Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था

Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 1 ठोस अवस्था

Bihar Board Class 12 Chemistry ठोस अवस्था Text Book Questions and Answers

पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.1
ठोस कठोर क्यों होते हैं?
उत्तर:
ठोसों में अवयवी परमाणुओं अथवा अणुओं अथवा आयनों की स्थितियाँ नियत होती हैं अर्थात् ये गति के लिए स्वतन्त्र नहीं होते हैं। ये केवल अपनी माध्य स्थितियों के चारों ओर दोलन करते हैं। इसका कारण इनके मध्य उपस्थित प्रबल अन्तरपरमाणवीय अथवा अन्तरअणुक अथवा अन्तरआयनिक बलों की उपस्थिति है। इससे ठोसों की कठोरता स्पष्ट होती है।

प्रश्न 1.2
ठोसों का आयतन निश्चित क्यों होता है?
उत्तर:
ठोसों में अवयवी कण अपनी माध्य स्थितियों पर प्रबल संसंजक आकर्षण बलों द्वारा बँधे रहते हैं। नियत ताप पर अन्तरकणीय दूरियाँ अपरिवर्तित रहती हैं जिससे ठोसों का आयतन निश्चित होता है।

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प्रश्न 1.3
निम्नलिखित को अक्रिस्टलीय तथा क्रिस्टलीय ठोसों में वर्गीकृत कीजिए –
पॉलियूरिथेन, नैफ्थेलीन, बेन्जोइक अम्ल, टेफ्लॉन, पोटैशियम नाइट्रेट, सेलोफेन, पॉलिवाइनिल क्लोराइड, रेशा काँच, ताँबा।
उत्तर:
अक्रिस्टलीय ठोस:
पॉलियूरिथेन, टेफ्लॉन, सेलोफेन, पॉलिवाइनिल क्लोराइड, रेशा काँच।

क्रिस्टलीय ठोस:
नैफ्थेलीन, बेन्जोइक अम्ल, पोटैशियम नाइट्रेट तथा ताँबा।

प्रश्न 1.4
काँच को अतिशीतित द्रव क्यों माना जाता है?
उत्तर:
काँच एक अक्रिस्टलीय ठोस है। द्रवों के समान इसमें प्रवाह की प्रवृत्ति होती है, यद्यपि यह बहुत मन्द होता है। अत: इसे आभासी ठोस (pseudo solid) अथवा अतिशीतित द्रव (super-cooled liquid) कहा जाता है। इस तथ्य के प्रमाणस्वरूप पुरानी इमारतों की खिड़कियाँ और दरवाजों में जड़े शीशे निरअपवाद रूप से शीर्ष की अपेक्षा अधस्तल में किंचित मोटे पाए जाते हैं। यह इसलिए होता है; क्योंकि काँच अत्यधिक मन्दता से नीचे प्रवाहित होकर अधस्तल भाग को किंचित मोटा कर देता है।

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प्रश्न 1.5
एक ठोस के अपवर्तनांक का सभी दिशाओं में समान मान प्रेक्षित होता है। इस ठोस की प्रकृति पर टिप्पणी कीजिए। क्या यह विदलन गुण प्रदर्शित करेगा?
उत्तर:
ठोस के अपवर्तनांक का सभी दिशाओं में समान मान प्रेक्षित होता है। इसका अर्थ है कि यह समदैशिक (isotropic) है तथा इसलिए यह अक्रिस्टलीय (amorphous) है। अक्रिस्टलीय ठोस होने के कारण तेज धार वाले औजार से काटने पर, यह अनियमित सतहों वाले दो टुकड़ों में कट जाएगा। दूसरे शब्दों में यह स्पष्ट विदलन गुण प्रदर्शित नहीं करेगा।

प्रश्न 1.6
उपस्थित अन्तराआण्विक बलों की प्रकृति के आधार पर निम्नलिखित ठोसों को विभिन्न संवर्गों में वर्गीकृत कीजिए –
पोटैशियम सल्फेट, टिन, बेन्जीन, यूरिया, अमोनिया, जल, जिंक सल्फाइड, ग्रेफाइट, रूबीडियम, आर्गन, सिलिकन कार्बाइड।
उत्तर:
आण्विक ठोस:
बेन्जीन, यूरिया, अमोनिया, जल तथा आर्गन।

आयनिक ठोस:
पोटैशियम सल्फेट तथा जिंक सल्फाइड।

धात्विक ठोस:
रूबीडियम तथा टिन।

सहसंयोजक अथवा नेटवर्क ठोस:
ग्रेफाइट तथा सिलिकन कार्बाइड।

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प्रश्न 1.7
ठोस A, अत्यधिक कठोर तथा ठोस एवं गलित दोनों अवस्थाओं में विद्युतरोधी है और अत्यन्त उच्च ताप पर पिघलता है। यह किस प्रकार का ठोस है?
उत्तर:
चूँकि यह गलित अवस्था में भी विद्युत का चालन नहीं करता है, अतः यह सहसंयोजक अथवा नेटवर्क ठोस है।

प्रश्न 1.8
आयनिक ठोस गलित अवस्था में विद्युत चालक होते हैं परन्तु ठोस अवस्था में नहीं, व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
गलित अवस्था में अथवा जल में घोलने पर ठोस के वियोजन से आयन मुक्त हो जाते हैं, जिससे विद्युत-चालन सम्भव हो जाता है। ठोस अवस्था में आयन गमन के लिए मुक्त नहीं होते और परस्पर विद्युत स्थैतिक आकर्षण बल द्वारा बंधे रहते हैं। अतः ये ठोस अवस्था में विद्युतरोधी होते हैं।

प्रश्न 1.9
किस प्रकार के ठोस विद्युत चालक, आघातवर्ध्य और तन्य होते हैं?
उत्तर:
धात्विक ठोस विद्युत चालक, आघातवर्ध्य तथा तन्य होते हैं।

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प्रश्न 1.10
‘जालक बिन्दु’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जालक बिन्दु ठोस के एक अवयवी कण को प्रदर्शित करता है, जो एक परमाणु, अणु अथवा आयन हो सकता है।

प्रश्न 1.11
एकक कोष्ठिका को अभिलक्षणित करने वाले पैरामीटरों के नाम बताइए।
उत्तर:
एकक कोष्ठिका को अभिलक्षणित करने वाले पैरामीटरों के नाम निम्नलिखित हैं –

  1. इसके तीनों किनारों की विमाएं a, b और c के द्वारा जो परस्पर लम्बवत् हो भी सकते हैं अथवा नहीं भी अभिलक्षणित किया जा सकता है।
  2. किनारों (कोरों) के मध्य को α (b और c के मध्य), β (a और c के मध्य) और γ (a और b द्वारा अभिलक्षणित किया जा सकता है। इस प्रकार एकक कोष्ठिका छ: पैर मीटरों a, b, α, β और द्वारा अभिलक्षणित होती है।

प्रश्न 1.12
निम्नलिखित में विभेद कोना –

  1. षट्कोणीय और एकनताक्ष एकक कोष्ठिका
  2. फलक-केन्द्रित और अंत्य-केन्द्रित एकक कोष्ठिका।

उत्तर:
1. षट्कोणीय और एकनताक्ष एकक कोष्ठिका (Hexagonal and Monoclinic Unit Cell)
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2. फलक-केन्द्रित और अंत्य-केन्द्रित एकक कोष्ठिका (Face – centred and End – centred Unit – Cell)
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प्रश्न 1.3
स्पष्ट कीजिए कि एक घनीय एकक कोष्ठिका के –

  1. कोने और
  2. अन्तः केन्द्र पर उपस्थित परमाणु का कितना भाग सन्निकट कोष्ठिका से सहविभाजित होता है?

उत्तर:
1. एक घनीय एकक कोष्ठिका के कोने का प्रत्येक परमाणु आठ निकटवर्ती एकक कोष्ठिकाओं के मध्य सहविभाजित होता है। चार एकक कोष्ठिकाएँ समान परत में और चार एकक कोष्ठिकाएं ऊपरी अथवा निचली परत की होती हैं। अतः एक परमाणु का वाँ भाग एक विशिष्ट एकक कोष्ठिका से सम्बन्धित रहता है।

2. अन्तः केन्द्र पर उपस्थित परमाणु उस एकक कोष्ठिका से सम्बन्धित होता है। यह किसी सन्निकट कोष्ठिका से सहविभाजित नहीं होता है।

प्रश्न 1.14
एक अणु की वर्ग निविड संकुलित परत में द्विविमीय उप सहसंयोजन संख्या क्या है?
उत्तर:
एक अणु की वर्ग निविड संकुलित परत में प्रत्येक परमाणु चार निकटवर्ती परमाणुओं के सम्पर्क में रहने के कारण इसकी उपसहसंयोजन संख्या 4 है।

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प्रश्न 1.15
एक यौगिक षट्कोणीय निविड संकुलित संरचना बनाता है। इसके 0.5 मोल में कुल रिक्तियों की संख्या कितनी है? उनमें से कितनी रिक्तियाँ चतुष्फलकीय हैं?
उत्तर:
निविड संकुलन में परमाणुओं की संख्या
= 0.5 मोल
= 0.5 × 6.022 × 1023
= 3.011 × 1023
∵ अष्टफलकीय रिक्तियों की संख्या = निविड संकुलन में परमाणुओं की संख्या
= 3.011 × 1023
∴ चतुष्फलकीय रिक्तियों की संख्या
= 2 × अष्टफलकीय रिक्तियों की संख्या
= 2 × 3.011 × 1023
= 6.022 × 1023
तथा रिक्तियों की कुल संख्या = अष्टफलकीय रिक्तियों की संख्या + चतुष्फलकीय रिक्तियों की संख्या
= 3.011 × 1023 + 6.022 × 1023
= 9.033 × 1023

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प्रश्न 1.16
एक योगिक दो तत्वों M और N से बना है। तत्व N, ccp संरचना बनाता है और M के परमाणु चतुष्फलकीय रिक्तियों के \(\frac{1}{3}\) भाग को अध्यासित करते हैं। यौगिक का सूत्र क्या है?
उत्तर:
माना ccp में तत्व N के x परमाणु हैं। तब चतुष्फकीय रिक्तियों की संख्या 2n होगी।
∵ तत्व M के परमाणु चतुष्फलकीय रिक्तियों के \(\frac{1}{3}\) भाग को अध्यासित करते हैं।
∴ उपस्थित M परमाणुओं की संख्या = \(\frac{1}{3}\) × 2n = \(\frac{2n}{3}\)
∴ N तथा M का अनुपात = x : \(\frac{2x}{3}\) = 3:2
अत: यौगिक का सूत्र M2 N3 अथवा N3 M2 है।

प्रश्न 1.17
निम्नलिखित में किस जालक में उच्चतम संकुलन क्षमता है?

  1. सरल घनीय
  2. अन्तः केन्द्रित घन और
  3. षट्कोणीय निविड संकुलित जालक।

उत्तर:
जालक में संकुलन क्षमताएँ निम्न प्रकार होती हैं –
सरलघनीय = 52.4%, अंत:केन्द्रित घन = 68%, षट्कोणीय निविड संकुलित = 74%
स्पष्ट है कि षट्कोणीय निविड संकुलित जालक में उच्चतम संकुलन क्षमता होती है।

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प्रश्न 1.18
एक तत्व का मोलर द्रव्यमान 2.7 × 10-2 kg mol-1 है, यह 405 pm लम्बाई की भुजा वाली घनीय एकक कोष्ठिका बनाता है। यदि उसका घनत्व 2.7 × 103 kg-3 है तो घनीय एकक कोष्ठिका की प्रकृति क्या है?
हल:
घनत्व,
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यहाँ, M (तत्व का मोलर द्रव्यमान)
= 2.7 × 10-2 kg mol-1 a (भुजा की लम्बाई)
= 405 pm = 405 × 10-12
m = 4.05 × 10-10 m
(घनत्व) = 2.7 × 103 kg m-3
NA (आवोगाद्रो संख्या) = 6.022 × 1023 mol-1
इन मानों को उपर्युक्त व्यंजक में प्रतिस्थापित करने पर,
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अतः प्रति एकक कोष्ठिका तत्व के 4 परमाणु उपस्थित हैं। अतः घनीय एकक कोष्ठिका फलक-केन्द्रित (fcc) अथवा घनीय निविड संकुलित (ccp) होनी चाहिए।

प्रश्न 1.19
जब एक ठोस को गर्म किया जाता है तो किस प्रकार का दोष उत्पन्न हो सकता है? इससे कौन-से भौतिक गुण प्रभावित होते हैं और किस प्रकार?
उत्तर:
जब एक ठोस को गर्म किया जाता है तो रिक्तिका दोष उत्पन्न हो जाता है। इसका कारण यह है कि गर्म करने पर कुछ जालक स्थल रिक्त हो जाते हैं। चूँकि कुछ परमाणु अथवा आयन क्रिस्टल को पूर्णतया त्याग देते हैं, अतः इस दोष के कारण पदार्थ का घनत्व कम हो जाता है।

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प्रश्न 1.20
निम्नलिखित किस प्रकार का स्टॉइकियोमीट्री दोष दर्शाते हैं?

  1. ZnS
  2. AgBr

उत्तर:

  1. चूँकि ZnS के आयनों के आकार में बहुत अधिक अन्तर है, अत: यह फ्रेंकेल दोष दर्शाता है।
  2. AgBr फ्रेंकेल तथा शॉट्की दोनों प्रकार के दोष दर्शाता

प्रश्न 1.21
समझाइए कि एक उच्च संयोजी धनायन को अशुद्धि की तरह मिलाने पर आयनिक ठोस में रिक्तिकाएँ किस प्रकार प्रविष्ट होती हैं?
उत्तर:
जब एक उच्च संयोजी धनायन को आयनिक ठोस में अशुद्धि की तरह मिलाया जाता है तो वास्तविक धनायन का कुछ स्थल उच्च संयोजी धनायन द्वारा अध्यासित हो जाता है। प्रत्येक उच्च संयोजी धनायन दो या अधिक वास्तविक धनायनों को प्रतिस्थापित करके एक वास्तविक धनायन के स्थल को अध्यासित कर लेता है तथा अन्य स्थल रिक्त ही रहते हैं।

अध्यासित धनायनी रिक्तिकाएँ = [उच्च संयोजी धनायनों की संख्या × वास्तविक धनायन तथा उच्च संयोजी धनायन की संयोजकताओं का अन्तर]

प्रश्न 1.22
जिन आयनिक ठोसों में धातु आधिक्य दोष के कारण ऋणायनिक रिक्तिका होती हैं; वे रंगीन होते हैं। इसे उपयुक्त उदाहरण की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
धातु आधिक्य दोष के कारण ऋणायनिक रिक्तिका वाले आयनक ठोसों में जब धातु परमाणु सतह पर जम जाते हैं, वे आयनन के पश्चात् क्रिस्टल में विसरित हो जाते हैं। धातु आयन धनायनी रिक्तिका को अध्यासित कर लेता है, जबकि इलेक्ट्रॉन ऋणायनिक रिक्तिका को अध्यासित करता है।

ये इलेक्ट्रॉन दृश्य श्वेत प्रकाश से उचित तरंगदैर्घ्य अवशोषित करके उत्तेजित हो जाते हैं तथा उच्च ऊर्जा स्तर पर पहुँच जाते हैं, परिणामस्वरूप रंगीन दिखाई देते हैं। उदाहरणार्थ –

जिंक आक्साइड कमरे के ताप पर सफेद रंग का होता है। गर्म करने पर इसमें से आक्सीजन निकलती है तथा यह पीले रंग का हो जाता है।
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अब क्रिस्टल में जिंक आयनों का आधिक्य होता है तथा इसका सूत्र Zn1+x O बन जाता है। आधिक्य में उपस्थित Zn2+ आयन अन्तराकाशी स्थलों में और इलेक्ट्रॉन निकटवर्ती अन्तराकाशी स्थलों में चले जाते हैं। ये इलेक्ट्रॉन ही श्वेत प्रकाश अवशोषित करके जिंक आक्साइड को पीला रंग प्रदान करते हैं।

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प्रश्न 1.23
वर्ग 14 के तत्व को n-प्रकार के अर्द्धचालक में उपयुक्त अशुद्धि द्वारा अपमिश्रित करके रूपान्तरित करना है। यह अशुद्धि किस वर्ग से सम्बन्धित होनी चाहिए?
उत्तर:
वर्ग 14 के तत्व को n-प्रकार के अर्द्ध-चालक में रूपान्तरित करने के लिए वर्ग 15 के तत्व के साथ अपमिश्रित करना चाहिए क्योंकि n – प्रकार के अर्द्ध-चालक से ऋणावेशित इलेक्ट्रॉनों के आधिक्य की उपस्थिति के कारण होने वाला चालन होता है।

प्रश्न 1.24
किस प्रकार के पदार्थों से अच्छे स्थायी चुम्बक बनाए जा सकते हैं, लोह-चुम्बकीय अथवा फेरीचुम्बकीय? अपने उत्तर का औचित्य बताइए।
उत्तर:
लोह-चुम्बकीय पदार्थों से अच्छे स्थायी चुम्बक बनाए जा सकते हैं। इसका कारण यह है कि ठोस अवस्था में लोह-चुम्बकीय पदार्थों के धातु आयन छोटे खण्डों में एक साथ समूहित हो जाते हैं, इन्हें डोमेन (Domain) कहा जाता है। इस प्रकार प्रत्येक डोमेन एक छोटे चुम्बक की तरह व्यवहार करता है।

लोह-चुम्बकीय पदार्थ के अचुम्बकीय टुकड़े में डोमेन अनियमित रूप से अभिविन्यसित होते हैं और उनका चुम्बकीय आघूर्ण निरस्त हो जाता है। पदार्थ को चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर सभी डोमेन चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में अभिविन्यसित हो जाते हैं और प्रबल चुम्बकीय प्रभाव उत्पन्न होता है। चुम्बकीय क्षेत्र को हटा लेने पर भी डोमेनों का क्रम बना रहता है और लौह-चुम्बकीय पदार्थ स्थायी चुम्बक बन जाते हैं।

Bihar Board Class 12 Chemistry ठोस अवस्था Additional Important Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.1
‘अक्रिस्टलीय’ पद को परिभाषित कीजिए। अक्रिस्टलीय ठोसों के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अक्रिस्टलीय ठोस (ग्रीक अमोरफोस = आकृति का न होना) असमाकृति से बने होते हैं। इन ठोसों में अवयवी कणों (परमाणुओं, अणुओं अथवा आयनों) की व्यवस्था केवल लघु परासी व्यवस्था होती है। ऐसी व्यवस्था में नियमित और आवर्ती पैटर्न केवल अल्प दूरियों तक देखा जाता है। ऐसे मार्ग बिखरे होते हैं और इनके बीच व्यवस्था क्रम अनियमित होते हैं। अक्रिस्टलीय ठोसों की संरचना द्रवों के सदृश होती है। कांच, रबर और प्लास्टिक अक्रिस्टलीय ठोसों के विशिष्ट उदाहरण हैं।

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प्रश्न 1.2
कांच, क्वार्ट्ज जैसे ठोस से किस प्रकार भिन्न है? किन परिस्थितियों में क्वार्ट्स को कांच में रूपान्तरित किया जा सकता है?
उत्तर:
कांच एक अक्रिस्टलीय ठोस है जिसके अवयवी कणों में केवल लघु परासी व्यवस्था होती है और दीर्घ परासी व्यवस्था नहीं होती है। क्वार्ट्स के अवयवी कणों में लघु तथा दीर्घ परासी दोनों व्यवस्थाएं होती हैं। पिघलाने तथा तुरन्त ठण्डा करने पर क्वार्ट्ज कांच में रूपान्तरित किया जा सकता है।

प्रश्न 1.3
निम्नलिखित ठोसों का वर्गीकरण आयनिक, धात्विक, आणविक, सहसंयोजक या अक्रिस्टलीय में कीजिए।

  1. टेट्रा फॉस्फोरस डेकॉक्साइड (P4O10)
  2. अमोनियम फॉस्फेट (NH4)3PO4
  3. SiC
  4. I2
  5. P4
  6. प्लास्टिक
  7. ग्रेफाइट
  8. पीतल
  9. Rb
  10. LiBr
  11. Si

उत्तर:
आयनिक ठोस:
(NH4)3, PO4, LiBr

धात्विक ठोस:
पीतल, Rb

आणविक ठोस:
P4O10, I2 P4

सहसंयोजक ठोस:
ग्रेफाइट, SiC, Si

अक्रिस्टलीय:
प्लास्टिक

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प्रश्न 1.4
(i) उप सहसंयोजन संख्या का क्या अर्थ है?
(ii) निम्नलिखित परमाणुओं की उपसहसंयोजन संख्या क्या होती है?
(क) एक घनीय निविड संकुलित संरचना
(ख) एक अन्तः केन्द्रित घनीय संरचना।
उत्तर:
(i) किसी कण के निकटतम गोलों की संख्या को उसकी उपसहसंयोजन संख्या कहते हैं। किसी आयन की उपसहसंयोजन संख्या उसके चारों ओर उपस्थित विपरीत आवेशयुक्त आयनों की संख्या के बराबर होती

(ii)
(क) एक घनीय निविड संकुलित संरचना में परमाणु की उपसहसंयोजन संख्या 12 होती है।
(ख) एक अन्त:केन्द्रित घनीय संरचना में उपसहसंयोजक संख्या 8 होती है।

प्रश्न 1.5
यदि आपको किसी अज्ञात धातु का घनत्व एवं एकक कोष्ठिका की विमाएँ ज्ञात हैं तो क्या आप उसके परमाण्विक द्रव्यमान की गणना कर सकते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एकक कोष्ठिका का घनत्व
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किसी अज्ञात धातु का घनत्व एवं एकक कोष्ठिका की विमाएँ ज्ञात होने पर उपर्युक्त सूत्र की सहायता से उसके परमाण्विक द्रव्यमान की गणना की जा सकती है।

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प्रश्न 1.6
‘किसी क्रिस्टल की स्थिरता उसके गलनांक के परिमाण द्वारा प्रकट होती है।’ टिप्पणी कीजिए। किसी आँकड़ा पुस्तक से जल, एथिल ऐल्कोहॉल, डाइएथिल ईथर तथा मेथेन के गलनांक एकत्र कीजिए। इन अणुओं के मध्य अन्तराआण्विक बलों के बारे में आप क्या कह सकते हैं?
उत्तर:
गलनांक उच्च होने पर अवयवी कणों को एकसाथ बाँधे रखने वाले बल प्रबल होंगे तथा परिणामस्वरूप स्थायित्व अधिक होगा। आँकड़ा पुस्तक के आधार पर दिए गए पदार्थों के गलनांक निम्नवत् हैं –

जल = 273 K, एथिल ऐल्कोहॉल = 155.7 K,
डाइएथिल ईथर = 156.8 K, मेथेन = 90.5 K

जल तथा एथिल ऐल्कोहॉल में अन्तराआण्विक बल मुख्यत: हाइड्रोजन बन्ध के कारण होते हैं। ऐल्कोहॉल की तुलना में जल का उच्च गलनांक प्रदर्शित करता है; क्योंकि एथिल ऐल्कोहॉल अणुओं में हाइड्रोजन बन्ध जल के समान प्रबल नहीं होता है। डाइएथिल ईथर एक ध्रुवी अणु है। इनमें उपस्थित अन्तराआण्विक बल द्विध्रुव-द्विध्रुव आकर्षण है। मेथेन एक अध्रुवी अणु है। इसमें केवल दुर्बल वान्डर वाल्स बल (लण्डन प्रकीर्णन बल) होते हैं।

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प्रश्न 1.7
निम्नलिखित युगलों के पदों (शब्दों) में कैसे विभेद करोगे?

  1. षट्कोणीय निविड संकुलन एवं घनीय निविड संकुलन
  2. क्रिस्टल जालक एवं एकक कोष्ठिका
  3. चतुष्फलकीय रिक्ति एवं अष्टफलकीय रिक्ति।

उत्तर:
(i) षट्कोणीय निविड संकुलन एवं घनीय निविड संकुलन:
ये त्रिविमीय निविड संकुलित संरचनाएँ द्विबिम- षट्कोणीय निविड संकुलित परतों को एक-दूसरे पर रखकर जनित की जा सकती हैं।

षट्कोणीय निविड संकुलन:
जब तृतीय परत को द्वितीय परत पर रखा जाता है तब उत्पन्न एक सम्भावना के अन्तर्गत द्वितीय परत की चतुष्फलकीय रिक्तियों को तृतीय परत के गोलों द्वारा आच्छादित किया जा सकता है। इस स्थिति में तृतीय परत के गोले प्रथम परत के गोलों के साथ पूर्णत: संरेखित होते हैं।

इस प्रकार गोलों का पैटर्न एकान्तर परतों में पुनरावृत होता है। इस पैटर्न को प्राय: ABAB …. पैटर्न लिखा जाता है। इस संरचना को षट्कोणीय निविड संकुलित (hcp) संरचना कहते हैं। चित्र में इस प्रकार की परमाणुओं की व्याख्या कई धातुओं जैसे मैंग्नीशियम और जिंक में पाई जाती है।
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चित्र:
(क) षट्कोणीय घनीय निविड संकुलन का खण्डित दृश्य गोलों की परतों का संकुलन दर्शाते हुए।
(ख) प्रत्येक स्थिति में चार परतें स्तम्भ के रूप में।
(ग) संकुलन की ज्यामिति

घनीय निविड संकुलन:
इसके लिए, तीसरी परत दूसरी परत के ऊपर इस प्रकार रखते हैं कि उसके गोले अष्टफलकीय
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चित्र:
(क) परतों की ABCABC …. व्यवस्था जब अष्टफलकीय रिक्तियाँ आच्छादित होती हैं।

(ख) इस व्यवस्था द्वारा निर्मित होने वाली संरचना का अंश जिसके परिणामस्वरूप घनीय निविड संकुलित (ccp) अथवा फलक-केन्द्रित घनीय (fcc) संरचना बनती है। रिक्तियों को आच्छादित करते हों। इस प्रकार से रखने पर तीसरी परत के गोले प्रथम अथवा द्वितीय किसी भी परत के साथ संरक्षित नहीं होते। इस व्यवस्था को ‘C’ प्रकार कहा जाता है। केवल चौथी परत रखने पर उसके गोले प्रथम परत के गोलों के साथ संरेक्षित होते हैं, जैसा चित्र में दिखाया गया है।

इस प्रकार के पैटर्न को प्राय: ABCABC … लिखा जाता है। इस संरचना को घनीय निविड संकुलित संरचना (ccp) अथवा फलक केन्द्रित घनीय (fcc) संरचना कहा जाता है। धातु, जैसे-ताँबा तथा चाँदी, इस संरचना में क्रिस्टलीकृत होते हैं। उपर्युक्त दोनों प्रकार के निविड संकुलन अति उच्च क्षमता वाले होते हैं और क्रिस्टल का 74% स्थान सम्पूरित रहता है। इन दोनों में, प्रत्येक गोला बारह गोलों के सम्पर्क में रहता है। इस प्रकार इन दोनों संरचनाओं में उपसहसंयोजन संख्या 12 है।

(ii) क्रिस्टल जालक एवं एकक कोष्ठिका:

क्रिस्टल जालक:
क्रिस्टलीय ठोसों का मुख्य अभिलक्षण अवयवी कणों का नियमित और पुनरावृत्त पैटर्न है। यदि क्रिस्टल में अवयवी कणों की त्रिविमीय व्यवस्था को आरेख के रूप में निरूपित किया जाए, जिसमें प्रत्येक बिन्दु को चित्रित किया गया हो, तो व्यवस्था को क्रिस्टल जालक कहते हैं। इस प्रकार, “दिकस्थान (space) में बिन्दुओं की नियमित त्रिविमीय व्यवस्था को क्रिस्टल जालक कहते हैं।” क्रिस्टल जालक के एक भाग को चित्र में दिखाया गया है। केवल 14 त्रिविमीय जालक सम्भव हैं।
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चित्र – क्रिस्टल जालक का एक भाग और उसकी एकक कोष्ठिका।

एकक कोष्ठिका:
एकक कोष्ठिका क्रिस्टल जालक का लघुतम भाग है, इसे जब विभिन्न दिशाओं में पुनरावृत्त किया जाता है तो पूर्ण जालक की उत्पत्ति होती है।

(iii) चतुष्फलकीय रिक्ति एवं अष्टफलकीय रिक्ति:

चतुष्फलकीय रिक्ति:
ये रिक्तियाँ चार गोलों द्वारा घिरी रहती
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चित्र – निविड संकुलित गोलों की दो परतों का एक स्तम्भ और उनमें जनित होने वाली रिक्तियाँ

हैं जो एक नियमित चतुष्फलक के शीर्ष पर स्थित होते हैं। इस प्रकार जब भी द्वितीय परत का एक गोला प्रथम परत की रिक्ति के ऊपर होता है, तब एक चतुष्फलकीय रिक्ति बनती है। इन रिक्तियों को चतुष्फलकीय रिक्तियाँ इसलिए कहा जाता है; क्योंकि जब इन चार गोलों के केन्द्रों को मिलाया जाता है तब एक चतुष्फलक बनता है। चित्र में इन्हें “T” से अंकित किया गया है। ऐसी एक रिक्ति को अलग से चित्र में दिखाया गया है।
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अष्टफलकीय रिक्ति:
ये रिक्तियाँ सम्पर्क में स्थित तीन गोलों द्वारा संलग्नित रहती हैं। इस प्रकार द्वितीय परत की त्रिकोणीय रिक्तियाँ प्रथम परत की त्रिकोणीय रिक्तियों के ऊपर होती हैं और इनकी त्रिकोणीय आकृतियाँ अतिव्यापित नहीं होती। उनमें से एक में त्रिकोण का शीर्ष ऊर्ध्वमुखी और दूसरे में अधोमुखी होता है। इन रिक्तियों को चित्र में ‘O’ से अंकित किया गया है। ऐसी रिक्तियाँ छह गोलों से घिरी होती हैं। ऐसी एक रिक्ति को अलग से चित्र में दिखाया गया है।

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प्रश्न 1.8
निम्नलिखित जालकों में से प्रत्येक की एकक कोष्ठिका में कितने जालक बिन्दु होते हैं?

  1. फलक – केन्द्रित घनीय
  2. फलक – केन्द्रित चतुष्कोणीय
  3. अन्तः केन्द्रता।

उत्तर:
1. फलक:
केन्द्रित घनीय जालक में एकक कोष्ठिका में जालक बिन्दु अथवा अवयवी कणों की संख्या निम्न प्रकार होगी –
8 कोने के परमाणु × \(\frac{1}{8}\) परमाणु प्रति एकक कोष्ठिका
= 8 × \(\frac{1}{8}\) = 1 परमाणु
6 फलक – केन्द्रित परमाणु × \(\frac{1}{2}\) – परमाणु प्रति
एकक कोष्ठिका = 6 × \(\frac{1}{2}\) = 3 परमाणु
अतः प्रति एकक कोष्ठिका जालक बिन्दुओं की कुल संख्या = 1 + 3 = 4

2. फलक – केन्द्रित चतुष्कोणीय जालक की एकक कोष्ठिका में जालक बिन्दुओं की संख्या भी उपर्युक्त के समान होगी।
∴ अभीष्ट जालक बिन्दुओं की संख्या = 4

3. अन्तः केन्द्रित जालक की एकक कोष्ठिका में जालक बिन्दुओं की संख्या निम्न प्रकार होगी –
8 कोने × \(\frac{1}{8}\) प्रति कोना परमाणु = 8 × \(\frac{1}{8}\) = 1 परमाणु
तथा एक अन्त:केन्द्र परमाणु = 1 परमाणु
अतः प्रति एकक जालक बिन्दुओं की संख्या = 1 + 1 = 2 परमाणु

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प्रश्न 1.9
समझाइए –

  1. धात्विक एवं आयनिक क्रिस्टलों में समानता एवं विभेद का आधार।
  2. आयनिक ठोस कठोर एवं भंगुर होते हैं।

उत्तर:
1. समानताएँ (Similarities):
(i) आयनिक तथा धात्विक दोनों क्रिस्टलों में स्थिर विद्युत आकर्षण बल विद्यमान होता है। आयनिक क्रिस्टलों में यह विपरीत आवेशयुक्त आयनों के मध्य होता है। धातुओं में यह संयोजी इलेक्ट्रॉनों तथा करनैल (kernels) के मध्य होता है। इसी कारण से दोनों के गलनांक उच्च होते हैं।

2. दोनों स्थितियों में बन्द अदैशिक (non-directional) होता है।

विभेद (Differences):
(i) आयनिक क्रिस्टलों में आयन गति के लिए स्वतन्त्र नहीं होते हैं। अत: ये ठोस अवस्था में विद्युत का चालन नहीं करते। ये ऐसा केवल गलित अवस्था या जलीय विलयन में करते हैं। धातुओं में संयोजी इलेक्ट्रॉन बँधे नहीं होते, अपितु मुक्त रहते हैं। अतः ये ठोस अवस्था में भी विद्युत का चालन करते हैं।

(ii) आयनिक बन्ध स्थिर विद्युत आकर्षण के कारण प्रबल होते हैं। धात्विक बन्ध दुर्बल भी हो सकता है या प्रबल भी; यह संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या तथा करनैल के आकार पर निर्भर करता है।

(iii) आयनिक क्रिस्टल कठोर होते हैं; क्योंकि इनमें विपरीत आवेशयुक्त आयनों के मध्य प्रबल स्थिर विद्युत आकर्षण बल उपस्थित होता है। ये भंगुर होते हैं; क्योंकि आयनिक बन्ध अदिशात्मक होता है।

प्रश्न 1.10
निम्नलिखित के लिए धातु के क्रिस्टल में संकुलन क्षमता की गणना कीजिए।

  1. सरल घनीय
  2. अन्तः केन्द्रित घनीय
  3. फलक केन्द्रित घनीय।। (यह मानते हुए कि परमाणु एक-दूसरे के सम्पर्क में हैं।)

उत्तर:
1. सरल घनीय जालक में संकुलन क्षमतासरल घनीय में, परमाणु केवल घन के कोनों पर उपस्थित होते हैं। घन के किनारों (कोरों) पर कण एक-दूसरे के सम्पर्क में होते हैं (चित्र)। इसलिए घन के कोर अथवा भुजा की लम्बाई ‘a’ और प्रत्येक कण का अर्द्धव्यास, निम्नलिखित प्रकार से सम्बन्धित है –
a = 2r
घनीय एकक कोष्ठिका का आयतन = a3 = (2r)3
= 8r3
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चित्र-सरल घनीय एकक कोष्ठिका। घन के कोर की दिशा में गोले एक-दूसरे के सम्पर्क में हैं। चूँकि सरल घनीय एकक कोष्ठिका में केवल 1 परमाणु होता है, अतः
अध्यासित दिक्स्थान का आयतन = \(\frac{4}{3}\) πr3
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2. अन्तः केन्द्रित घनीय जालक में संकुलन क्षमता:
संलग्न चित्र से यह स्पष्ट है कि केन्द्र पर स्थित परमाणु विकर्ण पर व्यवस्थित अन्य दो परमाणओं के सम्पर्क में हैं।
∆EFD में, b2 = a2 + a2 = 2a2
b = 9\(\sqrt{2}\)
अब ∆AFD में,
c2 = a2 + b2 = a2 + (9\(\sqrt{2}\)) = 3a2
c = \(\sqrt{3a}\)
काय विकर्ण ‘c’ की लम्बाई 4r के बराबर है, जहाँ r गोले (परमाणु) का अर्द्धव्यास है, क्योंकि विकर्ण पर उपस्थित तीनों गोले एक-दूसरे के सम्पर्क में हैं। अतः
\(\sqrt{3a}\) = 4r
a = \(\frac{4 r}{\sqrt{3}}\)
अतः यह भी लिख सकते हैं कि r = \(\frac{\sqrt{3}}{4}\) a
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चित्र-अन्तः-केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका (काय विकर्ण पर उपस्थित गोलों को ठोस परिसीमा द्वारा दर्शाया गया है)।
इस प्रकार की संरचना में परमाणु की कुल संख्या 2 है तथा उनका आयतन 2 × (4/3)πr3 है।
घन का आयतन a3 = \(\left(\frac{4}{\sqrt{3}} r\right)^{3}\)
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3. फलक-केन्द्रित घनीय जालक में संकलन क्षमता:
∆ABC में,
AC2 = b2 = BC2 + AB2
= a2 + a2 = 2a2
या b = 9\(\sqrt{2}\)
यदि गोले का अर्द्धव्यास r हो तो
b = 4r = 9\(\sqrt{2}\)
a = \(\frac{4 r}{\sqrt{2}}\) = 2 \(\sqrt{2r}\)
r = \(\frac{a}{2 \sqrt{2}}\)
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चित्र-फलक केन्द्रित घनीय एकक कोष्ठिका संकुलन क्षमता
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प्रश्न 1.11
चांदी का क्रिस्टलीकरण fcc जालक में होता है। यदि इसकी कोष्ठिका के कोरों की लम्बाई 4.07 × 10-8 cm है तथा घनत्व 10.5 g cm-3 हो तो चांदी का परमाण्विक द्रव्यमान ज्ञात कीजिए।
गणना:
एकक कोष्ठिका का घनत्व
(d) = \(\frac{Z \times M}{\alpha_{3} \times N A}\)
जहाँ M = ठोस का मोलर द्रव्यमान तथा
α = एकक कोष्ठिका कोर की लम्बाई
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प्रश्न 1.12
एक घनीय ठोस दो तत्वों P और Q से बना है। घन के कोणों पर Q परमाणु एवं अन्तः केन्द्र पर P परमाणु स्थित हैं। इस यौगिक का सूत्र क्या है? P एवं Q की उपसहसंयोजन संख्या क्या है?
गणना : प्रति एकक कोष्ठिका P परमाणुओं की संख्या
= 1 × 1 = 1
तथा प्रति एकक कोष्ठिका Q परमाणुओं की संख्या
= 8 × \(\frac{1}{8}\) = 1
अतः यौगिक का सूत्र = PQ
तथा P एवं Q में प्रत्येक की उपसहसंयोजन संख्या = 8

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प्रश्न 1.13
निओबियम का क्रिस्टलीकरण अन्तःकेन्द्रित घनीय संरचना में होता है। यदि इसका घनत्व 8.55 g cm-3 हो तो इसके परमाण्विक द्रव्यमान 93 u का प्रयोग करके परमाणु त्रिज्या की गणना कीजिए।
हल:
अन्त:केन्द्रित घनीय संरचना तत्व (निओबियम) के लिए,
Z = 2, d = 8.55 g cm-3,
M = 93 u, r = ?
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प्रश्न 1.14
यदि अष्टफलकीय रिक्ति की त्रिज्या हो तथा निविड संकुलन में परमाणुओं की त्रिज्या R हो तो एवं R में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
उत्तर:
अष्टफलकीय रिक्ति में स्थित गोला चित्र में छायांकित वृत्त द्वारा प्रदर्शित है। रिक्ति के ऊपर तथा नीचे उपस्थित गोले चित्र में प्रदर्शित नहीं हैं। अब चूँकि ABC एक समकोण त्रिभुज है; अतः पाइथागोरस सिद्धान्त लागू करने पर,
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प्रश्न 1.15
कॉपर fcc जालक रूप में क्रिस्टलीकृत होता है जिसके कोर की लम्बाई 3.61 × 10-8 cm है। यह दर्शाइए कि गणना किए गए घनत्व के मान तथा मापे गये घनत्व 8.92 g में समानता है। गणना : हम जानते हैं कि –
एकक कोष्ठिका का घनत्व (d) = \(\frac{Z \times M}{\alpha^{3} \times \mathrm{Na}}\)
प्रश्नानुसार
कॉपर fcc जाल के लिए Z = 4,
कॉपर का परमाणविक द्रव्यमान (M) = 635 g mol-1,
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जो कि मापे गये घनत्व के मान के लगभग समान है।

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प्रश्न 1.16
विश्लेषण द्वारा ज्ञात हुआ कि निकिल ऑक्साइड का सूत्र Ni0.98O1.00 निकिल आयनों का कितना अंश Ni+2 और Ni+3 के रूप में विद्यमान है?
उत्तर:
गणना:
स्पष्ट है कि 98 Ni – परमाणु 100 O के परमाणुओं के सहसंयोजित है।
माना Ni+2 के रूप में x निकिल आयन हैं। तब
Ni3+ के रूप में (98 – n) निकिल आयन होंगे।
∴ x Ni2+ तथा (98 – x) पर कुल आवेश = 100 O2- आयनों पर आवेश
या x × 2 + (98 – n) × 3 = 100 × 2
या 2x + 196 – 3x = 200
या x = 94
∴ Ni2+ के रूप में निकिल आयनों का अंश
= \(\frac{94}{98}\) × 100
= 96%
तथा Ni3+ के रूप में निकिल आयनों का अंश
= \(\frac{4}{98}\) × 100
= 4%

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प्रश्न 1.17
अर्द्ध-चालक क्या होते हैं? दो मुख्य अर्द्धचालकों का वर्णन कीजिए एवं चालकता क्रियाविधि में विभेद कीजिए।
उत्तर:
ऐसे ठोस जिनकी चालकता 10-6 से 104 ohm-1 m-1 तक के मध्यवर्ती परास में होती है, अर्द्धचालक कहलाते हैं।

अर्द्ध:
चालकों में संयोजक बैंड एवं चालक बैन्ड के मध्य ऊर्जा – अन्तराल कम होता है। अत: कुछ इलेक्ट्रॉन चालक बैंड में लांघ सकते हैं और अल्प-चालकता प्रदर्शित कर सकते हैं। ताप बढ़ने के संयोजक बैण्ड साथ अर्द्धचालकों में विद्युत-चालकता बढ़ती है क्योंकि अधिक संख्या में इलेक्ट्रॉन चालक बैण्ड में देखे जा लघ ऊर्जा अन्तर सकते हैं।

सिलिकन एवं जर्मेनियम जैसे पदार्थ इस प्रकार का व्यवहार प्रदर्शित करते हैं। इनमें उचित अशुद्धि को चालक बैण्ड उपयुक्त मात्रा में मिलाने से इनकी चालकता बढ़ जाती है। इस आधार पर दो प्रकार के अर्द्धचालक तथा उनकी छायांकित भाग चालकता-क्रियाविधि का वर्णन चालकता बैण्ड को निम्नवत् है –
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(i) n – प्रकार के अर्द्धचालक:
सिलिकन तथा जर्मेनियम आवर्त सारणी के वर्ग 14 से सम्बन्धित हैं और प्रत्येक में चार संयोजक इलेक्ट्रॉन हैं। क्रिस्टलों में इनका प्रत्येक परमाणु अपने निकटस्थ परमाणुओं के साथ चार सहसंयोजक बन्ध बनाता है। [चित्र (क)]। जब वर्ग 15 के तत्व जैसे-P अथवा As जिनमें पाँच संयोजक इलेक्ट्रॉन होते हैं, को अपमिश्रित किया जाता है तो सिलिकन अथवा जर्मेनियम के क्रिस्टल में कुछ चालक स्थलों में आ जाते हैं। चित्र (ख)]।

पाँच में से चार इलेक्ट्रॉनों का उपयोग चार सन्निकट सिलिकन परमाणुओं के साथ सहसंयोजक बन्ध बनाने में होता है। पाँचवाँ अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन विस्थापित हो जाता है। यहाँ विस्थापित इलेक्ट्रॉन अपमिश्रित सिलिकन (अथवा जर्मेनियम) की चालकता में वृद्धि करते हैं। यहाँ चालकता में वृद्धि ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन के कारण होती है, अतः इलेक्ट्रॉन-धनी अशुद्धि से अपमिश्रित सिलिकन को n – प्रकार का अर्द्ध चालक कहा जाता है।
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चित्र – n – और p – प्रकार के अर्द्धचालकों की सष्टि

(ii) p – प्रकार के अर्द्धचालक:
सिलिकन अथवा जर्मेनियम को वर्ग 13 के तत्वों जैसे:
B, Al अथवा Ga के साथ भी अपमिश्रित किया जा सकता है जिनमें केवल तीन संयोजक इलेक्ट्रॉन होते हैं। वह स्थान जहाँ चौथा इलेक्ट्रॉन नहीं होता, इलेक्ट्रॉन रिक्ति या इलेक्ट्रॉन छिद्र कहलाता है [चित्र (ग)]| निकटवर्ती परमाणु से इलेक्ट्रॉन आकर इलेक्ट्रॉन छिद्र को भर सकता है, परन्तु ऐसा करने पर वह अपने मूल स्थान पर इलेक्ट्रॉन छिद्र छोड़ जाता है।

यदि ऐसा हो तो यह प्रतीत होगा जैसे कि इलेक्ट्रॉन छिद्र जिस इलेक्ट्रॉन द्वारा यह भरा गया है, उसके विपरीत दिशा में चल रहा है। विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में इलेक्ट्रॉन, इलेक्ट्रॉन छिद्रों में से धनावेशित प्लेट की ओर चलेंगे, परन्तु ऐसा प्रतीत होगा जैसे इलेक्ट्रॉन छिद्र धनावेशित हैं और ऋणावेशित प्लेट की ओर चल रहे हैं। इस प्रकार के अर्द्धचालकों को p – प्रकार के अर्द्धचालक कहते हैं।

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प्रश्न 1.18
नॉनस्टॉइकियोमीट्री क्यूपस ऑक्साइड, Cu2O प्रयोगशाला में बनाया जा सकता है। इसमें कॉपर तथा ऑक्सीजन का अनुपात 2 : 1 से कुछ कम है। क्या आप इस तथ्य की व्याख्या कर सकते हैं कि वह पदार्थ p – प्रकार का अर्द्धचालक है?
उत्तर:
क्यूप्रस ऑक्साइड Cu2O में कॉपर तथा ऑक्सीजन का अनुपात 2 : 1 से कुछ कम होता है। इससे यह प्रदर्शित होता है कि कुछ क्यूप्रस आयन Cu+, क्यूप्रिक Cu2+ आयनों से प्रतिस्थापित हो जाते हैं। विद्युत उदासीनता को बनाए रखने के लिए प्रत्येक दो Cu<sup+ आयन एक Cu2+ आयन से प्रतिस्थापित होंगे जिससे एक छिद्र बनेगा। चूँकि चालन इन धनावेशित छिद्रों की उपस्थिति के कारण होता है, अत: यह पदार्थ p – प्रकार का अर्द्धचालक है।

प्रश्न 1.19
फेरिक ऑक्साइड, ऑक्साइड आयन के षट्कोणीय निविड संकुलन में क्रिस्टलीकृत होता है जिसकी तीन अष्टफलकीय रिक्तियों में से दो पर फेरिक आयन होते हैं। फेरिक ऑक्साइड का सूत्र ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना संकुलन में ऑक्साइड आयनों (O2-) की संख्या N है, तब
अष्टफलकीय रिक्तियों की संख्या = N
∵ दो – तिहाई अष्टफलकीय रिक्तियाँ फेरिक आयनों द्वारा अध्यासित हैं।
∴ उपस्थित फेरिक आयनों (Fe3+) की संख्या = \(\frac{2}{3}\) × N = \(\frac{2N}{3}\)
Fe3+ तथा O2- आयनों का अनुपात = \(\frac{2N}{3}\) : N = 2 : 3
अतः फेरिक ऑक्साइड का सूत्र Fe2O3 है।

प्रश्न 1.20
निम्नलिखित को p – प्रकार या n – प्रकार के अर्द्धचालकों में वर्गीकृत कीजिए –

  1. In से डोपित Ge
  2. Si से डोपित B

उत्तर:

  1. Ge आवर्त सारणी के वर्ग 14 का तत्व है तथा In वर्ग 13 का तत्व हैं। अत: Ge को In से डोपित करने पर एक इलेक्ट्रॉन-न्यून छिद्र बन जाता है। यह p – प्रकार का अर्द्धचालक है।
  2. B वर्ग 13 तथा Si वर्ग 14 के तत्व हैं। Si से डोपित B में एक मुक्त इलेक्ट्रॉन होगा। अतः यह n – प्रकार का अर्द्धचालक है।

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प्रश्न 1.21
सोना (परमाणु त्रिज्या = 0.144 nm) फलक केन्द्रित एकक कोष्ठिका में क्रिस्टलीकृत होता है। – इसकी कोष्ठिका के कोर की लम्बाई ज्ञात कीजिए।
हल:
यदि परमाणु त्रिज्या r हो, तो फलक-केन्द्रित घनीय (fcc) के लिए एकक कोष्ठिक के कोर की लम्बाई (α)
= 2\(\sqrt{2r}\)
= 2\(\sqrt{2}\) × 0.144
= 2 × 1.414 × 0144
= 0.407 nm

प्रश्न 1.22
बैण्ड सिद्धान्त के आधार पर (i) चालक एवं रोधी, (ii) चालक एवं अर्द्धचालक में क्या अन्तर होता है?
उत्तर:
(i) चालक एवं रोधी में अन्तर (Difference between conductor and insulator):
अचालक अथवा रोधी में संयोजक बैण्ड तथा चालक बैण्ड के मध्य ऊर्जा-अन्तर बहुत अधिक होता है, जबकि चालक में ऊर्जा-अन्तर अत्यन्त कम होता है या संयोजक बैण्ड तथा चालक बैण्ड के बीच अतिव्यापन होता है।

(ii) चालक एवं अर्द्धचालक में अन्तर (Difference between Conductor and Semi-conductor):
चालक में संयोजक बैण्ड तथा चालक बैण्ड के बीच ऊर्जा-अन्तर अत्यन्त कम होता है अथवा अतिव्यापन होता है, जबकि अर्द्धचालकों में ऊर्जा अन्तर सदैव कम ही होता है।

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प्रश्न 1.23
उचित उदाहरणों द्वारा निम्नलिखित पदों को परिभाषित कीजिए:

  1. शॉट्की दोष
  2. फ्रेंकेल दोष
  3. अन्तराकांशी दोष
  4. F – केन्द्र

उत्तर:
1. शॉट्की दोष:
यह आधारभूत रूप से आयनिक ठोसों का रिक्तिका दोष है। जब एक परमाणु अथवा आयन अपनी सामान्य (वास्तविक) स्थिति से लुप्त हो जाता है तो एक जालक रिक्तता निर्मित हो जाती है। इसे शॉटकी दोष कहते हैं। विद्युत उदासीनता को बनाए रखने के लिए लुप्त होने वाले धनायनों और ऋणायनों की संख्या बराबर होती है। शॉट्की दोष उन आयनिक पदार्थों द्वारा दिखाया जाता है जिनमें धनायन और ऋणायन लगभग समान आकार के होते हैं। उदाहरण के लिए – NaCl, KCl, CsCl और AgBr शाट्की दोष दिखाते है।

2. फ्रेंकेल दोष:
यह दोष आयनिक ठोसों द्वारा दिखाया जाता है। लघुतर आयन (साधारणतया धनायन) अपने वास्तविक स्थान से विस्थापित होकर अन्तराकाश में चला जाता है। यह वास्तविक स्थान पर रिक्तिका दोष और नए स्थान पर अन्तराकाशी दोष उत्पन्न करता है। फ्रेंकेल दोष को विस्थापन दोष भी कहते हैं। यह ठोस के घनत्व को परिवर्तित नहीं करता। फ्रेंकेल दोष उन आयनिक पदार्थों द्वारा दिखाया जाता है जिनमें आयनों के आकार में अधिक अन्तर होता है। उदाहरण के लिए – ZnS, AgCl, AgBr और Agl में यह दोष Zn2+ और Ag+ आयन के लघु आकार के कारण होता है।

3. अन्तराकाशी दोषं:
जब कुछ अवयवी कण (परमाणु अथवा अणु अन्तराकाशी स्थल पर पाए जाते हैं तब उत्पन्न दोष अन्तरकाशी दोष कहलाता है। यह दोष पदार्थ के घनत्व को बढ़ाता है। यह दोष अनआयनिक ठोसों में पाया जाता है। आयनिक ठोसों में सदैव विद्युत उदासीनता बनी रहनी चाहिए।

4. F – केन्द्र:
जब क्षारकीय हेलाइड; जैसे – NaCl को क्षार धातु (जैसे-सोडियम को वाष्प के वातावरण में गर्म किया जाता है तो सोडियम परमाणु क्रिस्टल की सतह पर जम जाते हैं। Cl आयन क्रिस्टल की सतह में विघटित हो जाते हैं और परमाणुओं के साथ जुड़कर NaCl देते हैं। ऐसा Na+ आयन बनाने के लिए Na परमाणु से एक इलेक्ट्रॉन के निकल जाने से होता है।

निर्मुक्त इलेक्ट्रॉन विसरित होकर क्रिस्टल के ऋणायनिक स्थान को अध्यासित करते हैं, परिणामस्वरूप अब क्रिस्टल में सोडियम का आधिक्य होता है, आकस्मिक इलेक्ट्रॉनों द्वारा भरी जाने वाली इन ऋणायनिक ऋक्तिकाओं को F – केन्द्र कहते हैं। ये NaCl क्रिस्टलों को नीला रंग प्रदान करते हैं। यह रंग इन इलेक्ट्रॉनों द्वारा क्रिस्टल पर पड़ने वाले प्रकाश से ऊर्जा अवशोषित करके उत्तेजित होने के फलस्वरूप दिखता है।

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प्रश्न 1.24
एलुमिनियम घनीय निविड संकुलित संरचना में क्रिस्टलीकृत होता है। उसका धात्विक अर्द्धव्यास 125 pm है।

  1. एकक कोशिका के कोर की लम्बाई ज्ञात कीजिए।
  2. 1.0 cm3 एलुमिनियम में कितनी एकक कोष्ठिकाएँ होंगी?

उत्तर:
1. एक fcc एकक कोष्ठिका के लिए त्रिज्या
r = \(\frac{a}{2 \sqrt{2}}\)
या एकक कोष्ठिका कोर की लम्बाई α = 2\(\sqrt{2r}\)
= 2 × 1.414 × 125
= 353.5 pm

2. एकक कोष्ठिका का आयतन
(a3) = (3.535 × 10-8 cm)3
= 442 × 10-25 cm3
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प्रश्न 1.25
यदि NaCl को SrCl, के 10-3 मोल% से डोपित किया जाए तो धनायनों की रिक्तियों का सान्द्रण क्या होगा?
हल:
प्रश्नानुसार, NaCl को SrCl2 के 10-3 मोल % से डोपित किया जाता है।
100 मोल NaCl को SrCl2 के 10-3 मोल से डोपित किया जाता है –
∴ 1 मोल NaCl को SrCl2 से डोपित किया जाएगा
= \(\frac{10^{-3}}{100}\) mol
∵ प्रत्येक Sr2+ आयन एक रिक्ति उत्पन्न करता है।
∴ धनायनिक रिक्तियों की सान्द्रता
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प्रश्न 1.26
निम्नलिखित को उचित उदाहरणों से समझाइए:

  1. लोहचुम्बकत्व
  2. अनुचुम्बकत्व
  3. फेरीचुम्बकत्व
  4. प्रतिलोहचुम्बकत्व
  5. 12-16 और 13-15 वर्गों के यौगिक।

उत्तर:
1. लोहचुम्बकत्व:
कुछ पदार्थ; जैसे-लोहा, कोबाल्ट, निकिल, गैडोलिनियम और CrO2, बहुत प्रबलता से चुम्बकीय क्षेत्र की ओर आकर्षित होते हैं। ऐसे पदार्थों को लोहचुम्बकीय पदार्थ कहा जाता है। प्रबल आकर्षणों के अतिरिक्त ये स्थायी रूप से चुम्बकित किए जा सकते हैं। ठोस अवस्था में लोहचुम्बकीय पदार्थों के धातु आयन छोटे खण्डों में एक साथ समूहित हो जाते हैं, इन्हें डोमेन कहा जाता है इस प्रकार प्रत्येक डोमेन एक छोटे चुम्बक की भाँति व्यवहार करता है।

लोहचुम्बकीय पदार्थ के अचुम्बकीय टुकड़े में डोमेन अनियमित रूप से अभिविन्यासित होते हैं और उनका चुम्बकीय आघूर्ण निरस्त हो जाता है। पदार्थ को चुम्बकीय क्षेत्र में रखने पर सभी डोमन चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में अभिविन्यासित हो जाते हैं (चित्र-क) और प्रबल चुम्बकीय प्रभाव उत्पन्न होता है। चुम्बकीय क्षेत्र को हटा लेने पर भी डोमेनों का क्रम बना रहता है और लोहचुम्बकीय पदार्थ स्थायी चुम्बक बन जाते हैं। चुम्बकीय पदार्थों की यह प्रवृत्ति लोहचुम्बकत्व कहलाती है।

2. अनुचुम्बकत्व:
वे पदार्थ जो चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा आकर्षित होते हैं, अनुचुम्बकीय पदार्थ कहलाते हैं। इन पदार्थों की यह प्रवृत्ति अनुचुम्बकत्व कहलाती है। अनुचुम्बकीय पदार्थ चुम्बकीय क्षेत्र की ओर दुर्बल रूप से आकर्षित होते हैं। ये चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में ही चुम्बकित हो जाते हैं।

ये चुम्बकीय क्षेत्र की अनुपस्थिति में अपना चुम्बकत्व खो देते हैं। अनुचुम्बकत्व का कारण एक अथवा अधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति है, जो कि चुम्बकीय क्षेत्र की ओर आकर्षित होते हैं। O2, Cu2+, Fe3+, Cr3+ ऐसे पदार्थों के कुछ उदाहरण हैं।
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चित्र – चुम्बकीय आघूर्ण का व्यवस्थित संरेखण

3. फेरीचुम्बकत्व:
जब पदार्थ में डोमेनों के चुम्बकीय आघूर्णों का संरेखण समान्तर एवं प्रतिसमान्तर दिशाओं में असमान होता है, तब पदार्थ में फेरीचुम्बकत्व देखा जाता है (चित्र-(ग))। ये लोहचुम्बकत्व की तुलना में चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा दुर्बल रूप से आकर्षित होते हैं। Fe3O4 (मैग्नेटाइट) और फेराइट जैसे – MgFe2O4, ZnFe2O4 ऐसे पदार्थों के उदाहरण हैं। ये पदार्थ गर्म करने पर फेरीचुम्बकत्व खो देते हैं और अनुचुम्बकीय बन जाते हैं।

4. प्रतिलोहचुम्बकत्व:
प्रतिलोहचुम्बकत्व प्रदर्शित करने वाले पदार्थ जैसे – MnO में डोमेन संरचना लोह-चुम्बकीय पदार्थ के समान होती है, परन्तु उनके डोमेन एक-दूसरे के विपरीत अभिविन्यासित होते हैं तथा एक-दूसरे के चुम्बकीय आघूर्ण को निरस्त कर देते हैं (चित्र (ख))। इस प्रकार जब चुम्बकीय आघूर्ण इस प्रकार अभिविन्यासित होते हैं कि नेट चुम्बकीय आघूर्ण शून्य हो जाता है तब चुम्बकत्व प्रतिलोहचुम्बकत्व कहलाता है।

5. 12 – 16 और 13 – 15 वर्गों के यौगिक:
वर्ग 12 के तत्वों और वर्ग-16 के तत्वों से बने यौगिक 12-16 यौगिक कहलाते हैं। जैसे – ZnS, HgTe आदि। वर्ग-13 के तत्त्वों और वर्ग 15 के तत्वों के बने यौगिक 13-15 यौगिक कहलाते हैं। जैसे – GaAs, Al आदि।

Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन

Bihar Board Class 12 Chemistry Solutions Chapter 2 विलयन Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

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Bihar Board Class 12 Chemistry विलयन Text Book Questions and Answers

पाठ्यनिहित प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 2.1
यदि 22 g बेन्जीन में 22 g कार्बन टेट्राक्लोराइड घुली हो तो बेन्जीन एवं कार्बन टेट्राक्लोराइड के द्रव्यमान प्रतिशत की गणना कीजिए।
गणना : विलयन का द्रव्यमान = बेन्जीन का द्रव्यमान + कार्बन टेट्राक्लोराइड का द्रव्यमान
22 g + 22 g = 44 g
बेन्जीन का द्रव्यमान प्रतिशत
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 2 विलयन
= \(\frac{22 g}{44 g}\) × 100 = 50%
कार्बन टेट्राक्लोराइड का द्रव्यमान प्रतिशत
BIhar Board Class 12 Chemistry Chapter 2 विलयन
= 50%
वैकल्पिक रूप में,
कार्बन टेट्राक्लोराइड का द्रव्यमान प्रतिशत = 100 – बेन्जीन का द्रव्यमान प्रतिशत
= 100 – 50.00
= 50%

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प्रश्न 2.2
एक विलयन में बेन्जीन का 30 द्रव्यमान % कार्बन टेट्राक्लोराइड में घुला हुआ हो तो बेन्जीन के मोल-अंश की गणना कीजिए।
गणना:
माना विलयन का द्रव्यमान = 100 g
अत: बेन्जीन का द्रव्यमान = 30 g
कार्बन टेट्राक्लोराइड का द्रव्यमान = 100 – 30 = 70 g
बेन्जीन के मोलों की संख्या
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= \(\frac{30 \mathrm{g}}{78 \mathrm{g} \mathrm{mol}^{-1}}\) = 0.385 mol
इसी प्रकार CCl4 के मोलों की संख्या
= \(\frac{70 \mathrm{g}}{154 \mathrm{g} \mathrm{mol}^{-1}}\) = 0.455 mol
बेन्जीन के मोल-अंश
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= \(\frac{0.385}{0.385+0.455}\) = 0.458
कार्बन टेट्राक्लोराइड के मोल – अंश = 1 – 0.458
= 0.542

प्रश्न 2.3
निम्नलिखित प्रत्येक विलयन की मोलरता की गणना कीजिए –
(क) 30g, Co(NO3)2.6H2O4.3 लीटर विलयन में घुला हुआ हो
(ख) 30 mL 0.5 MH2SO4 को 500 mL तनु करने पर।
गणना:
(क) Co(NO3)2.6H2O का मोलर द्रव्यमान
= [58.7 + 2(14 + 48) + 6 × 18] g mol-1
= 290.7 g mol-1
CO (NO3)2.6H2O के मोल की संख्या
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= 0.103
विलयन का आयतन = 4.3 L
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(ख) विलयन का आयतन = 500 mL = 0.500 L 30mL 0.5M – H2SO4 में मोलों की संख्या
= \(\frac{0.5}{1000}\) × 30 mL = 0.015 mol
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= \(\frac{0.015 mol}{0.500 L}\) = 0.03M

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प्रश्न 2.4
यूरिया (NH2CONH2) के 0.25 मोलर, 2.5 kg जलीय विलयन को बनने के लिए आवश्यक यूरिया के द्रव्यमान की गणना कीजिए।
गणना:
यूरिया (NH2CONH2) के 0.25 विलयन का अर्थ है,
यूरिया के मोल = 0.25 mol
विलायक (जल) का द्रव्यमान = 1 kg = 1000 g
यूरिया (NH2CONH2) का मोलर द्रव्यमान
=1 4 + 2 + 12 + 16 + 14 + 2
= 60 g mol-1
∴ यूरिया के 0.25 मोल = 0.25 mol × 60 g mol-1
= 15g
विलयन का कुल द्रव्यमान = 1000 + 15 g
= 1015 g = 1.015 kg
अत: 1.015 kg विलयन में यूरिया है = 15 g
∴ 2.5 kg विलयन में आवश्यक यूरिया
= \(\frac{15 g}{1.015 kg}\) × 2.5 kg
= 37g

प्रश्न 2.5
20% (w/w) जलीय KI का घनत्व 1.202g mL-1 हो तो KI विलयन की –
(क) मोललता
(ख) मोलरता
(ग) मोल-अंश की गणना कीजिए।
गणना:
20% (w/w) जलीय KI विलयन का अर्थ हैं,
KI का द्रव्यमान = 20g
जल में विलयन का द्रव्यमान = 100 g
∴ विलायक का द्रव्यमान (जल)
100 – 20 = 80 g = 0.080 kg

(क) मोललता की गणना –
KI का मोलर द्रव्यमान = 39 + 127 = 166 g mol-1
∴KI के मोल = \(\frac{20 \mathrm{g}}{166 \mathrm{g} \mathrm{mol}^{-1}}\) = 0.120 mol
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= \(\frac{0.120 mol}{0.008 kg}\)
= 1.5 mol kg-1

(ख) मोलरता की गणना –
विलयन का घनत्व = 1.202 g mL-1
विलयन का आयतन = \(\frac{100 \mathrm{g}}{1.202 \mathrm{g} \mathrm{mL}^{-1}}\)
= 83.2 mL = 0.0832 L
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= \(\frac{0.120 mol}{0.0832 L}\) = 1.44 M

(ग) KI के मोल – अंश की गणना –
KI के मोलों की संख्या = 0.120
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= \(\frac{80 \mathrm{g}}{18 \mathrm{g} \mathrm{mol}^{-1}}\) = 4.44 mol
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= \(\frac{0.120}{0.120 + 4.44}\) = \(\frac{0.120}{4.560}\) = 0.0263

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प्रश्न 2.6
सड़े हुए अण्डे जैसी गन्ध वाली विषैली गैस H2S गुणात्मक विश्लेषण में उपयोग की जाती है। यदि H2S गैस की जल में STP पर विलेयता 0.195 M हो तो हेनरी स्थिरांक की गणना कीजिए।
गणना:
H2S गैस की विलेयता = 0.195 M = 0.195 mol, विलायक (जल) के 1 kg में,
1 kg विलायकक (जल)
= 1000 g = \(\frac{1000 \mathrm{g}}{18 \mathrm{g} \mathrm{mol}^{-1}}\) = 55.55 mol
∴ विलयन में H2S गैस के मोल – अंश
(x) = \(\frac{0.195}{0.195 + 55.55}\) = \(\frac{0.195}{55.745}\)
= 0.0035
STP पर दाब = 0.987 bar
हेनरी का नियम लागू करने पर,
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= 282 bar

प्रश्न 2.7
298 K पर CO2 गैस की जल में विलेयता के लिए हेनरी स्थिरांक का मान 1.67 × 108 Pa है। 500 mL सोडा जल 2.5 atm दाब पर बन्द किया गया। 298 K ताप पर घुली हुई CO2 की मात्रा की गणना कीजिए।
गणना:
KH = 1.67 × 108 × Pa
PCO2 = 2.5 atm
= 2.5 × 101325 Pa
हेनरी नियम लागू करने पर,
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सोडा जल के 500 mL के लिए,
उपस्थित जल = 500 mL
= 500 mg
या = \(\frac{500}{18}\) = 27.78 mol
nH2O = 27.78 mol
∴\(\frac{n_{\mathrm{CO}_{2}}}{27.78}\) = 1.517 × 10-3
nCO2 = 42.14 × 10-3 mol
= 42.14 × 10-3 × 44 g
= 1.854g

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प्रश्न 2.8
350 K पर शुद्ध द्रवों A एवं B के वाष्पदाब क्रमशः 450 एवं 750 mm Hg हैं। यदि कुल वाष्प दाब 600 mm Hg हो तो द्रव मिश्रण का संघटन ज्ञात कीजिए। साथ ही वाष्प प्रावस्था का संघटन भी ज्ञात कीजिए।
हल:
\(p_{A}^{0}\) = 450 mm
\(p_{B}^{0}\) = 750 mm Hg
p = \(p_{A}^{0}\) xA + \(p_{B}^{0}\) xB
600 = 450 (xA) + 750 (1 – xA)
600 = 450 (xA) + 750 – 750 (xA)
300 (xA) = 150
xA = \(\frac{150}{300}\) = 0.5
xB = 1 – 0.5 = 0.5
वाष्प प्रावस्था में,
PA = 0.5 × 450 = 225 mm Hg
PB = 0.5 × 750 = 375 mm Hg
yA = \(\frac{225}{225+375}\)
= \(\frac{225}{600}\) = 0.375
yB = \(\frac{375}{225+375}\) = \(\frac{375}{600}\) = 0.625

प्रश्न 2.9
298 K पर शुद्ध जल का वाष्प दाब 23.8 mm Hg है। 850g जल में 50g यूरिया (NH2 CONH2) घोला जाता है। इस विलयन के लिए जल के वाष्प दाब एवं इसके आपेक्षिक अवनमन का परिकलन कीजिए।
हल:
दिया है:
P0 = 23.8 mm
w2 = 50 g M2 (यूरिया) = 60 g mol-1
w1 = 850 g M1 (जल) = 18 g mol-1
हमें जल के वाष्प दाब, ps तथा आपेक्षिक अवनमन (P0 – ps)/P0 की गणना करती है।
राउल्ट का नियम लागू करने पर,
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अतः वाष्प दाब का आपेक्षिक अवनमन = 0.017
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या 23.8 – ps = 0.017 ps
या 1.017 ps = 23.8
या ps = \(\frac{23.8}{1.017}\) = 23.40 mm
अतः विलयन में जल का वाष्प दाब 23.40 mm है।

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प्रश्न 2.10
750 mm Hg दाब पर जल का क्वथनांक 99.63°C है। 500g जल में कितना सुक्रोस मिलाया जाए कि इसका 100°C पर क्वथन हो जाए।
हल:
सुक्रोस (C12H22O11) का आण्विक द्रव्यमान
= 12 × 12 + 22 × 1 + 11 × 16
= 342 g mol-1
यहाँ
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= 0.122 kg = 122g

प्रश्न 2.11
ऐस्कॉर्बिक अम्ल (विटामिन C, C6H8O6) के उस द्रव्यमान का परिकलन कीजिए, जिसे 75g ऐसीटिक अम्ल में घोलने पर उसके हिमांक में 1.5°C की कमी हो जाए। Kf = 3.9 K kg mol-1
हल:
ऐस्कॉर्बिक अम्ल का आण्विक द्रव्यमान
= 6 × 12 + 8 × 1 + 6 × 16
= 176 g mol-1
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प्रश्न 2.12
1,85,000 मोलर द्रव्यमान वाले एक बहुलक के 1.0g को 37°C पर 450 mL जल में घोलने से उत्पन्न विलयन के परासरण दाब का पास्कल में परिकलन कीजिए।
हल:
प्रश्नानुसार, V = 450 mL = 0.450 L
T = 37°C = 37 + 273 = 310 K
R = 8.314 k Pa LK-1 mol-1
= 8.314 × 103 Pa LK-1 mol-1
यहाँ घुलनशील विलेय के मोलों की संख्या
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∴ परासरण दाब (π) = \(\frac{n}{V}\) RT
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= 30.96 Pa

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अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 2.1
विलयन को परिभाषित कीजिए। कितने प्रकार के विभिन्न विलयन सम्भव हैं? प्रत्येक प्रकार के विलयन के सम्बन्ध में एक उदाहरण देकर संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
विलयन:
विलयन दो या दो से अधिक अवयवो का समांगी मिश्रण होता है जिसका संघटन निश्चित परिसीमाओं के अन्तर्गत ही परिवर्तित हो सकता है। समांगी मिश्रण से तात्पर्य यह है कि मिश्रण में सभी स्थानों पर पर इसका संघटन व गुण समान होते हैं। किसी विलयन में उपस्थित अवयवों की कुल संख्या के आधार पर द्विअंगी विलयन (दो अवयव), त्रिअंगी विलयन (तीन अवयव), चतुरंगी विलयन (चार अवयव) आदि कहलाते हैं।

सामान्यतः जो अवयव अधिक मात्रा में उपस्थित होता है, वह विलायक कहलाता है, जबकि कम मात्रा में उपस्थित अन्य अवयव विलेय कहलाता है। दूसरे शब्दों में, विलेय वह पदार्थ है, जो घुलता है तथा विलायक वह पदार्थ है, जिसमें यह विलेय घुलता है। उदाहरणार्थ-यदि नमक को जल से भरे बीकर में डाला जाता है, तो ये जल में घुलकर विलयन बना लेते हैं। इस स्थिति में नमक विलेय तथा जल विलायक है।

विलयन के प्रकार:
विलेय तथा विलायक की भौतिक अवस्था के आधार पर, विलयनों को निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
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उपर्युक्त नौ प्रकार के विलयनों में से तीन विलयन – द्रव में ठोस, द्रव में गैस तथा द्रव में द्रव अतिसामान्य विलयन हैं। ऐसे विलयन जिनमें जल विलायक के रूप में होता है, जलीय विलयन कहलाते हैं तथा जिन विलयनों में जल विलायक के रूप में नहीं होता, निर्जलीय विलयन कहलाते हैं। सामान्य निर्जलीय विलायकों के उदाहरण हैं-ईथर, बेन्जीन, कार्बन टेट्राक्लोराइड आदि।

विलयन के प्रकारों की व्याख्या निम्नलिखित है –

1. गैसीय विलयन (Gaseous solution):
सभी गैसें तथा वाष्प समांगी मिश्रण बनाती हैं तथा इन्हें विलयन कहा जाता है। वायु गैसीय विलयन का एक सामान्य उदाहरण है।

2. द्रव विलयन (Liquid solution):
ये विलयन ठोसों अथवा गैसों को द्रवों में मिश्रित करने पर अथवा दो द्रवों को मिश्रित करने पर बनते हैं। उदाहरणार्थ : साधारण ताप पर सोडियम तथा पोटैशियम धातुओं की सममोलर मात्राएँ मिश्रित करने पर द्रव विलयन प्राप्त होता है।

3. ठोस विलयन (Solid solution):
ठोसों के मिश्रणों की स्थिति में ये विलयन अत्यन्त सामान्य होते हैं। उदाहरणार्थ : गोल्ड तथा कॉपर ठोस विलयन बनाते हैं क्योंकि गोल्ड परमाणु कॉपर क्रिस्टल में कॉपर परमाणुओं को प्रतिस्थापित कर देते हैं। दो अथवा दो से अधिक धातुओं की मिश्र धातुएँ ठोस विलयन होती हैं।

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प्रश्न 2.2
एक ऐसे ठोस विलयन का उदाहरण दीजिए जिसमें विलेय कोई गैस हो।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से करें।

प्रश्न 2.3
निम्न पदों को परिभाषित कीजिए –

  1. मोल-अंश
  2. मोललता
  3. मोलरता
  4. द्रव्यमान-प्रतिशत

उत्तर:
1. मोल-अंश:
विलयन में उपस्थित किसी एक घटक या अवयव के मोलों की संख्या तथा विलेय एवं विलायक के कुल मोलों की संख्या के अनुपात को उस अवयव का मोल-अंश कहते हैं। इसे x से व्यक्त करते हैं।

माना एक विलयन में विलेय तथा विलायक के क्रमशः मोल nA और nB हों तो –
विलेय के मोल अंश (xA) = \(\frac{n_{A}}{n_{A}+n_{B}}\) …………….. (1)
विलायक के मोल-अंश (xB) = \(\frac{n_{B}}{n_{A}+n_{B}}\) …………….. (2)
विलयन के उपस्थित अवयवों के मोल-अंशों का योग इकाई होता है।
∴ xA + xB = \(\frac{n_{A}}{n_{A}+n_{B}}\) + \(\frac{n_{B}}{n_{A}+n_{B}}\) = 1
अतः यदि किसी द्विअंगी विलयन के एक अवयव के मोल-अंश ज्ञात हों तो दूसरे अवयव के मोल अंश ज्ञात कर सकते हैं। मोल-अंश विलयन के ताप पर निर्भर नहीं करते हैं।

2. मोललता:
किसी विलयन के 1 किग्रा में घुले विलेय के मोलों की संख्या को विलयन की मोललता कहते हैं। इसे m से व्यक्त करते हैं।
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अतः मोललता की इकाई मोल/किग्रा होती है।

3. मोलरता:
किसी विलयन के एक लीटर में घुले हुए विलेय के मोलों की संख्या को उस विलयन की मोलरता कहते हैं।
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इसे M से व्यक्त करते हैं।
मोलरता की इकाई मोल प्रति लीटर (mol L-1) या मोल प्रतिघन डेसीमीटर (mol d m-3) होती है।
विलेय के मोल निम्न प्रकार ज्ञात कर सकते हैं:
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मोलरता ताप के साथ परिवर्तित हो जाती है क्योंकि द्रव का प्रसार अथवा संकुचन हो जाता है।

4. द्रव्यमान-प्रतिशत:
किसी विलयन के 100 ग्राम में घुले विलेय की ग्राम में मात्रा द्रव्यमान प्रतिशत कहलाती है।
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इसे w/w से व्यक्त करते हैं।

उदाहरणार्थ:
यदि किसी विलयन की सान्द्रता 10% है तो इसका अर्थ यह है कि विलयन के 100 g में 10 g विलेय घुला है तथा 90g विलायक है।

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प्रश्न 2.4
प्रयोगशाला कार्य के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला सान्द्र नाइट्रिक अम्ल द्रव्यमान की दृष्टि से नाइट्रिक अम्ल का 68% जलीय विलयन है। यदि इस विलयन का घनत्व 1.504g mL-1 हो तो अम्ल के इन नमूने की मोलरता क्या होगी?
हल:
द्रव्यमान की दृष्टि से नाइट्रिक अम्ल के 68% जचलीय विलयन से तात्पर्य यह है कि –
नाइट्रिक अम्ल का द्रव्यमान = 68g
विलयन का द्रव्यमान = 100 g
नाइट्रिक अम्ल (HNO3) का मोलर द्रव्यमान
= 1 + 14 + 48 = 64 g mol-1
∴ 68 g HNO3 = \(\frac{68}{63}\) mol = 1.079 mol
विलयन का घनत्व = 1.504 g mL-1
∴ विलयन का आयतन = \(\frac{100 \mathrm{g}}{1,504 \mathrm{g} \mathrm{mL}^{-1}}\)
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= \(\frac{1.079 mol}{0.0665 L}\) = 16.23 M

प्रश्न 2.5
ग्लूकोस का एक जलीय विलयन 10% (w/w) है। विलयन की मोललता तथा विलयन में प्रत्येक घटक का मोल-अंश क्या है? यदि विलयन का घनत्व 1.2g mL-1 हो तो विलयन की मोलरता क्या होगी?
हल:
10% (w/w) ग्लूकोस के जलीय विलयन का अर्थ है कि 10 g ग्लूकोस 100 g विलयन अर्थात् 90 g जल (= 0.090 kg) में उपस्थित है।
10 g ग्लूकोस = \(\frac{10}{180}\) mol = 0.0555 mol
90 g H2O = \(\frac{90}{18}\) = 5 मोल
मोललता = \(\frac{0.0555 mol}{0.090 kg}\) = 0.617 m
x (ग्लूकोस) = \(\frac{0.0555}{5+0.0555}\) = 0.01
x (H2O) = 1 – 0.01 = 0.99
100 g विलयनन = \(\frac{100}{1.2}\) mL = 83.33 mL = 30.08333L
मोलरता = \(\frac{0.0555}{0.08333}\) = 0.67 M

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प्रश्न 2.6
यदि 1g मिश्रण में Na2CO3 एवं NaHCO3 के मोलों की संख्या समान हो तो इस मिश्रण से पूर्णतः क्रिया करने के लिए 0.1 M – HCl के कितने mL की आवश्यकता होगी?
हल:
मिश्रण में अवयवों के मोलों की संख्या ज्ञात करना-माना मिश्रण में Na2CO3 के x g उपस्थित हैं।
∴ मिश्रण में उपस्थित NaHCO3 = (1 – x) g
Na2CO3 का मोलर द्रव्यमान = 2 × 23 + 12 + 3 × 16
= 84 g mol-1
NaHCO3 का मोलर द्रव्यमान = 23 + 1 + 12 + 3 × 16
= 84 g mol-1
∴ x g में Na2CO3 के मोल = \(\frac{x}{106}\)
तथा (1 – x) g में NaHCO3 के मोल = \(\frac{1-x}{84}\)
चूँकि मिश्रण में दोनों के मोलों की संख्या समान है; अत:
\(\frac{x}{106}\) = \(\frac{1-x}{84}\)
या 106 – 106 x = 84 x
या x = \(\frac{106}{109}\) g
= 0.558 g
अतः Na2CO3 के मोलों की संख्या
= \(\frac{0.558}{106}\) = 0.00526
NaHCO3 के मोललों की संख्या = \(\frac{1-0.558}{84}\)
= \(\frac{0.442}{84}\) = 0.00526
आवश्यक HCI के मोल ज्ञात करना –
Na2CO3 + 2HCl → 2NaCl + H2O + CO2
NaHCO3 + HCl → NaCl + H2O + CO2
उपर्युक्त अभिक्रिया-समीकरणों से स्पष्ट है कि –
1 मोल Na2CO3 के लिए आवश्यक HCl = 2 mol
∴ 0.00526 मोल Na2CO3 के लिए आवश्यक HCl = 0.00526 × 2 mol
= 0.01052 mol
1 मोल NaHCO3 के लिए आवश्यक HCl = 1 mol
∴ 0.00526 मोल NaHCO3 के लिए आवश्यक HCl = 0.00526 × 1 mol
= 0.00526 mol
∴ कुल आवश्यक HCl = 0.01052 + 0.00526
= 0.01578 mol
0.1 M – HCI का आयतन ज्ञात करना –
0.1 M – HCI के 0.1 mol उपस्थित हैं = 1000 mL HCl में
0.01578 mol 0.1 M – HCI उपस्थित होंगे
\(\frac{1000}{0.1}\) × 0.01578 mL HCl में
= 157.8 mL

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प्रश्न 2.7
द्रव्यमान की दृष्टि से 25% विलयन के 300g एवं 40% के 400g को आपस में मिलाने पर प्राप्त मिश्रण का द्रव्यमान प्रतिशत साद्रण निकालिए।
हल:
विलेय की कुल मात्रा = 75 + 160 = 235g
40% विलयन के 400 g में उपस्थित विलेय
= \(\frac{40}{100}\) × 100
= 160 g
विलयन का कुल द्रव्यमान = 300 + 400 = 700 g
25% विलयन के 300 g में उपस्थित विलेय
= \(\frac{25}{100}\) × 300 = 75 g
परिणामी विलयन में विलेय का प्रतिशत = \(\frac{235}{700}\) × 100
= 33.57%
उत्तर विलयन में विलायक का प्रतिशत = 100 – 33.57
= 66.43%

प्रश्न 2.8
222.6g एथिलीन ग्लाइकॉल, C2H4 (OH)2 तथा 200 g जल को मिलाकर प्रतिहिम मिश्रण बनाया गया। विलयन की मोललता की गणना कीजिए। यदि विलयन का घनत्व 1.072 g mL-1 हो तो विलयन की मोलरता निकालिए।
हल:
विलेय C2H4 (OH)2 का द्रव्यमान = 222.6 g
C2H4 (OH)2 का मोलर द्रव्यमान = 62 g mol-1
∴ विलेय के मोल = \(\frac{222.6 \mathrm{g}}{62 \mathrm{g} \mathrm{mol}^{-1}}\)
= 3.59
विलायक का द्रव्यमान = 200 g = 0.200 kg
मोललता = \(\frac{3.59 mol}{0.200 kg}\) = 17.59 mol kg-1
विलयन का कुल द्रव्यमान = (222.6 + 200) g = 422.6 g
विलयन का आयतन = \(\frac{422.6 \mathrm{g}}{1.072 \mathrm{g} \mathrm{mL}^{-1}}\)
= 394.2 mL = 0.3942 L
मोलरता = \(\frac{3.59 mol}{0.3942 L}\) = 9.1 mol L-1

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प्रश्न 2.9
एक पेय जल का नमूना क्लोरोफॉर्म (CHCl3) से, कैंसरजन्य समझे जाने की सीमा तक बहुत अधिक संदूषित है। इसमें संदूषण की सीमा 15 ppm (द्रव्यमान में) है –

  1. इसे द्रव्यमान प्रतिशत में व्यक्त कीजिए।
  2. जल के नमूने में क्लोरोफॉर्म की मोललता ज्ञात कीजिए।

हल:
1. विलयन में प्रति मिलियन (106) भागों में 15 भाग हैं।
∴ द्रव्यमान प्रतिशत = \(\frac{15}{10^{6}} \times 100\)
= 1.5 × 10-3

2. विलयन के 106 g में 15g क्लोरोफॉर्म विलायक का द्रव्यमान = 106 g = 103 kg
क्लोरोफॉर्म (CHCl3) का मोलर द्रव्यमान = 12 + 1 + 3 × 35.5
= 119.5g mol-1
अत: क्लोरोफार्म की मोललता = \(\frac{15 / 119 \cdot 5}{10^{3}} \times 100\)
= 1.25 × 10-4 m

प्रश्न 2.10
ऐल्कोहॉल एवं जल के एक विलयन में आण्विक अन्योन्य क्रिया की क्या भूमिका है?
उत्तर:
ऐल्कोहॉल में प्रबल हाइड्रोजन बन्ध होता है। चूंकि जल तथा ऐल्कोहॉल को मिश्रण करने पर आण्विक अन्योन्य क्रिया दुर्बल हो जाती है; अतः ये धनात्मक विलयन प्रदर्शित करते हैं। इसके फलस्वरूप जल तथा ऐल्कोहॉल की तुलना में विलयन का वाष्प-दाब उच्च तथा क्वथनांक कम होगा।

प्रश्न 2.11
ताप बढ़ाने पर गैसों की द्रवों की विलेयता में हमेशा कमी आने की प्रवृत्ति क्यों होती है?
उत्तर:
द्रव में गैस का घुलना एक ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है, अत: ताप बढ़ाने पर साम्य पश्च दिशा स्थानान्तरित होता है और दाब में कमी हो जाती है। फलत: विलेयता में सदैव कमी आने की प्रवृत्ति होती है।

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प्रश्न 2.12
हेनरी का नियम तथा इसके कुछ महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग लिखिए।
उत्तर:
हेनरी का नियम:
सर्वप्रथम गैस की विलायक में विलेयता तथा दाब के मध्य मात्रात्मक सम्बन्ध हेनरी ने दिया। इसे हेनरी का नियम कहते हैं। इसके अनुसार, स्थिर ताप पर विलायक के प्रति एकांक आयतन में घुला गैस का द्रव्यमान विलयन के साथ साम्यावस्था में गैस के दाब के समानुपाती होता है।

डाल्टन, जो हेनरी के समकालीन थे, ने भी स्वतन्त्र रूप से निष्कर्ष निकाला कि किसी द्रवीय विलयन में गैस की विलेयता गैस के आंशिक दाब पर निर्भर करती है। यदि हम विलयन में गैस के मोल-अंश को उसकी विलेयता का माप मानें तो यह कहा जा सकता है कि किसी विलयन में गैस का मोल-अंश उस विलयन के ऊपर उपस्थित गैस के आंशिक दाब के समानुपाती होता है।

अत: विकल्पतः हेनरी के नियम को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है –
किसी गैस का वाष्प-अवस्था में आंशिक दाब (p), उस विलयन में गैस के मोल-अंश (x) के समानुपाती होता है।
p ∝ x
या p = KH·x
यहाँ KH हेनरी स्थिरांक है।
समान ताप पर भिन्न-भिन्न गैसों के लिए KH का मान भिन्न-भिन्न होता है। KH का मान गैस की प्रकृति पर निर्भर करता है।

हेनरी नियम के अनुप्रयोग:
हेनरी नियम के उद्योगों में अनेक अनुप्रयोग हैं एवं यह कुछ जैविक घटनाओं को समझने में सहायक होता है।

इसके कुछ महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग निम्नलिखित प्रकार हैं –

1. सोडा-जल एवं शीतल पेयों में CO2 की विलेयता बढ़ाने के लिए बोतल को अधिक दाब पर बन्द किया जाता है।

2. गहरे समुद्र में श्वास लेते हुए गोताखोरों को अधिक दाब पर गैसों की अधिक घुलनशीलता का सामना करना पड़ सकता है। अधिक बाहरी दाब के कारण श्वास के साथ ली गई वायुमण्डलीय गैसों की विलेयता रुधिर में अधिक हो जाती है।

जब गोताखोर सतह की ओर आते हैं, बाहरी दाब धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसके कारण घुली हुई गैसें बाहर निकलती हैं, इससे रुधिर में नाइट्रोजन के बुलबुले बन जाते हैं। यह केशिकाओं में अवरोध उत्पन्न कर देता है और एक चिकित्सीय अवस्था उत्पन्न कर देता है जिसे बेंड्स (Bends) कहते हैं।

यह अत्यधिक पीड़ादायक एवं जानलेवा होता है। बेंड्स से तथा नाइट्रोजन की रुधिर में अधिक मात्रा के जहरीले प्रभाव से बचने के लिए, गोताखोरों द्वारा श्वास लेने के लिए उपयोग किए जाने वाले टैंकों में, हीलियम मिलाकर तनु की गई वायु को भरा जाता है (11.7% हीलियम, 56.2% नाइट्रोजन तथा 32.1% ऑक्सीजन)।

3. अधिक ऊँचाई वाली जगहों पर ऑक्सीजन का आंशिक दाब सतही स्थानों से कम होता है अतः इन जगहों पर रहने वाले लोगों एवं आरोहकों के रुधिर और ऊतकों में ऑक्सीजन की सान्द्रता निम्न हो जाती है। इसके कारण आरोहक कमजोर हो जाते हैं और स्पष्टतया सोच नहीं पाते। इन लक्षणों को ऐनॉक्सिया कहते हैं।

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प्रश्न 2.13
6.56 × 10-3 g एथेनयुक्त एक संतृप्त विलयन में एथेन का आंशिक दाब 1 bar है। यदि विलयन में 5.00 × 10-2 g एथेन हो तो गैस का आंशिक दाब क्या होगा?
हल:
सम्बन्ध M = KH × p से,
प्रथम स्थिति से, 656 × 10-3 g = KH × 1 bar
KH = 6.56 × 10-3 g bar-1
द्वितीय स्थिति में,
5.00 × 10-2 g = (6.56 × 10-2 g bar-1) × p
या = \(\frac{5.00 \times 10^{-2} \mathrm{g}}{6.56 \times 10^{-2} \mathrm{g} \mathrm{bar}^{-1}}\)
= 0.762 bar

प्रश्न 2.14
राउल्ट के नियम से धनात्मक एवं ऋणात्मक विचलन का क्या अर्थ है तथा ∆मित्रण के चिह्न इन विचलनों से कैसे सम्बन्धित हैं?
उत्तर:
जब कोई विलयन सभी सान्द्रताओं पर राउल्ट के नियम का पालन नहीं करता तो वह अनादर्श विलयन (Non – ideal solution) कहलाता है। इस प्रकार के विलयनों का वाष्प-दाब राउल्ट के नियम द्वारा निर्धारित किए गए वाष्प-दाब से या तो अधिक होता है या कम। यदि यह अधिक होता है तो यह विलयन राउल्ट नियम से धनात्मक विचलन प्रदर्शित करता है और यदि यह कम होता है तो यह ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करता है।

1. राउल्ट नियम से धनात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले अनादर्श विलयन:
राउल्ट नियम से धनात्मक विचलन की स्थिति में A – B अन्योन्यक्रियाएँ A – A तथा B – B अन्योन्यक्रियाओं की तुलना में कमजोर होती हैं अर्थात् विलेय-विलायक अणुओं के मध्य अन्तराआण्विक आकर्षण बल विलेय-विलेय और या विलायक-विलायक अणुओं की तुलना में कमजोर होते हैं। इस प्रकार के विलयनों में से A अथवा B के अणु शुद्ध अवयव की तुलना में सरलता से पलायन कर सकते हैं। इसके फलस्वरूप वाष्प-दाब में वृद्धि होती है जिससे धनात्मक विघटन होता है।

2. राउल्ट नियम से ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले अनादर्श विलयन:
इस प्रकार के विलयनों में A – A व B – B के बीच अन्तराआण्विक आकर्षण बल A – B की तुलना में कमजोर होता है; अत: इस प्रकार के विलयनों में A तथा B अणुओं की पलायन प्रवृत्ति शुद्ध अवयव की तुलना में कम होती है। इसके फलस्वरूप विलयन के प्रत्येक अवयव का वाष्प-दाब राउल्ट नियम के आधार पर अपेक्षित वाष्प-दाब से कम होता है।

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प्रश्न 2.15
विलायक के सामान्य क्वथनांक पर एक अवाष्पशील विलेय का 2% जलीय विलयन का 1.004 bar वाष्य दाब है। विलेय का मोलर द्रव्यमान क्या है?
हल:
क्वथनांक पर शुद्ध जल का वाष्प दाब
(p0) = 1 atm = 1.013 bar
विलयन का वाष्प दाब (ps) = 1.004 bar
विलयन का द्रव्यमान = 100 g
विलायक का द्रव्यमान = 98 g
तनु विलयन (2%) के लिए राउल्ट का नियम लागू करने पर,
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प्रश्न 2.16
हेप्टेन एवं आक्टेन एक आदर्श विलयन बनाते हैं। 373 K पर दोनों द्रव घटकों के वाष्य दाब क्रमशः 105.2 kPa तथा 46.8 kPa हैं। 26.0 g हेप्टेन एवं 35.0g आक्टेन के मिश्रण का वाष्य दाब क्या होगा?
हल:
हेप्टेन (C7H16) का मोलर द्रव्यमान
= 100 g mol-1
आक्टेन (C8H18) का मोलर द्रव्यमान = 114 g mol-1
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xऑकटेन = 1 – 0.456 = 0.544
pहेणटेन = 0.456 × 105.2 kPa
= 47.97 kPa
Pऑकटेन = 0.544 × 46.8 kPa
= 25.46 kPa
Pकुल = 47.97 + 25.46
= 73.43 kPa

प्रश्न 2.17
300 K पर जल का वाष्प दाब 12.3 kPa है। इसमें बने अवाष्पशील विलेय के एक मोलल विलयन का वाष्प दाब ज्ञात कीजिए।
हल:
एक मोलल विलयन का अर्थ है, विलायक के 1 kg में उपस्थित विलेय के 1 mol,
अतः विलायक के मोलों की संख्या
= \(\frac{1000 g}{18 g}\) = 55.5
विलेय के मोल-अंश = \(\frac{1}{1+55.5}\) = \(\frac{1}{56.5}\)
= 0.0177
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प्रश्न 2.18
114 g ऑक्टेन में किसी अवाष्पशील विलेय (मोलर द्रव्यमान 40g mol-1) की कितनी मात्रा घोली जाए कि आक्टेन का वाष्प दाब घटकर मूल का 80% रह जाए?
हल:
माना अवाष्पशील विलेय (मोलर. द्रव्यमान 40g mol-1) की आवश्यक मात्रा = Wg
अत: विलेय के मोल = \(\frac{w}{10}\) mol
विलेय के मोल-अंश = \(\frac{w/40}{w/40+1}\)
(∵ विलायक के मोल = \(\frac{114 g}{114 g m o l^{-1}}\) = 1 mol)
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प्रश्न 2.19
एक विलयन जिसे एक अवाष्पशील ठोस के 30g को 90 g जल में विलीन करके बनाया गया है। उसका 298 K पर वाध्य दाब 2.8 kPa है। विलयन में 18g जल और मिलाया जाता है जिससे नया वाष्य दाब 298 K पर 2.9 kPa हो जाता है। निम्नलिखित की गणना कीजिए –

  1. विलेय का मोलर द्रव्यमान
  2. 298 K पर जल का वाष्प दाब।

गणना:
1. माना विलेय का मोलर द्रव्यमान = M g mol-1
विलेय के मोलों की संख्या (n2) = \(\frac{30}{M}\) mol
विलायक के मोलों की संख्या
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18 g जल मिलाने के पश्चात्
n (H2O)) अर्थात् n1 = 6 mol
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समीकरण (1) को समीकरण (2) से भाग देने पर,
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2. 298 K पर जल का वाष्प दाब ज्ञात करने के लिए, M = 23 को समीकरण (1) में रखने पर,
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प्रश्न 2.20
शक्कर के 5% (द्रव्यमान)जलीय विलयन का हिमांक 271 K है। यदि शुद्ध जल का हिमांक 273.15 K है तो ग्लूकोस के 5% जलीय विलयन के हिमांक की गणना कीजिए।
गणना:
शक्कर विलयन के लिए
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(∵ शक्कर (C12H22O11) का मोलर द्रव्यमान
= 342 g mol-1)
= 13.97 K Kg mol-1
अब ग्लूकोस विलयन के लिए ∆Tf = Kf × m
= \(\frac{13.97 \times 5 \times 100}{180 \times 95}\)
जल में 5% ग्लूकोस के विलयन का हिमांक
= 273.15 – 4.8
= 269.07K

प्रश्न 2.21
दो तत्व A एवं B मिलकर AB एवं AB2 सूत्र वाले दो यौगिक बनाते हैं। 20g बेन्जीन में घोलने पर 1g AB2 हिमांक को 2.3 K अवनमित करता है, जबकि 1.0g AB4 से 1.3 K का अवनमन होता है। बेन्जीन के लिए मोलर अवनमन स्थिरांक 5.1 K kg mol-1 है। A एवं B के परमाण्वीय द्रव्यमान की गणना कीजिए।
हल:
माना तत्व A का परमाणु द्रव्यमान ‘a’ तथा तत्व B का परमाणु द्रव्यमान ‘b’ है।
यौगिक AB2 के लिए –
20 g बेन्जीन में 1 g यौगिक AB2 का अर्थ है कि 1000g बेन्जीन में 500 g AB2 है।
∴ बेन्जीन में AB2 की मोललता (m) = \(\frac{50}{a+2b}\)
यहाँ a + 2b, AB2 का मोलर द्रव्यमान है।
∆Tf = 2.3 K
बेन्जीन के लिए, Kf = 5.1 K kg mol-1
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यौगिक AB4 के लिए
∆Tf’ = 1.3 K
बेन्जीन में ABA की मोललता (m’) = \(\frac{50}{a+4b}\)
जहाँ a + 4b, AB4 का मोलर द्रव्यमान है।
अब
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समीकरण (1) को (2) में से घटाने पर,
2b = 85.28
या b = 42.64
b का मान समीकरण (1) में रखने पर,
α + 2 × 42.64 = 110.87
a = 110.87 – 85.28
= 25.59
अतः तत्व A का परमाणु द्रव्यमान = 25.59
तथा तत्व B का परमाणु द्रव्यमान = 42.64

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प्रश्न 2.22
300 K पर 36 g प्रति लीटर सान्द्रता वाले ग्लूकोस के विलयन का परासरण दाब 4.98 bar है। यदि इसी ताप पर विलयन का परासरण दाब 1.52 bar हो तो उसकी सान्द्रता क्या होगी?
हल:
IT = 4.98 bar, T = 300 K,
V = 1 L,
ग्लकोस का भार w2 = 36 g
ग्लूकोस (C6H12O6) का मोलर द्रव्यमान
= 6 × 12 +1 × 12 + 6 × 16
= 72 + 12 + 96
= 180 g mol-1
ग्लूकोस के मोलों की संख्या = nB = \(\frac{360}{180}\) = 0.2
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दूसरे विलयन के लिए,
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अतः विलयन की सान्द्रता = 0.061 mol L-1

प्रश्न 2.23
निम्नलिखित युग्मों में उपस्थित सबसे महत्त्वपूर्ण अन्तरआण्विक आकर्षण बलों का सुझाव दीजिए –

  1. n – हेक्सेन व n – ऑक्टेन
  2. I2 तथा CCl4
  3. NaClO4 तथा H2O
  4. मेथेनॉल तथा ऐसीटोन
  5. ऐसीटोनाइट्राइल (CH3CN) तथा ऐसीटोन (C3H6O)

उत्तर:

  1. इन दोनों में अन्तरआण्विक अन्योन्य क्रियायें लण्डन प्रकीर्ण बल है क्यों ये दोनों अधूवी हैं।
  2. इनके मध्य लण्डन प्रकीर्ण बल हैं।
  3. NaClO4 तथा H2O में अन्तराआण्विक अन्योन्य क्रियायें आयन-द्विध्रुव अन्योन्यक्रियायें क्योंकि NaClO4 विलयन Na+ तथा ClO4 आयन देता हैं और जलध्रुवी है।
  4. चूँकि दोनों ध्रुवी अणु हैं, अत: इनमें अन्तराआण्विक अन्योन्य क्रियायें द्विध्रुव-द्विध्रुव अन्योन्य – क्रियायें है।
  5. इन दोनों के मध्य द्विध्रुव-द्विध्रुव अन्योन्य क्रियायें हैं।

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प्रश्न 2.24
विलेय-विलायक आकर्षण के आधार पर निम्नलिखित को n – ऑक्टेन की विलेयता के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए –
KCl, CH3OH, CH3 CN, साइक्लोहेक्सेन।
उत्तर:
चूँकि KCl एक आयनिक यौगिक है और nऑक्टेन अध्रुवी है, अत: KCl n – ऑक्टेन में अघुलनशील है। साइक्लोहेक्सेन तथा n – ऑक्टेन दोनों अध्रुवी हैं, अतः ये दोनों पूर्णतया मिश्रित हो जाते हैं। CH3OH तथा CH3CN दोनों अध्रुवी हैं परन्तु CH3CN, CH3OH से कम ध्रुवी हैं, अतः n – ऑक्टेन में CH3CN की घुलनशीलता अधिक है क्योंकि विलायक अध्रुवी है। विलेयता का क्रम निम्नलिखित है –
KCl < CH3OH < CH3 CN < साइक्लोहेक्सेन

प्रश्न 2.25
पहचानिए कि निम्नलिखित यौगिकों में से कौन-से जल में अत्यधिक विलेय, आंशिक रूप से विलेय तथा अविलेय हैं –

  1. फिनॉल
  2. टॉलूईन
  3. फॉर्मिक अम्ल
  4. एथिलीन ग्लाइकॉल
  5. क्लोरोफार्म
  6. पेन्टेनॉल।

उत्तर:

  1. फिनॉल जल में आंशिक रूप से विलेय है क्योंकि फिनॉल में ध्रुवी – OH समूह होता है और अध्रुवी ऐरोमैटिक फेनिल (CH6H5) समूह होने से यह जल में अत्यधिक विलेय नहीं है।
  2. चूँकि टालूईन अध्रुवी है तथा जलध्रुवी है, अत: यह जल में अविलेय है।
  3. फार्मिक अम्ल जल में अत्यधिक विलेय है, क्योंकि फॉर्मिक अम्ल जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध बना सकता है।
  4. चूँकि एथिलीन ग्लाइकॉल जल के साथ हाइड्रोजन बन्ध बनाता है, अतः यह जल में अत्यधिक विलेय है।
  5. चूँकि क्लोरोफार्म एक कार्बनिक द्रव है, अतः यह जल में अविलेय है।
  6. चूँकि पेन्टेनॉल में – OH समूह ध्रुवी है और हाइड्रोकार्बन भाग (C5H11-) अध्रुवी होता है, अतः यह जल में आंशिक रूप से विलेय है।

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प्रश्न 2.26
यदि किसी झील के जल के घनत्व 1.25 gmL-1 है तथा उसमें 92 gNa+ आयन प्रति किलो जल में उपस्थित हैं। तो झील में Na+ आयन की मोललता ज्ञात कीजिए।
हल:
92 g Na+ आयनों में मोलों की संख्या
= \(\frac{92 \mathrm{g}}{23 \mathrm{g} \mathrm{mol}^{-1}}\) = 4 mol
(∴ Na का परमाणु द्रव्यमान = 23)
∴ 4 mol Na+ आयन 1 kg जल में उपस्थित हैं।
∴ झील में Na+ आयन की मोललता = 4 m

प्रश्न 2.27
अगर Cus का विलेयता गुणनफल 6 × 10-16 है तो जलीय विलयन में उसकी अधिकतम मोलरता ज्ञात कीजिए।
गणना:
यदि Cus की mol L-1 में विलेयता S हो, तो
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प्रश्नानुसार,
Cus का विलेयता गुणनफल (Ksp) = 6 × 10-16
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प्रश्न 2.28
जब 6.5 g ऐस्पिरीन (C9H8O4) को 450g ऐसीटोनाइट्राइल (CH3CN) में घोला जाये तो ऐस्पिरीन का ऐसीनाइट्राइल में भार प्रतिशत ज्ञात कीजिए।
हल:
ऐस्पिरीन का भार प्रतिशत
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= 1.424%

प्रश्न 2.29
नैलॉर्फीन (CH19H21NO3) जो कि मॉर्फीन जैसी होती है, का उपयोग स्वापक उपभोक्ताओं द्वारा स्वापक छोड़ने से उत्पन्न लक्षणों को दूर करने में किया जाता है। सामान्यतया नैलॉफीन की 1.5 mg खुराक दी जाती है। उपर्युक्त खुराक के लिए 1.5 × 10-3 m जलीय विलयन का कितना द्रव्यमान आवश्यक होगा?
हल:
1.5 × 10-3 m विलयन का अर्थ है कि नैलॉर्फीन के 1.5 × 10-3 mol जल के 1 kg में घुले हैं।
नैलॉर्फीन (C19H21NO3) का मोलर द्रव्यमान
= 19 × 12 + 21 × 1 + 14 + 3 × 16
= 228 + 21 + 14 + 48
= 311 g mol-1
∴ 1.5 × 10-3 mol C19H21NO3
= 1.5 × 10-3 × 311 g = 0.467 g = 467 mg
∴ विलयन का द्रव्यमान
= 1000 g + 0.467 g
= 1000.467g
चूँकि नैलॉर्फीन के 467 mg के लिए आवश्यक विलयन = 1000.467g
इसलिए 1.5 mg नैलॉर्फीन के लिए आवश्यक विलयन
= \(\frac{1000.467 g}{467}\) × 1.5
= 3.21g

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प्रश्न 2.30
बेन्जोइक अम्ल का मेथेनॉल में 0.15 m विलयन बनाने के लिए आवश्यक मात्रा की गणना कीजिए।
गणना:
0.15 m विलयन से तात्पर्य यह है कि बेन्जोइक अम्ल के 0.15 mole विलायक के 1 kg में उपस्थित हैं।
बेन्जोइक अम्ल (C6H5COOH) का मोलर द्रव्यमान
= 6 × 12 + 5 × 1 + 12 + 2 × 16 + 1
= 72 + 5 + 12 + 32 + 1
= 122 g mol-1
∵ बेन्जोइक अम्ल के 0.15 mol
0.15 × 122 g
= 18.3 g
∴ 1 kg विलयन में बेन्जोइक अम्ल = 18.3 g
∴ बेन्जोइक अम्ल के 0.15 mol के 1 किलो में उपस्थित है।
अतः बेन्जोइक अम्ल का मेथेनॉल में 0.15 m विलयन बनाने के लिए आवश्यक बेनजोइक अम्ल
= 18.3g प्रति किलो

प्रश्न 2.31
ऐसीटिक अम्ल, ट्राइक्लोरोऐसीटिक अम्ल एवं ट्राइफ्लुओरो ऐसीटिक अम्ल की समान मात्रा से जल के हिमांक में अवनमन इनके उपर्युक्त दिए गए क्रम में बढ़ता है। संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
हिमांक में अवनमन का क्रम निम्नलिखित प्रकार हैं –
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फ्लुओरीन, अत्यधिक विद्युत ऋणी है जिससे इसमें उच्च इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षी प्रेरकीय प्रभाव होता है। इसके फलस्वरूप ऐसीटिक अम्ल सबसे दुर्बल अम्ल है और ट्राइफ्लुओरोऐसीटिक अम्ल सबसे प्रबल अम्ल है।

अतः ऐसीटिक अम्ल जल में अल्प मात्रा में आयनीकृत होता है और ट्राइफ्लुओरोऐसीटिक अम्ल जल में अत्यधिक आयनित होता है। अधिक आयनित होने पर हिमांक में अवनमन अधिक होता है। अतः ऐसीटिक अम्ल के लिए हिमांक में अवनमन न्यूनतम होगा और ट्राइफ्लुओरोऐसीटिक अम्ल के लिए हिमांक में अवनमन अधिकतम होगा।

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प्रश्न 2.32
CH3 – CH2 – CHCl – COOH के 10g को 250 g जल में मिलाने से होने वाले हिमांक का अवनमन परिकलित कीजिए।
(Ka = 1.4 × 100-3, Kf = 1.86 Kkg mol-1)
हल:
CH3 – CH2 – CHCl – COOH का मोलर द्रव्यमान
= 12 + 3 + 12 + 2 + 12 + 1 + 35.5 + 12 + 32 + 1
= 122.5 g mol-1
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वान्ट हॉफ गुणक (i) की गणना –
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प्रारम्भिक मोल 1
साम्यावस्था पर मोल 1 – α
i = \(\frac{1+α}{1}\) = 1 + α
= 1 + 0.065
= 1.065
∆Tf = iKfm
= 1.065 × 1.86 × 0.3264
= 0.65 K

प्रश्न 2.33
CH2FCOOH के 19.5 g को 500 g H2O में घोलने पर जल के हिमांक में 1.0°C का अवनमन देखा गया। फ्लुओरोएसीटिक अम्ल का वान्ट हॉफ गुणक तथा वियोजन स्थिरांक परिकलित कीजिए।
हल:
प्रश्नानुसार,
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प्रश्न 2.34
293 K पर जल का वाष्य दाब 17 535 mm Hg है। यदि 25g ग्लूकोस को 450g जल में घोलें तो 293 K पर जल का वाष्य दाब परिकलित कीजिए।
हल:
प्रश्नानुसार
p0 = 17.535 mm Hg,
W2 = 25 g,
W1 = 450g
ग्लूकोस, (C6H12O6) का मोलर द्रव्यमान
(M2) = 180 g mol
(जल, H2O) का मोलर द्रव्यमान (M1) = 18g mol-1
राउल्ट का नियम लागू करने पर,
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प्रश्न 2.35
298 K पर मेथेन की बेन्जीन पर मोललता का हेनरी स्थिरांक 4.27 × 105 mm Hg है। 298 K तथा 760 mm Hg दाब पर मेथेन की बेन्जीन में विलेयता परिकलित कीजिए।
हल:
यहाँ KH = 4.27 × 105 mm Hg
p = 760 mm Hg
हेनरी का नियम लागू करने पर,
p = KH गैस
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प्रश्न 2.36
100 g द्रव A (मोलर द्रव्यमान 140 g mol-1) को 1000 g द्रव B (मोलर द्रव्यमान 180 g mol-1) में घोला गया। शुद्ध द्रव B का वाष्प दाब 500 Torr पाया गया। शुद्ध द्रव A को वाष्प दाब तथा विलयन में उसका वाष्प दाब परिकलित कीजिए यदि विलयन का कुल वाष्प दाब 475 Torr हो।
हल:
द्रव A (विलेय) के मोलों की संख्या
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द्रव B (विलायक) के मोलों की संख्या
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विलयन में द्रव A के मोल-अंश
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∴ विलयन में द्रव B के (xB) = 1 – 0.114 = 0.886 ,
दिया है –
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प्रश्न 2.37
328 K पर शुद्ध ऐसीटोन एवं क्लोरोफॉर्म के वाष्प दाब क्रमशः 741.8 mm Hg तथा 632.8 mm Hg हैं। यह मानते हुए कि संघटन के सम्पूर्ण परास में ये आदर्श विलयन बनाते हैं, image 53 को फलन के रूप में आलेखित कीजिए। मिश्रण के विभिन्न संघटनों के प्रेक्षित प्रायोगिक आँकड़े निम्नलिखित हैं –
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उपर्युक्त आँकड़ों को भी उसी ग्राफ में आलेखित कीजिए और इंगित कीजिए कि क्या इसमें आदर्श विलयन से धनात्मक अथवा ऋणात्मक विचलन है?
हल:
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चूँकि p कल के लिए वक्र नीचे की ओर गिरता है; अत: विलयन आदर्श व्यवहार से ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करता है।

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प्रश्न 2.38
संघटनों के सम्पूर्ण परास में बेन्जीन तथा टॉलूईन आदर्श विलयन बनाते हैं। 300 K शुद्ध बेन्जीम तथा नैफ्थेलीन का वाष्प दाब क्रमशः 50.71 mm Hg तथा 32.06 mm Hg है। यदि 80 g बेन्जीन को 100 g नैफ्थेलीन में मिलाया जाए तो वाष्प अवस्था में उपस्थित बेन्जीन के मोल-अंश परिकलित कीजिए।
हल:
बेन्जीन (C6H6) का मोलर द्रव्यमान
= 78 g mol-1
टॉलूईन (C6H5 CH3) का मोलर द्रव्यमान
= 92 g mol-1
∴ बेन्जीन के 80 g में मोलों की संख्या
= \(\frac{80 g}{78 g m o l^{-1}}\) = 1.026 mol
∴ टॉलूईन के 100 g में मोलों की संख्या = \(\frac{100 g}{92 g m o l^{-1}}\)
∴ विलयन में बेन्जीन के मोल-अंश = \(\frac{1.026}{1.026+1.087}\)
= \(\frac{1.026}{2.113}\) = 0.486
टॉलूईन के मोल-अंश = 1 – 0.486 = 0.514
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राउल्ट का नियम लागू करने पर,
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वाष्प अवस्था में बेन्जीन के मोल-अंश
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प्रश्न 2.39
वायु अनेक गैसों की मिश्रण है। 298 K पर आयतन में मुख्य घटक ऑक्सीजन और नाइट्रोजन लगभग 20% एवं 79% के अनुपात में हैं। 10 वायुमण्डल दाब पर जल वायु के साथ साम्य में है। 298 K पर यदि ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन के हेनरी स्थिरांक क्रमशः 3.30 × 10-7 mm तथा 6.517 × 107 mm है, तो जल में इन गैसों का संघटन ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रश्नानुसार,
KF (O2) = 3.30 × 107 mm
तथा KH (N2) = 6.51 × 107 mm
साम्यावस्था में जल के साथ वायु का कुल दाब = 10 atm.
आयतन की दृष्टि से वायु में 20% ऑक्सीजन तथा 79% नाइट्रोजन है,
∴ ऑक्सीजन का आंशिक दाब
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तथा नाइट्रोजन का आंशिक दाब
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अब हेनरी का नियम से,
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प्रश्न 2.40
यदि जल का परासरण दाब 27°C पर 0.75 वायुमण्डल हो तो 2.5 लीटर जल में घुले CaCl2 (i = 2.47) की मात्रा परिकलित कीजिए।
हल:
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CaCl2 का मोलर द्रव्यमान
= 40 + 2 × 35.5
= 111 g mol-1
घुली मात्रा = 0.0308 × 111 g
= 3.42g

प्रश्न 2.41
2 लीटर जल में 25°C पर K2SO4 के 25 mg को घोलने पर बनने वाले विलयन का परासरण दाब, यह मानते हुए ज्ञात कीजिए कि K2SO4 पूर्णतः वियोजित हो गया है।
हल:
घुला हुआ K2SO4 = 25 mg = 0.025 g
विलयन का आयतन = 2 L
T = 25°C = 25 + 273 = 298 K
K2SO4 का मोलर द्रव्यमान = 2 × 39 + 32 + 4 × 16
= 174 g mol-1
चूँकि K2SO4 निम्नलिखित प्रकार पूर्णतया वियोजित हो – जाता है –
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Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 2 मात्रक एवं मापन Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

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अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 2.1
रिक्त स्थान भरिए –
(a) किसी 1 cm भुजा वाले घन का आयतन ………… m3 के बराबर है।
(b) किसी 2 cm त्रिज्या व 10 cm ऊँचाई वाले सिलिंडर का पृष्ठ क्षेत्रफल ……… (mm)2 के बराबर है।
(c) कोई गाड़ी 18 km/h की चाल से चल रही है तो यह 1 s में ………. m चलती है।
(d) सीसे का आपेक्षिक घनत्व 11.3 है। इसका घनत्व – g cm-3 या ………. kg m-3 है।
उत्तर:
(a) घन का आयतन = (भुजा)3 = (1 सेमी)3
= (\(\frac{1}{100}\) मी)3 [∴ 1 सेमी = \(\frac{1}{100}\) मी]

(b) सिलिंडर का पृष्ठ क्षेत्रफल
= वक्र पृष्ठ का क्षे० × वृत्तीय सिरों का क्षे०
= 2πr (h + r)
= 2 × 3.14 × 2 सेमी (10 सेमी + 2 सेमी)
= 2 × 3.14 × 2 × 12 वर्ग सेमी
= 150.72 सेमी2 = 150.72 × (10)2 वर्ग मिम
= 1.5 × 104 वर्ग मिमी

(c) गाड़ी की चाल = 18 किमी/घण्टा
= 18 × \(\frac{5}{18}\) मी/सेकण्ड = 5 मीटर/सेकण्ड
∴ 1 सेकण्ड में चली दूरी = चाल × समय
= 5 मी/सेकण्ड × 1 सेकण्ड = 5 मीटर

(d) सीसे का घनत्व
= सीसे का आपेक्षिक घनत्व × जल का घनत्व
= 11.3 × 1 ग्राम/सेमी3
= 11.3 ग्राम/सेमी3
= 11.3 (\(\frac{1}{1000}\) किग्रा)/\(\frac{1}{100}\) मीटर)3
= 11.13 × 1014 किग्रा प्रति मीटर3

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प्रश्न 2.2
रिक्त स्थानों को मात्रकों के उचित परिवर्तन द्वारा भरिए –
(a) 1 kg m2s-2 = ………. g cm2s-2
(b) 1 m = …… ly
(c) 3.0 ms-2 = ………. Kmh-2
(d) G = 6.67 × 10-11 Nm (kg)-2 = ……… (cm)3s-2g-1
उत्तर:
(a) 1 kg m2 = 1kg × 1 m2s-2
= (100 gm) × (100 cm)2 × 18-2
= 107 gm cm2s-2
1 ly (light year) = 9.46 × 1015 मीटर

(b) ∵ 1 मीटर = \(\frac { 1 }{ 9.46\times 10^{ 15 } } \)
= 1.06 × 10-16 ly

(c) 3 m-2 = 3m × 1s-2
= \(\frac{\left(\frac{3}{100}\right) \mathrm{km}}{\left(\frac{1}{60 \times 60} \mathrm{h}\right)^{2}}\)
= 3.9 × 104 km h-2

(d) G = 6.67 × 10-11 Nm2 (kg)-2
= 6.67 × 10-11 N – m2 × (\(\frac{1}{kg}\))2
= 6.67 × 10-11 (kg ms-2) × \(\frac{1}{kg}\)
= 6.67 × 10-11 × m3s-2 × \(\frac{1}{kg}\)
= 6.67 × 10-11 × \(\frac{1}{1000gm}\) × (100)3 × s-2
= 6.67 × 10-8 (cm)3 s-2 g-1

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प्रश्न 2.3
ऊष्मा (परागमन में ऊर्जा) का मात्रक कैलोरी है और यह लगभग 4.2 J के बराबर है। जहाँ 1 J = 1kg m2s-2 मान लीजिए कि हम मात्रकों की कोई ऐसी प्रणाली उपयोग करते हैं जिससे द्रव्यमान का मात्रक αkg के बराबर है, लंबाई का मात्रक βm के बराबर है, समय का मात्रक γs के बराबर है। यह प्रदर्शित कीजिए कि नए मात्रकों के पदों में कैलोरी का परिमाण 4.2 α-1 β-1
γ2 है।
उत्तर:
1 कैलोरी = 4.2 जूल = 4.2 किग्रा-मीटर2 प्रति सेकण्ड।
हम जानते हैं कि ऊर्जा का विमीय सूत्र = [ML2T2]
माना कि दो अलग-अलग मापन पद्धतियों के द्रव्यमान के मात्रक M1 व M2 लम्बाई के मात्रक L1 व L2 एवम् समय के मात्रक T1 व T2 है।
प्रश्नानुसार M1 = 1 किग्रा
L1 = 1 मीटर
T1 = 1 सेकण्ड, तथा M2 = α किग्रा
L2 = β मीटर
T2 = γ सेकण्ड
इस प्रकार
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अर्थात् दूसरी मापन पद्धति में 1 कैलोरी का मान 4.2 α-1β-2γ+2

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प्रश्न 2.4
इस कथन की स्पष्ट व्याख्या कीजिए:
तुलना के मानक का विशेष उल्लेख किए बिना “किसी विमीय राशि को ‘बड़ा’ या ‘छोटा’ कहना अर्थहीन है।” इसे ध्यान में रखते हुए नीचे दिए गए कथनों को जहाँ कहीं भी आवश्यक हो, दूसरे शब्दों में व्यक्त कीजिए:
(a) परमाणु बहुत छोटे पिण्ड होते हैं।
(b) जेट वायुयान अत्यधिक गति से चलता है।
(c) बृहस्पति का द्रव्यमान बहुत ही अधिक है।
(d) इस कमरे के अंदर वायु में अणुओं की संख्या बहुत अधिक है।
(e) इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन से बहुत भारी होता है।
(f) ध्वनि की गति प्रकाश की गति से बहुत ही कम होती है।
उत्तर:
दिया गया कथन सत्य है। सामान्यतः हम कहते हैं कि परमाणु बहुत छोटा पिण्ड है। लेकिन इलेक्ट्रॉन परमाणु से भी छोटा कण है। तब यह भी कह सकते हैं कि इलेक्ट्रॉन की अपेक्षा परमाणु एक बड़ा पिण्ड है। जबकि टेनिस गेंद की तुलना में परमाणु बहुत छोटा पिण्ड है। इस प्रकार हम देखते हैं कि परमाणु को किसी एक वस्तु की अपेक्षा बहुत छोटा कह सकते है जबकि इलेक्ट्रॉन की तुलना में बड़ा पिण्ड का संकेत है।
(a) आलपिन की नोक की तुलना में परमाणु बहुत छोटे पिण्ड होते हैं।
(b) रेलगाड़ी की तुलना में जेट वायुयान अत्यधिक गति से चलता है।
(c) बृहस्पति का द्रव्यमान पृथ्वी की तुलना में बहुत अधिक होता है।
(d) इस कमरे के अन्दर वायु में अणुओं की संख्या वायु के एक ग्राम अणु में उपस्थित अणुओं से काफी अधिक है।
(e) यह कथन सही है।
(f) यह कथन सही है।

प्रश्न 2.5
लंबाई का कोई ऐसा नया मात्रक चुना गया है जिसके अनुसार निर्वात में प्रकाश की चाल 1 है। लम्बाई के नए मात्रक के पदों में सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी कितनी है, प्रकाश इस दूरी को तय करने में 8 min और 20 s लगाता है।
उत्तर:
प्रश्नानुसार प्रकाश की चाल = 1 मात्रक प्रति सेकण्ड
प्रकाश द्वारा लिया गया समय, t = 8 मिनट 20 सेकण्ड
= 8 × 60 + 20 = 500 सेकण्ड
∴ सूर्य एवम् पृथ्वी के मध्य दूरी
= प्रकाश की चाल × लिया गया समय
= 1 मात्रक प्रति सेकण्ड × 500 सेकण्ड
= 500 मात्रक

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प्रश्न 2.6
लंबाई मापने के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा सबसे परिशुद्ध यंत्र है:
(a) एक वर्नियर कैलीपर्स जिसके वर्नियर पैमाने पर 20 विभाजन हैं।
(b) एक स्क्रूगेज जिसका चूड़ी अंतराल 1 mm और वृत्तीय पैमाने पर 100 विभाजन है।
(c) कोई प्रकाशिक यंत्र जो प्रकाश की तरंग दैर्ध्य की सीमा के अंदर लंबाई माप सकता है।
उत्तर:
(a) वर्नियर कैलीपर्स का अल्पतमांक
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= 0.005 सेमी

(b) स्क्रूगेज की अल्पतमांक
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= 0.001 सेमी

(c) चूँकि प्रकाशिक यन्त्र द्वारा प्रकाश की तरंग दैर्ध्य की सीमा के अन्दर लम्बाई मापी जा सकती है। अतः इसकी अल्पतमांक
= 10-7 मीटर
= 10-5 सेमी
अर्थात् प्रकाशिक यन्त्र की अल्पतमांक सबसे कम है। इस कारण यह सर्वाधिक परिशुद्ध यन्त्र है।

प्रश्न 2.7
कोई छात्र 100 आवर्धन के एक सूक्ष्मदर्शी के द्वारा देखकर मनुष्य के बाल की मोटाई मापता है। वह 20 बार प्रेक्षण करता है और उसे ज्ञात होता है कि सूक्ष्मदर्शी के दृश्य क्षेत्र में बाल की औसत मोटाई 3.5 mm है। बाल की मोटाई का अनुमान क्या है?
उत्तर:
हम जानते हैं कि, सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता
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अतः बाल की अनुमानित मोटाई = 0.035 मिमी।

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प्रश्न 2.8
निम्नलिखित के उत्तर दीजिए:
(a) आपको एक धागा और मीटर पैमाना दिया जाता है। आप धागे के व्यास का अनुमान किस प्रकार लगाएंगे?
(b) एक स्क्रूगेज का चूड़ी अंतराल 1.0 mm है और उसके वृत्तीय पैमाने पर 200 विभाजन हैं। क्या आप यह सोचते हैं कि वृत्तीय पैमाने पर विभाजनों की संख्या स्वेच्छा से बढ़ा देने पर स्क्रूगेज की यथार्थता में वृद्धि करना संभव है?
(c) वर्नियर कैलीपर्स द्वारा पीतल की किसी पतली छड़ का माध्य व्यास मापा जाना है। केवल 5 मापनों के समुच्चय की तुलना में व्यास के 100 मापनों के समुच्चय के द्वारा अधिक विश्वसनीय अनुमान प्राप्त होने की संभावना क्यों हैं?
उत्तर:
(a) एक बेलनाकार छड़ लेकर, इसके ऊपर धागे को सटाकर लपेटते हैं। धागे के फेरों द्वारा घेरी गई छड़ की लम्बाई का मीटर पैमाने द्वारा माप लेते हैं। माना लपेटे गए फेरों की संख्या 20 है।
अतः धागे का व्यास = \(\frac{l}{20}\)
20 इस प्रकार धागे का व्यास ज्ञात हो सकता है।

(b) हम जानते हैं कि स्क्रूगेज का अल्पतमांक
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प्रश्नानुसार स्क्रूगेज पर बने विभाजनों (भागों) की संख्या बढ़ा देने से, स्क्रूगेज का अल्पतमांक घटेगा अर्थात् यथार्थता बढ़ेगी।

(c) हम जानते हैं कि, प्रेक्षणों की माध्य निरपेक्ष त्रुटि,
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उपरोक्त सूत्र के अनुसार प्रेक्षणों की संख्या बढ़ाने से माध्य निरपेक्ष त्रुटि घटेगी। अर्थात् अधिक प्रेक्षणों द्वारा प्राप्त, छड़ का माध्य व्यास अधिक विश्वसनीय होगा।

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प्रश्न 2.9
किसी मकान का फोटोग्राफ 35 mm स्लाइड पर 1.75 cm2 क्षेत्र घेरता है। स्लाइड को किसी स्क्रीन पर प्रक्षेपित किया जाता है और स्क्रीन पर मकान का क्षेत्रफल 1.55 m2 है। प्रक्षेपित्र-परदा व्यवस्था का रेखीय आवर्धन क्या हैं?
उत्तर:
दिया है:
स्लाइड पर मकान का क्षेत्रफल = 1.75 वर्ग
सेमी स्क्रीन पर मकान का क्षेत्रफल = 1.55 वर्ग मीटर
= 1.55 × (100 सेमी)2
= 1.55 × 10000 सेमी2
= 15500 सेमी2
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= \(\sqrt{8857}\) = 94.1

प्रश्न 2.10
निम्नलिखित में सार्थक अंकों की संख्या लिखिए:
(a) 0.007 m2
(b) 2.64 × 1024 kg
(c) 0.2370 g cm-3
(d) 6.320 J
(e) 6.032 Nm-2
(f) 0.0006032 m2
उत्तर:
(a) 1
(b) 3
(c) 4
(d) 4
(e) 4
(f) 4

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प्रश्न 2.11
धातु की किसी आयताकार शीट की लंबाई, चौड़ाई व मोटाई क्रमशः 4.234 m, 1.005 m व 2.01 cm है। उचित सार्थक अंकों तक इस शीट का क्षेत्रफल व आयतन ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
लम्बाई a = 4.234
मीटर चौड़ाई b = 1.005 मीटर
मोटाई c = 2.01 सेंटीमीटर
शीट का पृष्ठ क्षेत्रफल = 2 (ab + bc + ca)
= 2[4.234 × 1.005 + 1.005 × 2.01 + 2.01 × 4.234]
= 8.7209478 मी2
= 8.72 मीटर2
चूँकि मोटाई में न्यूनतम सार्थक अंक (i.e., 3) है।
शीट का आयतन = a × b × c
= 4.234 × 1.005 × 0.0201 मी3
= 0.0855 मीटर3

प्रश्न 2.12
पंसारी की तुला द्वारा मापे गए डिब्बे का द्रव्यमान 2.300 kg है। सोने के दो टुकड़े जिनका द्रव्यमान 20.15 g व 20.17 g है, डिब्बे में रखे जाते हैं।
(a) डिब्बे का कुल द्रव्यमान कितना है
(b) उचित सार्थक अंकों तक टुकड़ों के द्रव्यमानों में कितना अंतर हैं?
उत्तर:
(a) दिया है: डिब्बे का द्रव्यमान m = 2.300 किग्रा
पहले टुकड़े का द्रव्यमान m1 = 20.15 ग्राम
= 0.02015 किग्रा
दूसरे टुकड़े का द्रव्यमान m2 = 20.17 ग्राम = 0.02017 किग्रा
∴ टुकड़े रखने के बाद डिब्बे का कुल द्रव्यमान
M = m + m1 + m2
= 2.300 + 0.02015 + 0.02017
= 2.34032 किग्रा
चूँकि डिब्बे के द्रव्यमान में न्यूनतम सार्थक अंक 4 है। अतः डिब्बे के कुल द्रव्यमान का अधिकतम चार सार्थक अंकों में पूर्णांक करना चाहिए।
∴कुल द्रव्यमान = 2.340 किग्रा

(b) द्रव्यमानों में अन्तर
∆m = m2 – m1
= 20.17 – 20.15
= 0.02 ग्राम
चूँकि अधिकतम सार्थक अंक 4 हैं। अतः इनके अन्तर का दशमलव के दूसरे स्थान तक अर्थात् 0.02 ग्राम होगा।

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प्रश्न 2.13
कोई भौतिक राशि P, चार प्रेक्षण-योग्य राशियों a, b, c तथा d से इस प्रकार संबंधित हैं:
P = \(\frac{a^{3} b^{2}}{(\sqrt{c} d)}\)
a, b, c तथा d के मापने में प्रतिशत त्रुटियाँ क्रमशः 1%, 3%,4% तथा 2% हैं। राशि P में प्रतिशत त्रुटि कितनी है? यदि उपर्युक्त संबंध का उपयोग करके P का परिकलित मान 3.763 आता है, तो आप परिणाम का किस मान तक निकटन करेंगे?
उत्तर:
दिया है:
P = \(\frac{a^{3} b^{2}}{(\sqrt{c} d)}\)
P के मान में % त्रुटि
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= 3 × 1% + 2 × 3% + \(\frac{1}{2}\) × 4% + 2%
= 3% + 6% + 2% + 2%
= 13%
∴ \(\frac{∆P}{P}\) = 13
∴ ∆P = \(\frac{13×P}{100}\) = \(\frac{13×3.763}{100}\)
= 0.4891
= 0.489 (उचित सार्थक अंक तीन तक)
अतः P के मान में त्रुटि 0.489 है। इससे स्पष्ट है कि P के मान में दशमलव के पहले स्थान पर स्थित अंक ही संदिग्ध है। अर्थात् P के मान को दशमलव के दूसरे स्थान तक लिखना कार्य है। अत: P के मान का दशमलव के पहले स्थान तक ही पूर्णांकन करना होगा।

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प्रश्न 2.14
किसी पुस्तक में, जिसमें छपाई की अनेक त्रुटियाँ हैं,आवर्त गति कर रहे किसी कण के विस्थापन के चार भिन्न सूत्र दिए गए हैं:
(a) y = a sin 2πt/T
(b) y = a sin vt
(c) y = (a/T) sin t/a
(d) y = (a\(\sqrt{2}\)) (sin 2πt/T + cos 2πt/T)
(a = कण का अधिकतम विस्थापन, v = कण की चाल, T = गति का आवर्त काल)। विमीय आधारों पर गलत सूत्रों को निकाल दीजिए।
उत्तर:
किसी भी त्रिकोणमितीय फलन का कोण एक विमाहीन राशि होती है।
(a) सही है।
(b) ∵ vt विमाहीन नहीं है। अतः यह सूत्र गलत है।
(c) ∵ t/ a विमाहीन नहीं है। अतः यह सूत्र गलत है।
(d) सही है।
∴ P का निकटतम मान = 3.763 = 3.8

प्रश्न 2.15
भौतिकी का एक प्रसिद्ध संबंध किसी कण के ‘चल द्रव्यमान (moving mass) m, ‘विराम द्रव्यमान (rest mass)’ m0, इसकी चाल और प्रकाश की चाल के बीच है। (यह संबंध सबसे पहले अल्बर्ट आइंस्टाइन के विशेष आपेक्षिकता के सिद्धांत के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ था।) कोई छात्र इस संबंध को लगभग सही याद करता है लेकिन स्थिरांक c को लगाना भूल जाता है। वह लिखता है:
m = \(\frac{m_{0}}{\left(1-v^{2}\right)^{1 / 2}}\) अनुमान लगाइए कि c कहाँ लगेगा?
उत्तर:
दिया है:
m = \(\frac{m_{0}}{\left(1-v^{2}\right)^{1 / 2}}\)
(1 – v2)1/2 = \(\frac{m_{0}}{m}\)
यहाँ दायाँ पक्ष विमाहीन है जबकि बायाँ पक्ष विमापूर्ण है। अतः सूत्र के सही होने के लिए बायाँ पक्ष भी विमाहीन होना है। अर्थात् (1 – v2)1/2 के स्थान पर (1 – v2/c2)1/2 होना चाहिए।
अर्थात् सही सूत्र m = \(\frac{m_{0}}{\left(1-v^{2} / c^{2}\right)^{1 / 2}}\) होगा।

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प्रश्न 2.16
परमाण्विक पैमाने पर लम्बाई का सुविधाजनक मात्रक एंगस्ट्रम है और इसे Å : 1Å = 10-10 m द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है। हाइड्रोजन के परमाणु का आमाप लगभग 0.5 Å है। हाइड्रोजन परमाणुओं के एक मोल का m3 में कुल आण्विक आयतन कितना होगा?
उत्तर:
हाइड्रोजन के एक अणु में दो परमाणु होते हैं।
∴ एक हाइड्रोजन अणु की त्रिज्या (r) = 1 हाइड्रोजन परमाणु का आमाप
= 0.5 Å
= 0.5 × 10-10 मीटर
∴ एक हाइड्रोजन अणु का आयतन
= \(\frac{4}{3}\) πr3 = \(\frac{4}{3}\) × 3.14 × 10.5 × 10-10 मी3
= 5.23 × 10-31 मीटर3
∴ 1 मोल हाइड्रोजन गैस में अणुओं की संख्या
= 6.023 × 1023
∴ 1 मोल हाइड्रोजन गैस में आण्विक आयतन = अणुओं की संख्या × एक अणु का आ०
= 6.023 × 1023 × 5.23 × 10-31 मीटर
= 3.15 × 10-7 मीटर

प्रश्न 2.17
किसी आदर्श गैस का एक मोल (ग्राम अणुक)मानक ताप व दाब पर 22.4L आयतन (ग्राम अणुक आयतन) घेरता है। हाइड्रोजन के ग्राम अणुक आयतन तथा उसके एक मोल के परमाण्विक आयतन का अनुपात क्या है? (हाइड्रोजन के अणु की आमाप लगभग 1Å मानिए)। यह अनुपात इतना अधिक क्यों है?
उत्तर:
∵ 1 मोल हाइड्रोजन गैस का NTP पर आयतन = 22.4 लीटर
= 22.4 × 10-3 मीटर-3
जबकि 1 मोल हाइड्रोजन गैस का NTP पर परमाण्विक आयतन = 3.15 × 10-7 मीटर3
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= 7.11 × 104
इस अनुपात का मान अधिक होने का कारण है कि गैस का आयतन उसमें उपस्थित अणुओं के वास्तविक आयतन की अपेक्षा बहुत अधिक होता है। अर्थात् गैस के अणुओं के मध्य बहुत अधिक खाली स्थान होता है।

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प्रश्न 2.18
इस सामान्य प्रेक्षण की स्पष्ट व्याख्या कीजिए:
यदि आप तीव्र गति से गतिमान किसी रेलगाड़ी की खिड़की से बाहर देखें तो समीप के पेड़, मकान आदि रेलगाड़ी की गति की विपरीत दिशा में तेजी से गति करते प्रतीत होते हैं, परन्तु दूरस्थ पिण्ड (पहाड़ियाँ, चंद्रमा, तारे आदि) स्थिर प्रतीत होते हैं। (वास्तव में, क्योंकि आपको ज्ञात है कि आप चल रहे हैं, इसलिए, ये दूरस्थ वस्तुएँ आपको अपने साथ चलती हुई प्रतीत होती हैं)।
उत्तर:
किसी वस्तु का हमारे सापेक्ष गति करते हुए प्रतीत होना, हमारे सापेक्ष वस्तु के कोणीय वेग पर निर्भर करता है। जबकि गाड़ी से यात्रा करते समय सभी वस्तुएँ समान वेग से हमारे पीछे की ओर गतिमान रहती है लेकिन समीप स्थित वस्तुओं का हमारे सापेक्ष कोणीय वेग ज्यादा होता है। अर्थात् वे वस्तुएँ तीव्र गति से पीछे की ओर जाती हुई प्रतीत होती हैं जबकि दूर स्थित वस्तुएँ हमारे सापेक्ष, कम कोणीय वेग से चलती हैं। इस प्रकार वे हमें लगभग स्थिर नजर आती हैं।

प्रश्न 2.19
समीपी तारों की दूरियाँ ज्ञात करने के लिए अनुभाग 2.3.1 में दिए गए’लंबन’ के सिद्धांत का प्रयोग किया जाता है। सूर्य के परितः अपनी कक्षा में छः महीनों के अंतराल पर पृथ्वी की अपनी दो स्थानों को मिलाने वाली, आधार रेखा AB है। अर्थात् आधार रेखा पृथ्वी की कक्षा के व्यास = 3 × 1011 m के लगभग बराबर है। लेकिन, चूँकि निकटतम तारे भी इतने अधिक दूर हैं कि इतनी लंबी आधार रेखा होने पर भी वे चाप के केवल 1” (सेकंड, चाप का) की कोटि का लंबन प्रदर्शित करते हैं। खगोलीय पैमाने पर लंबाई का सुविधाजनक मात्रक पारसेक है। यह किसी पिण्ड की वह दूरी है जो पृथ्वी से सूर्य तक की दूरी के बराबर आधार रेखा के दो विपरीत किनारों से चाप के 1” का लंबन प्रदर्शित करती है। मीटरों में एक पारसेक कितना होता है?
उत्तर:
दिए गए चित्र में S सूर्य तथा E पृथ्वी है। पृथ्वी बिन्दु P से 1 पारसेक की दूरी पर है। पृथ्वी की कक्षा की त्रिज्या
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= 1.5 × 1011 मीटर
प्रश्नानुसार रेखाखण्ड SE, बिन्दु P पर 1” पर 1” का कोण अन्तरित करता है।
इस प्रकार,
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प्रश्न 2.20
हमारे सौर परिवार से निकटतम तारा 4.29 प्रकाश वर्ष दूर है। पारसेक में यह दूरी कितनी है? यह तारा (एल्फा सेंटौरी नामक) तब कितना लंबन प्रदर्शित करेगा जब इसे सूर्य के परितः अपनी कक्षा में पृथ्वी के दो स्थानों से जो छः महीने के अन्तराल पर है, देखा जाएगा?
उत्तर:
तारे की सौर परिवार से दूरी = 4.29 प्रकाश वर्ष
= 4.29 × 9.46 × 1015 मीटर
[∴ 1 प्रकाश वर्ष = 9.46 × 1015 मीटर]
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= 1.32 पारसेक
अभीष्ट लम्बन = 2Q
= 2 × तारे की सौर परिवार से दूरी
= 1.32 × 2
= 2.64 सेकण्ड चाप का।

प्रश्न 2.21
भौतिक राशियों का परिशुद्ध मापन विज्ञान की आवश्यकताएँ हैं। उदाहरण के लिए, किसी शत्रु के लड़ाकू जहाज की चाल सुनिश्चित करने के लिए बहुत ही छोटे समय-अंतरालों पर इसकी स्थिति का पता लगाने की कोई यथार्थ विधि होनी चाहिए। द्वितीय विश्व युद्ध में रेडार की खोज के पीछे वास्तविक प्रयोजन यही था। आधुनिक विज्ञान के उन भिन्न उदाहरणों को सोचिए जिनमें लंबाई, समय द्रव्यमान आदि के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है। अन्य जिस किसी विषय में भी आप बता सकते हैं, परिशुद्धता की मात्रात्मक धारणा दीजिए।
उत्तर:
द्रव्यमान का मापन:
द्रव्यमान स्पेक्ट्रम लेखी द्वारा परमाणुओं के द्रव्यमान का परिशुद्ध मापन किया जाता है।

लम्बाई का मापन:
विभिन्न यौगिकों के क्रिस्टलों में परमाणुओं के मध्य की दूरी का मापन करने के लिए लम्बाई के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है।

समय का मापन:
फोको विधि से किसी माध्यम में प्रकाश की चाल निकालने के प्रयोग में समय के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है।

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प्रश्न 2.22
जिस प्रकार विज्ञान में परिशुद्ध मापन आवश्यक है, उसी प्रकार अल्पविकसित विचारों तथा सामान्य प्रेक्षणों को उपयोग करने वाली राशियों के स्थूल आंकलन कर सकना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। उन उपायों को सोचिए जिनके द्वारा आप निम्नलिखित का अनुमान लगा सकते हैं: (जहाँ अनुमान लगाना कठिन है वहाँ राशि की उपरिसीमा पता लगाने का प्रयास कीजिए)।
(a) मानसून की अवधि में भारत के ऊपर वर्षाधारी मेघों का कुल द्रव्यमान।
(b) किसी हाथी का द्रव्यमान।
(c) किसी तूफान की अवधि में वायु की चाल।
(d) आपके सिर के बालों की संख्या।
(e) आपकी कक्षा के कमरे में वायु के अणुओं की संख्या।
उत्तर:
(a) भारत में कुल वर्षा का द्रव्यमान = बादल का द्रव्यमान
= औसत वर्षा × भारत का क्षेत्रफल × जल का घनत्व
= 10 सेमी × 3.3 × 1012 मीटर2 × 10 किग्रा मीटर-3
= 3.3 × 1014 किग्रा

(b) हाथी का द्रव्यमान लीवर के सिद्धान्त द्वारा निकाला जा सकता है। यह लगभग 3000 किग्रा होता है।

(c) किसी तूफान की अवधि में वायु द्वारा उत्पन्न दाब को मापकर, वायु की चाल ज्ञात की जा सकती है। तूफान की चाल लगभग 80 किमी प्रति घण्टा होती है। यह चाल 300 किमी प्रति घण्टा से अधिक भी हो सकती है।

(d) मनुष्य के बालों की संख्या
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हम जानते हैं: बाल की मोटाई t = 5 × 10-3 सेमी
तथा मनुष्य के सिर की औसत त्रिज्या = 8 सेमी
∴ बालों की संख्या
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(e) वायु के 1 मोल का NTP पर आयतन = 22.4 लीटर
= 22.4 × 10-3 मीटर3
माना कक्षा के कमरे का आयतन = V
= 5 × 4 × 3 (माना)
= 60 मी3
∴ कक्षा के कमरे में गैस अणुओं की संख्या
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प्रश्न 2.23
सूर्य एक ऊष्म प्लाज्मा (आयनीकृत पदार्थ) है। जिसके आंतरिक क्रोड का ताप 107 K से अधिक और बाह्य पृष्ठ का ताप लगभग 6000 K है। इतने अधिक ताप पर कोई भी पदार्थ ठोस या तरल प्रावस्था में नहीं रह सकता। आपको सूर्य का द्रव्यमान घनत्व किस परिसर में होने की आशा है? क्या यह ठोसों, तरलों या गैसों के घनत्वों के परिसर में है? क्या आपका अनुमान सही है, इसकी जाँच आप निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर कर सकते हैं : सूर्य का द्रव्यमान = 2.0 × 1030 kg; सूर्य की त्रिज्या = 7.0 × 108 ml
उत्तर:
दिया है:
M = 2 × 1030 किग्रा
R = 7.0 × 108 मीटर
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सूर्य का घनत्व – सूर्य का द्रव्यमान
= 1.4 × 103 किग्रा/घनमीटर
सूर्य का द्रव्यमान द्रवों/ठोस के घनत्व परिसर में होता है। यह गैसों के घनत्वों के परिसर में नहीं होता है। सूर्य की भीतरी पर्तों के कारण बाहरी पर्तों पर अंतर्मुखी गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही गर्म प्लाज्मा का इतना अधिक घनत्व हो जाता है।

प्रश्न 2.24
जब बृहस्पति ग्रह पृथ्वी से 8247 लाख किलोमीटर दूर होता है, तो इसके व्यास की कोणीय माप 35.72” की चाप है। बृहस्पति का व्यास परिकलित कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
पृथ्वी से बृहस्पति की दूरी = d
= 824.7 × 106 किमी
θ = 35.72″
= 35.72 × 4.85 × 10-6
रेडियन बृहस्पति का व्यास, D = ?
सूत्र कोण,
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= 35.72 × 4.85 × 10-6 × 824.7 × 106
= 1.429 × 105 किमी।

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प्रश्न 2.25
वर्षा के समय में कोई व्यक्ति चाल के साथ तेजी से चला जा रहा है। उसे अपने छाते को टेढ़ा करके ऊर्ध्व के साथ e कोण बनाना पड़ता है। कोई विद्यार्थी कोण eav के बीच निम्नलिखित संबंध व्युत्पन्न करता है:
tan θ = v और वह इस संबंध के औचित्य की सीमा पता लगाता है: जैसी कि आशा की जाती है यदि v → 0 तो θ → (हम यह मान रहे हैं कि तेज हवा नहीं चल रही है और किसी खड़े व्यक्ति के लिए वर्षा ऊर्ध्वाधरतः पड़ रही है। क्या आप सोचते हैं कि यह संबंध सही हो सकता है?यदि ऐसा नहीं हो तो सही संबंध का अनुमान लगाइए।
उत्तर:
दिया है:
tan θ = v
यह सम्बन्ध असत्य है क्योंकि इस सम्बन्ध में बायाँ पक्ष | विमाहीन है जबकि दाएँ पक्ष की विमा [LT-1] है। अतः दाएँ पक्ष में वर्षा की बूंदों के वेग से भाग देना चाहिए।
∴ सही सम्बन्ध tan θ = \(\frac{v}{u}\) होगा।

प्रश्न 2.26
यह दावा किया जाता है कि यदि बिना किसी बाधा के 100 वर्षों तक दो सीज़ियम घड़ियों को चलने दिया जाए, तो उनके समयों में केवल 0.02 s का अंतर हो सकता है। मानक सीज़ियम घड़ी द्वारा 1s के समय अंतराल को मापने में यथार्थता के लिए इसका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
कुल समय = 100 वर्ष
= 100 × 365 × 24 × 60 × 60 सेकण्ड
समय में अन्तर = 0.2 सेकण्ड
∴ 1 सेकण्ड के मापन में त्रुटि
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प्रश्न 2.27
एक सोडियम परमाणु का आमाप लगभग 2.5 Å मानते हुए उसके माध्य द्रव्यमान घनत्व का अनुमान लगाइए। (सोडियम के परमाण्वीय द्रव्यमान तथा आवोगाद्रो संख्या के ज्ञात मान का प्रयोग कीजिए।) इस घनत्व की क्रिस्टलीय प्रावस्था में सोडियम के घनत्व 970 kg m-3 के साथ तुलना कीजिए। क्या इन दोनों घनत्वों के परिमाण की कोटि समान है? यदि हाँ, तो क्यों?
उत्तर:
दिया है: सोडियम परमाणु की त्रिज्या (आमाप)
= 2.5 Å = 2.5 × 10-10 मीटर
सोडियम का ग्राम परमाणु भार = 23 ग्राम
= 23 × 10-3 किग्रा
एक ग्राम परमाणु में परमाणुओं की संख्या
= N = 6.023 × 1023
सोडियम के एक परमाणु का द्रव्यमान
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सोडियम परमाणु का द्रव्यमान घनत्व
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प्रश्न 2.28
नाभिकीय पैमाने पर लंबाई का सुविधाजनक मात्रक फर्मी है: (1f = 10-15 m)। नाभिकीय आमाप लगभग निम्नलिखित आनुभविक संबंध का पालन करते हैं:
r = r0A1/3
जहाँ r नाभिक की त्रिज्या, A इसकी द्रव्यमान संख्या और r0 कोई स्थिरांक है जो लगभग 1.2f के बराबर है। यह प्रदर्शित कीजिए कि इस नियम का अर्थ है कि विभिन्न नाभिकों के लिए नाभिकीय द्रव्यमान घनत्व लगभग स्थिर है। सोडियम नाभिक के द्रव्यमान घनत्व का आंकलन कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
नाभिक की त्रिज्या
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परन्तु सोडियम परमाणु का माध्य घनत्व
= 5.84 × 102 किग्रा प्रति मीटर2 [प्रश्न सं० 2.27 से]
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= 1015
उपरोक्त परिणाम से स्पष्ट है कि सोडियम नाभिक का घनत्व उसके परमाणु के घनत्व से लगभग 1015 गुना अधिक है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि परमाणु का अधिकांश भाग खोखला है। एवम् उसका अधिकांश द्रव्यमान उसके नाभिक में ही निहित है।
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= 584 किग्रा/मीटर3

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प्रश्न 2.29
लेसर (LASER), प्रकाश के अत्यधिक तीव्र एकवर्णी तथा एकदिश किरण-पुंज का स्त्रोत है। लेसर के इन गुणों का लंबी दूरियाँ मापने में उपयोग किया जाता है। लेसर को प्रकाश के स्त्रोत के रूप में उपयोग करते हुए पहले ही चंद्रमा की पृथ्वी से दूरी परिशुद्धता के साथ ज्ञात की जा चुकी है। कोई लेसर प्रकाश किरण-पुंज चंद्रमा के पृष्ठ से परावर्तित होकर 2.56s में वापस आ जाता है। पृथ्वी के परितः चंद्रमा की कक्षा की त्रिज्या कितनी है?
उत्तर:
दिया है: लेसर प्रकाश द्वारा लिया गया समय,
t = 2.56 सेकण्ड
माना चन्द्रमा की कक्षा की त्रिज्या = r
अतः लेसर प्रकाश द्वारा चली दूरी = 2r
प्रकाश की चाल, c = 3 × 108 मीटर/सेकण्ड
सूत्र,
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प्रश्न 2.30
जल के नीचे वस्तुओं को ढूँढ़ने व उनके स्थान का पता लगाने के लिए सोनार (SONAR) में पराश्रव्य तरंगों का प्रयोग होता है। कोई पनडुब्बी सोनार से सुसज्जित है। इसके द्वारा जनित अन्वेषी तरंग और शत्रु की पनडुब्बी से परावर्तित इसकी प्रतिध्वनि की प्राप्ति के बीच काल विलंब 77.0s है। शत्रु की पनडुब्बी कितनी दूर है? (जल में ध्वनि की चाल = 1450 ms-1)
उत्तर:
दिया है:
ध्वनि द्वारा लिया गया समय = 77 सेकण्ड
जल में ध्वनि की चाल = 1450 मीटर/सेकण्ड
माना पनडुब्बी की दूरी = x
∴ ध्वनि तरंगों द्वारा चली गई दूरी = 2x
सूत्र चाल = दूरी से,
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= 55825 मीटर
= 55.83 × 103 मीटर
= 55.83 किमी

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प्रश्न 2.31
हमारे विश्व में आधुनिक खगोलविदों द्वारा खोजे गए सर्वाधिक दूरस्थ पिण्ड इतनी दूर हैं कि उनके द्वारा उत्सर्जित प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में अरबों वर्ष लगते हैं। इन पिंडों (जिन्हें क्वासर (Quasar) कहा जाता है) के कई रहस्यमय लक्षण हैं जिनकी अभी तक संतोषजनक व्याख्या नहीं की जा सकी है। किसी ऐसे क्वासर की km में दूरी ज्ञात कीजिए जिससे उत्सर्जित प्रकाश को हम तक पहुँचने में 300 करोड़ वर्ष लगते हों।
उत्तर:
लिया गया समय, t = 3 × 109
वर्ष = 3 × 109 × 365 × 24 × 60 × 60
= 2.84 × 1022 किमी

प्रश्न 2.32
यह एक विख्यात तथ्य है कि पूर्ण सूर्यग्रहण की अवधि में चंद्रमा की चक्रिका सूर्य की चक्रिका को पूरी तरक ढक लेती है। इस तथ्य और उदाहरण 2.3 और 2.4 से एकत्र सूचनाओं के आधार पर चंद्रमा का लगभग व्यास ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी
(a) = 3.84 × 108 मीटर
माना चन्द्रमा का व्यास = 2r
सूत्र कोणीय व्यास = \(\frac{d}{a}\) से,
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प्रश्नानुसार पूर्ण सूर्य ग्रहण की अवधि में चन्द्रमा की चक्रिका सूर्य की चक्रिका को पूरा ढक लेती हैं।
∴ चन्द्रमा का कोणीय व्यास = सूर्य का कोणीय व्यास
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अत: चन्द्रमा का व्यास 3573 किमी है।

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प्रश्न 2.33
इस शताब्दी के एक महान भौतिकविद (पी० ए० एम० डिरैक) प्रकृति के मूल स्थिरांकों (नियतांकों) के आंकिक मानों के साथ क्रीड़ा में आनंद लेते थे। इससे उन्होंने एक बहुत ही रोचक प्रेक्षण किया। परमाण्वीय भौतिकी के मूल नियतांकों (जैसे इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान, प्रोटॉन का द्रव्यमान तथा गुरुत्वीय नियतांक G) से उन्हें पता लगा कि वे एक ऐसी संख्या पर पहुंच गए हैं जिसकी विमा समय की विमा है। साथ ही, यह एक बहुत ही बड़ी संख्या थी और इसका परिमाण विश्व की वर्तमान आकलित आयु (~1500 करोड़ वर्ष) के करीब है। इस पुस्तक में दी गई मूल नियतांकों की सारणी के आधार पर यह देखने का प्रयास कीजिए कि क्या आप भी यह संख्या (या और कोई अन्य रोचक संख्या जिसे आप सोच सकते हैं) बना सकते हैं? यदि विश्व की आयु तथा इस संख्या में समानता महत्वपूर्ण है, तो मूल नियतांकों की स्थिरता किस प्रकार प्रभावित होगी?
उत्तर:
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अर्थात् x की विमा समय की विमा के समान ही है।

Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

Bihar Board Class 11 Physics द्रव्य के तापीय गुण Text Book Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 11.1
निऑन तथा CO2 के त्रिक बिन्दु क्रमश: 24.57 K तथा 216.55 K हैं। इन तापों को सेल्सियस तथा फारेनहाइट मापक्रमों में व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
निऑन का त्रिक बिन्दु, T1 = 24.57 K CO2 का त्रिक बिन्दु, T2 = 216.55 K
हम जानते हैं कि केल्विन सेल्यिस व फारेनहाइट पैमाने में निम्नवत् सम्बन्ध है –
\(\frac{C-O}{100-O}\) = \(\frac{F-32}{212-32}\)
= \(\frac{T-273.15}{100}\)
सेल्सियस पैमाने पर,
\(\frac{C-O}{100-O}\) = \(\frac{T-273.15}{100}\)
या C – T = 273.15
Ne के लिए
1 C = 24.57 – 273.15
= -248.58°C CO2 के लिए
2 C = 216.55 – 273.15 = -55.6°C
फारेनहाइट पैमाने पर,
\(\frac{F-32}{180}\) = \(\frac{T-273.14}{100}\)
Ne के लिए,
F1 = (T1 – 273.15) × \(\frac{9}{5}\) + 32
= (24.57 – 273.15) × \(\frac{9}{5}\) + 32
= -248.58 × \(\frac{9}{5}\) + 32
= -415.26°F
CO2 के लिए,
F2 = (T2 – 273.15) × \(\frac{9}{5}\) + 32
= (216.55 – 273.15) \(\frac{9}{5}\) + 32
= -56.6 × \(\frac{9}{5}\) + 32 = -69.88°F

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प्रश्न 11.2
दो परम ताप मापक्रमों A तथा B पर जल के त्रिक बिन्दु को 200 A तथा 350 B द्वारा परिभाषित किया गया है। TA तथा TB में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
माना दोनों का शून्य, परम शून्य ताप से सम्पाती है। प्रश्नानुसार, प्रथम पैमाने पर परम शून्य से जल के त्रिक बिन्दु तक के तापों को 200 भागों में एवम् दूसरे पैमाने पर 350 भागों में विभाजित किया गया है।
∴ 200A – OA = 350B – OB
= 273.16K – 0K
∴200A = 350B = 273.16K
∴ 1A = \(\frac{273.16}{200}\) K व 1B = \(\frac{273.16}{350}\)
माना कि इन पैमानों पर किसी वस्तु का ताप क्रमश: TA व TB है।
TA = \(\frac{T×273.16}{200}\) K
तथा 1B = \(\frac{T×273.16}{350}\) K
\(\frac{T_{A}}{T_{B}}\) = \(\frac{350}{200}\) = \(\frac{7}{4}\)
TA : TB = 7 : 4
या TA = \(\frac{7}{4}\) TB

प्रश्न 11.3
किसी तापमापी का ओम में विद्युत प्रतिरोध ताप के साथ निम्नलिखित, सन्निकट नियम के अनुसार परिवर्तित होता है –
R = R0 [1 + α (T – T0)]
यदि तापमापी का जल के त्रिक बिन्दु 273.16 K पर प्रतिरोध 101.6 Ω तथा लैड के सामान्य संगलन बिन्दु (600.5 K) पर प्रतिरोध 165.5 Ω है तो वह ताप ज्ञात कीजिए जिस पर तापमापी का प्रतिरोध 123.4 Ω है।
उत्तर:
दिया है:
T1 = 273.16 K पर R1 = 101.612 व T2 = 600.5 K पर R2 = 165.5 माना T0 पर R0 प्रतिरोध है।
तथा T3 ताप पर प्रतिरोध R3 = 123.452 है।
हम जानते हैं कि –
R = R0 [1 + 5 × 10-3 (T – T0)] ……………. (i)
101.6 = R0 [1 + 5 × 10-3(273.16 – T0)] ………………. (ii)
तथा 165.5 = R0 [1 + 5 × 10-3(600.5 – T0)] ………………. (iii)
समी० (iii) को (ii) से भाग देने पर,
\(\frac{165.5}{101.6}\) = \(\frac{1+5 \times 10^{-3}\left(600.5-T_{0}\right)}{1+5 \times 10^{-3}\left(273.16-T_{0}\right)}\)
या 1 + 5 × 10-3(600.5 – T0) = 1.629 [1 + 5 × 10-3 (273.16 – T0)
या 1.629 [1 + 1.366 – 0.005 T0)
= 1 + 3.003 – 0.005 T0
या 3.854 – 008T0 = 4.003 – 0.005T0
या 0.003T0 = -49.67 K
समी० (ii) से,
R0 = \(\frac{101.6}{1+0.005(273.16+49.67)}\)
= \(\frac{101.16}{2.614}\) = 38.87 Ω
123.4 = 38.87 [1 + 0.05) T – (-49.67)]
या T + 49.67 = \(\frac{123.34}{38.87}\) – 1) \(\frac{1}{0.005}\)
या T = 434.94 – 49.67 = 385 K

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प्रश्न 11.4
निम्नलिखित के उत्तर दीजिए –
(a) आधुनिक तापमिति में जल का त्रिक बिन्दु एक मानक नियत बिन्दु है, क्यों? हिम के गलनांक तथा जल के क्वथनांक को मानक नियत-बिन्दु मानने में (जैसा कि मूल सेल्सियस मापक्रम में किया गया था।) क्या दोष है?

(b) जैसा कि ऊपर वर्णन किया जा चुका है कि मूल सेल्सियस मापक्रम में दो नियत बिन्दु थे जिनको क्रमशः 0°C तथा 100°C संख्याएँ निर्धारित की गई थीं। परम ताप मापक्रम पर दो में से एक नियत बिन्दु जल का त्रिक बिन्दु लिया गया है जिसे केल्विन परम ताप मापक्रम पर संख्या 273.16 K निर्धारित की गई है। इस मापक्रम (केल्विन परम ताप) पर अन्य नियत बिन्दु क्या है?

(c) परम ताप (केल्विन मापक्रम) T तथा सेल्सियस मापक्रम पर तापत्र tC में संबंध इस प्रकार है –
tC = T – 273.15 इस संबंध में हमने 273.15 लिखा है 273.16 क्यों नहीं लिखा?
(d) उस परमताप मापक्रम पर, जिसके एकांक अंतराल का आमाप फारेनहाइट के एकांक अंतराल की आमाप के बराबर है, जल के त्रिक बिन्दु का ताप क्या होगा?
उत्तर:
(a) चूँकि जल का त्रिक बिन्दु (273.16 K) एक अद्वितीय बिन्दु है जबकि हिम का गलनांक व जल का क्वथनांक नियत नहीं है। ये दाब परिवर्तित करने पर बदल जाते हैं।

(b) केल्विन मापक्रम पर, 0°C दूसरा नियत बिन्दु परमशून्य ताप है। इस ताप पर सभी गैसों का दाब शून्य हो जाता है।

(c) सेल्सियस पैमाने पर, 0°C ताप सामान्य दाब पर बर्फ का गलनांक है। इसके संगत केल्विन ताप 273.15 K है। अतः प्रत्येक परम ताप (273.16 K), संगत सेल्सियस ताप के 273.15 K ऊँचा है। अतः उक्त सम्बन्ध में 273.15 का प्रयोग किया गया है।

(d) चूँकि 32°F = 273.15 K
तथा 212°F = 373.15 K
∴(212 – 32)°F = (373.15 – 273.15) K
या 180°F = 100K
∴ 1°F = \(\frac{100}{180}\) K
केल्विन मापक्रम में जल के त्रिक बिन्दु का ताप T = 273.16 K
माना नए परमताप पैमाने पर त्रिक बिन्दु का ताप T’ F है।
T’F – 0 F = 273.16 K – 0 K
T’ × \(\frac{100}{180}\) K = 273.16 K
या T = \(\frac{273.16×180}{100}\) = 491.69
अतः नए पैमाने पर त्रिक बिन्दु के ताप का आंकिक मान 491.69 है।

Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 11.5
दो आदर्श गैस तापमापियों A तथा B में क्रमश: ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन प्रयोग की गई है। इनके प्रेक्षण निम्नलिखित हैं –
Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण
(a) तापमापियों A तथा B के द्वारा लिए गए पाठ्यांकों के अनुसार सल्फर के सामान्य गलनांक के परमताप क्या हैं?
(b) आपके विचार से तापमापियों A तथा B के उत्तरों में थोड़ा अंतर होने का क्या कारण है? (दोनों तापमापियों में कोई दोष नहीं है)। दो पाठ्यांकों के बीच की विसंगति को कम करने के लिए इस प्रयोग में और क्या प्रावधान आवश्यक हैं?
उत्तर:
(a) माना सल्फर का गलनांक T है।
हम जानते हैं कि जल का त्रिक बिन्दु
Ttr = 273.16 K
थर्मामीटर A के लिए
Ptr = 1.250 × 105 Pa,
P = 1.797 × 105 Pa, T = ?
सूत्र \(\frac{T}{T_{\mathrm{tr}}}=\frac{P}{P_{\mathrm{tr}}}\) से
TA = \(\frac{P}{P_{\mathrm{tr}}}\) × Ttr
= \(\frac{1.797 \times 10^{5}}{1.250 \times 10^{5}}\) × 273.16
= 392.69 K
थर्मामीटर B के लिए,
Ptr = 0.200 × 105 Pa
P = 0.287 × 105 Pa
TB = Ttr × \(\frac{P}{P_{\mathrm{tr}}}\)
= 273.16 × \(\frac{0.287 \times 10^{5}}{0.200 \times 10^{5}}\)
या TB = 391.98 K

(b) दोनों तापमापियों के पाठ्यांकों में अन्तर होने का यह कारण है कि प्रयोग की गई गैसें आदर्श नहीं हैं। विसंगति को दूर करने के लिए पाठ्यांक कम दाब पर लेने चाहिए जिससे गैसें आदर्श गैस की भाँति व्यवहार करे।

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प्रश्न 11.6
किसी 1 m लंबे स्टील के फीते का यथार्थ अंशांकन 27.0°C पर किया गया है। किसी तप्त दिन जब ताप 45°C था तब इस फीते से किसी स्टील की छड़ की लंबाई 63.0 cm मापी गई। उस दिन स्टील की छड़ की वास्तविक लंबाई क्या थी? जिस दिन ताप 27.0°C होगा उस दिन इसी छड़ की लंबाई क्या होगी? स्टील का रेखीय प्रसार गुणांक = 1.20 × 10-5 K-1
उत्तर:
दिया है:
T1 = 27°C पर फीते की लम्बाई, L = 100 सेमी
तथा T2 = 45°C पर फीते द्वारा मापी गई छड़ की ल० l = 63 सेमी।
स्टील का रेखीय प्रसार गुणांक,
α = 1.2 × 10-5 प्रति K
हम जानते हैं कि α = \(\frac{∆L}{L×∆T}\)
L × ∆T × α
= 1000 × (45 – 27) × 1.2 × 10-5
= 0.0216 सेमी
100 सेमी लम्बाई में वृद्धिं = 0.0216 सेमी
1 सेमी लम्बाई में वृद्धि = (0.0216/100) सेमी
63 सेमी लम्बाई में वद्धि = \(\frac{0.0216×63}{100}\)
= 0.0136 सेमी
अत: 45°C ताप पर स्टील की छड़ की वास्तविक लम्बाई
= 63 + 0.0136 सेमी।
= 63.0136 सेमी।
तथा जिस दिन ताप 27°C है उस दिन पुन: स्टील की छड़ की लम्बाई 63.0136 सेमी होगी।

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प्रश्न 11.7
किसी बड़े स्टील के पहिए को उसी पदार्थ की किसी धुरी पर ठीक बैठाना है। 27°C पर धुरी का बाहरी व्यास 8.70 cm तथा पहिए के केंद्रीय छिद्र का व्यास 8.69 cm है। सूखी बर्फ द्वारा धुरी को ठंडा किया गया है। धुरी के किस ताप पर पहिया धुरी पर चढ़ेगा? यह मानिए कि आवश्यक ताप परिसर में स्टील का रैखिक प्रसार गुणांक नियत रहता है –
α स्टील = 1.2 × 10-5 K-1
उत्तर:
माना कि T1 व T2 पर स्टील की रैखिक माप क्रमश: l1 व l2 है।
दिया है: αsteel = 1.20 × 10-5 K-1
l1 = 8.70 cm
l2 = 8.69 cm
T1 = 27°C = 273 + 27 = 300 K
T2 = ?
स्टील की शॉफ्ट को ठण्डा करने पर, लम्बाई निम्नवत् होती है –
l2 = l1 [1 + α(T2 – T1)] …………… (1)
शॉफ्ट को T2 ताप पर ठण्डा करने पर l2 = 8.69 सेमी०, तब पहिया शॉफ्ट पर फिसल सकेगा।
अतः समी० (1) से,
8.69 = 8.70 [1 + 1.20 × T-5(T2 – 300)]
या T2 – 300 = \(\frac{8.69-8.70}{8.70 \times 1.20 \times 10^{-5}}\)
= -95.78 K
या T2 = 300 – 95.78 = 204.22 K
या = 204.22 – 273.15 = -68.93°C
= -68.93°C
या T2 = -69°C

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प्रश्न 11.8
ताँबे की चादर में एक छिद्र किया गया है। 27.0°C पर छिद्र का व्यास 4.24 cm है। इस धातु की चादर को 227°C तक तप्त करने पर छिद्र के व्यास में क्या परिवर्तन होगा? ताँबे का रेखीय प्रसार गुणांक = 1.70 × 10-5 K-1
उत्तर:
दिया है:
t1 = 27°C
t2 = 227°C
∆t = 227 – 27 = 200°C
ताँबे के लिए रेखीय प्रसार गुणांक
α = 1.7 × 10-5°C-1
27°C पर छिद्र का व्यास, d1 = 4.24 सेमी
माना कि 227°C पर छिद्र का व्यास = d2
∆d = d2 – d1 = ?
ताँबे के लिए क्षेत्रीय प्रसार गुणांक
β = 2a = 2 × 1.7 × 10-5
= 3.4 × 10-5°C-1
माना छिद्र का पृष्ठ क्षेत्रफल 27°C व 227°C पर क्रमश: S1 व S2 है।
S1 = \(\frac{\pi d_{1}^{2}}{4}\) = \(\frac{π}{4}\) × (4.24)2
= 4.4947 π सेमी2
S2 = S1 (1 + β ∆t)
= 4.49π (1 + 3.40 × 10-5 × 200)
या S2 = 4.49π × 1.00668
= 4.525 πcm2
या \(\frac{\pi d_{2}^{2}}{4}\) = 4.25π
या d2 = \(\sqrt{4.525×4}\) = 4.525 cm
∆d = d2 – d1 = 4.2544 cm
= 0.0144 cm
या ∆d = 1.44 × 10-2 सेमी

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प्रश्न 11.9
27°C पर 1.8 cm लंबे किसी ताँबे के तार को दो दृढ़ टेकों के बीच अल्प तनाव रखकर थोड़ा कसा गया है। यदि तार को -39°C ताप पर शीतित करें तो तार में कितना तनाव उत्पन्न हो जाएगा? तार का व्यास 2.0 mm है। पीतल का रेखीय प्रसार गुणांक = 2.0 × 10-5K-1 पीतल का यंग प्रत्यास्थता गुणांक = 0.91 × 1011Pa
उत्तर:
दिया है:
l1 = 1.8 m, t1 = 27°C, t2 = -39°C
∆t = t2 – t1
= – 39 – 27
= -66°C t2°C पर लम्बाई = l2
पीतल के लिए α = 2 × 10-50 K-1
Y = 0.91 × 1011 Pa
तार का व्यास
d = 2.0 mm
= 2.0 × 10-3 m
माना तार का अनुप्रस्थ परिच्छेद a है।
a = \(\frac{\pi d^{2}}{4}\) = \(\frac{π}{4}\) × (2.0 × 10-3)2
= 3.142 × 10-6 m2
माना तार में उत्पन्न तनाव F है।
अतः सूत्र Y = \(\frac{F/a}{∆l/L}\) से
F = \(\frac{Y a \Delta l}{l_{1}}\) ………………. (i)
परन्तु l = l1 α ∆t
= 1.8 × 2 × 10-5 × (-66)
= -0.00237 m
= -0.0024 m
ऋणात्मक चिह्न प्रदर्शित करता है कि समी० (i) में Y, a, ∆l तथा l1 का मान रखने पर लम्बाई घटती है।
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= 381N
= 3.81 × 102 N

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प्रश्न 11.10
50 cm लंबी तथा 3.00 mm व्यास की किसी पीतल की छड़ को उसी लंबाई तथा व्यास की किसी स्टील की छड़ से जोड़ा गया है। यदि ये मूल लंबाइयाँ 40°C पर हैं, तो 250°C पर संयुक्त छड़ की लंबाई में क्या परिवर्तन होगा? क्या संधि पर कोई तापीय प्रतिबल उत्पन्न होगा? छड़ के सिरों को प्रसार के लिए मुक्त रखा गया है। (पीतल तथा स्टील के रेखीय प्रसार गुणांक क्रमशः = 2.0 × 10-5 K-1, स्टील = 1.2 × 10-5 K-1 हैं।)
उत्तर:
पीतल की छड़ के लिए,
α = 2.0 × 10-5 K-1, l1 = 50 cm, t1 = 40°C
t2 = 250°C
∆t = t2 – t1
= 250 – 40 = 210°C
माना t2°C पर लम्बाई l2 है। अतः
l2 = l1(1 + α ∆t)
= 50 (1 + 2 × 10-5 × 210)
= 50.21 cm
∆l brass = l2 – l1
= 50.21 – 50
= 0.21 cm
स्टील की छड़ के लिए,
t1 = 40°C, t2 = 250°C, α = 1.2 × 10-5 K-1,
l1 = 50.0 cm
∆t’ = t2 – t1
= 250 – 40 = 210°C
माना 250°C पर स्टील छड़ की ल० l2 है
अतः l2 = l1 (1 + α ∆t’)
= 50 (1 + 1.2 × 10-5 × 210)
= 50.126 cm
250°C पर संयुक्त छड़ की लम्बाई 250°C = l2 + l2
= 50.21 + 50.126
= 100.336 cm व 40°C पर संयुक्त छड़ की लम्बाई
= l1 + l1 = 50 + 50
= 100 cm
संयुक्त छड़ की लम्बाई में परिवर्तन
= 100.336 – 100
= 0.336 cm
= 0.34 cm
अतः सन्धि पर कोई तापीय प्रतिबल उत्पन्न नहीं होता है।

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प्रश्न 11.11
ग्लिसरीन का आयतन प्रसार गुणांक 4.9 × 10-5 K-1 है। ताप में 30°C की वृद्धि होने पर इसके घनत्व में क्या आंशिक परिवर्तन होगा?
उत्तर:
दिया है:
V = 4.9 × 10-5 K-1
ताप में वृद्धि ∆t = 30°C
माना 0°C पर ग्लिसरीन का प्रा० आयतन V0 है।
माना 30°C पर ग्लिसरीन का आयतन V1 है।
तब V1 = v0 (1 + r ∆t)
= V0(1 + 49 × 10-5 × 30)
= V0(1 + 0.01470)
= 1.01470 V0
या \(\frac{V_{0}}{V_{1}}\) = \(\frac{1}{1.01470}\) ……………….. (i)
अतः प्रारम्भिक घनत्व, P0 = \(\frac{m}{V_{0}}\)
तथा अन्तिम घनत्व, P1 = \(\frac{m}{V_{t}}\)
जहाँ m ग्लिसरीन का द्रव्यमान है।
\(\frac{\Delta \rho}{\rho_{0}}\) = घनत्व में भिन्नात्मक परिवर्तन
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यहाँ गुणात्मक चिह्न प्रदर्शित करता है कि ताप में वृद्धि से घनत्व घटता है।
\(\frac{\Delta \rho}{\rho_{0}}\) = 0.0145 = 1.45 × 10-2
= -1.5 × 10-2

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प्रश्न 11.12
8.0 kg द्रव्यमान के किसी एल्युमीनियम के छोटे ब्लॉक में छिद्र करने के लिए किसी 10 W की बरमी का उपयोग किया गया है। 2.5 मिनट में ब्लॉक के ताप में कितनी वृद्धि हो जाएगी। यह मानिए कि 50% शक्ति तो स्वयं बरमी को गर्म करने में खर्च हो जाती है अथवा परिवेश में लुप्त हो जाती है। एल्युमीनियम की विशिष्ट ऊष्मा धारिता = 0.91Jg-1 K-1 है।
उत्तर:
दिया है:
m = 8 kg
शक्ति, P = 10 KW = 10 × 103 J/S
समय t = 2.5 मिनट = 150 सेकण्ड
विशिष्ट ऊष्मा धारिता S = 0.91 Jg-1 K-1
= 910 Jkg-1 K-1
2.5 मिनट में बमों द्वारा कम की गई ऊर्जा, E = Pt
= (10 × 103) × 150
= 1.5 × 106 जूल
माना सम्पूर्ण ऊर्जा ऊष्मा में परिवर्तित हो जाती है जिसका 50% बर्मे द्वारा अवशोषित हो जाता है।
अतः ब्लॉक द्वारा शोषित ऊष्मा,
θ = E का 50%
= 1.5 × 106 × \(\frac{50}{100}\)
= 1.5 × 106 जूल
माना शोषित ऊष्मा से ब्लॉक के ताप में वृद्धि ∆T है।
सूत्र θ = ms ∆T से,
∆T = \(\frac{θ}{ms}\) = \(\frac{0.75 \times 10^{-6}}{8 \times 910}\)
= 103°C

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प्रश्न 11.13
2.5 kg द्रव्यमान के ताँबे के गुटके को किसी भट्टी में 500°C तक तप्त करने के पश्चात् किसी बड़े हिम-ब्लॉक पर रख दिया जाता है। गलित हो सकने वाली हिम की अधिकतम मात्रा क्या है? ताँबे की विशिष्ट ऊष्मा धारिता = 0.39Jg-1 K-1; बर्फ की संगलन ऊष्मा = 335 Jg-1
उत्तर:
दिया है:
m = 2.5 kg
T1 = 500°C विशिष्ट ऊष्मा धारिता,
S = 0.39 Jg-1 K-1 = 390 Jkg-1 K-1
बर्फ की संगलन ऊष्मा,
Lf = 335 Jg-1
= 335 × 103 Jkg-1
प्रश्नानुसार, निकाय का अन्तिम ताप T2 = 0°C
∆T = T1 – T2
= 500°C या 500 K
सूत्र θ = ms ∆T से
गुट के द्वारा दी गई ऊष्मा,
θ = 2.5 × 390 × 500
= 48.75 × 107 J
माना कि बर्फ का m’ द्रव्यमान इस ऊष्मा को शोषित कर गल जाता है।
Q = m’Lf
m’ = \(\frac{\theta}{L_{f}}\)
= \(\frac{48.75 \times 10^{4}}{335 \times 10^{3}}\) = 1.45 kg

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प्रश्न 11.14
किसी धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता के प्रयोग में 0.20 kg के धातु के गुटके को 150°C पर तप्त करके, किसी ताँबे के ऊष्मामापी (जल तुल्यांक 30.025 kg), जिसमें 27°C का 150 cm3 जल भरा है, में गिराया जाता है। अंतिम ताप 40°C है। धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता परिकलित कीजिए। यदि परिवेश में क्षय ऊष्मा उपेक्षणीय न मानकर परिकलन किया जाता है, तब क्या आपका उत्तर धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता के वास्तविक मान से अधिक मान दर्शाएगा अथवा कम?
उत्तर:
दिया है:
गुटके का द्रव्यमान m = 0.20 kg
ऊष्मामापी का जल तुल्यांक m1 = 0.025 kg
भरे जल का द्रव्यमान m2 = 150 gm = 0.15 kg
गुटके का प्रारम्भिक ताप Ti = 150°C
ऊष्मामापी तथा जल का प्रारम्भिक ताप T’i = 27°C
मिश्रण का ताप, Tf = 40°C
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माना धातु की विशिष्ट ऊष्मा धारिता Sm है।
गुटके द्वारा दी गई ऊष्मा,
Q = ms(Ti – Tf)
तथा ऊष्मामापी व जल द्वारा ली गई ऊष्मा
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परन्तु दी गई ऊष्मा = ली गई ऊष्मा
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यदि हम परिवेश में ऊष्मा क्षय को नगण्य न मानकर परिकलित करें, तब उपरोक्त मान वास्तविक विशिष्ट ऊष्मा धारिता से कम मान दर्शाएगा।

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प्रश्न 11.15
कुछ सामान्य गैसों के कक्ष ताप पर मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताओं के प्रेक्षण नीचे दिए गए हैं –
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इन गैसों की मापी गई मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताएँ एक परमाणुक गैसों की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताओं से सुस्पष्ट रूप से भिन्न हैं। प्रतीकात्मक रूप में किसी एक परमाणुक गैस की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिता 2.92 cal/mol K होती है। इस अंतर का स्पष्टीकरण कीजिए। क्लोरीन के लिए कुछ अधिक मान (शेष की अपेक्षा) होने से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं?
उत्तर:
एक परमाणुक गैसों के अणुओं में सिर्फ स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा होती है परन्तु द्विपरमाणुक गैसों के अणुओं में स्थानान्तरीय गतिज ऊर्जा के अतिरिक्त घूर्णी गतिज ऊर्जा भी होती है। इसका कारण यह है कि द्विपरमाणुक गैसों के अणु अन्तराण्विक अक्ष के लम्बवत् दो अक्षों के परितः भी घूर्णन कर सकते हैं।

किसी गैस को ऊष्मा देने पर यह ऊष्मा अणुओं की सभी प्रकार की भुजाओं में समान वृद्धियाँ करती हैं। चूँकि द्विपरमाणुक गैसों के अणुओं की ऊर्जा के प्रकार अधिक होते हैं इसलिए इनकी मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिताएँ भी अधिक होती हैं। क्लोरीन की मोलर विशिष्ट ऊष्मा धारिता का अधिक मान यह व्यक्त करता है कि इसके अणु स्थानान्तरीय व घूर्णनी गतिज ऊर्जा के अतिरिक्त काम्पनिक गतिज ऊर्जा भी रखते हैं।

प्रश्न 11.16
101°F ताप ज्वर से पीड़ित किसी बच्चे को एन्टीपायरिन ( ज्वर कम करने की दवा) दी गई जिसके कारण उसके शरीर से पसीने के वाष्पन की दर में वृद्धि हो गई। यदि 20 मिनट में ज्वर 98°F तक गिर जाता है तो दवा द्वारा होने वाले अतिरिक्त वाष्पन की औसत दर क्या है? यह मानिए कि ऊष्मा ह्रास का एकमात्र उपाय वाष्पन ही है। बच्चे का द्रव्यमान 30 kg है। मानव शरीर की विशिष्ट ऊष्मा धारिता जल की विशिष्ट ऊष्मा धारिता के लगभग बराबर है तथा उस ताप पर जल के वाष्पन की गुप्त ऊष्मा 580 cal g-1 है।
उत्तर:
दिया है:
बच्चे का द्रव्यमान, m = 30 kg
ताप में गिरावट, ∆T = T1 – T2
= 101°F – 98°F
= 3°F = 3 × \(\frac{5}{9}\)°C
या ∆T = \(\frac{5}{3}\)°C
मानव शरीर की विशिष्ट ऊष्मा
C = 4.2 × 103 Jkg-1C-1
वाष्पन की गुप्त ऊष्मा = 580 cal g-1
= 580 × 4.2 × 103 Jkg-1C-1
माना 20 मिनट में बच्चे के शरीर से m ग्राम पसीना उत्सर्जित होता है।
माना आवश्यक ऊष्मा Q है।
अतः Q = m’L
= m × 580 × 4.2 × 103 J ……………. (i)
माना पसीने के उत्सर्जन के रूप में ऊष्मा Q का ह्रास होता है।
अतः Q = mCAT
= 30 × 4.2 × 103 × 51
= 2.10 × 105 J ………………. (ii)
समी० (i) व (ii) से,
m’ × 580 × 4.2 × 103
= 2.1 x 105
या m’ = \(\frac{2.1 \times 10^{5}}{580 \times 4.2 \times 10^{3}}\)
= \(\frac{10}{116}\) = 0.0862 kg
पसीने के उत्सर्जित होने की दर
= \(\frac{m’}{t}\) = \(\frac{0.0862}{20}\)
= 0.00431 kg min-1 = 4.31 g min-1

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प्रश्न 11.17
थर्मोकोल का बना ‘हिम बॉक्स’ विशेषकर गर्मियों में कम मात्रा के पके भोजन के भंडारण का सस्ता तथा दक्ष साधन है। 30 cm भुजा के किसी हिम बॉक्स की मोटाई 5.0 cm है। यदि इस बॉक्स में 4.0 kg हिम रखा है तो 6 h के पश्चात् बचे हिम की मात्रा का आंकलन कीजिए। बाहरी ताप 45°C है तथा थर्मोकोल की ऊष्मा चालकता 0.01 Js-1 m-1 K-1 है। (हिम की संगलन ऊष्मा = 335 × 103 Jkg-1)
उत्तर:
दिया है:
घन के छह पृष्ठों का क्षेत्रफल
= 6 × 30 × 30 cm2
= 6 × 900 × 10-4 m2
दूरी, d = 5.0 cm = 5.0 × 10-2 m
बर्फ का कुल द्रव्यमान, M = 4 kg
समय t = 6 h = 6 × 60 × 60s
बक्से के बाहर का ताप = Q1 = 45°C
बक्से के भीतर का ताप = Q2 = 0°C
∆θ = θ1 – θ1 = 45 – 0
= 45°C
संगलन की ऊष्मा,
L = 335 × 103 Jkg-1
थर्माकोल की ऊष्मीय चालकता गुणांक
= K = 0.01 Js-1 m-10 K-1
माना बर्फ का m kg द्रव्यमान गलता है
अतः 0°C पर गलन के लिए आवश्यक ऊष्मा,
Q = mL ……………. (i)
पुनः Q = KA \(\frac{∆θ}{d}\) t ……………… (ii)
समी० (i) व (ii) से,
m = \(\frac{KA}{L}\) \(\frac{∆θ}{d}\) t
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= 0.313 kg
बॉक्स में शेष बची हिम का द्रव्यमान = M – m
= 4 – 0.313
= 3.687
= 3.7 किग्रा

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प्रश्न 11.18
किसी पीतल के बॉयलर की पेंदी का क्षेत्रफल 0.15 m2 तथा मोटाई 1.0 cm है। किसी गैस स्टोव पर रखने पर इसमें 6.0 kg/min की दर से जल उबलता है। बॉयलर के संपर्क की ज्वाला के भाग का ताप आकलित कीजिए। पीतल की ऊष्मा चालकता = 109 Js-1 m-1 K-1; जल की वाष्पन ऊष्मा = 2256 × 103 Jkg-1 है।
उत्तर:
दिया है:
K = 109 Js-1 m-1 K-1
A = 0.15 m2
d = 1.0 cm = 10-2 m θ2 = 100°C
माना बॉयलर के स्टोव के सम्पर्क वाले हिस्से का ताप θ1 है।
अत: Q = \(\frac{K A\left(\theta_{1}-\theta_{2}\right)}{d}\)
Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण
जल के, वाष्पीकरण की ऊष्मा,
L = 2256 × 103 Jkg-1
बॉयलर में जल के उबलने की दर,
M = 6.0 kg min-1
= \(\frac{6.0}{60}\) = 0.1 kg-1 s
जल द्वारा प्रति सेकण्ड अवशोषित ऊष्मा, Q = ML
या Q = 0.1 × 2256 × 103 Js-1
समी० (i) व (ii) से
1635 (θ1 – 100) = 2256 × 102
या θ1 – 100 = \(\frac{2256×100}{1635}\) = 138
θ1 = 100 + 138 = 238°C

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प्रश्न 11.19
स्पष्ट कीजिए कि क्यों –
(a) अधिक परावर्तकता वाले पिंड अल्प उत्सर्जक होते हैं।
(b) कँपकँपी वाले दिन लकड़ी की ट्रे की अपेक्षा पीतल का गिलास कहीं अधिक शीतल प्रतीत होता है।
(c) कोई प्रकाशिक उत्तापमापी ( उच्च तापों को मापने की युक्ति), जिसका अंशांकन किसी आदर्श कृष्णिका के विकिरणों के लिए किया गया है,खुले में रखे किसी लाल तप्त लोहे के टुकड़े का ताप काफी कम मापता है, परन्तु जब उसी लोहे के टुकड़े को भट्टी में रखते हैं, तो वह ताप का सही मान मापता है।
(d) बिना वातावरण के पृथ्वी अशरणीय शीतल हो जाएगी।
(e) भाप के परिचालन पर आधारित तापन निकाय तप्त जल के परिचालन पर आधारित निकायों की अपेक्षा भवनों को उष्ण बनाने में अधिक दक्ष होते हैं।
उत्तर:
(a) चूँकि उच्च परावर्तकता वाले पिंड अपने ऊपर गिरने वाले अधिकांश विकिरण को परावर्तित कर देते हैं। अतः वे अल्प अवशोषक होते हैं। इसी कारण वे अल्प उत्सर्जक भी होते हैं।

(b) लकड़ी की ट्रे ऊष्मा की कुचालक होती है तथा पीतल का गिलास ऊष्मा का सुचालक होता है। कँपकँपी वाले दिन दोनों ही समान ताप पर होंगे। लेकिन स्पर्श करने पर गिलास हमारे हाथ से तेजी से ऊष्मा लेता है जबकि लकड़ी की ट्रे बहुत कम ऊष्मा लेती है। अतः गिलास ट्रे की तुलना में अधिक ठण्डा लगता है।

(c) चूँकि खुले में रखे तप्त लोहे का गोला तीव्रता से ऊष्मा खोता है तथा कम ऊष्माधारिता के कारण तीव्रता से ठण्डा होता जाता है। इस प्रकार उत्तापमापी को पर्याप्त विकिरण ऊर्जा लगातार नहीं मिल पाती है। जबकि भट्टी में रखने पर, गोले का ताप स्थिर बना रहता है तथा यह नियत दर से विकिरण उत्सर्जित करता है।

(d) चूँकि वायु ऊष्मा की कुचालक है। अतः पृथ्वी के चारों ओर का वायुमण्डल एक कम्बल की तरह व्यवहार करता है तथा पृथ्वी से उत्सर्जित होने वाले ऊष्मीय विकिरणों को वापस पृथ्वी की ओर को परावर्तित करता है। वायुमण्डल की अनुपस्थिति में, पृथ्वी से उत्सर्जित होने वाले ऊष्मीय विकिरण सीधे सुदूर अन्तरिक्ष में चले जाते हैं। एवम् पृथ्वी अशरणीय शीतल हो जाएगी।

(e) चूँकि 1 g जलवाष्प, 100°C के 1 g जल की तुलना में 540 cal अतिरिक्त ऊष्मा रखती है। अतः स्पष्ट है कि जलवाष्प आधारित तापन निकाय, तप्त जल आधारित तापन निकाय से ज्यादा दक्ष है।

Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 11.20
किसी पिंड का ताप 5 मिनट में 80°C से 50°C हो जाता है। यदि परिवेश का ताप 20°C है, तो उस समय का परिकलन कीजिए जिसमें उसका ताप 60°C से 30°C हो जाएगा।
उत्तर:
80°C व 50°C का माध्य ताप 65°C है।
अतः परिवेश ताप से अन्तर = (65 – 20) = 45°C
सूत्र ताप में कमी/समयान्तराल = K (तापान्तर) से …………… (i)
60°C व 30° C का माध्य ताप 45°C है।
इसका परिवेश ताप से अन्तर (45 – 20) = 25°C
या t = \(\frac{30}{6}\) × \(\frac{45}{25}\) = 9 मिनट
अतः पिंड के ताप को 60°C से 30°C तक गिरने में 9 मिनट लगते हैं।

Bihar Board Class 11 Physics द्रव्य के तापीय गुण Additional Important Questions and Answers

अतिरिक्त अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 11.21
CO2 के P – T प्रावस्था आरेख पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(a) किस ताप व दाब पर CO2 की ठोस, द्रव तथा वाष्प प्रावस्थाएँ साम्य में सहवर्ती हो सकती हैं?
(b) CO2 के गलनांक तथा क्वथनांक पर दाब में कमी का क्या प्रभाव पड़ता है?
(c) CO2 के लिए क्रांतिक ताप तथा दाब क्या हैं? इनका क्या महत्व है?
(d)

  • -70°C ताप व 1 atm दाब
  • -60°Cताप व 10atm दाब
  • 15°C ताप व 56 atm दाब पर CO2 ठोस, द्रव अथवा गैस में से किस अवस्था में होती है?

उत्तर:
(a) -56.6°C ताप व 5.11 वायुमण्डलीय दाब पर।
(b) दाब में कमी होने पर दोनों घटते हैं।
(c) CO2 के लिए क्रान्तिक ताप 31.1°C व क्रान्तिक दाब 73 वायुमण्डलीय दाब है।
(d)

  • – 70°C ताप व 1 atm दाब पर वाष्प या गैसीय अवस्था में।
  • – 60°C ताप व 10 atm दाब पर ठोस अवस्था में।
  • 15°C ताप व 56 atm दाब पर द्रव अवस्था में।

Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 11 द्रव्य के तापीय गुण

प्रश्न 11.22
CO2 के P – T प्रावस्था आरेख पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(a) 1 atm दाब तथा – 60°Cताप पर CO2 का समतापी संपीडन किया जाता है? क्या यह द्रव प्रावस्था में जाएगी?
(b) क्या होता है जब 4atm दाब व CO2 का दाब नियत रखकर कक्ष ताप पर शीतन किया जाता है?
(c) 10 atm दाब तथा -65°C ताप पर किसी दिए गए द्रव्यमान की ठोस CO2 को दाब नियत रखकर कक्ष ताप तक तप्त करते समय होने वाले गुणात्मक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
(d) CO2 को 70°C तक तप्त तथा समतापी संपीडित किया जाता है। आप प्रेक्षण के लिए इसके किन गुणों में अंतर की अपेक्षा करते हैं?
उत्तर:
(a) समतापी सम्पीडनं से तात्पर्य है कि गैस को – 60°C ताप पर दाब अक्ष के समान्तर ऊपर को ले जाया जाता है। इसके लिए हम (- 60°C) ताप पर दाब अक्ष के समान्तर रेखा खींचते हैं। यह रेखा गैसीय क्षेत्र से सीधे ठोस क्षेत्र में प्रवेश कर जाती है तथा द्रव क्षेत्र से नहीं जाती है। अर्थात् गैस बिना द्रवित हुए ठोस में परिवर्तित हो जाती है।

(b) यहाँ पर 4 atm दाब पर ताप अक्ष के समान्तर रेखा खींचते हैं। हम देखते हैं कि यहाँ रेखा वाष्प क्षेत्र से सीधे ठोस क्षेत्रों में प्रवेश करती है। इसका तात्पर्य है कि गैस, बिना द्रवित हुए ठोस अवस्था में संघनित होगी।

(c) यहाँ हम 10 atm दाब व – 65°C ताप से प्रारम्भ कर ताप अक्ष के समान्तर रेखा खींचते हैं। यह रेखा ठोस क्षेत्र से द्रव क्षेत्र तथा बाद में वाष्प क्षेत्र में प्रवेश करती है। इसका तात्पर्य यह है कि इस ताप व दाब पर गैस ठोस अवस्था में होगी। गर्म करने पर यह गैस धीरे-धीरे द्रवास्था में आ जाएगी व पुनः गर्म करने पर गैसीय अवस्था में आ जाएगी।

(d) चूँकि 70°C ताप गैस के क्रान्ति ताप से अधिक है। अतः इसे समतापी सम्पीडन से द्रवित नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार चिर स्थायी गैसों की भाँति दाब बढ़ाते जाने पर इसका आयतन कम होता जाएगा।

Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति

Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 4 समतल में गति

Bihar Board Class 11 Physics समतल में गति Text Book Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 4.1
निम्नलिखित भौतिक राशियों में से बतलाइए कि कौन-सी सदिश है और कौन-सी अदिश:
आयतन, द्रव्यमान, चाल, त्वरण, घनत्व, मोल संख्या, वेग, कोणीय आवृत्ति, विस्थापन, कोणीय वेग।
उत्तर:
त्वरण, वेग, विस्थापन तथा कोणीय वेग, सदिश राशियाँ हैं जबकि आयतन, द्रव्यमान, चाल, घनत्व, मोल संख्या तथा कोणीय आवृत्ति अदिश राशि हैं।

प्रश्न 4.2
निम्नांकित सूची में से दो अदिश राशियों को छाँटिए –
बल, कोणीय संवेग, कार्य, धारा, रैखिक संवेग, विद्युत क्षेत्र, औसत वेग, चुंबकीय आघूर्ण, आपेक्षिक वेग।
उत्तर:
कार्य तथा धारा अदिश राशियाँ हैं।

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प्रश्न 4.3
निम्नलिखित सूची में से एकमात्र सदिश राशि को छाँटिए –
ताप, दाब, आवेग, समय, शक्ति, पूरी पथ-लंबाई, ऊर्जा, गुरुत्वीय विभव, घर्षण गुणांक, आवेश।
उत्तर:
आवेश एक मात्र अदिश राशि है।

प्रश्न 4.4
कारण सहित बताइए कि अदिश तथा सदिश राशियों के साथ क्या निम्नलिखित बीजगणितीय संक्रियाएँ अर्थपूर्ण हैं?

  1. दो अदिशों को जोड़ना
  2. एक ही विमाओं के एक सदिश व एक अदिश को जोड़ना
  3. एक सदिश को एक अदिश से गुणा करना
  4. दो अदिशों का गुणन
  5. दो सदिशों को जोड़ना
  6. एक सदिश के घटक को उसी सदिश से जोड़ना।

उत्तर:

  1. नहीं, क्योंकि दो अदिशों का जोड़ तभी अर्थपूर्ण होगा जबकि दोनों समान भौतिक राशि को व्यक्त करते हैं।
  2. नहीं, क्योंकि सदिश को केवल सदिश के साथ एवम् अदिश को केवल अदिश के साथ ही जोड़ा जा सकता है।
  3. अर्थपूर्ण है।
  4. अर्थपूर्ण है।
  5. नहीं, क्योंकि यह केवल तभी अर्थपूर्ण होगा जबकि दोनों एक ही भौतिक राशि को व्यक्त करते हैं।
  6. अर्थपूर्ण है।

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प्रश्न 4.5
निम्नलिखित में से प्रत्येक कथन को ध्यानपूर्वक पढ़िए और कारण सहित बताइए कि यह सत्य है या असत्य:

  1. किसी सदिश का परिमाण सदैव एक अदिश होता है
  2. किसी सदिश का प्रत्येक घटक सदैव अदिश होता है
  3. किसी कण द्वारा चली गई पथ की कुल लंबाई सदैव विस्थापन सदिश के परिमाण के बराबर होती है
  4. किसी कण की औसत चाल (पथ तय करने में लगे समय द्वारा विभाजित कुल पथ-लंबाई) समय के समान-अंतराल में कण के औसत वेग के परिमाण से अधिक या उसके बराबर होती है।
  5. उन तीन सदिशों का योग जो एक समतल में नहीं हैं, कभी भी शून्य सदिश नहीं होता।

उत्तर:

  1. सत्य, चूँकि किसी भी सदिश राशि का परिमाण एक धनात्मक संख्या है, जिसमें दिशा नहीं होती है। इसलिए यह एक अदिश राशि है।
  2. असत्य, चूँकि किसी सदिश का प्रत्येक घटक एक सदिश राशि होता है।
  3. असत्य, जैसे-किसी चक्रीय क्रम में प्रतिचक्र विस्थापन शून्य होता है।
  4. सत्य, चूँकि औसत्त चाल पूर्ण पथ की लम्बाई पर जबकि औसत वेग कुल विस्थापन पर निर्भर करता है तथा पूर्ण पथ की लम्बाई विस्थापन के बराबर अथवा अधिक होती है।
  5. सत्य, चूँकि तीनों सदिश एक समतल में नहीं हैं।

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प्रश्न 4.6
निम्नलिखित असमिकाओं की ज्यामिति या किसी अन्य विधि द्वारा स्थापना कीजिए:
(a) |a + b| ≤ |a| + |b|
(b) |a + b| ≥ |a| – |b|
(c) |a – b| ≤ |a| + |b|
(d) |a – b| ≥ |a| – |b|
इनमें समिका (समता) का चिह्न कब लागू होता है?
उत्तर:
माना \(\overrightarrow{O A}\) = \(\vec{a}\) ⇒ OA = a
तथा \(\overrightarrow{A B}\) = \(\vec{b}\) ⇒ AB = b

(a) सदिश योग के त्रिभुज नियम से,
\(\vec{a}\) + \(\vec{b}\) = \(\overrightarrow{O A}\) + \(\overrightarrow{A B}\) = \(\overrightarrow{O B}\)
तथा (\(\vec{a}\) + \(\vec{b}\)) = OB
परन्तु ∆OAB में, OB ≤ OA + AB

(b) |\(\vec{a}\) + \(\vec{b}\)| ≤ |\(\vec{a}\)| + |\(\vec{b}\)|
चूँकि किसी त्रिभुज में प्रत्येक भुजा शेष दो भुजाओं के अन्तर से बड़ी होती है।
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∴ OB ≥ OA – OB
या |\(\vec{a}\) + \(\vec{b}\)| ≥ |\(\vec{a}\)| – |\(\vec{b}\)| ……………. (1)
अतः समीकरण (1) तथा (2) से,
|\(\vec{a}\) + \(\vec{b}\)| ≥ ||\(\vec{a}\) – \(\vec{b}\)|| ……………. (2)
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(c) चित्र – 2 से, AB’ = AB
परन्तु \(\overrightarrow{A B}^{\prime}\) = – \(\vec{b}\), \(\vec{AB}\) = \(\vec{b}\)
∴ |-\(\vec{b}\)| = |\(\vec{b}\)| = AB
सदिश योग के त्रिभुज निमय से,
\(\vec{a}\) – \(\vec{b}\) = \(\vec{a}\) + (-\(\vec{b}\))
= \(\overrightarrow{O A}\) + \(\overrightarrow{A B}^{\prime}\) = \(\overrightarrow{O B}^{\prime}\)
= |\(\vec{a}\) – \(\vec{b}\)| = OB’
∆OAB’ (चित्र – 2) में,
OB’ ≤ OA + AB’
∴ |\(\vec{a}\) – \(\vec{b}\)| ≤ |\(\vec{a}\)| + |\(\vec{-b}\)|
अर्थात् |\(\vec{a}\) – \(\vec{b}\)| ≤ |\(\vec{a}\)| + |\(\vec{-b}\)|

(d) चूँकि किसी त्रिभुज में प्रत्येक भुजा शेष दो भुजाओं के अन्तर से बड़ी होती हैं।
∴ OB’ ≥ OA – AB’
⇒ |\(\vec{a}\) – \(\vec{b}\)| – |\(\vec{a}\)| – |\(\vec{b’}\)| …………. (3)
इसी प्रकार
OB’ – AB’ – OA
⇒ |\(\vec{a}\) – \(\vec{b}\)| ≥ ||\(\vec{b}\)| – |\(\vec{a}\)|| …………….. (4)
समीकरण (3) तथा (4) से,
[\(\vec{a}\) – \(\vec{b}\)] ≥ ||\(\vec{a}\)| – |\(\vec{b}\)||
उपरोक्त समस्त असमिका में समिका तभी लागू होगी जबकि \(\vec{a}\) व \(\vec{b}\) समदिश होंगे।

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प्रश्न 4.7
दिया है a + b + c + d = 0, नीचे दिए गए कथनों में से कौन – सा सही है:
(a) a, b, c तथा d में से प्रत्येक शून्य सदिश है।
(b) (a + c) का परिमाण (b + d) के परिमाण के बराबर है।
(c) a का परिमाण b, c तथा d के परिमाणों के योग से कभी भी अधिक नहीं हो सकता।
(d) यदि a तथा d संरेखीय नहीं हैं तो b + c अवश्य ही a तथाd के समतल में होगा, और यह a तथाd के अनुदिश होगा यदि वे संरेखीय हैं।
उत्तर:
(a) यह कथन सही नहीं है।

(b) दिया है:
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अतः कथन (b) सत्य है।

(c) दिया है:
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अतः कथन (c) सत्य है।

(d) दिया है:
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चूँकि \(\bar{a}\) व \(\bar{d}\) संरेखीय नहीं हैं
अतः \(\vec{a}\) + \(\vec{d}\), \(\vec{a}\) व \(\vec{d}\) के समतल में होगा। इसलिए (\(\vec{b}\) + \(\vec{c}\)) भी aव के समतल होगा।
अतः कथन (d) सही है।

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प्रश्न 4.8
तीन लड़कियाँ 200 m त्रिज्या वाली वृत्तीय बर्फीली सतह पर स्केटिंग कर रही हैं। वे सतह के किनारे के बिंदु P से स्केटिंग शुरू करती हैं तथा P के व्यासीय विपरीत बिंदु पर विभिन्न पथों से होकर पहुँचती हैं जैसा कि (चित्र) में दिखाया गया है। प्रत्येक लड़की के विस्थापन सदिश का परिमाण कितना है? किस लड़की के लिए यह वास्तव में स्केट किए गए पथ की लंबाई के बराबर है।
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उत्तर:
प्रत्येक लड़की का विस्थापन सदिश = PQ
विस्थापन सदिश \(\overrightarrow{P Q}\) का परिमाण = 2 × त्रिज्या
= 2 × 200
= 400 मीटर
दिए गए चित्र से स्पष्ट है कि लड़की B द्वारा तय किए गए पथ की लम्बाई 400 मीटर है। अतः इस लड़की के लिए, विस्थापन सदिश का परिमाण वास्तव में स्केट किए गए पथ की लम्बाई के समान है।

प्रश्न 4.9
कोई साइकिल सवार किसी वृत्तीय पार्क के केंद्र O से चलना शुरू करता है तथा पार्क के किनारे P पर पहुँचता है। पुनः वह पार्क की परिधि के अनुदिश साइकिल चलाता हुआ QO के रास्ते (जैसा (चित्र) में दिखाया गया है) केंद्र पर वापस आ जाता है। पार्क की त्रिज्या 1 km है। यदि पूरे चक्कर में 10 मिनट लगते हों तो साइकिल सवार का –
(a) कुल विस्थापन
(b) औसत वेग, तथा
(c) औसत चाल क्या होगी?
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उत्तर:
(a) कुल विस्थापन = 0 [∵ साइकिल सवार वापस प्रारम्भिक बिन्दु O पर लौट आता है।]

(b)
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= \(\frac{0}{10/60}\) = 0

(c)
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अतः कुल चली दूरी = त्रिज्या OP + \(\hat{P Q}\) + त्रिज्या OPQ
= 1 + \(\frac{1}{4}\) × 2 × π × 1 + 1
= 1 + \(\frac{1}{2}\) × 3.14 + 1
= 1 + 1.57 + 1
= 3.57 किमी
कुल लिया समय = 10 मिनट = \(\frac{10}{60}\) घण्टा
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= 3.57 × 60
= 214.20 किमी/घण्टा

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प्रश्न 4.10
किसी खुले मैदान में कोई मोटर चालक एक ऐसा रास्ता अपनाता है जो प्रत्येक 500 m के बाद उसके बाई ओर 60° के कोण पर मुड़ जाता है। किसी दिए मोड़ से शुरू होकर मोटर चालक का तीसरे, छठे व आठवें मोड़ पर विस्थापन बताइए। प्रत्येक स्थिति में मोटर चालक द्वारा इन मोड़ों पर तय की गई कुल पथ-लंबाई के साथ विस्थापन के परिमाण की तुलना कीजिए।
उत्तर:
मोटर चालक चित्रानुसार, समषट्भुज ABCDEF के अनुदिश चलेगा।
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1. माना कि मोटर चालक समषट्भुज के शीर्ष A से चलकर, शीर्ष D पर तीसरा मोड़ लेता है।
दिया है: समषट्भुज की भुजा = 500 मीटर
चित्रानुसार
तीसरे मोड़ पर विस्थापन AD = 2BC = 2 × 500 = 1000 मीटर
पथ की लम्बाई
= AB + BC + CD = 500 + 500 + 500
= 1500 मीटर
∴ विस्थापन : पथ की लम्बाई = \(\frac{1000}{1500}\) = 2 : 3

2. मोटर चालक द्वारा लिए गए छठे मोड़ पर विस्थापन = शून्य
[∵ चालक वापस A पर पहुँच जाता है।]
पथ की लम्बाई = 6 × भुजा की ल०
= 6 × 500
= 3000 मीटर
∴ विस्थापन पथ की लम्बाई = \(\frac{0}{3000}\) = 0

3. मोटर चालक आठवाँ मोड़ C पर लेगा।
∴ विस्थापन
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कुल पथ की लम्बाई = 8 × AB = 4000 मीटर
∴ विस्थापन : पथ की लम्बाई
= \(\frac{500 \sqrt{3}}{4000}\) = \(=\frac{\sqrt{3}}{8}\) = \(\sqrt{3}\) : 8
= 0.22

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प्रश्न 4.11
कोई यात्री किसी नए शहर में आया है और वह स्टेशन से किसी सीधी सड़क पर स्थित किसी होटल तक जो 10km दूर है, जाना चाहता है। कोई बेईमान टैक्सी चालक 23 km के चक्करदार रास्ते से उसे ले जाता है और 28 मिनट में होटल में पहुँचता है।
(a) टैक्सी की औसत चाल, और
(b) औसत वेग का परिमाण क्या होगा? क्या वे बराबर हैं?
उत्तर:
दिया है:
कुल चली दूरी = 23 किमी
लगा समय = 28 मिनट = 2 घण्टा = \(\frac{28}{60}\) घण्टा
टैक्सी का विस्थापन = 10 किमी

(a)
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= \(\frac{23}{28/60}\)
= 49.3 किमी प्रति घण्टा

(b)
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नहीं, चूँकि केवल सीधे पथों के लिए ही परिमाण में माध्य चाल, माध्य वेग के समान होती है।

प्रश्न 4.12
वर्षा का पानी 30 ms-1 की चाल से ऊर्ध्वाधर नीचे गिर रहा है। कोई महिला उत्तर से दक्षिण की ओर 10 ms-1 की चाल से साइकिल चला रही है। उसे अपना छाता किस दिशा में रखना चाहिए?
उत्तर:
दिया है:
वर्षा की चाल \(\vec{v} r\) = 30 मीटर/सेकण्ड
तथा महिला की चाल \(\vec{v} w\) = 10 मीटर/सेकण्ड
महिला को स्वयं को वर्षा से बचाने के लिए छाते को वर्षा तथा महिला के सापेक्ष वेग \(\vec{v} w\) की दिशा में रखना चाहिए।
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माना सापेक्ष वेग \(\vec{v}\) rw ऊर्ध्वाधर से θ कोण बनाता है।
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= 0.33
∴ θ = 18.26

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प्रश्न 4.13
कोई व्यक्ति स्थिर पानी में 4.0 km/h की चाल से तैर सकता है। उसे 1.0 km चौड़ी नदी को पार करने में कितना समय लगेगा यदि नदी 3.0 km/h की स्थिर चाल से बह रही हो और वह नदी के बहाव के लंब तैर रहा हो। जब वह नदी के दूसरे किनारे पर पहुँचता है तो वह नदी के बहाव की ओर कितनी दूर पहुँचेगा?
उत्तर:
दिया है:
व्यक्ति की चाल = 4 किमी प्रति घण्टा
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चली दूरी = 1 किमी
नदी की चाल = 3 किमी/घण्टा
माना नदी को पार करने में लिया गया समय = t
सूत्र,
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समय t = \(\frac{1}{4}\) घण्टा = 15 मिनट
अत: व्यक्ति द्वारा 15 मिनट में चली दूरी = 3 × \(\frac{1}{4}\)
\(\frac{3}{4}\) किमी
\(\frac{3}{4}\) × 1000
= 750 मीटर

प्रश्न 4.14
किसी बंदरगाह में 72 km/h की चाल से हवा चल रही है और बंदरगाह में खड़ी किसी नौका के ऊपर लगा झंडा N – E दिशा में लहरा रहा है। यदि वह नौका उत्तर की ओर 51 km/h चाल से गति करना प्रारंभ कर दे तो नौका पर लगा झंडा किस दिशा में लहराएगा?
उत्तर:
दिया है:
वायु का वेग \(\vec{v}_{a}\) = 72 किमी प्रति घण्टा N – E दिशा में तथा नौका का वेग \(\vec{v}_{b}\) = 51 किमी प्रति घण्टा उत्तर दिशा में।
नौका का वायु के सापेक्ष वेग,
\(\vec{v}_{a}\) = \(\vec{v}_{a}\) – \(\vec{v}_{b}\)
= 72 – 51
= 21 किमी/घण्टा
यह सापेक्ष वेग, वायु वेग (\(\vec{v}_{a}\)) तथा नौका के विपरीत दिशा को (-\(\vec{v}_{b}\)) के परिणाम के बराबर होगा एवम् झण्डा वेग \(\vec{v}_{ab}\), को दिशा में लहराएगा।
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माना कि सापेक्ष वेग (\(\vec{v}\) ab) वेग \(\vec{v}\) a से θ कोण बनाता है तथा वेगों \(\vec{v}\) a व \(\vec{v}\) b के बीच 135° का कोण है।
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= 1.0035
∴ θ = 45.1°
अतः सापेक्ष वेग \(\bar{v}\) ab द्वारा पूर्व दिशा में बनाया गया कोण,
= θ – 45°
= 45.1 – 45
= 0.1
अर्थात् झण्डा लगभग पूर्व दिशा में ही लहराएगा।

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प्रश्न 4.15
किसी लंबे हाल की छत 25 m ऊँची है। वह अधिकतम क्षैतिज दूरी कितनी होगी जिसमें 40 ms-1 की चाल से फेंकी गई कोई गेंद छत से टकराए बिना गुजर जाए?
उत्तर:
दिया है:
अधिकतम ऊँचाई Hmax = 25 मीटर
तथा वेग, V0 = 40 मीटर/सेकण्ड
माना कि गेंद को प्रक्षेप्य कोण θ से फेंका जाता है। तब सूत्र,
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∴ θ = 33.6°
∴ अधिकतम परास,
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= 150.5 मीटर

प्रश्न 4.16
क्रिकेट का कोई खिलाड़ी किसी गेंद को 100 m की अधिकतम क्षैतिज दूरी तक फेंक सकता है। वह खिलाड़ी उसी गेंद को जमीन से ऊपर कितनी ऊँचाई तक फेंक सकता है।
उत्तर:
दिया है:
अधिकतम परास Rmax = 100 मीटर
सूत्र, Rmax = \(\frac{u_{0}^{2}}{g}\) से
\(u_{0}^{2}\) = Rmax × g
= 100 × 9.8
= 980
∴ u0 = 1980
= 14 – 15 मीटर/सेकण्ड
अत: व्यक्ति गेंद का अधिकतम वेग 14\(\sqrt{5}\) मीटर/सेकण्ड से फेंक सकता है। अतः गेंद को अधिकतम ऊँचाई तक फेंकने के लिए उसे ऊर्ध्वाधरत ऊपर की ओर फेंकना होगा।
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= 50 मीटर

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प्रश्न 4.17
80 cm लंबे धागे के एक सिरे पर एक पत्थर बाँधा गया है और इसे किसी एकसमान चाल के साथ किसी क्षैतिज वृत्त में घुमाया जाता है। यदि पत्थर 25 s में 14 चक्कर लगाता है तो पत्थर के त्वरण का परिमाण और उसकी दिशा क्या होगी?
उत्तर:
दिया है:
त्रिज्या R = 80 सेमी = 0.8 मीटर
चक्कर n = 14
समय t = 25
सूत्र आवर्तकाल T = \(\frac{t}{n}\) = \(\frac{25}{14}\) सेकण्ड
पत्थर की रेखीय चाल v = \(\frac{2πR}{T}\)
= \(\frac{2×22/7×0.8}{25/14}\)
= 2.8 मीटर/सेकण्ड
तथा पत्थर का त्वरण
ac = \(\frac{v^{2}}{R}=\frac{(2.8)^{2}}{(0.8)}\)
= 9.8 मीटर/सेकण्ड2
पत्थर के त्वरण की दिशा केन्द्र की ओर होगी।

प्रश्न 4.18
कोई वायुयान 900 km h-1 की एकसमान चाल से उड़ रहा है और 1.00 km त्रिज्या का कोई क्षैतिज लूप बनाता है। इसके अभिकेन्द्र त्वरण की गुरुत्वीय त्वरण के साथ तुलना कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
वायुयान की चाल, v = 900 किमी प्रति घण्टा
त्रिज्या, R = 1 किमी
सूत्र त्वरण, ac = \(\frac{v^{2}}{R}\) = \(\frac{900×900}{1}\)
= 81 × 104 किमी/घण्टा2
\(\frac{81 \times 10^{4} \times 1000}{(60 \times 60)^{2}}\) = 62.5 मीटर/सेकण्ड2
गुरुत्वीय त्वरण g = 9.8 मीटर/सेकण्ड2
∴ \(\frac{a_{c}}{g}\) = \(\frac{62.5}{9.8}\)
= 6.38
अत: अभिकेन्द्र त्वरण, गुरुत्वीय त्वरण का 6.38 गुना है।

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प्रश्न 4.19
नीचे दिए गए कथनों को ध्यानपूर्वक पढ़िए और कारण देकर बताइए कि वे सत्य हैं या असत्य:

  1. वृत्तीय गति में किसी कण का नेट त्वरण हमेशा वृत्त की त्रिज्या के अनुदिश केंद्र की ओर होता है।
  2. किस बिंदु पर किसी कण का वेग सदिश सदैव उस बिंदु पर कण के पथ की स्पर्श रेखा के अनुदिश होता है।
  3. किसी कण का एक समान वृत्तीय गति में एक चक्र में लिया गया औसत त्वरण सदिश एक शून्य सदिश होता है।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य।

प्रश्न 4.20
किसी कण की स्थिति सदिश निम्नलिखित है:
\(\vec{r}\) = (3.0t\(\hat{i}\) – 2.0t2\(\hat{j}\) + 4.0\(\hat{k}\)) m
समय t सेकण्ड में है तथा सभी गुणांकों के मात्रक इस प्रकार से हैं कि में मीटर में व्यक्त हो जाए।
(a) कण का v तथा a निकालिए।
(b) t = 2.0 s पर कण के वेग का परिमाण तथा दिशा कितनी होगी?
उत्तर:
दिया है:
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(b)
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माना वेग की दिशा x – अक्ष से धन दिशा में θ कोण पर है।
∴ tan θ = \(\frac{v_{y}}{v_{x}}\) = \(\frac{-8}{3}\)
θ = – tan-1 (2.67)
= -69.4

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प्रश्न 4.21
कोई कण t = 0 क्षण पर मूल बिंदु से 10\(\hat{j}\) ms-1 के वेग से चलना प्रारंभ करता है तथा x – y समतल में एकसमान त्वरण (8.0\(\hat{i}\) + 2.0\(\hat{j}\)) ms-2 से गति करता है।
(a) किस क्षण कण का निर्देशांक 16 m होगा? इसी समय इसका y – निर्देशांक कितना होगा?
(b) इस क्षण कण की चाल कितनी होगी?
उत्तर:
दिया है:
\(\overrightarrow{r_{0}}\) = 0\(\hat{i}\) + o\(\hat{j}\)
वेग \(\overrightarrow{v_{0}}\) = 10\(\hat{j}\) मीटर/सेकण्ड2
त्वरण \(\vec{a}\) = (8\(\hat{i}\) + 2\(\hat{j}\)) मीटर/सेकण्डर2
अतः t समय पर कण का स्थिति सदिश,
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समी० \(\vec{r}\) = x\(\hat{i}\) + y\(\hat{j}\) से तुलना करने पर,
x = 4t2,
y = 10t + t2

(a) x = 16 मीटर रखने पर,
16 = 4t2
t = \(\sqrt{16/4}\) = 2
∴ y = 10 × 2 + 22
= 20 × 4
= 24 मीटर
अतः t = 2 सेकण्ड पर, y निर्देशांक 24 मीटर होगा।

(b) vx = \(\frac{dx}{dt}\) = 8t
तथा vy = \(\frac{dy}{dt}\) = 10 + 22
∴ (vx)t=2 = 8 × 2 = 16 मीटर/सेकण्ड
तथा (vy)t=2 = 10 + 2 × 2 = 14 मीटर/सेकण्ड
∴ इस क्षण कण की चाल,
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प्रश्न 4.22
\(\hat{i}\) व \(\hat{j}\) क्रमश: x – व y – अक्षों के अनुदिश एकांक सदिश हैं। सदिशों \(\hat{i}\) + \(\hat{j}\) तथा \(\hat{i}\) – \(\hat{j}\) का परिमाण तथा दिशा क्या होगी? सदिश A = 2\(\hat{i}\) + 3\(\hat{j}\) के \(\hat{i}\) + \(\hat{j}\) के दिशाओं के अनुदिश घटक निकालिए। आप ग्राफी विधि का उपयोग कर सकते हैं।
उत्तर:
चूँकि \(\hat{i}\) तथा \(\hat{j}\) परस्पर लम्ब एकांक सदिश है। अतः इनके बीच का कोण 90° है।
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इसी प्रकार
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सदिश \(\vec{A}\) का सदिश \(\vec{B}\) की दिशा में घटक,
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इसी प्रकार सदिश \(\vec{A}\) का सदिश \(\vec{B}\) की दिशा में घटक,
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प्रश्न 4.23
किसी दिकस्थान पर एक स्वेच्छ गति के लिए निम्नलिखित संबंधों में से कौन-सा सत्य है?
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यहाँ ‘औसत’ का आशय समय अंतराल t2 व t1 से संबंधित भौतिक राशि के औसत मान से है।
उत्तर:

  1. सत्य
  2. सत्य
  3. असत्य
  4. असत्य
  5. सत्य।

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प्रश्न 4.24
निम्नलिखित में से प्रत्येक कथन को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा कारण एवं उदाहरण सहित बताइए कि क्या यह सत्य है या असत्य:
अदिश वह राशि है जो –

  1. किसी प्रक्रिया में संरक्षित रहती है,
  2. कभी ऋणात्मक नहीं होती,
  3. विमाहीन होती है,
  4. किसी स्थान पर एक बिंदु से दूसरे बिंदु के बीच नहीं बदलती,
  5. उन सभी दर्शकों के लिए एक ही मान रखती है चाहे अक्षों से उनके अभिविन्यास भिन्न-भिन्न क्यों न हों।

उत्तर:

  1. असत्य, चूँकि किसी अदिश का किसी प्रक्रिया से संरक्षित रहना आवश्यक नहीं है। जैसे ऊपर की ओर फेंके गए पिण्ड की गतिज ऊर्जा पूरी यात्रा में बदलती रहती है।
  2. असत्य, चूँकि अदिश राशि, धनात्मक शून्य या ऋणात्मक कुछ भी मान ग्रहण कर सकती है। जैसे ताप अदिश राशि है जिसका चिह्न कुछ भी हो सकता है।
  3. असत्य, जैसे किसी वस्तु की चाल अदिश राशि है जिसकी विमा [LT-1] है।
  4. असत्य, जैसे ताप एक अदिश राशि है जोकि किसी छड़ में ऊष्मा के एकविमीय प्रवाह की दिशा में बदलता रहता है।
  5. सत्य, चूँकि अदिश राशि दिशाहीन होती है। इसलिए यह प्रत्येक विन्यास में स्थित दर्शक के लिए समान मान रखती है। जैसे किसी वस्तु की चाल प्रत्येक दर्शक के लिए समान होगी।

प्रश्न 4.25
कोई वायुयान पृथ्वी से 3400 m की ऊँचाई पर उड़ रहा है। यदि पृथ्वी पर किसी अवलोकन बिंदु पर वायुयान की 10.05 से दूरी की स्थितियाँ 30° का कोण बनाती है तो वायुयान की चाल क्या होगी?
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उत्तर:
दिया है:
P से Q तक चलने में लगा समय, t = 10 सेकण्ड
सूत्र,
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लम्ब, PQ = OP × tan 30
= 3400 × \(\frac{1}{\sqrt{3}}\) मीटर
= 1963 मीटर
माना वायुयान की चाल v मीटर/सेकण्ड है।
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= 196.3 मीटर/सेकण्ड

Bihar Board Class 11 Physics समतल में गति Additional Important Questions and Answers

अतिरिक्त अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 4.26
किसी सदिश में परिमाण व दिशा दोनों होते हैं। क्या दिक्स्थान में इसकी कोई स्थिति होती है? क्या यह समय के साथ परिवर्तित हो सकता है। क्या दिक्स्थान में भिन्न स्थानों पर दो बराबर सदिशों a व b का समान भौतिक प्रभाव अवश्य पड़ेगा? अपने उत्तर के समर्थन में उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
सभी सदिशों की स्थिति नहीं होती है। किसी बिन्दु के स्थिति सदिश के समान कुछ सदिशों की स्थिति होती है जबकि वेग सदिश की कोई स्थिति नहीं होती है। हाँ, सदिश समय के साथ परिवर्तित हो सकता है। उदाहरण के लिए, गतिमान कण की स्थिति सदिश। दिक्स्थान में भिन्न स्थानों पर दो बराबर सदिशों के \(\vec{a}\) तथा \(\vec{b}\) का समान भौतिक प्रभाव अवश्य पड़े, यह आवश्यक नहीं है। जैसे दो भिन्न-भिन्न बिन्दुओं पर लगे बराबर बल अलग-अलग आघूर्ण उत्पन्न करेंगे।

प्रश्न 4.27
किसी सदिश में परिमाण व दिशा दोनों होते हैं। क्या इसका यह अर्थ है कि कोई राशि जिसका परिमाण व दिशा हो, वह अवश्य ही सदिश होगी? किसी वस्तु के घूर्णन की व्याख्या घूर्णन-अक्ष की दिशा और अक्ष के परितः घूर्णन-कोण द्वारा की जा सकती है। क्या इसका यह अर्थ है कि कोई भी घूर्णन एक सदिश है?
उत्तर:
किसी राशि में परिमाण तथा दिशा होने पर उसका सदिश होना आवश्यक नहीं है। जैसे – प्रत्येक घूर्णन कोण सदिश राशि नहीं हो सकता जबकि सूक्ष्म घूर्णन कोण सदिश राशि माना जा सकता है।

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प्रश्न 4.28
क्या आप निम्नलिखित के साथ कोई सदिश संबद्ध कर सकते हैं:

  1. किसी लूप में मोड़ी गई तार की लंबाई
  2. किसी समतल क्षेत्र
  3. किसी गोले के साथ? व्याख्या कीजिए।

उत्तर:

  1. नहीं, चूँकि वृत्तीय लूप में मोड़े गए तार की कोई निश्चित दिशा नहीं है।
  2. दिए गए समतल पर एक निश्चित अभिलम्ब खींचा जा सकता है। इसलिए समतल क्षेत्र के साथ एक सदिश सम्बद्ध किया जा सकता है जिसकी दिशा समतल पर अभिलम्ब के अनुदिश हो सकती है।
  3. नहीं, चूँकि किसी गोले का आयतन किसी विशेष दिशा के साथ सम्बद्ध नहीं कर सकते हैं।

प्रश्न 4.29
कोई गोली क्षैतिज से 30° के कोण पर दागी गई है और वह धरातल पर 3.0 km दूर गिरती है। इसके प्रक्षेप्य के कोण का समायोजन करके क्या 5.0 km दूर स्थित किसी लक्ष्य का भेद किया जा सकता है? गोली की नालमुख चाल को नियत तथा वायु के प्रतिरोध को नगण्य मानिए।
उत्तर:
दिया है:
θ1 = 30°
(R11 = 3 किमी = 3000 मीटर
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जहाँ θ2 प्रक्षेपण कोण पर दागने पर परास R2 है।
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परन्तु sin θ का मान 1 से अधिक नहीं हो सकता है।
अर्थात् प्रक्षेप्य कोण θ2 का कोई वास्तविक मान सम्भव नहीं है जिससे कि गोली 5 किमी दूर स्थित लक्ष्य को भेद सकें।

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प्रश्न 4.30
कोई लड़ाकू जहाज 1.5 km की ऊँचाई पर 720 km/h की चाल से क्षैतिज दिशा में उड़ रहा है और किसी वायुयान भेदी तोप के ठीक ऊपर से गुजरता है। ऊर्ध्वाधर से तोप की नाल का क्या कोण हो जिससे 600 ms-1 की चाल से दागा गया गोला वायुयान पर वार कर सके। वायुयान के चालक को किस न्यूनतम ऊँचाई पर जहाज को उड़ाना चाहिए जिससे गोला लगने से बच सके। (g = 10 ms-2) उत्तर:
दिया है:
वायुयान की ऊँचाई = 1.5 किमी
= 1500 मीटर
वायुयान की चाल = 720 किमी/घण्टा
= 720 × \(\frac{5}{18}\) = 200 मीटर/सेकण्ड
गोली की चाल v0 = 600 मीटर/सेकण्ड
माना कि जिस क्षण वायुयान तोप के ठीक ऊपर है, उस क्षण ऊर्ध्वाधर से θ कोण पर तोप से गोला दागा जाता है। जोकि t सेकण्ड पश्चात् वायुयान से टकराता है।
अतः क्षैतिज से गोले का प्रक्षेपण कोण, ø = 90 – θ होगा।
यहाँ गोले के वेग के घटक,
v0x = v0 cos ø = 600 sin θ
तथा v0y = v0 sin θ = 600 cos ø
t समय पश्चात् गोले की ऊँचाई,
y = v0yt – \(\frac{1}{2}\) gt2
= 600 cos θ.t – \(\frac{1}{2}\) × 9.8t2 ……………… (1)
समय पश्चात् क्षैतिज दूरी,
x = v0xt = 600 sin θ.t ……………….. (2)
वायुयान के लिए,
x0 = 0
y = 500 मीटर
vox = 200 मीटर/सेकण्ड
ax = 0
voy = 0
t सेकण्ड पश्चात् वायुयान की स्थिति,
x = voxt ⇒ x = 200t …………….. (3)
तथा y = yo ⇒ y = 1500 ……………….. (4)
गोला वायुयान को तभी लगेगा जबकि समी० (1) तथा (4) से प्राप्त y के मान एवम् समी० (2) व (3) से प्राप्त x के मान पृथक् – 2 बराबर हो।
समी० (1) तथा (4) से,
1500 = 600 cos θt = 4.9t2 ………………… (5)
समी० (2) तथा (3) से,
600 sin θt = 200t = sin θ = \(\frac{1}{3}\)
θ = 19.5°
अत: तोप की नाल ऊर्ध्वाधर से 19.5° का कोण बनाएगा। जब तोप की नाल को ऊर्ध्वाधरत: ऊपर की ओर रखते हुए गोला दागा जाता है तो वह अधिकतम ऊँचाई तय करता है।
∴ Hmax = \(\frac{v_{0}^{2}}{2 g}\)
= \(\frac{(600)^{2}}{2 \times 10}\) = 1800 मीटर
= 18 किमी
अतः वायुयान की न्यूनतम ऊँचाई 18 किमी होगी।

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प्रश्न 4.31
एक साइकिल सवार 27 km/h की चाल से साइकिल चला रहा है। जैसे ही सड़क पर वह 80 m त्रिज्या के वृत्तीय मोड़ पर पहुँचता है, वह ब्रेक लगाता है और अपनी चाल को 0.5 m/s2 की एकसमान दर से कम कर लेता है। वृत्तीय मोड़ पर साइकिल सवार के नेट त्वरण का परिमाण और उसकी दिशा निकालिए।
उत्तर:
दिया है:
साइकिल सवार की चाल,
v = 27 किमी/घण्टा
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= 27 × \(\frac{5}{18}\) = \(\frac{15}{12}\) मीटर/सेकण्ड
त्रिज्या = 80 मीटर
मंदन, aT = 0.5 मीटर/सेकण्ड2
अभिकेन्द्र त्वरण, ac = \(\frac{v^{2}}{R}\)
= \(\frac{(15 / 2)^{2}}{80}\) = 0.703 मीटर/सेकण्ड2
अतः सवार का नेट त्वरण,
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= 0.86 मीटर/सेकण्ड2
माना परिणामी त्वरण स्पर्श रेखीय दिशा से θ कोण पर है।
∴ tan θ = \(\frac{a_{c}}{a_{T}}\) = \(\frac{0.7}{0.5}\) = 1.4
∴ θ = tan-1 (1.4) = 54.5°

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प्रश्न 4.32
(a) सिद्ध कीजिए कि किसी प्रक्षेप्य के x – अक्ष तथा उसके वेग के बीच के कोण को समय के फलन के रूप में निम्न प्रकार से व्यक्त कर सकते हैं –
θ (t) = tan-1 \(\left(\frac{v_{o y}-g t}{v_{o x}}\right)\)
(b) सिद्ध कीजिए कि मूल बिंदु से फेंके गए प्रक्षेप्य कोण का मान θ0 = tan-1 \(\left(\frac{4 h_{m}}{R}\right)\) होगा। यहाँ प्रयुक्त प्रतीकों के अर्थ सामान्य हैं।
उत्तर:
(a) माना कि कोई प्रक्षेप्य मूल बिन्दु (0, 0) से इस प्रकार फेंकते हैं कि उसके वेग x – अक्ष एवम् y – अक्षों की दिशाओं में विभाजित घटक क्रमश: v0x व v0y हैं।

माना कि t समय पश्चात् प्रक्षेप्य का स्थिति सदिश, \(\vec{r}\) (t) निम्नवत् है –
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अतः वेग
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अतः t समय पर प्रक्षेप्य के अक्षों को दिशाओं में वेग,
vtx = v0x vty = v0y – gt
∴ t समय पर वेग द्वारा x – अक्ष से बनाया कोण,
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(b) मूल बिन्दु (0, 0) से फेंके गए प्रक्षेप्य का परास,
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तथा महत्तम ऊँचाई,
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Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 14 दोलन

Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 14 दोलन Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 14 दोलन

Bihar Board Class 11 Physics दोलन Text Book Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 14.1
नीचे दिए गए उदाहरणों में कौन आवर्ती गति को निरूपित करता है?

  1. किसी तैराक द्वारा नदी के एक तट से दूसरे तट तक जाना और अपनी एक वापसी यात्रा पूरी करना।
  2. किसी स्वतंत्रतापूर्वक लटकाए गए दंड चुंबक को उसकी N – S दिशा से विस्थापित कर छोड़ देना।
  3. अपने द्रव्यमान केन्द्र के परितः घूर्णी गति करता कोई हाइड्रोजन अणु।
  4. किसी कमान से छोड़ा गया तीर।

उत्तर:

  1. यह आवश्यक नहीं है कि तैराक को प्रत्येक बार वापस लौटने में समान समय लगे। अर्थात् यह गति आवर्ती गति नहीं है।
  2. दण्ड चुंबक को N – S दिशा से विस्थापित कर छोड़ने पर उसकी गति आवर्ती गति होगी।
  3. यह गति आवर्ती है।
  4. तीर छूटने के बाद कभी भी पुनः प्रारम्भिक स्थिति में नहीं लौटता है। अत: यह गति आवर्ती नहीं है।

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प्रश्न 14.2
नीचे दिए गए उदाहरणों में कौन (लगभग) सरल आवर्त गति को तथा कौन आवर्ती परंतु सरल आवर्त गति नहीं निरूपित करते हैं?

  1. पृथ्वी की अपने अक्ष के परितः घूर्णन गति।
  2. किसी U नली में दोलायमान पारे के स्तंभ की गति।
  3. किसी चिकने वक्रीय कटोरे के भीतर एक बॉल बेयरिंग की गति जब उसे निम्नतम बिन्दु से कुछ ऊपर के बिन्दु से मुक्त रूप से छोड़ा जाए।
  4. किसी बहुपरमाणुक अणु की अपनी साम्यावस्था की स्थिति के परित: व्यापक कंपन।

उत्तर:

  1. आवर्त गति लेकिन सरल आवर्त गति नहीं है।
  2. सरल आवर्त गति।
  3. सरल आवर्त गति
  4. आवर्ती गति लेकिन सरल आवर्त गति नहीं है।

प्रश्न 14.3
चित्र में किसी कण की रैखिक गति के लिए चार x – t आरेख दिए गए हैं। इनमें से कौन-सा आरेख आवर्ती गति का निरूपण करता है? उस गति का आवर्तकाल क्या है? (आवर्ती गति वाली गति का)।
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उत्तर:
(a) ग्राफ से स्पष्ट है कि कण कभी भी अपनी गति की पुनरावृत्ति नहीं करता है; अत: यह गति आवर्ती गति नहीं है।

(b) ग्राफ से ज्ञात है कि कण प्रत्येक 2 s के बाद अपनी गति की पुनरावृत्ति करता है; अतः यह गति एक आवर्ती गति है जिसका आवर्तकाल 2 s है।

(c) यद्यपि कण प्रत्येक 3 s के बाद अपनी प्रारम्भिक स्थिति में लौट रहा है परन्तु दो क्रमागत प्रारम्भिक स्थितियों के बीच कण अपनी गति की पुनरावृत्ति नहीं करता; अतः यह गति आवर्त गति नहीं है।

(d) कण प्रत्येक 2 s के बाद अपनी गति को दोहराता है; अत: यह गति एक आवर्ती गति है जिसका आवर्तकाल 2 s है।

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प्रश्न 14.4
नीचे दिए गए समय के फलनों में कौन –

(a) सरल आवर्त गति
(b) आवर्ती परंतु सरल आवर्त गति नहीं, तथा
(c) अनावर्ती गति का निरूपण करते हैं। प्रत्येक आवर्ती गति का आवर्तकाल ज्ञात कीजिए : (ω कोई धनात्मक अचर है।)

(a) sin ωt – cos ωt
(b) sin3 ωt
(c) 3 cos (\(\frac{1}{4}\) – 2ωt)
(d) cos ωt + cos 3ωt + cos 5ωt
(e) exp(-ω2t2)
(f) 1 + ωt + ω2t2
उत्तर:
(a) x = sin ωt – cos ωt
= 2 [\(\frac{1}{\sqrt{2}}\) sin ωt – \(\frac{1}{\sqrt{2}}\) cos ωt]
= \(\sqrt{2}\) [sin ω + cos \(\frac{π}{4}\) – cos ωt sin \(\frac{π}{4}\)]
= \(\sqrt{2}\) (ωt – \(\frac{π}{4}\))
स्पष्ट है कि यह सरल आवर्त गति को व्यक्त करता है।
इसका आयाम = \(\sqrt{2}\)
कोणीय वेग = ω
∴ आवर्त काल, T = \(\frac{2π}{ω}\)

(b) दिया गया फलन आवर्ती गति को व्यक्त करता है लेकिन यह सरल आवर्त गति नहीं है।
आवर्त काल, T = \(\frac{2π}{ω}\)

(c) यह फलन स० आ० ग० को व्यक्त करता है।
आवर्त काल T = \(\frac{2π}{ω}\) = \(\frac{π}{ω}\)

(d) यह फलन आवर्ती गति को व्यक्त करता है जोकि सरल आवर्त गति नहीं है।
फलन cos T = \(\frac{2π}{2ω}\) = \(\frac{π}{ω}\)
फलन cos ωt का आवर्तकाल T1 = \(\frac{2π}{ω}\)
फलन cos 2ωt का आवर्तकाल T2 = \(\frac{2π}{3ω}\)
व फलन cos 5ωt का आवर्तकाल T3 = \(\frac{2π}{5ω}\) है।
यहाँ T1 = 3T1 = 5T3
अत: T1 समय पश्चात् पहले फलन की एक बार दूसरे की तीन बार व तीसरे की पाँच बार पुनरावृत्ति होती है।
∴ दिए गए फलन का आवर्तकाल T = \(\frac{2π}{ω}\) है।

(e) तथा (f) में दिये दोनों फलन न तो आवर्त गति और न ही सरल आवर्त गति को निरूपित करते हैं।

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प्रश्न 14.5
कोई कण एक दूसरे से 10 cm दूरी पर स्थित दो बिन्दुओं A तथा B के बीच रैखिक सरल आवर्त गति कर रहा है। A से B की ओर की दिशा को धनात्मक दिशा मानकर वेग, त्वरण तथा कण पर लगे बल के चिह्न ज्ञात कीजिए जबकि यह कण
(a) A सिरे पर है,
(b) B सिरे पर है,
(c) A की ओर जाते हुए AB के मध्य बिन्दु पर है,
(d) A की ओर जाते हुए B से 2 cm दूर है,
(e) B की ओर जाते हुए A से 3 cm दूर है तथा
(f) A की ओर जाते हुए B से 4 cm दूर है।
उत्तर:
प्रश्न से स्पष्ट है कि बिन्दु A व B अधिकतम विस्थापन की स्थितियाँ हैं जिनका मध्य बिन्दु O सरल आवर्त गति का केन्द्र है।

(a)

  • बिन्दु A पर कण का वेग शून्य होगा।
  • कण के त्वरण की दिशा बिन्दु A से O की ओर होगी। अतः त्वरण धनात्मक होगा।
  • कण पर बल त्वरण की दिशा में होगा। अतः बल धनात्मक होगा।

(b)

  • बिन्दु B पर कण का वेग शून्य होगा।
  • कण का त्वरण B से O की ओर दिष्ट होगा। अत: त्वरण ऋणात्मक होगा।

(c)

  • AB का मध्य बिन्दु O से सरल आवर्त गति का केन्द्र है। चूँकि कण B से A की ओर चलता हुआ 0 से गुजरता है। अतः वेग BA के अनुदिश है अर्थात् वेग ऋणात्मक है।
  • त्वरण शून्य है।
  • बल भी शून्य है।

(d)

  • B से 2 सेमी० की दूरी पर कण B व O के मध्य होगा।
  • चूँकि कण B से A की ओर जा रहा है अत: वेग ऋणात्मक होगा।
  • त्वरण भी B से O की ओर दिष्ट है अतः त्वरण भी ऋणात्मक होगा।
  • बल भी ऋणात्मक होगा।

(e)

  • चूँकि कण B की ओर जा रहा है अतः वेग धनात्मक होगा।
  • चूँकि कण A व O के मध्य है अतः त्वरण A से O की ओर दिष्ट है। अतः त्वरण भी धनात्मक है।

(f)

  • चूँकि कण A की ओर गतिमान है अतः वेग ऋणात्मक होगा।
  • बल भी धनात्मक है।
  • चूँकि कण B तथा O के बीच है व त्वरण B से O की ओर दिष्ट है। अत: त्वरण ऋणात्मक है।
  • बल भी ऋणात्मक है।

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प्रश्न 14.6
नीचे दिए गए किसी कण के त्वरण a तथा विस्थापन के बीच संबंधों में से किससे सरल आवर्त गति संबद्ध है:
(a) a = 0.7x
(b) a = -200 x2
(c) a = -10x
(d) a = 100x3
उत्तर:
उपरोक्त में से केवल विकल्प (c) में a = -10x, त्वरण विस्थापन के समानुपाती है। इसमें त्वरण विस्थापन के विपरीत दिशा में है। अत: केवल यह सम्बन्ध सरल आवर्त गति को व्यक्त करता है।

प्रश्न 14.7
सरल आवर्त गति करते किसी कण की गति का वर्णन नीचे दिए गए विस्थापन फलन द्वारा किया जाता है,
x(t) = A cos (ωt + ϕ) ……………. (i)

यदि कण की आरंभिक (t = 0) स्थिति 1 cm तथा उसका आरंभिक वेग πcm s-1 है, तो कण का आयाम तथा आरंभिक कला कोण क्या है? कण की कोणीय आवृत्ति πs-1 है। यदि सरल आवर्त गति का वर्णन करने के लिए कोज्या (cos) फलन के स्थान पर हम ज्या (sin) फलन चुने; x = B sin (ωt + α) तो उपरोक्त आरंभिक प्रतिबंधों में कण का आयाम तथा आरंभिक कला कोण क्या होगा?
उत्तर:
(a) x (t) = A cos (ωt + ϕ) ……………. (i)
t = 0, ω = π cms-1
∴ x = 1 cm पर
v = ω = π cms-1 ……………….. (ii)
∴ समी० (i) व (ii) से,
1 = A cos (π × 0 + ϕ) = A cos ϕ ……………….. (iii)
पुनः ω = \(\frac{2π}{T}\)
∴ T = \(\frac{2π}{ω}\) = 2s
समी० (i) का t के सापेक्ष अवकलन करने पर,
\(\frac{d}{dx}\) (x) = -A sin (ωt + ϕ) (ω)
= -Aω sin (ωt + ϕ)
या v = -Aω sin (ωt + ϕ) …………………. (iv)
समी० (ii) व (iv) से
π = -A × π × sin (ω × 0 + b)
= -A sin ϕ
या 1 = -A sin ϕ
समी० (ii) व (v) का वर्ग करके जोड़ने पर,
12 + 12 = A2 (sin2 ϕ + cos2 ϕ) = A2
∴ A = \(\sqrt{2}\) cm
समी० (v) को समी० (iii) से भाग देने पर,
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(b) जब x = B sin (ωt + α)
या x = B cos Cos [(ωt + α) – \(\frac{π}{2}\)]
अब (a) t = 0 पर x = 1 सेमी
तथा ∴ v = π cms-1, ω = π s-1 से,
∴ 1 = B cos (π × 0 + α – \(\frac{π}{2}\))
= B cos (α – \(\frac{π}{2}\)) ……………….. (vii)
पुनः माना v’ = वेग
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समी० (vii) व (viii) का वर्ग कर जोड़ने पर,
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प्रश्न 14.8
किसी कमानीदार तुला का पैमाना 0 से 50 kg तक अंकित है और पैमाने की लम्बाई 20 cm है। इस तुला से लटकाया गया कोई पिण्ड, जब विस्थापित करके मुक्त किया जाता है, 0.65 के आवर्तकाल से दोलन करता है। पिंड का भार कितना है?
उत्तर:
दिया है, m = 50 kg,
अधिकतम प्रसार y = 20 – 0 = 20 cm
= 0.2 m, T = 0.65
∴ अधिकतम बल
F = mg = 50 × 9.8 = 490.0 N
∴ स्प्रिंग नियतांक
k = \(\frac{F}{y}\) = \(\frac{490}{0.2}\)
= \(\frac{490×10}{2}\) = 2450 Nm-1
हम जानते हैं कि आवर्त काल
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वस्तु का भार w = mg = 22.36 × 9.8
= 219.1 N
= 22.36 kg

प्रश्न 14.9
1200 Nm-1 कमानी-स्थिरांक की कोई कमानी (चित्र) में दर्शाए अनुसार किसी क्षैतिज मेज से जुड़ी है। कमानी के मुक्त सिरे से 3 kg द्रव्यमान का कोई पिण्ड जुड़ा है। इस पिण्ड को एक ओर 2.0 cm दूरी तक खींच कर मुक्त किया जाता है।
(i) पिण्ड के दोलन की आवृत्ति
(ii) पिण्ड का अधिकतम त्वरण, तथा
(iii) पिण्ड की अधिकतम चाल ज्ञात कीजिए।
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उत्तर:
दिया है:
k = 1200 Nm-1, m = 3.0 kg,
A = 2.0 cm = 0.02 m
= अधिकतम विस्थापन

(i) हम जानते हैं कि आवर्तकाल
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(ii) त्वरण, α = -ω2 x = \(\frac{-k}{m}\) x
या c|amax| = \(\frac{k}{m}\) |xmax|, जहाँ ω = \(\sqrt{\frac{k}{m}}\)
या x के अधिकतम होने पर त्वरण भी अधिकतम होगा।
या x = A = 0.02 m
∴ a = \(\frac{1200}{m}\) × 0.02 × 8.0 ms-2

(iii) द्रव्यमान की अधिकतम चाल
ν = Aω = A \(\sqrt{\frac{k}{m}}\) = 0.02 × \(\sqrt{\frac{1200}{3}}\)
= 0.02 × 20
= 0.40 ms-1

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प्रश्न 14.10
प्रश्न 14.9 में मान लीजिए जब कमानी अतानित अवस्था में है तब पिण्ड की स्थिति x = 0 है तथा बाएँ से दाएँ की दिशा :-अक्ष की धनात्मक दिशा है। दोलन करते पिण्ड के विस्थापन x को समय के फलन के रूप में दर्शाइए, जबकि विराम घड़ी को आरम्भ (t = 0) करते समय पिण्ड,
(a) अपनी माध्य स्थिति,
(b) अधिकतम तानित स्थिति, तथा
(c) अधिकतम संपीडन की स्थिति पर है।
सरल आवर्त गति के लिए ये फलन एक दूसरे से आवृत्ति में,आयाम में अथवा आरंभिक कला में किस रूप में भिन्न है?
उत्तर:
चूँकि द्रव्यमान x = 0 पर स्थित है। अतः x – दिशा में विस्थापन निम्नवत् होगा
x = A sin ωt …………….. (i)
[∴ x = 0 पर प्रारम्भिक कला ϕ = 0] प्रश्न 14.9 से A = 2 cm = 0.02 m
k = 1200 Nm-2 ω = \(\sqrt{\frac{k}{m}}\)
= \(\sqrt{\frac{1200}{3}}\) = 20 s-1

(a) जब वस्तु माध्य स्थिति में है, समी० (i) से,
x = 2 sin 20 t ……………… (ii)

(b) अधिकतम तानित स्थिति में ϕ = \(\frac{π}{2}\)
∴ x = A sin (ωt + ϕ )
= 2 sin (20t + \(\frac{π}{2}\)) = 2 cos 20t ………………… (iii)

(c) अधिकतम सम्पीडन की स्थिति में,
ϕ = \(\frac{π}{2}\) + \(\frac{π}{2}\) = \(\frac{2π}{2}\)
∴ x = A cos ωt = – 2cos (20t) ………………… (iv)
समी० (ii), (iii) तथा (iv) से स्पष्ट है कि फलन केवल प्रारम्भिक कला. में ही असमान है चूँकि इनके आयाम (A = 2 cm) तथा आवर्तकाल समान है –
i.e.,T = \(\frac{2π}{ω}\) = \(\frac{2π}{20}\) = \(\frac{π}{10}\) rad s-1

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प्रश्न 14.11
चित्र में दिए गए दो आरेख दो वर्तुल गतियों के तद्नुरूपी हैं। प्रत्येक आरेख पर वृत्त की त्रिज्या, परिक्रमण काल, आरंभिक स्थिति और परिक्रमण की दिशा दर्शायी गई है। प्रत्येक प्रकरण में, परिक्रमण करते कण के त्रिज्य-सदिश के x अक्ष पर प्रक्षेप की तद्नुरूपी सरल आवर्त गति ज्ञात कीजिए।
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उत्तर:
(a) यहाँ t = 0 पर, OP, x अक्ष से एका कोण बनाती है। चूंकि गति वर्तुल है अतः ϕ = \(\frac{+π}{2}\) रेडियन। अतः t समय पर OP का मन्घटक सरल आवर्त गति करता है।
t = 0 पर OP, x – अक्ष से धन दिशा में π कोण बनाता है।
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x = -3 sin πt (cm)
T = 4 S, A = 2 m
t = 0 पर Op x – अक्ष से धन दिशा में कोण बनाता है।
i.e., ϕ = + L
अतः t समय में OP के x घटक की सरल आवर्त गति की समीकरण निम्न होगी –
चूँकि
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प्रश्न 14.12
नीचे दी गई प्रत्येक सरल आवर्त गति के लिए तद्नुरूपी निर्देश वृत्त का आरेख खींचिए। घूर्णी कण की आरंभिक (t = 0) स्थिति, वृत्त की त्रिज्या तथा कोणीय चाल दर्शाइए। सुगमता के लिए प्रत्येक प्रकरण में परिक्रमण की दिशा वामावर्त लीजिए। (x को cm में तथा t को s में लीजिए।)
(a) x = – 2 sin (3t ÷ π/3)
(b) x = cos (π/6 – t)
(c) x = 3 sin (2πt + π/4)
(d) x = 2 cos πt
उत्तर:
(a) x = – z sin (3t + π/3)
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∴ संगत निर्देश वृत्त चित्र (a) में दिखाया गया है।
समी० (i) की तुलना x = A cos (ωt + ϕ) से करने पर,
T = \(\frac{2π}{3}\), ϕ = \(\frac{5π}{6}\), A = 2 cm

(b) x = cos (\(\frac{π}{6}\) – t)
= cos (t – \(\frac{π}{6}\))
= 1 cos (\(\frac{2π}{2π}\)t – \(\frac{π}{6}\)) ………………. (ii)
∴ संगत निर्देश चित्र (b) में दिखाया गया है।
समी० (ii) की तुलना x = A cos (\(\frac{2π}{T}\)t + ϕ) से करने पर
A = 1 cm, t = 2π, ϕ = –\(\frac{π}{-6}\)
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(c)
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संगत निर्देश वृत्त चित्र (d) में दिखाया गया है।
समी० (iii) की (v) से तुलना करने पर,
A = 2 cm, T = 1s,
ϕ = – \(\frac{π}{4}\)

(d) x = 2 cos πt
= 2 cos (\(\frac{π}{1}\) t + 0) …………………. (v)
संगत निर्देश वृत्त चित्र (d) में दिखाया गया है।
समी० (iii) की (v) से तुलना करने पर,
A = 2cm, T = 15, ϕ = 0
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प्रश्न 14.13
चित्र (a) में k बल-स्थिरांक की किसी | कमानी के एक सिरे को किसी दृढ़ आधार से जकड़ा तथा दूसरे मुक्त सिरे से एक द्रव्यमान m जुड़ा दर्शाया गया है। कमानी के मुक्त सिरे पर बल F आरोपित करने से कमानी तन जाती है। चित्र (b) में उसी कमानी के दोनों मुक्त सिरों से द्रव्यमान m जुड़ा दर्शाया गया है। कमानी के दोनों सिरों को चित्र में समान बल F द्वारा तानित किया गया है।
(a) दोनों प्रकरणों में कमानी का अधिकतम विस्तार क्या
(b) यदि (a) का द्रव्यमान तथा (b) के दोनों द्रव्यमानों को मुक्त छोड़ दिया जाए, तो प्रत्येक प्रकरण में दोलन का आवर्तकाल ज्ञात कीजिए।
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उत्तर:
माना कि स्प्रिंग का बल नियतांक = k
मुक्त सिरे से लटकाया गया द्रव्यमान = M

(1) मुक्त सिरे पर लगाया गया बल = F

(a) माना बल F लगाने पर मुक्त सिरे पर द्रव्यमान m लटकाने से उत्पन्न त्वरण a है।
अतः F = ma ……………… (i)
माना कि चित्र (a) में उत्पन्न विस्तार y1 है।
∴ F = -ky1 ……………… (ii)
समी० (i) व (ii) से,
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जहाँ y विस्थापन y1 के समान है।
पुनः हम जानते हैं कि
a = -ω2y ………………. (iv)
∴ समी० (iii) व (iv) से,
ω2 = \(\frac{k}{M}\) य ω = \(\sqrt{k/m}\) ………………. (v)
∴ स्प्रिंग में उत्पन्न अधिकतम प्रसार y1 = y
या y1 = \(\frac{F}{k}\)

(b) समी० (v) से, a ∝ y तथा द्रव्यमान स० आ० ग० करता
∴ माना m द्रव्यमान के दोलन का आवर्तकाल T1 है।
अत: T1 = \(\frac{2π}{ω}\)
= 2π \(\sqrt{m/k}\) (समी० (v) से)
या T1 = 2π \(\sqrt{m/k}\) ………………… (vi)

(2) (a) माना दोनों द्रव्यमानों को छोड़ने पर, स्प्रिंग में कुल उत्पन्न प्रसार y2 है। चूँकि दो द्रव्यमान समान हैं अतः प्रत्येक द्रव्यमान के कारण स्प्रिंग में उत्पन्न प्रसार y है। अतः
y2 = y’ + y’ = 2y’
पुनः 1 (a) से,
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i.e., प्रत्येक द्रव्यमान का विस्थापन
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∴ प्रत्येक द्रव्यमान में उत्पन्न त्वरण
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(b) माना प्रत्येक द्रव्यमान का आवर्तकाल T2 है।
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प्रश्न 14.14
किसी रेलगाड़ी के इंजन के सिलिंडर हैड में पिस्टन का स्ट्रोक (आयाम का दो गुना) 1.0 m का है। यदि पिस्टन 200 rad/min की कोणीय आवृत्ति से सरल आवर्त गति करता है तो उसकी अधिकतम चाल कितनी है?
उत्तर:
दिया है:
ω = 200 रेडियन/मिनट = \(\frac{200}{60}\) = \(\frac{10}{3}\) रेडियन प्रति सेकण्ड
स्ट्रोक की लम्बाई = 1 मीटर
माना सरल आवर्त गति का आयाम = a
∴2a = 1 मीटर
या a = \(\frac{1}{2}\) = 0.5 मीटर
सूत्र चाल = aω से,
पिस्टन की अधिकतम चाल,
νmax = aω = 0.5 × \(\frac{10}{3}\)
= \(\frac{5}{3}\) = 1.67 मीटर/सेकण्ड

प्रश्न 14.15
चंद्रमा के पृष्ठ पर गुरुत्वीय त्वरण 17 ms-2 है। यदि किसी सरल लोलक का पृथ्वी के पृष्ठ पर आवर्तकाल 3.5 s है, तो उसका चंद्रमा के पृष्ठ पर आवर्तकाल कितना होगा? (पृथ्वी के पृष्ठ पर g = 9.8 ms-2)
उत्तर:
दिया है:
पृथ्वी के पृष्ठ पर आवर्तकाल T = 3.5 s
चंद्रमा के पृष्ठ पर आवर्तकाल = Tm = ?
पृथ्वी के पृष्ठ पर गुरुत्वाकर्षण के कारण त्वरण
ge = 9.8 ms-2
सरल लोलक की लम्बाई l = ?
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प्रश्न 14.16
नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(a) किसी कण की सरल आवर्त गति के आवर्तकाल का मान उस कण के द्रव्यमान तथा बल-स्थिरांक पर निर्भर करता
T = 2π \(\sqrt{m/k}\)
कोई सरल लोलक सन्निकट सरल आवर्त गति करता है। तब फिर किसी लोलक का आवर्तकाल लोलक के द्रव्यमान पर निर्भर क्यों नहीं करता?

(b) किसी सरल लोलक की गति छोटे कोण के सभी दोलनों के लिए सन्निकट सरल आवर्त गति होती है। बड़े कोणों के दोलनों के लिए एक अधिक गूढ़ विश्लेषण यह दर्शाता है कि T का मान 2π \(\sqrt{l/g}\) से अधिक होता है। इस परिणाम को समझने के लिए किसी गुणात्मक कारण का चिंतन कीजिए।

(c) कोई व्यक्ति कलाई घड़ी बाँधे किसी मीनार की चोटी से गिरता है। क्या मुक्त रूप से गिरते समय उसकी घड़ी यथार्थ समय बताती है?

(d) गुरुत्व बल के अंतर्गत मुक्त सिरे से गिरते किसी केबिन में लगे सरल लोलक के दोलन की आवृत्ति क्या होती है?
उत्तर:
(a) चूँकि सरल लोलक के लिए k स्वयं m के अनुक्रमानुपाती होता है अत: m निरस्त हो जाता है।

(b) sin θ < θ पर, यदि प्रत्यानयन बल mg sin θ का प्रतिस्थापन mg θ से कर दें तब इसका तात्पर्य यह होगा कि बड़े कोणों के लिए g के परिमाण में प्रभावी कमी व इस प्रकार सूत्र T = 2π \(\sqrt{l/g}\) से प्राप्त आवर्तकाल के परिमाण में वृद्धि होगी।

(c) हाँ, क्योंकि कलाई घड़ी में आवर्तकाल कमानी क्रिया पर निर्भर करता है, जिसका गुरुत्वीय त्वरण से कोई सम्बन्ध नहीं होता

(d) स्वतन्त्रतापूर्वक गिरते हुए मनुष्य के लिए गुरुत्वीय त्वरण का प्रभावी मान शून्य हो जाता है। अतः आवृत्ति शून्य होती है।

प्रश्न 14.17
किसी कार की छत से लम्बाई का कोई सरल लोलक, जिसके लोलक का द्रव्यमान M है, लटकाया गया है। कार R त्रिज्या की वृत्तीय पथ पर एकसमान चाल से गतिमान है। यदि लोलकत्रिज्य दिशा में अपनी साम्यावस्था की स्थिति के इधर-उधर छोटे दोलन करता है, तो इसका आवर्तकाल क्या होगा?
उत्तर:
कार जब मोड़ पर मुड़ती है तो उसकी गति में त्वरण अभिकेन्द्र त्वरण \(\frac { v^{ 2 } }{ R } \) होता है। अत: कार एक अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र है।
अतः गोलक पर एक छद्म बल \(\frac { mv^{ 2 } }{ R } \) वृत्तीय पथ के बाहर की ओर लगेगा जिस कारण लोलक ऊर्ध्वाधर रहने के स्थान पर थोड़ा तिरछा हो जाएगा।
इस क्षण लोलक पर दो बल क्रमश: उपकेन्द्र बल \(\frac { v^{ 2 } }{ R } \) व भार mg’ लगेंगे। यदि लोलक के लिए गुरुत्वीय त्वरण g का प्रभावी मान g’ हो, तो गोलक पर प्रभावी बल mg’ होगा जो कि उक्त दो बलों का परिणामी है।
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अत: लोलक का नया आवर्तकाल, सूत्र T = 2π \(\sqrt{l/g}\)
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प्रश्न 14.18
आधार क्षेत्रफल A तथा ऊँचाई h के एक कॉर्क का बेलनाकार दुकड़ा ρi घनत्व के किसी द्रव में तैर रहा है। कॉर्क को थोड़ा नीचे दबाकर स्वतंत्र छोड़ देते हैं, यह दर्शाइए कि कॉर्क ऊपर-नीचे सरल आवर्त दोलन करता है जिसका आवर्तकाल T = 2π \(\sqrt { \frac { h\rho }{ \rho _{ i }g } } \) है। यहाँ ρ कॉर्क का घनत्व है (द्रव की श्यानता के कारण अवमंदन को नगण्य मानिए)।
उत्तर:
माना कॉर्क के टुकड़े का द्रव्यमान m है। माना साम्यावस्था में इस टुकड़े की l लम्बाई द्रव में डूबती है।
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तैरने के सिद्धान्त से, कॉर्क के डूबे भाग द्वारा हटाए गए द्रव का भार कॉर्क के भार के समान होगा। अतः
1g = mg
जहाँ V = डूबे भाग द्वारा विस्थापित द्रव का आयतन माना कि कॉर्क का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A है।
∴ V = A × l
या Al.ρig = g
या Aρil = m ………………. (i)
कॉर्क को द्रव में नीचे की ओर दबाकर छोड़ने पर यह ऊपर नीचे दोलन करने लगता है। माना किसी क्षण इसका साम्यावस्था से नीचे की ओर विस्थापन y है। इस क्षण, इसकी लम्बाई (y) द्वारा विस्थापित द्रव का उत्क्षेप बेलनाकार बर्तन को प्रत्यानयन बल प्रदान करेगा।
∴ F = -Ayρ1g
यहाँ ऋण चिह्न प्रदर्शित करता है कि प्रत्यानयन बल F1 कॉर्क के टुकड़े के विस्थापन के विपरीत दिशा में लगता है। अतः टुकड़े का त्वरण,
a = \(\frac{F}{m}\) = \(\frac{-A y \rho_{1} g}{m}\) ………………. (ii)
चूँकि कॉर्क के टुकड़े का घनत्व ρ व ऊँचाई h है।
∴ m = Ahp
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अतः कॉर्क के टुकड़े का त्वरण α, विस्थापन के अनुक्रमानुपाती परन्तु दिशा विस्थापन के विपरीत है। अतः यह स० आ० ग० करता है।
समी० (ii) से,
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प्रश्न 14.19
पारे से भरी किसी U नली का एक सिरा किसी चूषण पम्प से जुड़ा है तथा दूसरा सिरा वायुमण्डल में खुला छोड़ दिया गया है। दोनों स्तम्भों में कुछ दाबान्तर बनाए रखा जाता है। यह दर्शाइए कि जब चूषण पम्प को हटा देते हैं, तब U नली में पारे का स्तम्भ सरल आवर्त गति करता है।
उत्तर:
स्पष्ट है कि चूषण पम्प की अनुपस्थिति में दोनों नलियों में पारे के तल समान होंगे। यह साम्यावस्था की स्थिति है। चूषण पम्प लगाने पर पम्प वाली नली में पारे का तल ऊपर उठ जाता है और पम्प हटाते ही पारा साम्यावस्था को प्राप्त करने का प्रयास करता है।
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माना पम्प हटाने के बाद किसी क्षण दूसरी नली में पारे का तल साम्यावस्था से दूरी नीचे है तो दूसरी ओर यह y दूरी ऊपर होगा। यदि नली में एकांक लम्बाई में भरे पारे का द्रव्यमान m है तो पम्प वाली नली में चढ़े अतिरिक्त पारद स्तम्भ का भार 2y × mg होगा।

यह भार ही द्रव को दूसरी ओर धकेलता है, अतः प्रत्यानयन बल F = -2mgy होगा। ऋण चिहन यह प्रदर्शित करता है कि यह बल विस्थापन के विपरीत दिष्ट है। माना साम्यावस्था में दोनों नलियों में पारद स्तम्भ की ऊँचाई h है, तब नलियों में भरे पारे का कुल द्रव्यमान M = 2hm होगा।
यदि पारद स्तम्भ का त्वरण a है तो
F = ma
⇒ – 2mgy = 2hma
⇒ त्वरण a = – (\(\frac{g}{h}\)) y
अतः a ∝ (-y)
इससे स्पष्ट है कि पारद स्तम्भ की गति सरल आवर्त गति है।
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Bihar Board Class 11 Physics दोलन Additional Important Questions and Answers

अतिरिक्त अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 14.20
चित्र में दर्शाए अनुसार V आयतन के किसी वायु कक्ष की ग्रीवा (गर्दन) की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल a है। इस ग्रीवा में m द्रव्यमान की कोई गोली बिना किसी घर्षण के ऊपर-नीचे गति कर सकती है। यह दर्शाइए कि जब गोली को थोड़ा नीचे दबाकर मुक्त छोड़ देते हैं, तो वह सरल आवर्त गति करती है। दाब-आयतन विचरण को समतापी मानकर दोलनों के आवर्तकाल का व्यंजक ज्ञात कीजिए [चित्र देखिए।
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उत्तर:
गोली को नीचे की ओर दबाकर छोड़ने पर यह अपनी साम्यावस्था के ऊपर नीचे सरल रेखीय दोलन करने लगती है। माना कि किसी क्षण गोली का साम्य अवस्था से नीचे की ओर विस्थापन x है। माना इस स्थिति में कक्ष में भरी वायु का आयतन। के स्थान पर V – ∆V हो जाता है व दाब P ये (P + ∆P) हो जाता है।
∴ बॉयल के नियम से,
PV = (P + ∆P) (V – ∆V)
या ∆P.V = P.∆V (∆P ∆V को छोड़ने पर)
∴ P = \(\frac{∆P}{∆V/V}\)
लेकिन P = ET = वायु की समतापी प्रत्यास्थता है।
∴ ET = \(\frac{∆P}{∆V/V}\)
जहाँ F वायु द्वारा गोली पर लगने वाला अतिरिक्त बल है व a ग्रीवा का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल है। चूँकि ग्रीवा के गोली का नीचे की ओर विस्थापन = x
वायु के आयतन में कमी, ∆V = ax
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परन्तु गोली पर वायु द्वारा लगने वाला बल बाहर की ओर लगता है। अत: यह बल गोली के विस्थापन x के विपरीत दिशा में है अर्थात् यह एक प्रत्यानयन बल है।
∴ सूत्र F = ma से,
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∴ त्वरण ∝ (-x)
अर्थात् त्वरण विस्थापन के विपरीत दिशा में हैं। अतः गोली स० आ० ग० करती है।
समी० (ii) से,
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प्रश्न 14.21
आप किसी 3000 kg द्रव्यमान के स्वचालित वाहन पर सवार हैं। यह मानिए कि आप इस वाहन की निलंबन प्रणाली के दोलनी अभिलक्षणों का परीक्षण कर रहे हैं। जब समस्त वाहन इस पर रखा जाता है, तब निलंबन 15 cm आनमित होता है। साथ ही, एक पूर्ण दोलन की अवधि में दोलन के आयाम में 50% घटोतरी हो जाती है। निम्नलिखित के मानों का आंकलन कीजिए:
(a) कमानी स्थिरांक, तथा
(b) कमानी तथा एक पहिए के प्रघात अवशोषक तंत्र के लिए अवमंदन स्थिरांक b यह मानिए कि प्रत्येक पहिया 750 kg द्रव्यमान वहन करता है।
उत्तर:
(a) दिया है:
M = 3000 kg
प्रत्येक पहिए पर लटकाया गया द्रव्यमान = m = 750 kg
y = 15 cm = 0.15 m, a = g
स्प्रिंग नियतांक k = ?
हम जानते हैं कि,
\(\frac{m}{k}\) = \(\frac{y}{a}\) = \(\frac{y}{g}\)
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(b)
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पुनः माना कि प्रारम्भिक मान के आधे मान तक छोड़ने पर आयाम की आवर्त काल T1/2 है।
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प्रश्न 14.22
यह दर्शाइए कि रैखिक सरल आवर्त गति करते किसी कण के लिए दोलन की किसी अवधि की औसत गतिज ऊर्जा उसी अवधि की औसत स्थितिज ऊर्जा के समान होती है।
उत्तर:
माना कि m द्रव्यमान का कण सरल आवर्त गति करता है जिसका आवर्त काल T है। किसी क्षण t पर जबकि समय माध्य स्थिति से मापा गया है, कण का विस्थापन निम्नवत् है –
y = a sin wt
V = कण का वेग
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∴ (Ek)av = प्रति चक्र औसत KE
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पुनः प्रति चक्र औसत स्थितिज ऊर्जा निम्नवत् है –
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अतः समी० (ii) व (iii) से स्पष्ट है कि दोलन काल के दौरान औसत गतिज ऊर्जा समान; दोलनकाल में औसत स्थितिज ऊर्जा के समान होती है।

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प्रश्न 14.23
10 kg द्रव्यमान की कोई वृत्तीय चक्रिका अपने केन्द्र से जुड़े किसी तार से लटकी है। चक्रिका को घूर्णन देकर तार में ऐंठन उत्पन्न करके मुक्त कर दिया जाता है। मरोड़ी दोलन का आवर्तकाल 1.5 s है। चक्रिका की त्रिज्या 15 cm है। तार का मरोड़ी कमानी नियतांक ज्ञात कीजिए। [मरोड़ी कमानी नियतांक α संबंध J = -αθ द्वारा परिभाषित किया जाता है, जहाँ J प्रत्यानयन बल युग्म है तथा θ ऐंठन कोण है।]
उत्तर:
सम्पूर्ण निकाय मरोड़ी दोलन की भाँति कार्य करता है जिसका साम्य मरोड़ी आघूर्ण निम्नवत् है –
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जहाँ t = तार की त्रिज्या
η = लटकाए गए तार की दृढ़ता गुणांक, θ = तार में ऐंठन कोण प्रति ऐंठन मरोड़ी आघूर्ण
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समी० (i) की तुलना दी हुई समी० J = -αθ से करने पर,
J = τ
तथा
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समीकरण (iv) मरोड़ी कमानी नियतांक को व्यक्त करता है।
वृत्तीय चक्रिका के लिए I = \(\frac{1}{2}\) mr2
पुनः αI = cθ तथा α = \(\frac{C}{1}\) θ
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दिया है:
r = 15 cm = 0.15 cm,
T = 1.5 s, m = 10 kg
इन मानों को समी० (v) में रखने पर,
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प्रश्न 14.24
कोई वस्तु 5 cm के आयाम तथा 0.2 सेकण्ड की आवृत्ति से सरल आवृत्ति गति करती है। वस्तु का त्वरण तथा वेग ज्ञात कीजिए जब वस्तु का विस्थापन (a) 5 cm (b) 3 cm (c) 0 cm हो।
उत्तर:
दिया है:
आयाम, r = 5 cm = 0.05 m
T = 0.2 s
ω = \(\frac{2π}{T}\) = \(\frac{2π}{0.2}\) = 10π rad s-1
मानो कि वस्तु का विस्थापन y है। अत:
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प्रश्न 14.25
किसी कमानी से लटका एक पिण्ड एक क्षैतिज तल में कोणीय वेग ω से घर्षण या अवमंद रहित दोलन कर सकता है। इसे जब x0 दूरी तक खींचते हैं और खींचकर छोड़ देते हैं तो यह संतुलन केन्द्र से समय t = 0 पर, v0 वेग से गुजरता है। प्राचल ω, x0 तथा v0 के पदों में परिणामी दोलन का आयाम ज्ञात करिये। [संकेत : समीकरण x = a cos (ωt + θ) से प्रारंभ कीजिए। ध्यान रहे कि प्रारंभिक वेग ऋणात्मक है।]
उत्तर:
माना किसी क्षण t कण का विस्थापन निम्न है –
x = a cos (ωt + ϕ0) ……………… (i)
जहाँ a = आयाम
ϕ0 = प्रा० कला
माना किसी क्षण t पर वेग v है।
तब,
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t = 0 रखने पर, समी० (i) व (ii) से,
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समी० (iii) यह व्यक्त करता है कि प्रा० वेग ऋणात्मक है। (iii) में दोनों ओर का वर्ग करने पर,
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Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण

Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

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अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 10.1
स्पष्ट कीजिए क्यों?
(a) मस्तिष्क की अपेक्षा मानव का पैरों पर रक्तचाप अधिक होता है।
(b) 6 km ऊँचाई पर वायुमण्डलीय दाब समुद्र तल पर वायुमण्डलीय दाब का लगभग आधा हो जाता है, यद्यपि वायुमण्डल का विस्तार 100 km से भी अधिक ऊँचाई तक है।
(c) यद्यपि दाब, प्रति एकांक क्षेत्रफल पर लगने वाला बल होता है तथापि द्रवस्थैतिक दाब एक अदिश राशि है।
उत्तर:
(a) पैरों के ऊपर रक्त स्तम्भ की ऊँचाई मस्तिष्क के ऊपर रक्त स्तम्भ की ऊँचाई से ज्यादा होती है। हम जानते हैं कि द्रव स्तम्भ का दाब गहराई के अनुक्रमानुपाती होता है। इसी कारण पैरों पर रक्त दाब मस्तिष्क की तुलना में अधिक होता है।

(b) पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव के कारण वायु के अणु पृथ्वी के नजदीक बने रहते हैं, अधिक ऊँचाई तक नहीं जा पाते हैं। इस प्रकार 6 किमी से अधिक ऊँचाई तक जाने पर वायु बहुत ही विरल हो जाती है तथा घनत्व बहुत कम हो जाता है। चूंकि द्रव-दाब, द्रव के घनत्व के समानुपाती होता है। इस प्रकार 6 किमी से ऊपर की वायु का कुल दाब बहुत कम होता है। अतः पृथ्वी तल से 6 किमी की ऊँचाई पर वायुमण्डलीय दाब समुद्र तल पर वायुमण्डलीय दाब से आधा रह जाता है।

(c) पास्कल के नियमानुसार, किसी बिन्दु पर द्रव दाब समस्त दिशाओं में समान रूप से लगता है। अतः दाब के साथ कोई दिशा नहीं जोड़ी जा सकती है। अतः दाब एक सदिश राशि है।

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प्रश्न 10.2
स्पष्ट कीजिए क्यों?
(a) पारे का काँच के साथ स्पर्श कोण अधिक कोण होता है जबकि जल का काँच के साथ स्पर्श कोण न्यून कोण होता
(b) काँच के स्वच्छ समतल पृष्ठ पर जल फैलने का प्रयास करता है जबकि पारा उसी पृष्ठ पर बूंदें बनाने का प्रयास करता है। (दूसरे शब्दों में जल काँच को गीला कर देता है जबकि पारा ऐसा नहीं करता है।)
(c) किसी द्रव का पृष्ठ तनाव पृष्ठ के क्षेत्रफल पर निर्भर नहीं करता है।
(d) जल में घुले अपमार्जकों के स्पर्श कोणों का मान कम होना चाहिए।
(e) यदि किसी बाह्य बल का प्रभाव न हो, तो द्रव बूंद की आकृति सदैव गोलाकार होती है।
उत्तर:
(a) पारे के अणुओं के मध्य संसजक बल, पारे तथा काँच के अणुओं के मध्य आसंजक बल से अधिक होता है। अतः काँच व पारे का स्पर्श कोण अधिक कोण होता है जबकि जल के अणुओं के मध्य संसजक बल, काँच तथा जल के अणुओं के मध्य आसंजक बल से कम होता है। अत: जल व काँच के मध्य स्पर्श कोण न्यूनकोण होता है।
(b) यहाँ पर उपरोक्त कारण लागू होता है।
(c) किसी द्रव के मुक्त पृष्ठ का क्षेत्रफल बढ़ा देने पर उसके तनाव में कोई परिवर्तन नहीं होता है जबकि रबड़ की झिल्ली को खींचने पर उसमें तनाव बढ़ जाता है। अतः द्रव का पृष्ठ-तनाव उसके मुक्त क्षेत्रफल से निर्भर होता है।
(d) अपमार्जक घुले होने पर जल का पृष्ठ तनाव कम हो जाता है, परिणामस्वरूप स्पर्श कोण भी कम हो जाता है।
(e) बाह्य बल की अनुपस्थिति में बूंद की आकृति सिर्फ पृष्ठ तनाव द्वारा निर्धारित होती है। पृष्ठ तनाव के कारण बूंद न्यूनतम क्षेत्रफल वाली आकृति ले लेती है। चूँकि एक दिए गए आयतन के लिए गोले का युक्त पृष्ठ न्यूनतम होता है। अतः बूंद गोलाकार हो जाती है।

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प्रश्न 10.3
प्रत्येक प्रकथन के साथ संलग्न सूची में से उपयुक्त शब्द छाँटकर उस प्रकथन के रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए –
(a) व्यापक रूप में द्रवों का पृष्ठ तनाव ताप बढ़ने पर …………………….. (बढ़ता/घटता)
(b) गैसों की श्यानता ताप बढ़ने पर …………………….. है, जबकि द्रवों की श्यानता ताप बढ़ने पर ………………… है। (बढ़ती/घटती)
(c) दृढ़ता प्रत्यास्थता गुणांक वाले ठोसों के लिए अपरूपण प्रतिबल ………………….. के अनुक्रमानुपाती होता है, जबकि द्रवों के लिए वह ……………….. के अनुक्रमानुपाती होता है। (अपरूपण विकृति/अपरूपण विकृति की दर)
(d) किसी तरल के अपरिवर्ती प्रवाह में आए किसी संकीर्णन पर प्रवाह की चाल में वृद्धि में ………………….. का अनुसरण होता है। (संहति का संरक्षण/बर्नूली सिद्धांत)
(e) किसी वायु सुरंग में किसी वायुयान के मॉडल में प्रक्षोभ की चाल वास्तविक वायुयान के प्रक्षोभ के लिए क्रांतिक चाल की तुलना में ………………. होती है। (अधिक/कम)
उत्तर:
(a) घटता
(b) बढ़ती, घटती
(c) अपरूपण विकृति, अपरूपण विकृति की दर
(d) संहति का संरक्षण
(e) अधिक।

प्रश्न 10.4
निम्नलिखित के कारण स्पष्ट कीजिए।
(a) किसी कागज की पड़ी को क्षैतिज रखने के लिए आपको उस कागज पर ऊपर की ओर हवा फूंकनी चाहिए, नीचे की ओर नहीं।
(b) जब हम किसी जल टोंटी को अपनी उँगलियों द्वारा बंद करने का प्रयास करते हैं, तो उँगलियों के बीच की खाली जगह से तीव्र जल धाराएँ फूट निकलती हैं।
(c) इंजेक्शन लगाते समय डॉक्टर के अंगूठे द्वारा आरोपित दाब की अपेक्षा सुई का आकार दवाई की बहिःप्रवाही धारा को अधिक अच्छा नियंत्रित करता है।
(d) किसी पात्र के बारीक छिद्र से निकलने वाला तरल उस पर पीछे की ओर प्रणोद आरोपित करता है।
(e) कोई प्रचक्रमान क्रिकेट की गेंद वायु में परवलीय प्रपथ का अनुसरण नहीं करती।
उत्तर:
(a) कागज पर ऊपर की ओर फूंक मारने से ऊपर की वायु का वेग अधिक हो जाएगा। अत: बर्नूली की प्रमेय से, कागज के ऊपर वायुदाब, नीचे की अपेक्षा कम हो जाएगा। इससे कागज पर उत्थापक बल लगेगा जो कागज को नीचे गिरने से रोकेगा।

(b) जल टोंटी को उँगलियों द्वारा बन्द करने पर उँगलियों के बीच की खाली जगह से तीव्र जल धाराएँ फूट निकलती हैं। यहाँ धारा का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल टोंटी के अनुप्रस्थ क्षेत्रफल से कम होता है। अतः अविरतता के नियमानुसार, जल का वेग अधिक हो जाता है।

(c) अविरतता के नियम से, समान दाब आरोपित किए जाने पर, सुई बारीक होने पर बहिःप्रवाही धारा का प्रवाह वेग बढ़ जाता है। अतः बहि:प्रवाही वेग सुई के आकार से ज्यादा नियन्त्रित होता है।

(d) किसी पात्र के बारीक छिद्र से निकलने वाला तत्व उस पर पीछे की ओर प्रणोद आरोपित करता है। इसका कारण यह है कि यहाँ उच्च बहि:स्राव वेग प्राप्त कर लेता है। बाह्य बल के अनुपस्थिति में पात्र तथा तरल का संवेग संरक्षित रहता है। अतः पात्र विपरीत दिशा में संवेग प्राप्त करता है। अर्थात् बाहर निकलता हुआ द्रव पात्र पर विपरीत दिशा में प्रणोद लगाता है।

(e) घूर्णन करती गेंद अपने साथ वायु को खींचती है। अतः गेंद के ऊपर व नीचे वायु के वेग में अन्तर आ जाता है। परिणामस्वरूप दाबों में भी अन्तर आ जाता है। इसी कारण गेंद पर भार के अतिरिक्त एक दूसरा बल भी लगने लगता है तथा गेंद का पथ परवलयाकार नहीं रह पाता है।

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प्रश्न 10.5
ऊँची एड़ी के जूते पहने 50 kg संहति की कोई बालिका अपने शरीर को 1.0 cm व्यास की एक ही वृत्ताकार एड़ी पर संतुलित किए हुए है। क्षैतिज फर्श पर एड़ी द्वारा आरोपित दाब ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है, F = mg = 50 × 9.8 N = 490 N
d = 1.0 cm, r = \(\frac{d}{2}\) = 0.5 cm
= 0.5 × 10-2 m = 5 × 10-3 m
फर्श का क्षैतिज क्षेत्रफल जहाँ एड़ी लगती है,
A = πr2
= 3.142 × (5 × 10-3)2
= 3.142 × 25 × 10-6 m2
माना एड़ी द्वारा क्षैतिज फर्श पर लगाया गया दाब P है।
अतः P = \(\frac{F}{A}\)
या P = \(\frac{490}{3.142 \times 25 \times 10^{-6}}\)
= 6.24 × 106 Pascal
P = 6.24 × 106 Pa

प्रश्न 10.6
टॉरिसिली के वायुदाब मापी में पारे का उपयोग किया गया था। पास्कल ने ऐसा ही वायुदाब मापी 984 kgm-3 घनत्व की फ्रेंच शराब का उपयोग करके बनाया। सामान्य वायुमंडलीय दाब के लिए शराब स्तंभ की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना सामान्य ताप पर संगत फ्रेंच शराब स्तम्भ की ऊँचाई h है।
साधारण वायुमण्डलीय दाब,
P = 1.013 × 105 पास्कल
माना शराब स्तम्भ के संगत दाब P’ है।
P’ = Hpωg
जहाँ pω = शराब का घनत्व = 984 kgm-3
प्रश्नानुसार, P’ = P
या hρωg = P
या h = \(\frac{P}{\rho_{w} g}\)
= \(\frac{1.013 \times 10^{5}}{984 \times 9.8}\) = 10.5 m

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प्रश्न 10.7
समुद्र तट से दूर कोई ऊर्ध्वाधर संरचना 109 Pa के अधिकतम प्रतिबल को सहन करने के लिए बनाई गई है। क्या यह संरचना किसी महासागर के भीतर किसी तेल कूप के शिखर पर रखे जाने के लिए उपयुक्त है? महासागर की गहराई लगभग 3 km है। समुद्री धाराओं की उपेक्षा कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
जल स्तम्भ की गहराई, L = 3 किमी
= 3 × 103 मीटर
जल का घनत्व, ρ = 103 किग्रा/मीटर3
माना जल स्तम्भ द्वारा आरोपित दाब P है।
∴ P = hpg
= 3 × 103 × 103 × 9.8
= 30 × 106 = 3 × 107 पास्कल
चूँकि संरचना को महासागर पर रखा गया है अतः महासागर का जल 3 × 107 पास्कल का दाब लगाता है।
चूँकि ऊर्ध्व संरचना पर अधिकतम भंजक प्रतिबल 109 है।
3 × 107 पास्कल < 109 पास्कल
अतः यह संरचना महासागर के भीतर तेल कूप के शिखर पर रखी जा सकती है।

प्रश्न 10.8
किसी द्रवचालित आटोमोबाइल लिफ्ट की संरचना अधिकतम 3000 kg संहति की कारों को उठाने के लिए की गई है। बोझ को उठाने वाले पिस्टन की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 425 cm है। छोटे पिस्टन को कितना अधिकतम दाब सहन करना होगा?
उत्तर:
दिया है:
बड़े पिस्टन पर अधिकतम सहनीय बल,
F = 3000 kgf = 3000 × 9.8 N
पिस्टन का क्षेत्रफल,
A = 425 cm2 = 425 × 10-4 m2
माना बड़े पिस्टन पर अधिकतम दाब P है।
अतः P = \(\frac{F}{A}\) = \(\frac{3000 \times 9.8}{425 \times 10^{-4}}\)
= 6.92 × 105 Pa
चूँकि द्रव सभी दिशाओं में समान दाब आरोपित करता है। अतः छोटी पिस्टन 6.92 × 105 पास्कल का अधिकतम दाब सहन करना होगा।

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प्रश्न 10.9
किसी U – नली की दोनों भजाओं में भरे जल तथा मेथेलेटिड स्पिरिट को पारा एक-दूसरे से पृथक् करता है। जब जल तथा पारे के स्तंभ क्रमशः 10 cm तथा 12.5 cm ऊँचे हैं, तो दोनों भुजाओं में पारे का स्तर समान है। स्पिरिट का आपेक्षित घनत्व ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
U नली की एक भुजा में जल की ऊँचाई,
h1 = 10 सेमी,
ρ1 = ग्राम/सेमी3
U नली की एक दूसरी भुजा में स्प्रिट की ऊँचाई, h2 = 12.5 सेमी,
ρ2 = ?
माना जल तथा स्प्रिट द्वारा लगाया गया दाब क्रमश: P1 व P2 है।
∴ P1 = h1ρ1g ……………… (i)
व P2 = h2ρ2g ………………….. (ii)
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चूँकि संरचना को महासागर पर रखा गया है अतः
P1 = P2
या h1ρ1g = h2ρ2 g
या ρ2 = \(\frac{h_{1} \rho_{1}}{h_{2}}\)
= \(\frac{0.8 \mathrm{gcm}^{-3}}{1 \mathrm{gcm}^{-3}}\) = 0.800

प्रश्न 10.10
यदि प्रश्न 10.9 की समस्या में, U – नली की दोनों भुजाओं में इन्हीं दोनों द्रवों को और उड़ेल कर दोनों द्रवों के स्तंभों की ऊँचाई 15 cm और बढ़ा दी जाए, तो दोनों भुजाओं में पारे के स्तरों में क्या अंतर होगा। (पारे का आपेक्षिक घनत्व = 13.6)।
उत्तर:
माना U – नली की दोनों भुजाओं में अन्तर h है।
माना पारे का घनत्व ρm है।
माना समान क्षैतिज पर दो बिन्दु A व B हैं।
∴ A पर दाब = B पर दाब
या P0 + hωρωg
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= P0 + hsρsg + hmρmg
जहाँ P0 = वायुमण्डलीय दाब
या hwρw = hsρs + hmPm
या hmρm = hwρw – hsρs ………………. (i)
दिया है जल स्तम्भ की ऊँचाई,
hw = 10 + 15 = 25 cm ……………….. (ii)
स्प्रिट स्तम्भ की ऊँचाई,
hs = 12.5 + 15 = 27.5 cm
ρw = 1 g cm-3
ρs = 0.8 cm-3
ρm = 13.6 g cm-3
समी० (i) व (ii) से
hm × 13.6 = 25 × 1-27.5 × 0.8
या hm = \(\frac{25-22.00}{13.6}\) = 0.2206
= 0.221 cm
या hm = 0.221 cm

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प्रश्न 10.11
क्या बर्नूली समीकरण का उपयोग किसी नदी की किसी क्षिप्रिका के जल-प्रवाह का विवरण देने के लिए किया जा सकता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बर्नूली समीकरण केवल धार – रेखी प्रवाह पर लागू होता है। नदी की क्षिप्रिका का जल-प्रवाह धारा रेखी प्रवाह नहीं होता है। इसलिए इसका विवरण देने के लिए बर्नूली समीकरण का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 10.12
बर्नूली समीकरण के अनुप्रयोग में यदि निरपेक्ष दाब के स्थान पर प्रमापी दाब (गेज दाब) का प्रयोग करें तो क्या इससे कोई अंतर पड़ेगा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बर्नूली समीकरण से,
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माना दो बिन्दुओं पर वायुमण्डलीय व गेज दाब क्रमश:
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अतः दोनों बिन्दुओं पर वायुमण्डलीय दाबों में बहुत कम अन्तर होने पर परमदाब के स्थान पर गेज दाब का प्रयोग करने से कोई अन्तर नहीं पड़ेगा।

प्रश्न 10.13
किसी 1.5 m लंबी 1.0 cm त्रिज्या की क्षैतिज नली से ग्लिसरीन का अपरिवर्ती प्रवाह हो रहा है। यदि नली के एक सिरे पर प्रति सेकंड एकत्र होने वाली ग्लिसरीन का परिणाम 4.0 × 10-3 kgs -1 है, तो नली के दोनों सिरों के बीच दाबांतर ज्ञात कीजिए। (ग्लिसरीन का घनत्व = 1.3 × 103 kgm-3 तथा ग्लिसरीन की श्यानता = 0.83 Pas) [आप यह भी जाँच करना चाहेंगे कि क्या इस नली में स्तरीय प्रवाह की परिकल्पना सही है।
उत्तर:
दिया है:
r = 1.0 cm = 10-2 cm
l = 1.5 m
ρ = 1.3 × 10-2 kg m-3
प्रति सेकण्ड ग्लिसरीन का प्रवाहित द्रव्यमान
M = 4 × 10-3 kgs-1
ग्लिसरीन की श्यानता,
η = 0.83 Pas = 0.83 Nm-2s
माना नली के दोनों सिरों पर दाबान्तर P है।
रेनॉल्ड संख्या NR = ?
माना ग्लिसरीन का प्रति सेकण्ड प्रवाहित आयतन V है।
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पासले सूत्र से,
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धारा रेखीय प्रवाह की अभिग्रहीति जाँचने के लिए हम रेनॉल्ड संख्या का मान निकालते हैं –
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धारा रेखीय प्रवाह के लिए,
0 < Nr < 2000
समी० (i) व (ii) से,
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अत: प्रवाह स्तरीय (धारा रेखीय) है।

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प्रश्न 10.14
किसी आदर्श वायुयान के परीक्षण प्रयोग में वायु-सुरंग के भीतर पंखों के ऊपर और नीचे के पृष्ठों पर वायु-प्रवाह की गतियाँ क्रमश: 70 ms-1 तथा 63 ms-1 हैं। यदि पंख का क्षेत्रफल 2.5 m2 है, तो उस पर आरोपित उत्थापक बल परिकलित कीजिए। वायु का घनत्व 1.3 kgm-3 लीजिए।
उत्तर:
माना वायुयान के ऊपरी व निचली पर्तों की चाल क्रमशः v1 व v2 है तथा संगत दाब क्रमशः P1 व P2 है।
दिया है –
v1 = 70 मीटर/सेकण्ड
v2 = 63 मीटर/सेकण्ड
ρ = 1.3 किग्रा/मीटर3
माना पंखों की ऊपरी व निचले पर्ते समान ऊँचाई पर हैं।
h1 = h2
पंख का क्षेत्रफल, A = 2.5 मीटर2
बरनौली प्रमेय से,
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यह दाबान्तर ही वायुयान को ऊपर उठाता है। माना, पंखे पर आरोपित बल है।
अतः
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प्रश्न 10.15
चित्र (a) तथा (b) किसी द्रव (श्यानताहीन) का अपरिवर्ती प्रवाह दर्शाते हैं। इन दोनों चित्रों में से कौन सही नहीं है? कारण स्पष्ट कीजिए।
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उत्तर:
चित्र (a) सही नहीं है। चूंकि इस चित्र में, नलिका की ग्रीवा में अनुप्रस्थ क्षेत्रफल कम है। अत: अविरतता के सिद्धान्त से, यहाँ वेग अधिक होगा। अर्थात् बर्नूली प्रमेय से यहाँ जल दाब कम होगा जबकि चित्र (a) में ग्रीवा पर जल दाब अधिक दिखाया गया है।

प्रश्न 10.16
किसी स्प्रे पंप की बेलनाकार नली की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल 8.0 cm2 है। इस नली के एक सिरे पर 1.0 mm व्यास के 40 सूक्ष्म छिद्र हैं। यदि इस नली के भीतर द्रव के प्रवाहित होने की दर 1.5 m min-1 है, तो छिद्रों से होकर जाने वाले द्रव की निष्कासन-चाल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
A1 = 8 सेमी2 = 8 × 10-4 मीटर2
छिद्र की त्रिज्या,
r = 0.5 मिमी = 0.5 × 10-3 मीटर
छिद्रों का कुल क्षेत्रफल = 40 × π(r2)
= 40 × 3.14 × (0.5 × 10-3)2
= 0.3 × -4 मीटर2
vt = 1.5 मीटर/मिनट
= \(\frac{1.5}{60}\) = \(\frac{1}{40}\) मीटर/सेकण्ड
v2 = ?
सातत्यता समीकरण से,
A2v2 = A1v1
v2 = \(\frac{A_{1}}{A_{2}}\) v1
= \(\frac{8 \times 10^{-4}}{0.3 \times 10^{-4}}\) × 0.025
= 9.64 मीटर/सेकण्ड

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प्रश्न 10.17
U – आकार के किसी तार को साबुन के विलयन में डुबो कर बाहर निकाला गया जिससे उस पर एक पतली साबुन की फिल्म बन गई। इस तार के दूसरे सिरे पर फिल्म के संपर्क में एक फिसलने वाला हल्का तार लगा है जो 1.5 × 10-2 N भार (जिसमें इसका अपना भार भी सम्मिलित है) को सँभालता है। फिसलने वाले तार की लम्बाई 30 cm है। साबुन की फिल्म का पृष्ठ तनाव कितना है?
उत्तर:
दिया है:
तार की लंबाई,
l = 30 सेमी = 0.3 मीटर
तार पर लटका भार,
W = 1.5 × 10-2 न्यूटन
माना फिल्म का पृष्ठ तनाव S है।
अत: फिल्म के एक ओर के पृष्ठ के कारण तार पर लगने वाला बल,
F1 = s × l
दोनों पृष्ठों के कारण तार पर बल,
F1 = 2F1
= 2sl
यह बल (F) ही भार (W) को सन्तुलित करता है।
2sl = W
पृष्ठ तनाव, s = \(\frac{W}{2l}\)
= \(\frac{1.5 \times 10^{-2}}{2 \times 0.3}\)
= 2.5 × 10-2 न्यूटन प्रति मीटर

प्रश्न 10.18
निम्नांकित चित्र (a) में किसी पतली द्रव फिल्म को 4.5 × -2 N का छोटा भार सँभाले दर्शाया गया है। चित्र (b) तथा (c) में बनी इसी द्रव की फिल्में इसी ताप पर कितना भार सँभाल सकती हैं? अपने उत्तर को प्राकृतिक नियमों के अनुसार स्पष्ट कीजिए।
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उत्तर:
तीनों चित्रों में, फिल्म के नीचे वाले किनारे की लम्बाई 40 सेमी (समान) है। (F = 25 l) इस किनारे पर फिल्म के पृष्ठ तनाव (S) के कारण समान बल लगेगा। यह बल लटके हुए भार को साधता है। चूंकि साधने वाला बल प्रत्येक दशा में समान है। इसलिए चित्र (b) तथा (c) में भी वही भार 4.5 × -2 न्यूटन सँभाला जा सकता है।

प्रश्न 10.19
3.00 mm त्रिज्या की किसी पारे की बूंद के भीतर कमरे के ताप पर दाब क्या है? 20°C ताप पर पारे का पृष्ठ तनाव 4.65 × 10-1 Nm-1 है। यदि वायुमंडलीय दाब 1.01 × 105 Pa है, तो पारेकी बँद के भीतर दाब-आधिक्य भी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
बूंद की त्रिज्या r = 3.0 mm
= 3.0 × 10-3 m
पारे का पृष्ठ तनाव,
T = 4.65 × 10-1 Nm-1
बूंद के बाहर दाब, P0 = वायुमण्डलीय दाब
= 1.01 × 105 Pa
माना कि बूंद के अन्दर दाब Pi है तब बूंद के अन्दर आधिक्य दाब निम्नवत् है –
P = Pi = P0 = \(\frac{2T}{r}\)
= \(\frac{2 \times 4.65 \times 10^{-1}}{3 \times 10^{-3}}\)
Pi = P + P0
= 310 + 1.01 × 105 Pa
= 1.01 × 105 + 0.00310 × 105
= 1.01310 × 105 × 105 Pa
अतः Pi = 1.01 × 105 Pa

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प्रश्न 10.20
5.00 mm त्रिज्या के किसी साबुन के विलयन के बुलबुले के भीतर दाब-आधिक्य क्या है? 20°C ताप पर साबुन के विलयन का पृष्ठ तनाव 2.50 × 10-2 Nm-1 है। यदि इसी विमा का कोई वायु का बुलबुला 1.20 आपेक्षिक घनत्व के साबुन के विलयन से भरे किसी पात्र में 40.0 cm गहराई पर बनता, तो इस बुलबुले के भीतर क्या दाब होता, ज्ञात कीजिए। (1 वायुमंडलीय दाब = 1.01 × 105 Pa)।
उत्तर:
साबुन के घोल का पृष्ठ तनाव,
T = 2.5 × 10-2 Nm-1
साबुन के घोल का घनत्व = ρ
= 1.2 × 103 kg m-3
साबुन के बुलबुले की त्रिज्या = r
= 5.0 mm
= 5.0 × 10-3 m
1 वायुमण्डलीय दाब = 1.01 × 105 Pa
साबुन के बुलबुले के अन्दर आधिक्य दाब निम्नवत् है –
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साबुन के घोल में वायु के बुलबुले के अन्दर आधिक्य दाब
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40 सेमी गहराई पर वायु के बुलबुले के बाहर दाब, P0 = वायुमण्डलीय दाब + 40 सेमी के कारण दाब
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∴ वायु के बुलबुले के अन्दर दाब
Pi = P0 + \(\frac{2T}{r}\)
= (1.06 × 105 + 10) Pa
= 1.06 × 105 + 0.00010 × 105
= 1.06010 × 105 Pa
= 1.06 × 105 Pa

Bihar Board Class 11 Physics तरलों के यांत्रिकी गुण Additional Important Questions and Answers

अतिरिक्त अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 10.21
1.0 m2 क्षेत्रफल के वर्गाकार आधार वाले किसी टैंक को बीच में ऊर्ध्वाधर विभाजक दीवार द्वारा दो भागों में बाँटा गया है। विभाजक दीवार में नीचे 20 cm2 क्षेत्रफल का कब्जेदार दरवाजा है। टैंक का एक भाग जल से भरा है तथा दूसरा भाग 1.7 आपेक्षिक घनत्व के अम्ल से भरा है। दोनों भाग 4.0 m ऊँचाई तक भरे गए हैं। दरवाजे को बंद रखने के आवश्यक बल परिकलित कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
दोनों ओर भरे द्रवों की ऊँचाई
hw = ha = 4 मीटर
जल का घनत्व pw = 103 किग्रा प्रति मीटर3
अम्ल का आपेक्षिक घनत्व = \(\frac{\rho_{a}}{\rho_{w}}\) = 1.7
दरवाजे का क्षेत्रफल
A = 20 सेमी2 = 2 × 10-3 मीटर2
जल की साइड से दरवाजे पर दाब
P1 = Pa + hwρωg
= Pa + 4 × 103 × 9.8
= Pa + 3.92 × 104 न्यूटन/मीटर2
अम्ल की साइड से दरवाजे पर दाब,
P2 = Pa + hwwg
= Pa + 4 × 103 × 9.8
= Pa + 3.92 × 104 न्यूटन/मीटर2
अम्ल की साइड से दरवाजे पर दाब,
P2 = Pa + haρa g
= Pa + ha \(\frac{\rho_{a}}{\rho_{w}}\) × g × ρw
= Pa + 4 × 1.7 × 9.8 × 103
= Pa + 6.66 × 104 न्यूटन/मीटर2
अतः दाबान्तर P = P2 – P1
= (6.66 – 3.92) × 104
= 2.74 × 104 न्यूटन/मीटर2
अतः दरवाजा बन्द रखने के लिए आवश्यक बल F = PA
= 2.74 × 104 × 2 × 10-3
= 54.8
= 55 न्यूटन

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प्रश्न 10.22
चित्र (a) में दर्शाए अनुसार कोई मैनोमीटर किसी बर्तन में भरी गैस के दाब का पाठ्यांक लेता है। पंप द्वारा कुछ गैस बाहर निकालने के पश्चात् मैनोमीटर चित्र
(b) में दर्शाए अनुसार पाठ्यांक लेता है। मैनोमीटर में पारा भरा है तथा वायुमंडलीय दाब का मान 76 cm (Hg) है।
(i) प्रकरणों (a) तथा (b) में बर्तन में भरी गैस के निरपेक्ष दाब तथा प्रमापी दाब cm (Hg) के मात्रक में लिखिए।
(ii) यदि मैनोमीटर की दाहिनी भुजा में 13.6 cm ऊँचाई तक जल (पारे के.साथ अमिश्रणीय) उड़ेल दिया जाए तो प्रकरण
(b) में स्तर में क्या परिवर्तन होगा?(गैस के आयतन में हुए थोड़े परिवर्तन की उपेक्षा कीजिए।)
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उत्तर:
(i) प्रकरण (a) में,
गैस का निरपेक्ष दाब = Pa + h
दिया है : h = 20 सेमी पारा व pa = 76 सेमी पारा (वायुमण्डलीय दाब)
निरपेक्ष दाब = 76 + 20 = 96 सेमी (पारा) लेकिन प्रमापी दाब (मेज दाब) = 20 सेमी (पारा)
प्रकरण (b) में,
गैस का निरपेक्ष दाब = Pa + h
= 76 – 18 (h = -18 सेमी)
= 58 सेमी (पारा) लेकिन प्रमापी दाब (गेज दाब)
= -18 सेमी (पारा)

(ii) जल स्तम्भ के दाब को सन्तुलित करने के लिए बाईं भुजा में पारा ऊपर चढ़ेगा। माना दोनों ओर के तलों का अन्तर h है।
माना h1 = 13.6 सेमी ऊँचे जल स्तम्भ का दाब h’1 ऊँचाई वाले पारे के स्तम्भ के दाब के समान है।
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प्रकरण (c) में गैस का निरपेक्ष दाब,
P = Pa + h’ + h’1
58 = 76 + h + 1
h = 58 – 77 = -19 सेमी।
अतः प्रथम स्तम्भ में पारे का तल दूसरे स्तम्भ की तुलना में 19 सेमी ऊँचा हो जाएगा।

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प्रश्न 10.23
दो पात्रों के आधारों के क्षेत्रफल समान हैं परंतु आकृतियाँ भिन्न-भिन्न हैं। पहले पात्र में दूसरे पात्र की अपेक्षा किसी ऊँचाई तक भरने पर दो गुना जल आता है। क्या दोनों प्रकरणों में पात्रों के आधारों पर आरोपित बल समान हैं। यदि ऐसा है तो भार मापने की मशीन पर रखे एक ही ऊँचाई तक जल से भरे दोनों पात्रों के पाठ्यांक भिन्न-भिन्न क्यों होते है।
उत्तर:
हाँ, दोनों प्रकरणों में पात्रों के आधारों पर आरोपित बल समान है। माना प्रत्येक पात्र में जल स्तम्भ की ऊँचाई h व आधार का क्षेत्रफल A है।
अतः आधार पर बल = जल स्तम्भ का दाब – क्षेत्रफल
= hρg × A = Ahρg
अत: दोनों पात्रों के आधारों पर समान बल लगेंगे। भाप मापने वाली मशीन, पात्रों के आधार पर लगने वाले बल को मापने के स्थान पर पात्र तथा जल का भार मापती है। चूँकि एक पात्र में दूसरे की तुलना में दो गुना जल है। अतः भार मापने की मशीन के पाठ्यांक अलग-अलग होंगे।

प्रश्न 10.24
रुधिर-आधान के समय किसी शिरा में,जहाँ दाब 2000 Pa है, एक सुई धुंसाई जाती है। रुधिर के पात्र को किस ऊँचाई पर रखा जाना चाहिए ताकि शिरा में रक्त ठीक-ठीक प्रवेश कर सके।
(सम्पूर्ण रुधिर का घनत्व सारणी 10.1 में दिया गया है।)
उत्तर:
दिया है:
शिरा में रक्त दाब,
P = 2000 Pa
रक्त का घनत्व ρ = 1.06 × 103 kg m-3
g = 9.8 ms-2
माना कि रक्त के पात्र की सुई से ऊँचाई = h
सूत्र P = hρg से,
h = \(\frac{P}{ρg}\)
= \(\frac{2000}{1.06 \times 10^{3} \times 9.8}\)
= \(\frac{1000}{106×49}\)
= 0.193 m
या h = 0.2 m

प्रश्न 10.25
बर्नूली समीकरण व्युत्पन्न करने में हमने नली में भरे तरल पर किए गए कार्य को तरल की गतिज तथा स्थितिज ऊर्जाओं में परिवर्तन के बराबर माना था।
(a) यदि क्षयकारी बल उपस्थित है, तब नली के अनुदिश तरल में गति करने पर दाब में परिवर्तन किस प्रकार होता है?
(b) क्या तरल का वेग बढ़ने पर क्षयकारी बल अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं? गुणात्मक रूप में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
(a) क्षयकारी बल की अनुपस्थिति में बहते हुए द्रव के एकांक आयतन की सम्पूर्ण ऊर्जा स्थिर रहती है लेकिन क्षयकारी बल की उपस्थिति में नली में तरल के प्रवाह को बनाए रखने के लिए क्षयकारी बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है।

अतः नली के अनुदिश चलने पर तरल का दाब अधिक तीव्रता से घटता जाता है। इसी कारण शहरों में जल की टंकी से बहुत दूरी पर स्थित मकानों की ऊँचाई टंकी से कम होने पर भी जल उनकी ऊपर वाली मंजिल तक नहीं पहुँच पाता है।

(b) हाँ, तरल का वेग बढ़ने पर तरल की अपरूपण दर। बढ़ती है। इस प्रकार क्षयकारी श्यान बल और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाते हैं।

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प्रश्न 10.26
(a) यदि किसी धमनी में रुधिर का प्रवाह पटलीय प्रवाह ही बनाए रखना है तो 2 × 10-3 m त्रिज्या की किसी धमनी में रुधिर-प्रवाह की अधिकतम चाल क्या होनी चाहिए?
(b) तद्नुरूपी प्रवाह-दर क्या है? (रुधिर की श्यानता 2.084 × 10-3 Pas लीजिए)।
उत्तर:
दिया है:
η = 2.084 × 10-3
r = 2 c 10-3 मीटर

(a) माना रुधिर प्रवाह की अधिकतम चाल = vmax
सूत्र रेनाल्ड संख्या,
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= 0.98 मीटर/सेकण्ड

(b) माना तद्नुरूपी प्रवाह दर = प्रति सेकण्ड प्रवाहित रक्त = धमनी का अनुप्रस्थ परिच्छेद × रक्त प्रवाह की दर
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प्रश्न 10.27
कोई वायुयान किसी निश्चित ऊँचाई पर किसी नियत चाल से आकाश में उड़ रहा है तथा इसके दोनों पंखों में प्रत्येक का क्षेत्रफल 25 m2 है। यदि वायु की चाल पंख के निचले पृष्ठ पर 180 kmh-1 तथा ऊपरी पृष्ठ पर 234 kmh-1 है, तो वायुयान की संहति ज्ञात कीजिए। (वायु का घनत्व 1kgm-3 लीजिए)।
उत्तर:
माना पंख के ऊपरी व निचले पृष्ठ पर वायु का वेग क्रमशः v1 व v2 है।
v1 = 234 kmh-1
= 234 × \(\frac{5}{18}\)
= 65 ms-1
तथा v2 = 180 kmh-1
= 180 × \(\frac{5}{18}\)
= 50 ms-1
प्रत्येक पंख का क्षेत्रफल = 25 m2
पंख का कुल क्षेत्रफल,
A = 25 + 25 = 50 m2
अतः बर्नूली प्रमेय से दोनों पंखों के वायु का घनत्व
ρ = 1kg m-3
पृष्ठों के बीच दाबान्तर,
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प्रश्न 10.28
मिलिकन तेल बूंद प्रयोग में, 2.0 × 10-5 m त्रिज्या तथा 1.2 × 103 kgm-3 घनत्व की किसी बँद की सीमांत चाल क्या है? प्रयोग के ताप पर वायु की श्यानता 1.8 × 10-5 Pas लीजिए। इस चाल पर बूंद पर श्यान बल कितना है? (वायु के कारण बूंद पर उत्प्लावन बल की उपेक्षा कीजिए)।
उत्तर:
दिया है:
r = 2.0 × 10-5 m
ρ = 1.2 × 103 kgm-3,
η = 1.8 × 10-5 Nsm-2,
vT = ?; F = ?
सीमान्त वेग v = \(\frac{2}{9}\) r2 \(\frac{\left(p-\rho_{0}\right) g}{\eta}\)
चूँकि वायु के कारण बूँद का घनत्व नगण्य है।
वायु के लिए ρ0 = 0
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स्टोक्स के नियम से बूंद पर श्यान बल,
F = 6πηrnvT
= 6 × 3.142 × (1.8 × 10-5) × (2 × 10-5) × (5.8 × 10-2)
= 3.93 × 10-10 N

प्रश्न 10.29
सोडा काँच के साथ पारे का स्पर्श कोण 140° है। यदि पारे से भरी द्रोणिका में 1.00 mm त्रिज्या की काँच की किसी नली का एक सिरा डुबोया जाता है, तो पारे के बाहरी पृष्ठ के स्तर की तुलना में नली के भीतर पारे का स्तर कितना नीचे चला जाता है? (पारे का घनत्व = 13.6 × 103kgm-3)
उत्तर:
दिया है:
स्पर्श कोण, θ = 140°, r = 1 मिमी = 10-3 मीटर
पृष्ठ तनाव T = 0.465 न्यूटन प्रति मीटर
पारे का घनत्व ρ = 13.6 × 103 किग्रा प्रति मीटर
h = ?
cos θ = cos 140°
= – cos 40°
= -0.7660
सूत्र h = \(\frac{2T cosθ}{rρg}\) से
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यहाँ ऋणात्मक चिन्ह को छोड़ने पर यह प्रदर्शित करता है कि बाहर के पारे के स्तम्भ के सापेक्ष नली के स्तम्भ में अवनमन होता है।
अवनमन = 5.34 मिमी।

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प्रश्न 10.30
3.0 mm तथा 6.0 mm व्यास की दो संकीर्ण नलियों को एक साथ जोड़कर दोनों सिरों से खुली एक U – आकार की नली बनाई जाती है। यदि इस नली में जल भरा है, तो इस नली की दोनों भुजाओं में भरे जल के स्तरों में क्या अंतर है। प्रयोग के ताप पर जल का पृष्ठ तनाव 7.3 × 10-2 Nm-1 है। स्पर्श कोण शून्य लीजिए तथा जल का घनत्व 1.0 × 103 kgm -3 लीजिए। (g = 9.8 ms-2)
उत्तर:
दिया है:
जल का पृष्ठ घनत्व,
T = 7.3 × 10-2 Nm-1
जल का घनत्व ρ = 1 × 103 kg m-3
स्पर्श कोण, θ = 0°, g = 9.8 ms-2
माना दो संकीर्ण नलिकाओं के छिद्रों के व्यास D1 व D2 हैं।
अत: D1 = 3.0 mm तथा D2 = 6.0 mm
∴ त्रिज्याएँ, r1 = \(\frac{D_{2}}{2}\) = \(\frac{6}{2}\) = 3mm
= 3 × 10-3 m
माना U आकार की नली में पहली व दूसरी नली में जल क्रमश: h1 व h2 ऊँचाई तक चढ़ता है।
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r2 > r1
∴h1 > h2
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परिकलित्र/कम्प्यूटर – आधारित प्रश्न

प्रश्न 10.31
(a) यह ज्ञात है कि वायु का घनत्व ρ ऊँचाई y(मीटरों में) के साथ इस संबंध के अनुसार घटता है –
\(\rho=\rho_{0} e^{-y / y_{0}}\) यहाँ समुद्र तल पर वायु का घनत्व P0 = 125 kg m-3 तथा Y0 एक नियतांक है। घनत्व में इस परिवर्तन को वायुमंडल का नियम कहते हैं। यह संकल्पना करते हुए कि वायुमंडल का ताप नियत रहता है (समतापी अवस्था) इस नियम को प्राप्त कीजिए। यह भी मानिए किg का मान नियत रहता है।
(b) 1425 m3 आयतन का हीलियम से भरा कोई बड़ा गुब्बारा 400 kg के किसी पेलोड को उठाने के काम में लाया जाता है। यह मानते हुए कि ऊपर उठते समय गुब्बारे की त्रिज्या नियत रहती है, गुब्बारा कितनी अधिकतम ऊँचाई तक ऊपर उठेगा? [y0 = 8000 m तथा ρHe = 0.18 kg m-3 लीजिए।]
उत्तर:
(a) माना कि एक दूसरे से ऊर्ध्वाधर दूरी dy पर दो बिन्दु A व B हैं।
माना Y = बिन्दु A की समुद्र तल से ऊँचाई
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(i) P = A पर दाब
dp = A से B तक दाब में परिवर्तन
जैसे-जैसे हम समुद्र तल से ऊँचाई की ओर चलते हैं, दाब तथा घनत्व दोनों ही ऊँचाई के साथ बढ़ते हैं।
p – dp = B पर दाब
माना A तथा B पर घनत्व क्रमशः ρ व ρ – dρ हैं।
अतः A से B तक दाब में कमी = -dp
= बल/क्षेत्रफल = \(\frac{mg}{a}\) = \(\frac{mg}{V.a}\) V
= (\(\frac{m}{V}\))g. \(\frac{a}{a}\) dy
= ρgdy
चूँकि ताप नियत रहता है।
∴P ∝ ρ
(∵ बॉयल के नियम से p ∝ \(\frac{1}{V}\) ∝ \(\frac{1}{(M/ρ)}\) या \(\frac{P}{M}\) ∝ ρ)
या p = kp
जहाँ K नियतांक है।
समी० (i) व (ii) से,
-d(kp) = ρgdy
या \(\frac{dρ}{ρ}\) = \(\frac{g}{k}\) dy = 0 …………….. (iii)
समी (iii) का समाकलन करने पर,
∫ \(\frac{dρ}{ρ}\) + ∫\(\frac{g}{k}\) dy = C
या logeρ + \(\frac{g}{k}\) y = C …………….. (iv)
जहाँ C समाकलन नियतांक है।
माना Y = 0 पर ρ = ρ0
समी० (iv) से,
Bihar Board Class 11 Physics Chapter 10 तरलों के यांत्रिकी गुण
दिया है: y0 = \(\frac{k}{g}\) नियतांक है।
(b) माना हीलियम का गुब्बारा Y ऊँचाई तक उड़ता है। गुब्बारे का आयतन, V = 1425 मीटर3
ρHeपेलोड = 400 gN
ρHeHe = 0.18 किग्रा-मीटर-3, ρ0 = 1.25 kgm-3
Y0 = 8km
माना He का द्रव्यमान = m
m = ρHe × y
= 0.18 × 1425
= 256.5 kg
लिफ्ट से अलग कुल लोड
= 400 + 256.5
= 656.5 N
माना ऊँचाई पर वायु का घनत्व है। साम्यावस्था में, लिफ्ट से अलग किया लोड = He के गुब्बारे का भार
या 656.5g = V × ρ × g
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या y = 0.997 × 8
= 7.98 km
~ 8 km
यदि ऊँचाई के साथ g में परिवर्तन माना जाए तब ऊँचाई लगभग 8.2 किमी० होगी।

Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम

Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम

Bihar Board Class 11 Physics गति के नियम Text Book Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 5.1
निम्नलिखित पर कार्यरत नेट बल का परिमाण व उसकी दिशा लिखिए:

  1. एकसमान चाल से नीचे गिरती वर्षा की कोई बूंद
  2. जल में तैरता 10g संहति का कोई कार्क
  3. कुशलता से आकाश में स्थिर रोकी गई कोई पतंग
  4. 30 km h-1 के एकसमान वेग से ऊबड़-खाबड़ सड़क पर गतिशील कोई कार
  5. सभी गुरुत्वीय पिण्डों से दूर तथा वैद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों से मुक्त, अंतरिक्ष में तीव्र चाल वाला इलेक्ट्रॉन।

उत्तर:

  1. न्यूटन के प्रथम नियमानुसार कोई नेट बल नहीं लगता है।
  2. न्यूटन के प्रथम नियमानुसार कोई नेट बल नहीं लगता है।
  3. न्यूटन के प्रथम नियमानुसार कोई नेट बल नहीं लगता है।
  4. न्यूटन के प्रथम नियमानुसार कोई नेट बल नहीं लगता है।
  5. चूँकि यह वैद्युत चुम्बकीय एवम् गुरुत्वीय बल उत्पन्न करने वाली भौतिक एजेंसियों से काफी दूर है। अत: कोई बल कार्य नहीं करता है।

Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम

प्रश्न 5.2
0.05 kg संहति का कोई कंकड़ ऊर्ध्वाधर ऊपर फेंका गया है। नीचे दी गई प्रत्येक परिस्थिति में कंकड़ पर लग रहे नेट बल का परिमाण व उसकी दिशा लिखिए:

  1. उपरिमुखी गति के समय।
  2. अधोमुखी गति के समय।
  3. उच्चतम बिंदु पर जहाँ क्षण भर के लिए यह विराम में रहता है।

यदि कंकड़ को क्षैतिज दिशा से 45° कोण पर फेंका जाए, तो क्या आपके उत्तर में कोई परिवर्तन होगा? वायु-प्रतिरोध को उपेक्षणीय मानिए।

उत्तर:
चूँकि उपरोक्त तीनों स्थितियों में, वायु के प्रभाव को नगण्य मानते हुए कंकड़ पर केवल एक ही बल (गुरुत्व बल) 0.5 न्यूटन ऊर्ध्वाधरतः, अधोमुखी लगता है यदि कंकड़ की गति ऊर्ध्वाधर की ओर नहीं है तब भी उत्तर अपरिवर्तित रहता है। कंकड़ उच्चतम बिन्दु पर विराम में नहीं है। इसकी समस्त गति की अवधि में इस पर वेग का एकसमान क्षैतिज घटक कार्यरत रहता है।

प्रश्न 5.3
0.1 kg संहति के पत्थर पर कार्यरत नेट बल का परिमाण व उसकी दिशा निम्नलिखित परिस्थितियों में ज्ञात कीजिए:

  1. पत्थर को स्थिर रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरन्त पश्चात्,
  2. पत्थर को 36 km h-1 के एकसमान वेग से गतिशील किसी रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरन्त पश्चात्,
  3. पत्थर को 1 ms-2 के त्वरण से गतिशील किसी रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरंत पश्चात्,
  4. पत्थर 1 ms-2 के त्वरण से गतिशील किसी रेलगाड़ी के फर्श पर पड़ा है तथा वह रेलगाड़ी के सापेक्ष विराम में है। उपरोक्त सभी स्थितियों में वायु का प्रतिरोध उपेक्षणीय मानिए।

उत्तर:
1. स्थिर रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने पर, पत्थर पर एक मात्र बल उसका भार नीचे की ओर कार्य करेगा। पत्थर पर बल (mg) = 0.1 × 10 = 1 न्यूटन नीचे की ओर।

2. इस स्थिति में गाड़ी से गिराने के पश्चात् गाड़ी की गति का उस पर कार्य करने वाले बल पर कोई प्रभाव नहीं होगा तथा पत्थर पर बल उसका भार नीचे की ओर कार्य करेगा। अत: पत्थर बल पर = 1 न्यूटन नीचे की ओर।

3. इस स्थिति में (b) के समान बल नीचे की ओर कार्य करेगा।

4. पत्थर रेलगाड़ी के सापेक्ष विरामावस्था में है।
∴ पत्थर पर त्वरण = रेलगाड़ी का त्वरण = 1 मीटर/सेकण्ड2
∴ पत्थर पर गाड़ी की त्वरित गति के कारण नेट बल
F = ma = 0.1 × 1 = 0.1 न्यूटन क्षैतिज दिशा में।

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प्रश्न 5.4
l लंबाई की एक डोरी का एक सिरा mसंहति के किसी कण से तथा दूसरा सिरा चिकनी क्षैतिज मेज पर लगी खूटी से बँधा है। यदि कण v चाल से वृत्त में गति करता है तो कण पर (केंद्र की ओर निर्देशित) नेट बल है:

  1. T
  2. T – \(\frac{m v^{2}}{l}\)
  3. T + \(\frac{m v^{2}}{l}\)
  4. 0

T डोरी में तनाव है। (सही विकल्प चुनिए)
उत्तर:
विकल्प (i) सही है।

प्रश्न 5.5
15 ms-1 की आरंभिक चाल से गतिशील 20 kg संहति के किसी पिण्ड पर 50 N का स्थाई मंदन बल आरोपित किया गया है। पिण्ड को रुकने में कितना समय लगेगा?
उत्तर:
दिया है:
u = 15 मीटर/सेकण्ड, m = 20 किग्रा, मंदन बल, F = 50 न्यूटन, v = 0, समय (t) = ?
गति के द्वितीय नियम से,
F = ma
∴ पिण्ड का मंदन,
a = \(\frac{F}{m}\) = \(\frac{50}{20}\) = 2.5 मीटर/सेकण्ड2
20 सूत्र, v = u + at से,
0 = 15 + (-2.5) × t
∴ t = \(\frac{15}{2.5}\)
= 6 सेकण्ड

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प्रश्न 5.6
3.0 kg संहति के किसी पिण्ड पर आरोपित कोई बल 25 s में उसकी चाल को 2.0 ms-1 से 3.5 ms-1 कर देता है। पिण्ड की गति की दिशा अपरिवर्तित रहती है। बल का परिमाण व दिशा क्या है?
उत्तर:
दिया है:
m = 3 किग्रा, µ = 2 मीटर/सेकण्ड, t = 25 सेकण्ड, v = 3.5 मीटर/सेकण्ड, बल का परिणाम F = ?, बल की दिशा = ?
न्यूटन के गति विषयक द्वितीय नियम से,
पिण्ड पर लगा बल, F = संवेग परिवर्तन की दर
= \(\frac{mv-mu}{t}\) = \(\frac{m(v-u)}{t}\)
= \(\frac{3(3.5 – 2)}{25}\) = \(\frac{3×1.5}{25}\)
= 1.8 न्यूटन
बल पिण्ड की गति की दिशा में ही लगेगा।

प्रश्न 5.7
5.0 kg संहति के किसी पिण्ड पर 8 N व 6 N के दो लंबवत् बल आरोपित हैं। पिण्ड के त्वरण का परिमाण व दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
m = 5 किग्रा,
Bihar Board Class 11 Physics Chapter 5 गति के नियम
F1 = 6 न्यूटन
F2 = 8 न्यूटन
त्वरण = ?, त्वरण की दिशा = ?
बलों के समान्तर चतुर्भुज नियम से, पिण्ड पर लगने वाला परिणामी बल,
F = \(\sqrt{F_{1}^{2}+F_{2}^{2}}=\sqrt{8^{2}+6^{2}}\)
= 10 न्यूटन
परिणामी बल द्वारा F1 से बना कोण,
θ = tan-1 = \(\left(\frac{F^{2}}{F_{1}}\right)\)
= tan-1 = \(\frac{6}{8}\) = 37°
पिण्ड पर त्वरण,
a = \(\frac{F}{m}\) = \(\frac{10}{5}\) = 2 मीटर/सेकण्ड2

Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 5 गति के नियम

प्रश्न 5.8
36 kmh-1 की चाल से गतिमान किसी ऑटो रिक्शा का चालक सड़क के बीच एक बच्चे को खड़ा देखकर अपने वाहन को ठीक 4.0s में रोककर उस बच्चे को बचा लेता हैं। यदि ऑटो रिक्शा बच्चे के ठीक निकट रुकता है, तो वाहन पर लगा औसत मंदन बल क्या है? ऑटो रिक्शा तथा चालक की संहतियाँ क्रमशः 400 kg और 65 kg हैं।
उत्तर:
दिया है:
ऑटो रिक्शा की प्रा० चाल, u = 36 किमी/घण्टा = 10 मीटर/सेकण्ड
ऑटो रिक्शा की अन्तिम चाल v = 0, t = 4 सेकण्ड औसत मंदन बल, F = ?
कुल द्रव्यमान = ऑटो रिक्शा का द्रव्यमान + चालक का द्रव्यमान
= 400 + 65 = 465 किग्रा
समी० u = y + at से,
θ = \(\frac{v-u}{t}\) = \(\frac{0-10}{4}\)
= -2.5 मीटर/सेकण्ड2
अतः मंदन बल, F = ma = 465 × 2.5
= 1.16 × 103 = 1.2 × 103 न्यूटन

प्रश्न 5.9
20,000 kg उत्थापन संहति के किसी रॉकेट में 5 ms-2 के आरंभिक त्वरण के साथ ऊपर की ओर स्फोट किया जाता है। स्फोट का आरंभिक प्रणोद (बल) परिकलित कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
रॉकेट का द्रव्यमान, m = 20,000 किग्रा
त्वरण, a = 5 मीटर/सेकण्ड2
माना रॉकेट पर ऊपर की ओर लगने वाला आरम्भिक प्रणोद F है।
यहाँ रॉकेट पर दो बल लगते हैं –

1. प्रणोद (F) ऊपर की ओर तथा
2. रॉकेट का भार (mg) नीचे की ओर

चूँकि रॉकेट ऊपर उठ रहा है। अतः रॉकेट पर ऊपर की ओर लगने वाला बल, F1 = F – mg, लेकिन F1 = ma
∴ ma = F – mg
∴ F = mg + ma
= m (g + a)
रॉकेट = 20,000 (10 + 5)
= 20,000 × 15
= 300,000 × 3 × 105 न्यूटन।
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प्रश्न 5.10
उत्तर की ओर 10 ms-1 की एकसमान आरंभिक चाल से गतिमान 0.40 kg MB संहति के किसी पिण्ड पर दक्षिण दिशा के अनुदिश 8.0N का स्थाई बल 30 s के लिए आरोपित किया गया है। जिस क्षण बल आरोपित किया गया उसे t = 0, तथा उस समय पिण्ड की स्थिति x = 0 लीजिए। t = -5s, 25 s, 100 s पर इस कण की स्थति क्या होगी?
उत्तर:
दिया है:
प्रारम्भिक वेग, u = 10 मीटर/सेकण्ड, उत्तर दिशा की ओर
आरोपित बल F = 8 न्यूटन, दक्षिण की ओर
m = 0.4 किग्रा, t = 30 सेकण्ड
t = 0 तथा x = 0 पर बल आरोपित किया जाता है।
t = -5 सेकण्ड पर,
चूँकि t = 0 से पूर्व पिण्ड पर कोई बल आरोपित नहीं था।
अतः इस समयान्तराल में पिण्ड एकसमान वेग से गतिशील होगा।
सूत्र
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= -50 मीटर
अत: t = -5 सेकण्ड पर पिण्ड x = -50 मीटर पर है।
t = 25 सेकण्ड पर,
चूँकि t = 0 से t = 30 सेकण्ड तक पिण्ड पर बल आरोपित है। अत: पिण्ड त्वरित गति में होगा।
चूँकि बल की दिशा प्रारम्भिक वेग से विपरीत है अतः यह मंदन, उत्पन्न करेगा।
सूत्र F = ma से,
मंदन, a = \(\frac{F}{m}\) = \(\frac{8}{0.4}\) = 20 मीटर/सेकण्ड2
x0 = 0, µx = 10 मीटर/सेकण्ड, t = 25 सेकण्ड
ax = -20 मीटर/सेकण्डर2
अतः (x)t = 25 = 0 + 10 × 25 × \(\frac{1}{2}\)(-20) × (25)
= – 6000 मीटर
= – 6 किमी
अतः t = 25 सेकण्ड पर पिण्ड x = -6 किमी पर है।
t = 100 सेकण्ड
xt=30 = 0 + 10 × 30 + \(\frac{1}{2}\) (-20) × 302
= -8700 मीटर
30 सेकण्ड पश्चात् वेग,
= u + at = 10 + (-20) × 30
= -590 मीटर/सेकण्ड
t = 30 सेकण्ड बाद F = 0 है। अतः t = 30 सेकण्ड बाद पिण्ड आगे के 70 सेकण्ड तक नियत चाल से चलेगा।
∴ S = vt = -590 × 70
= -41300 मीटर
∴ t = 100 सेकण्ड पर
x = (x)t=30 + xt = 70
= -8700 – 41300 = -50000
= -50 किमी।
अतः t = 100 सेकण्ड पर पिण्ड x = -50 किमी पर है।

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प्रश्न 5.11
कोई ट्रक विरामावस्था से गति आरंभ करके 2.0 ms-2 के समान त्वरण से गतिशील रहता है। t = 10s पर, ट्रक के ऊपर खड़ा एक व्यक्ति धरती से 6 m की ऊँचाई से कोई पत्थर बाहर गिराता है। t = 11s पर, पत्थर का (a) वेग, तथा (b) त्वरण क्या है? (वायु का प्रतिरोध उपेक्षणीय मानिए।)
उत्तर:
दिया है:
u = 0, a = 2 मीटर/सेकण्ड2
सूत्र v = u + at से,
vt=10 = 0 + 2 × 10 = 20 मीटर/सेकण्ड (क्षैतिज दिशा में)
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इसी समय व्यक्ति ट्रक पर पत्थर छोड़ता है। पत्थर छोड़ने के पश्चात् ट्रक का त्वरण पत्थर पर कोई प्रभाव नहीं डालता है। लेकिन इस क्षण तक ट्रक तथा पत्थर का वेग समान होगा। इस दशा में पत्थर गुरुत्वीय त्वरण के अधीन मुक्त गति करेगा। माना पत्थर बिन्दु P पर छोड़ते हैं। बिन्दु P से जाने वाली क्षैतिज एवम् ऊर्ध्वाधर रेखाओं को क्रमश: x व y – अक्ष माना, जबकि P मूल बिन्दु है।
∴ ux = 20 मीटर/सेकण्ड, ax = 0 व uy = 0, ay = -g मीटर/सेकण्ड2
∴ x – दिशा में त्वरण शून्य है। इस प्रकार 1 सेकण्ड पश्चात् x दिशा में वेग, ux = 20 मीटर/सेकण्ड
व vy + uy + ayt
= 0 + (-10) × 1 = -10 मीटर/सेकण्ड
∴ पत्थर छोड़ने के 1 सेकण्ड बाद वेग,
v = \(\sqrt{u_{x}^{2}+u_{y}^{2}}\)
= \(\sqrt{20^{2}+10^{2}}\) = \(\sqrt{500}\)
= 22.3 मीटर/सेकण्ड
अत:
(a) गति प्रारम्भ के बाद t = 11 सेकण्ड पर पत्थर का वेग = 22.3 मीटर/सेकण्ड
(b) 11 सेकण्ड पर पत्थर का त्वरण, a = g = 10 मीटर/सेकण्ड2

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प्रश्न 5.12
किसी कमरे की छत से 2 m लंबी डोरी द्वारा 0.1 kg संहति के गोलक को लटकाकर दोलन आरंभ किए गए। अपनी माध्य स्थिति पर गोलक की चाल 1ms-1 है। गोलक का प्रक्षेप-पथ क्या होगा यदि डोरी को उस समय काट दिया जाता है जब गोलक अपनी –

  1. चरम स्थितियों में से किसी एक पर है, तथा
  2. माध्य स्थिति पर है?

उत्तर:

  1. चरम स्थिति पर गोलक की चाल शून्य है। अब डोरी काट दी जाए तब वह ऊर्ध्वाधर अधोमुखी गिरेगा।
  2. माध्य स्थिति पर गोलक में क्षैतिज वेग होता है। जब डोरी काट दी जाए तब वह किसी परवलयिक पथ के अनुदिश गिरेगा।

प्रश्न 5.13
किसी व्यक्ति की संहति 70 kg है। वह एक गतिमान लिफ्ट में तुला पर खड़ा है जो –
(a) 10 ms-1 की एकसमान चाल से ऊपर जा रही है
(b) 5 ms-2 के एकसमान त्वरण से नीचे जा रही है
(c) 5 ms-2 के एकसमान त्वरण से ऊपर जा रही है, तो प्रत्येक प्रकरण में तुला के पैमाने का पाठ्यांक क्या होगा?
(d) यदि लिफ्ट की मशीन में खराबी आ जाए और वह गुरुत्वीय प्रभाव में मुक्त रूप से नीचे गिरे तो पाठ्यांक क्या होगा?
उत्तर:
दिया है:
m = 70 किग्रा
(a) चूँकि लिफ्ट एकसमान वेग से गतिमान है। अतः त्वरण a = 0
तुला के पैमाने का पाठ्यांक,
R = mg = 70 × 9.8 = 686 न्यूटन

(b) लिफ्ट का त्वरण, a = 5 मीटर/सेकण्ड2 (नीचे की ओर)
∴ तुला के पैमाने का पाठ्यांक,
R = m (g – a)
= 70 × (9.8 – 5)
= 336 न्यूटन

(c) लिफ्ट का त्वरण, a = 5 मीटर/सेकण्ड2 (ऊपर की ओर)
∴ तुला के पैमाने का पाठ्यांक,
R = m (g + a)
= 70 (9.8 + 5)
= 1036 न्यूटन

(d) चूँकि लिफ्ट गुरुत्वीय प्रभाव में मुक्त रूप से गिरती है।
∴ a = g
∴ तुला के पैमाने का पाठ्यांक,
R = m (g – a)
= 70 × 0 = 0

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प्रश्न 5.14
चित्र में 4 kg संहति के किसी पिण्ड का स्थिति-समय ग्राफ दर्शाया गया है।
(a) t < 0; t > 4s; 0 < t < 4s के लिए पिण्ड पर आरोपित बल क्या है?
(b) t = 0 तथा t = 4s पर आवेग क्या है?
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(केवल एकविमीय गति पर विचार कीजिए)
उत्तर:
(a) t < पर, स्थिति – समय (n – t) ग्राफ समय अक्ष के साथ सम्पाती है। अतः पिण्ड पर आरोपित बल शून्य है। t > 4 सेकण्ड के लिए, x – t ग्राफ समय अक्ष के समान्तर सरल रेखा है। अतः पिण्ड विरामावस्था में है तथा पिण्ड पर कार्यरत बल शून्य है। 0 < t < 4 सेकण्ड के लिए, x – t ग्राफ एक झुकी हुई सरल रेखा है अर्थात् इस काल में पिण्ड की मूल बिन्दु से दूरी नियत दर से लगातार बढ़ रही है अर्थात् इस दौरान नियत है व त्वरण शून्य है। अतः पिण्ड पर आरोपित बल शून्य है।

(b) t = 0 से पहले पिण्ड का वेग v1 = 0
t = 0 के पश्चात् पिण्ड का वेग
v2 = ग्राफ OA का ढाल
= \(\frac{3}{4}\) मीटर/सेकण्ड
अतः t = 0 पर, आवेग = संवेग परिवर्तन की दर
= mv2 – mv1
= 4 × \(\frac{3}{4}\) – 4 × 0
= 3 किग्रा मीटर/सेकण्ड
पुनः t = 4 सेकण्ड के ठीक पहले, वेग
v1 = \(\frac{3}{4}\) मीटर/सेकण्ड
t = 4 सेकण्ड के ठीक बाद, वेग v2 = 0
∴ t = 4 सेकण्ड दर, आवेग = संवेग परिवर्तन
= mv2 – mv1
= 4(0 – \(\frac{3}{4}\))
= -3 किग्रा मीटर/सेकण्ड

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प्रश्न 5.15
किसी घर्षणरहित मेज पर रखे 10 kg तथा 20 kg के दो पिण्ड किसी पतली डोरी द्वारा आपस में जुड़े हैं। 600 N का कोई क्षैतिज बल

  1. A पर
  2. B पर डोरी के अनुदिश लगाया जाता है। प्रत्येक स्थिति में डोरी में तनाव क्या है?

उत्तर:
दिया है:
F = 600 न्यूटन
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1. माना पिण्ड A पर बल आरोपित करने से दोनों पिण्ड त्वरण a, से चलना प्रारम्भ करते हैं एवम् डोरी में तनाव T है। पिण्ड A पर बल F आगे की ओर एवम् तनाव T पीछे की ओर लगेगा।
अतः इस पिण्ड पर नेट बल,
F = F – T
न्यूटन के गति विषयक द्वितीय नियम से,
F1 = m1a
∴ m1a = F – T
या 10a = 600 – T ……………. (1)
पिण्ड B पर एकमात्र बल, डोरी का तनाव (T) आगे की ओर लगेगा।
∴ T = m2a = 20a ………….. (2)
समी० (2) से T का मान समी० (1) में रखने पर,
10a = 600 – 20a
या 10a + 20a = 600
∴ 30a = 600 या।
a = \(\frac{600}{30}\) = 20 मी/सेकण्ड2
a का यह मान समी० (2) में रखने पर,
T = 20 × 20 = 400 न्यूटन

2. इस स्थिति में, पिण्ड B पर नेट बल F2 = F – T होगा।
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न्यूटन के गति विषयक द्वितीय नियम से,
F – T = m2a
या 600 – T = 20a ……………. (3)
पिण्ड A पर नेट बल T आगे की ओर होगा।
∴ T = m, a
= 10a …… (4)
समी० (4) से T का मान समी० (3) में रखने पर,
600 – 10a = 20a
∴ a = \(\frac{600}{30}\) = 20 मीटर/सेकण्ड2 ………….. (3)
a का यह मान समी० (4) में रखने पर
T = 10 × 20
= 200 न्यूटन

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प्रश्न 5.16.
8 kg तथा 12 kg के दो पिण्डों को किसी हल्की अवितान्य डोरी,जो घर्षणरहित घिरनी पर चढ़ी है, के दो सिरों से बाँधा गया है। पिण्डों को मुक्त छोड़ने पर उनके त्वरण तथा डोरी में तनाव ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना घर्षण रहित घिरनी पर हल्की अवितान्य डोरी से द्रव्यमान m1 व m2 लटकाएँ गए हैं।
∴ m1 = 8 किग्रा,
m2 = 12 किग्रा
माना डोरी में तनाव T व त्वरण a है। यह त्वरण m2 पर नीचे की ओर तथा m1 पर ऊपर की ओर है। m2 की गति की समी० निम्न होगी –
F = 12g – T (नीचे की ओर)
गति के नियम से,
F = m2a = 12a
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∴ 12g – T = 12a …………….. (2)
इसी प्रकार m1 के लिए,
8g – T = -8a [∴ a ऊपर की ओर है।]
∴ समी० (2) को (1) में से घटाने पर,
4g = 20a
∴ a = \(\frac{4×10}{20}\) = 2 मीटर/सेकण्ड2
∴ समी० (1) से डोरी में तनाव,
T = 12 (g – a) = 12 (10 – 2)
= 12 × 8
= 96 न्यूटन

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प्रश्न 5.17
प्रयोगशाला के निर्देश फ्रेम में कोई नाभिक विराम में है। यदि यह नाभिक दो छोटे नाभिकों में विघटित हो जाता है, तो यह दर्शाइए कि उत्पाद विपरीत दिशाओं में गति करने चाहिए।
उत्तर:
माना विरामावस्था में नाभिक का द्रव्यमान = m
विरामावस्था में नाभिक का प्रा० वेग, \(\vec{u}\) = 0
माना विघटित नाभिकों के द्रव्यमान m1 व m2 तथा इनके वेग क्रमश: \(\vec{v}_{1}\) व \(\vec{v}_{2}\) है।
माना विघटन से पूर्व तथा बाद में संवेग क्रमश: \(\vec{p}_{i}\) व \(\vec{p}_{t}\)
∴ \(\vec{p}_{i}\) = m\(\vec{u}\) = 0 …………… (1)
तथा \(\vec{p}_{t}\) = m1 \(\vec{v}_{1}\) + m2 \(\vec{v}_{2}\) परन्तु संवेग संरक्षण के नियम से,
\(\vec{p}_{i}\) = \(\vec{p}_{t}\)
∴ 0 = m1 \(\vec{v}_{1}\) + m2 \(\vec{v}_{2}\)
या \(\vec{v}_{2}\) = – \(\frac { m_{ 1 } }{ m_{ 2 } } \) \(\vec{v}_{1}\)
समीकरण (3) से स्पष्ट है कि \(\vec{v}_{1}\) तथा \(\vec{v}_{2}\) विपरीत दिशा में हैं। अतः विघटित नाभिक विपरीत दिशाओं में गति करेंगे।

प्रश्न 5.18
दो बिलियर्ड गेंद जिनमें प्रत्येक की संहति 0.05 kg है, 6 ms-1 की चाल से विपरीत दिशाओं में गति करती हई संघट्ट करती हैं और संघट्ट के पश्चात् उसी चाल से वापस लौटती हैं। प्रत्येक गेंद पर दूसरी गेंद कितना आवेग लगाती है?
उत्तर:
गेंदों का द्रव्यमान m1 = m2 = 0.05 किग्रा
माना पहली गेंद धनात्मक दिशा में चलती है।
∴ u1 = 6 मीटर/से
v1 = -6 मीटर/सेकण्ड
u2 = -6 मीटर/सेकण्ड
v2 = मीटर/सेकण्ड
सूत्र आवेग = संवेग परिवर्तन से, पहली गेंद का दूसरी गेंद पर आवेग,
= m1v1 – m1u1
= 0.05 × (-6) – 0.05 × 6
= -0.6 किग्रा मीटर/सेकण्ड
तथा दूसरी गेंद का पहली गेंद पर आवेग,
= m2v2 – m2u2
= 0.05 × 6 – 0.05 × – 6
= 0.6 किग्रा मीटर/सेकण्ड

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प्रश्न 5.19
100 kg संहति की किसी तोप द्वारा 0.020 kg का गोला दागा जाता है। यदि गोले की नालमुखी चाल 80 ms-1 है, तो तोप की प्रतिक्षेप चाल क्या है?
उत्तर:
दिया है: तोप का द्रव्यमान, m1 = 100 किग्रा
गोले का द्रव्यमान m2 = 0.02 किग्रा
गोले की नालमुखी चाल, v2 = 80 मीटर/सेकण्ड
तोप की प्रतिक्षेप चाल v1 = ?
प्रश्नानुसार विस्फोट से पूर्व तोप एवम् गोला दोनों विरामावस्था में थे।
∴ संवेग संरक्षण के निकाय से,
विस्फोट से पूर्व संवेग = विस्फोट के बाद संवेग
∴ m1v1 + m2v2 = 0
∴ v1 = \(\frac { -m_{ 2 }v_{ 2 } }{ m_{ 1 } } \)
= \(\frac{-0.02×80}{100}\) = – 0.016 मीटर/सेकण्ड

प्रश्न 5.20
कोई बल्लेबाज किसी गेंद को 45° के कोण पर विक्षेपित कर देता है। ऐसा करने में वह गेंद की आरंभिक चाल, जो 54 km/h-1 है, में कोई परिवर्तन नहीं करता। गेंद को कितना आवेग दिया जाता है? (गेंद की संहति 0.15 kg है)
उत्तर:
दिया है:
गेंद का द्रव्यमान, m1 = 0.15 किग्रा
प्रा० वेग, u = 54 किमी/घण्टा
= 54 × \(\frac{5}{18}\) = 15 मीटर/सेकण्ड
अन्तिम वेग, v = 15 मीटर/सेकण्ड जो कि u से 45° के कोण पर है।
माना प्रारम्भिक तथा अन्तिम संवेग क्रमश: \(\vec{p}_{i}\) व \(\vec{p}_{t}\) हैं।
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∴ सूत्र आवेग = संवेग परिवर्तन से,
\(\vec{I}\) = \(\vec{p}_{t}\) – \(\vec{p}_{i}\)
= \(\vec{p}_{t}\) + (-\(\vec{p}_{i}\))
अतः आवेग दोनों संवेगों का परिणामी है।
∴ \(\vec{I}\) का परिमाण
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= 1.72 किग्रा मीटर/सेकण्ड
= 172 न्यूटन सेकण्ड

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प्रश्न 5.21
किसी डोरी के एक सिरे से बँधा 0.25 kg संहति का कोई पत्थर क्षैतिज तल में 1.5 m त्रिज्या के वृत्त पर 40 rev/min की चाल से चक्कर लगाता है? डोरी में तनाव कितना है? यदि डोरी 200Nके अधिकतम तनाव को सहन कर सकती है तो अधिकतम चाल ज्ञात कीजिए जिससे पत्थर को घुमाया जा सकता है।
उत्तर:
दिया है:
पत्थर का द्रव्यमान, m = 0.25 किग्रा
पत्थर के पथ की त्रिज्या, r = 1.5 मीटर
पत्थर की घूर्णन आवृत्ति, u = 40 चक्कर/मिनट
= \(\frac{40}{60}\) = \(\frac{2}{3}\) चक्कर/सेकण्ड
∴ T = mrω2 = mr(2πv)2
= 0.25 × 1.5 × [2 × 3.14 × \(\frac{2}{3}\))2
= 6.6 न्यूटन
डोरी का अधिकतम तनाव, Tmax = 200 न्यूटन
पत्थर की अधिकतम चाल = ?
सूत्र
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= 35 मीटर/सेकण्ड

प्रश्न 5.22
यदि अभ्यास 5.21 में पत्थर की चाल को अधिकतम निर्धारित सीमा से भी अधिक कर दिया जाए, तथा डोरी यकायकं टूट जाए, तो डोरी के टूटने के पश्चात् पत्थर के प्रक्षेप का वर्णन निम्नलिखित में से कौन करता है:
(a) वह पत्थर झटके के साथ त्रिज्यत: बाहर की ओर जाता है।
(b) डोरी टूटने के क्षण पत्थर स्पर्श रेखीय पथ पर उड़ जाता है।
(c) पत्थर स्पर्शी से किसी कोण पर, जिसका परिमाण पत्थर की चाल पर निर्भर करता है, उड़ जाता है।
उत्तर:
विकल्प (b) सही है।

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प्रश्न 5.23
स्पष्ट कीजिए कि क्यों:
(a) कोई घोड़ा रिक्त दिक्स्थान में किसी गाड़ी को खींचते हुए दौड़ नहीं सकता।
(b) किसी तीव्र गति से चल रही बस के यकायक रुकने पर यात्री आगे की ओर गिरते हैं।
(c) लान मूवर को धकेलने की तुलना में खींचना आसान होता है।
(d) क्रिकेट का खिलाड़ी गेंद को लपकते समय अपने हाथ गेंद के साथ पीछे को खींचता है।
उत्तर:
(a) चूँकि दिक्स्थान से घोड़ा-गाड़ी निकाय पर कोई बाह्य बल कार्यरत नहीं है। घोड़ा तथा गाड़ी के मध्य पारस्परिक बल (क्रिया प्रतिक्रिया के नियम से) निरस्त हो जाता है। अत: फर्श पर, निकाय व फर्श के बीच सम्पर्क बल (घर्षण बल) घोड़े व गाड़ी को विराम से गति में लाने का कारण होते हैं।

(b) यात्री के शरीर का जो भाग गद्दी के सीधे सम्पर्क में नहीं है वह जड़त्व के कारण गतिमान, बस के यकायक रुकने पर आगे की ओर हो जाता है परिणामस्वरूप यात्री गिर जाते हैं।

(c) घास मूवर को किसी कोण पर बल आरोपित करके खींचा या धकेला जाता है। जब हम धक्का देते हैं तब ऊर्ध्वाधर दिशा में सन्तुलन के लिए, अभिलम्ब बल उसके भार से अधिक होना चाहिए जिसके परिणामस्वरूप घर्षण बल बढ़ जाता है। इस प्रकार मूवर को चलाने के लिए अधिक बल आरोपित करना पड़ता है जबकि खींचते समय इसके विपरीत होता है। इसी कारण लॉन मूवर को खींचना आसान होता है।

(d) क्रिकेट का खिलाड़ी गेंद को लपकते समय, अपने हाथ को गेंद के साथ पीछे की ओर इस कारण खींचता है कि ताकि खिलाड़ी संवेग परिवर्तन की दर को घटा दे तथा इस प्रकार गेंद को रोकने के लिए आवश्यक बल को कम करने के लिए हाथ को पीछे की ओर खींचता है।

Bihar Board Class 11 Physics गति के नियम Additional Important Questions and Answers

अतिरिक्त अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 5.24
चित्र में 0.04 kg संहति के किसी पिण्ड का स्थिति-समय ग्राफ दर्शाया गया है। इस गति के लिए कोई उचित भौतिक संदर्भ प्रस्तावित कीजिए। पिण्ड द्वारा प्राप्त दो क्रमिक आवेगों के बीच समय-अंतराल क्या है? प्रत्येक आवेग का परिमाण क्या है?
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उत्तर:
दिया गया ग्राफ दो समान्तर ऊर्ध्वाधर दीवारों के मध्य एक समान चाल से क्षैतिज गति करती गेंद का ग्राफ हो सकता है जो बार-बार दीवार से टकराकर 2 सेकण्ड बाद दूसरी दीवार से टकराती है। यह प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है अर्थात् प्रत्येक 2 सेकण्ड के पश्चात् पिण्ड का वेग बदलता है।
∴ दो क्रमिक आवेगों के बीच समयान्तराल = 2 सेकण्ड
t = 2 सेकण्ड से पहले, वेग v1 = ग्राफ का ढाल
= \(\frac{2}{2}\) = 1 सेमी/सेकण्ड
t = 2 सेकण्ड के बाद वेग v2 = ग्राफ का ढाल
= \(\frac{-2}{2}\) = -1 सेमी/सेकण्ड
∴ सूत्र आवेग = संवेग परिवर्तन से,
आवेग = Pi = Pt = mv1 – m2
= m (v1 – v2) = 0.04 [1 – (-1)]
= 0.04 × 2 = 0.08 किग्रा सेमी/सेकण्ड
\(\frac{0.08}{100}\) किग्रा-मीटर/सेकण्ड
= 8 × 10-4 किग्रा-मीटर/सेकण्ड

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प्रश्न 5.25
चित्र में कोई व्यक्ति 1ms-2 त्वरण से गतिशील क्षैतिज संवाहक पट्टे पर स्थित खड़ा है। उस व्यक्ति पर आरोपित नेट बल क्या है? यदि व्यक्ति के जूतों और पट्टे के बीच स्थैतिक घर्षण गुणांक 0.2 है, तो पट्टे के कितने त्वरण तक वह व्यक्ति उस पट्टे के सापेक्ष स्थिर रह सकता है? (व्यक्ति की संहति = 65 kg)
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उत्तर:
दिया है:
पट्टे का त्वरण, a = 1 मीटर/सेकण्ड2
व्यक्ति का द्रव्यमान, m = 65 किग्रा।
चूँकि व्यक्ति पट्टे पर स्थिर खड़ा है। अत: व्यक्ति का त्वरण a = 1 मी/सेकण्ड2
सूत्र F = ma से,
व्यक्ति पर नेट बल, F = 65 × 1
= 65 न्यूटन।
पुनः µs = 0.2
चूँकि पट्टा क्षैतिज अवस्था में है। अत: व्यक्ति पर पट्टे की अभिलम्ब प्रतिक्रिया,
N = mg = 65 × 10 = 650 न्यूटन
माना पट्टे का अधिकतम त्वरण amax है। इस स्थिति में पट्टे के साथ गति करने के लिए व्यक्ति को mamax के बराबर बल की आवश्यकता होगी जो उसे स्थैतिक घर्षण से प्राप्त होगा।
∴ mamax ≤ µs N
∴ amax = \(\frac { \mu _{ s }N }{ m } \)
= \(\frac{0.2×650}{65}\) = 2 मीटर/सेकण्डर2

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प्रश्न 5.26
m संहति के पत्थर को किसी डोरी के एक सिरे से बाँधकर R त्रिज्या के ऊर्ध्वाधर वृत्त में घुमाया जाता है। वृत्त के निम्नतम तथा उच्चतम बिंदुओं पर ऊर्ध्वाधरतः अधोमुखी दिशा में नेट बल है। (सही विकल्प चुनिए)
Bihar Board Class 11 Physics Chapter 5 गति के नियम
यहाँ T1 तथा v1, निम्नतम बिन्दु पर तनाव तथा चाल दर्शाते हैं। T2 तथा v2 इनके उच्चतम बिन्दु पर तदनुरूपी मान हैं।
उत्तर:
अधोमुखी नेट बल = mg – T1
जहाँ T1 तनाव निम्नतम बिन्दु पर ऊपर की ओर तथा भार mg नीचे की ओर है।
तथा नेट अधोमुखी बल = mg + T2
जहाँ T2 तनाव उच्चतम बिन्दु पर तथा भार mg दोनों नीचे की ओर हैं।
अतः विकल्प (i) सही है।

प्रश्न 5.27
1000 kg संहति का कोई हेलीकॉप्टर 15 ms-2 के ऊर्ध्वाधर त्वरण से ऊपर उठता है। चालक दल तथा यात्रियों की संहति 300 kg है। निम्नलिखित बलों का परिमाण व दिशा लिखिए:
(a) चालक दल तथा यात्रियों द्वारा फर्श पर आरोपित बल,
(b) चारों ओर की वायु पर हेलीकॉप्टर के रोटर की क्रिया, तथा
(c) चारों ओर की वायु के कारण हेलीकॉप्टर पर आरोपित बल
उत्तर:
दिया है:
हेलीकॉप्टर का द्रव्यमान,
m1 = 1000 किग्रा।
चालक दल व यात्रियों का द्रव्यमान m2 = 300 किग्रा।
हेलीकॉप्टर का ऊर्ध्वाधर त्वरण, a = 15 मीटर/सेकण्ड2
गुरुत्व के कारण त्वरण, g = 10 मीटर/सेकण्ड2

(a) माना चालक व यात्रियों द्वारा फर्श पर आरोपित बल R1 है।
∴ R1 = m2(g + a) = 300 (10 + 15)
= 7500 न्यूटन। जोकि ऊपर की ओर होगा।

(b) माना कि रोटर के कारण वायु पर बल R2 है।
∴ R2 = (m1 + m2) (g + a)
= (1000 + 300) (15 + 10)
= 32500 न्यूटन
चूँकि हेलीकॉप्टर इस बल के प्रतिक्रिया स्वरूप ऊपर की ओर चलता है अत: यह बल भी ऊपर की ओर दिष्ट होगा।

(c) क्रिया प्रतिक्रिया के नियम से, वायु द्वारा हेलीकॉप्टर पर आरोपित बल भी 32500 न्यूटन होगा।

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प्रश्न 5.28
15 ms-1 की चाल से क्षैतिजतः प्रवाहित कोई जलधारा 10-2m2 अनुप्रस्थ काट की किसी नली से बाहर निकलती है तथा समीप की किसी ऊर्ध्वाधर दीवार से टकराती है। जल की टक्कर द्वारा, यह मानते हुए कि जलधारा टकराने पर वापस नहीं लौटती, दीवार पर आरोपित बल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
नली का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल, A = 10-2 मीटर2
जल का वेग, µ = 15 मीटर/सेकण्ड
जल का घनत्व, d = 103 किग्रा/मीटर3
जल के कारण दीवार पर लगने वाला बल F = ?
नली से प्रतिसेकण्ड निकलने वाले जल का आयतन
= a × v
= 15 × 10-2 मीटर/सेकण्ड
जल का घनत्व ∅ = 103 किग्रा/मीटर3
दीवार से प्रति सेकण्ड टकराने वाले जल का आयतन, m = ∅v
= 103 × 15 × 10-2
= 150 किग्रा/सेकण्ड
चूँकि दीवार से टकराकर जल वापस नहीं लौटता है।
अतः आरोपित बल = प्रति सेकण्ड निकलने वाले जल के संवेग में परिवर्तन
= 150 × 15
= 2250 न्यूटन

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प्रश्न 5.29
किसी मेज पर एक-एक रुपये के दस सिक्कों को एक के ऊपर एक करके रखा गया है। प्रत्येक सिक्के की संहति m है। निम्नलिखित प्रत्येक स्थिति में बल का परिमाण एवं दिशा लिखिए:
(a) सातवें सिक्के (नीचे से गिनने पर) पर उसके ऊपर रखे सभी सिक्कों के कारण बल,
(b) सातवें सिक्के पर आठवें सिक्के द्वारा आरोपित बल, तथा
(c) छठे सिक्के की सातवें सिक्के पर प्रतिक्रिया।
उत्तर:
(a) नीचे से सातवें सिक्के के ऊपर तीन सिक्के रखे हैं। अतः सातवें सिक्के पर तीनों सिक्कों के भार का अनुभव होगा।
∴ सातवें सिक्के के ऊपर के सिक्कों के कारण बल = 3mg न्यूटन

(b) आठवें सिक्के के ऊपर दो सिक्के रखे हैं। अत: सातवें व आठवें सिक्के के कारण बल, आठवें व इसके ऊपर रखे दो सिक्कों के भारों के योग के समान होगा।
अतः सातवें सिक्के पर आठवें सिक्के के कारण बल
= 3 × mg
= 3mg न्यूटन

(c) सातवाँ सिक्का स्वयं व ऊपर के तीन सिक्कों के भारों के योग के समान बल से छठवें सिक्के को दबाएगा।
अतः छठे सिक्के पर सातवें सिक्के के कारण बल = 4mg न्यूटन।
अतः छठे सिक्के की सातवें सिक्के पर प्रतिक्रिया
= 4mg न्यूटन

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प्रश्न 5.30
कोई वायुयान अपने पंखों को क्षैतिज से 15° के झुकाव पर रखते हुए 720 kmh-1 की चाल से एक क्षैतिज लूप पूरा करता है। लूप की त्रिज्या क्या है?
उत्तर:
दिया है:
वेग = 720 किमी/घण्टा
θ = 15°
लूप की त्रिज्या, r = ?
सूत्र
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= 14.8
= 15 किमी।

प्रश्न 5.31
कोई रेलगाड़ी बिना ढाल वाले 30 m त्रिज्या के वृत्तीय मोड़ पर 54 km h-1 चाल से चलती है। रेलगाड़ी की संहति 106 kg है। इस कार्य को करने के लिए आवश्यक अभिकेंद्र बल कौन प्रदान करता है? इंजन अथवा पटरियाँ? पटरियों को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए मोड़ का ढाल-कोण कितना होना चाहिए?
उत्तर:
दिया है:
v = 54 किमी/घण्टा
= 54 × \(\frac{5}{18}\) = 15 मीटर/सेकण्ड
r = 30 मीटर
m = 106 किग्रा, g = 10 मीटर/सेकण्ड2
सूत्र tan θ = \(\frac{v}{rg}\) से
tan θ = \(\frac { (15)^{ 2 } }{ 30\times 10 } \) = \(\frac{3}{4}\)
θ = tan-1 (\(\frac{3}{4}\)) = 40°
अर्थात् पटरियों को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए पटरियों का झुकाव 40° होना चाहिए।

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प्रश्न 5.32
चित्र में दर्शाए अनुसार 50 kg संहति का कोई व्यक्ति 25 kg संहति के किसी गटके को दो भिन्न ढंग से उठाता है। दोनों स्थितियों में उस व्यक्ति द्वारा फर्श पर आरोपित क्रिया-बल कितना है? यदि 700 N अभिलंब बल से फर्श धंसने लगता है, तो फर्श को धंसने से बचाने के लिए उस व्यक्ति को, गुटके को उठाने के लिए कौन-सा ढंग अपनाना चाहिए?
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उत्तर:
दिया है:
व्यक्ति का द्रव्यमान m1 = 50 किग्रा,
गुटके का द्रव्यमान m2 = 25 किग्रा
प्रथम स्थिति (स्थिति – a) में,
व्यक्ति रस्सी पर 25 g न्यूटन का बल लगाकर ऊपर खींचता है तथा प्रतिक्रिया स्वरूप रस्सी भी व्यक्ति पर नीचे की ओर 25 g N का बल लगाती है।
∴ व्यक्ति पर नेट बल,
F = व्यक्ति का भार + गुटके का भार
= 50g + 25g = 75g = 75 × 10
= 750 न्यूटन।
चूँकि व्यक्ति फर्श पर खड़ा है अतः व्यक्ति फर्श पर यही बल आरोपित करेगा।
द्वितीय स्थिति (स्थिति – b) में, व्यक्ति गुटके को उठाने के लिए, रस्सी पर 25 g न्यूटन का बल नीचे की ओर लगाता है। अतः रस्सी भी इतना ही बल व्यक्ति पर ऊपर की ओर लगाएगी।
∴ व्यक्ति पर नेट बल
F = व्यक्ति का भार – रस्सी द्वारा लगाया गया बल
= 50g – 25g
= 25 g
= 250 न्यूटन।
यही बल व्यक्ति फर्श पर लगाता है। उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है कि स्थिति में फर्श धंस जाएगा। अतः इससे बचाने के लिए यह ढंग अनुप्रयुक्त है।

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प्रश्न 5.33
40 kg संहति का कोई बंदर 600 N का अधिकतम तनाव सह सकने योग्य किसी रस्सी पर चढ़ता है (चित्र)।नीचे दी गई स्थितियों में से किसमें रस्सी टूट जाएगी:
(a) बंदर 6 ms-2 त्वरण से ऊपर चढ़ता है,
(b) बंदर 4 ms-2 त्वरण से नीचे उतरता है,
(c) बंदर 5 ms-1 की एकसमान चाल से रस्सी पर चढ़ता है,
(d) बंदर लगभग मुक्त रूप से गुरुत्व बल के प्रभाव में रस्सी से गिरता है। (रस्सी की संहति उपेक्षणीय मानिए।)
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उत्तर:
माना बन्दर रस्सी पर T बल नीचे की ओर लगाते हुए a त्वरण से ऊपर की ओर चलता है। अतः क्रिया प्रतिक्रिया के नियम से, रस्सी भी बन्दर पर T बल ऊपर की ओर लगाएगी।
∴ बन्दर पर नेट बल, F = T – mg (ऊपर की ओर)
पुनः सूत्र F = ma से,
ma = T – mg
∴ रस्सी पर तनाव, T = mg + ma ……. (1)

(a) दिया है:
a = 6 मीटर/सेकण्ड2, m = 40 किग्रा, g = 10 मीटर/सेकण्ड
∴ T = 40 × 10 + 40 × 6
= 640 न्यूटन
परन्तु रस्सी पर अधिकतम तनाव 600 न्यूटन है अतः रस्सी टूट जाएगी।

(b) दिया है:
a = -4 मीटर/सेकण्ड2
∴ तनाव T = 40 × 10 – 40 × 4
= 240 न्यूटन

(c) दिया है:
a = 0, चूँकि v = 5 मीटर/सेकण्ड नियत है।
∴ तनाव, T = 40 × 10 – 40 × 0
= 400 न्यूटना

(d) मुक्त रूप से गिरते हुए, a = – g
∴ तनाव, T = 40 × g – 40 × g
अतः रस्सी केवल प्रथम स्थिति में टूटेगी।

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प्रश्न 5.34
दो पिण्ड A तथा B, जिनकी संहति क्रमशः 5 kg तथा 10 kg है, एक दूसरे के संपर्क में एक मेज पर किसी दृढ़ विभाजक दीवार के सामने विराम में रखे हैं। (चित्र) पिण्डों तथा मेज के बीच घर्षण गुणांक 0.15 है। 200N का कोई बल क्षैतिजतः A पर आरोपित किया जाता है।
(a) विभाजक दीवार की प्रतिक्रिया, तथा
(b) A तथा B के बीच क्रिया-प्रतिक्रिया बल क्या हैं? विभाजक दीवार को हटाने पर क्या होता है? यदि पिण्ड गतिशील है तो क्या
(c) का उत्तर बदल जाएगा? µs तथा µk के बीच अंतर की उपेक्षा कीजिए।
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उत्तर:
विभाजक दीवार होने पर, पिण्ड विरामावस्था में होंगे।
∴ पिण्डों का त्वरण, a = 0
माना कि पिण्ड A, B पर R1 बल आरोपित करता है जबकि पिण्ड B, A पर विपरीत दिशा में R2 बल आरोपित करता है।
चूँकि पिण्ड A स्थिर अवस्था में है। अतः इस पर नैट बल शून्य होगा।
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∴ 200 न्यूटन – R1
R1 = 200 न्यूटन
पुनः माना पिण्ड B द्वारा दीवार पर आरोपित बल R2 है। क्रिया प्रतिक्रिया के नियम से, पिण्ड B पर दीवार समान बल विपरीत दिशा में आरोपित करेगी।
Bihar Board Class 11 Physics Chapter 5 गति के नियम
चूँकि पिण्ड B भी स्थिर अवस्था में है। अतः इस पर नेट बल, F = 0
∴ R1 – R2
∴ R2 = R1 = 200 न्यूटन
(a) अतः दीवार. की प्रतिक्रिया, R2 = 200 न्यूटन
(b) पिण्डों A तथा B के बीच क्रिया व प्रतिक्रिया,
R1 = 200 न्यटन
विभाजक दीवार हटाने पर पिण्ड गतिशील हो जाते हैं एवम् घर्षण बल कार्यशील हो जाते हैं।
इस दशा में पिण्ड A का बल आरेख चित्र में दिया गया है।
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मेज की अभिलम्ब प्रतिक्रिया, R = 5g न्यूटन।
माना पिण्ड A, त्वरण a से चलना प्रारम्भ करता है तब पिण्ड का गति समीकरण निम्न होगा –
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∴ R1 – R1 µg = 5a …………… (i)
पिण्ड B का बल आरेख चित्र के अनुसार है।
∴ अभिलम्ब प्रतिक्रिया, R’ = 10g
तथा गति का समीकरण
R1 – µR’ = 10a
∴ R1 – 10µg = 10a ……………. (ii)
समी० (i) व (ii) को जोड़ने पर,
200 – 15µg = 15a
त्वरण
a = \(\frac{200-15µg}{15}\)
= \(\frac{200-15×0.15×10}{15}\)
= 11.83 ~ 12 मीटर/सेकण्डर2
अर्थात् पिण्ड गतिशील हो जाएँगे।
a का मान समी० (2) में रखने पर,
R1 – 10 × 0.15 × 10 = 10 × 12
∴ R1 = 120 + 15
= 135 न्यूटन
अर्थात् पिण्डों के गतिशील होने पर भाग (b) का अन्तर परिवर्तित हो गया है।

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प्रश्न 5.35
15 kg संहति का कोई गुटका किसी लंबी ट्राली पर रखा है। गुटके तथा ट्राली के बीच स्थैतिक घर्षण गुणांक 0.18 है। ट्राली विरामावस्था से 20 s तक 0.5 ms-2 के त्वरण से त्वरित होकर एकसमान वेग से गति करने लगती है।
(a) धरती पर स्थिर खड़े किसी प्रेक्षक को, तथा
(b) ट्राली के साथ गतिमान किसी अन्य प्रेक्षक को, गुटके की गति कैसी प्रतीत होगी, इसकी विवेचना कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
गुटके का द्रव्यमान, m = 15 किग्रा,
स्थैतिक घर्षण गुणांक, µs = 0.18
t = 20 सेकण्ड के लिए, ट्राली का त्वरण,
a1 = 0.5 मीटर/सेकण्ड2
t = 20 सेकण्ड के पश्चात् ट्राली का वेग अचर है।
चूँकि प्रारम्भ में ट्राली त्वरित गति करती है। अतः यह एक अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र का उदाहरण है।
अतः गुटके पर छद्द बल
F1 = ma = 15 × 0.5 = 7.5 न्यूटन बल पीछे की ओर कार्य करेगा।
ट्राली के फर्श द्वारा गुटके पर लगाया गया अग्रगामी घर्षण बल,
F2 = µN = 0.18 × (15 × 10) = 27 न्यूटन
चूँकि घर्षण बल पश्चगामी बल की तुलना में कम है अतः गुटका पीछे की ओर नहीं फिसलेगा व ट्राली के साथ-साथ गतिमान रहेगा।
(a) धरती पर स्थिर खड़े प्रेक्षक को गुटका ट्राली के साथ गति करता प्रतीत होगा।

प्रश्न 5.36
चित्र में दर्शाए अनुसार किसी ट्रक का पिछला भाग खुला है तथा 40 kg संहति का एक संदूक खुले सिरे से 5 m दूरी पर रखा है। ट्रक के फर्श तथा संदूक के बीच घर्षण गुणांक 0.15 है। किसी सीधी सड़क पर ट्रक विरामावस्था से
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गति प्रारंभ करके 2 ms-2 से त्वरित होता है। आरंभ बिंदु से कितनी दूर चलने पर वह संदूक ट्रक से नीचे गिर जाएगा? (संदूक के आमाप की उपेक्षा कीजिए।)
उत्तर:
दिया है:
घर्षण गुणांक, µ = 0.15
संदूक का द्रव्यमान = 40 किग्रा.
खुले सिरे से दूरी, s = 5 मीटर, ट्रक के लिए। µ = 0, त्वरण = 2 मीटर/सेकण्ड2 ट्रक द्वारा तय दूरी (जबकि संदूक गिर जाता है) = ?
चूँकि ट्रक की गति त्वरित है अत: यह एक अजड़त्वीय निर्देश तन्त्र होगा।
अतः ट्रक के पीछे रखे संदूक पर पीछे की ओर एक छद्म बल (F = ma) होगा।
F = 40 × 2 = 80 न्यूटन
संदूक पर स्थैतिक घर्षण बल (µsN) आगे की ओर लगेगा।
∴ संदूक पर नेट बल,
F1 = F – µsN
= 80 – 0.15 × 40 × 10
= 20 न्यूटन (पीछे की ओर)
अतः ट्रक के सापेक्ष संदूक का त्वरण
a1 = \(\frac { F_{ 1 } }{ m } \) = \(\frac{20}{40}\) = 0.5 मीटर/सेकण्ड2 (पीछे की ओर)
माना संदूक 5 मीटर चलने में t समय लेता है।
∴ सूत्र s = ut + \(\frac{1}{2}\) at2 से,
5 = 0 × t + \(\frac{1}{2}\) × 0.5 × t2
∴ t2 = 20
∴ इस समय में तय दूरी
s = ut + \(\frac{1}{2}\) at2
= 0 + \(\frac{1}{2}\) × 2 × 20 = 20 मीटर

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प्रश्न 5.37
15 cm त्रिज्या का कोई बड़ा ग्रामोफोन रिकॉर्ड 33 \(\frac{1}{3}\) rev/min की चाल से घूर्णन कर रहा है। रिकॉर्ड पर उसके केंद्र से 4 cm तथा 14 cm की दूरियों पर दो सिक्के रखे गए हैं। यदि सिक्के तथा रिकॉर्ड के बीच घर्षण गुणांक 0.15 है तो कौन-सा सिक्का रिकॉर्ड के साथ परिक्रमा करेगा?
उत्तर:
दिया है:
पथों की त्रिज्याएँ
r1 = 0.04 मीटर, r2 = 0.14 मीटर
घूर्णन आवृत्ति v = 33 \(\frac{1}{3}\) चक्र/मिनट
\(\frac{100/3}{60}\) = \(\frac{5}{9}\) चक्र/सेकण्ड
घर्षण गुणांक v = 0.15
सिक्कों को रिकॉर्ड पर घुमाने हेतु आवश्यक अभिकेन्द्र बल m1r1ω2 व m2r2ω2, स्थैतिक घर्षण बल से प्राप्त होगा।
Bihar Board Class 11 Physics Chapter 5 गति के नियम
पहले सिक्के के लिए, r1 = 0.04 मीटर > 0.12
दूसरे सिक्के के लिए,
जबकि, r2 = 0.14 मीटर > 0.12 मीटर
अतः पहला सिक्का रिकॉर्ड के साथ परिक्रमा करेगा,
जबकि दूसरा सिक्का रिकॉर्ड से फिसलकर बाहर गिर जाएगा।

प्रश्न 5.38
आपने सरकस में ‘मौत के कुएँ’ (एक खोखला जालयुक्त गोलीय चैम्बर ताकि उसके भीतर के क्रियाकलापों को दर्शक देख सकें) में मोटरसाइकिल सवार को ऊर्ध्वाधर लूप में मोटरसाइकिल चलाते हुए देखा होगा। स्पष्ट कीजिए कि वह मोटरसाइकिल सवार नीचे से कोई सहारा न होने पर भी गोले के उच्चतम बिन्दु से नीचे क्यों नहीं गिरता? यदि चैम्बर की त्रिज्या 25 m है, तो ऊर्ध्वाधर लप को पूरा करने के लिए मोटरसाइकिल की न्यूनतम चाल कितनी होनी चाहिए?
उत्तर:
गोलीय चैम्बर के उच्चतम बिन्दु पर, मोटर साइकिल सवार चैम्बर को अपकेन्द्र बल के कारण बाहर की ओर दबाता है जिसके प्रतिक्रिया स्वरूप चैम्बर भी सवार पर गोले के केन्द्र की ओर प्रतिक्रिया R लगाता है। यहाँ मोटर साइकिल व सवार का भार (mg) भी गोले के केन्द्र की ओर कार्य करते हैं। सवार को वृत्तीय गति के लिए आवश्यक अभिकेन्द्र बल दोनों बल ही प्रदान करते हैं। इसी कारण सवार गिरता नहीं है।
∴ इस स्थिति में गति का समीकरण
R + mg = \(\frac { mv^{ 2 } }{ r } \)
परन्तु ऊर्ध्वाधर लूप को पूरा करने के लिए उच्चतम बिन्दु पर न्यूनतम चाल होगी।
∴ R = 0 होगा।
⇒ mg = \(\frac { mr^{ 2 } }{ r } \)
∴ v = \(\sqrt{gr}\) = \(\sqrt{10×25}\) = 15.8 मीटर/सेकण्ड

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प्रश्न 5.39
70 kg संहति का कोई व्यक्ति अपने ऊर्ध्वाधर अक्ष पर 200 rev/min की चाल से घूर्णन करती 3 m त्रिज्या की किसी बेलनाकार दीवार के साथ उसके संपर्क में खड़ा है। दीवार तथा उसके कपड़ों के बीच घर्षण गुणांक 0.15 है। दीवार की वह न्यूनतम घूर्णन चाल ज्ञात कीजिए, जिससे फर्श को यकायक हटा लेने पर भी, वह व्यक्ति बिना गिरे दीवार से चिपका रह सके।
उत्तर:
दिया है:
m = 70 किग्रा,
घूर्णन आवृत्ति, v = 200 चक्र/मिनट
= \(\frac{200}{60}\) = \(\frac{10}{3}\) चक्र/सेकण्ड
त्रिज्या, r = 3 मीटर
घर्षण गुणांक, µ = 0.15
घूर्णन करते समय, व्यक्ति दीवार को बाहर की ओर दबाता है तथा दीवार का अभिलम्ब प्रतिक्रिया आवश्यक अभिकेन्द्र बल प्रदान करती है जो कि केन्द्र की ओर दिष्ट होता है।
∴ Fc = mrω2 …………….. (1)
घर्षण बल, जोकि व्यक्ति के भार को सन्तुलित करता है,
F = mg = µFc ……………….. (2)
∴ ω2 = g
∴ mg = µ.mrω2
Bihar Board Class 11 Physics Chapter 5 गति के नियम
= 4.72
= 5 रेडियन/सेकण्ड

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प्रश्न 5.40
R त्रिज्या का पतला वृत्तीय तार अपने ऊर्ध्वाधर व्यास के परितः कोणीय आवृत्ति ω से घूर्णन कर रहा है। यह दर्शाइए कि इस तार में डली कोई मणिका ω ≤ \(\sqrt{g/R}\) के लिए अपने निम्नतम बिंदु पर रहती है। ω = \(\sqrt{2g/R}\) के लिए, केंद्र से मनके को जोड़ने वाला त्रिज्य सदिश ऊर्ध्वाधर अधोमुखी दिशा से कितना कोण बनाता है। (घर्षण को उपेक्षणीय मानिए।)
उत्तर:
माना कि किसी समय मणिका R त्रिज्या के गोले में
A बिन्दु पर है। A बिन्दु पर, वृत्तीय तार की अभिलम्ब प्रतिक्रिया M नीचे की ओर AO के अनुदिश होगी जिससे ऊर्ध्वाधर तथा क्षैतिज
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घटकों को वियोजित कर सकते हैं। यहाँ N cos θ भार को सन्तुलित करता है जब N sin θ आवश्यक अभिकेन्द्र बल mrω2 प्रदान करता है।
जहाँ O = वृत्त का केन्द्र
θ = त्रिज्या सदिश द्वारा ऊर्ध्व AO से बना कोण
N cos θ = mg
तथा N sin θ = mRω2 sin θ …………….. (2)
समी० (1) से (2) से भाग देने पर
cos θ = \(\frac { g }{ R\omega ^{ 2 } } \)
मणिका को निम्नतम बिन्दु B पर रखने के लिए θ = 0 अतः cos θ = 1
\(\frac { g }{ R\omega ^{ 2 } } \) = 1
ω = \(\sqrt{g/R}\)
जब ω \(\sqrt{g/R}\) मणिका निम्नतम बिन्दु B से ऊपर उठ जाएगा।
अतः मणिका को B बिन्दु पर रखने के लिए,
ω = ≤ \(\sqrt{g/R}\) इति सिद्धम्
∴ जब = ω = ≤ \(\sqrt{2g/R}\)
समी० (3) से,
cos θ = \(\frac{g}{R.2g}\) × R = \(\frac{1}{2}\) = cos 60°
θ = 60°

Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति

Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 3 सरल रेखा में गति

Bihar Board Class 11 Physics सरल रेखा में गति Text Book Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 3.1
नीचे दिए गए गति के कौन-से उदाहरणों में वस्तु को लगभग बिंदु वस्तु माना जा सकता है:

  1. दो स्टेशनों के बीच बिना किसी झटके के चल रही कोई रेलगाड़ी।
  2. किसी वृत्तीय पथ पर साइकिल चला रहे किसी व्यक्ति के ऊपर बैठा कोई बंदर।
  3. जमीन से टकरा कर तेजी से मुड़ने वाली क्रिकेट की कोई फिरकती गेंद।
  4. किसी मेज के किनारे से फिसल कर गिरा कोई बीकर।

उत्तर:

  1. रेलगाड़ी दो स्टेशनों के मध्य बिना झटके के चल रही है। इसलिए दोनों स्टेशनों के मध्य की दूरी, रेलगाड़ी की लम्बाई की अपेक्षा अधिक मानी जा सकती है। अतः रेलगाड़ी को बिन्दु वस्तु मान सकते हैं।
  2. बन्दर निश्चित समय में अधिक दूरी तय करता है। इसलिए बन्दर को बिन्दु-वस्तु मान सकते हैं।
  3. चूँकि क्रिकेट की गेंद का मुड़ना सरल नहीं है। इस प्रकार निश्चित समय में क्रिकेट गेंद द्वारा तय की गई दूरी कम है। अतः क्रिकेट गेंद को बिन्दु-वस्तु नहीं मान सकते हैं।
  4. चूँकि बीकर निश्चित समय में कम दूरी चलता है। अतः बीकर को बिन्दु-वस्तु नहीं माना जा सकता है।

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प्रश्न 3.2
दो बच्चे A व Bअपने विद्यालय 0 से लौट कर अपने – अपने घर क्रमश: P तथा Q को जा रहे हैं। उनके स्थिति-समय (x – t) ग्राफ चित्र में दिखाए गए हैं। नीचे लिखे कोष्ठकों में सही प्रविष्टियों को चुनिए:

  1. B/A की तुलना में AIB विद्यालय से निकट रहता है।
  2. B/A की तुलना में AIB विद्यालय से पहले चलता है।
  3. B/A की तुलना A/B तेज चलता है।
  4. A और B घर(एक ही/भिन्न) समय पर पहुंचते हैं।
  5. A/B सड़क पर B/A से (एक बार/दो बार) आगे हो जाते हैं।
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उत्तर:

  1. B की तुलना में A विद्यालय से निकट रहता है।
  2. B की तुलना में A विद्यालय से पहले चलता है। चूँकि A के लिए गति प्रारम्भ का समय t = 0 जबकि B के लिए गति प्रारम्भ t समय पर होती है।
  3. A की तुलना में B तेज चलता है।
  4. A तथा B घर अलग-अलग समय पर पहुँचते हैं।
  5. B सड़क पर A से एक बार आगे हो जाता है।

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प्रश्न 3.3
एक महिला अपने घर से प्रात: 9.00 बजे 2.5 km दूर अपने कार्यालय के लिए सीधी सड़क पर 5 km h-1 चाल से चलती है। वहाँ वह सायं 5.00 बजे तक रहती है और 25 km h-1 की चाल से चल रही किसी ऑटो रिक्शा द्वारा अपने घर लौट आती है। उपयुक्त पैमाना चुनिए तथा उसकी गति का x – t ग्राफ खींचिए।
उत्तर:
घर से कार्यालय तक पार की गई दूरी = 2.5 किमी
घर से चलने पर चाल = 5 किमी प्रति घण्टा
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कार्यालय पहुँचने में लगा समय = \(\frac{2.5}{5}\) = 0.5 घण्टा
माना x – t (समय-दूरी) ग्राफ का मूल बिन्दु O है। t = 9 AM पर x = 0 तथा t = 9:30 AM पर x = 2.5 किमी (बिन्दु
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P)। तथा महिला 9:30 AM से समय 5:00 PM तक कार्यालय में रहती है। जिसे PQ द्वारा व्यक्त किया गया है।
कार्यालय से घर तक पहुँचने में लगा समय
= \(\frac{2.5}{25}\) = \(\frac{1}{10}\) घण्टा
= 6 मिनट
∴ t = 5 : 06 PM पर x = 0 जिसे बिन्दु R से व्यक्त किया गया है।

प्रश्न 3.4
कोई शराबी किसी तंग गली में 5 कदम आगे बढ़ता है और 3 कदम पीछे आता है, उसके बाद फिर 5 कदम आगे बढ़ता है और 3 कदम पीछे आता है, और इसी तरह वह चलता रहता है। उसका हर कदम 1 m लंबा है और 1 समय लगता है। उसकी गति का x – t ग्राफ खींचिए। ग्राफ से तथा किसी अन्य विधि से यह ज्ञात कीजिए कि वह जहाँ से चलना प्रारंभ करता है वहाँ से 13 m दूर किसी गड्ढे में कितने समय पश्चात् गिरता है?
उत्तर:
शराबी का x – t ग्राफ चित्र में दिखाया गया है। पहले 8 कदमों अर्थात् 8 सेकण्ड में शराबी द्वारा चली दूरी
= 5 मी० – 3 मी० = 2 मीटर अतः 16 कदमों में शराबी द्वारा चली गई दूरी
= 2 × 2 = 4 मीटर
24 कदमों में शराबी द्वारा चली गई दूरी
= 4 + 2 = 6 मीटर
32 कदमों में शराबी द्वारा चली गई दूरी
= 6 + 2 = 8
मीटर अगले 5 कदमों में शराबी द्वारा चली गई दूरी
= 8 + 5 = 13 मीटर
∴ कुल 13 मीटर चलने पर लिया गया समय
8 × 4 + 5 = 37 सेकण्ड।
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प्रश्न 3.5
कोई जेट वायुयान 500 km h-1 की चाल से चल रहा है और यह जेट यान के सापेक्ष 1500 km h-1 की चाल से अपने दहन उत्पादों को बाहर निकालता है। जमीन पर खड़े किसी प्रेक्षक के सापेक्ष इन दहन उत्पादों की चाल क्या होगी?
उत्तर:
दिया है: जैट का वेग, Vj = -500 किमी प्रति घण्टा
जेट के सापेक्ष उत्पाद बाहर निकालने का आपेक्षिक वेग, ve = 1500 किमी प्रति घण्टा
माना बाहर निकलने वाले दहन उत्पादों का वेग ve है।
∴ Vej = Ve – Vj
या Ve = Vej + Vj = 1500 + (-500)
= 1000 किमी प्रति घण्टा

प्रश्न 3.6
सीधे राजमार्ग पर कोई कार 126 kmh-1 की चाल से चल रही है। इसे 200 m की दूरी पर रोक दिया जाता है। कार के मंदन को एक समान मानिए और इसका मान निकालिए। कार को रुकने में कितना समय लगा?
उत्तर:
दिया है:
u = 126 किमी/घण्टा
= 126 × \(\frac{1000}{60×60}\) = 35 मीटर/सेकण्ड
S = 200 मीटर
v = 0
न्यूटन के गति विषयक तृतीय समी० से,
v2 = u2 + 2as
02 = (35)2 + 2 × a × 200
अथवा a = \(\frac{-35×35}{2×200}\) = -3.06 मीटर/सेकण्ड
पुनः समीकरण v = u + \(\frac{1}{2}\)at2 से
t = \(\frac{v-u}{a}\) = \(\frac{0-35}{-3.06}\)
= 11.44 सेकण्ड।

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प्रश्न 3.7
दो रेलगाड़ियाँ A व B दो समांतर पटरियों पर 72 km h-1 की एकसमान चाल से एक ही दिशा में चल रही हैं। प्रत्येक गाड़ी 400 m लंबी है और गाड़ी A गाड़ी B से आगे है। B का चालक A से आगे निकलना चाहता है। 1ms-2 से इसे त्वरित करता है। यदि 50s के बाद B का गार्ड A के चालक से आगे हो जाता है तो दोनों के बीच आरंभिक दूरी कितनी थी?
उत्तर:
दिया है:
uA = uB = 72 किमी प्रति घण्टा
= 72 × \(\frac{5}{18}\) = 20 मीटर/सेकण्ड
t = 50 सेकण्ड
गाड़ी की लम्बाई = 400 मीटर
SA = uA × t
= 20 × 50
= 1000 मीटर
सूत्र S = ut + \(\frac{1}{2}\)at2 से
SB = 20 × 50 + 1 × (50)2
= 1000 + \(\frac{1}{2}\) × 2500
= 1000 + 1250
= 2250 मीटर
अत: दोनों रेलगाड़ियों के बीच आरम्भिक दूरी
= 2250 – 1000
= 1250 मीटर

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प्रश्न 3.8
दो – लेन वाली किसी सड़क पर कार A 36 km h-1 की चाल से चल रही है। एक दूसरे की विपरीत दिशाओं में चलती दो कारें B व C जिनमें से प्रत्येक की चाल 54kmh-1 है, कार A तक पहुँचना चाहती है। किसी क्षण जब दूरी AB दूरी AC के बराबर है तथा दोनों 1 km है, कार B का चालक यह निर्णय करता है कि कार C के कार A तक पहुँचने के पहले ही वह कार A से आगे निकल जाए। किसी दुर्घटना से बचने के लिए कार B का कितना न्यूनतम त्वरण जरूरी है?
उत्तर:
दिया है:
vA = 36 किमी/घण्टा
= 54 × \(\frac{5}{18}\) = 15 मीटर/सेकण्ड
माना कार A के सापेक्ष C की आपेक्षिक चाल vca तथा कार A के सापेक्ष कार B की आपेक्षिक चाल VBA है।
∴ vca = 15 – (-10) = 25 मीटर/सेकण्ड
तथा VBA = 15 – 10 = 5 मीटर/सेकण्ड
प्रश्नानुसार aca = 0, चूँकि दोनों कारें (A व C) नियत वेग से गतिमान हैं।
AC दूरी तय करने में लगा समय

माना कार B का A के सापेक्ष त्वरण aBA = a है।
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प्रश्न 3.9
दो नगर A व B नियमित बस सेवा द्वारा एक दूसरे से जुड़े हैं और प्रत्येक T मिनट के बाद दोनों तरफ बसें चलती हैं। कोई व्यक्ति साइकिल से 20 km h-1 की चाल से A से B की तरफ जा रहा है और यह नोट करता है कि प्रत्येक 18 मिनट के बाद एक बस उसकी गति की दिशा में तथा प्रत्येक 6मिनट बाद उसके विपरीत दिशा में गुजरती है। बस सेवाकाल T कितना है और बसें सड़क पर किस चाल (स्थिर मानिए) से चलती हैं?
उत्तर:
माना प्रत्येक बल की चाल vb किमी प्रति घण्टा तथा साइकिल सवार की चाल vc किमी प्रति घण्टा है। साइकिल सवार की गति की दिशा में अर्थात् A से B की ओर चल रही बसों की आपेक्षिक चाल = vb – vc
∴ साइकिल सवार की गति की दिशा में प्रत्येक 18 मिनट बाद एक बस गुजरती है।
∴ चली गई दूरी = (vb – vb) × \(\frac{18}{60}\)
परन्तु बसें प्रत्येक T मिनट बाद चलती हैं। अतः यह दूरी vb × \(\frac{T}{60}\) के तुल्य होगी।
अर्थात् (vb – bc) × \(\frac{T}{18}\) ……………. (1)
साइकिल सवार से विपरीत दिशा में बसों का आपेक्षिक वेग
= (vb + vc)
∴ चली दूरी = (vb + vb) × \(\frac{6}{60}\)
प्रश्नानुसार विपरीत दिशा में बस प्रत्येक 6 मीटर के अन्तराल पर मिलती है। अतः यह चली दूरी vb × \(\frac{T}{60}\) के तुल्य होगी।
∴ (vb + vc) × \(\frac{6}{60}\) = vb × \(\frac{T}{60}\)
या vb + vc = \(\frac{vb×T}{6}\) ………………… (2)
समी० (2) को (1) से भाग देने पर,
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या vb + vc = 3vb – 3vc
अथवा vc + 3vc = 3vb – vb
∴ vb = 2vc
= 2 × 20 किमी/घण्टा
= 40 किमी/घण्टा।
समी० (2) में vb व vc का मान रखने पर,
40 + 20 = \(\frac{40×T}{60}\)
T = \(\frac{60×6}{40}\) = 9 मिनट

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प्रश्न 3.10
कोई खिलाड़ी एक गेंद को ऊपर की ओर आरंभिक चाल 29 ms-1 से फेंकता है –
(i) गेंद की ऊपर की ओर गति के दौरान त्वरण की दिशा क्या होगी?
(ii) इसकी गति के उच्चतम बिंदु पर गेंद के वेग व त्वरण क्या होंगे?
(iii) गेंद के उच्चतम बिंदु पर स्थान व समय को x = 0 व t = 0 चुनिए, ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर की दिशा को x – अक्ष की धनात्मक दिशा मानिए। गेंद की ऊपर की व नीचे की ओर गति के दौरान स्थिति, वेग व त्वरण के चिन्ह बताइए।
(iv) किस ऊँचाई तक गेंद ऊपर जाती है और कितनी देर के बाद गेंद खिलाड़ी के हाथों में आ जाती है?
[g = 9.8 ms-2 तथा वायु का प्रतिरोध नगण्य है।]
उत्तर:
(i) ऊर्ध्वाधर गति में वस्तु सदैव गुरुत्वीय त्वरण के अधीन चलती है जिसकी दिशा नीचे की ओर होती है।

(ii) गति के उच्चतम बिन्दु v = 0
a = 9.8 मीटर/सेकण्ड2 नीचे की ओर

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(iv) दिया है : u = 29 मीटर/सेकण्ड
a = 9.8 मीटर/सेकण्डर2
v = 0
सूत्र v2 = a2 + 2as से,
v2 = 2a2 + 2 × 9.8 × S
∴ S = \(\frac{-2a×2a}{2×9.8}\) = 42.9 मीटर
अतः सूत्र = u + at से,
0 = 29 – 9.8 × t
∴ t = \(\frac{29}{2.8}\) = 2.96
∴ कुल समय = 2 × 2.96
= 5.92 सेकण्ड

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प्रश्न 3.11
नीचे दिए गए कथनों को ध्यान से पढ़िए और कारण बताते हुए व उदाहरण देते हुए बताइए कि वे सत्य हैं या असत्य, एकविमीय गति में किसी कण की –

  1. किसी क्षण चाल शून्य होने पर भी उसका त्वरण अशून्य हो सकता है।
  2. चाल शून्य होने पर भी उसका वेग अशून्य हो सकता है।
  3. चाल स्थिर हो तो त्वरण अवश्य ही शून्य होना चाहिए।
  4. चाल अवश्य ही बढ़ती रहेगी, यदि उसका त्वरण धनात्मक हो।

उत्तर:

  1. सत्य, सरल आवर्त गति करते कण की महत्तम विस्थापन की स्थिति में कण की चाल शून्य होती है, जबकि त्वरण महत्तम (अशून्य) होता है।
  2. असत्य, चाल शून्य होने का अर्थ है कि कण के वेग का परिमाण शून्य है।
  3. असत्य, एकसमान वृत्तीय गति करते हुए कण की चाल स्थिर रहती है तो भी उसकी गति में अभिकेन्द्र त्वरण कार्य करता है।
  4. असत्य, यह केवल तब सत्य हो सकता है, जब चुनी गई धनात्मक दिशा गति की दिशा के अनुदिश हो।

प्रश्न 3.12
किसी गेंद को 90 m की ऊँचाई से फर्श पर गिराया जाता है। फर्श के साथ प्रत्येक टक्कर में गेंद की चाल 1/10 कम हो जाती है। इसकी गति का t = 0 से 12 s के बीच चाल-समय ग्राफ खींचिए।
उत्तर:
दिया है:
u1 = 0, s1 = 90 मीटर,
a1 = 9.8 मीटर/सेकण्ड2
सूत्र v2 = u2 + 2as से,
v12 = 02 + 2 × 9.8 × 90
∴ v1 = \(\sqrt{2×9.8×90}\)
= 42 मीटर प्रति सेकण्ड
पुनः सूत्र v = u + at से,
42 = 0 + 9.8 × t1
∴ t1 = \(\frac{42}{9.8}\) = 4.2 सेकण्ड
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प्रश्नानुसार, u2 = v1 – \(\frac{v_{1}}{10}\)
= 42 – 4.2 = 37.8 मीटर/सेकण्ड
v2 = 0, a2 = -9.8 मीटर/सेकण्ड2
सूत्र v = u + at से,
0 = 37.8 – 9.8 × t2
∴ t2 = \(\frac{37.8}{9.8}\) = 3.9 सेकण्ड
∴ t = t1 + t2
= 4.2 + 3.9 = 8.1 सेकण्ड
u2 = 0
हम जानते हैं कि, ऊपर जाने का समय = नीचे आने का समय = 3.9 सेकण्ड
∴ t3 = t2 = 3.9 सेकण्ड
वह वेग जिससे गेंद फर्श पर टकराती है,
= a3 = a2 = 37.8 मीटर/सेकण्ड
तथा t = (t1 + t2) + t3
= 8.1 + 3.9 = 12 सेकण्ड पर
चाल v = 37.8 मीटर/सेकण्ड

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प्रश्न 3.13
उदाहरण सहित निम्नलिखित के बीच के अंतर को स्पष्ट कीजिए:
(a) किसी समय अंतराल में विस्थापन के परिमाण (जिसे कभी-कभी दूरी भी कहा जाता है) और किसी कण द्वारा उसी अंतराल के दौरान तय किए गए पथ की कुल लंबाई।

(b) किसी समय अंतराल में औसत वेग के परिमाण और उसी अंतराल में औसत चाल (किसी समय अंतराल में किसी कण की औसत चाल को समय अंतराल द्वारा विभाजित की गई कुल पथ-लंबाई के रूप में परिभाषित किया जाता है)। प्रदर्शित कीजिए कि (a) व (b) दोनों में ही दूसरी राशि पहली से अधिक या उसके बराबर है। समता का चिन्ह कब सत्य होता है? (सरलता के लिए केवल एकविमीय गति पर विचार कीजिए।)
उत्तर:
(a) विस्थापन के परिमाण से तात्पर्य है कि सीधी रेखा की कुल लम्बाई कण द्वारा किसी समयान्तराल में तय किए गए निश्चित पथ की लम्बाई उसी समयान्तराल में उन्हीं बिन्दुओं के मध्य तय किए गए पथ से अलग हो सकती है। जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
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(b)
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लेकिन औसत वेग का मान शून्य है चूँकि इस समय में विस्थापन शून्य है।
∴ औसत चाल > औसत वेग

प्रश्न 3.14
कोई व्यक्ति अपने घर से सीधी सड़क पर 5 km h-1 की चाल से 2.5 km दूर बाजार तक पैदल चलता है। परंतु बाजार बंद देखकर वह उसी क्षण वापस मुड़ जाता है तथा 7.5 km h-1 की चाल से घर लौट आता है।
समय अंतराल –

(i) 0 – 30 मिनट
(ii) 0 – 50 मिनट
(iii) 0 – 40 मिनट की अवधि में उस व्यक्ति

(a) के माध्य वेग का परिमाण, तथा
(b) का माध्य चाल क्या है? (नोट : आप इस उदाहरण से समझ सकेंगे कि औसत चाल को औसत वेग के परिमाण के रूप में परिभाषित करने की अपेक्षा समय द्वारा विभाजित कुल पथ-लंबाई के रूप में परिभाषित करना अधिक अच्छा क्यों है। आप थक कर घर लौटे उस व्यक्ति को यह बताना नहीं चाहेंगे कि उसकी औसत चाल शून्य थी।)
उत्तर:
सूत्र v = \(\frac{S}{t}\) से,
∴ व्यक्ति को बाजार जाने में लगा समय,
t1 = \(\frac{2.5}{5}\) = 0.5 घण्टा = 30 मिनट
∴ व्यक्ति को बाजार से आने में लगा समय,
t2 = \(\frac{2.5}{7.5}\) = 0.33 घण्टा = 20 मिनट

(i) 0 – 30 मिनट में व्यक्ति द्वारा चली दूरी = 2.5 किमी
∴ माध्य चाल = \(\frac{2.5}{30/60}\) = 5 किमी/घण्टा
अर्थात् इस समयान्तराल में व्यक्ति का विस्थापन तथा माध्य वेग के परिमाण भी क्रमश: 2.5 किमी तथा 5 किमी/घण्टा होंगे।

(ii) 0-50 मिनट के समयान्तराल में प्रथम 30 मिनट में व्यक्ति बाजार जाता है जबकि अगले 20 मिनट में वापस आता है।
∴ विस्थापन = 0
∴ माध्य वेग का परिमाण = \(\frac{0}{50/60}\) = 0
इस समयान्तराल में चली दूरी
= 2.5 + 2.5 = 5 किमी
∴ माध्य चाल = \(\frac{5}{50/60}\) = 6 किमी/घण्टा

(iii) चूँकि वापस आने में तय दूरी 2.5 किमी तथा लिया गया समय 20 मिनट है।
अतः प्रथम 10 मिनट में तय की गई दूरी 1.25 किमी होगी।
अतः 0 – 40 मिनट के समयान्तराल में विस्थापन
= 2.5 – 1.25
= 1.25 किमी
∴ माध्य वेग का परिमाण = \(\frac{1.25}{20/60}\) = 1.875 किमी/घण्टा
तथा इस समयान्तराल में चली दूरी
= 2.5 + 1.25 = 3.75 किमी
∴ माध्य चाल = \(\frac{3.75}{20/60}\) = 5.625
∴ माध्य वेग < माध्य चाल

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प्रश्न 3.15
हमने अभ्यास 3.13 तथा 3.14 में औसत चाल व औसत वेग के परिमाण के बीच के अंतर को स्पष्ट किया है। यदि हम तात्क्षणिक चाल व वेग के परिमाण पर विचार करते हैं, तो इस तरह का अंतर करना आवश्यक नहीं होता। तात्क्षणिक चाल हमेशा तात्क्षणिक वेग के बराबर होती है। क्यों?
उत्तर:
हम जानते हैं कि तात्क्षणिक चाल
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अत्यन्त लघु समयान्तरालों अर्थात् ∆t → 0 में वस्तु की गति की दिशा को अपरिवर्तित माना जाता है। इस प्रकार कुल पद लम्बाई अर्थात् दूरी एवम् विस्थापन के परिमाण में कोई अन्तर नहीं होता है। अर्थात् तात्क्षणिक चाल हमेशा तात्क्षणिक वेग के परिमाण के तुल्य होती है।

प्रश्न 3.16
चित्र में (a) से (d) तक के ग्राफों को ध्यान से देखिए और देखकर बताइए कि इनमें से कौन – सा ग्राफ एकविमीय गति को संभवतः नहीं दर्शा सकता।
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उत्तर:
चारों ही ग्राफ असम्भव हैं, चूँकि –

  1. एक ही समय किसी कण की दो विभिन्न स्थितियाँ सम्भव नहीं है।
  2. एक ही समय किसी कण के विपरीत दिशाओं में वेग नहीं हो सकते हैं।
  3. चाल कभी भी ऋणात्मक नहीं होती है।
  4. किसी कण की कुल पथ लम्बाई समय के साथ कभी भी नहीं घट सकती है।

प्रश्न 3.17
चित्र में किसी कण की एकविमीय गति का x – t ग्राफ दिखाया गया है। ग्राफ से क्या यह कहना ठीक होगा कि यह कण t < 0 के लिए किसी सरल रेखा में और t > 0 के लिए किसी परवलीय पथ में गति करता है। यदि नहीं, तो ग्राफ के संगत किसी उचित भौतिक संदर्भ का सुझाव दीजिए।
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उत्तर:
नहीं, यह गलत है। समय-दूरी आलेख (x – t वक्र) किसी कण के प्रक्षेपण को व्यक्त नहीं करता है। जैसे – जब कोई पिण्ड किसी मीनार से गिराया जाता है तब x = 0 पर t = 0 होता है।

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प्रश्न 3.18
किसी राजमार्ग पर पुलिस की कोई गाड़ी 30 km/h की चाल से चल रही है और यह उसी दिशा में 192 km/h की चाल से जा रही किसी चोर की कार पर गोली चलाती है। यदि गोली की नाल मुखी चाल 150 ms-1 है तो चोर की कार को गोली किस चाल के साथ आघात करेगी? (नोट : उस चाल को ज्ञात कीजिए जो चोर की कार को हानि पहुँचाने में प्रासंगिक हो)।
उत्तर:
दिया है : चोर की चाल, vt = 192 किमी/घण्टा
= 192 × \(\frac{5}{18}\) = \(\frac{160}{3}\) मीटर/सेकण्ड
तथा पुलिस की चाल vp = 30 किमी/घण्टा
= 30 × \(\frac{5}{18}\) = \(\frac{25}{3}\) मीटर/सेकण्ड
अत: चोर की कार का पुलिस की कार के आपेक्ष वेग,
vtp = vt – vp
= \(\frac{160}{3}\) – \(\frac{25}{3}\) = \(\frac{160-25}{3}\)
= \(\frac{135}{3}\) = 45 मीटर / सेकण्ड
गोली की नाल मुखी चाल, vb = 150 मीटर / सेकण्ड
= गोली की पुलिस के सापेक्ष चाल
अत: चोर की कार पर प्रहार करते समय गोली की चाल = पुलिस के सापेक्ष गोली की सापेक्ष चाल – पुलिस के सापेक्ष चोर की कार की सापेक्ष चाल
= 150 – 45
= 105 मीटर / सेकण्ड

प्रश्न 3.19
चित्र में दिखाए गए प्रत्येक ग्राफ के लिए किसी उचित भौतिक स्थिति का सुझाव दीजिए –
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उत्तर:
(a) x – t ग्राफ प्रदर्शित कर रहा है कि प्रारम्भ में x शून्य है, फिर यह एक स्थिर मान प्राप्त करता है। पुन: यह शून्य हो जाता है तथा फिर यह विपरीत दिशा में बढ़कर अन्त में एक स्थिर मान (विरामावस्था) प्राप्त कर लेता है। अत: यह ग्राफ इस प्रकार की भौतिक स्थिति व्यक्त कर सकता है जैसे एक गेंद को विरामावस्था से फेंका जाता है और वह दीवार से टकराकर लौटती है तथा कम चाल से उछलती है तथा यह क्रम इसके विराम में पहुँचने तक चलत रहता है।

(b) यह ग्राफ प्रदर्शित कर रहा है कि वेग समय के प्रत्येक अन्तराल के साथ परिवर्तित हो रहा है तथा प्रत्येक बार इसका वेग कम हो रहा है। इसलिए यह ग्राफ एक ऐसी भौतिक स्थिति को व्यक्त कर सकता है। जिसमें एक स्वतन्त्रतापूर्वक गिरती हुई गेंद (फेंके जाने पर) धरती से टकराकर कम चाल से पुनः उछलती है तथा प्रत्येक बार धरती से टकराने पर इसकी चाल कम होती जाती है।

(c) यह ग्राफ प्रदर्शित करता है कि वस्तु अल्प समय में ही त्वरित हो जाती है; अतः यह ग्राफ एक ऐसी भौतिक स्थिति को व्यक्त कर सकता है जिसमें एकसमान चाल से चलती हुई गेंद को अत्यल्प समयान्तराल में बल्ले द्वारा टकराया जाता है।

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प्रश्न 3.20
चित्र में किसी कण की एकविमीय सरल आवर्ती गति के लिए x – t ग्राफ दिखाया गया है।(इस गति के बारे में आप अध्याय 14 में पढ़ेंगे) समय t = 0.3 s, 1.2 s, -1.2 s पर कण के स्थिति, वेग व त्वरण के चिन्ह क्या होंगे?
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उत्तर:
हम जानते हैं कि सरल आवर्त गति में,
त्वरण a = -w2x
जहाँ w नियतांक है जिसे कोणीय आवृत्ति कहते हैं।
समय t = 0.3 सेकण्ड दर, दूरी (x) ऋणात्मक है। दूरी-समय ग्राफ का दाब भी ऋणात्मक है। इस कारण स्थिति तथा वेग ऋणात्मक है। अतः त्वरण (a = -w2x) धनात्मक है।
समय t = 1.2 सेकण्ड पर, दूरी (x) धनात्मक है। दूरी समय (x – t) ग्राफ का ढाल भी धनात्मक है। इस प्रकार स्थिति तथा वेग धनात्मक है। अतः त्वरण ऋणात्मक है।
समय t = -1.2 सेकण्ड पर, दूरी (x) ऋणात्मक है। दूरी समय (x – t) ग्राफ का ढाल भी धनात्मक है। इस प्रकार वेग धनात्मक है तथा अन्त में त्वरण (a) भी धनात्मक है।

प्रश्न 3.21
चित्र किसी कण की एकविमीय गति का x – t ग्राफ दर्शाता है। इसमें तीन समान अंतराल दिखाए गए हैं। किस अंतराल में औसत चाल अधिकतम है और किसमें न्यूनतम है? प्रत्येक अंतराल के लिए औसत वेग का चिह्न बताइए।
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उत्तर:
चूँकि लघु अन्तरालों में समय-दूरी (x – t) ग्राफ की ढाल उस अन्तराल में कण की औसत चाल को प्रदर्शित करती है। ग्राफ से स्पष्ट है कि इस अन्तराल में,
(i) अन्तराल (3) में ग्राफ की ढाल अधिकतम है अतः औसत चाल अधिकतम है। जबकि अन्तराल (2) में ग्राफ की ढाल न्यूनतम है अतः इस अन्तराल में औसत चाल न्यूनतम है।

(ii) अन्तराल (1) एवम् (2) में ढाल धनात्मक है लेकिन अन्तराल (3) में ऋणात्मक है अतः अन्तराल (1 व 2) में औसत वेग धनात्मक जबकि अन्तराल (3) में ऋणात्मक है।

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प्रश्न 3.22
चित्र में किसी नियत (स्थिर) दिशा के अनुदिश चल रहे कण का चाल-समय ग्राफ दिखाया गया है।
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इसमें तीन समान समय अंतराल दिखाए गए हैं। किस अंतराल में औसत त्वरण का परिमाण अधिकतम होगा? किस अंतराल में औसत चाल अधिकतम होगी? धनात्मक दिशा को गति की स्थिर दिशा चुनते हुए तीनों अंतरालों में v तथा a के चिह्न बताइए। A, B, C व D बिंदुओं पर त्वरण क्या होंगे?
उत्तर:
(i) चूँकि लघु अन्तरालों में चाल-समय (v – t) ग्राफ की ढाल का परिमाण कण के औसत त्वरण के परिमाण को व्यक्त करता है। दिए गए ग्राफ से स्पष्ट है कि ढाल का परिमाण अन्तराल वक्र (2) में अधिकतम जबकि अन्तराल (3) में न्यूनतम है। इस प्रकार औसत त्वरण का परिमाण अन्तराल (2) में अधिकतम व अन्तराल (3) में न्यूनतम होगा।

(ii) औसत चाल अन्तराल (1) में न्यूनतम तथा अन्तराल (3) में अधिकतम है।

(iii) तीनों अन्तरालों में चाल (v) धनात्मक है। अन्तराल (1) में चाल-समय (v – t) ग्राफ का ढाल धनात्मक जबकि अन्तराल (2) में ढाल अर्थात् त्वरण a ऋणात्मक है। अन्तराल (3) में चाल-समय ग्राफ समय-अक्ष के समान्तर है। अतः इस अन्तराल में त्वरण शून्य है।

(iv) चारों बिन्दुओं (i. e.,A, B, C तथा D) पर, चाल-समय ग्राफ समय-अक्ष के समान्तर है। अतः इन चारों बिन्दुओं पर त्वरण शून्य है।

Bihar Board Class 11 Physics सरल रेखा में गति Additional Important Questions and Answers

अतिरिक्त अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 3.23
कोई तीन पहिये वाला स्कूटर अपनी विरामावस्था से गति प्रारंभ करता है। फिर 10 s तक किसी सीधी सड़क पर 1ms-2 के एकसमान त्वरण से चलता है। इसके बाद वह एक समान वेग से चलता है। स्कूटर द्वारा वें सेकंड (n = 1, 2, 3, …) में तय की गई दूरी को n के सापेक्ष आलेखित कीजिए। आप क्या आशा करते हैं कि त्वरित गति के दौरान यह ग्राफ कोई सरल रेखा या कोई परवलय होगा?
Bihar Board Class 11 Physics Chapter 3 सरल रेखा में गति
उत्तर:
प्रारम्भिक वेग, u = 0,
त्वरण a = 1 मीटर/सेकण्ड2, t = 10 सेकण्ड
सूत्र,
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इत्यादि।
चित्र से स्पष्ट है कि एक समान त्वरित गति के लिए समय अक्ष पर झुकी सरल रेखा, एक समान गति के लिए समय अक्ष के समान्तर सरल रेखा ही है।

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प्रश्न 3.24
किसी स्थिर लिफ्ट में (जो ऊपर से खुली है) कोई बालक खड़ा है। वह अपने पूरे जोर से एक गेंद ऊपर की ओर फेंकता है जिसकी प्रारंभिक चाल 49 ms-1 है। उसके हाथों में गेंद के वापिस आने में कितना समय लगेगा? यदि लिफ्ट ऊपर की ओर 5 ms-1 की एकसमान चाल से गति करना प्रारंभ कर दे और वह बालक फिर गेंद को अपने पूरे जोर से फेंकता तो कितनी देर में गेंद उसके हाथों में लौट आएगी?
उत्तर:
जब लिफ्ट स्थिर है, तब u = 49 m s-1, υ = 0 तथा a = – 9.8 ms-2
जब गेंद लड़के के हाथ में वापस लौटेगी तो गेंद का लिफ्ट के सापेक्ष विस्थापन शून्य होगा।
अत: s = ut + \(\frac{1}{2}\)at2 में, s = 0 तथा माना लौटने में लगा समय = t
∴ 0 = 49t – \(\frac{1}{2}\) × 9.8 × t2
= \(\frac{1}{2}\) × 9.8 × t2 = 49t
= t = \(\frac{49×2}{9.8}\) = 10s
9.8 जब लिफ्ट ऊपर की ओर एक समान वेग से चलती है तो लिफ्ट के सापेक्ष गेंद का प्रारम्भिक वेग 49 ms-1 ही रहेगा; अतः गेंद को बालक के हाथों में आने में 10s का ही समय लगेगा।

प्रश्न 3.25
क्षैतिज में गतिमान कोई लम्बा पट्टा (चित्र) 4km/h की चाल से चल रहा है। एक बालक इस पर (पट्टे के सापेक्ष)9 km/h की चाल से कभी आगे कभी पीछे अपने माता-पिता के बीच दौड़ रहा है। माता व पिता के बीच 50 m की दूरी है। बाहर किसी स्थिर प्लेटफॉर्म पर खड़े एक प्रेक्षक के लिए, निम्नलिखित का मान प्राप्त करिए –
(a) पट्टे की गति की दिशा में दौड़ रहे बालक की चाल,
(b) पट्टे की गति की दिशा के विपरीत दौड़ रहे बालक की चाल,
(c) बच्चे द्वारा (a) व (b) में लिया गया समय यदि बालक की गति का प्रेक्षण उसके माता या पिता करें तो कौन-सा उत्तर बदल जाएगा?
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उत्तर:
माना \(\overrightarrow{v_{B}}\) = पट्टे का वेग = 4 kmh-1 (बाएँ से दाएँ)
\(\overrightarrow{v_{CB}}\) = पट्टे के सापेक्ष बालक का वेग

(a) जब बालक पट्टे की गति की दिशा में दौड़ता है –
पट्टे के सापेक्ष बालक का वेग = 9 km h-1 (बाएँ से दाएँ)
यदि बालक का वेग, प्लेटफार्म पर खड़े किसी प्रेक्षक के सापेक्ष \(\overrightarrow{v_{c}}\) हो तो,
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(b) जब बालक पट्टे की गति की दिशा के विपरीत दौड़ता है –
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ऋणात्मक चिह्न बालक की विपरीत दिशा (दाएँ से बाएँ) को व्यक्त करता है।

(c) स्थिति (a) अथवा (b) में लगने वाला समय
= \(\frac{50×60×60}{1000×9}\) = 20 s
समय 20 s रह जाएगा यदि माता या पिता बालक की गति का प्रेक्षण करते हैं।

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प्रश्न 3.26
किसी 200 m ऊँची खड़ी चट्टान के किनारे से दो पत्थरों को एक साथ ऊपर की ओर 15 ms-1 तथा 30 ms-1 की प्रारंभिक चाल से फेंका जाता है। इसका सत्यापन कीजिए कि नीचे दिखाया गया ग्राफ (चित्र) पहले पत्थर के सापेक्ष दूसरे पत्थर की आपेक्षिक स्थिति का समय के साथ परिवर्तन को प्रदर्शित करता है। वायु के प्रतिरोध को नगण्य मानिए और यह मानिए कि जमीन से टकराने के बाद
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पत्थर ऊपर की ओर उछलते नहीं। मान लीजिए g = 10 ms-2 ग्राफ के रेखीय व वक्रीय भागों के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर:
दिया है:
x(0) = 200 मीटर,
v(0) = 15 मीटर/सेकण्ड
a = -10 मीटर/सेकण्ड2
हम जानते हैं कि
x = x0 + ut + \(\frac{1}{2}\)at2
∴ x1(t) = 200 + 15 × t – 5t2
जब पहला पत्थर जमीन से टकराता है,
x1(t) = 0
∴ -5t2 + 15t + 200 = 0 ……………. (1)
या t2 – 3t – 400 = 0
या (t + 5) (t – 8) = 0
∴ t = -5 या 8
परन्तु t # ऋणात्मक
∴ t = 8 सेकण्ड
जब दूसरा पत्थर जमीन से टकराता है,
x2(t) = 200 मीटर, V0 = 30 मीटर/सेकण्ड
a = -10 मीटर/सेकण्ड2
x2 (t) = 200 + 30t – 5t2
प्रश्नानुसार, x2(t) – x1(t) = 15t …………………… (1)
जहाँ x2 (t) – x1 (t) दोनों पत्थरों के बीच दूरी (x) है।
x = 15t
i.e., x ∝ t
i.e., अब तक दोनों पत्थर गतिमान रहेंगे, उनके बीच दूरी बढ़ती रहेगी। अर्थात् (x – t) ग्राफ सरल रेखा होगा।
चूँकि t = 8 सेकण्ड, अत: पत्थर पृथ्वी पर 8 सेकण्ड बाद लौटेगा। इस समय पर दोनों के बीच अधिकतम दूरी होगी।
∴ अधिकतम दूरी, x = 15 × 8
= 120 मीटर होगी।
अर्थात् 8 सेकण्ड बाद केवल दूसरा पत्थर गतिशील होगा। अतः ग्राफ द्विघाती समीकरण के अनुसार परवलयाकार होगा।

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प्रश्न 3.27
किसी निश्चित दिशा के अनुदिश चल रहे किसी कण का चाल-समय ग्राफ (चित्र) में दिखाया गया है। कण द्वारा (a) t = 0s से t = 10s
(b) t = 25 से 6s के बीच तय की गई दूरी ज्ञात कीजिए।
(a) तथा (b) में दिए गए अंतरालों की अवधि में कण की औसत चाल क्या है?
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उत्तर:
(a) t = 0 सेकण्ड से t = 10 सेकण्ड में चली गई
= चाल समय ग्राफ का क्षेत्रफल
= 0B × AC
= 1 × 10 × 12
= 60 मीटर
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(b) t = 2 सेकण्ड से t = 6 सेकण्ड में चली दूरी ज्ञात करने के लिए, इसे दो भागों में अर्थात् t = 2 से t = 5 से० तक तथा t = 5 से t = 6 से० तक ज्ञात कर जोड़ेंगे।
(i) t = 2 से t = 5 से० के लिए
ut = 0, v =12 मीटर/सेकण्ड, t = 5 सेकण्ड
∴ a = \(\frac{v-u}{t}\) से
a = \(\frac{12}{5}\) = 2.5 मीटर/सेकण्ड
अब सूत्र v = u + at से, 1 = 2 सेकण्ड पर चाल,
v = 0 + 2.4 × 2 = 4.8 मीटर/सेकण्ड
∴ t = 2 से 1 =5 से० में चली दूरी
S = ut + \(\frac{1}{2}\)at2
= 4.8 × 3 + \(\frac{1}{2}\) × 2.4 × 32
= 14.4 + 10.8
= 25.2 मीटर

(ii) t = 5 से t = 6 से० के बीच चली दूरी
x = 12 × 1 + \(\frac{1}{2}\) × (-2.4) – 12
= 12 – 1.2 = 10.8 मीटर
∴ कुल चली दूरी = 25.2 + 10.8
= 36 मीटर
अत:
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\(\frac{36}{4}\) = 9 मीटर/सेकण्ड।

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प्रश्न 3.28
एकविमीय गति में किसी कण का वेग-समय ग्राफ (चित्र) में दिखाया गया है:
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नीचे दिए सूत्रों में से t, तक के समय अंतराल की अवधि में कण की गति का वर्णन करने के लिए कौन-से सूत्र सही हैं:

  1. x (t2) = x(t1) + v(t1) (t2 – t1) + (1/2) a(t2 – t1)
  2. v(t2) = v(t1) + a(t2 – t1)
  3. vaverage = [x(t2) – x(t1)]/t2 – t1)
  4. aaverage = [v(t2) – v (t1)]/(t2 – t1)
  5. x(t2) = x(t1) + vaverage (t2 – t1) + (1/2) aaverage (t2 – t1)
  6. x(t2) – x(t1) = t – अक्ष तथा दिखाई गई बिंदुकित रेखा के बीच दर्शाए गए वक्र के अंतर्गत आने वाला क्षेत्रफल।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य
  3. सत्य
  4. सत्य।

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अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 13.1
ऑक्सीजन के अणुओं के आयतन और STP पर इनके द्वारा घेरे गए कुल आयतन का अनुपात ज्ञात कीजिए। ऑक्सीजन के एक अणु का व्यास 3 A लीजिए।
उत्तर:
दिया है:
d = 3Å
∴r = \(\frac{1}{2}\) × 3 = 1.5 Å
= 1.5 × 10-10 मीटर
STP पर 1 मोल गैस का आयतन
V1 = 22.4 l = 22.4 × 10-3 मीटर3
तथा 1 मोल गैस में अणुओं की संख्या
= N = 6.02 × 1023
∴ अणुओं का आयतन, V2 = एक अणु का आयतन × N
= \(\frac{4}{3}\) π3 × N
= \(\frac{4}{3}\) × 3.14 × (1.5 × 10-10)3 × 6.02 × 1023
= 8.52 × 10-6 मीटर2
∴\(\frac{V_{2}}{V_{1}}\) = \(\frac{8.52 \times 10^{-6}}{22.4 \times 10^{-3}}\) = 3.8 × 10-4
अतः अणुओं के आयतन तथा STP पर इनके द्वारा घेरे गए आयतन का अनुपात 3.8 × 10-4 है।

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प्रश्न 13.2
मोलर आयतन STP पर किसी गैस (आदर्श) के 1 मोल द्वारा घेरा गया आयतन है। (STP : 1 atm) दाब, 0°C दर्शाइये कि यह 22.4 लीटर है।
उत्तर:
दिया है:
STP पर,
P = 1 atm = 7.6 m of Hg column
= 0.76 × 13.6 × 103 × 9.9
= 1.013 × 105 Nm-2
T = 0°C = 273 K
R = 8.31 J mol-1K-1
n = 1 मोल V = 22.41 सिद्ध करने के लिए, सूत्र PV = nRT से,
V = \(\frac{nRT}{P}\)
= \(\frac{1 \times 8.31 \times 273}{1.013 \times 10^{5}}\)
= 22.4 × 10-3 m-3
= 22.4 लीटर
इति सिद्धम्।

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प्रश्न 13.3
चित्र में ऑक्सीजन के 1.00 × 10-3 kg द्रव्यमान के लिए PV/T एवं P में, दो अलग-अलग तापों पर ग्राफ दर्शाये गए हैं।
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(a) बिंदुकित रेखा क्या दर्शाती है?
(b) क्या सत्य है : T1 > T2 अथवा T1 < T2?
(c) y – अक्ष पर जहाँ वक्र मिलते हैं वहाँ PVIT का मान क्या है?
(d) यदि हम ऐसे ही ग्राफ 100 × 10-3 kg हाइड्रोजन के लिए बनाएँ तो भी क्या उस बिंदु पर जहाँ वक्र y – अक्ष से मिलते हैं PV/T का मान यही होगा? यदि नहीं तो हाइड्रोजन के कितने द्रव्यमान के लिए PV/T का मान (कम दाब और उच्च ताप के क्षेत्र के लिए वही होगा? H2 का अणु द्रव्यमान = 2.02 u, O2 का अणु द्रव्यमान = 32.0 u, R = 8.31J mol-1K-1)
उत्तर:
(a) बिन्दुकित रेखा यह व्यक्त करती है कि राशि PV/T स्थिर है। यह तथ्य केवल आदर्श गैस के लिए सत्य है। अर्थात् बिन्दुकित रेखा आदर्श गैस का ग्राफ है।

(b) ताप T2 पर ग्राफ की तुलना में ताप T1 पर गैस का ग्राफ आदर्श गैस के ग्राफ के अधिक समीप है। हम जानते हैं कि वास्तविक गैसें निम्न ताप पर आदर्श गैस के व्यवहार से अधिक विचलित होती हैं। अत: T1 > T2

(c) जहाँ ग्राफ -अक्ष पर मिलते हैं ठीक उसी बिन्दु पर आदर्श गैस का ग्राफ भी गुजरता है। अतः इस बिन्दु पर ऑक्सीजन गैस, आदर्श गैस का पालन करती है।
अत: गैस समीकरण से,
\(\frac{PV}{T}\) = nR
हम जानते हैं O2 का 32 × 10-3 kg = 1 मोल
∴ O2 का 1.00 × 10-3 kg
= \(\frac{1}{32 \times 10^{-3}} \times 1 \times 10^{-3}\)
i.e., n = \(\frac{1}{32}\)
R = 8.31 JK-1 mol-1
∴\(\frac{PV}{T}\) = \(\frac{1}{32}\) × 8.31 = 0.26 JK-1

(d) नहीं, हाइड्रोजन गैस के लिए PV/T का मान समान नहीं रहता है। चूँकि यह द्रव्यमान पर निर्भर करता है तथा H2 का द्रव्यमान O2 से कम है।
माना हाइड्रोजन का अभीष्ट द्रव्यमान m किया है जिसमें PV/T का समान मान प्राप्त होता है।
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प्रश्न 13.4
एक ऑक्सीजन सिलिंडर जिसका आयतन 30 लीटर है, में ऑक्सीजन का आरंभिक दाब 15 atm एवं ताप 27°C है। इसमें से कुछ गैस निकाल लेने के बाद प्रमापी (गेज)दाब गिर कर 11 atm एवं ताप गिर कर 17°C हो जाता है। ज्ञात कीजिए कि सिलिंडर से ऑक्सीजन की कितनी मात्रा निकाली गई है। (R = 8.31J mol-1K-1, ऑक्सीजन का अणु द्रव्यमान O2 = 32 u)।
उत्तर:
दिया है:
ऑक्सीजन सिलिण्डर में प्रारम्भ में
V1 = 30 litres = 30 × 10-3 m3
P1 = 15 atm = 15 × 1.013 × 105 Pa
T1 = 27 + 273 = 300 K
R = 8.31 JK-1mol-1
माना सिलिण्डर में ऑक्सीजन गैस के n1 मोल हैं।
अतः सूत्र PV = nRT से,
n1 = \(\frac{P_{1} V_{1}}{R T_{1}}\)
= \(\frac{15 \times 1.013 \times 10^{5}}{8.31 \times 300}\) = 18.253
ऑक्सीजन का अणु भार
M = 32 = 32 × 10-3 kg
सिलिंडर में ऑक्सीजन का प्रारम्भिक द्रव्यमान
m1 = n1M
= 18.253 × 32 × 10-3 kg
माना अन्त में सिलिंडर में O2 के n2 मोल बचे हैं।
दिया है:
V2 = 30 × 10-3 m-3, P2 = 11 atm
= 11 × 1.013 × 105 pa
∴ n2 = \(\frac{P_{2} V_{2}}{R T_{2}}\)
= \(\frac{\left(11 \times 1.013 \times 10^{5}\right) \times\left(30 \times 10^{-3}\right)}{8.31 \times 290}\)
= 13.847 .
∴ सिलिंडर में O2 गैस का अन्तिम द्रव्यमान
m1 – m2
= (584.1 – 453.1) × 10-3 kg
= 141 × 10-3 kg = 0.141 kg

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प्रश्न 13.5
वायु का एक बुलबुला, जिसका आयतन 1.0 cm3 है, 40 m गहरी झील की तली में जहाँ ताप 12°C है, उठकर ऊपर पृष्ठ पर आता है जहाँ ताप 35°C है। अब इसका आयतन क्या होगा? उत्तर:
जब वायु का बुलबुला 40 मी० गहराई पर है तब
V1 = 1.0 cm3 = 1.0 × 10-6m3
T1 = 12°C
= 12°C – 12 + 273 = 285 K
= 1 atm + 40 m पानी की गहराई
P1 = 1 atm – h1ρg
= 1.013 × 105 + 40 × 103 × 9.8
= 493000 Pa
= 4.93 × 105 Pa
जब वायु का बुलबुला झील की सतह पर पहुँचता है तब
V2 = ?, T2 = 35°C
= 35 + 273
= 308 K
P2 = 1 atm = 1.013 × 105 Pa
सूत्र
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प्रश्न 13.6
एक कमरे में, जिसकी धारिता 25.0 m3 है, 27°C ताप और 1 atm दाब पर, वायु के कुल अणुओं (जिनमें नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, जलवाष्प और अन्य सभी अवयवों के कण सम्मिलित हैं) की संख्या ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है:
V = 25.0 m3
T = 27°C = 27 + 273 = 300 K
K = 1.38 × 10-23 JK-1
P = 1 atm = 1.013 × 105 Pa
गौस समीकरण से, P = \(\frac{nRT}{V}\)
= \(\frac{n}{V}\) (Nk) T (∵\(\frac{R}{n}\) = k)
= (nN) \(\frac{kT}{V}\) = N’ \(\frac{KT}{V}\)
जहाँ N’ = nN = दी गई गैस में ऑक्सीजन अणुओं की संख्या
N’ = \(\frac{PV}{kT}\)
= \(\frac{\left(1.013 \times 10^{5}\right) \times 25}{1.38 \times 10^{-23} \times 300}\)
= 6.10 × 1026

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प्रश्न 13.7
हीलियम परमाणु की औसत तापीय ऊर्जा का आंकलन कीजिए –
(i) कमरे के ताप (27°C) पर
(ii) सूर्य के पृष्ठीय ताप (6000 K) पर
(iii) 100 लाख केल्विन ताप (तारे के क्रोड का प्रारूपिक ताप) पर।
उत्तर:
गैस के अणुगति सिद्धान्त के अनुसार, ताप T पर गैस की औसत गतिज ऊर्जा (i.e., औसत ऊष्मीय ऊर्जा) निम्नवत् है –
E = \(\frac{3}{2}\) KT
दिया है: k = 1.38 × 10-23 JK-1

(i) T = 27°C = 273 + 27 = 300 K पर,
E = \(\frac{3}{2}\) × 1.38 × 10-23 × 300
= 621 × 10-23 J
= 6.21 × 10-21 J

(ii) T = 6000K पर
∴E = \(\frac{3}{2}\) × 1.38 × 10-23 × 6000
= 1.24 × 10-19 J

(iii) T = 10 × 106 K पर,
∴ E = \(\frac{3}{2}\) × 1.38 × 10-23 × 107
= 2.07 × 10-16 J
= 2.1 × 10-16 J

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प्रश्न 13.8
समान धारिता के तीन बर्तनों में एक ही ताप और दाब पर गैसें भरी हैं। पहले बर्तन में नियॉन (एकपरमाणुक) गैस है, दूसरे में क्लोरीन (द्विपरमाणुक) गैस है और तीसरे में यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड (बहुपरमाणुक) गैस है। क्या तीनों बर्तनों में गैसों के संगत अणुओं की संख्या समान है? क्या तीनों प्रकरणों में अणुओं की vrms (वर्गमाध्य मूल चाल) समान है।
उत्तर:
(a) हाँ, चूँकि आवोगाद्रों परिकल्पना से, समान परिस्थितियों में गैसों के समान आयतन में अणुओं की संख्या समान होती है।

(b) नहीं चूँकि Vrms = \(\sqrt{\frac{3 R T}{m}}\)
∴ Vrms ∝ \(\frac{1}{\sqrt{m}}\)
अतः तीनों गैसों के ग्राम-अणु भार अलग-अलग हैं। अतः अणुओं की वर्ग माध्य-मूल चाल अलग-अलग होगी।

प्रश्न 13.9
किस ताप पर आर्गन गैस सिलिंडर में अणुओं की vrms, 20°C पर हीलियम गैस परमाणुओं की vrms के बराबर होगी। (Ar का परमाणु द्रव्यमान = 39.91 एवं हीलियम का परमाणु द्रव्यमान = 4.0 u)।
उत्तर:
माना कि T1 व T2 K ताप पर आर्गन व हीलियम गैस की वर्ग माध्य मूल वेग क्रमश: C1 व C2 हैं।
दिया है:
M1 = 39.9 × 10-3 kg,
M2 = 4.0 × 10-3 kg, T1 = ?
T2 = -20 + 273 = 253 K
हम जानते हैं कि वर्ग माध्य मूल वेग
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या T = 2523.7 K = 2524 K
= 2.524 × 103K

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प्रश्न 13.10
नाइट्रोजन गैस के एक सिलिंडर में, 2.0 atm दाब एवं 17°C ताप पर नाइट्रोजन अणुओं के माध्य मुक्त पथ एवं संघट्ट आवृत्ति का आंकलन कीजिए। नाइट्रोजन अणु की त्रिज्या लगभग 1.0 A लीजिए। संघट्ट काल की तुलना अणुओं द्वारा दो संघट्टों के बीच स्वतंत्रतापूर्वक चलने में लगे समय से कीजिए। (नाइट्रोजन का आण्विक द्रव्यमान = 28.0 u)।
उत्तर:
मैक्सवेल संशोधन ने गैस अणुओं का मध्य मुक्त पद
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जहाँ d = अणु का व्यास
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2 atm दाब पर, m द्रव्यमान गैस का आयतन
V = \(\frac{RT}{P}\), T = 273 + 17 = 290 K
∴ n = \(\frac{n}{V}\) = \(\frac{NP}{RT}\)
दिया है: N = 6.023 × 1023 mole-1
P = 2 atm = 2 × 1.013 × 105 Nm-2
R = 8.3 JK -1 mol-1
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वर्ग माध्य मूल वग C = \(\sqrt{\frac{2 R T}{M}}\)
R = 8.31 J mol-1 K-1
T = 290 K, M = 28 × 10-3 kg रखने पर
C = \(\sqrt{\frac{3 \times 8.31 \times 290}{28 \times 10^{-3}}}\)
= 5.08 × 102 ms-1
= 5.10 × 102 ms-1
∴ संघट्ट आवृत्ति,
v = \(\frac{C}{λ}\) = \(\frac{5.1 \times 10^{2}}{1.0 \times 10^{-7}}\)
= 5.1 × 109 s-1
माना दो क्रमागत संघट्टों के मध्य र समय है।
∴ τ = \(\frac{λ}{C}\) = \(\frac{1.0 \times 10^{-7} \mathrm{m}}{5.1 \times 10^{2} \mathrm{ms}^{-1}}\)
= 2 × 10-13 s
पुनः माना संघट्ट के लिया गया समय t है।
∴ t = \(\frac{d}{C}\) = \(\frac{2 \times 10^{-10}}{5.10 \times 10^{2}}\)
= 4 × 10-13 s
समी० (i) को (ii) से भाग देने पर,
\(\frac{τ}{τ}\) = \(\frac{2.0 \times 10^{-10} \mathrm{s}}{4 \times 10^{-13} \mathrm{s}}\) = 500
या τ = 500t
अतः दो क्रमागत टक्करों के मध्य समय टक्कर में लिये गए समय का 500 गुना है। इससे यह प्रदर्शित होता है कि गैस के अणु लगभग हर समय मुक्त रूप से चलायमान रहते हैं।

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अतिरिक्त अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 13.11
1 मीटर लंबी संकरी ( और एक सिरे पर बंद) नली क्षैतिज रखी गई है। इसमें 76 cm लंबाई भरा पारद सूत्र, वायु के 15 cm स्तंभ को नली में रोककर रखता है। क्या होगा यदि खुला सिरा नीचे की ओर रखते हुए नली को ऊर्ध्वाधर कर दिया जाए।
उत्तर:
प्रारम्भ में नली क्षैतिज है तब बंद सिरे पर रोकी गई वायु का दाब वायुमण्डलीय दाब के समान होगा।
∴ P1 = 76 सेमी पारे स्तम्भ का दाब।
माना कि नली का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A सेमी2 है।
वायु का आयतन = 15 × A = 15A सेमी3

जब नली का खुला सिरा नीचे की ओर रखते हैं तथा ऊर्ध्वाधर करते हैं जब खुले सिरे पर बाहर की ओर से वायुमण्डलीय दाब कार्य करता है जबकि ऊपर की ओर से 76 सेमी पारद सूत्र का दाब व बंद सिरे पर एकत्र वायु का दाब अधिक है।

अतः पारद सूत्र असंचुलित रहेगा व नीचे गिरते हुए वायु को बाहर निकाल देता है। माना कि पारद सूत्र की 2 लम्बाई नीचे नली से बाहर निकलती है।
∴ नली में पारद सूत्र की शेष लम्बाई = (76 – h) सेमी
तथा बंद सिरे पर वायु स्तम्भ की लम्बाई
= (15 + 9 + h)
= (24 + h) सेमी

तथा वायु का आयतन V2 = (24 + h) A सेमी3
माना कि इस वायु का दाब P2 है।
∴ सन्तुलन में,
P2 + (76 – h) सेमी पारद सूत्र का दाब = वायुमण्डलीय दाब
∴P2 = R सेमी पारद सूत्र का दाब
सूत्र P1V1 = P2V2 से
76 × 15A = h × (24 + h) A
या 1140 = 24h + h2
या h2 + 24h – 1140 = 0
∴ h = -24 ± \(\sqrt{24^{2}-4 \times 17-1140}\)
= 28.23 या – 4784 सेमी
परन्तु h ≠ ऋणात्मक
∴ h = 28.23 सेमी।
अतः पारद सूत्र की 28.23 सेमी लम्बाई नली से बाहर निकल जाएगी।

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प्रश्न 13.12
किसी उपकरण से हाइड्रोजन गैस 28.7 cm3 s-1 की दर से विसरित हो रही है। उन्हीं स्थितियों में कोई दूसरी गैस 7.2 cm3 s-1 की दर से विसरित होती है। इस दूसरी गैस को पहचानिए।
[संकेत : ग्राहम के विसरण नियम R1/R2 = (M2/M1)1/2 का उपयोग कीजिए, यहाँ R1, R2 क्रमशः
गैसों की विसरण दर तथा M2 एवं M2 उनके आण्विक द्रव्यमान हैं। यह नियम अणुगति सिद्धांत का एक सरल परिणाम है।]
उत्तर:
विसरण के ग्राहम के नियम से,
\(\frac{R_{1}}{R_{2}}\) = \(\sqrt{\frac{M_{2}}{M_{1}}}\) ………………. (i)
जहाँ R1 = गैस – 1 की विसरण दर = 28.7 cm3 s-1
R2 = गैस – 2 की विसरण दर = 7.2 cm2 s-1 ………………. (ii)
माना इनके संगत अणुभार M1 व M2 हैं।
∴H2 के लिए, M1 = 2
∴ समी० (i) तथा (ii) से
\(\frac{28.7}{7.2}\) = \(\sqrt{\frac{M_{2}}{2}}\)
या \(\frac{M_{2}}{2}\) = (\(\frac{28.7}{7.2}\))2
या M2 = 2 × 15.89 = 31.77 = 32 u
हम जानते हैं कि O2 का अणुभार 32 है। अत: अज्ञात गैस O2 है।

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प्रश्न 13.13
साम्यावस्था में किसी गैस का घनत्व और दाब अपने संपूर्ण आयतन में एकसमान है। यह पूर्णतया सत्य केवल तभी है जब कोई भी बाह्य प्रभाव न हो। उदाहरण के लिए, गुरुत्व से प्रभावित किसी गैस स्तंभ का घनत्व (और दाब) एकसमान नहीं होता है। जैसा कि आप आशा करेंगे इसका घनत्व ऊँचाई के साथ घटता है।

परिशुद्ध निर्भरता ‘वातावरण के नियम n2 = n1 exp \(\left[-\frac{m g}{k_{B} T}\left(h_{2}-h_{1}\right)\right]\) से दी जाती है, यहाँ n2, n1 क्रमश: h2, h1 ऊँचाइयों पर संख्यात्मक घनत्व को प्रदर्शित करते हैं।

इस संबंध का उपयोग द्रव स्तंभ में निलंबित किसी कण के अवसादन साम्य के लिए समीकरण n2 = n1 exp \(\left[-\frac{m g N_{A}}{\rho R T}\left(\rho-\rho^{\prime}\right)\left(h_{2}-h_{1}\right)\right]\) को व्युत्पन्न करने के लिए कीजिए, यहाँ निलंबित कण का घनत्व तथा ρ’ चारों तरफ के माध्यम का घनत्व है। NA आवोगाद्रो संख्या, तथा R सार्वत्रिक गैस नियतांक है। संकेत : निलंबित कण के आभासी भार को जानने के लिए आर्किमिडीज के सिद्धांत का उपयोग कीजिए।]
उत्तर:
माना कि कणों तथा अणुओं का आकार गोलाकार है। कणों का भार निम्नवत् है।
w = mg = \(\frac{4}{3}\) πr2 ρg …………… (i)
जहाँ r = कणों की त्रिज्या
तथा ρ = कणों का घनत्व है।
कणों की गति गुरुत्व के अधीन होने पर, ऊपर की ओर उत्क्षेप लगाती है जिसका मान निम्नवत् है –
B = कण का आयतन × प्रतिवेश का घनत्व × g
= \(\frac{4}{3}\) πr3 ρ’g ………………. (ii)
माना कण पर नीचे की ओर लगने वाला बल F है।
अत: F = W – B
= \(\frac{4}{3}\) πr3(ρ – ρ’) g ……………….. (iii)
पुनः n2 = n1 exp \(\left[\frac{-m g}{k_{B} T}\left(h_{2}-h_{1}\right)\right]\) ……………… (iv)
जहाँ kB = बोल्ट्जमैन नियतांक है।
तथा n1 व n2 क्रमश: h1 व h2 ऊँचाई पर संख्या घनत्व है। समीकरण (iii) में mg के स्थान पर बल F रखने पर, समीकरण (ii) व (iv) से,
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जो कि अभीष्ट समीकरण है।
जहाँ \(\frac{4}{3}\) πr3 ρg = कण का द्रव्यमान × g = mg

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प्रश्न 13.14
नीचे कुछ ठोसों व द्रवों के घनत्व दिए गए हैं। उनके परमाणुओं की आमापों का आंकलन (लगभग)कीजिए।
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[संकेत : मान लीजिए कि परमाणु ठोस अथवा द्रव प्रावस्था में दृढ़ता से बंधे हैं तथा आवोगाद्रो संख्या के ज्ञात मान का उपयोग कीजिए। फिर भी आपको विभिन्न परमाण्वीय आकारों के लिए अपने द्वारा प्राप्त वास्तविक संख्याओं का बिल्कुल अक्षरशः प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि दृढ़ संवेष्टन सन्निकटन की रुक्षता के परमाणवीय आकार कुछ Å के परास में हैं।
उत्तर:
(a) कार्बन का परमाणु भार
M = 12.01 × 10-3 kg
N = 6.023 × 1023
∴ एक कार्बन परमाणु का द्रव्यमान
m = \(\frac{M}{N}\) = \(\frac{12.01 \times 10^{-3}}{6.023 \times 10^{23}}\)
या m = 1.99 × 10-26 kg
= 2 × 10-26 kg
कार्बन का घनत्व \(\rho_{\varepsilon}\) = 2.2 × 10+3 kg m-3
∴ प्रत्येक कार्बन परमाणु का आयतन
V = \(\frac{m}{\rho_{\mathrm{C}}}=\frac{2 \times 10^{-26}}{2.2 \times 10^{3}}\)
= 0.9007 × 10-29 m3
माना rC = कार्बन परमाणु की त्रिज्या
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(b) दिया है : स्वर्ण परमाणु का परमाणु भार
M = 1.97 × 10-3 kg
∴ प्रत्येक स्वर्ण परमाणु का द्रव्यमान
= \(\frac{M}{N}\) = \(\frac{197 \times 10^{3}}{6.023 \times 10^{23}}\)
= 3.271 × 10-25 kg
ρg = 19.32 × 103 kg m-3
माना rg = गोल्ड परमाणु की त्रिज्या
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(c) दिया है : नाइट्रोजन परमाणु का परमाणु भार
M = 14.01 × 10-3 kg
∴ प्रत्येक परमाणु का द्रव्यमान
m = \(\frac{M}{N}\) = \(\frac{14.01 \times 10^{-3} \mathrm{kg}}{6.023 \times 10^{23}}\)
= 2.3261 × 10-26 kg
माना rn = इसके प्रत्येक परमाणु की त्रिज्या
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(d) दिया है : MLi = 6.94 × 10-3 kg
ρLi = 0.53 × 103 kg m-3
∴ mLi = mass of Li atom
= \(\frac{M_{\mathrm{Li}}}{\rho_{\mathrm{Li}}}=\frac{6.94 \times 10^{-3}}{6.023 \times 10^{23}}\)
= 1.152 × 10-26 kg
माना rLi = Li परमाणु की त्रिज्या
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(e) दिया है : MF = 1.9 × 10-3 kg
ρF = 1.14 × 103 kg m3
∴ प्रत्येक फलुओरीन परमाणु का द्रव्यमान
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माना प्रत्येक फलुओरीन परमाणु की त्रिज्या rF है। अतः
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Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Physics Solutions Chapter 8 गुरुत्वाकर्षण

Bihar Board Class 11 Physics गुरुत्वाकर्षण Text Book Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 8.1
निम्नलिखित के उत्तर दीजिए:
(a) आप किसी आवेश का वैद्युत बलों से परिरक्षण उस आवेश को किसी खोखले चालक के भीतर रखकर कर सकते हैं। क्या आप किसी पिंड का परिरक्षण, निकट में रखे पदार्थ के गुरुत्वीय प्रभाव से, उसे खोखले गोले में रखकर अथवा किसी अन्य साधनों द्वारा कर सकते हैं?

(b) पृथ्वी के परितः परिक्रमण करने वाले छोटे अन्तरिक्षयान में बैठा कोई अन्तरिक्ष यात्री गुरुत्व बल का संसूचन नहीं कर सकता। यदि पृथ्वी के परितः परिक्रमण करने वाला अन्तरिक्ष स्टेशन आकार में बड़ा है, तब क्या वह गुरुत्व बल के संसूचन की आशा कर सकता है?

(c) यदि आप पृथ्वी पर सूर्य के कारण गुरुत्वीय बल की तुलना पृथ्वी पर चन्द्रमा के कारण गुरुत्व बल से करें, तो आप यह पाएँगे कि सूर्य का खिंचाव चन्द्रमा के खिंचाव की तुलना में अधिक है (इसकी जाँच आप स्वयं आगामी अभ्यासों में दिए गए आँकड़ों की सहायता से कर सकते हैं।) तथापि चन्द्रमा के खिंचाव का ज्वारीय प्रभाव सूर्य के ज्वारीय प्रभाव से अधिक है। क्यों?
उत्तर:
(a) नहीं।
(b) हाँ, यदि अंतरिक्ष यान का आकार उसके लिए इतना अधिक हो कि वह गुरुत्वीय त्वरण (g) के परिवर्तन का संसूचण कर सके।
(c) ज्वारीय प्रभाव दूरी के घन के व्युत्क्रमानुपाती होता है तथा इस अर्थ में यह उन बलों से भिन्न है जो दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होते हैं।

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प्रश्न 8.2
सही विकल्प का चयन कीजिए:
(a) बढ़ती तुंगता के साथ गुरुत्वीय त्वरण बढ़ता/घटता है।
(b) बढ़ती गहराई के साथ (पृथ्वी को एकसमान घनत्व को गोला मानकर) गुरुत्वीय त्वरण बढ़ता/घटता है।
(c) गुरुत्वीय त्वरण पृथ्वी के द्रव्यमान/पिंड के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता।
(d) पृथ्वी के केन्द्र से तथा दूरियों के दो बिन्दुओं के बीच स्थितिज ऊर्जा-अन्तर के लिए सूत्र
-GMm (1/r2 – 1/r1) सूत्र mg(r2 – r1) से अधिक/कम यथार्थ है।
उत्तर:
(a) घटता है।
(b) घटता है।
(c) पिंड के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है।
(d) अधिक।

प्रश्न 8.3
मान लीजिए एक ऐसा ग्रह है जो सूर्य के परितः पृथ्वी की तुलना में दो गुनी चाल से गति करता है, तब पृथ्वी की कक्षा की तुलना में इसका कक्षीय आमाप क्या है?
उत्तर:
माना पृथ्वी व ग्रह का परिक्रमण काल क्रमश: TE व Tp हैं।
∴ Tp = \(\frac{T_{E}}{2}\)
माना कक्षीय आमाप क्रमशः re व rp हैं।
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अर्थात् ग्रह का आमाप पृथ्वी से 0.63 गुना छोटा है।

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प्रश्न 8.4
बृहस्पति के एक उपग्रह, आयो (lo), की कक्षीय अवधि 1.769 दिन तथा कक्षा की त्रिज्या 4.22 × 108 m है। यह दर्शाइए कि बृहस्पति का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 1/1000 गुना है।
उत्तर:
दिया है:
सूर्य का द्रव्यमान = Ms = 2 × 30 kg
बृहस्पति के उपग्रह का आवर्त काल = T = 1.769 दिन
= 1.769 × 24 × 3600s
= 15.2841 × 104 s
बृहस्पति के चारों ओर उपग्रह की त्रिज्या
= r = 4.22 × 8 m
G = 6.67 × 10-11 Nm2kg-2
माना बृहस्पति का द्रव्यमान MJ है।
MJ = \(\frac{1}{1000}\)Ms सिद्ध करने के लिए
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अत: बृहस्पति का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग (1/1000) गुना है।

प्रश्न 8.5
मान लीजिए कि हमारी आकाशगंगा में एक सौर द्रव्यमान के 2.5 × 1011 तारे हैं। मंदाकिनीय केन्द्र से 50,000 105 ly दूरी पर स्थित कोई तारा अपनी एक परिक्रमा पूरी करने में कितना समय लेगा? आकाशगंगा का व्यास 105 ly लीजिए।
उत्तर:
एक सौर द्रव्यमान = 2 × 1030 kg
एक प्रकाश वर्ष = 9.46 × 1015 m
माना M = आकाश गंगा में तारे का द्रव्यमान
= 2.5 × 1011 × 2 × 1030 kg
= 5 × 1041 kg
तारे की कक्षा की त्रिज्या = r = मंदाकिनी के केन्द्र से तारे की दूरी
= 50,000 प्रकाश वर्ष
= 50,000 × 9.46 × 1015 m
G = 6.67 × 10-11 Nm2 kg-2
एक आवृत्ति काल = T
आकाशगंगा का व्यास = 105 प्रकाश वर्ष
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प्रश्न 8.6
सही विकल्प का चयन कीजिए:
(a) यदि स्थितिज ऊर्जा का शुन्य अनन्त पर है, तो कक्षा में परिक्रमा करते किसी उपग्रह की कुल ऊर्जा इसकी गतिज/स्थितिज ऊर्जा का ऋणात्मक है।
(b) कक्षा में परिक्रमा करने वाले किसी उपग्रह को पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव से बाहर निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा समान ऊँचाई (जितनी उपग्रह की है) के किसी स्थिर पिंड को पृथ्वी के प्रभाव से बाहर प्रक्षेपित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा से अधिक/कम होती है।
उत्तर:
(a) गतिज ऊर्जा
(b) कम होती है।

प्रश्न 8.7
क्या किसी पिंड की पृथ्वी से पलायन चाल –

  1. पिंड के द्रव्यमान
  2. प्रक्षेपण बिन्दु की अवस्थिति
  3. प्रक्षेपण की दिशा
  4. पिंड के प्रमोचन की अवस्थिति की ऊँचाई पर निर्भर करती है।

उत्तर:

  1. नहीं
  2. नहीं
  3. नहीं
  4. हाँ।

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प्रश्न 8.8
कोई धूमकेत सूर्य की परिक्रमा अत्यधिक दीर्घवृत्तीय कक्षा में कर रहा है। क्या अपनी कक्षा में धूमकेतु की शुरू से अन्त तक –

  1. रैखिक चाल
  2. कोणीय चाल
  3. कोणीय संवेग
  4. गतिज ऊर्जा
  5. स्थितिज ऊर्जा
  6. कुल ऊर्जा नियत रहती है। सूर्य के अति निकट आने पर धूमकेतु के द्रव्यमान में ह्रास को नगण्य मानिये।

उत्तर:

  1. नहीं
  2. नहीं
  3. हाँ
  4. नहीं
  5. नहीं
  6. हाँ।

प्रश्न 8.9
निम्नलिखित में से कौन से लक्षण अन्तरिक्ष में अन्तरिक्ष यात्री के लिए दुःखदायी हो सकते हैं?
(a) पैरों में सूजन
(b) चेहरे पर सूजन
(c) सिरदर्द
(d) दिक्विन्यास समस्या।
उत्तर:
(b), (c) व (d)।

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प्रश्न 8.10
एक समान द्रव्यमान घनत्व की अर्धगोलीय खोलों द्वारा परिभाषित ढोल के पृष्ठ के केन्द्र पर गुरुत्वीय तीव्रता की दिशा देखिए चित्र]

  1. a
  2. b
  3. c
  4. 0 में किस तीर द्वारा दर्शायी जाएगी?

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उत्तर:
गोलों को पूरा करने पर, केन्द्र C पर नेट तीव्रता शून्य होगी। इसका तात्पर्य है कि केन्द्र C पर दोनों अर्धगोलों के कारण तीव्रताएँ परस्पर विपरीत व बराबर होंगी। अर्थात् दिशा (iii) C द्वारा व्यक्त होगी।

प्रश्न 8.11
उपरोक्त समस्या में किसी यादृच्छिक बिन्दु P पर गुरुत्वीय तीव्रता किस तीर –
(i) d
(ii) e
(iii) f
(iv) g द्वारा व्यक्त की जाएगी?
उत्तर:
(ii) (e) द्वारा व्यक्त होगी।

प्रश्न 8.12
पृथ्वी से किसी रॉकेट को सूर्य की ओर दागा गया है। पृथ्वी के केन्द्र से किस दूरी पर रॉकेट पर गुरुत्वाकर्षण बल शून्य है? सूर्य का द्रव्यमान = 2 × 1030 kg, पृथ्वी का द्रव्यमान = 6 × 1024 kg। अन्य ग्रहों आदि के प्रभावों की उपेक्षा कीजिए ( कक्षीय त्रिज्या = 15 × 1011 m)
उत्तर:
माना पृथ्वी के केन्द्र से दूरी पर सूर्य व पृथ्वी के कारण गुरुत्वाकर्षण बल बिन्दु P पर है। अतः रॉकेट पर गुरुत्वाकर्षण बल शून्य है।
माना सूर्य से पृथ्वी से बीच की दूरी = x = पृथ्वी की त्रिज्या
सूर्य का द्रव्यमान, Ms = 2 × 1030 किग्रा
पृथ्वी का द्रव्यमान Me = 6 × 1024 किग्रा
x = 1.5 × 1011 मीटर
माना रॉकेट का द्रव्यमान m है।
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बिन्दु P पर, सूर्य व रॉकेट के मध्य गुरुत्वाकर्षण बल
= पृथ्वी व रॉकेट के मध्य गुरुत्वाकर्षण बल।
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प्रश्न 8.13
आप सूर्य को कैसे तोलेंगे, अर्थात् उसके द्रव्यमान का आंकलन कैसे करेंगे? सूर्य के परितः पृथ्वी की कक्षा की औसत त्रिज्या 15 × 108 km है।
उत्तर:
हम जानते हैं कि पृथ्वी, सूर्य के चारों ओर 1.5 × 1011 मीटर त्रिज्या की कक्षा में घूमती है। पृथ्वी एक चक्कर 365 दिनों में पूरा करती है।
दिया है:
पृथ्वी की त्रिज्या = R = 1.5 × 1011 मीटर
सूर्य के चारों ओर पृथ्वी और पृथ्वी का आवर्तकाल,
T = 365
दिन = 365 × 24 × 60 × 60 से०,
G = 6.67 × 1011 न्यूटन-मीटर2 प्रति किग्रा2
जहाँ Ms = सूर्य का द्रव्यमान है = ?
हम जानते हैं कि –
जहाँ Ms = सूर्य का द्रव्यमान है।
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∴ सूर्य का द्रव्यमान = 2.0 × 1030 किग्रा।

प्रश्न 8.14
एक शनि वर्ष एक पृथ्वी-वर्ष का 29.5 गुना है। यदि पृथ्वी सूर्य से 15 × 108 km दूरी पर है, तो शनि सूर्य से कितनी दूरी पर है?
उत्तर:
केप्लर के नियम से,
i.e., T2 ∝ R3
∴ शनि के लिए \(T_{s}^{2} \propto R_{s}^{3}\) …………….. (i)
तथा पृथ्वी के लिए \(T_{e}^{2} \propto R_{c}^{3}\) ……………. (ii)
समी० (i) को (ii) से भाग देने पर,
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दिया है:
Ts = 29.5Te या \(\frac{T_{s}}{T_{e}}\) = 29.5
सूर्य से पृथ्वी की दूरी = Rs = 1.5 × 108 km
सूर्य से शनि की दूरी = Rs ……. (iv)
∴ समी० (iii) व (iv) से,
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= 1.43 × 107 किमी

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प्रश्न 8.15
पृथ्वी के पृष्ठ पर किसी वस्तु का भार 63N है। पृथ्वी की त्रिज्या की आधी ऊँचाई पर पृथ्वी के कारण इस वस्तु पर गुरुत्वीय बल कितना है?
उत्तर:
पृथ्वी के पृष्ठ से ऊँचाई = h = \(\frac{R}{2}\)
जहाँ R = पृथ्वी की त्रिज्या है।
हम जानते हैं कि gh = g[1 + \(\frac{h}{R}\))2
दिया है:
h = \(\frac{R}{2}\)
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माना m = वस्तु का द्रव्यमान है
माना पृथ्वी के पृष्ठ व hऊँचाई पर भार क्रमश: W व Wh हैं।
अतः w = mg = 63 N दिया है।
तथा Wh = mgh
= m × \(\frac{4}{9}\)g = \(\frac{4}{9}\) mg
= \(\frac{4}{9}\) × 63 = 28 N
∴ Wh = 28 N

प्रश्न 8.16
यह मानते हुए कि पृथ्वी एकसमान घनत्व का एक गोला है तथा इसके पृष्ठ पर किसी वस्तु का भार 250N है, यह ज्ञात कीजिए कि पृथ्वी के केन्द्र की ओर आधी दूरी पर इस वस्तु का भार क्या होगा?
उत्तर:
माना कि पृथ्वी के पृष्ठ तथा पृथ्वी के पृष्ठ से d दूरी पर गुरुत्व के कारण त्वरण क्रमशः g व gd हैं।
माना कि पृथ्वी के पृष्ठ तथा पृथ्वी के पृष्ठ से d दूरी पर भार क्रमश: W व Wd है।
∴ W = mg = 250 N ……. (i)
तथा Wd = mgd ……………….. (ii)
हम जानते हैं कि gd = g(1 – \(\frac{d}{R}\)) ………………. (iii)
दिया है: d = \(\frac{R}{2}\) जहाँ R = पृथ्वी की त्रिज्या। ………………… (iv)
∴ समी० (iii) व (iv) से,
gd = g(1- \(\frac{R/2}{R}\))
= g (1 – \(\frac{1}{2}\)) = g × \(\frac{1}{2}\)
= \(\frac{g}{2}\) ……………. (v)
∴ wd = mgd = m \(\frac{g}{2}\) (समी० (v) से)
= \(\frac{1}{2}\) mg = \(\frac{1}{2}\) W
= \(\frac{1}{2}\) × 250 = 125 N
∴ पृथ्वी के केन्द्र से आधी दूरी पर वस्तु पर वस्तु का भार
= 125 N

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प्रश्न 8.17
पृथ्वी के पृष्ठ से ऊर्ध्वाधरतः ऊपर की ओर कोई रॉकेट 5 kms-1 की चाल से दागा जाता है। पृथ्वी पर वापस लौटने से पूर्व यह रॉकेट पृथ्वी से कितनी दूरी तक जाएगा? पृथ्वी का द्रव्यमान = 6.0 × 1024 kg पृथ्वी की माध्य त्रिज्या = 6.4 × 106 m तथा G = 6.67 × 10-11 Nm2 kg-2
उत्तर:
माना रॉकेट की प्रारम्भिक चाल है रॉकेट की पृथ्वी से h ऊँचाई पर वेग शून्य है।
माना रॉकेट का द्रव्यमान m है तथा पृथ्वी के पृष्ठ पर इसकी सम्पूर्ण ऊर्जा
K.E. + P.E. = \(\frac{1}{2}\) mv2 – \(\frac{GMm}{R}\) ………………… (i)
जहाँ M = पृथ्वी का द्रव्यमान
R = पृथ्वी की त्रिज्या
G = सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक
उच्चतम बिन्दु पर K.E. = 0 (∵ वेग = 0)
तथा P.E. = –\(\frac{GMm}{R}\) ………….. (ii)
h ऊँचाई पर रॉकेट की सम्पूर्ण ऊर्जा
= K.E. + P.E. = 0 + P.E. = P.E.
= \(\frac{G M_{m}}{R+h}\) ……………….. (iii)
ऊर्जा संरक्षण के नियम से,
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दिया है: v = 5 km s-1 = 5000 ms-1
दिया है: R = 6.4 × 6 m
समी० (iv) में दिया मान रखने पर,
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∴ पृथ्वी के केन्द्र से दूरी
= R + h = 6.4 × 106 + 1.6 × 106
= 8.0 × 106 मीटर।

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प्रश्न 8.18
पृथ्वी के पृष्ठ पर किसी प्रक्षेप्य की पलायन चाल 11.2 kms-1 है। किसी वस्तु को इस चाल की तीन गुनी चाल से प्रक्षेपित किया जाता है। पृथ्वीसे अत्यधिक दूर जाने पर इस वस्तु की चाल क्या होगी? सूर्य तथा अन्य ग्रहों की उपस्थिति की उपेक्षा कीजिए।
उत्तर:
माना वस्तु की प्रारम्भिक व अन्तिम चाल v व v’ है।
माना वस्तु का द्रव्यमान m है।
वस्तु की प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा
= \(\frac{1}{2}\) mv2
वस्तु की स्थितिज ऊर्जा (पृथ्वी की सतह पर)
= \(\frac{-GMm}{R}\)
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जहाँ M व R क्रमशः पृथ्वी के द्रव्यमान व त्रिज्या हैं।
वस्तु की अन्तिम स्थितिज ऊर्जा (अनन्त पर) = 0
वस्तु की अन्तिम गतिज ऊर्जा (अनन्त पर) = \(\frac{1}{2}\) mv2
ऊर्जा संरक्षण के नियम से,
प्रा० गतिज ऊर्जा + प्रा० PE = अन्तिम (KE + PE)
या \(\frac{1}{2}\) mv2 – \(\frac{GMm}{R}\) = \(\frac{1}{2}\) mv2 + 0
या \(\frac{1}{2}\) mv2 = \(\frac{1}{2}\) mv2 – \(\frac{GMm}{R}\) ……………….. (i)
Also Let ve = escape velocity
\(\frac{1}{2} m v_{e}^{2}\) = \(\frac{GMm}{R}\) ………….. (ii)
समी० (i) तथा (ii) से,
\(\frac{1}{2}\) mv2 = \(\frac{1}{2}\) mv2 – \(\frac{1}{2} m v_{e}^{2}\) …………….. (iii)
अब
ve = 11.2 kms-1
v = 3ve ……………… (iv) (दिया है)
समी० (iii) तथा (iv) से,
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= 31.7 kms-1

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प्रश्न 8.19
कोई उपग्रह पृथ्वी के पृष्ठ से 400 km ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। इस उपग्रह को पृथ्वी के गुरुत्वीय प्रभाव से बाहर निकालने में कितनी ऊर्जा खर्च होगी? उपग्रह का द्रव्यमान = 200 kg; पृथ्वी का द्रव्यमान = 6.0 × 1024 kg; पृथ्वी की त्रिज्या = 6.4 × 106 m तथा G = 6.67 × 10-11 Nm2 kg-2
उत्तर:
माना पृथ्वी का द्रव्यमान व त्रिज्या क्रमशः M व R है।
माना पृथ्वी पृष्ठ से L ऊँचाई पर उपग्रह का द्रव्यमान m है।
h ऊँचाई पर कक्ष में वेग = कक्षीय वेग = v
कक्ष में उपग्रह की KE = \(\frac{1}{2}\) mv2
h ऊँचाई पर उपग्रह की स्थितिज ऊर्जा
= \(\frac{-GMm}{R+h}\)
अत: चक्रण करते उपग्रह की सम्पूर्ण ऊर्जा (KE + PE)
= \(\frac{1}{2}\) mv2 – \(\frac{GMm}{R+h}\)
= \(\frac{1}{2}\)m (\(\frac{GM}{R+h}\)) – \(\frac{GMm}{R+h}\)
(∵ h ऊँचाई पर कक्षीय वेग = \(\sqrt{\frac{G M}{R+h}}\))
= – \(\frac{1}{2}\) \(\frac{GMm}{R+h}\)
उपग्रह को पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण से बाहर भेजने के लिए इसकी गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा शून्य होगी तथा इसकी गतिज ऊर्जा भी शून्य होगी।
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर भेजने पर उपग्रह की अन्तिम ऊर्जा = 0
R ऊँचाई पर चक्रण करती वस्तु की ऊर्जा + दी गई ऊर्जा = 0 (ऊर्जा संरक्षण के नियम से)
उपग्रह को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर भेजने के लिए दी गई ऊर्जा
= E = – चक्रण करते उपग्रह की ऊर्जा
= -(\(\frac{1}{2}\) \(\frac{GMm}{R+h}\)) = \(\frac{1}{2}\) \(\frac{GMm}{R+h}\)
दिया है
h = 400 km
= 400 × 103 m, R = 6400 × 103 m,
G = 6.67 × 10-11 Nm2 kg-2
M = 6 × 1024 kg, m = 200 kg
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प्रश्न 8.20
दो तारे, जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान (2 × 1030 kg) के बराबर है, एक दूसरे की ओर सम्मुख टक्कर के लिए आ रहे हैं। जब वे 109 km की दूरी पर हैं तब इनकी चाल उपेक्षणीय है। ये तारे किस चाल से टकराएंगे? प्रत्येक तारे की त्रिज्या 104 km है। यह मानिए कि टकराने के पूर्व तक तारों में कोई विरूपण नहीं होता (G के ज्ञात मान का उपयोग कीजिए)।
उत्तर:
दिया है:
प्रत्येक तारे का द्रव्यमान
M = 2 × 1030 किग्रा
दोनों तारों के मध्य प्रा० दूरी,
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r = 109 किमी = 1012 मीटर
प्रत्येक तारे का आकार = त्रिज्या
= r = 104 किमी = 107 मीटर
माना दोनों तारे एक दूसरे से v से टकराते हैं।
माना दोनों तारे की प्रा० चाल u है।
r दूरी पर रखे एक तारे की दूसरे के सापेक्ष स्थितिज ऊर्जा
PE = \(-\frac{G m_{1} m_{2}}{r}=-\frac{G M m}{r}\)
r दूरी पर KE = 0 [∵ u = 0]
सम्पूर्ण प्रा० ऊर्जा
KE + PE = 0 – \(\frac{G M^{2}}{r}\) = \(\frac{-G M^{2}}{r}\) ……………… (i)
माना दोनों तारों के केन्द्र r’ दूरी पर जब दोनों तारे एकदम टकराने वाले होते हैं = 2R
संघट्ट के बाद दोनों तारों की KE
= \(\frac{1}{2}\) mv2 + \(\frac{1}{2}\) mv2
– Mv2
संघट्ट के समय दोनों तारों की
PE = \(\frac{-GMM}{r’}\) = \(\frac{G M^{2}}{r}\)
ऊर्जा संरक्षण के नियम से
सम्पूर्ण प्रा० ऊर्जा = अन्तिम (ICE + IPE)
या \(\frac{-G M^{2}}{r}\) = Mv2 – \(\frac{G M^{2}}{2R}\)
या Mv2 = \(\frac{G M^{2}}{2R}\) – \(\frac{-G M^{2}}{r}\)
v2 = GM(\(\frac{1}{2R}\) – \(\frac{1}{r}\))

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प्रश्न 8.21
दो भारी गोले जिनमें प्रत्येक का द्रव्यमान 100 kg, त्रिज्या 0.10 m है किसी क्षैतिज मेज पर एक दूसरे से 1.0 m दूरी पर स्थित हैं। दोनों गोलों के केन्द्रों को मिलाने वाली रेखा के मध्य बिन्दु पर गुरुत्वीय बल तथा विभव क्या है? क्या इस बिन्दु पर रखा कोई पिंड संतुलन में होगा? यदि हाँ, तो यह सन्तुलन स्थायी होगा अथवा अस्थायी?
उत्तर:
माना दोनों गोले क्रमश: A व B बिन्दु पर रखे गए हैं। दोनों गोलों के बीच की दूरी = r = AB = 1 मीटर
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AB का मध्य बिन्दु 0 = AB × \(\frac{1}{2}\)
= \(\frac{1}{2}\) × 1m = 0.5 m
AO = OB
= \(\frac{1}{2}\) × 1m = 0.5 m
प्रत्येक गोले का द्रव्यमान = M = 100 kg
माना कि O बिन्दु पर रखी प्रत्येक वस्तु का द्रव्यमान = m
हम जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण बल,
F = \(\frac{G M m}{d^{2}}\)
माना A व b के कारण O पर बल क्रमश: FA व FB हैं। अतः
FA = \(\frac{G \times 100 \times m}{(0.5)^{2}}\) along OA
तथा FB = \(\frac{G \times 100 \times m}{(0.5)^{2}}\) along OB
चूँकि |\(\vec{F}\)A| = |\(\vec{F}\)B|
ये दोनों विपरीत दिशा में लगते हैं।
अतः O पर परिणामी बल = 0
इसका तात्पर्य यह है कि O बिन्दु पर रखी वस्तु पर कोई बल नहीं लगता है। अतः यह वस्तु सन्तुलन में है। लेकिन यह सन्तुलन अस्थिर है चूँकि A व B में सूक्ष्म विस्थापन से भी सन्तुलन बदला जाता है।
पुनः हम जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण विभव,
= – \(\frac{Gm}{d}\)
माना A व B बिन्दुओं पर रखे गोलों पर O के कारण गुरुत्वाकर्षण विभव क्रमश: VA व VB है।
अतः VA = \(\frac{G×100}{(0.5)}\) (∵d = 0.5)
तथा VB = – \(\frac{G×100}{(0.5)}\)
सम्पूर्ण विभव V = VA + VB
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अतः मध्यबिन्दु पर रखी वस्तु अस्थिर सन्तुलन में होती है।

Bihar Board Class 11 Physics गुरुत्वाकर्षण Additional Important Questions and Answers

अतिरिक्त अभ्यास के प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 8.22
जैसा कि आपने इस अध्याय में सीखा है कि कोई तुल्यकाली उपग्रह पृथ्वी के पृष्ठ से लगभग 36,000 km ऊँचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इस उपग्रह के निर्धारित स्थल पर पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण विभव क्या है? (अनन्त पर स्थितिज ऊर्जा शून्य लीजिए।) पृथ्वी का द्रव्यमान = 6.0 × 1024 kg; पृथ्वी की त्रिज्या = 6400 km.
उत्तर:
दिया है:
ME = 6 × 1024 किग्रा
RE = 6400 किमी = 6.4 × 106 मीटर
h = 36 × 106 मीटर
हम जानते हैं कि गुरुत्वीय विभव
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= -9.4 × 106 जूल प्रति किग्रा

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प्रश्न 8.23
सूर्य के द्रव्यमान से 2.5 गुने द्रव्यमान का कोई तारा 12 km आमाप से निपात होकर 1.2 परिक्रमण प्रति सेकण्ड से घूर्णन कर रहा है। (इसी प्रकार के संहत तारे को न्यूट्रॉन तारा कहते हैं कुछ प्रेक्षित तारकीय पिंड, जिन्हें पल्सार कहते हैं, इसी श्रेणी में आते हैं।) इसके विषुवत् वृत्त पर रखा कोई पिंड, गुरुत्व बल के कारण, क्या इसके पृष्ठ से चिपका रहेगा? (सूर्य का द्रव्यमान = 2 × 1030 kg)
उत्तर:
तारे से चिपके तारकीय पिंड के लिए, तीर का गुरुत्वाकर्षण बल अभिकेन्द्र बल के बराबर या अधिक होगा। इस दशा में अभिकेन्द्र बल, गुरुत्वाकर्षण बल से अधिक नहीं होगा तथा पिंड नहीं उड़ेगा।
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अतः तारे से तारकीय पिंड से चिपकने के लिये, गुरुत्व के कारण तारे पर त्वरण ≥ अभिकेन्द्रीय त्वरण
दिया है:
r = 12 km = 12 × 103 m
आवृत्ति v = 1.5 rps
w = 2πv = 2π × 1.5 = 3 × rads-1
अभिकेन्द्रीय त्वरण,
ac = \(\frac{v^{2}}{r}\) = rω2
= 12 × 103 × (3π2) …………… (i)
= 12 × 103 × 9 × 9.87
= 1065.96 × 103 ms-2
= 1.1 × 106 ms-1
पुनः हम जानते हैं कि तारे पर गुरुत्व के कारण त्वरण निम्नवत् है –
g = \(\frac{G M}{r^{2}}\) ……………… (ii)
दिया है:
M = सूर्य के द्रव्यमान का 2.5 गुना
= 2.5 × 2 × 1030 kg (∵ सूर्य का द्रव्यमान = 2 × 1030 kg)
= 5 × 1030
r = 12 km
G = 6.67 × 10-11 Nm2kg-2 …………… (iii)
समी० (ii) व (iii) से,
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समीकरण (i).व (iv) से,
g >> a
अतः पिंड तारे से चिपका रहेगा।

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प्रश्न 8.24
कोई अन्तरिक्षयान मंगल पर ठहरा हुआ है। इस अन्तरिक्षयान पर कितनी ऊर्जा खर्च की जाए कि इसे सौरमण्डल से बाहर धकेला जा सके। अन्तरिक्षयान का द्रव्यमान = 1000 kg; सूर्य का द्रव्यमान = 2 × 1030 kg; मंगल का द्रव्यमान = 6.4 × 1023 kg; मंगल की त्रिज्या = 3395 km; मंगल की कक्षा की त्रिज्या = 2.28 × 108 km तथा G = 6.67 × 10-11 Nm2kg-2
उत्तर:
G = 6.67 × 10-11 Nm2kg-2
माना कि सूर्य के सापेक्ष मंगल का द्रव्यमान व त्रिज्या क्रमश: M व R है।
दिया है:
सूर्य का द्रव्यमान M = 2 × 1030 kg
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व्यक्ति की सूर्य के चारों ओर त्रिज्या,
= R = 2.28 × 108 km
मंगल की त्रिज्या = R’ = 3395 km
मंगल का द्रव्यमान = M’ = 6.4 × 1023 kg
सौरमण्डल का द्रव्यमान m = 1000 किग्रा
सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के कारण अन्तरिक्षयान की स्थितिज ऊर्जा
= \(\frac{-GMm}{R}\) ………………. (i)
मंगल के गुरुत्वाकर्षण के कारण सौरमण्डल की स्थितिज ऊर्जा
= \(\frac{-GM’m}{R’}\) …………….. (ii)
मंगल के पृष्ठ पर अन्तरिक्षयान की सम्पूर्ण स्थितिज ऊर्जा
= \(\frac{-GMm}{R}\) – \(\frac{GM’m}{R’}\) ……………. (iii)
चूँकि अन्तरिक्षयान की KE शून्य है .
∴ अन्तरिक्षयान की सम्पूर्ण ऊर्जा
= KE + PE = 0 + PE
= \(\frac{-GMm}{R}\) + \(\frac{GM’m}{R’}\)
= -Gm \(\frac{M}{R}\) + \(\frac{M’}{R’}\) ………………. (iv)
अन्तरिक्षयान को सौरमण्डल से बाहर करने के लिए, इसकी गतिज ऊर्जा इतनी बढ़ानी चाहिए जिससे इस ऊर्जा का मान, मंगल के पृष्ठ पर ऊर्जा के समान हो जाए।
अभीष्ट ऊर्जा = – (अन्तरिक्षयान की सम्पूर्ण ऊर्जा)
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प्रश्न 8.25
किसी रॉकेट को मंगल के पृष्ठ से 2 kms-1 की चाल से ऊर्ध्वाधर ऊपर दागा जाता है। यदि मंगल के वातावरणीय प्रतिरोध के कारण इसकी 20% आरंभिक ऊर्जा नष्ट हो जाती है, तो मंगल के पृष्ठ पर वापस लौटने से पूर्व यह रॉकेट मंगल से कितनी दूरी तक जाएगा? मंगल का द्रव्यमान = 6.4 × 1023 kg; मंगल की त्रिज्या = 3395 km तथा G = 6.67 × 10-11 Nm 2kg-2
उत्तर:
माना रॉकेट का द्रव्यमान m है।
दिया है:
मंगल का द्रव्यमान, M = 6.4 × 1023 किग्रा
मंगल की त्रिज्या, R = 3395 किमी
गुरुत्वाकर्षण नियतांक
G = 6.67 × 10-11 न्यूटन-मीटर2 प्रति किग्रा2
माना कि रॉकेट मंगल से h ऊँचाई तक पहुँचता है।
माना कि मंगल के पृष्ठ से रॉकेट को प्रारम्भिक चाल v से छोड़ा जाता है।
रॉकेट की प्रारम्भिक गतिज ऊर्जा = \(\frac{1}{2}\) mv2
व रॉकेट की प्रारम्भिक स्थितिज ऊर्जा = \(\frac{-GMm}{R}\)
रॉकेट की सम्पूर्ण प्रा० ऊर्जा = K.E. + P.E.
= \(\frac{1}{2}\) mv2 – \(\frac{GMm}{R}\)
चूँकि h ऊँचाई पर 20% ऊर्जा नष्ट हो जाती है जबकि 80% ऊर्जा संचित रहती है।
संचित ऊर्जा = \(\frac{80}{100}\) × \(\frac{1}{2}\) mv2
सम्पूर्ण उपलब्ध प्रा० ऊर्जा,
= \(\frac{4}{5}\) \(\frac{1}{2}\) mv2 – \(\frac{GMm}{R}\)
= 0.4 mv2 – \(\frac{GMm}{R}\)
h ऊँचाई पर रॉकेट की स्थितिज ऊर्जा = \(\frac{-GMm}{R+h}\)
h ऊँचाई पर K.E. = 0
ऊर्जा संरक्षण के नियम से,
सम्पूर्ण प्रा० ऊर्जा = सम्पूर्ण अन्तिम ऊर्जा
∴ प्रा० (KE + PE) = अन्तिम (KE + PE)
= 0 + P.E. = P.E.
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दिया है:
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= 495 × 103 m
= 495 किमी