Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.1

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.1 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.1

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 10 वृत्त Ex 10.1

प्रश्न 1.
खाली स्थान भरिए
(i) वृत्त का केन्द्र वृत्त के …………. मैं स्थित है। (बहिभाग अभ्यंतर)
(ii) एक बिन्दु, जिसकी वृत्त के केन्द्र से दूरी जिऱ्या से अधिक हो वृत्त के …………. स्थित होता है (बहिभाग अभ्यंतर)
(iii) वृत्त की सबसे बड़ी जीया वृत्त का ………….. होता हो।
(iv) एक चाप ……………. होता है, जब इसके सिने एक व्यास के सिरे हो।
(v) वृत्तबग्ह एक चाप तथा …………… के बीच का भाग हो।
(vi) एक वृत्त, जिसके तल पर स्थित है, उसे ……………… भागों में विभाजित करता है।
उत्तर:
(i) अभ्यंतर
(ii) बहिर्भाग
(iii) व्यास
(iv) अई
(v) जीवा,
(vi) तीन।

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प्रश्न 2.
लिखिए, सत्व वा असत्व। अपने उत्तर के कारण दीजिए।
(i) केन्द्र को वृत्त पर किसी बिन्दु से मिलाने वाला रेखाखण्ड वृत्त की त्रिज्या होती है।
(ii) एक वृत्त में समान लम्बाई की परिमित जोगाएँ होती है।
(iii) यदि एक वृत्त को तीन बराबर चापों में बाँट दिया जाए, तो प्रत्येक भाग दीर्घ चाप होता है।
(iv) वृत की एक जीया, जिसकी लम्बाई त्रिज्या से दो गुनी हो. वृत्त का व्यास है।
(v) त्रिन्यखंड, जौवा एवं संगत चाप के बीच का क्षेत्र होता
(vi) वृत्त एक समतल आकृति है।
उत्तर:
(i) सत्य, केन्द्र से परिधि तक की दूरी को प्रिज्या कहते हैं।
(ii) असत्य, एक वृत्त से समान लंबाई की अपरिमित जीबाएँ होती है।
(iii) असत्य, प्रत्येक भाग लघुचाप होगा।
(iv) सरथ, व्यास = 2 × प्रिज्या
(v) असाथ, चाप तथा दो त्रियाओं के बीच का क्षेत्र त्रिज्यखंड कहलाता है।
(vi) सत्य, वृत्त एक द्विविमीय आकृति है अतः समतल आकृति है।

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Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 7 पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 पद्य खण्ड Chapter 7 पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 7 पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा

Bihar Board Class 9 Hindi पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा Text Book Questions and Answers

प्रश्न 1.
कवि के आशावादी दृष्टिकोण पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
कवि केदारनाथ अग्रवाल ने अपनी कविता में दृढ़ इच्छा शक्ति को . प्रकट करते हुए सबल और श्रीसंपन्न भारत की कल्पना की है। .
कवि की दृष्टि में आजाद भारत का स्वरूप क्लेश रहित, ज्ञान-विज्ञान संयुक्त खुशियों से भरा हुआ तथा मान-सम्मान से जीती हुई जनता का होगा। आशावादी भावों के सहारे कवि ने भारत का जो मानचित्र उकेरा है उसमें भारत कहीं भी किसी क्षेत्र में दीन-हीन के रूप में नहीं दीखता है। कवि की इच्छाशक्ति दृढ़ है। उसके – हृदय में आशाओं की किरणें प्रस्फुटित हो रही हैं। वह कहीं भी निराश नहीं है। वह हर भारतीय के जीवन में मान-सम्मान, खुशियों का राज, क्लेश रहित जीवन, साधन-संपन्न जीवन, उदास आँखों में नयी आशा की किरणों का उद्भव, ज्ञान-विज्ञान एवं विद्या से युक्त नव प्राण के संचार की सुखद कामना करता है। भारतीय जन-जीवन सबकुछ से भरा पुरा हो और श्रीसंपन्नता का इतना आधिक्य हो कि जन-मन खुशियों से झूम उठे मोरों सा नर्तन यानि नाच करने लगे।
कवि आशावादी दृष्टिकोण के साथ जीते हुए पूरे हिन्दुस्तान को धन-धान्य से परिपूर्ण रूप में देखना चाहता है। इस प्रकार भारतीय जीवन में अभाव नहीं रहे, कष्ट नहीं रहे, पीड़ा नहीं रहे यही कवि की मंगलकामना है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 7 पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा

प्रश्न 2.
कवि के मन में आजाद हिन्दुस्तान की कैसी कल्पना है?
उत्तर-
कविवर केदारनाथ अग्रवाल आजाद हिन्दुस्तान को हर दृष्टि से साधन-संपन्न के रूप में देखना चाहते है।

कवि चाहता है कि उसका आजाद भारत मान-सम्मान से युक्त हो यानि यहाँ की जनता का जीवन मान-सम्मान से युक्त हो। गीतों की खेती से भाव यह है कि घर-घर में खुशियों का राज हो, हर घर गीतों के स्वर से गुंजायमान हो। पूरा हिन्दुस्तान मान-सम्मान और उमंग से युक्त हो।

आजाद भारत की कल्पना करते हुए कवि कहता है कि क्लेश रहित भारतीय जन जीवन हो, किसी भी तरह की पीड़ा या कष्ट किसी को न रहे। फूलों की खेती का अर्थ यह है कि समग्र भारत का दृश्य खुशहाल नजर आए। हर घर में प्रसन्नता और सभी का निवास हो। सरस्वती की वीणा का स्वर गूंजे।
जिन आँखों में उदासी हो वहाँ प्रकाश की लौ जले। ज्ञान और विद्या से घर-घर आलोकित हो।

कवि बार-बार जोर देकर कहता है कि भारत ऐसा हो जहाँ नया जीवन का आविर्भाव हो। कहने का. मूलभाव यह है कि सारा भारत साधन से पूर्ण एवं श्रीसंपन्नता से युक्त दीखे। भारतीय जीवन में इतनी खुशियाँ और धन-धान्य की इतनी प्रचुरता हो कि सभी प्रसत्र होकर मोर की तरह नृत्य करने लगे। कहने का आशय यह है कि भारतीय जीवन चिंता और कष्ट से मुक्त हो।

प्रश्न 3.
कवि आजाद हिन्दुस्तान में गीतों और फूलों की खेती क्यों करना चाहता है?
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य-पाठ में यानि ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ में कवि केदारनाथ अग्रवाल ने आजाद भारत में गीतों और फूलों की खेती करने का भाव प्रकट किया है।
इस कविता में गीतों और फूलों का प्रतीक प्रयोग हुआ है। प्रकृति के इन रूपों , के द्वारा कवि संकेत करता है कि भारतीय जीवन फूलों सा हँसता हुआ चिर विकसित रूप में सौंदर्य से युक्त हो और गीतों की खेती का तात्पर्य यह है कि घर-घर में हर जीवन में आनंद ही आनंद दीखे। कहीं भी उदासी पीड़ा का दर्शन नहीं हो। किसी के भी जीवन में अभाव नहीं दिखाई पड़े।

इस प्रकार कवि आशावादी दृष्टिकोण रखता है। वह फूलों सा खिलता हुआ हँसता हुआ और श्रीसंपन्न भारत की कल्पना करता है।
ठीक दूसरी तरफ वह गीतों से गुंजायमान घर-द्वार, खेत-खलिहान की परिकल्पना करता है।
कहने का मूलभाव यह है कि भारत का कोना-कोना फूलों-सा हँसता हुआ दिखाई पड़े और गाँव से लेकर पर्वत-घाटी, नदी-कछार सभी जगह जनजीवन गीतों से गुजित रहे।

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प्रश्न 4.
इस कविता में विद्या की खेती का क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य-पाठ ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ में कवि केदारनाथ अग्रवाल ने अपनी आशाभरी दृष्टि से आजाद भारत के मनोहारी दृश्य का चित्रांकन किया है। कवि के कहने का भाव यह है कि विद्या की खेती घर-घर हो। मूल भाव यह है कि यहाँ का हर नागरिक सुशिक्षित और विद्वान बने। घर-घर में विद्या और ज्ञान-प्रकाश की किरणें पहुँचकर नया जीवन प्रदान करे।
बिना ज्ञान के या विद्या के यह जीवन अंधकारमय हो जाता है। अतः, इस अंधकार और मूढ़ता से मुक्ति के लिए ज्ञान की साधना और विद्या का प्रकाश घर-घर में पहुँचे, यही कवि की कामना है। यहाँ आशावादी दृष्टिकोण का दर्शन होता है।

प्रश्न 5.
इस कविता के केन्द्रीय भाव पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य पाठ ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ में कवि केदारनाथ अग्रवाल ने ज्ञान-विज्ञान से परिपूर्ण भारत की परिकल्पना की है। इस कविता का केन्द्रीय भाव जनवादी-सपनों को लेकर है। कविता के मानस में आजाद हिंदुस्तान का ऐसा चित्र है जिसकी उर्वर भूमि में मान-सम्मान, स्वतंत्रता, ज्ञान और खुशियों के फूल खिलेंगे। यह कविता संबोधन शैली में लिखी गई है। इस कविता के द्वारा कवि जनता में स्फूर्ति जगाना चाहता है।

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प्रश्न 6.
कवि की राष्ट्रीय-भावना पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ कविता में कवि केदारनाथ अग्रवाल ने अपनी काव्य प्रतिभा के द्वारा जन-जन में राष्ट्रीय भावना जगाने का कार्य किया है।
भारत आजाद होगा। जन-जन में हर तरह के अभाव का सर्वनाश हो जाएगा यानि खात्मा हो जाएगा।
जन-जीवन प्रसन्नचित्त दिखाई पड़ेगा और क्लेश रहित जीवन में आनंद का राज रहेगा।

गीतों से गुजित घर-आँगन और खेत-खलिहान होंगे। जन-जीवन गीतों से आप्लावित रहेगा। सभी लोग प्रसन्न होकर लोक मंगलकारी भावनाओं के बीच रहेंगे। आपस में प्रेम, सहयोग और त्याग की भावना फूलेगी-फलेगी।
ज्ञान-विज्ञान कि किरणें घर-घर पसरेंगी। उदासी नहीं रहेगी। नवजागरण और आजादी के कारण सबमें नव प्राणों का संचार होगा। सभी एकता के सूत्र में बँधे रहेंगे। सबमें प्रेम, समन्वय, सहयोग और सेवा भावना बढ़ेगी। अभावग्रस्तता से मुक्ति मिलेगी। जन-जन में आशा विश्वास और नव चेतना की लौ जलेगी।
केदारनाथ अग्रवाल की इस कविता में समग्र राष्ट्रीय जीवन की समुन्नति और विद्या-ज्ञान से युक्त, मान-सम्मान की अभिलाषा प्रदर्शित हुई है।

प्रश्न 7.
“मैं कहता हूँ। फिर कहता हूँ’ में कवि के किस भाव का अभिव्यक्ति हुई है?
उत्तर- पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ कविता में कवि केदारनाथ अग्रवाल ने जोर देकर आशा और विश्वास के साथ अपने मन के उद्गार को दृढ़ता के साथ व्यक्त किया है।

कवि कहता है कि जब आजाद हिन्दुस्तान होगा तब हर जन में नव प्राणों का संचार होगा। खुशियों एवं श्रीसंपन्नता से परिपूर्ण जीवन अभाव मुक्त रहेगा। किसी भी प्रकार र का कोई ताप नहीं रहेगा। इसी कारण कवि विश्वास के साथ कहता है कि अपना भारत सबका भारत सबल और श्रीसंपन्न भारत होगा जहाँ भखमरी बेकारी बेरोजगारी का दर्शन भी नहीं होगा। सबका जीवन उमंग से परिपूर्ण और फलों सा बिहँसता. खिलता नजर आएगा। जन-जीवन अभाव से मक्त होकर मोरों की तरह नृत्यु प्रस्तुत करेगा। कहने का भाव यह है कि सारा भारत खुशहाल नजर आएगा। घर-घर में विद्या-ज्ञान की लौ जलेगी और सबके चेहरे पर प्रसन्नता दिखेगी मान-सम्मान से युक्त जीवन गीतों से भरपूर होगा।

प्रश्न 8.
‘मोरों-सा नर्तन’ के पीछे कवि का तात्पर्य क्या है?
उत्तर-
पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ कविता में कविर केदारनाथ अग्रवाल ने आजाद भारत की परिकल्पना की है उसका सुंदर चित्र खींचा है। कवि को दृढ विश्वास है कि भारत अवश्य आजाद होगा। आजाद भारत में सर्वत्र.खशहाली रहेगी। कहीं भी किसी प्रकार का अभाव, पीड़ा या वैमनस्य नहीं रहेगा।

जब भारत स्वतंत्र हो जाएगा तब यह एक सर्वशक्तिमान सार्वभौम सत्ता के रूप में विश्व पटल पर आगे आएगा। सबको हर तरह की आवश्यकताओं की पूर्ति होगी। लेकिन आजादी मिले तब तो………? कवि आजाद भारत के सुखद-स्वरूप की ‘कल्पना करता है। विविध प्राकृतिक रूपों द्वारा कवि ने भारतीय स्वाधीनता संग्राम, आजाद भारत का स्वरूप और सामाजिक-एकता पर विशेष बल देते हुए भारत के
लोकतंत्र की मंगलकामना किया है।

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कवि कहता है कि जीवन की मूलभूत आवश्यकता की पूर्ति होने पर जीवन में अभाव से मुक्ति पाने पर, जीवन में सब कुछ संसाधनों की सहज रूप में प्राप्ति होने पर भारत का जन-जन मोर-नाच यानि मयूर नृत्य करने लगेगा। सभी तापों से मुक्ति और जीवन में खुशहाली लाने की ही कवि की मंगल कामना है। इस प्रकार कवि अपनी कविताओं में अत्यधिक हर्ष, खुशियाली, शांति, अमन चैन की मंगल कामना करता है। इसी प्रकार जब भारत धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाएगा तब खुश होकर मयूर की तरह वहाँ के लोग नृत्य करने लगेंगे। यहाँ कवि ने जीवन में सौंदर्य
और खुशियाली की कामना की है। सारा भारत जन के रूप में प्रयुक्त है। जन जागरूक रहेगा तभी परिवार, समाज और राष्ट्र में शांति रहेगी। मोरों-सा नर्तन में भारतीय जन समुदाय की प्रसन्नता, खुशियाली और श्रीसंपन्नता होने की कामना से युक्त भाव छिपा हुआ है।

प्रश्न 9.
इस कविता के उद्देश्य पर प्रकाश डालें।
उत्तर-
महाकवि केदारनाथ अग्रवाल ने अपनी प्रसिद्ध कविता (सारा) पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा में अत्यंत ही सत्य भाव का वर्णन करते हुए जीवन में शांति, अमन-चैन, खुशियाली और श्रीसंपन्नता से युक्त होने की मंगल कामना किया है।

कवि इसी जन्म और जीवन में सर्वजन के मान-सम्मान की कामना करता है। कवि गीतों की खेती यानि जीवन में शांति और सद्व्यवहार के साथ प्रसन्नचित्त होकर जीने की कामना करता है। वह सारे भारत की चिंता करता है। वह सारे भारत के गोगों की दयनीय दशा और गलामी से मुक्ति दिलाने के लिए अपनी इस काव्य-कति की रचना की है। कवि गीतों की खेती करने के माध्यम से यह शिक्षा देना चाहता है कि भारत का हर घर-आँगन और खेत-खलिहान गीतों से गुंजायमान रहे।

कवि भारत में दुख देखना नहीं चाहता है। यहाँ के जन क्लेश मुक्त और उमंग से भरा हुआ जीवन बितायो फूलों की खेती सारे भारत में होगी, कवि की यह सुखद कामना है। कहने का भाव यह है कि सारा भारत खुशहाल और हँसता, खिलता हुआ दीखे।
कवि को इच्छा है कि आजाद भारत में प्रज्ञाहीन नेत्रवाले नहीं रहे। यानि जिनकी आँखों में दीप बुझे हैं यानि जीवन में घोर उदासी है उन्हें अवश्य प्रकाश मिलेगा। ज्ञान और विद्या से युक्त उनका जीवन होगा।

कवि बार-बार जोर देकर कहता है कि आजाद भारत के जन-जन में नये प्राणों का संचार होगा। नवजागरण का शंखनाद होगा। सर्वत्र आनंद युक्त और स्वस्थता से पूर्ण वातावरण रहेगा। किसी से भी किसी प्रकार का कष्ट नहीं रहेगा। भारत की जनता प्रसन्नता और खुशहाली में अपने को पाकर मयूर-नृत्य करने लगेगी, यानि जीवन सर्व साधन से परिपूर्ण और सुखमय रहेगा।

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प्रश्न 10.
निम्नांकित पंक्तियों का भाव स्पष्ट करें:-
(क) क्लेश जहाँ है,
फूल खिलेगा;
हमको तुमको त्रान मिलेगा…..।
उत्तर-
प्रस्तुत कविताएँ केदारनाथ अग्रवाल की कविता ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ से ली गई हैं। इन पंक्तियों में कवि ने भारत की खुशियाली और श्रीसंपन्नता की कामना किया है। कवि कहता है कि जिस भारत में चारों तरफ क्लेश ही क्लेश है, गुलामी में सारे लोग जी रहे हैं वह क्लेश अब शीघ्र दूर हो जाएगा। भारत स्वाधीन होगा। घर-घर में खुशियों की बहार छा जाएगी। यानि जब भारत आजाद होगा तब मर-घर में दीप जलंग, खुशियाँ मनायी जाएगी। सब जनता गलामी से मक्ति पा जो सभी लोग प्रसत्रचिन नजर आएंगे। सबके चेहरे पर अतिशय प्रसन्नता दीखेगी। भारत व जन-समुदाय में नव-जागरण का शंख गूंजे।। नयी चेतना से यहाँ की जनता प्रबुद्ध बनेगी। नवज्ञान की किरणों से घर-घर आलोकित होगा। सभी को विद्या और ज्ञान के प्रकाश में जीने का अवसर मिलेगा! सभी तापों से जनता मुक्ति मिलेगी। इस प्रकार उपरोक्त काव्य पंक्तियों में कवि ने भारतीय आजादी की कामना अपने सपनों का भारत बनें इसकी कल्पना एवं चिर-सुखी चिर प्रसन्न भारत रहे, इसकी मंगलकामना करते हुए काव्य रचना किया है। यही उसकी सुखद लोकहितकारी कामनाएँ हैं।

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प्रश्न 10.
(ख) निम्नांकित पंक्तियों की व्याख्या करें:
दीप बुझे हैं ‘जिन आँखों के
इन आँखों को ज्ञान मिलेगा…।
उत्तर-
प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ कविवर केदारनाथ अग्रवाल द्वारा रचित ‘पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा’ काव्य-पाठ से ली गई हैं। इन पंक्तियों का प्रसंग भारतीय जनता के सुख-दुख से जुड़ा हुआ है।

कवि केदारनाथ जी ने अपनी उपरोक्त काव्य पंक्तियों के द्वारा इच्छा व्यक्त किया है कि भारत की जनता की आँखों में जो दीप बुझ चुके हैं, यानि उनके आँखों में जो उदासी दिखाई पड़ती है वह शीघ्र ही पूरी होगी।

कहने का मूल भाव है कि गुलाम भारत में जनता की स्थिति अत्यंत ही दुखद और चिंतनीय है। सर्वत्र उदासी, चिंता, पीड़ा और सारी चीजों का अभाव दिखाई पडता है लेकिन यह स्थिति बहत दिनों तक नहीं रहेगी। शीघ्र ही भारत आजाद होगा। सर्वत्र ज्ञान की किरणें अपनी आभा से जन-मन को आलोकित करेंगी। सभी तापों से मुक्ति दिलाएँगी। ज्ञान प्रकाश में सभी प्रसन्न एवं खुशहाल दीखेंगे। किसी भी प्रकार का.कष्ट या अभाव नहीं रहेगा। भारत शीघ्र ही आजाद होगा। घर-घर खुशियाँ मनायी जाएँगी। घर-घर ज्ञान का दीप जल उठेगा। सर्वत्र अमन-चैन और खुशहाली का राज दिखेगा। जनता सभी कष्टों से मुक्ति पाकर चिर प्रसन्नता और चिर नवीनता को प्राप्त करेगी।

इन पंक्तियों में कवि ने भारत की आजादी को शीघ्र पाने और भारतीय जनता की सभी प्रकार की पीड़ाओं से मुक्ति की मंगलकामना किया है।

नीचे लिखे पद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें।

1. इसी जनम में
इस जीवन में
हमको तुमको मान मिलेगा
गीतों की खेती करने को
पूरा हिंदुस्तान मिलेगा।
(क) कवि और कविता के नाम लिखें।
(ख) प्रस्तुत पद्यांश में हमारे कैसे हिंदुस्तान की तस्वीर प्रस्तुत की गई है
(ग) गीतों की खेती’ से कवि का क्या अभिप्राय है?
(घ) ‘हमको तुमको मान मिलेगा’ का अर्थ स्पष्ट करें।
(ङ) प्रस्तुत पद्यांश का आशय लिखें।
उत्तर-
(क) कवि-केदारनाथ अग्रवाल। कविता-पूरा हिंदुस्तान मिलेगा।

(ख) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने आजाद भारत के स्वरूप और उसके सुप्रभाव का वर्णन किया है। कवि की आँखों में आजाद भारत का सपना बसा है। कवि का विश्वास है कि आजाद भारत में सभी व्यक्तियों के सुंदर सपने साकार होंगे। भारत के नागरिकों को जन्म-जन्मांतर के लिए मान-सम्मान मिलेगा। सभी विचाराभिव्यक्ति में स्वतंत्र होंगे और सभी खुशियों के गीत गाएँगे। शिक्षा का व्यापक स्तर पर . प्रचार-प्रसार होगा। लोगों के ज्ञान की आँखें खुलेंगी। समाज स्वस्थ और सुंदर होगा। सभी तरह के भेदभाव मिट जाएँगे। लोगों की जीवन-दृष्टि परिष्कृत हो जाएगी।

(ग) ‘गीतों की खेती’ का मतलब है-सुखद और मधुर भावों की अभिव्यक्ति। ‘गीतों की खेती’- प्रतीकात्मक शब्द है। यह मन की प्रसन्नता और आह्लाद का प्रतीक है। कहा भी गया है। मन उमगे, तो गावे गीत, अर्थात् मन में उमंग, उत्साह और उल्लास है तो उसकी अभिव्यक्ति गीतों के रूप में ही होती है। कवि को यह विश्वास है कि आजाद भारत में सभी लोग हँसी और खुशी के गीत गाएँगे।

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(घ) कवि की आँखों में आजाद भारत का स्वप्न है। उसकी यह दृढ मान्यता है कि आजाद भारत में समता और समानता का भाव गतिशील रहेगा। वहाँ ऊँच-नीच, गरीब-अमीर, शिक्षित-अशिक्षित के बीच कोई भेदभाव नहीं रहेगा। कोई गरीबों, दलितों और छोटे लोगों का शोषण नहीं करेगा। समाज में सभी लोग मान-सम्मान की जिंदगी जी सकेंगे। सभी लोग अमीरी-गरीबी, छोटे-बड़े तथा सामाजिक और धार्मिक भिन्नता के लघु बंधन से मुक्त सम्मान से जी सकेंगे।

(ङ) प्रस्तुत पद्यांश में कवि के कथन का आशय यह है कि जब हमारा _देश अँगरेजों की दासता से मुक्त होकर आजाद देश की गरिमा से भूषित होगा, तब उस समय इस देश के लोग हर्ष और उल्लास की मनः स्थिति में प्रेम के गीत गाएँगे। – सभी लोग मान-सम्मान से जीने का अनुकूल अवसर पाएँगे। सामाजिक और नागरिक स्तर पर धर्म, जाति और धन के नाम पर कोई भिन्नता नहीं होगी।

2. क्लेश जहाँ है
फूल खिलेगा
हमको तुमको त्राण मिलेगा
फूलों की खेती करने को
पूरा हिंदुस्तान मिलेगा।
(क) कवि और कविता के नाम लिखें।
(ख) ‘क्लेश जहाँ है फूल खिलेगा’ का अर्थ स्पष्ट करें।
(ग) कवि ने यहाँ किस त्राण की चर्चा की है?
(घ) ‘फूलों की खेती’ से कवि का क्या अभिप्राय है?
(ङ) प्रस्तुत पद्यांश में कवि कैसा आश्वासन और विश्वास दे रहा है?
उत्तर-
(क) कवि-केदारनाथ अग्रवाल, कविता-पूरा हिंदुस्तान मिलेगा।

(ख) प्रस्तुत पद्यांश का अर्थ यह है कि गुलाम देश को क्लेश और कष्ट की कंटक भूमि माना जाता है। यही स्थिति हमारे गुलाम भारत देश की भी थी। उन दिनों हमारे देश के लोग बहुविध कष्टों से पीड़ित और आक्रांत थे, लेकिन कवि का यह विश्वास है कि आजादी मिलने के बाद आज जहाँ कष्ट, कठिनाई और पीड़ा का दर्द जमा हुआ है, कल वहीं हँसी-खुशी, उल्लास-उमंग तथा गरिमा-गौरव के बहुरंगे फूल खिलेंगे, अर्थात् वहाँ खुशियाँ-ही-खुशियाँ रहेंगी।

(ग) त्राण का अर्थ है-छुटकारा, मुक्ति, आजादी आदि। कवि ने इस पद्यांश में यह बताया है कि गुलाम भारत के लोग बहुविध कष्टों के बंधन में जकड़े थे। उन्हें इससे मुक्ति दिलाने का एक ही रास्ता था कि इस देश को अँगरेजों की गुलामी से मुक्ति दिलाएँ। तब ही उस स्वतंत्र भारत के लोगों को ढेर सारे कष्टों-विपत्तियों तथा ताप और संतापों से त्राण, अर्थात मुक्ति मिल सकेगी और सुख्ख के उपभोग का अवसर मिल पाएगा।

(घ) प्रस्तुत पद्यांश में कवि सभी लोगों को यह आश्वासन और विश्वास दिला रहा है कि जब यह देश आजाद होगा, तब यहाँ के वासियों का जीवन सुख-शांति, प्रेम और उल्लास का सुखद जीवन होगा। क्लेश-काँटे की जगह जीवन के तल पर फूल मुस्कान लुटाएँगे, लोगों को नानाविध कष्टों से मुक्ति मिलेगी और संपूर्ण राष्ट्रीय जीवन के तल पर लोग आँसू की नहीं, बल्कि फूलों की खेती कर अपने-अपने जीवन को सुगंधिमय कर पाएंगे।

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(ङ) कवि ने इस पद्यांश में लोगों को यह आश्वासन और विश्वास दिलाया है कि आजाद भारत में सभी लोगों को सुख-शांति से जीने का समान अवसर मिलेगा। जहाँ दुःख है वहाँ सुख के फूल खिलेंगे। लोगों को दुःख से मुक्ति मिलेगी। सर्वत्र खुशी के फूल सौंदर्य-सौरभ बिखरेते रहेंगे।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 1 भोजन कहाँ से आता है?

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 1 भोजन कहाँ से आता है? Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 1 भोजन कहाँ से आता है?

Bihar Board Class 6 Science भोजन कहाँ से आता है? Text Book Questions and Answers

अभ्यास एवं प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
क्या सभी जीव-जन्तु एक ही प्रकार का भोजन करते हैं?
उत्तर:
नहीं, सभी जीव-जन्तु अलग-अलग पदार्थ को भोजन के रूप में लेते हैं। जैसे मानव चावल, दाल रोटी दूध आदि लेते हैं परन्तु गाय घास एवं – अनाज खाती है।

प्रश्न 2.
चार पौधों के नाम लिखिए तथा बताइए उनके कौन से भाग भोजन – में उपयोग करते हैं?
उत्तर:
Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 1 भोजन कहाँ से आता है 1

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प्रश्न 3.
चार जंतुओं के नाम लिखिए और उनसे प्राप्त उत्पादों को बताइए।
उत्तर:
जन्तु – उत्पाद
गाय – दूध
मछली – मांस
बकरी – मांस/दूध
मुर्गी – अंडा/मांस

प्रश्न 4.
मिलान कीजिए –
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उत्तर:
क – घ
ख – क
ग – ख
घ – ग।

प्रश्न 5.
‘दिए गए रिक्त स्थानों की पूर्ति उपयुक्त शब्दों से कीजिए।
(गन्ना, सर्वाहारी, ऊर्जा, शाकाहारी)

(क) हमें शक्कर ……………. से प्राप्त होती है।
(ख) बंदर ……………. जन्तु है।
(ग) भोजन से हमें ……………. मिलती है।
(घ) मनुष्य एवं तिलचट्टा …………….जन्तु है।
उत्तर:
(क) गन्ना
(ख) शाकाहारी
(ग) ऊर्जा
(घ) सर्वाहारी।

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प्रश्न 6.
दिए गए शब्दों से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
(शाकाहारी, पादप, दूध, मांसाहारी)

(क) बाघ एक ……………. है। क्योंकि यह केवल मांस खाता है।
(ख) हिरण केवल पादप उत्पाद खाता है और इसलिए इसे ……………. कहते हैं।
(ग) तोता केवल ……………. उत्पाद खाता है।
(घ) जो ……………….. हम पीते हैं वह प्रायः गाय, भैस या बकरी से प्राप्त होता है, इसलिए यह जन्तु उत्पाद है।
उत्तर:
(क) मांसाहारी
(ख) शाकाहारी
(ग) पादप
(घ) दूध ।

प्रश्न 7.
कॉलम 1 में दिए गए खाद्य पदार्थों का मिलान कॉलम 2 से कीजिए-
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उत्तर:
(1) (घ)
(2) (ग)
(3) (क)
(4) (ख)

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प्रश्न 8.
क्या आपके आस-पास के सभी व्यक्ति को खाने के लिए पर्याप्त भोजन मिलता है ? यदि नहीं तो क्यों ?
उत्तर:
नहीं, सभी व्यक्तियों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पाता क्योंकि हमारे आस-पास बेरोजगारी है और भोजन की बर्बादी उच्चवर्गों द्वारा की जाती है।

प्रश्न 9.
हम भोजन की बर्बादी किन उपायों से रोक सकते हैं?
उत्तर:
हमें भोजन की बर्बादी को रोकने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने होंगें –
(क) जरूरत के अनुसार भोजन पकाना ।
(ख) भोजन पकाते समय सर्चत रहना ताकि वह जले नहीं ।
(ग) थाली में व्यक्ति के अनुसार परांसना चहिए ।

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Bihar Board Class 6 Science भोजन कहाँ से आता है? Notes

अध्ययन सामग्री :

जिस प्रकार वायु एवं जल हमारे जीवन के लिए अतिआवश्यक तत्वों में से एक माने जाते हैं, ठीक उसी प्रकार भोजन भी हमारे जीवन के लिए आवश्यक तत्व है। भोजन वह भोज्य पदार्थ है जो हमारे शारीरिक एवं मानसिक विकास को ऊर्जा प्रदान करता है। इतना ही नहीं, मनुष्य को हरेक काम करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जो हमें भोजन से ही प्राप्त होती है।

भोजन से हमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा विटामिन खनिज-लवण आदि पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है जो हमारी मांसपेशियाँ, मांस, हड्डी, दाँत, बाल, नाखुन आदि के विकास में सहायक होता है। इसके साथ-साथ सभी शारीरिक क्रिया-कलापों के सम्पादन में भी सहायक होता है।

भोज्य पदार्थ की उपलब्धता ही आहार श्रृंखला को बनाए रखने में मदद करती है। इसके परिणामस्वरूप ही पर्यावरण में हरे-भरे पेड़-पौधों, जीव-जन्तुओं, पशु-पक्षियों एवं मानव दिखाई पड़ते हैं। भोज्य पदार्थों की प्राप्ति हम दो रूपों में करते हैं।

(क) पादप उत्पाद
(ख) जन्तु उत्पाद।

जहाँ एक ओर अधिक-से-अधिक भोज्य पदार्थ की प्राप्ति हमें पेड़-पौधों से होती है, कुछ पेड़-पौधों की जड़, तो कुछ पौधों के तना, तो कुछ पेड़-पौधों की पत्ती, तो कुछ पेड़-पौधों के फल तो कुछ के फूल को हम अपने भोजन के रूप में लेते हैं। जैसे –

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दूसरी तरफ हम अंडा, मांस, दूध शहद आदि पशु-पक्षियों से प्राप्त करते हैं। इस प्रकार भोज्य पदार्थ की प्राप्ति पेड़-पौधों, जीव-जन्तुओं, पशु-पक्षियों आदि से होती है।

पर्यावरण में सभी जीव-जन्तु एक-दूसरे पर अपने आहार के लिए आश्रित हैं।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 1 भोजन कहाँ से आता है?

खाद्य सामग्री – वे सभी पदार्थ जो पेड़-पौधे या जन्तुओं से प्राप्त होते – हैं तथा जिसके खाने से हमें ऊर्जा प्राप्त होती है। उसे खाद्य सामग्री कहते हैं। जैसे-गेहूँ, चावल, दाल, सरसों, दूध, अंडा तथा मांस आदि।

खाद्य सामग्री के स्रोत – पादप उत्पाद एवं जन्तु उत्पाद!

पादप उत्पाद – दाल, चावल गेहूँ, पालक, गोभी, टमाटर, आलू, प्याज – आदि।

जन्तु उत्पाद – मांस, अंडे, दूध, घी, मछली आदि।

सजीव जगत के जीव-जन्तुओं (मानव सहित) को तीन भागों में बाँटे गए हैं-शाकाहारी, मांसाहारी, सर्वाहारी आदि।

शाकाहारी – वे सभी जन्तु जो केवल पौधे व उसके उत्पाद को भोजन के रूप में लेते हैं। उस शाकाहारी कहते हैं।

जैसे – गाय, भैंस, चूहा, हाथी, बकरी, तोता आदि।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 1 भोजन कहाँ से आता है?

मांसाहारी – वे सभी जन्तु जो दूसरे जन्तुओं को भोजन के रूप में लेते · हैं उन्हें मांसाहारी कहते हैं। जैसे—छिपकली, शेर, बाघ, आदि।

सर्वाहारी – वे सभी जन्तु जो पादप एवं जन्तु दोनों उत्पादों को अपने भोजन के रूप में लेते हैं उसे सर्वाहारी कहते हैं। जैसे – मनुष्य, कौआ, तिलचट्टा, कुत्ता, बिल्ली, आदि।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.1

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex 8.1 Text Book Questions and Answers.

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प्रश्न 1.
एक चतुर्भुज के कोण 3 : 5 : 9 : 13 के अनुपात में हैं। इस चतुर्भुज के सभी कोण ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माना.चतुर्भुज के कोण 3x, 5x, 9x, 13x हैं। चूंकि हम जानी है, कि चतुर्भुज के चारों कोणों का योग = 360°
∴ 3x + 5x + 4x + 13x = 360°
⇒ 30x = 360°
⇒ x = 12°
अतः चतुर्भुज के कोण है, 3x = 3 × 12 = 36°
5x = 5 × 12 = 60°
9x = 9 × 12 = 108°
13x = 13 × 12 = 156°.

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प्रश्न 2.
बदि एक समाजर चतुर्भुज के विकर्ण बराबर हों, तो दर्शाइए कि वह एक आयत है।
उत्तर:
माना ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है जहाँ विकर्ण AC तथा BD बराबर है, अत: AC = BD.
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.1 1
∆ABC और ∆DCD में,
AB = CD (समान्तर चतुर्भुज की सम्मुख भुजा)
AC = BD (चिकर्ष)
BC = BC (उभयनिष्ठ)
∴ SSS सर्वांगसमता से,
∆ABC ≅ ∆DCB
∠BAC = ∠ACD
(∵ सर्वागसम त्रिभुजों के संगत भाग वराबर होते हैं)
अतः AB || DC
यहाँ AB || DC है तथा BC इन्हें काटती है।
∴ ∠ABC + ∠DCB = 180°
(क्रमागत आंतरिक कोणों का योग)
∴ 2∠ABC = 180°
⇒ 2∠ABC = ∠DCB = 90°
अत: ABCD एक आयत है।

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प्रश्न 3.
दर्शाइए कि यदि एक चतुर्भुज के विकर्ण परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करें, तो वह एक समचतुर्भुज होता है।
उत्तर:
माना ABCD एक चतुर्भुज है जहाँ विकणे AC तथा BD परापर समकोण पर समविभाजित करते हैं।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.1 2
⇒ OA = OC तथा OB = OD
और ∠AOD = ∠COD = ∠AOB = ∠BOC = 90°
∆AOD और ∆COD में,
AO = CO (दिया है)
OB = OD (दिया है)
∠AOB = ∠COD (काभिमुख कोण)
∴ SAS सांसगमता गुणधर्म से,
∆AOB ≅ ∆COD
⇒ ∠OAB = ∠OCD
(∵ सर्वांगसम विभुगों के संगत भाग बराबर होता हैं)
अतः AB || CD
अत: ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।

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अब ∆AOB और ∆COB में
AO = CO (दिया है।
OB = OB (उभयनिष्ठ)
∠AOR = ∠COR = 90°
∴ SAS सर्वांगममता गुणधर्म से,
∆AOB ≅ ∆COB
⇒ AB = BC
(∵ सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग बराबर होते हैं।)
अतः AB = BC = CD = DA
अतः चतुर्भुज ABCD एक समचतुर्भुज है।

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प्रश्न 4.
दर्शाइए कि एक वर्ग के विकर्ण बराबर होते हैं और परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।
उत्तर:
यहाँ ABCD एक वर्ग है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 8 चतुर्भुज Ex Q 8.1 3
AB || DC और BC || AD
यहाँ AB || DC
∠BAC = ∠DCA
⇒∠BAO = ∠DCO …….. (1)
तथा ∠ABD = ∠CDB
⇒ ∠ABO = ∠CDO …….. (2)
∆AOB तथा ∆COD में,
∠1 = ∠3 [समी- (1) से]
∠2 = ∠4 [समी. (2) से]
AB = CD (दिया है।
∴ ASA. सागसमता गुणधर्म से,
∆AOB ≅ ∆COD
⇒ OA = OC तथा OB = OD
(∵ सांगनम त्रिभुजों के सम्मुख भाग बराबर होते हैं।)
अत: विकर्ष एक-दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।

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अब ∆ABC था ∆BAD मैं,
AB = BA
∠ABC = ∠BAD (दिया है।)
AD = BC (दिया है।)
∴ SAS सागरामता गुणधर्म से,
∆ABC ≅ ∆BAD
⇒ AC = BD
अत: विकर्ण बराबर है।
अब ∆AOD और ∆COD में,
AO = CO (ऊपर निकाला गया है।)
OD = OD
AD = CD (दिवा है।)
∴ SSS सर्वांगसमता गुणधर्म से,
∆AOD ≅ ∆COD
⇒ ∠AOD = ∠COD ………. (3)
हमें ज्ञात है,
∠AOD + ∠COD = 180°
2∠AOD = 180° समी. (3) से]
∠AOD = 90°
OD ⊥ AC
BD ⊥ AC
अतः विकर्ण बरावर हैं तश्चा परस्पर समकोण पर समद्विभाजित करते हैं।

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प्रश्न 5.
दाइए कि यदि एक चतुर्भुज के विकर्ण बराबर हों और परस्पर लम्बवत् समद्विभाजित करें, तो वह एक वर्ग होता है।
उत्तर:
माना ABCD एक चतुर्भुज है। दिया है. AC = BD, AO = OC, BO = OD AT AC ⊥ BD.
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∆AOB और ∆COD में,
AO = CO (दिया है।)
OB = OD (दिया है।)
∠AOB = ∠COD (उध्वाभिमुख कोण)
∴ SAS सर्वागसमता गुणधर्म से,
∆AOB ≅ ∆COD.
⇒ ∠OAB = ∠OCD तथा AB = CD
(∵ सांगसम त्रिभुजों के संगत भाग बराबर होते हैं।)
अत: AB || DC
इसी तरह AD || BC
अब ∆AOB तथा ∆AOD में,
OB = OD (दिया है।)
OA = OA (उपनिष्ठ)
∠AOB = ∠AOD = 90° (∵ AC ⊥ BD)
∴ SAS सर्वागसमता गुणधर्म से,
∆AOB ≅ ∆AOD
⇒ AB = AD
इसी तरह BC = DC
अतः AB = BC = CD = AD
अत: ABCD एक वर्ग है।

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प्रश्न 6.
समान्तर चतुर्भज ABCD का विकर्ण AC कोण A को समद्विभाजित करता है (देखिए आकृति)। वशाईए कि-
(i) यह को भी समद्विभाजित करता है।
(ii) ABCD एक समचतुर्भुज है।
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उत्तर:
दिया है. ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है।
⇒ AB || CD तथा AD || BC
∠1 = ∠3 (आन्तरिक एकान्तर कोण)
तथा ∠2 = ∠4 (आन्तरिक एकातर कोण)
लेकिन ∠1 = ∠2 है
∠3 = ∠4
अत: AC, ∠C को समद्विभाजित करता है।
∆ABC में, ∠1 = ∠4
अतः BC = AB ……… (1)
∆ACD में,
∠2 = ∠3
अतः CD = AD …….. (2)
हमें ज्ञात है, AB = CD ………. (3)
समी. (1), (2) व (3) से,
AB = BC = CD = DA
अत: ABCD एक समचतुर्भुज है।

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प्रश्न 7.
ABCD एक समचतुर्भुज है। दर्शाइए कि विकर्ण AC, ∠A और ∠C दोनों को समद्विभाजित करता है तथा विकर्ण BD, ∠B और ∠D दोनों को समद्विभाजित करता है।
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उत्तर:
दिया है कि ABCD एक समचतुर्भुज है।
अतः AB = BC = CD = DA
∆ABC में, AB = BC (दिया है)।
⇒ ∠1 = ∠4 ……… (1)
∆ACD में, AD = CD (दिया है)
∠2 = ∠3 …….. (2)
AB || CD
∠2 = ∠3 …….. (3)
सगी. (1), (2) व (3) से,
∠1 = ∠2 तथा ∠3 = ∠4
अत: विकर्ण AC, ∠A और ∠C दोनों को समद्विभाजित करता है। इसी प्रकार, विकर्ण BD, ∠B और ∠D चोनों को समाद्विभाजित करता है।

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प्रश्न 8.
ABCD एक आयत है जिसमें विकर्ण AC दोनों ∠A और ∠C को समद्विभाजित करता है। दर्शाइए कि
(i) ABCD एक वर्ग है
(ii) विकर्ण BD, दोनों ∠B और ∠D को समद्विभाजित करता है।
उत्तर:
(i) यहाँ ABCD एक आवरा है,
अर्थात् AB = DC तथा AD = BC ……… (1)
दिया है, विकर्ण AC, ∠A और ∠C को समद्विभाजित करता है।
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⇒ ∠1 = ∠2 तथा ∠3 = ∠4
AB || DC
∠BAC = ∠DCA
⇒ ∠1 = ∠4
अत: ∠1 = ∠2 = ∠3 = ∠4
⇒ AD = AB
अतः AB = BC = CD = DA
अत: ABCD एक वर्ग है।

(ii) हमें ज्ञाता है कि वर्ग के विकणं कोणों को समद्विभावित
अत: विकर्ण BD, ∠B और ∠D को समद्विभाजित करता है।

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प्रश्न 9.
समानर चतुर्भुज ABCD के विकणं BD पर दो बिन्दु P और Q इस प्रकार स्थित हैं कि DP = BQ है। (पाठ्य पुस्तक में दी गई आकति) वांडा कि-
(i) ∆APD ≅ ∆COB
(ii) AP = CQ
(iii) ∆AQB ≅ ∆CPD
(iv) AQ = CP
(v) APCQ एक समान्तर चतुर्भुज है।
उत्तर:
(i) ∆APD और ∆CQB में,
AD = BC (ABCD समान्तर चतुर्भुव है।)
∠ADP = ∠CBQ (दिया है)
DP = BQ (दिया है।)
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∴ SAS सांगसमता गुणधर्म से,
∆APD ≅ ∆CQB

(ii) ∴ ∆APD ≅ ∆CQB [भाग (i) से]
AP = CQ. (∵ सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग बराबर होते हैं।)

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(iii) ∆AQB और ∆CPD में,
AB = CD (∵ समान्तर चतुर्भुज की संगत भुजाएँ बराबर होती हैं।)
∠ABQ = ∠CDP (दिया है।)
BO = DP (दिया है।)
∴ SAS सांगसमता गुणधर्म से,
∆AQB ≅ ACPD.

(iv) ∵ ∆AQB ≅ ∆CPD [भाग (iii) से]
∴ AQ = CP.

(v) यहाँ AP = QC तथा AQ = PC है।
दिव है, ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है तथा इसके विकर्ष एक दूसरे को समद्विभाजित करते हैं।
माना BD विकर्ण O पर विभाजित होता है।
⇒ OB = OD
अत: OB – BQ = OD – DP
OQ – OP तथा OA = OC
(∵ ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है)
अत: APCQ एक समान्तर चतुर्भुज है।

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प्रश्न 10.
ABCD एक समानार चतुर्भुज है तथा AP और CQ शीघों A और C से विकर्ण BD पर क्रमशः लम्ब हैं(देखिए आकृति)। वर्शाइए कि-
(i) ∆APB ≅ ∆CQD
(ii) AP= CQ.
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उत्तर:
(i) ∆APB और ∆CQD में,
∠ABP = ∠CDQ (AB || CD)
∠APB = ∠CQP = 90° (दिया है।)
AB = CD (समान्तर चतुर्भुज की भुजाएं हैं।)
∴ AAS सर्वागसमता गुगधर्म से,
∆APB ≅ ∆COQD

(ii) ∵ ∆APB ≅ ∆COD [भाग (i) से]
∴ AP = CQ (∵ सर्वांगसम त्रिभुजों के संगत भाग बराबर होते हैं।)

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प्रश्न 11.
∆ABC और ∆DEF में, AB = DE. AB || DE, BC = EF और BC || EF है। शीर्षों A, B और C को क्रमशः शीपों D, E और F मै जोडा जाता है। (देखिए आकृति)। दहिए कि-
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(i) चतुर्भुज ABED एक समान्तर चतुर्भुज है।
(ii) चतुर्भुज BEFC एक समान्तर चतुर्भज है।
(iii) AD || CF और AD = CE है।
(iv) चतुर्भुज ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है।
(v) AC = DF है।
(vi) ∆ABC = ∆DEF है।
उत्तर:
(i) चतुर्भुज ARED में,
AB = DE और AB || DE
यहाँ सम्मुख भुजाओं का एक युग्म बराबर और समान्तर है, अत: ABED एक समान्तर चतुर्भुज है।

(ii) चतुर्भुज BEFC में,
EC = EF और BC || EF
वहाँ सम्मुख भुजाओं का एक युग्म बराबर और सम्मान्तर है। अत: BEFC समान्तर चतुर्भुज है।

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(iii) अब, AD = BE और AD || BE ……… (1)
(∵ ABED एक समान्तर चतुर्भुज है)
और CF = BE और CF || BE ……… (2)
(∵ BEFC एक समान्तर चतुर्भुज है)
समी (1) और (2) मैं,
AD = CF और AD || CF

(iv) यहाँ AD = CF और AD || CF है। यहाँ सम्मुख भुजाओं का एक युग्ण बराबर और समान्तर है। अत: ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है।

(v) ACFD एक समान्तर चतुर्भुज है।
∴ AC = DF है।

(vi) ∆ABC और ∆DEF में,
AB = DE (दिया है।)
⇒ BC = EF (दिया है।)
तथा CA = FD
[भाग (v) से]
∴ SSS सर्वागसमता गुणधर्म से,
∆ABC ≅ ∆DEF.

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प्रश्न 12.
ABCD एक समलम्ब है जिसमें AB || DC और AD = BC (देखिए आकृति) दर्शाइए कि-
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(1) ∠A = ∠B
(ii) ∠C = ∠D
(iii) ∆ABC ≅ ∆BAD
(iv) विकर्ण AC = विकणं BD है।
हल :
एक रेखा CE || AD खोपिए।
(i) यहाँ AD || EC है
तव ∠DAE + ∠AEC = 180°
यहाँ AB || DC तथा AD || EC है, अत: AECD एक समान्तर चतुर्भुज है।
AD = CE
BC = AD (दिया है।)
⇒ BC = CE
∆BCE में, BC= CE
अतः ∠CBE = ∠CEB
⇒ 180°- ∠B = ∠CEB
⇒ 180° – ∠E = ∠B
अत: ∠A = ∠B. ……… (1)

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(ii) ∵ ∠A = ∠B [भाग (1) से]
⇒ 180° – ∠A = 180° – ∠B
अत: ∠D = ∠C.

(iii) ∆ABC और ∆BAD में,
AB = BA (उभयनिष्ठ)
BC = AD (दिया है।
∠A = ∠B (भाग (1) से]
∴ SAS सर्वांगसमता गुणधर्म से,
∆ABC ≅ ∆BAD.

(iv) ∵ ∆ABC ≅ ∆BAD [भाग (iii) से]
⇒ AC = BD.

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Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

BSEB Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

Bihar Board Class 10 Science अम्ल, क्षारक एवं लवण InText Questions and Answers

प्रस्तावना पर आधारित

प्रश्न 1.
आपको तीन परखनलियाँ दी गई हैं। इनमें से एक में आसवित जल एवं शेष दो में से एक में अम्लीय विलयन तथा दूसरे में क्षारकीय विलयन है। यदि आपको केवल लाल लिटमस पत्र दिया जाता है तो आप प्रत्येक परखनली में रखे गए पदार्थों की पहचान कैसे करेंगे?
उत्तर:
सर्वप्रथम हम प्रत्येक परखनली में लाल लिटमस पत्र की एक-एक पट्टी डालेंगे। जिस परखनली में पट्टी का रंग नीला हो जायेगा उसमें क्षारकीय विलयन होगा। शेष दोनों परखनलियों में लाल लिटमस पत्र की पट्टी का रंग लाल ही रहता है अर्थात् इनमें से एक परखनली में आसवित जल तथा एक परखनली में अम्लीय विलयन है। अब हम क्षारकीय विलयन में से थोड़ा-थोड़ा विलयन इन दोनों परखनलियों में डालकर पुनः लाल लिटमस पत्र की पट्टी डालते हैं। जिस परखनली में पट्टी का रंग पुनः नीला हो जाता है उसमें आसवित जल है तथा जिस परखनली में पट्टी का रंग अपरिवर्तित रहता है उसमें अम्लीय विलयन उपस्थित है।

अनुच्छेद 2.1 पर आधारित

प्रश्न 1.
पीतल एवं ताँबे के बर्तनों में दही एवं खट्टे पदार्थ क्यों नहीं रखने चाहिए?
उत्तर:
दही एवं खट्टे पदार्थों की प्रकृति अम्लीय होती है। यदि इन पदार्थों को पीतल एवं ताँबे के बर्तनों में रखते हैं तो ये धातु से अभिक्रिया करके धात्विक लवण बनाते हैं जिसके कारण भोजन दूषित हो जाता है। यदि कोई व्यक्ति इस दूषित भोजन को खाता है तो वह बीमार पड़ सकता है।

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प्रश्न 2.
धातु के साथ अम्ल की अभिक्रिया होने पर सामान्यतः कौन-सी गैस निकलती है? एक उदाहरण के द्वारा समझाइए। इस गैस की उपस्थिति की जाँच आप कैसे करेंगे?
उत्तर:
धातु के साथ अम्ल की अभिक्रिया होने पर सामान्यतः हाइड्रोजन गैस निकलती है।
उदाहरणार्थः
Zn (s) + H2SO4 (aq) → ZnSO4 + H2(g)
हाइड्रोजन गैस की उपस्थिति की जाँच हम ज्वाला परीक्षण से करेंगे। हाइड्रोजन गैस के निकट जलती हुई मोमबत्ती तीव्रता से जलने लगती है।

प्रश्न 3.
कोई धातु यौगिक ‘A’ तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करता है तो बुदबुदाहट उत्पन्न होती है। इससे उत्पन्न गैस जलती मोमबत्ती को बुझा देती है। यदि उत्पन्न यौगिकों में से एक कैल्सियम क्लोराइड है, तो इस अभिक्रिया के लिए :: संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
CaCO3 + dil.2HCl → CaCl2 + CO2 + H2O
धातु यौगिक ‘A’ कैल्सियम कार्बोनेट है। जब यह तनु HCl से अभिक्रिया करता है तो कैल्सियम क्लोराइड, जल एवं कार्बन डाइऑक्साइड गैस उत्पन्न होती है जो जलती हुई मोमबत्ती को बुझा देती

अनुच्छेद 2.2 पर आधारित

प्रश्न 1.
HCl, HNO3 आदि जलीय विलयन में अम्लीय अभिलक्षण क्यों प्रदर्शित करते हैं, जबकि ऐल्कोहॉल एवं ग्लूकोज जैसे यौगिकों के विलयनों में अम्लीयता के
अभिलक्षण नहीं प्रदर्शित होते हैं?
उत्तर:
HCl, HNO3 आदि जलीय विलयन में हाइड्रोजन आयन (H+) उत्पन्न करते हैं जो उनकी अम्लीयता को प्रकट करते हैं परन्तु ग्लूकोज़ एवं ऐल्कोहॉल आदि यौगिक जलीय विलयन में H+ आयन उत्पन्न नहीं करते इसलिए ये अम्लीयता का अभिलक्षण भी प्रदर्शित नहीं करते हैं।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

प्रश्न 2.
अम्ल का जलीय विलयन क्यों विद्युत का चालन करता है?
उत्तर:
अम्ल जलीय विलयन में हाइड्रोजन आयन (H+ ) देते हैं तथा विद्युत इन्हीं आयनों के द्वारा चालन करती है।

प्रश्न 3.
शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को क्यों नहीं बदलती है?
उत्तर:
शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को इसलिए नहीं बदलती; क्योंकि शुष्क HCl गैस में हाइड्रोजन आयन (H+) आयन नहीं होते इसलिए यह अम्लीयता का अभिलक्षण प्रदर्शित नहीं करती है।

प्रश्न 4.
अम्ल को तनुकृत करते समय यह क्यों अनुशंसित करते हैं कि अम्ल को जल में मिलाना चाहिए, न कि जल को अम्ल में?
उत्तर:
अम्ल एवं जल की क्रिया अत्यन्त ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है; अत: यह अनुशंसित किया जाता है कि अम्ल को जल में मिलाना चाहिए न कि जल को अम्ल में। जल को अम्ल में मिलाने पर अत्यधिक ऊष्मा उत्सर्जित होने के कारण विस्फोट भी हो सकता है।

प्रश्न 5.
अम्ल के विलयन को तनुकृत करते समय हाइड्रोनियम आयन (H3 O+) की सांद्रता कैसे प्रभावित हो जाती है?
उत्तर:
अम्ल के विलयन को तनुकृत करते समय हाइड्रोनियम आयन (H3 O+) की सांद्रता में प्रति इकाई आयतन में कमी हो जाती है।

प्रश्न 6.
जब सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन में आधिक्य क्षारक मिलाते हैं तो हाइड्रॉक्साइड आयन (OH) की सांद्रता कैसे प्रभावित होती है?
उत्तर:
जब सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन में आधिक्य क्षारक मिलाते हैं तो हाइड्रॉक्साइड आयन (OH) की सांद्रता बढ़ जाती है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

अनुच्छेद 2.3 पर आधारित

प्रश्न 1.
आपके पास दो विलयन ‘A’ एवं ‘B’ हैं। विलयन ‘A’ के pH का मान 6 है एवं विलयन ‘B’ के pH का मान 8 है। किस विलयन में हाइड्रोजन आयन की सांद्रता अधिक है? इनमें से कौन अम्लीय है तथा कौन क्षारकीय?
उत्तर:
विलयन ‘A’ में हाइड्रोजन आयन (H+) की सांद्रता अधिक है। विलयन ‘A’ अम्लीय जबकि विलयन ‘B’ क्षारकीय है।

प्रश्न 2. H+ (aq)आयन की सांद्रता का विलयन की प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
विलयन में H+ (aq) आयन की सांद्रता बढ़ने पर विलयन अधिक अम्लीय होता है जबकि H+ (aq) आयन की सांद्रता घटने पर विलयन अधिक क्षारकीय होता है।

प्रश्न 3.
क्या क्षारकीय विलयन में H+(aq) आयन होते हैं? अगर हाँ, तो यह क्षारकीय क्यों होते हैं?
उत्तर:
हाँ, क्षारकीय विलयन में भी H+(aq) आयन होते हैं, परन्तु क्षारकीय विलयन में H+ (aq) आयनों की मात्रा अम्लों में उपस्थित H+ (aq) आयनों की मात्रा से बहुत कम होती है, इसलिए ये क्षारकीय होते हैं।

प्रश्न 4.
कोई किसान खेत की मृदा की किस परिस्थिति में बिना बुझा हुआ चूना (कैल्सियम ऑक्साइड), बुझा हुआ चूना (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) या चॉक (कैल्सियम कार्बोनेट) का उपयोग करेगा?
उत्तर:
यदि खेत की मृदा का pH मान 7 से नीचे अर्थात् 6, 5, 4, 3, 2, 1 है तो किसान इसे उदासीन करने के लिए इसमें बिना बुझा हुआ चूना (कैल्सियम ऑक्साइड), बुझा हुआ चूना (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) या चॉक (कैल्सियम कार्बोनेट) का उपयोग करेगा।

अनुच्छेद 2.4 पर आधारित

प्रश्न 1.
CaOCl2 यौगिक का प्रचलित नाम क्या है?
उत्तर:
CaOCl2यौगिक का प्रचलित नाम ब्लीचिंग पाउडर (विरंजक चूर्ण) है।

प्रश्न 2.
उस पदार्थ का नाम बताइए जो क्लोरीन से क्रिया करके विरंजक चूर्ण बनाता है।
उत्तर:
बुझा हुआ चूना [Ca(OH)2] क्लोरीन से क्रिया करके विरंजक चूर्ण बनाता है।

Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

प्रश्न 3.
कठोर जल को मृदु करने के लिए किस सोडियम यौगिक का उपयोग किया जाता
उत्तर:
कठोर जल को मृदु करने के लिए सोडियम कार्बोनेट (NaCO3) का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 4.
सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट के विलयन को गर्म करने पर क्या होगा? इस अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर:
जब सोडियम हाइड्रोजनकार्बोनेट के विलयन को गर्म किया जाता है तो यह सोडियम कार्बोनेट और कार्बन डाइऑक्साइड गैस देता है।
Bihar Board Class 10 Science Solutions Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण

प्रश्न 5.
प्लास्टर ऑफ पेरिस की जल के साथ अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर:
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Bihar Board Class 10 Science अम्ल, क्षारक एवं लवण Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
कोई विलयन लाल लिटमस को नीला कर देता है, इसका pH संभवतः क्या होगा?
(a) 1
(b) 4
(c) 5
(d) 10
उत्तर:
(d) 10

प्रश्न 2.
कोई विलयन अंडे के पिसे हुए कवच से अभिक्रिया कर एक गैस उत्पन्न करता है जो चूने के पानी को दूधिया कर देती है। इस विलयन में क्या होगा?
(a) NaCl
(b) HCl
(c) LiCl
(d) KCl
उत्तर:
(b) HCl

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प्रश्न 3.
NaOH का 10mL विलयन,HCl के 8mLविलयन से पूर्णतः उदासीन हो जाता है। यदि हम NaOH के उसी विलयन का 20 mLलें तो इसे उदासीन करने के लिए HCI के उसी विलयन की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी?
(a) 4 mL
(b) 8 mL
(c) 12 mL
(d) 16 mL
उत्तर:
(d) 16 mL

प्रश्न 4.
अपच का उपचार करने के लिए निम्न में से किस औषधि का उपयोग होता है?
(a) एंटीबायोटिक (प्रतिजैविक)
(b) ऐनालजेसिक (पीड़ाहारी)
(c) ऐन्टैसिड
(d) एंटीसेप्टिक (प्रतिरोधी)
उत्तर:
(c) ऐन्टैसिड

प्रश्न 5.
निम्न अभिक्रिया के लिए पहले शब्द-समीकरण लिखिए तथा उसके बाद संतुलित समीकरण लिखिए
(a) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल दानेदार जिंक के साथ अभिक्रिया करता है।
(b) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मैग्नीशियम पट्टी के साथ अभिक्रिया करता है।
(c) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल ऐलुमिनियम चूर्ण के साथ अभिक्रिया करता है।
(d) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल लौह के रेतन के साथ अभिक्रिया करता है।
उत्तर:
(a) जिंक + सल्फ्यूरिक अम्ल (तनु) → जिंक सल्फेट + हाइड्रोजन गैस
Zn + dil.H2SO4 → ZnSO4 + H2(g)
(b) मैग्नीशियम + हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (तनु) → मैग्नीशियम क्लोराइड + हाइड्रोजन गैस
Mg + dil.2HCl → MgCl2 + H2(g)
(c) ऐलुमिनियम + सल्फ्यूरिक अम्ल (तनु) → ऐलुमिनियम सल्फेट + हाइड्रोजन गैस
2Al+ dil.3H2SO4 → Al2(SO4)3 + 3H2(g)
(d) आयरन + हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (तनु) → आयरन क्लोराइड + हाइड्रोजन गैस
2Fe + dil.6HCl → 2FeCl3 + 3H2(g)

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प्रश्न 6.
ऐल्कोहॉल एवं ग्लूकोज जैसे यौगिकों में भी हाइड्रोजन होते हैं लेकिन इनका वर्गीकरण अम्ल की तरह नहीं होता है। एक क्रियाकलाप द्वारा इसे साबित कीजिए।
उत्तर:

  1. एक कॉर्क में दो कीलें लगाकर कॉर्क को 6 वोल्ट बैटरी – 100 ml के एक बीकर में रख देते हैं।
  2. चित्र के अनुसार दोनों कीलों को 6 वोल्ट की एक बैटरी से जोड़ देते हैं जो एक बल्ब तथा स्विच से भी सम्बद्ध है। बीकर
  3. अब हम ऐल्कोहॉल तथा ग्लूकोज के विलयनों को बारी-बारी से बीकर में डालते हैं तथा विद्युत कील प्रवाह हेतु स्विच चालू करते हैं।

प्रेक्षण:
हम देखते हैं कि बल्ब नहीं जलता। अत: ग्लूकोज रबड़ कॉर्क और एल्कोहॉल विलयनों में विद्युत चालन नहीं होता।
परन्तु:
हम जानते हैं कि अम्लों में विद्युत चालन सम्भव है। परिणाम एल्कोहॉल और ग्लूकोज को अम्लों में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता।
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प्रश्न 7.
आसवित जल विद्युत का चालक क्यों नहीं होता जबकि वर्षा जल होता है?
उत्तर:
आसवित जल विद्युत का चालक नहीं होता जबकि वर्षा जल होता है, क्योंकि आसवित जल में H+ आयन अलग नहीं होते जबकि वर्षा के जल में H+ आयन आसानी से अलग हो जाते हैं। ये H+ आयन ही विद्युत का चालन करते हैं।

प्रश्न 8.
जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय क्यों नहीं होता है?
उत्तर:
जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय नहीं होता, क्योंकि अम्ल की अम्लीय प्रकृति H+ आयनों के कारण होती है तथा ये H+ आयन केवल जलीय विलयन में ही प्रकट होते हैं।

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प्रश्न 9.
पाँच विलयनोंA,B,C,D व E की जब सार्वत्रिक सूचक से जाँच की जाती है तो pH के मान क्रमशः 4,1,11,7 एवं 9 प्राप्त होते हैं। कौन-सा विलयन
(a) उदासीन है?
(b) प्रबल क्षारीय है?
(c) प्रबल अम्लीय है?
(d) दुर्बल अम्लीय है?
(e) दुर्बल क्षारीय है?
pH के मानों को हाइड्रोजन आयन की सांद्रता के आरोही क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर:
(a) विलयन ‘D’ उदासीन है। pH = 7
(b) विलयन ‘C’ प्रबल क्षारीय है। pH = 11
(c) विलयन ‘B’ प्रबल अम्लीय है। pH =1
(d) विलयन ‘A’ दुर्बल अम्लीय है। pH = 4
(e) विलयन ‘E’ दुर्बल क्षारीय है। pH =9
उपर्युक्त pH मानों के हाइड्रोजन आयन की सांद्रता का आरोही क्रम निम्नवत है
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प्रश्न 10.
परखनली ‘A’ एवं ‘B’ में समान लंबाई की मैग्नीशियम की पट्टी लीजिए। परखनली ‘A’ में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) तथा परखनली ‘B’ में ऐसिटिक अम्ल (CH3COOH) डालिए। दोनों अम्लों की मात्रा तथा सांद्रता समान हैं। किस परखनली में अधिक तेजी से बुदबुदाहट होगी तथा क्यों?
उत्तर:
परखनली ‘A’ में अधिक तेज़ी से बुदबुदाहट होगी; क्योंकि HCl, CH3COOH की अपेक्षा प्रबल अम्ल है। इसीलिए परखनली ‘A’ में Mg, HCl के साथ तीव्रता से अभिक्रिया करके मैग्नीशियम क्लोराइड (MgCl2) तथा हाइड्रोजन (H2) गैस उत्पन्न करता है।

प्रश्न 11.
ताजे दूध के pH का मान 6 होता है। दही बन जाने पर इसके pH के मान में क्या परिवर्तन होगा? अपना उत्तर समझाइए।
उत्तर:
ताजे दूध का pH मान 6 होता है परन्तु दही बन जाने पर इसके pH मान में कमी होगी तथा इसकी अम्लीय प्रकृति बढ़ जायेगी। इसकी जाँच हम इस तथ्य से कर सकते हैं कि ताजा दूध मीठा होता है परन्तु दही खट्टा होता है।

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प्रश्न 12.
एक ग्वाला ताजे दूध में थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाता है।
(a) ताजा दूध के pH के मान को 6 से बदलकर थोड़ा क्षारीय क्यों बना देता है ?
(b) इस दूध को दही बनने में अधिक समय क्यों लगता है ?
उत्तर:
(a) दूध बेचने वाला ताजे दूध के pH को 6 से बदलकर थोड़ा क्षारीय बना देता है; क्योंकि ऐसा करने से दूध अधिक समय तक खराब नहीं होगा।
(b) यह दूध दही बनने में अत्यधिक समय लेता है; क्योंकि दूध को क्षारीय से अम्लीय होने में अधिक समय लगेगा, जबकि यदि दूध का pH 6 ही होता तो यह अपेक्षाकृत कम समय में ही दही में परिवर्तित हो जाता।

प्रश्न 13.
प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्र-रोधी बर्तन में क्यों रखा जाना चाहिए? इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्र-रोधी बर्तन में रखा जाता है; क्योंकि यह आर्द्रता/नमी/जल के सम्पर्क में आकर बड़ी तीव्रता से जिप्सम में परिवर्तित हो जाता है जो कि एक बहुत ही कठोर पदार्थ है। अभिक्रिया का समीकरण निम्नवत् है –
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प्रश्न 14.
उदासीनीकरण अभिक्रिया क्या है? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अम्ल एवं क्षारक की अभिक्रिया के परिणामस्वरूप लवण तथा जल प्राप्त होते हैं तथा इस अभिक्रिया को उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं।
उदाहरणार्थः
1. सोडियम हाइड्रॉक्साइड तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की अभिक्रिया
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2. पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड तथा हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की अभिक्रिया
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प्रश्न 15.
धोने का सोडा एवं बेकिंग सोडा के दो-दो प्रमुख उपयोग बताइए।
उत्तर:
धोने का सोडा के दो प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं।

  1. इसका उपयोग काँच, साबुन एवं कागज़ उद्योगों में होता है।
  2. इसका उपयोग बोरेक्स जैसे सोडियम यौगिक के उत्पादन में होता है। बेकिंग सोडा के दो प्रमुख उपयोग निम्नवत् हैं
  3. इसका उपयोग बेकिंग पाउडर बनाने में किया जाता है।
  4. इसका उपयोग सोडा-अम्ल अग्निशामक में किया जाता है।

Bihar Board Class 10 Science अम्ल, क्षारक एवं लवण Additional Important Questions and Answers

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अम्ल नीले लिटमस को करते हैं
(a) नीला
(b) रंगहीन
(c) लाल
(d) कोई प्रभाव नहीं
उत्तर:
(c) लाल

प्रश्न 2.
क्षारीय विलयन में फिनोल्पथेलीन सूचक का रंग होता है
(a) लाल
(b) पीला
(c) नीला
(d) रंगहीन।
उत्तर:
(a) लाल

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प्रश्न 3.
प्रबल अम्लीय विलयन में मिथाइल औरेंज का रंग होता है – (2011)
(a) लाल
(b) पीला
(c) नीला
(d) रंगहीन
उत्तर:
(a) लाल

प्रश्न 4.
निम्न में प्रबल क्षार है – (2015)
(a) Ca(OH)2
(b) KOH
(c) Mg(OH)2
(d) NH4 OH
उत्तर:
(b) KOH

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में दुर्बल अम्ल है – (2017)
(a) HCl
(b) HCN
(c) HNO3
(d) H2SO4
उत्तर:
(b) HCN

प्रश्न 6.
ऐसीटिक अम्ल एक दुर्बल अम्ल है, क्योंकि (2018)
(a) इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है
(b) इसके आयनन की मात्रा कम होती है
(c) यह एक कार्बनिक अम्ल है
(d) यह एक अकार्बनिक अम्ल है
उत्तर:
(b) इसके आयनन की मात्रा कम होती है

प्रश्न 7.
प्रबल अम्ल के जलीय विलयन में किसका आधिक्य होता है? (2013)
(a) H+ आयनों का
(b) OH आयनों का
(c) Cl आयनों का
(d) Na+ आयनों का
उत्तर:
(a) H+ आयनों का

प्रश्न 8.
H2S विलयन का pH मान है – (2011, 14) अम्लीय विलयन का pH मान है (2016)
(a) शून्य
(b) 7
(c) 7 से कम
(d) 7 से अधिक
उत्तर:
(c) 7 से कम

प्रश्न 9.
उदासीन विलयन के लिए कौन-सा कथन असत्य है? (2013)
(a) हाइड्रोजन आयन सान्द्रण का मान 10.7 मोल/लीटर होता है
(b) हाइड्रॉक्सिल आयन सान्द्रण का मान 10.7 मोल/लीटर होता है
(c) pH मान 0 होता है
(d) pH मान 7 होता है
उत्तर:
(c) pH मान 0 होता है

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प्रश्न 10.
एक विलयन का pH मान 5 है। यह विलयन है – (2017)
(a) अम्लीय
(b) क्षारीय
(c) उदासीन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अम्लीय

प्रश्न 11.
10-6 MHCl विलयन का pH मान होगा (2014)
(a) 7
(b) 6
(c) 0
(d) -6
उत्तर:
(b) 6

प्रश्न 12.
एक विलयन में हाइड्रोजन आयन का सान्द्रण 1 x 10-7 मोल प्रति लीटर है। विलयन का pH मान होगा (2015)
(a) 0
(b) 7
(c) 8
(d) 6
उत्तर:
(b)7

प्रश्न 13.
सल्फ्यूरिक अम्ल में अम्लीय हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या है। (2016)
(a) 2
(b) 1
(c) 3
(d) शून्य
उत्तर:
(a) 2

प्रश्न 14.
अम्ल तथा क्षार की परस्पर अभिक्रिया को कहते हैं –
(a) जल-विच्छेदन
(b) अपघटन
(c) उदासीनीकरण
(d) आयनन
उत्तर:
(c) उदासीनीकरण

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प्रश्न 15.
निम्नलिखित में से अम्लीय लवण है – (2013, 15)
(a) NaCl
(b) NaHSO4
(c) Na2SO4
(d) KCN
उत्तर:
(b) Na2SO4

प्रश्न 16.
संकर लवण है (2016)
(a) Na2SO4 – Fe2(SO4)3 24H20
(b) Na2HPO4
(c) Na3[Fe(CN)6]
(d) NaNH4HPO4
उत्तर:
(c) Na3[Fe(CN)6]

प्रश्न 17.
फिटकरी का सही अणुसूत्र है पोटाश एलम का सही रासायनिक सूत्र होता है (2013)
(a) Al2(SO4)3 . 24H2O
(b) Al2(SO4)3. 5H2O
(c) K2SO4 . Al2(SO4)3.24H2O
(d) K2SO4 . Al2 (SO4)3. 7H2O
उत्तर:
(c) K2SO4 . Al2(SO4)3.24H2O

प्रश्न 18.
K2SO4. Al2(SO4)3 24H2O को जल में घोलने पर बनने वाले आयन हैं – (2012)
(a) K+, Al3+,
(b) Al3+, SO42-
(c) K+ Al3+, SO42-
(d) K+, SO42-
उत्तर:
(c) K+ Al3+, SO42-

प्रश्न 19.
नौसादर का रासायनिक सूत्र है – (2017)
(a) NaCl
(b) Na2CO3
(c) Na2SO4
(d) NH4Cl
उत्तर:
(d) NH4Cl

प्रश्न 20.
बहते हुए रक्त को रोकने में उपयोगी यौगिक है – (2012, 14)
(a) खाने का सोडा
(b) नौसादर
(c) धावन सोडा
(d) फिटकरी
उत्तर:
(d) फिटकरी

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प्रश्न 21.
निम्न में से कौन-सा पदार्थ ऊर्ध्वपातन का गुण प्रदर्शित करता है? (2012)
(a) NaCl
(b) Na2CO3
(c) NH4Cl
(d) CaOCl2
उत्तर:
(c) NH4Cl

प्रश्न 22.
पेयजल को जीवाणु रहित करने में प्रयोग किया जाता है। (2011, 14, 17)
(a) CaOCl2(ब्लीचिंग पाउडर)
(b) CaCl2
(c) CuCl2
(d) CaCO3
उत्तर:
(a) CaOCl2(ब्लीचिंग पाउडर)

प्रश्न 23.
विरंजक चूर्ण पर तनु सल्फ्यूरिक अम्ल की अभिक्रिया से गैस निकलती है (2014)
(a) H2
(b) O2
(c) Cl2
(d) CO2
उत्तर:
(c) Cl2

प्रश्न 24.
खाने के सोडे का रासायनिक सूत्र है – (2015)
(a) Na2CO3
(b) NaHCO3
(c) NaCl
(d) NH4Cl
उत्तर:
(b) NaHCO3

प्रश्न 25.
सोडियम कार्बोनेट के जलीय विलयन में कार्बन डाइ-ऑक्साइड अधिकता में प्रवाहित करने पर प्राप्त होता है – (2012)
(a) NaOH
(b) NaHCO3
(c) Na2CO3.10H2O
(d) Na2CO3. H2O
उत्तर:
(b) NaHCO3

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प्रश्न 26.
प्लास्टर ऑफ पेरिस में कितने अणु क्रिस्टलन जल के होते हैं? (2017)
(a) एक
(b) दो
(c) तीन
(d) चार
उत्तर:
(a) एक

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
ऐसे दो क्षारकों के नाम लिखिए जो क्षार भी हों।
उत्तर:
सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) तथा पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH)।

प्रश्न 2.
हाइड्रोजन आयन सान्द्रण से क्या तात्पर्य है? उदासीन विलयन में हाइड्रोजन आयन सान्द्रण का मान कितना होता है? (2012, 13)
उत्तर:
किसी विलयन के एक लीटर में उपस्थित हाइड्रोजन आयनों के मोलों की संख्या को उस विलयन का हाइड्रोजन आयन सान्द्रण कहते हैं। उदासीन विलयन में हाइड्रोजन आयन सान्द्रण 10-7 मोल/लीटर होता है।

प्रश्न 3.
pH की परिभाषा दीजिए। इसका हाइड्रोजन आयन सान्द्रण से क्या सम्बन्ध है? (2014, 16)
उत्तर:
pH अम्लों एवं क्षारकों के जलीय विलयन में हाइड्रोजन आयनों की सान्द्रता मापने की इकाई है। किसी विलयन का pH मान उसमें उपस्थित हाइड्रोजन आयन सान्द्रण के व्युत्क्रम का लघुगणक होता है।
अतः
pH = – log [H+]
[H+] = H+ आयनों का मोल / लीटर में सान्द्रण

प्रश्न 4.
एक विलयन में हाइड्रोजन आयनों की सान्द्रता 10-9M है। इस विलयन का pH मान परिकलित कीजिए तथा बताइए कि विलयन अम्लीय है या क्षारीय। (2016)
उत्तर:
विलयन का pH मान = – log [H+] = -log 10-9 =9 log10 = 9
pH मान 7 से अधिक है। अत: विलयन क्षारीय है।

प्रश्न 5.
एक विलयन में हाइड्रॉक्सिल आयन का सान्द्रण 1 x 10-10 मोल/लीटर है। इस विलयन का pH मान ज्ञात कीजिए। (2012, 13, 14, 18)
उत्तर:
इस विलयन का pH मान 14 – 10 = 4 होगा।

प्रश्न 6.
एक अम्लीय विलयन का pH मान 5 है। हाइड्रोजन आयन सान्द्रता [H+] की गणना कीजिए। (2011, 15)
उत्तर:
[H+] = 10-pH= 10-5

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प्रश्न 7.
pH 4 का मान के विलयन में H+ आयनों की सान्द्रता बताइए। इस विलयन की प्रकृति क्या होगी? (2018)
उत्तर:
[H+] = 10-pH = 10-4 चूँकि pH मान 7 से कम है; अत: यह विलयन अम्लीय होगा।

प्रश्न 8.
शुद्ध आसुत जल का pH मान कितना होता है ? (2011, 14, 17, 18) या उदासीन विलयन में pH का मान लिखिए। (2012)
उत्तर:
7.

प्रश्न 9.
0.0001 N NaOH विलयन का pH मान बताइए। (2015, 16)
उत्तर:
0.0001 N NaOH विलयन में हाइड्रॉक्सिल आयनों का सान्द्रण = 10-4
इस विलयन का pH मान = 14 – 4 = 10

प्रश्न 10.
जल का आयनिक गुणनफल क्या है ? इसका 25°C पर मान लिखिए। (2011, 14)
उत्तर:
स्थिर ताप पर जल और जलीय विलयनों में H+ और OH आयनों की मोलर सान्द्रताओं का गुणनफल स्थिर होता है, जिसे जल का आयनिक गुणनफल कहते हैं। 25°C पर इसका मान 10-14 होता है।

प्रश्न 11.
किसी द्विक लवण तथा संकर लवण का नाम एवं सूत्र लिखिए। इनका मुख्य लक्षण भी लिखिए। (2.011)
उत्तर:
द्विक लवण फिटकरी K2SO4 . Al2 (SO4)3 24H2O द्विक लवणों में दो सरल लवण एक निश्चित अनुपात में मिले होते हैं। इनका अस्तित्व केवल ठोस अवस्था में ही होता है।

संकर लवण पोटैशियम फैरोसायनाइड – K4 [Fe(CN)6] ये लवण कई लवणों के संयोग से बनते हैं। संकर लवण जलीय विलयन में केवल एक धनायन व ऋणायन देते हैं। जिनमें से एक साधारण आयन और दूसरा संकर आयन होता है।

प्रश्न 12.
NakSO4. किस प्रकार का लवण है ?
उत्तर:
मिश्रित लवण।

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प्रश्न 13.
फिटकरी के फूल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
90°C पर गर्म करने पर फिटकरी फूल जाती है और क्रिस्टल जल के सभी अणु बाहर निकल जाते हैं। इसे फिटकरी के फूल (burnt alum) कहते हैं।
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प्रश्न 14.
निम्नलिखित को पूर्ण एवं सन्तुलित कीजिए – (2016, 17)
1. NaCl + NH3 + H2O + CO2
2. Ca(OH)2 + Cl2
उत्तर:
1. NaCl + NH3 + H2O + CO2 → NaHCO3 + NH2 Cl
2. Ca(OH)2 + Cl2 → CaOCl2 + H2O

प्रश्न 15.
क्या होता है जब बुझा चूना क्लोरीन से अभिक्रिया करता है ? (2014) या ब्लीचिंग पाउडर चूने से कैसे प्राप्त होता है। समीकरण दीजिए।
उत्तर:
ब्लीचिंग पाउडर बनता है।
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प्रश्न 16.
क्या होता है जब ब्लीचिंग पाउडर को तनु ऐसीटिक अम्ल के साथ गर्म करते हैं? (2012)
उत्तर:
क्लोरीन गैस निकलती है –
CaOCl2 + 2CH3COOH + Ca(CH3COO)2 + H2O+ Cl2 T

प्रश्न 17.
आप कैसे बनायेंगे-(केवल रासायनिक समीकरण लिखिए) (2014)
1. सोडियम सल्फेट से सोडियम कार्बोनेट
2. बुझे हुए चूने से ब्लीचिंग पाउडर
उत्तर:
1. सोडियम सल्फेट को कार्बन तथा चूने के पत्थर (CaCO3) के साथ गर्म करने पर सोडियम कार्बोनेट बनता है।
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2. शुष्क बुझे हुए चूने पर क्लोरीन की क्रिया से ब्लीचिंग पाउडर प्राप्त होता है।
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प्रश्न 18.
क्या होता है जब (2013)
1. ब्लीचिंग पाउडर कार्बन डाइऑक्साइड से अभिक्रिया करता है।
2. सोडियम बाइकार्बोनेट तनु सल्फ्यूरिक अम्ल से अभिक्रिया करता है।
उत्तर:
1. क्लोरीन गैस निकलती है –
CaOCl2 + CO2 → CaCO3 + Cl2

2. कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है –
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प्रश्न 19.
क्या होता है जबकि (केवल रासायनिक समीकरण लिखिए) (2015, 18)
1. सोडियम बाइकार्बोनेट को गर्म करते हैं।
2. अमोनियम क्लोराइड को गर्म करते हैं।
3. विरंजक चूर्ण की क्रिया तनु सल्फ्यूरिक अम्ल से होती है।
उत्तर:
1. सोडियम कार्बोनेट बनता है व कार्बन डाइ-ऑक्साइड गैस निकलती है।
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2. गर्म करने पर यह अमोनिया और हाइड्रोजन क्लोराइड गैस में विच्छेदित हो जाता है।
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3. क्लोरीन गैस निकलती है ।
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प्रश्न 20.
निम्नलिखित रासायनिक अभिक्रिया में क्या होता है ? रासायनिक समीकरण लिखिए (2010, 13)
1. सोडियम कार्बोनेट के जलीय विलयन में कार्बन डाइ-ऑक्साइड प्रवाहित करते हैं। सोडियम कार्बोनेट (धावन सोडा) से सोडियम बाइ कार्बोनेट (बेकिंग सोडा) कैसे प्राप्त करेंगे? (2017)
2. ब्लीचिंग पाउडर को पानी में घोलकर गर्म किया जाता है।
उत्तर:
1. सोडियम बाइकार्बोनेट बनता है।
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2. कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड बनता है तथा क्लोरीन निकलती है।
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प्रश्न 21.
सोडियम कार्बोनेट के दो प्रमुख उपयोग लिखिए। (2017)
उत्तर:
1. प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में।
2. काँच तथा बोरेक्स के निर्माण में।

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प्रश्न 22.
सोडियम बाइकार्बोनेट के दो उपयोग लिखिए। (2016)
उत्तर:
यह कोल्डड्रिंक, सोडावाटर, बेकिंग पाउडर तथा दवाओं में प्रयोग होता है।

प्रश्न 23.
धावन सोडा का रासायनिक नाम तथा अणुसूत्र लिखिए। (2014, 15, 16)
उत्तर:
धावन सोडा का रासायनिक नाम सोडियम कार्बोनेट व अणुसूत्र Na2CO3 . 10H2O है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
सूचक क्या है? एक उदाहरण की सहायता से अम्ल-क्षार सूचकों के अम्लीय तथा क्षारीय माध्यम में रंग परिवर्तन को स्पष्ट कीजिए। या मिथाइल औरेंज व फिनोल्फ्थेलीन किस प्रकार सूचक का कार्य करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सूचक अम्ल-क्षार सूचक वे पदार्थ हैं जिनका अम्लीय विलयन में एक रंग तथा क्षारीय विलयन में दूसरा रंग होता है।
उदाहरणार्थ:
मिथाइल औरेंज मिथाइल औरेंज एक नारंगी रंग का रंजक है। जब मिथाइल औरेंज की एक बूंद अम्लीय विलयन में मिलायी जाती है, तब विलयन का रंग लाल हो जाता है जबकि मिथाइल औरेंज की एक बूंद को क्षारीय विलयन में मिलाने पर विलयन का रंग पीला हो जाता है।
मिथाइल औरेंज (उदासीन) → नारंगी
मिथाइल औरेंज + अम्लीय विलयन → लाल
मिथाइल औरेंज + क्षारीय विलयन → पीला

फिनोल्फ्थे लीन फिनोल्पथेलीन एक रंगहीन पदार्थ है। अम्लीय विलयन में यह रंगहीन रहता है जबकि फिनोल्पथेलीन की एक बूंद क्षारीय विलयन में मिलाने पर विलयन लाल हो जाता है।

फिनोल्पथेलीन (उदासीन) → रंगहीन
फिनोल्पथेलीन + अम्लीय विलयन → रंगहीन
फिनोल्पथेलीन + क्षारीय विलयन → लाल

प्रश्न 2.
pH पैमाना क्या मापता है? उदासीन, अम्लीय तथा क्षारीय विलयनों के pH मान का परास बताइए। (2017)
उत्तर:
pH पैमाना अम्लों एवं क्षारकों के जलीय विलयन में हाइड्रोजन आयनों की सान्द्रता मापने में प्रयुक्त होता है। उदासीन, अम्लीय तथा क्षारीय विलयनों के pH मान का परास निम्न प्रकार है –
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प्रश्न 3.
नौसादर का रासायनिक नाम व सूत्र लिखिए। नौसादर बनाने की विधि का रासायनिक समीकरण लिखिए। इसके दो रासायनिक गुणों एवं उपयोगों को भी लिखिए। (2013, 14, 17)
नौसादर की NaOH व Ca(OH)2 विलयनों के साथ अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण लिखिए। (2013, 14, 15)
क्या होता है जब अमोनियम क्लोराइड (नौसादर) को बुझे चूने के साथ गर्म करते (2016, 17)
या नौसादर (NH4 Cl) से अमोनिया (NH3 ) कैसे प्राप्त करेंगे? (2017)
उत्तर:
नौसादर का रासायनिक नाम अमोनियम क्लोराइड व अणुसूत्र NH4 Cl है।
बनाने की विधि हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में अमोनिया गैस प्रवाहित करने पर अमोनियम क्लोराइड प्राप्त होता है।
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रासायनिक गुण –
1. इसको सोडियम नाइट्राइट के साथ गर्म करने पर नाइट्रोजन गैस निकलती है।
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2. अमोनियम क्लोराइड को कॉस्टिक सोडा विलयन या बुझे हुए चूने के साथ गर्म करने पर अमोनिया गैस निकलती है।
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उपयोगL
1. इसका उपयोग प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में किया जाता है।
2. यह टाँका लगाने तथा बर्तनों पर कलई करने में काम आता है।

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प्रश्न 4.
अमोनियम क्लोराइड से माइक्रोकॉस्मिक लवण कैसे बनाते हैं? इसके क्या उपयोग (2017, 18)
या माइक्रोकॉस्मिक लवण का सूत्र लिखिए। (2018)
उत्तर:
डाइसोडियम हाइड्रोजन फॉस्फेट और अमोनियम क्लोराइड की सम-अणुक मात्राओं को गर्म जल की थोड़ी मात्रा में घोलते हैं। अवक्षेपित सोडियम क्लोराइड को फिल्टर करके, विलयन का क्रिस्टलन करने पर माइक्रोकॉस्मिक लवण के क्रिस्टल प्राप्त होते हैं।
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उपयोग:
1.  माइक्रोकॉस्मिक लवण का उपयोग फॉस्फेट बीड के रूप में, गुणात्मक विश्लेषण में तथा रंगीन बेसिक मूलकों के परीक्षण में किया जाता है।
2. फॉस्फेट बीड, सिलिका (SiO2) के परीक्षण में प्रयुक्त होती है। फॉस्फेट बीड, सिलिका के साथ गर्म करने पर धुंधली (cloudy) हो जाती है, क्योंकि उसमें सिलिका के कण तैरने लगते हैं।

प्रश्न 5.
सोडियम हाइड्रॉक्साइड के निर्माण की विधि का वर्णन कीजिए। इसके प्रमुख उपयोग भी दीजिए।
उत्तर:
सोडियम हाइड्रॉक्साइड का निर्माण सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन में विद्युत प्रवाहित करके किया जाता है। इस प्रक्रिया में सोडियम क्लोराइड विघटित होकर सोडियम हाइड्रॉक्साइड देता है। इस विधि को क्लोर-क्षार प्रक्रिया भी कहते हैं क्योंकि इसमें निर्मित उत्पाद-क्लोरीन (क्लोर) एवं सोडियम हाइड्रॉक्साइड (क्षार) होते हैं।
2NACl(aq) + 2H2O(l) → 2NaOH (aq) + Cl2 (g) + H2(g)
उपयोग:

  1. धातुओं से ग्रीस हटाने के लिए
  2. साबुन तथा अपमार्जक के निर्माण में
  3. कागज के निर्माण में
  4. कृत्रिम रेशों के निर्माण में

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अम्ल, क्षार तथा लवण की परिभाषा एक-एक उदाहरण सहित दीजिए। या अम्ल तथा क्षार की आधुनिक अवधारणा क्या है ? प्रत्येक को एक-एक उदाहरण देते हुए स्पष्ट कीजिए। (2011, 14, 17, 18)
आयनन सिद्धान्त के आधार पर समझाइए कि HCl अम्ल क्यों है तथा NaOH क्षार क्यों है? (2011)
अम्ल तथा भस्म की आधुनिक अवधारणा दीजिए। एक प्रबल अम्ल तथा एक दुर्बल भस्म का नाम लिखिए। (2012)
उत्तर:
अम्ल वे पदार्थ जो जलीय विलयन में हाइड्रोजन आयन देते हैं, अम्ल कहलाते हैं।
उदाहरणार्थ:
HCl ↔ H+ + Cl
HNO+ ↔ H+ + NO3
किन्तु हाइड्रोजन आयन (या प्रोटॉन) जलीय विलयन में स्वतन्त्र रूप में नहीं रह सकता है। यह जल के अणु से संयोग करके हाइड्रोनियम आयन (H3O+ ) बनाता है।
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अत: अम्ल वे पदार्थ हैं जो जलीय विलयन में H3O+ आयन देते हैं। जैसे
HCl + H3O ↔ H3O+ + Cl
HNO3 + H2O ↔ H3O+ + NO3

क्षार वे यौगिक जो जलीय विलयन में हाइड्रॉक्सिल आयन (OH) देते हैं, हाइड्रॉक्सिल आयन के अतिरिक्त और कोई ऋणायन नहीं देते हैं, क्षार कहलाते हैं।
उदाहरणार्थ:
NaOH ↔ Na+ + OH
NH4 OH ↔ NH4+ + OH
जलीय विलयन में हाइड्रॉक्सिल आयन भी जलयोजित हो जाते हैं। वे क्षारक जो जल में घुलनशील होते हैं, क्षार कहलाते हैं। जैसे-कॉस्टिक सोडा (NaOH), कॉस्टिक पोटाश (KOH) आदि।

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लवण वे पदार्थ, जिनके जलीय विलयन में हाइड्रोजन आयन (H+ ) के अतिरिक्त कोई अन्य धनायन तथा हाइड्रॉक्सिल आयन (OH ) के अतिरिक्त कोई अन्य ऋण आयन हो, लवण कहलाते हैं।
उदाहरणार्थ:
जिंक सल्फेट
ZnSO4 ↔ Zn+++ SO4
इसी प्रकार, NaCl, CuSO4, KNO3, NH4 Cl आदि भी लवण हैं।
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) एक प्रबल अम्ल है तथा मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड [Mg(OH)2] दुर्बल भस्म (क्षार) है।

प्रश्न 2.
फिटकरी का रासायनिक नाम व अणुसूत्र बताइए। फिटकरी पर ताप के प्रभाव का वर्णन करते हुए उसके प्रमुख गुण व उपयोग बताइए। पोटाश फिटकरी बनाने की रासायनिक समीकरण तथा इसके दो उपयोग लिखिए। (2017)
फिटकरी क्या होती है? पोटाश फिटकरी बनाने की विधि लिखिए। समीकरण भी दीजिए। इसके दो मुख्य उपयोग लिखिए। (2012, 16, 18)
फिटकरी को बनाने का समीकरण दीजिए। इसकी क्षार के साथ अभिक्रिया को लिखिए। (2011)
फिटकरी (पोटाश एलम) का रासायनिक नाम व सूत्र लिखिए। इस पर ऊष्मा के प्रभाव की विवेचना कीजिए। (2011, 13)
ऐलुमिनियम सल्फेट से पोटाश फिटकरी कैसे प्राप्त करेंगे? (2013, 17, 18)
क्या होता है जब पोटाश फिटकरी (एलम) को रक्त तप्त ताप पर गर्म करते हैं? (2015, 18)
उत्तर:
फिटकरी का रासायनिक नाम पोटैशियम ऐलुमिनियम सल्फेट व अणुसूत्र K2SO4. Al2(SO4)3 .24H2O है।
इसे पोटाश फिटकरी भी कहते हैं। यह पोटैशियम सल्फेट तथा ऐलुमिनियम सल्फेट के संतृप्त विलयनों को उचित अनुपात में मिलाकर क्रिस्टलन करने से प्राप्त होता है।
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मुख्य गुण:
(i) यह एक सफेद रंग का केलासीय ठोस पदार्थ है; जो कि जल में विलेयशील है। इसका जलीय विलयन अम्लीय होता है।
(ii) क्षार के साथ क्रिया इसका जलीय विलयन सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन (क्षार) के साथ Al(OH), का सफेद अवक्षेप देता है; जोकि NaOH की अधिकता में विलेय हो जाता है।
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(iii) ताप का प्रभाव फिटकरी को 92°C पर गर्म करने पर यह अपने क्रिस्टलन जल में घुल जाती है। 200°C पर गर्म होने पर यह निर्जल होकर फूल जाती है जिसे दुग्ध फिटकरी या फिटकरी के फूल कहते हैं। रक्त तप्त होने पर ऐलुमिनियम सल्फेट अपघटित होकर ऐलुमिना देता है।
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उपयोग इसके प्रमुख उपयोग निम्नलिखित हैं –

  1. यह कपड़े तथा चमड़े की रँगाई में काम आता है।
  2. आँखों की दवाई बनाने में काम आता है।
  3. जल को साफ करने में प्रयोग होता है।
  4. खून बहने को रोकने में प्रयुक्त होता है।

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प्रश्न 3.
विरंजक चूर्ण (ब्लीचिंग पाउडर) का रासायनिक नाम, अणुसूत्र तथा उपयोग बताइए। (2013, 17)
विरंजक चूर्ण के निर्माण का रासायनिक समीकरण लिखें तथा इसके विरंजन गुण की व्याख्या रासायनिक समीकरण देते हुए लिखें। (2017)
ब्लीचिंग पाउडर का रासायनिक नाम, बनाने की विधि एवं एक रासायनिक गुण लिखिए। सम्बन्धित समीकरण दीजिए। विरंजक चूर्ण के चार रासायनिक गुण लिखिए। (2011)
या क्या होता है जब शुष्क बुझे चूने पर Cl2 गैस प्रवाहित करते हैं? (2015) या ब्लीचिंग पाउडर की निर्माण विधि लिखिए। (2018)
उत्तर:
ब्लीचिंग पाउडर (विरंजक चूर्ण) का रासायनिक नाम कैल्सियम ऑक्सी क्लोराइड तथा अणुसूत्र CaOCl2है। बनाने की विधि यह सूखे बुझे हुए चूने पर क्लोरीन की क्रिया से प्राप्त होता है।
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गुण
1. यह एक हल्के पीले रंग का ठोस पदार्थ है, जिसमें क्लोरीन की गन्ध आती रहती है।
2. इसे जल में घोलकर गर्म करने पर क्लोरीन गैस निकलती है। इसका जलीय विलयन दूधिया होता है।
CaOCl2 + H2O → Ca(OH)2 + Cl2
3. यह तनु अम्लों के साथ क्रिया करके क्लोरीन गैस निकालता है।
CaOCl2 + H2SO4 → CasO4 + H2O+ Cl2
इस प्रकार प्राप्त क्लोरीन जल से क्रिया करके नवजात ऑक्सीजन निकालती है। रंगयुक्त पदार्थ नवजात ऑक्सीजन से क्रिया करके रंगहीन पदार्थ बनाते हैं।
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4. ब्लीचिंग पाउडर, ऐसीटोन तथा ऐल्कोहॉल के साथ जल की उपस्थिति में क्रिया करके क्लोरोफॉर्म बनाता है।
उपयोग:

  • ऊन को सिकुड़ने से बचाने के लिए
  • ऑक्सीकारक के रूप में
  • क्लोरोफॉर्म बनाने में
  • चीनी को सफेद करने में
  • पेयजल को जीवाणुरहित करने में
  • सूत, लकड़ी की लुगदी आदि का रंग उड़ाने में विरंजक के रूप में उपयोग होता है।

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प्रश्न 4.
बेकिंग पाउडर ( खाने का सोडा) का रासायनिक नाम एवं अणुसूत्र क्या है ? इसको बनाने की विधि एवं दो भौतिक गुण तथा दो रासायनिक गुण समीकरण देते हुए लिखिए। (2011, 12, 14, 15)
या खाने का सोडा बनाने की विधि का रासायनिक समीकरण लिखिए। इस पर ताप का प्रभाव भी लिखिए। (2012)
या कैसे प्राप्त करेंगे बेकिंग सोडा से धावन सोडा? (2016)
या सोडियम बाइकार्बोनेट पर ताप का प्रभाव क्या होता है? (2017)
उत्तर:
बेकिंग पाउडर का रासायनिक नाम सोडियम बाइकार्बोनेट तथा अणुसूत्र NaHCO3 है। बनाने की विधि यह सोडियम हाइड्रॉक्साइड के सान्द्र विलयन में अधिक मात्रा में कार्बन डाइ-ऑक्साइड गैस (CO2) प्रवाहित करने पर प्राप्त होता है।
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इसे बेकिंग सोडा भी कहते हैं।
गुण –
1. यह एक सफेद क्रिस्टलीय, जल में अल्प विलेय पदार्थ है।
2. इसका जलीय विलयन अम्लीय होता है।
3. इसको गर्म करने पर यह सोडियम कार्बोनेट (धावन सोडा) में टूट जाता है तथा कार्बन डाइ-ऑक्साइड (CO2) गैस निकलती है।
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4. यह तनु अम्लों के साथ क्रिया करके लवण, जल तथा कार्बन डाइ-ऑक्साइड गैस निकालता है।
NaHCO3 + HCl → NaCl + H2O+ CO2
2NaHCO3 + H2SO4 → Na2SO4 + 2H2O + 2CO2

प्रश्न 5.
धावन सोडा (सोडियम कार्बोनेट) बनाने की विधि लिखिए। इसकी –
1. BaCl2 तथा
2. SO2 के साथ होने वाली अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण भी लिखिए। (2014)
उत्तर:
धावन सोडा का रासायनिक नाम सोडियम कार्बोनेट व अणुसूत्र Na2 CO3 10H2O है। कॉस्टिक सोडा के सान्द्र विलयन में कार्बन डाइ-ऑक्साइड प्रवाहित करने पर सोडियम कार्बोनेट का विलयन प्राप्त होता है, जिसका वाष्पन करने पर सोडियम कार्बोनेट के क्रिस्टल प्राप्त होते हैं।
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सोडियम कार्बोनेट सोडियम कार्बोनेट को कपड़े धोने का सोडा तथा सोडा ऐश के नाम से भी जाना जाता है।
1. Bacl2 से क्रिया यह BaCl2 को BaCO3 में बदल देता है।
BaCl2 + Na2CO3 → BaCO3 ↓ + 2NaCl

2. SO2 से क्रिया इसके विलयन में so, गैस प्रवाहित करने पर सोडियम सल्फाइट तथा सोडियम बाइसल्फाइट बनते हैं।
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प्रश्न 6.
प्लास्टर ऑफ पेरिस किसे कहते हैं? इसे बनाने की विधि, गुण व उपयोग बताइए। या प्लास्टर ऑफ पेरिस पर ताप का क्या प्रभाव पड़ता है? (2018)
उत्तर:
जिप्सम (gypsum) को 120 – 130°C पर गर्म करने से प्लास्टर ऑफ पेरिस बनता है।

बनाने की विधि –
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(i) प्लास्टर ऑफ पेरिस सफेद रंग का चूर्ण है जो तेज गर्म करने पर निर्जल CaSO4 में बदल जाता है।
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(ii) प्लास्टर ऑफ पेरिस की जल से क्रिया कराने पर ऊष्मा उत्पन्न होती है और वह शीघ्रता से जिप्सम में बदलकर जम जाता है। इस क्रिया को प्लास्टर ऑफ पेरिस का जमना (setting) कहते हैं।
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उपयोग:

  1. शल्य चिकित्सा में प्लास्टर करने में।
  2. साँचे और मॉडल बनाने में
  3. मूर्तियाँ व खिलौने बनाने मे

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 5 पृथक्करण

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 5 पृथक्करण Text Book Questions and Answers, Notes.

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Bihar Board Class 6 Science पृथक्करण Text Book Questions and Answers

अभ्यास एवं प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
सही विकल्प को चुनिए –

(क) वे पदार्थ जो पानी या अन्य तरल पदार्थों में घुल जाते हैं उन्हें कहा जाता है –
(i) घुलनशील
(ii) अघुलनशील
(iii) थिराना
(iv) निथारना
उत्तर:
(i) घुलनशील

(ख) पदार्थों को अलग-अलग करने की क्रिया कहलाती है –
(i) वाष्पीकरण
(ii) चुनना
(iii) छानना
(iv) इनमें से सभी
उत्तर:
(iv) इनमें से सभी

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(ग) जल में अघुलनशील एवं जल में से भारी कण बर्तन के पेंदें में जम जाने की क्रिया कहलाती है –
(i) पृथक्करण
(ii) निथारना
(iii) थिराना
(iv) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(iii) थिराना

(घ) थिराने के बाद जमे हुए पदार्थ से जल या अन्य दव को अलग करने की क्रिया कहलाती है –
(i) निथारना
(ii) थिराना
(iii) थ्रेसिंग
(iv) छानना
उत्तर:
(i) निथारना

(ङ) जब मिश्रण बहुत कम मात्रा में हो तो इसे अलग करने की कौन-सी विधि बेहतर होगी ?
(i) चुनना
(ii) चालना
(iii) निथारना
(iv) क्रोमेटोग्राफी
उत्तर:
(i) चुनना

प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों को भरें –
(क) गेहूँ के दानों को भूसियों से अलग करने की विधि ………… कहलाती है।
(ख) समुद्र के जल से नमक …………. विधि द्वारा प्राप्त किया जाता है।
(ग) चाय की पत्तियों को चाय से अलग करने की क्रिया …………… कहलाती है।
(घ) क्रोमेट्रोग्राफी का उपयोग पेड़-पौधों में पाई जाने वाली दवाईयों ………. करने में किया जाता है।
उत्तर:
(क) ओसाना
(ख) वाष्पीकरण
(ग) छानना
(घ) अलग

प्रश्न 3.
मिश्रण से अवयवों को अलग करने की जरूरत क्यों है?
उत्तर:
किसी उपयोगी वस्तुओं में अनुपयोगी पदार्थ तथा हानिकारक पदार्थ मिले होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए उपयुक्त नहीं माने जाते हैं और साथ ही किसी पदार्थ की शुद्धता एवं प्रमाणिकता को बनाए रखने के लिए मिश्रण से अवयवों को अलग करने की जरूरत होती है।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 5 पृथक्करण

प्रश्न 4.
बालू और चीनी के मिश्रण को कैसे अलग किया जा सकता है? लिखें।
उत्तर:
बालू अघुलनशील पदार्थ होते हैं जबकि चीनी घुलनशील होते हैं। अतः इसके मिश्रण को पानी में घुला देते हैं। कुछ देर तक उसे हिलाते रहते हैं ताकि चीनी पूर्णतः घुल जाय। अब छनना-पत्र से बालू को छान लेते हैं। पानी – और चीनी के मिश्रण को वाष्पन विधि से अलग कर लेते हैं। इस प्रकार बालू एवं चीनी के मिश्रण को अलग करते हैं।

प्रश्न 5.
पृथक्करण की किन्हीं तीन विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पृथक्करण की तीन विधियाँ निम्नांकित प्रकार से है –

(i) ओसाई – ओसाई भारी पदार्थ के साथ मिले हल्के पदार्थ को हवा की सहायता से अलग करने की प्रक्रिया है । इसमें हवा की दिशा को ध्यान में रखते हुए ओसाई किया जाता है ।

(ii) चालना-गेहूँ अथवा धान की दौनी एवं ओसाई के बाद भी यदि उसमें मिट्टी, ककड़, डंटी, भूसी इत्यादि रह जाए तो इसे चालन की विधि से अग कर लेते हैं।

(iii) वाष्पीकरण-समुद्र के जल में लवणों की मात्रा अधिक मात्रा में घुली रहती है, इन्हीं लवणों में साधारण नमक पाया जाता है । समुद्र के जल को बड़े-बड़े गड्ढों या क्यारियों में भरकर छोड़ देते हैं । सूर्य के प्रकाश से जल गर्म होकर वाष्पित हो जाता है और ठोस लवण नीचे बच जाता है । इसके बाद लवणों का शोधन करके नमक प्राप्त किया जाता है ।

प्रश्न 6.
जल में मिले अशुद्धियों को कैसे दूर करेंगे ?
उत्तर:
(क) जल में मिले अशुद्धियों को दूर करने के लिए हम इसे गर्म करके ठंडा करके प्रयोग में ला सकते हैं ।
(ख) अशुद्धियों को पतले कपड़े से छान कर भी अशुद्धियों को दूर किया जा सकता है।

प्रश्न 7.
दूध किन किन पदाथों का मिश्रण है ?
उत्तर:
मक्खन, जल।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 5 पृथक्करण

Bihar Board Class 6 Science पृथक्करण Notes

अध्ययन सामग्री:

किसी पदार्थ का उपयोग करने से पहले यानि उसकी शुद्धता एवं प्रमाणिकता के लिए उसमें मिले हानिकारक तथा अनुपयोगी पदार्थों को अलग करने की प्रक्रिया को पृथक्करण कहते हैं।

पृथक्करण करने की अनेक विधियाँ होती हैं। जैसे-चुनना, चालना, ओसाना, क्रोमेटोग्राफी आदि।

मनुष्य अपने दिनचर्या में इस प्रक्रिया का बहुत अधिक प्रयोग करता है। जैसे—चावल से कंकड़ निकालना। किसी भोज्य पदार्थ से अवांछित पदार्थ को निकालना आदि। यानि पृथक्करण हमलोगों के लिए बहुत ही उपयोगी प्रक्रिया है। क्योंकि घर से लेकर प्रयोगशाला तक ही नहीं बड़े-बड़े उद्योग में भी इस प्रक्रिया का प्रयोग किया जाता है। कहीं यह प्रक्रिया ठोस से ठोस को अलग करने तो कहीं ठोस को द्रव से तो कहीं ठोस को गैस से या गैस से गैस को अलग करने का प्रयोग किया जाता है।

Bihar Board Class 6 Science Solutions Chapter 5 पृथक्करण

घुलनशील पदार्थ को छानकर अघुलनशील पदार्थ से अलग किया जाता है, उन्हें छानना कहते हैं। पानी से नमक के घोल को वाष्पन विधि से अलंग किया जाता है। यानि विलयन से द्रव को गर्म कर वाष्प में बदल कर अलग कर लिया जाता है। मिट्टी-पानी के घोल को कुछ देर तक स्थिर छोड़ देते हैं जिससे मिट्टी नीचे बैठ जाती है जिसे थिराना कहते हैं। कुछ ऐसे पदार्थों के मिश्रण होते हैं जिसे-चुनना, चालना तथा छानना प्रक्रिया से अलग किया जाता है। इसके अलावे भी क्रोमेटोग्राफी भी एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिससे चीजों को अलग किया जाता है। यह प्रक्रिया व्यापक स्तर पर दवा उद्योग, रंग-उद्योग आदि में किया जाता है।

इस प्रकार इस अध्याय का अध्ययन महत्वपूर्ण है।

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 5 दिशाएँ

Bihar Board Class 6 Social Science Solutions Geography Hamari Duniya Bhag 1 Chapter 5 दिशाएँ Text Book Questions and Answers, Notes.

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Bihar Board Class 6 Social Science दिशाएँ Text Book Questions and Answers

अभ्यास

बताइएप्रश्न –

प्रश्न 1.
आपके स्कूल के उत्तर दिशा में क्या है ?
उत्तर-
हमारे स्कूल के उत्तर दिशा में एक पेड़ है। यह पेड़ सड़क के किनारे हैं जहाँ से अपने घर से स्कूल और स्कूल से घर तक आने-जाने का सबसे अच्छा रास्ता है।

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 5 दिशाएँ

प्रश्न 2.
ध्रुवतारा किस दिशा में नजर आता है?
उत्तर-
ध्रुवतारा पूरब से पश्चिम दिशा, पश्चिम से पूरब दिशा में नजर आता है।

प्रश्न 3.
दिशासूचक यंत्र का उपयोग कर दिशा की जानकारी कैसे करते हैं?
उत्तर-
दिशासूचक यंत्र में एक सूई लगी रहती है जिसके दोनों छोर में चुम्बकीय शक्ति होने के कारण ये हमेशा उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव के तरफ घुमता है और यह दिशा को दर्शाता है। अतः दिशासूचक यंत्र का उपयोग कर हम दिशा की जानकारी प्राप्त करते हैं।

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प्रश्न 4.
आपका घर विद्यालय से किस दिशा में है?
उत्तर-
हमारा घर विद्यालय से उत्तर दिशा में है।

प्रश्न 5.
आपके मित्रों के घर विद्यालय से किन-किन दिशाओं में है ?
उत्तर-
हारे मित्रों के घर विद्यालय से पूरब, दक्षिण और पश्चिम दिशाओं में है।

प्रश्न 6.
आपके विचार से आपके गाँव/मुहल्ले को सुंदर बनाने के लिए किस-किस परिवर्तन की जरूरत है?
उत्तर-
छात्र शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 5 दिशाएँ

प्रश्न 7.
इस परिवर्तन से वहाँ के मानचित्र में क्या-क्या परिवर्तन आएगा?
उत्तर-
छात्र शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

क्रियाकलाप 

प्रश्न 1.
भारत के नक्शे में विभिन्न दिशाओं में स्थित स्थानों की पहचान कर दिशाओं के सामने उनका नाम अंकित कीजिए।
उत्तर-
उत्तर – हिमालय

  1. दक्षिण – हिन्द महासागर
  2. पूरब – बंगाल की खाड़ी
  3. पश्चिम – अरब सागर

Bihar Board Class 6 Social Science दिशाएँ Notes

पाठ का सारांश

रोहित के पिता फोन पर अपने मित्र को घर का पता बता रहे थे लेकिन रोहित के पिताजी को बात समझ में न आई। वह पिताजी से पूछा-पिताजी, क्या अंकल घर पहुँच जाएँगे? तब उनके पिताजी ने ऐसा चित्र बनाया जिससे रोहित को अब लगने लगा कि इस चित्र के द्वारा अब वह भी घर से स्टेशन जा सकता है और स्टेशन से घर आ सकता है।

वह अपने गाँव का चित्र बनाने के लिए अपने गुरुजी से पूछा । गुरुजी ने कहा-यह बहुत आसान काम नहीं है लेकिन इसके पहले हमें कुछ बातों “की जानकारी लेनी होगी। उन्होंने सभी बच्चों को एक पंक्ति में खड़ा करके

  • पूछा कि सभी अपना मुँह पूरब की ओर किये हैं ?
  • आपका बायाँ हाथ किस दिशा में है?
  • आपका दायाँ हाथ किस दिशा की ओर है?
  • आपकी पीठ किस दिशा में है ?
  • सामुदायिक भवन किस दिशा में है?
  • पेड़ किस दिशा में है?

अगर आप अपनी पीठ सूर्य की ओर कर लें तो आपके किस दिशा में कौन-कौन-सी चीज होगी?

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 5 दिशाएँ

अब उन्होंने सभी बच्चों को विभिन्न दिशाओं में खड़ा किया और बारी-बारी से एक-एक बच्चों को बीच में खड़ा कर पूछा –

  • राखी सुमन से किस दिशा में खड़ी है ?
  • गीता राधा से किस दिशा में खड़ी है?
  • विजय के पूरब कौन खड़ा है?
  • विक्टर के पश्चिम में कौन खड़ा है?
  • नीतू के उत्तर में कौन खड़ा है?
  • गोविन्द के सबसे दक्षिण में कौन है?

बच्चे जल्दी से एवं ठीक-ठीक जवाब देने लगे।

तब गुरु जी ने बच्चों को समझाया कि उगते सूर्य की ओर मुँह कर खड़ा होने पर सामने पूरब दिशा, पीछे पश्चिम दिशा, बायीं हाथ की ओर उत्तर दिशा एवं दाहिनी हाथ की ओर दक्षिण दिशा होती है। उन्होंने बच्चों को मानचित्र दिखाया और बताया-ठीक इसी प्रकार, मानचित्रों के सामने खड़ा होने पर ऊपर की तरफ उत्तर, नीचे की तरफ दक्षिण, दायीं ओर पूरब और बायीं ओर पश्चिम दिशा होती है। उन्होंने बच्चों से पूछा-भारत के चारों दिशाओं में क्या है ?

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 5 दिशाएँ

बच्चों ने बताया-पूरब में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर, उत्तर में हिमालय तथा दक्षिण में हिन्द महासागर है।

उन्होंने बच्चों से कहा-जब आप किसी स्थान का मानचित्र बनाएँगे तो उसमें वस्तुओं की दिशा के हिसाब से ही उसे मानचित्र में सही दिशा में अंकित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कल मैं आपको मानचित्र बनाना सिखाऊँगा और कक्षा से बाहर चले गये।

इस प्रकार हमें सभी दिशाओं के बारे में जानकारी मिली।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 3 गुरु गोविंद सिंह के पद

Bihar Board Class 9 Hindi Book Solutions Godhuli Bhag 1 पद्य खण्ड Chapter 3 गुरु गोविंद सिंह के पद Text Book Questions and Answers, Summary, Notes.

BSEB Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 3 गुरु गोविंद सिंह के पद

Bihar Board Class 9 Hindi गुरु गोविंद सिंह के पद Text Book Questions and Answers

प्रश्न 1.
ईश्वर ने मनुष्य को सर्वोत्तम कृति के रूप में रचा है। कवि के अनुसार मनुष्य वस्तुतः एक ही ईश्वर की संतान है, उसे खेमों में बाँटना उचित नहीं है। इस क्रम में उन्होंने किन उदाहरणों का प्रयोग किया है?
उत्तर-
गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपने विचारों को कविता के माध्यम से मूर्त रूप देते हुए ईश्वर और मनुष्य के बीच के अटूट संबंधों को गंभीर रूप से चित्रित किया है।

  1. “एक ही सेव सब ही को गुरुदेव एक, एक ही सरुप सबे, एकै जोत जानबो।
  2. तैसे विश्वरूप ते अभूत भूत प्रगट होई,
    ताही ते उपह सबै ताही मैं समाहिंगे।।

गुरु गोविन्द सिंह जी ने उपरोक्त दोनों काव्य पंक्तियों में ईश्वर के व्यापक स्वरूप की व्याख्या की है।

सभी सृष्टि एक ही परमात्मा के अंश से निर्मित है। एक ही ईश्वर सेवा के योग्य है। एक ही गरु रूप है एक ही उसका स्वरूप है। एक ही ज्योति की सभी प्रभा-किरणें हैं। इस प्रकार प्रथम काव्य पंक्तियों में ईश्वर के स्वरूप और महत्ता की व्याख्या की है।

दूसरी काव्य पंक्तियों में कवि ने ईश्वर के विश्वरूप की व्याख्या की है। सारा संसार तो उसी विश्वरूप का अंश है। सबकी उत्पत्ति उसी विश्वरूप परमात्मा से हुई है और सब उसी में तिरोहित हो जाते हैं। सृष्टि का मूल आधार परमात्मा ही है। उससे – प्रकाशित होकर उसी में लीन होकर नश्वर जीव अपने को ब्रह्म में लीन कर लेता है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 3 गुरु गोविंद सिंह के पद

प्रश्न 2.
कवि ने मानवीय संवेदना को मनुष्यता के किस डोर में बाँधे रखने की बात कही है?
उत्तर-
हिंदू तुरक कोऊ राफजी इमाम साफी,
मानस की जात सबै, एकै पहचान बो।
करता करीम सोई राजक रहीम ओई,
दूलरोन भेद कोई भूल भ्रम मानबो।

गुरु गोविन्द सिंह जी ने उपरोक्त पंक्तियों में अपने हृदय के निर्मल भाव को _प्रकट किया है और ईश्वर के न्यायी स्वरूप की सही व्याख्या भी प्रस्तुत की है।

गुरु गोविन्द सिंह जी कहते हैं कि कोई हिन्दू हो चाहे तुरक हो, कोई राफजी (वह व्यक्ति जो अपने स्वामी को पीड़ित देखकर भाग जाए) हो चाहे इमाम (इस्लाम धर्म का पुरोहित) हो, कोई साफी (शुद्ध करने वाला) हो सबमें कोई अंतर नहीं है। यह केवल शब्द जाल का भ्रम है। सत्य बात कुछ और ही है। मनुष्य की जात एक है, सबकी पहचान एक है। अत: मानव-मानव में भेद-विभेद करना या मानना मूर्खता है।

पुन: गुरु गोविन्द सिंह जी कहते हैं कि जो कृपा करने वाला यानि भगवान है वही सब कुछ करता है। उसी की प्रेरणा से राजा और रहीम भी कार्य संपादित करते हैं। दसरा कोई भी भेद नहीं है जिसके पीछे भूलवश भ्रम पाला जाय। इ कवि गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपनी कविताओं में ईश्वर की सत्ता का गुणगान करते हुए उसके सर्वशक्तिमान स्वरूप की व्याख्या की है। सबकुछ की उत्पत्ति उसी ब्रह्म से है और सबका अंत भी उसी में निहित है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 3 गुरु गोविंद सिंह के पद

प्रश्न 3.
गुरुगोविन्द सिंह के इन भक्ति पदों के माध्यम से सामाजिक कलह और भेदभाव को कम किया जा सकता है? पठित पद से उदाहरण देकर समझाएँ।
उत्तर-
“हिन्दू तुरक कोऊ राफजी इमाम साफी,
मानस की जात सबै एकै पहचान बो।

इन पंक्तियों में गुरु गोविन्द सिंह जी ने जाति-पाँति के भ्रम को दूर कर सबको संदेश दिया है कि हिन्दू हो या तुर्क, राफजी हो या इमाम, साफी हो या अन्य सब ईश्वर की संतान हैं। उनमें किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं है। यह सारा ढकोसला है। सभी वर्ग या जाति या धर्म के लोग एक ईश्वर की संतान हैं।

“एक ही सेव सबही को गुरुदेव एक,
एक ही सरुप सबै, एकै जोत जानबो।

इन पंक्तियों में भी गुरुजी ने एक मात्र सर्वशक्तिमान ईश्वर की महत्ता का गुणगान किया है। सभी एक ही स्वरूप के रूप हैं। सभी एक ही गुरु की संतान हैं। सभी एक ही ज्योति से प्रकाशित हैं। इस प्रकार सबका अटूट संबंध एक ही ब्रह्म से है भले ही हम उन्हें विभिन्न नाम से पुकारें।

तैसे विश्वरूप ते अभूत भूत प्रगट होइ,
ताही ते उपज सबै ताही में समाहिंगे।

इन पंक्तियों में गुरुजी ने इस मायावी संसार के यथार्थ सत्ता का गुणगान किया है। जब सभी एक ही विश्वरूप यानि ईश्वर की संतान है। जब सबकी उत्पत्ति एक ही शक्ति से होती है और सबका अंत भी उसी के अंतर्गत होता है तो फिर भेदभाव कैसा और भ्रम कैसा?

जैसे एक आग ते कन का कोट आग उठे
न्यारे न्यारे है कै फेरि आग में मिताहिंगे।

इन पंक्तियों में भी ईश्वर और आत्मा के एकत्व भाव का उदाहरण और प्रतीक के माध्यम से गुरु गोविन्द सिंह जी ने दर्शाया है। जिस प्रकार आग के एक कण से आग के करोड़ों कण पैदा होकर पुन: आग में ही समाहित हो जाते हैं ठीक उसी प्रकार यह आत्मा भी परमात्मा का अंश है। अंत में यह आत्मा पुनः परमात्मा के विराट स्वरूप में लीन हो जाती है।

करता करीम सोई राजक रहीम आई
दूलरोन भेद कोई भूल भ्रम मानबो।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 3 गुरु गोविंद सिंह के पद

इन पंक्तियों में भी ईश्वर की महत्ता को सिद्ध करते हुए कवि ने मानव के मन के भ्रम और भूल को दूर करने का प्रयास किया है।

जैसे एक नदे तै तरंग कोट उपजत है,
पान के तरंग सब पान ही कहाहिंगे।

इन पंक्तियों में भी -दी के तरंग के समान यह आत्मा है। नदी-तरंग पैदा होकर जिस प्रकार पुनः नदी में ही मिल जाता है ठीक उसी प्रकार आत्मा भी परमात्मा का ही अंश है। अतः यह सांसारिक मोह, माया, भ्रम, भूल के पीछे न पड़कर ईश्वर के प्रति आस्था रखनी चाहिए।

प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट करें(क) “तैसे विस्वरूप ते अभूत भूत प्रगट होइ,
ताही ते उपज सबै ताही में समाहिंगे।’
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ गुरु गोविन्द सिंह जी की दो छंद काव्य पाठ से ली गई हैं। यह कविता द्वितीय छंद की अंतिम पंक्तियों में लिखित है। इन पंक्तियों के माध्यम से गुरु गोविन्द सिंह जी ने ईश्वर के सर्वशक्तिमान स्वरूप की व्याख्या करते हुए यह ___ संदेश दिया है कि विश्वरूप यानि ईश्वर का अंश ही यह जीव है। आत्मा परमात्मा का ही अंश है। उसी से सभी सृष्टि की उत्पत्ति हुई है और पुन: उसी में इस सृष्टि का विनाश रूप प्राप्त कर उस सर्वशक्तिमान में लीन हो जाता है। यहाँ कवि ने भौतिक जगत की नश्वरता पर प्रकाश डालते हुए ईश्वरीय सत्ता की महत्ता को सिद्ध किया है। लौकिक जगत और अलौकिक जगत के अटूट संबंधों को रेखांकित करते हुए गुरु गोविन्द सिंह जी ने सत्य के उद्घाटन में सफलता पायी है। उन्होंने इस सांसारिक झूठे आडंबरों पर प्रकाश डालते हुए उसकी निरर्थकता पर सम्यक प्रकाश डाला है। गोविन्द सिंह के कथनानुसार ईश्वर की सत्ता सर्वोपरि है। सभी उसी के – अंश हैं। सबको पुनः उसी में तिरोहित हो जाना है। अत: इन पंक्तियों में ईश्वरीय सत्ता की महत्ता को दर्शाया गया है।

भाव स्पष्ट करें:

प्रश्न 4.
(ख) “एक ही सेव सबही को गुरुदेव एक,
एक ही सरूप सबै, एकै जोत जानबो।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियाँ गुरु गोविन्द सिंह जी द्वारा लिखित प्रथम छंद कविता से ली गई हैं। इन पंक्तियों में गुरुजी ने सेव, गुरुदेव, सरुप, जोत आदि शब्दों के प्रयोग द्वारा ईश्वरीय सत्ता की महानता और विराटता को दर्शाया है। इन पंक्तियों में कवि द्वारा तमाम भेदों-विभेदों के पीछे मनुष्य की अंतवर्ती एकता की प्रतिष्ठा की गई है। समाज में ऊपरी विभेदों के भीतर आंतरिक एकता की अनुभूति तक इस पद की व्याप्ति है। कवि मानव मात्र की एकता का पक्षधर है। छंद के अंत में वह एकत्व पूर्ण आत्मबोध के कारण ईश्वर की एकता गुरु, स्वरूप और ज्योति की एकता की प्रतिष्ठा की है।

Bihar Board Class 9 Hindi Solutions पद्य Chapter 3 गुरु गोविंद सिंह के पद

इन पंक्तियों में कवि कहता है कि सेव्य यानि जिसकी सेवा की जाय वह ईश्वर एक है। वह सर्वशक्तिमान है। वही सबका गुरु है। उसका स्वरूप भी एक ही है और सारे रूप उसी से पैदा हुए हैं। वही एकमात्र प्रकाश-पूंज है जिसकी ज्योति से सारी सष्टि जगमग है. प्रकाशित है। इस प्रकार उपरोक्त पंक्तियों में गरु गोदि सिंह जी ने ईश्वर की विराटता, महानता एवं सर्वोपरि स्वरूप की चर्चा करते हुए लोकजीवन को दिशा देने का काम किया है।

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 4 पृथ्वी के प्रमुख स्थल रुप

Bihar Board Class 6 Social Science Solutions Geography Hamari Duniya Bhag 1 Chapter 4 पृथ्वी के प्रमुख स्थल रुप Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 4 पृथ्वी के प्रमुख स्थल रुप

Bihar Board Class 6 Social Science पृथ्वी के प्रमुख स्थल रुप Text Book Questions and Answers

अभ्यास

सही विकल्पों पर सही का (✓) चिह्न लगाएँ।

प्रश्न 1.
बिहार में सोन नदी किस तरह के क्षेत्रों से होकर गुजरती है ?
(क) पहाड़ी क्षेत्र
(ख) पठारी क्षेत्र
(ग) मैदानी क्षेत्र
उत्तर-
(ग) मैदानी क्षेत्र

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 4 पृथ्वी के प्रमुख स्थल रुप

प्रश्न 2.
बाल्मीकि नगर बिहार के किस क्षेत्र में अवस्थित हैं?
(क) पश्चिमी क्षेत्र
(ख) पूर्वी क्षेत्र
(ग) दक्षिणी क्षेत्र
उत्तर-
(ख) पूर्वी क्षेत्र

प्रश्न 3.
धान की फसल के लिए उपयुक्त मिट्टी हैं
(क) बलुआही मिट्टी
(ख) चिकनी मिट्टी
(ग) दोमट मिट्टी
उत्तर-
(ख) चिकनी मिट्टी

प्रश्न 4.
पठार के ऊपर की सतह होती है
(क) नुकीला
(ख) सपाट
(ग) संकीर्ण
उत्तर-
(ख) सपाट

प्रश्न 5.
पर्वतों के कितने प्रकार होते हैं ?
(क) चार
(ख) पाँच
(ग) तीन
उत्तर-
(ग) तीन

प्रश्न 2.
खाली स्थानों को भरें

  1. बिहार का अधिकतर भाग ………… नदी के दोनों ओर मैदानी भाग के रूप में फैला है।
  2. …………… को संसार का छत कहा जाता है।
  3. पहाड़ों की लम्बी श्रृंखला को …………. श्रेणी कहते हैं।
  4. शिमला और कश्मीर देश के प्रमुख …………… पर्यटन स्थल के उदाहरण हैं।
  5. प्राकृतिक वातावरण के बदलते स्वरूप के मुख्य कारण बढ़ती

उत्तर-

  1. गंगा
  2. पामीर पठार
  3. पर्वत
  4. केन्द्र
  5. आबादी।

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प्रश्न 3.
बताइए-

प्रश्न (i)
मैदानी क्षेत्र की क्या-क्या विशेषताएँ होती हैं ?
उत्तर-
प्रायः नीची और समतल भूमि का प्रदेश मैदान कहलाता है। मैदानों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे समुद्र से ऊँचे या नीचे हो सकते हैं परंतु अपने समीपवर्ती पठार तथा पर्वत से ऊँचे नहीं हो सकते हैं। प्रायः एक ही मिट्टी के बने होते हैं।

अपरदन मूलक मैदान वे मैदान जिनकी रचना में अपरदन की क्रिया का प्रमुख स्थान होता है। अपरदन मूलक मैदान कहलाते हैं। निक्षेपण मूलक मैदान निक्षेपण का क्रिया के द्वारा नदियों हिमानी वायु तथा सागरीय तरंगों से जो मैदान बनते हैं उन्हें निक्षेपण के मैदान कहते हैं।

रचनात्मक मैदान का निर्माण पृथ्वी के आंतरिक हलचलों के द्वारा होता है।

मैदानी क्षेत्रों में जीवन-यापन के लिए भोजन, जल, आवास परिवहन की सुविधाएँ आसानी से हो सकती है। यहाँ सड़क मार्ग, रेलमार्ग एवं अन्य सुविधाएँ आसानी से प्रदन की जा सकती हैं।

बिहार का अधिकतर भाग गंगा नदी के दोनों तरफ मैदानी भाग के रूप में फैला हुआ है। इसमें कृषि कार्य होता है। ऐसे मैदानी क्षेत्र अन्न उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।

मैदानी क्षेत्र पश्चिम में पंजाब से लेकर पूरब में आसाम तक ये इलाके सतलज, गंगा और ब्रह्मपुत्र का मैदान कहलाते हैं। ये सभी क्षेत्र कृषि के लिए सर्वोत्तम माने जाते हैं।

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प्रश्न (ii)
सड़क-निर्माण का कार्य किस क्षेत्र में आसान होगा और क्यों ?
उत्तर-
सडक-निर्माण का कार्य मैदानी क्षेत्र में आसानी से होगा क्योंकि मैदानी क्षेत्र प्रायः समतल भूमि का प्रदेश होता है। मैदानों की वजह से प्रायः एक ही प्रकार की मिट्टी पायी जाती है। इन क्षेत्रों को आसानी से उपयोग करके सड़क का निर्माण किया जा सकता है जिससे यहाँ परिवहन की सुविधाएँ आसानी से उपलब्ध होंगी और सड़क का निर्माण करने में भी बहुत कम खर्च लगेगा और सड़क का कार्य जल्दी ही पूरा हो जाता है।

प्रश्न (iii)
पर्वत, पठार और मैदान के दोहन से इस पर क्या प्रभाव पड़ा है?
उत्तर-
बढ़ती जनसंख्या के कारण ही पर्वत, पठार और मैदानी क्षेत्रों का दोहन हो रहा है। वनों को काटा जा रहा है इससे प्रदूषण की समस्या भी बढ़ी है। सड़क निर्माण के इन्हीं पठारों, पहाड़ों को काटा जा रहा है जिससे यह विलुप्त होते जा रहे हैं। मैदानी क्षेत्रों में परिवहन, जल, समतल भूमि होने के कारण कल-कारखाने बन रहे हैं जिससे आबादी काफी घनी हो गई है। कारखानों के लिए खनिजों की उपलब्धता पठारों से है। इसलिए पठारों का दोहन हो रहा है जिससे प्राकृतिक सुंदरता घटी हैं, प्रदूषण बढ़ा है।

वन क्षेत्र घटे हैं, इन क्षेत्रों में भी भूजल का स्तर गिर गया है जिससे जल-संकट की समस्या उत्पन्न हो गया है। इसी प्रकार अगर हम प्रकृति को दोहन होने से नहीं बचाएँगे तो हमें भविष्य में जल की समस्या प्रकृति भूमि की समस्या का, वायु प्रदूषण की समस्या का सामाना करना पड़ेगा।

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प्रश्न (iv)
मैदान में ही अधिक लोग क्यों बसते हैं?
उत्तर-
मैदान में ही भूमि समतल होती है। न कहीं अधिक ऊँची न कहीं अधिक नीची। जिससे लोग यहाँ कृषि-कार्य आसानी से करते हैं। इसमें लोग धान, गेहूँ, चना इत्यादि उपजाकर अपना जीवन-यापन कर सकते हैं। मैदानी क्षेत्रों में जीवन के लिए सभी सुख-सुविधा उपलब्ध हैं। भोजन, जल, आवास, परिवहन की सुवधिा आसानी से उपलब्ध होती है। ऐसे क्षेत्रों में संडक मार्ग आसानी से प्रदान हो जाती हैं। मैदानी क्षेत्र अन्न उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं। इसलिए इन सभी सुविधाओं को देखते हुए लोग मैदान में ही अधिक बसते हैं।

प्रश्न (v)
पर्वत कितने प्रकार के होते हैं? सभी के नाम लिखें
उत्तर-
पर्वत तीन प्रकार के होते हैं।

  • इनकी सतह ऊबड़-खाबड़ एवं शिखर शंक्वाकार होती है। जैसे – भारत का हिमालय पर्वत एवं दक्षिण अमेरिका का एन्डीज पर्वत हैं।
  • धेशोत्थ पर्वत पृथ्वी के आंतरिक हलचलों के कारण पृथ्वी पर दरार पड़ जाती हैं दो दरारों के बीच का भाग ऊपर उठता है। भारत का सतपुडा पर्वत।
  • ज्वालामुखी से निकलने वाले लावा एवं अन्य पदार्थों को ठंडा होकर जम जाने से जिन पर्वतों का निर्माण होता है उसे ज्वालामखी पर्वत कहते हैं जैसे-इटली का विसुवियस पर्वत । भारत के अण्डमान निकोबार के बैरन आइलैन्ड में सक्रिय ज्वालामुखी पर्वत पाये जाते हैं।

Bihar Board Class 6 Social Science पृथ्वी के प्रमुख स्थल रुप Notes

पाठ का सारांश

  • पर्वत तीन प्रकार के होते हैं :

1. वलित पर्वत – इनकी सतह उबड़-खाबड़ एवं शिखर शंक्वाकार होती है। जैसे-भारत का हिमालय पर्वत एवं अरावली पर्वत।।

2. भ्रंशोत्थ पर्वत – पृथ्वी के आंतरिक हलचलों के कारण पृथ्वी पर दरारें पड़ जाती हैं। दो दरारों के बीच का भाग ऊपर उठ जाता है। इस ऊँचे उठे भाग को भ्रंशोत्थ पर्वत कहा जाता है। सतपुड़ा पर्वत इसका उदाहरण है।

Bihar Board Class 6 Social Science Geography Solutions Chapter 4 पृथ्वी के प्रमुख स्थल रुप

3. ज्वालामुखी पर्वत – ज्वालामुखी से निकले लावा एवं अन्य पदार्थों के ठंडा होकर जम जाने से जिन पर्वतों का निर्माण होता है उसे ज्वालामुखी पर्वत कहते हैं। इटली का विसुवियस पर्वत इसका उदाहरण है। भारत में ज्वालामुखी पर्वत नहीं पाये जाते हैं। कम ऊँचाई के पर्वतों को पहाड कहा जाता है।

  • पठार आस-पास की भूमि से ऊँचा होता है तथा उसके ऊपर का भाग सपाट होता है।
  • तिब्बत का पठार संसार का सबसे ऊंचा पठार है, इसलिए इसे ‘संसार का छत’ भी कहा जाता है।
  • पर्वत से निकलने वाली नदियों के जल का उपयोग सिंचाई तथा पन बिजली उत्पादन किये जाते हैं।
  • पर्वतों पर कई प्रकार की वनस्पतियां तथा जीव-जंत पाये जाते हैं।
  • घने जंगल, अत्यधिक उंचाई एवं परिवहन का अभाव होने से यहां का जीवन मैदानों की अपेक्षा कठिन होता है।
  • बिहार का अधिकतर भाग गंगा नदी के दोनों तरफ-मैदानी भाग के रूप में फैला हुआ है। इसमें कृषि कार्य होता है।
  • पश्चिम में पंजाब से लेकर पूरब में आसाम तक के इलाके सतलज, गंगा और ब्रह्मपुत्र का मैदान कहलाते हैं।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति

Bihar Board Class 11 Geography प्राकृतिक वनस्पति Text Book Questions and Answers

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति

(क) बहुवैकल्पिक प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
प्रोजेक्ट टाईगर का उद्देश्य क्या था ……………………..
(क) शेरों का शिकार करना
(ख) अवैध शिकार को रोककर शेरों की सुरक्षा
(ग) शेरों को चिड़ियाघरों में रखना
(घ) शेरों पर चित्र बनाना
उत्तर:
(ख) अवैध शिकार को रोककर शेरों की सुरक्षा

प्रश्न 2.
नन्दा देवी जीव आरक्षण क्षेत्र किस राज्य में है ………………………
(क) बिहार
(ख) उत्तरांचल
(ग) उत्तरप्रदेश
(घ) उड़ीसा
उत्तर:
(ख) उत्तरांचल

प्रश्न 3.
संदल किस प्रकार के वन की लकड़ी है?
(क) सदाबहार
(ख) डेल्टय वन
(ग) पतझड़ीय
(घ) कंटीले वन
उत्तर:
(ग) पतझड़ीय

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प्रश्न 4.
IUCN द्वारा कितने जीव आरक्षण स्थल मान्यता प्राप्त हैं ……………………..
(क) 1
(ख) 2
(ग) 3
(घ) 4
उत्तर:
(घ) 4

प्रश्न 5.
वन नीति के अधीन वन क्षेत्र का लक्ष्य कितना था ……………………….
(क) 33%
(ख) 55%
(ग) 44%
(घ) 22%
उत्तर:
(क) 33%

प्रश्न 6.
चंदन वन किस प्रकार का वन है …………………….
(क) सदाबहार
(ख) डेल्टाई
(ग) पर्णपाती
(घ) काँटेदार
उत्तर:
(ग) पर्णपाती

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें।

प्रश्न 1.
प्राकृतिक वनस्पति क्या है ? जलवायु की किन परिस्थितियों में उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन उगते हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक वनस्पति से अभिप्राय उस पौधा समुदाय से है, जो लम्बे समय तक बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के उगता है और इसकी विभिन्न प्रजातियाँ वहाँ पाई जाने वाली मिट्टी और जलवायु में यथासंभव स्वयं को ढाल लेती हैं। उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन उष्ण और आई प्रदेशों में पाए जाते हैं, जहाँ वार्षिक वर्षा 200 सेंटीमीटर से अधिक होती है और औसत वार्षिक तापमान 22° सेल्सियस से अधिक रहता है।

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प्रश्न 2.
जलवायु की कौन-सी परिस्थितियाँ सदाबहार वन उगने के लिए अनुकूल हैं ?
उत्तर:
सदाबहार वन ऊष्ण और आई प्रदेशों में पाए जाते हैं, जहाँ वार्षिक वर्षा 200, सेंटीमीटर से अधिक होती है और औसत वार्षिक तापमान 22-20° सेल्सियस से अधिक रहता है।

प्रश्न 3.
सामाजिक वानिकी से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सामाजिक वानिकी का अर्थ है पर्यावरणीय, सामाजिक व ग्रामीण विकास में मदद के उद्देश्य से वनों का प्रबंध और सुरक्षा तथा ऊसर भूमि पर वनरोपण। राष्ट्रीय कृषि आयोग (1976-79) ने सामाजिक वानिकी को तीन वर्गों में बाँटा है-शहरी वानिकी, ग्रामीण वानिकी और फार्म वानिकी।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति

प्रश्न 4.
जीव मंडल निचय को पारिभाषित करें। वन क्षेत्र और वन आवरण में क्या अंतर है?
उत्तर:
जीव मंडल निचय (आरक्षित क्षेत्र) विशेष प्रकार के भौतिक और तटीय पारिस्थितिक तंत्र हैं, जिन्हें यूनेस्को (UNESCO) के मानव और जीव मंडल प्रोग्राम (MAB) के अंतर्गत मान्यता प्राप्त है। जीव मंडल निचय के तीन मुख्य उद्देश्य हैं –

  • जीव विविधता और पारिस्थितिक तंत्रों का संरक्षण
  • पर्यावरण और विकास का मेल-जोल
  • अनुसंधान और देख-रेख के लिए अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क।

वन क्षेत्र राजस्व विभाग के अनुसार अधिसूचित क्षेत्र है, चाहे वहाँ वृक्ष हों या न हों, जबकि वन आवरण प्राकृतिक वनस्पति का झुरमुट है और वास्तविक रूप में वनों से ढंका है। वन क्षेत्र राज्यों के राजस्व विभाग से प्राप्त होता है जबकि वन आवरण की पहचान वायु चित्रों और
उपग्रहों से प्राप्त चित्रों से की जाती है।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दें।

प्रश्न 1.
वन संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
उत्तर:
वन संरक्षण नीति के अंतर्गत निम्न कदम उठाए गए हैं – सामाजिक वानिकी – सामाजिक वानिको का अर्थ पर्यावरणीय, सामाजिक व ग्रामीण विकास में मदद के उद्देश्य से वनों का प्रबंध और सुरक्षा तथा ऊसर भूमि पर वनरोपण । सामाजिक वानिकी को तीन वर्गों में बाँटा गया है-शहरी वानिकी, ग्रामीण वानिकी और फार्म वानिकी।

सार्वजनिक भूमि जैसे – पार्क, सड़कों, हरित पट्टी, औद्योगिक व व्यापारिक स्थलों पर वृक्ष लगाना और उसका प्रबंध इत्यादि से शहरी वानिकी को बढ़ावा दिया जाता है। कृषि वानिकी का अर्थ कृषि योग्य तथा बंजर भूमि पर पेड़ और फसलें एक साथ लगाना । फार्म वानिकी के अंतर्गत किसान अपने खेतों में व्यापारिक महत्त्व वाले या दूसरे पेड़ लगाते है। वन विभाग इसके लिए छोटे और मध्यम किसानों को निःशुल्क पौधे उपलब्ध कराता है। इस प्रकार की योजना के अंतर्गत कई प्रकार की भूमि जैसे-खेतों की मेड़, चरागाह, घास स्थल, घर के पास पड़ी खाली जमीन और पशुओं के बाड़ों में भी पेड़ लगाए जाते हैं।

कृषि वानिकी का उद्देश्य वानिकी और खेती एक साथ करना है, जिससे खाद्यान्न, चारा, ईंधन, इमारती लकड़ी और फलों का उत्पादन एक साथ किया जाय। समुदायिक वानिकी सार्वजनिक भूमि जैसे-गाँव-चरागाह, मंदिर-भूमि, सड़कों के दोनों ओर, नहर किनारे, रेल पट्टी के साथ पटरी और विद्यालयों में पेड़ लगाना है। इस योजना का एक उद्देश्य भूमिविहीन लोगों को वानिकीकरण से जोड़ना तथा इससे उन्हें लाभ पहुंचाना है जो केवल भूस्वामियों को ही प्राप्त होते हैं।

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प्रश्न 2.
वन और वन्य जीव संरक्षण में लोगों की भागीदारी कैसे महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
वन और वन्य प्राणी संरक्षण का दायरा काफी बढ़ा है और इसमें मानव कल्याण की . असीम संभावनाएँ निहित हैं। यद्यपि इस लक्ष्य को तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब हर व्यक्ति इसका महत्त्व समझे और अपना योगदान दे।

वन प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में हमें बहुत अधिक आर्थिक व सामाजिक लाभ पहुंचाते हैं। अतः वनों के संरक्षण की मानवीय विकास में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है। वनों और जनजाति समुदायों में घनिष्ठ सम्बन्ध है और इनमें से एक का विकास दूसरे के बिना असंभव है। वनों के विषय में इनके प्राचीन व्यावहारिक ज्ञान को वन विकास में प्रयोग किया जा सकता है। जनजातियों को वनों से गौण उत्पाद संग्रह करने वाले न समझकर, उन्हें वन संरक्षण में भागीदार बनाया जाना चाहिए।

हमें पर्यावरण संतुलन बनाए रखना चाहिए तथा पारिस्थितिक असंतुलित क्षेत्रों में वन लगाना चाहिए। देश की प्राकृतिक धरोहर जैव-विविधता तथा आनुवांशिक पूल का संरक्षण करना चाहिए। मृदा अपरदन तथा मरुस्थलीयकरण को रोकने का प्रयास करना चाहिए तथा बाढ़ व सूखे पर नियंत्रण पाने की कोशिश करते रहनी चाहिए । वनों की उत्पादकता बढ़ाकर वनों पर निर्भर ग्रामीण जनजातियों को इमारती लकड़ी, ईंधन, चारा और भोजन उपलब्ध करवाना चाहिए और लकड़ी के स्थान पर हमें अन्य वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए। पेड़ लगाने को बढ़ावा देने के लिए, पेड़ों की कटाई रोकने के लिए जन-आंदोलन चलाना चाहिए तथा हमें वन्य प्राणियों का शिकार नहीं करना चाहिए। दुर्लभ प्राणियों और पौधों को संरक्षित रखने के लिए उनकी संख्या में बढ़ोतरी के लिए प्रयास करना चाहिए।

(घ) परियोजना कार्य (Project Work)

प्रश्न 1.
भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित को पहचान कर चिह्नित करें।

  1. मैंग्रोव वन वाले क्षेत्र।
  2. नंदा देवी, सुंदर वन, मन्नार की खाड़ी और नीलगिरी, जीवमंडल निचय।
  3. भारतीय वन सर्वेक्षण मुख्यालय की स्थिति का पता लगाएं और रेखांकित करें।

उत्तर:
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Bihar Board Class 11 Geography प्राकृतिक वनस्पति Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत के दो राज्य बतायें जहाँ देवदार के वृक्ष मिलते हैं।
उत्तर:
जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश।

प्रश्न 2.
काँटेदार वन के दो पड़ों के नाम बतायें।
उत्तर:
खैर तथा खजूरी।

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प्रश्न 3.
बबूल के वृक्ष से कौन-से उत्पाद प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
गोंद तथा रंगने वाले पदार्थ।

प्रश्न 4.
ज्वारीय वन में गुंझलदार जड़ों का क्या कार्य है?
उत्तर:
यह कीचड़ में वृक्षों का संरक्षण करती हैं।

प्रश्न 5.
भारत का वन अनुसंधान केन्द्र कहाँ पर स्थित है?
उत्तर:
देहरादून में।

प्रश्न 6.
ज्वारीय वन में पाये जाने वाले दो पेड़ों के नाम लिखें।
उत्तर:
सुन्दरी, गुर्जन।

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प्रश्न 7.
वैज्ञानिक नियम पर वनों के अन्तर्गत कुल कितना क्षेत्र होना चाहिए।
उत्तर:
33%

प्रश्न 8.
कोणधारी वन के तीन वृक्षों के नाम लिखें।
उत्तर:
पाइन, देवदार, सिल्वर फर्र।

प्रश्न 9.
3500 मीटर से अधिक ऊंचाई पर किस प्रकार की वनस्पति पाई जाती है?
उत्तर:
एल्पाइन चरागाह।

प्रश्न 10.
उन दो राज्यों के नाम लिखें जहाँ देवदार पाये जाते हैं।
उत्तर:
जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश।

प्रश्न 11.
मयरो बोलान वृक्ष का उपयोग बताएं।
उत्तर:
रंगने वाले पदार्थ प्रदान करना।

प्रश्न 12.
ज्वारीय वातावरण में कौन-से वन मिलते हैं?
उत्तर:
मैंग्रोव वन।

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प्रश्न 13.
भारत में आर्थिक पक्ष से कौन-सा वनस्पति क्षेत्र महत्वपूर्ण है?
उत्तर:
पतझड़ीय वन।

प्रश्न 14.
भारत का कुल कितना भौगोलिक क्षेत्र वनों के अंतर्गत है?
उत्तर:
22%

प्रश्न 15.
भारत का कुल कितना क्षेत्र (हेक्टेयर में) वनों के अन्तर्गत है?
उत्तर:
750 लाख हेक्टेयर।

प्रश्न 16.
लकड़ी के दो प्रयोग लिखें।
उत्तर:

  1. इमारत निर्माण के लिये।
  2. ईंधन के लिए लकड़ी।

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प्रश्न 17.
लकड़ी का एक औद्योगिक प्रयोग लिखें।
उत्तर:
खेलों का सामान बनाना, रेयॉन उद्योग।

प्रश्न 18.
बाँस तथा वन के घास के दो उपयोग लिखो।
उत्तर:

  1. कागज बनाने के लिए
  2. कृत्रिम रेशा।

प्रश्न 19.
वनों से प्राप्त तीन उत्पादों के नाम लिखें।
उत्तर:
रबड़, गोंद तथा चमड़ा रंगने वाले पदार्थ।

प्रश्न 20.
उन दो भौगोलिक तत्त्वों के नाम लिखो जो वनों की वृद्धि को प्रभावित करते हैं।
उत्तर:

  1. वर्षा की मात्रा
  2. ऊँचाई।

प्रश्न 21.
उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वनों के लिए आवश्यक वार्षिक वर्षा तथा तापमान बताओ।
उत्तर:

  1. 200 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा
  2. 25°-27°C

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प्रश्न 22.
पतझड़ीय मानसून वनों के लिए आवश्यक वार्षिक वर्षा तथा तापमान बताओ।
उत्तर:
150-200 सेंटीमीटर।

प्रश्न 23.
उस राज्य का नाम बताओ जहाँ उष्ण कटिबंधीय सदाबहार बन पाये जाते हैं।
उत्तर:
केरल।

प्रश्न 24.
भारत के प्रदेश के नाम बताओ जहाँ काँटे तथा झाड़ियों के बन पाये जाते हैं?
उत्तर:
थार मरुस्थल।

प्रश्न 25.
हिन्द महासागर में द्वीपों के समूह बताएँ जहाँ उष्ण कटिबंधीय बन पाये जाते हैं।
उत्तर:
अण्डमान-निकोबार द्वीप।

प्रश्न 26.
उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वनों में पाये जाने वाले तीन महत्वपूर्ण पेड़ों के नाम लिखो।
उत्तर:
रोजवुड, अर्जुन, आबनूस।

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प्रश्न 27.
मानसून वनों को पतझड़ीय वन क्यों कहते हैं?
उत्तर:
क्योंकि ये गर्मियों में अपने पत्ते गिरा देते हैं।

प्रश्न 28.
उन तीन राज्यों के नाम बताएँ जहाँ मानसून वन पाये जाते हैं।
उत्तर:
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा झारखण्ड।

प्रश्न 29.
मध्य प्रदेश के एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक वृक्ष का नाम बताएँ।
उत्तर:
सागवान।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
नम उष्ण कटिबंधीय सदाबहार एवं अर्द्ध-सदाबहार बनों की दो मुख्य विशेषताएँ बताइए। ये भी बताइए कि ये मुख्यतः किन प्रदेशों में पाए जाते हैं?
उत्तर:
नम उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन-ये वन उष्ण कटिबंधीय वनों के समान सदाबहार घने वन होते हैं। ऊष्ण-आई जलवायु के कारण ये वन तेजी से बढ़ते हैं तथा अधिक ऊँचे होते हैं। भारत में पाए जाने वाले ये वन कुछ खुले तथा दूर-दूर पाए जाते हैं। इन वनों में कठोर लकड़ी के वृक्ष मिलते हैं जिनके शिखर पर छाता जैसा आकार बन जाता है। भारत में ये वन पश्चिमी घाट के अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में (केरल तथा कर्नाटक) पाए जाते हैं। ये वन शिलांग पठार के पर्वतीय प्रदेश में पाए जाते हैं। महोगनी, खजूर, बांस मुख्य वृक्ष हैं। अर्द्ध-सदाबहार वन-ये वन पश्चिमी घाट तथा उत्तर:पूर्वी भारत में कम वर्षा के क्षेत्रों में मिलते हैं। ये मानसूनी पतझड़ीय वन हैं।

प्रश्न 2.
भारत में उष्ण कटिबंधीय सदाबहार बन कहाँ पाए जाते हैं ? ऐसे बनों की वनस्पति भूमध्यरेखीय वनों से किस प्रकार समान हैं तथा किस प्रकार से असमान हैं?
उत्तर:
भारत में उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में शिलांग पठार, असम प्रदेश तथा पश्चिमी घाट पर पाए जाते हैं। ये वन भूमध्यरेखीय वनों से मिलते-जुलते हैं क्योंकि ये कठोर लकड़ी के वन हैं तथा ये अधिक आई क्षेत्रों में मिलते हैं जहाँ 200 सेमी. से अधिक वार्षिक वर्षा होती है। ये वन भूमध्यरेखीय वनों की भान्ति घने नहीं हैं, परंतु ये वन अधिक खुले-खुले मिलते हैं तथा इनका उपयोग आसान हो जाता है।

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प्रश्न 3.
सामाजिक वानिकी पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
सामाजिक वानिकी (Social Forestryi):
1. 1976 के राष्ट्रीय कृषि आयोग ने पहले – पहल ‘सामाजिक वानिकी’ शब्दावली का प्रयोग किया था। इसका अर्थ है-ग्रामीण जनसंख्या के लिए जलावन, छोटी इमारती लकड़ी और छोटे-छोटे वन उत्पादों की आपूर्ति करना ।

2. अनेक राज्य सरकारों ने सामाजिक वानिकी के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। अधिकतर राज्यों में वन विभागों के अन्तर्गत सामाजिक वानिकी के अलग से प्रकोष्ठ बनाए गए हैं। सामाजिक वानिकी के मुख्य रूप से तीन अंग हैंकृषि वानिकी-किसानों को अपनी भूमि पर वृक्षरोपण के लिए प्रोत्साहित करना; वन – भूखण्ड (वुडलाट्स) – वन विभागों द्वारा लोगों की जरूरतों को पूर करने के लिए सड़कों के किनारे, नहर के तटों, तथा ऐसी अन्य सार्वजनिक भूमि पर वृक्षारोपण सामुदायिक वन-भूखण्ड-लोगों द्वारा स्वयं बराबर की हिस्सेदारी के आधार पर भूमि पर वृक्षारोपण।

3. सामाजिक वानिकी योजनाएँ असफल हो गईं, क्योंकि इसमें उन निर्धन महिलाओं को शामिल नहीं किया गया, जिन्हें इससे अधिकतर फायदा होना था। यह योजना पुरुषोन्मुख हो गई। यही नहीं, यह कार्यक्रम लोगों की आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने वाले कार्यक्रम के स्थान पर किसानों का धनोपार्जन कार्यक्रम बन गया ।

4. सामाजिक वानिकी कार्यक्रम के द्वारा उत्पादित लकड़ी ग्रामीण भारत के गरीबों को न मिलकर, नगरों और कारखानों में पहुंचने लगी है। इससे गाँवों में रोजगार के अवसर घटे हैं और अन्य उत्पादन करने वाली भूमि पर पेड़ लग गए है। इससे अनिवासी भू-स्वामित्व को बढ़ावा मिला है।

प्रश्न 4.
कौन-सी वनस्पति जाति बंगाल का आतंक मानी जाती है और क्यों?
उत्तर:
कुछ विदेशज वनस्पति जाति के कारण कई प्रदेशों में समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं। भारत में वनस्पति का 40% भाग विदेशज है। ये पौधे चीनी-तिब्बती, अफ्रीका तथा इण्डो-मलेशियाई क्षेत्र से लाए गए हैं। जलहायसिंथ पौधा भारत में बाग के सजावट के पौधे के रूप में लाया गया था। इस पौधे के फैल जाने के कारण पश्चिमी बंगाल में जलमार्गों, नदियों, तलाबों तथा नालों कं मुंह बड़े पैमाने पर बंद हो गए हैं। इस पौधे के हानिकारक प्रभावों के कारण इसे “बंगाल का आतंक” (Terror of Bengal) भी कहा जाता है।

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प्रश्न 5.
“हमारी अधिकांश प्राकृतिक वनस्पति वस्तुतः प्राकृतिक नहीं है।” इस कथन की व्याख्या करो।
उत्तर:
यह कथन काफी हद तक सही है कि भारत में अधिकांश ‘प्रकृतिक’ वनस्पति वस्तुतः प्राकृतिक नहीं है। इस देश में मानवीय निवास के कारण प्राकृतिक वनस्पति का अधिकतर भाग नष्ट हो गया है या परिवर्तित हो गया है। अधिकांश वनस्पति अपनी कोटि तथा गुणों के उच्च स्तर के अनुसार नहीं हैं। केवल हिमालय प्रदेश के कुछ अगम्य क्षेत्रों में एवं थार मरुस्थल के कुछ भागों को छोड़ कर अन्य प्रदेशों में प्राकृतिक वनस्पति वस्तुतः प्राकृतिक नहीं है। इन प्रदेशों की वनस्पति स्थानिक जलवायु तथा मिट्टी के अनुसार पनपती है तथा इसे प्राकृतिक कहा जा सकता है।

प्रश्न 6.
भारत में मुख्य वनस्पतियों के प्रकार को प्रभावित करने वाले भौगोलिक घटकों के नाम बताइए तथा उनके एक-दूसरे पर पड़ने वाले प्रभाव का परीक्षण कीजिए।
उत्तर:
भारत में विभिन्न प्रकार की वनस्पति पाई जाती है। वनस्पति की प्रकार, सघनता आदि वातावरण में कई तत्वों पर निर्भर है। भारत में वनस्पति विभाजन के अनुसार उष्ण कटिबंधीय सदाबहार एवं मानसूनी वन, शीतोष्ण वन, घास के मैदान आदि वनस्पति को निम्नलिखित भौगोलिक घटक प्रभावित करते हैं –

  • वर्षा की मात्रा
  • धूप
  • ताप की मात्रा
  • मिट्टी की प्रकृति

ये जलवायुविक घटक अन्य स्थानिक तत्त्वों के साथ मिल कर एक-दूसरे पर विशेष प्रभाव डालते हैं। अधिक वर्षा तथा उच्च तापमान के कारण असम तथा पश्चिमी घाट पर ऊष्ण कटिबंधीय सदाबहार वनस्पति पाई जाती है। परंतु मरुस्थलीय क्षेत्रों में कम वर्षा के कारण कांटेदार झाड़ियाँ पाई जाती हैं। कई भागों में मौसमी वर्षा के कारण पतझड़ीय वनस्पति पाई जाती है। उष्ण जलवायु के कारण अधिकतर चौड़ी पत्ती वाले वृक्ष पाए जाते हैं परंतु हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र में कम तापमान के कारण कोणधारी वन तथा अल्पला घास पाई जाती है। स्थानीय मिट्टी के प्रभाव से नदी के डेल्टाई क्षेत्रों में ज्वारीय वन या मैंगरोव पाई जाती है। इसी प्रकार बाढ़-ग्रस्त क्षेत्रों में बबूल के वृक्ष मिलते हैं।

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प्रश्न 7.
“हिमालय क्षेत्रों में ऊँचाई के क्रम के अनुसार उष्ण कटिबंधीय से लेकर अल्पाईन वनस्पति प्रदेशों तक का अनुक्रम पाया जाता है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हिमालय पर्वत में दक्षिणी ढलानों से लेकर उच्च पर्वतीय क्षेत्रों तक विभिन्न प्रकार की वनस्पति मिलती है। ऊंचाई के क्रम के अनुसार वर्षा तथा ताप की मात्रा में अंतर पडता है। इस अंतर के प्रभाव से वनस्पति में एक क्रमिक अंतर पाया जाता है। धरातल के अनुसार तथा ऊँचाई के साथ-साथ वनों के प्रकार में भिन्नता आ जाती है। इस क्रम के अनुसार उष्ण कटिबंधीय से लेकर अल्पाइन वनस्पति तक का विस्तार पाया जाता है।

1. उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन – हिमालय पर्वत की दक्षिणी ढलानों पर 1200 मीटर की ऊँचाई तक उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती प्रकार के वन पाए जाते हैं। यहाँ वर्षा की मात्रा अधिक होती है। यहाँ सदाबहार घने वानों में साल के उपयोगी वृक्ष पाए जाते हैं।

2. शीत उष्ण कटिबंधीय वन – 2000 मीटर की ऊंचाई पर नम शीत उष्ण प्रकार के घने वन पाए जाते हैं। इनमें ओक, चेस्टनट और चीड़ के वृक्ष पाए जाते हैं।

3. शंकुधारी वन – दो हजार से अधिक ऊंचाई पर शंकुधार वृक्षों का विस्तार मिलता है। यहाँ कम वर्षा तथा अधिक शीत के कारण वनस्पति में अंतर पाया जाता है। स्परूस, देवदार, चिनार और अखरोट के वृक्ष पाए जाते हैं। हिम रेखा के निकट पहुंचने पर बर्च, जूनीपर आदि वृक्ष पाए जाते हैं।

4. अल्पाइन चरागाहें – 3000 मीटर से अधिक ऊँचाई के कई भागों में छोटी-छोटी घास के कारण चरागाहें पाई जाती हैं। पश्चिमी हिमालय में गुजरों जैसी जन-जातियाँ मौसमी पशुचरण हेतु इन चरागाहों का उपयाग करते हैं।

प्रश्न 8.
प्राकृतिक वनस्पति को परिभाषित कीजिए । जलवायु की उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिए, जिसमें उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन उगते हैं।
उत्तर:
प्राकृतिक वनस्पति उन वनस्पतियों को कहा जाता है जो मानव के प्रत्यक्ष या परोक्ष सहायता के बिना पृथ्वी पर उगते हैं और अपने आकार संरचना तथा अपनी जरूरतों को प्राकृतिक पर्यावरण के अनुसार ढाल लेते हैं। निम्न परिस्थितियों में उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन उगते हैं –

  • जहाँ औसत वार्षिक वर्षा 20 cm से अधिक हो
  • जहाँ सापेक्ष आर्द्रता 70% से अधिक हो।

अर्थात् जहाँ अधिक वर्षा हो, उच्च आर्द्रता हो तथा उच्च तापमान हो वहीं उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन उंगते हैं।

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प्रश्न 9.
भारत में वनों के क्षेत्र के कम होने के क्या कारण है?
उत्तर:
किसी प्रदेश के कुल क्षेत्र के कम-से-कम 1/3 भाग में वनों का विस्तार होना चाहिए ताकि उस प्रदेश में पारिस्थितिक स्वास्थ्य कायम रखा जा सके। भारत में कई कारणों से बन सम्पत्ति का कम विस्तार है –

  • वनों के विशाल क्षेत्र की कटाई
  • स्थानान्तरित कृषि की प्रथा
  • अत्यधिक मृदा अपरदन
  • चारागाहों की अत्यधिक चराई
  • लकड़ी एवं ईंधन के लिए वृक्षों की कटाई
  • मानवीय हस्तक्षेप

प्रश्न 10.
वन सम्पदा के संरक्षण के लिए क्या तरीके अपनाए जा रहे हैं?
उत्तर:
जनसंख्या के अत्यधिक दबाव तथा पशुओं की संख्या में अत्यधिक वृद्धि के कारण वन सम्पदा का संरक्षण आवश्यक है। वन संरक्षण कृषि एवं चराई के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता के कारण आवश्यक है। इसके लिए वनवर्द्धन के उत्तम तरीकों को अपनाया जा रहा है। तेजी से उगने वाले पौधों की जातियों को लगाया जा रहा है। घास के मैदानों का पुनर्विकास किया जा रहा है। वन क्षेत्र का विस्तार किया जा रहा है।

प्रश्न 11.
भारत में विभिन्न प्रकार के घासों का वर्णन करो।
उत्तर:
घासें-बारहमासी घासों की 60 प्रजातियाँ हैं। इनसे मिलकर ही हमारा पारितंत्र बना है, जो हमारे पशुधन के जीवन का आधार है। वास्तविक चारागाह और घास भूमियाँ लगभग 12.04 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र में विस्तीर्ण हैं। चराई के लिए अन्य भूमि, वृक्ष-फसलों और उद्यानों, बंजर भूमि तथा परती भूमि के रूप में हैं। जिनका क्षेत्रफल क्रमशः 37 लाख हेक्टेयर, 15 लाख हेक्टेयर और 23.3 लाख हेक्टेयर है।

वनों के अपकर्ष (डिग्रेडेशन) और विनाश के परिणामस्वरूप ही चरागाह और घासभूमियाँ विकसित हुई हैं। कालांतर में चारागाह सवाना में बदल जाते हैं। हिमालय की अधिक ऊँचाइयों वाले उप-अल्पाइन और अल्पाइन क्षेत्रों में वास्तविक चारागाह पाए जाते हैं। भारत में घास के तीन पृथक् आवरण हैं। ऊष्ण कटिबंधीय-यह मैदानों में पाया जाता है। उपोष्ण कटिबंधीय घास भूमियाँ मुख्य रूप से हिमालय की पर्वत में ही पाई जाती हैं।

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प्रश्न 12.
वन संरक्षण क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
वनों का संरक्षण-मनुष्यों और पशुओं की बढ़ती हुई संख्या का प्राकृतिक वनस्पति पर दुष्प्रभाव पड़ा है। जो क्षेत्र कभी वनों से ढंके थे, आज अर्द्ध-मरुस्थल बन गए हैं। राजस्थान में भी कभी वन थे। पारिस्थितिक संतुलन के लिए वन अनिवार्य हैं। मानव का अस्तित्व और विकास पारिस्थितिक संतुलन पर निर्भर है। संतुलित पारितंत्र और स्वस्थ पर्यावरण के लिए भारत के कम-से-कम एक तिहाई भाग पर वन होना चाहिए । दुर्भाग्य से हमारे देश के एक चौथाई भाग पर भी बन नहीं है। इसलिए वन संसाधनों की संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक नीति की आवश्यकता है।

प्रश्न 13.
भारत की वन नीति के क्या उद्देश्य हैं?
उत्तर:
सन् 1988 में नई राष्ट्रीय वन नीति, वनों के क्षेत्रफल में हो रही कमी को रोकने के लिए बनाई गई थी।

  1. इस नीति के अनुसार देश के 33 प्रतिशत भू-भाग को वनों के अन्तर्गत लाना था। संसार के कुल भू-भाग का 27 प्रतिशत तथा भारत का लगभग 19 प्रतिशत भू-भाग वनों से ढका है।
  2. वन नीति में आगे कहा गया है कि पर्यावरण की स्थिरता कायम रखने का प्रयत्न किया जायगा तथा जहाँ पारितंत्र का संतुलन बिगड़ गया है, वहाँ पुनः बनारोपण किया जायगा।
  3. आनुवांशिक संसाधनों की जैव विविधता को देश की प्राकृतिक विरासत कहा जाता है। इस विरासत का संरक्षण, वन नीति का अन्य उद्देय है।
  4. इस नीति में मृदा-अपरदन, मरुभूमि के विस्तार तथा सूखे पर नियंत्रण का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है।
  5. इस नीति में जलाशयों में गाद के जमाव को रोकने के लिए बाढ़ नियंत्रण का भी प्रावधान है।
  6. इस नीति के और भी उद्देश्य हैं जैसे-अपरदित और अनुत्पादक भूमि पर सामाजिक वानिकी और वनरोपण द्वारा वनावरण में अभिवृद्धि, वनों की उत्पादकता बढ़ाना, ग्रामीण और जन-जातीय जनसंख्या के लिए इमारती लकड़ी, जलावन, चारा और भोजन जुटाना
  7. यही नहीं इस नीति में महिलाओं को शामिल करके, व्यापक जनान्दोलन द्वारा वर्तमान वनों पर दबाव कम करने के लिए भी बल दिया गया है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में वास्तविक वनावरण का वितरण बताएँ।
उत्तर:
वनक्षेत्र की भांति बनावरण में भी बहुत अंतर है। जम्मू और कश्मीर में वास्तविक वनावरण एक प्रतिशत है, जबकि अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह की 92 प्रतिशत भूमि पर वास्तविक बनावरण है। परिशिष्ट 1 में दी गई सारणी से स्पष्ट है कि 9 ऐसे राज्य हैं जहाँ कुल क्षेत्रफल के एक तिहाई भाग से अधिक पर वनावरण है। एक तिहाई वनारण पारितंत्र का संतुलन बनाए रखने के लिए मानक आवश्यकता है। चार ऐसे राज्य हैं जहाँ वन का प्रतिशत आदर्श स्थिति जैसा ही है। अन्य राज्यों में वनों की स्थिति असंतोषजनक या संकटपूर्ण है। ध्यान देने योग्य बातम यह है कि तीन नवीन राज्यों, उत्तरांचल, झारखंड और छत्तीसगढ़ में प्रत्येक के कुल क्षेत्रफल के 40 प्रतिशत भाग पर वन हैं। इन राज्यों के पृथक् आँकड़े न मिलने के कारण इन्हें इनके पूर्व राज्यों में ही सम्मिलित किया गया है।

वास्तविक वनावरण के प्रतिशत के आधार पर भारत के राज्यों को चार प्रदेशों में विभाजित किया गया है –

  • अधिक वनावरण वाले प्रदेश
  • मध्यम वनावरण वाले प्रदेश
  • कम वनावरण वाले प्रदेश
  • बहुत कम वनावरण वाले प्रदेश

1. अधिक बनावरण वाले प्रदेश – इस प्रदेश में 40 प्रतिशत से अधिक वनावरण वाले राज्य सम्मिलित हैं। असम के अलावा सभी पूर्वी राज्य इस वर्ग में सम्मिलित हैं। जलवायु की अनुकूल दशाएँ मुख्य रूप से वर्षा और तापमान अधिक वनावरण में होने का मुख्य कारण हैं। इस प्रदेश में भी वनावरण भिन्नताएँ पाई जाती हैं। अण्डमान और निकोबार द्वीप समूह और मिजोरम, नागालैण्ड तथा अरुणाचल प्रदेश के राज्यों में कुल भौगोलिक क्षेत्र के 80 प्रतिशत भाग पर वन पाए जाते हैं। मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, सिक्किम और दादर और नागर हवेली में वनों का प्रतिशत 40 और 80 के बीच हैं।

2. मध्य बनावरण वाले प्रदेश – इसमें मध्य प्रदेश, उड़ीसा, गोवा, केरल, असम और हिमाचल प्रदेश सम्मिलित हैं। गोवा में वास्तविक वन क्षेत्र 33.79 प्रतिशत है, जो कि इस प्रदेश में सबसे अधिक है। इसके बाद असम और उड़ीसा का स्थान है। अन्य राज्यों में कुल क्षेत्र के 30 प्रतिशत भाग पर वन हैं।

3. कम वनावरण वाले प्रदेश – यह प्रदेश लगातार नहीं है। इसमें दो उप-प्रदेश हैं: एक प्रायद्वीप भारत में स्थित है। इसमें महाराष्ट्र, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश और तमिलनाडु शामिल हैं। दूसरा उप-प्रदेश उत्तरी भारत में है। इसमें उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य शामिल हैं।

4. बहुत कम वनावरण वाले प्रदेश – भारत के उत्तर:पश्चिमी भाग को इस वर्ग में रखा जात है। इस वर्ग में शामिल राज्य हैं-राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और गुजरात । इसमें चंडीगढ़ और दिल्ली दो केन्द्र शासित प्रदेश भी हैं। इनके अलावा पंश्चिम बंगाल का राज्य भी इसी वर्ग में हैं। भौतिक और मानवीय कारणों से इस प्रदेश में बहुत कम वन है।

प्रश्न 2.
भारत में प्राकृतिक वनस्पति किस प्रकार वर्षा के वार्षिक वितरण पर आश्रित हैं ? अपने उत्तर को उचित उदाहरणों से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में प्राकृतिक वनस्पति वर्षा के वार्षिक वितरण पर आश्रित है जहाँ औसत वार्षिक वर्षा 200 cm से अधिक होती है वहाँ उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन उगते हैं। रबड़, महोगिनी, एबीनी, नारियल, बाँस, बेत एवं आदनवुड के वृक्ष मुख्य रूप से उगते हैं। ये वन अंडमान निकोबार, असम, मेघालय, नागालैंड, नागपुर, मेजोरम, त्रिपुरा एवं पश्चिम बंगाल में पाये जाते हैं।

वार्षिक वर्षा जहाँ 70 से 200 cm होती है वहाँ उष्णकटिबंधीय पर्णपाती बन उगते हैं। इन वनों का विस्तार तोता के मध्य एवं निचली घाटी, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु में है। प्रमुख वृक्ष साल, चंदन, सागवान, शीशम, आम आदि हैं। वार्षिक वर्षा 50 cm से कम जिन क्षेत्रों में है वहाँ उष्णकटिबंधीय काँटेदार वन पाये जाते हैं। बबूल, कीकर, बेर, खजूर, खैर, नीम, खेजड़ी, पलास आदि के वृक्ष मुख्य रूप से राजस्थान, द.पू. में पंजाब, मध्य प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में आते हैं। शुष्क जलवायु के कारण इनके पत्ते छोटे खाल मोटी तथा जड़ें खरी होती हैं। इस प्रकार जहाँ अधिक वर्षा होती है वहाँ लंबे-लंबे वृक्ष उगते हैं जो आर्थिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति

प्रश्न 3.
भारत के विभिन्न प्रकार के वनों के भौगोलिक वितरण तथा आर्थिक महत्त्व वर्णन करों।
उत्तर:
भारत की वन सम्पदा (Forrest Wealth of India) – प्राचीन समय में भारत के एक बड़े भाग पर वनों का विस्तार था, परंतु अब बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण वन क्षेत्र घटता जा रहा है। इस समय देश में 747 लाख हेक्टेयर क्षेत्रों पर वनों का विस्तार है जो कि देश के कुल क्षेत्रफल का 22.7% भाग है। भारत में प्रति व्यक्ति वन क्षेत्र लगभग 0.1 हेक्टेयर है जो कि बहुत कम है। भौगोलिक दृष्टि से मध्य प्रदेश में सबसे अधिक वन क्षेत्र हैं।

भारतीय वनों का वर्गीकरण-भारत में वनों का वितरण वर्षा, तापमान तथा ऊँचाई के अनुसार है। भारत में निम्नलिखित प्रकार के वन पाए जाते हैं –
1. उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन (Tropical Evergreen Forests) – ये वन उन प्रदेशों में पाए जाते हैं जहाँ औसत वार्षिक वर्षा 200 सेमी से अधिक तथा औसत तापमान 24°C है। इन वनों का विस्तार निम्नलिखित प्रदेशों में है

  • पश्चिमी घाट तथा पश्चिमी तटीय मैदान
  • अण्डमान द्वीप समूह
  • उत्तर-पूर्व में हिमालय पर्वत की ढलानों पर।

अधिक वर्षा तथा ऊँचे तापमान के कारण ये वन बहुत घने होते हैं। ये सदाबहार वन हैं। तथा भूमध्य रेखीय वनों की भांति कठोर लकड़ी के वन हैं। वृक्षों की ऊँचाई 30 से 60 मीटर तक है। इन वनों में रबड़, महोगनी, आबनुस लौह-काष्ठ, ताड़ तथा चीड़ के वृक्ष पाए जाते हैं। इन वृक्षों की लकड़ी फर्नीचर, रेल के स्लीपर, जलपोत निर्माण, नावें बनाने में प्रयोग की जाती हैं।

2. पतझड़ीय मानसूनी बन (Monsoon Deciduous Forests) – ये वन उन प्रदेशों में पाए जाते हैं जहाँ औसत वार्षिक वर्षा 100 सेमी से 200 सेमी तक होती है। इसलिए इन्हें पतझड़ीय वन कहते हैं। ये वन निम्नलिखित प्रदेशों में मिलते हैं –

  • तराई प्रदेश
  • डेल्टाई प्रदेश
  • पश्चिमी घाट की पूर्वी ढलान
  • प्रायद्वीप का पूर्वी भाग – मध्य प्रदेश, उड़ीसा, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु। ये वन अधिक घने नहीं होते। इनमें वृक्ष कम ऊँचे होते हैं। ये वृक्ष लगभग 30 मीटर तक ऊँचे होते हैं। इन वृक्षों को सुगमतापूर्वक काटा जा सकता है। कई भागों में कृषि के लिए इन वनों को साफ कर दिया गया है।

आर्थिक महत्त्व (Economical Importance) – इन वनों में साल, सागौन, चन्दन, रोजवुड, आम, महुआ आदि वृक्ष पाए जाते हैं। साल वृक्ष की लकड़ी रेल के स्लीपर तथा डिब्बे बनाने के काम में आती है। सागौन की लकड़ी बहुत मजबूत होती है। इसका प्रयोग इमारती लकड़ी तथा फर्नीचर में किया जाता है। इन वृक्षों पर लाख, बीड़ी, चमड़ा रंगने तथा कागज बनाने के उद्योग आधारित है।

3. शुष्क वन (Dry Forests) – ये वन उन प्रदेशों में पाए जाते हैं जहाँ औसत वार्षिक वर्षा 50 सेमी से 100 सेमी तक होती है। ये वन निम्नलिखित क्षेत्रों में मिलते हैं –

  • पूर्वी राजस्थान
  • दक्षिणी हरियाणा
  • दक्षिण-पश्चिमी उत्तर प्रदेश
  • कर्नाटक पठार

ये वृक्ष वर्षा की कमी के कारण अधिक ऊँचे नहीं होते। इन वृक्षों की जड़ें लम्बी तथा वाष्पीकरण को रोकते हैं।

आर्थिक महत्त्व (Economic Importance) – इन वनों में शीशम, बबूल, कीकर, हल्दू आदि वृक्ष पाए जाते हैं। ये कठोर तथा टिकाऊ लकड़ी के वृक्ष होते हैं। इनका उपयोग कृषि यंत्र, फर्नीचर, लकड़ी का कोयला, बैलगाड़ियाँ बनाने में किया जाता है।

4. डेल्टाई वन (Deltaic Forests) – ये वन डेल्टाई क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इन्हें ज्वारीय वन (Tidal Forests) भी कहते हैं। मैनग्रोव वृक्ष के कारण इन्हें मैनग्रोव वन (Mangrove Forests) भी कहते हैं। ये वन निम्नलिखित डेल्टाई क्षेत्रों में मिलते हैं

  • गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा (सुन्दर वन)
  • महानदी, कृष्णा, गोदावरी डेल्टा
  • दक्षिणी-पूर्वी तटीय क्षेत्र।

ये वन प्रायः दलदली होते हैं। गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा में सुन्दरी नामक वृक्ष मिलने के कारण इसे ‘सुन्दर वन’ कहते है।

आर्थिक महत्त्व (Economic Importance) – इन वनों में नारियल, मैनग्रोव, ताड़, सुन्दरी आदि वृक्ष मिलते हैं। ये वन आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इनका प्रयोग ईंधन, इमारती लकड़ी, नावें बनाने तथा माचिस उद्योग में किया जाता है।

5. पर्वतीय वन (Mountain Forests) – ये वन हिमालय प्रदेश की दक्षिणी ढलानों पर कश्मीर से लेकर असम तक पाए जाते हैं। पूर्वी हिमालय में वर्षा की मात्रा अधिक है। वहाँ सदाबहार तथा चौड़ी पत्ती वाले वृक्षों की अधिकता के कारण कोणधारी वन पाए जाते हैं। इस प्रकार पूर्वी हिमालय तथा पश्चिमी हिमालय के वनों में काफी अंतर मिलता है। हिमालय प्रदेश में दक्षिणी ढलानों से लेकर उच्च पर्वतीय क्षेत्रों तक विभिन्न प्रकार की वनस्पति मिलती है । ऊँचाई के क्रमानुसार वर्षा तथा ताप की मात्रा में भी अंतर पड़ता है। धरातल के अनुसार तथा ऊँचाई के साथ-साथ वनों के प्रकार में भिन्नता आ जाती है। इस क्रम के अनुसार उष्ण कटिबंधीय से लेकर अल्पाइन वनस्पति तक का विस्तार पाया जाता है।

(a) उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन – हिमालय पर्वत की दक्षिणी ढलानों पर 1200 मीटर की ऊँचाई तक उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती प्रकार के वन पाए जाते हैं। वहाँ वर्षा की मात्रा अधिक होती है। वहाँ सदाबहार घने वनों में साल के उपयोगी वक्ष पाए जाते हैं।

(b) शीत उष्ण कटिबंधीय वन – 2000 मीटर की ऊंचाई पर नम शीत उष्ण प्रकार के घने वन पाए जाते हैं। इनमें ओक, चेस्टनट और चीड़ के वृक्ष पाए जाते हैं। चीड़ के वृक्ष से बिरोजा तथा तारपीन का तेल प्राप्त किया जाता है । इसकी हल्की लकड़ी होती है जिससे चाय की पेटियाँ बनाई जाती हैं।

(c) शंकुधारी वन – दो हजार से अधिक ऊँचाई पर शंकुधारी वृक्षों का विस्तार मिलता है। यहाँ कम वर्षा तथा अधिक शीत के कारण वनस्पति में अंतर पाया जाता है। यहाँ स्परुस, देवदार, चिनार और अखरोट के वृक्ष पाए जाते हैं। हिम रेखा के निकट पहुँचने पर बर्च, जूनीपद आदि वृक्ष पाए जाते हैं। देवदार की लकड़ी रेल के स्लीपर, पुला डिब्बे बनाने में प्रयोग की जाती है। सिवरफर का प्रयोग कागज की लुग्दी, पैकिंग का सामान तथा दियासलाई बनाने में किया जाता है।

(d) अल्पाइन चरागाहें – 3000 मीटर से अधिक ऊँचाई के कई भागों में छोटी-छोटी घास के कारण चरागाहें पाई जाती हैं। पश्चिमी हिमालय में गुजरों जैसी जन-जातियाँ मौसमी पशु चारण द्वारा इन चरागहों का उपयोग करते हैं।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4

प्रश्न 1.
समानार चतुर्भुज ABCD और आयत ABEF एक ही आधार पर स्थित हैं और उनके क्षेत्रफल बराबर हैं। दर्शाइए कि समान्तर चतुर्भुज का परिमाप आयत के परिमाप से अधिक है।
उत्तर:
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Q 1
यहाँ चतुर्भुज ABCD तथा ABEF समान आधार AB पर ई तथा समानार रेखा AB और CF के मध्य में है।
ar (ABCD) = ar (ABEF)
⇒ AB = CD [∵ ABCD समान्तर चतुर्भुन है।]
AB = EF
∴ CD = EF ……… (1)
⇒ AB + CD = AB + EF ………. (2)
तपा AF < AD (लाय सबसे लम्बी भुना है।)
⇒ BE < BC
∴ AF + BE < AD + BC ……… (3)
समी. (1), (2) व (3) से,
AB + EF + AF + BE < AD + BC + AB + CD.
अतः समान्तर चतुर्भुज ABCD का परिमाप > आषत ABEF का परिमाप।

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प्रश्न 2.
पाठ्य पुस्तक में दी गई भाकृति में, भुजा BC पर दो बिन्दु D और E इस प्रकार स्थित है कि BD = DE = EC है। दर्शाइए कि-
ar (∆ABD) = ar (∆ADE) = ar (∆ABC) है।
क्या आप अब उस प्रश्न का उत्तर दें सकते हैं, जो आपने इस अध्याय को भूमिका में छोड़ दिया था कि “क्या बुधिया का खेत वास्तव में बराबर क्षेत्रफलों वाले तीन भागों में विभाजित हो जाता है?
उत्तर:
AM ⊥ BC खीचें।
ar (∆ADE) = \(\frac{1}{2}\) × DE × AM …….. (1)
ar (∆ABD) = \(\frac{1}{2}\) × BD × AM ……….. (2)
ar (∆AEC) = \(\frac{1}{2}\) × EC × AM ………. (3)
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Q 2
दिया है। DE = BD = EC
अत: समी. (1), (2) व (3) से,
ar (∆ABD) = ar (∆ADE) = ar (∆AEC)
है दिए गए हल से हम कह सकते हैं कि बुधिया का खेत वास्तव में तीन बराबर क्षेत्रफल में विभाजित हो गया है।

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प्रश्न 3.
आकृति में, ABCD, DCFE और ABFE समान्तर चतुर्भुज हैं। दर्शाइए कि ar (ADE) = ar (BCF) है।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Q 3
उत्तर:
हमें ज्ञात है, समान्तर चर्भुज की सम्मुख भुजाएँ बराबर होती है।
∴ AD = BC
DE = CF और AE = BF
SSS सर्वांगसमता से, ∆ADE ≅ ∆BCF
अतः ar (∆ADE) = ar (∆BCF)

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प्रश्न 4.
पाठ्य पुस्तक में दी ई आकृति में, ABCD एक समान्तर चतुर्भुज है और BC को एक बिन्दु Q तक इस प्रकार बनाया गया है कि AD = CQ है। यदि AQ भुजा DC को P पर प्रतिच्छेद करती है, तो दर्शाइए कि-
ar (BPC) = ar (DPQ) है।
उत्तर:
AC को मिलाया।
∆APC और ∆BPC एक आधार PC तथा समान समान्तर रेखाओं PC और AB के मध्य स्थित हैं।
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Q 4
∴ ar (∆ABC) = ar (∆BPC) ……… (1)
⇒ AD = CQ
तथा AD || CQ (दिया है।)
चतुर्भुज ADQC में, सम्मुख भुजाओं का एक युग्म बराबर और समानर है।
∴ ADQC एक समान्तर चतुर्भुज है।
⇒ AP = PQ
और CP = DP
∆APC और ∆DPQ मैं,
PC = PD
AP = PQ
∠APC = ∠DPQ [कार्याधर सम्मुख कोण]
∴ SAS सर्वांगसमता गुणधर्म से.
∆APC ≅ ∆DPQ
⇒ ar (∆APC) = ar (∆DPQ) ………. (2)
समीकरण (1) व (2) से,
∴ ar (∆BPC) = ar (∆DPQ).

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प्रश्न 5.
पाठ्य पुस्तक में दी गई आकृति में, ABC और BDE दो समबाहु त्रिभुज इस प्रकार हैं कि D भुजा BC का मध्य बिन्दु है। यदि AE भुजा BC को F पर प्रतिच्छेद करती है, तो वाइए कि-
(i) ar (BDE) = \(\frac{1}{4}\) ar (ABC)
(ii) ar (BDE) = \(\frac{1}{2}\) ar (BAE)
(iii) ar (ABC) = 2 ar (BEC)
(iv) ar (BFE) = ar (AFD)
(v) ar (BFE) = 2 ar (FED)
(vi) ar (FED) = \(\frac{1}{8}\) ar (AFC).
उत्तर:
EC और AD को मिलाइए।
(i) माना ∆ABC को भुना = x
तथा BC = x
BD = \(\frac{1}{2}\) BC = x√2.
ar (ABC) = \(\frac{√3}{4}\) x² ……….. (1)
ar (BDE) = \(\frac{√3}{4}\) (\(\frac{x}{2}\))² ……… (2)
अत: समी. (1) व (2) से,
⇒ (∆BDE) = \(\frac{ar(∆ABC)}{4}\)
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Q 5

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(ii) ED माध्यिका है।
⇒ (∆BDE) = \(\frac{1}{2}\) ar (∆BEC) …….. (1)
यहाँ ∠DAE = 60° (∆BED समबाहु है।)
तथा ∠ACB = 60° (∆ABC समबाह है।)
अतः BE || AC
∆BEC तथा ∆BEA समान्तर रेखा BE तथा AC के मध्य में बने हैं।
ar (∆BEA) = ar (∆BEC) ……… (2)
समी. (1) से,
ar (∆BDE) = \(\frac{1}{2}\) ar (∆BEA).

(iii) ar (∆ABC) = \(\frac{√3}{4}\) x²
तथा ar (∆BEC) = 2 × ar (∆BED)
= 2 × \(\frac{√3}{16}\) x² = \(\frac{√3}{8}\) x²
= \(\frac{√3}{16}\) ar (∆ABC)
⇒ (∆ABC) = 2 ar (∆BEC)

(iv) ∠ABD = 60° (∆ABC समबाह है।)
∠BDE = 60° (∆BDE समबाह है।)
⇒ AB || DE
अतः ar (∆BDE) = ar (∆AED) (∵ सांगसम त्रिभुजों समान आधार व समान्तर रेखाओं के बीच में हैं)
⇒ ar (∆BDE) = ar (∆FED)
= ar (∆AED) – ar (∆FED)
⇒ ar(BEF) = ar (AFD)

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(v) माना ∆BDE की ऊंचाई ES है।
समकोण ∆ABD में,
AD = \(\sqrt{AB^2 – BD^2}\)
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Q 6
समी. (1) व (2) से,
ar (BFE) = ar (AFD) = 2 ar (EFD).

(vi) ar (∆BDE) = \(\frac{1}{4}\) ar (∆ABC)
ar (∆BEF) + ar (∆FED) = \(\frac{1}{4}\) × ar (∆ABC)
3 ar (FED) = \(\frac{1}{4}\) ar (∆ABC)
[∵ar (BFE) = 2 ar (EFD)] [भाग (v) से]
3 ar (∆FED) = \(\frac{1}{4}\) × 2 ar (∆ADC)
3 ar (∆FED) = \(\frac{1}{2}\) ar (∆ADC)
3 ar (∆FED) = \(\frac{1}{2}\) [ar (∆AFC) – ar (∆AFD)]
3 ar (∆FED) = \(\frac{1}{2}\) [ar (∆AFC) – 2ar (∆FED)
4 ar (∆FED) = \(\frac{1}{2}\) ar (∆AFC)
ar (∆FED) = \(\frac{1}{8}\) ar (∆AFC)

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प्रश्न 6.
चतुर्भुज ABCD के विकर्ण AC और AD परस्पर बिन्दु पर प्रतिच्छेद हैं। वशाइए कि
ar (∆APB) × ar (∆CPD)
= ar (∆APD) × ar (∆BPC) है।
उत्तर:
खींचिए AM ⊥ BD तथा CN ⊥ BD
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Q 7
अन्य ar (∆APB) × ar (∆CPD)
= (\(\frac{1}{2}\) × BP × AM) × (\(\frac{1}{2}\) × DP × CN)
= \(\frac{1}{4}\) × BP × AM × DP × CN
तथा ar (∆APD) × ar (∆BPC)
= \(\frac{1}{2}\) × DP × AM) × (\(\frac{1}{2}\) × BP × CN)
= \(\frac{1}{4}\) × BP × DP × AM × CN.
समी. (1), (2) से,
ar (∆APB) × ar (∆CPD) = ar (∆APD) × ar (∆BPC)

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प्रश्न 7.
P और Q क्रमशः त्रिभुज ABC की भुजाओं AB और BC के मध्य बिन्दु हैं तथा R रेखाखण्ड AP का मध्य बिन्दु है। दहिए कि-
(i) ar (PRQ) = \(\frac{1}{2}\) ar (ARC)
(ii) ar (RQC) = \(\frac{3}{8}\) ar (ABC)
(ii) ar (PBQ) = ar (ARC)
उत्तर:
∴ मध्य बिन्दु प्रमेय से, PQ || AC
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Q 8
(i) ar (∆PQR) = \(\frac{1}{2}\) ar(∆APQ) (QR माध्यिकाई)
= \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{1}{2}\) × (ar ∆ABQ) (PQ माध्यिका है)
⇒ ar (∆PQR) = \(\frac{1}{2}\) × ar (∆ABQ)
\(\frac{1}{4}\) × \(\frac{1}{2}\) × ar (∆ABC) (AQ माध्यिका है)
CAQ माध्यिका है।
= \(\frac{1}{4}\) ar (∆ABC) ………… (1)
पुनः ar (∆ARC) = \(\frac{1}{2}\) ar (∆APC)
(CR माध्यिका)
= \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{1}{2}\) × ar (ABC)
= \(\frac{1}{4}\) ar (∆ABC) ………… (2)
समी- (1) व (2) से.
ar (∆PRQ) = \(\frac{1}{2}\) ar (∆ARC)

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(ii) ar (∆RQC) = ar (∆RQA) + ar (∆AQC) – ar (∆ARC)
∴ ar (∆RQA) = \(\frac{1}{2}\) ar (∆PQA)
[∵ PQ माध्यिका है]
= \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{1}{2}\) × ar (∆AQB)
[∵ PQ माध्यिका है]
= \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{1}{2}\) ar (∆ABC)
(∵ AQ माध्यिका है)
= \(\frac{1}{8}\) ar (∆ABC) ………… (1)
∴ ar (∆AQC) = \(\frac{1}{2}\) ar (∆ABC) ……… (2)
(∵ AQ माध्यिका है)
∴ ar (∆ARC) = \(\frac{1}{2}\) ar (∆APC)
(∵ RC माध्यिका है)
= \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{1}{2}\) × ar (∆ABC)
(∵ PC माध्यिका है)
= \(\frac{1}{4}\) ar (∆ABC) …….. (3)
समी. (1),(2) व (3) से,
ar (∆RQC) = \(\frac{1}{8}\) ar(∆ABC) + \(\frac{1}{2}\) ar (∆ABC) – \(\frac{1}{4}\) ar (∆ABC)
= ar (∆RQC) = ar (∆ABC) [\(\frac{1}{8}\) + \(\frac{1}{2}\) – \(\frac{1}{4}\)]
= ar (∆ABC) [latex]\frac{1+4-2}{8}[/latex]
⇒ ar (∆RQC) = \(\frac{3}{8}\) ar (∆ABC).

(iii) ar (∆PBQ) = \(\frac{1}{2}\) (∆PBC) ……….. (1)
(∵ PQ माध्यिका है)
= \(\frac{1}{2}\) × \(\frac{1}{2}\) × (ar ∆ABC)
(∵ PC माध्यिका है।)
= \(\frac{1}{4}\) ar (∆ABC)
ar (∆ARC) = \(\frac{1}{4}\) ar (∆ABC) ………. (2)
[भाग (ii) से
समी. (1) व (2) से,
ar (∆PBQ) = ar (∆ARC).

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प्रश्न 8.
आकृति में, ABC एक समकोण त्रिभुज है जिसका कोण A समकोण है। BCED, ACFG और ABMN क्रमशः भुजाओं BC, CA और AB पर बने वर्ग हैं। रेखाखण्ड AX ⊥ DE भुजा BC को बिन्दु Y पर मिलता है। दर्शाइए कि-
Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 9 समान्तर चतुर्भुज और त्रिभुजों के क्षेत्रफल Ex 9.4 Q 9
(i) ∆MBC ≅ ∆ABD
(ii) ar (BYXD) = 2 ar (MBC)
(iii) ar (BYXD) = ar (ABMN)
(iv) ∆FCB ≅ ∆ACE
(v) ar (CYXE) = 2 ar (FCB)
(vi) ar (CYXE) = ar (ACFG)
(vii) ar (BCED) = ar (ABMN) + ar (ACFG)
उत्तर:
(i) ∆MBC और ∆ABD में,
MB = AB (∵ ABMD वर्ग है।)
BC = BD (∵ BCED वर्ग है।)
∠MBC = ∠ABD (90° + ∠ABC)
∴ SAS सर्वांगसमता गुणधर्म से,
∆MBC = ∆ABD ……….. (1)

(ii) यहाँ ∆ABD तथा चतुर्भुज BYXD दोनों आधार BD तथा समान समान्तर रेखा BD तथा AX के मध्य ई।
अतः ar (∆ABD) = \(\frac{1}{2}\) ar (BYXD)
समी. (1) से,
ar (∆MBC) = \(\frac{1}{2}\) ar (BYXD)
ar (BYXD) = 2 ar (AM∆C) ………. (2)

(iii) ∆MBC तथा चतुर्भुज ABMN दोनों आधार MB तथा तमान समान्तर रेखा MB तथा NAC के मध्य बने हैं।
⇒ ar (∆MBC) = \(\frac{1}{2}\) ar (ABMN)
2 ar (∆MBC) = ar (ABMN)
समी (2) से.
ar (ABMN)= ar (BYXD).

(iv) ∆FCB और ∆ACE में,
FC = AC (वर्ग की भुजा )
BC = CE (वर्ग की भुजा है।
∠FCB = ∠ACE (90° + ∠ACB)
∴ SAS सर्वांगसमता गुणधर्म से,
∆FCB ≅ ∆ACE
⇒ ar (∆FCB) = ar (∆ACE)

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(v) ∆ACE सपा चतुर्भुज CYXE दोनों आधार CE तथा समान समान्तर भुजा CE तथा AYX के मध्य में हैं।
⇒ ar (∆ACE) = \(\frac{1}{2}\) ar (CYXE)
ar (CYXE) = 2 ar (∆ACE)
⇒ ar (CYXE) = 2 ar (FCB) …….. (3) [भाग (iv) से]

(vi) ∆FCB तथा चतुर्भुज ACFG दोनों आधार CF तथा समान समान्तर भुजा CF था GAB के मध्य है।
⇒ ar (∆FCB) = \(\frac{1}{2}\) ar (ACFG)
2 ar (∆FCB) = ar (EACFG)
समी-(3) से,
ar (CYXE) = ar (ACFG).

(vii) वर्ग का क्षेत्रफल उसकी भुजा की घात 2 के बराबर होता है।
यहाँ ar (BCED) = BC²
ar (ABMN) = AB²
तथा ar (ACFG)= AC²
यहाँ दिया है, ∆ABC में ∠A समकोण है।
अतः BC² = AB² + AC²
∴ ar (BCED) = ar (ABMN) + ar (ACFG).

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