Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.

BSEB Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग

Bihar Board Class 12 Geography निर्माण उद्योग Textbook Questions and Answers

(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर को चुनिए:

प्रश्न 1.
कौन-सा औद्योगिक अवस्थापना का एक कारक नहीं है?
(क) बाजार
(ख) पूँजी
(ग) जनसंख्या घनत्व
(घ) ऊर्जा
उत्तर:
(ग) जनसंख्या घनत्व

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प्रश्न 2.
भारत में सबसे पहले स्थापित की गई लौह-इस्पात कंपनी निम्नलिखित में से कौन-सी है?
(क) भारतीय लौह एवं इस्पात कंपनी (आई.आई.एस.सी.ओ.)
(ख) टाटा लौह एवं इस्पात कंपनी (टी.आई.एस.सी.ओ.)
(ग) विश्वेश्वरैया लौह तथा इस्पात कारखाना
(घ) मैसूर लौह तथा इस्पात कारखाना
उत्तर:
(ख) टाटा लौह एवं इस्पात कंपनी (टी.आई.एस.सी.ओ.)

प्रश्न 3.
मुंबई में सबसे पहला सूती वस्त्र कारखाना स्थापित किया गया, क्योंकिः
(क) मुंबई एक पतन है
(ख) यह कपास उत्पादक क्षेत्र के निकट स्थित है
(ग) मुंबई एक वित्तीय केन्द्र था
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

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प्रश्न 4.
हुगली औद्योगिक प्रदेश का केन्द्र है –
(क) कोलकाता-हावड़ा
(ख) कोलकाता-मेदनीपुर
(ग) कोलकाता-रिशरा
(घ) कोलकाता-कोन नगर
उत्तर:
(क) कोलकाता-हावड़ा

प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन-सा चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है?
(क) महाराष्ट्र
(ख) पंजाब
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) तमिलनाडु
उत्तर:
(ख) पंजाब

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर लगभग 30 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
लोहा-इस्पात उद्योग किसी देश के औद्योगिक विकास का आधार है, ऐसा क्यों?
उत्तर:
क्योंकि लगभग सभी सेक्टर अपनी मूल आधारिक अवसंरचना के लिए मुख्य रूप से लोहा इस्पात उद्योग पर निर्भर करते हैं।

प्रश्न 2.
सूती वस्त्र उद्योग के दो सेक्टरों के नाम बताइए। वे किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
भारत में सूती वस्त्र उद्योग को दो सेक्टर्स में बाँटा जा सकता है:

  1. संगठित सेक्टर और
  2. विकेंद्रित सेक्टर

विकेंद्रित सेक्टर के अंतर्गत हथकरघों (खादी सहित) और विद्युत करघों में उत्पादित कपड़ा आता है। संगठित सेक्टर के अन्दरे बड़े मिलों में उत्पादित कपड़ा आता है।

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प्रश्न 3.
चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग क्यों हैं?
उत्तर:
चीनी उद्योग कृषि-आधारित उद्योग है। कच्चे माल के मौसमी होने के कारण, चीनी उद्योग एक मौसमी उद्योग है।

प्रश्न 4.
पेट्रो-रासायनिक उद्योग के लिए कच्चा माल क्या है? इस उद्योग के कुछ उत्पादों के नाम बताइए।
उत्तर:
अपरिष्कृत पेट्रोल से कई प्रकार की वस्तुएँ तैयार की जाती हैं जो अनेक नए उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराती है, इन्हें, सामूहिक रूप से पेट्रो-रसायन उद्योग के नाम से जाना जाता है। पॉलिस्टर तंजु सूत, नाइलोन चिप्स, नायलान तथा पॉलिस्टर धागा तथा पुनः चक्रित प्लास्टिक आदि पेट्रो-रसायन उद्योग के कुछ उत्पादन हैं।

प्रश्न 5.
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति के प्रमुख प्रभाव क्या हैं?
उत्तर:
भारत में सूचना प्रौद्योगिकी क्रांति ने आर्थिक और सामाजिक रूपांतरण के लिए नई संभावनाएं पैदा कर दी हैं। इस विकास का मुख्य प्रभाव रोजगार अवसर के सृजन पर पड़ा है जो प्रतिवर्ष लगभग दुगुना हो रहा है।

(ग) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दें

प्रश्न 1.
‘स्वदेशी’ आंदोलन ने सूती वस्त्र उद्योग को किस प्रकार विशेष प्रोत्साहन दिया?
उत्तर:
स्वदेशी आंदोलन ने उद्योग को प्रमुख रूप से प्रोत्साहित किया क्योंकि ब्रिटेन के बने सामानों का बहिष्कार कर बदले में भारतीय सामानों को उपयोग में लाने का आह्वान किया गया। 1921 के बाद रेलमार्गों के विकास के साथ ही दूसरे सूती वस्त्र केन्द्रों का तेजी से विस्तार हुआ। दक्षिणी भारत में, कोयंबटूर, मदुरई और बंगलौर में मिलों की स्थापना की गई। मध्य भारत में नागपुर, इंदौर के अतिरिक्त शोलापुर और वडोदरा सूती वस्त्र केन्द्र बन गए।

कानपुर में स्थापित निवेश के आधार पर सूती वस्त्र मिलों की स्थापना की गई। पत्तन की सुविधा के कारण कोलकाता में भी मिलें स्थापित की गईं। जलविद्युत शक्ति के विकास से कपास उत्पादक क्षेत्रों से दूर सूती वस्त्र मिलों की अवस्थिति में भी सहयोग मिला। तमिलनाडु में इस उद्योग के तेजी से विकास का कारण मिलों के लिए प्रचुर मात्रा में जल-विद्युत शक्ति की उपलब्धता है। उज्जैन, भरूच, आगरा, हाथरस, कोयंबटूर और तिरुनेलवेली आदि केंद्रों में, श्रम लागत के कारण कपास उत्पादक क्षेत्रों से उनके दूर होते हुए भी उद्योगों की स्थापना की गई।

इस प्रकार, भारत के लगभग प्रत्येक राज्य में जहाँ एक या एक से अधिक अनुकूल अवस्थितिक कारक विद्यमान थे, सूती वस्त्र उद्योग स्थापित किए गए। इस प्रकार कच्चे माल के स्थान पर बाजार अथवा सस्ते स्थानिक श्रमिक या विद्युत शक्ति की उपलब्धता अधिक महत्वपूर्ण हो गई।

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प्रश्न 2.
आप उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण से क्या समझते हैं? इन्होंने भारत के औद्योगिक विकास में किस प्रकार से सहायता की है?
उत्तर:
नई औद्योगिक नीति के तीन मुख्य लक्ष्य हैं – उदारीकरण, निजीकरण, और वैश्वीकरण। उदारीकरण नीति के अंतर्गत किए गए उपाय हैं:

  1. औद्योगिक लाइसेंस व्यवस्था का समापन
  2. विदेशी तकनीकी का निःशुल्क प्रवेश
  3. विदेशी निवेश नीति
  4. पूँजी बाजार में अभिगम्यता
  5. खुला व्यापार
  6. प्रावस्थबद्ध निर्माण कार्यक्रम का उन्मूलन
  7. औद्योगिक अवस्थिति कार्यक्रम का उदारीकरण

निजीकरण नीति के अंतर्गत किए गए उपायों में नए सेक्टर जैसे खनन, दूर संचार राजमार्ग निर्माण और व्यवस्था को व्यक्तिगत कंपनियों के लिए पूरा खोल दिया गया। वैश्वीकरण का अर्थ देश की अर्थव्यवस्था को संसार की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करना है। भारतीय संदर्भ में इसका अर्थ है –

  1. भारत में आर्थिक क्रियाओं के विभिन्न क्षेत्रों में, विदेशी कंपनियों को पूँजी निवेश की सुविधा उपलब्ध कराकर, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लिए अर्थव्यवस्था को खोलना।
  2. भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रवेश परे लगे प्रतिबंधों और बाधाओं को खत्म करना।
  3. भारतीय कंपनियों को देश में विदेशी कंपनियों के सहयोग से उद्योग खोलने की अनुमति प्रदान करना और उनके सहयोग से विदेशों में साझा उद्योग स्थापित करने के लिए भी प्रोत्साहित करना।
  4. पहले शुष्क दर के मात्रात्मक प्रतिबंधों में कमी लाकर बड़ी मात्रा में आयात उदारता कार्यक्रम को कार्यान्वित करना और तब आयात करों के स्तर को ध्यान में रखते हुए उसे नीचे लाना।
  5. निर्यात प्रोत्साहन के एक वर्ग के बजाय निर्यात को बढ़ाने के लिए विनिमय दर व्यवस्था को चुनना।

Bihar Board Class 12 Geography निर्माण उद्योग Additional Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
प्रथम पंचवर्षीय योजना कब शुरू हुई?
उत्तर:
प्रथम पंचवर्षीय योजना (1951-56) में शुरु हुई। इस योजना में उद्योगों की विद्यमान क्षमता के पूर्ण उपयोग पर मुख्य जोर दिया गया था। सार्वजनिक क्षेत्र तथा निजी क्षेत्र में अनेक उद्योग लगाए गए।

प्रश्न 2.
‘उद्यम वृत्ति’ के आधार पर उद्योगों को कितने वर्गों में बाँटा गया है?
उत्तर:
उद्यम वृत्ति या स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को तीन वर्गों में रखा जाता है –

  1. सार्वजनिक क्षेत्र
  2. निजी क्षेत्र, और
  3. संयुक्त और सहकारी क्षेत्र

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प्रश्न 3.
‘उत्पादों के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
उत्पादों के आधार पर उद्योगों को चार भागों में बाँटा गया है:

  1. आधारभूत वस्तु उद्योग
  2. पूँजीगत वस्तु उद्योग
  3. मध्यवर्ती वस्तु उद्योग
  4. उपभोक्ता वस्तु उद्योग

प्रश्न 4.
भारत में औद्योगीकरण की शुरुआत कब हुई?
उत्तर:
भारत में औद्योगीकरण की शुरुआत सन् 1854 में मुख्य रूप से भारतीय पूँजी और उद्गम से मुंबई में सूती वस्त्र बनाने के कारखाने की स्थापना से हुई।

प्रश्न 5.
स्वतंत्रता के समय भारत की औद्योगिक स्थिति कैसे थी?
उत्तर:
स्वतंत्रता के समय भारत की औद्योगिक स्थिति मुख्य रूप से उपभोक्ता वस्तुओं तक ही सीमित थी। सूती वस्त्र, चीनी, नमक, साबुन व चमड़े की वस्तुएँ तथा कागज प्रमुख उद्योग थे।

प्रश्न 6.
प्रारंभ में, अंग्रेजों ने स्वदेशी सूती वस्त्र उद्योग के विकास को प्रोत्साहित नहीं किया। वे कच्चे कपास को कहाँ ले जाते थे?
उत्तर:
वे कच्चे कपास को मानचेस्टर और लिवरपूल स्थित अपनी मिलों के लिए निर्यात कर देते थे और वहाँ तैयार माल को बेचने के लिए भारत ले आते थे।

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प्रश्न 7.
पेट्रो-रसायन उद्योग को कौन से चार उपवर्गों में विभाजित किया गया है?
उत्तर:

  1. पॉलीमर
  2. कृत्रिम रेशे
  3. इलेस्टोमर्स
  4. पृष्ठ संक्रियक

प्रश्न 8.
उद्योगों की अवस्थिति किन कारकों से प्रभावित होती है?
उत्तर:
कच्चे माल की उपलब्धि, शक्ति (ऊर्जा) बाजार, पूँजी, परिवहन और श्रमिक। इन कारकों का सापेक्षिक महत्त्व समय, स्थान, अत्यावश्यकता, कच्चे माल के प्रकार और उद्योग के प्रकार के अनुसार बदलता रहता है।

प्रश्न 9.
भारत का सबसे पुराना लौह कारखाना कहाँ पर स्थित है?
उत्तर:
भारत का सबसे पुराना लौह कारखाना कुल्टी (बाराकर नदी पर) में स्थित है। यह 1875 में कुल्टी (प. बंगाल) के बाराकर आयरन वर्क्स के नाम से स्थापित किया गया।

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प्रश्न 10.
सूती वस्त्र किन क्षेत्रों में बनाए जाते हैं?
उत्तर:
सूती वस्त्र तीन क्षेत्रों में बनाए जाते हैं –

  1. कारखाने (मिल)
  2. शक्ति चालित (बिजली) करघों और
  3. हथकरघे सूती वस्त्र उत्पादन में कारखानों की भागीदारी घट रही है।

प्रश्न 11.
चीनी उत्पादक चार राज्यों के नाम लिखिए?
उत्तर:
हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र चीनी उत्पादन के प्रमुख राज्य है। भारत को गन्ने का मूल स्थान माना जाता है।

प्रश्न 12.
नई औद्योगिक नीति के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
उत्तर:
प्रमुख उद्देश्यक हैं-लाभ को बनाए रखना, उद्योगों की कमियों या विकृतियों को सुधारना, उत्पादन वृद्धि में निरंतरता बनाए रखना, रोजगार के अधिक अवसर विकसित करना तथा उत्पादन को अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल करने लायक बनाना।

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प्रश्न 13.
सीधा विदेशी सीधा निवेश (FDI) किस प्रकार से उपभोक्ताओं को लाभ प्रदान करता है?
उत्तर:
FDI घरेलू निवेश तथा उपभोक्ताओं को तकनीकी उन्नयन, वैश्विक प्रबंध कुशलता और व्यावहारिकता का अभिगमन प्राकृतिक और मानवीय संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग आदि के प्रावधान द्वारा लाभ प्रदान करता है।

प्रश्न 14.
नई औद्योगिक नीति के तीन मुख्य लक्ष्य कौन से थे?
उत्तर:
उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण।

प्रश्न 15.
भारतीय सॉफ्टवेयर और सेवा सेक्टर द्वारा 2004-05 में कितने करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात किया।
उत्तर:
भारतीय सॉफ्टवेयर और सेवा सेक्टर द्वारा 2004-05 में 78,230 करोड़ रुपये मूल्य के बराबर का निर्यात किया गया।

लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
औद्योगिक क्रान्ति के भारत से औद्योगिक क्षेत्र में क्या प्रभाव पड़े?
उत्तर:
18 वीं शताब्दी में यूरोप में औद्योगिक क्रान्ति के प्रभाव भारत में भी पड़े। देश में परम्परागत हस्तशिल्प तथा घरेलू उद्योग लगभग समाप्त हो गए क्योंकि ये उद्योग फैक्टरी उद्योग का मुकाबला न कर सके। औद्योगिक कामगारों की संख्या में वृद्धि होने लगी। नगरीय क्षेत्रों में कागमार प्रवास करने लगे, जैसे मुम्बई, कोलकाता, उद्योगों के लिए बाजार अर्थव्यवस्था का महत्त्व बढ़ गया। देश से कच्चे माल यूरोपीय देशों को भेजे जाने लगे तथा भारत यूरोपीय माल की एक मण्डी बनकर रह गया।

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प्रश्न 2.
स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत में अपनाई गई औद्योगिक नीति के क्या उद्देश्य थे?
उत्तर:
स्वतन्त्रता के पश्चात् सामाजिक तथा आर्थिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए औद्योगिक नीति अपनाई गई। इस नीति में आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए क्षेत्रों में उद्योग स्थापित किए गए ताकि प्रादेशिक असन्तुलन को कम किया जा सके।

औद्योगिक नीति के उद्देश्य इस प्रकार थे –

  1. रोजगार के अधिक अवसर प्रदान करना।
  2. उद्योगों में उच्च उत्पादकता प्राप्त करना।
  3. प्रादेशिक असन्तुलन को दूर करना।
  4. कृषि आधारित उद्योगों का विकास करना।
  5. निर्यात प्रधान उद्योगों को बढ़ावा देना।

प्रश्न 3.
सूती वस्त्र उद्योग की क्या समस्याएँ हैं?
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग भारत का सबसे बड़ा संगठित उद्योग है परन्तु इस उद्योग की कई समस्याएँ हैं –

  1. देश में लम्बे रेशे वाली कपास का उत्पादन कम है। यह कपास विदेशों से आयात करनी पड़ती है।
  2. सूती कपड़ा मिलों की मशीनरी पुरानी है जिससे उत्पादकता कम है तथा लागत अधिक है।
  3. मशीनरी के आधुनिकीकरण के लिए स्वचालित मशीनें लगाना आवश्यक है। इसके लिए पर्याप्त पूँजी की आवश्यकता है।
  4. देश में हथकरघा उद्योग से स्पर्धा है तथा विदेशी बाजार में चीनी तथा जापान के तैयार वस्त्र से स्पर्धा तीव्र है।

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प्रश्न 4.
भारत में रेशम उद्योग के वितरण का वर्णन करो तथा इस उद्योग की दो प्रमुख समस्याएँ बताओ।
उत्तर:
भारत प्राचीनकाल से रेशम का प्रसिद्ध उत्पादक देश रहा है। भारत में मलबरी टसर, एरी तथा मूंगा प्रकार का रेशा तैयार किया जाता है। कर्नाटक भारत का सबसे बड़ा रेशम उत्पादक राज्य है। इसके अतिरिक्त असम, पश्चिम बंगाल, बिहार तथा जम्मू-कश्मीर रेशम उत्पन्न करते हैं। रेशम वस्त्र उद्योग श्रीनगर, बंगलौर, मैसूर, वाराणसी तथा मिर्जापुर में स्थित है। भारतीय रेशा उद्योग को इटली तथा जापान से कड़ा मुकाबला करना पड़ता है तथा कम कीमत वाले कृत्रिम रेशम के कारण असली रेशम का उत्पादन कम हो रहा है।

प्रश्न 5.
भारत में स्वामित्व के आधार पर कौन-कौन से प्रकार के उद्योग हैं?
उत्तर:
स्वामित्व के आधार पर भारत में तीन प्रकार के उद्योगों को मान्यता दी गई है –

  1. सार्वजनिक उद्योग: ऐसे उद्योगों का संचालन सरकार स्वयं करती है। इसके अन्तर्गत भारी तथा आधारभूत उद्योग हैं, जैसे भिलाई-इस्पात केन्द्र, नांगल उर्वरक कारखाना आदि।
  2. निजी उद्योग: ऐसे उद्योग किसी निजी व्यक्ति के अधीन होते हैं, जैसे जमशेदपुर का इस्पात उद्योग।
  3. सहकारी उद्योग: जब कुछ व्यक्ति किसी सहकारी समिति द्वारा किसी उद्योग की स्थापना करते हैं, जैसे चीनी उद्योग।

प्रश्न 6.
विनिर्माण उद्योग से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
कच्चे माल को मशीनों की सहायता से रूप बदल कर अधिक उपयोगी तैयार माल प्राप्त करने की क्रिया को निर्माण उद्योग कहते हैं। यह मनुष्य का एक सहायक या गौण या द्वितीयक व्यवसाय है। इसलिए निर्माण उद्योग में जिस वस्तु का रूप बदल जाता है, वह वस्तु अधिक उपयोगी हो जाती है तथा निर्माण द्वारा उस पदार्थ की मूल्य वृद्धि हो जाती है जैसे-लकड़ी से लुग्दी तथा कागज बनाया जाता है। कपास से धागा और कपड़ा बनाया जाता है। खनिज लोहे से इस्पात तथा कल-पुर्जे बनाए जाते हैं।

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प्रश्न 7.
उद्योगों का वर्गीकरण किन आधारों पर किया जाता है?
उत्तर:
उद्योगों का वर्गीकरण निम्नलिखित आधार पर किया जाता है –
1. आकार तथा कार्यक्षमता के आधार पर उद्योग दो प्रकार के होते हैं –
(क) बड़े पैमाने के उद्योग,
(ख) छोटे पैमाने के उद्योग।

2. औद्योगिक विकास के आधार पर दो प्रकार के होते हैं –
(क) कुटीर उद्योग,
(ख) आधुनिक शिल्प उद्योग।

3. स्वामित्व के आधार पर दो-तीन प्रकार के होते हैं –
(क) सार्वजनिक उद्योग (जिनकी व्यवस्था सरकार स्वयं करती है)
(ख) निजी उद्योग
(ग) सहकारी उद्योग।

4. कच्चे माल के आधार पर उद्योग दो प्रकार के होते हैं –
(क) कृषि पर आधारित उद्योग,
(ख) खनिजों पर आधारित उद्योग।

5. वस्तुओं के आधार पर उद्योग दो प्रकार के होते हैं –
(क) हल्के उद्योग
(ख) भारी उद्योग।

6. इसी प्रकार उद्योगों को अनेक विभिन्न वर्गों में रखा जाता है। जैसे-हस्तकला उद्योग, ग्रामीण उद्योग, घरेलू उद्योग आदि।

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प्रश्न 8.
भारत में चीनी उद्योग के वितरण को नियंत्रित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत में चीनी उद्योग गन्ना उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों में स्थित है। गन्ना एक भारी कच्चा माल है। इसलिए यह उद्योग कच्चे माल के स्रोत के समीप ही चलाया जाता है। भारत में 2/3 कारखाने उत्तर प्रदेश तथा बिहार राज्यों में हैं। भारत की 60% चीनी उत्पन्न करते हैं।
नियंत्रित करने वाले कारक –

  1. गन्ने का उत्पादन
  2. अधिक खपत तथा सस्ते श्रमिक
  3. जलविद्युत तथा कोयला
  4. जल के साधन भारत का 50% गन्ना उत्तर प्रदेश में उत्पन्न होता है।

अधिक जनसंख्या के कारण खपत अधिक होती है तथा सस्ते श्रमिक प्राप्त होते हैं। सस्ती जल विद्युत तथा बिहार से कोयला मिल जाता है।

  1. यातायात के उत्तम साधन हैं।
  2. जल के प्रर्याप्त साधन हैं।

भारत में चीनी उद्योग को कई कठिनाइयाँ हैं भारत में गन्ने की प्रति हैक्टेयर उपज कम है। गन्ना प्राप्त न होने के कारण मिलें वर्ष में कुछ महीने बन्द रहती हैं। गन्ने की कीमतें ऊँची हैं। चीनी उद्योग के बचे-खुचे पदार्थों का ठीक उपयोग नहीं होता। इन कारणों से चीनी पर लागत अधिक है। पिछले कुछ वर्षों से चीनी उद्योग दक्षिण भारत की ओर स्थानान्तरित हो रहा है।

प्रश्न 9.
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के वितरण का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आरम्भ में सूती वस्त्र उद्योग मुंबई नगर में केन्द्रित था। सूती वस्त्र उद्योग ने अपने विकास के दौरान काफी उतार-चढ़ाव देखे हैं। विशाल घरेलू बाजार, जल-विद्युत के विकास, कपास की प्राप्ति, कोयला क्षेत्रों से निकटता तथा कुशल श्रमिकों के कारण यह उद्योग सारे देश में फैल गया। इसे सूती वस्त्र उद्योग का विकेन्द्रीकरण कहते हैं। सबसे पहले यह उद्योग गुजरात राज्य में अच्छी कपास प्राप्त होने के कारण अहमदाबाद में स्थापित हुआ।

तमिलनाडु राज्य में जल विद्युत की प्राप्ति के कारण चेन्नई, कोयम्बटूर उद्योग के महत्त्वपूर्ण केन्द्र बने। कोलकाता में विशाल मांग क्षेत्र तथा रानीगंज कोयला क्षेत्र से निकटता के कारण यह उद्योग विकसित हुआ। उत्तर प्रदेश में कानपुर, मोदीनगर, मध्य प्रदेश में इन्दौर और ग्वालियर, राजस्थान में कोटा और जयपुर में आधुनिक मिलें स्थापित हुई हैं। यहाँ धनी जनसंख्या के कारण वह उद्योग उन्नत हआ है। लम्बे रेशे वाली कपास के उत्पादन के कारण इस उद्योग का विकास पंजाब तथा हरियाणा में हो रहा है।

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प्रश्न 10.
रसायन और पेट्रोरसायन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
आधुनिक युग में उद्योगों के लिए रसायनों का बड़ा महत्त्व है। दैनिक जीवन में प्रयोग की जाने वाली बहुत सी वस्तुएँ रासायनिक पदार्थों के प्रयोग से विभिन्न क्रियाओं द्वारा तैयार की जाती हैं। ये रसायन स्थल, जल और वायु क्षेत्रों से प्राप्त होते हैं। रसायन दो प्रकार के होते हैं। भारी रसायन तथा हल्का रसायन। भारी रसायन में गन्धक का तेजाब, सोडा, राख तथा कास्टिक सोडा आते हैं। हल्के रसायनों में रंग, दवाई, पेंट, फोटोग्राफी, साबुन, प्लास्टिक आदि पदार्थ आते हैं।

कोयला, प्राकृतिक गैस तथा पेट्रोलियम से प्राप्त होने वाले रसायनिक पदार्थों को पेट्रोरसायन कहा जाता है। पेट्रोरसायन सबसे महत्त्वपूर्ण पदार्थ है। इन रसायनों के प्रयोग में विस्फोटक पदार्थ (गोला-बारूद), दवाइयाँ, उर्वरक, प्लास्टिक कृत्रिम रेशे और रबड़ तैयार किए जाते हैं। पेट्रो-रसायन से रंग-रोगन, श्रृंगार साधन आदि भी तैयार किए जाते हैं।

प्रश्न 11.
वस्त्रोत्पाद उद्योग मुंबई से अहमदाबाद की ओर क्यों बढ़े हैं? उपयुक्त उदाहरण की सहायता से व्याख्या करो।
उत्तर:
भारत में सूती वस्त्र उद्योग सबसे पहले मुंबई में स्थापित किया गया। यहाँ पर्याप्त मात्रा में पूँजी उपलब्ध थी तथा विदेशों से मशीनरी मंगवाने की सुविधा प्राप्त थी, परन्तु यहाँ कच्चे माल की प्राप्ति भारत के कई राज्यों पंजाब, मध्य प्रदेश, गुजरात से कपास मंगवा कर पूरी की जाती थी। कुछ समय के पश्चात् यहाँ श्रमिकों की मजदूरी बढ़ने, मिलों के लिए पर्याप्त स्थान की कमी, हड़तालों आदि की समस्याओं के कारण यह उद्योग मंबई से हटकर अहमदाबाद की ओर बढ़ने लगा। अहमदाबाद में कपास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध थी। पूँजी के पर्याप्त साधन थे। मिलों के लिए खुले स्थान उपलब्ध थे। मुंबई में जो समस्याएँ थीं वे समस्याएँ अहमदाबाद में नहीं थीं। इसलिए अहमदाबाद शीघ्र ही ‘भारत का मानचेस्टर’ बन गया।

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प्रश्न 12.
मुंबई तथा उसके आस-पास वस्त्र उद्योग के क्या कारण थे?
उत्तर:
भारत में सबसे पहले सूती वस्त्र मिल, 1854 में लगाई गई। शीघ्र ही मुंबई भारत में सूती वस्त्र उद्योग का सबसे बड़ा केन्द्र बन गया। इसे कपास विराट नगर कहा जाता है। निम्नलिखित कारकों के कारण यहाँ सूती वस्त्र उद्योग केन्द्रित हो गए –

  1. मुंबई की एक बन्दगाह की स्थिति
  2. आर्द्र समुद्री जलवायु
  3. पूर्वारम्भ
  4. मुंबई में रसायन उद्योगों का विकास
  5. मुंबई की पृष्ठभूमि काली मिट्टी के प्रदेश से कपास का प्राप्त होना
  6. पश्चिमी घाट से जल विद्युत प्राप्ति
  7. मुंबई के निकटवर्ती स्वेज मार्ग से मशीनरी आयात की सुविधा
  8. पूँजी की उपलब्धिा

प्रश्न 13.
भारत के लोहे और इस्पात के सभी कारखाने प्रायद्वीपीय पठारों पर क्यों स्थित हैं?
उत्तर:
लोहा और इस्पात उद्योग मुख्य रूप से कच्चे माल पर आधारित है। इस उद्योग के लिए लौह-अयस्क, कोयला, चूने के पत्थर, डोलोमाइट और मैंगनीज की जरूरत होती है। इसलिए लोहे और इस्पात के कारखाने उसी स्थान पर लगाए जाते हैं, जि। स्थान पर इन पदार्थों को इकट्ठा करने में कम से कम लागत आती हो। ये कारखाने लौह-अयस्क के क्षेत्रों के निकट स्थित हैं या कोयला क्षेत्रों के निकट स्थित हैं। कच्चे माल की प्राप्ति के लिए लोहे और इस्पात के कारखाने पठारों पर स्थित होते हैं।

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प्रश्न 14.
मुंबई-पुणे औद्योगिक प्रदेश की प्रमुख विशेषताएं लिखिए?
उत्तर:
यह प्रदेश ठाणे से पुणे तथा नासिक और शोलापुर के निकटवर्ती जिलों में विस्तृत है। कोलाबा, अहमदनगर, सतारा, सांगली, और जलगाँव जिलों में भी औद्योगिक विकास बहुत तेजी से हुआ है।
प्रमुख विशेषताएँ –

  1. सूती वस्त्र उद्योग के लिए मुंबई में अनुकूल दशाएं थीं।
  2. 1869 में स्वेजल नहर के खुल जाने के बाद मुंबई के पत्तन के विकास को प्रोत्साहन मिला। उद्योगों के लिए आवश्यक समान इसी पत्तन के द्वारा आयात किया जाता था।
  3. पचिश्मी घाट प्रदेश में जल विद्युत का विकास किया गया।
  4. रसायन उद्योग का विकास।
  5. मुंबई हाई में पेट्रोलियम की खोज और उत्पादन शुरू होने से तथा परमाणु बिजली घर से अतिरिक्त बिजली की उपलब्धि से उद्योगों को बढ़ावा मिला।
  6. सूती वस्त्र उद्योग के अलावा यहाँ इंजीनियरिंग का समान, पेट्रोलियम परिष्करण, पेट्रोरसायन, चमड़ा, कृत्रिम तथा प्लास्टिक की वस्तुएँ, रसायन औषधियाँ, उर्वरक, बिजली का सामान, जलयान निर्माण, इलैक्ट्रोनिक्स, सॉफ्टवेयर, परिवहन उपकरण और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग।
  7. इस प्रदेश के प्रमुख केन्द्र मुंबई, कोलाबा, कल्याण, ठाणे, ट्रांबे, पुणे, पिंपरी, नासिक, मनमांड, शोलापुर, अहमदनगर, सतारा और सांगली।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में औद्योगिक समूहों के विकास का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत में विभिन्न प्रदेशों में उद्योगों के केन्द्रीयकरण के कारण कई औद्योगिक क्षेत्रों और समूहों का विकास हुआ है। ये औद्योगिक समूह यूरोप तथा संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे भारी समूह नहीं हैं। ये छोटे-छोटे समूह एक-दूसरे के पास स्थित हैं। इनमें काम करने वाले श्रमिकों की औसत दैनिक संख्या के आधार पर इन्हें तीन वर्गों में बाँटा जाता है –

  1. मुख्य औद्योगिक प्रदेश: श्रमिक संख्या 1 लाख 50 हजार से अधिक होती है।
  2. लघु औद्योगिक प्रदेश: दैनिक श्रमिक संख्या 25 हजार से अधिक होती है।
  3. छोटे औद्योगिक प्रदेश: दैनिक श्रमिक संख्या 25 हजार से कम होती है।

भारत के विभिन्न प्रदेशों में निम्नलिखित पाँच बड़े औद्योगिक प्रदेशों का विकास हुआ है –

1. हुगली औद्योगिक प्रदेश:
यह प्रदेश की प्रमुख औद्योगिक पेटी है। इस प्रदेश का विस्तार खुले समुद्र से 97 किलोमीटर अंदर तक हुगली नदी के दोनों किनारों के साथ-साथ है। हुगली नदी के किनारे कोलकाता बन्दरगाह से आयात-निर्यात की सुविधाएँ प्राप्त हैं। दामोदर घाटी क्षेत्र से कोयला तथा लोहे का प्राप्त होना। आसाम में चाय, डेल्टा प्रदेश से पटसन की प्राप्ति से इस क्षेत्र ने औद्योगिक विकास में सहायता की है।

2. मुंबई-पुणे औद्यागिक प्रदेश:
यह देश का दूसरा प्रमुख औद्योगिक प्रदेश है। इसका विकास सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना के कारण हुआ है। यह प्रदेश मुंबई, थाना, कल्याण तथा पुणे तक फैला हैं इस प्रदेश के विकास के लिए निम्नलिखित तत्त्व सहायक हैं –

  • बन्दरगाह से आयात निर्यात की सुविधाएँ।
  • मुंबई तथा थाना के मध्य रेलमार्ग का निर्माण।
  • स्वेज नहर के मार्ग का विकास।
  • पश्चिमी घाट से जल विद्युत का प्राप्त होना।
  • महाराष्ट्र और गुजरात के पृष्ठ प्रदेश से उत्तम कपास तथा श्रमिकों का प्राप्त होना।

3. अहमदाबाद-बड़ौदा औद्योगिक प्रदेश:
यह भारत का तीसरा प्रमुख औद्योगिक प्रदेश हैं तथा देश के आन्तरिक भाग में स्थित है।

4. मदुरई-कोयम्बटूर बंगलौर औद्योगिक प्रदेश:
दक्षिण भारत के इस प्रदेश में चेन्नई, कोयम्बटूर मदुरई, बंगलौर तथा मैसूर में विभिन्न उद्योगों की स्थापना हुई है।

5. छोटा नागपुर पठार औद्योगिक प्रदेश:
बिहार तथा पश्चिम बंगाल राज्यों में इस क्षेत्र का विकास दामोदर घाटी में हुआ है। यहाँ कई लोहा-इस्पात कारखाने जैसे-जमशेदपुर, बोकारो, दुर्गापुर आदि स्थापित हो गए हैं। इसे भारत का रुहर प्रदेश भी कहते हैं।

6. दिल्ली तथा निकटवर्ती प्रदेश:

  • आगरा, मथुरा, मेरठ, सहारनपुर क्षेत्र।
  • फरीदाबाद, गुड़गाँव, अम्बाला क्षेत्र।
  • दिल्ली का निकटवर्ती क्षेत्र आदि प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र हैं।

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित का अर्थ समझाइए:

  1. ज्ञान आधारित उद्योग।
  2. निजीकरण।
  3. वैश्वीकरण।

उत्तर:
1. ज्ञान आधारित उद्योग:
सूचना प्रौद्योगिकी सॉफ्टवेयर और सेवा उद्योगों को ज्ञान आधारित उद्योग कहा जाता है। सन् 2000-01 में भारत के कुल निर्यात में इस उद्योग का 12% योगदान था। भारत में सॉफ्टवेयर व्यावसायिकों ने विश्व बाजार में अपने माल की गुणवत्ता की धाक जमा दी है। अनेक भारतीय सॉफ्टवेयर कम्पनियों को अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता प्रमाण पत्र मिले हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम करने वाली अधिकतर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भारत में या तो सॉफ्टवेयर केन्द्र हैं या अनुसंधान विकास केन्द्र हैं।

2. निजीकरण:
निजीकरण में पहला कदम उन उद्योगों की मान्यता समाप्त करना था जो पहले सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सूचीबद्ध थे। केवल चार श्रेणियों के उद्योगों को सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित रखा गया है। अन्य उद्योगों को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया गया है। सुरक्षित उद्योगों में विवेक के आधार पर भागीदारी के लिए निजी क्षेत्र को आमंत्रित किया जा सकता है। नियांत्रण की मात्रा को कम करने तथा उत्तरदायित्व की गुणवत्ता को बढ़ाने के उद्देश्य से सन् 1988 में समझौता के ज्ञापन संकल्पना को लागू किया गया है। यह सार्वजनिक उद्योगों को निजी क्षेत्र की तरह चलाने के लिए पूर्ण स्वायत्ता प्रदान करता है।

3. वैश्वीकरण (भूमंडलीकरण):
वैश्वीकरण का अर्थ है देश की अर्थव्यवस्था को संसार की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करना। इस प्रक्रिया में पूँजी के साथ-साथ वस्तुएँ और सेवाएँ, श्रमिक और संसाधन एक देश से दूसरे देश में स्वतंत्रतापूर्वक आ जा सकते हैं। वैश्वीकरण का मुख्य जोर घरेलू और विदेशी प्रतिस्पर्धा बढ़ाने पर रहता है। वैश्वीकरण की प्रक्रिया तो 80 के दशक में ही शुरू हो गई थी, जब विदेशी निवेशकों को अनेक छूटें दी जाने लगी थीं। वैश्वीकरण की प्रक्रिया को वास्तविक प्रोत्साहन तब मिला जब भारत सरकार ने जुलाई 1991 को नई आर्थिक नीति लागू की।

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प्रश्न 3.
(क) भारत के रेखा मानचित्र पर सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केन्द्रों का वितरण दिखाइए।
(ख) विभिन्न प्रदेशों में सूती वस्त्र उद्योग के केन्द्रों की अवस्थिति के कारणों का पता लगाइए।
उत्तर:
(क) भारत के रेखा मानचित्र:
Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग part - 2 img 1
चित्र: सूती वस्त्र उद्योग

(ख) अवस्थिति के कारण: कच्चे माल की आपूर्ति, ईंधन (ऊर्जा), रसायन, मशीनें, श्रमिक, परिवहन और बाजार। इनमें से कोई भी कारक उद्योग की अवस्थिति निर्धारित कर सकते हैं। भारत में सूती मिल उद्योग के स्थानीकरण के तीन मुख्य कारक हैं:

  • विशाल बाजार
  • प्रचुर कच्चा माल
  • विदेशों से मशीनों तथा पाटों के आयात में आसानी।

विशाल जनसंख्या और उष्ण कटिबंध और उपोष्ण कटिबंध में स्थिति के कारण, भारत में सूती वस्त्रों का बहुत बड़ा बाजार है। कपास एक कच्चा माल है और कपास या तैयार वस्त्रों के परिवहन की लागत में कोई अंतर नहीं पड़ता।

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प्रश्न 4.
निम्नलिखित के उत्तर संक्षेप में दीजिए:

  1. उद्योगों की अवस्थिति को नियंत्रित करने वाले पांच कारकों के नाम बताइए।
  2. भारत में लोहे और इस्पात के कारखानों के नाम बताइए।
  3. भारत में सूती वस्त्र उद्योग के वितरण की पाँच विशेषताएँ बताइए।
  4. औद्योगिक समूहन की पहचान के लिए उपयोग में लाए गए चार सूचकों के नाम बताइए।

उत्तर:
1. उद्योगों की अवस्थिति अनेक कारकों से प्रभावित होती है। इनमें से प्रमुख ये हैं-कच्चे माल की उपलब्धि, शक्ति (ऊर्जा), बाजार, पूँजी, परिवहन और श्रमिक।

2. कच्चा लोहा बनाने का पहला सफल कारखाना सन् 1875 में कुल्टी (प. बंगाल) में बाराकर आयरन वर्क्स, 1907 में टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी द्वारा साकची में लोहे और इस्पात के कारखाने, 1908 में हीरापुर में इस्पात बनाने का एक नया कारखाना शुरू, बाद में इसे कुल्टी के साथ मिला दिया गया। 1923 में मैसूर आयरन एण्ड स्टील कंपनी में शामिल कर लिया गया। भारत का पहला इस्पात का कारखाना आंध्र प्रदेश में लगाया गया। 1983 में सेलम में इस्पात का उत्पादन शुरू हुआ।

3. भारत में सूती कपड़ा उद्योग की विशेषताएँ:

  • पूर्व आरम्भ भारत की सबसे पहली आधुनिक मिल मुम्बई में खोली गई।
  • मुंबई के व्यापारियों ने कपड़ा मीलें खोलने में बहुत धन लगाया।
  • आस-पास के खान देख तथा बरार प्रदेश की काली मिट्टी के क्षेत्र में उत्तम कपास मिल जाती है।
  • मुंबई एक उत्तम बंदरगाह है, जहाँ मशीनरी तथा कपास आयात करने तथा कपड़ा निर्यात करने की सुविधा है।
  • सागर से निकटता तथा नम जलवायु इस उद्योग के लिए आदर्श है।
  • धनी जनसंख्या के कारण सस्ते श्रमिक प्राप्त हो जाते हैं।
  • कारखानों के लिए सस्ती बिजली टाटा विद्युत केन्द्र से प्राप्त होती है।
  • मुंबई रेलों व सड़कों द्वारा देश के भीतरी भागों से मिला हुआ है।
  • कपड़े की धुलाई, रंगाई के लिए पर्याप्त जल मिल जाता है।
  • गुजरात में सस्ती भूमि तथा उत्तम कपास के कारण उद्योग का विकास हुआ।

4. औद्योगिक समूहन की पहचान के लिए सूचक:

  • औद्योगिक इकाइयों की संख्या
  • औद्योगिक कामगारों की संख्या
  • औद्योगिक उद्देश्यों के लिए उपयोग में लाई गई ऊर्जा की मात्रा
  • कुल औद्योगिक उत्पादन तथा
  • विनिर्माण द्वारा वस्तुओं के मूल्य में परिवर्धन अर्थात् वस्तु की उपयोगिता बढ़ाकर उसे मूल्यवान बनाना।

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प्रश्न 5.
भारत में चीनी उद्योग के महत्त्व, उत्पादन तथा प्रमुख केन्द्रों का वर्णन करो।
उत्तर:
महत्त्व:
चीनी उद्योग भारत का प्राचीन उद्योग है। सन् 1932 में सरकार ने विदेशों से आने वाली चीनी पर कर लगा दिया। इस प्रकार बाहर से आने वाली चीनी मंहगी हो गई तथा देश में चीनी उद्योग का विकास शुरू हुआ। देश की अर्थव्यवस्था में चीनी उद्योग का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

  1. चीनी उद्योग भारत का दूसरा बड़ा उद्योग है जिसमें एक अरब से अधिक पूँजी लगी है।
  2. देश की 453 मिलों में 2.5 लाख मजदूर काम करते हैं।
  3. इस उद्योग में देश के 2 करोड़ कृषकों को लाभ होता है।
  4. भारत विश्व की 10% चीनी उत्पन्न करता है और चौथे स्थान पर है।
  5. इस उद्योग के बचे-खुचे पदार्थों पर अल्कोहल, खाद, मोम, कागज उद्योग निर्भर करते हैं।

उत्पादन:
यह उद्योग कृषि पर आधारित है। इसलिए यह उद्योग गन्ना उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों में स्थित हैं। भारत में चीनी मिलों की संख्या 453 है। जिनमें चीनी का उत्पादन लगभग 160 लाख टन है। अधिकतर कारखाने उत्तर प्रदेश तथा बिहार राज्य में हैं।

प्रमुख केन्द्र:
भारत में उत्तर प्रदेश चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। गन्ना उत्पादन में भी यह प्रदेश प्रथम स्थान पर है। यहाँ चीनी मिलें दो क्षेत्रों में पाई जाती हैं –
(क) तराई क्षेत्र-गोरखपुर, बस्ती सीतापुर, फैजाबाद।
(ख) दोआब क्षेत्र-सहारनपुर मेरठ, मुजफ्फरनगर।

उत्तरी भारत में सुविधाएँ –

  1. भारत का 50% गन्ना उत्तर प्रदेश में होता है।
  2. अधिक जनसंख्या के कारण खपत अधिक है तथा सस्ते श्रमिक प्राप्त हैं।
  3. सस्ती जल-विद्युत तथा बिहार से कोयला मिल जाता है।
  4. यातायात के उत्तम साधन हैं।
  5. जल के पर्याप्त साधन है।

Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 8 निर्माण उद्योग part - 2 img 2a
चित्र: भारत: चीनी उद्योग का वितरण

1. महाराष्ट्र:
महाराष्ट्र भारत का चीनी का दूसरा बड़ा उत्पादक राज्य है। प्रमुख केन्द्र कोल्हापुर, पुणे, शोलापुर हैं।

2. आन्ध्र प्रदेश:
यहाँ गन्ने का उत्पादन अधिक होता है। प्रमुख मिलें विशाखापट्नम, हैदराबाद, विजयवाड़ा, हास्पेट, पीठापुरम में हैं।

3. अन्य केन्द्र:

  • कर्नाटक में-बेलगांव, रामपुर, पाण्डुपुर।
  • बिहार चम्पारण, सारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, पटना।
  • तमिलनाडु में-कोयम्बटूर, तिरुचिरापल्ली, रामनाथपुरम।
  • पंजाब-नवांशहर, भोगपुर, फगवाड़ा, धूरी, अमृतसर।
  • हरियाणा-यमुनानगर, पानीपत, रोहतक।
  • राजस्थान में-चित्तौड़गढ़, उदयपुर।
  • गुजरात में-अहमदाबाद, भावनगर।
  • उड़ीसा-गंजम।

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प्रश्न 6.
निम्नलिखित के उत्तर संक्षेप में दीजिए:

  1. आजादी के पहले भारत के औद्यागिक विकास के तीन लक्षण बताइए।
  2. आजादी के बाद भारत के औद्योगिक विकास के तीन लक्षण बताइए।
  3. कच्चे माल के आधार पर वर्गीकृत उद्योगों के नाम बताइए।
  4. उद्यमशीलता के आधार पर वर्गीकृत उद्योगों के नाम बताइए।

उत्तर:
1. आजादी के पहले भारत के औद्यागिक:

  • 1854 में भारतीय पूँजी और उद्यम से मुंबई में सूती वस्त्र बनाने के कारखाने की स्थापना से औद्योगीकरण की शुरुआत हुई।
  • 1855 में कोलकाता के निकट रिसरा में स्कॉटिश पूँजी और प्रबन्ध से लगाई गई थी।
  • 1907 में जमशेदपुर में टाटा लोहा और इस्पात कंपनी की स्थापना के बाद से भारत के औद्योगिक इतिहास का अध्याय शुरू हुआ।

2. आजादी के बाद भारत के औद्योगिक:

  • प्रथम पंचवर्षीय योजना के प्रारम्भ से ही औद्योगिक प्रक्रिया शुरू हुई जो बाद की योजनाओं में भी जारी रही। देश में पहली बार अखबारी कागज, केल्शियम कार्बइड, पेनिसिलीन, डी.डी.टी., धुनाई मशीनें, स्वचालित करघे, इस्पात के तारों के रस्से, जूट काटने के फ्रेम, गहरे कुओं के लिए टर्बाइन पंप, मोटर तथा उच्चतर क्षमता वाले ट्रांसफार्मर बनाए गये।
  • दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-61) में पूँजीगत तथा वस्तुओं का उत्पादन करने वाली मशीनों को बनाने वाले उद्योगों पर बल दिया गया।
  • चौथी पंचवर्षीय योजना (1969-74) के दौरान निर्यात करने वाली वस्तुओं को बढ़ावा दिया गया।

3. कच्चे माल के आधार पर वर्गीकरण:

  • कृषि आधारित उद्योग
  • वन आधारित उद्योग
  • खनिज आधारित उद्योग तथा
  • उद्योगों में प्रसंस्कृत कच्चे माल पर आधारित उद्योग

4. उद्यमशीलता के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण:

  • सार्वजनिक क्षेत्र
  • निजी क्षेत्र, और
  • संयुक्त और सहकारी क्षेत्र।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर

प्रश्न 1.
भारत में सर्वप्रथम सूती वस्त्र उद्योग कहाँ से शुरू हुआ।
(A) कोलकाता
(B) मुंबई
(C) गुजरात
(D) उत्तर प्रदेश
उत्तर:
(B) मुंबई

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प्रश्न 2.
लोहा-इस्पात कारखाना सर्वप्रथम कहाँ लगाया गया?
(A) मुंबई
(B) पश्चिम बंगाल
(C) उत्तर प्रदेश
(D) गुजरात
उत्तर:
(B) पश्चिम बंगाल

प्रश्न 3.
गन्ने का मूल स्थान कौन-सा देश है?
(A) भारत
(B) पाकिस्तान
(C) जापान
(D) आस्ट्रेलिया
उत्तर:
(A) भारत

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प्रश्न 4.
भारत में सबसे पहली सूती वस्त्र मिल कब लगाई गई?
(A) 1954
(B) 1854
(C) 1980
(D) 1914
उत्तर:
(B) 1854

प्रश्न 5.
टाटा आयरन एण्ड स्टील कंपनी कहाँ पर स्थित है?
(A) बिहार
(B) भिलाई
(C) जमशेदपुर
(D) कोलकाता
उत्तर:
(C) जमशेदपुर

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प्रश्न 6.
भारत में चीनी मिलों की संख्या कितनी है?
(A) 543
(B) 453
(C) 450
(D) 343
उत्तर:
(B) 453

प्रश्न 7.
कागज का मुख्य उत्पादक राज्य कौन-सा है?
(A) पश्चिम बंगाल
(B) उत्तर प्रदेश
(C) राजस्थान
(D) बिहार
उत्तर:
(A) पश्चिम बंगाल

प्रश्न 8.
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पहली औद्योगिक नीति कब लागू हुई?
(A) 1948
(B) 1975
(C) 1855
(D) 1954
उत्तर:
(A) 1948

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प्रश्न 9.
सन् 1875 में कच्चा लोहा बनाने का कारखाना कहाँ खोला गया?
(A) कुल्टी
(B) जमशेदपुर
(C) बोकरो
(D) भिलाई
उत्तर:
(A) कुल्टी

प्रश्न 10.
प्रथम पंचवर्षीय योजना कब लागू हुई?
(A) 1950-1955
(B) 1951-1956
(C) 1969-1974
(D) 1965-1972
उत्तर:
(B) 1951-1956

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प्रश्न 11.
कच्चे माल के आधार उद्योगों का वर्गीकरण किस आधार पर किया जाता है?
(A) कृषि-आधारित उद्योग
(B) खनिज आधारित उद्योग
(C) वन-आधारित उद्योग
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 12.
उद्योगों का वर्गीकरण उनके उत्पादों के आधार पर किस प्रकार किया जाता है?
(A) मूल पदार्थ उद्योग
(B) पूँजीगत पदार्थ उद्योग
(C) उपभोक्ता पदार्थ उद्योग
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

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प्रश्न 13.
स्वामित्व के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण किस प्रकार किया जाता है?
(A) सार्वजनिक सेक्टर
(B) व्यक्तिगत सेक्टर
(C) मिश्रित और सहकारी सेक्टर
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 14.
1854 में, पहली आधुनिक सूती मिल की स्थापना कहाँ की गई थी?
(A) मुंबई
(B) सूरत
(C) अहमदाबाद
(D) कोयम्बटूर
उत्तर:
(A) मुंबई