BSEB Bihar Board 12th Home Science Important Questions Long Answer Type Part 3 are the best resource for students which helps in revision.
Bihar Board 12th Home Science Important Questions Long Answer Type Part 3
प्रश्न 1.
मिलावट करने से स्वास्थ्य पर क्या कुप्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
मिलावट करने से स्वास्थ्य पर निम्नलिखित कुप्रभाव पड़ता है-
प्रश्न 2.
पारिवारिक आय के अतिरिक्त साधन से आप क्या समझते हैं ?
अथवा, पारिवारिक आय के अनुपूरक साधनों का उल्लेख करें।
उत्तर:
परिवार के सदस्यों की सम्मिलित आय को पारिवारिक आय कहा जाता है। जब व्यक्ति की आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति इससे नहीं हो पाती है तो अनुपूरक साधनों द्वारा आय बढ़ाने का प्रयास करता है। आय बढ़ाने के इन्हीं साधनों को पारिवारिक आय के अतिरिक्त साधन कहा जाता है। ये साधन निम्नलिखित हैं-
- अंशकालिक नौकरियाँ- स्त्रियाँ अंशकालिक नौकरी करके परिवार की आय को बढ़ा सकती है।
- पारिवारिक बजट बनाकर- पारिवारिक आय तथा व्यय का विवरण बनाकर अनावश्यक खर्च को कम करके भी आय में वृद्धि की जा सकती है।
- पारिवारिक आय में से कुछ धन बचाकर- बचत किये हुए धन को बैंक में सावधि जमा योजना के अन्तर्गत जमा कराकर उस पर अतिरिक्त ब्याज की प्राप्ति करके भी आय में वृद्धि की जा सकती है।
- मानवीय साधनों में विकास करके- ज्ञान, कार्य कौशल, शक्ति आदि का विकास करके भी आय में वृद्धि की जा सकती है।
प्रश्न 3.
पारिवारिक आय बढ़ाने के विभिन्न साधन क्या हैं ?
अथवा, एक परिवार को अपनी वास्तविक आय बढ़ाने के चार सुझाव दीजिए।
उत्तर:
पारिवारिक आय में वृद्धि करना-पारिवारिक स्थिति को देखते हुए आय में वृद्धि कई प्रकार से की जा सकती है-
(i) अंशकालिक नौकरी द्वारा (Part-time Job)- अधिकतर भारतीय गृहणियाँ अपना समय गृह-संचालन में ही व्यय कर देती है तथा उचित समय व्यवस्था की आवश्यकता से अनभिज्ञ होती हैं। इसका एक मुख्य कारण यह है कि उन्हें अतिरिक्त समय की आवश्यकता कम ही पड़ती है और वह अवकाश का समय व्यर्थ बैठकर गंवा देती हैं। यदि गृहिणी समय की उचित व्यवस्था करके कोई अंशकालिक नौकरी कर ले तो वह परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधार सकती है।
(ii) गृह उद्योगों द्वारा- यदि गृहिणी घर से बाहर जाकर नौकरी करने में असमर्थ हो तो वह घर में ही सरल उद्योगों द्वारा धन अर्जित कर सकती है। घर में कई प्रकार के कार्य किए जा सकते हैं जैसे कपड़े सीना, मौसम में फल तथा सब्जियों का संरक्षण करके बाजार में बेचना, पापड़-बड़ियाँ आदि बनाकर बेचना। गृहिणी अपनी कार्य-निपुणता, सुविधा एवं रुचि के अनुकूल कार्य चुनकर अपने अतिरिक्त समय के सदुपयोग के साथ-साथ परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकती है।
(i) लघु उद्योगों द्वारा- आज के वैज्ञानिक युग में जब घर के कई कार्य ऐसे उपकरणों द्वारा किए जाते हैं। जिनमें समय तथा शक्ति दोनों की बचत होती है तब गृहिणी तथा परिवार के अन्य सदस्यों के पास काफी समय बच जाता है। इस समय में कोई भी लघु उद्योग प्रारम्भ करके पारिवारिक आय को बढ़ाया जा सकता है। ये लघु उद्योग हैं हथकरघे द्वारा कपड़ा बुनना, मोमबत्ती बनाना, साबुन या डिटरजेंट बनाना आदि।
(iv) बचत किए गए धन का उचित विनियोग- सभी परिवार अपने मासिक व्यय में सेकुछ न कुछ बचत करके अवश्य रखते हैं। यदि इस बचत किए हुए धन को घर में रखने की अपेक्षा इसका उचित विनियोग कर दिया जाए तो ब्याज अथवा लाभ के रूप में अतिरिक्त धन की प्राप्ति हो सकती है।
प्रश्न 4.
बचत के महत्वों की विस्तार से चर्चा करें।
उत्तर:
बचत के महत्व को इस प्रकार समझा जा सकता है-
- बचत परिवार को आर्थिक रूप से अधिक आत्मविश्वास बनाती है तथा उसे वीरता से भविष्य का सामना करने योग्य बनाती है।
- बचत आय और व्यय के मध्य एक संतुलन लाने में सहायता करती है।
- बचत पारिवारिक जीवन चक्र के विभिन्न स्तरों पर धन की असमानताओं सहायता करती है।
- यह धन खर्च के लिए हमें रीतिबद्ध पद्धति विकसित करने में सहायता करती है।
- धन बचाना अधिक धन प्राप्त करने में सहायक होता है।
- यह अनदेखी आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक होती है।
- यह घर तथा वाहन अथवा परिवार के लिए अन्य सम्पत्ति खरीदकर जीवन स्तर में सुधार लाने में सहायक होती है। .
- यह समाज में परिवार को मान-मूल्य प्रदान करती है।
- यह व्यवसाय चक्र द्वारा आयी असमानताओं का सामना करने में सहायता करती है।
प्रश्न 5.
बैंक में बचत की क्या भूमिका होती है ?
उत्तर:
बैंक वह संस्था है जहाँ रुपयों का लेन-देन होता है। कोई भी व्यक्ति अपने रूपयों की बैंकों में जमा करता है और आवश्यकता होने पर निकाल भी सकता है। बैंक इस धन पर कुछ राशि ब्याज के रूप में देता है। पिछले कुछ वर्षों से बैंक योजना भारत में तेजी से विकसित हुई। है। मूल राशि में वृद्धि के अलावा बैंक जमाकर्ता को और भी कई सुविधाएँ देते हैं। ये सुविधाएँ-ऋण देना, विनिमय तथा मुद्रा सम्प्रेषण, बैंक ग्राहकों के खाते की विभिन्न रूपों में व्यवस्थित रखता है। ये हैं-बचत खाता, आवर्ती खाता, निश्चित अवधि जमा खाता, चालू खाता, रोकड़ प्रमाण-पत्र, बैंकर्स चेक सुरक्षित जमा खता, लॉकर आदि।
बैंक ATM की सुविधा प्रदान करते हैं तथा क्रेडिट और डेबिट कार्ड जारी करते हैं, जिनसे आप कभी भी अपना पैसा निकाल सकते हैं। बैंक निम्नलिखित कार्य करता है-
- खाता खोलना
- जमा राशि की मांग होने पर चेक, ड्राफ्ट आदि के माध्यम से पैसा वापस करना।
- जनता का धन विभिन्न योजनाओं के माध्यम से जमा करना।
- विभिन्न प्रकार के ऋण उपलब्ध कराना, जैसे-मकान, शिक्षा, व्यक्तिगत आदि।
- बिना जोखिम के धन एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करना।
भारत सरकार ने 14 प्रमुख निजी बैंकों को राष्ट्रीयकृत किया। भारतीय स्टेट बैंक तथा इसकी सात सहायक बैंकों के अब 22 जनक्षेत्र हैं। भारतीय बैंक चार श्रेणियों में विभाजित हैं-
- राष्ट्रीयकृत बैंक,
- विदेशी बैंक,
- अंतर्राष्ट्रीय बैंक एवं
- अन्य।
प्रश्न 6.
बचत की आवश्यकता के कारण बतायें।
उत्तर:
बचत की आवश्यकता के निम्नलिखित कारण हैं-
- अनिश्चित आय तथा आपातकाल की आशंका के कारण।
- जब आय समाप्ति के बाद धन की आवश्यकता होती है।
- बच्चों तथा परिवार की बढ़ती आवश्यकताओं के कारण।
- अन्य महत्त्वपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति के कारण।
प्रश्न 7.
परिवार में की गई बचत को प्रभावित करने वाले चार कारकों की सूची बनाइए।
उत्तर:
- परिवार का आकार- यदि परिवार में अधिक सदस्य हैं तो बचत कम होगी।
- संयुक्त परिवार- यदि परिवार की संरचना संयुक्त परिवार में है तो किराए की बचत, नौकरों की बचत व बच्चों की देखभाल पर खर्चा नहीं होगा व बचत ज्यादा होगी।
- खर्च करने की आदत- साधारण आदतें हों तो बचत अधिक होती है।
- यदि नौकरी करने वाले सदस्यों की संख्या ज्यादा हो तो बचत भी ज्यादा होती है।
प्रश्न 8.
बचत करने के चार कारण दीजिए। अथवा, बचत के चार लाभ लिखें।
उत्तर:
बचत के चार लाभ निम्नलिखित हैं-
- परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने में जैसे-स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, बच्चों की शादी इत्यादि।
- आपातकालीन स्थितियों के लिए जो असामाजिक व आकस्मिक होती हैं धन की या बचत की आवश्यकता।
- सुरक्षित भविष्य के लिए विशेषकर नौकरी से निवृत्ति तथा वृद्धावस्था में सुखद जीवनयापन के लिए अधिकतर लोग बचत करते हैं।
- जीवन का स्तर ऊँचा रखने के लिए जैसे कार, कम्प्यूटर, एअर कण्डीशनर आदि लगातार बचत करके ये वस्तुएँ खरीदी जा सकती हैं।
प्रश्न 9.
पारिवारिक आय कितने प्रकार की होती है ? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
पारिवारिक आय तीन प्रकार की होती है-
- मौद्रिक आय- मुद्रा के रूप में प्राप्त होने वाली आय मौद्रिक आय कहलाती है। वेतन, पेंशन, मजदूरी आदि मौद्रिक आय के उदाहरण है।
- वास्तविक आय- किसी विशेष अवधि में प्राप्त होने वाली वस्तुएँ या सेवा को वास्तविक आय कहते हैं। ऐसी वस्तुओं या सेवाओं के लिए परिवार को मुद्रा व्यय नहीं करनी पड़ती है। परंतु जिनके प्राप्त न होने पर अपनी मौद्रिक आय से व्यय करना पड़ता है।
- आत्मिक आय- मौद्रिक आय और वास्तविक आय के व्यय से जो संतुष्टि प्राप्त होती है उसे आत्मिक आय कहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति और परिवार की आत्मिक आय भिन्न-भिन्न हो सकती है।
प्रश्न 10.
पारिवारिक आय को बढ़ाने के चार उपाय लिखें।
उत्तर:
प्रत्येक परिवार की आय निश्चित होती है। एक निश्चित आय में ही उनसे विभिन्न प्रकार के व्यय करने होते हैं। परिवार के जीवन स्तर को बढ़ाने के लिये उस परिवार के सदस्यों को अपने आय को बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिये। किसी भी परिवार को अपनी आय बढ़ाने के लिये चार उपाय निम्नलिखित हैं-
- गृह व लघु उद्योग (Cottage and Small Scale Industries),
- अंशकालीन नौकरी (Part Time Job),
- ओवरटाईम (Over Time),
- मौसम के अनुसार खाद्य सामग्री का संरक्षण एवं संग्रहीकरण (Preservation of Food and Storage)।
प्रश्न 11.
आय क्या है ? पारिवारिक आय के तीन घटकों के नाम बताइए।
उत्तर:
सदस्यों की सम्मिलित आय को पारिवारिक आय कहते हैं। प्रत्येक परिवार की आर्थिक व्यवस्था के दो केन्द्र होते हैं। आय तथा व्यय धन की व्यवस्थापना करते समय परिवार की आय-व्यय में संतुलन का प्रयास किया जाता है ताकि परिवार को अधिकतम सुख और समृद्धि प्राप्त हो।
ग्रॉस एवं क्रैण्डल के अनुसार पारिवारिक आय मुद्रा वस्तुओं, सेवाओं और संतोष का वह प्रवाह है जिसे परिवार के अधिकार से उनकी आवश्यकताओं एवं इच्छाओं को पूरा करने एवं दायित्वों के निर्वाह के लिए प्रयोग किया जाता है। पारिवारिक आय में वेतन, मजदूरी, ग्रेच्यूटी, पेंशन, ब्याज व लाभांश किराया, भविष्य निधि आदि सभी को सम्मिलित किया जाता है।
पारिवारिक आय के तीन घटना निम्नलिखित हैं-
- वेतन- नौकरी करने के बाद जो मुद्रा प्रति मास प्राप्त होती है उसे वेतन कहते हैं।
- मजदूरी-मजदूरों को कार्य करने के बाद जो पारिश्रमिक दैनिक, साप्ताहिक अथवा मासिक प्राप्त होता है उसे मजदूरी कहते हैं।
- ब्याज व लाभांश- पूँजी के विनियोग से प्राप्त होने वाला ब्याज तथा व्यावसायिक संस्था के शेयर अथवा डिवेन्चयर से प्राप्त होने वाला लाभांश भी मौद्रिक आय है।
प्रश्न 12.
घरेलू लेखा-जोखा कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर:
घरेलू लेखा-जोखा तीन प्रकार से किया जाता है-
- दैनिक हिसाब लिखना- इसमें विभिन्न मद में किये गये खर्च का लेखा-जोखा रहता है।
- साप्ताहिक एवं मासिक हिसाब- इसमें सप्ताह में या माह में किये गये व्यय का लेखा-जोखा रहता है।
- वार्षिक आय-व्यय और बचत का रिकार्ड- इसमें सभी स्रोतों से प्राप्त आय का हिसाब एक तरफ रहता है और दूसरी तरफ व्यय का हिसाब रहता है जिसमें आकस्मिक खर्च, टैक्स, बचत आदि सभी का ब्यौरा रहता है।
प्रश्न 13.
घर के हिसाब-किताब का ब्योरा रखने के छः लाभ बताइए।
उत्तर:
घर का रिकार्ड रखने के लाभ (Advantage of Maintaining Household Record)- घर खर्च का रिकार्ड रखने के अनेक लाभ हैं। इससे पारिवारिक आय का अच्छी तरह प्रयोग किया जा सकता है। ऐसे रिकार्ड रखने से निम्नलिखित लाभ हो सकते हैं-
- इससे अधिक व्यय पर अंकुश लगाया जा सकता है। अपव्यय को कम किया जा सकता है।
- लाभ का रिकार्ड रखने से परिवार की कुल आय व व्यय को जाना जा सकता है।
- विभिन्न वस्तुओं पर कितना व्यय होना चाहिए इसका अनुमान लगाया जा सकता है।
- उधार लेने की आदत को रोका जा सकता है। कई बार ऐसा देखा गया है कि उधार लेने के बाद उसकी किश्त चुकाने में कठिनाई आती है।
- आय व व्यय में संतुलन बनाये रखना सरल हो जाता है। भविष्य के लिए बचत भी इसका अभिन्न अंग है।
- गृह खर्च के ब्यौरे से परिवार के लक्ष्यों की पूर्ति सरल हो जाती है।
प्रश्न 14.
घरेलू बजट का क्या महत्व है ? परिवार के लिए बजट बनाते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए ?
उत्तर:
प्रत्येक परिवार अपनी आय का व्यय बहुत सोच समझकर कर सकता है क्योंकि धन एक सीमित साधन है तथा यह प्रयास करता है कि अपनी सीमित आय द्वारा अपने परिवार की समस्त आवश्यकताओं को पूर्ण करके भविष्य हेतु कुछ न कुछ बचत कर सकें। यही कारण है कि गृह स्वामी तथा गृहस्वामिनी मिलकर सोच समझकर अपने परिवार की आय का उचित व्यय करने हेतु लिखित एवं मौखिक योजना बनाते हैं और उस योजना को क्रियान्वित करने के लिए उन्हें अपने व्यय का पूरा हिसाब किताब रखना पड़ता है, कोई भी परिवार घरेलू बचत बनाकर ही व्यय को नियंत्रित कर सकता है।
घरेलू बचत बनाने के निम्नलिखित लाभ हैं :
- घरेलू हिसाब-किताब प्रतिदिन लिखने से हमें यह ज्ञात रहता है कि हमारे पास कितना पैसा शेष बचा है जो परिवार की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अत्यन्त आवश्यक है जिससे पारिवारिक लक्ष्य की प्राप्ति हो सके।
- घरेलू हिसाब किताब रखने से अधिक व्यय पर अंकुश रहता है।
- विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु एक सामान्य दिशा निर्देश का आभास होता है।
- असीमित आवश्यकताओं और सीमित आय के बीच संतुलन बनाने में मदद मिलती है।
- सही ढंग से व्यय करने के फलस्वरूप बचत व निवेश प्रोत्साहन मिलती है।
- इससे परिवार का भविष्य सुरक्षित रहता है।
परिवार के लिए बजट बनाते समय निम्नलिखित बातों पर ध्यान रखना चाहिए :
- आय और व्यय के बीच ज्यादा फासला न हो अर्थात् आय की तुलना में व्यय बहुत अधिक नहीं हो।
- बजट से जीवन लक्ष्यों की पूर्ति हो यानी परिवार को उच्च जीवन स्तर की ओर प्रेरित कर सकें।
- बजट बनाते समय अनिवार्य आवश्यकताओं को ध्यान में रखना चाहिए।
- सुरक्षित भविष्य को ध्यान में रखकर बजट बनानी चाहिए ताकि आकस्मिक खर्चों यथा बीमारी, दुर्घटना तथा विवाह आदि के लिए धन की आवश्यकता की पूर्ति समय पर हो सके।
- व्यय को आय के साथ समायोजित होना चाहिए ताकि ऋण का सहारा न लेना पड़े।
- बजट बनाते समय महंगाई को भी ध्यान में रखना चाहिए।
प्रश्न 15.
निवेश योजना के चयन के लिए उपायों की क्या राय देंगी?
उत्तर:
विनियोग के विभिन्न क्षेत्रों में से अपने धन की सरक्षा व उचित आवति के लिए इन योजनाओं के सभी पहलुओं को भली प्रकार जाँच लेनी चाहिए। निवेश सुरक्षित होने के साथ-साथ कर बचाने वाला होना चाहिए।
धन के निवेश का लक्ष्य है अपने धन को शीघ्र व सुरक्षित रूप से बढ़ाना। कितना धन जमा करना है यह उसके सामर्थ्य पर निर्भर करता है। धन का विनियोग सोने आदि में खतरनाक हो सकता है यदि उन्हें सुरक्षित न रखा जाए। बाजार में कीमतों के उतार-चढ़ाव के कारण शेयर में भी धन लगाना काफी जोखिमपूर्ण हो सकता है।
विभिन्न वित्तीय संस्थान भिन्न-भिन्न ब्याज देते हैं। अतः इन सभी ब्याज दरों को अच्छी तरह अध्ययन करके ही उच्च ब्याज दर प्राप्त करें। अपनी बचत को इस प्रकार निवेश करना चाहिए जिससे आपातकाल में बिना ब्याज खोये धन राशि प्राप्त हो सके।
विनियोग कीमतों से क्रयक्षमता भी सुरक्षित होनी चाहिए। निवेश किए हुए धन का मूल्य बढ़ती कीमतों से कम न हो। बचत खातों में लाभांश की दर कम होती है जबकि शेयर, जमीन, यूनिटस आदि का लाभांश बढ़ती हुई महँगाई को देखते हुए अधिक होता है।
उपरोक्त विषयों को अच्छी तरह विचार कर ही धन का निवेश करना चाहिए। यदि कोई एक संस्था आपको ये सभी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं कराती है तो अपने धन को अलग-अलग योजनाओं में अलग-अलग संस्थाओं में निवेश करें।
प्रश्न 16.
चेक कितने प्रकार के होते हैं ? चेक द्वारा भुगतान करने के लाभों का उल्लेख करें।
उत्तर:
उपर्युक्त प्रकार के चैकों के अतिरिक्त चेक अन्य कई प्रकार के होते हैं। यथा-
1. कोरा चेक (Blank Cheque)- जिस चेक पर न तो कोई राशि लिखी हो और न राशि की कोई सीमा ही लिखी हो, ऐसे चैक को कोरा चेक कहते हैं। प्राप्तकर्ता नियत सीमा तक जितनी राशि चाहे निकलवा सकते हैं। (यह आवश्यक है कि जितनी राशि वह निकलवाना चाहता है, उतनी राशि प्राप्तकर्ता के हिसाब में हो)।
2. सीमित राशि चेक (Limited Cheque)- यदि चेक में कोई राशि न लिखी हो, किन्तु सबसे ऊपर राशि की एक सीमा लिखी हुई हो तो ऐसे चेक को सीमित राशि चैक कहते हैं। प्राप्तकर्ता नियत सीमा तक जितनी राशि चाहे निकलवा सकता है (यह आवश्यक है कि जितनी राशि वह निकलवाना चाहता है, उतनी राशि प्राप्तकर्ता के हिसाब में हो)।
3. पूर्वतिथीय चेक (Antedated Cheque)- यदि किसी चेक पर जारी करने के दिन से पहले की कोई तिथि लिखी हुई हो तो उसे पूर्वतिथीय चेक कहते हैं। बैंक से केवल उन्हीं चैकों का रुपया मिल सकता है जिन पर लिखी गई तिथि को छ: मास न बीते हों।
4. निःसार चेक (Stale Cheque)- यदि किसी चेक का रुपया उस पर लिखी हुई तिथि से 6 मास के भीतर न प्राप्त किया जाए तो वह चेक निःसार अर्थात् बेकार हो जाता है। ऐसे चेक का रुपया नहीं निकलवाया जा सकता है।
5. तिथीय चेक (Postdated Cheque)- यदि किसी पर भविष्य में आने वाली तिथि लिखी हो तो उसे उत्तरतिथीय चेक कहते हैं। चेक पर जो तिथि लिखी हो, उससे पूर्व उसका रुपया नहीं निकलवाया जा सकता।
6. विकृत चेक (Mutilated Cheques)- कटे-फटे चेक को विकृत चेक कहते हैं। बैंक ऐसे चेक का रुपया नहीं देता।
7. अप्रतिष्ठित चेक (Dishonoured Cheque)- जब बैंक किसी चेक का रुपया भुगतान करने से इन्कार करता है तो ऐसे चेक को अप्रतिष्ठित चेक कहते हैं। निम्नलिखित दशाओं में चेक अप्रतिष्ठित हो जाता है-
- यदि चेक जारी करने वाले के हस्ताक्षर बैंक में दिए गए नमूने के हस्ताक्षरों से न मिलते हों।
- यदि चेक जारी करने वाले के खाते में उतना धन न हो जितना कि चेक पर लिखा गया हो।
- यदि अंकों और शब्दों में लिखी गई राशियों में अन्तर हो।
- यदि चेक निःसार हो गया हो।
- यदि चेक उत्तरतिथीय हो।
- यदि चेक कटा-फटा हो।
- यदि चेक पर बेचान ठीक ढंग से न किया गया हो या बेचान के नीचे हस्ताक्षर उस प्रकार से न किए गए हों जिस प्रकार से चैक पर प्राप्तकर्ता का नाम लिखा हो।
- यदि चेक जारी करने वाला स्वयं बैंक को रुपया देने से रोक दे।
- यदि चेक में किसी शब्द को काटा या बदला गया हो और उस पर चेक जारी करने वाले के पूरे हस्ताक्षर न हों।
यदि बैंक किसी चेक को अप्रतिष्ठित करता है तो वह चेक के साथ एक पर्ची (जिस पर चेक के अप्रतिष्ठित होने के कारण लिखा होता है) लगाकर चेक जमा करने वाले व्यक्ति को लौटा देता है।
चेक द्वारा भुगतान करने के लाभ-चेक द्वारा भुगतान करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं-
- चेक द्वारा भुगतान करने से न तो धन की सुरक्षा का भार पड़ता है और न गिनने का कष्ट ही करना पड़ता है। एक चेक पर हस्ताक्षर करके बड़ी-से-बड़ी राशि का भुगतान किया जा सकता है।
- समय की बचत होती है। धन गिनने और परखने में समय भी नष्ट नहीं करना पड़ता।
- मितव्ययिता की आदत पड़ जाती है। नकद रुपया रखने से कई बार अनावश्यक वस्तुओं पर व्यय हो जाता है।
- यदि भुगतान आदेशक चेक या रेखण चेक द्वारा किया गया हो तो अलग रसीद प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं होती। बैंक भुगतान का साक्षी होता है। अतः जहाँ तक सम्भव हो, भुगतान आदेशक या रेखण चेक द्वारा ही करना चाहिए।
- दूर-दूर के स्थानों पर भी बहुत ही कम व्यय से चेक द्वारा भुगतान किया जा सकता है।
- चेक द्वारा भुगतान करना बहुत सुरक्षित है। इससे धन के खोने या चुराए जाने का भय नहीं रहता है।
- चेक द्वारा भुगतान करने से खोटे रुपयों या जाली नोटों के बनाने वालों को ऐसी मुद्रा चलाने का अवसर नहीं मिलता।
चेक भरते समय ध्यान रखने योग्य बातें- चेक भरते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए। चेक सदा स्याही से लिखना चाहिए। पैंसिल से भरे हुए चेक को बैंक स्वीकार नहीं करता है लेकिन बाल पाइंट (Ball Point) से लिखे चेक स्वीकार किए जाते हैं।