Bihar Board Class 8 Hindi Book Solutions Kislay Bhag 3 Chapter 22 सुदामा चरित Text Book Questions and Answers, Summary.

BSEB Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 22 सुदामा चरित

Bihar Board Class 8 Hindi सुदामा चरित Text Book Questions and Answers

प्रश्न – अभ्यास

पाठ से

प्रश्न 1.
सुदामा की दीन दशा देखकर श्रीकृष्ण किस प्रकार भाव-विह्वल हो गए?
उत्तर:
सुदामा की दीन-दशा देखकर श्रीकृष्ण इतना विह्वल हो गये कि रोने लगे। इतने रोये कि पैर धोने के लिए लाया गया पानी कठौती में यों ही रह गया। अपने अश्रु-जल से ही सुदामा के पैर धो डाले।

Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 22 सुदामा चरित

प्रश्न 2.
गुरु के यहाँ की किस बात की याद श्रीकृष्ण ने सुदामा को दिलाई ?
उत्तर:
बचपन में जब दोनों मित्र संदीपन मुनि के आश्रम में रहते थे तो आश्रम के लिए लकड़ी जुटाने के लिए दोनों मित्र जंगल में गये थे। गुरु माता ने गुड़ और चना सुदामा की पोटली में बाँध दी थी कि दोनों खा लेना । लेकिन सुदामा भूख लगने पर चुपके से स्वयं ही खा गये थे। इसी बात की याद श्रीकृष्ण ने सुदामा को द्वारिका में दिलाई।

प्रश्न 3.
अपने गाँव वापस आने पर सुदामा को क्यों भ्रम हो गया ?
उत्तर:
ज़ब सुदामा द्वारिका से वापस अपने गाँव आते हैं तो अपनी झोपड़ी की जगह द्वारिका जैसा ही महल देखकर भ्रमित हो गये।

पाठ से आगे

प्रश्न 1.
श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता आज उदाहरण के रूप में क्यों प्रस्तुत की जाती है ?
उत्तर:
जब एक मित्र धनवान और दूसरा गरीब होता है तथा धनवान मित्र गरीब मित्र की सहायता करता है तो ऐसे मित्रों के बीच मित्रता को – कृष्ण-सुदामा की मित्रता जैसा उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

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प्रश्न 2.
सुदामा को कुछ न देकर उनकी पत्नी को सीधे वैभव सम्पन्न करने का क्या औचित्य था ?
उत्तर:
सुदामा अपनी दीनता से कभी आहत नहीं हुए। लेकिन उनकी पत्नी आहत थी। सम्भवतः सुदामा उस वैभव को स्वीकार भी नहीं करते । अतः श्रीकृष्ण ने सुदामा को वैभव न प्रदान कर उनकी पत्नी को ही वैभव’ सम्पन्न कर दिया।

प्रश्न 3.
कविता के भावों को ध्यान में रखकर एक कहानी लिखिए।
उत्तर:
दो मित्र साथ रहते थे। दोनों पढ़-लिखकर धनार्जन के लिए निकले । संयोग से एक मित्र को अच्छे पद पर नौकरी लग गई। थोड़े ही दिनों में वह उस शहर का बड़ा व्यापारी बन गया। नौकर-चाकर, सवारी सभी लौकिक सुख उसे प्राप्त हो गये।

दूसरा मित्र एक शहर से दूसरा शहर मारा-फिरता लेकिन उचित आय – का साधन नहीं जुटा पाया। एक दिन दूसरा मित्र एक फैक्ट्री में काम पाने के लिए जाता है। गेटवान ने उसको मालिक से मिलाया। मित्र-मित्र को पहचान जाता है। दोनों एक-दूसरे से गले मिले तथा गरीब मित्र को अपने फैक्ट्री का मेनेजर पद पर नियुक्त कर लिया । अब दूसरा मित्र भी सब सुख-साधन से युक्त है। उसे भी किसी चीज की कमी नहीं है।

व्याकरण

निम्नलिखित शब्दों के मानक रूप लिखिए।

  1. मनि = मणि ।
  2. सीस = शीश ।
  3. राज काज = राज्यकार्य ।
  4. विहार = बेहाल ।
  5. दसा = दशा ।
  6. वामि = वाम ।
  7. मारग = मार्ग ।

गतिविधि

प्रश्न 1.
श्रीराम-सुग्रीव मैत्री और दुर्योधन-कर्ण मैत्री के बारे में भी पढ़िए और उन पर एक-एक लघु नाटिका तैयार कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

सुदामा चरित Summary in Hindi

सुदामा और कृष्णा …………….. परिचित कराती है।
भावार्थ – सुदामा का परिचय देते हुए श्रीकृष्ण के सामने द्वारपाल कहता है-हे प्रभु एक ब्राह्मण द्वार पर खड़ा है, उसके सिर पर न पगड़ी है और न शरीर में कुर्ता, फटी धोती पहने, कन्धे पर मैला दुपट्टा है। उसके पैर में जूते भी नहीं हैं। वह अपना नाम सुदामा बता रहा है।

भगवान श्रीकृष्ण सुदामा नाम सुनते ही दौड़कर गले लगा लेते हैं। दोनों की आँखों से आँसू बहने लगे ।सुदामा के पैर में विवाय देखकर श्रीकृष्ण उनके पैरों को धोते-धोते रोने लगते हैं। मानो परात के पानी से नहीं बल्कि आँख के आँसू सुदामा के पैरों को धो रहे हैं।

बाद में श्रीकृष्ण ने सुदामा से कहा – अभी भी तुम चोरी करने में प्रवीण हो, बचपन में गुरु माता ने चना-गुड़ खाने के लिए हम दोनों को दिया था लेकिन तुम चुराकर अकेले खा गया था। अब भाभी ने जो तन्दुल दी है उसे भी काँख में चुराकर दबा रखे हो।

Bihar Board Class 8 Hindi Solutions Chapter 22 सुदामा चरित

सुदामा कुछ दिन बिताकर घर लौटते समय सोच रहे हैं, कृष्ण ने कुछ , नहीं दिया । हम बेकार द्वारिका आये । लेकिन जब वे अपने गाँव में अपने घर के पास आते हैं तो वहाँ सुन्दर भवन देखकर सुदामा को लगा कि क्या मैं भ्रमवश द्वारका ही पहुँच गये । क्योंकि वहाँ भी द्वारिका के तरह ही सुन्दर भवन हाथी-घोड़े सब साधन मौजूद थे।

सुदामा जो गरीब थे आज भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से धनवान हो गये।। जहाँ झोपड़ी थी वहाँ सोने का महल बन गया । जिनके पैर में जूते नहीं थे वे हाथी पर सवार होकर चलते हैं। यह सब कृपा यदुवंश मणि भगवान श्रीकृष्ण की थी। देवता लोग भी । भगवान श्रीकृष्ण की कृपा जानकर आकाश से फूल बरसाने लगे।