Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 1 मानव भूगोल – प्रकृति एवं विषय क्षेत्र Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 1 मानव भूगोल – प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

Bihar Board Class 12 Geography मानव भूगोल – प्रकृति एवं विषय क्षेत्र Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:

मानव भूगोल प्रकृति एवं विषय क्षेत्र प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 12 प्रश्न 1.
निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक भूगोल का वर्णन नहीं करता:
(क) समाकलनात्मक अनुशासन
(ख) मानव और पर्यावरण के बीच अंतर-संबंधों का अध्ययन
(ग) द्वैधता पर आश्रित
(घ) प्रौद्योगिकी के विकास के फलस्वरूप आधुनिक समय में प्रासंगिक नहीं
उत्तर:
(घ) प्रौद्योगिकी के विकास के फलस्वरूप आधुनिक समय में प्रासंगिक नहीं

मानव भूगोल प्रकृति एवं विषय क्षेत्र के प्रश्न उत्तर Bihar Board Class 12 प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से कौन-सा एक भौगोलिक सूचना का स्रोत नहीं है:
(क) यात्रियों के विवरण
(ख) प्राचीन मानचित्र
(ग) चंद्रमा से चट्टानी पदार्थों के नमूने
(घ) प्राचीन महाकाव्य
उत्तर:
(घ) प्राचीन महाकाव्य

Manav Bhugol Prakriti Avn Vishay Kshetra Ka Question Answer प्रश्न 3.
निम्नलिखित में से कौन-सा एक लोगों और पर्यावरण के बीच अन्योय-क्रिया का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारक है –
(क) मानव बुद्धिमता
(ख) प्रौद्योगिकी
(ग) लोगों के अनुभव
(घ) मानवीय भाईचारा
उत्तर:
(ख) मानवीय भाईचारा

Bihar Board 12th Geography Book  प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-सा एक मानव भूगोल का उपगमन नहीं है:
(क) क्षेत्रीय विभिन्नता
(ख) मात्रात्मक क्रांति
(ग) स्थानिक संगठन
(घ) अन्वेषण और वर्णन
उत्तर:
(ख) मात्रात्मक क्रांति

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:

मानव भूगोल के विषय क्षेत्र पर एक टिप्पणी लिखिए Bihar Board Class 12 प्रश्न 1.
मानव भूगोल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल मानव समाजों और धरातल के बीच संबंधों का संश्लेषित अध्ययन है। या मानव भूगोल ‘हमारी पृथ्वी को नियंत्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा इस पर रहने वाले जीवों के मध्य संबंधों के अधिक संश्लेषित ज्ञान से उत्पन्न संकल्पना है।

Bihar Board 12th Geography Book Pdf Download प्रश्न 2.
मानव भूगोल के कुछ उपक्षेत्रों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. व्यवहारवादी भूगोल
  2. सामाजिक कल्याण का भूगोल
  3. अवकाश का भूगोल
  4. सांस्कृतिक भूगोल
  5. लिंग भूगोल
  6. ऐतिहासिक भूगोल एवं
  7. चिकित्सा भूगोल

मानव भूगोल प्रकृति एवं विषय क्षेत्र Notes Bihar Board प्रश्न 3.
मानव भूगोल किस प्रकार अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंधित है।
उत्तर:
मानव भूगोल का सामाजिक विज्ञान-सामाजिक विज्ञान, मनोविज्ञान, कल्याण अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, मानव विज्ञान, महिला अध्ययन, इतिहास, महामारी विज्ञान, नगरीय अध्ययन और नियोजन, राजनीति विज्ञान, सैन्य विज्ञान, जनांकिकी, नगर/ग्रामीण नियोजन, अर्थशास्त्र, संसाधन अर्थशास्त्र, कृषि विज्ञान, औद्योगिक अर्थशास्त्र व्यावसायिक अर्थशास्त्र, वाणिज्य, पर्यटन और यात्रा प्रबंधन तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आदि सामाजिक विज्ञानों से गहरा संबंध है।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए:

मानवतावादी विचारों के क्या अभिलक्षण थे Bihar Board Class 12 प्रश्न 1.
मानव के प्राकृतीकरण की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मानव इस सुंदर ब्रह्मांड का अंग बनकर अपने आपको बहुत सौभाग्यशाली समझता है। प्रौद्योगिकी किसी समाज के सांस्कृतिक विकास के स्तर की सूचक होती है। मानव प्रकृति के नियमों को अच्छे ढंग से समझने के बाद ही प्रौद्योगिकी का विकास कर पाया। उदाहरण के लिए, घर्षण और ऊष्मा की संकल्पनाओं ने अग्नि की खोज में हमारी सहायता की। इसी प्रकार डी. एन. ए. और आनुवांशिकी के रहस्यों की समझ ने हमें अनेक बीमारियों पर विजय पाने के योग्य बनाया। अधिक तीव्र गति से चलने वाले यान विकसित करने के लिए हम वायु गति के नियमों का प्रयोग करते हैं। प्रकृति का ज्ञान प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है और प्रौद्योगिकी मनुष्य पर पर्यावरण की बंदिशों को कम करती है। मनुष्य प्राकृतिक संसाधनों पर प्रत्यक्ष रूप से निर्भर है। ऐसे समाजों के लिए भौतिक पर्यावरण ‘माता-प्रकृति’ का रूप धारण करता है।

Manav Bhugol Prakriti Avn Vishay Kshetra Notes Bihar Board प्रश्न 2.
मानव भूगोल के विषय क्षेत्र पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
मानव भूगोल, मानव जीवन के सभी तत्वों तथा अंतराल, जिसके अंतर्गत वे घटित होते हैं के मध्य संबंध की व्याख्या करने का प्रयत्न करती है। इस प्रकार मानव भूगोल की प्रकृति अत्यधिक अंतर-विषयक है। पृथ्वी तल पर पाए जाने वाले मानवीय तत्वों को समझने व उनकी व्याख्या करने के लिए मानव भूगोल सामाजिक विज्ञानों के सहयोगी विषयों जैसे सामाजिक विज्ञान, मनोविज्ञान, कल्याण अर्थशास्त्र, समाज शास्त्र, मानव विज्ञान, इतिहास, महामारी विज्ञान, नगरीय अध्ययन और नियोजन, राजनीति विज्ञान, सैन्य विज्ञान, जनांकिकी, नगर/ग्रामीण नियोजन, अर्थशास्त्र, संसाधन अर्थशास्त्र, कृषि विज्ञान, औद्योगिकी अर्थशास्त्र, व्यावसायिक अर्थशास्त्र, वाणिज्य, पर्यटन और यात्रा प्रबंधन तथा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आदि के साथ घनिष्ठ अंतरापृष्ठ विकसित करती है।

Bihar Board Class 12 Geography मानव भूगोल – प्रकृति एवं विषय क्षेत्र  Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

मानव भूगोल के 3 क्षेत्रों के नाम लिखिए Bihar Board Class 12 प्रश्न 1.
भूगोल की दो मुख्य शाखाओं के नाम बताइये।
उत्तर-:
भूगोल की दो मुख्य शाखाएँ हैं –

  1. क्रमबद्ध भूगोल और।
  2. प्रादेशिक भूगोल।

प्रश्न 2.
मानव भूगोल की परिभाषा बताइये।
उत्तर:
मानव भूगोल वह विज्ञान है जिसमें हम मनुष्य तथा वातावरण के पारस्परिक संबंधों का क्षेत्रीय आधार पर अध्ययन करते हैं।

प्रश्न 3.
एक अध्ययन विषय के रूप में मानव भूगोल का उद्भव कब हुआ?
उत्तर:
लगभग पंद्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से लेकर अठारहवीं शताब्दी तक की अवधि को खोज का युग कहा जाता है। इस युग में मानचित्र निर्माण की विधियों का गुणात्मक विकास हुआ। इसी के साथ-साथ विश्व के विभिन्न भागों में खोज यात्राओं के द्वारा विस्तृत सूचनाएँ एकत्रित की गई।

प्रश्न 4.
एल्सवर्थ हंटिग्टन ने मानव भूगोल को किस प्रकार परिभाषित किया है?
उत्तर:
एल्सवर्थ हंटिग्टन के अनुसान, मानव और पर्यावरण के संबंध गतिशील हैं, न कि स्थिर। मानव और प्रकृति की भूमिकाएँ सक्रिय एवं निष्क्रिय दोनों ही होती हैं। मानव निरंतर ही क्रिया एवं प्रतिक्रिया में संलग्न रहता है। मानव के विकास की कहानी, स्थान एवं समय दोनों ही संदर्भो में मनुष्य के अपने भौगोलिक वातावरण के साथ अनुकूलन की प्रक्रिया है।

प्रश्न 5.
बर्नार्ड वेरेनियस ने अपनी पुस्तक ज्यॉग्राफिया जनरेलिस (सामान्य भूगोल) को किन दो भागों में विभाजित किया है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
बर्नार्ड, वेरेनियस ने अपनी पुस्तक ज्याँग्राफिया जनरेलिस को दो भागों में विभक्त किया है –

  1. सामान्य और
  2. विशिष्ट सामान्य भूगोल में संपूर्ण पृथ्वी को एक इकाई मानकर इसके लक्षणों का विवेचन किया गया है। इस पुस्तक के द्वितीय भाग विशिष्ट भूगोल में अलग-अलग प्रदेशों की बनावट का वर्णन किया गया है।

प्रश्न 6.
वेरेनियस ने अपने प्रादेशिक भूगोल नामक ग्रंथ की विषय-वस्तु को कौन-कौन से तीन उपभागों में प्रस्तुत किया है?
उत्तर:

  1. खगोलीय लक्षण
  2. स्थलीय लक्षण और
  3. मानवीय लक्षण

प्रश्न 7.
उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध (1859) में चार्ल्स डारविन की कौन-सी पुस्तक प्रकाशित हुई, जिससे प्रेरणा लेकर ‘मानव भूगोल’ का विकास हुआ?
उत्तर:
जीवों का विकास।

प्रश्न 8.
कल्याणपूरक विचारधारा का जन्म किन कारणों से हुआ तथा इस विचारधारा को किन-किन विद्वानों ने प्रचारित किया?
उत्तर:
विश्व के विभिन्न प्रदेशों, देशों के भीतर तथा पूँजीवाद के प्रभाव से विभिन्न सामाजिक समूहों के भीतर बढ़ती असमानता के कारण मानव भूगोल में कल्याणपूरक विचारधारा का जन्म हुआ। निर्धनता, विकास में प्रादेशिक असमानता, नगरीय झुग्गी-झोंपड़ियों और अभावों जैसे विषय भौगोलिक अध्ययन के केन्द्र बन गये। डी. एम. स्मिथ और डेविड हार्वे जैसे कुछ प्रसिद्ध विद्वानों ने इस विचारधारा का प्रचार किया।

प्रश्न 9.
अमेरिकी भूगोलवेत्ताओं फिंच एवं ट्रिवार्था ने मानव भूगोल की विषय-वस्तु को किन दो भागों में बाँटा है?
उत्तर:

  1. भौतिक या प्राकृतिक पर्यावरण और
  2. सांस्कृतिक या मानव-निर्मित पर्यावरण।

प्रश्न 10.
विगत चार दशकों में मानव भूगोल में नई विचारधाराओं का तेजी से विकास हुआ है। इसका क्या प्रमुख कारण रहा है?
उत्तर:
पिछले चार दशकों में मानव भूगोल में नई विचारधाराओं के तेजी से विकास होने का मुख्य कारण, ‘मानव भूगोल में मानवीय परिघटनाओं के प्रतिरूपों के वर्णन के स्थान पर इन प्रतिरूपों के पीछे कार्यरत प्रक्रियाओं को समझना है। इस प्रक्रिया में मानव भूगोल अब अधिक मानवीय हो गया है।

प्रश्न 11.
ट्रॉन्डहाईम के शहर में सर्दियों का क्या अर्थ है?
उत्तर:
प्रचंड पवनें और भारी हिम। महीनों तक आकाश अदीप्त रहता है।

प्रश्न 12.
1970 के दशक में मानवतावादी, आमूलवादी और व्यवहारवादी विचारधाराओं का जन्म हुआ। इन विचारधाराओं के कारण मानव भूगोल कितना प्रासंगिक बना?
उत्तर:
मात्रात्मक क्रांति से उत्पन्न असंतुष्टि और अमानवीय रूप से भूगोल के अध्ययन के चलते मानव भूगोल में 1970 के दशक में तीन नई विचारधाराओं का जन्म हुआ। इन विचारधाराओं के अभ्युदय से मानव भूगोल सामाजिक-राजनीतिक यथार्थ के प्रति अधिक प्रासंगिक बना।

प्रश्न 13.
पॉल विडाल द्वारा व्यक्त की गई मानव भूगोल के संदर्भ में परिभाषा बताइए।
उत्तर:
हमारी पृथ्वी को नियंत्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा इस पर रहने वाले जीवों के मध्य संबंधों के अधिक संश्लेषित ज्ञान से उत्पन्न संकल्पना है।
म ए गोल्डेन सीरिज पासपोर्ट टू (उच्च माध्यमिक) भूगोल, वर्ग-1295

प्रश्न 14.
जर्मन भूगोलवेत्ता राज्य/देश का वर्णन किस रूप में करते हैं?
उत्तर:
जीवित जीव के रूप में करते हैं।

प्रश्न 15.
सड़कों, रेलमार्गों और जलमार्गों के जाल का प्रायः किस रूप में वर्णन किया जाता है?
उत्तर:
परिसंचरण की धमनियों के रूप में वर्णन किया जाता है।

प्रश्न 16.
पर्यावरण की तीन विचारधाराओं के नाम लिखो।
उत्तर:
पर्यावरण निश्चयवाद, संभववाद और नव-निश्चयवाद।

प्रश्न 17.
किस भूगोलवेत्ता ने ‘मानव भूगोल के सिद्धांत’ नामक पुस्तक लिखी?
उत्तर:
एल्सर्वोथ हटिंगटन।

प्रश्न 18.
नव-निश्चयवाद के प्रमुख समर्थक कौन थे?
उत्तर:
ग्रिफिथ टेलर।

प्रश्न 19.
भूगोलवेत्ता ग्रिफिथ टेलर ने क्या नयी संकल्पना प्रस्तुत की थी?
उत्तर:
उन्होंने दो विचारों पर्यावरणीय निश्चयवाद और संभववाद को एक नया नाम ‘नव-निश्चयवाद अथवा रूको और जाओ’ दिया।

प्रश्न 20.
क्या आप उन तत्त्वों की सूची बना सकते हैं, जिनकी रचना मानव ने भौतिक पर्यावरण द्वारा प्रदत्त मंच पर अपने कार्य-कलापों के द्वारा की है?
उत्तर:
गृह, गाँव, नगर, सड़कों व रेलों का जाल, उद्योग, खेत, पत्तन, दैनिक उपयोग में अपने वाली वस्तुएँ तथा भौतिक संस्कृति के अन्य सभी तत्त्व भौतिक पर्यावरण द्वारा प्रदत् संसाधनों का उपयोग करते हुए मानव द्वारा निर्मित किए गए हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
मानव भूगोल की विषय-वस्तु, सभी सामाजिक विज्ञानों का एकीकरण करती है। इस विषय पर संक्षिप्त में टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
मानव भूगोल की विषय-वस्तु, सभी सामाजिक विज्ञानों का एकीकरण करती है, क्योंकि यह उन विज्ञानों का क्षेत्रीय एवं क्रमबद्धता का दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, जिनका उनमें अभाव होता है। इसके साथ ही मानव भूगोल अपनी विषय सामग्री के विश्लेषण के लिए अन्य सामाजिक विज्ञानों से संबंध स्थापित करता है। इस प्रक्रिया में मानव भूगोल अन्य सामाजिक विज्ञानों से सहायता प्राप्त करता है और उन्हें सहायता प्रदान भी करता है। उदाहरणतया, वह जनसंख्या के अध्ययन के लिए जनसांख्यिकी, आर्थिक भूगोल के लिए अर्थशास्त्र, कृषि भूगोल के लिए कृषि विज्ञान, नगरीय भूगोल के लिए नगरीय समाज विज्ञान, राजनीतिक भूगोल के लिए विज्ञान, सामाजिक भूगोल के लिए समाज शास्त्र तथा इतिहास पर निर्भर रहता है। बदले में मानव भूगोल इन विज्ञानों को क्षेत्रीय एवं क्रमबद्धता के दृष्टिकोण से अवगत कराता है।

प्रश्न 2.
प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता जीन बूंश के मानव भूगोल की प्रकृति एवं क्षेत्र के विषय में क्या विचार थे? संक्षिप्त में उत्तर दीजिए।
उत्तर:
प्रसिद्ध भूगोलवेत्ता जीन बुंश के अनुसार ‘जिस प्रकार अर्थशास्त्र का संबंध कीमतों से, भू-गर्भशास्त्र का संबंध शैलों से, वनस्पति-विज्ञान का संबंध पौधों से, मानवाचार-विज्ञान का संबंध जातियों से तथा इतिहास का संबंध समय से है, उसी प्रकार भूगोल का केन्द्र बिंदु ‘स्थान’ है जिसमें ‘कहाँ’ और ‘क्यों’ जैसे महत्त्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास किया जाता है।

भूगोल की प्रमुख शाखा के रूप में मानव तथा पर्यावरण के पारस्परिक संबंधों का अध्ययन मानव भूगोल के अध्ययन का केन्द्र-बिंदु है, अर्थात् मानव भूगोल में पर्यावरण से संबंधित मानव समाज के अध्ययन पर विशेष बल दिया जाता है। वास्तव में, मानव भूगोल का कार्यक्षेत्र बहुत ही विस्तृत है। उसके अंतर्गत मानव प्रजातियों, विश्व के विभिन्न भागों में जनसंख्या का वितरण, घनत्व, विकास, वृद्धि, जनसांख्यिकीय के लक्षण, जन-स्थानान्तरण आदि के संबंध में ज्ञान प्राप्त किया जाता है। इसके साथ ही मानव समूहों की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।

मानव भूगोल में ग्रामीण बस्तियों के प्रकार एवं प्रतिमान और नगरीय बस्तियों के स्थल, विकास और कार्य तथा नगरों के कार्यात्मक वर्गीकरण का भी अध्ययन किया जाता है। इसमें उद्योग-धंधे, परिवहन एवं संचार व्यवस्था तथा व्यापार आदि आर्थिक क्रियाओं का विकास तथा उसके क्षेत्रीय वितरण का भी अध्ययन किया जाता है।

प्रश्न 3.
मानव भूगोल के उपक्षेत्र सांस्कृतिक भूगोल के विषय में संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल की इस शाखा में मानव के सांस्कृतिक पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। मानव का आवास, भोजन, सुरक्षा, रहन-सहन, भाषा, धर्म, रीति-रिवाज तथा पहनावा आदि इसके सांस्कृतिक पहलू हैं। मानव के ये सांस्कृतिक पहलू समय और स्थान के साथ बदलते रहते हैं।

कुछ भूगोलवेत्ता इसे सामाजिक भूगोल भी कहते हैं जे. एम. हॉउस्टन के अनुसार सामाजिक भूगोल को जनसंख्या के अध्ययनों सहित ग्राम्य एवं नगरीय बस्तियों के अध्ययन के रूप में परिभाषित किया जाता है।’ सामाजिक भूगोल में मानव को एकांकी रूप में न लेते हुए मानव समूहों और पर्यावरण के संबंधों की व्याख्या की जाती है।

प्रश्न 4.
मानव भूगोल वास्तविक रूप में उदार शिक्षा का उद्देश्य पूरा करता है। इस विषय पर संक्षिप्त में प्रकाश डालिये।
उत्तर:
विश्व के विभिन्न भागों में मानवीय आवास को प्रभावित करने वाले तत्त्वों का मूल्यांकन करने में मानव भूगोल महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। समाजों, संस्कृतियों तथा मानव द्वारा निर्मित भू-पटलों में विरोधाभास का स्पष्टीकरण भी मानव भूगोल द्वारा ही किया जाता है। इससे आर्थिक, राजनैतिक तथा सामाजिक ढाँचे को समझने में सहायता मिलती है। मानव हमें आज के अशांत, तनावग्रस्त एवं प्रतिस्पर्धात्मक विश्व में सामाजिक वास्तविकता से अवगत कराता है और यथा संभव आधुनिक विश्व में मानवीय समस्याओं का हल ढूंढने में हमारी सहायता करता है। संक्षेप में, मानव भूगोल हमें उत्कृष्ट जानकारी उपलब्ध कराता है और अच्छे नागरिक बनने में हमारी सहायता करता है।

प्रश्न 5.
मानव भूगोल के उपक्षेत्र आर्थिक भूगोल के विषय में संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र img 1

चित्र: मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र के पाँच मुख्य अंग।

  1. किसी प्रदेश की जनसंख्या तथा उसकी क्षमता।
  2. उस प्रदेश के प्राकृतिक वातावरण द्वारा प्रदान किए गये संसाधन।
  3. उस जनसंख्या द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग करने से बना सांस्कृतिक प्रतिरूप।
  4. प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक वातावरणों के पारस्परिक कार्यों के द्वारा मानव वातावरण समायोजन का रूप, जिसे हम क्षेत्र संगठन का रूप भी कहते हैं।
  5. उपरोक्त वातावरण समायोजन कालिक अनुक्रमण।

प्रश्न 6.
मानव भूगोल के उपक्षेत्र आर्थिक भूगोल के विषय में संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
आर्थिक भूगोल, मानव भूगोल की महत्त्वपूर्ण शाखा है। इसमें मनुष्य की आर्थिक क्रियाओं के वितरण और प्राकृतिक परिस्थितियों के साथ उनके संबंधों का अध्ययन किया जाता है। डॉ. एन. जी. पाउण्डस के अनुसार ‘आर्थिक भूगोल भू-पृष्ठ पर मानव की उत्पादन क्रियाओं के वितरण का अध्ययन करता है। मनुष्य की आर्थिक क्रियाओं में उत्पादन, वितरण, उपभोग तथा विनिमय आदि क्रियाएँ सम्मिलित हैं।

प्रश्न 7.
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् एक अध्ययन विषय के रूप में भूगोल में आये नवीन परिवर्तन पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् शैक्षिक जगत समेत अनेक क्षेत्रों में तेजी से विकास हुआ। भूगोल विषय भी इस विकास से अछूता नहीं रहा। सामान्य रूप से भूगोल और विशेष रूप से मानव भूगोल ने मानव समाज की समकालीन समस्याओं और मुद्दों के समाधान प्रस्तुत किये। इस अवधि में मानव कल्याण से संबंधित नई समस्याएँ जैसे गरीबी, सामाजिक व प्रादेशिक असमानता, समाज कल्याण तथा सशक्तिकरण आदि को समझने में पारंपरिक विधियाँ असमर्थ थीं। फलस्वरूप समय-समय पर नई विधियाँ अपनाई गई। उदाहरण के लिये, पचास के दशक के मध्य में प्रत्यक्षवाद के रूप में नई विचारधारा का जन्म हुआ।

इसमें मात्रात्मक विधियों के उपयोग में बल दिया गया। तदन्तर प्रत्यक्षवाद के विरोध स्वरूप मनोविज्ञान से ली गई संकल्पना पर आधारित व्यवहारगत विचारधारा का उदय हुआ, जिसमें मानव की ज्ञान शक्ति पर विशेष बल दिया गया। विश्व के विभिन्न प्रदेशों तथा देशों के भीतर तथा पूँजीवाद के प्रभाव से विभिन्न समूहों के भीतर बढ़ती असमानता के कारण मानव भूगोल में कल्याणपरक विचारधारा का जन्म हुआ। निर्धनता, विकास में प्रादेशिक असमानता, नगरीय झुग्गी-झोंपड़ियों और अभावों जैसे विषय भौगोलिक अध्ययन का केन्द्र बन गये। इनके अतिरिक्त मानवतावाद नामक विचारधारा का भी भूगोल में जन्म हुआ। यह विचारधारा मानव पर केंद्रित है। जिसमें मानव-जागृति, मानव-साधन, मानव चेतना और मानव की सृजनात्मक एवं क्रियाशील भूमिका पर बल दिया गया। अतः द्वितीय विश्व युद्ध के बाद मानव भूगोल में अनेक नई विचारधाराओं का तेजी से विकास हुआ।

प्रश्न 8.
भूगोल की भांति मानव भूगोल में भी एक-दूसरे से निकट रूप से संबंधित कौन-कौन से तीन कार्यों को सम्पन्न किया जाता है?
उत्तर:
1. पृथ्वी तल पर मानव:
निर्मित तत्त्वों का स्थानिक तथा स्थिति-संबंधी विश्लेषण करना। इसका संबंध संख्याओं, विशेषताओं, क्रिया कलाप और वितरण से होता है। इन विशेषताओं को प्रभावशाली ढंग से मानचित्र द्वारा प्रदर्शित करते हैं। कारक जिनसे निश्चित क्षेत्रीय प्रतिरूप बनते हैं उनका वर्णन किया जाता है। अधिक महत्त्वपूर्ण तथा उच्च दक्षता या साम्यवाले वैकल्पिक क्षेत्रीय प्रतिरूपों को प्रस्तावित किया जाता है। यहाँ क्षेत्रों के बीच स्थानिक विभिन्नता को बल दिया जाता है। तत्त्वों के बीच के संबंधों को दो प्रकार से देखा जा सकता है, जैसे-मनुष्य का प्रादेशिक क्षेत्र पर प्रभाव और पर्यावरण का मनुष्य पर प्रभाव।

2. पारिस्थितिक विश्लेषण:
यहाँ पर एक भौगोलिक प्रदेश के भीतर मानव और पर्यावरण संबंधों के अध्ययन को प्रमुखता दी जाती है।

3. प्रादेशिक संश्लेषण:
में स्थानिक एवं पारिस्थितिक उपागमों को एक साथ मिला दिया जाता है। प्रदेशों की पहचान कर ली जाती है। यहाँ अध्ययन का उद्देश्य आन्तरिक आकारि की सहलग्नता और बाह्य पारिस्थितिक सहसंबंधों की जानकारी प्राप्त करना होता है।

प्रश्न 9.
जनसंख्या भूगोल और ऐतिहासिक भूगोल का मानव भूगोल के साथ कैसे घनिष्ठ संबंध है? संक्षिप्त में विवेचना कीजिए।
उत्तर:
जनसंख्या भूगोल में विश्व या इसके किसी भाग में कुल संख्या, जनसंख्या का वितरण, घनत्व जन्म एवं मृत्यु दर, जनसंख्या में वृद्धि दर, आयु, लिंग अनुपात, साक्षरता आदि का अध्ययन किया जाता है। ऐतिहासिक भूगोल किसी क्षेत्र में एक समय से दूसरे समय में होने वाले भौगोलिक परिवर्तनों के अध्ययन को ऐतिहासिक भूगोल कहते हैं। हार्टशॉर्न के अनुसार ‘ऐतिहासिक भूगोल भूतकाल का भूगोल है।

प्रश्न 10.
कृषि भूगोल और राजनैतिक भूगोल का मानव भूगोल के साथ क्या संबंध है।
उत्तर:
यह मानव भूगोल का ऐसा उपक्षेत्र है जिसमें कृषि संबंधी सभी तत्त्वों का अध्ययन किया जाता है। इसमें फसलों के उत्पादन एवं वितरण तथा पशु-पालन एवं पशु-उत्पाद सम्मिलित हैं। कृषि से मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता भोजन की आपूर्ति होती है, इसलिए मानव भूगोल का यह उपक्षेत्र सबसे महत्त्वपूर्ण है। राजनैतिक भूगोल राज्यों की सीमाओं, स्थानीय प्रशासन, प्रादेशिक नियोजन आदि से संबंधित है। यह मानवीय समूहों की राजनैतिक स्थितियों, समस्याओं व क्रियाओं में भूगोल के महत्त्व को मूल्यांकित करता है। वॉन बल्केनवर्ग के अनुसार ‘राजनैतिक भूगोल राज्यों का भूगोल है, और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की भौगोलिक व्याख्या प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 11.
प्रकृति का मानवीकरण क्या है?
उत्तर:
समय के साथ मानव अपने पर्यावरण और प्राकृतिक बलों को समझने लगते हैं। अपने सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के साथ मानव बेहतर और अधिक सक्षम प्रौद्योगिकी का विकास करता है। वह अभाव की अवस्था से स्वतंत्रता की अवस्था की ओर अग्रसर होता है। पर्यावरण से प्राप्त संसाधनों के द्वारा वे संभावनाओं को जन्म देता है। मानवीय क्रियाओं की छाप सर्वत्र है, उच्च भूमियों पर स्वास्थ्य विश्राम-स्थल, विशाल नगरीय प्रसार, खेत, फलोद्यान, मैदानों व तरंगित पहाड़ियों में चरागाहों, तटों पर पतन और महासागरीय तल पर समुद्री मार्ग तथा अंतरिक्ष में उपग्रह इत्यादि। प्रकृति अवसर प्रदान करती है और मानव उनका उपयोग करता है तथा धीरे-धीरे प्रकृति का मानवीकरण हो जाता है।

प्रश्न 12.
मानव भूगोल का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
पृथ्वी पर मानवीय लक्षणों के अध्ययन को मानव भूगोल कहते हैं। गाँव, शहर, नहरें, सड़क, रेल, कृषि, उद्योग आदि सभी मनुष्य द्वारा बनाए गए हैं और मानवीय संस्कृति का नेतृत्व करते हैं। मानव जीवन पर प्रकृति का बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 13.
नवनिश्चयवाद संकल्पना की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
नवनिश्चयवाद संकल्पना का तात्पर्य उन सीमाओं से है, जो पर्यावरण की हानि न करती हों, संभावनाओं को उत्पन्न किया जा सकता है तथा अंधाधुंध रफ्तार दुर्घटनाओं से मुक्त नहीं होती है। विकसित अर्थव्यवस्था के द्वारा चली गई मुक्त चाल के परिणमस्वरूप हरित-गृह प्रभाव, ओजोन परत अवक्षय, भूमंडलीय तापन, पीछे हटती हिमनदियाँ, निम्नीकृत भूमियाँ हैं। यह संकल्पना ढंग से एक संतुलन बनाने का प्रयास करती है जो संभावनाओं के बीच अपरिहार्य चयन द्वैतवाद को निष्फल करती है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
एक अलग अध्ययन क्षेत्र के रूप में विकसित होने के बाद से मानव भूगोल के विकास की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल, क्रमबद्ध भूगोल की ही एक शाखा है जिसमें मानव और प्रकृति के बीच सतत् परिवर्तनशील पारस्परिक क्रिया से उत्पन्न सांस्कृतिक लक्षणों की स्थिति एवं वितरण की विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है। मानव भूगोल की विस्तृत जानकारी प्राप्त करने से पहले इसकी प्रकृति एवं अध्ययन क्षेत्र को समझना उपयोगी होगा। एक अध्ययन विषय के रूप में मानव भूगोल का उद्भव-लगभग पंद्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से लेकर अठारहवीं शताब्दी तक की अवधि की खोज की गई सूचनाओं की भूगोलविदों ने वैज्ञानिक तरीकों से जाँच की तथा उन्हें वर्गीकृत और व्यवस्थित किया। ऐसे वैज्ञानिक विश्लेषण का एक अच्छा उदाहरण बर्नार्ड वेरेनियस की पुस्तक सामान्य भूगोल (ज्यॉग्राफिया जनरेलिस) है। वेरेनियस ने अपने प्रादेशिक भूगोल नामक ग्रंथ में इसकी विषय-वस्तु को तीन उपभागों में प्रस्तुत किया-खगोलीय लक्षण, स्थलीय लक्षण और मानवीय लक्षण।

उन्नीसवीं शताब्दी में वैज्ञानिक विधियों के तीव्र विकास की अवस्था में भूगोल के विषय क्षेत्र को सीमित करने का प्रयास किया गया। इस अवधि में उच्चावच के लक्षणों के अध्ययन पर विशेष बल दिया गया। संभवतः अधिक तीव्रता से बदलते सांस्कृतिक लक्षणों की तुलना में पृथ्वी के अपेक्षाकृत स्थिर लक्षणों का वर्णन करना सरल था। उच्चावच के लक्षणों का अनेक प्रकार से मापन तथा परीक्षण किया गया। इसी कार्य के फलस्वरूप भूगोल की एक विशिष्ट शाखा का विकास हुआ जिसे भू-आकृति विज्ञान कहा गया। भौतिक लक्षणों के अध्ययन को आवश्यकता से अधिक महत्त्व देने वाली इस विचारधारा के प्रतिक्रिया स्वरूप कुछ विद्वानों ने मानव तथा प्राकृतिक पर्यावरण के बीच के संबंधों की जाँच शुरू कर दी। इसके परिणामस्वरूप ‘मानव भूगोल’ शाखा का उद्भव हुआ।

उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध (1859) में चार्ल्स डार्विन की पुस्तक ‘जीवों का विकास’ प्रकाशित हुई। इसी से प्रेरणा लेकर भौगोलिक अध्ययन की विशिष्ट शाखा के रूप में ‘मानव भूगोल’ का विकास हुआ। फ्रेडरिक रैटजेल की पुस्तक ‘एंथ्रोपोज्योग्राफी’ को भूगोल विषय में मानव को प्रतिष्ठित करने वाला प्रथम वास्तविक ग्रंथ कहा जाता है। रैटजेल को आधुनिक मानव भूगोल का जनक भी कहते हैं। उसके अनुसार, मानव भूगोल मानव समाजों तथा पृथ्वी-तल के बीच संबंधों का संश्लिष्ट अध्ययन है। फ्रांसीसी विद्वान वाइडल डी ला ब्लाश ने अपनी प्रतिष्ठित पुस्तक (मानव भूगोल के सिद्धांत) में बताया है कि ‘मानव भूगोल’ एवं मनुष्य के बीच पारस्परिक संबंधों का एक नया विचार देता है जिसमें पृथ्वी को नियंत्रित करने वाले भौतिक नियमों तथा पृथ्वी पर निवास करने वाले जीवों के पारस्परिक संबंधों का संयुक्त ज्ञान समाविष्ट होता है।

एल्सवर्थ हंटिग्टन ने मानव भूगोल को ‘भौगोलिक पर्यावरण तथा मानव-प्रक्रियाओं के पारस्परिक संबंधों के अध्ययन’ को परिभाषित करते हुए कहा कि मानव और पर्यावरण से संबंध गतिशील है, न कि स्थिर। जीन बूंश प्रसिद्ध फ्रांसिसी भूगोलविद् ने कहा कि मानवीय घटनाएँ कभी स्थिर नहीं रहतीं। अतः हमें इन सभी का विकास के रूप में अध्ययन करना चाहिए।

विभिन्न विद्वानों द्वारा समय:
समय पर मानव भूगोल को परिभाषित किया गया है। प्रारम्भिक विद्वानों जैसे अरस्तु, बकल, हम्बोल्ट और रिटर ने इतिहास पर भूमि के प्रभाव को प्रमुखता दी। बाद में रैटजेल तथा सेम्पल के मानव क्रिया-कलापों पर पड़ने वाले प्रभावों की जाँच पर अधिक बल दिया। ब्लाश ने पारिस्थितिकी एवं स्थलीय एकता को मानव भूगोल के दो सिद्धांतों के रूप में देखा। हंटिग्टन ने समाज, संस्कृति और इतिहास पर जलवायु के प्रभाव को प्रमुखता प्रदान की। इस प्रकार, उपरोक्त विवेचनों से यह कहा जा सकता है कि इन सभी कार्यों ने ‘मानव समाज तथा पर्यावरण के बीच संबंधों के अध्ययन को ही प्रमुखता दी।

प्रश्न 2.
मानव भूगोल की विषय-वस्तु के विषय में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल की विषय-वस्तु-मानव भूगोल एक अति विस्तृत विषय है। इसका उद्भव कुछ देशों में सामाजिक विज्ञानों से हुआ है जो मनुष्य के दिक् एवं स्थान के संबंधों का अध्ययन करते हैं। अमेरिकी भूगोलवेत्ताओं फिंच एवं ट्रिवार्था ने मानव भूगोल की विषय-वस्तु को दो बड़े भागों में बाँटा-भौतिक या प्राकृतिक पर्यावरण और सांस्कृतिक या मानव-निर्मित पर्यावरण।

भौतिक या प्राकृतिक पर्यावरण के अंतर्गत भौतिक लक्षण जैसे जलवायु, धरातलीय उच्चावच एवं अपवाह प्रणाली तथा प्राकृतिक संसाधन जैसे मिट्टी, खनिज, जल एवं वन आते हैं। सांस्कृतिक पर्यावरण के अन्तर्गत पृथ्वी पर मानव निर्मित लक्षण जैसे-जनसंख्या और मानव बस्तियाँ एवं कृषि, विनिर्माण उद्योग, परिवहन आदि को सम्मिलित किया जाता है। एल्सवर्थ हंटिग्टन (1956) के अनुसार ‘मानव भूगोल भौतिक दशाओं तथा भौतिक पर्यावरण के साथ मानव की अनुक्रियाओं से संबंधित है।

ऊपर वर्णित आवश्यक तथ्यों के अतिरिक्त मानव भूगोल निम्नलिखित मानवीय-पर्यावरण के पक्षों के अध्ययन से भी संबंधित है उद्देश्य आंतरिक आकार की सहलग्नता और बाह्य पारिस्थितिक सह संबंधों की जानकारी प्राप्त करना होता है।

इस संबंध की गवेष्णा विभिन्न स्थानिक मापकों पर की जाती है, जो वृहत् स्तर जैसे, विश्व के मुख्य प्रदेश को लेकर मध्यम स्तर और सूक्ष्म स्तर जैसे-व्यक्ति या समूह और उनके निकटवर्ती भू-भाग तक हो सकती है। इसमें मानव को विश्लेषण का आधार बनाया जाता है: वे कहाँ हैं? वे वहीं पर क्यों हैं? क्या वे आपस में एक जैसे हैं? वे क्षेत्र में कैसे अंतक्रिया करते हैं और वे अपने प्राकृतिक परिवेश में किस प्रकार के सांस्कृतिक भू-दृश्य की रचना कर रहे हैं? ऐसे विभिन्न प्रश्नों के उत्तर एक भूगोलवेत्ता द्वारा अपनाये जाने वाले आधारभूत तरीकों से ही प्राप्त करना होता है: कौन कहाँ है, और कैसे एवं क्यों वह वहाँ है? यही नहीं, हम यह भी जानना चाहते हैं कि हमारे लिए, हमारी संतानों के लिए और भावी पीढ़ी के लिए इसका अर्थ क्या है?

मानव भूगोल के अध्ययन की विधियाँ:
मानव भूगोल की मुख्य विषय-वस्तु मानव और पर्यावरण के संबंध हैं। इनकी अनेक प्रकार से विवेचना की गई है। उत्तर डार्विन काल में इस संबंध के परीक्षण के लिए बहुत से नये तरीके अपनाए गए हैं। समय के साथ-साथ मानव भूगोल की विषय-वस्तु को पढ़ने के तरीके भी बदलते रहे हैं। ये परिवर्तन केवल मानव भूगोल में ही अकेले नहीं हुए हैं। बल्कि सम्पूर्ण भूगोल जगत में होने वाले परिवर्तनों के साथ ही घटित हुए हैं। इन प्रवृत्तियों की विवेचना नीचे की जा रही है।

प्रश्न 3.
अंतर बताइये:
(क) नियतिवाद और संभववाद
(ख) प्रत्यक्षवाद और मानवतावाद

उत्तर:
(क) नियतिवाद और संभववाद में अंतर
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(ख) प्रत्यक्षवाद और मानवतावाद में अंतर
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प्रश्न 4.
मानव भूगोल के अध्ययन की विधि के संदर्भ में नियतिवाद अथवा निश्चयवाद प्रवृति की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
निश्चयवाद विचारधारा के अनुसार मनुष्य के प्रत्येक क्रिया कलाप को पर्यावरण से नियंत्रित माना जाता है। इस प्रकार किसी सामाजिक समूह, समाज या राष्ट्र का इतिहास, संस्कृति जीवन-शैली और विकास की अवस्था मुख्य रूप से पर्यावरण के भौतिक कारकों के द्वारा नियंत्रित होती है। धरातलीय स्वरूप, जलवायु, वनस्पति और जीव-जन्तु पर्यावरण के भौतिक कारक हैं। नियतिवादी सामान्यतः मानव को एक निष्क्रिय कारक समझते हैं, जो पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित होता है।

ये कारक मानव के आचरण, निर्णय-क्षमता तथा जीवन पद्धति को भी निश्चित करते हैं। हिपोक्रेटस, अरस्तु, हेरोडोटस, स्ट्रेबो आदि रोमन और यूनानी विद्वानों ने सर्वप्रथम मानव पर प्राकृतिक दशाओं के प्रभाव की विवेचना की थी। इन्होंने विभिन्न जाति समूहों के शारीरिक लक्षणों और उनकी संस्कृति पर भौतिक कारकों के प्रभाव का विशेष रूप से अध्ययन किया था। भौगोलिक साहित्य में नियतिवाद का संकल्पना, अल-मसूदी, अल-इदरिसी और इब्न-खल्दून, कांट, हम्बोल्ट, रिटर और रैटजेल जैसे विद्वानों के साहित्य से 20वीं शताब्दी के प्रारंभिक दशक तक आगे बढ़ती रही। इस विचारधारा का विस्तृत विकास, विशेषतः संयुक्त राज्य अमेरिका में, इ.सी. सेम्पुल तथा एल्सवर्थ हंटिग्टन के लेखों से हुआ, जो इसके बड़े समर्थक थे।

नियतिवादी-दर्शन की मूल रूप से दो आधारों पर आलोचना की गई –
1. यह स्पष्ट हो चुका है कि निश्चित दशाओं और परिस्थितियों में समान भौतिक पर्यावरण समान अनुक्रियायें उत्पन्न नहीं करता। भूमध्यसागरीय प्रदेश में स्थित यूनान और रोम में एक जैसी सभ्यताओं का विकास हुआ, वैसी सभ्यताएँ आस्ट्रेलिया, चिली, दक्षिणी अफ्रीका और कैलीफोर्निया के भूमध्य-सागरीय जलवायु वाले प्रदेशों में नहीं विकसित हुई।

2. यद्यपि पर्यावरण मानव को प्रभावित करता है, लेकिन मनुष्य भी पर्यावरण को प्रभावित करते हैं। इस प्रकार नियतिवाद का सिद्धांत कारण और प्रभाव संबंध के सिद्धांत इसकी विवेचना करने में बहुत सक्षम नहीं है।

इस प्रकार नियतिवाद से उत्पन्न यह विचार कि ‘मनुष्य प्रकृति का दास है’ अस्वीकृत कर दिया गया और दूसरे भूगोलवेत्ताओं ने इस बात पर बल देना आरंभ किया कि मनुष्य प्रकृति के तत्त्वों को चुनने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए। जब प्रकृति की तुलना में मनुष्य को महत्त्वपूर्ण स्थान प्रदान किया जाए, और जब मानव को अकर्मक या निष्क्रिय से सक्रिय शक्ति के रूप में देखा जाए तो यह धारणा संभववाद कहलाती है।

प्रश्न 5.
मानव भूगोल के विषय में विस्तृत अध्ययन करने के पश्चात् आप किस निर्णय पर पहुँचे?
उत्तर:
मानव भूगोल के विषय में विस्तृत अध्ययन करने के पश्चात् हम इस निर्णय पर पहुँचते हैं कि मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र की पाँच मुख्य शाखाएँ हैं –

  1. किसी प्रदेश की जनसंख्या तथा उसकी क्षमता।
  2. उस प्रदेश के प्राकृतिक प्रतिरूप।
  3. उस जनसंख्या द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के प्रयोग करने से बना सांस्कृतिक वातावरण।
  4. प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक वातावरणों के पारस्परिक कार्यों के द्वारा मानव-वातावरण-समायोजन का रूप।
  5. उपरोक्त मानव वातावरण-समायोजन का कालिक अनुक्रमण।

मानव भूगोल के निम्नलिखित उपक्षेत्र है:

(क) आर्थिक भूगोल।
(ख) सांस्कृतिक भूगोल।
(ग) जनसंख्या भूगोल।
(घ) ऐतिहासिक भूगोल।
(ड़) राजनैतिक भूगोल।
(च) कृषि भूगोल ।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र img 4

चित्र: मानव भूगोल का अन्य समाज शास्त्रों से संबंध

मानवतावाद (Humanism) भी मानव भूगोल की एक और विचारधारा है, जिसमें मानव-जागृति, मानव-साधन, मानव-चेतना और मानव की सृजनात्मकता के संदर्भ में मनुष्य की केन्द्रीय एवं क्रियाशील भूमिका पर बल दिया जाता है। दूसरे शब्दों में यह विचारधारा स्वयं मनुष्य पर केन्द्रित है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
मानव भूगोल में क्षेत्रीय विभेदन की शुरूआत का दशक कौन-सा था?
(A) 1950
(B) 1930
(C) 2000
(D) 1850
उत्तर:
(B) 1930

प्रश्न 2.
मानवतावाद किसकी एक और विचारधारा है
(A) समाज शास्त्र
(B) सामाजिक विज्ञान
(C) मानव भूगोल
(D) अर्थशास्त्र
उत्तर:
(C) मानव भूगोल

प्रश्न 3.
व्यवहारिक भूगोल, राजनीतिक भूगोल, आर्थिक भूगोल अथवा सामाजिक भूगोल कौन से भूगोल के उपक्षेत्र कहलाते हैं
(A) सामान्य भूगोल
(B) विशिष्ट भूगोल
(C) मानव भूगोल
(D) जीव विज्ञान
उत्तर:
(C) मानव भूगोल

प्रश्न 4.
मानवतावादी, आमूलवादी और व्यवहारवादी विचारधाराओं का उदय कब हुआ?
(A) 1970 के दशक में
(B) 1980 के दशक में
(C) 1990 के दशक में
(D) 1930 के दशक में
उत्तर:
(A) 1970 के दशक में

प्रश्न 5.
भूगोल में उत्तर-आधुनिकवाद विचार का दौर कब आया?
(A) 1990
(B) 1970
(C) 1960
(D) 1950
उत्तर:
(A) 1990

प्रश्न 6.
मानव भूगोल का उपक्षेत्र चिकित्सा भूगोल किस विषय से संबंधित है?
(A) मानव विज्ञान
(B) महामारी विज्ञान
(C) मनोविज्ञान
(D) कल्याण अर्थशास्त्र
उत्तर:
(B) महामारी विज्ञान

प्रश्न 7.
सैम्य भूगोल का उपक्षेत्र किस विज्ञान से संबंधित है?
(A) सैन्य विज्ञान
(B) राजनीतिक विज्ञान
(C) जनांकिकी विज्ञान
(D) सामाजिक विज्ञान
उत्तर:
(A) सैन्य विज्ञान

प्रश्न 8.
मानव भूगोल के क्षेत्र आर्थिक भूगोल का निम्न से एक उपक्षेत्र कौन-सा है?
(A) व्यवहारवादी भूगोल
(B) निर्वाचन भूगोल
(C) संसाधन भूगोल
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) संसाधन भूगोल

प्रश्न 9.
मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील संबंधों का अध्ययन है।’ ये मत किसने व्यक्त किया था?
(A) रैट जेल
(B) एलन सी. सेंपल
(C) पॉल विडाल
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) एलन सी. सेंपल

प्रश्न 10.
उपनिवेश युग का उपागम क्या था?
(A) प्रादेशिक विश्लेषण
(B) अन्वेषण और विवरण
(C) स्थानिक संगठन
(D) भूगोल में उत्तर आधुनिकवाद
उत्तर:
(B) अन्वेषण और विवरण