BSEB Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 3 are the best resource for students which helps in revision.

Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 3

प्रश्न 1.
किसी उत्तल लेंस को पानी में पूर्णतः डुबाने पर उसकी फोकस दूरी बढ़ जाती है, क्यों?
उत्तर:
किसी लेंस की फोकस दूरी निम्न सूत्र द्वारा दी जाती है-
\(\frac{1}{F}\) = \(\left(\frac{\mu}{\mu_{1}}-1\right)\left(\frac{1}{r_{1}}-\frac{1}{r_{2}}\right)\)
जहाँ लेंस पदार्थ का अपवर्तनांक है तथा. माध्यम का अपवर्तनांक तथा r1, एवं r2, लेंस की सतहों की वक्रता त्रिज्याएं हैं।
अतः दिये गए लेंस के लिए-
F ∝ \(\frac{\mu_{1}}{\mu-\mu_{1}}\)
हवा के लिए μ1 = 1
∴ Fa ∝ \(\frac{1}{\mu-1}\)
तथा पानी के लिए μ1 = \(\frac{4}{3}\)
∴ fw ∝ \(\frac{4}{3 \mu-4}\)
∴ \(\frac{F W}{F a}\) = \(\frac{4}{3 \mu-4}\) × \(\frac{\mu-1}{1}\) = \(\frac{4 \mu-4}{3 \mu-4}\) >1
∴ fw > fa अतः पानी में लेंस की फोकस दूरी हवा की अपेक्षा अधिक होगी।

प्रश्न 2.
सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय क्षितिज लाल प्रतीत क्यों होता है?
उत्तर:
लॉर्ड रैले (Lord Rayliegh) के अनुसार प्रकीर्णन तीव्रता (I) तरंग लंबाई (λ) के Fourth Power के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
अर्थात् I ∝ \(\frac{I}{\lambda^{4}}\)
सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय सूर्य की किरणें तिरछी दिशा में वायुमंडल में अधिक दूरी तय करके हमारी आँखों पर पहुंचती हैं। प्रकाश के लाल रंग का तरंग लम्बाई अधिक तथा नीला या बैंगनी का कम होता है।

इस कारण से प्रकाश के लाल रंग का प्रकीर्णन कम तथा नीला या बैंगनी का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है। इससे नीला या बैंगनी वायुमण्डल में विलीन हो जाती है। लाल किरणों का प्रकीर्णन कम होने से वह बचा रह जाता है। इस कारण से ही सूर्योदय और सूर्यास्त के समय क्षितिज लाल प्रतीत होता है।

प्रश्न 3.
Why sky appears blue? (आकाश नीला क्यों दिखाई पड़ता है?)
उत्तर:
वायुमण्डल में जल कण, धूल-कण, धातुएँ के कण तथा गैस के अणु उपस्थित रहते हैं। सूर्य का श्वेत प्रकाश इन कणों पर आपतित होती है। कण इन प्रकाशों का प्रकीर्णन (Scattering) करता है। इसमें लाल रंग के प्रकाश की तरंग लम्बाई सबसे अधिक होती है।

अत: इसका प्रकीर्णन कम होता है परन्तु नीला रंग का तरंग लम्बाई सबसे कम होता है। इसमें प्रकाश प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है। इस कारण से आकाश में नीले रंग के प्रकाश सबसे अधिक . पाये जाते हैं, जिससे आकाश नीला या आसमानी दिखलाई पड़ता है।

प्रश्न 4.
What is Light year?’ (प्रकाश वर्ष क्या है ?)
उत्तर:
निर्वात (vacuum) में प्रकाश 1 वर्ष में जितनी दूरी तय करती है उसे ‘प्रकाश-वर्ष’ कहते हैं।
प्रकाश वर्ष का विमा = दूरी का विमा = [L]
अब निर्वात में प्रकाश द्वारा 1 sec. में तय की गई दूरी
= 3 × 108 मी०
∴ 1 प्रकाश वर्ष = 365 × 24 × 60 × 60 × 3 × 108 मी०
= 9.461 × 1015 मीटर
= 9.461 × 1012 कि० मीटर
सूर्य से पृथ्वी तक प्रकाश को आने में लगभग 8 मिनट लगता है। अतः सूर्य से पृथ्वी की दूरी 8 प्रकाश मिनट होती है। पृथ्वी से निकटतम तारा की दूरी 22 प्रकाश वर्ष है।

प्रश्न 5.
What do you understand by dispersion of light? ( प्रकाश के वर्ण विक्षेपण से आप क्या समझते हैं?)
उत्तर:
जब एक श्वेत प्रकाश (White light) की किरण प्रिज्म से गुजरती है तब यह सात . रंगों में विभक्त हो जाता है। इस घटना को “प्रकाश का वर्ण- विक्षेपण” कहते हैं।
इन सातों रंगों को “बैनीआहपीनाला” से जाना जाता है। इसमें बैगनी रंग का प्रिज्म से विचलन सबसे अधिक तथा लाल रंग का सबसे कम होता है। इस कारण से बैगनी सबसे नीचे तथा लाल सबसे ऊपर हो जाता बीच में बाकी पाँच रंगों की किरणें रहती है।
मान लिया कि लाल तथा बैगनी रंग की किरणों का विचलन क्रमशः δR तथा δν है। इसके अपवर्तनांक क्रमशः μR तथा μν है।
∴ δR = (μR- 1)A, जहाँ A प्रिज्म का वर्तक कोण है।
तथा δv = (μν – 1)A
∴ वर्ण विक्षेपण कोण = δν – dR
= (μν – 1)A – (μR – 1) A
= (μν – μR)A

प्रश्न 6.
Why red lamp is used in signal of danger ? (खतरे की सूचना लाल बत्ती से ही क्यों दी जाती है?)
उत्तर:
लॉर्ड रैले (Lord Rayleigh) के अनुसार प्रकीर्णन तीव्रता (I) तरंग लम्बाई (λ) के forth power के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
अर्थात् I ∝ \(\frac{1}{\lambda^{4}}\)
लाल रंग के प्रकाश की तरंग लम्बाई सबसे अधिक होती है।
अतः इसका प्रकीर्णन कम होता है। इस कारण से लाल वस्तु दूर तक चला जाता है। इससे हमें लाल बहुत दूर से ही दिखलाई पड़ने लगता है। अतः रेलवे में खतरे की सूचना लाल बत्ती से दी जाती है।

प्रश्न 7.
Compare the difference between diffraction and Interference. (प्रकाश के विवर्तन तथा व्यतिकरण की तुलना करें।)
उत्तर:

  • व्यतिकरण दो फलाबद्ध स्रोतों (coherent source) से निकलने वाली तरंगों के आपसी अध्यारोपण (Super position) के फलस्वरूप उत्पन्न होता है। परन्तु विवर्तन एक ही तरंगाग्र (wave front) के विभिन्न बिन्दुओं से चलने वाले Secondary wave lets के अध्यारोपण से उत्पन्न होता है।
  • व्यतिकरण में सभी चमकीली धारियाँ एक ही तीव्रता की होती हैं। परन्तु विवर्तन में सभी विभिन्न तीव्रताओं के रहते हैं।
  • व्यतिकरण में धारियों की चौथाई समान होती है परन्तु विवर्तन में समान नहीं रहती है।
  • व्यतिकरण धारियों में न्यूनतम प्रदीपन (minimum illumination) की स्थिति पूर्ण रूप से काली होती है। परन्तु विवर्तन में पूर्ण काली नहीं होती है।

प्रश्न 8.
What is meant by resolving power of an instrument? (यंत्र की विर्भेदन क्षमता का क्या अर्थ है?)
उत्तर:
किसी यंत्र की विभेदन क्षमता वह क्षमता है जो बहुत ही निकट के तरंग लम्बाई का प्रतिबिम्ब अलग-अलग बना लें। Na में 5890 Å तथा 5896Å तरंग लम्बाई के दो तरंगों बहुत निकट में रहते हैं। इसे अलग करने को विभेदन क्षमता कहते हैं।
इसकी माप इन दोनों द्वारा objective पर बनाये गये कोण से की जाती है। कोण के छोटा रहने पर विभेदन क्षमता अधिक होती है।

प्रश्न 9.
Explain the cause of presence of dark lines in solar spectra.
(सौर वर्णपट में काली रेखाओं की उपस्थिति का कारण बतलावें।)
उत्तर:
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 3 1
सूर्य के प्रकाश से लगातार वर्णपट प्राप्त होता है। इसमें सात रंग दिखलाई पड़ते हैं। फ्रॉन हाफर (Fraunhofer) नाम के एक वैज्ञानिक ने एक अच्छे यंत्र से देखकर यह पता लगाया कि वर्णपट में सात रंग के अलावा बहुत सी काली-काली रेखाएं हैं।
इन रेखाओं की उपस्थिति का कारण किरचॉफ (Kirchoff) ने बतलाया। इसके लिए उसने एक नियम दिया-“कम ताप पर स्थिर तत्त्व उसी तत्त्व से अधिक ताप स्रोतों से निकले प्रकाश को शोषित कर देता है।”

सूर्य के भीतरी भाग को “प्रकाश मंडल (Photo sphere) कहते हैं।” इसका ताप कई लाख डिग्री या सेन्टीग्रेड रहता है। इसके चारों ओर कम ताप वाला घेरा रहता है। इसे “काल मण्डल (Chromo sphere)” कहते हैं। प्रकाश मण्डल से जब प्रकाश चलता है तब इनमें से कुछ रंगों की रेखा को काल मण्डल शोषित कर लेता है। इसके फलस्वरूप सौर वर्णपट में बहुत.सी काली रेखाएँ दिखलाई पड़ती हैं।

प्रश्न 10.
What is photo cell?(प्रकाश का फोटो सेल क्या है?)
उत्तर:
फोटो सेल एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें प्रकाश ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जा सकता है। यह प्रकाश विद्युत प्रभाव के सिद्धान्त पर बनी रहती है। यह मुख्यतः दो प्रकार का होता है-

  1. प्रकाश उत्सर्जक सेल (Photo emissive cell)
  2. प्रकाश वोल्टीय सेल (Photo voltaic cell)

उपयोग –

  1. सिनेमाओं में ध्वनि के पुनः उत्पादन (reproduction) में।
  2. टेलीविजन तथा फोटोग्राफी में।
  3. अन्तरिक्ष में Solar battery द्वारा विद्युत उत्पन्न में।
  4. सड़कों पर बत्तियों के अपने-आप जलने या बुझने में तथा crossing पर signal देने के काम में.
  5. दरवाजों को अपने-आप खोलने तथा बन्द करने में।
  6. बैंक, खजानों इत्यादि में चोरों की सूचना देने के काम में।
  7. मौसम विज्ञान विभाग में दिन के प्रकाश की तीव्रता मापने के काम में।
  8. तारों के ताप मापने के काम में।

प्रश्न 11.
समान फोकस दूरी के एक अवतल एवं एक उत्तल लेंस समाक्षीय रूप में एक दूसरे से सटाकर रखे गये हैं। इस संयोग की क्षमता एवं फोकस दूरी ज्ञात करें।
उत्तर:
मान लिया उत्तल एवं अवतल लेसों की क्षमता क्रमशः P, एक P, है तो इस संयोग की क्षमता होगी-
P = P1 + P2
लेकिन यह P2 = -P1 है क्यों कि दोनों की क्षमता समान लेकिन प्रकृति विपरित है।
अतः P = P1 + (-P1) = 0 (शून्य)
अर्थात् इस संयोग की क्षमता शून्य होगी।
लेकिन P = \(\frac{1}{f}\)
⇒ f = \(\frac{1}{p}\) = \(\frac{1}{0}\) = ∞
अर्थात् फॉकस दूरी अनन्त होगी।
अतः यह संयोग एक सामान्य कांच की प्लेट जैसा कार्य करेगा।

प्रश्न 12.
पूर्ण आंतरिक परावर्तन क्या है? इसके लिए दो आवश्यक शर्तों को लिखें।
उत्तर:
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 3 2
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन : जब प्रकाश किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करता है तो अपवर्त्तन के कारण यह अविलम्ब से दूर हट जाता है। अर्थात् r > i होता है। i का मान बढ़ाने के साथ r का मान भी बढ़ता जाता है और i के एक विशेष मान ic पर r = 90° हो जाता है। अब अगर i का मान और बढ़ाया जाय तो किरण दूसरे माध्यम से प्रवेश नहीं कर पाता है बल्कि उसी माध्यम में लौट आता है अर्थात् इसका पूर्ण आन्तरिक परावर्तन हो जाता है। 90° के अपवर्त्तन कोण के संगत आपतन कोण ic को क्रांतिक कोण कहा जाता है जिसका मान दोनों माध्यमों की प्रकृति
पर निर्भर करता है तथा sinic = \(\frac{\mu_{1}}{\mu_{2}}\)

पूर्णतः आन्तरिक परावर्तन के लिए शर्त-

  1. प्रकाश सघन से विरल की ओर चलना चाहिए
  2. i > ic होना चाहिए।

प्रश्न 13.
ऑप्टिकल फाइवर क्या है?
उत्तर:
ऑप्टिकल फाइवर: यह एक प्रकाशिक युक्ति जिसकी सहायता से बिना तीव्रता क्षय के प्रकाश को एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रेषित किया जाता है। यह पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के सिद्धान्त पर कार्य करता है। इसके केन्द्रीय भाग में उच्च कोटि के काँच या क्वार्टज होता है जिसे क्रोड कहा जाता है। यह कम अपवर्तन में आवरण से घिरा रहता है जिसे cladin कहा जाता. है। क्लैडिंग भी एक कवर से ढंका रहता है जिसे Jacket कहा जाता है। एक से लेकर कई सौ फाइवर मिलकर केवल (cable) बनाते हैं।

आज कल इसका उपयोग अनेक रूपों में किया जा रहा है। जैसे-

  1. चिकित्सीय जाँच में लाइट पाइप के रूप में
  2. प्रकाशीय संकेतों के सम्प्रेषण में
  3. इसका उपयोग विद्युत संकतों को भी सूदूर स्थानों पर भेजने में भी किया जाता है।

प्रश्न 14.
व्योम तरंग (Sky Wave) एवं अतरिक्ष तरंग (Space Wave) की व्याख्या करें।
उत्तर:
व्योम तरंगः वे तरंग जो ट्रांसमीटर के ऐंटेना से निकलकर पृथ्वी के वायुमण्डल के उपरी परत (आयन मंडल) से टकराकर कर लौटती है और रिसीवर ऐंटेना तक पहुंचती है, व्योम तरंग या आकाश तरंग या आयनोस्फेरिक तरंग कहलाती है। यह 2MHg से 30 MHg आवृत्ति परास की होती है। आयन मंडल से परावर्तित होने वाले तरंग की यह क्रम आवृत्ति-
Vc = 9 (Nmax)1/2 होता है जिसे क्रांतिक आवृत्ति कहा जाता है।
जहाँ  Nmax = आयन मंडल में इलेक्ट्रॉन घनत्व है।

आतंरिक तरंग : वे तरंगें जो ट्रांसमीटर ऐंटीना से रिसीवर ऐंटिना तक या तो सीधे या पृथ्वी के ट्रॉपोस्फेयर क्षेत्र से परावर्तित होकर पहुँचती है, अंतरिक्ष तरंग या ट्रॉपोस्फेरिक तरंग कहलाता है। ये अति ऊच्च आवृत्ति (30 MHg से 300 MHg) या (ज्यादा) की रेडियो तरंग होती है। टेलीविजन सिगनल का प्रसारण अंतरिक्ष तरंग के रूप में होता है।

प्रश्न 15.
What are Fraunhofer lines?
(फ्रॉनहाफॅर रेखाएँ क्या हैं?)
उत्तर:
सूर्य के प्रकाश से लगातार वर्णपट प्राप्त होता है। इसमें सात रंग दिखलाई पड़ते हैं। “फ्रॉनहाफॅर (Fraunhofer)” नाम के एक वैज्ञानिक ने एक अच्छे यंत्र से देखकर यह पता लगाया कि इस वर्णपट में सात रंग के अलावे बहुत सी काली-काली रेखाएँ हैं। इसकी संख्या लगभग 700 है। इसमें से कुछ काली रेखाएँ स्पष्ट तथा कुछ अस्पष्ट होते हैं। Fraunhofer ने स्पष्ट रेखाओं का नाम A, B,C, D, E, F,G, H तथा K रखा। इसे “Fraunhofer lines” कहते हैं।

मध्य A रेखा लाल रंग के आखिरी छोर में, B तथा C रेखा लाल रंग के मध्य में, D रेखा पीला तथा नारंगी के मध्य में, E हरा रंग के नजदीक, F आसमानी के नजदीक, G नीला भाग में तथा H और K रेखा बैंगनी रंग के किनारों पर रहता है।
इन रेखाओं की उपस्थिति का कारण किरचाफॅ (Kirchoff) ने बतलाया।

प्रश्न 16.
Do x-rays and y-rays have same nature of origin? (क्या x-किरण एवं y-किरण की उत्पत्ति एक ही तरह से नहीं होती है?)
उत्तर:
x-किरण एवं y-किरण की उत्पत्ति एक ही तरह से नहीं होती है-

  1. सतत् x-किरण (Continuous x-rays)
  2. अभिलाक्षणिक-किरण (Characteristic-x-rays)

(1) सतत् किरण की उत्पत्ति की व्याख्या इस प्रकार दी जाती है – जब कभी आविष्ट कण त्वरित होता है तो विद्युत चुम्बकीय तरंग (Electro magnetic wave) उत्पन्न करती है। इलेक्ट्रॉन भी एक आविष्ट कण है। जब वह लक्ष्य (target) से टकराता है तो उसका अवमंदन होता है और वह x-ray उत्पन्न करता है।

(2) अभिलाक्षणिक x-ray की उत्पत्ति की व्याख्या इस प्रकार दी जाती है – जब कैथोड किरण लक्ष्य पर आपतित होती है और लक्ष्य के परमाणु के काफी अन्दर जाती है तो k अथवा m कक्षा के रिक्त स्थान को भरने के लिए ऊर्जा स्तर वाले कक्षा में इलेक्ट्रॉन कूद कर आता है। दोनों कक्षाओं के इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा में जो अन्तर है वह अभिलाक्षणिक x-ray के रूप में प्रकट होता है।

y-किरण की उत्पत्ति – स्थायी न्यूक्लियस को न्यूनतम ऊर्जा होती है और वह भू-दशा (ground state) में होता है। इसे अधिक ऊर्जा वाले कण का फोटॉन द्वारा बमबारित कर उत्तेजित किया जा सकता है। जब कोई उत्तेजित न्यूक्लियस भू-दशा में आता है तो y-किरण की उत्पत्ति होती है।

प्रश्न 17.
What do you understand by photo electric effect. (प्रकाश विद्युत प्रभाव से आप क्या समझते हैं?)
उत्तर:
प्रकाश के प्रभाव से कुछ धातुओं से electron उत्सर्जित होता है। इससे विद्युत की उत्पत्ति होती है। इस घटना को प्रकाश विद्युत प्रभाव (Photo electric effect) कहते हैं।
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 3 3
इसका आविष्कार सबसे पहले एक टेलीग्राफ ऑपरेटर W. Smith ने 1873 ई० में किया। फिर कुछ वर्षों बाद 1887 में हर्ट्स (Hertz) ने भी इसकी पुष्टि की। उसने कहा कि कैथोड पर पराबैंगनी प्रकाश (ultraviolet light) डालने से इस नलिका से विद्युत विसर्जन सुगमता से हो जाता है। फिर एक वर्ष बाद हालवेश (Hallwachs) ने हर्ट्स के प्रयोग को और आगे बढ़ाया।

हालवेश ने इसके लिए एक बल्ब लिया। इसके अन्दर की हवा को उसने निकाल दिया। बल्ब के अन्दर जस्ते का दो प्लेट A और C रखा। इसमें एक प्लेट (+ve) तथा दूसरे प्लेट (-ve) से जुड़ा रहता है। इन्हें एक galv. के द्वारा विद्युत बैट्री से जोड़ा जाता है।

(-ve) प्लेट पर पराबैंगनी प्रकाश डालने से galv. में विक्षेप होता है। पराबैंगनी प्रकाश डालना बन्द कर देने पर विक्षेप शून्य हो जाता है। इसका अर्थ यह है कि केवल (-ve) प्लेट पर ही पराबैंगनी प्रकाश डालने से धारा प्रवाहित होता है। हालवेश इस घटना का कोई कारण बतला नहीं सके।

फिर 1900 में J. J. Thomson तथा P. Leonard ने अपने प्रयोगों में दिखलाया कि धातुओं पर प्रकाश डालने से उससे Negative charged कण निकलते हैं। यह कण Electron के समान है। अतः इसे “Photo electron” ( प्रकाश इलेक्ट्रॉन) कहते हैं। यह धन प्लेट की ओर आकर्षित होते हैं। इसके चलने से परिपथ में धारा बहने लगती है। इस धारा को “प्रकाश विद्युत प्रभाव” (Photo electric effect) कहते हैं। A पर प्रकाश के आपतित होने पर यह बात नहीं होती है।

प्रश्न 18.
What are n-type and p-type of semi conductor ?  (n-प्रकार और P-प्रकार के अर्द्ध-चालक क्या हैं ?)
उत्तर:
अर्द्धचालक पदार्थ चालक एवं विद्युतरोधी पदार्थ के बीच में होते हैं। जरमेनियम तथा सिलिकन अर्द्धचालक पदार्थ हैं। शुद्ध अर्द्ध-चालकों की चालकता कमरे की ताप पर बहुत कम होती है। कुछ अपद्रव्य (impurity) मिलाकर उसकी चालकता बढ़ायी जा सकती है। अपद्रव्य मिलाने पर परिणामी क्रिस्टल को चालकता मिलाये गये अपद्रव्य के द्रव्यमान एवं प्रकार पर निर्भर करती है। मिलाया गया अपद्रव्य दाता (donar) अथवा ग्राही (acceptor) किसी भी प्रकार का हो सकता है। यदि शुद्ध जरमेनियम में (एक अर्द्धचालक) जो चतुसंयोगी तत्त्व है, परिमाण में पंचसंयोगी तत्त्व जैसे आर्सेनिक मिलाया जाता है, तो इससे जो पदार्थ बनता है उसमें इलेक्ट्रॉनों का आधिक्य रहता है। इस प्रकार बने क्रिस्टल को n-प्रकार का अर्द्धचालक अथवा दाता प्रकार का अर्द्धचालक कहा जाता है।

जरमेनियम में ही कम परिमाण में विसंयोगी तत्त्व जैसे मिला देने पर जो पदार्थ बनता है उसमें छिद्रों (holes) का आधिक्य रहता है। अपद्रव्यों के परमाणुओं को जो छिद्र करने में मदद करते हैं। ग्राही कहा जाता है। क्योंकि ये जरमेनियम परमाणु से इलेक्ट्रॉन ग्रहण करते हैं। इस प्रकार के अर्द्धचालक को P-प्रकार का अर्द्धचालक कहा जाता है।

प्रश्न 19.
What is Isotopes?
(आइसोटोप क्या है ?)
उत्तर:
एक ही तत्त्व के ऐसे परमाणु जिसके Atomic number समान परन्तु Atomic weight असमान हो तो उसे उस तत्त्व का Isotopes कहते हैं। अतः इसे किसी भी रासायनिक क्रिया द्वारा अलग करना संभव नहीं है। इन्हें विसरण द्वारा अलग किया जा सकता है।

हाइड्रोजन के तीन Isotopes हैं। परमाणु भार 1-2 तथा 3 हैं। इनमें से एक परमाणु-भार वाले को हाइड्रोजन, 2 परमाणु.भार वाले को deuterium या भारी हाइड्रोजन (Heavy hydrogen) D तथा 3 परमाणु भार वाले को ट्रिटियम (Tritium)T कहते हैं। इन्हें क्रमशः H1, H2,H3 से दिखलाते हैं। ऑक्सीजन के तीन Isotopes हैं जिनके परमाणु भार क्रमशः 16,17 तथा 18 हैं। क्लोरीन के दो Isotopes हैं जिनके परमाणु भार 35 और 37 है।

प्रश्न 20.
What do you understand by Nuclear fission and Nuclear fusion? (नाभिकीय विखंडन तथा नाभिकीय संलग्न से क्या समझते हैं?)
उत्तर:
नाभिकीय विखंडन – 1939 ई० में दो जर्मन वैज्ञानिक ओटोहान (Ottohaun) और स्ट्रासमैन (Starssman) ने एक नवीन खोज की। उन्होंने देखा कि जब यूरेनियम पर तीव्रगामी न्यूट्रॉन की बमबारी की जाती है तब यह दो खण्डों में टूट जाते हैं। ये खण्ड क्रमशः बेरियम (Br) तथा क्रिप्टन (Kr) है। इसके अलावा इसमें अन्य न्यूट्रॉन तथा बहुत अधिक ऊर्जा भी उत्पन्न होती है। इस घटना को “नाभिकीय विखण्डन” कहते हैं। इस घटना से उत्पन्न ऊर्जा को “नाभिकीय ऊर्जा” कहते हैं।
इसे निम्न समीकरण से दिखलाया जाता है।
Bihar Board 12th Physics Important Questions Short Answer Type Part 3 4
इस क्रिया में 3 न्यूट्रॉन प्राप्त होते हैं। ये तीनों फिर तीन यूरेनियम को विखंडित करते हैं जिसमें 9 न्यूट्रॉन, यूरेनियम के 9 परमाणु को विखंडित करते हैं। इस प्रकार एक Chain reaction प्राप्त होता है।

नाभिकीय संलग्न (Nuclear fusion)-जब हल्के तत्त्वों के दो नाभिक बहुत तेजी से एक-दूसरे से मिलते हैं तो इससे भारी नाभिक का निर्माण होता है। इसकी मात्र, हल्के तत्त्वों के नाभिकों से कुछ कम होता है। यह मात्र ऊर्जा के रूप में परिणत हो जाता है। यह Eeinstein के समीकरण E = mc2के अनुसार होता है। इस क्रिया को “नाभिकीय संलग्न” या ऊष्मा “नाभिकीय प्रतिक्रिया” कहते हैं।

बेथे (Bethe) के अनुसार यह क्रिया सूर्य पर बराबर दो तरह से होते रहते हैं।

  1. प्रोटॉन-2 चक्र द्वारा
  2. कार्बन-नाइट्रोजन चक्र द्वारा इस प्रकार Semi conductor, rectifier की तरह काम करता है।

प्रश्न 21.
What is Boolean Algebra?
(बूलियन बीजगणित क्या है ?)
उत्तर:
अंग्रेज गणितज्ञ “जार्ज बूलि” (Jarge Booli) ने सबसे पहले इस बीजगणित का व्यवहार किया। यह गणित की एक पद्धति है जो मौलिक नियमों (Fundamental laws) पर आधारित हैं। इससे अनेकों तरह के व्यंजक प्राप्त किये जा सकते हैं। इस बीजगणित के सिद्धान्त पर Computer के electronic circuit पर आधारित है। इसमें बूलियन ने सामान्य कहा तथा Logical statement में सभी प्रश्नों के उत्तर “हाँ” या “ना” अर्थात् “सत्य (Truth)” या गलत (False) में होते हैं। ऐसे उत्तर को “1” या “0” से निरूपित करते हैं।

बूलियन बीजगणित के तीन आधार हैं, जिसे “बूलियन ऑपरेटर (Boolean Operator)” कहते हैं।

  1. OR
  2. AND
  3. NOT

प्रश्न 22.
What is transistor? (ट्रांजिस्टर क्या है?)
उत्तर:
Transistor एक प्रकार का अर्द्धचालक साधन (Semi conductor device) है। इसका उपयोग एक amplifier तथा oscillator की तरह किया जा सकता है। यह आकार में छोटा, सस्ता तथा अधिक आयु (life) वाला होता है। यह Triode valve के स्थान पर प्रयोग किया जाता है।

प्रारम्भ में इसका आविष्कार John Bardeen और Walter ने किया था। फिर इसमें William Bradford ने सुधार किया। इसे Radio तथा टेलीविजन के receivers के रूप में प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 23.
Describe the properties of electro magnetic waves. (विद्युत चुम्बकीय तरंगों के गुण का वर्णन करें!)
उत्तर:
(i) विद्युत चुम्बकीय तरंगें त्वरित आवेश से उत्पन्न होता है।

(ii) इसका संचारण विद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों के परिवर्तित रूप में होता है। इसका क्षेत्र एक-दूसरे के लम्बवत् तथा तरंगों की दिशा में भी होता है। इस कारण से यह अनुप्रस्थ तरंग के रूप में चलता है।

(iii) विद्युत चुम्बकीय तरंगों को आगे पढ़ने के लिए किसी माध्यम की जरूरत नहीं पड़ती है।

(iv) विद्युत चुम्बकीय तरंगों तथा प्रकाश का वेग free space में समान होता है।

(v) Free space में विद्युत चुम्बकीय तरंगों का चाल होता है।
C = \(\frac{1}{\sqrt{\mu_{0} \epsilon_{0}}}\)
जहाँ μ0 तथा ∈0 निर्वात (vacum) की चुम्बकनशीलता तथा विद्युतशीलता है।
परन्तु किसी माध्यम से,
चाल C = \(\frac{1}{\sqrt{\mu \in}}\)
जहाँ μ तथा μ माध्यम की चुम्बकनशीलता तथा विद्युतशीलता है।

(vi) तरंगों के अध्यारोपण (Super position of waves) के सिद्धान्त पर विद्युत चुम्बकीय तरंग काम करता है।

प्रश्न 24.
Why sky waves are not used in the transmission of TV signal? (TV signal के संचारण में क्यों sky wave का उपयोग नहीं किया जाता है ?)
उत्तर:
40. Hz आवृत्ति के ऊपर के signal को ionosphere पृथ्वी पर परावर्तित करने में असमर्थ होता है। TV signal की आवृत्ति 100 से 200 MHz होती है। अत: Sky wave से इस आवृत्ति के signal का संचारण संभव नहीं हो पाता है।

प्रश्न 25.
Discuss the spectrum of electromagnetic radiation. (विद्युत चुम्बकीय विकिरण के वर्णपट का वर्णन करें।)
उत्तर:
तरंग लम्बाई या आवृत्ति के आधार पर विद्युत चुम्बकीय विकिरण के वितरण को “विद्युत चुम्बकीय वर्णपट” कहते हैं।

इसे निम्न श्रेणियों में बाँटा जाता है-
(i) Radio waves – इन तरंगों की तरंग लम्बाई कुछ किलोमीटर में 3.3 m तक होता है। इसकी आवृत्ति कुछ Hz से 109 Hz के बीच होता है। इन तरंगों का TV तथा रेडियो के प्रसारण में किया जाता है।

(ii) Micro waves – इन तरंगों की तरंग लम्बाई 0.3m से 10-3 m तक होता है। इसकी आवृत्ति 109 Hz से 3 × 1011 Hz के बीच होता है। इसका उपयोग Radar तथा Communication प्रणाली में किया जाता है।

(iii) Infrared spectrum – इसकी तरंग लम्बाई 10-3 m आवृत्ति 3 × 1011 Hz से 4 × 104 Hz के बीच होता है। इसका उपयोग उद्योग, दवा इत्यादि में किया जाता है।

(iv) Optical spectrum – इसकी तरंग लम्बाई 7.8 × 10-7 m से 3.8 × 10-7m तक होता है। इसकी आवृत्ति 4 × 104 Hz से 8 × 1014 Hz के बीच होता है। प्रकाश में इसका बहुत उपयोग किया जाता है।

(v) Ultra violet rays – इसकी तरंग लम्बाई 3.8 × 10-7 m से 6 × 10-10 m के बीच होती है। इसकी आवृत्ति 8 × 1014 Hz से 5 × 1019 Hz के बीच होता है। इसका उपयोग दवा तथा Sterilisation processes में किया जाता है।

(vi) x-rays – इसकी तरंग लम्बाई 10-9m से 6 × 1012 m के बीच होती है। इसकी आवृत्ति 3 × 1017Hz से 5 × 1019 Hz के बीच होता है। इसका उपयोग शरीर के अन्दर टूटी हड्डी, कोई रोग का पता लगाने में किया जाता है। Cancer में दवा के रूप तथा tissue को नष्ट करने के काम में आता है।

(vii) Gamma rays – इसकी तरंग लम्बाई 10-10 m से 1014 m तक होता है। इसकी आवृत्ति 3 × 1018 Hz से 3 × 1022 Hz के बीच होता है।

प्रश्न 26.
दशमलव (Decimal) संख्या को द्विआधारी (Binary) संख्या में बदलें।
(a) (25)10 को बदलना- 25 = 12 × 2 + 1
12 = 6 × 2 +0
6 = 3 × 2 +0
3 = 1 × 2 + 1
1= 0 × 2 + 1
∴ (25)10 = (11001)2

(b) भिन्न (fraction) अर्थात् (0.8125)10 को बदलना-
0.8125 × 2 = 1.6250.
0.6250 × 2 = 1.2500
0.2500 × 2 = 0.5000
0.5000 × 2 = 1.0000 ∴ (0.8125)10 = (0.1101)2
(a) तथा (b) को एक साथ मिलाने पर,
(25.8125)10 = (11001.1101)2