Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 12 नए साम्राज्य एवं राज्य

Bihar Board Class 6 Social Science Solutions History Aatit Se Vartman Bhag 1 Chapter 12 नए साम्राज्य एवं राज्य Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 12 नए साम्राज्य एवं राज्य

Bihar Board Class 6 Social Science नए साम्राज्य एवं राज्य Text Book Questions and Answers

अभ्यास

सही उत्तर चुनें / सही पर निशान (✓) लगायें :

प्रश्न 1.
समुद्रगुप्त की प्रशस्ति किसने लिखी ?
(क) रविकीर्ति
(ख) हरिषेण
(ग) कालिदास
(घ) अमरसिंह
उत्तर-
(ख) हरिषेण

प्रश्न 2.
हर्षवर्धन किस वंश का राजा था?
(क) गुप्तवंश
(ख) मौर्यवंश
(ग) पुष्यभूति
(घ) मौखरी वंश
उत्तर-
(ग) पुष्यभूति

Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 12 नए साम्राज्य एवं राज्य

प्रश्न 3.
में हरौली के लौह स्तम्भ से किस राजा के बारे में जानकारी मिलती है?
(क) हर्षवर्धन
(ख) चन्द्रगुप्त द्वितीय
(ग) चन्द्रगुप्त मौर्य
(घ) चन्द्रगुप्त प्रथम
उत्तर-
(ख) चन्द्रगुप्त द्वितीय

प्रश्न 4.
नालन्दा विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को प्रवेश कैसे मिलता था?
(क) राजा के कहने पर
(ख) सवाल पूछकर (जाँच परीक्षा द्वारा)
(ग) पैसा लेकर
(घ) राजा के कर्मचारियों को
उत्तर-
(ख) सवाल पूछकर (जाँच परीक्षा द्वारा)

प्रश्न 5.
एहोल अभिलेख किस राजा की प्रशस्ति है ?
(क) नरसिंह वर्मन
(ख) पुलकेशिन द्वितीय
(ग) हर्षवर्धन
(घ) समुद्रगुप्त
उत्तर-
(ख) पुलकेशिन द्वितीय

आओ याद करें 

प्रश्न 1.
समुद्रगुप्त एवं पुलकेशिन द्वितीय की प्रशस्ति के बारे में तीन-तीन पंक्ति लिखें।
उत्तर-
समुद्रगुप्त गुप्तवंश का सबसे महान शासक था। ये वीणा और अश्वमेघ यज्ञ करते थे। लगभग सम्पूर्ण भारत पर उसका नियंत्रण था। पुलकेशिन द्वितीय चालुक्य वंश का महान राजा था। मालवा और गजरात के राजा के अलावा हर्ष को हराने के बाद परमेश्वर की उपाधि मिली।

Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 12 नए साम्राज्य एवं राज्य

प्रश्न 2.
हर्ष के बारे में हमें किन स्रोतों से जानकारी मिलती है ? हर्ष के बारे में पाँच पंक्ति लिखें।
उत्तर-
हर्ष के बारे में हमें राजकवि वाणभट्ट की कृति हर्ष चरित, मह वन ताम्रपत्र लेखों और हवेनसांग की यात्रा वृतांत से मिलती है। हर्षवर्धन पुष्यभूति वंश का महान शासक था। पिता का नाम प्रभाकरवर्धन था। भाई राजवर्द्धन की हत्या के बाद शशांक से बदला लेने के लिए गद्दी की बागडोर संभाली। बहन राजश्री को सती होने से बचाया। कन्नौज राजधानी बनाया और राज्य का विस्तार पंजाब, बंगाल, मिथिला और बिहार तक किया।

प्रश्न 3.
पुलकेशिन द्वितीय ने हर्ष को क्यों पराजित किया ? इसकी जानकारी हमें कैसे मिलती है ?
उत्तर-
हर्षवर्धन अपने विजय अभियान को जारी रखना चाहता था। वह दक्षिण की ओर के राज्यों को हराना चाहता था। पुलकेशिन द्वितीय को खतरा था। अतः उसने हर्ष को पराजित किया। पुलकेशिन द्वितीय का हर्ष पर विजय की जानकारी उसके दरबारी कवि रविकीर्ति द्वारा रचित एहोल अभिलेख से मिलती है।

आएँ करके देखें 

प्रश्न 4.
समुद्रगुप्त ने जीते हुए राज्यों (राजाओं) के साथ अलग-अलग नीतियों को क्यों अपनाया ? वर्ग में अलग-अलग समूह बनाकर चर्चा करें और प्रत्येक ग्रुप के दो-दो कारणों को ढूँढें।
उत्तर-
छात्र शिक्षक की मदद से स्वयं करें।

Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 12 नए साम्राज्य एवं राज्य

प्रश्न 5.
समुद्रगुप्त के सिक्के को देखकर जैसा कि पुस्तक में दिया हुआ हैं यह जानने की कोशिश करें कि उसके अन्दर कौन-कौन गुण थे।
उत्तर-
समुद्रगुप्त के सिक्के को देखकर पता चला – कला के क्षेत्र पर ध्यान देना, कर्मकाण्डों पर विश्वास करना।

प्रश्न 6.
दक्षिण भारत के राजवंशों के बारे में लिखें। उनका ग्राम प्रशासन कैसे चलता था? क्या आपके गाँव और शहर में भी वैसी व्यवस्था है ?
उत्तर-
दक्षिण भारत में चालुक्य वंश और पल्लव राजवंशों का शासन था। चालुक्य वंश के राजा पुलकेशिन द्वितीय महान राजा था. जिसने राज्य का विस्तार किया और हर्ष को पराजित किया। पल्लव राजवंश के नरसिंह वर्मन एक महान योद्धा था। उसने पुलकेशिन द्वितीय को हराया और राजधानी वातापी पर अधिकार किया। ग्राम प्रशासन को चलाने के लिए संगठन थे. जिसे उर सभा और नगरम् कहते थे। उर सभा के सदस्य होते. सभा समितियों में बँटा होता, सिंचाई, कृषि व्यवस्था, सड़क, मंदिरों की देख-रेख करता।

Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 12 नए साम्राज्य एवं राज्य

प्रश्न 7.
आप अपने पिताजी की मदद से / परिवार के किसी सदस्य की मदद से परिवार या पड़ोस के एक परिवार की पाँच पीढ़ी के सदस्यों के नाम लिखें।
उत्तर-
छात्र शिक्षक की मदद से स्वयं करें।

प्रश्न 8.
राजा के लिए सेना क्यों आवश्यक थी ? सेनाओं के राजा के साथ चलने से कौन-कौन-सा लाभ एवं हानियाँ थीं। वर्ग में समूह बनाकर चर्चा करें।
उत्तर-
सेना राजा के लिए आवश्यक अंग था। इतने बड़े राष्ट्र को चलाने के लिए शांति व्यवस्था, बाहरी हमलों से बचाने, साम्राज्य का विस्तार करने के लिए सेना की आवश्यकता थी। सेना से राज्य की सुरक्षा होती है। राजा का मान और सम्मान बढ़ता हानि -सेना रखने पर धन का व्यय अधिक होता है। राज्य की आमदनी का ज्यादा हिस्सा सेना पर खर्च होता है जिससे दूसरे क्षेत्रों में विकास में कमी आ जाती है।

Bihar Board Class 6 Social Science नए साम्राज्य एवं राज्य Notes

पाठ का सारांश

  • समुद्रगुप्त को गुप्तवंश का सबसे महान् शासक, माना जाता है।
  • चन्द्रगुप्त द्वितीय ने विक्रमादित्य की भी उपाधि धारण की।
  • चन्द्रगुप्त द्वितीय के बाद इसका पुत्र कुमारगुप्त उत्तराधिकारी बना।
  • कुमारगुप्त का उत्तराधिकारी स्कन्दगुप्त बना।
  • गुप्तों ने एक प्रभावशाली शासन तंत्र की स्थापना की।
  • हर्ष के संदर्भ में हमें उसके राजकवि बाणभट्ट की कृति हर्ष चरित, – मधुवन, बांसखेड़ा और संजान, ताम्रपत्र लेख एवं ह्वेनसांग के यात्रावृतांत आदि से जानकारी मिलती है।
  • पुलकेशियन द्वितीय के संदर्भ में जानकारी हमें कई अभिलेखों से मिलती है। इनमें पुलकेशियन का दरबारी कवि रविकीर्ति द्वारा रचित एहोल अभिलेख जिससे हर्ष पर विजय आदि के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करते हैं।
  • दक्षिण भारत के राजनीतिक एवं सांस्कृतिक इतिहास में पल्लवों का महत्वपूर्ण स्थान है। पल्लवों का प्रथम महत्वपूर्ण शासक महेन्द्रवर्मन प्रथम (600-630) हुआ। पल्लवों को द्रविड़ शैली के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। पल्लवकालीन वास्तुकला के उदाहरण राजधानी कांचीपुरम् एवं महाबलीपुरम् में पाये जाते हैं।
  • प्राचीन भारत में शिक्षा के जितने भी केन्द्र थे उनमें नालन्दा का – स्थान सर्वोपरि है।
  • भारत के अन्दर के पड़ोसी राज्यों ने ‘उपहार प्रदान कर एवं राजनिष्ठा का प्रमाण देकर’ समुद्रगुप्त के सामने आत्मसमर्पण किया।
  • बाहरी क्षेत्रों के शासक, जो शायद शकों एवं कुषाणों के वंशज थे। इसमें (सिहल प्रदेश) श्रीलंका के भी शासक थे।
  • समुद्रगुप्त के बाद रामगुप्त को हटाकर इसका योग्य पुत्र चन्द्रगुप्त द्वितीय शासक बना।
  • दक्षिण दिल्ली के मेहरौली स्थित लौहस्तंभ में चन्द्र नामक शासक का उल्लेख है जिसे चन्द्रगुप्त द्वितीय ही समझा जाता है।
  • चन्द्रगुप्त द्वितीय का काल शक्ति और समृद्धि का सूचक था।
  • गुप्त साम्राज्य का भारत के राजनीति एवं सांस्कृतिक इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है।
  • आर्यावर्त क्षेत्र के शासकों को समुद्रगुप्त पराजित करके सीधे-सीधे अपने नियत्रंण में कर लिया। इस क्षेत्र में इसने नौ शासकों को पराजित किया।

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

Bihar Board Class 11 Sociology समाजशास्त्र एवं समाज Additional Important Questions and Answers

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
समाजशास्त्रीय उपागम से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
समाजशास्त्रीय उपागम द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मानव समाज का एक व्यवस्था के रूप में मनुष्य तथा मनुष्यों के बीच, मनुष्यों तथा समूहों के बीच तथा विभिन्न समूहों के बीच अंत:क्रिया के रूप में अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 2.
उन महत्त्वपूर्ण परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए जिन्होंने समाजशास्त्र का एक विषय के रूप में आविर्भाव अपरिहार्य बना दिया।
उत्तर:
समाजशास्त्र की उत्पत्ति यूरोप में 10वीं सदी में हुई। औद्योगिक क्रांति, नगरीकरण तथा पूँजीवादी व्यवस्था से उत्पन्न होने वाले सामाजिक तथा आर्थिक दुष्परिणामों ने एक विषय के रूप में समाजशास्त्र के आविर्भाव को अपरिहार्य बना दिया।

प्रश्न 3.
उन प्रमुख समाजशास्त्रियों के नामों का उल्लेख कीजिए जिन्हें समाजशास्त्र का संस्थापक माना जाता है।
उत्तर:
अगस्त कोंत, एमिल दुर्खाइम, हरबर्ट स्पैंसर, कार्ल मार्क्स तथा बैबर को समाजशास्त्र का संस्थापक माना जाता है। इन समाजशास्त्रियों के द्वारा समाज की विभिन्न समस्याओं तथा पहलुओं का समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से वैज्ञानिक पद्धतियों के आधार पर अध्ययन किया गया।

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

प्रश्न 4.
भारत में सर्वप्रथम समाजशास्त्र का अध्ययन कब और कहाँ प्रारम्भ हुआ?
उत्तर:
भारत में समाजशास्त्र का अध्यापन 1908 में कोलकाता (कलकत्ता) विश्वविद्यालय के राजनीतिक, आर्थिक तथा दर्शन विभाग में प्रारम्भ हुआ।

प्रश्न 5.
भारत में समाजशास्त्र की उत्पत्ति का इतिहास मुंबई (बंबई) विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स से किस प्रकार संबद्ध है?
उत्तर:
पैट्रिक गीड्स को मुंबई (बंबई) विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में समाजशास्त्र का संस्थापक माना जाता है। जी. एस. घुर्ये द्वारा गीड्स के समाजशास्त्रीय प्रतिमानों को आगे जारी रखा गया। 1919 में मुंबई विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र को स्नातकोत्तर स्तर पर राजनीति विज्ञान के साथ जोड़ा गया।

प्रश्न 6.
भारतीय समाज को समझने तथा उसका विश्लेषण करने में प्रसिद्ध सामाजिक क्रांतिकारी श्यामजी कृष्ण वर्मा के योगदान का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा सामाजिक क्रांतिकारी श्यामजी कृष्ण वर्मा ने पैट्रिक गीड्स से भी पहले भारतीय समाज को समझने में अपनी रुचि दिखाई थी। श्यामजी कृष्ण वर्मा ने यूरोप के प्रसिद्ध समाजशास्त्री अगस्त कोंत तथा हरबर्ट स्पैंसर से विचार-विमर्श के पश्चात् ‘इंडियन सोशियोलॉजिस्ट’ नामक शोध पत्रिका का प्रकाशन किया था।

प्रश्न 7.
भारत के किन तीन विश्वविद्यालयों में समाजशास्त्र की प्रथम पीढ़ी तैयार हुई? तत्कालीन प्रसिद्ध समाजशास्त्रीयों के नाम बताइए।
उत्तर:
भारत के तीन विश्वविद्यालय हैं-कोलकाता, मुंबई तथा लखनऊ। इन विश्वविद्यालयों में समाजशास्त्रियों की प्रथम पीढ़ी तैयार हुई। समकालीन प्रसिद्ध समाजशास्त्रियों में राधाकमल मुखर्जी, डी. एन. मजूमदार, एम. एन. श्रीनिवास, के. एम. कपाड़िया, एम. आर. देसाई तथा एस. सी. दुबे आदि के नाम प्रमुख हैं।

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

प्रश्न 8.
समाजशास्त्र की प्रकृति के विषय में एमिल दुर्खाइम के विचारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
समाजशास्त्र की प्रकृति के विषय में एमिल दुर्खाइम के विचार अधिक स्पष्ट तथा तथ्यात्मक हैं। दुर्खाइम के अनुसार समाजशास्त्र के द्वारा सामाजिक प्रघटनाओं का अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 9.
समाज क्या है?
उत्तर:
समाज सामाजिक संबंधों का जाल है। मेकाइवर तथा पेज के अनुसार, “समाज रीतियों, कार्य प्रणालियों, अधिकार एवं पारस्परिक सहयोग, अनेक समूह और उनके विभागों, मानव व्यवहारों के नियंत्रणों तथा स्वतंत्रताओं की व्यवस्था है।”

प्रश्न 10.
मानव समाज तथा पशु समाज में दो अंतर बताइए।
उत्तर:
मानव समाज तथा पशु समाज में दो मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं –

  • मानव समाज मूल प्रवृत्तियों को परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तित करने की क्षमता रखता है, जबकि पशु सामज पूर्णरूपेण मूल प्रवृत्तियों तथा सहज क्रियाओं पर आधारित है।
  • भाषा का स्पष्ट विकास होने के कारण मनुष्य अपनी एक पीढ़ी का ज्ञान दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित कर सकने में सक्षम है जबकि पशु
  • समाज भाषा का विकास न होने के कारण ज्ञान का हस्तांतरण नहीं कर सकता है।

प्रश्न 11.
मेकाइवर तथा पेज के अनुसार समाज के प्रमुख आधार क्या हैं?
उत्तर:
प्रसिद्ध समाजशास्त्री मेकाइवर तथा पेज के अनुसार समाज के प्रमुख आधार इस प्रकार हैं –

  • रीतियाँ
  • कार्यप्रणालियाँ
  • अधिकार
  • आपसी सहयोग
  • समूह तथा विभाग
  • मानव-व्यवहार का नियंत्रण एवं
  • स्वतंत्रता

प्रश्न 12.
जैमिन शैफ्ट का अर्थ बताइए।
उत्तर:
ग्रामीण जीवन में जैमिन शैफ्ट संबंध मिलते हैं। इसमें हम सामूहिक जीवन का वास्तविक तथा स्थायी रूप पाते हैं। सदस्यों के बीच प्राथमिक संबंध पाये जाते हैं। एफ. टॉनीज ने जैमिन शैफ्ट का अर्थ बताते हुए कहा है कि जैमिन शैफ्ट (समुदाय) के समस्त सदस्य आत्मीयता से व्यक्तिगत और अनन्य रूप से साथ रहते हुए जीवन व्यतीत करते हैं।

प्रश्न 13.
गैसिल शैफ्ट का अर्थ बताइए।
उत्तर:
एफ. टॉनीज के अनुसार गैसिल शैफ्ट का अर्थ बताते हुए कहा है कि –

  • गैसिल शैफ्ट समाज में लोगों का जीवन है।
  • गैसिल शैफ्ट एक नयी सामाजिक प्रघटना है तथा यह अल्पकालिक व औपचारिक है। इसमें सदस्यों के बीच द्वितीयक संबंध पाये जाते हैं।

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

प्रश्न 14.
हेरी एम. जॉनसन द्वारा बताई गई समाज की विशेषताएं बताइए।
उत्तर:
हेरी एम. जॉनसन ने समाज की निम्नलिखित विशेषताएँ बतायी हैं –

  • निश्चित भू-क्षेत्र
  • संतति
  • संस्कृति तथा
  • स्वावलंबन

प्रश्न 15.
समाज में संतति का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
समाज में संपति का महत्त्व निम्नलिखित है –

  • मनुष्य अपने जन्म के आधार पर ही एक समूह का सदस्य होता है।
  • अनेक समाजों में मनुष्यों की सदस्यता गोद लेने, दासता, जाति या अप्रवास के जरिए भी मिल जाती है लेकिन समूह में नए सदस्यों के लिए पुनरुत्पादन ही मौलिक स्रोत है।

प्रश्न 16.
समाज को एक प्रक्रिया के रूप में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समाज को एक प्रक्रिया के रूप में निम्नलिखित प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है –

  • समाज में ही व्यक्ति एक-दूसरे से निरंतर अंत:क्रिया करते हैं। समाज को व्यक्तियों पर थोपा नहीं जाता है, अपितु सहभागियों द्वारा इसका अनुमोदन किया जाता है।
  • सामाजिक अंत:क्रिया के माध्यम से समाज की रचना तथा पुनर्रचना होती है। संधिवार्ता स्व अन्य तथा प्रतिबिंबिता इसके प्रमुख शब्द हैं।

प्रश्न 17.
क्या समाज स्वतंत्र रूप से स्थिर रह सकता है?
उत्तर:
समाज निश्चित रूप से स्वतंत्र रूप से स्थिर रह सकता है। इस संबंध में निम्नलिखित तथ्य दिये जा सकते हैं –

  • समाज एक मौलिक संस्था है। यह किसी का उप-समूह नहीं है।
  • समाज एक स्थानीय, अपने आप में निहित तथा एकीकृत समूह है।

प्रश्न 18.
समाज का संगठन किस प्रकार सामाजिक नियंत्रणों पर आधारित है?
उत्तर:
समाज के संगठन को सुचारु रूप से चलाने के लिए व्यक्तियों के व्यवहार पर निम्नलिखित परम्पराएँ, रुढ़ियाँ, जनरीतियाँ, संहिताएँ तथा कानून आदि द्वारा समाज की प्रत्येक सामाजिक संरचना सामाजिक नियंत्रण का कार्य करती है।

प्रश्न 19.
अगस्त कोंत को समाजशास्त्र का जनक क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
फ्रांस के दार्शनिक अगस्त कोंत सन् 1839 में मानव-व्यवहार का अध्ययन करने वाली सामाजिक विज्ञान की शाखा को समाजशास्त्र का नाम दिया था। इसलिए उन्हें समाजशास्त्र का जनक कहा जाता है।

प्रश्न 20.
समाजशास्त्र का शाब्दिक अर्थ बताइए।
उत्तर:
समाजशास्त्र शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के दो शब्दों ‘सोशियस’ तथा ‘लोगोस’ से हुई है। ‘सोशियस’ का अर्थ समाज तथा ‘लोगोस’ का अर्थ है विज्ञान। इस प्रकार समाजशास्त्र का अर्थ है-समाज का विज्ञान।

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

प्रश्न 21.
अपनी या अपने दोस्त अथवा रिश्तेदार को किसी व्यक्तिगत समस्या को चिह्नित कीजिए। इसे सामाजशास्त्रीय समझ द्वारा जानने की कोशिश कीजिए।
उत्तर:
आप कोई भी समस्या लें इस प्रश्न को छात्र या छात्राओं को स्वयं हल करना है। जैसे पढ़ाई में मन न लगना, किसी बात से डर लगना, स्कूल जाने में भव, समय के समायोजन को समग्या आदि। इन सभी पर आप आपने परिवार के लोगों की राय या मशविरा ले सकते हैं, शिक्षक से सलाह भी ले सकते हैं।

प्रश्न 22.
अर्थशास्त्र की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र मूल रूप से समाज में मनुष्य की आर्थिक गतिविधियों का अध्ययन करता है। एफ. आर. फेयरचाइल्ड तथा अन्य के अनुसार, “अर्थशास्त्र में मनुष्य की उन क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है जो आवश्यकताओं की संतुष्टि हेतु मौलिक साधनों की प्राप्ति के लिए की जाती हैं।”

प्रश्न 23.
अर्थशास्त्र तथा समाजशास्त्र एक-दूसरे के पूरक हैं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र तथा समाजशास्त्र मानव समाज का करते हैं। प्रत्येक आर्थिक घटना का सामाजिक पहलू होता है। आर्थिक पहलुओं का व्यापक अध्ययन करने के लिए उनका समाजशास्त्रीय विश्लेषण आवश्यक है।

मेकाइवर के अनुसार, “इकार, आर्थिक घटनाएँ सदैव सामाजिक आवश्यकताओं तथा। क्रियाओं के समस्त स्वरूपों द्वारा निश्चित होती हैं तथा वे (आर्थिक घटनाएँ) सदैव प्रत्येक प्रकार की सामाजिक क्रियाओं को पुनः निर्धारित, सृजित, स्वरूपित तथा परिवर्तित करती हैं।”

प्रश्न 24.
अर्थशास्त्र तथा समाजशास्त्र में मौलिक अंतर बताइए।
उत्तर:

  • समाजशास्त्र सामाजिक संबंधों का अध्ययन करता है, इसलिए यह एक सामान्य विज्ञान है। अर्थशास्त्र आर्थिक संबंधों का अध्ययन करता है अतएव यह एक विशेष विज्ञान है।
  • समाजशास्त्र मनुष्य की समस्त सामाजिक गतिविधियों का अध्ययन करता है। अतः समाजशास्त्र का क्षेत्र व्यापक है।
  • अर्थशास्त्र का अध्ययन-क्षेत्र मनुष्य की आर्थिक गतिविधियों तक ही सीमित है।
  • अतः अर्थशास्त्र का क्षेत्र समाजशास्त्र की अपेक्षा क व्यापक है।

प्रश्न 25.
राजनीति शास्त्र की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
राजनीति शास्त्र के अंतर्गत अनेक राजनीतिक संस्थाओं जैसे राज्य सरकार तथा उसके अंगों, संवैधानिक तथा न्यायिक संस्थाओं एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं तथा संबंधों का अध्ययन किया जाता है।

वेनबर्ग तथा शेबत के अनुसार, “राजनीतिशास्त्र उन पद्धतियों का अध्ययन है जिनमें कि एक समाज अपने को संगठित करता है तथा राज्य का संचालन करता है।”

प्रश्न 26.
समाजशास्त्र तथा मनोविज्ञान में अंतर बताएँ।
उत्तर:
समाजशास्त्र का मनोविज्ञान के साथ घनिष्ठ संबंध है। समाजशास्त्र समाज का अध्ययन करता है तो मनोविज्ञान मानसिक प्रक्रियाओं एवं विचारों का अध्ययन है। मनोविज्ञान की एक प्रमुख शाखा है-सामाजिक मनोविज्ञान इसे मनोविज्ञान समाजशास्त्र भी कहते हैं। सामाजिक मनोविज्ञान में व्यक्ति मनोविज्ञान और समाजशास्त्र दोनों का अध्ययन किया जाता है।

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

प्रश्न 28.
मैक्स वैबर ने समाजशास्त्र को किस रूप में परिभाषित किया है?
उत्तर:
मैक्स वैबर के अनुसार, “समाजशास्त्र वह विज्ञान है जो सामाजिक क्रिया का अर्थपूर्ण बोध कराने का प्रयास करता है।” उनका मत है कि समस्त मानवीय गतिविधियों का संबध क्रिया से होता है। ये क्रियाएँ ही समाजशास्त्र की विषय-वस्तु हैं।

प्रश्न 29.
समाजशास्त्रीय परिपेक्ष्य का अर्थ समझाइए।
उत्तर:
समाजशास्त्र द्वारा सामाजिक संबंधों का नियामक रूप में तथा प्रयोगात्मक स्तरों पर अध्ययन किया जाता है। इसके अलावा समाजशास्त्रीय अध्ययन के अंतर्गत निरंतरता तथा परिवर्तन का विश्लेषण तथा व्याख्या भी की जाती है। वस्तुतः यही समाजशास्त्रीय परिपेक्ष्य है।

प्रश्न 30.
अगस्त कोंत के प्रत्यक्षवादी समाजशास्त्र की दो मूल अवधारणाएँ बताइए।
उत्तर:
अगस्त कोंत के प्रत्यक्षवादी समाजशास्त्र की दो मूल अवधारणाएँ इस प्रकार हैं –

  • सामाजिक स्थितिक (सामाजिक संरचना) तथा
  • सामाजिक गतिशीलता (सामाजिक परिवर्तन)।

प्रश्न 31.
अगस्त कोंत के त्रि-स्तरीय नियम को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
भौतिक शास्त्र के नियमों की तर ही समाज में नियम बनाए जा सकते हैं। इसी धारणा को आधार मानकर कोंत ने त्रि-स्तरीय नियम का प्रतिपादन किया –

  • धर्मशास्त्रीय स्थिति
  • तत्त्व मीमांसा स्थिति तथा
  • प्रत्यक्षात्मक स्थिति

कोंत ने पोजिटिविस्ट फिलॉसोफी द्वारा अपनी उपरोक्त धारणा का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत किया।

प्रश्न 32.
मैक्स वैबर की एक प्रसिद्ध कृति का नाम बताइए। समाजशास्त्र की उनकी। परिभाषा का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मैक्स वैबर की एक प्रसिद्ध कृति ‘थ्योरी ऑफ सोशल ऑरगेनाइजेशन’ है। मैक्स वैबर के समाजशास्त्र की परिभाषा “यह एक विज्ञान है जो सामाजिक क्रियाओं की विवेचनात्मक व्याख्या करने का प्रयत्न करता है, जो अंततः अपने कार्यों के परिणामों में कार्य-कारण सम्बन्धों की व्याख्या प्राप्त करता है।”

प्रश्न 33.
इतिहास की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
इतिहास में अतीत की घटनाओं का क्रमबद्ध तरीके तथा वैज्ञानिक नजरिए से अध्ययन किया जाता है। पार्क के अनुसार, “इतिहास मानव-अनुभवों तथा मानव-प्रकृति का स्थूल विज्ञान है।”

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

प्रश्न 34.
‘समाजशास्त्र तथा इतिहास एक-दूसरे के पूरक हैं।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इतिहास तथा समाजशास्त्र मानव समाज का अध्ययन करते हैं। प्रत्येक ऐतिहासिक घटना का एक सामाजिक पहलू होता है। वर्तमान समय के सामाजिक परिप्रेक्ष्य को समझने के लिए आवश्यक है कि ऐतिहासिक तथ्यों की समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से व्याख्या की जाए। जी. ई. हॉवर्ड ने सही कहा है कि “इतिहास भूतकाल का समाजशास्त्र है तथा समाजाशास्त्र – वर्तमान इतिहास है।”

प्रश्न 35.
इतिहास तथा समाजशास्त्र में मौलिक अंतर बताइए।
उत्तर:
इतिहासकार के लिए मुख्य अध्ययन की वस्तु ऐतिहासिक घटनाएँ हैं जबकि समाजशास्त्र के अध्ययन का केन्द्र बिन्दु वे प्रतिमान होते हैं, जिनमें से घटनाएँ घटती हैं। इतिहास में एक जैसी घटनाओं में पायी जाने वाली विभिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है जबकि समाजशास्त्र में विभिन्न घटनाओं में पायी जाने वाली समानता का अध्ययन किया जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
धर्मशास्त्र, अधिभौतिक तथा प्रत्यक्षवाद अवस्थाओं में विभेद कीजिए।
उत्तर:
समाजशास्त्रीय अगस्त कोंत भौतिक शास्त्र के सिद्धांतों की भाँति समाज के सिद्धांतों का निर्धारण करना चाहते थे। उनका मत था कि सभी समाजों में मानवीय बुद्धि का विकास निम्नलिखित तीन सोपानों से होकर गुजरता है –

  • धर्मशास्त्र का सोपान – धर्मशास्त्र के सोपान के अंतर्गत सभी व्याख्याएँ अति प्राकृतिक होती हैं। इस अवस्था में मानव-मन विभिन्न घटनाओं, पदार्थों तथा वस्तुओं की व्याख्या करने का प्रयत्न करता है।
  • अधिभौतिक सोपान – अधिभौतिक अवस्था के अंतर्गत व्याख्याएँ अति प्राकृतिक न होकर परंपराओं, अंतर्ज्ञान तथा अनुमानों पर आधारित होती हैं लेकिन ये व्याख्याएँ किसी प्रमाण द्वारा समर्थित नहीं होती हैं।
  • प्रत्यक्षवाद का सोपान – प्रत्यक्षता के सोपान के अंतर्गत व्याख्याएँ अवलोकित तथ्यों पर आधारित होती हैं। इस सोपान में तार्किक आधार पर निरीक्षण तथ परीक्षण योग्य सिद्धांतों का विकास किया जाता है।

प्रश्न 2.
समाजशास्त्र में एमिल दुर्खाइम का मुख्य संबंध किस बात से था?
उत्तर:
एमिल दुर्खाइम (1858-1917 ई.) ने समाजशास्त्र के क्षेत्र में एकीकरण को समाजशास्त्र के केन्द्रीय अध्ययन की वस्तु स्वीकार किया है। दुर्खाइम का मुख्य संबंध निम्नलिखित बातों से था –

  • सामाजिक तथ्य
  • आत्महत्या तथा
  • धर्म

1. सामाजिक तथ्य – दुर्खाइम के अनुसार समाजशास्त्र वास्तव में सामाजिक तथ्यों का अध्ययन है। दुर्खाइम का कहना है कि समाजशास्त्र का अध्ययन क्षेत्र कुछ घटनाओं तक सीमित है। इन्हीं घटनाओं को उसने सामाजिक तथ्य कहा है। दुर्खाइम का मत है कि सामाजिक तथ्य कार्य करने, चिंतन तथा अनुभव की ऐसी पद्धति है जिसका अस्तित्व व्यक्ति की चेतना के बाहर होता है। उसने सामाजिक तथ्य की निम्नलिखित दो विशेषताएँ बतायी हैं-बाह्यता तथा बाध्यता।

2. आत्महत्या – दुर्खाइम ने आत्महत्या की व्याख्या सामाजिक एकता, सामूहिक चेतना, सामाजिकता तथा प्रतिमानहीनता के विशिष्ट संदर्भ में की है। दुर्खाइम ने आत्महत्या के निम्नलिखित तीन प्रकार बताए हैं –

  • परमार्थमूलक आत्महत्या
  • अहंवादी आत्महत्या तथा
  • प्रतिमानहीनता मूलक आत्महत्या।

3. धर्म – धर्म की उत्पत्ति के बारे में दुर्खाइम सामूहिक उत्सवों तथा कर्मकाडों को महत्त्वपूर्ण मानते हैं। उन्होंने धर्म को पवित्रता की धारणा से संबद्ध किया है।

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

प्रश्न 3.
“समाजशास्त्र अन्य सामाजिक विज्ञानों की न तो गृह-स्वामिनी है और न ही उनकी दासी है वरन् उनकी बहन मानी जाती है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समाजशास्त्र के सम्बन्ध में प्रश्नान्तर्गत पूछी गई बातों का स्पष्टीकरण इसका प्रकार दी जा सकती है –

  • समाजशास्त्र एक स्वतंत्र सामाजिक विज्ञान है। गिडिंग्स का मत है कि समाजशास्त्र के द्वारा समाज का व्यापक तथा संपूर्ण अध्ययन में किया जाता है।
  • अतः अन्य सामाजिक विज्ञानों से इसका संबंध स्वाभाविक है लेकिन समाजशास्त्र का अपना विशिष्ट दृष्टिकोण है।
    समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण ही समाजशास्त्र को एक विशिष्ट स्थान दिलाता है।
  • इस प्रकार समाजशास्त्र सामाजिक विज्ञानों का योग समन्वय मात्र नहीं है।
  • प्रसिद्ध समाजशास्त्री सोरोकिन समाजशास्त्र को एक विशिष्ट सामाजिक विज्ञान मानते हैं।
  • उनका मत है कि समाजशास्त्र अन्य सामाजिक विज्ञानों की तरह एक स्वतंत्र सामाजिक विज्ञान है।
  • समाजशास्त्र के द्वारा ने केवल समाज के सामान्य सिद्धांतों का अध्ययन किया जाता है वरन् विभिन्न सामाजिक विज्ञानों के मध्य संबंध भी स्थापित किया जाता है।

इस प्रकार, समाजशास्त्र एक स्वतंत्र सामाजिक विज्ञान है। अन्य सामाजिक विज्ञानों से इसके संबंध समानता के आधार पर हैं। इसकी विशिष्ट अध्ययन पद्धतियाँ तथा दृष्टिकोण इसे एक पृथक् सामाजिक विज्ञान बनाते हैं।

प्रश्न 4.
क्या समाज अमूर्त है?
उत्तर:
निम्नलिखित बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है समाज अमूर्त है। प्रसिद्ध समाजशास्त्री यूटर के अनुसार, “समाज एक अमूर्त धारणा है जो एक समूह के सदस्यों के बीच पाए जाने वाले पारस्परिक संबंधों की संपूर्णता का ज्ञान कराती है।”

मेकाइवर तथा पेज ने समाज को सामाजिक संबंधों का जाल कहा है। सामाजिक संबंधों को न तो देखा जा सकता है और न ही स्पर्श किया जा सकता है, उन्हें केवल अनुभव किया जा सकता है। अतः समाज अमूर्त है। यह वस्तु के मुकाबले प्रक्रिया तथा संरचना के मुकाबले गति है।

राइट के अनुसार, “यह (समाज) व्यक्तियों का समूह नहीं है। यह समूह के सदस्यों के बीच स्थापित संबंधों की व्यवस्था है।” राइट ने समाज को सामाजिक संबंधों के समूह के रूप में परिभाषित किया है न कि व्यक्तियों के समूह के रूप में।

समाज के संबंधों का निर्माण तथा विस्तार सामाजिक अंत:क्रियाओं से होता है। चूंकि सामाजिक अंत:क्रियाओं का स्वरूप अमूर्त है। अतः समाज भी अमूर्त है। निष्कर्षतः राइट के शब्दों में कहा जा सकता है कि समाज सार रूप में एक स्थिति, अवस्था अथवा संबंध है, इसलिए आवश्यक रूप से यह अमूर्त है।

प्रश्न 5.
समाजशास्त्र के उद्भव के विषय में संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
एक सामाजिक विज्ञान के रूप में समाजशास्त्र का जन्म यूरोप में 19वीं सदी में हुआ। प्रसिद्ध फ्रांसीसी दार्शनिक अगस्त कोंत ने 1839 ई. में समाजशास्त्र शब्द का प्रयोग किया। हालांकि, कोंत ने शुरू में इस विज्ञान का नाम सामाजिक भौतिकी रखा था। एक पृथक विज्ञान के रूप में समाजशास्त्र का अध्ययन अमेरिका में 1879 में, फ्रांस में 1989 ई. में, ब्रिटेन में 1907 ई. में तथा भारत में 1919 ई. में शुरू हुआ।

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

प्रश्न 6.
समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण की क्या विशेषता है?
उत्तर:
समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण की विशेषताओं का अध्ययन निम्नलिखित बिन्दुओं के अंतर्गत किया जा सकता है –

  1. समाजाशास्त्र के जनक अगस्त कोंत से लेकर वर्तमान समय तक समाजशास्त्रीय समाजशास्त्र की एक स्वीकार्य परिभाषा निर्धारित करने के लिए सतत् प्रयासरत हैं।
  2. समाजशास्त्री समाजशास्त्र के विषय क्षेत्र तथा उसके अध्ययन के लिए विभिन्न वैज्ञानिक पद्धतियों को निर्धारित करने में लगे हुए हैं।
    समाजशास्त्र के द्वारा मानव व्यवहार तथा सामाजिक जीवन का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है।
  3. दुर्खाइम, सोरोकिन तथा हॉबहाउस का मत है कि समाजशास्त्र भी अन्य प्राकृतिक विज्ञानों की भाँति एक सामान्य विज्ञान है।
  4. जहाँ तक समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण का सवाल है, यह कहा जा सकता है कि समाजशास्त्र के द्वारा सामाजिक प्रयोगात्मक स्तरों पर अध्ययन किया जाता है।
  5. दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण के अंतर्गत समाज तथा उससे संबंधित तथ्यों का अध्ययन निरंतरता व वैज्ञानिक पद्धतियों के आधार पर किया जाता है।

प्रश्न 7.
समाजशास्त्र क्या है?
उत्तर:
समाजशास्त्र शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द ‘सोशियस’ तथा यूनानी भाषा के शब्द ‘लोगोस’ से हुई है। ‘सोशियस’ का अर्थ है। सामाजिक ‘लोगोस’ का अर्थ है विज्ञान। इस प्रकार समाजशास्त्र का शाब्दिक अर्थ है सामाजिक विज्ञान। समाजशास्त्र समूह में मानव व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन करता है। विभिन्न विद्वानों का समाजशास्त्र के संबंध में निम्न मत है वार्ड के अनुसार-“समाजशास्त्र समाज का विज्ञान है।” ए. एम. रोज के अनुसार – “समाजशास्त्र सामाजिक संबंधों के विषय में तथा संबंधों के जाल को हम समाज कहते हैं।” “समाजशास्त्र सामूहिक व्यवहारों का विज्ञान है।” पार्क तथा बर्गेस “समाजशास्त्र सामाजिक प्रघटनाओं का अध्ययन करता है।”

एमिल दुर्खाइम अर्थात् सामाजिक संबंधों का नियामक के रूप में तथा प्रयोगात्मक स्तरों पर क्रमबद्ध ज्ञान को समाजशास्त्र कहा जाता है, जो समाज का विज्ञान है और इसमें समाज के सामूहिक व्यवहारों का सामाजिक घटनाओं का वैज्ञानिक कारणों सहित क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 8.
समाज के उद्विकास पर स्पेंसर का क्या दृष्टिकोण है?
उत्तर:
समाज के उद्विकास पर हरबर्ट स्पेंसर (1820-1903 ई.) के विचारों का निम्नलिखित बिन्दुओं के अंतर्गत अध्ययन किया जा सकता है –

  • अगस्त कोंट की भाँति स्पेंसर भी समाज की व्याख्या उद्विकासीय पद्धति के आधार पर करते हैं।
  • स्पेंसर के दृष्टिकोण में समाज अनेक व्यक्तियों का सामूहिक नाम है।
  • स्पेंसर समाज के पृथक-पृथक अंगों की तुलना सजीव शरीर के अलग-अलग अंगों से करते हैं। उनकी मान्यता है कि जिस प्रकार प्राणी का उद्विकास हुआ, उसी प्रकार समाज भी उद्विकास का परिणाम है।

स्पेंसर सामाजिक उद्विकास की प्रक्रिया के निम्नलिखित सोपान बताते हैं –

  • समाज सदैव सरल स्थिति से स्थिति की तरफ आगे बढ़ता है।
  • सामाजिक उद्विकास के साथ-साथ सामाजिक सजातीयता के बजाए सामाजिक विजातीयता की स्थिति बन जाती है।
  • समाज में उद्विकास की प्रक्रिया कम विभिन्नीकृत से अधिक विभिन्नीकृत स्थिति की तरफ तथा निम्न स्तर से उच्च स्तर की तरफ बढ़ती रहती है।

प्रश्न 9.
समाजशास्त्र के उद्गत और विकास का अध्ययन क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
समाजशास्त्र का उद्गम यूरोप में हुआ। समाजशास्त्र के अधिकांश मुद्दे एवं सरोकार भी उस समय की बात करते हैं जब यूरोपियन समाज 18वीं और 19वीं सदी के औद्योगिक और पूँजीवाद के आने के कारण गंभीर रूप से परिवर्तन की चपेट में था। जैसे नगरीकरण या कारखानों के उत्पादन, सभी आधुनिक समाजों के लिए प्रासांगिक थे, यद्यपि उनकी कुछ विशेषताएँ हटकर हो सकती थीं, जबकि भारतीय समाज अपने औपनिवेशिक अतीत और अविश्वसनीय विविधता के कारण भिन्न है। भारत का समाजशास्त्र इसे दर्शाता है।

यूरोप में समाजशास्त्र के आरम्भ और विकास को पढ़ना क्यों आवश्यक है? वहाँ से शुरूआत करना क्यों प्रासंगिक है? क्योंकि भारतीय होने के नाते हमारे अतीत अंग्रेजी पूँजीवाद और उपनिवेशवाद के इतिहास से गहरा जुड़ा है। पश्चिम में पूँजीवाद विश्वव्यापी विस्तार पर गया था। उपनिवेशवाद आधुनिक पूँजीवाद एवं औद्योगिकरण का आवश्यक हिस्सा था। इसलिए पश्चिमी समाजशास्त्रियों का पूँजीवाद एवं आधुनिक समाज के अन्य पक्षों पर लिखित दस्तावेज भारत में हो रहे सामाजिक परिवर्तनों को समझने के लिए सर्वथा प्रासंगिक है। इस प्रकार उपर्युक्त कारकों से समाजशास्त्र के उद्गम और विकास का अध्ययन आवश्यक है।

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

प्रश्न 10.
‘सभी सामाजिक विज्ञानों के विषय-वस्तु समान है, फिर भी विभिन्न सामाजिक विज्ञान पृथक-पृथक हैं।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सभी सामाजिक विज्ञान जैसे राजनीतिक विज्ञान, अर्थशास्त्र, इतिहास, मानवशास्त्र, मनोविज्ञान, नीतिशास्त्र आदि समाज में मनुष्यों के व्यवहार का अध्ययन करते हैं। सामाजिक विज्ञानों की विषय-वस्तु समान होते हुए भी उनके दृष्टिकोण में अंतर पाया जाता है। जिस प्रकार एक वृक्ष की विभिन्न शाखाएँ अलग-अलग दिशाओं की ओर संकेत करती हैं ठीक उसी प्रकार ज्ञान रूपी वृक्ष की विभिन्न शाखाएँ मानव व्यवहार का विभिन्न गतिविधियों का अध्ययन करती हैं।

सामाजिक विज्ञानों को एक-दूसरे से पृथक् करके उनका एकीकृत अध्ययन नहीं किया जा सकता है। उदाहरण के लिए चिकित्सा के लिए अलग-अलग विशेषज्ञ हैं। ठीक उसी प्रकार समाज का अध्ययन करने के लिए अलग-अलग सामाजिक विज्ञान हैं। इस प्रकार, सभी सामाजिक विज्ञानों की विषय-वस्तु समान होते हुए भी दृष्टिकोणों में विभिन्नता पायी जाती है लेकिन विभिन्न विषयों के बीच पायी जाने वाली विभिन्नताएँ ज्ञान रूपी नदी हैं जिनके उद्गम का स्रोत एक ही है।

जार्ज सिम्पसन ने अपनी पुस्तक ‘Man in Society’ में लिखा है कि “सामाजिक विज्ञानों के बीच एक अटूट एकता है, यह एकता काल्पनिक एकता नहीं है, यह विभिन्न भागों की गतिशील एकता है तथा एक भाग दूसरे प्रत्येक भाग के लिए तथा अन्य भागों के लिए आवश्यक है।’

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
समाजशास्त्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
समाजशास्त्र का शाब्दिक अर्थ – समाजशास्त्र शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द ‘सोशियस’ तथा यूनानी भाषा के शब्द ‘लोगोस’ से हुई है। सोशियस का अर्थ है सामाजिक तथा लोगोस का अर्थ है विज्ञान। इस प्रकार समाजशास्त्र का शाब्दिक अर्थ है सामाजिक विज्ञान।

समाजशास्त्र की परिभाषा – समाजशास्त्र समूह में मानव व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन करता है। समाजशास्त्रियों द्वारा समाजशास्त्र की परिभाषा निम्नलिखित रूपों में दी गई है –
1. समाजशास्त्र समाज एक विज्ञान के रूप में – वार्ड के अनुसार, “समाजशास्त्र समाज का विज्ञान है।” ओडम के अनुसार, “समाजशास्त्र वह विज्ञान है जो समाज का अध्ययन करता है।” गिडिंग्स के अनुसार, “समाजशास्त्र समाज का वैज्ञानिक अध्ययन है।”

2. समाजशास्त्रीय सामाजिक संबंधों के अध्ययन के रूप में – ए. एम. रोज के अनुसार, “समाजशास्त्र सामाजिक संबंधों के विषय में तथा संबंधों के जाल को हम समाज कहते हैं।”

3. समाजशास्त्र सामाजिक जीवन के अध्ययन के रूप में – आग्बर्न तथा निमकॉफ के अनुसार, “समाजशास्त्र सामाजिक जीवन का वैज्ञानिक अध्ययन है।” बेनट तथा ट्यमिन के अनुसार, “समाजशास्त्र सामाजिक जीवन की संरचना तथा कार्यों का विज्ञान है।”

4. समाजशास्त्र समूह में मानव – व्यवहार के अध्ययन के रूप में-पार्क तथा बर्गेस के अनुसार, “समाजशास्त्र सामूहिक व्यवहारों का विज्ञान है।” किंबाल यंग के अनुसार, “समाजशास्त्र समूह में मनुष्यों के व्यवहार का अध्ययन करता है।”

5. समाजशास्त्र सामाजिक प्रघटनाओं के अध्ययन के रूप में – एमिल दुर्खाइम के अनुसार समाजशास्त्र सामाजिक प्रघटनाओं का अध्ययन करता है।

6. समाजशास्त्र सामाजिक क्रियाओं के अध्ययन के रूप में – मैक्स वैबर के अनुसार समस्त मानवीय गतिविधियों का सामाजिक संबंध क्रिया से होता है।

प्रश्न 2.
चर्चा कीजिए कि आजकल अलग-अलग विषयों में परस्पर लेन-देन कितना ज्यादा है?
उत्तर:
समाजशास्त्रीय अध्ययन का विषय क्षेत्र अत्यधिक व्यापक है। यह एक दुकानदार और उपभोक्ता के बीच, एक अध्यापक और विद्यार्थी के बीच, दो मित्रों के बीच अथवा परिवार के सदस्यों के बीच की अंतः क्रिया के विश्लेषण को अपना केन्द्रबिन्दु बना सकता है। इसी प्रकार यह राष्ट्रीय मुद्दों जैसे बेरोजगारी अथवा जातीय संघर्ष या सरकारी नीतियों या आदिवासी जनसंख्या के जंगल पर अधिकार या ग्रामीण कों को अपना केन्द्र बिन्दु बना सकता है अथवा वैश्विक सामाजिक प्रक्रिया, जैसे-नए लचीले श्रम कानूनों का श्रमिक वर्ग पर प्रभाव अथवा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का नौजवानों पर प्रभाव अथवा विदेशी विश्वविद्यालयों के आगमन का देश की शिक्षा-प्रणाली पर प्रभाव की जाँच कर सकता है।

इस प्रकार समाजशास्त्र का विषय परिभाषित नहीं होता कि वह क्या अध्ययन (परिवार या व्यापार संघ अथवा गाँव) करता है बल्कि इससे परिभाषित होता है वह एक चयनित क्षेत्र का अध्ययन कैसे करता है। समाजशास्त्र के ये विवेचित विषय अन्य विषयों के भी अंग हैं। इसलिए अन्य विषय आपस में एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और विषय-सामग्री का इनमें परस्पर लेन-देन अनिवार्य है।

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

प्रश्न 3.
समाजशास्त्र के जनक के रूप में अगस्त कोंत जाने जाते हैं, कैसे?
उत्तर:
समाजशास्त्र शब्द से संसार को सर्वप्रथम परिचित कराने का श्रेय फ्रांसीसी दार्शनिक तथा समाजशास्त्री अगस्त कोंत को है। सर्वप्रथम अगस्त कोंत ही सामाजिक विचारक थे। जिन्होंने सामाजिक घटनाओं के अध्ययन क्षेत्र की कल्पना या आध्यात्मिक विचारों को दृढ़ता से निकालकर उसे वैज्ञानिक तथ्यों से सींचा। वे 1789 ई. के फ्रांसीसी क्रांति के फलस्वरूप उत्पन्न फ्रांस की राजनीतिक उथल-पुथल सधे प्रभावित थे।

उनकी प्रारंभिक रचनाओं में पुर्नजागरण और परम्पराओं के अवैज्ञानिक विचारों पर प्रत्यक्ष प्रहार किया गया। उन्होंने अवलोकन और प्रयोग पर आधारित समाज के अध्ययन हेतु तार्किक उपागम का विकास किया। कोंत एक ऐसे विज्ञान का सृजन करना चाहते थे जो कि सामाजिक घटनाओं का अध्ययन वैज्ञानिक ढंग से कर सके।

प्रश्न 4.
‘समाज’ शब्द के विभिन्न पक्षों की चर्चा कीजिए। यह आपके सामान्य बौद्धिक ज्ञान की समझ से किस प्रकार अलग है?
उत्तर:
प्रसिद्ध समाजशास्त्री मेकाइवर तथा पेज ने समाज के प्रमुख आधारों को स्पष्ट करते हुए लिखा है कि “समाज रीतियों, कार्य-प्रणालियों, अधिकार-सत्ता एवं पारस्परिक संयोग, अनेक समूह तथा उनके विभागों, मानव-व्यवहार के नियंत्रणों तथा स्वतंत्रताओं की व्यवस्था है।”

उपरोक्त परिभाषा के समाज के प्रमुख आधार निम्नलिखित हैं –
1. रीतियाँ – रीतियों के अंतर्गत समाज के उन स्वीकृत तरीकों को सम्मिलित किया जाता है, जिन्हें समाज व्यवहार के क्षेत्र में उचित मानता है। रीतियाँ अथवा चलन समाज में मनुष्य की एक निश्चित तथा समाज स्वीकृत व्यवहार करने के लिए बाध्य करते हैं। इस प्रकार रीतियाँ सामाजिक संबंधों को निश्चित स्वरूप प्रदान करने में सहयोग देती हैं।

2. कार्य – प्रणालियाँ – कार्य-प्रणालियों का तात्पर्य सामाजिक संस्थाओं से है। संस्थाएँ वास्तव में प्रस्थापित कार्यविधियाँ होती हैं। समाज के सदस्यों से यह अपेक्षित है कि वे प्रचलित कार्य-प्रणालियों के माध्यम से अपने कार्यों को पूरा करें। कार्य-प्रणालियाँ समाज को एक निश्चित स्वरूप प्रदान करने में सहायक होती हैं।

3. अधिकार – सत्ता-अधिकार-सत्ता भी सामाजिक संबंधों को सुचारू रूप से चलाने तथा नियंत्रित करने में महत्त्वपूर्ण हैं। प्रसिद्ध समाजशास्त्री जॉर्ज सिमल ने अधिकार-सत्ता पर विशेष जोर दिया है। अधिकार सत्ता तथा अधीनता दो परस्पर संबंधित सामाजिक संबंध हैं। किसी स्थिति में व्यक्ति अधिकार-सत्ता तथा किसी अन्य स्थिति में अधीनता रखता है। अधिकार-सत्ता व्यवहार के प्रतिमानों को परिभाषित तथा परिचालित करती है।

4. पारस्परिक सहयोग – पारस्परिक सहयोग समाज के अस्तित्व को स्थायित्व तथा निरंतरता प्रदान करता है। क्रोप्टकिन ने पारस्परिक सहयोग को अत्यधिक महत्त्व प्रदान किया है। बोगार्डस के अनुसार, “पारस्परिक सहयोग, सहयोग का एक विशिष्ट नाम है।” समाज की प्रगति, श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण की प्रक्रियाएँ पारस्परिक सहयोग पर निर्भर हैं। राइट के अनुसार, “यह (समाज) व्यक्तियों का एक समूह नहीं है। यह समूह के सदस्यों के बीच स्थापित संबंधों की व्यवस्था है।”

पारस्परिक सहयोग की अनुपस्थिति में सामाजिक अंतः क्रियाओं की कल्पना नहीं की जाप सकती है।

5. समूह तथा विभाग – समाज विभिन्न समूहों, विभागों तथा उप-विभागों का समीकरण है। मनुष्य इन समूहों तथा विभागों में रहकर ही सामाजिक व्यवहार करता है। समाज एक व्यापक तथा विस्तृत अवधारणा है तथा इसके अंतर्गत राष्ट्र, नगर, गाँव, विभिन्न समुदाय, समितियाँ तथा संस्थाएँ आदि सभी सम्मिलित होते हैं। समूह तथा विभागों के माध्यम से मानव-व्यवहार को एक निश्चित आधार तथा दिशा मिलती है।

6. मानव – व्यवहार का नियंत्रण-सामाजिक व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए मानव-व्यवहार पर नियंत्रण आवश्यक है। मानव व्यवहार को आपैचारिक तथा अनौपचारिक नियंत्रणें द्वारा नियंत्रित किया जाता है। औपचारिक नियंत्रण के अंतर्गत राज्य द्वारा निर्मित कानून तथा पुलिस व्यवस्था आदि आते हैं। अनौपचारिक नियंत्रण के अंतर्गत परंपराएँ, रूढ़ियाँ जनरीतियाँ तथा रिवाज आदि आते हैं।

7. मानव – व्यवहार की स्वतंत्रताएँ – मानव-व्यवहार में नियंत्रणों के साथ-साथ स्वतंत्रताएँ भी आवश्यक हैं। मनुष्यों को समाज द्वारा प्रतिस्थापित नियमों की संरचना के अंतर्गत व्यवहार करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। स्वतंत्रताओं के माध्यम से सामाजिक प्रतिमानों का विकास होता है जो सामाजिक परिवर्तन तथा प्रगति के लिए जरूरी हैं। उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि मेकाइवर तथा पेज द्वारा दिए गए समाज के विभिन्न आधार सामाजिक संबंधों के जाल को एक निश्चित स्वरूप प्रदान करने में सहायक हैं।

समाजशास्त्र और सामान्य बौद्धिक ज्ञान-समाजशास्त्रीय ज्ञान ईश्वरमीमांसीय और दार्शनिक अवलोकनों से अलग है। इसी प्रकार समाजशास्त्र सामान्य बौद्धिक अवलोकनों से भी अलग है। सामान्य बौद्धिक वर्णन सामान्यतः उन पर आधारित होते हैं जिन्हें हम प्रकृतिवादी और व्यक्तिवादी वणन कह सकते हैं। व्यवहार का एक प्रकृतिवादी वर्णन इस मान्यता पर निर्भर करता है कि एक व्यक्ति व्यवहार के प्राकृतिक कारणों की पहचान कर सकता है।

अतः समाजशास्त्र सामान्य बौद्धिक अवलोकनों एवं विचारों तथा साथ ही साथ दार्शनिक विचारों दोनों से ही अलग है। यह हमेशा या सामान्यत: भी चमत्कारिक परिणाम नहीं देता लेकिन अर्थपूर्ण और असंदिग्ध संपर्कों की छानबीन द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। समाजशास्त्री ज्ञान में बहुत अधिक प्रगति हुई है। ज्यादा प्रगति तो सामान्य रूप से हुई परंतु कभी-कभी नाटकीय उद्भवों से भी प्रगति हुई है।

समाजशास्त्र में अवधारणाओं, पद्धतियों और आँकड़ों का एक पुरा तंत्र है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि यह किस तरह संयोजित है। यह सामान्य बौद्धिक ज्ञान से प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता। सामान्य बौद्धिक ज्ञान अपरावर्तनीय है क्योंकि यह अपने उद्गम के बारे में कोई प्रश्न नहीं पूछता है। या दूसरे शब्दों में यह अपने आप से यह नहीं पूछता–“मैं यह विचार क्यों रखता हूँ?” एक समाजशास्त्री को अपने स्वयं के बारे में तथा अपने किसी भी विश्वास के बारे में प्रश्न पूछने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए चाहे वह विश्वास कितना भी प्रिय क्यों न हों-“क्या वास्तव में ऐसा है?”

समाजशास्त्र के दोनों ही उपागम, व्यवस्थित एवं प्रश्नकारी, वैज्ञानिक खोज की एक विस्तृत परंपरा से निकलते हैं। वैज्ञानिक विधियों के इस महत्व को तभी समझा जा सकता है, जब हम अतीत की तरफ लौटे और उस समय की सामाजिक परिस्थिति को समझें जिसमें समाजशास्त्री दृष्टिकोण का उद्भव हुआ था क्योंकि आधुनिक विज्ञान में हुए विकासों का समाजशास्त्र पर गहरा पड़ा था।

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

प्रश्न 5.
समाजशास्त्र तथा राजनीति शास्त्र में संबंध की व्याख्या कीजिए। अथवा, समाजशास्त्र तथा राजनीति शास्त्र में समानताएँ तथा विभिन्नताएँ बताइए।
उत्तर:
समाजशास्त्र तथा राजीतिशास्त्र एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से संबंधित हैं । यही कारण है कि मोरिस गिंसबर्ग ने कहा है कि “ऐतिहासिक दृष्टि से समाजशास्त्र की मुख्य जड़ें राजनीति एवं इतिहास दर्शन में हैं।” समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण के अभाव में राजनीतिशास्त्र का अध्ययन अधूरा ही रहेगा । बार्स के अनुसार, “समाजशास्त्र तथा आधुनिक राजनीतिशास्त्र के विषय में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि पिछले 30 वर्षों में राजनीतिक सिद्धांत में जो परिवर्तन हुए हैं, वे सभी समाजशास्त्र द्वारा अंकित तथा सुझाए गए विकास के अनुसार ही हुए हैं।

समाजशास्त्र तथा राजनीतिशास्त्र में समानता –
1. समाजशास्त्र तथा राजनीतिशास्त्र दोनों ही समाज में मनुष्य के व्यवहार तथा गतिविधियों का अध्ययन करते हैं। प्रसिद्ध विद्वान अरस्तू के अनुसार, “मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।”

2. सामाजिक जीवन तथा राजनीतिक जीवन एक-दूसरे से अत्यधिक जुड़े हुए हैं। जी. ई. जी. कॉलिन के अनुसार, “राजनीतिशास्त्र तथा समाजशास्त्र एक ही आकृति के दो रूप हैं।’ इसी तथ्य को स्पष्ट करते हुए एफ. जी. विल्सन ने कहा है कि “यह अवश्य स्वीकार कर लेना चाहिए कि आम तौर पर यह फैसला करना कठिन हो जाता है कि विशिष्ट लेखक को समाजशास्त्री, राजनीतिशास्त्री या दर्शनशास्त्री क्या मान जाए?”

3. समाजशास्त्री संस्थाएँ राजनीतिक संस्थाओं को प्रभावित करती हैं। राजनीतिक संस्थाओं के स्वरूप तथा प्रकृति समाज के स्वरूप तथा प्रकृति से निर्धारित होते हैं । गिडिंग्स के अनुसार, “जिस व्यक्ति को पहले समाजशास्त्र के मूल सिद्धांतों का ज्ञान न हो, उसे राज्य के सिद्धांत की शिक्षा देना वैसा ही है, जैसे न्यूटन के गति सिद्धांत को न जानने वाले को खगोलशास्त्र या ऊष्मा विज्ञान की शिक्षा देना।”

4. मनुष्य के सामाजिक तथा राजनीतिक जीवन में अत्यधिक पारस्परिकता तथा अंत:निर्भरता पायी जाती है। दोनों ही एक-दूसरे पर प्रभाव डालते हैं। प्रसिद्ध विद्वान गिंसबर्ग के अनुसार, “यह कहा जा सकता है कि समाजशास्त्र की उत्पत्ति राज्य के अतिरिक्त अन्य संस्थाओं के अध्ययन हेतु राजनीतिक अन्वेषण के क्षेत्र में विकास के परिणामस्वरूप हुई । उदाहरण के लिए परिवार या सम्पत्ति के स्वरूप और संस्कृति और सभ्यता के अन्य तत्त्व जैसे आचार, धर्म और कला, ये सामाजिक उपज माने जाते हैं तथा एक-दूसरे के संदर्भ में इनका अवलोकन किया जाता है।

समाजशास्त्र तथा राजनीति शास्त्र में विभिन्नताएँ अथवा अंतर –
1. समाजशास्त्र का क्षेत्र तथा दृष्टिकोण राजनीतिशास्त्र की अपेक्षा अधिक व्यापक तथा विस्तृत है। समाजशास्त्र में सभी सामाजिक संस्थाओं का अध्ययन किया जाता है जबकि राजनीति शास्त्र में राज्य तथा सरकार के संगठन का ही अध्ययन किया जाता है। गार्नर के अनुसार, “राजनीतिशास्त्र मानव समुदाय के केवल एक रूप-राज्य से संबंधित, समाजशास्त्र मानव समुदाय के सभी रूपों से संबंधित है।”

2. समाजशास्त्र के द्वारा जीवन के समान्य पक्षों का अध्ययन किया जाता है जबकि राजनीतिशास्त्र जीवन के एक विशिष्ट पक्ष का अध्ययन करता है। गिलक्राइस्ट के अनुसार, “समाजशास्त्र मनुष्य का सामाजिक प्राणी के रूप में अध्ययन करता है। चूंकि राजनीति संगठन सामाजिक संगठन का एक विशिष्ट स्वरूप होता है, अतः राजनीति शास्त्र समाजशास्त्र की अपेक्षा अधिक विशिष्ट शास्त्र है।”

3. समाजशास्त्र का दृष्टिकोण समग्र है तथा यह चेतन व अचेतन दोनों ही अवस्थाओं का अध्ययन करता है जबकि राजनीतिशास्त्र का दृष्टिकोण एकपक्षीय है तथा यह केवल चेतन अवस्था का ही अध्ययन करता है।

4. समाजशास्त्रीय अध्ययन तथा ज्ञान जीवन के समस्त क्षेत्रों के लिए लाभदायक हैं जबकि राजनीति शास्त्र का ज्ञान केवल राजनीति के लिए लाभदायक है।

5. समाजशास्त्र के अंतर्गत सामाजिक संगठन तथा विघटन की उत्तरदायी प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है जबकि राजनीतिशास्त्र शास्त्र में मुख्य रूप से राज्य तथा सरकार का अध्ययन किया जाता है जो मूल रूप से संगठित संस्थाएँ हैं।

अंत में गिलक्राइस्ट के शब्दां में हम कह सकते हैं कि “दोनों विज्ञानों की वास्तविक सीमाएँ अनमनीय रूप से परिभाषित नहीं की जा सकतीं। वे कभी-कभी एक-दूसरे की सीमाओं का अतिक्रमण करती हैं लेकिन दोनों के बीच एक स्पष्ट सामान्य भेद है।”

प्रश्न 6.
समाजशास्त्र तथा इतिहास में समानताएँ तथा विभिन्नताएँ बताइए। अथवा, समाजशास्त्र तथा इतिहास के बीच संबंध बताइए।
उत्तर:
समाजशास्त्र तथा इतिहास दोनों ही मानव समाज का अध्ययन करते हैं । इतिहास द्वारा प्रदान किए गए तथ्यों की व्याख्या तथा उनमें समन्वय समाजशास्त्र के द्वारा किया जाता है।

समाजशास्त्र तथा इतिहास में समानताएँ –

  • दोनों ही विषय मानव समाज का अध्ययन करते हैं।
  • समाजशास्त्रीय विश्लेषण ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर किया जाता है।
  • समाजशास्त्र तथा इतिहास दोनों ही मानवीय गतिविधियों तथा घटनाओं का अध्ययन करते हैं।
  • सामाजिक प्रक्रियाओं को समझने के लिए ऐतिहिासिक घटनाओं का अध्ययन आवश्यक है।
  • इतिहास तथा समाजशास्त्र की पारस्परिक निर्भरता के विषय में जी. ई. हावर्ड ने लिखा है कि, “इतिहास भूतकाल का समाजशास्त्र है और समाजशास्त्र वर्तमान इतिहास है।”
  • समाजशास्त्र के द्वारा ऐतिहासिक घटनाओं के अध्ययन हेतु सामाजिक पृष्ठभूमि प्रदान की जाती है । इसी प्रकार समाजशास्त्र अपनी अध्ययन सामग्री के लिए इतिहास पर निर्भर करता है।
  • यही कारण है कि बुलो ने समाजशास्त्र को इतिहास से पृथक् मानने से इंकार कर दिया

समाजशास्त्र तथा इतिहास में विभिन्नताएँ अथवा अंतर –

  • समाजशास्त्र विभिन्न घटनाओं में पायी जाने वाली समानताओं का अध्ययन करता है; जबकि इतिहास में समान घटनाओं में पायी जाने वाली भिन्नता का अध्ययन किया जाता है।
  • समाजशास्त्र के द्वारा समाज का समाजीकरण किया जाता है जबकि इतिहास के द्वारा विशिष्टीकरण तथा वैयक्तिकता की खोज की जाती है।
  • पार्क के अनुसार, “इतिहास जहाँ मानव अनुभवों तथा मानव प्रकृति का मूर्त विज्ञान है, समाजशास्त्र एवं अमूर्त विज्ञान है।”
  • समाजशास्त्र सामाजिक घटनाओं का अध्ययन सामाजिक संबंधों की दृष्टि से करता है जबकि इतिहास में घटनाओं के समस्त पहलुओं का अध्ययन किया जाता है।
  • उदाहरण के लिए समाजशास्त्रीय युद्ध को सामाजिक घटना स्वीकार करके उसका व्यक्तियों के जीवन तथा सामाजिक संस्थाओं पर प्रभाव का अध्ययन करेगा। दूसरी तरफ, इतिहासकार युद्ध तथा उससे संबंधित सभी परिस्थिति का अध्ययन करेगा।

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

प्रश्न 7.
समाजशास्त्र तथा अर्थशास्त्र का संबंध स्पष्ट कीजिए। अथवा, समाजशास्त्र तथा अर्थशास्त्र में समानताएँ तथा विभिन्नताएँ बताइए।
उत्तर:
समाजशास्त्र तथा इतिहास एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से संबंधित हैं। सामाजिक गतिविधियों तथा व्यवहार आर्थिक गतिविधियों तथा व्यवहार से अत्यधिक प्रभावित होते हैं। समाजशास्त्र तथा इतिहास के पारस्परिक संबंधों के बारे में मेकाइवर ने लिखा है कि “इस प्रकार की आर्थिक घटनाएँ सदेव सामाजिक आवश्यकताओं तथा क्रियाओं के समस्त रूपों से निश्चित होती हैं तथा वे (आर्थिक घटनाएँ) सदैव प्रत्येक प्रकार की सामाजिक आवश्यकताओं व क्रियाओं को पुनर्निर्धारित, सृजित, स्वरूपीकृत एवं परिवर्तित करती हैं।”

वास्तव में आर्थिक संबंधों तथा गतिविधियों का पर्यावरण से सामाजिक संबंध है। थॉमस के अनुसार, “वास्तव में, अर्थशास्त्र समाजशास्त्र के विस्तृत विज्ञान की एक शाखा है…..”।

समाजशास्त्र तथा अर्थशास्त्र में समानताएँ –
1. समाजशास्त्रीय अध्ययन तथा अर्थशास्त्रीय अध्ययन समाजरूपी वस्त्र के ताने-बाने हैं। यही कारण है कि सामाजिक कारकों तथा आर्थिक कारकों को पृथक नहीं किया जा सकता है। अनेक विद्वानों ने सामाजिक तथा आर्थिक प्रघटनाओं का मिला-जुला अध्ययन किया है। इन विद्वानों में कार्ल मार्क्स, मैक्स वैबर तथा वेबलन आदि प्रमुख हैं।

2. सामाजिक घटनाओं का आर्थिक पहलू भी होता है। उदाहरण के लिए अपराध, निर्धनता, बेकारी, दहेज आदि सामाजिक घटनाओं का सशक्त आर्थिक पहल है। कार्ल मार्क्स ने तो आर्थिक तत्वों को समाज की एकमात्र गत्यात्मक शक्ति स्वीकार किया है।

समाजशास्त्र तथा अर्थशास्त्र में विभिन्नताएँ अथवा अंतर –
1. समाजशास्त्र मनुष्य के सामाजिक जीवन के समस्त पहलुओं तथा गतिविधियों का अध्ययन करता है जबकि अर्थशास्त्र मनुष्य के केवल आर्थिक पहलू का अध्ययन करता है।

2. समाजशास्त्र का अध्ययन, क्षेत्र तथा विषय-सामग्री अधिक व्यापक है जबकि अर्थशास्त्र के अध्ययन की प्रकृति व्यक्तिवादी है।

3. अध्ययन की प्रकृति एवं दृष्टिकोण से समाजशास्त्र समूहवादी सामाजिक विज्ञान है, जबकि अर्थशास्त्र के अध्ययन की प्रकृति व्यक्तिवादी है।

4. समाजशास्त्रीय विश्लेषण बहुकारकीय होते हैं जबकि अर्थशास्त्रीय विश्लेषण में आर्थिक कारकों को ही प्रमुखता तथा महत्त्व प्रदान किया जाता है।

5. समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जबकि अर्थशास्त्रीय दृष्टिकोण से मनुष्य एक आर्थिक प्राणी है।

प्रश्न 8.
समाजशास्त्र की प्रकृति तथा विषय-क्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
(i) समाजशास्त्र की प्रकृति-समाजशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है। समाजशास्त्र वैज्ञानिक पद्धति के निम्नलिखित सोपानों का प्रयोग करता है –

  • आनुभाविकता
  • सिद्धांत
  • संचयी ज्ञान तथा
  • मूल्य तटस्थता

जबकि दूसरी तरफ, कुछ विद्वान निम्नलिखित तर्कों के आधार पर समाजशास्त्र को एक विज्ञान स्वीकार नहीं करते हैं –

  • वस्तुनिष्ठता का अभाव
  • अवलोकन का अभाव
  • प्रयोग का अभाव
  • विषय-सामग्री मापने का अभाव तथा
  • भीवष्यवाणी का अभाव

समाजशास्त्र के विरुद्ध उपरोक्त वर्णित उपलब्धियों का सूक्ष्म विश्लेषण करने पर हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि समाजशास्त्र में विषय-वस्तु का क्रमबद्ध तरीके से वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है।

समाजशास्त्र में निम्नलिखित विधियों अथवा यंत्रों का प्रयोग किया जाता है –

  • समाजमिति
  • प्रश्नावली
  • अनुसूची
  • साक्षात्कार
  • केस स्टडी

समाजशास्त्री का विषय – क्षेत्र-समाजशास्त्र की परिभाषा तथा प्रकृति की भाँति इसके विषय-क्षेत्र के बारे में भी विद्वानों में मतभेद हैं। वी. एफ. काल्बर्टन का मत है कि “क्योंकि समाजशास्त्र एक ऐसा लचीला विज्ञान है कि यह निर्णय करना कठिन है कि इसकी सीमा कहाँ शुरू होती है तथा कहाँ समाप्त…….”

समाजशास्त्र के क्षेत्र के बारे में समाजशास्त्रियों में निम्नलिखित दो संप्रदाय प्रचलित हैं –
1. विशिष्टीकृत या स्वरूपात्मक संप्रदाय – स्वरूपात्मक संप्रदाय के अनुसार समाजशास्त्र सामाजिक संबंधों के विशिष्ट स्वरूपों का अमूर्त दृष्टिकोण से अध्ययन करता है। उदाहरण के लिए यदि किसी बोतल में कोई भी द्रव पदार्थ जैसे दूध या पानी आदि डाला जाए तो बोतल के स्वरूप पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इस संप्रदाय के विद्वानों का मत है कि सामाजिक संबंध भी बोतल के समान हैं तथा उनका आकार अंतर्वस्तु के अनुसार नहीं बदलता है।

उदाहरण के लिए संघर्ष, सहयोग तथा प्रतिस्पर्धा के स्वरूप में कोई अंतर नहीं आएगा, चाहे उनका अध्ययन आर्थिक क्षेत्र में किया जाए अथवा राजनीतिक क्षेत्र में। इस संप्रदाय के प्रमुख समाजशास्त्री हैं-जॉर्ज सिमल, स्माल, वीरकांत, मैक्स वैबर तथा वॉन वीडा आदि।

आलोचना –

  • समाजशास्त्र में सामाजिक संबंधों के स्वरूपों के स्वरूप तथा अन्तर्वस्तु के बीच भेद भ्रामक है।
  • स्वरूपात्मक संप्रदाय ने समाजशास्त्र के क्षेत्र को संकुचित बना दिया है।
  • स्वरूपों का अध्ययन अंतर्वस्तुओं से पृथक नहीं किया जा सकता।

सोरोकिन ने ठीक ही कहा है कि “हम एक गिलास को उसके स्वरूप को बदले बिना शराब, पानी या चीनी से भर सकते हैं, परंतु मैं एक ऐसी सामाजिक संस्था के विषय में कल्पना भी नहीं कर सकता जिसका स्वरूप सदस्यों के बदलने पर भी न बदले।”

2. समन्वयात्मक संप्रदाय – समन्वयात्मक संप्रदाय के अनुसार समाजशास्त्र एक सामान्य विज्ञान है जिसका प्रमुख कार्य सामाजिक जीवन की सामान्य दशाओं का अध्ययन करना है। इस संप्रदाय के प्रमुख समाजशास्त्री हैं-दुर्खाइम, हॉबहाउस, सोरोकिन तथा गिंसबर्ग आदि।

आलोचना –

  • समन्वयात्मक संप्रदाय की विचारधारा भ्रामक है।
  • समाजशास्त्र अनेक सामाजिक विज्ञानों का समन्वय मात्र नहीं हो सकता।

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

प्रश्न 9.
समाजशास्त्र के विभिन्न दृष्टिकोणों का स्पष्टीकरण कीजिए।
उत्तर:
समाजशास्त्र के विभिन्न दृष्टिकोणों का अध्ययन करने के लिए कुछ प्रमुख समाजशास्त्रियों के विचारों का उल्लेख आवश्यक है –
(i) अगस्त कोंत (-1778-1857 ई.)-फ्रांस के दार्शनिक अगस्त कोंत को समाजशास्त्र का पिता कहा जाता है। उनका मत था कि समाजशास्त्र का स्वरूप वैज्ञानिक है तथा यह समग्र रूप से समाज का अध्ययन करेगा।

कोंत का मत था कि जो उपकरण तथा यंत्र प्राकृतिक विज्ञानों द्वारा प्रयोग में लाये जाते हैं, उनका प्रयोग समाजशास्त्रियों द्वारा किया जाना चाहिए।

अगस्त कोत ने समाजशास्त्र के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए निम्नलिखित विधियों का उल्लेख किया –

  • निरीक्षण
  • परीक्षण
  • ऐतिहासिक तथा
  • तुलनात्मक

अगस्त कोत ने सामाजिक यथार्थ को प्रत्यक्षवाद कहा। उसने प्रत्यक्षवादी समाजशास्त्र की दो मूल अवधारणाएँ बतायीं –

  • स्थिति मूलक तथा
  • गति मूलक

अगस्त कोंत का मत था कि भौतिकशास्त्र के नियमों की भाँति समाज के नियमों का विकास किया जा सकता है तथा इसी आधार पर उन्होंने अपना त्रि-स्तरीय नियम दिया –

  • धर्मशास्त्रीय स्थिति
  • तत्व मीमांसा स्थिति तथा
  • प्रत्यक्षात्मक अथवा वैज्ञानिक स्थिति

अगस्त कोंत के प्रमुख ग्रंथ हैं –

  • Positive Philosophy
  • System of Positive Polity
  • Religion of Humanity

(ii) हरबर्ट स्पेंसर (1820-1903 ई.) –

  • हरबर्ट स्पेंसर का जन्म इंगलैण्ड में हुआ था। कोंत की भाँति उन्होंने भी समाज की व्याख्या उद्विकासीय पद्धति के आधार पर की है।
    स्पेंसर का मत था कि सभी समाज सरलता से जटिलता की ओर बढ़ते हैं।
  • स्पेंसर का विचार था कि जिस प्रकार प्राणी का विकास हआ है, उसी प्रकार समाज का भी विकास हुआ है।
  • स्पेंसर ने समितियों, समुदायों, श्रम-विभाजन, सामाजिक विभेदीकरण, सामाजिक स्तरीकरण, विज्ञान तथा कलात्मक समाजशास्त्र के अध्ययन पर विशेष बल दिया है।
  • स्पेंसर के अनुसार समाजशास्त्र के अध्ययन क्षेत्र हैं-परिवार, धर्म, राजनीति, सामाजिक नियंत्रण तथा उद्योग आदि।

स्पेंसर के प्रमुख ग्रंथ –

  • Social Statics
  • The study of Sociology
  • The Principles of Sociology

(iii) कार्ल मार्क्स (1818-1883 ई.)-कार्ल मार्क्स का जन्म जर्मनी में हुआ था। यद्यपि मार्क्स ने अपने लेखों में कहीं भी समाजशास्त्र शब्द का प्रयोग नहीं किया है तथापि उन्होंने ‘सामाजिक जीवन के विभिन्न पहलुओं का सूक्ष्म निरीक्षण तथा विश्लेषण किया है। – यदि मार्क्स के विचारों को समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य के अन्तर्गत रखा जाए तो उनके विचारों का प्रभाव परिवार, संपत्ति, राज्य. विकास तथा स्तरण पर दिखाई देता है।

सामाजिक प्रक्रियाओं को समझने के लिए मार्क्स की निम्नलिखित अवधारणाएँ महत्त्वपूर्ण हैं-द्वंद्वात्मक भौतिकवाद, ऐतिहासिक भौतिकवाद तथ वर्ग तथा वर्ग-संघर्ष की अवधारणा। मार्क्स द्वंद्वात्मक भौतिकवाद की अवधारणा को आर्थिक प्रघटनाओं की व्याख्या हेतु आवश्यक मानते थे। यही कारण है कि उन्होंने भौतिक जगत में वाद, प्रतिववाद तथा संश्लेषण को प्रमुखता प्रदान की है।

मार्क्स ने कहा है कि आज तक के सभी समाजों का इतिहास वर्ग-संघर्ष का इतिहास है। मार्क्स के अनुसार समाज अपने विकास की प्रक्रिया में इतिहास के निम्नलिखित विकास क्रमों से होकर गुजरता है

  • आदिम साम्यवादी व्यवस्था
  • दास प्रथा
  • कृषि व्यवस्था
  • सामंतवादी व्यवस्था
  • पूँजीवादी व्यवस्था।

मार्क्स का मत था कि वर्ग विहीन समाज संघर्ष के द्वारा प्राप्त हो सकता है। कार्ल मार्क्स के प्रमुख ग्रंथ –

  • The Proverty of Philosophy
  • The Communist Manifesto
  • The First Indian War of Independence

(iv) एमिल दुर्खाइम (1858-1917) – फ्रांसीसी समाजशास्त्री एमिल दुर्खाइम ने समाजशास्त्र के क्षेत्र में अगस्त कोंत की परंपरा का अनुसरण किया है। उनका मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक समाजशासत्र का विकास करना था।

दुर्खाइम का मत है कि समाजशास्त्र का क्षेत्र कुछ घटनाओं तक सीमित है तथा ये घटनाएँ सामाजिक तथ्य हैं । दुर्खाइम के अनुसार सामाजिक तथ्य कार्य करने, चिंतन तथा अनुभव करने की पद्धति है जो व्यक्ति की चेतना से बाहर होता है। बाह्यता बाध्यता सामाजिक तथ्य की दो प्रमुख विशेषताएँ हैं।

दुर्खाइम ने धर्म को समाज के सदस्यों के मध्य एक शक्तिशाली एकीकरण का माध्यम बताया है। वे धर्म को एक सामाजिक तथ्य बातते हैं।

दुर्खाइम के चिंतन के दो मुख्य केन्द्र हैं –

  • सामाजिक दृढ़ता एवं
  • सामूहिक चेतना।

दुर्खाइम के मुख्य अध्ययन क्षेत्र थे –

  • सामाजिक तथ्य
  • आत्महत्या एवं
  • धर्म

दुर्खाइम के प्रमुख ग्रंथ –

  • Division of Labour in Society
  • Suicide
  • The Elementary forms of Religious Life.

(v) मैक्स वैबर (1864-1920) – मैक्स वैबर का जन्म जर्मनी में हुआ था। वैबर ने समाजशास्त्र की परिभाषा करते हुए लिखा है कि “यह एक विज्ञान है, जो सामाजिक क्रियाओं की विवेचनात्मक व्याख्या करने का प्रयास करता है।”

मैक्स वैबर ने समाजशास्त्र को सामाजिक क्रिया का व्याख्यात्मक बोध बताया है। प्रत्येक क्रिया के लक्ष्य होते हैं। सामाजिक क्रिया के निम्नलिखित चार प्रकार हैं –

  • धार्मिक क्रिया
  • विवेकपूर्ण क्रिया
  • परंपरागत क्रिया
  • भावात्मक क्रिया
  • मैक्स वैबर द्वारा अधिकारी तंत्र, प्राधिकार, सत्ता तथा रजानीति आदि की विस्तारपूर्वक चर्चा की गई है।

मैक्स वैबर ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक Methodology of Social Sciences में कहा कि समाजशास्त्र को एक विषय के रूप में बोध की पद्धति को अपनाना चाहिए। मैक्स वैबर ने अपनी अध्ययन विधि को आदर्श रूप कहा है। उसने वस्तुपरकता की बजाए आंतरिकता एवं निरीक्षण-परीक्षण की बजाए बोध पर अधिक बल दिया है।

मैक्स वैबर के प्रमुख ग्रंथ –

  • The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism
  • The Theory of Social and Economic Organisation
  • The City

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

प्रश्न 10.
समाजशास्त्र क्या है? समाजशास्त्र की वैज्ञानिक प्रकृति की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
समाजशास्त्र-समाजशास्त्र शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के ‘सोशियस’ तथा यूनानी भाषा के ‘लोगोंस’ शब्द से हुई है। ‘सोशियस’ का अर्थ है सामाजिक तथा ‘लोगोस’ का अर्थ है विज्ञान । इस प्रकार शाब्दिक अर्थ के दृष्टिकोण से समाजशास्त्र का अर्थ है सामाजिक अथवा समाज का विज्ञान।

अगस्त कोंत को ‘समाजशास्त्र का पिता’ कहा जाता है। 1839 ई. में उन्होंने समाजशास्त्र शब्द का प्रयोग किया था। कोंत का मत था कि समाजशास्त्र की प्रकृति वैज्ञानिक है तथा यह संपूर्ण समाज का समग्रतापूर्ण अध्ययन करेगा।

हॉबहाउस के अनुसार, ‘समाजशास्त्र मानव मस्तिष्क की अंत:क्रियाओं का अध्ययन करता है।” पार्क तथा बर्गेस के अनुसार, “समाजशास्त्र सामूहिक व्यवहारों का विज्ञान है।” एमिल दुर्खाइम के अनुसार, “समाजशास्त्र सामूहिक प्रतिनिधियों का अध्ययन है।”

सोरोकिन के अनुसार, “समाजशास्त्र सामाजिक-सांस्कृतिक घटनाओं, सामान्य स्वरूपों तथा विभिन्न प्रकार के अंत:संबंधों का सामान्य विज्ञान है।” प्रसिद्ध समाजशास्त्री मैक्स वैबर ने सामाजिक क्रियाओं को समाजशास्त्र का प्रमुख अध्ययन विषय स्वीकार किया है। समाजशास्त्र समूह में मानव व्यवहार का वैज्ञानिक अध्ययन करता है। समाजशास्त्र की वैज्ञानिक प्रकृति की व्याख्या-समाजशास्त्र विज्ञान है अथवा नहीं, इस संबंधों में विद्वानों में अत्यधिक मतभेद हैं।

इस प्रश्न का सही समाधान प्राप्त करने के लिए यह जानना जरूरी है कि विज्ञान किसे कहते हैं तथा विज्ञान द्वारा कौन-कौन सी पद्धतियों का प्रयोग किया जाता है? जहाँ तक विज्ञान का प्रश्न है-कोई भी विषय सामग्री विज्ञान हो सकती है, यदि उसे क्रमबद्ध तरीके से, वैज्ञानिक पद्धति के द्वारा प्राप्त किया गया हो।

इस संबंध में गिलिन तथा गिलिन ने लिखा है कि “जिस क्षेत्र में हम अनुसंधान करना चाहते हैं, उसकी ओर एक निश्चित प्रकार की पद्धति ही विज्ञान का वास्तविक चिह्न है।” समाजशास्त्र अन्वेष” हेतु वस्तुनिष्ठता, निष्पक्षता तथा व्यवस्थित सिद्धांतों का अवलंबन करता है।

समाजशास्त्र द्वारा अध्ययन हेतु वैज्ञानिक विविध के निम्नलिखित सोपानों का प्रयोग किया जाता है –
(i) आनुभाविकता – आनुभाविकता का अर्थ है अनुभवों की जानकारी हासिल करना। अवलोकन तथा तार्किकता के आधार पर तथ्यों का सामान्यीकरण किया जाता है। आनुभाविक प्रमाण के आधार पर समाजशास्त्रीय ज्ञान के समस्त पक्षों का वैज्ञानिक परीक्षण किया जा सकता है।

(ii) सिद्धांत – सिद्धांत समाजशास्त्रीय अध्ययन का केन्द्रीय बिन्दु है। सिद्धांत आनुभाविक तथा तार्किक दोनों होता है। सिद्धांत तथा तथ्य में घनिष्ठ पारस्परिकता होती है। सिद्धांत के माध्यम से जटिल अवलोकनों को सार रूप में अमूर्त तार्किक अंतर्संबंधित अवस्था में प्रस्तुत किया जाता है। सिद्धांत कार्य-कारण संबंधों के वैज्ञानिक तथा तार्किक विश्लेषण में सहायक सिद्ध हो सकता है। सिद्धांतों का मुख्य उद्देश्य सामाजिक प्रघटनाओं तथा प्राकल्पनाओं की प्रकृति को समझने के लिए सामाजिक तथ्यों की व्याख्या करना तथा उनमें अंतर्संबंध स्थापित करना है। इन प्राकलपनाओं की वैधता की जाँच पुनः आनुभाविक अनुसंधान के द्वारा की जा सकती है।

(iii) संचयी ज्ञान – समाजशास्त्री के संचयी ज्ञान अथवा ज्ञान भंडार का व्यवस्थित परीक्षण किया जा सकता है। अत: हम कह सकते हैं कि समाजशास्त्र संचयी ज्ञान है क्योंकि इसके सिद्धांत परस्पर संबद्ध हैं। पुराने सिद्धांतों के आधार पर ही नवीन संशोधित सिद्धांतों को विकसित किया जाता है।

(iv) मूल्य तटस्थता – समाजशास्त्र को एक आदेशात्मक या अग्रदर्शी विज्ञान नहीं कहा जा सकता है। समाजशास्त्र का संबंध विषयों से है। मैक्स वैबर का मत है कि मूल्य-तटस्थता उपागम ही वैज्ञानिक विकास को संभव बना सकता है। वास्तव में, समाजशास्त्र के शोधकर्ता को मूल्यों के बारे में तटस्थ रहना चाहिए। मोरिस गिंसबर्ग का भी मत है कि वस्तुनिष्ठता तथा तार्किकता का अवलंबन करके ही समाजशास्त्र को वैज्ञानिक स्थिति प्रदान की जा सकती है। अतः शोधकर्ता को पूर्वग्रहों तथा पक्षपातों से दूर रहना चाहिए। उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है कि समाजशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है। समाजशास्त्र के द्वारा समाजमिति के पैमाने, प्रश्नावली, अनुसूची, साक्षात्कार तथा केस स्टडी आदि यंत्रों का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 11.
आप समाज की अवधारण को कैसे स्पट करेंगे?
उत्तर:
समाज की अवधारणा निम्नलिखित बिन्दुओं के द्वारा स्पष्ट की जा सकती है –
(i) समाज एक संरचना के रूप में-समाज को समझने के लिए इसे एक संरचना के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसका अभिप्राय है कि समाज अंतर्संबंधित संस्थाओं का ‘अभिज्ञेय’ ताना-बाना है। इस संदर्भ में अभिज्ञेय शब्द अत्यंत महत्वपूर्ण तथा सार्थक है।

(ii) समाज पुनरावर्तन के रूप में-यह धारणा कि समाज संरचनात्मक होते हैं, यह उनके पुनरुत्पादन पर निर्भर है। इस संदर्भ में ‘संस्था’ शब्द अत्यधिक महत्वपूर्ण है। सामाजिक व्यवहार के संस्थागत स्वरूप विश्वास तथा व्यवहार के प्रकारों को बताते हैं तथा जिसकी आवृत्ति तथा पुनरावृत्ति होती रहती है। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि उनका सामाजिक पुनरुत्पादन होता रहता है।

(iii) समाज अंतर्विरोध के रूप में यह बात स्वीकार की जाती है कि समाज संरचनात्मक है तथा इसका पुनरुत्पादन होता है लेकिन यह बात नहीं बताई जाती है कि संरचनात्मक तथा पुनरुत्पादन क्यों और कैसे होता है ? प्रसिद्ध विद्वान कार्ल मार्क्स उन आधारों को स्पष्ट करते हैं जिनसे पता चलता है कि विशिष्ट सामाजिक रचनाओं की उत्पत्ति कैसे होती है तथा विशिष्ट उत्पादनों के प्रकारों से इसका क्या संबंध है ? इस प्रकार समाज को स्थायी या शांतिपूर्ण उद्विकास संरचना नहीं कहा जा सकता है लेकिन इसे उत्पादन के बोर में सामाजिक संबंधों के परस्पर विरोधों द्वारा उत्पन्न संघर्षों के एक अस्थायी समाधान के रूप में समझा जा सकता है। इस प्रकार, पूँजीबादी समाज की प्रक्रिया में होने वाली परिवर्तन उत्पादकता के साधनों में होने वाले तनावों तथा अंत:क्रियाओं में पाए जाते हैं।

(iv) समाज संस्कृति के रूप में-समाजशास्त्रियों द्वारा सामाजिक संबंधों के सांस्कृतिक पहलुओं को लगातार महत्त्व प्रदान किया गया है। समाज की रचना सदस्यों की पारस्परिक समझदारी से ही संभव है। मनुष्याओं के द्वारा भाषा का निर्माण किया गया है, क्योंकि उनका (मनुष्य का) अस्तित्व भाषा तथा सांकेतिक रूप से विचारों के आदान-प्रदान पर निर्भर करता है। मैक्स वैबर तथा टालकॉप परसंस ने संस्कृति का संबंध समाज के विचारों तथा मूल्यों की धारणाओं से स्वीकार किया है।

(v) समाज एक प्रक्रिया के रूप में-समाज सामाजिक संबंधे का जाल है तथा सामाजिक संबंधों का निर्माण मनुष्यों के बीच अंतःक्रियाओं से होता है। समाज गतिशील हैं, अत: उसमें निरंतर परिवर्तन होते रहता है। इस प्रकार समाज एक प्रक्रिया है। वास्तव में, जब सामाजिक परिवर्तन निरंतर तथा निश्चयात्मक होता है, तो ऐसे परिवर्तन को सामाजिक परिवर्तन कहा जाता है।
सामाजिक प्रक्रिया के मुख्य शब्द निम्नलिखित हैं –

  • संधिवार्ता
  • स्व तथा अन्य तथा
  • प्रतिबिंबता।

समाज का निर्माण तथा पुनःनिर्माण सामाजिक अंतःक्रिया के द्वारा होता है। समाज को व्यक्तियों पर थोपा नहीं जाता है, वरन् सहभागियों द्वारा इसे स्वीकार किया जाता है। मेकाइवर तथा पेज ने सामाजिक प्रक्रिया की परिभाषा करते हुए लिखा है कि “एक प्रक्रिया का तात्पर्य होता है कि अवस्थाओं में अंतर्निहित शक्तियों की क्रियाओं के द्वारा उत्पन्न निरंतर परिवर्तन, जो निश्चित प्रकार से होता है।”
Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
समाजशास्त्र सामाजिक प्रतिनिधियों का अध्ययन है, यह किसका कथन है?
(a) मेकाइवर
(b) दुर्थीम
(c) मैक्स वैबर
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(b) दुर्थीम

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

प्रश्न 2.
मानवशास्त्र और समाजशास्त्र जुड़वाँ बहनें हैं, किसने कहा है?
(a) मेकाइवर
(b) क्रोवर
(c) हॉवेल
(d) मैक्स बेबर
उत्तर:
(b) क्रोवर

प्रश्न 3.
दोनों विज्ञानों को जोड़नेवाली शाखा कौन है?
(a) समाजशास्त्र और मनोविज्ञान
(b) समाजशास्त्र और मानवशास्त्र
(c) समाजशास्त्र और राजनीतिशास्त्र
(d) समाजशास्त्र और इतिहास
उत्तर:
(d) समाजशास्त्र और इतिहास

प्रश्न 4.
किसका कथन है? सामाजिक प्रक्रियाएँ सामाजिक अन्तःक्रिया के विशिष्ट रूप हैं।
(a) मेकाइवर
(b) ग्रीन
(c) लुण्डवर्ग
(d) गिलिन एवं गिलिन
उत्तर:
(b) ग्रीन

प्रश्न 5.
संगठनकारी सामाजिक प्रक्रिया समूह में एकता संतुलन एवं संगठन बनाये रखने में सहयोग देती है …………………..
(a) सहयोग
(b) समायोजन
(c) समाजीकरण
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

प्रश्न 6.
समितियों की विशेषता निम्नलिखित में से क्या है?
(a) संगठन
(b) निश्चित उद्देश्य
(c) मनुष्यों का समूह
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 7.
समाजशास्त्र संबंध स्थापित करती है …………………
(a) व्यक्तिगत समस्या एवं जनहित मुद्दों के बीच
(b) समाज एवं परिवार के बीच
(c) व्यक्ति और परिवार के बीच
(d) उपर्युक्त कोई सही नहीं हैं
उत्तर:
(a) व्यक्तिगत समस्या एवं जनहित मुद्दों के बीच

प्रश्न 8.
समाजशास्त्र बँधा हुआ है …………………
(a) दार्शनिक अनुचिंतनों से
(b) ईश्वरवादी व्याख्यानों से
(c) सामान्य बौद्धिक प्रेक्षणों से
(d) वैज्ञानिक कार्यविधियों से
उत्तर:
(d) वैज्ञानिक कार्यविधियों से

प्रश्न 9.
एक समाजशास्त्री का दायित्व है …………………
(a) मूल्यरहित रिपोर्ट तैयार करना
(b) मूल्य रिपोर्ट तैयार करना
(c) सापेक्ष रिपोर्ट तैयार करना
(d) उपर्युक्त सभी तीनों
उत्तर:
(a) मूल्यरहित रिपोर्ट तैयार करना

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

प्रश्न 10.
समाजशास्त्र संघ को समझता है …………………..
(a) कला
(b) कला, विज्ञान
(c) कला, विज्ञान और गणित
(d) विज्ञान
उत्तर:
(d) विज्ञान

प्रश्न 11.
समाजशास्त्र में मूल संबंधित होते हैं ………………….
(a) वस्तुओं के नियत से
(b) आचरण के प्रतिमानों से
(c) अनैतिक व्यवहारों से
(d) क्रिया-प्रतिक्रिया से
उत्तर:
(b) आचरण के प्रतिमानों से

प्रश्न 12.
समाजशास्त्र के पिता या जनक कौन थे?
(a) अगस्त कोंत
(b) कार्ल मार्क्स
(c) मैक्स वैबर
(d) हॉव हाउस
उत्तर:
(a) अगस्त कोंत

प्रश्न 13.
समाजशास्त्र के क्षेत्रों को कितने भागों में बाँटा गया है?
(a) दो
(b) तीन
(c) चार
(d) पाँच
उत्तर:
(a) दो

प्रश्न 14.
निम्नलिखित में समाजशास्त्र की विजय सामग्री क्या है?
(a) सभी सामाजिक तथा असामाजिक प्रक्रियाएँ
(b) सभी सामाजिक संस्थाएँ तथा प्रक्रियाएँ
(c) सभी प्रकार की संस्थाएँ
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 15.
किस वैज्ञानिक का मानना है कि समाजशास्त्र समाज का अध्ययन है?
(a) मेकाइवर
(b) मैक्स बेवर
(c) वार्ड
(d) सारोकिन
उत्तर:
(a) मेकाइवर

Bihar Board Class 11 Sociology Solutions Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज

प्रश्न 16.
समाजशास्त्र सामाजिक संबंधों का विज्ञान है, यह किसने कहा है?
(a) सोरोकिन
(b) मेकाइवर
(c) मैक्स बेवर
(d) दुखाईम
उत्तर:
(a) सोरोकिन

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3

प्रश्न 1.
एक संगठन ने पूरे विश्व में 15-44(वर्षों में) की आयु वाली महिलाओं में बीमारी और मृत्यु के कारणों का पता लगाने के लिए किए गए सर्वेक्षण से निम्नलिखित आँकड़े (% में) प्राप्त किए :
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 1
(i) ऊपर दी गई सूचनाओं को आलेखीय रूप में निरूपित कीजिए।
(ii) कौन सी अवस्था पूरे विश्व की महिलाओं के खराब स्वास्थ्य और मृत्यु का बड़ा कारण है?
(iii) अपनी अध्यापिका की सहायता से ऐसे दो कारणों का पता लगाने का प्रयास कीजिए जिनकी ऊपर (ii) में मुख्य भूमिका रही हो।
उत्तर:
(i) सूचनाओं का आलेखीय रूप निम्न होगा:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 2
(ii) आलेखसेसर है कि विश्व की महिलाओं के खराब स्वास्थ्य और मृत्यु का बड़ा कारण जनन स्वास्थ्य अवस्था’ है।
(iii) द्वितीय स्थिति में अन्य मुख्य कारण क्षति व अन्य कारण है।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3

प्रश्न 2.
भारतीय समाज के विभिन क्षेत्रों में प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की निकटतम दस तक की) आंकड़े नीचे दिए गए हैं।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 3
(i) ऊपर दी गई सूचनाओं को एक दंड आलेख द्वारा निकापित कीजिए।
(i) कक्षा में चर्चा करके, बताइए कि आप इस आलेख से कौन-कौन से निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
उत्तर:
(i) दी गई सूचनाओं का दंड आलेख अग्र है:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 4
(ii) चर्चा करने पर पाते हैं कि प्रति इनार लड़कों पर लड़कियों की संख्या शहर में न्यूनतम व अनुसूचित जनजाति में अधिकतम है।

प्रश्न 3.
एक राज्य के विधान सभा के चनाव में विभिन्न राजनैतिक पार्टियों द्वारा जौनी गई सीटों के परिणाम नीचे दिए गए हैं:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 5
(i) मतदान के परिणामों को निरूपित करने वाला एक दण्ड आलेख खींचिए।
(ii) किस राजनैतिक पार्टी ने अधिकतम सीटें जीती हैं?
उत्तर:
(i) दंड आलेख निम्न होगा
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 6
(ii) आलेख से स्पष्ट है कि अधिकतम सीटें A पार्टी ने जोती हैं।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3

प्रश्न 4.
एक पौधे की 40 पत्तियों की लंबाइयाँ एक मिलीमीटर तक शुद्ध मापी गई हैं और प्राप्त आँकड़ों को निम्नलिखित सारणी में निरूपित किया गया है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 7
(i) दिए हुए आंकड़ों को निरूपित करने वाला एक आयतचित्र खींचिए।
(ii) क्या इन्हीं आंकड़ों को निरूपित करने वाला कोई अन्य उपयुक्त आलेख है?
(iii) क्या बहसही निष्कर्ष है कि 153 मिलीमीटर लम्बाई वाली पत्तियों की संख्या सबसे अधिक है? क्यों
उत्तर:
(i) वर्ग अंतरालों को संगत बनाने पर निान सारणी प्राप्त जोती हैं।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 8
अत: आपत चित्र निम्न होगा-
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 9
(ii) आलेख को बारबारना बहुभुज से भी निरूपित किया जा सकता है।
(iii) सत्य है तथा आलेख से सिद्ध है।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3

प्रश्न 5.
नीचे की सारणी में 400 नियॉन लैम्पों के जीवनकाल दिए गए हैं:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 10
(i) एक आयतचित्र की सहायता से दी हुई सूचनाओं को निरूपित कीजिए।
(ii) कितने लैम्पों के जीवनकाल 700 घंटों से अधिक हैं।
उत्तर:
(i) आवचित्र निम्न होगा-
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 11
(ii) 700 घंटों से अधिक जीवन-काल वाली लैम्प = 74 + 62 + 48 = 184

प्रश्न 6.
नीचे की दो सारणीवों में प्राप्त किए गए अंकों के अनुसार दो सेवाशनों के विद्यार्थियों का बंटन दिया गया है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 12
दो बारंवारता बहुभुजों की सहायता से एक ही आलेख पर दोनों सेक्शनों के विद्यार्थियों के प्राप्तांक निरूपित कीजिए। दोनों बहुभुजों का अध्ययन करके दोनों सेकशानों के निष्यादनों की तुलना कीजिए।
उत्तर:
बारंबारता बहुभुजों की सारणी निम्न होगी :
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 13
वर्ग चिड़ को x-अक्ष तथा बारंवारता को y-अक्ष पर लेकर वारंवारता बहुभुज निम्न होंगे।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 14

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3

प्रश्न 7.
एक क्रिकेट मैच में दो टीमों A और B द्वारा प्रथम 60 गेंदों में बनाए गए न नीचे दिए गए हैं:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 15
वारंवारता बहुभुजों की सहायता से एक ही आलेख पर दोनों टीमों के आंकड़े निरूपित कीजिए। (संकेत : पहले वर्ग अंतरालों की संतत बनाइए)
उत्तर:
हम देख सकते हैं। कि वर्ग-अन्तराल सतत नहीं है। वर्ग-अन्तराल 1 है। अत: \(\frac{1}{2}\) = 0.5 जोड़ा जायेगा उच्च सीमा में तथा घटाया जायेगा निम्न सीमा से।
अतः वर्ग चिह्न निम्न व्यंजक से प्राप्त करेंगे-
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 16
वर्ग चिट के साथ बारम्बारता सारणी निम्न है:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 17
वर्ग चिह्न को X-अक्ष तथा रनों की Y-अक्ष पर लेकर वारंवारणा बहुभुज की सहायता से आलेख निम होगा:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 18

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3

प्रश्न 8.
एक पार्क में खेल रहे विभिन्न आयु वर्गों के बच्चों की संख्या का एक चादृचिक सर्वेक्षण (random Surney) करने पर निम्नलिखित आँकडे प्राप्त हए:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 19
ऊपर दिए आँकड़ों को निरूपित करने वाला एक आयतचित्र खचिए।
उत्तर:
आयतचित्र के लिए माणी निम्न होगी।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 20
आय X-अक्ष तथा बच्चों की संख्या Y-अक्ष पर लेकर आयतचित्र निम्न होगा-
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 21

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3

प्रश्न 9.
एक स्थानीय टेलीफोन निर्देशिका से 100 कुलनाम (Surname) यदृच्छया लिए गए और उनमें अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षरों की संख्या का निम्न बारंबारता बंटन प्राप्त किया गया:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 22
(i) दी हुई सूचनाओं को निरूपित करने वाला एक आयतचित्र खीबिए।
(ii) वह वर्ग अंतराल बताइए जिसमें अधिकतम संख्या में कुलनाम हैं।
उत्तर:
(i) आयतचित्र के लिए सारणी निम्न होगी-
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 23
वर्णमाला के अधारों की संख्या X-अक्ष पर तथा कुलनामों की संख्या को Y-अक्ष पर लेकर आयतचित्र निम्न होगा-
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3 24
(ii) अधिकाम कुलनाम वर्ग अतंगल 6-8 में पढ़ते हैं।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.3

Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 11 सुदूर-प्रदेशों से सम्पर्क

Bihar Board Class 6 Social Science Solutions History Aatit Se Vartman Bhag 1 Chapter 11 सुदूर-प्रदेशों से सम्पर्क Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 11 सुदूर-प्रदेशों से सम्पर्क

Bihar Board Class 6 Social Science सुदूर-प्रदेशों से सम्पर्क Text Book Questions and Answers

अभ्यास

आइए याद करें :

प्रश्न 1.
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

प्रश्न 1.
प्रसिद्ध यूनानी शासक कौन था?
(क) कनिष्क
(ख) पुष्यमित्र शुंग
(ग) मिनाण्डर
(घ) चन्द्रगुप्त
उत्तर-
(ग) मिनाण्डर

Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 11 सुदूर-प्रदेशों से सम्पर्क

प्रश्न 2.
कनिष्क की राजधानी कहाँ थी ?
(क) काबुल
(ख) पेशावर
(ग) अमृतसर
(घ) यारकंद
उत्तर-
(ख) पेशावर

प्रश्न 3.
शुंग वंश का संस्थापक कौन था ?
(क) पुष्यमित्र
(ख) अग्निमित्र
(ग) वृहद्रथ
(घ) यशोवर्मन
उत्तर-
(क) पुष्यमित्र

Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 11 सुदूर-प्रदेशों से सम्पर्क

प्रश्न 2.
खाली स्थान को भरें :

  1. मौर्यवंश के बाद …………. (शुंगवंश) मगध पर शासन किया।
  2. इण्डो ग्रीक राजा भारत में ………… से आये।
  3. सुदर्शन झील की मरम्मत ……….. ने कराई।
  4. …………. के सबसे प्रसिद्ध राजा कनिष्क थे।
  5. कनिष्क ने …………. को राजकीय संरक्षण प्रदान किया।

उत्तर-

  1. मौर्यवंश के बाद पुष्यमित्र (शंगवंश) मगध पर शासन किया।
  2. इण्डो ग्रीक राजा भारत में बैक्ट्रिया से आये।
  3. सुदर्शन झील की मरम्मत रूद्रदामन ने कराई।
  4. कुषाणों के सबसे प्रसिद्ध राजा कनिष्क थे।।
  5. कनिष्क ने बौद्ध धर्म को राजकीय संरक्षण प्रदान किया।

प्रश्न 3.
सुमेलित करें :

  1. महायान – शक
  2. मिनाण्डर – बौद्ध ग्रंथ
  3. रूद्रदामन – सांची
  4. स्तूप – इण्डो ग्रीक
  5. मिलिन्दपह – बौद्ध ग्रंथ

उत्तर-

  1. महायान – बौद्ध धर्म
  2. मिनाण्डर – इण्डो ग्रीक
  3. रूद्रदामन – शक
  4. स्तूप – सांची
  5. मिलिन्दपह – बौद्ध ग्रंथ

आइए चर्चा करें 

प्रश्न 1.
मथुरा शैली एवं गांधार शैली की मूर्तिकला में। समानता एवं असमानता क्या है ?
उत्तर-
मथुरा शैली एवं गांधार शैली दोनों की मूर्तियाँ पत्थर की थीं। मथुरा शैली में बुद्ध और महावीर की मूर्तियों को दिखाने का प्रयास किया गया जबकि गांधार शैली में बौद्ध मूर्तियों में बुद्ध का मुख यूनानी देवता अपोलो और वेशभूषा रोमन देवता टोगा से मिलता-जुलता था।

Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 11 सुदूर-प्रदेशों से सम्पर्क

प्रश्न 2.
विदेशों में बौद्ध धर्म के प्रसार में किन लोगों का योगदान था?
उत्तर-
विदेशों में बौद्ध धर्म के प्रसार में हिन्दू यूनानी (यवन) शासकों तथा धनी व्यापारियों का योगदान था ।

प्रश्न 3.
भारत पर यूनानी सम्पर्क का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
यूनानी सम्पर्क का भारत पर व्यापक प्रभाव पड़ा । भारत में चिकित्सा पद्धति, विज्ञान, ज्योतिष विद्या एवं सिक्के बनाने की कला में परिवर्तन आए जबकि धर्म एवं दर्शन के क्षेत्र में इन नये शासकों पर भारत का प्रभाव पड़ा।

Bihar Board Class 6 Social Science सुदूर-प्रदेशों से सम्पर्क Notes

पाठ का सारांश

  • बैक्ट्रिया के यूनानी भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग से विदेशियों का आक्रमण मौर्योत्तर काल की एक प्रमुख घटना थी।
  • सबसे पहले आक्रमण करने वालों में बैक्ट्रिया के यूनानी थे, जो इतिहास में “इण्डो-ग्रीक” के नाम से विख्यात है।
  • सबसे प्रसिद्ध यूनानी शासक (यवन) मीनाण्डर था, जो बौद्ध साहित्य में मिलिन्द के नाम से जाना जाता था।
  • भारत में यवन राज्य ने अधिक समय तक टिक न सका।
  • विदेशी आक्रमणों की श्रृंखला में यू-ची कबीला महत्वपूर्ण है।
  • यू-ची कबीला की एक शाखा कुषाणों की थी, जिसके नेता कुजुलकडफिसस था।
  • कनिष्क ने मगध पर आक्रमण कर वहां के प्रसिद्ध विद्वान अश्वघोष को अपनी राजधानी पुरुषपुर (पेशावर) ले आया।
  • विदेशी शासकों ने बौद्ध धर्म को प्रश्रय दिया।
  • देश के भीतर बौद्ध धर्म को धनी व्यापारियों द्वारा समर्थन प्राप्त हुआ।
  • व्यापार के माध्यम से बौद्ध धर्म पश्चिमी एवं मध्य एशिया भी पहुंचा।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4

प्रश्न 1.
एक टीम ने फुटबाल के 10 मैचों में निम्नलिखित गोल किाः
2, 3, 4, 5, 0, 1, 3, 3, 4, 3
इन गोलों के माध्य, माश्यक और बहानक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना गोलों का माध्य = \(\overline { x }\), मैचों की संख्या = 10
\(\overline { x }\) = \(\frac{x_1+x_2+x_3+….+x_{10}}{10}\)
\(\overline { x }\) = \(\frac{2+3+4+5+0+1+3+3+4+3}{10}\) = \(\frac{28}{10}\)
\(\overline { x }\) = 2.8
माध्यिका ज्ञात करने के लिए आंकड़ों को आरोही क्रम में रखने पर, 0, 1, 2, 3, 3, 3, 4, 4, 5 यहाँ 10 पद है। अत: यहाँ दो मध्य फ होंगे (\(\frac{10}{2}\)) और (\(\frac{10}{2}\) + 1) जाँ पद अर्थात् 5वाँ व 6वाँ पदः
अर्थात् माध्यिका = \(\frac{3+3}{2}\) = 3
आँकड़ों से स्पष्ट है कि सर्वाधिक आवृत्ति 3 की है। अत: = 3

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4

प्रश्न 2.
गणित की परीक्षा में 15 विद्यार्थियों ने (100 में मे) निम्नलिखित अंक प्राप्त किए :
41, 39, 48, 52, 46, 62, 54, 40, 96, 52, 98, 40, 42, 52, 60
इन आंकड़ों के माध्य, माध्यक और बहुलक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना माष्य = \(\overline { x }\) = \(\frac{x_1+x_2+x_3+….+x_{15}}{15}\)
\(\overline { x }\) = \(\frac{41+39+48+52+46+62+54+40+96+52+98+40+42+52+60}{15}\)
= \(\frac{822}{15}\) = 54.8
माध्यिका ज्ञात करने के लिये दिए गए आंकड़ों को आरोही क्रम में रखने पर.
39, 40, 41, 42, 46, 48, 52, 52, 52, 54, 60, 62, 96, 98
यहाँ 15 पद हैं अत: माध्यिका होगी (\(\frac{15+1}{2}\)) वाँ पद अर्थात् 8 वा पद।
अत: माध्यिका = 52.
दिए गए आँकड़ों से स्पष्ट है कि 52 की सर्वाधिक आवृत्ति है। अतः बहुलक = 52.

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रेक्षणों को आरोही क्रम में व्यवस्थित किया गया है। यदि आंकड़ों का माध्यक 63 हो, तो x का मान ज्ञात कीजिए:
29, 32, 48, 50, x, x + 2, 72, 78, 84, 95
उत्तर:
दिया गया है कि प्रेक्षण आरोही क्रम में हैं,
29, 32, 48, 50, x , x + 2, 72, 78, 84, 95
पदों की संख्या = 10
अतः मध्यिका =
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4 1
∴ 63 = x + 1
⇒ x = 62

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4

प्रश्न 4.
आँकड़ों 14, 25,14, 28, 18, 17, 18, 14, 23, 22, 14, 18 का बहुलक ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
आंकड़ों को आरोही क्रम में रखने पर
14, 14, 14, 14, 17, 18, 18, 18, 22, 23, 23, 28
अत: आँकहाँ से स्पष्ट है कि 14 की आवृत्ति सर्वाधिक है। माता बालक = 14.

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4

प्रश्न 5.
निम्न सारणी से एक फैक्टरी में काम कर रहे 60 कर्मचारियों का माध्य बेतन ज्ञात कीजिए:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4 2
उत्तर:
माध्य की गणना के लिए सारणी निम्न है:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4 3
अन: 60 मजदूरों का माध्म वेतन Rs 5083.33 है।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4

प्रश्न 6.
निम्न स्थिति पर आधारित एक उदाहरण
(i) माध्य की केन्द्रीय प्रवृत्ति का उपयुक्त माप है।
(ii) माध्य केन्द्रीय प्रवृत्ति का उपयुक्त माप नहीं है, जवकि माध्यक एक उपयुक्त माप है।
उत्तर:
(i) माध्य अपने अद्वितीय मान के कारण केन्द्रीय प्रकृति का एक उपयुक्त माप है तथा इसका उपयोग अलग-अलग आँकड़ों के समूह की तुलना करने के लिए किया जा सकता
(ii) माध्य का उपयोग गुण-दोषों जैसे-सुन्दरता, ईमानदारी, बुद्धिमानी आदि को मापने के लिए नहीं किया जा सकता है।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.4

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2

प्रश्न 1.
आठवीं कक्षा के 30 विद्यार्थियों के रक्त समूह हैं:
A, B,O, O, AB, O, A, O, B, A, O, B, A, O, O, A, AB, O, A, A, O, O, AB, B, A, O, B, A, B, O
इन आंकड़ों को एक बारंबारता बंटन सारणी के रूप में प्रस्तुत कीजिए। बताइए कि इन विद्यार्थियों में कौन-सा रक्त समूह अधिक सामान्य है और कौन-सा रक्त समूह विरलतम समूहहै।
उत्तर:
कक्षा के विद्यार्थियों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर वारंवारता सारणी अन्न प्रकार होगी:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 1
अत: सामान्य रक्त समूह = O, विरलतम रक्त समूह AB

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2

प्रश्न 2.
40 इंजीनियरों की उनके आवास से कार्य-सवाल की (किलोमीटर में) दूरियाँ ये हैं:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 2
0 – 5को (जिसमें 5 सम्मिलित नहीं है पहला अंतराल लेकर उपर दिए हए आंकड़ों से वर्ग-माप 5 वाली एक वीकृत आरंबारता बंटन सारणी बनाइए। इस सारणीबद्ध निरूपण में आपको कौन-से मुख्य लक्षण देखने को मिलते हैं?
उत्तर:
सारणी निम्न होगी:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 3
अत: निष्कर्ष यह है कि 40 में से 27 इंजीनियर कार्यस्थल से 15km से अधिक दूरी पर नहीं रहते।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2

प्रश्न 3.
30 दिन वाले महीने में एक नगर की सापेक्ष आर्द्रता (%) यह रही है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 4
(i) वर्ग 84-86, 86-88 आदि लेकर एक वर्गीकृत वारंवारता बंटन बनाइए।
(ii) क्या आप बता सकते हैं कि ये आँकड़े किस महीने या ऋतु से संबंधित है?
(iii) इन आँकड़ों का परिसर क्या है?
उत्तर:
(i) बारवांस्ता बंटन निग्न होगी-
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 5
(ii) कि आर्द्रता अधिक है, अत: वयां ऋतु के आंकड़े हो सकते हैं।
(iii) परिसर = 99.2 – 84.9 = 14.3

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2

प्रश्न 4.
निकटतम सेंटीमीटरों में मापी गई 50 विद्यार्थियों की लंबाइयाँ थे:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 6
(i) 161-165, 166-170 आदिका वर्ग-अन्तराल लेकर स्पर दिए गए आंकड़ों को एक वर्गीकृत बारबारता बंटन सारणी के रूप में निखापित कीजिए।
(ii) इस सारणी की सहायता से आप विद्यार्थियों की लंबाइयों के संबंध में क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
उत्तर:
(i) बारबारता वंटन सारणी निम्नवा होगी-
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 7
(ii) हम देख सकते हैं कि 50% से अधिक छात्रों की संबाई 165 cm से कम है।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2

प्रश्न 5.
एक नगर में वायु में साफन-डाइ-ऑक्साइड का मांद्रण भाग प्रति मिलियन [parts per million (ppm)] में ज्ञात करने के लिए एक आध्ययन किया गया।
30 दिनों में प्राप्त किए गए आँकड़े ये हैं :
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 8
(i) 0.00-0.04, 0.04-0.08 आदि का वर्ग अंतराल लेकर इन आंकड़ों की एक वर्गीकृत बारबारता बंटन सारणी बनाइए।
(ii) सल्फर डाई-ऑक्साइड की सांद्रता कितने दिन 0.11 भाग प्रति मिलियन से अधिक रही?
उत्तर:
(i) बारबारता बंटन सारणी-
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 9
(ii) हम सारणी में देख सकते हैं कि 8 दिन सल्फर डाइ-ऑक्साइड की सांद्रता 0.11 ppm से अधिक है।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2

प्रन 6.
तीन सिक्कों को एक साथ 30 बार उछाला गया। प्रत्येक बार चिन (Head) आने की संख्या निम्न है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 10
ऊपर दिए गए आंकड़ों के लिए एक वारंवारता बंटन सारणी बनाइए।
उत्तर:
बारबारता सारनी निन्न होगी:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 11

प्रश्न 7.
50 दशमलव स्थान तक शाका माननीचे दिया गया है:
3.1415926535897932384626433832795028 8419716939937510
(i) दशमलब बिन्दु के बाद आने वाले 0 से 9 तक के अंकों का एक बारंबारता बंटन बनाइए।
(ii) सबसे अधिक बार और सबसे कम बार आने वाले अंक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
(i) सारणी निम्न है-
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 12
(ii) सबसे अधिक बार आने वाले अंक = 3 और 9 तथा सबसे कम बार आने वाला अंक = 0

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2

प्रश्न 8.
तोस बच्चों से यह पूछा गया कि पिछले सप्ताह उन्होंने कितने घंटों तक टी. वी. के प्रोग्राम देखें। प्राप्त परिणाम ये रहे हैं:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 13
(i) वर्ग-चौड़ाई 5 लेकर और एक वर्ग अंतराल को 5-10 लेकर इन आँकड़ों की एक वर्गीकृत वारंबारता बंटन सारणी बनाइए।
(ii) कितने बच्चों ने सप्ताह में 15 या अधिक घंटों तक टेलीविजन देखा?
उत्तर:
(i) वर्ग वारंवारता सारणी निम्न होगी-
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 14
(ii) सारणी से स्पष्ट है कि 2 बच्चों ने सप्ताह में 15 या अधिक घंटों तक टेलीविजन देखा।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2

प्रश्न 9.
एक कंपनी एक विशेष प्रकार की कार-बैटी बनाती है। इस प्रकार की 40 वैदियों के जीवन-काल (वर्षों में) ये रहे हैं:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 15
0-5 पाप के वर्ग अंतराल लेकर तथा अंतराल 2-2.5 से प्रारम्भ करके इन आंकड़ों की एक वर्गीकृत बारवरिता बंटन सारणी बनाइए।
उत्तर:
बारबारता सारणी निम्नवत् है:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2 16

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.2

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.1

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.1 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.1

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.1

प्रश्न 1.
उन आँकड़ों के पाँच उदाहरण दीजिए जिनेभाप अपने दैनिक जीवन से एकत्रित कर सकते हैं।
उत्तर:
दैनिक जीवन से प्राप्त आंकड़ों के उदाहरण:
(i) हमारे घर पर पंखों की संख्या।
(ii) हमारी कक्षा में छात्रों की संख्या
(iii) हमारे विद्यालय में शिक्षकों की संख्या।
(iv) सर्वे से प्राप्त रोजगार के आँकड़े।
(v) टी. बी. और अखबार से प्राप्त मतदान परिणाम।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.1

प्रश्न 2.
ऊपर दिए गए प्रश्न 1 के आँकड़ों को प्राथमिक आँकड़ों या गौण आंकड़ों में वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
प्राश्चमिक आँकई : (i), (ii) और (iii) गौड़ आंकड़े: (iv) और (v).

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 14 सांख्यिकी Ex 14.1

Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 10 शहरी एवं ग्राम जीवन

Bihar Board Class 6 Social Science Solutions History Aatit Se Vartman Bhag 1 Chapter 10 शहरी एवं ग्राम जीवन Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 10 शहरी एवं ग्राम जीवन

Bihar Board Class 6 Social Science शहरी एवं ग्राम जीवन Text Book Questions and Answers

अभ्यास

आइए याद करें :

वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

प्रश्न 1.
छोटे एवं स्वतंत्र किसानों को क्या कहा जाता था?
(क) ग्राम भोजक
(ख) श्रेणी
(ग) गृहपति
(घ) वेल्लार
उत्तर –
(ग) गृहपति

Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 10 शहरी एवं ग्राम जीवन

प्रश्न 2.
संगमकालीन (दक्षिण भारतीय) सम्पन्न किसानों को क्या कहा जाता था?
(क) ग्राम भोजक
(ख) कडैसियार
(ग) वेल्लार
(घ) उणवार
उत्तर-
(ग) वेल्लार

प्रश्न 3.
सुदर्शन झील का निर्माण सबसे पहले किसने करवाया ?
(क) चन्द्रगुप्त मौर्य
(ख)रुद्रदामन
(ग) स्कन्द गुप्त
(घ) अशोक महान
उत्तर-
(क) चन्द्रगुप्त मौर्य

प्रश्न 4.
संगमकालीन व्यापारिक नगर कौन नहीं है ?
(क) पुहार
(ख) उरैयूर
(ग) तोण्डी
(घ) कन्याकुमारी
उत्तर-
(क) पुहार

आइए चर्चा करें

प्रश्न 5.
लगभग 2500 साल पहले आन्तरिक व्यापार में कौन-कौन-सी कठिनाई आती होगी ?
उत्तर-
लगभग 2500 साल पहले लोग व्यापार वस्तुओं की अदला-बदली कर अर्थात् वस्तु को विनिमय प्रणाली से करते थे। गायों के लेन-देन से करते थे, जिससे लोगों को कठिनाईयाँ होती थीं। तब ६ रे-धीरे सिक्के का प्रचलन हुआ। सिक्के के प्रचलन से व्यापार आसान हो गया। सड़क और बन्दरगाह, आवागमन की सुविधा कम थी।

Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 10 शहरी एवं ग्राम जीवन

प्रश्न 6.
आपके गाँव में आज खेती कैसे की जाती है ? प्रयुक्त होने वाले 5 औजारों के नाम लिखें।
उत्तर-
कुदाल, खुरपी, हसुंआ, फाल, ट्रैक्टर का प्रयोग होता है।

प्रश्न 7.
आज सिंचाई की कौन-कौन-सी पद्धति अपनायी जाती है। तुलना करें। प्राचीनकाल में आज की कौन-सी पद्धति नहीं अपनायी जाती थी?
उत्तर-
पहले कुआँ, रेहट, तालाब , नहरों से सिंचाई की व्यवस्था थी और आज भी है। लेकिन आज बिजली के आविष्कार ने ट्युबबेल का निर्माण किया। जमीन के अन्दर से ट्यूबबेल द्वारा पानी आसानी से पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करते हैं जो पहले नहीं था।

आओ करके देखें 

प्रश्न 8.
आप अगर शिल्पकार को काम करते हुए देखते हैं तो उनके बारे में लिखें कि वे कैसे काम हैं? उनके द्वारा बनाये गये पाँच औजारों के नाम लिखें।
उत्तर-
शिल्पकार मेहनती होते हैं। एकाग्रता से काम करते हैं। रथ, कुदाल, मिट्टी की सुराही, लकड़ी का फर्निचर।

Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 10 शहरी एवं ग्राम जीवन

प्रश्न 9.
पाटलीपुत्र के लोग कौन-कौन से कार्य करते थे? गाँव के लोगों से उनका व्यवसाय किस प्रकार भिन्न था?
उत्तर-
पाटलीपुत्र के लोग व्यापार करते थे। शिक्षा का केन्द्र था। लोहार, बढ़ई, रथकार, अस्त्र-शस्त्र बनाने वाले रहते । पक्के मकानों में रहते। लेकिन गाँवों में लोग कच्चे मकानों में रहते, खेती का काम करते, पशुपालन करते और उत्पादन को शहर में लाकर बेचते थे।

प्रश्न 10.
आप भारत से रोम को निर्यात एवं आयात होने वाली तीन-तीन वस्तुओं की सूची बनायें।
उत्तर-
भारत से रोम जाने वाली वस्तु, मशाला, काली मिर्च और समुद्र और पहाड़ियों सर्लभ वस्तु के आयात शराब, दीपक और सोना।

वर्ग परिचर्चा

प्रश्न 1.
क्या राजा सिंचाई की व्यवस्था करके अधिक राजस्व प्राप्त करने का अधिकारी था ?
उत्तर-
हाँ,राजा सिंचाई की व्यवस्था करके अधिक राजस्व प्राप्त करने का अधिकारी था । ऐसा इसलिए कि यदि राजा को अधिक राजस्व मिलेगा तो प्राप्त धन को दूसरे क्षेत्रों में प्रजा की भलाई के लिए विकास करेगा।

Bihar Board Class 6 Social Science History Solutions Chapter 10 शहरी एवं ग्राम जीवन

प्रश्न 2.
गाँव के लोगों का जीवन कैसा था?
उत्तर-
गाँव के लोगों के जीवन में धन की कमी थी, किसान और मजदूर वर्ग के लोग ज्यादा थे। किसान को अपने उत्पादन का चौथा या . छठा हिस्सा ‘कर’ के रूप में देना पड़ता था।

प्रश्न 3.
पाटलीपुत्र में लोग कौन-कौन से व्यवसाय से जुड़े हुए थे । आप उनकी सूची, बनायें।
उत्तर-
पाटलीपुत्र में लोग अस्त्र-शस्त्र बनाने वाले बढ़ई. लोहार. शिल्पकार, सोनार, बुनकर आदि निवास करते थे।

Bihar Board Class 6 Social Science शहरी एवं ग्राम जीवन Notes

पाठ का सारांश

  • दक्षिण भारत के बड़े किसानों को वेल्लाल कहा जाता था तथा छोटे किसान को उणवार कहा जाता था।
  • महाजनपदों की राजधानियां भी प्रायः परकोटे या बाहरी दीवारों से घिरे होते थे।
  • विदेशी शक्तियों के भारत आगमन के कारण व्यापार-वाणिज्य में वृद्धि से सिक्कों का प्रचलन बढ़ा।
  • शहर कई गतिविधियों के केन्द्र हुआ करते थे, शहर में व्यापार, वाणिज्य,
  • धर्म, शिक्षा आदि के केन्द्र के रूप में विकसित थे।
  • दक्षिण भारत में दूसरी शताब्दी ई०पू० से लेकर दूसरी शताब्दी तक का
  • काल संगम काल के नाम से जाना जाता है।
  • संगमकालीन भारत के तटीय शहरों तोण्डी; मुजरिश, पुहार, अरिकमेडु में यवन व्यापारी काफी संख्या में रहते थे।
  • लोहे के औजारों का कृषि के क्षेत्र में प्रयोग से खेती का विकास संभव हो सका।
  • सुदर्शन झील का निर्माण सर्वप्रथम चन्द्रगुप्त मौर्य ने करवाया था, यह गुजरात में स्थित है।
  • सुदर्शन झील से सिंचाई के लिए नहरें निकाली गई।
  • सिंचाई एवं औजारों के प्रयोग से अनाज का उत्पादन बढ़ा।
  • हमें शहरों की अपेक्षा गांवों के बारे में अपेक्षाकृत कम जानकारी प्राप्त है।
  • गांव में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति गांव का मुखिया होता था। जिसे ग्रामभोजक भी कहा जाता था।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5

प्रश्न 1.
माचिस की डिब्बी के माप 4 cm × 2.5 cm × 1.5 cm हैं। ऐसी 12 डिब्बियों के एक पैकेट का आयतन क्या होगा?
उत्तर:
एक डिव्यो का आयतन = 4 x 2.5 × 1.5 = 15 cm³
12 डिब्बियों का आयतन = 12 × 15 = 180 cm³.

प्रश्न 2.
एक घनाभकार पानी की टंकी 6 m लंबी, 5 m चौड़ी और 4.5 m गहरी है। इसमें कितने लीटर पानी आ सकता है? (1 m³ 1000 l)
उत्तर:
टंकी का आयतन = lbh
= 6 × 5 × 4.5
= 135 m³
अतः टंकी की जलग्रहण क्षमता = 135 × 1000
= 135000 लीटर।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5

प्रश्न 3.
एक घनाभाकार बर्तन 10 m लंबा और 8 m चौड़ा है। इसको कितना ऊँचा बनाया जाए कि इसमें 380 घन मीटर द्रव आ सके?
उत्तर:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5
अत: धनाच 4.75 m ऊँचा बनाना चाहिए जिससे कि उसमें 380 m³ द्रव आ सके।

प्रश्न 4.
8 m लंबा, 6 m चौड़ा और 3 m गहरा एक घनाभाकार गठ्ठा खुदवाने में Rs 30 प्रति m³ की दर से होने वाला व्यव ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
गरहेका आयतन = lbh = 8 × 6 × 3
= 144 m³
∵ 1 m³ की खुदाई का व्यय = Rs 30
∴ 144 m³ की खुदाई का व्यय = 30 × 144 = Rs 4320.

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5

प्रश्न 5.
एक घनाभकार टंकी की धारिता 50000 लीटर पानी की है। यदि इस टंकी की लंबाई और गहराई क्रमशः 2.5 m और 10 m है, तो इसकी चौड़ाई ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया है l = 2.5 m, h = 10 m तथा V = 50000 l
⇒ V= (50000 × \(\frac{1}{1000}\)) m³ = 50 m³
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5
अत: घनाभकार टंकी की चौड़ाई 2 m है।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5

प्रश्न 6.
एक गांव जिसकी जनसंख्या 4000 है, को प्रति दिन प्रति व्यक्ति 150 लीटर पानी की आवश्यकता है। इस गाँव में 20 m × 15 m × 6 m पापों वाली एक टंकी बनी हुई है। इस टंकी का पानी वहाँ कितने दिन के लिए पर्याप्त होगा?
उत्तर:
दिया है. l = 20 m.b = 15 m h = 6 m
टंकी की समता = lbh = 20 × 15 × 6 = 1800 m³
प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति पानी की आवश्यकता = 150 लीटर
4000 व्यक्तियों के लिए प्रतिदिन आवश्यक पानी
= 4000 × 150 = 600000 लीटर
= \(\frac{600000}{1000}\) m³ = 600 m³
∵ पर्याप्त पानी के लिए दिनों की संख्या
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5
अत: बडों 3 दिन के लिए पानी पर्याप्त होगा।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5

प्रश्न 7.
किसी गोदाम की माप 40 m × 25 m × 10 m हैं। इस गोदाम में 1.5 m × 1.25 m × 0.5 m की माप वाले लकड़ी के कितने अधिकतम क्रेट (crate) रखे जा सकते हैं?
उत्तर:
दिया है, गोदाम की विमाएं l = 40 m, b = 25 m तथा h = 10 m
∴ गोदाम का आयतन = l × b × h = 40 × 25 × 10
= 10000 m³
लकड़ी की फेटों की विमाएँ. l = 1.5 m b = 1.25 m तथा h = 0.5 m
∴ क्रेट का आयतन = 1.5 × 1.25 × 0.5
= 0.9375
अधिकतम केटों की संसा =
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5

प्रश्न 8.
12 cm भुजा वाले एक ठोस धन को बराबर आयतन वाले 8 धनों में काटा जाता है। नए धन की क्या भुजा होगी? साश्च ही इन दोनों धनों के पृष्ठीय क्षेत्रफलों का अनुपात भी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
12 cm भुजा वाले धन का आयतन
V1 = (12 × 12 × 12) cm
पहले धन से कटे धन का आयतन V2 = \(\frac{1}{8}\) V1
= \(\frac{1}{8}\) (12 × 12 × 12)
= (6 × 6 × 6) cm
अतः नये धन की भुजा = \(\sqrt{6×6×6}\) = 6 cm
अत: पृष्टीय क्षेत्रफलों में अनुपात =\(\frac{6×12×12}{6×6×6}\) = 4 : 1

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.5

प्रश्न 9.
3 m गहरी और 40 m चौड़ी एक नदी 2 km प्रति घंटा की चाल से बहकर समुद्र में गिरती है। एक मिनट में समुद्र में कितना पानी गिरेगा?
उत्तर:
दिया है l = 12 km = 2000 m, b = 40 m तथा h = 3 m
∴ एक घंटे में समुद्र में गिरे पानी का आयतन = lbh
= 2000 × 40 × 3 m³
अतः एक मिनट में समुद्र में गिरे पानी का आयतन
= \(\frac{2000×40×3}{60}\) = 4000 m³

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

BSEB Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

Bihar Board Class 10 Science प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन InText Questions and Answers

अनुच्छेद 16.1 पर आधारित

प्रश्न 1.
पर्यावरण-मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन-से परिवर्तन ला सकते
उत्तर:
हम कई तरीकों से और अधिक पर्यावरण-मित्र बन सकते हैं; जैसे-हम तीन ‘R’ जैसी कहावतों पर काम कर सकते हैं, अर्थात् उपयोग कम करना, पुनः चक्रण तथा पुनः उपयोग। इन कहावतों को अपनी आदतों में शामिल करके हम और अधिक पर्यावरण-मित्र बन सकते हैं।

प्रश्न 2.
संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य के परियोजना के क्या लाभ हो सकते हैं?
उत्तर:
इससे यह लाभ हो सकता है कि बिना किसी उत्तरदायित्व के अधिक-से-अधिक मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
यह लाभ, लंबी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं के लाभ से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
कम-उद्देश्य में परियोजनाओं का एकमात्र लाभ है कि संसाधनों के अधिक-से-अधिक दोहन द्वारा हम अधिक-से-अधिक लाभ प्राप्त करते हैं। इन योजनाओं के तहत भावी पीढ़ियों के लिए हमारा . कोई उत्तरदायित्व ध्यान में नहीं होता। दूसरी तरफ, लंबी अवधि की योजनाओं का उद्देश्य संसाधनों का संपोषित विकास के लिए उपयोग करते हुए, आने वाली पीढ़ियों के उपयोग के लिए भी उन्हें सुरक्षित रखना होता है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

प्रश्न 4.
क्या आपके विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए? संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कौन-कौन सी ताकतें कार्य कर सकती हैं?
उत्तर:
हमारी धरती सभी के लिए उपलब्ध है। सभी प्राणियों का इसके संसाधनों पर समान अधिकार है। यदि कोई व्यक्ति इन संसाधनों का अत्यधिक उपयोग कर रहा है तो इसका सीधा मतलब है कि किसी को इसकी कमी झेलनी पड़ रही होगी। फलतः एक संघर्ष शुरू होता है जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है। किंतु मुट्ठी भर कुछ अमीर और शक्तिशाली लोग हैं जो संसाधनों का समान वितरण नहीं चाहते। वे इन संसाधनों को अपने लिए लाभ के एक विशाल स्रोत के रूप में देखते हैं।

अनुच्छेद 16.2 पर आधारित

प्रश्न 1.
हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए?
उत्तर:
वन जैव विविधता के तप्त स्थल हैं। किसी क्षेत्र की जैव विविधता को जानने का एक तरीका वहाँ पाए जाने वाली प्रजातियों की संख्या है। हालाँकि अनेक प्रकार के जीवों (बैक्टीरिया, कवक, फर्न, फूल वाले पौधे, कीड़े, केंचुआ, पक्षी, सरीसृप आदि) का होना भी महत्त्वपूर्ण है। संरक्षण का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य विरासत से प्राप्त जैव विविधताओं की सुरक्षा है। प्रयोगों तथा वस्तुस्थिति के अध्ययन से हमें पता चलता है कि विविधता के नष्ट होने से पारिस्थितिक स्थायित्व भी नष्ट हो सकता है।

प्रश्न 2.
संरक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर:
वन संसाधनों का उपयोग इस प्रकार करना होगा कि यह पर्यावरण एवं विकास दोनों के हित में हो। दूसरे शब्दों में जब पर्यावरण अथवा वन संरक्षित किए जाएँ, तो उनके सुनियोजित उपयोग का लाभ स्थानीय लोगों को मिलना चाहिए। यह विकेन्द्रीकरण की एक ऐसी व्यवस्था है जिससे आर्थिक विकास एवं पारिस्थितिक संरक्षण दोनों साथ-साथ चल सकते हैं।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

अनुच्छेद 16.3 पर आधारित

प्रश्न 1.
अपने निवास क्षेत्र के आस-पास जल संग्रहण की परंपरागत पद्धति का पता लगाइए।
उत्तर:
जल संग्रहण भारत में पुरानी पद्धति है। राजस्थान में खादिन, बड़े पात्र एवं नाड़ी, महाराष्ट्र में बंधारस एवं ताल, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में बंधिस, बिहार में आहार तथा पाइन, हिमाचल प्रदेश में कुल्ह, जम्मू के काँदी क्षेत्र में तालाब तथा तमिलनाडु में एरिस, केरल में सुरंगम, कर्नाटक में कट्टा आदि प्राचीन जल संग्रहण तथा जल परिवहन संरचनाएँ आज भी उपयोग में हैं। हमारे क्षेत्र, राजस्थान में खादिन, अत्यधिक प्रचलित है।

15वीं सदी में सबसे पहले पश्चिमी राजस्थान में, जैसलमेर के पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा डिजाइन की गई यह प्रणाली राज्य के कई हिस्सों में आज भी प्रचलन में है। खादिन जिसे ‘ढोरा’ भी कहा जाता है, जमीन पर बहते हुए पानी को कृषि में उपयोग करने के लिए विकसित की गई थी। इसकी प्रमुख विशेषता निचली पहाड़ी की ढलानों के आर-पार पूर्वी छोर पर बनाए जाने वाला लंबा (100-300 मी) बाँध है। इसमें पानी की आधिक्य मात्रा को बाहर निकालने की भी व्यवस्था होती है। खादिन पद्धति खेतों में बहने वाले वर्षा जल के संग्रहण पर आधारित प्रणाली है। बाद में जल तृप्त जमीन का उपयोग विभिन्न फसलों के उत्पादन के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2.
इस पद्धति की पेय जल व्यवस्था (पर्वतीय क्षेत्रों में, मैदानी क्षेत्र अथवा पठार क्षेत्र) से तुलना कीजिए।
उत्तर:
पहाड़ी क्षेत्रों में जल संभर प्रबंधन, मैदानी क्षेत्रों से पूर्ण रूप से भिन्न होता है। जैसे-हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में आज से करीब चार सौ वर्ष पहले, नहर सिंचाई की एक स्थानीय प्रणाली विकसित की गई जिसे कुल्ह कहा जाता था। नदियों में बहने वाले जल को मानव-निर्मित छोटी-छोटी नालियों द्वारा पहाड़ी के नीचे के गाँवों तक पहुँचाया जाता था। इन कुल्हों में बहने वाले पानी का प्रबंधन गाँवों के लोग आपसी सहमति से करते थे।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

यह जानना बड़ा रोचक होगा कि कृषि के मौसम में जल सबसे पहले दूरस्थ गाँव को दिया जाता था फिर उत्तरोत्तर ऊँचाई पर स्थित गाँव उस जल का उपयोग करते थे। कुल्ह की देख-रेख एवं प्रबंध के लिए दो-तीन लोग रखे जाते थे, जिन्हें गाँव वाले वेतन देते थे। सिंचाई के अतिरिक्त इस कुल्ह से जल का भूमि में अंत:स्रवण भी होता रहता था जो विभिन्न स्थानों पर झरने को भी जल प्रदान करता रहता था।

प्रश्न 3.
अपने क्षेत्र में जल के स्रोत का पता लगाइए। क्या इस स्रोत से प्राप्त जल उस क्षेत्र के सभी निवासियों को उपलब्ध है?
उत्तर:
हमारे क्षेत्र में जल के मुख्य स्रोत भूमिगत जल तथा नगर-निगम द्वारा आपूर्ति. जल हैं। कभी-कभी खासकर गर्मी के दिनों में इन स्रोतों से प्राप्त होने वाले जल में कुछ कमी आ जाती है तथा इनकी समान उपलब्धता भी सम्भव नहीं होती।

Bihar Board Class 10 Science प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
अपने घर को पर्यावरण-मित्र बनाने के लिए आप उसमें कौन-कौन से परिवर्तन सुझा सकते हैं?
उत्तर:
तीन ‘R’ अर्थात् उपयोग कम करना, पुनः चक्रण तथा पुनः उपयोग को लागू करके हम पर्यावरण को प्रभावी ढंग से सुरक्षित रख सकते हैं। उपयोग कम करने का अर्थ है कम-से-कम वस्तुओं का प्रयोग करना। हम बिजली के पंखे एवं बल्ब का स्विच बंद करके विद्युत का अपव्यय रोक सकते हैं। हम टपकने वाले नल की मरम्मत कराकर जल की बचत कर सकते हैं।

हमें अपने भोजन को फेंकना नहीं चाहिए। पुनः चक्रण का अर्थ है प्लास्टिक, काँच, धातु की वस्तुएँ तथा ऐसे ही पदार्थों के पुनः चक्रण द्वारा दूसरी उपयोगी वस्तुओं के निर्माण में प्रयोग। जब तक आवश्यक न हो हमें इनका नया उत्पाद/संश्लेषण नहीं करना चाहिए। पुन: उपयोग का अर्थ है किसी वस्तु का बार-बार उपयोग करना। उदाहरण के लिए, प्रयुक्त लिफाफों को फेंकने की जगह इनका हम फिर से उपयोग कर सकते हैं।

प्रश्न 2.
क्या आप अपने विद्यालय में कुछ परिवर्तन सुझा सकते हैं जिनसे इसे पर्यानुकूलित बनाया जा सके।
उत्तर:
हम अपने विद्यालय में तीन ‘R’ को लागू करके इसे पर्यानुकूलित बना सकते हैं।

प्रश्न 3.
इस अध्याय में हमने देखा कि जब हम वन एवं वन्य जंतुओं की बात करते हैं तो चार मुख्य दावेदार सामने आते हैं। इनमें से किसे वन उत्पाद प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिए जा सकते हैं? आप ऐसा क्यों सोचते हैं?
उत्तर:
इन चार दावेदारों; जैसे-वन के अंदर एवं इसके निकट रहने वाले लोगों, सरकार का वन विभाग, उद्योगपति तथा वन्य जीवन एवं प्रकृति-प्रेमी में मेरे विचार से उत्पादों के प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिये जाने के लिए स्थानीय लोग सर्वाधिक उपयुक्त हैं। क्योंकि स्थानीय लोग वन का संपोषित तरीके से उपयोग करते हैं। सदियों से ये स्थानीय लोग इन वनों का उपयोग करते आ रहे हैं साथ ही इन्होंने ऐसी पद्धतियों का भी विकास किया है जिससे संपोषण होता आ रहा है तथा आने वाली पीढ़ियों के लिए उत्पाद बचे रहेंगे।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

इसके अतिरिक्त गड़रियों द्वारा वनों के पारंपरिक उपयोग ने वन के पर्यावरण संतुलन को भी सुनिश्चित किया है। दूसरी तरफ वनों के प्रबंधन से स्थानीय लोगों को दूर रखने का हानिकारक प्रभाव वन की क्षति के रूप में सामने आ सकता है। वास्तव में वन संसाधनों का उपयोग इस प्रकार करना होगा कि यह पर्यावरण एवं विकास दोनों के हित में हो तथा नियन्त्रित दोहन का फायदा स्थानीय लोगों को प्राप्त हो।

प्रश्न 4.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप निम्न के प्रबंधन में क्या योगदान दे सकते हैं?
(a) वन एवं वन्य जंतु
(b) जल संसाधन
(c) कोयला एवं पेट्रोलियम
उत्तर:
(a) वन एवं वन्य जंतु स्थानीय लोगों की भागीदारी के बिना वनों का प्रबंधन संभव नहीं है। इसका एक सुंदर उदाहरण अराबारी वन क्षेत्र है जहाँ एक बड़े क्षेत्र में वनों का पुनर्भरण संभव हो सका। अतः मैं लोगों की सक्रिय भागीदारी को सुनिश्चित करना चाहूँगा। मैं संपोषित तरीके से संसाधन के समान वितरण पर जोर देना चाहूँगा ताकि इसका फायदा सिर्फ मुट्ठी भर अमीर एवं शक्तिशाली लोगों को ही प्राप्त न हो।
(b) जल संसाधन अपने दैनिक जीवन में हम जाने-अनजाने पानी की एक बहुत मात्रा का अपव्यय करते हैं जिसे निश्चित रूप से रोका जाना चाहिए। मैं यह सुनिश्चित करना चाहूँगा कि मुझमें ऐसी आदतों का विकास हो जिसके द्वारा पानी बचाना सम्भव हो सके। इसके अतिरिक्त किसी जल संभर तकनीकी की सहायता से भी जल को संरक्षित किया जा सकता है।
(c) कोयला एवं पेट्रोलियम वर्तमान में ये ऊर्जा के मुख्य स्रोत हैं। इन्हें हम कई तरीकों से बचा सकते हैं।

उदाहरण के लिए –

  1. ट्यूबलाइट का उपयोग करके।
  2. अनावश्यक बल्ब तथा पंखों का स्विच बंद करके।
  3. सौर उपकरणों का उपयोग करके।
  4. वाहनों की जगह पैदल अथवा साइकिल द्वारा छोटी दूरियाँ तय करके।
  5. यदि हम वाहन का प्रयोग करते हैं, तो जब हम रेड लाइट पर रुकते हैं तो हमें अपने वाहन के इंजन को बंद कर देना चाहिए।
  6. लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करके।
  7. वाहनों के टायरों में हवा का उपयुक्त दबाव रखकर।

प्रश्न 5.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत निम्नलिखित तरीकों से कम की जा सकती है –

  1. अनावश्यक बल्ब तथा पंखे बन्द करके हम बिजली की बचत कर सकते हैं।
  2. बल्ब की जगह हम ट्यूबलाइट का उपयोग कर सकते हैं।
  3. लिफ्ट की जगह सीढ़ी का इस्तेमाल करके हम बिजली की बचत कर सकते हैं।
  4. छोटी दूरियाँ तय करने के लिए हम वाहनों की जगह पैदल अथवा साइकिल का उपयोग करके पेट्रोल की बचत कर सकते हैं।
  5. जब गाड़ियाँ रेड लाइट पर खड़ी होती हैं तो उनका इंजन बंद करके हम पेट्रोल की बचत कर सकते हैं।
  6. टपकने वाले नलों की मरम्मत कराकर हम पानी की बचत कर सकते हैं।
  7. हम भोजन को व्यर्थ में न फेंककर, भोजन की बचत कर सकते हैं।

प्रश्न 6.
निम्न से संबंधित ऐसे पाँच कार्य लिखिए जो आपने पिछले एक सप्ताह में किए हैं –
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण।
(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है।
उत्तर:
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण –

  1. अनावश्यक पंखे एवं बल्ब को बंद करके हमने बिजली बचाई।
  2. वाहन की जगह पैदल चलकर हमने पेट्रोल बचाया।
  3. हमने टपकने वाले नल की मरम्मत कराकर पानी बचाया।
  4. हमने लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल कर बिजली बचाई।
  5. हमने चटनियों की खाली बोतल का उपयोग मसाले रखने के लिए किया।

(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है –

  1. दाढ़ी बनाते समय हमने पानी का अपव्यय किया है।
  2. मैं सो गया किंतु टेलीविजन चलता रहा।
  3. कमरे को गर्म रखने के लिए बिजली उपकरणों का उपयोग किया।
  4. ट्यूबलाइट की जगह बल्ब का उपयोग किया।
  5. अपना भोजन फेंका।

प्रश्न 7.
इस अध्याय में उठाई गई समस्याओं के आधार पर आप अपनी जीवन-शैली में क्या परिवर्तन लाना चाहेंगे जिससे हमारे संसाधनों के संपोषण को प्रोत्साहन मिल सके?
उत्तर:
हम अपनी जीवन शैली में तीन ‘R’ की संकल्पना को लागू करना चाहेंगे। ये तीन ‘R’ हैं-कम करना, पुनः चक्रण, पुनः उपयोग। ये संसाधनों के संपोषित उपयोग में हमारी मदद करते हैं।

Bihar Board Class 10 Science प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Additional Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन प्राकृतिक संसाधन नहीं है?
(a) जल
(b) वायु
(c) पर्वत
(d) कूड़ा-करकट
उत्तर:
(d) कूड़ा-करकट

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन प्राकृतिक संसाधन है?
(a) सीमेंट
(b) ईंट
(c) बाँध
(d) समुद्र
उत्तर:
(d) समुद्र

प्रश्न 3.
गंगा सफाई योजना कब प्रारंभ हुई थी?
(a) 1985 ई०
(b) 1955 ई०
(c) 2005 ई०
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) 1985 ई०

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

प्रश्न 4.
कोलिफॉर्म समूह है –
(a) विषाणु का
(b) जीवाणु का
(c) प्रोटोजोआ का
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) जीवाणु का

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
यूरो-1 तथा यूरो – II मानक क्या हैं?
उत्तर:
यूरो – I में ईंधन से मुक्त CO2 का उत्सर्जन स्तर 2.75 ग्राम/किमी तथा यूरो – II में यह स्तर 2.20 ग्राम/किमी है। इसके फलस्वरूप प्रदूषण स्तर में काफी कमी आ गई है।

प्रश्न 2.
वन संरक्षण हेतु सबसे उपयोगी विधि क्या हो सकती है?
उत्तर:
स्थानीय नागरिकों को वन संरक्षण का प्रबन्धन दिया जाना चाहिए, क्योंकि ये वन का संपोषित तरीके से उपयोग करते हैं।

प्रश्न 3.
किन्हीं दो वन उत्पाद आधारित उद्योगों के नाम बताइए।
उत्तर:
1. प्लाईवुड उद्योग में लकड़ी का उपयोग किया जाता है।
2. बीड़ी उद्योग में तेंदूपत्ता का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 4.
विभिन्न प्राकृतिक संसाधन कौन-से हैं?
उत्तर:
मृदा, जल, वायु, वन्य-जीव, कोयला, पेट्रोलियम आदि विभिन्न प्राकृतिक संसाधन हैं।

प्रश्न 5.
कोयला और पेट्रोलियम के उपयोग को कम करने के लिए दो उपाय बताइए।
उत्तर:
1. कोयला के उपयोग को कम करने के लिए हमें विद्युत की खपत पर नियन्त्रण रखना होगा।
2. पेट्रोलियम के उपयोग को कम करने के लिए सामुदायिक वाहनों के प्रयोग के लिए जनसमुदाय को प्रेरित करना चाहिए।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

प्रश्न 6.
‘खादिन’ या ‘ढोरा’ पद्धति किससे सम्बन्धित हैं?
उत्तर:
खादिन या ढोरा पद्धति खेतों में बहने वाले वर्षा जल के संग्रहण पर आधारित प्रणाली हैं। इस जल का उपयोग फसल उत्पादन के लिए किया जाता है।

प्रश्न 7.
क्योटो प्रोटोकॉल समझौता क्या है?
उत्तर:
कार्बन डाइऑक्साइड तथा हरित गैस उत्सर्जन स्तर में 1990 की तुलना में 5.2% कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित करने के लिए 1997 में जापान के क्योटो शहर में यह समझौता लागू किया गया था।

उत्तर 8.
पर्यटक किस प्रकार वन पर्यावरण को क्षति पहुँचाते हैं?
उत्तर:
पर्यटक कूड़ा-कचरा, प्लास्टिक की बोतलें, पॉलिथीन, टिन पैक आदि को इधर-उधर फेंककर वन पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। पर्यटकों को वन क्षेत्रों में लाने ले जाने के लिए प्रयोग किए जाने वाहनों से मुक्त विषाक्त गैसें पर्यावरण को प्रदूषित करती हैं।

प्रश्न 9.
अमृता देवी विश्नोई राष्ट्रीय पुरस्कार क्यों दिया जाता है?
उत्तर:
अमृता देवी विश्नोई ने 1731 में ‘खेजरी वृक्षों’ को बचाने के लिए 363 व्यक्तियों के साथ स्वयं को बलिदान कर दिया था। उनकी स्मृति में जीव संरक्षण हेतु यह पुरस्कार दिया जाता है।

प्रश्न 10.
वन उत्पादों की एक सूची बनाइए।
उत्तर:
लकड़ी, बाँस, जड़ी-बूटी, औषधि, विभिन्न प्रकार के कन्द-मूल फल, मछली एवं पशुओं का चारा आदि।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

प्रश्न 11.
राष्ट्रीय उद्यानों में पशुओं को चराना किस प्रकार हानिकारक है?
उत्तर:
राष्ट्रीय उद्यानों में पशुओं को चराने से मिट्टी उखड़ जाती है, घास आदि कुचल जाती है। इससे मृदा अपरदन होने लगता है। इससे राष्ट्रीय उद्यान को क्षति होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन विनियमन के अन्तर्राष्ट्रीय मानकों को प्राप्त करने के लिए हम किस प्रकार सहयोग कर सकते हैं?
उत्तर:
कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन विनियमन हेतु निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं –

  • स्वचालित वाहन का उपयोग कम करें; यथासम्भव सामुदायिक वाहनों का उपयोग किया जाना चाहिए। चौराहों पर लाल बत्ती होने पर इंजन को बन्द कर दें। इंजन को समय-समय पर ट्यून कराते रहें।
  • छोटी दूरी तय करने के लिए पैदल चलें या साइकिल का प्रयोग करें।
  • विद्युत का उपयोग करते समय ध्यान रखें कि कम-से-कम और आवश्यकता के अनुरूप ही उपकरणों का प्रयोग हो। विद्युत उत्पादन के समय प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से CO2 का उत्सर्जन होता है।
  • वृक्षारोपण के लिए जनसामान्य को जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए।

प्रश्न 2.
सार्वसूचक (universal indicator) की सहायता से अपने घर में आपूर्त पानी का pH ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
सार्वसूचक (universal indicator) एक pH सूचक है, जो pH के विभिन्न मान वाले विलयनों में विभिन्न रंग प्रदर्शित करता है। अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं। ये नीले लिटमस को लाल कर देते हैं। क्षारकों का स्वाद कडुवा होता है। यह लाल लिटमस को नीला कर देते हैं। लिटमस एक प्राकृतिक सूचक होता है। पानी के नमूनों को अलग-अलग परखनली या बीकर में लेते हैं, इनमें लिटमस कागज डालने पर कागज के रंग में आने वाले परिवर्तनों से पानी के नमूने की प्रकृति ज्ञात की जा सकती है। यदि रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता तो वह जल का नमूना उदासीन होता है। उदासीन जल का pH मान 7 होता है। pH मान 7 से कम होना अम्लीयता को और अधिक होना क्षारीयता को प्रदर्शित करता है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

रंग और निष्कर्ष –
लाल – अत्यधिक अम्लीय
नारंगी – अम्लीय
नीला – क्षारीय
बैंगनी – अत्यधिक क्षारीय

प्रश्न 3.
वनों के समीपवर्ती क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय निवासियों की क्या आवश्यकताएँ हैं?
उत्तर:
वनों के समीपवर्ती क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय निवासियों को जलाने के लिए लकड़ी, छाजन एवं आवास के लिए लकड़ी की अधिक आवश्यकता होती है। भोजन के भण्डारण के लिए कृषि उपकरणों, शिकार करने और मछली आदि पकड़ने के लिए औजार लकड़ी से बने होते हैं। स्थानीय निवासी वनों से कन्द, मूल, फल तथा औषधि प्राप्त करते हैं। अपने पालतु पशुओं को वनों में चराते हैं और वनों से ही पशुओं के लिए चारा प्राप्त करते हैं। वन क्षेत्र से ये भोजन हेतु जन्तु और मछली प्राप्त करते हैं। ये अपने दैनिक उपभोग की लगभग सभी वस्तुएँ वन से प्राप्त कर लेते हैं।

प्रश्न 4.
कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन के विनियमन के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मानक का पता लगाइए।
उत्तर:
क्योटो प्रोटोकॉल में CO2 के उत्सर्जन के विनियमन के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मानकों की चर्चा की गई थी। इस समझौते के अनुसार औद्योगिक राष्ट्रों को अपने CO2 तथा अन्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन स्तर में 5.2% की कमी लाने के लिए कहा गया था। ऑस्ट्रेलिया एवं आइसलैण्ड के लिए यह मानक क्रमशः 8% तथा 10% निर्धारित किया गया। क्योटो प्रोटोकॉल समझौता जापान के क्योटो शहर में दिसम्बर 1997 में हुआ था और इसे 16 फरवरी 2005 को लागू किया गया। दिसम्बर 2006 तक 169 देशों ने इस समझौते का अनुमोदन कर दिया था।

प्रश्न 5.
पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य प्राप्ति के लिए आप क्या योगदान दे सकते हैं?
उत्तर:
पर्यावरण को बचाने के लिए 3R तकनीक का उपयोग करके इस समस्या का प्रभावी समाधान प्रस्तुत कर सकते हैं। जल, कोयला, पेट्रोलियम, विद्युत, धातु तथा अन्य अनेक प्राकृतिक संसाधनों का कम उपयोग (Reduce), पुनः चक्रण (Recyling) तथा पुन: उपयोग (Reuse) करके पर्यावरण संरक्षण कर सकते हैं।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

प्रश्न 6.
ऐसे क्षेत्रों की पहचान कीजिए जहाँ पर जल की प्रचुरता है तथा ऐसे क्षेत्रों की जहाँ इसकी बहुत कमी है।
उत्तर:
अत्यधिक वर्षा या जल की प्रचुरता वाले क्षेत्र जहाँ प्रतिवर्ष 200 सेमी से अधिक वर्षा होती है महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्र, गोआ, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश एवं असम आदि हैं। हल्की वर्षा वाले क्षेत्र अर्थात् जहाँ प्रतिवर्ष 50 से 100 सेमी वर्षा होती है ऊपरी गंगा घाटी, पूर्वी राजस्थान, हरियाणा एवं पंजाब के कुछ हिस्से, पश्चिमी राजस्थान, थार, कच्छ, पश्चिमी घाट के वर्षा-छाया क्षेत्र आदि हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
“गंगा सफाई योजना”का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों के अविवेकपूर्ण दोहन से अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं, इसके लिए सामाजिक जागरूकता लाना अनिवार्य है। गंगा सफाई योजना इसी दिशा में किया गया एक प्रयत्न है। प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन 345 जीवन दायिनि गंगा को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए यह योजना 1985 में प्रारम्भ की गई। कई करोड़ों की यह योजना गंगा जल की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए प्रारम्भ हुई। गंगा हिमालय में स्थित अपने उद्गम गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी में गंगासागर तक 2500 किमी तक यात्रा करती है। इसके किनारे स्थित उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा बंगाल के 100 से अधिक नगरों का औद्योगिक कचरा इसमें मिलता जाता है, इसके फलस्वरूप इसका स्वरूप नाले के समान हो गया है।

इसके अतिरिक्त इसमें प्रचुर मात्रा में अपमार्जक (detergents), वाहितमल (sewage), मृत शवों का प्रवाह, मृत व्यक्तियों की राख आदि प्रवाहित किए जाते रहते हैं। इसके कारण इसका जल विषाक्त होने लगा है। विषाक्त जल के कारण अत्यधिक संख्या में मछलियाँ तथा अन्य जलीय जीव मर रहे हैं। कोलिफॉर्म जीवाणु का एक वर्ग है जो मानव की आँत में पाया जाता है। गंगाजल में इसकी उपस्थिति से जल प्रदूषण का स्तर प्रदर्शित होता है। गंगा सफाई योजना गंगा नदी और इसके जल को संदषित होने से बचाने के लिए प्रारम्भ की गई है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

प्रश्न 2.
एक एटलस की सहायता से भारत में वर्षा के पैटर्न का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में वर्षा ऋतु का आगमन प्रायद्वीपीय भारत के दक्षिणी सिरे पर जून के प्रथम सप्ताह में मानसून से होता है। इसके पश्चात् मानसून दो शाखाओं में बँट जाता है-अरब सागर शाखा तथा बंगाल की खाड़ी शाखा। अरब सागर शाखा 10 जून तक मुम्बई पहुँच जाती है। बंगाल की खाड़ी शाखा तेजी से बढ़ती हुई जून के प्रथम सप्ताह में असम पहुँच जाती है। पर्वत श्रृंखलाएँ इन मानसूनी हवाओं को पश्चिम की ओर गंगा के मैदानों के ऊपर मोड़ देती हैं। अरब सागर शाखा और बंगाल की खाड़ी शाखा गंगा के मैदान के उत्तर-पश्चिम भाग में एक- दूसरे से मिल जाती हैं।

मानसून दिल्ली में जून के अन्त में पश्चिम उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, पूर्वी राजस्थान में जूलाई के प्रथम सप्ताह में और मध्य जुलाई तक शेष भारत में मानसून पहुँच जाता है। मानसून के वापस लौटने की शुरुआत सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह में उत्तर पूर्वी राज्यों से होती है। मध्य अक्टूबर तक यह प्रायद्वीपीय भारत के उत्तरीय आधे हिस्से से लौट जाता है। यह क्रिया धीमी गति से होती है। इसके विपरीत भारत के दक्षिणी आधे भाग से मानसून बहुत तेजी से लौटता है। दिसम्बर के आरम्भ तक पूरे देश से मानसून प्राय: लौट जाता है। इसी के साथ भारत शीत लहर के प्रभाव में आ चुका होता है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

BSEB Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

Bihar Board Class 10 Science हमारा पर्यावरण InText Questions and Answers

अनुच्छेद 15.1 पर आधारित

प्रश्न 1.
क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं और कुछ अजैव निम्नीकरणीय?
उत्तर:
कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जिन पर सूक्ष्म जीव अपना प्रभाव डालते हैं और उन्हें सरल पदार्थों में बदल देते हैं। सूक्ष्म जीवों का असर केवल कुछ पदार्थों पर ही होता है। अत: कुछ पदार्थ ही जैव निम्नीकरणीय होते हैं। कुछ पदार्थ ऐसे भी होते हैं जिन पर सूक्ष्म जीवों का असर नहीं होता और वे सरल पदार्थों में नहीं टूटते हैं। ऐसे पदार्थों को अजैव निम्नीकरणीय कहते हैं।

प्रश्न 2.
ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर:
1. जैव निम्नीकरणीय पदार्थ अपघटित होकर दुर्गन्ध फैलाते हैं।
2. जैव निम्नीकरणीय पदार्थ अपघटित होकर बहुत-सी विषैली गैसें वातावरण में मिलाते हैं जिससे वायु प्रदूषण फैलता है।

प्रश्न 3.
ऐसे दो तरीके बताइए जिनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर:
1. अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण में लंबे समय तक रहते हैं और पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। ये पदार्थों के चक्रण में बाधा पहुँचाते हैं।
2. ऐसे बहुत-से पदार्थ जल प्रदूषण व भूमि प्रदूषण का कारण बनते हैं।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

अनुच्छेद 15.2 पर आधारित

प्रश्न 1.
पोषी स्तर क्या हैं? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण दीजिए तथा इसमें विभिन्न पोषी स्तर बताइए।
उत्तर:
किसी आहार श्रृंखला के विभिन्न चरणों या स्तरों को पोषी स्तर कहते हैं। आहार श्रृंखला का उदाहरण घास → हिरन → शेर इस आहार श्रृंखला में विभिन्न पोषी स्तर निम्नलिखित हैं –

  • प्रथम पोषी स्तर घास है। यह उत्पादक है।
  • द्वितीय पोषी स्तर हिरन है। यह प्रथम उपभोक्ता है। इसे शाकाहारी भी कहते हैं।
  • तृतीय पोषी स्तर शेर है। यह उच्च मांसाहारी है।

प्रश्न 2.
पारितंत्र में अपमार्जकों की क्या भूमिका है?
उत्तर:
अपमार्जकों को प्राकृतिक सफाई एजेन्ट कहते हैं। अपमार्जकों का कार्य जैव निम्नीकरणीय पदार्थों पर होता है। ये उन पदार्थों को सरल पदार्थों में तोड़ते हैं। इस प्रकार अपमार्जक वातावरण में संतुलन बनाने का कार्य करते हैं तथा एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं।

अनुच्छेद 15.3 पर आधारित

प्रश्न 1.
ओजोन क्या है तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है?
उत्तर:
ओजोन ऑक्सीजन का एक अपररूप है। इसका एक अणु ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बना होता है। इसका अणुसूत्र 0 है। यह ऑक्सीजन के तीन अणुओं की सूर्य के प्रकाश (UV rays) की उपस्थिति में अभिक्रिया द्वारा बनती है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण
ओजोन पृथ्वी की सतह पर एक आवरण बनाती है जो पराबैंगनी विकिरणों से बचाती है। यह पराबैंगनी विकिरण हमारे लिए बहुत हानिकारक है। इस प्रकार यह पारितन्त्र को नष्ट होने से बचाती है।

प्रश्न 2.
आप कचरा निपटान की समस्या कम करने में क्या योगदान कर सकते हैं? किन्हीं दो तरीकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. पदार्थ दो प्रकार के होते हैं – जैव निम्नीकरणीय तथा अजैव निम्नीकरणीय। इनमें से हमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थों का अधिक उपयोग करना चाहिए।
2. जैव निम्नीकरणीय पदार्थों को खाद में बदल देना चाहिए तथा अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों को चक्रण के लिए फैक्टरी में भेज देना चाहिए।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

Bihar Board Class 10 Science हमारा पर्यावरण Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-से समूहों में केवल जैव निम्नीकरणीय पदार्थ हैं?
(a) घास, पुष्प तथा चमड़ा
(b) घास, लकड़ी तथा प्लास्टिक
(c) फलों के छिलके, केक एवं नींबू का रस
(d) केक, लकड़ी एवं घास
उत्तर:
(a), (c) और (d)

प्रश्न 2.
निम्न में से कौन आहार श्रृंखला का निर्माण करते हैं?
(a) घास, गेहूँ तथा आम
(b) घास, बकरी तथा मानव
(c) बकरी, गाय तथा हाथी
(d) घास, मछली तथा बकरी
उत्तर:
(b) घास, बकरी तथा मानव

प्रश्न 3.
निम्न में से कौन पर्यावरण-मित्र व्यवहार कहलाते हैं?
(a) बाजार जाते समय सामान के लिए कपड़े का थैला ले जाना
(b) कार्य समाप्त हो जाने पर लाइट (बल्ब) तथा पंखे का स्विच बंद करना
(c) माँ द्वारा स्कूटर से विद्यालय छोड़ने के बजाय तुम्हारा विद्यालय तक पैदल जाना
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

प्रश्न 4.
क्या होगा यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें (मार डालें)?
उत्तर:
खाद्य श्रृंखला के सभी पोषी स्तरों के जीव भोजन के लिए एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। यदि किसी एक पोषी स्तर के सभी जीव मार दिए जाएँ तो पूरी खाद्य श्रृंखला नष्ट हो जाएगी। ऐसा इसलिए होता है; क्योंकि इससे खाद्य श्रृंखला में ऊर्जा का प्रवाह रुक जाता है।

प्रश्न 5.
क्या किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों के लिए अलग-अलग होगा? क्या किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव है?
उत्तर:
नहीं, सभी पोषी स्तरों के लिए प्रभाव अलग-अलग नहीं होता। यह सभी पर समान प्रभाव डालता है। किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना सम्भव नहीं है। इनका हटाना पारितंत्र में विभिन्न प्रकार के प्रभाव डालता है तथा असंतुलन पैदा करता है।।

प्रश्न 6.
जैविक आवर्धन (biological magnification) क्या है? क्या पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होगा?
उत्तर:
जब कोई हानिकारक रसायन जैसे डी०डी०टी० किसी खाद्यशंखला में प्रवेश करता है तो इसका सांद्रण धीरे-धीरे प्रत्येक पोषी स्तर में बढ़ता जाता है। इस परिघटना को जैविक आवर्धन कहते हैं। इस आवर्धन का स्तर अलग-अलग पोषी स्तरों पर भिन्न-भिन्न होगा। जैसे –
जल → शैवाल/प्रोटोजोआ → मछली → मनुष्य 0.02ppm 5ppm 240ppm 1600 ppm
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

प्रश्न 7.
हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं?
उत्तर:
अजैव निम्नीकरणीय कचरे के ढेर पर्यावरण में बहुत लंबे समय तक रहते हैं और नष्ट नहीं होते। अत: वे बहुत-सी समस्याएँ उत्पन्न करते हैं; जैसे –

  • ये जल प्रदूषण करते हैं जिससे जल पीने योग्य नहीं रहता।
  • ये भूमि प्रदूषण करते हैं जिससे भूमि की सुन्दरता नष्ट होती है।
  • ये नालियों में जल के प्रवाह को रोकते हैं।
  • ये वायुमंडल को भी विषैला बनाते हैं।

प्रश्न 8.
यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो तो क्या इनका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा?
उत्तर:
जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट लंबे समय तक नहीं रहते हैं। अतः उनका हानिकारक प्रभाव वातावरण पर पड़ता तो है पर केवल कुछ समय के लिए ही रहता है। ये पदार्थ लाभदायक पदार्थों में बदले जा सकते हैं तथा सरल पदार्थों में तोड़े जा सकते हैं। अतः हमारे वातावरण पर इनका भी प्रभाव पड़ता है लेकिन केवल कुछ समय तक ही रहता है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

प्रश्न 9.
ओज़ोन परत की क्षति हमारे लिए चिंता का विषय क्यों है? इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
उत्तर:
ओजोन परत की क्षति हमारे लिए अत्यंत चिंता का विषय है क्योंकि यदि इसकी क्षति अधिक होती है तो अधिक-से-अधिक पराबैंगनी विकिरणें पृथ्वी पर आएँगी जो हमारे लिए निम्न प्रकार से हानिकारक प्रभाव डालती हैं –

  • इनका प्रभाव त्वचा पर पड़ता है जिससे त्वचा के कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।
  • पौधों में वृद्धि दर कम हो जाती है।
  • ये सूक्ष्म जीवों तथा अपघटकों को मारती हैं इससे पारितंत्र में असंतुलन उत्पन्न हो जाता है।
  • ये पौधों में पिगमेंटों को नष्ट करती हैं।

ओजोन परत की क्षति कम करने के उपाय –

  • एरोसोल तथा क्लोरोफ्लोरो कार्बन यौगिक का कम-से-कम उपयोग करना।
  • सुपर सोनिक विमानों का कम-से-कम उपयोग करना।
  • संसार में नाभिकीय विस्फोटों पर नियंत्रण करना।

Bihar Board Class 10 Science हमारा पर्यावरण Additional Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पर्यावरण के कितने घटक होते हैं?
(a) एक
(b) दो
(c) तीन
(d) चार
उत्तर:
(b) दो

प्रश्न 2.
निम्न में से पारितन्त्र के प्रमुख घटक हैं –
(a) जैविक घटक
(b) अजैविक घटक
(c) (i) व (ii) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) (i) व (ii) दोनों

प्रश्न 3.
पृथ्वी के चारों ओर स्थित गैसीय आवरण को कहते हैं –
(a) स्थलमण्डल
(b) जलमण्डल
(c) (i) व (ii) दोनों
(d) वायुमण्डल
उत्तर:
(d) वायुमण्डल

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

प्रश्न 4.
अमोनियम आयन को नाइट्रेट में बदलने की क्रिया को कहते हैं –
(a) अमोनीकरण
(b) नाइट्रीकरण
(c) विनाइट्रीकरण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) नाइट्रीकरण

प्रश्न 5.
मिट्टी में उपस्थित नाइट्रेट तथा अमोनिया को स्वतन्त्र नाइट्रोजन में बदलने की क्रिया को कहते हैं –
(a) विनाइट्रीकरण
(b) नाइट्रीकरण
(c) अमोनीकरण
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a)विनाइट्रीकरण

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पारितन्त्र में कौन-कौन से घटक हैं? पारितन्त्र में आप खरगोश को कहाँ रखेंगे?
उत्तर:
पारितन्त्र में मुख्यत: दो प्रकार के घटक होते हैं- जैवीय घटक तथा अजैवीय घटक। खरगोश एक जैवीय घटक है। शाकाहारी खरगोश प्रथम श्रेणी का उपभोक्ता होता है।

प्रश्न 2.
जैव समुदाय तथा अजैव वातावरण के पारस्परिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अजैव जगत से विभिन्न अकार्बनिक तथा कार्बनिक पदार्थ जैव जगत में प्रवेश करते हैं। जीवधारियों के शरीर में पाए जाने वाले विभिन्न कार्बनिक पदार्थ मृत्यु उपरान्त मृदा में मिल जाते हैं। अपघटक जटिल कार्बनिक पदार्थों का विघटन कर देते हैं जिससे इनका पुनः उपयोग हो सके।

प्रश्न 3.
हरे पौधों को उत्पादक क्यों कहा जाता है? कुकुरमुत्ता ऊर्जा कैसे प्राप्त करता है?
उत्तर:
हरे पौधे अकार्बनिक पदार्थों से कार्बनिक भोज्य पदार्थों का संश्लेषण करते हैं; अतः इन्हें उत्पादक कहते हैं। कुकुरमुत्ता मृत कार्बनिक पदार्थों का विघटन करके ऊर्जा प्राप्त करता है।

प्रश्न 4.
जन्तु स्वपोषी क्यों नहीं होते?
उत्तर:
जन्तुओं में पर्णहरिम नहीं पाया जाता (यूग्लीना को छोड़कर); अत: जन्तु अपना भोजन स्वयं नहीं बना पाते और भोजन के लिए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से पौधों पर निर्भर रहते हैं।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

प्रश्न 5.
बैक्टीरिया तथा कवक का पारितन्त्र में क्या कार्य है?
या किन्हीं दो अपघटकों के नाम लिखिए और स्पष्ट कीजिए कि ये किस प्रकार हमारे लिए लाभदायक हैं?
उत्तर:
बैक्टीरिया तथा कवक पारितन्त्र में अपघटक (decomposer) का कार्य करते हैं अर्थात् ये कार्बनिक पदार्थों को उनके अवयवों में तोड़कर विभिन्न पदार्थों के चक्रीय प्रवाह को बनाए रखते हैं।

प्रश्न 6.
किन-किन प्रमुख स्त्रोतों से कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होकर वायुमण्डल में पहुँचती है?
उत्तर:
कार्बन डाइऑक्साइड जीवधारियों के द्वारा श्वसन के अतिरिक्त पदार्थों के जलने से, विभिन्न चट्टानों (कार्बोनेट्स) के ऑक्सीकृत होने से, जीवाणु एवं कवक आदि के द्वारा कार्बनिक पदार्थों के अपघटन से तथा ज्वालामुखी के फटने आदि से वायुमण्डल में पहुँचती है।

प्रश्न 7.
पौधे नाइट्रोजन को किस रूप में ग्रहण करते हैं?
उत्तर:
पौधे नाइट्रोजन को सरल यौगिकों; जैसे-नाइट्रेट्स के रूप में ग्रहण करते हैं।

प्रश्न 8.
दो नाइट्रोजनकारी जीवाणुओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
1. नाइट्रोसोमोनास (Nitrosomonas) ये जीवाणु अमोनिया को नाइट्राइट में बदल देते हैं।
2. नाइट्रोबैक्टर (Nitrobactor) ये जीवाणु नाइट्राइट को नाइट्रेट्स में बदल देते हैं।

प्रश्न 9.
जैव आवर्धन क्या है? अजैव विकृतीय रसायन द्वारा जैव आवर्धन किस प्रकार होता
उत्तर:
कुछ अजैव विकृतीय रसायन; जैसे – डी०डी०टी० हमारी खाद्य श्रृंखला में प्रवेश करते हैं तथा जीवों के अंगों में प्रत्येक स्तर पर प्रभाव डालते हैं तथा उनमें मात्रा में वृद्धि के साथ संचित हो जाते हैं। इसको जैव आवर्धन कहते हैं।

प्रश्न 10.
प्रदूषक किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह पदार्थ या कारक जिसके कारण वायु, भूमि तथा जल के भौतिक, रासायनिक तथा जैविक लक्षणों में अवांछित परिवर्तन हो, प्रदूषक कहलाता है।

प्रश्न 11.
प्रदूषण की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
वायु, जल तथा भूमि में उन अवांछित और अत्यधिक पदार्थों का इकट्ठा हो जाना जिनसे प्राकृतिक पर्यावरण में प्रतिकूल परिवर्तन आ जाते हैं, प्रदूषण कहलाता है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

प्रश्न 12.
पर्यावरणीय प्रदूषण क्या होता है? मानव के लिए हानिकर अजैव निम्नीकरणीय तीन प्रदूषकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
वायु, जल तथा भूमि में उन अवांछित अत्यधिक पदार्थों का एकत्रित हो जाना, जिनसे प्राकृतिक पर्यावरण में प्रतिकूल परिवर्तन आ जाते हैं, पर्यावरणीय प्रदूषण कहलाता है।
अजैव निम्नीकरणीय –

  • कीटनाशी तथा पीड़कनाशी
  • प्लास्टिक तथा
  • रेडियोऐक्टिव अपशिष्ट पदार्थ।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
जीवमण्डल की परिभाषा दीजिए। जीवमण्डल के कौन-से तीन प्रमुख भाग हैं?
उत्तर:
जीवमण्डल स्थलमण्डल, जलमण्डल तथा वायुमण्डल का वह क्षेत्र जिसमें जीवधारी पाए जाते हैं जीवमण्डल कहलाता है। जीवमण्डल में ऊर्जा तथा पदार्थों का निरन्तर आदान-प्रदान जैविक तथा अजैविक घटकों के मध्य होता रहता है। जीवमण्डल का विस्तार लगभग 14-15 किमी होता है। वायुमण्डल में 7-8 किमी ऊपर तक तथा समुद्र में 6-7 किमी गहराई तक जीवधारी पाए जाते हैं।

हमारा पर्यावरण 329 जीवमण्डल के तीन प्रमुख भाग निम्नलिखित हैं –
1. स्थलमण्डल (Lithosphere):
यह पृथ्वी का ठोस भाग है। इसका निर्माण चट्टानों, मृदा, रेत आदि से होता है। पौधे अपने लिए आवश्यक खनिज लवण मृदा से घुलनशील अवस्था में ग्रहण करते हैं।

2. जलमण्डल (Hydrosphere):
स्थलमण्डल पर उपस्थित तालाब, कुएँ, झील, नदी, समुद्र आदि मिलकर ‘जलमण्डल’ बनाते हैं। जलीय जीवधारी अपने लिए आवश्यक खनिज जल से प्राप्त करते हैं। जल जीवन के लिए अति महत्त्वपूर्ण होता है। यह जीवद्रव्य का अधिकांश भाग बनाता है। पौधे जड़ों के द्वारा या शरीर सतह से जल ग्रहण करते हैं। जन्तु जल को भोजन के साथ ग्रहण करते हैं तथा आवश्यकतानुसार इसकी पूर्ति जल पीकर भी करते हैं।

3. वायुमण्डल (Atmosphere):
पृथ्वी के चारों ओर स्थित गैसीय आवरण को वायुमण्डल कहते हैं। वायुमण्डल में विभिन्न गैसें सन्तुलित मात्रा में पाई जाती हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में अन्तर लिखिए –

  1. उत्पादक तथा उपभोक्ता
  2. स्थलमण्डल तथा वायुमण्डल
  3. पारिस्थितिक तन्त्र तथा जीवोम
  4. समष्टि तथा समुदाय।

उत्तर:

1. उत्पादक तथा उपभोक्ता में अन्तर –
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण
2. स्थलमण्डल तथा वायुमण्डल में अन्तर –
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण
3. पारिस्थितिक तन्त्र तथा जीवोम या बायोम में अन्तर –
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण
4. समष्टि तथा समुदाय में अन्तर –
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

प्रश्न 3.
हरे पौधों द्वारा सूर्य-प्रकाश ऊर्जा को किस प्रकार की ऊर्जा में रूपान्तरित किया जाता है? उस प्रक्रम का भी नाम लिखिए जिसके द्वारा हरी वनस्पतियाँ सौर ऊर्जा को ग्रहण कर उसको जैव उपयोगी ऊर्जा में रूपान्तरित करती हैं।
उत्तर:
हरे पौधों द्वारा सूर्य-प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में रूपान्तरित किया जाता है। हरी वनस्पतियाँ प्रकाश संश्लेषण द्वारा सौर ऊर्जा को ग्रहण कर उसको जैव उपयोगी रासायनिक ऊर्जा में रूपान्तरित करके कार्बनिक भोज्य पदार्थों में संचित करती हैं।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण
पर्णहरिम इस क्रिया में प्रकाश की गतिज ऊर्जा, रासायनिक ऊर्जा के रूप में परिवर्तित होकर भोजन (ग्लूकोज) के रूप में संचित हो जाती है।

प्रश्न 4.
कीटनाशक DDT के प्रयोग को हतोत्साहित किया जा रहा है क्योंकि यह मानव शरीर में पाया गया है। किस प्रकार यह रसायन शरीर के अन्दर प्रवेश करता है?
उत्तर:
DDT अजैव निम्नीकरणीय प्रदूषक है। यह लम्बे समय तक वातावरण और मृदा में विषाक्तता को बनाए रखता है। यह मृदा से वनस्पतियों द्वारा अवशोषित किया जाता है तथा पशुओं और मानव द्वारा वनस्पतियों के उपयोग करने पर उनके शरीर में प्रवेश करता है। पशुओं का उपभोग करने पर यह मनुष्यों के शरीर में पहुँच जाता है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

प्रश्न 5.
निम्नलिखित को उदाहरण सहित समझाइए
1. अम्ल वर्षा
2. ओजोन की न्यूनता
उत्तर:
1. अम्ल वर्षा अम्ल वर्षा वायु में उपस्थित नाइट्रोजन तथा सल्फर के ऑक्साइड के कारण होती है। ये गैसीय ऑक्साइड वर्षा के जल के साथ मिलकर क्रमश: नाइट्रिक अम्ल तथा सल्फ्यूरिक अम्ल बनाते हैं। वर्षा के साथ ये अम्ल भी पृथ्वी पर नीचे आ जाते हैं। इसे ही अम्ल वर्षा या अम्लीय

पारितन्त्र के निम्नलिखित दो प्रमुख घटक होते है –
(I) सजीव या जैविक घटक समस्त जन्तु एवं पौधे जीवमण्डल में जैविक घटक के रूप में पाए जाते हैं। जैविक घटक को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है –
1. उत्पादक Producers हरे प्रकाश संश्लेषी पौधे उत्पादक कहलाते हैं। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में पौधे कार्बन डाइऑक्साइड एवं पानी की सहायता से प्रकाश एवं पर्णहरिम की उपस्थिति में ग्लूकोज का निर्माण करते हैं। ग्लूकोज अन्य भोज्य पदार्थों (प्रोटीन, मण्ड व वसा) में परिवर्तित हो जाता है, जिसको जन्तु भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण
2. उपभोक्ता (Consumers) जन्तु पौधों द्वारा बनाए गए भोजन पर आश्रित रहते हैं, इसलिए जन्तुओं को उपभोक्ता कहते हैं। कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, वसा, विटामिन तथा खनिज तत्व हमारे भोजन के अवयव हैं जो अनाज, बीज, फल, सब्जी आदि से प्राप्त होते हैं। ये सभी पौधों की ही देन हैं। कुछ जन्तु मांसाहारी होते हैं जो अपना भोजन शाकाहारी जन्तुओं का शिकार करके प्राप्त
करते हैं।

उपभोक्ता निम्न प्रकार के होते हैं –
(i) प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता: (Primary consumers) ये शाकाहारी होते हैं। इसके अन्तर्गत वे जन्तु आते हैं जो अपना भोजन सीधे हरे पौधों से प्राप्त करते हैं; जैसे – खरगोश, बकरी, टिड्ढा, चूहा, हिरन, भैंस, गाय, हाथी आदि।

(ii) द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता या मांसाहारी:  (Secondary consumers or Carnivores) ये मांसाहारी होते हैं एवं प्राथमिक उपभोक्ताओं या शाकाहारी प्राणियों का शिकार करते हैं; जैसे – सर्प, मेढक, गिरगिट, छिपकली, मैना पक्षी, लोमड़ी, भेड़िया, बिल्ली आदि।

(iii) तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता या तृतीयक उपभोक्ता: (Tertiary consumers) इसमें द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ताओं को खाने वाले जन्तु आते हैं; जैसे – सर्प मेढक का शिकार करते हैं, बड़ी मछलियाँ छोटी मछलियों का शिकार करती हैं, चिड़ियाँ मांसाहारी मछलियों का शिकार करती हैं। कुछ जन्तु एक से अधिक श्रेणी के उपभोक्ता हो सकते हैं (जैसे – बिल्ली, मनुष्य आदि)। ये मांसाहारी एवं शाकाहारी दोनों होते हैं; अत: ये सर्वभक्षी (omnivore) कहलाते हैं।

3. अपघटनकर्ता या अपघटक (Decomposers) ये जीवमण्डल के सूक्ष्म जीव हैं;
जैसे-जीवाणु व कवक। ये उत्पादक तथा उपभोक्ताओं के मृत शरीर को सरल यौगिकों में अपघटित कर देते हैं। ऐसे जीवों को अपघटक (decomposers) कहते हैं। ये विभिन्न कार्बनिक पदार्थों को उनके सरल अवयवों में तोड़ देते हैं। सरल पदार्थ पुनः भूमि में मिलकर पारितन्त्र के अजैव घटक का अंश बन जाते हैं।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

(II) निर्जीव या अजैविक घटक इसके अन्तर्गत निर्जीव वातावरण आता है, जो विभिन्न जैविक घटकों का नियन्त्रण करता है। अजैव घटक को निम्नलिखित तीन उप-घटकों में विभाजित किया गया है।
1. अकार्बनिक: (Inorganic) इसके अन्तर्गत पोटैशियम, कैल्सियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, लोहा, सल्फर आदि के लवण, जल तथा वायु की गैसें; जैसे-ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, अमोनिया आदि; आती हैं।

2. कार्बनिक: (Organic) इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा आदि सम्मिलित हैं। ये मृतक जन्तुओं एवं पौधों के शरीर से प्राप्त होते हैं। अकार्बनिक एवं कार्बनिक भाग मिलकर निर्जीव वातावरण का निर्माण करते हैं।

3. भौतिक घटक: (Physical components) इसमें विभिन्न प्रकार के जलवायवीय कारक; जैसे-वायु, प्रकाश, ताप, विद्युत आदि; आते हैं। वर्षा (acid rain) कहते हैं। इसके कारण अनेक ऐतिहासिक भवनों, स्मारकों, मूर्तियों का संक्षारण हो जाता है जिससे उन्हें काफी नुकसान पहुँचता है। अम्लीय वर्षा के कारण, मृदा भी अम्लीय हो जाती है जिससे धीरे-धीरे उसकी उर्वरता कम हो जाती है। इस कारण वन तथा कृषि उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

2. ओजोन की न्यूनता रेफ्रीजरेटर, अग्निशमन यन्त्र तथा ऐरोसॉल स्प्रे में उपयोग किए जाने वाले क्लोरो-फ्लुओरो कार्बन (CFC) से वायुमण्डल में ओजोन परत का ह्रास होता है। हानियाँ ओजोन परत में ह्रास के कारण सूर्य से पराबैंगनी (UV) किरणें अधिक मात्रा में पृथ्वी पर पहुँचती हैं। पराबैंगनी विकिरण से आँखों तथा प्रतिरक्षी तन्त्र को नुकसान पहुंचता है। इससे त्वचा का कैंसर भी हो जाता है। ओजोन परत के ह्रास के कारण वैश्विक वर्षा, पारिस्थितिक असन्तुलन तथा वैश्विक खाद्यान्नों की उपलब्धता पर भी प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 6.
ग्रीन हाउस प्रभाव पर टिप्पणी लिखिए। या पृथ्वी ऊष्मायन पर टिप्पणी लिखिए। या भूमण्डलीय ऊष्मायन के लिए उत्तरदायी चार कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
CO2 की बढ़ती सान्द्रता ग्रीन हाउस प्रभाव सूर्य की किरण डालती है। आमतौर पर जब CO2 की सान्द्रता सामान्य हो तब पृथ्वी का ताप तथा ऊर्जा का ग्रीन हाउस गैसें सन्तुलन बनाए रखने के लिए ऊष्मा पृथ्वी से परावर्तित हो जाती है, परन्तु CO2 की अधिक सान्द्रता पृथ्वी से लौटने वाली ऊष्मा को परावर्तित होने से रोकती है जिससे पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होने लगती है, इसको ग्रीन हाउस प्रभाव (green house effect) कहते हैं। इसके अलावा कुछ ऊष्मा पर्यावरण में उपस्थित पानी की भाप से भी रुकती है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

लगभग 100 वर्ष पहले CO2 की पर्यावरण में सान्द्रता लगभग 110 ppm थी, परन्तु अब बढ़कर लगभग 350 ppm तक पहुँच गई है। आज से करीब 40 वर्ष बाद यह सान्द्रता 450 ppm तक पहुँच जाने की सम्भावना है। इससे पृथ्वी के ऊष्मायन में वृद्धि हो सकती है। पृथ्वी के ऊष्मायन का प्रभाव ध्रुवों पर सबसे अधिक होगा, इनकी बर्फ पिघलने लगेगी। एक अनुमान के अनुसार सन् 2050 तक पृथ्वी का ताप 5°C तक बढ़ सकता है जिससे समुद्र के निकटवर्ती क्षेत्र शंघाई, सेन फ्रान्सिस्को आदि शहर प्रभावित होंगे।

उत्तरी अमेरिका सूखा तथा गर्म प्रदेश बन सकता है। विश्वभर का मौसम बदल जाएगा। भारत में मानसून के समाप्त होने की सम्भावना है। विश्वभर में अनाज के उत्पादन पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। फल, सब्जी आदि के उत्पादन भी प्रभावित होंगे। बढ़ते ताप से पादप तथा जीव-जन्तुओं की जीवन क्रियाएँ भी प्रभावित होंगी।

प्रश्न 7.
जल किस प्रकार प्रदूषित होता है?
उत्तर:

  1. जल स्रोत के निकट बिजली घर, भूमिगत कोयला खदानों तथा तेल के कुओं से प्रदूषक सीधे जल में पहुँचकर उसे प्रदूषित करते हैं।
  2. जल में कैल्सियम या मैग्नीशियम के यौगिकों का घुलकर प्रदूषित करना।
  3. जल में तेल, भारी धातुएँ, घरेलू कचरा, अपमार्जक, रेडियोधर्मी कचरा आदि उसको प्रदूषित करते हैं।
  4. खेतों, बगीचों, निर्माण स्थलों, गलियों आदि से बहने वाला जल भी प्रदूषित होता है।
  5. प्रोटोजोआ, जीवाणु तथा अन्य रोगाणु जल को प्रदूषित करते हैं।

प्रश्न 8.
सुपोषण (eutrophication) क्या होता है? इसके हानिकारक प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल में मल-मूत्र के अत्यधिक बहाव से जल प्लवकों की वृद्धि होती है। इनकी अत्यधिक संख्या से जल में विलेय ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। जल प्लवकों के मर जाने पर उनके सड़ने के कारण भी जल में घुली अधिकांश ऑक्सीजन की मात्रा में कमी आ जाती है। अतः पोषकों का अत्यधिक संभरण तथा शैवालों की वृद्धि या फलने-फूलने के फलस्वरूप जल में ऑक्सीजन की मात्रा में कमी आने की प्रक्रिया को सुपोषण (eutrophication) कहते हैं। जल में घुली ऑक्सीजन की कमी तथा विषैले औद्योगिक कचरे के प्रभाव से मछलियों की संख्या में कमी आ जाती है। मछली हमारे भोजन का एक स्रोत है। सुपोषण से अलवणीय जल में रहने वाले अन्य जन्तु भी प्रभावित होते है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

प्रश्न 9.
मृदा अपरदन क्या है? इसके कारण तथा प्रभाव क्या हैं? इसे किस प्रकार रोका जा सकता है?
उत्तर:
मृदा अपरदन प्राकृतिक कारक; जैसे-जल तथा वायु मृदा की ऊपरी परत को हटाने के लिए उत्तरदायी होते हैं। इस प्रक्रम को मृदा अपरदन (soil erosion) कहते हैं। कारण

  1. तीव्र वर्षा मिट्टी की अनावृत ऊपरी परत को बहा ले जाती है।
  2. धूल भरी आँधी से भी मृदा अपरदन होता है।
  3. मनुष्य के क्रियाकलापों से मृदा अपरदन होता है।मनुष्य द्वारा बढ़ते आवासों तथा शहरी क्षेत्रों के विकास से बहुत बड़े क्षेत्र वनस्पतिविहीन हो गए हैं। वनस्पति का आवरण हट जाने से नग्न भूमि पर वायु तथा जल का सीधा प्रभाव पड़ता है। इससे मृदा का अपरदन होता है।
  4. भूमि की त्रुटिपूर्ण जुताई से भी मृदा अपरदन होता है।

प्रभाव इसके निम्नलिखित हानिकारक प्रभाव होते हैं –

  1. मृदा अपरदन से हरे जंगल मरुस्थलों में बदल जाते हैं, जिससे पर्यावरण सन्तुलन बिगड़ जाता
  2. इससे फसल ठीक प्रकार से नहीं होती है, जिससे भोजन की कमी हो सकती है।
  3. पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन से भूस्खलन हो सकता है।
  4. इससे भूमि जल धारण नहीं कर सकती है। पानी के तीव्रता से नदियों में बह जाने से बाढ़ आ सकती है। इससे जान-माल का नुकसान हो सकता है। रोकने के उपाय इसके लिए हम

निम्नलिखित विधियों का प्रयोग करते हैं –

  1. वृक्षारोपण तथा घास उगाकर।।
  2. सघन खेती तथा बहाव के लिए ठीक नालियाँ बनाकर।
  3. ढलवाँ स्थानों पर सीढ़ीनुमा खेत बनाने से जल बहाव की गति कम हो जाती है।

प्रश्न 10.
रेडियोधर्मी प्रदूषण पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
रेडियोधर्मी प्रदूषण रेडियोधर्मी पदार्थों से पर्यावरण में विभिन्न प्रकार के कण और किरणें उत्पन्न होती हैं। परमाणु विस्फोटों, ऊर्जा उत्पादन केन्द्रों तथा आण्विक परीक्षणों से पर्यावरण में रेडियोधर्मिता बढ़ने का खतरा

प्रश्न 2.
खाद्य-श्रृंखला से आप क्या समझते हैं? खाद्य-श्रृंखला तथा खाद्य-जाल में क्या अन्तर है? उचित उदाहरणों की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
खाद्य-श्रृंखला किसी भी पारिस्थितिक तन्त्र में अनेक ऐसे जीव होते हैं जो एक-दूसरे को खाकर (उपभोग करके) अपनी आहार सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं। किसी पारिस्थितिक तन्त्र में एक जीव द्वारा दूसरे जीव को खाने (उपभोग करने) की क्रमबद्ध प्रक्रिया को खाद्य श्रृंखला या आहार-श्रृंखला कहते हैं। किसी पारिस्थितिक तन्त्र में खाद्य-श्रृंखला विभिन्न प्रकार के जीवधारियों का वह क्रम है, जिसमें जीवधारी भोज्य एवं भक्षक के रूप में सम्बन्धित रहते हैं और इनमें होकर खाद्य-ऊर्जा का प्रवाह एक ही दिशा (unidirectional) में होता रहता है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण

प्राथमिक उत्पादक (हरे पौधे); प्रथम, द्वितीय व तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता एवं अपघटनकर्ता (कवक एवं जीवाणु) आपस में मिलकर खाद्य-श्रृंखला का निर्माण करते हैं, क्योंकि ये आपस में एक-दूसरे का भक्षण करते हैं और भक्षक या भोज्य के रूप में सम्बन्धित रहते हैं। आहार-श्रृंखला में ऊर्जा व रासायनिक पदार्थ उत्पादक, उपभोक्ता, अपघटनकर्ता व निर्जीव प्रकृति में क्रम से प्रवेश करते रहते हैं।
खाद्य-श्रृंखला को निम्नवत् प्रदर्शित किया जा सकता है –
1. घास स्थलीय पारिस्थितिक तन्त्र में खाद्य-श्रृंखला के जीवधारियों का क्रम –
(i) घास → हिरन – शेर
(ii) घास कीड़े-मकोड़े → चिड़िया → बाज → गिद्ध
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण
2. तालाब के पारिस्थितिक तन्त्र में खाद्य-श्रृंखला के जीवधारियों का क्रम उत्पादक → प्रथम श्रेणी के उपभोक्ता → द्वितीय श्रेणी के उपभोक्ता → तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता → उच्च मांसाहारी
(i) हरे पौधे (पादप प्लवक) → कीड़े-मकोड़े (जन्तु प्लवक) → मेढक → साँप → बाज
(ii) शैवाल (पादप प्लवक) → जलीय पिस्सू (जन्तु प्लवक) → छोटी मछली → बड़ी मछली → बगुला, बतख, सारस
आहार-श्रृंखला के विभिन्न स्तरों पर भोजन (ऊर्जा) का स्थानान्तरण होता है। इन स्तरों को ‘पोषण रीति’ या ‘पोषण स्तर’ (trophic level) कहते हैं।
खाद्य-जाल:
प्रकृति में खाद्य-शृंखला एक सीधी कड़ी के रूप में नहीं होती है। एक पारिस्थितिक तन्त्र की सभी खाद्य-शृंखलाएँ कहीं-न-कहीं आपस में सम्बन्धित होती हैं अर्थात् एक खाद्य-श्रृंखला के जीवधारियों का सम्बन्ध दूसरी खाद्य-शृंखलाओं के जीवधारियों से होता है। इस प्रकार, अनेक खाद्य-शृंखलाओं (food-chains) के पारस्परिक सम्बन्ध को खाद्य-जाल (food-web) कहते हैं।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण
हमारा पर्यावरण खाद्य-श्रृंखला एवं खाद्य-जाल में अन्तर –
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 15 हमारा पर्यावरण