Bihar Board Class 7 Social Science Solutions History Aatit Se Vartman Bhag 2 Chapter 3 तुर्क-अफगान शासन Text Book Questions and Answers, Notes.
BSEB Bihar Board Class 7 Social Science History Solutions Chapter 3 तुर्क-अफगान शासन
Bihar Board Class 7 Social Science तुर्क-अफगान शासन Text Book Questions and Answers
पाठगत प्रश्नोत्तर
Bihar Board Class 7 History Book Solution प्रश्न 1.
गंगा-यमुना का दोआब किसे कहा गया है ?
उत्तर-
गंगा-यमुना के बीच की भूमि को गंगा-यमुना का दोआब कहा गया है।
Bihar Board Class 7 Social Science Solution प्रश्न 2.
बरनी ने सुल्तान की आलोचना क्यों की थी ?
उत्तर-
बरनी ने सुल्तान की आलोचना इसलिये की थी क्योंकि सुल्तान निम्न वर्ग के लोगों को भी उच्च पदों पर आसीन करने लगा था । बरनी का ख्याल था कि निम्न वर्ग के लोग उच्च पदों पर रहकर अपने दायित्वों का निर्वाह नहीं कर सकते ।
Bihar Board Class 7 Social Science Solution In Hindi प्रश्न 3.
अमीर के रूप में किस वर्ग के लोग शामिल थे?
उत्तर-
दिल्ली सल्तनत के विस्तार के कारण सुल्तान को कुछ नये अधि कारियों को नियुक्त करना पड़ा । इसके लिये सुल्तानों ने सूबेदार, सेनापति और प्रशासक नियुक्त किये । इन्हीं तीनों को ‘अमीर’ कहा गया ।
Bihar Board Class 7 History Solution In Hindi प्रश्न 4.
टंका क्या था ? उस समय का एक मन आज के कितने वजन के बराबर था?
उत्तर-
एक टंका आज के चाँदी के एक रुपये के बराबर था । एक टंका में 48 जितल होता था । उस समय का एक मन आज के 15 किलो वजन के बराबर था ।
Bihar Board Solution Class 7 Social Science प्रश्न 5.
आप विचार करें कि अलाउद्दीन खिलजी के मल्य नियंत्रण की व्यवस्था से जनसाधारण को क्या लाभ हुआ ?
उत्तर-
अलाउद्दीन खिलजी के मूल्य नियंत्रण की व्यवस्था से जन साधारण को यह लाभ हुआ कि उन्हें उचित मूल्य पर सस्ती वस्तुएँ मिलने लगीं।
Bihar Board Class 7 Civics Solution प्रश्न 6.
दिल्ली से दौलताबाद जाने में लोगों को किन-किन क्षेत्रों से होकर गुजरना पड़ा था ?
उत्तर-
दिल्ली से दौलताबाद जाने में लोगों को रणथम्भौर. मांड तथा चित्तौड़ क्षेत्र होकर जाना पड़ा होगा । सबसे अधिक कठिनाई चंबल नदी पार करने में हुई होगी।
Class 7 Social Science Bihar Board प्रश्न 7.
आपके अनुसार राजधानी परिवर्तन का कौन-सा कारण उपयुक्त होगा ?
उत्तर-
मेरे अनुसार राजधानी परिवर्तन का कोई भी कारण उपयुक्त नहीं होगा । यदि कुछ कारण था भी तो वह मात्र सुल्तान का वहम था और था उसका सनकी मिजाज ।
Bihar Board Class 7 History Solution प्रश्न 8.
राजधानी परिवर्तन के दौरान नागरिकों को किस प्रकार के कष्ट हुए होंगे ?
उत्तर-
राजधानी परिवर्तन के दौरान नागरिकों को अनेक प्रकार के कष्ट हुए होंगे । पैदल चलते-चलते उनके पैदों में फोड़ा हो गया होगा । रास्ते में खाने-पीने की भी असुविधा हुई होगी । अनजान राह में उन्हें यह भी पता नहीं होगा कि कहाँ पानी मिलेगा और कहाँ रात बिताना अच्छा होगा
Bihar Board Class 7 Geography Book Solution प्रश्न 9.
आप वर्तमान समय में प्रचलित सांकेतिक मुद्रा के विषय में जानकारी प्राप्त करें।
उत्तर-
वर्तमान समय में अंग्रेजों के जमाने से ही सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन हो गया था । अंग्रेजों के एक रुपया के सिक्का का वजन एक तोला होता था और एक तोला चाँदी का मूल्य बाजार में तीन आना था । कागज के नोट का मूल्य तो एक पैसा भी नहीं है । आज के सभी सिक्के सांकेतिक हैं, चाहे वह धातुई हो या कागजी मुद्रा ।
Bihar Board Class 7 Civics Book Solution प्रश्न 10.
“कृषि सुधार एक सरकारी दायित्व है।” यह बात मुहम्मद “तुगलक के समय में उभर कर सामने आई है । क्या आप बता सकते हैं कि वर्तमान सरकार द्वारा किसानों को कृषि के विकास एवं सुधार के लिये क्या सहायता दी जाती है?
उत्तर-
वर्तमान राज्य सरकारें कृषि के विकास एवं सुधार के लिये बहुत कुछ कर रही हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद अनेक नहरें खोदी गई । इतनी अधि
के नहरें खोदी गईं कि देश में नहरों का जाल बिछ गया । कृषि यंत्र खरीद . पर भी सरकार कुछ सहायता राशि भी देती है । अच्छे बीज और अच्छी खाद किसानों को मुहैया कराये जा रहे हैं। खेती मारी जाने की अवस्था में किसानों को कुछ भरपायी हो सके इसके लिए कृषि बीमा की प्रथा चलाई गई है।
Class 7 History Chapter 3 प्रश्न 11.
सल्तनत काल में साधारण किसान एवं धनी किसान में आप क्या अंतर देखते हैं ?
उत्तर-
सल्तनत काल में कुछ किसान ऐसे थे जिनके पास भूमि के बड़े-बड़े टुकड़े थे । ये धनी होते थे और इनको ‘खुत’, ‘मुक्कदम’ एवं ‘चौध री’ कहलाते थे । छोटे किसान के पास जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े होते थे और ये प्रायः गरीब हुआ करते थे । इन्हें ‘बलहर’ किसान कहा जाता था और समाज में इनको निम्न स्थान प्राप्त था । बहुत लोग भूमिहीन भी थे, जो बड़े किसानों के खेतों में मजदूरी करते थे।
अभ्यास के प्रश्नोत्तर
Bihar Board 7th Class Social Science Solution प्रश्न 1.
दिल्ली की स्थापना किस राजवंश के काल में हुई ?
उत्तर-
दिल्ली की स्थापना 950 में तोमर राजवंश के काल में हुई । लेकिन 12वीं सदी में अजमेर के शासक चौहानों ने दिल्ली पर अधिकार कर लिया।
Class 7 History Chapter 3 Questions And Answers प्रश्न 2.
अलाउद्दीन खिलजी के समय किस गुलाम सेना नायक ने दक्षिण भारत पर विजय प्राप्त की थी?
उत्तर-
अलाउद्दीन खिलजी ने दक्षिण भारत में तुर्क राज्य के विस्तार के लिये अपने एक गुलाम मलिक काफूर के नेतृत्व में एक विशाल सेना भेजी । उसने देवगिरि, वारंगल, द्वारसमुद्र, मदुरई पर विजय प्राप्त कर दक्षिण के एक बड़े भाग पर सल्तनत राज्य के अधीन कर लिया । लेकिन खिलजी ने उन राज्यों पर अधिकार न कर उनसे सालाना कर देने के करार पर उनके राज्य लौटा दिये।
History Class 7 Chapter 3 Bihar Board प्रश्न 3.
मूल्य नियंत्रण की नीति किस सुल्तान ने लाग की थी? ।
उत्तर-
मूल्य नियंत्रण की नीति अलाउद्दीन खिलजी ने लागू की थी। इससे उसका उद्देश्य था कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके और आम जनता से भी कोई अधिक मूल्य नहीं वसूल सके ।
प्रश्न 4.
दिल्ली के किस सुल्तान ने नहरों का निर्माण करवाया था ?
उत्तर-
दिल्ली के सुल्तान फिरोजशाह तुगलक ने नहरों का निर्माण करवाया था ।
प्रश्न 5.
मिलान करें:
उत्तर-
(क)प्रारंभिक तुर्क वंश – (i) कुतुबुद्दीन ऐबक
(ख)खिलजी वंश – (ii) जलालुद्दीन
(ग) तुगलक वंश – (iii) गयासुद्दीन
(घ) सैयदवंश – (iv) खिज्र खाँ
(ङ) लोदी वंश – (v) बहलोल
आइए समझें:
प्रश्न 6.
दिल्ली सल्तनत के प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत अक्तादारी’ व्यवस्था पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
दिल्ली के तुर्क शासकों ने अपने अमीरों को विभिन्न आकार के इलाकों में नियुक्त किया । इन इलाकों को ‘अक्ता’ कहा जाता था और अक्ता के अधिकारी ‘मुक्ती’ या ‘वली’ कहे जाते थे । इनका दायित्व था कि अपने अक्ता क्षेत्र में कानून-व्यवस्था को बनाये रखेंग । कभी आवश्यकता पड़ने पर सुल्तान को सैनिक मदद भी देंगे । इसके लिए घुडसवार सिपाही रखने पड़ते थे । भूमि कर की वसूली भी ‘वली’ ही करते थे । वसूली का कुछ भाग अपने स्वयं रख लेने की छूट थी ताकि सैनिकों को वेतन दिया जा सके।
प्रश्न 7.
सल्तनत काल में लगान व्यवस्था का वर्णन करें और यह बतादें कि किसानों के जीवन पर इसका क्या प्रभाव था ?
उत्तर-
सल्तनत काल में लगान व्यवस्था का अपना तरीका था। गाँव के । बड़े और धनी किसान, जिन्हें खुत, मुक्कदम और चौधरी कहते थे राज्य की ओर से लगान वसूला करते थे । लगान अर्थात भूमिकर को खराज कहा जाता था । ‘खराज’ की मात्र भूमि पर उपजने वाले अनाज का एक हिस्सा होता था । खराज में वसूला गया अनाज सरकारी गोदामों में रखा जाता था । इस सेवा के बदले खुत, मुक्कदम और चौधरी को खराज का एक हिस्सा मिलता
था। ये लोग छोटे किसानों को दबाते भी थे। बाद में अलाउद्दीन खिलजी ने इन ग्रामीणों को हटाकार लगान या खराज वसूलने का काम सरकारी ‘अधिकारियों को सौंप दिया ।
प्रश्न 8.
दिल्ली के सुल्तानों की प्रशासनिक व्यवस्था में कार्यरत अधि कारियों की सूची बनाएँ और उनके कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर-
दिल्ली के सुल्तानों की प्रशासनिक व्यवस्था में कार्यरत अधि कारियों की सूची और उनके नाम निम्नांकित थे ।
अधिकारी – काम
- सूबेदार – सूबे का मुख्य अधिकारी
- सेनापति – सेना पर नियंत्रण रखना
- प्रशासक – प्रशासनिक कार्य को देखना
- वजीर – वित्त विभाग का प्रधान
- आरिजे ममालिक – सुल्तान की सेना का प्रधान
- वकील-ए-दर – राजपरिवार की देखभाल करना
- काजी – न्याय करना मुख्य (न्यायाधीश)
- दीवान-ए-इंशा. राजकीय फरमान जारी करना ।
- बरीद-ए-मुमालिक – गुप्त सूचना एकत्र करना (गुप्तचर)
- मुक्ती या बली – आक्ता में शांति-व्यवस्था बनाये रखना
- आमिल – वसूले गये राजस्व का हिसाब रखना
प्रश्न 9.
सल्तनत काल में उपजाये जाने वाले अनाजों को खरीफ एवं रबी फसलों में बाँटकर समझाएँ।
उत्तर-
सल्तनत काल में उपजाये जाने वाले अनाजों की खरीफ एवं रबी ‘ फसल निम्नाकित थे:
- खरीफ : धान, ज्वार, बाजरा, तिल, कपास ।
- रबी : गेहूँ, जौ, उड़द, मूंग, मसूर ।
गन्ना और अरहर खरीफ और रबी दोनों में आते हैं, क्योंकि ये एक साल ..का समय ले लेते हैं । अंगूर स्थायी फसल है।
आइए विचार करें :
प्रश्न 10.
अलाउद्दीन खिलजी के मूल्य नियंत्रण पर प्रकाश डालते हुए विचार करें कि क्या वर्तमान समय में सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर वस्तुओं की बिक्री की कोई योजना कार्य कर रही है ?
उत्तर-
अलाउद्दीन खिलजी ने मूल्य नियंत्रण इसलिये लागू किया ताकि प्रजा को उचित मूल्य पर वस्तुएँ मिल सकें । सुल्तान ने खाद्यान्नों से लेकर वस्त्र तथा दास-दासियों और मवेशियों तक के मूल्य निश्चित कर दिये थे । दास-दासियों और घोड़ों के भी बाजार लगते थे ।
मेरे विचार से वर्तमान समय की सरकारें भी मूल्य निश्चित कर देती है । अनाजों के खरीद के लिये न्यूनतम मूल्य निश्चित कर देती हैं । यदि कोई खरीदे-न-खरीदे सरकार उस मूल्य पर स्वयं अनाज खरीद लेती है और अपने गोदामों में रखती है। उन अनाजों को वह सरकारी राशन की दुकानों से बिकवाती है । किरासन, पेट्रोल और डीजल का मूल्य भी सरकार ही निश्चित करती है। दुकानों पर अधिकांश सामनों पर मूल्य अंकित रहते हैं । दवाओं पर तो खास तौर पर दाम अंकित रहता ही है । दास-दासी की बिक्री आज अपराध माना जाता है । पशुओं के मूल्य सरकार निश्चित नहीं करती।
प्रश्न 11.
सल्तनत कालीन किसानों एवं आज के किसानों में आप क्या समानता और असमानता देखते हैं ?
उत्तर-
सल्तनत कालीन किसानों एवं आज के किसानों में हम यह अंतर देखते हैं कि सल्तनत कालीन किसान उपज का एक निश्चित भाग अनाज का लगान में देते थे वहीं आज के किसान एक निश्चित रकम नकद लगान में देते हैं । उस समय किसानों को मजबूर किया जाता था कि वे अपना अनाज सरकारी दर पर व्यापारियों के हाथ बेचे ।
लेकिन मूल्य निश्चित होने के बावजूद आज के किसान अपनी उपज बेचने-न-बेचने के लिए स्वतंत्र है । सल्तनत काल में सरकारी गोदामों में अनाज रखे जाते थे, आज भी रखे जाते हैं । सल्तनत कालीन किसान केवल हल-कुदाल से खेती करते थे लेकिन आज के किसान यांत्रिक कृषि भी करने लगे हैं।
आइए करके देखें:
प्रश्न 12.
मुहम्मद बिन तुगलक की योजनाओं को रेखांकित करते हुये उसकी असफलताओं के कारणों को ढूढ़ें :
उत्तर-
Bihar Board Class 7 Social Science तुर्क-अफगान शासन Notes
पाठ का सार संक्षेप
ग्यारहवीं सदी के लगभग मध्य में तोमरों ने दिल्ली शहर का विकास किया । दिल्ली व्यापार का केन्द्र था और यहाँ धनी-मानी व्यापारी रहते थे। उस समय यहाँ ‘दिल्लीवाला’ नाम सिक्का ढाला जाता था । 12वीं सदी के मध्य में अजमेर के शासक चौहानों ने दिल्ली पर अधिकार कर उसे अपने राज्य में मिला लिया । उन्होंने दिल्ली को भी प्रशासनिक केन्द्र बनाया । गोया कि चौहानों की दो राजधानियाँ थीं : अजमेर और दिल्ली। ..
1206 में मुहम्मद गौरी की मृत्यु हो गई । तब उसके प्रमुख अधिकारियों ने उसके राज्य को आपस में बाँट लिये। सम्पूर्ण भारतीय क्षेत्र कतबुद्दीन के हिस्से में आया । तब से दिल्ली के शासकों को गुलाम वंश का शासक कहा जाने लगा जो बलबन (1266 से 1287) तक जारी रहा । इल्तुतमिश ने 1210 के बाद मध्य एशिया से सम्बंध विच्छेद कर उत्तरी भारत को एक स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया । तुर्की के खलिफा ने उसे सुल्तान की उपाधि दी ।
तब से दिल्ली के शासक सुल्तान कहलाने लगे और राज्य को दिल्ली सल्तनत कहा जाने लगा । इन सुल्तानों को गुलाम वंश भी कहा जाता था क्योंकि पहला शासक कुतुबुद्दीन ऐबक गौरी का गुलाम ही था | 1287 में बलबन की मृत्यु के बाद ‘कैकुवा’ दिल्ली सल्तनत का सुल्तान बना ।
1320 में खिलजी वंश को हराकर तुगलक वंश की स्थापना हुई । इसका एक प्रसिद्ध शासक मुहम्मद बिन तुगलक ने करार को रद्द कर पुनः युद्ध में परास्त कर उन राज्यों को सीधे अपने अधीन कर लिया । तुगलक ने पश्चिम में भी अपनी सीमा का विस्तार किया । उसने मंगोल आक्रमणकारियों को भी करारी शिकस्त दी। मुहम्मद बिन तुगलक के बाद फिरोजशाह तुगलक सुल्तान बना जो 1388 तक रहा । तुगलक वंश के बाद 1526 तक दिल्ली और आगरा पर सैयद और लोदी वंशों का शासन रहा ।
केन्द्रीय शासन चुस्त और दुरुस्त था । हर विभाग को बाँटकर अलग-अलग अधिकारी नियुक्त किये गये । इलाकाओं को ‘अक्ता’ कहा जाता था, जिसके प्रभारी ‘मुक्ती’ कहलाते थे । अपने इलाका में कानून-व्यवस्था बनाये रखना इनका मुख्य काम था । इन्हें वेतन के बदले राजस्व वसूली का एक भाग दिया जाता था ।
आक्ता’ के प्रभारी वंशगत नहीं होकर इनका तबादला भी होता था । ‘अक्ता’ सूबे का एक रूप था । ग्रामीण प्रशासन ग्रामीणों के अधीन था। इसके प्रधान चौधरी कहलाते थे। बाद के ग्रामीण प्रशासन की इकाई ‘परगना’ का गठन किया गया । गाँव प्रशासन की छोटी इकाई थी।
किसानों को भूमिकर के अलावा गृहकर तथा पशुकर भी देने होते थे । कर वसूलने वाले गांव के बड़े किसान चौधरी के साथ-साथ राय, राणा, रावत आदि होते थे । राज्य कार्य में मुहम्मद बिन तुगलक के समय से ही नित्य नये प्रयोग हुआ करते थे । तुगलक द्वारा राजधानी परिवर्तन इतिहास की एक प्रसिद्ध घटना है। ‘दिल्ली से दौलताबाद’ और ‘दौलताबाद से दिल्ली’ एक मुहावरा बन गया ।
तुगलक की एक दूसरी गलती थी ‘खुरासान विजय’ की लालसा । इसके लिये इसने एक बड़ी सेना का गठन किया जिसमें लगभग चार लाख सैनिक थे । उधर खुरासान और मिस्र में मित्रता हो जाने के बाद ‘खरासाम विजय’ की लालसा धरी-की-धरी रह गई । इतनी बड़ी सेना को वेतन देना कठिन हो जाने पर सेना को भंग कर दिया गया । अब ये सैनिक लूटमार मचाने लगे। सुल्तान की हालत पतली हो गई । सैनिकों की यह करतूत जनता और सरकार दोनों के लिए सिरदर्द का सबब बन गया ।
फिरोजशाह तुगलक ने कृषि विकास के लिये अनेक नहरों का निर्माण कराया । इससे कुछ लाभ मिला । अब नहरों के किनारे कृषक अपना गाँव – बसाने लगे । उपज में वृद्धि हुई ।
सल्तनत काल में आबादी का एक बड़ा भाग किसानों का था । विभिन्न आकार की भूमि पर विभिन्न किसानों का अधिकार था । किसान खेती के औजार स्वयं रखते थे । साधारणतः किसान फस की झोपड़ियों में रहते थे । किसान मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करते थे। जो किसान अधिक धन अर्जित कर लिये वे धनी लोगों के रहन-सहन के तौर-तरीके अपनाने लगे।