Bihar Board Class 12 Psychology Solutions Chapter 7 सामाजिक प्रभाव एवं समूह प्रक्रम Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Psychology Solutions Chapter 7 सामाजिक प्रभाव एवं समूह प्रक्रम

Bihar Board Class 12 Psychology सामाजिक प्रभाव एवं समूह प्रक्रम Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
एक व्यक्ति की अनन्यता कैसे बनी है? अथवा, सामाजिक अनन्यता की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक अनन्यता हमारे अपने-संप्रत्यय का वह पक्ष है जो हमारी समूह सदस्यता पर आधारित है। सामाजिक अनन्यता हमें स्थापित करती है, अर्थात् एक बड़े सामाजिक सदर्भ में हमें यह बताती है कि हम क्या हैं और हमारी क्या स्थिति है तथा इस प्रकार समाज में हम कहाँ हैं इसको जानने में सहायता करती है। अपने विद्यालय के एक विद्यार्थी के रूप में छात्र की एक सामाजिक अनन्यता है। एकबार जब एक छात्र अपने विद्यालय के एक विद्यार्थी के रूप में एक अनन्यता स्थापित कर लेता है तो वह उन मूल्यों को आत्मसात् कर लेते हैं जिन पर उसके विद्यालय में बल दिया जाता है और उन मूल्यों को वह स्वयं बना लेते हैं। वह अपने विद्यालय में वाक्यों का पालन करने का पूरा प्रयास करता है।

सामाजिक अनन्यता सदस्यों को स्वयं के तथा उनके सामाजिक जगत के विषय में एक जैसे मूल्यों, विश्वासों तथा लक्ष्यों का एक संकलन (सेट) प्रदान करती है। एक बार जब कोई छात्र अपने विद्यालय के मूल्यों को आत्मसात् कर लेता है तो यह उनकी अभिवृत्तियों एवं व्यवहार के समन्वयन एवं नियमन में सहायता करता है। वह अपने विद्यालय को शहर राज्य के सर्वोत्तम विद्यालय बनाने के लिए कठिन परिश्रम करते हैं। जब हम अपने समूह के साथ एक दृढ़ अनन्यता विकसित कर लेते हैं तो अंत: समूह एवं बाह्य समूह का वर्गीकरण महत्त्वपूर्ण हो जाता है।

जिस समूह से हम अपना तादात्म्य रखते हैं वह अंतःसमूह बन जाता है और दूसरे समूह बाह्य समूह बन जाते हैं। इस अंतः समूह तथा बाह्य समूह वर्गीकरण का एक नकारात्मक पक्ष यह है कि हम बाह्य समूह की तुलना में अंतःसमूह का अधिक अनुकूल निर्धारण करते हुए अंत:समूह के प्रति पक्षपात का प्रदर्शन प्रारंभ कर देते हैं और बाह्य समूह का अवमूल्यन करने लगते हैं। अनेक अंतर-समूह द्वंद्वों का आधार बाह्य समूह का यह अवमूल्यन होता है।

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प्रश्न 2.
क्या आप किसी समूह के सदस्य हैं? वह क्या है जिसने आपको इस समूह में सम्मिलित होने के लिए अभिप्रेरित किया? इसकी विवेचना कीजिए। अथवा, व्यक्ति क्यों समूह में सम्मिलित होते हैं? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी समूह का सदस्य होता है। हम अपने परिवार, कक्षा और उस समूह के सदस्य हैं जिनके साथ हम अंतःक्रिया करते हैं या खेलते हैं। इसी प्रकार किसी विशेष समय पर अन्य व्यक्ति भी अनेक समूहों के सदस्य होते हैं। अलग-अलग समूह भिन्न-भिन्न प्रकार की आवश्यकताओं को संतुष्ट करते हैं और इसलिए हम एक साथ अनेक समूहों के सदस्य होते।

यह कभी-कभी हम लोगों के साथ एक दबाव उत्पन्न करता है क्योंकि समूहों की प्रतिस्पर्धी प्रत्याशाएँ और माँगें हो सकती हैं। अधिकांश स्थितियों में हम ऐसी प्रतिस्पर्धी माँगों और प्रत्याशाओं को प्रबंधित करने में सक्षम होते हैं। लोग समूह में इसलिए सम्मिलित होते हैं क्योंकि ऐसे समूह अनेक आवश्यकताओं को संतुष्ट करते हैं। सामान्यतः लोग निम्न कारणों से समूह में सम्मिलित होते हैं –

1. सुरक्षा-जब हम अकेले होते हैं तो असुरक्षित अनुभव करते हैं। समूह इस असुरक्षा को कम करता है। व्यक्तियों के साथ रहना आराम की अनुभूति और संरक्षण प्रदान करता है परिणामस्वरूप लोग स्वयं को अधिक शक्तिशाली महसूस करते हैं और खतरों की संभावना हो जाती है।

2. प्रतिष्ठा या हैसियत-जब हम किसी ऐसे समूह के सदस्य होते हैं जो दूसरे लोगों द्वारा महत्त्वपूर्ण समझा जाता है तो हम सम्मानित महसूस करते हैं तथा शक्ति-बोध का अनुभव करते हैं। मान लीजिए कि किसी विद्यालय का छात्र किसी अंतर्विद्यालयी वाद-विवाद प्रतियोगिता का विजेता बन जाता है तो गर्व का अनुभव करता है और वह स्वयं को दूसरों से बेहतर समझता है।

3. आत्म-सम्मान-समूह आत्म-अर्ध अनूभूति देता है और एक सकारात्मक सामाजिक अनन्यता स्थापित करता है। एक प्रतिष्ठित समूह का सदस्य होना व्यक्ति की आत्म-धारणा या आत्म-संप्रत्यय को बढ़ावा देता है।

4. व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक और सामाजिक आवश्यकताओं की संतुष्टि-समूह व्यक्ति की मनोवैज्ञानिक और सामाजिक आवश्यकताओ को संतुष्ट करते हैं जैसे-समूह के द्वारा आत्मीयता-भावना, ध्यान देना और पाना, प्रेम तथा शक्ति बोध का अनुभव प्राप्त करना।

5. लक्ष्य प्राप्ति-समूह ऐसे लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक होता है जिन्हें व्यक्तिगत रूप से प्राप्त नहीं किया जा सकता है। बहुमत में शक्ति होती है।

6. ज्ञान और जानकारी या सूचना प्रदान करना-समूह सदस्यता हमें ज्ञान और जानकारी प्रदान करती है और हमारे दृष्टिकोण को विस्तृत करती है। संभव है कि वैयक्तिक रूप से हम सभी वांछित जानकारियों या सूचनाओं को प्राप्त न कर सकें। समूह इस प्रकार की जानकारी और ज्ञान की कमी को पूरा करता है।

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प्रश्न 3.
समूह निर्माण को समझने में टकमैन का अवस्था मॉडल किस प्रकार से सहायक है?
उत्तर:
टकमैन का अवस्था मॉडल-टकमैन (Tuckman) ने बताया है कि समूह पाँच विकासात्मक अनुक्रमों से गुजरता है। ये पाँच अनुक्रम हैं-निर्माण या आकृतिकरण, विप्लवन या झंझावात, प्रतिमान या मानक निर्माण, निष्पादन एवं समापन।

1. निर्माण की अवस्था-जब समूह के सदस्य पहली बार मिलते हैं तो समूह, लक्ष्य एवं लक्ष्य को प्राप्त करने के संबंध में अत्यधिक अनिश्चितता होती है। लोग एक-दूसरे को जानने का प्रत्यन करते हैं और वह मूल्यांकन करते हैं कि क्या वे समूह के लिए उपयुक्त रहेंगे। यहाँ उत्तेजना के साथ ही साथ भय होता है। इस अवस्था को निर्माण या आकृतिकरण की अवस्था (Forming stage) कहा जाता है।

2. विप्लवन की अवस्था-प्रायः इससे अवस्था के बाद अंतरा-समूह द्वंद्व की अवस्था होती है जिसे विप्लवन या झंझावात (Storming) की अवस्था कहा जाता है। इस अवस्था में समूह के सदस्यों के बीच इस बात को लेकर द्वंद्व चलता रहता है कि समूह के लक्ष्य को कैसे प्राप्त करना है, कौन समूह एवं उसके संसाधनों को नियंत्रित करनेवाला है और कौन क्या कार्य निष्पादित करनेवाला है। इस अवस्था के संपन्न होने के बाद समूह में नेतृत्व करने के लक्ष्य को कैसे प्राप्त करना है इसके लिए एक स्पष्ट दृष्टिकोण होता है।

3. प्रतिमान अवस्था-विप्लवन या झंझावात की अवस्था के बाद एक दूसरी अवस्था आती है जिसे प्रतिमान या मानक निर्माण (Norming) की अवस्था के नाम से जाना जाता है। इस अवधि में समूह के सदस्य समूह व्यवहार से संबंधित मानक विकसित करते हैं। यह एक सकारात्मक समूह अनन्यता के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।

4. निष्पादन-चतुर्थ अवस्था निष्पादन (Performing) की होती है। इस अवस्था तक समूह की संरचना विकसित हो चुकी होती है और समूह के सदस्य इसे स्वीकृत कर लेते हैं समूह लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में समूह अग्रसर होता है। कुछ समूहों के लिए विकास की अंतिम व्यवस्था हो सकती है।

5. समापन की अवस्था-तथापि समूहों के लिए जैसे-विद्यालय समारोह सदस्यता के लिए आयोजन समिति के संदर्भ में एक अन्य अवस्था हो सकती है जिसे समापन की अवस्था (Adjourning stage) के नाम से जाना जाता है। इस अवस्था में जब समूह का कार्य पूरा हो जाता है तब समूह भंग किया जा सकता है।

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प्रश्न 4.
अंतर-द्वंद्व की परिणातियों की पहचान कीजिए।
उत्तर:
ड्युश ने अंतर-समूह द्वंद्व के निम्नलिखित परिणतियों की पहचान की है –

  1. समूहों के बीच संप्रेषण खराब हो जाता है। समूह एक-दूसरे पर विश्वास नहीं करते हैं। जिसके कारण संप्रेषण भंग हो जाता है और एक-दूसरे के प्रति संदेह को उत्पन्न करता है।
  2. समूह अपने मतभेदों को बढ़ा-चढ़ाकर देखना प्रारंभ कर देते हैं और अपने व्यवहारों को उचित एवं दूसरों के व्यवहारों को अनुचित मानने लगते हैं।
  3. प्रत्येक पक्ष अपनी शक्ति एवं वैधता को बढ़ाने का प्रयास करता है। इसके परिणामस्वरूप कुछ छोटे-मोटे मुद्दों की ओर जाते हुए द्वंद्व बढ़ने लगता है।
  4. एक बार जब द्वंद्व प्रारंभ हो जाता है तो अनेक दूसरे कारक द्वंद्व को बढ़ाने लगते हैं। तः समूह मत का दृढ़ीकरण बाह्य समूह की ओर निर्देशित सुस्पष्ट धमकी, प्रत्येक समूह की काधिक बदला लेने की प्रवृत्ति और दूसरे पक्षों के द्वारा किसी का पक्ष लेने का निर्णय द्वंद्व गद्धि उत्पन्न करता है।

प्रश्न 5.
समूहों में सामाजिक स्वैराचार को कैसे कम किया जा सकता है? अपने विद्यालय में सामाजिक स्वैराचार की किन्हीं दो घटनाओं पर विचार कीजिए। आपने इसे कैसे दूर किया?
उत्तर:
सामाजिक स्वरौचार को निम्न के द्वारा कम किया जा सकता है –

  1. प्रत्येक सदस्य के प्रयासों को पहचानने योग्य बनाना।
  2. कठोर परिश्रम के लिए दबाव का बढ़ाना (सफल कार्य निष्पादन के लिए समूह सदस्यों को वचनबद्ध करना)।
  3. कार्य के प्रकट महत्त्व या मूल्य को बढ़ाना।
  4. लोगों को यह अनुभव कराना कि उनका व्यक्तिगत प्रयास महत्त्वपूर्ण है।
  5. समूह संतक्तता को प्रबल करना जो समूह के सफल परिणाम के लिए अभिप्रेरणा को बढ़ाता है।

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प्रश्न 6.
आप अपने व्यवहार में प्रायः सामाजिक अनुरूपता का प्रदर्शन कैसे करते हैं? सामाजिक अनुरूपता के कौन-कौन से निर्धारक हैं? अथवा, सामाजिक अनुरूपता पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
हम अपने व्यवहार में प्रायः सामाजिक अनुरूपता का प्रदर्शन निम्न तरीके से करते हैं –
ऐसा लगता है कि मानक के अनुसरण करने की प्रवृत्ति नैसर्गिक है और इसकी किसी विशेष व्याख्या की आवश्यकता नहीं है। इसके बावजूद हम जानना चाहते हैं कि क्यों इस प्रकार की प्रवृत्ति नैसर्गिक अथवा स्वतःस्फूर्त होती है।

1. मानक व्यवहार के नियमों के एक अलिखित तथा अनौपचारिक समुच्चय को निरूपित करता है जो एक समूह के सदस्यों को यह सूचना प्रदान करता है कि विशिष्ट स्थितियों में उनसे क्या अपेक्षित है। यह संपूर्ण स्थिति को स्पष्ट बना देते हैं और व्यक्ति तथा समूह दोनों को अधिक सुगमता से कार्य करने का अवसर प्रदान करता है।

2. सामान्यतया लोग असहजता का अनुभव करते हैं यदि उन्हें दूसरों से ‘भिन्न’ समझा जाता है। व्यवहार करने का वैसा तरीका जो व्यवहार के प्रत्याशित ढंग से भिन्न होता है, तो वह दूसरों के द्वारा अनुमोदन एवं नापसंदगी को उत्पन्न करता है जो सामाजिक दंड का एक रूप है। अनुसरण करना अनुमोदन का परिहार करने एवं अन्य लोगों से अनुमोदन प्राप्त करने का सरलतम तरीका है।

3. मानक को बहुसंख्यक के विचार एवं विश्वास को प्रतिबिंबित करनेवाला समझा जाता है। अधिकांश लोग मानते हैं कि बहुसंख्यक के गलत होने की तुलना में सही होने की संभावना अधिक होती है। इसके एक दृष्टांत को टेलीविजन पर दिखाई जानेवाली प्रश्नोत्तरी में प्राय: देखा जाता है। जब एक प्रतियोगी किसी प्रश्न का सही उत्तर नहीं जानता है तो वह दर्शकों की राय ले सकता है और प्रायः व्यक्ति उसी विकल्प को चुनता है जिसे बहुसंख्यक दर्शक चुनते हैं। इसी तर्क के आधार पर यह कहा जा सकता है कि लोग मानक के प्रति अनुरूपता का प्रदर्शन करते हैं क्योंकि वे मानते हैं कि बहुसंख्यक को सही होना चाहिए। अनुरूपता के निर्धारक।

4. समूह का आकार-अनुरूपता तब अधिक पाई जाती है जब समूह बड़े से अपेक्षाकृत छोटा है। छोटे समूह में विसामान्य सदस्य (वह जो अनुरूपता प्रदर्शित नहीं करता है) को पहचानना आसान होता है परंतु एक बड़े समूह में यदि अधिकांश सदस्यों के बीच प्रबल सहमति होती है तो यह बहुसंख्यक समूह को मजबूत बनाता है और इसलिए मानक भी सशक्त होते हैं। ऐसी स्थिति में अल्पसंख्यक सदस्यों के अनुरूपता प्रदर्शन की संभावना अधिक होती है क्योंकि समूह दबाव प्रबल होगा।

5. अल्पसंख्यक समूह का आकार-मान लीजिए कि रेखाओं के बारे में निर्णय के कुछ प्रयासों के बाद प्रयोज्य यह देखता है कि एक दूसरो सहभागी प्रयोज्य की अनुक्रिया से सहमति प्रदर्शित करना प्रारंभ कर देता है। क्या अब प्रयोज्य के अनुरूपता प्रदर्शन की संभावना अथवा विसामान्य अल्पसंख्यकों का आकार बढ़ा सकता है।

6. कार्य की प्रकृति-ऐश के प्रयोग में प्रयुक्त कार्य में ऐसे उत्तर की अपेक्षा की जाती है जिसका सत्यापन किया जा सकता है और वह गलत. अथवा सही हो सकता है। मान लीजिए कि प्रायोगिक कार्य में किसी विषय के बारे में मत प्रकट करना निहित है। ऐसी स्थिति में कोई भी उत्तर सही या गलत नहीं होता है। किस स्थिति में अनुरूपता के पाए जाने की संभावना अधिक है, पहली स्थिति जिसमें गलत या सही उत्तर की तरह कोई चीज हो अथवा दूसरी स्थिति जिसमें बिना किसी सही या गलत उत्तर के व्यापक रूप से बदले जा सकते हैं? संभव है कि सही अनुमान लगाया होगा; दूसरी स्थिति में अनुरूपता के पाए जाने की संभावना कम है।

7. व्यवहार की सार्वजनिक या व्यक्तिगत अभिव्यक्ति-ऐश की प्रविधि में समूह के सदस्यों को सार्वजनिक रूप से अपनी अनुक्रिया देने के लिए कहा जाता है अर्थात् सभी सदस्य जानते हैं कि किस व्यक्ति ने क्या अनुक्रिया दी है। यद्यपि, एक दूसरी स्थिति भी हो सकती है (उदाहरणार्थ, गुप्त मतपत्र द्वारा मतदान करना) जिसमें सदस्यों के व्यवहार व्यक्तिगत होते हैं (जिन्हें दूसरे लोग नहीं जानते हैं)। व्यक्तिगत अभिव्यक्ति में सार्वजनिक अभिव्यक्ति की तुलना में कम अनुरूपता पाई जाती है।

8. व्यक्तित्व-ऊपर वर्णित दशाएँ यह प्रदर्शित करती हैं कि कैसे स्थितिपरक विशेषताएँ प्रदर्शित अनुरूपता के निर्धारण में महत्वपूर्ण हैं। कुछ व्यक्तियों का व्यक्तित्व अनुरूपतापरक होता है। अधिकांश स्थितियों में दूसरे लोग जो कहते हैं या करते हैं उनके अनुसार अपने व्यवहार का परिवर्तित करने की ऐसे व्यक्तियों में एक प्रवृत्ति पाई जाती है।

इसके विपरीत कुछ ऐसे व्यक्ति होते है जो आत्मनिर्भर होते हैं और वे किसी विशिष्ट स्थिति में कैसे व्यवहार करना है इसके लिए किसी मानक की तलाश नहीं करते हैं। शोध यह प्रदर्शित करते हैं कि वैसे व्यक्ति जो उच्च बुद्धि
वाले होते हैं, जो स्वयं के बारे में विश्वस्त होते हैं, जो प्रबल रूप से प्रतिबद्ध होते हैं एवं जो उच्च आत्म-सम्मान वाले होते हैं उनमें अनुरूपता प्रदर्शित करने की संभावना कम होती है।

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प्रश्न 7.
लोग यह जानते हुए भी उनका व्यवहार दूसरों के लिए हानिकारक हो सकता है, वे क्यों आज्ञापालन करते हैं? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
लोग आज्ञापालन निम्नलिखित कारणों से करते हैं –

  1. लोग इसलिए आज्ञापालन करते हैं क्योंकि वे अनुभव करते हैं कि वे स्वयं के क्रियाकलापों के लिए उत्तरदायी नहीं है, वे मात्र आप्त व्यक्तियों द्वारा निर्गत आदेशों का पालन कर रहे हैं।
  2. सामान्यता आप्त व्यक्तियों के पास प्रतिष्ठा का प्रतीक (जैसे-वर्दी, पद-नाम) होता जिसका विरोध करने में लोग कठिनाई का अनुभव करते हैं।
  3. आप्त व्यक्ति आदेशों को क्रमश: कम से अधिक कठिन स्तर तक बढ़ाते हैं और प्रारंभिक आज्ञापालन अनुसरणकर्ता को प्रतिबद्धता के लिए बाध्य करता है।
  4. एक बार जब कोई किसी छोटे आदेश का पालन कर देता है तो धीरे-धीरे यह आप्त व्यक्ति के प्रति प्रतिवद्धता को बढ़ाता है और व्यक्ति बड़ आदेशों का पालन करना प्रारंभ कर देता है।
  5. अनेक बार घटनाएँ शीघ्रता से बदलती रहती हैं, जैसे-दंगे की स्थिति में, कि एक व्यक्ति के पास विचार करने के लिए समय नहीं होता है, उसे मात्र ऊपर से मिलनेवाले आदेशों का पालन करना होता है।

प्रश्न 8.
सहयोग के क्या लाभ हैं?
उत्तर:
जब समूह किसी साझा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक साथ कार्य करते हैं तो हम इसे सहयोग कहते हैं। सहयोगी स्थितियों में प्राप्त होनेवाले प्रतिफल सामूहिक पुरस्कार होते हैं न कि वैयक्तिक पुरस्कार। किसी समूह में सहयोगी लक्ष्य वह है जिसमें कोई व्यक्ति तभी लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है जब उसके समूह के अन्य व्यक्ति भी लक्ष्य को प्राप्त कर लें। उदाहरण के लिए, एक रिले रेस विजय टीम के सभी सदस्यों के सामूहित निष्पादन पर निर्भर करती है। यदि समूह में सहयोग होता है तो लोगों के बीच अधिक तालमेल होती है, एक-दूसरे के विचारों के लिए अधिक स्वीकृतिक होती है, जहाँ सहयोग होता है वहाँ लोगों के अधिक मित्रवत होते हैं तो वह व्यक्ति भी हमारी सहायता करता है।

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प्रश्न 9.
औपचारिक एवं अनौपचारिक समूह में विभेद करें।
उत्तर:
औपचारिक एवं अनौपचारिक समूह उस मात्रा में भिन्न होते हैं जिस मात्रा में समूह के प्रकार्य स्पष्ट एवं औपचारिक रूप से घोषित किए जाते हैं। एक औपचारिक समूह जैसे-किसी कार्यालय संगठन के प्रकार्य स्पष्ट रूप से घोषित किए जाते हैं। एक औपचारिक समूह, जैसे-किसी कार्यालय संगठन के प्रकार्य स्पष्ट रूप से घोषित होते हैं। समूह के सदस्यों द्वारा निष्पादित की जानेवाली भूमिकाएँ स्पष्ट रूप से घोषित होती हैं।

औपचारिक तथा अनौपचारिक समूह संरचना के आधार पर एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। औपचारिक समूह का निर्माण कुछ विशिष्ट नियमों या विधि पर आधारित होता है और सदस्यों की सुनिश्चित भूमिकाएँ होती हैं। औपचारिक समूह में मानकों का एक समुच्चय होता है जो व्यवस्था स्थापित करने में सहायक होता है। कोई भी विश्वविद्यालय एक औपचारिक समूह का उदाहरण है। दूसरी तरफ अनौपचारिक समूहों का निर्माण नियमों या विधि पर आधारित नहीं होता है और इस समूह के सदस्यों में घनिष्ठ संबंध होता है।

प्रश्न 10.
अंतर-समूह द्वंद्व के कुछ कारण क्या हैं? किसी अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष पर विचार कीजिए। इस संघर्ष की मानवीय कीमत पर विचार कीजिए।
उत्तर:
अंतरसमूह द्वंद्व के कुछ मुख्य कारण निम्नांकित हैं –
1. दोनों पक्षों में संप्रेषण का अभाव एवं दोषपूर्ण द्वंद्व का एक प्रमुख कारण है। इस प्रकार का संपेषण संदेह अर्थात् विश्वास के अभाव को उत्पन्न करता है। इसके परिणामस्वरूप द्वंद्व उत्पन्न होता है।

2. सापेक्ष वंचन अंतर समूह द्वंद्व का एक दूसरा कारण है। यह तब उत्पन्न होता है जब एक समूह के सदस्य स्वयं की तुलना दूसरे समूह के सदस्यों से करते हैं और यह अनुभव करते हैं कि वे जो चाहते हैं वह उनके पास नहीं परंतु दूसरे समूह के पास है। दूसरे शब्दों में, वे यह अनुभव करते हैं कि वे दूसरे समूह की तुलना में अच्छा नहीं कर पा रहे हैं। यह वचन एवं असंतोष की भावनाओं को उत्पन्न करता है जो द्वंद्व को उद्दीपन कर सकते हैं।

3. द्वंद्व का एक दूसरा कारण किसी एक पक्ष का यह विश्वास होता है कि एक पक्ष दूसरे से बेहतर हैं और वे जो कुछ कह रहे हैं उसे होना चाहिए। जब यह नहीं होता है तो दोनों पक्ष एक-दूसरे पर दोषारोपण करने लगते हैं। बहुत छोटे से मतभेद या विवाद का बढ़ा-चढ़ाकर देखने की एक प्रवृत्ति को प्राय: देखा जा सकता है, जिसके कारण द्वंद्व बढ़ जाता है क्योंकि प्रत्येक सदस्य अपने समूह के मानकों का आदर करना चाहता है।

4. यह भावना कि दूसरा समूह मेरे समूह के मानकों का आदर नहीं करता है और अपकारी या द्वेषपूर्ण आशय के कारण वास्तव में इन मानकों का उल्लंघन करता है।

5. पूर्व में की गई किसी क्षति का बदला लेने की इच्छा भी द्वंद्व का एक कारण हो सकती है।

6. पूर्वाग्रही प्रत्यक्षण अधिकांश द्वंद्व के मूल या जड़ में होते हैं। जैसा कि पहले ही कहा जा चुका है कि ‘वे’ एवं ‘हम’ की भावनाएँ पूर्वाग्रही प्रत्यक्षण को जन्म देती हैं।

7. शोध कार्यों ने यह प्रदर्शित किया है कि अकेले की अपेक्षा समूह में कार्य करते समय लोग अधिक प्रतिस्पर्धी एवं आक्रामक होते हैं। समूह दुर्लभ संसाधनों, दोनों ही प्रकार के संसाधनों भौतिक, जैसे-भू-भाग या क्षेत्र एवं धन एवं सामाजिक; जैसे-आदर और सम्मान के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं।

8. प्रत्यक्षित असमता द्वंद्व का एक दूसरा कारण है। समता व्यक्ति के योगदान के अनुपात में लाभों या प्रतिफलों के वितरण को बताता है।

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प्रश्न 11.
समूह हमारे व्यवहार को किस प्रकार से प्रभावित करते हैं? अथवा, सामाजिक प्रभाव पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
समूह एवं व्यक्ति हमारे व्यवहार को प्रभावित करते हैं। यह प्रभाव हम लोगों को अपने व्यवहार को एक विशिष्ट दिशा में परिवर्तित करने के लिए बाध्य कर सकता है। सामाजिक प्रभाव उन प्रक्रमों को इंगित करता है जिसके द्वारा हमारे व्यवहार एवं अभिवृत्तियाँ दूसरे लोगों को काल्पनिक या वास्तविक उपस्थिति से प्रभावित होते हैं। दिन भर में हम अनेक ऐसी स्थितियों का सामना कर सकते हैं जिसमें दूसरों ने हमें प्रभावित करने का प्रयास किया हो और हमें उस तरीके से सोचने को विवश किया हो जैसा वे चाहते हैं।

माता-पिता, अध्यापक, मित्र रेडियो तथा टेलीविजन करते हैं। सामाजिक प्रभाव हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है। कुछ स्थितियों का सामना कर सकते हैं जिसमें दूसरों ने हमें प्रभावित करने का प्रयास किया हो और हमें उस तरीके से सोचने को विवश किया हो जैसे वे चाहते हैं। कुछ स्थितियों में लोगों पर सामाजिक प्रभाव बहुत अधिक प्रबल होता है जिसके परिणामस्वरूप हम लोग उस प्रकार के कार्य करने की ओर प्रवृत्त होते हैं जो हम दूसरी स्थितियों में नहीं करते। दूसरे अवसरों पर हम दूसरे लोगों के प्रभाव को नकारने में समर्थ होते हैं और यहाँ तक कि हम उन लोगों का अपने विचार या दृष्टिकोण को अपनाने के लिए अपना प्रभाव डालते हैं।

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अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
क्या कोई व्यक्ति आत्म-सम्मान के लिए भी किसी समूह में सम्मिलित हो सकता है? क्यों?
उत्तर:
हाँ, समूह आत्म-अर्ध की अनुभूति देता है और एक सकारात्मक सामाजिक अनन्यता – स्थापित करता है। एक प्रतिष्ठित समूह का सदस्य होना व्यक्ति की आत्म-धारणा या आत्म-संप्रत्यय हो बढ़ावा देता है।

प्रश्न 2.
समूह को किन-किन अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है?
उत्तर:
समूह को सामान्यतया निर्माण, द्वंद्व स्थायीकरण, निष्पादन और निष्काषण/अस्वीकरण की विभिन्न अवस्थाओं से होकर गुजरना पड़ता है।

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प्रश्न 3.
समूह जिन विकासात्मक अनुक्रमों से गुजरता है, उनको लिखिए।
उत्तर:
समूह निम्नलिखित पाँच विकासात्मक अनुक्रमों से गुजरता है। निर्माण, विप्लवन, प्रतिमान, निष्पादन और समापन।

प्रश्न 4.
समूह की आकृतिकरण की अवस्था क्या है?
उत्तर:
जब समूह के सदस्य पहली बार मिलते हैं तो समूह, लक्ष्य एवं लक्ष्य को प्राप्त करने के संबंध में अत्यधिक अनिश्चित होती है। लोग एक-दूसरे को जानने का प्रयत्न करते हैं और यह मूल्यांकन करते हैं कि क्या वे समूह के लिए उपयुक्त रहेंगे। यहाँ उत्तेजना के साथ ही साथ भय भी होता है। इस अवस्था को निर्माण या आकृतिकरण की अवस्था कहा जाता है।

प्रश्न 5.
समूह की विप्लवन अवस्था क्या है?
उत्तर:
समूह की विप्लवन अवस्था में समूह के सदस्यों के बीच इस बात को लेकर द्वंद्व चलता रहता है कि समूह के लक्ष्य को कैसे प्राप्त करना है, कौन समूह एवं उसके संसाधनों को नियंत्रित करनेवाला है और कौन या कार्य निष्पादित करनेवाला है।

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प्रश्न 6.
समूह संरचना कंब विकसित होती है?
उत्तर:
समूह संरचना तब विकसित होती है जब सदस्य परस्पर अंत:क्रिया करते हैं।

प्रश्न 7.
समूह संरचना के चार घटक कौन-कौन-से हैं?
उत्तर:
समूह संरचना के चार घटक हैं-भूमिकाएँ, प्रतिमान, प्रतिष्ठा एवं संसक्तता।

प्रश्न 8.
भूमिकाएँ किस व्यवहार को इंगित करती हैं?
उत्तर:
भूमिकाएँ वैसे विशिष्ट व्यवहार को इंगित करती हैं जो व्यक्ति को एक दिए गए सामाजिक संदर्भ में चित्रित करती है।

प्रश्न 9.
प्रतिमान क्या है?
उत्तर:
प्रतिमान या मानक समूह के सदस्यों द्वारा स्थापित समर्थित एवं प्रवर्तित व्यवहार एवं विश्वास के अपेक्षित मानदंड होते हैं।

प्रश्न 10.
प्राथमिक समूह किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्राथमिक समूह पूर्व-विद्यमान निर्माण होते हैं जो प्रायः व्यक्ति को प्रदत्त किया जाता है।

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प्रश्न 11.
प्राथमिक समूह के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
परिवार, जाति एवं धर्म प्राथमिक समूह के उदाहरण हैं।

प्रश्न 12.
प्राथमिक समूह की क्या विशेषताएँ होती हैं?
उत्तर:
प्राथमिक समूह में मुखोन्मुख’अंत:क्रिया होती है सदस्यों में घनिष्ठ शारीरिक सामीप्य होता है और उनमें एक उत्साहपूर्ण सांवेगिक बंधन पाया जाता है।

प्रश्न 13.
सापेक्ष पंचन कब उत्पन्न होता है?
उत्तर:
सापेक्ष पंचन तब उत्पन्न होता है जब एक समूह के सदस्य स्वयं की तुलना दूसरे समूह के सदस्यों से करते हैं और यह अनुभव करते हैं कि वे जो चाहते हैं वह उनके पास नहीं हैं परंतु वहं दूसरे समूह के पास है।

प्रश्न 14.
औपचारिक समूह का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर:
औपचारिक समूह का निर्माण कुछ विशिष्ट नियमों या विधि पर आधारित होती है और सदस्यों की सुनिश्चित भूमिकाएं होती हैं।

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प्रश्न 15.
औपचारिक समूह का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
कोई विश्वविद्यालय औपचारिक समूह का उदाहरण है।

प्रश्न 16.
औपचारिक समूहों में सदस्यों में किस प्रकार का संबंध होता है?
उत्तर:
औपचारिक समूहों में सदस्यों में घनिष्ट संबंध होता है।

प्रश्न 17.
अंतःसमूह और बाह्य समूह के बीच एक अंतर को लिखिए।
उत्तर:
अंत: समूह स्वयं के समूह को इंगित करता है और बाह्य समूह दूसरे को इंगित करता है।

प्रश्न 18.
सामाजिक सुकरीकरण क्या है?
उत्तर:
दूसरे की उपस्थिति में एक व्यक्ति का अकेले किसी कार्य पर निष्पादन करना सामाजिक सुकरीकरण कहलाता है।

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प्रश्न 19.
सामाजिक स्वैराचार क्या है?
उत्तर:
एक बड़े समूह के अंग के रूप में दूसरे व्यक्तियों के साथ एक व्यक्ति का किसी कार्य पर निष्यादन करने सामाजिक स्वैराचार कहलाता है।

प्रश्न 20.
समूह ध्रुवीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
समूह में अंत:क्रिया और विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप समूह की प्रारंभिक स्थिति की प्रबलता या मजबूती को समूह ध्रुवीकरण कहा जाता है।

प्रश्न 21.
सामाजिक प्रभाव किन प्रक्रमों को इंगित करता है?
उत्तर:
सामाजिक प्रभाव उन प्रक्रमों को इंगित करता है जिसके द्वारा हमारे व्यवहार एवं अभिवृत्तियाँ दूसरे लोगों को काल्पनिक या वास्तविक उपस्थिति से प्रभावित होते हैं।

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प्रश्न 22.
अनुरूपता का क्या अर्थ है?
उत्तर:
अनुरूपता का अर्थ समूह प्रतिमान या मानक अर्थात् समूह के अन्य सदस्यों की प्रत्याशाओं के अनुसार व्यवहार करने से है।

प्रश्न 23.
विसामान्य कौन होते हैं?
उत्तर:
वे लोग जो अनुरूपता नहीं प्रदर्शित करते हैं, उन्हें विसामान्य या अननुपंथी कहा जाता है।

प्रश्न 24.
तीन प्रकार के सामाजिक प्रभाव कौन-कौन हैं?
उत्तर:
तीन प्रकार के सामाजिक प्रभाव हैं-अनुपालन, तादात्मीकरण और अंतरिकीकरण।

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प्रश्न 25.
अनुपालन क्या है?
उत्तर:
अनुपालन में ऐसी बाह्य स्थितियाँ होती हैं जो व्यक्ति को अन्य महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों के प्रभाव को स्वीकार करने के लिए बाध्य करती हैं।

प्रश्न 26.
आज्ञापालन की एक विभेदनीय विशेषता को लिखिए।
उत्तर:
आज्ञापालन की एक विभेदनीय विशेषता यह है कि आप्त व्यक्तियों के प्रति की गई अनुक्रिया होती है।

प्रश्न 27.
हम अनुरूपता का प्रदर्शन क्यों करते हैं?
उत्तर:
हम इसलिए अनुरूपता का प्रदर्शन करते हैं क्योंकि हम समूह मानक से विसामान्य नहीं होना चाहते हैं।

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प्रश्न 28.
अनुरूपता पर अग्रगमन प्रयोग किसने किया था?
उत्तर:
अनुरूपता पर अग्रगमन प्रयोग शेरिफ एवं ऐश के द्वारा किया गया था।

प्रश्न 29.
अनुरूपता किस स्थिति में अधिक पाई जाती है?
उत्तर:
अनुरूपता तब अधिक पाई जाती है जब समूह बड़े से अपेक्षाकृत छोटा होता है।

प्रश्न 30.
अनुपालन क्या है?
उत्तर:
अनुपालन मानक की अनुपस्थिति में भी मात्र दूसरे व्यक्ति या समूह के अनुरोध के प्रत्युत्तर में व्यवहार करने को इंगित करता है।

प्रश्न 31.
अनुपालन का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
किसी विक्रेता के हमारे घर पर आने पर जिस प्रकार का व्यवहार प्रदर्शित किया जाता है वह अनुपालन का एक अच्छा उदाहरण है।

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प्रश्न 32.
आज्ञापालन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
जब अनुपालन किसी ऐसे अनुदेश या आदेश के प्रति प्रदर्शित किया जाता है जो किसी आप्त व्यक्ति, जैसे–माता-पिता, अध्यापक या पुलिसकर्मी के द्वारा निर्गत होता है तब इस व्यवहार को आज्ञापालन कहा जाता है।

प्रश्न 33.
सहयोग किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब समूह किसी साझा लक्ष्य को प्राप्त करने लिए एक साथ कार्य करते हैं तो इसे सहयोग कहा जाता है।

प्रश्न 34.
प्रतिस्पर्धी लक्ष्य किस प्रकार से निर्धारित किए जाते हैं?
उत्तर:
प्रतिस्पर्धी लक्ष्य इस प्रकार से निर्धारित किए जाते हैं कि कोई व्यक्ति अपना लक्ष्य केवल तब प्राप्त कर सकता है जब अन्य लोग अपने लक्ष्य को प्राप्त न कर पाएँ।

प्रश्न 35.
सहयोगी पारितोषिक संरचना क्या है?
उत्तर:
सहयोगी पारितोषिक संरचना वह है जिसमें प्रोत्साहक परस्पर निर्भरता पाई जाती है।

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प्रश्न 36.
प्रतिस्पर्धी परितोषिक संरचना क्या है?
उत्तर:
प्रतिस्पर्धी पारितोषिक संरचना वह है जिसमें कोई व्यक्ति तभी पुरस्कार प्राप्त कर सकता है जब दूसरे व्यक्ति पुरस्कार नहीं पाते हैं।

प्रश्न 37.
परस्परता का क्या अर्थ है?
उत्तर:
परस्परता का अर्थ यह है कि लोग जिस चीज को प्राप्त करते हैं उसे लौटाने में कृतज्ञता को अनुभव करते हैं।

प्रश्न 38.
प्रतिस्पर्धा भी अधिक प्रतिस्पर्धा को उत्पन्न कर सकती है। इसका एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
यदि कोई हमारी सहायता करता है तो हम उस व्यक्ति की सहायता करना चाहते हैं, दूसरी ओर, यदि कोई व्यक्ति जब हमें सहायता की आवश्यकता होती है तब हमें सहायता करने से मना कर देता है तो हम भी उस व्यक्ति की सहायता नहीं करना चाहते हैं।

प्रश्न 39.
सामाजिक अनन्यता से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
सामाजिक अनन्यता हमारे आत्म-संप्रत्यय का वह पक्ष है जो हमारी समूह सदस्यता पर आधारित है। सामाजिक अनन्यता हमें स्थापित करती है अर्थात् एक बड़े सामाजिक संदर्भ में हमें यह बताती है कि हम क्या हैं और हमारी क्या स्थिति है तथा इस प्रकार समाज में हम कहाँ हैं इसको जानने में सहायता करती है।

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प्रश्न 40.
द्वंद्व क्या है?
उत्तर:
द्वंद्व एक ऐसा प्रक्रम है जिसमें एक व्यक्ति या समूह यह प्रत्यक्षण करते हैं कि दूसरे (व्यक्ति या समूह) उनके विरोधी हितों को रखते हैं और दोनों पक्ष एक-दूसरे को खंडन करने का प्रयास करते रहते हैं।

प्रश्न 41.
समूह को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
समूह दो या दो से अधिक व्यक्तियों की एक संगठित व्यवस्था है, जो एक-दूसरे से अंत:क्रिया करते हैं एवं परस्पर-निर्भर होते हैं, जिनकी एक जैसे अभिप्रेरणाएं होती हैं, सदस्यों के बीच निर्धारित भूमिका संबंध होता है और सदस्यों के व्यवहार को नियमित या नियंत्रित करने के लिए प्रतिमान या मानक होते हैं।

प्रश्न 42.
एक उदाहरण देकर बताइए कि समूह में एक व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य दूसरों के लिए कुछ परिणाम उत्पन्न कर सकता है।
उत्तर:
क्रिकेट के खेल में एक खिलाड़ी कोई महत्त्वपूर्ण कैच छोड़ देता है तो इसका प्रभाव संपूर्ण टीम पर पड़ेगा।

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प्रश्न 43.
समूह की एक विशेषता लिखिए।
उत्तर:
समूह ऐसे व्यक्तियों का एक समुच्चय है जिसमें सभी की एक जैसी अभिप्रेरणाएँ एवं लक्ष्य होते हैं। समूह निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने या समूह को किसी खतरे से दूर करने के लिए कार्य करते हैं।

प्रश्न 44.
भीड़ की विशेषता क्या होती है?
उत्तर:
भीड़ में न कोई संरचना होती है और न ही आत्मीयता की भावना होती है। भीड़ में लोगों का व्यवहार अविवेकी होता है और सदस्यों के बीच परस्पर निर्भरता भी नहीं होती है।

प्रश्न 45.
किसी दल की क्या विशेषता होती है?
उत्तर:
दल के सदस्यों में प्रायः पूरक कौशल होते हैं और वे एक समान लक्ष्य या उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्ध होते हैं।

प्रश्न 46.
कोई व्यक्ति समूह में क्यों सम्मिलित होता है? उत्तर-व्यक्ति अपनी सुरक्षा कारण से समूह में सम्मिलित हो सकता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
समूह को परिभाषित कीजिए। समूह और भीड़ में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समूह दो या दो से अधिक व्यक्तियों की एक संगठित व्यवस्था है जो एक-दूसरे से अंत:क्रिया करते हैं एवं परस्पर निर्भर होते हैं जिनकी एक जैसे अभिप्रेरणाएं होती हैं, सदस्यों के बीच निर्धारित भूमिका संबंध होता है और सदस्यों के व्यवहार को नियमित या नियंत्रित करने लिए प्रतिमान होते हैं। समूह और भीड़ में अंतर-भीड़ (Crowd) भी व्यक्तियों का एक समूहन या एकत्रीकरण है जिसमें लोग एक स्थान या स्थिति में संयोगवश उपस्थित रहते हैं। कोई व्यक्ति सड़क पर कहीं जा रहा है और कोई दुर्घटना घटित हो जाती है। शीघ्र ही बड़ी संख्या में लोग वहाँ एकत्र हो जाते हैं। यह भीड़ का एक उदाहरण है। भीड़ में न तो कोई संरचना होती है और न ही आत्मीयता की भावना होती है। भीड़ में लोगों का व्यवहार अविवेकी होता है और सदस्यों के बीच परस्पर-निर्भरता भी नहीं होती है।

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प्रश्न 2.
दल की क्या विशेषताएं होती हैं? यह समूह से किस प्रकार भिन्न होता है?
उत्तर:
टीम या दल (Team)समूहों के विशेष प्रकार होते हैं। दल के सदस्यों में प्रायः पूरक कौशल होते हैं और वे समान लक्ष्य या उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्ध होते हैं। सदस्य अपने क्रियाकलापों के लिए परस्पर उत्तरदायी होते हैं। दलों में सदस्यों के समन्वित प्रयासों के द्वारा एक सकारात्मक सह-क्रिया प्राप्त की जाती है। समूहों और दलों के बीच निम्न मुख्य अंतर है –

  1. समूह में सदस्यों के व्यक्तिगत योगदानों पर निष्पादन आश्रित रहता है। दल में व्यक्तिगत योगदान एवं दल-कार्य या टीम-कार्य दोनों ही महत्त्व रखते हैं।
  2. समूह में नेता या समूह का मुखिया कार्य की जिम्मेवारी सँभालता है, जबकि दल में यद्यपि एक नेता होता है फिर भी सभी सदस्य स्वयं पर ही जिम्मेवारी लेते हैं।

प्रश्न 3.
समानता किस प्रकार समूह निर्माण को सुगम बनाती है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
समानता – किसी के साथ कुछ समय तक रहने पर हमे अपने समानताओं के मूल्यांकन का अवसर प्राप्त होता है, जो समूह के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करता है। हम ऐसे लोगों को क्यों पसंद करते हैं जो हमारी तरह या हमारे समान होते हैं? व्याख्या यह है कि व्यक्ति संगति पसंद करता है और ऐसे संबंधों को पसंद करता है जो संगत हों। जब दो व्यक्ति एक जैसे होते हैं तो वहाँ संगति होती है और दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगते हैं। उदाहरण के लिए, एक छात्र फुटबॉल खेलना पसंद करता और उसी कक्षा का एक अन्य छात्र को भी फुटबॉल का खेल प्रिय है।

इस स्थिति में इस दोनों की अभिरुचियाँ मेल खाती हैं। उन दोनों के मित्र बन जाने की संभावना उच्च है। मनोवैज्ञानिकों ने जो दूसरी व्याख्या प्रस्तुत की है वह यह है कि जब हम अपने जैसे व्यक्तियों से मिलते हैं तो वे हमारे मत और मूल्यों को प्रबलित करते हैं और उन्हें वैधता या मान्यता प्रदान करते हैं। हमे अनुभव होता है कि हम सही हैं और हम उन्हें पसंद करने लगते हैं। यदि कोई व्यक्ति इस मत का है कि बहुत अधिक टेलीविजन देखना अच्छा नहीं होता है क्योंकि इसमें बहुत अधिक हिंसा को दिखाया जाता है। वह किसी ऐसे व्यक्ति से मिलता है जिसका मत उसके समान होता है। इससे उसके मत को मान्यता मिलती है और वह उस व्यक्ति को पसंद करने लगता है जो उसके मत को मान्यता प्रदान करने में सहायक था।

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प्रश्न 4.
प्राथमिक तथा द्वितीयक समूह में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्राथमिक तथा द्वितीयक समूह में अंतर-प्राथमिक एवं द्वितीयक समूह के मध्य एक प्रमुख अंतर यह है कि प्राथमिक समूह पूर्व-विद्यमान निर्माण होते हैं जो प्रायः व्यक्ति को प्रदत्त किया जाता है जबकि द्वितीयक समूह वे होते हैं जिसमें व्यक्ति अपने पसंद से जुड़ता है। अतः परिवार, जाति एवं धर्म प्राथमिक समूह हैं जबकि राजनीतिक दल की सदस्यता द्वितीयक समूह का उदाहरण है। प्राथमिक समूह में मुखोन्मुख अंत:क्रिया होती है, सदस्यों में घनिष्ठ शारीरिक सामीप्य होता है और उनमें एक उत्साहपूर्वक सांवेगिक बंधन पाया जाता है। प्राथमिक समूह व्यक्ति के प्रकार्यों के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं और विकास की आरंभिक अवस्थाओं में व्यक्ति के मूल्य एवं

आदर्श के विकास में इनकी बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके विपरीत, द्वितीयक समूह वे होते हैं जहाँ सदस्यों में संबंध अधिक निर्वयक्तिक, अप्रत्यक्ष एवं कम आवृत्ति वाले होते हैं। जहाँ सदस्यों में संबंध अधिक निर्वैयक्तिक, अप्रत्यक्ष एवं कम आवृत्ति वाले होते हैं। प्राथमिक समूह में सीमाएँ कम पारगम्य होती हैं अर्थात् सदस्यों के पास इसकी सदस्यता वरण या चरण करने का विकल्प नहीं रहता है विशेष रूप से द्वितीयक समूह की तुलना में जहाँ इसकी सदस्यता को छोड़ना और दूसरे समूह से जुड़ना आसान होता है।

प्रश्न 5.
सामाजिक स्वैराचार क्यों उत्पन्न होता है? समझाइए।
उत्तर:
सामाजिक स्वैराचार निम्नलिखित कारणों से उत्पन्न होता है –

  1. समूह के सदस्य निष्पादित किए जानेवाले संपूर्ण कार्य के प्रति कम उत्तरदायित्व का अनुभव करते हैं और इस कारण वे कम प्रयास करते हैं।
  2. सदस्यों की अभिप्रेरणा कम हो जाती है क्योंकि वे अनुभव करते हैं कि उनके योगदान का मूल्यांकन व्यक्तिगत स्तर पर नहीं किया जाएगा।
  3. समूह के निष्पादन की तुलना किसी दूसरे समूह से नहीं की जाती है।
  4. सदस्यों के बीच अनुपयुक्त समन्वयन होता है (या समन्वय नहीं होता है)।
  5. सदस्यों के लिए उसी समूह की सदस्यता आवश्यक नहीं होती है। यह मात्र व्यक्तियों का एक समुच्चयन या समूहन होता है।

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प्रश्न 6.
समूह ध्रुवीकरण क्या है? समूह ध्रुवीकरण क्यों उत्पन्न होता है? एक उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
समूह में अंत: क्रिया और विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप समूह की प्रारंभिक स्थिति की प्रबलता को समूह ध्रुवीकरण कहा जाता है। समूह ध्रुवीकरण क्यों उत्पन्न होता है इसे निम्नलिखित उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है-क्या मृत्युदंड का प्रावधान होना चाहिए। यदि व्यक्ति जघन्य अपराध के लिए मृत्युदंड के पक्ष में है और यदि वह इस मुद्दे पर किसी समान विचार रखनेवाले व्यक्ति से परिचर्चा कर रहा है तो उसका क्या होगा? इस अंतःक्रिया के बाद उसका विचार और अधिक दृढ़ हो सकता है। इस दृढ़ धारणा के निम्नलिखित तीन कारण हैं –

  1. समान विचार रखने वाले व्यक्ति की गति में उसके दृष्टिकोण को समर्थित करनेवाले नए तर्क को सुनने की संभवना रहती है। यह उसे मृत्युदंड के प्रति अधिक पक्षधर बनाएगा।
  2. जब वह यह देखता है कि अन्य लोग भी मृत्युदंड के पक्ष में हैं तो वह यह अनुभव करता है कि यह दृष्टिकोण या विचार जनता के द्वारा वैधीकृत की जा रही है। यह एक प्रकार का अनुरूपता प्रभाव (Bandwagon effect) है।
  3. जब वह समान विचार रखनेवाले व्यक्तियों को देखता है तो संभव है कि वह उन्हें अंत:समूह के रूप में देखे। वह समूह के साथ तादात्म्य स्थापित करना प्रारंभ कर देता है, अनुरूपता का प्रदर्शन आरंभ कर देता है और जिसके परिणमास्वरूप उसके विचार दृढ़ हो जाते हैं।

प्रश्न 7.
अनुरूपता, अनुपालन तथा अज्ञापालन में क्या अंतर है?
उत्तर:
अनुरूपता, अनुपालन तथा आज्ञापालन में अंतर-ये तीनों एक व्यक्ति के व्यवहार पर दूसरों के प्रभाव को निर्दिष्ट करते हैं। आज्ञापालन सामाजिक प्रभाव का सबसे प्रत्यक्ष एवं स्पष्ट रूप है, जबकि अनुपालन आज्ञापालन की तुलना में कम प्रत्यक्ष होता है क्योंकि किसी व्यक्ति से किसी ने अनुरोध किया जब उसने अनुपालन किया। इसमें अस्वीकार करने की प्रायिकता या संभावना है। अनुरूपता सबसे अप्रत्यक्ष रूप है। कोई व्यक्ति इसलिए अनुरूपता का प्रदर्शन करता है क्योंकि वह समूह मानक से विसामान्य नहीं होना चाहता है।

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प्रश्न 8.
अनुरूपता क्यों उत्पन्न होती है? संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
1. अनुरूपता सूचनात्मक प्रभाव अर्थात् प्रभाव जो वास्तविकता के बजाय साक्ष्यों को स्वीकार करने के परिणामस्वरूप होता है, के कारण उत्पन्न होती है। इस प्रकार की तर्कसंगत अनुरूपता को दूसरों के कार्यों के द्वारा संसार के बारे में जानकारी प्राप्त करने के रूप में समझा जा सकता है। हम व्यक्तियों को प्रेक्षण करके सीखते हैं जो अनेक सामाजिक परंपराओं के बारे में सूचना के सर्वोत्तम स्रोत होते हैं। नए समूह सदस्य समूह के रीति-रिवाजों के बारे में जानकारी समूह के अन्य सदस्यों की गतिविधियों का प्रेक्षण करके प्राप्त करते हैं।

2. अनुरूपता मानक प्रभाव अर्थात् व्यक्ति की दूसरों से स्वीकृति या प्रशंसा पाने की इच्छा पर आधारित प्रभाव के कारण भी उत्पन्न हो सकती है। ऐसी स्थितियों में लोग अनुरूपता का प्रदर्शन इसलिए करते हैं क्योंकि समूह से विसामान्यता बहिष्कार या कम-से-कम अस्वीकरण या किसी प्रकार के दंड को उत्पन्न कर सकता है। यह सामान्यतया देखा गया है कि समूह बहुमत अंतिम निर्णय का निर्धारण करता है परंतु कुछ दशाओं में अल्पसंख्यक अधिक प्रभावशाली हो सकते हैं। यह तब घटित होता है जब अल्पसंख्यक एक दृढ़ एवं अटल आधार बनाता है जिसके कारण बहुसंख्यकों के दृष्टिकोण की सत्यता पर एक संदेह उत्पन्न होता है। यह समूह में एक द्वंद्व उत्पन्न करता है।

प्रश्न 9.
सहयोग एवं प्रतिस्पर्धा के निर्धारकों को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
सहयोग एवं प्रतिस्पर्धा के निर्धारक –
1. पारितोषिक संरचना-मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि लोग सहयोग करेंगे अथवा प्रतिस्पर्धा करेंगे यह पारितोषिक संरचना पर निर्भर करता है। सहयोगी पारितोषिक संरचना वह है जिसमें प्रोत्साहक परस्पर-निर्भरता पाई जाती है। प्रत्येक पुरस्कार का लाभभोगी होता है और पुरस्कार पांना तभी संभव होता है जब सभी सदस्य मिलकर प्रयास करते हैं। प्रतिस्पर्धात्मक पारितोषिक संरचना वह है जिसमें कोई व्यक्ति तभी पुरस्कार प्राप्त कर सकता है जब दूसरे व्यक्ति पुरस्कार नहीं पाते हैं।

2. अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण-जब समूह में अच्छा अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण होता है तो सहयोग इसकी संभावित परिणति होती है। संप्रेषण अंतःक्रिया और विचार-विमर्श को सुनकर बनाता है। इसके परिणामस्वरूप समूह के सदस्य एक-दूसरे को अपनी बात मनवा सकते हैं और एक-दूसरे के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

3. परस्परता-परस्परता का अर्थ यह है कि लोग जिस चीज को प्राप्त करते हैं उसे लौटाने में कृतज्ञता का अनुभव करते हैं। प्रारंभिक सहयोग आगे चलकर अधिक प्रतिस्पर्धा को उत्पन्न कर सकती है। यदि कोई आपकी सहायता करता है तो आप उस व्यक्ति की सहायता करना चाहते है। दूसरी ओर, कोई व्यक्ति जब आपको सहायता की आवश्यकता होती है तब आपकी सहायता करने से मना कर देता है तो आप भी व्यक्ति की सहायता नहीं करना चाहेंगे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
समूह की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
समूह की निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ होती हैं –
1. हम दो या दो से अधिक व्यक्तियों, जो स्वयं को समूह से संबद्ध समझते हैं, कि एक सामाजिक इकाई है। समूह की यह विशेषता एक समूह को दूसरे समूह से पृथक् करने में सहायता करती है और समूह को अपनी एक अलग अनन्यता या पहचान प्रदान करती है।

2. यह ऐसे व्यक्तियों का एक समुच्चय है जिसमें सभी की एक जैसी अभिप्ररेणाएँ एवं लक्ष्य होते हैं। समूह निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने या समूह को किसी खतरे से दूर करने के लिए कार्य करते हैं।

3. यह ऐसे व्यक्तियों का एक समुच्चय होता है जो परस्पर-निर्भर होते हैं अर्थात् एक व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य दूसरों के लिए कुछ परिणाम उत्पन्न कर सकता है। क्रिकेट के खेल में एक खिलाड़ी कोई महत्त्वपूर्ण कैच छोड़ देता है तो इसका प्रभाव संपूर्ण टीम पर पड़ेगा।

4. वे लोग जो अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि अपने संयुक्त संबंध के आधार पर कर रहे हैं वे एक-दूसरे को प्रभावित भी करते हैं।

5. ये ऐसे व्यक्तियों का एकत्रीकरण या समूहन है जो एक-दूसरे से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अंत:क्रिया करते हैं।

6. यह ऐसे व्यक्तियों का एक समुच्चय होता है जिनका अंतःक्रियाएँ निर्धारित भूमिकाओं और प्रतिमानों के द्वारा संरचित होती हैं। इसका आशय यह हुआ कि जब समूह के सदस्य एकत्रित होते हैं या मिलते हैं तो समूह के सदस्य हर ओर एक ही तरह के कार्यों का निष्पादन करते हैं और समूह के सदस्य प्रतिमानों का पालन करते हैं। प्रतिमान हमें यह बताते हैं कि समूह में हम लोगों को किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए और समूह के सदस्यों से अपेक्षित व्यवहार करना चाहिए और समूह के सदस्यों से अपेक्षित व्यवहार को निर्धारित करते हैं।

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प्रश्न 2.
औपचारिक एवं अनौपचारिक समूह तथा अंतः एवं बाह्य समूहों की तुलना कीजिए एवं अंतर बताइए।
उत्तर:
1. औपचारिक एवं अनौपचारिक समूह-ऐसे समूह उस मात्रा में भिन्न होते हैं जिस मात्रा में समूह के प्रकार्य स्पष्ट और अनौपचारिक रूप से घोषित किये जाते हैं। एक औपचारिक समूह, जैसे-किसी कार्यालय संगठन द्वारा निष्पादित की जानेवाली भूमिकाएँ स्पष्ट रूप से घोषित होती हैं। औपचारिक तथा अनौपचारिक समूह के आधार पर भिन्न होते हैं। औपचारिक समूह का निर्माण कुछ विशिष्ट नियमों या विधि पर आधारित होता है और सदस्यों की सुनिश्चित भूमिकाएँ होती हैं। इसमें मानकों का एक समुच्चय होता है जो व्यवस्था स्थापित करने में सहायक होता है। कोई विश्वविद्यालय एक औपचारिक समूह का उदाहरण है। दूसरी तरफ अनौपचारिक समूहों का निर्माण नियमों या विधि पर आधारित नहीं होता है और सदस्यों में घनिष्ठ संबंध होता है।

2. अंत: समूह एवं बाह्य समूह-जिस प्रकार व्यक्ति अपनी तुलना दूसरों से समानता या भिन्नता के आधार पर इस संदर्भ में करते हैं कि क्या उनके पास है और क्या दूसरों के पास है, वैसे ही व्यक्ति जिस समूह से संबंध रखते हैं उसकी तुलना उन समूहों से करते हैं जिनके वे सदस्य हैं। अंत:समूह में सदस्यों के लिए ‘हम लोग (We) शब्द का उपयोग होता है जबकि बाह्य समूह के सदस्यों के लिए ‘वे’ (They) शब्द को उपयोग किया जाता है।

हम लोग या वे शब्द के उपयोग से कोई व्यक्ति लोगों को समान भिन्न के रूप में वर्गीकृत करता है। यह पाया गया है कि अंत:समूह में सामान्यतया व्यक्तियों में समानता मानी जाती है, उन्हें अनुकूल दृष्टि से देखा जाता है और उनमें वांछनीय विशेषक पाए जाते हैं। बाह्य समूह के सदस्यों को अलग तरीके से देखा जाता है और उनका प्रत्यक्षण अंत:समूह के सदस्यों की तुलना में प्रायः नकारात्मक होता है। अंत: समूह तथा बाह्य समूह का प्रत्यक्षण हमारे सामाजिक जीवन को प्रभावित करता है।

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प्रश्न 3.
द्वंद्व समाधान युक्तियों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
द्वंद्व समाधान युक्तियाँ:
1. उच्चकोटि लक्ष्यों का निर्धारण-शैरिफ के अनुसार उच्चकोटि लक्ष्यों का निर्धारण करके अंतर – समूह को कम किया जा सकता है। एक उच्चकोटि लक्ष्य दोनों ही पक्षों के लिए परस्पर हितकारी होता है, अत: दोनों ही समूह सहयोगी रूप से कार्य करते हैं।

2. प्रत्यक्षण में परिवर्तन करना-अनुनय, शैक्षिक तथा मीडिया अपील और समूहों का समाज में भी भिन्न रूप से निरूपण इत्यादि के माध्यम से प्रत्यक्षण एवं प्रतिक्रियाओं में परिवर्तन करने के द्वारा द्वंद्व में कमी लाई जा सकती है। प्रारंभ से ही दूसरों के प्रति सहानुभूति को प्रोत्साहित करना सिखाया जाना चाहिए।

3. अंतर-समूह संपर्क को बढ़ाना-समूहों के बीच संपर्क को बढ़ाने से भी द्वंद्व को कम किया जा सकता है। सामुदायिक परियोजनाओं और गतिविधियों के द्वारा द्वंद्व में उलझे समूहों को तटस्थ मुद्दों या विचारों में संलग्न कराकर द्वंद्व को कम किया जा सकता है। इसमें समूहों को एक साथ लाने की योजना होती है जिससे कि वे एक-दूसरे की विचारधाराओं को अधिक अच्छी तरह से समझने योग्य हो जाएँ। परंतु, संपर्क के सफल होने के लिए उनको बनाए रखना आवश्यक है जिसका अर्थ है कि संपर्कों का समर्थन एक अन्य अवधि तक किया जाना चाहिए।

4. समूह की सीमाओं का पुनः निर्धारण-समूह की सीमाओं के पुनःनिर्धारण को कुछ मनोवैज्ञानिक द्वारा एक दूसरी प्रतिविधि के रूप सुझाया गया है। यह ऐसी दशाओं को उत्पन्न करके किया जा सकता है जिसमें समूह की सीमाओं को पुनः परिभाषित किया जाता है और समूह को एक उभयनिष्ठ समूह से जुड़ा अनुभव करने लगता है।

5. समझौता वार्ता-समझौता (negotiation) एवं किसी तृतीय पक्ष के हस्तक्षेप के द्वारा भी द्वंद्व का समाधान किया जा सकता है। प्रतिस्पर्धा समूह द्वंद्व का समाधान परस्पर स्वीकार्य हल को ढूँढ़ने का प्रयास करके भी कर सकते हैं। इसके लिए समझ एवं विश्वास की आवश्यकता होती है। समझौता वार्ता पारस्परिक संप्रेषण को कहते हैं जिससे ऐसी स्थितियाँ जिसमें द्वंद्व होता है उसमें समझौता या सहमति पर पहुँचा जाता है। कभी-कभी समझौता वार्ता के माध्यम से द्वंद्व एवं विवाचन (Arbitration) की आवश्यकता होती है। मध्यस्थता करनेवाली दोनों पक्षों को प्रासंगिक मुद्दों पर अपनी बहस को केंद्रित करने एवं एक स्वैच्छिक समझौते तक पहुँचने में सहायता करते हैं। विवाचन में तृतीय पक्ष को दोनों पक्षों को सुनने के बाद एक निर्णय देने का प्राधिकार होता है।

6. संरचनात्मक समाधान-न्याय के सिद्धांतों के अनुसार सामाजिक संसाधनों का पुनर्वितरण करके भी द्वंद्व को कम किया जा सकता है। न्याय पर किए गए शोध में न्याय के अनेक सिद्धांतों की खोज की गई है। इनमें कुछ हैं – समानता (सभी को समान रूप से विनिधान करना), आवश्यकता (आवश्यकताओं के आधार पर विनिधान करना) तथा समता (सदस्यों के योगदान के आधार पर विनिधान करना)

7. दूसरे समूह के मानकों का आदर करना-भारत जैसे बहुविध समाज में विभिन्न सामाजिक एवं संजातीय समूहों के प्रबल मानकों का आदर करना एवं उनके प्रति संवेदनशील होना आवश्यक है। यह देखा गया है कि विभिन्न समूहो के बीच होनेवाले अनेक सांप्रदायिक दंगे इस प्रकार की असंवेदनशीलता के कारण ही हुए हैं।

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प्रश्न 4.
समूह संरचना के मुख्य घटकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
समूह संरचना के घटक –
1. भूमिकाएँ (Roles) सामाजिक रूप से परिभाषित अपेक्षाएँ होती हैं जिन्हें दी हुई स्थितियों में पूर्ण करने की अपेक्षा व्यक्तियों से की जाती है। भूमिकाएँ वैसे विशिष्ट व्यवहार को इंगित करती हैं जो व्यक्ति को एक दिये गये सामाजिक संदर्भ में चित्रित करती हैं। किसी विशिष्ट भूमिका में किसी व्यक्ति से अपेक्षित व्यवहार इन भूमिका प्रत्याशाओं में निहित होता है। एक पुत्र या पुत्री के रूप में आपसे अपेक्षा या आशा की जाती है कि आप बड़े का आदर करें, उनकी बातों को सुनें और अपने अध्ययन के प्रति जिम्मेदार रहें।

2. प्रतिमान या मानक (Norms) समूह के सदस्यों द्वारा स्थापित, समर्थित एवं प्रवर्तित व्यवहार एवं विश्वास के अपेक्षित मानदंड होते हैं। इन्हें समूह के, अकथनीय नियम’ के रूप में माना जा सकता है। परिवार के भी मानक होते हैं जो परिवार के सदस्यों के व्यवहार का मार्गदर्शन देखा जा सकता है।

3. हैसियत या प्रतिष्ठा (Status) समूह के सदस्यों को अन्य सदस्यों द्वारा दी जानेवाली सापेक्ष स्थिति को बताती है। यह सापेक्ष स्थिति या प्रतिष्ठा या तो प्रदत्त या आरोपित (संभव है कि यह एक व्यक्ति की वरिष्ठतां के कारण दिया जा सकता है) या फिर साधित या उपार्जित (व्यक्ति के विशेषज्ञता या कठिन परिश्रम के कारण हैसियत या प्रतिष्ठा को अर्जित किया है) होती है। समूह के सदस्य होने से हम इस समूह से जुड़ी हुई प्रतिष्ठा का लाभ प्राप्त करते हैं।

इसलिए हम सभी ऐसे समूहों के सदस्य बनना चाहते हैं जो प्रतिष्ठा में उच्च स्थान रखते हों अथवा दूसरों द्वारा अनुकूल दृष्टि से देखे जाते हों। यहाँ तक कि किसी समूह के अंदर भी विभिन्न सदस्य भिन्न-भिन्न सम्मान एवं प्रतिष्ठा रखते हैं। उदाहरण के लिए, एक क्रिकेट टीम का कप्तान अन्य सदस्यों की अपेक्षा उच्च हैसियत या प्रतिष्ठा रखता है, जबकि सभी सदस्य टीम की सफलता के लिए समान रूप से महत्त्वपूर्ण होते हैं।

4. संसक्तता (Cohesiveness) समूह सदस्यों के बीच एकता, बद्धता एवं परस्पर आकर्षण को इंगित करती है। जैसे-जैसे समूह अधिक संसक्त होता है, समूह के सदस्य एक सामाजिक इकाई के रूप में विचार, अनुभव एवं कार्य करना प्रारंभ करते हैं और पृथक्कृत व्यक्तियों के समान कम। उच्च संसक्त समूह के सदस्यों में निम्न संसक्त सदस्यों की तुलना में समूह में बने रहने की तीव्र इच्छा होती है। संसक्तता दल-निष्ठा अथवा ‘वयं भावना’ अथवा समूह के प्रति आत्मीयता की भावना को प्रदर्शित करती है। एक संसक्त समूह को छोड़ना अथवा एक उच्च संसक्त समूह की सदस्यता प्राप्त करना कठिन होता है।

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प्रश्न 5.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समूह निर्णय के उदाहरण को लेते हुए समूल चिंतन के गोचर का स्पष्टीकरण कीजिए।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लिए गए अनेक समूह निर्णय के उदाहरणों को समूह चिंतन के गोचर के स्पष्टीकरण के लिए उद्धत किया जा सकता है। ये निर्णय बहुत बड़ी असफलता के रूप में परिणत हुए हैं। वियतनाम युद्ध इसका एक उदाहरण है। 1964 से 1967 तक राष्ट्रपति लिंडन जनिसन और संयुक्त राष्ट्र में उनके सलाहकारों ने वियतनाम युद्ध को यह सोचकर बढ़ाया कि यह युद्ध उत्तरी वियतनाम को शांति वार्ता के लिए अग्रसर करेगा।

चेतावनी के बावजूद युद्ध को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया। इस घोर गलत-आकलित निर्णय के परिणामस्वरूप 56,000 अमेरिकियों एवं 10 लाख से अधिक वियतनामियों को अपनी जान गंवानी पड़ी और इससे बहुत बड़े बजट घाटे अर्थात् आर्थिक तंगी को उत्पन्न किया। समूह-चिंतन के रोकथाम अथवा प्रतिकार करने के कुछ उपाय निम्नांकित हैं –

  1. समूह सदस्यों के बीच असहमति के बावजूद आलोचनात्मक चिंतन को पुरस्कृत एवं प्रोत्साहित करना
  2. समूह को वैकल्पिक कार्य योजना प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित करना
  3. समूह के निर्णयों के मूल्यांकन के लिए बाहरी विशेषज्ञों को आमंत्रित करना, और
  4. सदस्यों को अन्य विश्वासपात्रों से अपने निर्णय के संबंध में प्रतिक्रिया को जानने के लिए प्रोत्साहित करना

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
इन द माइंड्स ऑफ मेन’ मानक पुस्तक किसने लिखी?
(A) विलियम
(B) गार्डनीर मरफी
(C) कार्ल लेविस
(D) डिकी आर्थर
उत्तर:
(A) विलियम

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित में कौन अंतर द्वंद्व की परिणति है?
(A) समूहों के बीच संप्रेषण अच्छा हो जाता है
(B) समूह एक-दूसरे पर विश्वास करते हैं
(C) एक बार द्वंद्व प्रारंभ होने पर अनेक दूसरे कारण द्वंद्व को बढ़ाने लगते हैं
(D) इनमे कोई नहीं
उत्तर:
(B) समूह एक-दूसरे पर विश्वास करते हैं

प्रश्न 3.
समूह दो या दो से अधिक व्यक्तियों की एक संगठित व्यवस्था होती है –
(A) जो एक-दूसरे से अंत:क्रिया करते हैं
(B) जो परस्पर निर्भर होते हैं
(C) जिनकी एक जैसी अभिप्रेरणाएँ होती हैं
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(C) जिनकी एक जैसी अभिप्रेरणाएँ होती हैं

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प्रश्न 4.
भीड़ में –
(A) कोई संरचना नहीं होती है
(B) आत्मीयता की भावना नहीं होती है
(C) लोगों का व्यवहार अविवेकी होता है
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 5.
समूह में लोगों के सम्मिलित होने का कारण है:
(A) सुरक्षा
(B) प्रतिष्ठिा
(C) आत्म-सम्मान
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

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प्रश्न 6.
समूह संरचना कब विकसित होती है?
(A) जब सदस्य अलग-अलग क्रिया करते हैं
(B) जब सदस्य परस्पर अंतःक्रिया करते हैं
(C) जब कोई सदस्य अकेले कोई कार्य करता है
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(B) जब सदस्य परस्पर अंतःक्रिया करते हैं

प्रश्न 7.
निम्नलिखित में कौन अंतर द्वंद्व की परिणति है?
(A) भूमिकाएँ
(B) प्रतिमान
(C) प्रतिष्ठा
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(D) इनमें कोई नहीं

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प्रश्न 8.
अंत: समूह –
(A) दूसरे समूह को इंगित करता है
(B) के सदस्यों के लिए ‘वे’ शब्द का इस्तेमाल होता है
(C) के सदस्यों के लिए ‘हम लोग’ शब्द का इस्तेमाल होता है
(D) के सदस्यों को अलग तरीके से देखा जाता है
उत्तर:
(C) के सदस्यों के लिए ‘हम लोग’ शब्द का इस्तेमाल होता है

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में कौन-सा कथन असत्य है?
(A) उच्चकोटि लक्ष्यों का निर्धारण करके अंतर-समूह द्वंद्व को बढ़ाया जा सकता है
(B) समझौता वार्ता एवं किसी तृतीय पक्ष के हस्तक्षेप के द्वारा द्वंद्व को कम किया जा सकता है
(C) समूहों के बीच द्वंद्व अनेक असामाजिक एवं संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं को प्रेरित करते हैं
(D) अधिकांश द्वंद्व लोगों के मन में उत्पन्न होते हैं
उत्तर:
(D) अधिकांश द्वंद्व लोगों के मन में उत्पन्न होते हैं

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प्रश्न 10.
निम्नलिखित में द्वंद्व समाधान की युक्ति कौन-सी है?
(A) प्रत्यक्षण में परिवर्तन करना
(B) समझौता वार्ता
(C) अंतर-समूह संपर्क को बढ़ाना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(A) प्रत्यक्षण में परिवर्तन करना

प्रश्न 11.
प्राथमिकता समूह –
(A) में व्यक्ति अपनी पसंद से जुड़ता है
(B) पूर्व विद्यमान निर्माण होते हैं
(C) में मुखोन्मुख अंत-क्रिया नहीं होती है
(D) सदस्यों में किसी प्रकार का शारीरिक सामीप्य नहीं होता है
उत्तर:
(B) पूर्व विद्यमान निर्माण होते हैं

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प्रश्न 12.
जाति –
(A) प्राथमिकता समूह के उदाहरण हैं
(B) द्वितीयक समूह के उदाहरण हैं
(C) औपचारिक समूह के उदाहरण हैं
(D) बाह्य-समूह के उदाहरण हैं
उत्तर:
(A) प्राथमिकता समूह के उदाहरण हैं

प्रश्न 13.
दो व्यक्तियों के समूह को किस समूह के अंतर्गत रखा जा सकता है?
(A) संगठित समूह
(B) द्वितीयक समूह
(C) प्राथमिक समूह
(D) अस्थायी समूह
उत्तर:
(C) प्राथमिक समूह

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प्रश्न 14.
निम्नलिखित में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
(A) सामाजिक प्रभाव उन प्रक्रमों को इंगित करता है जिसके द्वारा हमारे व्यवहार एवं अभिवृत्तियाँ दूसरे लोगों की काल्पनिक या वास्तविक उपस्थित से प्रभावित होता है
(B) वे लोग जो अनुरूपता प्रदर्शित करते हैं उन्हें विसामान्य कहते हैं
(C) अनुरूपता का अर्थ समूह प्रतिमान के अनुसार व्यवहार करने से है
(D) अनुरूपता सबसे अप्रत्यक्ष रूप है
उत्तर:
(A) सामाजिक प्रभाव उन प्रक्रमों को इंगित करता है जिसके द्वारा हमारे व्यवहार एवं अभिवृत्तियाँ दूसरे लोगों की काल्पनिक या वास्तविक उपस्थित से प्रभावित होता है

प्रश्न 15.
समूह में अंतः क्रिया और विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप समूह की प्रारंभिक स्थिति की प्रबलता को कहा जाता है –
(A) समूह ध्रुवीकरण
(B) अनुपालन
(C)आज्ञापालन
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(A) समूह ध्रुवीकरण

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प्रश्न 16.
सामाजिक स्वैराचार को किसके द्वारा कम किया जा सकता है?
(A) प्रत्येक सदस्य के प्रयासों को पहचानने योग्य बनाना
(B) कठोर परिश्रम के लिए दबाव को बढ़ाना
(C) कार्य के प्रकट महत्त्व को बढ़ाना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) प्रत्येक सदस्य के प्रयासों को पहचानने योग्य बनाना

प्रश्न 17.
किसी विशिष्ट समूह के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति को कहते हैं?
(A) अभिक्षमता
(B) अभिरुचि
(C) पूर्वाग्रह
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(C) पूर्वाग्रह

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प्रश्न 18.
वह परीक्षण जिसके द्वारा एक समय में एक व्यक्ति का बुद्धि परीक्षण किया जाता है, कहलाता है –
(A) वैयक्तिक परीक्षण
(B) शाब्दिक परीक्षण
(C) समूह परीक्षण
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(A) वैयक्तिक परीक्षण

प्रश्न 19.
प्राथमिक मानसिक क्षमताओं के सिद्धांत का प्रतिपादन किसने किया?
(A) थर्स्टन
(B) लिकर्ट
(C) फेस्टिंगर
(D) बोगार्ड्स
उत्तर:
(A) थर्स्टन

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प्रश्न 20.
एक सामाजिक समूह की संरचना के लिए कम-से-कम कितने सदस्यों की आवश्यकता होती है?
(A) पाँच
(B) चार
(C) तीन
(D) दो
उत्तर:
(D) दो

प्रश्न 21.
निम्नलिखित में कौन औपचारिक समूह का उदाहरण है?
(A) परिवार
(B) जाति
(C) विश्वविद्यालय
(D) धर्म
उत्तर:
(B) जाति

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प्रश्न 22.
निम्नलिखित में कौन प्राथमिक समूह का उदाहरण नहीं है?
(A) परिवार
(B) जाति
(C) धर्म
(D) स्कूल
उत्तर:
(D) स्कूल

प्रश्न 23.
द्वितीयक समूह के सदस्यों में:
(A) संबंध कम निर्वैयक्तिक होते हैं
(B) संबंध अप्रत्यक्ष होते हैं
(C) संबंध प्रत्यक्ष होते हैं
(D) संबंध अधिक आकृति वाले होते हैं
उत्तर:
(B) संबंध अप्रत्यक्ष होते हैं

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प्रश्न 24.
सामाजिक स्वैराचार सामूहिक कार्य करने में व्यक्तिगत प्रयास की –
(A) अधिकता है
(B) कमी है
(C) प्रचुरता है
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(B) कमी है

प्रश्न 25.
सामाजिक स्वैराचार सामूहिक कार्य का एक उदाहरण है:
(A) क्रिकेट का खेल
(B) रस्साकशी का खेल
(C) हॉकी का खेल
(D) बैडमिंटन
उत्तर:
(B) रस्साकशी का खेल

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प्रश्न 26.
परिवार एक समूह का उदाहरण है –
(A) प्राथमिक
(B) द्वितीयक
(C) संदर्भ
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(A) प्राथमिक

प्रश्न 27.
एक संदर्भ समूह के लिए सर्वाधिक वांछित अवस्था क्या है?
(A) समूह के साथ सम्बद्धता
(B) समूह की सदस्यता
(C) समूह का प्रभाव
(D) समूह का आकार
उत्तर:
(C) समूह का प्रभाव

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प्रश्न 28.
द्वि-ध्रुवीय विकार के दो दोनों ध्रव हैं –
(A) तर्कसंगत तथा अतर्कसंगत चिन्तन
(B) स्नायु विकृति तथा मनोविक्षिप्ति
(C) मनोग्रस्ति तथा बाध्यता
(D) उन्माद तथा विषाद
उत्तर:
(D) उन्माद तथा विषाद

प्रश्न 29.
निम्नलिखित में कौन द्वितीयक समूह नहीं है?
(A) परिवार
(B) विद्यालय
(C) राजनैतिक दल
(D) क्लब
उत्तर:
(D) क्लब

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प्रश्न 30.
सामाजिक प्रभाव के समूह प्रभाव प्रक्रमों में निम्नलिखित में कौन-सा एक शामिल है?
(A) अनुपालना
(B) आंतरिकीकरण
(C) अननुपंथीकरण
(D) इनमें कोई नहीं
उत्तर:
(A) अनुपालना