Bihar Board Class 8 Social Science Solutions Civics Samajik Aarthik Evam Rajnitik Jeevan Bhag 3 Chapter 6 न्यायिक प्रक्रिया Text Book Questions and Answers, Notes.
BSEB Bihar Board Class 8 Social Science Civics Solutions Chapter 6 न्यायिक प्रक्रिया
Bihar Board Class 8 Social Science न्यायिक प्रक्रिया Text Book Questions and Answers
पाठगत प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
आपके अनुसार पुलिस के क्या-क्या काम होते हैं ? लिखकर या चित्र बनाकर बताइये।
उत्तर-
पुलिस का काम एफ आई आर दर्ज करना, मामले की छानबीन करना, गिरफ्तारी करना और गिरफ्तार किये गये व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत करना है । फिर अदालत में संबंधित मामले के लिए दोषी व्यक्ति के खिलाफ सबूत जुटाकर पेश करना होता है।
प्रश्न 2.
ग्राम कचहरी ने अपना फैसला अवधेश के पक्ष में क्यों सुनाया? चर्चा कीजिए।
उत्तर-
ग्राम कचहरी ने अवधेश के जमीन के कागजात देखकर अवधेश की बात को सही माना । इसलिए ग्राम कचहरी ने अपना फैसला अवधेश के पक्ष में सुनाया।
प्रश्न 3.
क्या विनोद को अवधेश की पिटाई करनी चाहिए थी ?
उत्तर-
नहीं। ऐसा कर विनोद ने अपराध किया और स्वयं को दंड का भागी बना लिया।
प्रश्न 4.
अगर विनोद ग्राम कचहरी के फैसले से संतुष्ट नहीं था तो उसे क्या करना चाहिए था ?
उत्तर-
तब विनोद को सत्र न्यायालय में अपना मामला लेकर जाना चाहिए था।
प्रश्न 5.
थाने में रिपोर्ट लिखवाना क्यों जरूरी है ?
उत्तर-
बिना थाने में रिपोर्ट लिखवाये पुलिस किसी प्रकार की मदद नहीं कर सकती । यह वैसा ही है जैसे ट्रेन में बैठने के लिए टिकट लेना होता है।
प्रश्न 6.
अगर आपके घर में चोरी हो जाये तो आप कैसे रिपोर्ट लिखवाएँगे? विवरण लिखिए।
उत्तर-
अगर हमारे घर में चोरी हो जाए तो हम थाने जाएँगे और थानेदार से एफ. आई. आर. लिखने को कहेंगे । फिर हम एफ. आई. आर. की नकल प्रति मांगेंगे । यदि थानेदार एफ. आई. आर. दर्ज न करे तो डाक या इंटरनेट के माध्यम से बड़े पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को एफ. आई. आर. दर्ज करवायेंगे।
प्रश्न 7.
एफ आई. आर. की कॉपी क्यों जरूरी है ?
उत्तर-
अपने पास भी तो प्रमाण चाहिए कि हमने एफ. आई. आर. दर्ज करवाई है। क्या भरोसा, कॉपी (नकल) न लेने पर पुलिस एफ. आई. आर. को फाड़ दे या किसी के दबाव में उसमें फेर-बदल कर दें। इसलिए हमारे पास एफ. आई. आर. की कॉपी (नकल) होनी जरूरी है।
प्रश्न 8.
अगर कोई थानेदार आपकी एफ. आई. आर. दर्ज न करे तो आप क्या कर सकते हैं?
उत्तर-
अगर कोई थानेदार हमारी एफ. आई. आर. दर्ज न करे, तो हम डाक या इंटरनेट के माध्यम से पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को एफ. आई. आर. दर्ज करा सकते हैं।
प्रश्न 9.
एफ. आई. आर. की शिकायत के मामले में पुलिस छानबीन से क्या पता लगाने की कोशिश करती है ?
उत्तर-
पुलिस यह पता लगाती है कि एफ. आई. आर. में लिखाई गई बातें सत्य हैं या नहीं यानी जिस व्यक्ति को दोषी बताया गया है, वह वाकई में दोषी है भी या नहीं। कहीं एफ, आई. आर. में झूठी बात तो नहीं लिखाई गई। पुलिस यही सब छानबीन करती है।
प्रश्न 10.
मामले की छानबीन के लिए पुलिस को मार-पिटाई का प्रयोग क्यों – नहीं करना चाहिए?
उत्तर-
ऐसा करना कानून के खिलाफ होता है। इसलिए मामले की छानबीन पुलिस को सभ्य तरीके से करना चाहिए न कि मार-पीट करके।
प्रश्न 11.
किसी भी अपराधी द्वारा थाने में अपना जुर्म कबूल करने पर उसे वहीं पर ही सजा क्यों नहीं सनाई जा सकती?
उत्तर-
मजिस्ट्रेट के सामने अपना जुर्म कबूल करने पर ही व्यक्ति को यानी दोषी को सजा हो सकती है। क्योंकि मजिस्ट्रेट के यहाँ मार-पीट नहीं होती और वह प्रथम न्यायाधीश होता है। जबकि पलिस तो मारपीट कर जबर्दस्ती भी किसी व्यक्ति से अपना जुर्म कबूल करवा सकती है । इसीलिए थाने में अपना जुर्म कबूल करने पर भी किसी अपराधी को वहीं सजा नहीं सुनाई जा सकती चूँकि सजा सुनाने का काम अदालत का है।
प्रश्न 12.
क्या छानबीन की प्रक्रिया को कोई व्यक्ति प्रभावित कर सकता है ? कैसे ? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर-
पैसे के बल पर या उच्च राजनीतिक पहुँच के बल पर कोई समर्थ व्यक्ति पुलिसिया छानबीन की प्रक्रिया को आसानी से प्रभावित कर सकता है। पर, यदि पुलिस अधिकारी ईमानदार हो तो उसे प्रभावित करना इतना आसान नहीं होता।
प्रश्न 13.
जमानत का प्रावधान क्यों रखा गया है ?
उत्तर-
व्यक्ति अपने मामले का मुकदमा अदालत में खुद लड़ सके इसके लिए जमानत का प्रावधान रखा गया है।
प्रश्न 14.
इस कहानी में विनोद का जुर्म जमानती है या गैर-जमानती ?
उत्तर-
इस कहानी में विनोद का जुर्म जमानती है। क्योंकि उसका मुकदमा ‘फौजदारी मुकदमा’ था जो भारतीय दण्ड संहिता की धारा 326 के अंतर्गत आता है। यह मजिस्ट्रेट के ऊपर निर्भर है कि वह जमानत मंजूर करें या इनकार कर दें।
प्रश्न 15.
चोरी, डकैती, कत्ल जैसे जुर्मों को गैर जमानती क्यों माना गया है ?
उत्तर-
ऐसे जर्मों से समाज की शांति और व्यवस्था भंग होती है इसलिए ऐसे जर्मों को गैर जमानती माना गया है।
प्रश्न 16.
आरोपी को आरोप पत्र की कॉपी मिलना क्यों जरूरी है ?
उत्तर-
आरोपी के पास भी इस बात की जानकारी होनी जरूरी है कि उसके खिलाफ पुलिस ने क्या अभियोग या इल्जाम लगाया है। साथ ही यह कि उसके विरुद्ध क्या जानकारी इकट्ठी की गई है जिससे कि वह अदालत में अपने पक्ष में बचाव कर सके । आरोपी को भी न्यायालय में अपना बचाव करने का कानूनी अधिकार है।
प्रश्न 17.
किसी भी मामले में दोनों पक्षों के वकील का होना क्यों आवश्यक
उत्तर-
ताकि दोनों पक्षों की दलील न्यायाधीश के सामने पेश हो पाये और उन्हें सुनकर न्यायाधीश को पूरे मामले की जानकारी हो पाए ।
प्रश्न 18.
किसी भी मुकदमे में गवाहों को पेश करना व उनसे पूछताछ करना क्यों जरूरी है ?
उत्तर-
मामले को पूरी तरह से अदालत में सच-सच सामने लाने के लिए किसी भी मुकदमे में गवाहों को पेश करना व उनसे पूछताछ करना जरूरी है।
प्रश्न 19.
पुलिस और मजिस्ट्रेट के काम में क्या अंतर है ?
उत्तर-
पुलिस का काम मामले की छानबीन करना और गिरफ्तारी करना है जबकि मजिस्ट्रेट का काम फैसला सुनाना है।
प्रश्न 20.
अपील के प्रावधान का क्या उद्देश्य है ?
उत्तर-
यदि किसी आरोपी को निचली अदालत के फैसले से असंतोष हो तो वह उच्च न्यायालय में फैसले के पुनर्निरीक्षण के लिए जा सके यही अपील के प्रावधान का उद्देश्य है।
प्रश्न 21.
ऊपर की अदालतों द्वारा अपील के मामले में दिये गये फैसले नीचे की अदालत को क्यों मानने पड़ते हैं ?
उत्तर-
यह संविधान का नियम है कि ऊपर की अदालतों द्वारा अपीलं के मामले में दिये गये फैसले नीचे की अदालत को मानने पड़ते हैं।
प्रश्न 22.
कई मुकदमे कई साल तक चलते हैं। ऐसा क्यों होता है ?
उत्तर-
अदालतों में न्यायाधीश की कमी का होना और वकीलों द्वारा अपनी कमाई बढ़ाने के उद्देश्य से जान-बूझकर कागजी प्रक्रिया को लंबित किये रहना, कुछ कारण हैं जिससे कई मुकदमे कई साल तक चलते हैं।
अभ्यास-प्रश्न
प्रश्न 1.
इस पाठ को पढ़ने के बाद क्या आपको न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष लगी? यदि हाँ तो उन बिन्दुओं की सूची बनाइये जिससे न्यायिक प्रकिया की निष्पक्षता का पता चलती है।
उत्तर-
हाँ, इस पाठ को पढ़ने के बाद मुझे न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष लगी। पाठ में विनोद और अवधेश के बीच विवाद का ब्यौरा दिया गया है। अवधेश ने जमीन के मामले में विनोद की पिटाई कर उसका हाथ तोड़ दिया । पुलिसिया कार्रवाई के बाद अवधेश को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया ।
प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट की कचहरी में उसकी पेशी हुई फिर कई पेशियों के बाद मजिस्ट्रेट ने अवधेश को विनोद की गंभीर पिटाई का दोषी मानकर उसे चार साल की कैद की सजा सुनाई।
विनोद ने अपने वकील की सलाह पर मजिस्ट्रेट के ऊपर के सत्र न्यायालय में अपील की जहाँ उसकी सजा चार साल से तीन साल कर दी गयी।
फिर इस फैसले से भी असंतुष्ट होकर विनोद ने उच्च न्यायालय में अपील की जहाँ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने सत्र न्यायाधीश के फैसले को बरकरार रखा । अंत में विनोद को जेल जाना पड़ा। इस पूरे प्रकरण से न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता का पता चलता है।
प्रश्न 2.
क्या च्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित किया जा सकता है? अपने उत्तर को कारण सहित लिखिए।
उत्तर-
हाँ, कई मामलों में न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित किया जा सकता है। जैसे मान लिया कि किसी केन्द्रीय मंत्री का भाई किसी संगीन जुर्म में गिरफ्तार होकर अदालत के सामने लाया जाता है। मंत्री मामले से संबंधित न्यायाधीश को तरक्की का प्रलोभन देकर न्यायाधीश की निष्पक्षता को प्रभावित कर अपने भाई को बेगनाह साबित करवा लेता है। यह उदाहरण न्यायिक प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित करने का है।
प्रश्न 3.
पाठ के आधार पर निम्नलिखित कामों के बारे में तालिका को पूरा कीजिये । आप यह भी बताइए कि न्याय दिलाने के मामले में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका किसकी है और क्यों ?
दीवानी पुलिस
– प्रथम रिपोर्ट दर्ज करना
…………
…………
वकील
– अपने-अपने पक्ष में सबूत पेश करना व उनकी जांच-पड़ताल करना।
…………
…………
न्यायाधीश
– मुकदमे को सुनाना
…………
…………
उत्तर-
दीवानी पुलिस
- प्रथम रिपोर्ट दर्ज (एफ. आई. आर०) करना
- मामले की छानबीन करना
- अभियुक्त को गिरफ्तार करना
- आरोपी के खिलाफ सबूत जमा करना
वकील
- अपने-अपने पक्ष में सबूत पेश करना व उनकी जांच-पड़ताल करना ।
- अदालत में दलील पेश करना ।
- अपने पक्ष का बचाव करना ।
- अगली पेशी के लिए तारीख लेना।
- अदालत में कागजी कार्रवाई को अंजाम देना।
न्यायाधीश
- मुकदमे को सुनना।
- गवाहों के बयान सुनना।
- मुकदमे का अगली पेशी की तारीख देना।
- पूरे गुकदमे को सुनकर अपना फैसला सुनाना ।
प्रश्न 4.
अध्याय में दी गयी जानकारी के आधार पर निम्न तालिका को भरिये।
उत्तर-
प्रश्न 5.
मान लें आप एक उच्च न्यायालय में न्यायाधीश हैं। न्याय देते समय आप किन-किन बातों का ध्यान रखेंगे?
उत्तर-
एक उच्च न्यायालय का न्यायाधीश होते हुए मैं इस बात का खास ध्यान रखूगा कि किसी बेगुनाह को सजा न मिले और कोई दोषी कानून की नजर से बचकर न निकल सके।
प्रश्न 6.
भारत में अपनायी जाने वाली न्यायिक प्रक्रिया में क्या-क्या कमियाँ हैं ? इन कमियों को दूर करने के लिए क्या-क्या करना चाहिए?
उत्तर-
भारत में अपनायी जाने वाली न्यायिक प्रक्रिया में कई कमियाँ हैं। उनमें से कुछ निम्नांकित हैं.
- अदालतों का जनसंख्या की बढ़ोतरी के हिसाब से बेहद कम होना।
- अदालत में न्यायाधीशों की कमी होना।
- कागजी प्रक्रिया बेहद जटिल होना।
- कानूनी प्रक्रिया बहुत खर्चीली होना।
- किसी मामले की सुनवाई होने और फैसला लेने की प्रक्रिया में बहुत ज्यादा समय लगना।