Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 9 जन्तुओं में गति Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 9 जन्तुओं में गति

Bihar Board Class 6 Science जन्तुओं में गति Text Book Questions and Answers

अभ्यास और प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सही उत्तर चुनिए –

(क) शरीर का अंग जहाँ से मुड़ता है, उसे कहते हैं –
(i) संधि
(ii) जोड़
(iii) (i) तथा (ii) दोनों
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(iii) (i) तथा (ii) दोनों

(ख) शरीर की अस्थियों का ढाँचा कहलाता है
(i) कंकाल तंत्र
(ii) पेशीतंत्र
(iii) पाचन तंत्र
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(i) कंकाल तंत्र

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(ग) ऊपरी जबड़े एवं खोपड़ी (कपाल) की संधि है.
(i) चल संधि
(ii) अचल संधि
(iii) कब्जा संधि
(iv) धुरान संधि
उत्तर:
(ii) अचल संधि

(घ) निम्न में से किस जीव की अस्थियाँ खोखली किंतु मजबूत होती है –
(i) मनुष्य
(ii) पक्षी
(ii) मांसाहारी जानवर
(iv) छिपकली
उत्तर:
(ii) पक्षी

(ङ) निम्न में से कौन-सा जीव मिट्टी खाता है –
(i) साँप
(ii) मछली
(iii) कंचुआ
(iv) छिपकली
उत्तर:
(iii) कंचुआ

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
(कब्जा-संधि, मांसपेशियाँ, गति, कंकाल तंत्र)

(क) अस्थियों की संधिया शरीर की …………. में सहायता करती है।
(ख) अस्थियाँ एवं उपास्थि संयुक्त रूप से शरीर का …………… बनाते हैं।
(ग) कोहनी की अस्थियाँ …………… द्वारा जुड़ी होती हैं।
(घ) गति करते समय ……………… के संकुचन से अस्थियाँ खिंचती हैं।
उत्तर:
(क) गति
(ख) कंकाल तंत्र
(ग) कब्जा-संधि
(घ) मांसपेशियों

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प्रश्न 3.
निम्न कशनों के आगे सत्य तथा असत्य को इंगित कीजिए।
(क) सभी जंतुओं की गति एवं चलन बिलकुल एक समान होता है।
(ख) उपास्थि अस्थि की अपेक्षा कठोर होती है।
(ग) अंगुलियों की अस्थियों में संधि नहीं होती।
(घ) अग्रभुजा में दो अस्थियाँ होती हैं।
(ङ) तिलचट्टों में बाह्य-कंकाल पाया जाता है।
उत्तर:
(क) असत्य
(ख) असत्य
(ग) असत्य
(घ) सत्य
(ङ) सत्य

प्रश्न 4.
स्तम्भ में दिए गए शब्दों का संबंध कॉलम 2 के एक अथवा अधि क कथन से जोड़िए।
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उत्तर:
1 – घ, ख,
2 – क, छ
3 – ङ
4 – च, ख
5 – ख, ग।

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प्रश्न 5.
निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

(क) कंदुक-खल्लिका संधि क्या है?
उत्तर:
शरीर का वह अंग जहाँ पर मुड़ता है उस हिस्से को संधि या जाड़ कहते हैं। अस्थियों की संधियाँ अनेक प्रकार की होती हैं। यह उस संधि की प्रकृति एवं गति की दिशा पर निर्भर करता है।

कंधे की हड्डी और हाथ की हड्डी के जोड़ को कंदुक-खल्लिका संधि कहते हैं। इसे बॉल एवं सॉकेट ज्वाइंट भी कहते हैं। इसी संधि के कारण हमलोग अपने हाथ को चारों तरफ घुमा पाते हैं।

रबर का गेंद में कागज के बेलन को घुसाकर किसी कटोरे में घुमाकर कंदुक खल्लिका संधि का स्वरूप देख सकते हैं। यही संरचना होती है इस संधि की।

(ख) कपाल की अस्थि कौन-सी गति करती है?
उत्तर:
खोपड़ी अर्थात कपाल कई अस्थियों के जुड़ने से बनी है। खोपड़ी के अन्दर मस्तिष्क सुरक्षित रहता है। खोपड़ी अन्दर से खोखली होती है। ये अस्थियाँ इन संधियों पर हिल नहीं सकती। ऐसी संधि को अचल संधि कहते हैं। ऊपरी जबड़े एवं खोपड़ी अर्थात कपाल के मध्य अचल संधि होता है।

(ग) हमारी कोहनी पीछे की ओर क्यों नहीं मुड़ सकती?
उत्तर:
हमारी कोहनी में कब्जा संधि (हिन्ज ज्वाइंट) पाया जाता है। यह ‘ दरवाजे का कब्जा के रूप में होता है। ठीक वैसे ही जैसे दरवाजे में लगे कब्जे के कारण दरवाजा एक ही ओर खुलता है। इसी प्रकार हमारी कोहनी एक ही यानि ऊपर की ओर मुड़ती है। इसलिए कोहनी को पीछे की ओर नहीं मोड़ पाते हैं।

(घ) हमारे शरीर में पाई जाने वाली उपास्थि के उदाहरण लिखिये।
उत्तर:
अस्थि की तरह कठोर न हो बल्कि लचीले होते हैं। उसे उपास्थि कहते हैं। हम आसानी से जहाँ-तहाँ मोड़ लेते हैं। जैसे- कान, नाक आदि अंगों में उपास्थि पाए जाते हैं।

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Bihar Board Class 6 Science जन्तुओं में गति Notes

अध्ययन सामग्री :

सजीव जगत के प्राणी चलते हैं, बोलते हैं, खाना खाते हैं, लिखते हैं आदि क्रिया-कलाप करते हैं। इन सभी क्रिया-कलापों में शरीर का कौन सा अंग सक्रिय होता है जब आप और हम कुछ लिखते और पढते हैं। तब कौन-सा भाग गति करता है। जब आप किसी को मुड़कर देखते हैं तो शरीर का कौन-सा हिस्सा मुड़ने में सक्रिय होता है। ये सभी जन्तु शरीर के किस अंग का उपयोग गति करने में करते हैं तो इस प्रकार की गति को गमन कहते हैं। यदि हम किसी दिशा में शरीर को झुकाते हैं, तो शरीर के अंगों की गति कहते हैं। हमारे शरीर के कुछ अंग किसी भी दिशा में आसानी से घूम सकता है तथा कुछ अंग एक ही दिशा में घूमता है। कुछ अंग नहीं घुमते हैं।

शरीर का अंग जिस जगह पर मुड़ता है उस हिस्से को संधि या जोड़ कहते हैं। यदि शरीर में यह संधि न होती तो शरीर के किसी भी अंग में गति संभव नहीं होती। हमारे शरीर की रचना में जो कठोर है-हड्डी या अस्थि कहते हैं। अस्थियाँ जिस जगह पर मुड़ती या घूमती हैं उसे संधि-स्थल कहते हैं। शरीर के मोदने, घुमाने, झुकाने में संधि-स्थल पर अस्थियाँ एक-दूसरे से किस प्रकार जुड़ी होती हैं तथा अस्थियों का संधि-स्थल की बनावट क्या है, अग्रलिखित पक्तियों में है।

शरीर में अस्थियों से बना ढाँचा कंकाल या कंकाल तंत्र कहलाता है। संधि या जोड़ अनेक प्रकार की होती है। वह संधि जो कंधे की हड्डी तथा हाथ की हड्डी को जोड़ती है उसे कंदुक-खल्लिका संधि या बॉल एवं सॉकेट ज्वाइंट कहते हैं। इस संधि के कारण ही हम अपने हाथों को चारों तरफ घुमा पाते हैं। कोहनी तथा घुटना दोनों ही कब्जा संधि द्वारा सिर्फ एक ही तरफ मुड़ पाता है। ठीक वैसे ही जैसे दरवाजे में लगे कब्जे के कारण दरवाजा एक ही ओर खुलता है। इसे कब्जा संधि या हिन्ज ज्वाइंट कहते हैं। गर्दन तथा सिर को जोड़ने वाली संधि को धुराग्र संधि कहते हैं। इसके माध्यम से सिर को किसी भी झुकाव पर घुमा सकते हैं। ऊपरी जबड़े तथा खोपड़ी अर्थात् कपाल के बीच स्थित संधि को अचल संधि कहते हैं।

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‘शरीर की सभी अस्थियाँ मिलकर शरीर का ढाँचा प्रदान कर शरीर को एक आकृति प्रदान करती है। अस्थियों को हिलाने-डुलाने के लिए अनेक पेशियाँ जुड़ी रहती हैं। ये पेशियाँ अस्थियों से एक विशेष प्रकार के रेशों से जुड़ी रहती हैं। इन रेशों को कंडरा (Tendon) कहते हैं। इसी प्रकार दो अस्थियाँ आपस में विशेष प्रकार के रेशों से जुड़ी रहती हैं। इन रेशों को स्नायु कहते हैं।

आप अपने शरीर के पीठ के बीच ऊपर से नीचे थोड़ा दबाकर देखें तो पता चलता है कि एक लम्बी एवं कठार अस्थियाँ हैं जो अनेक छोटी-छोटी अस्थियों से बनी होती हैं। उसे मेरूदण्ड कहते हैं और उन छोटी-छोटी अस्थियों को कशेरूक कहते हैं। कंधों के समीप दो उभरी हुई अस्थियाँ दिखाई . देती हैं। इन्हें कंधे की अस्थियाँ कहते हैं। कंधे की अस्थियों को अंश-अस्थियाँ कहते हैं। कमर की अस्थियों को श्रेणी अस्थियाँ कहते हैं। यह बॉक्स के समान एक ऐसी संरचना बनाती है, जो अमाशय के नीचे पाये जाने वाले विभिन्न अंगों की रक्षा करती है। अस्थि की तरह कठार न होकर बल्कि लचीले होते हैं तथा आसानी से मुड़ते हों तो उसे उपास्थि कहते हैं। कान तथा नाक में उपास्थि ही पाए जाते हैं।

अब हमलोग जीव-जन्तुओं की गति के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करें। कुछ जन्तु चलते हैं, कुछ दौड़ते हैं, कुछ रेंगते हैं, तो कुछ हवा में उड़ती है, तो कुछ पानी में तैरती है।

केंचुए का शरीर एक सिरे से दूसरे सिरे तक अनेक छल्लों का बना हुआ होता है तथा इसके शरीर काफी मुलायम होते हैं। इसके शरीर में अस्थियाँ नहीं होती हैं। इसके शरीर में पेशियाँ होती हैं। इन पेशियों के संकुचन एवं शिथिलन से इसका शरीर घटता-बढ़ता रहता है। इसी के माध्यम से केचुआ गमन कर ‘पाता है। केंचुए के शरीर पर छोटे-छोटे बाल जैसी आकृति होती है। इस बाल जैसी आकृतियों को शुक कहते हैं। केंचुए मिट्टी खाता है और इसकी उर्वरक क्षमता को बढ़ाता है।

यदा-कदा हमलोग घोंघा को देखते हैं। घोंघा का शरीर कठोर आवरण से ढंका रहता है। इसे कवच कहते हैं और यह घोंघे का बाह्य कंकाल होता है। यह कवच अस्थि से भिन्न है। इसमें कोई संधि नहीं होती है। कवच के नीचे जमीन पर फैली हुई मांसल संरचना होती है जिसे पाद कहते हैं। इसी पाद के माध्यम से घोंघा गमन करता है।

तिलचट्टा जमीन पर चलते हैं, दीवार पर चढ़ते हैं और हवा में उड़ते भी _हैं। इसके तीन जोड़े पैर होते हैं जो चलने में सहायता करते हैं। इसका शरीर कठोर बाह्य कंकाल से ढंका रहता है। यह कोई भागों में बँटा होता है।

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पक्षी हवा में उड़ते हैं तथा जमीन पर चलते हैं। इसका शरीर उड़ने के लिए अनुकूलित होता है। उनकी अस्थियाँ खोखली होती हैं। परन्तु मजबूत होती हैं। अस्थियों में खोखले हिस्से को वायुप्रकोष्ठ कहते हैं। अस्थियों के वायुप्रकोष्ठ में हवा भरे रहने के कारण इसका शरीर हल्का रहता है। अग्रपाद की अस्थियाँ रूपान्तरित होकर पक्षी का डैना. (पंख) बनाती है। वक्ष की अस्थियाँ नाव के आकार की होती है।

मछली एक जलीय जीव है। मछली का अगला तथा पिछला हिस्सा नाव से मिलता-जुलता है। मछली के शरीर पर पक्ष्म होते हैं तथा इसका शरीर ध । रारेखीय होता है। उसकी पूँछ पर भी पक्ष्म लगे रहते हैं। मछली का कंकाल दृढ़ पेशियों से ढंका रहता है। अपने मांसपेशियों को संकुचन तथा शिथिलन से ये पक्ष्म को ऊपर-नीचे तथा अलग-बगल करते हैं तथा शरीर को थोड़ा। तरंग गति देकर तैरने की दिशा में आगे बढ़ते हैं। मछली गलफड़े से श्वास लेती है।

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सजीव जगत में सर्प एक अलग तरह का जीव है जो मानव जाति के – दुश्मन माना जाता है। सर्प का मेरूदंड लम्बा तथा बहुत लचीला होता है। सांप के शरीर में अनगिनत वलय होते हैं। ये वलय मांसपेशियों की मदद से लहरदार गति उत्पन्न करते हैं।

अन्ततः यहाँ हम यह कहना चाहेंगे कि जन्तुओं का विशेष अध्ययन . अगली कक्षा में करेंगे। विज्ञान की वह शाखा जिसमें जीव-जन्तुओं के बारे . अध्ययन करते हैं। उसे जन्तु-विज्ञान कहते हैं।