने अभी तक कुल कितने प्रकार के बुद्धि का पहचान किया है?
(A) पाँच
(B) छः
(C) सात
(D) आठ
उत्तर:
(A) पाँच

प्रश्न 18.
साक्षात्कार का उद्देश्य
(A) आमने-सामने के सम्पर्क से सूचना प्राप्त करना
(B) परिकल्पनाओं के स्रोत
(C) अवलोकन के लिए अवसर पाना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 19.
साक्षात्कार की तीन अवस्थाएँ होती हैं, निम्नांकित में कौन उन अवस्थाओं में नहीं है।
(A) प्रारम्भिक तैयारी
(B) प्रश्नोत्तर काल
(C) समापन की अवस्थाएँ
(D) संबंध बनाने की अवस्थाएँ
उत्तर:
(D) संबंध बनाने की अवस्थाएँ

प्रश्न 20.
बुद्धि का एक पदानुक्रमिक मॉडल किसने प्रस्तुत किया?
(A) गिलफोर्ड
(B) गार्डनर
(C) बिने
(D) आर्थर जेन्सेन
उत्तर:
(D) आर्थर जेन्सेन

प्रश्न 21.
बुद्धि संरचना मॉडल किसने प्रस्तुत किया?
(A) गिलफोर्ड
(B) स्टर्नबर्ग
(C) वेश्लर
(D) स्पीयरमैन
उत्तर:
(A) गिलफोर्ड

प्रश्न 22.
हावर्ड गार्डनर ने किस सिद्धांत को प्रस्तुत किया?
(A) बुद्धि-संरचना मॉडल
(B) पास मॉडल
(C) बहु-बुद्धि का सिद्धांत
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(C) बहु-बुद्धि का सिद्धांत

प्रश्न 23.
दूसरे व्यक्तियों के सूक्ष्म व्यवहारों के प्रति संवेदनशीलता किस प्रकार की बुद्धि को दर्शाता है?
(A) संगीतात्मक
(B) अंतर्वैयक्तिक
(C) अंत:व्यक्ति
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(A) संगीतात्मक

प्रश्न 24.
बुद्धि त्रिपाचीय सिद्धांत किसने दिया?
(A) रॉबर्ट स्टर्नबर्ग
(B) अल्फ्रेड बिने
(C) हॉवर्ड गार्डनर
(D) आर्थर जेन्सन
उत्तर:
(A) रॉबर्ट स्टर्नबर्ग

प्रश्न 25.
बुद्धि लब्धि (I.Q.) को कौन सूत्र मापता है?
(A) \(\frac{C.A.}{M.A.}\) × 100
(B) M.A. × C.A. × 100
(C) \(\frac{100}{C.A.}\) × M.A.
(D) \(\frac{M.A.}{C.A.}\) × 100
उत्तर:
(D) \(\frac{M.A.}{C.A.}\) × 100

प्रश्न 26.
पी० ओ० एक्स मॉडल के संदर्भ में कौन कथन सही है?
(A) इस मॉडल में सिर्फ एक व्यक्ति होते हैं।
(B) इस मॉडल में सिर्फ दो व्यक्ति होते हैं।
(C) इस मॉडल में सिर्फ तीन व्यक्ति होते हैं।
(D) इस मॉडल में कम-से-कम चार व्यक्ति होते हैं।
उत्तर:
(C) इस मॉडल में सिर्फ तीन व्यक्ति होते हैं।

प्रश्न 27.
किसने बुद्धि को एक ‘सार्वभौम क्षमता’ माना है?
(A) वेक्सलर
(B) बिने
(C) गार्डनर
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(A) वेक्सलर

प्रश्न 28.
बुद्धि लब्धि प्राप्त करने में यदि किसी व्यक्ति की मानसिक आयु (M.A.) तथा वास्तविक आयु (C.A.) लगभग बराबर-बराबर हो तो उसे –
(A) तीव्र बुद्धि का व्यक्ति समझा जाता है।
(B) मंद बुद्धि का व्यक्ति समझा जाता है।
(C) सामान्य बुद्धि का व्यक्ति समझा जाता है।
(D) प्रतिभाशाली बुद्धि का व्यक्ति समझा जाता है।
उत्तर:
(C) सामान्य बुद्धि का व्यक्ति समझा जाता है।

प्रश्न 29.
बुद्धिलब्धि के संप्रत्यय को विकसित किया गया है –
(A) थर्सटन के द्वारा
(B) स्पियरमैन के द्वारा
(C) टर्मन के द्वारा
(D) बहलर के द्वारा
उत्तर:
(C) टर्मन के द्वारा

प्रश्न 30.
व्यक्तित्व के विशेषक उपागम का अग्रणी कौन है?
(A) गार्डन ऑलपोर्ट
(B) रेमंड कैटेल
(C) एच० जे० वारनर
(D) थॉर्नडाइक
उत्तर:
(A) गार्डन ऑलपोर्ट

प्रश्न 31.
बहु-बुद्धि का सिद्धांत प्रतिपादित किया –
(A) मर्फी ने
(B) गार्डनर ने
(C) गिलफोर्ड ने
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(B) गार्डनर ने

प्रश्न 32.
नए एवं मूल्यवान विचारों को देन की क्षमता को कहा जाता है –
(A) बुद्धि
(B) सूझ
(C) अभिक्षमता
(D) सर्जनशीलता
उत्तर:
(D) सर्जनशीलता

प्रश्न 33.
सांवेगिक बुद्धि के तत्त्वों में किसे एक तत्त्व नहीं माना जा सकता है?
(A) अपने संवेगों की सही जानकारी रखना
(B) स्वयं को प्रेरित करना
(C) दूसरे को संवेगों को पहचानना
(D) दूसरे पर सहानुभूति दिखाना
उत्तर:
(A) अपने संवेगों की सही जानकारी रखना

प्रश्न 34.
व्यक्तित्व मूल्यांकन का ‘कथानक संप्रत्यक्षण परीक्षण’ (टी.ए.टी.) किसके द्वारा विकसित किया गया है?
(A) हर्मन रोर्शाक द्वारा
(B) कैटेल द्वारा
(C) मॉर्गन एवं मरे द्वारा
(D) राजेनबिग द्वारा
उत्तर:
(A) हर्मन रोर्शाक द्वारा

प्रश्न 35.
ड्रा-ए-परसन परीक्षण का निर्माण किसके द्वारा किया गया था?
(A) स्टैनफोर्ड
(B) वेश्लर
(C) रोजेनविग
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(C) रोजेनविग

प्रश्न 36.
बुद्धि के पास मॉडल का प्रतिपादन किसके द्वारा किया गया था?
(A) गिलफोर्ड
(B) थॉमसन
(C) एस० एम० मुहासिन
(D) जे० पी० दास
उत्तर:
(D) जे० पी० दास

प्रश्न 37.
संज्ञानात्मक असंवादिता के संप्रत्यय को विकसित किया है –
(A) थर्स्टन
(B) फेस्टिगर
(C) लिकर्ट
(D) बोगार्डस
उत्तर:
(B) फेस्टिगर

प्रश्न 38.
संज्ञानात्मक मूल्यांकन तंत्र का प्रतिपादन द्वारा किया गया?
(A) सिन्हा एवं राय
(B) दास एवं नागसिटी
(C) दन्त एवं मजुमदार
(D) सुलेमान एवं रहमान
उत्तर:
(B) दास एवं नागसिटी

प्रश्न 39.
जीवन मूल प्रवृत्ति के संप्रत्यय का प्रतिपादन द्वारा किया गया?
(A) एडलर
(B) युग
(C) वाटसन
(D) फ्रायड
उत्तर:
(D) फ्रायड

प्रश्न 40.
गिलफोर्ड द्वारा प्रतिपादित बुद्धि के मॉडल में बौद्धिक क्षमताओं की कितनी श्रेणियाँ होती हैं।
(A) 180
(B) 100
(C) 120
(D) 150
उत्तर:
(D) 150