Bihar Board Class 6 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 1 Chapter 7 पिता का पत्र पुत्र के नाम Text Book Questions and Answers and Summary.

BSEB Bihar Board Class 6 Hindi Solutions Chapter 7 पिता का पत्र पुत्र के नाम

Bihar Board Class 6 Hindi पिता का पत्र पुत्र के नाम Text Book Questions and Answers

प्रश्न-अभ्यास

पाठ से –

Pita Ka Patra Putra Ke Naam Bihar Board Class 6 Hindi प्रश्न 1.
गाँधीजी ने पत्र के माध्यम से अपने पुत्र को क्या-क्या शिक्षाएँ दी हैं ?
उत्तर:
गाँधीजी ने पत्र के माध्यम से अपने पुत्र को शिक्षाएँ दी कि अपने आहार पर पूर्ण ध्यान देना चाहिए। किताबी ज्ञान के साथ-साथ चरित्र निर्माण और कर्त्तव्य बोध अनिवार्य है। अपने कर्तव्य का पालन भी करना चाहिए । बारह वर्षों के बाद बच्चों को अपनी जिम्मेवारी और कर्त्तव्य का भान हो जाना चाहिए । मनुष्य के लिए आत्मा और परमात्मा के साथ स्वयं का ज्ञान तथा अक्षर-ज्ञान अनिवार्य है। अमीरी और गरीबी की तुलना में गरीबी में जीना सुखद है। गणित और संस्कृत विषय पर अधिक ध्यान देना चाहिए। अपने कार्य को नियत समय में करना चाहिए। कुछ समय भजन प्रार्थना में भी देना चाहिए। खर्च का हिसाब रखना चाहिए इत्यादि ।

पिता का पत्र पुत्र के नाम Bihar Board Class 6 Hindi प्रश्न 2.
गाँधीजी ने असली शिक्षा किसे माना है ? उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
गाँधीजी ने असली शिक्षा चरित्र-निर्माण और कर्त्तव्य का बोध करना है।

वस्तुतः किताबी ज्ञान ही भात्र ज्ञान नहीं बल्कि चरित्र-निर्माण और कर्तव्य का भान होना है। वास्तविक शिक्षा मनुष्य को समय का दुरुपयोग से बचाता है तथा समाज में सभ्य मनुष्य के रूप में प्रकाशित करता है। चरित्रहीन विद्वान कभी भी सम्मान के योग्य नहीं होते तथा कर्तव्य ज्ञान के बिना संसार सागर से पार करना मुश्किल है।

Pita Ka Patra Putri Ke Naam Question Answer प्रश्न 3.
गाँधीजी के पत्र के माध्यम से किन तीन बातों को महत्वपूर्ण माना गया है?
उत्तर:
गाँधीजी के पत्र के माध्यम से निम्नलिखित बातों को महत्वपूर्ण माना गया है।

  1. अपने आहार पर पूर्ण ध्यान देना।
  2. अपने जिम्मेवारी को हर्षपूर्वक संभालना।
  3. शब्द ज्ञान के अतिरिक्त आत्मा स्वयं एवं ईश्वर का ज्ञान प्राप्त करना ।
  4. गरीबी में जीना अमीरी में जीने से सुखद है।
  5. कृषि कार्य भी करना चाहिए।
  6. गणित-संस्कृत और संगीत विषयों में अधिक अभिरुचि रखना।
  7. खर्च का हिसाब सही ढंग से रखना।
  8. अपना कार्य नियमपूर्वक और नियत समय पर करना ।
  9. ईश्वर की प्रार्थना एवं भजन करना।

Pita Ka Putra Ko Patra Bihar Board Class 6 Hindi प्रश्न 4.
“बा” उपनाम से किन्हें जाना जाता है?
उत्तर:
गाँधीजी की पत्नी कस्तुरबा गाँधी “बा” उपनाम से जानी जाती थी।

Bihar Board Class 6 Hindi Book Solution प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के चार-चार विकल्प दिए गए हैं। सही विकल्प के सामने (✓) सही का निशान लगाइए –

(क) गाँधीजी ने अपने जिस पुत्र को पत्र लिखा उसका नाम था –
(i) देवदास गाँधी
(ii) मणिलाल गाँधी
(iii) मोहनदास
(iv) रामदास गाँधी
उत्तर:
(ii) मणिलाल गाँधी

(ख) गाँधीजी ने यह पत्र-कहाँ से लिखा था?
(i) पटना जेल से
(ii) लखनऊ जेल से
(iii) तिहार जेल से
(iv) प्रिटोरिया जेल से
उत्तर:
(iv) प्रिटोरिया जेल से

(ग) गाँधीजी मे यह पत्र कब लिखा.?
(i) 25 मार्च, 1919
(ii) 25 मार्च, 1900
(iii) 25 मार्च, 1909
(iv) 25 मार्च, 1929
उत्तर:
(iii) 25 मार्च, 1909

पाठ से आगे –

Bihar Board Class 6 Hindi Solution प्रश्न 1.
आप अपने पिताजी को गाँव/शहर की जीवन शैली के सम्बन्ध में एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
पूज्य पिताजी !
सादर प्रणाम ।
मैं कुशलपूर्वक हूँ आशा करता हूँ कि आप भी सपरिवार कुशल होंगे।

मैं अभी कुछ दिनों से बम्बई शहर में हूँ। शहर के लोगों की जीवन शैली मुझे पसंद नहीं आ रही है। यहाँ के लोगों की जीवन शैली आकर्षक तो खूब है लेकिन पारस्परिक प्रेम और स्नेह से लोग वंचित है। केवल अपने को संभालकर किसी भी देश की जनता सम्पन्न राष्ट्र की कल्पना नहीं सोच सकता है। यहाँ के लोग स्वास्थ्य पर ध्यान बिल्कुल नहीं देते । कार्य की अधिकता तो अच्छी बात है लेकिन कार्य को नियत समय पर ही करना स्वास्थ्य के लिए उत्तम है जो यहाँ के लोगों में अभाव है। । यहाँ के लोग अमोद-प्रमोद प्रिय हैं जो जीवन के कुछ ही वर्ष के लिए अनिवार्य है। प्रायः विद्यार्थी जीवन में सुख-सुविधा और आजादी जीवन को परेशानी में डाल देती है। लेकिन यहाँ की छात्र जीवन भी अमोद-प्रमोद युक्त दिखलाई पड़ते हैं जो जीवन-निर्माण में जटिलता लाता है।

यहाँ के अमीर और गरीब लोगों की जीवन-शैली में अत्यन्त फर्क दिखता है जबकि ग्राम्य जीवन-शैली में फर्क कम दिखता है।

आप मेरे पत्र को पढ़कर शहरी जीवन-शैली पर विशेष रूप से विचार कर अपनी राय पत्र के द्वारा भेजेंगे।

माताजी को प्रणाम तथा छोटे को स्नेह भरा आशीर्वाद ।

आपका पुत्र
मुकेश कुमार

Pita Ka Patra Putra Ke Naam Question Answer प्रश्न 2.
आप अपने गांव के किसान के बारे में लिखिए।
उत्तर:
हमारे गाँव मंझौल में प्रायः हरेक वर्ग के किसान हैं। सभी किसानों में प्रायः एकता देखी जाती है। हरेक किसान एक-दूसरे के पूरक दिखाई पड़ते हैं। हमारे गाँव के किसान अत्यन्त परिश्रमी हैं। जबकि हमारे गाँव की भूमि अधिक उपजाऊ नहीं है। कभी अतिवृष्टि तो कभी अनावृष्टि भी किसानों को प्रभावित करती है लेकिन इसके बावजूद हमारे गाँव के किसान अपनी कर्मठता के कारण उन्नत किसान कहलाते हैं। वहाँ के अन्य गाँवों की अपेक्षा हमारे गाँव के किसान अधिक सम्पन्न दिखाई पड़ते हैं।

ये किसान नियमित रूप से उठते हैं जिसके कारण गोपालन का काफी समय उनको प्राप्त हो जाता है। हमारे यहाँ के किसान गोपालन में भी बहुत आगे हैं। विशेषतः किसान पढ़े-लिखे हैं जिसके कारण कृषि का सम्यक् ज्ञान उन्हें प्राप्त होते रहता है।

Mahatma Gandhi Wikipedia In Hindi Bihar Board प्रश्न 3.
क्या हमें पत्र लिखना चाहिए? हाँ तो क्यों ? नहीं तो क्यों ?
उत्तर:
हमें पत्र लिखना चाहिए। पत्र सम्बन्ध स्थापित करने का मूर्त उपाय है। इससे लेखन कला की सम्पन्नता के साथ-साथ अपने भाव को व्यापक रूप से प्रकट करने का अवसर मिलता है। पत्र लेखन में पैसे की भी बचत है।

व्याकरण –

Mahatma Gandhi Letter In Hindi Bihar Board प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
पत्र, शिक्षा, आश्रम, जिम्मेवारी, महत्वपूर्ण, गरीबी, आनन्द, जेल, चेष्टा, सुख।
उत्तर:
पत्र = पत्र लिखना चाहिए।
शिक्षा = शिक्षा के बिना मनुष्य पशु समान होता है।
आश्रम = आश्रम में मुनि लोग रहते थे।
जिम्मेवारी = अपनी जिम्मेवारी आप संभालो।
महत्वपूर्ण = महत्वपूर्ण कार्य में उसे बुला लूँगा।
गरीबी = गरीबी में मनुष्य को संयमित रहना चाहिए।
आनन्द = आनन्दपूर्वक अपना कार्य करना चाहिए।
जेल = जेल से छूटकर मैं पढूँगा।
चेष्टा = वह चेष्टापूर्वक कार्य करता है।
सुख = सुख मिलने पर सब सोते हैं।

Bhiksha Patra In Hindi Class 5 Question Answer प्रश्न 2.
नीचे लिखे संज्ञाओं के साथ पूर्वक प्रत्यय लगाकर क्रिया-विशेषण बनाइए और उनका अपने वाक्य में प्रयोग कीजिए।
धैर्य, शांति, संतोष, प्रेम, श्रम।
उत्तर:
धैर्य = धैर्यपूर्वक कार्य करना चाहिए।
शांति = शांतिपूर्वक बैठना चाहिए।
संतोष = संतोषपूर्वक रहना चाहिए।
प्रेम = प्रेमपूर्वक यहाँ रहो।
श्रम = श्रमपूर्वक काम से सफलता मिलेगी।

Bihar Board Solution Class 6 Hindi प्रश्न 3.
नीचे कुछ भाववाचक संज्ञाएँ दी गयी हैं। इससे विशेषण बनाकर उनका अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
महत्व, निश्चय, उपयोग, सहानुभूति, मानब ।
उत्तर:
महत्व = महत्वपूर्ण कार्य करना चाहिए।
निश्चय = निश्चयपूर्वक कहता है।
उपयोग = उपयोगी वस्तु दान दो।
सहानुभूति = सहानुभूतिपूर्वक निवास करो।
मानव = मानवीय गुणों को धारण करना चाहिए।

पिता का पत्र पुत्र के नाम Summary in Hindi

पाठ का सार – संक्षेप

पत्र मणिलाल गाँधी के नाम लिखा गया। पत्र 25 मार्च, 1909 ई० को प्रिटोरिया जेल से लिखा गया।

पत्र लिखने वाले मोहनदास करमचंद गाँधी हैं।
प्रिय पुत्र,
प्रतिमास एक पत्र लिखने और प्राप्त करने का अधिकार मुझे प्राप्त है। मिस्टर रीच, मिस्टर पोलक (दोनों मित्र) और तुम्हारा ख्याल बारी-बारी से आया। लेकिन तुम्हें पत्र लिखना पसंद किया क्योंकि तुम्हारा ही ध्यान मुझे बराबर रहता था।

मैं पूर्ण शांति में हूँ। आशा है ‘बा’ अच्छी होगी। मुझे मालूम है कि तुम्हारा अनेक पत्र आये लेकिन मुझे नहीं दिये गये फिर भी डिप्टी गवर्नर की उदारता से मालूम हुआ कि-“बा” का स्वास्थ्य सुधर रहा है। तुम सब “बा” के साथ सबेरे दूध के साथ साबूदाना बराबर लेते रहना। मुझे आशा है कि तुम अपनी जिम्मेवारी आनन्द से निभाते होगे । जेल में मैंने खूब पढ़ा। इससे मैं यह समझता हूँ कि केवल अक्षर-ज्ञान ही शिक्षा नहीं बल्कि सच्ची । शिक्षा चरित्र निर्माण और कर्तव्यबोध है। मुझे आशा है कि तुम भी सच्ची शिक्षा प्राप्त कर रहे होगे । बीमार माँ की सेवा के साथ रामदास और देवदास पर भी ध्यान दे रहे होगे। ब्रह्मचर्य और संन्यास आश्रम में कोई अन्तर नहीं। बारह वर्षों के बाद बच्चों में जिम्मेवारी और कर्त्तव्य का भान होना चाहिए तथा उन्हें अपने आचार और विचार में सत्य-अहिंसा के प्रयोग की चेष्टा करनी चाहिए । अक्षर ज्ञान के साथ-साथ संसार में तीन बातें महत्वपूर्ण हैं। अपनी आत्मा, अपने आप एवं ईश्वर का सच्चा ज्ञान प्राप्त करना । इतना याद रखना कि अब हमें गरीबी में रहना है क्योंकि गरीबी में जीना अधिक सुखद है। तुम कृषि-कार्य पर भी पूरा ध्यान दना तथा कृषि, उपकरणां को भी साफ-सुथरा रखना।

अक्षर ज्ञान में गणित और संस्कृत पर पूरा ध्यान देना । भविष्य में संस्कृत बहुत उपयोगी सिद्ध हागा। संगीत में भी रुचि रखना। हिन्दी, गुजराती और अंग्रेजी भजनों और कविताओं का संग्रह तैयार करना जो अंत में मूल्यवान प्रतीत होगा। काम की अधिकता से मनुष्य को घबराना नहीं चाहिए। शांतचित्त से सद्गुणों को प्राप्त करने की चेष्टा करते रहना । आशा है कि तुम खर्च के पैसे का हिसाब ठीक से रखते होगे तथा यह भी आशा है कि तुम रोज शाम में . नियमपूर्वक प्रार्थना करते होगे। सूर्योदय से पूर्व उठकर भी प्रार्थना करना । प्रयत्नपूर्वक नियत समय में प्रार्थना करना चाहिए । यह नियमितता तुम्हें जीवन में सहायक सिद्ध होगी। पत्र को पढ़कर तथा अच्छी तरह समझकर जवाब देना।

तुम्हारा पिता
मोहन दास