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Bihar Board 12th Geography Important Questions Long Answer Type Part 2

प्रश्न 1.
भारत में निर्यात और आयात व्यापार के संयोजन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत का निर्यात संघटन – भारत के निर्यात संघटन में प्रमुख वस्तुयें सम्मिलित हैं।
इनमें सबसे अधिक निर्यात रत्न और आभूषण तथा परिधानों का हुआ। कुल निर्यात में इनकी भागीदारी 17.2 तथा 10.7% थी। अन्य प्रमुख वस्तुयें सूती वस्त्र, धागे, मशीनें, दवाइयाँ, सूक्ष्म रसायन और उपकरण आदि हैं। निम्न तालिका निर्यात संघटन को दर्शाती हैं।

Bihar Board 12th Geography Important Questions Long Answer Type Part 2, 1

आयात संघटन (Import Composition) – भारत आयात में निम्नलिखित वस्तुएँ आयातं करता है।

  1. ईंधन
  2. कच्चा माल और खनिज।

ईंधन – भारत का सबसे अधिक विदेशी मुद्रा का व्यय ईंधन के आयात पर होता है। 2002-03 में ईंधन के आयात की भागीदारी 31% थी।

कच्चा माल और खनिज – इस वर्ग में सोना, रत्न, चाँदी और रसायन प्रमुख हैं। 2002-03 में मोती बहुमूल्य रत्न की भागीदारी 9.9% थी। सोना, चाँदी 7% थी। रसायन 6.9% भागीदारी थी। निम्न तालिका आयात संघटन को दिखाती है-
Bihar Board 12th Geography Important Questions Long Answer Type Part 2, 2
अब आयात की वस्तुओं में परिवर्तन आ गया है।

प्रश्न 2.
परिवहन और संचार सेवा की सार्थकता को विस्तार पूर्वक स्पष्ट कीजिए। अथवा, परिवहन एवं संचार सेवाओं के महत्त्व का सविस्तार वर्णन करें।
उत्तर:
परिवहन एक ऐसी साधन सुविधा है जिसके द्वारा यात्री तथा माल की ढुलाई एक स्थान से दूसरे स्थान तक की जाती है। यह एक संघटित उद्योग है। आधुनिक समाज को उत्पादन, वितरण और वस्तुओं के उपभोग में सहायता करने के लिए शीघ्र और सक्षम परिवहन व्यवस्था की आवश्यकता है। परिवहन से वस्तुओं के मूल्य में कुछ वृद्धि हो जाती है।

परिवहन दूरी को किमी० में नापते हैं। समय दूरी का अर्थ है कि किसी विशेष मार्ग पर गन्तव्य स्थान तक पहुँचने में लगा समय तथा लागत दूरी यात्रा में आय खर्च कहलाती है।

परिवहन सेवा को प्रभावित करने वाले कारक हैं-
परिवहन की माँग-यह जनसंख्या के आकार पर निर्भर करती है। जितनी अधिक जनसंख्या होगी उतनी ही अधिक परिवहन की माँग होगी।

मार्ग – यह नगरों, गाँवों, औद्योगिक केन्द्रों तथा कच्चा माल क्षेत्र की स्थिति पर निर्भर करता है। इसके अतिरिक्त किस प्रकार की उच्चावच, जलवायु तथा बाधाओं को दूर करने के लिए उपलब्ध साधन पर भी निर्भर करता है।

संचार सेवाएँ सूचना भेजने और तथ्यों का आदान-प्रदान है। लिखाई के आविष्कार ने सूचनाओं को सुरक्षित रखने में सहायता की है जो परिवहन साधनों पर निर्भर करती है। ये सूचनाएँ मनुष्य, जानवर, सड़क अथवा रेलमार्ग द्वारा ले जाई जाती हैं। यहाँ परिवहन साधन कुशल हैं संचार का प्रसारण आसान हो जाता है। कुछ विकास कार्य जैसे मोबाइल टेलिफोन तथा उपग्रह ने संचार को परिवहन से संयुक्त कर दिया है। अभी सभी प्रकार के कार्य से मुक्त नहीं हुए हैं। बड़ी मात्रा में डाक को अभी भी डाकघरों द्वारा वितरित किया जाता है।

प्रश्न 3.
“परिवहन के सभी साधन एक-दूसरे के पूरक होते हैं।” विवेचना करें।
उत्तर:
देश के निरन्तर आर्थिक विकास में सुचारू और समन्वित परिवहन प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। परिवहन के साधन किसी देश में उतना ही महत्व रखते हैं जितना मानव शरीर में रक्त धमनियाँ। परिवहन के साधनों के प्रसार से देश में उद्योग एवं व्यवसाय की भी उन्नति होती है और आर्थिक विकास का स्तर ऊँचा होता है।

भारत में विकसित देशों की तुलना में परिवहन के साधनों की कमी है फिर भी इनके साधन एक-दूसरे के पूरक होते हैं।

स्थल परिवहन (Land Transport) – स्थल परिवहन के अंतर्गत तीन परिवहन प्रणालियों को सम्मिलित किया जाता है-सड़क परिवहन, रेल परिवहन और पाइप लाइन।

जल परिवहन के अंतर्गत आंतरिक जल परिवहन तथा सामुद्रिक जल परिवहन का अपना विशेष महत्त्व होता है।

वायु परिवहन सबसे तेज एवं महँगा परिवहन का साधन है, किंतु भारत में यह बहुत महत्त्वपूर्ण साधन है।।

प्रश्न 4.
पाइपलाइन परिवहन की उपयोगिता पर उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पाईप लाईनें परिवहन का नवीनतम साधन है। इनकी सहायता से खनिज तेल का परिवहन किया जाता है। इस प्रकार की तेल ढोने वाली पाईप लाईने सभी तेल उत्पादक देशों में बनायी गयी है। इन पाईप लाईनों की सहायता से खनिज तेल, तेल क्षेत्रों से तेल शोधक क्षेत्रों अथवा बन्दरगाहों तक पहुँचाया जाता है। इसी प्रकार खनिज तेल, शोधनशालाओं से बड़े-बड़े नगरों को भेजा जाता है जहाँ इसका उपयोग किया जाता है। यद्यपि इन पाईप लाईनों का निर्माण बहुत महँगा पड़ता है परन्तु बाद में इन पाईप लाईनों की सहायता से तेल को बन्दरगाहों तक ले जाना सस्ता पड़ता है।

खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने के लिए पाईप लाईनों का उपयोग किया जाता है। खनिज तेल और प्राकृतिक गैस प्रायः ऐसे स्थानों पर निकलते हैं जहाँ उनका उपयोग नहीं हो सकता। अत: उन्हें पाईप लाईनों की सहायता से उत्पादन के स्थान से उनके उपयोग के स्थान अथवा तेल शोधनशालाओं तक पहुँचाया जाता है।

पाईप लाईनों से तेल और गैस ले जाने में सुविधा रहती है तथा व्यय भी कम होता है। विश्व में अनेक तेल उत्पादक देशों ने इन पाईप लाईनों का निर्माण किया है।

संयुक्त राज्य अमेरिका में 1,60,000 किलोमीटर लम्बी पाईप लाईनें हैं जो विश्व में सबसे लम्बी है।

यहाँ तेल पाईप लाईन एडमोण्टन से सुपीरियर झील के तट तक बिछाई गयी है। यहाँ से यह पाईप लाईन ओण्टेरियो में सरनिया तक है। यह पाईप लाईन 1,840 किलोमीटर लम्बी है।

इसी प्रकार की पाईप लाईन एडमोण्टन से बैंकूवर तक है। यह लगभग 1,150 किलोमीटर लम्बी पाईप लाईन है।

दक्षिणी-पश्चिमी एशिया में बहरीन से सिदोन तक, किरकुक से हैफा तक तथा किरकुक से बनियास तक तथा ईरान में तेल क्षेत्र से अबादान तक इराक में किरकुक तेल क्षेत्र से हैफा तक पाईप लाईन बिछाई गई है।

सऊदी अरब के अबक्वेक व निकट के तेल क्षेत्रों से दोहरी पाईप लाईन एवं जल की पाईप लाईन हैफा बन्दरगाह तक चली गयी है। ट्रान्स अरेबियन पाईप लाईन (टैपलाईन) बहुत महत्त्वपूर्ण एवं 1,600 किलोमीटर लम्बी है तथा इसका व्यास 75 सेमी है। यह रासतनूरा से साइस तक बिछाई गई है। रूप में कॉमकॉन नामक पाईप लाईन प्रमुख है जो यूराल तथा वोल्गा क्षेत्रों से पूर्वी यूरोपीय देशों को खनिज तेल पहुँचाती है।

भारत में असोम तेल क्षेत्र (नूनामती) से बरौनी तक, नहीकटिया से नूनामती तक, काण्डला के निकट साला से मथुरा तक, गुवाहाटी से सिलीगुड़ी तक, बरौनी से कानपुर तक पाईप लाईनों का निर्माण किया गया है। मथुरा से दिल्ली होकर लुधियाना तक एवं अंकलेश्वर से कोयली तक पाईप लाईनें बिछाई गई है।

ग्रेट ब्रिटेन में समुद्री भाग से तेल और प्राकृतिक गैस प्राप्त होती है। रफ, वेस्टपोल, वाइकिंग, इंडीफेटीगेवन, लेमन और हेवेट इसके मुख्य केन्द्र हैं। यहाँ से पाईप लाईनों की सहायता से गैस तथा तेल इंजिगटन, ब्रेकटन और तटवर्ती नगरों को भेजे जाते हैं जहाँ से पुनः लाईप लाईनों की सहायता से गैस और तेल भीतरी भागों को भेजे जाते हैं।

रूस परिसंघ में खनिज तेल और गैस पाईप लाईनों की सहायता से भेजी जाती है। रूस परिसंघ में लगभग 900 किलोमीटर लम्बी इन पाईप लाईनों द्वारा प्राकृतिक गैस भी ले जायी जाती है। सबसे अधिक गैस पाईप लाईन संयुक्त राज्य अमेरिका में है। भारत में प्राकृतिक गैस के परिवहन, संसाधन प्रक्रिया और बाजार में आपूर्ति का दायित्व भारत गैस प्राधिकरण लिमिटेड (गेल) का है।

यह भारत की गैस आपूर्ति की सबसे बड़ी कम्पनी है। यह 4,200 किलोमीटर से अधिक पाईप लाईनों द्वारा परिसंचालन करती है। भारत में एच० वी० जे० (हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर) पाईप लाईन बिछाई गई है जो 1,730 किलोमीटर लम्बी है।

प्रश्न 5.
चतुर्थक क्रियाकलापों का विवरण दें।
उत्तर:
वर्तमान समय में मानव के आर्थिक क्रियाकलाप दिनोंदिन बहुत ही विशिष्ट एवं जटिल होते जा रहे हैं जिनमें क्रियाकलापों का एक नवीन रूप चतुर्थक क्रियाकलापों के रूप में सामने आया है। मानव की कानून, वित्त, शिक्षा, शोध और संचार से जुड़ी उन आर्थिक गतिविधियों को, जो सूचना के संसाधन और सूचना के प्रसारण से सम्बन्धित हैं, चतुर्थक क्रियाकलाप के अंतर्गत सम्मिलित किया गया है। वर्तमान में विश्व के लगभग सभी देशों में और विशेषकर विकसित देशों में चतुर्थक क्रियाकलापों में लगे लोगों की संख्या में निरंतर वृद्धि होती जा रही है। इस व्यवसाय के लोगों में उच्च वेतनमान तथा पदोन्नति की चाह में गतिशीलता अधिक पायी जाती है।

कम्प्यूटर के बढ़ते प्रयोग तथा सूचना प्रौद्योगिकी ने इस व्यवसाय के महत्त्व को और बढ़ा दिया है। सूचना प्रौद्योगिकी की उपयोग से प्रौद्योगिकी में नये आविष्कार हुए हैं जिससे अनेक क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। वर्तमान प्रौद्योगिकी क्रांति की मुख्य विशेषता ज्ञान उत्पादन तथा सूचना प्रौद्योगिकी के कारण औद्योगिक समाज के तकनीकी तत्त्वों में परिवर्तन आ गया है और वर्तमान आर्थिक क्रियाकलाप मुख्य रूप से उन अप्रत्यक्ष उत्पादों से प्रभावित हो गये हैं जिनके उत्पादन में ज्ञान, सूचना तथा संचार अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। कम्प्यूटर के बढ़ते उपयोग तथा इंटरनेट के विस्तार होने से आर्थिक क्रियाकलापों का क्षेत्र बहुत विस्तृत हो गया है।

अब लोग अपने कार्यालय या घर में बैठे-बैठे ही दूसरे लोगों से प्रत्यक्ष सम्पर्क करके अपना व्यापार चलाते हैं। वित्तीय साधनों के इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से लेन-देन अब अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था का केन्द्र-बिन्दु बन गया है। इससे पूँजी का स्थ गन्तरण क्षण भर में विश्व के किसी भी कोने में किया जा सकता है। इससे वित्तीय बाजार का अंतर्राष्ट्रीयकरण हो रहा है। इस अंतर्राष्ट्रीयकरण का प्रभाव वैश्विक नगरों के विकास के रूप में पड़ा है। लंदन, न्यूयार्क तथा टोकियो ऐसे ही वैश्विक नगर (Global Cities) हैं।

ऊपर बताया गया है कि इंटरनेट के प्रयोग से बहुत सुविधा हो गयी है किन्तु यह सुविधा भी पदानुक्रम रूप में मिलता है अर्थात् कहीं यह सुविधा बहुत उच्च स्तर की है, जबकि अन्य जगहों पर इसका विस्तार नहीं हो पाया है। विश्व में सकैण्डिनेविया के देश, कनाडा तथा ऑस्ट्रेलिया आदि इंटरनेट के द्वारा अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। इसके बाद यू० के०, जर्मनी तथा जापान का स्थान आता है।

प्रश्न 6.
विश्व के वे कौन-से प्रमुख प्रदेश हैं जहाँ वायुमार्ग का सघन तंत्र पाया जाता है ?
उत्तर:
संसार में सघन वायु मार्ग वाले क्षेत्र हैं-

  1. पश्चिमी यूरोपा
  2. पूर्वी संयुक्त राज्य अमेरिका।
  3. दक्षिणी-पूर्वी एशिया।

अमेरिका अकेला ही विश्व के 60% वायु परिवहन का प्रयोग करता है। न्यूयार्क, लन्दन, पेरिस, अर्सटरडम, फ्रेन्क फर्ट रोम, बैंकॉक, मुम्बई, करांची, नई दिल्ली, लांस ऐंजल्स आदि ऐसे केन्द्र हैं जहाँ से वायु परिवहन भिन्न देशों को जाता है अथवा इन केन्द्रों पर आता है।

अफ्रीका, रूस का एशियाई भाग तथा दक्षिणी अमेरिका में वायु सेवा कम है।

प्रश्न 7.
वे कौन-सी विधाएँ हैं जिनके द्वारा साइबर स्पेस मनुष्यों के समकालीन आर्थिक और सामाजिक स्पेस की वृद्धि करेगा ?
उत्तर:
साइबर स्पेस इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटराइज्ड स्पेस की दुनिया है। यह इन्टरनेट जैसे W.W.W. द्वारा घेरा हुआ है। यह इलेक्ट्रॉनिक डिजीटल है जो कम्प्यूटर नेटवर्क द्वारा सूचना भेजने के लिए होता है जिसमें प्रेषक और प्राप्तकर्ता को कोई भौतिक गति नहीं करनी होती। साइबर स्पेस सभी स्थानों पर होता है। यह कार्यालय नाव, वायुयान तथा अन्य सभी स्थानों पर होता है।

इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क की गति जिस पर यह कार्य करता है, असामान्य होती है जो मानव इतिहास में अद्वितीय है। 1955 में इण्टरनेट के उपयोगकर्ता की संख्या-50 मिलियन थी जो 2000 में बढ़कर 400 मिलियन हो गई और 2005 में बढ़कर एक बिलियन से भी अधिक है। 2010 तक इसमें अन्य बिलियन और मिल जायेंगे। पिछले पांच सालों में सं० रा० अमेरिका के उपभोग में परिवर्तन आ गया है। यू० एस० ए० का प्रतिशत 66 से घटकर 1995 से 2005 तक 25 रह गया है। विश्व के उपभोगकर्ताओं में यू० एस० ए० के बाद जर्मनी, जापान, चीन और भारत की संख्या अधिक है।

साइबर स्पेस समकालीन आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में ईमेल, ई-कॉमर्स-लर्निंग आदि द्वारा परिवर्तन लायेगा। फैक्स, टी० वी०, रेडियो के साथ इण्टरनेट प्रत्येक व्यक्ति की पहुँच में हो जायेगा। यह आधुनिक संचार प्रणाली है।

प्रश्न 8.
परिवहन के रूप में रेलमार्गों के महत्त्व और उनके वितरण प्रारूप की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
रेलमार्गों का महत्त्व (Importance of Railways) – रेल स्थल पर तीव्र गति से चलने वाला परिवहन साधन है।
इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • रेलमार्गों द्वारा मोटरों एवं ट्रकों की अपेक्षा अधिक माल एवं यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है।
  • रेलमार्गों द्वारा अधिक भार वाले माल को ढोना आसान होता है।
  • रेलमार्ग लम्बी दूरी के लिए उत्तम परिवहन का साधन है।
  • यात्री रेलगाड़ियों में यात्रियों को सभी सुख-सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं।
  • औद्योगिकी विकास के साथ-साथ रेलें किसी देश का राजनैतिक स्थिरता बनाये रखने में भी सहायक होती है।
  • शीघ्रनाशी वस्तुओं के परिवहन के लिए प्रशीतित डब्बों का प्रयोग किया जाता है।
  • रेलों द्वारा देश के आर्थिक विकास में बहुत मदद मिलती है।

वितरण प्रारूप (Distribution Pattern) – संसार के आर्थिक रूप से विकसित देशों में रेलों का जाल बिछा हुआ है।

  • दक्षिणी अमेरिकी इस महाद्वीप में अर्जेन्टाइना और ब्राजील के आन्तरिक भाग, बंदरगाहों से रेलमार्ग द्वारा जुड़े हैं। इस क्षेत्र में रेलों का सघन जाल है। पंपास का गेहूँ, रेलों द्वारा बंदरगाहों तक लाया जाता है।
  • पश्चिम यूरोप में रेलमार्गों का सघन जाल है। बेल्जियम में रेलों का संसार में सघनतम जाल है। यहाँ रेलों का घनत्व 6.5 वर्ग कि० मी० क्षेत्र में 1 किमी० है।
  • उत्तरी अमेरिका में रेलों का सघन जाल है। संसार के 40% रेल मार्ग इसी महाद्वीप में हैं। यहाँ खनिज, अनाज, इमारती लकड़ी की ढुलाई रेलों द्वारा होती है।
  • उपनिवेशों में रेलमार्ग : यूरोप के उपनिवेशवादी देशों ने एशिया और अफ्रीका के आन्तरिक भागों को बंदरगाहों से जोड़ा था जिनसे कच्चा माल बंदरगाहों तक आता था।

इनके अतिरिक्त विश्व में अन्तरमहाद्वीपीय रेलमार्गों का भी निर्माण हुआ है। इनमें से कुछ प्रमुख हैं
1. ट्रांस-साइबेरियन रेलवे (Trans-siberian Railways) – यह रेलमार्ग विश्व का सबसे लम्बा रेलमार्ग है। इसकी लम्बाई 933 कि० मी० है। यह पश्चिम में लेनिनग्राड को पूर्व में ब्लाडीवोस्टक से जोड़ता है। इस रेलमार्ग के प्रमुख स्टेशन खवारोवस्क, इर्कुटस्क, तामशेट, ओमस्क, टोमस्क, पर्म तथा मास्को हैं।

आर्थिक महत्त्व – मास्को क्षेत्र से मशीनरी और औद्योगिक उत्पाद पूर्व की ओर जाता है। यूराल क्षेत्र के धातु खनिज और मशीनें पश्चिम की ओर जाते हैं। कोयला, लकड़ी, खनिज तेल, कृषि और औद्योगिक उत्पादों का पूर्व से पश्चिम के बीच परिवहन होता है।

कई नाव्य नदियों जैसे वोल्गा, ओबे, यनीशी, आमूर को रेलमार्ग पार करता है। नदी मार्गों द्वारा दक्षिण की ओर माल भेजता है।

2. कनाडियन पैसिफिक रेलमार्ग (Canadian Pacific Railways) – यह रेलमार्ग पूर्व में हैलीफेक्स से पश्चिम में बैंकूवर तक जाता है। यह रेलमार्ग 7050 किमी० लम्बा है। इस रेलमार्ग के प्रमुख स्टेशन हैं : मान्ट्रियल, ओटावा, एडनबरी, विनिपेग आदि।

इस रेलमार्ग का कनाडा के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। इसकी एक शाखा व्यबेक से हर्ट होती हुई विनिपेग तक जाती है। यह रेलमार्ग क्यूबेक माण्ट्रियल के औद्योगिक प्रदेशों को मुलायम लकड़ी के क्षेत्र तथा प्रेयरी के गेहूँ प्रदेश से जोड़ता है। प्रेयरी के गेहँ को सेंट लारेंस जल मार्ग तक पहुँचाता है।

आस्ट्रेलियन अन्तरमहाद्वीपीय रेलमार्ग (Australian Transcontinental Railways) – यह रेलमार्ग पूर्व में सिडनी से पश्चिम में पर्थ तक चला जाता है। पूर्व से पश्चिम की ओर प्रमुख स्टेशन हैं-ब्रोकनहिल, टारकूला डीकिन, कालगूब और नार्थन। इस रेलमार्ग से लौह अयस्क की ढुलाई की जाती है।

प्रश्न 9.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में उत्तरी अटलांटिक समुद्री मार्ग के महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सर्वाधिक प्रचलित एवं व्यस्त जलमार्ग उत्तरी अलटलांटिक जलमार्ग है। यह मार्ग भूमध्यसागर और पश्चिमी यूरोप के सागरों से होते हुए उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट तक फैला है। यह मार्ग अमेरिका एवं कनाडा के उपजाऊ तथा पश्चिमी यूरोपीय औद्योगिक देशों को जोड़ने का काम करता है। प्राकृतिक दृष्टि से यह जलमार्ग बहुत ही उपयुक्त एवं सुरक्षित है।

सही अर्थों में इस जलमार्ग के दोनों ओर कई बड़े एवं विख्यात बंदरगाह विकसित हैं। इन बंदरगाहों की पृष्ठभूमियों में उपजाऊ मैदान, विशाल औद्योगिक पृष्ठभूमि में सड़कों एवं रेलमार्गों । का जाल होने से वस्तुओं के अतिरिक्त उत्पाद का व्यापार अधिक होता है। संपूर्ण विश्व के मालवाहक जहाजों द्वारा ढोए जानेवाले माल का 25% इसी मार्ग द्वारा ढोया जाता है तथा सभी जलमार्गों पर चलनेवाले यात्री का 50% इसी जलमार्ग पर यात्रा करते हैं।

इस जलमार्ग की विशेषता है कि इनमें पूरब की ..र जानेवाले माल का आयतन, पश्चिम को ओर जानेवाले माल के आयतन के करीब 5 गुणा अधिक होता है।

प्रश्न 10.
विश्व में सड़कों और महामार्गों के वितरण का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विश्व में सड़कों का विकास मुख्यतः उन देशों में हुआ है जो आर्थिक दृष्टि से अधिक विकसित हैं। विश्व में सड़कों की लम्बाई रेलमार्गों की लम्बाई से 13 गुना अधिक है।

महामागों का वितरण (Distribution of Highways)-

  • संयुक्त राज्य अमेरिका में लम्बी दू। के महामार्गों का घना जाल है। यहाँ महामार्गों द्वारा देश के पूर्वी तट पर स्थित नगरों को पश्चिमी तट के नगरों से मिलाते हैं। यहाँ इन महामार्गों को मोटर वेज कहते हैं।
  • कनाडा के उत्तर में स्थित नगर भी महामार्गों द्वारा दक्षिण में मेक्सिको के नगरों से जुड़े हैं जो संयुक्त राज्य अमेरिका से होकर गुजरते हैं।
  • कनाडा पारीय महामार्ग पश्चिमी तट के वैंकूवर को पूर्वी तट के न्यूफाउंडलैंड से जोड़ता है।
  • अलास्का महामार्ग दक्षिणी कनाडा के एडमांटन नगर को अलास्का के अंकरेज नगर से जोड़ता है।
  • भारत में भी अनेक राष्ट्रीय महामार्ग हैं। ये महामार्ग देश के बड़े नगरों को आपस में जोड़ते हैं।
  • प्रस्तावित पैन अमेरिकन महामार्ग विश्व का सबसे लम्बा महामार्ग है जो दक्षिण अमेरिका में चिली के नगर को उत्तर अमेरिका में अलास्का के नगरों से जोड़ेगा। इसका अधिकांश भाग बनकर तैयार है।
  • चीन में उत्तर-दक्षिण, पूर्व तथा पश्चिम के नगरों को महामार्गों द्वारा जोड़ा गया है।
  • अफ्रीका में एक महामार्ग अल्जीयर्स को एटलस पर्वत तथा सहारा मरुस्थल के पास गिनी में स्थित कोनाक्री से जोड़ता है।

प्रश्न 11.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से देश कैसे लाभ प्राप्त करते हैं ?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विश्व के अन्य देशों के साथ वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान है। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से देशों को निम्न लाभ पहुँचता है-

  • राष्ट्र उन वस्तुओं का आयात कर सकते हैं जिनका उनके यहाँ उत्पादन नहीं होता तथा सस्ते मूल्य पर खरीद सकते हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से देशों में आपसी सहयोग और भाईचारा बढ़ता है।
  • देश अपने यहाँ अतिरिक्त उत्पादन को उचित मूल्य पर अन्य देशों को बेच सकते हैं जिससे राष्ट्रीय आय में वृद्धि होगी।
  • देश अपने विशिष्ट उत्पादन का निर्यात कर सकते हैं। इससे विश्व अर्थव्यवस्था में सुधार आता है।
  • अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्तों और वस्तुओं के स्थानान्तरण के सिद्धान्त पर निर्भर करता है जिससे व्यापार करने वाले देशों को लाभ ही पहँचता है।
  • आधुनिक युग में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के अंतर्गत प्रौद्योगिक ज्ञान तथा अन्य बौद्धिक सेवाओं का भी आदान-प्रदान किया जाता है जिससे दोनों देशों को लाभ पहुँचता है।

प्रश्न 12.
पत्तन कितने प्रकार के होते हैं ? प्रत्येक का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर:
समुद्री तट का वह स्थान जहाँ से भारी मात्रा में माल समुद्री मार्गों से स्थल मार्गों द्वारा और स्थल मार्गों से समुद्री मार्ग द्वारा भेजा जाता है, पत्तन कहलाता है। पत्तन नौ प्रकार के होते हैं, जो निम्नलिखित हैं-
1. सवारी पत्तन (Passenger Ports) – वे पत्तन जहाँ से दूसरे देशों के लिए यात्रियों को ले जाया जाता है अथवा दूसरे देशों से यात्रियों को लाया जाता है।

2. वाणिज्यिक पत्तन (Commercial Ports) – ये मुख्यतः सामान के आयात एवं निर्यात के कार्य संपन्न करते हैं।

3. आंत्रेपो पत्तन (Entrepat Ports) – ऐसे पत्तनों पर जो माल आता है उसका गन्तव्य अन्य देश होते हैं, अतः उस माल का संचय बड़े गोदामों में किया जाता है तथा दूसरे देशों को भेजा जाता है। उदाहरण के लिए एशिया में सिंगापुर तथा यूरोप में रॉटरडम एवं कोपेनहेगेन बाल्टिक क्षेत्रों के लिए आंत्रेपो पत्तन हैं।

4. बाह्य पत्तन (Out Ports) – ये गहरे पानी के पत्तन हैं। ये वास्तविक पत्तनों से दूर गहरे समुद्र में बनाये जाते हैं, क्योंकि जलपोत या तो अपने बड़े आकार के कारण या अधिक मात्रा में अवसाद एकत्रित हो जाने के कारण वास्तविक पत्तन तक नहीं पहुंच पाते। बास्टिल ऐसा ही पत्तन है।

5. पैकेट स्टेशन (Packet Stations) – इनको ‘फैरीपोर्ट’ (Ferry port) भी कहा जाता है। इनका प्रयोग छोटी समुद्री मार्ग से आने वाले यात्रियों को उतारने-चढ़ाने तथा डाक लेने तथा देने के लिए किया जाता है। इसमें प्रायः दो स्टेशन आमने-सामने होते हैं। उदाहरण के लिए इंग्लिश चैनल के एक ओर डोवर और दूसरी ओर कैले हैं।

6. आंतरिक पत्तन (Inland Ports) – ये पत्तन समुद्र से दूर स्थल खंड के भीतर स्थित होते हैं परंतु नदी या नहर द्वारा समुद्र से जुड़े होते हैं, जिससे विशेष प्रकार के पोत बजरों की सहायता से इन तक पहुँचते हैं। जैसे मैनचेस्टर, मैन्फिस, कोलकाता, हानकाऊ।

7. नेवी पत्तन (Naval Ports) – यहाँ नौ-सेना के लड़ाकू जहाज खड़े रहते हैं। भारत में कोचीन तथा कारवार इसके उदाहरण हैं।

8. पोर्ट ऑफ कॉल (Port of Call) – बहुत-से ऐसे पत्तन समुद्री मार्ग के साथ विकसित हुए हैं जहाँ जलपोत ईंधन, पानी तथा खाना लेने के लिए रुकते हैं। इस प्रकार के पत्तनों में अदन, होनोलूलू तथा सिंगापुर हैं।

9. तेल पत्तन (Oil Ports) – इस प्रकार के पत्तन वर्तमान शताब्दी की देन हैं तथा इनका विकास हाल ही में हुआ है। तेल का महत्त्व आधुनिक अर्थव्यवस्था में बढ़ता ही गया। फलस्वरूप ऐसे पत्तनों का आविर्भाव हुआ, जो तेल के निर्यात एवं आयात में विशिष्टता प्राप्त कर चुके हैं। इनमें टैंकर पत्तन हैं, जहाँ तेल के टैंकर आकर खड़े होते हैं। कुछ परिष्करणशाला के पत्तन हैं जहाँ परिष्करणशालाएँ स्थापित हो गईं। जैसे-बेनेजुएला में माराकायबो, ट्यूनीशिया का अत्सखीरा तथा लेबनान का त्रिपोलो टैंकर पत्तन तथा अबादान परिष्करणशाला का पत्तन है।

प्रश्न 13.
ऊर्ध्वाधर व्यापार और क्षैतिज व्यापार में अंतर बताएँ।
उत्तर:
ऊर्ध्वाधर व्यापार और क्षैतिज व्यापार में निम्नलिखित अंतर है-
Bihar Board 12th Geography Important Questions Long Answer Type Part 2, 3

प्रश्न 14.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रादेशिक व्यापार संघों के बढ़ते महत्त्व का युरोपीय संघ, ओपेक तथा आसियान के विशेष संदर्भ में व्याख्या करें।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की आधारभूत संरचना कुछ व्यापार संघों के ऊपर आश्रित होती है। व्यापार संघ ऐसे देशों का समूह है जिनके भीतर व्यापारिक अनुबंधों की सामान्यीकृत प्रणाली कार्य करती है।

विश्व के प्रमुख व्यापारिक संघों में यूरोपियन संघ, ओपेक तथा आसियान आदि हैं। इन संघों की सदस्यता पर निम्न तीन बातों का प्रभाव पड़ता है-

  1. दूरी,
  2. उपनिवेशी संबंधी परम्परा,
  3. भू-राजनैतिक सहयोग।

1. यरोपीय संघ (E.U.) – यूरोपीय संघ का गठन 1957 में रोम संधि के फलस्वरूप छः देशों ब्रिटेन, इटली, फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड द्वारा किया गया। इसे पहले यूरोपीय आर्थिक समुदाय कहा गया, बाद में इसमें पश्चिमी यूरोप के अधिकांश देशों को सम्मिलित किया गया। इसने यूरोप को 1970 के पेट्रोल संकट और धीमी आर्थिक वृद्धि के दुष्प्रभाव से उबरने में महत्त्वपूर्ण योगदान किया। इसने 1972 में अनेक व्यापार निषेधों के उन्मूलन की एक महत्त्वाकांक्षी योजना आरंभ की।

2. पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन (ओपेक) (OPEC) – ओपेक में 13 देश हैं। अल्जीरिया, इक्वेडोर, गैबन, इंडोनेशिया, ईरान, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और वेनेजुएला। यह संगठन 1960 में पेट्रोल उत्पादक देशों द्वारा बनाया गया।

3. आसियान (ASEAN) – दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन का गठन 1967 में हुआ था। इंडोनेशिया, मलेशिया, थाइलैंड, फिलीपींस और सिंगापुर जैसे देश इसके सदस्य हैं। एशियाई तथा शेष संसार के देशों के बीच व्यापार शुल्क पर प्रदेश के भीतर के देशों की तुलना में अधिक तीव्र गति से बढ़ रहा है। जापान, यूरोपीय संघ तथा आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से व्यापारिक बातचीत करते समय आसियान अपने सदस्य देशों को एक संयुक्त मसौदा का उदाहरण प्रस्तुत करके उनकी मदद करता है। आजकल भारत भी इसका एक सह-सदस्य बन गया है।

प्रश्न 15.
ग्रामीण तथा नगरीय बस्ती किसे कहते हैं ? उनकी विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
ग्रामीण बस्तियाँ (Rural Settlement) – ये बस्तियाँ जो भूमि से सीधी तथा काफी नजदीकी से जुड़ी हुई होती हैं ग्रामीण बस्तियाँ कहलाती हैं। इन बस्तियों में मुख्यतः लोग प्राथमिक व्यवसाय में लगे होते हैं।

विशेषताएँ (Characteristics)-

  1. ग्रामीण बस्ती का भूमि से गहरा सम्बन्ध तथा प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है।
  2. ग्रामीण बस्ती में लोगों का प्रमुख कार्य कृषि, पशुपालन, मत्स्य जैसे प्राथमिक कार्य होते हैं।
  3. उनके आकार अपेक्षाकृत छोटे होते हैं और लोग सामाजिक रूप में एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।

नगरीय बस्ती (Urban Settlements) – वे बस्तियाँ जहाँ अधिक क्रिया में संकेन्द्रित होती हैं और जहाँ अधिकतर लोग द्वितीयक और तृतीयक व्यवसायों में लगे होते हैं।

विशेषतायें (Characteristics)-

  1. अधिकतर लोग गौण एवं तृतीयक व्यवसाय करते हैं।
  2. आवासीय स्थलों की कमी के कारण कई मंजिल वाली इमारतें होती हैं।
  3. नगरों में ग्रामों से अधिक सुविधायें पाई जाती हैं।
  4. नगरों में प्रदूषण की भी समस्या होती है।

प्रश्न 16.
भारत की जनसंख्या के लिंग संघटन के प्राथमिक प्रतिरूपों की विवेचना कीजिए तथा उच्च लिंग अनुपात संकुलों के नाम लिखें।
उत्तर:
लिंग अनुपात प्रत्येक प्रदेश में भिन्न होता है। भारत का लिंगानुपात राष्ट्रीय स्तर पर 933 है।

  1. दक्षिण भारत के राज्यों में लिंग अनुपात अधिक है। केरल में लिंगानुपात सबसे अधिक है। यह 1058 है।
  2. दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में लिंग अनुपात राष्ट्रीय औसत से अधिक है। यह तमिलनाडु में 286, आंध्र प्रदेश में 978 और कर्नाटक में 973 है।
  3. उत्तर-पूर्वी राज्यों में लिंगानुपात राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
  4. उत्तरी गरत में हिमाचल प्रदेश में 970 तथा उत्तरांचल में 964 है।
  5. भारत में 18 राज्यों में लिंगानुपात राष्ट्रीय औसत से कम है। उच्च लिंगानुपात वाले संकुल हैं : (i) केरल (1058), (ii) छत्तीसगढ़ (990), (iii) तमिलनाडु (986)।

प्रश्न 17.
भारत में जनसंख्या के घनत्व के स्थानिक वितरण की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या के घनत्व को प्रति इकाई क्षेत्रफल पर व्यक्तियों की संख्या द्वारा व्यक्त किया जाता है। उदाहरण के लिए दिल्ली का जलघनत्व 9294 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. है।

राज्य स्तर पर जनसंख्या घनत्व भिन्न-भिन्न है। यह अरुणाचल राज्य में 13 व्यक्ति तथा पश्चिम बंगाल में 904 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। बिहार का दूसरा स्थान (880) तथा केरल का तीसरा स्थान (819) है।

केरल और तमिलनाडु को छोड़कर अन्य दक्षिणी राज्य मध्य जनघनत्व वाले हैं। 100 से 300 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी० जनघनत्व वाले राज्य हैं-मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तरांचल, छत्तीसगढ़ तथा नागालैंड, हिमाचल, मणिपुर, मेघालय आदि सबसे कम घनत्व वाले राज्य हैं। जम्मू तथा कश्मीर (99), सिक्किम (76), मिजोरम (42) तथा अरुणाचल प्रदेश, (13) जिला स्तर पर जनघनत्व का प्रारूप निम्नलिखित रूप से वर्गीकृत किया जाता है-

  • बहुत कम घनत्व के क्षेत्र (Very low density regions) – इस वर्ग में 32 जिले आते हैं। इनमें 50 मनुष्य प्रति वर्ग किमी. से भी कम हैं। ये जिले उत्तर, उत्तर-पूर्वी भारत और राजस्थान तथा गुजरात के जिले हैं।
  • कम घनत्व के क्षेत्र (Low density regions) – इस वर्ग में 51 में 100 मनुष्य प्रति वर्ग किमी घनत्व वाले जिले हैं। ये भारत के 23 जिले हैं जो पहाड़ी तथा शुष्क क्षेत्रों में स्थित हैं।
  • मध्यम घनत्व के क्षेत्र (Average density regions) – इनमें घनत्व 101 से 200 मनुष्य प्रति वर्ग किमी. पाया जाता है। इन जिलों की संख्या 172 है। ये जिले राजस्थान, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ आदि के हैं।
  • उच्च घनत्व के क्षेत्र (High density regions) – यहाँ घनत्व 201 से 400 मनुष्य प्रति वर्ग किमी. है। इस वर्ग में 123 जिले हैं। ये मुख्यतः तमिलनाडु, तटीय उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा आदि में हैं।
  • अत्यधिक घनत्व के क्षेत्र (Highest density regions) – इनमें 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी०, जन घनत्व होता है। इन जिलों में नगरीकरण अधिक हुआ है। इनमें कोलकाता, मुम्बई, दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद जैसे बड़े नगर आते हैं।

इनमें पंजाब, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के जिले शामिल हैं। इनकी संख्या 162 है।

प्रश्न 18.
जनसंख्या का अंकगणितीय घनत्व तथा कायिक घनत्व में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
जनसंख्या का अंकगणितीय घनत्व तथा कायिक घनत्व में निम्नलिखित अन्तर है-
Bihar Board 12th Geography Important Questions Long Answer Type Part 2, 4

प्रश्न 19.
भारत में जनसंख्या के असमान वितरण के कारकों की विवेचना करें।
उत्तर:
संपूर्ण संसार में जनसंख्या का असमान वितरण पाया जाता है। कहीं अत्यधिक सघन जनसंख्या पाई जाती है, तो कहीं जनविहीन क्षेत्र पाए जाते हैं। कई ऐसे प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक तत्व हैं, जो जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करते हैं। जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करने वाले प्राकृतिक तत्व निम्नलिखित हैं-

  • स्थलाकृति – उपजाऊ मैदानी क्षेत्र जनसंख्या वृद्धि में सहायक है, तो अनुपजाऊ पहाड़ी पठारी क्षेत्र जनसंख्या को बिखेरता है।
  • जलवायु – अनुकूल शीतोष्ण जलवायु जनसंख्या को आकर्षित करती है, तो अत्यधिक शीतप्रधान या गर्म गमरुस्थलीय क्षेत्र जनविहीन रहते हैं।
  • वनस्पति – खनिज एवं जल की उपलब्धता जनसंख्या के वितरण को प्रभावित करती है।
  • सांस्कृतिक कारक – उद्योग धंधों का विकास, परिवहन के साधनों का विकास, नगरीकरण की सुविधाएँ, चिकित्सा केन्द्र, शिक्षा केन्द्र तथा धार्मिक स्थल जनसंख्या के वितरण पर प्रभाव डालते हैं।
  • आपदा – सूखा, महामारी, अकाल, बाढ़, भूकम्प आदि क्रियाएँ जनसंख्या को कम करने तथा उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने को मजबूर करती हैं, जिससे जनसंख्या का वितरण प्रभावित होता है।

प्रश्न 20.
भारत में जनसंख्या वृद्धि से हुए परिणामों पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
भारत की जनसंख्या पिछली शताब्दी में विस्फोटक रूप से बढ़ी है। इस वृद्धि के कारण सर्वप्रथम जनघनत्व में भी जबरदस्त वृद्धि आयी है। 1901 ई० में यह घनत्व 97 व्यक्ति/वर्ग कि०मी० से बढ़कर 2001 ई० में 324 व्यक्ति/वर्ग कि० मी० हो गया है। पिछले 100 वर्षों के दौरान जनघनत्व में हुए इस आशातीत वृद्धि का प्रभाव सर्वप्रथम कृषि भूमि पर पड़ा है। 1921 ई० में देश में प्रति व्यक्ति कृषि योग्य भूमि एक एकड़ थी जो आज 0.5 एकड़ से भी कम है। प्रति व्यक्ति कृषि भूमि में भारी कमी का एकमात्र कारण ग्रामीण जनसंख्या का दबाव है। परिणामस्वरूप, खाद्य उपलब्धता भी संतोषजनक नहीं है। खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि के बावजूद प्रति व्यक्ति खाद्य उपलब्धता 500 ग्राम के निकट है। जबकि इसे 650-700 ग्राम होनी चाहिए।

इसी तरह भारत का एक बड़ा समूह अधिवास की सुविधा से वंचित है। साथ ही गरीबी रेखा के नीचे रहनेवालों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। इसके बावजूद नगरीय जनसंख्या में विस्फोटक वृद्धि आयी है। 1901 ई० में देश में एक महानगर था जिसकी संख्या 2001 ई० में बढ़कर 35 हो गयी है। इसके साथ ही साथ अनुत्पादक और बेरोजगारी की संख्या तथा पर्यावरण सम्बन्धी समस्याएँ भी जनसंख्या वृद्धि के कारण बढ़ी है।