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Bihar Board 12th Entrepreneurship Important Questions Short Answer Type Part 5 in Hindi

प्रश्न 1.
व्यवहार्यता अध्ययन क्या है ?
उत्तर:
सामान्य बोलचाल की भाषा में व्यावसायिक लेन-देन के व्यवहार के अध्ययन को व्यवहार्यता अध्ययन कहा जाता है। वस्तु एवं सेवाओं की भविष्य में कुल माँग क्या होगी, परियोजना का बाजार अंश कितना होगा इत्यादि प्रश्नों से बाजार व्यवहार्यता सम्बन्धित होता है। इसके लिए विभिन्न सूचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक होता है। जैसे-पूर्व एवं वर्तमान की आपूर्ति की स्थिति, पूर्व एवं वर्तमान का उपभोग स्तर, आयात एवं निर्यात की स्थिति, माँग की लोच, प्रतियोगिता की स्थिति उपभोक्ता की पसंद और संतुष्टि तथा बाजार संबंधी नीतियाँ इत्यादि।

प्रश्न 2.
वातावरण अध्ययन के तीन उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
वातावरण अध्ययन के तीन उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  • खतरा और अवसरों की पहचान- वातावरण अध्ययन से साहसी को व्यापार में आने वाले खतरे और सुनहरे अवसर का ज्ञान प्राप्त होते रहता है।
  • भविष्य का अवलोकन- वातावरण का अध्ययन प्रबंधक को भविष्य के अवलोकन में मदद करता है।
  • व्यूह रचना बनाने में- वातावरण विश्लेषण के द्वारा विविधीकरण तथा विकास और व्यवसाय में आने वाली समस्याओं का हल संभव हो पाता है।

प्रश्न 3.
विपणन मिश्रण के तीन तत्व लिखिए।
उत्तर:
विज्ञापन के तीन तत्त्व निम्नलिखित हैं-

  • उत्पाद-कम्पनी के उत्पाद में ऐसी गुणवत्ता होनी चाहिए जिससे उपभोक्ता की जरूरत पूरी हो सके।
  • संवर्द्धन- कई बार संभावनाएँ होती हैं कि उत्पाद बड़ा गुणवत्ता वाला होता है परन्तु उपभोक्ताओं में लोकप्रिय नहीं होता और परिणामस्वरूप बिक्री कम होता है। इसके लिए विज्ञापन समाचार पत्रों, रेडियो, सिनेमा, टेलीविजन द्वारा किया जाता है।
  • मूल्य-मूल्य सामान्य रूप से उत्पादन के मूल्य का निर्माणकर्ता ही फैसला करते हैं। माल के मूल्य का निर्णय संगठन के उद्देश्य को ध्यान में रखकर करना चाहिए।

प्रश्न 4.
विज्ञापन के तीन कार्य बताइए।
उत्तर:
विज्ञापन वातावरण को प्रभावित करने वाले घटक निम्नलिखित हैं-

  • नये उत्पादों की जानकारी- लोगों को किसी नवनिर्मित वस्तु अथवा सेवा की बाजार में विद्यमानता की जानकारी देना एवं उन्हें आकर्षित करके माँग उत्पन्न करना विज्ञापन का महत्वपूर्ण कार्य है।
  • विक्रय वृद्धि करना- विक्रय वृद्धि करना विज्ञापन का एक महत्वपूर्ण कार्य है। व्यापारी हमेशा विक्रय में वृद्धि करना चाहता है जिसके लिए वह विज्ञापन का सहारा लेता है।
  • नये-नये बाजारों का सृजन एवं विकास करना- विज्ञापन का महत्वपूर्ण कार्य नये नये बाजारों का सृजन एवं उनका विकास भी करना है।

प्रश्न 5.
उद्यमी कौन है ?
उत्तर:
वाणिज्य व्यवसाय और उद्योग-धन्धों के क्षेत्र में जो व्यक्ति या व्यापारी जोखिम उठाते हुए साहस करके व्यवसाय को चलाता है, उसे ही उद्यमी कहा जाता है।

उद्यमी एक जड़ एवं मृतक अर्थव्यवस्था में नयी ऊर्जा का संचार करते हैं। वर्षों से निरन्तर घाटे पर चल रहे उद्योगों की पुनःस्थापना करता है। उसमें नवाचार, नियोजन तथा कुशल प्रबंध का संचार करता है और अन्ततः उसे लाभप्रद इकाई के रूप में परिवर्तित करता है।

रिचर्ड केण्टीलोन के अनुसार, “उद्यमी वह व्यक्ति है जो किसी उत्पाद को अनिश्चित मूल्य पर बेचने के लिए निश्चित धनराशि देता है और तदनुसार उसे प्राप्त करने एवं साधनों का उपयोग करने का निर्णय लेता है।”

एफ० एच० नाइट के अनुसार, “उद्यमी विशिष्ट व्यक्तियों को वह समूह है जो जोखिम उठाते हैं और अनिश्चितता का सामना करते हैं।”

एफ० वी० हैने के अनुसार, “उत्पत्ति में निहित जोखिम उठाने वाला साधन ही उद्यमी है।”

प्रश्न 6.
उपक्रम क्या है ?
उत्तर:
उपक्रम से आशय ऐसी उपक्रम से है जिसमें अनिश्चित जोखिम, खतरा और हानि निहित होती है। उपक्रम इन्हीं वातावरण में जन्म लेता है और लाभार्जन व शक्ति प्राप्त करने के लिए संघर्ष करता है। वास्तव में, किसी भी व्यापारिक संस्था और औद्योगिक संस्था व्यापार तथा उद्योग को चलाने के लिए जब स्थापित की जाती है तो ऐसी व्यापार करने वाली संस्था को ही उपक्रम कहा जाता है। उपक्रम करने का उद्देश्य लाभ कमाना है और वाणिज्य व्यवसाय या उद्योग-धन्धों में सफलता प्राप्त करना है।

प्रश्न 7.
लेखांकन अनुपात के विभिन्न प्रकार कौन-कौन-से हैं ?
उत्तर:
लेखांकन अनुपात के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं-

  • तरलता अनुपात (Liquidity Ratio)
  • चालू अनुपात (Current Ratio)
  • स्कन्ध अनुपात (Stock Ratio)
  • स्वामित्व अनुपात (Proprietory Ratio)
  • आवर्त या बिक्री अनुपात (Turn over or sales ratio)
  • खर्चा अनुपात (Expenses Ratio)
  • आय अनुपात (Earning Ratio)
  • तरलता, शोधन-क्षमता या कार्यशील पूँजी अनुपात (Liquidity Solvency or Working Capital Ratio)
  • देनदार एवं लेनदार अनुपात (Debtors and Creditor Ratio)
  • विक्रय अनुपात (Sales Ratio)
  • लाभांश अनुपात (Dividend Ratio)
  • लागत अनुपात (Cost Ratio)
  • संचालन अनुपात (Operating Ratio)
  • विनियोजित पूँजी पर अनुपात (Return on capital employed)
  • पूँजी मिलान अनुपात (Capital Gearing Ratio)
  • सम्पत्ति आवर्त अनुपात (Assets Turn over Ratio)
  • लाभ अनुपात (Profit Ratio)
  • लाभदायक अनुपात (Profitability Ratio)
  • निष्पादन अनुपात. (Activity Ratio)
  • वित्तीय स्थिति अनुपात (Financial Position Ratio)

प्रश्न 8.
प्रबन्ध की कोई तीन विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
प्रबंध की तीन विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
(i) प्रबन्ध उद्देश्य प्रधान प्रक्रिया है- यदि हमारे सामने कोई उद्देश्य नहीं है तो प्रबंध की जरूरत नहीं है। अन्य शब्दों में, प्रबंध की आवश्यकता तब होती है जबकि प्राप्त करने के लिए कोई उद्देश्य हमारे पास हो। प्रबंधक अपने विशेष ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर पूर्व-निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता है। अतः प्रबंध उद्देश्य प्रधान प्रक्रिया है।

(ii) प्रबंध सर्वव्यापक है- यदि किसी क्रिया में से प्रबंध को घटा दिया जाए तो शेष शुन्य बचता है। यहाँ किसी क्रिया का अर्थ व्यावसायिक तथा गैर-व्यावसायिक सभी प्रकार की क्रियाओं से है। यदि इन क्रियाओं को करने के लिए प्रबंध आवश्यक है। अतः प्रबंध सर्वव्यापक है।

(iii) प्रबंध एक समह क्रिया है- इसका अभिप्राय है कि संगठन की सभी क्रियाओं को करने वाला कोई एक व्यक्ति (प्रबंधक) नहीं होता है बल्कि यह तो अनेक व्यक्तियों (प्रबंधकों) का समूह होता है। अतः प्रबंध एक समूह क्रिया है।

प्रश्न 9.
विपणन के कोई तीन कार्यों को बताइए।
उत्तर:
विपणन के तीन कार्य इस प्रकार हैं-
(i) खरीदना और बेचना- विपणन में खरीदना पहला काम होता है। निर्माणकर्ता को उत्पादन के लिए कच्चा माल खरीदना होता है। थोक व्यापारी को फुटकर व्यापारी को ग्राहक के लिए माल खरीदना होता है। खरीदने का अर्थ है माल का स्वामित्व बदला जाना। इकट्ठा करना का मतलब है कि माल इकट्ठा करना और उसका रख-रखाव करना जिसे विभिन्न स्रोतों से खरीदा जाता है। बेचने का कार्य विक्रेता तथा ग्राहक दोनों के लिए बड़ा महत्त्वपूर्ण होता है। लाभ कमाने का उद्देश्य माल की बिक्री से ही पूरा होता है।

(ii) मानकीकरण/प्रमाणीकरण- विपणन में मानकीकरण एक नैतिक आधार स्वीकार हो गया है। मानक एक ऐसा माप है जिसे प्रायः तुलना के लिए आदर्श माना जाता है। मानक रंग, वजन, गुणवत्ता, गुण और उत्पादन के दूसरे तथ्यों के आधार पर निश्चित होते हैं। यह माल की खरीद या बिक्री के लिए लाभदायक होता है। माल को व्यापार चिह्न के आधार पर खरीदा जाता है जैसे कि BPL. TV. LG इत्यादि।

(iii) मण्डी विषयक सचना- विपणन का महत्त्व ऐसे ही समझा जा रहा है, जैसे कि मण्डियों और बड़ी मात्रा में उत्पादन का। मण्डी की स्थिति को देखकर ही विपणन के फैसले किए जाते हैं। इसलिए मण्डी शोध विपणन का एक आवश्यक अंग बन गयी है।

प्रश्न 10.
विपणन का अर्थ बताएँ।
उत्तर:
मुरानी विपणन अवधारणा के अनुसार वस्तुओं के क्रय-विक्रय को ही विपणन कहते हैं किन्तु आधुनिक विपणन अवधारणा के अनुसार विपणन एक व्यापक शब्द है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन से पूर्व की जाने वाली क्रियाओं से लेकर उनके विक्रय, वितरण और आवश्यक विक्रयोपरान्त सेवाओं तक को सम्मिलित किया जता है।

प्रश्न 11.
विज्ञापन के कोई तीन उद्देश्यों को बताइए।
उत्तर:
विज्ञापन के तीन उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  • स्थिति की सचना देना- विज्ञापन का प्रथम उद्देश्य है ग्राहकों को एक विशिष्ट वस्तु को बाजार में लाने एवं उसके बाजार में उपलब्ध होने की सूचना देना।
  • माँग उत्पन्न करना- एक अन्य उद्देश्य नदी-वस्तु की माँग उत्पन्न करने हेतु लोगों को इसके लिए आकर्षित करना है। उत्पन्न माँग को निरंतर प्रचार के माध्यम से बनाए रखना विज्ञापन का उद्देश्य है।
  • माल के प्रयोग करने की शिक्षा देना- विज्ञापन न केवल नयी वस्तु के संबंध में लोगों को सूचना देता है बल्कि उन्हें उसके उपयोग की शिक्षा भी देता है।

प्रश्न 12.
बाजार व्यवहार्यता क्या है ? अथवा, बाजार विश्लेषण क्या है ?
उत्तर:
प्रस्तुत वस्तुओं या सेवाओं की भविष्य में कुल माँग क्या होगी, परियोजना का बाजार अंश कितना होगा यदि प्रश्नों से बाजार व्यवहार्यता या बाजार विश्लेषण संबंधित होता है। इसके लिए निम्न सूचनाओं का उपयोग आवश्यक होता है-

  • पूर्व एवं वर्तमान का उपभोग।
  • पूर्व एवं वर्तमान की आपूर्ति स्थिति।
  • आयात एवं निर्यात की स्थिति।
  • प्रतियोगिता की स्थिति।
  • माँग की लोच।
  • उपभोक्ता की पसंद एवं संतुष्टि।
  • विपणन नीतियाँ एवं व्यूह रचना।
  • लागत संरचना।

प्रश्न 13.
औद्योगिक क्षेत्र क्या है ?
अथवा, औद्योगिक क्षेत्र की विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर:
वैसा क्षेत्र, जहाँ सरकार पिछड़ेपन को दूर करने के लिए उद्यमी को कई प्रकार के प्रोत्साहन देती है, औद्योगिक क्षेत्र कहलाता है। सरकार इसके लिए उद्यमी को ऊर्जा, जल, परिवहन, बैंक सुरक्षा आदि सुविधाएँ उपलब्ध कराती है।

औद्योगिक क्षेत्र की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

  • यह उद्योग समूह विकसित करने की योजना है।
  • यह उपक्रमों को निश्चित स्थान पर स्थापित करने की योजना है।
  • यह उद्यमी को विभिन्न प्रकार के संसाधन उपलब्ध कराने का प्रयास है।
  • यह उन व्यक्तियों को समुचित ज्ञान एवं तकनीक उपलब्ध कराता है जिसके पास कोई औद्योगिक अनुभव नहीं है।
  • यह लघु उद्योग उपक्रम को सहायता प्रदान करने का समन्वित प्रयास है।

प्रश्न 14.
वितरण प्रणाली से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
उत्पादक अथवा निर्माणकर्ता अपने अंतिम उपभोक्ताओं तक वस्तु की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कई प्रकार के बिचौलिये की सहायता लेते हैं, जैसे-थोक व्यापारी, फटकर व्यापारी, अभिकर्ता आदि जिसे वितरण प्रणाली कहा जाता है। वितरण प्रणाली के अंतर्गत उन मध्यस्थों को शामिल करते हैं जो वस्तुओं को अंतिम उपभोक्ता तक पहुँचाने में शामिल होते हैं। इसे वितरण चक्र भी कहा जाता है। वास्तव में, वितरण प्रणाली पाईप लाइन की भाँति है जो कि सही उत्पाद की सही मात्रा, सही स्थान तक जहाँ उपभोक्ता पहुँचाने के लिए कहे सही समय पर पहुँचाते हैं। इस वितरण प्रणाली को विपणन विधि के रूप में भी जाना जाता है।

प्रश्न 15.
समता अंश क्या है ?
अथवा, समता अंश के लाभों का उल्लेख करें।
उत्तर:
समता अंश किसी भी उपक्रम की वित्तीय संरचना का आधार होता है। समता अंशधारियों को लाभ प्राप्त करने एवं संचालक मण्डल के चुनाव में असीमित अधिकार होता है। किसी कम्पनी की सम्पत्ति में भी समता अंशधारियों को असीमित अधिकार होता है। साधारणतया कम्पनी अपनी पूँजी का अधिकतर भाग समता अंश निर्गत कर प्राप्त करती है। समता अंशधारियों को लाभांश, अधिमान अंशधारियों को लाभांश भुगतान के बाद दिया जाता है। कम्पनी के समापन की स्थिति में समता अंशधारियों को पूँजी का भुगतान अधिमान अंशधारियों के पूँजी भुगतान के उपरान्त किया जाता है। समता अंशधारियों को निम्न लाभ होते हैं-

  • लाभ में परिवर्तन के साथ लाभांश दर में भी परिवर्तन होते रहता है।
  • कम्पनी की सम्पत्तियों पर किसी प्रकार का भार उत्पन्न किए बिना समता अंशों का निर्गमन किया जा सकता है।
  • यह पूँजी का स्थायी स्रोत है तथा कम्पनी के समापन की स्थिति के बिना इसे लौटाना नहीं पड़ता है।
  • समता अंशधारी कम्पनी के वास्तविक स्वामी होते हैं तथा उन्हें वोटिंग अधिकार होता है।

प्रश्न 16.
समामेलन को परिभाषित करें।
अथवा, समामेलन के लाभ-हानियों का वर्णन करें।
उत्तर:
जब दो या दो से अधिक विद्यमान उद्यम मिलकर एक बड़े उद्यम का निर्माण करते हैं तो उसे समामेलन कहा जाता है। समामेलन के निम्नलिखित लाभ होते हैं-

  1. उत्पादन तथा विक्रय बढ़ाने में यह मदद करता है।
  2. यह साधनों का श्रेष्ठर उपयोग करता है।
  3. यह विभिन्न व्यावसायिक अवसरों द्वारा व्यवसाय को लाभ पहुँचाता है।
  4. यह रुग्ण उद्यम को स्वस्थ उद्यमों में समामेलत करने में सहायक होता है।

समामेलन के निम्न हानि भी होते हैं-

  1. कभी-कभी यह एकाधिकार को जन्म देता है जो समाज के हित में नहीं होता है।
  2. छोटे उपक्रम की तुलना में बड़े उपक्रम पर नियंत्रण अधिक कठिन होता है।

प्रश्न 17.
प्रभावशाली नियंत्रण में नियोजन की क्या भूमिका है?
उत्तर:
प्रभावशाली नियंत्रण में नियोजन की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। नियोजन के अन्तर्गत प्रत्येक प्रबंधक अपने अधीनस्थों की प्रक्रिया पर सर्वोत्तम ढंग से नियंत्रण स्थापित करने का प्रयत्न करता है। नियोजन को प्रभावी बनाने के लिए नियोजित ढंग से अधीनस्थों की क्रियाओं का माप भी किया जाता है। यही नहीं, बजट भी नियोजन का एक अंग है और साथ ही यह नियंत्रण का भी एक अंग है। अतः बजट द्वारा भी प्रबंधकीय नियंत्रण प्रभावी बनता है। परिणामस्वरूप प्रभावशाली नियंत्रण में नियोजन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रश्न 18.
एक उद्यमी की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
एक सफल उद्यमी की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

  • व्यावसायिक अवसर, बाजार या उत्पादक को मान्यता देने की योग्यता
  • वित्तीय एवं गैर वित्तीय संसाधनों को संग्रह करने या जुटाने की क्षमता
  • विचारों को व्यावहारिक रूप देने की प्रति उत्साह
  • कार्य के प्रति समर्पण
  • विपरीत परिस्थितियों में भी लक्ष्य प्राप्त करने की इच्छा
  • उपभोक्ताओं की वास्तविक आवश्यकआतों एवं इच्छाओं को चिन्हित करने की क्षमता एवं उन्हें प्रभावशाली ढंग से पूरा करने के लिए पद्धतियाँ।
  • जोखिम एवं चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए तत्पर रहना।
  • शीघ्रता से और सही निर्णय लेने के तत्परता।
  • दूर दृष्टि के लिए चतुराई, समृद्धि के लिए पूर्वानुमान एवं भावी नियोजन।

प्रश्न 19.
साहसी के तीन कार्य बताइए।
उत्तर:
साहसी के तीन कार्य निम्नलिखित हैं-

  • जोखिम उठाना- प्रत्येक साहसी का जोखिम वहन करना महत्वपूर्ण कार्य है।
  • व्यापार प्रबंध तथा निर्णय- साहसी का दूसरा कार्य व्यापार का प्रबंध तथा व्यापार संबंधी निर्णय का है।
  • व्यवसाय का चयन- एक साहसी को व्यापार का चयन करना भी महत्त्वपूर्ण कार्य है। व्यवसाय विभिन्न प्रकार के होते हैं उनमें से किसका चुनाव किया जाय वह उसकी योग्यता, पूँजी, व्यापार की प्रतियोगिता तथा उत्पाद की माँग आदि को ध्यान में रखकर करना चाहिए।

प्रश्न 20.
प्रबंध कला है या विज्ञान, बताएँ।
उत्तर:
प्रबंध न ही कला है और न ही विज्ञान बल्कि यह कला और विज्ञान दोनों है। प्रबंध को कला और विज्ञान दोनों के रूप में समझा जाना चाहिए।

प्रबंध कला के रूप में- कूण्ट्ज ने प्रबंध को कला माना है और कहा है कि-

  • प्रबंध औपचारिक रूप से संगठित समूहों में व्यक्तियों के द्वारा तथा उनके कार्य कराने की कला है।
  • प्रबंध ऐसे वातावरण के निर्माण की कला है जिसमें लोगों को व्यक्तिगत रूप से कार्य करने की प्रेरणा प्राप्त होती है और सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पारस्परिक सहयोग की भावना को प्रोत्साहन मिलता है।
  • प्रबंध ऐसी कला है जो कार्य के निष्पादन में आने वाली कठिनाइयों को दूर करती है।
  • प्रबंध ऐसी कला है जो लक्ष्यों तक प्रभावशाली ढंग से पहुँचने की कुशलता को अनुकूलतम बनाती है।

प्रबंध विज्ञान के रूप में- कीन्स के अनुसार, “प्रबंध विज्ञान ज्ञान की वह शाखा है जो प्रस्तुत स्थिति का अध्ययन करते हुए कार्य और कारण में सम्बन्ध स्थापित करती है और आदर्श उपस्थित करती है।” विज्ञान का मुख्य कार्य कारण-परिमाण सम्बन्ध का अध्ययन करके उससे लाभदायक निष्कर्ष निकालना होता है। अत: यह एक ऐसा ज्ञान है जो अनुसंधान एवं परीक्षण के आधार पर व्यवस्थित होता है। प्रबंध निर्णय लेते समय अपने अनुभव को भी आधार बनाता है। दूसरे लोगों के अनुभव और सीमाओं पर विचार करके लागू करता है। कार्य को प्रारंभ करने से पहले नियोजन करता है और उसके कारण-परिणाम पर विचार करता है।

अतः उपरोक्त अध्ययन के आधार पर यह स्पष्ट है कि प्रबंध न ही कला है और न ही विज्ञान बल्कि प्रबंध कला और विज्ञान दोनों है।

प्रश्न 21.
कर्मचारी और साहसी कैसे भिन्न होते हैं ?
उत्तर:
कर्मचारी और साहसी निम्नलिखित प्रकार से भिन्न होते हैं-
कर्मचारी:

  1. कर्मचारी किसी दूसरे का उत्पाद तथा अपनी सेवाएँ बेचता है।
  2. कर्मचारी केवल श्रमिक है। वह अपना श्रम बेचता है।
  3. कर्मचारी को कोई जोखिम नहीं होती है।
  4. कर्मचारी को मालिक के आज्ञा-नुसार कार्य करना पड़ता है।

साहसी:

  1. साहसी अपनी वस्तुएँ एवं सेवाएँ बेचता है।
  2. साहसी दोनों है-श्रमिक और स्वामी।
  3. साहसी को सम्पूर्ण जोखिम होती है।
  4. साहसी एवं स्वतंत्र है उसे किसी से कोई आदेश नहीं लेना होता है।

प्रश्न 22.
किस्म नियंत्रण का महत्त्व क्या है ?
उत्तर:
किस्म (गुणवत्ता) नियंत्रण के निम्नलिखित महत्त्व हैं-

  • ब्रॉड उत्पादन की अपनी ख्याति एवं छवि बनती है, जिससे बिक्री अधिकाधिक बढ़ती है।
  • यह निर्माताओं द्वारा उत्पादन प्रक्रिया में कार्यरत कार्मिकों का दायित्व निर्धारण करता है और कर्तव्यों को निभाने के लिए प्रेरित करता है।
  • यह लागतों का न्यूनीकरण, कार्यकुशलता, प्रमापीकरण, कार्यकारी शर्तों में वृद्धि करके संभव बनाता है।
  • इससे उत्पादक को पूर्व में ही उत्पादन लागत ज्ञात हो जाती हैं जो उसे उत्पाद की स्पर्धी कीमतें निश्चित करने में सहायक होती है।
  • उत्पादक तय कर सकता है कि उसके द्वारा निर्मित माल निश्चित मापदण्डों के अनुसार है। उसे प्रमाप लागत के निकटतम लाने हेतु प्रेरित करता है।

प्रश्न 23.
भौतिक संसाधनों को प्रभावित करने वाले तत्वों का वर्णन करें।
उत्तर:
आदमी, मशीन, सामग्री और धन उत्पादन के महत्वपूर्ण पहलू हैं। धन या पूँजी या वित्त को उद्योग का जीवन रक्त कहा जाता है। उद्यमी द्वारा वित्त के विभिन्न स्रोतों को जुटाने से पूर्व वित्तीय आवश्यकताओं का हिसाब लगाना या उन्हें निश्चित करना आवश्यक होता है। भौतिक संसाधनों को प्रभावित करने वाले तत्व ये हैं-

  • स्थायी परिसंपत्तियों की लागत
  • चालू परिसंपत्तियों की लागत
  • वित्त पोषण की लागत।

प्रश्न 24.
प्रोजेक्ट रिपोर्ट क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाना बहुत आवश्यक है। इसकी आवश्यकता को निम्नलिखित विचार बिंदुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-

  • योग्य कर्मचारियों की उपलब्धता की स्थिति जानना।
  • विपणन तकनीक, वित्त, कर्मचारी, उत्पादन आदि अनुमानित प्रदर्शन के संदर्भ में पूर्व में ही योजना बनाना है।
  • सही तकनीक का चुनाव करना।
  • पूँजी स्रोतों का सही पूर्वानुमान लगाना।
  • निवेश से अधिकतम लाभार्जन करने हेतु उत्पादन के विभिन्न घटकों के बीच समन्वय लाना।
  • सरकारी नियमों और अधिनियमों के पालन और क्रियान्वन को भली-भाँति जानना।

प्रश्न 25.
ब्रांड के क्या उद्देश्य हैं ?
उत्तर:
व्यापार चिह्न किसी उत्पाद को पहचानने का जो किसी एक विक्रेता अथवा विभिन्न विक्रेताओं के समूह ने उस उत्पाद को अपने प्रतियोगियों से अलग पहचान बनाने से है। दूसरे शब्दों में, व्यापार चिह्न का उद्देश्य वस्तु की गुणवत्ता का बोध कराना है।

प्रश्न 26.
अल्पकालीन वित्त के क्या साधन हैं ?
उत्तर:
जब व्यवसाय को कुछ समय के लिए वित्त की आवश्यकता हो तो उसे अल्पकालीन वित्त कहा जाता है। अल्पकालीन वित्त बैंक के द्वारा या मित्रों के द्वारा या महाजनों के द्वारा दिया जा सकता है।

प्रश्न 27.
निर्यात उत्पादों के गुण नियंत्रण संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
जिसे वस्तु का निर्माण कर एक देश से दूसरे देश में भेजा जाता है, उसे निर्यात व्यापार कहते हैं। उद्यमी एक अच्छे किस्म के वस्तु का उत्पादन करता जाता है ताकि वस्तु की माँग बाजार के हो जब विदेश के बाजार की स्थिति को ध्यान में रखकर उद्यमी द्वारा नए उत्पाद का निर्माण निर्यात करने के लिए तैयार किया जाता है। निर्यात उत्पादों में कई प्रकार के सरकारी नियम को ध्यान में रखा जाता है ताकि निर्यात व्यापार में कोई अड़चन नहीं आए।

प्रश्न 28.
परियोजना में समयबद्धता क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
परियोजना में समयबद्धता आवश्यक है क्योंकि कोई भी साहसी या उद्यमी एक निश्चित समय सीमा के अंतर्गत निर्धारित उद्देश्य को प्राप्त करना चाहता है। किसी भी व्यावसायिक उद्देश्य की प्राप्ति तभी हो सकती है जबकि उसके एक निश्चित समय निहित हो। समय सीमा के अंदर ही कार्य-योजना या परियोजना बनाकर सफलता प्राप्त किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, व्यवसाय में सफल होने के लिए समयबद्धता का होना आवश्यक है।

प्रश्न 29.
संवृद्धि को प्रभावित करनेवाला कोई तीन तत्व बताइए।
उत्तर:
संवृद्धि को प्रभावित करने वाले तीन तत्व ये हैं-

  • सही नीति का निर्धारण
  • विकास पर बल
  • उच्च तकनीकी सुविधा।

प्रश्न 30.
व्यावसायिक वातावरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
व्यावसायिक वातावरण या पर्यावरण का अर्थ उन समस्त बाहरी, आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा तकनीकी शक्तियों से है जो कि व्यवसाय एवं उसके प्रचलन को प्रभावित करते हैं। वास्तव में, व्यावसायिक वातावरण का आशय व्यवसाय करने की दशाओं से है। जिस प्रकार के वातावरण रहता है उसी के अनुसार व्यापार को चलाया जाता है।

प्रश्न 31.
विपणन एवं विक्रय में कोई एक अन्तर बताएँ।
उत्तर:
विपणन से आशय ग्राहकों की आवश्यकताओं का अनुमान लगाने, उन्हीं के अनुरूप उत्पादन करने उन्हें ग्राहकों तक पहुँचवाने एवं संतुष्टि प्रदान करने से है। जबकि विक्रय से आशय वस्तुओं और सेवाओं को ग्राहकों को बेचने से है।

प्रश्न 32.
क्या प्रबंध को एक पेशा माना जाता है ?
उत्तर:
प्रबंध पेशे की कुछ विशेषताओं विशिष्ट ज्ञान एवं तकनीकी चातुर्य, प्रशिक्षण एवं अनुभव प्राप्त करने की औपचारिक व्यवस्था, सेवा भावना को (प्राथमिकता) तो पूरा करता है तथा कुछ अन्य विशेषताओं (प्रतिनिधि पेशेवर संघ का होना, आचार संहिता) का इसमें अभी पूरा विकास नहीं हुआ है। भारत में अभी प्रबंध का पेशे के रूप में विकास अपनी शैशवावस्था में है तथा धीमी गति से चल रहा है। जैसे-जैसे विकास की गति में तेजी आएगी वैसे-वैसे प्रबंध को पेशे के रूप में स्वीकृति मिलती जाएगी।

प्रश्न 33.
लागत को परिभाषित करें।
उत्तर:
किसी भी वस्तु के उत्पादन कार्य करने के लिए कुछ-न-कुछ लागत अवश्य लगती है। विभिन्न प्रकार के सामग्रियों और खर्चों का उपयोग करके उत्पादन प्राप्त किया जाता है। सामग्रियों के मूल्य और कुल खर्चों के योग को लागत कहा जाता है। इस लागत के आधार पर ही उत्पादन-कार्य होता है।

प्रश्न 34.
प्रभावशाली नियंत्रण में नियोजन की क्या भूमिका है ?
उत्तर:
नियोजन प्रबंध का वह भाग है जो उद्यम के उद्देश्यों का नियोजन एवं उन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों का निश्चय करता है। इसके अंतर्गत यह निर्णय किया जाता है कि क्या करना है। कैसे करना है, कब करना है तथा किसके द्वारा किया जाना है। इन सभी विषय में निर्णय लेना नियोजन कहलाता है।

किसी उद्यम या व्यावसायिक संस्था के प्रभावशाली नियंत्रण में नियोजन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। क्योंकि व्यावसायिक संस्था का नियंत्रण और संचालन करते समय नियोजन के सिद्धान्त को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लेना पड़ता है। कि नियंत्रण करने के लिए क्या करना है, कैसे करना है, कब करना है और किसके द्वारा किया जाना है। इन सभी बातों का निर्णय लेना पड़ता है। ऐसा होने से व्यावसायिक संस्था या किसी उद्यम का प्रभावशाली ढंग से नियंत्रण किया जा सकता है। परिणामस्वरूप उद्यम या व्यापार सफल होता है।

प्रश्न 35.
कार्यशील पूंजी के चक्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
कार्यशील पूँजी उस पूँजी को कहा जाता है जिसकी आवश्यकता प्रतिदिन की व्यावसायिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए होती है। चालू दायित्वों के ऊपर चालू संपत्तियों के आधिक्य को कार्यशील पूँजी कहा जाता है। इसकी आवश्यकता कच्चे माल को क्रय करने, वेतन तथा मजदूरी, किराया, विज्ञापन आदि खर्चों के लिए होती है। यह व्यवसाय के सफल संचालन के लिए आवश्यक है। किसी भी उद्यम या व्यापार के लिए कार्यशील पूँजी का होना आवश्यक है।

उद्यम या व्यापार में कार्यशील पूँजी का चक्र सदा चलता रहता है। कभी कार्यशील पूँजी कम रहती है तो कभी कार्यशील पूँजी बढ़ जाती है। क्योंकि व्यापार की प्रकृति यह है कि सभी समय व्यापार एक ढंग से नहीं चलते रहता है बल्कि तेजी और मंदी का दौर आते रहता है। परिणामस्वरूप कभी संपत्ति दायित्व की अपेक्षा बढ़ जाती है तो कार्यशील पूँजी का निर्माण हो जाता है। दूसरी ओर जब व्यापार में मंदी छाई रहती है और लाभ कम हो जाता है या कभी हानि भी हो जाती है तो कार्यशील पूँजी कम हो जाती है। व्यापार में यह चक्र सदा चलते रहता है।

प्रश्न 36.
वित्तीय संसाधन जुटाने के क्या स्रोत हैं ?
उत्तर:
वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए दो तरह के स्रोत होते हैं-

  • दीर्घकालीन स्रोत तथा
  • अल्पकालीन स्रोत।

वित्तीय संसाधन जुटाने के दीर्घकालीन स्रोत-

  • अंशों का निर्गमन (Issue of Shares)
  • ऋणपत्रों का निर्गमन (Issue of Debentures)
  • लाभों का पुनः विनियोग
  • विशिष्ट वित्तीय संस्थाओं से ऋण जैसे-IFCI, IDBI आदि।

वित्तीय संसाधन जुटाने के अल्पकालीन स्रोत-

  • पूर्वाधिकार अंशों का निर्गमन।
  • जनता का निक्षेप (Public Deposits)
  • बैंक ऋण (Bank Loan)

प्रश्न 37.
स्थायी पूँजी की विशेषताओं को बताएँ।
उत्तर:
स्थायी पूँजी की विशेषताएँ (Characteristics of Fixed Capital)-

  • इसका उपयोग स्थायी सम्पत्तियों का क्रय करने में किया जाता है।
  • यह व्यवसाय में दीर्घकाल तक रहती है।
  • इसकी मात्रा व्यवसाय की प्रकृति पर निर्भर करती है।
  • यह लागत संरचना को प्रभावित करती है।
  • इसमें अत्यधिक जोखिम होती है।
  • काफी समय व्यतीत हो जाने पर प्रत्याय (Return) प्राप्त होता है।
  • व्यवसाय का भावी मार्ग निर्धारित करती है तथा
  • दीर्घकालीन ऋणों के रूप में प्राप्त होती है।

प्रश्न 38.
साहसिक पूँजी या उद्यमी पूँजी क्या है ?
उत्तर:
जो व्यक्ति किसी नए व्यवसाय को शुरू करने का जोखिम उठाता है या साहस करता है उसे साहसी या उद्यमी कहते हैं। जब उस व्यवसाय को प्रारंभ करने में जो उद्यमी के द्वारा विनियोग के रूप में उद्योग या व्यापार में लगाया जाता है, तो उसे उद्यमी या साहसिक पूँजी कहा जाता है।

प्रश्न 39.
उपक्रम स्थापना को क्रियान्वित करने के किन्हीं दो चरणों की व्याख्या को ?
उत्तर:
उपक्रम स्थापना के क्रियान्वित करने के लिए विभिन्न चरणों की क्रियाओं को पूरा करना पड़ता है। इसमें से दो चरण निम्नलिखित हैं-
(i) उत्पाद या उद्योग का चयन- उपक्रम स्थापना के क्रियान्वित करने के लिए उत्पाद या उद्योग का चुनाव करना पड़ता है। एक उद्यमी उस उद्योग की स्थापना करना चाहता है जिसे चलाने से अधिक लाभ की प्राप्ति हो सके।

(ii) वित्तीय प्रबंध- उपक्रम स्थापना को क्रियान्वित करने के लिए वित्तीय प्रबंध करने की आवश्यकता पड़ती है। एक उद्यम या उद्योग की स्थापना करने के लिए पूँजी की व्यवस्था करनी पड़ती है क्योंकि पर्याप्त पूँजी रहने पर ही उद्योग या उपक्रम का व्यापार सफलतापूर्वक चल सकता है।

प्रश्न 40.
नियोजन में समयबद्धता क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
नियोजन में समयबद्धता आवश्यक है क्योंकि कोई भी साहसी या उद्यमी एक निश्चित समय-सीमा के अन्तर्गत निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करना चाहता है। किसी भी व्यावसायिक उद्देश्य की प्राप्ति तभी हो सकती है जबकि उसके एक निश्चित समय निहित हो। समय-सीमा के अंदर ही नियोजन बनाकर सफलता प्राप्त किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में व्यवसाय में सफल होने के लिए समयबद्धता का होना आवश्यक है।

प्रश्न 41.
परियोजना मूल्यांकन के क्या उद्देश्य हैं ?
उत्तर:
परियोजना मूल्यांकन का प्रमुख उद्देश्य यह होता है कि जो भी परियोजना बनाई गई है वह मानक स्तर पर बनाई गई है या नहीं इसकी पहचान या जाँच करना है। साथ ही, जो परियोजना बनायी गयी है वह लाभदायक है या नहीं इसकी भी जानकारी मूल्यांकन से होती है। एक साहसी या उद्यमी के लिए परियोजना का मूल्यांकन करना एक कठिन कार्य है साहसी के पास अनेक विकल्प विद्यमान है उन विकल्पों के आधार पर ही साहसी परियोजना की पहचान करता है। दूसरे शब्दों में साहसी स्थान, वातावरण, तकनीक कच्चा माल, संयंत्र और बाजार के आधार पर परियोजना का मूल्यांकन करता है।

प्रश्न 42.
अनुपात को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
अनुपात एक अंकगणितीय अभिव्यक्ति है जो दो सम्बन्धित एवं एक-दूसरे पर आंधारित मदों के मध्य सम्बन्ध को स्पष्ट करती है। परिभाषा के रूप में एक ही जाति के दो मात्राओं, राशियों अथवा अंकों के बीच ऐसे सम्बन्ध को अनुपात कहते हैं, जिससे यह स्पष्ट हो कि उनसे एक-दूसरे का कितना प्रतिशत, कितने गुना अथवा कौन-सा भाग है ?

प्रश्न 43.
लाभ मात्रा अनुपात क्या है ?
उत्तर:
लाभ मात्रा अनुपात संस्था को लाभ अर्जन क्षमता की माप है। यह वित्तीय कुशलता को दर्शाता है। सकल लाभ अनुपात शुद्ध लाभ अनुपात निवेश पर आय प्रति अंश आय उनके उदाहरण है और ये प्रतिशत में व्यक्त किये जाते हैं।