Bihar Board Class 10 Social Science Solutions Economics अर्थशास्त्र : हमारी अर्थव्यवस्था भाग 2 Chapter 2 राज्य एवं राष्ट्र की आय Text Book Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 10 Social Science Economics Solutions Chapter 2 राज्य एवं राष्ट्र की आय

Bihar Board Class 10 Economics राज्य एवं राष्ट्र की आय Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

I. सही विकल्प चुनें।

राज्य एवं राष्ट्र की आय Bihar Board प्रश्न 1.
सन् 2008-09 के अनुसार भारत की औसत प्रति व्यक्ति आय है
(क) 22,553 रुपये
(ख) 25,494 रुपये
(ग) 6,610 रुपये
(घ) 54,850 रुपये
उत्तर-
(ख) 25,494 रुपये

Bihar Board Solution Class 10 Social Science प्रश्न 2.
भारत में वित्तीय वर्ष कहा जाता है-
(क) 1 जनवरी से 31 दिसम्बर तक
(ख) 1 जुलाई से 30 जून तक।
(ग) 21 अप्रैल से 31 मार्च तक
(घ) 1 दिसम्बर से 31 अगस्त तक
उत्तर-
(ग) 21 अप्रैल से 31 मार्च तक

Bihar Board Class 10 History Notes In Hindi प्रश्न 3.
भारत में किस राज्य का प्रति व्यक्ति आय सर्वाधिक है ?
(क) बिहार
(ख) पंजाब
(ग) हरियाणा
(घ) गोवा
उत्तर-
(घ) गोवा

Bihar Board Class 10 Geography Solutions प्रश्न 4.
बिहार के किस जिले का प्रति-व्यक्ति आय सर्वाधिक है ?
(क) पटना
(ख) गया
(ग) शिवहर
(घ) नालंदा
उत्तर-
(क) पटना

राष्ट्र राज्य क्या है Class 10 Bihar Board प्रश्न 5.
उत्पादन एवं आय गणना विधि आर्थिक दृष्टिकोण से है
(क) सहज
(ख) वैज्ञानिक
(ग) व्यावहारिक
(घ) उपर्युक्त तीनों
उत्तर-
(घ) उपर्युक्त तीनों

II. रिक्त स्थानों को भरें:

Bihar Board Class 10 Economics Solution प्रश्न 1.
बिहार की………………..प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करती है।
उत्तर-
41.4

Bihar Board Class 10 Economics प्रश्न 2.
उत्पादन, आय एवं…………..एक चक्रीय समूह का निर्माण करते हैं।
उत्तर-
व्यय

Bihar Board Class 10 Social Science Solution प्रश्न 3.
राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने से प्रति-व्यक्ति आय में………… होती है।
उत्तर-
वद्धि

Bihar Board Class 10th Social Science Solution प्रश्न 4.
राष्ट्रीय आय एवं प्रति-व्यक्ति आय में वृद्धि होने से………….”की क्रिया पूरी होती है।
उत्तर-
विकास

Bihar Board Class 10 Sst Solution प्रश्न 5.
बिहार में वर्ष 2008-09 के बीच कुल घरेलू उत्पाद……………प्रतिशत हो गया।
उत्तर-
11.03

III. सही एवं गलत कथन की पहचान करें।

1. राष्ट्रीय आय एक दिन हुए समय का किसी अर्थव्यवस्था की उत्पादन शक्ति को मापती है।
2. उत्पादन आय एवं व्यय एक चक्रीय समूह का निर्माण नहीं करती है।
3. भारत की प्रति-व्यक्ति आय अमेरिका के प्रति व्यक्ति आय से अधिक है।
4. दादा भाई नैरोजी के अनुसार सन् 1968 में भारत की प्रति-व्यक्ति आय 20 रुपये थी।
5. बिहार के प्रति व्यक्ति आय में कृषि क्षेत्र का योगदान सर्वाधिक है।
उत्तर-
1. सही,
2. गलत,
3. गलत,
4. सही,
5. सही।

IV. संक्षिप्त रूप को पूरा करें।

(i)G.D.P.
उत्तर-
Gross Domestic Product

(ii)P.C.L.
उत्तर-
Per capita Income.

(iii) N.S.S.o.
उतर-
National Sample Survey Organisation.

(iV) C.S.O.
उत्तर-
Central Statistical Organisation.

(v) G.N.P.
उत्तर-
Gross National Product

(vi) N.N.P.
उत्तर-
Net National Product.

(vii) N.I
उत्तर-
National Income.

(viii) E.D.I.
उत्तर-
Economic Development of India.

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

Class 10 Economics Chapter 2 Solutions प्रश्न 1.
आय से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
जब कोई व्यक्ति किसी प्रकार का शारीरिक अथवा मानसिक कार्य करता है और उस व्यक्ति को उसके कार्यों के बदले जो पारिश्रमिक मिलता है उसे उस व्यक्ति की आय कहते हैं।

Bihar Board 10th Social Science Solution प्रश्न 2.
सकल घरेलू उत्पाद से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
एक देश की सीमा के अन्दर किसी भी दी गई समयावधि, प्रायः एक वर्ष में उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं का कुल बाजार या मौद्रिक मूल्य, उस देश का सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है।

Bihar Board Class 10 Social Science प्रश्न 3.
प्रतिव्यक्ति आय क्या है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय में देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है उसे प्रति व्यक्ति आय कहते हैं।
प्रति व्यक्ति आय का आंकलन निम्न फार्मूले द्वारा किया जाता है।
Bihar Board Class 10 Economics Solutions Chapter 2 राज्य एवं राष्ट्र की आय - 1

Bihar Board Class 10 Social Science Notes प्रश्न 4.
भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय की गणना कब और किनके द्वारा की गई थी?
उत्तर-
भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय 1868 ई. में दादा भाई नौरोजी द्वारा की गई थी।

प्रश्न 5.
भारत में राष्ट्रीय आय की गणना किस संस्था के द्वारा होती है ?
उत्तर-
भारत में राष्ट्रीय आय की गणना केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन (Central Statistical Organisation) द्वारा होती है।

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय आय की गणना में होनेवाली कठिनाइयों का वर्णन करें।
उत्तर-
राष्ट्रीय आय की गणना में निम्नलिखित कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं (i) आंकड़ों को एकत्र करने में कठिनाई (Difficulty in collecting data) (ii) दोहरी गणना की सम्भावना (Possibilities of double counting) (iii) मूल्य के मापने में कठिनाई (Difficulty in measuring the value)

प्रश्न 7.
आय का गरीबी के साथ संबंध स्थापित करें।
उत्तर-
गरीबी का प्रति व्यक्ति आय पर प्रभाव पड़ता है। गरीबी के कारण बचत का स्तर निम्न होता है। कम बचत के कारण पूँजी निर्माण दर कम होती है, जिससे विनियोग भी कम होता है जिसकी परिणाम स्वरूप प्रति व्यक्ति आय पुनः निम्न स्तर कर कायम रहती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत सरकार ने कब और किस उद्देश्य से राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया ?
उत्तर-
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत सरकार ने अगस्त 1949 ई. में प्रो. पी. सी. महालनोबिस (P.C. Mahalanobise) की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया था; जिसका उद्देश्य भारत की राष्ट्रीय आय के संबंध में अनुमान लगाना था। इस समिति ने अप्रैल
1951 में अपनी प्रथम रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। इसमें सन् 1948-49 के लिए देश की कुल राष्ट्रीय आय 8,650 करोड़ रुपये बताई गई तथा प्रति व्यक्ति आय 246.9 रुपये बताई गई। सन् 1954 के बाद राष्ट्रीय आय के आँकड़ों का संकलन करने के लिए सरकार ने केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन (Central Satatistical Organisation) की स्थापना की। यह संस्था नियमित रूप से राष्ट्रीय आय के आँकड़े प्रकाशित करती है। राष्ट्रीय आय के सृजन में अर्थव्यवस्था के तीनों क्षेत्रों का विशेष योगदान होता है।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय आय की परिभाषा दें। इसकी गणना की प्रमुख विधि कौन-कौन सी है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय का मतलब किसी देश में एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं के कुल मूल्य से लगाया जाता है। दूसरे शब्दों में वर्ष भर में किसी देश में अर्जित आय की कुल मात्रा को राष्ट्रीय आय (National Income) कहा जाता है।
राष्ट्रीय आय को स्पष्ट करने के लिए कुछ प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों की परिभाषा निम्नलिखित है

प्रो. अलफ्रेड मार्शल के अनुसार “किसी देश की श्रम एवं पूंजी का उसके प्राकृतिक साधनों पर प्रयोग करने से प्रतिवर्ष भौतिक तथा अभौतिक वस्तुओं पर विभिन्न प्रकार की सेवाओं का जो शुद्ध समूह उत्पन्न होता है। उसे राष्ट्रीय आय कहते हैं। प्रो. पीगू के शब्दों में “राष्ट्रीय लाभांश किसी समाज की वस्तुनिष्ठ अथवा भौतिक आय वह भाग है, जिसमें विदेशों से प्राप्त आय भी सम्मिलित होती है और जिसकी मुद्रा के रूप में माप हो सकती है।”

एक अन्य प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो. फिशर ने राष्ट्रीय आय की परिभाषा देते हुए कहा है कि “वास्तविक राष्ट्रीय आय वार्षिक शुद्ध उत्पादन का वह भाग है, जिसका उस वर्ष के अन्तर्गत प्रत्यक्ष रूप से उपयोग किया जाता है।”

राष्ट्रीय आय की गणना की प्रमुख विधि-राष्ट्रीय आय की गणना अनेक प्रकार से की जाती है। चूंकि राष्ट्र के व्यक्तियों की आय उत्पादन के माध्यम से अथवा मौद्रिक आयं के माध्यम से प्राप्त होती है। इसलिए इसकी गणना जब उत्पादन के योग के द्वारा किया जाता है तो उसे उत्पादन गणना विधि कहते हैं। जब राष्ट्रों के व्यक्तियों की आय के आधार पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है तो उस गणना विधि को आय गणना विधि कहा जाता है। प्राप्त की गई आय व्यक्ति के अपने उपभोग के लिए व्यय के माप से किया जाता है, राष्ट्रीय आय की मापने की इस क्रिया को व्यय गणना विधि कहते हैं। हम देखते हैं कि उत्पादित की हुई वस्तुओं का मूल्य विभिन्न परिस्थितियों में व्यक्तियों के द्वारा किए गए प्रयोग से बढ़ जाता है, ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय ‘आय की गणना को मूल्य योग विधि कहते हैं। अंत में व्यावहारिक संरचना के आधार पर राष्ट्रीय आय की गणना की जाती है। व्यावसायिक आधार पर की गई गणना को व्यावसायिक गणना विधि कहते हैं।

प्रश्न 3.
प्रति-व्यक्ति आय और राष्ट्रीय आय में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर-
प्रति व्यक्ति आय और राष्ट्रीय आय में अंतर निम्नलिखित है-
राष्ट्रीय आय में देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है उसे प्रति-क्ति आय कहते हैं। जबकि राष्ट्रीय आय का मतलब किसी देश में एक वर्ष में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं के कुल मूल्य से लगाया जाता है। दूसरे शब्दों में वर्ष भर में किसी देश में अर्जित आय की कुल मात्रा को राष्ट्रीय आय कहा जाता है।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय आय में वृद्धि भारतीय विकास के लिए किस तरह से लाभप्रद है ? वर्णन करें।
उत्तर-
किसी भी राष्ट्र की आर्थिक स्थिति के आंकलन का सर्वाधिक विश्वसनीय मापदण्ड है। राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने से ही प्रति-व्यक्ति आय में वृद्धि होती है। भारत के विकास के लिए जो प्रयास किए जाते हैं वह उस राष्ट्र की सीमा क्षेत्र के अन्दर रहनेवाले लोगों की उत्पादकता अथवा उनकी आय को बढ़ाने के माध्यम से की जाती है। वर्तमान युग में प्रत्येक देश अपने-अपने तरीके से विकास की योजना बनाता है, जिसका लक्ष्य राष्ट्र के उत्पादक साधनों की क्षमता को – बढ़ाकर अधिक आय प्राप्त करना होता है। इसी तरह शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में पूँजी विनियोग के द्वारा रोजगार का सृजन किया जाता है, जिससे लोगों को आय में वृद्धि होती है।

आर्थिक विकास करने के लिए मुख्य रूप से उत्पादन तथा आय में वृद्धि की जाती है। वस्तुओं का अधिक उत्पादन तथा व्यक्तियों की आय अधिकतम होने पर ही हम राष्ट्र में उच्चतम आर्थिक विकास की स्थिति पा सकते हैं। अतः हम यह कह सकते हैं कि राष्ट्रीय आय और प्रतिव्यक्ति आय ही राष्ट्र के आर्थिक विकास का. सही मापदण्ड है। बिना उत्पाद को बढ़ाए लोगों की आय  में वृद्धि नहीं हो सकती है और न ही आर्थिक विकास हो सकता है।

वास्तव में राष्ट्रीय आय में वृद्धि से भारत का समुचित विकास होगा। साथ ही हम विकसित देश की श्रेणी में आ सकेंगे।

प्रश्न 5.
विकास में प्रति-व्यक्ति आय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें
उत्तर-
किसी भी राष्ट्र की सम्पन्नता एवं विपन्नता वहाँ के लोगों की प्रति-व्यक्ति आय से  भी जानी जाती है। यदि प्रति-व्यक्ति आय निम्न होगी तो राष्ट्र विपन्न होगा जबकि प्रति-व्यक्ति आय अधिक होगी तो राष्ट्र सम्पन्न होगा। प्रति-व्यक्ति आय के समग्र रूप को ही राष्ट्रीय आय कहा जाता है। प्रति-व्यक्ति आय में बढ़ोतरी होने से उत्पादन की मांग में बढ़ोत्तरी होगी। इस मांग को पूरा करने के लिए उत्पाद का अधिकतम उत्पादन करना होगा जिससे आर्थिक विकास की प्रक्रिया तेज होगी, रोजगार के अवसर बढ़े रहेंगे, पूंजी का विनियोग होगा एवं बेहतर शिक्षा लोग पा सकेंगे जिसके कारण राष्ट्र आर्थिक प्रगति की ओर बढ़ेगा। बिना उत्पाद को बढ़ाए प्रति-व्यक्ति आय में वृद्धि नहीं हो सकती। हर हाल में प्रति व्यक्ति आय को उच्च रखना होगा। फलतः उपरोक्त कथन के अनुसार कह सकते हैं कि आर्थिक विकास में प्रति व्यक्ति आय अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

प्रश्न 6.
क्या प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि राष्ट्रीय आय को प्रभावित करती है ? वर्णन करें।
उत्तर-
प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि से राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है क्योंकि प्रति-व्यक्ति आय संयुक्त रूप से सभी व्यक्तियों की आय के योग को राष्ट्रीय आय कहा जाता है।

राष्ट्रीय आय एवं प्रति व्यक्ति आय में परिवर्तन होने से इसका प्रभाव लोगों के जीवन स्तर पर पड़ता है। राष्ट्रीय आय वास्तव में देश के अंदर पूरे वर्ष भर में उत्पादित शुद्ध उत्पत्ति को कहते हैं। लेकिन उत्पत्ति में वृद्धि तभी होगी जब उत्पादन में अधिक श्रमिकों को लगाया जाए। इस प्रकार जैसे-जैसे बेरोजगार लोगों को अधिक रोजगार मिलेगा, श्रमिकों का वेतन बढ़ेगा, उनकी आय बढ़ेगी तथा उनका जीवन स्तर पूर्व की अपेक्षा बेहतर होगा। इस प्रकार प्रति-व्यक्ति आय में वृद्धि होने से व्यक्तियों का विकास संभव हो सकेगा। यदि इस प्रकार राष्ट्रीय आय के सूचकांक में वृद्धि होती है तो इससे लोगों के आर्थिक विकास में अवश्य ही वृद्धि होगी।

वास्तव में संयुक्त रूप से सभी व्यक्ति की आय के योग को राष्ट्रीय आय कहते हैं तथा प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि होने से राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है। प्रति-व्यक्ति आय में वृद्धि होने में से समाज के आर्थिक विकास में वृद्धि होती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि प्रति-व्यक्ति आय ‘ में वृद्धि राष्ट्रीय आय को प्रभावित करती है।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
छात्र चार्ट के माध्यम से अपने परिवार के आय के स्रोतों का वर्णन करें।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
कक्षा के छात्रों को दो समूहों में विभाजित करते हुए राष्ट्रीय आय एवं प्रति-व्यक्ति आय के बारे में अपनी कक्षा में एक वाद-विवाद आयोजित करें।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
छात्र अपने-अपने परिवार की कुल मासिक आय एवं उस आय पर आश्रितों (परिवार के कुल सदस्यों) पर होने वाले खर्चों की एक सारणी बनाएँ।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।

Bihar Board Class 10 Economics राज्य एवं राष्ट्र की आय Additional Important Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
बिहार की आय में सर्वाधिक योगदान किसका होता है ?
(क) कृषि क्षेत्र
(ख) औद्योगिक क्षेत्र
(ग) सेवा क्षेत्र
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर-
(ग) सेवा क्षेत्र

प्रश्न 2.
बिहार की अर्थव्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्र का मुख्य अंग है।
(क) विनिर्माण
(ख) कृषि
(ग) परिवहन
(घ) व्यापार
उत्तर-
(ख) कृषि

प्रश्न 3.
राष्ट्रीय आय का अर्थ है
(क) सरकार की आय
(ख) पारिवारिक आय
(ग) सार्वजनिक उपक्रमों की आय
(घ) उत्पादन के साधनों की आय
उत्तर-
(घ) उत्पादन के साधनों की आय

प्रश्न 4.
भारत में वित्तीय वर्ष कहा जाता है ?
(क) 1 जनवरी, से 31 दिसम्बर, तक
(ख) 1 जुलाई, से 30 जून, तक
(ग) 1 अप्रैल, से 31 मार्च तक
(घ) 1 सितम्बर, से 31 अगस्त तक
उत्तर-
(ग) 1 अप्रैल, से 31 मार्च तक

प्रश्न 5.
“वास्तविक राष्ट्रीय आय वार्षिक शुद्ध उत्पादन का वह भाग है जिसका उस वर्ष में प्रत्यक्ष रूप से उपभोग किया जाता है।”-राष्ट्रीय आय की यह परिभाषा किसने दी है?
(क) मार्शल ने
(ख) फिशर ने
(ग) पीगू ने
(घ) इनमें कोई नहीं
उत्तर-
(ख) फिशर ने

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
देश के मानक को कौन-सी संस्था निर्धारित करती है ?
उत्तर-
डायरेक्टोरेट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड स्टेटिस्टिक्स।

प्रश्न 2.
शरत की प्रतिव्यक्ति आय अमेरिकी प्रतिव्यक्ति आय का कौन-सा हिस्सा है ?
उत्तर-
1/48 वाँ।

प्रश्न 3.
बिहार राज्य के घरेलु उत्पाद में किस क्षेत्र का सर्वाधिक योगदान होता है ?
उत्तर-
तृतीयक अथवा सेवा क्षेत्र का।

प्रश्न 4.
बिहार राज्य की वर्तमान विकास दर क्या है ?
उत्तर-
प्रतिशत।

प्रश्न 5.
राष्ट्रीय आय क्या है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय किसी देश के अंदर एक निश्चित अवधि में उत्पादित समस्त वस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है। जिसमें विदेशों से प्राप्त होनेवाली आय भी सम्मिलित है।

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय आय का सृजन किस प्रकार होता है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय का सृजन अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की उत्पादन प्रक्रिया के अंतर्गत होती है।

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय आय को साधन लागत पर राष्ट्रीय आय क्यों कहते हैं ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय का उत्पादन के साधनों पर वितरण होने के कारण इसे साधन लागत पर राष्ट्रीय आय कहा जाता है।

प्रश्न 8.
भारत में राष्ट्रीय आय की गणना किस संस्था द्वारा की जाती है ?
उत्तर-
राष्ट्रीय आय की गणना केंद्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा की जाती है।

प्रश्न 9.
प्रतिव्यक्ति आय से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर
किसी देश की कुल आय में कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है वह उस देश की औसत या प्रतिव्यक्ति आय कहलाती है।

प्रश्न 10.
बिहार की प्रतिव्यक्ति आय कम होने के क्या कारण है ?
उत्तर-
जनसंख्या वृद्धि, आंचलिक विषमता तथा कमजोर प्रशासन बिहार की प्रतिव्यक्ति आय कम होने के कारण है।

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
राज्य घरेलु उत्पाद से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
एक लेखा वर्ष में राज्य में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं को जो बाजार मूल्य
के बराबर होता है राज्य घरेलु उत्पाद कहे जातवे हैं। इसमें राज्य के विभिन्न क्षेत्रों, कृषि, पशुपालन, उद्योग आदि के द्वारा कुल उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य सम्मिलित रहता है।

प्रश्न 2.
सकल राज्य घरेलू उत्पाद और शुद्ध राज्य घरेलु उत्पाद में अंतर कीजिए।
उत्तर-
सकल राज्य घरेलु उत्पाद राज्य की सीमाओं के अंदर एक लेखा वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है। इसमें सभी क्षेत्रों द्वारा, उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य सम्मिलित रहता है। ” शुद्ध राज्य घरेलु उत्पाद सकल राज्य घरेलु उत्पाद में से व्यय के मदों को घटाने के बाद प्राप्त किया जाता है। इसपर राज्य का प्रतिव्यक्ति आय तथा उनका जीवन स्तर निर्भर करता है।

प्रश्न 3.
हम स्थिर मूल्यों पर भी राज्य घरेलु उत्पाद का आकलन क्यों करते हैं?
उत्तर-
किसी राज्य के वास्तविक उत्पादन में बढ़ोतरी या कमी हुई है यह ज्ञात करने के लिए हम स्थिर मूल्यों पर राज्य घरेलु उत्पाद का आकलन करते हैं। स्थिर मूल्यों पर तुलना से राज्य के आर्थिक विकास एवं प्रगति की सही जानकारी मिलती है।

प्रश्न 4.
कुल घरेलु उत्पाद क्या है ?
उत्तर-
किसी देश की भौगोलिक सीमाओं के अंदर एक लेखा वर्ष में उत्पादित. अंतिम वस्तुओं
और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य कुल घरेलु उत्पाद है। यह धारणा बंद अर्थव्यवस्था से संबद्ध है।
इसमें कुल घरेलु उत्पादन और कुल राष्ट्रीय उत्पादन दोनों एक दूसरे के बराबर होते हैं।

प्रश्न 5.
कुल राष्ट्रीय उत्पादन तथा शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन में अंतर कीजिए।
उत्तर-
किसी भी देश में एक वर्ष के अंतर्गत जिन वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन तथा विनिमय होता है उनके बाजार मूल्य को कुल राष्ट्रीय उत्पादन कहते हैं। कुल राष्ट्रीय उत्पादन में चालू वर्ष में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य ही शामिल रहता है।
परंतु शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन में घिसावट आदि का खर्च निकाल देने के बाद जो कुल राष्ट्रीय उत्पादन में शेष बचता है, वह शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन है। शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन को बाजार मूल्य के रूप में राष्ट्रीय आय भी कहते हैं।

प्रश्न 6.
भारत की राष्ट्रीय आय का अनुमान बताइए। क्या योजना-काल में हमारी राष्ट्रीय आय में वृद्धि हुई है ?
उत्तर-
सर्वप्रथम दादाभाई नौरोजी ने 1868 में भारत की राष्ट्रीय आय 340 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया था। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सरकार ने राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाने के लिए 1949 में प्रो० पी० सी० महालनोविस की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय आय समिति नियुक्त किया। 1951-52 से केंद्रीय सांख्यिकी संगठन नियमित रूप से राष्ट्रीय आय और उससे संबंधित तथ्यों का अनुमान लगाती है।
योजनाकाल में भारत की राष्ट्रीय आय में सामान्यता वृद्धि हुई है। 1951 से 2003 के बीच राष्ट्रीय आय एवं कुल उत्पादन में 8 गुणा से भी अधिक वृद्धि हुई है।

प्रश्न 7.
राष्ट्रीय आय क्या है तथा इसका सृजन किस प्रकार होता है ?
उत्तर-
यदि किसी देश के प्राकृतिक साधनों पर श्रम और पूँजी लगाकर उनका उपयोग किया जाता है तो उससे प्रत्येक वर्श एक निश्चित मात्रा में वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है। सरल शब्दों में, यह देश की राष्ट्रीय आय है। इस प्रकार, राष्ट्रीय आय एक निश्चित अवधि में देश के कुल उत्पादन का मौद्रिक मूल्य है तथा वस्तुओं और सेवाओं की उत्पादन प्रक्रिया में ही इसका सृजन होता है। आय एक प्रवाह.है तथा कुल उत्पादन का प्रवाह ही कुल राष्ट्रीय आय का प्रवाह उत्पन्न करता है। अतः, कुल राष्ट्रीय आय और कुल राष्ट्रीय उत्पादन दोनों एक-दूसरे के बराबर होते हैं।

प्रश्न 8.
प्रतिव्यक्ति आय क्या है ? प्रतिव्यक्ति आय और राष्टीय आय में क्या संबंध है?
उत्तर-
प्रतिव्यक्ति आय किसी देश के नागरिकों की औसत आय है। कुल राष्ट्रीय आय में .
कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो भागफल आता है उसे प्रतिव्यक्ति आय कहते हैं। इस प्रकार, प्रतिव्यक्ति आय की धारणा राष्ट्रीय आय से जुड़ी हुई है। राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने पर प्रतिव्यक्ति आय में भी वृद्धि होती है। लेकिन, राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने पर प्रतिव्यक्ति आय में प्रत्येक अवस्था में वृद्धि नहीं होगी। यदि आय में होनेवाली वृद्धि के साथ ही किसी देश की जनसंख्या भी उसी अनुपात में बढ़ जाती है तो प्रतिव्यक्ति आय नहीं बढ़ेगी और लोगों के जीवन स्तर में कोई सुधार नहीं होगा। इसी प्रकार, यदि राष्ट्रीय आय की तुलना में जनसंख्या की वृद्धि-दर अधिक है तो प्रतिव्यक्ति आय घट जाएगी।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय आय के मापन में आनेवाली विभिन्न कठिनाईयों का वर्णन करें। उत्तर- राष्ट्रीय आय को मापने में निम्नलिखित कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं-

  • पर्याप्त एवं विश्वस्त आंकड़ों की कमी-राष्ट्रीय आय की गणना की अच्छी से अच्छी प्रणाली भी अपनाने पर पर्याप्त एवं विश्वसनीय आँकड़ों की कमी रहती है। पिछड़े देशों की अर्थव्यवस्था के साथ.यह समस्या अधिक है।
  • दोहरी गणना की संभावना_राष्ट्रीय आय की गणना करते समय कई बार एक ही आय को दुबारा दूसरे के आय में गिन लिया जाता है। उदाहरण के लिए एक व्यापारी और उसके कर्मचारी की आय को अलग-अलग जोड़ना दोहरी गणना की संभावना हा
  • मौद्रिक विनिमय प्रणाली का अभाव किसी अर्थव्यवस्था में उत्पादित बहुत-सी वस्तुओं का मुद्रा के द्वारा विनिमय नहीं होता हैं। उत्पादक कुछ वस्तुओं का स्वयं उपभोग कर लेते हैं। या उनका अन्य वस्तुओं से दूसरे उत्पादक से अदल-बदल कर लेते हैं। इस प्रकार ऐसी वस्तुओं का मूल्यांकन किस प्रकार किया जाए यह समस्या राष्ट्रीय आय को मापने में आती है।

प्रश्न 2.
कुल राष्ट्रीय आय की धारणा कुल राष्ट्रीय उत्पादन की धारणा पर आधारित है। व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
कुल राष्ट्रीय उत्पादन एक वर्ष के अंतर्गत जिन वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन होता है उनके मौद्रिक मूल्य को कहते हैं। कुल राष्ट्रीय उत्पादन में केवल चालू वर्ष में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य ही शामिल रहता है।
कुल राष्ट्रीय आय की धारणा कुल राष्ट्रीय उत्पादन की धारणा, पर आधारित है। क्योंकि हम जानते हैं कि अर्थव्यवस्था में उत्पादन प्रवाह के द्वारा आय के प्रवाह का निर्माण होता है। कुल राष्ट्रीय उत्पादन का प्रवाह ही कुल राष्ट्रीय आय का प्रवाह उत्पन्न करता है।
इसलिए उत्पादन के साधनों द्वारा अर्जित आय राष्ट्रीय उत्पादन की सृष्टि करते हैं जो कुल राष्ट्रीय आय के बराबर होता है। इस प्रकार, कुल राष्ट्रीय आय और कुल राष्ट्रीय उत्पादन दोनों समान होते हैं। तथा इनमें कोई मौलिक अंतर नहीं है।
इस तरह कुल राष्ट्रीय की धारणा कुल राष्ट्रीय उत्पादन की धारणा पर आधारित है।

प्रश्न 3.
किसी देश के आर्थिक विकास में राजकीय, राष्ट्रीय एवं प्रतिव्यक्ति आय का क्या योगदान होता है?
उत्तर-
राजकीय आय का अभिप्राय राज्य अथवा सरकार को प्राप्त होनेवाली समस्त आय से है। आधुनिक सरकारों का उद्देश्य देश में लोककल्याणकारी कार्यों को कर आर्थिक विकास करना है। स्पष्ट है कि राजकीय आय अधिक होने पर ही सरकार विकास कार्यों में अधिक योगदान कर सकती है। अर्द्धविकसित एवं विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में सरकार के सहयोग से ही सुदृढ़ आर्थिक संरचना का निर्माण किया जा सकता है।

आर्थिक विकास का राष्ट्रीय आय से घनिष्ठ संबंध है। देश के आर्थिक विकास के लिए राष्ट्रीय आय में वृद्धि आवश्यक है। सामान्यता राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने पर देशवासियों की प्रतिव्यक्ति आय भी बढ़ती है। इस प्रकार राष्ट्रीय एवं प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि होने पर देशवासियों के जीवन स्तर में सुधार होता है जो देश के आर्थिक विकास का सूचक है।

इस प्रकार किसी भी देश के आर्थिक विकास में राजकीय, राष्ट्रीय एवं प्रतिव्यक्ति आय का महत्वपूर्ण योगदान होता है। ये तीनों ही हमारे आर्थिक जीवन रहन-सहन के स्तर और विकास को प्रभावित करते हैं।

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
आधुनिक समय में राष्ट्रीय आय की धारणा को प्रायः उत्पादन के साधनों की आय के रूप में व्यक्त किया जाता है तथा इसकी उत्पत्ति अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की उत्पादन प्रक्रिया में होती है।

राष्ट्रीय आय की अवधारणा का स्पष्ट ज्ञान प्राप्त करने के लिए अर्थव्यवस्था में आय के चक्रीय प्रवाह को समझना अत्यंत आवश्यक है। आय एक प्रवाह है तथा इसका सृजन उत्पादक क्रियाओं द्वारा होता है। यद्यपि सभी प्रकार की आर्थिक क्रियाओं का अंतिम उद्देश्य उपभोग द्वारा मानवीय आवश्यकताओं की संतुष्टि है, लेकिन उत्पादन के बिना उपभोग संभव नहीं होगा। वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन, उत्पादन के चार साधनों-भूमि, श्रम, पूँजी एवं उद्यम के सहयोग से होता है। उत्पादन के ये साधन एक निश्चित अवधि में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करते हैं। यह उत्पादन प्रक्रिया का एक पक्ष है।

परंतु, इसका एक दूसरा महत्त्वपूर्ण पक्ष भी है जिसका संबंध उत्पादन के उन साधनों की आय या पारिश्रमिक से है जिन्होंने इन वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन किया है। इस प्रकार, उत्पादन प्रक्रिया के द्वारा अर्थव्यवस्था में जहाँ एक ओर वस्तुओं और सेवाओं का निरंतर एक प्रवाह जारी रहता है वहाँ एक दूसरा प्रवाह उत्पादन के साधनों की आय के रूप में होता है। यदि हम किसी देश की अर्थव्यवस्था को उत्पादक उद्योगों एवं उपभोक्ता परिवारों के दो क्षेत्र में विभक्त कर दें तो हम देखेंगे कि इनके बीच उत्पादन, आय एवं व्यय का निरंतर एक प्रवाह चल रहा है। उत्पादक या उद्यमी वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। इसके लिए उन्हें उत्पादन के साधनों की सेवाओं की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, उत्पादन के क्रम में साधनों की आय का सर्जन होता है। उत्पादक उत्पादन के साधनों को उत्पादन क्रिया में भाग लेने के लिए उन्हें जो भुगतान करता है वह उनकी आय कहलाती है।

परंतु, किसी भी उत्पादक को उत्पादन के साधनों के पारिश्रमिक का भुगतान करने के लिए आवश्यक साधन कहाँ से प्राप्त होते हैं ? वह अपनी उत्पादित वस्तुओं को उपभोक्ता परिवारों के हाथ बेचता है जिससे उसे आय प्राप्त होती है। इसी आय से वह इन साधनों का पारिश्रमिक चुकाता है। विभिन्न उपभोक्ता परिवार ही उत्पादन के साधनों के स्वामी होते हैं तथा उत्पादन के साधन के रूप में उनहें लगान, मजदूरी, ब्याज एवं लाभ प्राप्त होता है। यह उनकी आय होती है। इस – आय को वे पुनः वस्तुओं और सेवाओं पर खर्च करते हैं। इस प्रकार, हम देखते हैं कि अर्थव्यवस्था में उत्पादकों से साधन आय के रूप में आय का चक्रीय प्रवाह उपभोक्ता परिवारों के पास पहुँचता है और पुनः इन परिवारों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं पर किए जानेवाले व्यय के माध्यम से उत्पादकों के पास आ जाता है। आय का यह प्रवाह निरंतर जारी रहता है तथा इसे आय का चक्रीय प्रवाह (circular flow of income) कहते हैं।

Bihar Board Class 10 Economics राज्य एवं राष्ट्र की आय Notes

  • किसी देश या राज्य की आय का मुख्य स्रोत उसकी उत्पादक क्रियाएँ होती है।
  • बिहार राज्य की आय पूरे देश में सबसे कम है।
  • भारत के सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में चंडीगढ का प्रतिव्यक्ति आय सर्वाधिक है।
  • किसी राज्य में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य एक लेखा वर्ष में राज्य घरेलु उत्पाद कहलाता है। .
  • विगत वर्षों के अन्तर्गत कृषि क्षेत्र में बिहार में गिरावट आई है।
  • वर्तमान में बिहार के राज्य घरेलु उत्पाद में तृतीयक अथवा सेवा क्षेत्र का अंशदान, सर्वाधिक अधिक है।
  • वर्तमान समय में राष्ट्रीय आय को प्रायः साधन आय के योग के रूप में व्यक्त किया जाता है।
  • किसी देश का कुल घरेलु उत्पाद उस देश की भौगोलिक सीमाओं के अंदर एक लेखा वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है।
  •  देश में एक लेखा वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य कुल राष्ट्रीय उत्पादन है।
  • कुल राष्ट्रीय उत्पादन में से घिसावट आदि का खर्च निकाल देने के बाद जो शेष बचता है, वह शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन है।
  • कुल राष्ट्रीय आय और कुल राष्ट्रीय उत्पादन दोनों समान होते हैं।
  • सर्वप्रथम दादाभाई नौरोजी ने 1868 में भारत की राष्ट्रीय आय का अनुमान लगाया था।
  • पंचवर्षीय योजनाओं में भारत की आर्थिक विकास दर लगभग 4 प्रतिशत रही है।
  • भारत की प्रतिव्यक्ति आय कम होने का एक प्रधान कारण राष्ट्रीय आय एवं संपत्ति का असमान वितरण है।
  • केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन द्वारा राष्ट्रीय आय का संकलन किया जाता है।
  • बिहार की 41.4% जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन कर रही है।
  • गरीबी के कुचक्र की धारणा का विकास रैगनर नर्क्स ने किया है।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय आर्थिक अनुसंधान परिषद (National Council of Economic Research) ने सर्वप्रथम कुल राष्ट्रीय उत्पादन, शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन तथा ‘राष्ट्रीय आय की धारणाओं को विकसित किया।
  • उत्पत्ति-गणना पद्धति का सर्वप्रथम प्रयोग 1907 में ब्रिटेन में किया गया था।
  • 2005-06 में बिहार की प्रतिव्यक्ति आय 7,875 रुपये थी।
  • वर्तमान मूल्यों पर 2005-06 में भारत की प्रतिव्यक्ति आय 25,716 रुपये थी।
  • केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CentraiStatisticalOrganisation) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार 2004-09 के बीच बिहार की विकास-दर 11.03 प्रतिशत रही है।