Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार Textbook Questions and Answers, Additional Important Questions, Notes.
BSEB Bihar Board Class 12 Geography Solutions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
Bihar Board Class 12 Geography अंतर्राष्ट्रीय व्यापार Textbook Questions and Answers
(क) नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए:
प्रश्न 1.
संसार के अधिकांश महान पत्तन इस प्रकार वर्गीकृत किए गए हैं –
(क) नौसेना पत्तन
(ख) विस्तृत पत्तन
(ग) तैल पत्तन
(घ) औद्योगिक पत्तन
उत्तर:
(ख) विस्तृत पत्तन
प्रश्न 2.
निम्नलिखित महाद्वीपों में से किस एक से विश्व व्यापार का सर्वाधिक प्रवाह होता है?
(क) एशिया
(ख) यूरोप
(ग) उत्तरी अमेरिका
(घ) अफ्रीका
उत्तर:
(क) एशिया
प्रश्न 3.
दक्षिणी अमरीकी राष्ट्रों में से कौन-सा एक ओपेक का सदस्य है?
(क) ब्राजील
(ख) वेनेजुएला
(ग) चिली
(घ) पेरु
उत्तर:
(ख) वेनेजुएला
प्रश्न 4.
निम्न व्यापार समूहों में से भारत किसका एक सह-सदस्य है?
(क) साफ्टा (SAFTA)
(ख) आसियान (ASEAN)
(ग) ओइसीडी (OECD)
(घ) ओपेक (OPEC)
उत्तर:
(क) साफ्टा (SAFTA)
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
प्रश्न 1.
विश्व व्यापार संगठन के आधारभूत कार्य कौन-से हैं?
उत्तर:
- विश्व व्यापार संगठन राष्ट्रों के बीच वैश्विक नियमों का व्यवहार करता है।
- यह विश्वव्यापी व्यापार तंत्र के लिए नियमों को नियत करता है और इसके सदस्य देशों के मध्य विवादों का निपटारा करता है।
- दूरसंचार और बैंकिंग जैसी सेवाओं तथा अन्य विषयों जैसे बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार को भी अपने कार्यों में शामिल करता है।
प्रश्न 2.
ऋणात्मक भुगतान संतुलन का होना किसी देश के लिए क्यों हानिकारक होता है?
उत्तर:
एक देश की आर्थिकी के लिए व्यापार संतुलन एवं भुगतान संतुलन के गंभीर निहितार्थ होते हैं। एक ऋणात्मक संतुलन का अर्थ है कि देश वस्तुओं के क्रय पर उससे अधिक व्यय करता है जितना कि अपने सामानों के विक्रय से अर्जित करता है। यह अंतिम रूप में वितीय संचय की समाप्ति को अभिप्रेरित करता है।
प्रश्न 3.
व्यापारिक समूहों के निर्माण द्वारा राष्ट्रों को क्या लाभ प्राप्त होते हैं?
उत्तर:
प्रादेशिक व्यापारिक समूहों के निर्माण द्वारा व्यापार की मदों में भौगोलिक सामीप्य, समरूपता और पूरकता के साथ देशों के मध्य व्यापार को बढ़ाने एवं विकासशील देशों के व्यापार पर लगे प्रतिबंध को हटाने के उद्देश्य से अस्तित्त्व में आए हैं।
(ग) निम्न प्रश्नों का 150 शब्दों में उत्तर दीजिए।
प्रश्न 1.
पत्तन किस प्रकार व्यापार के लिए सहायक होते हैं? पत्तनों का वर्गीकरण उनकी अवस्थिति के आधार पर कीजिए।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की दुनिया के मुख्य प्रवेश द्वार पोताश्रय तथा पत्तन से होते हैं। इन्हीं पत्तनों के द्वारा जहाजी माल तथा यात्री विश्व के एक भाग से दूसरे भाग को जाते हैं। पत्तन जहाज के लिए, लादने, उतारने तथा भंडारण के लिए सुविधाएँ प्रदान करते हैं। इन सुविधाओं को प्रदान करने के उद्देश्य से पत्तन के प्राधिकारी नौगम्य द्वारों का रख-रखाव, रस्सों व बजरों (छोटी अतिरिक्त नौकाएँ) की व्यवस्था करने और श्रम एवं प्रबंधकीय सेवाओं को उपलब्ध कराने की व्यवस्था करते हैं।
अवस्थिति के आधार पर पत्तनों के प्रकार इस प्रकार हैं –
1. अंतदेशीय पत्तन-ये पत्तन समुद्री तट से दूर अवस्थित होते हैं ये समुद्र से एक नदी अथवा नहर द्वारा जुड़े होते हैं। ऐसे पत्तन चौरस तल वाले जहाज या बजरे द्वारा ही गम्य होते हैं। उदाहरण के लिए मानचेस्टर एक नहर से जुड़ा है, मैफिस मिसीसिपी नदी पर अवस्थित है। राइन के अनेक पत्तन हैं जैसे-मैनहीम तथा ड्यूसबर्ग, और कोलकाता हुगली नदी, जो गंगा नदी की एक शाखा है, पर स्थित है।
2. बाह्य पत्तन-ये गहरे जल के पत्तन हैं जो वास्तविक पत्तन से दूर बने होते हैं। ये उन जहाजों, जो अपने बड़े आकार के कारण उन तक पहुँचने में अक्षम हैं, को ग्रहण करके पैतृक पत्तनों को सेवाएँ प्रदान करते हैं। उदाहरणस्वरूप एथेंस तथा यूनान में इसके बाह्य पत्तन पिरेइअस एक उच्च कोटि का संयोजन है।
प्रश्न 2.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से देश कैसे लाभ प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन में विशिष्टीकरण का परिणाम है। यह विश्व की अर्थव्यवस्था को लाभान्वित करता है। यदि विभिन्न राष्ट्र वस्तुओं के उत्पादन या सेवाओं की उपलब्धता में श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण को प्रयोग में लाएँ। हर प्रकार का विशिष्टीकरण व्यापार को जन्म दे सकता है। इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार वस्तुओं और सेवाओं के तुलनात्मक लाभ, परिपूरकता व हस्तांतरणीयता के सिद्धांतों पर आधारित होता है और सिद्धांत: यह व्यापारिक भागीदारों को समान रूप से लाभदायक होना चाहिए। आधुनिक समय में व्यापार, विश्व के आर्थिक संगठन का आधार है और यह राष्ट्रों की विदेश नीति से संबंधित है। सुविकसित परिवहन तथा संचार प्रणाली से युक्त कोई भी देश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भागीदारी से मिलने वाले लाभों को छोड़ने का इच्छुक नहीं है।
Bihar Board Class 12 Geography अंतर्राष्ट्रीय व्यापार Additional Important Questions and Answers
अति लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
पेट्रोलियम निर्यातक देशों का गठन कब हुआ था?
उत्तर:
इसका गठन पेट्रोलियम का निर्यात करने वाले देशों के हितों की रक्षा के लिए सन् 1960 में किया गया था।
प्रश्न 2.
विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को क्या कहते हैं?
उत्तर:
विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं।
प्रश्न 3.
एक बाह्य पत्तन का सटीक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
एथेन्स का बाह्य पत्तन ‘पिरॉस’।
प्रश्न 4.
गेट की स्थापना कब और कहाँ हुई?
उत्तर:
गेट्ट की स्थापना 1948 में जिनेवा में हुई थी।
प्रश्न 5.
भारत विश्व व्यापार संगठन (WTO) का संस्थापक सदस्य कब बना?
उत्तर:
1 जनवरी, 1995 को भारत इसका संस्थापक सदस्य बना।
प्रश्न 6.
यूरोपीय आर्थिक समुदाय का गठन किस संधि के परिणामस्वरूप हुआ?
उत्तर:
इसका गठन 1957 में रोम संधि के फलस्वरूप किया गया।
प्रश्न 7.
रेशम मार्ग से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
रेशम मार्ग लंबी दूरी के व्यापार का एक आरंभिक उदाहरण है, जो 6000 किमी. लंबे मार्ग के सहारे रोम को चीन से जोड़ता था। व्यापारी भारत, पर्शिया (ईरान) और मध्य एशिया के मध्यवर्ती स्थानों से चीन में बने रेशम, रोम की ऊन व बहुमूल्य धातुओं तथा अन्य अनेक महँगी वस्तुओं का परिवहन करते थे।
प्रश्न 8.
कागजी व धात्विक मुद्रा के आगमन से पहले किन दुर्लभ वस्तुओं का मुद्रा के रूप में प्रयुक्त किया जाता था?
उत्तर:
चकमक पत्थर, आब्सीडियन, (आग्नेय कांच), काउरी शेल, चीते के पंजे, ह्वेल के दाँत, कुत्ते के दाँत, खालें, बाल (फर), मवेशी, चावल, पैपककार्न, नमक, छोटे यंत्र, ताँबा, चाँदी और स्वर्ण।
प्रश्न 9.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार किसे कहते हैं?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विभिन्न राष्ट्रों के बीच राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को कहते हैं।
प्रश्न 10.
आत्रेपो पत्तन क्या है?
उत्तर:
आन्त्रेपो पत्तन, विभिन्न देशों से निर्यात के लिए लाये गये माल के संचयन के केन्द्र होते हैं। उदाहरण-एशिया में सिंगापुर तथा यूरोप में रॉटरडम एवं कोपेनहेगन वाल्टिक क्षेत्र के लिए पत्तन हैं।
प्रश्न 11.
पत्तनों का विभाजन किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
पत्तनों का विभाजन दो प्रकार से किया जाता है –
- उनकी स्थिति के अनुसार जैसे आंतरिक. पत्तन एवं बाह्य पत्तन।
- इनकी कार्य विशिष्टता के आधार पर जैसे सवारी पत्तन और वाणिज्यिक पत्तन आदि।
प्रश्न 12.
संसार के विभिन्न भागों में वस्तुओं तथा सेवाओं के अविच्छिन्न प्रवाह किन कारकों पर आश्रित होते हैं?
उत्तर:
उत्पादक प्रदेश में शांति एवं राजनीतिक स्थिरता की दशा आदि प्राथमिक कारकों पर आश्रित होता है।
प्रश्न 13.
व्यापार संघों की सदस्यता पर किन तीन बातों का प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
- दूरी
- उपनिवेशी-संबंधों की परम्परा
- भू-राजनीतिक सहयोग
लघु उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
तेल पत्तन क्या है?
उत्तर:
इस प्रकार के पत्तन तेल के आयात-निर्यात तथा परिष्करण से संबंधित होते हैं। इनमें से कुछ टैंकर पत्तन हैं तथा कुछ परिष्करणशाला के पत्तन हैं। वेनेजुएला में माराकायवों, टयूनिशिया का अस्सखीरा तथा लैबनान या ट्रिपोली टैंकर पत्तन के उदाहरण हैं। फारस की खाड़ी पर स्थित अबादान तेल शोधन का पत्तन है।
प्रश्न 2.
पोर्ट ऑफ कॉल क्या है?
उत्तर:
बहुत से ऐसे पत्तन समुद्र मार्गों के मध्य विकसित हुए हैं। जहाँ जल पोत, ईंधन, पानी तथा खाना लेने के लिए रुकते थे। अन्ततोगत्वा ये भी वाणिज्यिक पत्तन के रूप में विकसित हो गए हैं। इस प्रकार के पत्तनों में अदन एक बहुत अच्छा उदाहरण है। दूसरे उदाहरण होनोलूलू तथा सिंगापुर हैं।
प्रश्न 3.
WTO के विषय में संक्षेप में विवेचना कीजिए।
उत्तर:
सन् 1995 में गेट्ट का रूप बदलकर विश्व व्यापार संगठन (WTO) बन गया जो जिनेवा में एक स्थायी संगठन के रूप में कार्यरत है तथा यह व्यापारिक झगड़ों का निपटारा भी करता है। डब्ल्यू. टी. ओ. सेवाओं के व्यापार को भी नियंत्रित करता है, लेकिन इसे अभी भी महत्त्वपूर्ण कर-रहित नियंत्रणों जैसे निर्यात निषेध, निरीक्षण की आवश्यकता, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा-स्तरों तथा आयात लाइसेंस व्यवस्था जिनसे आयात प्रभावित होता है, को सम्मिलित करना शेष है।
प्रश्न 4.
व्यापार की मात्रा की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
व्यापार की मात्रा की गणना व्यापार के अंतर्गत सम्मिलित की गई वस्तुओं की वास्तविक मात्रा द्वारा (टनों में) की जा सकती है। लेकिन मात्रा कभी भी मूल्य की सूचक नहीं होती अतः एक देश के व्यापार की गणना सामान्यतः कुल मात्रा और आदान-प्रदान की गयी वस्तुओं के मूल्य द्वारा की जाती है। तथापि, कभी-कभी, यह प्रति व्यक्ति के आधार पर मापी जाती है जैसे कुल जनसंख्या में प्रति व्यक्ति व्यापार मूल्य क्या है।
प्रश्न 5.
व्यापार मूल्य की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में लगातार परिवर्तन होता है। आर्थिक मंदी के काल में कुछ तीव्र गिरावट के अतिरिक्त द्वितीय विश्व युद्ध काल के पश्चात् के वर्षों में इसकी वृद्धि दर में उत्तरोत्तर तीव्र चढ़ाव देखा गया है। विभिन्न देशों के बीच व्यापार की मात्रा में भिन्नता उत्पादित पदार्थों एवं सेवाओं की प्रकृति, द्वितीय संधियों तथा व्यापार निषेधों पर निर्भर करती है।
प्रश्न 6.
पैकेज स्टेशन क्या है?
उत्तर:
इनको फैरी पोर्ट भी कहा जाता है। इनका प्रयोग छोटे समुद्री मार्ग से आने वाले यात्रियों को उतारने-चढ़ाने तथा डाक लेने तथा देने के लिए किया जाता है। इसमें प्राय: दो स्टेशन, आमने-सामने होते हैं। उदाहरण के लिये इंगलिश चैनल के एक ओर डोवर तथा दूसरी ओर कैले।
प्रश्न 7.
आसियान (ए.एम.ई.ए.एन.) की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन का 1967 में गठन हुआ था। इस क्षेत्र के इंडोनेशिया, मलेशिया, थाइलैंड, फिलीपीन और सिंगापुर जैसे वृद्धिमान देश इसके सदस्य हैं। आसियान तथा शेष संसार के देशों के बीच व्यापार शुल्क दर, प्रदेश के भीतर के देशों की तुलना में अधिक तीव्र गति से बढ़ रही है। जापान, यूरोपीय संघ तथा आस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड से व्यापारिक बातचीत करते समय आसियान अपने सदस्य देशों के एक संयुक्त मसौदे का उदाहरण प्रस्तुत करके सदस्य देशों की मदद करता है। आजकल भारत भी इसका एक सह-सदस्य बन गया है।
प्रश्न 8.
तेल पत्तन एवं नेवी पत्तन क्या हैं?
उत्तर:
इस प्रकार के पत्तन तेल के आयात-निर्यात तथा परिष्करण से संबंधित होते हैं। इसमें से कुछ टैंकर पत्तन हैं तथा कुछ परिष्करणशाला के पतन हैं। वेनेजुएला में माराकायवों टयूनिशिया का अस्सखीरा तथा लैबनान का ट्रिपोली टैंकर पत्तन के उदाहरण हैं। फारस की खाड़ी पर स्थित अबादान तेल शोधन का पत्तन है। नेवी पत्तन का सामरिक महत्त्व अधिक तथा व्यापारिक महत्त्व कम होता है। यहाँ नौ सेना के लड़ाकू जहाज रखे जाते हैं तथा उनकी मरम्मत करने की व्यवस्था भी होती है। भारत में कोचीन तथा कारवाट इसके अच्छे उदाहरण हैं।
प्रश्न 9.
नाफ्टा (एन.ए.एफ.टी.ए.) क्या है?
उत्तर:
यूरोपीय संघ की तुलना में उत्तरी अमेरिका की स्वच्छंद व्यापार संधि (नाफ्टा) अधिक सरल है। इसका उद्भव 1988 में यू. एस. कनाडा फ्री एग्रीमेंट (संयुक्त राज्य कनाडा स्वच्छंद व्यापार संधि) के रूप में हुआ जिसमें धीरे-धीरे व्यापार-निषेधों को दुनिया के दो वृहत्तम व्यापारिक-सहयोगियों के बीच समाप्त कर दिया गया। वर्ष 1994 में नाफ्टा का विस्तार कर उसमें मैसिक्को को सम्मिलित कर लिया गया। यह पहला अवसर था जब विकसित देशों के व्यापार संघ में एक विकासशील देश को सदस्यता मिली थी। नाफ्टा में अब लैटिन अमेरिकी देशों को भी सम्मिलित कर लिया गया है। इससे एक प्रकार के ऐसे स्वच्छंद व्यापार क्षेत्र का निर्माण हुआ है, जो अलास्का से टिरा डेल फ्यूगो तक के क्षेत्र में फैला हुआ है।
प्रश्न 10.
सार्क की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सार्क (एस.ए.ए.आर.के.) भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान श्रीलंका और मालदीव सात दक्षिण एशियाई देशों ने मिलकर दक्षिण एशिया प्रादेशिक सहयोग संगठन का गठन किया है। इसका एक उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों के बीच व्यापार का विकास करना है। भारत-पाकिस्तान के बीच संबंधों के बिगड़ने के कारण व्यापार के क्षेत्र में प्रगति रुक गई है।
प्रश्न 11.
द्विपाश्विक व्यापार पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
द्विपाश्विक व्यापार दो देशों के द्वारा एक-दूसरे के साथ किया जाता है। आपस में निर्दिष्ट वस्तुओं का व्यापार करने के लिए वे सहमति करते हैं। उदाहरणार्थ देश ‘क’ कुछ कच्चे पदार्थ के व्यापार के लिए इस समझौते के साथ सहमत हो सकता है कि देश ‘ख’ कुछ अन्य निर्दिष्ट सामग्री खरीदेगा अथवा स्थिति इसके विपरीत भी हो सकती है।
प्रश्न 12.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अस्तित्त्व में क्यों आया?
उत्तर:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन में विशिष्टीकरण का परिणाम है। यह विश्व की अर्थव्यवस्था को लाभान्वित करता है, यदि विभिन्न राष्ट्र वस्तुओं के उत्पादन या सेवाओं की उपलब्धता में श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण को प्रयोग में लाए। हर प्रकार का विशिष्टीकरण व्यापार को जन्म दे सकता है। आधुनिक समय में व्यापार, विश्व के आर्थिक संगठन का आधार है और यह राष्ट्रों की विदेश नीति से संबंधित है। सुविकसित परिवहन तथा संचार प्रणाली से युक्त कोई भी देश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भागीदारी से मिलने वाले लाभों को छोड़ने का इच्छुक नहीं है।
प्रश्न 13.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार क्या हैं?
उत्तर:
राष्ट्रीय संसाधनों में भिन्नता जैसे भौतिक संरचना का भूविज्ञान, उच्चावच, मृदा व जलवायु में भिन्नता, जनसंख्या का असमान आकार व वितरण, देशों के आर्थिक विकास की प्रावस्था, विदेशी निवेश की सीमा, परिवहन आदि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार हैं जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देते हैं। भौगोलिक संरचना खनिज संसाधन आधार को निर्धारित करती है और धरातलीय विभिन्नता फसलों व पशुओं की विविधता सुनिश्चित करती है। खनिज संसाधन संपूर्ण विश्व में असमान रूप से वितरित हैं। जलवायु किसी दिए हुए क्षेत्र में जीवित रह जाने वाले पादप व वन्य जात के प्रकार को प्रभावित करती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
निम्न प्रश्नों का संक्षिप्त में उत्तर दीजिए:
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार क्या है?
- व्यापार करना क्यों आवश्यक होता है?
- संसार के पाँच वृहत्तम व्यापारिक देशों के नाम बताइये?
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के तीन प्रमुख अवयव क्या हैं?
- व्यापार संतुलन क्या है?
- व्यापार संघ क्या है?
- ओपेक देशों के नाम बताइये?
- पत्तनों को ‘अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रवेश द्वार’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
1. जब वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान दो देशों के बीच होता है, इसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं। ऐतिहासिक कालों से ही व्यापार मार्गों ने संस्कृति-विस्तार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संसार के विभिन्न देशों के बीच व्यापार की परम्परा, विशेषतः एशिया तथा यूरोप के बीच, बड़ी पुरानी है। कोलंबस द्वारा अमेरिका की संयोगवश खोज के पीछे व्यापार की चाह ही थी।
2. आज व्यापार सभी अर्थव्यवस्थाओं का आधार है। व्यापार की आवश्यकता मुख्यतः उत्पादन तथा उत्पादकता में प्रादेशिक विभिन्नता के कारण है। धरातल पर विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों की अब स्थिति तथा उनके वितरण में अत्यधिक विभिन्नता पाई जाती है। सभी देशों ने सभी प्राकृतिक संसाधन बराबर मात्रा में नहीं मिलते। इसके अतिरिक्त इन संसाधनों के उपयोग की मात्रा भी एक देश से दूसरे देश में भिन्न होती है।
अनेक कारक जैसे संसाधनों की उपलब्धता, आवश्यक पूँजी, प्रौद्योगिकी एवं दक्षताएँ, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय माँग, तथा सरकारी नीतियाँ विभिन्न वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन को प्रभावित व निर्धारित करती हैं। फलस्वरूप कुछ क्षेत्रों में कुछ वस्तुओं का उत्पादन आवश्यकता से अधिक होता है, जबकि अन्य का उत्पादन कम होता है। अत: देश अधिशेष वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात करते हैं तथा जिन वस्तुओं एवं सेवाओं की कमी होती है, उनका आयात करते हैं।
3. चीन, अमेरिका, जापान, भारत तथा स्विट्जरलैंड आदि वृहत् व्यापारिक देश हैं। इनके सामानों की माँग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर है।
4. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के तीन महत्त्वपूर्ण अवयव इसके विश्व प्रतिरूप को निर्धारित करते हैं। वे हैं –
(क) व्यापार की मात्रा
(ख) व्यापार की संरचना तथा
(ग) व्यापार की दिशा
5. आयात एवं निर्यात के बीच मूल्यों में अंतर को व्यापार संतुलन कहते हैं। यदि किसी देश का निर्यात उसके आयात से अधिक है तो इसे उस देश के पक्ष में अनुकूल व्यापार संतुलन कहा जाता है, यदि आयात उसके निर्यात से अधिक है तो इसे असंतुलित अथवा विलोम व्यापार संतुलन की संज्ञा दी जाएगी।
6. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की आधारभूत संरचना कुछ व्यापार संघों के ऊपर आश्रित होती है। व्यापार संघ ऐसे देशों का समूह हैं जिनके भीतर व्यापारिक अनुबंधों की सामायीकृत प्रणाली कार्य करती है। संसार का अधिकांश व्यापार इन्हीं संघों के बीच होता है। इन संघों की सदस्यता पर निम्न तीन बातों का प्रभाव पड़ता है –
(क) दूरी
(ख) उपनिवेशी – संबंधों की परंपरा तथा
(ग) भू – राजनीतिक सहयोग।
7. ओपेक के 13 सदस्य देश हैं-अल्जीरिया, इक्वेडोर, गैवों, इंडोनेशिया, इरान, ईराक, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, कतार, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात में वेनेजुएला है। यह संगठन 1960 में पेट्रोलियम (कच्चे तेल) के मूल्यों संबंधी नीतियों को निर्धारित करने के लिए पेट्रोलियम उत्पादक देशों द्वारा बनाया गया था।
8. अंतर्राष्ट्रीय समुद्र पत्तन व्यापार में पत्तनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है और इसलिए इन्हें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार (तोरण) की संज्ञा दी जाती है। समुद्र मार्ग भारी एवं अधिक मात्रा में माल की ढुलाई का सबसे सस्ता साधन है। पत्तन समुद्र तट पर वह स्थान है, जहाँ दूसरे देशों से आयात किया गया माल उतारा जाता है तथा देश के उत्पादित माल को निर्यात के रूप में बाहर भेजा जाता है। इस प्रकार यह ‘एक प्रवेश एक निकास’ बिंदु का कार्य करता है।
प्रश्न 2.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में विश्व व्यापार संगठन की भूमिका की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
गेट्ट की स्थापना 1948 में जिनेवा में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य व्यापार के प्रतिबंधों को हटाकर या कम करके सदस्य देशों के व्यापार में वृद्धि करना था। सितंबर 1986 तक उरुग्वे में इसका आठवाँ अधिवेशन हुआ । इसका कारण यह था कि 1948 तथा 1986 के बीच चार दशकों के विश्व व्यापार में बहुत परिवर्तन आ चुका था। उदाहरणतया, विश्व व्यापार में कृषि का योगदान सन् 1950 में 46 प्रतिशत था जो घटकर 1987 में केवल 13 प्रतिशत रह गया।
इसके विपरीत विकसित देशों में सेवा क्षेत्र का महत्त्व बहुत बढ़ गया। उदाहरणतया, सन् 1980 में दो-तिहाई रोजगार सेवा क्षेत्र ही प्राप्त होने लगा। इन परिस्थितियों में संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में विकसित देशों ने सेवा क्षेत्र को व्यापार की सूची में सम्मिलित करने के लिए प्रयास किया। इस प्रकार परम्परागत व्यापार के अतिरिक्त कुछ नए प्रावधान भी किये गए। अत: Trade Related Aspects of Intellectual Property Rights (TRIPS), Trade Related -Investment Measures (TRIMS) तथा Trade in Service जैसे मुद्दों को वार्ता में पहली बार सम्मिलित किया गया।
उपरोक्त विषयों से संबंधित वार्ताएँ चार वर्षों में पूरी होनी थीं, लेकिन सदस्य देशों के बीच मतभेद होने के कारण इसमें विलंब हुआ। इन मतभेदों को दूर करने के लिए गेट्ट के महानिदेशक आर्थर डंकल ने डंकल प्रस्ताव के नाम से एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत किया। 15 दिसंबर, 1993 को डंकल के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई और यह अंतिम कानून बन गया। भारत ने 117 अन्य देशों के साथ 15 अप्रैल, 1994 को इस पर हस्ताक्षर कर दिए।
गेटु समझौते के प्रभाव-गेट्ट समझौते के भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े हैं –
मूलभूत शुल्क तथा निर्यात सहायता में कमी:
भारत ने मूलभूत शुल्क में 30 प्रतिशत कमी करने का वादा किया था। यह कभी छ: वर्षों तक लागू रहनी थी। इसके अंतर्गत कच्चे माल तथा अर्धनिर्मित माल सम्मिलित थे। यह कमी कृषि उत्पादों, पेट्रोलियम उत्पादों, उर्वरकों तथा अलौह धातुओं पर लागू नहीं थी। इस प्रकार की कमी भारत में आर्थिक सुधारों का अंग थी और इसकी सिफारिश चेलिया कमेटी ने भी की थी।
गेट्ट समझौते के अनुसार भारत जैसे देशों को, जिनकी प्रति व्यक्ति आय एक हजार डॉलर से कम है उन देशों को उन वस्तुओं पर निर्यात सहायता के प्रतिबंध की छूट है जिन वस्तुओं के विश्व व्यापार में उनका हिस्सा 3.25 प्रतिशत से कम हो। गेट्ट की 1996 की निर्यात संबंधी एक तालिका के अनुसार चावल, चाय, मसालों, लौह-अयस्क, चर्म उत्पादों तथा हीरे व आभूषणों के निर्यात में भारत का हिस्सा अधिक है। उन सभी वस्तुओं का निर्यात भारत के निर्यात का 22.8 प्रतिशत है। इसका अभिप्राय है कि भारत के 77.2 प्रतिशत निर्यातों पर गेट्ट समझौते का नियंत्रण नहीं है। अतः इस समझौते का भारतीय निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है।
तालिका Indian Exports in 1996 covered by GATT Agreement (US $ million)
स्रोत Computed from Economic Survey (1998-99)
प्रश्न 3.
भारतीय अर्थव्यवस्था पर TRIPS के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कुछ विद्वानों का विचार है कि Trade Related Intellectual Property Right (TRIPS) से हमारी अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। उनकी आशंका है कि कृषि और औषधि क्षेत्र में इसका प्रभाव विशेष रूप से दिखाई देगा। TRIPS के अनुसार औद्योगिक प्रौद्योगिकी में किसी भी प्रकार की खोज पर पेटेन्ट की आवश्यकता होती है। इस पेटेन्ट धारक को उस वस्तु पर एकाधिकार प्राप्त होता है। उसे आयात करने की छूट होगी और कीमतों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहेगा। इससे दवाइयों की कीमतों पर बहुत बुरा असर पड़ेगा।
अभी तक Indian Patent Act, 1970 के प्रभाव से दवाइयों की कीमतें निम्न स्तर पर हैं। इस एक्ट के लागू हो जाने से भारत में औषधि निर्माण उद्योग ने बड़ी उन्नति की, लेकिन गेट समझौते के अनुसार 70% औषधियाँ पेटेन्ट नियम द्वारा नियंत्रित होंगी। पेटेन्ट धारक को प्रचुर धनराशि देनी होगी जिससे दवाइयों के मूल्य में 5 से 10 गुना वृद्धि हो जाएगी। इस समय भारत की केवल 30 प्रतिशत जनसंख्या ही आधुनिक औषधियों का प्रयोग करने में सक्षम है। लेकिन गेट समझौते को स्वीकार करने की स्थिति में केवल 10 प्रतिशत व्यक्ति ही आधुनिक औषधियों का प्रयोग कर पाएंगे। इससे भारत में जन-स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ेगा। भारत जैसे निर्धन देश में जनसाधारण को उचित मूल्य पर दवाइयों का उपलब्ध होना अति आवश्यक है।
कृषि में पेटेन्ट आरक्षण-डंकल के प्रस्तावों ने कृषि क्षेत्र को काफी हद तक प्रभावित किया। इसके अनुसार नई किस्म के बीजों का विकास करने वाले को उसे किसी भी मूल्य पर बेचने का पूरा अधिकार है। अंतर्राष्ट्रीय कंपनियाँ इसका लाभ उठाकर बीजों को मनमाने मूल्य पर बेचती हैं। इससे किसानों को अच्छी किस्म के बीज उचित मूल्य पर नहीं मिलते और कृषि विकास में बाधा आती हैं। गेट्ट समझौते से हमारी जनसाधारण वितरण प्रणाली पर भी प्रभाव पड़ता है। इसके अनुसार सस्ते भोजन के लिए आर्थिक सहायता केवल गरीबी के आधार पर दी जाए और इससे गेट्ट अनुमति देगा। बहुत से आलोचक इसे भारत की प्रभुसत्ता पर आघात मानते हैं। उनका मत है कि हमने गेट के आगे घुटने टेक दिये हैं। भारत सरकार ने Targeted Public Distribution के माध्यम से अनाज में आर्थिक सहायता को गरीबों तक पहुँचाने का प्रत्यन किया है।
सन् 1995 के अमेरिकी नियम के अनुसार भारत की हल्दी को भी पेटेन्ट कर दिया गया। भारत के विरोध पर अमेरिका ने अपनी गलती महसूस की और हल्दी का पेटेन्ट रद्द कर दिया। एक अमेरिकन कंपनी को हमारी नीम का पेटेन्ट दिया गया है। इसी प्रकार से बासमती चावल का कासमती अथवा टेक्समती चावल के नाम से पेटेन्ट किया गया है। जुलाई, 2002 में गौ-मूत्र का भी पेटेन्ट किया गया। ये अमेरिका द्वारा हमारे जैव-उत्पादों पर अतिक्रमण के कुछ उदाहरण हैं। भारत को इसके प्रति सचेत रहना होगा।
प्रश्न 4.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के परिवर्तित प्रतिरूप और टी. एन. सी. के बढ़ते महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हाल के वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आया है। जिसमें पूँजीगत वस्तुओं विशेषतः मशीनरी तथा परिवहन एवं वाणिज्यिक सेवाओं में उच्च वृद्धि प्रदर्शित हो रही है। इसके विपरीत विशेषतः विगत 30 वर्षों में प्राथमिक वस्तुओं के व्यापार में लगातार कमी होती रही है। प्राथमिक उत्पादनों के मूल्यों में, औद्योगिक एवं सेवा-व्यापार के मूल्यों की तुलना में चक्रीय हास के कारण ऐसी स्थित आई है। औद्योगिक व्यापार का अभी भी बाहुल्य है लेकिन इसकी बाजार व्यवस्था नए स्पर्धात्मक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से बनाई गई है। ग्राहक सेवा व्यवस्था के कारण अधिक विभिन्नता युक्त हो गई है।
सन् 1960 ई. तक अधिकांश TNC या तो अमेरिका या ब्रिटिश संगठन के अंतर्गत थे। हाल के वर्षों में जापान, जर्मनी एवं कुछ अन्य देशों की कंपनियाँ, भूमंडलीय स्तर उदारीकरण के फलस्वरूप अधिक महत्त्वपूर्ण हो गई है। TNC की शक्ति एवं प्रभाव में उदारीकरण के कारण वृद्धि हुई है। सेवाओं में जहाज नौकायान, परिवहन, यात्रा और निजी सेवाएँ सम्मिलित की जाती हैं। सेवाओं में दर्शाई गई तीव्र वृद्धि एक नवीन कारक है।
सन् 1996 में कुल विश्व निर्यात का 25 प्रतिशत भाग सेवाओं का था। सेवा-व्यापार गुणात्मक रूप में औद्योगिक व्यापार से इस अर्थ में भिन्न होता है कि ये सेवाएँ असीमित विस्तारण योग्य, संभावना युक्त तथा भार रहित होती हैं। कई लोग इसे एक साथ प्रयोग कर सकते हैं, तथा वस्तु के एक बार उत्पादित हो जाने के पश्चात् उनको कम मूल्य पर पुनरुत्पादित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए कंपनियों द्वारा जैसे IBM द्वारा परम्परागत रूप से माल या वस्तु का उत्पादन करने के विपरीत सेवाएँ प्रदान करके ही अधिक लाभ प्राप्त किया जा रहा है।
इक्कीसवीं शताब्दी में, ऐसा अनुमान लगाया गया है कि वस्तु व्यापार को पुनः आगे और उच्चीकत किया जायेगा और विश्व स्तर पर व्यापार द्वारा सबसे अधिक लाभ जीवन जैसे नए गोल्डेन सीरिज पासपोर्ट टू (उच्च माध्यमिक) भूगोल, अंतर्मियात्म व्यक्ति संबंधों के अथवा वास्तविक अनुभवों के विक्रय से ही प्राप्त होंगे। उत्पादनों के नवीन भूमंडनलीकरण ने भी व्यापारिक वस्तुओं के प्रकारों को परिवर्तित कर दिया है। उदाहरण के लिए आज के व्यापार का बहुत बड़ा हिस्सा एक तैयार माल के स्थान पर छोटे-बड़े कलपुर्जी या पार्ट्स के व्यापार के रूप में हो रहा है।
कृषि तथा औद्योगिक उत्पादनों में अत्यधिक उच्च विशिष्टीकरण के कारण आज अंतर्राष्ट्रीय व्यापार बहुत ही जटिल हो गया है। आज यह विश्व की अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन गया है। विगत लगभग 25 वर्षों में विश्व के कुल उत्पादन की तुलना में वैश्विक व्यापार में अधिक तीव्रता से वृद्धि हुई है। 1985 से 1995 के मध्य विश्व निर्यात मूल्य की औसत वार्षिक वृद्धि दर कुल उत्पादन का दोगुना थी। यह दर विश्व जनसंख्या वृद्धि से कई गुना अधिक थी। मोटे रूप में आज संसार के कुल उत्पादन के 25 प्रतिशत भाग का देशों और राज्यों के बीच व्यापार होता है।
प्रश्न 5.
अंतर स्पष्ट कीजिए –
- द्विपक्षीय व्यापार और बहुपक्षीय व्यापार
- आयात और निर्यात
- उर्ध्वाधर (लंबवत) व्यापार और क्षैतिज व्यापार
- बाह्य पत्तन और आंतरिक पत्तन
उत्तर:
1. द्विपक्षीय व्यापार और बहुपक्षीय व्यापार:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार दो प्रकार के हो सकते हैं –
(क) द्विपक्षीय व्यापार में दो देशों के बीच वस्तुओं का विनिमय होता है। ऐसा तभी संभव होता है जब दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं एक-दूसरे की पूरक हों। एक देश औद्योगिक उत्पादों के बदले कच्चे माल या ऊर्जा का विनिमय कर सकता है। ऐसा कुछ निश्चित वस्तुओं के संदर्भ में सीमित मात्रा में ही संभव हो पाता है।
(ख) दूसरी ओर बहुपक्षीय व्यापार वस्तुओं या सेवाओं का कई देशों के बीच विनिमय है।
2. आयात और निर्यात:
अंतर्राष्ट्रीय माँग तथा सरकारी नीतियाँ विभिन्न वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन को प्रभावित व निर्धारित करती हैं। फलस्वरूप कुछ क्षेत्रों में कुछ वस्तुओं का उत्पादन आवश्यकता से अधिक होता है, जबकि अन्य का उत्पादन कम होता है। अत: देश अधिक वस्तुओं का निर्यात करते हैं तथा जिन वस्तुओं एवं सेवाओं की कमी होती है, उनका आयात करते हैं।
3. उर्ध्वाधर (लंबवत) व्यापार और क्षैतिज व्यापार:
लम्बवत् विशिष्टीकरण उन देशों में स्थान लेता है जहाँ एक देश उत्पादन प्रक्रिया के किसी एक चरण में विशिष्टीकरण प्राप्त कर लेता है। जैसे एक देश एक वस्तु का दूसरे देश से आयात कर अपने यहाँ उसके उपयोग से किसी वस्तु को निर्मित कर उसे दूसरे देश को निर्यात करता है। यह क्रम तभी समाप्त होता है, जब अंतिम उत्पाद अपने लक्ष्य पर पहुँच जाता है।
उदाहरण के लिए माइक्रोचिप का डिजाइन तथा उत्पादन संबंधी कुशलता एक देश में हो तथा इसका मेमोरी-बोर्ड पर लगाने का श्रमसाध्य कार्य दूसरे देश में हो तो इसे लंबवत व्यापार कहते हैं, जबकि क्षैतिज व्यापार कम्प्यूटर बनाने का संपूर्ण कार्य यदि एक ही देश में किया गया हो, तो उसे क्षैतिज व्यापार कहते हैं।
4. बाह्य पत्तन और आंतरिक पत्तन-बाह्म पत्तन गहरे पानी के पत्तन हैं। जो वास्तविक पत्तन से दूर गहरे समुद्र में बनाए जाते हैं। जो जलपोत अपने बड़े आकार के कारण वास्तविक पत्तन तक नहीं पहुँच पाते उन्हें ये बाह्य पत्तन लंगर डालने या खड़े होने की सुविधा प्रदान का वास्तविक पत्तन की सहायता करते हैं। यूरोप में इस प्रकार के उदाहरण बहुत हैं। लेकिन एक बढ़िया उदाहरण एथेन्स का बाह्य पत्तन पिरॉस है।
आंतरिक पत्तन समुद्र तट से दूर स्थल खंड होते हैं। लेकिन किसी नदी या नहर द्वारा समुद्र से जुड़े होते हैं, जिससे चपटे वाले जलपोतों, अथवा बजरों की सहायता से इन तक पहुँच सकते हैं। उदाहरणार्थ, मानचेस्टर एक नहर द्वारा जुड़ा है। मिसिसिपी नदी पर मैम्फिस, राइन नदी पर डुईसबर्ग तथा मानहीम एवं गंगा की सहायक हुगली नदी पर कोलकाता का विकास हुआ है।
प्रश्न 6.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रमुख आधारों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
व्यापार की आवश्यकता मुख्यतः उत्पादन तथा उत्पादकता में प्रादेशिक विभिन्नता के कारण है। धरातल पर विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक संसाधनों की अब स्थिति तथा उनके वितरण में अत्यधिक विभिन्नता पाई जाती है। सभी देशों में सभी प्राकृतिक संसाधन बराबर मात्रा में नहीं मिलते। इसके अतिरिक्त इन संसाधनों के उपयोग की मात्रा भी एक देश से दूसरे देश में भिन्न होती है।
अनेक कारक जैसे संसाधनों की उपलब्धता, आवश्यक पूँजी, प्रौद्योगिकी एवं दक्षतायें घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय माँग तथा सरकारी नीतियाँ विभिन्न वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन को प्रभावित व निर्धारित करती है। फलस्वरूप कुछ क्षेत्रों में कुछ वस्तुओं का उत्पादन आवश्यकता से अधिक होता है, जबकि अन्य का उत्पादन कम होता है। अत: देश अधिक वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात करते हैं तथा जिन वस्तुओं एवं सेवाओं में कमी होती है, उनका आयात करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के उदय का एक और कारक कुछ देशों द्वारा कुछ वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में विशिष्टता प्राप्त करना है। कुछ देशों ने कुछ ऐसी वस्तुओं के उत्पादन में विशिष्ट दक्षता प्राप्त कर ली है जिनकी माँग सारे संसार में है, जैसे चीन के रेशमी कपड़े, ईरान में कालीन, भारतीय-मसालों की प्राचीन समय से ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भागीदारी रही है। आज स्विस घड़ियाँ तथा चाकसेट, जापानी कैमरे तथा इलैक्ट्रॉनिक के सामान, अमेरिकी बोइंग विमान तथा पश्चिमी एशियाई देशों के पेट्रोलियम आदि की माँग अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर है।
किसी भी सामग्री का अधिक मात्रा में उत्पादन हो उसे. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सम्मिलित करने के लिए सुनिश्चित नहीं करता है। यदि वस्तु का उत्पादन स्थानीय उपभोग स्तर से अधिक है तथा दूसरे स्थानों पर उसकी कम आपूर्ति है जो वह उत्पादन स्वयं ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की धारा में (चेनक्त में) सम्मिलित हो जाता है। कुछ खाद्यान्न फसलें अधिक (अतिरिक्त) होते हुए भी, देश में मूल्यों को नियंत्रित करने की दृष्टि से विश्व व्यापार में प्रवेश नहीं करती हैं। उदाहरण के लिए चावल का व्यापार बहुत ही सीमित है क्योंकि इसके उत्पादन का अधिकांश भाग पैदा होने वाले प्रदेश में ही उपभोग हेतु आवश्यकता पड़ती है। जहाँ उस मूल्य पर उसे खरीद लेते हैं जो उनकी पहुँच के अंदर होता है।
संसार में कुछ ऐसे भी उदाहरण हैं, जहाँ अधिशेष उत्पादन को या तो नष्ट कर दिया जाता है अथवा उसे समुद्र में फेंक दिया जाता है ताकि उसका मूल्य ऊँचा बना रहे तथा जिससे उत्पादन स्तर में गिरावट न होने पाये। उदाहरण के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में मक्के का उत्पादन अधिक है, ऐसे ही दक्षिण अमेरिका के कोलम्बिया तथा ब्राजील में कहवा का उत्पादन अधिक होता है। विश्व स्तरीय मूल्य बनाए रखने के लिए, इनके अधिशेष उत्पादनों को कुछ निश्चित वर्षों में, कम मूल्यों पर बेचने के स्थान पर उन्हें फेंक दिया गया। खाद्यान्न फसलों में सबसे महत्त्वपूर्ण व्यापारिक वस्तु में गेहूँ है।
संसार के विभिन्न भागों में वस्तुओं तथा सेवाओं के अविच्छिन्न प्रवाह कई कारकों पर आश्रित होते हैं। उत्पादक प्रदेश में शांति एवं राजनीतिक स्थिरता की दशा में इसका प्राथमिक कारक है। प. एशिया में समय-समय पर घटित होने वाली घटनाओं जैसे ईरानी-क्रांति, फिलिस्तीनी-इजराइली झगड़े, ईराक-कुवैत युद्ध के प्रभाव से पेट्रोल के मूल्यों में उतार-चढ़ाव होता रहता है। इन झगड़ों तथो युद्ध पेट्रोल के झगड़ों तथा युद्ध उत्पादन तथा परिवहन दोनों में ही बाधा पड़ जाती है।
प्रश्न 7.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में प्रादेशिक व्यापार संघों के बढ़ते महत्त्व का यूरोपीय संघ, ओपेक तथा आसियान के विशेष संदर्भ में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यूरोपीय संघ (ई. यू.) मूल रूप से इसका गठन 1957 में रोम संधि के फलस्वरूप छः देशों इटली, फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैंड द्वारा किया गया। इसे यूरोपीय आर्थिक समुदाय (ई. ई. सी.) कहा गया था, तथा बाद में इसमें पश्चिमी यूरोप के अधिकांश देशों को मिलाकर इसका विस्तार कर दिया गया।
ई. ई. सी. ने यूरो को 1970 के पेट्रोल शाक और धीमी आर्थिक वृद्धि के दुष्प्रभाव से उबारने में महत्त्वपूर्ण सहयोग किया। इसने 1992 में अपने सदस्य देशों के मध्य अनेकों व्यापार-निषेधों के उन्मूलन की एक महत्त्वाकांक्षी योजना प्रारंभ की।
सन् 1995 में ई. ई. सी. का यूरोपीय संघ में परिवर्तन हो गया। इसने कई उत्पादन एवं व्यापार नीतियों का सामांजस्यीकरण किया। 1999 के प्रारंभ में सभी सदस्य देशों में समान रूप से चलने वाली मुद्रा-यूरो को प्रचलित किया गया ताकि विभिन्न देशों को एक आर्थिक व्यवस्था के अंतर्गत प्रभावशाली ढंग से एक सूत्र में बांधा जा सके। 4000 करोड़ की जनसंख्या वाला यह यू-संघ संसार का अकेला सबसे बड़ा बाजार है। इसमें यूरोप के भीतर उत्तरी सदस्य देशों की तुलना में भूमध्य सागरीय तथा पूर्वी यूरोपीय देशों को अधिक लाभ हो सकता है। क्योंकि श्रमिकों का संचालन उत्तरवर्ती हैं। जबकि पूँजी दक्षिण की ओर प्रभावित होती है।
वर्ष 1960 में यूनाइटेड किंगडम, आस्ट्रिया, डेनमार्क, नार्वे, स्वीडन, पुर्तगाल तथा स्विट्जरलैंड ने मिलकर इफ्टा का गठन किया जिसका उद्देश्य भी व्यापार के क्षेत्र में आपसी सहयोग करना था। इन देशों में आपसी-व्यापार में व्यापार-कर को हटा दिया गया है। दिसंबर, 1972 में यूनाइटेड किंगडम तथा डेनमार्क ने इसकी सदस्यता त्याग दी तथा ई. ई. सी. के सदस्य बन गये लेकिन आइसलैंड इसमें सम्मिलित हो गया और फिनलैंड ने इस संगठन की सह-सदस्यता स्वीकार कर ली। अतः अब इनकी सदस्यता पुनः सात देशों की हो गई।
यूरोपीय संघ की तुलना में उत्तरी अमेरिका स्वच्छंद व्यापार संधि (नाफ्टा) अधिक सरल है। इसका उद्भव 1988 में यू. एस. कनाडा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (संयुक्त राज्य-कनाडा स्वच्छंद व्यापार संधि) के रूप में हुआ जिसमें धीरे-धीरे व्यापार-निषेधों को दुनिया के दो वृहत्तम व्यापारिक-सहयोगियों के बीच समाप्त कर दिया गया। वर्ष 1994 में नाफ्टा का विस्तार कर उसमें मैक्सिको को सम्मिलित कर लिया गया। यह पहला अवसर था जब विकसित देशों के व्यापार संघ में एक विकास देश को सदस्यता मिली थी। नाफ्टा में लैटिन अमेरिकी देशों को भी सम्मिलित कर लिया गया है। इससे इस प्रकार एक ऐसे स्वच्छंद व्यापार क्षेत्र का निर्माण हुआ है, जो अलास्का से टिरा डेल फ्यूगो तक के क्षेत्र में फैला हुआ है।
ओपेक:
ओपेक के 13 सदस्य देश हैं अल्जीरिया, इक्वेडोर, गैवों, इंडोनेशिया, इरान, ईराक, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, कतर, सऊदी अरब, यूनाइटेड अरब अमीरात और वेनेजुएला है। यह संगठन 1960 में पेट्रोलियम (कच्चे तेल) के मूल्य संबंधी नीतियों को निर्धारित करने के लिए पेट्रोलियम उत्पाद देशों द्वारा बनाया गया था।
आसियान (ए.एम.ई.ए.एन.):
दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन का 1967 में गठन हुआ था। इस क्षेत्र के इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, फिलिपीन और सिंगापुर जैसे वृद्धिमान देश. इसके सदस्य हैं। आसियान तथा शेष संसार के देशों के बीच व्यापार शुल्क दर, प्रदेश के भीतर के देशों की तुलना में अधिक तीव्र गति से बढ़ रही है। जापान, यूरोपीय संघ तथा आस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैंड से व्यापारिक बातचीत करते समय आसियान अपने सदस्य देशों का एक संयुक्त मसौदे का उदाहरण प्रस्तुत करके सदस्य देशों की मदद करता है। आजकल भारत भी इसका एक सह-सदस्य बन गया है।
प्रश्न 8.
वर्तमान विश्व में व्यापार के क्षेत्रीय संगठन में प्रमुख परिवर्तनों का विवरण लिखिए।
उत्तर:
अधिकांश देशों में यह देखा जा रहा है कि व्यापार में संरक्षणात्मक बाधाएँ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए घातक होती हैं अत: अधिकांश सरकारों ने आयात पर शुल्क तथा नियंत्रण कम कर दिया है। अनेक देशों के अपने व्यापारिक सदस्य देशों के साथ सरल द्विपक्षीय अनुबंध हैं। इससे अलग-अलग उत्पादों के आधार पर व्यापार बाधाओं में ढील या उन्मूलन हो जाता है।
द्वितीय विश्व युद्ध से ही विश्व स्तर पर इस उद्देश्य की पूर्ति करने वाली प्राथमिक संस्था गेट्ट (व्यापार एवं शुल्क पर सामान्य सहमति) है। अनेक सहमतियों के आधार पर इसने विश्व स्तर पर व्यापार शुल्क में क्रमबद्ध रूप से कमी करायी है। द्वितीय विश्व युद्ध के उत्तर काल में इसने भूमंडलीय आर्थिक क्रांति में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है। प्रारंभ में गेट्ट के सभी सदस्य मूलतः विकसित राष्ट्र के ही थे। बाद में जल्दी ही इसमें विकासशील देशों को सम्मिलित किया गया है। संसार के लगभग सभी देश अब इसके सदस्य हैं।
सन् 1995 में गेट्ट का रूप बदलकर विश्व व्यापार संगठन (WTO) बन गया जो जिनेवा में एक स्थायी संगठन के रूप में कार्यरत है तथा यह व्यापारिक झगड़ों का निपटारा भी करता है। डब्ल्यू. टी. ओ. सेवाओं के व्यापार को भी नियंत्रित करता है, लेकिन इसे अभी भी महत्त्वपूर्ण कर-रहित नियंत्रणों जैसे निर्यात निषेध, निरीक्षण की आवश्यकता, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा-स्तरों तथा आयात लाइसेंस व्यवस्था जिनसे आयात प्रभावित करना होता है, को सम्मिलित करना शेष है।
इन बड़ी भूमंडलीय सहमतियों के अतिरिक्त अनेकों देश प्रादेशिक व्यापारिक संघ में सम्मिलित हो गये हैं। यह देशों का ऐसा परिषद् संघ है जिसका उद्देश्य निषेधात्मकता को कम करना तथा सदस्य देशों के बीच आर्थिक संबंधों में वृद्धि करना है। हाल के वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आया है। जिसमें पूँजीगत वस्तुओं विशेषतः मशीनरी तथा परिवहन एवं वाणिज्यिक सेवाओं में उच्च वृद्धि प्रदर्शित हो रही है।
इसके विपरीत विशेषतः विगत 30 वर्षों में प्राथमिक वस्तुओं के व्यापार में लगातार कमी होती रही है। प्राथमिक उत्पादनों के मूल्यों में, औद्योगिक एवं सेवा-व्यापार के मूल्यों की तुलना में चक्रीय हास के कारण ऐसी स्थिति आई है।
भौगोलिक कुशलताएँ
प्रश्न 1.
संसार के रैखा मानचित्र पर निम्नलिखित को उचित चिह्नों द्वारा दर्शाइये तथाउनके नाम लिखिये:
- संसार के पांच सबसे बड़े व्यापारिक-राष्ट्र
- यूरोपीय स्वच्छंद व्यापार संगठन (एफ्टा) देशों के नाम
- ओपेक सदस्य देश
- आसियान सदस्य देश।
उत्तर:
- संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, जापान।
- EFTA के देश–आईसलैंड, नार्वे, स्वीडन, फिनलैड, आस्ट्रिया, स्विट्जरलैंड, पुर्तगाल।
- OPEC के सदस्य देश-इंडोनेशिया, मलेशिया, थाइलैंड, फिलीपिंस, सिंगापुर।
चित्र: संसार, के पांच सबसे बड़े व्यापारिक क्षेत्र
चित्र: यूरोपीय स्वच्छंद संघ (EFTA) के देश
चित्र: ओपेक के सदस्य
चित्र: आसियान के सदस्य देश
वस्तुनिष्ठ प्रश्न एवं उनके उत्तर
प्रश्न 1.
प्राचीन समय में मुद्रा के रूप में निम्न में से किसको प्रयुक्त किया जाता था?
(A) चमकदार पत्थर
(B) चीते के पंजे
(C) स्वर्ण
(D) नमक
(E) सभी
उत्तर:
(E) सभी
प्रश्न 2.
रोम को चीन से कौन-सा व्यापारिक मार्ग जोड़ता है?
(A) रेशम मार्ग
(B) तिब्बत मार्ग
(C) बींजिग मार्ग
(D) तीनों
उत्तर:
(A) रेशम मार्ग
प्रश्न 3.
दास व्यापार में किसको बेचा खरीदा जाता था?
(A) मानव
(B) वस्तुओं
(C) खनिज पदार्थों
(D) धातुओं
उत्तर:
(A) मानव
प्रश्न 4.
अमेरिका में दास व्यापार पूर्णरूप से कब समाप्त कर दिया गया था?
(A) 1808
(B) 1792
(C) 1807
(D) 1908
उत्तर:
(A) 1808
प्रश्न 5.
पुराने समय में किन उच्च मूल्य वाली वस्तुओं का व्यापार किया जाता था?
(A) रत्न
(B) रेशम
(C) मसाले
(D) सभी
उत्तर:
(D) सभी
प्रश्न 6.
कौन-सी शताब्दी में व्यापार की दिशा में प्रत्यावर्तन हुआ। यूरोपीय देशों के विनिर्माण वस्तुओं को अपने उपनिवेशों से खाद्य पदार्थ तथा कच्चे माल के बदले, निर्यात करना शुरू कर दिया।
(A) 19 वीं शताब्दी
(B) 20 वीं शताब्दी
(C) 21 वीं शताब्दी
(D) 18 वीं शताब्दी
उत्तर:
(A) 19 वीं शताब्दी
प्रश्न 7.
जनरल एग्रीमेंट ऑन ट्रेड एंड टेरिफ (GATT) का गठन कब किया गया?
(A) 1948
(B) 1950
(C) 1928
(D) 1998
उत्तर:
(A) 1948
प्रश्न 8.
कौन से सन् में GATT को विश्व व्यापार संगठन (WTO) में बदल दिया गया था?
(A) 1995
(B) 2005
(C) 1985
(D) 1975
उत्तर:
(A) 1995
प्रश्न 9.
प्रादेशिक व्यापार समूहों की संख्या कितनी हैं?
(A) 100
(B) 110
(C) 120
(D) 200
उत्तर:
(C) 120
प्रश्न 10.
ई. यू. यूरोपीय संघ का मुख्यालय कहाँ है?
(A) जकार्ता
(B) ब्रुसेल्स बेल्जियम
(C) वियना
(D) न्यूयार्क
उत्तर:
(B) ब्रुसेल्स बेल्जियम
प्रश्न 11.
आसियान का मुख्यालय कहाँ है?
(A) मिसक, बेलारूस
(B) जकार्ता, इंडोनेशिया
(C) वियना
(D) पेरिस
उत्तर:
(B) जकार्ता, इंडोनेशिया
प्रश्न 12.
ओपेक का कार्य क्या है?
(A) खनिज तेल की नीतियों का समन्वय एवं एकीकरण
(B) अंतर-प्रादेशिक व्यापार के करों को घटाना
(C) आर्थिक वृद्धि को त्वरित करना
(D) एकल मुद्रा के साथ एकल बाजार
उत्तर:
(A) खनिज तेल की नीतियों का समन्वय एवं एकीकरण
प्रश्न 13.
NAFTA की उत्पत्ति कब हुई थी?
(A) 1957
(B) 1964
(C) 1949
(D) 2006
उत्तर:
(B) 1964
प्रश्न 14.
साफ्टा का कार्य क्या है?
(A) अंतर-प्रादेशिक व्यापार के करों को घटाना
(B) अर्थव्यवस्था, विदेश नीति के मामलों पर समन्वय
(C) शांति और प्रादेशिक स्थायित्व
(D) सभी
उत्तर:
(A) अंतर-प्रादेशिक व्यापार के करों को घटाना