Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद Questions and Answers

प्रश्न-
क्रिया किसे कहते हैं ? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
जिस शब्द या पद से किसी कार्य के करने या होने का बोध होता है, उसे क्रिया कहते हैं। उदाहरणतया निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त काले पद देखिए
चिड़िया आकाश में उड़ रही है।
मोहन पार्क में दौड़ता है।
विनोद दूध अवश्य पीता है।
तुमने शाम को किताब दी थी।
बर्फ पिघल रही है।
तुम्हारी किताब मेज पर है।
ये सभी पद किसी-न-किसी कार्य के करने (दौड़ना, पीना, देना, पिघलना) या होने (उड़ना, होना) के सूचक हैं। अत: ये क्रिया-पद हैं।

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद

धातु

प्रश्न
धातु की परिभाषा देते हुए उसे उदाहरणों से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-क्रिया के मूल अंश को धातु कहते हैं।जैसे-पढ़, लिख, सो, रो, हँस, खेल, देख आदि।
स्पष्टीकरण – पढ़ धातु से अनेक क्रिया-रूप बनते हैं। जैसे-
पदूंगा, पढ़ता है, पढ़ा, पढ़ रहा होगा, पढ़े, पढ़ो, पढ़ना चाहिए, पढ़ा था, पढ़िए, पढ़ी थी आदि।
परंतु इन सब में सामान्य रूप है-‘पढ़’। यही मूल धातु है।
मूल धातु की पहचान मूल धातु की पहचान का एक तरीका है—मूल धातु का प्रयोग ‘तू’ के साथ आज्ञार्थक क्रिया के रूप में किया जाए। जैसे-
तू खा, तू पी, तू हँस, तू खेल आदि।
इनमें खा, पी, हँस, खेल आदि मूल धातु हैं।
क्रिया के सामान्य रूप धातु में ‘ना’ प्रत्यय लगाने से क्रिया के सामान्य रूप बन जाते हैं। जैसे-
पढ़ + ना = पढ़ना; सो + ना = सोना; हँस + ना = हँसना; खेल + ना = खेलना आदि।

क्रिया के भेद : अकर्मक-सकर्मक

प्रश्न-
क्रिया के कितने भेद होते हैं ? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
मुख्य रूप से क्रिया दो प्रकार की होती है-
(क) अकर्मक और (ख) सकर्मक।
(क) अकर्मक क्रिया…वाक्य में प्रयोग करते समय जिस क्रिया में कर्म की आवश्यकता नहीं होती, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं। जैसे
हँसना, रोना, उठना, गिरना, ठहरना, रुकना, बैठना, चलना, झुकना, जागना, ऊँघना, छींकना, जीना, मरना, टूटना, आना, जाना, दौड़ना आदि।
अकर्मक क्रिया का प्रभाव सीधे कर्ता पर पड़ता है। उदाहरणतया-
श्याम दौड़ता है।
यहाँ ‘दौड़ना’ क्रिया का फल सीधे कर्ता श्याम पर पड़ रहा है। दूसरे, इस वाक्य में कोई ‘कर्म’ नहीं है। न ही उसकी आवश्यकता है।
अन्य उदाहरण
पक्षी उड रहे हैं।
शीला रोएगी।
बच्चे हँस रहे हैं।
सुभाषचंद्र बोस देश के लिए उठ खड़े हुए।
कितने नेता लालच के कारण गिर जाते हैं।
गाड़ी ठहर गई है।
वह तुम्हारे लिए रुका हुआ है।
गाड़ी में सीधे बैठो।
आओ, दिल्ली चलें।
कुछ पाना है तो डाको।
अतिथि जाग गया है।
बच्चे बड़ी देर से ऊँध रहे हैं।
सर्दी के कारण सभी छींक रहे हैं।
वह घर आ चुका है।
मेहमान जा चुके हैं।
चोर-चोरी करते-करते मर गया।
नेहरू जी 14 नवंबर के दिन जन्मे।
गिलास मेरे हाथों से टूट गया।
सुशीला बहुत तेज दौड़ती है।

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद

(ख) सकर्मक क्रिया-जिस क्रिया के प्रयोग में ‘कर्म’ की आवश्यकता पड़ती है और उसका सीधा प्रभाव कर्म पर पड़ता है, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं। उदाहरणतया-
अनुराग ने पुस्तक खरीदी।
‘खरीदी’ क्रिया के प्रयोग में ‘कर्म’ (पुस्तक) की आवश्यकता अनिवार्य रूप से बनी हुई है। अगर ‘पुस्तक’ का लोप कर दिया जाए तो अर्थ अस्पष्ट या अपूर्ण रह जाएगा। उदाहरणतया अनुरांग ने खरीदी। इस वाक्य में जिज्ञासा बनी ही हुई है कि क्या खरीदी ? दूसरे, ‘खरीदी’ क्रिया का फल पुस्तक पर पड़ रहा है। अतः यह सकर्मक क्रिया है।
कुछ महत्त्वपूर्ण सकर्मक क्रियाएँ इस प्रकार हैं-
देख, सुन, पढ़, लिख, कर, हो, कह, सूंघ, खा, पी, ले, दे, मार, छोड़, काट, पीट, तोड़, बेच आदि। इन्हीं से बनने वाली प्रेरक क्रियाएँ भी सकर्मक होती हैं। जैसे-
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद - 01

सकर्मक क्रिया के कुछ वाक्य-प्रयोग
शीला ने संतरा खाया।
उसने बच्चे को संतरा खिलाया।
मोहन दुध पी रहा है।
माँ मोहन को दध पिला रही है।
लड़के फिल्म देखते हैं।
अध्यापक बच्चों को फिल्म दिखा रहे हैं।
मैंने कहानी सुनी।
मैंने बच्चों को कहानी सुनाई/सुनवाई।
मैंने उपन्यास पढ़ा।
मैंने लोगों को उपन्यास पढ़वाया/पढ़ाया।
उसने कविता लिखी।
उसने लड़कियों से कविता लिखवाई।
मैंने परिश्रम किया।
मने सबसे परिश्रम करवाया।
अध्यापक ने कठोर वचन कहे/कहलवाए।
मैंने फल संचा।

अकर्मक-सकर्मक के भेद

प्रश्न-
अकर्मक क्रिया के भेद स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
अकर्मक क्रिया तीन प्रकार की होती है-
(क) स्थित्यर्थक पर्ण अकर्मक क्रिया – यह क्रिया बिना कर्म के पूर्ण अर्थ देती है और कर्ता की स्थिर दशा का बोध कराती है। जैसे-
श्याम सो रहा है। (सोने की दशा)
मोहन हँसता है। (हँसने की दशा)
श्यामा रो रही है। (रोने की दशा)

खिलना, अनुभव करना आदि ऐसी ही क्रियाएं हैं। अस्तित्ववाची क्रियाएं भी इसी भेद के . अंतर्गत आती हैं। जैसे—’परमात्मा है। यहाँ ‘है’ क्रिया स्वयं में पूर्ण तथा स्थित्यर्थक है।

(ख) गत्यर्थक पर्ण अकर्मक क्रिया यह क्रिया भी बिना कर्म के पूर्ण होती है और कर्ता . की गतिमान दशा का बोध कराती है।

उदाहरणतया-
मोहन दिल्ली जा रहा है।
यहाँ ‘जा रहा है’ क्रिया कर्ता की गतिमान दशा की द्योतक है। यह बिना कर्म के भी पूर्ण अर्थ व्यक्त कर रही है। अतः यह गत्यर्थक पूर्ण अकर्मक क्रिया है। कुछ अन्य उदाहरण
चिड़िया आकाश में उड़ रही है।
सोहन कमरे से निकल रहा है।
सूरज पश्चिम में डूबेगा।

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद

(ग) अपूर्ण अकर्मक क्रिया- अपूर्ण अकर्मक क्रियाएँ वे होती हैं जिन्हें ‘कर्म’ की तो आवश्यकता नहीं होती किंतु कर्ता से संबंधित किसी-न-किसी ‘पूरक’ शब्द की अवश्य आवश्यकता होती है। पूरक शब्द के बिना वाक्य अधूरा बना रहता है। उदाहरणतया

‘मैं हूँ।’
यह वाक्य कर्ता और क्रिया की दृष्टि से पूरा है। परंतु इसमें ‘मैं’ से संबंधित किसी पूरक की कमी है। पूरक के लगते ही वाक्य पूर्ण हो जाएगा। जैसे-

मैं स्वस्थ हूँ।
‘स्वस्थ’ पूरक से वाक्य स्वयं में पूरा हो गया है। कुछ अन्य उदाहरण देखिए –
मोहन (होशियार) है।
श्याम (वकील) बनेगा
पड़ोसी (चालाक) निकला।

होना, बनना, निकलना आदि अपूर्ण अकर्मक क्रियाएँ हैं। इनमें कर्ता-पूरक की आवश्यकता होती है। इसलिए इन्हें ‘कर्तृपक’ या ‘उद्देश्यपूरक’ भी कहा जाता है।

प्रश्न
सकर्मक क्रिया के भेदों का परिचय कीजिए।
उत्तर-
सकर्मक क्रिया के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं. .
(क) पूर्ण एककर्मक क्रियाएँ- इन्हें सामान्यतः ‘सकर्मक क्रिया’ के नाम से जाना जाता है। इन क्रियाओं में एक कर्म की आवश्यकता होती है। उदाहरणत:

कुत्ते ने बकरी को काटा।

यहाँ ‘काटा’ क्रिया ‘कर्म’ (बकरी को) के बिना अधूरी है, तथा इस कर्म के समावेश से अर्थ भी पूरा हो गया है। अब और किसी कर्म की आवश्यकता नहीं रही है। इसलिए यह ‘पूर्ण एककर्मक क्रिया’ है। कुछ अन्य उदाहरण देखिए-
सीमा खाना खा रही है।
दर्जी कपड़े सिएगा।
अब्दुल पत्र लिखेगा।

(ख) पूर्ण हिकर्मक क्रियाएँ- पूर्ण द्विकर्मक क्रियाएँ वे होती हैं जिनमें दो कर्मों की आवश्यकता होती है। उदाहरणार्थ-
संतोष ने बेटे को पता बताया था।
इस वाक्य में दो कर्म हैं-बेटे को’ तथा ‘पता’। यदि इनमें से एक कर्म हटा लिया जाए . . तो अर्थ अस्पष्ट रह जाएगा। अन्य उदाहरण देखिए-
मोहन ने सोहन को अपनी घड़ी दी।
शीला ने रमा को गाना सुनाया।
राम ने मोहन को किताब दी।
विनोद ने मनोज को कार बेची।

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद

प्रायः देना, लेना, बताना आदि प्रेरणार्थक क्रियाएं इसी कोटि के अंतर्गत आती हैं। ‘देना’ क्रिया
में दो कर्म नहीं होते। एक कर्म जैसे ‘मोहन को’ संप्रदान कारक के अंतर्गत आता है। परंतु मोटे . तौर पर उसे कर्म मान लिया जाता है।

(ग) अपूर्ण सकर्मक क्रियाएँ – ये वे क्रियाएँ हैं जिनमें कर्म रहते हुए भी कर्म के किसी पूरक शब्द की आवश्यकता बनी रहती है। वरना अर्थ अपूर्ण रहता है। चुनना, मानना, समझना, बनाना आदि ऐसी ही क्रियाएँ हैं। उदाहरणतया –
सोहन अमित को मूर्ख समझता है।.
इस वाक्य में अमित को’ कर्म है। परंतु यह कर्म अकेले अधूरा अर्थ देता है। ‘मूर्ख’ पूरक के आने पर अर्थ स्पष्ट होता है। ‘मूर्ख’ का संबंध ‘अमित’ (कर्म) से होने के कारण हम उसे ‘कर्मपूरक’ कहते हैं। कुछ अन्य उदाहरण देखिए-
छात्रों ने दीपक को अपना प्रतिनिधि चुना।
वह तुम्हें मित्र मानता है।
सभी लड़के इंद्रपाल को पागल बनाते हैं।

अकर्मक-सकर्मक में परिवर्तन (अंतरण)
क्रियाओं का अकर्मक होना या सकर्मक होना प्रयोग पर निर्भर करता है, न कि उनके धातु-रूप पर। यही कारण है कि कभी-कभी अकर्मक क्रियाएँ सकर्मक रूप में प्रयुक्त होती हैं
और कभी सकर्मक क्रियाएँ अकर्मक रूप में प्रयुक्त होती हैं। जैसे-

पढ़ना (सकर्मक)-श्याम किताब पढ़ रहा है।
पढ़ना (अकर्मक) श्याम आठवीं में पढ़ रहा है।
खेलना (सकर्मक)-बच्चे हॉकी खेलते हैं। .
खेलना (अकर्मक)-बच्चे रोज खेलते हैं।

“हँसना’, ‘लड़ना’ आदि कुछ अकर्मक क्रियाएँ सजातीय कर्म आने पर सकर्मक रूप में प्रयुक्त होती हैं। जैसे-
बाबर ने अनेक लड़ाइयाँ लड़ीं।
वह मस्तानी चाल चल रहा था।
ऐंठना, खुजलाना आदि क्रियाओं के दोनों रूप मिलते हैं। जैसे-
पानी में रस्सी ऐंठती है। (अकर्मक)
नौकर रस्सी ऐठ रहा है। (सकर्मक)
उसका सिर खुजलाता है। (अकर्मक)
वह अपना सिर खुजलाता है। (सकर्मक)

संयुक्त क्रिया

प्रश्न
संयुक्त क्रिया किसे कहते हैं ? उसके भेद लिखिए।
उत्तर
दो या दो से अधिक धातुओं के योग से बनी हुई क्रियाएँ संयुक्त क्रिया कहलाती हैं। जैसे—मैं पढ़ लिया करता हूँ।
वह बढ़ता चला आ रहा है।
उसे आने दिया जा सकता है।
उपर्युक्त उदाहरणों में एकाधिक क्रिया-पदों के योग से क्रिया का कार्य संपन्न हुआ है। अतः ये संयुक्त क्रियाएँ हैं।

भेद- संयुक्त क्रियाएँ जिन-जिन क्रियाओं के मेल से बनती हैं, वे चार प्रकार की होती हैं मुख्य क्रिया, सहायक क्रिया, संयोजी क्रिया और रंजक क्रिया।

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद

मुख्य क्रिया- संयुक्त क्रियाओं में एक क्रिया मुख्य होती है। वह कर्ता या कर्म के मुख्य व्यापार को लक्षित करती है। उदाहरणतया उपर्युक्त उदाहरणों में पढ़, बढ़ता और आने मुख्य क्रियाएँ हैं।

सहायक क्रिया- मुख्य क्रिया के अतिरिक्त क्रिया के अन्य पक्षों-काल, वृत्ति, पक्ष, वाच्य आदि की सूचना देने वाले क्रिया-रूपों को सहायक क्रिया कहते हैं। इन्हें संयोजी क्रिया तथा रंजक क्रिया नाम के अन्य दो भेदों में भी बाँटा जा सकता है।

संयोजी क्रियाएँ संयोजी क्रियाएँ मुख्य क्रिया के पक्ष, वृत्ति और वाच्य की सूचना देती हैं।
(क) पक्ष का उद्घाटन करने वाले कुछ उदाहरण देखिए-
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद - 1

(ख) संयोजी क्रियाएँ कर्ता की इच्छा, अनिच्छा, विवशता या समर्थता आदि वृत्तियों को भी प्रकट करती हैं। उदाहरणतया-
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद - 2

(ग) संयोजी क्रियाएँ वाक्य के वाच्य का भी बोध कराती हैं। प्रायः ‘जा’ धातु से वाच्य का प्रकटीकरण होता है। उदाहरणतया-
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद - 3

(घ) अनुमति देने में भी हिंदी में संयोजी क्रिया ‘दे’ का प्रयोग किया जाता है। जैसे-
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद - 4

रंजक क्रियाएँ – रंजक क्रियाएँ मुख्य क्रिया के अर्थ को रजित करती हैं अर्थात् विशिष्ट अर्थ-छवि प्रदान करती हैं। सामान्यत: ये आठ हैं—आना, जाना, उठना, बैठना, लेना; देना, पड़ना, डालना आदि। उदाहरणतया-

1.आना रो आना, कर आमा, बन आना। (अनायासता का भाव)
वाक्य-प्रयोग- दुखिया का करुण-क्रंदन सुनकर मुझे रुलाई आ गई।
मैं पानी भरने गई थी, उल्टे बाल्टी दान कर आई।

2. जाना पी जाना, आ जाना, खाना (क्रियापूर्णता/शीघ्रता का भाव)
वाक्य प्रयोग गर्मी के मारे मैं तीन-चार कैंपा-कोला पी गया। .
मैं जा रहा हूँ, तुम जल्दी आ जाना।
तुम यहाँ आकर बैठ जाओ।

3. उठना रो उठना, गा उठना, चिल्ला उठना (आकस्मिकता का भाव)
वाक्य-प्रयोग- लक्ष्मण-मूर्छा का दृश्य देखकर मेरा हृदय रो उठा।
चोर के हाथ में चाकू देखकर मैं सहायता के लिए चिल्ला उठा।

4. बैठना मार बैठना, खो बैठना, चढ़ बैठना। (आकस्मिकता का भाव)
वाक्य-प्रयोग- गुस्से में आकर मैं बच्चे को मार बैठा।
लाभ के चक्कर में मैं अपना नुकसान कर बैठा।

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद

5. लेना-पी लेना, सो लेना, ले लेना। (क्रियापूर्णता/क्विशता का भाव)
वाक्य-प्रयोग- उसने दूध पी लिया है।(क्रियापूर्णता)
मजबूरी में उसने जहर का चूंट पी लिया। (विवशता)

6. देना-चल देना, रो देना, फेंक देना। (क्रियापूर्णता/विवशता का भाव)
वाक्य-प्रयोग– बालक बैग उठाकर स्कूल चल दिया।
स्कूल से आकरे बालक ने बैग एक और फेंक दिया।
उसे मोहन आता दिखाई दिया।

7. पडना रो पड़ना, हँस पड़ना, चौंक पड़ना। (स्वतः/शीघ्रता का भाव)
वाक्य-प्रयोग- बच्चा माँ की मृत्यु का समाचार सुनकर रो पडा। .
सामने से अचानक आए शेर को देखकर मैं चौंक पड़ा।
वह विद्यालय की ओर चल पडा।

8. डालना-मार डालना, तोड़ डालना, काट डालना। (बलात्भाव/क्रिया-पूर्णता का भाव)
वाक्य-प्रयोग- राम ने रावण को मार डाला।
गुस्से में आई भीड़ ने सरकारी ढाँचे को तहस-नहस कर डाला।

9.मरना-डूब मरना।
वाक्य-प्रयोग-माँ ने दुत्कारते हुए कहा- डूब मर! नकल करने से अच्छा तू डूब मरता।

10. मारना-लिख मारा।
वाक्य-प्रयोग–आजकल के अनाड़ी पत्रकार बिना आने-बूझे कुछ-का-कुछ लिख मारते हैं।

11.निकलना चल निकलना।
वाक्य-प्रयोग-यह नया समाचार-पत्र भी चल निकला है।

12. बसना-चल बसना।
वाक्य-प्रयोग पिछले वर्ष मोहन के पिताजी चल बसे थे।

13. लगना आरंभधोतका
वाक्य-प्रयोग मोहन विद्यालय जाने लगा।

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद

संयुक्त क्रियाओं के बारे में कछ महत्त्वपूर्ण बातें
1. कहीं-कहीं संयुक्त क्रिया के दोनों पदों का क्रम तथा रूप बदलने पर उनके अर्थ में – परिवर्तन आ जाता है। उदाहरणतया
(क) मोहन ने उसे मार दिया। (जान से मार दिया)
(ख) मोहन ने उसे दे मारा। (अचानक चोट कर दी)

2. निषेधात्मक वाक्यों में मुख्य क्रिया के साथ रंजक क्रिया का प्रयोग नहीं होता। यथा-
उसे भूख लग आई। – उसे भूख नहीं लगी।
मोहन चिल्ला उठा। – मोहन नहीं चिल्लाया।
सुरेश ने काम कर दिया। – सुरेश ने काम नहीं किया।

संयुक्त क्रिया में से मुख्य क्रिया की पहचान –
संयुक्त क्रिया में से मुख्य क्रिया की पहचान करना सावधानी का काम है। उदाहरणतया-
मैं पढ़ लेता हूँ।

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद

यहाँ ‘पढ़’ और ‘लेता’ में से मुख्य क्रिया की पहचान करनी है। इसके लिए प्रश्न करें कि कर्ता (मैं) क्या करता है ? ‘पढ़ने का काम’ या लेने का काम’। उत्तर मिलेगा पढ़ने का काम। अतः यहाँ मुख्य क्रिया हुई ‘पढ़ना’। ‘लेता हूँ’ सहायक क्रिया हुई।
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद - 5
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण क्रिया-भेद - 6

Bihar Board Class 11 Biology Solutions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

Bihar Board Class 11 Biology Solutions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Biology Solutions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

Bihar Board Class 11 Biology पादप वृद्धि एवं परिवर्धन Text Book Questions and Answers

प्रश्न 1.
वृद्धि, विभेदन, परिवर्धन, निर्विभेदन, पुनर्विभेदन, सीमित वृद्धि मेरिस्टेम तथा वृद्धि दर की परिभाषा दें।
उत्तर:
वृद्धि (Growth):
वृद्धि समस्त उपापचयी प्रक्रियाओं (उपचय तथा अपचय) का अन्तिम परिणाम है। इसमें पौधे के आकार एवं आयतन में परिवर्तनीय या चिरस्थायी वर्धन होता है। इसके साथ प्रायः शुष्क भार एवं जीवद्रव्य की मात्रा में भी वर्धन होता है।

विभेदन (Differentiation):
तने या जड़ के शीर्ष पर स्थित अग्रस्थ विभज्योतक (apical meristem) या एधा (cambium) कोशिका से बनने वाले कोशिकाएँ विभिन्न कार्यों के लिए रूपान्तरित या विशिष्टीकृत हो जाती है। इस क्रिया को विभेदन (differentiation) कहते हैं।

परिवर्धन (Development):
बीज के अंकुरण से लेकर मृत्यु तक होने वाले समस्त परिवर्धन जिसके फलस्वरूप पौधे के जटिल शरीर का गठन होता है, जिससे जड़, तना, पत्तियाँ, फूल और फल बनते हैं, परिवर्धन के अन्तर्गत आते हैं। इन क्रियाओं को दो प्रमुख समूह में बाँट लेते हैं –
(क) वृद्धि तथा
(ख) विभेदन।

निर्विभेदन : (Dedifferentiation):
जीवित विभेदित स्थायी कोशिकाएँ जिनमें कोशिका विभाजन की क्षमता नहीं होती, उनमें से कुछ कोशिकाओं में पुन: विभाजन की क्षमता स्थापित हो जाती है। इस प्रक्रिया को निर्विभेदन (dedifferentiation) कहते हैं; जैसे-कॉर्क एधा, अन्तरापूलीय एधा।

पुनर्विभेदन (Redifferentiation):
निर्विभेदित कोशिकाओं या ऊतकों से बनी कोशिकाएँ अपनी विभाजन क्षमता पुन: खो देती है और विशिष्ट कार्य करने के लिए रूपान्तरित हो जाती है। इस प्रक्रिया को पुनर्विभेदन (redifferentiation) कहते है।

सीमित वृद्धि (Determinate Growth):
यह पौधों में वृद्धि का खुला स्वरूप होता है। यह पौधे के विभिन्न भागों में पाई जाती है। इसमें विभज्योतक से उत्पन्न कोशिकाएँ पादप शरीर का गठन करती हैं, उसे सीमित वृद्धि कहते हैं।

मेरिस्टेम (Meristem):
जड़ तथा तने के शीर्ष पर स्थित कोशिकाओं का वह समूह जिनमें कोशिका विभाजन की क्षमता होती है, मेरिस्टेम (meristem) कहलाता है। इससे स्थायी ऊतक तथा अन्तर्विष्ट एवं पार्श्व मेरिस्टेम (intercalary & lateral meristem) का निर्माण होता है।

वृद्धि दर (Growth Rate):
समय की प्रति इकाई के दौखन बढ़ी हुई वृद्धि को वृद्धि दर (growth rate) कहते हैं। वृद्धि दर को गणितीय ढंग से (mathematically) व्यक्त किया जा सकता है। एक जीव या उसके अंग विभिन्न तरीकों से कोशिकाओं का निर्माण कर सकते हैं।

Bihar Board Class 11 Biology Solutions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

प्रश्न 2.
पुष्पित पौधों के जीवन में किसी एक प्राचालिक (parameter) से वृद्धि को वर्णित नहीं किया जा सकता है, क्यों?
उत्तर:
वृद्धि के प्राचालिक (Parameter of Growth):
वृद्धि सभी जीवधारियों की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है। पौधों में वृद्धि कोशिका विभाजन, कोशिका विवर्धन या दीर्धीकरण तथा कोशिका विभेदन के फलस्वरूप होती है।

पौधे के मेरिस्टेम कोशिकाओं (meristematic cells) में कोशा विभाजन की क्षमता पाई जाती है। सामान्तया कोशिका विभाजन जड़ तथा तने के शीर्ष (apex) पर होता है। इसके फलस्वरूप जड़ तथा तने की लम्बाई में वृद्धि होती है। एधा (cambium) तथा कॉर्क एधा (cork cambium) के कारण तने और जड़ की मोटाई में वृद्धि होती है।

इसे द्वितीयक वृद्धि (Secondary growth) कहते हैं। कोशिकीय स्तर पर वृद्धि मुख्यतः जीवद्रव्य मात्रा में वर्धन का परिणाम है। जीवद्रव्य की बढ़ोत्तरी या वर्धन का मापन कठिन है। वृद्धि पर मापन के कुछ मापदण्ड हैं – ताजे भार में वृद्धि, शुष्क भार में वृद्धि, लम्बाई, क्षेत्रफल, आयतन तथा कोशिका संख्या में वृद्धि आदि।

मक्का की जड़ का अग्रस्थ मेरिस्टेम प्रति घण्टे लगभग 17,500 कोशिकाओं का निर्माण करता है। तरबूज की कोशिका के आकार में लगभग 3,50,000 गुना वृद्धि हो सकती है। पराग नलिका की लम्बाई में वृद्धि होने से यह वर्तिकाग्र, वर्तिका से होती हुई अण्डाशय में स्थित बीजाण्ड में प्रवेश करती है।

Bihar Board Class 11 Biology Solutions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

प्रश्न 3.
संक्षिप्त वर्णित करें –
(अ) अंकगणितीय वृद्धि
(ब) ज्यामितीय वृद्धि
(स) सिग्मॉइड वृद्धि वक्र
(द) सम्पूर्ण एवं सापेक्ष वृद्धि दर।
उत्तर:
(अ) अंकगणितीय वृद्धि (Arithmetic Growth):
समसूत्री विभाजन के पश्चात् बनने वाली दो संतति कोशिकाओं में से एक कोशिका निरन्तर विभाजित होती रहती है और दूसरी कोशिका विभेदित एवं परिपक्व होती रहती है।

अंकगणितीय वृद्धि को हम निश्चित दर पर वृद्धि करती जड़ में देख सकते हैं। यह एक सरलतम अभिव्यक्ति होती है। चित्र में वृद्धि (लम्बाई) समय के विरुद्ध आलेखित की गई है। इसके फलस्वरूप रेखीय वक्र (linear curve) प्राप्त होता है। इस वृद्धि को हम गणितीय रूप से व्यक्त कर सकते हैं –
Bihar Board Class 11 Biology Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन
चित्र – नियत रेखीय वृद्धि (लम्बाई) और समय के विरुद्ध आलेख।
L1 = L0 + rt
(L1 = समय ‘t’ पर लम्बाई,
L0 = समय ‘O’ पर लम्बाई
r = वृद्धि दर। दीर्धीकरण प्रति इकाई समय में)

(ब) ज्यामितीय वृद्धि (Geometrical Growth):
एक कोशिका की वृद्धि अथवा पौधे के एक अंग की वृद्धि अथवा पूर्ण पौधे की वृद्धि सदैव एकसमान नहीं होती। प्रारम्भिक धीमा वृद्धि काल (initial lag chase) में वृद्धि की दर पर्याप्त धीमी होती है। तत्पश्चात् यह दर तीव्र हो जाती है और उच्चतम बिन्दु (maximum point) तक पहुँच जाती है। इसे मध्य तीव्र वृद्धि काल (middle logarithmic phase) कहते हैं। इसके पश्चात् यह दर धीरे-धीरे कम होती जाती है और अन्त –
Bihar Board Class 11 Biology Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन
चित्र – (A) अंकगणितीय और (B) ज्यामितिक वृद्धि, (C) भ्रूण विकास के समय अंकगणितीय और ज्यामितिक वृद्धि।

में स्थिर हो जाती है। इसे अन्तिम धीमा वृद्धि काल (last stationary phase) कहते हैं। इसे ज्यामितीय वृद्धि कहते हैं। इनमें सूत्री विभाजन से बनी दोनों संतति कोशिकाएँ एक समसूत्री कोशिका विभाजन का अनुकरण करती हैं और इसी प्रकार विभाजित होने की क्षमता बनाए रखती हैं।

यद्यपि सीमित पोषण आपूर्ति के साथ वृद्धि दर धीमी होकर स्थिर हो जाती है। समय के प्रति वृद्धि दर को ग्राफ पर अंकित करने पर एक सिग्मॉइड वक्र (Sigmoid curve) प्राप्त होता है। यह ‘S’ की आकृति का होता है। ज्यामितीय वृद्धि (geometrical growth) को गणितीय रूप से निम्नलिखित प्रकार व्यक्त कर सकते हैं –
W1 = \(W_{0}^{e n}\)
जहाँ (W1 = अन्तिम आकार – भार, ऊँचाई, संख्या आदि
W0 = प्रारम्भिक आकार, वृद्धि के प्रारम्भ में
r = वृद्धि दर (सापेक्ष वृद्धि दर)
t = समय में वृद्धि
e = स्वाभाविक लघुगणक का आधार (base of natural logarithms)
r = एक सापेक्ष वृद्धि दर है। यह पौधे द्वारा नई पादप सामग्री का निर्माण क्षमता को मापने के लिए है, जिसे एक दक्षता सूचकांक (efficiency index) के रूप में संदर्भित किया जाता है; अत: W1 का अन्तिम आकार W0 के प्रारम्भिक आकार पर निर्भर करता है।

(स) सिग्मॉइड वृद्धि वक्र (Sigmoid Growth Curve):
ज्यामितिक वृद्धि को तीन प्रावस्थाओं में विभक्त कर सकते हैं –

  • प्रारम्भिक धीमा वृद्धि काल (Initial lag phase)
  • मध्य तीव्र वृद्धि काल (Middle lag phase)
  • अन्तिम धीमा वृद्धि काल (Last stationary phase)
  • यदि वृद्धि दर का समय के प्रति ग्राफ बनाएं तो ‘S’ की आकृति का वक्र प्राप्त होता है। इसे सिग्मॉइड वृद्धि वक्र कहते है।

Bihar Board Class 11 Biology Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

(द) सम्पूर्ण एवं सापेक्ष वृद्धि दर (Absolute and Relative Growth Rate):

  • मापन और प्रति यूनिट समय में कुल वृद्धि को सम्पूर्ण या परम वृद्धि दर (absolute growth rate) कहते हैं।
  • किसी दी गई प्रणाली की प्रति यूनिट समय में वृद्धि को सामान्य आधार पर प्रदर्शित करना सापेक्ष वृद्धि दर (relative growth rate) कहलाता है।

चित्र – सम्पूर्ण और सापेक्ष वृद्धि दर। पत्ती A तथा B को देखें। दोनों ने अपने क्षेत्रफल दिए गए समय में A से A’ और B से B’ तक 5 सेमी-2 बढ़ा लिए हैं। दोनों पत्तियों ने एक निश्चित समय में अपने सम्पूर्ण क्षेत्रफल में समान वृद्धि की है, फिर भी A की सापेक्ष वृद्धि दर अधिक है।

Bihar Board Class 11 Biology Solutions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

प्रश्न 4.
प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामकों के पाँच मुख्य समूहों के बारे में लिखिए। इनके आविष्कार, कार्यिकी प्रभाव तथा कृषि/बागवानी में इनके प्रयोग के बारे में लिखिए।
उत्तर:
प्राकृतिक पादप वृद्धि नियामक (Natural Plant Growth Regulators):
पौधों की विभज्योतकी कोशिकाओं (Meristematic cells) और विकास करती पत्तियों एवं फलों में प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाले विशेष कार्बनिक यौगिकों को पादप हार्मोन्स (Phytohormones) कहते हैं।

ये अति सूक्ष्म मात्रा में परिवहन के पश्चात् पौधों के अन्य अंगों (भागों) में पहुँचकर वृद्धि एवं अनेक उपापचयी क्रियाओं को प्रभावित एवं नियन्त्रित करते हैं। अनेक कृत्रिम कार्बनिक यौगिक में पादप हार्मोन्स की तरह कार्य करते हैं। वेण्ट (Went 1928) के अनुसार वृद्धि नियामक पदार्थों के अभाव में वृद्धि नहीं होती।

पादप हार्मोन्स को हम निम्नलिखित पाँच प्रमुख समूहों में बाँट लेते हैं –

  1. ऑक्सिन (Auxins)
  2. जिबरेलिन (Gibberellins)
  3. सायटोकाइनिन (Cytokinins)
  4. ऐब्सीसिक अम्ल (Abscisic acid)
  5. एथिलीन (Ethylene)

1. ऑक्सिन (Auxins):
सर्वप्रथम डार्विन (Darwin, 1880) ने देखा कि कैनरी घास (Phalaris canariensis) के नवोद्भिद् के प्रांकुर चोल (coleoptile) एक तरफा प्रकाश की ओर मुड़ जाते हैं, परन्तु प्रांकुर चोल के शीर्ष को काट देने पर यह एक तरफा प्रकाश की ओर नहीं मुड़ता।
Bihar Board Class 11 Biology Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन
चित्र – प्रांकुर चोल को पार्श्व दिशा से एकतरफा प्रकाशित करने पर प्रांकुर चोल प्रकाश की ओर मुड़ता है।

बायसेन:
जेन्सन (Boysen-Jensen 1910-1913) ने कटे हुए प्राकुंर चोल को अगार (agar) के घनाकार टुकड़े पर रखा, कुछ समय पश्चात् अगार के घनाकार टुकड़े को कटे हुए प्रांकुर चोल के स्थान पर रखने के पश्चात् एकतरफा प्रकाश से प्रकाशित करने पर प्रांकुर चोल प्रकाश की ओर मुड़ जाता है। वेण्ट (Went, 1928) ने इसी प्रकार के प्रयोग जई (Avena sativa) के नवोद्भिद् पर किए।

उन्होंने प्रयोग से यह निष्कर्ष निकाला की प्रांकुर चोल के शीर्ष पर बना रासायनिक पदार्थ अगार के टुकड़ों (block) में आ गया था। वेण्ट ने प्रांकुर चोल के कटे हुए शीर्ष को दो अगार के टुकड़ों पर रखा जिनके मध्य अभ्रक (माइका) की पतली प्लेट लगी थी, एकतरफा प्रकाश डालने पर रासायनिक पदार्थ के 65% भाग अप्रकाशित दिशा के टुकड़े में एकत्र हो जाता है और केवल 35% रासायनिक पदार्थ प्रकाशित दिशा के टुकड़े में एकत्र होता है।

वेण्ट ने इस रासायनिक पदार्थ को ऑक्सिन (auxin) नाम दिया। ऑक्सिन की सान्द्रता तने में वृद्धि को प्रेरित करती है और जड़ में वृद्धि का संदमन करती है। ऑक्सिन के असमान वितरण के फलस्वरूप ही प्रकाशानुवर्तन (phototropism) और गुरुत्वानुवर्तन (geotropism) गति होती है। केनेथ थीमान (Kenneth Thimann) ने ऑक्सिन को शुद्ध रूप में प्राप्त करके इसकी आण्विक संरचना ज्ञात की।
Bihar Board Class 11 Biology Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन
चित्र – वेण्ट द्वारा जई के प्रांकुर चोल के शीर्ष पर किया गया प्रयोग।

ऑक्सिन के कार्यिकी प्रभाव एवं उपयोग (Physiological effects & Uses of Auxins):

1. प्रकाशानुवर्तन एवं गुरुत्वानुवर्तन (Phototropism and Geotropism):
ऑक्सिन की अधिक मात्रा तने के लिए वृद्धिवर्धक (promotional) तथा जड़ के लिए वृद्धिरोधक (inhibition) प्रभाव रखती है।

2. शीर्ष प्रभाविता (Apical dominance):
सामान्तया पौधों के तने या शाखाओं के शीर्ष पर स्थित कलिका से स्रावित ऑक्सिन पाश्वीय कक्षस्थ कलिकाओं की वृद्धि का संदमन (inhibition) करते हैं। शीर्ष कलिका को काट देने से पाश्र्वीय कलिकाएँ शीघ्रता से वृद्धि करती है। चाय बागान में तथा चाहरदीवारी के लिए प्रयोग की जाने वाली हैज को निरन्तर काटते रहने से झाड़ियाँ घनी होती हैं।

3. विलगन (Abscission):
परिपक्व, पत्तियाँ, पुष्प और फल विलगन पर्त के बनने के कारण पौधे से पृथक् हो जाते हैं। ऑक्सिन; जैसे – IAA, IBA की विशेष सान्द्रता का छिड़काव करके अपरिपक्व फलों के विलयन को रोका जा सकता है। इससे फलों का उचित मूल्य प्राप्त होगा।

4. अनिषेकफलन (Parthenocarpy):
अनेक फलों में बिना परागण और निषेचन के भी फल का विकास हो जाता है; जैसे-अंगूर, केला, सन्तरा आदि में। ये फल बीजरहित होते हैं। ऑक्सिन का वर्तिकान पर लेपन करने से बिना निषेचन के फल विकसित हो जाते हैं, इस प्रक्रिया को अनिषेकफलन कहते हैं। बीजरहित फलों में खाने योग्य पदार्थ की मात्रा अधिक होती है।

5. खरपतवार निवारण (Weed Destruction):
खेतों में प्रायः अनेक जंगली पौधे उग आते हैं, इन्हें खरपतवार कहते हैं। ये फसल के साथ प्रतिस्पर्धा करके पैदावार को प्रभावित करते हैं। परम्परागत तरीके से निराई-गुड़ाई, फसल चक्र अपनाकर खरपतवार नियन्त्रण किया जाता है। 2, 4-D नामक संश्लेषी ऑक्सिन का उपयोग करके एकबीजपत्री फसलों में उगने वाले द्विबीजपत्री खरपतवार को नष्ट किया जा सकता है।

6. कटे तनों पर जड़ निभेदन (Root differentiation on Stem cutting):
अनेक पौधों में कलम लगाकर नए पौधे तैयार किए जाते हैं। ऑक्सिन; जैसे – IBA का उपयोग कलम के निचले सिरे पर करने से जड़ें शीघ्र निकल आती है। अतः ऑक्सिन का उपयोग मुख्यतया सजावटी पौधों को तैयार करने में किया जाता है।

7. प्रसुप्तता नियन्त्रण (Control of Dormancy):
आलू के कन्द तथा अन्य भूमिगत भोजन संचय करने वाले भागों की प्रसुप्त कलिकाओं के प्रस्फुटन को रोकने के लिए इन्हें कम ताप पर संगृहीत किया जाता है। ऑक्सिन का छिड़काव करके इन्हें सामान्य ताप पर संगृहीत किया जा सकता है। ऑक्सिन कलिकाओं के लिए वृद्धिरोधक का कार्य करते हैं।

8. जिबरेलिन (Gibberellins):
धान की फसल में बैकेन (फूलिश सीडलिंग – foolish seedling) नामक रोग एक कवक जिबेरेल फ्यूजीकुरोई (Gibberella fujikuroi) से होता है। इसमें पौधे अधिक लम्बे, पत्तियाँ पीली लम्बी और दाने छोटे होते हैं।

कुरोसावा (Kurosawa, 1926) ने प्रमाणित किया कि यदि कवक द्वारा स्रावित रस को स्वस्थ पौधे पर छिड़का जाए तो स्वस्थ पौधा भी रोगी हो जाता है। याबुता और हयाशी (Yabuta and Hayashi, 1939) ने कवक रस से वृद्धि नियामक पदार्थ को पृथक् किया, इसे जिबरेलिन – A3 (GA) नाम दिया गया। सबसे पहले खोजा गया जिबरेलिन – A3 है। अब तक लगभग 110 प्रकार के GA खोजे जा चुके हैं।

जिबरेलिन का पादप कार्यिकी पर प्रभाव एवं कृषि या बागवानी में महत्त्व (Physiological Effects and Importance of Gibberellins in Agriculture & Horticulture):

I. लम्बाई बढ़ाने की क्षमता (Efficiency of inrease the length):
जिबरेलिन के प्रयोग से आनुवंशिक रूप से बौने पौधे लम्बे हो जाते हैं, लेकिन यह लक्षण उन्हीं पौधों तक सीमित रहता है जिन पर GA का छिड़काव किया जाता है। GA के उपयोग से सेब जैसे फल लम्बे हो जाते हैं। अंगूर के डंठल की लम्बाई बढ़ जाती है। गन्ने की खेती पर GA छिड़कने से तनों की लम्बाई बढ़ जाती है। इससे फसल का उत्पादन 20 टन प्रति एकड़ बढ़ जाता है।

II. पुष्यन पर प्रभाव (Effect of Flowering):
कुछ पौधों को पुष्पन हेतु कम ताप तथा दीर्घ प्रकाश अवधि (long photoperiod) की आवश्यकता होती है। यदि इन पौधों पर GA का छिड़काव किया जाए तो पुष्पन सुगमता से हो जाता है। द्विवर्षी पौधे एकवर्षी पौधों की तरह व्यवहार करने लगते हैं। GA के इस प्रभाव को बोल्टिंग प्रभाव (Bolting effect) कहते हैं। इसका उपयोग चुकन्दर, गाजर, मूली, पत्तागोभी आदि के पुष्पन के लिए किया जाता है।

(i) अनिषेकफलन (Parthenocarphy):
GA के छिड़काव से पुष्प से बिना निषेचन के फल बन जाता है। फल बीजरहित होते हैं।

(ii) जीर्णता या जरावस्था (Senescence):
GA फलों को जल्दी गिरने से रोकने में सहायक होते हैं।

(iii) बीजों का अंकुरण (Seeds Germination):
GA बीजों के अंकुरण को प्रेरित करते हैं।

(iv) पौधों की परिपक्वता (Maturity of Plants):
GA का छिड़काव करने से अनावृत्तबीजी (gymnosperm) पौधे शीघ्र परिपक्व होते हैं और बीज जल्दी तैयार हो जाता है।

III. सायटोकाइनिन (Cytokinin):
सायटोकाइनिन (Cytokinin) – सायटोकायनिन ऑक्सिन की सहायता से कोशिका विभाजन को उद्दीपित करते हैं। एफ० स्कूग (E Skoog) तथा उसके सहयोगियों ने देखा कि तम्बाकू के तने के अन्तस्पर्व खण्ड से अविभेदित कोशिकाओं का समूह तभी बनता है, जब माध्यम में आक्सिन के अतिरिक्त सायटोकाइनिन नामक बढ़ावा देने वाला तत्व मिलाया गया। इसका नाम काइनेटिन रखा। लेथम तथा सहयोगियों ने मक्का के बीज से ऐसा ही पदार्थ प्राप्त करके इसका नाम जिएटिन (zeatin) रखा। काइनेटिन और जिएटिन सायटोकाइनिन ही है।

सायटोकाइनिन का कार्यिकी प्रभाव एवं महत्त्व (Physiological Effect and Importance of Cytokinin):

  • ये पदार्थ कोशिका विभाजन को प्रेरित करते हैं।
  • ये जीर्णता (senescence) को रोकते हैं।
  • कोशिका विभाजन के अतिरिक्त सायटोकाइनिन पौधों के अगों के निर्माण को नियन्त्रित करते हैं।

यदि तम्बाकू की कोशिकाओं का संवर्धन शर्करा तथा खनिज लवणयुक्त माध्यम में किया जाए तो केवल कैलस (callus) ही विकसित होता है। यदि माध्यम में सायटोकाइनिनि और ऑक्सिन का अनुपात बदलता रहे तो जड़ अथवा प्ररोह का विकास होता है। संवर्धन के प्रयोग आनुवंशिक इन्जीनियरी के लिए लाभदायक हैं; क्योंकि नई किस्म के पौधे उत्पन्न करने में कोशिका संवर्धन लाभदायक हैं।

IV. ऐब्सीलिक अम्ल (Abscisic Acid : ABA):
कार्स एवं एडिकोट ने कपास के पौधे की पुष्पकलिकाओं से एक पदार्थ ऐब्सीसिन (abscisin) प्राप्त किया। इस पदार्थ को किसी पौधे पर छिड़कने से पत्तियों का विलगन हो जाता है।

वेयरिंग (Wareing, 1963) ने एसर की पत्तियों से डॉरमिन (dormin) प्राप्त किया, यह बीजों के अंकुरण और कलिकाओं की वृद्धि का अवरोधन करता है। इन दोनों पदार्थों को ऐब्सीसिक अम्ल कहा गया।

ऐब्सीसिक अम्ल का कार्यिकी प्रभाव एवं महत्त्व (Physiological Effect and Importance of Abscisic Acid):

(i) विलगन (Abscission):
यह पत्तियों के विलगन को प्रेरित करता है।

(ii) कलिकाओं की वृद्धि एरं बीजों का अंकुरण (Growth of buds and germination of seeds):
यह कलिकाओं की वृद्धि और बीजों के अंकुरण को रोकता है।

(iii) जीर्णता (Senescence):
यह जीर्णता को प्रेरित करता है।

(iv) वाष्पोत्सर्जन नियन्त्रण (Control of Transpiration):
यह रन्ध्रों को बन्द करके वाष्पोत्सर्जन की दर को कम करता है। इसका उपयोग कम जल वाली भूमि में खेती करने के लिए उपुयक्त है।

(v) कन्द निर्माण (Tuber Formation):
आलू में कन्द निर्माण में सहायता करता है।

(vi) कोशिकाविभाजन एवं कोशिका दीर्धीकरण (Cell division and Cell Elongation):
ऐब्सीसिक अम्ल कोशिका विभाजन तथा कोशिका दीर्धीकरण को अवरुद्ध करता है। ऐब्सीसिक अम्ल बीजों को प्रसुप्ति के लिए प्रेरित करने और शुष्क परिस्थितियों में पौधे का बचाव करता है।

V. एथिलीन (Ethylene):
बर्ग (Burge, 1962) ने एथिलीन को पादप हार्मोन सिद्ध किया। यह मुख्यत: पकने वाले फलों से निकलने वाला गैसीय हार्मोन होता है।

एथिलीन का कार्यिकी प्रभाव एवं महत्त्व (Physiological Effect and Importance of Ethylene):

(i) पुष्पन (Flowering):
यह सामान्यतया पुष्पन को कम करता है, लेकिन अनन्नास में पुष्पन को प्रेरित करता है।

(ii) विलगन (Abscission):
यह पत्ती, पुष्प तथा फलों के विलगन को तीव्र करता है।

(iii) पुष्प परिवर्तन (Flower Modification):
कुकरबिटेसी कुल के पौधों में एथिलीन नर पुष्पों की संख्या को कम करके मादा पुष्पों की संख्या को बढ़ाता है।

(iv) फलों का पकना (Fruit Ripening):
यह फलों को पकाने में सहायक होता है। (आम, केला, अंगूर आदि फलों को पकाने के लिए इथेफोन (ethephon) का प्रयोग औद्योगिक स्तर पर किया जा रहा है। इससे पके फल प्राकृतिक रूप से पके फलों के समान होते हैं। इथेफोन से एथिलीन गैस निकलती है।

Bihar Board Class 11 Biology Solutions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

प्रश्न 5.
दीप्तिकालिता तथा वसन्तीकरण क्या है? इनके महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर:
दीप्तिकालिता (Photoperiodism):
पौधों के फलने-फूलने, वृद्धि, पुष्पन आदि पर प्रकाश की अवधि (photoperiod) का प्रभाव पड़ता है। पौधों द्वारा प्रकाश की अवधि तथा समय के प्रति अनुक्रिया को दीप्तिकालिता (photoperiodism) कहते हैं। (अथवा) दिन व रात के परिवर्तनों के प्रति कार्यात्मक अनुक्रियाएँ दीप्तिकालिता कहलाती है। दीप्तिकालिता शब्द का प्रयोग गार्नर तथा एलार्ड (Garmer and Allard, 1920) ने किया।

(क) दीप्तिकालिता के आधार पर पौधों को मुख्य रूप से तीन समूहों में बाँट लेते हैं –

  • अल्प प्रदीप्तकाली पौधा (Short day plant)
  • दीर्घ प्रदीप्तकाली पौधा (Long day plant)
  • तटस्थ प्रदीप्तकाली पौधा (Photo neutral plant)

अल्प प्रदीप्तकाली पौधो को मिलने वाली प्रकाश अवधि को कम करके और दीर्घ प्रदीप्तकाली पौधों को अतिरिक्त प्रकाश अवधि प्रदान करके पुष्पन शीघ्र कराया जा सकता है।

(ख) कायिक शीर्षस्थ या कक्षस्थ कलिका उपयुक्त प्रकाश अवधि प्राप्त होने पर ही पुष्प कलिका में रूपान्तरित होती है। यह परिवर्तन फ्लोरिजन (florigen) हॉर्मोन के कारण होता है जो दिन और रात्री के अन्तराल के कारण संश्लेषित होता है।

वसन्तीकरण (Varnalization):
कम ताप काल में पुष्पन को प्रोत्साहन वसन्तीकरण कहलाता है। कुछ पौधों में पुष्पन गुणात्मक या मात्रात्मक तौर पर कम तापक्रम में अनावृत्त होने पर निर्भर करता है। इस गुण को वसन्तीकरण कहते हैं। वसन्तीकरण शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम टी० डी० लाइसेन्को (T.D. Lysenko, 1928) ने किया था।

गेहूँ की शीत प्रजाति को वसन्तु ऋतु में बोने योग्य बनाने के लिए इसके भीगे बीजों को 10-12 दिन तक 3°C ताप पर रखते हैं और फिर वसन्ती गेहूँ के साथ बोने से यह बसन्ती गेहूँ के साथ ही पककर तैयार हो जाता है। पौधों में कायिक वृद्धि कम होती है।

कम ताप पर उपचार से पौधे की कायिक अवधि कम हो जाती अनेक द्विवर्षी पौधों को कम तापक्रम में अनावृत कर दिए जाने से पौधों में दीप्तिकालिता के कारण पुष्पन की अनुक्रिया बढ़ जाती है। वसन्तीकरण के फलस्वरूप द्विवर्षी पौधों में प्रथम वृद्धिकाल में ही पुष्पन किया जा सकता है। पौधों में शीत के प्रति प्रतिरोध क्षमता बढ़ जाती है। वसन्तीकरण द्वारा पौधों को प्राकृतिक कुप्रभावों; जैसे-पाला, कुहरा आदि से बचाया जा सकता है।

Bihar Board Class 11 Biology Solutions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

प्रश्न 6.
ऐब्सीसिक एसिड को तनाव हॉर्मोन कहते हैं क्यों?
उत्तर:
ऐब्सीसिक अम्ल वाष्पोत्सर्जन को कम करने के लिए बाह्य त्वचीय रन्ध्रों को बन्द करने के लिए प्रोत्साहित करत है। वह विपरीत परिस्थितियों में विभिन्न प्रकार के तनावों को सहन करने में सहायक होता है, इस कारण इसे तनाव हॉर्मोन
कहते हैं।

प्रश्न 7.
उच्च पादपों में वृद्धि एवं विभेदन खुला होता है। टिप्पणी करें।
उत्तर:
पौधों में वृद्धि एवं विभेदन भी उन्मुक्त होता है। विभज्योतक से उत्पन्न कोशिकाएँ/ऊतक परिपक्व होने पर भिन्न-भिन्न संरचनाएँ बनती हैं। कोशिका/ऊतक की परिपक्वता के समय अन्तिम संरचना कोशिका के आन्तरिक स्थान पर भी निर्भर करती है; जैसे – मूल के शीर्ष पर स्थित विभज्योतक से मूलगोप कोशिकाएँ, परिधि की ओर मूलीय त्वचा के रूप में विभेदित होती है।

इसी प्रकार कुछ कोशिकाएँ जाइलम, फ्लोएम, परिरम्भ, वल्कुट आदि के रूप में विभेदित होती है। इसी प्रकार प्ररोह शीर्ष पर स्थित विभज्योतक विभिन्न कोशिकाओं/ऊतकों और अंगों के रूप में विभेदित होती है। इस प्रकार विभज्योतक की क्रियात्मकता से पौधे के शरीर की विभिन्न कोशिकाओं, ऊतक और अंगों के निर्माण को वृद्धि का खुला स्वरूप कहा जाता है।

प्रश्न 8.
अल्प प्रदीप्तकाली पौधे और दीर्घ प्रदीप्तकाली पौधे किसी एक स्थान पर साथ-साथ फूलते हैं। विस्तृत व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अल्प प्रदीप्तकाली पौधों (short day plants) में निर्णायक दीप्तिकाल प्रकाश की वह अवधि है जिस पर या इससे कम प्रकाश अवधि पर पौधे पुष्प उत्पन्न करते हैं, परन्तु उससे अधिक प्रकाश अवधि में पौधा पुष्प उत्पन्न नहीं कर सकता।

दीर्घ प्रदीप्तकाली पौधों (long day plants) में निर्णायक दीप्तिकाल प्रकाश की वह अवधि है जिससे अधिक प्रकाश अवधि पर पौधे पुष्प उत्पन्न करते हैं, परन्तु उससे कम प्रकाश अवधि मे पुष्प उत्पन्न नहीं होते। अतः अल्प प्रदीप्तकाली पौधों और दीर्घ प्रदीप्तकाली पौधों में विभेदन उनमें निर्णायक दीप्तिकाल से कम अवधि पर पुष्पन होना अथवा अधिक अवधि पर पुष्प उत्पन्न होने के आधार पर किया जाता है।

दो जातियों के पौधे समान अवधि के प्रकाश में पुष्प उत्पन्न करते हैं; उनमें से एक अल्प प्रदीप्तकाली पौधा तथा दूसरा दीर्घ प्रदीप्तकाली पौधा हो सकता है; जैसे – जैन्थियम (Xanthium) का निर्णायक दीप्तिकाल 15\(\frac{1}{2}\) घण्टे हैं और हाइओसायमस नाइजर (Hyoscyamus niger) का निर्णायक दीप्तिकाल 11 घण्टे है।

दोनों पौधे 14 घण्टे की प्रकाशीय अवधि में पुष्प उत्पन्न कर सकते हैं। इस आधा पर जैन्थियम अल्प प्रदीप्तकाली पौधा है क्योंकि यह निर्णायक दीप्तिकाल से कम प्रकाशीय अवधि में पुष्पन करता है तथा हाइओसायमस नाइजर दीर्घ प्रदीप्तकाली पौधा है; क्योंकि यह निर्णायक दीप्तिकाल में अधिक प्रकाश अवधि में पुष्पन करता है।

Bihar Board Class 11 Biology Solutions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

प्रश्न 9.
अगर आपको ऐसा करने को कहा जाए तो एक पादप वृद्धि नियामक नाम दीजिए –
(क) किसी टहनी में जड़ पैदा करने हेतु
(ख) फल को जल्दी पकाने हेतु
(ग) पत्तियों की जरावस्था को रोकने हेतु
(घ) कक्षस्थ कलिकाओं में वृद्धि कराने हेतु
(ङ) एक रोजेट पौधे में वोल्ट हेतु
(च) पत्तियों के रन्ध्र को तुरन्त बन्द करने हेतु।
उत्तर:
(क) ऑक्सिन (Auxins)
(ख) एथिलीन (Ethylene)
(ग) सायटोकाइनिन (Cytokinins)
(घ) सायटोकाइनिनि (Cytokinins)
(ङ) जिबरेलिन (Gibberellins)
(च) ऐब्सीसिक अम्ल (Abscisic acid)।

प्रश्न 10.
क्या एक पर्णहरित पादप दीप्तिकालिता के चक्र से अनुक्रिया कर सकता है? यदि हाँ या नहीं तो क्यों?
उत्तर:
पौधों में पुष्पन क्रिया प्रतिदिन उपलब्ध प्रकाश अवधि (Photoperiod) से प्रभावित होती है। पर्णहरित पादप दीप्तिकालिता के चक्र से अनुक्रिया नहीं करता, क्योंकि पौधे की पत्तियाँ ही प्रकाश को ग्रहण करने की क्षमता रखती हैं। पत्तियों में एक प्रेरक हॉर्मोन फ्लोरिजन (florigen) उत्पन्न होता है। इसकी निश्चित मात्रा पुष्पन को प्रभावित करती है। प्लोरिजन के अभाव में पुष्पन नहीं होता।

Bihar Board Class 11 Biology Solutions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

प्रश्न 11.
क्या हो सकता है, अगर –
(क) जी ए3 (GA3) को धान के नवोद्भिद् पर दिया जाए।
(ख) विभाजित कोशिका विभेदन करना बन्द कर दें।
(ग) एक सड़ा फल कच्चे फलों के साथ मिला दिया जाए।
(घ) अगर आप संवर्धन माध्यम में साइटोकाइनिन्स डालना भूल जाएँ।
उत्तर:
(क) नवोद्भिद् पादप GA3 के प्रभाव में अधिक लम्बे हो जाते हैं। इनकी पत्तियाँ पीली और लम्बी हो जाती हैं। इस लक्षण को बैकेन (फूलिश सीडलिंग) रोग कहते हैं।
(ख) अविभेदित कोशिकाओं का समूह बन जाएगा।
(ग) सड़े फल से एथिलीन हॉर्मोन निकलता है, जिसके प्रभाव से कच्चे फल जल्दी पक जाएँगे।
(घ) सायटोकाइनिन्स मिलाने से अविभेदित कैलस में प्ररोह तथा जड़ का विकास हो जाता है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

BSEB Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

Bihar Board Class 9 Science गति InText Questions and Answers

प्रश्न शृंखला # 01 (पृष्ठ संख्या 110)

प्रश्न 1.
एक वस्तु के द्वारा कुछ दूरी तय की गई। क्या इसका विस्थापन शून्य हो सकता है। अगर हाँ, तो अपने उत्तर को उदाहरण के द्वारा समझाइए।
उत्तर:
हाँ, एक वस्तु का विस्थापन शून्य हो सकता है यदि उसकी प्रारम्भिक व अन्तिम स्थिति समान हो या उनके बीच की दूरी शून्य हो। यदि वस्तु कुछ दूरी तय करके अपनी प्रारम्भिक स्थिति पर वापस आ जाती है तो उसका विस्थापन शून्य होगा।

प्रश्न 2.
एक किसान 10 m की भुजा वाले एक वर्गाकार खेत की सीमा पर 40 s में चक्कर लगाता है। 2 मिनट 20 s के बाद किसान के विस्थापन का परिमाण क्या होगा?
हल:
यदि खेत ABCD है तो किसान 40 s में 10 + 10 + 10 + 10 = 40 m चलता है।
अत: 2 min 20 s = 140 s में किसान 140 m चलेगा।
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

2 min 20 s में किसान खेत के 3 चक्कर लगाने के बाद 20 m और चलेगा तथा किसान C पर होगा। अतः किसान की विस्थापन दूरी AC के बराबर होगी। पाइथागोरस प्रमेय से,
AC2 = AB2 + BC2
= 102 + 102
= 100+ 100

AC2 = 200
AC = \( \sqrt{200} \) = 10\( \sqrt{2} \)
= 10 x 1.414
=14.14 मीटर

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न 3.
विस्थापन के लिए निम्न में कौन सही है ?
(a) यह शून्य नहीं हो सकता है।
(b) इसका परिमाण वस्तु के द्वारा तय की गई दूरी से अधिक है।
उत्तर:
दोनों
(a) व (b) गलत हैं।

प्रश्न शृंखला # 02 (पृष्ठ संख्या 112)

प्रश्न 1.
चाल एवं वेग में अन्तर बताइए।
उत्तर:
किसी वस्तु की गति की दर उसकी चाल कहलाती है व एक निश्चित दिशा में चाल को वेग कहते हैं। वेग वस्तु की चाल व दिशा दोनों को व्यक्त करता है।

प्रश्न 2.
किस अवस्था में किसी वस्तु के औसत वेग का परिमाण उसकी औसत चाल के बराबर होगा?
उत्तर:
जब एक वस्तुः सरल रेखा में बदलती हुई चाल के साथ गति कर रही है तो इसके गति की दर के परिमाण को औसत वेग के द्वारा व्यक्त कर सकते हैं। इसका परिकलन औसत चाल के परिकलन के समान ही होता है।

प्रश्न 3.
एक गाड़ी का ओडोमीटर क्या मापता है ?
उत्तर:
ओडोमीटर गाड़ी में लगा वह यन्त्र है जो गाड़ी के द्वारा तय की गई दूरी को मापता है।

प्रश्न 4.
जब वस्तु एकसमान गति में होती है तब इसका मार्ग कैसा दिखाई पड़ता है ?
उत्तर:
जब वस्तु एकसमान गति में होती है तब इसका मार्ग सरल रेखा में दिखाई पड़ता है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न 5.
एक प्रयोग के दौरान अन्तरिक्ष यान से एक सिग्नल को पृथ्वी पर पहुँचने में 5 मिनट का समय लगता है। पृथ्वी पर स्थित स्टेशन से उस अन्तरिक्ष यान की दूरी क्या है ? (सिग्नल की चाल = प्रकाश की चाल = 3 x 102 ms-1)
हल:
हम जानते हैं कि,
v = \(\frac { s }{ t }\)
v = 3 x 108 ms-1
t= 5 मिनट = 5 x 60 = 300s
s = v x t
=3 x 108 x 3 x 102
s = 9 x 1010 m
अतः पृथ्वी पर स्थित स्टेशन से अन्तरिक्ष यान की दूरी 9 x 1010 m है।

प्रश्न श्रृंखला # 03 (पृष्ठ संख्या 114)

प्रश्न 1.
आप किसी वस्तु के बारे में कब कहेंगे कि –
1. वह एकसमान त्वरण से गति में है ?
2. वह असमान त्वरण से गति में है ?
उत्तर:
1. यदि एक वस्तु सरल रेखा में चलती है और इसका वेग समान समयान्तराल में समान रूप से घटता या बढ़ता है तो वस्तु के त्वरण को एकसमान त्वरण कहा जाता है।
2. यदि एक वस्तु सरल रेखा में चलती है और इसका वेग असमान रूप से बदलता है तो उसके त्वरण को असमान त्वरण कहते हैं।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न 2.
एक बस की गति 5s में 80 km h-1 से घटकर 60 km h-1 हो जाती है। बस का त्वरण ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रारम्भिक वेग ५ = 80 km h-1
अन्तिम वेग v = 60 km h-1
समय, t = 5s
समीकरण से
a = \(\frac { v – u }{ t }\)
a = \(\frac { 60 – 80 }{ 5s }\)km h-1
= (\(\frac {20}{5}\)x \(\frac {1000}{3600}\)) m/s2
= (\(\frac {10}{9}\)) = – 1.11 m/s2
बस का त्वरण -1.11 m/s2 है।

प्रश्न 3.
एक रेलगाड़ी स्टेशन से चलना प्रारम्भ करती है और एक समान त्वरण के साथ चलते हुए 10 मिनट में 40 kmh-1की चाल प्राप्त करती है। इसका त्वरण ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रारम्भिक वेग, u = 0
अन्तिम वेग, v = 40 km h-1
= 40 x \(\frac {1000}{3600}\)
\(\frac {100}{9}\)m/s

समय,
t = 10 min
= 10 x 60 = 600s
हम जानते हैं,
a = \(\frac {v – u}{t}\)
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति
\(\frac {1}{54}\)m/s-2
= 0.0185 m/s2
रेलगाड़ी का त्वरण 0.0185 ms-2 है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न शृंखला # 04 (पृष्ठ संख्या 118)

प्रश्न 1.
किसी वस्तु के एकसमान व असमान गति के लिए समय-दूरी ग्राफ की प्रकृति क्या होती है ?
उत्तर:
एकसमान गति के लिए समय-दूरी ग्राफ एक सरल रेखा होती है। असमान गति के लिए समय के साथ तय की गई दूरी का ग्राफ एक सरल रेखा नहीं होता है।

प्रश्न 2.
किसी वस्तु की गति के बारे में आप क्या कह सकते हैं जिसका दूरी-समय ग्राफ समय अक्ष के समान्तर एक सरल रेखा है।
उत्तर:
जिस वस्तु का दूरी-समय ग्राफ समय अक्ष के समान्तर एक सरल रेखा है उस वस्तु की गति एकसमान होगी।

प्रश्न 3.
किसी वस्तु की गति के विषय में आप क्या कह सकते हैं जिसका चाल-समय ग्राफ समय अक्ष के समान्तर एक सरल रेखा है ?
उत्तर:
जब चाल समय-ग्राफ समय अक्ष के समान्तर एक सरल रेखा है तो वस्तु एकसमान चाल से गतिमान होगी।

प्रश्न 4.
वेग-समय ग्राफ के नीचे के क्षेत्र से मापी गई राशि क्या होती है ?
उत्तर:
वेग-समय ग्राफ के नीचे का क्षेत्र (क्षेत्रफल) दिए गए समयान्तराल में वस्तु द्वारा तय की गई दूरी (विस्थापन के परिमाण) को दर्शाता है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न शृंखला # 05 (पृष्ठ संख्या 121)

प्रश्न 1.
कोई बस विरामावस्था से चलना प्रारम्भ करती है तथा 2 मिनट तक 0.1 ms-2 के एकसमान त्वरण से ‘चलती है। परिकलन कीजिए:
(a) प्राप्त की गई चाल, तथा
(b) तय की गई दूरी।
हल:
प्रारम्भिक वेग, u = 0
त्वरण, a = 0.1 ms-2
समय, t = 2 min = 120 s

(a) प्राप्त की गई चाल
हम जानते हैं,
v = u + at
v = 0 + 0.1 m/s2 x 120 s
v = 12 m/s
अतः बस द्वारा प्राप्त की गई चाल 12 m/s है।

(b) तय की गई दूरी हम जानते हैं,
s = ut + \(\frac {1}{2}\)at2
s = 0 x 12 s + \(\frac {1}{2}\) x 0.1 m/s2 x (120 s)2
= \(\frac {1}{2}\) x 1440 m = 720 m
अत: बस द्वारा तय की गई दूरी 720 m है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न 2.
कोई रेलगाड़ी 90 km h-1 की चाल से चल रही है। ब्रेक लगाये जाने पर वह-0.5 ms-2 का एकसमान त्वरण उत्पन्न करती है। रेलगाड़ी विरामावस्था में आने के पहले कितनी दूरी तय करेगी?
हल:
यहाँ प्रारम्भिक वेग, u = 90 km/h
= \(\frac {90 x 100m}{60 x 60 s}\) = 25 m/s
अन्तिम वेग, v = 0
त्वरण, a = – 0.5 m/s2
तय की गई दूरी = ?
हम जानते हैं,
v2 = u2 + 2as
0 = (25 m/s)2 +2 x (-0.5) m/s2 x s
0 = 625 m2 s-2 – 1 m/s2 x s
1 m / s2 x s = 625 m s-2
s = 625 m s-2/1 m s-2 = 625 m
अतः रेलगाड़ी विरामावस्था में आने से पहले 625 m की दूरी तय करेगी।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न 3.
एक ट्रॉली एक आनत तल पर 2 m s-2 के त्वरण से नीचे जा रही है। गति प्रारम्भ करने के 3s के पश्चात् उसका वेग क्या होगा?
हल:
प्रारम्भिक वेग, u = 0
त्वरण, a = 2 m/s2
समय, t = 3 s
अन्तिम वेग, v = ?
हम जानते हैं, v = u + at
v = 0 + 2 m / s2 x 3 s
v = 6 m / s
अतः ट्रॉली का अन्तिम वेग 6 m/s होगा।

प्रश्न 4.
एक रेसिंग कार का एकसमान त्वरण 4 ms-2 है। गति प्रारम्भ करने के 10s पश्चात् वह कितनी दूरी तय करेगी?
हल:
त्वरण, a = 4 ms-2
प्रारम्भिक वेग, u = 0
समय, t = 10 s
तय की गई दूरी = ?
हम जानते हैं,
s = ut + 1/2 at2
s = 0 x 10 s + \(\frac {1}{2}\) x 4 m/s-2 x (10 s)-2
=\(\frac {1}{2}\) x 4 ms-2 x 100 s-2
= 2 x 100 m = 200 m
अतः रेसिंग कार गति प्रारम्भ करने के 10 s के पश्चात् 200 m की दूरी तय करेगी।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न 5.
किसी पत्थर को ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर 5 ms-1के वेग से फेंका जाता है। यदि गति के दौरान पत्थर का नीचे की ओर दिष्ट त्वरण 10 m s-2 है, तो पत्थर के द्वारा कितनी ऊँचाई प्राप्त की गई तथा उसे वहाँ पहुँचने में कितना समय लगा.?
हल:
प्रारम्भिक वेग, u = 5 m / s
अन्तिम वेग, v = 0
(क्योंकि जहाँ से पत्थर नीचे गिरने लगता है उसका वेग शून्य हो जाता है)
त्वरण, a = – 10 m /s-2
(त्वरण नीचे की दिशा में है, अतः पत्थर का वेग घट रहा है, अतः त्वरण – ve होगा)
ऊँचाई, i.e., दूरी, s = ?
हम जानते हैं,
v2 = u2+ 2as
0 = (5 m/s)2 + 2 x – 10 m/s2 x s
0 = 25 m2 – s2 – 20 m/s2 x s
20 m/s2 x s = 25 m2 s2
s = \(\frac{25 m^{2} s^{2}}{20 m / s^{2}}\)img
s = 1.25 m
हम जानते हैं,
v = u + at
0 = 5m s-1 + (- 10 m s-2) x t
10 m s-2 x t = 5 m s-1
t =  \(\frac{5 m s^{-1}}{10 m s^{-2}}\)
t = \(\frac {1}{2}\) s = 0.5 s
अत: पत्थर 1.25 m ऊँचाई तय करेगा व इस दूरी को तय करने में 0.5 s लगा।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

क्रियाकलाप 8.1 (पृष्ठ संख्या 108)

प्रश्न 1.
आपकी कक्षा की दीवार विरामावस्था में है या गति में, चर्चा करें।
उत्तर:
हमारी कक्षा की दीवार विरामावस्था में है क्योंकि वह अपनी जगह पर स्थिर है व गति नहीं करती।

क्रियाकलाप 8.2 (पृष्ठ संख्या 108)

प्रश्न 2.
क्या आपने कभी अनुभव किया है कि रेलगाड़ी, जिसमें आप बैठे हैं, गति करती हुई प्रतीत होती है जबकि वास्तव में वह विरामावस्था में है ? इस बिन्दु पर चर्चा करें और विचारों का आदान-प्रदान करें।
उत्तर:
रेलगाड़ी जिसमें हम बैठे हैं अगर वह विरामावस्था में है और हम उसके बाहर एक दूसरी गतिमान रेलगाड़ी को देखते हैं तो हमें अपनी रेलगाड़ी गति करती हुई प्रतीत होती है। परन्तु यह गति गतिमान रेलगाड़ी की विपरीत दिशा में प्रतीत होती है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

क्रियाकलाप 8.3 (पृष्ठ संख्या 110)

प्रश्न 3.
एक मीटर स्केल और एक लम्बी रस्सी लीजिए। बास्केट बॉल कोर्ट के एक कोने से दूसरे कोने तक उसके किनारे से होते हुए जाएँ। अपने द्वारा तय की गई दूरी और विस्थापन के परिमाण को मापें। दोनों भौतिक राशियों के मापन में आप क्या अन्तर पाते हैं ?
उत्तर:
बास्केट बॉल कोर्ट के एक कोने से दूसरे कोने तक जाने में तय की गई दूरी 100 m है और पूरे बास्केट बॉल कोर्ट का चक्कर लगाने पर तय की गई दूरी = 100 + 100 + 100 + 100 = 400 m जबकि विस्थापन शून्य है क्योंकि प्रारम्भिक व अन्तिम स्थितियाँ समान हैं।

करियाकलाप 8.5 (पृष्ठ संख्या 110)

प्रश्न 4.
दो वस्तुओं A तथा B की गति से सम्बन्धित आँकड़ों को अग्रांकित सारणी में दिया गया है। ध्यान से देखें और बताएँ कि वस्तुओं की गति एक समान है या असमान।
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति
उत्तर:
वस्तु A की गति एकसमान है क्योंकि वह समान (15 मिनट) समयान्तराल में समान दूरी (10 m) तय करती है। वस्तु B की गति असमान है क्योंकि वह समान समयान्तराल में असमान दूरी तय करती है।

क्रियाकलाप 8.6 (पृष्ठ संख्या 112)

प्रश्न 5.
अपने घर से बस स्टॉप या स्कूल जाने में लगे समय को मापिए। यदि आप मान लें कि आपके पैदल चलने की औसत चाल 4 किमी/घण्टा है, तो अपने घर से बस स्टॉप या स्कूल की दूरी का आकलन कीजिए।
उत्तर:
मेरे घर से बस स्टॉप तक पहुँचने में मुझे 30 मिनट लगते हैं। मेरे पैदल चलने की औसत चाल 4 किमी/घण्टा है। अतः मेरे घर से बस स्टॉप 2 किमी की दूरी पर हुआ।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

क्रियाकलाप 8.7 (पृष्ठ संख्या 112)

प्रश्न 6.
जब आसमान में बादल छाए होते हैं, तो बिजली के चमकने और बादलों के गरजने की क्रिया बार-बार हो सकती है। पहले बिजली की चमक दिखाई देती है। उसके कुछ समय पश्चात् बादलों के गरजने की ध्वनि आप तक पहुँचती है। क्या आप बता सकेंगे कि ऐसा क्यों होता है ?
उत्तर:
बिजली के चमकने व बादलों के गरजने में समय अन्तराल होता है क्योंकि बिजली की चमक प्रकाश की चाल के बराबर होती है (3 x 108 मी/सेकण्ड) जो कि ध्वनि की चाल से काफी तेज होती है। वायु में ध्वनि की चाल 346 मी/से है। यही कारण है कि हमें बिजली की चमक पहले दिखाई देती है जबकि बादलों की गरजन बाद में सुनाई पड़ती है।

क्रियाकलाप 8.8 (पृष्ठ संख्या 114)

प्रश्न 7.
आप दैनिक जीवन में बहुत प्रकार की गतियों को देखते होंगे, जिनमें प्रमुख हैं
(a) गति की दिशा में त्वरण
(b) त्वरण गति की दिशा के विरुद्ध है
(c) एकसमान त्वरण है, तथा
(d) असमान त्वरण है।
क्या आप ऊपर दिए गए प्रत्येक प्रकार की गति के लिए एक-एक उदाहरण दे सकते हैं ?
उत्तर:
(a) गति की दिशा में त्वरण-कोई भी गिरती हुई वस्तु जैसे कि एक गेंद गति की दिशा में त्वरण करती है।
(b) त्वरण गति की दिशा के विरुद्ध है-ऊपर उछाली मई गेंद में गुरुत्वीय त्वरण गति की दिशा के विरुद्ध होता है।
(c) एकसमान त्वरणं है-कोई भी वस्तु जो मुक्त पतन करती है, एकसमान त्वरण प्रदर्शित करती है या वृत्तीय पथ पर भी एकसमान त्वरण होता है। चन्द्रमा व पृथ्वी की गति एक समान त्वरण के उदाहरण हैं।
(d) असमान त्वरण है-असमान वेग से चलती हुई कार असमान त्वरण का उदाहरण है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

क्रियाकलाप 8.9 (पृष्ठ संख्या 117)

प्रश्न 8.
एक ट्रेन के तीन विभिन्न स्टेशनों A, B और C पर आगमन और प्रस्थान करने के समय एवं स्टेशन A से स्टेशन B व C की दूरी निम्न सारणी में दी गई है। सारणी : स्टेशन A व B तथा C की दूरी तथा ट्रेन के आगमन व प्रस्थान करने का समय
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति
मान लें कि किन्हीं दो स्टेशनों के बीच ट्रेन की गति एकसमान है तो इस आधार पर वेग-समय ग्राफ खींचें तथा इसकी व्याख्या करें।
हल:
दी गई सारणी के अनुसार, ट्रेन स्टेशन A से B तक 120 किमी चलती है। तीन घण्टे में (11.15 – 8.15 = 3 घण्टा) व स्टेशन B से C तक 60
किमी. (180 – 120 = 60 किमी) चलती है 1.5 घण्टा में (13.00 – 11.30)। इस आधार पर वेग-समय ग्राफ निम्न है –
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

स्टेशन A से 8 तक तय की गई दूरी = 120 किमी
स्टेशन A से B तक लिया गया समय = 11.15 – 8.15 = 3 घण्टा
A से B तक वेग = \(\frac { 120 }{ 3 }\)
= 40 किमी/घण्टा

स्टेशन B से C तक तय की गई दूरी = 60 किमी
स्टेशन B से C तक लिया गया समय = 1.5 घण्टा
स्टेशन B से C तक लिया गया वेग = \(\frac { 60 }{ 1.5 }\) = 40 किमी/घण्टा
अतः ट्रेन A से C तक एकसमान वेग से चल रही है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

क्रियाकलाप 8.10 (पृष्ठ संख्या 118)

प्रश्न 1.
फिरोज और उसकी बहन सानिया अपनी . साइकिलों से स्कूल जाते हैं। वे दोनों घर से एक ही समय पर प्रस्थान करते हैं एवं एक ही मार्ग से जाते हैं फिर भी अलग-अलग समय पर स्कूल पहुँचते हैं। अग्रांकित सारणी उन दोनों के द्वारा अलग-अलग समय में तय की गई दूरी को दर्शाती है। उन दोनों की गति के लिए एक ही पैमाने पर । दूरी-समय ग्राफ खीचें तथा व्याख्या करें। सारणी : फिरोज और सानिया द्वारा अपनी साइकिलों पर अलग-अलग समय में तय की गई दूरी
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

उत्तर:
फिरोज की गति Pसे R तक एकसमान है व सानिया की गति 0 से B व B से D तक एकसमान है। अत: वे असमान गति से चल रहे हैं।
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति
OS = फिरोज द्वारा तय की गई दूरी, OE = सानिया द्वारा तय की गई दूरी।

क्रियाकलाप 8.11 (पृष्ठ संख्या 122)

प्रश्न 2.
एक धागे का टुकड़ा लें और उसके एक छोर पर एक छोटे से पत्थर को बाँध दें। धागे के दूसरे छोर को पकड़कर पत्थर को वृत्तीय पथ पर नियत चाल से घुमाएँ। अब पत्थर सहित धागे को छोड़ दें। क्या आप बता सकते हैं कि धागा छोड़ने के बाद पत्थर किस दिशा में जाएगा? इस क्रिया को बार-बार दोहराएँ और वृत्तीय पथ के अलग-अलग जगहों से पत्थर को छोड़ें और यह देखें कि पत्थर के गति करने की दिशा समान है या नहीं।
उत्तर:
पत्थर वृत्तीय पथ के स्पर्शी के अनुदिश सरल रेखीय पथ पर गति करता है। अलग-अलग जगहों से पत्थर को छोड़ने पर पत्थर की गति की दिशा समान नहीं रहती। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब पत्थर को छोड़ा जाता है तो वह उसी दिशा में गति जारी रखता है जिस दिशा में उस क्षण वह गति कर रहा है। अतः जब पत्थर को वृत्तीय पथ पर घुमाया जाता है तो उसकी गति की दिशा प्रत्येक बिन्दु पर परिवर्तित होती है।

Bihar Board Class 9 Science गति Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
एक एथलीट वृत्तीय पथ जिसका व्यास 200 m है, का एक चक्कर 40 s में लगाता है। 2 min 20 s के बाद वह कितनी दूरी तय करेगा और उसका विस्थापन क्या होगा ?
हल:
दिया गया है, व्यास = 200 m, अतः
त्रिज्या r = 100 m
एक चक्कर में लगने वाला समय = 40s
2 m 20 s समय = 2 x 60 s + 20 s = 140 s
140 s के बाद दूरी = ?
140 s के बाद विस्थापन = ?
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति
v = \(\frac {2πr}{40 s}\)
v = \(\frac {2 x 3.14 × 100 m}{40 s}\)
v = \(\frac {628}{40 }\) = \(\frac {m}{s}\)

(a) 140 s के बाद दूरी
दूरी = वेग x समय
दूरी = 15-7 m/s x 140 s = 2198 m

(b) 2 m 20s i.e., 140s के बाद विस्थापन
40s में लगने वाले चक्कर = 1
अतः 1s में लगने वाले चक्कर = \(\frac {1}{40 }\)
अतः 140 s में लगने वाले चक्कर = \(\frac {1}{40 }\) x 140 = 3.5
अतः, 3.5 चक्कर के बाद एथलीट वृत्तीय पथ पर दूसरी ओर आ जायेगा, यानि वृत्तीय पथ के व्यास के बराबर दूरी के जो 200 m है।
2 m 20 s के बाद विस्थापन = 200 m
अतः 2 m 20 s के बाद एथलीट द्वारा तय की गई दूरी 2198 m व उसका विस्थापन 200 m होगा।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न 2.
300 m सरल रेखीय पथ पर जोसेफ जॉगिंग करता हुआ 2 min 30 s में एक सिरे A से दूसरे सिरे B तक पहुँचता है और घूमकर 1 min में 100 m पीछे बिन्दु C पर पहुँचता है। जोसेफ की औसत चाल और औसत वेग क्या होंगे?
(a) सिरे A से सिरे B तक तथा
(b) सिरे B से सिरे C तक।
हल:
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति
A से B तक दूरी = 300 m
समय = 2 min 30 s = 2 x 60 + 30 = 150s
B से C तक दूरी = 100 m
समय = 1 min = 60s

(a) सिरे A से B तक औसत चाल व वेग –
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति
समय
= 300 m = 2 m/s
अतः, औसत चाल = 2 m/s पूरब की ओर

(b) हम जानते हैं,
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति
= \(\frac {100 m}{60 s}\) = 1.66 m /s
अतः औसत वेग = 1.66 m/s पश्चिम
अतः, औसत चाल = 1.66 m/s व औसत वेग = 1.66 m/s पश्चिम

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न 3.
अब्दुल गाड़ी से स्कूल जाने के क्रम में औसत चाल को 20 km h-1 पाता है। उसी रास्ते से लौटने के समय वहाँ भीड़ कम है और औसत चाल 30 km h-1 है। अब्दुल की इस पूरी यात्रा में उसकी औसत चाल क्या है ?
हल:
हर एक यात्रा में लगने वाला समय पता करने के पश्चात् हम औसत चाल का परिकलन कर सकते हैं।
अगर स्कूल की दूरी = 5 km
स्कूल पहुँचने में लगने वाला समय = t1
स्कूल से लौटने में लगने वाला समय = t2
हम जानते हैं,
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति
स्कूल जाने में औसत चाल = \(\frac{S}{t_{1}}\)
20 km/hr = \(\frac{S}{t_{1}}\)
t1 = \(\frac{s}{20}\) hr = 26 hr
स्कूल से लौटने में औसत चाल = \(\frac{S}{t_{2}}\)
30 km/hr = \(\frac{S}{t_{2}}\)
t2 = \(\frac{s}{30}\) h
कुल समय = t1 + t2 = \(\frac{s}{20}\) + \(\frac{s}{30}\)
(t1 + t2) = \(\frac{3s + 2s}{60}\) h
= \(\frac{5s}{60}\)h = \(\frac{s}{12}\)h
अब दोनों तरफ की यात्रा की औसत चाल=
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति
\(\frac{2 s}{s / 12}\)
\(\frac{2 s \times 12}{s}\)
= 24 km/hr
अतः अब्दुल की औसत चाल = 24 km/hr

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न 4.
कोई मोटरबोट झील में विरामावस्था से सरल रेखीय पथ पर 3.0 m s-2 के नियत त्वरण से 8.0 s तक चलती है। इस समय अन्तराल में मोटर बोट कितनी दूरी तय करती है ?
हल:
यहाँ, प्रारम्भिक वेग (u) = 0
त्वरण (a) = 3.0 m/s2
समय = 8s
अतः, दूरी (s) = ?
हम जानते हैं,
s = ut + \(\frac{1}{2}\) at2
s = 0 x 8 + \(\frac{1}{2}\) 3 m/s2 x (8s)2
s = \(\frac{1}{2}\) x 3 x 64 m
s = 3 x 32 m
s = 96 m
अतः मोटर बोट दिये गए समय में 96 m की दूरी तय करेगी।

प्रश्न 5.
किसी गाड़ी का चालक 52 km h-1 की गति से चल रही कार में ब्रेक लगाता है तथा कार विपरीत दिशा में एकसमान दर से त्वरित होती है। कार 5 s में रुक जाती है। दूसरा चालक 30 km h-1 की गति से चलती हुई दूसरी कार पर धीमे-धीमे ब्रेक लगाता है तथा 10 s में रुक जाता है। एक ही ग्राफ पेपर पर दोनों कारों के लिए चाल-समय ग्राफ आलेखित करें। ब्रेक लगाने के पश्चात् दोनों में से कौन-सी कार अधिक दूरी तक जाएगी?
हल:
पहले ड्राइवर के लिए दिया है, –
प्रारम्भिक वेग, u = 52 km h-1
= \(\frac{52 \times 1000 m}{60 \times 60 s}\) = 14.4 m s-1

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

समय t = 5s
अन्तिम वेग, v = 0 (कार रुक जाती है)
अतः, दूरी s = ?
दूसरे ड्राइवर के लिए दिया है।
u = 3 km h-1
= \(\frac{52 \times 1000 m}{60 \times 60 s}\) = 9.4 ms-1
समय, t = 10 s
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

AD = पहली कार का वेग, BC = दूसरी कार का वेग ग्राफ का क्षेत्रफल गाड़ी द्वारा तय की गई दूरी बताता है। अतः,पहली कार द्वारा तय की गई दूरी = ∆ OAD का क्षेत्रफल
दूरी s = \(\frac{1}{2}\) x OD x OA
s = \(\frac{1}{2}\) x 14.4 m/s x 5s
s = 7.2 m/s x 5 s = 36 m
अतः दूसरी कार द्वारा तय की गई दूरी = ∆OBC का क्षेत्रफल
दूरी s = \(\frac{1}{2}\) x OC x OB
= \(\frac{1}{2}\) x 9.4 m/s x 10s
= 4.7 m/s x 10 s = 47 m
अतः दूसरी कार अधिक दूरी तक जायेगी।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न 6.
चित्र 8.7 में तीन वस्तुओं A, B और C के दूरी-समय ग्राफ प्रदर्शित है। ग्राफ का अध्ययन करके निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति
(a) तीनों में से कौन सबसे तीव्र गति से गतिमान है ?
(b) क्या ये तीनों किसी भी समय सड़क के एक ही बिन्दु पर होंगे?
(c) जिस समय B, A से गुजरती है उस समय तक C कितनी दूरी तय कर लेती है ?
(d) जिस समय B, C से गुजरती है उस समय तक यह कितनी दूरी तय कर लेती है ?
हल:
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति
(a) ग्राफ से यह स्पष्ट है कि B कम समय में ज्यादा दूरी तय करती है। अतः, B सबसे तीव्रगति से गतिमान है।
(b) ये तीनों किसी भी समय सड़क के एक ही बिन्दु पर कभी नहीं होंगे।
(c) ग्राफ से, हर वर्ग 0.57 km दूरी दर्शाता है। A, B से बिन्दु S पर गुजरती है जो बिन्दु P की रेखा में है (दूरी अक्ष पर) व 9.14 km प्रदर्शित करता है।
अतः, इस बिन्दु पर C की दूरी
= 9.14 – (0.57 x 3.75) km
= 9.14 km – 2.1375 km
= 7.00025 km
= 7 km

अतः जिस समय B, A से गुजरती है उस समय तक C7 km दूरी तय कर लेती है।

(d) B, C से दूरी अक्ष पर बिन्दु Q पर गुजरती है जो कि
4 km + 0.57 km x 2.25 = 5.28 km
अतः जिस समय B, C से गुजरती है उस समय तक यह 5.28 km दूरी तय कर लेती है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

प्रश्न 7.
20 m की ऊँचाई से एक गेंद को गिराया जाता है। यदि उसका वेग 10 m s-2 के एकसमान त्वरण की दर से बढ़ता है तो यह किस वेग से धरातल से टकराएगी ? कितने समय पश्चात् वह धरातल से टकराएगी ?
हल:
यहाँ, प्रारम्भिक वेग, u = 0
दूरी (s) = 20 m
त्वरण (a) = 10 m/s2
अन्तिम वेग, v = ?
समय, t = ?

(a) अन्तिम वेग, v का परिकलन हम जानते हैं, –
v2 = u2 + 2as
v2 = 0 + 2 x 10 m/s2 x 20 m
v2 = 400 m2 s-2
v2 = \(\sqrt{400 m^{2} s^{-2}}\)
v = 20 m/s

(b) समय, t का परिकलन हम जानते हैं –
v-1 = u + at
v = 20 m/s-1 = 0 + 10 m s-2 x t
t = \(\frac{20 \mathrm{m} \mathrm{s}^{-1}}{10 \mathrm{m} \mathrm{s}^{-2}}\)
t = 20 m s-1
अत: गेंद धरातल पर 20 ms-1 के वेग से 2 5 के पश्चात् टकराएगी।

प्रश्न 8.
किसी कार का चाल-समय ग्राफ चित्र 8.9 में दर्शाया गया है।
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति
(a) पहले 4 5 में कार कितनी दूरी तय करती है ? इस अवधि में कार द्वारा तय की गई दूरी को ग्राफ में छायांकित क्षेत्र द्वारा दर्शाइए।
(b) ग्राफ का कौन-सा भाग कार की एकसमान गति को दर्शाता है?
हल:
Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति
(a) पहले 4 s में कार द्वारा तय की गई दूरी दूरी-समय ग्राफ का क्षेत्रफल किसी वस्तु द्वारा तय की गई दूरी दर्शाता है। दिये गए ग्राफ में, 56 पूरे वर्ग व 12 आधे वर्ग 4 s ग्राफ के क्षेत्रफल में आते हैं।
कुल वर्ग = 56 + \(\frac{12}{2}\) = 62 वर्ग समय अक्ष पर,
5 वर्ग = 2s
1 वर्ग = \(\frac{2}{5}\) 5
चाल अक्ष पर 3 वर्ग = 2 m/s
1 वर्ग = 2 m/s
1 वर्ग का क्षेत्रफल = 3 s x 3m/s = ism
अतः 62 वर्ग का क्षेत्रफल = 62 x 2 = 248 = 16-53 m
अतः, पहले 4 s में कार 16.53 m दूरी तय करती है।

Bihar Board Class 9 Science Solutions Chapter 8 गति

(b) भाग AB एक सरल रेखा है जो समय अक्ष के समान्तर है, यह भाग एकसमान गति को दर्शाता है।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से कौन-सी अवस्थाएँ सम्भव है तथा प्रत्येक के लिए एक उदाहरण दें –
(a) कोई वस्तु जिसका त्वरण नियत हो परन्तु वेग शून्य हो।
(b) कोई वस्तु किसी त्वरण से गति कर रही है लेकिन समान चाल से।
(c) कोई वस्तु किसी निश्चित दिशा में गति कर रही हो तथा त्वरण उसके लम्बवत् हो ?
उत्तर:
(a) यह अवस्था सम्भव है केवल स्वतन्त्रतापूर्वक गिरती वस्तु के. प्रारम्भिक बिन्दु पर अथवा ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर फेंकी गयी वस्तु के अन्तिम बिन्दु पर जहाँ वस्तु का वेग शून्य तथा त्वरण गुरुत्वीय है।
(b) यह अवस्था सम्भव है जब कोई वस्तु वृत्ताकार मार्ग पर समान चाल से चल रही है जहाँ किसी भी बिन्दु पर त्वरण मार्ग के केन्द्र की ओर होगा।
(c) यह अवस्था केवल उस स्थिति में सम्भव है जब कोई वस्तु किसी दिशा में गति करना प्रारम्भ करती है तथा वृत्ताकार मार्ग पर चलती है उस समय उसका त्वरण उसकी गति की दिशा के लम्बवत् मार्ग के केन्द्र की ओर होगा।

प्रश्न 10.
एक कृत्रिम उपग्रह 42,250 km त्रिज्या की वृत्ताकार कक्षा में घूम रहा है। यदि वह 24 घंटे में पृथ्वी की परिक्रमा करता है तो उसकी चाल का परिकलन कीजिए।
हल:
यहाँ त्रिज्या, r = 42,250 km
समय,
t = 24 hr
वेग = ?
हम जानते हैं कि वृत्तीय पथ पर वेग = \(\frac{2πr}{समय}\)
v = \(\frac{2 \times \frac{22}{7} \times 42250 \mathrm{km}}{24 \mathrm{hr}}\)
v = \(\frac{2 \times 22 \times 42250}{7 \times 24}\) = 11065.47 km / hr
अतः कृत्रिम उपग्रह का वेग = 11065.47 km / hr

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

Bihar Board Class 11 Geography वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ Text Book Questions and Answers

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

(क) बहुवैकल्पिक प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
यदि धरातल पर वायुदाब 1000 मिलीबार है तो घरातल से 1किमी की ऊँचाई पर वायुदाब कितना होगा?
(क) 700 मिलीबार
(ख) 900 मिलीबार
(ग) 1100 मिलीबार
(घ) 1300 मिलीबार
उत्तर:
(ख) 900 मिलीबार

प्रश्न 2.
अंतर ऊष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र प्रायः कहाँ होता है?
(क) भूमध्य रेखा के निकट
(ख) कर्क रेखा के निकट
(ग) मकर रेखा के निकट
(घ) आर्कटिक वृत्त के निकट
उत्तर:
(क) भूमध्य रेखा के निकट

प्रश्न 3.
उत्तरी गोलार्द्ध में निम्न वायुदाब के चारों तरफ पवनों की दिशा क्या होगी?
(क) घड़ी की सुईयों के चलने की दिशा के अनुरूप
(ख) घड़ी की सुइयों के चलने की दिशा के विपरीत
(ग) समदाब रेखाओं के समकोण पर
(घ) समदाब रेखाओं के सामानंतर
उत्तर:
(ख) घड़ी की सुइयों के चलने की दिशा के विपरीत

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

प्रश्न 4.
वायुराशियों के निर्माण के उद्गम क्षेत्र निम्नलिखित में से कौन-सा है?
(क) विषुवतीय वन
(ख) साइबेरिया का मैदानी भाग
(ग) हिमालय पर्वत
(घ) दक्कन पठार न पठार
उत्तर:
(ख) साइबेरिया का मैदानी भाग

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में कौन सा बल अथवा प्रभाव भूमंडलीय पवनों को विक्षेपित करता है? [B.M.2009A]
(क) दाब प्रवलता
(ख) अभिकेंद्रीय लक्षण
(ग) कोरियोलीसि
(घ) भू-घर्षण
उत्तर:
(ख) साइबेरिया का मैदानी भाग

प्रश्न 6.
सामान्यतः कितनी ऊंचाई पर 1°C तापमान घट जाता है?
(क) 65 मी०
(ख) 165 मी०
(ग) 500 मी०
(घ) 1000 मी०
उत्तर:
(ख) 165 मी०

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
वायुदाब मापने की इकाई क्या है? मौसम मानचित्र बनाते समय किसी स्थान के वायुदाब को समुद्र तल तक क्यों घटाया जाता है?
उत्तर:
वायुदाब मापने की इकाई मिलीबार है। व्यापक रूप से प्रयोग की जानेवाली इकाई किलो पास्कल है जिसे (hpa) लिखा जाता है। दाब ऊँचाई के प्रभाव को दूर करने के लिए और तुलनात्मक बनाने के लिए, वायुदाब मापने के बाद इसे समुद्र तल के स्तर पर घटा लिया जाता है।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

प्रश्न 2.
जब दाब प्रवणता बल उत्तर से दक्षिण दिशा की तरफ हो अर्थात् उपोषण उच्च दाब से विषुवत् वृत की ओर हो तो उत्तरी गोलार्द्ध में उष्णकटिबंध में पवनें उत्तरी-पूर्वी क्यों होती हैं?
उत्तर:
पृथ्वी का अपने पक्ष पर घूर्णन पवनों को दिशा को प्रभावित करता हैं। इसे कोरिआलिस बल कहा जाता है। इसके प्रभाव से पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में मूल दिशा से दाहिने तरफ व दक्षिण गोलार्द्ध में अपने बाईं तरफ विक्षेपित (deflect) हो जाती हैं। कोरिआलिस प्रभाव दाब प्रणवता के समकोण पर कार्य करता है। दाब प्रवणताबल समदाब रेखाओं के समकोण पर होता है। जितनी दाब प्रवणता अधिक होगी, पवनों का वेग उतना ही अधिक होगा और पवनों की दिशा उतनी ही अधिक विक्षेपित होगी।

प्रश्न 3.
भूविक्षेपी पवनें (Geotrophic winds) क्या हैं?
उत्तर:
पृथ्वी की सतह से 2-3 किमी की ऊँचाई पर ऊपरी वायुमण्डल में पवने धरातलीय घर्षण के प्रभाव से मुक्त होती है तथा दाब प्रवणता तथा कोरिआलिस प्रभाव से नियंत्रित होती हैं। जब समदाब रेखाएँ सीधी हों और घर्षण का प्रभाव न हो, दाब प्रवणता बल कोरिआलिसि प्रभाव से संतुलित हो जाता है और फलस्वरूप पवनें समदाब रेखाओं के समानांतर बहती हैं। यह पवनें भूविक्षेपी (Geotrophic wind) पवनों के नाम से जानी जाती हैं।

प्रश्न 4.
समुद्र व स्थल समीर का वर्णन करें।
उत्तर:
ऊष्मा के अवशेषण के स्थल व समुद्र में भिन्नता पाई जाती है। दिन के दौरान स्थल भाग शीघ्र गर्म हो जाते हैं और समुद्र की अपेक्षा अधिक ताप ग्रहण करते हैं। अतः स्थल पर हवाएँ ऊपर उठती हैं और न्यून दाब क्षेत्र बनता है, जबकि समुद्र अपेक्षाकृत ठण्डे रहते हैं और उन पर उच्च वायुदाब बना रहता है। इससे समुद्र से स्थल की ओर दाब प्रवणता उत्पन्न होती है और पवनें समुद्र से स्थल की तरफ समुद्र समीर के रूप में प्रवाहित होती हैं। रात्रि में इसके एकदम विपरीत प्रक्रिया होती है। स्थल समुद्र की अपेक्षा जल्दी ठण्डा होता है। दाब प्रवणता स्थल से समुद्र की तरफ होने पर स्थल समीर प्रवाहित होती है।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

प्रश्न 5.
पवनों की दिशा एवं गति को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पवनों की दिशा एवं गति को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित कारक हैं –

  1. दाब प्रवणता बल
  2. कोरिऑक्तिस प्रभाव
  3. अभिकेन्द्रीय त्वरण
  4. भू-घर्षण

1. दाब प्रवणता बल – क्षैतिज वायुदाब के अंतर के कारण वायु में गति आती है। दो स्थानों के बीच में दाब प्रणवता जितनी अधिक होगी वायु उतनी ही तीव्र गति से चलेगी। वायु उच्च भार वाले क्षेत्र से निम्न भार वाले क्षेत्र की ओर चलती है।

2. कोरीऑलेस प्रभाव – पृथ्वी के घूर्णनगति के कारण वायु अपनी मूल दिशा से विक्षेपित हो जाती है जिसे कोरिऑलिस बल कहा जाता है। इस बल के कारण उत्तरार्द्ध में पवन दाहिने और दक्षिणी गोलार्द्ध में बायीं ओर मुड जाती हैं जिसे फेटेल का नियम भी कहा जाता है। यह बल भूमध्य रेखा पर शुन्य है जबकि ध्रुवों पर अधिक हो जाता है। यह बल की दिशा में परिवर्तन करता है न कि वायु की दिशा को।

3. अभिकेन्द्रीय त्वरण – भ्रमणशील पृथ्वी के घूर्णन केंद्र की दिशा में वायु के अंदर होनें वाले त्वरण के कारण ही पवन हेतु स्थानीय उच्च या न्यून वायु दाब चारों ओर फैल जाता है।

4. भू-घर्षण – धरातलीय विषमताओं के कारण पवन के रास्ते में घर्षण तथा अवरोध पैदा होते हैं जो पवनों की गति एवं दिशा को प्रभावित करती हैं। पर्वत. पठार आदि धरातलीय आकतियाँ पवनों की दिशा एवं गति को बदल देती है। महासागरों के पवनें, महाद्वीपों की अपेक्षा अधिक गति से चलती है।

प्रश्न 6.
पवन के अपरदन कार्य से उत्पन्न स्थलाकतियों का वर्णन करें?
उत्तर:
पवन के अपरदन कार्य से निम्नलिखित स्थलाकृतियों का निर्माण होता है।
1. प्लाया (Playa) – प्लाया एक आंतरिक प्रवाह का बेसिन होता है जिसमें एक झील होती है। प्लाया में जल थोड़ी देर हेतु ही रहती है क्योंकि शुष्क जलवायु के कारण वाष्पीकरण की दर अधिक है। प्रायः प्लाया में लवनों का निक्षेप होता है, जिसे प्लाया के क्षारीय निक्षेप कहते हैं?

2. मुरु कटटिम (Desert Pavement) – अपवहन महीन पदार्थों को हटा देता है, जिससे भू-पृष्ठ पर बड़ी-बड़ी गुटिकाएँ बच जाती है। इस प्रकार के अवशिष्ट गुटिकाओं वाले परत को मरुकुट्टिम कहते हैं।

3. वातगर्त (Deflation Hollows) – पवन अपरदन से उत्पन्न उथले गत्तों का अपवहन गर्त अथवा वातर्गत कहते हैं?

4. छत्रक या गारा (Mushroom) – पवन द्वारा अपरदित शैल के हल्के तथा बारीक कण अधिक ऊंचाई तक उठाये जाते हैं, जब बाल के कण गैस पृष्ठ के अनावहित भाग पर परे जोर से टकराते हैं। इससे मरुभूमियों में अधिक तथा ऊपरी मात्रा में कम होता है। इस प्रकार एक छतरीनुमा आकृति बन जाती है, जिसे छत्रक कहते हैं। अरबी भाषा में इसे ‘गारा’ (Gara) कहा जाता है।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
पवना की दिशा व वेग को प्रभावित करने वाले कारक बताएँ।
उत्तर:
पवनें उच्च दाब से कम दाब की तरफ प्रवाहित होती हैं। भूतल पर धरातलीय विषमताओं के कारण घर्षण पैदा होता है, जो पवनों की गति को प्रभावित करता है। इसके साथ पृथ्वी का घूर्णन भी पवनों के वेग को प्रभावित करता है। अतः पृथ्वी के धरातल पर क्षैतिज पवनें तीन संयुक्त प्रभावों का परिणाम है –

  1. दाब प्रवणता प्रभाव
  2. घर्षण बल तथा
  3. कोरिआलिस प्रभाव।

इसके अतिरिक्त, गुरुत्वाकर्षण बल पवनों को नीचे प्रवाहित करता है।

1. दाब प्रवणता बल – वायुमण्डलीय दाब भिन्नता एक बल उत्पन्न करता है। दूरी के संदर्भ में दाब परिवर्तन की दर दाब प्रवणता है। जहाँ समदाब रेखाएँ पास-पास हों, वहाँ दाब प्रणवता अधिक व समदाब रेखाओं के दूर-दूर होने से दाब प्रवणता कम होती है।

2. घर्षण बल – यह पवनों की गति को प्रभावित करता है। धरातल पर घर्षण सर्वाधिक होता है और इसका प्रभाव धरातल से 1 से 3 किमी ऊँचाई तक होता है। समुद्र पर इसका प्रभाव न्यूनतम होता है।

3. कोरिऑलिस प्रभाव – पृथवी अपने अक्ष पर घूर्णन पवनों की दिशा को प्रभावित करती है। सन् 1844 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने इसका विवरण प्रस्तुत किया और इसी पर इसे कोरिआलिस बल कहा जाता है। इसके प्रभावों से पवनें उत्तरी गालार्द्ध में अपनी मूल दिशा से दाहिने तरफ व दक्षिण गोलार्द्ध में अपने मूल दिशा से बाईं तरफ विक्षेपित (deflect) हो जाती हैं। जब पवनों का वेग अधिक होता है तब विक्षेपण भी अधिक होता है। कोरिऑलिस प्रभाव अक्षांशों के समानुपात में बढ़ता है। यह ध्रुवों पर सर्वाधिक और भूमध्यरेखा पर अनुपस्थित होता है।

कोरिऑलिस प्रभाव दाब प्रवणता के समकोण पर कार्य करता है। दाब प्रवणता बल समदाब रेखाओं के समकोण पर होता है। जितनी दाब प्रवणता अधिक होगी, पवनों का वेग उतना ही अधिक होगा और पवनों की दिशा उतनी ही अधिक विक्षेपित होगी। इन दो बलों को एक-दूसरे के समकोण पर होने के कारण न्यून दाब क्षेत्र में पवनें इसी के इर्द-गिर्द बहती हैं। भूमध्य रेखा पर कोरिऑलिस प्रभाव शून्य होता है और पवनें समदाब रेखाओं के समकोण बहती हैं। अतः न्यून दाब क्षेत्र और अधिक गहन होने की अपेक्षा भर जाता है। यही कारण है कि भूमध्य रेखा के निकट उष्णकटिबंधीय चक्रवात नहीं बनते।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

प्रश्न 2.
पथ्वी पर वायमण्डलीय सामान्य परिसंचरण का वर्णन करते हए चित्र बनाएँ। 300 उत्तरी व दक्षिण अक्षांशों पर उपोष्ण कटिबंधीय उच्च वायुदाब के सम्भव कारण बताएँ।
उत्तर:
उच्च तापमान व न्यूनदाब होने से अंतर उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) पर वायु संवहन धाराओं के रूप में ऊपर उठती हैं। उष्णकटिबंधों से आने वाली पवनें इस न्यून दाब क्षेत्र में अभिसरण करती हैं। अभिसरित वायु संवहन कोष्ठों के साथ ऊपर उठती हैं। यह क्षोभमण्डल के ऊपर 14 कि. मी. की ऊँचाई तक ऊपर चढ़ती है और फिर ध्रुवों की तरह प्रवाहित होती हैं। इसके परिणामस्वरूप लगभग 30° उत्तर व दक्षिण अक्षांश पर वायु एकत्रित हो जाती है। इस एकत्र वायु का कुछ भाग अवतलन करता है और उपोष्ण उच्चदाब बनता है।

अवतलन का एक कारण यह है कि जब वायु 30° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांशों पर पहुँचती है तो यह ठंडी हो जाती है। धरातल के निकट वायु का अपसरण होता है और यह भूमध्यरेखा की ओर पूर्वी पवनों के रूप में बहती है। भूमध्यरेखा के दोनों तरफ से प्राहित होने वाली पूर्वी पवनें अंतर उष्ण कटिबंधीय अभिसंचरण क्षेत्र (ITCZ) पर मिलती हैं। पृथ्वी की सतह से ऊँचाई पर ऐसा परिसंचरण और इसके विपरीत परिसंचरण कोष्ठों (Cells) के रूप में होता है।

उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र में ऐसे कोष्ठों को हेडले कोष्ठ (Hadley Cell) कहा जाता है। मध्य अक्षांशाय वायु परिसंचरण में ध्रुवों से प्रवाहित होती ठण्डी पवनों का अवतलन होता है और उपोष्ण उच्चदाब कटिबंधीय क्षेत्रों से आती गर्म हवा ऊपर उठती है। धरातल पर ये पवनें पछुआ पवनों के नाम से जानी जाती हैं और इसके कोष्ठ फैरल कोष्ठ के नाम से जाने जाते हैं। ध्रुवीय अक्षोंशों पर ठंडी सघन वायु का ध्रुवों पर अवतलन होता है और मध्य अक्षांशों की ओर ध्रुवीय पवनों के रूप में प्रवाहित होती हैं। इन कोष्ठों को ध्रुवीय कोष्ठ कहा जाता है। ये तीन कोष्ठ वायुमण्डलीय सामान्य परिसंचरण का प्रारूप निर्धारित करते हैं। तापीय ऊर्जा का निम्न अक्षांशों से उच्च अक्षांशों में स्थानांतर सामान्य परिसंचरण को बनाए रखता है।

प्रश्न 3.
उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की उत्पत्ति केवल समुद्रों पर ही क्यों होती है? उष्ण कटिबंधीय चक्रवात से किस भाग में मूसलाधार वर्षा होती है और उच्च वेग की पवनें चलती हैं, क्यों?
उत्तर:
उष्ण कटिबंधीय चक्रवात आक्रामक तूफान हैं जिनकी उत्पत्ति उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में महासागरों पर होती हैं और ये तटीय क्षेत्रों की तरफ गति करते हैं। ये चक्रवात पवनों के कारण विस्तृत विनाश, अत्यधिक वर्षा और तूफान लाते हैं। ये ‘चक्रवात’ अटलांटिक महासागर में ‘हरिकेन’ के नाम से, पश्चिम प्रशान्त और दक्षिण चीन सागर में ‘टाइफून’ और पश्चिमी आस्ट्रेलिया में ‘विली-विली’ के नाम से जाने जाते हैं। इनकी उत्पत्ति व विकास के लिए अनुकूल स्थितियाँ हैं –

  • वृहत समुद्री सतह जहाँ तापमान 27° सेल्सियम से अधिक हो
  • कोरिऑलिस प्रभाव का होना
  • उर्ध्वाधर पवनों की गति में कम अंतर होना
  • कमजोर न्यूनदाब क्षेत्र का होना या कम स्तर का चक्रवातीय परिसंचरण
  • समुद्री स्तर पर ऊपरी अपसरण।

चक्रवातों को और अधिक विध्वंसक करने वाली ऊर्जा संघनन प्रक्रिया द्वारा ऊँचे कपासी स्तरी मेघों से प्राप्त होती है जो इस तूफान के केन्द्र को घेरे होती हैं। समुद्रों से लगातार आर्द्रता की आपूर्ति की जाती है। ये क्षीण होकर क्षय हो जाते हैं। वह स्थान जहाँ से उष्ण कटिबंधीय चक्रवात गुजरते हैं, वह तट landfall of cyclone कहलाता है जो चक्रवात 20° उत्तरी अक्षांश से गुजरते हैं, उनकी दिशा अनिश्चित होती है और ये अधिक विध्वंसक होते हैं। एक विकसित उष्ण कटिबंधीय चक्रवात की विशेषता इसके केन्द्र के चारों तरफ प्रबल सर्पिल (Spiral) पवनों का परिसंचरण है, जिसे इसकी आँखें कहा जाता है। इस परिसंचरण प्रणाली का व्यास 150 से 250 किलोमीटर तक होता है। इसका केंद्रीय क्षेत्र शांत होता है जहाँ पवनों का अवतलन होता है।

केन्द्र के चारों तरफ जहाँ वायु का प्रबल व वृत्ताकार रूप में आरोहण होता है, यह आरोहण क्षोभमण्डल की ऊँचाई तक पहुँचता है। इसी क्षेत्र में पवनों का वेग अधिकतम होता है जो 250 कि० मी० प्रति घंटा तक होता है। इन चक्रवातों से मूसलाधार वर्षा होती हैं। इनका व्यास बंगाल की खाड़ी, अरब सागर व इंडियन महासागर पर 600 से 120 कि० मी० के बीच होता है। यह परिसंचरण प्रणाली धीमी गति से 300 से 500 किमी प्रतिदिन की दर से गति

करते हैं। ये तूफान तरंग उत्पन्न करते हैं और तटीय निम्न क्षेत्रों को जलप्लावित कर देते हैं। ये तूफान स्थल पर धीरे-धीरे क्षीण होकर खत्म हो जाते हैं।

(घ) परियोजना कार्य (Project Work)

प्रश्न 1.
(i) मौसम पद्धति को समझने के लिए मीडिया, अखबार, दूरदर्शन तथा रेडियो से मौसम संबंधी सूचना को एकत्र कीजिए।
(ii) किसी अखबार का मौसम संबंधी भाग, विशेषकर वह जिसमें उपग्रह से भेजा गया मानचित्र दिखाया गया है, पढ़ें। मेघाच्छादित क्षेत्र को रेखांकित करें। मेघों के वितरण से वायुमण्डलीय परिसंचरण की व्याख्या करें। अखबार व दूरदर्शन पर दिखाए गए पूर्वानुमान से तुलना करें। यह भी बताएँ कि सप्ताह के कितने दिन का पूर्वानुमान ठीक था।
उत्तर:
परियोजना कार्य (i) एवं (ii) कि किसी अखबार, रेडियो या दूरदर्शन या सभी से मौसमी संबंधी विवरणों को इकट्ठा करके स्वयं करें।
Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
कोरियोलिस बल किसे कहते हैं?
उत्तर:
‘कोरियोलिस’ बल को विक्षेपित बल भी कहा जाता है। सभी गतिशील वस्तुएँ विषुवत् रेखा की ओर संचलन के समय अपने पथ से विक्षेपित हो जाती हैं जिसे कोरियोलिस बल कहते हैं, क्योंकि कोरियोलिस नामक वैज्ञानिक ने इसकी खोज की थी।

प्रश्न 2.
किस क्षेत्र को ‘घोड़ों’ का अक्षांश कहा जाता है?
उत्तर:
उपोष्ण उच्च दाब पट्टी, जो कर्क एवं मकर रेखाओं के पास (25° उ०व०८०) से क्रमशः 35° उ०व०८० अक्षांशों के बीच दोनों गोलाद्धों में स्थित है, हवाओं के ऊपर व नीचे उतरने से यहाँ उच्च दाब बनता है। इस क्षेत्र में दुर्बल पवनों के फलस्वरूप शांत वायु की दशा उत्पन्न हो जाती है। इस क्षेत्र को घोड़ों का अक्षांश कहा जाता है।

प्रश्न 3.
वायुदाब किस प्रकार मापा जाता है?
उत्तर:
वायुदाब प्रति इकाई क्षेत्रफल पर पड़ने वाले दाब के रूप में मापा जाता है। वायदाब के मापन के लिए जिस इकाई का प्रयोग करते हैं उसे मिलीबार (मि०बा०) कहते हैं।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

प्रश्न 4.
समदाब रेखा क्या है?
उत्तर:
समदाब रेखा एक काल्पनिक रेखा हे, जो समुद्र तल पर समान वायुदाब वाले स्थानों को मिलाती हुई खींची जाती है।

प्रश्न 5.
“मिस्ट्रल’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
यह हवा का स्थानीय नाम है। यह फ्रांस में आल्प्स में भूमध्य सागर की ओर चलती है। यह अत्यधिक ठंडी, शुष्क एवं तेज बहने वाली पवन है।

प्रश्न 6.
वायुदाब प्रणालियों के दो प्रकार कौन से हैं?
उत्तर:

  1. उच्च दाब
  2. निम्न दाब

प्रश्न 7.
60° उत्तरी व 60° दक्षिणी अक्षांशों पर किस प्रकार का दाब पाया जाता है?
उत्तर:
निम्न दाब।

प्रश्न 8.
उच्च दाब कहाँ पाया जाता है?
उत्तर:
30° उत्तरी व 30° दक्षिणी अक्षांशों के साथ।

प्रश्न 9.
विषुवत् वृत्त के दोनों तरफ से प्रवाहित होने वाली पूर्वी पवने कहाँ मिलती हैं?
उत्तर:
अंतर उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) पर।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

प्रश्न 10.
कब दाब प्रवणता बल कोरिऑलिस बल से संतुलित हो जाता है?
उत्तर:
जब समदाब रेखाएँ सीधी हों और घर्षण का प्रभाव न हो, तो दाब प्रवणता बल कोरिऑलिस बल से संतुलित हो जाता है।

प्रश्न 11.
पवनें क्या होती हैं?
उत्तर:
धरातल के समानांतर चलने वाली हवा को पवन कहते हैं। जितनी. दाब प्रवणता अधिक होगी, पवन का वेग उतना ही अधिक होगा।

प्रश्न 12.
‘डोलड्रम’ किसे कहते हैं?
उत्तर:
विषुवत रेखा के दोनों ओर एक शांत क्षेत्र स्थित है। यहाँ पवनें दुर्बल हैं तथा इनका धरातलीय प्रवाह बहुत कम है। इन्हें ‘डोलड्रम’ कहते हैं।

प्रश्न 13.
‘गरजने वाला चालीसा, प्रचंड पचासा तथा चीखता साठ’ किसके नाम हैं?
उत्तर:
ये पछुआ पवनें हैं जिनका वेग प्रचंड है। कभी-कभी ये दोनों ऋतुओं में बड़ी तुफानी होती हैं। अतः पुराने समय में नाविकों ने इनका नाम गरजने वाला चालीसा, प्रचण्ड पचासा तथा चीखता साठ रखा था।

प्रश्न 14.
स्थल समीर किसे कहते हैं?
उत्तर:
ये पवनें रात को स्थल से समुद्र की ओर चलती हैं, समुद्र पर वायुदाब कम हो जाता है, परन्तु स्थल पर वायुदाब अधिक होता है । इस प्रकार ये पवनें स्थल से समद्र की ओर चलती हैं।

प्रश्न 15.
‘चिनूक’ को ‘हिम भक्षी’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
क्योंकि यह हवा सर्दियों के अधिकांश दिनों में घास के मैदानों को हिम से मुक्त रखती हैं। इस प्रकार की हवा रॉकीज पर्वतमाला के पूर्वी ढालों पर ऊपर से नीचे उतरती हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उन उत्तर

प्रश्न 1.
वायुदाब प्रवणता की परिभाषा लिखें।
उत्तर:
वायुदाब का वितरण समदाब रेखाओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। समदाब रेखाओं के अन्तर को वायुदाब प्रवणता कहते हैं। यह दो समदाब रेखाओं पर समकोण बनाती हुई होती हैं। यह दाब प्रवणता वायु दिशा अथवा आयु वेग को प्रदर्शित करती है। यदि समदाब रेखाएँ एक-दूसरे के निकट हों तो दाब प्रवणता तीव्र होती है तथा तेज पवनें चलती हैं। यदि समदाब रेखाएँ दूर-दूर हों तो वायु की गति मन्द होती है। उँचाई के साथ-साथ 34 मिलीबार प्रति 300 मीटर की दर से वायु दाब कम होता है । वायुमण्डल की ऊपरी परतें हल्की होती हैं। ऊपरी परतों के बोझ तथा दबाव के कारण नीचे की परतों पर सम्पीड़न क्रिया होती है। इसलिए धरातल के निकट की परतों में वायुदाब अधिक होता है।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

प्रश्न 2.
घोड़ों के अक्षांश से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
22°से 35° मध्य के अक्षांशों को अश्व अक्षांश कहते हैं। कर्क रेखा तथा मकर रेखा के निकट का यह शांत मंडल कहलाता है। शांत भूखण्ड में धरातल पर वायु की क्षैतिज गति नहीं होती। पवनें ऊपर से नीचे या नीचे से ऊपर को चलती रहती हैं। ये पवनें न तो स्थाई हैं और न अधिक गति से चलती हैं। वायुमण्डल शांत तथा मौसम साफ रहता है। लगातार उतरती हुई वायु तथा दबाव के कारण यहाँ उच्च वायु दाब होता है। इन अक्षांशों से ध्रुवों की ओर पश्चिमी पवनें तथा भूमध्य रेखा की ओर व्यापारिक पवनें चलती हैं।

प्रश्न 3.
‘डोलडुम क्षेत्र’ का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
यह शांत खंड भूमध्य रेखा के दोनों ओर 5°N तथा 5°s के बीच स्थित है। इसे भूमध्य रेखा का शांत खंड भी कहते हैं। धरातल पर चलने वाली वायु का अभाव होता है या बहुत ही शांत चलती है। यह शांत खंड भूमध्य रेखा के चारों ओर फैला हुआ है। इस खंड में वर्ष भर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं तथा तापमान ऊँचा रहता है। वायु गर्म तथा हल्की होकर लगातार संवाहिक धाराओं के रूप में ऊपर उठती हैं तथा धरातल पर वायुदाब कम हो जाता है।

प्रश्न 4.
फैरल का नियम क्या है? चित्र द्वारा स्पष्ट करो।
उत्तर:
धरातल पर पवनें कभी उत्तर से दक्षिण की ओर नहीं चलती। सभी पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी दायीं ओर दक्षिणी गोलार्द्ध में बायीं और मुड़ जाती हैं। इसें फैरल का नियम कहते हैं। हवा की दिशा में परिवर्तन का कारण, पृथ्वी की दैनिक गति है जब हवाएँ कम चाल वाले भागों से अधिक चाल वाले भागों की ओर जाती हैं तो पीछे रह जाती हैं। इस विक्षेप शक्ति को कोरोलिस बल भी कहा जाता है। .
Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

प्रश्न 5.
वायुमंडलीय दाब से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वायुमंडलीय दाब पृथ्वी के धरातल पर पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण टिका है। गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण प्रत्येक वस्तु में भार होता है। वायु में भी एक घनफुट में 1.2 औंस भार होता है। इस भार के कारण पृथ्वी के धरातल पर दबाव पड़ता है। वायुमंडलीय दाब का अर्थ है किसी भी स्थान पर वहाँ की हवा की उच्चतम सीमा के स्तम्भ का भार । समुद्र तल प्रति वर्ग इंच पर वायुमण्डल का दबाव 6.68 किलोग्राम या 1.3 किलोग्राम प्रति वर्ग सेंटीमीटर होता है। वायुमंडल का औसत या सामान्य दाब 45° अक्षांश पर समुद्र तल पर 29.92 इंच या 76.92 इंच या 76 सेंटीमीटर या 1013.2 मिलीबार होता है।।

प्रश्न 6.
एक मिलीबार से क्या अभिप्राय है? वायुदाब की माप इकाइयों में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
एक वर्ग सेमी पर एक ग्राम भार के बल को एक मिलीबार कहते हैं। दूसरे शब्दों में 1000 डाईन प्रति वर्ग सेमी के वायु भार को एक मिलीबार कहते हैं। 1000 मिलीबार के वायुभार को एक बार (Bar) कहते हैं।
विभिन्न माप इकाइयों में सम्बन्ध –
30 इंच वायुदाब =76 सेमी = 1013.2 मिलीबार
1 इंच वायुदाब = 34 मिलीबार
1 सेमी वायुदाब = 13.3 मिलीबार

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

प्रश्न 7.
‘चिनूक’ तथा ‘फोएन’ पवनें क्या हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ये गर्म तथा शुष्क पवनें हैं। ये पवनें पर्वतों के सम्मख ढाल पर टकराकर ऊपर चढती है। इस क्रिया के कारण ये ठंडी होकर पवन के सामने वाले ढाल पर काफी वर्षा करती हैं। चिनक पवने-अमेरिका में रॉकीज पर्वतों को पार करके प्रेयरी के मैदान में चलने वाली ऐसी पवनों को चिनूक पवनें कहते हैं। चिनूक का अर्थ है-बर्फ खाऊ, क्योंकि ये पवनें अधिक तापक्रम के कारण बर्फ को पिघला देती हैं। कई बार 24 घंटे के समय में 50F(10°C) तापक्रम बढ़ जाता है।

फोएन पवनें – यूरोप में आल्प्स को पार करके स्विट्जरलैंड में उतरने वाली पवने को फोएन पवनें कहते हैं।

प्रश्न 8.
पृथ्वी के सात दाब कटिबंधों के नाम लिखिए।
उत्तर:
पृथ्वी के सात दाब कटिबंध इस प्रकार हैं –

  1. विषुवतीय निम्न दाब पट्टी
  2. उपोष्ण उच्च दाब पट्टी (उत्तरी गोलार्द्ध)
  3. उपोष्ण उच्च दाब पट्टी (दक्षिणी गोलार्द्ध)
  4. उपध्रुवीय निम्न दाब पट्टी (उत्तरी गोलार्द्ध)
  5. उपध्रुवीय निम्न दाब पट्टी (दक्षिणी गोलार्द्ध)
  6. ध्रुवीय उच्च दाब पट्टी (उत्तरी गोलार्द्ध)
  7. ध्रुवीय उच्च दाब पट्टी (दक्षिणी गोलार्द्ध)।

प्रश्न 9.
पवन और वायुधारा में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
पवन और वायुधारा में अंतर –
Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

प्रश्न 10.
भूमंडलीय और सामयिक पवनों में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
भूमंडलीय और सामयिक पवनों में अंतर –
Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

प्रश्न 11.
वायुराशि क्या होती है? पवन से यह किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
वायुराशि वायुमण्डल का एक छोटा तथा विस्तृत भाग है जिसमें तापमान और आर्द्रता के लक्षण एक समान होते हैं। इस प्रकार वायुराशियों में एकरूपता का पाया जाना इसका मुख्य लक्षण है। एक वायुराशि में एक-दूसरे के ऊपर वाय की विभिन्न परतें होती हैं। इस प्रकार वायुमंडल में पर्याप्त ऊँचाई तक एक विशाल वायुराशि में एकरूपता पाई जाती है।

प्रश्न 12.
स्रोत प्रदेश किसे कहे हैं? धुवीय महाद्वीपीय स्रोत प्रदेशों का वर्णन करें।
उत्तर:
धरातल के ऐसे समान क्षेत्र जहाँ वायुराशियों की उत्पत्ति होती है, स्रोत प्रदेश कहलाते हैं। यह प्रदेश पृथ्वी के धरातल पर विस्तृत क्षेत्र है जहाँ एक सम लक्षण पाए जाते है। ऐसे प्रदेश में एक सम धरातल तथा प्रति चक्रवातीय वायु तथा प्रति चक्रवातीय वायु व्यवस्था पाई जाती है। इस अवस्था में अपसारी वायु संचरण होता है। प्रायः स्रोत प्रदेश ध्रुवीय तथा उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में पाए जाते हैं। शीतकाल में उत्तरी अमेरिका तथा यूरेशिया या ध्रुवीय प्रदेश बर्फ से ढके रहते हैं। यहाँ प्रति चक्रवात चलते हैं। वायु स्थिर तथा शुष्क होती है तापमान तथा आर्द्रता में एकरूपता पाई जाती है।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

प्रश्न 13.
पृथ्वी के धरातल पर कुछ वायुदाब कटिबंध तापीय कारणों से नहीं बल्कि गतिक कारणों से उत्पन्न हुए हैं। ये कटिबंध कौन-से हैं? इनकी उत्पत्ति की व्याख्या करें।
उत्तर:
पृथ्वी भूमध्य रेखा तथा ध्रुवों के बीच उपोष्ण उच्च वायुदाब तथा उपध्रुवीय निम्न वायुदाब की उत्पत्ति होती है। इनकी उत्पत्ति गतिक कारणों से है। भूमध्य रेखा से ऊपर उठने वाली वायु ठंडी होकर तथा भारी होकर 30° अक्षांशों के निकट नीचे उतरने लगती है, इसके अतिरिक्त पृथ्वी के घूर्णन के कारण ध्रुवों से आने वाली वायु भी यहाँ नीचे उतरती है, इसलिए यहाँ उच्च वायुदाब उत्पन्न होता है।
60° अक्षांशों के निकट वायुदाब की उत्पत्ति गति कारणों से होती है। पृथ्वी की दैनिक गति के कारण इन अक्षांशों से वायु भूमध्य रेखा की ओर तथा ध्रुवों की ओर खिसक जाती है इसलिए यहाँ निम्न वायुदाब स्थापित हो जाता है।

प्रश्न 14.
मिस्ट्रल और फॉन में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
मिस्ट्रल और फॉन में अंतर –
Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

प्रश्न 15.
स्थल और समुद्र समीर में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
स्थल और समुद्र समीर में अंतर –
Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
वायुदाब के क्षैतिज वितरण के विश्व प्रतिरूप का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायुदाब का क्षैतिज वितरण सामान्य रूप से उच्च वायुदाब और निम्न वायुदाब को एकांतर कटिबंध के रूप में प्रस्तुत करता है। वायुदाब और तापमान में प्रतिलोमी संबंध है। 30° उत्तर एवं दक्षिणी अक्षांशों के पास दो उपोष्ण उच्चदाब के और 60° उत्तर तथा दक्षिण अक्षांशों के पास दो उपध्रुवीय निम्नदाब के मध्यवर्ती क्षेत्र हैं। जिस दिशा में वायुदाब सबसे तेजी से घट रहा हो, उस दिशा में प्रति इकाई दूरी पर वायुदाब में आई गिरावट को दाब प्रवणता कहते हैं। विषुवतीय निम्न वायुदाब कटिबंध की गर्म हवा ऊपर उठने के साथ धीरे-धीरे ठंडी होती जाती है। ऊपरी स्तर पर पहुँचने के बाद यह ध्रुवों की ओर प्रवाहित होने लगती है और अधिक ठंडी होने पर यह 20° तथा 35° अक्षांशों के मध्य नीचे उतरने लगती है। इसके लिए दो कारक उत्तरदायी हैं।
Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ
प्रथम-वायु के ठंडा होने से इसका घनत्व बढ़ जाता है, जिससे यह नीचे उतरने लगती है। दूसरा-पृथ्वी का घूर्णन पश्चिमी से पूर्व की ओर होने के कारण ध्रुवों की ओर जाने वाली हवाएँ पूर्व की ओर विक्षेपित हो जाती हैं। अपने पक्ष पर घूर्णन करती हुई पृथ्वी पर विषुवत रेखा के पास कोई भी बिन्दु सर्वाधिक तीव्र गति से संचलन करता है। जैसे-जैसे हम ध्रुवों की ओर जाते हैं, वेग कम होता जाता है और ध्रुवों पर लगभग शून्य हो जाता है। वेग में अन्तर के कारण सभी गतिशील वस्तुएँ, विषुवत रेखा की ओर अथवा विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओर संचलन के समय पथ से विक्षेपित हो जाती हैं। विक्षेपण बल की खोज सर्वप्रथम फ्रांसीसी गणितज्ञ कोरियोलिस ने की थी। इसलिए इसे कोरियोलिस बल कहते हैं बाद में इसे फैरेल के नियम से जाना गया।
Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ
इस नियम के अनुसार-सभी गतिशील वस्तुएँ अपने पथ से विक्षेपित हो जाती हैं, जैसे पवन और महासागरीय धाराएँ, जिसकी दिशा उत्तरी गोलार्द्ध में बाएँ हैं। विषुवत रेखा से दूर जाने के साथ विक्षेपण दर में वृद्धि होती जाती है। इससे अवरोध उत्पन्न होने लगता है और हवा ऊपर की ओर संचित होने लगती है। इससे कर्क रेखा और 35° उत्तरी अक्षांश मकर रेखा और 35° दक्षिणी अक्षांश के मध्य हवाएँ ऊपर से नीचे उतरने लगती हैं जिससे यहाँ उच्च दाब कटिबंधों की उत्पत्ति होती है। उपोष्ण कटिबंध तथा ध्रुवीय क्षेत्रों से आने वाली हवाएँ 45° उत्तर व दक्षिण आर्कटिक वृत एवं 40° दक्षिण व अंटार्कटिक वृत्त के मध्य स्थित क्षेत्रों में मिलती हैं। ये उपध्रुवीय निम्न दाब के क्षेत्र हैं।

इस प्रकार कुल सात कटिबन्ध हैं –

  • विषुवतीय निम्न दाब पट्टी
  • उपोष्ण उच्च दाब पट्टी (उत्तरी गोलार्द्ध)
  • उपोष्ण उच्च दाब पट्टी (दक्षिणी गोलार्द्ध)
  • उपध्रुवीय निम्न दाब पट्टी (उत्तरी गोलार्द्ध)
  • उपध्रुवीय निम्न दाब पट्टी (दक्षिणी गोलार्द्ध)
  • ध्रुवीय उच्च दाब पट्टी (उत्तरी गोलार्द्ध)
  • ध्रुवीय उच्च दाब पट्टी (दक्षिणी गोलार्द्ध)

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

प्रश्न 2.
पवनों के मुख्य प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायु परिसंचरण के तीन विभिन्न तंत्र हैं – प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक।
(i) प्राथमिक पवनें – इन पवनों का सम्बन्ध घूर्णन करती हुई पृथ्वी के धरातल पर वनों के सामान्य परिसंचरण प्रतिरूप से है। प्राथमिक पवनों में डोलड्रम, व्यापारिक पवनें, पछुआ पवनें तथा ध्रुवीय पवनें शामिल हैं।

डोलड़म – ये पवनें विषुवत रेखा के दोनों ओर एक शांत क्षेत्र में होती हैं। इनका धरातलीय प्रवाह बहुत कम है।

व्यापारिक पवनें – ये पवनें दोनों- गोलार्द्ध में 5°से 30° अक्षांशों के मध्य चलती हैं। उत्तर में इन्हें उत्तरी-पूर्वी व्यापारिक पवनें तथा दक्षिण में दक्षिणी-पूर्वी व्यापारिक पवनें कहते हैं। दोनों पवनों विषुवत रेखा पर अभिसरण करती हैं, जिसे अंतर उष्णकटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र कहते हैं।

पछुआ पवनें – ये मध्य अक्षांशों में 35° उत्तर व दक्षिण अक्षांशों के बीच चलती हैं। इनकी दिशा परिवर्तशनशील है और वेग भी प्रचण्ड है। पछुआ पवनें गर्मी एवं सर्दी दोनों ही ऋतुओं में बड़ी तूफानी होती हैं।

धृवीय पूर्वी पवनें – ये विषुवत रेखा की ओर बहती हैं. जो शीघ्रता से पर्व से पश्चिम की दिशा ले लेती हैं। इन्हें ध्रुवीय पवनें कहते हैं।

(ii) द्वितीयक पवनें – ये हवाएँ, जो ऋतु के अनुसार अपनी दिशा बदल लेती हैं, मानसून पवनें, वायुराशियाँ एवं साताग्र, चक्रवात एवं प्रति-चक्रवात, स्थल समीर, पर्वत एवं घाटी समीर ऐसी पवन प्रणालियाँ हैं।

मानसून पवनें – ये वे मौसमी पवनें हैं जिनकी दिशा मौसम के अनुसार बिल्कुल विपरीत होती हैं। ये पवनें गर्मी में 6 मास समुद्र से स्थल की ओर तथा शीतकाल के 6 मास स्थल से समुद्र की ओर चलती हैं। ये एक प्रकार से जल तथा स्थल पवनें हैं। इनकी उत्पत्ति का कारण जल तथा स्थल के ठंडा व गर्म होने में विभिन्नता है। इस प्रकार मौसम के अनुसार वायुदाब में भी अन्तर हो जाता है जिससे हवाओं की दिशा पलट जाती हैं।

पर्वतीय तथा घाटीय पवनें – ये साधारण दैनिक पवनें हैं जो दैनिक तापान्तर के फलस्वरूप वाय दबाब की विभिन्नता के कारण चलती हैं पर्वतीय पवनें पर्वतीय प्रदेश में रात के समय पर्वत के शिखर से घाटी की ओर बहती हैं। यह तीव्र विकिरण तथा गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण ढलानों से होकर नीचे उतरती हैं। इसे वायु प्रवाह भी कहते हैं। इन पवनों के कारण घाटियाँ ठंडी वायु से भर जाती हैं जिससे घाटी के निचले भाग में पाला पड़ता है।
घाटीय पवनें-दिन के समय घाटी की गर्म वायु ढाल से होकर शिखर की ओर ऊपर चढ़ती हैं इन्हें घाटीय पवनें कहते हैं । ये पवनें घाटियों में गर्मी की तीव्रता को कम करती हैं। ऊपर चढ़ने के कारण ये पवनें ठंडी होकर घनघोर वर्षा करती हैं।
Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

(iii) तृतीयक अथवा स्थानीय पवनें-इन पवनों की उत्पत्ति भू-भाग के तत्काल प्रभाव द्वारा होती है। जब ये पवनें अत्यधिक गर्म एवं शुष्क होती हैं तो पशु एवं वनस्पति जगत पर शक्तिशाली प्रभाव डालती हैं। स्थानीय पवनों का एक अन्य वर्ग वायु अपवाह कहलाता है। बर्फीली हवाओं का स्थानीय नाम उत्तरी एडियाटिक तट में बोरा तथा दक्षिणी फ्रांस में मिस्टूल है। अन्य प्रकार की स्थानीय पवनें लू, फॉन तथा चिनूक हैं, ये गर्म एवं शुष्क पवनें हैं। ये द्वितीयक प्रकार की पवनों को जन्म देते हैं।

(iv) वायुराशियाँ एवं वातान-ये अभिगामी वायुमंडलीय विक्षोभ हैं, जो पूरे विश्व भर में द्वितीयक प्रकार की पवनों को जन्म देते हैं। वायुराशियाँ-यह हवा का एक विशाल समूह है, जिसमें तापमान तथा आर्द्रता की दशाएँ, एक समान होती हैं। वायुराशि अपनी विशेषताएँ अपने स्रोत से प्राप्त करती हैं। दो आधारभूत वायुराशियाँ हैं-ध्रुवीय (P) तथा उष्णकटिबंधीय (T). इनके तापमान में भारी अंतर रहता है। ध्रुवीय वायुराशियाँ-ये वायुराशियाँ उच्च अक्षांशों में जन्म लेती हैं। ये ठंडी तथा क्रम आर्द्र होती हैं। उष्णकटिबंधीय वायुराशियाँ-अधिक आर्द्र होती हैं।

(v) वाताग्र – विभिन्न गुणों वाली वायुराशियों के मध्य की संपर्क रेखा वाताग्र कहलाती हैं। शीत वाताग्र की उत्पत्ति वहाँ से होती हैं, जहाँ ठंडी हवा गर्म हवा के नीचे संचलन करती है। ठंडी वायु का पिछला सिरा जिसका अनुसरण गर्म वायु राशि करती है, उष्ण वाताग्न कहलाता है। प्रत्येक स्थिति में वर्षा होने की संभावना रहती है। जब दोनों वातान मिल जाते है तब इसे अधिधारित वाताग्र कहते हैं।

(vi) चक्रवात – जलवायु की दृष्टि से वायुमंडलीय विक्षोभों में चक्रवात सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है, जो मौसम को प्रभावित करते हैं। चक्रवातों को उनकी उत्पत्ति के आधार पर दो भागों में बाँटा गया है-शीतोष्ण चक्रवात तथा उष्ण कटिबंधीय चक्रवात।

शीतोष्ण चक्रवात – इनका क्षेत्र दोनों गोलाद्धों के मध्य अक्षांशों में 35° से 65° अक्षांशों के बीच संकेन्द्रित है। ये बड़े विस्तृत होते हैं। ये श्वेत मेघों की पृष्ठभूमि में काले मेघों का आगमन आने का सूचक हैं। जैसे ही चक्रवात किसी स्थान पर पहुंचता है, बूंदाबांदी, शुरू हो जाती है और फिर भारी वर्षा होती है। इससे शीत वाताग्र के आगमन की सूचना मिलती है।

उष्णकटिबंधीय चक्रवात – ये अपने उग्रता तथा व्यापक विनाश के लिए जाने जाते हैं। इनकी जलवायविक विशेषता वर्षा करना है। ये महासागरों के ऊपर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में विकसित होते हैं। इन हवाओं का वेग 120 से 200 किलोमीटर प्रति घंटा तक होता है। ये कम क्षेत्रफल घेरते हैं। भारत में इनकी प्रचण्डता का अनुभव सर्वाधिक बंगाल की खाड़ी में पूर्वी तट पर होता है। चक्रवात वायुमण्डलीय गतिशीलता के सूचक हैं तथा मानव एवं मानव समाज कल्याण की दृष्टि से बड़े महत्त्वपूर्ण हैं।

Bihar Board Class 12 Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

Bihar Board Class 12 Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

Bihar Board Class 12 Economics प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
माँग वक्र का आकार क्या होगा ताकि कुल संप्राप्ति वक्र –
(a) a मूल बिन्दु से गुजरती हुई धनात्मक प्रवणता वाली सरल रेखा हो।
(b) a समस्तरीय रेखा हो।
उत्तर:
(a) माँग वक्र का ढाल नीचे की ओर या ऋणात्मक होगा।
(b) माँग वक्र का ढाल x – अक्ष (क्षैतिज अक्ष) के समान्तर होगा।
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 1

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 2.
नीचे दी गई सारणी से कुल संप्राप्ति माँग वक्र और माँग की कीमत लोच की गणना कीजिए।
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 2
उत्तर:
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 3
फर्म का माँग वक्र व उद्योग का माँग वक्र एकदम समान होंगे।
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 4
इकाई 1 से 3 तक माँग वक्र ऋणात्मक ढाल वाला है। इकाई 3 से 5 तक माँग क्षैतिज अक्ष के समांतर है इकाई 5 से 6 तक माँग वक्र पुनः ऋणात्मक ढाल वाला है। 5 वीं इकाई के बाद वस्तु की कोई माँग नहीं है।
माँग की लोच
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 5

प्रश्न 3.
जब माँग वक्र लोचदार हो तो सीमांत संप्राप्ति का मूल्य क्या होगा?
उत्तर:
जब माँग पूर्णतया लोचदार होती है तो सीमांत आगम का मूल्य शून्य होता है। जब माँग वक्र लोचदार अर्थात् माँग की लोच इकाई से अधिक होती है तब सीमांत आगम धनात्मक होता है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 4.
एक एकाधिकारी फर्म की कुल स्थिर लागत 100 रुपये और निम्नलिखित माँग सारणी है –
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 6
अल्पकाल में संतुलन मात्रा, कीमत और कुल लाभ प्राप्त कीजिए। दीर्घकाल में संतुलन मात्रा क्या होगी? जब कुल लागत 1000 रुपये हो तो अल्पकाल और दीर्घकाल में संतुलन का वर्णन करें।
उत्तर:
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 7
अल्पकालीन संतुल उस बिन्दु पर होता है जहाँ एकाधिकारी फर्म को अधिकतम आगम प्राप्त होता है। अनुसूची में उत्पादन स्तर 6 पर अधिक आगम 300 फर्म को प्राप्त हो रहा है।
अतः अल्पकालीन साम्य मात्रा = 6
कीमत = 50
कुल लाभ = कुल आगम – कुल लागत
= 300 – 0 = 300
जब कुल लागत 1000 रुपये है तो अल्पकाल में संतुलन उस बिन्दु पर होता है जहाँ एकाधिकारी फर्म की कुल आगम व कुल लागत का अंतर अधिक होता है।
अधिकतम लाभ = कुल आगत – कुल लागत
= 300 – 1000 = -700 रुपये
उपरोक्त सूचना यह दर्शाती है कि फर्म को 700 रुपये की हानि हो रही है। अतः संतुलन अवस्था का प्रश्न ही नहीं उठता है। दीर्घकाल के लिए भी एकाधिकारी फर्म के संतुलन की वही शर्त लागू होती है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 5.
यदि अभ्यास 3 का एकाधिकारी फर्म सार्वजनिक क्षेत्र का फर्म हो, तो सरकार इसके प्रबंधक के लिए दी हुई सरकारी स्थिर कीमत (अर्थात् वह कीमत स्वीकार करता है और इसलिए पूर्ण प्रतिस्पर्धात्मक बाजार के फर्म जैसा व्यवहार करता है) स्वीकार करने के लिए नियम बनाएगी और सरकार यह निर्धारित करेगी कि ऐसी कीमत निर्धारित हो, जिससे बाजार माँग और पूर्ति समान हो। उस स्थिति में संतुलन कीमत, मात्रा और लाभ क्या होंगे?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत संतुलन स्थापित वहाँ होता है जहाँ वस्तु की बाजार माँग व बाजार पूर्ति समान होती है। संतुलन बिन्दु पर कीमत को साम्य कीमत तथा बेची व खरीदी गई मात्रा को साम्य मात्रा कहते हैं। साम्य कीमत एवं मात्रा को नीचे चित्र में दिखाया गया है।
माँग वक्र DD, पूर्ति वक्र SS, साम्य बिन्दु E, साम्य कीमत Op, साम्य मात्रा Oq
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 8
पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत एक फर्म को शून्य लाभ प्राप्त होता है। इसका अभिप्राय है कि प्रतियोगी फर्म को सामान्य लाभ प्राप्त होता है।

प्रश्न 6.
उस स्थिति में सीमांत संप्राप्ति वक्र के आकार पर टिप्पणी कीजिए, जिसमें कुल संप्राप्ति वक्र –

  1. धनात्मक प्रवणता वाली सरल रेखा हो।
  2. समस्तरीय सरल रेखा हो।

उत्तर:
1. कुल आगम वक्र धनात्मक ढाल वाली सीधी रेखा है –
नीचे बताई गई तीन स्थितियाँ हो सकती हैं –

  • यदि कुल आगम वक्र धनात्मक ढाल वाला होता है लेकिन उसमें समान दर से वृद्धि होती है तो सीमांत आगम वक्र क्षैतिज अक्ष (x – अक्ष) के समांतर होगा।
  • यदि कुल आगम वक्र धनात्मक ढाल वक्र है और बढ़ती हुई दर से बड़ता है तो सीमांत आगम वक्र का ढाल धनात्मक होता है।
  • यदि कुल वक्र का ढाल धनात्मक परंतु कम दर से बढ़ता है तो सीमांत का ढाल ऋणात्मक होता है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 7.
नीचे सारणी में वस्तु की बाजार माँग वक्र और वस्तु उत्पादक एकाधिकारी फर्म के लिए कुल लागत दी हुई है। इनका उपयोग करके निम्नलिखित की गणना करें –
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 part - 2 img 9
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 part - 2 img 10

  1. सीमांत संप्राप्ति और सीमांत लागत सारणी।
  2. वह मात्रा जिस पर सीमांत संप्राप्ति और सीमांत लागत बराबर है।
  3. निर्गत की संतुलन मात्रा और वस्तु की संतुलन कीमत।
  4. संतुलन में कुल संप्राप्ति, कुल लागत और कुल लाभ।

उत्तर:
1.
सीमांत संप्राप्ति।
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 11

सीमांत लागत अनुसूची
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 12

2. उत्पादन स्तर c फर्म की सीमांत लागत व सीमांत आगम दोनों समान हैं। इस उत्पादन स्तर पर MR = MC = 4

3. संतुलन बिन्दु वहाँ स्थापित होता है जहाँ MR = MC इस शर्त में निम्नलिखित सूचना प्राप्त होती है –
साम्य मात्रा = 6
इकाइयाँ साम्य कीमत = 19

4. साम्य उत्पाद स्तर = 6 इकाई
साम्य उत्पादन स्तर पर
कुल आगम = 114
कुल लागत = 109
कुल लाभ = कुल आगाम – कुल लागत
= 114 – 109 = 5

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 8.
निर्गत के उत्तम अल्पकाल में यदि घाटा हो, तो क्या अल्पकाल में एकाधिकारी फर्म उत्पादन को जारी रखेगी?
उत्तर:
यदि अल्पकाल में किसी फर्म को हानि उठानी पड़ती है तो वह उत्पादन जारी रखेगी इसका निर्धारण निम्न प्रकार से किया जाता है –
1. यदि उत्पादन के इस स्तर पर सीमांत लागत वक्र सीमांत आगम वक्र को ऊपर से काटता है अथवा सीमांत लागत वक्र का ढाल ऋणात्मक होता है तो फर्म हानि की स्थिति में भी उत्पादन जारी रखेगी क्योंकि उत्पादन के इस स्तर के बाद फर्म को लाभ प्राप्त होगा ऐसा इसलिए संभव होता है कि सीमांत लागत घट रही है।

2. यदि उत्पादन के इस स्तर पर सीमांत लागत वक्र, सीमांत आगम वक्र को नीचे से काटता है अथवा सीमांत लागत वक्र धनात्मक ढाल का है तो फर्म इस उत्पादन स्तर से आगे उत्पादन नहीं करेगी। इस उत्पादन स्तर से आगे उत्पादन करने पर सीमांत लागत में वृद्धि होती है और फर्म की हानि में और बढ़ोतरी होगी।

प्रश्न 9.
एकाधिकारी प्रतिस्पर्धा में किसी फर्म की माँग वक्र की प्रवणता ऋणात्मक क्यों होती है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
एकाधिकारात्मक प्रतियोगिता में एक फर्म वस्तु की कीमत घटाकर ही ज्यादा इकाइयाँ बेच सकती है। क्योंकि कीमत घटने पर माँग बढ़ जाती है। इसका अभिप्राय यह हुआ कि सीमांत आगम वक्र का ढाल ऋणात्मक होगा। एकाधिकारात्मक प्रतियोगी फर्म का औसत आगम, माँग वक्र के समान होता है। अतः इस बाजार में फर्म का माँग वक्र ऋणात्मक ढाल वाला होता है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 10.
एकाधिकारी प्रतिस्पर्धा में दीर्घकाल के लिए किसी फर्म का संतुलन शून्य लाभ पर होने का क्या कारण है?
उत्तर:
एकाधिकारात्मक प्रतियोगी बाजार में फर्मों की अधिक संख्या होती है। फर्मों का प्रवेश व गमन स्वतंत्र होता है। इस बाजार में फर्म विभेदीकृत वस्तु का उत्पादन करती है। अल्पकाल में फर्मों की संख्या कम होने के कारण प्रतियोगिता कम पायी जाती है। अतः फर्मों को असामान्य लाभ प्राप्त हो सकता है। असामान्य लाभ से आकर्षित होकर नई फमें बाजार में प्रवेश कर सकती है।

वस्तु का उत्पादन बढ़ेगा। इससे वस्तु की कीमत घटेगी। नई फर्मों का प्रवेश, उत्पादन में बढ़ोतरी, वस्तु की कीमत में गिरावट का सिलसिला उस सीमा तक रहता है जब तक फर्म का लाभ शून्य नहीं हो जाता है। इस स्तर पर बाजार में प्रवेश पाने के लिए नई फर्मों के पास कोई आकर्षण नहीं रहता है।

इसके विपरीत यदि अल्पकाल में कोई फर्म हानि उठा रही है तो नुकसान उठाने वाली कुछ फर्म उत्पादन बंद करक बाजार छोड़कर बाजार से बाजार जा सकती है। उत्पादन में संकुचन होगा जिससे बाजार कीमत में बढ़ोतरी होगी। फर्मों का प्रवेश, उत्पादन में संकुचन आदि तब तक जारी रहेगा जब तक लाभ शून्य नहीं होगा। इस प्रकार फर्मों का प्रवेश व गमन उस समय रुक जाता है जब दीर्घकाल में लाभ शून्य हो जाता है। यह स्थिति ही दीर्घकालीन संतुलन की स्थिति होती है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 11.
तीन विभिन्न विधियों की सूची बनाइए, जिसमें अल्पाधिकारी फर्म व्यवहार कर सकता है।
उत्तर:
वह बाजार संरचना जिसमें एक अधिक परंतु सीमित फर्म होती है अल्पाधिकार कहलाता है। अल्पाधिकारी में एक फर्म निम्नलिखित तीन प्रकार से व्यवहार कर सकती है –
1. यदि वस्तु बाजार में दो फर्म मौजूद होती हैं तो इस संरचना को द्वैदाधिकार कहते हैं। दोनों फर्म मिलकर विलय कर सकती है और प्रतियोगिता न करने का निर्णय कर सकती है। सामूहिक रूप से दोनों फर्मे अपना लाभ अधिकतम कर सकती है। इस स्थिति में दोनों फर्मे अलग-अलग उत्पादन इकाई के रूप में उत्पादन करती है परंतु अधिक लाभ कमाने के लिए एकाधिकारी फर्म की तरह व्यवहार करती है।

2. यह भी हो सकता है कि दोनों फर्मे आपस में अधिकतम लाभ के लिए उत्पादन की मात्राएँ तय कर सकती हैं। निर्णय के बाद दोनों में से कोई भी फर्म उत्पादन की मात्रा में परिवर्तन न करने की बात स्वीकार करती है।

3. कुछ अर्थशास्त्री ऐसा भी मानते हैं कि अल्पाधिकार बाजार संरचना में कठोर कीमत नीति काम करती है। अर्थात् बाजार कीमत में बाजार माँग के अनुसार परिवर्तन नहीं होता है। इस संरचना में कीमत परिवर्तन करना कोई भी फर्म विवेकपूर्ण नहीं मानती है। यदि कोई एक फर्म कीमत बढ़ाने का निर्णय लेती है तो वह फर्म अपने लाभ को कम कर सकती है। यदि दूसरी फर्म कीमत नहीं बदलती है तो पूर्व फर्म को कम माँग का सामना करना पड़ेगा।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 12.
यदि द्वि – अधिकारी का व्यवहार कुर्नोट के द्वारा वर्णित व्यवहार के जैसा हो, तो बाजार माँग वक्र को समीकरण q = 200 – 4p द्वारा दर्शाया जाता है तथा दोनों फर्मों की लागत शून्य होती है। प्रत्येक फर्म के द्वारा संतुलन और संतुलन बाजार कीमत में उत्पादन की मात्रा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
माँग फलन q = 200 – 4p
जब माँग वक्र एक सीधी रेखा होता है और उत्पादन लागत शून्य होती है तो माँग की आधी पूर्ति करना एकाधिकारी के लिए अधिकतम लाभकारी होता है।

माँग वक्र समीकरण q = 200 – 4p = 200 – 4 × 0 (कीमत स्तर शून्य पर अधिकतम माँग)
फर्म व वस्तु की शून्य इकाइयों की पूर्ति करती है –
फर्म अ के लिए माँग = 200 इकाइयाँ
फर्म अ की आपूर्ति = \(\frac{200}{2}\) इकाइयाँ = 100 इकाइयाँ
फर्म ब के लिए माँग = 200 – \(\frac{200}{2}\)
फर्म ब की आपूर्ति = \(\frac{1}{2}\) (200 – \(\frac{200}{2}\)) = 50 इकाइयाँ
फर्म ब की आपूर्ति 0 से 50 इकाइयाँ तक बदल चुकी है। अतः फर्म अ के लिए माँग = 200 – 50 = 150 इकाइयाँ
अतः फर्म अ आपूर्ति करना चाहेगी \(\frac{150}{2}\) = 75 इकाइयाँ
इन चक्रों का क्रम तब तक जारी रहेगा जब तक दोनों फर्मों की आपूर्ति समान नहीं हो जायेगी। इसकी गणना निम्नलिखित तालिका में की गई है –

Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 13

इस प्रकार अन्त में दोनों फर्म समान मात्रा की आपूर्ति करेंगी।
आपूर्ति = \(\frac{200}{2}\) – \(\frac{200}{4}\) + \(\frac{200}{8}\) – \(\frac{200}{16}\) + \(\frac{200}{32}\) – \(\frac{200}{64}\) + …………. = \(\frac{200}{3}\)
बाजार पूर्ति = फर्म अ आपूर्ति + फर्म ब आपूर्ति = \(\frac{200}{3}\) + \(\frac{200}{3}\) = \(\frac{400}{3}\) इकाइया
कीमत निर्धारण q = 200 – 4p
या 4p = 200 – q
= 200 – \(\frac{400}{3}\) (मूल्य प्रतिस्थापित करने पर)
या = \(\frac{200}{3}\)
या p = \(\frac{200}{3×4}\) = \(\frac{50}{3}\)
प्रत्येक फर्म द्वारा की गई आपूर्ति = \(\frac{200}{3}\) इकाइयाँ
दोनों फर्मों द्वारा की गई पूर्ति = \(\frac{400}{3}\) इकाइयाँ
साम्य कीमत = \(\frac{50}{3}\) रु.

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 13.
आय अनन्य कीमत का क्या अभिप्राय है? अल्पाधिकार के व्यवहार से इस प्रकार का निष्कर्ष कैसे निकल सकता है?
उत्तर:
अल्पाधिकारी बाजार में वस्तु की कीमत में परिवर्तन मुक्त रूप से माँग में परिवर्तन के अनुसार नहीं होता है। यदि एक फर्म अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से वस्तु की कीमत बढ़ा देती है और दूसरी फर्म ऐसा नहीं करती है। कीमत में वृद्धि के कारण पहली फर्म की वस्तु की माँग अधिक मात्रा में घट जायेगी। इससे इस फर्म के कुल आगम में कमी आ जायेगी। अतः कीमत बढ़ाना किसी भी फर्म के लिए विवेकपूर्ण निर्णय नहीं होगा।

दूसरी ओर यदि कोई फर्म कीमत घटाकर कुल लाभ अधिकतम करना चाहती है और दूसरी फर्म इस निर्ण को चुनौती मानकर कीमत को घटा देती है। इस प्रकार कीमत को घटाकर माँग में वृद्धि की हिस्सेदारी दोनों फर्मों को प्राप्त होगी। तरह कीमत घटाकर माँग में वृद्धि का फायदा इस बाजार में कोई फर्म थोड़े समय के लिए उठा सकती है। दूसरी फर्म द्वारा कीमत घटाने पर फम का कुल आगम भी घटेगा और कुल लाभ में भी कमी आयेगी। इसलिए अल्पाधिकार में कीमत स्थिर पाई जाती है।

Bihar Board Class 12 Economics प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
एकाधिकार को परिभाषित करो।
उत्तर:
वह बाजार संरचना जिसमें एक वस्तु का बाजार में एक अकेला विक्रेता होता है, एकाधिकार कहलाती है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 2.
एकाधिकारी फर्म के कुल आगम वक्र की प्रकृति किस बात पर निर्भर करती है?
उत्तर:
कुल आगम वक्र की प्रकृति औसत आगम पर निर्भर करती है।

प्रश्न 3.
एकाधिकारी फर्म का बाजार माँग वक्र क्या होता है?
उत्तर:
एकाधिकारी फर्म का औसत आगम वक्र ही फर्म का माँग वक्र होता है।

प्रश्न 4.
एकाधिकारी फर्म द्वारा पूर्ति की गई वस्तु की कीमत का निर्धारण किस पर निर्भर होता है?
उत्तर:
एकाधिकारी फर्म द्वारा पूर्ति की गई वस्तु की मात्रा के आधार पर वस्तु की कीमत का निर्धारण होता है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 5.
वह शर्त लिखो जिससे वस्तु बाजार एकाधिकार संरचना रखता है।
उत्तर:
वस्तु बाजार की संरचना एकाधिकारी होती है यदि उस बाजार में केवल एक विक्रेता हो, वस्तु की कोई निकट प्रतिस्थापन वस्तु न हो तथा बाजार बाजार में नई फर्म के प्रवेश पर प्रतिबंध हो।

प्रश्न 6.
सीमांत आगम वक्र की स्थिति और माँग वक्र के ढाल में क्या संबंध होता है?
उत्तर:
ऋणात्मक ढाल वाला माँग वक्र जितना अधिक ढाल होता है सीमांत आगम वक्र उतना ही नीचे होता है।

प्रश्न 7.
औसत आगम वक्र कब नीचे गिरता है?
उत्तर:
जब सीमांत आगम औसत आगम से कम होती है तब औसत आगम वक्र नीचे गिरता है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 8.
कुल आगम वक्र का आकार क्या होगा यदि माँग वक्र ऋणात्मक ढाल वाली सीधी रेखा है?
उत्तर:
माँग ऋणात्मक ढाल वाली रेखा होने पर कुल आगम वक्र उल्टे परवलय की तरह का होता है।

प्रश्न 9.
कुल आगम से औसत आगम वक्र की गणना किस प्रकार की जाती है?
उत्तर:
उत्पादन के किसी भी स्तर पर कुल आगम वक्र पर स्थित संबंधित बिन्दु से मूल बिन्दु को मिलाने वाली रेखा के ढाल के आधार पर औसत आगम की गणना की जाती है।

प्रश्न 10.
कुल आगम से सीमांत आगम ज्ञात करने की विधि लिखो।
उत्तर:
उत्पादन के किसी भी स्तर कुल आगम वक्र के संबंधित बिन्दु से स्पर्श खींची गई, स्पर्श रेखा के द्वारा सीमांत आगम की गणना की जाती है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 11.
साम्य कीमत किससे प्राप्त होती है?
उत्तर:
वह माँग वक्र जिससे साम्य मात्रा प्राप्त होती है साम्य कीमत प्रदान करता है।

प्रश्न 12.
साम्य मात्रा की परिभाषा लिखो।
उत्तर:
साम्य कीमत पर खरीदी व बेची गई मात्रा को साम्य मात्रा कहते हैं।

प्रश्न 13.
यदि फर्म की लागत शून्य हो तो एकाधिकारी फर्म द्वारा आपूर्ति की गई मात्रा कितनी होती है?
उत्तर:
साम्य की अवस्था में पूर्ति की गई मात्रा उस बिन्दु पर प्राप्त होती है जहाँ सीमांत आगम शून्य होती है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 14.
प्रतियोगी फर्म द्वारा पूर्ति की गई साम्य मात्रा किस प्रकार प्राप्त होती है?
उत्तर:
प्रतियोगी फर्म द्वारा पूर्ति की गई साम्य मात्रा उस बिन्दु पर प्राप्त होती है जहाँ औसत आगम शून्य होती है।

प्रश्न 15.
वस्तु बाजार में अल्पाधिकार की स्थिति कब उत्पन्न होती है?
उत्तर:
जब कम संख्या में फर्म एक समान वस्तु का उत्पादन करती है।

प्रश्न 16.
अपूर्ण प्रतियोगी बाजार में दीर्घकाल में लाभ का स्तर क्या होता है?
उत्तर:
अपूर्ण प्रतियोगी वस्तु बाजार में दीर्घकाल में लाभ का स्तर शून्य होता है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 17.
अपूर्ण प्रतियोगी वस्तु बाजार में फर्म का लाभ शून्य क्यों होता है?
उत्तर:
अपूर्ण प्रतियोगी बाजार में फर्मों का प्रवेश स्वतंत्र होता है। फर्मों की संख्या बढ़ने पर अल्पकाल फर्मों के बीच पूर्ण प्रतियोगिता हो जाती है इसलिए लाभ का स्तर शून्य हो जाता है।

प्रश्न 18.
पूर्ण प्रतियोगिता एवं अपूर्ण प्रतियोगिता के अल्पकालीन साम्य की तुलना करो।
उत्तर:
अल्पकाल में अपूर्ण प्रतियोगिता में पूर्ण प्रतियोगिता की तुलना में उत्पादन मात्रा कम व कीमत ऊँची होती है।

प्रश्न 19.
वस्तु बाजार में एकाधिकार प्रतियोगिता उत्पन्न होने का कारण लिखो।
उत्तर:
वस्तु विभेद के कारण एकाधिकार प्रतियोगिता वस्तु बाजार में उत्पन्न होती है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 20.
कौन से बाजार में दीर्घकाल में भी लाभ का धनात्मक स्तर प्राप्त होता है?
उत्तर:
एकाधिकार में दीर्घकाल में भी लाभ का धनातमक स्तर होता है।

प्रश्न 21.
एकाधिकारी फर्म के संतुलन को परिभाषित करो।
उत्तर:
सीमांत आगम वक्र जहाँ सीमांत लागत वक्र को काटता है उसे फर्म का संतुलन बिन्दु कहते हैं।

प्रश्न 22.
एकाधिकार प्रतियोगिता की परिभाषा लिखो।
उत्तर:
वह बाजार संरचना जिसमें अनेक क्रेता व विक्रेता होते हैं। विभिन्न फर्म विभेदीकृत वस्तु को बेचती हैं, फर्मों का प्रवेश स्वतंत्र होता है, एकाधिकार प्रतियोगिता कहलाती है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 23.
पूर्ण प्रतियोगिता की परिभाषा लिखो।
उत्तर:
वह बाजार संरचना जिसमें विशाल संख्या में क्रेता व विक्रेता होते हैं, सभी विक्रेता समांगी वस्तु बेचते हैं, फर्मों का प्रवेश व गमन स्वतंत्र होता है।

प्रश्न 24.
बाजार की परिभाषा दो।
उत्तर:
वह संरचना जिसमें वस्तु के क्रेता व विक्रेता निकट संपर्क में रहकर विनिमय का कार्य करते हैं, बाजार कहलाती है।

प्रश्न 25.
जब सीमांत आगम का मूल्य धनात्मक हो तो माँग की लोच क्या होती है?
उत्तर:
जब सीमांत आगम का मूल्य धनात्मक होता है तो माँग लोचदार होती है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 26.
एकाधिकारी फर्म के लिए माँग कब बेलोचदार हो जाती है?
उत्तर:
जब सीमांत आगम का मूल्य ऋणात्मक होता है तो एकाधिकारी फर्म के लिए माँग बेलोचदार होती है।

प्रश्न 27.
उस बाजार का नाम लिखो जिसमें फर्म स्वयं ही उद्योग होती है?
उत्तर:
एकाधिकार वह बाजार है जिसमें फर्म स्वयं ही उद्योग होती है।

प्रश्न 28.
समांगी वस्तु की परिभाषा लिखो।
उत्तर:
समांगी उत्पाद से अभिप्राय उद्योग की सभी फर्मों द्वारा उत्पादित वस्तु शक्ल, आकार, स्वाद आदि गुणों में एक समान हों।

प्रश्न 29.
विभेदीकृत वस्तु की परिभाषा लिखो।
उत्तर:
विभेदीकृत उत्पाद से अभिप्राय उद्योग की विभिन्न फर्मों द्वारा उत्पादित वस्तुएँ जो ‘शक्ल, आकार, स्वाद आदि गुणों में भिन्न हों।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
कुल आगम वक्र से औसत आगम ज्ञात करने की विधि लिखो।
उत्तर:
ज्यामितीय रूप से औसत आगम का मूल्य उत्पाद के किसी भी स्तर पर कुल आगम वक्र से ज्ञात किया जा सकता है। इसकी विधि नीचे लिखी गई है –

  1. कुल आगम वक्र (TR) खींचिए।
  2. उत्पाद का कोई भी स्तर लेकर क्षैतिज अक्ष से लम्ब खींचो।
  3. क्षैतिज अक्ष से लम्ब कुल आगम वक्र को जिस बिन्दु पर काटता है उसको a लिखो।
  4. बिन्दु a को मूल बिन्दु से मिलाओ।
  5. किरण Oa का ढाल ही औसत आगम होता है।
    Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 14

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 2.
अन्य बाजार संरचनाओं की तुलना में एकाधिकारी फर्म के साम्य निर्धारण की विभिन्नता की मान्यताएँ लिखिए।
उत्तर:
एकाधिकारी फर्म की मान्यताएँ –

  1. माँग पक्ष की तरफ से बाजार में पूर्ण प्रतियोगिता है। इसका अभिप्राय है कि उपभोक्ता इस बाजार में कीमत स्वीकारक होते हैं।
  2. वस्तु के उत्पादन में प्रयुक्त साधन बाजार में माँग पक्ष व पूर्ति पक्ष दोनों पूर्ण प्रतियोगिता होती है।

प्रश्न 3.
वे शर्ते लिखो जिनके आधार पर पूर्ण प्रतियोगी बाजार की संरचना का अनुमान लगाया जाता है।
उत्तर:
वह बाजार संरचना जो निम्नलिखित शर्तों को पूरा करती है, पूर्ण प्रतियोगी बाजार कहलाता है –

  1. इस बाजार में एक वस्तु के क्रेताओं एवं विक्रेताओं की भारी संख्या होती है। एक फर्म द्वारा पूर्ति की मात्रा कुल बाजार पूर्ति की तुलना में नगण्य होती है। इसी प्रकार एक उपभोक्ता की वस्तु के लिए माँग बाजार माँग की तुलना में नगण्य होती है।
  2. बाजार में फर्मों को प्रवेश व बाहर जाने की पूर्ण स्वतंत्रता होती है।
  3. उद्योग में सभी फर्मों का उत्पाद समांगी होता है। दूसरे उद्योग की कोई फर्म प्रतियोगी वस्तु की पूर्ति नहीं करती है।
  4. क्रेता व विक्रेताओं को उत्पाद व उसकी कीमत की पूर्ण जानकारी होती है।

प्रश्न 4.
एकाधिकारी फर्म के लिए कुल आगम वक्र सीधी रेखा नहीं होता इसकी आकृति माँग वक्र की आकृति पर निर्भर करती है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कुल आगम वक्र बेची गई मात्रा का फलन होता है।
TR = p × q माँग फलन …………….. (i)
q = a – bp ………… (ii)
सभी (i) व (ii) से
TR = p(a – bp)
= ap – bp2
अतः एकाधिकारी फर्म का कुल आगम द्विघात समीकरण है जिसका वर्ग वाला पद ऋणात्मक है। इस प्रकार की समीकरण का चित्र उल्टा परवलय होता है। इसे नीचे चित्र में दर्शाया गया है –
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 15

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 5.
एकाधिकारी फर्म की कीमत बेची गई मात्रा का घटता हुआ फलन है, संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
एकाधिकारी फर्म उत्पाद की अधिक मात्रा की बिक्री कीमत घटाकर ही कर सकती है। दूसरी ओर उत्पाद की कम मात्रा बेचकर फर्म ऊँची प्राप्त कर सकती है। इस प्रकार एकाधिकारी बाजार कीमत पूर्ति की गई मात्रा पर निर्भर करती है। इसलिए एकाधिकारी के लिए कीमत बेची गई मात्रा का घटता प्रतिफल होता है। बाजार माँग वक्र आपूर्ति की गई विभिन्न मात्राओं के लिए उपलब्ध बाजार कीमत को दर्शाता है। एकाधिकार फर्म का माँग वक्र ही बाजार माँग वक्र होता है।

प्रश्न 6.
एकाधिकारी फर्म के संतुलन को समझाइए जब फर्म को लागत वहन करनी पड़ती है।
उत्तर:
फर्म की कुल आगम एवं कुल लागत के अंतर को लाभ कहते हैं। कुल आगम वक्र व कुल लागत वक्र के मध्य ऊर्ध्वाधर अंतर एकाधिकारी फर्म के लाभ को दर्शाता है। जब कुल लागत वक्र कुल आगम वक्र से ऊपर स्थित होता है तो इसका अभिप्राय है कि कुल लागत, कुछ आगम से अधिक है। अर्थात् फर्म को ऋणात्मक लाभ या हानि हो रही है।

जिस उत्पादन स्तर पर कुल आगम वक्र, कुल लागत वक्र से ऊपर होता है तो कुल आगम, कुल लागत से अधिक होती है। इसका अभिप्राय है फर्म को लाभ प्राप्त हो रहा है। एकाधिकारी फर्म हमेशा उस उत्पाद स्तर तक उत्पादन करती है जहाँ लाभ अधिकतम होता है। यह उत्पादन स्तर वह स्तर होता है जिस पर कुल आगम वक्र व कुल लागत वक्र के बीच ऊर्ध्वाधर दूरी अधिकतम होती है। फर्म का लाभ उल्टे परवलय द्वारा दर्शाया जाता है।
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 16
उत्पादन स्तर Oq2 से कम स्तर फर्म को हानि होती है।
उत्पादन स्तर 0q2 से 0q3 के मध्य फर्म को लाभ प्राप्त होता है।
उत्पादन स्तर Oq0 पर अधिकतम लाभ प्राप्त होगा। फर्म उत्पादन स्तर Oq0 कीमत स्तर पर वस्तु का विक्रय करेगी।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 7.
शून्य लागत की स्थिति में एकाधिकारी फर्म के अल्पकालीन संतुलन को समझाइए।
उत्तर:
एकाधिकारी फर्म स्टॉक नहीं बनाती है। यह फर्म जितना उत्पादन करती है उतनी ही मात्रा में बाजार में बेच देती है। कुल आगम व कुल लागत के अंतर को लाभ कहते हैं।
लाभ = कुल आगम – कुल लागत लाभ = कुल आगम (कुल लागत 30) कुल लाभ जब अधिकतम होता है जब फर्म का कुल आगम अधिकतम होता है। जिस उत्पाद स्तर पर कुल आगम अधिकतम होता है उसे साम्य उत्पादन स्तर तथा उस उत्पाद स्तर की कीमत को साम्य कीमत कहते हैं।
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 17

प्रश्न 8.
एकाधिकारी फर्म के लिए औसत आगम व सीमांत आगम में संबंध लिखों उत्तर-औसत आगम एवं सीमांत आगम में संबंध –

  1. उत्पादन के सभी स्तरों पर सीमांत आगम वक्र औसत आगम वक्र के नीचे स्थित रहता है।
  2. यदि औसत आगम वक्र अधिक ढालू होता है तो सीमांत आगम वक्र तथा औसत आगम वक्र में ज्यादा अंतर होता है।
  3. यदि औसत आगम वक्र कम ढालू होता है तो सीमांत आगम वक्र तथा औसत आगम वक्र के मध्य अंतर कम होता है।Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 18

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 9.
एकाधिकारी फर्म के लिए सीमांत आगम तथा माँग लोच में संबंध लिखो।
उत्तर:
एकाधिकारी फर्म के लिए सीमांत आगम तथा कीमत माँग लोच में संबंध –

  1. जब सीमांत आगम का मान धनात्मक होता है तो माँग की कीमत लोच इकाई से अधिक होती है।
  2. जब सीमांत आगम का मान ऋणात्मक होता है तो माँग की कीमत लोच इकाई से कम होती है।
  3. जब सीमांत आगम का मूल्य शून्य होता है तो कीमत माँग, लोच इकाई के बराबर होती है।

प्रश्न 10.
अपूर्ण प्रतियोगी बाजार संरचनाओं के नाम लिखो तथा पूर्ण प्रतियोगी बाजार की दीर्घकाल में अधिकतम लाभ की शर्त लिखो।
उत्तर:
अपूर्ण प्रतियोगी बाजार संरचनाओं के नाम –

  1. एकाधिकार
  2. अपूर्ण प्रतियोगिता तथा
  3. अल्पाधिकार

पूर्ण प्रतियोगी बाजार संरचना की दीर्घकाल में लाभ की शर्त-वस्तु की कीमत तथा दीर्घकाल सीमांत लागत दोनों बराबर होनी चाहिए। यह फर्म का दीर्घकाल औसत आगम तथा दीर्घकाल सीमांत लागत दोनों बराबर हों।

प्रश्न 11.
एकाधिकार के बारे में कुछ आलोचनात्मक विचार लिखो।
उत्तर:
1. यह माना जाता है कि एकाधिकारी फर्म उपभोक्ताओं की लागत पर लाभ कमाती है। एकाधिकारी फर्म दीर्घकाल में भी लाभ कमाती है। उपभोक्ता भुगतान ज्यादा करते हैं और संतुष्टि कम प्राप्त करते हैं। कुछ अर्थशास्त्री ऐसा भी मानते हैं कि व्यवहार में एकाधिकारी फर्म नहीं होती है क्योंकि सभी वस्तुओं का प्रतिस्थापन इस या उस वस्तु से हो जाता है।

अतः सभी फर्मों को उपभोक्ताओं के हाथ से आय प्राप्त करने के लिए प्रतियोगिता करनी पड़ती है। प्रत्येक अर्थव्यवस्था स्थैतिक होने की बजाय गतिशील होती है इसलिए शुद्ध एकाधिकारी फर्म भी प्रतियोगिता से नहीं बचती है। नई खोजों व तकनीक के प्रयोग से उत्पादित नई वस्तुओं के कारण एकाधिकारी फर्म को प्रतियोगिता के लिए बाध्य कर सकती है।

2. एकाधिकार के बारे में दूसरा पक्ष भी है। कुछ अर्थशास्त्री तर्क देते हैं कि एकाधिकारी समाज के लिए भी उपयोगी हो सकता है। एकाधिकारी फर्म को अधिक लाभ प्राप्त होता है। अतः यह फर्म अनुसंधान व विकास के लिए अधिक कोष जुटा सकती है। प्रतियोगी फर्मों के अनुसंधान व विकास कार्यों के लिए फंड जुटाना मुश्किल होता है। आर्थिक समृद्धता के कारण एकाधिकारी उन्नत एवं आधुनिक उत्पादन तकनीक का प्रयोग करके उत्पादन लागत को कम कर सकती है। कम उत्पादन लागत वाले उत्पाद को यह प्रतियोगिता की तुलना में नीची कीमत पर उपभोक्ताओं को बेच सकती है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 12.
औसत व सीमांत आगम तथा औसत व सीमांत लागत वक्रों सहायता से एकाधिकारी फर्म के साम्य को समझाइए।
उत्तर:
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 19
उत्पादन स्तर Oq0 से कम पर MR का मान MC से अधिक है। इसका अभिप्राय है प्रत्येक अतिरिक्त इकाई के उत्पादन से फर्म को अतिरिक्त लाभ प्राप्त होगा। फर्म उस स्तर तक उत्पादन बढ़ाने का प्रयास करती है जब तक अतिरिक्त इकाई के उत्पादन से फर्म के अतिरिक्त लाभ में बढ़ोतरी होती है। उत्पादन स्तर बढ़ाने का सिलसिला Oq0 उत्पाद स्तर बंद हो जायेगा क्योंकि इस उत्पादन स्तर पर MR व MC समान हैं।

उत्पादन बढ़ाने से अतिरिक्त लाभ में वृद्धि नहीं होगी। उत्पादन स्तर Oq0 से अधिक पर MR, MC से कम रह जाती है। इसका अभिप्राय है कि उत्पादन से फर्म को हानि होगी। अतः फर्म उत्पादन स्तर को घटाने का प्रयास करेगी जब तक फर्म की हानि शून्य हो जाए या फर्म की MR व MC समान हो जाए। अतः उत्पादन स्तर Oq0 साम्य उत्पादन स्तर है। इस स्तर पर फर्म का लाभ अधिकतम होगा। लाभ उस बिन्दु पर अधिकतम होता है जहाँ MC व MR दोनों समान होते हैं और MC ऊपर की ओर उठती हुई होती है।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित का अर्थ लिखो –
(a) विक्रय लागते
(b) विज्ञापन लागतें तथा
(c) विश्वासोत्पादक विज्ञापन
उत्तर:
(a) विक्रय लागत:
एकाधिकार प्रतियोगी संरचना वाले बाजार में विभिन्न फर्मे विभेदीकृत वस्तु का उत्पादन करती हैं। सभी फर्मों की वस्तुएँ एक-दूसरे के लिए निकट प्रतियोगी होती हैं। अत: प्रत्येक फर्म को अपना उत्पाद उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय बनाने की बहुत आवश्यकता पड़ती है। उत्पाद को उपभोक्ताओं के मध्य लोकप्रिय बनाने अथवा अधिक संख्या में उपभोक्ताओं को उत्पाद की ओर आकर्षित करने के लिए किए गए व्यय को विक्रय लागत कहते हैं।

(b) विज्ञापन लागत:
दूरदर्शन, रेडियो, समाचार पत्रों, मैग्जीन, हैण्ड बिल, पोस्टर आदि के माध्यम से उत्पाद को प्रचारित करने पर किया गया व्यय विज्ञापन लागत कहलाता है।

(c) विश्वासोत्पादक विज्ञापन:
यदि कोई फर्म अधिक क्रय शक्ति वाले उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए खर्च करती है तो इन्हें चित्त आकर्षक लागतें या विश्वासोत्पादक विज्ञापन कहते हैं। इस प्रकार के विज्ञापन किसी नामीगिरामी व्यक्तित्व (खिलाड़ी/कलाकार/संगीतकार) के माध्यम से दिए जाते हैं।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 14.
एकाधिकारी बाजार में औसत आगम तथा सीमांत आगम में क्या संबंध होगा?
उत्तर:
एकाधिकारी बाजार संरचना में फर्म का माँग वक्र ही बाजार माँग वक्र होता है। एकाधिकारी को वह कीमत स्वीकार करनी पड़ती है जिसे उपभोक्ता चुकाने को तैयार होते हैं। दूसरे शब्दों में, एकाधिकारी फर्म उस कीमत पर आपूर्ति करती है जिस पर उपभोक्ता अधिकतम माँग करते हैं। अत: एकाधिकारी फर्म का माँग वक्र ऋणात्मक ढाल का होता है।

फर्म की औसत आगम सदैव कीमत के समान इसलिए होती है क्योंकि औसत आगम वक्र भी ऋणात्मक ढाल वाला होता है। फर्म वस्तु की कीमत घटाकर ही कुल आगम बढ़ोतरी कर सकती है। अतः प्रत्येक अतिरिक्त इकाई के विक्रय से कुल आगम में बढ़ोतरी घटती दर से होती है या सीमांत आगम भी ऋणात्मक ढाल का होता है। सीमांत आगम वक्र सदैव औसत वक्र से नीचे रहता है।
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 20

प्रश्न 15.
निम्नलिखित की परिभाषा लिखो –
(a) असामान्य लाभ तथा
(b) असामान्य हानि। पूर्ण प्रतियोगिता में उपरोक्त दोनों का फर्मों की संख्या पर प्रभाव भी लिखो।
उत्तर:
असामान्य लाभ-जब फर्म को वस्तु के विक्रय से प्राप्त कुल आगम, उसकी कुल लागत से अधिक होता है तो फर्म को असामान्य लाभ प्राप्त होता है। दूसरे शब्दों में वस्तु के उत्पादन में आयी कुल लागत पर उसके विक्रय से प्राप्त कुल आगम के अधिशेष को असामान्य लाभ कहते हैं। असामान्य लाभ की स्थिति में पूर्ण प्रतियोगी बाजार में फर्मों की संख्या बढ़ती है जब तक असामान्य लाभ समाप्त होकर सामान्य लाभ की स्थिति उत्पन्न नहीं होती है।

असामान्य हानि-जब फर्म को वस्तु के विक्रय से प्राप्त कुल आगम, उसकी कुल लागत से कम होता है तो फर्म को हानि होती है। हानि को ऋणात्मक लाभ भी कहते हैं। असामान्य हानि की स्थिति में पूर्ण प्रतियोगी बाजार संरचना में फर्मों की संख्या में कमी आती है। यह कभी उस समय तक जारी रहती है जब जक हानि, शून्य लाभ में नहीं बदल जाती।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 16.

  1. दीर्घकालिक प्रतियोगी संतुलन में सीमांत लागत और औसत लागत का संबंध लिखो तथा इस बिन्दु पर कीमत और सीमांत लागत का संबंध लिखो।
  2. दीर्घकालीन संतुलन की दशा में पूर्ण प्रतियोगी फर्म दीर्घकालीन औसत लागत वक्र के किस बिन्दु पर उत्पादन करेगी?

उत्तर:
1. दीर्घकालीन प्रतियोगी संतुलन में सीमांत लागत और औसत लागत दोनों समान होते हैं और सीमांत लागत ऊपर उठती (बढ़ती) हुई होती है दीर्घकालीन संतुलन या समकारी बिन्दु पर कीमत और सीमांत लागत दोनों समान होते हैं। इस बिन्दु पर सीमांत लागत बढ़ती हुई होती है।
p = MC तथा MC बढ़ रही हो

2. MR > MC तथा MC बढ़ रही हो
उत्तर:
2. MR > MC तथा MC बढ़ रही हो

प्रश्न 17.
बाजारों की संरचना के वर्गीकरण का आधार बताइए।
उत्तर:
बाजार संरचनाओं का वर्गीकरण कई आधार पर किया जाता है। उनमें से कुछ प्रमुख आधार निम्नलिखित हैं –

  1. वस्तु की प्रकृति-समरूप या वस्तु विभेद।
  2. वस्तु की कीमत-वस्तु की समान या असमान कीमत।
  3. कीमत निर्धारण-कीमत का निर्धारण उद्योग द्वारा, कीमत का निर्धारण फर्म द्वारा अथवा वस्तु की कीमत का निर्धारण फर्म व उद्योग दोनों के द्वारा।
  4. विक्रेताओं की संख्या-बहुत अधिक, बहुत कम, कम या एक विक्रेता।
  5. बाजार का ज्ञान-पूर्ण या अपूर्ण।
  6. माँग वक्र-पूर्ण लोचशील, लोचशील या बेलोचशील।
  7. साधनों की गतिशीलता-पूर्ण गतिशीलता, अपूर्ण गतिशीलता या गतिशीलता का अभाव।
  8. लाभ-सामान्य – या असामान्य लाभ।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 18.
विशुद्ध प्रतियोगिता क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
विशुद्ध प्रतियोगिता की अवधारणा पूर्ण प्रतियोगिता की अवधारणा से संकुचित है। वह बाजार संरचना जिसमें असंख्य विक्रेता एवं क्रेता होते हैं, सभी विक्रेता समरूप वस्तु का विक्रय करते हैं तथा फर्मों को उद्योग में प्रवेश करने व छोड़कर जाने की स्वतंत्रता होती विशुद्ध प्रतियोगिता कहलाती है।

विशुद्ध प्रतियोगिता के लक्षण –
1. फर्मों की अधिक संख्या:
इस बाजार संरचना में क्रेता व विक्रेताओं की बहुत अधिक संख्या होती है। एक विक्रेता, कुल बाजार पूर्ति की तुलना वस्तु की नगण्य मात्रा की पूर्ति करती है इसलिए एक फर्म वस्तु की बाजार कीमत को प्रभावित नहीं कर सकती है।

2. समरूप:
इस प्रतियोगिता में विभिन्न फर्मों द्वारा उत्पादित वस्तु समरूप होती है। दूसरे उद्योग में उत्पादित वस्तु/वस्तुओं से एक उद्योग में उत्पादित वस्तु से प्रतिस्थापन नहीं किया जा सकता है। समरूप वस्तु होने के कारण इस बाजार में वस्तु की कीमत समान होती है।

3. फर्मों का उद्योग में प्रवेश व गमन:
इस बाजार में लाभ से प्रभावित होकर कोई भी नई फर्म प्रवेश कर सकती है इसी प्रकार हानि उठाने वाली फर्म बाजार छोड़कर जाने के लिए स्वतंत्र होती है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 19.
एकाधिकारी प्रतियोगी फर्म का माँग वक्र लोचदार क्यों होता है?
उत्तर:
एकाधिकारी प्रतियोगी फर्म का माँग वक्र लोचदार होने के कारण –
1. विक्रेताओं की अधिक संख्या:
इस बाजार में छोटे-छोटे विक्रेताओं की अधिक संख्या होती है। एक विक्रेता कुल बाजार पूर्ति का थोड़ा भाग ही पूर्ति करता है। वह बाजार को ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाता है।

2. निकट प्रतियोगी वस्तुएँ:
एकाधिकार प्रतियोगी बाजार विभिन्न फर्म विभेदित वस्तु का उत्पादन करती है परंतु उनकी वस्तुएं एक-दूसरे की निकट प्रतिस्थापक होती है। निकट प्रतिस्थापन्नता के कारण इस बाजार में मांग वक्र लोचशील होता है।

प्रश्न 20.
दो फर्मों के विलय से दक्षता में वृद्धि कैसे संभव है? समझाइए।
उत्तर:
प्रतियोगिता से बचने के लिए या अपने लाभ को अधिकतम करने के लिए कभी-कभी दो या अधिक फर्म अपने निजी अस्तित्व को कायम रखते हुए उत्पादन की मात्रा व कीमत नीति से इस प्रकार से समन्वय करती हैं कि उनके निर्णय एक फर्म द्वारा लिए गए निर्णय प्रतीत होते हैं। इस प्रक्रिया को फर्मों का विलय कहते हैं। विलय होने के बाद इनकी गतिविधियों का संचालन एकाधिकारी फर्म की तरह होता है। विलय के बाद फर्म विशिष्ट सेवाओं का उपयोग कर सकती है। उनमें नई खोज या विकास की भावना बढ़ जाती है। एकता के कारण उपभोक्ताओं से ऊँची कीमत वसूल सकती है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 21.
पेटेन्ट अधिकारों का अनुमोदन किस ध्येय से किया जाता है?
उत्तर:
पेटेन्ट अधिकारों का अनुमोदन निम्नलिखित ध्येयों से किया जाता है –

  1. पेटेन्ट अधिकार का अनुमोदन होने पर पेटेन्ट काल में केवल पेटैन्ट अधिकार प्राप्त फर्म वस्तु का उत्पादन/तकनीक का प्रयोग कर सकती है। इससे वस्तु बाजार या उत्पादन तकनीक के क्षेत्र में फर्म का एकाधिकार हो जाता है । एकाधिकार के कारण फर्म उत्पाद के लिए ऊँची कीमत प्राप्त कर सकती है और उसे असामान्य लाभ प्राप्त हो सकता है।
  2. पेटेन्ट अधिकार से फर्मों में नए उत्पाद या नई उत्पादन तकनीक खोजने की प्रवृत्ति प्रबल होती है। इससे आर्थिक विकास को गति प्राप्त होती है।
  3. उत्पादन लागत घटाने वाली तकनीक के प्रयोग से क्रेताओं को सस्ती कीमत पर भी वस्तु प्राप्त हो सकती है।

प्रश्न 22.
पेटेन्ट अधिकार क्या होते हैं? पेटेन्ट का जीवन काल क्या होता है?
उत्तर:
पेटेन्ट अधिकार-इस अधिकार के माध्यम से कानूनी तौर पर यह घोषणा होती है कि जिस फर्म/कंपनी ने नए उत्पाद या नई तकनीक की खोज की है केवल वे फर्म या उससे अनुमति प्राप्त फर्म ही उस वस्तु का उत्पादन या उस उत्पादन तकनीक का प्रयोग कर सकती है। किसी अन्य फर्म के लिए ऐसे उत्पाद या तकनीक का प्रयोग गैर कानूनी करार कर दिया जाता है। पेटेन्ट का कोई सुनिश्चित जीवन काल नहीं होता है। एक पेटेन्ट से दूसरे पेटेन्ट का जीवन काल भिन्न हो सकता है। फिर भी पेटेन्ट का जीवन काल कुछ वर्षों का होता है या जितने वर्ष के लिए फर्म या कंपनी को पेटेन्ट अधिकार प्राप्त होता है उसे पेटेन्ट काल कहते हैं।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 23.
पूर्ण प्रतियोगिता एवं विशुद्ध प्रतियोगिता में अंतर लिखो।
उत्तर:
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 21
पहली तीन विशेषताएँ पूर्ण प्रतियोगिता एवं विशुद्ध प्रतियोगिता के लिए समान होती हैं। अंतिम दो विशेषताएँ केवल पूर्ण प्रतियोगिता के लिए आवश्यक होती हैं विशुद्ध प्रतियोगिता के लिए आवश्यक नहीं होती है।

प्रश्न 24.
अल्पाधिकारी की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
अल्पाधिकार बाजार संरचना की विशेषताएँ –

  1. अल्पाधिकार बाजार में फर्मों की संख्या दो से अधिक परंतु कम होती है।
  2. अल्पाधिकारी फर्म का माँग वक्र अनिश्चित होता है। माँग वक्र की आकृति कोनेदार
  3. अल्पाधिकार में फर्मों में कीमत प्रतियोगिता के अलावा गैर कीमत प्रतियोगिता भी पायी जाती है।
  4. फर्म उत्पादन की मात्रा व कीमत के संबंध में आपसी तालमेल से नीति बनाती है। अथवा तालमेल के अभाव में उनमें कठोर प्रतियोगिता हो जाती है।
  5. प्रत्येक फर्म स्वतंत्र कीमत नीति बना सकती है। परंतु इस नीति को दूसरी फर्मों की नीति को भांपकर ही लागू करने का प्रयास करती है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 25.
पूर्ण प्रतियोगिता में फर्म का मांग वक्र पूर्णतया लोचशील क्यों होता है?
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगी संरचना वाले बाजार में फर्मों की व क्रेताओं की संख्या बहुत ज्यादा होती है। एक फर्म बाजार आपूर्ति का बहुत छोटा (नगण्य) भाग ही आपूर्ति करती है। अतः अकेली फर्म बाजार पूर्ति को प्रभावित नहीं कर सकती है। इसलिए फर्म को उद्योग द्वारा तय की गई कीमत पर ही वस्तु की आपूर्ति करनी है। इस बाजार में सभी फर्मों द्वारा उत्पादित वस्तु समरूप होती है। वस्तु विभेद के आधार पर भी फर्म वस्तु की कीमत को प्रभावित नहीं कर सकती है। इसी प्रकार एक क्रेता भी वस्तु की पूर्ति तथा कीमत को प्रभावित नहीं कर सकता है। अर्थात् पूर्ण प्रतियोगी माँग वक्र पूर्णतया लोचशील होता।
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 part - 2 img 22

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
वे विभिन्न कारक समझाइए जो एकाधिकार को जन्म देते हैं।
उत्तर:
एकाधिकार के लिए उत्तरदायी कारक –
1. पेटेन्ट अधिकार:
यदि कोई फर्म किसी उत्पाद या उत्पादन तकनीक को खोजने का दावा पेश करती है और उसके दावे की पुष्टि हो जाती है तो उस फर्म को उस उत्पाद या तकनीक के लिए पेटेन्ट अधिकार स्वीकृत किया जा सकता है। पेटेन्ट अधिकार मिलने पर कोई अन्य फर्म उस उत्पाद या तकनीक का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए नहीं कर सकती है। पेटेन्ट अधिकार से फर्मों को अनुसंधान व विकास के कार्यों की प्रेरणा मिलती है।

2. सरकार द्वारा लाइसेंस (अनुज्ञा पत्र):
यदि सरकार कानून के माध्यम से किसी एक वस्तु के उत्पादन का कार्य एक ही फर्म को सौंप देती है तो अन्य फमैं उस वस्तु बजार में कानून की बाध्यता के कारण प्रवेश नहीं कर सकती है। जैसे अंतर राष्ट्रीय दूरभाषा सेवाएं प्रदान कराने का अधिकार वी.एस.एन.एस. (VSNL) कंपनी को भारत सरकार ने प्रदान किया हुआ है।

3. कारटेल का गठन:
यदि कुछ फर्मों का विलय इस प्रकार से हो जाता है कि वे एकाधिकार के लाभ उठायेंगे तो इस गठन को कारटेल कहते हैं। इसके अन्तर्गत फर्म अलग-अलग उत्पादन इकाई के रूप में कार्य करती हैं परंतु उन सभी का निर्णय एक और सामूहिक होता है। जैसे तेल उत्पादक देशों ने OPEC नामक संगठन बनाया हुआ है जो एकाधिकारी की तरह कार्य करता है।

4. बाजार का आकार:
यदि किसी वस्तु की बाजार का आकार इतना छोटा होता है कि मौजूदा एक फर्म के उत्पादन की भी खपत उसमें नहीं हो पाती है तो अन्य फर्मे उसमें प्रवेश नहीं करती हैं।

5. भारी निवेश:
यदि किसी वस्तु के उत्पादन के लिए भारी निवेश की आवश्यकता पड़ती है तो कम वित्तीय संसाधन वाली फम उस वस्तु बाजार में प्रवेश करने का साहस नहीं जुटा पाती हैं। आदि।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 2.
रेखाचित्रों की सहायता से पूर्ण प्रतियोगिता एवं एकाधिकार के औसत आगम वक्रों का अंतर समझाइए।
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत औसत आगम वक्र:
पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत औसत आगम वक्र क्षैतिज अक्ष के समांतर एक सीधी रेखा होती है। प्रतियोगी फर्म उद्योग द्वारा निर्धारित की गई कीमत की स्वीकारक होती है। अर्थात् पूर्ण प्रतियोगी बाजार में वस्तु की कीमत उद्योग तय करता है। दी गई कीमत पर वस्तु की कितनी भी मात्रा फर्म बेच सकती है। बिक्री के प्रत्येक स्तर पर कीमत समान रहने के कारण प्रति इकाई बिक्री से प्राप्त आगम समान रहता है। इसलिए पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत फर्म का औसत आगम वक्र क्षैतिज अक्ष के समांतर होता है।
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 23

एकाधिकारी फर्म का औसत आगम वक्र:
एकाधिकारी फर्म के औसत आगम वक्र का ढाल ऋणात्मक होता है। एकाधिकारी फर्म केवल कीमत स्तर को कम करके ही वस्तु की अधिक इकाइयों का विक्रय कर सकती है। निकट प्रतिस्थापन वस्तु न होने के कारण एकाधिकारी द्वारा उत्पादित वस्तु की माँग बेलोचदार होती है। इसलिए औसत आगम वक्र भी बेलोचदार या कम ढाल वाला होता है।
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 24

प्रश्न 3.
पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत एक फर्म कीमत स्वीकारक होती जबकि एकाधिकारी फर्म कीमत निर्धारक होती है। स्पष्ट करें।
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत वस्तु की कीमत का निर्धारण बाजार माँग व बाजार पूर्ति के साम्य द्वारा होता है। बाजार में किसी वस्तु के सभी उत्पादकों एवं उपभोक्ताओं के सामूहिक समूह को उद्योग कहते हैं। दूसरे शब्दों में, बाजार माँग उद्योग की माँग तथा बाजार पूर्ति उद्योग की पूर्ति है। बाजार माँग की तुलना में व्यक्तिगत माँग लगभग नगण्य होती है इसलिए एक उपभोक्ता बाजार माँग को प्रभावित नहीं कर सकता है। इसी प्रकार एक फर्म वस्तु की बाजार पूर्ति को प्रभावित नहीं कर सकती है।

अत: फर्म को उद्योग द्वारा निर्धारित कीमत स्वीकार करके ही अपना उत्पाद बेचना पड़ता है। इसीलिए पूर्ण प्रतियोगिता में फर्म को कीमत स्वीकारक कहा जाता है। एकाधिकार में एक वस्तु के उत्पादन पर एक ही फर्म का अधिकार होता है। अकेला विक्रेता होने के कारण फर्म वस्तु की आपूर्ति को पूरी तरह प्रभावित कर सकती है। इसी कारण एकाधिकारी फर्म कीमत निर्धारक होती है। एकाधिकारी फर्म वस्तु की आपूर्ति को प्रभावित करके वस्तु की कीमत को प्रभावित कर सकती है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 4.
स्वतंत्र प्रवेश व गमन का क्या अभिप्राय है? पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत स्वतंत्र प्रवेश व गमन का बाजार पर प्रभाव बताइए।
उत्तर:
स्वतंत्र प्रवेश व गमन का अभिप्राय है कि कोई भी फर्म उद्योग में स्वतंत्र रूप से प्रवेश कर सकती है और जब चाहे बाजार छोड़कर जा भी सकती है। स्वतंत्र प्रवेश व गमन का बाजार पर प्रभाव –
1. यदि उद्योग में किसी उत्पाद का मूल्य ऊँचा तय कर दिया जाता है तो मौजूदा फर्मों को असामान्य लाभ मिलता है। असामान्य लाभ से आकर्षित होकर नई फमैं बाजार में प्रवेश करेंगी। वस्तु की आपूर्ति में वृद्धि होगी और कीमत का स्तर कम हो जायेगा। फर्मों की संख्या बढ़ने से साधन बाजार में साधनों की माँग बढ़ेगी और साधनों की कीमत भी बढ़ जायेगी। इससे औसत लागत में वृद्धि हो जायेगी। कम कीमत व ऊंची औसत लागत के कारण फर्मों को केवल सामान्य लाभ ही मिल पायेगा।

2. यदि उद्योग में वस्तु की कीमत नीची तय की जाती है तो मौजूदा कुछ फर्मों को हानि उठानी पड़ सकती है। अल्पकाल में फर्म कुछ सीमा तक हानि हो वहन कर सकती है लेकिन दीर्घकाल में हानि की स्थिति में फर्म बाजार छोड़कर चली जाती है। उद्योग में फर्मों की संख्या कम होने से आपूर्ति कम हो जायेगी और वस्तु की कीमत में वृद्धि हो जायेगी। उद्योग को छोड़कर जाने का सिलसिला तब तक जारी रहेगा जब तक मौजूदा सभी फर्मों को सामान्य लाभ नहीं मिलेगा। इस प्रकार मुक्त प्रवेश व गमन का बाजार पर यह प्रभाव होता है कि सभी फर्मों को शून्य लाभ या सामान्य लाभ प्राप्त होता है। दूसरे शब्दों में, शून्य लाभ स्तर पर फर्म संतुलन में होती है। संतुलन की अवस्था LAC, LMC व कीमत समान होते हैं।
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 25

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 5.
विशेषताओं के आधार पर पूर्ण प्रतियोगिता एवं एकाधिकार में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता तथा एकाधिकार में अंतर:

1. वस्तु की प्रकृति:
पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत सभी फमें समांगी वस्तु का उत्पादन करती हैं। एकाधिकार में वस्तु समांगी हो भी सकती है और नहीं भी।

2. क्रेता-विक्रेताओं की संख्या:
पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत एक वस्तु को बेचने व खरीदने वालों की बहुत विशाल संख्या होती है। जबकि एकाधिकार में एक वस्तु का विक्रय करने वाली केवल एक फर्म होती है लेकिन क्रेता अधिक संख्या में होते हैं।

3. प्रवेश व गमन:
पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत नई फर्म स्वतंत्र रूप से उद्योग में शामिल हो सकती है। उसके प्रवेश पर कोई प्रतिबंध नहीं होता है। इसी प्रकार हानि उठाने वाली फर्म उद्योग को छोड़कर जाने के लिए भी स्वतंत्र होती है। जबकि एकाधिकार में नई फर्म के प्रवेश पर प्रतिबंध होता है।

4. वस्तु की कीमत:
पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत वस्तु की कीमत का निर्धारण उद्योग द्वारा किया जाता है और उद्योग द्वारा जय की गई कीमत पर फर्म वस्तु का विक्रय करती है। जबकि एकाधिकारी फर्म स्वयं ही कीमत निर्धारक होती है। पूर्ण प्रतियोगिता बिक्री के प्रत्येक स्तर पर कीमत समान रहती है। लेकिन एकाधिकारी कीमत करके ही वस्तु की अधिक मात्रा का विक्रय कर सकता है।

5. आपूर्ति वक्र:
पूर्ण प्रतियोगिता के अन्तर्गत एक फर्म के आपूर्ति वक्र का आंकलन उसकी सीमांत आगम वक्र से किया जाता है। फर्म दी गई कीमत पर उत्पाद का विक्रय करती है इस कीमत पर फर्म केवल उत्पाद की मात्रा में ही समन्वय कर सकती है। जबकि एकाधिकार में फर्म के आपूर्ति वक्र का कोई सुनिश्चित आकार नहीं होता है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 6.
एकाधिकार एवं एकाधिकारी प्रतियोगिता में अंतर स्पष्ट करो।
उत्तर:
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 42

प्रश्न 7.
समझाइए कि दीर्घकाल में निर्बाध प्रवेश/निकासी के कारण एकाधिकारी प्रतियोगी फर्म के असामान्य लाभ शून्य कैसे हो जाते हैं?
उत्तर:
एकाधिकारी प्रतियोगी बाजार में फर्मों की संख्या पूर्ण प्रतियोगी बाजार की तुलना में कम होती हैं। सभी फर्मे विभेदित वस्तु का उत्पादन करती हैं। अल्पकाल में प्रतियोगिता का स्तर कम होने के कारण एकाधिकारी प्रतियोगी फर्म कुछ अधिक कीमत उत्पादकों से वसूल कर असामान्य लाभ कमाती है। प्रवेश की स्वतंत्रता के कारण नई फर्म असामान्य लाभ से आकर्षित होकर बाजार में प्रवेश करने लगती है। नई फर्मों के प्रवेश से बाजार में फर्मों की संख्या बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप बाजार में वस्तु की आपूर्ति बढ़ने लगती है।

इसके कारण मौजूदा फर्मों में प्रतियोगिता का स्तर बढ़ जाता है। अपने उत्पाद को बेचने के लिए फर्मों को कीमत स्तर घटाना पड़ता है। फर्मों के प्रवेश का क्रम उस स्तर तक चलता है जब तक असामान्य लाभ पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता है। दूसरी ओर यदि प्रतियोगी एकाधिकार बाजार में मौजूदा फर्मों को हानि उठानी पड़ती है तो स्वतंत्रता के कारण वे फर्म बाजार से बाहर होने लगती हैं। उद्योग में फर्मों की संख्या कम होने के कारण मौजूदा फर्मों में प्रतियोगिता का स्तर घटने लगता है। परिणामस्वरूप वस्तु की कीमत बढ़ने लगती है और हानि के स्तर में कमी आ जाती है। फर्मों के बाहर जाने की क्रिया उस समय तक चलती है जब तक हानि समाप्त नहीं हो जाती है।

प्रश्न 8.
एकाधिकारी प्रतियोगिता के लक्षणों को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
एकाधिकारी के लक्षण –
1. क्रेता तथा विक्रेताओं की संख्या:
इस बाजार में फर्मों की संख्या अधिक होती है। एक फर्म कुल उत्पादन के एक छोटे भाग का उत्पादन करती है। इस बाजार में क्रेताओं की संख्या भी अधिक होती है। एक क्रेता बाजार माँग का छोटा हिस्सा ही क्रय करता है।

2. वस्तु विभेद:
एकाधिकारी प्रतियोगी बाजार में सभी फर्म रूप, रंग, आकार, गुणवत्ता. आदि गुणों में अलग-अलग वस्तु का उत्पादन करती हैं। अत: इस बाजार में वस्तु विभेद पाया जाता है।

3. प्रवेश पाने व बाहर जाने की स्वतंत्रता:
इस बाजार में नई फर्मों को बाजार में प्रवेश करने व पुरानी फर्मों को उद्योग से बाहर जाने की स्वतंत्रता होती है। यदि इस बाजार में मौजूदा फर्मों को असामान्य लाभ प्राप्त होता है तो नई फर्म इससे आकर्षित होकर बाजार में प्रवेश कर सकती है। दूसरी ओर यदि फर्मों को हानि होती है तो हानि उठाने वाली फर्म बाजार छोड़कर बाहर जाने के लिए स्वतंत्र होती है।

4. बिक्री लागत:
इस बाजार में वस्तु विभेद होने के कारण बिक्री लागतों का बहुत अधिक महत्त्व होता है। इन लागतों की मदद से एक फर्म अधिक संख्या में उपभोक्ताओं को अपनी ओर आकर्षित करके लाभ को बढ़ा सकती है।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 9.
पूर्ण प्रतियोगिता तथा एकाधिकारी प्रतियोगिता में अंतर स्पष्ट करो।
उत्तर:
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 27

आंकिक प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
किसी एकाधिकारी फर्म की MR सारणी नीचे दी जा रही है। उसकी AR तथा TR सारणी बनाइये।
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 28
उत्तर:
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 29

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 2.
प्रौद्योगिकी इस प्रकार की है कि 10 इकाई उत्पादन पर फर्म की दीर्घकालीन औसत लागत न्यूनतम हो जाती है। यह न्यूनतम लागत 15 रुपये है। कल्पना करो कि वस्तु की माँग निम्न सारणी में दी गई है –
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 30

  • बाजार में बिक्री की कुल मात्रा क्या होगी तथा दीर्घकाल संतुलन में कितनी फर्म कार्यशील होंगी?
  • माना उत्पादन तकनीक में प्रगति के कारण न्यूनतम औसत लागत 12 रुपये हो जाती है और न्यूनतम लागत संयोजन उत्पाद की 8 इकाइयों पर प्राप्त होता है। अब दीर्घकाल में कितनी फर्म कार्य करेंगी?

उत्तर:
1.
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 31a
AC = 15
AR = 15 (12000 इकाइयों की माँग पर)
दीर्घकालीन संतुलन की अवस्था में –
AR = AC = 15
फर्मों की संख्या = \(\frac{1200}{10}\) फर्म = 120 फर्म
बाजार में बिक्री की मात्रा 12000 इकाइयाँ
बाजार में कार्यशील फर्मों की संख्या = 120 फर्म

2. AC = 12
AR = 12 (1440 इकाइयों की माँग पर)
अतः दीर्घकालीन संतुलन की अवस्था में –
AR = AC = 12
फर्मों की संख्या = \(\frac{1440}{8}\) = 180
दीर्घकाल में 180 फर्म कार्य करेंगी।

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 3.
एकाधिकारी फर्म का माँग वक्र नीचे सारणी में दिया गया है। इसकी TR,AR तथा MR सारणियाँ बनाओ।
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 32
उत्तर:
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 part - 2 img 33a

प्रश्न 4.
निम्नलिखित तालिका से कुल आगम तथा औसत आगम तालिका बनाओ।
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 34
उत्तर:
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 35

प्रश्न 5.
एक एकाधिकारी फर्म की कुल स्थिर लागत 20 रुपये है। फर्म का माँग वक्र नीचे दिया गया है –
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 36
अल्पकालीन साम्य मात्रा, कीमत तथा कुल लाभ ज्ञात करो।
उत्तर:
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 37
एकाधिकारी फर्म का अल्पकालीन संतुलन वहाँ होता है जहाँ फर्म को अधिकतम लाभ प्राप्त होता है। तालिका में अधिकतम आगम उत्पादन स्तर 6 पर है।
अल्पकालीन संतुलन उत्पादन स्तर = 6
अल्पकालीन संतुलन कीमत स्तर = 5
कुल लाभ = कुल आगम – कुल लागत
= 30 – 20
= 10
साम्य उत्पादन स्तर = 6
साम्य कीमत = 6
कुल लाभ = 10

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 6.
वस्तु की बाजार माँग व कुल लागत एकाधिकारी फर्म के लिए नीचे दिए गए हैं –
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 38
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 39
निम्नलिखित की गणना करो –

  1. सीमांत आगम व लागत अनुसूची बनाओ।
  2. उत्पाद की वह मात्रा जिस पर MR तथा MC समान हों।
  3. साम्य मात्रा एवं वस्तु की साम्य कीमत।

उत्तर:
1. सीमांत आगम तालिका
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 40

2. सीमांत लागत तालिका
Bihar Board Class 12 Economics Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार part - 2 img 41

3. उत्पादन इकाई 6 के लिए
MR = MC = 4
साम्य कीमत यह स्तर है जिसमें उत्पादन स्तर पर MR = MC

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
एकाधिकार के बारे में मान्यता है –
(A) कि एक फर्म उत्पादित वस्तु की मात्रा का स्टॉक नहीं बनाती है
(B) कि एक फर्म उत्पादित सम्पूर्ण मात्रा को विक्रय के लिए पेश करती है
(C) (A) तथा (B) दोनों
(D) (A) तथा (B) में से कोई नहीं
उत्तर:
(C) (A) तथा (B) दोनों

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 2.
फर्म द्वारा प्राप्त लाभ होता है –
(A) फर्म द्वारा प्राप्त कुल आगम व कुल लागत का अंतर
(B) फर्म द्वारा प्राप्त कुल आगम व कुल लागत का योग
(C) फर्म द्वारा प्राप्त कुल आगम व कुल लागत का गुणनफल
(D) फर्म द्वारा प्राप्त कुल आगम व कुल लागत का भागफल
उत्तर:
(A) फर्म द्वारा प्राप्त कुल आगम व कुल लागत का अंतर

प्रश्न 3.
यदि कुल लागत शून्य होती है तो लाभ अधिकतम होता है जब –
(A) कुल आगम न्यूनतम होता है
(B) कुल आगम अधिकतम होता है
(C) कुल आगम धनात्मक होता है
(D) कुल आगम ऋणात्मक होता है
उत्तर:
(C) कुल आगम धनात्मक होता है

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 4.
कुल आगम होता है –
(A) फर्म द्वारा बेची गई मात्रा व औसत आगम का योग
(B) फर्म द्वारा बेची गई मात्रा व औसत आगम का अंतर
(C) फर्म द्वारा बेची गई मात्रा व औसत आगम का गुणनफल
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(C) फर्म द्वारा बेची गई मात्रा व औसत आगम का गुणनफल

प्रश्न 5.
पूर्ण प्रतियोगिता में साम्य स्थापित होता है अधिक मात्रा –
(A) ऊँची कीमत पर बेचकर
(B) कम कीमत पर बेचकर
(C) न तो ऊँची कीमत न ही नीची कीमत पर बेचकर
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(B) कम कीमत पर बेचकर

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 6.
यदि कुल लागत वक्र कुल आगम वक्र से ऊपर होता है तो –
(A) लाभ ऋणात्मक होता है और फर्म लाभ कमाती है
(B) लाभ धनात्मक होता है और फर्म लाभ कमाती है
(C) लाभ ऋणात्मक होता है और फर्म को हानि होती है
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) लाभ ऋणात्मक होता है और फर्म को हानि होती है

प्रश्न 7.
एकाधिकार का लाभ अधिकतम होता है उस उत्पादन स्तर पर जिस पर –
(A) कुल आगम व कुल लागत वक्रों में से ऊर्ध्वाधर दूरी अधिकतम होती है
(B) कुल आगम वक्र, कुल लागत वक्र से ऊपर होता है
(C) (A) तथा (B) दोनों
(D) (A) तथा (B) में से कोई नहीं
उत्तर:
(C) (A) तथा (B) दोनों

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 8.
एकाधिकार का लाभ उस उत्पादन स्तर पर अधिकतम होता है जिस पर –
(A) MR = MC तथा MC बढ़ रही हो
(B) MR = MC तथा MC घट रही हो
(C) MR > MC तथा MC बढ़ रही हो
(D) MR > MC तथा MC बढ़ रही हो
उत्तर:
(C) MR > MC तथा MC बढ़ रही हो

प्रश्न 9.
एकाधिकार में उत्पादित की मात्रा का निर्धारण होता है उस कीमत पर जिस पर –
(A) उपभोक्ता खरीदने को तैयार होते हैं
(B) उत्पादक बेचने को तैयार होते हैं
(C) उपभोक्ता प्राप्त करने को तैयार होते है
(D) उत्पादक देने को तैयार होते हैं
उत्तर:
(C) उपभोक्ता प्राप्त करने को तैयार होते है

Bihar Board Class 12th Economics Solutions Chapter 6 प्रतिस्पर्धारहित बाज़ार

प्रश्न 10.
पूर्ण प्रतियोगी फर्म होती है –
(A) कीमत निर्धारक
(B) कीमत स्वीकारक
(C) (A) तथा (B) में से कोई नहीं
(D) (A) तथा (B) दोनों
उत्तर:
(B) कीमत स्वीकारक

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 12 मौसम और जलवायु

Bihar Board Class 7 Social Science Solutions Geography Hamari Duniya Bhag 2 Chapter 12 मौसम और जलवायु Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 12 मौसम और जलवायु

Bihar Board Class 7 Social Science मौसम और जलवायु Text Book Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें:

प्रश्न (i)
मौसम के अन्तर्गत किन-किन तत्वों का अवलोकन किया जाता है?
उत्तर-
मौसम के अन्तर्गत निम्नलिखित तत्वों का अवलोकन किया जाता है :

  1. तापमान
  2. वर्षा
  3. आर्द्रता
  4. वायु का वेग

यदि एक वाक्य में कहें तो हम कह सकते हैं कि “किसी निश्चित स्थान पर निश्चित समय में वायुमंडल की तत्कालीन दशा को मौसम कहते हैं।”

प्रश्न (ii)
जलवायु को परिभाषित करें। इसका निर्धारण कैसे होता है ?
उत्तर-
किसी क्षेत्र विशेष में लम्बे समय तक मौसम की औसत दशा को – जलवायु कहते हैं।” मौसम का निर्धारण करने के लिए एक लम्बे समय (सामान्यत: 33 वर्ष) तक वहाँ के तापमान की स्थिति, वर्षा की मात्रा, पवन की दिशा अदि का आंकड़ा एकत्र कर समय से भाग देकर उसका औसत निकाला जाता है।

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 12 मौसम और जलवायु

प्रश्न (iii)
जलवायु को प्रभावित करने वाले कौन-कौन से कारक हैं
उत्तर-
जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं:

  1. अक्षांश
  2. समुद्र तट से दूरी
  3. पर्वत की दिशा और अवरोध
  4. समुद्री धाराओं की दिशा
  5. पवन की दिशा
  6. समुद्र तल से ऊँचाई तथा
  7. तापमान।

प्रश्न (iv)
पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों का तापमान अलग-अलग क्यों होता है?
उत्तर-
किसी भी स्थान का तापमान का आधार वहाँ प्राप्त होने वाली सूर्य की किरणें हैं । जहाँ सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं वहाँ का तापमान अधि’ क होता है। जहाँ-जहाँ सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं, वहाँ-वहाँ का तापमान कम होते जाता है। अतः स्पष्ट है कि सूर्य की किरणों की कमी-बेसी तथा सीधी-तिरछी पड़ने के कारण पृथ्वी पर विभिन्न स्थानों का तापमान अलग-अलग होता है।

प्रश्न (v)
“तापमान का प्रभाव मौसम पर पड़ता है ।” उचित उदाहरण सहित पुष्टि कीजिए।
उत्तर-
ऐसे तो मौसम को प्रभावित करने वाले अनेक कारक हैं लेकिन उन सभी कारकों में प्रमुख कारक तापमान है । तापमान को बढ़ाने या घटाने में प्रमुख भूमिका सौर ऊर्जा की होती है । कारण कि मुख्य रूप से सौर-ऊर्जा जिन स्थानों पर अधिक मिलती है, वहाँ का वातावरण गर्म हो जाता है । जहाँ

पर सौर ऊर्जा कम मिलती है वहाँ का वातावरण ठंडा हो जाता है । गर्म और ठंडा, वातावरण से वहाँ का मौसम प्रभावित होता है।

प्रश्न (vi)
पृथ्वी पर कितने ताप कटिबंध हैं ? इसका क्या महत्त्व है ?
उत्तर-
पृथ्वी पर कुल पाँच ताप कटिबंध हैं । विषुवत रेखा के दोनों तरफ ऊष्णकटिबंध हैं। यहाँ पर सूर्य की सीधी किरणें पड़ती हैं । इससे उस रेखा के दोनों ओर का क्षेत्र उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में आता है । इसके उत्तर में उत्तरी समशीतोष्ण कटिबंध है । इसे 239 डिग्री कर्क वृत्त के नाम से भी जाना जाता है । इसके उत्तर में उत्तर शीत कटिबंध है । इसे 66/2 डिग्री उत्तर ध्रुववृन के नाम से जानते हैं। विषुवत रेखा के दक्षिण में दक्षिण समशीतोष्ण कटिबंध है ।

इसे 2314 डिग्री मकर वृत्त कहते हैं। इसके दक्षिण में दक्षिण शीतकटिबंध है । इसे 66% डिग्री दक्षिण ध्रुव वृत्त कहते हैं। इन कटिबंधों का महत्त्व है कि विषुवत रेखा के उत्तर-दक्षिण उष्ण कटिबंध के पास तापमान अधिक रहता है । समशीतोष्ण कटिबंधों के आसपास तापमान सामान्य रहता है । उत्तर-दक्षिण शीत कटिबंधों के पास बर्फ जमी रहती है।

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 12 मौसम और जलवायु

प्रश्न (vii)
वायु में गति के क्या कारण हैं ?
उत्तर-
पृथ्वी पर जहाँ कहीं तापमान अधिक हो जाता है वहाँ की हवा गर्म होकर ऊपर चली जाती है । इससे वहाँ निम्न दाब का क्षेत्र बन जाता है । इस निम्न दाब को भरने के लिए उच्च दाब के क्षेत्र से हवा चल देती है। जिस चाल से हवा चलती है उसे वायु की गति कहते हैं । वायु की गति के ये ही कारण हैं।

प्रश्न (viii)
पवन के कितने प्रकार हैं ? प्रत्येक का नाम सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पवन के तीन प्रकार हैं-

  1. स्थायी पवन
  2. मौसमी पवन तथा
  3. स्थानीय पवन ।

1. स्थायी पवन-स्थायी पवन हमेशा एक निश्चित दिशा में चलता है । यह पृथ्वी की घूर्णन गति के कारण उत्पन्न होता है । स्थायी पवन अधि क दाब पेटियों से कम दाब वाली पेटियों की ओर चलता है । पछुआ, पूर्वी तथा व्यापारिक पवन स्थायी पवन के उदाहरण हैं।

2. मौसमी पवन-जिस पवन की दिशा मौसम के अनुसार बदलती रहती है, उसे मौसभी पवन कहते हैं । यह पवन ऋतु के अनुसार अपनी दिशा बदल लेता है । भारत में मौसमी पवन से ही वर्षा होती है।

3. स्थानीय पवन-वर्षा के खास समय और खास भू-खंड (स्थान) पर चलने वाली हवाएँ स्थायी पवन कहलाती है। उदाहरण है उत्तर भारत के मैदानी भाग में मई-जून महीनों में चलने वाली गर्म हवा पछुआ पवन । इस पवन के साथ कभी-कभी लू भी चलता है । लूका विभिन्न स्थानों पर विभिन्न नाम है।

प्रश्न (ix)
स्थलीय समीर एवं समुदी समीर में क्या अंतर है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
जब हवा स्थल की ओर से समुद्र की ओर चलती है तब इस हवा को स्थलीय समीर कहते हैं । ठीक इसके विपरीत जब हवा समुद्र की ओर से स्थल की ओर चलने लगती है तब इसे समुद्री समीर कहते हैं । स्थलीय समीर सदैव रात में चलता है, वहीं समुद्री समीर सदा दिन में चला करता है।

प्रश्न (x)
चक्रवात क्या है ? इसके प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
तूफानी हवाओं के अति शक्तिशाली भंवर को चक्रवात कहते है। . चक्रवात के प्रभाव से भारी आँधी आती है और जन-जीवन को काफी कुप्रभावित करती है । हवा नाचते-नाचते काफी ऊँचाई पर चली जाती है और भारी वर्षा कराती है । चक्रवात यदि जमीन पर आते हैं तो आँधी-वर्षा लाते हैं और यदि समुद्र में आते हैं तो उसकी लहरें काफी ऊँचाई तक उठ जाती है।

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 12 मौसम और जलवायु

प्रश्न (xi)
वर्षा कैसे होती है ? इसके कितने प्रकार हैं ?
उत्तर-
ऊँचाई पर जलवाष्प के संघनन होने से वर्षा होती है। यह सदैव चलते रहने वाली प्रक्रिया है। वर्षा होती है पृथ्वी पर पानी पहुँचता है फिर ताप प्राप्त कर पानी वाष्प बनकर ऊपर चला जाता है । संघनन होता और वर्षा होती है । सदैव चलते रहने वाले इसी प्रक्रम को ‘जलचक्र’ कहते हैं । वर्षा तीन प्रकार की होती है

  1. संताइनिक वर्षा
  2. पर्वतीय वर्षा तथा
  3. चक्रवातीय वर्षा ।

प्रश्न (xii)
अत्यधिक वर्षा से क्या-क्या नकसान हो सकते हैं?
उत्तर-
अत्यधिक वर्षा से सबसे पहले तो बाढ़ आ जाती है। बाढ़ में घर-के-घर ही क्या गाँव-के-गाँव बह जाते हैं । आदमी के साथ जीव जंतु भी ऊँचे स्थानों की ओर भागते हैं । लगी-लगाई फसल, यहाँ तक कि कभी-कभी तैयार फसल भी बह जाती है। सरकार तथा गैरसरकारी संस्थओं को आदमियों के रहने तथा खाने-पीने की व्यवस्था में जुट जाना पड़ता है।

प्रश्न (xiii)
अधिक वर्षा एवं कम वर्षा वाले क्षेत्रों के जन-जीवन में क्या-क्या अंतर होंगे?
उत्तर-
जहाँ अधिक वर्षा होती है वहाँ के लोग घर के छप्पर की ढाल अधिक रखते हैं, ताकि पानी जल्दी बह जाय । कम वर्षा वाले क्षेत्रों में घर के छप्पर की ढाल कम रहती है या रहती ही नहीं। अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में तरह-तरह के वृक्ष पाये जाते हैं और फसलें भी तरह-तरह की होती है और खूब होती हैं ।

कम वर्षा वाले क्षेत्रों में मात्र बाजरा जैसे मोटे अनाज ही उपज पाते हैं। अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पानी की कोई किल्लत नहीं होती, जबकि कम वर्षा वाले क्षेत्र के लोगों को पीने के पानी के भी लाले पड़े रहते हैं। इन्हें दूर-दूर से पानी लाना पड़ता है। अधिक वर्षा वाले क्षेत्र के लोग अपेक्षाकृत अधिक आराम से जीवन व्यतीत करते हैं जबकि कम वर्षा वाले क्षेत्र के लोगों का जीवन मशक्कत से भरा रहता है।

प्रश्न (xiv)
यदि वर्षा कम हो तो क्या-क्या परेशानी होती है?
उत्तर-
वर्षा कम होने पर फसलें नहीं उपजतीं । अन्न की कमी हो जाती है। गर्मी आते-आते कुएँ तालाब सूख जाते हैं । नदियों में भी पानी नहीं रहता। अतः दूर-दूर से पानी लाना पड़ता है। लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 12 मौसम और जलवायु

प्रश्न (xv)
हमें वर्षा जल का संरक्षण क्यों करना चाहिए?
उत्तर-
हमें वर्षा जल का संरक्षण इसलिये करना चाहिए ताकि हमें सालों भर पानी मिल सके । इस संरक्षित जल से पीने से लेकर सिंचाई तक के काम हो सकते हैं।

प्रश्न 2.
पता कीजिए कि ये पवन कहाँ बहते हैं ?
(लू, चिनूक, गरजता चालिसा, दहाड़ता पचासा, हरिकेन, टॉरनेडो, टाइफून, विलीविली, कैटरिना, काल वैशाखी।)
उत्तर-
Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 12 मौसम और जलवायु 1

प्रश्न 3.
एक माह तक प्रतिदिन मौसम का अवलोकन कर अभिलेख तैयार कर कक्षा में प्रदर्शित कीजिए ।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

Bihar Board Class 7 Social Science मौसम और जलवायु Notes

पाठ का सार संक्षेप

किसी निश्चित स्थान पर निश्चित समय में वायुमंडल की तत्कालीन दशा मौसम कहलाती है । तापमान तथा वर्षा दोनों ही मौसम के अन्तर्गत आते हैं। एक ही समय में अलग-अलग स्थानों का तापमान तथा वर्षा की मात्रा अलग-अलग रह सकती है । वायुमंडलीय दशा में भी अंतर आ सकता है ।

वायुमंडलीय दशा का अर्थ है-आकाश की स्थिति । इसके तहत धूप, बादल, वर्षा, आर्द्रता, वायु वेग तथा वायु की दिशा । इन सबका विवरण अखबारों में नित्य छपता है । जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक हैं-

  1. अक्षांश
  2. समुद्र से दूरी
  3. पर्वतों की दिशा और अवरोध
  4. समुद्री धाराओं की दिशा
  5. पवन की दिशा
  6. समुद्र तल से ऊंचाई तथा
  7. तापमान ।

लेकिन इसके बावजूद जलवायु को प्रभावित करने में सौर-ऊर्जा की विशेष भूमिका होती है । जिन स्थानों पर सौर ऊर्जा कम मिलती है वह स्थान अधिक गर्म होता है और जिन स्थानों पर सौर ऊर्जा कम मिलती है वहाँ ठंड होता है । इस प्रकार हम देखते हैं कि पृथ्वी पर ताप का मुख्य स्रोत सूर्य का ताप है। सूर्य की किरणें भूमध्य रेखा पर सीधी पड़ती है । इस कारण इसके आसपास गर्मी अधिक पड़ती है। लेकिन भूमध्यरेखा के उत्तर या दक्षिण जाने पर तापमान कम होते जाता है, क्योंकि यहाँ सूर्य की किरणें क्रमश: तिरछी होती जाती है । तापमान के कम होने का यही कारण है ।

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 12 मौसम और जलवायु

उत्तर और दक्षिण दोनों ध्रवों पर सालों भर बर्फ जमी रहती है। वायुमंडल का तापमान, सर्य की किरणों का झुकाव, दिन की लम्बाई, प्रचलित हवाओं, जल और थल के वितरण आदि के कारण भी मौसम प्रभावित होता है । पृथ्वी की सतह पर पड़नेवाले वायु के भार को वायुदाब कहते हैं। जैसे-जैसे ऊँचाई पर जाते हैं, वैसे-वैसे वायुदाब घटता जाता है। पृथ्वी पर सर्वत्र वायुदाब समान नहीं होता । हवा सदैव उच्च दाब से निम्नदाब की ओर बहती है। भूगोल की भाषा में बहने वाली हवा को पवन कहते हैं ।

पवन तीन प्रकार के होते हैं-

  1. स्थायी पवन
  2. मौसमी पवन तथा
  3. स्थानीय पवन

कुछ सामान्य मौसमी घटनाएँ हैं-

  1. चक्रवात
  2. प्रतिचक्रवात तथा
  3. वर्षा

लेकिन वर्षा भी तीन प्रकार की होती है-

  1. संवाहनिक वर्षा
  2. पर्वतीय वर्षा तथा
  3. चक्रवातीय वर्षा

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण Ex 4.1

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण Ex 4.1 Text Book Questions and Answers.

BSEB Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण Ex 4.1

प्रश्न 1.
एक नोटबुक की कीमत एक कलप की कीमत से दो गुनी है। इस कथन को निरूपित करने के लिए दो चरों बाला एक रैखिक समीकरण लिखिए।
उत्तर:
माना, एक नोटबुक की कीमत = Rs x
तथा एक कलम की कीमत = Rs y
प्रश्नानुसार, एक नोटबुक की कीमत एक कलम की कीमत से दो गुनी है, अत: दो चरों वाला रैखिक समीकरण, x – 2y अर्थात्, x – 2y = 0 है।

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण Ex 4.1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित रैखिक समीकरणों को ax + by + c = 0 के रूप में व्यक्त कीजिए और प्रत्येक स्थिति में और का मान बनाइए-
(i) 2x + 3y = 9.\(\overline{35}\)
(ii) x – \(\frac{y}{5}\) – 10 = 0
(i) -2x + 3y = 6
(iv) x = 3y
(v) 2x = -5
(vi) 3x + 2 = 0
(vii) y – 2 = 0
(viii) 5 = 2x
उत्तर:
(i) 2x + 3y = 9.\(\overline{35}\)
⇒ 2 + 3y = 9.\(\overline{35}\) = 0
इसको समी. ax + by + c = 0 से तुलना करने पर,
a = 2 b = 3 तथा c = -9.\(\overline{35}\)

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण Ex 4.1

(ii) x – \(\frac{y}{5}\) – 10
इसकी समी. ax + by + c = 0 से तुलना करने पर,
a = 1 b = 1/5 तथा c = -10.

(iii) -2x + 3y = 6
⇒ -2x + 3y – 6 = 0
इसकी समी. ax + by + c = 0 से तुलना करने पर,
a = -2, b = 3 तथा c = -6.

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण Ex 4.1

(iv) x = 3y
⇒ x – 3y = 0
इसकी समी. ax + by + c = 0 से शुलना करने पर,
a = 1, b = -3 तथा c = 0.

(v) 2x = -5y
⇒ 2x + 5y = 0
इसकी समी ax + by + c = 0 से तुलना करने पर,
a = 2, b = 5 तथा c = 0.

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण Ex 4.1

(vi) 3x + 2 = 0
इसकी समी. ax + by + c = 0 से तुलना करने पर,
a = 3, b = 0 तथा c = 2.

(vii) y – 2 = 0
इसकी समी. ax + by + c = 0 से तुलना करने पर,
a = 0, b = 1 तथा c = -2.

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण Ex 4.1

(viii) 5 = 2x
2x -5 = 0
इसकी समी. ax + by + c = 0 से तुलना करने पर,
a = 2, b = 0 तथा c = -5.

Bihar Board Class 9 Maths Solutions Chapter 4 दो चरों वाले रैखिक समीकरण Ex 4.1

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 11 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : तटीय प्रदेश केरल में जन-जीवन

Bihar Board Class 7 Social Science Solutions Geography Hamari Duniya Bhag 2 Chapter 11 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : तटीय प्रदेश केरल में जन-जीवन Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 11 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : तटीय प्रदेश केरल में जन-जीवन

Bihar Board Class 7 Social Science मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : तटीय प्रदेश केरल में जन-जीवन Text Book Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
केरल प्रदेश की जलवायु और वनस्पति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
केरल प्रदेश की जलवायु ऊष्ण-आर्द्र मानसूनी प्रकार की है । यहाँ औसत वार्षिक वर्षा 200 सेमी या इससे अधिक होती है । यहाँ ग्रीष्म ऋतु में औसत तापमान 32°C तथा शीत ऋत में 23°C रहता है । वार्षिक तापान्तर 2°C से 5°C तक रहता है।

वनस्पति के क्षेत्र में देखा जाए तो राज्य का 1/4 भाग वनों से ढंका है। यहाँ सदाबहार वन पाये जाते हैं । सागवान, चन्दन, सुपारी, नारियल, रबर, बाँस प्रमुख वनस्पतियाँ हैं । यहाँ केले भी खूब होते हैं।

प्रश्न 2.
पी. वेल्लू सुंदरम् ने केरल की किन-किन विशेषताओं का जिक्र किया ?
उत्तर-
पी० वेल्लू सुन्दरम् ने केरल की विभिन्न विशेषताओं का जिक्र किया है। सबसे पहले इन्होंने केरल की अवस्थिति का जिक्र किया । उन्होंने प्राकृतिक तथा भौतिक विशेषताएँ बताई । अधिकतम तथा न्यूनतम ताप को बताया है और उसके बाद वर्षा की मात्रा का वर्णन किया है। वन, वनस्पति तथा वन्य जीवों की चर्चा की। लोगों के आर्थिक जीवन के साथ खान-पान तथा पहनावे की बात बताई। जो खनिज मिलते हैं उनके नाम बताएँ । उन्होंने आवागमन के साधनों की विशेषता बताई।

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 11 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : तटीय प्रदेश केरल में जन-जीवन

प्रश्न 3.
केरल मसालों का प्रदेश है। कैसे?
उत्तर-
केरल में अनेक तरह के मशाले उपजाय जात हैं । काली मिर्च, इलायची, गरम मसाले, जैसे जावत्री, दालचीनी, कबाब चीनी आदि खूब होते हैं । इसी कारण केरल को मसालों का प्रदेश कहते हैं ।

प्रश्न 4.
लोग पर्यटन के लिये केरल जाना क्यों पसंद करते हैं ?
उत्तर-
लोग पर्यटन के लिये केरल जाना इसलिए पसन्द करते हैं, क्योंकि यहाँ नौका दौड़ का आयोजन होता है । कत्थकली यहाँ का विश्व प्रसिद्ध नृत्य नाटिका है । मोहनी अट्टम यहाँ का प्रसिद्ध नृत्य है । मार्शल आर्ट के रूप में कलारीपयट्ट शैली है। मलखम्भ यहाँ का प्रसिद्ध खेल है। सबरीमाला एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। इन्हीं सब आकर्षणों से पर्यटक यहाँ खींचे चले आते हैं ।

यहाँ कश्मीर की तरह हाउस वोट मिलते हैं । विदेशी पर्यटक इन्हीं में रहना पसन्द करते हैं। वे विलासिता युक्त नौकाओं में भ्रमण करना विशेष पसंद करते हैं। यहाँ के लोग सेवा भाव से पूर्ण होते हैं। अत: पर्यटकों को कोई परेशानी नहीं होती।

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 11 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : तटीय प्रदेश केरल में जन-जीवन

प्रश्न 5.
अपने मुहल्ले के दुकानदार से मसालों की आपूर्ति के स्रोत का वर्णन करें।
उत्तर-
हमने अपने मुहल्ले के दुकानदार से मसालों की आपूर्ति के स्रोत का पता किया । उन्होंने बताया कि हम तो थोक मंडी से मसाल लाते हैं ।

लेकिन वे लोग प्रायः दक्षिण भारत के राज्यों, खासकर केरल से ट्रकों द्वारा मसाले मँगवाते हैं।

प्रश्न 6.
केरल के खान-पान बनाने में किन खाद्य पदार्थों की जरूरत होगी? सूची बनाइए।
उत्तर-
केरल के खान-पान बनाने में निम्नलिखित खाद्य पदार्थों की जरूरत होगी:
चावल, मिर्च मसाला, नमक, आलू, नारियल, नारियल का तेल आदि ।

प्रश्न 7.
बिहार और केरल के पहनावा में क्या-क्या अंतर है?
उत्तर-
बिहार की महिलाएँ साड़ी, पेटीकोट तथा ब्लाऊज पहनती हैं तो केरल की महिलाएं भी यही पहनती है। बिहार में पुरुष धोती, कुरता, गंजी, गमछा का व्यवहार करते हैं, लेकिन केरल के पुरुष हाफ कमीज और लुंगी पहनते हैं । लुंगी तो बिहार के लोग भी पहनते हैं, लेकिन तब जब वे घर पर रहते हैं या रात में । बिहार में पायजामा कुरता का विशेष चलन हो गया है । फुलपैंट-शर्ट दोनों राज्यों के लोग पहनते हैं।

प्रश्न 8.
केरल के नौका दौड़ का आयोजन अपने राज्य में करने के लिये आप क्या करेंगे? .
उत्तर-
बिहार में केरल जैसा नौका दौड़ करने के लिए हमें किसी सीध बहती नदी का चुनाव करना होगा । नौका चालकों को ट्रेंड करना होगा । तभी हम केरल जैसा नौका दौड़ का आयोजन कर सकते हैं।

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 11 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : तटीय प्रदेश केरल में जन-जीवन

प्रश्न 9.
केरल व बिहार के भोजन में कौन-सा खाद्यान्न समान है ?
उत्तर-
केरल व बिहार के भोजन में चावल समान है।

प्रश्न 10.
राष्ट्रीय सेवा योजना के बारे में पता कीजिए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें ।
प्रश्न-सही मिलान करें:

  1. मलखंभ – एक प्रकार की भाषा
  2. पश्चिमी घाट – एक प्रकार की चिकित्सा पद्धति
  3. केरली मसाज – एक प्रकार का खाद्य पदार्थ
  4. उत्पम – एक खेल
  5. मलयालम – नीलगिरि की पहाड़ियाँ

उत्तर-

  1. ‘मलखंभ – एक खेल
  2. पश्चिमी घाट – नीलगिरि की पहाड़ियाँ
  3. केरली मसाज – एक प्रकार की चिकित्सा पद्धति
  4. उत्पम – एक प्रकार का खाद्य पदार्थ
  5. मलयालम – एक प्रकार की भाषा

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 11 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : तटीय प्रदेश केरल में जन-जीवन

प्रश्न 11.
सही विकल्प पर (✓) का निशान लगाएँ :

प्रश्न (i)
केरल प्रदेश की जलवायु है:
(क) उष्ण
(ख) शीतोष्ण
(ग) समशीतोष्ण
उत्तर-
(क) उष्ण

प्रश्न (ii)
केरल में नहीं उपजाया जाता है :
(क) कहवा
(ख) काजू
(ग) जूट
(घ) इलायची
उत्तर-
(ग) जूट

प्रश्न (iii)
साइलेंट वैली स्थित है:
(क) पूर्वी घाट में
(ख) पश्चिमी घाट में
(ग) य० एन० ओ० में
उत्तर-
(ख) पश्चिमी घाट में

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 11 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : तटीय प्रदेश केरल में जन-जीवन

प्रश्न (iv)
केरल में सबरीमाला क्या है ?
(क) तीर्थ स्थान
(ख) पर्यटन स्थल
(ग) नौका दौड़
(घ) एक प्रकार का नृत्य
उत्तर-
(क) तीर्थ स्थान

Bihar Board Class 7 Social Science मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : तटीय प्रदेश केरल में जन-जीवन Notes

पाठ का सार संक्षेप

केरल प्रदेश भारत के पश्चिमी तट पर सूदुर दक्षिण की ओर एक लम्बी संकरी पट्टी के रूप में फैला है । यह अरब सागर के तट पर तो है ही. इसका दक्षिणी छोर हिन्द महासागर में घुसा हुआ है । इसके पूरब में पश्चिमी घाट की नीलगिरि और अन्नामलाई की पहाड़ियाँ हैं। केरल संकरा मैदान है जिसकी अधिकतम चौड़ाई 100 किमी है । मैदान नदियों द्वारा बहाकर लाई मिट्टी से बना है। मैदान के तीन भाग हैं :

(1) तटीग भाग, जो बलुई है । (2) बलूई भाग के पूरब में उपजाऊ काँप मिट्टी का मैदान है । (3) मैदान के पूरब की ओर पहाड़ी भाग है, जो प्राचीन चट्टानों से बना है । यहाँ दो बार वर्षा होती है । पहली वर्षा मानसून आने के शुरुआत में और दूसरी मानसून के लौटते समय । ऐसे समुद्री तट पर अवस्थित होने के कारण सालों भर वर्षा होती ही रहती है ।

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 11 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : तटीय प्रदेश केरल में जन-जीवन

ग्रीष्म ऋतु में औसत तापमान 32°C तथा शीत ऋतु में 23°C रहता है । यहाँ वार्षिक तापांतर 2°C से 5°C तक रहता है । इस प्रकार यहाँ की जलवायु सम और नम है। यहाँ न तो जाड़े में अधिक जाड़ा पड़ता है और न गर्मी में अधिक गर्मी पड़ती है । यहाँ वार्षिक औसत वर्षा 200 सेमी या इससे भी अधिक पड़ती है । यहाँ की जलवायु उष्ण-आर्द्र मानसूनी प्रकार की है।

प्रदेश का 1/4 भाग वनाच्छादित है । उच्च तापमान और अधिक वर्षा के कारण यहाँ सघन सदाबहार बन पाये जाते हैं । सागवान, चंदन, सुपारी, नारियल, रबर, बाँस यहाँ के मुख्य पेड़- पाने हैं ।

यहाँ केला भी खूब होता है। यहाँ की मुख्य उपज चावल, नारियल, का-‘ मिर्च, कहवा, काज, इलायची, रबर, चाय, सुपारी, गरम मसाले आदि हैं। तटीय क्षेत्र में मछलियाँ पकड़ी जाती हैं । यहाँ धान के खेत में मछली पालन का भी काम होता है । चावल और मछली यहाँ का मुख्य भोजन है। सुपारी, मसाले, अन्नानास, गन्ना आदि नकदी फसलें हैं। यहाँ के वनों में अनेक

वन्य जीव पाये जाते हैं । हाथी, बंदर, किंग कोबरा, विभिन्न प्रकार के पक्षियों की बहुलता है । यहाँ हिन्दू, इस्लाम तथा इसाई धर्म को मानने वाले हैं, जो सभी धार्मिक प्रवृति के हैं । इस्लाम यहाँ का मुख्य धर्म है । यहाँ गंगा-यमुना संस्कृति अत्यंत महत्त्वपूर्ण है । यहाँ की नौका दौड़ विश्व में प्रसिद्ध है । ‘कत्थकली’ नृत्य नाटिका है । मोहनी अट्टम प्रसिद्ध नृत्य है। मलखम्भ यहाँ का मुख्य खेल है । सबरीमाला के मंदिर प्रसिद्ध तीर्थ स्थल हैं। मंदिर ऊँची पहाड़ी पर अवस्थित हैं। भारत के अन्य राज्यों की अपेक्षा साक्षरता दर यहाँ सर्वाधिक है । यहाँ मोनोजाइट, जिप्सम, थोरियम, यूरेनियम आदि खनिज पाये जाते हैं ।

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 11 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : तटीय प्रदेश केरल में जन-जीवन

यहाँ चीनी मिट्टी, चूना-पत्थर और ग्रेफाइट भी मिलता है । तिरुवनन्तपुरम, अलवाये, पुन्नलूर, कोजीकोड केरल के प्रमुख औद्योगिक नगर । हैं। केरल की अधिकांश जनसंख्या गाँवों में निवास करती है। यहाँ का

जनघनत्व 2000 से 4000 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है । यहाँ सड़क, रेल और . वायु मार्ग की सुविधा तो है ही, जल मार्ग का उपयोग भी खूब होता है । तट पर बन चुके लेंगून झीलों को एक में मिलाकर जल मार्ग बनाया गया है । फलस्वरूप नाव से भी एक कोने से दूसरे कोने में जाया जा सकता है ।

केरल का मुख्य नाश्ता और भोजन चावल, इडली, डोसा, सांभर, पट, उत्पम, अवियल, उपमा, अटपम तथा नारियल से बनी खाद्य सामग्री, मछली और समुद्री उत्पाद है। यहाँ केले के पत्ते पर भोजन परोसा जाता है।

महिलाएँ पेटीकोट, साडी, ब्लाउज पहनती हैं । परुष कमीज और लुंगी पहनते हैं । पुरुष धोती कुरता भी पहनते हैं । पुरुप चंदन का तिलक लगाते हैं। महिलाएँ फूलों से बालों को सजाती हैं। छाता सबके हाथ में दिखाई देता है।

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 10 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : अपना प्रदेश बिहार

Bihar Board Class 7 Social Science Solutions Geography Hamari Duniya Bhag 2 Chapter 10 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : अपना प्रदेश बिहार Text Book Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 10 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : अपना प्रदेश बिहार

Bihar Board Class 7 Social Science मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : अपना प्रदेश बिहार Text Book Questions and Answers

अभ्यास के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बिहार की भौगोलिक दशाओं की जानकारी दीजिए।
उत्तर-
बिहार गंगा के मध्य मैदान में अवस्थित है । इसके पूरब में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर-प्रदेश तथा दक्षिण में झारखंड राज्य है । यहाँ की जलवायु उष्ण कटिबंधीय है । यहाँ मानसून के समय वर्षा होती है । वार्षिक 100 से 150 मार्ग के बीच होती है । गर्मी के मौसम में तापमान 40° सेल्सियस तक चला जाता है । जाड़े के मौसम में यहाँ का अधिकतम तापमान 29° से 30° सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान 8° सेल्सियस के लगभग रहता है।

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 10 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : अपना प्रदेश बिहार

प्रश्न 2.
बिहार में लोगों का मुख्य पेशा क्या है ?
उत्तर-
बिहार में लोगों का मुख्य पेशा कृषि है । वैसे नौकरी करने वालों की संख्या भी कम नहीं हैं।

प्रश्न 3.
बिहार को किन प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है ? इसका जन-जीवन पर कैसा प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
बिहार को बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है । प्रायः कोसी क्षेत्र बाढ़ से प्रभावित होते ही रहता है । जन-जीवन पर इसका बड़ा बुरा प्रभाव पड़ता है । जमी-जमाई गृहस्थी अस्त-व्यस्त हो जाती है । घर और घर का अधिकांश सामान योंहीं छोड़ इन्हें अन्यत्र शरण लेना पड़ता हैं । जो लोग दूसरों को खिलाते रहते हैं वे अब दूसरों की कृपा पर निर्भर हो जाते हैं ।

सरकारी और गैर-सरकारी सहायता का उन्हें बेसब्री से इन्तजार करना पड़ता है । कभी-कभी बिहार को सूखे जैसही आपदा को भी झेलना पड़ता है ।

प्रश्न 4.
बिहार की सांस्कृतिक विशेषताएं लिखिए ।
उत्तर-
बिहार की सांस्कृतिक विशेषताओं में यहाँ के पर्व-त्योहारों की प्रमुखता है । दशहरा का त्योहार सार्वजनिक रूप में मनाया जाता है वही

दीपावली घर-घर व्यक्तिगत रूप में मनाते हैं। ईद पर व्यक्तिगत और सामहिक दोनों का समाहार देखने को मिलता है । वैसे ही होली मिल-जुलकर मनाया जाने वाला पर्व है। बिहार की मधुबनी पेंटिंग विश्व प्रसिद्ध है । मिथिला क्षेत्र की यह खास है जिसमें प्राकृतिक रंगां और प्रतीकों का उपयोग किया जाता है । बहुतों को यह रोजगार मुहैया कराता है ।

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 10 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : अपना प्रदेश बिहार

प्रश्न 5.
बिहार की मुख्य फसलें क्या-क्या हैं ?
उत्तर-
बिहार की मुख्य फसल धान है । अन्य फसलों में गेहँ, मकई.. मडुआ, चना, अरहर, मसूर, मटर आदि दलहन; सरसों, तीसी, सूर्यमुखी जैसे तेलहन; हल्दी, जीरा, धनिया, मिरचाई, प्याज, लहसुन आदि मसालों की भी खंती होती है । कुछ जिलों में पान, मखाना, लीची, तंबाकू की भी खंती होती है । आम भी यहाँ खूब होता है । दीघा का दुधिया तथा भागलपुर का जर्दाल माल्दह प्रसिद्ध है । कला के लिये हाजीपुर तथा शाही लीची के लिए मुजफ्फरपुर प्रसिद्ध है ।

प्रश्न 6.
बिहार किन-किन खाद्य पदार्थों के लिए प्रसिद्ध है ?
उत्तर-
बिहार का मुख्य भाजन चावल, दाल और सब्जी है । रोटी-सब्जी भी चाव से खाई जाती है । छपरा जिला में सत्त, लिटटी-चोखा मशहूर है। मैथिली क्षेत्र में दही-चूड़ा- चाव से खाया जाता है ।

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 10 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : अपना प्रदेश बिहार

प्रश्न 7.
मिथिला पेंटिंग की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं ?
उत्तर-
मिथिला पेंटिंग की मुख्य विशेषताएँ हैं कि चित्र के लिए स्थानीय परिवेश तथा प्रतीकों को अपनाया जाता है । चित्रकार रंग स्वयं बनाते हैं । रंग बनाने के लिए प्राकृतिक साधनों खासकर रंगीन फूलों का उपयोग किया जाता है । इस कला को पारंपरिक धरोहर के रूप में माना जाता है ।

प्रश्न 8.
बिहार के मानचित्र में नदियों की दर्शाए ।
उत्तर-
Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 10 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया अपना प्रदेश बिहार 1

प्रश्न 9.
मैंगो शावर से आपके घर-मोहल्ले में क्या परिवर्तन दिखता है ? बताइए।
उत्तर-
अप्रैल-मई की पहली वर्षा को मैंगो-शावर कहते हैं । मैंगो-शावर से आम को बढ़ने की गति मिलती ही है । हमारे घर-मोहल्ले के लांग जेठ की लू वाली गर्मी से निजात महसूस करते हैं । इस वर्षा से सर्वत्र खुशियाँ छा जाती हैं । बच्चे वर्षा में उछल-कूद मचाने और नहाने का मजा लेते हैं

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 10 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : अपना प्रदेश बिहार

प्रश्न 10.
नीचे ग्यारह किस्म के आमों के नाम दिए गए हैं उन्हें ढूँढें :
उत्तर-

  1. बीज़
  2. चौसा
  3. डंका
  4. बम्बइया
  5. जर्दालु
  6. शुकुल
  7. मिदुआ
  8. दशहर्ग
  9. गुलाबखास
  10. तोतापुरी
  11. मालदह

प्रश्न 11.
सही विकल्प पर (✓) का निशान लगाएँ :

प्रश्न (i)
बिहार के पूरब में है :
(क) पश्चिम बंगाल
(ख) उत्तर प्रदेश
(ग) सोन नदी
(घ) छत्तीसगढ़
उत्तर-
(क) पश्चिम बंगाल

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 10 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : अपना प्रदेश बिहार

प्रश्न (ii)
मधुबनी पेंटिंग जुड़ी है :
(क) मगध क्षेत्र में
(ख) अंग क्षेत्र में
(ग) भोजपुरी क्षेत्र में
(घ) मिथिला क्षेत्र में
उत्तर-
(घ) मिथिला क्षेत्र में

प्रश्न (iii)
जमालपुर में है :
(क) सिगरेट कारखाना
(ख) जूट कारखाना
(ग) बारूद कारखाना
(घ) रेलवे कार्यशाला
उत्तर-
(घ) रेलवे कार्यशाला

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 10 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : अपना प्रदेश बिहार

प्रश्न 12.
सही मिलान करें :

  1. चूना पत्थर – भागलपुर
  2. रेलवे वैगन प्लांट – बरौनी
  3. जर्दालु – कैमूर
  4. तेलशोधन कारखाना – मोकामा

उत्तर-

  1. चूना पत्थर – कैमूर
  2. रेलवे वैगन प्लांट – मोकामा
  3. जर्दालु – भागलपुर
  4. तेलशोधन कारखाना – बरौनी

Bihar Board Class 7 Social Science मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : अपना प्रदेश बिहार Notes

पाठ का सार संक्षेप

बिहार गंगा के मध्य मैदान में अवस्थित है। इसके उत्तर में नेपाल तथा हिमालय पहाड़ का दक्षिणी भाग तथा तराई क्षेत्र है । इसके पूरब में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर-प्रदेश तथा दक्षिण में झारखंड राज्य है । झारखंड प्रायद्वीपीय पठार का दक्षिणी भाग हैं । गंगा बिहार की मुख्य नदी है । गंगा की सहायक नदियों में सरयू (घाघरा), गंडक, बढी गंडक, कोसी, महानंदा उत्तर की ओर से आकर मिलती है । दक्षिण से सोन, पुनपुन, फल्गू आदि नदियाँ मिलती हैं ।

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 10 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : अपना प्रदेश बिहार

जाड़े के मौसम में यहाँ का अधिकतम तापमान 29° से 30° सेल्सियस तथा न्यूनतम तापमान 8° सेल्सियस के लगभग रहता है । गर्मी में पछुआ हवा के साथ लू चलती है तब तापमान कभी-कभी 40° सेल्सियस से भी अधिक हो जाता है । बंगाल की खाडी से लौटती मानसून से यहाँ वर्षा होती है । यदि सामान्य वर्षा हो तो वह औसतन वार्षिक 100 से 150 सेमी तक हो जाती है। अप्रैल-मई में पहली वर्षा के साथ आम का आकार बढ़ने लगता है और वह पकने की ओर अग्रसर होने लगता है । लीची पक जाती है और

उसमें रस आ जाता है। कभी-कभी आंधी आती है, जिससे आम की फसल कुप्रभावित होती है । हिमालय पर और उसकी तराइयों में होने वाली भारी वर्षा से बिहार की कुछ नदियों में बाढ़ का कहर आम बात हो गई है । समुद्र के तल से बिहार की ऊँचाई लगभग 100 मीटर है। जनसंख्या का घनत्व सघन है।

बिहार की समस्त भूमि का 75% कृषि योग्य है । 12% भूमि बंजर है। दक्षिण पूर्व के कुछ जिलों को छोड़कर वनों का अभाव है । पश्चिम चम्पारण का उत्तर भाग वनों से पूर्णतः आच्छादित है। बिहार की कृषि मानसून का मुहताज है । हालाँकि कुछ जिलों में नहरों की सुविधा है । यहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि ही है । धान यहाँ की मुख्य फसल है । लेकिन गहें, मकई, मआ, दलहन, तेलहन, गन्ना, मिरचाई, हल्दी, धनिया, प्याज, लहसुन आदि मसालें भी उपजा लिये जाते हैं।

उत्तर बिहार के खास-खास जिलों में आम, लीची, केला, तम्बाकू, पान तथा मखाना की खेती खूब होती है । भागलपुर में सिल्क तथा पूर्णिया में जूट, गया में सूती वस्त्र तथा पूर्वो चरण में सीप का बटन बनाने का गृह उद्योग चलता है । मुंगेर में सिगरेट कारखाना, बरौनी में उर्वरक तथा तेलशोधन

का कारखाना है। मुजफ्फरपुर और मोकामा में रेलवे वैगन प्लांट है । जमालपुर में रेलवे की कार्यशाला है । रेलवे तथा बारूद के कारखाने अभी प्रगति पर हैं।

खनिज का बिहार में अभाव है । बिहार के दक्षिणी जिलों में कहीं, टीन, कहीं अभ्रक पाया जाता है ! कमर की पहाड़ियों में चूना-पत्थर, बालू पत्थर और थाइराईट मिलते हैं।

बिहार में पहले जहाँ हल-बैल उपयोग होता था, अब अधिकतर ट्रैक्टर भी दिखाई पड़ने लगे हैं। सिंचाई में डीजल इंजन चालित पम्प का उपयोग . होने लगा है । यहाँ का मुख्य भोजन चावल, गेहूँ, दाल, आलू और हरी सब्जियाँ

है । पेयजल का मुख्य स्रोत परम्परागत कुंआ तथा चापाकल है । पुरुष सामान्यतः धोती, कुरता, शर्ट, पैंट, गमछा, लँगी, पायजामा तथा औरतें साड़ी, ब्लाउज, सलवार, समीज पहनती हैं । यातायात के लिये सड़क और रेल मुख्य हैं । पटना तथा गया हवाई मार्ग से भी जुड़े हैं । खपड़ापोश मकानों की अधि कता है। गाय तथा भैंस दूध के मुख्य स्रोत हैं । बकरियाँ भी पाली जाती है । लेकिन वह दूध के लिए कम और मांस के लिए अधिक ।

Bihar Board Class 7 Social Science Geography Solutions Chapter 10 मानव पर्यावरण अंतःक्रिया : अपना प्रदेश बिहार

लिट्टी-चोखा जल्दी तैयार हो जानेवाला भोजन है । एक-दो खास जिलों में दही-चूड़ा या सत्तू खाने का विशेष रिवाज हे । पों में छठ की प्रमुखता है । इसके पहले दशहरा और दीपावली बीत चुकी होती है । होली बड़े उल्लास से मनाई जाती है । मधुबनी की पेंटिंग विश्व में प्रसिद्ध है । यहाँ की मेधा शक्ति का लोहा दुनिया मानती है ।

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण लिंग

Bihar Board Class 10 Hindi Book Solutions Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण लिंग Questions and Answers, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण लिंग

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण लिंग Questions and Answers

प्रश्न
लिंग की परिभाषा दीजिए। उसके कितने भेद हैं ?
उत्तर-
लिंग संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘चिह्न’ या निशान। जिन चिह्न से शब्दों का स्त्रीवाचक या पुरुषवाचक होना प्रकट हो, उन्हें लिंग कहते हैं।
लिंग के भेद हिन्दी भाषा में दो लिंग होते हैं-(i) पुलिंग, (ii) स्त्रीलिंग।
(i) पुलिंग- पुरुषत्व का बोध कराने वाले शब्दों या चिह्नों को पुलिंग कहते हैं। जैसे-पिता, घोड़ा।
(ii) स्त्रीलिंग- स्त्री जाति के बोध करानेवाले शब्दों को स्त्रीलिंग कहते हैं; जैसे-गायिका। लिंग-भेद
एक ही प्रकार के दीखने वाले शब्दों में इतना लिंग-भेद है कि विद्वानों को भी सरदर्द हो जाता है। लिंग-भेद कई स्थितियों में संभव है; इसके प्रायः सभी नियमों में अपवाद पाए जाते हैं। कारण यह है कि सुपरिचित प्राणिवाचक संज्ञाओं की पहचान करना तो सरल है, किन्तु अपरिचित जीवों तथा अप्राणिवाचक संज्ञाओं का लिंग-निर्धारण करना अत्यन्त कठिन है। वे न तो पुरुषवाचक होते हैं और न स्त्रीवाचक। जैसे पहाड़, नदी। पहाड़ को पुलिंग मान लेना केवल एक रूढ़ि है।

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण सर्वनाम

लिंग-निर्णय के कुछ सामान्य नियम

1. पुलिंग शब्दों की पहचान-
(क) मनुष्य और बड़े पशुओं में नर पुलिंग होते हैं और । नारियाँ स्त्रीलिंग। जैसे—लड़का, युवक, बूढा, हाथी, ऊँट आदि नर हैं, अतः पुलिंग हैं।
(ख) छोटे पक्षियों, कीड़ों आदि का या जिनमें जोड़ों का भेद करना कठिन है उन प्राणियों का लिंग-निर्णय व्यवहार के आधार पर होता है। जैसे-कौआ, खटमल, गिरगिट, गीदड़, चीता, छछूदर, बटेर, भेडिया, बिच्छू, मच्छर आदि शब्द पुंलिंग हैं; परंतु कोयल, गिलहरी, मछली, मैना, गौरैया आदि स्त्रीलिंगा :
(ग) द्वंद्वसमास के प्राणिवाचक शब्द पुलिंग होते हैं। जैसे-नर-नारी, भाई-बहन, मां-बाप, राधा-कृष्ण आदि। ,
(घ) संस्कृत के अकारान्त तत्सम शब्द प्रायः पुलिंग होते हैं। जैसे-अध्याय, अभिप्राय, उपाय, इतिहास, अध्यक्ष, अंधकार, उपहार, उपचार, व्यय आदि। ‘पुस्तक’ का स्त्रीलिंग में व्यवहार होता है। .
(ङ) अप्राणिवाचक संज्ञाओं का लिंग-निर्णय रूप के आधार पर होता है। जैसे-ये तमाम शब्द पुलिंग हैं
वनस्पति- अनार, आम, खजूर, पीपल, ताड़, अशोक, बाँस आदि।
तरल पदार्थ– दूध, दही, तेल, पानी, शर्बत आदि।
धातु- अल्युमीनियम, पीतल, रजत, लोहा, सोना आदि।
मसाला- जीरा, तेजपात आदि।
अन्न- उड़द, गेहूँ, चना, दाल आदि।
पर्वत-हिमालय, अमरकण्टक, हिन्दूकुश आदि।
दिन- रवि, सोम, मंगल आदि। . .
रत्न- हीरा, मोती, नीलम, मूंगा आदि।
वनस्पति आदि में से कुछ शब्द-इमली, मूंगफली आदि-स्त्रीलिंग में प्रयुक्त होते हैं।
(च) हिन्दी की वे भाववाचक संज्ञाएँ पुलिंग होती हैं, जिनके अंत में आ, आव, आवा, ना, पा अथवा पन पाया जाता है; जैसे-घेरा, बचाव, भुलावा, मरना, बुढ़ापा, लड़कपन आदि।
(छ) तत्सम शब्दों को छोड़कर हिन्दी की वे संज्ञाएँ जिसके अंत में आकार हो (परन्तु ‘इया’ प्रत्यय न हो) पुलिंग होती हैं; जैसे—रुपया, बच्चा, छाता, आटा, कपड़ा आदि।

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण सर्वनाम

2. स्त्रीलिंग शब्दों की पहचान-(क) जिन संस्कृत-संज्ञाओं के अंत में आ, इ अथवा उ । हो वे स्त्रीलिंग होती हैं; जैसे-
आ-क्षमता, दया, छाया, कृपा, करुणा, वन्दना, याचना आदि। इ-सिद्धि, रीति, मति, केलि आदि। उ मृत्यु, रेणु, धेनु आदि।
(ख) ट, आवट और आहट प्रत्ययान्त संज्ञाएं स्त्रीलिंग हैं; जैसे-झंझट, बनावट, रुकावट, सजावट, चिकनाहट आदि।
(ग) हिन्दी की वे संस्कृत से भिन्न भाववाचक संज्ञाएं जिनके अन्त में ‘अ’ अथवा ‘न’ हो; जैसे—चमक, दमक, पुकार, समझ, दौड़, चाल, उलझन, जलन आदि।
(घ) संस्कृत को छोड़कर हिन्दी की वे संज्ञाएँ जिनके अन्त में ई, इया, ऊ, ख, त अथवा
स हो और संस्कृत को छोड़कर दोड, चाल, उलझन, जनक
ई – उदासी, टोपी, लड़की, धोती, चोटी आदि।
इया-खटिया, पुड़िया, बुढ़िया आदि।
ऊ-गेरू, लू आदि।
ख-ईख, भूख, आँख, साख, राख, कोख आदि।
त-बात, रात, लात, छत आदि।
स-आस, प्यास, साँस आदि।
प्रश्न-पुलिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम बताएँ।
पुलिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम-
जिन प्रत्ययों के योग से पुलिंग शब्द स्त्रीलिंग में बदल जाते हैं, उन्हें स्त्रीवाची प्रत्यय कहते हैं।
हिन्दी में मुख्य स्त्री प्रत्यय हैं—आ, ई, नी, आनी, आइन, इनी, इका, इया, इन, वती, मती। इन प्रत्ययों का प्रयोग करते समय मूल शब्द के अन्तिम स्वर को हटा दिया जाता है। कई बार :
मूल शब्द का मूलतः ही परिवर्तन हो जाता है। प्रत्ययों के योग से बने स्त्रीलिंग शब्दों के कुछ रूप आगे दिए जा रहे हैं-

(i) अकारान्त तत्सम शब्दों के अन्तिम ‘अ’ को ‘आ’ कर देते हैं। जैसे-
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण लिंग-1

Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण सर्वनाम

(ii) कुछ अकारान्त शब्दों के अन्तिम ‘अ’ को ‘ई’ कर देते हैं। जैसे-
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण लिंग-2

(iii) कुछ आकारान्त शब्दों के अन्तिम ‘आ’ की ‘ई’ हो जाती है। जैसे-
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण लिंग-3

(iv) कुछ अकारान्त तथा आकारान्त शब्दों के अन्तिम ‘आ’ को ‘इया’ करके पहला स्वर .. ह्वस्व कर दिया जाता है। जैसे-
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण लिंग-4

(v) अन्तिम शब्द को परिवर्तित कर ‘इन’ कर देते हैं। जैसे-
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण लिंग-5

(vi) उपनाम या पदवीवाचक शब्दों के अन्त में स्वर को ‘आइन’ कर दिया जाता है। जैसे-
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण लिंग-6

(vii) कुछ पुलिंग शब्दों के अन्त में ‘नी’ लंगा देते हैं। जैसे-
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण लिंग-7

(viii) कुछ अकारान्त शब्दों के अन्त में ‘आनी’ करने से स्त्रीलिंग बनते हैं। जैसे-
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण लिंग-8
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण सर्वनाम

(ix) संस्कृत के ‘वान्’ और ‘मान्’ शब्दों में ‘ कथा ‘मान’ को ‘वती’ और ‘मती’ कर देने से स्त्रीलिंग बनाया जाता है। जैसे-
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण लिंग-9

(x) जिन पुलिंग शब्दों के अन्त में अक’ होता है, उनमें ‘अक’ के स्थान पर ‘इका’ कर देने से शब्द स्त्रीलिंग बन जाते हैं। जैसे-
Bihar Board Class 10 Hindi व्याकरण लिंग-10

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

Bihar Board Class 11 Geography वायुमंडल का संघटन तथा संरचना Text Book Questions and Answers

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

(क) बहुवैकल्पिक प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन-सी गैस वायुमण्डल में सबसे अधिक मात्रा में मौजूद है?
(क) ऑक्सीजन
(ख) आर्गन
(ग) नाइट्रोजन
(घ) कार्बन डाइऑक्साइड
उत्तर:
(ग) नाइट्रोजन

प्रश्न 2.
वह वायुमण्डलीय परत जो मानव जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण है ………………
(क) समताप मण्डल
(ख) क्षोभमण्डल
(ग) मध्य मण्डल
(घ) आयनमण्डल
उत्तर:
(ग) नाइट्रोजन

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

प्रश्न 3.
समुद्री नमक, पराग, राख, धुएँ की कालिमा, महीन मिट्टी-किससे सम्बन्धित हैं?
(क) गैस
(ख) जलवाष्प
(ग) धूलकण
(घ) उल्कापात
उत्तर:
(ग) धूलकण

प्रश्न 4.
निलिखित में से कितनी ऊँचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा नगण्य हो जाती है?
(क) 90 किमी
(ख) 100 किमी
(ग) 120 किमी
(घ) 150 किमी
उत्तर:
(ग) 120 किमी

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन-सी गैस सौर विकिरण के लिए पारदर्शी है तथा पार्थिव विकिरण के लिए अपारदर्शी?
(क) ऑक्सीजन
(ख) नाइट्रोजन
(ग) हिलीयम
(घ) कार्बन डाइऑक्साइड
उत्तर:
(घ) कार्बन डाइऑक्साइड

प्रश्न 6.
वायुमण्डल की कौन-सी परत पृथ्वी से प्रेषित रेडियो तरंगों को परावर्तित कर पुनः वापस कर पृथ्वी तल पर भेज देती है?
(क) समताप मण्डल
(ख) मध्य मण्डल
(ग) आयन मण्डल
(घ) बर्हिमण्डल
उत्तर:
(ग) आयन मण्डल

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
वायुमण्डल से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वायुमण्डल विभिन्न प्रकार की गैसों का मिश्रण है और यह पृथ्वी को सभी ओर से ढके हुए है। इसमें मनुष्यों एवं जन्तुओं के जीवन के लिए आवश्यक गैसों जैसे ऑक्सीजन तथा पौधों के लिए कार्बन डाईऑक्साइड पाई जाती हैं।

प्रश्न 2.
मौसम और जववायु के कौन-कौन से तत्त्व हैं?
उत्तर:
ताप, दाब, हवा, आर्द्रता, बादल और वर्षण ये मौसम और जलवायु के महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं, जो पृथ्वी पर मुनष्य के जीवन को प्रभावित करते हैं।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

प्रश्न 3.
वायुमण्डल की संरचना के बारे में लिखिए।
उत्तर:
वायुमण्डल का निर्माण लगभग एक अरब वर्ष पूर्व हुआ। यह अनेक गैसों का मिश्रण है। नाइट्रोजन 78.8% तथा ऑक्सीजन 20.95% मुख्य गैसें हैं। इनके अतिरिक्त आर्गन, कार्बन डाइऑक्साइड, नीऑन, हीलियम, क्रेप्टो, जेनन तथा हाइड्रोजन भी कुछ मात्रा में है। वायुमण्डल में पाँच मुख्य संस्तर हैं-क्षोभमण्डल, समतापमण्डल, मध्यमण्डल, आयनमण्डल, बाह्ममण्डल । कुल वायुमण्डल का 99% भाग भूपृष्ठ से 32 कि.मी. की ऊँचाई तक सीमित हैं और गुरुत्वाकर्षक बल द्वारा पृथ्वी से सटा हुआ है। वायुमण्डल को ऊर्जा सूर्य से मिलती है।

प्रश्न 4.
वायुमण्डल के सभी संस्तरों से क्षोभमण्डल सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण क्यों हैं?
उत्तर:
क्षोभमण्डल वायुमण्डल का सबसे नीचे का संस्तर है। इसकी ऊंचाई 13 किमी है, तथा यह ध्रुव के निकट 8 किमी तथा विषुवत् रेखा पर 18 किमी की ऊँचाई तक है। इस मण्डल में धुलकण तथा जलवाष्प मौजूद होते हैं। मौसम में परिवर्तन इसी संस्तर में होता है। इस संस्तर में प्रत्येक 165 मी. की ऊँचाई पर तापमान 1°C घटता है। जैविक क्रिया के लिए यह सबसे महत्त्वपूर्ण संस्तर है।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

प्रश्न 5.
ग्रीन हाऊस प्रभाव से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
वायु प्रदूषण से सम्बन्धित एक बड़ी समस्या विश्व के तापमान में वृद्धि (Global Warming) या हरित गृह प्रभाव (Green House effect) है । मानवीय स्त्रोतों से उत्पन्न कुछ गैस कार्बन डायऑक्साइड, ओजोन, नाइट्रस ऑक्साइड और मीथेन है, जो हरित गृह प्रभाव में वृद्धि करतें हैं। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण कार्बन डाइऑक्साइड है, जो सौर ऊर्जा को पृथ्वी की ओर आने तो देता है, किन्तु पृथ्वी से जो धरातलीय विकरण होता है, उसे बाहर जाने से रोकती है और उसका अवशोषण करता है। अतः वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड के वृद्धि होने से पृथ्वी की सतह और वायुमण्डल के निचले भाग में तापमान की वृद्धि होती है जिसे हरित गृह प्रभाव कहा जाता है।

प्रश्न 6.
वायुमण्डल के मुख्य संघटनों का संक्षिप्त विवरण दें।
उत्तर:
1. वायुमण्डल गैसों का एक आवरण है, जो भूपृष्ठ के ऊपर हजारों किमी. की ऊँचाई तक फैला है। लगभग 90 किमी. की ऊँचाई तक यह तीन प्रमुख गैसों-नाइट्रोजन, ऑक्सीजन तथा आर्गन में एक समान है। इसके अतिरिक्त इनमें नियॉन, क्रिप्टन एवं जीनॉन जैसी दुर्लभ गैसें हैं, जिन्हें उत्कृष्ट गैसें कहते हैं।

2. 90 किमी. से ऊपर का संघटन अधिकाधिक हल्की गैसों की वृद्धि के साथ परिवर्तित होने लगता है। इसमें कम मात्रा में कार्बन डाय ऑक्साइड, जलवाष्प, ओजोन, अक्रीय गैसें जैसे जीनॉन, क्रिप्टन, नियान, आखान तथा अधिक मात्रा में ठोस एवं द्रव कण जिन्हें सामूहिक रूप से वायु कहते है।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए

प्रश्न 1.
वायुमण्डल की संरचना की व्याख्या करें।
उत्तर:
वायुमण्डल विभिन्न प्रकार की गैसों का मिश्रण है और यह पृथ्वी को सभी ओर से ढके हुए है। इसमें मनुष्यों एवं जन्तुओं के जीवन के लिए आवश्यक गैसों जैसे ऑक्सीजन तथा पौधों के लिए कार्बन डाइऑक्साइड पाई जाती है। वायु पृथ्वी के द्रव्यमान का अभिन्न भाग है, तथा इसके कुल द्रव्यमान का 99% पृथ्वी की सतह से 32 किमी की ऊँचाई तक स्थित है । वायु रंगहीन तथा गंधहीन होती है, तथा जब यह पवन की तरह बहती है, तभी हम इसे महसूस कर सकते हैं। वायुमण्डल अलग-अलग घनत्व तथा तापमान वाले विभिन्न परतों का बना होता है। पृथ्वी की सतह के पास घनत्व अधिक होता है, जबकि ऊँचाई बढ़ने के साथ-साथ यह घटता जाता है। तापमान की स्थिति के अनुसार वायुमण्डल को पाँच विभिन्न संस्तरों में बांटा गया है। ये हैं-क्षोभमण्डल, समतापमण्डल, मध्यमण्डल, आयनमण्डल, बाह्यमण्डल।

क्षोभमण्डल वायुमण्डल का सबसे नीचे का संस्तर है.। इसकी ऊँचाई 13 किमी है। यह ध्रुव के निकट 8 किमी तथा विषुवत रेखा पर 18 किमी की ऊँचाई तक है। क्षोभमण्डल की मोटाई विषुवत् रेखा पर सबसे अधिक है; क्योंकि तेज वायु प्रवाह के कारण ताप का अधिक ऊँचाई तक सम्वहन किया जाता है। इस संस्तर में धुलकण तथा जलवाष्प मौजूद होते हैं। मौसम में परिवर्तन इसी संस्तर में होता है। इस संस्तर में प्रत्येक 165मी की ऊँचाई पर तापमान 1°C घटता है। जैविक क्रिया के लिए यह सबसे महत्त्वपूर्ण संस्तर है। वायुमण्डल का सबसे ऊपरी संस्तर जो आयनमण्डल के ऊपर स्थित होता है, उसे बाह्यमण्डल कहते हैं। यह सबसे ऊँचा संस्तर है, तथा इसके बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। इस संस्तर में मौजूद सभी घटक विरल है, जो धीरे-धीरे बाहरी आंतरिक्ष में मिल जोते हैं।

प्रश्न 2.
वायुमण्डल की संरचना का चित्र खींचे और व्याख्या करें।
उत्तर:
वायुमण्डल विभिन्न प्रकार की गैसों का मिश्रण है। इनमें सबसे अधिक 78.8% नाइट्रोजन (N2) गैस, ऑक्सीजन (O2)20.95% आर्गन (Ar) 0.93% कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) 0.036% नीऑन (Ne) 0.002% हिलीयम (He) 0.0005% क्रेप्टो (Kr) 00.001% जेनन (Xe) 0.00009% तथा हाइड्रोजन (H20.)00005% पाई जाती है। इसके पांच विभिन्न संस्तर है। वायुमण्डल का चित्र नीचे है।
Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

Bihar Board Class 11 Geography वायुमंडल का संघटन तथा संरचना Additional Important Questions and Answers

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
वायुमण्डल को कितने भागों में विभक्त किया गया है?
उत्तर:
रासायनिक संघटन के आधार पर वायुमण्डल को दो विस्तृत परतों में विभक्त किया गया है-होमोस्फेयर तथा हेट्रोस्फेयर।

प्रश्न 2.
सीमा किसे कहते हैं ?
उत्तर:
होमोस्फेयर की तीन परतें हैं-क्षोभमण्डल. समतापमण्डल तथा मध्यमण्डल । प्रत्येक उप-परत अपने साथ वाली परत से एक पतले संक्रमण क्षेत्र द्वारा अलग होती है, इसे सीमा कहते हैं।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

प्रश्न 3.
जेट वायुयान वायुमण्डल के किस भाग में उड़ते हैं ?
उत्तर:
जेटवायुयान निम्न समतापमण्डल में उड़ते है, क्योंकि यह परत उड़ान के लिए अत्यन्त सुविधाजनक दशाएँ रखती है। यह मण्डल क्षोभ सीमा के ऊपर स्थित है।

प्रश्न 4.
मौसम और जलवायु के प्रमुख तत्त्व कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
मौसम एवं जलवायु के प्रमुख तत्त्व निम्नलिखित है –

  1. तापमान
  2. वायुदाब एवं पवनें
  3. आर्द्रता एवं वर्षण।

ये जलवायु तत्त्व कहलाते हैं, इन्हीं से विभिन्न प्रकार की जलवायु और मौसम की रचना होती है।

प्रश्न 5.
मौसम किसे कहते हैं ?
उत्तर:
किसी दिए गए समय में वायुमण्डल की भौतिक दशा को मौसम कहते है, जैसे ही. ये दशाएँ बदलती हैं, वैसे ही मौसम बदल जाता है।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

प्रश्न 6.
वायुमण्डल किसे कहते हैं?
उत्तर:
वायुमण्डल गैस का एक आवरण हैं, जो पृथ्वी के ऊपर हजारों किलोमीटर की ऊँचाई तक फैला हुआ है। पृथ्वी पर अधिकांश जीवन तथा जीवन प्रक्रियाओं का अस्तित्व वायुमण्डल से जुड़ा हुआ है।

प्रश्न 7.
वायुमण्डल की उत्पत्ति कब हुई?
उत्तर:
वायुमण्डल की उत्पत्ति लगभग पाँच अरब वर्ष पूर्व ठण्डे कणों, मुख्य रूप से लोहे एवं मैग्नीशियम के सिलिकेट, लोहे एवं ग्रेफाइट की अभिवृद्धि द्वारा धीमे परिवर्तनों से हुई।

प्रश्न 8.
वायुमण्डल में नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन की प्रतिशत मात्रा कितनी है ?
उत्तर:
ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन मिलकर स्वच्छ शुष्क हवा के 99 प्रतिशत भाग का निर्माण करती हैं फिर भी जलवायु की दुष्टि से इनकी महत्ता कम है।

प्रश्न 9.
कौन सी गैसें हमें हानिकारक किरणों से बचाती हैं ?
उत्तर:
ओजोन गैस अत्यन्त उपयोगी गैस है, क्योंकि यह पराबैंगनी किरणों का अवशोषण करती है, तथा इन हानिकारक किरणों से पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करती है।

प्रश्न 10.
मौसम तथा जलवायु के प्रमुख चर क्या हैं?
उत्तर:
जलवाष्प एवं धूलकण मौसम एवं जलवायु में प्रमुख चर है। ये सभी प्रकार के संसाधन के स्रोत हैं तथा सूर्य से प्राप्त होने वाली अथवा पृथ्वी से विकसित ऊर्जा के प्रमुख अवशोषक हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
विभिन्न क्षेत्रों में वायुमण्डल का महत्त्व बताएँ।
उत्तर:

  1. जीवन का आधार-पृथ्वी पर मानव जीवन का आधार वायुमण्डल ही है। सौरमण्डल में केवल पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है. जिस पर वायुमण्डल विद्यमान है। ऑक्सीजन और नाइट्रोजन जीवन का आधार है।
  2. ताप सन्तुलन-वायुमण्डल एक ग्रीन हाउस की भाँति कार्य करता है। इस प्रभाव से पृथ्वी का तापमान औसत रूप से 35°C रहता है। वायुमण्डल के बिना बहुत अधिक तापमान पर जीवन असम्भव होता है।
  3. ओजोन परत सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैगनी किरणों से पृथ्वी की रक्षा करती है। आयनमण्डल रेडियो. तरंगों को पृथ्वी पर लौटाकर रेडियो प्रसारण में सहायता करता है।
  4. वायुमण्डल की विभिन्न घटनाएँ, जैसे वाष्पीकरण, वर्षा, पवनें आदि मानव जीवन पर प्रभाव डालती है। सौरमण्डल से पृथ्वी पर गिरने वाली उल्काएँ वायुमण्डल में जलकर नष्ट हो जाती है।

प्रश्न 2.
क्षोभमण्डल तथा समतापमण्डल में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
क्षोभमण्डल तथा समतापमण्डल में अन्तर –
Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

प्रश्न 3.
वायुमण्डल कैसे पृथ्वी से जुड़ा रहता है?
उत्तर:
पृथ्वी पर अधिकांश जीवन वायुमण्डल की तली, जहाँ स्थल तथा महासागर मिलते हैं, पर मौजद है। जीवन प्रतिक्रियाओं का अस्तित्व इससे जुड़ा हुआ है। मानव पर वायुमण्डल का न केवल प्रत्यक्ष बल्कि अप्रत्यक्ष प्रभाव भी है। कुल वायुमण्डल का 99 प्रतिशत भाग भूपृष्ठ से 32 किमी की ऊँचाई तक सीमित है और गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा पृथ्वी से सटा हुआ है।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

प्रश्न 4.
विषमण्डल (हेट्रोस्फेयर) क्या है?
उत्तर:
विषमण्डल (हेट्रोस्फेयर) एक परतदार ऊष्ण मण्डल है, जो मध्य सीमा के ऊपर स्थित है और आंतरिक्ष के आधार तक विस्तृत है। ऊष्ण मण्डल के निम्न भाग में 100 से 400 किमी के मध्य की ऊँचाई तक सीमित है और गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा पृथ्वी से सटा हुआ है।

प्रश्न 5.
वायुमण्डल की स्वच्छ शुष्क हवा के मुख्य संघटक कौन-से हैं ?
उत्तर:
ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन वायुमण्डल की स्वच्छ शुष्क हवा के मुख्य घटक हैं। ये दोनों मिलकर होमोस्फेयर की स्वच्छ शुष्क हवा के 99 प्रतिशत भाग का निर्माण करते हैं।

प्रश्न 6.
कौन-सी गैस कम मात्रा में होने पर भी वायुमण्डल प्रक्रियाओं के लिए महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा कम है, फिर भी वायुमण्डलीय प्रक्रिया में यह एक महत्त्वपूर्ण गैस है। यह ऊष्मा को अवशोषित कर सकता है और इस प्रकार निचले वायुमण्डल को सौर विकिरण तथा पार्थिव विकिरण द्वारा गर्म होने का अवसर प्रदान करता है। प्रकाश संश्लेषण क्रिया में हरे पौधे वायुमण्डल से कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते हैं।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

प्रश्न 7.
वायुमण्डल की परिभाषा बताएँ।
उत्तर:
पृथ्वी के चारों ओर घिरे हुए वायु के आवरण को वायुमण्डल कहते हैं। पृथ्वी की गुरुवाकर्षण शक्ति के कारण वायुमण्डल सदा पृथ्वी के साथ सटा रहता है, तथा पृथ्वी का एक अभिन्न अंग है। वायुमण्डल के कारण ही पृथ्वी पर जीवन है, तथा पृथ्वी एक महत्त्वपूर्ण ग्रह है। वायुमण्डल का निर्माण लगभग एक अरब वर्ष पूर्व हुआ वायुमण्डल अनेक गैसों का मिश्रण है। नाइट्रोजन तथा ऑक्सीजन मुख्य गैसें हैं। वायुमण्डल में पाँच मुख्य संस्तर हैं-क्षोभमण्डल, समतापमण्डल, मध्यमण्डल, आयनमण्डल, बाह्यमण्डल।।

प्रश्न 8.
वायुमण्डल का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
वायुमण्डल का मानवीय जीवन में बहुत महत्त्व हैं –

  1. ऑक्सीजन गैस पृथ्वी पर जीवन का आधार है।
  2. पेड़ – पौधों तथा वनस्पति के लिए कार्बन डाइऑक्साइड महत्त्वपूर्ण है।
  3. वायुमण्डल सूर्यताप की अवशोषित करके ग्लास हाऊस का काम करता है।
  4. वायुमण्डल का जलवाष्प वर्षा का मुख्य साधन है।
  5. वायुमण्डल फसलों, मौसम, जलवायु तथा वायुमार्गों पर प्रभाव डालता है।

प्रश्न 9.
वायुमण्डल की मुख्य परतों के नाम बताएँ।
उत्तर:
वायुमण्डल में मुख्य रूप से पाँच परतें पाई जाती हैं। रासायनिक संरचना के आधार पर वायुमण्डल को इन परतों में विभक्त किया गया है,

  1. क्षोभमण्डल – यह वायुमण्डल की सबसे निचली परत है।
  2. समतापमण्डल – इस भाग में वायूयान उड़ते है।
  3. आयनमण्डल – इसका तापमान आश्चर्यजनक तरीके से बढ़ता है।
  4. बाह्यमण्डल।
  5. चुम्बकमण्डल।

प्रश्न 10.
वायुमण्डल की उत्पत्ति कब हुई?
उत्तर:
वायुमण्डल की उत्पत्ति पाँच अरब वर्ष ठण्डे कणों, मुख्य रूप से लोहे एवं मैग्नीशियम सिलिकेट, लोहे एवं ग्रेफाइट की अभिवृद्धि द्वारा शुरू हुए धीमें परिवर्तनों का परिणाम है। गुरुत्वाकर्षण विखण्डन तथा रेडियोधर्मी क्षति से पृथ्वी गर्म हुई, जिसमें पृथ्वी के केन्द्र में ठोस निकिल, लौह धातु निर्मित क्रोड, द्रव लौह सिलिकेट खोल, मैंटल तथा स्थलमण्डल की रचना हुई। इस प्रक्रिया में गैस का निकास हुआ, जिससे एक नए वायुमण्डल एवं जलमण्डल की रचना हुई। कार्बन नाइटोजन, ऑक्सीजन तथा हाइड्रोजन के यौगिकों की उत्पत्ति, ऊर्जा स्रोतों जैसे बिजली का चमकना, सौर विकिरण अथवा रेडियोधर्मी विसर्जन से हुई।

कार्बन डाइऑक्साइड और भूपर्पटी के सिलिकेट के मध्य हुई प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप कार्बनेट का निर्माण हुआ। अत: कार्बन डाइऑक्साइड धीरे-धीरे वायुमण्डल से लुप्त हो गई। वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा कम हुई। ओजोन ने पृथ्वी पर आने वाली पराबैंगनी विकिरण के विरुद्ध एक परदे या आवरण का काम किया तथा जैविक निक्षेप कोयले एवं तेल भण्डारों के रूप से संचित होने लगे। इन सभी घटनाओं ने मौलिक रूप से पृथ्वी के भू-रसायन को परिवर्तित कर दिया। अधिकांश रासायनिक तत्त्वों के चक्रों का पुन-अभिविन्यास हुआ। इस प्रकार पृथ्वी के वायुमण्डल की रचना हुई।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

प्रश्न 11.
आयनमण्डल का वर्णन करो।
उत्तर:
यह धरातल के ऊपर वायुमण्डल का चौथा संस्तर है। इसकी ऊँचाई 80 से 400 कि.मी. के मध्य है। इस मण्डल में तापमान ऊंचाई बढ़ने के साथ बढ़ता है। यहाँ की हवा विद्युत आवेशित होती है। रेडियो तरंगें इसी मण्डल से परावर्तित होकर पुनः पृथ्वी पर लौट जाती हैं। यह परत रेडियो प्रसारण में उपयोगी है। इसमें तापमान का वितरण असमान एवं अनिश्चित है। इस मण्डल में बड़ी ही विस्मयकारी विद्युतकीय घटनाएँ दृष्टिगोचर होती हैं।

प्रश्न 12.
क्षोभमण्डल सीमा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ऊँचाई के साथ-साथ तापमान में एक असमान दर से परिवर्तन होता है –

  1. 15 किमी तक तापमान में एक असमान दर से परिवर्तन होता है।
  2. 80 किमी तक तापमान स्थिर रहता है।
  3. 80 किमी से ऊपर तापमान में वृद्धि होने लगती है।

इस ऊँचाई के पश्चात् क्षोभमण्डल से ऊपर समतापमण्डल का भाग आरम्भ होता है। समताप मण्डल तथा क्षोभमण्डल को अलग करने वाले संक्रमण क्षेत्र को क्षोभमण्डल सीमा कहते हैं।

प्रश्न 13.
वायुमण्डल में धुल कणों का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
वायुमण्डल में धूल कण निचले भागों में पाए जाते हैं। वायुमण्डल में धूल कणों का कई प्रकार से विशेष महत्त्व है –

  1. धूल कण सौर ताप का कुछ भाग सोख लेते हैं, तथा कुछ भाग परावर्तन हो जाता है। ताप सोख लेने के कारण वायुमण्डल का तापक्रम अधिक हो जाता है।
  2. धूल कण आर्द्रताग्रही नाभि के रूप में काम करते हैं। इनके चारों ओर जलवाष्प का संघनन होता है, जिससे वर्षा, कोहरा, बादल बनते हैं। धूल कणों के अभाव के कारण वर्षा नहीं हो सकती।
  3. धूल कणों के कारण वायूमण्डल की दर्शन क्षमता कम होती है, तथा धुंधलापन छा जाता है।
  4. धूल कणों के सन्योग से कई रंग-बिरगे दृश्य सूर्य उदय, सूर्य अस्त तथा इन्द्रधनुष दृश्य बनते हैं।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

प्रश्न 14.
क्षोभमण्डल को वायुमण्डल की सबसे महत्त्वपूर्ण परत क्यों माना जाता है?
उत्तर:
क्षोभमण्डल वायुमण्डल की सबसे निचली परत है, जो कई कारणों से महत्त्वपूर्ण हैं –

  1. पृथ्वी के धरातल पर जलवायु स्थितियों का निर्माण करने वाली महत्त्वपूर्ण क्रियाएँ इसी परत में होती हैं।
  2. इस परत में गैसों, धूल कण तथा जलवाष्म की मात्रा अधिक पाई जाती है। इसलिए मेघ, वर्षा, कोहरा आदि क्रियाएँ इसी परत में होती हैं।
  3. इस अस्थिर भाग में संवाहिक धाराएँ चलती हैं, जो ताप और आर्द्रता को ऊँचाई तक ले जाती हैं।
  4. इस भाग में संचालन क्रिया द्वारा वायुमण्डल की विभिन्न परतें गर्म होती हैं। ऊंचाई के साथ-साथ तापमान कम होता है। तापमान कम होने की दर 1°C प्रति 165 मीटर हैं।
  5. क्षोभमण्डल में अस्थिर वायु के कारण आँधी-तूफान चलते हैं। वायु परिवर्तन से मौसम परिवर्तन होता है। इसी क्षेत्र मे चक्रवात उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 15.
क्षोभ सीमा पर भूमध्य रेखा के ऊपर न्यूनतम ताप क्यों पाया जाता है?
उत्तर:
पृथ्वी पर निम्नतम तापमान धुवों पर पाया जाता है। परन्तु वायु में क्षोभ सीमा पर निम्नतम तापमान भूमध्य रेखा पर पाया जाता है। क्षोभमण्डल पर भूमध्य रेखा पर -80C तथा ध्रुवों पर-45°C तापमान पाया जाता है। इसका कारण यह है, कि भूमध्य रेखा पर क्षोभ सीमा की ऊँचाई 18 किमी होती है, जबकि ध्रुवों पर यह ऊँचाई केवल 8 किमी होती है। ऊँचाई के साथ तापमान कम होता है, इसलिए अधिक ऊंचाई होने के कारण भूमध्य रेखा पर निग्नताप पाए जाते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
वायुमण्डल की संरचना एवं प्रत्येक परत की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रासायनिक संघटन के आधार पर वायुमण्डल को दो विस्तृत परतों में विभक्त किया गया है-होमोस्फेयर हेट्रोस्फेयर। होमोस्फेयर (सममण्डल)-यह 90 किमी की ऊंचाई के मध्य स्थित है। इसकी तीन परतें हैं-क्षोभमण्डल, समतापमण्डल तथा मध्यमण्डल। प्रत्येक उप-परत अपने साथ वाली परत से एक पतले संक्रमण क्षेत्र द्वारा अलग होती है, जिसे सीमा कहते हैं । क्षोभमण्डल वायुमण्डल की सबसे निचली परत है। यहाँ ऊँचाई के साथ तापमान घटता है। इस परत में तापमान प्रत्येक 100 मीटर. की ऊँचाई पर 0.65°C से कम हो जाता है। इसे सामान्य क्रास दर कहते हैं। सभी वायुमण्डलीय प्रक्रियाएँ, जो जलवायु से सम्बन्धित हैं, इस परत में घटती है।

क्षोभ सीमा के ऊपर समतापमण्डल की स्वच्छ एवं शान्त वायु मौजूद है। इस परत में जलवाष्य का पूर्ण अभाव मेघों के निर्माण को रोकता है, जिससे यहाँ दृश्यता सर्वाधिक होती है। ओजोन परत भी समतापमण्डल में ही है। यह पृथ्वी को पराबैगनी विकिरण से सुरक्षा प्रदान करती है। समताप सीमा के ऊपर मध्यमण्डल स्थित है। इस परत में ऊँचाई के साथ तापमान फिर कम होने लगता है। मध्यमण्डल के उच्च अक्षांशों में गर्मियों में तंतुनुमा मेघ देखने को मिलते है, जो उल्का धूल कणों से परावर्तित सूर्य किरणें हैं।

विषय मण्डल (हेस्ट्रोस्फेयर)-यह एक परतदार उष्णमण्डल है। यह मध्यसीमा के ऊपर स्थिल है और अंतरिक्ष एक विस्तृत क्षेत्र है। उष्णमण्डल के निम्न भाग में 100 से 400 किमी के मध्य की ऊँचाई और वायुमण्डलीय गैसों का आयनीकरण हो जाता है। यह परत रेडियो तरंगों को परावर्तित करती है। आयनीकृत धूल कण अंतर्विराम पर चादर के समान प्रकाश फैलाते हैं, जिसे उत्तरी गोलाद्ध ऑरोरा बोरिलिस तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में ऑरोरा आस्ट्रेलिस कहते हैं। ऊष्णमण्डल के ऊपरी भाग में फिर से आयनों का संकेन्द्रण होता है। इसे एलेन विकिरण पट्टी कहते हैं। सबसे ऊपरी परत को चुबकीय मण्डल भी कहते हैं। इस मण्डल में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हीलियम तथा हाइड्रोजन की विशिष्ट परतें होती है।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

प्रश्न 2.
वायुमण्डल की संरचना एवं प्रत्येक परत की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
पृथ्वी के चारों ओर सैकड़ों किमी की ऊँचाई में आवृत करनेवाला गैसीय आवरण ही वायुमण्डल है। इसकी संरचना लगभग 1 अरब वर्ष पूर्व सम्भावित मानी गयी है, जबकि यह वर्तमान अवस्था में लगभग 58 करोड़ वर्ष पूर्व आया। पृथ्वी का गैसीय आवरण पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण ही बंधा है। वायुमण्डल में वायु एवं गैसों की अनेक संकेन्द्रित परतें विद्यमान है, जो घनत्व, तापमान एवं संभव की दष्टि से एक दूसरे से पूर्णतः भिन्न है।

सामान्यतः वायुमण्डल पाँच मण्डलों में विभक्त है –

  1. क्षोभ मण्डल
  2. समताप मण्डल
  3. मध्य मण्डल
  4. आयन मण्डल
  5. बाह्य मण्डल

1. क्षोभ मण्डल – मानव हेतु अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। ऋतु एवं मौसम सम्बन्धी लगभग सभी घटनाएँ इसी परत में होती है। बादल, वर्षा, धूलकण, आँधी-तूफान आदि मौसम सम्बन्धी घटनाएँ घटित होती है।

2. समताप मण्डल – की ऊँचाई 50km तक मानी जाती है। यहाँ संवाहनीय धाराएँ, आँधी, बादलों की गरज, धूल-कण आदि कुछ भी नहीं पाया जाता है। कभी-कभी मोतियों जैसे दुर्लभ बादल दिखाई पड़ते हैं।

3. मध्य मण्डल – का विस्तार 50 से 90km. तक है, इस परत में ऊँचाई के साथ तापमान गिरने लगता है।

4. आयन मण्डल – इसकी सीमा 100 km. से 400 km. ऊ तक है। यहाँ पर उपस्थित गैस के कण विद्युत आवेशित होते हैं। जिसे आयन मण्डल कहा जाता है।

5. बाह्य मण्डल – वायुमण्डल की सबसे ऊपरी परत बाह्य मण्डल कहा जाता है। यहाँ वायु नहीं के बराबर होती है।

प्रश्न 3.
वायुमण्डल की संरचना एवं संघटन का वर्णन करें।
उत्तर:
वायुमण्डल की संरचना –

  • रासायनिक संघटन के आधार पर वायुमण्डल दो विस्तृत परतें होमोस्फेयर तथा हेट्रोस्फेयर में विभक्त है। होमोस्फेयर 90 कि०मी० तक स्थित है।
  • इसकी तीन तापीय परतें हैं-क्षोभमण्डल, समताप मण्डल तथा मध्य मण्डल।
  • प्रत्येक उपपरत अपने साथ वाली परत से एक पतले संक्रमण क्षेत्र द्वारा अलग होती है, जिसे सीमा कहते है और उसे निचले परत के नाम से जोड़ते हैं, जैसे क्षोभ सीमा।
  • ट्रेटोस्फेयर का रासायनिक संगठन असमान है। इसमें क्रमशः नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हीलियम है। इसमें क्रमशः नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हीलियम तथा हाइड्रोजन की परतदार सरचनाएँ हैं।

वायुमण्डल का संघटन –
1. वायुमण्डल गैस का एक आवरण है, जो भूपष्ठ के ऊपर हजारों किलोमीटर की ऊँचाई तक फैला है। लगभग 90 कि०मी० की ऊंचाई तक यह तीन प्रमुख गैसों-नाइट्रोजन, ऑक्सीजन तथा आरगन में एक समान है। इसके अतिरिक्त इनमें नियॉन क्रिप्टन एवं नीयॉन जैसी दुर्लभ गैसें है, जिन्हें उत्कृष्ट गैसें भी कहते हैं।

2. ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन मिलकर होमोस्फेयर की स्वच्छ शुष्क हवा के 99 प्रतिशत भाग का निर्माण करते है। इसके अतिरिक्त कार्बन डायऑक्साइड, जलवाष्प ओजोन, अक्रिय गैसें जैसे-क्रिप्टन निर्यान, आरगन तथा अधिक मात्रा में ठोस एवं द्रव कण जिन्हें सामूहिक रूप से सेरोसॉल या वायुविलय कहते हैं। .

प्रश्न 4.
वायुमण्डल की रचना का विस्तार से वर्णन करें।
उत्तर:
वायुमण्डल अनेक गैसों, जलवाष्प तथा धूल कणों के मिश्रण से बना हुआ है। वायुमण्डल में ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन प्रमुख गैसें हैं। ये दोनों मिलकर वायुमण्डल का 99 प्रतिशत भाग का निर्माण करती है। शेष 1 प्रतिशत में अन्य गैसें कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन, ओजोन, आर्गन, हाइड्रोजन, हीलियम आदि शामिल हैं। इन गैसों की मात्रा कम व अधिक होती रहती है। भारी गैसें वायुमण्डल की निचली परतों में तथा हल्की गैसें ऊपरी परतों में पाई जाती हैं ऑक्सीजन, नाइट्रोजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड जीव-जन्तुओं तथा पौधों के जीवन का मूल आधार है।
Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना
वायुमण्डल में लगभग 2% मात्रा में जलवाष्प पाया जाता है। ऊँचाई के साथ जलवाष्प की मात्रा कम होती जाती है। कुल जलवाष्प का लगभग आधा हिस्सा दो हजार मीटर ऊँचाई के नीचे पाया जाता है। जलवाष्प तापमान पर भी निर्भर करता है। भमध्य रेखा से धवों की ओर जलवाष्प की मात्रा कम होती जाती है। पृथ्वी पर वर्षा एवं संघनन का मुख्य स्रोत जलवाष्प ही है। सूर्यताप को सोखकर जलवाष्प तापक्रम नियन्त्रण करता है । इसके अतिरिक्त वायुमण्डल में बहुत अधिक ठोस कण पाए जाते हैं जिनमें धूलकण प्रमुख है। इनके स्रोत मरुस्थलीय मैदान, समुद्री तट, शुष्क घाटियाँ तथा झील तल होते हैं। धूल कण सूर्यताप को बिखेरते तथा विकेन्द्रित करते हैं। धूल कण अधिकतर वायुमण्डल के निचले हिस्सों में पाए जाते हैं। वायुमण्डल में धूल कणों का विशेष महत्त्व है।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

प्रश्न 5.
वायुमण्डलीय क्रियाएँ मौसम तथा जलवायु को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? वर्णन करें। अथवा, मौसम और जलवायु के मुख्य तत्त्वों तथा जलवायु के प्रमुख नियन्त्रकों की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
मौसम और जलवायु के प्रमुख तत्त्व हैं –

  • तापमान
  • वायुदाब एवं पवनें
  • आर्द्रता एवं वर्षण।

ये जलवायु तत्त्व कहलाते हैं, क्योंकि इन्हीं से विभिन्न प्रकार के मौसम और जलवायु के प्रकारों की रचना होती है। तापमान तथा वर्षण मुख्य आधारभूत तत्त्व है, जिनसे वायुदाब, पवनें तथा अन्य तत्त्व जुडे हुए हैं। व्यावहारिक रूप से पृथ्वी पर समस्त ऊर्जा सूर्याताप अथवा सूर्य से आने वाले विकिरणों को फल है । पृथ्वी के तापमान के असमान वितरण से वायुदाब में भिन्नता आती है, जिससे पवनों की उत्पत्ति होती है। वायुमण्डल में आर्द्रता जलवाष्प के रूप में उपस्थित रहती है, जो अक्सर संघटित होकर मेघों को जन्म देती हैं। इसका वर्षण वर्षा, ओले, बजरी अथवा हिम के रूप में हो सकता है। वायु की अपने अन्दर जलवाष्य रखने की क्षमता इसके तापमान पर निर्भर करती है। जलवायु नियंत्रकों के कारण जलवायु के तत्त्व एक स्थान से दूसरे स्थान पर भिन्न-भिन्न होते हैं।

जलवायु नियन्त्रक निम्न हैं –

  • अक्षांश अथवा सूर्यताप
  • स्थल एवं जल का वितरण
  • अर्धस्थाई उच्च दाब एवं निम्न दाब की विशाल पट्टियाँ
  • पवनें
  • ऊँचाई
  • महासागरीय धाराएँ
  • विभिन्न प्रकार के तुफान
  • पर्वतीय अवरोध

ये नियन्त्रक विभिन्न गहनता तथा विभिन्न संयोजनों के साथ काम करते हुए, तापमान एवं वर्षण में परिवर्तन लाते हैं, जो विभिन्न प्रकार की जलवायु और मौसम के लिए उत्तरदायी हैं।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें –

  1. होमोस्फेयर
  2. वायुमण्डलीय गैसों का आयनीकरण।

उत्तर:
1. होमोस्फेयर (सममण्डल) – वायुमण्डल की सबसे निचली परत क्षोभमण्डल कहलाती है। यह भूमध्य रेखा पर 16 किमी. तथा धुवों पर 10 किमी की ऊँचाई पर स्थिल है। यहाँ तापमान घटता जाता है, क्योंकि वायुमण्डल अधिकतर भूपृष्ठ द्वारा विकरित ऊष्मा से गर्म होता है। इस परत में तापमान प्रत्येक 100 मीटर की ऊँचाई पर 0.65°C कम हो जाता है। इसे सामान्य ह्यास दर कहते हैं। क्षोभ सीमा के पास यह न्यूनतम -60°C पर पहुँच जाता है सभी वायुमण्डलीय प्रक्रियाएँ जो जलवायविक तथा मौसमी दशाओं के लिए उत्तरदायी हैं, इस परत में घटती हैं।

क्षोभ सीमा के ऊपर समतामण्डल की स्वच्छ एवं शान्त वायु मौजूद है। ओजोन परत भी समतापमण्डल में ही है। इसकी अधिकता 20 से 22 किमी. ऊँचाई वाले क्षेत्र में है। ओजोन परत पृथ्वी को पराबैगनी विकिरण से सुरक्षा प्रदान करती है। तापमान समतापमण्डल के आधार पर -600 C से बढ़कर इसकी ऊपरी सीमा पर जिसे समताप सीमा कहते हैं,0°C हो जाता है। समताप सीमा के ऊपर मध्यमण्डल स्थित है, जो 50 से 90 किमी की ऊँचाई के मध्य स्थित है।

2. वायुमण्डलीय गैसों का आयनीकरण – उष्णमण्डल अंतरिक्ष के आधार तक विस्तृत है। इस परत का तापमान आश्चर्यजनक तरीके से बढ़ता है। उष्णमण्डल के निम्न भाग में 100 से 400 किमी के मध्य ऊँचाई पर वायुमण्डलीय गैसों का आयनीकरण हो जाता है। इन आयनीकृत कणों का 250 किमी. की ऊंचाई पर सर्वाधिक संकेन्द्रता होता है। यह परत रेडियो तरंगों को परिवर्तित करती है।

आयनीकृत धूलकण अंत विराम पर चादर के समान प्रकाश फैलाती है, जिसे उत्तरी गोलार्द्ध में ऑरोरा बोरिलिस और दक्षिणी गोलार्ध में ऑरोरा आस्ट्रेलिस कहते हैं। उष्णमण्डल के ऊपरी भाग में फिर से आयनों का संकेन्द्रण होता है। इसे वान एलेन विकिरण पट्टी कहते हैं। सबसे ऊपरी भाग को चुम्बकीय मण्डल भी कहते हैं । ऊष्णमण्डल में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, हीलियम तथा हाइड्रोजन की विशिष्ट परतें हैं, जो भूपृष्ठ से क्रमशः 200 किमी., 1000 किमी, 2600 किमी. तथा 9600 किमी. की औसत ऊँचाईयों पर स्थित हैं।

Bihar Board Class 11 Geography Solutions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

प्रश्न 7.
वायुमण्डल के संघटन और ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, तथा कार्बन डाइऑक्साइड के महत्त्व की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
लगभग 90 किमी. की ऊँचाई तक नाइट्रोजन, ऑक्सीजन तथा आर्गन एक समान है। इसके अतिरिक्त इनमें नियॉन, क्रिष्टन, एवं जीनॉन जैसी दुलर्भ गैसें हैं। इन्हें उत्कृष्ठ गैसें भी कहते हैं। ये अक्रिय गैसें हैं। यह परत सामान्यतः होमोस्फेयर या सममण्डल कहलाती है। ऑक्सीजन एवं नाइट्रोजन मिलकर होमोस्फेयर की स्वच्छ शुष्क हवा के 99 प्रतिशत भाग का निर्माण करते हैं। इसके अतिरिक्त कम मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प, आजोन, अक्रिय गैसें तथा अधिक मात्रा में ठोस एवं द्रव कण, जिन्हें, सामूहिक रूप से ऐरासॉल या वायु-विलय कहते है, शामिल हैं।

नाइट्रोजन अन्य पदार्थों के साथ रासायनिक संयोग नहीं करता है, लेकिन मृदा में स्थिर हो जाता है। यह एक घोलक का काम करता है तथा दहन को नियन्त्रित करता है। इसके विपरीत, ऑक्सीजन लगभग सभी तत्त्वों के साथ मिल जाता है और अत्यधिक दहनशील है। यद्यपि वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड का भाग कम है फिर भी वायुमण्डलीय प्रक्रिया में यह एक महत्त्वपूर्ण गैस है।

यह ऊष्मा को अवशोषित कर सकता है और इस प्रकार निचले वायुमण्डल को सौर विकिरण तथा पार्थिव विकिरण द्वारा गर्म करता है। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में हरे पौधे वायुमण्डल से कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करते हैं। ओजोन बहुत कम मात्रा में समतापमण्डल में भूपृष्ठ के मध्य मिलती है, परन्तु यह अत्यन्त उपयोगी गैस है, यह परबैंगनी किरणों का अवशोषण करती हैं और हानिकारक किरणों से भूपृष्ठ पर जीवन की रक्षा करती हैं।

वायुमण्डल का संघटन – (देखें तालिका 8.1)
जलवाष्प एवं धूल कण मौसम एवं जलवायु के प्रमुख चर हैं। ये सभी संघनन के स्रोत है, तथा सूर्य से प्राप्त होने वाली अथवा पृथ्वी से विकिरित ऊर्जा के प्रमुख अवशोषक हैं। ये वायुमण्डल की स्थिरता को भी प्रभावित करते हैं। वायुमण्डल में जलवाष्य की मात्रा विषुवत रेखा से ध्रुवों की ओर जाने के साथ कम होती जाती है। इसका लगभग 90 प्रतिशत भाग वायुमण्डल से 6 किमी नीचे रहता है। वायुमण्डल के इस भाग में ही धूल कण, नमक तथा पराग आदि के ठोस कण निलम्बित रहते है।

वायुमण्डल की ऊपरी परत मे अति सूक्ष्म धूल कण पृथ्वी पर आने वाली सूर्य की किरणों को प्रकीर्णन कर देते हैं और नीले रंग के अतिरिक्त सभी रंगों को अवशोषित कर लेते हैं। इसके विपरीत बड़े आकार वाले कण सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय के लाल और नारंगी रंगों के लिए उत्तरदायी हैं।