Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 7 एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर

Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 7 एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 7 एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर

Bihar Board Class 12 History एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर Textbook Questions and Answers

उत्तर दीजिए (लगभग 100-150 शब्दों में)

Bihar Board Solution Class 12th History प्रश्न 1.
पिछली दो शताब्दियों में हम्पी के भवनावशेषों को अध्ययन में कौन-सी पद्धतियों का प्रयोग किया गया है? आपके अनुसार यह पद्धतियाँ विरुपाक्ष मंदिर के पुरोहितों द्वारा प्रदान की गई जानकारी की किस प्रकार पुरक रही?
उत्तर:
पिछली दो शताब्दियों में हम्पी के भवनावशेषों के अध्ययन की पद्धतियाँ एवं विरुपाक्ष मंदिर के पुरोहितों द्वारा प्रदान की गई जानकारी का यूरक: विजयनगर का विनाश होने के लगभग दो सौ वर्ष पश्चात् भी विजयनगर की स्मृति बनी रही। हम्पी की खोज में एक अभियन्ता (Engineer) एवं पुरातत्वविद् कर्नल कॉलिन मैकेन्जी का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। उसने 1800 ई० में इस स्थान का सर्वप्रथम सर्वेक्षण मानचित्र तैयार किया।

उसे विरुपाक्ष मंदिर तथा पम्पादेवी के पूजास्थल के पुजारियों से इसके बारे में आरंभिक जानकारी मिली। इसके आधार पर 1856 ई० से छायाचित्रकारों ने शोधकर्ताओं के अध्ययन कार्य को सुगम बनाने के लिए यहाँ के भवनों के चित्र संकलित करने आरंभ किये। 1836 ई० से विद्वानों ने विभिन्न मंदिरों से अनेक अभिलेख एकत्र करने शुरू कर दिए। विजयनगर साम्राज्य के इतिहास का पुनर्निर्माण करने के लिए इन स्रोतों की विदेशी यात्रियों के वृत्तांतों तथा तेलुगु कन्नड़, तमिल और संस्कृत में लिखे गये साहित्य से तुलना की गई।

विजयनगर शासकों ने वर्षा जल संचयन Bihar Board Class 12 प्रश्न 2.
विजयनगर की जल आवश्यकताओं को किस प्रकार पूरा किया जाता था?
उत्तर:
विजयनगर की जल आवश्यकताओं को पूरा करने के उपाय –

  1. विजयनगर का क्षेत्र एक शुष्क क्षेत्र है। इसकी जल आवश्यकता तुंगभद्रा नदी पूरी करती है। यह नदी एक प्राकृतिक कुंड का निर्माण करती है।
  2. नदी के आस-पास करधनी के रूप में ग्रेनाइट पत्थर की पहाड़ियाँ हैं जिनका पानी जल धाराओं के रूप में नदी में गिरता है।
  3. सभी धाराओं के साथ एक हौज बनाया गया है। हौज के जल का प्रयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है।
  4. इन हौजों में प्रसिद्ध हौज 15 वीं शताब्दी में निर्मित कमलपुरम् जलाशय है। इसके जल का प्रयोग पीने और सिंचाई दोनों कार्यों के लिये किया जाता है।
  5. जल का प्रमुख स्रोत हिरिया नहर था। इस नहर में तुंगभद्रा पर बने बांध से पानी लाया जाता था और घाटी स्थित कृषि भूमि को सिंचाई में प्रयोग किया जाता था।

विजयनगर में सेना प्रमुख को क्या कहा जाता था Bihar Board Class 12 प्रश्न 3.
शहर के किलेबंद क्षेत्र में कृषि क्षेत्र को रखने के आपके विचार में क्या फायदे और नुकसान थे?
उत्तर:
शहर के क्षेत्र में कृषि क्षेत्र को रखने के फायदे और नुकसान –
1. विजयनगर के शासकों ने शहर के किलेबंद क्षेत्र के भीतर ही कृषि क्षेत्र को रखा था। इसकी पुष्टि फारस यात्री अब्दुर्रज्जाक और पुरातत्त्वविदों ने की है। इसका फायदा यह था कि आक्रमणकारियों को खाद्य सामग्री से वंचित करने और समर्पण के लिए बाध्य करने में होता था। आक्रमणकारियों द्वारा किले को कई महीनों और यहाँ तक कि वर्षों तक घेरा जा सकता था। ऐसी परिस्थितियों में प्राथमिक जरूरत को पूरा करने के लिए किलेबंद क्षेत्रों के भीतर ही खेती की व्यवस्था और अन्नागारों का निर्माण किया जाता था।

2. इस व्यवस्था का नुकसान यह था कि शासकों को कृषि क्षेत्र विस्तृत होने के कारण किले की ऊँची प्राचीर तैयार कराने में बहुत अधिक खर्च आता था । पर्याप्त साधनों और धन की आवश्यकता होती थी।

प्रश्न 4.
आपके विचार में महानवमी डिब्बा से संबद्ध अनुष्ठानों का क्या महत्त्व था?
उत्तर:
महानवमी डिब्बा से संबद्ध अनुष्ठान:
महानवमी डिब्बा शहर की सबसे ऊँची संरचना थी। इसका आधार 11000 वर्ग फीट है। मंच के आधार पर सुन्दर आकृतियाँ उत्कीर्ण हैं। इस ढाँचे का सम्बन्ध 10 दिन चलने वाले हिंदू त्यौहार दशहरा (उत्तर भारत), दुर्गापूजा (बंगाल) तथा नवरात्रि या महानवमी (दक्षिण भारत) के साथ था। इस अवसर पर शासक अपनी शक्ति और वैभव का प्रदर्शन करता था। इसके अलावा अन्य धर्मानुष्ठानों में मूर्ति पूजा राज्य के अश्व की पूजा, भैंसों और अन्य जानवरों की बलि शामिल है। इस अवसर पर विभिन्न अधिकारियों एवं कर्मचारियों को पुरस्कार और उपहार दिए जाते थे। राजा सेना का निरीक्षण भी करता था। इन सबके बावजूद महानवमी डिब्बा के विषय में स्पष्ट जानकारी अभी तक प्राप्त नहीं हो पाई है।

प्रश्न 5.
यह विरुपाक्ष मंदिर के एक अन्य स्तंभ का रेखाचित्र है। क्या आप कोई पुष्प-विषयक रूपांकन देखते हैं? किन जानवरों को दिखाया गया है? आपके विचार में उन्हें क्यों चित्रित किया गया है? मानव आकृतियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  1. स्तंभ पर अश्व के नीचे पुष्प विषयक रूपांकन दिखाई देता है। शायद अश्व के महत्त्व को दर्शाने के लिए ऐसा किया गया है।
  2. स्तम्भ पर अश्व मोर को दिखाया गया है। अश्व विजय का प्रतीक होता है और मोर राष्ट्रीय पक्षी है।
  3. इसमें तीन मानव आकृतियाँ हैं। सबसे ऊपर स्त्री की आकृति है जिसके एक हाथ में पुष्प है। उसके नीचे दूसरी आकृति धनुष लिये हुए हैं और उसका एक पैर शिवलिंग पर है। तीसरी आकृति बड़े पेट वाले किसी पुरुष की है। उसके बांये हाथ में गदा जैसा कोई युद्धास्त्र है।

Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 7 एक साम्राज्य की राजधानी विजयनगर img 4

निम्नलिखित पर एक लघु निबंध लिखिए। (लगभग 250 से 300 शब्दों में)

प्रश्न 6.
“शाही केन्द्र” शब्द शहर के जिस भाग के लिए प्रयोग किए गए हैं, क्या वे उस भाग का सही वर्णन करते हैं?
उत्तर:
“शाही केन्द्र” या “राजकीय केन्द्र” आबादी के दक्षिण:
पश्चिम में स्थित था। इसमें 60 से अधिक मंदिर बने थे। स्पष्ट है कि “शाही केन्द्र” शब्द शहर के जिस भाग के लिए प्रयोग किये गये हैं, वे उस भाग का सही वर्णन नहीं करते हैं। इन देव स्थलों में प्रतिष्ठित देवी-देवताओं से संबंद्ध जनता को यहाँ के शासक प्रसन्न रखकर अपनी सत्ता को स्थापित करने तथा वैधता प्रदान करने का प्रयास कर रहे थे।

इतना अवश्य है कि:
शाही केन्द्र में 30 संरचनायें ऐसी हैं जिनकी पहचान महलों के रूप में की गई है। ये अपेक्षाकृत विशाल संरचनाये हैं जो धार्मिक कार्यों से सम्बद्ध नहीं थी। मंदिरों और संरचनाओं से ये ढाँचे इस अर्थ में भिन्न थे कि मंदिर पूरी तरह धर्म-गाथाओं एवं चित्रों से निर्मित थे जबकि महल जैसे भवनों की अधिरचना विलासी वस्तुओं से तैयार की गई थी। कुछ भवनों का नामकरण उनके आकार और कार्य के आधार पर किया गया है।

उदाहरण के लिए राजा का भवन’ आंतरिक क्षेत्र में बहुत विशाल है। इसके मुख्य भाग सभा मण्डप और महानवमी डिब्बा है। सभा-मण्डप के उपयोग के विषय में इतिहासकार स्पष्ट नहीं है। महानवमी डिब्बा का सम्बन्ध 10 दिन चलने वाले हिंदू त्यौहार दशहरा (उत्तर भारत), दुर्गापूजा (बंगाल) या नवरात्रि या महानवमी (दक्षिण भारत) से था। इस अवसर पर शासक अपनी शक्ति, वैभव का प्रदर्शन करते थे। इसमें कुछ अनुष्ठान भी संपन्न कराए जाते थे। इस अवसर पर राजा नायकों की सेना का निरीक्षण करता था। इसके अलावा इस क्षेत्र में एक लोट्स (कमल) महल था। मैकेंजी के अनुसार यह परिषदीय-सदन था। इसके आस-पास भी कई मंदिर थे।

प्रश्न 7.
कमल महल और हाथियों के अस्तबल जैसे भवनों का स्थापत्य हमें उनके बनवाने वाले शासकों के विषय में क्या बताता है?
उत्तर:
शाही केन्द्र के सर्वाधिक आकर्षक भवनों में एक लोट्स (कमल) महल है जिसका यह नामकरण 19 वीं शताब्दी में अंग्रेज यात्रियों ने किया था। यह नाम रोमांचकारी है परंतु इतिहासकार इस संबंध में यह निश्चय नहीं कर पाये हैं कि इस भवन का किस कार्य के लिए प्रयोग किया जाता था। मैकेन्जी का सुझाव है कि यह भवन परिषदीय सदन था जहाँ राजा अपने परामर्शदाताओं से मिलता था। कमल महल के निकट ही हाथियों का अस्तबल था। ये अस्तबल समस्तरी थे। इससे ज्ञात होता है कि विजयनगर के शासक हाथियों के शौकीन थे। हाथियों का प्रयोग सेना के अलावा अन्य कार्यों के लिए भी किया जाता था। अस्तबल में अनेक विशाल कक्ष या हाल थे। स्पष्ट है कि हाथियों की संख्या भी पर्याप्त थी।

प्रश्न 8.
स्थापत्य की कौन-कौन सी परम्पराओं ने विजयनगर में वास्तुविदों को प्रेरित किया? उन्होंने इन परम्पराओं में किस प्रकार बदलाव किये?
उत्तर:
वियजनगर के वास्तुविदों को प्रभावित करने वाली स्थापत्य परम्परायें और इनमें –
बदलाव:
विजयनगर में स्थापत्य कला का विकास 1336 ई० से 1365 ई० के बीच विजयनगर के सम्राटों ने किया। यह साम्राज्य दक्षिण भारत के एक बड़े भाग तक विस्तृत था। वास्तुविदों को यहाँ के मंदिर, भवन, महल और दुर्ग जैसी संरचनाओं ने बहुत प्रभावित किया। विजयनगर और इसके आस-पास के भवनों को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की मान्यता मिली है। नये मंदिरों के निर्माण के अतिरिक्त वियजनगर के शासकों ने पूरे दक्षिण भारत के पुराने मंदिरों में भी कुछ परिवर्तन किये। इनमें से कुछ भवन विजयनगर साम्राज्य की स्थापना से पहले के हैं।

शहरी केन्द्र में व्यापारियों के भवन हैं। यहाँ मंदिर और मकबरे भी मिले हैं। शाही केन्द्र में दो प्रमुख संरचनायें-सभामंडल और महानवमी डिब्बा है। ये दोनों संरचनायें धार्मिक कार्यों के लिए बनायी गई थीं। इसके अलावा लोट्स महल के आस-पास अनेक मंदिर हैं। इसी में हजार राम मंदिर है। मंदिरों के गोपुरम् और मण्डप अत्यंत आकर्षक हैं। ये ढाँचा विरुपाक्ष मंदिर और विट्ठल मंदिर में देखने को मिलते हैं।

प्रश्न 9.
अध्याय के विभिन्न विवरणों से आप विजयनगर के सामान्य लोगों के जीवन की क्या छवि पाते हैं?
उत्तर:
वियजनगर के सामान्य लोगों के जीवन की छवि:
अध्याय के विभिन्न विवरणों से सामान्य लोगों के जीवन की निम्नलिखित झाँकी दिखाई पड़ती है –
1. बरबोसा के विवरण से ज्ञात होता है कि सामान्य लोगों का जीवन बहुत अच्छा नहीं था। उसके अनुसार सामान्य लोगों के कच्चे आवास थे परंतु बहुत मजबूत बनाए गए थे।

2. क्षेत्र सर्वेक्षण से ज्ञात होता है कि यहाँ विभिन्न सम्प्रदायों और समुदायों के पूजा स्थल और छोटे मंदिर भी हैं।

3. सामान्य लोग जल संरक्षण के प्रति विशेष रहते थे। इसके लिए कुँए, वर्षा के पानी वाले जलाशय और मंदिर के जलाशय की व्यवस्था थी।

4. शहरों में व्यापार बहुत समृद्ध था और वहाँ की बाजार मसालों, वस्त्रों तथा रत्नों से परिपूर्ण थी। इससे लगता है कि शहर की जनता समृद्ध थी और विदेशों से महँगे सामान मँगाती थी।

5. सामान्य लोगों की जीविका का प्रमुख साधन कृषि थी। विजयनगर की कृषि अच्छी थी और विभिन्न प्रकार के अनाजों, सब्जियों और फलों की खेती की जाती थी।

6. विजयनगर के लोग अत्यधिक धार्मिक थे-इसका अनुमान सभी स्थलों से मंदिरों के अवशेष मिलने से लगाया जा सकता है। ये लोग विशेष रूप से पम्पादेवी और विरुपाक्ष की पूजा करते थे। (vii) लोग भोजन में चावल, गेहूँ, मकई, जौ, सेम, मूंग, दालें, फल, सब्जी और यहाँ तक कि मांस का भी प्रयोग करते थे। नूनिज के अनुसार, “बाजार में “भेड़, बकरी का मांस, सूअर, मृगमांस, तीतर मांस, खरगोश, कबूतर, बटेर और सभी प्रकार के पक्षी, चूहे, बिल्लियों और छिपकलियों का मांस बिकता था।”

मानचित्र कार्य

प्रश्न 10.
विश्व के सीमारेखा पर इटली, पुर्तगाल, ईरान तथा रूस को सन्निकता से अंकित कीजिए। उन मार्गों को पहचानिए जिनका प्रयोग इटली का निकोलो दे कॉन्ती (व्यापारी), अब्दुर रज्जाक (राजदूत), अफानासी निकितिन (रूसी व्यापारी), दुआर्ते बरबोसा, डोमिंगो पेस तथा फर्नावो नूनिज (पुर्तगाली नागरिक) ने विजयनगर पहुँचने के लिए किया था।
उत्तर:
Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 7 एक साम्राज्य की राजधानी विजयनगर img 2

परियोजना कार्य (कोई एक)

प्रश्न 11.
भारतीय उपमहाद्वीप के किसी एक ऐसे प्रमुख शहर के विषय में और जानकारी हासिल कीजिए जो लगभग चौदहवीं-सत्रहवीं शताब्दियों में फला-फूला। शहर के स्थापत्य का वर्णन कीजिए। क्या कोई ऐसे लक्षण हैं जो इनके राजनीतिक केन्द्र होने की ओर संकेत करें? क्या ऐसे भवन हैं जो आनुष्ठानिक रूप से महत्त्वपूर्ण हों? कौन-से ऐसे लक्षण हैं जो शहरी भाग को आस-पास के क्षेत्रों से विभाजित करते हैं?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 12.
अपने आस-पास किसी धार्मिक भवन को देखिए। रेखाचित्र के माध्यम से छत, स्तम्भों, मेहराबों, यदि हों, तो गलियारों, रास्तों, सभागारों, प्रवेश द्वारों, जल आपूर्ति आदि का वर्णन कीजिए। इन सभी की तुलना निरुपाक्ष मंदिर के अभिलक्षणों से कीजिए। वर्णन कीजिए कि भवन का प्रत्येक भाग किस प्रयोग में लाया जाता था। इसके इतिहास के विषय में पता कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

Bihar Board Class 12 History एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
महमूद खाँ कौन था?
उत्तर:
यह बहमनी शासक मुहम्मदशाह तृतीय का प्रधानमंत्री था। इसने बहमनी राज्य को शक्तिशाली बनाने में बहुत अधिक सहयोग दिया। उसने कोंकण, संगमेश्वर, उड़ीसा और विजयनगर के शासकों को हराया। उसने सेना को संगठित किया और किसानों की सहायता की। वह विद्वानों और कलाकारों का आदर करता था। उसका बहुत दुःखद अंत हुआ।

प्रश्न 2.
विजयनगर राज्य की स्थापना कैसे हुई?
उत्तर:
विजयनगर राज्य की स्थापना दो भाइयों-हरिहर और बुक्का ने की। मुहम्मद तुगलक के शासन काल में दक्षिण भारत में विद्रोह भारत में विद्रोह का लाभ उठाकर उन्होंने 1336 ई० में इसको स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया था।

प्रश्न 3.
बहमनी राज्य की स्थापना कब और किसने की?
उत्तर:
बहमनी राज्य की स्थापना अलाउद्दीन बहमन शाह ने 1247 ई० में की। यह मुस्लिम राज्य था।

प्रश्न 4.
पुर्तगालियों के आगमन से पूर्व भारत के अन्य देशों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
वास्को-डि-गामा 1498 ई० में कालीकट बन्दरगाह पर पहुँचने वाला पहला पुर्तगाली मल्लाह था। वास्को-डि-गामा से पहले भारत के मिश्र, अरब, ईरान, ईराक, सीरिया आदि देशों के साथ बड़े घनिष्ठ व्यापारिक सम्बन्ध थे। भारत के गर्म मसाले, जड़ी-बूटियाँ आदि अरब व्यापारियों के माध्यम से दोनों स्थल और जल मार्गों से यूरोप के जेनोवा, वेनिस आदि बन्दरगाहों तक पहुँच जाते थे और उधर से भारत में घोड़े और ऐश्वर्य की सामग्री लाई जाती थी।

प्रश्न 5.
तालीकोट का युद्ध कब और कहाँ हुआ?
उत्तर:

  1. 23 जनवरी, 1565 को।
  2. राक्षसी और तगड़ी ग्रामों के मध्य।

प्रश्न 6.
विजयनगर का नाम हम्पी कैसे पड़ा?
उत्तर:
इस नाम का आविर्भाव यहाँ की स्थानीय मातृदेवी पम्पादेवी के नाम से हुआ था।

प्रश्न 7.
विजयनगर के शासकों को उत्तरी सीमा पर किन राज्यों से संघर्ष करना पड़ा और क्यों?
उत्तर:
विजयनगर के शासकों को अपने समकालीन राजाओं-दक्कन के सुल्तान तथा उड़ीसा के गजपति शासक से संघर्ष करना पड़ा। वे लाभकारी विदेशी व्यापार तथा कृषि क्षेत्र पर कब्जा करना चाहते थे।

प्रश्न 8.
नायकर कौन थे?
उत्तर:
नायकर व्यवस्था विजयनगर राज्य में थी। नायकर वस्तुत: भू – सामन्त थे। अधीनस्थ सेना के रख-रखाव के लिए राजा इनहें वेतन के बदले में एक विशेष भूखण्ड देता था।

प्रश्न 9.
अमर नायक प्रणाली क्या थी? इसकी क्या विशेषता थी?
उत्तर:

  1. यह विजयनगर साम्राज्य को प्रमुख राजनीतिक प्रणाली थी। अमर नायक सैनिक कमांडर थे इन्हें विजयनगर के शासक प्रशासन के लिए राज्य क्षेत्र सौंपते थे।
  2. यह प्रणाली दिल्ली सल्तनत की इक्ता प्रणाली से मिलती-जुलती थी।

प्रश्न 10.
भारत में पुर्तगालियों को एक दृढ़ शक्ति बनाने में अलवुकर्क की क्या भूमिका रही?
उत्तर:
पुर्तगाली बस्तियों का वायसराय अलबुकर्क 1509 से 1515 ई० तक भारत में रहा। उसने बीजापुर के सुल्तान से 1510 ई० में गोआ छीन लिया और उसे भारत में पुर्तगाली साम्राज्य की राजधानी बनाया। एशिया और अफ्रीका के महत्त्वपूर्ण ठिकानों पर किलों का निर्माण करके उसने पूर्वी व्यापार पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया।

प्रश्न 11.
क्या तुर्कों तथा पुर्तगालियों के मध्य का संघर्ष अपरिहार्य था? भारत के व्यापार पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
तुर्कों और पुर्तगालियों के मध्य का संघर्ष अपरिहार्य था क्योंकि हिन्द महासागर पर दोनों में से केवल एक का प्रभुत्व स्थापित हो सकता था। बिना आपसी संघर्ष के इस बात का निश्चय नहीं हो सकता था कि पूर्वी देशों के साथ व्यापार पर किसका प्रभुत्व स्थापित हो। तुर्को और पुर्तगालियों में समुद्री मार्गों पर प्रभुत्व स्थापित करने के लिए अनेक झड़पें हुईं। तुर्कों को अन्ततः पराजय का मुँह देखना पड़ा। भारत पर इस संघर्ष का बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। भारतीय नाविक जो पहले अन्य देशों से स्वतंत्र रूप से व्यापार कर लेते थे वह समाप्त हो गया। अब उनके जहाज डुबो दिए जाते थे और उन्हें मार दिया जाता था।

प्रश्न 12.
विजयनगर के तीन राजवंश कौन-से थे?
उत्तर:

  1. संगम वंश: 1336 से 1485 ई० तक।
  2. सुलव वंश: 1485 से 1503 ई० तक।
  3. तुलुव वंश: 1503 से 1565 ई० तक।

प्रश्न 13.
बरबोसा ने सामान्य लोगों के विषय में क्या लिखा है?
उत्तर:

  1. लोगों के आवास छप्पर के हैं परंतु फिर भी मजबूत है।
  2. कई खुले स्थानों वाली लम्बी गलियों में बाजारें लगाई जाती है।

प्रश्न 14.
हजार राम मंदिर क्यों प्रसिद्ध था?
उत्तर:

  1. यह मंदिर शाही केन्द्र में स्थित था। इसमें केवल राजा और उनके परिवार के लोग पूजा करते थे।
  2. देवस्थल की मूर्तियाँ नष्ट हो गयी हैं परंतु दीवारों पर अकेरी गई मूर्तियाँ सुरक्षित हैं। उल्लेखनीय है कि आंतरिक दीवारों पर रामायण के दृश्य अंकित हैं।

प्रश्न 15.
आप कमलपुरम् जलाशय के बारे में क्या जानते हैं?
उत्तर:

  1. विजयनगर एक शुष्क क्षेत्र था। जल संरक्षण के लिए यहाँ हौज या जलाशय बनाये जाते थे। इनमें सबसे प्रसिद्ध ‘कमलपुरम् जलाशय’ था।
  2. इस जलाशय से सिंचाई होती थी और इसका. जल एक नहर के द्वारा राजकीय केन्द्र तक ले जाया जाता था।

प्रश्न 16.
दक्षिण के राज्यों में संघर्ष का मुख्य कारण क्या था?
उत्तर:

  1. दक्षिण के शासक अपने राज्य का विस्तार करना चाहते थे।
  2. वे अपने राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत बनाने के लिए दूसरे राज्यों पर आक्रमण करते थे।

प्रश्न 17.
विजयनगर और बहमनी राज्य के पतन के दो कारण बताइये।
उत्तर:

  1. दोनों राज्य अपने विस्तार के लिए एक-दूसरे से युद्ध करते रहते थे।
  2. दोनों राज्य रायचूर, दोआब पर अधिकार करने के लिए लालायित थे।

प्रश्न 18.
विजयनगर के शासकों में कृष्णदेवराय को महानतम् शासक क्यों माना जाता है।
उत्तर:

  1. वह एक महान् योद्धा था और उसने विजयनगर की सेनाओं को अभूतपूर्व शक्तिशाली बनाया।
  2. उसने वियजनगर के पास एक नया शहर बसाया तथा वहाँ एक भव्य तालाब का निर्माण करवाया।

प्रश्न 19.
उन विदेशी यात्रियों का उल्लेख कीजिए जिन्होंने विजयनगर शहर की यात्रा की?
उत्तर:

  1. निकोलो-दे-कान्ती-यह इतालवी व्यापारी था।
  2. अब्दुर रज्जाक-यह फारस के राजा का राजदूत था।
  3. अफानासी निकितिन-यह रूस का व्यापारी था। इन सभी ने 15वीं शताब्दी में भारत की यात्रा की।
  4. 16वीं शताब्दी से दुआते बरबोसा, डोमिंगो पेस तथा पुर्तगाल के फनीबो नूलिज ने भी भारत की यात्रा की।

प्रश्न 20.
विजयनगर की इंडो-इस्लामिक शैली की क्या विशेषता है?
उत्तर:

  1. इतिहासकारों ने किलेबंद बस्ती में जाने वाले प्रवेश द्वार पर बनी मेहराब तथा द्वार के ऊपर बनी गुंबद की स्थापत्य शैली को इंडो-इस्लामिक शैली नाम दिया है।
  2. यह शैली विभिन्न क्षेत्रों की स्थानीय स्थापत्य कला का मिश्रित रूप है।

प्रश्न 21.
विजयनगर शहर की दुर्गीकरण या किलेबंदी प्रणाली का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. एक दुर्ग द्वारा शहर के खेतों को घेरा गया था।
  2. नगरीय केन्द्र को भी सुदृढ़ दीवारों से घेरा गया था।
  3. शासकीय केन्द्र को घेरा गया था और महत्त्वपूर्ण ईमारतों के प्रत्येक समूह की घेराबंदी ऊँची दीवारों से की गई थी।

प्रश्न 22.
राय गोपुरम् क्यों बनाये जाते थे?
उत्तर:

  1. यह स्थापत्य कला का एक नवीन तत्त्व था। इसको राजकीय प्रवेश द्वारा कहा जाता था। ये प्रायः केन्द्रीय देवालयों की मीनारों से भी कई गुना अधिक ऊँचे थे।
  2. ये लम्बी दूरी से ही मंदिर होने का संकेत देते थे। गोपुरम शासकों की शक्ति का प्रतीक था क्योंकि इनके निर्माण में पर्याप्त साधन, तकनीक तथा कौशल का प्रयोग होता था।

प्रश्न 23.
विजयनगर पर कौन-कौन से राजवंशों ने शासन किया?
उत्तर:

  1. संगम वंश
  2. सुलुवा वंश
  3. तलुवा वंश
  4. अराविदु वंश।

प्रश्न 24.
कॉलिन मैकेंजी कौन था? उसकी मुख्य उपलब्धि क्या थी?
उत्तर:

  1. कॉलिन मैकेंजी एक अभियंता एवं पुराविद् थे। वह ईस्ट इंडिया कंपनी में कार्यरत थे।
  2. उन्होंने विजयनगर (हंपी) का पहला सर्वेक्षण मानचित्र तैयार किया था। इस नगर के विषय में उसकी जानकारी विरुपाक्ष मंदिर तथा पंपा देवी के पूजास्थल के पुरोहितों के साथ किए गए साक्षात्कार से संगृहीत की गई थी।

प्रश्न 25.
विजयनगर के मंदिरों के दो मुख्य अभिलक्षणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. मंदिरों में विशाल संरचनायें बनाई जाने लगीं। इसका सबसे अच्छा उदाहरण गोपुरम् अथवा राजकीय प्रवेश द्वार था।
  2. दूसरा अभिलक्षण मंडल तथा गलियारों के निर्माण का था। ये गलियारे मंदिर परिसर में स्थित देवस्थलों के चारों ओर बने थे।

प्रश्न 26.
विजयनगर के ‘महानवमी डिब्बा’ की मुख्य विशेषतायें क्या हैं?
उत्तर:

  1. महानवमी डिब्बा’ एक विशालकाय मंच है जो शहर के सबसे ऊँचे स्थानों में से एक पर स्थित है। यह लकड़ी से निर्मित एक विशाल ढाँचा था।
  2. मंच के आधार पर उभारदार नक्काशी की गई है।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
कृष्णदेवराय तृतीय को विजयनगर के शासकों में महान् शासक क्यों समझा जाता है? तीन प्रमाण दीजिए।
उत्तर:
कृष्णदेवराय तृतीय का मूल्यांकन –
1. महान विजेता:
वह एक महान् सैनिक और सेनापति था। उसने अपने सभी विरोधियों और विद्रोहियों का दमन करके बीदर, बीजापुर और उड़ीसा राज्यों को जीत लिया।

2. कुशल प्रशासक:
उन्होंने अपने राज्य संगठित करके प्रजा को न्याय प्रदान किया। भूमि सम्बन्धी और व्यापार सम्बन्धी सुधार भी कृष्णदेवराय तृतीय द्वारा किए गए।

3. कला और साहित्य का संरक्षक:
उन्होंने अपने साम्राज्य में संस्कृत और तेलगू को बढ़ावा दिया। कला के क्षेत्र में गोपुर टावर का निर्माण करवाया। उन्होंने प्रसिद्ध कृष्णस्वामी का मंदिर और नागतापुर नगर का निर्माण करवाया। उनकी महानता की प्रशंसा करते हुए डॉ. ईश्वरी प्रसाद ने लिखा है-“दक्षिण के हिन्दू और मुसलमान राजाओं में एक भी ऐसा नहीं था जिसकी तुलना कृष्णदेवराय से की जा सके।”

प्रश्न 2.
विजयनगर राज्य की स्थापना कैसे हुई?
उत्तर:
विजयनगर राज्य की स्थापना-विजयनगर राज्य की स्थापना संगम वंशी के दो भाईयों-हरिहर और बुक्काराय ने की। ये वारंगल के राजा प्रताप रुद्रदेव के यहाँ नौकरी करते थे। उस समय उत्तरी भारत पर मुहम्मद तुगलक राज करता था। जब मुसलमानों ने दक्षिणी भारत को जीत लिया तो इन दोनों भाइयों को बंदी बनाकर दिल्ली लाया गया। दक्षिण भारत के विद्रोह का दमन करने के लिए सुल्तान मुहम्मद तुगलक ने हरिहर और बुक्काराय को रायचूर दोआब का सामन्त बनाकर भेजा।

उनके गुरु माधव विद्यारण्य ने उन्हें हिन्दू जनता की रक्षा के लिए स्वतंत्र राज्य स्थापित करने की प्रेरणा दी। उन्होंने अपने गुरु के नाम पर तुंगभद्रा नदी के किनारे 1336 ई० में विद्यानगर अथवा विजयनगर की नींव रखी जो बाद में एक विशाल साम्राज्य बन गया। सीवेल के अनुसार, “यह एक ऐसी महत्त्वपूर्ण घटना थी जिसने दक्षिण भारत के इतिहास को बदल दिया।” यह राज्य मुसलमानों के अत्याचारों से पीड़ित हिन्दुओं की शरणस्थली बन गया।

प्रश्न 3.
विजयनगर साम्राज्य के पतन के तीन कारण बताइये। अथवा, “तालीकोट का युद्ध विजयनगर राज्य के पतन का तत्कालीन कारण था, परंतु अन्य भी कारण थे।” तीन कारण दीजिए।
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य के पतन के कारण –
1. अयोग्य शासक:
कृष्णदेवराय तृतीय के शासन काल तक विजयनगर साम्राज्य मजबूत बना रहा परंतु उनके उत्तराधिकारी अपने सामन्तों और मंत्रियों के हाथों की कठपुतली बन गये।

2. सैनिक कमजोरी:
विजयनगर का सैनिक संगठन सामन्ती ढंग का था। सामन्त विश्वासघाती और अवसरवादी थे। विजयनगर की सेना में अश्वसेना का अभाव था।

3. दक्षिण के झगड़ों में हस्तक्षेप और तालीकोट का युद्ध:
सदाशिवराय जैसे शासक दक्षिण के अन्य राज्यों पर आक्रमण करते थे। कालांतर में बीजापुर, गोलकुंडा और अहमदनगर राज्यों के मुसलमान सुल्तानों ने एक साथ मिलकर 1665 ई० के तालीकोट युद्ध में विजयनगर को बुरी तरह पराजित कर दिया और उसका पतन आरम्भ हो गया।

प्रश्न 4.
कॉलिन मैकेन्जी कौन थे?
उत्तर:

  1. कॉलिन मैकेन्जी एक अभियंता, सर्वेक्षक तथा मानचित्रकार थे जिनका जन्म 1754 ई० में हुआ था।
  2. 1815 ई० में ईस्ट इंडिया कंपनी ने उन्हें भारत का प्रथम सर्वेयर जनरल बनाया और 1821 ई० में अपनी मृत्यु तक इस पद पर कार्य करते रहे।
  3. भारत के अतोत को समझने और उपनिवेश के प्रशासन को आसान बनाने के लिए उन्होंने स्थानीय परम्पराओं का संकलन किया तथा ऐतिहासिक स्थलों का सर्वेक्षण आरम्भ किया।
  4. भारत के कई संस्थानों, कानूनों तथा रीतिरिवाजों के विषय में महत्त्वपूर्ण जानकारी देना जैसे कार्य उनके सर्वेक्षण में सम्मिलित थे।

प्रश्न 5.
विजयनगर साम्राज्य के व्यापार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य का व्यापार:

  1. विजयनगर के शासकों को युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए अरब तथा मध्य एशिया के घोड़ों की आवश्यकता थी। उन्होंने इन देशों से घोड़ों का आयात किया।
  2. व्यापारियों के स्थानीय समूह यथा-कुदिरई चेट्टी या घोड़ों के व्यापारी भी इसमें रुचि लेते थे।
  3. 1498 ई० से पुर्तगाली व्यापारी भी भारत आकर इसके पश्चिमी तट पर बस गये। अपनी बेहतर सामरिक तकनीक एवं बंदूकों के प्रयोग से वे राजनीति में महत्त्वपूर्ण हो गये।
  4. विजयनगर मसालों, वस्त्रों तथा रत्नों की एक बहुत बड़ो बाजार था। यहाँ की जनता महँगी वस्तुओं का आयात करती थी। उन्नत व्यापार ने राज्य की राजस्व आय को बढ़ाया।

प्रश्न 6.
विजयनगर की आर्थिक दशा का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
विजयनगर की आर्थिक दशा:
आर्थिक दृष्टि से विजयनगर एक सम्पन्न राज्य था ! कृषि और व्यापार उन्नत थे। यहाँ आन्तरिक एवं बाह्य दोनों व्यापार होते थे। स्थल तथा जल दोनों मार्गों से व्यापार होता था। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार मुख्यतः चीन, बर्मा, अरब, फारस तथा पुर्तगाल आदि देशों के साथ होता था। इन देशों को कपड़ा, चावल, लोहा, शोरा तथा मसाले आदि का मिर्यात किया जाता था। विदेशों से उत्तम नस्ल के घोड़े, हाथी, तांबा, मूंगा, पारा, रेशम आदि मँगवाए जाते थे। राज्य में अनेक उत्तम बंदरगाह थे।

पुर्तगाली यात्री डोमिंगोस पईज ने विजयनगर की आर्थिक समृद्धि का वर्णन करते हुए लिखा है, “राजा के पास भारी कोष, अनेक सैनिक तथा हाथी है। इस नगर में तुम्हें प्रत्येक राष्ट्र और जाति के लोग मिलेंगे, क्योंकि यहाँ व्यापार अधिक होता है और हीरे आदि बहुमूल्य पत्थर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। संसार में यह सबसे अधिक सम्पन्न नगर है और यहाँ चावल, गेहूँ आदि खाद्यान्नों के भंडार भरे हैं।” ईरानी यात्री अब्दुल रज्जाक विजयनगर की प्रशंसा में लिखते हैं, “देश इतना अच्छा बसा हुआ है कि संक्षेप में उसका चित्र प्रस्तुत करा पाना असंभव है। देश के सभी उच्च और निम्न लोग तथा कारीगर. भी कानों, कण्ठों, बाजुओं, कलाइयों तथा अंगुलियों में जवाहरात तथा सोने के आभूषण पहने हुए हैं।”

प्रश्न 7.
विजयनगर की सामाजिक दशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विजयनगर की सामाजिक दशा:
विजयनगर का समाज एक सुसंगठित समाज था। समाज में स्त्रियों का बड़ा सम्मान था। वे राज्य के राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक जीवन में सक्रिय भाग लेती थीं। उन्हें आक्रामक तथा रक्षात्मक युद्ध का प्रशिक्षण दिया जाता था। वे कुश्ती, संगीत, नृत्य, कला तथा ललित-कलाओं की विधाओं में भी दक्ष थीं। स्त्री अंगरक्षक भी नियुक्त किए जाते थे। राज्य में अनेक अच्छी कवियित्री तथा नाटककार थीं। बाल-विवाह, धनी व्यक्तियों में बहु-विवाह, दहेज-प्रथा और सती-प्रथा जैसी कुरीतियाँ भी समाज में व्याप्त थीं। समाज में ब्राह्मणों का बड़ा सम्मान था। वे धनी थे। उन्हें राज्य में निःशुल्क भूमियाँ प्राप्त थीं; वे राज्य के उच्च पदों पर नियुक्त थे। वे माँस नहीं खाते थे। शेष जातियों के लोग मांसाहारी थे। यज्ञों में पशु-बलि दी जाती थी, किन्तु गो-मांस का पूर्णतः निषेध था।

जाति-प्रथा का खण्डन करते हुए प्रो. नीलकंठ ने लिखा है:
“गाँवों और कस्बों में प्रत्येक जाति के लोग अलग-अलग मुहल्लों में निवास करते थे। वे अपने विशेष रीति-रिवाजों का पालन करते थे। छोटी जातियों के लोगों को विशेष परिश्रम करना पड़ता था। उनकी दशा दासों जैसी थी और वे गाँव से दूर झोंपड़ियों में रहते थे।” इसके ठीक विपरीत, राज-परिवार के लोगों का जीवन बड़ा सुखी था। उन्हें अच्छा भोजन, कपड़ा और रहने के लिए भव्य भवन मिलता था।

प्रश्न 8.
अमर नायक के कार्य बताइए।
उत्तर
अमर नायक के कार्य –

  1. अमर नायक सैनिक कमांडर थे जिन्हें राय शासक प्रशासन के लिए राज्य क्षेत्र सौंपते थे।
  2. वे किसानों, शिल्पकर्मियों तथा व्यापारियों से भू-राजस्व तथा अन्य कर वसूल करते थे।
  3. वे राजस्व का कुछ भाग व्यक्तिगत उपयोग तथा घोड़ों और हाथियों के निर्धारित दल के रख-रखाव के लिए अपने पास रख लेते थे।
  4. ये दल विजयनगर के शासकों की सैन्य शक्ति थे। इनकी सहायता से उन्होंने दक्षिणी प्रायद्वीप में साम्राज्य विस्तार किया।
  5. अमर नायक राजा को वर्ष में एक बार भेंट भेजा करते थे और अपनी स्वामीभक्ति प्रकट करने के लिए राजकीय दरबार में उपहारों के साथ स्वयं उपस्थित होते थे।

प्रश्न 9.
विजयनगर में कला और साहित्य की दशा का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विजयनगर में कला तथा साहित्य की दशा:
विजयनगर राज्य साहित्य तथा कला की दृष्टि से, अपने समकालीन राज्यों से कहीं आगे था। विजयनगर राज्य के नरेशों के शासन-काल में संस्कृत, तेलुगू, तमिल तथा कन्नड़ भाषाओं का साहित्य संमृद्ध हुआ। सायण तथा भाई माधव विद्यारण्य ने वेदों की टीकाएँ लिखीं। कृष्णदेवराय स्वयं उच्चकोटि का विद्वान् था और उसके अनेक साहित्यकारों तथा कलाकारों को अपने दरबार में संरक्षण प्रदान किया था।

संगीत, नृत्य-कला, नाटक, व्याकरण, दर्शन, वास्तुकला तथा धर्म आदि सभी विषयों पर इस काल में उच्चकोटि का साहित्य रचा गया। विजयनगर साम्राज्य में वास्तुकला को बहुत प्रोत्साहन मिला। विजयनगर साम्राज्य के राजाओं ने अनेक सुन्दर मंदिरों का निर्माण कराया। उदाहरण के लिए – विट्टल स्वामी का मंदिर तथा हजार स्तम्भों वाला मंदिर हिन्दू स्थापत्य कला के ज्वलत उदाहरण हैं।

प्रश्न 10.
विजयनगर की किलेबंदी कैसी थी? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
विजयनगर की किलेबंदी –

  1. फारस-के राजदूत अब्दुल रज्जाक के अनुसार किले की सात पंक्तियाँ थीं। इनसे न केवल शहर अपितु कृषि में प्रयुक्त आसपास के क्षेत्र तथा जंगलों को भी घेरा गया था।
  2. सबसे बाहरी दीवार शहर के चारों ओर बनी पहाड़ियों को आपस में जोड़ती थी। यह विशाल राजगिरी संरचना हाथी की सूंड जैसी मुड़ावदार थी।
  3. पत्थरों को जोड़ने के लिए गारे या किसी अन्य वस्तु का प्रयोग नहीं किया गया था। पत्थर के टुकड़े फानाकार थे, जिसके कारण वे अपने स्थान पर टिके रहते थे।
  4. दीवारों के अंदर का भाग मिट्टी और मलवे के मिश्रण से बना हुआ था। वर्गाकार तथा आयतकार बाहर की ओर निकले हुए थे।
  5. पहली, दूसरी और तीसरी दीवारों के भीतर जूते हुए खेत, आवास और बगीचे थे।

प्रश्न 11.
कृष्णदेवराय द्वारा बनाये गये जलाशय के विषय में पेस ने क्या लिखा है? अथवा, विजयनगर राज्य के जलाशयों या हौजों का निर्माण किस प्रकार होता था?
उत्तर:
कृष्णदेवराय द्वारा बनाये गये जलाशय के विषय में पेस के विवरण –

  1. उसके अनुसार राजा ने दो पहाड़ियों के मुख विबर पर एक जलाशय का निर्माण करवाया। इन दोनों पहाड़ियों का पानी इसमें गिरता था।
  2. इस जलाशय में एक झील से भी पानी आता था जो लगभग 15 किमी. की दूरी पर थी। यह जल पाइपों की सहायता से यहाँ लाया जाता था।
  3. जलाशय में तीन विशाल स्तम्भ बने थे जिन पर सुन्दर चित्र उकेरे गये हैं।
  4. इस जलाशय से खेतों और बगीचों की सिंचाई के लिए पानी जाता था।
  5. इस जलाशय को बनाने के लिए कृष्णदेवराय ने एक पूरी पहाड़ी को तुड़वा दिया था।
  6. जलाशय में 15000 – 20000 लोगों ने कार्य किया। पेस ने इनकी तुलना चीटियों के झुंड से की है।

प्रश्न 12.
विरुपाक्ष मंदिर के सभागारों एवं मंदिर परिसर में बनी रथ गलियों की विशेषतायें बताइए।
उत्तर:
विरुपाक्ष मंदिर के सभागार की विशेषताएँ –

  1. मंदिर के सभागारों का प्रयोग भिन्न-भिन्न कार्यों के लिए होता था। कुछ सभागारों में देवताओं की मूर्तियाँ रखी जाती थी और संगीत, नृत्य जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे।
  2. अन्य सभागारों का प्रयोग देवी देवताओं के विवाह के उत्सव पर खुशी मनाने के लिए होता था।
  3. कुछ अन्य सभागारों में देवी-देवताओं को झूला झुलाया जाता था। इन अवसरों पर विशेष मूर्तियों का प्रयोग होता था। ये केन्द्रीय देवालयों में स्थापित छोटी मूर्तियों से भिन्न होती थीं।

रथ गलियों की विशेषतायें:
मंदिर परिसरों की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता रथ गलियाँ हैं। ये मंदिर के गोपुरम् से सीधी रेखा में आगे बढ़ती हैं। इन गलियों का फर्श पत्थर के टुकड़ों से बनाया गया था। इसके दोनों ओर स्तम्भ वाले मंडप थे। इन मंडपों में व्यापारी अपनी दुकानें लगाया करते थे।

प्रश्न 13.
विरुपाक्ष मंदिर पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
विरुपाक्ष मंदिर:

  • विरुपाक्ष विजयनगर साम्राज्य के संरक्षक देवता थे। इस मंदिर का निर्माण कई शताब्दियों में हुआ।
  • कुछ इतिहासकारों का कहना है कि सबसे प्राचीन मंदिर 9-10 सदियों का था। विजयनगर साम्राज्य की स्थापना के पश्चात् इसका विस्तार किया गया।
  • मुख्य मंदिर के सामने मण्डप है जिसका निर्माण यहाँ के प्रसिद्ध सम्राट कृष्णदेवराय ने करवाया था। मण्डप को उत्कीर्ण स्तम्भों से सजाया गया है।
  • पूर्व में एक विशाल गोपुरम् था। इसके निर्माण का श्रेय भी कृष्णदेवराय को जाता है।
  • मंदिर के सभागारों का प्रयोग विभिन्न कार्यों में किया जाता था। कुछ में देवताओं की मूर्तियाँ प्रतिष्ठित रहती थी। संगीत, नृत्य और नाटकों के विशेष कार्यक्रमों का आयोजन भी इन्हीं सभागारों में होता था। अन्य सभागारों का प्रयोग पंपादेवी और विरुपाक्ष के विवाह अवसर पर आनंद मनाने और कुछ अन्य का प्रयोग देवी-देवताओं को झूला-झुलाने के लिए होता था।

प्रश्न 14.
विजयनगर साम्राज्य और बहमनी राज्य के मध्य संघर्ष के कौन-कौन से कारण थे?
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य और बहमनी राज्य के मध्य संघर्ष के कारण –

  1. कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों के बीच का क्षेत्र (दोआब) बहुत उपजाऊ था। इसको बह्मनी शासक हथियाना चाहते थे।
  2. कृष्णा और गोदावरी नदियों के डेल्टा क्षेत्र में कई बन्दरगाह थे। इन बन्दरगाहों से भारत का व्यापार श्रीलंका, इण्डोनेशिया, मलाया, जावा, बर्मा आदि देशों से होता था।
  3. युद्धों में विजयश्री का सेहरा अपने सिर पर बाँधना किसको अच्छा नहीं लगता । स्वयं को श्रेष्ठ शक्ति दर्शाने की होड़ में दोनों राज्यों के बीच संघर्ष होना स्वाभाविक था।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
विजयनगर साम्राज्य के शासन प्रबंध की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य का शासन प्रबंध : विजयनगर राज्य दक्षिण का एक हिन्दू राज्य था। यह राज्य मुहम्मद तुगलक का समकालीन था। उत्तम शासन प्रबंध के कारण ही विजयनगर राज्य बहमनी राज्य के कई आक्रमण झेलता हुआ लगभग 30 वर्ष तक अस्तित्व में बना रहा।
1. केन्द्रीय शासन (Central administration):
राजा राज्य का सर्वोच्च अधिकारी था। वह सभी महत्त्वपूर्ण विषयों पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार रखता था। राजा को महत्त्वपूर्ण विषयों पर सलाह देने के लिए परिषद् भी थी, लेकिन उसकी इच्छा पर निर्भर था कि वह परिषद् की सलाह को माने या न माने।

2. प्रान्तीय शासन (Provincial administration):
प्रशासनिक सुविधा के लिए पूरे साम्राज्य को लगभग 200 प्रांतों में बाँटा गया था। प्रांतों को प्रांतपति के अधीन रखा जाता था। प्रांतपति को केन्द्र नियुक्त करता था। आंतरिक शक्ति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रांतपति सेना रखा करते थे। प्रांतों को जिलों में तथा जिलों को गाँवों में बाँटा गया था। जिले को नाड्डू अथवा कोटम कहा जाता था। गाँवों की देख-रेख पंचायतें करती थीं। पंचायतों का अध्यक्ष ‘अपंगर’ कहलाता था। यह पद पैतृक होता था। पंचायतों के मुख्य काम थे-कर लेना, झगड़ों का निपटारा करना और प्रांतपति को अपने क्षेत्र के विषय में महत्त्वपूर्ण जानकारी देना।

3. सेना (Army):
विजयनगर के शासकों का अपने पड़ोसी शासकों के साथ झगड़ा होता रहता था। अपनी स्थिति को सुदृढ़ बनाने के लिए विजयनगर के शासकों ने एक सुसंगठित सैन्य-प्रबंध किया। कई युद्धों में परास्त होने के बावजूद भी विजयनगर के शासकों ने तोपखाने और घुड़सवार सेना में सुधार करने की ओर ध्यान न दिया। केन्द्र को सैनिक सहायता पाने के लिए प्रांतों पर निर्भर रहना पड़ता था। करों की वसूली निर्दयतापूर्वक होती थी लेकिन करों से प्राप्त आय लोकहित में लगा दी जाती थी। जन साधारण को सभी नागरिक सुविधाएँ उपलब्ध थीं।

4. न्याय व्यवस्था (Judicial System):
न्यास सम्बन्धी सर्वोच्च शक्ति राजा के हाथों में थी। न्याय व्यवस्था बड़ी कठोर थी। अपराधियों को बेहिचक कड़े से कड़े दण्ड दिए जाते थे। कई बार अपराधियों को आर्थिक दण्ड भी दिया जाता था। उनकी सम्पत्ति भी सरकार जब्त कर लेती थी। नृशंस अपराधियों को प्राण दण्ड भी दिया जाता था। वस्तुओं में मिलावट करने वालों, चोरी करने वालों तथा देशद्रोहियों को हाथी के पाँव तले रौंदवा दिया जाता था। कड़े दण्ड विधान के कारण देश में शांति और सुव्यवस्था थी।

प्रश्न 2.
क्या यह मानना न्यायसंगत होगा कि कृष्णदेवराय विजयनगर शासकों में महानतम था? अपने उत्तर के मत में तर्क दीजिए।
उत्तर:
कृष्णदेवराय (1509-1530):
तलुव वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक कृष्णदेवराय था। उसको विजयनगर राज्य का सबसे महान् शासक कहा जाता है। वह बड़ा वीर सैनिक और चतुर योद्धा था। उसने पहले अपने राज्य को सुव्यवस्थित किया और विद्रोहियों की शक्ति को कुचल डाला। उसने मैसूर पर आक्रमण किया और उसे जीत लिया। उसने उड़ीसा पर आक्रमण किया और उस राज्य से वे सभी प्रान्त छीन लिए, जो उड़ीसा के शासकों ने कभी विजयनगर के शासकों से छीने थे। यद्यपि गोलकुण्डा और बीदर के सुल्तानों ने उड़ीसा के शासक प्रतापरुद्र का ही साथ दिया, तथापि कृष्णदेव ने उन सबको पराजित किया। इस प्रकार विजयनगर राज्य शीघ्र ही बहुत प्रसिद्ध हो गया।

अब विजयनगर के शासक ने बहमनी राज्य की ओर ध्यान दिया और उससे कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों के बीच के दोआब को फिर से छीन लिया। उसकी अंतिम सैनिक सफलता बीजापुर के शासक के विरुद्ध थी, जिसने छीने हुए दोआब को बापस लेने का प्रयत्न किया था परंतु इसमें सफलता कृष्णदेव को ही मिली। कृष्णदेव की सैनिक सफलताओं की प्रशंसा इन शब्दों में की गई है – “वह विजयनगर के सबसे प्रसिद्ध तथा शक्तिशाली शासकों में से एक था। उसने दक्षिण के मुसलमानों से बराबरी से टक्कर ली और अपने से पूर्व शासकों की पराजय का बदला लिया।”

कृष्णदेव केवल एक विजयी शासक ही नहीं था वरन् कला और शिक्षा का भी बड़ा प्रेमी था। वह स्वयं विष्णु का पुजारी था, परंतु फिर भी उसका व्यवहार अन्य धर्म वालों से अच्छा था। सबके साथ न्याय किया जाता था। निर्धनों की राजकोष से सहायता की जाती थी। विदेशियों के साथ भी उसका व्यवहार बहुत अच्छा था। वह उनका आदर करता था और उनके दुःख निवारण का भी प्रयत्न करता था। उसके शासन काल में कई सुन्दर मंदिर बनवाए गये और ब्राह्मणों को विशेष स्थान दिया गया। कृष्णदेव की इतनी महान् सफलताओं के कारण ही यह कहा गया है कि “दक्षिण के हिन्दू तथा मुसलमान शासकों में ऐसा कोई शासक नहीं जो कृष्णदेवराय का मुकाबला कर सके।”

प्रश्न 3.
तालीकोट के युद्ध (1565 ई.) पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
तालीकोट का युद्ध (1565 ई.):
यह युद्ध (विजयनगर तथा बहमनी) साम्राज्य के बीच सन् 1565 ई. में हुआ।

कारण:
दक्षिण के सुल्तानों ने विजयनगर के विरुद्ध एक संयुक्त मोर्चा बना लिया। बीजापुर, अहमदनगर, गोलकुण्डा तथा बीदर की सेनाएँ इस मोर्च में शामिल हो गईं। इस मोर्च के सदस्यों ने आपस में वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित कर लिए। अब वे विजयनगर पर आक्रमण करने का बहाना तलाश करने के लिए अपने पुराने किलों तथा प्रदेशों की माँग करने लगे। विजयनगर के सामने एक विकट समस्या उत्पन्न हो गई। उसने उनकी मांगों को ठुकरा दिया। फलतः एक मोर्चे में बद्ध सभी मुस्लिम राज्यों ने मिलकर जनवरी, 1565 को विजयनगर के विरुद्ध युद्ध आरंभ कर दिया।

घटनाएँ:
23 जनवरी 1565 ई. को तालीकोट के युद्धक्षेत्र में मुस्लिम मोचे की सेनाओं ने विजयनगर पर एक भयंकर आक्रमण किया। इस युद्ध में विजयनगर को करारी हार का सामना करना पड़ा। प्रधानमंत्री रामराय ने वीरतापूर्वक युद्ध किया, किन्तु वह पकड़ा गया और अहमदनगर के सुल्तान ने उसका वध कर दिया। विजेताओं को लूट में घोड़ों एवं गुलामों के अलावा जवाहरात, तम्बू, हथियार तथा नकदी के रूप में अपार धन मिला। इसके पश्चात् विजयी सैनिक विजयनगर शहर पहुँचे और अत्यन्त निर्दयतापूर्वक उन्होंने उसका विनाश किया। सेवेल के अनुसार, “संसार के इतिहास में कभी भी इतने वैभवशाली नगर का ऐसा सहसा सर्वनाश नहीं किया गया, जैसाकि विजयनगर का।”

परिणाम:
यद्यपि तालीकोट के युद्ध ने विजयनगर साम्राज्य को पंगु बनाकर रख दिया, किन्तु वह उसके अस्तित्व को नहीं मिटा सका। दिजय के उपरांत उपर्युक्त चारों सुल्तानों में आपसी ईर्ष्या की ज्वाला पुनः प्रज्वलित हो गई। इसके फलस्वरूप वे विजयनगर का अन्त करने के लिए एकजुट होकर कार्य न कर सके। उनकी ईर्ष्या के कारण विजयनगर अपनी खोई हुई भूमि तथा शक्ति को पुनः प्राप्त करने में समर्थ हो सका।

प्रश्न 4.
विजयनगर साम्राज्य के पतन के कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य के पतन के कारण –
1. निरंकुश और स्वेच्छाचारी शासक:
विजयनगर के शासक निरंकुश और स्वेच्छाचारी थे। राज्य की समस्त शक्तियाँ उनके हाथों में थीं। प्रजा की शासन में विशेष रुचि न रही और संकट के समय राजाओं को पूरा सहयोग नहीं मिला।

2. सैनिक दुर्बलता:
विजयनगर का सैनिक संगठन सामन्ती ढंग का था। सामन्तों के सैनिक राज-भक्त कम होते थे। वे अपने स्वामी के हित का अधिक ध्यान रखते थे। विजयनगर के सैनिक मुसलमान सैनिकों की तरह रण-कुशल भी नहीं थे। मुसलमान शासक घुड़सवार सेना को अधिक महत्त्व देते थे जबकि विजयनगर के हिन्दू राजा हाथियों पर अधिक भरोसा रखते थे। मुसलमानों के पास अच्छा तोपखाना था, जिससे हाथी उनके सामने टिक नहीं पाते थे।

3. गृह-युद्ध:
विजयनगर के शासकों में राजगद्दी पाने के लिए कई गृह-युद्ध हुए। 1486 ई० में संगम वंश के विरुपाक्ष को उसके सेनापति नरसिंह सुलुव ने मारकर अपने वंश की नींव डाली। लेकिन 15 वर्ष के बाद ही सुलुव वंश के शासक को अन्य सरदार नरस नायक ने मार दिया और तुलुव वंश की नींव रखी। इस तरह बार-बार राजवंशों के परिवर्तन से राज्य की बहुत हानि हुई।

4. दक्षिण के सुल्तानों के आपसी झगड़ों में हस्तक्षेप:
विजयनगर के सम्राट’सदाशिव राय का मंत्री रामराजा दक्षिण के सुल्तानों के आपसी झगड़ों में हस्तक्षेप करता था, जिससे बीजापुर, गोलकुण्डा और अहमदनगर जैसी दक्षिण के राज्यों ने विजयनगर के विरुद्ध एक शक्तिशाली संघ बना लिया। दक्षिण के मुसलमान सुल्तानों ने 23 जनवरी, 1565 ई० को तालीकोट के युद्ध में विजयनगर की सेना को बुरी तरह पराजित कर दिया। इस युद्ध में विजयनगर राज्य को भारी हानि उठानी पड़ी और उसका पतन आरंभ हो गया।

5. प्रान्तीय शासकों का शक्तिशाली होना:
विजयनगर राज्य में प्रान्तों के अधिकारियों को बहुत स्वतंत्रता मिली हुई थी। वे एक प्रकार से छोटे राजा के समान थे। उनके पास अपना एक अलग कोष होता था और शक्तिशाली सेना भी होती थी। दुर्बल शासकों के शासन-काल में वे प्रायः विद्रोह कर देते थे। इससे केन्द्रीय सरकार की एकता को बहुत धक्का लगा और अन्त में विजयनगर साम्राज्य का पतन हो गया।

6. कृष्णदेवराय के बाद सत्ता का अयोग्य शासकों के हाथ में जाना:
कृष्णदेवराय एक योग्य शासक था। उसने विजयनगर राज्य को बहुत उन्नत किया। उसके उत्तराधिकारी अयोग्य निकले और अपने सामन्तों और मंत्रियों के हाथों की कठपुतली बने रहे। ऐसे दुर्बल शासकों के कारण विजयनगर राज्य का पतन अवश्यंभावी था।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
विजयनगर क्या था?
(अ) शहर
(ब) राजधानी
(स) साम्राज्य
(द) शहर, राजधानी और साम्राज्य तीनों
उत्तर:
(द) शहर, राजधानी और साम्राज्य तीनों

प्रश्न 2.
विजयनगर किस दोआब क्षेत्र में स्थित था?
(अ) गंगा-यमुना
(ब) गंगा-घाघरा
(स) कृष्ण-तुंगभद्रा
(द) गंगा-गोदावरी
उत्तर:
(स) कृष्ण-तुंगभद्रा

प्रश्न 3.
विजयनगर के लोट्स महल का नामकरण किसने किया।
(अ) एक अंग्रेज यात्री
(ब) एक फ्रांसीसी यात्री
(स) एक अरब यात्री
(द) एक चीनी यात्री
उत्तर:
(अ) एक अंग्रेज यात्री

प्रश्न 4.
हजार राम मंदिर किस राज्य में था?
(अ) बहमनी
(ब) विजयनगर
(स) मैसूर
(द) कर्नाटक
उत्तर:
(ब) विजयनगर

प्रश्न 5.
पम्पा देवी किससे विवाह करना चाहती थी?
(अ) ब्रह्मा
(ब) विष्णु
(स) विरुपाक्ष
(द) इन्द्र
उत्तर:
(स) विरुपाक्ष

प्रश्न 6.
विट्ठल देवता किस देवता के रूप में थे?
(अ) ब्रह्मा
(ब) विरुपाक्ष
(स) इन्द्र
(द) विष्णु
उत्तर:
(द) विष्णु

प्रश्न 7.
हम्पी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की विरासत होने की मान्यता कब मिली?
(अ) 1971
(ब) 1973
(स) 1975
(द) 1976
उत्तर:
(द) 1976

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में विजयनगर स्थल पर कार्य किसने नहीं किया?
(अ) कनिंघम्
(ब) जान एम. फ्रिट्ज
(स) जार्ज मिशेल
(द) एम. एम. नागराज राव
उत्तर:
(अ) कनिंघम्

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में किस वंश ने विजयनगर में शासन नहीं किया?
(अ) चोल वंश
(ब) होयसल वंश
(स) संगम वंश
(द) गुप्तवंश
उत्तर:
(द) गुप्तवंश

प्रश्न 10.
कुदिरई चेट्टी कौन थे?
(अ) स्थानीय व्यापारी
(ब) किसान
(स) स्वर्णकार
(द) कुम्हार
उत्तर:
(अ) स्थानीय व्यापारी

प्रश्न 11.
राक्षसी-तांगड़ी युद्ध (तालीकोटा युद्ध) का नेतृत्व किसने किया था?
(अ) कृष्णदेवराय
(ब) रामराय
(स) शिवाजी
(द) महादजी सिंधिया
उत्तर:
(ब) रामराय

प्रश्न 12.
1542 ई. में विजयनगर पर किस वंश का शासन था?
(अ) संगम वंश
(ब) सुलुव वंश
(स) तुलुव वंश
(द) अराविदु वंश
उत्तर:
(द) अराविदु वंश

प्रश्न 13.
विजयनगर में सेना प्रमुख को क्या कहा जाता था?
(अ) नायक
(ब) अमर नायक
(स) सेनापति
(द) सेना प्रधान
उत्तर:
(अ) नायक

प्रश्न 14.
निम्नलिखित में फारस का राजदूत कौन था?
(अ) निकोलो-दे कॉन्ती
(ब) अब्दुर रज्जाक
(स) अफानसी निकितिन
(द) दुआर्ते बरबोसा
उत्तर:
(ब) अब्दुर रज्जाक

प्रश्न 15.
विजयनगर के शासक
(अ) धर्म निरपेक्ष थे
(ब) धार्मिक थे
(स) साम्प्रदायिक थे
(द) अधार्मिक थे
उत्तर:
(ब) धार्मिक थे

प्रश्न 16.
महानवमी का पर्व कहाँ मनाया जाता है?
(अ) उत्तर भारत में
(ब) प्रायद्वीपीय भारत
(स) पूर्वी भारत
(द) पश्चिम भारत
उत्तर:
(ब) प्रायद्वीपीय भारत

Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 8 How Free is the Press

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Rainbow English Book Class 12 Solutions Chapter 8 How Free is the Press

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Bihar Board Class 12 English How Free is the Press Text Book Questions and Answers

Bihar Board Class 12 English Book Objective Type Questions and Answers

1. Press under ordinary condition is free,…………..
(a) No-where
(b) Everywhere
(c) in some places
(d) Britain
Answer:
(d) Britain

2. The editorial policy of a popular daily is controlled by
(a) pubic opinion
(b) interest of advertisers
(c) the interest of the government
(d) the interest of the leaders
Answer:
(b) interest of advertisers

3. A big circulation does not spell bankruptcy if the paper has to depend on its revenue…………
(a) on its sales
(b) on its editorial
(c) on its advertisements
(d) on the government
Answer:
(c) on its advertisements

4. The proprietor of the newspaper has………….
(a) the interest of the people
(b) national interest
(c) social interest
(d) personal interest
Answer:
(d) personal interest

Bihar Board Class 12 English Book Very Short Type Questions & Their Answer

How Free Is The Press Question Answer Bihar Board Question 1.
What does “the freedom of the press” means?
Answer:
Freedom of the press means freedom in a very restricted and technical sense-such as freedom from direction or censorship by the government.

How Free Is The Press Bihar Board Class 12 Question 2.
What role British Press plays under ordinary conditions?
Answer:
Under ordinary condition British Press is free to attack the policy and political character of ministers, interfere and raise the voice against scandals, and other democratic measures.

How Free Is The Press In Hindi Bihar Board Class 12 Question 3.
What effect brings freedom to the nation?
Answer:
Freedom secure and sustain “the central doctrine of democracy”— that the state is not the master but the servant of people.

How Free Is The Press Hindi Bihar Board Class 12 Question 4.
What are the sources of a newspaper’s revenue?
Answer:
The sources of a newapaper’s revenue is (i) The advertisement (ii) The wealth of the man or the company that owns the newspaper.

Freedom Of The Press Questions And Answers Bihar Board Question 5.
What is the role of decent journalists?
Answer:
The role of decent journalists maintain a high standard of “duty, balance and reputation.”

Bihar Board Rainbow English Book Class 12 Pdf Download Question 6.
What does Dorothy L. S Ayers discuss in her essay?
Answer:
Dorothy L. Sayer’s discussies the freedom of press.

Bihar Board Class 12 English Book Textual Questions and Their Answer

B. 1.1. Read the following sentences and write T’ for true and ‘F’ for false statements
(i) Press is free everywhere.
(ii) There is no internal censorship on the press.
(iii) Proprietors have their personal interrests as well.
(iv) Advertisers contribute to the revenue of the newspapers.
Answer:
(i) F, (ii) F, (iii) T, (iv) T.

B. 1.2. Answer the following questions briefly
Bihar Board English Book Class 12 Question 1.
What do free ‘people’ take for granted?
Answer:
Free people take it for granted that without a free press there can be no freedom.

Bihar Board Class 12 English Book Solution Question 2.
Are there restrictions on Press in time of war?
Answer:
Yes, there are restrictions on Press during the time of war. In fact all liberties are restricted in time of war.

Bihar Board 12th English Notes Pdf Question 3.
What do you mean by the term ‘free press’?
Answer:
By free press we mean that the press is free from direction and censorship by the government.

Class 12th English Book Bihar Board Question 4.
Who is the master the state or the people?
Answer:
The people are the masters. The state is the servant of the people.

Bihar Board English Book Class 12 Pdf Download Question 5.
What does the unofficial censorship seek to do?
Answer:
The unofficial censorship does not so much seek to express public opinion as to manufacture it.

Bihar Board Solution Class 12th English Question 6.
Name two sources of revenue newspapers usually survive on.
Answer:
The two chief sources of revenue of a newspaper are
(i) advertisers.
(ii) the wealth of the company or the man that owns the newspaper.

B.2.1. Complete the following sentences on the basis of the unit you have just studied
(a) Accurate reporting has given place to reporting which is at best slipshod and at worst tendentious because it is assumed that
(b) Sensational headlines, false emphasis and supposition of context are some of the ways to
(c) is the special accomplishment of the Press interviwer.
(d) The date in the newspaper report had to be changed to
Answer:
(a) public has not the wit to distinguish between truth and falsehood, secondly public does not care if a statement is false provided it is titillating. Both mean that public can be made to believe anything,
(b) distort both fact and opinion,
(c) Garbling,
(d) conceal the fact that the news was already ‘cold’.

B.2.3. Answer the following questions briefly
English Book For Class 12 Bihar Board Question 1.
What are the two basic assumptions about the public?
Answer:
The two basic assumptions about the public are : (a) that they have not the intelligence to distinguish truth from falsehood and (b) that they don’t care at all that a statement is false provided it is titillating.

12th English Book Writer Name Bihar Board Question 2.
What is suppression of context?
Answer:
Suppression of context is choosing only apart from the whole so that the meanings are distorted and give a different impression than what was actually intended.

Question 3.
Name two things that make the reports unreliable reading.
Answer:
The interviewer’s playful habit of making statements himself and attributing them to the interviwer makes the reports unreliable reading.

B.3.1. Read the following sentences and write ‘T’ for true and ‘F’ for false statement
(i) The author was very fond of gardening and keeping cats.
(ii) The author had delivered 20,000 words in the space of an hour and a quarter.
(iii) To misrepresent a man’s attitude and opinion is no offence.
(iv) To get misleading statements corrected is very easy.
(v) Any public person is subtly made to feel that if he offends the press he will suffer for it.
(vi) The press can make or break reputation.
Answer:
(i) F, (ii) F, (iii) T, (iv) F, (v) T, (vi) T.

B. 3.2. Answer the following questions briefly
Question 1.
Why do books rarely criticise the Press?
Answer:
A book rarely dares to criticise the Press because the press can either ignore the book all together, or publish sneering comments in its gossip column about it.

Question 2.
How do the newspapers greet the slightest efforts to hinder the irresponsible dissemination of nonsense?
Answer:
The slightest effort to hinder the irresponsible dissemination of nonsense is greeted by a concerted howl: This is a threat to the freedom of the press.’

Question 3.
Name the seven charges the author makes against die Press.
Answer:
The seven charges the author has made against the press are
(i) False Emphasis, (ii) Garbling, (iii) Inaccuracy, (iv) Reversal of facts,
(v) Random Invention, (vi) Miracle Mongering, (vii) Flat Suppression

C. l. Bihar Board Class 12 English Book Long Answer Questions

Question 1.
The editorial policy of a popular daily is controlled by two chief factors. Which are they? Explain.
Answer:
The.editorial policy of a popular daily is controlled by two factors, namely, the vested interests of its advertisers and the personal whims and ambitions of the man, or company that owns it. All newspapers get their revenue from their advertisers. To justify their rates of advertisements they have to have a large circulation. If they do so, they will have to sell their copies at a lower rate. No popular daily can meet its expenses by the sale of copies.

Major part of their revenue comes from advertisements so the daily has either to subserve the interest of the advertisers, or lose their revenue and go bankrupt. So no newspaper can support any policy, however good in national interest if it goes against the vested interest of its advertisers. Secondly, the editorial policy is determined by a wealthy man or company that own the paper. It is decided by the interests and ambitions of that man or company, who have sufficient means to carry on without any support from advertisers.

Question 2.
What is garbling? How does Sayers illustrate this form of distortion?
Answer:
Garbling, according to Miss Sayers, is a special accomplishement of the press interviwer’s distorting what the interviewee said. He is in the playful habit of making statements himself and attributing them to the interviwee. Miss Sayers illustrates this with an accident concerning herself. During the production of her latest play, the press interviwer had asked her about her future plans. She had replied that she never made plans.

Though novels paid better than plays, she preferred writing plays. She had added that if she got another commission for the Canterbury Festival, she would surely write it. Her reply duly appeared in the press. But it was garbled. It said, ‘Miss Sayers said that she would write no more plays, except on commission.’ Such playful distortion by the press interviwers makes the reported interviwes unreliable. One should not believe that public men have said all that appears in the press.

Question 3.
Describe in your own words the instances of deliberate miracle* mongering.
Answer:
Miss Sayers has given an interesting instance of deliberates miracle- mongering by the press. The miracle was attributed to her. Miss Sayers made a public search. It comprised of 8000 words. The full text of her speech was in the hands of the reporter. But it was reported that she delivered about 20,000 words in the space of an hour and a quarter. This was impossible. It would have been a miracle if any person could deliver 20,000 words in such a short space of time. But the press indulges in such miracle-mongerings.

Question 4.
How are letters of protest treated by the newspapers? Describe in your own words.
Answer:
If a speaker’s words are misquoted in the newspaper, he/she may write a letter of protest. But it is almost impossible to have the impression created to be corrected. In many cases letters of protest are ignored. Sometimes they print the whole letter, with the editor’s comments. No apology is offered. The comments simply assert that the actual words were printed. But the speaker must not expect to monopolise the whole of paper’s valuable space. The editors adopt another strategy too. They write a private letter in reply regretting the mistake. But such a letter does not remove the false impression formed on the readers. Rarely a newspaper prints an apology. Miss Sayers recalls old times when the editors had high moral courage to print an apology. But it is no longer the practice.

Question 5.
Have you ever written a letter of protest to any newspaper? What was the fate of this letter?
Answer:
No, I do not ever written a letter of protest to any newspaper, flat suppression letters of protest man be written these may be (a) England, (b) printed in full or in part, accompained by an editorial comment to the effect that the words reported were actually said, and that the speaker must not expect to monoponse are paper’s valuable space (c) answered privately by the editora manoeuvefe that does nothing to correct the false impression left in the public mind only occasionally and usually form a provincial paper, does one receive full apology and correction let me quote honoris cause, a not written to me from an editor of the loder school.

Question 6.
‘He that is unfaithful in little is unfaithful also in much.’ How does Dorothy L. Sayers cite trivial personal examples to prove that the newspapers misrepresent in various ways? Do you agree with her?
Answer:
Miss Sayers gives a few instances to prove that the newspapers misrepresented even trivial incidents. I don’t say that Miss Sayers is wrong in her judgement. But her views represent only one side of the coin. Press, no doubt, is a powerful organ. In our young democracy we have begun to feel the power of the press. The press brings to light many ills and cases of corruption, misuse of power, mistakes, etc in high places. If there was no press people would never learn about them. Despite some shortcomings, press is the watchdog of democracy. Of course, press needs to develop a code of high conduct for itself. As it claims to be the servant of the people, it ought to be a good servant.

Question 7.
What is the author’s attitude to the freedom of Press? Do you agree with her?
Answer:
The author is of the opinion that the press is very powerful and uses its freedom with impunity. Even the ministers are scared of the press because the press can make or mark reputation. The press is in most and even trivial, matters careless. It misquotes facts that look true. Press can give a colour to reports so as to form public opinion the way it likes. In the author’s opinion there is no way to control the irresponsible behaviour of the press. Any effort to correct the press is greeted with a howl: “There is a threat to the freedom of the press.’ Every newspaper has its editorial policy. This policy is determined by some vested interests, which may not subserve public good.

The press lets people know only what it wants them to know. It is assumed that people can be made to believe anything. Press has several ways in which it can distort and suppress facts. It presents facts in a way that it creates an impression on public mind as intended by the press. People have no way to get at the truth. Their only source of information is the press. Even if some of the readers can find out that the reports in the press are inaccurate, or misrepresented, there is no way to have them corrected. In fact, press can make and mar reputation and mould and manufacture public opinion.

Question 8.
‘Indeed, we may say that die heaviest restriction upon the freedom of public opinion is not the official censorship of the Press, but the unofficial censorship by a Press which exists not so much to express opinion as to manufacture it.’ How does the writer view the relationship between the press and the public opinion? Explain.
Answer:
The writer is of the view that in a free country, and especial, in times of peace, press is free and most powerful organ to influenced public opinion. The press is supposed to reflect public opinion, and force the governments to make or change their policies accordingly. But the author believes that the press does not so much reflect public opinion, as it manufactures it. Once when she was away, her house was broken into. The thief was disturbed by the newsboy. But the newspaper reported the incident after a few days. They changed the date of the incident so that the report did not look cold. They also said that the burglar ran away because she had returned home in time.

In fact, all the details about the incident were incorrect. She also speaks of another incident. She received a summons from the court for unshaded lights. She explained that her servant had carefully drawn the curtains but unfortunately there was a defect in the curtains. She did not find fault with her servant. But the newspapers reported that she had told the court that her servant had forgotten to draw the curtain. Naturally, it must have distressed her servant. She tells about these trivial incidents just to emphasise her point that if the press can misrepresent such minor incidents it cannot be expected to report important matters faithfully.

C. 3. Composition

1. Write a letter to the Editor of an English daily highlighting the poor sanitation in your locality.

Answer:

305, Sector 21 ’ J. P. Colony,
Gopalganj 27th June 20
The Editor
Bihar Times
Patna

Sir,
Subject: Poor Sanitation
Through the columns of your esteemed paper, I would like to draw the attention of civic authorities to the poor sanitation in our sector.
The worst menace is caused by stray cows. In fact, the cows belong to the milkmen who live across the road. Every morning they drive the cows into our sector. They roam about in large numbers all over the sector. Since people are religious minded, they offer cows chapatis, vegetables, etc. In turn, the cows litter the lanes with cow dung. They are seen incumbent on the streets. In addition to insanitation, they cause traffic hazards. The problem is years old. But the civic authorities seem to have no will to tackle it. Secondly, the roads are pocked with potholes. Just after two light showers, the roads are full of puddles. The drainage system is chocked, and no action has been taken to clear it. The rainy season has already set in. This poor sanitation is sure to cause epidemics if measures are not taken promptly.

Yours faithfully,
Ashish

2. Write a summary of the lesson is about 150 words.
Answer:
No doubt freedom of the press is essential to safeguard the freedom of the people. The press must be free from any control or censorship by the government. But no newspaper can be entirely free. Since newspapers depend on advertisers for their revenue, they can support no policy that is against their vested interests. But there is unofficial censorship that the press itself imposes on public opinion. It does not so much reflect public opinion as it manufactures it. There are several ways like false emphasis, garbling, inaccuracy, a reversal of facts, random invention, miracle-mongering, and flat suppression with which the press distorts facts to give a different or false impression to the readers. Press has the power to make or mar companies and public men. It is the tyranny of the press and there is no machinery to check it. The slightest effort to correct its irresponsible reporting is greeted by a concerted cry: This is a threat to the freedom of the press.

D. WORD STUDY
D. 1. Dictionary Use

Ex. 1. Correct the spelling of the following words:
Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 8 How Free is the Press 3

Ex. 2. Lookup a dictionary and write two meanings of the following words—the one in which it is used in the lesson and the other which is more common.
Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 8 How Free is the Press 1Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 8 How Free is the Press 2

D. 2. Word-formation

Make as many words as possible from the words given below
Answer:
resolve — resolved, resolvable, resolvability, resolving
allude — alluded, alluding, allusion, allusive
invoke — invoked, invoking, invocation, invocable
restrict — restricted, restricting, restriction, restrictable, restrictive
renew — renewed, renewal, renewing, renewable.

D. 3. Word-meaning

Ex. 1. Find from the lesson words the meanings of which have been given in Column-A. The last part of each word is given in Column-B
Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 8 How Free is the Press

Ex. 2. Fill in the blanks with suitable options given in the brackets
(a) We all become very………………… by the news reporting. (excited, exciting)
(b) I do not…………… the incident (recollect, recollects)
(c) You may………………. between the two English dailies. (chose, choose)
(d) Unfavorable season crop………. (effect, affects)
(e) The press should not be…………. (monopolized, monopolize)
The report was ………… (distorting, distorted)
Answer:
(a) excited, (b) recollect, (c) choose, (d) affects, (e) monopolised, (f) distorted

D. 4. Phrases

Ex. 1. Read the lesson carefully and find out the sentences in which the following phrases have been used. Then use these phrases in sentences of your own.
at such time, so far on occasion, placed upon, keep up, driven off, to bear upon creeping into, make of.
Answer:
at such time: At such time as this, when terrorism is on the increase, we must be united against all disruptive forces.
so far: So far as India is concerned, her position on Kashmir is crystal clear.
On occasion: She is very sensible. But on occasion, she behaves most stupidly.
placed upon: Heavy responsibility was placed upon her young shoulders after her husband’s death.
keep up: You have achieved a high position. Keep it up with hard work, driven off: After my meeting with my uncle, all fears were driven off my. mind.
to bear upon: The rising global temperature will heavily bear upon on our climate.
creeping into: Western lifestyle is creeping into our society, make of: I don’t know what they will make of your remarks.

E. Grammar

Write ten more sentences on this sentence, based on this structure:
If+(S+were) + S+would/should + V1
Answer:
1. If she were rich, she would buy a big car.
2. If I were the editor, I would apologize.
3. If you were strong, you would overpower him.
4. If they were honest, they would return the money.
5. If I were you, I should help them.
6. If he were wise, he would solve this problem.
7. If you were cautious, you would not risk it.
8. If she were beautiful, she would marry a prince.
9. If you were present, you would know better.
10. If they were mad, they would not behave like this.

The main aim is to share the knowledge and help the students of Class 12 to secure the best score in their final exams. Use the concepts of Bihar Board Class 12 Chapter 8 How Free is the Press English Solutions in Real time to enhance your skills. If you have any doubts you can post your comments in the comment section, We will clarify your doubts as soon as possible without any delay.

Bihar Board 12th English 100 Marks Objective Answers Poem 10 My Grandmother’s House

Bihar Board 12th English Objective Questions and Answers 

Bihar Board 12th English 100 Marks Objective Answers Poem 10 My Grandmother’s House

My Grandmother House Objective Questions Bihar Board 12th Question 1.
My Grandmother’s House is written by –
(A) D.H. Lawrence
(B) Kamala Das
(C) Keki N. Daruwala
(D) Walt Whitman
Answer:
(B) Kamala Das

My Grandmother House Objective Question Bihar Board 12th Question 2.
Kamala Das was born on-
(A) April 31, 1933
(B) April 31, 1934
(C) April 31, 1943
(D) April 31, 1984
Answer:
(B) April 31, 1934

My Grandmother’s House Bihar Board 12th Question 3.
What moved freely in the silent house ?
(A) Lizards
(B) Snakes
(C) Cockroaches
(D) Dogs
Answer:
(B) Snakes

My Grandmother House Question Answer Bihar Board 12th Question 4.
Who’s death the speaker says-
(A) Her husband
(B) Her grandmother
(C) Her grandfather
(D) Her brother
Answer:
(B) Her grandmother

My Grandmother’s House By Kamala Das Bihar Board 12th Question 5.
Kamala Das, poet and short story writer, has earned a respectable place in both English and-
(A) Hindi
(B) Telugu
(C) Malayalam
(D) Urdu
Answer:
(C) Malayalam

My Grandmother Poem Questions And Answers Bihar Board 12th Question 6.
Autobiography of Kamla Das was published in-
(A) 1976
(B) 1966
(C) 1986
(D) 1996
Answer:
(A) 1976

My Grandmother Poem Bihar Board 12th Question 7.
The speaker where once was loved, the house belonged to her-
(A) Father
(B) Husband
(C) Friend
(D) Grandmother
Answer:
(D) Grandmother

Grandmother Poem In Hindi Bihar Board 12th Question 8.
Kamala Das was born in …………….
(A) 1933
(B) 1934
(C) 1935
(D) 1936
Answer:
(B) 1934

Grandmother Board Bihar Board 12th Question 9.
Which figure of speech has been used in ‘My Grandmother’s House’?
(A) metaphor
(B) personification
(C) epic simile
(D) simile
Answer:
(D) simile

Question 10.
The speaker of ‘My Grandmother’s House’ is proud of—
(A) her parent’s house
(B) her grandmother’s house
(C) her uncle’s house
(D) None of these
Answer:
(B) her grandmother’s house

Question 11.
When did the speaker of ‘My Grandmother’s House’ live with her grandmother?
(A) during her childhood
(B) during her adolescence
(C) during her youth
(D) None of these
Answer:
(A) during her childhood

Question 12.
‘My Grandmother’s House’ published in —
(A) 1963
(B) 1964
(C) 1965
(D) 1966
Answer:
(C) 1965

Question 13.
‘My Grandmother’s House’ is —
(A) a sonnet
(B) an ode
(C) a ballad
(D) a lyric
Answer:
(D) a lyric

Question 14.
During her childhood the speaker of ‘My Grandmother’s House’ lived with her —
(A) grandmother
(B) aunt
(C) mother
(D) None of house
Answer:
(A) grandmother

Question 15.
‘My Grandmother’s House’ published in —
(A) ‘Descendants’
(B) ‘Summer in Calcutta’
(C) The Old Playhouse and Other Poems
(D) None of these
Answer:
(B) ‘Summer in Calcutta’

Question 16.
Who was composed the poem. ‘Mv Grandmother’s House’?
(A) Kamala Das
(B) A.K. Ramanujan
(C) Sarojini Naidu
(D) None of these
Answer:
(A) Kamala Das

Question 17.
Who is the speaker in ‘My Grandmother’s House’?
(A) Torn Dutta
(B) Kamala Das
(C) S.K. Kumar
(D) None of these
Answer:
(B) Kamala Das

Question 18.
Kamala Das has written the poem —
(A) Snake
(B) Fire-Hymn
(C) My Grandmother’s House
(D) The Soldier
Answer:
(C) My Grandmother’s House

Question 19.
Kamala Das is an ………….. Poetess.
(A) American
(B) Indian
(C) African
(D) Russian
Answer:
(B) Indian

Question 20.
Kamala Das is talking about her …………. who is dead now.
(A) father
(B) mother
(C) grand father
(D) grand mother
Answer:
(D) grand mother

Question 21.
Kamala Das remembers the happy days spent in the sweet company of her—
(A) grand mother
(B) grand father
(C) father
(D) mother
Answer:
(A) grand mother

Question 22.
She noticed a ……………….. behind the door of the bedroom.
(A) ox
(B) cow
(C) dog
(D) cat
Answer:
(D) cat

Question 23.
The house went into silence due to the death of the …………..
(A) woman
(B) man
(C) girl
(D) boy
Answer:
(A) woman

Question 24.
‘My Grand mother’s House’ is an ………….. poem by Kamala Das.
(A) biographical
(B) auto biographical
(C) bibliographical
(D) None of these
Answer:
(B) auto biographical

Question 25.
The poetess in ‘The Grand Mother’s House’ begs at …. doors. [2018A, I.A.]
(A) friend’s
(B) family’s
(C) stranger’s
(D) enemy’s
Answer:
(C) stranger’s

Question 26.
‘There is a house now far away where once I received love’ ……………… is from the poem—
(A) Song of Myself
(B) Ode to Autumn
(C) My Grand mother’s House
(D) Snake
Answer:
(C) My Grand mother’s House

Question 27.
‘Behind my bedroom’s door like a brooding’ is written by—
(A) Rupert Brooke
(B) Kamala Das
(C) Keki N. Daruwalla
(D) T.S. Eliot
Answer:
(B) Kamala Das

Question 28.
My Grandmother’s House is written by-
(A) D. H. Lawrence
(B) Kamala Das
(C) Keki N. Daruwala
(D) Walt Whitman
Answer:
(B) Kamala Das

Question 29.
Kamala Das was born on-
(A) April 31,1933
(B) April 31, 1934
(C) April 31,1935
(D) April 31, 1936
Answer:
(B) April 31, 1934

Question 30.
What moved freely in the silent house ?
(A) Dogs
(B) Snakes
(C) Cockroaches
(D) Lizard
Answer:
(B) Snakes

Question 31.
Autobiography of Kamala Das was published in-
(A) 1996
(B) 1966
(C) 1986
(D) 1976
Answer:
(D) 1976

Question 32.
Who’s death the speaker says-
(A) Her son
(B) Her grandmother
(C) Her grandfather
(D) Her brother
Answer:
(B) Her grandmother

Question 33.
The speaker where once was loved, the house belonged to her-
(A) Father
(B) Husband
(C) son
(D) Grandmother
Answer:
(A) Father

Question 34.
Kamala Das, poet and short story writer, has earned a respectable place in both English and-
(A) Hindi
(B) Malyalam
(C) Telugu
(D) Urdu
Answer:
(B) Malyalam

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 11 प्यारे नन्हें बेटे को

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 11 प्यारे नन्हें बेटे को

 

प्यारे नन्हें बेटे को वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ

प्यारे नन्हे बेटे को कविता का सारांश लिखिए Bihar Board प्रश्न 1.
विनोद कुमार शुक्ल का जन्म कब हुआ था?
(क) 1 जनवरी, 1937 ई..
(ख) 2 फरवरी, 1938 ई.
(ग) 10 मार्च, 1935 ई.
(घ) 5 मार्च, 1932 ई.
उत्तर-
(क)

Class 12 Hindi Vitan Chapter 1 Summary Bihar Board प्रश्न 2.
‘प्यारे नन्हें बेटे को’ किसकी लिखी हुई कविता है?
(क) भूषण
(ख) तुलसीदास
(ग) जायसी
(घ) विनोद कुमार शुक्ल
उत्तर-
(घ)

प्यारी पत्नी पर कविता Bihar Board Class 12 Hindi प्रश्न 3.
रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार विनोद कुमार शुक्ल को किस सन् में मिला?
(क) 1992 ई. में
(ख) 1985 ई. में
(ग) 1980 ई. में
(घ) 1990 ई. में
उत्तर-
(क)

Biharboard Inter Result Class 12 Hindi प्रश्न 4.
विनोद कुमार शुक्ल को साहित्य अकादमी पुरस्कार कब मिला?
(क) 1999 ई. में
(ख) 1985 ई. में
(ग) 1995 ई. में
(घ) 1990 ई. में
उत्तर-
(क)

Saransh Meaning In Hindi Bihar Board प्रश्न 5.
“प्यारे नन्हें बेटे को’ कविता में लोहा किसका प्रतीक है?
(क) बन्दूक का
(ख) मशीन का
(ग) कर्म का
(घ) धर्म का
उत्तर-
(ग)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 1.
प्यारे नन्हें बेटे को कंधे पर बैठा।
“मैं…….. हो गया’
उत्तर-
दादा से बड़ा

प्रश्न 2.
प्यारी बिटिया से पूछंगा बतलाओ आस–पास………….. है।
उत्तर-
कहाँ–कहाँ लोहा

प्रश्न 3.
चिमटा, करकुल, सिगड़ी, समसी, दरवाजे की साँकल, कब्जे खीला दरवाजे में………… वह बोलेगी झटपट,
उत्तर-
धंसा हुआ

प्रश्न 4.
रुककर वह फिर याद करेगी एक तार लोहे का लंबा लकड़ी के……….. पर
उत्तर-
दो खंबों पर

प्रश्न 5.
तना बंधा हुआ बाहर सूख रही जिस पर भव्या की गीली चड्डी।… फिर…….. साइकिल पूरी।
उत्तर-
एक सैफ्टी पिन

प्यारे नन्हें बेटे को अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विनोद कुमार शुक्ल की कविता का नाम है।
उत्तर-
प्यारे नन्हें बेटा को।

प्रश्न 2.
‘प्यारे नन्हें बेटे को’ कविता में लोहा किसका प्रतीक मान है?
उत्तर-
कर्म को।

प्रश्न 3.
‘प्यारे नन्हें बेटे को’ कविता किस शैली में लिखी गई है?
उत्तर-
वार्तालाप शैली में।

प्रश्न 4.
विनोद कुमार शुक्ल किस विश्वविद्यालय में एसोशिएट प्रोफेसर रहे हैं?
उत्तर-
इन्दिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय।

प्रश्न 5.
विनोद कुमार शुक्ल निराला सृजनपीठ में जून 1994 से जून 1996 तक किस पद पर रहे?
उत्तर-
अतिथि साहित्यकार के पद पर।

प्यारे नन्हें बेटे को पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
‘बिटिया’ से क्या सवाल किया गया है?
उत्तर-
बिटिया से उसके पिता द्वारा सवाल किया गया है कि बतलाओ, आसपास लोहा कहाँ है।

प्रश्न 2.
“बिटिया’ कहाँ–कहाँ लोहा पहचान पाती है?
उत्तर-
बिटिया अपने आसपास उपस्थित लोहे को पहचान पाती है। उसके आसपास चिमटा, करछुल, अँगीठी, सँड़सी, दरवाजे की साँकल, कच्चे उसमें लगी कीलें आदि हैं, जिनमें वह लोहे को पहचानती है।

प्रश्न 3.
कवि लोहे की पहचान किस रूप में करते हैं? यही पहचान उनकी पत्नी किस रूप में कराती है?
उत्तर-
कवि लोहे की पहचान अपने आसपास की वस्तुओं के माध्यम से कराते हैं। उनके आसपास फावड़ा, कुदाली, टॅगिया, बसूला, खुरपी, बैलगाड़ी के पहिए पर चढ़ा पट्टा, बैलों के गले में बँधी घंटी के अन्दर की गोली आदि वस्तुएँ हैं, जिनके द्वारा वो लोहे की पहचान कराते हैं।

है यही पहचान उनकी पत्नी अपने आसपास उपलब्ध वस्तुओं से कराती हैं। वह अपने आसपास उपलब्ध बाल्टी, कुएँ की घिरनी, छाते की डंडी, उसके पुर्जे, हँसिया और चाकू के माध्यम से लोहे की पहचान कराती है।

प्रश्न 4.
लोहा क्या है? इसकी खोज क्यों की जा रही है?
उत्तर-
पाठ में वर्णित भिलाई बलाडिला, छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित है। यह स्थान लोहे की खदानों के लिए प्रसिद्ध है। इस आधार पर कह सकते हैं कि लोहा एक धातु है जो अपनी मजबूती, बहुउपयोगिता और सर्वव्यापकता के लिए प्रसिद्ध है। यह हमारी जिन्दगी और संबंधों में घुल–मिल गया है। यह हम मनुष्यों का आधार है, इसलिए इसकी खोज की जा रही है।

एक अन्य अर्थ में लोहा प्रतीक के रूप में है जो कर्म का प्रतीक है।

प्रश्न 5.
“इस घटना से उस घटना तक”–यहाँ किन घटनाओं की चर्चा है?
उत्तर-
“प्यारे नन्हें बेटे को” शीर्षक कविता में “इस घटना से उस घटना तक” उक्ति का प्रयोग दो बार किया गया है।

पिता अपनी नन्हीं बिटिया से पूछता है कि आसपास लोहा कहाँ–कहाँ है। पुनः वह उसे लोहा के विषय में जानकारी देता है, उसकी माँ भी उसे समझाती है। फिर वह सपरिवार लोहा को ढूँढ़ने का विचार करता है। अत: बेटी को सिखलाने से लेकर ढूँढ़ने का अन्तराल–”इस घटना से उस घटना तक” है। यह सब वह कल्पना के संसार में कर रहा है। पुनः जब उसकी बिटिया बड़ी हो जाती है, तो वह उसके विवाह के विषय में, उसके लिए एक प्यारा सा दूल्हा के लिए सोचता है। यहाँ पर पुनः कवि–”इस घटना से उस घटना तक” उक्ति को पुनरोक्ति करता है।

प्रश्न 6.
अर्थ स्पष्ट करें
कि हर वो आदमी
जो मेहनतकश
लोहा है
हर वो औरत
दबी सतायी
बोझ उठाने वाली, लोहा।
उत्तर-
हर व्यक्ति जो मेहनतकश है, वह लोहा है। वैसी हरेक औरत जो दबी तथा सतायी हुई है, लोहा है।

उपरोक्त पंक्तियों का विशेषताएँ यह है कि प्रत्येक व्यक्ति जो श्रम–साध्य कार्य करता है, कठोर परिश्रम जिसके जीवन का लक्ष्य है वह लोहे के समान शक्तिशाली तथा उर्जावन होता है। उसी प्रकार बोझ उठाने वाली दमन तथा शोषण की शिकार महिला भी लोहे के समान शक्ति तथा ऊर्जा से सम्पन्न होती है।

प्रश्न 7.
कविता में लोहे की पहचान अपने आसपास में की गई है। बिटिया, कवि और उनकी पत्नी जिन रूपों में इसकी पहचान करते हैं, ये आपके मन में क्या प्रभाव उत्पन्न करते? बताइए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में लोहे की पहचान अपने आस–पास में की गई है। अर्थात् अपने आसपास बिखरी वस्तुओं में ही लोहे को पड़ताल की गयी है। पहचान की परिधि में जो वस्तुएँ आई हैं वह तीन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती हैं। लड़की द्वारा पहचान की गई वस्तुएँ पारिवारिक उपयोग की है। जैसे–चिमटा, कलछुल आदि। कवि द्वारा जिन वस्तुओं का चयन किया गया है उनका व्यवहार अधिकतर पुरुषों द्वारा किया जाता है तथा उनका उपयोग सामाजिक तथा राष्ट्रीय हित में किया जाता है, जैसे–फाबड़ा, कुदाली आदि। कवि की पत्नी ने उन वस्तुओं की ओर संकेत किया है जिसका व्यवहार प्रायः महिलाओं द्वारा किया जाता है तथा जिसे. वे घर से बाहर धनोपार्जन अथवा पारिवारिक आवश्यकता की पूर्ति हेतु करती है जैसे–पानी की बाल्टी, हँसिया, चाकू आदि।

इस प्रकार कवि, उनकी पत्नी तथा बिटिया द्वारा तीन विविध रूपों में लोहे की पहचान की गई है। ये तीनों रूप पारिवारिक, क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय मूल्यों तथा आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। साथ ही मेहनतकश पुरुषों तथा दबी, सतायी मेहनती महिलाओं के प्रयासों को भी निरूपित करता है।

प्रश्न 8.
मेहनतकश आदमी और दबी–सतायी बोझ उठाने वाली औरत में कवि द्वारा लोहे की खोज का क्या आशय है?
उत्तर-
लोहा कठोर धातु है। यह शक्ति का प्रतीक भी है। इससे निर्मित असंख्य सामग्रियाँ, मनुष्य के दैनिक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति करती है। लोहा राष्ट्र की जीवनधारा है। धरती के गर्भ में दबे लोहे को अनेक यातनाएँ सहनी होती हैं। बाहर आकर भी उसे कठिन संघर्ष का सामना करना पड़ता है। कवि मेहनतकश आदमी और दबी–सतायी, बोझ उठानेवाली औरत के जीवन में लोहा के संघर्षमय जीवन की झलक पाता है। उसे एक अपूर्व साम्य का बोध होता है। लोहे के समान मेहनतकश आदमी और दबी–सतायी, बोझ उठानेवाली औरत का जीवन भी कठोर एवं संघर्षमय है। लोहे के समान ही वे अपने कठोर श्रम तथा संघर्षमय जीवन द्वारा सृजन तथा मिर्माण का कार्य कर रहे हैं तथा विविध रूपों में ढाल रहे हैं।

प्रश्न 9.
यह कविता एक आत्मीय संसार की सृष्टि करती है पर यह संसार बाह्य निरपेक्ष नहीं है। इसमें दृष्टि और संवेदना, जिजीविषा और आत्मविश्वास सम्मिलित है। इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
यह कविता एक परिवार के इर्द–गिर्द घूमती है। इसमें उस परिवार के सदस्यों के जीवन के यथार्थ को चित्रित किया गया है।

परिवार का मुखिया बिटिया का पिता लोहा के महत्व को रेखांकित करते हुए अपनी बेटी से पूछ रहा है कि उसके आस–पास लोहा कहाँ–कहाँ है। लड़की प्रत्युत्तर में अपने बाल सुलभ भोलापन के बीच चिमटा, कलछुल, सड़सी आदि का नाम लेती है। पुनः वह उसे सिखलाते हुए स्वयं फावड़ा, कुदाली आदि वस्तुओं के नाम से परिचित कराते हुए बतलाता है कि उन वस्तुओं में भी लोहा है। माँ द्वारा भी बिटिया को इसी आशय की जानकारी दी जाती है। कुछ अन्य वस्तुओं के विषय में वह समझाती है जिसमें लोहा है। इस प्रकार यह कविता एक आत्मीय संसार की सृष्टि करती है।

किन्तु यह वहीं तक सीमित नहीं है। यह आत्मीय संसार वाह्य निरपेक्ष नहीं है, बाहरी समस्याओं से जुड़ा हुआ है। वाह्य–संसार की घटनाओं का इसपर पूरा प्रभाव पड़ता है। लोहे की खोज के माध्यम से कवि ने जीवनमूल्यों के यथार्थ को रेखांकित किया है। इसमें दृष्टि, संवेदना जिजीविषा और आत्म विश्वास का अपूर्व संगम है। संसार में संघर्षरत पुरुषों तथा महिलाओं की संवेदना यहाँ मूर्त हो उठी है। जिजीविषा एवं आत्मविश्वास की अभिव्यक्ति भी युक्तियुक्त ढंग से हुई है। लोहा कदम–कदम पर और एक गृहस्थी में सर्वव्याप्त है। ठोस होकर भी यह हमारी जिन्दगी और संबंधों में घुला–मिला हुआ और प्रवाहित है।.

प्रश्न 10.
बिटिया को पिता ‘सिखलाते हैं तो माँ ‘समझाती’ है, ऐसा क्यों?
उत्तर-
इस कविता में बिटिया को उसके पिता लोहा के विषय में सिखलाते हैं, वे उसकी बुद्धि का परीक्षा लेते हुए उससे पूछते हैं कि उसके आसपास लोहा कहाँ–कहाँ है। नन्हीं बिटिया आत्मविश्वास के साथ उनके प्रश्नों का उत्तर सहज भाव से देती है। पुनः माँ उससे वही प्रश्न पूछते हुए लोहे के विषय में समझाती है तथा कुछ अन्य जानकारी देती है।

इस प्रसंग में पिता उसे सिखलाते हैं जबकि माँ उसे इस विषय में समझाती है। दोनों की भूमिका में स्पष्ट अन्तर है इसका कारण यह है कि यह प्रायः देखा जाता है कि पिता द्वारा अपने बच्चों को सिखलाया जाता है, किसी कार्य को करने की सीख दी जाती है, अभ्यास कराया जाता है। माँ द्वारा उन्हें स्नेह भाव से किसी कार्य के लिए समझाया जाता है।

प्यारे नन्हें बेटे को भाषा की बात

प्रश्न 1.
इस कविता की भाषा पर आलोचनात्मक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
‘प्यारे नन्हें बेटे को’ नामक इस कविता की शुरुआत मध्यमवर्गीय व्यक्ति और उसकी नन्हीं सी बिटिया की कौतूहलपूर्ण बातों से होती है। इसमें दैनिक जीवन में प्रयुक्त होने वाले शब्दों का भरपूर प्रयोग हुआ है। कविता में कुछ शब्द तो नितांत घिसे–पिटे रूप में प्रयुक्त है। भाषा इतनी सहज, सरल तथा बोधगम्य है कि आम आदमी या सामान्य शिक्षित भी इसे आसानी से समझ सकता है। ऐसी भाषा में भी एक ताजगी है एक चमक है। कविता की भाषा की एक अन्य खूबी उसकी मौलिकता है।

कविता में तत्सम, तद्भव शब्दों के साथ अंग्रेजी भाषा के शब्दों का सहज प्रयोग हुआ है। इससे कविता की स्वाभाविकता अप्रभावित रही है। कविता के अंत में साधारण सी धातु लोहा प्रतीक अर्थ ग्रहण कर लेती है, जिसे सामान्य शिक्षित के लिए समझना सरल नहीं है। इन सबसे ऊपर कविता की भाषा सहज, बोधगम्य तथा भावाभिव्यक्ति में सक्षम है।

प्रश्न 2.
व्युत्पत्ति की दृष्टि से निम्नलिखित शब्दों की प्रकृति बताएँ–औरत, लड़की, बेटा, बिटिया, आदमी, लोहा, कंधा, छत्ते, दूल्हा, बाल्टी, कुआँ, पिन, साइकिल, दादा।
उत्तर-

  • शब्द – प्रकृति
  • औरत – विदेशज
  • लड़की – तद्भव
  • लोहा – तद्भव
  • बेटा – तद्भव
  • बिटिया – तद्भव
  • आदमी – तद्भव
  • कंधा – तद्भव
  • बाल्टी – तद्भव
  • कुआँ – तद्भव
  • पिन – विदेशज
  • साइकिल – विदेशज
  • दादा – देशज

प्रश्न 3.
नीचे दिए शब्दों से वाक्य बनाएँ कंधा, दादा, बिटिया, लोहा, गला, घंटी, बैलगाड़ी, घटना, बोझ।
उत्तर-

  • शब्द – वाक्य प्रयोग
  • कंधा – पिताजी की असमय मृत्यु से घर की जिम्मेदारी किशोर के कंधों पर आ पड़ी।
  • दादा – हमें वृद्ध दादा जी के सुख–दुख का ध्यान रखना चाहिए।
  • बिटिया – नन्हीं बिटिया की तोतली बातें सुनकर पिताजी प्रसन्न हो उठे।
  • लोहा – लोहा ऐसी धातु है जिसके अभाव में विकास की कल्पना करना भी कठिन है।
  • गला – उसने साहूकार का कर्ज चुकता कर किसी तरह गला छुड़ाया।
  • घंटी – बैलों के गले में बँधी घंटी की आवाज मधुर लग रही थी।
  • बैलगाड़ी – प्राचीन समय में बैलगाड़ी यातायात का प्रमुख साधन थी।
  • घटना – देखो, इस घटना का जिक्र किसी के सामने न करना।
  • अभी – इन नाजुक कंधों पर इतना बोझ मत डालो।

प्यारे नन्हें बेटे को कवि परिचय विनोद कुमार शुक्ल (1937)

जीवन–परिचय–हिन्दी साहित्य की दोनों विधाओं में अपना अप्रतिम अवदान करनेवाले विनोद कुश्मार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी, 1937 ई. को राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़ में हुआ था। उनका निवासस्थान रायपुर, छत्तीसगढ़ में है। वे इन्दिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर तथा निराला सृजनपीठ में जून 1994 से जून 1996 तक अतिथि सलाहकार रहे। उनके अप्रतिम साहित्य अवदान के लिए उन्हें रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार (1992), दयावती मोदी कवि.. शेखर सम्मान (1997) तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार (1999) द्वारा विभूषित किया गया।

रचनाएँ–विनोद कुमार शुक्ल का पहला कविता संग्रह ‘लगभग जयहिन्द’ पहचान सीरीज के अन्तर्गत 1971 में प्रकाशित हुआ। इनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं–

कविता संग्रह–वह आदमी नया गरम कोट पहनकर चला गया विचार की तरह (1981), सबकुछ होना बचा रहेगा (1992), अतिरिक्त नहीं (2001)।

उपन्यास–नौकर की कमीज, खिलेगा तो देखेंगे, दीवार में एक खिड़की रहती थी। कहानी संग्रह–पेड़ पर कमरा, महाविद्यालय।

विशेष–इनके उपन्यासों का कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद तथा ‘पेड़ पर कमरा’ कहानी संग्रह का इतालवी भाषा में अनुवाद। ‘नौकर की कमीज’ उपन्यास पर मणि कौल द्वारा फिल्म का निर्माण भी किया गया।

काव्यगत विशेषताएं–विनोद कुमार शुक्ल ने सातवें–आठवें दशक में अपनी साहित्यिक यात्रा शुरू की। कुछ समय उनकी एक–दो कहानियाँ आई, जिन्होंने अपनी विशिष्टताओं के कारण लोगों का ध्यान आकृष्ट किया। अपनी रचनाओं में वे अत्यन्त मौलिक, न्यारे और अद्वितीय थे। उनकी इस खूबी की जड़ें संवेदना तथा अनुभूति में थी और यह भीतर से पैदा हुई खासियत थी। उनकी यह अद्वितीय मौलिकता अधिक स्फुट, विपुल और बहुमुखी होकर उनकी कविता, कहानियों तथा उपन्यासों में उजागर होती आई है। उनकी कविता मामूली बातचीत की मद्धिम लय और लहजे में शुरू ही नहीं खत्म भी होती है। उनके समूचे साहित्य में आम आदमी की दिनचर्या में सामान्य रूप से व्यवहृत तथा एक हद तक घिसे–पिटे शब्दों का प्रयोग हुआ है।

प्यारे नन्हें बेटे को कविता का सारांश

“प्यारे नन्हें बेटे को” शीर्षक कविता का नायक भिलाई, छत्तीसगढ़ का रहनेवाला है। अपने प्यारे नन्हें बेटे को कंधे पर बैठाए अपनी नन्हीं बिटिया से जो घर के भीतर बैठी हुई है पूछता है कि “बतलाओ आसपास कहाँ–कहाँ लोहा है।” वह अनुमान करता है कि उसकी नन्हीं बिटिया उसके प्रश्न का उत्तर अवश्य देगी। वह बतलाएगी कि चिमटा, कलछुल, कड़ाही तथा जंजीर में लोहा है। वह यह भी कहेगी कि दरवाजे के साँकल (कुंडी) कब्जे, सिटकिनी तथा दरवाजे में धंसे हुए पेंच (स्क्रू) के अन्दर भी लोहा है। उक्त बातें वह पूछने पर तत्काली कहेगी। उसे यह भी याद आएगा कि लकड़ी के दो खम्भों पर बँधा हुआ तार भी लोहे से निर्मित है जिस पर उसके बड़े भाई की गीली चड्डी है। वह यह कहना भी नहीं भूलेगी कि साइकिल और सेफ्टीपिन में भी लोहा है।

उस दुबली–पतली किन्तु चतुर (बुद्धिमती) नन्हीं बिटिया को कवि शीघ्रातिशीघ्र बतला देना चाहता है कि इसके अतिरिक्त अन्य किन–किन सामग्रियों में लोहा है जिससे उसे इसकी पूरी जानकारी मिल जाए।

कवि उसे समझाना चाहता है कि फाबड़ा, कुदाली, टॅगिया, बसुला, खुरपी, बैलगाड़ी के चक्कों का पट्टा तथा बैलों के गले में काँसे की घंटी के अन्दर की गोली में लोहा है। कवि की पत्नी उसे विस्तार से बतलाएगी कि बाल्टी, कुएँ में लगी लोहे की घिरनी, हँसियाँ और चाकू में भी लोहा है। भिलाई के लोहे की खानों में जगह–जगह लोहे के टीले हैं?

इस प्रकार कवि का विचार है कि वह समस्त परिवार के साथ मिलकर तथा सोच विचार कर लोहा की खोज करेगा। सम्पूर्ण घटनाक्रम को तह तक जाकर वह पता लगा पाएगा कि हर मेहनतकश आदमी लोहा है।

कवि यह मानता है कि प्रत्येक दबी–सतायी, बोझ उठाने वाली औरत लोहा है। लोहा कदम–कदम पर और हर एक गृहस्थी में सर्वव्याप्त है।

कवि इस निष्कर्ष पर पहुँचता है कि हर मेहनतकश व्यक्ति लोहा है तथा हर दबी कुचली, सतायी हुई तथा बोझ उठाने वाली औरत लोहा है। कवि का कहना है

कि हर वो आदमी
जो मेहनतकश लोहा है
हर वो औरत
दबी सतायी बोझ उठानेवाली, लोहा।

कविता का भावार्थ

1. प्यारी बिटिया से पूछंगा
“बतलाओ आसपास
कहाँ–कहाँ लोहा है”
चिमटा, करकुल, सिगड़ी
समसी, दरवाजे की साँकल, कब्जे
खीला दरवाजे में फंसा हुआ’
वह बोलेगी झटपट।

व्याख्या–प्रस्तुत व्याख्येय पंक्तियाँ हमारी पाठ्य–पुस्तक दिगंत, भाग–2 के “प्यारे नन्हें बेटे को” शीर्षक कविता से उद्धत है। इसके रचनाकार यशस्वी कवि विनोद कुमार शुक्ल हैं। इन पंक्तियों में उत्कृष्ट कल्पनाशीलता का दर्शन होता है। इसके साथ जीवन का यथार्थ भी है। कवि अपनी बिटिया से कुछ पूछना चाहता है। उसे पूर्ण विश्वास है कि वह उसका उत्तर अवश्य देगी।

कवि अपनी बिटिया से पूछता है कि लोहा कहाँ–कहाँ पर है। वह तत्काल उसका उत्तर देगी। वह कहेगी कि लोहा चिमटा, कलछुल, कड़ाही तय संड्सी में है। वह यह भी कहेगी कि लोहा दरवाजे की सॉकल (कुंडी), कब्जे तथा पेंच में भी है। वह कवि के प्रश्न का उत्तर तत्काल दे देगी।

उपरोक्त काव्यांश में कवि के कहने का आशय यह है कि वह अपनी बिटिया को लोहा के महत्व के बारे में सिखलाना (शिक्षा देना) चाहता है क्योंकि उसकी दृष्टि में लोहा मानव जीवन की एक अमूल्य निधि है। वह उसकी उपयोगिता से भलीभाँति परिचित है।

2. इसी तरह
घर भर मिलकर
धीरे–धीरे सोच सोचकर
एक साथ ढूँढेंगे
कहा–कहाँ लोहा है–

व्याख्या–प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक दिगंत, भाग–2 के “प्यारे नन्हें बेटे को” शीर्षक कविता से उद्धृत है। इसके रचयिता विद्वान कवि विनोद कुमार शुक्ल हैं। इन पंक्तियों में कवि लोहे की खोज सपरिवार करना चाहता है। कवि का कथन है कि लोहा की खोज वह एक साथ मिलकर धीरे–धीरे करेगा। घर के सभी सदस्यों के साथ वह यह कार्य करेगा। इन पंक्तियों में लोहा खोजने हेतु उसकी उत्कंठा स्पष्ट झलकती है।

3. “हर बो औरत
दबी सतायी
बोझ उठानेवाली लोहा !
जल्दी–जल्दी मेरे कंधे से
ऊँचा हो लड़का
लड़की का हो दूल्हा, प्यारा

व्याख्या–प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य–पुस्तक दिगंत भाग–2 के “प्यारे नन्हें बेटे को” शीर्षक कविता से उद्धत है। इसके रचयिता विनोद कमार शुक्ल हैं। लेखक ने इन पंक्तियों में मेहनतकश, दबी–दबायी बोझा ढोने वाली औरत के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है तथा उसके सुन्दर भविष्य की कामना की है।

इन पंक्तियों में कवि का कहना है कि प्रत्येक वह औरत जो दबी, दबी तथा बोझा उठाने वाली है, अर्थात् परिश्रमी है, कठिन कार्यों में लगी हुई है, वह लोहा है। बिटिया का बाप प्यारे नन्हें बेटे को कंधे पर बैठा कर यह कल्पना कर रहा है–कुछ दिनों के बाद उससे भी अधिक ऊँचा और लम्बा हो जाएगा। बिटिया के लिए प्यारा दुल्हा मिल जाएगा।

कवि का कहने का आशय यह है कि हरेक औरत जो दबी–कुचली तथा बोझा ढोनेवाली है, कठिन परिश्रम करती है वह लोहा के समान कठोर, उपयोगी तथा सबको प्रिय होती है। कविता में बिटिया का पिता कल्पना करता है कि कुछ दिनों बाद उसका नन्हा बेटा बड़ा हो जाएगा उससे अधिक ऊँचा और लम्बा हो जाएगा। वह (नन्हा बेटा) अपने पिता से भी अधिक ऊँचे पद पर होगा।

उसकी प्यारी बिटिया भी सयानी हो जाएगी तथा उसके लिए योग्य तथा सुन्दर दूल्हा मिल जाएगा। वह मधुर कल्पना में निमग्न है।

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Bihar Board Class 12 English Book Objective Type Questions and Answers

1. Pearl S. Buck visited India to see………….
(a) the Taj Mahal
(b) Fatehpur Sikri
(c) the young intellectuals and the peasants
(d) glories of empire in New Delhi.
Answer:
(c) the young intellectuals and the peasants

2. Kashmir was invaded
(a) by the Japanese invaders
(b) by the Chinese invaders
(c) by Russian invaders
(d) by white barbarian invaders
Answer:
(d) by white barbarian invaders

3. Colonisation had made the Indian
(a) enervated and exhausted
(b) energetic and happy
(c) Bold and Frank
(d) Fearless and independent
Answer:
(a) enervated and exhausted

4. The worst effect of colonisation was seen in the form of………..
(a) happiness
(b) distress
(c) unemployment
(d) freedom
Answer:
(c) unemployment

5. According to the writer, the main quality of a leader is………
(a) Selfishness
(b) Communalism
(c) dishonesty
(d) selflessness
Answer:
(d) selflessness

Bihar Board Class 12 English Book Very Short Type Questions and Answers

India Through A Traveller’s Eye Question Answer Bihar Board Questions 1.
What does the word colour remind the writer of?
Answer:
The very word colour reminds the writer of the variety of complexion in Indian life, as many as her own American human scene.

India Through A Traveller’s Eye Bihar Board Question 2.
What were the benefits of English rule?
Ans. The benefits of the English rule was an education in English and the knowledge of the west, which Indians acquired. They were well-versed talking in English fluently.

India Through A Traveller’s Eye Objective Question Answer Bihar Board Question 3.
Why were the intellectuals in India restless and embittered?
Answer:
The intellectuals in India were disappointed with the British rule because they were not happy to live a life of slavery. As such, they were restless and embittered.

Through The Eyes Of Travellers Questions Answers Bihar Board Question 4.
What was the ‘great lesson’ that India had to teach the west?
Answer:
The great lesson that India had to teach the west, was humanity. It is our culture and tradition as well.

India Through A Traveller’s Eye Meaning In Hindi Bihar Board Question. 5.
Where was the real indictment against the colonisation to be found?
Answer:
The real indictment against colonialism, however, was to be found in the villages in India. The British rule for all was the ills of India.

Bihar Board Class 12 English Book Textual Questions and Answers

B. 1.1. Read the following sentences and write ‘T’ for true and ‘F’ for false statements
(i) Pearl S. Buck had an Indian family doctor.
(ii) The Mongolian from Europe invaded Kashmir.
(iii) According to the writer, the Indians belonged to the Caucasian race.
(iv) The first woman President of the General Assembly of the United state was an Indian.
(v) The writer wanted to listen to four groups of people.
(vi) The young Indian intellectuals were disappointed with the English rule.
(vii) Indian were willing to fight in the Second World War at England’s command.
(viii) Indians believed in the mobility of means to achieve a noble end.
(ix) The worst effect of colonisation was seen in towns, in the form of unemployment.
(x) Indians under the British rule had a life span of just twenty-seven years.
Answer:
(i) T (ii) F (iii) T (iv) T (v) F (vi) T (vii) F (viii) T (ix) T (x) T.

B. 1.2. Answer the following questions briefly
India Through A Traveller’s Eye In Hindi Bihar Board Questions 1.
What does the word colour remind the writer of?
Answer:
The very word colour reminds me of the variety of complex in Indian life as many as our own American human scene.

India Through Traveller’s Eye Bihar Board Questions 2.
What were the benefits of English rule?
Answer:
They have availed the benefits the English gave and left the shortcomings of the west the pure and exquisitely enunciated English tongue of nen and women educated on both sides of the globe. English (100 Marks)

Bihar Board Rainbow English Book Class 12 Pdf Download Questions 3.
Why were the intellectuals in Indian restless and embittered?
Answer:
The intellectuals in India were disappointed with the British rule as much they were restless and embittered.

Indian Through A Traveller’s Eye Bihar Board Questions 4.
What was the great lesson that India had to teach the west?
Answer:
The great lesson, that India had to teach was humanity. It is our culture and it is our tradition as well.

Bihar Board English Book Questions 5.
Where was the real indictment against the colonisation to be found?
Answer:
The real indictment against colonialism, however, was seen in towns in the form of unemployments. The British rule for all was the ills of India.

India Through A Traveller’s Eye Summary Bihar Board Questions 6.
Why was the writer moved at the sight of the children of the Indian villages?
Answer:
The children of the Indian villages were lean, and them, weak and with huge sad dark eyes. The writer moved to see their poor condition and it tore at her heart.

B.2.1. Read the following sentences and write T for true and ‘F’ for false statements
(i) The Writer blames the English rule for all the ills of India.
(ii) Colonisation had made the Indian enervated and exhausted.
(iii) A long period of slavery made people quite dependent.
(iv) According to the writer, selflessness is the main quality of a leader.
(v) Very few people in villages had respect for age and experience.
(vi) The writer did not like the idea of eating with the right hand.
(vii) Indian is by nature religious.
(viii) The book ‘Come, My Beloved’ has an Indian background.
(ix) A Christian missionary believes that ‘God is the one’.
Answer:
(i) T (ii) T (iii) T (iv) T (v) F (vi) T (vii) T (viii) T (ix) T.

B.2.2. Answer the following questions briefly
12th English Book Answers Bihar Board Question 1.
Why was the land between Bombay and Madras famished?
Answer:
It is so because due to scarcity of water was no food and it was burning like a hot desert.

Bihar Board English Book Class 12 Pdf Download Question 2.
Why did the Indian always blame the British for their suffering?
Answer:
The Indian always blame the British for their suffering because it is an easy excuse to run away from their problems and realities.

Question 3.
Who was the real master of the house which Buck visited?
Answer:
The real master of the house which Buck visited was a younger brother.

Question 4.
Why did the writer not mind her host eating in the opposite comer of the room?
Answer:
It is so because he was able to understand that this reaction was due to their difference in culture.

Question 5.
What does she mean by saying’ Religion is ever-present in Indian life’?
Answer:
By saying so the writer means that is Indians life religion is a very important thing. All are very closely related to religion and it is present in all spheres of life.

Question 6.
What are her views on the Christian missionaries?
Answer:
The author says that for of all the people that I have known the missionary it, in his way, the most dedicated, the most single-hearted. He believes that God is the One the Father of mankind and that all men are brothers. At least the Christian says he so believes and so he preaches.

C. 1. Bihar Board Class 12 English Book Long Answer Questions

Question 1.
How does Pearl S. Buck describe Kashmir?
Answer:
In Kashmir where the white barbarian invaders from Europe long ago penetrated India, the people are often fair. Auburn-haired blue-eyed women are beauties there. A young India friend of mine has recently married a Kashmiri man who though his hair is dark, has eyes of clear green. The skin colour of the Kashmiri a lovely cream and the features are as classic as the Greek. But all the people of India must be reckoned as belonging to the Caucasian race, whatever the colour of the skin in the South, though it be as black as any African’s

Question 2.
How has India influenced the world in the post-independent era?
Answer:
The Indians make the third group between the South Africans and the black and white for that matter there was our Indian family doctor, and why should there have been an Indian doctor in a Chinese port or tend an American family and rumours of India. Persist, for they are memorable people, dramatic and passionate and finding dramatic lives. You see how India has a way of permeating human life and consider how India has managed, merely by maintaining her independence and yes by producing superior individuals to influence the world in these few short years of freedom, they have put to good use the benefits the English gave and left the knowledge of west.

Question 3.
Why had the Indian intellectuals decided not to support the British in the Second World War?
Answer:
The English, they declared had no real purpose to restore India to the people. I could believe it fresh as I was from China, where the period of people’s tutelage seemed endless and self-government further off every year. When you are ready for independence, conquerors have always said to their subjects, etcetera! But who is to decide when that moment comes, and how can people learn to govern themselves, expert, by doing it? So the intellectuals in India were Restless and embitter as, and I sat for hours watching their flashing dark eyes and hearting the endless flow of language the purest English into which they poured their feelings. The plants than was that when the second world war broke, in India world rebel immediately against England and compel her by this complication to set her free. They would not be forced, as they declared they had won the First World War, to fight at England’s command.

Question 4.
What lesson had India taught humanity by gaining independence?
Answer:
India has managed, merely by maintaining her independence and yes, by producing superior individuals, to influence the world in these few years of freedom, they have put to good use the benefits the English gave and left. The knowledge of west the pure and exquisitely enunciated English tongue of men and women educated on both sides of the globe-witness Nehru and with him a host of men learning how to govern, and the first women to be the President of the general assembly of the united nations a woman of India and the men in charge of the prisoner exchange in kore an Indian General, who won trust from all.

Question 5.
What was the psychological impact of colonisation on Indian people?
Answer:
I find that among the many impressions of India, absorbed while I live among them, and still clear in my mind, is their reverence for great men and women. Leadership in India can only be continued by those whom the followers consider being good that is capable of renunciation therefore, not self-seeking. This one quality for them contains all others A person able to renounce personal benefit for the sake of an idealistic and is by that very fact also honest, also high minded, therefore also Trustworthy. I felt that the people, even those who know themselves full of faults, searched for such persons.

Question 6.
Who, according to Buck, could be the real leaders of Indian people?
Answer:
The devotion was given by the people to Gandhi and finally even internationally is well known, but I found the same homage paid to a local person who in their measure were also leaders because of their selflessness. Thus I remember a certain Indian village where I had been invited to visit in the Home of a family of some modem education though not much, and some means, though not wealth, the house was mud-walled and the roof was made of thatch. Inside were several rooms however, the floors smooth and polished with the usual mixture of cow-dung and water.

Question 7.
What are some of the features of Indian family Life, as noticed by Buck?
Answer:
The maturing culture of organised human family life and produced philosophical religions had shaped his mind and soul, even though he could not read and write. And the children, the little children of the Indian villages, how they tore off my heart, thin, big believer, and all with huge sad dark eyes. I wondered that any Englishmen could look at them and not accuse himself. Three hundred years of English occupation and rule, and could there be children like this? Yes, and Millions of them! And the final indictment surely was that the life span in India was only twenty-seven years. Twenty-seven years! No wonder, then, that life was hastened, that a men married very young so that there could be children, as many as possible before he died.

Question 8.
Give a portrait of India seen through the writer’s eyes.
Answer:
In India through a Traveller’s Eyes, Pearl Buck gives her personal impression of India. On the basis of these impressions, a portrait of India flashes before our eyes. This portrait is of India of the nineteen-fifties. Thus it appears idyllic to us. Even for that period, the portrait is not very realistic. The writer is a fond lover of India and the Indian people. Thus she sees only bright sides of Indian life. In a sense this was inevitable. Mrs Buck saw only those things and people that her hosts showed her. The hosts naturally did not show her the seamy sides of Indian life. So this portrait of India formed through this writer’s eyes is very bright. The picture includes scenes of poverty, disease, starvation and overall economic backwardness of the country. Bui for all these ills the British rulers are blamed. The writer begins at a very bright note.

She speaks about India’s superior individuals who have influenced the course of modem history with their non-violent freedom movement as also by human-faced administration and reconstruction work after independence. She finds that Indian intellectuals have made excellent use of some of the good gifts including the English language that the British rule gave to India. The writer is charmed by quality calibre and self-confidence of the Indian intellectuals. She finds Indian Freedom Movement a rare thing in which the whole people including the intellectuals and the peasants fought hand in hand. And this Freedom Movement was far loftier than the American War of Independence. It was the triumph of a bloodless revolution. Here noble means was used to achieve noble ends. It has a great lesson for the world as it shows the futility and destructiveness of movement carried on by violence and blood-shed.

Mrs Buck gives an impressive picture of Indian village life. Here people live according to the great ideals of their tradition. Their conception of goodman is quite lofty. They think only those people good who practise self-renunciation rather than self-seeking. Such people sacrifice their personal good for the sake of noble ideals. Mahatma Gandhi is the supreme example of such great good man of Indian conception. But all through the country, such people are to be found and people flock to them and follow their wise advice in a village Mrs Buck finds a paralytic elderly man who for being such a liberated man is surrounded by people all through the day.

Despite his suffering, he lives in a cage-like enclosure where people may come unrestricted. All his life he has been a selfless Wiseman. Now he has become a saint for the people. In the same way, the writer is impressed by the cleanliness and clean habits of Indian Villagers. Even the paralytic man was spotlessly clean. In people’s home, she found homespun towels to cleanse the hands. The custom of taking food from green banana leaves through the right hand only also convinced Mrs Buck of the clean habits of the Indian people. Thus the portrait of India seen through Mrs Buck’s eyes is impressive though bit over-bright. It is not as realistic as E. M. Forester’s portrait of India But it has an idyllic charm that is very appealing.

Q. 9. What did Pearl Buck see in India? Or, What did Pearl Buck hear from the young intellectuals and the peasants in Indian villages?
Answer:
In India, Through a Traveller’s Eyes, Pearl Buck gives a moving and somewhat idyllic picture of India. In the authoress opinion, the Indian People as a whole are of the Caucasian race. True there are variations from the white-complexioned and green-eyed Kashmiris to black coloured people of the south. But qualitatively the Indian people have an innate dynamism. They are assimilative adjustable and pragmatic. The Indian ways of life and philosophy running all through the ages have made them so. They are unexpectedly found living decently and doing well in different parts of the world in different capacities. They may be alone as family doctors in the interiors of China or one-third of the whole population of a country as in South Africa. Then the Indians to Mrs Buck are “a memorable people.

Dramatic and passionate and fond of dramatic lives.” The influence of Indian ways of life is being pervasive within a few years of her independence. She has made a mark on the international scene through her superior individuals. Nehru turned out to be a great and noble leader. An Indian woman became the president of the General Assembly of the U. N. An Indian army general did exemplary impartial work in effecting an exchange of prisoners in Korea. The newly emerged independent India has been full of quiet confidence based on her unyielding idealism. Mrs Buck came to see the spirit of India as reflected in the young intellectuals of Indian cities and in the I peasants of Indian villages. She met the young intellectuals about the second world war period.

She found them seething with anger for their British rulers, who had bluffed India during the First World War and were likely to do the same after this war. So they wanted that India should be given freedom first and then she would decide in what way and from what side she would fight that war. But the savageries and aggressions of Nazism. Fascism and Japanese adventurism forced India to fight the war from the side of the Allies and not from the side of the Axis. India had enough wisdom to choose civilization rather than barbarism. And despite Churchill’s prediction of blood-baths the saner leaders of Britain gave India her freedom. There was no other option left to Britain because the Freedom Movement under the banner of Mahatma Gandhi.involved all sectors of the people indeed the whole nation and this people’s non-violent war proved more powerful than the bloody wars. mankind had seen so far.

And the message behind this Movement is of crucial significance. Mrs Buck thinks that the Americans have not fully understood this message though beside India’s “mighty triumph of a bloodless revolution our war of Independence shrinks in size and concept”. The great lesson of India’s Freedom ’ Movement has total relevance to the present world. It triumphantly states that » war and killing achieve nothing but loss and destruction. So noble non-violent means must be used to achieve noble ends. Coming to the pitiable condition of India as a result of British colonialism. Mrs Buck says that Indian intellectuals despite their immense abilities and calibres had been left, languishing. All top positions went to white Englishmen though they were second rate or even worse. So the country was in ferment because these highly educated competent and cultured people shaped the mood of the nation.

However, the worst effects of British Imperialism were most obvious in India’s miserable villages. The condition of the Indian peasants was worse than that of the Chinese peasants. This was very much like the condition of the Russian peasants before the Bolshevik Revolution. But Russian peasants were culturally much inferior to the Indian peasants. Indian peasants were very much like the Chinese in being “innately civilized” Indian culture has been maturing through the age and it has been stable because it is based on intact family life. Above all India’s pragmatic and philosophical religions have shaped the mind and soul of the Indian. So even the illiterate Indian peasant have been innately civilized. Under British rule, India was sucked white f people’s life-span was of 27 years only. Their children were deshaped diseased I and died too young.

The rickety big-bellied nad skeletonic babies with sunk dark eyes were the worst indictment of the British imperialism. The authoress is amazed that the English in some ways the finest people on Earth could be l so diabolically corrupted by colonialism. But imperialist do not work for the welfare of people. They rather sit on their back and demoralize them. People are made to tolerate the worst on one excuse or other. Coming to the shining bright culture of the Indian masses, Mrs Buck finds in them a reverence for great men and women intact. By great men and women, they mean people of sacrifice and renunciation. Gandhiji has been the most supreme example of such people dedicated to the service and welfare of people. Such people the authoress found in India’s villages. One such person was an elderly man crippled by paralysis. He lived in a cage-like compartment in the courtyard of the family.

He was always surrounded by people who came to be enlightened by his wisdom. This sacrificial mode of life was common in India even now. The old idyllic life continued in the villages. There was a caste system no doubt. There was also crankish behaviour of people in matters of religion and worship. But they were mostly harmless. The worst aspects of religion were there too including fanaticism. But by and large, the religious ways of life had not corrupted or poisoned the social life. Above all the spirit of self-sacrifice was very much present. Whereas others including the Christian made compromises with the idealism of their mission, the simple unsophisticated Indians stood firm in supporting their idealism and paid in full measure the price involved in their infiinching attachment to it. so whereas the Christian Missionaries had failed to effect brotherhood of man that Christ preached, the simple poor Indian masses by their sheer sacrifice had implemented their innate idealism in the practical life of their society to a great extent.

Question 10.
Who according to Pearl S. Buck is blame for India’s poverty and backwardness?
Answer:
Pearl S. Buck came to India in the period just before and after India’s independence. In that period India was what the British rulers had made her. She found India in a pitiable condition. The condition of the villages, in particular, was very deplorable. People suffered from poverty and starvation. The fertile land stretching from Bombay to Madras was dry and without crops due to lack of irrigation facilities. What to say of artesian wells there were not even shallow wells. The people themselves could have done something about it. But centuries of colonialism had taken all strength and vitality out of them. They were sunk in sloth and idleness.

They were full of excuses for not working and remaining helpless, spectators all the time. They blamed the Britishers for all the ills of their society. They thought that their British rulers had taken all the responsibilities to feed and clothe them. It they suffered and died of hunger and disease it was the fault of the foreign government. The people in themselves were not responsible for it. Such behaviour of the people showed that the colonialism of centuries had made them lose their heart and their spirit. So ultimately the British imperialists were responsible for this all-round degradation and backwardness of India and her people.

C. 3. Composition

Question 1.

You have a pen Friend in America who wants to know about India. Write a letter to your friend describing some of the values that govern Indian family life.

Answer:

Khazanchi Road Patna
July 5,200.

Dear Yuvraj
I hope my letter finds you in a happy and healthy mood. I know you are highly impressed by our Indian culture. We have a strong family bonding. It is our love, understanding and cooperation which strengthens our relationship

Yours, lovingly
Amithanshu

Question 2.
Write a paragraph in about 100 words in India’s contribution to world peace.
Answer:
India has taught the lesson of peace to the whole world. We are a peace-loving country and spread the same philosophy all over the world. We have always been a supporting hand to the U.N.O. in maintaining world peace. We have sent our army to restore peace and order in the different parts of the world. We have criticised the countries and their policies if it hampers the world peace. We are always ready to Help in all spheres the world for its harmony.

D. 2. Word-formation

Read the following sentence carefully:

India has always been part of the background of my life but I had never seen in whole and for myself until now.
In the sentence given above background’s of my life but I had never seen in whole and for myself until now.
In the sentence given above background’s made of back and ground, similarly, myself s made of my and self.
From compound words using the words given below:

Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 10 India Through a Traveller’s Eyes 1

D. 3. Word-meaning

Ex. 1. Match the words given in Column A with their meanings given in Column B
Column A Column B
Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 10 India Through a Traveller’s Eyes
Answer:
1. (e), 2. (c), 3. (d), 4. (g), 5. (a), 6. (b), 7. (f)

D. 4. Phrases

Ex. 1. Read the lesson carefully and find out the sentences in which the following phrases have been used. Then use these phrases in sentences of your own.
further off   in spite of   live upon   search for   as long as   serve on   Putin
Answer:
further off — The doctor advised the patient to stop the medicine further off.
in spite of — In spite of heavy rain the match continued.
live upon — Deepak lives upon his own rules.
search for — They have made a deep search for the thief.
as long as — They worked as long as they could.
serve on — We should serve in our country.
put in — Manoj knows how to put in with different people.

E. Grammar

Ex. 1. Change the following sentences as directed
(i) The features of the Kashmiri are as classic as the Greek, (from positive to comparative)
(ii) My host said, “I was called to kill a dangerous snake, (from direct to indirect speech)
(iii) My life has been too crowded with travels and many people for me to put it all within the covers of one book. (Remove too)
(iv) What did I go to India to see? (from interrogative to assertive)
Answer:
(i) The features of the Kashmiri are not more classic than the Greek.
(ii) My host said that he had been called to kill a dangerous snake.
(iii) My life has been so crowded with travels and many people that it is impossible for me to put it all within the covers of one book.
(iv) I went to see India

The main aim is to share the knowledge and help the students of Class 12 to secure the best score in their final exams. Use the concepts of Bihar Board Class 12 Chapter 10 India Through a Traveller’s Eyes English Solutions in Real time to enhance your skills. If you have any doubts you can post your comments in the comment section, We will clarify your doubts as soon as possible without any delay.

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 5 कवित्त

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कवित्त वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ

कवि भूषण कविता शिवाजी महाराज Bihar Board Class 12th प्रश्न 1.
भूषण की लिखी कविता कौन–सी है?
(क) पद
(ख) छप्पय
(ग) कवित्त
(घ) पुत्र–वियोग
उत्तर-
(ग)

Kavi Bhushan Shivaji Maharaj Kavita Bihar Board Class 12th प्रश्न 2.
शिवराज भूषण किसकी कृति है?
(क) भूषण
(ख) देव
(ग) बिहारी
(घ) मतिराम
उत्तर-
(क)

Kavi Bhushan Poems On Shivaji Maharaj Bihar Board Class 12th प्रश्न 3.
‘भूषण’ को यह उपनाम किस राजा ने दिया था?
(क) राजा जय सिंह ने
(ख) चित्रकूट के सोलंकी राजा रूद्रशाह ने
(ग) राजामधुकर शाह ने
(घ) राजा छत्रसाल ने
उत्तर-
(ख)

Kavi Bhushan Ne Kis Rajya Ki Prashansa Mein Kavita Likhi प्रश्न 4.
भूषण किस धारा के कवि है?
(क) रीतिमुक्त
(ख) रीति सिद्ध
(ग) रीतिबद्ध
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(क)

Kavi Bhushan Poem On Shivaji Maharaj Bihar Board Class 12th प्रश्न 5.
शिवाजी की वीरता का बखान किस कृति में भूषण कवि ने किया है?
(क) भूषण हजारा
(ख) छत्रसाल–दशक
(ग) शिवा बावनी
(घ) भूषण उल्लास
उत्तर-
(ग)

Hindi Book Class 12 Bihar Board 100 Marks Pdf Bihar Board प्रश्न 6.
भूषण के दो नायक कौन–कौन हैं?
(क) छात्रपति शिवाजी और छत्रसाल
(ख) नंद और शकटार
(ग) चन्द्रगुप्त और चाणक्य
(घ) अशोक और कुणाल
उत्तर-
(क)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

12 Hindi Book Bihar Board प्रश्न 1.
भूषण रीतिकाल के……… धारा के कवि हैं।
उत्तर-
रीतिमुक्त

12th Hindi Book Bihar Board प्रश्न 2.
भूषण जातीय स्वाभिमान, आत्मगौरव, शौर्य एवं……… के कवि हैं।
उत्तर-
पराक्रम

Bihar Board 12 Hindi Book प्रश्न 3.
भूषण एक रीतिबद्ध………….. कवि ही थे।
उत्तर-
आचार्य

प्रश्न 4.
इंद्र जिमि जंभ पर बाड़व ज्यौं अंभ पर,……….. संदर्भ पर रघुकुल राज है।
उत्तर-
रावन

प्रश्न 5.
पौन बारिबाह पर……….. रतिनाह पर, ज्यौं सहस्रबाहु पर राम द्विजराज हैं।
उत्तर-
संभु

प्रश्न 6.
तेज तम अंस पर कान्ह जिमि कंस पर,
यौं मलेच्छा………. बंस पर सेर सिवराज हैं।
उत्तर-
बंस

कवित्त अति लघु उत्तरीय प्रश्न।

प्रश्न 1.
महाकवि भूषण हिन्दी साहित्य के लिए किस काल के कवि थे?.
उत्तर-
रीतिकाल के।

प्रश्न 2.
भूषण ने मुख्यतः किस भाषा में रचना की?
उत्तर-
ब्रजभाषा में।

प्रश्न 3.
भूषण ने समुदाग्नि से किसकी तुलना की है?
उत्तर-
शिवाजी की।

प्रश्न 4.
छत्रसाल की तलवार ने कौन–सा रूप धारण कर रखा है?
उत्तर-
रौद्र रूप।

कवित्त पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
शिवाजी की तुलना भूषण ने किन–किन से की है?।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में महाकवि भूषण ने छत्रपति महाराज शिवाजी की तुलना इन्द्र, वाड़बाग्नि (समुद्र की आग), श्रीराम, पवन, शिव, परशुराम, जंगल की आग, शेर (चीता) प्रकाश अर्थात् सूर्य और कृष्ण से की है।

प्रश्न 2.
शिवाजी की तुलना भूषण ने मृगराज से क्यों की है?
उत्तर-
महाकवि भूषण ने अपने कवित्त में छत्रपति शिवाजीकी महिमा का गुणगान किया है। महाराज शिवाजी की तुलना कवि ने इन्द्र, समुद्र की आग, श्रीरामचन्द्रजी, पवन, शिव, परशुर.’ जंगल की आग, शेर (चीता), प्रकाश यानि सूर्य और कृष्ण से की है। छत्रपति शिवाजी के व्यक्तित्व में उपरोक्त सभी देवताओं के गुण विराजमान थे। जैसे उपरोक्त सभी अंधकार, अराजकता, दंभ अत्याचार को दूर करने में सफल हैं, ठीक उसी प्रकार मृगराज अर्थात् शेर के रूप में महाराज शिवाजी मलेच्छ वंश के औरंगजेब से लोहा ले रहे हैं।

वे अत्याचार और शोषण–दमन के विरुद्ध लोकहित के लिए संघर्ष कर रहे हैं। छत्रपति का व्यक्तित्व एक प्रखर राष्ट्रवीर, राष्ट्रचिन्तक, सच्चे कर्मवीर के रूप में हमारे सामने दृष्टिगत होता है। जिस प्रकार इन्द्र द्वारा यम का, वाड़वाग्नि द्वारा जल का, और घमंडी रावण का दमन श्रीराम करते हैं ठीक उसी प्रकार शिवाजी का भी व्यक्तित्व है।

पवन जैसे बादलों को तितर–बितर कर देता है, शिव के वश में कामदेव हो जाते हैं, सहस्रार्जुन पर परशुराम की विजय होती है, दावाग्नि जंगल के वृक्षों की डालियों को जला देती है; जैसे चीता (शेर) मृग झुंडों पर धावा बोलता है ठीक हाथी पर सवार हमारे छत्रपति शिवाजी मृगराज की तरह सुशोभित हो रहे हैं। जिस प्रकार सूर्य प्रकाश से अंधकार का साम्राज्य विनष्ट हो जाता है, कृष्ण द्वारा कंस पराजित होता है, ठीक उसी तरह औरंगजेब पर हमारे छत्रपति भारी पड़ रहे हैं। हमारे इन देवताओं एवं प्रकृति के अन्य जीवों की तरह गुण संपन्न शिवाजी का व्यक्तित्व है। वे देशभक्ति और न्याय के प्रति अटूट आस्था रखनेवाले भूषण के महानायक हैं। उनके व्यक्तित्व और शीर्ष के आगे शत्रु फीके पड़ गए हैं।

महावीर शिवाजी भूषण के राष्ट्रनायक हैं। इनके व्यक्तित्व के सभी पक्षों को कवि ने अपनी कविताओं में उद्घाटित किया है। छत्रपति शिवाजी को उनकी धीरता, वीरता और न्यायोचित सद्गुणों के कारण ही मृगराज के रूप में चित्रित किया है।

प्रश्न 3.
छत्रसाल की तलवार कैसी है? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में महाराजा छत्रसाल की तलवार सूर्य की किरणों के समान प्रखर और प्रचण्ड है। उनकी तलवार की भयंकरता से शत्रु दल थर्रा उठते हैं।

उनकी तलवार युद्धभूमि में प्रलयकारी सूर्य की किरणों की तरह म्यान से निकलती है। वह विशाल हाथियों के झुण्ड को क्षणभर में काट–काटकर समाप्त कर देती हैं। हाथियों का झुण्ड गहन अंधकार की तरह प्रतीत होता है। जिस प्रकार सूर्य किरणों के समक्ष अंधकार का साम्राज्य समाप्त हो जाता है ठीक उसी प्रकार तलवार की तेज के आगे अंधकार रूपी हाथियों का समूह भी मृत्यु को प्राप्त करता है।

छत्रसाल की तलवार ऐसी नागिन की तरह है जो शत्रुओं के गले में लिपट जाते हैं और मुण्डों की भीड़ लगा देती है, लगता है कि रूद्रदेव को रिझाने के लिए ऐसा कर रही हैं।

महाकवि, भूषण छत्रसाल की वीरता से मुग्ध होकर कहते हैं कि हे बलिष्ठ और विशाल भुजा वाले महाराज छत्रसाल मैं आपकी तलवार का गुणगान कहाँ तक करूँ? आपकी तलवार शत्रु–योद्धाओं के कटक जाल को काट–काटकर रणचण्डी की तरह किलकारी भरती हुई काल को भोजन कराती है।

प्रश्न 4.
नीचे लिखे अवतरणों का अर्थ स्पष्ट करें
(क) लागति लपकि कंठ बैरिन के नागिनि सी,
रुदहि रिझावै दै दै मुंडन की माल को।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ भूषण की काव्यकृति छत्रसाल–दशक से संकलित की गयी कविताओं में से ली गयी है। इन पंक्तियों में महाकवि भूषण ने छत्रसाल की तलवार की प्रशंसा की है।

प्स छत्रसाल की तलवार नागिन के समान है। वह शत्रुओं के गर्दन से लपटकर जा मिलती है और देखते–देखते नरमुंडों की ढेर लगा देती है। मानों भगवान शिव को रिझा रही हो। इस प्रकार छत्रसाल की तलवार की महिमा गान कवि ने किया है। छत्रसाल की तलवार का कमाल प्रशंसा योग्य है। इन पंक्तियों में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है। भयंकर रूप के चित्रण के कारण रौद्र रस का प्रयोग झलकता है।

(ख) प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि,
कालिका सी किलकि कलेऊ देति काल को।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ भूषण कवि की कविता पुस्तक छत्रसाल–दशक द्वारा ली गयी है जो पाठ्यपुस्तक में संकलित है। इस अवतरण में वीर रस के प्रसिद्ध कवि भूषण ने महाराजा छत्रसाल की तलवार का गुणगान किया है। इनकी तलवार की क्या–क्या विशेषताएँ हैं, आगे देखिए।

इन पंक्तियों में कवि के कहने का भाव यह है कि छत्रसाल बुन्देला की तलवार इतने तेज धारवाली है कि पलभर में ही शत्रुओं को गाजर–मूली की तरह काट–काटकर समाप्त कर देती है। साथ ही काल को भोजन भी प्रदान करती है। यह तलवार साक्षात् कालिका माता के समान है। वैसा ही रौद्र रूप छत्रसाल की तलवार भी धारण कर लेती है।

यहाँ अनुप्रास और उपमा अलंकार की छटा निराली है।

प्रश्न 5.
भूषण रीतिकाल की किस धारा के कवि हैं, वे अन्य रीतिकालीन कवियों से कैसे विशिष्ट हैं?
उत्तर-
महाकवि भूषण रीतिकाल के एक प्रमुख कवि हैं, किन्तु इन्होंने रीति–निरूपण में शृंगारिक कविताओं का सृजन किया। उन्होंने अलंकारिकता का प्रयोग अपनी कविताओं में अत्यधिक किया है।

रीति काव्य के कवियों की प्रवृत्तियों के आधार पर दो भागों में बाँटा जा सकता है–
(i) मुख्य प्रवृत्तियाँ–
(क) रीति निपुंज तथा
(ख) शृंगारिकता।

(ii) गौण प्रवृत्तियाँ–
(क) राज प्रशस्ति (वीर काव्य)
(ख) भक्ति तथा
(ग) नीति।

(क) रीति–निरूपण के आधार पर रीति कवियों के दो वर्ग हैं–
(i) सर्वांग निरूपण तथा
(ii) विशिष्टांग निरूपक।

(i) सर्वांग निरूपण : काव्य के समस्त अंगों पर विवेचन किया है। इसके तीन भेद हैं–
(a) समस्त रसों के निरूपक,
(b) शृंगार रस निरूपक
(c) श्रृंगार रस के आलंबन नायक–नायिकाओं के भेदोपभेदों के निरूपक।

अलंकार निरूपक आचार्यों में मतिराम, भूषण, गोप, रघुनाथ, दलपति आदि और भी कुछ कवि आते हैं।

इस प्रकार भूषण श्रृंगार रस के आलंबन नायक–नायिकाओं के भेदोपभेदों के निरूपक रीति काव्य परंपरा के कवि हैं। अलंकार निरूपक रीति के रूप में भूषण को ख्याति प्राप्त है। महाकवि भूषण का आर्विभाव रीतिकाल में हुआ। उस समय की समस्त कविताओं का विषय था–नख–शिख वर्णन और नायिका भेद। अपने आश्रयदाताओं को प्रसन्न करना और वाहवाही लूटना उनकी कविता का उद्देश्य था। अतः तब कविता स्वाभाविक उद्गार के रूप में नहीं होती थी, वरन् धनोपार्जन के साधन के रूप में थी।

ऐसे ही समय में महाकवि भूषण का आविर्भाव हुआ। परन्तु उनका उद्देश्य कुछ और था। अतएव देश की करुण पुकार से उनका अंतर्मन गुंजरित हुआ। फलस्वरूप उनके काव्य में श्रृंगार की धारा प्रवाहित नहीं हुई वरन् वीर रस की धारा फूट पड़ी। ऐसी परिस्थिति में कहा जाएगा कि वे तत्कालीन काव्यधारा के विरुद्ध प्रतीत होते हैं। परन्तु उनकी महत्त सुरक्षित कही जाएगी। इसका एकमात्र कारण यही है कि उनकी कविता कवि–कीर्ति संबंधी एक अविचल सत्य का दृष्टांत है।

आविर्भाव के विचार से वे रीतिकाल में आते हैं। किन्तु विषय के दृष्टिकोण से उन्हें वीरगाथा–काल में ही मानना चाहिए। कुछ लोग उन्हें चाटुकार जाटों की श्रेणी में रखते हैं। किन्तु भूषण के प्रति यह धीर अन्याय होगा। इसका कारण यह है कि श्रृंगार प्रधानकाल में भी वीर रस की उद्भावना द्वारा जन जीवन में जागरण का मंत्र फूंकना उनके स्वतंत्र हृदय का परिचायक है। उनकी काव्य की रचना देश की नब्ज पहचान कर हुई है। निःसन्देह उनकी रचना युग–परिवर्तन का आह्वान करती है।।

भूषण कई राजाओं के यहाँ गए किन्तु कहीं भी उनका मन नहीं लगा। उनका मन यदि कहीं लगा तो एकमात्र छत्रपति शिवाजी के दरबार में ही। ऐसे तो छत्रसाल के यहाँ भी उन्हें सम्मान मिला था। उसी कारण में उन्होंने लिखा था–”शिवा को बखानों कि बखानों को छत्रसाल को।”

भूषण का काव्य वीर काव्य की परंपरा में आता है। यहाँ ओज की प्रधानता है। भूषण के काव्य के महानायक हैं–छत्रपति शिवाजी महाराज।

रीतिकालीन कवियों की तरह भूषण खुशामदी कविं नहीं बल्कि राष्ट्रीयता के प्रबल पक्षधर हैं। इनकी कविताओं में भारतीयता, हिन्दुत्व और लोक मंगल की कामना है। इसी कारण इन्हें हिन्दू राष्ट्र का जातीय कवि भी कहा जाता है।

इनकी तीन प्रमुख रचनाएँ हैं–

  • शिवराज भूषण,
  • शिव बावनी
  • छत्रसाल दशक।

भूषण की काव्य भाषा ब्रजभाषा है। इसे ब्रजभाषा नहीं कह सकते हैं। विभिन्न भाषाओं के शब्दों के मेल–जोल से इसे खिचड़ी भाषा भी कह सकते हैं। शब्दों को तोड़–मरोड़ कर अत्यधिक प्रयोग किया है। जिसके कारण उनका स्वाभाविक रूप बिगड़ गया है। मित्र बन्धुओं ने इसलिए कहा है कि भूषण की भाषा सशक्त, भाव–प्रकाशन में प्रभावयुक्त और सुव्यवस्थित है। देशज, विदेशज, तद्भव और तत्सम रूपों का प्रयोग धड़ल्ले से किया है।

ये एक सफल कवि के रूप में हिन्दी जगत में समादृत है। इनकी कविताओं में लोकोक्तियों तथा मुहावरों का प्रयोग भी हआ है। ओज गुण संपन्न इनकी काव्य कृतियाँ हिन्दी की धरोहर है। भूषण की कविता में सुमेरु डोल रहा है। सागर मथा जा रहा है। भूषण और शिवाजी दोनों ही व्यक्ति नहीं है बल्कि भाव के क्षेत्र में जो कविवर भूषण है, वही रणक्षेत्र में शिवाजी का रूप धारण कर लेते हैं।

शिवराज भूषण में 105 अलंकारों का प्रयोग हुआ जिसमें 99 अक्कर, 4 शब्दालंकार तथा शेष दो चित्र ओर संकर नामक अलंकार है। विवेचन क्रम एवं लक्षणों को देखने से प्रतीत होता है कि ग्रन्थाकार जयदेव के चन्द्रलोक और मतिराम कालालितलाम का ही आश्रम लिया है।

आचार्य कर्म में भूषण को कुछ लोग भले ही असफल कवि के रूप में मानते हैं किन्तु कवि–कर्म में उतने ही सफल हुए हैं। विषय के अनुरूप ओजपूर्ण वाणी का प्रयोग इनमें सर्वत्र मिलता है। भूषण की दृष्टि व्यापक थी। पूरे राष्ट्र को एक इकाई के रूप में वे देखते थे। भूषण के काव्य में सुव्यक्त होनेवाली राष्ट्रीयता की यह चेतना रीतिकालीन साहित्य के उपलब्ध साक्ष्यों में सर्वत्र विद्यमान है।

प्रश्न 6.
आपके अनुसार दोनों छंदों में अधिक प्रभावी कौन है और क्यों?
उत्तर-
हमारे पाठ्य–पुस्तक दिगंत भाग–2 में संकलित के दोनों कवित्त छंदों में अधिक प्रभावकारी प्रथम छंद है। इसमें महाकवि भूषण ने राष्ट्रनायक छत्रपति शिवाजी के विरोचित गुणों का गुणगान किया है। कवि ने अपने कवित्त में छत्रपति शिवाजी के व्यक्तित्व के गुणों की तुलना अनेक लोगों से करते हुए लोकमानस में उन्हें महिमा मंडित करने का काम किया है।

कवि ने कथन को प्रभावकारी बनाने के लिए अनुप्रास और उपमा अलंकार का प्रयोग कर अपनी कशलता का परिचय दिया है। वीर रस में रचित इस कवित्त में अनेक प्रसंगों की तुलना करते हुए शिवाजी के जीवन से तालमेल बैठाते हुए एक सच्चे राष्ट्रवीर के गुणों का बखान किया है। इन्द्र, राम, कृष्ण, परशुराम, शेर, कृष्ण, पवन आदि के गुण कर्म और गुण धर्म से शिवाजी के व्यक्तित्व की तुलना की गयी है। वीर शिवाजी शेरों के शेर हैं, जिन्होंने अपने अभियान में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

भाषा में ओजस्विता, शब्द प्रयोग में सूक्ष्मता कथन के प्रस्तुतीकरण की दक्षता भूषण के कवि गुण हैं। अनेक भाषाओं के ठेठ और तत्सम, तद्भव शब्दों का भी उन्होंने प्रयोग किया है।

कवित्त भाषा की बात।

प्रश्न 1.
प्रथम छंद में कौन सा रस है? उसका स्थाई भाव क्या है?
उत्तर-
प्रथम छंद में वीर रस है उसका स्थायी भाव उत्साह है।

प्रश्न 2.
प्रथम छंद का काव्य गुण क्या है?
उत्तर-
प्रथम छंद का काव्य गुण ओज गुण है।

प्रश्न 3.
द्वितीय छंद में किस रस की अभिव्यंजना हुई है? उस रस का स्थाई भाव क्या है?
उत्तर-
द्वितीय छंद में रौद्र रस की अभिव्यंजना हुई है.। रौद्र रस का स्थाई भाव क्रोध है।

प्रश्न 4.
प्रथम छंद में किन अलंकारों का प्रयोग हुआ है?
उत्तर-
प्रथम छंद में अनुप्रास, उत्प्रेक्षा अलंकारों का प्रयोग हुआ है।

प्रश्न 5.
‘लागति लपकि कंठ बैरिन के नागिनी सी’–इनमें कौन–सा अलंकार है?
उत्तर-
लागति लपकि कंत बैरिन के नागिनी सी’ में उपमा अलंकार है।

प्रश्न 6.
दूसरे छंद से अनुप्रास अलंकार के उदाहरण चुनें।.
उत्तर-
दूसरे छंद से अनुप्रास अलंकार के उदाहरण निम्नलिखित हैं–तम–तोम मैं, म्यान ते मयूखें, लागति लपकि, रुदहि रिझावै, मुंडन की माल, छितिपाल छत्रसाल, कटक कटीले केते काटि काटि, किलकि कलेऊ आदि।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची लिखें भानु, रुद्र, चीता, इन्द, तम, तेज, मृग, काल, कंठ, भट
उत्तर-

  • भानु–सूर्य, रवि, भास्कर, दिवाकर
  • रुद्र–शंकर, त्रिपुरारि, त्रिलोचन
  • चीता–बाघ
  • इन्द्र–सुरेन्द्र, देवेन्द्र, सुरपति, देवेश
  • तम–अंधकार, अँधेरा, तम, तिमिर
  • तेज–प्रताप, महिमा, शूरता
  • मृग–हिरण, तीव्रधावक
  • काल–समय, यमराज, शिव, मुहूर्त
  • कंठ–गला भट–योद्धा, रणवीर

प्रश्न 8.
‘महाबाहु’ में ‘महा’ उपसर्ग है, इस उपसर्ग से पाँच अन्य शब्द बनाएँ।
उत्तर-
महाबली, महान, महात्मा, महामना, महाराज, महाकाल, महाशय।।

प्रश्न 9.
‘छितिपाल’ में पाल प्रत्यय है, इस प्रत्यय से युक्त छह अन्य शब्द बनाएँ।
उत्तर-
द्वारपाल, राज्यपाल, रामपाल, सतपाल, जयपाल, धर्मपाल, गोपाल।

कवित्त कवि परिचय भूषण (1613–1715)

महान् कवि भूषण के जन्म–मृत्यु के बारे में विद्वानों में मतभेद है। उनका जन्म 1613 में तिकवाँपुर, कानपुर उत्तरप्रदेश माना जाता है। उनका वास्तविक नाम घनश्याम था। ‘भूषण’ उनकी उपाधि है जो चित्रकूट के सोलंकी राजा रुद्र ने उन्हें दी। ये कानपुर के पास तिकवाँपुर के रहनेवाले थे और जाति के कान्यकुब्ज ब्राह्मण थे। इनके पिता का नाम रत्नाकर त्रिपाठी था। भूषण को रीतिकाल के प्रसिद्ध कवियों–चिन्तामणि तथा मतिराम का भाई माना जाता है। किन्तु कई विद्वानों का इसमें संदेह है। भूषण कई राजदरबारों में गये, किन्तु उन्हें सबसे अधिक सन्तुष्टि शिवाजी के दरबार में मिली। इन्हें शिवाजी के पुत्र शाहूजी एवं पन्ना के बुदेला राजा छत्रसाल के दरबार में रहने का सौभाग्य मिला। सन् 1715 में उनका देहावसान हुआ।

भूषण की तीन प्रसिद्ध रचनाएँ हैं––शिवराज भूषण, शिवाबावनी तथा छत्रसाल दशक। इनमें “शिवराज भूषण’ उनकी कीर्ति का आधार है। भूषण की वाणी में ओज और वीरता के भाव व्यक्त हुए हैं। उन्होंने अपने आश्रयदाताओं–शिवाजी तथा छत्रसाल की प्रशंसा में बहुत सुन्दर कवित्त लिखे हैं। भूषण की भाषा ओजमयी है। उनके शब्द सैनिकों की भाँति दौड़ते–भागते प्रतीत होते हैं। शब्दों की ध्वनि को सुनकर ही लगता है कि हाथी–घोड़े दौड़ रहे हैं।

भूषण ने अपनी कविता में अलंकारों का बहुत सुन्दर प्रयोग किया है। अनुप्रास तो उनकी हर पंक्ति में बिखरा पड़ा है। रूपक, उपमा, यमक के उदाहरण भी देखते बनते हैं।

कविता का भावार्थ 1.
इन्द्र जिमि जंभ पर बाड़व ज्यों अंभ पर,
रावन संदभ पर रघुकुल राज है।
पौन बारिबाह पर संभु रतिनाह पर,
ज्यौं सहस्रबाहु पर सेर द्विवराज है।
दावा दुम–दंड पर चीता मृग–झुंड पर,
भूषण बितुंड पर जैसे मृगराज है।
तेज तम अंस पर कान्ह जिमि कंस पर,
ज्यों मलेच्छ बंस पर सेर सिवराज है।।

प्रसंग–प्रस्तुत कवित्त कवि भूषण द्वारा रचित है। इसमें शिवाजी वीरता का बखना किया गया है।

व्याख्या–शिवाजी के शौन का बखना करते हुए कवि भूषण कहते हैं कि शिवाजी का मलेच्छ वंश पर उसी प्रकार राज है जिस प्रकार इन्द्र का यम पर वाडवाग्नि अर्थात् समुद्र की अग्नि का पानी पर तथा राम का दंभ से भरे रावण पर है। अर्थात् शिवाजी को इन्द्र, समुद्राग्नि व राम के समान बताकर उनका शौर्य वर्णन किया गया है।

जिस प्रकार जंगी की आग का पेड़ों के झुंड पर तथा चीता मृगों के झुंड पर तथा हाथी. के ऊपर सिंह का राज है। उसी प्रकार छत्रपति शिवाजी दवाग्नि के समान विशाल, हाथी के समान बलशाली तथा चीते के समान शौर्यवान है।

जैसे उजाले का अंधेरे पर तथा कृष्ण का कंस पर राज है उसी प्रकार छत्रपति शिवाजी का मलेच्छ वंश पर राज है अर्थात् वे अत्यन्त बलशाली है।

बिशेष–

  • छत्रपति शिवाजी के शौर्य का विभिन्न उपमानों द्वारा वर्णन किया गया है।
  • ब्रजभाषा का सुन्दर प्रयोग द्रष्टव्य है।
  • विषयानुरूप शब्द चयन है।
  • ओज गुण विद्यमान है।।
  • रघुकुल राज, दावा द्रुम–दंड, तेज तम, ‘सेर सिवराज’ में अनुप्रास अलंकार है।

2. निकसत म्यान ते मयूबँ, प्रल–भानु कैसी,
फारै तम–तोम से गयंदन के जाल को।
लागति लपकि कंठ बैरिन के नागिनि सी,
रुदहि रिझावै दै दै मुंडन की माल को।।
लाल छितिपाल छत्रसाल महाबाहु बली,
कहाँ लौं बखान करौं तेरी करवाल को।
प्रतिभट कटक कटीले केते काटि काटि,
कालिका सी किलकि कलेऊ देति काल को।

प्रसंग–प्रस्तुत कवित्त कवि भूषण द्वारा रचित है। इसमें छत्रसाल की वीरता का वर्णन किया गया है।

व्याख्या–कवि भूषण ने छत्रसाल की वीरता का वर्णन करते हुए कहा है कि युद्धभूमि में छत्रसाल की तलवार म्यान से इस प्रकार निकली जैसे प्रलय के सूर्य की तीखी (तेज) किरणें निकलती हैं। यह तलवार हाथी के ऊपर पड़ी हुई लोहे की जालियों को इस प्रकार काट रही है जैसे अंधेरे को चीर कर सूर्य निकल रहा है। उनकी तलवार रूपी नागिन शत्रुओं के गले में मृत्यु के समान लिपट रही है।

वह मृत्यु के देवता शिवजी को प्रसन्न करने के लिए शत्रुओं के सिरों की माला को अर्पित कर रही है। अर्थात् युद्धभूमि में शत्रुओं के सिरों को धड़ से अलग कर रही है। राजा छितिपाल के शक्तिशाली पुत्र छत्रसाल की तलवार का वर्णन कहाँ तक करूँ अर्थात् यह अत्यन्त प्रलयंकारी है। वह शत्रुओं के समूह के समह नष्ट कर रही है। वह शत्रुओं को काटकर कालिका देवी को सुबह का नाश्ता प्रदान कर रही है। अर्थात् वह मृत्यु की देवी को प्रसन्न करने के लिए शत्रुओं का संहार कर रही है।

विशेष–

  • छत्रसाल के शौर्य का वर्णन किया गया है।
  • ब्रजभाषा का सुन्दर प्रयोग है।
  • विषयानुसार भाषा का चयन है।
  • पद्यांश में रौद्र रस तथा ओज गुण निहित है।
  • नागिन सी’, ‘कालिका सी किलिक में’ उपमा अलंकार पूरे पद्यांश में अनुप्रास अलंकार ‘काटि–काटि’ में पुनरुक्ति प्रकाश है।

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 12 हार-जीत

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions पद्य Chapter 12 हार-जीत

 

हार-जीत वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ

हार जीत कविता का भावार्थ लिखें Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 1.
अशोक वाजपेयी के पिता जी कौन थे?
(क) परमानंद वाजपेयी
(ख) रमाकांत वाजपेयी
(ग) शियानंद वाजपेयी
(घ) दयानंद वाजपेयी
उत्तर-
(क)

हार जीत पर कविता Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 2.
अशोक वाजपेयी की माँ का नाम क्या था?
(क) निर्मला देवी
(ख) विमला देवी
(ग) सुधा देवी
(घ) राधिका देवी
उत्तर-
(क)

Hindi Bihar Board Class 12 प्रश्न 3.
इनमें अशोक वाजपेयी की कौन–सी रचना है?
(क) गाँव का घर
(क) गाव ५
(ख) हार–जीत
(ग) कवित्त
(घ) कड़बक
उत्तर-
(ख)

4. अशोक वाजपेयी का जन्म कब हुआ था?
(क) 16 जनवरी, 1941 ई.
(ख) 16 जनवरी, 1940 ई.
(ग) 16 जनवरी, 1930 ई.
(घ) 16 जनवरी, 1935 ई.
उत्तर-
(क)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

हार जीत कविता Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 1.
वे……… मना रहे है।
उत्तर-
उत्सव

Bihar Board Class 12 Hindi Book Solution प्रश्न 2.
सारे शहर में……… की जा रही है।
उत्तर-
रौशनी

Bihar Board Class 12 Hindi Book Solution प्रश्न 3.
उन्हें बताया गया है कि उनकी सेना और रथ………….. लौट रहे हैं।
उत्तर-
विजय प्राप्त कर

बिहार बोर्ड हिंदी बुक Class 12 Pdf Bihar Board प्रश्न 4.
नागरिकों में से ज्यादातर को पता नहीं है कि किस युद्ध में उनकी सेना और……….. थे, युद्ध कि बात पर था।
उत्तर-
शासक गए

Bihar Board Hindi Book Class 12 प्रश्न 5.
यह भी नहीं कि शत्रु कौन था पर वे………… की तैयारी में व्यस्त हैं।
उत्तर-
विजय पर्व मनाने

बिहार बोर्ड हिंदी बुक Class 12 Bihar Board प्रश्न 6.
उन्हें सिर्फ इतना पता हैं कि…….. हुई।
उत्तर-
उनकी विजय

हार-जीत अति लघु उत्तरीय प्रश्न

Bihar Board Hindi Book Class 12 Pdf Download प्रश्न 1.
अशोक वाजपेयी की कविता का नाम है :
उत्तर-
हार–जीत।

Hindi Book Class 12 Bihar Board 100 Marks प्रश्न 2.
हार–जीत कैसी कविता है?
उत्तर-
गद्य कविता है।

Hindi Class 12 Bihar Board प्रश्न 3.
उत्सव कौन मना रहे हैं?
उत्तर-
शासक वर्ग।

बिहार बोर्ड हिंदी बुक 12th Bihar Board प्रश्न 4.
हार–जीत कविता में किसका प्रश्न उठाया गया है?
उत्तर-
हार और जीत का।

हार-जीत पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

Class 12th Hindi Book Bihar Board प्रश्न 1.
उत्सव कौन और क्यों मना रहे हैं?
उत्तर-
किसी शहर विशेष में रहने वाले सामान्य नागरिक उत्सव मना रहे हैं। उनके उत्सव मनाने के कारण निम्नलिखित हैं

  • कुछ लोगों द्वारा यह बता दिया गया है कि उनकी सेना ने विजय प्राप्त कर ली है और वह युद्ध क्षेत्र से वापस आ रही है।
  • उन्हें इस युद्ध की वास्तविक स्थिति का ज्ञान नहीं है।
  • उन्हें युद्ध में मारे गए लोगों के विषय में कुछ भी पता नहीं है।
  • सच बोलने वाले अपनी जिम्मेदारी का उचित निर्वहन नहीं कर रहे हैं।

Hindi Chapter 1 Class 12 Pdf Bihar Board प्रश्न 2.
नागरिक क्यों व्यस्त हैं? क्या उनकी व्यस्तता जायज है?
उत्तर-
नगारिक इसलिए व्यस्त है क्योंकि

  • उन्हें उत्सव मनाने के लिए नाना प्रकार की तैयारियाँ करनी है।
  • उन्हें विजयी भाव प्रदर्शित करते हुए विजयी सेना तथा शासक का स्वागत करना है।
  • उन्हें युद्ध में गए लोगों की संख्या का पता है पर लौटकर आने वालों का ठीक–ठीक पता नहीं है।
  • अर्थात् युद्ध में कितने लोग मारे गए इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। उन्हें तो बस सुखद परन्तु असत्यपूर्ण समाचार ही ज्ञात हुआ है।

उनकी व्यस्तता जायज नहीं है क्योंकि उन्हें वास्तविक स्थिति का पता नहीं है। उन्हें नहीं है पता है कि वास्तव में उनकी जीत नहीं बल्कि हार हुई है।.

हार-जीत कविता Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 3.
किसकी विजय हुई सेना की, कि नागरिकों की? कवि ने यह प्रश्न क्यों खड़ा किया है? यह विजय किनकी है? आप क्या सोचते हैं? बताएँ।
उत्तर-
किसी की विजय नहीं हुई। विजय प्रतिपक्ष की हुई। कवि ने देश की वस्तुस्थिति से अवगत कराया है। कवि के विचारों पर चिन्तन करते हुए यही बात समझ में आती है कि झूठ–मूठ के आश्वासनों एवं भुलावे में हमें रखा गया है। यथार्थ का ज्ञान हमें नहीं कराया जाता। यानि सत्य से दूर रखने का प्रयास शासन की ओर से किया जा रहा है।

हार की जीत Question Answer Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 4.
‘खेत रहनेवालों की सूची अप्रकाशित है।’ इस पंक्ति के द्वारा कवि ने क्या कहना चाहा है? कविता में इस पंक्ति की क्या सार्थकता है? बताइए।
उत्तर-
‘खेत रहनेवालों की सूची अप्रकाशित है’ के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि युद्ध में दोनों पक्षों के अनेक वीर मारे जाते हैं। विजय के मद में चूर सेना इन मृत सैनिकों या लोगों की परवाह नहीं करती। वह भूल जाती है कि इस विजय में उनका भी अप्रत्यक्ष योगदान है। उनके बिना विजय मिलनी संभव न थी।

इस पंक्ति की कविता में यह सार्थकता है कि विजय की खुशी में चूर विजयोत्सव मना रहे लोगों को. मरे हुए लोगों तथा सैनिकों का जरा भी ध्यान नहीं है। उनके आश्रितों पर क्या बीत. रही है, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। वे तो बस विजयोत्सव मनाने में व्यस्त है।

वास्तव में शासक अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए जनता के जीवन का मोल नहीं समझता है। वह बनावटी राष्ट्रीयता का नारा देकर पूरे राष्ट्र को युद्ध की भीषण ज्वाला में झोंक देता है। वह तो अपना अधिनायकत्व बनाये रखने के लिए युद्ध लड़ते हैं। इस पंक्ति के माध्यम से सत्ता वर्ग की सत्तालोलुप प्रवृत्ति का पर्दाफाश होता है।

हार जीत कविता का सारांश Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 5.
सड़कों को क्यों सींचा जा रहा है?
उत्तर-
सड़कों को इसलिए सींचा जा रहा है ताकि उनकी धूल–गुबार समाप्त हो सके और युद्ध क्षेत्र से छत्र चंवर और गाजे–बाजे के साथ जो विजयी राजा आ रहे हैं उन पर धूल न उड़े। उन्हें पहले जैसा बनाया जा सके। अर्थात् युद्ध के कारण उनकी टूटी–फूटी हालत में सुधार लाया जा सके।

प्रश्न 6.
बूढ़ा मशकवाला क्या कहता है और क्यों कहता है?
उत्तर-
बूढ़ा मशकवाला कहता है कि–

  • एक बार फिर हमारी हार हुई है।
  • गाजे–बाजे के साथ विजय नहीं हार लौट रही है।
  • ऐसी विजय पर खुश होकर जश्न मनाने का कोई औचित्य नहीं है वह।

ऐसा इसलिए कहता है क्योंकि–

  • बूढा अनुभवी व्यक्ति है। उसे जीवन के यथार्थ का अनुभव है।.
  • उसे पता है कि समाज में घृणा, द्वेष, हत्या, लूटपाट, दंगे, आतंकवाद आदि मानवता के विनाश के कारण बने हुए हैं। इन पर विजय पाए बिना विजय का जश्न मनाना अनुचित है।
  • लोगों को मरने वालों की कोई जानकारी न देकर वास्तविक स्थिति पर पर्दा डाला जा रहा है।
  • उसकी बातों में सच्चाई तो है पर उसे कोई सुनना नहीं चाहता है।

प्रश्न 7.
बूढा, मशकवाला किस जिम्मेवारी से मुक्त है? सोचिए, अगर वह जिम्मेवारी उसे मिलती तो क्या होता?
उत्तर-
बूढ़ा मशकवाला देश की राजनीति से वंचित है। अगर उसे जिम्मेवारी मिली होती तो हार को हार कहता जीत नहीं कहता। वह सत्य प्रकट करता। उसे तो मात्र सड़क सींचने का काम सौंपा गया है। यही उसकी जिम्मेवारी है। सत्य लिखने और बोलने की मनाही है। इसलिए वह मौन है और अपनी सीमाओं के भीतर ही जी रहा है। वह विवश है, विकल है फिर भी दूसरे क्षेत्र में दखल नहीं देना केवल सींचने से ही मतलब रखता है। इसमेकं बौद्धि वर्ग की विवशता झलकती है। अगर उसे सत्य कहने और लिखने की जिम्मेवारी मिली होती तो राष्ट्र की यह स्थिति नहीं होती। झूठी बातों और झूठी शान में जश्न नहीं मनाया जाता। जीवन के हर क्षेत्र में अमन–चैन, शिक्षा–दीक्षा, विकास की धारा बहती। अबोधता ओर अंधकार में प्रजा विवश बनकर नहीं जीती।

प्रश्न 8.
‘जिन पर है वे सेना के साथ ही जीतकर लौट रहे हैं जिन किनके लिए आया है? वे सेना के साथ कहाँ से आ रहे हैं? वे सेना के साथ क्यों थे? वे क्या जीतकर लौटे हैं? बताएँ।
उत्तर-
इन पंक्तियों में ‘जिन’ नेताओं के लिए प्रयोग हुआ है। वे लड़ाई के मैदान से लौट रहे हैं। वे सेना के साथ इसलिए हैं कि सेना सच न बोले। वे हारकर लौटे हैं। इन पंक्तियों में नेताओं के चरित्र पर प्रकाश डाला गया है। उनका जीवन–चरित्र कितना भ्रम में डालनेवाला है। कथनी–करनी में कितना अंतर है? झूठी प्रशंसा और अविश्वसनीय कारनामों के बीच उनका समय कट रहा है। उनके व्यवहार और विचार में काफी विरोधाभास है। तनिक समानता और स्वच्छता नहीं दिखायी पड़ती।

प्रश्न 9.
गद्य कविता क्या है? इसकी क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर-
दैनदिन जीवन अनुभवों की धरती से बोलचाल बातचीत और सामान्य मन:चिन्तन के रूप में उगा हुआ, विवरणधर्मी और चौरस कविता गद्य कविता है। इस कविता की विशेषता ये होती हैं कि सबसे पहले यह कविता विचार कविता होती है। एक–एक शब्द के कई अर्थ परत–दर–परत खुलते जाते हैं। इस प्रकार की कविता में जीवनानुभव की बात भोगे हुए यथार्थ मानों सामने दिखलाई पड़ती है। क्योंकि ये वर्णनात्मक होती हैं। इनकी भाषा बोल–चाल से सम्पृक्त होने के कारण उसमें स्थानीयता का गहरा रंग भी झलकता है।

प्रश्न 10.
कविता में किस प्रश्न को उठाया गया है? आपकी समझ में इसके भीतर से और कौन से प्रश्न उठते हैं?
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में देश की ज्वलन्त समस्याओं की ओर कवि ने ध्यान आकृष्ट किया। है। इस देश की जनता अबोध और चेतनाविहीन है। वह अंधविश्वासों, अफवाहों में जी रही है।

सत्य से कोसों दूर नीति–नियम हैं। सिद्धान्त और व्यवहार में काफी असमानता है।

कवि ने अपनी कविताओं के माध्यम से जीवन की विसंगतियों की ओर ध्यान आकृष्ट किया है। जनता की हालत दयनीय है। श्रमिक वर्ग कष्ट में जी रहा है। बौद्धिक वर्ग संकट मेकं जी , रहा है। उसे विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं मिली है। संस्कृति पर खतरा दिखायी पड़ता है। शासक वर्ग बेपरवाह मौज–मस्ती जश्न में अपना समय बीता रहा है और नागरिक भूख की. ज्वाला में तड़प रहा है। सुरक्षा देनेवाले भी गैर जिम्मेवार है। झूठे–मूठे भुलावा में सभी लोग जी रहे हैं। सत्य से प्रजा को दूर रखने की कोशिश हो रही है। बौद्धिक वर्ग सर्वाधिक संकट में जी रहा है। वह राष्ट्र निर्माण में संकल्पित होकर तो लगा है लेकिन उचित सम्मान और स्थान नहीं मिलता। इतिहास हम भूल रहे हैं। दिग्भ्रमित होकर भटकाव की स्थिति में जी रहे हैं।

हार-जीत भाषा की बात।

प्रश्न 1.
हार–जीत में कौन समास है?
उत्तर-
हार–जीत = हार और जीत–द्वन्द्व समास।

प्रश्न 2.
ज्यादातर में ‘तर’ प्रत्यय है, ‘तर’ प्रत्यय से पाँच अन्य शब्द बनाएँ।
उत्तर-
कमतर, लघुतर, अधिकतर, निम्नतर, मेहतर।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित के पर्यायवाची शब्द चुनें

  • युद्ध–जंग, फसाद, रण, लड़ाई, वार, संग्राम, समर, कलह।
  • सेना–वाहिनी, लश्कर, सैन्य।
  • शत्रु–अप्रिय, अरिष्ट, दुश्मन, द्रोही।
  • सड़क–पथ, रास्ता, राह, पंथ, मार्ग, डगर।
  • रोशनी–प्रकाश, उजाला, ज्योति, उजियाला।
  • उत्सव–जश्न, त्योहार, पर्व, महोत्सव।
  • शहर–नगर, पुर, पुरी, टाउन, स्थान, नगरी।
  • विजय–जय, जीत, फतह, सफलता।
  • हार–पराजय, पराभव, शिकस्त, नाकामयाबी।

प्रश्न 4.
उत्पत्ति की दृष्टि से निम्नलिखित शब्दों की प्रकृति बताएँ। रोशनी, सड़क, अवकाश, रथ, सिर्फ, सच, बूढ़ा।
उत्तर-

  • रोशनी – फारसी
  • सड़क – अरबी
  • अवकाश – संस्कृत
  • रथ – संस्कृत
  • सेना – संस्कृत
  • सिर्फ – फारसी
  • नागरिक – संस्कृत
  • सच – संस्कृत
  • बूढ़ा – हिन्दी

प्रश्न 5.
‘हार’ प्रत्यक्ष से पाँच अन्य शब्द बनाएँ और उसका अर्थ बताएँ।
उत्तर-

  • खेवनहार = खेनेवाला।
  • पालनहार = पालन करने वाला।
  • चन्द्रहार = एक तरह का कंठहार।

प्रश्न 6.
‘विजय पर्व’ में कौन समास है?
उत्तर-
विजय पर्व = विजय का पर्व (षष्ठी तत्पुरुष समास)

प्रश्न 7.
निम्नलिखित पंक्तियों से सर्वनाम चुनें एवं यह बताएँ कि वे किस सर्वनाम के उदाहरण हैं?
(क) किसी के पास पूछने का अवकाश नहीं है।
(ख) यह भी नहीं कि शत्रु कौन था।
(ग) वे उत्सव मना रहे हैं।
(घ) उन्हें सिर्फ इतना पता है कि उनकी विजय हुई।
उत्तर-
शब्द – सर्वनाम

  • किसी के – अनिश्चय वाचक सर्वनाम
  • यह भी – निश्चयवाचक सर्वनाम
  • कौन – प्रश्नावाचक सर्वनाम
  • वे – पुरुषवाचक सर्वनाम
  • उन्हें – पुरुषवाचक सर्वनाम
  • उनकी – पुरुषवाचक सर्वनाम (अन्य पुरुष)

हार–जीत कवि परिचय अशोक वाजपेयी (1941)

अशोक वाजपेयी का जन्म 16 जनवरी, 1941 ई. को दुर्ग, छत्तीसगढ़ (मध्यप्रदेश) में हुआ था। उनकी माता का नाम निर्मला देवी एवं पिता का नाम परमानन्द वाजपेयी था। उनकी. प्राथमिक शिक्षा गवर्नमेंट हायर सेकेन्ड्री स्कूल में हुई। सागर विश्वविद्यालय से बी. ए. और सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली से अंग्रेजी में एम. ए. किये। वे भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे तथा महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति पद से सेवानिवृत्ति हुए। वे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हुए जिनमें साहित्य अकादमी पुरस्कार, दयाविती मोदी कवि शेखर सम्मान प्रमुख है। सम्प्रति वे दिल्ली में रहकर स्वतन्त्र लेखन कर रहे हैं।

अशोक वाजपेयी की तीन दर्जन के लगभग उनकी मौलिक एवं संपादित रचनाएँ प्रकाशित हुई। इनकी निम्नलिखित कविताएँ प्रकाशित हुई–”शहर अब भी संभावना है”, “एक पलंग अनन्त में” “अगर इतने से”, “तत्पुरुष”, “कहीं नहीं वहीं”, बहुरि अकेला, थोड़ी सी जगह, “घास में दुबका आकाश”, आविन्यों, अभी कुछ और समय के पास समय, इबादत से गिरी मात्राएँ, कुछ रफू कुछ थिगड़े, उम्मीद का दूसरा नाम, विवक्षा, “दुख चिट्ठीरसा है” (कविता संग्रह) है।

अशोक वाजपेयी समसामयिक हिन्दी के एक प्रमुख कवि, आलोचक, विचारक, कला मर्मज्ञ, संपादक एवं संस्कृतिकर्मी हैं। उनकी संवेदना भाषा और रचनात्मक चिन्ताओं ने व्यापक पाठक वर्ग का ध्यान आकृष्ट किया। उनकी कविता में वैयक्तिक आग्रह बढ़ने लगे। खुशहाल मध्यवर्ग की अभिरुचियों को तुष्ट करने में उनकी कविता में एक तरह की स्वच्छंदता विकसित हुई। एक समर्थ कवि की पहचान उनकी कविता में कौंधती है, एक ऐसी कवि जिसका मानस विस्तृत है, उदार है; संवेदनायुक्त है और भाषा स्फूर्त, समर्थ, भारहीन और अर्थग्रहिणी है।

कविता का सारांश हिन्दी साहित्य के प्रखर प्रतिभा संपन्न कवि अशोक वाजपेयी की “हार–जीत” कविता अत्यन्त ही प्रामाणिक है। इसमें कवि ने युग–बोध और इतिहास बोध का सम्यक् ज्ञान जनता को. कराने का प्रयास किया है। इस कविता में जन–जीवन की ज्वलन्त समस्याओं एवं जनता की अबोधता, निर्दोष छवि को रेखांकित किया गया है?

कवि का कहना है कि सारे शहर को प्रकाशमय किया जा रहा है और वे यानी जनता जिसे हम तटस्थ प्रजा भी कह सकते हैं, उत्सव से सहभागी हो रहे हैं। ऐसा इसलिए वे कर रहे हैं कि ऐसा ही राज्यादेश है। तटस्थ प्रजा अंधानुकरण से.प्रभावित है। गैर जवाबदेह भी है। तटस्थ जनता को यह बताया गया है कि उनकी सेना और रथ विजय प्राप्त कर लौट रहे हैं लेकिन नागरिक में से अधिकांश को सत्यता की जानकारी नहीं है। उन्हें सही–सही बातों की जानकारी नही है।. किस युद्ध में उनकी सेना और शासक शरीक हुए थे। उन्हें यह भी ज्ञात नहीं था कि शत्रु कौन थे।

विडंबना की बात यह है कि इसके बावजूद भी वे विजय पर्व मनाने की तैयारी में जी–जान से लगे हुए हैं। उन्हें सिर्फ यह बताया गया है कि उनकी विजय हुई है? ‘उनकी’ से आशय क्या है यानी उनकी माने किनकी? यह एक प्रश्न उभरता है। यह भी स्थिति साफ नहीं है कि वे जश्न मनाने में इतना मशगूल हैं कि उन्हें यह भी सही–सही पता नहीं है कि आखिर विजय किसकी हुई–सेना की, शासक की या नागरिकों की कितनी भयावह शोचनीय स्थिति है कि किसी के पास यह फुर्सत नहीं है कि वह पूछे कि आखिर ये कैसे और क्यों हुआ?

वे अपनी निजी समस्याओं में इतना खोए हुए हैं कि मूल समस्याओं की ओर ध्यान ही नहीं जाता, यह उनकी विवशता ही तो है। वह कौन–सी विवशता है, यह भी विवेचना का विषय है। नागरिकों की यह भी सही–सही पता नहीं है कि युद्ध में कितने सैनिक गए थे और कितने विजय प्राप्त कर लौट रहे हैं। खेत रहने वालों यानी जो शहीद हुए हैं उनकी सूची भी नदारत है।

कवि उपरोक्त पंक्तियों पर इतिहास और लोक जीवन की ज्वलंत समस्याओं की ओर अपनी कविताओं के माध्यम से सच्चाई से वाकिफ कराने का प्रयास किया है।

कवि कहता है–इन सारी बातों की जानकारी रखने वाला चाहे कोई साक्षी है तो वह है मशकवाला। वह मशकवाला जिसका काम है मशक के पानी से सड़क को सींचना। मशकवाला कह रहा है कि हम एक बार फिर हार गए हैं और गाजे–बाजे के साथ जीत नहीं हारकर लौट रही है? मूल बात की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। विडंबना है कि मशकवाले की एकमात्र जिम्मेवारी सड़क सींचने भर की है। सच लिखने या बोलने की नहीं। जिनकी हैं वे सेना के साथ जीतकर लौट रहे हैं”. यह एक प्रश्नवाचक चिह्न खड़ा करता है।

प्रस्तुत कविता अत्यन्त ही यथार्थपरक रचना है। कवि सच्चाई से वाकिफ कराना चाहता है। वर्तमान में राष्ट्र और जन की क्या स्थिति है, इस ओर हमारा ध्यान आकृष्ट किया है। उक्त गद्य कविता में कवि द्वारा प्रयुक्त शासक, सेना, नागरिक और मशकवाला शब्द प्रतीक प्रयोग हैं। शासक वर्ग अपनी दुनिया में रमा हुआ है। उसमें उसके अन्य प्रशासकीय वर्ग भी सम्मिलित है। नागरिकों की स्थिति बड़ी ही असमंजस वाली है। मशकवाला पूरे घटनाक्रम की सही जानकारी रखता है लेकिन उस पर बंदिशें हैं कि वह सत्य से अवगत किसी को नहीं कराये। इसे सख्त हिदायत है न लिखने की, न बोलने की।

उक्त कविता में कवि ने पूरे देश की जो वस्तुस्थिति है, उससे अवगत कराने का काम किया है–राज्यादेश के कारण तटस्थ प्रजा जश्न मनाने में मशगूल है। प्रजा चेनता के अभाव में गैर जिम्मेवार भी है। उसे यह भी ज्ञान नहीं है कि उसकी जिम्मेवारी, कर्तव्य और अधिकार क्या है? नागरिकों को पेट की चिन्ता है। नागरिक स्वार्थ में अंधा है वे अपनी स्वार्थपरता में इतना अंधे हैं कि राष्ट्र की चिन्ता ही नहीं याद आती। यह एक प्रश्न खड़ा करता है हमारे राष्ट्र के समक्ष, जबतक जना सुशिक्षित प्रज्ञ एवं चेतना संपन्न नहीं होगी तबतक राष्ट्र विकसित और कल्याणकारी नहीं हो सकता।

कवि कहता है कि आजादी के लिए जिन्होंने अपने को बलिवेदी पर चढ़ाया आज उनका इतिहास ही नहीं है। उनकी सूची अपूर्ण है। उनकी शहादत को देश और शासक भूल गए हैं। शहीदों की कुरबानी के महत्व को तरजीब नहीं दी जाती है। उधर किसी का न ध्यान जाता है न श्रद्धा ही है। बड़ी ही त्रासद स्थिति है।

श्रमिकों/मजदूरों/किसानों की दीन–दशा की ओर भी कवि ने ध्यान आकृष्ट किया है। वे सड़क सींचते हैं यानी अपने श्रम द्वारा राष्ट्र की सेवा कर रहे हैं लेकिन आजादी के इतने दिनों बाद उनकी सामाजिक, आर्थिक दशा सुधरी क्या? वे जीवन बोध से अवगत हुए क्या? अगर हुआ होता तो वे ऐसा नहीं करते यानि गैर जवाबदेही और अंधभक्त होकर शासनादेश के अविवेकपूर्ण आदेश को नहीं मानते।

किसकी जीत हुई या हार यह भी सोचने की बात है। चिन्तन करने की बात है। जीवन के यथार्थ और देश की वास्तविक समस्याओं की ओर से हमारा ध्यान हटकर झूठमूठ के दिखावे, ठाकुरसुहाती बातों के द्वारा जश्न मनाने की तैयारी यह लोकतंत्र के लिए खिलवाड़ नहीं तो क्या है? देश की प्रजा राजनीतिक चेतना से चर्चित है। वह राजनैतिक अधिकारों की बातें क्या समझे या जानें। उसे तो भूख के आगे कुछ सूझता नहीं।

अबोधता और अज्ञानता में पल रही प्रजा सत्य से कोसों दूर है। अगर उसे राजनीति की सही शिक्षा मिलती तो वह जिम्मेवारी से भागता नहीं तथा हार को, हार कहती जीत नहीं कहती। यानि सत्य के लिए संघर्ष करती, आन्दोलन करती। अपने अधिकारों के लिए सचेत रहती। अपनी अबोधता और विवशता के कारण ही वह दूसरे क्षेत्रों में दखल नहीं देती।।

इस कविता में देश के नेताओं के चरित्र को भी उद्घाटित किया गया है। नेताओं के चारित्रिक गुणों का पर्दाफाश किया जाता है। लड़ाई के मैदान से वे लौटे हैं लेकिन सेना के साथी। इसका तात्पर्य है कि सेना सच बोलकर भेद नहीं खोल दे कि वे हार कर लौट रहे हैं और झूठी प्रशंसा में जीत का प्रचार कर रहे हैं। उक्त गद्य कविता में कवि का कहना है कि देश की वास्तविक स्थिति से अवगत नहीं कराया जा रहा है। झूठे–प्रचारतंत्र के द्वारा यह शासन चल रहे हैं। मशकवाला बुद्धिजीवी वर्ग का प्रतीक है। बुद्धिजीवियों के आगे भी संकट है–क्या वे सत्य के उद्घाटन में स्वयं को सक्षम पाते हैं?

कई प्रकार की बंदिशें हैं–सत्य कहने, लिखने की। जनता मूकदर्शक बनकर सही स्थितियों को देख रही है किन्तु उसे ज्ञान ही नहीं है कि ऐसा क्यों हो रहा है, क्योंकि अपनी विवशता में वह अभिशप्त है। घोर दुर्व्यवस्था, प्रपंच, झूठे आडम्बरों एवं दकियानूसी बातों में समय व्यतीत हो रहा है। लोक जीवन में अराजकता, अशिक्षा, बेकारी, बेरोजगारी भवाह रूप से परिव्याप्त है। उसे और किसी का भी ध्यान नहीं आ रहा है।

शासक वर्ग को इन समस्याओं से निजात दिलाने के लिए न कोई उपाय है और न वे हृदय से इसे चाहते हैं। वे तो अपने शान–शौकत, जय–जयकार में लीन है। प्रजा मौन है। बुद्धिजीवी विवश है लोकतंत्र खतरे में है। राष्ट्रीय चेतना सुषुप्तावस्था में है। सांस्कृति और राजनीतिक संकट के आवरण में देश घिरा हुआ है। अनेक सामाजिक विसंगतियों एवं समस्याओं से जन–जलवन त्रस्त है। कवि व्यग्र है, चिन्तित है। इन समस्याओं से कैसे मुक्ति मिले।

Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 6 भक्ति सूफी परंपराएँ : धार्मिक विश्वासों में बदलाव और श्रद्धा ग्रंथ

Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 6 भक्ति सूफी परंपराएँ : धार्मिक विश्वासों में बदलाव और श्रद्धा ग्रंथ Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 6 भक्ति सूफी परंपराएँ : धार्मिक विश्वासों में बदलाव और श्रद्धा ग्रंथ

Bihar Board Class 12 History भक्ति सूफी परंपराएँ : धार्मिक विश्वासों में बदलाव और श्रद्धा ग्रंथ Textbook Questions and Answers

उत्तर दीजिए(100-150 शब्दों में)

प्रश्न 1.
उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए कि सम्प्रदाय के समन्वय से इतिहासकार क्या अर्थ निकालते हैं?
उत्तर:
सम्प्रदाय के समन्वय का अर्थ:
इतिहासकारों के अनुसार विभिन्न पूजा प्रणालियों का एक-दूसरे में मिलन और सहिष्णुता की भावना ही संप्रदाय का समन्वय है। इतिहासकारों के विचार से इस विकास में दो प्रक्रियायें कार्य कर रही थीं। पहली पौराणिक ग्रंथों की रचना, संकलन और संरक्षण से ब्राह्मणीय विचारधारा के प्रचार की थी। ये ग्रंथ सरल संस्कृत छंदों में थे और स्त्रियों और शूद्रों द्वारा भी इन्हें पढ़ा जा सकता था।

दूसरी प्रक्रिया स्त्री, शूद्रों व समाज के अन्य वर्गों की आस्थाओं और आचरणों को ब्राह्मणों की स्वीकृति वाली और उसे एक नया रूप प्रदान करने की थी। समाज शास्त्रियों का विचार है कि सम्पूर्ण महाद्वीप में धार्मिक विचारधाराएँ और पद्धतियाँ एक-दूसरे के साथ संवाद की ही परिणाम हैं। इस प्रक्रिया का सबसे विशिष्ट उदाहरण पुरी (उड़ीसा) में दिखाई देता है। यहाँ मुख्य देवता को 12वीं शताब्दी तक आते-आते जगन्नाथ (सम्पूर्ण विश्व का स्वामी) विष्णु के रूप में प्रस्तुत किया गया।

प्रश्न 2.
किस हद तक उपमहाद्वीप में पाई जाने वाली मस्जिदों का स्थापत्य स्थानीय परिपाटी और सार्वभौमिक आदर्शों का सम्मिश्रण है?
उत्तर:
कुछ सीमा तक उपमहाद्वीप में पाई जाने वाली मस्जिदों का स्थापत्य स्थानीय परिपाटी और सार्वभौमिक आदर्शों का सम्मिश्रण दिखाई पड़ता है। उदाहरणार्थ-मस्जिदों इमारत का मक्का की ओर मेहराब (प्रार्थना का आला) के रूप में अनुस्थापन मंदिरों में मिलबार (व्यासपीठ) की स्थापना से दिखाई पड़ता है। अनेक छत और निर्माण के मामले में कुछ भिन्नता भी दिखाई पड़ती है।

केरल में तेरहवीं शताब्दी की एक मस्जिद की छत चौकोर है जबकि भारत में बनी कई मस्जिदों की छत गुम्बदाकार है। उदाहरणार्थ-दिल्ली की जामा मस्जिद। बांग्लादेश की ईंट की बनी अतिया मस्जिद की छत भी गुम्बदाकार है। श्रीनगर की झेलम नदी के किनारे बनी शाह हमदान मस्जिद की छत चौकार है। इसके शिखर और नक्काशीदार छज्जे बहुत आकर्षक हैं।

प्रश्न 3.
बे-शरिया और बा-शरिया सूफी परंपरा के बीच एकरूपता और अंतर दोनों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बे-शरिया और बा-शरिया सूफी परम्परा के बीच एकरूपता और अंतर:
मुसलमान समुदाय को निर्देशित करने वाला कानून शरिया कहलाता है। यह कुरानशरीफ और हदीस पर आधारित है। शरिया की अवहेलना करने वालों को बे-शरिया कहा जाता था। कुछ रहस्यवादियों ने सूफी सिद्धांतों की मौलिक व्याख्या से भिन्न कुछ नए सिद्धान्तों को जन्म दिया। ये सिद्धांत मौलिक सिद्धांतों पर ही आधारित थे। परंतु खानकाह (सूफी संगठन) का तिरस्कार करते थे। ये सूफी समुदाय रहस्यावादी फकीर का जीवन व्यतीत करते थे। निर्धनता और ब्रह्मचर्य को इन्होंने गौरव प्रदान किया।

शरिया का पालन करने वालों को बा-शरिया कहा जाता था जिनको सूफियों से अलग माना जाता था। बा-शरिया के लोग शेख से जुड़े रहते थे अर्थात् उनकी कड़ी पैगम्बर मुहम्मद से जुड़ी थी। इस कड़ी के द्वारा अध्यात्मिक शक्ति और आशीर्वाद मुरीदों (शिष्यों) तक पहुँचता था। दीक्षा के विशिष्ट अनुष्ठान विकसित किए गए जिसमें दीक्षित को निष्ठा का वचन देना होता था और सिर मुंडाकर थेगड़ी लगे वस्त्र धारण करने होते थे।

प्रश्न 4.
चर्चा कीजिए कि अलवार, नयनार और वीर शैवों ने किस प्रकार जाति प्रथा की आलोचना प्रस्तुत की?
उत्तर:
कुछ इतिहासकारों के अनुसार अलवार और नयनार संतों ने जाति प्रथा की आलोचना की। उन्होंने ब्राह्मणों की प्रभुता को गैर-आवश्यक बताया। वस्तुतः समाज में ब्राह्मणों का आदर था और उनके आदेशों का पालन राजाओं द्वारा भी किया जाता था जिससे अन्य जातियों की उपेक्षा होती थी। अलवार, नयनार और वीर शैवों ने ब्राह्मण, शिल्पकार, किसान और यहाँ तक कि अस्पृश्य मानी जाने वाली जातियों को भी समान आदर दिया और इस धर्म का अनुयायी स्वीकार किया। उल्लेखनीय है कि ब्राह्मणों ने वेदों को प्रश्रय दिया था। चारों वेदों का महत्त्व आज भी है। अलवार और नयनार संतों की रचनाओं को वेदों जैसा ही महत्त्व दिया गया। उदाहरण के लिए अलवार संतों के एक मुख्य काव्य संकलन ‘नलयिरा दिव्य प्रबंधम्’ का वर्णन तमिल वेद के रूप में किया जाता था।

प्रश्न 5.
कबीर तथा बाबा गुरु नानक के मुख्य उपदेशों का वर्णन कीजिए। इन उपदेशों का किस तरह संप्रेषण हुआ।
उत्तर:
(I) कबीर के उपदेश:

  • कबीर एकेश्वरवाद के प्रबल समर्थक थे। उनका कहना था कि ईश्वर एक है और उसे ही राम, रहीम, साईं, साहिब, अल्लाह आदि अनेक नामों से पुकारा जाता है।
  • कबीर ईश्वर को सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान् सर्वज्ञ, सर्वत्र तथा सर्वरूप मानते थे। वे परमात्मा के निराकार स्वरूप के उपासक थे। इसके लिए किसी मंदिर, मस्जिद तथा तीर्थस्थान की कोई आवश्यकता नहीं थी।
  • कबीरदास जी का कहना था कि ईश्वर की भक्ति गृहस्थ जीवन का पालन करते हुए करनी चाहिए। वे आजीवन गृहस्थी रहे। वे व्यावहारिक ज्ञान तथा सत्संग में विश्वास रखते थे। वे पुस्तकीय ज्ञान को व्यर्थ बताते थे। पंडितों को यह कहकर निरूत्तर कर देते थे कि “तू कहता कागज की लेखी, मैं कहता आँखन की देखी।”
  • कबीर ज्ञान मार्ग को अधिक कठिन समझते थे। उन्होंने ईश्वर प्राप्ति के लिए भक्ति मार्ग पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि भक्ति के बिना ईश्वर प्राप्ति असंभव है।
  • गाँधीजी की तरह वे हिन्दू-मुस्लिम एकता के महान् पक्षधर थे। उन्हें धर्म के नाम पर हिन्दू मुसलमानों की कलह पसंद नहीं थी। वे समन्वयकारी थे। उन्होंने दोनों को फटकारते हुए कहा था “अरे इन दोउन राह न पाई। हिन्दुवन की हिन्दुता देखी, देखी तुर्कन की तुर्काई”।
  • कबीर बाह्य आडम्बरों, व्यर्थ की रूढ़ियों, अन्धविश्वासों, रीति-रिवाजों, कर्मकाण्डों, रोजा, नमाज, पूजा आदि के विरोधी थे। अपने प्रवचनों में उन्होंने इन पर निर्मम प्रहार किया है। मूर्तिपूजा का खंडन करते हुए उन्होंने कहा है: “पाथर पूजे हरि मिले, तो मैं पूजू पहाड़। याते तो चक्की भली, पीस खाय संसार।”

(II) बाबा गुरु नानक के उपदेश-गुरु नानक की शिक्षाएँ:

1. एक ईश्वर में विश्वास:
गुरु नानक के अनुसार ईश्वर एक है और उसके समान कोई दूसरी वस्तु नहीं है। “ईश्वर से बढ़कर कोई शक्ति नहीं है, ईश्वर अद्वितीय है। “परब्रह्म प्रभु एक है, दूजा नहीं कोय। वह अलख, अपर, अकाल, अजन्मा, अगम तथा इन्द्रियों से परे हैं।” मैकालिक के शब्दों में, “नानक जी ईश्वर को बहुत ऊँचा स्थान देते हैं और कहते हैं कि मुहम्मद सैकड़ों और हजारों हैं, परंतु ईश्वर एक और केवल एक ही है।”

2. ईश्वर सर्वव्यापी और इन्द्रियों से परे हैं:
भारत में असंख्य ऋषि-मुनि ईश्वर को सगुण तथा साकार मानते हैं, किन्तु नानक ईश्वर के निर्गुण रूप में विश्वास रखते हैं अत: उनका ईश्वर इन्द्रियों से परे अगम-अगोचर है। ईश्वर सर्वव्यापक तथा सर्वशक्तिमान है। उसे मन्दिरों तथा मस्जिदों की चारदीवारी में बंद नहीं किया जा सकता।

3. आत्म-समर्पण ही ईश्वर-प्राप्ति का एकमात्र साधन है:
नानकदेव जी की यह धारणा है कि ईश्वर उन लोगों पर दया करता है, जो दया के पात्र तथा अधिकारी हैं। किन्तु ईश्वर की दया को आत्म-समर्पण तथा इच्छाओं के परित्याग द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। वे अपने को ईश-इच्छा पर छोड़ना ही आत्म-समर्पण मानते हैं।

4. ‘सत्यनाम’ की उपासना पर बल:
नानक देव जी मोक्ष प्राप्ति के लिए ‘सत्यनाम’ की उपासना पर बल देते हैं। उनका विश्वास है कि “जो ईश्वर का नाम नहीं जपता, वह जन्म और मृत्यु के झमेलों में फँसकर रह जाएगा।” एक बार कुछ साधुओं ने उन्हें कोई चमत्कार दिखाने को कहा। उन्होंने बड़े सरल भाव से उत्तर दिया-“सच्चे नाम के अतिरिक्त मेरे पास कोई चमत्कार नहीं।” यहाँ तक कि उन्होंने अपनी माता से भी एक बार कहा था … “उसके नाम का जाप करना जीवन है और उसे भूल जाना ही मृत्यु है।”

निम्नलिखित पर एक लघु निबंध लिखिए। (लगभग 250-300 शब्दों में)

प्रश्न 6.
सूफी मत के मुख्य धार्मिक विश्वासों और आचारों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सूफी मत के मुख्य धार्मिक विश्वास और आधार:
इस्लाम के अन्तर्गत रहस्यवादियों का उदय हुआ जो सूफी कहलाते थे। सूफियों ने ईश्वर और व्यक्ति के बीच प्रेम सम्बन्ध पर बल दिया। वे राज्य से सरोकार नहीं रखते थे। सूफी मत का आधार इस्लाम ही था, परंतु भारत में हिन्दू धर्म के सम्पर्क में आने के बाद हिन्दू धर्म के अनुयायियों की विचारधारा और रीति-रिवाजों में काफी समानता आती गई। इस मत का उदय पहले-पहल ईरान में हुआ।

सूफी मत के बहुत से सिद्धांत भक्ति-मार्ग के सिद्धांतों से मिलते-जुलते हैं –

  1. ईश्वर एक है और संसार के सभी लोग उसकी संतान हैं। ईश्वर सृष्टि की रचना करता है। सभी पदार्थ उसी से पैदा होते हैं और अंत में उसी में समा जाते हैं।
  2. संसार के विभिन्न मतों में कोई विशेष अंतर नहीं है। सभी मार्ग भिन्न-भिन्न हैं तथापि उनका उद्देश्य एक ही है अर्थात्-सभी मत एक ही ईश्वर तक पहुँचने का साधन हैं।
  3. सूफी मानवतावाद में विश्वास रखते थे। उनका विचार था कि ईश्वर को पाने के लिए मनुष्यमात्र से प्रेम करना जरूरी है। किसी भी व्यक्ति को उसके धर्म के आधार पर भिन्न समझना भारो भूल है।
  4. मनुष्य अपने शुद्ध कर्मों द्वारा उच्च स्थान प्राप्त कर सकता है।
  5. समाज में सब बराबर हैं-न कोई बड़ा है और न छोटा।
  6. मनुष्य को बाह्य आडम्बरों से बचना चाहिए। भोग-विलास से दूर रहकर सादा और पवित्र जीवन व्यतीत करना चाहिए। उसका नैतिक स्तर बहुत ऊँचा होना चाहिए।
  7. सूफियों ने अपने आपको जंजीर अथवा सिलसिलों में संगठित किया। प्रत्येक सिलसिले का नियंत्रण शेख, पीर या मुर्शीद के हाथ में।
  8. गुरु (पीर) और शिष्य (मुरीद) के बीच सम्बन्ध को बहुत महत्त्व दिया जाता था। गुरु ही शिष्यों के लिए नियमों का निर्माण करता था। उनका वारिस खलीफा कहलाता था।
  9. सूफी आश्रम-व्यवस्था, प्रायश्चित, व्रत, योग तथा साधना आदि पर भी बल देते थे।
  10. सूफी संगीत पर भी बहुत जोर देते थे।

प्रश्न 7.
क्यों और किस तरह शासकों ने नयनार और सूफी संतो से अपने संबंध बनाने का प्रयास किया?
उत्तर:
शासकों के संबंध नयनार और सूफी संतों के साथ : नयनार शैव परम्परा के संत थे। नयनार और सूफी संतों को शासकों ने अनेक प्रकार से संरक्षण दिया। चोल सम्राटों ने ब्राह्मणीय और भक्ति परम्परा को समर्थन दिया तथा विष्णु और शिव के मन्दिरों के निर्माण हेतु भूमि दान किया। चिदम्बरम्, तंजावुर और गंगैकोडा चोलापुरम् के विशाल शिव मंदिर चोल सम्राटों की सहायता से बनाये गये। इसी काल में कांस्य से ढाली गई शिव की प्रतिमाओं का भी निर्माण हुआ। स्पष्ट है कि नयनार संतों का दर्शन शिल्पकारों के लिए प्रेरणा स्रोत बना।

बेल्लाल क किसान नयनार और अलवार संतों का विशेष सम्मान करते थे। इसीलिए सम्राटों ने भी उनका समर्थन पाने का प्रयास किया। उदाहरण के लिए चोल सम्राटों ने दैवीय समर्थन पाने का दावा अपने उत्कीर्ण अभिलेखों में किया है। अपनी सत्ता के प्रदर्शन के लिए उन्होंने सुन्दर मंदिरों का निर्माण करवाया जिनमें पत्थर और धातु निर्मित मूर्तियाँ प्रतिष्ठित की गयी थीं। नयनारों का समर्थन पाने के लिए इन सम्राटों ने मंदिरों में तमिल भाषा के शैव भजनों का गायन प्रचलित किया। उन्होंने ऐसे भजनों का संकलन एक ग्रंथ ‘तवरम’ में करने की जिम्मेदारी ली।

945 ई० के एक अभिलेख के अनुसार चोल सम्राट परांतक प्रथम ने संत कवि अप्पार संबंदर और सुंदरार की धातु प्रतिमाएँ एक शिव मंदिर में स्थापित करवायी। इन मूर्तियों को उत्सव में एक जुलूस में निकाला जाता था। सूफी संतों के साथ शासकों के संबंध जोड़ने का प्रयास मुगल बादशाह जहाँगीर का अजमेर की दरगाह पर जाने, गियासुद्दीन खलजी द्वारा शेख की मजार का निर्माण कराए जाने एवं अकबर का अजमेर की दरगाह पर 14 बार दर्शन करने हेतु जाने आदि से दिखाई पड़ता है। सुलतानों ने खानकाहों को कर मुक्त भूमि अनुदान में दी और दान संबंधी न्यास स्थापित किए। सुल्तान गियासुद्दीन ने शेख फरीदुद्दीन को चार गाँवों का पट्टा भेंट किया और धनराशि भी भेंट की थी।

प्रश्न 8.
उदाहरण सहित विश्लेषण कीजिए कि क्यों भक्ति और सूफी चिंतकों ने अपने विचारों को अभिव्यक्त करने के लिए विभिन्न भाषाओं का प्रयोग किया?
उत्तर:
भक्ति और सूफी चितकों द्वारा विभिन्न भाषाओं का प्रयोग –
1. भक्ति और सूफी चिन्तक अपने उपदेशों और विचारों को आम-जनता तक पहुँचाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने कई क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग किया।

2. पंजाब से दक्षिण भारत तक, बंगाल से गुजरात तक भक्ति आंदोलन का व्यापक प्रभाव रहा। जहाँ-जहाँ संत सुधारक उपदेश देते थे, स्थानीय शब्द उनकी भाषा का माध्यम और अंग बन जाते थे। ब्रजभाषा, खड़ी बोली, राजस्थानी, गुजराती, बंगाली, पंजाबी, अरबी, आदि का उनके उपदेशों में अजीब समावेश है। इसी ने आगे चलकर आधुनिक भाषाओं का रूप निर्धारित किया।

3. स्थानीय भाषा संतों की रचनाओं को विशेष लोकप्रिय बनाती थी। उल्लेखनीय है कि चिश्ती सिलसिले के लोग दिल्ली हिन्दी में बातचीत करते थे ! बाबा फरीद ने भी क्षेत्रीय भाषा में काव्य रचना की जो गुरु ग्रन्थ साहिब में संकलित है। मोहम्मद जायसी का पद्मावत भी मसनवी शैली में है।

4. सूफियों ने लम्बी कवितायें मसनवी लिखी। उदाहरण के लिए मलिक मोहम्मद जायसी का पद्मावत पद्मिनी और चित्तौड़ के राजा रतन सेन की प्रेम कथा को रोचक बनाकर प्रस्तुत करता है। वह मसनवी शैली में लिखा गया है।

5. सूफी संत स्थानीय भक्ति भावना से सुपरिचित थे। उन्होंने स्थानीय भाषा में ही रचनाएँ की। 17-18वीं शताब्दी में बीजापुर (कर्नाटक) में दक्खनी (उर्दू का रूप) में छोटी कविताओं की रचना हुई। ये रचनाएँ औरतों द्वारा चक्की पीसते और चरखा कातते हुए गाई जाती थीं। कुछ और रचनाएँ लोरीनाना और शादीनामा के रूप में लिखी गईं।

6. भक्ति और सूफी चिन्तक अपनी बात दूर-दराज के क्षेत्रों में फैलाना चाहते थे। लिंगायतों द्वारा लिखे गए कन्नड़ की वचन और पंढरपुर के संतों द्वारा लिखे गए मराठी के अभंगों ने भी तत्कालीन समाज पर अपनी अमिट छाप अंकित की। दक्खनी भाषा के माध्यम से दक्कन के गाँवों में भी इस्लाम धर्म का खूब प्रचार-प्रसार हुआ।

प्रश्न 9.
इस अध्याय में प्रयुक्त किन्हीं पाँच स्रोतों का अध्ययन कीजिए और उनमें निहित सामाजिक व धार्मिक विचारों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
अध्याय में प्रयुक्त पाँच स्रोत:
1. मारिची की मूर्ति:
मारिची बौद्ध देवी थी। यह मूर्ति बिहार की 10वीं शताब्दी की है, जो तांत्रिक पूजा पद्धति का एक उदाहरण है। तांत्रिक पूजा पद्धति में देवी की आराधना की जाती है। यह मूर्ति शिल्पकला का उत्तम उदाहरण है।

2. तोंदराडिप्पोडि का काव्य:
तोंदराडिप्पोडि एक ब्राह्मण अलवार था। उसने अपने काव्य में वर्ण व्यवस्था की अपेक्षा प्रेम को महत्त्व दिया है। “चतुर्वेदी जो अजनबी हैं और तुम्हारी सेवा के प्रति निष्ठा नहीं रखते उनसे भी ज्यादा आप (हे विष्णु) उन “दासों” को पसंद करते हो-जो आपके चरणों से प्रेम रखते हैं, चाहे वह वर्ण व्यवस्था के परे हों।

3. नलयिरा दिव्य प्रबंधम्:
यह अलवारों (विष्णु के भक्त) की रचनाओं का संग्रह है। इसकी रचना 12वीं शताब्दी में की गई। इसमें अलवारों के विचारों की विस्तृत चर्चा है।

4. हमदान मस्जिद:
यह मस्जिद कश्मीर की सभी मस्जिदों में ‘मुकुट का नगीना’ समझी जाती है। यह कश्मीरी लकड़ी की स्थापत्य कला का सर्वोत्तम उदाहरण है। यह पेपरमैशी से सजाई गई है। (5) कश्फ-उल-महजुब-यह सूफी खानकाहों की एक पुस्तिका है। यह अली बिन उस्मान हुजाविरी द्वारा लिखी गई। इससे पता चलता है कि उपमहाद्वीप के बाहर की परम्पराओं ने भारत में सूफी चिंतन को कितना प्रभावित किया। यह सूफी विचारों और व्यवहारों के प्रबंध की उत्तम पुस्तक है।

मानचित्र कार्य

प्रश्न 10.
भारत के एक मानचित्र पर 3 सूफी स्थल ओर 3 वे स्थल जो मंदिर (विष्णु, शिव, तथा देवी से जुड़ा एक मंदिर ) से संबद्ध है, निर्दिष्ट कीजिए।
उत्तर:
Bihar Board Class 12 History Solutions Chapter 6 भक्ति सूफी परंपराएँ धार्मिक विश्वासों में बदलाव और श्रद्धा ग्रंथ img 1a

परियोजना कार्य (कोई एक)

प्रश्न 11.
इस अध्याय में वर्णित किन्हीं दो धार्मिक उपदेशकों/चिंतकों/संतों का चयन कीजिए और उनके जीवन व उपदेशों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कीजिए। इनके समय, कार्य क्षेत्रों और मुख्य विचारों के बारे में एक विवरण तैयार कीजिए। हमें इनके बारे में कैसे जानकारी मिलती है और हमें क्यों लगता है कि वे महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 12.
इस अध्याय में वर्णित सूफी. एवं देवस्थलों से संबद्ध तीर्थयात्रा के आचारों के बारे में अधिक जानकारी हासिल कीजिए। क्या यह यात्राएँ अभी भी की जाती हैं। इन स्थानों पर कौन लोग और कब-कब जाते हैं? वे यहाँ क्यों जाते हैं? इन तीर्थयात्राओं से जुड़ी गतिविधियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

Bihar Board Class 12 History भक्ति सूफी परंपराएँ : धार्मिक विश्वासों में बदलाव और श्रद्धा ग्रंथ Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
पुरी (उड़ीसा) के मंदिर की विशेषतायें बताइये।
उत्तर:

  1. पुरी (उड़ीसा) का मंदिर पूजा प्रणालियों के समन्वय का एक अच्छा उदाहरण है। हिन्दू धर्म से 12वीं शताब्दी तक विष्णु को संपूर्ण विश्व का स्वामी या जगन्नाथ माना जाता है। हिन्दू धर्मापुरी (उड़ीसा) का मंदिर की विशेषतायें बताइये मए गोल्डेन सीरिज पासपोर्ट था। इस मंदिर से ऐसी जानकारी मिलती है।
  2. इस स्थानीय प्रतिमा को पहले और आज स्थानीय जनजाति के विशेषज्ञ काष्ठ-प्रतिमा के रूप में गढ़ते हैं। विष्णु का यह रूप देश के अन्य भागों में स्थित विष्णु प्रतिमाओं में दर्शित रूप से भिन्न है।

प्रश्न 2.
तांत्रिक पूजा पद्धति से आप क्या समझते हैं और इसकी क्या विशेषता है?
उत्तर:

  1. प्रायः देवी की आराधना पद्धति को तांत्रिक पूजा पद्धति या शाक्त पद्धति कहा जाता है।
  2. कर्मकाण्ड और अनुष्ठान की दृष्टि से इस पद्धति में स्त्री और पुरुष दोनों समान रूप से भाग ले सकते हैं।

प्रश्न 3.
आराधना पद्धतियों में कौन-सी दो प्रक्रियायें कार्य कर रही थीं?
उत्तर:

  1. एक प्रक्रिया ब्राह्मणीय विचारधारा के प्रचार की थी। इसका प्रसार पौराणिक ग्रंथों की रचना, संकलन और संरक्षण द्वारा हुआ।
  2. स्त्री, शूद्रों और अन्य सामाजिक वर्गों की आस्थाओं और आचरणों को ब्राह्मणों द्वारा स्वीकार किया गया और उसे एक नया रूप प्रदान किया।

प्रश्न 4.
उलमा कौन थे?
उत्तर:

  1. उलमा ‘आलिम’ शब्द का बहुवचन है। इसका अर्थ है-ज्ञाता या जानकार। वस्तुत: उलमा इस्लाम धर्म के ज्ञाता थे।
  2. इस परिपाटी के संरक्षक होने से उनकी कार्य धार्मिक कृत्य संपन्न करने, कानून बनाने, उसका अनुपालन कराने और शिक्षा देने का था।

प्रश्न 5.
बासन्ना ने अपनी कविताओं में कौन से विचार व्यक्त किये हैं?
उत्तर:

  1. संसार में लोग जीवित व्यक्ति या जानवर से घृणा करते हैं परंतु निर्जीव वस्तु को पूजा करते हैं जो सर्वथा असंगत है।
  2. उदाहरण- “जब वे एक पत्थर से बने सर्प को देखते हैं तो उस पर दूध चढ़ाते हैं। यदि असली साँप आ जाएं तो कहते हैं “मारो-मारो।”

प्रश्न 6.
भक्ति परम्परा की दो मुख्य शाखाएँ कौन-सी हैं?
उत्तर:

  1. भक्ति परम्परा दो मुख्य शाखाओं में विभाजित है-सगुण और निर्गुण ज्ञानाश्रयी शाखा। सगुण उपासना में शिव, विष्णु, उनके अवतार और देवियों की मूर्तियाँ बनाकर पूजी जाती है। इसमें देवताओं के मूर्त रूप की पूजा होती है।
  2. निर्गुण भक्ति परम्परा में अमूर्त एवं निराकार ईश्वर की उपासना की जाती है।

प्रश्न 7.
अंडाल कौन थी?
उत्तर:

  1. अंडाल एक अलवार स्त्री और प्रसिद्ध कवयित्री थी। उसके द्वारा रचित भक्ति गीत व्यापक स्तर पर गाये जाते थे और आज भी गाये जाते हैं।
  2. अंडाल स्वयं को विष्णु की प्रेयसी मानकर अपनी प्रेम भावना को छंदों में व्यक्त करती थी।

प्रश्न 8.
नयनारों द्वारा जैन और बौद्ध धर्म की आलोचना क्यों की जाती थी?
उत्तर:
राजकीय संरक्षण और आर्थिक अनुदान की प्रतिस्पर्धा रहने के कारण ही नयनार इन दोनों धर्मों में दोषारोपण किया करते थे। इनकी रचनाएँ अन्तत: शासकों से विशेष संरक्षण दिलाने में कारगर साबित हुई।

प्रश्न 9.
बासवन्ना (1106-68) कौन थे?
उत्तर:

  1. बासवन्ना वीर शैव परम्परा के संस्थापक थे। वे ब्राह्मण थे और प्रारम्भ में जैन धर्म के अनुयायी थे। चालुक्य राजदरबार में उन्होंने मंत्री का पद संभाला था।
  2. इनके अनुयायी वीर शैव (शिव के वीर) और लिंगायत (लिंग धारण करने वाले) कहलाए।

प्रश्न 10.
खोजकी लिपि की विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:

  1. इस देशी साहित्यिक विधा या लिपि का प्रयोग पंजाब, सिंध और गुजरात के खोजा करते थे। ये इस्माइली (शिया) समुदाय के थे।
  2. खोजकी लिपि में “जीनन” नाम से राग बद्ध, भक्ति गीत लिखे गए। इसमें पंजाबी, मुल्तानी, सिंध, कच्छी, हिन्दी और गुजराती भाषाओं का सम्मिश्रण था।

प्रश्न 11.
सैद्धान्तिक रूप से इस्लाम धर्म के प्रमुख उपदेश क्या हैं?
उत्तर:

  1. अल्लाह एकमात्र ईश्वर है।
  2. पैगम्बर मोहम्मद उनके दूत (शाहद) हैं।
  3. दिन में पाँच बार नमाज पढ़नी चाहिए।
  4. खैरात (जकात) बांटनी चाहिए। (रमजान के महीने में रोजा रखना चाहिए और हज के लिए मक्का जाना चाहिए।

प्रश्न 12.
जिम्मियों ने अपने को संरक्षित कैसे किया?
उत्तर:

  1. जिम्मी अरबी शब्द ‘जिम्मा’ से व्युत्पन्न है। यह संरक्षित श्रेणी में थे।
  2. जिम्मी उद्घटित धर्मग्रंथ को मानने वाले थे। इस्लामी शासकों के क्षेत्र में रहने वाले यहूदी और ईसाई इस धर्म के अनुयायी थे। ये लोग जजिया नामक कर का भुगतान करने मात्र से मुसलमान शासकों का संरक्षण प्राप्त कर लेते थे। भारत के हिन्दुओं को भी मुस्लिम शासक ‘जिम्मी कहते थे और उनसे जजिया नामक कर की वसूली की जाती थी।

प्रश्न 13.
इस्लामी परम्परा में शासकों को शासितों के प्रति क्या नीति थी?
उत्तर:

  1. शासक शासितों के प्रति पर्याप्त लचीली नीति अपनाते थे। उदाहरण के लिए अनेक शासकों ने हिन्दू, जैन, फारसी, ईसाई और यहूदी धर्मों के अनुयायियों और धर्मगुरुओं को मंदिर आदि निर्माण के लिए भूमियाँ दान में दी तथा आर्थिक अनुदान भी दिए।
  2. गैर मुसलमान धार्मिक नेताओं के प्रति श्रद्धाभाव व्यक्त करना भी उनकी उदार नीति का एक हिस्सा था। अकबर और औरंगजेब जैसे मुगल सम्राटों ने ऐसी उदार नीति अपनाई थी।

प्रश्न 14.
अकबर की खम्बात के गिरजाघर के प्रति कैसी नीति रही?
उत्तर:

  1. यीशु की मुकद्दस जमात के पादरी खम्बात (गुजरात) में एक गिरजाघर का निर्माण करना चाहते थे। अकबर ने उनकी माँग स्वीकार कर ली और अपनी स्वीकृति दे दी।
  2. उसने अपने हुक्मनामें से खम्बात के अधिकारियों को यह आदेश दिया कि वे इस कार्य में किसी प्रकार का हस्तक्षेप न करें। वस्तुतः यह अकबर की उदार धर्मनीति का एक उदाहरण है।

प्रश्न 15.
वली का क्या महत्त्व है?
उत्तर:

  1. पीर या गुरु के उत्तराधिकारी को वली या खलीफा कहा जाता है।
  2. सूफीमत के प्रत्येक सिलसिले या वर्ग अथवा कड़ी का पीर या गुरु शिक्षा-दीक्षा का कार्य संपन्न करने के लिए अपना उत्तराधिकारी या वली अथवा खलीफा नियुक्त करता था।
  3. वली’ शब्द का अर्थ है-ईश्वर का मित्र। कई “वली” को एक साथ ‘औलिया’ कहा जाता था।

प्रश्न 16.
पीर और मुरीद में अंतर बताइए।
उत्तर:

  1. सूफीमत में अध्यात्मिक गुरु को पीर कहा जाता है। इनका बहुत अधिक महत्त्व था। यह मानता थी की पीर के बिना कुछ भी प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
  2. सूफी परम्परा में शिष्य या अनुयायी को मुरीद कहा जाता है। ये सूफी विचारधारा के बारे में पीर से ज्ञान प्राप्त करते थे। इन्हें भी पीर के आश्रम में रहना पड़ता था।

प्रश्न 17.
मातृगृहता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:

  1. वह परिपाटी जिसमें स्त्रियाँ विवाह के बाद अपने मायके में ही अपनी संतान के साथ् रहती हैं और उनके पति उनके साथ आकर रह सकते हैं।
  2. यह एक प्रकार की मातृसत्तात्मक परिपाटी है।

प्रश्न 18.
‘मुकुट का नगीना’ किस मस्जिद को कहा जाता है? इसकी क्या विशेषता है?
उत्तर:

  1. श्रीनगर की झेलम नदी के किनारे बनी शाह हमदान मस्जिद कश्मीर की सभी मस्जिदों में मुकुट का नगीना मानी जाती है।
  2. इसका निर्माण 1395 में हुआ और यह कश्मीरी लकड़ी की स्थापत्य कला का सर्वोत्तम नमूना है। इसके शिखर और नक्काशीदार छज्जे पेपरमैशी से अलंकृत है।

प्रश्न 19.
खानकाह क्या है?
उत्तर:

  1. खानकाह का अर्थ है-एक संगठित समुदाय का आश्रय स्थल या दरगाह। यह प्राचीन काल के गुरुकुल जैसा था क्योंकि इसमें खलीफा दुवारा मुरीदों को इस्लाम धर्म की शिक्षा दी जाती थी।
  2. सूफीवादी नेता या शेख अथवा पीर द्वारा इस समुदाय की व्यवस्था की जाती थी।

प्रश्न 20.
खालसा पंथ की नींव किसने रखी? इस पंथ के पाँच प्रतीक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. खालसा पंथ (पवित्रों की सेना) की स्थापना गुरु गोविंद सिंह जी ने की।
  2. खालसा पंथ के पाँच प्रतीक निम्नलिखित हैं: हाथ में कड़ा, कमर में कृपण, सिर में पगड़ी (केश), बालों में कंघा तथा कच्छ धारण करना।

प्रश्न 21.
मसनवी का किससे संबंध था?
उत्तर:

  1. मसनवी सूफियों द्वारा लिखित लम्बी कवितायें श्रीं । इनमें ईश्वर के प्रति प्रेम को मानवीय या दुनियावी प्रेम से अभिव्यक्त किया गया है।
  2. उदाहरण के लिए मलिक मोहम्मद जायसी के पद्मावत नामक प्रेम काव्य की कथा-वस्तु पद्मिनी और चित्तौड़ के राजा रत्नसेन के इर्द-गिर्द घूमती है।
  3. पद्मिनी और रत्नसेन का प्रेम आत्मा को परमात्मा तक पहुँचने की यात्रा का प्रतीक है।

प्रश्न 22.
वैदिक परम्परा तथा तांत्रिक आराधना में क्या अंतर है?
उत्तर:

  1. वैदिक परंपरा को मानने वाले उन सभी तरीकों की निंदा करते थे जो ईश्वर की उपासना के लिए मंत्रों के उच्चारण तथा यज्ञों के सम्पादन से हटकर थे।
  2. तांत्रिक लोग वैदिक सत्ता की अवहेलना करते थे। इसलिए उनमें कभी-कभी संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती थी।
  3. तांत्रिक आराधना में देवियों की मूर्ति पूजा हेतु कई तरह के भौतिक या वस्तु प्रधान साधन अपनाए जाते थे जबकि वैदिक परंपरा जप, मंत्रोच्चारण और यज्ञ पर आधारित थी।

प्रश्न 23.
अलवार और नयनार कौन थे?
उत्तर:

  1. अलवार तथा नयनार दक्षिण भारत के संत थे। अलवार विष्णु के पुजारी थे।
  2. नयनार शैव थे और शिव की उपासना करते थे।

प्रश्न 24.
चिश्ती उपासना से जुड़े कोई दो व्यवहार बताइए।
उत्तर:

  1. इस्लाम धर्म के सभी अनुयायी या मुसलमानों के साथ ही विश्व के लगभग सभी धर्मानुयायी सूफी संतों की दरगाह की जियारत (तीर्थयात्रा) करते हैं। इस अवसर पर संत के अध्यात्मिक आशीर्वाद अर्थात् बरकत की कामना की जाती है।
  2. नृत्य तथा कव्वाली जियारत के महत्त्वपूर्ण अंग हैं। इनके द्वारा अलौकिक आनन्द की भावना जगाई जाती है। हिन्दी भाषा में चिश्ती का अर्थ है-उपदेशक।

प्रश्न 25.
उर्स से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:

  1. उर्स का अर्थ है-विवाह अर्थात् पीर की आत्मा का ईश्वर से मिलन होना।
  2. सूफियों का यह मानना था कि मृत्यु के बाद पीर ईश्वर में समा जाते हैं। इस प्रकार वे पहले की अपेक्षा ईश्वर के और अधिक निकट हो जाते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
महान् और लघु परम्परा में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  1. इन दो शब्दों को 20वीं शताब्दी के समाजशास्त्री राबर्ट रेडफील्ड ने एक कृषक समाज के सांस्कृतिक आचरणों का वर्णन करने के लिए किया।
  2. इस समाजशास्त्री ने देखा कि किसान उन्हीं कर्मकाण्डों और पद्धतियों का अनुकरण करते थे जिनका पालन समाज के पुरोहित और राजा जैसे प्रभावशाली वर्ग द्वारा किया जाता था। इन कर्मकाण्डों को उसने ‘महान परम्परा’ की संज्ञा दी।
  3. कृषक समुदाय के अन्य लोकाचारों का पालन लघु परम्परा कहा गया।
  4. रेडफील्ड के अनुसार महान् और लघु दोनों प्रकार की परम्पराओं में समय के साथ परिवर्तन हुए।

प्रश्न 2.
वैदिक परिपाटी और तांत्रिक परिपाटी में संघर्ष की स्थिति क्यों उत्पन्न हो जाती थी?
उत्तर:
वैदिक परिपाटी और तांत्रिक परिपाटी में संघर्ष की स्थिति के कारण –

  1. वैदिक देवकुल के अग्नि, इन्द्र और सोम जैसे देवता पूर्णरूप से गौण हो गये थे। साहित्य और मूर्तिकला दोनों का निरूपण बंद हो गया था।
  2. वैदिक मंत्रों में विष्णु, शिव और देवी की झलक मिलती है और वेदों को प्रमाणिक माना जाता रहा। इसके बावजूद इनका महत्त्व कम हो रहा था।
  3. वैदिक परिपाटों के प्रशंसक ईश्वर की उपासना के लिए मंत्रों के उच्चारण और यज्ञों के संपादन से भिन्न आचरणों की निंदा करते थे।
  4. तांत्रिक पद्धति के लोग वैदिक सत्ता की अवहेलना करते थे। उनका बौद्ध अथवा जैन धर्म के अनुयायियों के साध भी टकराव होता रहता था।

प्रश्न 3.
आठवीं से अठारहवीं सदी के मध्य की साहित्यिक विशेषताएँ इंगित कीजिए।
उत्तर:
आठवीं से अठारहवीं सदी के मध्य की साहित्यिक विशेषतायें –

  1. इस काल की नूतन साहित्यिक स्रोतों में संत कवियों की रचनायें हैं। इनमें उन्होंने जनसामान्य की क्षेत्रीय भाषाओं में अपने उपदेश दिए हैं।
  2. ये रचनाएँ प्रायः संगीतबद्ध हैं और संतों के अनुयायियों द्वारा उनकी मृत्यु के उपरांत संकलित की गई।
  3. ये परम्परायें प्रवाहमान थी-अनुयायियों की कई पीढ़ियों ने मूल संदेश का न केवल विस्तार किया अपितु राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों के परिप्रेक्ष्य में संदिग्ध और अनावश्यक लगने वाली बातों को बदल दिया या हटा दिया गया।
  4. इन रचनाओं का मूल्यांकन करना इतिहासकारों के लिए एक चुनौती का विषय बना है।

प्रश्न 4.
शरिया कैसे उद्भूत हुआ?
उत्तर:
शरिया का उद्भव –

  1. शरिया मुसलमान समुदायों को निर्देशित करने वाला कानून है। यह ‘कुरान शरीफ’ और ‘हदीस’ पर आधारित है।
  2. हदीस’ पैगम्बर साहब से जुड़ी परम्परायें हैं। इनके अंतर्गत उनके स्मृत शब्द और क्रियाकलाप भी आते हैं।
  3. जब अरब क्षेत्र के बाहर इस्लाम धर्म से भिन्न आचार-विचार वाले देशों में इस धर्म का प्रसार हुआ तो शरिया में कियास (समानता के आधार पर तर्क) और इजमा (समुदाय की सहमति) को भी कानूनी स्रोत मान लिया गया।
  4. इस प्रकार कुरान, हदीस, कियास और इजमा से शरिया का अभ्युदय एवं विकास हुआ।

प्रश्न 5.
लिंगायत सम्प्रदाय के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
लिंगायत सम्प्रदाय –

  1. कर्नाटक में लिंगायत सम्प्रदाय का विशेष महत्त्व है। शिव की आराधना लिंग के रूप में करना इस संप्रदाय का प्रमुख लक्षण है।
  2. इस समुदाय के पुरुष बायें कंधे पर चाँदी के एक पिटारे में एक लघु शिव लिंग धारण करते हैं।
  3. इस संप्रदाय में जंगम अर्थात् यायावर भिक्षु भी शामिल हैं।
  4. लिंगायतों का विश्वास है कि मृत्योंपरांत सभी शिव भक्त उन्हीं में लीन हो जायेंगे तथा जन्म एवं मरण चक्र से मुक्त हो जाएंगे।
  5. इस सप्रदाय के लोग धर्मशास्त्रीय श्राद्ध एवं मुंडन आदि संस्कारों का पालन नहीं करते थे परंतु अपने मृतकों को भली-भाँति दफनाते थे।

प्रश्न 6.
सूफीमत के प्रभावों की गणना कीजिए।
उत्तर:
सूफीमत के प्रभाव –
1. हिन्दू समाज में पहले की अपेक्षा निम्न वर्ग के साथ अच्छा व्यवहार होने लगा।

2. इस्लाम धर्म में हिन्दू धर्म की अच्छी बातों को स्थान दिया जाने लगा। भारतीय सभ्यता तथा संस्कृति ने इस्लाम को प्रभावित किया और मुसलमानों ने हिन्दू रीति-रिवाजों को अपनाना आरंभ कर दिया।

3. सूफी मत ने अपने प्रचार में मुसलमानों को पहले की अपेक्षा अधिक उदार बनने में सहयोग दिया। मुसलमान हिन्दुओं को अपने समान समझने लगे। आपसी वैर-भाव दूर हुआ और एकता की भावना को बल मिला।

4. सम्राट अकबर की धार्मिक सहनशीलता की नीति तथा राजपूतों से विवाह सम्बन्ध, हिन्दुओं को राज्य के उच्च तथा महत्त्वपूर्ण पद प्रदान करना जैसे कार्य सूफी मत पर उसकी निष्ठा के ही परिणाम थे।

5. सूफी आंदोलन ने भारत की स्थापत्य कला को भी प्रभावित किया। सन्तों की समाधियों पर अनेक भव्य भवन खड़े किए गए। अजमेर में शेख मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह तथा दिल्ली में निजामुद्दीन औलिया का मकबरा कला की दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।

6. सूफी आंदोलन का भारतीय साहित्य पर भी अच्छा प्रभाव पड़ा। जायसी ने पद्मावत तथा अन्य रचनाएँ की। खुसरो ने अनेक काव्य-ग्रन्थ लिखे। निःसन्देह सूफी संतों की भारतीय समाज को यह बहुत बड़ी देन थी।

प्रश्न 7.
चिश्ती सिलसिला के विषय में एक नोट लिखिए।
उत्तर:
चिश्ती सिलसिला-मध्यकालीन भारत के भक्ति आंदोलन की तरह ही सूफी संप्रदाय का “सिलसिला” भी हिन्दु-मुस्लिम एकता, सामाजिक समानता तथा भाईचारे का संदेश दे रहा था। सूफी आंदोलन के साथ हुसैन बिन मंसूर अल हज्जाज, अब्दुल करीम, शेख शहाबुद्दीन सुहरावर्दी, ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती, निजामुद्दीन औलिया और शेख सलीम चिश्ती जैसे ‘सिलसिलों’ के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।

“सिलसिलों” के सभी चिश्ती (उपदेशक) बड़े विद्वान तथा महान् संत थे। इन्हें फारसी, अरबी तक अनेक भाषाओं का अच्छा ज्ञान था। मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर (राजस्थान) में है। उन्होंने भारत के अनेक भागों की पैदल यात्रा की। शेख सलीम चिश्ती उनके शिष्य थे। उनके आशीर्वाद से ही मुगल सम्राट अकबर के पुत्र सलीम (बाद का नाम जहाँगीर) का जन्म हुआ था। अकबर ने उसके सम्मान में फतेहपुर सीकरी में एक दरगाह बनवाई थी।

आज भी अजमेर की दरगाह पर हजारों हिन्दू तथा मुसलमान हर वर्ष जाते हैं। वहाँ के मेले में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा अन्य देशों के लोग भी आते हैं। निजामुद्दीन औलिया की दरगाह दिल्ली में है, उनके भी हिन्दू और मुसलमान दोनों सम्प्रदाय के लोग शिष्य थे। सूफी सम्प्रदाय में चिश्ती सिलसिला के अनुयायी बहुत ही उदार थे। वे खुदा की एकता, शुद्ध जीवन तथा मानव मूल्यों पर बहुत जोर देते थे। वे सभी धर्मों की मौलिक एकता में यकीन रखते थे। चिश्ती सन्त घूम-घूमकर मानव प्रेम तथा एकता का उपदेश देते थे।

प्रश्न 8.
भक्ति परम्परा के सांस्कृतिक और आर्थिक प्रभाव बताइए।
उत्तर:
सांस्कृतिक प्रभाव (Cultural Effects):
1. सांस्कृतिक विकास:
भक्ति आन्दोलनों के नेताओं ने अपनी शिक्षा का प्रचार जनसाधारण की भाषा में किया। इसके परिणामस्वरूप बंगाली, मराठी, गुजराती, पंजाबी, हिन्दी आदि अनेक देशी भाषाओं का विकास हुआ। जयदेव का ‘गीत गोबिन्द’ सूरदास का ‘सूरसागर’, जायसी का ‘पद्मावत’, सिक्खों का ‘आदि ग्रन्थ साहिब’, तुलसीदास जी का ‘रामचरित मानस’, कबीर और रहीम के ‘दोहे’ एवं रसखान की ‘साखियां’ जैसा हृदयस्पर्शी सद्साहित्य रचा गया।

2. हिन्दू-मुस्लिम कलाओं में समन्वय:
राजनीतिक, धार्मिक तथा सामाजिक भेदभाव, कटुता तथा वैमनस्य के कम होने पर हिन्दू और मुस्लिम कलाओं में समन्वय का एक नया युग प्रारम्भ हुआ और वास्तुकला, चित्रकला तथा संगीत का चरण विकास हुआ। ईरानी कलाओं का सम्मिश्रण तथा संगम हुआ और सभी क्षेत्रों में नई भारतीय कला का जन्म हुआ। इसका निखरा हुआ रूप मुगलकालीन भारतीय कलाकृतियों में देखने को मिलता है।

3. आर्थिक प्रभाव (Economic Effects):
इस आंदोलन के भारतीय सामाजिक जीवन पर कुछ आर्थिक प्रभाव भी पड़े । संत भक्तों ने यह महसूस किया कि अधिकांश सामाजिक बुराइयों की जड़ आर्थिक विषमता है। संत कबीर तथा गुरु नानकदेव जी ने धनी वर्ग के उन लोगों को फटकारा, जो गरीबों का शोषण करके धन संग्रह करते हैं। गुरु नानकदेव जी ने भी इस बात पर बल दिया कि लोगों को अपनी मेहनत तथा नेक कमाई पर ही संतोष करना चाहिए।

प्रश्न 9.
भक्ति आंदोलन के मुख्य सामाजिक प्रभाव बताइए।
उत्तर:
सामाजिक प्रभाव:
1. जाति-प्रथा पर प्रहार-भक्त संतों ने जाति-प्रथा, ऊँच-नीच तथा छुआछूत पर करारी चोट की। इससे देश की विभिन्न जातियों में भेदभाव के बंधन शिथिल पड़ गये और छुआछूत की भावना कम होने लगी।

2. हिन्दुओं नया मुसलमानों में मेल-मिलाप-भक्ति आंदोलन के फलस्वरूप हिन्दुओं और मुसलमानों में विद्यमान आपसी वैमनस्य, ईर्ष्या, घृणा, द्वेष, अविश्वास तथा सन्देह की भावना कम होने लगी। वे एक-दूसरे को सम्मान देने लगे और उनमें आपसी मेल-जोल बढ़ा।

3. व्यापक दृष्टिकोण-भक्ति आंदोलन ने संकीर्णता की भावना को दूर किया तथा लोगों के दृष्टिकोण को व्यापक तथा उदार बनाने में सहायता की। लोग अब प्रत्येक बात को तर्क तथा बुद्धि की कसौटी पर कसने लगे। ब्राह्मणों का प्रत्येक वचन उनके लिए ‘वेद-वाक्य’ न रहा। अंधविश्वास तथा धर्मांधता की दीवारें गिरने लगीं। देश की दोनों प्रमुख जातियों-हिन्दुओं तथा मुसलमानों का दृष्टिकोण उदार तथा व्यापक होने लगा।

4. निम्न जातियों का उद्धार-भक्ति आंदोलन के नेताओं ने समाज में एक नया वातावरण पैदा किया। जाति-पालि के बंधन शिथिल होने लगे, ऊँच-नीच तथा धनी-निर्धन का भेदभाव कम हुआ और उनमें आपसी घृणा समाप्त होने लगी।

प्रश्न 10.
प्रारम्भिक भक्ति परम्परा के स्वरूप की विशेषतायें बताइए।
उत्तर:
प्रारम्भिक भक्ति परम्परा के स्वरूप की विशेषतायें –

  1. देवताओं की पूजा के तरीकों विकास के दौरान संत कवि ऐसे नेता के रूप में उदित हुए जिनके आस-पास भक्तजनों की भीड़ लगी रहती थी। इन्हीं के नेतृत्व में प्रारम्भिक भक्ति आंदोलन आरम्भ हुआ।
  2. भारतीय भक्ति परम्परा में विविधता थी। कुछ कृष्ण के भक्त थे तो कुछ राम के। कुछ सगुण उपासक थे तो कुछ निर्गुण।
  3. भक्ति परम्परा में सभी वर्गों को स्थान दिया गया। स्त्रियों और समाज के निम्न वर्गों को भी सहज स्वीकृति दी गयी।
  4. इतिहासकारों ने भक्ति परम्परा को दो वर्गों में विभाजित किया है-सगुण भक्ति और निर्गुण भक्ति। प्रथम वर्ग में शिव, विष्णु और उनके अवतार तथा देवियों को मूर्त आराधना शामिल है। निर्गुण भक्ति परम्परा में अमूर्त अर्थात् निराकार ईश्वर की उपासना की जाती थी।

प्रश्न 11.
“सूफी सम्प्रदाय और भक्ति सम्प्रदाय के विचारों में पर्याप्त समानता मिलती है।” तर्क दीजिए।
उत्तर:
सूफी सम्प्रदाय और भक्ति सम्प्रदाय के विचारों में समानतायें:

  1. दोनों सम्प्रदाय एकेश्वरवादी थे। सूफियों का कहना था कि परमात्मा एक है और हम उसकी संतान है। भक्ति आंदोलन ने एक ईश्वर को माना और उसका भजन कीर्तन किया।
  2. दोनों ने मानवता को समान महत्त्व दिया और मानव-जाति को प्रेमपूर्वक रहने का उपदेश दिया।
  3. सूफी और भक्त संत दोनों ने गुरु को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया है। सूफी गुरु को पीर कहते थे।
  4. दोनों सम्प्रदायों ने हिन्दुओं और मुसलमानों को साथ मिलकर रहने और एक दूसरे की मदद करने का उपदेश दिया।
  5. सूफियों, हिंदू संतों और रहस्यवादियों के बीच प्रकृति, ईश्वर, आत्मा और संसार से सम्बन्धित विचारधारा में पर्याप्त समानता थी।
  6. दोनों ने ही यह बताया कि मानव प्रेम ही ईश्वर प्रेम है और नर-सेवा ही नारायण-सेवा है।

प्रश्न 12.
अलवार और नयनार कौन थे। इनकी प्रमुख उपलब्धियाँ क्या थी?
उत्तर:
अलवार और नयनार तथा उनकी उपलब्धियाँ –

  1. तमिलनाडु में प्रारम्भिक भक्ति आंदोलन का नेतृत्व अलवारों (वैष्णव भक्त) और नयनारों (शैव भक्त) ने दिया।
  2. वे एक स्थान से दूसरे स्थान का भ्रमण करते थे और अपने ईष्ट देव की स्तुति में गीत गाते थे। इन यात्राओं के दौरान इन संतों ने कुछ स्थानों को अपने पूजनीय देवता का निवास स्थान घोषित किया।
  3. ये स्थान तीर्थ स्थल बन गये और यहाँ विशाल मंदिर बनाये गये। इन संत कवियों के भजनों को मंदिर में उत्सव के समय गाया जाता था और साथ ही संतों की मूर्तियाँ बनाकर पूजा की जाने लगी।
  4. अलवार और नयनार जाति प्रथा के विरोधी थे और ब्राह्मणों को विशेष महत्त्व नहीं देते थे।
  5. इन संतों की रचनाओं को वेदों के समान महत्त्वपूर्ण माना जाता था। एक प्रसिद्ध काव्य संकलन ‘नलयिरा दिव्य प्रबंधम्’ का उल्लेख वेद के रूप में किया जाता है।

प्रश्न 13.
मस्जिद के स्थापत्य की विशेषतायें बताइए।
उत्तर:
मस्जिद के स्थापत्य की विशेषतायें –

  1. मस्जिद को इस्लामिक कला को मूल रूप माना गया है। इसका मौलिक ढाँचा साधारण होता है।
  2. मस्जिद का अनुस्थापन मक्का की ओर किया जाता था। इसमें एक खुला प्रांगण होता है जिसके चारों ओर स्तम्भों वाली छतें होती हैं।
  3. आँगन के मध्य में नमाज से पूर्व स्नान करने के लिए एक सरोवर या जलाशय होता है। इसके पश्चिम में मेहराबों वाला एक विशाल कक्ष होता है। मक्का को सम्मुख दिशा में स्थित यह विशाल कक्ष नमाज की दिशा बताता है।
  4. इस विशाल कक्ष के दक्षिण की ओर एक मंच होता है जहाँ से इमाम प्रवचन देता है। मस्जिद में एक या अधिक मीनारें भी होती हैं जहाँ से अजान दी जाती है।
  5. जिस मस्जिद में मुसलमान जुम्मा की नमाज के लिए एकत्रित होते हैं उसे ‘जामी मस्जिद’ कहा जाता है।

प्रश्न 14.
आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि बाबा गुरु नानक की परम्पराएँ 21 वीं शताब्दी में महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
21 वीं शताब्दी के सन्दर्भ में नानक की परम्पराओं का महत्त्व –

  1. गुरु नानक ने बड़े-बड़े धार्मिक अनुष्ठानों, यज्ञों तथा मूर्ति पूजा का खंडन किया, जो आज भी उपयोगी हैं।
  2. उनका कहना था कि ईश्वर एक है और निराकार है। उसके साथ केवल शब्द के द्वारा ही संबंध जोड़ा जा सकता है।
  3. उनकी शिक्षायें इतनी सरल थीं कि आज भी व्यावहारिक हैं।
  4. नानक ने अपने शिष्यों को एक समुदाय के रूप में गठित किया और उनके लिए उपासना के नियम बनाये। ऐसे संगठन और एकता की आज भी खासी आवश्यकता है।
  5. उन्होंने जाति-प्रथा का विरोध किया और किसी को ऊँच-नीच नहीं समझा। भूमंडलीकरण के परिप्रेक्ष्य में आज भी ऐसी धारणा का रहना प्रासंगिक और श्रेष्ठ है।
  6. उन्होंने मानव सेवा तथा आपसी। प्रेम तथा भाईचारे को बढ़ावा दिया।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
सल्तनत काल में उत्तर भारत की धार्पिक दशा का वर्णन कीजिए। इसने ब्राह्मणों की स्थिति कि कैसे प्रभावित किया। अथवा, 13-14 वीं शताब्दी की धार्मिक स्थिति की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
सल्तनत काल में धार्मिक दशा:
दिल्ली सल्तनत एक इस्लामी राज्य था जिसमें इस्लाम राज्य धर्म था। दिल्ली के सुल्तान और अन्य विदेशी मुसलमान कट्टर सुन्नी मुसलमान थे। इन शासकों का यह धार्मिक कर्त्तव्य था कि वे धर्म का प्रसार करें और अन्य धर्मावलम्बियों को इस्लाम धर्म में दीक्षित करें। भारत में हिन्दुओं को मुसलमान बनाने की कई मुहिम चलाई गयीं। जनता को डरा-धमका कर, लालच देकर तथा सम्मानित करके धर्म परिवर्तन कराने के अनेक उदाहरण उपलब्ध हैं।

वस्तुतः धर्मान्तरण उनके लिए धार्मिक कृत्य था। हिन्दुओं को ‘जिम्भी’ कहा जाता था। इसका अर्थ यह है कि वे समझौता करके जीवित रहने का अधिकार प्राप्त करने वाले लोग हैं। जजिया नामक कर देकर हिन्दू जीवित रहने का अधिकार प्राप्त करते थे। जो लोग जजिया नहीं देते थे उन्हें जबरदस्ती मुसलमान बना लिया जाता था। हिन्दुओं के लिए अपने मंदिरों में पूजा करना, घंटा-घड़ियाल बजाना अथवा धार्मिक जुलूस निकालना अत्यन्त कठिन था। इस प्रकार धार्मिक क्षेत्र में आजादी नहीं थी और इस दृष्टि से राज्य असहिष्णु था। भारत में शिया मुसलमानों का भी वर्ग था ! सुन्नी मुसलमान शियाओं के भी विरोधी थे। उन्होंने शियाओं का दमन किया। शियाओं को प्राय: दूर ही रखा जाता था तथा उनके धार्मिक कार्यों में विघ्न डाला जाता था।

ब्राह्मणों की स्थिति पर प्रभाव:
ब्राह्मणों के प्रभाव में कमी होने लगी थी और गैर-ब्राह्मणीय नेताओं के प्रभाव बढ़ रहे थे। इन नेताओं में नाथ, जोगी और सिद्ध शामिल थे। उनमें में अनेक लोग शिल्पी समुदाय के थे। इनमें मुख्यतः जुलाहे थे। शिल्प कला के विकास के साथ उनका महत्त्व भी बढ़ रहा था। नगरों के विस्तार तथा मध्य एवं पश्चिमी एशिया के साथ व्यापार बढ़ने के कारण शिल्पी वस्तुओं की मांग बढ़ गई थी। सभी शिल्पकार धनाढ्य थे।

अनेक धार्मिक नये नेताओं ने वेदों की सत्ता को चुनौती दी और अपने विचार आम-लोगों की भाषा में सामने रखे। समय के साथ इन भाषाओं ने वह रूप धारण कर लिया जिस रूप में वे आज प्रयोग में लाई जाती हैं। अपनी लोकप्रियता के बावजूद नए धार्मिक नेता विशिष्ट शासक वर्ग का समर्थन प्राप्त न कर सके। सल्तनत राज्य की स्थापना से राजपूत राज्यों तथा उनसे जुड़े ब्राह्मणों का महत्त कम हो गया था। इन परिवर्तनों का प्रभाव संस्कृति और धर्म पर भी पड़ा। भारत में सूफियों का आगमन इन परिवर्तनों का एक महत्त्वपूर्ण अंग था।

प्रश्न 2.
सूफी मत क्या है? इसकी विशेषताओं अथवा सिद्धांतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सूफी मत (Sufism):
मध्यकालीन भारत में इस्लाम धर्म दो वर्गों-सुन्नी और शिया में बँट गया था। इनके बीच लगाकर तनाव और संघर्षों की स्थिति बन रही थी। इस बढ़ते हुए वैमनस्य को दूर करने के लिए कुछ मुसलमान संतों ने प्रेम एवं भक्ति पर बल दिया। ये सूफी संत कहलाए। सूफी मत के सम्बन्ध में इतिहासकार राय चौधरी ने लिखा है, “सूफी मत ईश्वर तथा जीवन की समस्याओं के प्रति मस्तिष्क तथा हृदय की भावना है ओर वह कट्टर इस्लाम से उसी प्रकार भिन्न है, जिस प्रकार कैथोलिक धर्म से “प्रोटेस्टेन्ट” भिन्न है।” जिस प्रकार हिन्दू धर्म की बुराइयों को दूर करने के लिए भक्ति आंदोलन का जन्म हुआ था, उसी प्रकार इस्लाम धर्म में आई हुई बुराइयों को दूर करने के लिए सूफीमत अस्तित्त्व में आया। यह मत प्रेम और मानवमात्र की समानता के सिद्धांत पर आधारित था।

सूफी मत का आरम्भ:
सूफी मत का जन्म ईरान में हुआ। हजरत मुहम्मद की मृत्यु के पश्चात् इस्लाम धर्म के अनुयायी शिया और सुन्नी के दो वर्गों में बँट गए और एक-दूसरे से ईर्ष्या, घृणा तथा द्वेष रखने लगे। सूफी मत इन झगड़ों को समाप्त कर दोनों वर्गों में समन्वय स्थापित करना चाहता था। इस विचारधारा में प्रेम तथा आपसी भाइचारे का सन्देश दिया गया। सूफी उदार प्रकृति के मुसलमान थे और सभी धर्मों को समान समझते थे। सूफी विचार प्रेमपूर्ण भक्ति का द्योतक है। डॉ. ताराचन्द के अनुसार, “सूफीवाद प्रगाढ़ भक्ति का धर्म है, प्रेम इसका भाव है, कविता संगीत तथा नृत्य इसकी आराधना के साधन हैं, तथा परमात्मा में विलीन हो जाना इसका आदर्श है।”

सूफीमत के सिद्धांत अथवा विशेषताएँ (Principles or Characteristics of Sufism):
सूफी सन्त मानवीय गुणों के उपासक थे। वे नैतिक जीवन बिताने पर बल देते थे और धार्मिक संकीर्णता की भावना से दूर थे। सूफी नत के सिद्धांत इस प्रकार थे।

1. एकेश्वरवाद-सूफी सन्त केवल एक ईश्वर की सत्ता में विश्वास रखते थे। वे पीरों तथा अवतारों को ईश्वर नहीं मानते थे, किन्तु उनकी निन्दा भी नहीं करते थे। वे राम, कृष्ण, रहीम को महापुरुष मानते थे। उनका विचार था कि सब-कुछ ईश्वर में है, उससे बाहर कुछ नहीं है।

2. मानव मात्र से प्रेम-सूफी संत सब लोगों को एक ईश्वर की सन्तान होने के कारण समान समझते थे। वे मानव-मानव में कोई भेदभाव नहीं करते थे। वे वर्ग तथा जाति-पाति तथा ऊँच-नीच के आधार पर भेदभाव के विरोधी थे। वे मानवमात्र से प्रेम तथा सहानुभूति में विश्वास रखते थे। वे सभी धर्मों को समान समझते थे। हिन्दु धर्म तथा इस्लाम उनकी दृष्टि में समान थे।

3. बाह्य आडम्बरों का विरोध-सूफी संत बाह्य आडम्बर, कर्मकाण्ड विधि-विधान, रोजा-नमाज के घोर विरोधी थे। वे जीवन की पवित्रता में विश्वास रखते थे। वे नैतिक सिद्धांतों के पोषक थे। वे मूर्ति-पूजा, हिंसा, माँस-भक्षण के पक्ष में नहीं थे। वे सांसारिक वस्तुओं का त्याग चाहते थे। वे ईश्वर को दयालु तथा उदार मानते थे। वे प्रेम तथा ईश्वर भक्ति में विश्वास रखते थे।

4. कर्म सिद्धांत में विश्वास-सूफी कर्म सिद्धांत में विश्वास रखते थे। उनके विचार से मनुष्य अपने कर्मों से अच्छा या बुरा होता है न कि जन्म से। उच्च वंश, में जन्म लेकर दुष्कर्म करने वाला व्यक्ति भी नीच कहलाएगा और निम्न वंश में जन्म लेकर अच्छे कर्म करने से आदर का पात्र होगा-उनका ऐसा विश्वास था।

5. दैवी चमत्कार में विश्वास-सूफी संत दैवी चमत्कार में विश्वास रखते थे। इसमें मनुष्य मानवीय स्थिति से ऊपर उठकर देवत्व को प्राप्त होता है। इस अवस्था में वह ईश्वर की शिक्षा
को सुन सकता है और लोगों के सामने उत्तम विचारों को रख सकता है।

6. गुरु की महिमा पर बल-सूफी संतों ने गुरु महिमा पर भी बल दिया है। एक व्यक्ति को धर्म में दीक्षित होने से पूर्व गुरु के सामने कुछ प्रतिज्ञाएँ करनी पड़ती हैं। शिष्य को गुरु की आज्ञा का पालन तथा उसकी सब प्रकार से सेवा करनी चाहिए। उनके अनुसार कठिन मार्ग को पार करने के लिए गुरु का होना परमावश्यक है। गुरु की सहायता से ही प्रत्येक व्यक्ति अपने वास्तविक उद्देश्य को प्राप्त कर लेता है।

7. मनुष्य को प्रधानता-सूफी मत में मनुष्य को प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ प्राणी कहा गया है और उसकी प्रधानता को स्वीकार किया गया है। मनुष्य की आत्मा सार्वभौमिक है। उसकी आत्मा कर्मों से प्रभावित होती है, अतः मनुष्य को सदा अच्छे कर्म करने चाहिए।

8. प्रेम का विशेष महत्त्व-सूफी मत में प्रेम को विशेष महत्त्व दिया गया है। सूफी मत का आधार ही प्रेम है। सूफी सन्तों के अनुसार ईश्वर परम सुन्दर है और उसे प्रेम के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। प्रेम की त्रिवेणी शारीरिक, मानसिक तथा अध्यात्मिक है।

प्रश्न 3.
सन्त कबीर एवं गुरु नानक के आरम्भिक जीवन और शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(I) सन्त कबीर का आरम्भिक जीवन:
सन्त कबीर भारत में हिन्दू-मुस्लिम एकता के महान् प्रचारक थे। वे भक्ति सुधारकों में सर्वाधिक प्रसिद्ध थे। उनका जन्म एक विधवा ब्राह्मणी से हुआ था। उसने लोक-लाज के भय से बालक को काशी के लहरतारा तालाब के किनारे फेंक दिया। नि:संतान जुलाहे नीरु ने उसे वहाँ से उठा लिया और उसकी पत्नी नीमा ने अपने पुत्र की तरह उसका पालन-पोषण किया। बड़े होने पर कबीर रामानन्द के शिष्य बन गए। कबीर का विवाह लोई नाम की लड़की से हुआ। उनके कमाल तथा कमाली नाम के दो बच्चे भी हुए लेकिन गृहस्थ जीवन में रहकर भी वे ईश्वर की भक्ति में लीन रहते थे।

कबीर की शिक्षाएँ-सन्त कबीर की प्रमुख शिक्षाएँ इस प्रकार हैं:
1. ईश्वर एक है, उसका कोई आकार नहीं है। कथन है कि-‘हिन्दु तुरक का कर्ता एकता गति लिखी न जाई।

2. ईश्वर सर्वव्यापक है। मूर्ति-पूजा से कोई लाभ नहीं। उसे पाने के लिए मन की पवित्रता आवश्यक है।

3. ईश्वर को पाने के लिए गुरु की अत्यन्त आवश्यकता है। यदि ईश्वर अप्रसन्न हो जाए तो गुरु के सहारे उसे फिर पाया जा सकता है, किन्तु यदि गुरु रूठ जाए तो कहीं भी सहारा नहीं मिलता (हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर)।

4. कबीर जाति-पाँति के भेद-भाव को स्वीकार नहीं करते थे उनका विश्वास था कि जाति के आधार पर कोई छोटा या बड़ा नहीं हो सकता। कबीर ने ब्राह्मणों की जाति को ऊँचा मानने से साफ इन्कार कर दिया था।

5. कबीर व्यर्थ के रीति-रिवाजों को आडम्बरों के विरोधी थे। उन्होंने पूजा-पाठ, रोजा-नमाज, तीर्थ-यात्रा और हज आदि का विरोध किया है। उन्होंने मुसलमानों की नमाज का विरोध करते हुए लिखा है:

“काँकर पाथर जोरि के, मसजिद लई चुनाय।
ता चढ़ि मुल्ला बाँग दे, बहरा हुआ खुदाय।” इसी तरह उन्होंने हिन्दुओं की मूर्ति-पूजा का भी विरोध किया:

“पाहन पूजे हरि मिलै, तो मैं पूजें पहार।
ताते या चाकी भली, पीस खाय संसार ”

6. कबीर कर्म-सिद्धान में विश्वास रखते थे। उनका विश्वास था कि प्रत्येक व्यक्ति को उसके अच्छे या बुरे कर्म का फल अवश्य भुगतना पड़ेगा। उनके शब्दों में:

“कबिरा तेरी झोपड़ी, गलकटियन के पास।
जो करे सो भरे, तू क्यों भया उदास।

7. कबीर सभी धर्मों की एकता में विश्वास रखते थे। उनके अनुसार हिन्दू-मुसलमान में कोई भेदभाव नहीं है। उनके अनुसार दोनों की मौजल एक ही है, केवल रास्ते अलग-अलग हैं। इस प्रकार कवीर ने जाति-भेद का विरोध किया, कुसंग की निन्दा की तथा साधना और प्रेम पर बल दिया। उन्होंने गुरु को गोविन्द (ईश्वर) के समान मानः। उन्होंने हिन्दू-मुसलमान दोनों के आडम्बरों का विरोध किया। उनमें बैर-विरोध कम करके एकता की स्थापना की। डॉ० ताराचन्द के अनुसार, “कबीर का उद्देश्य प्रेम के धर्म का प्रचार करना था, जो धर्मों और जातियों के नाम पर पड़े भेदों को मिटा दे।” अत: डॉ० बनर्जी ने ठीक ही लिखा है कि “कबीर मध्यकाल के सुधारक मार्ग के पहले पथ-प्रदर्शक थे, जिन्होंने धर्म के क्षेत्र में हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए सक्रिय प्रयास किया।”

(II) गुरु नानक:
सिक्ख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्म 1469 ई० में रावी नदी के तट पर स्थित एक गाँव जलवण्टी में हुआ। इनके पिता का नाम मेहता कालूराम और माता का नाम तृप्ता देवी था। इनका विवाह बचपन में ही कर दिया गया था। पिता के व्यवसाय-का लेखा-जोखा तैयार करने का प्रशिक्षण फारसी में दिया गया। आपके दो पुत्र भी हुए जिनका नाम श्रीचन्द और लक्ष्मीचन्द था। नानक जी का झुकाव अध्यात्मवाद की ओर था। उन्हें साधु-सन्तों की संगति अच्छी लगती थी। कुछ समय बाद उन्हें सच्चा ज्ञान प्राप्त हुआ।

उन्होंने मानवता को सच्ची राह दिखाने के लिए दूर-दूर तक यात्राएँ की जिन्हें सिक्ख धर्म में ‘उदासियाँ’ कहा जाता है। कहा जाता है कि वे सारे भारत के अतिरिक्त श्रीलंका, बर्मा, चीन और अरब (मक्का और मदीना) भी गए लेकिन जीवन के अंतिम दिनों में वे गुरदासपुर जिले के करतारपुर गाँव में बस गए। वे काव्य रचना करते थे और उनके शिष्य मरदाना और बाला, सारंगी व रबाब बजाते थे। उन्होंने करतारपुर में यात्रियों के लिए धर्मशाला बनवाई और अपने शिष्यों में समानता लाने का प्रयास किया। 1539 ई० में उनका देहांत हो गया।

कबीर की तरह गुरु नानक ने भी एकेश्वरवाद पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ईश्वर के स्मरण और उसके प्रति भक्ति से ही मुक्ति मिल सकती है। वे ईश्वर की निकटता पाने के लिए व्यवहार और चरित्र की पवित्रता पर बहुत बल देते थे। मार्गदर्शन के लिए उन्होंने गुरु की अनिवार्यता पर भी बल दिया। कबीर की तरह वे भी मूर्ति-पूजा, तीर्थ-यात्रा तथा धार्मिक आडम्बरों के विरोधी थे। उन्होंने मध्यम मार्ग पर बल दिया। वे गृहस्थ जीवन के पक्षपाती थे। उन्होंने उदारवादी दृष्टिकोण अपनाया तथा शान्ति, सद्भावना और भाई-चारे की भावना द्वारा हिन्दू-मुस्लिम एकता की स्थापना की। इस प्रकार, कबीर और नानक ने एक ऐसा जनमत तैयार किया जो शताब्दियों तक धार्मिक उदारता के लिए प्रयत्नशील रहा।

प्रश्न 4.
भक्ति आंदोलन के उदय के कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भक्ति आंदोलन के उदय के कारण-भक्ति आंदोलन के उदय के कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
1. हिन्दू धर्म का विघटन (Degeneration of Hindusim):
मध्ययुग में हिन्दू धर्म में अनेक बुराइयाँ आ चुकी थीं। धर्म अपनी पवित्रता और प्रभाव खो चुका था। अन्धविश्वास, रूढ़िवाद, आडम्बर और जातिवाद में लोगों का विश्वास बढ़ता जा रहा था। ब्राह्मण, भ्रष्ट और निर्दयी हो चुके थे। वे जनता का अधिक से अधिक शोषण करते थे। इन बुराइयों के विरुद्ध कुछ लोगों ने साहसी कदम उठाया और इस प्रकार भक्ति आंदोलन का श्रीगणेश हुआ।

2. इस्लाम धर्म का खतरा (Danger from Islam):
भारत में मुस्लिम शासन के कारण इस्लाम धर्म का प्रचार तेजी से हो रहा था इसके कारण हिन्दू धर्म समाप्त हो जाने का खतरा उत्पन्न हो गया था। इस्लाम-धर्म के सिद्धांतों ने एक ईश्वर और भाई-चारे के सिद्धांत का प्रचार किया। इन सिद्धांतों ने भारत के अधिसंख्यक निम्नवर्ग को बहुत अधिक प्रभावित किया। इस खतरे से हिन्दू धर्म को बचाने के लिए कुछ सुधारकों ने अपना कार्य शुरू कर दिया।

3. मुस्लिम शासन (Reign of Muslims):
भक्ति-आंदोलन के उदय का एक प्रमुख कारण मुस्लिम शासन था। धीरे-धीरे मुसलमान भारत में स्थायी रूप से बस गये और उन्होंने हिन्दुओं पर शासन करना शुरू कर दिया। जब उनका स्थायी राज्य स्थापित हो गया तो हिन्दू जनता उन्हें बाहर निकालने में असमर्थ हो गयी। ऐसी स्थिति में दोनों के सम्पर्क बढ़ने लगे। इस सम्पर्क को बढ़ाने वाले सन्त थे।

4. सूफी संत (Sufi Saint):
इस समय सूफी संतों जैसे ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती, निजामुद्दीन औलिया और नसीरूद्दीन चिराग-ए-दिल्ली आदि के कारण सूफी प्रभाव बढ़ता जा रहा था। इन्होंने कट्टर मुस्लिम विचारों पर अंकुश लगाया। इनके प्रभाव से भारत में सगुण-भक्ति विचारधारा को बल मिला।

5. भक्ति मार्ग को अपनाया (Selection of Bhakti Marg):
इस्लामी खतरे का सामना करने के लिए हिन्दू सुधारकों ने भक्ति मार्ग की शिक्षा को अपना प्रमुख सिद्धांत बनाये रखा। मोक्ष के तीन मार्गों-ज्ञान मार्ग, कर्म मार्ग और भक्ति मार्ग में सबसे सरल भक्ति मार्ग ही था। इसलिए मध्ययुग के धार्मिक सुधारकों ने इसी मार्ग पर जोर दिया।

प्रश्न 5.
भारत में सूफी सिलसिले पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत में सूफी:
सिलसिले (Sufi Order in India):
भारत में 13 वीं और 14 वीं शताब्दी में चिश्ती और सुहरावर्दी सिलसिले अधिक प्रचलित थे और इनके अनुयायियों की संख्या भी काफी थी।

चिश्ती सिलसिला (the Chisti Order):
भारत में चिश्ती की स्थापना का श्रेय ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती को जाता है। इनका जन्म 1142 ई० में मध्य एशिया में हुआ। 1192 ई० में वे भारत आये और कुछ समय लाहौर और दिल्ली में रहने के बाद अजमेर में आबाद हो गये जो उस समय एक महत्त्वपूर्ण राजनीतिक केन्द्र था। उनके स्वतंत्र विचारों का प्रचार बहुत जल्दी हुआ और उनके अनुयायियों की संख्या में दिन-प्रतिदिन वृद्धि होती गई।

उनकी मृत्यु 1223 ई० में हुई। आज भी हजारों मुसलमान हर साल अजमेर में उनकी दरगाह पर जाते हैं। उनके शिष्यों में शेख हमीमुद्दीन और ख्वाजा बख्तियार उद्दीन काकी के नाम उल्लेखनीय हैं। काकी के शिष्य फरीदउद्दीन-गंज-ए-शंकर थे जिन्होंने पंजाब अपना केन्द्र बनाया। इन सन्तों ने अपने आपको राजनीति, शासकों तथा सरकारों से सदा दूर रखा। वे निजी सम्पत्ति नहीं रखते थे।

चिश्ती सन्तों में निजामुद्दीन औलिया और नसीरुद्दीन चिराग-ए-दिल्ली के नाम विशेषकर उल्लेखनीय हैं। उन्होंने दिल्ली को अपने प्रचार का केन्द्र बनाया। निजामुद्दीन औलिया सादा और पवित्र जीवन, मानववाद, ईश्वरीय प्रेम, अध्यात्मिक विकास एवं गीत-संगीत (सभा) पर बल देते थे। निम्न वर्ग के लोगों से विशेष सहानुभूति रखते थे। धर्म-परिवर्तन में वे विश्वास नहीं रखते थे। नसीरुद्दीन ने भी इस सिलसिले की उन्नति में बहुत योगदान दिया। उनकी मृत्यु के बाद दिल्ली में उनका प्रभुत्व कम होने लगा। तत्पश्चात् उनके शिष्यों ने उनके सिद्धांतों का प्रचार दक्षिणी और पूर्वी भारत में किया।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
संत कवियों के विवरण का स्रोत क्या है?
(अ) अभिलेख
(ब) महाकाव्य
(स) उनकी मूर्तियाँ
(द) अनुयायियों द्वारा लिखी गयी जीवनियाँ
उत्तर:
(द) अनुयायियों द्वारा लिखी गयी जीवनियाँ

प्रश्न 2.
लोग जजिया कर क्यों देते थे?
(अ) सुल्तान का खजाना भरने के लिए
(ब) सुल्तानों का संरक्षण प्राप्त करने के लिए
(स) सुल्तान के भय से
(द) राज्य निष्कासन से बचने के लिए
उत्तर:
(ब) सुल्तानों का संरक्षण प्राप्त करने के लिए

प्रश्न 3.
रेडफील्ड कौन था?
(अ) समाजशास्त्री
(ब) इतिहासकार
(स) राजनेता
(द) समाज सुधारक
उत्तर:
(अ) समाजशास्त्री

प्रश्न 4.
तांत्रिक पूजा पद्धति में पूजा की जाती है?
(अ) देवताओं की
(ब) देवियों की
(स) दोनों की
(द) दानवों की
उत्तर:
(ब) देवियों की

प्रश्न 5.
चतुर्वेदी का क्या अर्थ है?
(अ) हवन कुंड के चारों ओर बनी वेदी
(ब) चतुर वैद
(स) चारों वेदों का ज्ञाता
(द) विष्णु का पुजारी
उत्तर:
(स) चारों वेदों का ज्ञाता

प्रश्न 6.
करइक्काल अम्मइयार किससे संबंधित थी?
(अ) इस्लाम
(ब) भक्ति परम्परा
(स) अलवर
(द) नयनार
उत्तर:
(द) नयनार

प्रश्न 7.
नयनार संत बौद्ध और जैन धर्म को किस दृष्टि से देखते थे?
(अ) प्रेम
(ब) सौहार्द
(स) घृणा
(द) विरोधी
उत्तर:
(द) विरोधी

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में शिव मंदिर कहाँ नहीं है?
(अ) भीतरी
(ब) चिदम्बरम्
(स) तंजावुर
(द) गंगा कोडाचोलपुरम्
उत्तर:
(अ) भीतरी

प्रश्न 9.
किसका संबंध ब्राह्मणीय परम्परा से था?
(अ) नाथ परम्परा
(ब) भक्ति परम्परा
(स) जोगी परम्परा
(द) सिद्ध परम्परा
उत्तर:
(ब) भक्ति परम्परा

प्रश्न 10.
इस्लाम का उद्भव कब हुआ?
(अ) 10 वीं शताब्दी
(ब) 9वीं शताब्दी
(स) सातवीं शताब्दी
(द) छठी शताब्दी
उत्तर:
(स) सातवीं शताब्दी

प्रश्न 11.
जाजिया कर कौन देता था?
(अ) मुस्लिम वर्ग
(ब) गैर मुस्लिम वर्ग
(स) दोनों वर्ग
(द) कोई नहीं
उत्तर:
(ब) गैर मुस्लिम वर्ग

प्रश्न 12.
मालाबार तट पर बसे मुसलमान व्यापारियों की भाषा क्या थी?
(अ) उर्दू
(ब) अरबी
(स) तमिल
(द) मलयालम
उत्तर:
(द) मलयालम

प्रश्न 13.
पारसीक कहाँ के रहने वाले थे?
(अ) तजाकिस्तान
(ब) सीरिया
(स) फारस
(द) काबुल
उत्तर:
(स) फारस

प्रश्न 14.
खानकाह का नियंत्रण कौन करता था?
(अ) शेख
(ब) मुरीद
(स) खलीफा
(द) संत
उत्तर:
(अ) शेख

प्रश्न 15.
ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह कहाँ है?
(अ) दिल्ली
(ब) अजमेर
(स) पाकिस्तान
(द) ईरान
उत्तर:
(ब) अजमेर

Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 11 A Marriage Proposal

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Rainbow English Book Class 12 Solutions Chapter 11 A Marriage Proposal

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Bihar Board Class 12 English A Marriage Proposal Text Book Questions and Answers

A. Work in small groups and discuss the following :

A Marriage Proposal Question Answer Bihar Board Class 12 English Question 1.
How are marriages settled in your family ?
Answer:
Marriages in our family are settled in the customary manner by the elders. However the consent of the bride/bridegroom is assured.

The Marriage Proposal Questions And Answers Bihar Board Class 12 English Question 2.
What are the major factors that decide the relation of brides/ grooms ?
Ans
Bride: The following factors are important: good looking, education, age, status of the family.
groom: education, income of the boy, status of the family, age

B. 1.1. Read the following sentences and write T’ for true and ‘F’ for false statements :

  1. Lomov is a neighbour of the Stepanovnas.
  2. He wore the morning coat to attend a party.
  3. Mr. Choobookov becomes angry To know Lomov’s desire.
  4. Lomov is a man of nervous temperament
  5. Natalia is a quiet and peace loving lady.
  6. The ownership of Ox-meadows is disputed.

Answer:

  1. T
  2. F
  3. F
  4. T
  5. F
  6. T

B. 1.2. Answer the following questions briefly :

The Proposal Question Answer Class 12 Bihar Board English Question 1.
How is Lomov greeted by Choobookov ?
Answer:
Choobookov is surprised to see Lomov dressed in formal clothes. He thinks Lomov is going to a party. But he greets him cordially.

The Proposal Question Answer Class 12 Bihar Board English Question 2.
How does Choobookov react when he comes to know that Lomov wants to marry Natalia ?
Answer:
Choobookov is truly overjoyed when he learns that Lomov wants to marry his daughter Natalia. He says that he has wished to happen it for a long time. He embraces and kisses Lomov.

A Marriage Proposal Short Question Answer Bihar Board Class 12 English Question 3.
Why does Lomov think that his is a critical age ?
Answer:
Lomov is already thirty-five. He is still unmarried. He thinks his is a critical age because if he does not get married soon he will never be able to marry.

The Proposal Class 12 Long Questions And Answers Bihar Board Question 4.
Why does Lomov feel nervous before proposing to Natalia ?
Answer:
Primarily Lomov is a man of nervous temperament. Then, he is not sure whether Natalia will accept him. He feels nervous before proposing to her as if he is going to take the final examination.

The Proposal Class 10 Questions And Answers Bihar Board Question 5.
Why is Natalia afraid that all her hay may rot ?
Answer:
Natalia has had all her meadow mown. But it has started raining. The hay may not get dried without the sun. It is likely to rot. So she is worried.

Bihar Board Rainbow English Book Class 12 Pdf Download Question 6.
What according to her, is the real worth of Ox meadows ?
Answer:
Natalia thinks that the Ox-meadows are worth about three hundred rubles.

Bihar Board Class 12 English Book Solution Question 7.
Who, according to Lomov, had let the meadows and to whom ?
Answer:
According to Lomov the meadows were lent by his aunt grandmother to the peasants of Natalia’s great grandfather for an indefinite period without any payment.

B. 2.1. Read the following sentences and write T for true and ‘F’ for false statement :

  1. Choobookov supports Lomov’s claim over Ox- meadows.
  2. His peasants used the land for forty years.
  3. It is Natalia who threatens to take the matter court.
  4. She does not use abusive language of Lomov.
  5. She feels delighted to have behaved decently with Lomov.

Answer:

  1. F
  2. F
  3. F
  4. F
  5. F

B.2.2. Answer the following questions briefly :

The Proposal Class 12 Questions And Answers Bihar Board Question 1.
What is Lomov’s explanation of Ox-meadow becoming a disputed piece of land ?
Answer:
Lomov tells Natalia that his aunt’s grandmother lent the Ox-meadows to the peasants of her great-grandfather for free use. They used it for forty years, and then, they began to treat it as their own. This caused the dispute.

Class 12th English Book Bihar Board Question 2.
What does Choobookov say about Lomov’s father and grandfather ?
Answer:
Choobookov says that Lomov’s father was a gambler and ate like a pig and his grandfather drank like a fish.

Rainbow Part 2 English Book Class 12 In Hindi Bihar Board Question 3.
Why does Lomov refer to the land settlement ?
Answer:
Lomov refers to the land settlement to assert that now there is no dispute about the Ox-meadows. They rightfully belong to him.

Bihar Board Solution Class 12th English Question 4.
Why does he complain all the time of palpitation and veins throbbing ?
Answer:
Lomov is a very excitable person. Whenever there is an argument, he gets excited. His heart begins to palpitate and his nerves begin to throb. He feels like having a heart stroke.

Rainbow English Book For Class 12 Solutions Bihar Board Question 5.
Why does Natalia cry and weep to know that Lomov has come to propose to her ?
Answer:
Natalia is already twenty-five years old. She is still unmarried. Probably nobody has proposed to her. She is eager to married. She weeps and cries because she feels that she is losing her chance to marry Lomov too.

B.3.1. Read the following sentences and write ‘T’ for true and ‘F’ for false statements :

  1. Lomov refuses to come back to Natalia.
  2. The name of Lomov’s dog is Leap.
  3. Choobookov bought his dog for eighty five ‘rubbles’ rubles.
  4. According to Lomov, Leap is pug-jawed.
  5. Lomov claims to have the memory of an elephant.
  6. Choobookov thinks that Lomov is possessed by some ‘demon of contrandiction’.
  7. Lomov faints when he realises that he will not succeed in marrying Natalia.
  8. Choobookov takes the lead to settle the marriage of his daughter with Lomov.

Answer:

  1. F
  2. F
  3. T
  4. T
  5. F
  6. F
  7. F
  8. T

B.3.2. Compelete the following sentences on the basis of the unit you have just studied :

(a) It is not very nice of you to …………… your neighbours.
(b) Do you think I may …………… on her accepting me ?
(c) I’m always getting terribly …………… up.
(d) I was so greedy that I had the whole meadows ……………
(e) I have had the of …………… knowing your family.
(f) Your Leap …………… behind by half a mile.
(g) You only tag along in order to …………… with other people’s dogs.

Answer:

(a) cheat
(b) count
(c) wrought
(d) mown
(e) honour
(f) lagged
(g) meddle

B. 3.3. Answer the following questions briefly :

12th English Book Writer Name Bihar Board Question 1.
Why does Natalia want to talk about something else ?
Answer:
Natalia wishes that Lomov should propose to her immediately. So she tries her best to avoid any further arguments on Ox-meadows. She wants to avoid a quarrel.

A Marriage Proposal Summary Bihar Board Question 2.
What, according to Lomov, is the main defect of Leap ?
Answer:
According to Lomov, Leap is pug-jawed, which makes him a poor hunting dog.

The Proposal Question Answer Bihar Board Question 3.
How does Natalia describe her own pet dog, Leap ?
Answer:
Natalia proudly describes her Leap as a pedigreed greyhound. She says Lomov’s Guess is piebald. So her Leap is a hundred times superior to Lomov’s Guess.

A Marriage Proposal Bihar Board Question 4.
‘That’s a load off my back.’ What is this ‘load’ ? Why does Choobookov say so ?
Answer:
Choobookov is the father of a 25-year old daughter, Natalia. He was keen that she should be married off as early as possible. But it was not easy. He considered this responsibility as a load on her back. Now she is married to Lomov, he feels relieved. The load is off his back.

C. 1. Long Answer Questions:

Question 1.
On the basis of your reading of scene I, do you think that Lomov and Choobookov are cordial neighbours ?
Answer:
Yes, I think that Lomov and Choobookov are cordial neighbours When Lomov calls at Choobookov, the later welcomes him. He calls him his esteemed neighbour. He rather complains that Lomov has almost neglected him because he has paid a visit after a long time. Lomov on his part admires Choobookov. He says that Choobookov has always been kind and helpful to him.

Question 2.
Write a short note on the character of Lomov on the basis of his self-revelation in scene II ?
Answer:
Lomov is an old bachelor. He is thirty-five and has not been able to decide who to marry. Probably he has been looking for an ideal woman to marry. He is unable to take a firm decision. He suffers from a number of serious ailments. He suffers from palpitations of the heart and throbbing of veins and eyelids. He is also shy and lacks confidence. He is afraid that Natalia may not accept him.

Question 3.
Are Lomov and Natalia really interested in laying claim to Ox- meadows ?
Answer:
Lomov and Natalia don’t seem to be actually interested in laying claim to the Ox-meadows. As Natalia says it is not worth much. The meadows are lying neglected for a long time. But it is the vanity of both Lomov and Natalia to lay claim to it. Both of them are willing to gift it to each other. But they say as a matter of principle, they cannot allow anyone to take them away because they are their property. In this quarrel they forget the more serious and urgent matter—the marriage proposal. Any how when Natalia learns that Lomov has come to propose to her she says to him that she was mistaken. The meadows belong to him. But Lomov again harps on his claim to them. He is not willing to let the matter rest there because of his vanity.

Question 4.
Do you think that Natalia was also interested in marrying Lomov ? What makes you think so ?
Answer:
Yes, Natalia is very much interested in marrying Lomov. She has had a serious quarrel with him because she does not know he has come to propose to her. But when he has gone and her father tells her the real motive of Lomov a visit, Natalia goes hysterical. She moans and wails. She asks her father to bring him back because she wants to accept him at once.

When Lomov has come back, he begins to talk of the meadows, she wishes he talked of the proposal instead. She gives up her claim to the meadows. She is eager not to lose her suitor. After all she is twenty-five years old and does not want to remain unmarried all her life. When Lomov kisses her, she says, “I’m very happy.”

Question 5.
Despite his heated arguments with Lomov, Choobookov in the last scene shows haste in finalising the marriage. What could be the reason of his haste?
Answer:
Choobookov is over worried about his old daughter Natalia’s marriage. He is eager that she is married off without any further delay. When he learns that Lomov has come to propose to her, he is overjoyed. He embrances and kisses Lomov. He calls him his son. He assures him that Natalia will accept him.

Unluckily Lomov and Natalia are easily excited. They quarrel over the question of the ownership of the meadows. When Choobookov hears the noise, he immediately rushes to see what the matter is. But he supports his daughter and thus the real purpose of Lomov’s visit is lost. But when Lomov is gone, and he tells Natalia that Lomov wanted to propose to her, she blames Choobookov for the quarrel. She asks him to bring him back. He feels like killing himself.

Lomov comes again. Once again they quarrel over the superiority of their dogs. Once again Choobookov supports his daughter.

But Lomov is too excited and he collapses. Once again Natalia weeps because the chances of. her marriage seem to have gone forever.

When Lomov regains consciousness Choobookov does not lose the opportunity to get them married. He hastily joins their hands, and makes them kiss each other. He is happy because the burden is off his back. Now he can live in peace.

Question 6.
Do you think the title of the drama is suitable ? Give reasons in support of your views. Suggest a different title of the drama ?
Answer:
The contents of the play do not justify the title. We find there is no marriage proposal, there is no love-talk, and there is no acceptance or refusal by the lady-love. Instead we find that the young man is an old bachelor who suffers from a number of ailments. The lady is not a young charming woman but a grown up woman of twenty-five.

Lomov shyly tells Choobookov that he has come to propose to his daughter Natalia. But when Lomov and Natalia are together they exchange no sweet words like love-birds. Instead they begin to quarrel over the ownership of the Ox-meadows. Choobookov who knows the purpose of Lomov’s visit, does not try to pacify them. Instead he supports his daughter and the quarrel takes a serious turn. Poor Lomov is excited, his heart palpitates and he leaves. But neithbour Choobookov nor Natalia show mercy on him.

But soon Natalia learns the purpose of his visit. She wails and asks her father to bring him back.

Shemeless Lomov comes back. This time Natalia is soft and sweet. She wants him to propose so that she may accept him immediately. But both Natalia and Lomov are vain to the core. They begin to quarrel over an insignificant matter, the superiority of their respective dogs. They have no restraint. They do not think of the actual questions—the marriage proposal. Neither Lomov proposes nor Natalia accept him. It is Choobookov who appears to be more concerned.

Lomov is almost dead and Natalia is hysterical. When Lomov regains consciousness. Choobookov joins their hands though they are still quarrelling.

In fact the title of the play is far from being suitable. The title of the play should be ‘A comedy of Human Vanity’.

Question 7.
Natalia and lomov would be an ideal couple Do you agree? Give reasons
Answer:
The basic requirement of an ideal couple is mutual respect, understanding and sacrifice. But Natalia and Lomov are made of a different stuff. Both of them have obstinate vanity. They are not willing to yield a bit. For example, the Ox-meadows are a worthless piece of land. It is disputed. Both Lomov and Natalia lay their claim to it. Lomov is prepared to take the matter to a court of law to prove his claim. On the other hand Natalia asks her father to send men to mow the meadow immediately. Both of them call each other names, Lomov is about to faint but he goes on repeating how it belonged to his aunt’s grandmother.

This matter ends. But they again begin to quarrel over the superiority of their dogs. It is an insignificant matter but both Natalia and Lomov make it a question of life and death. Even after they are engaged, the quarrel continues. Neither of them is willing to yield or be quiet. This qurrel, and many more quarrels like these, will adorn their married life. They will continue to quarrel over trifles. But, since both need each other, they will live together. But they will be far from being an ideal couple.

C. 2. Group Discussion

Discuss the following in groups or pairs :

Question 1.
Arguments for the sake of arguments lead to nowhere.
Answer:
Humans are the only creation of God that are endowed with a faculty or reasoning and a sophisticated language. They are great blessings. All human civilizations and progress are the result of these. Science and philosophy, literature and commerce couldn’t have been developed without power of reasoning and communicated from person to person, and generation to generation without language. But human have one terrible weakness. Sometimes they would argue for its own sake. They would not given in even though they have no substantial basis to support their point. Such arguments can be continued for as long as they desire. But they lead to nowhere.

Question 2.
Marriages are settled in heaven but are solemnised on the earth.
Answer:
Much can be said in favour and gainst this statement. Most people believe that it is perfectly true. There is a destiny that decides marriages. It is not a unilateral matter. You cannot marry a person without the consent of the other. People say that try however hard you may. You are sure to tie the knot with the person you are destined to. But there are some people who do not agree with this. They say if marriages were settled in heaven, why there are divorces. Marriage is a social custom. It binds two persons together in a special manner. Divorce, like marriage is also a social custom. Marriages and divorces are social and legal matters. They are the inventions of our civilication. We could do without marriage. But if we did, it would lead to social chaos. But heaven has nothing to do with marriages and divorces.

C. 3. Composition

Question 1.
Write a short essay in about 150 words on the following:

Question a.
Role and responsibility of parents in marriage.
Answer:
Role and responsibility of parents in marriage of their children varies from society to society and culture to culture. In the East parents were supposed to have the fullest responsibility in the marriage of their children. In India, the marriage of daughter was a sole and grave responsibility of the parents. As a girl reached marriageable age, parents had sleepless night. The girl’s father would go about looking for a suitable match for her. He tried his best. In several cases he had to in debts or sell his land to give dowry and fulfil other social and religious obligations. In olden days the girl in question has no say in the matter of her own marriage.

But now things have changed much. First, the social fabric, especially in towns and cities, has greatly changed. Secondly, joint familier do not exist. Thirdly the boys and girls enjoys far more indepedence than ever before. So the role and responsiblity of parents are very little. According to the latest trends, boys and girls choose their own partners, and parents consent is a formality.

Question b.
Social relevance of marriage.
Answer:
Marriage in human society is of paramount relevance. In fact the institution of marriage has deep roots in our civilizaiton. It will be no exaggeration to say that marriage and civilization evloved together. And human society will be no better than a herd of animal without marriage. Our laws of inheritance, the responsibility of parents towards children, and children’s responsiblity towards parent are the offshoots of the institution of marriage. There are some philosophers like G.B. Shaw who advocate the abolition of marriage. They want the government to take the responsibility of bringing up children and looking after the aged. But it is only a theoretical idea. It is not practicable. Marriage is recognised in every culture and has the sanctity of all religions. Marriage is not a matter between two persons only. It is the basis of the family, and the family is the basis of society.

Question 2.
Write a letter to your friend describing the marriage ceremony that you attended recently in your family.
Answer:

ASHOK RAJPATH
Patna
My 25,200.

Dear Rishiksh

I hope my letter finds you in the pink of your health. Recenlty, I visited my cousin’s house to attend the marriage ceremony of my cousin sister. Everywhere it was happiness. All were busy in arranging things and enjoying each moment of it. All wanted to be an important part of it. All relatives had come. Many rituals were performed. The marriage was conducted with great pomp and show. We really enjoyed it very much. Howevei all were weeping at her departure to her new house.

Give my regards to elders and love to youngers.

Yours lovingly
Shashank sinha

D. Word Study

D. 1. Dictionary Use :

Ex. 1. correct the spelling of the following words :
Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 11 A Marriage Proposal 1
Answer:
Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 11 A Marriage Proposal 2
D. 2. Word-formation

Go through the drama and underline the use of the following words, wherever they occur.

land-garbber windbag countryside horseback house keeper These are compound words, made by joining two words. Make at least five similar words, using the following ones :
air college right cyber young
Answer:
fresh air, women’s college, night mare, cybercafe, young mountains

D. 3. Word-meaning

Ex. 1. Fill in the blanks with suitable phrases given in the box :
Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 11 A Marriage Proposal 3

(a) Snighdha’s intelligence made her to her classmates.
(b) It time of crisis you may your friends.
(c) We must the glorious tradition of the past.
(d) I advised Ankita to a doctor.
(e) You should your mind before joining the army.
(f) Shylock was Antonio’s popularity.
(g) We were asked to our aim in life.
(h) Priya is not such severe cold.

Answer:

(a) superior
(b) call on
(c) talk about
(d) run after
(e) make up
(f) envious of
(g) talk about
(h) accustomed to

E. Grammar

Ex. 1. The following verbs in their past participle forms have been used an adjectives in the drama. Go through the text and underline them wherever they have been used as ajectives.
Bihar Board Class 12 English Book Solutions Chapter 11 A Marriage Proposal 4
use each of these words both as verb and adjective in sentences of your own. The first one is done for you:
esteemed (v): Tendulkar is esteemed as the best batsman.
esteemed (adj): He is my estmeed neighbour.
Answer:
delighted (v): He is delighted of the news.
delighted (adj): This is delighted experience.
inherited (v): He has inherited this house.
inherited (adj): It is an inherited property.
maintained (v): They have maintained their norms.
maintained (adj): It is a maintained house.
mistaken (v): He has mistaken them sum.
mistaken (adj): It is a mistaken happiness.
disputed (v): They have disputed over the matter.
disputed (adj): They were discussing the disputed matter.
paralyzed (v): They paralyzed the scorpion.
paralyzed (adj): It is a paralysed dog.
accustomed (v): He is accustomed of such situation.
accustomed (adj): This is an accustomed rituals.
abused (v): They have abused him.
abused (adj): This is an abused house.
insulted (v): He has insulted me.
insulted (adj): He is an insulted person.
twisted (v): They have twisted the matters.
twisted (adj): It is a twisted rod.

The main aim is to share the knowledge and help the students of Class 12 to secure the best score in their final exams. Use the concepts of Bihar Board Class 12 Chapter 11 A Marriage Proposal English Solutions in Real time to enhance your skills. If you have any doubts you can post your comments in the comment section, We will clarify your doubts as soon as possible without any delay.

Bihar Board Class 12 English Book Solutions Poem 9 Snake

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Rainbow English Book Class 12 Solutions Poem 9 Snake

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Bihar Board Class 12 English Snake Text Book Questions and Answers

B. 1.1. Write T for true and F for false statements

(a) It was a hot day when the thirsty snake came to drink water.
(b) The speaker was in a haste to drink water.
(c) The colour of the snake was yellow-black.
(d) The speaker considered himself a second comer to the trough.
Answer:
(a) T (b) T (c) F (d) T.

B.1.2. Answer the following questions briefly 

Snake Question Answer Bihar Board Class 12 Question 1.
Where did the speaker meet the snake?
Answer:
The speaker met the snake near water trough of his house. It had come there to drink water. The speaker had also went there for the same purpose i.e. for drinking water.

Snake Questions And Answers Bihar Board Class 12 Question 2.
Why had it come out of its hole near the trough?
Answer:
It had come out of its hole near the trough to drink water because it was too hot and the snake was thirsty.

Snake Poem Questions And Answers Bihar Board Class 12 Question 3.
Why did the speaker decide to wait?
Answer:
The speaker decided to wait because the snake had come first near the water through and he (speaker) was a second-comer.

B. 2.1. Write T for true and F for false statements

(a) The snake looked at the speaker vaguely.
(b) The day mentioned in the poem is that of June.
(c) There was a superstitious belief in Sicily to kill a black snake.
(d) The speaker was glad playing host to a snake.
(e) The snake departed in an obliged way.
(1) The speaker had a desire to talk to the snake.
Answer:
(a) T (b) F (c) F (d) T (e) F (f) T

B.2.2. Answer the following questions briefly 

Snake Dh Lawrence Questions Bihar Board Class 12 Question 1.
How did the snake drink water?
Answer:
The snake went to the water-trough and put his mouth upon the depth (bottom) of that trough. He sipped (drank slowly) the water with its straight mouth.

Bihar Board Rainbow English Book Class 12 Pdf Download Question 2.
What is the meaning of ‘Sicilian July’ with Etna smoking?
Answer:
‘Sicilian July’ with Etna smoking means extreme heat like the one caused when Etna erupted i.e. it was so hot as the volcano Etna in Sicily.

Bihar Board Class 12 English Book Solution Question 3.
What is the belief prevailing in Sicily about a snake?
Answer:
The belief prevailing in Sicily about a snake was that black snakes are innocent, the gold are venomous. So yellow-brown (golden) snake would be killed.

Class 12th English Book Bihar Board Question 4.
Why did the speaker like the snake?
Answer:
The speaker liked the snake because it looked most innocent. It drank the water peacefully for which it came there.

Rainbow English Book For Class 12 Solutions Question 5.
Do you think he had a conflict in mind?
Answer:
Yes, I think that he had a conflict in mind. He was afraid of it and also thought that it was a guest which came to drink water at his house.

B. 3.1. Write T for true and F for false statements 

(a) The speaker found the slow movement of the snake quite impressive.
(b) The speaker did not like the snake going back to the dark hole.
(c) He threw the pitcher at the snake.
(d) He later regretted having hit it.
(e) He compares it to a sea-bird, albatross.
(f) The snake appeared like a king in exile.
Answer:
(a) T (b) T (c) F (d) T (e) T (f) T.

B.3.2. Answer the following questions briefly

Bihar Board Solution Class 12th English Question 1.
What thing about the snake did appeal him most?
Answer:
It came to the poet’s house to drink water as a guest. It came calmly for the purpose and departed peacefully being satisfied, had appealed him most.

Class 12 English Book Bihar Board Question 2.
Why did he not like it going back to the dark hole?
Answer:
The poet did not like it going back to the dark hole because he was just thinking about the snake that it was just like a guest and as such like a god.

English Book For Class 12 Bihar Board Question 3.
What was his reaction after hitting the snake?
Answer:
He (the speaker) regretted after hitting it (snake). He felt that he had done wrong. How mean, how much uncivilized was his act. By doing so he had committed a sin, was his reaction.

Question 4.
Why did the speaker consider it “a king in exile”?
Answer:
The speaker considered it ‘a king in exile’ because it was peaceful and had done nothing wrong with him. He was his guest as well. Its look was like a king in exite. It did not misuse its power.

C. 1. Long Answer Questions

Question 1.
The speaker was fascinated by the snake. Do you think the time mentioned and the place it belonged to has anything to do with fascination?
Answer:
It was an extremely hot summer’s night. The speaker felt thirsty and as such he came out of his room with a pitcher to take water to drink. He saw a snake near the water trough, who had come from a nearby hole for the same purpose i.e. to drink water, after feeling thirsty. Though it was a yellow-brown fierceful cobra with its eyes shinning but its manners were decent. It sipped the water softly and peacefully with its straight gums from the water-trough. Being pacified it returned back to the black hole of the earth, from where it had come. It vaguely looked at the speaker but did no harm. The speaker was so much enchanted with its action and behaviour that he liked its association for some time. He was so admired that he thought it to be his guest. Further¬more, he was so fascinated that it (snake) looked like a god to him. As such the time and the place of its arrival on the scene bears no importance, but its gentle and sober look and behaviour impressed the speaker.

Question 2.
What does he mean by ‘the voice of my education?’
Answer:
It is privilent that snakes become poisonous. If most of them who are poisonous bite a human being, he will not survive and is bound to die. People become frightened it a snake appears before them. As such they kill the snake. Such type of training to kill the snake is being imparted by elderly persons to youngers. Elderly persons instruct their youngsters to kill the snake as and when they happen to see it. Here voice of my education denotes the same meaning to kill the snake when it appears before you. Here there is a special reference, a special meaning of the above term. In Sicily, where the speaker resides, there is a proverb “the black serpant are innocent and the gold (yellow) are poisonous”. This cobra happens to be brown-yellow and ought to be killed.

Question 3.
There was a conflict in the mind of the poet How did he analyse this conflict?
Answer:
Of course, there was a conflict in the poet’s mind when he met with the cobra. The cobra feeling thirsty in the hot summer night had come to drink water in the out-house of his residence. The poet was in the state of confusion regarding his role at that time and situation Several ideas and feelings engulfed his mind, such as

  • was it cowardise that he did not dare to kill it.
  • was it improper, out of his coriosity not to talk with the snake?
  • was it his humble act or feeling of humanity to feel so honoured (The poet had really felt honoured.)
  • and then he remembered the advice of elderly persons that if he was not afraid he would kill it (snake)
  • and feeling of its being a guest too haunted his mind.
  • and for its (snake’s) humbleness and peaceful behaviour, it (snake) appears to him as uncrowned king in exile.

These were the issues of conflict in his mind.

Question 4.
In what roles did he find the snake and himself ? Describe.
Answer:
He (The poet) found the snake and himself in different roles according to the situation. The snake felt thirsty in the hot summer’s night and came out of the hole beneath the earth and moved towards the water-trough in the out¬house of the poet’s residence. Being thirsty, he also came out of his house with a pitcher and found the snake siping wafer from the water trough there. Poet, being the second person to go there thought it proper to wait. He considered the snake as his guest also, who had come there to drink water. He thought it proper to welcome his guest, at his place. The snake was gentle by behaviour according to the poet. It peacefully left the place after getting satisfied and did not cause any harm to him. So, both of them-the poet and the snake very well performed their roles.

Question. 5.
The snake seemed like a king in exile. What are the qualities that makes the snake so majestic?
Answer:
The snake was very sober and peaceful. It quietly came and satisfied its thirst by sipping water and looked around like a god. The poet was highly impressed with its make and gentle behavior. It caused no damage to the speaker nor it attacked on him. Most cordially it returned back to the black hole, through which it had come from. It did not react to the poet’s hitting its body by a stick. So it (snake) seemed to him like an uncrowned king in exile.

Question 6.
What makes you think that hitting the snake was quite against the sensibility of the speaker?
Answer:
Being panicky the speaker picked up an awkward piece of stick and threw it towards the snake which hit its latter part of the body. He thought that it did not hit it (snake). The part of the body left behind convulsed (suddenly shakened) which indicated that the stick had caused injury to its body that left behind. It was shocking to him. He became felt sorry for his indecent and undesirable act. He thought that he had committed a wrong. It shows that hitting the snake was quite against his sensibility.

Question 7.
What is the sin committed by the speaker that he wanted to expiate?
Answer:
A sort of horror and a sort of protest to see the snake, sipping water by its straight mouth from the water trough, compelled him to hit the snake by a stick (log). But immediately after hitting it (snake), the speaker regretted it. He thought that he had done a vulgar, shameful, and mean act. He felt that by doing this he had committed a sin, which he would not have done. He hated on himself and of such human education to kill a snake. He wanted to accept punishment for such ‘sin’.

Question 8.
Give in short the summary of the poem, “Snake”. [B.M. 2009]
Or, Write a short note on the poem, “Snake”.
Answer:
D. H. Lawrence is a noted poet, novelist, essayist, short story writer and letter-writer. In this poem, the poet describes how one night he felt thirsty and got up to drink water. While he was moving towards the tap he found a snake coming out from the fissure of the earth. The poet was fascinated by the look and movement of the snake. Instead of killing it, he began to watch its movement. It moved towards the tap and drank water. Thereafter it began to return towards the hole. A conflict seized the mind of the poet whether to kill the snake or not. In fact, he began to like it. The poet was confused. Sometimes he considered himself a coward, sometimes prevers and sometimes an honurable being. Finally, when the snake entered partly in the hole the poet killed it with a piece of log. The poet is filled with remorse. He considers this act of his as paltry, vulgar, and mean. He condemns human education that prompted him to kill it. The poet remembers and he thinks that he has done an albatross. To him, the snake was like a king in exile. He regrets that he has missed a chance “With o.ie of the Lords of Life”.

C. 3. Composition

Write a short essay in about 150 words on the following:
(a) Human greed and environmental degradation.
Answer:
All our Si mounding together forms our environment. It is the most essential part of our life. Nowadays the environment has degraded a lot. The most important cause of this degradation is human greed. It has increased the pollution to the extent that the earth has come in danger. We are over¬exploiting our resources. This has resulted in the depletion of resources. Harmful gases are spread all around inviting many diseases. So, human need to get aware to eradicate this problem.

(b) Religion teaches tolerance and humility.
Answer:
Religion is known to give a specific identity to one in the society. There are many religions in the world having their different religious customs and belief. All religions have many good qualities in them. All teach us to walk in the path of honesty, love, and humanity. It teaches us the lesson of tolerance and humility. One who is truly a religious person always respects not only his own religion but also other religions. This forms the basis of social development and prosperity. It improves fraternity and strengthens national unity.

D. Word Study :
D.l. Dictionary Use

Ex. 1. Correct the spelling of the following words:
fishure, streight, flikered, muzed, parvarsity, delibarately, convalsed, wreethed, fassination, uncrouned
Answer:
fishure — fissure streight
flikered — flickered
parvarsity — perversity
convalsed — convulsed
fassination — fascination
streight — straight
muzed — muzzed
delibarately — deliberately
wreethed — writhed
uncrouned — uncrowned

D.2. Word-formation

Read the following lines from the poem carefully:
But suddenly that part of him that was left behind cunvulsed in undignified haste. Like a king in exile, uncrowned in the underworld.
In the above lines ‘undignified’ and ‘uncrowned’ have prefix ‘un—’ which make them ‘negative’ in meaning.
Add prefixes ‘un-‘, in-‘, il—’ir’, ‘dis-‘ to the following words and fill in the blanks to complete the sentences given below:
(i) Pragya could not get good marks in the ‘writing test’ because of her……………….. writing fast.
(ii) Man becomes……………….. because of his action.
(iii) His……………….. behavior is not liked by us.
(iv) You cannot win the case by your………………… arguments.
(v) There are still many…………………. planets and stars in the universe.
(vi) His blunt refusal to come was a sign of………………….
Answer:
(i) disability, (ii) immortal, (iii) irresponsible, (iv) unlogical, (v) unknown, (vi) disrespect.

D. 3. Word-meaning

Ex. 1. Read the poem carefully to find out where the following phrases have been used.
looked at, looked around, drew up, put down. left behind, the thought of
Fill in the blanks with appropriate phrases listed above:
(i) Varsha…………………. her papers on the table and went out.
(ii) We could not a…………… better plan.
(iii) He ran slowly and soon was………………all other runners.
(iv) We…………. the painting in admiration.
(v) The acrobat……………. himself before jumping over the rope.
(vi) The thirsty man……………….. in search of water.
Answer:
(i) put down, (ii) drew up, (iii) left behind by, (iv) looked at, (v) drew up, (vi) looked around.

E. Grammar

Ex. 1. Go through the poem carefully and underline the lines where the following words/nouns have been used:
slackness clearness cowardice perversity
hospitality blackness pettiness humility

Q. Change the above words in adjectives and use them in the following sentences:
(i) Mr. John has very…………… ideas on the success of democracy in India.
(ii) …………..men die several times.
(iii) Films should not glorify sex……………. behaviors.
(iv) The sky suddenly turned………………….
(v) He often perturbs his parents with demands.
(vi) Though he occupies a high post, he is quite
(vii) His……………… approach aggravated the problem.
(viii) Mrs. Juber was quite………………. with her guests.
Answer:
(i) clear, (ii) Coward, (iii) slack, (iv) black, (v) petty, (vi) humble, (vii) perversive, (viii) hospitable.

Comprehension Based Questions with Answers

Q.1. Read the following extracts of the poem, “Snake” and answer the questions that follow: [B.M.2009A]
A snake came to my water-trough:

on a hot day, and I in Pyjamas for the heat,
To drink there.
In the deep, strange scented shade of the great dark,
I came down the steps with my pitcher
And must wait, must stand and wait,
for there he was at the trough before me.

5. The voice of my education said to me He must be killed,
For in a Sicily the black, black snakes are innocent, the gold is venomous.
And the voice in me said if you were a man
You would take a stick and break him now, and finish him off.

Questions:
1. What is Sicillian belief?
2. What does the poet mean by “The voice of education”?
3. What does “The voice of education” tell the poet?
4. Why does the poet not kill the snake?
5. What should have he done if he were a man?
Answers:
1. The Sicilian belief is that a black snake must be killed because it is an evil creature.
2. “The voice of education” means a civilized intellectual approach to life as opened to the instinctive approach where man and nature are one.
3. The voice of education tells the poet to kill the snake them and there. It should not be allowed to move freely in the human world.
4. The poet does not kill the snake, going against the voice of education because he loves it, heart and soul.
5. He should have taken a stick and finished the snake off if he were a man.

2. He reached down from a fissure in the earth-wall in the gloom
And trailed his yellow-brown slackness soft-bellied down,
Over the edge of the stone trough
And rested his throat upon the stone bottom,

3. And where the water had dripped from the tap, in a small clearness,
He sipped with his straight mouth,
Softly drank through his straight gums into his long body, silently.
Someone was before me at my water-trough,
And I, like a second comer, waiting.

4. He lifted his head from his drinking, as cattle do,
And looked at me vaguely, as drinking cattle do,
And flickered his two-forked tongue from his lips and mused a moment,
And stooped and drank a little more,
Being earth-brown, earth-golden from the burning bowels of the earth
On the day of “Sicilian July with Etna smoking.

5. The voice of my education said to me He must be killed,
For in a sicily the black, black snakes are innocent, the gold are venomous.
And voice in me said if you were a man
You would take a stick and break him now, and finish him off.

Questions:
1. What is the Sicillian belief?
2. What does the poet mean by “The voice of education”?
3. What does “The voice of education” tell the poet?
4. Why does the poet not kill the snake?
5. What should have he done if he were a man?
Answers:
1. The Sicilian belief is that a black snake must be killed because it is an evil creature.
2. “The voice of education” means civilized intellectual approach to life as opened to the instinctive approach where man and nature are one.
3. The voice of education tells the poet to kill the snake them and there. It shoul not be allowed to move freely in the human world.
4. The poet does not kill the snake, going against the voice of education because he loves it heart and soul.
5. He should have taken a stick and finished the snake off if he were a man.

6. But must I confess how I liked him,
How glad I was he had come like a guest in quiet, to drink at my water- trough.
And depart peaceful, pacified and thankless,
Into the burning bowels of this earth?

7. Was it cowardice, that I dared not kill him?
Was it perversity, that I longed to talk to him?
Was it humility, to feel so honoured?
I felt so honoured.
And yet those voices
“If you were not afraid, you would kill him”.

8. And truly I was afraid, I was most afraid
But even so, honoured still more
That he should seek my hospitality
From out the dark door or the secret earth,

9. He drank enough
And lifted his head dreamily as one who has drunken,
and flickered his tongue like a forked night on the air, so black,
Seeming to lick his lips,
And looked around like a god, unseeing, into the air,
And slowly turned his head,
And slowly, very slowly, as if thrice adream,
Proceeded to draw his slow length curving round,
And climb again the broken bank of my wall-face,

10. And as he put his head into that dreadful hole,
And as he slowly drew up, snake-easing his shoulders and entered farther,
Deliberately going into the blackness, and slowly drawing himself after.
Overcame me now his back was turned.

11. I looked round, I put down my pitcher,
I picked up a clumsy log
And threw it at the water trough with a clatter.

12. I think it did not hit him,
But suddenly that part of him that was left behind convulsed in. undignified haste.
Writhed like lightning, and was gone into the black hole, the earth lipped fissure in the wall front,
At which, in the intense still noon, I stared with fascination.

13. And immediately I regretted it.
I thought how paltry, how vulgar, what a meant act!
I despised myself and the voices of my accursed human education.

14. And I thought of the albatross,
And I wished he would come back, my snake.

15. For he seemed to me again like L king?
Like a king in exile, uncrowned in the underworld,
Now due to be crowned again.

16. And so, I missed my chance with one of the lords of life.
And I have something to expiate:
Pettiness.

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Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 9 प्रगीत और समाज

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions

Bihar Board Class 12th Hindi Book Solutions गद्य Chapter 9 प्रगीत और समाज

 

प्रगीत और समाज वस्तुनिष्ठ प्रश्न

निम्नलिखित प्रश्नों के बहुवैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर बताएँ

प्रगीत और समाज Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 1.
‘प्रगीत’ और समाज, के लेखक हैं
(क) बालकृष्ण भट्ट
(ख) जयप्रकाश नारायण
(ग) नामवर सिंह
(घ) उदय प्रकाश
उत्तर-
(ग)

Prageet Aur Samaj Bihar Board Class 12th Hindi प्रश्न 2.
नामवर सिंह किस पत्रिका के संपादक थे?
(क) आलोचना
(ख) समन्वय
(ग) गंगा
(घ) माधुरी
उत्तर-
(क)

Bihar Board 12th Hindi Book Pdf प्रश्न 3.
‘सूर सागर’ क्या है?
(क) प्रबंध काव्य
(ख) गीति काव्य
(ग) चंपू काव्य
(घ) खंड काव्य
उत्तर-
(ग)

Bihar Board Hindi Book Class 12 Pdf Download प्रश्न 4.
कामायनी किनकी महाकृति है?
(क) बच्चन
(ख) श्यामनारायण पाण्डेय
(ग) नागार्जुन
(घ) जयशंकर प्रसाद
उत्तर-
(घ)

Hindi Gadya Sahitya Ka Itihas Class 12 Bihar Board प्रश्न 5.
नामवर सिंह द्वारा लिखित ‘प्रगीत’ और समाज क्या है?
(क) आलोचना
(ख) निबंध
(ग) एकांकी
(घ) आत्मकथा
उत्तर-
(ख)

Digant Hindi Book 12th Class Bihar Board प्रश्न 6.
“राम की शक्तिपूजा” किनका अख्यानक काव्य है?
(क) मोहनलाल महतो ‘वियोगी’
(ख) दिनकर
(ग) बच्चन
(घ) निराला
उत्तर-
(घ)

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 1.
नामवर सिंह का जन्म स्थान ……… वाराणसी, उत्तर प्रदेश है।
उत्तर-
जीअनपुर

प्रश्न 2.
नामवर सिंह काशी वि. वि. में अस्थायी ……… थे।
उत्तर-
व्याख्याता

प्रश्न 3.
नामवर सिंह का जन्म स्थान 28 जुलाई ……… हुआ था।
उत्तर-
1927 ई. को

प्रश्न 4.
नामवर सिंह को ‘कविता के नए प्रतिमान’ कृति पर साहित्य …….. पुरस्कार मिला था।
उत्तर-
अकादमी

प्रश्न 5.
नामवर सिंह के पिता जी एक ……….. थे।
उत्तर-
शिक्षक

प्रश्न 6.
नामवर सिंह की माता जी …………. हैं।
उत्तर-
वानेशरी देवी

प्रगीत और समाज अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘शेर सिंह का शस्त्र-समर्पण’ किनका आख्यानक काव्य है?
उत्तर-
जयशंकर प्रसाद।

प्रश्न 2.
आचार्य रामचंद्र शुक्ल के काव्य सिद्धान्त के आदर्श क्या थे?
उत्तर-
प्रबंध काव्य।

प्रश्न 3.
किस काव्य में मानव जीवन का एक पूर्ण दृश्य होता है?
उत्तर-
प्रबंध काव्य।

प्रश्न 4.
हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योगदान किनकी कृति है?
उत्तर-
डॉ. त्रिभुवन सिंह।

प्रश्न 5.
नामवर सिंह का जन्म हुआ था।
उत्तर-
28 जुलाई, 1927 ई.।

प्रगीत और समाज पाठ्य पुस्तक के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के काव्य-आदर्श क्या थे, पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर-
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के काव्य सिद्धान्त के आदर्श प्रबंधकाव्य थे। प्रबंधकाव्य में मानव जीवन का पूर्ण दृश्य होता है। उसमें घटनाओं की सम्बद्ध श्रृंखला और स्वाभाविक क्रम से ठीक-ठीक निर्वाह के साथ हृदय को स्पर्श करने वाले, उसे नावा भावों को रसाफक अनुभव करानेवाले प्रसंग होते हैं। यही नहीं प्रबन्ध काव्य में राष्ट्रीय-प्रेम, जातीय-भावना धर्म-प्रेम या आदर्श जीवन की प्रेरणा देना ही उसका उद्देश्य होता है।

प्रबंधकाव्य की कथा चूँकि यथार्थ जीवन पर आधारित होती है इससे उसमें असम्भव और काल्पनिक कथा का चमत्कार नहीं बल्कि यथार्थ जीवन के विविध पक्षों का स्वाभाविक और औचित्यपूर्ण चित्रण होता है। शुक्ल को ‘सूरसागर’ इसलिए परिसीमित लगा क्योंकि वह गीतिकाव्य है। आधुनिक कविता से उन्हें शिकायत थी कि ‘कला कला के लिए’ की पुकार के कारण यूरोप में प्रगीत मुक्तकों का ही चलन अधिक देखकर यहाँ भी उसी का जमाना यह बताकर कहा जाने लगा कि अब ऐसी लम्बी कविताएँ पढ़ने की किसी को फुरसत कहाँ जिनमें कुछ दतिवृत भी मिला रहता हो।

इस प्रकार काव्य में जीवन की अनेक परिस्थितियों की ओर ले जानेवाले प्रसंगों या आख्यानों की उद्भावना बंद सी हो गई। इसीलिए ज्योंही प्रसाद की शेरसिंह का शस्त्र-समर्पण, पेथोला की प्रतिध्वनि, प्रलय की छाया तथा कामायनी और निराला की राम की शक्तिपूजा तथा तुलसीदास के आख्यानक काव्य सामने आए तो शुक्ल जी संतोष व्यक्त करते हैं।

शुक्ल के संतोष व्यक्त करने का कारण है कि प्रबंध काव्य में जीवन का पूरा चित्र खींचा जाता है। कवि अपनी पूरी बात को प्रबलता के साथ कह पाता है। यही कारण है कि रामचन्द्र शुक्ल को काव्यों में प्रबंधकाव्य प्रिय लगता है।

प्रश्न 2.
‘कला-कला के लिए’ सिद्धान्त क्या है?
उत्तर-
‘कला-कला के लिए’ सिद्धान्त का अर्थ है कि कला लोगों में कलात्मकता का भाव उत्पन्न करने के लिए है। इसके द्वारा रस एवं माधुर्य की अनुभूति होती है, इसीलिए प्रगीत मुक्तकों (लिरिक्स) की रचना का प्रचलन बढ़ा है। इसके लिए यह भी तर्क दिया जाता है कि अब लंबी कविताओं को पढ़ने तथा सुनने की फुरसत किसी के पास नहीं है। ऐसी कविताएँ जिसमें कुछ इतिवृत्त भी मिला रहता है, उबाऊ होती है। विशुद्ध काव्य की सामग्रियाँ ही कविता का आनन्द दे सकती हैं। यह केवल प्रगीत-मुक्तकों से ही संभव है।

प्रश्न 3.
प्रगीत को आप किस रूप परिभाषित करेंगे? इसके बारे में क्या धारणा प्रचलित रही है?
उत्तर-
अपनी वैयक्तिकता और आत्मपरकता के कारण “लिरिक” अथवा “प्रगीत” काव्य की कोटि में आती है। प्रगीतधर्मी कविताएँ न तो सामाजिक यथार्थ की अभिव्यक्ति के लिए पर्याप्त समझी जाती हैं, न उनसे इसकी अपेक्षा की जाती है। आधुनिक हिन्दी कविता में गीति और मुक्तक के मिश्रण से नूतन भाव भूमि पर जो गीत लिखे जाते हैं उन्हें ही ‘प्रगति’ की संज्ञा दी जाती है। सामान्य समझ के अनुसार प्रगीतधर्मी कविताएँ नितांत वैयक्तिक और आत्मपरक अनुभूतियों की अभिव्यक्ति मात्र हैं, यह सामान्य धारणा है। इसके विपरीत अब कुछ लोगों द्वारा यह भी कहा जाने लगा है कि अब ऐसी लम्बी कविताएँ जिसमें कुछ इतिवृत्त भी मिला रहता है, इन्हें पढ़ने तथा सुनने की किसी को फुरसत कहाँ है अर्थात् नहीं है।

प्रश्न 4.
वस्तुपरक नाट्यधर्मी कविताओं से क्या तात्पर्य है? आत्मपरक प्रगीत और नाट्यधर्मी कविताओं की यथार्थ-व्यंजना में क्या अन्तर है?
उत्तर-
वस्तुपरक नाट्यधर्मी कविताओं में जीवन के समग्र चित्र उपस्थित हो जाते हैं। वस्तुतः मुक्तिबोध की लम्बी रचनाएँ वस्तुपरक हैं परन्तु आत्मसंघर्ष ज्यादा मुखरित है। ये कविताएँ अपने रचना-विन्यास में प्रगीतधर्मी हैं। किसी-किसी में तो नाटकीय रूप के बावजूद काव्यभूमि मुख्यतः प्रगीतभूमि है। कहीं नाटकीय एकालाप मिलता है तो कहीं पूर्णतः शुद्ध प्रगीत, जैसे ‘सहर्ष स्वीकारा है’ अथवा ‘मैं तुमलोगों से दूर हूँ।’ जैसा कि मुक्तिबोध स्वयं लिखते हैं कि निस्संदेह उसमें कथा केवल आभास है नाटकीयता केवल मरीचिका है, वह विशुद्ध आत्मगत काव्य है। जहाँ नाटकीयता, है वहाँ भी “कविता के भीतर की सारी नाटकीयता” वस्तुतः भावों की है। जहाँ नाटकीयता है वहाँ वस्तुतः भावों की गतिमयता है “क्योंकि” वहाँ जीवन-यथार्थ केवल भाव बनकर प्रस्तुत होता है। इस प्रकार यह आत्मपरकता अथवा भावमयता किसी कवि की सीमा नहीं बल्कि शक्ति है जो उसकी प्रत्येक कविता को गति और ऊर्जा प्रदान करती है।।

कहने की आवश्यकता नहीं कि ये आत्मपरक प्रगीत भी नाट्यधर्मी लम्बी कविताओं के सदृश्य ही यथार्थ को प्रतिध्वनित करते हैं। अंतर सिर्फ इतना है कि यहाँ वस्तुगत यथार्थ को अंतर्जगत उस मात्रा में घुला लेता है जितनी उस यथार्थ की ऐन्द्रिय उबुद्धता के लिए आवश्यक है। इस प्रकार एक प्रगीतधर्मी कविता में वस्तुगत यथार्थ अपनी चरम आत्मपरकता के रूप में ही व्यक्त होता है। मुक्तिबोध की आत्मपरक छोटी कविताओं में निहित सामाजिक सार्थकता का बोध स्वभावतः होता है।

प्रश्न 5.
हिन्दी कविता के इतिहास में प्रगीतों का क्या स्थान है सोदाहरण स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्रगीत वे कविताएँ हैं जिन्हें अक्सर माना जाता है कि ये कविताएँ सीधे-सीधे सामाजिक न होकर अपनी वैयक्तिकता और आत्मपरकता के कारण ‘लिरिक’ अथवा प्रगीत काव्य की कोटि में आती हैं। गीतिकाव्य गीतशैली का नव्यतम विकास है। प्रगीतधर्मी कविताएँ न तो सामाजिक यथार्थ की अभिव्यक्ति के लिए पर्याप्त समझी जाती हैं न उनसे इसकी अपेक्षा की जाती है क्योंकि साम्राज्य समझ के अनुसार वे अंततः नितांत वैयक्तिक और आत्मपरक अनुभूतियों की अभिव्यक्ति मात्र हैं।

परन्तु छायावादीकाल में प्रसाद की शेरसिंह का शस्त्रसमर्पण, पेथोला की प्रतिध्वनि, ‘प्रलय की छाया’ तथा ‘कामायनी’ और निराला की ‘राम की शक्तिपूजा’ तुलसीदास जैसे आख्यानक काव्य इस मिथक को तोड़ते हुए प्रगीतों की अलग कोटि विकसित करते हैं। आगे मुक्तिबोध, नागार्जुन, समशेर बहादुर सिंह के प्रगीत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। मुक्तिबोध के यहाँ प्रगीत वस्तुपरक नाट्यधर्मी कविताओं के रूप में हैं जो आत्मपरक हैं। आत्मसंघर्ष से उपजी हैं जिनमें सामाजिक भी निहित है।

ये नई कविता के अन्दर आत्मपरक कविताओं की ऐसी प्रबल प्रवृत्ति थी जो या तो समाज निरपेक्ष थी या फिर जिसकी सामाजिक अर्थवत्ता सीमित थी। परन्तु इनमें जीवन यथार्थ भाव बनकर प्रस्तुत होता है। त्रिलोचन ने वर्णनात्मक कविताओं के बावजूद ज्यादातर सॉनेट और गीत ही लिखे हैं। कहने के लिए तो ये प्रगीत हैं लेकिन जीव जगत और प्रकृति के जितने रंग-बिरंगे चित्र त्रिलोचन के काव्य संसार में मिलते हैं वे अन्यत्र दुर्लभ हैं। प्रगीतों में मितकथन में अतिकथन से अधिक शक्ति होती है। अतः प्रगीत का इतिहास समकालीन कवियों का इतिहास कह सकते हैं।

प्रश्न 6.
आधुनिक प्रगीत-काव्य किन अर्थों में भक्ति काव्य से भिन्न एवं गुप्तजी के आदि के प्रबंध काव्य से विशिष्ट है? क्या आप आलोचक से सहमत हैं? अपने विचार
उत्तर-
आधुनिक प्रगीत काव्य में भी प्रबंध काव्य की भाँति जीवन के सारे चित्र खींचे जाते हैं। मुक्तिबोध, प्रसाद, निराला, नागार्जुन शमशेर की लम्बी कविताएँ क्रमशः ब्रह्मराक्षस, पेथोला की प्रतिध्वनि, शेर सिंह का आत्मसमर्पण, तुलसीदास, राम की शक्तिपूजा, अकाल और उसके बाद इत्यादि की कविताएँ उदाहरण हैं। इन कविताओं की खास बात यह है कि मितकथन में अतिकथन से अधिक शक्ति होती है और यही बात इनमें कही गयी है। प्रबंधकाव्य की तरह इनमें भी नाटकीयता का समावेश है। साथ ही सामाजिक संघर्ष के बदले आत्मसंघर्ष मुखरित है। परन्तु निराला की कविता ‘राम की शक्तिपूजा’, तुलसीदास में सामाजिक संघर्ष के साथ आत्मसंघर्ष का मिश्रित रूप है।

आधुनिक युग के प्रगीत काव्यों की मुख्य भाव-भूमि राष्ट्रीय मुक्ति संघर्ष है जो गुप्त के काव्यों में दिखलाई पड़ती है। इनमें भक्तिकाव्य से भिन्न इस रोमांटिक प्रगीतात्मकता के मूल में एक नया व्यक्तिवाद है, जहाँ ‘समाज’ के बहिष्कार के द्वारा ही व्यक्ति अपनी सामाजिकता प्रमाणित करता है। इन रोमांटिक गीतों में भक्तिकाव्य जैसी तन्मयता नहीं है किन्तु आत्मयता और ऐन्द्रियता कहीं अधिक है। गुप्त का प्रबन्ध काव्य सीधे-सीधे राष्ट्रीय विचारों को रखता है और रोमांटिक प्रगीत उस युग की चेतना को अपनी असामाजिकता में ही अधिक गहराई से वाणी दे रहे थे। इसलिए विशिष्ट है। आलोचक ने जो उदाहरण निराला आदि कवियों की कविताओं को प्रगीत के जो रूप में दिये हैं उदाहरण इनमें सच्चे अर्थों में सामाजिकता छिपी है। अतः लेखक के विचार में सामाजिक संघर्ष के साथ आत्मसंघर्ष भी मायने रखता है। अतः प्रगीत काव्य भक्ति काव्य से अधिक सूक्ष्म रूप में वाणी देता है।।

प्रश्न 7.
“कविता जो कुछ कह रही है उसे सिर्फ वही समझ सकता है जो इसके एकाकीपन में मानवता की आवाज सुन सकता है।” इस कथन का आशय स्पष्ट करें। साथ ही किसी उपयुक्त उदाहरण से अपने उत्तर की पुष्टि करें।
उत्तर-
आलोचक की दृष्टि में प्रगीत वैसा काव्य है जिसमें व्यक्ति का एकाकीपन झलके अथवा समाज के विरुद्ध व्यक्ति या समाज से कटा हुआ हो। प्रगीतात्मकता का अर्थ है एकांत संगीत अथवा अकेले कंठ की पुकार। प्रगीत की यह धारणा इतनी बद्धमूल हो गयी है कि आज भी प्रगीत के रूप में प्रायः उसी कविता को स्वीकार किया जाता है जो नितांत वैयक्तिक और आत्मपरक है।

परन्तु थियोडोर एडोनों ने कहा है कि व्यक्ति अकेला है यह ठीक है परन्तु उसका आत्मसंघर्ष अकेला नहीं है। उसका आत्मसंघर्ष समाज में प्रतिफलित होता है। यही कारण है कि बच्चन जैसे कवि सरल सपाट निराशा से अलग करते हुए एक गहरी सामाजिक सच्चाई को “जक संघर्ष के सारण इनमें सच्चे अरण निराला आदि व्यक्त करता है। कवि अपने अकेलेपन में समाज के बारे में सोचता है। नई प्रक्रिया द्वारा उसका निर्माण करना चाहता है। यहाँ व्यक्ति बनाम समाज जैसे सरल द्वन्द्व का स्थान समाज के अपने अंतर्विरोधों ने ले लिया है।

व्यक्तिवाद उतना आश्वस्त नहीं रहा बल्कि स्वयं व्यक्ति के अन्दर भी अंत:संघर्ष पैदा हुआ। विद्रोह का स्थान आत्मविडंबना ने ले लिया। यहाँ समाज के उस दबाव को महसूस किया जा सकता है जिसमें अकेले होने की विडंबना के साथ उसका अन्तर्द्वन्द्व उसे सामाजिकता की प्रेरणा देता है और कवि प्रगतिवादी हो जाता है। परिणाम अन्दर से निकलकर बाहर जनता के पास जाना।।

प्रश्न 8.
मुक्तिबोध की कविताओं पर पुनर्विचार की आवश्यकता क्यों है? आलोचक के इस विषय में क्या निष्कर्ष है?
उत्तर-
मुक्तिबोध की कविताओं पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता इसलिए है कि उनकी कविताओं में निहित सामाजिक सार्थकता की संभावनाओं का पूरा-पूरा एहसास किसी को न था। नई कविता के अन्दर आत्मपरक कविताओं की एक ऐसी प्रबल प्रवृत्ति थी जो या तो समाज निरपेक्ष थी या फिर जिनकी सामाजिक अर्थवत्ता सीमित थी। इसलिए इन सीमित अर्थभूमिवाली कविताओं के आधार पर निर्मित एकांगी एवं अपर्याप्त काव्य सिद्धान्त के दायरे को तोड़कर एक व्यापक काव्य-सिद्धान्त की स्थापना के लिए मुक्तिबोध की कविताओं का समावेश ऐतिहासिक आवश्यकता थी।

किन्तु इनके बाद भी ऐसी अनेक आत्मपरक प्रगीतधर्मी छोटी कविताएँ बची रहती हैं जो अपनी सामाजिक अर्थवत्ता के कारण उस काव्य सिद्धान्त को व्यापक बनाने में समर्थ हैं। मुक्तिबोध की कविता रचना विन्यास में प्रगीतधर्मी हैं। नाटकीय रूप के बावजूद काव्यभूमि मुख्यतः प्रगीतधर्मी है। इसमें कोई शक नहीं कि उनका समूचा काव्य मूलत: आत्मपरक है। रचना-विन्यास में कहीं पूर्णतः नाट्यधर्मिता है, कहीं नाटकीय एकालाप है, कहीं नाटकीय प्रगीत है और कहीं शुद्ध प्रगीत भी है। कवि स्वयं उसके बारे में लिखते हैं कि इसमें कथा केवल आभास है, नाटकीयता केवल मरीचिका है, वह विशुद्ध आत्मगत काव्य है। जहाँ नाटकीयता है वहाँ जीवन-यथार्थ भाव बनकर प्रस्तुत होता या बिंब या विचार बनकर।

कहने की आवश्यकता नहीं कि ये आत्मपरक प्रगीत भी नाट्यधर्मी लम्बी कविताओं के सदृश ही यथार्थ को प्रतिध्वनित करते हैं। इस प्रकार उनकी कविताओं में निहित सामाजिक सार्थकता का बोध स्वभावतः संभावनाओं की तलाश करता है जिसके लिए मुक्तिबोध की कविताओं पर पुनर्विचार आवश्यक है।

प्रश्न 9.
त्रिलोचन और नागार्जुन के प्रगीतों की विशेषताएँ क्या हैं? पाठ के आधार पर स्पष्ट करें। नामवर सिंह ने त्रिलोचन के सॉनेट, वही त्रिलोचन है वह और नागार्जुन की कविता ‘तन गई रीढ़’ का उल्लेख किया है। ये दोनों रचनाएँ पाठ के आस-पास खंड में दी गई हैं। उन्हें भी पढ़ते हुए अपने विचार दें।
उत्तर-
त्रिलोचन की कविताएँ कहने के लिए प्रगीत हैं लेकिन जीव-जगत और प्रकृति के जितने रंग-बिरंगे चित्र त्रिलोचन के काव्य संसार में मिलते हैं वे अन्यत्र दुर्लभ है। किन्तु इन भास्वर चित्रों को अंततः जीवंत बनानेवाला प्रगीत नायक का एक अनूठा व्यक्तित्व है जिसका स्पष्ट चित्र ‘उस जनपद का कवि हूँ। संग्रह के उन आत्मपरक सॉनेटों में मिलता है। इनमें आत्मचित्र वस्तुतः एक प्रगीत-नायक की निर्वैयक्तिक कल्प-सृष्टि है जिनसे नितांत वैयक्तिकता के बीच भी एक प्रतिनिधि चरित्र से परिचय की अनुभूति होती है।

वहीं नागार्जुन की बहिर्मुखी आक्रामक काव्य-प्रतिभा के बीच आत्मपरक प्रगीतात्मक अभिव्यक्ति के क्षण भी आते हैं, लेकिन जब आते हैं तो उनकी विकट तीव्रता प्रगीतों के परिचित संसार का एक झटके से छिन्न-भिन्न कर देती है फिर चाहे ‘वह तन गई रीढ़’ जैसे प्रेम और ममता की नितांत निजी अनुभूति हो, चाहे जेल के सीखंचों से सिर टिकाए चलने वाला अनुचिंतन और अनुताप नागार्जुन के काव्य-संसार के प्रगीत-नायक का निष्कवच फक्कड़ व्यक्तित्व उनके प्रगीतों को विशिष्ट रंग तो देता ही है, सामाजिक अर्थ भी ध्वनित करता है।

कवि त्रिलोचन ‘वही त्रिलोचन है वह’ और नागार्जुन की ‘तन गई रीढ़’ कविता में अपनी वैयक्तिकता में विशिष्ट और सामाजिकता में सामान्य है। यहाँ कवि व्यक्तिवादी न होते हुए भी व्यक्ति-विशिष्ट के प्रति झुका हुआ है। अपने समाज से लड़ते हुए सामाजिक है। दुनियादारी न होते हुए भी इसी दुनिया का है। यह नया प्रगीत उनके नये व्यक्तित्व से ही संभव हो सका है। उनके व्यक्तित्व के साथ निश्चित सामाजिक अर्थ भी ध्वनित करता है। इन कविताओं में कवि समाज के बहिष्कार के द्वारा ही व्यक्ति अपनी सामाजिकता प्रमाणित करता है और व्यक्तिवाद को जन्म देनेवाली औद्योगिक पूँजीवादी समाजव्यवस्था का पुरजोर विरोध करते हैं। कवि की मानसिक स्थिति बदल जाती है। व्यक्ति बनाम समाज जैसे सरल द्वन्द्व का स्थान समाज के अपने अंतर्विरोधों ने ले लिया है। स्वयं व्यक्ति के अंदर के अंत:संघर्ष को दिखलाते हैं।

प्रश्न 10.
मितकथन में अतिकथन से अधिक शक्ति होती है। केदारनाथ सिंह की उद्धृत कविता से इस कथन की पुष्टि करें। दिगंत (भाग-1) में प्रस्तुत ‘हिमालय’ कविता के प्रसंग में भी इस कथन पर विचार करें।
उत्तर-
हिन्दी के साहित्य के दौर में कविता में एक नया उभार पैदा होता है जिसमें कवि का अपना आत्मसंघर्ष तो है ही वह सामाजिक संभावनाओं की तलाश भी उसमें करता है। आज का कवि न तो अपने अंदर झाँककर देखने में संकोच करता है न बाहर के यथार्थ का सामना करने में हिचक। अन्दर न तो किसी असंदिग्ध विश्वदृष्टि का मजबूत खूटा गाड़ने की जिद है और न बाहर व्यवस्था को एक विराट पहाड़ बनाकर आँकने की हवस। वह बाहर से छोटी-से-छोटी, वस्तु घटना आदि पर नजर रखता है और कोशिश करता है कि उसे मुकम्मल अर्थ दिया जाए, छोटी-सी बात को बात में ही बहुत कुछ कह दिया जाय। वह अपने आत्मसंघर्ष की सामाजिक संघर्ष बनाने की चाहत है।

इसका उदाहरण मुक्तिबोध की कविताएँ हैं। नई कविता का आत्मसंघर्ष उनके कवियों का आत्मसंघर्ष है जो बहिसंघर्ष का रूप ले लेता है। एक में प्रगीतात्मकता सीमित हुई नजर आती है तो दूसरे में प्रगीतात्मकता के कुछ नए आयाम उद्घाटित होते हैं। कवि कम ही शब्दों में बहुत कुछ कहता है, जो बात कम शब्द में कही जाती है वह गहरे अर्थ रखती है। कविता का अर्थ करने पर उसके कई स्तर धीरे-धीरे खुलते जाते हैं। केदारनाथ सिंह यहाँ कहना चाहते हैं कि सम्बन्धों में कभी खटास नहीं आनी चाहिए। उसमें हमेशा गर्माहट और उसकी सुन्दरता बनी रहनी चाहिए। ‘हाथ की तरह गर्म और सुन्दर में’ कवि बहुत सारे सपने संजोये हुए हैं और भविष्य की आकांक्षा को मजबूती बनाये रखना चाहता है।।

इन थोड़े से शब्दों में कवि अधिक गहरी चोट करता है। अतः अधिक बोलने से अच्छा कम बोलना है क्योंकि वह ज्यादा प्रभावी होता है।

प्रश्न 11.
हिन्दी की आधुनिक कविता की क्या विशेषताएँ आलोचक ने बताई हैं?
उत्तर-
हिन्दी की आधुनिक कविता में नई प्रगीतात्मकता का उभार देखता है। वह देखता है आज के कवि को न तो अपने अंदर झाँककर देखने में संकोच है न बाहर के यथार्थ का सामना करने में हिचक। अंदर न तो किसी असंदिग्ध विश्वदृष्टि का मजबूत खूटा गाड़ने की जिद है और न बाहर की व्यवस्था को एक विराट पहाड़ के रूप में आँकने की हवस। बाहर छोटी-से-छोटी घटना स्थिति वस्तु आदि पर नजर है और कोशिश है उसे अर्थ देने की। इसी प्रकार बाहर की प्रतिक्रियास्वरूप अंदर उठनेवाली छोटी-से-छोटी लहर को भी पकड़कर उसे शब्दों में बांध लेने का उत्साह है। एक नए स्तर पर कवि व्यक्तित्व अपने और समाज के बीच के रिश्ते को साधने की कोशिश कर रहा है और इस प्रक्रिया में जो व्यक्तित्व बनता दिखाई दे रहा। है वह निश्चय ही नए ढंग की प्रगीतात्मकता के उभार का संकेत है।

प्रगीत और समाज भाषा की बात

प्रश्न 1.
दिए गए शब्दों से विशेषण बनाइए तीव्रता, समाज, व्यक्ति, आत्मा, प्रसंग, विचार, इतिहास, स्मरण, शर्म, लक्षण, इन्द्रिय।
उत्तर-

  • तीव्रता – तीव्रतम
  • समाज – सामाजिक
  • व्यक्ति – वैयक्तिक
  • आत्मा – आत्मीय
  • प्रसंग – प्रासंगिक
  • विचार – वैचारिक
  • इतिहास – ऐतिहासिक
  • स्मरण – स्मरणीय
  • शर्म – शर्मिला
  • लक्षण – लाक्षणिक
  • इन्द्रिय – ऐन्द्रिय

प्रश्न 2.
नीचे लिखे वाक्यों से अव्ययों और कारक चिह्नों को अलग करें; कारक के चिह्न किस कारक के हैं, यह भी बताएँ।
(क) कहने की आवश्यकता नहीं कि ये आत्मपरक प्रगीत भी नाट्यधर्मी लम्बी कविताओं के सदृश ही यथार्थ को प्रतिध्वनित करते हैं।
(ख) इस दिशा में पुनर्विवचार के लिए सच पूछिए तो मुझे सबसे पहले प्रेरणा स्वयं मुक्तिबोध के काव्य से ही मिली।
(ग) आज भी प्रगीत के रूप में प्रायः उसी कविता को स्वीकार किया जाता है जो नितांत वैयक्तिक और आत्मपरक हो।
(घ) एक में प्रगीतात्मकता सीमित हुई तो दूसरे में प्रगीतात्मकता के कुछ नए आयाम उद्घाटित हुए।
उत्तर-
(क) अव्यय-भी, ही, कि कारक चिह्न-के, की (संबंध कारक), को (सम्प्रदान कारक) (ख) अव्यय-तो, ही कारक चिह्न-में (अधिकरण कारक), के लिए (सम्प्रदान कारक), के (संबंध कारक), से (करण कारक)
(ग) अव्यय-भी, और कारक-के (संबंध कारक), में (अधिकरण कारक), को (संप्रदान कारक)
(घ) अव्यय-तो कारक चिह्न-में (अधिकरण कारक) के (संबंध कारक)

प्रश्न 3.
रचना की दृष्टि से निम्नलिखित वाक्यों की प्रकृति बताएँ एवं संयुक्त वाक्य को सरल वाक्य में बदलें
(क) कविता पर समाज का दबाव तीव्रता से महसूस किया जा रहा है।
(ख) यह परिवर्तन न बहुत बड़ा है न क्रांतिकारी।
(ग) मुक्तिबोध ने सिर्फ लम्बी कविताएँ ही नहीं लिखी हैं।
(घ) आलोचकों की दृष्टि से सच्चे अर्थों में प्रगीतात्मकता का आरंभ यही है जिसका आधार है समाज के विरुद्ध व्यक्ति।
(ङ) पिछले पाँच छह वर्षों से हिन्दी कविता के वातावरण में फिर कुछ परिवर्तन के लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं।
उत्तर-
(क) मिश्र वाक्य
(ख) संयुक्त वाक्य
(ग) संयुक्त वाक्य
(घ) संयुक्त वाक्य
(ङ) संयुक्त वाक्य।

“प्रगीत’ और समाज लेखक परिचय नामवर सिंह (1927)

जीवन-परिचय-
हिन्दी आलोचना के शिखर पुरुष नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई, सन् 1927 को जीअनपुर वाराणसी, उत्तरप्रदेश में हुआ। इनकी माता का नाम वागेश्वरी देवी और पिता का नाम नागर सिंह था जो एक शिक्षक थे। इनकी प्राथमिक शिक्षा आवाजापुर एवं कमलापुर, उत्तप्रदेश के गाँवों में हुई। वहीं इन्होंने हाई स्कूल हीवेट क्षत्रिय स्कूल, बनारस और इंटर उदय प्रताप कॉलेज, बनारस से किया। इसके बाद बी.एच.यू. से क्रमशः सन् 1949 एवं 1951 में बी. ए. और एम.ए. किया। साथ ही बी.एच.यू. से ही सन् 1956 में ‘पृथ्वीराजरासो की भाषा’ विषय पर पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की। सन् 1953 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में अस्थाई व्याख्याता रहे।

सन् 1959-60 में सागर विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। इसके बाद सन् 1960-65 तक बनारस में रहकर स्वतन्त्र लेखन किया। वे ‘जनयुग’ (साप्ताहिक), दिल्ली में सम्पादक और राजकमल प्रकाशन में साहित्य सलाहकार भी रहे। सन् 1967 से ‘आलोचना’ त्रैमासिक के संपादन का कार्य संभाला। सन् 1970 में जोधपुर विश्वविद्यालय, राजस्थान में ही हिन्दी विभाग के अध्यक्ष पद पर प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हुए।

इसके बाद सन् 1974 में कुछ समय के लिए कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिन्दी विद्यापीठ, आगरा के निदेशक और सन् 1974 में ही जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली के भारतीय भाषा केन्द्र में हिन्दी के प्रोफेसर के पद पर इनकी नियुक्ति हुई। जे.एन.यू. से सन् 1987 में सेवामुक्ति के बाद अगले पाँच वर्षों के लिए पुनर्नियुक्ति ! बाद में सन् 1993-96 तक राजा राममोहन राय लाइब्रेरी फाउंडेशन के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। संप्रतिः ‘आलोचना’ त्रैमासिक के प्रधान संपादक के रूप में कार्यरत।।

आलोचना-हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योग, आधुनिक साहित्य की प्रवृत्तियाँ, . छायावाद, पृथ्वीराजरासो की भाषा, इतिहास और आलोचना, कहानी : नई कहानी, कविता के लिए. प्रतिमान, दूसरी परंपरा की खोज, वाद-विवाद संवाद।

व्यक्ति व्यंजक ललित निबन्ध-बकलम खुद।। साक्षात्कारों का संग्रह-कहना न होगा।

भाषा-शिल्प की विशेषताएँ-नामवर सिंह जी ने सहित्य के अतिरिक्त भी अनेक विषयों का गहन अध्ययन किया था। साहित्य, भाषाशास्त्र, काव्यशास्त्र, पाश्चात्य आलोचना आदि विषय तो इनकी अभिरुचि के अंग हैं जिस कारण भाषा पर इनकी मजबूत पकड़ है। अपनी सशक्त, भाषा के कारण ही इन्होंने समीक्षा तथा सैद्धान्तिक व्याख्या में भी रचनात्मक साहित्य जैसा लालित्य उत्पन्न कर दिया है।

प्रगीत और समाज पाठ के सारांश

कविता संबंधी सामाजिक प्रश्न-कविता पर समाज का दबाव तीव्रता से महसूस किया जा रहा है। प्रगीत काव्य समाज शास्त्रीय विश्लेषण और सामाजिक व्याख्या के लिए सबसे कठिन चुनौती रखता है। लेकिन प्रगीतधर्मी कविताएँ सामाजिक यथार्थ की अभिव्यक्ति के लिए पर्याप्त नहीं समझी जाती है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने भी प्रबंधकाव्यों को ही अपना आदर्श माना है। वे प्रगीत मुक्तकों को अधिक पसंद नहीं करते थे, इसीलिए आख्यानक काव्यों की रचना से संतोष व्यक्त करते थे।

मुक्तिबोध की कविताएँ-नई कविता के अंदर आत्मपरक कविताओं की एक ऐसी प्रबल प्रवृत्ति थी जो या तो समाज निरपेक्ष थी या फिर जिसकी सामाजिक अर्थवत्ता सीमित थी। इसलिए . व्यापक काव्य सिद्धान्त की स्थापना के लिए मुक्तिबोध की कविताओं का समावेश आवश्यक था। लेकिन मुक्तिबोध ने केवल लम्बी कविताएँ ही नहीं लिखीं। उनकी अनेक कविताएँ छोटी भी हैं जो कि कम सार्थक नहीं हैं। मुक्तिबोध का समूचा काव्य मूलतः आत्मपरक है। रचना-विन्यास में कहीं वह पूर्णतः नाट्यधर्मी है, कहीं नाटकीय एकालाप है, कहीं नाटकीय प्रगीत है और कहीं शुद्ध प्रगीत भी है। आत्मपरकता तथा भावमयता मुक्तिबोध की शक्ति है जो उनकी प्रत्येक कविता को गति और ऊर्जा प्रदान करती है।। . आत्मपरक प्रगीत-आत्मपरक प्रगीत भी नाट्यधर्मी लम्बी कविताओं के समान ही यथार्थ को प्रतिध्वनित करते हैं। एक प्रगीतधर्मी कविता में वस्तुगत यथार्थ अपनी चरम आत्मपरकता के रूप में ही व्यक्त होता है।

त्रिलोचन तथा नागार्जुन का काव्य-त्रिलोचन में कुछ चरित्र केन्द्रित लम्बी वर्णनात्मक कविताओं के अलावा ज्यादातर छोटे-छोटे गीत ही लिखे हैं। लेकिन जीवन, जगत और प्रकृति के जितने रंग-बिरंगे चित्र त्रिलोचन के काव्य संसार में मिलते हैं, वे अन्यत्र दुर्लभ हैं। वहीं नागार्जुन की आक्रामक काव्य प्रतिभा के बीच आत्मपरक प्रगीतात्मक अभिव्यक्ति के क्षण कम ही आते हैं। लेकिन जब आते हैं तो उनकी विकट तीव्रता प्रगीतों के परिचित संसार को एक झटके में छिन्न-भिन्न कर देती है। प्रगीत काव्य के प्रसंग में मुक्तिबोध, त्रिलोचन और नागार्जुन का उल्लेख एक नया प्रगीतधर्मी कवि-व्यक्तित्व है।

विभिन्न कवियों द्वारा प्रगीतों का निर्माण-यद्यपि हमारे साहित्य काव्योत्कर्ष के मानदंड प्रबंधकाव्यों के आधार पर बने हैं। लेकिन यहाँ की कविता का इतिहास मुख्यतः प्रगीत मुक्तकों. का है। कबीर, सूर, मीरा, नानक, रैदास आदि संतों ने प्रायः दोहे तथा गेय पद ही लिखे हैं। विद्यापति को हिन्दी का पहला कवि माना जाए तो हिन्दी कविता का उदय ही गीतों से हुआ है। लोकभाषा को साफ-सुथरी प्रगीतात्मकता का यह उन्मेष भारतीय साहित्य की अभूतपूर्व घटना है।

प्रगीतात्मकता का दूसरा उन्मेष-प्रगीतात्मकता का दूसरा उन्मेष रोमैंटिक उत्थान के साथ हुआ। इस रोमांटिक प्रगीतात्मकता के मूल में एक नया व्यक्तिवाद है, जहाँ समाज के बहिष्कार के द्वारा ही व्यक्ति अपनी सामाजिकता प्रमाणित करता है। इन रोमैंटिक प्रगीतों में आत्मीयता और ऐन्द्रियता कहीं अधिक है। इस दौरान राष्ट्रीयता संबंधी विचारों को काव्य रूप देनेवाले मैथिलीशरण गुप्त भी हुए। आलोचकों की दृष्टि में सच्चे अर्थों में प्रगीतात्मकता का आरंभ यही है, जिसका आधार है समाज के विरुद्ध व्यक्ति। इस प्रकार प्रगीतात्मकता का अर्थ हुआ ‘एकांत संगीत’ अथवा ‘अकेले कंठ की पुकार’। लेकिन आगे चलकर स्वयं व्यक्ति के अंदर भी अंत:संघर्ष पैदा हुआ। विद्रोह का स्थान-आत्मविडंबना ने ले लिया और आत्मपरकता कदाचित् बढ़ी।

समाज पर आधारित काव्य-अकेलेपन के बाद कुछ लोगों ने जनता की स्थिति को काव्य – जावार बनाया जिससे कविता नितांत सामाजिक हो गई। इस कारण यह कवित्व से भी वंचित हो गई। फिर कुछ ही समय में नई कविता के अनेक कवियों ने हृदयगत स्थितियों का वर्णन करना शुरू किया। इसके बाद एक दौर ऐसा आया जब अनेक कवि अपने अंदर का दरवाजा तोड़कर एकदम बाहर निकल आए और व्यवस्था के विरोध के जुनून में उन्होंने ढेर सारी ‘सामाजिक’ कविताएँ लिख डाली, लेकिन यह दौर जल्दी ही समाप्त हो गया।

नई प्रगीतात्मकता का उभार-युवा पीढ़ी के कवियों द्वारा कविता के क्षेत्र में कुछ और परिवर्तन हुए। यह एक नई प्रगीतात्मकता का उभार है। आज कवि को अपने अंदर झाँकने या बाहरी यथार्थ का सामना करने में कोई हिचक नहीं है। उसकी नजर हर छोटी-से-छोटी घटना, स्थिति, वस्तु आदि पर है। इसी प्रकार उसमें अपने अंदर उठनेवाली छोटी-से-छोटी लहर को पकड़कर शब्दों में बाँध लेने का उत्साह भी है। कवि अपने और समाज के बीच के रिश्ते को साधने की कोशिश कर रहा है। लेकिन यह रोमैंटिक गीतों को समाप्त करने या वैयक्तिक कविता को बढ़ाने का प्रयास नहीं है। अपितु इन कविताओं से यह बात पुष्ट होती जा रही है कि मितकथन में अतिकथन से अधिक शक्ति होती है और कभी-कभी ठंडे स्वर का प्रभाव गर्म होता है। यह एक नए ढंग की प्रगीतात्मकता के उभार का संकेत है।