BSEB Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Short Answer Type Part 1 are the best resource for students which helps in revision.
Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Short Answer Type Part 1 in Hindi
प्रश्न 1.
उपभोक्ता संतुलन का क्या अर्थ है ? इसकी मान्यताएँ लिखें।
उत्तर:
अर्थशास्त्र में उपभोक्ता संतुलन से अभिप्राय उस स्थिति से है जब एक उपभोक्ता दी हुई आय से एक या दो वस्तुओं को इस प्रकार खरीदता है कि उसे अधिकतम संतुष्टि होती है। और उसमें परिवर्तन लाने की प्रवृति जुड़ी होती है।
उपभोक्ता संतुलन की मान्यताएँ निम्नलिखित हैं-
- मौद्रिक रूप में सीमांत उपयोगिता = मूल्य
- मौद्रिक रूप मे कुल उपयोगिता तथा कुल व्यय में अन्तर का अधिकतम होना।
प्रश्न 2.
माँग तालिका की सहायता से माँग के नियम की व्याख्या करें।
उत्तर:
अर्थशास्त्र के अनुसार मूल्य और माँग में विपरीत सम्बंध है। इसीलिए माँग का नियम लागू होता है। यदि अन्य शर्ते सामान्य रहती है तो बाजार में जब किसी वस्तु का मूल्य बढ़ जाता है। उसकी माँग कम हो जाती है। दूसरी ओर जब किसी वस्तु का मूल्य कम हो जाता है तो उसकी माँग बढ़ जाती है। यही माँग का नियम है।
माँग के नियम को माँग तालिका द्वारा भी स्पष्ट किया जाता है। इस तालिका के द्वारा माँग के नियम को इस प्रकार दिखाया जा सकता है-
जिस तालिका में मूल्य और खरीदी गई वस्तु की मात्रा को सम्बंध को दिखाया जाता है उसे माँग की तालिका कहते हैं।
प्रश्न 3.
पूर्णतया लोचदार तथा पूर्णतया बेलोचदार माँग का अर्थ लिखें।
उत्तर:
पूर्णतया लोचदार माँग- जब किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन नहीं होने पर भी अथवा बहुत सूक्ष्म परिवर्तन होने पर माँग में बहुत अधिक परिवर्तन हो जाता है तब उस वस्तु की माँग पूर्णयता लोचदार कही जाती है। पूर्ण लोचदार माँग को अन्नत लोचदार माँग भी कहते हैं।
पूर्णयता बेलोचदार माँग- जब किसी वस्तु की कीमत में परिवर्तन होने पर भी उसकी माँग में कोई परिवर्तन नहीं होता है तो इसे पूर्णयता बेलोचदार माँग कहते हैं। इस स्थिति में माँग की लोच शून्य होती है।
प्रश्न 4.
सीमान्त उत्पादन तथा औसत उत्पादन के सम्बन्ध को बताएं।
उत्तर:
औसत उत्पादन तथा सीमांत में सम्बंध-
- औसत उत्पादन जब तक बढ़ता है जब तक सीमांत उत्पादन से अधिक होता है।
- औसत उत्पादन उस समय अधिकतम होता है जब सीमांत उत्पादन औसत उत्पादन के बराबर होता है।
- औसत उत्पादन तब गिरता है जब सीमांत उत्पादन औसत उत्पादन से कम होता है।
प्रश्न 5.
अवसर लागत क्या है ?
उत्तर:
अवसर लागत से अभिप्राय उनसभी कष्ट त्याग और प्रयत्नों से है जो कि उत्पादन के साधनों की किसी वस्तु का उत्पादन करने के लिए उठाने पड़ते हैं।
प्रश्न 6.
कुल आगम, औसत आगम तथा सीमान्त आगम से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
कुल आगम- एक फर्म द्वारा अपनी वस्तु की एक निश्चित मात्रा की बिक्री से जो राशि प्राप्त होती है उसे कुल आगम कहते हैं। औसत आगम- औसत आगम की गणना करने के लिए कुल आगम को बेची गयी मात्रा से विभाजित किया जाता है।
सीमांत आगम- किसी फर्म द्वारा अपनी वस्तु की एक इकाई कम या अधिक बेचने से कुल आगम में जो परिवर्तन आता है उसे सीमांत आगम कहते हैं।
प्रश्न 7.
आर्थिक क्रिया क्या है ?
उत्तर:
आर्थिक क्रियाएँ वैसी क्रियाएँ हैं जिनसे आय के रूप में धन की प्राप्ति होती है। आर्थिक क्रियाएँ तीन प्रकार की होती हैं-
- व्यवसाय
- पेशा
- रोजगार या नौकरी।
प्रश्न 8.
माँग को प्रभावित करने वाले किन्हीं पाँच कारकों का उल्लेख करें। अथवा, माँग के निर्धारकों की व्याख्या करें।
उत्तर:
वे तत्व जो किसी वस्तु की माँगी गई मात्रा को प्रभावित करते हैं माँग को निर्धारित करने वाले तत्त्व कहलाते हैं। ये मुख्य तत्त्व निम्नलिखित हैं-
(i) संबंधित वस्तुओं की कीमतें (Prices of related goods)- प्रतिस्थापन वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर दी गई वस्तु की माँग में वृद्धि हो जाती है। जैसे-चाय की कीमत में वृद्धि होने पर उसकी प्रतिस्थापन वस्तु कॉफी की माँग में वृद्धि हो जाती है। एक पूरक वस्तु की कीमत में वृद्धि होने पर दी गई वस्तु की माँग में कमी हो जाती है। पेट्रोल की कीमत में वृद्धि होने पर मोटर गाड़ी की माँग में कमी हो जाती है।
(ii) आय (Income)- उपभोक्ता की आय में वृद्धि होने पर वस्तु की माँग में वृद्धि हो जाती है यह वस्तु पर निर्भर करता है कि वस्तु सामान्य वस्तु है अथवा घटिया वस्तु है।
(ii) रुचि, स्वभाव आदत (Taste, Preference and Habit)- यदि रुचि, स्वभाव और आदत में परिवर्तन अनुकूल हो तो वस्तु की माँग में वृद्धि होती है।
(iv) जनसंख्या- जनसंख्या बढ़ने पर माँग बढ़ती है और इसमें कमी होने पर माँग में कमी आती है।
(v) संभावित कीमत- वस्तु की संभावित कीमत बढ़ने या घटने पर उसकी वर्तमान माँग में वृद्धि या कमी आयेगी।
प्रश्न 9.
ह्रासमान सीमांत का नियम क्या है ?
उत्तर:
ह्रासमान सीमांत उत्पाद नियम यह दर्शाता है कि रोजगार के एक निश्चित स्तर के बाद एक साधन की सीमांत उत्पाद घटता है।
जब परिवर्तनशील साधन की इकाइयाँ अत्यधिक हो जाती हैं तो सीमांत उत्पाद शून्य एवं ऋणात्मक हो जाता है।
प्रश्न 10.
पूँजी पर्याप्तता अनुपात मापदण्ड क्या है ?
उत्तर:
वाणिज्यिक बैंकों के लिए पूँजी पर्याप्तता अनुपात मापदण्ड लागू किए गए हैं जिसके अंतर्गत भारत में कार्यरत सभी बैंकों को 8% की पूँजी पर्याप्तता मानक को प्राप्त करना अनिवार्य किया गया। देश के सभी सर्वाधिक बैंकों ने यह पूँजी पर्याप्तता प्राप्त कर लिया है।
प्रश्न 11.
हरित GNP किसे कहते हैं ?
उत्तर:
हरित GNP की अवधारणा का विकास आर्थिक विकास के मापक के रूप में किया जा रहा है। GNP को माननीय कुशलता को मापने के लायक इसी संदर्भ में हरित GNP आर्थिक संवृद्धि की कसौटी प्राकृतिक संसाधनों के विवेकशील विदोहन और विकास के हित लाभों के समान वितरण पर जोर देती है। अर्थात् GNP का संबंध प्राकृतिक संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग, संरक्षण एवं समाज के विभिन्न वर्गों में उनके न्यायोचित बँटवारे से है।
प्रश्न 12.
मौसमी बेरोजगारी किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जब किसी व्यक्ति को रोजगार की प्राप्ति नहीं होती है तो इसे बेरोजगारी कहा जाता है। बेरोजगारी विभिन्न प्रकार की होती है जिसमें मौसमी बेरोजगारी भी एक है। जब वर्षभर में किसी विशेष मौसम में लोगों को रोजगार की प्राप्ति नहीं है और वे बेरोजगार बने रहते हैं तो इस स्थिति को मौसमी बेरोजगारी कहा जाता है, जैसे-गर्मी के दिनों में खेतों में कृषि-कार्य नहीं होता है। इसलिए इस मौसम में मजदूर बेरोजगार हो जाते हैं।
प्रश्न 13.
जमाराशि क्या है ?
उत्तर:
बैंक में लोग अपने जमा पूँजी को विभिन्न खाता खोलकर उसे जमा के रूप में रखते हैं तो इसे जमाराशियाँ कहते हैं। जमाराशियों की रकम पर बैंक खाताधारी को एक निश्चित दर से ब्याज देती है।
प्रश्न 14.
समाशोधन गृह को परिभाषित करें।
उत्तर:
केन्द्रीय बैंक के समाशोधन गृह का अर्थ है वह विभिन्न बैंकों के एक-दूसरे के लेन-देन न्यूनतम नकदी के साथ निपटा देती है। क्योंकि प्रत्येक बैंक के कोष तथा खाते केंद्रीय बैंक के पास होते हैं। इसलिए केंद्रीय बैंक के लिए यह तर्कपूर्ण तथा सरल कदम है कि वह व्यापारिक बैंकों के लिए समाशोधन गृह का कार्य करे।
प्रश्न 15.
बजट क्या है ? परफॉर्मेंस बजट और जेंडर बजट की व्याख्या करें।
उत्तर:
वैसा विवरण-पत्र जिसमें आय और व्यय के अनुमानित आँकड़े दिए हुए रहते हैं तो ऐसे विवरण को बजट कहा जाता है। इसी विवरण-पत्र के आधार पर प्राप्त आय से खर्चों को पूरा किया जाता है।
प्रो० शिराज ने बजट की परिभाषा देते हुए कहा है कि ‘बजट आय और व्यय का वार्षिक विवरण है।’ इसी विवरण के आधार पर आय को प्राप्त किया जाता है और खर्च को पूरा किया जाता है।
बजट विभिन्न प्रकार के होते हैं-घरेलू बजट तथा सरकारी बजट।
परफारमेंस बजट एक ऐसा बजट है जिस बजट के द्वारा बजट में दिए गए आय और व्यय के विवरण के अनुसार बजट का परफार्मेंस होता है। यानि जितनी आय की प्राप्ति होती है उसी के अनुसार व्यय को पूरा किया जाता है। दूसरी ओर जेन्डर बजट एक ऐसा बजट है जिससे अनुमानित आँकड़ों में परिवर्तन नहीं होता है। बल्कि आय और व्यय में जितने आँकड़े दिए हुए रहते हैं उसी के अनुसार काम किया जाता है।
प्रश्न 16.
स्थिर एवं लोचशील विनिमय दर में अंतर बताइए।
उत्तर:
स्थिर एवं लोचशील विनिमय दर में निम्नलिखित अंतर हैं-
स्थिर विनिमय दर:
- विनिमय दर, सरकार द्वारा घोषित की जाती है।
- इस व्यवस्था के अंतर्गत विदेशी केन्द्रीय बैंक अपनी मुद्राओं की एक निर्धारित कीमत पर खरीदने व बेचने के लिए तत्पर रहते हैं।
- इसमें परिवर्तन नहीं आते हैं।
लोचशील विनिमय दर:
- लोचशील विनिमय अंतर्राष्ट्रीय बाजार में माँग व पूर्ति की शक्तियों द्वारा निर्धारित होती है।
- इस व्यवस्था के अंतर्गत विनिमय दर स्वतंत्र रूप से विदेशी विनिमय बाजार में निर्धारित होता है।
- इसमें सदैव परिवर्तन आते रहते हैं।
प्रश्न 17.
कुल राष्ट्रीय उत्पाद तथा शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
किसी देश के अंतर्गत एक वर्ष में जितनी वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है, उनके मौद्रिक मूल्य को कुल राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है। इसे इस रूप में व्यक्त किया जाता है-
कुल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) = कुल घरेलू उत्पाद (GDP) + देशवासियों द्वारा विदेशों में अर्जित आय – विदेशियों द्वारा देश में अर्जित आय।
लेकिन कुल राष्ट्रीय उत्पाद में से घिसावट का व्यय घटा देने पर जो शेष बचता है उसे शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद कहा जाता है। इस प्रकार कुल राष्ट्रीय उत्पाद की धारणा एक विस्तृत धारणा है, जिसके अंतर्गत शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद आ जाता है।
प्रश्न 18.
सरकार के बजट से आप क्या समझते हैं ? अथवा, सरकारी बजट का अभिप्राय क्या है ?
उत्तर:
आगामी आर्थिक वर्ष के लिए सरकार के सभी प्रत्याशित राजस्व और व्यय का अनुमानित वार्षिक विवरण बजट कहलाता है। सरकार कई प्रकार की नीतियाँ बनाती है। इन नीतियों को लागू करने के लिए वित्त की आवश्यकता होती है। सरकार आय और व्यय के बारे में पहले से ही अनुमान लगाती है। अतः बजट आय और व्यय का अनुमान है। सरकारी नीतियों को क्रियान्वित करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपकरण है।
प्रश्न 19.
कुल घरेलू उत्पाद तथा शुद्ध घरेलू उत्पाद में क्या अंतर है ? बताएँ।
उत्तर:
किसी देश की सीमा में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के सकल मूल्य को कुल घरेलू उत्पाद कहा जाता है। इसमें घिसावट भी शामिल होता है।
इसके विपरीत कुल घरेलू उत्पाद में से घिसावट निकालने पर जो शेष बचता है उसे शुद्ध घरेलू उत्पाद कहा जाता है। यह देश की सीमा में उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का शुद्ध मूल्य होता है।
प्रश्न 20.
खाद्यान्न उपलब्धता गिरावट सिद्धांत से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
1998 के नोबेल पुरस्कार विजेता भारतीय अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन ने एक नये सिद्धांत का प्रतिपादन किया है, जिसे खाद्यान्न उपलब्धता गिरावट सिद्धांत के नाम से जाना जाता है। इस सिद्धांत के अनुसार बाढ़, सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण खाद्यान्न के उत्पादन में कमी आती है। फलतः खाद्यान्न की पूर्ति माँग की तुलना में कम हो जाती है। पूर्ति के सापेक्ष खाद्यान्न की आंतरिक माँग खाद्यान्न की कीमतों को बढ़ाती है जिसके परिणामस्वरूप निर्धन व्यक्ति खाद्यान्न उपलब्धता से वंचित हो जाते हैं और क्षेत्र में भूखमरी की समस्या उत्पन्न होती है।
प्रश्न 21.
उपभोक्ता संतुलन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
अर्थशास्त्र में उपभोक्ता संतुलन से अभिप्राय उस स्थिति से है जब एक उपभोक्ता दी हुई आय से एक या दो वस्तुओं को इस प्रकार खरीदता है कि उसे अधिकतम संतुष्टि होती है और उसमें परिवर्तन लाने की कोई प्रवृत्ति जुड़ी होती है।
प्रश्न 22.
एक द्वि-क्षेत्र अर्थव्यवस्था से आय के चक्रीय प्रवाह को दर्शायें।
उत्तर:
परिवार मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए फर्मों को साधन-सेवाएँ प्रदान करते हैं। इन सेवाओं का प्रयोग कर फर्मे वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करते हैं और उत्पादित वस्तुओं को परिवार को उनकी सेवाओं के बदले देती हैं। इस प्रकार परिवार और फर्मों के मध्य साधनसेवाओं और वस्तुओं का आदान-प्रदान या प्रवाह चक्रीय रूप से चलता रहता है। इसे वास्तविक प्रवाह कहा जाता है। वास्तविक प्रवाह का तात्पर्य परिवार और फर्मों के मध्य साधन-सेवाओं और वस्तुओं के प्रवाह से है। साधन-सेवाओं और वस्तुओं का भुगतान मुद्रा के रूप में होता है। साधन-सेवाओं के बदले फर्मे परिवारों को सेवा भुगतान देती है तथा वस्तु पूर्ति के बदले परिवार फर्मों को वस्तुओं का भुगतान देते हैं। इस प्रकार सेवा भुगतान के रूप में फर्मों से परिवार को तथा वस्तु भुगतान के रूप में परिवार से फर्मों को निरंतर आय का मुद्रा के रूप में प्रवाह होता है। इसे आय क प्रवाह या मुद्रा प्रवाह कहा जाता है। चित्र के माध्यम से भी इसे दर्शाया जा सकता है-
प्रश्न 23.
प्रत्यक्ष कर तथा अप्रत्यक्ष कर में अंतर करें।
उत्तर:
प्रत्यक्ष कर तथा अप्रत्यक्ष कर में निम्नलिखित अंतर है-
प्रत्यक्ष कर:
- इस कर को टाला नहीं जा सकता है।
- यह कर प्रगतिशील होता है। आय में वृद्धि के साथ इसमें वृद्धि होती है।
- आय कर, सम्पत्ति कर, निगम कर इसके उदाहरण हैं।
अप्रत्यक्ष कर:
- जिसे व्यक्ति को यह कर चुकाना पड़ता है वह इसे दूसरे व्यक्ति पर टाल सकता है।
- यह प्रगतिशील नहीं होता है।
- बिक्री कर, उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क अप्रत्यक्ष कर के उदाहरण हैं।
प्रश्न 24.
निवेश गुणक क्या है ? उदाहरण के साथ वर्णन कंग अथवा, निवेश गुणक क्या है ? निवेश गुणक की गणना का सूत्र दें।
उत्तर:
केन्ज के अनुसार, “निवेश गुणक से ज्ञात होता है कि जब कुल निवेश में वृद्धि की जाएगी तो आय में जो वृद्धि होगी, वह निवेश में होने वाली वृद्धि से k गुणा अधिक होगी।”
डिल्लर्ड के अनुसार, “निवेश में की गई वृद्धि के परिणामस्वरूप आय में होने वाली वृद्धि के अनुपात को निवेश गुणक कहा जाता है।”
निवेश गुणक का सूत्र-
गुणक को निम्नलिखित सूत्र द्वारा व्यक्त किया जा सकता है : K = \(\frac{\Delta \mathrm{Y}}{\Delta \mathrm{I}}\)
यहाँ K = गुणक, ΔI = निवेश में परिवर्तन, ΔY = आय में परिवर्तन
प्रश्न 25.
आय का चक्रीय प्रवाह समझाइए।
उत्तर:
आय के चक्रीय प्रवाह से अभिप्राय है अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में वस्तुओं और सेवाओं या मुद्रा का प्रवाह। प्रत्येक प्रवाह से ज्ञात होता है कि एक क्षेत्र पूरे क्षेत्र पर कैसे निर्भर करता है।
प्रश्न 26.
साम्य कीमत से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
जिस कीमत पर क्रेता वस्तु को खरीदने के लिए तैयार है तथा विक्रेता बेचने को तैयार है, वह वस्तु की संतुलन या साम्य कीमत होती है। संतुलन कीमत पर वस्तु की माँग और वस्तु की पूर्ति आपस में बराबर होते हैं।
प्रश्न 27.
मौद्रिक प्रवाह तथा वास्तविक प्रवाह में अंतर करें।
उत्तर:
मौद्रिक प्रवाह में मुद्रा फर्मों से परिवारों को साधन भुगतान के रूप में तथा परिवारों से फर्मों को उपयोग व्यय, के रूप में प्रवाहित होती है, जबकि वास्तविक प्रवाह में वस्तुओं का प्रवाह अर्थव्यवस्था के एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाता है।
प्रश्न 28.
‘अर्थशास्त्र चयन का तर्कशास्त्र है।’ इसकी विवेचना करें।
अथवा, अर्थशास्त्र में सीमितता का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
दुर्लभता पर जोर देते हुए रॉबिन्स ने कहा कि मानवीय आवश्यकताएँ अनन्त हैं तथा उसकी पूर्ति के साधन सीमित होते हैं। साथ ही, सीमित साधनों के वैकल्पिक प्रयोग भी संभव होते हैं। ऐसी स्थिति में मनुष्य के सामने चुनाव की समस्या उत्पन्न होती है कि सीमित साधनों के द्वारा किन-किन आवश्यकताओं की पूर्ति करे तथा किन्हें छोड़ दे। फलत: व्यक्ति आवश्यकता की तीव्रता पर ध्यान देते हुए पहले सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता की पूर्ति करता है। उसके बाद कम महत्त्वपूर्ण आवश्यकता की पूर्ति करता ताकि अधिकतम संतोष की प्राप्ति हो सके। इसी कारण रॉबिन्स ने अर्थशास्त्र को चयन का तर्कशास्त्र, कहा है।
प्रश्न 29.
मौद्रिक प्रवाह को परिभाषित करें। अथवा, मुद्रा प्रवाह की परिभाषा दें।
उत्तर:
मौद्रिक प्रवाह का अभिप्राय उस प्रवाह से है जिसमें फर्मों द्वारा उत्पादन के कारकों को उनकी सेवाओं के बदले में ब्याज, लाभ, मजदूरी तथा लगान के रूप में दी गई मुद्रा का प्रवाह फर्मों से परिवार क्षेत्र की ओर होता है। इसके विपरीत उपभोग व्यय के रूप में मुद्रा का प्रवाह परिवार क्षेत्र से फर्मों की ओर होता है।
प्रश्न 30.
बाजार के विस्तार से संबंधित तत्त्व कौन-कौन हैं ?
उत्तर:
बाजार का विस्तार वस्तु के गुण पर निर्भर करता है, जिसके अंतर्गत निम्न बातों का उल्लेख किया जाता है-
- व्यापक माँग
- व्यापक पूर्ति
- टिकाऊपन
- वहनीयता तथा
- मूल्य में स्थिरता।
बाजार के विस्तार पर देश की आंतरिक स्थिति का भी प्रभाव पड़ता है, जिसके अंतर्गत निम्न बातों का उल्लेख किया जाता है-
- शांति एवं सुरक्षा
- यातायात एवं संवादवाहन के साधन
- सरकारी नीति
- मौद्रिक एवं बैंकिंग नीति
- व्यापार का तरीका
- उत्पादन का तरीका।
प्रश्न 31.
बाजार के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख करें।
उत्तर:
प्रतियोगिता के आधार पर बाजार के तीन प्रकार होते हैं-
- पूर्ण प्रतियोगिता का बाजार- वह बाजार जिसमें क्रेताओं और विक्रेताओं की संख्या अधिक होती है, साथ ही इन दोनों के बीच स्वस्थ प्रतियोगिता भी पायी जाती है, पूर्ण प्रतियोगिता का बाजार कहलाता है।
- एकाधिकारी बाजार- वह बाजार जहाँ वस्तु की पूर्ति पर व्यक्ति या उद्योग विशेष का पूर्ण नियंत्रण होता है तथा उनके निकट स्थानापन्न वस्तुएँ भी बाजार में उपलब्ध नहीं होती है, एकाधिकारी बाजार कहलाता है।
- अपूर्ण प्रतियोगिता का बाजार- यह पूर्ण प्रतियोगिता के बाजार तथा एकाधिकार के बाजार का सम्मिश्रण होता है।
प्रश्न 32.
सम सीमान्त उपयोगिता नियम की सचित्र व्याख्या करें।
उत्तर:
सम सीमान्त उपयोगिता नियम यह बतलाता है कि उपभोग के क्रम में उपभोक्ता को अधिकतम । संतोष की. प्राप्ति तभी संभव होती है जबकि वह अपनी सीमित आय को विभिन्न वस्तुओं पर इस प्रकार खर्च करे ताकि विभिन्न वस्तुओं से मिलने वाली सीमान्त उपयोगिता बराबर हो जाय। इस प्रकार जिस बिन्दु पर विभिन्न वस्तुओं से मिलने वाली सीमान्त उपयोगिता बराबर हो जाती है वही बिन्दु उपभोक्ता के संतुलन का बिन्दु या अधिकतम संतोष का बिन्दु कहा जाता है। मार्शल का कहना है “यदि किसी व्यक्ति के पास कोई ऐसी वस्तु हो जो विभिन्न प्रयोगों में लायी जा सके तो वह उस वस्तु को विभिन्न प्रयोगों में इस प्रकार बाँटेगा जिसमें उसकी सीमान्त उपयोगिता सभी प्रयोगों में समान रहे!” यह ऊपर के रेखाचित्र से ज्ञात हो जाता है-
इस रेखाचित्र में xx’ रेखा : वस्तु को एवं yy’ रेखा y वस्तु को बतलाती है। ये दोनों रेखाएँ एक दूसरे को M बिन्दु पर काटती है। यही बिन्दु उपभोक्ता के संतुलन का बिन्दु कहा जायेगा, क्योंकि यहीं पर दोनों वस्तुओं से प्राप्त सीमान्त उपयोगिता एक दूसरे के बराबर हो जाती है।
प्रश्न 33.
साख निर्माण से क्या अभिप्राय है ?
अथवा, साख सृजन की परिभाषा दें।
उत्तर:
अपने नकद कोषों के आधार पर व्यावसायिक बैंकों द्वारा माँग जमाओं का निर्माण करना ही साख निर्माण कहलाता है। प्रायः नकदै कोषों से कई गुणा अधिक जमाओं का निर्माण कर दिया जाता है। नकद कोषों तथा जमाओं के बीच अनुपात नकद-कोष अनुपात कहलाता है। बैंकों को अनुभव के आधार पर यह ज्ञात है कि कुल जमा का सिर्फ 10% ही नकदी के रूप में निकाला जाता है। जैसे यदि 100 रु. के नकद कोष के बदले में 1000 रु. की माँग जमाओं का निर्माण किया जाता है तो इसे 10 गुणा, अधिक साख निर्माण कहा जायेगा।
प्रश्न 34.
बचत एवं निवेश हमेशा बराबर होते हैं। व्याख्या करें।
उत्तर:
कीन्स के अनुसार आय रोजगार संतुलन निर्धारण उस बिन्दु पर होता है जहाँ बचत एवं निवेश आपस में बराबर होते हैं अर्थात् बचत – निवेश (S = I)
एक अर्थव्यवस्था में विनियोग दो प्रकार के होते हैं- नियोजित. विनियोग तथा गैर-नियोजित विनियोग। वस्तुत: नियोजित और गैर नियोजित विनियोग का जोड़ ही वास्तविक विनियोग या कुल विनियोग कहलाता है। संक्षेप में,
IR = Ip + Iu
जहाँ IR = वास्तविक विनियोग
Ip = नियोजित विनियोग तथा
Iu = गैर नियोजित विनियोग
उपर्युक्त समीकरण से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि वास्तविक विनियोग केवल उसी स्थिति में ही नियोजित विनियोग के बराबर हो सकता है जबकि गैर नियोजित विनियोग शून्य हो। इसका तात्पर्य यह है कि यह आवश्यक सदैव नियोजित विनियोग के बराबर हो।
उपर्युक्त विवेचन के आधार पर हम कह सकते हैं कि
y = C + I
तो हमारा वास्तव में अभिप्राय यह होता है कि
y = C + IR
तथा y = C + S
दोनों समीकरणों को एक साथ प्रस्तुत करने पर
C + S = C + IR
या S = IR
अतः बचतें सदैव वास्तविक निवेश के समान होती है।
प्रश्न 35.
सीमान्त उपयोगिता तथा कुल उपयोगिता में अंतर कीजिए।
उत्तर:
किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के उपयोग से जो अतिरिक्त उपयोगिता मिलती है उसे सीमान्त उपयोगिता कहते हैं। जबकि उपभोग की सभी इकाइयों के उपभोग से उपभोक्ता को जो उपयोगिता प्राप्त होती है उसे कुल उपयोगिता कहते हैं।