BSEB Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 2 are the best resource for students which helps in revision.
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 2
प्रश्न 1.
समरूप विद्युत क्षेत्र में विद्युत द्विधुव पर बल आघूर्ण (Torque) के लिए व्यंजक प्राप्त करें।
उत्तर:
AB एक विद्युत द्विध्रुव (electric dipole) है। इसके A पर आवेश +Q तथा B पर आवेश -Q है। इसके बीच की दूरी 2l है। E एक समान विद्युत क्षेत्र है। E के साथ विद्युत द्विध्रुव को कोण α है।
E विद्युत क्षेत्र के कारण A औरB पर बल (F) = QEA पर यह बल, E की दिशा में तथा B पर E के विपरीत दिशा में काम करता है। ये दोनों बल मिलकर एक बलयुग्म (couple) बनाते हैं जो द्विध्रुव AB को क्षेत्र E की दिशा में लाना चाहता है।
इस बलयुग्म का आघूर्ण (T)
= बल × लम्बवत दूरी
= QE · AC =QE. 2lsinθ
[∵ ΔABC से sinθ \(=\frac{A C}{B C}=\frac{A C}{2 l}\)
= ME sinθ
[∵ 2la = M (द्विध्रुव आघूर्ण)]
यदि AB द्विध्रुव को विद्युत क्षेत्र के लम्बवत रखा जाय तो a= 90°
∴ बलयुग्म का आघूर्ण (T) = ME sin 90°
= ME [∵ sin 90° = 1 ]
यह आघूर्ण अधिकतम होता है।
(T max) = ME
प्रश्न 2.
Is coulomb’s law is universal law?
(क्या कूलम्ब का नियम एक सार्वत्रिक नियम है?)
उत्तर:
कूलम्ब का नियम सार्वजनिक नियम नहीं है क्योंकि यह आवेशों के बीच के माध्यम पर निर्भर करता है। यह नियम rest में बिन्दु आवेश के लिए लागू होता है।
प्रश्न 3.
What is conservation of charge?
(आवेशों का संरक्षण क्या है?)
उत्तर:
एक isolated (विगलित) system का विद्युत आवेश संरक्षित रहता है। इसमें न उत्पन्न किया जा सकता है और न नष्ट ही । इसे दिखलाने के लिए एक ग्लास छड़ तथा सिल्क कपड़ा लेते हैं। दोनों को आपस में रगड़ा जाता है। इसके.ग्लास छड़ (+ve) आवेश तथा सिल्क पर (-ve) आवेश उत्पन्न होता है। दोनों पर आवेश का मान समान रहता है। अतः system का कुल आवेश शून्य रहता है। यही शून्य आवेश, रगड़ने के पहले भी रहता था। यह आवेश के सरंक्षण को दिखलाता है।
प्रश्न 4.
What is electric field? Obtain an expression for the electric field at any point.
(विद्युत क्षेत्र क्या है? किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र के लिए व्यंजक प्राप्त करें।)
उत्तर:
विद्युत क्षेत्र -क्षेत्र में स्थिति किसी बिन्दु पर के इकाई धन आवेश पर क्षेत्र के कारण जितना काम लगता है उसे उस बिन्दु पर “विद्युत क्षेत्र” कहते हैं।
व्यंजक (Expression)-
मान लिया कि A एक चालक है। इस पर आवेश +Q है। इसमें r दूरी पर P एक बिन्दु है। P पर इकाई धन आवेश की कल्पना करते हैं।
A के कारण P पर बल = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_{0}} \frac{Q \cdot 1}{r^{2}}\)
∴ P पर विद्युत क्षेत्र = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_{0}} \frac{Q}{r^{2}}\)
यदि A और P के बीच हवा न रहकर कोई दूसरा माध्यम हो तो
P पर विद्युत क्षेत्र = \(\frac{1}{4 \pi \epsilon_{0} \in_{r}} \frac{Q}{r^{2}}\)
इसका मात्रक बोल्यमीटर (Vm-1) या न्यूटन/कूलम्ब (NC-1) है।
प्रश्न 5.
What is electric dipole ? (विद्युत द्विध्रुव क्या है?)
उत्तर:
“समान परिमाण के (+ ve) तथा (-ve) आवेश एक-दूसरे से बहुत कम दूरी पर हो तो उसे “विद्युत द्विध्रुव. (Electric dipole) कहते हैं।”
यदि आवेश का परिमाण +Q तथा –Q हो तथा इनके बीच की दूरी 21 हो तो विद्युत द्विध्रुव आघूर्ण (electric dipole moment)-
= आवेश x दूरी = 2lQ
इसे साधारणत: M से सूचित करते हैं। .
∴ M = 2lQ
प्रश्न 6.
Differentiate the difference between the electrical potential and electrical intensity at a point in an electric field.
(किसी वैद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु पर विभव एवं तीव्रता में अन्तर स्पष्ट करें।)
उत्तर:
किसी विद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु पर विभव एवं तीव्रता में निम्नलिखित अंतर है-
वैद्युत तीव्रता | बैद्युत विभव |
(i) किसी विद्युत क्षेत्र में किसी बिन्दु पुर तीव्रता उस बिन्दु पर रखे इकाई धन आवेश पर लगने वाला बल है। | (i) वैद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु पर इकाई धन आवेश को अनन्त से उस बिन्दु तक लाने में संपादित कार्य होता है। |
(ii) यह एक सदिश राशि। | (ii) यह एक अदिश राशि है। |
(iii) किसी वैद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु पर वैद्युत तीव्रता उस बिन्दु पर ऋणात्मक विभाव प्रवणता (negative potential gradient) के बराबर होता है यानी E = \(\frac{-d v}{d x}\) | (iii) किसी बिन्दु पर वैद्युत तीव्रता का रेखा समाकलन (line integral) उस बिन्दु पर विभव के बराबर होता है। यानी V = \(\int E d x\) |
(iv) इसका S.I. मात्रक न्यूटन कुलम्ब (NC-1) होता है। | (iv) इसका S.I. मात्रक वोल्ट (Volt) होता है। |
प्रश्न 7.
Deduce an expression for the intensity of the electric field near charged plane conductor or prove coulomb’s theorem in Electrostatics.
(किसी आवेशित समतल चालक के समीप विद्युत क्षेत्र की तीव्रता के लिए एक व्यंजक निकालें। अथवा, स्थिर विद्युत में कूलम्ब प्रमेय को सिद्ध करें।)
उत्तर:
मान लिया कि एक समतल चालक है, तल AB पर आवेश का सतही घनत्व (surface density) 0 है। इस तल के बहुत ही निकट कोई बिन्दु p है जहाँ पर इस आवेशित चालक के कारण विद्युत-क्षेत्र की तीव्रता निकालनी है। मान लिया कि विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E है। अब हम एक ऐसे बेलनाकार तल pqrs की कल्पना करते हैं जिसके समतल सिरे pr व qs तल AB के समान्तर है तथा वक्रतल चालक के तल AB के लम्बवत् है। बिन्दु P समतल सिरे qs पर स्थित है और बेलन का समतल सिरा qr चालक S के भीतर है। मान लिया कि तल pr व qs के क्षेत्रफल ds है। अब चूँकि विद्युत क्षेत्र की तीव्रता की दिशा चालक के तल AB के
लम्बवत् है, अत: बेलनाकार तल के वक्र सतह से गुजरने वाला विद्युत “फ्लक्स” शून्य होगा। फिर, इस बेलनाकार तल का सिरा qr चालक के भीतर है। अतः इस सतह से गुजरने वाला विद्युत “फ्लक्स” भी शून्य होगा क्योंकि आवेशित चालक के अन्दर तीव्रता शून्य होती है। इसलिए सिरे qs से.गुजरने वाला विद्युत “फ्लक्स = E × ds”, और वही बेलनाकार तल से गुजरने वाला कुल विद्युत फ्लक्स है।
चूँकि बेलनाकार तल के भीतर चालक का क्षेत्रफल ds स्थित है, इसलिए इस पर आवेश का कुल परिणाम ods होगा। अतः गॉस के प्रमेय से बेलनाकार तल का कुल विद्युत “फ्लक्स
\(\frac{\Sigma q}{\epsilon_{0}}=\frac{\sigma d s}{\epsilon_{0}}\)
∴ E × dx = \(\frac{\sigma d s}{\epsilon_{0}}\)
या, E = \(\frac{\sigma}{\epsilon_{0}}\)
यही कूलम्ब का प्रमेय है।
प्रश्न 8.
A good potentiometer consists of 10 wires each of 1m in length connected in series, why?
(एक अच्छे विभक्यापी में श्रेणीक्रम में 10 तार की प्रत्येक लम्बाई Imजुड़े होते हैं, क्यों?)
उत्तर:
अगर विभवमापी के तार के प्रति इकाई लम्बाई का प्रतिरोध p हो और इसमें 1 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो तो प्रति इकाई लम्बाई तार पर विभव पतन PI होगा।
यदि किसी सेल का वि० वा० बल E हो और तार की लम्बाई पर संतुलन प्राप्त हो, तो
E = pIl
dE = P I dl
या, \(\frac{d l}{d \epsilon}=\frac{1}{P I}\)
\(\frac{d l}{d E}\)विभवमापी की सुग्राहिता बतलाता है। अतः यदि 1 का मान बढ़ाया जाय तो I का मान घटेगा और विभवमापी की सुग्राहिता बढ़ेगी। अतः अच्छे विभवमापी में एक तार की अपेक्षा एक-एक मीटर के दस तार श्रेणीक्रम में लगाये जाते हैं।
प्रश्न 9.
What is electric current ? (विद्युत धारा क्या है ?)
उत्तर:
किसी चालक में आवेश प्रवाह के दर को “विद्युतधारा” कहते हैं। मान लिया कि t sec. में चालक के किसी भाग से Q आवेश प्रवाहित होता है।
∴ विद्युत धारा (i) = = \(\frac{Q}{t}\)
विद्युत धारा एक अदिश राशि (Scalar quantity) है। इसका S.I. Unit “ऐम्पियर (Ampere)” है।
अतः 1 Amp. =
प्रश्न 10.
What is electrical conductivity and specific conductivity? (विद्युत चालकता तथा विशिष्ट चालकता क्या है?)
उत्तर:
विद्यत चालकता-किसी पदार्थ से विद्युत का प्रवाह कितनी आसानी से हो सकता है इसकी माप चालकता से होती है। यह चालकता, प्रतिरोध पर निर्भर करता है।
अतः विद्युत चालकता पदार्थ का वह गुण है जो यह बतलाता है कि उससे होकर कितनी आसानी से विद्युत प्रवाहित हो सकती है। इसे G से सूचित करते हैं।
इसकी माप प्रतिरोध के व्युत्क्रमानुपाती (Inversely proportional) द्वारा की जाती है।
अर्थात् चालकता = या, G = \(\frac{1}{R}\)
इसका मात्रक “ओम-1 ( Ω-1) या मो (mho)” है।
विशिष्ट चालकता (Specific conductivity)-किसी पदार्थ के विशिष्ट प्रतिरोध के व्युत्क्रम को “विशिष्ट चालकता” कहते हैं। इसे प्रायः σ (सिग्मा) से दिखलाते हैं।
अर्थात् σ =
= \(\frac{1}{\rho}\)
इसका मात्रक ओम-1 मीटर या-1 (मो-मीटर-1) होता है।
प्रश्न 11.
What is Eddy current ? (भंवर धारा क्या है ?)
उत्तर:
भंवर धारा (Eddy.current)-यदि किसी धातु के टुकड़ों को किसी परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाय या उन टुकड़ों को किसी स्थानीय चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णित किया जाय तो उसमें प्रेरित धारा उत्पन्न होती है। प्रेरित धारा चक्करदार होती है। अतः वह “भंवर धारा” कही जाती है। इसे फूको धारा भी कहा जाता है क्योंकि इसका पता फूको ने लगाया था।
‘इस धारा का उपयोग चलकुण्डल गैल्वेनोमीटर में कुण्डली की गति को अवदित करने में किया जाता है।
प्रश्न 12.
अधिकतम शक्ति प्रमेय (Maximum Power Theorem) क्या है ? इसे प्रमाणित करें?
उत्तर:
Maximum Power Theorem :
यह प्रमेय यह बतलाता है कि, “किसी बाह्य परिपथ को दी गयी शक्ति का मान महत्तम तब होता है जब स्रोत की आन्तरिक प्रतिरोध का मान बाह्य परिपथ के प्रतिरोध के बराबर होता है।”
प्रमाण : मान लिया E वि० वा० बल एवं आन्तरिक प्रतिरोध का एक विद्युत स्रोत को बाह्य प्रतिरोध R से जोड़ा गया है।
धारा भेजता है तो लोड द्वारा उपमुक्त (Consumed) शक्ति
p = i2R \(=\left(\frac{E}{R+r}\right)^{2}\) .R
स्पष्टः शक्ति का मान लोड के प्रतिरोध पर निर्भर करता है। अतः शक्ति को अधिकतम होने के लिए \(\frac{d P}{d R}\) = 0 होना चाहिए,
(R+r)2 = 2R (R+r)
R=r यही महत्तम शक्ति ह्रास का शर्त है।
प्रश्न 13.
Ampere के परिपथीय नियम को लिखें एवं समझायें।
उत्तर:
एम्पीयर के परिपथीय नियम-
यह नियम यह बतलाता है कि, “निर्वात में किसी बंद पथ के लिए चुम्बकीय क्षेत्र के प्रेरण \(\vec{B}\)का रेखा समाकलन का मान उस बंद पथ के क्षेत्र से गुजरते कुल धारा I का μ0गुणा होता है।”
एक खुले सतह पर विचार करते हैं जिसके सतह से धारा i गुजरती है। इसका परिधि एक बंद वक्र C है। अगर बंद वक्र के किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र \(\vec{B}\) है तो इसका स्पर्शरेखीय घटक Bt और अल्पाक्षीय लम्बाई dl का गुणनफल = Bt dl = B cosθ dl = \(\vec{B} \cdot \overrightarrow{d l}\)
इस प्रकार Product का सम्पूर्ण बंद वक्र C के लिए समाकलन \(\oint \vec{B} \cdot \overrightarrow{d l}\)को बंद वक्र के लिए रेखा चुम्बकीय क्षेत्र का रेखा समाकलन (line integral of magnetic field) कहा जाता है।
अतः एम्पीयर के परिपथीय नियम के अनुसार
\(\oint \vec{B} \cdot \overrightarrow{d l}=\mu_{0} I\)
इस नियम से एक चिन्ह परीपाटी जुड़ा है। जो दाहिने हाथ के अंगुठे के नियम से ज्ञात होता है।
प्रश्न 14.
A potentiometer can measure potential difference as well as current. Explain how?
(एक विभवमापी द्वारा विभवांतर एवं धारा दोनों को मापा जा सकता है। समझाएँ कैसे?
उत्तर:
विभवमापी एक आदर्श वोल्टमीटर (अनन्त प्रतिरोध वाले वोल्टमीटर) जैसा व्यवहार करता है। वह विभवांतर का सटिक मान मापता है। विभवमापी में काफी लम्बा तार लकड़ी के तख्ते पर फैला रहता है जिसके दोनों सिरों के बीच ज्ञात विभवांतर स्थापित किया जाता है। जिस विभवान्तर को मापना होता है उसे तार की कुल लम्बाई के बीच विपरीत दिशा में आरोपित किया जाता है। तार की लंबाई इस तरह से समजित की जाती है कि जिससे दूसरे विद्युत परिपथ में शून्य धारा प्रवाहित हो। विभवमापी से अज्ञात धारा का मान जानने के लिए एक प्रामाणिक प्रतिरोध का व्यवहार किया जाता है।
इस प्रामाणिक प्रतिरोध का मान ज्ञात रहता है। अज्ञात धारा को इस प्रतिरोध से प्रवाहित करने पर जो विभवांतर उत्पन्न होता है उसे ज्ञात कर लिया जाता है। इस विभवान्तर को प्रामाणिक प्रतिरोध से भाग देने पर प्राप्त फल अज्ञात धारा का मान देता है। इस प्रकार स्पष्ट हो जाता है कि विभवमापी द्वारा विभवांतर एवं धारा दोनों ही मापे जा सकते हैं।
प्रश्न 15.
What do you always connect a ammeter in series and a voltmeter in parellel ? (आमीटर को हमेशा श्रेणीक्रम में तथा वोल्टमीटर को समान्तर क्रम में जोड़ जाता है, क्यों ?)
उत्तर:
आमीटर किसी विद्युत परिपथ में प्रवाहित होने वाली धारा का मान देता है। किसी परिपथ में यह श्रेणीक्रम (Series) में जोड़ा जाता है, ताकि मापी जाने वाली कुल धारा इससे होकर गुजरे और उसके संगत विक्षेप उत्पन्न करे। आमीटर का प्रतिरोध आवश्यक रूप से बहुत ही कम होता है जिससे कि मापी जाने वाली धारा में इसके संयोजन के कारण नगण्य कमी हो।
इसके विपरीत वोल्टमीटर किसी विद्युत परिपथ के किसी भाग पर उत्पन्न विभवान्तर की माप प्रदान करता है। परिपथ के जिस भाग पर उत्पन्न विभवान्तर की माप ज्ञात करनी रहती है, वोल्टमीटर. को उस भाग को समान्तर क्रम में जोड़ा जाता है।
अतः वोल्टमीटर के उस तार (विशेष प्रतिरोध) के समान्तर क्रम में जोड़ना पड़ता है, जिसके बीच का विभवांतर मापना है। वोल्टमीटर का प्रतिरोध आवश्यक रूप से बहुत अधिक रहता है, जिससे कि इस यंत्र से होकर नगण्य धारा प्रवाहित हो।
प्रश्न 16.
Compare between A.C. & D.C. (A.C. तथा D.C. में तुलना करें।)
उत्तर:
A.C. के लाभ-
- A.C. के वि० वा० बल तथा धारा की दिशा बदलती रहती है परन्तु D.C. में दिशा एक ही रहती है।
- A.C. के विद्युत वाहक बल को ट्रान्सफॉर्मर के द्वारा विद्युत ऊर्जा को नष्ट किये बिना घटाया-बढ़ाया जा सकता है। परन्तु सीधी धारा (D.C.) में प्रतिरोध लगाकर यह काम लिया जा सकता है जिसमें कि विद्युत ऊर्जा की बहुत हानि होती है।
- A.C. के वि० वा० बल को काफी अधिक बढ़ाकर हर स्थानों में भेजा जाता है। . फिर वहाँ ट्रान्सफॉर्मर की मदद से वि० वा० बलं को कम कर दैनिक कार्य किया जा सकता है, परन्तु D.C. में इस तरह की बात नहीं है।
A.C. के हानि-
- A.C. से विद्युत विच्छेदन (Electrolysis) की क्रिया नहीं हो पाती है। अतः इसके द्वारा कलई नहीं की जा सकती है। D.C. से यह कार्य किया जा सकता है।
- A.C. को संचायक (Accumulators) में जमा नहीं किया जा सकता है। परन्तु D.C. को सेल में जमा किया जा सकता है।
- A.C. किसी चीज को आकर्षित करता है। इस कारण से यह खतरनाक है। परन्तु D.C. किसी चीज को विकर्षित अर्थात् धक्का देता है। :
प्रश्न 17.
How does a hot wire ammeter measure alternating current ? (तप्त तार आमीटर से प्रत्यावर्ती धारा को किस प्रकार मापा जाता है ?).
उत्तर:
जब किसी तार से धारा प्रवाहित की जाती है तब वह तार गर्म हो जाता है। धारा के ऊष्मीय प्रभाव का उपयोग तप्त तार आमीटर बनाये जाते हैं। धारा के प्रवाह के कारण उत्पन्न ऊष्मा धारा के वर्ग के अर्थात् I2 के समानुपाती होती है। जब अज्ञात धारा तप्त तार आमीटर में लगे तार से प्रवाहित की जाती है, तब तार गर्म होकर कुछ ढीला पड़ जाता है। इससे जुड़ा स्प्रिंग इसे खींचता है और तार में लगा एक संकेतक एक पैमाने पर विक्षेपित होता है। तार की लंबाई में वृद्धि तार व कारण उत्पन्न ऊष्मा के समानुपाती होती, परन्तु संकेतक का विक्षेप धारा के वर्ग (I2) के मानुपाती होता है।
चूंकि, विक्षेप धारा के वर्ग के समानुपाती होता है। इसलिए विक्षेप धारा दिशा पर निर्भर नहीं ता है। प्रत्यावर्ती धारा की दिशा समयों के आधार पर बदलती रहती है, परन्तु आमीटर के तार उत्पन्न ऊष्मा धारा के मान पर न कि उसकी दिशा पर निर्भर करती है।
प्रश्न 18.
What do you understand by electrical work, energy and power?
(विद्युतीय कार्य, ऊर्जा और शक्ति से आप क्या समझते हैं ?)
or,
Show that want × Volt Ampere
अथवा, (दिखलायें = वोल्ट × आम्पीयर)
उत्तर:
विद्यु तिया कार्य, ऊर्जा और सक्ति (Electrical work, energy and power).. मान लिया AB चालक के सिरों के बीच विभवान्तर ν है-
∴ इकाई धन आवेश को B से A तक लाने में किया गया कार्य =V
∴ Q इकाई धन आवेश को B से A तक लाने में किया गया कार्य = QV
या, कार्य = QV
या, कार्य = vct [ ∵ धारा = c= \(\frac{Q}{t}\) ]
कार्य करने की क्षमता को “ऊर्जा (Energy)” कहते हैं।
अर्थात ऊर्जा = νct
कार्य करने की दर को विद्युत शक्ति कहते हैं।
अर्थात् विद्युत शक्ति = = \(\frac{v c t}{t}\)
= νc जूल/से० … (i)
परन्तु 1 जूल/से० = 1 वाट
समी० (i) में सबों का मात्रक देने पर,
वाट = वोल्ट × आम्पीयर
प्रश्न 19.
What do you mean by mutual induction and coefficient of mutual induction.
(अन्योन्य प्रेरण तथा अन्योन्य प्रेरण गुणांक से आप क्या समझते हैं?)
उत्तर:
मान लिया कि A और B दो कुण्डली है। A कुण्डली को सेल तथा कुंजी से श्रेणीक्रम में जोड़ देते हैं। परन्तु B कुण्डली से एक galν. जुड़ा रहता है।
अब A कुण्डली में धारा प्रवाहित करते हैं तथा बन्द करते हैं। साथ ही साथ धारा के मान में परिवर्तन करते हैं। इन स्थितियों में B कुण्डली में एक प्रेरित वि० वा० बल उत्पन्न होता है। इस घटना को “अन्योन्य प्रेरण (Mutual induction)” कहते हैं।
Aकुण्डली को प्राथमिक कुण्डली (Primary coil) तथा B कुण्डली को द्वितीयक कुण्डली (Secondary coil) कहते हैं।
अतः “किसी एक कुण्डली में धारा के मान में परिवर्तन करने से उसके पास रखी दूसरी कुण्डली में विद्युत चुम्बकीय प्रेरण की घटना को अन्योन्य प्रेरण (Mutual induction) कहते हैं।”
मान लिया कि प्राथमिक कुण्डली में ip धारा प्रवाहित करने से द्वितीयक कुण्डली में होकर गुजरने वाली बल रेखाओं की संख्या Ns है।
∴ Ns ∝ ip
= M . ip
जहाँ M एक स्थिर राशि है। इसे कुण्डली का “अन्योन्य प्रेरण गुणांक (Coeff. of mutual induction)” या “अन्योन्य प्रेरकत्व (Mutual inductance)” कहते हैं।
यदि ip = 1 हो तो Ns = M
अतः “प्राथमिक कुण्डली में इकाई धारा प्रवाहित करने के कारण दूसरी कुण्डली होकर जितनी चुम्बकीय बल रेखाएँ जाती हैं, उसे “अन्योन्य प्रेरण गुणांक कहते हैं।” इसकी इकाई “हेनरी (Henry)” है।
प्रश्न 20.
Obtain an expression for forces between two parallel curuarrying conductors.
(चालकों के दो समानान्तर धाराओं के बीच बल के लिए व्यंजक प्राप्त करें।)
उत्तर:
मान लिया कि MN तथा PQ दो समानान्तर चालक है। इसके बीच की दूरी r है। इसमें क्रमशः I1तथा I2 धारा बहती है।
MN के धारा के कारण PQ पर चुम्बकीय क्षेत्र (B)
\(=\frac{\mu_{0} I_{1}}{2 \pi r}\) …(1)
इसकी दिशा I1 तथा r पर लम्बवत् होगा। साथ ही साथ I2 के भी लम्बवत् होगा
अब PQ तार के एक छोटे भाग dl की कल्पना करते हैं। इस dl पर B के कारण
= B I2dl sin90°
= \(\frac{\mu I_{1}}{2 \pi r}\). I2dl [(i) से B का मान]
यदि तार की कुल लम्बाई l हो तो
कुल बल = \(\frac{\mu_{1} I_{2} l}{2 \pi r}\) ….(2)
इसकी दिशा PQ तार पर बायीं ओर यानी MN की ओर होगी। इसी प्रकार I2 धारा द्वारा MN पर बल दायीं ओर लगेगा। अतः तार में एक दिशा में धारा बहने पर उनके बीच आकर्षण का बल काम करने लगता है। ठीक इसके विपरीत जब धारा विपरीत दिशा में रहती हो तो उनके बीच विकर्षण का बल लगता है।
प्रश्न 21.
Describe definition of ampere. (आम्पीयर की परिभाषा का वर्णन करें।)
उत्तर:
धारा के मात्रक “आम्पीयर” है।
दो तार एक-दूसरे को समानान्तर हैं। इसमें प्रवाहित धारा I1 तथा I2 हैं। इसकी लम्बाई l है। इसके बीच की दूरी d है।
धारा के कारण दोनों के बीच लगनेवाला बल
F = \(\frac{\mu_{0} I_{1} I_{2} l}{2 \pi d}\)
यदि I1 = I2 = 1 आम्पीयर,l = 1 मीटर,
d = 1 मीटर हो तो
F = \(\frac{\mu_{0}}{2 \pi}\) = \(\frac{4 \pi \times 10^{-7}}{2 \pi}\)
= 2 × 10-7 न्यूटन
अतः “1 आम्पीयर धारा वह धारा है जो इकाई लम्बाई तथा इकाई दूरी पर स्थित चाल के बीच प्रवाहित होकर 2 × 10-7
न्यूटन का आकर्षण या विकर्षण का बल लगाता है।”
प्रश्न 22.
What are the difference between e.m.f.and potential difference? (वि० वा० बल तथा विभवान्तर के बीच क्या अन्तर है ?)
उत्तर:
वि० वा० बल | विभवान्तर |
(i) यह सेल का परिपथ खुला रहने पर विभव के अन्तर को बतलाता है। | (i) यह सेल का परिपथ बन्द रहने पर विभव के अन्तर को बतलाता है। |
(ii) यह प्रतिरोध पर निर्भर नहीं करता है। | (ii) यह प्रतिरोध के समानुपाती होता है। |
(iii) यह परिपथ के बन्द नहीं रहने पर exist करता है। | (iii) यह परिपथ के बन्द रखने पर exist करता है। |
(iv) यह विभवान्तर से बड़ा होता है। | (iv) यह वि० वा० बल से छोटा होता है। |
(v) इसे वोल्ट में मापा जाता है। | (v) इसे भी वोल्ट (Volt) में मापा जाता है। |
प्रश्न 23.
How can convert galvenometer into ammeter?
(गैल्वेनोमीटर की आमीटर में कैसे बदला जा सकता है?)
उत्तर:
गैल्वेनोमीटर के समानान्तर क्रम में कम मान के प्रतिरोध को लगाकर आमीटर में बदला जा सकता है। स्केल को ‘आम्पीयर’ में अंकित कर देते हैं।
मान लिया कि galν. का प्रतिरोध = g
कम मान का प्रातराव = S
galν. से धारा = Ig
तथा शंट से धारा = Is
A और B के बीच विभवान्तर
= Ig . g
= Is . S
∴ Ig . g = Is . S
= (I- Ig) • S .
[∵ I = Ig + Is या, Is + I – Ig]
या, S = \(\frac{I g \cdot g}{I-I g}\)
अतः gav. के समानान्तर क्रम में S = \(\frac{I_{g} g}{I-I g}\)मान का प्रतिरोध लगाकर galv. को आमीटर में बदला जा सकता है।
प्रश्न 24.
How can convert galvenometer into voltmeter ? (गैल्वेनोमीटर को वोल्टमीटर में कैसे बदला जा सकता है.?)
उत्तर:
गैल्वेनोमीटर (Galvenometer) के श्रेणीक्रम में उच्च प्रतिरोध जोड़ देने से गैल्वेनोमीटर वोल्टमीटर में बदल जाता है।
मान लिया कि गैलवेनोमीटर का प्रतिरोध = G
उच्च प्रतिरोध = R
प्रवाहित धारा = I
A और B के बीच विभवान्तर = धारा × प्रतिरोध
V=I (G+R)
जहाँ v → A और B के बीच विभवान्तर
या, G + R = \(\frac{V}{I}\)
या, R= \(\frac{V}{I}\) – G
अतः गैल्वेनोमीटर के श्रेणीक्रम में उच्च प्रतिरोध अर्थात् = \(\frac{V}{I}\) – G लगा देने से गैल्वेनोमीटर वोल्टमीटर के जैसा काम करता है।
प्रश्न 25.
What is Watless current. (वाटहीन धारा क्या है ?)
उत्तर:
L या C एक A.C circuit की कल्पना करते हैं। इसका ohmic प्रतिरोध शून्य है धारा तथा वोल्टेज के बीच Phase diff. 90° है। इस समय औसत शक्ति की हानि
= VrmsIrms . cos 90° जहाँ Vrms तथा Irms RMS वोल्टेज तथा धारा है।
=Vrms Irms 0 = 0
ऊपर से यह स्पष्ट होता है कि circuit से धारा का प्रवाह हो रहा है परन्तु उसकी औसत शक्ति शून्य है, इस धारा को “वाटहीन धारा (Wattless current)” कहते हैं।
प्रश्न 26.
How can it be tested experimentally wheather a given liquid is paramagnetic or diamagnetic?
(प्रयोग से किस प्रकार जाँच की जा सकती है कि दिया गया द्रव अनुचुम्बकीय प्रति चुम्बकीय है?)
उत्तर:
अनुचुम्बकीय पदार्थ को चुम्बकन क्षेत्र में रखने पर यह बल रेखाओं के समानान्तर तथा शक्तिशाली क्षेत्र की ओर भागता है, जबकि प्रति चुम्बकीय पदार्थ, बल रेखाओं के लम्बवत् तथा कमजोर क्षेत्र में. भागता है।
एक watch glass में इस द्रव को लेकर एक चुम्बकन क्षेत्र के बीच रखते हैं। यदि द्रव glass के बीच में ऊपर उठ जाता है तथा किनारे में धंस जाता है तथा द्रव अनुचुम्बकीय होता है। इसके विपरीत यदि द्रव बीच में धंस जाता है तथा किनारे में ऊपर उठ जाता है तब पदार्थ, प्रति चुम्बकीय होता है।
प्रश्न 27.
What is power of lens? (लेन्स की क्षमता क्या है ?)
उत्तर:
प्रकाश की किरणें लेन्स पर आपतित होती है। अपवर्तन के बाद अपने मार्ग से मुड़ जाती है। उत्तल लेन्स (convex lens) में लेन्स की ओर तथा अवतल लेन्स (concave lens) में लेन्स से दूर मुड़ती है। प्रकाश को अधिक मोड़ने वाले लेन्स की क्षमता अधिक होती है।
अतः “पतले लेन्स की क्षमता इसकी फोकस दूरी के व्युत्क्रम (reciprocal) होती है।” यदि फोकस दूरी मीटर में हो तो
क्षमता (P) = \(\frac{1}{f}\)
इसका unit डायोप्टर (Diopter) होती है।
प्रश्न 28.
What do you mean by magnifying power ? (आवर्द्धन क्षमता से आप क्या समझते हैं ?)
उत्तर:
किसी यंत्र की आवर्द्धन क्षमता उसके द्वारा वस्तु का बनाया गया magnified प्रतिबिम्ब होता है।
किसी यंत्र की आवर्द्धन क्षमता (magnifying power) उसके द्वारा बनाये गये अन्तिम प्रतिबिम्ब द्वारा नेत्र पर बनाये गये दर्शन कोण तथा उसी स्थान पर रखी वस्तु द्वारा नेत्र पर बनाये गये दर्शन कोण का अनुपात होता है। इसे “कोणीय आवर्द्धन” (Angular magnification) भी कहते हैं।