BSEB Bihar Board 12th History Important Questions Short Answer Type Part 4 are the best resource for students which helps in revision.
Bihar Board 12th History Important Questions Short Answer Type Part 4
प्रश्न 1.
मंगल पांडे कौन थे ? उनका संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
मंगल पांडे (Mangal Pandey) – भारतीय इतिहास में प्राय: मंगल पांडे को 1857 के विद्रोह का प्रथम जनक, महान देशभक्त तथा क्रांतिकारी माना जाता है। वे बैरकपुर (बंगाल) की 34वीं (सैन्य) बटालियन का एक साधारण सिपाही ही थे। उन्होंने अपनी छावनी में चर्बी वाले कारतूस की बात पहुँचाई तथा अंग्रेज अधिकारियों के धर्म विरोधी आदेश की अवहेलना की। सारजेन्ट मेजर हगसन के आदेशानुसार जब किसी भी भारतीय सैनिक ने पांडे को कैद नहीं किया तो उन्होंने हगसन तथा लैफ्टिनेंट बाम को उसके घोड़े सहित ढेर कर दिया। कालान्तर में उन्हें कैद कर लिया गया तथा 8 अप्रैल, 1857 को फाँसी दे दी गई। उनकी वीरता एवं कुर्बानी ने कालान्तर में मेरठ सैनिक छावनी के विप्लव की भूमिका तैयार की।
प्रश्न 2.
शैलावासों की स्थापना के प्रमुख कारण क्या थे ?
अथवा, ब्रिटिश शासकों के लिए हिल स्टेशन क्यों महत्वपूर्ण थे ?
उत्तर:
शैलावास को अंग्रेजी में ‘हिल स्टेशन’ कहा जाता है। शैलावासों की स्थापना प्रमुखतः स्वास्थ्यवर्द्धक स्थलों के रूप में की गई है। भारत के प्रायः सभी राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों में हिल स्टेशन स्थापित हैं। अनेक व्यक्ति पर्यटन एवं स्वास्थ्य लाभ हेतु इन स्थलों पर जाते हैं। इनकी स्थापना का एक कारण पर्यटनों के आकर्षण का केन्द्र स्थापित करना भी था। राजस्थान में माउण्ट आबू, दक्षिण में ऊटी, उत्तर में मसूरी, मध्य प्रदेश में पंचमढ़ी का विकास हिल स्टेशन के रूप में हुआ है। हमारे देश के सात उत्तर-पूर्वी राज्य तो प्रमुखतः हिल स्टेशन के लिए ही जाने जाते हैं। अंग्रेज गर्म जलवायु के ‘आदी नहीं’ थे अत: उन्होंने अपनी सुविधा हेतु भी हिल स्टेशन स्थापित किए।
प्रश्न 3.
1857 के विद्रोह की असफलता के कारणों का संक्षिप्त उल्लेख करें।
उत्तर:
1857 के विद्रोह की असफलता के कारण (Causes of the Failure of the Revolt of 1857) – 1857 के विद्रोह में भारतीय जनता ने जी-तोड़ संघर्ष कर अंग्रेजों का सामना किया, किन्तु कुछ कारणों से इस विद्रोह में भारतवासियों को असफलता मिली। इस असफलता के निम्न कारण थे-
- यह विद्रोह निश्चित तिथि से पहले आरम्भ हो गया। इसकी तिथि 31 मई निर्धारित की गई थी, किंतु यह 10 मई, 1857 को शुरू हो गया।
- यह स्वतंत्रता संग्राम सारे भारत में फैल गया, परिवहन तथा संचार के अभाव में भारतवासी इस पर पूर्ण नियंत्रण न रख सके।
- भारतवासियों के पास अंग्रेजों के मुकाबले हथियारों का अभाव था।
- भारत में कुछ वर्गों ने इस विद्रोह में सक्रिय भाग नहीं लिया।
- भारत में अंग्रेजों के समान कुशल सेनापतियों का अभाव था।
- अंग्रेजों को ब्रिटेन से यथासमय सहायता प्राप्त होती गई।
- क्रांतिकारियों में किसी एक योजना एवं निश्चित उद्देश्यों की कमी थी।
प्रश्न 4.
संविधान निर्माताओं की प्रमुख समस्याएँ क्या थी ?
उत्तर:
भारत जैसे विशाल देश के लिए जहाँ जीवन के हर पक्ष में विविधता पाई जाती हैं, संविधान बनाना कोई सरल कार्य नहीं रहा होगा। संविधान निर्माताओं की मुख्य समस्याएँ इस प्रकार थीं-
- पहली समस्या थी भारत की अखंडता को बनाये रखना।
- दूसरी प्रमुख समस्या थी देशी रियासतों की। लॉर्ड माउंटबेटन ने अपने प्रस्ताव में देशी रियासतों को भारतीय संघ में सम्मिलित होने अथवा नहीं होने की छूट दे रखी थी। ऐसी स्थिति में भारतीय संघ में उन्हें सम्मिलित करना एक कठिन कार्य था।
- भारत की सांस्कृतिक विविधता भी एक अन्य प्रमुख समस्या थी। एक संविधान में सभी जातियों, जनजातियों, विभिन्न भाषा-भाषियों के लिए स्थान बनाना सरल कार्य नहीं था। आदिवासियों को मुख्य धारा से जोड़कर रखना भी एक प्रमुख समस्या थी।
- अंग्रेजी शासनकाल शोषण एवं उत्पीड़न का काल था। अतः स्वतंत्रता के साथ आम भारतीयों की बची हुई आशाएँ जुड़ी हुई थीं। इन सभी आशाओं को पूरा करना तथा एक नए भारत का निर्माण करना भी एक प्रमुख समस्या थी।
प्रश्न 5.
क्या भारत विभाजन को रोका जा सकता था ?
उत्तर:
1947 में भारत को खण्डित आजादी मिली थी। आजादी के साथ ही भारत का विभाजन भी हो गया तथा एक ब्रिटिश उपनिवेश को भारत और पाकिस्तान के रूप में दो देशों में बाँट दिया गया।
स्वतंत्रता के बाद भी यह चर्चा का विषय बना रहा कि क्या इस विभाजन को रोका जा सकता था किन्तु तत्कालीन कारकों की विवेचना से यही लगता है कि विभाजन अवश्यम्भावी था-
- अंग्रेजों की नीति थी-फूट डालो, शासन करो। इसके आधार पर उन्होंने सबसे पहले . हिन्दू-मुस्लिम एकता पर प्रहार किया।
- दोनों ही दलों के नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने भी विभाजन को अनिवार्य बना दिया।
- लॉर्ड माउंटबेटन ने स्वतंत्रता को विभाजन के उस पार खड़ा कर दिया। अंततः काँग्रेस विभाजन के लिए तैयार हो गई।
- काँग्रेस ने मुस्लिमों के साथ तुष्टिकरण की नीति अपनाई जिससे लीग की हठधर्मिता को बल मिला। उन्हें यकीन हो गया था कि यदि वे पाकिस्तान की माँग पर अड़े रहे तो उन्हें पाकिस्तान अवश्य ही मिलेगा।
प्रश्न 6.
राष्ट्रवादियों तथा साम्प्रदायवादियों में मुख्य अन्तर क्या था ?
उत्तर:
राष्ट्रवादी, भारत को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में देखते थे जिसमें सभी धर्मों के लोग साथ-साथ सम्मानपूर्ण तरीके से रहते हैं। दूसरी ओर साम्प्रदायिकतावादी भारत को धर्म के आधार पर समूह के रूप में देखते थे। वे व्यक्तिगत हितों को राष्ट्रीय हित की अपेक्षा अधिक महत्व देते थे। इस दृष्टिकोण को आधार बनाकर ही मुसलमानों के लिए अलग राष्ट्र की मांग की गई थी।
प्रश्न 7.
अमरीकी गृहयुद्ध और स्वेज नहर का प्रारम्भ होने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
अमरीकी गृहयुद्ध का प्रारम्भ 1861 में हुआ। तत्पश्चात् अमरीका से कपास अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में आना बन्द हो गया। इससे भारतीय कपास की माँग में वृद्धि होने लगी। कपास का उत्पादन मुख्य रूप से दक्षिण भारत में होता था। इस समय व्यापारियों तथा बिचौलियों को काफी लाभ हुआ। 1869 में स्वेज नहर का प्रारम्भ होने के साथ ही बम्बई शहर का महत्त्व अत्यधिक बढ़ गया। बम्बई के कपड़ा उद्योग में काफी पैसा लगा तथा यह भारत का सबसे अधिक व्यस्त शहर बन गया।
प्रश्न 8.
औद्योगिक शहर के रूप में ब्रिटिश काल में किन नगरों का उदय हुआ ?
उत्तर:
सही मायनों में ब्रिटिश काल में केवल दो नगरों का औद्योगिक विकास हुआ। पहला नगर था कानपुर, जहाँ सूती कपड़े, ऊनी कपड़े और चमड़े की वस्तुओं का उत्पादन होता था। दूसरा नगर था-जमशेदपुर, जहाँ स्टील का उत्पादन होता था। इस काल में भारत में अन्य औद्योगिक नगरों का विकास इसलिए नहीं हुआ क्योंकि अंग्रेजों की नीति पक्षपातपूर्ण थी। वे एक औपनिवेशिक देश को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे।
प्रश्न 9.
गाँधीजी 1917 में चम्पारण क्यों गये ? वहाँ उन्होंने क्या किया ?
उत्तर:
19वीं सदी के प्रारम्भ में गोरे बागान मालिकों ने किसानों से एक अनुबंध किया जिसके अनुसार किसानों को अपनी जमीन के 3/20वें हिस्से में नील की खेती करना अनिवार्य था। इस ‘तिनकठिया’ पद्धति कहा जाता था। किसान इस अनुबंध से मुक्त होना चाहते थे। 1917 में चम्पारण के राजकुमार शुक्ल के अनुरोध पर गाँधीजी चम्पारण पहुँचे। गाँधीजी के प्रयासों से सरकार ने चम्पारण के किसानों की जाँच हेतु एक आयोग नियुक्त किया। अंत में गाँधीजी की विजय हुई।
प्रश्न 10.
स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में इनका स्थान सर्वोच्च है। भारत की स्वाधीनता उन्हीं की भूमिका का फल है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में एक नये युग का निर्माण किया और जीवन के अंतिम क्षण तक देश सेवा तथा राष्ट्रीय आंदोलन का पथ-प्रदर्शन करते रहे। इसी कारण उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहा जाता था। वे शांति के दूत थे। सत्य और अहिंसा उनके हथियार थे। उनका आंदोलन इसी पर आधारित था।
वैसे तो 1914 ई० में उन्होंने भारतीय राजनीति में प्रवेश किया था लेकिन 1919 ई० में अत्यंत प्रभावशाली ढंग से राष्ट्रीय आंदोलन को प्रभावित करना शुरू किया और अन्त तक राष्ट्रीय आंदोलन के प्राण बने रहे। 1920 ई० से 1947 ई० तक भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की बागडोर उन्हीं के हाथों में रही। इस अवधि में राष्ट्रीय संग्राम के सर्वोच्च नेता के रूप में भारतीय राजनीति का उन्होंने मार्ग दर्शन किया, उसने साधन दिये, उसको नया दर्शन दिया और उसे सक्रिय बनाया। इसी कारण इस अवधि को ‘गाँधी युग’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने असहयोग आन्दोलन करते हुए भारत को स्वतंत्रता दिलाई। उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन को जन-आंदोलन का रूप दिया।
प्रश्न 11.
चम्पारण आन्दोलन के क्या कारण थे ?
उत्तर:
चम्पारण आंदोलन के निम्नलिखित कारण थे-
- चम्पारण में नील के खेतों में काम करने वाले किसानों पर यूरोपियन निलहे बहुत अत्याचार करते थे।
- गाँधीजी के दक्षिण अफ्रीका के संघर्षों की कहानी सुनकर चम्पारण के कई किसानों ने उन्हें वहाँ आकर उनकी समस्याओं को सुना एवं उनके हितों के लिए सत्याग्रह शुरू कर दिया।
प्रश्न 12.
असहयोग आन्दोलन के कारणों पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
गाँधीजी ने 1920 ई० में असहयोग आंदोलन आरम्भ किया। इसके निम्नलिखित कारण थे-
(i) रॉलेट एक्ट – प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1919 ई० में रॉलेट एक्ट पास किया गया। इसके द्वारा सरकार अकारण ही किसी व्यक्ति को बन्दी बना सकती थी। इससे असंतुष्ट होकर महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन चलाया।।
(ii) जालियाँवाला बाग की दुर्घटना – रॉलेट एक्ट का विरोध करने के लिए अमृतसर में जालियाँवाला बाग के स्थान पर एक जनसभा बुलायी गई। जनरल डायर ने इस सभा में एकत्रित लोगों पर अंधाधुंध गोलियाँ चलायीं। भयंकर हत्याकाण्ड हुआ महात्मा गाँधी ने इस हिंसात्मक घटना से दुःखी होकर असहयोग आंदोलन आरंभ कर दिया।
प्रश्न 13.
काँग्रेस में उग्रवादियों की भूमिका का परीक्षण करें।
उत्तर:
उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम तथा बीसवीं शताब्दी के आरंभिक वर्षों में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस में एक नए एवं तरूण दल का उदय हुआ जो पुराने नेताओं के आदर्श तथा ढंगों का प्रबल आलोचक था। उनका ध्येय था कि काँग्रेस का लक्ष्य स्वराज होना चाहिए। वे काँग्रेस के उदारवादी नीतियों का विरोध करते थे।
1905 से 1919 का काल भारतीय इतिहास में उग्रवादी युग के नाम से जाना जाता है। उस युग के नेताओं में बाल गंगाधर तिलक, विपिन चन्द्रपाल, लाला लाजपत राय आदि प्रमुख थे। उग्रवादियों ने विदेशी माल का बहिष्कार और स्वदेशी माल अंगीकार करने पर बल दिया।
प्रश्न 14.
संघ सूची, राज्य सूची तथा समवर्ती सूची का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर:
संघ सूची में वे विषय रखे जो राष्ट्रीय महत्त्व के हैं तथा जिनके बारे में देश भर में एक समान नीति होना आवश्यक है। जैसे-प्रतिरक्षा, विदेश नीति, डाक-तार व टेलीफोन, रेल मुद्रा, बीघा व विदेशी व्यापार इत्यादि। इस सूची में कुल 35 विषय है।
राज्य सूची में प्रादेशिक महत्त्व के विषय सम्मिलित किये गये थे जिन पर कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकारों को दिया गया। राज्य सूची के प्रमुख विषय हैं-कृषि, पुलिस, जेल, चिकित्सा, स्वास्थ्य, सिंचाई व मालगुजारी इत्यादि। इन विषयों की संख्या 66 थी।
समवर्ती सूची में 47 विषय थे। इस सूची के विषयों पर केन्द्र तथा राज्यों दोनों कानून बना सकते हैं किंतु किसी विषय पर यदि संसद और राज्य के विधान मंडल द्वारा बनाए गए कानूनों में विरोध होता है तो संसद द्वारा बनाए गए कानून ही मान्य होंगे। इस सूची के प्रमुख विषय हैं-बिजली, विवाह कानून, मूल्य नियंत्रण, समाचार-पत्र, छापेखाने, दीवानी कानून, हिंसा, वन, जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन आदि।
प्रश्न 15.
भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को क्यों लागू किया गया ?
उत्तर:
भारत का संविधान 26 जनवरी, 1949 को बनकर तैयार हो गया था परन्तु उसे 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया। इसका एक कारण था कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने काँग्रेस के दिसम्बर, 1929 के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वतन्त्रता की माँग का प्रस्ताव पास कराया था और 26 जनवरी, 1930 का दिन ‘प्रथम स्वतन्त्रता दिवस’ के रूप में आजादी से पूर्व ही मनाया गया था। इसके बाद काँग्रेस ने हर वर्ष 26 जनवरी का दिन इसी रूप में मनाया था। इसी पवित्र दिवस की याद ताजा रखने के लिए संविधान सभा ने संविधान को 26 जनवरी, 1950 को लागू करने का निर्णय किया था।
प्रश्न 16.
‘पाँचवीं रिपोर्ट पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी के प्रशासन और गतिविधियों से संबद्ध यह पाँचवीं रिपोर्ट थी जिसे 1813 में ब्रिटिश संसद में पेश किया गया। इसे एक प्रवर समिति ने तैयार किया था। रिपोर्ट 1002 पृष्ठों में थी। इनमें मुख्यत: जमींदारों, रैयतों की अर्जियाँ, कलक्टर की रिपोर्ट बंगाल-मद्रास के राजस्व और न्यायिक और न्यायिक अधिकारियों पर टिप्पणियाँ थी। रिपोर्ट द्वारा ब्रिटिश संसद में लम्बी बहस हुई।
प्रश्न 17.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना के मुख्य आदर्श क्या हैं ?
उत्तर:
भारतीय संविधान की प्रस्तावना हमें यह बताती है कि वास्तव में संविधान का क्या उद्देश्य है। यह घोषणा करता है कि संविधान का स्रोत भारत की जनता है। यह निम्नलिखित सिद्धांतों तथा आदर्शों पर बल देता है
- न्याय : सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक।
- स्वतंत्रता : विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास तथा पूजा-अर्चना की।
- समानता : प्रतिष्ठा तथा अवसर की समानता।
- भ्रातृत्व : व्यक्ति की गरिमा तथा राष्ट्र की एकता व अखंडता सुनिश्चित करना तथा आपसी बन्धुत्व बढ़ाना।
प्रश्न 18.
फोर्ट विलियम नामक किला कहाँ बनाया गया था ? बाद में यह जगह क्या कहलाई ?
उत्तर:
1698 में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने सूतानाटी, कालिकाता और गोविंदपुरी की जमींदारी प्राप्त कर ली और वहाँ उन्होंने अपनी फैक्ट्री के इर्द-गिर्द फोर्ट विलियम नाम का किला बनाया। यही गाँव जल्द ही बढ़कर एक नगर बन गया। जिसे अब कोलकाता कहा जाता है।
प्रश्न 19.
प्लासी का युद्ध (1757) किसके बीच हुआ था ?
उत्तर:
प्लासी की लड़ाई 23 जून, 1757 ई० को बंगाल का नबाब सिराजुद्दौला तथा अंग्रेजों के बीच प्लासी के मैदान में हुआ था। यह सही रूप में लड़ाई नहीं थी बल्कि अंग्रेजी सेनापति क्लाइव की कूटनीतिक चाल थी। इसने नबाब के सेनापति मीरजाफर को अपनी ओर मिलाकर लड़ाई का ढोंग रचा था । सेनापति मीरजाफर के विश्वासघात के कारण नबाब की हार हो गई और नबाब सिराजुद्दौला की हत्या कर दी गई। इस तरह क्लाइव का षड़यंत्र सफल रहा। वहीं से भारत में अंग्रेजी शासन की नींव पड़ गई।
प्रश्न 20.
संक्षेप में रॉलेट एक्ट के प्रति भारतीय प्रतिक्रिया का विवेचना कीजिए।
उत्तर:
1. मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों (1919) से भारतीय राष्ट्रीय नेताओं में घोर निराशा व असंतोष देखकर सरकार बुरी तरह घबरा उठी। सरकार ने असंतोष को दबाने के लिए अपना दमनचक्र चला दिया।
2. सरकार ने 1919 ई० के प्रारंभ में रॉलेट एक्ट पास कर दिया। इस एक्ट में सरकार को दो व्यापक अधिकार मिले
- इस एक्ट के द्वारा सरकार किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए तथा दोषी सिद्ध किए जेल में बंद कर सकती है।
- सरकार को यह अधिकार दिया गया कि वह बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) के अधिकार को स्थगित कर सकती थी।
3. इस एक्ट के कारण लोगों में रोष की लहर दौड़ गई। अतः देश में विरोध होने लगा। देश भर में विरोध सभाएँ, प्रदर्शन और हड़तालें हुई। सेंट्रल लेजिस्लेटिव कौंसिल से तीन भारतीय सदस्यों-मोहम्मद अली जिन्ना, मदन मोहन मालवीय और मजहरूलहक ने इस्तीफा दे दिया। सरकार ने दमन शुरू किया। कई स्थानों पर उसने लाठी-गोली आदि का सहारा लिया। इस एक्ट के विरुद्ध गाँधीजी ने सत्याग्रह किया। पंजाब के जालियाँवाला बाग में इसी एक्ट के विरुद्ध शांतिपूर्ण जनसभा हो रही थी जिससे क्रुद्ध होकर जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोलियों की वर्षा करवा दी थी।
प्रश्न 21.
1931 के गाँधी-इरविन समझौते का क्या परिणाम निकला ?
उत्तर:
- यद्यपि गाँधीजी दूसरे गोलमेल सम्मेलन में भाग लेने गए थे। जनवरी, 1932 ई० को गाँधीजी तथा अन्य नेताओं को बंदी बना लिया गया।
- कांग्रेस को पुनः गैरकानूनी घोषित कर दिया गया।
- एक लाख से अधिक सत्याग्रही बंदी बना लिए गये।
- हजारों प्रदर्शनकारियों की भूमि, मकान तथा संपत्ति सरकार ने जब्त कर ली।
प्रश्न 22.
“सांप्रदायिक पंचाट” की घोषणा किसने की ? इसके प्रावधान क्या थे ?
उत्तर:
16 अगस्त, 1932 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री मेकडॉनल्ड ने एक घोषणा की जो मेकडॉनल्ड निर्णय या सांप्रदायिक पंचाट के नाम से प्रसिद्ध है।
प्रावधान – इसके अनुसार दलितों को हिंदुओं से अलग मानकर उन्हें अलग प्रतिनिधित्व देने को कहा गया और दलित वर्गों के लिए अलग निर्वाचन मंडल का प्रावधान किया गया।
प्रश्न 23.
‘द्विराष्ट्र-सिद्धान्त’ का क्या अर्थ है ? यह किस प्रकार से भारतीय इतिहास की पूर्ण मिथ्या थी ?
उत्तर:
द्विराष्ट्र-सिद्धान्त से अभिप्राय यह है कि हिन्दुओं एवं मुसलमानों के दो अलग-अलग राष्ट्र (देश) हैं, अतः वे एक होकर नहीं रह सकते।
यह सिद्धान्त इस आधार पर मिथ्या था कि मध्यकाल में हिन्दुओं तथा मुसलमानों ने एक सांझी संस्कृति का विकास किया। सन् 1857 की क्रान्ति में भी वे एकजुट होकर लड़े।
प्रश्न 24.
साइमन कमीशन भारत क्यों आया था ?
उत्तर:
1919 ई० के एक्ट के अनुसार यह निर्णय हुआ था कि प्रत्येक दस वर्ष के बाद सुधारों का मूल्यांकन करने के लिए इंग्लैंड से एक कमीशन भारत आयेगा। इसलिए 1928 ई० में जॉन साइमन की अध्यक्षता में एक आयोग (Commission) भारत आया था। इस आयोग में एक भी भारतीय न था, जबकि इसका उद्देश्य भारत के हितों की देखभाल करना था। अतः भारतीयों ने इसका स्थान-स्थान पर बहिष्कार और जोरदार विरोध किया। जहाँ भी यह आयोग गया, वहाँ पर भारतीयों डे दिखाकर ‘साइमन वापस जाओ’ के नारों के साथ बहिष्कार किया। अंग्रेजों ने प्रदर्शकारियों का दमन बड़ी क्रूरता से किया।
जब यह आयोग लाहौर पहुँचा, तो लाला लाजपतराय ने प्रदर्शन कर रहे जुलूस का नेतृत्व किया। पुलिस के भीषण लाठी प्रहार में लालाजी को कई गहरी चोटें लगी जिनके फलस्वरूप बाद में उनकी मृत्यु हो गई। इसी तरह से लखनऊ में जुलूस का नेतृत्व पंडित जवाहरलाल नेहरू कर रहे थे। उन पर भी जब लाठी प्रहार होने लगा, तो गोविंद बल्लभ पंत ने तुरंत अपना सिर उनके सिर पर रख दिया. जिसके फलस्वरूप पंतजी को पक्षाघात हो गया और जीवन भर वे अपनी गर्दन सीधी रखकर न बैठ पाये।
प्रश्न 25.
आजाद हिंद फौज की रचना और गतिविधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
- सुभाषचंद्र बोस ने ‘आजाद हिंद फौज’ का गठन अंग्रेजों के साथ सशस्त्र संघर्ष के लिए किया था। दूसरे विश्व युद्ध के शुरू होते ही सुभाषचंद्र बोस को उनके कलकत्ता (कोलकाता) स्थित निवास स्थान पर नजरबंद कर दिया गया था जिससे कि वे अपनी क्रांतिकारी गतिविधियाँ अंग्रेजों के विरुद्ध प्रयुक्त न कर सकें।
- 1941 ई० में अंग्रेजों की आँखों में धूल झोंककर वे अफगानिस्तान के मार्ग से जर्मनी पहुँच गये। 1943 ई० में बर्मा पहुँच कर जापान द्वारा बंदी किए गये भारतीय सैनिकों को संगठित कर ‘आजाद हिंद फौज’ का गठन किया।
- लोभ प्यार से सुभाषचंद्र बोस को नेताजी कहते थे। नेताजी ने युवकों को ललकारा और कहा, “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।” उन्होंने अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने के लिए विदेशों से भी सहायता ली।
- 1945 ई० के बाद जापान की पराजय के बाद भारत की सीमा तक पहुँची हुई आजाद हिंद फौज के पाँव उखड़ गये। अतः आजाद हिंद फौज (Indian National Army) के कई बड़े सैनिक अधिकारियों और सिपाहियों को अंग्रेजों ने पकड़ लिए।
प्रश्न 26.
क्रिप्स मिशन कब भारत आया ? क्रिप्स वार्ता क्यों भंग हो गई ?
उत्तर:
क्रिप्स मिशन मार्च, 1942 में भारत आया। यह वार्ता इसलिए भंग हो गई क्योंकि सरकार युद्ध के बाद भी भारत को स्वाधीनता का वचन देने के लिए तैयार न थी। क्रिप्स ने काँग्रेस का यह प्रस्ताव भी ठुकरा दिया था कि युद्ध के बाद एक राष्ट्रीय सरकार बनाई जाए।
प्रश्न 27.
काँग्रेस ने क्रिप्स प्रस्तावों को क्यों अस्वीकार कर दिया ?
उत्तर:
1942 ई० के प्रारम्भ में ही ब्रिटिश सरकार को द्वितीय महायुद्ध प्रयासों में भारतीयों के सक्रिय सहयोग की पुरी तरह आवश्यकता महसूस हुई। ऐसा सहयोग पाने के लिए उसने कैबिनेट मंत्री पर स्टैफोर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में मार्च, 1942 ई० में एक मिशन भारत भेजा।
सर स्टैफोर्ड क्रिप्स पहले मजदूर दल (लेबर पार्टी) के उग्र सदस्य और भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के पक्के समर्थक थे।
क्रिप्स ने घोषणा की कि भारत में ब्रिटिश नीति का उद्देश्य यहाँ, “जितनी जल्दी सम्भव हो स्वशासन की स्थापना करना था” फिर भी उसकी एवं काँग्रेसी नेताओं की लम्बी बातचीत टूट गई। ब्रिटिश ने नेताओं की यह माँग मानने से इन्कार कर दिया कि शासन सत्ता तुरन्त भारतीयों को सौंप दी जाये। वे इस वायदे से सन्तुष्ट नहीं थे कि भविष्य में भारतीयों को सत्ता सौंप दी जायेगी और फिलहाल वायसराय के हाथों में ही निरकुंश सत्ता बनी रहनी चाहिए।
क्रिप्स मिशन की असफलता से भारतीय जनता रुष्ट हो गई। भारत में द्वितीय महायुद्ध के कारण वस्तुओं का अभाव हो रहा था। चीजों की कीमतें लगातार बढ़ रही थीं। अप्रैल, 1942 से अगस्त 1942 ई० के मध्य लगभग 5 महीनों में ब्रिटिश सरकार तथा भारतीयों के मध्य तनाव बढ़ता ही गया। गांधीजी भी अब जुझारू हो गये।
प्रश्न 28.
पूना समझौता क्या था? इसमें महात्मा गांधी की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
उत्तर:
पूना समझौते का अर्थ (Meaning of Poona Pact) – सांप्रदायिक पंचाट (Communal Award) के विरुद्ध भारत के प्रमुख नेताओं- डॉ० राजेंद्र प्रसाद, पं० मदनमोहन मालवीय, घनश्याम दास बिड़ला, राजगोपालाचार्य और डॉ० भीमराव अंबेदकर ने पूना में एकत्र होकर विचार-विनिमय किया। उन्होंने गाँधीजी और डॉ० अंबेदकर की स्वीकृति का एक समझौता तैयार किया, जो पूना समझौता कहलाता है। इसे ब्रिटिश सरकार ने भी मान लिया।
समझौते की मुख्य शर्ते (Main terms of the Poona Pact) – (i) सांप्रदायिक पंचाट में दलितों के लिए प्रांतीय व्यवस्थापिका सभाओं में सभी राज्यों में निर्धारित 71 स्थानों को बढ़ाकर 148 कर दिया गया। (ii) संयुक्त चुनाव प्रणाली की व्यवस्था की गई। दलितों के लिए चुनाव क्षेत्र की व्यवस्था समाप्त कर दी गई। (iii) स्थानीय संस्थाओं और सार्वजनिक सेवाओं में दलितों के लिए उचित प्रतिनिधित्व निश्चित किया गया। (iv) दलितों की शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता की सिफारिश की गई। (v) यह योजना आरंभ में 10 वर्षों के लिए होगी।
पूना समझौते से अंग्रेजों द्वारा सांप्रदायिक पंचाट के माध्यम से दलितों को हिंदुओं से अलग करने के षड्यंत्र में कमी आ गई। गाँधीजी ने पंचाट के विरुद्ध 20 सितंबर, 1932 ई० को आमरण अनशन शुरू कर दिया था। पूरा समझौते के बाद 26 दिसंबर, 1932 ई० को उन्होंने अपना अनशन तोड़ दिया।
प्रश्न 29.
भारत छोड़ो आंदोलन 1942 के बारे में लिखें।
उत्तर:
क्रिप्स मिशन की असफलता ने भारतीयों में असंतोष का वातावरण बना दिया। इसी बीच द्वितीय विश्वयुद्ध में मित्र राष्ट्रों को कमजोर स्थिति के चलते भारत पर जापानी आक्रमण का खतरा बढ़ गया। भारतीयों को यह लगने लगा कि अंग्रेजों के बाद यहाँ जापानी शासन कायम हो जायेगा। इसीलिये भारतीयों ने गाँधीजी के नेतृत्व में अंग्रेजों भारत छोड़ों’ का नारा दिया और आंदोलन शुरू कर दिया तथा सत्ता भारतीयों के हाथों सौंप देने की माँग की। लेकिन सरकार ने इसे बर्बरतापूर्वक दबा दिया। इस तरह यह विद्रोह असफल सिद्ध हुआ।
प्रश्न 30.
पूना समझौता क्या था ? इसमें महात्मा गांधी की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
उत्तर:
पूना समझौते का अर्थ (Meaning of Poona Pact) सांप्रदायिक पंचाट (Communal Award) के विरुद्ध भारत के प्रमुख नेताओं-डॉ० राजेंद्र प्रसाद, पं० मदनमोहन मालवीय, घनश्याम दास बिड़ला, राजगोपालाचार्य और डॉ० भीमराव अंबेदकर ने पूना में एकत्र होकर विचार-विनिमय किया। उन्होंने गाँधीजी और डॉ अंबेदकर की स्वीकृति का एक समझौता तैयार किया, जो पूना समझौता कहलाता है। इसे ब्रिटिश सरकार ने भी मान लिया।
समझौते की मुख्य शर्ते (Main terms of the Poona Pact) – (i) सांप्रदायिक पंचाट में दलितों के लिए प्रांतीय व्यवस्थापिका सभाओं में सभी राज्यों में निर्धारित 71 स्थानों को बढ़ाकर 148 कर दिया गया। (ii) संयुक्त चुनाव प्रणाली की व्यवस्था की गई। दलितों के लिए चुनाव क्षेत्र की व्यवस्था समाप्त कर दी गई। (iii) स्थानीय संस्थाओं और सार्वजनिक सेवाओं में दलितों के लिए उचित प्रतिनिधित्व निश्चित किया गया। (iv) दलितों की शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता की सिफारिश की गई। (v) यह योजना आरंभ में 10 वर्षों के लिए होगी। पूना समझौते से अंग्रेजों द्वारा सांप्रदायिक पंचाट के माध्यम से दलितों को हिंदुओं से अलग करने के षड्यंत्र में कमी आ गई। गाँधीजी ने पंचाट के विरुद्ध 20 सितंबर, 1932 ई० को आमरण ‘अनशन शुरू कर दिया था। पूरा समझौते के बाद 26 दिसंबर, 1932 ई० को उन्होंने अपना अनशन तोड़ दिया।
प्रश्न 31.
पाकिस्तान के लिए मुस्लिम लीग की माँग को स्पष्ट कीजिए। लीग ने यह माँग कब रखी थी ?
उत्तर:
1. जब देश में साम्प्रदायिक दल (लीग तथा हिन्दु सभा) बहुत मजबूत होने लगे थे तो मुहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में मुस्लिम लीग काँग्रेस के सामने दीवार बनकर खड़ी हो गई थी। अब उसने यह प्रचार करना शुरू कर दिया कि मुस्लिम अल्पसंख्यकों का बहुसंख्यक हिंदुओं में समा जाने का खतरा है। उसने इस अवैज्ञानिक और अनैतिहासिक सिद्धांत का प्रचार किया कि हिंदू और मुसलमान दो अलग-अलग राष्ट्र हैं। उनका एक साथ रह सकना असंभव है। 1940 ई० में मुस्लिम लीग ने एक प्रस्ताव पास करके माँग की कि आजादी के बाद दो भाग कर दिए जायें और मुसलमानों के लिए पाकिस्तान नाम का एक अलग राज्य बनाया जाए।
2. हिंदुओं के बीच हिंदू महासभा जैसे सांप्रदायिक संगठनों के अस्तित्व के कारण मुस्लिम लीग के प्रचार को बल मिला। ‘हिंदू एक अलग राष्ट्र है और भारत हिंदुओं का देश है।’ यह कहकर हिंदू संप्रदायवादियों ने मुस्लिम लीग की ही की बात दोहराई।
3. दिलचस्प बात यह है कि हिंदू और मुस्लिम संप्रदायवादियों ने कांग्रेस के विरुद्ध एक-दूसरे से हाथ मिलाने में संकोच नहीं किया। पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत, पंजाब, सिंध और बंगाल में हिंदू संप्रदायवादियों ने काँग्रेस के विरोध में मुस्लिम लीग तथा दूसरे सम्प्रदायवादी संगठनों का मंत्रिमंडल बनवाने में मदद की। सांप्रदायिक दलों ने पूर्ण निष्ठा के साथ स्वराज्य में चल रहे संघर्ष में भाग नहीं लिया तथा न ही उन्होंने जनता की सामाजिक, आर्थिक माँग उठाने में ही रुचि ली। वस्तुतः उन्हीं के कारण देश का विभाजन हुआ और आज हमें भारत के अलावा पाकिस्तान और बांगलादेश भी दिखाई पड़ रहे हैं।
प्रश्न 32.
1940 के अगस्त प्रस्ताव पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
इंग्लैंड के प्रधानमंत्री चर्चिल महोदय जर्मनी द्वारा ब्रिटिश घेराबंदी एवं विश्व के विभिन्न भागों में फासीवादी शक्तियों की विजय से चिन्तित थे। उसने भारत के वायसराय लिनलिथगो को भारतीय नेताओं से बातचीत करने का आदेश दिया ताकि युद्ध में भारत के सक्रिय सहयोग को यथाशीघ्र प्राप्त किया जा सके। वायसराय ने जो 8 अगस्त, 1940 को घोषणा की वह इतिहास में अगस्त प्रस्ताव (August Offer) कहलाती है। इसकी प्रमुख बातें थीं-
- भारत को शीघ्र ही औपनिवेशिक स्तर (या स्वतंत्रता) (Dominion Status) दे दिया जायेगा।
- भारत का नया संविधान बनाने के लिए. एक संविधान सभा का गठन किया जायेगा।
- नई संविधान सभा में भी सम्प्रदायों तथा दलों के प्रतिनिधि शामिल किये जायेंगे।
- भारत की सत्ता तब तक किसी ऐसी सरकार को नहीं सौंपी जाएगी जब तक इसमें सभी सम्प्रदायों तथा तत्वों के प्रतिनिधि शामिल नहीं होंगे।
- युद्ध सम्बन्धी मामलों पर विचार-विमर्श के लिए पृथक् समिति का गठन होगा जिससे भारतीय राष्ट्रवादी नेताओं के प्रतिनिधियों के साथ-साथ देशी राजा-महाराजाओं के प्रतिनिधि भी शामिल किये जायेंगे।
- महायुद्ध के दौरान वायसराय की कार्यकारिणी परिषद (कौंसिल) में इंग्लैण्ड सरकार कुछ स्थानों पर राष्ट्रवादियों को नियुक्त करेगी।
काँग्रेस ने अगस्त, 1940 ई० के प्रस्तावों को ठुकरा दिया, क्योंकि इसमें पूर्ण स्वतंत्रता की बात नहीं की गई थी। मुस्लिम लीग ने भी अगस्त प्रस्ताव को ठुकरा दिया क्योंकि इसमें उसकी सर्वाधिक प्रबल माँग-पाकिस्तान बनाने की माँग का कोई जिक्र नहीं था। सन् 1942 ई० को ब्रिटेन की सरकार ने क्रिप्स मिशन को भारत भेजा।
प्रश्न 33.
वेवेल योजना क्या थी ? लार्ड वेवेल की भूमिका का महत्व एवं इस योजना की गतिविधियों के साथ-साथ शिमला सम्मेलन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
14 जून, 1945 को लॉर्ड वेवेल ने एक योजना रखी, जिसे वेवल योजना के नाम से जाना जाता है। इस योजना के मुख्य कारण निम्नलिखित थे-
- भारत में व्याप्त जनाक्रोश को कम करना।
- जापान के विरुद्ध भारत का सहयोग प्राप्त करना।
- ब्रिटेन के आगामी चुनाव के लिए अनुदार दल के प्रति जनमत प्राप्त करना।
- इससे स्वशासन की माँग और वायसराय की कार्यकारिणी समिति में मुसलमानों व हिंदुओं की संख्या को बराबर करने को कहा गया।
शिमला अधिवेशन – वेवेल ने देश के सभी दलों के प्रमुख नेताओं को शिमला में 25 जून, 1945 को आमंत्रित किया। यह सम्मेलन वेवेल योजना पर विचार करने के लिए बुलाया गया, इसमें 21 भारतीय नेता शामिल थे। सम्मेलन अच्छे ढंग से चल रहा था, लेकिन जिन्ना इस बात पर अड़ गए कि केवल मुस्लिम लीग ही सारे भारत के मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करती है। अत: यह सम्मेलन असफल हो गया।
प्रश्न 34.
भारत विभाजन के बाद सांप्रदायिक दंगे क्यों भड़के ?
उत्तर:
सांप्रदायिक दंगे (Communal Riots) – भारत विभाजन में देश में होने वाले सांप्रदायिक दंगों का भी बहुत बड़ा हाथ था। पाकिस्तान की माँग मनवाने के लिए मुस्लिम लीग की ‘सीधी कार्यवाही’ के कारण सारा देश गृहयुद्ध की आग में जलने लगा था। हत्याएँ, लूटमार, आगजनी, बलात्कार जैसे शर्मनाक कार्य हर कूचे और हर बाजार में देखे जा सकते थे। ये घटनाएँ दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही चली जा रही थीं। इन घटनाओं के प्रति नेहरूजी को संकेत करते हुए लेडी माउंटबेटन ने कहा था, “सोचती हूँ कि हजारों मासूमों, बेगुनाहों का रक्त बहाने से क्या यह ज्यादा अच्छा नहीं कि मुस्लिम लीग की बात मान ली जाए।” दूसरी ओर माउंटबेटन ने पटेल को भी ये दंगे रोकने के लिए भारत-विभाजन पर राजी कर लिया। फलस्वरूप भारत का विभाजन कर दिया गया।
प्रश्न 35.
संविधान क्या है ? भारतीय संविधान कब बनकर तैयार हुआ ? यह लागू कब हुआ?
उत्तर:
संविधान एक कानूनी दस्तावेज है जिसके द्वारा किसी देश का शासन चलाया जाता है। भारत का संविधान 26 नवम्बर, 1949 ई० को बनकर तैयार हुआ और 26 जनवरी, 1950 को इसे लागू किया गया।
प्रश्न 36.
संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे ? इस सभा को कब प्रारूप समिति ने अपनी संस्तुतियाँ प्रस्तुत की थीं ?
उत्तर:
संविधान प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ० बी० आर० अम्बेदकर थे। संविधान प्रारूप समिति ने संविधान निर्माण सभा को अपनी संस्तुतियाँ 4 नवम्बर, 1948 को प्रस्तुत की थीं।
प्रश्न 37.
देशी रियासतों का एकीकरण किसने किया तथा एकीकरण की प्रक्रिया कैसे हुई ?
उत्तर:
देशी रियायतों का एकीकरण सरदार वल्लभ भाई पटेल (लौह पुरुष) ने किया। इस काम के लिए उन्होंने छोटी रियासतों को मिलाकर उनका एक संघ बनाया। कुछ बड़ी-बड़ी रियासतों को राज्य के रूप में मान्यता दी। कुछ पिछड़े हुए तथा शासन व्यवस्था ठीक न होने वाले राज्यों को केन्द्र की निगरानी में रखा गया।
प्रश्न 38.
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
संविधान का निर्माण होने पर 26 नवम्बर, 1949 को डॉ० राजेन्द्र प्रसाद, अध्यक्ष संविधान सभा, ने उस पर हस्ताक्षर करते हुए इन बिन्दुओं पर दुःख प्रकट किया था
- भारत का संविधान मूल रूप से अंग्रेजी भाषा में है।
- इसमें किसी भी पद पर कोई भी शैक्षणिक योग्यता नहीं रखी गई है।
- भारत में प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ही बनाए गये।
प्रश्न 39.
भारतीय संविधान के अनुसार धर्मनिरपेक्षता क्या है ?
उत्तर:
निरपेक्ष शब्द को भारतीय संविधान की प्रस्तावना में 42वें संविधान संशोधन 1976 ई० में जोड़ा गया। इसका तात्पर्य यह है कि भारत किसी धर्म या पंथ को राज्य धर्म या पंथ को राज्य धर्म के रूप में स्वीकार नहीं करता तथा न ही किसी धर्म का विरोध करता है। प्रस्तावना के अनुसार भारतवासियों को धार्मिक विश्वास, धर्म व उपासना की स्वतन्त्रता होगी। धर्म को व्यक्तिगत मामला माना गया है। अतः राज्य लोगों के इस कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेगा।