Bihar Board Class 11 Home Science Solutions Chapter 10 आहार, पोषण तथा स्वास्थ्य: परिभाषा एवं संबंध Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 11 Home Science Solutions Chapter 10 आहार, पोषण तथा स्वास्थ्य : परिभाषा एवं संबंध

Bihar Board Class 11 Home Science आहार, पोषण तथा स्वास्थ्य : परिभाषा एवं संबंध Text Book Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
जब किसी खाद्य-पदार्थ में कुछ अतिरिक्त पोषण तत्त्व मिलाए जाते हैं तो उसे कहते -[B.M.2009A]
(क) सम्मिश्रण
(ख) खमीरीकरण
(ग) अंकुरण
(घ) फॉरटीकिकेशन
उत्तर:
(घ) फॉरटीकिकेशन

प्रश्न 2.
आहार नष्ट होने के मुख्य कारण इनमें से कौन-सा है ? [B.M.2009A]
(क) बैक्टीरिया
(ख) वातावरण
(ग) खुला रखना
(घ) जल
उत्तर:
(क) बैक्टीरिया

प्रश्न 3.
‘अन्नत भवति भूतानी’ धार्मिक ग्रंथ का कथन है –
(क) रामायण
(ख) महाभारत
(ग) गीता
(घ) पुराण
उत्तर:
(ग) गीता

प्रश्न 4.
एना बोलिक और कैटाबोटिक के सम्मिलित रूप को कहते है –
(क) Metabolism
(ख) Catabolism
(ग) Ribolism
(घ) Cynololism
उत्तर:
(क) Metabolism

प्रश्न 5.
विटामिन ‘A’ ‘ए’ की कमी से होता है –
(क) मोटापापन
(ख) दुबला
(ग) अंधापन
(घ) सुखापन
उत्तर:
(ग) अंधापन

प्रश्न 6.
रिकेट्स होता है – [B.M.2009A]
(क) विटामिन A की कमी से
(ख) विटामिन B की कमी से
(ग) विटामिन C की कमी से
(घ) विटामिन D की कमी से
उत्तर:
(ग) विटामिन C की कमी से

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प्रश्न 7.
WHO के अनुसार स्वास्थ्य के पक्ष है –
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर:
(घ) चार

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य (Health) की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य से तात्पर्य शरीर की विशेष प्रकार की स्थिति या दशा से है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) के अनुसार स्वास्थ्य की परिभाषा इस प्रकार है: “स्वास्थ्य व्यक्ति विशेष की पूर्ण शारीरिक, मानसिक व सामाजिक निरोगता की स्थिति है, केवल रोग की अनुपस्थिति नहीं।”

प्रश्न 2.
भोजन से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
भोजन (Food): शब्दकोष के अनुसार भोजन वह चीज है जिससे शरीर का पालन-पोषण होता है। भोजन को इस तरह से परिभाषित किया जा सकता है “कोई भी ऐसा पदार्थ (ठोस या तरल) जिसके खाने से शरीर में कार्य करने की शक्ति आती है, उसकी क्षतिपूर्ति और वृद्धि होती है तथा मानसिक संतुष्टि प्राप्त होती है, भोजन कहलाता है।”

प्रश्न 3.
संतुलित भोजन की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
संतुलित भोजन (Balance diet): भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (Indian Council for Medical Research) के अनुसार “संतुलित आहार वह आहार है जिसमें सभी पोषक तत्त्व उतनी मात्रा तथा अनुपात में हों जिनसे ऊर्जा, अमीनो एसिड, विटामिन्स, खनिज लवण, वसा, कार्बोहाइड्रेट तथा अन्य तत्त्वों की आवश्यकता शरीर की जैविक क्रियाओं तथा स्वास्थ्य को संतुलित बनाए रखने के लिए सही अनुपात में मिल जाए तथा साथ ही पोषक तत्त्वों का बहुत बड़ा-सा भाग शरीर में एकत्रित हो सके जिससे कि भूखा रहने पर शरीर को कुछ समय तक चलाया जा सके।”

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प्रश्न 4.
पोषण (Nutrition) को परिभाषित करें।
उत्तर:
पोषण वह क्रिया है जिसके द्वारा ग्रहण किया गया भोजन शरीर में सूक्ष्म इकाई में परिवर्तित होता है व उपयोगी बनकर इसके द्वारा सम्पादित कार्य कर सकता है। सरल भाषा में शरीर में कार्य करता हुआ भोजन पोषण कहलाता है।

प्रश्न 5.
रोग (Disease) को परिभाषित करें।
उत्तर:
रोग शरीर की वह स्थिति है जब मनुष्य शारीरिक, मानसिक व सामाजिक रूप से पूर्णतया स्वस्थ नहीं होता । उसकी सामान्य शारीरिक, मानसिक या सामाजिक कार्यक्षमता में विकार उत्पन्न हो जाता है। ये विकार सूक्ष्म जीवाणुओं के प्रवेश से असामान्य, मानसिक, भावनात्मक या सामाजिक परिस्थितियों के उत्पन्न होने से हो सकते हैं।

प्रश्न 6.
पोषण (Nutrition) तत्त्व क्या हैं ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
भोज्य पदार्थों के वे छोटे-छोटे रासायनिक घटक जो शरीर के कार्यों को सम्पादित . करते हैं, पोषक तत्त्व कहलाते हैं। ये संख्या में छः होते हैं-कार्बोज, वसा, प्रोटीन, खनिज लवण, विटामिन व जल जो शरीर को क्रियाशील बनाते हैं।

प्रश्न 7.
पोषण स्तर (Nutrition status) को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
पोषण स्तर-“भोजन द्वारा प्राप्त पौष्टिक तत्त्वों से शरीर का निर्माण करने की दशा को पोषण स्तर कहते हैं।”

प्रश्न 8.
कैलोरी (Calorie) को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
भोजन द्वारा शरीर में ऊर्जा उत्पन्न होती है जो शरीर के कार्यों को करने के लिए आवश्यक होती है। इस ऊर्जा को मापने की इकाई को कैलोरी कहते हैं।

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प्रश्न 9.
गरीबी रेखा (Poverty line) किसे कहते हैं ?
उत्तर:
“गरीबी रेखा वह काल्पनिक रेखा है जो मनुष्य की कैलोरी की कम से कम आवश्यकता को दर्शाती है।

प्रश्न 10.
WHO के अनुसार उत्तम स्वास्थ्य की क्या परिभाषा है ?
उत्तर:
WHO के अनुसार, शरीर में केवल रोग का ही नहीं होना अच्छा स्वास्थ्य नहीं हैं बल्कि शरीर की ऐसी स्थिति जिसमें मनुष्य के शारीरिक, मानसिक व सामाजिक रूप से पूर्णतया संतुष्ट होने को उत्तम स्वास्थ्य कहते हैं।

प्रश्न 11.
पोषण कितने प्रकार का होता है ?
उत्तर:
पोषण चार प्रकार का होता है –

  • अल्प पोषण
  • संतुलित पोषण
  • अत्यधिक पोषण
  • असंतुलन।

प्रश्न 12.
मोहन को हमेशा आलू के चिप्स खाने की आदत है। उन दो स्रोतों के नाम बताइए, जहाँ से उसने यह आदत ग्रहण की होगी?
उत्तर:

  • मित्र समूह (Peer Group)।
  • विज्ञापन-टी.बी., रेडियो व अखबार से (Media)।
  • घर में बड़े और भाई-बहन से (Adults/Siblings in the family) ।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
स्वास्थ्य के आयाम (Dimensions of Health) कौन-से हैं ?
उत्तर:
स्वास्थ्य के आयाम-एक सिक्के के दो पहलू होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्वास्थ्य के चार पक्ष हैं शारीरिक, मानसिक, सामाजिक व आध्यात्मिक । इन चारों को स्वास्थ्य का आयाम कहा जाता है।

प्रश्न 2.
भोजन को पोषकों के आधार पर किस प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है ?
उत्तर:
भोजन को पोषकों के आधार पर निम्न प्रकार वर्गीकृत किया जा सकता है(क) पोषक तत्त्वों के आधार पर (Based on Nutrients)। (ख) कार्यात्मक आधार पर (Based on their functions)।

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प्रश्न 3.
सुपोषण (Good Nutrition) और कुपोषण (Mal Natritions) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सुपोषण-जब भोजन द्वारा मनुष्य को अपनी आवश्यकतानुसार सभी पोषक तत्त्व उचित मात्रा में मिलते हैं तो इस स्थिति को सुपोषण अथवा उत्तम पोषण की स्थिति कहते हैं। उत्तम पोषण द्वारा ही व्यक्ति उत्तम स्वास्थ्य ग्रहण करता है। कुपोषण-कुपोषण का शाब्दिक अर्थ है “अव्यवस्थित पोषण”। जब मनुष्य को उसकी शारीरिक आवश्यकताओं के अनुकूल उपयुक्त मात्रा में सभी पौष्टिक तत्त्व नहीं मिलते या आवश्यकता से अधिक मिलते हैं तो उसे कुपोषण कहते हैं। कुपोषण के कारण मनुष्य के शरीर की वृद्धि, विकास एवं कार्यशीलता पर कुप्रभाव पड़ता है। गन्दा वातावरण, संक्रमण आदि कुपोषण की स्थिति को और उग्र कर देते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
आहार संरक्षण से आप क्या समझते हैं ? इनके सिद्धान्तों का वर्णन करें। [B.M.2009A]
उत्तर:
आहार संरक्षण का अर्थ होता है भोजन को इस ढंग से पकाना या ऐसे वातावरण में रखना, जिससे भोजन के हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करके, एक निश्चित समय तक अंतर्गत खाद्य पदार्थ को लंबे समय तक रोग वाहक जीवाणुओं व रासायनिक पदार्थों के प्रभाव से मुक्त . रखा जाता है । साथ ही उनका रंग, रचना, स्वाद, सुगंध व पोषक मूल्य को भी बनाए रखा जाता है।

आहार संरक्षण के सिद्धान्त (Principles of food-preseravation): आहार संरक्षण के मूल सिद्धान्त निम्नलिखित होते हैं
(a) जीवाणु से भोजन खराब होने की क्रिया को रोक कर या कम करके (To prevent or delay decomposition by microbes): आहार संरक्षण के द्वारा भोजन खराब होने की क्रिया को निम्नलिखित विधियों के द्वारा रोका या कम किया जाता है।

  • जीवाणुओं को भोजन से बाहर रखना (Keeping the micro oraganism out of food product): भोजन को पोलिथिन के लिफाफे, सेलोफिन पेपर, एल्यूमिनियम फायल, वायुरहित डिब्बा इत्यादि में पैक करके जीवाणुओं से सुरक्षित किया जाता है।
  • जीवाणुओं को भोज्य पदार्थ से हटाकर (Removel of micro organism from product): इस विधि में बैक्टोरिया प्रूफ फिल्टर से छानकर संरक्षण किया जाता है पानी, फलो का जूस, बियर, शराब इस विधि से संरक्षित किए जाते हैं ।
  • जीवाणुओं की क्रियाशीलता एवं वृद्धि को रोककर (By hindening the growth and activity of micro oraganism): इसके लिए भोजन को सुखाकर, नमक-तेल या सिरका का प्रयोग करके भोजन को संरक्षित किया जाता है।

(b) जीवाणुओं को नष्ट करना (By killing the micro organisms): इसमें जीवाणुओं को उच्च ताप में नष्ट करके लम्बी अवधि तक संरक्षित किया जाता है इसके लिए निम्नलिखित उपाय होते हैं।

  1. भोजन को पकाना
  2. पास्चुरीकरण
  3. किरणन
  4. स्टेरीलाइजेशन
  5. टीमबंदी
  6. बोतल.बंदी
  7. फलों का मुरब्बा, जैम, जैली बनाना इत्यादि।

(c) भोजन को स्वयं दृषित होने से बचाना (To prevent food from self decomposition): भोजन को ब्लाचिंग प्रक्रिया द्वारा नमक के घोल या हल्के ताप के प्रभाव से उसमें होने वाले एंजाईम के प्रभाव को रोका जाता है।

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(d) खाद्य पदार्थों को कीड़े से बचाना (To save from insects pests etc): इसके लिए भोज्य पदार्थ को अच्छी तरह से पैक करके संग्रहित किया जाता है।
इस प्रकार से विभिन्न विधियों के द्वारा भोजन को संरक्षित किया जाता है और उसके पोषक मूल्य एवं स्वाद को बनाए रखा जाता है। उचित विधि से भोज्य पदार्थों को संरक्षित एवं संग्रहित करने से वह महीनों सुरक्षित रह सकते हैं।

प्रश्न 2.
पोषण की विभिन्न स्थितियों से आपका क्या अभिप्राय है ? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पोषण की स्थिति की परिभाषा (Definition of Nutritional Status): प्रत्येक जीवित प्राणी भोजन ग्रहण करता है और पोषण प्रक्रिया द्वारा उसका शरीर में उपयोग करता है, जिससे उसके शरीर का निर्माण व विकास होता है। अतः पोषण की स्थिति उस व्यक्ति के स्वास्थ्य की स्थिति से सम्बन्धित है और इसका अनुमान व्यक्ति के शरीर भार, डील-डौलं, आकार आदि से लगाया जा सकता है।

पोषण की दो स्थितियाँ होती हैं –
1. सुपोषण
2. कुपोषण

1. सपोषण (Good Nutrition): जब भोजन द्वारा मनुष्य को अपनी आवश्यकतानुसार सभी पोषक तत्त्व उचित मात्रा में मिलते हैं तो इस स्थिति को सुपोषण अथवा उत्तम पोषण की स्थिति कहते हैं। उत्तम पोषण द्वारा ही व्यक्ति उत्तम स्वास्थ्य ग्रहण करता है।
उत्तम पोषित व्यक्ति के निम्नलिखित लक्षण हैं (Characteristics of Good Nutrition) :

  • व्यक्ति का शरीर भार, आकार व अनुपात सामान्य होता है।
  • व्यक्ति की मांसपेशियाँ पूर्ण रूप से विकसित, सुदृढ़ व सुगठित होती हैं।
  • व्यक्ति के बाल चिकने, चमकीले व स्वस्थ होते हैं।
  • व्यक्ति की आँखें स्वस्थ, आशावान व चमकीली होती हैं।
  • व्यक्ति के दांत व अस्थियाँ मजबूत व स्वस्थ होती हैं।
  • व्यक्ति की त्वचा व श्लेष्मिक झिल्ली पूर्ण रूप से स्वस्थ व कान्तिमान होती है।
  • व्यक्ति का आसन (Posture) स्वस्थ, सिर तना हुआ, सीना उठा हुआ, कन्धे सपाट व पेट अन्दर होता है।
  • व्यक्ति की भूख अच्छी व पाचन संस्थान सामान्य रूप से कार्य करता है।
  • व्यक्ति सदैव प्रसन्नचित्त व खुश रहता है।
  • व्यक्ति को गहरी, बिना टूटने वाली स्वप्नरहित नींद आती है।
  • व्यक्ति में रोग प्रतिरोधक क्षमता पर्याप्त होती है।
  • व्यक्ति किसी भी कार्य को उत्साहपूर्वक व एकाग्रचित्त होकर कर सकता है।

2. कुपोषण (Mal Nutrition): कुपोषण का शाब्दिक अर्थ है-अव्यवस्थित पोषण’। जब मनुष्य को उसकी शारीरिक आवश्यकताओं के अनुकूल उपयुक्त मात्रा में सभी पौष्टिक तत्त्व नहीं मिलते या आवश्यकता से अधिक मिलते हैं तो उसे कुपोषण कहते हैं। कुपोषण के कारण मनुष्य के शरीर की वृद्धि, विकास एवं कार्यशीलता पर कुप्रभाव पड़ता है। गन्दा वातावरण, संक्रमण आदि कुपोषण की स्थिति को और उग्र कर देते हैं।
इसके तीन लक्षण हैं –

  • अत्यधिक पोषण
  • अपर्याप्त पोषण
  • असन्तुलन।

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1. अत्यधिक पोषण (Under nutrition): जब मनुष्य को उसकी शारीरिक आवश्यकताओं के अनुकूल उपयुक्त मात्रा से कम पौष्टिक तत्त्व मिलते हैं तो उसे अपर्याप्त पोषण कहते हैं। इसके परिणामस्वरूप शरीर की अपेक्षित वृद्धि और विकास नहीं हो पाता और पौष्टिक तत्त्वों की हीनता-जनित रोग उत्पन्न हो जाते हैं।

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2. अपर्याप्त पोषण (Over nutrition): जब मनुष्य को उसकी शारीरिक आवश्यकताओं के अनुकूल उपयुक्त मात्रा से अधिक पौष्टिक तत्त्व मिले तो उसे अत्यधिक पोषण कहते हैं। कुछ विशेष पौष्टिक तत्त्वों की अधिकता स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है, जैसे विटामिन ए, विटामिन डी, लोहा आदि। इनके अतिरिक्त मोटापा भी अत्यधिक पोषण के परिणामस्वरूप होता है। अत्यधिक पोषण सम्पन्न वर्गों के लोगों में अधिक पाया जाता है और कई बार भयंकर रूप ले लेता है।

3. असन्तुलन (Imbalance): जब मनुष्य में विभिन्न पौष्टिक तत्त्वों की मात्रा सन्तुलित नहीं होती तो इस असन्तुलन के कारण भी स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 2.
भोजन, पोषण तथा स्वास्थ्य का आपसी सम्बन्ध क्या है ? समझाइए।
उत्तर:
भोजन, पोषण तथा स्वास्थ्य का. आपसी सम्बन्ध (Relationship between food, nutrition and health): भोजन, पोषण तथा स्वास्थ्य की निम्न परिभाषा से स्पष्ट हो जाता है कि. इनका आपस में घनिष्ठ सम्बन्ध है। राजामल पी० देवदास (Rajamal P. Devdas) के अनुसार “पोषण.ऐसी अवस्था है जो सर्वोत्तम स्वास्थ्य को विकसित करे।” यद्यपि स्वास्थ्य और पोषण समानार्थक नहीं हैं तथापि अच्छे पोषण के अभाव में स्वस्थ रहना असम्भव है।

भोजन स्वयं पोषण का महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। अत: व्यक्ति जो भोजन करता है तथा जिस प्रकार करता है, पोषण की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है। उदाहरण के तौर पर भोजन और पोषण में परिवर्तन करके विभिन्न रोगों की रोकथाम की जा सकती है, जीवन आयु में वृद्धि की जा सकती है। सक्रिय और प्रभावी जीवन के लिए तथा विकसित शरीर के लिए उत्तम पोषण अति आवश्यक है जो भोजन से प्राप्त किया जा सकता है।

भोजन, पोषण और स्वास्थ्य का सम्बन्ध नीचे चित्र द्वारा समझाया गया है –
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प्रश्न 4.
गरीबी रेखा का निर्धारण किस आधार पर किया जाता है ? संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
गरीबी रेखा निर्धारण का आधार: पोषण स्तर एवं ऊर्जा खपत (Nutritional status and calorie intake as a basis of poverty line): किसी भी देश की गरीबी रेखा का निर्धारण उस देश के वासियों के औसत ऊर्जा खपत व पोषण स्तर द्वारा किया जाता है। खुराक सर्वेक्षण प्रायः घर-घर जाकर किए जाते हैं तथा इन सर्वेक्षणों द्वारा परिवार की भोजन की खपत, सदस्यों की संख्या, स्वरूप तथा आय के विषय में सूचना एकत्रित की जाती है। समस्त देश में इस प्रकार के विस्तृत सर्वेक्षण किए जाते हैं।

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देश के विभिन्न क्षेत्रों के आहार-संघटन पर उपलब्ध आंकड़ों द्वारा स्पष्ट है कि भारत में परिवारों का आहार मुख्यतः खाद्यान्न आधारित है। अधिकांश भारतीयों के आहार में खाद्यान्न का एक बहुत बड़ा भाग होता है। विशेषकर निम्नतर सामाजिक आर्थिक वर्गों के परिवारों के आहार में खाद्यान्नों का बहुतायत होता है। यही कारण है कि निम्नतर सामाजिक-आर्थिक वगों के परिवारों का पोषण स्तर उत्तम नहीं है और उनका आहार मात्रा व गुणात्मक रूप से अपर्याप्त है।

इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि जीवन शक्ति की कमी और कमजोरी होने पर भी मनुष्य अपर्याप्त खुराक का आदी बन जाता है और इस बात का अनुमान ही नहीं होता कि वह आवश्यकता से कम भोजन ले रहा है क्योंकि मानव शरीर में अपने को स्थिति के अनुकूल बना लेने की विलक्षण क्षमता है। – स्पष्ट है कि देश की औसत ऊर्जा खपत तथा देशवासियों के पोषण स्तर के आधार पर ही गरीबी रेखा का निर्धारण किया जाता है।