BSEB Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Short Answer Type Part 2 are the best resource for students which helps in revision.

Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Short Answer Type Part 2 in Hindi

प्रश्न 1.
साधन के प्रतिफल तथा पैमाने के प्रतिफल में अंतर बताइए।
उत्तर:
साधन के प्रतिफल- एक फर्म जब ‘अल्पकाल में उत्पत्ति के कुछ साधनों को स्थिर रखकर अन्य साधनों की मात्रा में परिवर्तन करती है तब उत्पादन की मात्रा में जो परिवर्तन होते हैं। उन्हें साधन के प्रतिफल के नाम से जाना जाता है। इसकी तीन अवस्थाएँ होती हैं। पहली साधन के बढ़ते प्रतिफल या उत्पत्ति वृद्धि अवस्था, दूसरी साधन के स्थिर प्रतिफल या उत्पत्ति समता तथा तीसरी साधन के घटते प्रतिफल या उत्पत्ति ह्रास अवस्था।

पैमाने के प्रतिफल- पैमाने के प्रतिफल का संबंध सभी कारकों में समान अनुपात में होने वाले परिवर्तनों के फलस्वरूप कुल उत्पादन में होने वाले परिवर्तन से है। यह एक दीर्घकालीन अवधारणा है।

प्रश्न 2.
पूर्ण प्रतियोगिता एवं एकाधिकारी प्रतियोगिता में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
पूर्ण प्रतियोगिता एवं एकाधिकारी प्रतियोगिता में निम्नलिखित अंतर है-
पूर्ण प्रतियोगिता:

  1. इसमें बाजार का पूर्ण ज्ञान होता है।
  2. इसमें कीमत समान होती है।
  3. कीमत सीमान्त लागत के बराबर होती है।
  4. समरूप वस्तुएँ।
  5. साधनों की पूर्ण गतिशीलता
  6. कोई विक्रय लागत नहीं होती है।

एकोधिकारी प्रतियोगिता:

  1. इसमें बाजार का अपूर्ण ज्ञान होता है।
  2. इसमें कीमत विभेद होता है।
  3. कीमत सीमान्त लागत से अधिक होती है।
  4. निकट स्थानापन्न तथा मिलती-जुलती वस्तुओं का उत्पादन।
  5. साधनों की गतिशीलता अपूर्ण होती है।
  6. विक्रय लागत आवश्यक होती है।

प्रश्न 3.
चयनात्मक साख नियंत्रण क्या है ?
उत्तर:
वे उपाय जिनका उद्देश्य अर्थव्यवस्था के कुछ विशेष कार्यों के लिए दी जाने वाली साख के प्रवाह को नियंत्रित करना है, चयनात्मक साख नियंत्रण कहलाते हैं। इसके अंतर्गत निम्नलिखित उपाय किये जाते हैं-

  • ऋणों की सीमान्त आवश्यकता में परिवर्तन
  • साख की राशनिंग
  • प्रत्यक्ष कार्यवाही
  • नैतिक प्रभाव।

प्रश्न 4.
आर्थिक समस्या को चयन की समस्या क्यों माना जाता है ?
अथवा, चुनाव की समस्या क्यों उत्पन्न होती है ?
उत्तर:
आवश्यकताएँ असीमित और साधन सीमित होते हैं। सीमित साधनों के वैकल्पिक प्रयोग होने के कारण इन साधनों एवं असीमित आवश्यकताओं के बीच एक संतुलन बनाने का प्रयास किया जाता है और इसी प्रयास से चुनाव की समस्या उत्पन्न होती है। इस प्रकार आर्थिक समस्या मूलतः चुनाव की समस्या है।

प्रश्न 5.
एक रेखाचित्र की सहायता से अर्थव्यवस्था में न्यून माँग की स्थिति की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यदि अर्थव्यवस्था में आय का संतुलन स्तर पूर्ण रोजगार के स्तर से पहले निर्धारित हो जाता है तब उसे न्यून माँग की दशा कहत हैं।
AD < AS

बगल के रेखाचित्र की सहायता से इसे देखा जा सकता है-
Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Short Answer Type Part 2, 1
चित्र में AS सामूहिक पूर्ति वक्र है तथा AD न्यूनमाँग स्तर पर सामूहिक माँग और AD1 पूर्ण रोजगार स्तर पर सामूहिक माँग को प्रदर्शित कर रहे हैं। AD पूर्ण रोजगार स्तर पर आवश्यक वांछनीय सामूहिक माँग AN है जबकि उपस्थित सामूहिक माँग CN है।
अतः न्यून माँग = AN – CN= AC

प्रश्न 6.
किसी वस्तु की पूर्ति तथा स्टॉक में क्या अंतर है ?
उत्तर:
किसी वस्तु की उपलब्धता उसकी पूर्ति है, जबकि वस्तु का संग्रहण स्टॉक है। माँग पर पूर्ति निर्भर है, किन्तु स्टॉक पर पूर्ति निर्भर नहीं करती है।

प्रश्न 7.
मौद्रिक लागत क्या है ?
उत्तर:
उत्पत्ति के समस्त साधनों के मूल्य को यदि मुद्रा में व्यक्त कर दिया जाये तो उत्पादक इन उत्पत्ति के साधन की सेवाओं को प्राप्त करने में जितना कुल व्यय करता है, मौद्रिक लागत कहलाती है। जे० एल० हैन्सन के शब्दों में, “किसी वस्तु की एक निश्चित मात्रा का उत्पादन करने के साधनों को जो समस्त मौद्रिक भुगतान करना पड़ता है उसे मौद्रिक उत्पादन लागत कहते हैं।

प्रश्न 8.
कीमत विभेद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
कीमंत विभेद से अभिप्राय है किसी एक वस्तु को विभिन्न उपभोक्ताओं को विभिन्न कीमतों पर बेचना। एकाधिकारी की स्थिति में कीमत विभेद की संभावना हो सकती है। एकाधिकारी एक वस्तु को विभिन्न क्रेताओं को अलग-अलग कीमतों पर बेच सकता है।

प्रश्न 9.
आय के चक्रीय प्रवाह के दो आधारभूत सिद्धान्त बताइए।
उत्तर:
आय का चक्रीय प्रवाह निम्नलिखित दो सिद्धान्तों पर आधारित है-

  • किसी भी विनिमय प्रक्रिया में विक्रेता अथवा उत्पादक उतनी ही मुद्रा की मात्रा प्राप्त करता है जितनी क्रेता या उपभोक्ता व्यय करता है अर्थात् क्रेताओं द्वारा खर्च की गई राशि विक्रेताओं द्वारा प्राप्त की गई राशि के बराबर होती है।
  • वस्तुएँ एवं सेवाएँ विक्रेताओं से क्रेताओं की ओर एक दिशा में प्रवाहित होती है, जबकि इन वस्तुओं और सेवाओं के लिए मौद्रिक भुगतान विपरीत दिशा में अर्थात् क्रेता से विक्रेता की ओर प्रवाहित होता है।

प्रश्न 10.
व्यापारिक बैंक की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
सामान्य बैंकिंग कार्य करने वाले बैंकों को व्यापारिक बैंक कहते हैं। इन बैंकों का मुख्य उद्देश्य व्यापारिक संस्थानों की अल्पकालीन वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करना है। व्यापारिक बैंक धन जमा करने, ऋण देने, बैंकों का संग्रहण एवं भुगतान करने तथा एजेंसी संबंधी अनेक काम करते हैं।

प्रश्न 11.
बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद की परिभाषा दें।
उत्तर:
बाजार कीमतों पर शुद्ध घरेलू उत्पाद (NDPmp) का अभिप्राय एक वर्ष में एक देश की घरेलू सीमाओं में निवासियों द्वारा उत्पादित अन्तिम वस्तुओं एवं सेवाओं के मौद्रिक मूल्य से है जिसमें से स्थिर पूँजी के उपभोग को घटा दिया जाता है। इस प्रकार

बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद एक देश की घरेलू सीमा में सामान्य निवासियों तथा गैर-निवासियों द्वारा एक लेखा वर्ष में उत्पादित अन्तिम वस्तुओं तथा सेवाओं के बाजार मूल्य के बराबर है। इसमें से घिसावट मूल्य घटा दिया जाता है।

बाजार कीमत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद = बाजार कीमत पर सफल घरेलू उत्पाद – पूँजी का उपभोग या घिसावट व्यय
NDPmp = GDPmp – Depreciation

प्रश्न 12.
औसत बचत प्रकृति से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
औसत बचत प्रवृत्ति एक अर्थव्यवस्था के आय तथा रोजगार के एक दिए हुए स्तर पर कुलं बचत और कुल आय का अनुपात है। फ्रीजर के अनुसार, “औसत बचत प्रवृत्ति, बचत और आय का अनुपात है।”
Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Short Answer Type Part 2, 2

प्रश्न 13.
मांग की कीमत-लोच की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
माँग की लोच की धारणा यह बताती है कि कीमत में परिवर्तन के फलस्वरूप किसी वस्तु की माँग में किस गति या दर से परिवर्तन होता है। यह वस्तु की कीमत में परिवर्तन के प्रति माँग की प्रतिक्रिया या संवेदनशीलता को दर्शाती है।

प्रश्न 14.
एक अर्थव्यवस्था की किन्हीं तीन केंद्रीय समस्याओं का नाम बतायें।
उत्तर:
एक अर्थव्यवस्था की तीन केन्द्रीय समस्याएँ निम्नलिखित हैं-

  • क्या उत्पादन किया जाता तथा कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाए।
  • उत्पादन कैसे किया जाए ?
  • उत्पादन किसके लिए किया जाए ?

प्रश्न 15.
उपयोगिता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
वस्तु विशेष में किसी उपभोक्ता की आवश्यकता विशेष की संतुष्टि की निहित क्षमता अथवा शक्ति का नाम उपयोगिता है। उपयोगिता इच्छा की तीव्रता का फलन होती हैं। उपयोगिता एक मनोवैज्ञानिक धारणा है जो उपभोक्ता के मानसिक दशा पर निर्भर करता है।

प्रश्न 16.
उपभोग फलन की व्याख्या करें।
उत्तर:
कीन्स के अनुसार किसी अर्थव्यवस्था का कुल उपभोग व्यय मुख्य रूप से आय पर निर्भर करता है अथवा यह कहा जा सकता है कि उपभोग आय का फलन है। अर्थात् C = f(y)

अर्थात् उपभोग (c) आय (y) का फलन है। इस प्रकार उपभोग एवं आय का संबंध उपभोग फलन कहलाता है। उपभोग फलन बताता है कि आय के स्तर में वृद्धि होने पर उपभोग में प्रत्यक्ष वृद्धि होती है। लेकिन आय के अंशतः बढ़ने पर उपभोग व्यय की वृद्धि आय की वृद्धि से कम होती है।

प्रश्न 17.
संबंधित वस्तु की कीमत में परिवर्तन का वस्तु की मांग पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
वस्तुएँ तब संबंधित होती है जब (i) एक वस्तु : की कीमत दूसरी वस्तु (y) की मॉग को प्रभावित करती है अथवा (ii) एक वस्तु की माँग दूसरी वस्तु की माँग में वृद्धि या कमी लाती है संर्बोधत वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होने पर उसकी माँग में कमी आती है जबकि कीमत में. कमी आने पर माँग में वृद्धि होती है।

प्रश्न 18.
किन्हीं तीन वस्तुओं का नाम बतायें जिनकी माँग लोचदार हो।
उत्तर:
तीन लोचदार वस्तुयें निम्नलिखित हैं-
(a) रडियो (b) टेलीविजन (c) स्कूटर।

स्थानापन्न वस्तुओं में से एक वस्तु की माँग तथा दूसरी वस्तु की कीमत में धनात्मक संबंध होता है अर्थात् एक वस्तु की कीमत बढ़ने पर उसकी स्थानापन्न वस्तुओं की माँग बढ़ती है तथा कीमत कम होने पर माँग कम होती है।

पूरक वस्तुओं के संदर्भ में एक वस्तु की कीमत बढ़ने पर उसकी पूरक वस्तु की माँग कम हो जाएगी तथा कीमत कम हो जाने पर पूरक वस्तु की माँग बढ़ जाएगी।

प्रश्न 19.
माँग में विस्तार एवं वृद्धि में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
माँग में विस्तार एवं वृद्धि में निम्नलिखित अन्तर हैं-
माँग का विस्तार:

  1. यह एक ऐसी दशा है, जिसमें अन्य बातों के समान रहने पर केवल कीमत में कमी के कारण वस्तु की मांग बढ़ जाती है।
  2. इसका अर्थ है वस्तु की कम कीमत पर वस्तु की अधिक मांग।
  3. माँग वक्र पर ऊपर से नीचे की ओर संचलन होता है।
  4. माँग वक्र नहीं बदलता।

माँग में वृद्धि:

  1. यह एक ऐसी दशा है, जिसमें कीमत के अलावा अन्य घटकों के कारण वस्तु की मांग में वृद्धि होती है।
  2. इसका अर्थ है वस्तु की उसी कीमत पर अधिक मांग अथवा ऊँची कीमत पर वस्तु की उतनी ही मांग।
  3. माँग वक्र दायें या ऊपर की ओर स्थानान्तरित हो जाता है।
  4. माँग वक्र बदला जाता है।

प्रश्न 20.
माँग की लोच को मापने की प्रतिशत विधि क्या है ?
उत्तर:
इस रीति के अनुसार माँग की लोच का अनुमान लगाने के लिए माँग में होने वाले आनुपातिक या प्रतिशत परिवर्तन की भाग दिया जाता है।
Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Short Answer Type Part 2, 3

प्रश्न 21.
सूक्ष्म अर्थशास्त्र से क्या समझते हैं ?
उत्तर:
पूँजीवादी अर्थव्यवस्था वैसा अर्थशास्त्र है जिसमें पूँजीवादी व्यवस्था के आर्थिक पहलू का अध्ययन किया जाता है। पूँजीवादी अर्थव्यवस्था अर्थशास्त्र अर्थव्यवस्था का ऐसा रूप है जिसमें पूँजीवाद के लक्षण या उसकी विशेषताओं के बारे में अध्ययन किया जाता है। पूँजीवादी व्यवस्था में पूँजीपतियों की प्रधानता रहती है जिसका अर्थव्यवस्था पर पूर्ण नियंत्रण रहता है। इसमें पूँजी निजी क्षेत्र में व्यापार और उद्योग धंधे चलाये जाते हैं।

प्रश्न 22.
घटती हुई सीमान्त उपयोगिता का नियम समझाइए।
उत्तर:
घटती हुई सीमांत उपयोगिता का नियम अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण तथा आधारभूत नियम है जिसकी वैज्ञानिक ढंग से व्याख्या गोसन ने की थी। बाद में मार्शल ने इस नियम का विकास किया। यह नियम इस मान्यता पर आधारित है कि जैसे-जैसे कोई व्यक्ति एक वस्तु को अधिकाधिक इकाइयों का प्रयोग करना जाता है वैसे-वैसे उस वस्तु की आवश्यकता की तीव्रता कम होती है और इस कारण उस वस्तु से प्राप्त सीमांत उपयोगिता भी गिरती जाती है। मार्शल ने इस नियम की परिभाषा इन शब्दों में की है-“किसी मनुष्य की मात्रा में वृद्धि होने से जो अधिक लाभ प्राप्त होता है, वह प्रत्येक वृद्धि के साथ घटता जाता है।” संक्षेप में, जब एक व्यक्ति अपनी किसी आवश्यकता की संतुष्टि किसी एक वस्तु की इकाइयों के निरन्तर उपभोग से करता है तो हर अगली इकाई र. मिलने वाली उपयोगिता अर्थात् सीमांत उपयोगिता गिरती चली जाती है। अर्थशास्त्र में इस आर्थिव प्रवृति अथवा नियम को सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम कहते हैं।

प्रश्न 23.
राजस्व घाटा क्या होता है ? इस घाटे में क्या समस्याएँ हैं ?
उत्तर:
राजस्व व्यय और राजस्व आय के अन्तर को राजस्व घाटा कहते हैं। राजस्व प्राप्तियः में कर राजस्व और गैर-कर राजस्व दोनों को ही सम्मिलित किया जाता है। इसी प्रकार राजस्व व्यः में राजस्व खाते पर योजना व्यय और गैर-योजना व्यय दोनों को ही सम्मिलित किया जाता है। राजस्: घाटे में पूंजीगत प्राप्तियों एवं पूंजीगत व्यय की मदें सम्मिलित नहीं होती।
राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ
= (योजना + गैर योजना व्यय) – (कर राजस्व + गैर कर राजस्व)

राजस्व घाटा इस बात को स्पष्ट करता है कि राजस्व प्राप्तियाँ राजस्व व्यय से कम हैं जिसकी पूर्ति सरकार को उधार लेकर अंथवा परिसम्पत्तियों को बेचकर पूरी करनी पड़ेगी। इस प्रकार राजस्व घाटे के परिणामस्वरूप या तो सरकार के दायित्वों में वृद्धि हो जाती है अथवा इसकी परिसमा नयों में कमी आ जाती है।

प्रश्न 24.
पूर्ण रोज़गार संतुलन और अपूर्ण रोजगार संतुलन में भेद करें।
उत्तर:

  • पूर्ण रोजगार संतुलन की अवस्था में संसाधनों का अपनी अन्तिम सीमा नः प्रयोग होता है जबकि अपूर्ण रोजगार में संसाधनों का अंतिम सीमा तक प्रयोग नहीं होता है।
  • पूर्ण रोजगार संतुलन समग्र आपूर्ति की प्रतिष्ठित संकल्पना पर आधारित है। अपूर्ण गेन र सन्तुलन समग्र आपूर्ति के जियन सकल्पना पर आधारित है।
  • पूर्ण रोजगार संतुलन के दो आधार हैं-‘से’ का बाजार नियम तथा मजदुरी कीमत नभ्या हैं जबकि अपूर्ण रोजगार संतुलन के दो आधार हैं मजदूरी कीमत अनम्यता तथ: श्रम की शि. सीमांत उत्पादिता।

चित्र के माध्यम से भी दोनों अवस्थाओं को दर्शाया जा सकता है –

Bihar Board 12th Business Economics Important Questions Short Answer Type Part 2, 4

प्रश्न 25.
माँग वक्र क्या है ?
उत्तर:
जब पाँग- तालिका को एक रेखाचित्र द्वारा व्यक्त किया जाता है तो इसे माँग वक्र कहते हैं। माँग वक्र यह दर्शाता है कि विभिन्न कीमतों पर किसी वस्तु की कितनी मात्राएँ खरीदी जाएंगी। माँग वक्र का झुकाव ऊपर से नीचे दाहिनी ओर होता है।

प्रश्न 26.
उत्पादन की लागतों से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
एक उत्पादक उत्पादन की प्रक्रिया में जिन आगतों का उपयोग करता है, वे उत्पादन के साधन या कारक कहलाते हैं। इन आगतों को प्राप्त करने के लिए उत्पादक अथवा फर्म को इनकी कीमत चुकानी पड़ती है। इसे उत्पादन की लागत कहते हैं।

प्रश्न 27.
शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद क्या है ?
उत्तर:
कुल राष्ट्रीय उत्पाद किसी एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के मौद्रिक मूल्य के बराबर होता है। इस कुल राष्ट्रीय उत्पाद में से घिसावट आदि व्यय के विभिन्न मदों को घटाने के बाद जो शेष बचता है, वह शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद है।

प्रश्न 28.
उत्पादन के चार कारक कौन-कौन से हैं और इनमें से प्रत्येक के पारिश्रमिक को क्या कहते हैं ?
उत्तर:
भूमि, श्रम, पूँजी और उद्यम उत्पादन के चार कारक हैं। इन कारकों या साधनों के सहयोग से ही वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है। इनमें भूमि के पारिश्रमिक को लगान, श्रम के पारिश्रमिक को मजदूरी, पूँजी के पारिश्रमिक को ब्याज तथा उद्यम के पारिश्रमिक को ब्याज कहते हैं।

प्रश्न 29.
“प्रभावी माँग’ क्या है ?
उत्तर:
प्रभावी अथवा प्रभावपूर्ण माँग किसी अर्थव्यवस्था की संपूर्ण माँग होती है। संपूर्ण अथवा प्रभावी माँग में दो तत्त्व शामिल होते हैं- उपभोग की माँग तथा विनियोग की माँग। केन्स के अनुसार रोजगार को निर्धारित करनेवाला सबसे महत्वपूर्ण तत्त्व प्रभावपूर्ण माँग है।

प्रश्न 30.
एक अर्थव्यवस्था की तीन आधारभूत आर्थिक क्रियाएं बताइये।
उत्तर:
एक अर्थव्यवस्था को तीन आधारभूत आर्थिक क्रियाएँ हैं-

  • उत्पादन-उत्पादन वह आर्थिक क्रिया है जिसके फलस्वरूप मूल्य का निर्माण होता है अथवा वर्तमान वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि होती हैं।
  • उपभोग-उपभोग वह आर्थिक क्रिया है जिसमें व्यक्तिगत एवं सामूहिक आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं का उपयोग किया जाता है।
  • निवेश-एक लेखा वर्ष की समयावधि में अर्थव्यवस्था की भौतिक पूँजी के स्टाक में वृद्धि को पूँजी निर्माण या निवेश कहते हैं।

प्रश्न 31.
तरलता पाश क्या है ?
उत्तर:
तरलता पाश वह स्थिति होती है जहाँ सट्टा उद्देश्य के लिए मुद्रा की माँग पूर्णतया लोचदार हो जाती है। तरलता पाश की स्थिति में ब्याज दर बिना बढ़ाये या घटाये अतिरिक्त अन्तःक्षेपित मुद्रा का प्रयोग कर लिया जाता है।

प्रश्न 32.
सीमान्त उत्पाद (MP) एवं कुल उत्पादन (TP) में स्बंध बतलाइए।
उत्तर:
सीमान्त उत्पाद एवं कुल उत्पाद में संबंध :

  • जब कुल उत्पाद तेजी से बढ़ता है, सीमान्त उत्पाद भी बढ़ता है।
  • जब कुल उत्पाद अधिकतम होता है, तब सीमान्त उत्पाद शून्य हो जाता है।
  • जब कुल उत्पाद घटता है, सीमान्त उत्पाद ऋणात्मक हो जाता है।
  • जब कुल उत्पाद घटती दर से बढ़ता है, सीमान्त उत्पाद कम होता है।

प्रश्न 33.
सकल घरेलू उत्पाद की विशेषताएं बतलाइए।
उत्तर:
एक देश की घरेलू सीमा में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं के बाजार मूल्य को सकल घरेलू उत्पाद (GDPMP) कहते हैं। ये एक लेखा वर्ष के लिए आकलित किया जाता है। इसमें मूल्य ह्रास या स्थिर पूँजी पदार्थों के उपभोग का मूल्य भी शामिल किया जाता है। इसका मापन प्रचलित कीमतों पर किया जाता है।

प्रश्न 34.
न्यनतम कीमत (समर्थन मल्य) से क्या आशय है?
उत्तर:
जब कभी सरकार ऐसा महसूस करती है कि एक स्वतंत्र बाजार में माँग और पूर्ति की शक्तियों द्वारा निर्धारित कीमतों, उत्पादकों की दृष्टि से उचित नहीं है तब उत्पादकों के हितों की रक्षा करने के लिए सरकार एक न्यूनतम कीमत की घोषणा करती है। इसे समर्थन कीमत कहा आता है। आजकल सरकार द्वारा किसानों के हितों का संरक्षण आम बात हो गयी है। यदि कृषि उत्पादों की कीमतों की घोषणा की जाती है। यही कारण है कि सरकार कई कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम कीमत या समर्थन मूल्य की घोषणा करती है।

प्रश्न 35.
उपभोग फलन की व्याख्या करें।
उत्तर:
उपभोग फलन कुल आय एवं कुल उपभोग व्यय में निहित संबंध को व्यक्त करता है। उपभोग (e) आय (y) का फलन हैं। इसे निम्न समीकरण द्वारा व्यक्त किया जा सकता है-
c – f (y)
जहाँ c = उपभोग व्यय, f = फलन, y= आय का स्तर

उपभोग फलन बताता है कि आय के स्तर में वृद्धि होने पर उपभोग में प्रत्यक्ष वृद्धि होती है लेकिन आय के उत्तरोत्तर बढ़ने पर उपभोग व्यय की वृद्धि आय की वृद्धि से कम हो जाती हैं।