Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व

Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व

Bihar Board Class 12 Chemistry d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व Text Book Questions and Answers

पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 8.1
सिल्वर परमाणु की मूल अवस्था में पूर्ण भरित d कक्षक (4d10) है। आप कैसे कह सकते हैं कि यह एक संक्रमण तत्व है।
उत्तर:
सिल्वर (Z = 47) + 2 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित कर सकता है जिसमें उसके 4d कक्षक अपूर्ण भरे हुए है। अतः यह संक्रमण तत्व है।

प्रश्न 8.2
श्रेणी, Sc (Z = 21) से Zn (Z = 30) में जिंक की कणन एन्थैल्पी का मान सबसे कम होता है, अर्थात् 126 kJ mol-1; क्यों?
उत्तर:
Zn के 3d – कक्षकों के इलेक्ट्रॉन धात्विक आबन्धन से प्रयुक्त नहीं होते हैं जबकि 3d – श्रेणी के शेष सभी धातुओं के d – कक्षक के इलेक्ट्रॉन धात्विक आबन्ध बनाने में प्रयुक्त होते हैं। अतः श्रेणी में Zn की कणन एन्थैल्पी का मान सबसे कम होता है।

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प्रश्न 8.3
संक्रमण तत्वों की 3d श्रेणी का कौन-सा तत्व बड़ी संख्या में ऑक्सीकरण अवस्थाएँ दर्शाता है एवं क्यों?
उत्तर:
Mn (Z = 25) के परमाणु में सर्वाधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाये जाते हैं। अतः यह +2 से +7 तक ऑक्सीकरण अवस्थाएँ दर्शाता है, जो सबसे बड़ी संख्या है।

प्रश्न 8.4
कॉपर के लिए \(\mathbf{E}_{\left(\mathbf{M}^{2+} \mid \mathbf{M}\right)}^{\Theta}\) का मान धनात्मक (+ 0.34 V) है। इसके सम्भावित कारण क्या हैं?
उत्तर:
किसी धातु के लिए \(\mathbf{E}_{\left(\mathbf{M}^{2+} \mid \mathbf{M}\right)}^{\Theta}\), निम्नलिखित पदों में होने वाले एन्थैल्पी परिवर्तन के योग से सम्बद्ध होता है –
M(s) + ∆a → M(g) (∆a H = परमाण्विक एन्थैल्पी)
M(g) + ∆iH → M2+ (g) (∆i = आयनन एन्थैल्पी)
M2+ (g) + (aq) → M2+ (aq) + ∆hyd H (∆iH = जलयोजन एन्थैल्पी)
कॉपर की परमाण्विक एन्थैल्पी उच्च तथा जलयोजन एन्थैल्पी कम होती है। इसलिए \(E_{\left(\mathrm{Cu}^{2+} \mid \mathrm{Cu}\right)}^{\Theta}\) धनात्मक है। Cu (s) के Cu2+ (aq) में रूपान्तरण की उच्च ऊर्जा इसकी जलयोजन एन्थैल्पी द्वारा सन्तुलित नहीं होती है।

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प्रश्न 8.5
संक्रमण तत्वों की प्रथम श्रेणी में आयनन एन्थैल्पी (प्रथम और द्वितीय) में अनियमित परिवर्तन को आप कैसे समझाएंगे?
उत्तर:
आयनन एन्थैल्पी में अनियमित परिवर्तन विभिन्न 3d विन्यासों के स्थायित्व की क्षमता में भिन्नता के कारण है (उदाहरण: d0, d5, d10 असमान्य रूप से स्थाई हैं)।

प्रश्न 8.6
कोई धातु अपनी उच्चतम ऑक्सीकरण ऑक्साइड अथवा फ्लुओराइड में क्यों प्रदर्शित होता है?
उत्तर:
छोटे आकार एवं उच्च विद्युत ऋणात्मकता के कारण ऑक्सीकरण अथवा फ्लुओरीन, धातु को उसके उच्च ऑक्सीकरण अवस्था तक आक्सीकृत कर सकते हैं।

प्रश्न 8.7
Cr2+ और Fe2+ में से कौन प्रबल अपचायक है और क्यों?
उत्तर:
Fe2+ की एक प्रबल अपचायक है।

कारण:
Cr2+ से Cr3+ बनने में d4 → d3 परिवर्तन होता है किन्तु Fe2+ से Fe2+ में d6 → d5 में परिवर्तन होता है। जल जैसे माध्यम में d5 की तुलना में d3 अधिक स्थायी है।

प्रश्न 8.8
M2+ (aq) आयन (Z = 27) के लिए ‘प्रचक्रण-मात्र’ चुम्बकीय आघूर्ण की गणना कीजिए।
गणना:
M परमाणु (Z = 27) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar] 3d7 4s2 है।
∴ M2+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = [Ar] 3d7
या
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∴ इसमें तीन अयुगलित इलेक्ट्रॉन होते हैं।
∴ M2+ (aq) आयन के लिए ‘प्रचक्रण-मात्र’ चुम्बकीय आघूर्ण (µ)
= \(\sqrt{n(n + 2)}\) B.M.
= \(\sqrt{3(3 + 2)}\) B.M.
= 3.87 B.M.

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प्रश्न 8.9
स्पष्ट कीजिए कि Cu+ आयन जलीय विलयन में स्थायी नहीं है, क्यों? समझाइए।
उत्तर:
जलीय विलयन में Cu+ (aq) निम्नलिखित प्रकार से असमानुपात करके Cu2+ आयन बनाता है –
2Cu+ (aq) → Cu2+ (aq) + Cu (s)
इस का कारण यह है कि कॉपर की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी अधिक होती है, परन्तु Cu2+ (aq) के लिए ∆hyd, Cu+ (aq) की तुलना में अधिक ऋणात्मक होती है। अतः यह कॉपर की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी को संतुष्ट करती है। इस प्रकार Cu2+ (aq) आयन Cu2+ (aq) आयन में परिवर्तित हो जाता है जो अधिक स्थाई होता है।

प्रश्न 8.10
लैन्थेनाइड आंकुचन की तुलना में एक तत्व से दूसरे तत्व के बीच ऐक्टिनाइड आंकुचन अधिक होता है, क्यों?
उत्तर:
5d इलेक्ट्रॉन नाभिकीय आवेश से प्रभावी रूप से परिरक्षित कहते हैं। दूसरे शब्दों में, 5d इलेक्ट्रॉनों का श्रेणी में एक तत्व से दूसरे तत्व की ओर जाने पर दुर्बल परिलक्षित होता है।

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अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 8.1
निम्नलिखित के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए:

  1. Cr3+
  2. Pm3+
  3. Cu+
  4. Ce4+
  5. Co2+
  6. Mn2+
  7. Th4+

उत्तर:

  1. Cr3+ = [Ar] 3d3
  2. Pm3+ = [Xe] 4f4
  3. Cu+ = [Ar] 3d10
  4. Ce4+ = [Xe]
  5. Co2+ = [Ar] 3d7
  6. Lu2+ = [Xe] 4f14 5d1
  7. Mn2+ = [Ar] 3d5
  8. Th4+ = [Rn]

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प्रश्न 8.2
+ 3 ऑक्सीकरण अवस्था में ऑक्सीकृत होने के सन्दर्भ में Mn2+ के यौगिक Fe2+ के यौगिकों की तुलना में अधिक स्थायी क्यों हैं?
उत्तर:
Mn2+ तथा Fe2+ के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास क्रमश: 3d5 और 3d6 हैं। अत: Mn की +2 की ऑक्सीकरण अवस्था हुण्ड के नियम से Fe की ऑक्सीकरण अवस्था +3 से अधिक स्थाई है।

प्रश्न 8.3
संक्षेप में स्पष्ट कीजिए कि प्रथम संक्रमण श्रेणी के प्रथम अर्द्धभाग में बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के साथ +2 ऑक्सीकरण अवस्था कैसे अधिक स्थायी होती जाती है?
उत्तर:
प्रथम संक्रमण श्रेणी के प्रथम अर्द्धभाग में बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के साथ IE1 तथा IE2 का योग बढ़ता है अतः मानक अपचायक विभव (EΘ) कम तथा ऋणात्मक होता है, जिससे M2+ आयन बनाने की प्रवृत्ति घटती है। Mn2+ में अर्द्धपूरित d – उपकोशों (d5 ) के कारण Zn2+ में पूर्णपूरित d – उपकोशों (d10 ) के कारण तथा निकिल में उच्च ऋणात्मक जलयोजन एन्थैल्पी के कारण +2 ऑक्सीकरण अवस्था का अधिक स्थायित्व होता है।

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प्रश्न 8.4
प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास किस सीमा तक ऑक्सीकरण अवस्थाओं को निर्धारित करते हैं? उत्तर को उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास तथा उनकी ऑक्सीकरण अवस्थाओं को निम्न तालिका में दिखाया गया है:
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तत्व की +2 ऑक्सीकरण अवस्था बहुत अधिक स्थाई होती है क्योंकि Mn2+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास सभी पाँचों 34-कक्षक अर्द्ध भरे होने के कारण उच्च समितीय होता है।

प्रश्न 8.5
संक्रमण तत्वों की मूल अवस्था में नीचे दिए गए d – इलेक्ट्रॉनिक विन्यासों में कौन-सी ऑक्सीकरण अवस्था स्थायी होगी?
3d3, 3d5, 3d8 तथा 3d4
उत्तर:
स्थाई ऑक्सीकरण अवस्थाएँ –
3d3 (वैनेडियम) – +2, +3, + 4, +5
3d5 (क्रोमियम) – +3, +4, +6
3d5 (मैंगनीज) – + 2, +4, +6, +7
3d4 (कोबाल्ट) – +2, +3 (संकुलों में)
3d4 मूल अवस्था में 3d4 विन्यास नहीं होता है।

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प्रश्न 8.6
प्रथम संकमण श्रेणी के आक्सोधातु ऋणायनों का नाम लिखिए, जिसमें धातु संक्रमण श्रेणी की वर्ग संख्या के बराबर आक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करती है।
उत्तर:
प्रथम संक्रमण श्रेणी के आक्सो-ऋणायन निम्न है –
वैनेडेट \(\mathrm{VO}_{3}^{-}\) जिसमें V की आक्सीकरण अवस्था 5 है जो वर्ग संरचना के बराबर है।
क्रोमेट \(\mathrm{CrO}_{4}^{-}\), जिसमें Cr की आक्सीकरण अवस्था 6 है जो वर्ग संख्या के बराबर है। परमैंगनेट \(\mathrm{MNO}_{4}^{-}\) जिसमें Mn की आक्सीकरण अवस्था 7 है जो वर्ग संख्या के बराबर है।

प्रश्न 8.7
लैन्थेनायड आंकुचन क्या है? लैन्थेनायड आकुंचन के परिणाम क्या हैं?
उत्तर:
लैन्थेनाइड श्रेणी के तत्त्वों में आयनिक तथा परमाणवीय त्रिज्या में बाईं से दाईं ओर होने वाली कमी लैंथेनाइड आकुंचन कहलाती है। लैंथेनाइड में इलेक्ट्रॉन 4f उपकोश में इलेक्ट्रॉन प्रवेश करते हैं।

इन f – इलेक्ट्रॉनों का परिरक्षण प्रभाव बहुत कम होता है जबकि परमाणु क्रमांक की वृद्धि के साथ नाभिकीय आवेश में वृद्धि होती है। इस कम प्रभाव के कारण यह f – इलेक्ट्रॉन नाभिकीय आवेश के प्रभाव को इतना कम नहीं कर पाते जिससे संयोजी इलेक्ट्रॉन नाभिक के द्वारा अधिक बल के साथ आकर्षित होते हैं।

1. भौतिक गुणों में भिन्नता:
गलनांक, क्वथनांक, कठोरता आदि परमाणु संख्या की वृद्धि के साथ बढ़ते हैं, ऐसा परमाणओं के मध्य आकर्षण बल में वद्धि के कारण होता है क्योंकि आकार घटता है।

2. मानक अपचयन विभव में भिन्नता:
अपचयन अभिक्रिया के लिए मानक अपचयन में वृद्धि लैंथेनाइड संकुचन के कारण होती है।

3. लैंथेनाइड में समानता:
आकार में थोड़े परिवर्तन के कारण सब लैंथेनाइड रासायनिक गुणों के कारण इनमें परस्पर समानता होती है।

4. क्षारीय सामर्थ्य में भिन्नता:
हाइड्रॉक्साइडों की आयनिक त्रिज्याओं और सहसंयोजकता के घटने की क्षारीय सामर्थ्य Ce(OH)3 से Lu(OH)3 तक बढ़ती है। इसके फलस्वरूप परमाण्विक तथा आयनिक त्रिज्या बायें से दायें जाने पर घटती है जो कि लैंथेनाइड आकुंचन रूप में होती है।

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प्रश्न 8.8
संक्रमण धातुओं के अभिलक्षण क्या हैं? ये संक्रमण धातु क्यों कहलाती है? d – ब्लॉक के तत्वों में कौन-से तत्व संक्रमण श्रेणी के तत्व नहीं कहे जा सकते?
उत्तरः
संक्रमण धातुओं के अभिलक्षण:

  1. इनमें धात्विक गुण होता है। ये सभी तत्व ऊष्मा तथा विद्युत के सुचालक होते हैं।
  2. इनके आयन तथा यौगिक रंगीन होते हैं।
  3. ये तत्व और इनके यौगिक उत्प्रेरक गुण प्रदर्शित करते
  4. ये संकर आयन बनाने की प्रकृति रखते हैं। जैसे –
    [Fe(CN)6]3-, [Cu(NH3)]2+ आदि।
  5. ये तत्व अधिकतर अनुचुम्बकीय होते हैं।
  6. ये अन्य धातुओं के साथ मिश्रधातु बनाते हैं।
  7. ये कुछ तत्वों के साथ अन्तराक्षी यौगिक बनाते हैं।
  8. ये अनेक आक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं।
  9. इनमें संकुल बनाने की प्रवृत्ति अधिक है।

d – ब्लॉक तत्व संक्रमण तत्व हैं:
चूँकि ये तत्व अधिक विद्युतधनात्मक s – ब्लॉक तत्वों और कम विद्युत-धनात्मक p – ब्लॉक तत्वों के मध्य में हैं, अतः इन्हें संक्रमण तत्व कहते हैं। Zn, Cd तथा Hg का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n – 1) d10 ns2 है। चूंकि ये आक्सीकरण अवस्था में पूर्ण पूरित हैं, अतः ये तत्व संक्रमण तत्व नहीं कहे जा सकते।

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प्रश्न 8.9
संक्रमण धातुओं के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास किस प्रकार असंक्रमण तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से भिन्न हैं?
उत्तर:
संक्रमण धातुओं से अपूर्ण d – उपकोश होते हैं, इनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n – 1) d1-10 ns1-2 होता है, जबकि असंक्रमण तत्वों में d – उपकोश नहीं होते हैं तथा इनके बाहरी कोश का विन्यास ns1-2 या ns2, np1-6 होता है।

प्रश्न 8.10
लैन्थेनाइडों द्वारा कौन-कौन सी आक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित की जाती हैं।
उत्तर:
लैन्थेनाइडों की आक्सीकरण अवस्थाएँ (Oxidation States of Lanthanides):
आवर्त सारणी के वर्ग 3 के सदस्यों से प्रत्याशित होता है कि लैन्थेनाइडों की एकसमान +3 आक्सीकरण अवस्था उनकी एक विशेषता है। त्रिधनात्मक आक्सीकरण अवस्था 6s2 इलेक्ट्रॉन और एकाकी 5d – इलेक्ट्रॉन अथवा यदि कोई 5d – इलेक्ट्रॉन उपस्थित न हो तो f – इलेक्ट्रॉनों में से एक के उपयोग के अनुसार होती है। प्रथम तीन आयनन एन्थैल्पियों का योग अपेक्षाकृत निम्न होता है जिससे ये तत्व उच्च धनविद्युती होते हैं और तत्परता से +3 आयन बना लेते हैं।

यद्यपि जलीय विलयन में तथा ठोस अवस्था में सीरियम (Ce4+) तथा सैमेरियम, यूरोपियम और इटर्बियम (Sm2+, Eu2+ Yb2+) आयन दे सकते हैं। अन्य तत्व ठोस अवस्था में +4 अवस्था दे सकते हैं। MX3 का अपचयन न केवल MX2 अपितु विशेष स्थिति में जटिल अपचयित भी दे सकता है।

लैन्थेनाइडों के लिए +3 आक्सीकरण अवस्था की धारणा पर्याप्त दृढ़ हो गई है तथा अन्य ऑक्सीकरण अवस्थाओं को प्रायः ‘असंगत’ कहा जाता है। विभिन्न लैन्थेनाइडों की ऐसी असंगत ऑक्सीकरण अवस्था निम्नांकित प्रकार प्रदर्शित की गई हैं –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व img 3
चित्र – लैन्थेनम तथा लैन्थेनाइडों द्वारा प्रदर्शित विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाएँ। बिन्दुवत रेखाएँ संदिग्ध या अल्पस्थायी संयोजकताएँ प्रदर्शित करती है –

यदि हम यह मान लें कि रिक्त, अर्द्धपूर्ण या पूर्ण f – उपकोश के साथ विशेष स्थायित्व सम्बन्धित होता है जो एक निश्चित सीमा तक +2 तथा +4 ऑक्सीकरण अवस्थाओं की उपस्थिति का इलेक्ट्रॉनिक संरचनाओं के साथ सामंजस्य किया जा सकता है। इस प्रकार La, Gd और Lu केवल त्रिधनात्मक आयन निर्मित करते हैं; क्योंकि तीन इलेक्ट्रॉनों के निष्कासन में La3+ आयन में उत्कृष्ट गैस का विन्यास बन जाता है।

Gd3+ तथा Lu3+ आयनों में क्रमश: स्थाई 4f7 तथा 4f14 इलेक्ट्रॉनों का निष्कासन नहीं होता; क्योंकि M3+ आयनों की अपेक्षा M2+ अथवा M+ आयनों की जालक अथवा जलयोजन ऊर्जाएँ लघु M3+ आयनों के लवणों की योगात्मक जालक या जलयोजन ऊर्जाओं की अपेक्षा कम होगी।

सबसे अधिक स्थायी द्वि या चतुर्धनात्मक आयन उन तत्वों द्वारा निर्मति होते हैं जो ऐसा करके f9, f7 तथा f14 विन्यास प्राप्त कर सकते हो। इस प्रकार सीरियम तथा इटर्बियम +4 ऑक्सीकरण अवस्था में आकर क्रमशः f0 तथा f14 विन्यास प्राप्त करते हैं। यूरोपियम तथा इटर्बियम +2 ऑक्सीकरण अवस्था में क्रमश: f7 तथा f7 विन्यास प्राप्त कर लेते हैं।

ये तथ्य इस धारणा का समर्थन करते प्रतीत होते हैं कि लैन्थेनाइडों के लिए +3 के अतिरिक्त दूसरी ऑक्सीकरण अवस्थाओं का अस्तित्व निर्धारित करने में f0, f7 तथा तथा f14 विन्यासों का विशेष स्थायित्व महत्त्वपूर्ण है, परन्तु यह तर्क कम निर्णयात्मक हो जाता है जब हम देखते हैं कि सैमेरियम और धूलियम और f13 विन्यास रखते हुए M2+ आयन बनाते हैं, M+ आयन नहीं। साथ प्रेजियोडिमियम एवं नियोडिमियम f1 तथा f2 विन्यासों के साथ M4+ आयनन बनाते हैं, परन्तु कोई पंच या षट-संयोजक प्रकार के आयन नहीं बनाते।

इसमें सन्देह नहीं है कि Sm (II) और विशेषकर Tm (II), Pr (IV) तथा Nd (IV) अवस्थाएँ बहुत अस्थायी हैं, परन्तु यह विचार भी संदिग्ध है कि f0, f7 या 14 विन्यास के केवल समीप पहुँच जाना भी स्थायित्व के लिए सहायक होता है चाहे ऐसा कोई विन्यास वस्तुतः प्राप्त नहीं भी हो।

Nd2+ (f4) का अस्तित्व यह विश्वास करने के लिए विशेष निर्णयात्मक प्रमाण है कि यद्यपि f0, f7, f14 विन्यास का स्थायित्व ऑक्सीकरण अवस्थाओं का स्थायित्व निर्धारण करने में एक घटक हो सकता है, यद्यपि अन्य ऊष्मागतिकीय तथा गतिकीय घटक विशेष भी हैं जिनका समान या अधिक महत्त्व है।

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प्रश्न 8.11
कारण देते हुए स्पष्ट कीजिए –

  1. संक्रमण धातुएँ तथा उनके अधिकांश यौगिक अनुचुम्बकीय हैं।
  2. संक्रमण धातुओं की कणन एन्थैल्पी के मान उच्च होते हैं।
  3. संक्रमण धातुएँ सामान्यतः रंगीन यौगिक बनाती हैं।
  4. संक्रमण धातुएँ तथा इनके अनेक यौगिक उत्तम उत्प्रेरक का कार्य करते हैं।

उत्तर:
1. पदार्थों में अनुचुम्बकत्व की उत्पत्ति, अयुगलित इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति के कारण होती है। प्रतिचुम्बकीय पदार्थ वे होते हैं जिनमें सभी इलेक्ट्रॉन युगलित होते हैं। संक्रमण धातु आयनों में प्रतिचुम्बकत्व तथा अनुचुम्बकत्व दोनों होते हैं अर्थात् इनमें दो विपरीत प्रभाव पाए जाते हैं, इसलिए परिकलित चुम्बकीय आघूर्ण इनका परिणामी चुम्बकीय आघूर्ण माना जाता है।

d0 (Sc3+, Ti4+) या d10 (Cu+, Zn2+) विन्यासों को छोड़कर, संक्रमण धातुओं के सभी सरल आयनों में इनके (n – 1) d उपकोशों में अयुगलित इलेक्ट्रॉन होते हैं; अत: ये अधिकांशत: अनुचुम्बकीय होते हैं। ऐसे अयुगलित इलेक्ट्रॉन का चुम्बकीय आघूर्ण, प्रचक्रण कोणीय संवेग तथा कक्षीय कोणीय संवेग से सम्बन्धित होता है।

प्रथम संक्रमण श्रेणी की धातुओं के यौगिकों में कक्षीय कोणीय संवेग का योगदान प्रभावी रूप से शमित (quench) हो जाता है, इसलिए इसका कोई महत्त्व नहीं रह जाता। अतः इनके लिए चुम्बकीय आघूर्ण का निर्धारण उसमें उपस्थित अयुगलित इलेक्ट्रॉनों की संख्या के आधार पर किया जाता है तथा इसकी गणना निम्नलिखित ‘प्रचक्रण मात्र’ सूत्र द्वारा दी जाती है –
µ = \(\sqrt{n(n+2)}\)।
यहाँ n अयुगलित इलेक्ट्रॉनों की संख्या है तथा µ चुम्बकीय आघूर्ण है जिसका मात्रक बोर मैग्नेटॉन (BM) है। एक अयुगलित इलेक्ट्रॉन का चुम्बकीय आघूर्ण 1.73 BM होता है।

2. संक्रमण धातुओं की कणन एन्थैल्पी के मान उच्च होते हैं; क्योंकि इनके परमाणुओं में अयुगलित इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिक होती है। इस कारण इनमें प्रबल अन्तरापरमाण्विक अन्योन्य-क्रियाएँ होती हैं तथा इसीलिए परमाणुओं के मध्य प्रबल आबन्ध उपस्थित होते हैं।

3. अधिकांश संक्रमण धातु आयन विलयन तथा ठोस अवस्थाओं में रंगीन होते हैं। ऐसा दृश्य प्रकाश के आंशिक अवशोषण के कारण होता है। अवशोषित प्रकाश इलेक्ट्रॉन को समान d – उपकोश के एक कक्षक से दूसरे कक्षक पर पहुँचा देता है। चूँकि इलेक्ट्रॉनिक संक्रमण धातु आयनों के d – कक्षकों में होते हैं; इसलिए did संक्रमण कहलाते हैं। संक्रमण धातु आयनों में दृश्य प्रकाश को अवशोषित करके होने वाले d-d संक्रमणों के कारण ही ये रंगीन दिखाई देते हैं।

4. संक्रमण धातुएँ तथा इनके यौगिक उत्प्रेरकीय सक्रियता के लिए जाने जाते हैं। संक्रमण धातुओं का यह गुण इनकी परिवर्तनशील संयोजकता एवं संकुल यौगिक के बनाने के गुण के कारण है। वेनेडियम (V) ऑक्साइइड (संस्पर्श प्रक्रम में), सूक्ष्म विभाजित आयरन (हेबर प्रक्रम में) और निकिल (उत्प्रेरकीय हाइड्रोजन में) संक्रमण धातुओं के द्वारा उत्प्रेरण के कुछ उदाहरण हैं। उत्प्रेरक के ठोस पृष्ठ पर अभिकारक के अणुओं तथा उत्प्रेरक की सतह के परमाणुओं के बीच आबन्धों की रचना होती है।

आबन्ध बनाने के लिए प्रथम संक्रमण श्रेणी की धातुएँ 3d एवं 4s इलेक्ट्रॉनों का उपयोग करती हैं। परिणामस्वरूप उत्प्रेरक की सतह पर अभिकारक की सान्द्रता में वृद्धि हो जाती है तथा अभिकारक के अणुओं में उपस्थित आबन्ध दुर्बल हो जाते हैं। सक्रियण ऊर्जा का मान घट जाता है। ऑक्सीकरण अवस्थाओं में परिवर्तन हो सकने के कारण संक्रमण धातुएँ उत्प्रेरक के रूप में अधिक प्रभावी होती हैं।

उदाहरणार्थ:
आयरन (III), आयोडाइड आयन तथा परसल्फेट आयन के बीच सम्पन्न होने वाली अभिक्रिया का उत्प्रेरित करता है।
2I + S2O82- → I2 ↑+ 2SO42-

इस उत्प्रेरकीय अभिक्रिया का स्पष्टीकरण इस प्रकार है –
2Fe3+ + 2I → 2Fe2+ + I2
2Fe2+ + S2O82- → 2Fe3+ + 2SO42-

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प्रश्न 8.12
अन्तराकाशी यौगिक क्या हैं? इस प्रकार के यौगिक संक्रमण धातुओं के लिए भली प्रकार से ज्ञात क्यों हैं?
उत्तर:
ऐसे यौगिकों को जिनके क्रिस्टल जालक में अन्तराकाशी स्थलों को छोटे आकार वाले परमाणु अध्यासित कर लेते हैं, अन्तराकाशी यौगिक कहते हैं। अन्तराकाशी यौगिक संक्रमण धातुओं के लिए ज्ञात होते हैं; क्योंकि संक्रमण धातुओं के क्रिस्टल जालकों में उपस्थित रिक्तियों में छोटे आकार वाले परमाणु; जैसे – H, N या C सरलता से सम्पाशित हो जाते है।

प्रश्न 8.13
संक्रमण धातुओं की ऑक्सीकरण अवस्थाओं में परिवर्तनशीलता असंक्रमण धातुओं में ऑक्सीकरण अवस्थाओं में परिवर्तनशीलता से किस प्रकार भिन्न है? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परिवर्तनशील ऑक्सीकरण अवस्थाएँ संक्रमण धातुओं की एक प्रमुख विशेषता है। इसका कारण है, अपूर्ण d – कक्षकों में इलेक्ट्रॉनों का इस प्रकार से प्रवेश करना जिससे इन तत्वों की ऑक्सीकरण अवस्थाओं में एक का अन्तर बना रहता है। इसका उदाहरण, VII, VIII, VIV, VV है। दूसरी ओर असंक्रमण तत्वों में विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाओं में सामान्यतया दो का अन्तर पाया जाता है।

प्रश्न 8.14
आयरन क्रोमाइट अयस्क से पोटैशियम डाइक्रोमेट बनाने की विधि का वर्णन कीजिए। पोटैशियम डाइक्रोमेट विलयन पर pH बढ़ाने से क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तरः
पोटैशियम डाइक्रोमेट बनाने की विधि:
क्रोमाइट अयस्क (FeCr2O4) को जब वायु की उपस्थिति में सोडियम या पोटैशियम कार्बोनेट के साथ संगलित किया जाता है तो क्रोमेट प्राप्त होता है।
4FeCr2O4 + 8Na2CO3 + 7O2 → 8Na2CrO4 + 2Fe2O3 + 8CO2

सोडियम क्रोमेट के पीले विलयन को छानकर उसे सल्फ्यूरिक अम्ल द्वारा अम्लीय बना लिया जाता है जिसमें से नारंगी सोडियम डाइक्रोमेट, Na2CrO4 + 2H+ → Na2Cr2O7 + 2Na+ + H2O

सोडियम डाइक्रोमेट की विलेयता, पोटैशियम डाइक्रोमेट से अधिक होती है। इसलिए सोडियम डाइक्रोमेट के विलयन में पोटैशियम क्लोराइड डालकर पोटैशियम डाइक्रोमेट प्राप्त कर लिया जाता है।
Na2Cr2O7 + 2KCI → K2Cr2O7 + 2NaCl

पोटैशियम डाइक्रोमेट के नारंगी रंग के क्रिस्टल, क्रिस्टलीकृत हो जाते हैं। जलीय विलयन में क्रोमेट तथा डाइक्रोमेट का अन्तरारूपान्तरण होता है जो विलयन के pH पर निर्भर करता है। क्रोमेट तथा डाइक्रोमेट में क्रोमियम की ऑक्सीकरण संख्या समान है।
\(2 \mathrm{CrO}_{4}^{2-}\) + 2H+ → \(\mathrm{Cr}_{2} \mathrm{O}_{7}^{2-}\) + H2O
\(\mathrm{Cr}_{2} \mathrm{O}_{7}^{2-}\) + 2OH → \(2 \mathrm{CrO}_{4}^{2-}\) + H2O
अब PH बढ़ाने पर डाइक्रोमेट आयन (नारंगी रंग) क्रोमेट आयनों में परिवर्तित हो जाते हैं तथा विलयन का रंग पीला हो जाता है।

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प्रश्न 8.15
पोटैशियम डाइक्रोमेट की ऑक्सीकरण क्रिया का उल्लेख कीजिए तथा निम्नलिखित के साथ आयनिक समीकरण लिखिए:

  1. आयोडाइड आयन
  2. [आयरन (II) विलयन]
  3. H2S

उत्तर:
पोटैशियम डाइक्रोमेट प्रबल ऑक्सीकारक के रूप में कार्य करता है। इसका उपयोग आयतनमितीय विश्लेषण में प्राथमिक मानक के रूप में किया जाता है। ऊष्मीय माध्यम में डाइक्रोमेट आयन की ऑक्सीकरण क्रिया निम्नलिखित प्रकार से प्रदर्शित की जा सकती हैं –
\(\mathrm{Cr}_{2} \mathrm{O}_{7}^{2-}\) + 14H+ + 6e → 2Cr3+ + 7H2O
(EΘ = 1.33V)

आयनिक अभिक्रियाएँ (Ionic Reactions):
1. आयोडाइड आयन के साथ:
आयोडीन मुक्त होती है –
\(\mathrm{Cr}_{2} \mathrm{O}_{7}^{2-}\) + 14H+ + 6e → 2Cr3+ + 7H2O + 3I 2

2. आयरन (II) विलयन के साथ:
आयरन (II) लवण में ऑक्सीकृत करेगा।
\(\mathrm{Cr}_{2} \mathrm{O}_{7}^{2-}\) + 14H+ + 6Fe2+ → 2Cr3+ + 7H2O + 6Fe3+

3. H2S के साथ:
S में ऑक्सीकृत करता है।
\(\mathrm{Cr}_{2} \mathrm{O}_{7}^{2-}\) + 8H+ + 3H2S → 2Cr3+ + 7H2O + 3S ↓

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प्रश्न 8.16
पोटैशियम परमैंगनेट को बनाने की विधि का वर्णन कीजिए। अम्लीय पोटैशियम परमैंगनेट किस प्रकार –

  1. [आयरन (II) आयन]
  2. SO2 तथा
  3. ऑक्सैलिक अम्ल से अभिक्रिया करता है? अभिक्रियाओं के लिए आयनिक समीकरण लिखिए।

उत्तर:
पोटैशियम परमैंगनेट, KMnO4 (Potassium Permanganate, KMnO4):

बनाने की विधि (Methods of Preparation):
पोटैशियम परमैंगनेट को निम्नलिखित विधि से बनाया जा सकता है:

1. पोटैशियम परमैंगनेट को प्राप्त करने के लिए MnO2 को क्षारीय धातु हाइड्रॉक्साइड तथा KNO3 जैसे ऑक्सीकारक के साथ संगलित किया जाता है। इससे गाढ़े हरे रंग का उत्पाद K2MnO4 प्राप्त होता है जो उदासीन या अम्लीय माध्यम में असमानुपातिक होकर पोटैशियम परमैंगनेट देता है।
2MnO2 + 4KOH + O2 → 2K2MnO4 + 2H2O
\(3 \mathrm{MnO}_{4}^{2-}\) + 4H+ → 2MnO4 + MnO2 + 2H2O

2. औद्योगिक स्तर पर इसका उत्पादन MnO2 के क्षारीय ऑक्सीकरणी संगलन के पश्चात्, मैंगनेट (VI) के विद्युत-अपघटनी ऑक्सीकरण द्वारा किया जाता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व img 4

3. प्रयोगशाला में मैंगनीज (II) आयन के लवण परऑक्सीडाइसल्फेट द्वारा ऑक्सीकृत होकर परमैंगनेट बनाते हैं।
2Mn2+ + 5S2O2-8 + 8H2O → 2MnO2-4 + 10SO2-4 + 16H+

रासायनिक अभिक्रियाएँ –
अम्लीय पोटैशियम परमैंगनेट की रासायनिक अभिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं –

1. [आयरन (II) आयन के साथ]:
Fe2+ आयन (हरा) का Fe3+ (पीले) में परिवर्तन होता है।
MnO2-4 + 8H+ + 5e2+ → Mn2+ + 4H2O + 5Fe3+

2. SO2 के साथ:
SO2-4 तथा Mn2+ आयन बनते हैं।
2MnO2-4 + 2H2O + 5SO2 → 2Mn2+ + 4H+ + 5SO2-4

3. ऑक्सैलिक अम्ल के साथ:
CO2 तथा H2O में ऑक्सीकृत करता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व img 5

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प्रश्न 8.17
M2+/M तथा M3+/M2+ निकाय के सन्दर्भ में कुछ धातुओं के EΘ के मान नीचे दिए गए हैं।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व img 6
उपर्युक्त आँकड़ों के आधार पर निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए:

  1. अम्लीय माध्यम में Cr3+ या Mn3+ की तुलना में Fe3+ का स्थायित्व।
  2. समान प्रक्रिया के लिए क्रोमियम अथवा मैंगनीज धातुओं की तुलना में आयरन के ऑक्सीकरण में सुगमता।

उत्तर:
1. चूँकि Cr3+/cr2+ का अपचयन विभव ऋणात्मक (-0.4V) है। अत: Cr3+, Cr2+ में अपचयित नहीं हो सकता अर्थात् Cr3+ अधिक स्थायी है। Mn3+/Mn2+ का EΘ मान ऑक्सीकरण (+ 1.5 V) है। अत: Mn3+ सरलता से Mn3+ में अपचयित हो सकता है और Mn3+ कम स्थायी है। अतः विभिन्न आयनों की सापेक्षिक स्थिरता का क्रम निम्न है –
Mn3+ < Fe3+ < Cr3+

2. क्रोमियम, मैंगनीज तथा आयरन के ऑक्सीकरण विभव +0.9 V, +1.2V तथा + 0:4 V होंगे। अतः इनके ऑक्सीकरण का क्रम निम्नवत् है:
Mn > Cr > Fe

प्रश्न 8.18
निम्नलिखित में कौन-से आयन जलीय विलयन में रंगीन होंगे?
Ti3+, V3+, Cu+, Sc3+, Mn2+, Fe3+ तथा Co2+ प्रत्येक के लिए कारण बताइए।
उत्तर:
Sc3+ को छोड़कर, अभारित d – कक्षकों की उपस्थिति के कारण अन्य सभी जलीय विलयन में रंगहीन होंगे तथा d – d संक्रमण देगा।

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प्रश्न 8.19
प्रथम संक्रमण श्रेणी की धातुओं की +2 ऑक्सीकरण अवस्थाओं के स्थायित्व की तुलना कीजिए।
उत्तर:
प्रथम संक्रमण श्रेणी के प्रथम अर्द्धभाग में बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के साथ प्रथम तथा द्वितीय आयनन एन्थैल्पियों का योग बढ़ता है। अत: मानक अपचायक विभव (EΘ) कम तथा ऋणात्मक होता है, इसलिए M2+ आयन बपनाने की प्रवृत्ति घटती है। +2 ऑक्सीकरण अवस्था का अधिक स्थायित्व, Mn2+ में अर्द्धपूरित d – उपकोशों (d5) के कारण, Zn2+ में पूर्णपूरित d – उपकोशों (d10) के कारण तथा निकिल में उच्च ऋणात्मक जलयोजन एन्थैलल्पी के कारण होता है।

प्रश्न 8.20
निम्नलिखित के सन्दर्भ में लैन्थेनाइड एवं ऐक्टिनाइड के रसायन की तुलना कीजिए –

  1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
  2. परमाण्वीय एवं आयनिक आकार
  3. ऑक्सीकरण अवस्था
  4. रासायनिक अभिक्रियाशीलता।

उत्तर:
1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic configuration):
लैन्थेनाइडों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Xe]54 4f1-14 5d0-1 6s2 होता है, जबकि ऐक्टिनाइडों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Rn]86 5f1-14 6d0-1 7s2 होता है। अतः लैन्थेनाइड 4f श्रेणी से तथा ऐक्टिनाइड 5f श्रेणी से सम्बद्ध होते हैं।

2. परमाण्वीय एवं आयनिक आकार (Atomic and ionic sizes):
लैन्थेनाइड तथा ऐक्टिनाइड दोनों +3 ऑक्सीकरण अवस्था में अपने परमाणुओं अथवा आयनों के आकारों में कमी प्रदर्शित करते हैं। लैन्थेनाइडों में यह कमी लैन्थेनाइड आकुंचन कहलाती है, जबकि ऐक्टिनाइडों में यह ऐक्टिनाइड आकुंचन कहलाती है। यद्यपि ऐक्टिनाइडों में एक तत्व से दूसरे तत्व तक 5f – इलेक्ट्रॉनों द्वारा अत्यन्त कम परिरक्षण प्रभाव के कारण आकुंचन उत्तरोत्तर बढ़ता है।

3. ऑक्सीकरण अवस्था (Oxidation states):
लैन्थेनाइड सीमित ऑक्सीकरण अवस्थाएँ (+ 2, +3, + 4) प्रदर्शित करते हैं, जिनमें +3 ऑक्सीकरण अवस्था सबसे अधिक सामान्य है। इसका कारण 4f, 5d तथा 6s उपकोशों के बीच अधिक ऊर्जा-अन्तर होना है। दूसरी ओर ऐक्टिनाइड अधिक संख्या में ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं; क्योंकि 5f, 6d तथा 7s उपकोशों में ऊर्जा-अन्तर कम होता है।

4. रासायनिक अभिक्रियाशीलता (Chemical reactivity):

लैन्थेनाइड (Lanthanides):
सामान्य रूप से श्रेणी के आरम्भ वाले सदस्य अपने रासायनिक व्यवहार में कैल्सियम की तरह बहुत क्रियाशील होते हैं, परन्तु बढ़ते परमाणु क्रमांक के साथ ये ऐलुमिनियम की तरह व्यवहार करते हैं।
अर्द्ध-अभिक्रिया Ln3+ (aq) + 3e → Ln (s) के लिए EΘ का मान -2.2 से -2.4 V के परास में है। EΘ के लिए EΘ का मान -2.0 V है।

निस्सन्देह मान में थोड़ा-सा परिवर्तन है, हाइड्रोजन गैस के वातावरण में मन्द गति से गर्म करने पर धातुएँ हाइड्रोजन से संयोग कर लेती हैं। धातुओं को कार्बन के साथ गर्म करने पर कार्बाइड – Ln3C, Ln2C3 तथा LnC2 बनते हैं।

ये तनु अम्लों से हाइड्रोजन गैस मुक्त करती हैं तथा हैलोजन के वातावरण में जलने पर हैलाइड बनाती हैं। ये ऑक्साइड M2O3 तथा हाइड्रॉक्साइड M(OH)3 बनाती हैं। हाइड्रॉक्साइड निश्चित यौगिक हैं न कि केवल हाइड्रेटेड ऑक्साइड। ये क्षारीय मृदा धातुओं के ऑक्साइड तथा हाइड्रॉक्साइड की भाँति क्षारकीय होते हैं। इनकी सामान्य अभिक्रियाएँ चित्र में प्रदर्शित की गई हैं।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व img 7
चित्र-लैन्थेनाइडों की रासायनिक अभिक्रियाएँ।

ऐक्टिनाइड (Actinides):
ऐक्टिनाइड अत्यधिक अभिक्रियाशील धातुएँ हैं, विशेषकर जब वे सूक्ष्मभाजित हों। इन पर उबलते हुए जल की क्रिया से ऑक्साइड तथा हाइड्राइड का मिश्रण प्राप्त होता है और अधिकांश अधातुओं से संयोजन सामान्य ताप पर होता है। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल सभी धातुओं को प्रभावित करता है, परन्तु अधिकतर धातुएँ नाइट्रिक अम्ल द्वारा अल्प प्रभावित होती हैं, कारण यह है कि इन धातुओं ऑक्साइड की संरक्षी सतह बन जाती है। क्षारों का इन धातुओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

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प्रश्न 8.21
आप निम्नलिखित को किस प्रकार से स्पष्ट करेंगे:

  1. d4 स्पीशीज़ में से Cr2+ प्रबल अपचायक है, जबकि मैंगनीज (III) प्रबल ऑक्सीकारक है।
  2. जलीय विलयन में कोबाल्ट (II) स्थायी है, परन्तु संकुलनकारी अभिकर्मकों की उपस्थिति में यह सरलतापूर्वक ऑक्सीकृत हो जाता है।
  3. आयनों का d1 विन्यास अत्यन्त अस्थायी है।

उत्तर:
1. चूँकि Cr3+/Cr2+ के लिए EΘ मान ऋणात्मक (-0.41 V) होता है और Mn3+/Mn2+ के लिए EΘ मान धनात्मक (+ 1.57 V) होता है; अतः Cr आयन चूँकि ऑक्सीकृत होकर Cr+ आयन देते हैं, अत: Cr2+ प्रबल अपचायक के रूप में कार्य करता है। चूँकि Mn3+ सरलता से अपचयित होकर Mn2+ आयन देते हैं, चूँकि मैंगनीज (III) प्रबल आक्सीकरण है।

2. चूँकि Co (II) की तुलना में Co (III) में उपसहसंयोजक संकुल बनाने की प्रवृत्ति अधिक होती है, अतः लिगण्डों की उपस्थिति में Co (II) का Co (III) में सरलतापूर्वक ऑक्सीकरण हो जाता है।

3. d1 विन्यास के आयनों में d – उपकोश में उपस्थित एकल इलेक्ट्रॉन को खोकर स्थायी d0 विन्यास प्राप्त करने की प्रवृत्ति होती है। अतः ये अस्थायी होते हैं तथा असमानुपातन प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 8.22
असमानुपातन से आप क्या समझते हैं? जलीय विलयन में असमानुपातन अभिक्रियाओं के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
ऐसी अभिक्रियाएँ जिनमें एक ही पदार्थ का ऑक्सीकरण तथा अपचयन होता है, असमानुपातन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। असमानुपातन अभिक्रियाओं में सम्मिलित तत्व की ऑक्सीकरण संख्या के घटने तथा बढ़ने पर दो भिन्न उत्पाद बनते हैं।
उदाहरण:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व img 8

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प्रश्न 8.23
प्रथम संक्रमण श्रेणी में कौन-सी धातु बहुधा तथा क्यों + 1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाती हैं?
उत्तर:
कॉपर का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar] 3d10 4s1 है। यह एक इलेक्ट्रॉन खोकर स्थायी d10 विन्यास देता है। अतः यह बहुधा +1 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाती है।

प्रश्न 8.24
निम्नलिखित गैसीय आयनों में अयुगलित इलेक्ट्रॉनों की गणना कीजए:
Mn3+, Cr3+, V3+ Ti3+ इनमें से कौन-सा जलीय विलयन में अतिस्थायी है?
गणना:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व img 9
इन में Cr3+ जलीय विलयन अस्थाई है क्योंकि इसमें अर्द्धपूरित t28 स्तर होता है।

प्रश्न 8.25
उदाहरण देते हुए संक्रमण धातुओं के रसायन के निम्नलिखित अभिलक्षणों का कारण बताइए –

  1. संक्रमण धातु का निम्नतम ऑक्साइड क्षारकीय है, जबकि उच्चतम ऑक्साइड उभयधर्मी अम्लीय है।
  2. संक्रमण धातु की उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था ऑक्साइडों तथा फ्लुओराइडों में प्रदर्शित होती है।
  3. धातु के ऑक्सोऋणायनों में उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित होती है।

उत्तर:
1. संक्रमण धातु का निम्नतम ऑक्साइड क्षारकीय होता है; क्योंकि धातु परमाणु निम्न ऑक्सीकरण अवस्था में होता है। निम्न ऑक्सीकरण अवस्था में आयनिक आबन्ध बनते हैं। निम्न ऑक्सीकरण अवस्था में आबन्ध बनने के दौरान कम इलेक्ट्रॉन भाग लेते हैं; इसलिए प्रभावी नाभिकीय आवेश बहुत उच्च नहीं होता है। ऑक्साइड इलेक्ट्रॉनों का दान करके क्षार के समान व्यवहार करते हैं। धातुएँ विद्युत-धनात्मक होती हैं तथा क्षारकीय ऑक्साइड बनाती हैं।

संक्रमण धातु का उच्चतम ऑक्साइड उभयधर्मी अम्लीय होता है; क्योंकि धातु परमाणु उच्च ऑक्सीकरण अवस्था में होता है। उच्च ऑक्सीकरण अवस्था में सहसंयोजी आबन्ध बनते हैं। उच्च ऑक्सीकरण अवस्था में आबन्धन में अधिक इलेक्ट्रॉन भाग लेते हैं, जिस कारण प्रभावी नाभिकीय आवेश उच्च होता है। धातु ऑक्साइड इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर सकते हैं तथा लूइस अम्लों के समान व्यवहार करते हैं, इसलिए ऑक्साइड अम्लीय होते हैं।

2. संक्रमण धातु की उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था ऑक्साइडों तथा फ्लुओराइडों में प्रदर्शित होती है। क्योंकि ऑक्सीजन तथा फ्लुओरीन उच्च विद्युतऋणात्मक तत्व हैं तथा आकार में छोटे होते हैं। ये प्रबल ऑक्सीकारक होते हैं। उदाहरणार्थ-ऑस्मियम, OsF6 में +6 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है तथा वेनेडियम, V2O5 में +5 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करता है।

3. धातु ऑक्सोऋणायनों में उच्च ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित होती है; जैसे – \(\mathrm{Cr}_{2} \mathrm{O}_{7}^{2-}\), में Cr को ऑक्सीकरण अवस्था +6 है, जबकि MnO4 में Mn की ऑक्सीकरण अवस्था +7 है। धातु का ऑक्सीजन से संयोग का कारण यह है कि ऑक्सीजन उच्च विद्युतऋणात्मक तथा ऑक्सीकारक तत्व है।

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प्रश्न 8.26
निम्नलिखित को बनाने के लिए विभिन्न पदों का उल्लेख कीजिए:

  1. क्रोमाइट अयस्क से K2Cr2O7
  2. पाइरोलुसाइट से KMnO4

उत्तर:
1. क्रोमाइट अयस्क से K2Cr2O7:
क्रोमाइट अयस्क (FeCr2O4) को जब वायु की उपस्थिति में सोडियम या पोटैशियम कार्बोनेट के साथ संकलित किया जाता है तो क्रोमेट प्राप्त होता है, क्रोमाइट को साडियम कार्बोनेट के साथ अभिक्रिया निम्नलिखित प्रकार होती है:
4FeCr2O4 + 8Na2CO3 + 7O2 → 8Na2CrO4 + 2Fe2O3 + 8CO2

सोडियम क्रोमेट के पीले विलयन को छानकर उसे सल्फ्यूरिक अम्ल द्वारा अम्लीय बना लिया जाता है, जिसमें से नारंगी सोडियम डाइक्रोमेट, Na2Cr2O7.2H2O को क्रिस्टलित कर लिया जाता है।
2Na2CrO4 + 2H+ → Na2Cr2O7 + 2Na+ + H2O

सोडियम डाइक्रोमेट की विलयेता, पोटैशियम डाइक्रोमेट से अधिक होती है। इसलिए सोडियम डाइक्रोमेट के विलयन में पोटैशियम क्लोराइड डालकर पोटैशियम डाइक्रोमेट प्राप्त कर लिया जाता है।
Na2Cr2O7 + 2KCl → K2Cr2O7 + 2NaCl

2. पाइरोलुसाइट से KMnO4:
औद्योगिक स्तर पर KMnO4 का उत्पादन पाइरोलुसाइट, MnO2 के क्षारीय ऑक्सीकरणी संगलन के पश्चात् मैंगनेट (VI) के विद्युत-अपघटनी ऑक्सीकरण द्वारा किया जाता है।
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प्रश्न 8.27
मिश्रातुएँ क्या हैं? लैन्थेनाइड धातुओं से युक्त एक प्रमुख मिश्रधातु का उल्लेख कीजिए। इसके उपयोग भी बताइए।
उत्तर:
मिश्रातु या मिश्रधातु (alloy) विभिन्न धातुओं का सम्मिश्रण होते हैं जो कि धातुओं के समिश्रण से प्राप्त होते हैं। मिश्रातु समांगी ठोस विलयन हो सकते हैं जिनमें एक धातु के परमाणु दूसरी धातु के परमाणुओं में अनियमित रूप से वितरित रहते हैं।

इस प्रकार के मिश्रातुओं की रचनाएँ उन परमाणुओं द्वारा होती हैं जिनकी धात्विक त्रिज्याओं में 15% का अन्तर हो। एक मिश्रातु मिश धातु (misch metal) है जो एक लैन्थेनाइड धातु (~95%), आयरन (~5%) तथा लेशमात्र S, C, Ca एवं Al से बनी होती है। मिश धातु की अत्यधिक मात्रा मैग्नीशियम आधारित मिश्रातु में प्रयुक्त होती है जो बन्दूक की गोली, कवच या खोल तथा हल्के फ्लिण्ट के उत्पादन के लिए उपयोग में लाया जाता है।

प्रश्न 8.28
आन्तरिक संक्रमण तत्व क्या हैं? बताइए कि निम्नलिखित में कौन-से परमाणु क्रमांक आन्तरिक संक्रमण तत्वों के हैं:
29, 59, 74, 95, 102, 104
उत्तर:
ऐसे तत्व जिनमें अन्तिम इलेक्ट्रॉन -उपकोश में प्रवेश करता है f – ब्लॉक तत्व या आन्तरिक संक्रमण तत्व कहलाते हैं। ये दो श्रेणियाँ हैं – लैन्थेनाइड (58 – 71) तथा ऐक्टिनाइड (90 – 103) होते हैं। अत: परमाणु क्रमांक 59, 95 तथा 102 वाले तत्व आन्तरिक संक्रमण तत्व हैं।

प्रश्न 8.29
ऐक्टिनाइड तत्वों का रसायन उतना नियमित नहीं है जितना कि लैन्थेनाइड तत्वों का रसायन। इन तत्वों की ऑक्सीकरण अवस्थाओं के आधार पर इस कथन का आधार प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
सभी ऐक्टिनाइड रेडियोऐक्टिव हैं। यद्यपि प्राकृतिक रूप से उपस्थित तत्व तथा श्रेणी के पूर्व सदस्यों के अर्द्ध-आयुकाल अधिक हैं, परन्तु मानवनिर्मित तत्वों की अर्द्ध-आयु कई दिनों से लेकर 3 मिनट [लॉरेन्शियम (Z = 103) के लिए] तक है। यह उच्च रेडियोऐक्टिवता इनके अध्ययन में कठिनाई उत्पन्न करती है।

इसके अतिरिक्त ऐक्टिनाइडों की ऑक्सीकरण अवस्थाएँ विस्तृत परास में होती हैं जिसके कारण इनका रसायन नियमित नहीं होता है। ऐक्टिनाइड सामान्यतया +3 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाते हैं। श्रेणी के प्रारम्भिक अर्द्ध-भाग वाले तत्व सामान्यतया उच्च ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं।

उदाहरणार्थ: उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था Th में +4 है, Pa, U तथा Np में क्रमश: +5, +6 तथा +7 तक पहुँच जाती है, परन्तु बाद के तत्वों में ऑक्सीकरण अवस्थाएँ घटती हैं। प्रारम्भ तथा बाद वाले ऐक्टिनाइडों की ऑक्सीकरण अवस्थाओं के वितरण में इतनी अधिक अनियमितता तथा विभिनन्नता पाई जाती है कि ऑक्सीकरण अवस्थाओं के सन्दर्भ में इन तत्वों के रसायन की समीक्षा करना सन्तोषजनक नहीं है।

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प्रश्न 8.30
ऐक्टिनाइड श्रेणी का अन्तिम तत्व कौन-सा है? इस तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए। इस तत्व की सम्भावित ऑक्सीकरण अवस्थाओं पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
ऐक्टिनाइड श्रेणी का अन्तिम तत्व लॉरेन्शियम (Z = 103) है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास निम्नलिखित है:
Lr (Z = 103) = [Rn]86 5f14 6d1 7s2
Lr की सम्भावित ऑक्सीकरण अवस्था +3 है।

प्रश्न 8.31
हुण्ड-नियम के आधार पर Ce3+ आयन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को व्युत्पन्न कीजिए तथा ‘प्रचक्रण मात्र’ सूत्र के आधार पर इसके चुम्बकीय आघूर्ण की गणना कीजिए।
गणना:
58 Ce = [Xe]54 4f1 5d1 6s2
∴ Ce3+ = [Xe]54 4f1
∴ Ce3+ का चुम्बकीय आघूर्ण (µ)
= \(\sqrt{n(n+2)}\)
= \(\sqrt{1(1+2)}\) (∵n = 1)
= \(\sqrt{3}\) = 1.73 B.M

प्रश्न 8.32
लैन्थेनाइड श्रेणी के उन सभी तत्वों का उल्लेख कीजिए जो +4 तथा जो +2 ऑक्सीकरण अवस्थाएँ दर्शाते हैं। इस प्रकार के व्यवहार तथा उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के बीच सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर:
लैन्थेनाइड श्रेणी के +4 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाने वाले तत्व 58Ce, 59Pr. 60Nd, 65Tb, 66Dy हैं। लैन्थेनाइड श्रेणी के +2 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाने वाले तत्व 60Nd, 62Sm, 63Eu, 69Tm, 70 Yb हैं। +2 ऑक्सीकरण अवस्था तब प्रदर्शित की जाती है, जबकि लैन्थेनाइडों का विन्यास 5d0 6s2 होता है जिसमें 2 इलेक्ट्रॉन सरलतापूर्वक निकल सकें। +4 ऑक्सीकरण अवस्था तब प्रदर्शित की जाती है, जबकि लैन्थेनाइडों का शेष विन्यास 4f0 (जैसे – 4f0, 4f1, 4f2) या 4f7 (जैसे – 4f7 या 458) पर समाप्त हो।

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प्रश्न 8.33
निम्नलिखित के सन्दर्भ में ऐक्टिनाइड श्रेणी के तत्वों तथा लैन्थेनाइड श्रेणी के तत्वों के रसायन की तुलना कीजिए –

  1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
  2. ऑक्सीकरण अवस्थाएँ
  3. रासायनिक अभिक्रियाशीलता।

उत्तर:
अभ्यास प्रश्न संख्या 20 का उत्तर देखिए।

प्रश्न 8.34
61, 91, 101 तथा 109 परमाणु क्रमांक वाले तत्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व img 11

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प्रश्न 8.35
प्रथम श्रेणी के संक्रमण तत्वों के अभिलक्षणों की द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी के वर्गों के तत्वों से क्षैतिज वर्गों में तुलना कीजिए। निम्नलिखित बिन्दुओं पर विशेष महत्व दीजिए:

  1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
  2. ऑक्सीकरण अवस्थाएँ
  3. आयनन एन्थैल्पी
  4. परमाण्वीय आकार।

उत्तर:
1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास:
लैन्थेनाइडों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Xe]54 4f1-14 5d0-1 6s2 होता है, जबकि ऐक्टिनाइडों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Rn]86 5f1-14 6d0-1 7s2 होता है। अतः लैन्थेनाइड 4f श्रेणी से तथा ऐक्टिनाइड 5f श्रेणी से सम्बद्ध होते हैं।

2. ऑक्सीकरण अवस्था:
लैन्थेनाइड सीमित ऑक्सीकरण अवस्थाएँ (+ 2, +3, +4) प्रदर्शित करते हैं जिनमें +3 ऑक्सीकरण अवस्था सबसे अधिक सामान्य है। इसका कारण 4f, 5d तथा 6s उपकोशों के बीच अधिक ऊर्जा-अन्तर होना है। ऐक्टिनाइड अधिक संख्या में ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं; क्योंकि 5f, 6d तथा 7s उपकोशों में ऊर्जा-अन्तर कम होता है।

3. आयनन एन्थैल्पी (Ionization Enthalpy):
प्रत्येक श्रेणी में बाएँ से दाएँ जाने पर प्रथम आयनन एन्थैल्पी सामान्यतया धीरे-धीरे बढ़ती है, यद्यपि प्रत्येक श्रेणी में कुछ अपवाद भी प्रेक्षित होते हैं। समान क्षैतिज वर्ग में 3d श्रेणी के तत्वों की तुलना में 4d श्रेणी के कुछ तत्वों की प्रथम आयनन एन्थैल्पी उच्च तथा कुछ तत्वों की कम होती है, यद्यपि 5d श्रेणी की प्रथम आयनन एन्थैल्पी 3d तथा 4d श्रेणियों की तुलना में उच्च होती है। इसका कारण 5d श्रेणी में 4f इलेक्ट्रॉनों पर नाभिकर का दुर्बल परिरक्षण प्रभाव है।

4. परमाण्वीय एवं आयनिक आकार:
लैन्थेनाइड तथा ऐक्टिनाइड दोनों +3 ऑक्सीकरण अवस्था में अपने परमाणुओं अथवा आयनों के आकारों में कमी प्रदर्शित करते हैं। लैन्थेनाइडों में यह कमी लैन्थेनाइड आकुंचन कहलाती है, जबकि ऐक्टिनाइडों में यह ऐक्टिनाइड आकुंचन प्रभाव के कारण आकुंचन उत्तरोत्तर बढ़ता है।

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प्रश्न 8.36
निम्नलिखित आयनों में प्रत्येक के लिए 3d इलेक्ट्रॉनों की संख्या लिखिए:
Ti2+, V2+, Cr3+, Mn2+, Fe2+, Fe3+, CO2+, Ni2+, Cu2+ आप इन जलयोजित आयनों (अष्टफलकीय) में पाँच 3d कक्षकों को किस प्रकार अधिगृहीत करेंगे? दर्शाइए।
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व img 12

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प्रश्न 8.37
प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्व भारी संक्रमण तत्वों के अनेक गुणों से भिन्नता प्रदर्शित करते हैं। टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्व भारी संक्रमण तत्वों के गुणों से भिन्नता निम्न प्रकार दर्शाते हैं –

  1. भारी संक्रमण तत्वों (4d तथा 5d श्रेणियाँ) की परमाणु त्रिज्याएँ प्रथम संक्रमण श्रेणी (3d) के सम्बन्धित तत्वों से अधिक होती हैं, यद्यपि 4d तथा 5d श्रेणियों की परमाणु त्रिज्याएँ लगभग समान होती हैं।
  2. 5d श्रेणी की आयनन एन्थैल्पियाँ 3d तथा 4d श्रेणियों के सम्बन्धित तत्वों से उच्च होती है।
  3. 4d तथा 5d श्रेणियों की कणन एन्थैल्पियाँ प्रथम श्रेणी के सम्बन्धित तत्वों से उच्च होती हैं।
  4. भारी संक्रमण तत्वों के गलनांक तथा क्वथनांक प्रथम संक्रमण श्रेणी की तुलना में अधिक होते हैं क्योंकि इनमें प्रबल अन्तराधात्विक बन्धों की उपस्थिति है।

Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व

प्रश्न 8.38
निम्नलिखित संकुल स्पीशीज़ के चुम्बकीय आघूर्णों के मान से आप क्या निष्कर्ष निकालेंगे?
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व img 13
उत्तर:
चुम्बकीय आघूर्ण (µ) = \(\sqrt{n(n + 2)}\) B.M.
जहाँ n = अयुगलित इलेक्ट्रॉनों की संख्या
n = 1 के लिए = µ = \(\sqrt{1(1+2)}\) = \(\sqrt{3}\) = 1.73 B.M.
n = 2 के लिए = µ = \(\sqrt{2(2+2)}\) = \(\sqrt{8}\) = 2.83 B.M.
n = 3 के लिए = µ = \(\sqrt{3(3+2)}\) = \(\sqrt{15)}\) = 3.87 B.M.
n = 4 के लिए µ = \(\sqrt{4(4+2)}\) = \(\sqrt{24}\) = 4.9 B.M.
n = 5 के लिए µ = (\(\sqrt{5(5+2)}\)) = \(\sqrt{35)}\) = 5.92 B.M.

K4Mn(CN)6:
यहाँ की Mn की ऑक्सीकरण +2 है। अत: Mn, M2+ अवस्था में है।
µ = 2.2 B.M.से यह पता चलता कि इसमें एक युगलित इलेक्ट्रॉन है, अतः जब CN लिगेण्ड Mn2+ से जुड़ता है। तो 3d – कक्षकों के इलेक्ट्रॉन युगलित होकर उपलब्ध 6 रिक्त कक्षक बनाते हैं जिसमें d2sp3 संकरण प्रयुक्त होता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 8 d एवं f-ब्लॉक के तत्त्व img 14
अतः यह अल्प प्रचक्रण संकुल है जिसमें एक अयुगलित इलेक्ट्रॉन है।

[Fe(H2O)6]2+:
यहाँ Fe की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है जिस का रूप Fe2+ है।
5.3 B.M. यह दर्शाता है कि संकुल में चार अयुगलित इलेक्ट्रॉन हैं। इससे तात्पर्य है कि Fe2+ आयन में इलेक्ट्रॉन युगलित नहीं होते हैं जब छ: H2O अणु इससे जुड़ते हैं। अत: H2O एक दुर्बल लिगेण्ड है। इन छ: H2O अणुओं द्वारा दिये गये इलेक्ट्रॉनों को समायोजित करने के लिए संकुल sp3d2 संकरण वाला होगा।
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K2[MnCl4]:
यहाँ Mn की ऑक्सीकरण अवस्था +2 है जिस का रूप Mn2+ है। 5.9 B.M. से यह दर्शाता है कि इसमें 5 अयुगलित इलेक्ट्रॉन हैं। अत: यह संकरण sp3 है और संकुल चतुष्फकीय प्रकृति का है।
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Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन

Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

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Bihar Board Class 12 Chemistry दैनिक जीवन में रसायन Text Book Questions and Answers

पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 16.1
अनिद्राग्रस्त रोगियों को चिकित्सक नींद लाने वाली गोलियाँ लेने का परामर्श देते हैं, परन्तु बिना चिकित्सक से परामर्श लिए इनकी खुराक लेना उचित क्यों नहीं है?
उत्तर:
अधिकतर औषध अनुशंसित मात्रा से अधिक मात्रा में लेने पर हानिकारक प्रभाव डालती हैं तथा विष का कार्य करती हैं, इसलिए औषध लेने से पहले किसी चिकित्सक से परामर्श अवश्य लेना चाहिए।

प्रश्न 16.2
किस वर्गीकरण के आधार पर वक्तव्य, “निटिडीन प्रति-अम्ल है” दिया गया है?
उत्तर:
यह वक्तव्य भेषजगुणविज्ञानीय आधार पर वर्गीकरण की ओर संकेत करता है; क्योकि कोई भी औषध जो अम्ल के आधिक्य का प्रतिकार करेगी, प्रतिअम्ल कहलाएगी।

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प्रश्न 16.3
हमें कृत्रिम मधुरकों की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर:
प्राकृत मधुरक जैसे-सुक्रोम, ग्रहण की गई कैलोरी बढ़ाते हैं; इसलिए बहुत-से लोग कृत्रिम मधुरक प्रयोग करना अधिक पसन्द करते हैं। आर्थो-सल्फोबेन्जीमाइड, जिसे सैकरीन भी कहते हैं, प्रथम लोकप्रिय कृत्रिम मधुरक है। यह सन् 1879 से खोज के समय से ही मधुरक की तरह प्रयोग में लाया जाता रहा है। यह सुक्रोस (cane sugar) से लगभग 550 गुना अधिक मीठी होती है।

यह शरीर से अपरिवर्तित रूप में ही मूत्र के साथ उत्सर्जित हो जाती है। यह सेवन के पश्चात् पूर्णत: अक्रिय और अहानिकारक प्रतीत होती है। इसका प्रयोग मधुमेह के रोगियों एवं उन व्यक्तियों के लिए जिन्हें कैलोरी अन्तर्ग्रहण पर नियन्त्रण की आवश्यकता है, अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 16.4
ग्लिसरिल ओलिएट तथा ग्लिसरिल पामिटेट से सोडियम साबुन बनाने के लिए रासायनिक समीकरण लिखिए। इनके संरचनात्मक सूत्र नीचे दिए गए है –

  1. (C15H31COO)3 C3H5 – ग्लिसरिल पामिटेट
  2. (C17H32COO)3C3H5 – ग्लिसरिल ओलिएट
    BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन img-1

उत्तर:
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प्रश्न 16.5
निम्नलिखित प्रकार के अनायनिक अपमार्जक, द्रव अपमार्जकों, इमल्सीकारकों और क्लेदन कारकों (Wetting agents) में उपस्थित होते हैं। अणु में जलरोगी तथा जलविरागी हिस्सों को दर्शाइए। अणु में उपस्थित प्रकार्यात्मक समूह की पहचान कीजिए।
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उत्तर:
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उपर्युक्त अनायनिक अपमार्जक में ईथर तथा ऐल्कोहॉल प्रकार्यात्मक समूह उपस्थित हैं।

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अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 16.1
हमें औषधों को विभिन्न प्रकार से वर्गीकृत करने की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
औषधों के वर्गीकरण की विशिष्ट उपयोगिता है। अत: औषधों को विभिन्न प्रकार से वर्गीकृत करने की अत्यधिक आवश्यकता है। औषधों का निम्न प्रकार से वर्गीकरण कर सकते हैं:

1. भेषजगुणविज्ञानीय (फार्मोकोलोजिकल) प्रभाव के आधार पर वर्गीकरण:
यह वर्गीकरण भेषजगुणविज्ञानीय प्रभाव पर आधारित है। यह चिकित्सकों के लिए उपयोगी है; क्योंकि यह उन्हें किसी विशेष उपचार के लिए उपलब्ध पूरी औषध-श्रेणी देता है। उदाहरणार्थ: पीड़ाहारियों (एनलजेसिक) का पीड़ानाशक असर होता है, पूतिरोधी (एन्टीसेप्टिक) सूक्ष्म जीवों को नष्ट करते हैं अथवा वृद्धि को रोकते हैं।

2. औषध के प्रभाव पर आधारित वर्गीकरण:
यह किसी विशेष जैवरासायनिक प्रक्रम पर औषध के प्रभाव पर आधारित होता है। उदाहरण के लिए – हिस्टैमिन यौगिक, जो कि शरीर में शोथ उत्पन्न करता है, उसके प्रभाव को किसी प्रतिहिस्टैमिन द्वारा कम करते हैं। हिस्टैमिन के प्रभाव को कई प्रकार से कम किया जा सकता है।

3. रासायनिक संरचना पर आधारित वर्गीकरण:
यह औषध की रासायनिक संरचना पर आधारित है। इस प्रकार से वर्गीकृत औषध समान संरचनात्मक, विशेषताओं की भागीदारी होती हैं और प्रायः इनमें समान भेषजगुणविज्ञानीय क्रियाशीलता होती है।

4. लक्ष्य-अणुओं पर आधारित वर्गीकरण:
औषध साधारणतया जैवअणुओं; जैसे-काबोहाइड्रेट, लिपिड, प्रोटीन और न्यूक्लीक अम्लों से अन्योन्यक्रिया करती हैं, जिन्हें लक्ष्य-अणु अथवा औषध-लक्ष्य कहते हैं। समान संरचनात्मक विशेषताओं वाली औषधों की लक्ष्यों पर क्रियाविधि समान हो सकती है। लक्ष्य-अणुओं पर आधारित वर्गीकरण औषध रसायनज्ञों के लिए सबसे अधिक उपयोगी होता है।

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प्रश्न 16.2
औषध रसायन के पारिभाषिक शब्द, लक्ष्यअणु अथवा औषध लक्ष्य को समझाइए।
उत्तर:
औषध साधारणतया वृहत्-अणुओं जैसेकार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लिपिड तथा न्यूक्लीक अम्लों से अन्योन्यक्रिया करती हैं, जिन्हें लक्ष्य-अणु या औषध-लक्ष्य कहते हैं।

वे प्रोटीन जो जैव उत्प्रेरकों के रूप में कार्य करते हैं, एन्जाइम कहलाते हैं तथा जो प्रोटीन शरीर की संचार व्यवस्था में निर्णायक होते हैं, उन्हें ग्राही कहते हैं। वाहक प्रोटीन ध्रुवीय अणुओं को कोशिका-कला के आर-पार ले जाते हैं। न्यूक्लीक अम्लों में कोशिका की सांकेतिक आनुवंशिक जानकारी होती है। लिपिड और कार्बोहाइड्रेट कोशिका-कला की संरचना का हिस्सा हैं।

प्रश्न 16.3
उन वृहद-अणुओं के नाम लिखिए जिन्हें औषध-लक्ष्य चुना जाता है।
उत्तर:
न्यूक्लीक अम्ल, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, एन्जाइम आदि वृहद अणुओं को औषध-लक्ष्य कहा जाता है।

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प्रश्न 16.4
बिना डॉक्टर से परामर्श लिए दवाइयाँ क्यों नहीं लेनी चाहिए?
उत्तर:
जब औषध एक से अधिक ग्राही सतह को आबन्धित कर लेती है तो यह औषध के दुष्प्रभाव का कारण बन जाता है। इसलिए उचित औषध के चयन के लिए डॉक्टर का परामर्श आवश्यक होता है जिससे एक निश्चित ग्राही सतह के लिए औषध की बन्धुता अधिकतम हो तथा उसका वांछित प्रभाव हो सके। औषध की खुराक भी अनुशंति होनी चाहिए; क्योंकि औषध का अनुशंसित मात्रा से अधिक मात्रा में उपयोग किया जाए तो अधिकांश औषध विषकारी प्रभाव छोड़ती हैं तथा मृत्यु का कारण भी बन सकती है।

प्रश्न 16.5
‘रसायन चिकित्सा’ शब्द की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
रसायन विज्ञान की उस शाखा की जिसके अन्तर्गत रोगों के उपचार के लिए विभिन्न रसायनों के उपयोगों का अध्ययन किया जाता है; रसायन चिकित्सा कहते हैं।

प्रश्न 16.6
एन्जाइम की सतह पर औषध को थामने के लिए कौन-से बल कार्य करते हैं?
उत्तर:
एन्जाइम की सतह पर औषध को थामने के लिए अनेक बल कार्य करते हैं; जैसे-आयनिक आबन्ध, हाइड्रोजन आबन्ध, वाण्डवाल्स अन्योन्यक्रिया या द्विध्रुव-द्विध्रुव बल। सेरीन का -OH समूह, ऐस्पार्टिक अम्ल का -COOH समूह तथा फेनलऐनिलीन का फेनिल वलय औषध को एन्जाइम से आबन्धित करने में सहायता प्रदान करता है।

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प्रश्न 16.7
प्रतिअम्ल एवं प्रति-ऐलर्जी औषधि हिस्टैमिन के कार्य में बाधा डालती हैं, परन्तु ये एक-दूसरे के कार्य में बाधक क्यों नहीं होती?
उत्तर:
औषधों को शरीर में किसी एक भाग में हुए रोग के उपचार हेतु अभिकल्पित किया जाता है। ये शरीर के अन्य भागों को प्रभावित नहीं करतीं; क्योंकि. ये विभिन्न ग्राहियों पर कार्य करती हैं। उदाहरणार्थ-हिस्टैमिन का उद्दीपन ऐलर्जी का कारण बनता है। यह आमाशय में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल निर्मुक्त करने के कारण अम्लता का कारण भी बनता है। चूंकि प्रतिऐलर्जी तथा प्रतिअम्ल औषध विभिन्न ग्राहियों पर कार्य करती हैं; इसलिए प्रतिहिस्टैमिन ऐलर्जी का उपचार करती है, जबकि प्रतिअम्ल अम्लता का उपचार करती है।

प्रश्न 16.8
नॉरऐड्रीनेलिन का कम स्तर अवसाद का कारण होता है। इस समस्या के निदान के लिए किस प्रकार की औषध की आवश्यकता होती है? दो औषधों के नाम लिखिए।
उत्तर:
नॉरऐड्रीनेलिन एक तन्त्रिकीय संचारक (न्यूरोट्रान्समिटर) है जो मनोदशा परिवर्तन में भूमिका निभाती है। यदि किसी कारण से नॉरऐड्रीनेलिन का स्तर (मात्रा) कम हो तो संकेत भेजने की क्रिया धीमी पड़ जाती है तथा व्यक्ति अवसादग्रस्त हो जाता है। ऐसी स्थिति में प्रतिअवसादक (antidepresant) औषधों की आवश्यकता पड़ती है।

ये औषध नॉरएड्रीनेलिन का निम्नीकरण उत्प्रेरित करने वाले एन्जाइम को संदमित करती हैं। यदि एन्जाइम संदमित हो जाता है तो यह महत्त्वपूर्ण तन्त्रिकीय संचारक धीरे-धीरे उपापचयित (मेटाबोलाइज) होता है और अपने ग्राही को लम्बे समय तक सक्रिय कर सकता है; अत: अवसाद के प्रभाव का प्रतिकार कर सकता है। इप्रोनाइजिड और फिनल्जिन ऐसी दो औषध हैं।
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प्रश्न 16.9
वृहद-स्पेक्ट्रम जीवाणुनाशी शब्द से आप क्या समझते हैं? समझाइए।
उत्तर:
जीवाणु अथवा अन्य सूक्ष्मजीवियों के उस परास (रेंज) को जिस पर किसी प्रतिजीवाणु का प्रभाव होता है, उस प्रतिजीवाणु के क्रिया स्पेक्ट्रम की तरह अभिव्यक्त करते हैं। जो प्रतिजीवाणु ग्रैम-ग्राही (ग्रैम पॉजिटिव) ओर ग्रैम-अग्राही (ग्रैम नेगेटिव) दोनों प्रकार के जीवाणुओं के विस्तृत परास का विनाश करते हैं अथवा निरोध करते हैं, वृहद-स्पेक्ट्रम जीवाणुनाशी अथवा विस्तृत स्पेक्ट्रम प्रतिजीवाणु कहलाते हैं। जैसेटेट्रासाइक्लीन, ऑफ्लोक्सासिन क्लोरैम्फेनिकॉल आदि।

क्लोरैम्फेनिकॉल जो सन् 1947 में पृथक् किया गया एक वृहद् स्पेक्ट्रम वाला प्रतिजीवाणु है, यह जठरांत्र क्षेत्र में अतिशीघ्र अवशोषित हो जाता है। अतः इसे टाइफॉइड, पेचिश, तीव्र ज्वर, कुछ मूत्र संक्रमणों, तन्त्रिका-शोथ (मेनिनजाइट्इस) तथा निमोनिया जैसे रोगों में खिलाया जाता है। वेंकोमाइसिन और ऑफ्लोक्सासिन अन्य महत्त्वपूर्ण वृहद्-स्पेक्ट्रम प्रतिजीवाणु हैं। प्रतिजीवाणु डिसिडैजिरिन को कैंसर कोशिकाओं के कुछ प्रभेदों के प्रति अविषालु माना जाता है।

प्रश्न 16.10
पूतिरोधी तथा संक्रमणहारी किस प्रकार से भिन्न हैं? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
पूतिरोधियों को सजीव ऊतकों; जैसे-घाव, चोट, व्रण (अल्सर) और रोगग्रस्त त्वचा की सतह पर लगाया जाता है। फ्यूरासिन (Furacine) सोफ्रामाइसिन (Soframicine) इत्यादि इनके उदाहरण हैं। इन्हें प्रतिजीवाणुओं की तरह खाया नहीं जाता।

साधारणतः प्रयुक्त किया जाने वाला पूतिरोधी डेटॉल (Dettol) क्लोरोजाइलिनॉल (Chloroxylenol) तथा टीनिऑल (Terpineol) का मिश्रण होता है। विसंक्रामियों का प्रयोग निर्जीव वस्तुओं; जैसे-फर्श, नालियों और यन्त्रों इत्यादि पर किया जाता है। सान्द्रता परिवर्तन से यही पदार्थ प्रतिरोधी अथवा विसंक्रामी का कार्य कर सकता है। उदाहरण के लिए-फीनॉल का 0.2 प्रतिशत विलयन पूतिरोधी होता है, जबकि इसका एक प्रतिशत विलयन संक्रमणहारी होता है।

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प्रश्न 16.11
सिमेटिडीन तथा रैनिटिडीन सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनट अथवा मैग्नीशियम या ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड की तुलना में श्रेष्ठ प्रतिअम्ल क्यों हैं?
उत्तर:
आमाशय में अम्ल का अत्यधिक उत्पादन उत्तेजना तथा पीड़ा का कारण बनता है, गम्भीर अवस्था में आमाशय में घाव हो जाते हैं। 1970 तक अम्लता का उपचार केवल सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट अथवा मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड द्वारा किया जाता था, परन्तु इनकी अत्यधिक मात्रा के सेवन से आमाशय क्षारीय हो जाता है तथा अधिक अम्ल उत्पादन को प्रेरित करता है। यद्यपि धात्विक हाइड्रॉक्साइड बेहतर उपचार हैं; क्योंकि अघुलनशील होने के कारण ये pH को उदासीनता से आगे नहीं बढ़ने देते।

दोनों ही उपचार केवल रोग के लक्षणों को नियन्त्रित करते है, कारण को नहीं। इसलिए पहले इन धातु लवणों से रोगी का उपचार आसान नहीं होता था। अग्रगत अवस्था में अल्सर (व्रण) के प्राणघातक होने के कारण इसका एकमात्र उपचार आमाशय के रोगग्रस्त हिस्से को निकाल देना था।

अतिअम्लता के उपचार में मुख्य परिवर्तन उस खोज के बाद हुआ जिसके अनुसार रसायन हिस्टैमिन, आमाशय में पेप्सिन के निकलने को उद्दीपित करता है। आमाशय की दीवार में स्थित ग्राही के साथ हिस्टैमिन की अन्योन्यक्रिया रोकने के लिए औषध सिमेटिडीन तथा रैनिटिडीन (जैनटेक) अभिकल्प (डिजाइन) की गई। इसके कारण कम अम्ल निकलता था।

प्रश्न 16.12
एक ऐसे पदार्थ का उदाहरण दीजिए जिसे पूतिरोधी तथा संक्रमणहारी दोनों प्रकार से प्रयोग किया जाता है।
उत्तर:
फीनॉल का 0.2 प्रतिशत विलयन पूतिरोधी होता है, और इसका 1 प्रतिशत विलयन संक्रमणकारी होता है।

प्रश्न 16.13
डेटॉल के प्रमुख संघटक कौन-से हैं?
उत्तर:
किसी उपयुक्त विलायक में क्लोरोजाइलिनॉल (Chloroxylenol) तथा 4-टर्पिनिऑल (α-Terpineol) का मिश्रण डेटॉल कहलाता है। डीटॉल पूतिरोधी औषध का उदाहरण है।

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प्रश्न 16.14
आयोडीन का टिंक्चर होता हैं? इसके क्या उपयोग हैं?
उत्तर:
आयोडीन का ऐल्कोहॉल-जल मिश्रण में 2-3 प्रतिशत घोल आयोडीन का टिंक्चर कहलाता है। यह एक प्रबल पूतिरोधी है। इसे घाव पर लगाया जाता है।

प्रश्न 16.15
खाद्य पदार्थ परिरक्षक क्या होते है?
उत्तर:
खाद्य पदार्थों को सूक्ष्मजीवों की वृद्धि के कारण होने वाली खराबी से बचाने वाले रासायनिक पदार्थों को खाद्य परिरक्षक कहते हैं। उदाहरण- खाने का नमक, चीनी, सोडियम बेन्जोएट आदि सामान्य रूप से उपयोग में आने वाले परिरक्षक है।

प्रश्न 16.16
ऐस्पार्टेम का प्रयोग केवल ठण्डे खाद्य एवं पेय पदार्थों तक सीमित क्यों है?
उत्तर:
ऐस्पार्टेम का प्रयोग केवल ठण्डे खाद्य एवं पेय पदार्थों तक सीमित है; क्योंकि यह खाना पकाने के तापमान पर अस्थायी होता है।

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प्रश्न 16.17
कृत्रिम मधुरक क्या हैं? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
कृत्रिम मधुरक ऐसे रासायनिक पदार्थ हैं, जो स्वाद में मीठे होते हैं, परन्तु इनके सेवन से शरीर में कैलोरी की मात्रा नहीं बढ़ती है। ये शरीर से अपरिवर्तित रूप में ही मूत्र के साथ उत्सर्जित हो जाते हैं। उदाहरण-सैकरीन, ऐस्पार्टम, सुक्रालोस आदि।

प्रश्न 16.18
मधुमेह के रोगियों के लिए मिठाई बनाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले मधुरकों के क्या नाम हैं?
उत्तर:
सैकरीन।

प्रश्न 16.19
ऐलिटेम को कृत्रिम मधुरक की तरह उपयोग में लाने पर क्या समस्याएँ होती हैं?
उत्तर:
ऐलिटेम एक अत्यधिक प्रबल मधुरक है। अतः इसका प्रयोग करते समय मिठास नियन्त्रित करना कठिन होता है।

प्रश्न 16.20
साबुनों की अपेक्षा संश्लेषित अपमार्जक किस प्रकार श्रेष्ठ हैं?
उत्तर:
संश्लेषित अपमार्जक मृदु तथा कठोर दोनों प्रकार के जल में उपयोग किए जा सकते हैं; क्योंकि ये कठोर जल में भी झाग बनाते हैं। कुछ अपमार्जक तो बर्फीले जल में भी झाग देते हैं। इसका कारण है कि इनके घटक; सल्फोनिक अम्ल तथा इनके कैल्सियम एवं मैग्नीशियम लवण जल में विलेय होते हैं। दूसरी ओर साबुन में घटक; वसा अम्ल तथा इनके कैल्सियम एवं मैग्नीशियम लवण जल में अविलेय होते हैं; अतः ये कठोर जल में झाग नहीं देते हैं। इसलिए साबुनों की अपेक्षा संश्लेषित अपमार्जक श्रेष्ठ होते हैं।

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प्रश्न 16.21
निम्नलिखित शब्दों को उपयुक्त उदाहरणों द्वारा समझाइए:
(क) धनात्मक अपमार्जक
(ख) ऋणात्मक अपमार्जक
(ग) अनायनिक अपमार्जक
उत्तर:
(क) धनात्मक अपमार्जक:
धनात्मक अपमार्जक ऐमीनो के ऐसीटेट, क्लोराइड या ब्रोमाइड ऋणायनों के साथ बने चतुष्क लवण होते हैं।

उदाहरण: सेटिलट्राइमेथिल अमोनियम क्लोराइड।

(ख) ऋणात्मक अपमार्जक:
ऋणात्मक अपमार्जक लम्बी श्रृंखला वाले ऐल्कोहॉलो अथवा हाइड्रोकार्बनों के सल्फोनेटित व्युत्पन्न होते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं –

(i) सोडियम ऐल्किल सल्फेट:

उदाहरण:
सोडियम लॉरिल सल्फेट C11H23CH2OSO3Na.

(ii) सोडियम ऐल्किल बेन्जीन सल्फेट:
सर्वाधिक प्रयोग किया जाने वाला घरेलू अपमार्जक सोडियम-4 (-1-डोडेसिल) बेन्जीनसल्फोनेट (SDS) है।
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(ग) अनायनिक अपमार्जक:
अनायनिक अपमार्जक; उच्च आण्विक द्रव्यमान वाले ऐल्कोहॉलों के साथ वसा अम्लों के एस्टर होते हैं।

उदाहरण:
पोलिएथिलीन ग्लाइकॉल स्टिऐरेट
CH3(CH2)16COO (CH2CH2O), CH2CH2OH.

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प्रश्न 16.22
जैव-निम्ननीकृत होने वाले और जैव-निम्ननीकृत न होने वाले अपमार्जक क्या हैं? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजए।
उत्तर:
जैव-निम्ननीकृत अपमार्जक-ऐसे अपमार्जक जिनमें ऋजु हाइड्रोकार्बन श्रृंखला होती है, सूक्ष्मजीवों द्वारा सरलता से निम्ननीकृत हो जाते हैं, जैव-निम्ननीकृत अपमार्जक कहलाते हैं;

उदाहरण:
साडियम लॉरिल सोडियम-4-(1-डोडेसिल) बेन्जीनसल्फोनेट तथा सोडियम-4-(2-डोडेसिल) बेन्जीनसल्फोनेट।

जैव-निम्ननीकृत न होने वाले अपमार्जक:
ऐसी अपमार्जक हाइड्रोकार्बन शृंखला होती है, सूक्ष्मजीवों द्वारा सरलता से निम्ननीकृत नहीं होते, जैव-निम्ननीकृत न होने वाले अपमार्जक कहलाते हैं।

उदाहरण:
सोडियम-4-(-1. 3, 5, 7-टेट्रामेथिलसेटिल) बेन्जीन सल्फोनेट।

प्रश्न 16.23
साबुन कठोर जल में कार्य क्यों नहीं करता?
उत्तर:
कठोर जल में कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के आयन होते हैं। ये आयन सोडियम अथवा पोटैशियम साबुन को कठोर जल में घोलने पर क्रमश: अघुलनशील कैल्सियम और मैग्नीशियम साबुन में परिवर्तित कर देते हैं।
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यह अघुलनशील साबुन मलफेन (scum) की तरह पानी से अलग हो जाते हैं और शोधन अभिकर्मक के कार्य के लिए बेकार होते हैं। वास्तव में ये अच्छी धुलाई में रुकावट डालते हैं; क्योंकि यह अवक्षेप कपड़ों के रेशों पर चिपचिपे पदार्थ की तरह चिपक जाता है। कठोर जल से धुले बाल इस चिपचिपे पदार्थ के कारण कांतिहीन लगते हैं। कठोर जल और साबुन से धुले कपड़ों में इस चिपचिपे पदार्थ के कारण रंजक एकसमान रूप से अवशोषित नहीं होता।

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प्रश्न 16.24
क्या आप साबुन तथा संश्लेषित अपमार्जकों का प्रयोग जल की कठोरता जानने के लिए कर सकते हैं?
उत्तर:
साबुन कठोर जल के साथ अभिक्रिया करने पर कैल्सियम तथा मैगनीशियम लवणों के अवक्षेप बनाएगा, जबकि संश्लेषित अपमार्जक नहीं करते। अतः साबुन का प्रयोग जल की कठोरता जानने के लिए कर सकते हैं, परन्तु अपमार्जक का नहीं।

प्रश्न 16.25
साबुन की शोधन क्रिया समझाइए।
उत्तरः
साबुन की शोधन क्रिया (Cleansing Action of Soaps):
साबुन का अणु दो भागों का बना होता है। साबुन के अणु का एक भाग तो लम्बो हाइड्रोकार्बन श्रृंखला होती है जो अनायनिक होती है तथा साबुन के अणु का दूसरा भाग छोटा कार्बोक्सिलिक समूह (COONa+) होता है जो आयनिक होता है। साबन के अणु को चित्र द्वारा दर्शाया जाता है जिसमें टेढ़ी-मेढ़ी लम्बी रेखा तो हाइड्रोकार्बन श्रृंखला को निरूपित करती है, जबकि काला गोलीय भाग आयनिक समूह (COO) को निरूपित करता है।

साबुन के अणु का हाइड्रोकार्बन श्रृंखला वाला भाग जल को प्रतिकर्षित करने वाला होता है (या जल-विरोधी होता है), परन्तु वह धूल तथा चिकनाई जैसे मैल के कार्बनिक कणों को अपने साथ जोड़ लेता है। इसलिए मैले कपड़ों की सतह पर उपस्थित धूल तथा चिकनाई के कण साबुन के अणु के हाइड्रोकार्बन वाले भाग से जुड़ जाते हैं।

साबुन के अणु का आयनिक भाग (COO) जलस्नेही होता है जो जल के अणुओं की ओर आकर्षित होता है और अपने हाइड्रोकार्बन भाग में चिपके धूल तथा चिकनाई के कणों को अपने साथ खींचकर जल में ले आता है। इस प्रकार मैले कपड़े की सतह पर लगे धूल तथा चिकनाई के सारे कण साबुन के अणुओं के साथ लगकर जल में आ जाते हैं तथा मैला कपड़ा साफ हो जाता है।
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जब साबुन को जल में घोलते हैं तो वह मिसेल (micelles) बनाती है [चित्र (क)]। इस मिसेल में साबुन के अणु अरीय (radially) ढंग से व्यवस्थित होते हैं जिसमें हाइड्रोकार्बन शृंखला वाला भाग केन्द्र की ओर होता है तथा जल को आकर्षित करने वाला कार्बोक्सिलिक भाग बाहर की ओर रहता है जैसा कि [चित्र-(क)] में दिखाया गया है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन img-8
चित्र-साबुन का सफाई कार्य समझाने के लिए चित्र

जब साबुन के पानी में धूल तथा चिकनाई लगा मैला कपड़ा डालते हैं तो मिसेलों के हाइड्रोकार्बन शृंखलाओं वाले सिर मैले कपड़े की सतह पर उपस्थित धूल तथा चिकनाई के कणों के साथ जुड़े रहते हैं तथा उन्हें अपने बीच फँसा लेते हैं।

इसके बाद – मिसेलों के बाहर की ओर वाले आयनिक सिरे जल के अणुओं की ओर आकर्षित होते हैं जिससे हाइड्रोकार्बन वाले सिरों में फंसे मैल के कण कपड़े की सतह से खिंचकर जल में आ जाते हैं तथा कपड़ा साफ हो जाता है। सफाई में साबुन का प्रभाव निम्नांकित चित्र द्वारा दर्शाया गया है –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन img-9

Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन

प्रश्न 16.26
यदि जल में कैल्सियम हाइड्रोजन कार्बोनेट घुला हो तो आप कपड़े धोने के लिए साबुन एवं संश्लेषित अपमार्जकों में से किस का प्रयोग करेंगे?
उत्तर:
कैल्सियम हाइड्रोजन कार्बोनेट जल को कठोर बनाता है। साबुन कठोर जल के साथ अभिक्रिया करके कैल्सियम लवण के रूप में अवक्षेपित हो जायेगा। दूसरी ओर संश्लेषित अपमार्जक कठोर जल में विलेय होता है और कठोर जल में अवक्षेपित नर्ह होता। अतः कैल्सियम हाइड्रोजन कार्बोनेट युक्त जल में कपड़े धोने के लिए संश्लेषित अपमार्जक का प्रयोग करना चाहिए।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन img-10

प्रश्न 16.27
निम्नलिखित यौगिकों में जलरागी एवं जल विरागी भाग दर्शाइए –
(क) CH3(CH2)10 CH2SO3 Na+
(ख) CH3(CH2)15 N+(CH3)3 Br
(ग) CH3(CH2)16 COO (CH2CH2O)n CH2CH2OH
उत्तर:
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Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक

Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 15 बहुलक

Bihar Board Class 12 Chemistry बहुलक Text Book Questions and Answers

पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 15.1
बहुलक और एकलक पदों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
‘बहुलक’ (पॉलिमर) शब्द की उत्पत्ति दो ग्रीक शब्दों ‘पॉली अर्थात् अनेक और ‘मर’ अर्थात् इकाई अथवा भाग से हुई है। बहुलको को बहुत वृहत् अणु की भाँति परिभाषित किया जा सकता है, जिनका द्रव्यमान अतिउच्च (103 – 1027 u) होता है। इन्हें वृहदणु भी कहा जाता है, जो कि पुनरावृत्त संरचनात्मक इकाइयों के वृहत् पैमाने पर जुड़ने से बनते हैं। पुरावृत्त संरचनात्मक इकाइयाँ कुछ सरल और क्रियाशील अणुओं से प्राप्त होती हैं, जो एकलक कहलाती हैं। ये इकाइयाँ एक-दूसरे के साथ सहसंयोजक बन्धों द्वारा जुड़ी होती हैं।

उदाहरण:
पॉलिथीन, नाइलॉन-6, 6 बैकेलाइट, रबर आदि।

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प्रश्न 15.2
संरचना के आधार पर बहुलकों का वर्गीकरण कैसे किया जाता है?
उत्तर:
संरचना के आधार पर बहुलक अग्र तीन प्रकार के होते हैं:
1. रैखिक बहुलक:
इन बहुलकों में लम्बी और रेखीय श्रृंखलाएँ होती हैं। उच्च घनत्व पॉलिथीन, पॉलिवाइनिल क्लोराइड आदि इसके उदाहरण हैं। इन्हें निम्नानुसार निरूपित करते हैं:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 15 बहुलक img-1

2. शाखित श्रृंखला बहुलक:
इन बहुलकों में रेखीय शृंखलाओं में कुछ शाखाएँ होती हैं।
उदाहरण: निम्न घनत्व पॉलिथीन। इन्हें निम्नांकित प्रकार से चित्रित करते हैं:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 15 बहुलक img-2

3. तिर्यकबन्धित अथवा जालक्रम बहुलक:
यह साधारणतः
द्विक्रियात्मक और त्रिक्रियात्मक समूहों वाले एकलकों से बनते हैं तथा विभिन्न रेखीय बहुलक श्रृंखलाओं के बीच प्रबल सहसंयोजक बन्ध होते हैं।

उदाहरणार्थ:
बैकलाइट, मेलैमीन आदि। इन बहुलकों को व्यवस्थात्मक रूप में अग्रलिखित प्रकार से प्रदर्शित करते हैं:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 15 बहुलक img-3

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प्रश्न 15.3
निम्नलिखित बहुलकों को बनाने वाले एकलकों के नाम लिखिए:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 15 बहुलक img-4
उत्तर:

  1. हेक्सामेथिलीनडाइऐमीन [H2N – (CH2)6 – NH2] तथा ऐडिपिक अम्ल [HOOC – (CH2)4 – COOH)
  2. कैप्रोइक अम्ल।
  3. टेट्राफ्लुओरोएथीन।

प्रश्न 15.4
निम्नलिखित को योगज और संघनन बहुलकों में वर्गीकृत कीजिए:
टेरिलीन, बैकालाइट, पॉलिवाइनिल क्लोराइड, पॉलिथीन।
उत्तर:
योगज बहुलक:
पॉलिवाइनिल क्लोराइड, पॉलिथीन।

संघनन बहुलक: टेरिलीन, बैकालाइट।

प्रश्न 15.5
ब्यूना-N और ब्यूना-S के मध्य अन्तर समझाइए।
उत्तर:
ब्यूना-N; 1, 3-ब्यूटाडाईन और ऐक्रिलोनाइ – ट्राइल का सहबहुलक है, जबकि ब्यूना-S; 1, 3-ब्यूटाडाईन और स्टाइरीन का सहबहुलक है।

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प्रश्न 15.6
निम्न बहुलकों को उनके अन्तरा-आण्विक बलों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए:

  1. नाइलॉन-6, 6, ब्यूना-S, पॉलिथीन
  2. नाइलॉन-6, निओप्रीन, पॉलिवाइनिल क्लोराइड।

उत्तर:
दिए गए बहुलकों को उनके अन्तराआण्विक बलों के बढ़ते क्रम में निम्नवत् व्यवस्थित किया जा सकता है –

  1. ब्यूना-S; पॉलिथीन; नाइलॉन-6, 6
  2. निओप्रीन; पॉलिवाइनिल क्लोराइड; नाइलॉन-6

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अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 15.1
बहुलक और एकलक पदों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
बहुलक:
उच्च आण्विक द्रव्यमान वाला वृहदणु है, जिसमें एकलक से व्युत्पित पुनरावृत्त संरचनात्मक इकाइयाँ पाई जाती हैं।

उदाहरणार्थ:
पॉलिथीन, नाइलॉन-6, 6, बैकालाइट, रबर आदि।

एकलक:
एक सरल अणु है, जो बहुलकीकृत होने में सक्षम है और इससे संगत बहुलक बनता है।
उदाहरणार्थ:
वाइनिल क्लोराइड, एथीन, फॉर्मेल्डिहाइड तथा ऐक्रिलोनाइट्राइल, फीनॉल आदि।

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प्रश्न 15.2
प्राकृतिक और संश्लिष्ट बहुलक क्या हैं? प्रत्येक के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
प्राकृतिक बहुलक:
उच्च आण्विक द्रव्यमान वाले वृहदणु हैं। ये पादपों और जन्तुओं में पाए जाते हैं। प्रेटीन, स्टार्च, सेलुलोस, रेजिन, रबर और न्यूक्लीक अम्ल इसके उदाहरण हैं।

संश्लिष्ट बहुलक:
मानव-निर्मित उच्च आण्विक द्रव्यमान वाले वृहदणु हैं। संश्लिष्ट प्लास्टिक, रेशे और रबर इसके अन्तर्गत आते हैं। दो विशिष्ट उदाहरण पॉलिथीन और डेक्रॉन हैं।

प्रश्न 15.3
समबहुलक और सहबहुलक पदों (शब्दों) में विभेद कर प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
समबहुलक:
ऐसे बहुलक जिनकी पुनरावृत्त संरचनात्मक इकाइयाँ केवल एक प्रकार की एकलक इकाइयों से व्युत्पन्न होती हैं, समबहुलक कहलाते हैं।

उदाहरणार्थ:
पॉलिथीन, टेफ्लॉन, पॉलिस्टाइरीन, नाइलॉन-6 आदि।

सहबहुलक:
दो भिन्न प्रकार के एकलकों के योगात्मक बहुलकन से बनने वाले बहुलक सहबहुलक कहलाते हैं।

उदाहरण:
ब्यूना-S, ब्यूना-N, नाइलॉन-6-6 आदि।

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प्रश्न 15.4
एकलक की प्रकार्यात्मकता को आप किस प्रकार समझाएँगे?
उत्तर:
एकलक की प्रकार्यात्मकता एक अणु में आबन्धी स्थितियों की संख्या है।

उदाहरण:
एथीन प्रोपीन, स्टाइरीन, ऐक्रिलोनाइट्राइल की प्रकार्यात्मकता एक है तथा एथिलीन ग्लाइकाल 1, 3-ब्यूटाइडाईन, ऐडिपिक अम्ल, हेक्सामेथिलीनडाइऐमीन की प्रकार्यात्मकता दो होती है।

प्रश्न 15.5
बहुलकन पद (शब्द) को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
एक अथवा अधिक एकलकों की सहसंयोजक बन्धों द्वारा पुनरावृत्त संरचनात्मक इकाइयों के एक साथ शृंखलित होने से बनने वाले उच्च आण्विक द्रव्यमान वाले बहुलक बनने की प्रक्रिया बहुलकन (polymerization) है।

प्रश्न 15.6
(NH-CHR-CO)n एक समबहुलक है या सहबहुलक?
उत्तर:
चूँकि [NH-CHR-CO]n इकाई एकल एकलक इकाई से प्राप्त होती है, अतः यह एक समबहुलक है।

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प्रश्न 15.7
आण्विक बलों के आधार पर बहुलक किन संवर्गों में वर्गीकृत किए जाते हैं?
उत्तर:
विभिन्न बहुलकों की श्रृंखलाओं के मध्य उपस्थित आण्विंक बलों के आधार पर बहुलकों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है:

  1. प्रत्यास्थ बहुलक,
  2. रेशे,
  3. तापसुघट्य बहुलक और,
  4. तापदृढ़ बहुलका।

प्रश्न 15.8
संकलन और संघनन बहुलकन के मध्य आप किस प्रकार विभेद करेंगे?
उत्तर:
संकलन और संघनन बहुलकन के मध्य विभेद (Difference between Addition and Condensation Polymerization):
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प्रश्न 15.9
सहबहुलकन पद (शब्द) की व्याख्या कीजिए और दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
सहबहुलकन एक बहुलकन अभिक्रिया है जिसमें एक से अधिक प्रकार की एकलक स्पीशीज के मिश्रण का बहुलकन एक सहबहुलक बनाने के लिए किया जाता है। सहबहुलक को न केवल श्रृंखला वृद्धि बहुलकन से बनाया जा सकता है, अपितु पदश: वृद्धि बहुलकन से भी बनाया जा सकता है। अतः सहबहुलक में एक ही बहुलकन शृंखला में प्रत्येक एकलक की अनेक इकाइयाँ होती हैं।

उदाहरण:
ब्यूना-S; 1, 3-ब्यूटाडाईन तथा स्टाइरीन का सहबहुलक है, और ब्यूना-N; 1, 3-ब्यूटाडाईन तथा ऐक्रिलोनाइट्राइल का सहबहुलक है।

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प्रश्न 15.10
एथीन के बहुलकन के लिए मुक्त मूलक क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 15 बहुलक img-6

प्रश्न 15.11
तापसुघट्य और तापदृढ़ बहुलकों को प्रत्येक के दो उदाहरण के साथ परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
तापसुघट्य बहुलक-ये रेखीय या किंचित शाखित लम्बी श्रृंखला अणु होते हैं, जिन्हें बार-बार तापन द्वारा मृदुलित और शीतलन द्वारा कठोर बनाया जा सकता है। इन बहुलकों के अन्तराआण्विक आकर्षण बल प्रत्यास्थ बहुलकों और रेशों के मध्यवर्ती होते हैं। पॉलिथीन, पॉलिस्टाइरीन, पॉलिवाइनिल क्लोराइड आदि कुछ सामान्य तापसुघट्य हैं।

तापदृढ़ बहुलक-ये बहुलक तिर्यकबद्ध अथवा अत्यधिक शाखित अणु होते हैं, जो साँचों में तापन से विस्तीर्ण तिर्यकबन्ध हो जाते हैं और दोबारा दुर्गलनीय बन जाते हैं। इनका दोबारा उपयोग नहीं किया जा सकता। कुछ सामान्य उदाहरणबैकलाइट, यूरिया-फॉर्मेल्डिहाइड रेजिन आदि हैं।

प्रश्न 15.12
निम्नलिखित बहुलकों को प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त एकलक लिखिए:

  1. पॉलिवाइनिल क्लोराइड
  2. टेफ्लॉन
  3. बैकेलाइट।

उत्तर:

  1. पॉलिवाइनिल क्लोराइड का एकलक CH2 = CH – Cl (वाइनिल क्लोराइड) है।
  2. टेफ्लॉन का एकलक CF2 = CF2 (टेट्राफ्लुओरोएथिलीन) है।
  3. बैकालाइट के बनने में प्रयुक्त होने वाले एकलक HCHO (फॉर्मेल्डिहाइड) और C6H5OH (फीनॉल) हैं।

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प्रश्न 15.13
मुक्त मूलक योगज बहुलकन में प्रयुक्त एक सामान्य प्रारम्भक का नाम और संरचना लिखिए।
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 15 बहुलक img-7

प्रश्न 15.14
रबर अणुओं में द्विबन्धों की उपस्थिति किस प्रकार उनकी संरचना और क्रियाशीलता को प्रभावित करती है?
उत्तर:
संरचना की दृष्टि से प्राकृतिक रबर एक रेखीय सिस-1, 4-पॉलिआइसोप्रीन है तथा इसे आइसोप्रीन इकाइयों के 1,4-बहुलकन से प्राप्त किया जाता है। इस बहुलक में द्विआबन्ध आइसोप्रीन इकाइयों के C2 और C3 के मध्य स्थित होते हैं। द्विआबन्ध का सिस अभिविन्यास दुर्बल अन्तराआण्विक बलों द्वारा प्रभावी आकर्षण के लिए शृंखलाओं को समीप नहीं आने देता। अत: प्राकृतिक रबर अर्थात् सिस-पॉलिआइसोप्रीन की कुण्डलित संरचना होती है और वह प्रत्यास्थता प्रदर्शित करता है।
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प्रश्न 15.15
रबर का वल्कनीकरण के मुख्य उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
रबर का वल्कनीकरण:
प्राकृतिक रबर उच्च ताप (>335K) पर नर्म और निम्न ताप (<283K) पर भंगुर हो जाता है एवं उच्च जल अवशोषण क्षमता प्रदर्शित करता है।

यह अध्रुवीय विलायकों में घुलनशील है और ऑक्सीकरण कर्मकों के आक्रमण के प्रति प्रतिरोधी नहीं है। इन भौतिक गुणों में सुधार के लिए वल्कनीकरण की प्रक्रिया की जाती है। इस प्रक्रिया में अपरिष्कृत रबर को सल्फर और उपयुक्त योगजों के साथ 373K से 415K के ताप परास के मध्य गर्म किया जाता है। वल्कनीकरण से द्विबन्धों की अभिक्रियाशील स्थितियों पर सल्फर तिर्यक बन्ध बनाता है और इस प्रकार रबर कठोर हो जाता है।

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प्रश्न 15.16
नाइलॉन-6 और नाइलॉन-6, 6 में पुनरावृत्त एकलक इकाइयाँ क्या हैं?
उत्तर:
नाइलॉन-6 की पुनरावृत्त एकलक इकाई [NH(CH2)5-CO] है। नाइलॉन-6 ,6 बहुलक की पुनरावृत्त एकलक इकाई दो एकलकों हेक्सामेथिलीनडाइऐमीन और ऐडिपिक अम्ल से व्युत्पित होती है जिसकी संरचना निम्नवत् होती है:
[NH – (CH2)6 – NH – CO(CH2)4 – CO]

प्रश्न 15.17
निम्नलिखित बहुलकों के एकलकों का नाम और संरचना लिखिए:

  1. ब्यूना-S,
  2. ब्यूना-N,
  3. डेक्रॉन,
  4. निओप्रीन।

उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 15 बहुलक img-9

प्रश्न 15.18
निम्नलिखित बहुलक संरचनाओं के एकलक की पहचान कीजए:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 15 बहुलक img-10
उत्तर:
बहुलक बनाने वाले एकलक निम्नलिखित हैं:

1. डेकेनोइक अम्ल [HOOC(CH2)8 COOH] और हेक्सा मेथिलीनडाइऐमीन [H2N(CH2)6NH2]
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प्रश्न 15.19
एथीन ग्लाइकॉल और टेरेफ्थैलिक अम्ल से डेक्रॉन किस प्रकार प्राप्त किया जाता है?
उत्तर:
एथिलीन ग्लाइकॉल और टेरेपथैलिक अम्ल के बहुलीकरण द्वारा 420-460K पर जिंक ऐसीटेट तथा ऐन्टिमनी ट्राइऑक्साइड के उत्प्रेरकीय मिश्रण की उपस्थिति कराने पर डेक्रॉन बनाया जाता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 15 बहुलक img-12

प्रश्न 15.20
जैवनिम्नीय बहुलक क्या हैं? एक जैवनिम्नीय ऐलिफैटिक पॉलिएस्टर का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
ऐसे बहुलकों को जो एक समय बाद जीवाण्विक निम्नीकरण के फलस्वरूप स्वयं ही विघटित हो जाते हैं; जैवनिम्नीय बहुलक कहते हैं।

उदाहरण:
पॉलि-β-हाइड्रॉक्सीब्यूटिरेट-को-β-हाइड्रॉक्सी-वैलेरेट (PHBV):
यह 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनोइक अम्ल और 3-हाइड्रॉक्सीपेन्टेनोइक अम्ल के सहबहुलकन से प्राप्त होता है। PHBV का उपयोग विशिष्ट पैकेजिंग, अस्थियों में प्रयुक्त युक्तियों और औषधों के नियन्त्रित मोचन में भी होता है। पर्यावरण में PHVB का जीवाण्विक निम्नीकरण हो जाता है।
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Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु

Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 14 जैव-अणु Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

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Bihar Board Class 12 Chemistry जैव-अणु Text Book Questions and Answers

पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 14.1
ग्लूकोस तथा सुक्रोस जल में विलेय हैं, जबकि साइक्लोहेक्सेन अथवा बेन्जीन (सामान्य छह सदस्यीय वलय युक्त यौगिक) जल में अविलेय होते हैं। समझाइए।
उत्तर:
ग्लूकोस में पाँच -OH समूह तथा सुक्रोस में आठ -OH समूह होते हैं। ये -OH समूह जल के साथ हाइड्रोजन आबन्ध बनाते हैं। इस विस्तीर्ण अन्तराअणुक हाइड्रोजन आबन्ध के कारण ग्लूकोस तथा सुक्रोस जल में विलेय होते हैं, अपितु इनके आण्विक द्रव्यमान उच्च अर्थात् क्रमशः 180 amu तथा 342 amu हैं।

दूसरी ओर बेन्जीन (आण्विक द्रव्यमान = 78) तथा साइक्लोहेक्सेन (आण्विक द्रव्यमान = 84) कम आण्विक द्रव्यमान वाले सरल अणु होते हैं, परन्तु ये जल में अविलेय होते हैं। इसका कारण यह है कि इन यौगिकों में -OH समूह नहीं होते हैं, इसलिए इनमें जल के साथ हाइड्रोजन आबन्ध नहीं बनते।

इसके अतिरिक्त विलेयता के सामान्य नियम के अनुसार “समान समान को घोलता है।” अत: बेन्जीन तथा साइक्लोहेक्सेन जो कि अध्रुवी अणु हैं, ध्रुवी जल अणुओं में नहीं घुलते हैं।

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प्रश्न 14.2
लैक्टोस का जलअपघटन से किन उत्पादों के बनने की अपेक्षा करते हैं?
उत्तर:
जलअपघटन पर लैक्टोस मोनोसैकेराइड के दो अणु देता है। इसके उत्पाद D – ग्लूकोस तथा D – गैलेक्टोम हैं।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 14 जैव-अणु img-1

प्रश्न 14.3
D – ग्लूकोस के पेन्टाएसीटेट में आप ऐल्डिहाइड समूह की अनुपस्थिति को कैसे समझाएँगे?
उत्तर:
चूँकि ग्लूकोस के पेन्टाऐसीटेट में C1 में मुक्त -OH समूह नहीं होता, अतः यह जलीय विलयन में जल अपघटित नहीं होता और ऐल्डिहाइड समूह नहीं बनता। अतः ग्लूकोस पेंटाऐसीटेट NH2OH के साथ अभिक्रिया करके ग्लकोस आक्सिम नहीं बनाता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 14 जैव-अणु img-2
अतः ग्लूकोस पेन्टाऐसीटेट में ऐल्डिहाइड समूह नहीं होता।

प्रश्न 14.4
ऐमीनो अम्लों की गलनांक एवं जल में विलेयता सामान्यतः संगत हैलो अम्लों की तुलना में अधिक होती है। समझाइए।
उत्तर:
ऐमीनो अम्लों में ज्विटर आयन (\(\left(\mathrm{N}^{+} \mathrm{H}-\mathrm{CR}-\mathrm{CO} \overline{\mathrm{O}}\right)\)) होते हैं, जिनकी प्रकृति द्विध्रुवी होती है। प्रबल द्विध्रुवीय संयोजन के कारण ऐमीन अम्लों (ठोस) के गलनांक उच्च होते हैं।

ये जल में अधिक घुलनशील होते हैं, क्योंकि ये जल के अणुओं के साथ अन्तरा आणुविक हाइड्रोजन आबन्ध में प्रयुक्त होते हैं। दूसरी ओर हैलोअम्ल द्विध्रुवीय नहीं होते और जल के अणुओं के हाइड्रोजन आबन्ध में प्रयुक्त होते हैं किन्तु हैलोजन परमाणु के साथ नहीं। अत: हैलोअम्ल कम गलनांक वाले तथा जल में कम विलेयशील होते हैं। अतः ऐमीनों अम्ल के गलनांक एवं जल में विलेयता संगत हैलोअम्लों की तुलना में अधिक होती है।

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प्रश्न 14.5
अण्डे को उबालने पर उसमें उपस्थित जल कहाँ चला जाता है?
उत्तर:
अण्डे को उबालने पर इसमें प्रोटीनों का विकृतिकरण हो जाता है। इसमें उपस्थित जल विकृतिकृत प्रोटीनों में सम्भवतः हाइड्रोजन आबन्ध द्वारा अवशोषित या अधिशोषित हो जाता है तथा विलुप्त हो जाता है।

प्रश्न 14.6
हमारे शरीर में विटामिन C संचित क्यों नहीं होता?
उत्तर:
विटामिन C जल में विलेय होता है, अतः यह मूत्र के साथ सरलता से उत्सर्जित हो जाता है तथा शरीर में संचित नहीं होता है। अतः इसकी नियमित मात्रा लेना हमारे लिए आवश्यक है।

प्रश्न 14.7
यदि DNA के थायमीन युक्त न्यूक्लिओटाइड का जलअपघटन किया जाए तो कौन-कौन से उत्पाद बनेंगे?
उत्तर:
जलअपघटन पर, DNA से थायमीन के अतिरिक्त, दो उत्पाद 2-डिऑक्सी-D-राइबोस तथा फॉस्फोरिक अम्ल हैं।

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प्रश्न 8
जब RNA का जलअपघटन किया जाता है तो प्राप्त क्षारकों की मात्राओं के मध्य कोई सम्बन्ध नहीं होता। यह तथ्य RNA की संरचना के विषय में क्या संकेत देता है?
उत्तर:
DNA अणु में दो कुण्डलिनियों (strands) में चार पूरक क्षारक परस्पर युग्म बनाए रखते हैं; जैसे – साइटोसीन (C) सदैव ग्वानीन (G) के साथ युग्म बनाता है, जबकि थायमीन (T) सदैव ऐडेनीन के साथ युग्म बनाता है। इसलिए जब एक DNA अणु जलअपघटित होता है, तब साइटोसीन की मोलर मात्राएँ सदैव ग्वानीन के तुल्य तथा इसी प्रकार ऐडेनीन सदैव थायमीन के तुल्य होती है।

RNA में भी चार क्षारक होते हैं, जिनमें प्रथम तीन DNA के समान, परन्तु चौथा क्षारक यूरेसिल (U) होता है। चूँकि RNA में प्राप्त चारों क्षारकों (C, G, A तथा U) की मात्राओं के मध्य कोई सम्बन्ध नहीं होता है, इसलिए क्षारक-युग्मन सिद्धान्त (अर्थात् A के साथ U तथा C के साथ G का युग्म) का पालन नहीं होता है; अत: DNA के विपरीत RNA में एक कुण्डलिनी होती है।

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अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 14.1
मोनोसैकेराइड क्या होते हैं?
उत्तर:
मोनोसैकेराइड:
वे कार्बोहाइड्रेट जिनको पॉलिहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड अथवा कीटोन के और अधिक सरल यौगिकों में जल-अपघटित नहीं किया जा सकता, मोनोसैकेराइड कहलाते हैं। लगभग 20 मोनोसैकेराइड प्रकृति में ज्ञात हैं। इसके कुछ सामान्य उदाहरण ग्लूकोस, फ्रक्टोस, राइबोस आदि हैं।

कार्बन परमाणुओं की संख्या एवं प्रकार्यात्मक समूह के आधार पर मोनोसैकेराइड को पुन: वर्गीकृत किया जा सकता है। यदि मोनोसैकेराइड में ऐल्डिहाइड समूह है, तो उसे ऐल्डोस और यदि उसमें कीटों का समूह है, तो उसे कीटोस कहते हैं। मोनोसैकेराइड में निहित कार्बन परमाणुओं की संख्या को भी नाम से सम्मिलित किया जाता है, जो कि निम्नांकित सारणी में दिए गए उदाहरणों से स्पष्ट है।

सारणी: विभिन्न प्रकार के मोनोसैकेराइड –
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प्रश्न 14.2
अपचायी शर्करा क्या होती है?
उत्तर:
वे सभी कार्बोहाइड्रेट जो फेहलिंग विलयन को Cu2O के लाल अवक्षेप में अथवा टॉलेन अभिकर्मक को धात्विक Ag में अपचयित कर देते हैं, अपचायी शर्करा कहलाते हैं। सभी मोनोसैकेराइड (ऐल्डोस तथा कीटोस दोनों) तथा डाइसैकेराइड, सुक्रोस को छोड़कर, अपचायी शर्करा होते हैं।

प्रश्न 14.3
पौधों में कार्बोहाइड्रेटों के दो मुख्य कार्यों को लिखिए।
उत्तर:

  1. पौधों की कोशिका भित्ति सेलुलोस की बनी होती हैं।
  2. पॉलिसैकेराइड स्टार्च पौधों में प्रमुख संचित खाद्य पदार्थ के रूप में होता है।

प्रश्न 14.4
निम्नलिखित को मोनोसैकेराइड तथा डाइसैकेराइड में वर्गीकृत कीजिए:
राइबोस, 2-डिऑक्सीराइबोस, माल्टोस, गैलेक्टोस, फ्रक्टोस तथा लैक्टोस
उत्तर:
मोनोसैकेराइड:
राइबोस, 2-डिऑक्सी- राइबोस, गैलेक्टोस तथा फ्रक्टोस।

डाइसैकेराइड:
माल्टोस, लैक्टोस।

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प्रश्न 14.5
ग्लाइकोसाइडी बन्ध से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
डाइसैकेराइड तनु अम्ल तथा एन्जाइम की उपस्थिति में जलअपघटन द्वारा समान अथवा असमान मोनोसैकेराइड्स के दो अणु देते हैं। दोनों मोनोसैकेराइड इकाइयाँ, जल के एक अणु के निष्कासन के उपरान्त बने ऑक्साइड बन्ध द्वारा जुड़ी रहती हैं। परमाणु के द्वारा दो मोनोसैकेराइड इकाइयों में इस प्रकार के आबन्ध को ग्लाइकोसाइडी बन्ध (glycosidic linkage) कहते हैं।
उदाहरणार्थ:
सुक्रोस एक सामान्य डाइसैकेराइड है, जो जलअपघटन पर सममोलर मात्रा में D-(+)-ग्लूकोस तथा D-(-)-फ्रक्टोस देता है।
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ये दोनों मोनोसैकेराइड इकाइयाँ α-ग्लूकोस के C1 तथा β-ग्लूकोस C2 के मध्य ग्लाइकोसाडी बन्ध द्वारा जुड़ी रहती हैं। चूँकि ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस का अपचायक समूह ग्लाइकोसाइडी बन्ध निर्माण में प्रयुक्त होता है; अत: सुक्रोस एक अनअपचायी शर्करा है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 14 जैव-अणु img-5

प्रश्न 14.6
ग्लाइकोजन क्या होता है तथा ये स्टार्च से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
ग्लाइकोजन (Glycogen):
प्राणी शरीर में कार्बोहाइड्रेट, ग्लाइकोजन के रूप से संगृहीत रहता है। चूंकि इसकी संरचना ऐमिलोपेक्टिन के समान होती है; अत: इसे प्राणी स्टार्च भी कहा जाता है एवं यह ऐमिलोपेक्टिन से अधिक शाखित होता है। यह यकृत मांसपेशियों तथा मस्तिष्क में उपस्थित रहता है। जब शरीर को ग्लूकोस की आवश्यकता होती है, एन्जाइम ग्लाइकोजन को ग्लूकोस में तोड़ देते हैं। ग्लाइकोजन यीस्ट तथा कवक में भी मिलता है।

स्टार्च (Starch):
स्टार्च पौधों में मुख्य संगृही पॉलिसैकेराइड है। यह मनुष्यों के लिए आहार का मुख्य स्रोत है। दाल, जड़, कन्द तथा कुछ सब्जियों में स्टार्च प्रचुर मात्रा में मिलता है। यह 4-ग्लूकोस का बहुलक है तथा दो घटकों ऐमिलोस तथा ऐमिलोपेक्टिन से मिलकर बनता है। ऐमिलोस जल में घुलनशील अवयव है तथा यह स्टार्च का 15-20% भाग निर्मित करता है। रासायनिक रूप से ऐमिलोस 200-1000 C-D (+)-ग्लूकोस इकाइयों की अशाखित श्रृंखला होती है, जो C1 – C4 ग्लाइकोसाडी बन्ध द्वारा जुड़ी रहती हैं।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 14 जैव-अणु img-6
ऐमिलोपेक्टिन जल में अविलेय होती है तथा यह स्टार्च का 80-85% भाग बनाती है। यह तथा ग्लाइकोजन दोनों α-D (+)-ग्लूकोस इकाइयों की शाखित श्रृंखला होती है, जिसमें C1 – C4 ग्लाइकोसाइडी बना होते हैं, जबकि शाखित C1 – C6 ग्लाइकोसाइडी बन्ध द्वारा होता है।

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प्रश्न 14.7
(अ) सुक्रोस तथा (ब) लैक्टोस के जलअपघटन से कौन-से उत्पाद प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
सुक्रोस तथा लैक्टोस दोनों डाइसैकेराइड हैं। सुक्रोस जलअपघटन पर ग्लूकोस तथा फ्रक्टोस का एक-एक अणु देता है, जबकि लैक्टोस जलअपघटन पर ग्लूकोस तथा गैलेक्टोस का एक-एक अणु देता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 14 जैव-अणु img-7

प्रश्न 14.8
स्टार्च तथा सेलुलोस में मुख्य संरचनात्मक अन्तर क्या है?
उत्तर:
स्टार्च दो घटकों ऐमिलोस तथा ऐमिलोपेक्टिन से मिलकर बनता है। ऐमिलोस α-D-ग्लूकोस का रेखीय बहुलक होता है, जबकि सेलुलोस β-D-ग्लूकोस बनी रेखीय बहुलक पॉलीसैकेराइड होता है। ऐमिलोस में एक ग्लूकोस इकाई का 9 अन्य ग्लूकोस इकाई के C4 से α-ग्लाइकोसाइडी बन्ध द्वारा होता है। पॉलीसैकेराइड में इन्हें निम्न चित्र से दर्शाया जा सकता है:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 14 जैव-अणु img-8
सेलुलोस सेलुलोस, β-D-ग्लूकोस से बनी ऋजु श्रृंखलायुक्त पॉलिसैकेराइड है, जिसमें एक ग्लूकोस इकाई के C1 तथा दूसरी ग्लूकोस इकाई के C4 के मध्य ग्लाइकोसाइडी बन्ध बनता है।

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प्रश्न 14.9
क्या होता है जब D – ग्लूकोस की अभिक्रिया निम्नलिखित अभिकर्मकों से करते हैं?

  1. HI
  2. ब्रोमीन जल
  3. HNO3

उत्तर:
1. यह HI के साथ अधिक गर्म किए जाने पर n-हेक्सेन बनाता है जिससे ज्ञात होता है कि सभी कार्बन परमाणु एक सीधी श्रृंखला में जुड़े रहते हैं।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 14 जैव-अणु img-9

2. ग्लूकोस ब्रोमीन जल जैसे दुर्बल आक्सीकरण कर्मक द्वारा आक्सीकरण से छह कार्बन परमाणुयुक्त कार्बोक्सिलिक अम्ल (ग्लूकोनिक अम्ल) देता है। यह सिद्ध करता है कि ग्लूकोस का कार्बोनिल समूह एल्डिहाइड समूह के रूप में उपस्थित है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 14 जैव-अणु img-10

3. ग्लूकोस तथा ग्लूकोनिक अम्ल दोनों ही नाइट्रिक अम्ल द्वारा आक्सीकरण से एक डाइकार्बोक्सिलिक अम्ल, सैकेरिक अम्ल बनाते हैं। यह ग्लूकोस में प्राथमिक ऐल्कोहॉलिक समूह की उपस्थिति को दर्शाता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 14 जैव-अणु  img-11

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प्रश्न 14.10
ग्लूकोस की उन अभिक्रियाओं का वर्णन कीजिए जो इसकी विवृत श्रृंखला संरचना के द्वारा नहीं समझाई जा सकतीं।
उत्तर:
निम्नलिखित अभिक्रियाएँ ग्लूकोस को विवृत श्रृंखला संरचना के द्वारा नहीं समझाई जा सकती हैं, इन्हें बॉयर ने प्रस्तावित किया था –

1. ऐल्डिहाइड समूह उपस्थित होते हुए भी ग्लूकोस 2, 4-DNP परीक्षण तथा शिफ-परीक्षण नहीं देता एवं यह NaHSO3 के साथ हाइड्रोजन सल्फाइड योगज उत्पाद नहीं बनाता।

2. ग्लूकोस का पेन्टाऐसीटेट, हाइड्रॉक्सिऐमीन के साथ अभिक्रिया नहीं करता जो मुक्त -CHO समूह की अनुपस्थिति को इंगित करता है।

3. जब D-ग्लूकोस को शुष्क हाइड्रोजन क्लोराइड गैस की उपस्थिति में मेथेनॉल के साथ अभिकृत कराया जाता है, तब यह दो समावयव मोनोमेथिल व्युत्पन्न देता है, जिन्हें α-D-ग्लूकोसाइड तथा मेथिल β-D-ग्लूकोसाइड के नाम से जाना जाता है। ये ग्लूकोसाइड फेहलिंग विलयन को अपचयित नहीं करते तथा हाइड्रोजन सायनाइड अथवा हाइड्रॉक्सिलऐमीन के साथ अभिक्रिया नहीं करते हैं तथा मुक्त -CHO समूह की अनुपस्थिति को इंगित करते हैं।

प्रश्न 14.11
आवश्यक तथा अनावश्यक ऐमीनो अम्ल क्या होते हैं? प्रत्येक प्रकार के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
ऐमीनो अम्ल जो जीवों के स्वास्थ्य तथा उनकी वृद्धि के लिए आवश्यक होते हैं, परन्तु शरीर में संश्लेषित नहीं होते हैं, आवश्यक ऐमीनो अम्ल कहलाते हैं; जैसे-वैलीन, ल्यूसीन, आर्जिनीन आदि।

अनावश्यक ऐमीनो अम्ल:
ऐमीनों अम्ल जो जीवों के स्वास्थ्य तथा उनकी वृद्धि के लिए आवश्यक होते हैं तथा शरीर में संश्लेषित हो सकते हैं, अनावश्यक ऐमीनो अम्ल कहलाते हैं; जैसे-ग्लाइसीन, ऐलैनीन, ऐस्पार्टिक अम्ल आदि।

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प्रश्न 14.12
प्रोटीन के सन्दर्भ में निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए:

  1. पेप्टाइड बन्ध
  2. प्राथमिक संरचना
  3. विकृतीकरण।

उत्तर:
1. पेप्टाइड बन्ध:
रासायनिक रूप से पेप्टाड आबन्ध, -COOH समूह तथा -NH2 समूह के मध्य बना एक आबन्ध होता है। दो एक जैसे अथवा भिन्न ऐमीनो अम्लों के अणुओं के मध्य अभिक्रिया एक अणु के ऐमीनों समूह तथा दूसरे अणु के कार्बोक्सिल समूह के मध्य संयोग से होती है जिसके फलस्वरूप एक जल का अणु मुक्त होता है तथा पेप्टाइड आबन्ध -CO-NH- बनता है।

चूँकि उत्पाद दो ऐमीनो अम्लों के द्वारा बनता है; अत: इसे डाइपेप्टाइड कहते हैं। उदाहरणार्थ-जब ग्लाइसीन का कार्बोक्सिल समूह, एलैनीन के ऐमीनो समूह के साथ संयोग करता है तो हमें एक डाइपेप्टाइड, ग्लाइसिलऐलैनीन प्राप्त होता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 14 जैव-अणु  img-12

2. प्राथमिक संरचना:
प्रोटीन में एक अथवा अनेक पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाएँ उपस्थित हो सकती हैं। किसी प्रोटीन के प्रत्येक पॉलिपेप्टाइड में ऐमीनो अम्ल एक विशिष्ट क्रम में संयुक्त होते हैं। ऐमीनो अम्लों का यह विशिष्ट क्रम प्रोटीन्स की प्राथमिक संरचना बनाता है। प्राथमिक संरचना में किसी भी प्रकार का परिवर्तन अर्थात् ऐमीनो अम्लों के क्रम में परिवर्तन से भिन्न प्रोटीन उत्पन्न होते हैं।

3. विकृतीकरण:
जैविक निकाय में पाई जाने वाली विशेष त्रिविमा संरचना तथा जैविक सक्रियता वाले प्रोटीन, प्राकृत प्रोटीन कहलाते हैं। जब प्राकृत प्रोटीन में भौतिक परिवर्तन करते हैं; जैसे-ताप में परिवर्तन अथवा रासायनिक परिवर्तन करते हैं (जैसे – pH में परिवर्तन आदि किया जाता है) तो हाइड्रोजन आबन्धों में अस्त-व्यस्तता उत्पन्न हो जाती है, जिसके कारण गोलिका (ग्लोब्यूल) खुल जाती है तथा हेलिक्स अकुण्डलित हो जाती है तथा प्रोटीन अपनी जैविक सक्रियता को खो देता है।

इसे प्रोटीन का विकृतीकरण कहते हैं। विकृतीकरण के दौरान 2° तथा 3° संरचनाएँ नष्ट हो जाती हैं, परन्तु 1° संरचना अप्रभावित रहती है। उबालने पर अण्डे की सफेदी का स्कन्दन विकृतीकरण का एक सामान्य उदाहरण है। एक अन्य उदाहरण दही का जमना है, जो दूध में उपस्थित बैक्टीरिया द्वारा लैक्टिक अम्ल उत्पन्न होने के कारण होता है।

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प्रश्न 14.13
प्रोटीन की द्वितीयक संरचना के सामान्य प्रकार क्या हैं?
उत्तर:
किसी प्रोटीन की द्वितीयक संरचना का सम्बन्ध उस आकृति से है, जिसमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला विद्यमान होती है। यह दो भिन्न प्रकार की संरचनाओं में विद्यमान होती हैं – α-हेलिक्स तथा β-प्लीटेड शीट संरचना । ये संरचनाएँ पेप्टाइड आबन्ध के image 13 समूह के मध्य हाइड्रोजन आबन्ध के कारण पॉलिपेप्टाइड की मुख्य श्रृंखला के नियमित कुण्डलन में उत्पन्न होती हैं।

प्रश्न 14.14
प्रोटीन की -हेलिक्स संरचना के स्थायीकरण में कौन-से आबन्ध सहायक होते हैं?
उत्तर:
α-हेलिक्स संरचना एक ऐसी संरचना है, जिसमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला में सभी सम्भव हाइड्रोजन आबन्ध बन सकते हैं। इसमें पॉलिपेप्टाइड श्रृंखला दक्षिणावर्ती पेंच के समान मुड़ी रहती है फलस्वरूप प्रत्येक ऐमीनों अम्ल के अवशिष्ट का -NH समूह, कुण्डली के अगले मोड़ पर स्थित >C = 0 समूह के साथ हाइड्रोजन आबन्ध बनाता है।

प्रश्न 14.15
रेशेदार तथा गोलिकाकार (globular) प्रोटीन को विभेदित कीजिए।
उत्तर:
1. रेशेदार प्रोटीन (Fibrous Proteins):
जब पॉलिपेप्टाइड शृंखलाएँ समानान्तर होती हैं तथा हाइड्रोजन एवं डाइसल्फाइड आबन्धों द्वारा संयुक्त रहती हैं तो रेशासम (रेशे जैसी) संरचना बनती है। इस प्रकार के प्रोटीन सामान्यतः जल में अविलेय होते हैं। रेशेदार प्रोटीन जन्तु ऊतकों के प्रमुख संरचनात्मक पदार्थ होते हैं। कुछ सामान्य उदाहरण किरेटिन (बाल, ऊन तथा रेशम में उपस्थित) तथा मायोसिन (मांसपेशियों में उपस्थित) आदि हैं।

2. गोलिकाकार प्रोटीन (Globular Proteins):
जब पॉलिपेप्टाइड की श्रृंखलाएँ कुण्डली बनाकर गोलाकृति प्राप्त कर लेती हैं तो ऐसी संरचनाएँ प्राप्त होती हैं। ये सामान्यत: जल में विलेय होती हैं; क्योंकि इनके अणु दुर्बल अन्तराअणुक बलों द्वारा जुड़े रहते हैं। इन्सुलिन तथा ऐल्बुमिन इनके सामान्य उदाहरण हैं।

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प्रश्न 14.16
ऐमीनो अम्लों की उभयधर्मी प्रकृति को आप कैसे समझाएँगे?
उत्तर:
ऐमीनो अम्ल सामान्यत:
रंगीन क्रिस्टलीय टोस होने हैं। ये जल-विलेय तथा उच्च गलनांकी ठोस होते हैं, जो सामान्य ऐमीनो तथा कार्बोक्सिलिक अम्लों की भाँति व्यवहार नहीं करते. अपितु लवणों की भाँति गुण दर्शाते हैं। इसका कारण एक ही अणु में अम्लीय (कार्बोक्सिल समूह) तथा क्षारकीय (ऐमीनो समूह) समूहों की उपस्थिति है।

जलीय विलयन में कार्बोक्सिल समूह एक प्रोटॉन मुक्त कर सकता है, जबकि एमीनो समूह एक प्रोटॉन ग्रहण कर सकता है, जिसके फलस्वरूप एक द्विध्रुवीय आयन बनता है, जिसे ज्विटर आयन अथवा उभयविष्ट आयन कहते हैं। यह उदासीन होता है परन्तु इसमें धनावेश तथा ऋणावेश दोनों ही उपस्थित है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 14 जैव-अणु  img-13
उभयविष्ट आयनिक रूप में ऐमीनो अम्ल उभयधर्मी प्रकृति दर्शाते हैं तथा वे अम्लों एवं क्षारकों दोनों के साथ अभिक्रिया करते हैं।

प्रश्न 14.17
एन्जाइम क्या होते हैं?
उत्तर:
एन्जाइम जैव-उत्प्रेरक होते हैं। जीवधारियों में होने वाली विभिन्न रासायनिक अभिक्रियाओं में समन्वयन के कारण ही जीवन सम्भव होता है। उदाहरणार्थ: भोजन का पाचन, उपयुक्त अणुओं का अवशोषण तथा अन्ततः ऊर्जा का उत्पादन। इस प्रक्रम में अभिक्रियाएँ एक अनुक्रम में होती हैं तथा ये सभी अभिक्रियाएँ शरीर में मध्यम परिस्थितियों में सम्पन्न होती हैं। यह कुछ जैव-उत्प्रेरकों की सहायता से होता है।

इन्हीं जैव-उत्प्रेरकों को एन्जाइम कहा जाता है। लगभग सभी एन्जाइम गोलिकाकार प्रोटीन होते हैं। एन्जाइम किसी विशेष अभिक्रिया अथवा विशेष क्रियाधार के लिए विशिष्ट होते हैं अर्थात् प्रत्येक एन्जाइम केवल एक रासायनिक अभिक्रिया को उत्प्रेरित करता है। ये अत्यन्त क्रियाशील होते हैं। इनकी अत्यन्त सूक्ष्म मात्रा की आवश्यकता होती है। ये अनूकूलतम ताप (25° – 40°C) और अनूकूलतम pH (6 – 7.7) पर सबसे अच्छा कार्य करते हैं।

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प्रश्न 14.18
प्रोटीन की संरचना पर विकृतीकरण का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:
विकृतीकरण के दौरान प्रोटीन की 2° तथा 3° संरचनाएँ नष्ट हो जाती हैं, परन्तु 1° संरचना अप्रभावित रहती है! विकृतीकरण के कारण गोलिकाकार प्रोटीन रेशेदार प्रोटीन में परिवर्तित हो जाती है, जिससे उनकी जैविक प्रकृति नष्ट हो जाती है। उबालने पर अण्डे की सफेदी का स्कंदन, दही का जमना आदि उदाहरण हैं।

प्रश्न 14.19
विटामिन्स को किसी प्रकार वगीकृत किया गया है? रक्त के थक्के जमने के लिए जिम्मेदार विटामिन का नाम दीजिए।
उत्तर:
जल तथा विलेय के आधार पर विटामिन्स को दो समूहों में वगीकृत किया गया है:
1. वसा विलेय विटामिन:
इस वर्ग में उन विटामिनों को रखा गया है, जो वसा तथा तेल में विलेय होते हैं परन्तु जल में अविलेय। ये विटामिन A, D, E तथा K हैं। ये यकृत तथा एडीपोस ऊतक में संग्रहित रहते हैं।

2. जल में विलेय विटामिन:
B वर्ग के विटामिन तथा विटामिन C जल में विलेय होते हैं, अतः इन्हें एक साथ इस वर्ग में रखा गया है। जल में विलेय विटामिनों की पूर्ति हमारे आहार में नियमित रूप से होनी चाहिए क्योंकि ये आसानी से मूत्र के साथ उत्सर्जित हो जाते हैं तथा हमारे शरीर में (विटामिन B12 के अतिरिक्त) संचित नहीं किया जा सकता है। रक्त के थक्के जमने के लिए विटामिन K उत्तरदायी होता हैं।

प्रश्न 14.20
विटामिन A और C हमारे लिए आवश्यक क्यों हैं? उनके महत्त्वपूर्ण स्रोत दीजिए।
उत्तर:
विटामिन A हमारे लिए आवश्यक है क्योंकि इसकी कमी से जीरॉफ्थैल्मिया (आँख के कॉर्निया का कठोरीकरण) तथा रात्रि-अन्धता रोग हो जाते हैं। इसके महत्त्वपूर्ण स्रोत मछली के यकृत का तेल, गाजर, मक्खन तथा दूध हैं। विटामिन C हमारे लिए आवश्यक है; क्योंकि इसकी कमी से स्कर्वी (मसूडों से रक्त बहना) तथा पायरिया (दाँतों का ढीलापन तथा रक्त-स्राव) रोग हो जाते हैं। इसके महत्वपूर्ण स्रोत नींबूवंशीय (सिट्रस) फल, आँवला तथा हरे पत्ते वाली सब्जियाँ हैं।

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प्रश्न 14.21
न्यूक्लीक अम्ल क्या है? इनके दो महत्त्वपूर्ण कार्य लिखिए।
उत्तर:
ऐसे वे जैव-अणु जो सभी जीवित कोशिकाओं के नाभिकों में न्यूक्लिओप्रोटीन अथवा क्रोमोसाम के रूप में पाए जाते हैं, न्यूक्लीक अम्ल कहलाते हैं। न्यूक्लीक अम्ल मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-डऑक्सीराइबोस न्यूक्लीक अम्ल (DNA) तथा राइबोसन्यूक्लीक अम्ल (RNA)। चूँकि न्यूक्लीक अम्ल न्यूक्लिओटाइडों की लम्बी श्रृंखला वाले बहुलक होते हैं; अतः इन्हें पॉलिन्यूक्लिओटाइड भी कहते हैं।

न्यूक्लीक अम्लों के दो जैविक कार्य निम्नवत् हैं:

1. DNA आनुवंशिकता का रासायनिक आधार है तथा इसे आनुवंशिक सूचनाओं के संग्राहक के रूप में जाना जाता है। DNA लाखों वर्षों से किसी जीव की विभिन्न प्रजातियों की पहचान बनाए रखने के लिए विशिष्ट रूप से उत्तरदायी है। कोशिका विभाजन के समय एक DNA अणु स्वप्रतिकरण (self-replication) में सक्षम होता है तथा पुत्री कोशिका में समान DNA रज्जुक का अन्तरण होता है।

2. न्यूक्लीक अम्ल (DNA तथा RNA) का दूसरा महत्त्वपूर्ण कार्य कोशिका में प्रोटीन का संश्लेषण है। वास्तव में कोशिका में प्रोटीन का संश्लेषण विभिन्न RNA अणुओं द्वारा होता है, परन्तु किसी विशेष प्रोटीन के संश्लेषण का सन्देश DNA में उपस्थित होता है।

प्रश्न 14.22
न्यूक्लिओसाइड तथा न्यूक्लिओटाइड में क्या अन्तर है?
उत्तर:
किसी क्षारक के शर्करा की 1 स्थिति पर जुड़ने से निर्मित इकाई को न्यूक्लिओसाइड कहते हैं। अत: सामान्य रूप में न्यूक्लिओसाइड को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है-शर्करा-क्षारक। उदाहरणार्थ-निम्नलिखित संरचना (क) न्यूक्लिओसाइड को प्रदर्शित करती है:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 14 जैव-अणु  img-14
न्यूक्लिओटाइड में न्यूक्लीक अम्ल के तीनों मुख्य यौगिक अर्थात् एक फॉस्फोरिक अम्ल समूह, एक पेन्टोस शर्करा तथा एक नाइट्रोजनी क्षारक होते हैं। इन्हें पेन्टोस शर्करा के C5 – OH समूह के फॉस्फोरिक अम्ल द्वारा एस्टरीकरण से प्राप्त किया जाता है। उदाहरणार्थ–उपर्युक्त संरचना (ख) न्यूक्लिओटाइड को प्रदर्शित करती है। प्यूरीन तथा पिरिमिडीन न्यूक्लिओटाइड में पाये जाने नाइट्रोजन युक्त क्षारक हैं।

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प्रश्न 14.23
DNA के दो रज्जुक समान नहीं होते, अपितु एक-दूसरे के पूरक होते हैं। समझाइए।
उत्तर:
DNA अणु में दो रज्जुक, एक रज्जुक के प्यूरीन क्षारक तथा अन्य के पिरिमिडीन क्षारक के मध्य या इसके विपरीत के मध्य हाइड्रोजन आबन्धों के द्वारा जुड़े रहते हैं। क्षारकों के विभिन्न आकारों एवं ज्यामितियों के कारण DNA में एकमात्र सम्भव युग्मन G (ग्वानीन) तथा C (साइटोसीन) के मध्य तीन हाइड्रोजन आबन्धों द्वारा हो सकता है। दूसरे शब्दों में क्षारकों A (ऐडेनीन) तथा T (थायमीन) के मध्य दो हाइड्रोजन-आबन्धों द्वारा युग्मन सम्भव होता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 14 जैव-अणु  img-15
इस क्षारक-युग्मन सिद्धान्त के कारण एक रज्जुक में क्षारकों का अनुक्रम दूसरे रज्जुक में क्षारकों के अनुक्रम को स्वत: व्यवस्थित कर देता है। अत: DNA के दो रज्जुक समान नहीं होते, अपितु एक-दूसरे के पूरक होते हैं।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 14 जैव-अणु  img-16

प्रश्न 14.24
DNA तथा RNA में महत्त्वपूर्ण संरचनात्मक एवं क्रियात्मक अन्तर लिखिए।
उत्तरः
संरचनात्मक अन्तर:
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क्रियात्मक अन्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 14 जैव-अणु  img-18

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प्रश्न 14.25
कोशिका में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के RNA कौन-से हैं?
उत्तर:
कोशिका में पाये जाने वाले तीन प्रकार के RNA होते हैं, जो इस प्रकार है:

  1. संवेशवाहक RNA (m-RNA)
  2. राइबोसोमल RNA (r-RNA)
  3. स्थानान्तरण RNA (r-RNA)

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Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

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Bihar Board Class 12 Chemistry ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर Text Book Questions and Answers

पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 11.1
निम्नलिखित को प्राथमिक, द्वितीकय एवं तृतीयक ऐल्कोहॉल में वर्गीकृत कीजिए –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर img-1
उत्तर:
प्राथमिक ऐल्कोहॉल (i), (ii), (iii)
द्वितीयक ऐल्कोहॉल (iv) तथा (v)
तृतीयक ऐल्कोहॉल (vi)

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प्रश्न 11.2
उपर्युक्त उदाहरणों में से ऐलिलिक ऐल्कोहॉलों को पहचानिए।
उत्तर:
ऐलिलिक ऐल्कोहॉल (ii) तथा (vi)

प्रश्न 11.3
निम्नलिखित यौगिकों के आइ०यू०पी० ए०सी० (IUPAC) नाम पद्धति से नाम दीजिए –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर img-2
उत्तर:

  1. 3 – क्लोरोमेथिल – 2 – आइसोप्रोपिल-पेन्टेन – 1 – ऑल
  2. 2, 5 – डाइमेथिलहेक्सेन – 1, 3 – डाइऑल
  3. 3 – ब्रोमोसाइक्लोहेक्सेन – 1 – ऑल
  4. हेक्स – 1 – ईन – 3 – ऑल
  5. 2 – ब्रोमो – 3 – मेथिलब्यूट – 2 – ईन – 1 – ऑल

प्रश्न 11.4
दर्शाइए कि मेथेनल पर उपर्युक्त ग्रीन्यार अभिकर्मक से अभिक्रिया द्वारा निम्नलिखित ऐल्कोहॉल कैसे विरचित किए जाते हैं?
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उत्तर:
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प्रश्न 11.5
निम्नलिखित अभिक्रिया के उत्पादों की संरचना लिखिए –
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उत्तर:
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2. NaBH4 एक दुर्बल अपचायक है, यह कीटोन समूह को द्वितीयक ऐल्कोहालिक समूह में अपचयित कर सकता है, परन्तु एस्टर को नहीं।
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प्रश्न 11.6
यदि निम्नलिखित एल्कोहॉल क्रमशः
(क) HCl – ZnCl2
(ख) HBr
(ग) SOCl2 से अभिक्रिया करें तो आप अपेक्षित उत्पादों की संरचनाएँ दीजिए।
(i) ब्यूटेन – 1 – ऑल
(ii) 2 – मेथिलब्यूटेन – 2 – ऑल
उत्तर:
(क) HCl – ZnCl2 (ल्यूकास अभिकर्मक) के साथ [With HCl – ZnCl2 (Lucas reagent)]:
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(ख) HBr के साथ (With HBr):
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प्रश्न 11.7

  1. 1 – मेथिलसाइक्लोहेक्सेनॉल और
  2. ब्यूटेन – 1 – ऑल के अम्ल उत्प्रेरित निर्जलन के मुख्य उत्पादों की प्रागुक्ति कीजिए।

उत्तर:
1. 1 – मेथिलसाइक्लोहेक्सेनॉल अम्ल द्वारा उत्प्रेरित निर्जलन पर दो उत्पाद, I तथा II देता है। चूंकि उत्पाद (I) अधिक प्रतिस्थापित है, अत: सेजफ नियम से यह मुख्य उत्पाद है।
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2. ब्यूटेन – 1 – ऑल का अम्ल उत्प्रेरित निर्जलन पर ब्यूटेन – 2 – ईन मुख्य उत्पाद देता है। ऐल्कोहॉलों का निर्जलन कार्बोकैटायन माध्यमिकों के द्वारा होता है। अत: यह दो प्रोटॉन निकालकर ब्यूट – 2 – ईन या ब्यूट – 1 – ईन बनाता है। सेजफ के नियम से मुख्य उत्पाद ब्यूट – 2 – ईन है क्योंकि यह अधिक स्थाई है।
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प्रश्न 11.8
ऑर्थो तथा पैरा-नाइट्रो फीनॉल, फीनॉल से अधिक अम्लीय होती हैं। उनके संगत फीनॉक्साइड आयनों की अनुनादी संरचनाएँ बताइए।
उत्तर:
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O – नाइट्रोफीनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनाएँ
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p – नाइट्रोफीनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनाएँ
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नाइट्रो प्रतिस्थापित फिनॉक्साइड की अनुनादी संरचनाओं में ऋणात्मक आवेश उस कार्बन परमाणु पर है जिससे इलेक्ट्रॉन लेने वाला नाइट्रो समूह जुड़ा है। अतः ये अम्लीय प्रकृति अन्य अनुनादी संरचनाओं भी अधिक होती है। फलत: अर्थों तथा पैरा नाइट्रोफीनॉल से अधिक अम्लीय होते हैं।

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प्रश्न 11.9
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में सम्मिलित समीकरण लिखिए –

  1. राइमर – टीमैन अभिक्रियाओं
  2. कोल्बे अभिक्रिया

उत्तर:
1. रीमर तथा टीमैन अभिक्रिया (Reimer and Tiemann’s Reaction):
यह हाइड्राक्सी ऐल्डिहाइड्रों और अम्लों के बनाने की प्रमुख विधि है। -CHO तथा -COOH समूह OH समूह से O – तथा p – स्थानों पर प्रवेश करता है। इस अभिक्रिया में फिनोल को क्लोरोफार्म व जलीय NaOH के साथ गर्म करने पर सेलिसिलिक ऐल्डिहाइड या सौलिसिलिक अम्ल बनते हैं।
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2. कोल्बे अभिक्रिया (Kolbe Reaction):
यह हाइड्राक्सी बनाने की अभिक्रिया है। फीनॉल के बेन्जीन न्यूक्लियस -OH समूह के O – तथा p – स्थानों पर -COOH प्रवेश करता है। जब शुष्क सोडियम फार्मेट को 140°C पर अधिक दाब पर CO2 के साथ गर्म करने पर सैलिसिलिक अम्ल बनता है।
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प्रश्न 11.10
एथेनॉल एवं 3-मेथिलपेन्टेन-2-ऑल से प्रारम्भ कर 2-एथॉक्सी-3-मेथिलपेन्टेन के विलियमसन संश्लेषण की अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
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प्रश्न 11.11
1-मेथॉक्सी-4-नाइट्रोबेन्जीन के विरचन के लिए निम्नलिखित अभिकारकों में से कौन-सा युग्म उपलब्ध है और क्यों?
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उत्तर:
1. प्रथम युग्म 1-मेथाक्सी-4-नाइट्रोबेन्जीन के विचारण के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि अनुनाद के कारण C = Br के मध्य द्विआबन्ध गुण विद्यमान होता है जिससे इसका टूटना कठिन है।

2. दूसरे युग्म में मेथिल ब्रोमाइड पर 4-नाइट्रोफिनाक्सॉइड आयन द्वारा नाभिकरागी क्रिया से ईथर बनता है।
विलयमसन संश्लेषण से बना उत्पाद निम्न है।
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अतः इस विचरण के लिए दूसरा युक्त उपयुक्त है।

प्रश्न 11.12
निम्नलिखित अभिक्रियाओं से प्राप्त उत्पादों का अनुमान लगाइए –
1. CH3 – CH2 – CH2 – O – CH3 + HBr →
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उत्तर:
1. ऑक्सीजन से जुड़े दोनों ऐल्किल समूह प्राथमिक हैं, इसलिए Br आयन की अभिक्रिया छोटे ऐल्किल समूह (मेथिल समूह) से होगी तथा प्रोपेन-1-ऑल तथा ब्रोमोमेथेन का निर्माण होगा।
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2. अनुनाद के कारण, C6H5 – O आबन्ध में कुछ द्विआबन्ध गुण विद्यमान होता है, इसलिए यह O – C2H5 आबन्ध से प्रबल होता है। अतः दुर्बल O – C2H5 आबन्ध का विदलन होता है तथा फीनॉल एवं ब्रोमोएथेन प्राप्त होते हैं।
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3. इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन में, ऐल्कॉक्सी समूह ऐरोमैटिक वलय को सक्रिय बनाता है तथा प्रवेश करने वाले समूह को O – तथा p – स्थितियों की ओर निर्दिष्ट करता है। इसलिए एथॉक्सीबेन्जीन का नाइट्रीकरण 2-तथा 4-नाइट्रोएथॉक्सीबेन्जीन का मिश्रण देता है जिसमें 4-नाइट्रोएथॉक्सीबेन्जीन 2-स्थिति पर त्रिविमीय बाधा के कारण मुख्य उत्पाद होता है।
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4. चूँकि एथिल काबोंकैटायन की तुलना में तृतीयक-ब्यूटिल कार्बोकैटायन अत्यधिक स्थायी होता है। इसीलिए अभिक्रिया \(\mathrm{S}_{\mathrm{N}^{1}}\) क्रियाविधि द्वारा होती है तथा तृतीयक-ब्यूटिल आयोडाइड एवं एथेनॉल निम्नलिखित प्रकार बनते हैं –
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Bihar Board Class 12 Chemistry ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर Additional Important Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 11.1
निम्नलिखित यौगिकों के आई०यू०पी० ए०सी (IUPAC) नाम लिखिए –
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उत्तर:

  1. 2, 2, 4 – ट्राइमेथिलपेन्टेन-3-ऑल
  2. 5 – एथिलंहेप्टेन-2, 4-डाइऑल
  3. ब्यूटेन-2, 3-डाइऑल
  4. प्रोपेन-1, 2, 3-ट्राइऑल
  5. 2 – मेथिलफीनॉल
  6. 4 – मेथिलफीनॉल
  7. 2, 5 – डाइमेथिलफीनॉल
  8. 2, 6 – डाइमेथिलफीनॉल
  9. 1 – मेथॉक्सी-2-मेथिलप्रोपेन
  10. एथॉक्सीबेन्जीन
  11. 1 – फीनॉक्सीहेप्टेन
  12. 2 – एथॉक्सीब्यूटेन

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प्रश्न 11.2
निम्नलिखित आई० यू० पी० ए० सी० (IUPAC) नाम वाले यौगिकों की संरचनाएँ लिखिए –

  1. 2 – मेथिलब्यूटेन-2-ऑल
  2. 1-फेनिलप्रोपेने-2-ऑल
  3. 3, 5-डाइमेथिलहेक्सेन-1, 3, 5-ट्राइऑल
  4. 2, 3-डाइएथिलफीनॉल
  5. 1-एथॉक्सीप्रोपेन
  6. 2-एथॉक्सी -3-मेथिलपेन्टेन
  7. साइक्लोहेक्सिलमेथेनॉल
  8. 3-साइक्लोहेक्सिलपेन्टेन-3-ऑल
  9. साइक्लोपेन्टेन-3-ईन-1-ऑल
  10. 3-क्लोरोमेथिलपेन्टेन-1-ऑल

उत्तर:
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प्रश्न 11.3

  1. C5H12O आणविक सूत्र वाले ऐल्कोहॉलों के सभी समावयवों की संरचना लिखिए एवं उनके आई० यू० पी० ए० सी० (IUPAC) नाम दीजिए।
  2. प्रश्न 11.3 (i) के समावयवी ऐल्कोहॉलों को प्राथमिक, द्वितीकय एवं तृतीयक ऐल्कोहॉलों में वर्गीकृत कीजिए।

उत्तर:
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2. प्राथमिक ऐल्कोहॉल – (क), (घ),(ङ),(छ)।
द्वितीयक ऐल्कोहॉल – (ख), (ग), (ज)।
तृतीयक ऐल्कोहॉल – (च)।

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प्रश्न 11.4
समझाइए कि प्रोपेनॉल का क्वथनांक, हाइड्रोकार्बन ब्यूटेन से अधिक क्यों होता है?
उत्तर:
हाइड्रोकार्बन ब्यूटेन के अणु दुर्बल वाण्डरवाल्स आकर्षण बलों द्वारा जुड़े होते हैं, जबकि प्रापेनॉल में ये प्रबल अन्तराआण्विक हाइड्रोजन आबन्धन द्वारा जुड़े रहते हैं।
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अतः प्रोपेनॉल का क्वथनांक (391 K) हाइड्रोकार्बन ब्यूटेन (309 K) से अधिक होता है।

प्रश्न 11.5
समतुल्य आण्विक भार वाले हाइड्रोकार्बनों की अपेक्षा ऐल्कोहॉल जल में अधिक विलेय होते हैं। इस तथ्य को समझाइए।
उत्तर:
चूँकि ऐल्कोहॉल अणु जल अणुओं के साथ हाइड्रोजन आबन्ध बना सकते हैं तथा इससे जल अणुओं में पहले से उपस्थित हाइड्रोजन-आबन्ध टूट जाते हैं। अतः ऐल्कोहॉल जल में विलेय होते हैं। दूसरी ओर हाइड्रोकार्बन जल अणुओं के साथ हाइड्रोजन आबन्ध नहीं बनाते, अत: जल में अघुलनशील होते हैं।

प्रश्न 11.6
हाइड्रोबोरॉनन-ऑक्सीकरण अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं? इसे उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
हाइड्रोबोरॉनन-ऑक्सीकरण अभिक्रिया:
डाइबोरेन (BH3)2 ऐल्कीनों से अभिक्रिया करके एक योगज उत्पाद ट्राइऐल्किल बोरेन बनाता है जो जलीय सोडियम हाइड्रॉक्साइड की उपस्थिति में हाइड्रोजन परऑक्साइड द्वारा
ऑक्सीकृत होकर ऐल्कोहॉल देता है। यह अभिक्रिया हाइड्रोबोरॉनन-ऑकसीकरण अभिक्रिया कहलाती है।
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द्विआबन्ध पर बोरेन का योजन इस प्रकार होता है कि बोरॉन परमाणु उस sp2 संकरित कार्बन परमाणु पर जुड़ता है जिस पर पहले से ही अधिक हाइड्रोजन परमाण उपस्थित होते हैं। इस प्रकार प्राप्त ऐल्कोहॉल ऐसा दिखता है जैसे कि यह ऐल्कोनों से मार्कोनीकॉफ के नियम के विपरीत जलयोजन से बना हो। इस अभिक्रिया में ऐल्कोहॉलों की लब्धि उत्तम होती है।

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प्रश्न 11.7
आणविक सूत्र C7H8O वाले मोनोहाइड्रिक फीनॉलों की संरचनाएँ तथा आई०यू०पी०ए०सी० (IUPAC) नाम लिखिए।
उत्तर:
आण्विक सूत्र C7H8O वाले मोनोहाइड्रिक फीनॉल के तीन समावयवों की संरचनाएँ तथा IUPAC नाम निम्नांकित है –
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प्रश्न 11.8
ऑर्थो तथा पैरा-नाइट्रोफीनॉलों के मिश्रण को भाप-आसवन द्वारा पृथक् करने में भाप-वाष्पशील समावयवी का नाम बताइए। इसका कारण दीजिए।
उत्तर:
ऑथों-नाइट्रोफीनॉल कीलेशन के कारण भाप-वाष्पशील है अतः जबकि p – नाइट्रोफीनॉल नहीं इसे p – नाइट्राफीनॉल से भाप-आसवन द्वारा पृथक्कृत किया जा सकता है; क्योंकि p – नाइट्रोफीनॉल अन्तराआण्विक हाइड्रोजन आबन्धन के कारण भाप-वाष्पशील नहीं है।

प्रश्न 11.9
क्यूमीन से फीनॉल बनाने की अभिक्रिया का समीकरण दीजिए।
उत्तर:
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प्रश्न 11.10
क्लोरोबेन्जीन से फीनॉल बनाने की रासायनिक अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर img-32

प्रश्न 11.11
एथीन के जलयोजन से एथेनॉल प्राप्त करने की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर:
एथीन को सर्वप्रथम सान्द्र H2SO4 में प्रवाहित करने पर एथिल हाइड्रोजन सल्फेट बनता है।
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एथिल हाइड्रोजन सल्फेट को जल के साथ उबालने पर एथेनॉल बनता है।
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प्रश्न 11.12
आपको बेन्जीन, सान्द्र H2SO4 और NaOH दिए गए हैं। इन अभिकर्मकों के उपयोग द्वारा फीनॉल के विरचन की समीकरण लिखिए।
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर img-35

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प्रश्न 11.13
आप निम्नलिखित को कैसे संश्लेषित करेंगे? दर्शाइए।

  1. एक उपयुक्त ऐल्कीन से 1-फेनिल एथेनॉल
  2. \(\mathbf{S}_{\mathbf{N}} \mathbf{2}\) अभिक्रिया द्वारा ऐल्किल हैलाइड के उपयोग से साइक्लोहेक्सिल मेथेनॉल
  3. एक उपयुक्त ऐल्किल हैलाइड के उपयोग से पेन्टेन-1-ऑल।

उत्तर:
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प्रश्न 11.14
ऐसी दो अभिक्रियाएँ दीजिए जिनसे फीनॉल की अम्लीय प्रकृति प्रदर्शित होती हो, फीनॉल की अम्लता की तुलना एथेनॉल से कीजिए।
उत्तर:
फीनॉल की अम्लीय प्रकृति प्रदर्शित करने वाली अभिक्रियाएँ निम्नवत् हैं –
1. सोडियम से अभिक्रिया (Reaction with sodium):
फीनॉल सक्रिय धातुओं; जैसे-सोडियम से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन देता है।
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2. NaOH से अभिक्रिया (Reaction with NaOH):
फीनॉल NaOH में घुलकर फोनॉक्साइड तथा जल बनाता है।
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फीनॉल तथा एथेनॉल की अम्लता की तुलना:
फोनॉल की अम्लीय प्रकृति जलीय विलयन में मुक्त प्रोटॉन के कारण होती है जिसके कारण फोनॉक्साइड आयन अनुनाद द्वारा स्थायित्व प्राप्त कर लेता है, जबकि एथाक्साइड आयन स्थाई नहीं होता है।
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प्रश्न 11.15
समझाइए कि ऑर्थो-नाइट्रोफीनॉल, ऑर्थो-मेथॉक्सीफीनॉल से अधिक अम्लीय क्यों होता है?
उत्तर:
नाइट्रो (NO2) समूह इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने वाला समूह है जबकि मेथॉक्सी (OCH3) समूह इलेक्ट्रॉन त्यागने वाला समूह है। अतः ऑर्थो-नाइट्रोफिनॉल में H+ आसानी से मुक्त हो जाता है और यह आथों-मेथॉक्सीफिनॉल में कठिन है। ऑर्थो-नाइट्रोफिनॉक्साइड आयन अनुनाद द्वारा स्थायित्व प्राप्त करके के आथों-नाइट्रोफिनॉल को प्रबल अम्ल बनाता है। इसके विपरीत एक प्रोटॉन निकल जाने के बाद आथोंमेथाक्सीफिनाक्सॉइड आयन अनुनाद द्वारा अस्थाई हो जाता है।
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अतः ऑर्थो-नाइट्रोफिनॉल, ऑर्थो-मेथॉक्सीफिनॉल से अधिक अम्लीय है।

प्रश्न 11.16
समझाइए कि बेन्जीन वलय से जुड़ा – OH समूह उसे इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापनों कैसे सक्रियित करता है?
उत्तर:
फीनॉल को निम्नांकित संरचनाओं का अनुनादी संकर माना जा सकता है –
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अतः -OH समूह का +R प्रभाव, बेन्जीन वलय में इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ा देता है जो इलेक्ट्रॉन अभिक्रिया को सरल कर देता है। दूसरे शब्दों में -OH समूह की उपस्थिति बेन्जीन वलय को इलेक्ट्रॉन प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के प्रति सक्रियित कर देती है। पुनः चूँकि दो ऑर्थो-तथा एक पैरा-स्थिति पर इलेक्ट्रान घनत्व उच्च होता है, इसलिए इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन मुख्यतया ऑथों- तथा पैरा-स्थितियों पर ही होता है।

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प्रश्न 11.17
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए समीकरण दीजिए –

  1. प्रोपेन-1-ऑल का क्षारीय KMnO4 के साथ ऑक्सीकरण
  2. ब्रोमीन की CS2 में फीनॉल के साथ अभिक्रिया
  3. तनु HNO3 की फीनॉल से अभिक्रिया
  4. फीनॉल की जलीय NaOH की उपस्थिति में क्लोरोफॉर्म के साथ अभिक्रिया।

उत्तर:
1. CH3CH2CH2OH + 2[O]
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प्रश्न 11.18
निम्नलिखित को उदाहरण सहित समझाइए –

  1. कोल्बे अभिक्रिया
  2. राइमर-टीमैन अभिक्रिया
  3. विलियमसन ईथर संश्लेषण
  4. असममित ईथर।

उत्तर:
1. तथा

2. के लिए पाठ्यनिहित प्रश्न 11.9 का उत्तर देखें।

3. विलियमसन ईथर संश्लेषण–यह सममित और असममित ईथरों को बनाने की एक महत्त्वपूर्ण प्रयोगशाला विधि: है। इस विधि से ऐल्किल हैलाइड की सोडियम ऐल्कॉक्साइड के साथ अभिक्रिया कराई जाती है।
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प्रतिस्थापित (द्वितीयक अथवा तृतीयक) ऐल्किल समूह युक्त ईथर भी इस विधि द्वारा बनाई जा सकती हैं। इस अभिक्रिया में प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड पर ऐल्कॉक्साइड आयन को (\(\mathbf{S}_{\mathbf{N}} \mathbf{2}\)) अक्रमण होता है।
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यह ऐल्किल हैलाइड प्राथमिक होता है तो अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। द्वितीयक एवं तृतीयक ऐल्किल हैलाइडों की अभिक्रिया में विलोपन, प्रतिस्पर्धा में प्रतिस्थापन से आगे होता है। यदि तृतीयक ऐल्किल हैलाइड का उपयोग किया जाए तो उत्पाद के रूप में केवल ऐल्कीन प्राप्त होती है तथा कोई ईथर नहीं बनती। उदाहरणार्थ – CH3ONa की (CH3)3C – Br के साथ अभिक्रिया द्वारा केवल 2 – मेथिलप्रोपीन प्राप्त होती है।
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4. असममित ईथर-यदि ऑक्सीजन परमाणु से जुड़े ऐल्किल या ऐरिल समूह भिन्न-भिन्न हों तो ईथर को असममित ईथर कहते हैं। जैसे-एथिल मेथिल ईथर, मेथिल फेनिल ईथर आदि।
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प्रश्न 11.19
एथेनॉल के अम्लीय निर्जलन से एथीन प्राप्त करने की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर:
क्रियाविधि एथेनॉल के अम्लीय निर्जलन से एथीन प्राप्त करने की क्रियाविधि निम्न प्रकार है –
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प्रश्न 11.20
निम्नलिखित परिवर्तनों को किस प्रकार किया जा सकता है?

  1. प्रोपीन → प्रोपेन-2-ऑल
  2. बेन्जिल क्लोराइड → बेन्जिल ऐल्कोहॉल
  3. एथिल मैग्नीशियम क्लोराइड → प्रोपेन1-ऑल
  4. मेथिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड → 2- मेथिलप्रोपेन-2-ऑल

उत्तर:
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प्रश्न 11.21
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में प्रयुक्त अभिकर्मकों के नाम बताइए –

  1. प्राथमिक ऐल्कोहॉल का कार्बोक्सिलिक अम्ल में ऑक्सीकरण
  2. प्राथमिक ऐल्कोहॉल का ऐल्डिहाइड में ऑक्सीकरण
  3. फीनॉल का 2, 4, 6-ट्राइब्रोमोफीनॉल में ब्रोमीनन
  4. बेन्जिल ऐल्कोहॉल से बेन्जोइक अम्ल
  5. प्रोपेन-2-ऑल का प्रोपीन में निर्जलन
  6. ब्यूटेन-2-ऑन से ब्यूटेन-2-ऑल।

उत्तर:

  1. अम्लीय या उदासीन K2Cr2O7, अम्लीय या क्षारीय KMnO4
  2. पिरिडीन क्लोरोक्रोमेट (Pcc) या पिरिडीन डाइक्रोमेट
  3. ब्रोमीन जल (Br2/H2O)
  4. अम्लीय या क्षारीय KMnO4
  5. 373 K पर 60% H2SO4
  6. क्षारीय NaBH4 या LiAlH4

प्रश्न 11.22
कारण बताइए कि मेथॉक्सीमेथेन की तुलना में एथेनॉल का क्वथनांक उच्च क्यों होता है?
उत्तर:
एथेनॉल विद्युतऋणात्मक ऑक्सीजन परमाणु से जुड़े हाइड्रोजन की उपस्थिति के कारण अन्तराआण्विक हाइड्रोजन आबन्धन प्रदर्शित करता है। जबकि मेथाक्सी मेथेन हाइड्रोजन आबन्ध नहीं बनाता है।
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इन हाइड्रोजन आबन्धों को तोड़ने के लिए अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है, अतः एथेनॉल का क्वथनांक मेथॉक्सीमेथेन की तुलना में उच्च होता है।

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प्रश्न 11.23
निम्नलिखित ईथरों के आई० यू० पी० ए० सी० (IUPAC) नाम दीजिए –
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उत्तर:

  1. 1-एथॉक्सी-2-मेथिलप्रोपेन
  2. 2-क्लोरो-1-मेथॉक्सीएथेन
  3. 4-नाइट्रोऐनिसॉल
  4. 1-मेथॉक्सीप्रोपेन
  5. 1-एथॉक्सी-4, 4-डाइमेथिलसाइक्लोहेक्सेन
  6. एथॉक्सीबेन्जीन

प्रश्न 11.24
निम्नलिखित ईथरों को विलियमसन संश्लेषण द्वारा बनाने के लिए अभिकर्मकों के नाम एवं समीकरण लिखिए –

  1. 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन
  2. एथॉक्सीबेन्जीन
  3. 2-मेथॉक्सी-2-मेथिलप्रोपेन
  4. 1-मेथॉक्सीएथेन

उत्तर:
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प्रश्न 11.25
कुछ विशेष प्रकार के ईथरों को विलियमसन संश्लेषण द्वारा बनाने की सीमाओं को उदाहरणों से समझाइए।
उत्तर:
विलियमसन संश्लेषण को तृतीयक ऐल्किल हैलाइडों को बनाने में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है क्योंकि इससे ईथर के स्थान पर ऐल्कीन प्राप्त होते हैं। उदाहरणार्थ – CH3ONa की (CH3)3C – Br के साथ अभिक्रिया द्वारा केवल 2-मेथिलप्रोपीन प्राप्त होती है।
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ऐसा इसलिए होता है; क्योंकि ऐल्कॉक्साइड न केवल नाभिकरागी होते हैं, अपितु प्रबल क्षारक भी होते हैं। वे ऐल्किल हैलाइडों के साथ विलोपन अभिक्रिया करते हैं।

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प्रश्न 11.26
प्रोपेन-1-ऑल से 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन को किसी प्रकार बनाया जाता है? इस अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर:
प्रोपेन-1-ऑल से 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन को निम्नलिखित दो विधियाँ द्वारा बनाया जा सकता है –
(क) विलियमसन संश्लेषण द्वारा –
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1. 3CHCH, CH2OH + PBr3 →
प्रोपेन-1-ऑल

प्रश्न 11.27
द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्कोहॉलों के अम्लीय निर्जलन द्वारा ईथरों को बनाने की विधि उपयुक्त नहीं है। कारण बताइए।
उत्तर:
प्राथमिक ऐल्कोहॉल के अम्लीय निर्जलन द्वारा ईथर बनाने की अभिक्रिया \(\mathrm{S}_{\mathrm{N}} 2\) क्रियाविधि से होती है जिसमें प्रोटॉनित ऐल्कोहॉल अणु पर ऐल्कोहॉल अणु की नाभिकरागी अभिक्रिया होती है।
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यद्यपि इन परिस्थितियों के अन्तर्गत द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्कोहॉल ईथरों के स्थान पर ऐल्कीन देते हैं। इसका कारण यह है कि त्रिविमीय बाधा के कारण प्रोटॉनित ऐल्कोहॉल अणु पर ऐल्कोहॉल अणु की नाभिकरागी अभिक्रिया नहीं होती है। इसके स्थान पर द्वितीयक तथा तृतीयक ऐल्कोहॉल एक जल-अणु निकालकर स्थायी द्वितीयक तथा तृतीयक कार्बोकैटायन बनाते हैं। ये कार्बोकैटायन एक प्रोटॉन निकालकर ऐल्कीन बनाने को वरीयता देते हैं न कि ऐल्कोहॉल अणु की अभिक्रिया द्वारा ईथर बनाना।
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इसी प्रकार तृतीयक ऐल्कोहॉल ऐल्कीन देते हैं, ईथर नहीं।
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प्रश्न 11.28
हाइड्रोजन आयोडाइड की निम्नलिखित के साथ अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए –

  1. 1-प्रोपॉक्सीप्रोपेन
  2. मेथॉक्सीबेन्जीन तथा
  3. बेन्जिल एथिल ईथर।

उत्तर:
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प्रश्न 11.29
ऐरिल ऐल्किल ईथरों में निम्नलिखित तथ्यों की व्याख्या कीजिए –

  1. ऐल्कॉक्सी समूह बेन्जीन वलय को इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन के प्रति सक्रियित करता है तथा
  2. यह प्रवेश करने वाले प्रतिस्थापियों को बेन्जीन वलय की ऑर्थों एवं पैरा स्थितियों की ओर निर्दिष्ट करता है।

उत्तर:
1. ऐरिल ऐल्किल ईथरों में ऐल्कॉक्सी समूह (-OR) का + R-प्रभाव बेन्जीन वलय में इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ा देता है जिससे बेन्जीन वलय इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन के प्रति सक्रियित है।
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2. इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ मुख्यतया O – तथा p – स्थितियों पर ही होती हैं। क्योंकि m – स्थितियों की तुलना में दो O – तथा एक p – स्थिति पर इलेक्ट्रॉन घनत्व अधिक बढ़ जाता है।
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ऐरोमैटिक ईथर फ्रीडेल-क्राफ्ट ऐल्किलीकरण तथा ऐसिलीकरण अभिक्रियाएँ भी देते हैं।
उदाहरणार्थ –
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प्रश्न 11.30
मेथॉक्सीमेथेन की HI के साथ अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए।
उत्तर:
मेथॉक्सीमेथेन की HI के साथ अभिक्रिया की क्रिया विधि निम्नलिखित है – ईथर अणु आरम्भ में HI द्वारा प्रोटॉनीकृत होता है जो टूट कर I आयन देता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर img-61
फिर प्रोटॉनीकृत ईथर पर हैलाइड आयन (I) द्वारा आक्रमण किया जाता है जो नाभिक स्नेही की भाँति कार्य करता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर img-62
जब अभिक्रिया HI अधिकता में तथा उच्च ताप पर होती है तब बना मेथेनॉल निम्नलिखित क्रिया विधि से मेथिल आयोडाइड बनता है।
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प्रश्न 11.31
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के लिए समीकरण लिखिए –

  1. फ्रीडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया-ऐनिसोल का ऐल्किलन
  2. ऐनिसोल का नाइट्रीकरण
  3. एथेनोइक अम्ल माध्यम में ऐनिसोल का ब्रोमीनन
  4. ऐनिसोल का फ्रीडेल-क्राफ्ट ऐसीटिलन।

उत्तर:
1. फ्रीडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया:
ऐनिसोल फ्रीडेल-क्राफ्ट अभिक्रिया देता है अर्थात् ऐलुमीनियम क्लोराइड (एक लुईस अम्ल) की उपस्थिति में ऐल्किल हैलाइड तथा ऐसिल हैलाइड से अभिक्रिया से ऐल्किल और ऐसिल समूह ऑर्थो तथा पैरा स्थितियों पर निर्देशित होते हैं। उदाहरण –
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2. ऐनिसोल का नाइट्रीकरण:
ऐनिसोल के नाइट्रीकरण से ऑथों तथा पैरा-नाइट्रोऐनिसोल का मिश्रण बनता हैं।
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3. एथेनोइक अम्ल माध्यम में ऐनिसोल का ब्रोमीनन (हैलोजेनीकरण):
फेनिल ऐल्किल ईथर बेन्जीन वलय में हैलोजेनीकरण दिखाते हैं। जैसे-ऐनीसोल आयरन (II) ब्रोमाइड उत्प्रेरक की अनुपस्थिति में भी एथेनोइक अम्ल माध्यम में ब्रोमीन के साथ ब्रोमीनन प्रदर्शित करता है।
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4. ऐनिसोल का फ्रीडेल-क्राफ्ट ऐसीटिलन-इससे 2-मेथाक्सी ऐसीटोफीनॉन तथा 4-मेथाक्सी ऐसीटोफीनॉन प्राप्त होते हैं।
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प्रश्न 11.32
उपयुक्त ऐल्कीनों से आप निम्नलिखित ऐल्कोहॉलों का संश्लेषण कैसे करेंगे?
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 11 ऐल्कोहॉल, फ़िनॉल एवं ईथर img-68
उत्तर:
अम्लीय माध्यम में ऐल्कीन के जल योजन द्वारा सभी ऐल्कोहॉलों का संश्लेषण कर सकते हैं। ऐल्कीन से H2O का अम्ल-उत्प्रेरित योग मार्कोनीकॉफ नियम के अनुसार होता है।
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प्रश्न 11.33
3-मेथिलब्यूटेन-2-ऑल को HBr से अभिकृत कराने पर निम्नलिखित अभिक्रिया होती है –
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इस अभिक्रिया की क्रियाविधि दीजिए।
उत्तर:
दी हुई अभिक्रिया की क्रिया विधि निम्नलिखित है –
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Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

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Bihar Board Class 12 Chemistry हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन Text Book Questions and Answers

पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 10.1
निम्नलिखित यौगिकों की संरचनाएँ लिखिए:

  1. 2-क्लोरो-3-मेथिलपेन्टेन
  2. 1-क्लोरो-4-एथिलसाइक्लोहेक्सेन
  3. 4-तृतीयक-ब्यूटिल-3-आयोडोहेप्टेन
  4. 1, 4-डाइब्रोमोब्यूट-2-ईन
  5. 1-ब्रोमो-4-द्वितीयक-ब्यूटिल-2-मेथिलेबेन्जीन

उत्तर:
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प्रश्न 10.2
ऐल्कोहॉल तथा KI की अभिक्रिया में सल्फ्यूरिक अम्ल का उपयोग क्यों नहीं करते?
उत्तर:
ऐल्कोहॉल के ऐल्किल आयोडाइड में परिवर्तन के लिए KI के साथ H2SO4 का प्रयोग नहीं किया जा सकता; क्योंकि यह KI की संगत HI में परिवर्तित कर देता है, फिर इसे IL2 में ऑक्सीकृत कर देता है।

प्रश्न 10.3
प्रोपेन के विभिन्न डाइहैलोजेन व्युत्पन्नों की संरचना लिखिए।
उत्तर:

  1. ClCH2CH2CH2Cl
  2. ClCH2CHClCH3
  3. Cl2CHCH2CH3
  4. CH3CCl2CH3

प्रश्न 10.4
C5H12 अणुसूत्र वाले समावयवी ऐल्केनों में से उसको पहचानिए जो प्रकाश रासायनिक क्लोरीन पर देता है:

  1. केवल एक मोनोक्लोराइड
  2. तीन समावयवी मोनोक्लोराइड
  3. चार समावयवी मोनोक्लोराइड।

उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 2
चूँकि सभी हाइड्रोजन परमाणु समतुल्य हैं, अत: किसी भी हाइड्रोजन परमाणु के प्रतिस्थापन पर समान उत्पाद (केवल एक मोनोक्लोराइड) बनेगा।

2. CaH3Cb H2C c H2Cb H2CaH3
समतुल्य हाइड्रोजनों को a, b, c से निर्देशित किया गया है। समतुल्य हाइड्रोजनों के प्रतिस्थापन पर समान उत्पाद (तीन समावयवी मोनोक्लोराइड) बनेंगे।

3.
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इस प्रकार समतुल्य हाइड्रोजनों को a, b, c तथा d से निर्देशित किया गया है। अत: चार समावयवी उत्पाद सम्भव हैं।

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प्रश्न 10.5
निम्नलिखित प्रत्येक अभिक्रिया के मुख्य मोनोहैलो उत्पाद की संरचना बनाइए –
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उत्तर:
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केवल ऐल्कोहॉलीय OH – समूह HCl के साथ गर्म करने पर Cl से प्रतिस्थापित हो जाते हैं, परन्तु फीनॉलिक – OH समूह ऐसा नहीं करते हैं।
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प्रश्न 10.6
निम्नलिखित यौगिकों को क्वथनांकों के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए –

  1. ब्रोमोमेथेन, ब्रोमोफॉर्म, क्लोरोमेथेन, डाइब्रोमोमेथेन
  2. 1-क्लोरोप्रोपेन, आइसोप्रोपिल क्लोराइड, 1-क्लोरोब्यूटेन।

उत्तर:
1. चूँकि अणुभार बढ़ने से क्वथनांक बढ़ता है, अत: बढ़ता क्रम निम्नवत् है:
क्लोरोमेथेन < ब्रोमोमेथेन < डाइब्रोमोमेथेन < ब्रोमोफॉर्म

2. चूँकि आइसोप्रोपिल क्लोराइड का गलनांक 1-क्लरोप्रोपेन से कम होता है, अत: बढ़ता क्रम निम्नवत् है –
आइसोप्रोपिल क्लोराइड < 1-क्लोरोप्रोपेन < 1-क्लोरोब्यूटेन
(शाखित होने के कारण आइसोप्रोपिल क्लोराइड का गलनांक 1-क्लोरोप्रोपेन से कम होगा।)

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प्रश्न 10.7
निम्नलिखित युगलों में से आप कौन-से ऐल्किल हैलाइड द्वारा SN2 क्रियाविधि से अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करने की अपेक्षा करते हैं? अपने उत्तर को समझाइए।
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उत्तर:
(i) CH3CH2CH2CH2Br
प्राथमिक हैलाइड होने के कारण कोई त्रिविम बाधा नहीं होगी।
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द्वितीयक हैलाइड, तृतीयक हैलाइड की तुलना में अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करता है।
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मेथिल समूह हैलाइड समूह के निकट होने के कारण त्रिविम बाधा अधिक होगी तथा अभिक्रिया का वेग कम होगा।

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प्रश्न 10.8
हैलोजेन यौगिकों के निम्नलिखित युगलों में से कौन-सा यौगिक तीव्रता से अभिक्रिया करेगा?
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उत्तर:
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तृतीयक कार्बोकैटायनं का स्थायित्व अधिक होने के कारण तृतीयक हैलाइड को अभिक्रियाशीलता द्वितीयक हैलाइड से अधिक होगी।

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प्राथमिक कार्बोकैटायन की तुलना में द्वितीयक कार्बोकैटायन का स्थायित्व अधिक होने के कारण।

प्रश्न 10.9
निम्नलिखित में A, B, C, D, E, R तथा R1 को पहचानिए –
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उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 15

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अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 10.1
निम्नलिखित हैलाइडों के नाम आई० यू० पी० ए० सी० (IUPAC) पद्धति से लिखिए तथा उनका वर्गीकरण, ऐल्किल, ऐलिलिक, बेन्जिलिक (प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक), वाइनिल अथवा ऐरिल हैलाइड के रूप में कीजिए –

  1. (CH3)2CHCH(Cl)CH3
  2. CH3CH2CH(CH3)CH(C2H5)Cl
  3. CH3CH2C(CH3)2CH2I
  4. (CH3)3CCH2CH(Br)C6H5
  5. CH3CH(CH3)CH(Br)CH3
  6. CH3C(C2H5)2CH2Br
  7. CH3C(Cl)(C2H5)CH2CH3
  8. CH3CH = C(Cl)CH2CH(CH3)2
  9. CH3CH = CHC(Br)(CH3)2
  10. p – ClC6H4CH2CH(CH3)2
  11. m – ClCH2C6H4CH2C(CH3)3
  12. 0 – Br – C6H4CH(CH3) CH2CH3

उत्तर:

  1. 2- क्लोरो-3-मेथिलब्यूटेन, 2° ऐल्किल हैलाइड
  2. 3-क्लोरो-4-मेथिलहेक्सेन, 2° ऐल्किल हैलाइड
  3. 1-आयोडो-2, 2-डाइमेथिलब्यूटेन, 1° ऐल्किल हैलाइड
  4. 1-ब्रोमो-3, 3-डाइमेथिल-1-फनिलब्यूटेन, 2° बेन्जिलिक हैलाइड
  5. 2-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन, 2° ऐल्किल हैलाइड
  6. 1-ब्रोमो-2-एथिल-2-मेथिलब्यूटेन, 1° ऐल्किल हैलाइड
  7. 3-क्लोरो-3-मेथिलपेन्टेन, 3° ऐल्किल हैलाइड
  8. 3-क्लोरो-5-मेथिलहेक्स-2-ईन, वाइनिलिक हैलाइड
  9. 4-ब्रोमो-4-मेथिलपेन्ट-2-ईन, ऐलिलिक हैलाइड
  10. 1-क्लोरो-4-(2-मेथिलप्रोपिल) बेन्जीन, ऐरिल हैलाइड
  11. 1-क्लोरोमेथिल-3-(2, 2-डाइमेथिलप्रोपिल) बेन्जीन, 1° बेन्जिलिक हैलाइड
  12. 1-ब्रोमो-2-(1-मेथिलप्रोपिल) बेन्जीन, ऐरिल हैलाइड

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प्रश्न 10.2
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम दीजिए:

  1. CH3CH(CI)CH(Br)CH3
  2. CHF2CBrCIF
  3. CICH2C = CCH2Br
  4. (CCl3)3CCl
  5. CH3C(p – ClC6H4)2CH(Br)CH3
  6. (CH3)3CCH = ClC6H4I – p

उत्तर:

  1. 2-ब्रोमो-3-क्लोरोब्यूटेन
  2. 1-ब्रोमो-1-क्लोरो-1, 2, 2-ट्राइफ्लुओरोएथेन
  3. 1-ब्रोमो-4-क्लोरोब्यूट-2-आइन
  4. 2-(ट्राइक्लोरोमेथिल)-1, 1, 1, 2, 3, 3, 3-हेप्टाक्लोरोप्रोपेन
  5. 2-ब्रोमो-3, 3-बिस (4-क्लोरोफेनिल) ब्यूटेन
  6. 1-क्लोरो-1-64-आयोडोफेनिल)-3, 3-डाइमेथिलब्यूट-1-ईन

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प्रश्न 10.3
निम्नलिखित कार्बनिक हैलोजेन यौगिकों की संरचना दीजिए –

  1. 2-क्लोरो-3-मेथिलपेन्टेन
  2. p-ब्रोमोक्लोरो बेन्जीन
  3. 1-क्लोरो-4-एथिलसाइक्लोहेक्सेन
  4. 2-(2-क्लोरोफेनिल)-1-आयोडोऑक्टेन
  5. परफ्लुओरोबेन्जीन
  6. 4-तृतीयक-ब्यूटिल-3-आयोडोहेप्टेन
  7. 1-ब्रोमो-4-द्वितीयक-ब्यूटिल-2-मेथिल बेन्जीन
  8. 1, 4-डाइब्रोमोब्यूट-2-ईन।

उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 16

प्रश्न 10.4
निम्नलिखित में से किसी द्विध्रुव आघूर्ण सर्वाधिक होगा?

  1. CH2Cl2
  2. CHCl3
  3. CCl4

उत्तर:
चूँकि CCl4 समिताकार है, अतः इसमें द्विध्रुव आघूर्ण शून्य है। चूँकि CHCl3 में C – Cl द्विध्रुवों का परिणामी C – H तथा C – Cl आबन्ध के परिणाम अधिक होता है, अतः CHCl3 में द्विध्रुव आघूर्ण 1.03D है। CH2Cl2 में द्विध्रुव आघूर्ण (1.62D) CHCl3 से अधिक है क्योंकि CH2Cl2 में दो C – Cl द्विध्रुव का परिणामी दो CH द्विध्रुवों के परिणामी से प्रतिबलित होता है। अतः दिये गये तीनों यौगिकों में CH2Cl2 का द्विध्रुव आघूर्ण सर्वाधिक है।

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प्रश्न 10.5
एक हाइड्रोकार्बन C5H10 अँधेरे में क्लोरीन के साथ अभिक्रिया नहीं करता, परन्तु सूर्य के तीव्र प्रकाश में केवल एक मोनोक्लोरो यौगिक C5H9Cl देता है। हाइड्रोकार्बन की संरचना क्या है?
उत्तर:

  1. आण्विक सूत्र C5H10 के साथ हाइड्रोकार्बन साइक्लोऐल्केन या ऐल्कीन हो सकता है।
  2. चूँकि हाइड्रोकार्बन अँधेरे में क्लोरीन के साथ अभिक्रिया नहीं करता; अत: यह साइक्लोऐल्केन हो सकता है।
  3. चूँकि यह (साइकलोऐल्केन) सूर्य के तीव्र प्रकाश की उपस्थिति में Cl2 से अभिक्रिया करके एक मोनोक्लोरो यौगिक, C5H9Cl देता है; अत: साइक्लोऐल्केन, साइक्लोपेन्टेन है।
    BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 17

प्रश्न 10.6
C6H9Br सूत्र वाले यौगिक के सभी समावयवी लिखिए।
उत्तर:
C6H9Br के निम्नलिखित चार समावयव हैं –
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प्रश्न 10.7
निम्नलिखित से 1-आयोडोब्यूटेन प्राप्त करने की समीकरण दीजिए –

  1. 1-ब्यूटेनॉल
  2. 1-क्लोरोब्यूटेन
  3. ब्यूट-1-ईन

उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 19

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प्रश्न 10.8
उभयदन्ती नाभिकरागी क्या होते हैं? एक उदाहरण की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
ऐसे नाभिकरागी को जो दो विभिन्न स्थानों से अभिक्रिया कर सकते हैं, उभयदन्ती नाभिकरागी कहते हैं। उदाहरणार्थ: सायनाइड आयन निम्नलिखित दो संख्याओं का एक अनुनाद संकर है:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 20
यह कार्बन परमाणु से जुड़ने से ऐल्किल आइसोसायनाइड बनाता है।

प्रश्न 10.9
निम्नलिखित प्रत्येक युगलों में से कौन यौगिक OH के साथ SN2 अभिक्रिया में अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करेगा?

  1. CH3Br अथवा CH3I
  2. (CH3)3CCl CH3Cl

उत्तर:

  1. चूँकि Br आयन की तुलना में I आयन अच्छा अवशिष्ट समूह है, अतः SN2 अभिक्रिया में, CH3Br की तुलना में, CH3I अधिक तीव्रता से OH आयन से अभिक्रिया करता है।
  2. चूँकि त्रिविम प्रभाव के आधार पर, SN2 अभिक्रियाओं में 1° ऐल्किल हैलाइड, तृतीयक ऐल्किल हैलाइडों से अधिक क्रियाशील होते हैं। अतः SN2 अभिक्रिया में CH3Cl, OH आयन के साथ अधिक तीव्र अभिक्रिया करता है।

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प्रश्न 10.10
निम्नलिखित हैलाइडों के एथेनॉल में सोडियम हाइड्रॉक्साइड द्वारा विहाइड्रोहैलोजनन के फलस्वरूप बनने वाली सभी ऐल्कीनों की संरचना लिखिए। इसमें से मुख्य ऐल्कीन कौन-सी होगी?

  1. 1-ब्रोमो-1-मेथिलसाइक्लाहेक्सेन
  2. 2-क्लोरो-2-मेथिलब्यूटेन
  3. 2, 2, 3-ट्राइमेथिल-3-ब्रोमोपेन्टेन।

उत्तर:
1. 1-ब्रोमो-1-मेथिलसाइक्लोहेक्सेन में Br परमाणु के प्रत्येक ओर स्थित B-हाइड्रोजन एकसमान होते हैं, अतः केवल 1-ऐल्कीन बनता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 21

2. चूंकि 2-क्लोरो-2-मेथिलब्यूटेन में सभी 98-हाइड्रोजन एकसमान होते हैं, इसलिए C2H5HONa C2H5OH के साथ अभिकृत किए जाने पर यह एकल ऐल्कीन देता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 22

3. 2, 2, 3 ट्राइमेथिल-3-ब्रोमोपेन्टेन दो ऐल्कीन (I तथा II) देता है क्योंकि इस में दो β – हाइड्रोजनों के दो भिन्न समूह होते हैं। सेजफ नियमानुसार अधिक उच्च प्रतिस्थापी ऐल्कीन (II) अधिक स्थाई होने के कारण मुख्य उत्पाद है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 23

प्रश्न 10.11
निम्नलिखित परिवर्तन आप कैसे करेंगे?

  1. एथेनॉल से ब्यूट-1-आइन
  2. एथीन से ब्रोमोएथेन
  3. प्रोपीन से 1-नाइट्रोप्रोपीन
  4. टॉलूईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल
  5. प्रोपीन से प्रोपाइन
  6. एथेनॉल से एथिल फ्लु ओराइड
  7. ब्रोमोमेथेन से प्रोपेनोन
  8. ब्यूट-1-ईन से ब्यूट-2-ईन
  9. 1-क्लोरोब्यूटेने से n-ऑक्टेन
  10. बेन्जीन से बाइफेनिल।

उत्तर:
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प्रश्न 10.12
समझाइए, क्यों –

  1. क्लोरोबेन्जीन का द्विध्रुव आघूर्ण साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड की तुलना में कम होता है?
  2. ऐल्किल हैलाइड ध्रुवीय होते हुए भी जल में अमिश्रणीय हैं?
  3. ग्रीन्यार अभिकर्मक का विरचन निर्जलीय अवस्थाओं में करना चाहिए?

उत्तर:
1. sp2 – संकरित कार्बन, s – गुण अधिक होने के कारण, sp3 – संकरित कार्बन से अधिक विद्युतऋणात्मक होता है। अत: क्लोरोबेन्जीन में C – Cl आबन्ध के sp2 – संकरित कार्बन में, साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड के sp3 – संकरित कार्बन से, Cl पर इलेक्ट्रॉन विमोचित करने की प्रवृत्ति कम होती है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 29

अतः क्लोरोबेन्जीन में C – Cl आबन्ध साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड की तुलना में कम ध्रुवी होता है। अन्य शब्दों में, क्लोरोबेन्जीन के Cl परमाणु पर ऋणावेश का परिमाण अर्थात् δ, साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड की तुलना में कम होता है। अब बेन्जीन वलय पर Cl परमाणु के एकाकी इलेक्ट्रॉन-युग्मों के विस्थानीकरण के कारण क्लोरोबेन्जीन का C – Cl आबन्ध कुछ द्विआबन्ध गुण ग्रहण कर लेता है, जबकि साइक्लोहेक्सिल का C – Cl आबन्ध शुद्ध एकल आबन्ध ही होता है। अतः क्लोरोबेन्जीन में C – Cl आबन्ध साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड की तुलना में छोटा होता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 30

चूँकि द्विध्रुव आघूर्ण, आवेश तथा दूरी का गुणनफल होता है, इसलिए Cl परमाणु पर ऋणावेश परिमाण तथा C – Cl दूरी कम होने के कारण क्लोरोबेन्जीन, में द्विध्रुव आघूर्ण साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड की तुलना में कम होता है।

2. ऐल्किल हैलाइड ध्रुवीय अणु होते हैं, इसलिए इनके अणु द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण द्वारा परस्पर रहते हैं। H2O के अणु हाइड्रोजन आबन्धों द्वारा जुड़े होते हैं। अब चूँकि जल तथा ऐल्किल हैलाइड अणु बीच उत्पन्न हुए नए आकर्षण बल, ऐल्किल हैलाइड-ऐल्किल हैलाइड अणुओं तथा जल-जल अणुओं से पहले से ही उपस्थित आकर्षण बलों की तुलना में दुर्बल होते हैं, इसलिए ऐल्किल हैलाइड ध्रुवीय होते हैं। जल में अमिश्रणीय होते हैं।

3. ग्रीन्यार अभिकर्मक अत्यन्त क्रियाशील होते हैं। ये उपकरणों अथवा प्रारम्भिक पदार्थों (R – Mg) में उपस्थित नमी से अभिक्रिया कर लेते हैं।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 31
अतः ग्रीन्यार अभिकर्मक का विरचन निर्जलीय अवस्थाओं में करना चाहिए।

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प्रश्न 10.13
फ्रेऑन-12, DDT, कार्बनटेट्राक्लोराइड तथा आयोडोफार्म के उपयोग दीजिए।
उत्तर:
फ्रेऑन के उपयोग:
यह ऐरोसॉल प्रणोदक, प्रशीतक तथा वायु शीतलन में उपयोग करने के लिए उत्पादित किए जाते हैं।

DDT के उपयोग:
DDT का उपयोग कीटनाशी के रूप में किया जाता है, परन्तु जीवों में इसके सतत् अन्तर्ग्रहण से उत्पन्न विषैले प्रभावों के कारण इसे प्रतिबन्धित कर दिया गया है।

कार्बन टेट्राक्लोराइड के उपयोग –

  1. इस का उपयोग घर एवं उद्योग दोनों में शोधक के रूप है।
  2. इसका उपयोग प्रशीतकों, एयेरासॉल के नोदक तथा औषधियों के निर्माण में किया जाता है।
  3. यह वसा, तेल, मोम तथा रेजिन के लिए उपयोगी विलायक है।
  4. आयोडाइड तथा ब्रोमाइड के क्लोरीन जल परीक्षण में भी यह विलायक के रूप में प्रयुक्त होता है।
  5. इससे फ्रेऑन-12 भी प्राप्त होता है।
  6. इसका उपयोग पाइरीन नाम से अग्निशामक के रूप में। होता है। इसकी प्रकृति अज्वलनशील होती है। और ऑक्सीजन या। वायु को जलते पदार्थ के सम्पर्क में आने से रोकते हैं।

आयोडोफॉर्म के उपयोग:
इसका उपयोग प्रारम्भ में पूर्तिरोधी (ऐण्टिसेप्टिक) के रूप में किया जाता था, परन्तु आयोडोफॉर्म का यह पूर्तिरोधी गुण अयोडोफॉर्म के कारण स्वयं नहीं, बल्कि मुक्त हुई आयोडीन के कारण होता है। इसकी अरुचिकर गन्ध के कारण अब इसके स्थान पर आयोडीनयुक्त अन्य दवाओं का उपयोग किया जाता है।

Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

प्रश्न 10.14
निम्नलिखित प्रत्येक अभिक्रिया में बनने वाले मुख्य कार्बनिक उत्पाद की संरचना लिखिए –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 32
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 33

प्रश्न 10.15
निम्नलिखित अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 34
उत्तर:
KCN निम्नलिखित दो अंशदायी संरचनाओं का अनुनादी संकर है –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 35
अत: CN एक उभयदन्ती नाभिकरागी होने के कारण यह n – BuBr में C – Br आबन्ध के कार्बन परमाणु से C अथवा N के द्वारा अभिक्रिया करता है। चूँकि C – N आबन्ध से C – C आबन्ध प्रबल होता है, अतः यह C के द्वारा अभिक्रिया करके n – ब्यूटिल/सायनाइड बनाता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 36

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प्रश्न 10.16
SN2 प्रतिस्थापन के प्रति अभिक्रियाशीलता के आधार पर इन यौगिकों के समूहों को क्रमबद्ध कीजिए।

  1. 2-ब्रोमो-2 मेथिलब्यूटेन, 1-ब्रोमोपेन्टेन, 2-ब्रोमोपेन्टेन
  2. 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन, 2-ब्रोमो- 2-मेथिलब्यूटेन, 3-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन
  3. 1-ब्रोमोब्यूटेन, 1-ब्रोमो-2, 2-डाइमेथिलप्रोपेन, 1-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन, 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन।

उत्तर:
1. SN2 अभिक्रियाओं में अभिक्रियाशीलता त्रिविम अवरोध पर निर्भर करती है। त्रिविम अवरोध अधिक होने पर अभिक्रिया मन्द होती है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 37
त्रिविम कारकों के कारण SN2 अभिक्रियाओं में क्रियाशीलता का क्रम -1° > 2° > 3° है, इसलिए दिए गए ऐल्किल ब्रोमाइडों की अभिक्रियाशीलता का क्रम इस प्रकार होगा –
1-ब्रोमोपेन्टेन > 2-ब्रोमोपेन्टेन > 2-ब्रोमो- 2-मेथिलब्यूटेन
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 38
त्रिविम प्रभाव के कारण SN2 अभिक्रियाओं में ऐल्किल हैलाइडों की अभिक्रियाशीलता का क्रम 1° > 2° > 3° है, इसलिए दिए गए

ऐल्किल ब्रोमाइडों की अभिक्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होगा –
1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन > 3-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन > 2-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटैन
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 39
चूँकि 1° ऐल्किल हैलाइडों की स्थिति में त्रिविम अवरोध इस प्रकार बढ़ता है –
n – ऐल्किल हैलाइड, β – स्थिति से अन्य किसी स्थिति पर प्रतिस्थापीयुक्त ऐल्किल हैलाइड, β – स्थिति पर एक प्रतिस्थापी, β – स्थिति पर दो प्रतिस्थापी। इसलिए अभिक्रियाशीलता भी इसी क्रम में घटेगी। अतः दिए गए ऐल्किल ब्रोमाइडों की अभिक्रियाशीलता का क्रम इस प्रकार होगा –
1-ब्रोमोब्यूटेन > 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन > 1-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन > 1-ब्रोमो-2, 2-डाइमेथिलप्रोपेन

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प्रश्न 10.17
C6H5CH2Cl तथा C6H5CHClC6H5 में से कौन-सा यौगिक जलीय KOH से शीघ्रता से जल-अपघटित होगा?
उत्तर:
C6H5CH2Cl एक 1° ऐरिलऐल्किल हैलाइड है तथा C6H5CHClC6H5 एक 2° ऐरिलऐल्किल हैलाइड है। SN1 अभिक्रियाओं में क्रियाशीलता कार्बोकैटायनों के स्थायित्व पर निर्भर करती है।

चूंकि C6H5 – C6H5ClC6H5 SN1 से व्युत्पन्न कार्बोकेटायन C6H5CH2Cl से अधिक स्थायी होता है, अत: C6H5CH2Cl परिस्थितियों के अन्तर्गत C6H5CH2Cl की तुलना में अधिक सरलता से जल-अपघटित होता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 40
चूँकि SN2 के अन्तर्गत त्रिविम अवरोध निर्भर करती है, अतः SN2 के अन्तर्गत C6H5CH2Cl का जल अपघटन C6H5CHClC6H5 से अधिक आसानी से हो जाता है।

प्रश्न 10.18
0 – तथा m – समावयवियों की तुलना में p – डाइक्लोरोबेन्जीन का गलनांक उच्च होती है, विवेचना कीजिए।
उत्तर:
p – समावयव की संरचना समितकार होती है। इसके फलस्वरूप ये अण ठोस अवस्था में संगत o – तथा m – समावयवों की तुलना में अधिक निविड संकुलित (closely packed) होते हैं। आकर्षण बल अधिक होने के कारण इन का गलनांक 0-तथा m-डाइक्लोरो बेन्जीन की तुलना में उच्च होता है।

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प्रश्न 10.19
निम्नलिखित परिवर्तन कैसे सम्पन्न किए. जा सकते हैं?

  1. प्रोपीन से प्रोपेन-1-ऑल
  2. एथेनॉल से ब्यूट-1-आइन
  3. 1-ब्रेमोप्रोपेन से 2-ब्रोमोप्रोपेन
  4. टॉलूईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल
  5. बेन्जीन से 4-ब्रोमोनाइट्रोबेन्जीन
  6. बेन्जिल ऐल्कोहॉल से 2-फेनिल एथेनोइक अम्ल
  7. एथेनॉल से प्रोपेन नाइट्राइल
  8. ऐनिलील में क्लोरोबेन्जीन
  9. 2-क्लोरोब्यूटेन से 3, 4-डाइमेथिलहेक्सेन
  10. 2-मेथिल-1-प्रोपीन से 2-क्लोरो- 2-मेथिलप्रोपेन
  11. एथिल क्लोराइड से प्रोपेनोइक अम्ल
  12. ब्यूट-1-ईन से n-ब्यूटिल आयोडाइड
  13. 2-क्लोरोप्रोपेन से 1-प्रोपेनॉल
  14. आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल से आयोडोफॉर्म
  15. क्लोरोबेन्जीन से p-नाइट्रोफीनॉल
  16. 2-ब्रोमोप्रोपेन से 1-ब्रोमोप्रोपेन
  17. क्लोरोएथेन से ब्यूटेन
  18. बेन्जीन से डाइफेनिल
  19. तृतीयक-ब्यूटिल ब्रोमाइड से आइसो-ब्यूटिल ब्रोमाइड
  20. ऐनिलीन से फेनिलआइसोसायनाइड।

उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन img 41
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 42
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 43

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प्रश्न 10.20
ऐल्किल क्लोराइड की जलीय KOH से अभिक्रिया द्वारा ऐल्कोहॉल बनता है, लेकिन ऐल्कोहॉलिक KOH की उपस्थिति में ऐल्कीन मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होती है। समझाइए।
उत्तर:
जलीय विलयन में KOH आयनित होकर OH आयन देता है जो प्रबल नाभिरागी होने के कारण ऐल्किल हैलाइडों पर प्रतिस्थापन द्वारा ऐल्कोहॉल बनाते हैं जबकि KOH के ऐल्कोहॉलीय विलयन में ऐल्कॉक्साइड (RO) आयन हैं जो OH प्रबल क्षारीय होने के कारण ऐल्किल क्लोराइड से ऐल्कीन बनाते हैं।

प्रश्न 10.21
प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड C4H9Br
(क), ऐल्कोहॉलिक KOH में अभिक्रिया द्वारा यौगिक
(ख) देता है। यौगिक ‘ख’ HBr के साथ अभिक्रिया से यौगिक ‘ग’ देता है जो कि यौगिक ‘क’ का समावयवी है। जब यौगिक’क’ की अभिक्रिया सोडियम धातु से होती है तो यौगिक ‘घ’ C8H18 बनता है, जोकि ब्यूटिल ब्रोमाइड की सोडियम से अभिक्रिया द्वारा बने उत्पाद से भिन्न है। यौगिक ‘क’ का संरचना सूत्र दीजिए तथा सभी अभिक्रियाओं की समीकरण दीजिए।
उत्तर:
आण्विक सूत्र C4H9Br दो प्राथमिक हैलाइड निम्नलिखित हो सकते हैं –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 44
अतः यौगिक (क) या तो n – ब्यूटिल क्लोराइड है या आइसोब्यूटिल क्लोराइड। चूँकि यौगिक ‘क’ की अभिक्रिया सोडियम धातु से होने पर यौगिक ‘घ’ (आण्विक सूत्र C8H18) होता है जो कि n – ब्यूटिल ब्रोमाइड की अभिक्रिया सोडियम धातु से होने पर प्राप्त यौगिक से भिन्न है, इस यौगिक ‘क’ आइसोब्यूटिल क्लोराइड होना चाहिए तथा यौगिक ‘घ’ 2, 5 – डाइमेथिलहेक्सेन होना चाहिए।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 45
अब यदि यौगिक ‘क’ आइसोब्यूटिल क्लोराइड है तो यौगिक ‘ख’, जो यौगिक ‘क’ की ऐल्कोहॉलिक KOH से अभिक्रिया द्वारा प्राप्त होता है, 2-मेथिल-1-प्रोपीन होना चाहिए।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 46
यौगिक ‘ख’ HBr के साथ अभिक्रिया से मार्कोनीकॉफ नियम के अनुसार यौगिक ‘ग’ देता है। इसीलिए यौगिक ‘ग’ तृतीयक-ब्यूटिल ब्रोमाइड है जो यौगिक ‘क’ (आइसोब्यूटिल ब्रोमाइड) का एक समावयव है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 47
इस प्रकार,
‘क’ आइसोब्यूटिल क्लोराइड,
‘ख’ 2-मेथिल-1-प्रोपीन,
‘ग’ तृतीयक-ब्यूटिल ब्रोमाइड
‘घ’ 2, 5-डाइमेथिलहेक्सेन है।

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प्रश्न 10.22
तब क्या होता है जब:

  1. n-ब्यूटिल क्लोराइड को ऐल्कोहॉलिक KOH के साथ अभिकृत किया जाता है?
  2. शुष्क ईथर की उपस्थिति में ब्रोमोबेन्जीन की अभिक्रिया मैग्नीशियम से होती है?
  3. क्लोरोबेन्जीन का जल-अपघटन किया जाता है?
  4. एथिल क्लोराइड की अभिक्रिया जलीय KOH से होती है?
  5. शुष्क ईथर की उपस्थिति में मेथिल ब्रोमाइड की अभिक्रिया सोडियम से होती है?
  6. मेथिल क्लोराइड की अभिक्रिया KCN से होती है?

उत्तर:
1. ब्यूट-1-इन बनता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 48

2. फेनिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड (ग्रिगनार्ड अभिकर्मक बनता है)
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 49

3. फिनॉल बनता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 50

4. एथिल ऐल्कोहॉल बनता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 51

5. वु अभिक्रिया के फलस्वरूप एथेन बनता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 52

6. मेथिल सायनाइड बनता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन 53

Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन

Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

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Bihar Board Class 12 Chemistry ऐमीन Text Book Questions and Answers

पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 13.1
निम्नलिखित ऐमीनों को प्राथमिक, द्वितीयक अथवा तृतीयक ऐमीनों में वर्गीकृत कीजिए –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-1
(iii) (C2H5) CHNH2
(iv) (C2H5)2 NH
उत्तर:
(i) प्राथमिक ऐमीन
(ii) तृतीयक ऐमीन
(iii) प्राथमिक ऐमीन
(iv) द्वितीयक ऐमीन

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प्रश्न 13.2
(i) अणुसूत्र C4H11N से प्राप्त विभिन्न समावयवी ऐमीनों की संरचना लिखिए।
(ii) सभी समावयवों के आई०यू०पी०ए०सी० नाम लिखिए।
(iii) विभिन्न युग्मों द्वारा कौन-से प्रकार की समावयवता प्रदर्शित होती है।
उत्तर:
(i) अणुसूत्र C4H11N से प्राप्त विभिन्न समावयव ऐमीन निम्नलिखित हैं –
प्राथमिक ऐमीन –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-2

द्वितीयक ऐमीन –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-3

तृतीयक ऐमीन –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-4

(ii) समावयवों के आई० यी० पी० ए० सी० नाम –
(क) ब्यूटेने-1-ऐमीन
(ख) ब्यूटेन-2-ऐमीन
(ग) 2-मेथिल-1-ऐमीन
(घ) 2-मेथिल प्रोपेन-2-ऐमीन
(ङ) N-एथिल एथेनामीन
(च) N-मेथिल प्रोपेनेमीन
(छ) N-मेथिल, प्रोपेन-2-ऐमीन
(ज) N, N-डाइमेथिल एथेनेमीन

(iii) समावयवता के प्रकार –

श्रृंखला समावयवता:
(क) तथा (ग), (ख) तथा (घ), (क) तथा (घ)

स्थान समावयवता:
(क) तथा (ख),(ङ) तथा (च)

मध्यावयवता:
(ङ) तथा (च)

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प्रश्न 13.3
आप निम्नलिखित परिवर्तन कैसे करेंगे?
(i) बेन्जीन से एनिलीन
(ii) बेन्जीन से N, N-डाइमेथिलऐनिलीन
(iii) Cl-(CH2) – Cl से हेक्सेन-1, 6-डाइऐमीन
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-5

प्रश्न 13.4
निम्नलिखित को उनके बढ़ते हुए क्षारकीय प्रबलता के क्रम में लिखिए –
(i) C2H5NH2, C6H5NH2, NH3, C6H5CH2NH2 तथा (C2H5)2NH
(ii) C2H5NH2, (C2H5)2 NH, (C2H5)NH2
(iii) CH3NH2, (CH3)2 NH, (CH3)3 N, C6H5NH2, C6H5CH2NH2
उत्तर:
(i) C6H6NH2 < NH3 < C6H5CH2NH2
< C2H5NH2 < (C2H5)2 NH
(ii) C6H5NH2 < C2H5NH2 < (C2H5)3N < (C2H5)2 NH
(iii) C6H5NH2 < C6H5CH2NH2 < (CH3)3N < CH3NH2 < (CH3NH2 < (CH3)2NH

प्रश्न 13.5
निम्नलिखित अम्ल-क्षारक अभिक्रिया को पूर्ण कीजिए तथा उत्पादों के नाम लिखिए –
(i) CH3 CH2 CH2 NH2 + HCl →
(ii) (C2H5)3N + HCL →
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-6

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प्रश्न 13.6
सोडियम कार्बोनेट विलयन की उपस्थिति में मेथिल आयोडाइड के आधिक्य द्वारा ऐनिलीन के ऐल्किलन में उत्पन्न होने वाले उत्पादों के लिए अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
ऐनिलीन Na2CO3 विलयन की उपस्थिति में मेथिल आयोडाइड आधिक्य में अभिक्रिया करके N, N, N – ट्राइमेथिल ऐनिलीनियम कार्बोनेट बनायेगी।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-7

प्रश्न 13.7
ऐनिलीन की बेन्जोइल क्लोराइड के साथ रासायनिक अभिक्रिया द्वारा उत्पन्न उत्पादों के नाम लिखिए।
उत्तर:
N – फेनिल बेन्जेमाइड बनता है। यह क्रिया जलीयक्षार की उपस्थिति में होती है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-8

प्रश्न 13.8
अणुसूत्र C3H9N से प्राप्त विभिन्न समावयवों की संरचना लिखिए। उन समावयवों के आई० यू० पी० ए० सी० नाम लिखिए, जो नाइट्रस अम्ल के साथ नाइट्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
उत्तर:
अणुसूत्र C3H9N से चार समावयवी ऐलीफैरिक ऐमीन सम्भव हैं जिनकी संरचना निम्न प्रकार है –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-9
केवल प्राथमिक ऐमीन नाइट्रस अम्ल के साथ अभिक्रिया करके नाइट्रोजन गैस निष्कासित होगी।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-10

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प्रश्न 13.9
निम्नलिखित परिवर्तन कीजिए –
(i) 3-मेथिलऐनिलीन से 3-नाइट्रोटॉलूईन
(ii) ऐनिलीन से 1, 3, 5-ट्राइब्रोमोबेन्जीन।
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-11

Bihar Board Class 12 Chemistry ऐमीन Additional Important Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 13.1
निम्नलिखित यौगिकों को प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों में वर्गीकृत कीजिए तथा इनके आई० यू० पी० ए०सी० नाम लिखिए –

  1. (CH3)2CHNH2
  2. CH3(CH2)2NH2
  3. CH3NHCH(CH3)2
  4. (CH3)3CNH2
  5. C6H5NHCH3
  6. (CH3CH2)2NCH3
  7. m-BrC6H4NH2

उत्तर:

  1. 1-मेथिलएथेनेमीन (प्राथमिक)
  2. प्रोपेन-1-ऐमीन (प्राथमिक)
  3. N-मेथिल-2-मेथिलएथेनेमीन (द्वितीयक)
  4. 2-मेथिलप्रोपेन-2-ऐमीन (तृतीयक)
  5. N-मेथिलबेन्जीनेमीन या N-मेथिलऐनिलीन (द्वितीयक)
  6. N-एथिल-N- मेथिलएथेनेमीन (तृतीयक)
  7. 3-ब्रोमोऐनिलीन या 3-ब्रोमोबेन्जीनेमीन (प्राथमिक)

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प्रश्न 13.2
निम्नलिखित युगलों के यौगिकों में विभेद के लिए एक रासायनिक परीक्षण दीजिए –

  1. मेथिलऐमीन एवं डाइमेथिलऐमीन
  2. द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन
  3. एथिलऐमीन एवं ऐनिलीन
  4. ऐनिलीन एवं ऐन्जिलऐमीन
  5. ऐनिलीन एवं N-मेथिलऐनिलीन।

उत्तर:
1. मेथिल ऐमीन एवं डाइमेथिल ऐमीनमेथिल ऐमीन एक प्राथमिक ऐमीन है, अत: यह क्लोरोफार्म और ऐल्कोहॉलिक KOH के साथ गर्म करने पर दुर्गंधयुक्त मेथिल आइसोसायनाइड अथवा कर्बिलऐमीन परीक्षण देती है, जबकि डाइमेथिल ऐमीन है और यह परीक्षण नहीं देती।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-12

2. द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन:
द्वितीयक ऐमीन लिबरमैन नाइट्रोसो ऐमीन परीक्षण देती है जबकि तृतीयक ऐमीन यह परीक्षण नहीं देती है। द्वितीयक ऐमीन HNO2 से अभिक्रिया करके पीले रंग का N – नाइटोऐमीन बनाती है जो सान्द्र H2SO4 तथा फीनॉल के क्रिस्टलों के साथ गर्म करने पर हरा विलयन बनाती है। यह जलीय NaOH विलयन के साथ गाढ़ा नीला रंग देती है, जो तनुकरण करने पर लाल हो जाता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-13

3. एथिल ऐमीन तथा ऐनिलीन:
ऐनिलीन NaNO2 तथा तनु HCl के साथ 273-278 K पर अभिक्रिया करके बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड बनाती है जो β – नेफ्थॉल के क्षारीय विलयन के साथ गहरे नारंगी रंग का रंजक बनता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-14
एथिल ऐमीन यह परीक्षण नहीं देती।

4. ऐनिल एवं बेन्जिल ऐमीन:
ऐनिलीन डाइऐजोटीकरण युग्म अभिक्रिया देती है, जबकि बेन्जिल ऐमीन नहीं।

5. ऐनिलीन एवं N-मेथिल ऐनिलीन:
ऐनिलीन कार्बलऐमीन अभिक्रिया देती है, जबकि N – के लिए ऐनिलीन यह परीक्षण नहीं देती।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-15

Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन

प्रश्न 13.3
निम्नलिखित के कारण बताइए –

  1. ऐनिलीन का pKb मेथिल ऐमीन की तुलना में अधिक होता है।
  2. एथिल ऐमीन जल में विलेय है, जबकि ऐनिलीन नहीं है।
  3. मेथिल ऐमीन फेरिक क्लोराइड के साथ जल में अभिक्रिया करने पर जलयोजित फेरिक ऑक्साइड का अवक्षेप देता है।
  4. यद्यपि ऐमीनों समूह इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं में आर्थो एवं पैरा-निर्देशक होता है, फिर भी ऐनिलीन नाइट्रीकरण द्वारा यथेष्ट मात्रा में मेटानाइट्रोऐनिलीन देती है।
  5. ऐनिलीन फ्रीडेल क्राफ्ट्स अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं करती।
  6. ऐरोमैटिक ऐमीनों के डाइऐजोनियम लवण ऐलीफैटिक ऐमीनों से प्राप्त लवण से अधिक स्थाई होता है।
  7. प्राथमिक ऐमीन के संश्लेषण में गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण को प्राथमिकता दी जाती है।

उत्तर:
1. चूँकि ऐनिलीन कम क्षारीय होता है, अतः ऐनिलीन की PKb में मेथिल ऐमीन से अधिक होती है। ऐनिलीन में N – परमाणु पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म बेन्जीन रिंग के साथ संयुग्मन में प्रयुक्त होता है। जिससे नाइट्रोजन पर इलेक्ट्रॉन-घट जाता है। मेथिल ऐमीन में CH3 का +I प्रभाव N-परमाणु पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ा देता है। अतः ऐनिलीन का PKb मेथिल ऐमीन से अधिक होता है।

2. एथिल ऐमीन हाइड्रोजन आबन्ध के कारण जल में विलेय है जैसा कि निम्न प्रकार प्रदर्शित है –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-16
दूसरी ओर ऐनिलीन में फेनिल समूह बड़े आकार का तथा -I प्रभाव वाला हाता है जिससे जल के साथ हाइड्रोजन आबन्ध घट जाता है। अत: ऐनिलीन जल में अविलेय है।

3. मेथिल ऐमीन जल के साथ घुलनशील हाइड्राक्साइड बनाता है और OH आयन मुक्त करती है। ये OH आयतन फेरिक क्लोराइड के Fe3+ आयनों से संयुक्त होकर जलयोजित फेरिक ऑक्साइड का भूरा अवक्षेप देते हैं।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-17

4. नाइट्रोकरण सान्द्र H2SO4 तथा सान्द्र HNO3 के मिश्रण द्वारा होता है। प्रबल अम्लीय माध्यम में ऐनिलीन प्रोटॉन ग्रहण करके ऐनिलीनियम आयन बनाती है। अब एनिलीन में ऐमीनों (-NH2) समूह आर्थों एवं पैरा निर्देशक होता है, जबकि ऐनीलियम आयन में मेटा-निर्देशक असक्रिया होता है। अतः नाइट्रोकरण में ऐनिलीन पैरा-नाइट्रोऐनिलीन देता है और ऐनिलीनियम का मैटा-नाइट्रोऐनिलीन देता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-18
अतः ऐनिलीन का नाइट्रोकरण ऐमीनों समूह के प्रोटानीकरण द्वारा यथेष्ट मात्रा में मेटा-नाइट्रोऐनिलीन देता है।

5. ऐनिलीन लूइस क्षार होने के कारण AlCl3 के साथ अभिक्रिया करके एक संकट बनाता है जो एक लूइस अम्ल होता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-19
फलतः
ऐनिलीन का N-परमाणु धन आवेश ग्रहाण कर लेता है जो कि इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के लिए सक्रिय कार्य नहीं कर सकता। अतः ऐनिलीन फ्रीडल-क्राफ्ट अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं करती।

6. ऐरोमैटिक ऐमीनों के डाइऐजोनियम लवण ऐलिफैटिक ऐमीनों के डाइऐजोनियम लवण से अधिक स्थायी होते हैं क्योंकि ये अनुनादी रूप में स्थाई होते हैं। इन्हें निम्न प्रकार से दर्शाया जा सकता है –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-20

7. गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण शुद्ध अवस्था में प्राथमिक ऐमीन देता है। अतः प्राथमिक ऐमीनों के संश्लेषण में गैब्रिएल संश्लेषण को प्राथमिकता दी जाती है।

Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 13 ऐमीन

प्रश्न 13.4
निम्नलिखित को क्रम में लिखिए –
(i) pKb मान के घटते क्रम में –
C2H5NH2, C6H5NHCH3, (C2N5)2NH एवं C6H5NH2

(ii) क्षारकीय प्राबल्य के घटते क्रम में –
C6H5NH2, C6H5N(CH3)2, (C2H5)2NH एवं CH3NH2

(iii) क्षारकीय प्राबल्य के बढ़ते क्रम में –
(क) ऐनिलीन, पैरा-नाइट्रोऐनिलीन एवं पैरा-टॉलूडीन
(ख) C6H5NH2, C6H5NHCH3, C6H5CH2NH2

(iv) गैस अवस्था में घटते हुए क्षारकीय प्राबल्य के क्रम में –
C2H5NH2, (C2H5)2NH, (C2H5)3N एवं NH3

(v) क्वथनांक के बढ़ते क्रम में –
C2H5OH, (CH3)2 NH, C2H5NH2

(vi) जल में विलेयता के बढ़ते क्रम में –
C6H5NH2, (C2H5)2 NH, C2H5NH2
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-21

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प्रश्न 13.5
इन्हें आप कैसे परिवर्तित करेंगे –
(i) एथेनोइक अम्ल को मेथेनेमीन में
(ii) हेक्सेननाइट्राइल को 1-ऐमीनोपेन्टेन में
(iii) मेथेनॉल को एथेनोइक अम्ल में
(iv) एथेनेमीन को मेथेनेमीन में
(v) एथेनोइक अम्ल को प्रोपेनोइक अम्ल में
(vi) मेथेनेमीन को एथेनेमीन में
(vii) नाइट्रोमेथेन को डाइमेथिलऐमीन में
(viii) प्रोपेनाइक अम्ल को एथेनोइक अम्ल में?
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-22

प्रश्न 13.6
प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों की पहचान की विधि का वर्णन कीजिए। इन अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण भी लिखिए।
उत्तर:
बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड (C6H5SO2Cl), जिसे हिन्सबर्ग अभिकर्मक भी कहा जाता है, प्राथमिक और द्वितीयक ऐमीनों से अभिक्रिया करके सल्फोनेमाइड बनाता है।

(i) बेन्जीनसल्फोनिल क्लोराइड और प्राथमिक ऐमीन की अभिक्रिया से N – एथिलबेन्जीन-सल्फोनिल ऐमाइड प्राप्त होते हैं।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-23

सल्फोनेमाइड की नाइट्रोजन से जुड़ी हाइड्रोजन प्रबल इलेक्ट्रॉन खीचने वाले सल्फोनिल समूह की उपस्थिति के कारण प्रबल अम्लीय होती है। अत: यह क्षार में विलेय होते हैं।

(ii) द्वितीयक ऐमीन की अभिक्रिया से N, N – डाइएथिलबेन्जीनसल्फोनेमाइड बनता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-24
N, N – डाइएथिल बेन्जीनसल्फोनेमाइड में कोई भी हाइड्रोजन परमाणु नाइट्रोजन परमाणु से नहीं है अतः यह अम्लीय नहीं होता तथा क्षार में अविलेय होता है।

(iii) तृतीयक ऐमीन बेन्जीनसल्फोनिल क्लोराइड से अभिक्रिया नहीं करती। विभिन्न वर्गों के ऐमीन का यह गुण जिसमें वे बेन्जीनसल्फोनिल क्लोराइड से भिन्न-भिन्न प्रकार से अभिक्रिया करती हैं, प्राथमिक द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों में विभेद करने एवं इन्हें मिश्रण से पृथक् करने में प्रयुक्त होता है। यद्यपि आजकल बेन्जीनसल्फोनिल क्लोराइड के स्थान पर p – टॉलूईनसल्फोनिल क्लोराइड का प्रयोग होता है।

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प्रश्न 13.7
निम्नलिखित पर लघु टिप्पणी लिखिए –
(i) कार्बिलऐमीन अभिक्रिया
(ii) डाइऐजोकरण
(iii) हॉफमान ब्रोमेमाइड अभिक्रिया
(iv) युग्मन अभिक्रिया
(v) अमोनीअपघटन
(vi) ऐसीटिलन
(vii) गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण।
उत्तर:
(i) कार्बिल ऐमीन अभिक्रिया-ऐथिल ऐमीन को कलोरोफार्म और ऐल्कोहॉलीय पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड के साथ गर्म करने पर ऐथिल आइसो सायनाइड (ऐथिल कार्बिल ऐमीन) बनता है जिसकी गन्ध बहुत अरुचिकर होती है। यह अभिक्रिया काबिल ऐमीन अभिक्रिया कहलाती है।
उदाहरण –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-25

(ii) डाइऐजीकरण अभिक्रिया:
ऐसी अभिक्रिया जिसमें ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन NaNO2 तथा तनु HCl के साथ 273 – 278 K ताप ऐमीनो समूह को डाइएजो समूह में परिवर्तित होने को डाइऐजोकरण अभिक्रिया कहते हैं।

उदाहरण:
ऐनिलीन को NaNO2 तथा तनु HCl के साथ 273 – 278 K ताप पर अभिक्रिया द्वारा बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड बनता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-26

(iii) हॉफमैन ब्रोम-ऐमाइड अभिक्रिया:
इस अभिक्रिया की सहायता से -CONH2 समूह को -NH2 समूह में परिवर्तित किया जाता है। जब किसी ऐमाइड को Br2 तथा कॉस्टिक पोटाश विलयन के साथ गर्म करते हैं तो एमीन बनती है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-27
इस अभिक्रिया से ऐसेट-प्रोपिऑन-ऐमाइड तथा बेन्जऐमाइड को क्रमशः मेथिल ऐमीन, एथिल एमीन और ऐनिलीन में परिवर्तित किया जा सकता है।
उदाहरण –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-28

(iv) युग्मन अभिक्रिया:
बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड फीनॉल से अभिक्रिया करने पर इसके पैरा स्थान पर युग्मित होकर पैरा हाइड्रॉक्सीऐजोबेन्जीन बनाता है। इसी प्रकार की अभिक्रिया को युग्मन अभिक्रिया कहते हैं। इसी प्रकार से डाइऐजोनियम लवण की ऐनिलीन से अभिक्रिया द्वारा पैरा-ऐमीनोऐजोबेन्जीन बनती है। यह एक इलेक्ट्रॉनरागी अभिक्रिया का उदाहरण है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-29

(v) अमोनी अपघटन:
ऐल्किल अथवा बेन्जिल हैलाइडों में कार्बन-हैलोजन आबन्ध नाभिकरागी द्वारा सरलता से विदलित हो जाता है, इसलिए ऐल्किल अथवा बेन्जिल हैलाइड अमोनिया के एथेनॉलिक विलयन से नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया करते हैं, जिसमें हैलोजन परमाणु ऐमीनो (-NH2) समूह से प्रतिस्थापित हो जाता है। अमोनिया अणु द्वारा C-X आबन्ध के विदलन की प्रक्रिया को अमोनीअपघटन (ammonolysis) कहते हैं। यह अभिक्रिया 373 K ताप पर सील बन्द नलिका में कराते हैं। इस प्रकार से प्राप्त प्राथमिक ऐमीन नाभिकरागी की तरह व्यवहार करती है और पुनः ऐल्किल हैलाइड से अभिक्रिया करके द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन तथा अन्तत: चतुष्क, अमोनियम लवण बना सकती है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-30
इस अभिक्रिया में हैलाइडों को ऐमीनों से अभिक्रियाशीलता का क्रम Ri > RBr > RCl होता है। अमोनियम लवण से मुक्त ऐमीन प्रबल क्षार द्वारा अभिक्रिया से प्राप्त की जा सकती है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-31
अमोनीअपघटन में यह असुविधा है कि इससे प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन तथा चतुष्क अमोनियम लवण का मिश्रण प्राप्त होता है। यद्यपि अमोनिया आधिक्य में लेने पर प्राप्त मुख्य उत्पाद प्राथमिक ऐमीन हो सकता है।

(vi) ऐसीटिलन या ऐसीटिलीकरण:
OH या NH2 समूह के हाइड्रोजन परमाणु का ऐसीटिल (CH3CO) समूह द्वारा विस्थापन ऐसीटिलन या ऐसीटिलीकरण कहलाता है।
उदाहरण –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-32

(vii) गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण:
गैब्रिएल संश्लेषण का प्रयोग प्राथमिक ऐमीनों के विरचन के लिए कियाजाता है। थैलिमाइड एथेनॉलिक पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड से अभिक्रिया द्वारा थैलिमाइड का पोटैशियम लवण बनाता है जो ऐल्किल हैलाइड के साथ गर्म करने के पश्चात् क्षारीय जलअपघटन द्वारा संगत प्राथमिक ऐमीन उत्पन्न करता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-33
ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन इस विधि से नहीं बनाई जा सकती; क्योंकि ऐरिल हैलाइड थैलिमाइड से प्राप्त ऋणायन के साथ नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया नहीं कर सकते।

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प्रश्न 13.8
निम्नलिखित परिवर्तन निष्पादित कीजिए –
(i) नाइट्रोबेन्जीन से बेन्जोइक अम्ल
(ii) बेन्जीन से m-ब्रोमोफीनॉल
(iii) बेन्जोइक अम्ल से ऐनिलीन
(iv) ऐनिलीन से 2, 4, 6-ट्राइब्रोमोफ्लुओरोबेन्जीन
(v) बेन्जिल क्लोराइड से 2-फेनिलएथेनेमीन
(vi) क्लारोबेन्जीन से p-क्लारोऐनिलीन
(vii) ऐनिलीन से p-ब्रोमोऐनिलीन
(viii) बेन्जेमाइड से टॉलूईन
(ix) ऐनिलीन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल।
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-34

प्रश्न 13.9
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में A, B तथा C की संरचना दीजिए:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-35
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-36

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प्रश्न 13.10
एक ऐरोमैटिक यौगिक ‘A’ जलीय अमोनिया के साथ गर्म करने पर यौगिक ‘B’ बनाता है जो Br2 एवं KOH के साथ गर्म करने पर अणु सूत्र C6H7N वाला यौगिक ‘C’ बनाता है। A, B एवं C यौगिकों की संरचना एवं इनके आई०यू०पी०ए०सी० नाम लिखिए।
उत्तर:
चूँकि यौगिक ‘B’को Br2 व KOH के साथ गर्म करने पर यौगिक ‘C’ (अणुसूत्र C6H7N) बनता है, अतः ‘B’ एक ऐमाइड (बेन्जामाइड) तथा ‘C’ एक ऐमीन (ऐनिलीन) होने चाहिए। यौगिक ‘A’ को जलीय अमोनिया के साथ गर्म करने पर यौगिक ‘B’ बनाता है, अत: यौगक ‘A’ एक ऐरोमैटिक अम्ल होना चाहिए। यह बेन्जोइक अम्ल है। इसके लिए अभिक्रियायें निम्न प्रकार हैं –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-37

प्रश्न 13.11
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए:
(i) C6H5NH2 + CHCl3 + (ऐल्कोहॉली) KOH →
(ii) C6H5N2Cl + H3PO2 + H2O →
(iii) C6H5NH2 + H2SO4 (सान्द्र) →
(iv) C6H5N2Cl + C2H5OH →
(v) C6H5NH2 + Br2(aq) →
(vi) C6H5NH2 + (CH3CO)2O →
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-38
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-39

प्रश्न 13.12
ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन को गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण से क्यों नहीं बनाया जा सकता?
उत्तर:
गैब्रिएल थैलिमाइड अभिक्रिया में, थैलिमाइड ऐल्कोहॉलिक KOH से अभिक्रिया द्वारा थैलिमाइड का पोटैशियम लवण बनाता है। यह ऐल्किल हैलाइड के साथ संगत ऐल्किल व्युत्पन्न देता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-40
ऐल्किल थैलिमाइड ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन इस विधि से नहीं बनाई जा सकती, क्योंकि ऐरिल हैलाइड थैलिमाइड से प्राप्त ऋणायन के साथ नाभिकरागी प्रतिस्थापन, अभिक्रिया नहीं कर सकते।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-41

प्रश्न 13.13
ऐलिफैटिक एवं ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीनों की नाइट्रस अम्ल से अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
ऐलीफैटिक प्राथमिक ऐमीन नाइट्रस अम्ल के साथ कम ताप पर अभिक्रिया करके प्राथमिक ऐल्कोहॉल बनाते हैं और N2 गैस मुक्त होती है। जैसे –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-42
ऐरोमैटिक ऐमीन नाइट्रस अम्ल के साथ अत्यधिक ठंडे ताप अभिक्रिया करके डाइऐजोनियम लवण बनाती है। जैसे –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-43

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प्रश्न 13.14
निम्नलिखित में प्रत्येक का सम्भावित कारण बताइए –
(i) समतुल्य अणु द्रव्यमान वाले ऐमीनों की अम्लता ऐल्कोहॉलों से कम होती है।
(ii) प्राथमिक ऐमीनों का क्वथनांक तृतीयक ऐमीनों से अधिक होता है।
(iii) ऐरोमैटिक ऐमीनों की तुलना में ऐलिफैटिक ऐमीन प्रबल क्षारक होते हैं।
उत्तर:
(i) किसी ऐमीन से एक प्रोटॉन निकलने पर ऐमाइड आयन प्राप्त होता है, जबकि ऐल्कोहॉल से एक प्रोटॉन निकलने पर ऐल्कॉक्साइड आयन प्राप्त होता है जैसा कि निम्नवत् दर्शाया गया है –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-44
चूँकि N की तुलना में 0 अधिक विद्युतऋणात्मक है, इसलिए ROΘ पर ऋणावेश RNHΘ की तुलना में अधिक सरलता से रह सकता है। दूसरे शब्दों में ऐमीन ऐल्कोहॉल से कम अम्लीय होती हैं।

(ii) प्राथमिक ऐमीनों के N – परमाणुओं पर दो हाइड्रोजन-परमाणुओं की उपस्थिति के कारण ये विस्तीर्ण अन्तराअणुक हाइड्रोजन आबन्ध दर्शाती हैं, जबकि तृतीय एमीन में नाइट्रोजन पर हाइड्रोजन अणुओं के अभाव के कारण अन्तराआण्विक संघन नहीं होता। इसलिए प्राथमिक ऐमीनों का क्वतनांक तृतीयक ऐमीनों से अधिक होता है। उदाहरणार्थ-1-ब्यूटिलऐमीन का क्वथनांक (351 K) तृतीयक ब्यूटिलैमीन (क्वथनांक 319 K) से अधिक होता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन img-45

(iii) ऐरोमैटिक एमीनों की तुलना में ऐलिफैटिक ऐमीन प्रबल क्षारक होते हैं; क्योंकि –
(क) ऐरोमैटिक ऐमीनों में अनुनाद के कारण नाइट्रोजन परमाणु पर एकाकी इलेक्ट्रॉन-युग्म बेन्जीन-वलय पर विस्थानीकृत हो जाते हैं, इसलिए ये प्रोटॉनीकरण के लिए सरलतापूर्वक उपलब्ध हो जाते हैं।
(ख) ऐरिल ऐमीन आयनों का स्थायित्व संगत ऐरिल ऐमीनों की तुलना में कम होता है अर्थात् ऐरोमैटिक ऐमीनों का प्रोटॉनीकरण उपयुक्त नहीं होता है।

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Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

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पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 12.1
निम्नलिखित योगिकों की संरचना लिखिए –

  1. (i) α – मेथॉक्सीप्रोपिऑनऐल्डिहाइड
  2. (ii) 3 – हाइड्रॉक्सीब्यूटेनल
  3. (ii) 2 – हाइड्रॉक्सीसाइक्लोपेन्टेन कार्बेल्डिहाइड
  4. (iv) 4 – ऑक्सोपेन्टेनलं
  5. डाइ – द्वितीयक ब्यूटिल कीटोन
  6. 4 – क्लोरोऐसीटोफोनोन

उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-1

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प्रश्न 12.2
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के उत्पादों की संरचना लिखिए –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-2
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-3

प्रश्न 12.3
निम्नलिखित यौगिकों को उनके क्वथनांकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए –
CH3CHÓ, CH3CH2OH, CH3OCH3, CH3CH2CH3
उत्तर:
CH3 – CH2 – CH3 < CH3 – O CH3 – CH3 < CH3 – CHO < CH3 CH2OH

प्रश्न 12.4
निम्नलिखित यौगिकों को नाभिकरागी योगज अभिक्रियाओं में उनकी बढ़ती हुई अभिक्रियाशीलता के क्रम में व्यवस्थित कीजिए –
(क) एथेनल, प्रोपेनल, प्रोपेनोन, ब्यूटेनोन
(ख) बेन्जैल्डिहाइड, p – टॉलूऐल्डिहाइड, p – नाइट्रोबेन्जैल्डिहाइड, ऐसीटोफीनोन।
उत्तर:
(क) ब्यूटेनोन < प्रोपेनोन < प्रोपेनल < एथेनल
(ख) ऐसीटोफीनोन < n – टॉलूऐल्डिहाइड < बेन्जैल्डिहाइड < p – नाइट्रोबेन्जेल्डिहाइड

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प्रश्न 12.5
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के उत्पादों को पहचानिए –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-4
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-5

प्रश्न 12.6
निम्नलिखित यौगिकों के आई० यू० पी० ए० सी० नाम दीजिए –
(i) PhCH2CH2COOH
(ii) (CH3)2C = CHCOOH
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-6
उत्तर:
(i) 3-फेनिलप्रोपेनोइक अम्ल
(ii) 3-मेथिलब्यूट-2-इलोइक अम्ल
(iii) 2-मेथिलसाइक्लोपेन्टेनकार्बोक्सिलिक अम्ल
(iv) 2, 4, 6-ट्राइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल

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प्रश्न 12.7
निम्नलिखित यौगिकों का बेन्जोइक अम्ल में कैसे परिवर्तित किया जा सकता है?
(i) एथिलबेन्जीन
(ii) ऐसीटोफीनोन
(iii) ब्रोमोबेन्जीन
(iv) फेनिलएथीन (स्टाइरीन)।
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-7

प्रश्न 12.8
नीचे प्रदर्शित अम्लों के प्रत्येक युग्म में कौन-सा अम्ल अधिक प्रबल है?
(i) CH3CO2H अथवा CH2FCO2H
(ii) CH2FCO2H अथवा CH2ClCO2H
(iii) CH2FCH2CH2CO2II अथवा CH3CHF CH2CO2H
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-8
उत्तर:
(i) तथा (ii) युग्मों में F परमाणु की – I प्रभाव की उपस्थिति के कारण अम्लीय प्रबलता अधिक है।
(iii) युम में दो अम्लों में F परमाणु के सापेक्ष स्थान के कारण अधिक अम्लीय प्रबलता है। अतः
(i) तथा (ii) में CH2FCO2H प्रबल अम्ल है।
(iii) CH3CH2FCH2CO2H प्रबल अम्ल है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-9
-CF3 का -I प्रभाव प्रबल होता है, यह ऋणावेश को फैलाकर कार्बोक्सिलेट आयन को स्थायित्व प्रदान करता है।
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-CH3 का +I प्रभाव दुर्बल होता है, यह ऋणावेश को सघन करके कार्बोक्सिलेट आयन को अस्थायी कर देता है।
इसलिए CH3 – C6H4COO (p) आयन से F3C – C6H4 – COO (p) आयन के अधिक स्थायी होने के कारण F3C – C6H5 – COOH(p) अधिक प्रबल है।

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अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 12.1
निम्नलिखित पदों (शब्दों) से आप क्या समझते हैं? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।

  1. सायनोहाइड्रिन
  2. ऐसीटल
  3. सेमीकार्बेजोन
  4. ऐल्डोल
  5. हेमीऐसीटल
  6. ऑक्सिम
  7. कीटैल
  8. इमीन
  9. 2, 4 – DNP व्युत्पन्न
  10. शिफ-क्षारक।

उत्तर:
1. सायनोहाइड्रिन-ऐल्डिहाइड तथा कीटोन हाइड्रोजन सायनाइड से अभिकृत होकर संगत सायनोहाइड्रिन (cyanohydrins) होते हैं। शुद्ध HCN के साथ यह अभिक्रिया बहुत धीमी होती है; अतः यह क्षार द्वारा उत्प्रेरित की जाती है तथा जनित सायनाइड (CN) आयन प्रबल नाभिकस्नेही काबेंनिल यौगिकों पर संयोजित होकर संगत सायनोहाइड्रिन देते हैं। सायनोहाइड्रिन उपयोगी संश्लेषित मध्यवर्ती होते हैं।
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2. ऐसीटल:
जैम-डाइऐल्कॉक्सी यौगिक को जिनमें दो ऐल्कॉक्सी समूह टर्मिनल कार्बन पर स्थित हो, ऐसीटल कहते हैं। ये ऐल्डिहाइड की मोनोहाइड्रिक के साथ शुष्क HCl की उपस्थिति में क्रिया द्वारा बनते हैं।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-12

3. सेमीकार्बेजोन:
ये ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों के व्युत्पन्न होते हैं जो उन पर सेमीकार्बेजाइड द्वारा बनते हैं।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-13
सेमी कार्बेजोन का उपयोग ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों की पहचान के लिए किया जाता है।

4. ऐल्डोल:
जिन ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों में कमसे-कम एक α – हाइड्रोजन विद्यमान होता है, वे तनु क्षार के उत्प्रेरक के रूप में उपस्थिति के साथ एक अभिक्रिया द्वारा क्रमशः β – हाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड (ऐल्डोल) अथवा β – हाइड्रॉक्सी कीटोन (कीटोल) प्रदान करते हैं। इस अभिक्रिया को ऐल्डोल अभिक्रिया (Aldol Reaction) कहते हैं।
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उत्पाद में विद्यमान दो प्रकार्यात्मक समूहों, ऐल्डिहाइड व ऐल्कोहॉल के नामों से ऐल्डोल का नाम व्युत्पन्न होता है। ऐल्डोल व कीटोल आसानी से जल निष्कासित करके ,B-असंतृप्त कार्बोनिल यौगिक देते हैं, जो ऐल्डोल संघनन उत्पाद है और यह अभिक्रिया ऐल्डोल संघनन कहलाती है।

5. हेमीऐसीटल:
जैम-ऐल्कॉक्सी ऐल्कोहॉल को हेमीऐसीटल कहते हैं जो मोनोहाइड्रिक ऐल्कोहॉल के साथ शुष्क HCl की उपस्थिति में अभिक्रिया द्वारा बनते हैं।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-15

6. ऑक्सिम:
ऐल्डिहाइडों तथा कीटोनों की हाइड्राक्सिल ऐमीन के साथ अभिक्रिया से बनने वाले यौगिकों को ऑक्सिम कहते हैं।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-16

7. कीटैल:
जैम-ऐल्काक्सीऐल्केन को कीटैल कहते हैं। ये दो ऐल्काक्सी समूह श्रृंखला के कार्बन पर स्थित होते हैं। इन्हें कीटोन को एथिलीन ग्लाइकॉल के साथ शुष्क HCL या p – टालूईन सल्फोनिक (PTS) की उपस्थिति में गर्म करके प्राप्त करते हैं।
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कीटैल कीटैल जलीय खनिज अम्लों के साथ जल अपघटित हो कर कीटोन देते हैं। अतः इन्हें कार्बनिक संश्लेषण में कीटों समूह के रक्षण के लिए प्रयुक्त करते हैं।

8. इमीन:
C = NH समूह वाले यौगिकों को इमीन कहते हैं। इन्हें ऐल्हाइडों अथवा कीटोनों की अमोनिया व्युत्पन्नों के साथ अभिक्रिया से बनाते हैं।
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9. 2, 4 – DNP व्युत्पन्न:
ऐल्डिहाइड अथवा कीटोन (दुर्बल माध्यम) में 2, 4 – डाइनाइट्रोफेनिलहाइड्राजीन के साथ अभिक्रिया के फलस्वरूप 2, 4 – डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्राजोन (2, 4 – DNP व्युत्पन्न) प्राप्त होते हैं।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-19

10. शिफ-क्षारक:
ऐल्डिहाइड अथवा कीटोन प्राथमिक ऐलिफैटिक अथवा ऐरोमैटिक ऐमीनों से अभिक्रिया करके बने यौगिक को शिफ-क्षारक कहते हैं।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-20

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प्रश्न 12.2
निम्नलिखित यौगिकों के आई० यू० पी० ए० सी० (IUPAC) नामपद्धति में नाम लिखिए –

  1. CH3CH(CH3)CH2CH2CHO
  2. CH3CH2COCH(C2H5)CH2CH2Cl
  3. CH3CH = CHCHO
  4. CH3COCH2COCH3
  5. CH3CH(CH3)CH2C(CH3)2COCH3
  6. (CH3)2 CCH2COOH
  7. OHCC6H4CHO – p

उत्तर:

  1. 4-मेथिलपेन्टेनल
  2. 6-क्लोरो-4-एथिलहेक्सेन-3-ओन
  3. ब्यूट-2-इनल
  4. पेन्टेन-2, 4-डाइओन
  5. 3, 3, 5-ट्राइमेथिलहेक्सेन-2-ओन
  6. 3, 3-डाइमेथिलब्यूटेनोइक अम्ल
  7. बेन्जीन-1, 4-डाइकार्बेल्डिहाइड

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प्रश्न 12.3
निम्नलिखित यौगिकों की संरचना बनाइए –

  1. 3-मेथिलब्यूटेनल
  2. p-नाइट्रोप्रोपिओफीनोन
  3. p-मेथिलबेन्जैल्डिहाइड
  4. 4-मेथिलपेन्ट-3-ईन-2-ओन
  5. 4-क्लोरोपेन्टेन-2-ओन
  6. 3-ब्रोमो-4-फेनिल पेन्टेनोइक अम्ल
  7. p, P-डाइहाइड्रॉक्सीबेन्जोफीनोन
  8. हेक्स-2-ईन-4-आइनोइक अम्ल

उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-21

प्रश्न 12.4
निम्नलिखित ऐल्डिहाइडों एवं कीटोनों के आई० यू० पी० ए० सी० (IUPAC) नाम लिखिए और जहाँ सम्भव हो सके साधारण नाम भी दीजिए।
(i) CH3CO(CH2)4 CH3
(ii) CH3CH2CHBrCH2CH(CH3)CHO
(iii) CH3(CH2)5 CHO
(iv) Ph – CH = CH – CHO
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-22
(vi) PhCOPh
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-23

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प्रश्न 12.5
निम्नलिखित व्युत्पन्नों की संरचना बनाइए –
(i) बेन्जैल्डिहाइड का 2, 4-डाइनाइट्रोफेनिलहाइड्रेजोन
(ii) साइक्लोप्रोपेनोन ऑक्सिम
(iii) ऐसीटेल्डिहाइडडाइमेथिलऐसीटल
(iv) साइक्लोब्यूटेनोन का सेमीकार्बेजोन
(v) हेक्सेन-3-ओन का एथिलीन कीटैल
(vi) फॉर्मेल्डिहाइड का मेथिल हेमीऐसीटल।
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-24

प्रश्न 12.6
साइक्लोहेक्सेनकार्बेल्डिहाइड की निम्नलिखित अभिकर्मकों के साथ अभिक्रिया से बनने वाले उत्पादों को पहचानिए –
(i) PhMgBr एवं तत्पश्चात् H3O+
(ii) टॉलेन अभिकर्मक
(iii) सेमीकार्बेजाइड एवं दुर्बल अम्ल
(iv) एथेनॉल का आधिक्य तथा अम्ल
(v) जिंक अमलगम एवं तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल।
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-25

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प्रश्न 12.7
निम्नलिखित में से कौन-से यौगिकों में ऐल्डोल संघनन होगा, किनमें कैनिजारो अभिक्रिया होगी और किनमें उपर्युक्त में से कोई क्रिया नहीं होगी? ऐल्डोल संघनन तथा कैनिजारो अभिक्रिया में सम्भावित उत्पादों की संरचना लिखिए –

  1. मेथेनल
  2. 2-मेथिलपेन्टेनल
  3. बेन्जेल्डिहाइड
  4. बेन्जोफीनोन
  5. साइक्लोहेक्सेनोन
  6. 1-फेनिलप्रोपेनोन
  7. फेनिलऐसीटेल्डिहाइड
  8. ब्यूटेन-1-ऑल
  9. 2, 2-डाइमेथिलब्यूटेनल।

उत्तर:
1. मेथेनल-यह कैनिजारो अभिक्रिया देगा जबकि ऐल्डोल संघनन नहीं देगा। इस यौगिक द्वारा प्रदर्शित कैनिजारो अभिक्रिया तथा सम्भावित उत्पाद की संरचना निम्न प्रकार है –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-26

2. 2-मेथिलपेन्टेनल-यह ऐल्डोल संघनन देगा किन्तु कैनिजारो अभिक्रिया नहीं देगा। इस यौगिक द्वारा ऐल्डोल संघनन अभिक्रिया तथा सम्भावित उत्पाद की संरचना निम्नलिखित है –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-27

3. बेन्जैल्डिहाइड:
यह कैनिजारो देगा, जबकि ऐल्डोल संघनन नहीं देगा।
सम्भावित उत्पाद और उनकी संरचना निम्न प्रकार है –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-28

4. बेन्जोफीनोन:
चूँकि इसमें कोई 2-हाइड्रोजन नहीं है, अतः यह कैनिजारो अभिक्रिया तथा ऐल्डोल संघनन नहीं देगा।

5. साइक्लोहेक्सेनोन:
यह ऐल्डोल संघनन देगा, जबकि कैनिजारो अभिक्रिया नहीं देगा।

इसमें सम्भावित उत्पाद तथा उनकी संरचना निम्नलिखित है –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-29

6. 1-फेनिल प्रोपेनोन-यह ऐल्डोल संघनन देगा, और कैनिजारो अभिक्रिया नहीं देगा। इसमें सम्भावित उत्पाद और उनकी संरचना निम्नलिखित हैं –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-30

7. फेनिल ऐसीटेल्डिहाइड:
यह ऐल्डोल संघनन देगा, जबकि कैनिजारो अभिक्रिया नहीं देगा। सम्भावित उत्पाद और इसकी संरचना निम्नवत् है –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-31

8. ब्यूटेन-1-ऑल:
चूँकि यह एक ऐल्कोहॉल है, अतः यह कैनिजारो अभिक्रिया तथा ऐल्डोल संघनन नहीं देगा।

9. 2, 2-डाइमेथिलब्यूटेनल:
यह कैनिजारो अभिक्रिया देगा जबकि ऐल्डोल संघनन नहीं देगा। सम्भावित उत्पाद और उनकी संरचना निम्न प्रकार है –
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-32

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प्रश्न 12.8
एथेनल को निम्नलिखित यौगिकों में कैसे परिवर्तित करेंगे?
(i) ब्यूटेन-1, 3-डाइऑल
(ii) ब्यूट-2-ईनल
(iii) ब्यूट-2-ईनोइक अम्ल।
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-33

प्रश्न 12.9
प्रोपेनल एवं ब्यूटेनल के ऐल्डोल संघनन से बनने वाले चार सम्भावित उत्पादों के नाम एवं संरचना सूत्र लिखिए। प्रत्येक में बताइए कि कौन-सा ऐल्डिहाइड नाभिकरागी और कौन-सा इलेक्ट्रॉनरागी होगा?
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-34

प्रश्न 12.10
एक कार्बनिक यौगिक जिसका अणुसूत्र C9H10O है 2, 4 – DNP व्युत्पन्न बनाता है टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित करता है तथा कैनिजारो अभिक्रिया देता है। प्रबल ऑक्सीकरण पर वह 1, 2-बेन्जीनडाइकार्बोक्सिलिक अम्ल बनाता है। यौगिक को पहचानिए।
उत्तर:
1. चूँकि यह 2, 4 – DNP व्युत्पन्न बनाता है तथा टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित करता है, अत: यह एक ऐल्डिहाइड है।

2. पुन: चूँकि यह कैनिजारो अभिक्रिया देता है, – CHO समूह सीधे बेन्जीन वलय से जुड़ा हुआ है।

3. चूँकि प्रबल ऑक्सीकरण पर यह 1, 2-बेन्जोनडाइकार्बोक्सिलिक अम्ल देता है, अतः यह एक ऑथों-प्रतिस्थापी बेन्जैल्डिहाइड है। अतः दिये हुए अणुसूत्र वाला यौगिक ऑर्थो-एथिल बेन्जैल्डिहाइड है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-35

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प्रश्न 12.11
एक कार्बनिक यौगिक ‘क’ (आण्विक सूत्र, C8H16O2) को तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ जलअपघटित करने के उपरान्त एक कार्बोक्सिलिक अम्ल ‘ख’ एवं एक ऐल्कोहॉल ‘ग’ प्राप्त हुए। ‘ग’ को क्रोमिक अम्ल के साथ ऑक्सीकृत करने पर ‘ख’ उत्पन्न होता है। ‘ग’ निर्जलीकरण पर ब्यूट-1-ईन देता है। अभिक्रियाओं में प्रयुक्त होने वाली सभी रासायनिक समीकरणों को लिखिए।
उत्तर:
दिए हुए आँकड़ों से यह पता चलता है कि ‘क’ एक एस्टर है जो जलअपघटन पर अम्ल ‘ख’ तथा ऐल्कोहॉल ‘ग’ देते हैं। ‘ग’ को क्रोमिक अम्ल के साथ ऑक्सीकृत करने पर ‘ख’ बनता है। ‘ग’ निर्जलीकरण पर ब्यूट-1-ईन देता है, अतः यह ब्यूटेन-1-ऑल होगा। अम्ल ‘ख’ जो ‘ग’ के ऑक्सीकरण पर प्राप्त होता है, ब्यूटनोइक अम्ल होगा और एस्टर ‘क’ ब्यूटेनल ब्यूटेनोएट होगा। इसकी अभिक्रियायें निम्न प्रकार से है –
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प्रश्न 12.12
निम्नलिखित यौगिकों को उनसे सम्बन्धित (कोष्ठको में दिए गए) गुणधर्मों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए –

  1. ऐसीटेल्डिहाइड, ऐसीटोन, डाइ-तृतीयक ब्यूटिलकीटोन, मेथिल तृतीयक-ब्यूटिलकीटोन (HCN के प्रति अभिक्रियाशीलता)
  2. CH3CH2CH(Br)COOH, CH3 CH(Br) CH2COOH, (CH3)2 CHCOOH, CH3CH2CH2COOH (अम्लता के क्रम में)
  3. बेन्जोइक अम्ल; 4-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल; 3, 4-डाइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल; 4-मेथॉक्सी बेन्जाइक अम्ल (अम्लता की सामर्थ्य के क्रम में)।

उत्तर:
1. HCN के प्रति अभिक्रियाशीलता का बढ़ता क्रम निम्नवत् है –
डाइ-तृतीयक-ब्यूटिल कीटोन < मेथिल-तृतीयक- ब्यूटिल कीटोन < ऐसीटोन < ऐसीटेल्डिहाइड

2. अम्लता का बढ़ता क्रम इस प्रकार है –
(CH3)2CHOOH < CH3CH2CH2COOH < CH3 CH(Br) CH2COOH < CH3CH2CH(Br) COOH

3. अम्ल की सामर्थ्य का बढ़ता हुआ निम्नलिखित है –
4-मेथॉक्सीबेन्जोइक अम्ल < बेन्जोइक अम्ल < 4नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल < 3,4-ड्राइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल

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प्रश्न 12.13
निम्नलिखित यौगिक युगलों में विभेद करने के लिए सरल रासायनिक परीक्षणों को दीजिए –

  1. प्रोपेनल एवं प्रोपेनोन
  2. ऐसीटोफीनोन एवं बेन्जोफीनोन
  3. फीनॉल एवं बेन्जोइक अम्ल
  4. बेन्जोइक अम्ल एवं एथिलबेन्जोएट
  5. पेन्टेन-2-ऑन एवं पेन्टेन-3-ऑन
  6. बेन्जैल्डिहाइड एवं ऐसीटोफीनोन
  7. एथेनल एवं प्रोपेनल।

उत्तर:
1. प्रोपेनल एवं प्रोपेनोन:
प्रोपेनल फेहलिंग विलयन के Cu2O का लाल अवक्षेप देता है और टॉलेन, अभिकर्मक के साथ रजत दर्पण देता है।
प्रोपेनोन क्रिया नहीं करता।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-37

2. ऐसीटोफीनोन एवं बेन्जोफीनोन-ऐसीटोफीनोन आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है जबकि बेन्जोफीनोन नहीं देता।
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3. फीनॉल एवं बेन्जोइक अम्ल:
बेन्जोइक अम्ल NaHCO3 के जलीय विलयन से अभिक्रिया करके बुदबुदाहट के साथ CO2 गैस देता है, परन्तु फीनॉल नहीं देता।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-39
फीनॉल Br2 जल के साथ 2, 4, 6 ट्राइब्रोमोफीनॉल का सफेद अवक्षेप देता है, जबकि बेन्जोइक अम्ल नहीं देता।
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4. बेन्जोइक अम्ल एवं एथिल बेन्जोएट:
बेन्जोइक अम्ल सोडियम बाइकार्बोनेट के साथ अभिक्रिया पर तीव्र बुदबुदाहट के साथ CO2 गैस देता है। परन्तु एथिल बेन्जोएट नहीं देगा।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-41

5. पेन्टेन-2-ऑन एवं पेन्टेन-3-ऑन:
पेन्टेन2-ऑन आयोडोफार्म परीक्षण देता है, जबकि पेन्टेन-3-ऑन नहीं देता।
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6. बेन्जैल्डिहाइड एवं ऐसीटोफीनोन:
ऐसीटोफीनोन आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है, जबकि बेन्जैल्डिहाइड अभिक्रिया नहीं करता।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-43

7. एथेनल एवं प्रोपेनल:
एथेनल आयडोफॉर्म परीक्षण देता है, परन्तु प्रोपेनल नहीं।
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प्रश्न 12.14
बेन्जीन से निम्नलिखित यौगिकों का विरचन आप किस प्रकार करेंगे? आप कोई भी अकार्बनिक अभिकर्मक एवं कोई भी कार्बनिक अभिकर्मक, जिसमें एक से अधिक कार्बन न हो, का उपयोग कर सकते हैं।
(i) मेथिल बेन्जोएट
(ii) m – नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(iii) p – नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(iv) फेनिलऐसीटिक अम्ल
(v) p – नाइट्रोबेन्जैल्डिहाइड।
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-45

प्रश्न 12.15
आप निम्नलिखित रूपान्तरणों को अधिकतम दो चरणों में किस प्रकार से सम्पन्न करेंगे?

  1. प्रोपेनोन से प्रोपीन
  2. बेन्जोइक अम्ल से बेन्जैल्डिहाइड
  3. एथेनॉल से 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनल
  4. बेन्जीन से m-नाइट्रोऐसीटोफीनोन
  5. बेन्जेल्डिहाइड से बेन्जोफीनोन
  6. ब्रोमोबेन्जीन से 1-फेनिलएथेनॉल
  7. बेन्जैल्डिहाइड से 3-फेनिलप्रोपेन-1-ऑल
  8. बेन्जैल्डिहाइड से -हाइड्रॉक्सीफेनिल- ऐसीटिक अम्ल
  9. बेन्जोइक अम्ल से m-नाइट्रोबेन्जिल ऐल्कोहॉल।

उत्तर:
1. प्रोपेनोन से प्रोपीन:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-46

2. बेन्जोइक अम्ल से बेन्जैल्डिहाइड:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-47

3. एथेनॉल से 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनल:
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4. बेन्जीन से m-नाइट्रोऐसीटोफीनोन:
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5. बेन्जैल्डिहाइड से बेन्जोफीनोन:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-50

6. ब्रोमोबेन्जीन से 1-फेनिलएथेनॉल:
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7. बेन्जैल्डिहाइड से 3-फेनिलप्रोपेन-1-ऑल:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-52

8. बेन्जैल्डिहाइड से व-हाइड्रॉक्सीफेनिल- ऐसीटिक अम्ल:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-53

9. बेन्जोइक अम्ल से m-नाइट्रोबेन्जिल ऐल्कोहॉल:
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प्रश्न 12.16
निम्नलिखित पदों (शब्दों) का वर्णन कीजिए –

  1. ऐसीटिलिनन
  2. कैनिजारो अभिक्रिया
  3. क्रॉस ऐल्डोल संघनन
  4. विकार्बोक्सिलन।

उत्तर:
1. ऐसीटिलिनन:
ऐल्कोहॉलों, फीनॉलों या ऐमीनों के एक हाइड्रोजन का एक ऐसिल (-RCO) समूह द्वारा प्रतिस्थापन ऐसीटिलिनन कहलाता है। यह प्रतिस्थापन किसी क्षारक, जैसे पिरीडीन अथवा ड्राइमेथिल ऐमीन की उपस्थिति में कराया जाता है।

उदाहरण:
(क) पिरिडीन की उपस्थिति में ऐसीटिल क्लोराइड की क्रिया से एथिल ऐल्कोहॉल एथिल ऐसीटेट में परिवर्तित हो जाता है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-55

(ख) पिरिडीन की उपस्थिति में ऐसीटिक ऐनहाइड्राइड की क्रिया से फीनॉल फेनिल ऐसीटेट में परिवर्तित हो जाता है।
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2. कैनिजारो अभिक्रिया:
ऐल्डिहाइड, जिनमें α – हाइड्रोजन परमाणु नहीं होते, सान्द्र क्षार की उपस्थिति में स्वऑक्सीकरण व अपचयन (असमानुपातन) की अभिक्रिया प्रदर्शित करते हैं। इस अभिीक्रया में ऐल्डिहाइड का एक अणु ऐल्कोहॉल में अपचयित होता है, जबकि दूसरा अणु कार्बोक्सिलिक अम्ल के लवण में ऑक्सीकृत हो जाता है।
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3. क्रॉस ऐल्डोल संघनन:
जब दो भिन्न-भिन्न ऐल्डिहाइड और/या कीटोन के मध्य ऐल्डोल संघनन होता है तो उसे क्रॉस ऐल्डोल संघनन कहते हैं। यदि प्रत्येक में α – हाइड्रोजन हो तो ये चार उत्पादों का मिश्रण देते हैं। इसे निम्नलिखित एथेनल वप्रोपेनल के मिश्रण की ऐल्डोल संघनन अभिक्रिया द्वारा समझाया गया है –
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क्रॉस ऐल्डोल उत्पाद क्रॉस ऐल्डोल संघनन में कीटोन भी एक घटक के रूप में प्रयुक्त हो सकते हैं –
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4. विकार्बेक्सिलन:
कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम लवणों को सोडालाइम (NaOH तथा CaO, 3 : 1 के अनुपात में) के साथ गर्म करने पर कार्बन डाइऑक्साइड निकल जाती है एवं हाइड्रोकार्बन प्राप्त होते हैं। यह अभिक्रिया विकार्बोक्सिलन (Decarboxylation) कहलाती है।
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कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्षार धातु लवणों के जलीय विलयन का विद्युतअपघटन द्वारा विकार्बोक्सिलन हो जाता है तथा ऐसे हाइड्रोकार्बन निर्मित होते हैं जिसमें कार्बन परमाणुओं की संख्या, अम्ल के ऐल्किल समूह में उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या से दुगुनी होती है। इस अभिक्रिया को कोल्बे विद्युत्-अपघटन (Kolbe electrolysis) कहते हैं।

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प्रश्न 12.17
निम्नलिखित प्रत्येक संश्लेषण में छूटे हुए प्रारम्भिक पदार्थ, अभिकर्मक अथवा उत्पादों को लिखकर पूर्ण कीजिए –
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उत्तर:
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(iii) H2NNHCONH2 का अधिक नाभिकरागी NH2NH भाग अभिक्रिया करके सेमीकार्बेजोन बनाता है।
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प्रश्न 12.18
निम्नलिखित के सम्भावित कारण दीजिए –
(i) साइक्लोहेक्सेनोन अच्छी लब्धि में सायनोहाइडिन बनाता है, परन्तु 2, 2, 6-ट्राइमेथिलसाइक्लोहेक्सेनोन ऐसा नहीं करता।
(ii) सेमीकार्बेजाइड में दो -NH2 समूह होते हैं, परन्तु केवल एक -NH2 समूह ही सेमीकार्बेजोन विरचन में. प्रयुक्त होता है।
(iii) कार्बोक्सिलिक अम्ल एवं ऐल्कोहॉल से अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में एस्टर के विरचन के समय जल अथवा एस्टर जैसे ही निर्मित होता है, उसको निकाल दिया जाना चाहिए।
उत्तर:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-64
2, 4, 6-ट्राइमेथिलसाइक्लोहेक्सेनोन – 2, 4, 6-ट्राइमेथिल साइक्लोहेक्सानोन +I प्रभाव के कारण तीन CH3 समूह इलेक्ट्रॉन मुक्त करते हैं तथा > C = 0 के कार्बन परमाणु पर इलेक्ट्रॉन घनत्व को बढ़ाते हैं और नाभिकरागी अभिक्रिया नहीं हो पाती। साइक्लोहेक्सनोन में, CN आयन (नाभिकरागी) का आक्रमण कार्बन परमाणु पर आसानी से हो जाता है तथा साइक्लोहेक्सेनोन सायनोहाइड्रिन उत्पाद के रूप में प्राप्त हो जाता है।

(ii) यद्यपि सेमीकार्बेजाइड में दो:
NH2 समूह ऋण इलेक्ट्रॉन युग्म रखते हैं परन्तु इनमें एक इलेक्ट्रॉन निकालने वाले >C = 0 समूह संरूपण में होता है और यह नाभिकरागी की भाँति कार्य नहीं कर सकता है। अतः केवल एक -NH2 समूह सेमीकाबेंजोन के बनने में सम्मिलित होता है।

(iii) एक कार्बोक्सिलिक अम्ल और ऐल्कोहॉल से अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में एस्टर बनना एक उत्क्रमणीय अभिक्रिया होती है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-65
अतः साम्य की अग्रदिशा के लिए उत्पाद के रूप में जल या एस्टर को तुरन्त हटा लेना चाहिए।

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प्रश्न 12.19
एक कार्बनिक यौगिक में 69.77% कार्बन, 11.63% हाइड्रोजन तथा शेष ऑक्सीजन है। यौगिक का आण्विक द्रव्यमान 86 है। यह टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता, परन्तु सोडियम हाइड्रोजनसल्फाट के साथ योगज यौगिक देता है तथा आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है। प्रबल ऑक्सीकरण पर एथेनोइक तथा प्रोपेनोइक अम्ल देता है। यौगिक की सम्भावित संरचना लिखिए।
गणना:
सरल सूत्र की गणना:
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-66
मूलानुपाती सूत्र = G5H10O
मूलानुपाती द्रव्यमान = 5 × 12 + 10 × 1 + 1 × 16 = 86
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-67
= \(\frac{86}{86}\) = 1
∴ यौगिक का अणुसूत्र = C5H10O
चूंकि दिया गया यौगिक सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट के साथ योगज यौगिक बनाता है। अतः एक ऐल्डिहाइड अथवा मेथिल कीटोन होने की सम्भावना है। पुन: चूँकि यह टॉलेन अभिकर्मक नहीं करता तथा आयोडोफार्म परीक्षण देता है, अतः दिया गया यौगिक मेथिल कीटोन है और ऐल्डिहाइड नहीं हो सकता। चूँकि दिया गया यौगिक प्रबल ऑक्सीकरण पर एथेनोइक अम्ल तथा प्रोपेनोइक अम्ल देता है, इसलिए मेथिल कीटोन पेन्टेन-2-ओन है। इसकी संरचना निम्नवत् है।
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल img-68
सम्भावित अभिक्रायें निम्न प्रकार से है –
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Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल

प्रश्न 12.20
यद्यपि फीनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनाएँ कार्बोक्सिलेट आयन की तुलना में अधिक हैं, परन्तु कार्बोक्सिलिक अम्ल फीनॉल की अपेक्षा प्रबल अम्ल है। क्यों?
उत्तर:
कार्बोक्सिलेट आयन में ऋणावेश दो आक्सीजन परमाणुओं पर विस्थानित होता है, जबकि फीनॉक्साइड आयन में ऋणावेश एक आक्सीजन परमाणु पर ही विस्थानित होता है; इसलिए फीनॉक्साइड आयन की तुलना में कार्बोक्सिलेट आयन अधिक होता है। फलस्वरूप कार्बोक्सिलिक अम्ल फीनॉल की अपेक्षा प्रबल अम्ल होते हैं।

Bihar Board Class 12 English Paragraph Writing

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Bihar Board Class 12 English Paragraph Writing

1. An ideal Teacher

Mr. Munilal Sinha is an ideal teacher. He is our class-teacher also. He has all the qualities of an ideal teacher. He is very punctual and a strict disciplinarian. He teaches English and Hindi and prepares students for the broad examination. As soon as he comes to our class, he goes round the class¬room to see it is clean. Then he takes roll-call. Then he starts teaching and explaining the lesson well. Outside the class-room, he is very kind and generous. He is always well dressed and never allows any student without uniform. He is respected by teacher, students and guardians because of his ideal qualities.

2. Your Neighbour

I live at Rampur (Nalanda). It is a big village. Mr. Akhileshwar Mahto is my neighbour. He lives just beside my house. He is a teacher. He is an M. A. in Sociology. He is very grave and gentle. Once my father was seriously ill. He daily come to my house. He helped us with money also. He is a good friend, philosopher and guide to us. He has got two sons and a daughter. They are all well behaved. His wife is very noble and gentle. We call her auntie. He is an ideal neighbour.

3. Advantages of living in a town

Town life may have many limitation but its advantages are also great. Modern facilities are within reach. Electricity, water and transport are easily available. Roads are better. Houses are made comfortable. All towns have schools and colleges. There are big hospitals. All kinds of things can be had. It is easier for people to earn .a living. Children have parks to play. Students can go to good libraries. Clubs, playgrounds, etc. help young men in growing up well. So they develop a modem outlook. Yougmen and women are smarter and bolder. Good doctors can be called, in case someone falls ill. In short, town life has both glamour and comfort.

4. Health is wealth

Health is wealth is an old saying. A healthy person is able to produce all wealth for himself and for others. Not only this but he can also enjoy wealth and produce more. Suppose a man has a first class master’s degree, but he has no health. He catches cold. He catches flu. He has T. B . and other such diseases. How can he produce wealth and enjoy it ? Health depends on correct living, pure water and fresh air. It also depends on good food, necessary rest and equally necessary physical work or exercise. If a man cares for all these and has limited desires, he can maintain good health. Then he can produce more wealth and he can enjoy it.

5. Morning walk

Walking is a good exercise. Every one can practise it without any trouble. It brings energy. We can walk both the times, morning and evening. Morning walk is the better of the two. Evening walk is also very useful. It is a very good habit. For this, every one has to get up very early in the morning. He can soon start for the bank of a river, a canal or a pond. He may go to a park in a town. There he gets fresh air. He sees the sun rise. They are very useful to health. His mind gets fresh. He can work very peacefully all day long. Walking costs is nothing. We may walk with our friends and relatives. Our talks should be healthy then. Evening walk also brings sound sleep in the night.

6. The season h ike most

Spring is the best season of the year. It is called the queen of the season. The earth looks very beautiful in this season. Different kinds of flower bloom in the spring. The smiling flowers give us a lot of joy. They make us forget our cares and anxieties. When we walk in the garden we are filled with joy. The cuckoo is mad with joy. Its sweet notes charm us. The days of the spring are very pleasant. The spring brings beautiful sights and charming sounds. It is the season of joy. That is why I like most spring season.

7. The importance of newspaper or Newspaper

Newspapers are necessary for people. A newspaper is must. It plays an important role in the society. It is useful to many ways. It brings us news, people wait for it eagerly in the morning. It is a kind of mental food. Some people read a newspaper for its views. There is comment on current topics in a newspaper. There are articles written by learned persons. Somebody reads a newspaper for advertisement for jobs. There are literary articles. A newspaper covers sports, business, politics etc. It enlightens the public.

8. Aim of your life

The aim of my life is to become a professor, I want to study hard. I like to go England or America for higher education. If I get a job there, I shall accept it. I want to work hard and make name in the world. But I do not want to live in a foreign country. I shall return to India. I like a peaceful and happy life. I want to love and educate my children. I want to earn money. I want to spend some of it on poor people. If I have more and more money, I shall spend more and more on them. In the end I want to serve the people and the nation. This is the aim of my life.

9. A Popular student of your school

I read in Nalanda Collegiate Senior Secondary High school, Bihar Sarif, Nalanda. There are one thousand four hundred students in this school. All are good. But Suresh Mishra is the most popular student of my school. He is very intelligent and deligent. He is tall and handsome. He always stands first in his class. He is very obedient, social, noble, brave and patient. He takes and active part in the game and sports of the school. He is good player of cricket and football specially. He is never absent from the class. All teachers love him most. He is certainly an ideal student.

10. Winter season

Winter is an important season. It starts in November and lasts upto to February. Days are short and nights are long in this season. The days of winter are very fine. We like to sit in the sun and warm our body. On the other hand the nights are cold. We need warm clothes in this season. Water is a season of fruits and flowers. We find many varieties of flowers in this season. This season is good for health. But the poor do not like this season because many of them do not have proper clothes to fight cold.

11. Importance of games and sports

Games and sports are an important part of our life. They keep us healthy. They refresh our weary minds. They are useful both for our mind and body. Physically we become healthy, mentally we become disciplined. They give us courage and make us alert. They make us bold and confident. They develop in us a spirit of co-operation. They teach us to fight in a healthy spirit. A sportsman fights with his rival in the playground. But he has no ill will against him. Thus games and sports help to make us good citizens. Our education is incomplete without games and sports. The government of India is encouraging games and sports in educational institutions.

12. Early rising

There are many advantages of early rising. A man who rises early has more hours for walk. So, he can produce more, earn more and live more happily. A man who gets up late hates himself. He is hated by others, too. Rise early and you are the master of your programme. Get up late and you are late in everything. You are late to Nature’s call, late in bath, late in breakfast and late for your lesson. So, you are a loser. We must try to go to bed early and try to get up early. Early rising is really a very nice thing.

13. The beggar

Beggars can be seen at every public place in India. They are found at railway station, bus stand, picture homes, market place and footpath. He is a very poor person. His dress is dirty and tom. Some are blind, Some are lame, Some cannot even stand but have to crawl on their hands and feet. He has a bag with him. He has a bowl too. Some have stick with them. The beggar begs alms. Some sing pleasant songs. Beggar’s life depends upon the charity. Begging is a crime. They should not be encouraged. In our country there is a gang of unsocial elements. They force little children to beg. They exploit these children. There is no one to take care of beggars.

14. A visit to a circus

It was a happy day. We went to see the great circus. Outside the great top, people were busy buying tickets and gettign in. Inside, the gallery was full. The show started. Artists in colourful dresses showed great feats. Brave acts in air, bold tricks on tight ropes, and the joker all these were amusing. Then came animals. Goats on lion’s back, dogs on horses and the big elephant worshipping Lord Ganesh, how well the animals were trained. Then came the girls doing wonder on bicycles. The man with eyes covered threw knives at a girl. The jeep and motor cycles were exciting. Three hours passed quickly. It was a time full of surprise and joy. How bold and disciplined are the circus men !

15. The postman

The postman is an important employee of the postal department. He is one of the most useful public servant. He wears a khaki uniform. He carries a bag with him. He carries letters, money orders and parcels in it. He brings news and money to us. His duty is very hard. He goes to the post office in the morning. He sorts out the dak for the different areas. He goes from door to door to deliver letters, money orders and parcels. He is not highly educated still he does his duty properly. He is a very honest man. Every one awaits his arrival, though sometimes he brings sad news also. He is a low paid employee though he performs essential duties. We pay him some tips for bringing happy and good news.

16. Television

Television is one of the wonders of science. It is a source of joy and knowledge, information and entertainment. Television is the product of the latest electronic revolution. The names of John. Baird of England and Jenking of America are associated with television. They first of all succeeded in transmitting moving pictures in 1923. It was in 1936 that a public television system was introduced in London. It started with black and white.

Now-a-days coloured television is popular. It is a powerful audio-visual medium. It is seen in all towns and big cities. It has a status-symbol also. It is useful for the people. Its programmes cover a variety of interest. It has great education value too. We learn a lot about development of science, agriculture and medicine.

17. Your school

I read in Senior Secondary High School Machhil, Jahanabad. It is one of the oldest school in the district. It has a good reputation for its teaching and discipline. The headmaster is a kind and learned man. Most of the teachers are very learned and experienced. My class teacher Mr. B. K. Verma is a good disciplinarian. But he is kind too and has love for students. The building of my school is simple, but its campus is calm and calm. Five hundred boys and girls read in this school. Most of the students get first division in the Secondary School Examination. There is a provision for games and sports. All games are played. We take part in it. Annual function is held every year. Good students are rewarded. There is a small garden in front of the school. We are proud of our school.

18. Indian farmer

India is a land of villages. Most of the people here live in villages. Our country is an agricultural country. But the condition of the farmer is miserable. An Indian farmer has a hard life. He lives in a village. Most of the Indian farmers are illiterate. They follow the old method of farming. An Indian farmer gets a low return from his field. His farming depends on nature. Sometimes he has to face flood and drought. He is often in debt. He has to work in hot summer, cold winter and heavy rains. He gets up early and feed his bullocks. He goes to the field with his bullocks. He is not able to get two times meal. The government should pay attention to the defects of the farmers.

19. The book i like most

Books are the treasure of knowledge. They are of much use to us, I have read many books but I like the Bhagwat Gita most. It is a part of the Mahabharat. Lord Krishna throrugh this Bhagwad Gita preached Arjuna. Arjuna did not like to fight in the battle-field. He was disillusioned. Lord Krishna gave him the message of Nishkam karma. He told him that a man must go on doing his duty without any motive to fulfil his desires. He told Arjuna that the soul is immortal whereas this body is perishable. Thus he should not get worried about the death of Drona and Bhishma. Thus the immortality of soul has been very well presented in the Gita. It has rich philosophy. It gives us peace of mind.

20. My school garden

My school has a beautiful garden. The garden is surrounded by the school building. There are many kinds of flowers and plants. There is a gardener also.

He looks after the garden. But students also take care of it. During S. U. P. W. period we water the plants. We also weed out unwanted growth. But trimming and cutting is done by the gardenr. Our teachers and the Headmaster also take keen interest in gardening. There are seasonal as well as evergreen plants. In winter and spring, the garden is beautiful to look at. There are numerous flowers. They dance with the waves of the wind. The garden adds much to the grandeur of our school building. Therefore, our school is called an island of excellence.

21. Picnic

A picnic is a pleasant affairs, some young boys meet. They buy raw food- slaff Ecery thing for lighter feasting is sarried to a selected spot. This spot is a river bank, Forest areas or hilly tops. The selected members or boys go to the selected spot. They begin to prepare food. They eat it. Then they start to sing a song, Play musical instrument and dance. A variety of entertainment is the special features of a picnic, if removes the dulles and monotony of life. It also bring people closer than before. It develops co-operative view. It develops the idea that self help is the best help. It increases the power of tolerance and regard to each other. It gives a new energy and zeal.

22. Your hobby

Every man has got a hobby. My hobby is to read religious books. There are a number of religious books. Of all these books. I like the Ramayan, the Quoran, the Gita, the Mahabharat and the Bible. All of them are full of lessons. They teach us to be good. They are full of Science, Arts, Philosphy and what not. I have learnt much from them and quote their lines time to time to bring about some changes in men. I always attend some religious meetings and listen to the lectures of speeches of great scholars. I put up before them some doubts if any and try to get satisfied with their explanations. I have got full faith in God who has created us and he alone gives us everything for our comforts. I love all who have been created by God. God loves all equally. I go to religious places.

23. Rainy season

The rainy season has got a very important place in our agriculture production. All the food crops depend upon rain. The rainy season starts in the middle of June and last upto August. Sometimes in lasts in the middle of October. Nature present very charming sights in this season. There is water everywhere. Roads and fields are full of water. Farmers are very happy. Rain is essential for all kinds of life and plants all dirty things are washed away. Plants put up new leaves. Some time it rains too much. Then there is flood. It is very fearful. Farmers begin tilling the lands and planting paddy and other crops. So the rainy season is very useful for us.

24. Your headmaster or principal

Mr. Sheo Ratan Pandey is the Headmaster of our school. He wears dhoti and kurta. He is trained M.A. His knowledge is deep. He teaches well. He is a good manager. He keeps the school neat and clean. He has a strong sense of discipline. He obeys rules. Other follow him. So there is peace in the school. Good boys love him. Teachers respected him. People honour him. He punishes bad boy. To spare the rod is to spoil the child. He knows it. Some times he takes the classes. He inspires his teachers for better performance in the class. He is man of plain living and high thinking.

25. The village fair

The fair is generally held in a big, spacious place, outside a village. It is connected by roads leading to all the neighbouring village. It is held on some religious occasions. Shopkeepers from town and village come there to sell their commodities. All the shops are arranged in rows. Vast crowds gather to see the fair and buy things. The fair also provides many kinds of amusements to the villagers. The cinema, the circus, magic shows etc. given them a good deal of entertainment. Women and children all enjoy these shows. The village fair is a necessity for the villagers. It gives an occasion to them to meet friends and relatives.

26. Your village

I live in a village. Its name is Pratappur. It is in the district of Saran. My village is situated on the road side. There are six thousand people in my village. Most of the villagers are farmer. My village has a good library. There are few shops and a small market in my village also. There is a Middle School a High school and newly open college for girls also in my village. About 60% of populations of my village is educated. There is a health centre with very good doctor in my village. Life in the village is simple with little comfort. But people are friendly. They are free from evil habits. Our village people live away from the evils of city life. I like my village. It’s atmosphere is very good.

27. National flag

Flag has got a very important place in the life of a nation. It is a symbol of freedom. Almost all nations have their own flags. After 1947 when India became free from the British rule, tehn it has acepted tri-colours flag. Our national flag has three colours—saffron, white and green. The saffron colour at the top stands for service and sacrifice. The white colour in the middle stands for truth, purity and peace. The green colour at the bottom stands for faith, prosperity and energy. In the middle of white colour there is the Ashoka Chakra which shows that virtues never die. our national flag is our glory. It shows that we are independent. So we have to protect and honour the national flag.

28. A railway station

A railway station is very important for the development. It is cheap and useful means of transportation. The railway station of my town is small. But most of trains of this root stop at this station. At the time of arrival of a train there is a big rush I always go to the station and see the big crowd. There are howkers on the platform who sell fruits, tea and other commodities. There are also some coolies for helping the passengers in carrying their luggage. I see there is a long queue at the booking counter for tickets. My house is near the station. So I feel some disturbance. There is always hue and cry from the morning till late night.

29. The ganga

The Ganga is the most sacred river in the world. Its water is pure. There are many important cities on its banks. The Ganga rises from the Himalayas and flows to the south. The ganga is about 2,410 kilometres long. Its end is in the bay of Bengal. Its banks are always full of people in the morning and evening where people are bathing, praying and giving charity to the needy persons. We believe that after taking a bath in its holy water our sins will be perished. Hindus wish to die at its banks. The land on both sides of the rivers is fertile. The Ganga is full of water all the year. So it is very helpful in our agriculture also. Bathing in the Ganga is good for health also, on religious occasions people come to take bathe in the holy water. It is so sacred that people call it goddess mother.

30. Travelling is a means of education

Education through travelling is the best play-way method. From the moment the journey is planned, children begin to pass sleepless nights. They go on asking their parents when to start. We see new places-historical, geographical, zoological and botanical. A geography lesson may be bomig. But it becomes clear to us whenwe see rivers, mountains etc with our own eyes. Museums, zoological gardens, monuments, coins and picture galleries give us a clear idea of history. We learn manners and behaviour intrains, in hotel, and from fellow passengers through-travelling we leam many things through travelling what we cannot leam in the class-rdom so, travelling is a means of education.

31. Advantages of self study

Self study means the study of the self, by the self and for the self in actual sense of the term. But popularly by self study we mean studies on one’s own through library books or other resources. We cannot inject any amount of knowledge into student’s veins. But they should try to to gain knowledge by the use of observations through their five sense organs. Self study can be done further by reading more and more wisely-written book. Periodicals, weeklies and daily newspapers are there to help us in our self-study. It is much better source of having a background to prepare than the coaching done in masses, in schools and colleges. Self-study enriches our knowledge and also makes us self-confident and self-reliant in life.

32. The importance of student life

Students life is the golden period of life. A student has to make use of it in the best possible way. He has to learn from books, From the family and from the society. He must learn from schools and colleges. He should learn how to live and let others live. He should develop his mind. But he should not neglect his body. He should also develop a sense of duty to our maker. He has to prepare his lessons and take part in games and sports. He should realise that student life is a time for preparation for the rest of life. Hence, it is very important period. In a nut shell it can be said that student life is not a bed of roses but a bed of thorns.

33. Cinema

Cinema is very common now. The cinema has many advantages. It is one of the gifts of science. A film presents the drama of human life. We see new places, big rivers and high mountains in a film. We find in a film what we read on the pages of the book of History, Geography or Science. We learn many other things from a film. Thus teaching pictures is more lasting in the memory A film is a cheap means of entertainment. It gives us Pleasures. It removes our dullness. Beatiful scenes, sweet songs, heart touching music and thrilling dances take us to different world. And for the some time we forget the world around us. These are some of the advantages of the Cinema.

34. Pet animals or domestic animals

God made both men and animals. Some animals are wild; some are domestic. The domestic animals live with or near us. They serve out needs some way or the other. We have the cow, the buffalo and the goat. We have the horse. In the past, people went to distant places on horseback. Even today we ride on the horse. The elephant is very useful to us. The dog is a friend to man. It is faithful to its master. It takes care of him and his property. The cat is another domestic animal which likes to live in the house. It kills rats and plays with children. Monkeys live in trees but help us in different ways. So, all the domestic animals serve us; help us and make our life easy and comfortable.

35. Time is money / the value of time

Money can be paid back but time can never be regained. Time is the most valuable thing in the world. Time that is lost is lost for ever. Anything can wait but time does not wait for anyone. So, we must try to make the best use of time. If we utilise time in a proper way, we can get success in all walks of life. A student who uses his time well fares well at the examination. Time is more important than money. If the train runs late, thousands of passengers waste their time. If time is wasted, all the plans and projects get delayed and the nation has to suffer. We often hear the phrase ‘Indian time’. We should hang our head in shame because even hours have no meaning for us. Let us understand the value of time and get what we really deserve. In fact, time is money.

36. There isanyslip between the cupandthelip

This proverb deals with a situation where we expect to achieve something which may not be achieved ultimately. In our life sometimes it happens that we come to the point of getting our object but in the meantime Somethings happens which upsets our aim, we never imagine that something untoward would happen. So, we should always have their thing in our mind that we should not be over sure of anything, unless we get thing in our hand. We should not exultant. If we keep this thing in oUr mind. We will never feel disappointed in life.

37. Truth alone Triumphs

This saying lays emphasis on the value of truth in life. It is very difficult to follow truth because the path of truth is full of with difficulties. To be false is easier than to be true. Most of us follow the easy path. It requires strength of character to follow truth. To follow truth is paustaking. We are often beared by instant gain in life. We have no patience to see the result of truth. It requires Persererance. In the beginning. Falsehood seems to be victorious but this victory is short lived. The ultimate victory lies with truth. Truth never fails. Falsehood succeeds only temporarily.

38. Astttchin time Savesnine

This proverb is a good lesson for us. It teaches us that we ought to save one and it must double one day. It is our folly to thing that one has got no value before mine. Unless we save one we can’t get nine. What a fine instance was put up here our shirt is as it tom, westitch if then and there we go on using it for some time. If we don’t take any action, the wore shirt will tom to pieces very soon. Nothing is triffling A piece of strand has got some value. It saves our life some times Nothing should be allowed to be wasted. Take care of everything under your possession.

39. Don’t Bewise only after the event

This saying deals with a situation where we learn only after experience. Not all of us are wise people. A wiseman is motivated by his wisdom. He never earns. An ordinary man seldom takes wise decision people learn from experience. Experience is our teacher. It is not possible that everybody of us will be rise at all hours. Though we all cannot be rise, we can take caution to avoid false step. To be wise before the event is certainly better than as to the wise after the event.

40. The duties of your class monitor

Our class monitor has some duties. He maintains the class in absence of the teather. He takes roll-call if the class teacher in absent. He leads his companions to the assembly spot. There he has to make us fall in line quickly. It is his duty to maintain discipline in the class. He sees that students sit on their allotted seats. If two students quarrel, the monitor settles the matter. If any student disobeys him, he reports to the class teacher of the Headmaster. In the period of games, he takes us out to the playground. His name is Anuj. All of us love him. It makes his job easier. The monitor is next to our class teachers for us.

41. Importance of Discipline

Discipline is easy to recognise but difficult to define. It influences every thing that we do in our life. In fact, we never succeed unless we work with a sense of discipline. We move orderly. We act with respect for rules. We follow a system. In fact, discipline is a way of life. That is why it is best learnt in childhood, at home and in school. Study and games both require a sense of discipline. A disciplined society lives in peace. National discipline is necessary for progress. Nature is the best teacher for learning discipline. Discipline is the key to success in every sphere of life. If is also the product of love and peace. We can not force it down on anyone. It flows out of love and regard for rules.

42. Educational value of travelling

Education through travelling is the best play-way method. From the moment the journey is planned, children begin to pass sleepless nights. They go on asking their parents when to start. We see new places historical, geographical, zoological and botanical. A geography lesson may be homing. But it becomes clear to us when we see rivers, mountains etc. with our own eyes. Museums, zoological gardens, monuments, coins and picture galleries give us a clear idea of history. We learn manners and behaviour in trains, in hotels and from fellow passengers through travelling. We learn many things through travelling what we cannot learn in the class-room so travelling is means of education.

43. The game you like most or. my favourite game

Of all the games, I like football most. It is an outdoor game. It is played between twenty two players; eleven in each side. Here is one refree. He refrees the play. All have to obey him. No body can go against his order. He is our master there. This play is an education. ‘It is a ball of discipline, obedience, health, manners and what not. All have to remain cautious all the time. No body can deceive any one here. It is a very good play for our recreation and health. It is a part of education. Recreation is also a part of education. ‘We ought to play it regularly. It is an international game.

44. A great national leader

India has produced a number of great men. Out of all, Mahatma Gandhi is one of them. Of course Mahatma Gandhi was a great leader of India. He was bom on 2nd October, 1869 in Gujarat. He was great right from his childhood. He worked for the freedom of India. He was sent of jail several times. He was kicked and beaten by the British rulers. ButGandhiji wanted India’s is freedom in peaceful way. He was a simple man. He believed in love, truth and non¬violence. He loved all men as his brothers. He worked for the good of Hadzans and other poor people He was killed by NaturanT Godse on 30th January, 1948. His body died but his soul is not dead. Even today he is loved and respected all over the world.

45. The work of street hawker

Street hawkers are a common sight in town. But some of them go into villages too. They sell fruits, vegetables, toys, ice-cream, cosmetics and utensils etc., they bring these necessities of life at our door-steps. They attract their customers by singing and shouting loudly. Their margin of profit is civins. Their articles are cheaper than those sold in big shops. They save us from the trouble of going to distant market. They do not cheat the customers who are known to them. They earn their living by hard labour and honest dealings. They are carring heavy load on head on the day. Their work is hard and arduous. Some hawkers cheat the customers by selling inferior goods. They are expert in hanggling and bargaining. They are useful members of the society.

46. Rickshaw-puller

The life of rickshaw puller is generally miserable. His poor health and tattered clothes tell the story of his wants and miseries. He leads a hard life He works hard from dawn to dusk but he can not live in comfort He pulls the rickshaw in hot, summer, cold winter and heavy rains. In spite of his hard labour he does not earn much His income is small but he has to maintain his family on that income He always runs the risk of being knocked down by speeding truck. He may falla prey to fatal diseaees. He has little money to take care of himself in his illness. How miserable the life of the rickshaw-puller is!

47. A football match

Last week a football natch was played between our school and Town High School, Monghyr. It was played in the playground of our school. The play started at 4 P.M. The match was an exciting one. At the on set the lplayers. were offensive. Our school players passed forward with the half of the centre forward. After abou ten minutes both the teams started playing vigorously. The goal keeper of ’ oth the teams had a very hard time to defend the goal posts. At last our school team scored a goal and defeated the town High school by one goal to nil. Everyone in the side clapped out of joy. The match was thrilling and interesting all along. It was Ramu one of our five towards whose brilliant shot decided the fate. Our Principal was pleased for see the game. He hosted a dinner to all players and teachers of the school in the night.

48. Independence day

India got freedom on August 15, 1947. So August 15th is called the independence day of India. It is a red letter day in the history of India. The British rule came to an end on this day. We got independence after a long struggle. Thousands of people lost their life in the battle for independence. We fought for our freedom under the able leadership of Mahatma Gandhi. He led our freedom movement.

A galaxy of Indian leaders like Bal Gangadhar Tilak, Gopal Krishna Gokhle, Subhash Chandra Bose, Motilal Nehru, Pandit Jawaharlal Nehru, Dr. Rajendra Prasad, Maulana Abul Kalam Azad, Jay Prakash Narayan, Acharya Nrendra Deo, Lala Lajpat Roy and others sacrified a lot for the independence of our country. As the day is a memorable day in the history of India it is celebrated all over the country with great enthusiasm. It is national holiday. The national flag is hoisted on all Government buildings in the country. A big public meeting is held in Delhi. The Prime Minister, unfurls the national flag at the Red Fort. Great homage is paid to those who laid down their lives for the freedom of the country. We should protect our hard won freedom at any costs. The 15th August brings a message for us. It is a message of great sacrifice for the country.

49. The barber

A barber is a person whose trade is shaving and hair cutting. In India, a barber is a necessary and important part of the society. This is more or less a specialized profession which goes by heredity. Every person needs a hair cut from time to time. These days there are luxurious saloons in cities for people of means. The barbers owing saloons call themselves hair-dressers. Nowa-days there are hair-dressing saloons for ladies also. They are being called beauty parlours. But for the large number of common men, there are the road – side barbers. Road-side barbers serve the laboureres and the commoners at cheaper rates. The barber serve the society on ceremony, sacred thread ceremony, marriage ceremony and shradh ceremonies.

50. A village market

The place where things are brought and sold is called a market. The village market is very important for villagers. It is not permanent. It is held twice or thrice a week. It fulfills the needs of several adjoining villages. It is held in an open place where hundreds of people gather to buy and sell their articles. The day is a busy day for the villagers on the market day there is great activity in the villages. Small traders and businessmen come to he market with their articles. The villagers also bring their own products for sale. As there are not any permanent stall for the venders. Most of them sit on the ground with their things of sale. There are rows for different articles. Articles of daily necessities are only sold there. Food grains, vegetables, seeds, clothe agriculture implements utensils and many other things of their needs are sold there. It is a meeting place for many villagers, women also participate in it. It is a boon for villagers. They sell their home made products there. They do not got to the near by towns or cities for these things of their needs. Fish and meat markets have their special attraction.

51. The washerman

The washerman is a useful member of our society as he washes our clothes. He works hard from dawn to dusk but he does not earn much. He collects dirty clothes from different houses. He boils them in a solution of water and soda for some time. Then he takes them to a river or tank and washes them. He spreads them in the sun for drying. Then he irons the washed clothes and returns them to their owners. In spite of his hard labour he does not earn a lot of money. So his condition is miserable. He has little money to maintain his family.

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Bihar Board Class 12 English Notice Writing

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Bihar Board Class 12 English Notice Writing

1. Your school is organising a tour to Mumbai and Goa during the winter vacation. Write a notice giving detailed information to the students. You are Madhav/Madhavi, School Pupil Leader, Ram Mohan Roy Seminary.

Feb., 20

Ram Mohan Roy Seminary
Notice Board
Tour to Mumbai and Goa

Our school is organising a tour to Mumbai and Goa during the coming winter vacation. It will be a 10-day tour in which only students of the Senior Secondary classes are allowed to Join. The expenses for traveling, boarding and lodging shall be around Rs. 3000/-(three thousand only) per head. Those who want to join this tour should give their names to the undersigned by the length of this month. A non-objection note by the parents is a must.

RAUSHAN
Pupil Leader

2. You lost your wallet containing your valuable documents (passport, your certificates and a bunch of keys) while traveling by Puri Express from Patna to Puri. Write a notice for publishing in ‘The Times of India’ (Patna) under ‘Lost and Found’ column. You are Naresh of station Road, Patna.

Lost and Found

Lost my wallet of black colour containing some valuable documents, including my Board’s certificates of All India Senior Secondary Examination, passport and a bunch of keys on 25th June, 200 while traveling by Puri Express from Patna to Puri. The finder will be suitably rewarded.

Contact: Naresh,
Station Road,
Patna.

3. You are Pushkar, Darbhanga, As the Secretary of the Social Service league of your school, you have organized a cultural benefit show in aid of mentally handicapped children of your town Darbhanga. Write a notice in not more than 50 words for your school notice-board, giving necessary information about the program.

Social Service League
St. Secondary School, Darbhanga
Notice

You will be glad to know that the Social Service League of Sr. Secondary School is organizing a Cultural Benefit Show in aid of mentally handicapped
children of Darbhanga on 20th April 20 Entry is by tickets. The League will also distribute Donor Cards of Rs. 1000 and Rs. 500 to some distinguished industrialists and traders willing to patronise the benefit show. For tickets and Donor cards contact the undersigned on the working days from 10 a.m. to 3 p.m. The proceeds of the show will be donated to the Secretary, Society For Mentally Handicapped Children, Darbhanga.

Program:
Magic Show: 6 p.m.
Folk Dances: 6.30 p.m. –
Dance Drama (Chandalika of Tagore): 7 p.m.
Puppet Show: 7.45 p.m.
Venue-Football Ground, Sr. Secondary School, Darbhanga

Pushkar
Secretary
10th April 2020

4. You are the Secretary of ABC Colony Welfare Association, Patna. Write a notice to be circulated to all the residents of the colony informing them that there will be no water supply in your colony on 24th and 25th of June, 20 due to maintenance work.

Welfare Association
ABC Colony, Patna

All the residents of ABC Colony, Patna are informed that there will be no water supply in the colony on 24th and 25th June 2009. Maintenance work has necessitated this step. The residents are advised to make necessary arrangements in advance.
Inconvenience is regretted.

S.N. Rao
Secretary 20th June, 20

5. You are the Principal, Senior Secondary School, Patna. Your school is introducing Commerce Section for XI and XII for the first time from July 2009. Draft a proper ‘Admission Notice’ for publication in a newspaper.

Admission Notice
Senior Secondary School, Patna

The school has decided to introduce Commerce Classes for XI and XII from July 15, 2020, There are only 100 seats for each class. Only students getting 60% or more marks in XI and XII need apply. The school will hold an Entrance Test on 5th July 2007 a 9 a.m. at the campus, Prospectus (Rs. 30/-) can be had from the school office on the working days.

Principal
Sr. Secondary School
Patna

6. Your school has just completed 25 years of its meritorious service to society. The Students’ Council of your school has decided to celebrate its Silver Jubilee. As President of the Council, write a notice in not more than 50 words for the students of your school, informing them about the Councils decision and seeking their co-operation for the success of the proposed Silver Jubilee Celebrations.

17 March 2020

Notice
Silver Jubilee Celebrations

It gives me great pleasure to inform all the students that our school has just completed 25 years of its meritorious service to society. On this happy. The occasion, the Students; Council has decided to celebrate the school’s Silver Jubilee with great pomp and circumstance. The kind co-operation of all of you is sought to make the celebrations a success. Please contact the undersigned with your suggestions.

Abhay Singh
President
D.A.V. College, Siwan

7. The Student’s Council of your school has organised an excursion to Ajanta and Elora for the students of class XII during Winter Breaks. As President of the Council writes a notice in not more than 50 words telling the students about this excursion and inviting their names for joining it.

3 March 2020

Notice
Excursion to Ajanta and Ellora

8. Yor the students of class XII, the Students’ Council or the school has organised an excursion to the Ajanta and Elora caves near Aurangabad in Maharashtra, during the coming Winter Break. It will be two days’ excursion and will cost about Rs. 1000/- each. Those who are willing to join should give their names to the undersigned by the tenth of this month.

Amardeep
President
Student’s Council
Patna High School, Patna

8. You are Robit/Rashi. As the Secretary of the Cultural Club of your school, you have organized a Culural Evening as a thanks giving programme on the last day of your school. Write a notice for your school notice board, giving necessary information about this event in not more then 50 words.

1 March 2020

Notice
Cultural Club

The cultural club of our school is holding a thanks giving programme on the excellent performance of the club during the year. The programme will be held on Saturday the 7 October, the last day of the school. All are coordially invited to attend the function in the school hall. The function will begin with ‘Yajan’ at 8 a.m. in the morning.

Rohit
Secretary
Cultural Club

9. You are Pushpak/Pooja. As Secretary of the Social Service League of your school, you have organized a cultural benefit show in aid of mentally handicapped children of your town, Vijayawada. Write a notice in not more than 50 words for your school notice-board, giving necessary information about the programme.

10 March 20
Notice
Social Service League . Patna Collegiate, Patna

The Social Service League of the school is holding a variety show in aid of, mentally hendicapped children of our town. The show will be held of the 15th of Aril at 7 p.m. in the school hall. Many renowned artists of the state have been invited to take part in it. Tickets for the show can be had from the league office.

Pooja
Secretary
S.S. League

10. You arc Rahul/Rashmi. As President of the Literary Club of your school you have organized an inter-school debate competition on the occasion of the silver Jubilee Celebrations of your school. Write a notice in about 50 words, informing the students of your school about the competition.

26 Feb. 20..

Notice
Literary Club

On the occasion of the Silver Jubilee Celebration of our school, the Literary Club of the school is holding an inter-school debate competition on the 28th of the month. The competition will be held in the school hall and will begin at 11 a.m. About fifteen teams are expected to take part in the competition. All are invited to attend.

Rahul Sharma
President
Literary Club
English (100 Marks)

11. You are the sports captain of Jalan Senior High School. Write a notice in fifty words for the school notice-board informing the students about the Inter-School Basketball match to be played. (Give all necessary details of the match.)

10 March 20….

Jalan High School
Notice
Inter-school Basketball Match

This is to inform all the students of the school that the final match of the Inter-School Basketball Competition will be played on our school grounds on Monday, the 20th of this month. The match will be played between our school and the New Model School. The match will start at 2 p.m. sharp. All are cordially invited to witness his match and give our players a cheering hand.

Radhey Shyam
Sports Captain

12. Your school is organising a cultural evening to collect funds for the slum children. The Education Minister has consented to be the Chief Guest on the occasion. Draft a notice about it to displayed on your school notice- board. You are the school Head Boy/Head Girl.

15 September 20…

School Notice Board

Our schools has decided to organise a cultural evening to collect funds for the children of slum dwellers. The Education Minister has very kindly consented to grace the occasion with his presence. The programme will be held on the 27th in the school hall, from 6.00 to 8.00 p.m. All are invited to come.

Vandana
(Head Girl)

13. Your school, Marwari High School is organising a cultural evening to collect funds for slum children. The Human Resources Development Minister has kindly consented to be the Chief Guest. Draft a notice for your school notice board. You are the Cultural Secretary of the school.

21 March 20….

Notice

Our school has decided to organize a cultural evening to collect funds for the children of slum dwellers. The Human Resources Development Minister has kindly consented to grace the occasion with his presence. The programme will be held on the 29th in the school hall, from 6.00 to 8.00 p.m. All are invited.

Aditi
(Cultural Secretary)

14. Your school is holding a summer camp for training students in Hockey and Basketball. Write a notice for the School Notice Board of Mokama Ghat High School. You are the Sports Secretary of the School.

2 March, 20

Notice
Mokama Ghat High School

Our school is holding a summer camp for training students in the games of Hockey and Basketball. The camp shall be held on the Municipal Stadium from the 19th of June to the 30th. Those who are willing to participate should give their names to the undersigned by the 7th of this month. Each participant shall have to pay Rs. 500/- only for board and lodging.

Avinash
Sports
Secretary

15. You are the Secretary of your School Literary Association. Write a notice for your School Notice Board, giving details of the inauguration of the Literary Association activities. You are ABC of Maner Senior Secondary School Maner.

9 Feb. 20

Notice
Maner Senior Secondary School

It gives me great pleasure to inform all the students of our school that we have formed a Literary Association in our school. The Association will organise literary debtates, discussions, talks, lectures and other such literary activities. The inauguration of the Literary Association activities will take place on the 15th of this month in the school hall, at 12.30 p.m. The inauguration will be performed by our worthy Principal. All are co-ordially invited to come.

ABC
(Secretary)
School Literary Association

16. You are Narain/Namrata, the Cultural Secretary of Senior Secondary School, Motihari. Write a notice suitable for your Schoo Notice Board giving the details for participation of students in a cultural programme tobe organised by your school.

Motihari Senior Secondary School
Students’ Notice Board

The Cultural Society of the school is organising a cultural programme at the end of the next month. The different items in the programme shall include mono-acting, folk dance, music (Vocal and Instrumental), skils, etc. prizes shall be awarded to the best participant in each item. Those who are willing to participate should give their names to the undersigned by the end of this month.

Narain
(Cultural Secretary)

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Bihar Board 12th English Book 50 Marks Solutions Chapter 1 Our Own Civilization

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Bihar Board Class 12 English Our Own Civilization Text Book Questions and Answers

Question 1.
Show no w a person relies on machinery in his daily life. Give four examples.
Answer:
‘I live at Bhagalpur. The college in which I read starts from 6.45 a.m. I have to wake up early in the morning in order to reach my College in time. This is possible only through an alarm clock which 1 keep by my bed on a table. I take my bath and I use tap-water for it which comes through a pipe line from a distant reservoir duly filtered in a huge complex of machines ran by electricity and pumped to and stored in a large tanker.

I catch a bus regularly at 6.30 a.m. at Dr. R P. Road 9 cross-roads which drops me at the college gate. The bus in which I travel is once again a complex system of engine, and other rhechanical devices, which works by exploding a gas made of petrol and air. My classes are usually held in the sixth floor of the main building. The lift which carries me up is handled arid regulated by electricity which the college gets from the D.V.C. hydel power station. Thus I realy on different small or big machine or mechincal aids for leading a fairly normal ife.

Question 2.
Do mean invent machines because they are lazy ?
Answer:
No, men do not invent machines because they are lazy, they do it because they want to save time and energy for greater things.

Question 3.
Why are order and safety necessary for civilization ?
Answer:
Order and safety are necessary for civilization because in their absence all such activities of mankind which make up civilization could not continue. For instarce the inventor would not be able to invent, the scientist would find it difficult to discover some hidden trubs and the artist would fall to make beautiful things if there are no order and safety.

Question 4.
What do you think this sentence means : Previous civilizaiton were specialised and limited.
Answer:
The sentence quoted above means that ancient civilization were confined to limited areas where particular types of races developed special types of civilizations. They are still known by the areas they belonged to e.g. the civilization which flourished in Greece is knwon as Greek civilization, in Rome as Roman civilization, in Egypt as Egyptian civilization, in Mesppotamia a Mesopotamian civilization and in China an Chinese civilizaiton.

Question 5.
When we go shopping, how do we know that the world is becoming a single place ?
Answer:
When we go shopping, we purchase things imported from different parts of the world. We buy wheat which comes from the U.S.A. we get apple at cheaper rates from Australia watches from Switzerland and Japan, quality cricket bats from England, fine synthetic goods form China, Japan. All there things ate available in one market which show that distance has shrunk between far off lands. Any article can be found in any part of the world. This shows that the world is becoming a single place.

Question 6.
Are all things equally shared by in our world ?
Answer:
No, all things are not shared equally in our world. Some of us enjoy maximum amenties of life and live luxurious live while most, of us find it difficult to make both the ends meet.

Question 7.
What is the greatest danger from political divisions ?
Answer:
The greatest danger from political divisions is of war which unlike previous ones would spread throughout the world.

Question 8.
What is our chief hope for preventing war ?
Answer:
Our chief hope for preventing war is the formation of some sort of world government.

Question 9.
Are machines always easy to control ?
Answer:
No, machines are not always easy to control. Modem men have become so much dependent on machines that they refuse to work or develop mechanical complications or blow up causing vast destruction around them the time men stop taking proper care of them or become negligent towards them.

Question 10.
How should man spend his time and energy ?
Answer:
Man should spend his time and energy in making beautiful things, finding out more and more about the universe, settling disputes and differences between warring nations and discovering new ways to prevent poverty.

Grammetical Questions

General Instructions about 2nd, 3rd and 4th questions.
In exercise 2 to 4 below re-write all the sentences like sentence (ii) below:

Question 1.
(i) If you haven’t got good health, you cannot enjoy anything.
Answer:
(ii) Unless you have good health, you cannot enjoy anything.

(a) If we don’t obey law, civilization will disappear.
Answer:
Unless we obey law, civilization will disappear.

(b) If people don’t use machines, their work will become dull and heavy.
Answer:
Unless people use machines, their work will become dull and heavy.

(c) If we don’t keep the peace, war will destroy us all.
Answer:
Unless we keep the peace, the war will destroy us all.

(d) If he doesn’t come tomorrow, he won’t get his pay.
Answer:
Unless he comes tomorrow, he wont’ get his pay.

Question 2.
(i) We have grown quite used to them. We do not notice them any more.
Answer:
We have grown so used to them that we do not notice them any more.

(a) I have grown used to wear glasses. I don’t notice them any more.
Answer:
I have grown so used to wear glasses that I don’t notice them any more.

(b) He is used to heavy loads. He doesn’t notice the weight.
Answer:
He is so used to heavy loads that he doesn’t notice the weight.

(c) They are used to regular meals. They don’t remember their former poverty.
Answer:
They are so used to regular meals that they don’t remember their former poverty.

(d) He has grown used to walking. He has sold his car.
Answer:
He has grown so used to walking that he has sold his car.

Question 3.
(i) How do we manage our machines ? We don’t know.
Answer:
We don’t know how to manage you machines.

(a) Where do we put clothes ? They haven’t told us.
Answer:
They haven’t told us where to put clothes.

(b) When does he turn the water off ? He doesn’t know.
Answer:
He doesn’t know when to turn the water off.

(c) How do we get to the railway station ? We don’t know.
Answer:
We don’t know how to get to the railway station.

(d) How do we start the engine ? The instructions don’t tell us.
Answer:
The instrucitons don’t tell us how to start the engine.

Question 4.
Put the verbs in brackets in the sentences below in their correct tense.
(a) Nowadays illness is less terrible because anaesthetics (use).
(b) Today a man (live) longer than he did before.
(c) These days food (bring in) from different countries.
(d) In the modern world states still (divide) by frontiers.
Answer:
(a) Nowadays illness is less terrible because anaesthetics are used.
(b) Today a man lives longer than he did before.
(c) These days food brought in from different countries.
(d) In the modem world states still will divided by frontiers.

Question 5.
In the sentences below certain words or phrases are in italics.
Use words or phrases from this extract in their place, so as to give the same meaning (refer to pp. 20-22)
(a) Machines rule our lives.
(b) Rich people often live in great comfort.
(c) Yesterday I saw a terrible street accident.
(d) I can’t spare enough money for a bicycle.
(e) The view from my bedroom window is very pleasant.
(f) In the stores there were large amounts of com.
(g) The whole building was on fire.
(h) Machines make our spare time greater.
(i) My speech had a very strange result; everyone left.
(j) Please look after my rose bushes very carefully.
Answer:
(a) Machines govern our lives.
(b) Rich people often live in luxury.
(c) Yesterday I saw a dread fill street accident.
(d) I can’t spend great quantities of money in a bicycle.
(e) The view from my bedroom window is beautiful.
(f) In the stores there were large quantities of com.
(g) The whole building was ablaze.
(h) Machines have won for us our spare time to finding out more and more about the universe.
(i) My speech had a very strange effect : everyone left.
(j) Please look after my rose bushes very attentively.

Question 6.
use the following words or phrases once only in the sentences beloow:
energetic, ill-health, explode, transmit, praise, relay on, invade, develop, healthy, lifetime, savegery, break into.
(a) He is very ………. he mns a mile every morning.
(b) He used to be very ………. but now he has ……….
(c) In my ………. I have seen two wars. In both of them there was great ……….
(d) People often ………. that boy for this honesty. But in my opinion you can’t ………. him.
(e) Countries often ………. their neighbours.
(f) A thief ………. my car last week.
(g) Electric current was ………. along a wire and the bomb ……….
Answer:
(a) energetic, (b) healthy; ill-health, (c) lifetime; savagery, (d) praise; relay on, (e) invade, (f) broke, (g) transmitted; exploded.

Question 7.
Given an account of the machines which you yourself use in your daily life.
Answer:
I am an early riser. But without the help of an alarm clock it would not have been possible for me up get up early in the morning. The clock is a machine which ticks with a series of interlined wheels.

A cup of tea in the morning refreshes me. I don’t like to give trouble to others and therefore make the tea myself for which I use electric stove. When I am taking tea, I turn my transister on and sweet melody follows. I hear world news from the B.B.C. Is it not wonderful that something is spoken thousands of miles away and within seconds we hear it on our transistor set ? I press my clothes with my electric-iron and save the money of the launderer. In electric stove and electric iron the electrical energy is converted into heat energy which is the process of Science. Their use saves both my labour and time.

Our Own Civilization Word Meanings

Regulated-controlled = अधीन में किया Complicated-complex = उलझा हुआ । Generated-produced = पैदा किया । Transmitted-communicated = संप्रेषित । Amusement-pastime, entertainment = ख़ुशी,आनन्द Crane-a type of huge machine which lifts heavy article with its arm and can put it at another place = बोझा उठानेवाला मशीन Devices-methods = ढंग Disputes-quarrels, conflicts = विवाद Burglars-thieves = चोर Achievement-accomplishment, getting something done =उपलिबध Anaeshetics–Drugs which prevent us from feeling pain = बेहोश करेन वाली रसायन । Savages-uncivilized persons = असभ्य, जंगली । Vigorous-powerful = शक्तिशाली Secure-safe= सुरक्षित Babylon and Assyriatwo civilizations of Mesopotamia = मेसोपोटामिया कालीन शहर Farflung-widely. spread = बहुत दूर तक फैला हुआ Exceedingly very much = अत्यधिक Caliph chief civil and religious muslim ruler = खलीफा Communication-exchange of ideas = विचारों का आदान-प्रदान । Invaded-attached = आक्रमण किया । The Iron Curtain–from communist countries it is difficult to get any information which the concerned government do not wish to communicate to the outside world = लौक पार्द Oases-green patches af the desert with water, frontiers = हरे रंग का घड़ा Haystack-dried grass, a pile of hay = सूखी घास Solomon-a great king in the Holy Bible = सोलेमन नाम का राजा Set a blaze-burn = प्रज्वलित Enormously-greatly = अत्यधिक Igenious clever and skilful = चालाक Survived-continued to live or existed = जीवित Tap-extract or obtain something from somebody something = उद्धारण Universe-whole of the space, with its stars planets etc = भूमंडल ।

Our Own Civilization Summary in Hindi

“Our Own Civilization” सी. ई. एम जोड़ लिखित निबन्ध है । इसमें लेखक ने विज्ञानं हमें क्या दिया है और हम विज्ञान से किस तरह प्रभावित हैं, विवेचना की है।

आज हम लोग विज्ञान के युग में रहते हैं और हमारे चारों तरफ विज्ञान ही है और यह हमारे कार्यों में मदद करता है । हीटर, सिलाई मशीन, समाचार पत्र, टेलीग्राफ, टेलीफोन, घड़ी, ट्रेन, बस, लिफ्ट, स्केलटर आदि जटिल मशीन के आधार पर आधारित हैं । प्लग को मशीन से जोड़ कर स्वीच ऑन एवं ऑफ कर चलाते और बन्द करते हैं । मशीन हमारे जीवन को आसान और आरामदायक बना दिया है। हम मनोरंजन, भ्रमण और अपने कार्य के लिए विज्ञान पर निर्भर हैं। ये मशीन हमारे अच्छे सेवक़ हैं लेकिन हमने इसे खिलौना बना दिया है । ये तभी तक काम करते हैं जबतक इनमें पेट्रोल और पानी है । इन्हें भी अराम चाहिए ।

विज्ञान के अनेक सकारात्मक प्रभाव हमारे समाज में हैं । इसने लोगों की सुरक्षा और अनुशासन में विकास किया है । जहाँ कहीं भी दो व्यक्तियों के बीच झगड़ा होता है, कानून की मदद लेते हैं । कानून मामले का सही मूल्यांकन करता है, न्याय करता है । इस तरह आदमी के झगड़ा में अधिकार शक्ति का स्थान ले लिया है । कानून हमें डकैती, और हिंसा से बचाता है। प्राचीन सभ्यता हिंसा के कारण समाप्त हो गई । इस तरह विज्ञान हमें पूर्णतः हिंसा से छुटकारा ‘ दिला दिया है । द्वितीयंतः इसने हमारे तकलीफों के भय को कम कर दिया है । एनेस्थेटिक और औषधि के प्रयोग से गहरे जख्म में भी हम पीड़ा का अनुभव नहीं करते हैं । विज्ञान की मदद से पुरुष और महिलाएँ न सिर्फ अच्छे स्वास्थ्य का उपयोग करते हैं अपितु पहले की अपेक्षा अधिक दिनों तक जीवित भी रहते हैं । हमारी सभ्यता पूर्व की सम्भ्यता अधिक सुरक्षित है.।

प्राचीन सभ्यताएँ सीमित थीं। आधुनिक सभ्यता विकसित है जिसकी तुलना मरुभूमि में फैली हुई हरियाली से की जा सकती है जो एशिया, अफ्रीका, यूरोप अमेरिका, आस्ट्रेलिया में फैली है। प्रारंभिक सभ्यताएँ सीमित क्षेत्र में सीमित थीं लेकिन आज की सभ्यता पूर्ण विश्व में फैली हुई है । इसमें अनेक सभ्यताओं का संमिश्रण है । संसार एक जगह आज केन्द्रित होकर एकाकार हो गया है।

विज्ञान ने हमें सुरक्षा प्रदान किया है । लेकिन उनसे खतरा भी पैदा हो गया है ।

Our Own Civilization Summary in English

Ours is an age of science. Form morning till we go to sleep, machines, the gifts of science come to our aid. At first it appears that men have become so much lazy, that they cann’t to without machines. But actually they have made machines for saving their time and energy, Machines are, out extra limbs. Man is not lazy at all, he is most restless and energetic of all the created beings. He takes the services of machines only in getting certain boring jobs done so that may save his time and energy for higher things.

Civilizaiton is the sum total of the higher activites performed by mankind upto our own age. Safety and order are two necessary factors for the progress of any civilization. In our own age human civilization has these two facilities which were not there in previous civilizations. Modern men have better medical facilities, they lead healthier and longer lives than men in the past could. Our civilization is much more secure than the previous ones. This is precisely because it is very much widely spread. Most of the civilizations in past came to and end because powerful uncivilized people attacked had destroyed them.

Previous civilizations were confined to certain areas where as modern civilization has spreed over Europe, America, Australia and great parts of Asia and Africa. Most of these continents have such weapons that savage or uncivilized people dare not attack them.

Thus our world has a chance of becoming a single whole unity. International trade and commerce have brought even distant countries together. It does not mean that there exists a friendly and cordial relations among all the nations of the world. Russia and other communist countries are living behind the Iron curtain’. The danger we may expect not from outside and uncivilized people but from within.

Thus our world has a chance of becoming a single whole unit. International trade and commerce have brought even distant countries together. It does not mean that there exists a friendly and cordial relations among all the nations of the world. Russia and other communist countries are living behind the Iron curtain’. The danger we may expect not from outside and uncivilized people but from within.

Now let us examine some of the defects of out civilization. Most of the developed nations have adopted democratic system for governance. There all men are equal before the law and they are free to choose their representatives to rule them.

In our age those is a great danger of war. The world has already suffered a heavy loss of life and property during the two great wars. Our world is sharply divided in two power blocks (now three the third being China) one is led by America and the other by Russia. These power blocks are bitterly opposed to each other. There in a arm race in the world which is because of their mutual fear and lack of trust in each other.

One may argue that mankind has survived in spite of wars in the past. But in our age if there is a nuclear war it will wipe the earth clear not only of human race but also of all the living beings. This may be prevented only through the formation of some sort of world government. Two attempt have already been made in this direction.

Another defect of our civilization is that it does not know what do with its knowledge. Man had initially made machines to be his servants but with his increasing dependence it may be said that very soon they will become his masters. And the machines are very stern masters. They constant vigilence.

But human beings can and should use machines, still as their servants and thus enable themselves to creat beautiful things, think freely live rightly and maintain justice equally between man and man. By making more beautiful things, finding out more and more about the mysterious universe, removing the causes of conflicts and quarrels between nations, discovering new methods of preventing poverty, human beings can make their civilization great and most lasting.

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